व ेम व भावना - sahityasudha.com€¦ · सीखना कै से...

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49 1 व" !ेम भावना हालाँ%क हमारे *दय म- कोई वा&त(वक भावना नह,ं होती, उ"ेजना के समय +जस तरह से हमारा !दय धडकता है उससे ऐसा लगता है 1क 2दय 3ेम और भावनाओं का खजाना है , !जसे हमारे )स*नता के कवच क$ व% &लेट सुर-%त रखती है।

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    1 – व"

    ूेम व भावना हालाँ%क हमारे *दय म- कोई वाःत(वक भावना नह,ं होती, उ"ेजना के समय +जस तरह से हमारा

    ॑दय धडकता है उससे ऐसा लगता है 1क 2दय ूेम और भावनाओ ंका खजाना है, !जसे हमारे ूस*नता के कवच क$ व% &लेट सरु-%त रखती है।

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    ूेम पःुतक& का एक स$पणू( पःुतकालय ूेम के बारे म4 चचा( करने क7 चे8ा कर सकता है पर;त ुउसके साथ $याय नह(ं करेगा। जब हमने ऑर3ज काउंट(, कैिलफ़ोिन(या और पनामा के मामीण 3ेऽ5 म6 7कए गए हमारे अ'ययन म* यह सवाल पछूा 1क, "आपको सबसे (यादा ूस-नता 0कस बात से होती है?", तो लोग% का सबसे पहला उ*र था, "जब कोई हमसे ूेम करता है।" इसके बाद सबसे नजद3क4 उ6र, "कोई हो %जससे हम ूेम कर'," क" इ$छा थी, !ज#ह% दोन) को साथ िमलाकर "ूेम" बनता है जो !कसी के िलए भी ूस+नता क" सचूी म& अ(यिधक वांिछत भाव है। यह आ$य%जनक नह)ं है ,य-.क मनुं य के अ4ःत7व क9 म:ुय चीज दसूर% के साथ भावना-मक स/ब1ध क3 चाह है। भावना%मक जड़ुाव केवल ूेम करने या ूेम पाने तक ह3 सीिमत नह3ं है। अपने आप से ूेम करना, स#ृ$कता( का ूेम (चाहे हम भगवान ्या ूकृित म" #व%ास रखते ह-), दसूर% का ूेम, और दयालतुा क* भावना ये सभी ूेम म( ह* शािमल ह/। साम2ूहक 4प से या 6य78गत 4प से, वे हमार' ूस*नता को काफ़0 बढ़ा देते ह"।

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    दयालतुा 'य( मह+वपणू0 है? दयालतुा का मतलब !वनॆ और दसूर* का -यान रखने वाला होता है। वाःतव म', दयालतुा दसूर* से ूेम करने क% भावना, उदारता, िनःःवाथ(ता, दसूर% के देने और उनके िलए उपयोगी होने का स56मौण है। दयाल ुहोना ह% दसूर* के ूेम को आमं1ऽत करने का 4यवहा7रक तर%का है। जब हम दयालतुा का कोई काम करते ह0 तो हम सभी का (दय अदंर से इसे जानता है, और दसूरे लोग भी अ'सर इसे हमारे अ/दर देख सकते ह4। अगर हम केवल !कसी लाभ के िलए दयालतुा का संकेत देते ह" तो वे उसे भी सीधे-सीधे भाँप सकते ह,। केवल वह# दयालतुा जो हमारे -दय क/ गहराई से आती है, न "क हमारे &दमाग से, हम# ूस&नता दे सकती है। सवाल यह है (क हम उन लोग/ के ूित दयाल ुकैसे हो सकते ह6 जो झूठ बोलते ह6, धोखा देते ह), !व#ासघात करते ह& या दःुख देते ह*? इसक$ कला 'य)* और समःया क$ )विभ2नता म5 अतंर करने क$ है। लोग समःया नह+ं ह-। हम# समःया के ूित कठोर होना चा,हए ले,कन लोग1 के ूित नरम होना चा,हए।

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    भावना िनकटता के एक मह&वपूण+ भाग के /प म0, हम भावनाओ ंके मा+यम से पया/वरण से जड़ुते ह6। हमारे भावना%मक लहजे पर आधा*रत भावनाएँ दोन) चेतन और अचेतन ःतर) पर काम करती ह6 7जस ूकार हमारे म"ःतंक क' रचना हुई है और हमने सामा"जक व पया7वरणीय कारक: से जीवन भर म< जो सीखा है, वह हमारा भावना(मक लहजा िनधा./रत कर सकता है, जो यह िनधा)*रत करने म0 म2ुय भिूमका िनभाता है 6क हम कैसे भावनाओ ंको समझते ह0 और अपनी भावनाओ ंको अिभ7य9 करते ह0। इस बात क# मह&ा क# परवाह &कये *बना &क हमारा भावना/मक लहजा कैसे &कसी भावना को समझता है, भावना को ूकट करने पर हमारा चेतन आ+म-िनयंऽण पर हावी रहता है। !या हम सामा'यतः अपनी भावनाओ ंको त.ुछ समझते ह5? हम कई बार सनुते ह- .क .कसी ने भावनाओ ं के आधार पर गलत चयन ,कया है? !या इसका अथ) यह है ,क िनण)य लेते समय भावनाएँ तक# संगत 'वचार, से गौण ह1? मेरा मानना है (क हम लगभग हमेशा अपनी भावनाओ ं के आधार पर ह6 िनण$य लेते ह*, ले#कन हम अपने िनण,य. को तक, संगत बनाने क6 कोिशश करते ह9 (कभी-कभी िनराशा म*) ता#क यह िस) #कया जा सके #क वे भावनाओ ंके आधार पर नह5ं िलए गए थे। यह ःवीकार करते हुए #क

