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यासही वचन तृतीय भाग www.sahjanandvarnishastra.org 1 www.jainkosh.org सहजानद शामाला यासही वचन तृतीय भाग रचयता अयायाेगी, यायतीथ , सातयायसाहयशाी पूय मनाेहरजी वणी ‘‘सहजानद’’ महाराज काशक माणकचद हीरालाल दगबर जैन पारमाथक यास गाधीनगर,दाैर Online Version : 001

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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सहजानद शामाला

अ या सही वचन

ततृीय भाग

रचयता

अयायाेगी, यायतीथ, सातयायसाहयशाी

पूय ी ० मनाेहरजी वणी ‘‘सहजानद’’ महाराज

काशक ी माणकचद हीरालाल दगबर जनै पारमाथक यास गाधीनगर,इ दारै

Online Version : 001

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काशकय

तत पु तक ‘अ या सही वचन ततृीय भाग’अ या यागेी यायतीथ पू य ी मनाेहरजी वणी क स रल श दाे व यवहारक शलै मे रचत पु तक ह ै एव सामा य ाेता/पाठक का े शी ा हा ेजाती ह꠰ैी सहजान द शा माला सदर मेरठ ारा पू य वणीजी के साह य काशन का गुतर काय कया गया है꠰ ये थ भव य मे सदैव उपल ध रहे व नई पीढ़ अाधुिनकतम तकनीक (क यूटर अाद) के मा यम से इस ेपढ़ व समझ सके इस हेत उ त थ सहत पू य वणीजी के अ य थाे काे http://www.sahjanandvarnishastra.org/ वेबसाइड पर रखा गया है꠰ यद काेई महानुभाव इस थ काे पुन: काशत कराना चाहता है, ता ेवह यह क यूटर काॅपी ा करने हेत सपक करे ꠰ इसी थ क PDF फाइल http://is.gd/varniji पर ा क जा सकती ह ै꠰

इस काय का ेस पादत करने मे ी माणकचद हीरालाल दगबर जनै पारमाथक यास गाधीनगर इ दाैर का पूण सहयाेग ा त अा है꠰ थ के टकण काय मे ीमती ीित जनै, इदारै एव ूफ ग करने हेत ी शाितलालजी बड़जाया, इ दाैर का सहयाेग रहा ह ै— हम इनके अाभार है꠰ सधीजन इस ेपढ़कर इसमे यद काेई अश रह गई हाे ताे हमे सूचत करे ताक अगले सकरण (वजन) मे ुट का परमाजन कया जा सके꠰

वनीत वकास छाबड़ा

53, महारगज मेनराेड़ इ दाैर (म००)

Phone-0731-2410880, 9753414796

[email protected]

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शा तमूित यायतीथ पू य ी मनाेहरजी वणी‘‘सहजान द’’ महाराज ारा रचत

अाकतन वत िन चल िन काम꠰ ाता टा अातमराम꠰꠰टेक꠰꠰

मै वह जा ेहै भगवान, जाे मै वह है भगवान꠰ अ तर यही ऊपर जान, वे वराग यह राग वतान꠰꠰

मम वप है स समान, अमत श सख ान िनधान꠰ क त अाशावश खाेया ान, बना भखार िनपट अजान꠰꠰

सख दुख दाता काेई न अान, माहे राग ष दुख क खान꠰

िनज का ेिनज पर काे पर जान, फर दुख का नही लेश िनदान꠰꠰

जन शव ई वर ा राम, व णु बु हर जसके नाम꠰ राग याग पचू िनजधाम, अा कुलता का फर या काम꠰꠰

हाेता वय जगत परणाम, मै जग का करता या काम꠰ दरू हटा ेपरकृत परणाम, ’सहजान द’ र अभराम꠰꠰

अहसा परमाेधम

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अा रमण

मै दशनान वपी , मै सहजान द वपी ꠰꠰टेक꠰꠰

ानमा परभावशू य, सहज ानघन वय पूण꠰ स य सहज अान दधाम, मै दशन० ,मै सहजानद०꠰꠰१꠰꠰

खद का ही कता भाे ता, पर मे मेरा कुछ काम नही꠰ पर का न वेश न काय यहा, मै दशन० ,मै सहजा०꠰꠰२꠰꠰

अाऊ उत रम लू िनज मे, िनज क िनज मे दुवधा ही या꠰ िनज अनुभव रस स ेसहज तृ त, मै दशन० ,मै सहजा०꠰꠰३꠰꠰

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8 – 9 – पर छेद

अ या सही वचन ततृीय भाग उपादान श के ववरण का उपम- सम् पर छेद मे िनम उपादान का स ब ध अाैर पर पर पाथ य के वषय मे वणन था꠰ अब इस पर छेद मे उपादान क श, याे यता अाैर उससे स बधत वषयाे का वणन हागेा꠰ इस वषय का परचय पाने के लए सवथम यह जानना चाहए क उपादान मे काय हाेने क श कस-कस कार स ेरहती ह?ै काय हाने ेके मायन ेहै उपादान मे जा ेअव था बनती ह ैयह अव था याने परणमन कसी पदाथ मे जा ेहालत बनती ह ैवह हालत ताे काय ह ैअाैर जस पदाथ मे हालत ई वह पदाथ उपादान कहलाता है꠰ उपादान श स ेमतलब ह ैउस पदाथ का जसमे क परणमन हाेता है꠰ ता ेयहा उस पदाथ मे परणमन करने क श कैस ेह,ै उसका वणन हाेना है꠰ श कहा,े याे यता कहा,े दाेनाे का इस करण मे एक अथ है꠰ उपादान चूक सामा यवशेषा क ह,ै पदाथ सभी सामा यवशेषा क हाेत ेहै ताे पदाथ क यह याे यता, यह श भी सामा यवशेषा क ह꠰ै तब हमे याे यता का ेदा ेकाराे मे जानना ह ैक पदाथ मे सामा य याे यता या है अाैर वशषे याे यता या है? सामा य परणमन श काे सामा य याे यता कहते है अारै वशेष ववत जस परणमन क हम चचा रख रहे है उसक श का नाम ह ैवशेष याे यता꠰ अथवा सामा य याे यता का नाम कहाे सामा य श, य श अाैर वशेष याे यता का नाम कहाे समुचत श, पयाय श꠰ ता ेदा ेशयाे का यहा वणन कया जायगा- सामाय श, वशेष श꠰ सामा य याे यता, वशेष याे यता अथवा कहाे अाेघ श, समुचत श या य श, पयाय श꠰ उदाहरण पवूक सामा य याे यता अारै वशेष याे यता का कथन- उदाहरण मे याे समझ लजए क जैसे म मे घड़ा हाेन ेक श꠰ ताे सभी मयाे मे घड़ा हाेने क श है꠰ अाैर कसी भी हालत मे वह म चाह ेजमीन मे पड़ हा,े बाहर पड़ हा,े िनकल हा,े सूखी िनकल हा,े सभी मे घड़ा हाेन ेक श है ता ेवह कहलायेगी एक सामा य याे यता, पर वशेष याे यता क से ता ेघड़ा हाेन ेक श उस म मे ह ैजा ेघड़ा हाेने स ेपहले क जैसी हालत मे हाे꠰ जैसे म प मे समझये क जाे म सान करके चाक पर रखी है अाैर चाक घुमाकर उस म काे दबाकर कुहार ने घड़ा बनाना श कया ताे घड़ा बनने से पहले जाे हालत रहती है म क, जसे कहते है कुसूल पयाय꠰ एक छाेट काेठर जैसा अाकार बन जाता ह,ै उसके प चात् घड़ा बनता है꠰ ताे घड़ा बनने क वशेष याे यता उस कुसूल पयाय वाल म मे है꠰ ताे इसका नाम वशेष याे यता है꠰ तब जाे परणमन हाेता है उस परणमन स ेतर त पहले जाे परणमन हाेता ह ै

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उस परणमन वाल व त का ेवशेष याे यता कहा जाता है꠰ सामा य याे यता ताे याे ह ै याे मे पवत क जड़ के नीचे क म ह ैउसमे भी घड़ा बनने क याे यता ह,ै मगर या उस म मे काेई घड़ा बना देगा? नही बना सकता꠰ उसमे वशेष याे यता नही हा ेसकती꠰ पर सामा य याे यता है꠰ यह सामा य याे यता िन य है, सदा रहती है꠰ सामा य अारै वशेष दाेनाे याे यता परणमन का अाधार बनते है꠰ सामा य याे यता ताे सदा है, इसलए वह कभी हा,े कभी न हाे, यह कहने मे अायेगा ही नही जब सामा य याे यता वाले पदाथ मे वशेष याे यता भी अा जाती है तब काय बनता ह꠰ै य परणमन रहत कभी नही हाेता꠰ इस कारण यह स है क व त क मूल याे यता, अाेघ श, सामा य याे यता यह िन य ह,ै सदा रहती ह ैअारै इस सामा य याे यता का पदाथ मे तादा य है꠰ अनाद अन त वप से व त मे सामा य याे यता पायी जाती है꠰ कसी कार के पदाथ मे या काय बनने क बात हाे सकती है? एेसे न के समाधान मे जा ेउर हा ेउसमे सामा य याे यता का ान हातेा है꠰ जैस े म मे घड़ा बन सकता है अारै काठ मे घड़ा नही बन सकता, अथवा प थर मे घड़ा न बनेगा, लेकन अभी ये दाेनाे बाते एेसी है क काेई कहे क प थर मे प थर का घड़ा बना दा,े उसकाे छेद करके काठ मे काठ का घड़ा बना दा े꠰ ता ेअाैर टा त ले लाे꠰ जसैे व मे घड़ा नही बन सकता, अाकाश मे घड़ा नही बन सकता, जीव का घड़ा नही बन सकता꠰ अनेक बाते ले ले ता ेम मे घड़ा बन सकता ह,ै यह ह ैसामा य याे यता क बात꠰ पर जब म सानकर तैयार कर च के पर रख दया अाैर उसक कुठया पयाय बन गयी, उसके प चात् ही ता ेघड़ा बनेगा ना? ताे वहा वशेष याे यता कट ई꠰ ये सब माेटे टा त दए जा रहे है꠰ सामा य याे यता क िन यपता व वशेष याेयता क अिन यपता- सामाय याेयता का सही टा त ताे याे कह लजए क पुद्गल परमाणुअाे मे घड़ा, कपड़ा अाद बनने क सामा य याे यता है꠰ वे ही पुद्गल परमाणु म बने अाैर वही म वृ बन गया꠰ ताे याे पुद्गल परमाणु मे पुद्गल क पयाये जतनी हाे सकती है सबक याे यता ह,ै केवल घड़ा ही नही, काठ, प थर, व सभी कुछ बन जाय, एेसी पुद्गल मे सामा य याे यता है꠰ ताे सामा य याे यता ता ेकाठ प थर के प मे अाये ए परमाणुअाे मे घड़ा बनने क याे यता ह,ै लेकन वशेष याे यता वहा नही अायी꠰ ताे सामा य याे यता िन य है, सदा रहती है꠰ अाैर केवल सामा य क याे यता स ेकाय नही बनता꠰ जब वहा वशेष याे यता भी अाती ह ैतब काय बनता है꠰ ता ेसामा य याे यता िन य ह꠰ै जैस ेक व त सामा य वशेषा क है ता ेउसमे सामा य वभाग ता ेिन य रहता है꠰ वशेष वभाग अिन य भी हाेता है꠰ अारै गुण प से कया अा वशेष वभाग िन य भी हाेता है꠰ यह याे यता क बात है꠰ सामा य याे यता िन य है अाैर वशेष याे यता अिन य है꠰ याेक वशेष याे यता वश ट पयाय वाले पदाथाे मे बतायी गई ह ैअारै वह वश टता उस पदाथ मे सदा नही रहती है꠰ जैसे लाेधा कुठया वाल म मे ताे घड़ा बनने क वशेष याे यता है꠰ घड़ा बन गया, पक गया꠰ या अब इस म मे भी घड़ा बनने क वशेष याे यता है? नही है꠰ वह वशेष याे यता उस पयाय के न ट हानेे मे न ट हाे गयी꠰ ता े वशेष

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याे यता अिन य अा करती है꠰ ता ेकाय हाेन ेसे पूव पयाय मे हाेन ेवाल याे यता काे वशेष याे यता कहते है꠰ वह वशेष याे यता उस पयाय स ेन पहले थी, न बाद मे रहेगी꠰ जैस-े घड़ा बनने क वशेष याे यता उस कुसूल पयाय मे अायी ई म मे है꠰ वह वशषे याे यता उससे पहले न थी अारै कुसूल पयाय मटकर घड़ा बन जाएगा ताे अब घड़ा पयाय मे भी घड़ा बनने क वशेष याे यता नही मलती꠰ ताे याे वशेष याे यता काय के पूवसमयवती पयाय यु त पदाथ मे है꠰ उससे पहले भी नही अारै उससे प चात् भी नही꠰ ागभाव के सा त स ेभी वशषे याे यता क स- दशन शा मे चार कार के भदे बताये गए- ागभाव, वसाभाव, अयाेयाभाव अारै अयताभाव꠰ ागभाव का अथ ह ै क काय का ाक् अभाव, अथात् पहले अभाव हाेना꠰ जैसे तीन पयाय ला-े कुसूल, घट अाैर खपरया꠰ खपरयाे का नाम है कपाल꠰ घट कहलाया घड़ा अाैर घड़ा बनने से तर त पहले जाे हालत थी उसे कहते है कुसूल꠰ हाे जाता ह ैना म का कुठया जैसा अाकार, अाैर घड़ा फूटने पर कपाल हातेी ह,ै ताे घड़ा ागभाव ह,ै कुसूल अव था मे घड़ा नही है꠰ घडे़ का पहल पयाय मे अभाव है꠰ जैसे पहल पयाय मे घडे़ का अभाव है ता ेवह घट का ागभाव कहलाता है꠰ घड़ा मटने पर जाे कपाल ई वह घट का वसाभाव कहलाता है꠰ घट के न ट हानेे पर जस पयाय मे घट का अभाव बना वह घट का वसाभाव है अाैर घडे़ का कपडे़ मे अभाव हाेना यह अयाेयाभाव है꠰ घडे़ मे कपड़ा नही, कपडे़ मे घड़ा नही, इस अभाव का नाम अयाेयाभाव है꠰ अाैर घडे़ मे जीव का अभाव- यह अयताभाव है꠰ िकाल मे भी घड़ा जीव न बन सकेगा꠰ ताे इन चार कार के अभावाे मे ागभाव क बात इस समय कह रह ेहै꠰ ागभाव का अथ यह अा क घडे़ से पहले हाेने वाल पयाय मे घडे़ का अभाव हाेना सा ेघडे़ का ागभाव ह ैकुसूल꠰ अब यहा ये देखये क घड़ा कैस ेबना? ागभाव का नाश अा क घड़ा बन गया꠰ घडे़ का ागभाव है कुसूल अारै कुसूल पयाय न ट ई क घड़ा बन गया꠰ ताे याे कह लजए क घडे़ के ागभाव का अभाव हाेन ेका नाम है घडे़ का हाेना꠰ यह दाशिनक स ेचचा चल रही है꠰ अब यहा यह बात खाेजना ह,ै घडे़ का पहले पयाय मे अभाव हानेा साे घडे़ का ागभाव है꠰ ताे घडे़ का अभाव कुसूल मे ह ैताे घडे़ का अभाव काशे मे भी है꠰ याने कुठया पयाय से पहले काेश पयाय बनती है꠰ एक प ड जैसा अाैर उससे पहले थास पयाय हाेती है꠰ जैसे क म सान कर सनी सनाई धर है अाैर उसस ेपहले म क सूखी पयाय है꠰ ताे जतनी पहल पयाये है सभी पयायाे मे घड़ा नही है꠰ ता ेघडे़ का ागभाव सार पयाये ई꠰ घड़ा हाेने से पहले जतनी पयाये म मे ई वे सब ागभाव कही जानी चाहए꠰ अाैर कहा वह गया क ागभाव का अभाव हाेने से घड़ा बनता है ताे म मे सूखी पयाय का अभाव कया, सान लया ताे उसे घड़ा कह दया जावे꠰ याेक ागभाव के मटने का नाम ता ेपयाय काय है न, एेसी एक शका उठायी जा सकती है꠰ पर समाधान यह है क इसकाे ताे यह समझये क घडे़ का ागभाव केवल कुसूल पयाय मे है꠰ उस कुसूल पयाय के मटते ही घड़ा बन जायगा, अथवा पूव पयाय मे ागभाव माना ताे घडे़ का ागभाव घडे़ स ेपहले हाेन ेवाल अन त पयाये है꠰ घडे़ से पहले हाेन ेवाल उन सभी अन त पयायाे

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का यय अा꠰ चूक जब घड़ा बनेगा उस बीच अगर पूववती एक भी पयाय है ताे घड़ा न बनेगा꠰ इसका भी ता पय यह है क कुसलू पयाय पूववती पयायाे का अभाव हाेन ेपर ही अावेगी, साे िन कष यही ता ेअा क कुसूल पयाय के यय मे घट बनेगा, ताे सामा य याेयता अारै वशेष याेयता क बात कही जाती है꠰ इस अ या चचा से उस दाशिनक चचा का यह मेल खाता है क घड़ा बनने क वशेष याेयता कुसलू पयाय मे है꠰ जब तक म मे वशेष याे यता नही अाती तब तक उस पयाय के अन तर घड़ा पयाय नही बन सकती꠰ सामा य याेयता अारै वशेष याेयता के वणन स ेदा ेत याे का काश-जीव य मे घटा लजए–ये दाेनाे याेयताये꠰ जीव क जस समय जैसी पयाय हानेी चाहए, मानाे स य व जगना है ताे स य व उ प न हाेने से पूव समय मे जाे पयाय जीव क ई उस पयाय मे अाये ए जीव पदाथ मे वशेष याेयता स य व क कही जायगी꠰ अितम म या व है स य व का ागभाव याेक उसके न ट हाेते ही स य व हाेता है꠰ पर सामा य याेयता जीव मे सदैव स य व क पड़ ई है꠰ सामा य याेयता स ेयह िनणय हाेता क स य व जीव के ही हाे सकता ह,ै अ य य के नही हा ेसकता अाैर वशेष याेयता का यह िनणय ह ैक जीव मे इस समय स य व हाेगा इससे पहले न हाेगा꠰ ता ेउपादान मे सामा य याेयता अाैर वशेष याेयता के अाधार पर परणमन हानेे क बात समझी जा सकती है꠰ तब यह जानना हाेगा क वशेष याेयता ववत पयाय से पहले नही रहती꠰ कसी ववत काय हाेने क याेयता पदाथ मे कस समय अाती है जब उस परणित के याेय पदाथ हाे गया꠰ ता ेस य व हाेने के लए एक से देखा जाय ताे वे सब पूव पयाये कारण हाेती है जाे स य व हाेने के व साधन प नही कत कुछ उराेर सहयाेग रखने वाल अारै एेसी थित से फर ये सब कत य हाे जाते है क मदर मे अाये, दशन करे, यान करे, ान सीखे, स सग करे, ये सब कत य हाे जाते है꠰ काेई यहा यह कह ेक स य व हाेने क वशेष याेयता ताे इस कार क अव था मे ह꠰ै इससे पहले क बाते करने क या जरत है? साे इस करण से यह जान लया हाेगा क ये सभी कत य कए जाने याेय है, पर येय जीव का इन सबसे हटने का रहता है꠰ ताे स य व क याेयता जीव य मे ह,ै अ य य मे नही है꠰ जा ेजीव य कभी स य व पैदा न कर सकेगा अथवा कह लजए अभ य जीव है, जनके कभी स य व ही न हाेगा, उसके भी स य व क सामा य याेयता पड़ ई है꠰ अभ य जीव मे भी स य व क, माे क, रय क सामा य याेयता है꠰ सामा य याेयता के अाधार पर य क जाित का वभाग कया जाता है꠰ माे, स य व जीव के ही हा ेसकता ह,ै जीव काे छाेड़कर अ य पदाथाे मे नही हा ेसकता꠰ इस बात काे बताने के लए जीव क सामा य याेयता अा करती है꠰ जैसे माेटा टा त है क मे पवत क जड़ के नीचे रहने वाल म से घड़ा कभी बन न सकेगा꠰ वह यहा कहा अायगी? उसका साधन या मलेगा? लेकन उस म मे भी घड़ा बनाने क सामा य याेयता है꠰ सामा य याेयता एक य के कार से बता देत ेहै꠰ कसी भी पयाय मे काेई पदाथ हा,े कस जाित के पदाथ मे कस कस तरह क परणितया अा करती है, इसका वणन सामा य याेयता के अाधार पर हाेता है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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सामा य याेयता क स ेवशेष याेयता का अ यदुय- जीव य के उ कष के लए एक यह उपाय है या स य व क या श परणित क अव था पाने के लए, याेयता पाने के लए यह उपाय ह ै क सामा य याेयता स प न उस जीव य का अथात् जीव सामा य का हम उपयाेग करे, उसक उपासना करे जीव व, यही साे सामा य याेयता का तीक है꠰ उस जीव व क उस पारणामक भाव क हम उपासना करे, जहा सामा य याेयता पड़ ई ह ैता ेउस उपासना के अाय स ेजीव मे वशषे याेयता वह कट हातेी ह ै क जससे श परणित बन जाती है꠰ उपादान मे श ह,ै याेयता है꠰ इसका वणन स तम परछेद मे िनम नैमक यव था बताने के सग मे कहा, उस ही याेयता के स बध मे इस पर छेद मे वशेष चचा ह ैक पदाथ मे याेयताये कस कस ढग स ेपायी जाती है, कब हाेती है अारै कब असर हाेता है? ता ेअब तक इस स बध मे केवल दा ेबाते समझ लजए क येक पदाथ मे सामा य याेयता अाैर वशेष याेयता हाेती है꠰ सामा य याेयता िन य है अारै वशेष याेयता अिन य है꠰ सामा य याेयता अनाद अन त ह,ै वशेष याेयता काय हाेन ेसे पहले पयाय से स प न पदाथ मे ही ह,ै उससे पहले अारै उसके बाद नही ह꠰ै उपादान मे याेयताअाे का ववरण- उपादान मे याेयता काे कतने कार स ेसमझना है उसके लए ये तीन भाग बना लजए- एक सामा य याेयता, दसूरा वशेष याेयता (पयाय याेयता) अाैर तीसरा पयायवशेष याेयता꠰ सामा य याेयता ताे पदाथ मे परणमन क सदैव रहती ह,ै अाैर उसका ेइस न के उर मे समझ लया जाता है क यह पदाथ इस जाित का यह य कन-कन पाे स ेपयायाे प परणम सकता है? जाे इसका उर अायगा यह सब श सामा य याेयता मे बात अायगी, अारै पयाय याेयता इस पयाय मे रहने वाला पदाथ कन-कन पाे से परणम सकता है इन सब याेयताअाे काे कहते है पयाय याेयता꠰ जैसे म मे घड़ा अादक अनेक कार के बतन या अारै कुछ भी बनने क याेयता है- यह ताे ई सामा य याेयता अाैर घड़ा बनने से पहले जा ेउसक कुसूल पयाय ई मृतप ड क, उसमे या या चीज बन सकती है? बड़ा घड़ा, छाेटा घड़ा, डबले, दपक, ततर अादक अनेक बाते बन सकती है꠰ उन सबके परणमन क याेयता है उस पूव पयाय मे꠰ इसकाे कहते है पयाय याेयता, अारै उससे बन या रहा ह,ै उस सग मे कस प परणमने क बात चल रही ह ैउस ही प याेयता ह ैइसकाे कहते है पयाय वशषे याेयता꠰ पहले जाे याेयता के दा ेकार कह ेगए थ-े सामा य याेयता अारै वशेष याेयता ता ेवशेष याेयता मे ये दाेनाे अा जाते है- पयाय याेयता अारै पयाय वशेष याेयता꠰ अब एक यापक से देखा जाए क जब काेई वभाव परणमन हाेने काे ह ैता े वभाव पयाय वाले य मे याेयता एक ही कार से काम करती है꠰ जस कार से श परणमा है उसी तरह वह श परणमता जायेगा, एेसी उसमे याेयता है꠰ लेकन जब वभाव पयाय बन रही हा ेजीव क ताे उसमे जतने कार का याेपशम हा,े उदय हा,े स कार हाे उतने कार से परणमने क उसमे श है꠰ अथात ्वभाव परणमन के समय नाना कार क पयाये याेयता मे बनने प परणमने क याेयता ह ैअाैर वभाव पयाय वाले पदाथ मे, जीव मे केवल एक ही कार के

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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परणमन हातेे रहने क याेयता है꠰ यह पयाय याेयता क बात कह रहे है꠰ सामा य याेयता मे ताे जा ेपरणमा था, जाे परणम रहा, जाे परणमेगा, जस-जस कार से परणम सकता है वे सभी याेयताये मानी गई है, पर पयाय याेयता के स बध मे दाे तरह क याेयता है꠰ वभाव पयाय मे जा ेपदाथ हा ेउसमे केवल एक श वभाव परणमन क ही याेयता ह,ै अाैर जाे वकार पयाय मे पदाथ हाे उसमे नाना कार के परणमनाे क याेयता है꠰ नाना याेयतावान पयाय मे परणत पदाथ के ितिनयत परणमन हाने ेका कारण- यहा एक जासा हाे सकती ह ैक कसी मलन व त मे, वभाव परणत पदाथ मे अनेक काराे से परणमने क श है ता ेवह अगले समय मे सभी काराे से याे नही परणम जाता? जब वभाव परणत पदाथ मे, मलन ससार जीवाे मे जब नाना तरह क कषायाे प परणमने क याेयता ह ैता ेजस कसी भी प अथवा सभी प याे नही परणम जाता? समाधान मे बात यह है क जाे वभाव परणमन हाेता है वह अाैपाधक हाेता है꠰ उपाध का िनम पाकर जाे भाव हाेते है उ हे अाैपाधक कहते है꠰ ताे बा उपाध काेई िनम मे हाे अाैर अतरग मे वशेष याेयता हा ेता ेउस समय उसके अनुप ितिनयत परणमन हाे सकेगा꠰ अाैर वहा एक समय मे एक ही ता ेपरणमन हातेा ह,ै सारे परणमन नही हाे पाते꠰ याेयता हाेन ेपर भी जैसा अनुकूल िनम ा त हा ेउस कार स ेइसमे परणमन हातेा है꠰ ता ेयह परणमन ह ैउपादान याेयता के अनुसार अाैर उसक कला क बात है यह क अनुकूल िनम का ेपाकर वह पयाय हा ेसक꠰ अब यहा यह बात न मे अा सकती ह ैक जब कसी भी पयाय के बाद काेई एक ही पयाय हाेनी है अाैर वही िनयत है तब उसमे अनेक याेयताये ाे मान ल जाती है? येक पदाथ मे येक वकार पदाथ मे अागे एक ही पयाय के परणमने क याे यता माना े क जा ेबात उसमे बनेगी꠰ जा ेबात उस पदाथ मे अगले समय मे नही हाेती ह ैउसक याे यता ही याे मानी जा रही है? यह न एक कसी एका त अाय मे हा ेसकता है꠰ जहा यह िनरखा जा रहा हा ेक य मे ित समय परणमन हाेत ेही है अाैर जस समय जाे हाेना ह ै साे हाे रहा ह ै ताे उसके बाद केवल उस ही पयाय क याे यता ह,ै अथवा केवल न,े अवधािनयाे ने जस समय जाे पयाय देखा ह,ै जाना है उस समय मे वह पयाय हागेी꠰ ताे उसक पहल पयाय मे केवल उस ही पयाय क याे यता है꠰ अनके याे यता मानने क अाव यकता नही है꠰ यह न है पर थम पयाय परणत पदाथ मे िनरण कया जाए ताे यह वदत हाेगा क इस तरह क पयाय मे रहने वाला पदाथ अाखर कस कस कार बन सकता है? जैस ेकाेई पुष इलश, ह द, स कृत , ाकृत इन भाषाअाे का वान है अारै पढ़ रहा ह ैवह सकृत का प, ताे उस समय परणमन ता ेयप स कृत वा का हाे रहा है लेकन स कृत प पढ़ने के काल मे अनेक वाअाे के ान क याे यता का अभाव नही ह,ै याे यता सभी क ह,ै पर उपयाेग एक अाेर है꠰ अाैर जब कभी उस वान के बारे मे यह जासा बने क इसमे कतनी याे यताये है अारै अागे कस-कस पयाय प परणम सकने क याे यता है? ताे माना जायगा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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क चाराे वाअाे क याे यता है꠰ अारै अागे क बात जाने दा,े वतमान मे ही जैसे क वह पढ़ रहा स कृत का प, लेकन याे यता मानी जायगी चाराे भाषाअाे क अाैर कदाचत् कभी कसी वा का पूरा व रण हाे जाये ताे उस पयाय मे वह याे यता न रही, अ य प बात बन गई꠰ उदाहरणपवूक ववध पयाय याे यताअाे का कथन- यहा पयाय याे यता क बात कह रहे है꠰ सामा य याे यता से ता ेसभी जीवाे मे सब वाअाे का एे वय पड़ा अा ह,ै पर वतमान पयाय मे परणत पदाथ के अागे कस पयाय से परणमने क याे यता ह,ै इस स ेकुछ सीमाये बन जाती है꠰ ता ेजा ेवकार अव था मे अनेक याे यताअाे क बात है वह इसी कार है जैसे क इस वान मे चाराे वाअाे के उपयाेग कर सकने क बात ह,ै अब जसै ेचाराे वाअाे क याे यता ता ेह ैउस पुष मे, क त स कृत का ही उपयागे परणमन याे बन गया इसका? ता ेउसका उर यह है क स कृत प हाथ मे अाया अाैर उसका अाय करके उस ही काे जानन ेसमझने का य न कया ता ेउसका उपयागे बन गया, परणमन बन गया꠰ एेस ेही पयाय याे यता मे अनेक कार के परणमन क याे यता ह,ै लेकन जैसा िनम ा त अा उस कार स ेवह परणम गया꠰ जसै ेकु हार के चाक पर म का लाैधा तयैार रखा ह ैअारै उस म के लाैध ेमे अाप बतलाअा े या या बनने क याे यता है? ततर, दपक, डबला, घड़ा अादक सभी बन सकते है꠰ उसमे कु हार जस तरह का यापार करता ह,ै जतना ऊ चा नीचा हाथ चलाता है उस कार के यापार का िनम पाकर म मे उस ही कार का फैलाव बनता है अाैर उस कार का बतन बनता ह꠰ै याे यताये अनेक हाेकर भी अनुकूल िनम के अनुसार वहा परणमन अा꠰ देखये- सवताेमुखी ान करना है ताे िनरखये कसी बालक मे कस- कस कार स ेबनने क याे यता है? वैसे देखा याे जाता ह ैक काेई बालक डाकू (चाेर) बन जाता, काेई झूठा बन जाता, काेई अछा, स ा, बुमान बनता ताे हाेता या है क मूल मे उस कार क उसक याे यता है अाैर एेसी कतनी ही याे यताये है, पर जैसा सग मला, जसैा वातावरण मला, जैसा उपयाेग मला, उस कार से बन गया, इतने पर भी बालक बना ह ैअपनी ही याे यता स,े अपनी ही परणित से꠰ दसूरे क परणित से नही बना꠰ िनम नैमक भाव अारै उपादान याे यता के िनपण मे उपल ध य शा- याे यताअाे के इस ववरण मे शा के लए दा ेयाे मे शा मल सकती है꠰ कसी मा का बालक बत अ छा हाेनहार सशील धमेमी था, अारै 2, 4, 6 माह मे कसी खाटेे बालक का सग हा ेजाने स ेउसमे यसन अाने लगे ताे काेई कहता है उसक मा स ेक तेरा बेटा ता े वार बन गया ह ैता ेमा याे कहती है क मेरा बेटा वार नही है꠰ वह ताे उस दसूरे बालक का असर ह꠰ै अब देखये मा क कतनी वश है क वह अपन ेबालक का ेबुरा नही देखना चाहती अाैर जस अ छे वभाव मे वह बालक था उस ही प अब भी मा यता रख रही है꠰ अाैर जा े वारपन क अादत अायी ह ैउसका ेदसूरे बालक क बता रही है꠰ अब इसमे वे सभी बाते शा क अा गई꠰ मेरा बेटा यप इस समय वार हाे रहा है लेकन यह यसन मटाया जा सकता

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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है꠰ उस बालक का सग टा दे ताे वह यसन मट जायगा꠰ अाैर साथ ही वह मा यह भी जान रही ह ैक उस वार के सग स े वार बना ह ैलेकन बना ता ेमरेा बेटा है꠰ इसका बुरापन मटाना है꠰ याे दाेनाे तरह से इस मा काे ान ह,ै इसका व लेषण वह मा कर सके या न कर सके, मगर मे दाेनाे बाते है꠰ इसी कार जाे स य ानी पुष है उनक मे दाेनाे बाते है, जाे वकार अाया ह,ै वभाव अाया है वह मरेे अा ा का नही ह,ै यह ताे कमाेदय, बा वातावरण इन सबका असर ह꠰ै इन सबक वह छाया है, अतएव यह वकार मट सकता है꠰ यह वकार मेरे वभाव क चीज नही ह,ै अाैर ए ये कमाेदय अारै अायभूत पदाथाे के सग मे, क त इतन ेपर भी मै ही ता ेबुरा हा ेरहा , इसमे बरबाद ताे मरे ही है꠰ इसे मटाना चाहए꠰ अब उस बालक क अादत मटाने के उपाय ता ेदा ेकार के थ-े उस वार बालक का सग टा दया जाय अाैर कसी भले पुषाे के सग मे बना दया जाय꠰ क त यहा उपाय अाैर भी सगम है꠰ तीन काराे से इन वकाराे काे हटाया जा सकता है꠰ एक ताे उन अायभतू पदाथाे का सग मटा दया जाय जनके बीच रहकर बुरे भाव ए꠰ दसूरे- क ही भले पुषाे के सग मे अपने का ेरखा जाये, पर ये दाेनाे बाते केवल ऊपर उपाय है꠰ उपाय ताे वा तवक यह है क अपने अापक एेसी उपासना बन जाय क ये कषाय भाव (वकार भाव) मेरे कुछ नही ह,ै ये ताे मरे बरबाद ही करने वाले है꠰ ये मेरे वभाव मे नही है꠰ मै ताे अक न वभाव वाला केवल अपने चैत य वपमा ꠰ मरेे देश, मेरे गुण समुदाय, मेरा वप सव व यही मेर दिुनया है꠰ इससे बाहर मेरा कही कुछ नही है꠰ इस कार वभाव क उपासना बने ता ेयह वभाव परणमन दरू हाे꠰ उपादान मे भावी ितिनयत एक ही पयाय क याे यता मानन ेपर पदाथ क वशेषता का अपरचय तथा यव था का लापे- यहा बात चल रही ह ैपयाय याे यता क क पयाय मे याे यताये कस कार क पायी जाती है꠰ एक ताे सामा य याे यता, दसूर पयाय याे यता, तीसर पयाय वशेष याे यता꠰ वभाव पयाय मे परणत पयाय मे कन-कन पाे मे परणमने क याे यता है? इसका जाे उर हागेा उसका स बध पयाय याे यता स ेह ैअारै इस पयाय के बाद यह पदाथ कैसे एक पयाय मे अायगा? इस न का जा ेउर है वह पयाय वशेष याे यता स ेस बधत है꠰ इस करण मे यह एक जासा बन सकती है क जब कसी पयाय के बाद पदाथ मे एक काेई ितिनयत पयाय हाेनी ह,ै अनेक पयाये हाेनी ही नही है ताे याे न उस पदाथ मे एक ही पयाय क याे यता मान ल जाय? अनके पयायाे क याे यता याे मानी जाती है? उस कु हार के चाक पर पड़ ई म मे कु हार जा ेबनायेगा, जैसा हाथ चलायेगा वैसा ही बतन बनेगा꠰ ता ेउस म लाैधे मे याे नही उस एक ही पयाय क याे यता मानी जाती? अनेक याे यताये याे मानी जा रही है? बात इस स बध मे यह ह ै क यप कसी भी पयाय परणत पदाथ मे अागे काेई एक पयाय हाेगी, अनेक पयाय न हाेगी अाैर जस वधान स ेजा ेपयाय हाेनी हाेगी उसे काईे वश ट अवधानी जान भी लेत ेहै꠰ लेकन इस से उस पदाथ मे कतनी याे यता ह,ै या याे यता ह,ै

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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यह त य नही जाना जा रहा꠰ यह ता ेएक सीधा सा सगम खले जैसा ान बनता है क बस जस पयाय मे अावेगा, यह पदाथ इसमे केवल उसी पयाय क याे यता है꠰ यप काेई पदाथ अागे एक पयाय मे ही परणम जाती सा ेवह अायी, ठक ह,ै पर तक वतक उसमे याे यता के त य का वणन करेगे꠰ उस ही कार क पयाय मे रहने वाले भ न-भ न जगह के म के लाैध,े उनसे कही कु हार घड़ा बना रहा, कही दया, अथवा उस ही लाेध ेमे उस ही यागे मे अभी घड़ा बनाया, थाेड़ देर बाद दपक बनाया, वहा जाना जाता है क इस पदाथ मे कतनी कार क याे यता है? कसी अाटे क लाेई का ेकसी भुन ेए अाटे स ेकाेई 6 इच क राेट पसार कर राेट बनायेगा, ताे इसस ेयह ता ेनही कहा जा सकता क इस गुमे ए अाटे मे केवल 6 इच पसर राटे बनने क याे यता है꠰ बु से वहा िनणय कया जायेगा क इसमे इतनी इतनी कार क चीजे बन सकती ह,ै ताे पयाय याे यता मे अनेक कार क परणमनाे क याे यता पड़ ई है꠰ अब वहा जसैा अनुकूल साधन मले उस कार से परणमन हा ेजाता है꠰ यही अ तर ह ै वभाव परणमन अाैर वभाव परणमन मे꠰ वभाव परणमन के लए िनम नही हाेते꠰ केवल काल य िनम ह꠰ै सा ेवह साधारण िनम ह,ै अतएव एक ही कार का परणमन चलता रहेगा, पर वभाव परणमन मे िनम अायभूत अनेक अाते है, इस कारण पयाय याे यता मे अनके कार स ेपरणमन क याे यता हाेने पर भी जस कार के अनुकूल िनम का सधान पाया उस कार परणम गया꠰ ितिनयत पयाय हाने ेपर भी वधवधान का अनु छेद- देखये यह है एक दसूर क बात क उस पदाथ मे जा ेकुछ हाेना था अागे वही अा, अाैर कुछ नही अा꠰ अाैर इस त य काे वश ट ानी ने पहले से जान रखा था꠰ सा ेदेखा ेजा ेजाना था वही अा, एेसी बात यप है, लेकन जहा याे यता का उर देना है ता ेवहा ताे तक वतक से उर दया जायगा꠰ उस पदाथ मे कतनी कार से परणमन क याे यता है अाैर जाे ानी पुष ने जाना वा तव मे पदाथ मे जाे अगले समय मे परणमन हाेना था अा꠰ इस से उस पयाय मे केवल इस पयाय के ही परणमन क याे यता है꠰ यह कथन है पयाय वशेष याे यता का, अारै वह िनणय ह ैकेवल एक से꠰ इ ही चचाअाे से स बधत अनेक चचाये बन बैठती है꠰ जस मे केवल यह ही िनणय करके बताया जा रहा हाे क जाे पयाय बनेगी, केवल उस ही क याे यता है, वहा िनम क काेई चचा नही ह ैअाैर उस समय िनम जाे पडे़ साे उसे अाराेपत अादक श दाे मे बाेला जायगा꠰ यप बात यह भी त य क है क अगले समय मे कसी भी पयाय प परणमन हाेना ताे है꠰ जस प परणमन हाेना है उस ही प परणमन हाेता है, अाैर ानी सत भी जान लेते है, लेकन वह परणमन भी याे ही नही हाे गया꠰ अनुकूल िनम सधान पाकर उस उपादान न ेअपना भाव कट कया अारै याे उन सभी मत याे का सम वय हाेता है꠰ काम क बात ता ेइतनी है क मै वकार प नही ꠰ वकार से मै हट सकता ꠰ अपनी वभाव स ता प , यह शा लेना है अाैर यह शा उन सभी के मत याे से ल जा सकती ह,ै पर इसके मत य के िनराकरण का, वराेध का हठ हा ेजाने पर अाैर अपने ही अाशय का हठ हा ेजाने पर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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उसका उपयागे ही बदल जाता ह,ै अपनी बात क स वाला उपयाेग रहता ह,ै फर इस शा का याेग नही कर पाता क मै वभाव वकाराे से रहत केवल श चैत य मा ꠰ स ावना वध स ेपयाय याे यताअाे का अवगम- कस पयाय के रहने वाले पदाथ मे कतनी कार स ेपरणमने क याे यता ह,ै एेसी वशेष याे यता जानने का थलू उपाय स ावना है꠰ जैसे कु हार के चाक पर चढ़ ई म मे स ावना क जाती ह ै क यद कु हार सकाेरा के अाकार के अनुप हाथ चलाये ताे सकाेरा बन जाये, दपक के अाकार के अनुकूल हाथ चलाये ताे दपक बन जाये, घडे़ के अाकार के अनुकूल ल बा चाैड़ा हाथ फराये ताे घड़ा बन जाये, पर त चलाया उसने एक सकारेा के ही अाकार के अनुकूल हाथ꠰ ताे वहा सकारेा क पयाय ई꠰ ताे इन स ावनाअाे से पहले ये जान सके गे क उस म मे कतनी कार के परणमन हाे सकन ेक अाव यकता है? यह ताे एक पुद्गल क बात ह ैअाैर जीव मे याे यता हाेती ह ैजीव के भाव प से꠰ जैसे- छ थ पुषाे मे याे यता याेपशम प है अाैर परमा ा मे याे यता ायक लधप है꠰ पयाय याे यता अथात् कसी वश ट पयाय मे रहने वाले पदाथ मे कतनी कार के परणमन हाे सकत ेहै, एेसा समझने का उपाय स ावना है अाैर एक स ेता ेकुछ भी एक पयाय ही हाेगी ना꠰ उसे ािनयाे ने जान भी लया, अाैर जैसा हाेना ह,ै िनम याेग है उस प से वह हागेा꠰ ताे अा भी काेई एक ितिनयत परणमन꠰ ताे पयाय वशेष याे यता क से उसमे ितिनयत पयाय क याे यता है꠰ याे याे यताये तीन भागाे मे हाे गयी- सामा य याे यता, पयाय याे यता अाैर पयाय वशेष याे यता꠰ वशेष याे यता मान े बना यव था का उ छेद- अब इस सग मे यह जासा हाे सकती है क पहले िनम नैमक भाव का वणन कया था अाैर अब भी झलक अाती रहती ह ैक कसी याे य िनम का सधान पाकर उपादान मे याेय काय हाेता है꠰ ताे जब िनम मलने पर काय स हाेता है तब वशेष याे यता मानने क जरत या थी? समाधान- जरत यह है क यद वशेष याे यता न मानी जाये अारै वशषे याे यता के अभाव मे िनम कारण मलने पर काय हाने ेलगे तब ता ेसभी काय हा ेलेन ेचाहए꠰ या वजह ह ै क म स ेकपड़ा नही बनता꠰ म मे घडे़ जैस ेही काय बन पाते है꠰ िनम वहा जुटा दया जाये- जुलाहा अाैर उसके सारे हथयार (अाैजार) सब कार के साधन जटुा दए जाये ता ेभी उस म स ेकपड़ा कैसे बनेगा? अथवा बालू से तैल भी काईे पेलने लगे, साधन ताे जुटा दया, काे मे पेल दया, पानी छड़क दया फर उस बालू स ेतैल याे नही उ प न हातेा? ता ेवशषे याे यता का अभाव ह ैइस कारण एेसा काय नही बनता꠰ जीव के कयाण के साधन भी समय-समय पर मलते है꠰ समवशरण मे अनेकाे जीव दयविन सनते है, दशन करते है, फर भी सबकाे स य दशन याे नही हाे पाता? इसका कारण यह है क उस कार क वहा वशषे याे यता अभी न थी, जैसी पयाय मे स य व पाने क याे यता हाे सकती है꠰ वह पयाय न थी तब समवशरण मे जाकर भी दयविन धमाेपदेश वण करके भी स य व उ प न नही अा꠰ ताे पदाथ मे वशेष याे यता मानना ही पडे़गा꠰ अ यथा सब अटपट काय हाेने लगेगे अारै काेई यव था न बन

