), -3 404 hil 404) 2 ( 1 10 15 info...आई. एर 404 (hil 404) ु श्र /म...

33
1 हभाचर देश क ीम वििविमारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम हदी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ. ( हदी ), सेभेटय-3 ऩामभ शीषषक - खड़ी फोरी का काम : त काम ऩामभ क ट सॊकेत - एच. आई. एर 404 (HIL 404) ेम तुमभान: 2 ेम ( 1 ेम मामान,सॊगहित का गतविध ध औय मततगत सॊऩकष के 10 घॊटे ; मोगशारा मा / मािहारयक कामष ,मूटोरयम,शक तनमॊित गतविध धम / कामष के 5 घॊटे ; औय अम कामष जैसे िति मततऩयक कामष ,साभूहहक कामष ,तनधाषरयत अतनिामष / िकऩक कामष ,साहहम सभीा,ऩुतकारम कामष ,तम सॊह,शोधऩि रेखन,सेशभनाय,फॊध रेखन,इमाहद के 15 घॊटे के सभान है | ऩामभ का उदेम: हदी की वििेदी मुगीन कविता ने खड़ी फोरी कविता का ढाॉचा खड़ा कमा,रेक कन उसे मिथत ऱऩ भ ढारने का काभ छामािादी कविता के िाया ह आ । खड़ी फोरकविता की इस धचताधाया ने हहदी कविता को नए शद हदए औय मे शद क त के साहचमष से आए । छामािादी कविता केिर शद के यचाि के शरहाज से भहिऩूणष नहीॊ है फक इस कविता ने हदी कविता की सॊिेदना को सॊकाय हदमा एिॊ सौदमष चेतना का साय कमा । इस कविता के जरयए खड़ी फोरी कविता की क त चेतना को उबाय शभरा । इस ऩामभ के तहत एभ. ए हहदी के विमाधथषम को क त चेतना से ऩरयधचत कयाना है ,जससे क क िे छामािादी कविता के वित त परक से रफऱ हो सक । उऩथतत अतनिामष ता: ऩूणष एिॊ सुतनचत राब हेतु विमाथी का सबी काओॊ भ बागीदाय होना अतनिामष है | मूनतभ 75% काओॊ भ उऩथतत दजाष ना होने ऩय विमाथी को ऩयीा भ फैिने से िधचत क कमा जा सकता है | भूमाॊकन भाऩदॊड : ) भमािध ध ऩयीा - 25% ) सिाॊत ऩयीा - 50% ) सतत आतॊरयक भूमाॊकन - 25% *ऩुतकारम कामष - 5% *ामोधगक कामष - 5% *- कामष - 5% * का ऩयीा - 5% *का- तु तमाॊ 5%

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  • 1

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए ( हहन्दी ), सेभेस्टय-3

    ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी का काव्म : प्रकृतत काव्म ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 404 (HIL 404) शे्रम तलु्मभान: 2 शे्रम ( 1 शे्रम व्माख्मान,सॊगहित कऺा गततविधध औय व्मक्ततगत सॊऩकष के 1 0 घॊटे; प्रमोगशारा मा / व्मािहारयक कामष,ट्मटूोरयमर,शशऺक तनमॊत्रित गततविधधमों /कामष के 5 घॊटे;औय अन्म कामष जैसे स्ितन्ि व्मक्ततऩयक कामष ,साभहूहक कामष,तनधाषरयत अतनिामष /िकैक्ल्ऩक कामष,साहहत्म सभीऺा,ऩसु्तकारम कामष,तथ्म सॊग्रह,शोधऩि रेखन,सेशभनाय,प्रफॊध रेखन,इत्माहद के 1 5 घॊटे के सभान है | ऩाठ्मक्रभ का उद्देश्म: हहन्दी की द्वििेदी मगुीन कविता ने खड़ी फोरी कविता का ढाॉचा खड़ा ककमा,रेककन उसे व्मिक्स्थत रूऩ भें ढारने का काभ छामािादी कविता के द्िाया हुआ । खड़ी फोरी कविता की इस धचन्ताधाया ने हहन्दी कविता को नए शब्द हदए औय मे शब्द प्रकृतत के साहचमष से आए । छामािादी कविता केिर शब्दों के यचाि के शरहाज से भहत्िऩणूष नहीॊ है फक्ल्क इस कविता ने हहन्दी कविता की सॊिेदना को सॊस्काय हदमा एिॊ सौन्दमष चेतना का प्रसाय ककमा । इस कविता के जरयए खड़ी फोरी कविता की प्रकृतत चेतना को उबाय शभरा । इस ऩाठ्मक्रभ के तहत एभ.ए हहन्दी के विद्माधथषमों को प्रकृतत चेतना से ऩरयधचत कयाना है,क्जससे कक िे छामािादी कविता के विस्ततृ परक से रुफरू हो सकें । उऩक्स्थतत अतनिामषता: ऩणूष एिॊ सतुनक्श्चत राब हेत ुविद्माथी का सबी कऺाओॊ भें बागीदाय होना अतनिामष है | न्मनूतभ 75% कऺाओॊ भें उऩक्स्थतत दजाष ना होने ऩय विद्माथी को ऩयीऺा भें फिैने से िॊधचत ककमा जा सकता है | भलू्माॊकन भाऩदॊड : क) भध्मािधध ऩयीऺा - 25%

    ख ) सिाॊत ऩयीऺा - 50% ग) सतत आतॊरयक भलू्माॊकन - 25% *ऩसु्तकारम कामष - 5% *प्रामोधगक कामष - 5% *गहृ-कामष - 5% * कऺा ऩयीऺा - 5% *कऺा-प्रस्ततुतमाॊ 5%

  • 2

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए ( हहन्दी ), सेभेस्टय-2

    ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी का काव्म : प्रकृतत काव्म ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 404 (HIL 404 ) शे्रम तलु्मभान: 2 शे्रम ऩाठ्मक्रभ विषमिस्त ु– इकाई-1 खड़ी फोरी प्रकृतत काव्म : एक ऩरयचम ( 4 घॊटे)

    क) छामािाद : ऩषृ्िबशूभ, कविमों-आरोचकों की दृक्ष्ट, प्रभखु प्रिकृ्त्तमाॉ ख) छामािाद: जागयण का स्िय,िकै्श्िक चेतना, साहहक्त्मक अिदान

    इकाई-2 भहादेिी िभाष का काव्म ( 4 घॊटे)

    क) भहादेिी िभाष : जीिन दशषन,यहस्मिाद ख) भहादेिी िभाष का काव्म : प्रकृतत िणषन,िेदना तत्ि, गीतत-तत्ि ग) भहादेिी िभाष की कविता का ऩाि-विश्रेषण (सॊधधनी की प्रभखु कविताएॉ :

    2,3,4,5,7,8,1 1 ,1 4,1 5,1 8,21 ,22,29,30 )

    इकाई-3 सशुभिानन्दन ऩॊत का काव्म ( 4 घॊटे)

    क) सशुभिानन्दन ऩॊत : जीिन दशषन, सौन्दमष –दृक्ष्ट,काव्मगत विकास ख) सशुभिानन्दन ऩॊत का काव्म : यहस्मिाद,काव्म-बाषा ग) सशुभिानन्दन ऩॊत की कविता का ऩाि-विश्रेषण : ( ‘प्रथभ यक्श्भ’, ‘जग के उिषय आॉगन भें’,

    ‘ताज’, ‘स्िी’, ‘फाऩ ूके प्रतत’, ‘ग्राभ देिता’)

    इकाई-4 जमशॊकय प्रसाद का काव्म (4 घॊटे)

    क) काभामनी : सौन्दमष-सौष्िि, साभयस्म शसद्धान्त ,बाि-ऩऺ,करा-ऩऺ, प्रासॊधगकता ख) जमशॊकय प्रसाद की कविता का ऩाि-विश्रेषण : काभामनी (श्रद्धा सगष)

    इकाई-5 समूषकान्त त्रिऩािी तनयारा का काव्म ( 4 घॊटे)

    क) ’भतुत छ्नन्द’ औय तनयारा

  • 3

    ख) तनयारा का काव्म : प्रकृतत धचिण, िॊधचतों का सॊसाय, जागयण का स्िय

    ग) समूषकान्त त्रिऩािी तनयारा की कविता का ऩाि-विश्रेषण : (‘सयोज स्भतृत’, ‘फाॊधों न नाि इस िाॊि फॊध’ु, ‘तभु औय भैं,’ ‘तोड़ती ऩत्थय’ )

    सम्बावित ग्रन्थ :

    आधाय ग्रन्थ :

    1. भहादेिी िभाष सॊधधयेखा,रोकबायती प्रकाशन,इराहाफाद - 21 1 001 2. जमशॊकय प्रसाद काभामनी,याजकभर ऩेऩय फतैस, याजकभर प्रकाशन,दरयमागॊज,नई

    हदल्री -1 1 0002 3. सशुभिानन्दन ऩॊत सशुभिानन्दन ऩॊत ग्रॊथािरी,बाग -1 ,याजकभर प्रकाशन,दरयमागॊज,नई