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    हमारे िनण)य+ म, भावनाओ ंक2 बहुत बड़7 भिूमका होती है हम# अपनी भावनाओ ंऔर तक1 पणू1 म4ःतंक को एक साथ िमलाना आसान हो जाता है, !जससे हम' आतं+रक बचैेनी से कुछ राहत िमलती है।

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    !या हम अपनी भावनाओ ंको अपने फायदे के िलए वश म7 कर सकते ह;? भावनाएँ सकारा*मक या नकारा*मक हो सकती ह1। सकारा%मक भावनाएँ ,यादातर 0यःतता, उ"साह, उ"ेजना, और अ$छ& याद* से जड़ु0 हुई होती ह6। सकारा9मक भावनाएँ भावना9मक लहजे या हमारे ःव-म#ूया&कन को सकारा,मक -प म/ बदल सकती ह6 और हम/ सकारा,मक ूितप;ु< दे सकती ह6 जो हम/ उसी ूकार के अनभुव से ,फर से गुजरने के िलए ूो4सा,हत करता है। हम: यह

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    होती ह%। अपने चरम !प पर, वह डर, अपराध बोध, बोध, और अवसाद से जड़ु, हुई होती ह2। नकारा6मक भावनाओ ंसे जो नकारा-मक ूितप&ु' िमलती है वह िनरोधा*मक होती है और हम0 उसी तरह के अनभुव को दोहराने से हतो*सा+हत करती है। नकारा%मक भावनाओ ंसे तनाव क. /ःथित और ःवाः4य के नकारा%मक प7रणाम िमल सकते ह;, जसैे !दयसंबंधी रोग या क. सर, ले#कन वे हमारे िलए सहायक भी हो सकती ह3 अगर हम उ7ह8 वश म8 कर ल8 तो। वाःतव म(, नकारा%मक भावनाएँ, जसैे %क डर और बोध, हमार% सरु(ा और जी#वत रहने के िलए मह#वपणू( त*व हो सकते ह/। हम# अपनी ःव-जाग$कता और आ*म-िनयंऽण का उपयोग करके दोन$ ह& सकारा%मक और नकारा%मक भावनाओ ंको संतिुलत 2प से समझना अिनवाय' है। !कसी घटना के ूित हमार0 भावना3मक ूित!बया 6पछले प;ृ पर एक िचऽ ?ारा दशाBई गयी है। इस प"रूेआय म), एक प$डुलम बताता है .क आपस म$ स1ब2 3वशेषताएँ .कसी घटना के ूित हमार/ भावना2मक ूित$बया बनाने म, कैसे एक दसूरे पर ूभाव डाल सकती ह;। प,डुलम के लटकने क? जगह बहुत महBवपणूD है !य#$क यह वह (ेऽ बताती है 0जसम4 प4डुलम $हलेगा। प4डुलम के लटकने क= जगह हमारे भावना@मक लहजे और जो ूितप*ु+ हम# िमलती है, उसके अन(ुप दाय- या बाय- /खसकाई जा सकती है। आ9म-िनयंऽण वह कैिलपर है जो हमार, भावना0मक ूित3बया का संयोजन करता है। प)डुलम रॉड हर ःपे1शम के िलए नापने वाली स'ु है और यह बताती है /क प2डुलम इधर-उधर $हलने से यह बताता है $क 0विभ4न !वशेषताएँ आपस म" कैसे स'ब) होती ह.। ये सम12वत 4वशेषताय" आपस म" िनकटता से स)ब+,धत होती ह1। जसैा &क िचऽ म, बताया गया है, हम देखते ह' (क हमार, -िच का ःतर, ऊजा$ का ःतर, सामना करने क( )मता, संत%ु& और सीखना कैसे हमार, सकारा-मक या नकारा-मक भावनाओ ंसे परःपर स5ब7 ह8। प"डुलम रॉड क* ल+बाई (अनभुव) और प)डुलम का वजन (उॆ) हमारे भावना प)डुलम के इधर से उधर झूलने क' सीमा और गित को ूभा$वत कर सकते ह,। जसैे-जसैे हम बड़े होते जाते ह* और -यादा अनभुवी होते जाते ह., घटनाओ ंके ूित हमार% भावना)मक ूित.बया म1 उतार-चढ़ाव कम होते ह+। नजद$क& के िलए, यह ज$र& है (क हमार% इ'(ियाँ काम कर रह% ह-। हमार& इ()िय, से जड़ुा अनभुव भावना पदैा करता है। आ.य0 क1 बात नह3ं है 5क सकारा7मक भावनाएँ हम# ूस&नता के पास ले जा सकती ह"। ले&कन, सकारा%मक मानिसकता रखना कैसे स)भव हो सकता है और अपने भावना2मक लहजे के साथ कोिशश करके जो हम समझते ह- उसे सकारा0मक भावनाओ ंक6 ओर कैसे ले जाय:? जसैा %क म(ने िचऽ म. बताया है हम सकारा+मक ूितप0ु1 से अपने आ"म-िनयंऽण के कैिलपर को ठ/क करके अपने भावना4मक लहजे म& सधुार ला सकते ह., !जससे हम अपने भावना-मक प/डुलम को और 6यादा सकारा-मक भावनाओ ंक;

