43 11वाँ सवश्व सिंदी मेलनिम् · िोती...

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ISSN 1694-2485 वर : 11 अंक : 43 सितंबर, 2018 इस अंक म आगे प : खन / गो / समरोह / कशल / परचच पृ. 11-12 लोकपण पृ. 13 पुरसकर / सममन पृ. 13-14 दंजलपृ. 15 संपदकी / सूचन पृ. 16 वि भर म हहंद दिस 2018 क आोजन वर 2018 म परमपरागत प से 14 सतंबर को हिंदी दवस के उपल म सव भर म मिीने भर हिंदी की गसतसवसिाँ आोसित िती रि। भारत तथा मॉरीशस के साथ-साथ सव के अनेक देश म हिंदी दवस भ प से मनाा गा। समूचे सव म हिंदी दवस के आोिन की झलदकाँ सव हिंदी समाचार के इस अंक म पाठक के सम सतत की िा रिी ि। पृ. 9-11 18 से 20 अगसत 2018 को सवामी सववेकानंद अंतरराी सममेलन क, पा, मॉरीशस म 11व सव हिंदी सममेलन का भ आोिन दका गा। सममेलन का मख सवर था ‘हिंदी सव और भारती संसक सत’। तीन ददवसी सममेलन के अंतगत उाटन समारोि, दांिसल-स, समानांतर स, ी अटल सबिारी वािपेी के सममान म काांिसल, दशनी, सतवेदन, लोकापण, पॉकेट शो, साातकार, सममान, समापन समारोि इतादद का भ आोिन दका गा। सममेलन के संदभ म अन सवसवि गसतसवसि का आोिन भी दका गा। सवसतत ररपोट इस अंक म सतत िै। पृ. 2-8 11वाँ सव सिंदी िमलन स-डैक के सॉफ़िेर ‘लल’ - हहंद िह क लोकपण 14 ससतंबर 2018 को सवान भवन, नई ददलली म रािभारा सवभाग, गि मंाल, भारत सरकार ारा आोसित हिंदी दवस के अवसर पर उपरापसत, मिामसिम ी वकैा नाडू के कर-कमल ारा सी-डैक के सॉफ़टवेर ‘लीला’ - हिंदी वाि का लोकापण दका गा। पृ. 13 अल विहरी िजपे 16 अगसत, 2018 को हिंदी कसव, पकार, खर वा एवं रािनीसत, भारत के पूव िानमंी ी अटल सबिारी वािपेी का 93 वर की आ म सनिन िो गा। ओिसवी सतव व सौम सवभाव के ी अटल सबिारी वािपेी का सनिन पूरे भारत व हिंदी िगत् के सलए अपूरणी सत िै। सव हिंदी ससचवाल व समसत हिंदी समदा की ओर से उनि भावपूण दांिसल दी िाती िै। पृ. 15

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  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 1

    ISSN 1694-2485

    वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018

    इस अंक में आगे पढ़ें :

    व्याख्यान / गोष्ठी / समयारोह / कया््यशयालया / पररचचया्य पृ. 11-12

    लोकयाप्यण पृ. 13

    पुरसकयार / सममयान पृ. 13-14

    श्रदयांजलल पृ. 15

    संपयादकी् / सूचनया पृ. 16

    विश्व भर में हहंदठी ददिस 2018 कया आ्ोजन

    वर्ष 2018 में परमपरागत रूप से 14 ससतंबर को हिदंी ददवस के उपलक्ष्य में सवश्व भर में मिीने भर हिदंी की गसतसवसिष्याँ आष्योसित िोती रिीं। भारत तथा मॉरीशस के साथ-साथ सवश्व के अनेक दशेों में हिदंी ददवस भव्य रूप से मनाष्या गष्या। समूचे सवश्व में हिदंी ददवस के आष्योिन की झलदकष्याँ सवश्व हिदंी समाचार के इस अंक में पाठकों के समक्ष प्रसततुत की िा रिी िैं।

    पृ. 9-11

    18 से 20 अगसत 2018 को सवामी सववेकानंद अंतरराष्टीष्य सममेलन कें द्र, पाष्य, मॉरीशस में 11वें सवश्व हिदंी सममेलन का भव्य आष्योिन दकष्या गष्या। सममेलन का मतुखष्य सवरष्य था ‘हिदंी सवश्व और भारतीष्य संसककृ सत’। तीन ददवसीष्य सममेलन के अंतग्षत उद्ाटन समारोि, श्रदांिसल-सत्र, समानांतर सत्र, श्री अटल सबिारी वािपेष्यी के सममान में काव्यांिसल, प्रदश्षनी, प्रसतवेदन, लोकाप्षण, पॉकेट शो, साक्षातकार, सममान, समापन समारोि इतष्यादद का भव्य आष्योिन दकष्या गष्या। सममेलन के संदभ्ष में अनष्य सवसवि गसतसवसिष्यों का आष्योिन भी दकष्या गष्या। सवसतकृत ररपोट्ष इस अंक में प्रसततुत ि।ै पृ. 2-8

    11वाँ सवश्व सिंदी िम्मेलन

    सठी-डैक के सॉफ़्टिे्र ‘लठीलया’ - हहंदठी प्रियाह कया लोकयाप्यण

    14 ससतंबर 2018 को सवज्ान भवन, नई ददलली में रािभारा सवभाग, गकृि मंत्रालष्य, भारत सरकार द्ारा आष्योसित हिदंी ददवस के अवसर पर उपराष्टपसत, मिामसिम श्री वेंकैष्या नाष्यडू के कर-कमलों द्ारा सी-डकै के सॉफ़टवेष्यर ‘लीला’ - हिदंी प्रवाि का लोकाप्षण दकष्या गष्या।

    पृ. 13

    श्रठी अ्टल विहयारी ियाजपे्ठी

    16 अगसत, 2018 को हिदंी कसव, पत्रकार, प्रखर वक्ा एवं रािनीसतज्, भारत के पूव्ष प्रिानमंत्री श्री अटल सबिारी वािपेष्यी का 93 वर्ष की आष्यतु में सनिन िो गष्या। ओिसवी व्यसक्तव व सौमष्य सवभाव के श्री अटल सबिारी वािपेष्यी का सनिन पूरे भारत व हिदंी िगत् के सलए अपूरणीष्य क्षसत ि।ै सवश्व हिदंी ससचवालष्य व समसत हिदंी समतुदाष्य की ओर से उनिें भावपूण्ष श्रदांिसल दी िाती ि।ै

    पृ. 15

  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 2

    11ियाँ विश्व हहंदठी सममेलन 18 से 20 अगसत 2018 को सवामी सववेकानंद अंतरराष्टीष्य सममेलन कें द्र, पाष्य, मॉरीशस में 11वें सवश्व हिदंी सममेलन का भव्य आष्योिन दकष्या गष्या। सममेलन का मतुखष्य सवरष्य था ‘हहंदठी विश्व और भयारतठी् संसकृवत’ । सममेलन-सथल का नामकरण ‘गोसवामी ततुलसीदास नगर’ दकष्या गष्या तथा मतुखष्य सभागार का

    नामकरण प्रससद म ॉ र ी श स ी ष्य हिदंी लेखक व कथा सम्ाट, सव. श्री असभमनष्यतु अनत िी के नाम पर दकष्या गष्या। हिदंी के इस मिाकतु मभ