    हदल्री-1 1 0002 4. नॊदककशोय निर (सम्ऩादन) तनयारा यचनािरी-2, याजकभर प्रकाशन,दरयमागॊज,नई हदल्री-

    1 1 0002

    सॊदबष ग्रन्थ :

    5. डॉ. नाभिय शसॊह छामािाद , याजकभर प्रकाशन,दरयमागॊज,नई हदल्री-1 1 0002

    6. डॉ. नगेन्द्र सशुभिानन्दन ऩॊत, भमयू ऩेऩयफतैस,नोएडा-201301 7. गणऩतत चन्द्र गपु्त भहादेिी नमा भलू्माॊकन, रोक बायती प्रकाशन, ऩहरी

    भॊक्जर,दयफायी त्रफक्ल्डॊग, इराहाफाद -21 1 001 8. डॉ. ए. अयविन्दाऺन (सॊऩादन) तनयारा एक ऩनुभूषल्माॊकन, आधाय प्रकाशन प्राइिेट

    शरशभटेड,ऩॊचकूरा -1 34 113 9. विनोद शाही जमशॊकय प्रसाद : एक ऩनुभूषल्माॊकन,आधाय प्रकाशन,प्रा.शर.,ऩॊचकूरा,हरयमाणा-

    1 341 1 3 10. नन्द दरुाये िाजऩेमी कवि सशुभिानॊदन ऩन्त, रोक बायती प्रकाशन, ऩहरी भॊक्जर,दयफायी

    त्रफक्ल्डॊग, इराहाफाद -21 1 001

  • 4

    व्माख्मान मोजना-

    ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी का काव्म : प्रकृतत काव्म ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 404 (HIL 404) शे्रम तलु्मभान: 2 शे्रम

    व्माख्मान सॊख्मा

    व्माख्मान विषम सम्बावित स्रोत

    1-2 इकाई एक प्रायम्ब, खड़ी फोरी प्रकृतत काव्म : एक ऩरयचम छामािाद : ऩषृ्िबशूभ, कविमों-आरोचकों की दृक्ष्ट, प्रभखु प्रिकृ्त्तमाॉ

    ऩाठ्मऩसु्तक 5,1 0

    3-4 छामािाद: जागयण का स्िय,िकै्श्िक चेतना, साहहक्त्मक अिदान

    ऩाठ्मऩसु्तक 5,1 0

    5 भहादेिी िभाष का काव्म भहादेिी िभाष : जीिन दशषन,यहस्मिाद

    ऩाठ्मऩसु्तक 7

    6 भहादेिी िभाष : यहस्मिाद

    ऩाठ्मऩसु्तक 7

    7 भहादेिी िभाष का काव्म : प्रकृतत िणषन,िेदना तत्ि, गीतत-तत्ि

    ऩाठ्मऩसु्तक 7,1 0

    8 भहादेिी िभाष की कविता का ऩाि-विश्रेषण ( सॊधधनी की प्रभखु कविताएॉ : 2,3,4,5,7,8,1 1 ,1 4,1 5,1 8,21 ,22,29,30)

    ऩाठ्मऩसु्तक 1

    9 इकाई तीन प्रायम्ब, सशुभिानन्दन ऩॊत का काव्म सशुभिानन्दन ऩॊत : जीिन दशषन, सौन्दमष –दृक्ष्ट,काव्मगत विकास

    ऩाठ्मऩसु्तक 6

    10 सशुभिानन्दन ऩॊत का काव्म : यहस्मिाद,काव्म-बाषा ऩाठ्मऩसु्तक 6

    1 1-1 2 सशुभिानन्दन ऩॊत की कविता का ऩाि-विश्रेषण ( ‘प्रथभ यक्श्भ’, ‘जग के उिषय आॉगन भें’, ‘ताज’, ‘स्िी’, ‘फाऩ ूके प्रतत’, ‘ग्राभ देिता’)

    ऩाठ्मऩसु्तक 6,1 0

    1 3 इकाई चाय प्रायम्ब, जमशॊकय प्रसाद का काव्म काभामनी : सौन्दमष-सौष्िि, साभयस्म शसद्धान्त ,बाि-ऩऺ,करा-ऩऺ, प्रासॊधगकता

    ऩाठ्मऩसु्तक 9

    14-1 6 जमशॊकय प्रसाद की कविता का ऩाि-विश्रेषण : काभामनी (श्रद्धा सगष)

    ऩाठ्मऩसु्तक 9

  • 5

    1 7 इकाई ऩाॉच प्रायम्ब, समूषकान्त त्रिऩािी तनयारा का काव्म ’भतुत छ्नन्द’ औय तनयारा

    5,8

    1 8 तनयारा का काव्म : प्रकृतत धचिण, िॊधचतों का सॊसाय, जागयण का स्िय

    5,8,1 0

    1 9-20

    समूषकान्त त्रिऩािी तनयारा की कविता का ऩाि-विश्रेषण : (‘सयोज स्भतृत’, ‘फाॊधों न नाि इस िाॊि फॊधु’, ‘तभु औय भैं,’ ‘तोड़ती ऩत्थय’ )

    4,5,8,

  • 1

    हहभाचर प्रदेश केन्द्रीम विश्िविद्मारम Central University of Himachal Pradesh

    भानविकी औय बाषा सॊकाम हहन्द्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग

    एभ.ए. हहन्द्दी, सेभेस्टय – 2, जनियी 2017

    mÉÉPèrÉ¢üqÉ MÔüOû- xÉÇMåüiÉ- LcÉ.AÉD.LsÉ. 409 (HIL 409) mÉÉPèrÉ¢üqÉ zÉÏwÉïMü- उऩन्द्मास शे्रम तुल्मभान: 4 शे्रम ( 1 शे्रम व्माख्मान,सॊगहित कऺा गततविधध औय व्मक्ततगत सॊऩकक के 1 0 घॊटे; प्रमोगशारा मा / व्मािहारयक कामक,ट्मूटोरयमर,शशऺक तनमॊत्रित गततविधधमों /कामक के 5 घॊटे;औय अन्द्म कामक जैसे स्ितन्द्ि व्मक्ततऩयक कामक ,साभूहहक कामक,तनधाकरयत अतनिामक /िैकक्ल्ऩक कामक,साहहत्म सभीऺा,ऩुस्तकारम कामक,तथ्म सॊग्रह,शोधऩि रेखन,सेशभनाय,प्रफॊध रेखन,इत्माहद के 1 5 घॊटे के सभान है |

    ऩाठ्मक्रभ का उद्देश्म: ऩाठ्मक्रभ का उदे्दश्म छािों को हहन्द्दी साहहत्म की विशशष्ट औय सभदृ्ध विधा उऩन्द्मास से ऩरयधचत कयाना है तथा उसका सम्ऩूर्कता से भूल्माॊकन विश्रेषर् कयना है | उऩन्द्मास की ऐततहाशसक ऩयॊऩया के साथ छाि विशबन्द्न मुगों के उऩन्द्मासों की विशेष प्रिकृ्त्तमों का अध्ममन कय सकें गे,साथ ही कुछ कारजमी उऩन्द्मासों के ऩाि-विश्रेषर् के भाध्मभ से साहहत्म के अध्ममन की विशशष्ट दृक्ष्ट अक्जकत कय सकें गे |

    उऩक्स्थतत अतनिामकता: ऩूर्क एिॊ सुतनक्श्चत राब हेतु विद्माथी का सबी कऺाओॊ भें बागीदाय होना अतनिामक है | न्द्मूनतभ 75% कऺाओॊ भें उऩक्स्थतत दजक ना होने ऩय विद्माथी को ऩयीऺा भें फैिने से िॊधचत ककमा जा सकता है |

    भूल्माॊकन भाऩदॊड :

    क) भध्मािधध ऩयीऺा - 25%

    ख) सिाॊत ऩयीऺा - 50%

    ग) सतत आतॊरयक भूल्माॊकन - 25%

    * ऩुस्तकारम कामक - 5%

    * प्रामोधगक कामक - 5%

    * गहृ-कामक - 5%

    * कऺा ऩयीऺा - 5%

    * कऺा-प्रस्तुततमाॊ 5%

  • 2

    हहन्द्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए. हहन्द्दी, सेभेस्टय – 2, जनियी 2017

    mÉÉPèrÉ¢üqÉ zÉÏwÉïMü- उऩन्द्मास के्रडडट- 4 mÉÉPèrÉ¢üqÉ MÔüOû- xÉÇMåüiÉ- LcÉ.AÉD.LsÉ. 409 (HIL 409)

    ऩाठ्मक्रभ विषमिस्तु – इकाई-1 हहन्द्दी उऩन्द्मास : उद्भि औय विकास

    क) हहन्द्दी भें उऩन्द्मास का आयम्ब ख) बायतने्द्दमुुगीन उऩन्द्मासों की प्रिकृ्त्तमाॊ

    इकाई-2 पे्रभचॊदमुगीन हहन्द्दी उऩन्द्मास

    क) पे्रभचॊदमुगीन उऩन्द्मासों की प्रभुख प्रिकृ्त्तमाॊ ख) गोदान का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन