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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सकेगी꠰ अाैर न अा हत का वहा काेई माग मल पायेगा꠰ जब पदाथ अपने अपने मे अपनी याे यता लए ए है अाैर अपनी ही याे यता से वे परणमन करते है, यह वदत हाेता ह ैतब वहा वतता का भान हाेता है꠰ अब उपादान मे याे यता ता ेहाे नही अाैर काेई पुष काेई िनम उसमे काय कर दे जा ेक अस व है, याे यता के अभाव मे िनम या काय करेगा? अाैर यहा याे यता का अभाव माना जा रहा ह ैता ेइसके मायने यह ह ैक पदाथ ही नही है꠰ असत् है꠰ िनम कसी पदाथ का काय कर देता, वहा याे यता मानने क अाव यकता नही ह꠰ै नही है याग्े यता ताे एेसी थित मे पदाथ असत् कहलाया꠰ वहा है ही या? श नही, वभाव नही, तब फर पदाथ ही या रहा? ताे याे असत् का उ पाद हाेन ेलगेगा꠰ ताे वशषे याे यता माने बना काेई यव था बनती ही नही ह ैअारै न उसमे काेई हत का माग झलकता ह꠰ै क याण के लए अिनवाय माहेपरहार के य न मे उपादान वात य के अवगम क अिनवायता- जीव काे अपने हत के लए चाहए माेह का परहार꠰ जसके तन मे, धन मे, जन मे कसी भी कार का माहे का अश रहगेा ताे लेशमा माेह रहने पर भी स य व नही हाेता, अाैर स य व बना सारा यह जीवन िन फल है꠰ याे अन त बार ज लया अाैर ज दगी मे रह,े उस ज दगी मे अनेक सग अाये꠰ माेह भी वहा बत कया꠰ तव या िनकला? अाज अपने लए अन तभवाे क बात कुछ भी न रही꠰ जा-े जाे सग अाये꠰ ताे इसी कार इस जीवन मे भी जाे सग अा रहे है वे या रहेगे? कुछ भी नही꠰ ताे क याण है माेह के हटाने मे꠰ जहा माेह दरू हाेता है वहा च मे उदारता उ प न हाेती ह꠰ै वहा तृ णा का रग नही हटता अारै एेसी थित मे उस च मे एेसी पाता हाेती है क वह अख ड िनज चैत य वभाव का अनुभव कर सकता है꠰ व का अनुभव करने के समान जगत मे अारै काेई वैभव नही꠰ एक मा यह ही सारभूत है क अपन ेान मे अपना ान वप बस जाय꠰ यह ही मा मै अक न वभाव वाला, केवल ानान द मा एक याेितमा भावा क꠰ अमूत यह मै वय , एेसा मे रहे꠰ इसके अितर त मरेा परमाणुमा भी नही है꠰ इस ा मे बसने वाले पुषाे का क याण हातेा है꠰ यह बात मलेगी उपादान क वतता जानने से꠰ पदाथ क अाजाद समझने स े जससे यह बाधे हाेता ह ै क एक पदाथ का दसूरा पदाथ कुछ भी नही लगता꠰ यह बात ता ेतभी च मे समायगी जब क यह भी सबाेध बन रहा हा ेक येक पदाथ मे अपनी-अपनी याे यता ह,ै अपना-अपना शील वभाव है अाैर अब यहा काेई याे यता ही न माने ताे व त मे फर माना ही या? चीज या रही? अारै वह ता ेएकदम परत ही हा ेगया꠰ हाे नही गया, पर माहे मे एेसे काय करे काेई, ता ेमाहे मे ही परतता के वक प क बात उ प न हाे जायगी꠰ ला-े िनम जा ेचाह ेसाे कर देता है, उपादान मे ताे याे यता नही हाेती है꠰ बना ही याे यता के उसे िनम परणमा देता है꠰ ताे याे िनम कतृ व मानने पर फर ता ेिनमाेहता का काेई अवसर न मला꠰ क याण के लए स यकबाधे क थम अाव यकता- क याण के लए, मु माग पाने के लए स य बाेध क अाव यकता है꠰ अाैर स य बाेध मे यह बात बन रही है क येक पदाथ परपूण है, अख ड ह,ै अपने अाप

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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मे अपन ेउ पाद यय ाै य धम स ेत य है, अतएव सव पदाथ वत है꠰ कसी का काेई कुछ नही लगता꠰ मेरा मा मै ही ꠰ मरे सार ज देार मझु पर ही है꠰ मै जैसे भाव क गा वैसा भव य भाेगूगा꠰ भले ही हम काेई श बाेध के बल पर, शभाव के बल पर पूवब कमाे का ेभी िनजीण कर दे अाैर उ हे िन फल कर दे, पर यह बात बत बडे़ पुषाथ से स व है꠰ जब उपयाेग वानुभव का रस पीता रह ेताे उस थित मे साम य ह ैएेसा क भव-भव के बाधे ए कम भी खीर जाते है꠰ अारै एेसा हाेना पडे़गा, याेक जा ेभी काेई जीव मु त जायेगा उसके ता ेवकट अनगनते भवाे के बाध ेए कम पडे़ है, उनके बखरने का उपाय यह ही सयम, तप चरण, यान, व का अाय है꠰ ता ेयह ही बात एक सार क है अारै यह माग मलता है तब जब क हम पदाथाे क वतता का परचय पा ले ꠰ पदाथ का स पूण परचय पाने के बाद उस पदाथ के स बध मे हमे जस तव क अारे अधक देनी ह ैउस तव पर पच सकती है꠰ पदाथ अपने असाधारण गुणप है अारै उसमे उसके अनुप परणमन हानेे क याे यता है꠰ यहा यह हठ करना अनुचत है क कसी ववत पयाय के बाद जाे पयाय हाेनी है उसक ही याे यता है꠰ व त है, उसका िनणय है यह꠰ ई वही पयाय ितिनयत जा ेहाेन ेक थी, जा ेािनयाे न ेजान लया, क त जब तक वतक ारा उसके िनणय करने चलते है ता ेयह सब समझना हाेगा क इस कार क पयाय स ेपरणत पदाथ मे एेसे-एेसे काय हाे सकत ेहै꠰ हाेगा एक ही काय, मगर िनणय अारै परण ताे पूण प से कया जाता है꠰ ितिनयत पयाय क ही याे यता मानन ेपर स कायवाद के ार का उद् घाटन- यद एेसा ही एका त हठ कया जाय क पदाथ मे केवल अगल पयाय हाेने मा क याे यता है, अ य कुछ नही ह ैताे याे ता ेइसी लाइन मे बढ़कर सकायवाद अा जायगा꠰ सकायवाद सा तानुयायी यह मानते है क येक पदाथ मे उसमे जतनी परणितया हाेगी वे सबक सब सदैव हाजर है꠰ अभी भी हाजर है꠰ बस म-म स ेएक-एक पयाय मटती जाती है꠰ एक बट के दाने मे या- या भरा अा है? बट के बीज का एक दाना जा ेक सरसाे से भी छाेटा हाेता ह,ै जाे राई से भी छाेटा हातेा ह ैउसमे या- या भरा है? स कायवादयाे के अाशय के अनुसार उसमे एक पेड़ भी भरा अा ह,ै याेक जब उस बीज का ेबा ेदया जायगा ताे पेड़ बन जायगा꠰ ताे उस दाने मे इस समय भी पेड़ भरा ह ैअाैर उस पेड़ मे कराेड़ाे फल पैदा हाेगे꠰ वे फल भी उसमे भरे पडे़ है अाैर एक-एक फल मे हजार-हजार दाने हाेगे, वे भी भरे पडे़ है꠰ अारै येक दाने मे एक-एक वट वृ, फर अनेक वृ भी पडे़, ला ेअब कतने मान लए जावे? एक बट के दाने मे अनगनते पेड़ भी घुस ेहै, फल भी पडे़ है, यह स कायवाद का सा त है, अाैर माना ह ैक वह परणमन म से िनकलता रहता है꠰ िनकलता या? जा ेथा वही कट हाे गया꠰ अब यहा िनम नैमक सा त क बात गाणै ई अाैर यव था भी कुछ न रही꠰ कैसे जगत के पदाथाे के परणमन हाेत ेहै यह काेई यव था न रही꠰ ताे याे ही काेई माने क बस पदाथ मे केवल अागामी पयाय हाेने क एक ही याे यता है, अ य कुछ हाेता नही ताे इसी कार कसी याेग मे स कायवाद जसैी झलक अा जाती है꠰ लाेक मे जा े यव था बनी ई ह,ै वह इसी अाधार पर बनी

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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ई है क पदाथ मे कुछ सीमा काे लए ए, उस जाित का ेलए ए अनेक परणमन हाेने क याे यता है꠰ तब वहा िनम साधन सब जुटत ेहै अाैर उसमे काय हाेता है꠰ ता ेपयाय याे यता के परचय से यह वदत हाेता है क कस-कस कार के परणमन करने क याे यता है? उपादान मे अनके याे यताये हाने ेपर भी एक साथ सभी परणमनाे का सग न अान ेका कारण- यहा काेई यह न कर सकता है क जब कसी पदाथ मे अनेक कार के परणमन हाेने क याे यता है ता ेउनमे से काईे एक ही खास ितिनयत परणमन याे हाेता है? सभी याे नही एक साथ हाे जाते? या िनम कुछ भी जटुा हा,े अ य कार परणमन याे नही हाे जाता? इसमे अ यव था बन जायगी यद पदाथ मे केवल एक ही ितिनयत भावी परणमन क याे यता न मानी जाये꠰ उर उसका यह है क यप पदाथ मे अनेक कार से परणमन करने क याे यता है लेकन श पदाथ मे ताे उपाध के अभाव के कारण अपने ही सव के शील के अनुप श परणमन हाेता रहगेा꠰ अारै वभाव परणमन क बात यह है क व ह अाैपाधक परणमन ह,ै उस समय जस कार का उपाध सयाेग हाेगा, जैसी बा उपाध का िनम पाएगा उसके अनुकूल वभाव परणमन हा ेजाता ह꠰ै जैसे काेई कपडे़ का टकड़ा पड़ा है उसमे गीला हाेन ेका भी काम हाे सकता अाैर जल कर खाक हाेने का काम भी हा ेसकता꠰ अब अ का सयाेग मला ता ेखाक हाे जायगा, पानी का सयाेग मला ताे गीला हा ेजायगा꠰ वहा यप अा एक ही परणमन, लेकन याे यता समझने का अाधार ता ेकाेई ववेक है, वतक ह,ै काेई कपड़ा खाक हाे गया, काेई कपड़ा गीला हाे गया ता ेसभी जगह देखकर िनणय ताे अा ना क इतन ेकार स ेपरणमने क याे यताये ह,ै पर अा एक ही परणमन꠰ सारे परणमन एक साथ नही ए꠰ ताे िनम नैमक भाव अारै पदाथ क वातय उपादान क याे यता- ये सब मानने पर एक भी शका नही रहती꠰ कसी भी कार क शका कसी एक हठ मे ही रहने के कारण हाेती है꠰ ताे यह जानना क पदाथ मे अनेक कार से परणमने क याे यता हाेने पर भी जस उपादान ने जैसे उपाध बा काे िनम पाया उसका उस अनुप परणमन हा ेगया꠰ िनमनैमक भाव हाने ेपर भी िनम उपादान मे कता कम भाव क अनपुप- िनम नैमक भाव क बात सन कर च मे यह शका न करना चाहए क इस तरह ताे कता कम भाव क बात िनम उपादान मे जुट जायगी꠰ देखाे ना–जसैा अनुकूल िनम मला वैसा उसमे परणमन अा꠰ फर ता ेकताकम भाव एक का एक ही मे रहता ह,ै यह यव था न बनेगी꠰ एेसी शका न करे, कारण क येक पदाथ मे कसी भी पर का काेई काय िकाल भी नही हाेता꠰ येक पदाथ अपने वप का े लए ए है अाैर अपने ही शील स ेपरणमन करता रहता है अाैर इस सग मे िनम के साथ कता कम भाव क बात भी नही अायी꠰ िनम नैमक स ब ध क कुछ चचा चल है क उपादान मे अनके कार स ेपरणमन क याे यता हाेने पर भी जैसा अनुकूल िनम ा त कया उस कार स ेवह वभाव प परणम गया꠰ इसमे िनम नैमक भाव अाैर उपादान क परणमन वतता ये दाेनाे बाते िनरखनी चाहए, अाैर एेसा िनरखने पर व त का स यक्

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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बाेध बनता ह꠰ै एेसा हाेता ही रहता है꠰ हम अाप सबके साथ ये ही घटनाये चल रही है꠰ काेई जीव पाप काय करता रहता है ताे उसके उपादान मे उस-उस कार क याे यता बन जाती है꠰ जाे अपने अाप मे समृ प से अनुभव नही कर पाता, जा ेअपन ेअाप मे उ कष माग का ेनही िनरख पाता, याे यता बन जाती है एेसी, जाे जीव िन पाप रहता ह ैअपने अापके ान के उपयाेग मे रहता है उस पुष के इतनी याे यता है क सव वश ट चैत य मा िनज तव का अनुभव करने क उसक एसेी याे यता हाेती है क जब उसके जी मे एेसी बात अायी, वानुभव कर लेता ह,ै अ यथा बडे़-बडे़ य न करने पर भी मन नही लगता, व का उपयाेग नही बन पाता꠰ वशेष उलझने न हाेन ेपर भी अत: एेसी याे यता नही हाे पाती क वह व का अनभुव कर सके अाैर एक ानी स य पुष बा मे अनेक उलझने हाेन ेपर भी एेसी याे यता पा लेता है क वह ण मे कुछ था अारै ण मे वानुभवी बन जाता है꠰ जा ेचवती छह ख ड का धनी हाेता ह,ै जसमे उलझनाे क बाते अनेक सामने पड़ रहती है, लेकन जब अपने काे सबसे िनराला जान लया ताे उलझन के समय उलझने भी बत क अारै कुछ ही ण बाद उन उलझनाे काे एकदम च स ेिनकाल कर ानमा व मे अनभुव मे उसका उपयागे लग जाता ह꠰ै ता ेपदाथ क वतता का परान हाने ेपर एसेी ही श अा ा मे कट हातेी ह ैअाैर वह बात तब बन पायगी ान मे क जब पदाथाे मे याे यता वीकार करे, िनजी समृ सव व वीकार करे꠰ जैसा क वह अपने-अाप मे परपूण है वैसा मे ले ताे माहे दरू हाेगा अाैर तब सव वव त िनज ानान द वप का अनभुव ा त हागेा꠰ बस अा ा का उ कष इसी पयाय मे ह,ै अ य कुछ भी य न कए जाये, उनसे अा ा काे कुछ भी स नही है꠰ उपाध सापे वशषे पयायाथकनय क अपेा स ेपयाय वशेष याे यता का िनणय- यहा करण यह चल रहा ह ैक कसी भी पयाय मे परणत पदाथ मे कतने कार के परणमन क याे यता पायी जाती है? इस स बध मे दा ेबाते रखी गई꠰ एक से ताे उसमे जतनी स ावनाये हाे सकती है या उस-उस कार के अनेक पदाथाे मे जा-ेजाे परणमन ए वदत हाेत ेहै उतनी ही याे यताये है꠰ एक से चूक उस पयाय के बाद काेई एक पयाय हानेी ह,ै जाे भी हाेनी ह ैउसी ितिनयत पयाय क याे यता है꠰ इस सलसले मे यह बात मुयता से कही गई है क कसी भी पयाय परणत पदाथ मे यद वह वकृत है ता ेउसमे याे यताये नाना पड़ ई है꠰ जस कार नवीन िनम का सधान पाता ह ैअपनी याे यता के अनुसार उस कार का परणमन कर लेता है꠰ ता ेयहा यह जासा ई क इस बात काे बत व तारपूवक कहा गया क पदाथाे मे पर पर िनम नैमक स बध है अाैर उसके अनुप उपादान मे अपनी अनेक याेयताअाे मे से उस याे यता प परणमन हातेा है ताे या कसी अभाय से भी ववत पयाय मे कसी एक पयाय मे एक ही वशेष याे यता नही है? उर मे कहते ह ै क हा है अारै वह ह ैउपाध सापे वशेष पयायाथकनय क अपेा स ेअथात् एेसी-एेसी उपाध का सधान हाे अारै उसमे वशेष पयाय पर ही द जा रही हाे ता ेउस अाशय मे उस ववत पयाय मे केवल एक हाेन ेवाल पयाय प ही परणमन क याे यता है꠰ देखये

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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यह सब थित समथ कारण मे ई꠰ समथ कारण अगर है ता ेवहा के बाद एक पयायप ही परणमेगा अारै उसक ही याे यता समझये꠰ समथ कारण का परचय- समथ कारण कहते है उसे क जहा जतने कारण चाहए काय के हाेन ेके लए वह सब कारण उपथत हाे ताे उस थित काे समथ कारण कहते है꠰ उपादान भी उस याे यता वाला है अाैर अनेक िनम ताे का सधान भी बराबर ह ैअाैर साथ ही ितबधक कारण का अभाव है꠰ जहा ये तीनाे बाते जुट जाती है उस थित काे समथ कारण कहते है꠰ जसैे अ का काय जला देना ह ैताे याेय अ भी हा ेअारै हवा चल रही हा,े काेई इधन भी पास मे पड़ा हा,े सभी िनम जुट गए अाैर उस अ क श काे राकेने वाल अाैषध न हा,े ितबधक मण न हाे ताे अ जलाने का काय करती है꠰ इनमे से यद एक बात क भी कमी रह जाये ताे वह समथ कारण नही है꠰ जैसे उपादान भी ह,ै याेय अ भी पड़ ह ैअाैर इधन न हा,े वायु अादक न हाे, िनम सधान न हाे ता ेवह जला नही पाती꠰ कसे जलायेगी? िनम कारण भी सब हा,े ितबधक का अभाव भी हा,े पर उपादान ही नही है अ ही नही ह ैताे जलाने का काय कहा हाेगा? उपादान भी है , िनम सधान भी ह,ै क त ितबधक का अभाव नही है꠰ जैसे अ है, इधन ह,ै हवा भी चल रही है अाैर वहा रखी हाे ितबधक मण, एेसी अाैषध जसके उपथत हाेने पर अ का असर नही चलता, उस समय वलन काय न हाेगा꠰ ताे जहा ये तीनाे बाते हा ेजाये, याे य उपादान, अनुकूल िनम सधान अारै ितबधक का अभाव, ताे उसे समथ कारण कहते है꠰ एसेा समथ कारण हाेन ेपर वहा यह कहा जायगा क इसमे इस ही पयाय काे उ प न करने क याे यता है꠰ समथ कारण स ेकाय हाने ेक बात िनत हाने ेपर भी अा हत के लय ेवलय रखन ेके उपदेश का कारण- समथ कारण क बात सन कर कुछ लागेाे के च मे यह बात अा सकती ह ैक काय हाेने के लए तीनाे कारणाे का बराबर का साधन है꠰ यद इन तीनाे मे स ेकाेई एक न हाे ताे काय नही बनता꠰ ता ेजब तीनाे का समुदाय काय करता ह ैतब माेमाग मे चलने के लये उपादान के ल य पर जारे ाे दया गया꠰ अा ा क उपासना करा,े याे यता पर दा,े वभाव का ेल य मे ला,े एेसे ही उपदेश याे दए जाते है? जब तीनाे कारणाे से काय हाेता ह ैताे बाक दाे कारणाे पर भी ताे रखना चाहए꠰ याने जैसे उपादान का ेल य मे रखा जाता ह ैइसी कार िनम का भी याल करना चाहए꠰ जैस ेववृषभनाराच सहनन बना मु नही, मनु य भव पाये बना मु नही꠰ ता ेइन सहननाे का, इस मनु य भव का भी ता े यान रखना चाहए꠰ फर माेमाग मे केवल व के ल य करने का ही उपदेश याे दया जाता ह?ै समाधान उसका यह है क भाई ! जीव का परणमन अारै अजीव का परणमन सामा यतया दाेनाे मे एक ही अनुप परणमन हाेता ह ैअारै इसका वराधे न करके जीव क उकष परणित के लए अथात् यह जीव मु त हाे जाये, ज मरण के सकटाे से ट जाये, अपने वप मे रमे, मु ा त हा,े इसके लए पुषाथ यह करना हाेता ह ैक अपने अापके वश चैत य वप काे ल य मे लये रह꠰े ताे यद कसी जीव क पर पदाथ के

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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सह मे ह,ै िनम के सह मे ह,ै जैसे मनु य भव के बना माे नही हातेा इसलए मुझे मनु य भव मले꠰ मै कब मनु य बनू? मनु य हाेने से मु हाे जायगी꠰ याे उसका मनु य भव पर यान गया ताे पर क अाेर ई ना꠰ व ता ेचैत य मा अा ा है अारै यह यान कर रहा है भव का, शरर का꠰ ता ेपर हाने ेपर मु क बात ता ेदरू रहा,े वानभुिूत तक भी नही हा ेसकती꠰ पर- मे अा वकास क असभिूत- ववृषभनाराच सहनन स ेमाे हाेगा, इस कारण यह सहनन मले꠰ अब जस चीज काे चाहता ह ैउस चीज का पूरा वप भी ता े मे रहेगा꠰ या है? मजबूत हया हाेती है जहा उसे ववृषभनाराच सहनन कहते ह꠰ै वमय शरर꠰ ताे कसी पर क ताे रही꠰ एेसी पर क हाेन ेपर वानुभव क भी परणित नही हाे पाती, फर अा थरता क परणित हाे ही कहा से? हर एक काय क वध अलग-अलग है꠰ अजीव पदाथाे मे ता ेउपयाेग नही हाेता क मलकरके कस थित मे कस ढग क चीज बने? जाे हाे िनम, इसके अनुप याे य उपादान मे काय हाेता रहता है꠰ यहा मु के लए यप कही अशाे मे कह सकते है क ववृषभनाराच सहनन िनम ह,ै मनु य भव िनम ह ैलेकन इसक रखे, ता ेएेसा ल य करने वाले क मु नही हाेती꠰ ता े िनणय क बात अलग ह ै क कन परथितयाे मे रहने वाला पुष माे जाता है? पर वहत के लए कत य है क पर का ल य हटाये अाैर व का ल य रहे꠰ जतने भी लेश है वे सब पर के ल य स ेहै꠰ हम समझते है क यह जीव मेरा है, यह जीव गैर है꠰ ता ेज हे मरेा समझा उनके लए हम बड़ सेवाये करते ह ैअाैर ज हे गाैण समझा उनक सेवा का यान नही रहता꠰ बस इस लगाव ने इस जीव का ेदुखी कर रखा है꠰ इन दाेनाे स े िनराला यह जीव ह,ै यद च मे यह बात जम जाये क मेरा यह मै मा सव व ꠰ मुझ से ता ेसभी िनराले है, सभी एक समान है꠰ यह मे अाये ता ेइसकाे अाकुलता नही हाे सकती꠰ इस जीव पर जा ेवड बना छायी ई है वह सब है पर के लगाव के कारण꠰ ताे पर का लगाव हतकार नही है꠰ हतकार ता ेअपने अमतू ानान द वप मा का यान है꠰ ताे व क उपासना मे जा ेवैभव अपना है वह सव ा त हाेगा, अाैर पर पदाथ क उपासना मे कुछ भी ा त नही हाेता꠰ केवल वक प मचा कर दुखी ही रहता है꠰ ता ेजस पयाय के हाेन ेक जाे पित ह ैउस पित से वह पयाय बनती है꠰ ान परणमन वध- ान का काय जानना है इसका वश काय जानन मा ह,ै ताे बना राग के देखा ेइस ान मे वय सव पदाथ स हा ेजाते है꠰ काेई राग करता है अाैर राग करते ए कसी का ेजान रहा ह ैताे वहा दा ेबाते हा ेरही है- राग क जगह राग चल रह ेहै, जानन क जगह जानन चल रहा है꠰ रागी पुष भी जानता है, पर जानन का जस गुण से स बध है वहा उस गुण क मे केवल वय ही जानन चल रहा है꠰ ताे बना राग के वय सव पदाथ स हाेते है꠰ वहा पर ल य पर है भी नही꠰ ताे एक व का ल य बनाने मे पर का याल नही रहता꠰ अाैर ान का केवल जानन मा काय हाेता रहे उसमे भी पर का ल य नही रहता꠰ व का ल य करना पर का ल य छाेड़कर हाेता ह ैताे कसी प मे पर का ल य अाया

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वल य करने के य न मे꠰ पर जानन मे ता ेकसी भी पर का लगाव नही रहता꠰ ान मे वय एसेा वभाव पड़ा ह ैक पदाथ स हाेता है꠰ उसके साथ-साथ चारमाहेनीय, दशनमाेहनीय का उदय हाेन ेसे यह जीव लगाव भी रखता जाता है꠰ समथ कारण क थित मे माेमाग हाने ेपर भी ानी के वल य के य न स ेसफलता क ाि- यप समथ कारण मे ये तीनाे बाते अा गई꠰ याे य उपादान हा,े िनम नैमक सधान हा ेअाैर ितबधक कारण का अभाव हा ेता ेयह पित ताे न मटेगी꠰ मु के लए भी यही पित चलेगी꠰ जैसा याे य उपादान िन कषाय जीव ह ैअाैर उसके कमाे का य भी हाे रहा है अाैर ितबधक भी काेई नही ह,ै मु उसक हाेती है꠰ यप ये तीनाे बाते उस थल पर भी ह ै ले कन उस जीव काे ता े देखये जा ेमु त हा ेरहा है꠰ उसक या थित बन रही है? उसक परणित व यान क ह,ै पर लगाव से हटने क है꠰ ताे यही ता ेवशेष याे यता क बात है꠰ यह वशषे याे यता जाे माेमाग मे लग रहा है जीव, ताे माेमाग मे लगने के लए वप परणित क वशेषता है꠰ जसैे उपादान याे य हाेना चाहए मु के लए, ता ेकस याे य क जा ेअपने ल य क परणित मे बन रहा है, एेसा ही जीव माे ा त करेगा꠰ अब उस समय िनम कारण हाे रहा है, बन रहा है, कमाे का य हा ेरहा ह ैता ेये सब बाते हाेती रहे क त उन पर अगर जीव ने उपयाेग कया ताे उनक वशेष याे यता मट गयी꠰ अब ससार मे लाने क याे यता बन जाती है꠰ ताे जाे पित है काय हाेने क, उस पित का अभाव नही है꠰ उस पित मे यह बात भर ई है क याे य उपादान हाेना चाहए꠰ याे य उपादान मु के लए या है? काैन है? जा ेअपने अापके वप के ल य मे रहता है꠰ ता ेहत का कारण अा अपना ल य करना, पर के ल य से हटना, अपने उस ानान दमय वप मे रमना꠰ ज मरण के सकटाे स ेपार हाने ेका उपाय वपरमण- जा ेभ य ाणी अत:साहस करके सव पदाथाे क अाकुलताअाे काे याग कर अपने वप मे रमता है वह ज मरण के सकटाे से पार हाे जाता ह꠰ै रहना ता ेकुछ नही ह,ै केवल एक हाथ मलने क बात रह जाती है꠰ सबसे िनराला है यह जीव, ताे एेसा ही समझकर एेसा ही अपना उपयाेग याे न बनाये? ध य है वे जीव जनका एेसा यान रहता है꠰ यान एेसा ही बना रह ेताे उस जीव का अव यमेव क याण है꠰ करने याे य काय यही ह,ै चाहे कभी से करे꠰ जब तक नही कर रहे तब तक लना ही है꠰ अारै इस गलती का यह भी परणाम हाे सकता ह ै क एेसे वपरत भाव मे पच जाये यह जीव क यह अवसर अाना उसे कठन हाेगा꠰ अाज जा ेसमागम पाया है उस पर यान दया जाये ताे कतना याे य अवसर पाया? हम अाज मनु य ए꠰ पश, पी, कट, थावराे से तलना ताे कजए꠰ अाखर वे भी ता ेजीव है, हम भी जीव है꠰ हम भी कभी वैसे ए थे जैसे क ये पश, पी अाद नजर अा रहे है꠰ या है उनमे याे यता? वे बाले सकत ेनही, अपने दल क बात बता सकते नही, मनु याे के अधीन है꠰ ज हा बाध दया, बधे रह,े जब खाना दया खा लया꠰ कुछ वश नही चलता꠰ यद एसेी थित मे हाेते ता ेवहा का ही वक प रहता꠰ इस मनु य भव मे जाे बात पायी है जसमे इतनी क पनाये चलती है वह वहा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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नसीब नही हाेती꠰ ताे उस पयाय मे रहते ए मरेे मे यहा या रहा? अाज इस पयाय मे , कुछ समय के लए ꠰ जा ेसम है वे सब मेरे लए कुछ नही ह꠰ै अरे अाज यहा अाैर मरण करके कही चले जायेगे꠰ समाधमरण का महव- भैया ! मरण ता ेिनत है꠰ जाे ज ा ह ैसाे मरेगा, क त जाे अपने अापके वप क रखता अा मरण करेगा उसका ता ेसधार हाे जायगा अाैर कसी मे माेह राग नेह रखता अा, वक प करता अा, दुखी हाेता अा अगर मरेगा ता ेउसकाे अागे खाेटे ज मले गे꠰ ताे मरना जब सभी काे है ताे यह भी ताे वचार करे क कस ढग से हम मरे ताे हमारा क याण हागेा? कस ढग से हम मरे ताे हम ससार मे दुख भाेगते रहेगे? इसका भी ता ेकुछ िनणय करयेगा꠰ अारै जस मरण पर हमारा भव य अाधारत ह ैउस मरण का कतना महव है? ठक-ठक वचारपूण थित मे मरण करने का कतना बड़ा भार महव है? ज का भी कसी का महव है ताे इसी कारण है क एेसा महव वाला मरण पा सके꠰ जीना उसका ही सफल ह,ै ज उसका ही कुछ फायदेम द है क जाे समाधपूवक मरण कर सके ꠰ ज क साथकता समाध मरण से है꠰ समाधमरण हाेवे ता ेसमझाे क ज दगी सफल है꠰ अारै यद यह समाधमरण न पा सके ताे समझाे क जदगी सब बेकार है꠰ समाधमरण के अाधार पर हमारे भव य का उ थान िनभर है꠰ देखये- दाे मनट मे शरर काे छाड़ेकर यह जीव चला जायगा, जब कभी भी समय अायगा ताे अब उतने समय मे अपने अापकाे स हाल लया ता ेभव य का सारा काल स हाल लया, अाैर उतने समय का ेअगर अपन ेअापक स हाल न कर पाये ता ेसमय अागे िनकल जायगा꠰ घटना घट जायगी, क त उसका खाटेा फल चरकाल तक भाेगना पडे़गा꠰ पुषाथ हाेना चाहए एेसा क हमारा समाधमरण बने꠰ अाैर समाधमरण बने इसके लए हमे य न करना ह ैअभी से꠰ ान साधना मे अधक रहे, ान पर उपयाेग अधक लगाये, धमा ा पुषाे के स सग मे रहे, कुछ सयम तप चरण का भी अादर करे ता ेइन य नाे स ेभी हम वह समय पा ले गे क जहा हमार समाध बन सकेगी꠰ समता परणाम हाे꠰ समता परणाम का मूल उपाय यह है क एेसी भावना बनाये क मै अक न , केवल चैत य वप मा ꠰ कसी भी चतेन अथवा अचेतन पदाथ से मेरा कुछ स बध नही है꠰ सारा वैभव भी ट रहा है, बगड़ रहा है ताे वह सब भी बगड़कर मेरा कुछ नुकसान न कर सकेगा꠰ अारै मेरा परणाम यद पर के लगाव मे पड़ रहा है ताे चाह ेये बाहर बाते मन के अनकूुल मलती जावे꠰ धन वैभव, लाैकक इ जत ित ठा अाद मनचाहे मलते जावे, खानपान भी मन चाहा मलता जावे, ये सब कुछ मल जाने पर भी यद स य व नही जगा, समाधमरण क ेरणा नही जगी ता ेये सब यथ हाे जायेगे꠰ ताे अब समझये क हम अापने जाे अाज समागम पाया है वह कतना महवपूण है, उसका फायदा यही है क एेसा उपाय बना ले क हमारा समाधमरण हा,े पडतमरण हाे, समता मे मरण हाे꠰ मेर मे काेई बाहर पदाथ कुछ समय का ेन रह,े एेसे उपादान मे एेसी याे यता बसी ई हाेती ह ैक वह अागे शा त हा ेसकेगा꠰ ता े वल य से जा े युत ह ैवह माे मे नही लग पाता꠰ माेमाग के िनम यप है लेकन कसी भी परपदाथ पर रखने से मु का माग नही

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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बन पाता꠰ इस कारण मु माग मे चलने का काय बनाने के लए व का ल य करने क अाव यकता है अाैर िनम अादक पर याे से ल य हटाने क अावयकता है꠰ वल य मे लगना व वल य रहना इन दा ेथितयाे का व लेषण- सग यह चल रहा है क मु के माग मे यप अनेक साधन ही अा करते है ितस पर भी कसी भी बा साधन पर ल य हाे ताे माेमाग नही चलता꠰ इसलए कत य यह ह ै क येक पदाथ का ल य छाेड़कर एक िनज व का ल य करना चाहए꠰ एेसी बात सन कर एक जास न ेयह जासा क क जैसे पर पदाथ का ल य करना कषाय सहत उपयाेग का काम ह,ै एेसे ही परल य से हटकर वल य मे लगना यह भी ताे कषाय का काम ह꠰ै एक ती कषाय ई क पर पदाथ मे ल य मे अाया अाैर यह मदकषाय मे अा क पर का ल य छाेड़कर व के ल य मे य न कया, तब वल य भी हत का कारण कैसे अा? जैसे परल य करना कषाय का काय ह ैइसी कार वल य मे लगना भी ता ेकषाय का काय है꠰ माेमाग मे अारै भी अ छे कायाे मे लगने क बात या च बना हाेती ह?ै च ताे चाहए अारै च करना यह कषाय का अश ह꠰ै फर च के कारण वल य मे लगा ता ेएेस े वल य मे लगना कैस ेहत का कारण बनेगा? इस जासा का समाधान यह ह ैक भाई वल य करना ताे अव य पर ल य मे लगकर वल य करने काे कहते है꠰ जैसे–उपदेश अा क भाई वल य मे लगा,े ताे अथ या लगा क पर लय से हटकर व अा ा के ल य मे अाअा ेअारै इस तरह काेई करे क पर पदाथ के ल य से हटकर व अा ा के ल य मे लगता ह ैताे यह मदकषाय मूलक काय है꠰ अब समाधान मे अाइय,े देखय-े इतनी बात ता ेअव य है क जब कसी जीव क कषाय मद हा ेतब ही ता ेवह पर पदाथ के ल य से हटकर िनज के ल य मे अायेगा꠰ ता े एेसे वल य मे लगने का य न मद कषायवश अा ह,ै लेकन उसके बाद वल य मे रह जाना, वल य ही रह जाना यह ता ेकषाय का काय नही ह,ै पर से हटकर व मे लगन ेके समय जा ेएक स ेहटकर एक मे लगा यहा तक ता ेकषाय क ेरणा है꠰ मदकषाय क ेरणा सही, लेकन वल य मे लगने के बाद जाे उसका वल य रह जाता है, एक िनवक प ान थित रह जाती ह ैया व ही मे रहता है यह काय ताे कषाय का काय नही है꠰ यह ता ेसहज परणित का वकास है꠰ वल य हाेन ेका ता पय या है इसका ेभी समझ लजए꠰ वल य हाेन ेका मतलब उस अव था से ह ैजहा राग ेष क परणित न हाे꠰ पर से हटकर वल य मे लगने क वृ तक ताे राग क बात थी अाैर उस पर से याेजन न था ताे उससे उपेा क बात थी ꠰ पर जब वल य रह गया तब परल य स ेहटने का काम ताे नही कर रहा ता ेएेसा जाे वल य रह जाना मा है उनके राग ेष क परणित नही है꠰ राग ेष क परणित न हाेने मे ही ताे व का अनुभव है꠰ व के अनुभव मे भी मतलब