    में दशे-सवदशे से 2000 से असिक प्रसतभासगष्यों ने सदरिष्य रूप से भाग सलष्या। सममेलन में सवशेर रूप से भारतीष्य प्रसतसनसिमंडल में भारत की सवदशे मंत्री, माननीष्या श्रीमती सतुरमा सवराि, पसचिम बंगाल के राजष्यपाल, माननीष्य श्री केशरीनाथ सत्रपाठी, गोवा की राजष्यपाल, माननीष्या श्रीमती मकृदतुला ससनिा, सवदशे राजष्य मंत्री, माननीष्य िनरल वी. के. हसंि, सवदशे राजष्य मंत्री, माननीष्य श्री एम. िे. अकबर, गकृि राजष्यमंत्री, माननीष्य श्री दकरेन ररसिितु व सवदशे मंत्रालष्य, भारत सरकार के अनेक उच्ासिकारी शासमल हुए। मॉरीशस की ओर से काष्य्षवािक राष्टपसत, मिामसिम श्री परमसशवम् सपललै वाष्यापतुरी, प्रिानमंत्री, माननीष्य श्री प्रवीण कतु मार िगन्ाथ, माग्षदश्षक और रोसरिगस मंत्री, माननीष्य सर असनरुद िगन्ाथ, उपप्रिानमंत्री व ऊिा्ष और साव्षिसनक उपष्योसगता मंत्री, माननीष्य श्री आइवान कोलेनदावेलतु, सवदशे मंत्री, माननीष्य श्री सवषणतु लक्मीनाराष्यडतु, सशक्षा मंत्री, माननीष्या श्रीमती लीला दवेी दतुकन-लछतुमन, कला एवं संसककृ सत मंत्री, माननीष्य श्री पकृथवीरािहसंि रूपन, अनष्य मंत्रीगण, संबद मंत्रालष्यों के असिकारी गण व अनष्य गणष्यमानष्य असतसथष्यों ने भाग सलष्या। साथ िी मॉरीशस ससथत भारतीष्य उच्ाष्योग के उच्ाष्यतुक्, मिामसिम श्री अभष्य ठाकतु र व अनष्य असिकाररष्यों ने भी आष्योिन में सदरिष्य भाग सलष्या। सवदशे मंत्रालष्य, भारत सरकार, मॉरीशस में प्रिान मंत्री काष्या्षलष्य, सशक्षा व मानव संसािन, तकृतीष्यक सशक्षा एवं वैज्ासनक अनतुसंिान मंत्रालष्य, कला व संसककृ सत मंत्रालष्य, सवदशे मंत्रालष्य, सवश्व हिदंी ससचवालष्य, मिातमा गांिी संसथान व अनष्य हिदंी प्रचारक संसथाओं की साझेदारी से सवश्व हिदंी सममेलन का सफल आष्योिन दकष्या गष्या।

    गंगया आरतठी सवश्व हिदंी सममेलन की शतुरुआत 17 अगसत 2018 को मॉरीशस ससथत गंगा तालाब में आष्योसित गंगा आरती से हुई, सिसमें मंत्रीगण,

    सवदशे से प्रसतसनसि व प्रसतभागी तथा मॉरीशस के प्रसतसनसिष्यों ने भाग सलष्या।

    उद्या्टन समयारोह 18 अगसत 2018 को असभमनष्यतु अनत सभागार में सममेलन का उद्ाटन समारोि संपन् हुआ। मतुखष्य असतसथ के रूप में मॉरीशस के प्रिानमंत्री,

    माननीष्य श्री प्रवीण कतु मार िगन्ाथ उपससथत थे। उद्ाटन सत्र के आरंभ में भारत के ददवंगत भूतपूव्ष प्रिानमंत्री, ‘भारत रत्न’, माननीष्य श्री अटल सबिारी

    वािपेष्यी को श्रदांिसल अरप्षत करते हुए दो समनट का सामूसिक मौन रखा गष्या। मॉरीशस तथा भारत के राष्टगान के बाद भारत की सवदशे मंत्री, माननीष्या श्रीमती सतुरमा सवराि तथा मॉरीशस की सशक्षा मंत्री, माननीष्या श्रीमती लीला दवेी दतुकन-लछतुमन ने दीप-प्रज्वलन के साथ काष्य्षरिम का शतुभारंभ दकष्या। इस अवसर पर मतुखष्य असतसथ, मॉरीशस के प्रिानमंत्री, माननीष्य श्री प्रवीण कतु मार िगन्ाथ ने अपने वक्व्य में किा दक अटल िी के सनिन से हिदंी िगत का अनमोल िीरा खो गष्या ि।ै भारत माता ने एक वीर रािनेता, बतुसदमान व कर््षव्यसनष्ठ हिदंी सेवी खो ददष्या ि।ै उनिोंने उललेख दकष्या दक श्री अटल सबिारी वािपेष्यी ने अपने प्रिानमंत्री काष्य्षकाल में मॉरीशस के साथ भारत के संबंिों को बहुत मज़बूती दी थी। मॉरीशस में साइबर टावर भारत के सिष्योग से िी बना था और उसका उद्ाटन भी उनके िाथों िी हुआ था। इससलए मॉरीशस सरकार ने सनचिष्य दकष्या ि ैदक मॉरीशस के साइबर टावर का नामकरण श्री अटल सबिारी वािपेष्यी के नाम पर दकष्या िाएगा। सममेलन की प्रसतावना रखते हुए माननीष्या श्रीमती सतुरमा सवराि ने किा दक हिदंी को बढाने की सज़ममेदारी भारत की ि।ै श्रीमती सवराि ने सवश्व हिदंी सममेलन के प्रसतभासगष्यों से आग्रि दकष्या दक संष्यतुक् राष्ट संघ में िर शतुरिवार को आने वाले हिदंी सवश्व समाचार को असिक से असिक सतुना िाए तादक वि दसैनक काष्य्षरिम बन सके। श्रीमती सवराि ने रेखांदकत दकष्या दक सपछला सममेलन भारा पर आिाररत रिा, इसके बाद सवचार दकष्या गष्या दक अगला पडाव संसककृ सत का िोना चासिए। इससलए 11वें सवश्व हिदंी सममेलन का मतुखष्य सवरष्य ‘हिदंी सवश्व और भारतीष्य संसककृ सत’ रखा गष्या। उद्ाटन समारोि के आरंभ में मॉरीशस की सशक्षा मंत्री, माननीष्या श्रीमती लीला दवेी दतुकन-लछतुमन ने सवागत-भारण ददष्या। कें द्रीष्य हिदंी संसथान, आगरा की सवदशेी छात्राओं ने सरसवती-वंदना प्रसततुत की। उसके बाद मिातमा गांिी संसथान, मॉरीशस के कलाकारों ने सतुमितुर सवर में हिदंी-गान प्रसततुत दकष्या। इस अवसर पर मॉरीशस के प्रिानमंत्री, माननीष्य श्री प्रवीण कतु मार िगन्ाथ ने सवश्व हिदंी सममेलन से संबंसित दो डाक रटकटें िारी कीं तथा सममेलन ‘समाररका’ का लोकाप्षण दकष्या। साथ िी उपससथत मिानतुभावों के कर-कमलों द्ारा सवश्व हिदंी सममेलन के अवसर पर प्रकासशत भारतीष्य सांसककृ सतक संबंि परररद ्की पसत्रका ‘गगनांचल’ के सवशेरांक, हिदंी प्रचाररणी सभा, मॉरीशस की प्राचीन ‘दतुगा्ष’ पसत्रका, गकृि मंत्रालष्य, भारत की ‘रािभारा भारती’ के सवशेरांक, सवश्व हिदंी ससचवालष्य की पसत्रका ‘सवश्व हिदंी सासितष्य’, सव. श्री असभमनष्यतु अनत की पतुसतक ‘सप्रष्या’, सवदशे मंत्रालष्य द्ारा प्रकासशत पतुसतक ‘भोपयाल से मॉरीशस तक’ तथा मिातमा गांिी संसथान के प्रकाशन ‘डाष्यसपोरा सासितष्य संगम’ का लोकाप्षण दकष्या गष्या। समारोि का संचालन भारत से प्रो. कतु मतुद शमा्ष और मॉरीशस से डॉ. श्रीमती माितुरी रामिारी ने दकष्या। समारोि के अंत में िनष्यवाद-ज्ापन भारत के सवदशे राजष्य मंत्री, माननीष्य िनरल वी. के. हसंि ने दकष्या।

    समयानयांतर सत्र11वें सवश्व हिदंी सममेलन में कतु ल 8 अकादसमक सत्र रखे गए थे। 18 अगसत 2018 को श्रदांिसल सभा के पचिात समानांतर अकादसमक सत्र आरंभ हुए।

    सममेलन के प्रथम ददन 4 समानांतर सत्र हुए - सत्र 1

    : ‘भारा एवं लोक-संसककृ सत के अंतःसंबि’, सत्र 2 : ‘प्रौद्ोसगकी के माधष्यम से हिदंी ससित भारतीष्य भाराओं का सवकास’, सत्र 3 : ‘हिदंी सशक्षण में भारतीष्य संसककृ सत’ और सत्र 4 : ‘हिदंी सासितष्य में

