त्रिया-चरित्र

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तततततत-तततततत ततततततततततत तत तततत तत ततततत ततततत तत ततत ततत तततततत , तततततततततत तत तततततततत त तत तत तततततततत त तततत तत ततत तततत ततत तत ततततततततत तत तततत तत ततत ततततत तत ततततत तत तततत तततत तत-तत तततत तततत ततततततत ततत, तततत तत तत ततत ततततत ततत तततत तत तत तततततत तत ततत ततततत त ततत तततततत ततततततत तततततत तत-ततततततत, तत ततत-ततत, तत तततत तत तत ततततततत तततत त तततत ततत तततत तततत तततत, ततततततत तततततत तत ततततत तततत तततततततत तत तततत तत तततत ततत तत तततत ततततत तततत तततत ततततत ततत तत तततत ततततततततत तततततत ततततत तत ततततत तत तततततत ततततत ततत तत तत तततत तत ततततततत ततत तत तत ततततततत ततततत तत ततत तत तत तततततततत ततततत तततत तत ततत तततत तत तततततत तततत ततततत तत तततत तततत ततत ततत ततत तततततत तततत तततत तततत-त: ततत तत तततततत त त ततत तततत तत ततततततत ततत ततततत तत ततत तत तततत ततत, ततततत तत ततततत तत ततततत ततत ततततत तततत तत तततत ततततत तत तततत त ततत तत ततत ततततत तततत तत तततत ततततत तत तततत तत तत तततत तततत तततत ततत , ततत तत तततत ततत तततततत तततततत तत तत ततततततत तततत तत तततततत तत तततततत तततततत, ततत ततत ततततततततततत तत तततत तत ततत -ततत तत ततततत तत तततततत त तततत ततततत तत ततततत तत ततततत तत तततत तत तततततत तत ततत ततत तत तततततत ततततत तत तततततत तत तततततत तततत ततत तततत ततततत तत तततत तततत ततततत तततत ततततत तत ततत तततत तततततत ततत तततततत ततत ततततत तत तततत तत ततततततत-ततत, तततत तततत ततत तततत-तत ततततत तततततत ततत तत तततत तततत तत तततत ततत त तततततत तत तततततततत ततत ततततत तततततत ततत तत तततत ततततत तत तततत तत त तततततत तत ततततत तततत ततत तत तततततत तत ततत तत तत ततततत तत ततत तततततततत तत ततत तततत ततत तततततत तततत त तत तततत तततततत तत तततततत ततततततत तत ततततत तततत तत ततत तततत? तततत

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Page 1: त्रिया-चरित्र

त्रि�या�-चरि��

सेठ लगनदा�से जी� के जी�वन के� बत्रिगया� फलही�न थी�। के�ई ऐसे� मा�नव�या, आध्या�त्मि!माके या� चिचत्रिके!से�!माके प्रया!न न थी� जी� उन्ही&न न त्रिकेया� ही�। या& शा�दा( मा) एके प!न�व्रत के के�याल थी माग� जीरु�त औ� आग्रही से त्रिववशा ही�के� एके-दा� नही1 प2च शा�दिदाया2 के4, याही2 तके त्रिके उम्र के च�ल�से से�ल ग6जीए गए औ� अँ8धे� घ� मा) उजी�ल� न हुआ। बच�� बहुत �<जी�दा� �हीत। याही धेन-से<पत्ति>, याही ठ�ट-ब�ट, याही व@भव औ� याही ऐश्वयाC क्या� ही&ग। मा� ब�दा इनके� क्या� ही�ग�, केFन इनके� भ�गग�। याही ख्या�ल बहुत अँफसे�सेन�के थी�। आखिI� याही सेल�ही हुई त्रिके त्रिकेसे� लड़के के� ग�दा लन� च�त्रिहीए। माग� याही मासेल� प�रि�व�रि�के झगड़& के के��ण के से�ल& तके स्थत्रिगत �ही�। जीब सेठ जी� न दाI� त्रिके ब�त्रिवया& मा) अँब तके बदास्तO� केशामाकेशा ही� �ही� ही@ त� उन्ही&न न@त्रितके से�हीसे से के�मा चिलया� औ� ही�नही�� अँन�थी लड़के के� ग�दा ल चिलया�। उसेके� न�मा �I� गया� मागनदा�से। उसेके� उम्र प2च-छ: से�ल से ज्या�दा� न थी�। बल� के� जीही�न औ� तमा�जीदा��। माग� औ�त) सेब के6 छ के� सेकेत� हीR, दूसे� के बच्चे के� अँपन� नही1 सेमाझ सेकेत1। याही2 त� प2च औ�त& के� से�झ� थी�। अँग� एके उसे प्या�� के�त� त� ब�के� च�� औ�त& के� फज्र थी� त्रिके उसेसे नफ�त के�)। ही2, सेठ जी� उसेके से�थी त्रिबलके6 ल अँपन लड़के के� से� मा6हीब्बत के�त थी। पढ़ा�न के� मा�स्ट� �क्I), सेव��� के चिलए घ�ड़। �ईसे� ख्या�ल के आदामा� थी। ��ग-�<ग के� से�मा�न भ� मा6ही@या� थी�। ग�न� से�Iन के� लड़के न शाFके त्रिकेया� त� उसेके� भ� इ<तजी�मा ही� गया�। ग�जी जीब मागनदा�से जीव�न� प� पहु8च� त� �ईसे�न� दिदालच�स्पिZया& मा) उसे केमा�ल ही�चिसेल थी�। उसेके� ग�न� से6नके� उस्त�दा ल�ग के�न& प� ही�थी �Iत। शाहीसेव�� ऐसे� त्रिके दाFड़त हुए घ�ड़ प� सेव�� ही� जी�त�। डी�ल-डीFल, शाक्ल सेO�त मा) उसेके�-से� अँलबल� जीव�न दिदाल्ल� मा) केमा ही�ग�। शा�दा( के� मासेल� पशा हुआ। न�गप6� के के��ड़पत्रित सेठ माक्Iनल�ल बहुत लही��या हुए थी। उनके� लड़के� से शा�दा( ही� गई। धेOमाधे�मा के� जिजीक्र त्रिकेया� जी�ए त� त्रिकेस्से� त्रिवया�ग के� ��त से भ� लम्ब� ही� जी�ए। माक्Iनल�ल के� उसे� शा�दा( मा) दा(व�ल� त्रिनकेल गया�। इसे वक्त मागनदा�से से ज्या�दा� ईर्ष्याया�C के या�ग्या आदामा� औ� केFन ही�ग�? उसेके� जिजीन्दाग� के� बही�� उमा<ग& प� भ� औ� मा6��दा& के फO ल अँपन� शाबनमा� त�जीग� मा) खिIल-खिIलके� हुस्न औ� त�जीग� के� सेमा�8 दिदाI� �ही थी। माग� तकेदा(� के� दाव� के6 छ औ� ही� से�मा�न के� �ही� थी�। वही से@�-सेप�ट के इ��दा से जी�प�न गया� हुआ थी� त्रिके दिदाल्ल� से Iब� आई त्रिके ईश्व� न त6म्ही) एके भ�ई दिदाया� ही@। मा6झ इतन� I6शा� ही@ त्रिके ज्या�दा� अँसेc तके जिजीन्दा� न �ही सेकेO8 । त6मा बहुत जील्दा लFट आओं। मागनदा�से के ही�थी से त�� के� के�गजी छO ट गया� औ� से� मा) ऐसे� चक्के� आया� त्रिके जी@से त्रिकेसे� ऊँ8 च�ई से त्रिग� पड़� ही@।

