1916-18 , आय ग 1918 स व क गठन 1918 1919 र ल ट पर बहस। स...

7
, , लेख मदन मोहन मालवीय वाई एस ने मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल वाजपेयी को भारत से करने घोषणा है। ने मदन मोहन मालवीय और अटल वाजपेयी को भारत देने घोषणा है। ने कहा, मदन मोहन मालवीय और अटल वाजपेयी को भारत जाना बहुत खुशी बात है।इन महान को देश का के सेवा का है। मदन मोहन मालवीयअसाधारण और सेनानी के याद जाते चेतना लौ जलाई। अटल जीहर के बहुत , और महान से भी महान। भारत के उनका योगदान है।सनातन 25 , 1861 को मदन मोहन मालवीय को भारत के असाधारण एवं के है। उनके बहुमुखी ने महान के साथ , समाज सुधारक, , , सफल सांसद और असाधारण नेता बनाया। मालवीय जी अनेक सबसे या काशी थी।उनके जीवन काल बनारस भारतएवं राजधानी के जानी जाने लगी थी।

Upload: others

Post on 31-Dec-2019

28 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • – , ,

    लेख

    मदन मोहन मालवीयवाई एस

    ने मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल वाजपेयी को भारत से करने घोषणा है।

    ने मदन मोहन मालवीयऔर अटल वाजपेयी को भारत देने घोषणाहै।

    ने कहा,” मदन मोहन मालवीयऔर अटल वाजपेयी को भारत जाना बहुत खुशी बात है।इन महान को देश का

    के सेवा का है। मदन मोहन मालवीयअसाधारण और सेनानी केयाद जाते चतेना लौ जलाई। अटल जीहर के बहुत ,

    और महान से भी महान। भारत के उनका योगदान है।”

    सनातन 25 ,1861 को मदन मोहन मालवीय को भारत के असाधारण एवं के है।उनके बहुमुखी ने महान के साथ , समाज सुधारक, ,

    , सफल सांसद और असाधारण नेता बनाया। मालवीय जी अनेक सबसेया काशी थी। उनके जीवन काल बनारस भारतएवं राजधानी केप जानी जाने लगी थी।

  • मदन मोहन मालवीय ने इस के साथ भारतीय के रचा। यह देश अपनी तरह थी। उइसके बनारस को चुना, यहां से , और परंपरा है। के

    और नालंदा तथा से भारतीय का परंपराका संगम करना था।

    एनी , महातम्ा गांधी, ठाकुर, चरण डे जैसे अनेक महान और वाले ने , भारत भावना जगाने और एवं सदाचार के साथ करने के उनके

    मालवीय जी का 1946 हुआ। भावना आज भी है और अनेक ने उनके ज ् , जोतको जलाएरखा है तथा अनेक भागीदार बनने के तैयार

    मालवीय भवन

    मालवीय भवन के का है जो मालवीय के दौरान 1961 जनता के खोलागया। इसइमारत महामना जी के जीवन एवं के बारे एवं शोध के के काम करती पांच भाग -

    गीता-योग , योग साधना , गीता , मालवीय तथा के के मालवीय योगके योग और कराता है। गीता -

  • पर आयोिजत करती है। गीता करते जीवनके के के जीवन पर कराता है। मालवीय भवन

    खूबसूरत है के पौधे यहां आयोिजत जाती है। मालवीय भवन का सभागार अकसर एवं के उपयोग जाता है।

    महामना मदन मोहन मालवीय जी का जीवन (1861-1946)

    भारतीय एवं का महामना मदन मोहन मालवीय का 25 1861 पंचांग केअनुसार पौष, बुधवार संवत 1918 को (भारती भवन, इलाहाबाद) लाल हुआ था। उनके नाथ जी औ

    र माता मूनी देवी थी। के थे और सनातन रखते थे। कहाजाता है नाथ के दादाथे जो जाने माने थे और भारत के मालवा के जी के से रखते

    थे। के दादा बसने के आए। उनके के शहर, के आए।भगवत पुराण पर अपने और के थे। अपने भाई-

    मदन मोहन सबसे और थे। वे थे। इसी के कारणमदन मोहन ने नए भारत केयोगदान वह न नए तरह के भी मानवता के बन गए।

    उनका मानना था को से और के अंधकारसे के ओर ले जाता है। इस महामना के नाम से जाना गया।

    :-

    महामना इलाहाबाद हुई। महाजनी पाठशाला पांच आयु से आरंभ करते हुए, मदन मोहनदू और के दौरान वह अकसर हनुमान जाते थे तथा हर रोज यह थे।