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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या है क व मायने सामा य अा ा, चैत य मा अत तव वह है व꠰ जाे वश ह,ै िनरपे है, वय है, वह है अत तव ꠰ साे अत तव का या सामा य का ल य हाेना उस समय रह ही जाता है जब सब अाेर के ल य का अभाव अा꠰ जीव के ान, ान, चार गणुाे क िनर तर कायशीलता मे वल य रहन ेका सगम अवसर- जीव चैत य वप ह,ै अाैर इसका काय कुछ न कुछ ान रह,े ान रह ेअारै कही रमा रह,े यह काय कही भी कता नही꠰ इसी काे कहते ह ैान, ान, चार का काम꠰ जब यहा ससार मे लग रहा ताे परव त काे िनज प मानने का ान चल रहा अारै भदेाभेद, वप, कारण अाद का यथाथ बाधे न हाेकर कुछ स ेकुछ प मे पदाथ का बाेध करना यह ान का काम हा ेरहा अारै एेसी थित मे इसका ेजा ेइ ट जचा, उसके वक प मे रम रहा, यह चार का काम हाे रहा꠰ यही जीव जब स य व पाता ह,ै रय वश हाेता ह ैतब उसका ान व काे स् वप से तीत करने का रहता है꠰ अाैर जैसा जाे पदाथ ह ैअपने वप मे परपूण, पर से वव त उस प से पदाथ का ान करता है꠰ अारै अब चूक पर का भाव नही रहा, यथाथ काश जग गया तब व मे रमने का काम करता है꠰ येक परथित मे जीव के ान, ान, चार का काय हाेता ही रहता है꠰ ताे इससे भी यह ता पय िनकला क जब जीव परपदाथ क अारे से ल य नही रख रहा, पर के लगाव से हट गया है, ताे पर से हटने क थित मे वह व मे रह गया, वल य रह गया, यह बात उसके हाे ही जाती है꠰ इस जीव के वश काम सब सगम है꠰ उनमे लेश नही अाैर स य अान द ही अान द भरा अा है꠰ अा समृ क टकाे कणवत ्िन चलता- देखये भैया ! लेश, अाकुलता, अधीरता, घबराहट ये सब बन कर कये जा रह ेहै꠰ एक ान काश लाये अाैर पर से हटाये, अपने अाप श ानान द का वकास हाेता है, याेक यह ता ेअपना वप ही है अाैर अपने वप के वकास के लए कुछ कया नही जाता, केवल पर से हटने का काम हाेता है꠰ यहा जा े वप है वह िन चल ह,ै इसी बात का ेटकाे कण टा त से भी बताया गया है꠰ टकाे कणवत् िन चल, इस टा त का मु य भाव ताे यह लया जा रहा ह ैक जैसे टाक से उकेर गई ितमा, पाषाण ितब ब िन चल ह,ै उसका हाथ उठा कर सरकाकर कही रख दया जाये एेसा नही हा ेसकता꠰ उसका काेई भी अग चलायमान नही कया जा सकता꠰ कदाचत् पूर मूित उठाकर काेई ले जाये ता ेले जाये, पर उस मूित मे काेई अग चलत हा ेजाये साे नही हाे सकता꠰ ताे जैस ेटाक से उकेर गई ितमा िन चल ह ैइसी कार येक पदाथ का वप भी अपने अाप मे िन चल है꠰ तभी ताे देखये- िनगाेद जैसी अव थाअाे मे यह जीव गया꠰ जहा ान क अारे स ेदेखा जाये ता ेजड़ सा लग रहा꠰ ा ान है? लेकन वहा भी वभाव नही मटा, ान नही मटा, वप िन चल ही रहा अारै उसका माण यह ह ैवहा से िनकल कर अाज मनु य पयाय मे अाये है ताे हम ही ताे है जाे पहले थे अारै अाज वकास हाे रहा ताे वप एेसा िन चल है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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अा समृ क टकाे कणवत ्सहज सता- अब इसी टकाे कणवत् टा त मे एक नई बात देखये जा ेक हमे कुछ सीख देती ह ैअपनी गित के लए क जैसे टाक से उकेर गई ितमा कसी अ य पदाथ से नही बनायी गई ꠰ उसमे कुछ भी अ य पदाथ जाेड़ा नही गया, अाैर इतना ही नही, जाे मूित बनी उसमे भी कुछ कया नही गया, क त कारगर ने अगल बगल के पाषाण ख ड हटाये, हटाने-हटाने का ताे काम कया, पर वहा लगाने का कुछ काम नही कया अारै वहा वह अावरण, वह पाषाण ख ड हट-हटकर इस मिूत मे वह मूल चीज जाे थी वह कट हा ेगई꠰ एेसे ही अा ा के ान अाैर अान द के वकास के लए अारै कुछ नही करना है꠰ काेई बाहर स ेचीज नही जाेड़ना है꠰ कसी बाहर स ेकाेई चीज हण करके नही रखना, क त जाे वषय कषाय के परणाम पाषाण ख ड अावरण इस पर लगे है उनका ेहटाना है꠰ वह वभाव हट गया क यह जा ेकुछ ह ैवह अपने अाप कट हा ेगया꠰ लेकन यवहार मे अनेक चीजाे के सग मे अाकर भी एेसा ही है꠰ चाैक पर यद बीट गरा, कूड़ा जम गया ताे उसकाे साफ करने वाला या करता है? काेई काठ मे नई चीज लाता है या? पानी से धा-ेधाेकर मल अलग करता है꠰ जाे दसूर चीज है उसकाे दरू करता है꠰ वह दसूर चीज सब दरू हट जाये ता ेवहा जाे कुछ है वय, साे वह अपने अाप िनकल अाता है꠰ ताे एेसे ही अपने अाप मे जाे अपना वप ह,ै वकास ह,ै ानान द प है उसकाे उ प न करने के लए बाहर से कुछ नही लाना ह,ै केवल उन वषयकषाय वभावाे का ेदरू करना है꠰ वे दरू हाेगे कस उपाय से? भेद वान क टाक, भेद वान क ही हथाैड़, भेद वान का ही कारगर हा,े उसके ारा यह काम अपने अाप हा ेजायेगा क पर का स पक मटेगा अाैर िनज व जैसा सहज ह ैवह अपने अाप वकसत हाे जायेगा꠰ ताे यह वल य रहना, अपना क याण कर लेना, ज मरण से टने का उपाय बना लेना यह सब सगम ह,ै सा य ह,ै कया जा सकता ह,ै करने क अाेर चले काेई ताे꠰ बस गाड़ यही अटक रहती ह ैक इस अा क याण के करने के लए हम कटब नही हा ेपाते꠰ इतनी बात अगर हा ेजाये ताे सार बात अापकाे सगम दखेगी ताे व ही अपनी मे रहता अाैर ान सामा या क अत तव का उपयागे रहता, ये सब ताे क याण प है꠰ त, तप अाद क यवहारधमपता - यहा काेई न कर सकता ह ैक तप, त अादक व क याण है या नही? ये वय क याणप है, क याण के कारण है अथवा नही, यह न उ प न हाेना ाकृितक है, याेक अ य कायाे के उपयाेग मे लगा अा यह ाणी जब कुछ धम क अाेर चलने काे हातेा ह ैताे त, तप, दशन, स सग ये सब साधन अा ही करते है अारै उपदेश भी एेसा ही दया जाता, सयम करा,े तप करा,े त करा,े भु दशन करा,े ता ेये सब भी अपन ेक याण है अथवा नही? इस न पर अब वचार कजए꠰ बाहर जा ेतप, त अादक है वे उपचार से क याण के साधक माने गए है꠰ इसका कारण यह ह ैक तप, त, सयम अादक बाताे मे लगा अा ाणी िन चय तव काे पा लेता है꠰ पाता ह ैअपने ही सहज वकास ारा, मगर पाता उसमे हाेती ह ैजा ेकुछ सयमी ह,ै तप वी है꠰ इसका ेअगर स त श दाे मे कहे, ता ेजा ेअपनी अाेर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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लगा अा ह ैअारै क ट सह णु है꠰ तप वी अपनी ज दगी मे अनुभूित करने के लए अगर क ट सह णुता से, समता स ेक ट सह लेवे, एेसा अगर यान मे रखे ता ेकाईे ितकूल बात न हाेगी, याेक जा ेजरा-जरा सी बाताे मे क ट का अनुभव करता है उसमे यह पाता नही जगती है क वह एेसा वश सामा य अततव का अनुभव कर सके꠰ अपने राग के ितकूल, इ छा के ितकूल जरा सी बात ई उसी मे क ट माना꠰ एेसे क ट से घबड़ाने वाले ाणयाे मे व के अनुभव करने जैसे बत बडे़ पुषाथ क बात अाने क पाता नही है꠰ इस कारण साधु पुषाे काे क टसह णु हाेना चाहए अाैर क ट सह णुता मे ही ये तप चरण हा ेपाते है꠰ ताे जा ेइन बा तप, त अादक मे लगा अा है, उसका उपयाेग वषय कषायाे मे ताे नही ह,ै तब उसमे पाता ह ैएेसी क वह सामा य अततव का अनभुव कर सकता है꠰ धम याा के साधक हाने ेस ेताद क यवहार स ेधमपता- उ त वृ बात सनकर च मे एेसा तक उठना एक ासगक है क तब या तप, त से धम नही हातेा? या तप, त अाद धम नही है? तप, त काे उपचार से साधक कहने के मायने यह अा क यह धम नही ह,ै लेकन बडे़- बडे़ धमा ा जन भी एेसा ही करते ए देखे जा रहे है꠰ तब धम क बात बताअा,े या ये तप चरण अादक धम नही है? इसका भी शातपूवक समाधान ढूढ़ये- अाैर इस समाधान के लए यह जानना अाव यक है क धम नाम है कसका? धम का यथाथ वप ान मे अाने पर ये सब सम याये सलझ जायेगी꠰ तब देखये धम नाम ह ैअा ा क माेह ाेभ रहत परणित का꠰ अब त, तप क बात देखये- जसके स बध मे यह न कया जा रहा है꠰ बा तप, त या है? ताे ये है मन, वचन क चे टाये꠰ लेकन ये सब है शभ प꠰ अाैर कुछ मद कषाय क अाेर रहने क बात꠰ तब ये भाव पु य के िनम है꠰ मन, वचन, काय क सभी चे टाये साात ्धम नही है꠰ वे पु य के कारण है अाैर एेसे वणन मे जतने अश मे माेह ाेभ रहत परणित चल रही ह ैवह धम है꠰ ताे ये मन, वचन, काय क सभी चे टाये जीव काे पा ता ेबनाये रखती है क वह जीव जब व के अनभुव के लए पुषाथ करे ता ेहाे सकेगा꠰ यह बात कैसे समझी क इन सभी चे टाअाे के खलाफ अशभ चे टा मे काेई जीव हाे ताे वहा समझ मे अायेगा क उसमे पाता नही रहती꠰ जाे इय के वषय मे या लाेकेषणा मे कसी अारे वक प रमाये ए है ताे उसका े व क सध ही नही है꠰ व का अनुभव या कर सकेगा? ताे व का अनभुव करना, माेह ाेभ रहत परणित का हाेना यह ताे ह ैसाात् धम अाैर इस काय के लए पाता बनाये रखने वाले जाे त, तप अादक परणितया है वे है उस धम क पाता मे सहायक, अत: इसकाे यवहार स ेधम कहते है꠰ धम अारै धमपालन का व लेषण- धम श द क यु प ह ैयह ‘धत ेइित धम:’ अथवा ‘धरित इित धम:’ अाैर इसके वशेष ववरण मे चले ता ेअथ ह-ै पदाथ: अा िन य वभाव धे स धम:꠰ पदाथ अपने अाप मे जस वभाव का ेधारण करता ह,ै जस वभाव का ेधरे ए ह ैउस वभाव का नाम धम ह,ै उस धम का ेकरना नही है꠰ वह ताे वभाव है, परपूण है, सहज स ह,ै उस धम क करना है꠰ ताे धम क

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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करन ेका ेधम कहत ेहै꠰ हमने धम पालन कया, इसका अथ यह है क अा ा का जाे वभाव है, धम ह ैउसक इसन े क꠰ अब धम क करना साात् धम पालन है꠰ फर अनाद अन त अहेतक ानान द वभाव मा अततव का दशन करना, अाय करना, उपयाेग रखना साे धम ह,ै धम का पालन है꠰ अब इस धम पालन मे जाे जीव लग रहे है वे िनर तर इस धम पालन मे नही लग पाते꠰ ता ेजब नही लग पाते उस समय वे या काय करते है? कसी वषय कषाय मे, यु मे लग जाते है꠰ उनक वृ हातेी है त, तप अाचरण प꠰ ताे ानी सत क जाे बा वृ है अथवा उस ान वप के उपयाेग मे न लगने क थित मे जाे बा अाचरण बनते है वे भी कत य ता ेहै, करने ही ता ेहै ना, करना चाहए꠰ यद त, तप अादक न करेगे अारै व के अनभुव मे भी नही लगे है ताे उनक फर या दशा हाेगी? ताे ये त, तप अाचरण वृ करना ह ैअाैर इसके कए जाने का इसीलए उपदेश ह,ै अतएव ये त, तप अादक उस धम पालन मे बा साधन हानेे स ेअथात ्धम पालन क पाता बनाये रखने से इनका ेउपचार से धम कहा ह,ै अाैर जनक ही नही, ल य ही नही क हमकाे उ नित के माग मे करना या है, क त कुल पर परा से अथवा अपनी समाज के पुषाे क देखादेखी जाे काय कए जाते है उनमे धम का स बध ता ेनही, मगर एेसे लाेग भी कभी स सग पाये ताे उनका भाव बदल सकता है꠰ अतएव ान न हाेने पर भी, ल य न हाेने पर भी ानी पुष जाे काम करते अाये थ ेल य रखते ए, वे ही काम इस ल यहीन के भी हा ेरहे हाे ताे पहचान काैन करे? वह भी यवहार मे धम कहलाने लगता है꠰ या ताे बाहर मे एक ह ैना भीतर के िनणय से उनमे धम अाैर अधम का िनणय हा ेजायेगा꠰ ता ेसग मे यह बात चल रही ह ैक धम पालन ता ेानान द वभाव मा िनज अततव का ल य रह जाना है꠰ भतूाथनय स ेजीवाद तवाे के अधगम क िन चय स य व हतेपता- धम का वप यहा परमाथ से कहा जा रहा है꠰ धम नाम है वभाव का꠰ अा धम अा अा वभाव꠰ अा वभाव क करना, उपयाेग मे लेना, अा वभाव मे रमना यही है धम पालन अाैर अ य काम त, तप अादक ये सब इस जीव क एेसी पाता बनाये रखते है क जब धम पालन करे ताे कर लेगा अाैर अशप से तब भी कर रहा है, इस कारण उहे यवहार धम कहते है꠰ इस बात का ेसनकर एक जासा हाेती है क केवल अा वभाव स ेही स बध रखा धमपालन का, ता े या जीव, अजीव, अाव, बध, सवर, िनजरा, माे इन 7 तवाे का अथवा पु य, पाप मलकर इन 9 पदाथाे का ान करना धम ह–ैएेसा जा ेकहा गया, या वह भी स य नही ह?ै इसका उर सनाे꠰ भतूाथनय से जाने गए ये 9 पदाथ िन चय स य व के कारण है꠰ स य व परणित ताे अख ड है꠰ उसमे इतने वक प कहा हाेगे क जीव, अजीव अादक पदाथ का ान करना, उनक अलग-अलग तीित रखना एसेा भेदन स य व मे कहा हाेता है? स य व मे ताे एक समीचीनता है꠰ यह सम त सहज अा तव जैसा है, वह उसके अनुभव मे अाैर तीित मे बना अा ह,ै इस कारण यह जीवादक का ान जा ेक भूताथ से जाने गये के ढग स ेअा, वह िन चय स य व का कारण बनता है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वक प काईे भी धम प नही हातेा꠰ पर काईे वक प धम का कारण बनता ह ैअथात् उन वक पाे से गुजरने के बाद धम क मजल मल पाती है꠰ ताे वह वक प भी धम के समीप है अतएव धम है꠰ जैसे दसूर सीढ़ पर चढ़ना पहल सीढ़ गुजरने के बना नही हाेता, इस कारण पहल सीढ़ पर चढ़ना दसूर सीढ़ पर अाने का कारण है꠰ लेकन पहल सीढ़ पर चढ़ना ही दसूर सीढ़ का याेग न कहलायेगा꠰ ताे भूताथ स ेजाने गए 9 पदाथाे का ान या जानना यह िन चय सय का कारण ह,ै याेक जब भूताथ स ेजाने जायेगे ये 9 पदाथ ताे वहा एक श अा तव ही ितभासमान रहेगा꠰ भतूाथ पित का काश व भाव- भतूाथ स ेजानने मे सीधा अथ याे लगा ले क कसी एक मे उस एक का ेही िनरखना, यह भूताथ पित कहलाती है꠰ जब हम जीव का ेभूताथ से देखेगे ता ेपश, पी, मनु य ये जीव नही है꠰ अाैर कषाय, वक प, वचार, इ जत अादक जाे भी भावनाये है वे जीव नही है, अाैर न काेई अा तरक तरग जीव है, क त जीव ह ैएक टकाे कणवत् िन चल चैत य वप꠰ जब भूताथ स ेजाना जीव ने ता ेकहा पचा? सारे भव, सार पयाये, सार बाते टकर एक श चैत य वप मे अाया꠰ ताे जब भूताथ से जाना जाता है इस तव का,े ताे वहा केवल अा तव ही ितभास मे रहता है꠰ याे जीव तव काे जाना, अाैर उसका भाव समझा꠰ अब अजीव काे भूताथ से जाने, तब या भाव पड़ता है? इस ेपरखये- भूताथ से जाना इस पुद् गल के बारे मे ताे भूताथ से जानने पर थम उसक मे क ध या जाित भी न रहेगी꠰ यह कामाण जाित का य है, यह अाहार वगणा का य है, यह जाित भदे भी भूताथ मे नही पड़ा अा ह,ै याेक भूताथ जानता ह ैकेवल काे अारै यह बात ह ैसहेतक꠰ ये जाितया भी बदल सकती ह ैपर लगेगा ल बा समय꠰ ताे जाे बदल सके, जाे शा वत नही रहता, जाे एक प नही ह,ै जसमे यूनाधकता चलती हाे वह भूताथ मे पदाथ नही है꠰ जब इन क धाे काे िनरखते थे तब यह समझ मे अाया श अणुमा, जसमे गुण परणित का भी भेद नही डाला꠰ एेसा काईे साधक यह अजीव पदाथ जाना गया भूताथ से, अब इसका असर या हाेगा क जब भूताथ से इसे जाना ताे इसका जानना न जानना जसैा अा, याेक वक प ताे कुछ मचाया नही꠰ बा व त का वक प कर रखा नही, एक जानन चल गया उस अाेर से, ता ेवहा टका नही꠰ भाव यह हाेगा क बत ही शी यह अपने श अा तव के ितभास मे अा जायेगा꠰ भतूाथ पित स ेअाव के जानन ेका भाव- जब अाव का ेजाना कृताथ पित स ेताे अाव चूक सयाेगी पदाथ है अारै अाव दानेाे जगह अा करता ह-ै जीव मे अारै पुद् गल कमाे मे भी꠰ ताे जब भूताथ स ेअाव काे जानने के लए चले गे ताे कसी एक काे जाना जायेगा꠰ इस कार भूताथ पित बन जायेगी꠰ ताे जब एक जीवाव काे जानन ेचले ता ेभतूाथ पित से यह देखा क जीवाव- ये म या व, अवरित, कषाय के परणाम यही ताे अाव कहलाता है꠰ यह जीव से कट अा ह,ै जीव मे कट अा ह,ै जीव क याे यता से अाया ह,ै जीव के लए अाया है꠰ सब कुछ वहा जीव मे नजर अा रहा है꠰ अाैर एसेा नजर अाने के बाद

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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जब वहा अतरग मे दाे भाग हा ेगए एक ता ेवह ाेत अाैर एक वह भरा अा तव꠰ ाेत ता ेह ैवह जीव सामा य चैत य मा, परपूण भाव अारै वह भरा अा तव है जीवाव꠰ यह यहा से िनकला है꠰ अाव श द का अथ है अाना꠰ मगर अाना अागमन अादक श दाे से नही कहा है꠰ उसमे अाव का भाव न अायेगा꠰ अाव का अथ ह-ै अा मायने चाराे अाैर से व मायने चू जाना꠰ ‘अा सम तात् वण अाव:꠰’ अागमन कई तरह स ेहाेता ह-ै कदम बढ़कर अाना, चलकर अाना अारै एक चूकर अाना꠰ जा ेचाराे अारे स ेपसेवता अा, चूता अा है उस ेअाव कहते है꠰ ताे जीव मे जब अाव हाेता है ताे यह इसी ढग स ेहाेता है꠰ कही बाहर स ेचलकर अाव अाया नही꠰ कही कदम बढ़ा कर अाया नही, कत जीव के सम त देशाे मे वही से पसेवता, चूता अा भाव बना꠰ ताे एेसा जा ेवह जीवाव ह ैवह कस ाेत से अाया है? भूताथ से जानने पर उस ाेत क मु यता हाे जायेगी꠰ उससे अाव अश वलन हाे जायेगे, फर वहा ितभास मे रहा या? वह श अा तव꠰ जब भूताथ स ेकमाे मे भी अाव जाना ता ेवहा एक वह ढग चलेगा अारै रहेगा कमाे के अाव का ाेत नजर मे꠰ वह ाेत सू है, पर ह,ै भ न है, वहा टक नही सकता꠰ सा ेइस शभाव या के सग मे वहा भी अाखर श अा तव ितभास मे रहेगा꠰ भतूाथ पित स ेसवराद के अवगम का भाव- भूताथ पित से बध सवर अाद के अवगम का भी हतमय भाव है꠰ सवर मे ाेत का जानना अाैर भी सगम ह,ै याेक सवर भाव श वभाव के अनुप भाव है, इसलए वहा ाेत ज द हण मे अायेगा꠰ ता ेवहा भी यह श अा तव ितभास मे रहेगा꠰ इसी कार िनजरा अाैर माे ये सब भूताथ स ेजब जाने जाते है ता ेइसका भाव यह हाेता ह ैक वहा श अा तव ितभासमान रहता ह꠰ै ता ेअब िनरख लजए क जीवादक तवाे का भतूाथ पित स ेजानने का भाव या हाेता है? जहा श अा तव ितभासमान रहा, बस वही ताे स य व है꠰ ताे उस िन चय स य व का कारण हाेने से यह स य व है꠰ इन तवाे का ान ठक है अारै करना चाहए, पर परमाथ वप इसके बीच भी समझ लेना अाव यक है꠰ भूताथ से जानने पर इन 9 तवाे का भी ल य ट जाता ह ैअारै एक श अा तव पर ल य रह जाता है꠰ इस कारण यह स है क पर से व रागादक भावाे से रहत एक अपने चत टय मे ही थत जा ेसहज भाव ह,ै अत तव ह,ै च ा है तपू एकता का अनुभवना साे धम है꠰ धम च का एे वय- अब जान लजए क धम कतना सगम वाधीन सू ह,ै क त वक प जाल करने वाले पुषाे काे अित कठन है꠰ जस धम के साद से अनगनते भवाे के कम भी एक साथ खर जाते है उस धम क अाेर करना है꠰ बाक ता ेधम के नाम पर काेई कुछ करे ता ेवह पयाय मे ही बु बना रहा है꠰ जसकाे तन स,े मन से, धन से इतना लगाव लगा ह ैक वहा स ेववा दय मे फुरत नही हा ेपाती ह,ै ताे इस रग मे रगा अा पुष इस धम का पालन या करेगा? जसक इस धम के वप पर पचती है, ताे इस धम के उपदेशक गुजनाे पर, इस धम के ितपादक शा ाे पर, इस धम के मलू ाेत अरहत देव पर जने भु पर श त कृ ट भावना जगती ह ैअाैर फर वे ानी इतना उन पर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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याैछावर हातेे है क उसके लए तन, मन, धन, वचन सारा वैभव न कुछ चीज है꠰ एेसा ह ैयह धम꠰ अपने अा ा मे, अपने अाप अपनी ही परणित से ा त कया जा सकता है꠰ बधपयाय मे जीव अारै पद्ुगल क एकता का शकाकार ारा ितपादन- इस सग मे यह एक जासा बन सकती ह ैक यहा ताे यह समझ मे अा रहा क अा ा अारै पुद्गल दाेनाे क बध पयाय मे एकता है꠰ जब जीव अाैर पुद् गल अाज इस बध दशा मे पडे़ ए है, शरर मे जीव बधा, जीव मे शरर꠰ शरर चलेगा ता ेजीव का ेभी चलना पडे़गा꠰ जीव चलेगा ता ेशरर काे भी चलना पडे़गा꠰ हा, एक मरण काल एेसा ह ैक जीव ताे जायेगा अाैर शरर न जायेगा, ताे यह ता ेएकदम अलग हाेन ेक बात है꠰ वहा ताे बधन नही रहा शरर से, पर बध पयाय मे जीव क अाैर पुद् गल क एकता नजर अाती है꠰ अारै बतलाअाे इस जीव का िनवास ह ैकहा शरर के देशाे काे छाेड़कर? कैसा घना अवगाह प हाेकर जीव रह रहा ह ै क यद इस जीव के शरर क बनावट के भीतर कही पाले रह गई ताे वहा अा देश भी नही है꠰ देह के रग-रग मे बस रहा ह ैयह जीव꠰ जैसे कान के बीच मे जा ेछेद है वहा काेई शरर का पुद्गल पुद्गल नही है꠰ पेट मे भी जतनी जगह पाेल हाेगी, नासका मे जहा पाेल है वहा शरर के अणु भी नही है ताे जीव देश भी नही ह,ै एेसा जीव का घन अवगाह हा ेरहा है꠰ ता ेइस बध पयाय मे जीव अाैर पुद् गल क एकता ही ता ेहै꠰ या यह बात भूताथ नही है? या वह म या बात है? एेसा न हाेना ाकृितक है꠰ ब धपयाय मे दा े याे क एकता वदत हाने ेपर भी परमाथत: एकता का अभाव- अब उ त न के समाधान मे सिनये, देखये- यह बात भी हमने कब जानी जब अपने वप मा से हटकर इन दाे पदाथाे पर उपयाेग लगाया, तब ही ताे जान पाया क जीव अाैर पुद् गल क एकता है बध पयाय मे꠰ अरे हम जानन ेके लए चले अारै मूल मे ही भूताथ पित काे कुचल कर चले तब इसका वहा सा य कैसे नजर अायेगा क भूताथ पित से या समझ बनती है? हा बह हाेने पर, अपने अाप वभाव स ेएक व के उपयाेग से युत हाेने पर बाहर मे जब िनरखते है ताे जीव अारै पुद्गल इन दाेनाे क एकता बराबर समझ मे अायेगी꠰ मगर यह बात ता ेहमने समझी ह ै वप से चगकर, दा ेपदाथाे पर देकर अ यथा ता ेहमे इस व त भी जीव मे जीव नजर अाता अारै पुद् गल मे पुद् गल दखता꠰ जैस े– जीव, पुद् गल, धम, अधम अाैर काल ये 5 य कहा रह रह ेहै? अाकाश मे, लेकन जब भूताथ पित से देखते है ता ेवहा यह नजर अाता है क अाकाश मे ही अाकाश रह रहा है꠰ जीव, पुद्गलादक नही꠰ जीव य मे जीव ही रह रहा, धम य मे धम ही रह रहा, कसी मे अाैर काेई अ य पदाथ नही रह रह,े याेक भूताथ पित वप चत टय काे हण करता अा बनता है꠰ ता ेजब बह करके िनरखा ताे जीव अाैर पुद्गल इनक एकता का अनुभव अा, फर भी जा ेनजर अाया क ये दा ेअलग कुछ नही ह,ै इस जीव पुद्गल क एकता ही है ताे इस मे रहते ए ठक जच रहा है꠰ इस मे रहकर वह भूताथ है, क त यह भूताथता बनी कब? जब बह बन रही ह ै तब꠰ ताे बह के अनुभव मे अथवा जाे बाहर क ही मे रह रहा है उसे कहते है

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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म या꠰ उसके अनुभव मे यह एकता नजर अा रही है꠰ बध पयाय मे पयाय से ताे एकता ह,ै मगर उस एकता काे जा ेसवथा मान लेगा, वभाव का भी उस ेपरचय न रहेगा꠰ अाैर वभाव से सब पदाथ अपने अापके एक व मे ह,ै यह जब न रही तब कुछ भी जानना समझना कस काम का꠰ पयाय स ेबध पयाय मे एक व हाने ेपर भी ववके जनाे क वपदशन मे च- बध पयाय मे पयाय से एकता हानेे पर भी उस एकता मा का अनुभव जाे करेगा उसक श नही ह,ै ववेक पुष सयाेग न रखकर पदाथ काे केवल उसमे ही िनरखने का य न कया करते है꠰ जानन ेके लए जान लया, पर हेय अारै उपादेय का वचार भी ताे अाव यक है अारै कत य है꠰ बध पयाय मे जीव पुद्गल क एकता ह,ै यह पयाय से समझ मे अायेगी, मगर वहा ान टकाना नही है याेक वहा मलेगा या, उससे उार या? वह हेय तव ह,ै अाैर हये तव याे ही अा क वह पयाय मे िनरखा गया तव है꠰ भूताथ मे या िन चय मे िनरखा अा तव हेय नही ह,ै क त वय टता ह,ै हटाये नही टता꠰ जानकर ता ेलगता ही है मगर पयाय मे जानकर नही लगता अारै य अथवा परमाथ के वषय मे जानकर लगना꠰ कब तक लगना, जब तक क अपन ेअाप ट न जाये꠰ ता ेभूताथ पित से जब कुछ जाना जाता है ता ेवहा कैव य वप ितभास मे रहता है꠰ िनम नैमक स ब ध के अवगम का ेभतूाथता मे शामल न करन ेके कारण क पृ छना- अाज के सग मे यह बात चल रही है क जीवाजीवादक का ान करना या स य दशन नही है? ताे उर मे बताया जा रहा ह ैक यह सब िन चय स य व का कारण ह ैजब क भतूाथनय स ेजाना गया हाे꠰ भूताथ नय से जानन ेपर केवल एक अा तव ही ितभास मे रहता है꠰ ताे जब अाव तव का ेही जानन ेचला था भूताथ पित से, ताे एक काे एक मे ही िनरखा गया था꠰ ताे यहा न यह हाे रहा है क अाव अादक तव केवल एक मे देखा जाये ताे यह देखने वाले क मजी ह,ै क त इस त य काे ताे नही हटाया जा सकता क कम का िनम पाकर जीव मे अाव अा अाैर जीव परणाम का िनम पाकर कम के अाव ए, या यह बात यथाथ नही है? यह एक अलग बात है क काेई केवल जीव काे ही िनरखना चाह रहा ह,ै पर वा तवक ता ेयह भी है ना क जीव परणाम का िनम पाकर कमाव हाेता है अाैर कमाेदय का िनम पाकर जीवाव हाेता है꠰ यह बात भी ता ेत य क ह,ै फर इस ेभतूाथ मे याे नही शामल करते? बा हाने ेपर ही िनम नैमकता का अवगम हाने ेस ेभतूाथ पित काअपलाप- समाधान उ त शका का यह है क इस िनणय मे क कमाेदय का िनम पाकर जीव मे अाव हाेता है꠰ यप यह बात अायगी क हाेता है यह अाव एक जीव मे ही अारै हातेा है पर पदाथ का िनम पाकर, ताे एक य मे भी इस नैमक पयाय के अनभुव करने पर यह बात ताे अायगी क इसमे िनम नैमक भाव ह ैअाैर एेसा नैमक भाव हाेना त य क बात है, भूताथ ह,ै सच ह,ै क त एेसी भूताथता बनी कब? एेसा त य जचा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कब? कस थित मे इसकाे यह बाते वदत हाे रही है क कम का िनम पाकर जीव मे अाव हाे रहा, यह परचय बना बा करने पर, दाे पदाथाे पर रखने पर, जीव य के वभाव काे छाड़ेकर एेसी ही पयाय का अनुभव करने लगे ता ेयह ता ेबह का परणाम अा꠰ परमाथत: भूताथता कहा रही? ता ेयाे श केवल िनरपे सहजभाव मे रहे तब समझये क हमने भूताथ पित से जाना ह,ै ताे इस भूताथ रित से जाने गये ये 9 पदाथ ( जीव, अजीव, अाव, बध, सवर, िनजरा, माे, पु य, पाप ) िन चय स य व के कारण है, अतएव ये भी स य व कहलाते है꠰ भतूाथ अारै उसका भाव- भूताथ कसे कहते है अारै भतूाथ मे या ात हातेा ह ैअाैर भूताथ के फल मे लाभ या मलता ह,ै इन तीन बाताे का ेजान लेना भी बत हतकर है꠰ भूताथ उस का ेकहते है जा ेएक काे उसी एकता क अारे ले जाने वाल हाे꠰ कसी भी पदाथ मे उसके एक व वप क अाेर जा ेले जावे एसेी का ेभूताथ कहते है꠰ यु प से अथ यह हाेता है क वय हाेन ेवाले भाव क हाेना उस ेकहते है भूताथ꠰ इस मे केवल वभाव ात हाेता है꠰ अपने अाप सहज ही अपने सव मे जैसा जाे कुछ ह ैवह ात हाेता ह ैभूताथ से अारै परमाथत: यही वभाव धम कहलाता है꠰ भतूाथ स ेवदत ए वभाव का उपयाेग रखना यही धम पालन है꠰ जगत के जीवाे न ेकाम ताे िनर तर कया, ान, ान, चार का꠰ म या रहे अारै वहा भी िनगाेद अादक क कठन कुयाेिनयाे मे रह ेतब भी ान, ान, चार का काम कही भी बद नही अा꠰ तब पयाय काे अा ा प क तीित कर रहा अाैर सहज भाव क सध न रखकर कुछ भी जानता रहा अारै कषायाे मे वषयाे मे यह रमता रहा–यह ान, ान, चार का काम अा꠰ एेसा अधकार छाया र हता ह ैइस जीव के जा ेससार मे ल रहा है क उसे इस परमाथ वप का पता ही नही रहता क मै या ? मै वह जसका कही कुछ नही ह,ै कसी से स बध नही, काेई पदाथ नही, कसी स ेलेन देन नही꠰ अपने अाप मे परपूण ह,ै चैत य वभाव प है अाैर अपने मे अपना उ पाद, यय करता रहता है꠰ इसका कसी स े या स बध है? वत ताे वव त ह ैपर अानी ने एेसी बनाई क मे वह वव त न रह सका꠰ बस यही वड बना है अारै ससार क सम त कुयाेिनयाे मे मण करने का यही उपाय है꠰ भैया ! वहत के लये अ त: बत महान साहस बनाना हाेगा क मेरा कही कुछ नही है꠰ मा मै ही मरेा वप ही मरेा है꠰ तब जगत मे कही कुछ भी बगडे़, बने रह,े जाे परणित हाेती हाे, हाे, उनक परणित उनके लए ह,ै मेर परणित मेरे लए है꠰ व त मे अभदे षारकता का परचय- छहाे कारक व त मे अपन ेअाप मे घटत हा ेजात ेहै꠰ छहाे कारक याे घटत कये जाते है क इनकाे भ न पदाथाे मे 6 कारक मानने क अादत पड़ ह,ै उससे हटाने के लए अपने अाप मे छहाे कारक घटाने क बात कही जाती ह꠰ै कता, कम, करण, स दान, अपादान अाैर अधकरण꠰ स बध काेई कारक स कृत मे नही माना गया꠰ इसका कारण यही है क स बध हाेता ही नही है꠰ मानाे कहा जाये क चीजे दा ेहै, साे अपने अाप मे खद है, स बध या है? ता ेइस या से यह वदत

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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हाेता ह ैक स बध ता ेक पना क बात है꠰ स बध एक का दसूरे के साथ नही हाेता है꠰ अाधार हाे जाता है꠰ भ न या मे भी एक पदाथ अाधार है, एक अाधेय꠰ जैसे बैच पर पु तक रखी ताे अाधार अाधये भाव हा ेगया, ठक है, लेकन स बध या अा? पु तक क बैच है क बैच क पु तक꠰ लाेग एेसा कहते जर है क बैच क पु तक लावाे याने इस बैच पर जस पु तक काे रखा करते थे उस ेलावाे꠰ ताे अथ इसका ल बा अाैर का पिनक भी है꠰ स बध कुछ नही꠰ अब एक ही पदाथ मे वे छहाे कारक घटत हाे ता ेजीव का अत:काश मले꠰ कता- मै करने वाला , मै मरेे ही परणमन काे करता रहता , अब मेरे परणमन मे भी एक जानन परणमन ले लजए꠰ यही मु य धम है꠰ ता ेउस पर घटावाे꠰ मै जानता , अपने अाप काे जानता , जानन ेवाले काे जानता , कसी दसूरे पदाथ के ारा मै नही जानता꠰ केवल अपने ारा ही जानता अाैर जानने वाले के लए ही जानता ꠰ जानने का फल, जानने का भाव कसी अ य मे न जायेगा꠰ उस जानने क या स ेजा ेकुछ मलता है वह खद का ेही मलेगा दसूरे काे नही꠰ अाैर जानने वाले स ेजानता ꠰ यान ेजानन ेवाला यह है व अाैर उसस ेजानन परणित िनकल रही है꠰ याे उस जानन ेवाले से जानता ꠰ जैस ेभेदकारक मे कहते है- वृ से प ते गरते है ताे वहा भी यह ही क गई क वृ है व अाैर उससे प ता िनकला꠰ व से िनकलने मे अपादान कारक का याेग हाेता है꠰ मै जानने वाले से जानता ꠰ जानन पयाय मेरे से कट हाे जाती ह ैअ य स ेनही꠰ अाैर जानने वाले मे ही जान रहा ꠰ मै अपने अाप मे ही वह जानन परणमन कर रहा ꠰ जानन अारै नीित रित- अब देखये, जानन एक एेसा वश परणमन है क इसका अाकार ेयाकार बनता है꠰ कसी पदाथ का जानन प ही ताे बन रहा है꠰ ता ेइसमे वषय हाेता है पर पदाथ꠰ जब माेह रहा है जीव काे, ता ेउस पर-पदाथ मे लगाव रख लेता है, बस वड बना यह है꠰ काम ताे चल रहा ह ैसबका अपनी व त के कानून के माफक꠰ लेकन इस चेतन ने एेसी कु क क यह अपने ईमान पर न रह सका꠰ अजीव पदाथ ता ेअपने ईमान पर डटे है, उनमे सही बात हा ेरही है꠰ उनमे जब जैसा िनम मला तब तसैा हाेता है꠰ वराेध मे कुछ नही करते꠰ लेकन यहा जीव मे एक दसूरे के साथ स बध नही, फर भी ये मे स बध मान लेते है, ताे ये ईमान से ही ता ेगरे꠰ अथवा व त वप के े मे देखये अाैर परणमन े मे देखये ता ेयहा भी ये ईमान स ेनही गरे꠰ जब म या व का उदय अाया ता ेइस जीव का ेलना चाहए, मरना चाहए, क ट भाेगना चाहए, यह ईमान क बात है꠰ इसन ेपाप कया ता ेउस पाप के उदय मे इसकाे क ट मलना चाहए अथवा म या व के उदय मे इसक पर मे लगनी चाहए, अान अधकार हाेना ही चाहए एेसा ही वह िनम नैमक भाव है꠰ ताे याे खाेट बाते हाेना भी एक इस परणमन े मे याय क बात है꠰ अब ववेक यह करना ह ैक मै कस तरह का परणमन करता र ताे मरेा उ थान है अाैर कस परणमन मे मेर बरबाद है? एक सीधी सी बात यद कह द जाये क भाई त हार ता ेअब यह हालत हाेना है क मरेगे ता ेजर अाप, अाैर मरकर कही पश, पी अादक याेिनयाे मे ज लेना

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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हाेगा, वहा भी ज दगी बताअाेगे꠰ वहा तहे मारा, पटा, काटा, छेदा, भेदा जायेगा꠰ बस अापका यही ता ेाेाम ह,ै यही ता ेकाम है꠰ ता ेन सहायेगा यह काम꠰ अाैर यह भाव बनेगा क मझुे एेसा ज मरण न चाहए꠰ ज मरण यद न चाहए ताे इसका उपाय भी ताे करना चाहए꠰ उसका उपाय यही ह ैक भूताथ से जाने गये इस अत:चैत य वप का उपयाेग रखना꠰ जसैे यापार लाेग माल क गारट भी देते है, इसक 10 साल क गारट ह,ै यह िनयम से एेसा ही काय करेगा, एेसे ही यहा भी यह गारट है क यद उपयाेग पर-पदाथ से हटकर, परभाव से िनवृ हाेकर अपने अापके वभाव मे रमता ह ैता े िनयम से कम खरेगे अाैर मु ा त हाेगी꠰ यहा भी दसूर बात नही हाे सकती꠰ ताे भूताथ से जानने का कतना उ फल है? अारै वभाव क रखना यही धम का पालन है꠰ दान, पजूा अाद मे धम पता क गवषेणा- इस सग मे यह एक श य बनाया जा सकता है क पूजा, याा, दान अादक भी ताे धम है, उनक उपेा यहा याे क जा रही है? ता े या यह धम नही है? नही ह ैताे करते याे है? अारै कर रहे है बडे़-बडे़ ानी पुष भी꠰ ता ेइस श य क िनवृ इस अाय स ेहा ेजाती है क पहले धम का अथ समझये꠰ धम कहते कसे है? माेह ाेभ रहत िनवकार परणाम का नाम धम है꠰ अवकार वभाव जसक करने से भय दरू हाेता ह,ै सकट मटते है, शात ा त हाेती ह,ै जहा ाेध, मान अादक काेई वकार नही ह,ै जस वभाव काे भूलकर यह जीव भव-भव मे क ट भाेगता ह ैअारै जस वभाव क सध पाकर यह जीव ससार से ितर जाता ह,ै एेसे सहज ानान दघन िनज वभाव का दशन करना, अाय करना, यह है धम पालन꠰ शभापेयागे का वलास- अब रही दान, पूजा, याा क बात, ताे सनाे꠰ ये दा ेकार से हाते ेहै- एक य प, दसूरा भाव प꠰ याने य पूजा, य याा, य दान꠰ सामी हाथ स ेचढ़ा रह,े या मुख से वनती बाेल रह,े यह ताे य पूजा ह,ै पैराे स ेजा रह,े यह य याा ह ैअाैर हाथ स ेदसूराे का ेदान दे रह ेयह य दान है꠰ ता े ये सब बाते अा ा का परणाम नही है꠰ हाथ, पैर, मुख अादक का चलना यह अा परणित नही है꠰ भले ही काेई न काेई अा परणित इन कायाे मे िनम है लेकन ये काय अा ा के परणमन नही है꠰ अब भावपूजा, भावयाा अारै भावदान क बात देखये- भगवान का चर याद हाेना, भगवान क भ जगना, अनुराग जगना, भीतर मे अा हाद हाेना, उसक धुन बनाना, यह सब कहलाती है भाव पूजा꠰ ये है अा ा के शभ परणाम꠰ इसमे मन, वचन, काय क शभ चे टा ह ैअारै शभ परणाम है꠰ भावपूजा, भावयाा, भावदान, ये िनवकार परणाम नही है, इसमे मदकषाय है, अााद है꠰ हष के अास ूभी बहे, वषाद के अास ूभी बहे, गद्गद् वाणी हाे जाये, प ट श द न िनकले , ये सब शभ परणाम है, िनवकार परणाम नही है, लेकन िनवकार परणाम जसके अा करते है उससे पहले िनवकार नही ह,ै वकार ह,ै ताे याे ही वकार अा करता है꠰ इस कारण यह यवहार धम है꠰ पाप परणाम के बाद वानुभव कसी काे नही