    संसककृ सत हचंतन’। दसूरे ददन 19 अगसत 2018 को 4 समानांतर-सत्र रखे गए - सत्र 5 : ‘दिलमों के माधष्यम से भारतीष्य संसककृ सत का संरक्षण’, सत्र 6 : ‘संचार माधष्यम और भारतीष्य संसककृ सत’, सत्र 7 : ‘प्रवासी संसार : भारा और संसककृ सत’ तथा सत्र 8 : ‘हिदंी बाल सासितष्य और संसककृ सत’।

    अ्टल जठी की समृवत में कयाव्यांजलल 18 अगसत 2018 की रासत्र में श्री अटल सबिारी वािपेष्यी को श्रदांिसल सवरूप कसव-सममेलन का आष्योिन दकष्या गष्या। इसमें दशे-

    सवदशे के प्रससद कसवष्यों ने अपनी कसवताओं के माधष्यम से अटल िी को श्रदांिसल अरप्षत की।

    प्रदश्यनठी सममेलन के उपलक्ष्य में स म मे ल न -सथल पर म ॉ र ी श स और भारत के हिदंी प्र च ा र क सं स थ ा न ों , स र क ा र ी

    संगठनों और हिदंी के प्रमतुख प्रकाशकों की आकर्षक प्रदश्षनी लगाई गई। मॉरीशस की ओर से सवश्व हिदंी ससचवालष्य, मिातमा गांिी संसथान एवं रवीनद्रनाथ टैगोर संसथान, हिदंी प्रचाररणी सभा, सशक्षा व मानव संसािन, तकृतीष्यक सशक्षा एवं वैज्ासनक अनतुसंिान मंत्रालष्य, कला एवं संसककृ सत मंत्रालष्य तथा दशे की हिदंी प्रचारक संसथाओं ने प्रदश्षनी में भाग सलष्या। भारत की ओर से सी-डकै, हिदंी माधष्यम काष्या्षनवष्यन सनदशेालष्य, राष्टीष्य मतुक् सवद्ालष्यी सशक्षा संसथान, प्रभात प्रकाशन, केनद्रीष्य हिदंी संसथान, उर्र प्रदशे हिदंी संसथान, मिातमा गांिी अंतरराष्टीष्य हिदंी सवश्वसवद्ालष्य, रािसथानी ग्रंथागार, डाष्यमंड पॉकेट बतुकस, डॉ. िवािर कना्षवट, सटार पस्लकेशंस, रामपतुर रज़ा लाइबे्री, िररष्याणा ग्रंथ अकादमी,

    प्रकाशन प्रभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालष्य, राष्टीष्य शैसक्षक अनतुसंिान एवं प्रसशक्षण परररद,् मधष्य प्रदशे हिदंी ग्रंथ अकादमी, राष्टीष्य पतुसतक

    नष्यास, केनद्रीष्य हिदंी सनदशेालष्य, वैज्ासनक तथा तकनीकी श्दावली आष्योग, सासितष्य अकादमी, भारतीष्य सटेट बैंक, माइरिोसॉफ़ट तथा सवदकपीसडष्या आदद ने अपनी प्रदश्षनी लगाई।

    अन् गवतविधि्याँ सममेलन के अंतग्षत अनष्य रोचक ग स त स व स ि ष्य ाँ आष्योसित िोती रिीं। मतुखष्य सभागार के बािर एक लॉनच पैड का सनमा्षण दकष्या गष्या था। इस लॉनच पैड

  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 3पर दशे-सवदशे के लेखकों द्ारा लगभग 50 पतुसतकों का लोकाप्षण दकष्या गष्या। साथ िी, मिातमा गांिी संसथान, मॉरीशस के छात्रों द्ारा नतुक्कड नाटक व अनष्य पॉकेट शो की प्रसततुसतष्याँ भी हुईं।

    प्रवतिेदन सत्र सोमवार 20 अगसत 2018 को असभमनष्यतु अनत सभागार में मिामसिम श्री केशरी नाथ सत्रपाठी, र ा ज ष्य प ा ल , पसचिम बंगाल,

    की अधष्यक्षता में प्रसतवेदन सत्र हुआ। इस सत्र में 11वें सवश्व हिदंी सममेलन के अंतग्षत आष्योसित 8 समयानयंातर सत्ररों के प्रसतवेदन तथा प्रसतासवत अनतुशंसाएँ प्रसततुत की गईं। इनमें से एक मित्वपूण्ष अनतुशंसा ष्यि रिी दक अगला सवश्व हिदंी सममेलन दििी में आष्योसित िो।

    समयापन समयारोह20 अगसत 2018 को असभमनष्यतु अनत सभागार में 11वें सवश्व हिदंी सममेलन का समापन समारोि संपन् हुआ। इस अवसर पर मतुखष्य असतसथ के रूप

    में मिामसिम श्री परमसशवम् सपललै वाष्यापतुरी, काष्य्षवािक राष्टपसत, मॉरीशस गणराजष्य तथा सवसशष्ट असतसथ के रूप में माननीष्य सर असनरुद िगन्ाथ, माग्षदश्षक और रोसरिगस मंत्री उपससथत थे। साथ िी, माननीष्या श्रीमती सतुरमा सवराि, माननीष्या श्रीमती लीला दवेी दतुकन-लछतुमन, मिामसिम श्रीमती मकृदतुला ससनिा, मिामसिम श्री केशरी नाथ सत्रपाठी, माननीष्य श्री एम. िे. अकबर,

    माननीष्य श्री सतष्यपाल हसंि, माननीष्य श्री वी. के. हसंि तथा माननीष्य श्री दकरेन ररसिितु मंच पर उपससथत थे।

    अपने वक्व्य में मतुखष्य असतसथ मिामसिम श्री परमसशवम् सपललै वाष्यापतुरी ने किा दक इस सममेलन में भाग लेना उनके सलए अतष्यंत गव्ष और प्रसन्ता की बात ि।ै श्री अटल सबिारी वािपेष्यी िी को ष्याद करते हुए उनिोंने किा दक वे मॉरीशस के अचछे समत्र और सिष्योगी के रूप में सदा समरणीष्य रिेंगे। उनिोंने संखष्या बल और हिदंी की वैसश्वक लोकसप्रष्यता के आिार पर हिदंी को संष्यतुक् राष्ट संघ की आसिकाररक भारा बनाए िाने की माँग की। उनिोंने आशा व्यक् की दक सममेलन अपने सभी उदे्शष्यों की पूरत्ष करेगा। उनिोंने सवश्व हिदंी सममान पाने वाले हिदंी सेसवष्यों, सशक्षकों व संसथाओं को बिाई दी। “हहंदठी हमयारी पहचयान है। हहंदठी ही विश्व को शयांवत और शधति प्रदयान करेगठी। ज् मॉरीशस, ज् भयारत, ज् हहंदठी” के उद्ोर के साथ उनिोंने 11वें सवश्व हिदंी सममेलन की समासति की घोरणा की। माननीष्य सर असनरुद िगन्ाथ ने अपने संबोिन में ष्याद ददलाष्या दक उनके काष्य्षकाल में वे हिदंी तथा अनष्य भारतीष्य भाराओं के उन्ष्यन के सलए लगातार प्रष्यासरत रि।े उनिोंने हिदंी सवश्व को आश्वसत दकष्या दक हिदंी को अंतरराष्टीष्य मंच पर पिचान ददलाने के सलए तथा भारतीष्य संसककृ सत के प्रचार-प्रसार ितेतु मॉरीशस की सरकार और मॉरीशसवासी अपना पूरा सिष्योग देंगे। उनिोंने किा दक हिदंी ने दशे को आज़ादी ददलाने में मित्वपूण्ष ष्योगदान ददष्या ि ैतथा इसने दशे की आरथ्षक और सामासिक प्रगसत में भी मित्वपूण्ष भसूमका सनभाई ि।ै उनिोंन े उद्ार व्यक् दकष्या दक इस सममेलन स,े भारत और मॉरीशस के बीच रक् का ररशता और ज़ष्यादा गिरा िो गष्या ि।ै

    भारत के सवदशे राजष्य मंत्री, माननीष्य श्री एम. िे. अकबर का कथन था दक मॉरीशस में आष्योसित इस तीन ददवसीष्य भव्य सममेलन से ससद िो गष्या दक हिदंी का भसवषष्य उज्वल ि।ै उनिोंने सवश्व भर से पिारे प्रसतभासगष्यों, असतसथष्यों एवं सममेलन को सफल बनाने में सिष्योगी व्यसक्ष्यों व संसथाओं के प्रसत िारद्षक आभार प्रकट दकष्या। सव. अटल सबिारी