मागनदा�से के� त्रिकेत�ब� ज्ञा�न बहुत केमा थी�। माग� स्वभ�व के� सेज्जनत� से वही I�ल� ही�थी न थी�। ही�थी& के� उदा��त� न, जी� सेमाiजिj के� व�दा�न ही@, हृदाया के� भ� उदा�� बन� दिदाया� थी�। उसे घटन�ओं के� इसे के�या�पलट से दुI त� जीरु� हुआ, आखिI� इन्से�न ही� थी�, माग� उसेन धे��जी से के�मा चिलया� औ� एके आशा� औ� भया के� मिमाल�-जी6ल� ही�लत मा) दाशा के� �व�न� हुआ। ��त के� वक्त थी�। जीब अँपन दा�व�जी प� पहु8च� त� न�च-ग�न के� माहीत्रिफल सेजी� दाI�। उसेके केदामा आग न बढ़ा लFट पड़� औ� एके दुके�न के चबOत� प� ब@ठके� से�चन लग� त्रिके अँब क्या� के�न� च�त्रिहीऐ। इतन� त� उसे याके�न थी� त्रिके सेठ जी� उसेके से�थी भ� भलमानसे� औ� मा6हीब्बत से पशा आया)ग बस्पिल्के शा�यादा अँब औ� भ� केi प� के�न लग)। सेठ�त्रिनया2 भ� अँब उसेके से�थी ग@�& के�-से� वत�Cव न के�)ग�। मा6मात्रिकेन ही@ माझल� बहू जी� इसे बच्चे के� I6शानसे�ब मा2 थी1, उसेसे दू�-दू� �ही) माग� ब�के� च��& सेठ�त्रिनया& के� त�फ से सेव�-से!के�� मा) के�ई शाके नही1 थी�। उनके� डी�ही से वही फ�यादा� उठ� सेकेत� थी�। त�हीमा उसेके स्व�त्तिभमा�न न गव��� न त्रिकेया� त्रिके जिजीसे घ� मा) मा�चिलके के� ही@चिसेयात से �हीत� थी� उसे� घ� मा) अँब एके आत्तिoत के� ही@चिसेयात से जिजीन्दाग� बसे� के�। उसेन फ@ सेल� के� चिलया� त्रिके सेब याही2 �हीन� न मा6न�चिसेब ही@, न मासेलहीत। माग� जी�ऊँ8 केहीp? न के�ई ऐसे� फन से�I�, न के�ई ऐसे� इल्मा ही�चिसेल त्रिकेया� जिजीसेसे ��जी� केमा�न के� सेO�त प@दा� ही�त�। �ईसे�न� दिदालचस्पिZया2 उसे� वक्त तके केद्र के� त्रिनग�ही से दाI� जी�त� हीR जीब तके त्रिके व �ईसे& के आभOषण �ही)। जी�त्रिवके� बन के� व सेम्मा�न के पदा से त्रिग� जी�त� ही@। अँपन� ��जी� ही�चिसेल के�न� त� उसेके चिलए के�ई ऐसे� मा6स्पिsकेल के�मा न थी�। त्रिकेसे� सेठ-

से�हूके�� के याही2 मा6न�मा बन सेकेत� थी�, त्रिकेसे� के��I�न के� त�फ से एजी)ट ही� सेकेत� थी�, माग� उसेके केन्धे प� एके भ��� जी6आ �क्I� हुआ थी�, उसे क्या� के�। एके बड़ सेठ के� लड़के� जिजीसेन ल�ड़-प्या�� मा परि�वरि�शा प�ई, उसेसे याही के< ग�ल� के� तकेल�फ) क्या&के� झल� जी�ऍंग1 क्या� माक्Iनल�ल के� ल�ड़ल� बट( एके ऐसे आदामा� के से�थी �हीन� पसेन्दा के�ग� जिजीसे ��त

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के� ��ट( के� भ� दिठके�न� नही1 ! माग� इसे त्रिफक्र मा) अँपन� जी�न क्या& Iप�ऊँ8 । माRन अँपन� माजीv से शा�दा( नही1 के� माR ब��ब� इनके�� के�त� �ही�। सेठ जी� न जीबदाCस्त� मा� प@�& मा) बड़� डी�ल� ही@। अँब वही� इसेके जिजीम्मादा�� हीR। मा6झ से के�ई व�स्त� नही1। लत्रिकेन जीब उसेन दुब��� ठ< डी दिदाल से इसे मासेल प� गF� त्रिकेया� त� वच�व के� के�ई सेO�त नजी� न आई। आखिIके�� उसेन याही फ@ सेल� त्रिकेया� त्रिके पहील न�गप6� चलO8, जी�� उन माही���न� के तF�-त��के के� दाIO8, ब�ही�-ही�-ब�ही� उनके स्वभ�व के�, मिमाजी�जी के� जी2च केरूँ8 । उसे वक्त तया केरूँ8 ग� त्रिके मा6झ क्या� के�के च�त्रिहीया। अँग� �ईसे� के� बO उनके दिदामा�ग से त्रिनकेल गई

ही@ औ� मा� से�थी रूँI� ��दिटया2 I�न� उन्ही) मा<जीO� ही@, त� इसेसे अँच्छा� त्रिफ� औ� क्या�, लत्रिकेन अँग� वही अँमा��� ठ�ट-ब�ट के ही�थी& त्रिबके� हुई हीR त� मा� चिलए ��स्त� से�फ ही@। त्रिफ� माR हू8 औ� दुत्रिनया� के� गमा। ऐसे� जीगही जी�ऊँ8 जीही2 त्रिकेसे� परि�चिचत के� सेO�त सेपन मा) भ� न दिदाI�ई दा। ग��ब� के� जिजील्लत नही1 �हीत�, अँग� अँजीनत्रिबया& मा) जिजीन्दाग� बसे�� के� जी�ए। याही जी�नन-पहीच�नन व�ल& के� केनखिIया�8 औ� केनबत्रितया2 हीR जी� ग��ब� के� यान्�ण� बन� दात� हीR। इसे त�ही दिदाल मा) जिजीन्दाग� के� नक्शा� बन�के� मागनदा�से अँपन� मादा�Cन� त्रिहीम्मात के भ��से प� न�गप6� के� त�फ चल�, उसे माल्ल�ही के� त�ही जी� त्रिकेsत� औ� प�ल के बग@� नदा( के� उमाड़त� हुई लही�& मा) अँपन के� डी�ल दा।

शा�मा के वक्त सेठ माक्Iनल�ल के से6<दा� बग�च मा) सेO�जी के� प�ल� त्रिके�ण) मा6�झ�या हुए फO ल& से गल मिमालके� त्रिवदा� ही� �ही� थी1। ब�ग के ब�च मा) एके पक्के� के6 ऑं थी� औ� एके माFलचिसे�� के� पड़। के68 ए के मा68ही प� अँ<धे� के� न�ल�-से� नके�ब थी�, पड़ के चिसे� प� ��शान� के� से6नही�� च�दा�। इसे� पड़ मा) एके नFजीव�न थीके�-मा�<दा� के6 ऍं प� आया� औ� ल�ट से प�न� भ�के� प�न के ब�दा जीगत प� ब@ठ गया�। मा�चिलन न पOछ�- केही2 जी�ओग? मागनदा�से न जीव�ब दिदाया� त्रिके जी�न� त� थी� बहुत दू�, माग� याही1 ��त ही� गई। याही2 केही1 ठही�न के� दिठके�न� मिमाल जी�एग�?मा�चिलके- चल जी�ओ सेठ जी� के� धेमाCशा�ल� मा), बड़ आ��मा के� जीगही ही@।मागनदा�से-धेमाCशा�ल मा) त� मा6झ ठही�न के� केभ� से<या�ग नही1 हुआ। के�ई हीजीC न ही� त� याही1 पड़� �हू8। याही�8 के�ई ��त के� �हीत� ही@?मा�चिलके- भ�ई, माR याही2 ठही�न के� न केहू8ग�। याही ब�ई जी� के� ब@ठके ही@। झ��I मा) ब@ठके� से� त्रिकेया� के�त� हीR। केही1 दाI-

भ�ल ल) त� मा� चिसे� मा) एके ब�ल भ� न �ही।मागनदा�से- ब�ई जी� केFन?

मा�चिलके- याही� सेठ जी� के� बट(। इजिन्दा�� ब�ई।मागनदा�से- याही गजी� उन्ही1 के चिलए बन� �ही� ही� क्या�?मा�चिलन- ही2, औ� सेठ जी� के याही2 ही@ ही� केFन? फO ल& के गहीन बहुत पसेन्दा के�त� हीR।मा�नदा�से- शाFके�न औ�त मा�लOमा ही�त� हीR?मा�चिलके- भ�ई, याही� त� बड़ आदामिमाया& के� ब�त) ही@। वही शाFके न के�) त� हीमा���-त6म्ही��� त्रिनब�ही के@ से ही�। औ� धेन ही@ त्रिकेसे