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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जगता꠰ जब वानुभव जगता ह ैता ेपु य परणाम के बाद जगता है꠰ इस कारण पु य परणाम वानुभव का एक िनगाह से कारण अा, इस कारण वह यवहार धम है꠰ िनवकार पयाय के कारण के अ वषेण सग मे ऋजसुूनय के वषय पर काश- अब यह वकार परणाम, यह शभभाव िनवकार वानुभव परणाम का कारण हाेता ह ैया नही? इस पर भी अब िनणायक से वचार कराे꠰ सू ऋजसुूनय क से िनवकार परणित का कारण वकार परणित नही हा ेसकती अाैर यह ही या, ऋजुसूनय क मे कसी भी पयाय का कारण पूव पयाय नही है꠰ ये नय के अपने-अपने वषय है꠰ ऋजुसूनय केवल वतमान पयाय काे हण करता ह꠰ै उसक िनगाह मे ही दसूर पयाय नही, फर कारण काय या ढूढे़? ऋजुसूनय केवल एक पयाय काे िनरखता है꠰ एक भाव का ेदेखता ह,ै दसूरे का ेनही देखता꠰ साे इस नय से यवहार नही बनता꠰ लेकन जा ेबात है वह भी ताे जानना चाहए꠰ इस नय क मे यवहार क काेई बात कही भी नही जा सकती꠰ काेई कहे क ई जल रही है꠰ ताे जाे जल रही है वह ई न रही, जा ेई ह ैवह जल नही रही꠰ सार दकुान मे अाग लग जाये ताे वहा वान के ऋजुसूनय से काम ही न िनकलेगा꠰ या बुझाये? जाे जल रही उसका बुझाना या, जाे नही जल रही उसका बुझाना या? ताे ऋजुसूनय से यवहार नही चलता, मगर एक समयवती पयाय कैसी हाेती है? या ढग है? यह भी ता ेएक ेय तव है, उसक जानकार क जा रही है꠰ इस नय मे वशे यवशेषण भाव तक भी नही बनता꠰ या बाेला जायेगा? काेई यद कह दे क काैवा काला है ताे यह नय कहता है क यह झूठ बात है꠰ जतना पूरा काैवा ह ै या वह काला है? भीतर मे जा ेलाल, सफेद अाद खून, ह है वे भी काले है या? वे ताे काले नही है꠰ जतने- जतने काले हाेते है वे सब काैवा हाेते है या? तब ताे फर काले बदर, गाय, भैस अाद है ये सब भी काैवा हाे जायेगे? ताे ऋजुसूनय क मे यवहार नही ह ैअाैर उसक मे यवहार का लाेप हाे जाता है꠰ हाेता है ताे हाेने दाे꠰ यवहार क जगह इस नय से काम न लया जायेगा, पर नय का जाे वषय ह ैउसके समझने के सग मे यह नय काम करेगा꠰ िनवकार पयाय के कारण क चचा-अब यहा िनवकार पयाय का कारण या है? इस स बध मे बात साेची जा रही है꠰ िनवकार पयाय का कारण पूववती वकार पयाय नही हा ेसकता꠰ एक ता ेकायकारण वधान ऋजुसूनय के अाशय स ेनही हा ेसकता, दसूर बात सनने मे भी वषम लग रहा ह ैक िनवकार परणाम का कारण वकार बन जायेगा या? या वकार से िनवकार अा करता है? लेकन यह बात वहा पायी जा रही ह ैक थम बार िनवकार परणाम अायेगा ताे उसके पूववती समय मे एेसे ही शभ परणाम अा करते है꠰ अाैर एेस ेशभभाव के गुजरे बना िनवकार परणाम नही अा सकता꠰ जैसे तीसर सीढ़ पर चढ़ने का कारण दसूर सीढ़ ह,ै एेसा सभी लागे कहते है꠰ अब उस पर वचार करे ताे या वा तव मे दसूर सीढ़ तीसर सीढ़ पर चढ़न ेका कारण ह?ै... कभी नही꠰ दसूर सीढ़ ता ेअपने अाप मे ह,ै उस पर रहने वाला पुष वही है, वह तीसर सीढ़ क कदम का कैसे कारण है? लेकन यह भी ता ेबताये काेई क दसूर सीढ़

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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से गुजरे बना काेई तीसर सीढ़ पर चढ़ जायेगा? ताे इस से कारण है तीसर सीढ़ पर जाने का दसूर सीढ़꠰ याे ही कृत सग मे साेचये- िनवकार परणाम ताे कषाय रहत अनुभव है अाैर शभभाव मद कषाय का अनुभव ह ैअाैर अशभभाव ती कषाय का अनुभव है꠰ अब यहा तीन बाताे मे िनणय करये- ती कषाय का अनुभव, मद कषाय का अनुभव अाैर कषाय रहत परणाम हाेना꠰ इसस ेकषाय रहत परणाम के हाेन ेसे पहले मद कषाय का भाव अायेगा या ती कषाय का भाव अायेगा... मद कषाय का भाव अायेगा꠰ चाहे काेई ती परणाम रखने वाला पुष बत ज द ानमाग मे अाये ता ेवहा बड़ ज द ती कषाय का ेछाेड़कर मद कषाय मे अाया꠰ उसके प चात् यह िनवकार परणाम रहा꠰ ताे िनवकार अनुभव शभभाव के अनतर हाेता ह,ै इस कारण िनवकार अनुभव का कारण शभभाव बताया गया है꠰ अ या कारणकाय वधान या क चचा स ेउपल ध शा- उ त कारण काय या क चचा स ेशा यह लेना चाहए क हम लाेग ल य मे पूण सावधान रहे, रच मा गलती न करे, अाैर उस ल य के पाने क धुन बनाये꠰ उस धुन मे ल य न मले तब तक ये सब शभभाव प यवहार धमपालन करना अपना कत य है꠰ अाैर उन कत याे मे रहकर ल य रखना है वभाव का꠰ ताे याे वभाव का उे य, ल य, वधान जब सही बनेगा तब समझये क कमाे क िनजरा हाेगी꠰ जैसे केवल कहने मा से "अ टकम दहनाय धूप" कही कमाे का दहन नही हाे जाता, लेकन भाव ताे बनाता ह ैअारै ल य ताे रहता ह ैइसका, ताे पाता जगाये रखने का काम शभभाव करता है अारै कम िनजरा का काम शभाव करता है, अथवा याे समझये जैसे कसी याेा काे यु मे ढाल अाैर तलवार इन दा ेक जरत ह ैताे मारने का काम तलवार करती है꠰ याे ही कम िनजरा का काम शभाव करते है अाैर वषय कषायाे से बचाने का काम शभभाव कर रहा है꠰ याे कही शभभाव कत य है, लेकन ल य ताे शभाव का ही हाेना चाहए꠰ पवू परणाम यु त य क उपादान का कारणपता- उपादान कारण के स बध मे यह वणन अाया है क पूवपयाय सयु त य उपादान कारण कहलाता ह,ै यह लण सवदाेषाे का ेटालता अा लण है꠰ यद केवल इतना ही कहा जाता क पूव पयाय उर पयाय का उपादान कारण है ता ेयाे कहने से ये सब बाते भी सग मे अायेगी क स य दशन हाेने स ेपहले म या व पयाय थी, ताे स य व का कारण अा꠰ जब म या व स य व का कारण अा, उपादान कारण ह ैता ेअा व् य ता ेअनाद स ेही ह꠰ै सदैव याे नही स य व हा ेगया? अाैर जब यह कहा गया क पूव पयाय से सयु त य उपादान कारण ह ैताे इस कथन मे य क ता ेमु यता ई, याेक यहा वशे य जा ेहै वह य कहा गया꠰ क त कस कार का य उपादान कारण ह ैजाे य ववत पयाय से पहल पयाय मे रह रहा ह,ै ता ेयाे एक स े देखा जाय ताे स य दशन का कारण, स य व से जा ेपूव पयाय है, पूव परणमन ह,ै हागेा, स य वरहत उस परणित से सयु त य स य व क उ प मे उपादान कारण ह,ै लेकन वहा यह बात िनणय मे रखना ह ैक स य दशन का कारण अनतर पूववती म या व पयाय सयु त य ह,ै यह एक ववा से बात है꠰ पर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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व तत: म या व क स य व मे साधकतमता नही ह,ै याे वकार भावाे मे िनवकार परणाम क साधकतमता बनते है꠰ पयाय के एका त मे अहतेकवाद व णकवाद क उ प-पयाय पयाय पर देगे ता ेपहल पयाय उर पयाय का कारण नही है꠰ इस ही मे णकवाद क उ प ई꠰ णकवाद मे शा वत काेई पदाथ नही माना꠰ जाे पयाय ह ैवही पूण य है अाैर चूक पयाय अ य पयाय का कारण नही ह,ै न उपादान ह,ै न िनम, वह ताे य क अव था है꠰ ताे णकवाद मे भी यह माना गया क असत् का उ पाद हाेता ह ैअाैर उ प न हाेते ही न ट हा ेजाता ह,ै उसका कारण काेई नही है꠰ सब अहेतक हाेत ेहै꠰ यह बात इस से ही ताे उ हे मल क केवल पयाय काे ही देखा गया अारै उसे ही सव व समझा गया꠰ ता े कसी पयाय स ेकसी पयाय क उ प नही है꠰ उ प ताे उपादान मे ह,ै पदाथ मे है꠰ ताे यह लण बत ही उपयु त ह ैक पूवपयाय सयु त य, उपादान नवीन पयाय का उपादान कारण हाेता है꠰ यह सा त सभी घटनाअाे मे घटत हाे जायेगा꠰ धमभाव के उपादान कारण क समीा- अब देखये- धमभाव का उपादान कारण या है ? धमभाव वभाव भाव ह,ै अा ा का वभाव चैत य है, अारै चैत य का कभी पूरा अावरण हाे ही नही सकता꠰ तभी ताे कतने ही कमाे का अावरण अाये, ानावरण कम का बत अधक अावरण हा,े तब भी कुछ न कुछ ान कट ही रहता ह,ै उस ान का कभी अावरण न अा, न हाेगा꠰ इसे कहते है िन याेद्घाट िनरावरण ान꠰ सू िनगाेद ल यपया तक जीव के कम से कम ान रहता ह,ै वह हमेशा कट है अारै अावरण रहत ह,ै अब अागे वकास हाेता है ताे वह चैत य वकास अगले वकास का उपादान कारण बन गया꠰ कमाे के याेपशम से उ प न अा जा ेभी वकास ह,ै उस वकास का कारण पूव वकास है꠰ उर पयाय का कारण पूव पयाय सयु त य है꠰ इसी बात काे अब गुणाे के वकास के े मे देखे ताे उर वकास का कारण पूव वकास है याेक उस धारा मे वह वकास चल रहा है꠰ ताे वह वकास वकास का उपादान अा꠰ जब कमाे का य याेपशम हाेता है तब हाेता है वभावाे का अभाव अारै वभावाे का अभाव हाेने से जाे सहज वकास हाेता ह ैजीव के ानादक का, वह वकास उर वकास का कारण हाेता अा पूणवकास तक ले जाता है꠰ देखये अब िनर तर के पूण वकासाे मे भी पूव पूण वकास उर पूण-वकास का उपादान है꠰ हा, यहा इतनी बात अव य है क वहा हीनाधकता नही है꠰ पहले हीनाधकता थी꠰ भभाव क धमपता पर वचार- जब हम एक भूताथ पित स े िनरखते है ता ेवहा यह ान मे अाया क यह वकास इस वकास ही से िनकला है, अाैर जब एक सवेण करते है ताे वहा वदत हाेता है क पुद्गल कम अादक क अव था के िनम से जाे यह परणमन अा ह ैअथवा कुछ भी वभाव अा ह ैउसका कारण पूव पयाय सयु त य है꠰ अाैर सू से धमभाव का उपादान कारण पूव धमभाव का

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वकास है꠰ वकास स ेवकास बढ़ता जाता है꠰ तब यहा एक जासा यह हा ेसकती ता ेभु क भ करना अादक या धम नही ह?ै ताे इसके उर दाेनाे ही अाते है- धम है अारै नही है꠰ भ त अा ा मे जा ेएक व श अा तव क तीित बनी ह ैअारै उसमे जा ेवैरा य भाव बसा अा है वह ता ेधम ह ैअाैर उसके साथ जाे अनरुाग भाव बन रहा है, वह धम नही, क त शभाेपयाेग है꠰ देखये- भ भाव कस थित मे बनता है꠰ ान, वैरा य अाैर अनरुाग ये तीनाे बाते जुड़ती है तब भभाव बनता है꠰ ान न हा ेता े कस वप के यान मे भ जगे? वैरा य न हाे ता ेश तव मे या भु मे भ अा ही नही सकती꠰ उसके ताे हाेगा वषयाे मे राग꠰ अाैर जब तक अनुराग न हाेगा तब तक भ नही बनती꠰ ता ेभ मे ये तीनाे बाते हेत पड़ती ह-ै ान, वैरा य अाैर अनुराग꠰ ताे जाे ान अारै वैरा य है वह ता ेधम ह ैअारै जाे अनरुाग है वह शभाेपयाेग ह,ै धम नही ह꠰ै भ भाव क धमभाव िनकटता- भ भाव अधम है, इस श द से कहना कटवचन हागेा, कारण क वह ान अारै वैरा य के अित िनकट का भाव ह,ै पर वप काे िनरखकरके काेई एेसा भी कह ेता ेउसका अथ ह-ै धम नही है꠰ ता ेधमभाव ता ेवा तव मे ान अारै वैरा य है꠰ अारै जतना अनुराग ह,ै मन, वचन, काय क शभ चे टा ह,ै भु का यान है, वह सब एक शभापेयाेग है, धम नही है꠰ वह पु य का कारण ह,ै पु य भाव है꠰ तब परख करके कहा जाये ताे याे कह सकत ेहै क भभाव म भाव है, इस कारण वह धम नही ह ैअाैर अधम भी नही है꠰ क त धम के िनकट वाला भाव है꠰ जस जीव क भु के उस श ान वकास अारै िनवकार भाव पर गई है अाैर इस मे जाे अा हादत हाेकर भु क अाेर ही अाकषत ह,ै भु के गुणाे मे ही अपनी धुन बनाये ए है एेस ेपुष क थित काे अधम ताे कह नही सकत꠰े अाैर अनुराग परणाम वाला बन रहा अतएव धम कह नही सकते꠰ क त उस परणित के मूल मे धमभाव पड़ा अा है꠰ श ान अाैर वैरा य का भाव ए बना भ भाव अा नही सकता꠰ इस कारण भ भाव मे जतने अश ान, वैरा य है वह ता ेधम है अारै जतने अश मे अनुराग ह ैवह भाव वभाव ह,ै धम नही है꠰ शभापेयागे क वतना अारै कम िनजरा क साधना- शभाेपयाेग परणाम छठे गुण थान तक हाेता है꠰ ताे छठे गुण थान तक जा ेशभापेयाेग बताया, उसका भाव यह ह ैक देखये- उपयाेग ता ेएक समय मे एक हाेता है꠰ चाह े शभाेपयाेग हा े अथवा अशभापेयाेग हा े अाैर चाह े शाेपयाेग हाे꠰ अब थम तीन गुण थानाे मे अशभाेपयाेग हाेता ह ैअाैर चाैथ ेसे लेकर छठे गुण थान तक शभाेपयागे हाेता ह,ै पर साथ ही साथ इस शभाेपयाेग मे उस जीव के अ त:श वकास भी चल रहा ह꠰ै ताे श वकास का पश ह,ै उसके साथ यह शभाेपयाेग ह꠰ै उपयाेग ताे लगने काे कहते है꠰ अपना उपयाेग लगाया इस जीव न ेश तव क अाेर, ताे चूक एक च से लगाया इसलए शभाेपयाेग कहलाया, पर वहा जाे झलक ई, जसक झलक ई अाैर वहा वत: सहज जाे वत रहा है एक वकास, वह वकास ताे श है꠰ उस श क हातेी है꠰ ता ेअाशक प से शभाेपयागे ह,ै पर मु यता शाेपयाेग क है꠰ इन शभाेपयाेगाे मे जा ेान अारै वैरा य का

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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अश ह ैवह ताे धम ह ैअाैर जाे रागाश ह ैवह धम नही है꠰ िनजरा कस भाव के साद से हा ेरही है? वह भाव है सहज꠰ एेसा सहज भाव, एेसा वह श वकास का अश क जसके कारण ानी पुष के जगते भी िनजरा हा ेरही अारै सातेे ए मे भी िनजरा हा ेरही꠰ जब ानी जीव शभ के उपयागे मे रह रहा तब भी िनजरा हा ेरही अारै वषय कषायाे के उपयाेग मे भी लग रहा हा ेतब भी िनजरा हाे रही꠰ इस िनजरा का कारणभूत जाे वकास ह,ै जाे ह ैसाे है, अब उसके उपयाेग क बात है क इस समय कहा उपयाेग लग रहा? अशभ क अारे उपयाेग हाेने मे कुछ थाेड़ा फक अाये ताे अाये, लेकन मूल मे स यक् भाव के कारण जाे िनजरा ई है वह ता ेचल ही रही है꠰ शभ के उपयाेग के स बध मे कुछ वशेषता जगे, अशभापेयाेग क अपेा ता ेरहे लेकन िनजरा का मलू कारण जाे उस ानी के था, जा े क अशभापेयाेग मे लग रहा वही वकास, वही कारण इस शभाेपयाेग के भी है अारै कभी एक सेकेड के हजारवे ह से भाग भी उस श का अनुभव जगे, जसे वानुभव क थित कहते है ताे वहा भी कम क िनजरा उतनी ही है जतनी क इस शभाेपयाेग के समय थी꠰ थाेड़ वशेषता भर हाे जाती ह,ै उसका कारण यह है क सव बात, सव िनचाेड़ मलू से चला करता है꠰ अ त: कैसी याे यता ह,ै उसके अाधार पर ये सब बाते चलती है꠰ धम का कारणप भाव- धम का कारण धम क है꠰ पूव धम वकास उर धम वकास का कारण बन जाता है꠰ ब े लाेग एक खेल करते है क ख नी क दाे छाेट-छाेट लकड़या ताड़े लेते है꠰ वे लकड़या पाेल हाेती है꠰ उनके एक-एक कनारे पर ितरछा काटकर जाड़े दया अाैर उसे म मे सान दया, अब एक लकड़ का ह सा पानी भरे ए बतन मे डाल दया अाैर अगले िनकले ए ह स ेकाे थाेड़ा हवा से खीच दया जाये ताे उसस ेपानी झरने लगता है꠰ अारै अपने अाप इतना पानी झरेगा क सारा बतन खाल हाे जायेगा꠰ ताे वह पानी कसने झराया? वहा कुछ ऊ चाई क भी बात नही है क जसैे अाजकल क टक ऊ ची रहती है ता ेनल भी उतन ेऊ च ेचढ़कर पानी दे देगा꠰ सवव मान भाव पर रखा है, लेकन पहल बार का जा ेपानी का खचाव ह ैउसक धारा उर धारा काे बढ़ाती रहती है꠰ ताे याे ही समझये क जस कसी कार पुषाथ से एक बार धम का अाशक वकास हाे ता ेवह वकास अागे क वकास धारा काे बढ़ाता रहेगा꠰ ता ेधम वकास का कारण धम वकास अा꠰ इन सब करणाे से यह िन कष िनकला क शभाेपयाेग काे एका तत: धम कहकर न व लेषत करना अाैर अधम कहकर भी उसे व लेषत न करना꠰ धम का ार स य दशन से हाेता है꠰ अारै उस स य दशन के साथ रहने वाला जाे शभाेपयाेग है वह यप र नय प भाव नही ह,ै पर र नय का स बध बनाने वाला, र नय क पाता रखने वाला र नय का ेसरत बनाने का याेग ह,ै वह शभाेपयाेग ह,ै इस कारण उसे अधम नही कहा जा सकता꠰ शभापेयागे व शापेयागे मे तथा ानी व अानी के भाव मे अ तर- शभाेपयाेग का जाे खद वप ह ैिनज वतमान, उस वप क से देखा जाये ताे वह धम नही है꠰ धम ता ेमाेह ाेभ रहत िनवकार परणाम हाेता ह,ै शभाेपयाेग मे ाेभ ताे ह ैही꠰ मद कषाय ह,ै मद ाेभ ह,ै ाेभ का अयताभाव नही है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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जब काेई पुष भ भाव मे गद्गद् हाे जाता ह,ै राेमाच खडे़ हाे जाते है, अपने का ेअा हाद का अनुभव करता है꠰ इतना सब कुछ हाेने पर भी भीतर मे मराेड़ा ताे गया वह, ाेभ ताे उसमे अा꠰ अब वह ाेभ जा ेहै वह एक हतपथ मे ले जाने वाला था इसलए ाेभ नही कहते, पर मन, वचन, काय क चे टाये ाभे बना भी हाे सकती है या? हाेता ह ैकही के क जनके कभी वकार न हाेगा या जब तक कषाय नही है, लेकन जहा कषाय भाव है अाैर वहा कभी भु भ जगे ताे उसमे जा ेमन, वचन, काय क चे टा ई वह ताे ाेभ बना नही हा ेसकती꠰ वैस ेताे शभाेपयाेग स य के भी हा ेसकता, म या के भी हा ेसकता, लेकन म या के शभाेपयाेग का वातावरण अारै ह,ै स य के शभापेयाेग का वातावरण अाैर ह,ै अारै यह अ तर पड़ता ह ैभीतर ही भीतर꠰ ऊपर से ताे जैसे मन, वचन, काय क चे टा अानी क ह ैवैसी ही मन, वचन, काय क चे टा ानी क है꠰ जैस ेकाेई पुष शाकै से खा रहा ह,ै ताे उसके कारै ताड़ेने, खाने, चबाने अाद क सार बाहर याये उस स य पुष क भाित ही दखती है, पर व तत: उन दाेनाे क याअाे मे बड़ा फक है꠰ स य के ताे ानमय भाव ह ैअाैर म या के अानमय भाव का उपयाेग है꠰ स य व म या का अाशय- मदकषाय का म या के भी हाे सकता है अारै स य के भी꠰ बक बाहर क वृ से एेसा अ तर हा ेजाये कभी-कभी क स य के कषाय ती हा ेरही है अाैर म या के कषाय मद हाे रही ह,ै इतने पर भी भीतर या हाे रहा ह,ै कैसा कम बध हाे रहा ह,ै उसमे यह बात न अायगी क ती कषाय हाेन ेसे स य के ती बध हाे अारै मद कषाय हाेने स े म या के स य क अपेा स ेमद बध हा꠰े बध का कारण बल म या व भाव है꠰ म या व न हाेन ेसे जा ेबध नही हाे सकता वह बध ताे हाे ही नही सकता, चाहे कतनी ही ती कषाय हाे अाैर म या व हाेने से जाे बध अा करता है वह बध क ही नही सकता, चाहे कतनी ही मद कषाय हाे꠰ काेई दग बर साध ुजा ेअपन ेत चार के पालन करने मे बत सावधान रहता ह,ै मेर समित मे जरा भी फक न अाये, मेरे त मे रच भी अितचार न लगे꠰ मरेे सभी त, सयम िनदाेष अ छ तरह से पले , इससे मु मलेगी꠰ श ुस ेवराेध भी न करे, ाेध भी न करे, समता भाव से धन ा त हाेता ह,ै ये सब बाते उसके अाशय मे है क मै मुिन अाैर मझुे यह काम न करना चाहए, इस तरह चलना चाहए, इस बुिनयाद पर एेस ेमुिन का ेकाेई मारपीट रहा ह ैअथवा काे मे भी पेल रहा है ता ेवहा भी इस मुिन के यह अाशय ह ैक मझुे यह मुिनपद मला ह,ै अाैर मुिन काे कभी ाेध न करना चाहए, चाह ेयह कतना ही क ट दे रहा हा,े मा करना चाहए, इतना भाव ह ैमदकषाय का, लेकन मै मिुन , एेसी पयायबु हाेने के कारण उसका बध उस स य से कतना ही अधक है जा ेघर मे रहता अा वषयाे के उपयाेग मे भी लग रहा है꠰ भीतर क गु थी का ेसलझा लेना ही एक वा तवक याेित है꠰ यहा जसका परणाम श ानमय बन गया उसका ससार कट गया समझ लजए꠰ जा ेससार मे रहते है उनका बगाड़ हाेना अिनवाय नही, हा ेभी, न भी हा ेबगाड़, पर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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जस जीव मे ससार रहता है उसका िनयम से बगाड़ र हता है꠰ ताे य ह शभाेपयाेगी स य जीव ससार मे रह रहा, मगर उसमे ससार नही रह रहा अारै उस काे मे पलने वाले मुिन के च मे ससार रह रहा है꠰ ससार मायने पयाय꠰ इसका या वकास है दिुनया मे? सब परणमन꠰ इसी का ेकहते ह ैससार꠰ इस परणमन का अाधारभूत जाे य है उसक नजर रखने वाला ही यहा कानै है? ता ेयह शरर भी पयाय है अारै इसी का ेिनरखकर साचे रहा क मैन ेमिुनपद धारण कया, मझु ेाधे न करना चाहए꠰ भीतर क गु थी न सलझ सकने से इतने क ट करने पर भी उसे सफलता नही मलती꠰ तब जाने क धम पालन के लए हमे कहा य न करना है अाैर या अनुभव करना है? िन चयभ व यवहारभ- िन चय पित से भ का या वप ह ैअाैर यवहार पित से भ का या वप है तथा इस भ का याेजन या है, उससे फल क् या मलता है? इन सब बाताे के वषय मे अब वचार करना है꠰ िन चयभ ताे वह ह ैजहा अनाद अन त एक वप सदा मु त परमपारणामक भावमय का कारणसमयसार वप िनज परमा ा का स यक् ान, ान अारै इस ही वप से उपयाेग क थरता रहती है꠰ वह ह ैिनश् चयत: भ꠰ िन चयभ मे कसक अाेर ान, ान अाैर अाचरण कया गया ह ैउस तव पर यान देवे꠰ वह तव हम अाप सबका अपने अाप मे वराजमान ह ैअथात ्यह ही वय केवल वप अपने सव से जाे कुछ है उस वप क यह उपासना है꠰ अब अाप समझ लजए क जहा हम वीतराग सव देव परमा ा क भ करते है, जाे कमाे से मु त है अाैर अपने ानान द के पूण वकास मे रहे, उनक भ ता े यवहारभ है꠰ कतना पव वप, क त है वह परपदाथ, अतएव उसक उपासना यवहारभ ह,ै अाैर िन चयभ मे अपने अाप मे वराजमान भाव क उपासना है꠰ ता ेइससे यह अदाज लगाये क अापमे वय मे कतना उ कृ ट तव बसा अा है꠰ अाैर वा तवकता भी यही है क वह िनज सहज परमा तव क उपासना स ेही सवर िनजरा अाैर माे हाेता है꠰ ता ेयह िनज तव ह ैअनाद अन त꠰ इस मुझ सत ्का ेकसने बनाया? यह मै सत् कैसे मट सकू? जा े सा ेसदा से , सदाकाल तक ꠰ अारै वह एक वप है꠰ अब जाे नाना वप हाे रह,े अब तक ए है उन वपाे क न देना, क त इनका जा ेाेत ह,ै अाधार है अथवा जसके सव पर कुछ साधनाे स ेये वड बनाये बन रही है उस सहज तव पर देना ह,ै वह ता ेएक वप है꠰ काेई पदाथ ह ैताे अपने अाप है अाैर अपन ेअाप जाे कुछ है वह सब वश है꠰ वहा परकृत काेई भदे नही, भेदकृत काेई भदे नही꠰ वह ताे एक वप है꠰ सहज परमा तव- इस सग मे जसक उपासना स ेिन चयभ बनती है उस सहज परमा तव क बात कह रहे है क वह एक वप ह,ै सदा मु त है꠰ कुछ लाेग एक ई वर एसेा मानते है क जा ेसदाशव ह,ै कभी बधन मे ही न था, वह एक ई वर ह ैअारै उसके अलावा जतन ेभी भगवान परमा ा ई वर बनते है वे सब कभी से बनते है अारै कभी तक ही परमा ा रहेगे, सदा न रहेगे꠰ यह सदाशव जाे क अ य दाशिनकाे ने माना है जब यह एगड़ाई लेगा ताे उन सब मु ताे काे ढकेल देगा अारै ससार मे फर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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ज मरण करेगा꠰ इस तरह का िनणय कर रखा ह ैकुछ दाशिनकाे ने꠰ बात यहा यह िनरखना है क दशन के नाम पर कसी न ेकुछ भी क पना कर रखी हा,े अाखर उसका काेई न काेई भीतर मे सू थाेड़ा बत अाधार हाेगा꠰ एकदम मूल से ब कुल गलत बात पर क पना नही उठती꠰ यह क पना उनके याे जगी क ह ैकाईे सदाशव ई वर, जा ेसारे जगत क सृ का कता हा꠰े ता ेक पना मे बढ़-बढ़ करके उ हाेन े या कया, उस पर ताे चचा नही करना है, मगर यह िनरखये क यह अा ा वय सदाशव है꠰ अथात् जाे वप ह ैअपने सव के कारण जा ेकुछ इसका सहज भाव है वह सदा मु त है꠰ काईे भी सत ् कसी स ेबधा अा नही है꠰ वह सबसे िनराला है꠰ काेई भी सत् वय अपने वभाव क अारे मे वकार नही ह,ै वह अवकार है꠰ सवजीवाे मे जाे सहज परमा तव है, श चैत य वप है वह ताे सदा मु त ह,ै सदाशव ह,ै सदा क याणमय है꠰ सृ का अाधारभतू तव- अब देखये सव चम काराे का मलू ता ेयही ह ैना! अब उस पर या बीती? या हा ेरहा, या ढग बना लया क यह सब ससार क सृ बन रही꠰ इस सृ मे इस सार सृ का ेकाेई एक सत् करता नही, क त जतने अन त जीव है वे सभी के सभी अपने अापक सृ के कता है꠰ अाैर जा ेकुछ यहा दख रह ेहै प थर, ख ा, काठ, लाेहा अादक ये प अाये कहा से? ये प इस ही सदाशव के ाेत से अाये है, इस ही क सृ मे अाये है꠰ अगर जीव का स बध न हाेता ताे ये प थर, काठ अादक प बन कैसे पाते? पृ वी मे जीव था, पेड़ मे जीव था ता ेये बढे़, हरे ए अारै इनका यह प बना꠰ ता ेचेतन अारै अचेतन सभी सृयाे का अाधार यह जीव रहा ना, अारै जीव का वप एक है꠰ यप जीव नाना है, अन त है, मगर वप स ेजब देखा ता ेएक वप है꠰ जसै ेसमु मे जल नाना ह꠰ै एक ब द ुएक-एक जल ह,ै लेकन सम त ब दअुाे का वप ही जब नजर मे रहता ह ैताे वहा एक नजर अाता ह꠰ै ताे इन सब जीवाे का वप मे एक तव नजर अाया꠰ जसकाे सदाशव या सदामु त श द से कह लजए꠰ वह सदाशव सदामु त अनाद अन त एक सहज परमा तव सव जीवाे मे अ त:काशमान है꠰ उसे जाे देख लेता है उसका भला हाे जाता है꠰ जाे उसकाे नही तक पाता है वह अधेरे मे रहकर वक प करता अा ससार मे लता रहता है꠰ कारणसमयसार- जसक उपासना का ेयहा परमभ कहा जा रहा है उस तव क चचा चल रही है꠰ वह परमपारणामक भाव वप है꠰ पारणामक श द का अथ या ह ैक परणाम ही है याेजन जसका, उस भाव का ेपारणामक भाव कहते है꠰ पयाय करते रहना ही है याेजन जसका, उस तव का ेपारणामक भाव कहते है꠰ इस लण से जतने काश नजर अा रहे है, जाे सत् ह ैउसका काम है िनर तर परणमन करते रहना अाैर परणमन करते ए मे जतन ेभी परणमन है उन सब परणमनाे का जा ेअाधार ह,ै उन परणमनाे मे जा ेवतव है उसका ेकहते है पारणामक भाव꠰ अारै वही िनरपे प से देखा गया न, अतएव वशेषण साथ मे लगा देते है परम꠰ एसेा पारणामक भावमय यह सहज परमा तव है, इसकाे

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कारणसमयसार भी कहते है꠰ कारणसमयसार अाैर कायसमयसार ये दाे श द है꠰ कायसमयसार का अथ ह ैपरमा ा जा ेकट हा ेगया है꠰ अरहत अाैर स ये कायसमयसार है꠰ जाे वीतराग सव बन गया ह ैअथात् काय बन चुका ह,ै पूण समयसार एकदम कट हाे गया ह ैउस अा ा का ेकहते है कायसमयसार꠰ अारै कारणसमयसार दाे कार से देखा जायेगा, एक ताे कायसमयसार हाेन ेसे पहले जाे अव था है उसका ेकारणसमयसार कहते है꠰ जैसे 12वे गुण थान क अव था꠰ उसके बाद ही ता े जने बनते है꠰ ता ेकारणसमयसार अा ीणमाेह गुण थान꠰ यह ता ेई वशेष याे यता क बात꠰ अब दा ेबाते अारै समझना ह ैक एेसा कायसमयसार काैन जीव बनता ह,ै काैन य बनता है? इसका जा े उर अायेगा वह ह ैकारणसमयसार꠰ अरहत अाैर स काैन बनता है? अाकाश, धम, अधम, काल, पुद्गल अादक बनते है या? नही꠰ जीव बनता है, अा ा बनता है꠰ ताे कायसमयसार हाेन ेक कारणता जीव मे है꠰ याे सामा यतया कारणसमयसार जीव कहलायेगा꠰ एक इस स ेजीव कारणसमयसार ह꠰ै दसूर बात यह तकना ह ैक वह काैनसा तव ह,ै जसका अाल बन लेने स ेकायसमयसार कट हाेता ह?ै वह तव ह ैयह सहज चैत य वप꠰ जसका अाय करने स,े उपयाेग करने से, जसमे थरता हाेने से जीव का क याण लाभ हाेता है꠰ कायसमयसारपना कट हाेता है꠰ जसका अाल बन लेने से कायसमयसारपना बनता है उस तव काे कहते है कारणसमयसार꠰ ता ेयह सहज परमा तव, जसक उपासना करना परमभ ह,ै वह ह ैकारणसमयसार꠰ िनयभ के वषयभतू सहज परमा तव क अ त:काशमानता—यह सहज परमा तव अपने अाप मे वराजमान ह꠰ै जैस ेघी दधू मे बना अा ह,ै अ त:काशमान ह,ै अाखाे नही दखता अाैर वाद मे भी न अायेगा, उसका यवहार भी न बन पायेगा, लेकन उसके पारखी लाेग बता देते है क इस दधू मे इतना घी िनकलेगा अारै इस दधू मे इतना꠰ ता ेदेखये दधू के अ त: ही अ त: समझा ना कुछ, तभी ता ेपहले स ेही उसका िनणय दे देते है꠰ ताे जैसे दधू का घी अ त: है, मगर बाहर य त नही꠰ य त हाेने क पित है कुछ जससे वह य त हा ेजाता है, या पित है? जामन का ेस कृत करके मथ दया जाये, ता ेघी कट हा ेजाता है, इसी तरह इस जीव काे वपभावना से स कृत करके इसे मथ दया जाये अथात् अपने उपयाेग ारा इसका ेहण कया जाये, इसका ेमला दया जाये उपयागे मे, ता ेइस पित स ेयहा यह परमा तव कट हा ेजाता है꠰ ता ेएसेे सहज परमा तव क भ करना िन चय भ है꠰ यवहारभ- उपयाेग मे अरहत स वप का साे लास रहना, अनरुाग सहत बसना इसका नाम है यवहारभ꠰ यवहारभ क या मे भाव अाैर िन चय भ क या मे जाे भाव हाेता ह ैउस े वय अनभुव करके िनरख सकत े है꠰ जब एसेी बनी हा,े अाकाश मे ऊपर समवशरण मे जने वराजमान है जनका चाराे अारे स ेमुख दखता है, बत बड़ शाेभा मे गध कुट पर अतर वराजमान है, चारा ेअाेर से देव देवया नृ य गान करते चले अा रह ेहै, भ मे झमूते नजर अा रह ेहै꠰ अरे यह सब कस बात का अाकषण है? ये कसी के र तदेार नही लगते, कसी से बात नही करते, सबसे िनराले है꠰

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इनके उपयाेग मे कुछ बसा भी नही है पर यह या अधरे हाे रहा क जनसे कुछ मतलब ही नही, यह वग खाल हाे रहा है, सभी के सभी लागे वहा पच रहे है, ये मेढक भी उछलते ए जा रहे है, ये पश पी भी वहा पच रहे है, या गजब हाे रहा है? काैनसा अाकषण है क जसक वजह से देखाे- समवशरण मे इतने जीव अधाधुध चले अा रहे है꠰ थाेड़ देर काे अचरज सा लगे, लेकन जब मम समझ मे अायेगा ताे ये सब अचरज समा त हाे जायेगे꠰ अब यह अा ा सव ससार से िनराला हाे गया꠰ अब इनकाे कसी मे राग ेष नही है꠰ इतना ानगुण वकसत है क जससे तीन लाेक तीन काल के सम त पदाथ ितभासत हाे रहे है पर इनकाे कसी से कुछ मतलब नही꠰ एेसा िनराला अा ह ैयह अा ा꠰ एेसा कुछ भान ही सब जीवाे मे अाया ह ैअपनी अपनी भाषा मे, उसका अाकषण ह ैयह꠰ ता ेअब जािनये क लाेगाे मे राग का जा ेअाकषण है उससे अधक वीतरागता का अाकषण हाेता है꠰ उस समय जब उस वीतराग वप सव वप उस अा तव पर पचती ह,ै ताे साथ ही साथ अपने अपराधाे पर भी पचती है अाैर भु से अपनी तलना क भी जगती है꠰ एक साथ हष अारै वषाद दाेनाे मल करके एक ठडा अाैर गम मत अासू बह जाते है꠰ यह सब अाकषण एक अपने भाव का है, भु का नही꠰ एसेा भु वप जसके दय मे बसा है वह वय उस अारे अाकषत हाेता चला जाता है꠰ भ का भाव- यवहार भ का भाव वलण है अारैिन चय भ काभाव ता ेउससे भी उ कृ ट है꠰ जहा अपने अाप मे ही गु त ही गु त वय शा त हाे जाता ह,ै एेसा िन चय भ का वप है꠰ अब यवहार भ मे ताे नमन, स् तवन, पूजन ये सब चलते है, पर परम भ मे केवल एक भाव का ही नाता है꠰ ता ेजीव का उार ह ैपरम भ से꠰ यवहार भ भी इस परम भ का ेस प न बनाने के लए ह꠰ै जब इस िन चय भ मे न रहा जाता ताे यवहार भ मे यह ानी चलता है अाैर वहा जब एक अत:प से नही रहा जाता ताे मन, वचन, काय क एसेी शभ चे टाये हाेती है꠰ यह यवहार भ है परम भ के लए अाैर परम भ है शव वप पाने के लए꠰ याे भ का वप है अाैर इसका याजेन सदा के लए श शा वत अान द पाना है꠰ रागाद के कारणाे पर वचार- पूवपयाय सहत पदाथ उरपयाय का उपादान है꠰ उपादान कारण के स बध मे जाे एक सा त बना था क पूवपयायसयु त य उपादान कारण हाेता है ताे वकार भाव क पूव पयाय है वकार भाव, सा ेउसस ेसयु त य उपादान कारण ह꠰ै अब यहा देखये क इस वकृत दशा मे थित या गुजर रही ह?ै रागेष प अ यवसान चल रहा ह꠰ै ताे इस कार क जा ेमलन पयाय है उससे सहत य उसका उपादान कारण ह,ै याेक अ यवसान भाव के कारण ये सब वकार परणमन चल रह ेहै अाैर उस अ यवसान भाव का कारण या है क व त के असाधारण अाैर थायी भावाे का अान है꠰ जा ेपदाथ मे असाधारण भाव ह,ै जससे उस य क पहचान हाेती है, जाे अ य य मे न पाया जाय उस भाव का अान ह,ै इस कारण रागेषमाेह अ यवसान है꠰ इसकाे याे भी कह लजए क जाे व त का असाधारण भाव