    इकाई-3 पे्रभचॊदोत्तय हहन्द्दी उऩन्द्मास -1

    क) पे्रभचॊदोत्तय उऩन्द्मासों की प्रभुख प्रिकृ्त्तमाॊ ख) शेखय एक जीिनी (बाग-1 ) का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन

    इकाई-4 पे्रभचॊदोत्तय हहन्द्दी उऩन्द्मास -2

    क) फार्बट्ट की आत्भकथा का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन ख] भैरा आॊचर का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन इकाई-5 सभकारीन हहन्द्दी उऩन्द्मास

    क) सभकारीनता की अिधायर्ा ख) यागदयफायी का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन ग) तभस का ऩाि-विश्रेषर् तथा भूल्माॊकन

    आधाय ग्रन्द्थ -

  • 3

    1 . गोदान प्रेभचॊद 2. शेखय एक जीिनी अऻेम 3. फार्बट्ट की आत्भकथा हजायी प्रसाद द्वििेदी 4. तभस बीष्भ साहनी 5. यागदयफायी श्रीरार शुतर 6. भैरा आॉचर पर्ीश्िय नाथ येरु्

    सन्द्दबक ग्रन्द्थ – 8. पे्रभचॊद औय उनका मुग याभविरास शभाक 9. अऻेम के उऩन्द्मास गोऩार याम 10. अिायह उऩन्द्मास याजेन्द्र मादि 1 1 . उऩन्द्मास का विकास भधुयेश 12 उऩन्द्मासकाय हजायी प्रसाद द्वििेदी त्रिबुिन शसॊह 13 उऩन्द्मास की सॊयचना गोऩार याम 14 आधुतनक हहॊदी उऩन्द्मास सॊ. बीष्भ साहनी, डॉ. याभजी शभश्र

  • 1

    हहमाचऱ प्रदेश केन्द्रीय विश्िविद्याऱय मानविकी और भाषा सॊकाय

    हहन्द्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग एम.ए (हहन्द्दी), सेमेस्टर-2, जनिरी 2017

    ऩाठ्यक्रम कूट-सॊकेत : एच.आई.एऱ. 430 [HIL 430 ]

    ऩाठ्यक्रम शीषषक : साहहत्य ससद्ाॊत : प्राचीन

    के्रडिट : 2 [ एक के्रडिट व्याख्यान , सॊगहित कऺा गततविधध और व्यक्ततगत सम्ऩकष के 1 0 घॊटे के बराबर, प्रयोगशाऱा / व्यािहाररक कायष / ट्यटुोररयऱ / सशऺक तनयॊत्रित गततविधधयाॉ के 5 घॊटे और अन्द्य कायष जैसे स्ितन्द्ि व्यक्ततऩरक कायष , सामहूहक कायष , तनधाषररत अतनिायष / िकैक्पऩक कायष , साहहत्य समीऺा , ऩसु्तकाऱय कायष , तथ्य सॊग्रह , शोध-ऩि ऱेखन , सेमीनार, प्रबॊध ऱेखन इत्याहद के 1 5 घॊटे के सामान हैं ]

    ऩाठ्यक्रम उद्देश्य : ऩाठ्यक्रम का उद्देश्य साहहत्य –ससद्ाॊत की प्राचीन ऩरॊऩरा से छािों को ऩररधचत कराना है, ताकक िे सॊस्कृत साहहत्य ससद्ाॊतों से न केिऱ अिगत हों बक्पक उसके सॊग्रहणीय तत्त्िों से ऱाभाक्न्द्ित हों तथा साहहत्य के मपूयाॊकन की वििेकऩणूष दृक्टट उनमें विकससत हो सके |

    उऩक्स्थतत अतनिायषता : ऩणूष एिॊ सतुनक्श्चत ऱाभ हेत ुछाि का सभी कऺाओॊ में उऩक्स्थत होना अतनिायष है | न्द्यनूतम 75% कऺाओॊ में उऩक्स्थतत दजष न होने ऩर छाि को ऩरीऺा में बिैने से िॊधचत ककया जासकता है |

    मपूयाॊकन माऩदॊि : क.] समि टमष ऩरीऺा - 25%

    ख.] एॊि टमष ऩरीऺा - 50%

    ग.] सतत आतॊररक मपूयाॊकन - 25%

    * ऩसु्तकाऱय कायष - 5%

    * गहृ कायष - 5%

    * कऺा ऩरीऺा - 10%

    * कऺा प्रस्ततुतयाॊ - 5%

  • 2

    हहन्द्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग एम.ए (हहन्द्दी), सेमेस्टर-2, जनिरी 2017

    कोसष कोि – HIL 430 के्रडिट – 2 ऩाठ्यक्रम शीषषक : साहहत्य ससद्ाॊत :प्राचीन ऩाठ्यक्रम वििरण -

    इकाई- 1 साहहत्य ससद्ाॊत: अथष और स्िरूऩ साहहत्य का अथष एिॊ स्िरूऩ साहहत्य ससद्ाॊत का महत्त्ि

    इकई – 2 प्राचीन साहहत्य ससद्ाॊत – 1 काव्य ऱऺण काव्य हेत ु काव्य प्रयोजन

    इकाई -3 प्राचीन साहहत्य ससद्ाॊत – 2 रस का स्िरूऩ रस के विभेद रस तनटऩक्त्त

    इकाई – 4 प्राचीन साहहत्य ससद्ाॊत – 3 ध्ितन का स्िरूऩ ध्ितन के प्रमखु भेद अऱॊकार का स्िरूऩ अऱॊकार के प्रमखु भेद

    इकाई– 5 प्राचीन साहहत्य ससद्ाॊत – 4 रीतत ससद्ाॊत िक्रोक्तत ससद्ाॊत औधचत्य ससद्ाॊत

  • 3

    सन्द्दभष ग्रन्द्थ : 1. रस मीमाॊसा : आचायष राम चन्द्र शतुऱ 2. सॊस्कृत आऱोचना : बऱदेि उऩाध्याय 3. काव्यशास्ि की भसूमका : िॉ.नगेन्द्र 4. काव्यशास्ि : भागीरथ समश्र 5. भारतीय काव्य विमशष : राममतूत ष त्रिऩािी 6. भारतीय काव्यशास्ि : गणेश ियम्बक देशऩाॊि े 7. भारतीय काव्यशास्ि के नए क्ष ततज : राममतूत ष त्रिऩािी 8. भारतीय काव्यशास्ि : िॉ.तारक नाथ बाऱी 9. भारतीय काव्यशास्ि : िॉ. विश्िनाथ उऩाध्याय

  • 1

    हहमाचऱ प्रदेश केन्द्रीय विश्िविद्याऱय Central University of Himachal Pradesh

    मानविकी और भाषा सॊकाय हहन्द्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग

    एम.ए (हहन्द्दी), सेमेस्टर-2, जनिरी 2017

    ऩाठ्यक्रम कूट-सॊकेत : एच.आई.एऱ. 441 [ HIL441]

    ऩाठ्यक्रम शीषषक : हहन्द्दी साहहत्य का इततहास :आधुतनक काऱ

    के्रडिट : 04[ एक के्रडिट व्याख्यान , सॊगहित कऺा गततविधध और व्यक्ततगत सम्ऩकष के 1 0 घॊटे के बराबर, प्रयोगशाऱा / व्यािहाररक कायष / ट्युटोररयऱ / शशऺक तनयॊत्रित गततविधधयाॉ के 5 घॊटे और अन्द्य कायष जैसे स्ितन्द्ि व्यक्ततऩरक कायष , सामूहहक कायष , तनधाषररत अतनिायष / िैकक्पऩक कायष , साहहत्य समीऺा , ऩुस्तकाऱय कायष , तथ्य सॊग्रह , शोध-ऩि ऱेखन , सेमीनार, प्रबॊध ऱेखन इत्याहद के 1 5 घॊटे के समान हैं ]

    ऩाठ्यक्रमउद्देश्य : ऩाठ्यक्रम का ऱक्ष्य छािों को साहहत्य इततहास के जीिन्द्त तथा शाश्ित तत्त्िों के सॊग्रहण की ऺमता से ऩूणष करना है; साथ ही छािों को आधुतनक हहन्द्दी साहहत्य की बहुविस्ततृ विरासत से ऩररधचत कराते हुए एक विशेष साहहक्त्यक ऩरॊऩरा के गहन अध्ययन और विश्ऱेषण का अिसर देना है |

    उऩक्स्थततअतनिायषता : ऩूणष एिॊ सुतनक्श्चत ऱाभ हेतु छाि का सभी कऺाओॊ में उऩक्स्थत होना अतनिायष है |न्द्यूनतम 75% कऺाओॊ में उऩक्स्थतत दजष न होने ऩर छाि को ऩरीऺा में बैिने से िॊधचत ककया जासकता है |

    मूपयाॊकन माऩदॊि : क.] शमि टमष ऩरीऺा - 25%

    ख.] एॊि टमष ऩरीऺा - 50%

    ग.] सतत आतॊररक मूपयाॊकन - 25%

    * ऩुस्तकाऱय कायष - 5%

    * गहृ कायष - 5%

    * कऺा ऩरीऺा – 1 0%

    * कऺा प्रस्तुततयाॊ - 5%

  • 2

    हहन्द्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग एम.ए (हहन्द्दी), सेमेस्टर-2, जनिरी 2017

