2018 हाथ स े मैल ा ढोने वाल े किमयो ं के पनु...

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An Analysis of Social Media Campaign Jan - March 2020 04 हाथ से मैला ढोने वाले किमयों के पुनवास के िलए -रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.) सामािजक याय एवं अिधकािरता मंत्रालय की एक सेट्रल सेटर कीम यानी के द्रीय योजना है | हाथ से मैला उठाने वाले िचिहत लोगों का िवीय वष 2008-09 तक वैकिपक पेशे पुनवास करने के िलए जनवरी 2007 यह योजना शु की गई थी| इस योजना को वष 2013 संशोिधत िकया गया था| िवीय वष 2018-19 भारत सरकार ने इस योजना के िलए 20 करोड़ पये आवंिटत िकये | यह िपछले िवीय वष के संशोिधत अनुमान से चार गुना यादा है | तब इसके िलए 5 करोड़ पए आवंिटत िकये गए थे | िवीय वष 2014-15 और 2016-17 भारत सरकार ने इस योजना के मद कोई खच नहीं िकया| त वष भारत सरकार अलग-अलग े को यान म रखते ह ए बजट पेश करती है | अकॉउंटिबलटी इिनशएिटव सरकार क मुख केीय ायोजत योजनाओं के आवंटन और खच का िवेषण करती है | इस दतावेज को बजट ीफ कहा जाता है जसे सरकार ारा उपलध आंकड़ के आधार पर तैयार िकया जाता है| बजट ीफ एक जवाबदेही टूल के तौर पर काम करता है| बजट ीफ सरकार क योजनाओं म आवंटन एवं खच म पारदशता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है| इससे आम जनता सरकार से जवाबदेही क मांग कर सकती है िक य पैसा समय पर नह िमलता और यिद िमलता है तो उसका खचा समय पर य नह िकया जाता| इसके अलावा सरकार के लए भी बजट ीफ एक आईना िदखाता है जससे सरकार म बैठे तिनध एवं नौकरशाह एक द सरे से जवाब क मांग कर सकते ह| बजट ीफ से उह भिवय म योजनाओं के आवंटन और खच म सुधार करने के लए एक बेहतर िवतृत दतावेज िमलता है तािक वे अपने िनध वाह म सुधार कर सक| हाथ से मैला ढोने वाले किमय के पुनवास व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.) के अंतगत इस दतावेज म आप जान पायंगे िक इस योजना के लए कानूनी ावधान और वातिवकता या है| बजट ीफ हाथ से मैला ढोने वाले किमयों के पुनवास के िलए -रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.) 2018 बजट ीफ के बारे म एक परचय हाथ से मैला ढोने वाले किमय के पुनवास के लए व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.)

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  • A n A n a l y s i s o f S o c i a l M e d i a C a m p a i g nJ a n - M a r c h 2 0 2 0 0 4

    हाथ स ेमैला ढोने वाल ेकिम�यो ंके पनुवा�स के िलए �व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.) सामािजक �याय एवं अिधकािरता मतंर्ालय की एक स�ेट्रल स�ेटर �कीम यानी के�दर्ीय योजना है| हाथ स ेमैला उठाने वाल ेिचि�हत लोगो ंका िव�ीय वष� 2008-09 तक वैकि�पक पेशे म� पनुवा�स करने के िलए जनवरी 2007 म� यह योजना श�ु की गई थी| इस योजना को वष� 2013 म� सशंोिधत िकया गया था|

    िव�ीय वष� 2018-19 म� भारत सरकार ने इस योजना के िलए 20 करोड़ �पय ेआवंिटत िकय|े यह िपछल ेिव�ीय वष� के सशंोिधत अनमुान स ेचार गनुा �यादा है| तब इसके िलए 5 करोड़ �पए आवंिटत िकय ेगए थ|े िव�ीय वष� 2014-15 और 2016-17 म� भारत सरकार ने इस योजना के मद म� कोई खच� नही ंिकया|