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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है वही व त का थायी भाव ह ैअारै उन थायी भावाे का ान नही ह,ै इस कारण स ेवह अान राग, माेह अादक का कारण बनता है अाैर इस अान का भी कारण या है? याने एक असाधारण भाव का अथवा थायी भाव का ान न हाेना? इस अान का कारण या है? इस अान का कारण ह ैपूववती अान दशा꠰ अान से अान धारा मे चला जा रहा ह ैअारै िनम कारण है कम का उदय꠰ दशन माेह के उदय से म यातीित सहत जाे परणाम है, वही अान दशा है꠰ ताे यह नैमक भाव है꠰ दशन माेह के उदय से अा है꠰ यह अान कस प है? यह अान या चीज ह?ै व अाैर पर मे एक व का अ यास प है, यही अान है꠰ यहा अान का ेान का अभाव नही समझना, क त िनज अारै पर मे एक व का अ यास है यही अान है, जसके कारण यह िनज का ेिनज अाैर पर काे पर नही समझ सकता꠰ यामाणकै वा यास- व अाैर पर मे जा ेएक व का अ यास है, जैसे देह का ेअा ा मानना, यह व अाैर पर के एक व का अ यास है ताे एेसे एेसे एक व के अयासाे काे हम तीन पाे मे देखे- एक ता ेयामाणैक वा यास अाैर दसूरा वप मानैक वा यास, तीसरा ायमानैक वा यास꠰ व अाैर पर मे जाे एकता का म चल रहा है यह तीन पाे मे है꠰ जैसे यमाण एक वा यास यह है क मै मारता , खाता , बाेलता , एेसा जा ेरागेष गभत या क अाैर अपने अापकाे एक मान लेना क मै कता , ताे या के करने मे एकता जाेड़꠰ यह अा यमाणाे मे एक व का अ यास꠰ अा ा ता ेवा तव मे अहेतक है अाैर इसक या एक जानन या मा ह,ै इसका काय केवल जानन है꠰ एेसे अपने परमाथ वप का ेन समझकर अाैपाधक नाना याअाे मे अपनी एकता जाेड़ना–यह ह ैयमाणैक वा यास꠰ इस अ यास मे इस जीव ने परया के साथ अपनी एकता जाेड़, साे एक इस कार का एक वा यास इस जीव क अानदशा का कारण बन रहा है꠰ वप यमानकै वा यास- दसूरा अ यास है वप यमानैक वा यास याने कम के वपाक वश जाे परणित दख रही ह-ै जैसे मै मनु य , ितयच , पुयमय , पापमय , सखी , द:ुखी अादक जाे भाव बन रहे है ये है सब कमाे के वपाक अाैर इन पयायाे मे अपने अापकक ह ै इस जीव न े एक व क क पना꠰ ता ेकमाेदयजिनत अव थाअाे का ेअाैर अपने अापका ेएक मान लेना यह ह ैवप यमानैक वा यास꠰ पहल बात स ेइसमे या फक है क पहले ताे करने मे इसने अपनी एकता जाेड़ क मै करता ꠰ अाैर इस दसूरे अ यास मे कमफल मे, पयायाे मे एकता जाेड़, मै मनु य , अमुक , सखी , द:ुखी यह ह ैवप यमानैक वा यास याेक अा ा ताे अहेतक है अारै ायकभाव वप है, लेकन इन पाे मे न मानकर अाैपाधक वभावप मानने लगना–यह है वप यमानैक वा यास꠰ ायमानकै वा यास- तीसरा अ यास है एक वा यास꠰ ायमान पदाथ के साथ अपनी एकता जाेड़ना साे ायमानैक वा यास है꠰ जैस ेधम य, अधम य, अ य जीव पुद् गल अादक जा ेायमान हा ेरहे है

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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उनकाे व अपने अापकाे एक मानना यह ायमानैक वा यास ह꠰ै जाे जानन ेका वषय है उसमे अाैर अपने का ेएकमेक कर देना इस ेकहते है ायमानैक वा यास, याेक यह अा ा ता ेअहेतक अाैर एक ान वप ह,ै क त एेसे परमाथ वप काे न समझकर ायमान अ य पदाथाेमय अपने काे मान लेना यह म या अाशय इस अ यास मे पड़ा अा है꠰ ताे यह तीन कार के एक वा यास से अानमय दशा बन रही है꠰ करने मे एक व मानना, मै खाता , चलता , मारता , द:ुखी करता , सखी करता ꠰ यह एक यमाणैक वा यास है꠰ कम के फल मे ा त ई पयाय मे एकता करना- मै मनु य , सखी , द:ुखी , अादक यह है वपयमानैकवायास अाैर जानने मे जा ेपदाथ अाया ह ैउस पर य मे एकता का अ यास करना, जैस ेयह मेरा पु है, म ह ैअादक प दसूराे का ेअपनाना, यह सब है ायमानैक वा यास꠰ अानदशा क अनादता- उ त तीन कार के भावाे के कारण यह जीव अानदशा मे चल रहा ह꠰ै अारै यह अानदशा जीव मे अनाद से है याेक इस समय क जा ेअानदशा ह ैवह पूव अानदशा स ेहै꠰ इसका उपादान पूव अानदशा है꠰ उसका उपादान पूव अानदशा है꠰ इस तरह अान क सतित अनाद स ेहै꠰ एेसा नही ह ै क यह अा ा पहले ताे श हाे, फर कसी कारण स ेया अकारण अश अा हा꠰े ता ेयह अानदशा, यह वकार भाव अनाद से ह ैअन त काल तक रहेगी꠰ रागेषादक जा ेभी वकार भाव है, जाे अनुभवन मे अा रहे है, जनके ाेभ परणित बीत रही है, अनवछ धारा से कम से कम अ तमुत ता ेचलता ही ह꠰ै कतने समय तक रहा एक जाित का वकार परणाम? अ तमुत तक꠰ लेकन उसके बाद दसूरा वकार भाव हाे जाता है꠰ याे वाह प मे तब तक चलता रहता है, जब तक क ान काश न जगे अाैर ये रागेष दरू न हाे꠰ अ तमु त धाराब कषाय के उपयागे मे वकारकता- यहा राग परणमन क बात बतायी जा रही है, इसके स बध मे एक अ तर समझ लेना क अा ा मे रागेष ित समय हातेा रहता है꠰ लेकन एक समय का रागेष अनभुव मे नही अा पाता, क त अजघ य अ तमुत तक क राग धारा बनती ह,ै वह उपयाेग मे अाती है, वह अनुभव मे अाया करती है꠰ ता ेयाे अनुभव मे अाने का कारण यह ह ै क छ थ जीवाे का उपयाेग अ तमुत मे हण करता ह ैपदाथ काे꠰ केवलानी का उपयाेग एक समय मे ही पदाथ काे जान लेता ह ैअाैर छ थ क जा ेजानन प य त दशा बनती है, तब ये रागेष अ तमुत तक के अनुभव मे अा पाते है꠰ एक समय का राग परणमन अनुभव मे नही अाता अथात ्ाेभ काे उ प न नही करता꠰ ाेभ हाेता है तब, जब ान मे वे वकारभाव अाते है꠰ अाैर उपयाेग मे वकार भाव अा पाता ह ैअ तमुत मे꠰ ता ेपदाथ का परणमन ित समय हाेता है꠰ यह बात ठक ह,ै पर त वकार काेई वभाव ब–अव था क दशा हाेने से उसक वृ अ तमुत तक चलती है꠰ जसैे कसी जीव ने ाेध कया ताे वह ाेध करता जा रहा है अ तमुत तक, तब उस कम का, ाेध का ाभे अा पाया꠰ एक समय के ाेध का ाेभ नही अा पाता꠰ समय मा क राग परणित ेय हातेी है꠰ उपयागे मे वकार नही हाेती꠰ यह सब अपने भीतर क परणित

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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क बात चल रही है꠰ जा ेवकार परणित बन रही ह ैवह अ तमुत तक धाराप मे चलकर अनभुव मे अा पाती है꠰ िनरपे एक समय क राग परणित ाेभ का ेलाने मे समथ नही हा ेपाती, याेक वकार एक समय क परणित काे हण ही नही कर पा रहा अाैर जसका उपयाेग एक समय क परणित काे हण करता है वह श परमा ा है꠰ वहा ाेभ क गुजाइश ही नही है꠰ ताे अपने अापमे जाे वकार का अनुभव जगता ह ैवह वकार का अनुभव अ तमुत तक चलकर ही जग पाता ह꠰ै अनभुा य वकार भाव क याे य अ तमुतमाण धारा- कुछ समय कुछ थितया एेसी हाेती है क एक समय काे ही वकार परणित हाे जाये छ थ के꠰ वह कस समय? जैस ेकाेई जीव मरकर नरक मे जाने काे है अाैर मरने स ेएक समय पहले वह मान कषाय मे अा गया꠰ अब एक समय मान कषाय हा ेपाया इस मनु य काे अाैर मर गया, सा ेनारक बन गया꠰ अब वहा ाेध कषाय का उदय अाया ता ेएेसी थित मे मान कषाय एक समय काे रहा, क त उसका ाेभ नही हा ेपाया꠰ अा वकार भाव, अा बध, मगर अनभुव मे जसे ठसक कहते है एेसी काईे बात अा जाये साे नही अा सकती꠰ ताे यह वकार परण मन ित समय ताे हाेता है, पर अनुभव मे, ाेभ मे तब अा पाते है जब यह वकार अ तमुत धारा वाह चलता रहता है जाे एक समय मे राग परणमन है, ह ैताे सही, पर वह ाेभ करने वाला वकार भाव न कहा जायेगा꠰ हा, जाे अनुभव मे वकार अा रहा ह,ै ाेभ मे अा रहा है उसका एक अश है, फर भी यह बात नही है क वह पयाय एक समय क अपने समय मे अधरू हाे꠰ वह ताे पूण है, पदाथ मे ित समय जाे भी पयाय हाेती ह ैवह अपने समय मे परपूण हाेती है꠰ ताे जैस ेछ थ का एक उपयाेग कम से कम अ तमुत हातेा ह ैवहा भी परणमन समय-समय का ह꠰ै इसस ेसमझये क ववत कायकार वह उपयागे णक नही, क त िन य है꠰ हा सू ऋजसुूनय से वह णक है꠰ ता ेइससे यह स अा क हम अाप जीवाे के जब तक ये वकार चल रहे है, चलते रहते है, धारा वाह चलते है, कम से कम धारा वह अ तमुत तक चलती है꠰ ाेध करेगा काेई ता ेएक समय के ाेध स ेकाम नही बनता꠰ अस यात समय तक ाेध करेगा तब उसमे परणित य त बनेगी꠰ मुह बगड़ जाना, अग क पना, भीतर मे ाेभ मचना, ये सब बाते अ तमुत तक के ाेध परणमन से बनेगी꠰ इससे य ह समझना क यह अनभुा य वकार धारा वाह चलता रहता ह ैअारै हमारे द:ुख का कारण बनता है꠰ लाैकक जनाे का ेवप यमानकै वा यास व यमाणकै वा यास के त य का अपरचय- इस करण मे मु य बात समझने के लए यह लेना ह ैक हम द:ुखी याे है? हम द:ुखी याे है क हम पर मे एक व का म कए ए है꠰ अारै उसी म के अाधार पर यह अान दशा बढ़ती है꠰ उसी म के अाधार पर ये सब या चलती रहती है, जा ेक मपूण रहती है꠰ ता ेसव वड बना का अाधार ह ैयह क पर मे हम एकता कए ए है अपनी꠰ इसकाे ताे बत से लाेग समझते है क भाई! परवार मे, वैभव मे, धन मे, घर मे, एकता करना क यह मेरा ह,ै यह मै , यह म है, म या है, अान है꠰ इसे ाय: बत स ेलाेग कह देत ेहै अाैर बात

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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ठक है, पर जाे लाेग एसेा कहते है वे भी सही प मे नही समझ पा रहे है꠰ जब श पदाथ का ान हा,े परणितयाे का सही परचय हाे तब ताे वह समझा, समझये꠰ फर ता ेयह कह रहा है साे मानना ठक है꠰ थाेड़ा-थाेड़ा उसकाे परचय ह ैक जा ेपरपदाथ है, परजीव है, पर य है उनकाे अपना न मानना चाहए꠰ अाैर अपना मानना ता ेवह म है, क त दाे अाैर पर मे एक व के अ यास जाे अभी बताये गए इस पर कम है꠰ एक वप यमानैक वा यास अारै दसूरा यमाण एक वा यास꠰ मै ताे एक ायक भाव वप अारै मनु य हाेना, सखी हाेना, द:ुखी हाेना, ाेधी हाेना, ये सब है पुद् गल कम का िनम पाकर ए वभाव꠰ इन वभावाे के साथ ायक भाव वप अपने अा ा का ेजाेड़ देना क मै सखी , मै मनु य , यह कहलाता है वप यमान–एक वा यास꠰ इस म क अारे जीवाे क नही है, यह उसका म था, एेसा काेई माने ता ेम है꠰ एेसी नही जग पा रही अाैर थाेडे़ प मे काेई यह कह भी दे ता ेयमाण– एक वा यास क अाेर ताे ही ब कुल नही है꠰ मै चलता , खाता , बाेलता , याे इसमे जाे या है साेचने क, खाने क, पीने क, यह या मेर नही है꠰ मै केवल एक जानन या प꠰ मै ान वभाव, ता ेमेर या केवल जानन ही हाेगी꠰ ताे जानन या मा यह मै , याे न समझकर यह अानी इस या मे एक व का अ यास कए ए है꠰ याे या मे एक व का अ यास करना यह म है, इसकाे बत कम लाेग समझ पाते है अाैर इसी पर कहते है क मैन ेयाे कया, मै याे कर सकता , याे कर देता , ता ेयाे कतृ व का अभमान जगता है꠰ अाैर वप यमान–एक वा यास से स प नता का अ यास जगता है꠰ मै इतने धन वाला , एेसे प वाला , इतने परवार वाला अाद꠰ ताे ये सब पर के साथ जाे एक व क क पना के लगाव है ये लगाव ही इस जीव काे द:ुखकार है꠰ इसमे अा ा का अक याण ह ैअारै इसी से इसक अानदशा चल रही है अारै यह ससार मे लता है꠰ इस सग मे यह बात बतायी जा रही ह ै क रागेषादक परणमन इस जीव मे जा ेचल रह ेहै उनका अनुभव अ तमुत तक उस पयाय क धारा चलती ह,ै तब हाे पाता है अथात ्एक समय मा जाे कसी भी वभाव का परणमन है उतना मा अनभुव मे नही अा पाता, अथात् राग के फल मे ाभे हाेना, ेष के फल मे अाकुलता हानेा, ये परणाम अ तमुत तक क रागेष क धारा मे बन पाते है꠰ ताे इस सग मे यह न हा ेसकता ह ैक राग पयाय ताे ितण हाेती रहती है꠰ ितसमय भ न-भ न राग पयाय चलती है अारै साथ ही वह अाैपाधक भी है, कमाेदय का िनम पाकर ई है, फर वह पयाय अ यवसाय उ प न करने वाल याे न ई? जीव मे ाेधादक वपाक काे याे नही उ प न कर देती? इस जासा का भी समाधान दया गया था क हाेता ताे ह ैितसमय मे रागपरणमन, क त उस ितसमय के रागपरणमन का, एक समय के परणमन का अनुभव नही हाेता꠰ वकार अव य ह,ै मगर एेसी वकृत पयाय क कुछ धारा चलने पर ाेभ का उपयाेग मे अार हा ेपाता है꠰ यप वह पयाय एक समय क अपने समय मे पूण है, अधूर नही ह ैलेकन जैसे छ थ का एक उपयाेग अ तमुत क धारा मे बन पाता ह,ै हाेता है वहा भी

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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ित समय मे एक-एक परणमन, मगर कसी चीज क जानकार करना ह ैताे उस जानकार के सलसले मे इसका ान एक समय मे नही हाे पाता꠰ ताे जैस ेजानन परणमन इस वभाव पयाय वाले जीव के ितसमय हाेता है लेकन उपयागे बन पाता ह ैअ तमुत मे꠰ एेसे ही रागपरणमन ितसमय मे पूण-पूण एक-एक हाेता है, क त िनरपे पूवापर अस कृत समय मा के राग का अनुभव ाेभ नही बन पाता꠰ अ तमुत धारा मे वह ाेभ बन पाता है꠰ एसेा हाेने का कारण यह ह ैक उपयाेग अ तमुत मे बन पाता है꠰ भले ही लगता हाे एेसा क ज द उपयाेग अा꠰ कसी पुष न ेपीठ पीछे खडे़ हाेकर जरा सा काटा चुभाेया, अब उस काटा चुभे क जानकार मे उसकाे अ तमुत लगा अाैर साेचये- एक समय कतना हाेता ह?ै बत ही ज द अाख क पलक नीचे दबा ल जाय ता ेएक बार पलक गरने मे जतना समय लगता है उसमे अस यात अावल हाेती है अारै एक अावल मे अनगनते समय हाेत ेहै, उनमे से एक समय के राग क बात कही जा रही है, वह ाेभ मे कैसे अायेगी? एक बात अाैर समझना ह-ै वततया एक समय का परणमन इन छ थ जीवाे के अनुभव मे न अायेगा꠰ पूवापर स कार सहत अाैर उस धारा मे जाे परणमन अनभुव हाेगा वह ाेभ का कारण हाे सकता है꠰ अारै एेसे राग परणमन हातेे भी नही ाय:꠰ हाेता है ताे धारा मे अ तमुत चलता है, अनेक समय चलता है꠰ मान, माया, लाेभ, इ छा अादक सभी वभावाे क यही बात है꠰ हा कुछ थितया एेसी अव य है क जन थितयाे मे काेई कषाय जगे एक समय का परणमन हाे, दसूरे समय न रहे, एेसी थित कब हाेती ह,ै सा ेभी बतायेगे अारै साथ ही यह जानना ह ैक एसेी थित का कभी काईे बन जाय एक समय क थित वाला ता ेउसका अनुभव नही हाेता याने उपयाेग मे अाकर ाेभ वक प मचाये यह बात नही बन पाती꠰ एेसी थितया दा ेसमय मे हातेी है, एक ताे काेई मनु य जाे मान कषाय मे ही अाने का ेथा अाैर एकदम काेई गजना गजी, धमाका अा या डरा दया ता ेवहा ाेध कषायउ प न हाे गयी꠰ इसका ेकहते है याघात꠰ अथात ्मानकषाय हाेने का ेथी, वह मानकषाय एक समय काे हा ेपायी, उसी समय याघात हा ेगया, ितकूल एेसा कारण मले क उसके ाेध अा गया ताे कषाय ता ेएक समय मे एक ही हाेगी꠰ चाराे कषाये एक समय मे एक साथ नही भाेगी जाती꠰ ता ेउस समय मे मान एक समय काे रहा अारै ाधे जग गया ताे एक समय के मान का ाेभ ताे नही हा ेपाया, क त जगा ाेध, उसका ाभे अनुभव मे अाया ताे उस समय क थित के मान कषाय का उठता या ह ैअारै उसस ेलाभ या है? एक थित एेसी हाेती ह ैक जस जीव का े जस भव मे ज लेना हाेता ह ैउस भव मे जा ेकषाय जगती ह,ै जसका ाय: एेसा िनयम है क नरक भव मे ज ले ताे पहले ाधे कषाय हागेी, मनु य भव मे ज ले ताे मानकषाय हाेगी, देव भव मे ज ले, ता ेलाेभ कषाय हाेगी अारै ितय भव मे ज ले ताे माया कषाय हाेगी꠰ काेई मनु य मरकर नरक मे जाने का ेथा꠰ ताे मरण से पहले काेई मान या माया अादक कषाय ई꠰ अारै मरण अा तब ाेध जग गया ता ेएेसे समय मे भी एक समय क कषाय हाे पाती ह,ै उससे भी काईे लाभ नही꠰ ाेभ ताे उसके बराबर ही चला꠰ साे एेसी जा ेएक समय क थितयाे मे कषाय रहती है यह अपवाद मा है꠰ बत

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कम बात है यह꠰ तब एक समय क पयाय हाेती है अाैर एक समय क राग पयाय न हाेने दे, उससे उपयाेग हटाये ता ेराग मट जायेगा꠰ हम क याण मे अा जायेगे, एेसी बात रटते रहने मे लाभ या है? कुछ लाेग एेसा कहते है꠰ एक-एक समय का राग परणमन है अाैर एक समय का राग परणमन न हाेन ेदे, फर कभी न हाेगा꠰ यप ाय: यह बात सही ह ैक एक समय काे भी यद रागेषादक वभाव परणमन न हाे ता ेक याण सदा का हाे जायेगा꠰ लेकन वतमानकाल मे अपने अापके बारे मे यह ान करना क हम अाप सबके एक-एक समय क राग परणित हाेती ह ैवह ाेभ मचाती है꠰ उसे न हाेने दे ता ेअागे न हाेगा꠰ सा ेभैया ! एेसा हा ेसकने क यहा थित कहा ह?ै थम ता ेयह क एक समय क रागपयाय वकार नही करती, ाेभ नही मचाती, क त धारा वाह अनेक समय तक चले उसके वकार अनुभव जग पाता है꠰ दसूर बात, एक समय का राग परणमन हमारे न हा,े इसका उपाय या साेचा? या एेसी चचा करते रहना ही उपाय है? काेई यह साेच ेक चलाे मरते समय मे एक समय के लए काईे कषाय रह भी पाती ह ैएेसा भी हाे जाता है अथवा याघात के सग मे एक समय क कषाय पयाय रह जाती ह,ै यह हाे जाता है, लेकन उस वकार भाव का ेसवथा एक समय मा का ेमान मानकर अथवा कहकर अपना समय यतीत करे यह काेई ववेक क बात नही है꠰ ववेक ताे इसमे है क रागादक पयायाे से, वभावाे से रहत केवल श चैत य मा अपने अापका ेिनहारे꠰ एक समय क हाे, अ तमुत क हा,े सभी कार क पयायाे स ेरहत मै चैत य वभाव मा , इस तरह के िनहारने मे, च तन मे ता ेलाभ है, मगर इन वभावाे मे लाभ नही है꠰ देखये- जब कसी कषाय का ार हाेते ही वघात हाे जाता है तब या अा? कभी एक समय क अ य कषाय के बाद ाेध जग गया, वघात अा, कभी 2-4-10 समय तक, अनके समय तक अ य कषाय जग रही थी अाैर याघात जग गया, ाेध जग गया ता ेयाे दा ेएक अादक समय क कषाय का वघात हाेने पर ाेध ही ताे जगा꠰ अ छ बात या ई? अाैर, इस समय जाे हम अाप चचा कर रहे है, सन रहे है या जा ेभी मनन कया करते है, समझते है उनका कही याघात ताे नही हा ेरहा, ताे उन चचा करने वालाे का ेउस चचा से लाभ या मला? एक समय मा के परणाम का हम अाप उपयाेग नही कर पाते, याेक उपयाेग भी एक समय मे नही बन पाता हम अापका꠰ हा भगवान का, केवल का ान इतना िनमल है क वह वततया एक-एक समय का परणमन भी ान करता है अाैर वत- वत, अणु-अणु इन सबका भी उनके ान चलता रहता है꠰ य क अपेा बता व अबता क थित पर वचार- इस सग मे एक यह बात नई समझये क ब अव था अाैर अब अव था मे बत से अ तर पाये जाते है꠰ इतना ही नही ह ैक थितकृत भेद हाे꠰ जैसे छ थ जीवाे का ान अ तमुत मे उपयु त हा ेपाता है अाैर केवल का ानापेयाेग एक-एक समय मे बनता है꠰ ता ेकेवल समय क अपेा का ही फक अा ब जीव मे अाैर अब जीव मे, सा ेबात नही, क त य, े, काल, भाव चाराे अपेाअाे स ेअ तर है꠰ जसैे श पयाय अब एक य मे हाेती है꠰ यहा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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यकृत अ तर बतला रहे है꠰ एक य मे ही अब अव था हाेती ह,ै एक य मे ही श परणमन हाेता है꠰ जहा दा े याे का सयाेग है, मले ह,ै वहा अबदशा नही, वहा बधन ह,ै श पयाय न हाेगी꠰ यह ताे यकृत अ तर है꠰ उदाहरण मे ले ला-े ये नाना क ध जा े दख रह ेहै ये श है या अश है? अश पयाय मे है याे क अनके परमाणुअाे का बधन ह,ै प ड है꠰ एक परमाणु रहे, केवल एक य रह ेताे श पयाय हाेगी꠰ इस समय ससार जीवाे मे चूक यह अनेक याे का मेल हाे रहा इसलए श पयाय नही कह सकते꠰ जैस ेएक जीव ह ैअारै उसके साथ अन त शरर परमाणु ह,ै अारै अन त कम परमाणु है, तजैस परमाणु है, मनाेवगणाये है, याे अनेक याे का यह बन रहा है एक याने बधन दशा꠰ ताे यहा श पयाय क अाशा न रखे꠰ श पयाय हाेगी केवल असपृ त एक य मे꠰ े काल भाव क अपेा बता व अबता क थित पर वचार- अब े क अपेा बता व अबता का वचार कजए꠰ जहा दाे या अनेक े हाेगे अथात् ेावगाह बन गया, े ब धन बन गया वहा श पयाय न बनेगी, अश पयाय है꠰ जसैे े क अपेा यही देख लाे, जीव के े मे शरर है, शरर के े मे जीव ह,ै व े क बात नही कह रहे꠰ वे िनज मे है मगर अवगाह क अपेा कह रह ेअारै वह ब धन प ह,ै इस कारण वहा श पयाय क अाशा नही है꠰ काल क अपेा यह बात है꠰ जतनी अश पयाये हातेी है वे पूवापर स कार रहत वततया एक समय का ेही हाे, सा ेनही हा ेसकता꠰ यद वभावपयाय है, अश परणित है ताे पूवापर स कार ह ैअाैर अनेक समयाे तक उनक धारा रहती है꠰ जस पयाय के अनुभवन के लए पूवापर स कार क अपेा ई वह पयाय श नही, अश है꠰ केवल भगवान काे अपने ितसमय के एक एक परणमन का अनुभव चलता रहता है, वहा पूवापर पयाय क अपेा नही रहती, स कार ही नही꠰ ता ेइस कार य, े, काल क अपेा दाे-दाे अनेकानेक का स बध है꠰ अब भाव क अपेा देखये- एक ही भाव मे अथात् अख ड ए, सम ए अथवा जघ य भाव ए꠰ जसैे जघ य गुण वाला परमाणु ह ैउसमे ब धन नही हाेता꠰ बताया गया ना क जघ य गुण वाले परमाणु मे ब धन नही हाेता, वह भाव क अपेा बात है꠰ जहा जघ य भाव है꠰ एक भाव है, अख ड भाव है, वहा ब धन नही अाैर जहा समभाव है श परमा ा के, वहा ब धन नही꠰ जहा वषमभाव है वहा ब धन है꠰ ताे एकपभाव मे ब धन नही, अनेकप भाव क थित मे ब धन ह꠰ै एक विनयगत व त मे ब धन का अभाव- ब अव था क पयाय का िनयम है क ब पयाय हाेना अनेक याे के सयाेग हाेन ेपर हाेता है꠰ वभ त, अलग, पृथक वत एक य रह जाये, ता ेवभावपयायबपयाय नही हाेती꠰ बपयाय दा ेेाे के ब धन मे हाेती ह꠰ै दा ेेाे का पर पर अवगाह हा ेता ेब धन हाेता है꠰ वय वय के अवगाह मे रहे अाैर दसूरे े से स बध न हाे वहा ब धन नही, वभाव नही꠰ केवल एक य के ही देश रहे उसमे अ य य के देश समा त न हाे ता ेब पयाय नही बनती꠰ काल क अपेा देखे ताे बपयाय स कार प मे अनेक समय तक चलती है꠰ केवल एक ही समय तक रहे अाैर दसूर वप जाित

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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क पयाय अा जाये, एेसी काेई बपयाय नही है꠰ यहा यद एक समय का ेमान कषाय रही थी ताे ाेध जग गया, अाखर कषाय ही ताे रही꠰ याे ही अनेक डी के भावाे मे बपयाय हाेती है꠰ सम हा,े अख ड हा,े उस भाव मे बपयाय नही हाेती, इसका कारण है क ब धन एक व काे ा त व त मे नही हाेता꠰ काेई पदाथ अपने अापके वप के एक व मे हा,े उसका ब धन नही꠰ देखये- थाे मे यह भी वणन अाता ह ैक ब ध पयाय मे एकता हाे जाती यान ेजब दा ेपदाथाे का ब धन हातेा ह ैतब एक व हाे जाता, उस एक व क बात नही कह रह꠰े दाे पदाथाे मे एक व अाया, उसक बात नही कह रहे꠰ वहा ताे ब धन हाेता है꠰ पर एक पदाथ अपने अापके एक व मे अा जाये वहा ब धन नही हाेता꠰ जहा अनेक याे का ब धन हाे रहा ह ैवहा वे सभी य अपने एक व काे छाड़े देते है꠰ एक व मे अान ेक शा- इस करण मे हम अापकाे यह शा लेना है क हम यद अपने एक व मे अा जाये क मै अकेला ꠰ कैसा अकेला? शरर सहत देखकर समझ ेकाईे क यह मै अाैर अकेला ताे वह मूढ़ पुषाे का यवहार है꠰ जब कभी काेई राेने लगता क हाय मरेा काेई सहाय नही, मै ता ेअकेला ताे वह अपना अकेलापन नही साेच पा रहा꠰ वह ता ेमा यवहार मे, माहे मे वैसा कह रहा है꠰ जा ेखद मै , जस सव मे मै , केवल उस ही प मै हाऊे , उसक बात कही जा रही है꠰ ता ेकेवल यहा य अपने अापके ही एक व मे अाये, याे हमे अपने अापका एक व वप मे लेना चाहए꠰ मै अकेला , कुट ब, म भी मरेा कुछ नही, घर वैभव भी कुछ नही, मै अकेला , यह शरर भी मेरा कुछ नही, मै अकेला , भीतर जा े रागेष वकार वचार उ प न हाेते है, ये भी मेरे नही꠰ मै अकेला , अाैर यह भीतर जाे भी अबुपूवक तरग उठ रही वह भी मरे नही꠰ मै ताे अकेला ꠰ जब ये सब मै न रहा ताे अारै मै अकेला या ? वह मै अकेला अा केवल एक श चैत यमा꠰ ता ेइस एक व मे काेई जीव अा जाये ताे उसका ब धन नही है꠰ अाैर इस एक व से युत हाेने पर जीव मे एकता लगायेगा, उस वक प से इस जीव का ेहािन है, ज मरण है꠰ ज मरण से बढ़कर अपने अाप पर अाैर या वपदा? एक ज क कुछ सवधाये साेचकर सखी हाेना चाहते अारै ज मरण करते है, ये सब बडे़ सकट ह꠰ै तब सकटाे के मटेने का उपाय बनावे꠰ उसका उपाय यही ह-ै ज मरण रहत, शरर रहत, कषाय रहत श चतै य मा, जसका काम मा ितभास है, एेसा मै , इस एक व क अारे अाये ता ेब धन मटेगे अाैर अबधदशा हाेगी꠰ सहज वभाव के ल य मे िनवक पता का अवसर- इस सग मे इतनी बात समझना है क समयवती राग ेय ता ेहाेता ह ैपर वकार करने वाला अथात ्अनुभव मे ाेभ मचाने वाला नही बनता꠰ इस कारण से समयवती राग है, उस राग से च हटाअाे, एेसा कहकर समय यतीत करना उचत नही꠰ यह उपाय राग काे हटाने का नही है꠰ वह ता ेेय तव है, पर राग से ल य हटाने का या उपाय है? इस पर अब च तन करयेगा꠰ अा ा के सहज वभावका ल य हानेा ही राग के अभाव का उपाय ह꠰ै अा ा का सहज वभाव जानना ह,ै ितभास ह ैअथात् चैत य काश ह,ै याेक चैत य के अितर त जाे रागेषादक उ प न हाेते है

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वे सब नैमक भाव है꠰ सहज भाव ता ेवह है जाे पर क अपेा न रखकर सयाेग बना वय हाेता ह꠰ै अा ा मे समय-समय का जा े वभाव परणमन ह ैवह सहज वभाव नही है꠰ उस पर कसी भी कार के ल य से िनवक पता नही अाती, क त वक प वकार रहत चैत य मा जाे सहज वभाव है उसका ल य हाेन ेसे िनवक पता जगती है꠰ वश समय मा क परणित क िनरख मे परणित उपयाेग मे न रहकर अा वभाव उपयागे मे हा ेजाता ह ैतब िनवक पता जगती ह꠰ै अपने अापके एक व वभाव क अाेर करना चाहए꠰ यप वह बात त य क ह ैक काेई पदाथ कसी भी दसूरे पदाथ का परणमन नही करता꠰ येक य अपने य, े, काल, भाव से परणमता ह,ै काेई भी अ य य कसी दसूरे य मे अपना य, े, काल, भाव नही दे पाता, इस कारण पदाथ अपने उ पाद यय करने मे वत है꠰ िनमसधान मे भी यके पदाथ क वत: एव परणित- अब जरा एसेा भी वचार कजए क काेई पदाथ िनम है, ठक है, मगर िनम या वय क परणित से परणमते ए पदाथ का ेकरता है या वय न परणमते ए पदाथ का परणमन करता है? जा े वय नही परणम रहा, जसमे परणमन हा ेनही रहा उसकाे दसूरा करेगा या? जा े वय परणम रहा ह ैअपनी परणित से, उसमे दसूरा परणित देगा या? हा िनम के सधान मे उपादान अपना काय करता ह,ै इसका अथ यह ह ैक िनम के सधान मे उपादान अपना भाव कट करता है꠰ बा िनम क उपथित मे भी परणमने वाले पदाथ, उपादान अपने चत टय के परणमन से ही परणमते है, यह उनक वतता है इसी कारण येक पदाथ वाधीन है, काेई कसी के अधीन नही है꠰ जैसे जलती ई अ पर, चू ह ेपर पानी भरा बतन रखा है, अ िनम का सधान है, पर पानी जा ेगम हाे रहा है वहा एक पानी ही गम हाे रहा ह,ै अपनी परणित से गम हाे रहा ह,ै अपने ठडे परणमन का ेछाेड़कर गम परणमन मे अा रहा है, हा िनम वहा अ अव य है꠰ सताप करने वाले पदाथ का सधान ए बना जल गम नही हाे सकता꠰ लेकन जल जाे गम प परणम रहा ह ैवह अ के परणमन स ेनही परणम रहा, क त अपने परणमन से परणम रहा ह꠰ै कभी हाथ से काेई चीज उठाकर दसूर जगह धर द, ता ेअपने हाथ ने हाथ मे ही काम कया अारै हाथ के सयागे मे वह पदाथ था ता ेयाशील हाथ का िनम पाकर वह पदाथ भी दसूर जगह पचा, मगर हाथ क या हाथ मे है अाैर उस चीज क या उस चीज मे है꠰ परणमन अारै जानन क अपनी-अपनी वतता- एेसा भी काेई साेचते है क जा े कुछ हाेना है वह सब सवदेव के ारा ात है꠰ ताे जा ेजाना साे ही ताे हाेगा, फर उसमे िनम ने या कया? यह साेचना उनका इकतरफा है꠰ जाे पदाथ जस वध से, जस कार से परणमता है, परणम रहा है, भगवान का ान प ट िनमल है इसलए उनके ान मे (जानन ेमे) वह पदाथ अा गया꠰ इतने मा से िनम नैमक भाव क पित हाे जाती है꠰ अाैर जानन ेभर क बात कहे ता ेजसैे कुछ भी जाना ता ेसवदेव ने वैसा ही ताे जाना꠰ जैसा िनम यागे से हाे रहा꠰ सब कुछ जाना, सब एक साथ ात अा, इस कारण यह न नही

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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रहता क यद िनम का स बध नही मला ताे काय क जायेगा या सव का ान झूठा हाे जायेगा꠰ कसी भी परणमन काे जानता ही ह ैसव तब जब क जस वध स ेजहा जा ेकाय हाेना है꠰ यहा इस तरह याि न लेना क सव देव ने जाना इस कारण से यह बात ई, इसमे इस तरह से याि बनेगी क जैसा पदाथ मे जस तरह से परणमन हाेगा वैसा सवदेव ने जाना꠰ इस सग मे यह भी िनरखते जाइये क अधीनता कसी से भी कसी क नही ह,ै क त जैसे पदाथ अपने चत टय से परणमते है वैसे ही सव भी अपने चत टय से परणमता है꠰ जानन ेमा से व त के काय मे पराधीनता नही हाेती꠰ एेसा नही है क सवदेव न ेजाना इस कारण व त काे परणमन करना पड़ता है अाैर एसेा भी नही है क व त परणमता ह ैइस कारण सव काे जानना पड़ता है꠰ सव का जानना सव के ान का काम ह,ै पदाथ का परणमना पदाथ के परणमन का काम है꠰ वषयभतू िनम क अपेा स ेये क ान स े याि- वषयभूत िनम क अपेा यह बात वशेष है क जब जैसा जा ेपदाथ ह,ै था, है, हागेा, उसे सव जानता ह꠰ै वषयभूत क अपेा याे न लगेगी याि क सवदेव ने जसकाे जैसा जाना वैसा परणमना हाेगा, याेक व त के परणमन के लए सव का ान कसी भी कार का िनम नही हातेा, क त सव के ान के लए ये पदाथ वषयभूत िनम हातेे है꠰ इस कारण इस तरह से यह याि लगेगी क जा ेपदाथ जैसा परणमना ह,ै परणमेगा, वैसा भगवान जानते है, पर एेसी याि न लगेगी क सव देव न ेजाना इस कारण व त इस कार परणमती ह ैअारै परणमेगी꠰ अाैर व तत: ान अपने मे अपना काम कर रहा है, पदाथ अपने मे अपना काम कर रहा है꠰ ान अाैर ेय मे भी काय कारण भाव नही ह ै क ान के कारण पदाथ मे काय हाेता हाे या पदाथ के काय के कारण भगवान ने अपना ान बनाया हाे꠰ बात वहा प ट यह ह ैक जब जहा जैसा हाेना है, जैसा हाेगा वह सब प ट ान मे अा जाता है꠰ छ थ के ान स ेभुान क गुणतप मे भी तलना क अश यता- भैया ! जैसा हम प ट समझते है यह ताे है इय क करतूत꠰ हम पदाथ काे प ट नही जान पा रहे, मगर प टत: जान रहे है꠰ जैसे अाखाे से हमने जा ेपदाथ देखा उस पदाथ क सार बात हमे कहा ात है? एक तरफ का ह सा अाैर वह भी एक प मे, जसैे चइय से जाना ता े केवल प क पित से जाना, उसमे जा ेगध, पश अादक है वे ान मे नही अाये꠰ ताे पदाथ प ट हमारे ान मे अा नही पाता, क त प ट सा हातेा है इस कारण इसे सा यवहारक य कहते है꠰ जसे हम प ट कहते है वह ताे इय क करतूत है, इस कारण से हम सब नही जान पाते꠰ एकदेश समझ पाते है, क त सवदेव के ान मे ताे एक साथ सम त य, े, काल, भाव प स ेसारे वषय ितभास मे अा जाते है꠰ ता ेहम अपने ान से सव के ान क तलना नही कर सकते꠰ एेसी भी हम बात नही कह सकत े क जैसा हम जानते उससे अन त गुना अधक भगवान जानते꠰ हमारे जानने क पित अाैर है अाैर भु के जानने क पित अाैर ह꠰ै जैसे हम अान द के

