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नवीन ायोगक यावयन वारा म दा उवरता संवधन नीता गद जीव वान संभाग, भारतीय क ष अन संधान संथान, नई दल! ईमेल: [email protected] तो फसल% क& पैदावार के )लये स य* +काश, जल, वाय एवं म दा मह/वप ण* 1ोत ह2 ले3कन पैदावार म4 व 5 के )लए नाइ7ोजन, फाफोरस एवं पोटाश आद +म ख पोषक त/व% क& उपय * <त मा=ा म4 उपल>धता एवं स ?म जीवाण ओं क& व)भAनता भी उतनी ह! अBनवाय* है। संपोषत म दा म4 व)भAन +कार के स ?म जीवाण ओं का होना इस बात पर Bनभ*र करता है 3क उस म दा म4 काब*Bनक पदाथE क& मा=ा 3कतनी है। िजतनी अGधक मा=ा म4 काब*Bनक पदाथ* ह%गे उतनी ह! अGधक उस भ )म क& उव*रा शि<त होगी <य%3क यह स ?म जीवाण काब*Bनक पदाथE से काब*न एवं ऊजा* ले कर पोषक त/व% के थानंतरण म4 मह/वप ण* भ )मका Bनभाते है। म दा 3क उव*रा शि<त म4 संवध*न के क छ नवीन तकनीक इस +कार ह2- रा फसल उपयोग कोई भी व ?, झाड़ी एवं हर! प/ती िजसे खरपतवार क& रोक थाम के )लए अथवा म दा क& उव*रा शि<त के संवध*न के )लए +योग 3कया जाए उसे स र?ा फसल4 कहते है। इन म4 +म दलहनी फसल4 मटर, sweet clover, faba bean, मस र, सोयाबीन, अरहर इ/याद ह2 तथा ष भ )म क& Bनरंतर कम होती उव*रता इस बात का +माण है 3क सघन खेती [वारा भ )म से Bन\का)सत पोषक त/व% का अन पात उस म4 डाले गए काब*Bनक पदाथE के अन पात से कह!ं अGधक ह2। रसायBनक उव*रक% के +योग से बीसवी शता>द! म4 ह ई ह^रत _ांBत ने देश को खा[याAन के उ/पादन म4 आ/म Bनभ*र तो बनाया ले3कन रसायBनक उव*रक% और क&ट नाशक% के अ/याGधक उपयोग से भ )म क& उव*रा शि<त म4 ?ीणता आ गई एवं पैदावार म4 िथरता। इस)लए अब नवीन एवं सरल तकनीक& +बंधन [वारा कम रसायBनक उव*रक% के +योग से म दा उव*रा शि<त म4 संवध*न पर aयान के िAbत करना अBनवाय* है। fdlku [ksrh o"kZ&2] vad&2 ¼ vizsy&twu½] 2015 www.kisaankheti.com ij vkWuykbu miyC/k © 2015 kisaankheti.com bZ -vkbZ,l,l,u:2348-2265 fdlku [ksrh vkbZ,l,l,u: 2348-2265 37

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  • नवीन �ा�योगक ��या�वयन �वारा मदृा उव�रता संवध�न सुनीता ग�द

    सू�म जीव वान संभाग, भारतीय कृष अनुसंधान सं�थान, नई �द�ल! ईमेल: [email protected]

    यंू तो फसल% क& पैदावार के )लये सूय* +काश, जल, वायु एवं मदृा मह/वपूण* 1ोत ह2 ले3कन पैदावार म4 वृ5 के )लए नाइ7ोजन, फा�फोरस एवं पोटाश आ�द +मुख पोषक त/व% क&

    उपयु*धता एवं सू?म जीवाणुओं क& व)भAनता भी उतनी ह! अBनवाय* है। संपोषत मदृा म4 व)भAन +कार के सू?म जीवाणुओं का होना इस बात पर Bनभ*र करता है

