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नवीन �ा�योगक ��या�वयन �वारा मदृा उव�रता संवध�न सुनीता ग�द
सू�म जीव वान संभाग, भारतीय कृष अनुसंधान सं�थान, नई �द�ल! ईमेल: [email protected]
यंू तो फसल% क& पैदावार के )लये सूय* +काश, जल, वायु एवं मदृा मह/वपूण* 1ोत ह2 ले3कन पैदावार म4 वृ5 के )लए नाइ7ोजन, फा�फोरस एवं पोटाश आ�द +मुख पोषक त/व% क&
उपयु*धता एवं सू?म जीवाणुओं क& व)भAनता भी उतनी ह! अBनवाय* है। संपोषत मदृा म4 व)भAन +कार के सू?म जीवाणुओं का होना इस बात पर Bनभ*र करता है
3क उस मदृा म4 काब*Bनक पदाथE क& मा=ा 3कतनी है। िजतनी अGधक मा=ा म4 काब*Bनक
पदाथ* ह%गे उतनी ह! अGधक उस भू)म क& उव*रा शि
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हर! खाद वाल! फसल% म4 राई घास, जवई, ज% एवम धइंचा (dhaincha) +मुख है। ढ2चा क&
शीj बkने क& और वातवरण से ल! गई न=जन को ि�थर!करण क& ?मता क& वजह से इन
पौध% को भू)म म4 दो मास के )लए उगाया जाता है तथा काटने के बाद उAह4 भू)म म4 ह! डाल
�दया जाता है और 50-60 �दन तक सड़ने �दया जाता है सुर?ा फसल% के उपयोग से
रसायBनक उव*रक% पर होने वाले खच* से बचा जा सकता है और भू)म के कटाव म4 कमी और
उव*रा शि
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कपो�ट खाद
फसल% के अनुपयोगी अवशषे (धान/गेहंू का भूसा, दलहनी फसल% के डठंल, Gगरे हुए पेड़% के
प/ते इ/या�द) एवं अपघ�टत होने वाले अवांछनीय खा[य अवशषे% को पशुओं के गोबर के
साथ )मGत कर के कपो�ट खाद बना कर भू)म म4 डालने से भी कम रसायBनक उव*रक
क& आवयकता पड़ती है तथा भू)म क& उव*रा शिधता वाल! +ाकृBतक
+णाल! म4 नाइ7ोजन क& बचत और उस के सह! +योग क& अनुकूलक 3_यावGध है औसत
दज क& पैदावार के )लए नाइ7ोजन का तनाव ह! इस 3_या +णाल! का +ेरक बल है. दलहनी
फसल4 जो सहजीवी नाइ7ोजन का ि�थर!करण करती ह2 वे जैवक नाइ7ोजन अवरोधक क&
भू)मका नह!ं Bनभाती। इस)लए शोध से पता चला है 3क Brachiaria घास, सोरगम, एवम
सोयाबीन क& जड़% से Bनकलने वाले पदाथ* नाइ7!3फके\ण अवरोधक का काम करते ह2 जो
अमोBनयम को नाइ7ाइट म4 प^रवBत*त करते ह2 और नाइ7ेट बनने क& 3_या को Bनष5 कर
देते ह2। (Subbarao et al. 2007) अतेः मदृा म4 अमोBनयम और सू?म जीवाणुओं क& नाइ7ोजन
ह! एक=त होती है। पौध% क& नाइ7!3फके\ण अवरोधक ?मता मदृा क& ?ारता एवं अलता
पर Bनभ*र करती है। सोरगम (वार) पौधे क& जड़ ेअमोBनयम के साBनय म4 जब भू)म क&
पीएच 7.0 हो तो नाइ7!3फके\ण अवरोधक पैदा नह!ं करती. ले3कन अगर रेतील! ओर रेतील!
द)ुमी िजस क& पीएच 6.0 हो तब सोरगम के पौधे काफ& मा=ा म4 नाइ7!3फके\ण अवरोधक
पैदा करते ह4 अगर पौध% को नाइटरेट नाइ7ोजन के साBनय म4 उगाया जाए तो वे
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नाइ7!3फके\ण अवरोधक पैदा नह!ं करते। नाइ7!3फके\ण अवरोधक क& उपि�थती म4 नाइ7ेट
का भू)म तल म4 ^रसाव कम हो जाता है िजस से पौध% को अGधक मा=ा म4 नाइ7ोजन
उपल>ध होती है
�ाकृKतक संर�ण खेती
जल फसल% क& काय* +णाल! पर काफ& दबाब डालता है। वे ?े= िजन म4 800 )म )म से कम
वाष*क बा^रश होती है सूखा +वBृत वाले ?े= हो सकते ह4। इन म4 +ाकृBतक संर?ण कृष
तकनीक बेहतर जल +बधंन एवं पैदावार वृ5 क& संभावना उपल>ध करवा सकती है कम
जुताई करने से भू)म म4 काब*Bनक पदाथE क& मा=ा बनी रहती है एवं मदृा के भौBतक गुण% म4
भी वृ5 होती िजस से भू)म क& पानी सोखने क& ?मता म4 सुधार आता है इस के अBत^रलू एल. 2007. बायोलॉिजकल Bन7!3फकेशन इिAहबशन (BNI) – इज इट ऐ वाइड
�+ेड फेनोमेनो ? लांट एंड सॉइल 294:5−18.
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