    ऩाठ्यक्रम कूट-सॊकेत : एच.आई.एऱ. 441 [ HIL441] ऩाठ्यक्रम शीषषक : हहन्द्दी साहहत्य का इततहास : आधुतनक काऱ के्रडिट-4 ऩाठ्यक्रम विषयिस्तु –

    इकाई -1 आधुतनककाऱ आधुतनकता का अथष और स्िरूऩ आधुतनककाऱ की सामाक्जक-साॊस्कृततक ऩषृ्िभूशम हहन्द्दी निजागरण

    इकाई – 2 भारतेंद ुयुग तथा द्वििेदी युग भारतेंद ुयुगीन ऩद्य साहहत्य की प्रिकृ्त्तयाॉ भारतेंद ुयुगीन गद्य साहहत्य की प्रिकृ्त्तयाॉ द्वििेदी युगीन ऩद्य साहहत्य की प्रिकृ्त्तयाॉ द्वििेदी युगीन गद्य साहहत्य की प्रिकृ्त्तयाॉ

    इकाई -3 छायािाद छायािाद की प्रमुख प्रिकृ्त्तयाॊ प्रमुख छायािादी रचनाकार छायािाद का योगदान

    इकाई – 4 प्रगततिाद, प्रयोगिाद, नयी कविता प्रगततिाद: प्रमुख प्रिकृ्त्तयाॊ एिॊ रचनाकार प्रयोगिाद: प्रमुख प्रिकृ्त्तयाॊ एिॊ रचनाकार नई कविता: प्रमुख प्रिकृ्त्तयाॊ एिॊ रचनाकार

    इकाई – 5 समकाऱीन साहहत्य समकाऱीनता की अिधारणा समकाऱीन हहॊदी कविता समकाऱीन हहॊदी गद्य साहहत्य गीत, निगीत और ग़ज़ऱ समकाऱीन ऩि-ऩत्रिकाएॉ

    सन्द्दभष ग्रन्द्थ :

    1. हहन्द्दी साहहत्य का इततहास : रामचॊर शुतऱ 2. हहन्द्दी साहहत्य का इततहास : सॊ. िॉ.नगेन्द्र 3. हहन्द्दी साहहत्य का आहदकाऱ : हजारी प्रसाद द्वििेदी 4. हहन्द्दी साहहत्य: उद्भि और विकास : हजारी प्रसाद द्वििेदी 5. हहन्द्दी साहहत्य की भूशमका : हजारी प्रसाद द्वििेदी 6. साहहत्य और इततहास दृक्ष्ट : मैनेजर ऩाण्िये 7. महािीर प्रसाद द्वििेदी और हहन्द्दी निजागरण : रामविऱास शमाष

  • 3

    8. हहन्द्दी साहहत्य का अतीत : विश्िनाथ प्रसाद शमश्र 9. हहन्द्दी साहहत्य का दसूरा इततहास ; बच्चन शसॊह 10. हहन्द्दी साहहत्य का ऩररचयात्मक इततहास : िॉ.भागीरथ शमश्र 11. हहन्द्दी साहहत्य का सॊक्ष प्त इततहास : नन्द्द दऱुारे िाजऩेई 12. आधुतनक हहॊदी साहहत्य का इततहास : बच्चन शसॊह 13. हहन्द्दी साहहत्य का आऱोचनात्मक इततहास : राम कुमार िमाष

  • 1

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए ( मूननिर्सिटी िाइड ), सेभेस्टय-1 एिॊ -2

    ऩाठ्मक्रभ शीषिक - ऩटकथा रेखन ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 445 (HIL 445 ) शे्रम तुल्मभान: 2 शे्रम ( 1 शे्रम व्माख्मान,सॊगहित कऺा गनतविधध औय व्मक्ततगत सॊऩकि के 1 0 घॊटे; प्रमोगशारा मा / व्मािहारयक कामि,ट्मूटोरयमर,र्शऺक ननमॊत्रित गनतविधधमों /कामि के 5 घॊटे;औय अन्म कामि जैसे स्ितन्ि व्मक्ततऩयक कामि ,साभूहहक कामि,ननधािरयत अननिामि /िैकक्ल्ऩक कामि,साहहत्म सभीऺा,ऩुस्तकारम कामि,तथ्म सॊग्रह,शोधऩि रेखन,सेर्भनाय,प्रफॊध रेखन,इत्माहद के 1 5 घॊटे के सभान है |

    ऩाठ्मक्रभ का उद्देश्म: एभ.ए के विद्माधथिमों को ऩटकथा रेखन की ऩरयचमात्भक रूऩयेखा से अिगत कयाना है | मही नहीॊ इस ऩाठ्मक्रभ के ज़रयमे दयूदशिन ऩटकथा रेखन,येडडमो ऩटकथा रेखन एिॊ फपल्भ ऩटकथा के विर्बन्न अिमिों की ऩड़तार बी कयाना है |

    उऩक्स्थनत अननिामिता: ऩूर्ि एिॊ सुननक्श्चत राब हेतु विद्माथी का सबी कऺाओॊ भें बागीदाय होना अननिामि है | न्मूनतभ 75% कऺाओॊ भें उऩक्स्थनत दजाि ना होने ऩय विद्माथी को ऩयीऺा भें फैिने से िॊधचत फकमा जा सकता है |

    भूल्माॊकन भाऩदॊड : क) भध्मािधध ऩयीऺा - 25%

    ख ) सिाॊत ऩयीऺा - 50%

    ग) सतत आतॊरयक भूल्माॊकन - 25%

    *ऩुस्तकारम कामि - 5%

    *प्रामोधगक कामि - 5%

    *गहृ-कामि - 5%

    * कऺा ऩयीऺा - 5%

    *कऺा-प्रस्तुनतमाॊ 5%

  • 2

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए ( हहन्दी ), सेभेस्टय-1

    ऩाठ्मक्रभ शीषिक - ऩटकथा रेखन ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 445 (HIL 445 ) शे्रम तुल्मभान: 2 शे्रम ऩाठ्मक्रभ विषमिस्तु – इकाई-1 ऩटकथा : अथि एिॊ स्िरूऩ ( 4 घॊटे)

    क) ऩटकथा ऩरयबाषा एिॊ स्िरूऩ ख) ऩटकथा रेखन एिॊ सभाज ग) ऩटकथा के र्रए उऩमुतत कहानी का चमन घ) सभकारीन ऩरयदृश्म भें ऩटकथा की बूर्भका

    इकाई-2 हहन्दी ऩटकथा के विर्बन्न प्रकाय- 1 ( 4 घॊटे)

    क) पीचय फपल्भों की ऩटकथा ख) डातमूभेंट्री एिॊ डातमूड्राभा ग) येडडमो ऩटकथा रेखन एिॊ दृक्टट घ) येडडमो नाटक रेखन एिॊ विर्बन्न तत्ि ङ) येडडमो रूऩक

    इकाई-3 हहन्दी ऩटकथा के विर्बन्न प्रकाय- 2 ( 4 घॊटे)

    क) दयूदशिन ऩटकथा ख) सोऩ ओऩेया की ऩटकथा ग) विऻाऩन फपल्भों की ऩटकथा घ) ऩटकथाकाय के विर्बन्न गुर् ङ) हहन्दी ऩटकथा भें अथि व्मिस्था-नीनत

    इकाई-4 ऩटकथा के भूर घटक (4 घॊटे)

    क) िस्तु विन्मास ख) ऩरयक्स्थनत ऩरयमोजना ग) ऩाि ऩरयकल्ऩना घ) सॊिाद करा

    इकाई-5 ऩटकथा रेखन एिॊ बविटमगत सॊबािनाएॊ ( 4 घॊटे)

    क) ऩटकथा रेखन औय ितिभान ऩरयदृश्म ख) ऩटकथा रेखन भें मुिाओॊ की बूर्भका ग) ऩटकथा रेखन भें फपल्भ एिॊ टी.िी के कथात्भक रेखन भें अॊतय

  • 3

    घ) ऩटकथा रेखन भें आने िारी भूरबूत सभस्माएॉ ङ) सभकारीन ऩरयदृश्म भें ऩटकथा रेखन की प्रासॊधगकता

    सम्बावित ग्रन्थ :

    1. असगय िजाहत व्मािहारयक ननदेर्शका ऩटकथा रेखन, याजकभर प्रकाशन,प्रा.र्र.नई हदल्री-1 1 0 002

    2. डॉ. चन्देश्िय मादि अनॊग प्रकाशन,हदल्री- 1 1 0053 3. भनोहय श्माभ जोशी ऩटकथा रेखन : एक ऩरयचम, याजकभर प्रकाशन,प्रा.र्र.नई हदल्री-1 1 0 002

    व्माख्मान मोजना-

    ऩाठ्मक्रभ शीषिक - ऩटकथा रेखन ऩाठ्मक्रभ कूट सॊकेत - एच.आई.एर 445 (HIL 445 ) शे्रम तुल्मभान: 2 शे्रम