    ��त वष� भारत सरकार अलग-अलग �े�� को �यान म� रखते हुए बजट पेश करती है | अकॉउंटिब�लटी इिन�शएिटव सरकार क� �मुख के��ीय �ायो�जत योजनाओं के आवंटन और खच� का िव�ेषण करती है | इस द�तावेज को बजट �ीफ कहा जाता है �जसे सरकार �ारा उपल�ध आंकड़� के आधार पर तैयार िकया जाता है| बजट �ीफ एक जवाबदेही टूल के तौर पर काम करता है| बजट �ीफ सरकार क� योजनाओं म� आवंटन एवं खच� म� पारद�श�ता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है| इससे आम जनता सरकार से जवाबदेही क� मांग कर सकती है िक �य� पैसा समय पर नह� िमलता और यिद िमलता है तो उसका खचा� समय पर �य� नह� िकया जाता| इसके अलावा सरकार के �लए भी बजट �ीफ एक आईना िदखाता है �जससे सरकार म� बठेै ��तिन�ध एवं नौकरशाह एक दसुरे से जवाब क� मांग कर सकते ह�| बजट �ीफ से उ�ह� भिव�य म� योजनाओं के आवंटन और खच� म� सुधार करने के �लए एक बहेतर िव�तृत द�तावेज िमलता है तािक वे अपने िन�ध �वाह म� सुधार कर सक� | हाथ से मैला ढोने वाले किम�य� के पुनवा�स �व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.) के अंतग�त इस द�तावेज म� आप जान पायंगे िक इस योजना के �लए कानूनी �ावधान और वा�तिवकता �या है|

    बजट �ीफहाथ स ेमैला ढोने वाल ेकिम�यो ंके पनुवा�स के िलए �व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.)

    2018

    बजट �ीफ के बारे म� एक प�रचय

    हाथ से मैला ढोने वाले किम�य� के पुनवा�स के �लए �व-रोजगार योजना (एस.आर.एम.एस.)

  • A n A n a l y s i s o f S o c i a l M e d i a C a m p a i g nJ a n - M a r c h 2 0 2 0 0 4

    इस योजना के �लए भारत सरकार 100 ��तशत रा�श उपल�ध कराती है| इस योजना का ि�या�वयन रा�� ीय सफाई कम�चारी िव� एवं िवकास िनगम �ारा िकया जाता है| यह भारत सरकार के तहत एक गैर-लाभकारी उप�म है| इसका गठन 1997 म� िकया गया था| इसका एकमा� उ�े�य हाथ से मैला उठाने क� �था को ख़�म करना और ऐसे लोग� के िवकास म� सहायता �दान करना है| रा�य �तरीय एज��सयां इस योजना के ि�या�वयन के �लए रा�य� के �तर पर सहायता क� पहचान करती ह�|रा�य� ने िदसंबर 2017 तक सामा�जक आ�थ�क जा�तगत जनगणना 2011 म� शािमल हाथ से मैला उठाने वाले प�रवार� म� से महज 8 फ�सदी (13,465) लोग� क� ही पहचान क�| 23 रा�य� और क� � शा�सत �देश� म� हाथ से मैला उठाने वाले िकसी प�रवार क� पहचान नह� हुई|इस योजना के तहत हाथ से मैला उठाने वाले �च��हत लोग� अथवा उन पर आ��त� को 40,000 �पए क� एकमु�त नगद सहायता रा�श िमलती है| नवंबर, 2017 तक हाथ से मैला उठाने वाल� के �प म� �च��हत लाभा�थ�य� म� से 94% को एकमु�त सहायता रा�श दी जा चुक� है|जुलाई 2017 तक देश भर म� 1,233 �व-रोजगार प�रयोजनाओं को मंजूरी दी जा चुक� है |वष� 2007 म� भारत सरकार ने हाथ से मैला उठाने वाले किम�य� के �लए पुनवा�स के �लए �व-रोजगार योजना शु� क�| इसका उ�े�य ऐसे �च��हत लोग� का पुनवा�स करना और उन पर आ��त लोग� को वैक��पक पेशा उपल�ध कराना था| इस योजना को 2010 तक ख़�म करने क� �यव�था क� गई थी| नव�बर 2013 म� भारत सरकार ने इस योजना को संशो�धत िकया और इसका दायरा बढ़ाया| इसके �लए हाथ से मैला उठाने वाल� क� प�रभाषा को िव�तार िदया गया और पहचाने गए लाभा�थ�य� के उपल�ध हक� म� वृ�� क� गई|