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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स बध मे यह नही कह सकते क जस कार से जा ेसख हमकाे है उससे अन त गुना अधक सख भगवान मे ह,ै याेक हमारे सख क जाित अाैर ह,ै ाभे भर ह ैअाैर भगवान के अान द क जाित अाैर है꠰ यद हम अपने सख से अन त गुना सख भगवान का कहे ताे उस सख मे जतने ाेभ मच रहे है उससे अन त गुना ाेभ भगवान का स हाे जायेगा, पर हमारा सख अाैर जाित का है, भगवान का अान द वाधीन सहज है, उसक तलना नही कर सकते꠰ जहा थाे मे यह बताया क तीनाे काल मे जतन ेइ , चवती तथा सभी बडे़ बडे़ भा यवान पुष है, उन सबका सख जतना हाे, उनसे भी कई गुना सख भगवान का है꠰ यह माहेी रागी जीवाे के समझाने के लए कहा ह꠰ै जाे सख काे इ ट मानते है उनका ेसमझाने के लए कहा है꠰ व तत: यह सख ता ेवपदाअाे से भरा अा है꠰ इस सख से गुणत प मे भगवान के सख क तलना नही क जा सकती꠰ इसी तरह हमारा जा ेान है, वह एक नैमक ान है, इय अाैर मन से उ प न हाेता है, इस कारण से अपने ान से भु के ान क तलना नही कर सकते꠰ भुान के िनवक पता व वतता- भगवान के ान मे ता ेजा ेपदाथ है वह ितभास मे अा रहा है, पर उनके यह वक प नही हाेता क इसके बाद यह ह,ै यह इतना ल बा ह,ै इतना चाैड़ा है꠰ जाे है, जैसा है वैसा ान मे अाता ह,ै पदाथाे के परणमन मे भु का ान िनम नही है꠰ बक इस अारे से लगा सकते है क भु के ान स ेपरणमन मे पदाथ उदासीन वषयभूत िनम ह,ै अथात ्ये पदाथ अब हाेकर िनम ह,ै ये पदाथ असयु त हाेकर िनम है꠰ अथवा यह कहाे क उनके ान मे या ेय अाया? कुछ ेयाकार ता ेबने, ता ेजसके अनुप ेयाकार बने वह वषयभूत िनम हा ेगया, पर िनम के परणमन के लए भु का ान कसी भी कार का िनम नही बनता꠰ क पना करा ेक यद सव न हातेा ता े या पदाथाे के परणमन नही हाेते अाैर क पना करा े क यद ेय पदाथ न हाेते ताे या ान का तषयक ेयाकार प परणमन न हाेता꠰ यह बात ताे बन जायेगी, याेक जाे असत् ह ैवह भु के ान मे कहा ात है? क त यह िनयम न बनेगा क यद सव न जानत ेता ेपदाथाे का परणमन न हाेता꠰ यप सव भी जान रहे, पदाथाे का परणमन भी हाे रहा, मगर काय िनणय मे इस कार क खाेज क जा रही है अारै वय सत् है, उसका परणमन उसक वतता स ेउसक पयाय मे हाे रहा꠰ याे भगवान के ान मे भगवान क वतता का ान परणमन हाे रहा अाैर पदाथ के परणमन मे पदाथाे के कारण परणमन हाे रहा꠰ सू ऋजसुूनय क मे कायकारण का अभाव- सू ऋजुसूनय से ताे कसी भी अव था का काेई कारण नही꠰ त् येक पदाथ पयाय अपने अत व मे वकसत है, सू ऋजुसूनय स ेपरखने पर कायकारण भाव कसी का कसी अ य मे नही हाेता, खद का खद मे कायकारण या हाेगा, याेक यह नय एक समय क पयाय का े मे लेता है꠰ अब यह जासा हा ेसकती ह ैक राग पयाय के लए पूववती राग पयाय जा ेकारण हाेगा ताे भ न कारण ता ेहै पर त ऋजुसूनय क मे कारण नही, याेक पूव पयाय ताे न ट हा ेचुक꠰ जा ेन ट ह ैवह कैसे कारण हा ेसकता ह?ै सू ऋजुसूनय एक पयाय काे ही हण

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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करता है꠰ देखये- इस स बध मे न ट हाेना अाैर उ पाद हाेना ये काेई दा ेबाते नही है, अाैर उसे याे भी नही कह सकते क पहले न हाेना हाेता है, पीछे उ पाद हाेना हाेता ह,ै दाेनाे एक ही समय मे हाेत ेहै꠰ जैसे घडे़ का फूटना, खपरयाे का बनना, ये काईे दा ेकाम नही ह ै क घड़ा पहले फूटा तब खपरया बनी, क त खपरयाे का बनना ही घडे़ का फूटना कहलाता, घडे़ का फूटना ही खपरयाे का बनना कहलाता꠰ लेकन हमार समझ मे एेसा अाता है क पहले न ट हातेा है, पीछे उ प न हाेता है, पहले पयाय न ट हा ेले तब पयाय उ प न हाेगी, याे लगता ह ैअारै इसी अाधार पर यह चचा चला करती है꠰ व तत: उ पाद उ पाद ही है, इससे वलन हाेना अपने अाप स हा ेजाता है꠰ ित समय परणमन व छ थ के उपयागे मे अ तमुत वाह का हण- देखये- येक एक पयाय एक समयमा काे ही हातेी है꠰ ताे जतने (अन त) समय है उतनी ही परणितया य क हाेती है꠰ हा इतनी बात अव य है क जाे रागादक भाव है वे उपयाेग प मे अनभुव मे अाते है तब, जब अनेक समय तक क राग पयायाे क धारा चले꠰ ऋजुसूनय ता ेपृथक वत एक पयाय मा का ेजानता ना, एक पयाय अथात् एेसी पयाय जसके क अाैर भेद न हाे सके ꠰ एक समय का भेद नही, साे एक समय मे हाेने वाल परणित का भी भेद नही, वभाव पयाय एक ही समय मा क थित रखता है, वह भी ऋजुसूनय का वषय ह ैअाैर वकार रागादक जा ेिनरव छेद अ तमुत तक धारा बनाये रहता है, यह भी ऋजसुूनय का वषय है꠰ अब जाे एक समयवती राग ान मे अाया, उस एक समय क पयाय काे हमारा ान जान नही सकता याने उपयाेग मे ले नही सकता꠰ उपयाेग चूक अ तमुत मे बनता है ताे वह भी अ तमुत वभाव पयाय काे हण करके ही अपने मे भाव ला सकेगा꠰ एक समय क पयाय काे ताे भु केवल जानत ेहै, पर यु से हम जानते है क यद ित समय मे परणमन न हाे ताे मलकर भी परणमन नही हा ेसकता꠰ जैस ेकाेई बालक एक वष मे दा ेअगुल बढ़ गया ताे उससे हम युपूवक जानते है क यह रात दन ितघटे कुछ न कुछ बढ़ता ही रहा꠰ पर अाप बता सकत ेहै क एक घटे मे वह कतना बढ़ा? या कसी बालक का ेदेखकर वहा िनगाह कर सकते है क एक घटे मे कतना बढ़ गया? नही जान सकते, लेकन एक वष मे बढ़ा अा देखकर हम यु से समझ जाते है꠰ इस कार इस समयवती पयाय काे हम यु स ेसमझ जाते है, ता ेवह एक समय का राग परणमन हमारे मे वकार यान े बगाड़ या ाभे का ेउ प न नही कर पाता, क त अ तमुत धारा मे हाेने का उपयाेग इस ाेभ का ेउ प न करता है꠰ ताे एसेा यह समयवती राग भी वभाव ह ैअाैर यह िनम पाकर अा है꠰ ऋजसुूनय क मे कायकारणभाव वशे यवशेषणभाव क यव था क असभिूत- यप एक समयवती परणित काे िनरखने पर सू ऋजुसूनय क मे काय कारण भाव नही जगता, इसलए येक पयाय अहेतक है, लेकन सवथा यह बात न लगा लेना꠰ वभाव पयाय ता ेसहतेक ही है, पर क परणित लेकर नही, क त पर का िनम पाकर वभाव परणमन अा करता है꠰ यद एेसा नही माना जा सकता ताे

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वभाव पयाय सब व त के वभाव बन जायेगे꠰ लेकन ऋजसुूनय क मे केवल वतमान पयाय ेय है ताे ऋजुसूनय क जब दा ेसमयाे क पयायाे काे हण नही करता, सू ऋजुसूनय जब दा े याे काे नही जानता ताे सू ऋजुसूनय क मे पयाय सहेतक नही बनती, याेक वह अख ड एक पयाय का ेजानता है, दाे याे का े नही जानता, दाे कालाे काे नही जानता, अारै ऋजुसूनय क मे पयाय कायकारण रहत जचा, इतना ही नही, यह ता ेहै ही, पर वशे य वशेषण भाव भी ऋजुसूनय क मे नही है꠰ अाैर दा ेचीजाे काे, दा ेबाताे काे ान मे लेना, वहा वशे यवशेषण कहा꠰ कसी ने कह दया क नीला कमल ताे नील नील मे है अारै कमल कमल मे है, जाे जा ेनील ह ैवे सब कमल नही अारै जाे कमल ह ैवे सब नील नही꠰ ता ेऋजुसूनय क मे वशे यवशेषण भाव भी नही बनता अारै कायकारण भाव भी नही बनता꠰ यह ताे नय का वषय है꠰ नयाे मे या- या ेय हाेता है, इसकाे िनरखकर हमे सव कार स े िनणय नही बनाना है꠰ माण से िनणय बना करता ह꠰ै नय ता ेअपने-अपन ेवषय काे ही हण करता है꠰ हमे उ त सब बाताे से यह शा हण करना है क हममे जा ेवभाव हाेत ेहै वे कमाेदय का िनम पाकर हाेते है इस कारण से वे वकृत है, हेय है, द:ुखप है꠰ उनसे हमे अपना ल य हटाना ह ैअारै अपने अापमे वराजमान अनाद अन त अहेतक असाधारण चतै य वभाव काे मे लेना है, इस वध से हम अपने क याण मे गित कर सकते है꠰ इसके व पर के अपनाने मे या अपनी कषायाे मे रमने मे हम शात नही पा सकते꠰ रागादक परणमन क ितसमय परपणूता व अहतेकता क – जीव मे जाे रागादक वभाव परणमन हातेे है उसके स बध मे अभी तक जा ेवणन कया गया है, िन कष प मे कुछ इन बाताे का ेसमझ लेना चाहए꠰ पहल बात- रागादक भाव भी ित समय मे एक-एक परपूण परणमन ह ैअाैर याे ही यथावध हातेा रहता है꠰ लेकन उपयाेग चूक अ तमुत क थित काे लए ए है꠰ छ थाे के उपयाेग का जघ य काल अ तमुत बताया गया है, इस कारण से ितसमय का राग परणमन जीव के अनभुवन मे ता ेअा रहा है, पर त वह उपयाेग मे, अ तमुत न अा पाने स ेवकार करने वाला नही हाे पाता꠰ अ तमुत क धारा मे अाया राग उपयाेग मे हाेगा꠰ दसूर बात वह ित समय का राग परणमन भी सहेतक ह,ै अहेतक नही ह,ै लेकन एक समय का राग परणमन ऋजुसूनय का वषय है अारै ऋजसुूनय कसी दसूरे का ेदेखता नही है, इस कारण ऋजुसूनय क मे वहा हेत नही मलता, क त वहा यही वदत हाेता है क ित समय मे राग परणमन अपने परणमन सव से हातेा रहता ह꠰ै उसका काेई दसूरा कारण नही꠰ ऋजुसूनय के अाशय मे काेई कसी दसूरे क अपेा नही रखता꠰ फर भी चूक यह अाैपाधक परणमन ह ैअतएव यु से यह स हाेता है क यह राग परणमन अहेतक नही ह,ै क त समुदाय का िनम पाकर हाेता है꠰ अतएव सहेतक है, अाैपाधक है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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रागादक परणमन क अवध क - वभाव परणमन के स बध मे तीसर बात यह है क काेई सा भी वभाव परणमन केवल एक समय का ही हा ेअाैर दसूरे समय मे वह न रहे, उसका ितपी दसूरा वभाव अा जाये एसेा ाय: हातेा नही है꠰ केवल याघात अाैर मरण समय इन दाे थितयाे मे कभी-कभी यह अवसर अाता ह ैक राग कषाय अादक वभाव परणमन एक समय क थित का ेलए ए हा ेअथवा कुछ अाैर समय थित काे लए ए हा,े उसक धारा याे य अ तमुत तक चले, एेसा नही भी हाेता꠰ साे उस स बध मे भी वचार करये क हत या है? कसी जीव के मरण समय से एक समय पहले समय मा का ेमान कषाय का उदय अा पाया अाैर मरण समय नरक भव मे जायेगा ताे ाेध कषाय का उदय अायेगा ताे ाेध का उदय अाने से देखा ेमान कषाय अब एक समय का ेही हाे पाया, ताे हा ेपाये꠰ वभाव धारा ता ेनही मट꠰ वभाव मे एक वश ट वभाव क धारा नही चल, ता ेइस धारा के न चलने से जीव का कुछ हत नही अा꠰ वह ताे मरा अाैर नरक गित मे गया꠰ हत या पाया?अथवा याघात क बात देखये ताे याघात ाेध कषाय का कभी नही हाेता, शषे तीन कषायाे का हातेा है꠰ याघात अा करता है काेई उपव वाल थित अाने पर ताे उपव जैसी थित अाने पर ाेध कषाय जगा करता है꠰ भले ही कभी य त प मे मान कषाय जग जाये꠰ जैसे कसी ने एकदम काेई कठन अावाज क या काेई चीज एकदम पटक द, कुछ भी कया ता ेएकदम उस थित मे ाधे अाया꠰ मनु य मे फर थाेड़ देर बाद मान अा जायेगा क यह लड़का बड़ा खराब है꠰ यह हम बुज़गाे क काेई बात नही रखता꠰ मगर याघात क थित के काय अाया करते है सा े याघात अा काय꠰ एेसी थित मे पूव काेई कषाय एक समय के लए अायी ताे उसमे क याण या अा? वभाव धारा मे अ तर नही अाया꠰ वश ट वभाव न चल सके, इतनी ही बात ई꠰ ताे याघात मे भी काेई जीव का क याण नही꠰ ताे यह समझना चाहए क यह राग परणमन धारा उस याे य अ तमुत चलकर ही उपयाेग मे अाकर ाेभ का कारण बनता है꠰ अवकार भाव के अवल बन क ये करता- यहा ासगक बात यह जानना चाहए क जाे लाेग वकार भाव काे यह एक समयवती परणमन ह ैइतना ही मा िनरखकर अाैर इस ही चचा मे समय बताकर वभाव का अवसर नही अाने देते, अथवा अ य तव वचार क बात नही अाने देते उसस ेलाभ कुछ नही है꠰ येक समय के एक एक परपूण परणमन हाेत ेहै, वकार हा ेअथवा अवकार꠰ अवकार परणमन क ताे यह चचा नही, वकार परणमन ित समय परपूण हाेता ह ैलेकन उपयाेग मे अाये तब यह ाेभ का कारण बनता है꠰ इतनी ही बात बतायी जा रही है꠰ वकार भाव पर उपयाेग लगाते ए काईे वश चाहे ताे यह ठक नही꠰ स बध मा क परणित क रखे काेई ता ेउसमे राग पयाय ही नही रही꠰ हम अाप एक समय क राग पयाय का ेजान नही सकते꠰ केवल एक ह ला ही मचाते है꠰ उसे जा ेजान रह ेहै वे यु से जान रह ेहै꠰ क त साात् जैसा जानना हाेता ह,ै एेसा जानन ता ेकेवल भु के ही हाे सकता ह꠰ै जसका उपयाेग एक समय मे परपूण हाेता है अाैर पदाथ का जानकार हाे जाता ह ैउसके ही उपयाेग मे समय समय

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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मा का परणमन ात हा ेपाता ह꠰ै छ थ के वश टजातीय धाराब वकार क जघ य थित याे य अ तमुत है꠰ तब वहा एक समय क राग पयाय का य नही हाे सकता꠰ जैसे एक य क कर रहे हाे जब, तब दसूरा य सयु त नही वदत हातेा꠰ जब अख ड िनज देश क रख रहा हाे काेई ता ेअ य देश सबध नजर नही अाता꠰ जैस ेएक लाेकाकाश मे जीव पुद् गल अादक सभी य येक देश पर मले गे꠰ यहा काेई देश एेसा नही है जहा काेई एक य न रहे, बाक रहे꠰ छहाे जाित के य येक देश पर रहते है꠰ अब वहा रहते ताे सभी है लेकन हम एक परमाणुमा य का ेही ान मे ले रहे है ताे उस समय दसूरा य सयु त नजर न अायेगा꠰ जस े मे अाकाश है याने लाेकाकाश उस ही े मे छहाे य है꠰ ता ेयाे एक िनणायक स ेयह नजर अायेगा क सभी पदाथाे का यहा एक ेावगाह हा े रहा है꠰ सभी जब एक देश पर है ता ेसबके देश मे सबक उपथित बनी ई ह,ै लेकन जब कसी एक य के देश काे ही मे लया जा रहा है उस समय मे कसी अ य के ेाे का देश का अवगाह मे न अायेगा꠰ अथवा जसैे कसी एक भाव क क जा रही हा ेता ेवहा वषमपना नजर नही अाया꠰ इस ही कार जब एक समय का परणमन मे लया जा रहा हाे ताे वहा कसी कार का वभाव पयाय बध पयाय नही ठहरता ह꠰ै हम यहा नयवाद से, ुतान से, युयाे से एक समय के परणमन काे जानते है, हम उसक चचा करते है, मगर उपयाेग मे हण करने क बात भ न ह,ै केवल एक समय क थित का ेसाात् य जैसे क अाखाे स ेहम प का ेदेखते है, इस तरह एक समय क थित काे हमारा उपयाेग हण नही करता꠰ हम यहा यवहार मे प रगाे का ेभी देखते है ताे उसक जानकार मे भी याे य अ तमुत माण उपयाेग लग लगकर जानकार करने लगते है꠰ एक समय ताे इतना सू काल है, जैसे बताया गया है क काेई मनु य अाख क पलक ज द-ज द गराये ता े एक पलक के गरने मे जतना समय लगता ह ैउसमे हाेती ह ैअस यात अावल अाैर एक अावल मे हाेत ेहै अस याते समय꠰ उनमे से एक समय क परणित क बात काेई साेच रहा हाे ताे या वह प ट जान लेता है? युयाे से समझता है꠰ ताे वश बनाने के लए समयवती राग है, बस काईे यादा काम नही करना ह ैमु पाने के लए꠰ एक समय काे ही ताे राग हाेता है꠰ उस एक समय के राग काे हटा दे꠰ साे भैया ! यह केवल चचा क ही बात रह जायेगी꠰ मु माग का य न न बन पायेगा꠰ उसका य न है वकार रहत अख ड िनज चैत य वभाव का अवल बन꠰ िनज चैत य वभाव का अवल बन ही हमे माे माग मे बढ़ायेगा꠰ रागादक परणमन के स बध मे पाचवी बात यह साेचये क राग का य हाेता ह ैअारै परमा पद ा त हातेा है, वीतराग पद ा त हाेता है, ताे वहा भी जा ेराग का य हाेता है वह एक समय क थ ित काे लए ए ही राग हा,े उसका य हाेता हाे, सा ेबात नही, क त राग ता ेएक समय का ही हाेता है꠰ इसमे दसूर बात नही ह,ै क त धाराब वह याे य अ तमुत तक चला अा हाेता ह ैजसके य के बाद वीतराग अव था ा त हातेी है꠰ ता ेयाे राग भाव के स बध मे कुछ बाताे का प टकरण कया गया है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वभाव के कतृ व का वचार- अब यह िनणय करते है क इस वकार का उपादान कता काैन है? इस स बध मे यप पहले चचा कर द गई थी, लेकन एक बात जब यह उपथत हातेी ह ै क वकार का अथवा सभी पयायाे का सामा यतया अाधार यह अा ा ह ैअारै अा ा अारै वभाव ये काेई पृथक नही है, तब या रागादक वकार का उपादान कता अा वभाव हाेता है? इसका समाधान देत ेए वचार करते है꠰ वकार का उपादान कता अा वभावनही ह꠰ै अा ा ताे ह,ै यह बात ताे कही जायेगी, याेक अा ा मे ही वह राग वकार अाया है, लेकन अा वभाव का ेराग वकार का कता नही कह सकते꠰ यप वह वभाव इस समय इस पयाय प मे य त अाया है꠰ इतना हाेन ेपर भी वकार का कता वभाव का ेयाे नही कहा जा सकता क एेसा कहने पर यह वकार भी वभाव कहलाने लगेगा꠰ साे अा वभाव ताे शा वत है अाैर वकार भी जब वभाव कहलाने लगे ताे वकार भी शा वत बन जायेगा, अारै तब यह बात बन बैठेगी क वकार का ेयह अा वभाव तीनाे काल करता रहता है꠰ है काेई एक एसेा दशन जसमे यह माना गया क जीव मे से वकार कभी भी न ट नही हाे सकता꠰ अन त काल तक भी दरू न हाेगा꠰ जब उनसे काेई पूछता है क फर इस जीव काे या कभी मु नही हाेती ताे उस दशन क अारे से यह उर दया जाता है क मु ता ेहातेी ह,ै पर मु का अथ यह ह ैक वकार दब गया, अाैर तप चरण अादक करने स ेवे वकार उपशात हाे जाते है, उ हे मु मल जाती ह,ै लेकन मु त जीव दाे कार के माने है उस दशन ने꠰ एक सदामु त अारै एक उपायमु त꠰ सदामु त एक ई वर वह जगत सृ का कता है अारै उपायमु त, यह मु त बन ता ेगया, क त बत समय के बाद वह सदामु त ई वर उ हे ढकेलेगा अाैर फर वे ससार मे ज मरण फर करने लगेगे꠰ है एक दशन जा ेवकार का कभी वनाश नही मानता, लेकन यह बात युसगत नही꠰ इसमे व त का अारै व त वभाव का लाेप हा ेजाये꠰ व त का वय िनज वभाव या है? वह वभाव हा ेसकेगा वयस अहेतक, लेकन वकार भाव या वयस अाैर अहेतक है? यह बात कट जाहर है꠰ यद अहेतक हाेता काेई ताे वह एक समान रहता꠰ सहेतक बाते ही वषम अा करती है अारै जाे बना कारण के कुछ हाे वह ताे एक समान ही रहेगा, लेकन यहा रागादक वकार एक समान नजर अाते ही नही꠰ य बात ह ैकाईे वशेष रागी है, काेई मद रागी है꠰ ता ेजब यहा राग क वषमताये देखी जा रही है, हीनाधकता देखी जा रही ह ैताे स ह ैक ये सब सहेतक है꠰ जैसा बल हेत मलता ह ैवैसा ही बल राग हाेता है꠰ जैसा िनबल हेत हाेता ह ैउसका राग मद हाेता ह꠰ै ता ेराग भाव सहेतक स अा, फर वह सदा रहेगा, यह कैसे हा ेसकेगा? जाे बात जस हेत से हाेकर हाेती ह ैवह सदा नही रह सकती꠰ हेत मटा क वह भी मटा꠰ ताे जब कमाे का य हाे गया ताे राग भाव ब कुल ही मट गया꠰ ताे वकार का कता अा वभाव काे नही कह सकते꠰ अा य के वकार कतृ व क एकेातकता का ितषधे- अब एक यह जासा बन सकती क जब अा वभाव नही ताे अा य ताे वकार का कता हाेगा? देखये- इसके उर मे इतना समझ लजए क

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वकार का उपादान अा ा ता े ह ै पर वकार का उपादान कता अा य नही꠰ ता े अा य अारै अा वभाव दाेनाे क एक ही थित है꠰ अा य भी वकार का कता नही, याेक अा य भी व ह ैअाैर उसे कता मान लेन ेपर फर यह अा य अावकार का तीन काल कता रहेगा꠰ तब वकार का उपादान कता या है? देखये- सामा यपने से यह कहा जा सकता क अा ा रागाद का उपादान कता है꠰ इसमे अभी काेई व लेषण नही कया गया꠰ यहा कह ेगए वृ का व लेषण करने पर कहा जायेगा क वकार का कता वकृत उपयाेग है, अा ा नही꠰ यप अा ा मे ही राग अाैर सामा यतया वकृत वकार भी अा ा है, लेकन अा ा, अा य, अा वभाव इनकाे वकार का कता कहा जायेगा ताे यह ता ेशा वत है, तब वकार भी शा वत हाे बैठेगा꠰ वकृतापेयागे क वभावकतृता- अब चलये िनरखने क वकार का कता काैन है? वकार का कता ह ैवकृत उपयाेग꠰ इसमे भी उपयागे काे वकार का कता न समझना, याेक उपयाेग भी िकाल रहने वाल बात है, क त वकृत उपयाेग वकार का कता है, उपयाेग सामा य वकार का कता नही꠰ यद उपयाेग सामा य काे वकार का कता माना जायेगा ताे अा य व अा वभाव क भाित उपयाेग सामा य शा वत है तब वकार भी शा वत बन बैठेगा꠰ तब यह िन कष समझये क वकार का ेकरने वाला वकृत उपयाेग है अथवा याे कहा ेक अा ा का याेग अारै उपयाेग वकार का कारण है, अा य नही꠰ यहा उपयाेग का वकार मे अाना यह उपयाेग क अश से अा है꠰ उपयाेग सबल नही है, इस कारण से उपयाेग वकृत हातेा है अारै उससे फर रागादक वकार बनते है꠰ उपयागे क अश का कारण- यह उपयाेग क अश कैसे ई? इसकाे यद थूलतया इन श दाे मे कह दया जाय ताे बात जरा शी समझ मे अायेगी क जब उपयाेग अनेक समयाे क अश अव था के अनुभव मे रहता है तब उपयाेग क अश हातेी है꠰ देखये- इस ससार जीव का उपयाेग अनादकाल से लेकर अब तक यही करता अाया ह ैक अनेक समयाे का वभाव उपयाेग मे लेकर ध हाेता अाया, बस यह इसक करतूत उपयागे क अश का कारण बन जाता है꠰ यह बात अनाद सतित से चल अा रही ह ैक उपयाेग क अश से रागादक वकार अाैर वकार भाव हाेने स ेउपयाेग क अश अारै उससे यह वकार अारै उससे अश अाती चल जा रही है꠰ यही अनाद काल से हाेता चला अा रहा है꠰ देखये- यहा भी त य ता ेयही है जसकाे मना नही कया जा सकता क येक पदाथ मे समय-समय मे एक-एक परणमन हाेता है꠰ चाह ेअश परणमन हा ेरहा हाे, चाहे श परणमन हाे रहा हाे, बात सब जगह एक है क ित समय मे एक-एक परणमन हाेता है, लेकन उपयाेग मे जा ेाेभ मचता है, अाकुलता मचती ह ैवह कस कार मच रही है? वह बात यहा दखायी जा रही꠰ सवथा एक समय का राग मानकर बध माे क यव था मटा देना इससे काेई स नही है꠰ हाेता ह ैित समय मे परणमन, मगर स बध दखता ह꠰ै कतनी धारा मे यह जीव उ बन पाता है꠰

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तवावगम स ेउपल य व कृ य शण- िनम, उपादान, वकार भाव, वकार भाव क उ प का साधक अादक बाताे पर वचार करके अब अ त मे यह समझना है क हमकाे या करना चाहए जससे भला हाे? सब तरफ स ेसमझ ला ेक इस नय से यह बात है, इस नय से यह बात है, िन चय से याे ह,ै यवहार से याे है꠰ अब हमारा कत य या है साे सनाे ! यवहार का वराेध न करके म य थ बिनये꠰ वराेध से म य थता खतम हा ेजाती ह,ै अारै यवहारनय क मे वह बात स य भी ता ेहै꠰ फर उसस ेेष याे? अत: यवहारनय का वराेध न करके म य थ बनना अाैर फर िन चयनय का अाल बन लेकर िन चयनय के वषयभूत चैत य- वभाव पर उपयाेग देना, इन उपायाे से माेहादक अश भाव दरू हाेगे꠰ अारै माेहादक अश भाव दरू ए क अा ा का क याण है꠰ इस थित मे जब क यवहारनय स ेपास हाेकर िन चयनय मे अाये, तब िन चयनय से जाे लाभ उठाया गया उस थित मे िन चयनय का वक प भी टूट जायेगा अाैर वहा श सहज वरस अनुभव मे अायेगा꠰ बस एेसे ही अा ा का सहज अनुभव सव कमाे के य का कारण बनता है꠰ ज मरण क सतित मटा देन ेका कारण हाेता है꠰ तब हमारा कत य यह है क यवहार का वराेध न करके म य थ हाेकर िन चयनय के अाल बन से माेहादक भावाे काे दरू करे अाैर अपने का ेिनवक प अनुभव करे꠰ सू ऋजसुूनय क मे राग पयाय क वय िन प नता–अा ा मे उपाध का िनम पाकर जाे वभाव पयाय उ प न हाेती है उसकाे नैगम अादक नयाे से भ न-भ न प मे वदत कया जाता है꠰ अब इस नवम पर छेद के सग मे सू ऋजुसूनय क अपेा से राग पयाय का या वप है, यह वणन कया जायेगा꠰ सबसे पहले यह जानना क जहा एक इस से देख रहे है, जहा केवल एक ही नजर अाता ह ैतथा वह भी कई समयाे तक चलने वाल बात नही꠰ ता पय यह ह ैक एक समय तक रहने वाल एक बात काे ही ऋजसुूनय देखता है꠰ एेसी मे जाे राग पयाय वदत ई ह-ै बताये- वह कहा उ प न ई है? कसमे उ प न ई है? इसके उर मे यद काेई अ य पदाथ कह दया जाये िनम से ई है अथवा याे भी कह दया जाये क पूवपयाय जाे क वकृत थी, इसस ेई है, ता ेइतना भी सहन इस मे नही है꠰ ऋजुसूनय क मे राग पयाय अपनी सा से है꠰ कुछ सगम जानन ेके लए णकवाद के सा त का भी यान करते जाये ताे उससे सगमता मलेगी ऋजुसूनय के अाशय काे समझने मे꠰ णकवाद मे येक पदाथ उ प न हाेता है अारै उ प न हाेते ही न ट हाे जाता है꠰ काेई भी पदाथ अपने ही कारण स ेहाेता ह ैअाैर अपने ही अाप वलन हाे जाता है꠰ णकवाद क उ प भी इस सू ऋजुसूनय के अाह मे ई है, फर ताे यहा काेई एसेा न कर सकता है क फर एेसे ऋजुसूनय क या जरत है जससे हठ क उ प हाे जाये? ताे उर यह है इसका क काईे नय हठ उ प न नही कराता क त जहा म या भावना है वह नय का सहारा लेकर हठ कर बैठता है꠰ नय हठ करने के लए नही बना याेक नय का वप ही एेसा है क अ य बाताे का वराेध न करके एक अपने वषय काे बताये꠰ यद अ य अाशय का वराेध करके काेई

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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नय अपने वषय पर डलवाना चाहता हाे ताे वह कुनय हागेा, सनय नही कहलाता꠰ यह उपयाेग देने वाले क बात है क वह हठ करके जानता है या बना हठ कए नय के वषयमा काे जानता है꠰ ऋजसुूनय क मे सामयक पयाय के अितर त अ य अवलाकेन का अभाव- यहा यह समझये क सू ऋजुसूनय क मे राग पयाय अपनी सा से है अारै वय िन प न है, याेक इस िनगाह मे दसूरा कुछ दखता ही नही꠰ जसै ेएक पारैाणक कथा सनी ह ैक ाणेाचाय न ेअपने कारैव पा डव श याे क धनुवा क परा मे एक वृ पर काेई कागज क चड़या बनाकर रख दया अाैर उन श याे काे बार-बार स ेबुलाकर उस कागज क चड़या क अाख मे तीर मारने का ेकहा अारै उनस ेपूछा क त हे या दखता ह?ै ता ेवे बालेे क हमे पेड़ भी दखता, चड़या भी दखती, बाण भी दखता अाद ता ेउ हे अनुीण कर दया अारै जब अजुन क बार अायी ताे पूछा क त हे या दखता है? ताे अजुन ने कहा क मुझे ता ेबाण क नाेक के सामने दखती ह ैसफ इस कागज क चड़या क अाख꠰ तब अजुन का ेउीण कर दया꠰ ताे यहा यह बताया ह ैक जा ेजस मे रहता ह ैउसे केवल वह ही तीत हाेता ह꠰ै ता ेएेसे ही इन नयाे क बात है꠰ जस नय के अाशय मे जाे वषय ह ैवहा वही उसे तीत हातेा है꠰ ताे ऋजुसूनय क मे केवल एक समय क पयाय वही सव व है याेक उसे अारै कुछ नजर नही अाता꠰ ताे वह राग पयाय वय िन प न है꠰ जाे एक समय का राग है वह पूव समय मे नही अाैर उर समय मे भी नही हाेता अाैर सा त भी यह बताता ह ै क एक समय क परणित पहले अारै अागे नही रहती꠰ पूव पयाय अपन ेसमय मे ई, दसूरे समय मे दसूर परणित ई, इसी के मायने है पूवपयाय का वलय हाे गया ताे याे राग पयाय अपनी सा स ेह,ै वय िन पन् न है, न पहले ह,ै न अागे हाेगा꠰ ऋजसुूनय क मे ऋजसुूनय के वषय के साथ कायकारण, अाधारअाधये भाव तथा वशे यवशषेण भाव अाद स ब धाे क अनपुप- इस राग परणित क रचना कसी अ य पदाथ स ेनही है, उस पयाय के स बध मे पयाय के अशाे स ेही उस पयाय क रचना हाेती है, अ य काईे कारण नही, अारै न काेई अाधार है꠰ इस नय क स ेयह भी नही दख रहा क अा ा मे यह राग पयाय हा ेरही है꠰ अाधारअाधेय भाव, वशे यवशेषण भाव, कायकारण भाव, काेई भी स बध जसमे दाे का स बध हाेता ह ैवह ऋजुसूनय का वषय नही꠰ जा ेसरल वतमान का ेदेख ेउसऋेजसुूनय कहत ेहै꠰ इसक िनगाह मे वह पयाय या है? ह,ै जा ेकुछ सा ेहै पूरा पदाथ ह,ै पूर बात है, जा ेकुछ भी दखा, वह अपने समय मे है, वह कसी स ेउ प न नही हाेता अारै न उसका काईे अाधार ह,ै एेसा यह राग पयाय इस ऋजुसूनय क मे तीत हाेता है꠰ काेई यहा न कर बैठे क अाखर राग पयाय अाती कहा से? ऋजुसूनय के अाशय मे इस न क गुजाइश नही꠰ राग, राग मे ह,ै राग अाया कहा से? राग स ेही राग अा है꠰ राग का जाे वप है, राग का जा ेअपना िनजी काल ह ैवैसा ही राग है꠰ राग बस एक तव है, वह परपूण है, अपने स ेिन प न है,

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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यह ऋजुसूनय क मे वदत अा꠰ यह उपादान से नही हाेता, पूव पयाय से नही हाेता꠰ ऋजसुूनय मे जाे दख रहा है वह कहा जा रहा ह,ै सवथा एेसा नही है꠰ राग पूवपयाय से याे नही हातेा? राग उरपयाय काे याे नही उ प न करता? याे नही क जब वह राग पयाय ह ैउस समय पूवपयाय नही अाैर न उर पयाय है꠰ जब उर पयाय हाेगा तब यह थम पयाय रहती नही꠰ ताे जाे है ही नही, वह दसूरे का कारण कैसे बन सकेगा, कारण ताे वह बनेगा क जाे है꠰ पता स े पु अा꠰ पता भी है, पु भी है, हा ेगया꠰ मथनी से दही मथा गया, हाे गया꠰ मथनी भी उस समय है, दही भी꠰ पर जाे बात उस समय ह ैनही, वह दसूरे का कारण कैसे बने? पूवपयाय के समय उरपयाय नही, ताे उरपयाय का कारण पूवपयाय कैसे बनेगा? देखये- एेसी भी बाते कुछ लागे अाजकल के कहते है꠰ कहना गलत नही है, क त साथ ही का ेभी खलासा कर दे क यह ऋजुसूनय क मे वषय अा रहा है ताे वह गलत न हाेगा꠰ नय का ज न करके यह बात कही जाये, ता ेवह बात िनणय क नही बनती꠰ ऋजसुूनय के अाशय मे व् यवहार क अनपुप- ऋजुसूनय का ताे एेसा वषय है क जस वषय से काेई यवहार भी नही बनता꠰ बक काेई ऋजुसूनय का ही हठवाद हा ेजाये ताे यवहार का लाेप हा ेजायेगा꠰ काेई कहे ता ेफर एेसे नय काे बताते ही याे है क जससे यवहार भी ल त हाे, बात भी कुछ नही बनी, ताे बात यह ह ैक ऋजसुूनय मे यवहार का लाेप हाेता, ताे हाेअाे꠰ जस नय मे जाे वषय अाता ह ैवह वषय ताे बताया ही जायेगा꠰ हा, यवहार इस नय से न चलेगा꠰ यवहार का कारण नैगमनय है अाैर अ य नय है꠰ ऋजसुूनय एक पयायाथकनय है अारै इससे सू सू ह-ै श दनय, समभढ़नय अारै एवभूतनय꠰ देखने मे एेसा सीधा लगता ह ैक ऋजुयूनय से यवहार नही बनता, मगर समभढ़नय से यवहार बनता है꠰ गाे कहा, ताे गाय का हण हाे गया एवभूतनय से ता े यवहार बन जायेगा꠰ एवभूतनय उसे कहते है क श द का जा ेअथ है उस काय मे जब वह पदाथ लग रहा हाे उस समय उस श द से कहना꠰ जैसे पूजा करते ए मे उसकाे पुजार कहे यह ताे अासान बात है, यवहार बन जायेगा, लेकन नही, इससे भी यवहार नही बनता꠰ यह ताे वषय बताया जा रहा है, याेक श दनय, समभढ़नय अाैर एवभूतनय ये ताे ऋजुसूनय से अाैर सू वषय वाले नय है꠰ पर नैगमनय जैसी जाे बनाये है अारै समभढ़नय, एवभूतनय क बात जाेड़ रहे है तब एसेा लगता ह ैक इसस े यवहार बन जायेगा꠰ जा ेऋजुसूनय एक समय क पयाय काे िनरखता ह,ै उसमे न काेई कारण है, न उसका काेई काय है꠰ ऋजसुूनय क मे िनम नैमक भाव क व वशे यवशषेण भाव क अनपुप- ऋजुसूनय क मे राग नैमक भी नही हाेगे꠰ राग नैमक ता ेहै, इसका ेमना ताे नही कया जा सकता꠰ जीवाे मे जा ेराग हाेता है वह या कुछ िनम पाये बना ही हाे जाता है? अगर िनम पाये बना ही हा,े ता ेराग अा ा का वभाव बन बैठेगा अारै फर उसक यव था भी न बनेगी꠰ कब तक हाे? कब तक न ट हाे? कब न ट हाे, कम हाे, यादा हा,े यह काेई यव था न बनेगी꠰ इस कारण मानना ताे हाेगा क राग नैमक है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कमाेदय का िनम पाकर राग परणित उ प न हाेती है꠰ लेकन जब ऋजसुूनय क मे यह टा उस राग परणमन का े िनरख रहा ह,ै उसक मे न काेई दसूरा पदाथ ह,ै न पूव-उर पयाय है, तब वहा नैमक कहा कैस ेजा सकेगा? याेक जाे नैमक ह ैवह सब राग नही, अारै जाे राग श ह ैवह नैमक नही꠰ देखये वशेषणवशे य भाव लगाया ता ेजाता ह,ै मगर ऋजुसूनय मे नही लगा सकते, याेक ऋजसुूनय जरा भी हरेफेर काे सहन नही कर सकता꠰ अगर कह दया जाये क काैवा काला ह,ै लाेग कहते ही है, यवहार भी एेसा चलता है लेकन ऋजुसूनय के अाशय मे यह याि बनेगी ताे यह बात ठक नही कहलायेगी꠰ ऋजुसूनय क मे वशे यवशेषण भाव क याि नही꠰ एेसा िनयम नही क जतना सारा काैवा हाे वह िनयम से काला हाे, अाैर जतनी दिुनया क काल चीजे है वे सब काैवा हाे꠰ तब इस मे काैवा काला है, यह कैसे कहा जा सकता है꠰ ताे जस नय का काेई एसेा सू वषय है क वशे यवशेषण भाव भी नही बनता, वहा कारणकाय भाव बनेगा ही या? राग का ेनैमक न कहा जा सकन ेका एक अ य कारण- अब अाैर तीसर बात साेचये꠰ जब यह कहा गया क राग नैमक भाव ह ैताे इसमे राग ताे बन गया वशेषण꠰ जैसे काला मनु य है ताे मनु य ह ैवशे य अाैर काला अा वशेषण꠰ याे ही यहा राग ताे अा वशे य अाैर नैमक वशेषण अा꠰ अब यहा यह बतलाअाे क ये दाे चीजे सामने रखी है- वशे य अारै वशेषण, ये पर पर मे एकमेक है या जुदा-जुदा? याे दा ेवक प रखे꠰ काेई सा भी वशे यवशेषण ले लाे꠰ नीला कमल, एेसा कहा ताे बतलाअाे ये दाे बाते ई ना? नीला वशेषण है अाैर कमल वशे य है꠰ ताे नीला अाैर कमल ये दा े या एक चीज है या पृथक-पृथक꠰ यद कहा ेक पृथक-पृथक बाते है ताे पृथक मे स बध हाे ही नही सकता꠰ यह ता ेबल् कुल अलग है꠰ जसै ेबेच अलग ह,ै चटाई अलग꠰ जब ये दाेनाे भ न-भ न है ताे इनमे या स बध है, वशे यवशेषण भाव या? याे ही नैमक अाैर राग ये दाेनाे भ न है ता ेइन दाेनाे का स बध नही बन सकता, अारै न यह कहा जा सकता क राग नैमक है꠰ अगर भ न-भ न दाे चीजाे काे भी वशे य वशेषण भाव मे लगा दे ताे काेई कसी का भी वशेषण बन जायेगा꠰ जसैे काला कावैा, अब काला भी जुदा है अारै काैवा भी जदुा है꠰ यद ये भ न है ताे स बध नही बनता अारै यद ये अभ न है ताे एक बात रही, एक ही पदाथ रहा꠰ एक मे वशे य वशेषण या? मनु य, मनु य है꠰ इसमे वशे य वशेषण या? हा, काेई एसेा साेच ेक बन ता ेजाता ह ैएेसा क यह मनु य ता ेमनु य है, इसमे इसािनयत ह ैता ेयहा दाे अथ हा ेगए꠰ यह मनु य वशे य है- इसका अथ है क जाे 5-5 फट का मनु य बैठा है पास मे वह मनु य꠰ अाैर मनु य है, इसका अथ है क अ छे वचार वाला है꠰ अ छे कत याे वाला ह,ै ता ेअथ दा ेहा ेगए꠰ मगर अथ भी दा ेनही, एेसा भ न हा ेकाईे ता ेवहा वशे य वशेषण या बनेगा? इस कारण राग नैमक है, यह वशे य वशेषण हा ेही नही सकता꠰ जस िनम से हमने मान लया राग, उस िनम से राग ताे है नही꠰ कहते है ना क िनम स ेराग हाेता, िनम मे खद मे राग नही बसा अा है꠰ वहा से राग अायेगा कैसे? कम मे वभाव राग नही ह,ै अायभूत