    व्माख्मान सॊख्मा

    व्माख्मान विषम सम्बावित स्रोत

    1 इकाई एक प्रायम्ब, ऩटकथा : अथि एिॊ स्िरूऩ क) ऩटकथा ऩरयबाषा एिॊ स्िरूऩ ख) ऩटकथा रेखन एिॊ सभाज

    ऩाठ्मऩुस्तक 1

    2 ग) ऩटकथा के र्रए उऩमुतत कहानी का चमन घ) सभकारीन ऩरयदृश्म भें ऩटकथा की बूर्भका

    ऩाठ्मऩुस्तक 1

    3-4 इकाई दो प्रायम्ब: हहन्दी ऩटकथा के विर्बन्न प्रकाय- 1 क) पीचय फपल्भों की ऩटकथा ख) डातमूभेंट्री एिॊ डातमूड्राभा

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,3

    5-5 ग) येडडमो ऩटकथा रेखन एिॊ दृक्टट घ) येडडमो नाटक रेखन एिॊ विर्बन्न तत्ि ङ) येडडमो रूऩक

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,3

    7-8 इकाई तीन प्रायम्ब, हहन्दी ऩटकथा के विर्बन्न प्रकाय- 2 क) दयूदशिन ऩटकथा ख) सोऩ ओऩेया की ऩटकथा

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,

    9 ग) विऻाऩन फपल्भों की ऩटकथा घ) ऩटकथाकाय के विर्बन्न गुर्

    ऩाठ्मऩुस्तक 2

    10

    ङ) हहन्दी ऩटकथा भें अथि व्मिस्था-नीनत

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,3

    11-12 इकाई चाय प्रायम्ब, ऩटकथा के भूर घटक क) िस्तु विन्मास

    ऩाठ्मऩुस्तक 2

    13 ख) ऩरयक्स्थनत ऩरयमोजना ऩाठ्मऩुस्तक

  • 4

    2

    14-16 ग) ऩाि ऩरयकल्ऩना घ) सॊिाद करा

    ऩाठ्मऩुस्तक 2

    17-18 इकाई ऩाॉच प्रायम्ब, ऩटकथा रेखन एिॊ बविटमगत सॊबािनाएॊ क) ऩटकथा रेखन औय ितिभान ऩरयदृश्म ख) ऩटकथा रेखन भें मुिाओॊ की बूर्भका

    ऩाठ्मऩुस्तक

    2,3 19-20 ग) ऩटकथा रेखन भें फपल्भ एिॊ टी.िी के कथात्भक रेखन भें अॊतय

    घ) ऩटकथा रेखन भें आने िारी भूरबूत सभस्माएॉ ङ) सभकारीन ऩरयदृश्म भें ऩटकथा रेखन की प्रासॊधगकता

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,3

  • हहमाचऱ प्रदेश केन्द्रीय विश्िविद्याऱय Central University of Himachal Pradesh

    मानविकी और भाषा संकाय हहन्द्दी एिं भारतीय भाषा विभाग

    एम.ए. हहन्द्दी, सेमेस्टर – 2, जनिरी 2016

    mÉÉPèrÉ¢üqÉ MÔüOû- xÉÇMåüiÉ- LcÉ.AÉD.LsÉ. 448 (HIL 448) mÉÉPèrÉ¢üqÉ zÉÏwÉïMü- हहदंी के ककसी एक साहहत्यकार का विशेष अध्ययन शे्रय तुल्यमान: 4 शे्रय ( 1 शे्रय व्याख्यान,संगहित कऺा गततविधध और व्यक्ततगत संऩकक के 1 0 घंटे; प्रयोगशाऱा या / व्यािहाररक कायक,ट्यूटोररयऱ,शशऺक तनयंत्रित गततविधधयों /कायक के 5 घंटे;और अन्द्य कायक जैसे स्ितन्द्ि व्यक्ततऩरक कायक ,सामूहहक कायक,तनधाकररत अतनिायक /िैकक्ल्ऩक कायक,साहहत्य समीऺा,ऩुस्तकाऱय कायक,तथ्य संग्रह,शोधऩि ऱेखन,सेशमनार,प्रबंध ऱेखन,इत्याहद के 1 5 घंटे के समान है |

    ऩाठ्यक्रम का उद्देश्य: ऩाठ्यक्रम का उद्देश्य छािों को हहन्द्दी के ककसी एक साहहत्यकार के अध्ययन में विशेषऻता प्रदान करना है | इससे विद्याधथकयों में उस विशेष साहहत्यकार के रचना-संसार के समग्र मूल्यांकन केशऱए शोधऩरक तथा आऱोचकीय दृक्टट का विकास हो सकेगा |

    उऩक्स्थतत अतनिायकता: ऩूर्क एिं सुतनक्श्चत ऱाभ हेतु विद्याथी का सभी कऺाओं में भागीदार होना अतनिायक है | न्द्यूनतम 75% कऺाओं में उऩक्स्थतत दजक ना होने ऩर विद्याथी को ऩरीऺा में बैिने से िंधचत ककया जा सकता है |

    मूल्यांकन माऩदंड :

    क) मध्यािधध ऩरीऺा - 25%

    ख) सिांत ऩरीऺा - 50%

    ग) सतत आतंररक मूल्यांकन - 25%

    * ऩुस्तकाऱय कायक - 5%

    * प्रायोधगक कायक - 5%

    * गहृ-कायक - 5%

    * कऺा ऩरीऺा - 5%

    * कऺा-प्रस्तुततयां 5%

  • हहन्द्दी एिं भारतीय भाषा विभाग एम.ए. हहन्द्दी, सेमेस्टर – 2, जनिरी 2016

    mÉÉPèrÉ¢üqÉ zÉÏwÉïMü- हहदंी के ककसी एक साहहत्यकार का विशेष अध्ययन के्रडडट- 4 mÉÉPèrÉ¢üqÉ MÔüOû- xÉÇMåüiÉ- LcÉ.AÉD.LsÉ. 448 (HIL448)

    ऩाठ्यक्रम विषयिस्तु – इकाई-1 पे्रमचंद:जीिन और कृततत्ि (5 घंटे)

    क) पे्रमचंद का जीिन ऩररचय ख) पे्रमचंद की साहहत्य साधना ग) विशभन्द्न राटरीय आन्द्दोऱन और पे्रमचंद

    इकाई-2 कहानीकार पे्रमचंद (7 घंटे)

    क) ‘सोज़े-ितन’ की कहातनयों का ऩािगत विश्ऱेषर् ख) पे्रमचंद की प्रमुख कहातनयों का विश्ऱेषर् ग) कहानीकार पे्रमचंद का मूल्यांकन

    इकाई-3 उऩन्द्यासकार पे्रमचंद (9 घंटे)

    क) ‘सेिासदन’ का विश्ऱेषर् ख) ‘तनमकऱा’ का विश्ऱेषर् ग) ‘ग़बन’ का विश्ऱेषर् घ) ‘गोदान’ का विश्ऱेषर् ङ) उऩन्द्यासकार पे्रमचंद का मूल्यांकन

    इकाई-4 आऱोचक पे्रमचंद (9 घंटे)

    क) ‘साहहत्य का उद्देश्य’ संग्रह का विश्ऱेषर् ख] आऱोचक पे्रमचंद का मूल्यांकन इकाई-5 पे्रमचंद का समग्र मूल्यांकन (1 0 घंटे)

    क) स्िी-विमशक और पे्रमचंद का साहहत्य ख) दशऱत-विमशक और पे्रमचंद का साहहत्य ग) समकाऱीन चतेना और पे्रमचंद का साहहत्य घ) हहदंी साहहत्य में पे्रमचंद का स्थान

  • आधार ग्रन्द्थ -

    1 . गोदान प्रेमचंद 2. सेिासदन प्रेमचंद 3. तनमकऱा प्रेमचंद 4. ग़बन प्रेमचंद 5. साहहत्य का उद्देश्य प्रेमचंद 6. मानसरोिर प्रेमचंद 7. सोज़े-ितन प्रेमचंद

    सन्द्दभक ग्रन्द्थ – 8. पे्रमचंद और उनका युग रामविऱास शमाक 9. प्रेमचंद का सौंदयकशास्ि नन्द्द ककशोर निऱ 10. अिारह उऩन्द्यास राजेन्द्र यादि 1 1 . उऩन्द्यास का विकास मधुरेश 12 प्रेमचंद और भारतीय समाज नामिर शसहं 13 प्रेमचंद और भारतीय ककसान प्रो.रामिऺ 14 उऩन्द्यास की संरचना गोऩाऱ राय 15 पे्रमचंद कहानी का रहनुमा ज़फ़र रज़ा 16 प्रेमचंद डॉ.नरेंर कोहऱी 17 प्रेमचंद और दशऱत विमशक कांततमोहन 18 पे्रमचंद विरासत का सिाऱ शशि कुमार शमश्र

  • हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग सेभेस्टय-1, ह्मूभन भेककॊ ग कोसस

    mÉÉPèrÉ¢üqÉ MÔüOû- xÉÇMåüiÉ- LcÉ.AÉD.LsÉ. 450 (HIL 450) mÉÉPèrÉ¢üqÉ zÉÏwÉïMü- हहन्दी का रोकवप्रम साहहत्म शे्रम तुल्मभान: 2 शे्रम ( 1 शे्रम व्माख्मान,सॊगहित कऺा गततविधध औय व्मक्ततगत सॊऩकस के 1 0 घॊटे; प्रमोगशारा मा / व्मािहारयक कामस,ट्मूटोरयमर,शशऺक तनमॊत्रित गततविधधमों /कामस के 5 घॊटे;औय अन्म कामस जैसे स्ितन्ि व्मक्ततऩयक कामस ,साभूहहक कामस,तनधासरयत अतनिामस /िैकक्ल्ऩक कामस,साहहत्म सभीऺा,ऩुस्तकारम कामस,तथ्म सॊग्रह,शोधऩि रेखन,सेशभनाय,प्रफॊध रेखन,इत्माहद के 1 5 घॊटे के सभान है |

    ऩाठ्मक्रभ का उदे्दश्म: ऩाठ्मक्रभ का रक्ष्म विद्माधथसमों को हहन्दी के रोकवप्रम साहहत्म से ऩरयधचत कयाना है | क्जन विद्माधथसमों की अशबरुधच हहन्दी के रोकवप्रम साहहत्म भें है,उन्हें हहन्दी की रोकवप्रम कहातनमों,उऩन्मासों एिॊ भॊचीम कविता की सभदृ्ध ऩयम्ऩया से िाककप कयाना इस ‘मूतनिशससटी िाईड’ ऩाठ्मक्रभ का भूर उदे्दश्म है |

    उऩक्स्थतत अतनिामसता: ऩूर्स एिॊ सुतनक्श्चत राब हेतु विद्माथी का सबी कऺाओॊ भें बागीदाय होना अतनिामस है | न्मूनतभ 75% कऺाओॊ भें उऩक्स्थतत दजास ना होने ऩय विद्माथी को ऩयीऺा भें फैिने से िॊधचत ककमा जा सकता है |

    भूल्माॊकन भाऩदॊड : क) भध्मािधध ऩयीऺा - 25%

    ख ) सिाॊत ऩयीऺा - 50%

    ग) सतत आतॊरयक भूल्माॊकन - 25%

    *ऩुस्तकारम कामस - 5%

  • *प्रामोधगक कामस - 5%

    *गहृ-कामस - 5%

    * कऺा ऩयीऺा - 5%

    *कऺा-प्रस्तुततमाॊ 5%

    ऩाठ्मक्रभ विषमिस्तु –

    इकाई-1 रोकवप्रम साहहत्म : अिधायर्ा एिॊ विकास (4 घॊटे) क) रोक का अथस एिॊ स्िरूऩ,शास्ि एिॊ रोक भें अॊतय ख) रोक साहहत्म की अिधायर्ा,रोक साहहत्म एिॊ रोक सॊस्कृतत ग) हहन्दी के रोकवप्रम साहहत्म का विकास इकाई-2 हहन्दी का प्रायॊशबक रोकवप्रम साहहत्म (4 घॊटे)

    क) देिकीनॊदन खिी कृत चन्द्रकान्ता का आरोचनात्भक अध्ममन (सन्दबस- ऩहरा अध्माम)

    ख) गोऩार याभ गहभयी की कहानी का आरोचनात्भक अध्ममन ग) प्रेभचॊद की कपन कहानी का आरोचनात्भक अध्ममन

    इकाई-3 हहन्दी का उत्तयोत्तय रोकवप्रम कथा साहहत्म ( 4 घॊटे)

    क) इब्ने सपी के उऩन्मास का अध्ममन ख) िेदप्रकाश शभास के उऩन्मास का अध्ममन ग) धभसिीय बायती के उऩन्मास का अध्ममन

    इकाई-4 हहन्दी के प्रभुख रोकवप्रम गीतकाय एिॊ उनके गीत ( 3 घॊटे)

    क) हरयिॊशयाम ‘फच्चन’ ख) गोऩार शसॊह ‘नेऩारी’ ग) गोऩारदास ‘नीयज’

  • इकाई-5 हहन्दी के प्रभुख रोकवप्रम ग़ज़रकाय एिॊ उनकी ग़ज़रें (5 घॊटे)

    क) शभशये फहादयु शसॊह ख) दषु्मॊत कुभाय ग) गोऩारदास ‘नीयज’ घ) कुॉ अय फेचनै

    आधाय ग्रन्थ :

    1 .डा. विष्रु् सतसेना (सॊऩादन) रोकवप्रमता के शशखय गीत, याधाकृष्र् प्रकाशन, नई-हदल्री,ऩहरा सॊस्कयर्: 2013 2. डॉ. सुयेश कुभाय जैन ( सॊऩादन ) काव्म कल्ऩद्रभु, िार्ी प्रकाशन,नई हदल्री-1 1 0002 सॊस्कयर्:2008,2009 3.यॊजना अयगड़ े(सम्ऩादन) सुकून की तराश 4.दषु्मॊत कुभाय ‘सामे भें धऩू’, 5.गोऩारदास ‘नीयज’ ‘नीयज की ऩाती’ 6.कुॉ अय फेचनै शाभमाने काॊच के

    सन्दबस ग्रन्थ : 1 0. डॉ.सी. िसॊता गीतकाय नीयज,िार्ी प्रकाशन,नई हदल्री-1 1 0002 1 1 .डा. विश्िनाथ प्रसाद ततिायी (सॊऩादन ) फीसिीॊ सदी का हहन्दी साहहत्म,बायतीम

    ऻानऩीि,हदल्री 1 2. डॉ. नयेश हहन्दी ग़ज़र : दशा औय हदशा,िार्ी प्रकाशन,नई

    हदल्री-1 1 0002

  • 1

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग एभ.ए ( हहन्दी ), सेभेस्टय-2

    ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी के ऩूिष का काव्म: नीतत काव्म,याभ काव्म,कृष्ण काव्म,सूफ़ी ऩाठ्मक्रभ कूट-सॊकेत: LcÉ.AÉD.LsÉ. 401 शे्रम तुल्मभान: 4 शे्रम ( 1 शे्रम व्माख्मान,सॊगहित कऺा गततविधध औय व्मक्ततगत सॊऩकष के 1 0 घॊटे; प्रमोगशारा मा / व्मािहारयक कामष,ट्मूटोरयमर,शशऺक तनमॊत्रित गततविधधमों /कामष के 5 घॊटे;औय अन्म कामष जैसे स्ितन्ि व्मक्ततऩयक कामष ,साभूहहक कामष,तनधाषरयत अतनिामष /िैकक्ल्ऩक कामष,साहहत्म सभीऺा,ऩुस्तकारम कामष,तथ्म सॊग्रह,शोधऩि रेखन,सेशभनाय,प्रफॊध रेखन,इत्माहद के 1 5 घॊटे के सभान है |

    ऩाठ्मक्रभ का उद्देश्म: ऩाठ्मक्रभ का उद्देश्म विद्माधथषमों को (एभ.ए, हहन्दी ) बक्ततकाव्म की स्िर्णषभ ऩयम्ऩया से ऩरयधचत कयना है | बक्ततकाव्म ने न केिर साभाक्जक एका स्थावऩत ककमा फक्ल्क साहहक्त्मक बागीदायी बी प्रस्तुत की | साभाक्जक सभयसता स्थावऩत कयने एिॊ रोक को प्रश्रम देने के शरए बी मह काव्म जाना जाता है | प्रस्तुत ऩाठ्मक्रभ की सहामता से विद्माधथषमों की बाि-सॊिेदना को बक्तत-काव्म से जोड़कय उनके बीतय अतीत की सॊतुशरत सभझ का विकास कयना है,क्जससे कक िे जागरूक अध्मेता फन सकें |

    उऩक्स्थतत अतनिामषता: ऩूणष एिॊ सुतनक्श्चत राब हेतु विद्माथी का सबी कऺाओॊ भें बागीदाय होना अतनिामष है | न्मूनतभ 75% कऺाओॊ भें उऩक्स्थतत दजाष ना होने ऩय विद्माथी को ऩयीऺा भें फैिने से िॊधचत ककमा जा सकता है |

    भूल्माॊकन भाऩदॊड : क) भध्मािधध ऩयीऺा - 25%

    ख ) सिाॊत ऩयीऺा - 50%

    ग) सतत आतॊरयक भूल्माॊकन - 25%

    *ऩुस्तकारम कामष - 5%

    *प्रामोधगक कामष - 5%

    *गहृ-कामष - 5%

    * कऺा ऩयीऺा - 5%

    *कऺा-प्रस्तुततमाॊ 5%

  • 2

    हहभाचर प्रदेश कें द्रीम विश्िविद्मारम भानविकी एिॊ बाषा सॊकाम

    हहन्दी एिॊ बायतीम बाषा विबाग,सेभेस्टय-2 ऩाठ्मक्रभ कूट-सॊकेत: LcÉ.AÉD.LsÉ. 401 के्रडडट- 4 ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी के ऩूिष का काव्म: नीतत काव्म,याभ काव्म,कृष्ण काव्म,सूफ़ी ऩाठ्मक्रभ विषमिस्तु – इकाई-1 खड़ी फोरी के ऩूिष का काव्म : बक्तत सॊदबष (8 घॊटे)