    इस संशोधन के साथ हाथ से मैला उठाने वाले किम�य� के िनयोजन पर रोक एवं उनका पुनवा�स अ�धिनयम 2013 पा�रत िकया गया| इस योजना का ि�या�वयन रा�� ीय सफाई कम�चारी िव� एवं िवकास िनगम �ारा िकया जाता है| यह भारत सरकार के तहत एक गैर-लाभकारी उप�म है| यह साम�जक �याय एवं अ�धका�रता मं�ालय के तहत आता है |

    इस योजना के �लए आवंटन के िव�ीय वष� 2017-18 तक लगातार कमी आती रही | िव�ीय वष� 2013-14 म� भारत सरकार ने इस योजना के �लए 70 करोड़ �पए क� रा�श आवंिटत क�| यह 2014-15 म� घटकर 47 करोड़ �पये पर आ गई| िव�ीय वष� 2015-16 म� यह काफ� घटकर महज 5 करोड़ �पये ही रह गई| हालांिक िव�ीय वष� 2018-19 म� इस मद म� आवंटन म� उ�ेखनीय वृ�� हुई है| इस योजना के �लए 20 करोड़ �पये आवंिटत िकये गए ह� | यह िपछले साल क� तुलना म� चार गुना है|

    आवंटन

    लागत िह�सेदारी और ि�या�वय:

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    इस प�रभाषा म� �थायी और अनुब�ंधत दोन� तरह के कम�चारी शािमल ह� | हालांिक इसके दायरे म� ऐसे मशीन ऑपरेटस� और सफाईकम� बाहर ह�, जो भारत सरकार �ारा प�रभािषत सुर�ा उपकरण� का इ�तेमाल करते ह� | इनके आ��त� म� प�रवार का कोई भी सद�य अथवा हाथ से मैला उठाने के अलावा कोई अ�य काम न करने वाला आ��त शािमल है|देश म� हाथ से मैला उठाने वाल� क� वा�तिवक सं�या क� भरोसेमंद जानकारी न होने के चलते इसका दायरा बढ़ाने और पुनवा�स का काम �भािवत होता है| हाथ से मैला उठाने वाल� क� सं�या को लेकर अलग-अलग �ोत� के बीच काफ� अंतर देखने को िमलता है| 2011 क� जनगणना के अनुसार, भारत म� 26,06,278 शु�क शौचालय थे| इनम� से 31 ��तशत (7,94,390) म� मैल का िनपटान हाथ� से उठाकर िकया जा रहा था | अ�य 50 ��तशत (13,14,562) से मैल का �वाह खुली नाली म� हो रहा था| एस.ई.सी.सी. 2011 ने देश भर म� हाथ से मैला उठाने वाले 1,68,066 �ामीण प�रवार� क� पहचान क�| इन प�रवार� का कम से कम एक सद�य हाथ से मैला उठाने का काम कर रहा था|

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    52%

    दायराइस योजना म� संशोधन के बाद हाथ से मैला उठाने वाले श�स को एम्.एस. अ�धिनयम, 2013 के अनुसार इस �कार प�रभािषत िकया गया है- “एक �यि� �जसे िकसी श�स या �थानीय अथो�रटी या िनजी या सरकारी एज�सी ने शु�क शौचालय, खुले नाले अथवा ग�े या रेल क� पटरी से मानव मैल को पूरी तरह से िवघिटत होने से पहले ही हाथ से साफ़ करने, उठाने, दसूरी जगह ले जाने अथवा िकसी भी तरह से िनपटाने के काम म� लगाया हो, हाथ से मैला उठाने वाला कहलायेगा|