    वािपेष्यी को ष्याद करते हुए उनिोंने किा दक वे अब िमारे साथ निीं िैं, सिनिोंने िमें रासता व मंसज़ल ददखाई। उनिोंने सतुरमा सवराि िी के नेतकृतव की सरािना करते हुए किा दक उनिोंने सममेलन की कलपना को मूत्ष रूप ददष्या और िर गसतसवसि की सवष्यं दखेरेख की। उनिोंने ष्याद ददलाष्या दक इसतिास खामोशी से बदलता ि ै और इसी प्रदरिष्या में आि हिदंी सवश्व भारा बन चतुकी ि ैऔर ष्यि अनेक दशेों में सासितष्य, भारा, संसककृ सत, मनोरंिन आदद के रूप में अपनी उपससथसत दि्ष कर चतुकी ि।ै मंच-संचालन डॉ. माितुरी रामिारी तथा प्रो. कतु मतुद शमा्ष ने दकष्या तथा िनष्यवाद-ज्ापन माननीष्य श्री एम. िे. अकबर, सवदशे राजष्य मंत्री, भारत सरकार ने दकष्या।

    सममयान समापन समारोि के अंतग्षत 18 भारतीष्य तथा 18 सवदशेी हिदंी-सेवी सवद्ानों को विश्व

    हहंदठी सममयान से सममासनत दकष्या गष्या। साथ िी 2 भारतीष्य तथा 3 सवदशेी संसथाओं को भी विश्व हहंदठी सममयान प्रदयान दकष्या गष्या।

    इसके असतररक् मॉरीशस के दो सवशेर हिदंी सेसवष्यों - सव. श्री असभमनष्यतु अनत तथा सव. श्री बकृिलाल िनपत को सवसशष्ट हिदंी सममान से सममासनत दकष्या गष्या। मॉरीशस के प्राथसमक और माधष्यसमक सतर पर सेवारत हिदंी सशक्षक श्रीमती नाराष्यणी िीरामन तथा श्री सशवपूिन लालसबिारी को सि्यश्रेष् हहंदठी लशक्षक पुरसकयार प्रदान दकष्या गष्या। इस अवसर पर सवश्व हिदंी ससचवालष्य के ‘लोगो’ के सविेता श्री वासतुदवेन सी. तथा 11वें सवश्व हिदंी सममेलन के ‘लोगो’ के सविेता श्री रुसचत ष्यादव को भी पतुरसककृ त दकष्या गष्या।

    विश्व हहंदठी सधचियाल् की ररपो्ट्य

    ‘विश्व हहंदठी सममयान’ - भयारतडॉ. जोरम आवन्या तयानयाडॉ. िोरम आसनष्या ताना, सवद्ावाचसपसत, अरुणाचल प्रदशे में हिदंी के सिाष्यक प्राधष्यापक के रूप में काष्य्षरत िैं। ‘सनशी लोकगीत-सांसककृ सतक अधष्यष्यन’ एवं ‘हिदंी सनशी सडकशनरी’ नामक आपकी दो पतुसतकें प्रकासशत हुई िैं। आपके कई शोि-पत्र, लेख व अनतुवाद भी प्रकासशत हुए िैं। आपको ‘सवनोबा नागरी राष्टीष्य सममान’ व ‘सासितष्य सेवा सममान’ से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै श्रठी प्रसून जोशठी श्री प्रसून िोशी, प्रससद कसव, गीतकार व पटकथा लेखक िैं। भारत सरकार द्ारा ‘पद्मश्री’ से सममासनत दकए िाने के असतररक्, आपको दो बार ‘राष्टीष्य दिलम पतुरसकार’ से भी पतुरसककृ त दकष्या िा चतुका ि।ै आपको वलड्ष इकोनॉसमक िोरम द्ारा ष्यंग गलोबल लीडर भी चतुना िा चतुका ि।ै प्रो. सुरेश ऋतुपण्यप्रो. सतुरेश ऋततुपण्ष, प्रसतभासंपन् सवद्ान िैं। ददलली सवश्वसवद्ालष्य से सवद्ावाचसपसत की उपासि प्राति करने के असतररक् आपने 1971 से 2002 तक सिनद ू कॉलेि में अधष्यापन, भारतीष्य उच्ाष्योग में रािनसष्यक के रूप में भी असवसमरणीष्य सेवाएँ दीं। आप सवश्व हिदंी नष्यास, नष्यूष्याक्ष के अनतरराष्टीष्य समनवष्यक और ‘हिदंी िगत’ नामक त्रैमाससक पसत्रका के संपादक रि ेिैं। आपको ‘सत्रसनदाद हिदंी भूरण सममान’, ‘हिदंी सनसि सममान’, ‘हिदंी प्रसार सममान’ व ‘सासितष्य सशरोमसण सममान’ से भी सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै प्रो. इंद्रनयाथ चौिरीप्रो. इंद्रनाथ चौिरी ने ददलली सवश्वसवद्ालष्य में प्राधष्यापक तथा बतुखारेसट सवश्वसवद्ालष्य में असतसथ

    हिदंी प्रोिेसर के रूप में सेवा की ि।ै इसके असतररक् प्रो. इंद्रनाथ चौिरी 13 वरषों तक सासितष्य अकादमी के सांसककृ सतक प्रशासक रि े िैं। आप भारतीष्य उच्ाष्योग, लंदन में काष्य्षरत रि ेिैं तथा इंददरा गांिी राष्टीष्य कला कें द्र, नई ददलली में शैसक्षक सनदशेक रि े िैं। आप टैगोर सासितष्य, काव्य-शास्त्र, सौंदष्य्ष-शास्त्र, नाटक, िम्ष, संसककृ सत तथा भारत अधष्यष्यन के सवशेरज् िैं।डॉ. प्रेमशंकर त्त्रपयाठीकलकर्ा सवश्वसवद्ालष्य से सवद्ावाचसपसत की उपासि प्राति करने वाले डॉ. प्रेमशंकर सत्रपाठी हिदंी अधष्यापन तथा लेखन से ितुड ेरि ेिैं। आप सतुरेंद्र नाथ सांधष्य कॉलेि, कलकर्ा के हिदंी सवभाग में 33 वरषों तक एसोससएट प्रोिेसर एवं सवभागाधष्यक्ष रि।े आपने कई बहुचरच्षत पतुसतकों, ष्यथा ‘अमर आग ि’ै, ‘गीता परररिमा’, ‘मानस अनतुरिमसणका’ आदद का संपादन दकष्या ि।ै संपादन काष्य्ष के असतररक् आप ‘सासितष्य भूरण सममान’ व ‘सवषणतुकांत शास्त्री हिदंी सेवा सममान’ िैसे पतुरसकारों से अलंककृ त दकए िा चतुके िैं। डॉ. श्रठीमतठी ऋतया शुकलराँची सवश्वसवद्ालष्य की हिदंी सवभागाधष्यक्षा, मानसवकी संकाष्याधष्यक्ष तथा पत्रकाररता एवं िन संचार सवभाग के सनदशेक के रूप में अपनी सेवाएँ दनेे वाली डॉ. श्रीमती ऋता शतुकल ने मगि सवश्वसवद्ालष्य से सवद्ावाचसपसत की उपासि प्राति की ि।ै ‘िम्षष्यतुग’, ‘हिदंतुसतान’, ‘िसं’, ‘साररका’ व ‘नई िारा’ िैसी कई प्रसतसष्ठत पसत्रकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकासशत हुई िैं। आपको ‘लोक भूरण सममान’, ‘सिनदतुसतानी प्रचार सेवा सममान’, ‘रािभारा सममान’ व ‘नई िारा रचना सममान’ िैसे पतुरसकारों से भी सममासनत दकष्या गष्या ि।ै