    3क उस मदृा म4 काब*Bनक पदाथE क& मा=ा 3कतनी है। िजतनी अGधक मा=ा म4 काब*Bनक

    पदाथ* ह%गे उतनी ह! अGधक उस भू)म क& उव*रा शि

  • हर! खाद वाल! फसल% म4 राई घास, जवई, ज% एवम धइंचा (dhaincha) +मुख है। ढ2चा क&

    शीj बkने क& और वातवरण से ल! गई न=जन को ि�थर!करण क& ?मता क& वजह से इन

    पौध% को भू)म म4 दो मास के )लए उगाया जाता है तथा काटने के बाद उAह4 भू)म म4 ह! डाल

    �दया जाता है और 50-60 �दन तक सड़ने �दया जाता है सुर?ा फसल% के उपयोग से

    रसायBनक उव*रक% पर होने वाले खच* से बचा जा सकता है और भू)म के कटाव म4 कमी और

    उव*रा शि

  • कपो�ट खाद

    फसल% के अनुपयोगी अवशषे (धान/गेहंू का भूसा, दलहनी फसल% के डठंल, Gगरे हुए पेड़% के

    प/ते इ/या�द) एवं अपघ�टत होने वाले अवांछनीय खा[य अवशषे% को पशुओं के गोबर के

    साथ )मGत कर के कपो�ट खाद बना कर भू)म म4 डालने से भी कम रसायBनक उव*रक

    क& आवयकता पड़ती है तथा भू)म क& उव*रा शिधता वाल! +ाकृBतक

    +णाल! म4 नाइ7ोजन क& बचत और उस के सह! +योग क& अनुकूलक 3_यावGध है औसत

    दज क& पैदावार के )लए नाइ7ोजन का तनाव ह! इस 3_या +णाल! का +ेरक बल है. दलहनी

    फसल4 जो सहजीवी नाइ7ोजन का ि�थर!करण करती ह2 वे जैवक नाइ7ोजन अवरोधक क&

    भू)मका नह!ं Bनभाती। इस)लए शोध से पता चला है 3क Brachiaria घास, सोरगम, एवम

    सोयाबीन क& जड़% से Bनकलने वाले पदाथ* नाइ7!3फके\ण अवरोधक का काम करते ह2 जो

    अमोBनयम को नाइ7ाइट म4 प^रवBत*त करते ह2 और नाइ7ेट बनने क& 3_या को Bनष5 कर

    देते ह2। (Subbarao et al. 2007) अतेः मदृा म4 अमोBनयम और सू?म जीवाणुओं क& नाइ7ोजन

    ह! एक=त होती है। पौध% क& नाइ7!3फके\ण अवरोधक ?मता मदृा क& ?ारता एवं अलता

    पर Bनभ*र करती है। सोरगम (वार) पौधे क& जड़ ेअमोBनयम के साBनय म4 जब भू)म क&

    पीएच 7.0 हो तो नाइ7!3फके\ण अवरोधक पैदा नह!ं करती. ले3कन अगर रेतील! ओर रेतील!

    द)ुमी िजस क& पीएच 6.0 हो तब सोरगम के पौधे काफ& मा=ा म4 नाइ7!3फके\ण अवरोधक

    पैदा करते ह4 अगर पौध% को नाइटरेट नाइ7ोजन के साBनय म4 उगाया जाए तो वे

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  • नाइ7!3फके\ण अवरोधक पैदा नह!ं करते। नाइ7!3फके\ण अवरोधक क& उपि�थती म4 नाइ7ेट

    का भू)म तल म4 ^रसाव कम हो जाता है िजस से पौध% को अGधक मा=ा म4 नाइ7ोजन

    उपल>ध होती है

    �ाकृKतक संर�ण खेती

    जल फसल% क& काय* +णाल! पर काफ& दबाब डालता है। वे ?े= िजन म4 800 )म )म से कम

    वाष*क बा^रश होती है सूखा +वBृत वाले ?े= हो सकते ह4। इन म4 +ाकृBतक संर?ण कृष

    तकनीक बेहतर जल +बधंन एवं पैदावार वृ5 क& संभावना उपल>ध करवा सकती है कम

    जुताई करने से भू)म म4 काब*Bनक पदाथE क& मा=ा बनी रहती है एवं मदृा के भौBतक गुण% म4

    भी वृ5 होती िजस से भू)म क& पानी सोखने क& ?मता म4 सुधार आता है इस के अBत^रलू एल. 2007. बायोलॉिजकल Bन7!3फकेशन इिAहबशन (BNI) – इज इट ऐ वाइड

    �+ेड फेनोमेनो ? लांट एंड सॉइल 294:5−18.

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