    एस.ई.सी.सी. म� िव�भ� �ोत� के हवाले से िदए गये आंकड़� म� िव�भ� है| इसी�लए, 25 फरवरी 2016 को लोकसभा म� अतारांिकत �� सं�या 276 के जवाब म� बताया गया िक एस.ई.सी.सी. 2011 के अनुसार गाव� म� हाथ से मैला उठाने वाले प�रवार� क� कुल सं�या 1,67,487 है| रा�य सभा म� 28 जुलाई 2016 क� अतारांिकत �� सं�या 1296 के जवाब के अनुसार, एस.ई.सी.सी. 2011 ने हाथ से मैला उठाने वाले 1,82,505 प�रवार� क� पहचान क� है| इस सार म� एस.ई.सी.सी. के डेटाबसे (1,68,066) म� दी गई सं�या के आधार पर िव�ेषण िकया गया है| एसआरएमएस सव��ण म� तिमलनाडु और असम म� एसईसीसी 2011 म� �रकॉड� िकये गए हाथ से मैला उठाने वाले लोग� क� सं�या से �यादा क� पहचान क� गई| असम म� एसआरएमएस सव��ण म� हाथ से मैला उठाने वाले 154 प�रवार �च��हत िकये गए, जबिक एसईसीसी ने ऐसे िकसी प�रवार को सूचीब� नह� िकया था|  इसके उलट, सव��ण म� �च��हत िकये गए हाथ से मैला उठाने वाल� का अनुपात एसईसीसी 2011 म� छह रा�य� म� सूचीब� लोग� के 10 ��तशत से भी कम था| राज�थान (10��तशत), कना�टक (5��तशत), प��म बगंाल (4 ��तशत), िबहार (2 ��तशत), पंजाब (1 ��तशत) और म�य �देश (1��तशत से भी कम) |

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    हाथ से मैला उठाने वाले के �प म� �च��हत प�रवार के एक सद�य को त�काल 40,000 �पये क� नकद सहायता का �ावधान है| इस सहायता रा�श को मा�सक आधार पर िनकला जा सकता है| इसम� िनकासी क� अ�धकतम सीमा 7,000 �पये है|�व-रोजगार प�रयोजना के �लए 10 लाख �पये तक का कज� �लया जा सकता है| �व�छता से स�ब�ंधत �ोजे�ट� जैसे वै�यूम लोडर और सशु�क शौचालय� के �लए इस कज� क� रा�श को 15 लाख �पये तक बढ़ाया जा सकता है| इस कज� पर 25,000 �पये तक रा�श पर अ�धकतम 5 ��तशत और इससे ऊपर 6 ��तशत क� �याज क� सीमा िनधा��रत क� गई है| मिहला लाभा�थ�य� के �लए �याज चार ��तशत है| योजना के तहत स��सडी म� अंतर भी है|पूँजी से स�ब�ंधत स��सडी कज� का िह�सा होगी| स��सडी वापस समा� हो सकती है| यह �याज क� गणना और मु�य रा�श के पुनभु�गतान से अलग होगी| �च��हत िकये गए सभी हाथ से मैला उठाने वाल� और उनके आ��त� को दो साल तक कौशल ��श�ण एवं वेतन (�टाईप�ड) िदया जायेगा|

    एसआरएमएस आदेश के तहत पहचाने गए हाथ से मैला उठाने वाल� म� से 94 ��तशत (12,657) को नवंबर 2017 तक एकमु�त नगद सहायता (ओटीसीए) उपल�ध करा दी गई थी| हालांिक ओटीसीए उपल�ध कराने के �लए धन का �वाह कम रहा| िव�ीय वष� 2015-16 म� इनम� से अ�धकाँश िवतरण 68 ��तशत रहा| िव�ीय वष� 2016-17 म� हाथ से मैला उठाने वाल� म� से महज 12 ��तशत को ओटीसीए उपल�ध कराया गया | िव�ीय वष� 2017-18 म� 4 जनवरी 2018 तक हाथ से मैला उठाने वाल� म� �सफ� 8 ��तशत को ही सहायता उपल�ध कराई गई है|

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    एसआरएमएस के 4 बड़े िह�से एकमु�त नगद सहायता (ओटीसीए)