    प्रो. चमन लयाल गुप्तपंिाब सवश्वसवद्ालष्य से सवद्ा वाचसपसत की उपासि अरि्षत करने वाले प्रो. चमन लाल गतुति शोि सनददेशन व लेखन से ितुड ेरि ेिैं। आपको ‘राष्टीष्य हिदंी सेवा सममान’, ‘हिदंी गौरव सममान’, ‘सासितष्य सशरोमसण सममान’ व ‘राष्टीष्य एकातमकता पतुरसकार’ आदद से सममासनत दकष्या गष्या ि।ै श्रठी श्रठीिर परयाडकरसमाि को पूण्षतष्या समरप्षत समािसेवी, श्रीिर पराडकर अनेक प्रससद पतुसतकों के प्रणेता रि े िैं। लेखन के असतररक् आप अनतुवाद तथा संपादन काष्य्ष से भी ितुड ेरि ेिैं। आप कई प्रसतसष्ठत पतुरसकारों से सममासनत हुए िैं। आप ‘दशेांतर’, ‘अंडमान ऑि लाँग ष्यात्रावकृर्’, ‘सासितष्य संवि्षन ष्यात्रा-4’ के संपादक तथा कतु छ एक पतुसतकों के अनतुवादक भी रि ेिैं। श्रठी तमजनसोिया आओगौिाटी सवश्वसवद्ालष्य, असम से स्ातक तथा राष्टभारा प्रचार ससमसत, विा्ष से ‘राष्टभारा रत्न’ की उपासि प्राति करने वाले श्री तमिनसोबा आओ हिदंी अधष्यापन व लेखन काष्य्ष से ितुड ेहुए िैं। हिदंी व्याकरण पर आपकी कई पतुसतकें प्रकासशत िो चतुकी िैं। आप नागालैंड भारा अकादमी, ददमापतुर के अधष्यक्ष के रूप में 1980 से राष्टभारा मिासवद्ालष्य का संचालन कर रि ेिैं। डॉ. सुभयाष सठी. कश्पसतुसवखष्यात संसविान सवशेरज्, डॉ. सतुभार सी. कशष्यप को ‘सवसि सेवा सममान’, ‘सवसशष्ट सेवा सममान’ व ‘पद्मभूरण सवदतुर सममान’ िैसे पतुरसकारों से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै सवसि तथा रािनीसत सवज्ान की उतककृ ष्ट पतुसतकों के सलए आपको

  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 4‘मोतीलाल नेिरू पतुरसकार’ प्रदान दकष्या गष्या ि।ै आप 37 से असिक वरषों तक भारत की संसद से ितुड ेरि ेिैं तथा सातवीं, आठवीं व नवीं लोकसभा ससचवालष्य के मिाससचव रि चतुके िैं। आपने 60 से असिक पतुसतकें सलखी िैं और 50 खंडों का संपादन दकष्या ि।ै डॉ. सठी. भयासकर रयािराँची सवश्वसवद्ालष्य के सवसभन् मिासवद्ालष्यों में प्राधष्यापक रि चतुके डॉ. सी. भासकर राव अनेक सासिसतष्यक सविाओं में पारंगत िैं। आपके लेखन में सवसविता भी सवद्मान रिी ि ै तथा आप कथा-लेखन व्यंगष्य-लेखन से भी ितुड ेरि ेिैं। आपको ‘ततुलसी सममान’, ‘रािाककृ षण पतुरसकार’ तथा ‘सासितष्य सशरोमसण सममान’ से सममासनत दकष्या गष्या ि।ै डॉ. के. सठी. अज् कुमयार सवद्ावाचसपसत की उपासि प्राति करने वाले डॉ. के. सी. अिष्य कतु मार वररष्ठ प्रबंिक, रािभारा और कॉपपोरेशन बैंक में मतुखष्य प्रबंिक, रािभारा के रूप में काष्य्ष कर चतुके िैं। हिदंी में आपकी 4 मौसलक ककृ सतष्याँ तथा 2 अनूददत ककृ सतष्याँ प्रकासशत िो चतुकी िैं। आपने हिदंी से मलष्यालम में 18 रचनाओं का अनतुवाद दकष्या ि।ै आपको ‘हिदंीतर भारी हिदंी लेखक पतुरसकार’ और ‘सासितष्य अकादमी अनतुवाद पतुरसकार’ से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै डॉ. अज् कुमयार प्टनया्क हिदंी के प्राधष्यापक तथा कई पतुसतकों के रचसष्यता, डॉ. अिष्य कतु मार पटनाष्यक संपादन काष्य्ष से भी ितुड ेरि ेिैं। आपने ‘हिदंी सासितष्य सतुिा’, ‘वरमाला’, ‘हिदंी सासितष्य सरोवर’ व ‘हिदंी सासितष्य लिरी’

    िैसी प्रससद पतुसतकों का संपादन दकष्या ि।ै आपको ‘डालसमष्या पतुरसकार’ व ‘हिदंी सेवी सममान’ आदद पतुरसकारों से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै अपररहया््य कयारणरों से वनम्नलललित 5 हहंदठी सेिठी समयारोह में उपससथत नहीं हो सके। इनहें ियाद में सममयावनत दकए जयाने कया वनण्य् लल्या ग्या।

    श्रठी िशठीर अहमद म्ूिश्री बशीर अिमद मष्यूख उन प्रसतभासंपन् कसवष्यों में से िैं, सिनिोंने बालष्यकाल से िी काव्य लेखन प्रारंभ कर ददष्या था। आप कें द्रीष्य हिदंी ससमसत के सदसष्य रि चतुके िैं। आपको प्रथम सवश्व हिदंी सममेलन, नागपतुर में ‘वेदों का हिदंी में अनतुवाद’ के सलए ‘सवसशष्ट सममान’ ददष्या गष्या था। इसके असतररक् आपको और कई प्रसतसष्ठत पतुरसकार भी प्राति हुए िैं। प्रो. िम्यपयाल मैनठीसवद्ावाचसपसत की उपासि प्राति करने वाले प्रो. िम्षपाल मैनी शोि प्रदरिष्या, भारतीष्य संसककृ सत, अमेररकन इसतिास व संसककृ सत के प्रखष्यात ज्ाता िैं। आपने अमेररका, इंगलैंड तथा ऑसटे्सलष्या में अधष्यापन काष्य्ष भी दकष्या ि।ै आपकी 40 पतुसतकें प्रकासशत िो चतुकी िैं। आप भारत सरकार, पंिाब, उर्र प्रदशे, सिमाचल प्रदशे, िररष्याणा, ददलली, रािसथान और सबिार राजष्य की सरकारों द्ारा कई बार पतुरसककृ त व सममासनत हुए िैं। श्रठी ब्रजदकशोर शमया्यश्री ब्िदकशोर शमा्ष रािसथान सवश्वसवद्ालष्य, िष्यपतुर में सवसि संकाष्य के प्राधष्यापक रि ेिैं। आपने रािभारा सविाष्यी आष्योग के ससचव के रूप में अपनी सेवाएँ दी िैं। आपने वर्ष 1969 में समसत

    असिसनष्यमों का हिदंी में प्रासिककृ त पाठ प्रकासशत कराष्या। भारतीष्य संसविान को संसककृ त ससित 14 भारतीष्य भाराओं में प्रकासशत करने का श्रेष्य भी आपको प्राति ि।ै आपको सबिार, ददलली, मधष्यप्रदशे, कना्षटक एवं रािसथान राजष्य द्ारा कई बार सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै प्रो. रमेश चंद्र शयाहप्रखष्यात हिदंी कसव, सनबंिकार, सचनतक तथा आलोचक प्रो. रमेश चंद्र शाि सनराला सकृिन पीठ के सनदशेक और रािाककृ षणन पीठ के प्रोिेसर रि ेिैं। आपके 11 उपनष्यास, 5 किानी-संग्रि, 2 नाटक व 10 सनबंि-संग्रि प्रकासशत िो चतुके िैं। आपको ‘सासितष्य अकादमी पतुरसकार’, ‘व्यास सममान’, ‘राहुल सांककृ तष्याष्यन पतुरसकार’ व ‘मैसथलीशरण गतुति राष्टीष्य सममान’ आदद से पतुरसककृ त दकष्या िा चतुका ि।ै आपको वर्ष 2004 में ‘पद्मश्री पतुरसकार’ से भी अलंककृ त दकष्या िा चतुका ि।ैश्रठीमतठी मयालतठी जोशठीसवगत साठ वरषों से हिदंी लेखन में सािनारत, पचास पतुसतकों की रचसष्यता श्रीमती मालती िोशी ने अंग्रेज़ी, रूसी और िापानी भाराओं में अनतुवाद के माधष्यम से अपना सासितष्य सवदशेी पाठकों तक पहुचँाष्या। हिदंी सासितष्य िगत की सभी प्रसतसष्ठत पसत्रकाओं में आपकी किासनष्यों तथा लघतु उपनष्यास को सथान ददष्या गष्या ि।ै भारत सरकार स े‘पद्मश्री’ स े अलंककृत दकए िान े के असतररक् आपको ‘हिदंी सवेी सममान’, ‘मैसथलीशरण गतुति राष्टीष्य सममान’ व ‘ओिससवनी सममान’ आदद पतुरसकारों स े सममासनत दकष्या गष्या ि।ै