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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िनम मे पु मादक मे इस जीव का राग भाव नही है꠰ अायेगे वे कैसे राग? इस कारण राग नैमक है, यह बात नही कही जा सकती꠰ तीसर बात यह ह ैक कसी के गुण दाेष कसी मे लादे नही जा सकते꠰ अगर कम मे राग बसा है ताे वह कम खराब है꠰ वह अपने दाेष मे ह꠰ै उसका दाषे अा ा मे नही लादा जाना चाहए꠰ याे ऋजुसूनय क मे राग ह,ै वय िन प न है, उसका काेई कारण नही, वह नैमक नही꠰ इस तरह स ेएक राग परणित नजर मे अाती है꠰ सामायक राग परणमन क वचनागाचेरता- बात चल रही है यहा बत सू है꠰ उसस ेकेवल अपने बाेध के लए समझ लजए क हम अाप मे जा ेराग परणित है, ीित जगती ह ैया अ य काेई वभाव भाव जगता है ता ेउसके जगने मे बत समय लग जाता है꠰ कुछ ही समय मे नही जगता꠰ मगर राग परणमन येक समय मे हाेता है꠰ येक समय का अगला अगला राग परणमन हाेकर भी जाे हममे राग जगता है, जससे ाेभ अारै अाकुलता मचती है वह एक समय के राग के अनुभव क बात नही, क त धाराब अनेक समयाे के राग क बात है꠰ एक समय क राग परणित ताे इतनी सू है क जसके बारे मे यह भी नही कहा जा सकता क यह कारण स े अा है, यह नैमक है, अथवा इसके बारे मे एक दसूरे का े भी समझाये꠰ जब हमने काईे चीज देखी तब हम समझा नही रहे, जब हम समझा रह ेहै तब वह चीज नही꠰ ताे समझाना भी नही बन सकता है इस नय मे꠰ हम जानकर ही ता ेकुछ समझा करते है꠰ जाे भी समझाना है वह जानकर ही ताे समझाना है꠰ जानने का समय पहले था, समझाने का समय अब है꠰ अथवा तर त जानत ेए भी समझा रह ेहै ता ेवहा भी समय भेद है꠰ जसके बारे मे समझा रहे है उसक जानकार समझाने से बत हा ेचुका꠰ ताे इसमे न समझने वाला, न समझाने वाला, न नैमक, न कारण, न काय, न वशे य, न वशेषण, एेसा एक समय का राग परणमन है꠰ यह सब ऋजुसूनय क मे अाया꠰ केवल इस ही अाधार पर पराधीन न बन जायेगा꠰ बात त य क कही गई है꠰ ित समय का राग परणमन है अारै इस नय क मे वह वत है꠰ जाे लाेग कहते है क पयाये वत है, अपने समय मे हाेती है अाैर मट जाती है, ये वत, वत पयाये है, वह इस नय का अाशय है, सवथा वत है, एेसा न कहा जा सकेगा꠰ अथवा काय कारण भाव है, िनम नैमक भाव है तभी बध माे क यव था है꠰ सामयक राग परणमन क वा यता पर वचार- इस एक समय के राग काे हम कन श दाे मे बताये? काेई या हाेती है ताे हाे रही, हाे चुक, दाे ही बाते ताे कही जायेगी꠰ कही से काेई जा रहा है, ताे पहचान गए, चूक अा रहा है, अा चुका, अा गया, कुछ ताे कहा जायेगा ना, पर ऋजुसूनय क मे या कहा जाये? हा ेरहा है, हा ेचुका ह,ै हाेवेगा꠰ इनमे स ेएक भी बात नही कही जा सकती꠰ जैस ेकाेई मनु य चावल पका रहा हाे उस ेभाेजन करना था, ताे जब वह लकड़या ही चू ह ेमे डाल रहा था, उस समय उससे काईे अाकर पूछता है क भाई या कर रह ेहाे? ताे वह कहता ह-ै खचड़ पका रह ेहै꠰ अब अाप देखये- डाल ताे रहा ह ैवह लकड़या, वहा अभी न चावल का पता ह,ै न दाल का, पर वह कहता है क खचड़ पका रहे है, ता े

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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या उसने गलत कहा?...गलत नही कहा꠰ अाैर सनने वाले ने भी झूठ नही समझा, याेक उस सनने वाले क नैगमनय क थी꠰ अगर उससे काेई कह बैठे क साहब अाप ता ेचू हे के पास लकड़या डाल रहे है अाैर कहते है क खचड़ पका रहे है, ताे यह ता ेअाप गलत कहते है? सा ेउसके उर मे कहते है क वह भी गलत नही कह रहा, याेक उसक सू ता पर जब देगे ताे यही बात दखेगी क हा, वह खचड़ पका रहा है꠰ अब देखाे वहा खचड़ पक गई या?...वह पक ताे नही गई꠰...ताे या पच रही है? जाे पच रही ह ैवह खचड़ नही꠰ खचड़ ता ेउसे कहते है जा ेपक चकेु꠰ ता ेपच रही ह ैयह भी नही बनता, पक गई यह भी नही बनता꠰ तब उसे कहते है क प यमान प व है꠰ कहा ले जाये उसे समझाने के लए ꠰ ताे इस कार ित समय मे हाेन ेवाला जा ेराग परणाम है उस ेर त नही कह सकते या राग कर चुके याे न कहेगे, क त उसकाे बाेला जायेगा रायमान र त꠰ भला बतलाअा-े जस वषय काे समझाने के लए काईे श द ही नही है, जाेड़-जाेड़कर समझाना पड़ रहा, वह काईे बात भी ह ै या? उसकाे समझाने के लए काेई सा त या कत य न बनाया जायेगा꠰ ऋजुसूनय के वषय मे बताया गया ह ै क एेस े परमाथ मा समय के परणमन का ेऋजुसूनय कहते है꠰ नगैम अारै ऋजसुूनय दानेाे नयाे के वषय क अख डता क - यप राग ित समय नवीन-नवीन परणमन करता अा हातेा है तब भी समय मा राग क मे राग भाेगने मे नही अाता꠰ केवल एक समय क परणित िनरखने पर अन तर चैत य- वभाव अनुभव मे हाे जाता है꠰ नैगमनय अाैर ऋजुसूनय इन दाेनाे का वषय अख ड है꠰ नैगमनय ताे इतने वशाल काे देखता है क जाे अनाद अन त है अारै ऋजुसूनय उतने एक अश का ेदेखता है जा ेअवभा य अश है, जसके फर कभी अश नही हाे सकते꠰ ता ेऋजुसूनय ने भी अख ड का े वषय कया अारै नैगमनय जसैे वशाल वषय वाले नय ने भी अख ड का ेवषय कया꠰ दाेनाे नयाे के उ कृ ट वचार मे वषय अख ड हाेता है꠰ वभावानभुव मे ही िनवक पानभुिूत क साा कारणपता- नैगम अाैर ऋजसुूनय दाेनाे का वषय अख ड ह,ै एसेा जानकर यह एक जासा हा ेसकती ह ै क तब फर अख ड वभाव मे पचने के लए साधन नैगमनय का उपयाेग है, ताे ऋजुसूनय का भी उपयाेग हाे सकता है꠰ एेसी जासा उनक ठक है अाैर बात भी एेसी ही है क अख ड वषय के जानने पर वक प टकर वभाव मे पचना हाेता है꠰ नैगमनय ने ताे एेसे अख ड का े देखा क जाे अनान त वशाल है, जस मे भेद ह ैही नही꠰ अारै, ऋजुसूनय ने भी अख ड का ेदेखा꠰ देखये पदाथ का कालापे या ख ड हाेता है, पर एेसा अाखर ख ड ऋजुसूनय क मे दखा क पदाथ का परणित प मे ख ड हा े हाेकर एेसा अाखर ख ड अा जसका ख ड कया ही नही जा सकता꠰ एक समय के परणमन का ख ड या हाे सकता है? ताे जस नैगमनय के याेग मे अनाद अन त य का ेिनरखकर, अन त गुण पयायाे का अभेद प ड देखकर उसके चतन के माग से जस उपयाेग से राग का अवकाश न हाेन ेसे अख ड िनवक प व के अनुभव मे पहचान

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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क वध बनती है꠰ इस कार एक समय क राग परणित अथवा कुछ भी परणित यद मनन मे अाये ता ेवह भी एक ेय एेसा बन जाता है क उस मा यम से एक चैत य वभाव के अनुभव मे जाने का अवसर मलता है꠰ ितसमय राग परणमन हाने ेपर भी धाराब राग के उपयागे स ेाभे क य- यहा यह न हाे सकेगा क पहले ताे समय मा राग परणित का िनषेध कया, सा ेसमाधान सिनये क पहले भी समय मा परणित का िनषेध नही कया गया, क त यह बताया गया था क समय मा राग परणित ाेभ का कारण नही बनती अथात् उसका उपयाेग नही बन पाता꠰ जाे वेदन कराये, क त धाराब अ तमुत का रागसमूह यह उपयाेग मे रहता है꠰ ताे यहा भी मश: ही चला उपयाेग꠰ उपयाेग ने भी उस समय के राग काे जाना꠰ दसूरे समय के राग का ेजाना, पर यह ान सब याे य अ तमुत तक लगातार हाेता ह꠰ै तब एेसा उपयाेग बनता ह ैक वह वकार काे महसूस करने का कारण बन सकता है꠰ यह बात समझाने के लए क वकार अथवा अाकुलता का ेउ प न कर रहा अा इस कार का राग िनरपे एक समय का राग नही है꠰ वहा भी यह बात जानना है क समय मा राग क जानकार मे राग का ाभे य त नही हाे पाता, अनुभव नही हा ेपाता꠰ परपदाथ मे अपनी एकता का उपयागे बन ेबना राग य क असभिूत- अनुभव मतलब ह ैवेदना का꠰ वेदन हाेता है ान अारै ेय क एकता हाेने पर꠰ जैस ेान जा ेहा ेरहा ह ैउसका ेय बन रहा है राग पयाय꠰ ताे जब राग पयाय मे राग पयाय क एकता ई ता ेअश वेदन अा꠰ भु भी जानता ह ैसम त लाेकालाेक काे, ताे वह ान का वषयमान रह जाता है अाैर वहा एकता हाेती है सव पदाथाे के अाकार प परणमे ए इस अ तेय ेयाकार के साथ ान क꠰ अथात् ान अारै अ तेय इनक एकता मे श वेदन हाेता है अारै ान अाैर पर पदाथ ेय इनक एकता हाेने पर अश वेदन हाेता है꠰ यप ेय क पर-पदाथ से एकता कभी नही हाे सकती, लेकन वक प जाे वीकार करते है, वे इस ढग से चलते है क माना ेपर-पदाथ से ये एकमेक हा ेगए꠰ ताे वक प मे परपदाथ के साथ ान क एकता हाेने पर अश वेदन हाेता है अारै ान का अ त:ेयाकार के साथ श वेदन हाेता है꠰ ता ेपरवषयक ान अाैर परपदाथ जब इनमे क पना स ेएकता हाेती है꠰ जब क पना के सग मे जाे वेदन हाेता ह ै वह ता ेअश वेदन ह ैअारै ानाकार ान अाैर ानाकारप वेय जब इसक एकता हाेती है ता ेवहा श वेदन हाेता है꠰ जैस ेदपण के सामने काेई चीज रखी है꠰ दा ेबालक खडे़ है ताे दाेनाे बालकाे का ितब ब दपण मे अाया꠰ अब वहा देखने वाला काेई पुष उस छाया काे अाैर दपण काे एकमेक प से देखता ह,ै अथवा पर पदाथ पर देकर कहते भी है क यह बालक क छाया ह ैताे उसने इस िनगाह मे दपण काे अाैर पर पदाथ काे एकमेक करता अा जाना अाैर काेई पुष वहा यह समझ रहा ह ैक इस दपण क एकता ताे इस दपण के िनज के जा े व छ देश है उनके साथ है, ब े के साथ नही ह꠰ै अथवा कुछ अाैर म य प मे चले ता ेयह जा ेछाया प परणमन य का हा ेरहा है इस दपण क एकता इस दपण क परणित के साथ है, पर के साथ नही है꠰ याे भी

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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काेई िनरख सकता है꠰ एसेे ही काेई जीव परपदाथ के साथ अपनी एकता समझ रहा ह,ै यह मै , यह ही मेरा शरण ह,ै इससे ही मेरा जीवन है, अान द ह꠰ै इस कार पर के साथ अपनी एकता करते है ताे उसका वह अश वेदन है꠰ वहा ाेभ उ प न हाेता है꠰ अाैर जहा अ तेयाकार का ानाकार ान जाे ानाकार है उस ेय के साथ इस ान क एकता है, तब श वेदन है अथवा वहा जा ेअ तेया कार अा ह,ै ेयाे का जानन प परणमन अा ह ैउस परणमन के साथ ही ान क एकता है, क त वषयभूत परपदाथ के साथ नही ह,ै अत: वहा श वेदन है꠰ यहा राग के स बध मे या थित हाेती है क राग के वषय के साथ एकता हाेती है अाैर राग क जाे या ह ैउस या के साथ एकता वक प मे हाेती ह ैअतएव अश वेदन हाेता है꠰ ता ेअश वेदन काे, वकार वप का े लए ए राग यह एक समयवती नही हा ेसकता꠰ एक धाराब अनके समय का राग उपयाेग मे हण मे अाये वहा वकार जगता है꠰ पूवापर िनरपे परणित के ेय हाने ेपर राग के सखू जान ेका अवसर- यप राग ित समय हाेता है, क त मा एक समय का राग ान मे अाये, पूवापर स कार छाेड़कर उसमे केवल समय मा परणित ेय हा ेता ेवहा राग का अनभुव नही हातेा, क त एक ान वषय हा ेजाता꠰ ान मे सापेता न रही꠰ दा े याे का, दा ेेाे का, दा ेकालाेका, दा ेभावाे का स बध लेत ेए जा ेजानन हातेा ह ैवह सापे ह꠰ै एसेे िनरपे स बध मा परणित हाेन ेपर इस जीव का े वकार नही उ प न हाेते꠰ तब अपने का ेअवकार मे अनुभव करने के लए यह भी माग ह ैक कसी भी पयाय के सू अश करके एक समय मा क पयाय काे ेय करके एेसा अपना ाना क य न करे क वह ेय बन जाये꠰ ताे यह भी एक पित है वानुभव क꠰ अनेक समयाे क राग पर परा काे समुह प से उपयाेग हण न करे ता ेयह भी एक क याण क दशा है, याेक अवकारानुभूित हाेने से उसमे कस-कस कार के ान अा करते है, उनकाे यद सेप मे कहा जाये ता ेयह कहना चाहए क एक य, एक े, एक काल, एक अख ड भाव, इनका वचार बने, वचार से बढ़कर भावना बने, भावना स ेबढ़कर यान बने अारै एेसा ही उपयाेग हा ेउसके बाद अवकार तव क अनुभूित हाेती है꠰ जैस े कसी वृ क जड़ काे पानी न मले ता ेउसका काम ह ैसखू जाना꠰ इसी कार रागानुभूित के लए ह ैअ य साधन, अ य साधन का अाय꠰ वह अाय जब न मले ता ेयहा राग वृ भी सूख जायेगा꠰ याे नैगमनय का वषय भी अख ड है अारै सू नय का वषय भी अख ड है꠰ अख ड वषय ेय हाेने पर अखड वभाव क अनुभूित का अवकाश मलता है꠰ जब अकेला ही काेई य, अकेला ही वे, अकेला ही वकाल ेय हातेा है ताे उस ान का ेय ान वप हाे जाता है꠰ दशनापेयागे स ेयथासभव तलना करके समयमा परणित के ये हाने ेपर क याण लाभ के अवसर का सकेत- जैसे दशन के वप मे बताया है क पदाथ का अाकार न हण करके पदाथाे काे वशषे प से न िनरखकर जा ेसामा य हण हाेता है वह दशन है, ता ेअब जरा याेग करके ता ेदेखाे꠰ कसी भी पदाथ का हम दशन करे, उस पदाथ क वशेषता ितभास मे अाये ता ेदशन न रहा꠰ उस पदाथ का काेई अाकार

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कार प रग ान मे अाये, ताे दशन नही हातेा꠰ काेई सामा य भी ितभास मे अाये ताे वह ितभास कैसा क पदाथाे का नाम भी न अाये, पदाथाे का े भी न अाये, परणित भी न अाये, अाकार कार भी ितभास मे न अाये अारै सामा य ितभास हाे꠰ अाैर सामा य ितभास भी कया, अारै उसमे यद यह लगाव रहा क इन पर-पदाथाे का सामा य ितभास ह ैतब फर सामा य ही या रहा? जब इस पदाथ का यह सामा य ितभास, इस पदाथ का यह सामा य तव एेसा भी अगर स बध लगा दया गया, ताे वहा सामा य ितभास भी कुछ न रहा꠰ ता ेअब देखये- दशन वध मे यह जीव कैसे-कैसे धीरे-धीरे उतरता अा कैसा अवकारानुभूित मे पचता है अारै चला ेयही ितभास रहा क इन पदाथाे का सव पदाथाे का सामा य ितभास मे अाया, लेकन वह सामा य एक जा ेसव पदाथाे मे ह,ै उस सामा य वप पर जाये ता ेउस ितभास के समय परपदाथ का लगाव हट जाता ह꠰ै अब कसका यह सामा य? कसका कहने पर जा ेउर अाता वह पदाथ अाेझल हा ेजाता꠰ अब वह परपदाथ भी अाझेल हा ेगया ताे सामा य ितभास मे ितभास या रहा? ितभास िनराधार ता ेनही हाेता꠰ उसके लए ताे कुछ वषय बनाना ही पडे़गा꠰ जहा परतव खसक गया, तब अा ा ता ेअाधार ह,ै पहले भी था, अब भी है꠰ काेई अानी पुष यद परपदाथ के स बध मे कुछ जानकार कर रहा ताे उस जानकार का अाशय परमाथत: यह ाता अा ा ही है꠰ परपदाथ ता े वषयप से अाय ह꠰ै अाय ता ेपरमाथत: अा ा ही ह,ै वह कही भी हटाया नही जा सकता꠰ फर यहा ताे पर-पदाथ उपयाेग से हट ही गया, तब रह जाता ह ैयह िनज व꠰ उस समय मे इस अवकार व क अनुभूित जगती है꠰ ता ेसमयमा क परणित यद ेय बन जाये ताे यह ता ेक याण लाभ क बात है꠰ ऋजसुूनय के अाशय मे अा ा के रागकतृ व का िनषधे- अब एक दसूरा वषय ले लजए꠰ इस राग पयाय का कता या अा ा है? वचार करा ेइस बात का꠰ ऋजुसूनय क मे य ह न कया जा रहा꠰ ताे भाई! नकता ने अगर ऋजुसूनय क क हाेती, ताे यह न ही नही उठ सकता था꠰ नकता कुछ भी न करे उसके न का ेमना ताे नही कया जा सकता꠰ समझा जा सकता है क नकता का यहा अाशय या है? राग परणित कसक ह ैएेसी दा ेजगह हाेने पर नकता का अाय ऋजुसूनय का नही रहता꠰ ऋजुसूनय क मे राग पयाय का कता अा ा नही है, याेक राग से पहले जाे पयाय ई है, ेष अा है मानाे उस समय भी यह अा ा था꠰ अा ा ताे शा वत है, ैकालक है꠰ ताे ैकालक- वभावी अा ा का काम एक समय का राग परणमन कैसे हाे सकता है? यह सब ऋजुसूनय के अाय मे चचा चल रही है꠰ जस समय जस नय के अाशय मे चचा चलती हा ेउस समय मे उस नय का ही पूणप से अाय रखा जाये ता ेबात सगम प ट हा ेजाती है꠰

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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ऋजसुूनय के अाशय मे राग क नैमकता क असभिूत- यद काेई एेसा साेचने लगे क राग ता ेनैमक है, यह अा ा ताे कता नही ह ैराग का, अा ा ता ेअाधार मा है꠰ उसमे परणमन हाेता है, पर िनम कता है याेक राग नैमक है꠰ चचा रख ेकाेई नवीन कैसी ही꠰ यहा यह परख लजए क इस ऋजसुूनय क मे राग नैमक है यह कहना यु त नही꠰ राग का कता िनमभूत पदाथ है, यह कथन भी सगत नही, याेक राग का िनम के साथ समानाधकरण नही꠰ राग ताे वतमान पयाय मा ह ैअाैर अा ा ैकालक है꠰ िनम अलग है अारै अा ा अलग है꠰ ताे राग का समानाधकरण अा ा मे नही हाे सका अाैर िनम मे भी नही हाे सका꠰ ता ेराग पयाय का कता काईे भी नही ह꠰ै ऋजसुूनय के अाशय मे रागभाव क वय िन प नता व अहतेकता- ऋजसुूनय के अाशय मे राग पयाय वय िन प न है, वय सत् है, अपन ेसमय मे अपने अाप उ प न अा है꠰ यह अाशय ता ेअन तर पूववती समय के परणमन काे भी नही िनरखता꠰ तब राग का अाधार ये िनम अाैर अा य दाेनाे ही न रहे꠰ तब या रहा? अाधार ही कुछ नही꠰ सब परपूण है, िन प न है, व-सहाय है꠰ ऋजुसूनय के अाशय मे काेई दसूर बात गत नही हाेती꠰ इस कारण यह भी कहा जा सकता क राग क उ प अहेतक है꠰ कसी कारण से नही हाेती꠰ यह बात कह रह ेहै ऋजुसूनय क से꠰ इस मे कायकारण भाव नही है꠰ मुझ ेयह बात बराबर कहनी पड़ रही ह ैइसलए क कही यह छाेड़कर सवथा इसका अथ न लगा लेना, अ यथा कुछ वषय समझ मे भी न अायेगा꠰ अाैर उसके ित श य अाैर शका रह सकेगी꠰ राग पयाय अहेतक है꠰ वह कसी भी हेत मे उ प न नही हाेता꠰ यह बात कैसे समझी जाये? ताे देख लजए- जाे उ प न हा ेरहा ह ैएक समय मे राग पयाय जा ेहा ेरहा ना, उसका े मे लेकर च तन करये꠰ वह उ प न हा ेरहा है या उ प न हा ेचुका ह꠰ै एक समय मे एक राग परणमन यद उ प न हाे रहा वह कसी का ेउ प न नही कर सकता꠰ वह पहले उ प न ताे हा ेले꠰ उ प न हा ेचुके तब वह उ प न करेगा दसूरे काे꠰ यद कहा ेक जा ेउ प न हाे चुका राग, वह करेगा उ प न दसूरे राग काे, ताे सिनये इस वध मे राग का ेदा ेसमय रहना पडे़गा꠰ एक ताे उ प न हाेने के लए समय लगेगा, फर दसूरे राग का ेउ प न करने के लए अ य समय हाेगा꠰ अाैर दाे समय मे काेई परणित रहती नही꠰ येक परणित अपनी-अपनी, एक-एक समय मे हाेती है, अाैर साथ ही यह भी वचारये क जाे राग परणमन उ प न हाे रहा ह,ै यद वह अागे क राग पयाय काे उ प न करने लगे, ताे जब उसमे दसूरे परणमन काे उ प न करने क श है ताे एसेी अागे क अ य अारै पयायाे काे उस ही ण मे याे नही उ प न कर देता? कर देना चाहए꠰ फल या हाेगा क भव य क अन त पयायाे काे यह एक समय का पयाय उ प न कर देगा꠰ जब एक समय का राग पहले समय के राग काे उ प न करता है याने अगले समय के राग का साव नही है अारै जसका साव नही है उसे जब उ प न करने लगा यह समयवती राग, ताे भव य क असद्भाव मे अन त पयाये भी है ना, उ हे भी उ प न कर दे, तब एक ही समय मे सब पयाये हाे जाने से फर पयायाे का अागे अभाव हाे जायेगा꠰ कुछ रहेगा ही

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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नही꠰ ता ेयाे य का भी अभाव हाे जायेगा꠰ इस कारण यह नही कह सकते क जा ेउ प न हा ेरहा ह ैवह अगल राग पयाय काे उ प न कर देगा꠰ यद काईे साेचे क नही, उ प न हाे चुका ह ैवह राग पहले समय मे, वह करेगा दसूरे राग काे उ प न, ताे जाे उ प न हाे चुका वह उ प न नही कर सकता꠰ याेक उ प न हाे चुका꠰ एक समय उसका पूरा हाे गया꠰ अब उ प न करेगा ता ेदसूरे समय मे करेगा꠰ ताे वह रागपयाय अब दाे समय मे अा गया꠰ जब काेई एक परणित दसूरे समय मे अा गई ता ेतीसरे चाैथ ेअादक अन त समयाे मे भी बनी रहे, इस ेकानै राेक सकेगा? अारै जब काेई न राेक सका, समय मा का परणमन भव य के सव समयाे मे रह गया ताे इसके मायने यह ह ैक वही रह गया, कूट थ अपरणामी हा ेगया꠰ ताे याे राग पयाय का काेई हेत नही बनता, अतएव राग पयाय अहेतक है꠰ ऋजसुूनय के अाशय मे पवूपयाय के अभाव मे उरपयाय के उ पाद के कारण व का अभाव- काेई यह साेचे क यह हेत बना ले क पूव पयाय का अभाव उर पयाय का कारण बनता है ता ेपूव समयवती राग का अभाव हाेते ही अब राग पयाय का कारण हाे जायेगा, साे भी बात नही, याेक अभाव भाव का कारण नही हा ेसकता꠰ असत् सत् का कारण नही हाेगा꠰ पूव पयाय न रह,े वह उर पयाय का कारण कैसे हाेगा? इन बाताे स ेयह समझ लजए क यद काेई एेसी चचाये करता है क अभाव भाव का कारण नही꠰ पूव-समयवती परणित उर समय का साधन नही, ता ेये सब बाते ऋजुसूनय के वषय मे है꠰ यद इस नय का बल दे करके नही कहा है ताे एेसी चचा एक वप के व भी बन सकती है अाैर क याण क दशा से दरू हटा सकती है꠰ ितसमय, ितसमय क परणित क परपणूता- इस समय सू ऋजुसूनय क से राग परणित का िनरखना कर रह ेहै अथात ्एक समय मे जा ेवभाव परणमन हाेता है उसक थित या है? इस नय स ेयह बतलाया क वह राग कसी से उ प न नही हातेा अाैर कसी अ य से न ट नही हातेा꠰ अपने अाप मे ही उ प न हाेता है अारै वय ही न ट हाेता है꠰ राग कहा,े कषाय कहा,े काेई-सा भी वभाव परणाम कहाे, सबका उपलण है यहा राग꠰ ताे एक समय मे जा ेहम अापमे राग परणित बनती है, देखये उसे हम इय से नही जान सकते, यु से ही समझ सकते है क जब दा े मनट तक बराबर राग करते है तब समझ मे अाता ह ैक हा यह राग ह꠰ै ता ेअाखर एक मनट मे भी ताे कुछ राग अा꠰ एक सेकेड मे ता ेकुछ राग अा, एक सकेेड के अस यातवे ह से मे कुछ राग अा, अाैर जस समय जा ेपरणमन हाेता ह ैवह परपूण हाेता है꠰ लागे कहा करते है क हमारा यह काम अधरूा पड़ा ह ैलेकन अधूरा ताे काेई हाेता ही नही है꠰ काैनसी चीज एेसी ह ैजा ेअधरू हाे? एक भी चीज एेसी नही जाे अधूर हाे꠰ अधरूापन ता ेकल् पना मे है꠰ चीज मे अधूरापन नही꠰ मान लाे अाप मकान बनवा रहे, उसक भीत अभी अाधी ही बन पायी, ताे लागे कहते है क अभी यह काम ताे अधरूा ही अा है꠰ पर एेसी बात नही ह,ै उसमे जाे इटे, म अादक चीजे है वे ताे एक-एक पूर-पूर चीजे है꠰ उनमे अधूरापन रहा कहा? अधूरापन ताे इस क पना मे है जा ेयह साेच

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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डाला था क हमे यह काम अभी करना ह,ै क त एेसा अा नही, साे यह क पना ही ताे है꠰ अधरूा ताे काेई पदाथ हाेता ही नही꠰ ितसमय यके क परपणूता का रह य– येक पदाथ ित समय परपूण है꠰ इस बात काे अ य दाशिनकाे न ेइन श दाे मे कहा ह-ै पूणमद: पूणमद पूणा पूणमुद यते꠰ पूणापूणमादाय पूणमेवावश यते꠰ उनका है यह अैतवाद का सा त꠰ यह पूण है, यह पूण है...꠰ स कृत मे "यह" इस श द के वाचक दा ेश द धान है꠰ एक अदस् शब् द अाैर एक इद श द꠰ इद मायने यह अाैर अद: मायन ेयह꠰ लेकन ये भेद ह द मे ताे नही अा पाते꠰ स कृत मे ये भेद अा जाते है꠰ एक बत बड़ िनकटवती 'यह' का नाम ह ैअारै एक यह अ य जगह के 'यह' का नाम है꠰ जसैे काेई कहता ह ैक यह ब धु मरेा है अाैर काेई कहे क मेरा ताे 'यह' अा ा है, ताे 'यह' श द का याेग दाेनाे जगह अा, फर भी अ तर ह꠰ै इसका व लेषण करने वाला श द ह द मे नही है, लेकन स कृत मे ह ैअद: अारै इद꠰ ताे इस ही टा न ेजब भेद से देखा ता ेयह दखा, उसे भी 'यह' श द से बाेला꠰ जब अभेद से देखा तब यह वय दखा, उसे भी 'यह' श द स ेबाेला꠰ यह यह पूण है, परपूण ह,ै अधूरा नही है꠰ माेटे प मे कहा क यह परपूण है अाैर पूण स ेपूण िनकलता गया है, पूण ही िनकलता है अारै पूण से पूण िनकल करके भी रह या जाता है꠰ पूण ही रह जाता है एेसा ही काेई वलण हसाब ह ैक पूण ह ैउसस ेजाे भी िनकला सा ेपूण अारै जा ेशेष बचा सा ेभी पूण꠰ यह बात कही है उ हाेने अपनी भ मे, ा मे, जसका क ेटकल उपयागे न कर सके गे, लेकन यह अपने अापमे घटाये ताे ेटकल घटेगा, यावहारक समझ बनाता अा घटेगा꠰ यह मै अा ा पूण ꠰ पूण नही या? मेरा अभी सव बन नही पाया या? उस सत् का कसी ने िनमाण कया ह ै या? कई समयाे मे िनमाण हाेता ह ै या? नही꠰ मै पूण , याेक सत ्꠰ जा ेसत ्हाेता ह ैवह परपूण हाेता है꠰ काेई भी चीज है अाैर हाे अधरू, यह बात बन ही नही सकती꠰ है ताे अधरू या? अधूरा ताे कुछ हाेता ही नही꠰ चाहे असत् कह लाे꠰ असत् भी कुछ हाेता नही, मगर समझ मे बात अाती है꠰ खरगाशे, मनु य, गधा अादक के सीग असत् है, एेसा लाेग कहते भी है꠰ याेगानुसार ही समझ लजए, पर अधरेू के लए ता ेबताअा ेकुछ क फलानी चीज अधरू है? अधूरा कुछ नही हाेता꠰ ता ेयह मै अा ा पूण ꠰ अाैर पूण से पूण िनकलता है꠰ अब िनकलने वाला या? िनकलेगा काैन? मरेे इस पूण मे स ेमेर ही तरह या काेई दसूरा पूण िनकलेगा? यह मै दाे ताे नही क पूण मे से पूण िनकल बैठे꠰ पूण मे से िनकलेगा ताे पयाय िनकलेगी꠰ य नही, पदाथ नही, काेई सत् नही꠰ पूण स ेजाे िनकलेगा वह या? पयाय꠰ अारै जाे पयाय िनकल वह पूण है꠰ काेई पयाय अधूर नही हाेती꠰ काेई काम कर रह ेहै, मान ला ेक एक कारै उठाया खाने के लए अाैर उस काैर के उठाने मे, मुह तक ले जाने मे मान लाे अाधा सेके ड लगा꠰ या उस अाध ेसकेे ड के हजाराे भाग लगे ता ेथाल स ेहाथ एक अगुल उठा, ताे जा ेहाथ क परणित बनी वह पूर ह ै क अधरू?...पूर꠰ एक अगुल उठ ताे वह भी पूर पयाय है꠰ क पना मे इस जीव ने अधूरा मान लया है꠰ समझाे उसने यहा स े

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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काैर उठाया मुख मे रखकर चबाने के लए अाैर जरा सी देर लग गई ताे बीच क जा ेहालत है उसका ेक पना से इसने अधूरा कहा, पर अधूरा ताे कुछ हाेता ही नही꠰ ताे ितसमय मे जा ेमेरे अा ा मे परणमन हाेता ह ैवह परणमन भी पूरा है꠰ ता ेपूरा स ेपूरा िनकला꠰ इस पूरे मेरे अा ा स ेयह पूरा पयाय िनकला ता ेवहा या बचा? पूरा ही बचा꠰ शू य से शू य िनकला ताे या बचा? शू य꠰ पूरा से पूरा िनकला ताे या बचा? पूरा ही बचा꠰ कुछ भी थित हाे मगर यह हालत जर ह ैक पूण मे से कुछ भी अश िनकल जावे मगर वह पूण, पूण ही बैठा अा है꠰ वाह रे ! गजब का हसाब, कतना गहरा त य है꠰ ऋजसुूनय के अाशय मे ितसमय क परणितयाे के वनाश क अहतेकता- यह सू नय क से एक समय के परणमन क बात चल रही है क वह राग परणमन पूण है꠰ ताे वह ऋजसुूनय क है ना? वह ताे एक समयवती पयाय काे देख रहा है꠰ वह कैसे बना? अपने अाप बना꠰ जसैे कसी लड़के से ेम अा ता े या वह ेम उस लड़के स ेिनकला? नही꠰कसी लड़के से नही िनकला꠰ कमाेदय स ेनही िनकला꠰ पहले राग कर रहे थ ेउससे भी नही िनकला꠰ क त वह राग अपने अाप बना, अहेतक है, उसका काेई कारण नही꠰ सार बात सनते ए ऋजुसूनय क काे न हटाना, नही ताे समझ मे न अायेगा꠰ इसी कार राग के नाश के स बध मे अगर पूछा जाये क कैसे राग न ट हागेा, ताे उसका उर है क वनाश भी अहेतक है, काेई अ य कसी कारण स ेन ट नही हाेता꠰ अा अारै न ट हा ेगया, बस यह उसी का ही ता ेकाम है꠰ कस समय अा अारै कस समय न ट अा? दा ेसमय ताे ठहरता ही नही, समय या बताये? वही समय है राग के उ प न हाेने का अाैर वही समय है न ट हाेन ेका꠰ वह राग कसी का ेउ प न नही करता, कसी से न ट नही हाेता, एेसा यह राग परणमन का वनाश अहेतक है, मटेगा कैसे? एक समय काे अा अारै अपने अाप मट गया꠰ मटाने वाला काईे नही है꠰ ऋजसुूनय मे कारण ारा राग का अभाव कय ेजान ेक अनपुप- अगर काईे दसूरा हेत हाे राग काे मटाने वाला, ता ेयह बतलाअाे क उस कारण ने या कया? यही ताे कहेगे- राग का अभाव कया, ताे राग का अभाव, इसका या अथ ह?ै िनषेध के दाे अथ अा करते है꠰ एक ताे यह क नही, बस; केवल अभाव खतम꠰ दसूरा यह क उसके एवज मे अारै कुछ꠰ िनषेध के दाे अथ हर जगह हाेत ेहै, जसैे काेई कहे क अती काे भाेजन कराअाे ता ेअती के मायने या? इसके दा ेअथ ए꠰ एक ता ेअती काे भाेजन कराअाे इसका अथ है ती काे भाजेन न कराअाे꠰ दसूरा अथ है क जाे त रहत है उसे भाजेन कराअाे꠰ कसी कारण न ेअराग बनाया, ता ेअराग कया, इसका अथ या क कुछ नही कया꠰ दसूरा करने के लए कुछ न बताया जा सकेगा꠰ इस ेकहते है स य ितषेध, मायने बस राग का अभाव, राग का िनषेध꠰ कया या? अ य कुछ नही꠰ शू य कया꠰ करने का ेकुछ नही꠰ िनषेध का दसूरा अथ हाेता है पयुदास꠰ मायने राग का अभाव कया, मायने कुछ कया꠰ या कया? कुछ꠰ ता ेइन दाेनाे अथाे मे से अगर यह अथ लगाते है क कारण न ेराग का अभाव कया, मायने शू य कया꠰ जाे राग स य था, उसका ितषेध कया, मायने

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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राग नही कया, ता ेइसका अथ ह ै क राग का ेनही करता꠰ ताे हेत न े या कया? वहा ता ेहेत मे िनषेध मा या त रहा꠰ िनषेध ही करने वाला ता ेरहा, अभाव का कता ता ेन रहा, िनषेध कया꠰ यद कहाे क रागाभाव करने का यहा पयुदास अथ है, मायने राग का अभाव कया, याने करने मे अभाव अाया ताे वह अभाव उस राग से भ न है क अभ न? कारण न ेराग का अभाव कया꠰ या कया? राग का अभाव ꠰ यह अभाव राग स ेजदुा ह ैया एकमके चीज ह?ै अगर कहा ेक जदुा ह ैता ेअभाव या? राग ता े याे का याे रहा, याेक राग जुदा है, अभाव जदुा है, अभाव कया ता ेकर दया, मगर उससे राग पर काेई अाच नही अाई꠰ अगर कहाे क राग अाैर अभाव दाेनाे एक ह ैताे अभाव कया ताे राग कया꠰ जब इनमे एक बन गया ताे अभाव कया, इसका अथ ह ैक राग कया꠰ साे अनथ हाे गया꠰ ता ेराग का अभाव करना कसी हेत से सभव नही꠰ वा य ही नही बनता꠰ उसका अथ ही नही बैठता, इसलए राग का वनाश कसी कारण से नही हाेता꠰ वह ताे अपनी कला से उ प न अा है अाैर अपनी कला के अ त से अाप न ट हाेता ह꠰ै ताे राग का अभाव कया, इसका अथ अगर िनषेधमा ह ैता ेकरने क बात नही अायी꠰ अाैर अगर कुछ करने वाल बात है ताे भ न है ताे राग पर अाच नही, अभ न है ताे अभाव कया का अथ है राग कया, ता ेराग ताे पहले समय मे ही उ प न हाेगा꠰ उ प न हानेे से या कया? जा ेउ प न हाे चकुा उसका करना या? िनषेध क बात, अभाव क बात, वनाश क बात ता ेबाद मे क जायेगी꠰ ताे जा ेउ प न हाे गया उसक उ प या? इस कारण यह समझाे क राग का वनाश भी अहेतक है꠰ ऋजुसूनय क मे बात यह है क नाश का कारण ज अा, ज अा ताे वह न ट हाे गया꠰ नाश का कारण ज है, अाैर ज जस समय अा उसी समय उसका नाश हाे गया꠰ वह ठहर नही सकता दसूरे समय मे꠰ ताे पदाथाे के वनाश का कारण पदाथाे क उ प है꠰ इसका ल बा अथ नही लगाना क हा बात ता ेठक रही, मनु य के मरने के कारण मनु य का ज है, इतना ल बा अथ नही है इस मे, याेक ज अा 50 साल पहले अाैर मरण हाे रहा 50 साल बाद, ताे या 50 वष तक ज हाेता रहा? 50 साल तक ताे उसका जीवन चला, ज न चला, ज ता ेकसी सकेे ड मे अा था, इसका स त अथ लेना है꠰ ज हाेना वही मरण का कारण ह,ै वही वनाश का कारण ह꠰ै अथात ्जस समय ज अा उसी समय न ट अा, एसेा यह राग परणमन है꠰ अगर उसी समय न ट न माना जाये, जा ेउ प न अा वह दसूरे समय रह गया ता ेदसूरे समय रह गया उसमे जब काेई अड़चन न अायी ता ेतीसरे समय याे अड़चन अायेगी? तीसरे समय काे राग अाया, फर उसके बाद के समयाे मे याे अड़चन अायी? पर एेसा नही दखता, इससे वदत हातेा ह ैक राग का ज ही राग के नाश का कारण बन जाता है꠰ यह बात चल रही है सू ऋजसुूनय के अाशय क꠰ इसमे बत अधक समझ मे अाप लाेगाे काे न अाता हाेगा ताे इतना ता ेसमझ मे अाता ही हाेगा क कतनी कठन बात कही जा रही है? (हसी) ꠰ अाैर उसस ेयह अदाज लगाया जा रहा हागेा क जन ऋष-सताे ने तव के ववेचन मे इतना म कया उनक कतनी हम अाप पर

