जागो दलित जागो
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जागो दलि�त जागो
ज़ु�ल्मों सि�तम का तांडव रोक दो
इन झुकी कंधों को बल दो /
रोने सि�ल्लाने �े कुछ न होगा
अपना इतितहा� ही बदल दो /
ज़ुन - ज़ुन तुम्हें ज़ुान ज़ुायेगा
आ�मां भी फूल बर�ायेगा //
तेरे दुखो के �मंदर में
�ारा ज़ुहाँ डूब ज़ुायेगा //
अपनी डूबती कश्ती को रोक लो दिदल में शोलारुपी उमँगों को भर लो //
जिज़ु�का तिनशाना कभी खाली न हो
ऐ�ा तीरंदाज़ु बन लो //
अरवि न्द कुमार
कृवि� नगर , पटना