    प्रो. जयािेद िोलोि - तयालजदकसतयानप्रो. िावेद खोलोव ने हिदंी एवं उदू्ष भारा में तासिक नेशनल सवश्वसवद्ालष्य से स्ातक सडग्री प्राति की। आपने हिदंी व उदू्ष में कई दकताबें सलखी िैं, िो तासिदकसतान, िम्षनी, रूस और भारत में प्रकासशत हुई िैं। शैसक्षक कॉसलि, पंिीकंत में सनदशेक पद पर सनष्यतुक्, आप भारतीष्य अधष्यष्यन केनद्र में हिदंी भारा की सेवाएँ द ेरि ेिैं। ‘हिदंी गाँव से भारत तक’, ‘उपनष्यास का गठन’ व ‘हिदंी उपनष्यास का आिा मूलष्यांकन’ आदद पतुसतकें आपकी प्रमतुख रचनाएँ िैं।

    डॉ. रयाम प्रसयाद परसरयाम - त्त्रवनदयाद और ्टोिैगोडॉ. राम प्रसाद परसराम हिदं ू परंपरा के पोरक, प्रचारक एवं संरक्षक िैं। आपने िारम्षक और सांसककृ सतक काष्यषों के माधष्यम से हिदंी के प्रष्योग की वकालत की और ‘रामचररतमानस’ के अधष्यष्यन-अधष्यापन के माधष्यम से छात्रों को हिदंी श्दावली और उसके प्रष्योग के सलए प्रोतसासित दकष्या ि।ै आपके हिदंी सवचार, उच्ाष्योग द्ारा प्रकासशत ‘ष्यात्रा’ पसत्रका के हिदंी खंड में प्रकासशत

    हुए िैं। आपको भारतीष्य उच्ाष्योग, पोट्ष ऑि सपेन द्ारा ‘सवसशष्ट हिदंी सेवा सममान’ से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै

    डॉ. इनेस फ़याननेल - जम्यनठीडॉ. इनेस िानदेल इंसटीट्ूट ऑि इंडोलॉिी एवं सत्बेतन सटडीज़, ष्यूसनवरस्षटी ऑि गोटटंगन, िम्षनी में 2003 से हिदंी तथा आितुसनक भारत सवरष्य के एसससटेंट प्रोिेसर िैं। आपने ‘भीषम सािनी के उपनष्यासों में सामासिक पररवेश तथा ष्यथाथ्षवादी पदसत’ पर शोि-पत्र सलखने के साथ-साथ मन्ू भंडारी और उरा सप्रष्यंवदा द्ारा सलसखत लघतु कथाओं पर शोि दकष्या ि ैतथा िम्षन के सवसभन् पत्र और पसत्रकाओं में हिदंी से संबंसित आपके लेख भी प्रकासशत हुए िैं।

    डॉ. अन्या चेलनोकोिया - रूसकें द्रीष्य हिदंी संसथान, ददलली से हिदंी में उच् दक्षता सडपलोमा प्राति डॉ. अन्ा चेलनोकोवा रूस के सेंट पीटस्षबग्ष रािकीष्य सवश्वसवद्ालष्य में भारतीष्य भारा

    सवभाग में सि प्राधष्यासपका के रूप में काष्य्षरत िैं। आपके शोि का सवरष्य ‘आितुसनक भारत में रामाष्यण’ ि।ै आपने रूसी, अंग्रेज़ी और हिदंी भारा में 30 से असिक वैज्ासनक लेख सलखे िैं।आपने हिदंी भारा, व्याकरण, आितुसनकतावाद एवं भारतीष्य सासितष्य और भारतीष्य सशष्टाचार पर व्याखष्यान ददए िैं।

    डॉ. गलठीनया रूसोिया सोकोलोिया - िुलगयारर्याडॉ. गलीना रूसोवा सोकोलोवा ने सोदिष्या सवश्वसवद्ालष्य से भारतीष्य भारा में स्ातकोर्र की सडग्री प्राति की ि।ै आपने मधष्यकालीन भारतीष्य सासितष्य, हिदंी सवर सवज्ान, हिदंतुतव और इसलाम की प्रसतावना का अधष्यापन दकष्या ि।ै आपने कबीर के दोि,े सूरदास के ‘सूरसागर’ और नंददास के ‘भ्रमर गीत’ का हिदंी से बतुलगेररष्यन भारा में अनतुवाद दकष्या ि।ै आपको भारतीष्य सांसककृ सतक संबंि परररद ् द्ारा ‘उतककृ ष्ट अधष्येता’ का पतुरसकार प्रदान दकष्या िा चतुका ि।ै

    ‘विश्व हहंदठी सममयान’ - विदेश

  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 5

    डॉ. उद् नयारया्ण गंगू - मॉरीशसडॉ. उदष्य नाराष्यण गंगू ने सवरिम सवश्वसवद्ालष्य, उज्ैन से स्ातक, उसमासनष्या सवश्वसवद्ालष्य, िदैराबाद से हिदंी में स्ातकोर्र तथा िीवािी सवश्वसवद्ालष्य, गवासलष्यर से पी.एच.डी. की उपासि प्राति की। इसके असतररक् आपने लंदन सवश्वसवद्ालष्य से अंग्रेज़ी और संसककृ त तथा कैसमब्ि सवश्वसवद्ालष्य से हिदंी, हिदंतुतव और संसककृ त सवरष्यों में सशक्षा ग्रिण की ि।ै आपने हिदंी, संसककृ त, ‘रामाष्यण’, वेद और आष्य्ष समाि से संबंसित कई सममेलनों में भाग सलष्या ि ैऔर हिदंी में लगभग 15 पतुसतकें सलखी िैं। आपको भारत की ओर से वर्ष 2003 में ‘आष्य्ष रत्न’ पतुरसकार तथा हिदंी वाचन संघ से ‘हिदंी रत्न’ पतुरसकार ददष्या गष्या ि।ै

    श्रठी हनुमयान दूिे वगरियारी - मॉरीशसश्री िनतुमान दबूे सगरिारी मॉरीशस में वष्योवकृद अधष्यापक िैं। आप वर्ष 1965 से हिदंी प्रचाररणी सभा, मॉरीशस के सदसष्य के रूप में हिदंी का प्रचार-प्रसार कर रि े िैं और अनष्य हिदंी सेवकों के सलए प्रेरणा के अिस्र स्रोत िैं।

    श्रठी केसन ििू - मॉरीशसआप मॉरीशस ब्ोडकॉहसटंग कॉपपोरेशन के नष्यूज़ प्रभाग के काष्य्षकारी सनदशेक िैं। आपने ‘रामाष्यण’ तथा असभमनष्यतु अनत के प्रससद उपनष्यास ‘लाल पसीना’ और ‘एक बीघा पष्यार’ का फ़्ें च में अनतुवाद दकष्या ि।ै आप हिदंी पाठ्य पतुसतक ‘नवीनतम हिदंी पथ प्रदरश्षका’ के लेखक भी िैं।

    सुश्रठी उन गू लठी - दलक्षण कोरर्यासतुश्री उन गू ली िानकतु क सवदशेी अधष्यष्यन सवश्वसवद्ालष्य के हिदंी एवं भारतीष्य अधष्यष्यन सवभाग में प्रोिेसर िैं। आपने ददलली सवश्वसवद्ालष्य से हिदंी स्ातकोर्र तथा आगरा सवश्वसवद्ालष्य से सवद्ावाचसपसत की उपासि अरि्षत की ि।ै आपने ‘एन इंट्ोडकशन टू इंसडष्यन सटडीज़’, ‘मलटीमीसडष्या हिदंी’, ‘इंसडष्यन माइथोलॉिी’, ‘इंसडष्यन ससनेमा’, ‘एन इंट्ोडकशन टू हिदंइूज़म’ और ‘एन इंट्ोडकशन टू इंसडष्यन कलचर’ नामक पतुसतकें सलखी िैं। आपने भारतीष्य सासितष्य, मतुंशी प्रेमचंद की चतुहनंदा लघतुकथाओं और ‘सनम्षला’ उपनष्यास का अनतुवाद भी दकष्या ि।ै