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    संशो�धत एसआरएमएस के तहत, जुलाई 2017 तक देश भर म� �व-रोजगार क� 1,233 प�रयोजनाओं को मंजूरी दी गई| हालांिक हाथ से मैला उठाने वाले रा�य� के �प म� �च��हत 13 रा�य� म� से 7 म� एक भी प�रयोजना को �वीकृ�त नह� िमली | इनम� आं� �देश, िबहार, म�य �देश और राज�थान शािमल ह�|हालांिक कज� के �लए धनरा�श का �वाह कम रहा | जुलाई 2017 तक हाथ से मैला उठाने वाल� के �प म� �च��हत महज एक ��तशत (200) को ही वा�तव म� सहायता �दान क� गई| ये सभी लाभाथ� प��म बगंाल (92), ओ�डशा (87) और पंजाब (21) जैसे रा�य� से ह�|हाथ से मैला उठाने वाले �च��हत लोग� के अनुपात म� प��म बगंाल म� इन लाभा�थ�य� क� सं�या महज 49 ��तशत, ओ�डशा म� 41 ��तशत और पंजाब म� 11 ��तशत है| संशो�धत एसआरएसएस �व-रोजगार प�रयोजनाओं के �लए पूजँी स��सडी भी उपल�ध कराता है| िकसी �योजना म� कज� क� रा�श के उपयु� इ�तेमाल के �लए इसम� कोटा बना िदया गया है | पैसे को दसुरे मद म� इ�तेमाल करने से रोकने के �म म� ऐसा िकया गया है| �व-रोजगार क� कुल �वीकृत प�रयोजनाओं म� से 4.53 करोड़ �पये क� पूजँी स��सडी �सफ� 54 ��तशत या 662 प�रयोजनाओं को दी गई है| रा�य� �ारा �वीकृत प�रयोजनाओं और रा�य� �ारा जारी क� गई स��सडी के अनुपात म� भी काफ� अंतर देखने को िमलता है| कुल �वीकृत प�रयोजनाओं म� से कना�टक म� 18 ��तशत प�रयोजनाएं ह�, लेिकन उसने रा�य� को डी गई कुल स��सडी रा�श का एक �तहाई जारी िकया  है|

    संशो�धत एसआरएमएस के तहत हाथ से मैला उठाने वाले प�रवार का कोई भी सद�य अगर बरेोजगार है तो उसके ��श�ण क� अनुम�त दी जा सकती है| नव�बर 2017 तक, एसआरएमएस के तहत 13,587 लाभा�थ�य� के �लए ��श�ण क� मंजूरी दी गई है| नव�बर 2017 तक आं� �देश ने हाथ से मैला उठाने वाले अपने रा�य के 81 प�रवार� के ��श�ण के �लए कोई �वीकृ�त नह� दी है| इसके उलट, पंजाब म� ��श�ण के �लए मंजूर लोग� क� सं�या हाथ से मैला उठाने वाले प�रवार� क� �च��हत सं�या से 3.8 गुना �यादा है|

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    �वरोजगार प�रयोजनाएं ��श�ण एवं कौशल िवकास

    मुआवज़ािदसंबर 2017 तक ऐसे कुल 323 मामले सामने आये ह� | हालांिक �सफ� 63 ��तशत या 251 मामल� म� ही पूरा मुआवजा िदया गया है| इनम� से सीवर म� मौत क� 89 ��तशत घटनाएं अकेले चार रा�य� तिमलनाडु (45 ��तशत), कना�टक (18 ��तशत), उ�र �देश (16 ��तशत) और पंजाब (10 ��तशत) म� घट�| इसम� भी रा�यवार अंतर देखने को िमलता है| पंजाब म� सभी �रपोट� िकये गए मामल� म� पूण� मुआवज़ा �दान िकया गया| तिमलनाडु म� सामने आये मामल� म� से 98 ��तशत म� मुआवज़ा िदया गया है| वहीँ इसके उलट, उ�र �देश म� सामने आये 52 मामल� म� से �सफ� 1 म� पूरा मुआवज़ा िदया गया| केरल म� सामने आये 12 मामल� म� से िकसी म� भी पूरा मुआवज़ा नह� िदया गया|