चिलए। अँके ल� जी�न प� दासे ल}त्रिडीया2 हीR। से6न� के�त� थी� त्रिके भगव�न आदामा� के� हील भOत जी�तत� ही@ वही ऑंI& दाI�। आप-ही�-आप प<I� चलन लग। आप-ही�-आप से�� घ� मा) दिदान के�-से� उजी�ल� ही� जी�ए। त6मा झOठ सेमाझत ही�ग, माग� माR ऑंI& दाI� ब�त केहीत� हू8।उसे गवC के� चतन� के से�थी जी� त्रिकेसे� न�दा�न आदामा� के से�मान अँपन� जी�नके��� के बया�न के�न मा) ही�त� ही@, बOढ़ा( मा�चिलन अँपन� सेवCज्ञात� के� प्रदाशाCन के�न लग�। मागनदा�से न उकेसे�या�- ही�ग� भ�ई, बड़ आदामा� के� ब�त) त्रिन��ल� ही�त� हीR। लक्ष्मा� के बसे मा) सेब के6 छ ही@। माग� अँके ल� जी�न प� दासे ल}त्रिडीया2? सेमाझ मा) नही1 आत�।मा�चिलन न ब6ढ़ा�प के चिचड़चिचड़पन से जीव�ब दिदाया�- त6म्ही��� सेमाझ मा�ट( ही� त� के�ई क्या� के� ! के�ई प�न लग�त� ही@, के�ई प<I� झलत� ही@, के�ई केपड़ पहीन�त� ही@, दा� हीजी�� रुपया मा) त� सेजीग�ड़� आया� थी�, च�ही� त� मा68ही दाI ल�, उसे प� हीव� I�न जी�त� हीR। एके ब<ग�चिलन ग�न�-बजी�न� चिसेI�त� ही@, मामा पढ़ा�न आत� ही@, शा�स्�� जी� से<स्केi त पढ़ा�त हीR, के�गदा प� ऐसे� माO�त बन�त� हीR त्रिके अँब ब�ल� औ� अँब ब�ल�। दिदाल के� ��न� हीR, बच��� के भ�ग फO ट गए। दिदाल्ल� के सेठ लगनदा�से के ग�दा चिलया हुए लड़के से ब्या�ही हुआ थी�। माग� ��मा जी� के� ल�ल� से>� ब�से के मा6दाc के� लड़के� दिदाया�, केFन पत्रितया�याग�। जीब से

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याही से6न�वन� आई ही@, तब से बहुत उदा�से �हीत� ही@। एके दिदान ��त� थी1। मा� से�मान के� ब�त ही@। ब�प न दाI चिलया�। सेमाझ�न लग। लड़के� के� बहुत च�हीत हीR। से6नत� हू8 दा�मा�दा के� याही1 ब6ल�के� �क्I)ग। न���यान के�, मा�� ��न� दूधे& नही�या पत& फल। मा�ल� मा� गया� थी�, उन्ही&न आड़ न ल� ही�त� त� घ� भ� के ट6केड़ मा2गत�।मागनदा�से न एके ठण्डी� से2से ल�। बहीत� ही@, अँब याही2 से अँपन� इज्जत-आबरूँ चिलया हुए चल दा�। याही2 मा�� त्रिनब�ही न ही�ग�। इजिन्दा�� �ईसेजी�दा( ही@। त6मा इसे के�त्रिबल नही1 ही� त्रिके उसेके शाFही� बन सेके�। मा�चिलन से ब�ल�-त� धेमाCशा�ल मा) जी�त� हू8। जी�न वही2 I�ट-व�ट मिमाल जी�त� ही@ त्रिके नही1, माग� ��त ही� त� के�टन� ही@ त्रिकेसे� त�ही केट ही� जी�एग� �ईसे& के चिलए माIमाल� गद्दे च�त्रिहीए, हीमा माजीदू�& के चिलए प6आल ही� बहुत ही@।याही केहीके� उसेन ल6दिटया� उठ�ई, डीण्डी� सेम्ही�ल� औ� दादाCभ� दिदाल से एके त�फ चल दिदाया�। उसे वक्त इजिन्दा�� अँपन झ��I प� ब@ठ� हुई इन दा�न& के� ब�त) से6न �ही� थी�। के@ से� से<या�ग ही@ त्रिके स्�� के� स्वगC के� सेब चिसेजिjया2 प्र�प्त हीR औ� उसेके� पत्रित आव�& के� त�ही मा���-मा��� त्रिफ� �ही� ही@। उसे ��त के�टन के� दिठके�न� नही1।

मागनदा�से त्रिन��शा त्रिवच��& मा) डीOब� हुआ शाही� से ब�ही� त्रिनकेल आया� औ� एके से��या मा) ठही�� जी� चिसेफC इसेचिलए माशाहू� थी�, त्रिके वही2 शा��ब के� एके दुके�न थी�। याही2 आसे-प�से से माजीदू� ल�ग आ-आके� अँपन दुI के� भ6ल�या� के�त थी। जी� भOल-भटके मा6से�त्रिफ� याही2 ठही�त, उन्ही) ही�चिशाया��� औ� चFकेसे� के� व्या�वही�रि�के प�ठ मिमाल जी�त� थी�। मागनदा�से थीके�-मा2दा� ही�, एके पड़ के न�च च�दा� त्रिबछ�के� से� �ही� औ� जीब से6बही के� न1दा I6ल� त� उसे त्रिकेसे� प��-औचिलया� के ज्ञा�न के� सेजी�व दा(क्षा� के� चमा!के�� दिदाI�ई पड़� जिजीसेके� पहील� मा<जिजील व@��ग्या ही@। उसेके� छ�ट(-से� प�टल�, जिजीसेमा) दा�-एके केपड़ औ� थी�ड़�-से� ��स्त के� I�न� औ� ल6दिटया�-डी�� ब<धे� हुई थी�, ग�याब ही� गई। उन केपड़& के� छ�ड़के� जी� उसेके बदा� प� थी अँब

उसेके प�से के6 छ भ� न थी� औ� भOI, जी� के< ग�ल� मा) औ� भ� तजी ही� जी�त� ही@, उसे बच@न के� �ही� थी�। माग� दृढ़ा स्वभ�व के� आदामा� थी�, उसेन त्रिकेस्मात के� ��न� ��या� त्रिकेसे� त�ही ग6जी� के�न के� तदाब��) से�चन लग�। चिलIन औ� गत्तिणत मा) उसे अँच्छा� अँभ्या�से थी� माग� इसे ही@चिसेयात मा) उसेसे फ�यादा� उठ�न� अँसेम्भव थी�। उसेन से<ग�त के� बहुत अँभ्या�से त्रिकेया� थी�। त्रिकेसे� �चिसेके �ईसे के दा�ब�� मा) उसेके� क़द्र ही� सेकेत� थी�। माग� उसेके प6रुष�चिचत अँत्तिभमा�न न इसे पशा के� अँख्यिख्यात�� के�न इजी�जीत न दा(। ही2, वही आल� दाजीc के� घ6ड़सेव�� थी� औ� याही फन माजी मा) पO�� शा�न के से�थी उसेके� ��जी� के� से�धेन बन सेकेत� थी� याही पक्के� इ��दा� के�के उसेन त्रिहीम्मात से केदामा आग बढ़ा�या। ऊँप� से दाIन प� याही ब�त याके�न के के�त्रिबल नही� मा�लOमा ही�त� माग� वही अँपन� ब�झ हीलके� ही� जी�न से इसे वक्त बहुत उदा�से नही1 थी�। मादा�Cन� त्रिहीम्मात के� आदामा� ऐसे� मा6से1बत& के� उसे� त्रिनग�ही से दाIत� ही@,जिजीसेमा एके ही�चिशाया�� त्रिवद्या�थीv प��क्षा� के प्रश्नों& के� दाIत� ही@ उसे अँपन� त्रिहीम्मात आजीमा�न के�, एके मा6स्पिsकेल से जीOझन के� माFके� मिमाल जी�त� ही@ उसेके� त्रिहीम्मात अँजीन�न ही� माजीबOत ही� जी�त� ही@। अँकेसे� ऐसे मा�केc मादा�Cन� हीFसेल के चिलए प्र�ण� के� के�मा दात हीR। मागनदा�से इसे जी�श़ से केदामा बढ़ा�त� चल� जी�त� थी� त्रिके जी@से के�यामा�ब� के� मा<जिजील से�मान नजी� आ �ही� ही@। माग� शा�यादा वही�8 के घ�ड़� न शा���त औ� त्रिबगड़@लपन से तFब� के� ल� थी� या� व स्व�भ�त्रिवके रुप बहुत माजी मा धे�मा- धे�मा चलन व�ल थी। वही जिजीसे ग�<व मा) जी�त� त्रिन��शा� के� उकेसे�न व�ल� जीव�ब प�त� आखिI�के�� शा�मा के वक्त जीब सेO�जी अँपन� आखिI�� मा<जिजील प� जी� पहु8च� थी�, उसेके� केदिठन मा<जिजील तमा�मा हुई। न�ग�घ�ट के ठ�के6 � अँटलचिसेही< न उसेके� चिचन्त� मा� सेमा�प्त त्रिकेया�।याही एके बड़� ग�8व थी�। पक्के माके�न बहुत थी। माग� उनमा) प्रत�!मा�ऍं आब�दा थी1। केई से�ल पहील प्लग न आब�दा( के बड़ त्रिहीस्से के� इसे क्षाणभ<ग6� से<से�� से उठ�के� स्वगC मा) पहुच दिदाया� थी�। इसे वक्त प्लग के बच-I6च व ल�ग ग�<व के नFजीव�न औ� शाFके�न जीमा1दा�� से�हीब औ� हील्के के के��ग6जी�� ओ� ��ब�ल थी�नदा�� से�हीब थी। उनके� मिमाल�-जी6ल� के�चिशाशा& से ग2व मा सेतया6ग के� ��जी थी�। धेन दाFलत के� ल�ग जी�न के� अँजी�ब सेमाझत थी ।उसे ग6न�ही के� त�ही छ6 प�त थी। घ�-घ� मा) रुपया �हीत हुए ल�ग केजीC ल-लके� I�त औ� फटही�ल& �हीत थी। इसे� मा) त्रिनब�ही थी� । के�जील के� के�ठ�� थी�, सेफ दा केपड़ पहीनन� उन प� धेब्ब� लग�न� थी�। हुकेO मात औ� जीब��Cदास्त� के� ब�जी�� गमाC थी�। अँही��& के� याही�8 आ8जीन के चिलए भ� दूधे न थी�। थी�न मा) दूधे के� नदा( बहीत� थी�। मावशा�I�न के मा6हीर्रि��� दूधे के� के6 ख्यिल्लया�8 के�त थी। इसे� अँ<धे�नग�� के� मागनदा�से न अँपन� घ� बन�या�। ठ�के6 � से�हीब न अँसे�धे��ण उदा��त� से के�मा लके� उसे �हीन के चिलए एके मा�केन भ� दा दिदाया�। जी�

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के वल बहुत व्या�पके अँथी� मा) माके�न केही� जी� सेकेत� थी�। इसे� झ&पड़� मा) वही एके हीफ्त से जिजीन्दाग� के दिदान के�ट �ही� ही@। उसेके� चही�� जीदाC ही@। औ� केपड़ मा@ल ही� �ही ही@। माग� ऐसे� मा�लOमा ही�त� ही@ त्रिके उसे अँब इन ब�त& के� अँन6भOत्रित ही� नही� �ही�। जिजीन्दा� ही@ माग� जिजीन्दाग� रुIसेत ही� गई ही@। त्रिहीम्मात औ� हीFसेल� मा6स्पिsकेल के� आसे�न के� सेकेत ही@ ऑंधे� औ� त6फ�न से बच� सेकेत हीR माग� चही� के� खिIल� सेकेन� उनके से�मार्थ्ययाC से ब�ही� ही@ टOट( हुई न�व प� ब@ठके�� माल्ही�� ग�न� त्रिहीम्मात के�मा नही� त्रिहीमा�केत के� के�मा ही@।एके ��जी जीब शा�मा के वक्त वही अँ<धे� मा I�ट प� पड़� हुआ थी�। एके औ�त उसेके दा�व��जी प� आके� भ�I मा�<गन लग�। मागनदा�से के� आव�जी त्रिप�चिचत जी�न पडी�। बही�� आके� दाI� त� वही� चम्पा� मा�चिलन थी�। केपड़ त��–त��, मा6से�बत के� ��त� हुई तसेब��। ब�ल�-मा�चिलन ? त6म्ही��� याही क्या� ही�लत ही@। मा6झ पहीच�नत� ही�।?मा�चिलन न च}के�के दाI� औ� पहीच�न गई। ��के� ब�ल� –बट�, अँब बत�ओ मा�� केही�8 दिठके�न� लग? त6मान मा�� बन� बन�या� घ� उजी�ड़ दिदाया� न उसे दिदान त6मासे ब�त के�त� न मा6झ प� याही त्रिबपत पड़त�। ब�ई न त6म्ही) ब@ठ दाI चिलया�, ब�त) भ� से6न� से6बही ही�त ही� मा6झ ब6ल�या� औ� ब�से पड़� न�के केटव� लO8ग�, मा6<ही मा) के�चिलI लगव� दू8ग�, च6ड़@ल, के6 टन�, तO मा�� ब�त त्रिकेसे� ग@� आदामा� से क्या& चल�या? तO दूसे�& से मा�� चच�C के�? वही क्या� त�� दा�मा�दा थी�, जी� तO उसेसे मा�� दुIड़� ��त� थी�?

जी� के6 छ मा6<ही मा आया� बकेत� �ही� मा6झसे भ� न सेही� गया�। ��न� रुठ) ग� अँपन� से6ही�ग ल)ग�! ब�ल�-ब�ई जी�, मा6झसे केसेO� हुआ, ल�जिजीए अँब जी�त� हू8 छ�केत न�के केटत� ही@ त� मा�� त्रिनब�ही याही�8 न ही�ग�। ईश्व� न मा6<ही दिदाया� हीR त� आही�� भ� दाग� च�� घ� से मा�8गO8ग� त� मा� पट के� ही� जी�ऐग�।। उसे छ�के�� न मा6झ Iड़ Iड़ त्रिनकेलव� दिदाया�। बत�ओ मा@न त6मासे उसेके� केFन से� चिशाके�यात के� थी�? उसेके� क्या� चच�C के� थी�? मा@ त� उसेके� बI�न के� �ही� थी�। माग� बड़ आदामिमाया& के� ग6स्से� भ� बड़� ही�त� ही@। अँब बत�ओ मा@ त्रिकेसेके� ही�के� �हू8? आठ दिदान इसे� दिदान त�ही ट6केड़ मा�8गत ही� गया ही@। एके भत�जी� उन्ही1 के याही�8 ल}त्रिडीया& मा) नFके� थी�, उसे� दिदान उसे भ� त्रिनके�ल दिदाया�। त6म्ही��� बदाFलत, जी� केभ� न त्रिकेया� थी�, वही के�न� पड़� त6म्ही) केही� के� दा�ष लग�ऊँ< त्रिकेस्मात मा) जी� के6 छ चिलI� थी�, दाIन� पड़�।मागनदा�से सेन्ना�ट मा) जी� के6 छ चिलI� थी�। आही मिमाजी�जी के� याही ही�ल ही@, याही घमाण्डी, याही शा�न! मा�चिलन के� इ!मा�नन दिदाल�या� उसेके प�से अँग� दाFलत ही�त� त� उसे मा�ल�मा�ल के� दात� सेठ माक्Iनल�ल के� बट( के� भ� मा�लOमा ही� जी�त� त्रिके ��जी� के� केO< जी� उसे� के ही�थी मा) नही1 ही@। ब�ल�-त6मा त्रिफक्र न के��, मा� घ� मा आ��मा से �ही� अँके ल मा�� जी� भ� नही1 लगत�। सेच केही� त� मा6झ त6म्ही��� त�ही एके औ�त के� तल�शा� थी�, अँच्छा� हुआ त6मा आ गया1।मा�चिलन न आ<चल फ@ ल�के� अँसे�मा दिदाया�– बट� त6मा जी6ग-जी6ग जिजीया& बड़� उम्र ही� याही2 के�ई घ� मिमाल त� मा6झ दिदालव� दा�। माR याही� �हू8ग� त� मा�� भत�जी� केही�8 जी�एग�। वही बच��� शाही� मा) त्रिकेसेके आसे� �हीग�।मागनल�ल के IOन मा) जी�शा आया�। उसेके स्व�त्तिभमा�न के� च�ट लग�। उन प� याही आफत मा�� ल�या� हुई ही@। उनके� इसे आव���गदा� के� जिजीम्मादा�� माR हू8। ब�ल�–के�ई हीजीC न ही� त� उसे भ� याही1 ल आओ। माR दिदान के� याही�8 बहुत केमा �हीत� हू8। ��त के� ब�ही� च��प�ई डी�लके� पड़ �ही� केरु8 ग�। मा�� वहीजी से त6मा ल�ग& के� के�ई तकेल�फ न ही�ग�। याही�8 दूसे�� माके�न मिमालन� मा6स्पिsकेल ही@ याही� झ�पड़� बड़� मा6स्पिsकेल� से मिमाल� ही@। याही अँ<धे�नग�� ही@ जीब त6म्ही�� से6भ�त� केही1 लग जी�या त� चल� जी�न�।मागनदा�से के� क्या� मा�लOमा थी� त्रिके हीजी�त इsके उसेके� जीब�न प� ब@ठ हुए उसेसे याही ब�त केहील� �ही ही@। क्या� याही ठ�के ही@ त्रिके इsके पहील मा�शाOके के दिदाल मा) प@दा� ही�त� ही@?