    श्रठी गोपयाल ठयाकुर - नेपयालश्री गोपाल ठाकतु र ने सत्रभतुवन सवश्वसवद्ालष्य, काठमांडू

    से भारासवज्ान में स्ातकोर्र की उपासि प्राति की ि।ै आपने रेसडष्यो नेपाल में 13 वरषों तक मित्वपूण्ष भूसमका सनभाई ि।ै आप नेपाल से सनकलने वाली हिदंी पसत्रकाओं, ‘सिमासलनी’ व ‘द पस्लक’ के सलए हिदंी में आलेख सलखते रि ेिैं। आपने कई हिदंी गीतों की रचना की ि।ै आप नेपाल में हिदंी की मशाल िलाए रखने के सलए समरप्षत िैं।

    सुश्रठी त्सलेंगयामया चयानरि - मंगोलल्यासतुश्री ससलेंगामा चानरब ने मसूरी, भारत में सनातन िम्ष इंटर कॉलेि (हिदंी माधष्यम सवद्ालष्य) से सशक्षा ग्रिण की तथा उलानबटोर, मंगोसलष्या से भारा व सासितष्य में स्ातकोर्र की सडग्री प्राति की ि।ै आप मंगोसलष्या ससथत भारतीष्य दतूावास द्ारा संचासलत भारतीष्य सांसककृ सतक कें द्र, मंगोसलष्या में हिदंी भारा की अधष्यासपका के रूप में काष्य्षरत िैं। आप बच्ों को भारतीष्य सशक्षा प्रदान करती िैं।

    श्रठी नेमयानठी िैनठीियालू - दफ़जठीश्री नेमानी बैनीवालू हिदंी भारा के सवद्ान िैं। आपने हिदंी के सवद्ान, प्रसारणकता्ष, मीसडष्या व्यसक्तव, अनतुवादक और हिदंी प्रेमी समाि सेवक के रूप में भाराओं और समतुदाष्यों को िोडने का असद्तीष्य काम दकष्या ि।ै आप एक प्रसारक के रूप में कई वरषों तक दििी ब्ोडकॉहसटंग कॉपपोरेशन के टी.वी. चैनलों में हिदंी के काष्य्षरिम प्रसततुत करते रि े िैं। आपने वर्ष 2016 में अंतरराष्टीष्य रामाष्यण सममेलन के अवसर पर रामकथा का ई-ताऊकेई भारा में अनतुवाद करने के साथ-साथ ‘टीष्यस्ष इन पाराडाइज़’ का अनतुवाद भी दकष्या ि।ै आपने वर्ष 2000 में दििी में संरिमण काल के दौरान सवश्वास और सद्ावना सथासपत करने का काष्य्ष बखूबी संपन् दकष्या ि।ै

    श्रठी ब्रेत्सल नगोडया विथयान - श्रठीलंकयाश्री ब्ेससल नगोडा सवथान श्रीलंका में ससथत सबरागामतुवा सवश्वसवद्ालष्य में हिदंी के प्राधष्यापक िैं। आपने ससतंबर 2006 से हिदंी के व्याखष्याता, सशक्षक और परीक्षक के रूप में हिदंी भारा की सेवा कर रि ेिैं। आपने ‘सडसवपीडतुमा’ नामक पतुसतक में हिदंी की लघतु किासनष्यों का हसंिली में अनतुवाद दकष्या ि ै और हिदंी में कई लघतु किासनष्याँ तथा उपनष्यास सलखे िैं। आपने हिदंी कसव नागाितु्षन पर शोि काष्य्ष दकष्या ि ैऔर आपके द्ारा प्रकासशत पतुसतकों में ‘उममीद व तकदीर’ नामक उपनष्यास, ‘व्याविाररक हिदंी अभष्यास पतुससतका’,

    ‘नागाितु्षन’, ‘श्रीलंका में सवदशेी भारा के रूप में हिदंी और हिदंी का अतीत, वत्षमान और भसवषष्य’ इतष्यादद शासमल िैं।

    श्रठीमतठी सुनठीतया नयारया्ण - न्ूज़ठीलैंडश्रीमती सतुनीता नाराष्यण ने नष्यूज़ीलैंड में बच्ों को हिदंी पढाने के सलए सतुसविाएँ सवकससत करने ितेतु लंबे समष्य तक पूण्ष सनष्ठा एवं प्रसतबदता प्रदरश्षत की ि।ै आपने नष्यूज़ीलैंड में वैहलंगटन हिदंी सकूल की सथापना एवं सवकास में अग्रणी भूसमका सनभाई ि।ै आप सनष्यसमत रूप से हिदंी पतुसतकों एवं पसत्रकाओं का प्रकाशन भी करती रिी िैं। आपकी भारतीष्य संसककृ सत के संवि्षन में भी गिन रुसच ि।ै नष्यूज़ीलैंड में आपने हिदंी सशक्षण के सलए अनतुकूल पररवेश तैष्यार दकष्या।

    प्रो. कयाजुदहको मचठीदया - जयापयानप्रो. काज़ुसिको मचीदा ने टोकष्यो सवश्वसवद्ालष्य से हिदंी में स्ातकोर्र की उपासि प्राति की ि।ै साथ िी आपने इलािाबाद सवश्वसवद्ालष्य, भारत से भी स्ातकोर्र की सडग्री प्राति की ि।ै आपने ‘मॉरीशस में भोिपतुरी लोकगीत’ पर एक पतुसतक का संपादन दकष्या ि।ै आप िापानी-हिदंी-अंग्रेज़ी श्दकोश के लेखक और संपादक रि ेिैं।

    डॉ. रत्याकर नरयाले - कनयाडयाडॉ. रत्नाकर नराले ने नागपतुर से स्ातक तथा पतुणे सवश्वसवद्ालष्य से स्ातकोर्र की सडग्री प्राति की ि।ै आप राष्यस्षन सवश्वसवद्ालष्य, टोरंटो में हिदंी के प्रोिेसर िैं। कई भाराओं के ज्ाता, डॉ. नराले की ‘संगीत श्री रामाष्यण’, ‘संगीत श्रीककृ षणाष्यन’, ‘संगीत गीता दोिावली’, ‘गीता का श्दकोश और अनतुरिमणी’ व ‘गीता दश्षन’ इतष्यादद कई पतुसतकें प्रकासशत हुई िैं। आपने भारत से बािर सवदशेों में प्रवासी भारतीष्यों और मॉरीशस, सत्रसनदाद-टोबैगो, गष्याना, सूरीनाम, दििी इतष्यादद दशेों में भारतीष्य मूल के लोगों में हिदंी व भारतीष्य संसककृ सत के प्रसार का दासष्यतव अपने ऊपर सलष्या। आपको वर्ष 2017 में कनाडा के 150वीं िष्यंती मिोतसव पर ‘हिदंी रत्न पतुरसकार’ से सममासनत दकष्या िा चतुका ि।ै श्रठी ई मयादे िम्य्श - इंडोनेलश्याश्री ई माद ेिम्षष्यश ने कें द्रीष्य हिदंी संसथान, नई ददलली से सडपलोमा कोस्ष तथा िसंराि कॉलेि, ददलली सवश्वसवद्ालष्य से स्ातक और मसिदोल सवश्वसवद्ालष्य

  • वर्ष : 11 अंक : 43 सितबंर, 2018 प.ृ 6

    से सांसककृ सतक सवकास में स्ातकोर्र की सडग्री प्राति की। आपने नैसतकता, िम्ष और अधष्यातम पर 30 से असिक पतुसतकें तथा इंडोनेसशष्याई समाचार पत्र-पसत्रकाओं में 500 से असिक लेख सलखे िैं। इंडोनेसशष्या की सबसे बडी हिदं ू पसत्रका ‘मीसडष्या हिदं’ू में लेख सलखने के साथ-साथ आपने ‘पंचतंत्र’, ‘सितोपदशे’, ‘चाणकष्य शास्त्र’ और ‘भगवद ् गीता’ का हिदंी से इंडोनेसशआई भारा में अनतुवाद दकष्या ि।ै आपने ‘अहिसंा, िम्ष और