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    तरफ ला सक( गे, और इसके बदले म) !यःतता, उ"ेजना, उ"साह व आकष*ण के -ेऽ म0 ूवेश कर जाय0गे और नकारा!मक भावनाओ ंसे दरू रह0गे। ले#कन, !या अपने भावना*मक लहजे को बदलने क3 कोई स6भावना हो सकती है? हमारा भावना%मक लहजा हमार, मांसपेिशय4 के लहजे क" तरह ह& है, जो हमार' मांसपेिशय/ क1 याद/ का एक समहू है और हमार' मिुा का िनधा.रण करता है। अपनी मांसपेिशय: के लहजे को बदलने का एकमाऽ तर0का है 2क िनयिमत और लगातार +यायाम के .ारा हम अपनी मांसपेिशय6 के लहजे म8 बदलाव लाय8। भावना>मक लहजे को बदलने का तर+का भी कुछ अलग नह+ं है। हम7 अ8यास से शूयवान संप?@ कA तरह एक साथ समझ सक# और उ'ह# वश म# कर सक# ,। दभुा%&य से, यह असामा'य नह)ं है ,क भावनाओ ंको समझने और उ$ह& मजबतू करने क/ जगह कई लोग उ%ह' स#ुन करने के िलए शराब और/या सग लेने लगते ह1। इससे 56णक आराम िमल सकता है, ले#कन ूस(नता नह,ं।

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    ऐसी चीज& जो हाःयाःपद नह#ं ह% &फर भी हम, हँसा देती ह%! अपने आप म', हँसाने क- आदत कोई भावना नह)ं हो सकती, ले#कन यह दसूर, के अ.दर सकारा0मक भावना ज&र पदैा करती है। अपने हँसाने क4 आदत को बढ़ाने से ना िसफ; हमार= ूस?नता बढ़ती है ब@Aक यह दसूर' को भी मःुकुराहट देती है और ूस#नता फैलाती है। हमार/ मःुकुराहट केवल हम6 ह/ ूस#न नह/ं बनाती ब&'क हमारे आसपास के लोग3 को भी 5बना 6कसी म'ूय के ूस:न करती है। कुछ लोग' के िलए, म#ुँकल प(र#ःथितय/ का सामना करने के िलए हँसाने क7 आदत एक बहुत अ"छा बचाव का तर+का है। न बदल सकने वाली सामा6जक और राजनीितक प;र6ःथितय? का मजाक उड़ाने को मे%&सको म( "ूस*नता का गु0 तर2का" माना गया है, एक और देश है जहाँ ूस/न लोग4 क5 सं7या बहुत %यादा है।vii हम सभी को राजनीितक और सामा/जक घटनाओ ंका, !जन पर बात करना तनावपणू- या अ"ूय होता है, मजाक उड़ाने वाला सटैरडे नाईट लाइव काय$बम और ऐसे ह' अ)य काय-बम देखना अ3छा लगता है। अ)य हष,पणू, चीज3, जसैे खेल खेलना, कॉमेड& देखना, संगीत सनुना, और दसूर% के साथ हँसना भी हम# ूस&न बना सकती ह-।

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    2 –– हेलमेट !ान और आशावाद

    हेलमेट हमारे िसर और म+ःतंक का बचाव करता है, जो हमारे सोचने क, श./ और हमारे सचेत !दमाग व अचेतन ,ान के साम!ूहक बल का ॐोत है। एक साथ िमलकर, वे हमारे जीवनभर के अनभुव और जानकार& को याद रखते ह&। हमारे कवच का हेलमेट हमार/ जानकार/, ःप#ता, और #$% का उिचत ल&ण है।

    हेलमेट का अग्रभाग(आशावाद)

    हेलमेट(ज्ञान)

    क्रमशः.....

    mailto: [email protected], [email protected]