न�गप6� इसे ग�व से ब�से मा�ल के� दू�� प� थी�। चम्मा� उसे� दिदान चल� गई औ� त�से� दिदान �म्भ� के से�थी लFट आई। याही उसेके� भत�जी� के� न�मा थी�। उसेके आन से झ&पडी) मा) जी�न से� पड़ गई। मागनदा�से के दिदामा�ग मा) मा�चिलन के� लड़के� के� जी� तस्व�� थी� उसेके� �म्भ� से के�ई माल न थी� वही से}दायाC न�मा के� च�जी के� अँन6भव� जीFही�� थी� माग� ऐसे� सेO�त जिजीसेप� जीव�न� के� ऐसे� मास्त� औ� दिदाल के� च@न छ(न लनव�ल� ऐसे� आकेषCण ही� उसेन पहील केभ� नही1 दाI� थी�। उसेके� जीव�न� के� च2दा अँपन� से6नही�� औ� गम्भ�� शा�न के से�थी चमाके �ही� थी�। से6बही के� वक्त थी� मागनदा�से दा�व�जी प� पड़� ठण्डी�–ठण्डी� हीव� के� माजी� उठ� �ही� थी�। �म्भ� चिसे� प� घड़� �क्I प�न� भ�न के� त्रिनकेल� मागनदा�से न उसे दाI� औ� एके लम्ब� से�8से I1चके� उठ ब@ठ�। चही��-मा�ही�� बहुत ही� मा�हीमा। त�जी फO ल के� त�ही खिIल� हुआ चही�� आ<I& मा) गम्भ�� से�लत�

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मागनदा�से के� उसेन भ� दाI�। चही� प� ल�जी के� ल�ल� दाFड़ गई। प्रमा न पहील� व�� त्रिकेया�। मागनदा�से से�चन लग�-क्या� तकेदा(� याही�8 के�ई औ� ग6ल खिIल�न व�ल� ही@! क्या� दिदाल मा6झ याही�< भ� च@न न लन दाग�। �म्भ�, तO याही�8 न�हीके आया�, न�हीके एके ग��ब के� IOन त� से� प� ही�ग�। माR त� अँब त� ही�थी& त्रिबके च6के�, माग� क्या� तO भ� मा�� ही� सेकेत� ही@? लत्रिकेन नही1, इतन� जील्दाब�जी� ठ�के नही1 दिदाल के� सेFदा� से�च-सेमाझके� के�न� च�त्रिहीए। त6माके� अँभ� जीब्त के�न� ही�ग�। �म्भ� से6न्दा�� ही@ माग� झOठ मा�त� के� आब औ� त�ब उसे सेच्चे� नही1 बन� सेकेत�। त6म्ही) क्या� Iब� त्रिके उसे भ�ल� लड़के� के के�न प्रमा के शाब्दा से परि�चिचत नही1 ही� च6के ही@? केFन केही सेकेत� ही@ त्रिके उसेके सेFन्दायाC के� व�दिटके� प� त्रिकेसे� फO ल च6ननव�ल के ही�थी नही� पड़ च6के ही@? अँग� के6 छ दिदान& के� दिदालबस्तग� के चिलए के6 छ च�त्रिहीए त� त6मा आजी�दा ही� माग� याही न�जी6के मा�माल� ही@, जी�� सेम्हील के केदामा �Iन�। पशाव� जी�त& मा दिदाI�ई पड़नव�ल� सेFन्दायाC अँकेसे� न@त्रितके बन्धेन& से मा6क्त ही�त� ही@।त�न माही�न ग6जी� गया। मागनदा�से �म्भ� के� ज्या& ज्या& ब���के से ब���के त्रिनग�ही& से दाIत� !या&–!या& उसे प� प्रमा के� �<ग ग�ढा� ही�त� जी�त� थी�। वही ��जी उसे के68 ए से प�न� त्रिनके�लत दाIत� वही ��जी घ� मा) झ�डी6 दात�, ��जी I�न� पके�त� आही मागनदा�से के� उन ज्व�� के� ��दिटया�< मा) माजी� आत� थी�, वही अँच्छा से अँच्छा व्या<जीन� मा), भ� न आया� थी�। उसे अँपन� के�ठ�� हीमाशा� से�फ से6धे�� मिमालत� न जी�न केFन उसेके त्रिबस्त� त्रिबछ� दात�। क्या� याही �म्भ� के� केi प� थी�? उसेके� त्रिनग�ही) शामाvल� थी� उसेन उसे केभ� अँपन� त�फ चच<ल आ<I� से त�केत नही� दाI�। आव�जी के@ से� मा�ठ� उसेके� ही<से� के� आव�जी केभ� उसेके के�न मा) नही� आई। अँग� मागनदा�से उसेके प्रमा मा) मातव�ल� ही� �ही� थी� त� के�ई त�ज्ज6ब के� ब�त नही� थी�। उसेके� भOI� त्रिनग�ही) बच@न� औ� ल�लसे� मा) डी6ब� हुई हीमाशा� �म्भ� के� ढा6ढा�< के�त1। वही जीब त्रिकेसे� ग�8व के� जी�त� त� मा�ल& तके उसेके� जिजीद्दे( औ� बत�ब ऑंI मा6ड़–माOड़के� झ&पड़ के दा�व�जी के� त�फ आत�। उसेके� ख्या�त्रित आसे प�से फ@ ल गई थी� माग� उसेके स्वभ�व के� मा6से�वत औ� उदा��हृयात� से अँकेसे� ल�ग अँन6चिचत ल�भ उठ�त थी इन्से�फपसेन्दा ल�ग त� स्व�गत से!के�� से के�मा त्रिनके�ल लत औ� जी� ल�ग ज्या�दा� सेमाझदा�� थी व लग�त�� तके�जी& के� इन्तजी�� के�त चO<त्रिके मागनदा�से इसे फन के� त्रिबलके6 ल नही1 जी�नत� थी�। ब�वजीOदा दिदान ��त के� दाFड़ धेOप के ग��ब� से उसेके� गल� न छ6 टत�। जीब वही �म्भ� के� चक्के� प�सेत हुए दाIत� त� गहू8 के से�थी उसेके� दिदाल भ� त्रिपसे जी�त� थी� ।वही के6 ऍं से प�न� त्रिनके�लत� त� उसेके� केलजी� त्रिनकेल आत� । जीब वही पड़�से के� औ�त के केपड़ से�त� त� केपड़� के से�थी मागनदा�से के� दिदाल चिछदा जी�त�। माग� के6 छ बसे थी� न के�बO।मागनदा�से के� हृदायाभदा( दृमि� के� इसेमा) त� के�ई से<दाही नही1 थी� त्रिके उसेके प्रमा के� आकेषCण त्रिबलके6 ल बअँसे� नही� ही@ वन�C �म्भ� के� उन वफ� से भ�� हुई I�त्रित�दारि�या& के� त6के के@ से� त्रिबठ�त� वफ� ही� वही जी�दू ही@ रुप के गवC के� चिसे� न�च� के� सेकेत� ही@। माग�। प्रमिमाके� के दिदाल मा) ब@ठन के� मा�द्दे� उसेमा) बहुत केमा थी�। के�ई दूसे�� मानचल� प्रमा� अँब तके अँपन वशा�के�ण मा) के�मा�या�ब ही� च6के� ही�त� लत्रिकेन मागनदा�से न दिदाल आशात्रिके के� प�या� थी� औ� जीब�न मा�शाOके के�।एके ��जी शा�मा के वक्त चम्पा� त्रिकेसे� के�मा से ब�जी�� गई हुई थी� औ� मागनदा�से हीमाशा� के� त�ही च��प�ई प� पड़� सेपन दाI �ही� थी�। �म्भ� अँदाभOत छट� के से�थी आके� उसेके सेमान Iडी� ही� गई। उसेके� भ�ल� चही�� केमाल के� त�ही खिIल� हुआ

थी�। औ� आI& से सेही�न6भOत्रित के� भ�व झलके �ही� थी�। मागनदा�से न उसेके� त�फ पहील आश्चयाC औ� त्रिफ� प्रमा के� त्रिनग�ही& से दाI� औ� दिदाल प� जी�� डी�लके� ब�ल�-आओं �म्भ�, त6म्ही) दाIन के� बहुत दिदान से आ8I) त�से �ही� थी1।�म्भ� न भ�लपन से केही�-माR याही�< न आत� त� त6मा मा6झसे केभ� न ब�लत। मागनदा�से के� हीFसेल� बढा�, ब�ल�-त्रिबन� माजीv प�या त� के6 >� भ� नही� आत�।�म्भ� मा6स्के��ई, केल� खिIल गई–मा@ त� आप ही� चल� आई। मागनदा�से के� केलजी� उछल पड़�। उसेन त्रिहीम्मात के�के �म्भ� के� ही�थी पकेड़ चिलया� औ� भ�व�वशा से के�पत� हुई आव�जी मा ब�ल�–नही1 �म्भ� ऐसे� नही� ही@। याही मा�� माही�न& के� तपस्या� के� फल ही@।मागनदा�से न बत�ब ही�के� उसे गल से लग� चिलया�। जीब वही चलन लग� त� अँपन प्रमा� के� ओ� प्रमा भ�� दृमि� से दाIके� ब�ल�–अँब याही प्र�त हीमाके� त्रिनभ�न� ही�ग�।पF फटन के वक्त जीब सेOयाC दावत� के आगमान के� त@या�रि�या2 ही� �ही� थी� मागनदा�से के� आ8I I6ल� �म्भ� आट� प�से �ही� थी�। उसे शा�<त्ति>पOणC सेन्ना�ट मा) चक्के� के� घ6मा�–घ6मा� बहुत से6ही�न� मा�लOमा ही�त� थी� औ� उसेसे सेO� मिमाल�के� आपन प्या�� ढा<ग से ग�त� थी�।