    शाकािार’ तथा ‘गाष्य की मसिमा’ नामक दो उतककृ ष्ट पतुसतकें भी सलखी िैं।

    प्रो. अललसन िुच - सं्ुति रयाज् अमेररकयाप्रो. असलसन बतुच नष्यू ष्यॉक्ष के प्रसतसष्ठत कोलंसबष्या सवश्वसवद्ालष्य में हिदंी और भारतीष्य सासितष्य की एसोससएट प्रोिेसर िैं। आप सपछले 20 वरषों से हिदंी का अधष्यापन कर रिी िैं। आपकी पतुसतक ‘पोएट्ी ऑि

    ककंगस’ में प्राचीन मतुगल और रािपूत सासितष्य के बारे में हिदंी अधष्यष्यन को एक नए रूप में प्रसततुत दकष्या गष्या ि।ै आप स्ातक सतर के सवद्ारथ्षष्यों के सलए हिदंी सासितष्य की कक्षा भी आष्योसित करती िैं। आप समारोि में उपससथत निीं िो सकीं। आपको बाद में सममासनत दकए िाने का सनण्षष्य सलष्या गष्या।

    ‘विश्व हहंदठी सममयान’ - हहंदठी सेिठी संसथयाएँ

    दलक्षण भयारत हहंदठी प्रचयार सभया - भयारत दसक्षण भारत हिदंी प्रचार सभा एक प्रमतुख हिदंी सेवी संसथा ि,ै िो भारत के दसक्षणी राजष्यों- तसमलनाडतु, आंध्र प्रदशे, केरल और कना्षटक में आज़ादी के कािी पिले से हिदंी के प्रचार-प्रसार का काष्य्ष कर रिी ि।ै भारत में मिातमा गांिी के हिदंी प्रचार आंदोलन के पररणामसवरूप ‘दसक्षण भारत हिदंी प्रचार सभा’ की सथापना ततकालीन मद्रास नगर के गोखले िॉल में डॉ. सी. पी. रामासवामी अयष्यर की अधष्यक्षता में एनी बेसेनट ने की थी। गांिी िी इसके आिीवन सभापसत रि।े ष्यि सभा सशक्षा सवभाग के माग्षदश्षन में हिदंी अधष्यापकों और प्रचारकों के प्रसशक्षण के सलए प्राथसमक, मधष्यमा, राष्टभारा प्रवेसशका, सवशारद, प्रवीण और हिदंी प्रसशक्षण नामक परीक्षाओं का संचालन करती ि।ै सभा की ओर से एक स्ातकोर्र अधष्यष्यन एवं अनतुसंिान सवभाग और एक उच् सशक्षा और शोि संसथान भी सथासपत दकष्या गष्या ि।ै इस सभा के प्रकाशनों में ‘हिदंी समाचार’, माससक पसत्रका ‘दसक्षण भारत’, त्रैमाससक सासिसतष्यक पसत्रका ‘केरल भारती’, माससक हिदंी पसत्रका ‘पूमाकतुं भ’ तथा माससक हिदंी पसत्रका ‘भारत वाणी’ शासमल िैं। अहिदंी भारी के्षत्रों में हिदंी के प्रचार-प्रसार के सलए उतककृ ष्ट काष्यषों के सलए दलक्षण भयारत हहंदठी प्रचयार सभया को विश्व हहंदठी सममयान से सममासनत दकष्या गष्या।

    सठी-डैक - पुणे, भयारतप्रगत संगणन सवकास केनद्र, सठी.डैक इलेकट्ॉसनकी और सूचना प्रौद्ोसगकी मंत्रालष्य की एक सवाष्यर् वैज्ासनक संसथा ि,ै िो सूचना प्रौद्ोसगकी, इलेकट्ॉसनकस तथा संबद क्षेत्रों में अनतुसंिान काष्य्ष करती ि।ै सी-डकै ने 1991 में भारत के पिले सतुपर कंपष्यूटर, ‘परम’ का सनमा्षण दकष्या और आि ष्यि पेटा फ़लॉप सतुपर कंपष्यूटर का सनमा्षण कर रिा ि।ै सी-डकै ने भारतीष्य भारा कमपष्यूटटंग के क्षेत्र में भी अग्रणी काष्य्ष दकष्या ि,ै सिसमें नई टेक्ोलॉिी सिसट 9000 सचप, नष्ये िोंटस, ओसीआर टेक्ोलॉिी, वत्षनी एवं व्याकरण िाँच टेक्ोलॉिी, अनतुवाद टेक्ोलॉिी, भारा अनवेरण टेक्ोलॉिी तथा सपीच टेक्ोलॉिी शासमल िैं। आरट्षदिसशष्यल इंटेसलिेंस का प्रष्योग करते हुए सी-डकै ने रािभारा सवभाग के सलए मंत्र रािभारा, लीला रािभारा, श्रतुतलेखन रािभारा, प्रवाचक रािभारा और इ-मिाश्दकोश िैसे अनेक समािानों तथा

    इलेकट्ॉसनकी और सूचना प्रौद्ोसगकी मंत्रालष्य के सलए अनतुवादक, सचत्रांकन और ‘भारत’ डोमेन का सनमा्षण दकष्या ि।ै राजष्य सभा ससचवालष्य में मंत्र राजष्य सभा सससटम का प्रष्योग दकष्या िा रिा ि।ै अनतुवादक्ष उपकरण से सवासथष्य एवं पष्य्षटन क्षेत्र के दसतावेज़ों का अंग्रेज़ी से 8 भारतीष्य भाराओं में अनतुवाद दकष्या िा सकता ि।ै लीला रािभारा हिदंी सीखने के सलए एक सवष्यं सशक्षण पैकेि ि ैसिसके द्ारा प्रष्योगकता्ष 15 भारतीष्य भाराओं के माधष्यम से प्रबोि, प्रवीण एवं प्राज् के पाठ्यरिम सीख सकते िैं। हिदंी भारा के सॉफ़टवेष्यर सवकास और कंपष्यूटरीकरण के सलए दकए गए उतककृ ष्ट काष्यषों के सलए सठी-डैक को विश्व हहंदठी सममयान से सममासनत दकष्या गष्या। सी-डकै के मिासनदशेक, श्री िमेंत दरबारी को सी-डकै की ओर से सवश्व हिदंी सममान प्राति करने के सलए आमंसत्रत दकष्या गष्या था।

    ्टोक्ो ्ूवनिरस्य्टी ऑफ़ फ़ॉरेन स्टडीज़ - ्टोक्ो टोकष्यो ष्यूसनवरस्षटी ऑि िॉरेन स् टडीज़ सवदशे के बारे में सशक्षण को समरप्षत िापान का सबसे पतुराना संसथान ि।ै इस सवश्वसवद्ालष्य का मतुखष्य उदे्शष्य सवद्ारथ्षष्यों को सवश्व भर की सवसभन् भाराओं, संसककृ सतष्यों एवं समािों के बारे में गिन ज्ान व समझ प्रदान करना ि।ै इसकी सथापना सन् 1856 में ‘बानशो सशराबेशो’ सवदशेी प्रलेख शोि संसथान नाम से एक सरकारी अनतुवाद ्ष्यूरो के रूप में की गई थी। सवश्वसवद्ालष्य में लगभग 40 भारा संबंिी सवभाग िैं, सिनके अंतग्षत छात्रों को सवसवि भाराओं में प्रसशसक्षत दकष्या िाता ि।ै सवश्वसवद्ालष्य ने सवश्व के अनष्य कई सवश्वसवद्ालष्यों के साथ साझेदारी सथासपत की ि,ै तादक छात्रों के शैक्षसणक अवसरों को सवसतकृत दकष्या िा सके। हिदंी भारा के क्षेत्र में उतककृ ष्ट काष्यषों के सलए ्टोक्ो ्ूनठीिरस्य्टी ऑफ़ फ़ॉरेन स्टडीज़ को विश्व हहंदठी सममयान से सममासनत दकष्या गष्या। उपाधष्यक्ष प्रो. सतुदकरो इतो को टोकष्यो ष्यूनीवरस्षटी ऑि िॉरेन सटडीज़ की ओर से सममान ग्रिण करने के सलए आमंसत्रत दकष्या गष्या था।

    हहंदठी प्रचयाररणठी सभया - मॉरीशसहिदंी प्रचाररणी सभा मॉरीशस की एक प्रससद सांसककृ सतक एवं शैक्षसणक संसथा ि।ै इसकी सथापना हिदंी भारा सासितष्य तथा हिदंी संसककृ स