    क) बक्तत: स्िरूऩ एिॊ अिधायणा, उद्भि एिॊ विकास ख) विशबन्न सम्प्रदाम एिॊ बक्तत की अिधायणा ग) बक्तत आन्दोरन : साभाक्जक ऩरयदृश्म औय हहन्दी सभीऺा घ) हहन्दी बक्ततकाव्म : ऩषृ्िबूशभ,साभान्म प्रिकृ्त्तमाॉ, साहहक्त्मक मोगदान

    इकाई-2 खड़ी फोरी के ऩूिष का नीततकाव्म (8 घॊटे)

    क) बक्ततकारीन साभाक्जक,याजनीततक,साॊस्कृततक दशा ख) नीततकाव्म : प्रभुख विशेषताएॉ, प्रभुख कवि यचनाएॊ ग) कफीय : बक्तत,दशषन,यहस्मिाद,साभाक्जक विचाय घ) कफीय :ऩाि वििेचन- [कफीय ग्रॊथािरी, श्माभसुॊदय दास(सम्ऩादन-

    ऩद सॊख्मा : 1 ,2,3,4,5,6,8,1 6,1 9,21 ,43,45,49,51 ,55, ङ) यैदास : बक्तत बािना,साभाक्जक-धचॊतन, साधना-ऩद्धतत,काव्म-सौष्िि च) यैदास :ऩाि वििेचन- [यैदास फानी, डॉ. शुकदेि शसॊह (सम्ऩादन –

    ऩद सॊख्मा : 2,3,4,6,21 ,56,74,94,97,1 06,1 1 4,1 28,1 40,1 93)

    इकाई-3 खड़ी फोरी के ऩूिष का सूफ़ीकाव्म (8 घॊटे)

    क) हहन्दी सूपी काव्म : विशेषताएॉ ख) जामसी : यहस्मिाद,ग्राभ-फोध,प्रफॊध-कौशर,काव्म-बाषा ग) ऩद्माित : ऐततहाशसक आधाय,प्रेभतत्ि,सभासोक्तत-अन्मोक्तत घ) ऩद्माित : प्रकृतत-धचिण,साॊस्कृततक बूशभ,सभीऺा ङ) ऩद्माित : ऩाि वििेचन - [ ‘भानसयोदक खण्ड’ (जामसी ग्रॊथािरी, आचामष याभचॊद्र शुतर(सम्ऩादन)

    इकाई-4 खड़ी फोरी के ऩूिष का याभकाव्म (8 घॊटे)

    क) तुरसी : बक्तत ऩद्धतत,रोक धभष,सभन्िम की बािना,काव्म-सौष्िि ख) सुन्दयकाण्ड : कथािस्तु,यचना-दृक्ष्ट,बाि ऩऺ,करा ऩऺ च) सुन्दयकाण्ड : ऩाि वििेचन - [ ‘सुन्दयकाण्ड’ (श्रीयाभ चरयत भानस : ऩॊचभ सोऩान, मोगेन्द्र प्रताऩ शसॊह

    (सम्ऩादन)

    इकाई-5 खड़ी फोरी के ऩूिष का कृष्ण काव्म (8 घॊटे)

    क) सूय : बक्ततबािना,फार-िणषन,िात्सल्म िणषन ख) सूयसागय : प्रेभतत्ि,कथािस्तु का िैशशष्ट्म

  • 3

    ग) सूय सागय : ऩाि वििेचन- [ ‘गोकुर रीरा’ (सूयसागय सटीक : डॉ. धीयेन्द्र िभाष (सम्ऩादन)

    घ) भीया का काव्म : बक्तत आन्दोरन औय कविता के सन्दबष भें, साभाक्जक ऩऺ, काव्मानुबूतत,काव्म बाषा ङ) भीयाफाई की ऩदािरी :ऩाि वििेचन- [भीयाफाई की ऩदािरी बाग दो, आचामष ऩयशुयाभ चतुिेदी (सम्ऩादन –

    ऩद सॊख्मा : 1 7,1 9,21 ,33,35,74,75,76,83,86,89)

    आधाय ग्रन्थ :

    1. श्माभसुन्दय दास ( सम्ऩादन) ‘ कफीय ग्रन्थािरी’,रोकबायती प्रकाशन,इराहाफाद-21 1001 , द्वितीम सॊस्कयण: 201 1

    2. डॉ. सत्मनायामण शसॊह भध्ममुगीन काव्म, विश्िविद्मारम प्रकाशन,िायाणसी 3. डॉ. भोहनरार ततिायी (सॊऩादन) ‘भशरक भुहम्भद जामसी औय ऩद्माित’,विश्िविद्मारम प्रकाशन,िायाणसी 4. डॉ.धीयेन्द्र िभाष (सॊऩादन) ‘सूय सागय’ सटीक, साहहत्म बिन प्रा.शर.56,इराहाफाद 5. आचामष ऩयशुयाभ चतुिेदी भीयाफाई की ऩदािरी, हहन्दी साहहत्म सम्भेरन, प्रमाग,इराहाफाद 6. मोगेन्द्र प्रताऩ शसॊह (सम्ऩादन) श्रीयाभ चरयत भानस : ऩॊचभ सोऩान सुन्दयकाण्ड, रोकबायती

    प्रकाशन,इराहाफाद-1 7. आचामष याभचॊद्र शुतर(सम्ऩादन) जामसी ग्रॊथािरी,प्रकाशन सॊस्थान,नई हदल्री-1 1 0002 8. डॉ. शुकदेि शसॊह (सम्ऩादन यैदास फानी, याधाकृष्ण प्रकाशन,नई हदल्री

    सॊदबष ग्रन्थ :

    9. डॉ. सुभन शभाष भध्मकारीन बक्तत-आन्दोरन का साभाक्जक वििेचन,विश्िविद्मारम प्रकाशन,िायाणसी,प्रथभ सॊस्कयण :1 974

    10. शशिकुभाय शभश्र बक्तत आन्दोरन औय बक्तत काव्म, रोकबायती प्रकाशन,इराहाफाद-1 , सॊस्कयण: 2012

    11. आचामष याभचॊद्र शुतर हहन्दी साहहत्म का इततहास 12. ऩयभानॊद श्रीिास्ति (सम्ऩादन) सूयदास भूल्माॊकन ऩुनभूषल्माॊकन, अशबव्मक्तत प्रकाशन,

    इराहाफाद,प्रथभ सॊस्कयण: 2003

    1 1 .. सदानॊद साही (सम्ऩादन ) जामसी :आकरन के आमाभ,अशबव्मक्तत प्रकाशन,इराहाफाद, सॊस्कयण: 2006

    1 2. आचामष याभचॊद्र शुतर गोस्िाभी तुरसीदास’,प्रकाशन सॊस्थान ,नई हदल्री, प्रथभ सॊस्कयण: 2004 1 3 ऩल्रि (सम्ऩादन) भीया :एक ऩुनाभूषल्माॊकन, आधाय प्रकाशन,ऩॊचकूरा,हरयमाणा

  • 4

    व्माख्मान मोजना-

    ऩाठ्मक्रभ शीषषक - खड़ी फोरी के ऩूिष का काव्म: नीतत काव्म,याभ काव्म,कृष्ण काव्म,सूफ़ी ऩाठ्मक्रभ कूट-सॊकेत: LcÉ.AÉD.LsÉ. 401 के्रडडट- 4

    व्माख्मान सॊख्मा

    व्माख्मान विषम तनधाषरयत स्रोत

    1 -3 इकाई एक प्रायम्ब, खड़ी फोरी के ऩूिष काव्म की रूऩयेखा बक्तत: स्िरूऩ एिॊ अिधायणा, उद्भि एिॊ विकास

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,9

    4-6 विशबन्न सम्प्रदाम एिॊ बक्तत की अिधायणा

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,9

    7-8 बक्तत आन्दोरन : साभाक्जक ऩरयदृश्म औय हहन्दी सभीऺा

    ऩाठ्मऩुस्तक 9,1 0

    हहन्दी बक्ततकाव्म : ऩषृ्िबूशभ,साभान्म प्रिकृ्त्तमाॉ, साहहक्त्मक मोगदान ऩाठ्मऩुस्तक 9,1 0

    9-1 2 इकाई दो प्रायम्ब, बक्ततकारीन साभाक्जक,याजनीततक,साॊस्कृततक दशा नीततकाव्म : प्रभुख विशेषताएॉ, प्रभुख कवि यचनाएॊ

    ऩाठ्मऩुस्तक 9,1 1

    1 3-1 6 कफीय : बक्तत,दशषन,यहस्मिाद,साभाक्जक विचाय कफीय :ऩाि वििेचन- [कफीय ग्रॊथािरी, श्माभसुॊदय दास(सम्ऩादन- ऩद सॊख्मा : 1 ,2,3,4,5,6,8,1 6,1 9,21 ,43,45,49,51 ,55,