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झ6लत्रिनया�8 मा��� प�न� मा) त्रिग�� माR जी�नO< त्रिपया� माFके� मान@हीRउलट( मान�वन मा�के� पड़�झ6लत्रिनया�8 मा��� प�न� मा त्रिग�� से�ल भ� ग6जी� गया�। मागनदा�से के� मा6हीब्बत औ� �म्भ� के सेल�के न मिमालके� उसे व���न झ&पड़ के� के6< जी ब�ग बन� दिदाया�। अँब वही�< ग�या) थी�। फO ल& के� क्या�रि�या�8 थी1 औ� केई दाही�त� ढा<ग के मा�ढ़ा थी। से6I–से6त्रिवधे� के� अँनके च�जी दिदाI�ई पड़त� थी�।एके ��जी से6बही के वक्त मागनदा�से केही� जी�न के चिलए त@या�� ही� �ही� थी� त्रिके एके सेम्भ्रां�<त व्याचिक्त अँ<ग्रजी� प�शा�के पहीन उसे ढाOढा<त� हुआ आ पहु<च� औ� उसे दाIत ही� दाFड़के� गल से चिलपट गया�। मागनदा�से औ� वही दा�न� एके से�थी पढ़ा� के�त थी। वही अँब वके�ल ही� गया�। थी�। मागनदा�से न भ� अँब पहीच�न� औ� के6 छ झ)पत� औ� के6 छ जिझझकेत� उसेसे गल चिलपट गया�। बड़� दा� तके दा�न& दा�स्त ब�त) के�त �ही। ब�त) क्या� थी1 घटन�ओं औ� से<या�ग� के� एके लम्ब� केही�न� थी�। केई माही�न हुए सेठ लगन के� छ�ट� बच्चे� चचके के� नजी� ही� गया�। सेठ जी� न दुI के मा�� आ!माही!या� के� ल� औ� अँब मागनदा�से से��� जी�यादा�दा, के�ठ� इल�के औ� माके�न& के� एकेछ� स्व�मा� थी�। सेठ�त्रिनया& मा) आपसे� झगड़ ही� �ही थी। केमाCच�रि�या& न गबन के� अँपन� ढा<ग बन� �क्I� थी�। बडी� सेठ�न� उसे ब6ल�न के चिलए I6दा आन के� त@या�� थी�, माग� वके�ल से�हीब न उन्ही ��के� थी�। जीब मादानदा�से न मा6स्के���के� प6छ�–त6म्ही& क्या&के� मा�लOमा हुआ त्रिके मा@। याही�8 हू8 त� वके�ल से�हीब न फ�मा�या�-माही�न भ� से त6म्ही��� ट�ही मा) हू8। सेठ माक्ख्नल�ल न अँत�-पत� बतल�या�। तOमा दिदाल्ल� पहु8च) औ� माRन अँपन� माही�न भ� के� त्रिबल पशा त्रिकेया�।�म्भ� अँधे�� ही� �ही� थी�। त्रिके याही केFन ही@ औ� इनमा क्या� ब�त ही� �ही� ही@? दासे बजीत-बजीत वके�ल से�हीब मागनदा�से से एके

हीफ्त के अँन्दा� आन के� व�दा� लके� त्रिवदा� हुए उसे� वक्त �म्भ� आ पहु8च� औ� पOछन लग�-याही केFन थी। इनके� त6मासे क्या� के�मा थी�?मागनदा�से न जीव�ब दिदाया�- यामा��जी के� दूत। �म्भ�–क्या� अँसेग6न बकेत ही�!मागन-नही1 नही1 �म्भ�, याही अँसेग6न नही� ही@, याही सेचमा6च मा�� माFत के� दूत थी�। मा�� I6चिशाया& के ब�ग के� �}दान व�ल� मा�� ही��-भ�� Iत� के� उजी�ड़न व�ल� �म्भ� मा@न त6म्ही�� से�थी दाग� के� ही@, माRन त6म्ही अँपन फ�ब के जी�ल मा) फ�8सेया� ही@, मा6झ मा�फ के��। मा6हीब्बत न मा6झसे याही सेब के�व�या� माR मागनचिसेही< ठ�केO � नही1 हू8। माR सेठ लगनदा�से के� बट� औ� सेठ माक्Iनल�ल के� दा�मा�दा हू8।मागनदा�से के� डी� थी� त्रिके �म्भ� याही से6नत ही� चFके पड़ग� ओ� शा�यादा उसे जी�चिलमा, दाग�ब�जी केहीन लग। माग� उसेके� ख्या�ल गलत त्रिनकेल�! �म्भ� न आ<I� मा) ऑंसेO भ�के� चिसेफC इतन� केही�-त� क्या� त6मा मा6झ छ�ड़के� चल जी�ओग?मागनदा�से न उसे गल लग�के� केही�-ही2।�म्भ�–क्या&?मागन–इसेचिलए त्रिके इजिन्दा�� बहुत ही�चिशाया�� से6न्दा� औ� धेन� ही@।�म्भ�–माR त6म्ही) न छ�डीO 8ग�। केभ� इजिन्दा�� के� ल}डी� थी�, अँब उनके� सेFत बनO8ग�। त6मा जिजीतन� मा�� मा6हीब्बत के��ग। उतन� इजिन्दा�� के� त� न के��ग, क्या&?

मागनदा�से इसे भ�लपन प� मातव�ल� ही� गया�। मा6स्के��के� ब�ल�-अँब इजिन्दा�� त6म्ही��� ल}डी� बनग�, माग� से6नत� हू8 वही बहुत से6न्दा� ही@। केही1 मा@ उसेके� सेO�त प� ल6भ� न जी�ऊँ8 । मादा� के� ही�ल त6मा नही� जी�नत� मा6झ अँपन ही� से डी� लगत� ही@।�म्भ� न त्रिवश्व�सेभ�� आ<I� से दाIके� केही�-क्या� त6मा भ� ऐसे� के��ग? उ8ही जी� जी� मा) आया के�न�, मा@ त6म्ही) न छ�डीO 8ग�। इजिन्दा�� ��न� बन, मा@ ल}डी� हू8ग�, क्या� इतन प� भ� मा6झ छ�ड़ दा�ग)?मागनदा�से के� ऑंI डीबडीब� गया1, ब�ल�–प्या���, मा@न फ@ सेल� के� चिलया� ही@ त्रिके दिदाल्ल� न जी�ऊँ8 ग� याही त� मा@ केहीन ही� न प�या� त्रिके सेठ जी� के� स्वगCव�से ही� गया�। बच्चे� उनसे पहील ही� चल बसे� थी�। अँफसे�से सेठ जी� के आखिI�� दाशाCन भ� न के� सेके�। अँपन� ब�प भ� इतन� मा6हीब्ब्त नही� के� सेकेत�। उन्ही�न मा6झ अँपन� व�रि�से बन�या� हीR। वके�ल से�हीब केहीत थी। त्रिके सेठ�रि�या& मा अँनबन ही@। नFके� च�के� लOट मा��-माच� �ही हीR। वही2 के� याही ही�ल ही@ औ� मा�� दिदाल वही2 जी�न प� ��जी� नही1