    मनोजवं वेगं ।

    वानरयूथ रामदतंू ।।

    के पावन अवसर पर, वह इसे पूरे से मनाते थे। मकरंद के नाम से 15 आयु आरंभकर था। 1868 हाई से पास मायर कालेज ले वह केसाथ-साथ कालेज भी कई भाग लेते थे। 1880 समाज

    :-

    उनका 16 आयु के नंद लाल जी कंुदन देवी के साथ हुआ।

    मदन मोहन मालवीय ने अनेक तथा सनातन के को देने तथा भारत बनाने और का देश बनाने के का संपादन इस से समाज

    और और देश पर अनेक लेख 1884 , वे सभा के बन गए। 1885 का संपादन 1887 , सनातन के -

    के भारत महामंडल का संपादन भी 1889 , का संपादन 1891 , वह बन गए और इलाहाबाद वकालतआरंभ कर इन कई मुक

    पैरवी

  • 1913 वकालत छोड़ और राज से के सेवा करने का फैसला माहामना करने और बेहतर जीवन जीने के सहायता करने के बहुत थे और इसके मैकडोनल

    के 1889 एक

    महामना 1916 तक इलाहाबाद नगर के रहे और कई तक नेशनल के भीरहे।

    1907 , वसंत पंचमी के आरंभ 1909 भीसहायता

    अपने के देहांत के बाद, कई तरह से सेवा करने का 1919 , कंुभ के पावन अवसर पर,लुओं सेवा के सेवा महान महाभारत से होकर खुदको सेवात कर महाभारत के को अपना बना थाः

    न कामये , न न ।

    कामये दःुख ।।

    यह बाद नारा बन गया।

    बनारस का :-

    मदन मोहन मालवीय डॉ. एनी से बहुत थे जो के के से भारतआई थीं। एनी ने 1889 वाराणसी कामाछा कालेज जो बाद बनारस सेजुड़ गया। जी नेबनारस के महाराजा नारायण जी मदद से 1904 बनारस का 1

    905 , इस को अनेक 31 ,1905को वाराणसी के टाउन हाल , डी. एन. महाजन को गया।

    1911 , डॉ. एनी बेसंट सहयोग से, काशी करने का गया। 28 नवंबर,1911 कोबनारस के आरंभ करने के बनाई गई। 25 ,1915 को सर बटलर के काबर, 1915 को बी एचयू हो गया।

    4 ,

    1916 माघ , संवत 1972 को बनारस रखी गई। इस अवसर समारोह आयोिजत गया भारत अनेक जानी-मानी थीं।

    मालवीय जी के जीवन का

    25.12.1861 इलाहाबाद

    1878 कंुदन देवी के साथ

  • 1884 से

    जुलाई 1884 इलाहाबाद िजला

    1886 दादाभाई नारौजी के दसूरे के मामले पर भाषण

    जुलाई 1887 कालकंकड का संपादन। भारत मंडल का

    जुलाई 1889 संपादन छोड़कर इलाहाबाद एलएलबी

    1891 एलएलबी पास कर इलाहाबाद िजला वकालत

    1893 इलाहाबाद वकालत

    1898 यू.पी के को के बारे

    1902-1903 इलाहाबाद हाउस का

    1903-1912 के सेवा

    1904 काशी नरेश करने का

    1906इलाहाबाद के कंुभ मेले सनातन महासभा का संचालन उदारसनातन का बनारस

    खोलने काफैसला

    1907 का संपादन। सनातन व का

    1909 का संपादन। लाहौर

    1910 पहले संबोधन

    22.11.1911 का गठन

    1911 50 साल वकालत छोड़ देशसेवा और करने का फैसला

    1915 अपनी सेवा का गठन

    1915 बनारस पास हुआ

    04 1916

    रखी गई

    1916 ठेका के

  • 1916-18 , आयोग

    1918 सेवा का गठन

    1918

    1919 रौलेट पर बहस। से

    नवमब्र 1919- 1939

    बीएचयू के वाइस चांसलर

    19 1919 बमब्ई

    1922 सममे्लन का संचालन

    16 बर 1922

    लाहौर पर भाषण

    1924 िजला और का गठन। इलाहाबाद संगम पर बहस।

    1926 लाला लाजपत राय के साथ का गठन

    1927 आयोग के बयान

    1929 बीएचयू भाषण। से देशसेवा व का

    1930 से 6 सजा।

    5 1931 कानपुर एकता पर भाषण

    1931 लंदन गांधी जी के साथ गोलमेज भाग

    1932 बनारस भारतीय संघ का गठन

    20 1932 के

    1932 के के आसनसोल

    1936 इलाहाबाद सनातन महासभा का संचालन।

    1938 [ ]

    नवंबर 1939 बीएचयू के

  • 1941 मंडल

    1942 बीएचयू के रजत जयंती समारोह गांधी जी का

    12 नवंबर 1946

    : पसूका