    ऩाठ्मऩुस्तक 1 ,2,1 1

    1 7-20 यैदास : बक्तत बािना,साभाक्जक-धचॊतन, साधना-ऩद्धतत,काव्म-सौष्िि यैदास :ऩाि वििेचन- [यैदास फानी, डॉ. शुकदेि शसॊह (सम्ऩादन – ऩद सॊख्मा : 2,3,4,6,21 ,56,74,94,97,1 06,1 1 4,1 28,1 40,1 93)

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,8

    21 -24 इकाई तीन प्रायम्ब, हहन्दी सूपी काव्म : विशेषताएॉ जामसी : यहस्मिाद,ग्राभ-फोध,प्रफॊध-कौशर,काव्म-बाषा ऩद्माित : ऐततहाशसक आधाय,प्रेभतत्ि,सभासोक्तत-अन्मोक्तत

    ऩाठ्मऩुस्तक 2,3,1 1

    25-28 ऩद्माित : प्रकृतत-धचिण,साॊस्कृततक बूशभ,सभीऺा ऩद्माित : ऩाि वििेचन - [ ‘भानसयोदक खण्ड’ (जामसी ग्रॊथािरी, आचामष याभचॊद्र शुतर(सम्ऩादन)

    ऩाठ्मऩुस्तक 3,7,1 2

    29-32 इकाई चाय प्रायम्ब, तुरसी : बक्तत ऩद्धतत,रोक धभष,सभन्िम की बािना,काव्म-सौष्िि सुन्दयकाण्ड : कथािस्तु,यचना-दृक्ष्ट,बाि ऩऺ,करा ऩऺ

    ऩाठ्मऩुस्तक 1 2

    33-36 सुन्दयकाण्ड : ऩाि वििेचन - [ ‘सुन्दयकाण्ड’ (श्रीयाभ चरयत भानस : ऩॊचभ सोऩान, मोगेन्द्र प्रताऩ शसॊह (सम्ऩादन) इकाई ऩाॊच प्रायम्ब, सूय : बक्ततबािना,फार-िणषन,िात्सल्म िणषन सूयसागय : प्रेभतत्ि,कथािस्तु का िैशशष्ट्म

    ऩाठ्मऩुस्तक 6,4

  • 5

    37-40 सूय सागय : ऩाि वििेचन- [ ‘गोकुर रीरा’ (सूयसागय सटीक : डॉ. धीयेन्द्र िभाष (सम्ऩादन) भीया का काव्म : बक्तत आन्दोरन औय कविता के सन्दबष भें, साभाक्जक ऩऺ, काव्मानुबूतत,काव्म बाषा भीयाफाई की ऩदािरी :ऩाि वििेचन- [भीयाफाई की ऩदािरी बाग दो, आचामष ऩयशुयाभ चतुिेदी (सम्ऩादन – ऩद सॊख्मा : 1 7,1 9,21 ,33,35,74,75,76,83,86,89)

    ऩाठ्मऩुस्तक 4,5,1 3

  • 1

    हहमाचऱ प्रदेश कें द्रीय विश्िविद्याऱय मानविकी एिॊ भाषा सॊकाय

    हहन्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग एम.ए ( हहन्दी ), सेमेस्टर-4

    ऩाठ्यक्रम शीषषक - स्िातॊत्र्योत्तर हहन्दी काव्य ऩाठ्यक्रम कूट सॊकेत - एच.आई.एऱ 444 (HIL 444) शे्रय तलु्यमान: 4 शे्रय ( 1 शे्रय व्याख्यान,सॊगहित कऺा गततविधध और व्यक्ततगत सॊऩकष के 1 0 घॊटे; प्रयोगशाऱा या / व्यािहाररक कायष,ट्यटूोररयऱ,शशऺक तनयॊत्रित गततविधधयों /कायष के 5 घॊटे;और अन्य कायष जैसे स्ितन्ि व्यक्ततऩरक कायष ,सामहूहक कायष,तनधाषररत अतनिायष /िकैक्ल्ऩक कायष,साहहत्य समीऺा,ऩसु्तकाऱय कायष,तथ्य सॊग्रह,शोधऩि ऱेखन,सेशमनार,प्रबॊध ऱेखन,इत्याहद के 1 5 घॊटे के समान है |

    ऩाठ्यक्रम का उद्देश्य: ऩाठ्यक्रम का उद्देश्य एम .ए (हहन्दी ) के विद्याधथषयों को स्ितॊिता के बाद कविता के ऺेि में आए बदऱाि एिॊ ऩररितषन आहद से रूबरू कराना है क्जससे कक स्ितॊिता के बाद की काव्य ऩरम्ऩराओॊ एिॊ उनके योगदान से उन्हें भऱी-भाॊतत ऩररधचत कराया जा सके यही नहीॊ कविता की विशभन्न काव्यधारायें क्जस तरह समाज में व्याऩक सरोकार के साथ उन्मखु रहीॊ उनकी विशशष्टता से भी अिगत कराया जा सके |

    उऩक्स्थतत अतनिायषता: ऩरू्ष एिॊ सतुनक्श्चत ऱाभ हेत ुविद्याथी का सभी कऺाओॊ में भागीदार होना अतनिायष है | न्यनूतम 75% कऺाओॊ में उऩक्स्थतत दजाष ना होने ऩर विद्याथी को ऩरीऺा में बिैने से िॊधचत ककया जा सकता है |

    मलू्याॊकन माऩदॊड : क) मध्यािधध ऩरीऺा - 25%

    ख ) सिाॊत ऩरीऺा - 50%

    ग) सतत आतॊररक मलू्याॊकन - 25%

    *ऩसु्तकाऱय कायष - 5%

    *प्रायोधगक कायष - 5%

    *गहृ-कायष - 5%

    * कऺा ऩरीऺा - 5%

    *कऺा-प्रस्ततुतयाॊ 5%

  • 2

    हहमाचऱ प्रदेश कें द्रीय विश्िविद्याऱय मानविकी एिॊ भाषा सॊकाय

    हहन्दी एिॊ भारतीय भाषा विभाग एम.ए ( हहन्दी ), सेमेस्टर- 4

    ऩाठ्यक्रम शीषषक - स्िातॊत्र्योत्तर हहन्दी काव्य

    ऩाठ्यक्रम कूट सॊकेत - एच.आई.एऱ 444 (HIL 444) शे्रय तलु्यमान: 4 शे्रय ऩाठ्यक्रम विषयिस्त ु– इकाई-1 स्िातॊत्र्योत्तर हहन्दी काव्य : स्िरूऩ एिॊ प्रिकृ्त्तयाॉ (8 घॊटे)

    क) स्िातॊत्र्योत्तर काव्य : राजनीततक,सामाक्जक क्स्थतत ख) प्रगततिादी काव्यधारा ग) प्रयोगिादी काव्यधारा घ) नई कविता ङ) समकाऱीन हहन्दी कविता

    इकाई-2 प्रयोगिादी कविता : कवि एिॊ रचना-सॊसार (8 घॊटे)

    क) अऻेय का काव्यगत विकास,अऻेय की काव्य-दृक्ष्ट, अऻेय और प्रकृतत,अऻेय का भाषा-शशल्ऩ ख) मकु्ततबोध के काव्य में मनोविऻान,अक्स्तत्ििाद,मातसषिाद का प्रभाि ग) मकु्ततबोध की सौन्दयाषनभुतूत,मकु्ततबोध का शब्द कमष,मकु्ततबोध का भाषा-शशल्ऩ घ) अऻेय की कविताओॊ का ऩाि ङ) मकु्ततबोध की कविताओॊ का ऩाि

    इकाई-3 नई कविता : कवि एिॊ रचना-सॊसार (8 घॊटे)

    क) मकु्ततबोध और नई कविता,शमशरे बहादरु शसॊह की कविता में पे्रम ख) भिानी प्रसाद शमश्र का काव्यगत विकास, पे्रम एिॊ प्रकृतत,इततहास एिॊ समाज ग) रघिुीर सहाय की कविता में राजनीतत एिॊ समाज,रघिुीर सहाय का भाषा-शशल्ऩ घ) शमशरे बहादरु शसॊह की कविताओॊ का ऩाि ङ) भिानी प्रसाद शमश्र की कविताओॊ का ऩाि च) रघिुीर सहाय की कविताओॊ का ऩाि

    इकाई-4 समकाऱीन कविता : कवि एिॊ रचना सॊसार (8 घॊटे)

  • 3

    क) त्रिऱोचन : काव्यगत विकास,भाषा-शशल्ऩ,त्रिऱोचन के सानेट ख) नागाजुषन : काव्यगत विकास,भाषा-शशल्ऩ ग) केदारनाथ शसॊह : काव्यगत विकास,ग्रामीर् सॊिेदना घ) त्रिऱोचन की कविताओॊ का ऩाि ङ) नागाजुषन की कविताओॊ का ऩाि च) केदारनाथ शसॊह की कविताओॊ का ऩाि

    इकाई-5 समकाऱीन कविता : चुनौततयाॊ एिॊ यगुबोध (8 घॊटे)

    क) समकाऱीनता एिॊ सिषकाशऱकता का प्रश्न ख) समकाऱीनता की अिधारर्ा ग) समकाऱीन कविता और स