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ही�त� दिदाल त� याही�8 ही@ वही2 केFन जी�ए।�म्भ� जी�� दा� तके से�चत� �ही�, त्रिफ� ब�ल�-त� मा@ त6म्ही) छ�ड़ दू8ग1 इतन दिदान त6म्ही�� से�थी �ही�। जिजीन्दाग� के� से6I ल6ट� अँब जीब तके जिजीऊँ8 ग� इसे सेOI के� ध्या�न के�त� �हू8ग�। माग� त6मा मा6झ भOल त� न जी�ओग? से�ल मा) एके ब�� दाI चिलया� के�न� औ� इसे� झ�पड़ मा)।मागनदा�से न बहुत ��के� माग� ऑंसेO न रुके सेके ब�ल–�म्भ�, याही ब�त न के��, केलजी� ब@ठ� जी�त� ही@। मा@ त6म्ही छ�ड़ नही� सेकेत� इसेचिलए नही� त्रिके त6म्ही�� उप� के�ई एहीसे�न ही@। त6म्ही��� I�त्रित� नही1, अँपन� I�त्रित� वही शा�त्ति> वही प्रमा, वही आनन्दा जी� मा6झ याही�8 मिमालत� ही@ औ� केही1 नही� मिमाल सेकेत�। I6शा� के से�थी जिजीन्दाग� बसे� ही�, याही� मान6र्ष्याया के जी�वन के� लक्ष्या ही@। मा6झ ईश्व� न याही I6शा� याही�8 दा �क्I� ही@ त� मा@ उसे क्या� छ�ड़ूँ8? धेन–दाFलत के� मा�� सेल�मा ही@ मा6झ उसेके� हीवसे नही1 ही@। �म्भ� त्रिफ� गम्भ�� स्व� मा) ब�ल�-मा@ त6म्ही�� प�व के� बड़� न बनO8ग�। च�ही त6मा अँभ� मा6झ न छ�ड़� लत्रिकेन थी�ड़ दिदान& मा) त6म्ही��� याही मा6हीब्बत न �हीग�। मागनदा�से के� के�ड़� लग�। जी�शा से ब�ल�-त6म्ही�� चिसेव� इसे दिदाल मा) अँब के�ई औ� जीगही नही1 प� सेकेत�। ��त ज्या�दा� आ गई थी�। अँ�मा� के� च2दा से�न जी� च6के� थी�। दा�पही� के केमाल के� त�ही से�फ आसेमान मा) चिसेत�� खिIल हुए थी। त्रिकेसे� Iत के �Iव�ल के� ब�से6�� के� आव�जी, जिजीसे दू�� न त�से��, सेन्ना�ट न से6��ल�पन औ� अँ8धे� न आत्मि!माकेत� के� आकेषCण दा दिदाया�। थी�। के�न� मा) आ जी� �ही� थी� त्रिके जी@से के�ई पत्रिव� आ!मा� नदा( के त्रिकेन�� ब@ठ� हुई प�न� के� लही�& से या� दूसे� त्रिकेन�� के I�मा�शा औ� अँपन� त�फ I�चनव�ल पड़� से अँपन� जिजीन्दाग� के� गमा के� केही�न� से6न� �ही� ही@।मागनदा�से से� गया� माग� �म्भ� के� आ<I& मा) न�दा न आई।

से6बही हुई त� मागनदा�से उठ� औ� �म्भ� प6के��न लग�। माग� �म्भ� ��त ही� के� अँपन� च�च� के से�थी वही�< से केही� चल� गया� मागनदा�से के� उसे माके�न के दा�� दा(व�� प� एके हीसे�त-से� छ�या� हुई मा�लOमा हुई त्रिके जी@से घ� के� जी�न त्रिनकेल गई ही�। वही घब��के� उसे के�ठ�� मा) गया� जीही�< �म्भ� ��जी चक्के� प�सेत� थी�, माग� अँफसे�से आजी चक्के� एकेदामा त्रिनश्चल थी�। त्रिफ� वही के68 ए के� त�ही दाFड़� गया� लत्रिकेन ऐसे� मा�लOमा हुआ त्रिके के68 ए न उसे त्रिनगल जी�न के चिलए अँपन� मा68ही I�ल दिदाया� ही@। तब वही बच्चे� के� त�ही च�I उठ� ��त� हुआ त्रिफ� उसे� झ�पड़� मा) आया�। जीही2 केल ��त तके प्रमा के� व�से थी�। माग� आही, उसे वक्त वही शा�के के� घ� बन� हुआ थी�। जीब जी�� ऑसेO थीमा त� उसेन घ� मा) च��& त�फ त्रिनग�ही दाFड़�ई। �म्भ� के� से�ड़� अँ�गन� प� पड़� हुई थी�। एके त्रिपट��� मा) वही के< गन �क्I� हुआ थी�। जी� मागनदा�से न उसे दिदाया� थी�। बतCन सेब �क्I हुए थी, से�फ औ� से6धे�। मागनदा�से से�चन लग�-�म्भ� तOन ��त के� केही� थी�-मा@ त6म्ही छ�ड़ दुग1। क्या� तOन वही ब�त दिदाल से केही� थी�।? मा@न त� सेमाझ� थी�, तO दिदाल्लग� के� �ही� हीR। नही1 त� मा6झ केलजी मा) चिछप� लत�। माR त� त� चिलए सेब के6 छ छ�ड़ ब@ठ� थी�। त�� प्रमा मा� चिलए सेके के6 छ थी�, आही, मा@ या& बच@न हू<, क्या� तO बच@न नही� ही@? ही�या तO �� �ही� ही@। मा6झ याके�न ही@ त्रिके तO अँब भ� लFट आएग�। त्रिफ� सेजी�व केल्पन�ओं के� एके जीमाघट उसेके से�मान आया�- वही न�जी6के अँदा�ए8 वही मातव�ल� ऑंI) वही भ�ल� भ�ल� ब�त), वही अँपन के� भOल� हुई-से� माही�ब�त्रिनया2 वही जी�वन दा�या�। मा6स्के�न वही आचिशाके& जी@से� दिदालजी�इया�8 वही प्रमा के� न�शा, वही हीमाशा� खिIल� �हीन व�ल� चही��, वही लचके-लचकेके� के6 ए8 से प�न� ल�न�, वही इन्त�जी�� के� सेO�त वही मास्त� से भ�� हुई बच@न�-याही सेब तस्व��) उसेके� त्रिनग�ही& के से�मान हीमा�तन�के बत�ब� के से�थी त्रिफ�न लग�। मागनदा�से न एके ठण्डी� से�से ल� औ� आसे6ओं औ� दादाC के� उमाड़त� हुई नदा( के� मादा�Cन� जीब्त से ��केके� उठ Iड़� हुआ। न�गप6� जी�न के� पक्के� फ@ सेल� ही� गया�। तत्रिकेया के न�च से सेन्दूके के� के68 जी� उठ�या� त� के�गजी के� एके ट6केड़� त्रिनकेल आया� याही �म्भ� के� त्रिवदा� के� चिचट्टी( थी�-प्या��,मा@ बहुत �� �ही� हू8 मा� प@� नही1 उठत माग� मा�� जी�न� जीरूँ�� ही@। त6म्ही जी�ग�ऊँ8 ग�। त� त6मा जी�न न दा�ग। आही के@ से जी�ऊँ< अँपन प्या�� पत्रित के� के@ से छ�डीO 8! त्रिकेस्मात मा6झसे याही आनन्दा के� घ� छ6 ड़व� �ही� ही@। मा6झ बवफ� न केहीन�, मा@ त6मासे त्रिफ� केभ� मिमालO8ग�। मा@ जी�नत� हू8। त्रिके त6मान मा� चिलए याही सेब के6 छ !या�ग दिदाया� ही@। माग� त6म्ही�� चिलए जिजीन्दाग� मा)। बहुत के6 छ उम्मा�दा हीR माR अँपन� मा6हीब्बत के� धे6न मा) त6म्ही) उन उम्मा�दा� से क्या& दू� �क्IO8! अँब त6मासे जी6दा� ही�त� हू8। मा�� से6धे मात भOलन�।

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माR त6म्ही) हीमाशा� या�दा �IOग1। याही आनन्दा के चिलए केभ� न भOल)ग। क्या� तOमा मा6झ भOल सेके�ग)?

त6म्ही��� प्या����म्भ�७

मागनदा�से के� दिदाल्ल� आए हुए त�न माही�न ग6जी� च6के हीR। इसे ब�च उसे सेबसे बड़� जी� त्रिनजी� अँन6भव हुआ वही याही थी� त्रिके ��जी� के� त्रिफक्र औ� धेन्धे& के� बहुत�यात से उमाड़त� हुई भ�वन�ओं के� जी�� केमा त्रिकेया�। जी� सेकेत� ही@। ड़ढा से�ल पहील के� बत्रिफक्र नFजीव�न अँब एके सेमाझदा�� औ� सेOझ-बOझ �Iन व�ल� आदामा� बन गया� थी�। से�ग� घ�ट के उसे के6 छ दिदान& के �हीन से उसे रि�आया� के� इन तकेल�फ� के� त्रिनजी� ज्ञा�न ही� गया�, थी� जी� के�रि�न्दा& औ� मा6ख्त��� के� सेख्यिख्तया& के� बदाFलत उन्ही उठ�न� पड़त� ही@। उसेन उसे रि�या�सेत के इन्तजी�मा मा) बहुत मादादा दा( औ� ग� केमाCच��� दाब� जीब�न से उसेके� चिशाके�यात के�त थी। औ� अँपन� त्रिकेस्मात� औ� जीमा�न के उलट फ � के� के�सेन थी माग� रि�आया� I6शा� थी�। ही2, जीब वही सेब धे<धे& से फ6 �सेत प�त� त� एके भ�ल� भ�ल� सेO�तव�ल� लड़के� उसेके Iया�ल के पहीलO मा) आ ब@ठत� औ� थी�ड़� दा� के चिलए से�ग� घ�ट के� वही ही�� भ�� झ�पड़� औ� उसेके� मास्पिस्तया� ऑI) के से�मान आ जी�त1। से��� ब�त एके से6ही�न सेपन के� त�ही या�दा आ आके� उसेके दिदाल के� मासे�सेन लगत� लत्रिकेन केभ� केभ� IOदा बI6दा-उसेके� ख्या�ल इजिन्दा�� के� त�फ भ� जी� पहू8चत� ग� उसेके दिदाल मा �म्भ� के� वही� जीगही थी� माग� त्रिकेसे� त�ही उसेमा इजिन्दा�� के चिलए भ� एके के�न� त्रिनकेल आया� थी�। जिजीन ही�ल�त� औ� आफत� न उसे इजिन्दा�� से बजी�� के� दिदाया� थी� वही अँब रुIसेत ही� गया� थी1। अँब उसे इजिन्दा�� से के6 छ हीमादादा� ही� गया� । अँग� उसेके मिमाजी�जी मा) घमाण्डी ही@, हुकेO मात ही@ तकेल्लOफ ही@ शा�न ही@ त� याही उसेके� केसेO� नही1 याही �ईसेजी�दा� के� आमा केमाजी�रि�या�< ही@ याही� उनके� चिशाक्षा� ही@। व त्रिबलके6 ल बबसे औ� माजीबO� ही@। इन बदात हुए औ� से<त6चिलत भ�व� के से�थी जीही�< वही बच@न� के से�थी �म्भ� के� या�दा के� त�जी� त्रिकेया� के�त� थी� वही� इजिन्दा�� के� स्व�गत के�न औ� उसे अँपन दिदाल मा) जीगही दान के चिलए त@या�� थी�। वही दिदान दू� नही1 थी� जीब उसे उसे आजीमा�इशा के� से�मान� के�न� पड़ग�। उसेके केई आ!मा�या अँमा���न� शा�न-शाFकेत के से�थी इजिन्दा�� के� त्रिवदा� के��न के चिलए न�गप6� गए हुए थी। मागनदा�से के� बत्रितयात आजी त�ही त�ही के भ�व� के के��ण, जिजीनमा) प्रत�क्षा� औ� मिमालन के� उ!के< ठ� त्रिवशाष थी�, उच�ट से� ही� �ही� थी�। जीब के�ई नFके� आत� त� वही सेम्हील ब@ठत� त्रिके शा�यादा इजिन्दा�� आ पहु8च� आखिI� शा�मा के वक्त जीब दिदान औ� ��त गल मिमाल �ही थी, जीन�नI�न मा) जी�� शा�� के ग�न के� आव�जी& न बहू के पहुचन के� सेOचन� दा(।से6ही�ग के� से6ही�न� ��त थी�। दासे बजी गया थी। I6ल हुए हीव�दा�� सेहीन मा) च2दान� चिछटके� हुई थी�, वही च2दान� जिजीसेमा) नशा� ही@। आ�जीO ही@। औ� खिंI�च�व ही@। गमाल& मा) खिIल हुए ग6ल�ब औ� चम्मा� के फO ल च2दा के� से6नही�� ��शान� मा) ज्या�दा� गम्भ�� ओ� I�मा�शा नजी� आत थी। मागनदा�से इजिन्दा�� से मिमालन के चिलए चल�। उसेके दिदाल से ल�लसे�ऍं जीरु� थी� माग� एके प�ड़� भ� थी�। दाशाCन के� उ!केण्ठ� थी� माग� प्या�से से I�ल�। मा6हीब्बत नही� प्र�ण& के� खिIच�व थी� जी� उसे I�च चिलए जी�त�थी�। उसेके दिदाल मा) ब@ठ� हुई �म्भ� शा�यादा ब��-ब�� ब�ही� त्रिनकेलन के� के�चिशाशा के� �ही� थी�। इसे�चिलए दिदाल मा) धेड़केन ही� �ही� थी�। वही से�न के केमा� के दा�व�जी प� पहुच� �शामा� पदा�C पड़� हुआ थी�। उसेन पदा�C उठ� दिदाया� अँन्दा� एके औ�त सेफ दा से�ड़� पहीन Iड़� थी�। ही�थी मा) चन्दा IOबसेO�त चOत्रिड़या& के चिसेव� उसेके बदान प� एके जीव� भ� न थी�। ज्या�ही� पदा�C उठ� औ� मागनदा�से न अँन्दा�� हीमा �क्I� वही मा6स्के���त� हुई उसेके� त�फ बढा( मागनदा�से न उसे दाI� औ� चत्रिकेत ही�के� ब�ल�। “�म्भ�!“ औ� दा�न� प्रमा�वशा से चिलपट गया। दिदाल मा) ब@ठ� हुई �म्भ� ब�ही� त्रिनकेल आई थी�।से�ल भ� ग6जी�न के व�दा एके दिदान इजिन्दा�� न अँपन पत्रित से केही�। क्या� �म्भ� के� त्रिबलके6 ल भOल गया? के@ से बवफ� ही�! के6 छ या�दा ही@, उसेन चलत वक्त त6मासे या� त्रिबनत� के� थी�?मागनदा�से न केही�- IOब या�दा ही@। वही आव�जी भ� के�न& मा) गOजी �ही� ही@। माR �म्भ� के� भ�ल� –भ�ल� लड़के� सेमाझत� थी�। याही नही1 जी�नत� थी� त्रिके याही त्रि�या� चरि�� के� जी�दू ही@। मा@ अँपन� �म्भ� के� अँब भ� इजिन्दा�� से ज्या�दा� प्या�� के�त� हू<। त6म्ही डी�ही त� नही1 ही�त�?इजिन्दा�� न ही<सेके� जीव�ब दिदाया� डी�ही क्या& ही�। तOम्ही��� �म्भ� ही@ त� क्या� मा�� गनचिसेही< नही1 ही@। माR अँब भ� उसे प� मा�त� हू<।दूसे� दिदान दा�न& दिदाल्ल� से एके ��ष्ट्री�या सेमा���ही मा) शा��के ही�न के� बही�न� के�के �व�न� ही� गए औ� से�ग� घ�ट जी� पहुच)।

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वही झ�पड़� वही मा6हीब्बत के� माजिन्दा� वही प्रमा भवन फO ल औ� त्रिही�या�ल� से लही�� �ही� थी� चम्पा� मा�चिलन उन्ही) वही�8 मिमाल�। ग�<व के जीमा1दा�� उनसे मिमालन के चिलए आया। केई दिदान तके त्रिफ� मागनचिसेही के� घ�ड़ त्रिनके�लन� पडी) । �म्भ� के6 ए से प�न� ल�त� I�न� पके�त�। त्रिफ� चक्के� प�सेत� औ� ग�त�। ग�8व के� औ�त त्रिफ� उसेसे अँपन के6 तc औ� बच्चे� के� लसेदा�� ट�त्रिपया�< चिसेल�त� ही@। ही�, इतन� जीरु� केहीत� त्रिके उसेके� �<ग के@ से� त्रिनI� आया� ही@, ही�थी प�व< के@ से मा6ल�यामा याही पड़ गया ही@ त्रिकेसे� बड़ घ� के� ��न� मा�लOमा ही�त� ही@। माग� स्वभ�व वही� ही@, वही� मा�ठ� ब�ल� ही@। वही� मा6�Fवत, वही� ही8सेमा6I चही��।इसे त�ही एके हीफत इसे से�ल औ� पत्रिव� जी�वन के� आनन्दा उठ�न के ब�दा दा�न� दिदाल्ल� व�पसे आया औ� अँब दासे से�ल ग6जी�न प� भ� से�ल मा) एके ब�� उसे झ�पड़ के नसे�ब जी�गत हीR। वही मा6हीब्बत के� दा(व�� अँभ� तके उन दा�न� प्रमिमाया& के� अँपन� छ�या� मा) आ��मा दान के चिलए Iड़� ही@।