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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कणा बु थी? देखये- उ हाेने कतने सू तव का कस-कस ढग से ददशन कराया? ताे इस मे ज ही पदाथाे के वनाश का कारण ह ै याेक जा ेपदाथ उ प न अा अाैर एका तर समय मे न ट ना अा हाे ता ेबाद मे भी कसी से न ट नही हाे सकता꠰ राग परणित के स बध मे सू ऋजुनय क अपेा स ेवणन अापने बत समय से सना, कई दनाे स ेसना꠰ सनकर एेसा लगता हाेगा क एेसे राग परणमन का या करे? न हाथ अाता है, न कहने मे अाता है अाैर एेसा राग परणमन जाे हाेते ही न ट हाे जाता है, पर पूण है, कसी कारण मे नही अा꠰ ताे उस राग से कम ब ध ता ेहाेता न हाेगा? अ छ सनाई बात अाैर एेसा ही रहे ताे वजय ही वजय है, न ब ध हाेगा, न कम ब ध꠰ बात है, चल रही, माैज अा रहा, काईे खाने मे माैज मानता है, यहा तव चचा मे अान द अा रहा ह,ै ान के अान द क तलना वषय का अान द नही ा त कर सकता꠰ वषयाे के अान द मे ाेभ भरा अा है꠰ अाप कतना ही अान द भागे ले , कतना ही सख भाेग ले , पर काेई भी वषय सख एेसा नही जाे शातपूवक लूटा जाता हाे, पर ान कया जाने का अान द शातपूवक मलता है꠰ ऋजसुूनय क मे ब यब धकभाव क व वयघातकभाव क असभिूत- समय मा राग परणमन क बात ह ैता ेइसमे ब यबधक भाव न बनेगा अारै फर इसमे ब यघातक भाव भी न बनेगा꠰ काेई कसी क हसा करने वाला ह ैही नही꠰ काेई कसी का ेमार नही सकता, काेई कसी का कुछ कर नही सकता꠰ चीज है, एक-एक समय मे ह,ै वह वय न ट हाे जाती है, वह दसूरे का या करे? ता ेफर कसी का ेकभी हसा भी न लगेगी, पाप भी न लगेगा, कम ब ध भी न हाेगा꠰ यह ताे बड़ा अासान तरका मल गया꠰ एेसी अगर जासा है ताे इस स बध मे यही कहना है क हा, ऋजुसूनय क मे एेसा है, जैसी क जासा हा ेअाैर उसमे साेच डालना क न उसमे कम ब ध है, न उसमे हसा का दाेष है, न उसमे पाप क बात है꠰ हा बात ताे एेसी ही है꠰ सू ऋजुसूनय क मे न काेई बधने वाला ह ैअारै न बाधने वाला, न काेई मरने वाला ह,ै न मारने वाला꠰ याेक इस नय क मे पदाथ एक है अाैर वह पदाथ भी य से एक, े से एक꠰ राग एक समय मे जाे कुछ ह ैउतना मा है꠰ उसमे जब दसूर बात ही नही है ताे ब यब धक भाव कैसे हाे? ब यबधक भाव हाेता ह ैदा ेमे꠰ एक बधने वाला अाैर एक बाधने वाला꠰ इस नय क मे बधन नही꠰ इस नय क मे मरना मारना नही, याेक इसका वषय एक है, अाैर इस तरह दाेनाे का स ब ध भी नही꠰ सब पदाथ अपने-अपने वप मे है, पुद् गल कम अपने वप मे है, अा ा अपने वप मे है, अाैर एक दसूरे के वप से ब कुल बाहर है꠰ मानाे दाे भाई बत ेम करने के कारण एक दसूरे के गले मलते है, दाेनाे एक दसूरे स े चपक कर दय से वा स यता कट करते है ता े या वे दाेनाे एकमेक हाे गए? अरे! वे दाेनाे ही अपने-अपने वक पाे के ाेभ अपने-अपने मे मचा रह ेहै꠰ याे ही येक पदाथ क बात है꠰ एक पदाथ का दसूरे पदाथ से रच मा भी स बध नही ह,ै एक पदाथ का दसूरे पदाथ मे वेश नही

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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है꠰ अब अापने जाना हाेगा क यह राग परणित जाे बतायी जा रही ह ैवह वणन मे नही अा सकती꠰ एेसा सू वषय है꠰ उसका ेकहने वाला दिुनया मे काईे श द ही नही है꠰ अा तव भावना क क याणसाधनपता- जतना चतन मनन अपने अा ा से स बधत हाेगा, वह क याण मे अव य साधनभूत है꠰ अपने अा ा का जा ेअाजकल मलन प चल रहा है, उसका भी वचार हा,े वह भी क याण के लए है꠰ हा उस मलन प मे एकता हा ेजाये ताे वहा ताे अा ा के स बध मे कुछ वचार ही नही रहा꠰ अपने अापके स बध मे जतने चतन, मनन, वचार हाेगे वे क याण के साधन है꠰ याे ताे सभी लाेग मै, मै कहकर अपनी ही बात साेचते है लेकन अा ा क से अपनी बात नही साेचते꠰ अ दर स ेअावाज अाती ह,ै एक लगाव रहता ह ैउसमे ‘मै’ का याेग करता ताे ह,ै मगर अा ा है उस अा ा के प स े‘मै’ का वचार नही ह꠰ै एक कुछ ह,ै उसमे कसी तरह का वचार हातेा ह-ै अािनयाे का, क त अा ा के ढग स ेउस प वचार चले, वह कसी न कसी अश मे लाभकार है꠰ मै मलन , मरे अव था इस प मे नही है, जन् म मरण ये ता ेवड बना है, ज मरण से हमे टना ह,ै कस कार टकारा मले? इ याद प से वचार हानेा चाहये꠰ जीवन मे जसैे लाेग अनके कार साचेते है क मझुे यह करना है, यह करना ह,ै ताे वैसे ही उ हे यह साेचना चाहए क मुझे ता ेइस ज -मरण से टना है꠰ ज मरण स ेटकारा मले, देह कम अादक स ेस बध न रहे, मै केवल रह जाऊ , यह बात उे य मे अा जाये, फर उसका क याण बन बैठेगा꠰ उे य ही अभी नही बनाया बत स ेजीवाे ने, इस कारण वे या गित कर सके गे? जनका उे य बन जाता ह ैवे चवती भी हाे अाैर छहाे ख ड के रा य मे भी पल रहे हाे, लेकन उनक ज द-ज द अपने उस अा तव पर पचती रहती है꠰ इसी कारण बताया ह ै क ानी च इतनी स प नता हाेने पर भी उसस े वर त रहते है꠰ अब अपने अापके स बध मे जरा वचार कजए क कैसे मेरा ज -मरण टे? ज -मरण का स बध है देह से꠰ नया देह मले उसका नाम ह ैज ꠰ य ह जीव देह से अलग हाे रहा उसका नाम ह ैमरण꠰ ताे ज अाैर मरण से टना हा ेताे या कया जाना चाहये? मै देह स ेिनराला एेसा िनरख लेना चाहये꠰ जस देह से िनराला हाेने क बात मन मे ठानी है उस देह स ेिनराला मे अपने अापकाे अभी देख लू , बस यही ज मरण से टने का उपाय है꠰ कसी कुम से अगर दाे ती टाना है ताे दाे ती टाने पर हाेता या है? पाथ य꠰ जैसे पाथ य पहले अा करता ह ै च मे, भाव मे तब जाकर मता टती है꠰ इसी तरह देह क मता अगर छाड़ेना ह ैता ेदेह स ेिनराला यह मै अब भी इस तरह वप दशन करे ता ेदेह से िनराला बन सकता ꠰ िनज का ेदेहवव त समझन ेके लय ेभदेवानपूवक सहज वतव क भावना क कत यता- अब देह से िनराला वभावत: मै , वप से , इस बात के समझने के लए बड़ा पुषाथ चाहए, सयम चाहए꠰ अपने अापकाे केत करना है, सब अाेर से हटकर अपने अापके वप मे लगना ह,ै इसके लए सवथम भेदवान क अाव यकता हाेती है꠰ मल ई चीजाे मे पाथ य करके कसी एक मे ही भ रह जाये,

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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इसका उपाय ताे यह है क पहले भेद ताे समझे क मै देह स ेिनराला एक चैत य तव , केवल ानान द , भावा क , जसका ेडले क तरह पकड़ा नही जा सकता꠰ जा ेप, रस, गध, पश से रहत है, जसका अपने अापका काेई अाकार नही꠰ अनाद से लेकर जस-जस देह मे यह जीव पचा वही उस देह के अाकार माण हाे गया꠰ कभी कदाचत् समुद् घात क बाते अायी ता े फैल गया अाकार कुछ समय के लए, क त थाेडे़ समय बाद ही देह माण हाे गया꠰ देह स ेजब मु त हागेा ता ेजस देह मे जाे अाकार था वह रह गया, स व के ही कारण꠰ केवल अपने अापमे उसका या अाकार ह,ै यह नही बताया जा सकता꠰ इसलए अाकार पर रख करके अनुभव नही कया जाता, क त भाव पर, वप पर, वभाव पर रखकर अनभुव कया जाता है ता ेवह ानान द वप है꠰ इस ान अाैर अान द मे भी अान द काे मु यता नही देना है꠰ मै अान द , यह अनभुव वानुभव का साात ्उपाय नही बन पाता, याेक ान प , एेसे मनन अनुभवन मे उपाय बनेगा, याेक अनुभव करना है ान का अाैर वह ान जब ेय बन गया ताे वहा एकता हा ेजायेगी꠰ तब वहा अनुभव बन सकता है꠰ मै ान मा बस यही बात च मे अानी है꠰ इससे ही सव क याण िनहत है꠰ ानमा अनभुवन के य न मे परपरया साधन- मै ान मा , केवल ान वप , एेसा अनभुव जगाना है अाैर उसके लए ये सब उपाय है꠰ भेदवान, वा याय, मदकषाय, सेवा-भाव, उदारता अादक ये सब उसी के साधन है꠰ जैस ेएक माेट बात पराेपकार क ले ता ेथम बात यह ह ैक जीव क तीन थितया हाेती है- एक व का उपकार करना- अा हत कर लेना, समाधभाव लाना, समता मे रहना, अपने अापमे म न रहना, यह ह ै वाेपकार꠰ दसूरा हाेता ह ैपराेपकार꠰ दसूराे क सवेा मे रहना, यह है परापेकार अारै तीसर चीज हाेती है खदगजी꠰ मायने पयाय जस तरह से अाराम मे रहे उस कार के भाव रखना, यह खदगजी है꠰ कसी भी मनु य काे देख ला-े या ताे वह खदगजी मे हाेगा या पराेपकार मे हाेगा या समता भाव मे हाेगा꠰ इन तीन बाताे के अितर त चाैथी बात नही है꠰ म भी हा ेसकता है, वहा यह अश बना लजए क यह इतने अश खदगज है꠰ मगर इन तीन बाताे के सवाय अाैर चाैथी बात या हाे सकती है? बात यह देखना ह ै क अा हत के लए साात् साधन वाेपकार है, अाैर वापेकार मे न रह सके ताे उसक सहज वृ हाेगी पराेपकार क, खदगजी क वृ न हाेगी꠰ ताे समझये क अा हत क मे पराेपकार परपरया साधन हाेता है, वाेपकार साात् साधन है꠰ ताे ये सब बाते जतनी यवहार मे है वे सब हमारे क याण के साधन है꠰ अा हत से स बध रखने वाले ये जतन े चतन मनन अादक है वे अपने अापकाे लाभकार है꠰ ता ेजीव मे इस बात क अाेर अधक हाेनी चाहए क मै ानमा ꠰ अब जसका दशन ान है, जसका दशन गुण है उस अपने अा ा के स बध मे यान करना है꠰ जैसे अाजकल सग चल रहा है, समय मा राग परणित क बाते कस तरह हाेती है? एक समय का राग कैसे अा?

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कैसे न ट अा? कारण उसका या है? सभी बाताे पर वचार चल रहा है꠰ ता ेइसका भी गहरा चतन हाेने पर अा ा स ेस बधत जतना चतन है वह सब हमारे लाभ के लए है꠰ भभु क अा सबधतता- भु-भ यह भी अा ा से स बधत है꠰ वह भु या है श अा ा? श अा ा का लगाव हाेता नही अलग से꠰ जैसे क र तेदाराे मे, माे मे अलग से कुछ लगाव सा हाेता है, श अा ा मे अलग स ेलगाव नही है, क त श अा ा का जाे अनरुाग है वह खद का ेता अा सा रहता है꠰ इसलए भु क जा ेभ ह ैवह अा ा स ेस बधत बात है꠰ कही एेसा ताे ह ैनही क भु भी परपदाथ है अाैर घर के ब े भी परपदाथ है, ता ेजैसे भु के दशन करे ताे घर के ब ाे के भी दशन करे꠰ अथवा जैस ेघर के ब ाे क भ काेई नही करता वैसे ही भु क भ भी न करना चाहए꠰ लेकन जरा साेचाे ताे सही क भु क भ मे अाैर घर के ब ाे क भ मे कतना अ तर है? भु का लगाव अपने लगाव का ेकरता अा सा रहता ह ैअारै ब ाे का लगाव अपने अा ा का लगाव करता अा नही रहता꠰ ताे गृह थी मे रहते ए गृह थी मे कए जाने वाले वे सम त कत य परपरा इस अा लाभ से स बधत है꠰ ताे हमे अपने अा तव का चतन करने का यादा ध् यान रखना चाहए꠰ जा ेइसी उे य से चलेगा वह भूल मे न रहेगा꠰ वह हर जगह अपने अाप का यान रखेगा अाैर अपने अापका ेसावधान रखगेा꠰ ऋजसुूनय क मे वा यवाचक स बध न हा ेसकन ेके वणन का उपम– येक पदाथ है, वह िनर तर परणमता रहता है꠰ व त मे समझने काे तव इतना है꠰ अब उन परणमनाे मे यह िनरखा जा रहा है क एक परणमन कतना हातेा है? ताे एक समय मे जाे परणमन ह ैवह एक परणमन है꠰ एक परणमन एक समय से यादा नही चलता अाैर एक समय मे एक से अधक परणमन नही हाेता꠰ ताे एक समय का परणमन इतना एक सू ेय तव ह ै क जहा इया काम नही देती, बु काम नही देती, हा! यु काम देती ह,ै जसके अनुसार उस एक समय के परणमन के स बध मे बत कुछ वणन कया गया है꠰ अा तव काे उदाहरण मे लया꠰ अा ा मे एक समय का जाे परणमन है उसस ेब यबधक भाव भी नही बनता, वशे यवशेषण भाव भी नही बनता, ब यघातक भाव भी नही बनता, याेक ऋजुसूनय क मे केवल समयवती तव ेय है, इसके अागे इस नय का काम नही है꠰ ता ेजैसे समयवती परणित के साथ अ य स बध नही बन पाते, उसी कार उसमे वा यवाचक स बध भी नही बनता, अथात् एक समय के राग परणमन का वाचक काेई श द हा,े जाे इसकाे सही प मे बता दे, एेसा काेई श द नही है꠰ जैस ेयहा बाेलते रहते है बत से श द ख ा, चाैक अादक ताे मालूम हाेता ना क चाकै श द ता ेवाचक है अाैर यह जा ेपड़ ई चाकै है वह वा य है꠰ ताे जैसे यवहार मे वा यवाचक भाव क बात अाती ह ैऋजुसूनय क मे वा यवाचक स बध नही है꠰

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ऋजसुूनय के अाशय मे वा यवाचक सबध न हा ेसकन े के कारण वा यवाचक क एक काल मे अनपुथित तथा वभ नता- ऋजुसूनय क मे वा यवाचक स बध बन याे नही पाता, इसका कारण यह है क उस परणमन से पहले कस श द से कहना चाहए? पहले कहेगे राग श द स꠰े ताे इस राग श द से जाे अापने अभी बाेला, कस राग काे जानना चाहए? जब राग अा था उस समय ताे राग श द बाेला नही गया꠰ जब राग श द बालेा जा रहा है उस समय वह राग परणमन नही रहा, याेक यह राग परणमन ता ेसमय मा का अा ना꠰ ताे जस समय अा वह राग परणमन, उसी समय या राग श द बालेा गया? काेई बालेता ह ै या? श द के बाेलने मे कतना समय लग जाता है? जस पदाथ का ल य करके हम कुछ श द बाेलते है ताे ल य करने के बाद बालेना इसके बीच मे कतना समय गुजर जाता है? जस रागपरणमन काे हम राग श द से बाेले गे वह रागपरणमन न रहा अब जस समय क राग श द बाेला जा रहा है꠰ ताे जब वतमान मे दाे एक साथ न रह सके राग श द का याेग अाैर रागपरणमन जस राग के बताने के लए राग श द का याेग कया गया꠰ ताे जब दाेनाे है नही अामने सामने तब दाेनाे का स बध या? समयवती राग परणमन का इस राग श द के साथ स बध कुछ न रहा꠰ याेक राग परणमन का भ न समय मे जीवन था, इस राग श द का भ न समय मे जीवन था꠰ इस राग शब् द का भ न समय मे जीवन है꠰ ताे जब इन दाेनाे का स बध नही बन सकता ता ेवा यवाचक भाव कैसे अाया? यद यह हठ करा ेक नही है अामन-ेसामने रागपरणमन अाैर राग श द꠰ एक साथ नही ह,ै स बध नही ह ैफर भी राग श द वाचक है अाैर राग परणित वा य है꠰ अगर स बध रहत पदाथाे मे वा यवाचक भाव मान लया जाये ताे काेई सा भी श द सारे व व का वाचक बन जाये, याेक अब ता ेस बध के बना वा यवाचक भाव मानने लगे तब ता ेकाेई वाचक ही न रहेगा꠰ काेई वा य ही न रह सकेगा꠰ ता ेयह समयवती राग परणमन इतना सू ह ै क इसके साथ वा यवाचक स बध भी न बन पायेगा꠰ फर दसूर बात यह है क राग है भ न पदाथ अाैर राग श द ह ैभ न पदाथ꠰ भ न-भ न पदाथाे का स बध या? ऋजसुूनय मे तीन िनपेाे क याजेना- यप सू ऋजसुूनय क मे वा यवाचक स बध नही है, तथाप यह न समझना सवथा क वह बात कसी कार वणन मे ही नही अा सकती꠰ उसका थूलप बनाकर, यवहारप बनाकर वणन हाे सकता है꠰ तभी वतमान मा परणमन के बताने के लए तीन िनेप काम अाते है- नाम िनेप, य िनेप अारै भाव िनेप꠰ िनेप कहते है कसी िनणय मे पचने काे, कसी िनणय मे पचाने का꠰े िन चय मे पचा देवे, उसका नाम िनेप है जससे क यवहार चलता है꠰ िनेप के ारा यवहार चलता है꠰ ताे राग परणमन काे हम तीन िनेपाे काे जान सकते है꠰ [नामिनेप]- उसका नाम रख दया राग꠰ नामिनेप ता ेलाेगाे क क पना क बात ह,ै जसका जा ेनाम धर दे꠰ नाम धरे बना ताे यवहार चल ही नही सकता꠰ कसके बारे मे बात करेगे? कसका िनणय करना है? नाम ता ेलेना ही पडे़गा꠰ नाम बना कुछ बात नही चलती꠰ ता ेनाम एक एेसा मूल है꠰ जब कसी सग मे, समाराहे मे, ववाह अादक

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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अवसर मे या बैठती है गीत गान ेके लए अाैर काेई गीत श नही हाे पाता, काईे ी कहती क तम गाअाे, काेई कहती तम गाअाे꠰ ताे काेई ी कहती क तम नाम ता ेधराे, उठा हम लेगी याने तम कसी गीत के दाे अर ताे बालेाे, फर हम उसे सहाल लेगी꠰ ता ेचाहे अागे उसका व लेषण न कर सके कुछ, लेकन बात यह पायी गई क कसी चीज का वेश करने के लए पहले नाम क बात अाती है꠰ अरे ताे उस उस गीत का काेई नाम ताे धरे, फर उसका ेबढ़ा ले गे, स हाल ले गे, साथ बाेल ले गे꠰ कसी पुष का काेई नाम भी न हाे ताे उसस े या यवहार चलेगा? या लेनदेन हाेगा, या अाा हाेगी? कुछ बात ही नही बन सकती꠰ कसी भी चीज का काेई नाम न हा ेता ेवह चीज यवहार मे नही अा पाती꠰ वकार याे नही रहता क परणमन न हाे꠰ वह ताे परणमन उसका यवहार ह,ै हागेा ही, मगर मनु य उसका उपयाेग करे-कराये, इसमे बाधा अाती है꠰ ताे समयवती राग परणमन मे एक ता े नामिनेप से बाेध क बात चलती है꠰ ऋजुसूनय के अाशय मे थापना िनेप से राग परणमन क जानकार नही बनती, याेक थापना िनेप मे चाहए दा ेचीजे सामने꠰ कसी मे कसी क थापना करना, जैसे मूित मे भगवान क थापना करना꠰ ताे ऋजुसूनय क मे दसूरा कुछ रहता ही नही है꠰ ताे थापना िनेप न बन सकेगा꠰ यिनेप थूल मे बनेगा, याेक य िनेप मे काल ल बा हातेा ह,ै लेकन ऋजुसूनय मे ल बा समय है नही꠰ एक समय क परणित का ेहण करता है꠰ अथात् ऋजसुूनय जा े क परणमनप से कहा जा रहा इसलए ताे ऋजुसूनय का वषय ह,ै लेकन अनेक परणमनाे क बात ह ैवहा, इस कारण थूल कहलाता है꠰ वहा यिनेप बनता है꠰ अारै भाविनेप ताे वतमान समय क बात काे वतमान मे कह सकना साे भाविनेप है꠰ ऋजुसूनय मे िनेपाे का सयाेजन थूल प स ेहै꠰ अगर सू से देखा जाये ताे समय मा के राग परणमन का ेकह सकन ेवाला दिुनया मे काेई श द ही नही हाे सकता꠰ याेक जब श द बाेला गया ता ेवह राग न रहा जस राग का ेहमे बताना था꠰ ताे वाचक अारै वा य अामन-ेसामने जस समय हाे उनक तब ताे बात बनती꠰ अब वाचक श द ता ेउ प न हाेगा बत बाद मे अाैर पयाय हा ेचुक पहले ता ेकैस ेवा यवाचक बने? ताे सू ऋजुसूनय क मे वा यवाचक स बध भी नही हाेता꠰ अागमगय वितामलूक सू अथपयाय- इस सग मे जरा पयायाे का वशेष ान करना है꠰ ता ेपयायाे के बारे मे बतला रहे है अाैर इस ढग से बतलावेगे क उसमे यह जानकार अा जायेगी, इस म स ेबतावेगे जससे यह वदत हा ेजाये क इसके बाद क यह पयाय थूल ह,ै इसके बाद क यह पयाय माटे बात है꠰ जा ेपहले कहा वह अ य त सू हाेगा, जा ेउसके बाद कहा जायेगा वह उससे काेई माेट बात हाेगी꠰ एेसी पित से सलसलेवार कुछ पयायाे का नाम ले रहे है, सा ेनाम लेत ेसमय भी यान से सना ेअाैर उनका म स ेव लेषण भी कया जायेगा, जससे वशषे बाेध हाेगा꠰ इन पयायाे का ेहम 12-13 पाे मे बाट रहे है꠰ पहला अथपयाय- अथपयाय बत सू पयाय है, अाैर याे समझये क व त क सा के लए व त मे जा ेिनर तर षट् गुण-वृ-हािन प स ेपरणमन चलता रहता ह ैवह अथपयाय ह꠰ै एक अव था

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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से जब दसूर अव था बनती है उस बीच मे वहा इतना महान परवतन हाे जाता ह ैयह बात इस िनगाह से समझ मे न अायेगी, लेकन अाचाय बतलाते है क वहा षट् गुण हािन वृ ई, उतना परणमन अा꠰ जैसे कभी देखा हाेगा क बजल जल रही है, लगातार जल रही ह,ै उसमे काेई बत सू खाजेी हाेगा ताे वह जान लेगा क ितसमय अथवा यवहार मे ले लाे ता ेित सेके ड के 100 वे ह से मे जाे बजल का काश है उससे अगले ण मे बजल का काश कुछ अारै भाित हा ेगया, कम या तेज꠰ अारै उस कमी तेजी के बीच मे उसमे कतने अश का परणमन अा है, यह खाेजन ेवाला जान सकता है꠰ या ताे उस एक वाे ट मे भीतर मे भी बत स ेवाे ट के अश है अाैर एक ण के उजले के बाद दसूरे ण का जा ेउजेला हाेन ेलग रहा ह ैउसका भी बराबर वही का वही उजेला ह,ै लेकन उसमे परवतन कतना अधक हा ेगया, यह यु स ेसमझ मे अा जाता है꠰ अारै कभी-कभी ता े प ट अाखाे से भी समझ मे अा जाता ह ैक काेई अगुल बैच मे मारकर तर त उठाया ताे बैच के वे जाने मे कतना समय लगे, उतने समय मे कभी बजल मे भी यह बात देखने का े मल जाती ह ै क ला ेथाेड़ा उजेला कम अा, फर याे का याे, इतनी देर मे कतनी हािन वृ ई? बत बड़ स या मे हािन वृ ई꠰ ताे याे ही समझये क येक पदाथ मे एक अव था के बाद दसूर अव था जा ेबनती है वह वभावत: बत बड़ हािन वृ का ेलेकर बनती है꠰ वभावपयाय मे अथपयाय का िनरण- यहा उदाहरण दए जा रहे है वभाव पयायाे के, मगर वभावपयाय केवल ानपयाय मे भी ितसमय षुण हािन वृ सहत केवलान पयाय हातेा रहता है꠰ एक समय क केवलान पयाय के बाद दसूरे समय का केवलान पयाय हातेा है, उस बीच भी षट् गुण हािन वृ है, अारै इतने पर भी वहा यह अ तर नही अा पाता क केवलान ने जतना सारे व व का ेजाना उससे जरा भी कम दसूरे ान मे अाया हा ेसाे नही, या कुछ अधक अाया हा ेसाे नही꠰ अारै फर भी षट् गुण हािन वृ उस बीच मे अा गई꠰ यह सब कुछ यु अाैर अदाज क बात है अाैर अागम क बात है꠰ एक माेटा टा त ले लाे꠰ काेई मान लाे 40-50 कराेड़ का धिनक पुष है, कराेड़पित कहलाता है, उसके यद एक नया पैसा कम हाे गया ताे या कराेड़पित मट गया? बढ़ते जावा,े हजार पैसे कम हाे गए या बढ़ गए ताे या उस कराेड़पित मे काेई अाच अायी? हजार पये कम हाे गए या बढ़ गए ताे कराेड़पित कहलाने मे काईे बाधा ह ै या? लाखाे भी कम हा ेगए ताे कराेड़पित का े कुछ बाधा नही꠰ ताे यह समझ लजए क वे अवभाग ित छेद इतने सू प काे लए ए है क उनसे अन त गुने भी वृ हािन हाे जाये ताे भी ान मे जा े य त प हाेता है उसमे अ तर नही अा पाता꠰ ताे याे एक समय का परणमन जाे व त मे व त के सव क ित ठा के लए है, सा रह पाती जब, तब अगुलघु व परणमन कहलाता है पदाथ मे꠰ ता ेवह अथ पयाय है꠰ अापने अदाज कया हाेगा क एेसी अथपयाय कतनी सू परणित है? वभावगुण यजनपयाय- दसूरे न बर पर िनरखयेगा, वभावगुण यजनपयाय꠰ उदाहरण मे मान लजए꠰ जैस ेकेवलान ह,ै भु का अान द है, भु के गुणाे का वकास ह ैवह पयाय वभावगुण यजनपयाय है꠰ यहा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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यजनपयाय का अथ ह ै य त पयाय꠰ अाकार स ेमतलब नही꠰ यजन का अथ ह ैजा े य त हा ेगया हाे꠰ हम अापकाे पदाथ का अाकार बत प ट रहता ह꠰ै ख ा खड़ा है ताे इसक ल बाई चाैड़ाई हमारे ान मे बत प ट है꠰ उतना प ट हम इस ख े के गुणाे क पयाय काे नही जान पाये꠰ ता ेसहसा प ट बाेध हाेन ेके कारण इस अाकार काे य क यजनपयाय कह सकते है अारै य त हाेने के कारण गुणाे क पयाय काे भी यजनपयाय कह सकते है꠰ सग के अनुसार दाेनाे का जुदा-जुदा अथ समझना है꠰ ता े वभावगुण यजनपयाय केवलानान द भु क परणित यह अथपयाय क अपेा कुछ थूल बात ह,ै फर भी अागे जाे अारै 10-11 पयाये बतायी जायेगी उनक अपेा सू है꠰ भगवान का केवलान परणमन कस कार चल रहा है? एक अव था स ेदसूर अव था हाेती ह꠰ै उस बीच कतना परवतन हा ेगया है, अारै इतना परवतन हाेने पर भी ान क यजना मे काेई अ तर नही अाया꠰ ता ेअाप समझये क भीतर कतना बड़ा वभाव भरा है, वह कराेड़पित का वैभव कतना बड़ा ह ैक लाख पये भी घट जाये ताे कराेड़पित काे अाच नही अाती꠰ यह जािनयेगा क कराेड़पित क िनध कतनी बड़ हाेती है? केवलान क िनध कतनी बड़ हाेती ह ैक वहा अन त गुणवृ-हािन हाेन ेपर भी ान मे सारा व व जैसा पहले अाया वैसा ही अब अाया, हीनाधकता नही है꠰ जैसे लाख क अधकता हाेने पर भी कराेड़पित से बढ़कर नही हा ेगया, लाख का वनाश हाेने पर भी कराेड़पित मट नही गया, इससे वैभव क वशालता का अदाज हातेा ह꠰ै ताे यह वभावगुण यजनपयाय है꠰ भगवान का केवलान अाैर अ य परणमन भी कस-कस कार हाेते रहते है, उनकाे अब समझने मे भी एक सू तया बु लगानी पड़ती ह ैअाैर यह वभावगुणपयाय अथपयाय क अपेा से थूल है꠰ अथपयाय मे यद सा कायम रखने मा के लए जाे परणित हाे उस ेबतलाया अारै वभावगुणपयाय ने व त मे पयाय का य त प बताया꠰ वह य त प चूक वभाव के अनुप है इस कारण वभाव क तरह सू ह,ै फर भी अथपयाय क अपेा से ये वभावगुणपयाय कुछ वशेष अथवा य त हाेने से थूल प है꠰ वभाव य यजनपयाय क परथित- वभावगुण यजनपयाय से थूलप हाेता है वभाव य यजनपयाय꠰ जैसे स भगव ताे मे उनके देश का अाकार साचेा जाता ता ेवह जा ेअाकार परणमन है, अाकार का हाेना रहना है यह पयाय उन केवलानादक भाव पयायाे से थलू प स ेहै, सगम प ट जरा समझ मे भी अाता है꠰ ता े ये तीन पयाये कही गई- अथपयाय, वभावगुणपयाय अाैर वभाव य यजनपयाय꠰ ये मश: पहले स े थलू है अाैर अथ पयाय ताे इतनी सू है क जनक पकड़ यहा हाेती ही नही, अतएव उसे केवलग य अाैर अागमग य बताया ह꠰ै हम अाप भी जा ेबात करते है वह अागम के अनुसार करते है अाैर यु अदाज भी जतना बन सकता है उतना बनाकर करते है, मगर उन यु अदाजाे मे भी अथपयाय का वप पूणतया हण मे अा नही सकता꠰ ताे यहा यह बताने के लए कहा जा रहा ह ैक इन पयायाे क जाे समयवती पयाये है इनका वाचक काेई श द हाे नही सकता꠰ पयाये सू है अथपयाये, याने पदाथ मे अपन े

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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अापक सा क ित ठा रखने के लए जाे वय सहज षट् गुण हािनवृप मे परणमन चलता ही रहता है, वह अथपयाय कहलाती है꠰ इस अथ का काईे प य त नही ह ैक त है सब पयायाे का अाधार꠰ यद अथपयाय व त मे अ त: न चले ता ेकाेई भी य त पयाय बन नही सकती꠰ इससे थूल ह ै वभावगुणपयाय꠰ जैसे केवलान का परणमन꠰ यह वाभावक परणमन है꠰ यह अ य कही जाने वाल पयायाे से सू है꠰ उससे थूल है वभाव य यजनपयाय मायने स भगवान का अाकार या परमाणु का अाकार, जाे वभाव का अाकार है याे क वह पयाय꠰ वभावस य ानपयाय व वभावम याान पयाय क परथित- वभाव य यजनपयाय से थूल है वभावस य ानपयाय꠰ अथवा ान के स बध मे मूल कार समझना हाे ताे दाे कार समझना चाहये- एक शप ान, दसूरा यप ान꠰ शप ान क यहा चचा नही क जा रही, यप जा ेान ह,ै जाे ान कट हाेता है वह ान दाे काराे मे वभ त है꠰ वभावानपयाय अाैर वभावानपयाय꠰ वभावानपयाय ता ेकेवल एक ही है- केवलान अाैर वह स य ान प ही ह ैपर वभाव ानपयाय दाे कार क ह-ै स य ान प अाैर म याान प꠰ स य के हाेन ेवाले मितान, ुतान, अवधान, मन:पययान ये वभाव स य ान पयाय है, इस तरह के ानाे मे परणमना जीव का वभाव नही है, ये ताे वभाव कहलाते है, अारै म याान ह ै नही स य के, इस कारण स य ान ह,ै ताे वभावस य ान पयाय इससे थलू है, इससे थलू परणमन ह ैवभावम याानपयाय꠰ कुमितान, कुुतान, कुअवधान, इनक बाते बत ढग स ेलाेगाे का ेवदत हाे जाती है꠰ अ य त वकारपयाय क परथित- वभावम याानपयाय से थूल ह ैअ य त वकारपयाय꠰ यहा यह बात जानना ह ै क ान का जा ेपरणमन हाेता है वह जाननप परणमन है꠰ उस जानन मे ही वभाव अारै वभाव क बात है꠰ जाे जानने क जाे पयाये है उनसे थूल पयाये वकार क हाेती है꠰ जानने मे ताे जानना ही है꠰ यह अपनी जाित मे कैस ेही वभावप हाे, पर जानने क पयाय से राग-ेष क पयाय थूल हाेती है꠰ जानने मे ताे चेतना क बात है, ितभास क बात है꠰ वकार ता ेजड़ है, अचेतन है, उसमे समझ नही है, अतएव "जानना" चाह ेकतने ही वभाव प हाे, उसस ेभी थूल माना जाता है꠰ वकार पयाय चाह ेवह वकार पयाय अ य त हाे, ेणयाे मे चढ़ने वाले साधुअाे के भी कही-कही राग-ष पयाय ह꠰ै 8वे, 9वे गुण थान मे राग ेष पयाय है अाैर वहा राग ेष का परणमन भी चलता है क त अ य त है꠰ उन ऋषयाे तक क भी वेदना मे नही अाता꠰ इतनी सू अ य त वकार पयाय म याान क पयाय से भी थलू है꠰ सखानभुव, य तवकारपयाय, य त मापयाय, अगहृीत म या व व अश य यजनपयाय क परथित- अ य त वकारपयाय स े थूल ह ैसखानुभवपयाय꠰ राग ेष का अनभुव हाेता है, एक ता ेएेसा

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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परणमन, अनुभव नही, क त हाे रहा है राग ेष अ य त प से꠰ अब उसके बाद जब वकार का य तप अायेगा, वकार का अनुभव बनने लगेगा ता ेउन वकार के सव अनुभवाे मे थम बात कह रह ेहै सख के अनभुव क꠰ अ य त वकारपयाय से थलू है सख क अनुभव पयाय याने उससे थूल है सख का अनुभव वाल पयाय꠰ तभी ताे लाेग कहते है क सख के दन ताे बड़ ज द यतीत हा ेजाते है, उनका कुछ पता ही नही पड़ता अाैर द:ुख के दन बताये नही बीतते, द:ुख का एक घटा भी महीनाे जैसा दखता है꠰ उससे थूल ह ै य तवकारपयाय꠰ जा ेनाचते ए ाधे, मान, माया, लाेभादक है वे सब य त है, एेस ेवकार पयाय थलू है꠰ उससे थूल ह ैमापयाय꠰ ान मे जा ेमण हाेता ह ैन म या प रहा, न स यक् प꠰ मापयाय स े थलू ह ैअानी जीव का गृहीतम या वपयाय꠰ जसै ेकुगु, कुदेव, कुशा इनकाे हत प मानना ये सब पयाये उन पयायाे से कुछ थूल है, य त है, याे थलू कही जा रही है क इनका परणाम बुरा हाेता है꠰ अाैर उससे भी बुर पयाय ह ैअानी जीव के अगृहीत म यादशन क पयाय꠰ सारा ससार देह काे अा ा मानकर ल रहा है꠰ अपने सख द:ुख कषायाे काे यही मै सब कुछ एेसा भीतर मे ान करते ए ल रहा ह꠰ै यह बत खाेट पयाय ह ैअारै फर सबसे अधक य त ह,ै थूल है, इय से भी गाेचर ह,ै एेसी पयाय है ताे अश य यजनपयाय꠰ मनु य, पेड़, कड़ा-मकाेड़ा, पश-पी अादक ये सब जाे अाकार बने है, ये सब अश य यजनपयाय है꠰ अथपयाय क सू ता का कथन- उ त पयायाे का कथन इसलए कया जा रहा ह ै क इसमे पहले यह समझा जायेगा क सू ऋजुसूनय जस अथपयाय काे हण करता ह,ै वह अथपयाय कतना सू है जसकाे क ऋजुसूनय हण करता है꠰ ऋजुसूनय का वषय एेसा िनवक प है꠰ इन सब पयायाे मे अथपयाय ता ेएक ही ह,ै उसका भेद नही है अाैर यजन पयाये ये सभी कहलाती है꠰ गुणपयाय भी य त है इस से यजन पयाय है꠰ पर देश का अाकार बनाना वह भी यजनपयाय कहलाता है꠰ अथपयाय अाैर सम त गुण यजनपयाय इनका ितबाेध करने के लए थलू टा त बताये- जैस ेकाईे य चल रहा ह ैश प से जसका च चल रहा ह ैअारै उस च पर यद काेई कपड़ा वगैरह गर जाये ताे जस कार वह च घूम रहा है उस कार से वह कपड़ा भी घूमने लगता है꠰ जब कपड़ा घूमने लगता है ता ेलाेगाे काे दखता ह ैक यह च चल रहा है अाैर कुछ न दख ेता ेउस च का पता ही नही पड़ता क यह चल रहा है꠰ अाैर उस पर वकार अा जाये, कपड़ा वगैरह उपाध का स बध अा जाये ताे उसका घूमना य त दखने लगता है꠰ ताे जा े य त दखा उसका कारण वह श घूमना है꠰ अगर श घूमना न बन रहा हाेता ताे यह वकार अाैर कपड़ा घूमने क बात कैसे अा सकती? पदाथ मे जतनी भी परणितया हाेती है उन सब परणितयाे का अाय अथपयाय है, एेसी अ तगत अथपयाय का ेसू ऋजुसूनय हण करता है꠰ अथपयाय के भेद इस कारण नही है क अगुलघु व गुण क षट् गुण हािन वृ मे उसका परणमन बताया है, जसका

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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काम है अपने वभाव क ित ठा करना꠰ अथपयाय न हा ेता ेसा नही रह सकती꠰ यह अथपयाय समस् त याे मे अनाद अन त समान है꠰ अथपयाय के काईे भी भेद नही है꠰ यजनपयायाे मे भुान क मखुता- जतनी पयाये हम सबकाे वदत हाेती है उन सब पयायाे का नाम यजन पयाय है꠰ यप ढ़वश यजनपयाय का अथ है अाकार पयाय, लेकन जा े य त अा है, जा े य त हा े सकता ह ै एसेे परणमनाे का नाम यजनपयाय है꠰ ता े गुणपयाय भी य त हातेा ह ै अाैर अाकारपरणमन भी य त हाेता ह,ै इन सब पयायाे मे ितसमय का परणमन ताे हातेा ही ह,ै पर हम अाप उसकाे हण नही कर पाते꠰ हमारा उपयाेग अ तमुत तक चले ताे उसे हम हण कर सकते है, पर परणमन हातेा है हम अापमे येक समय नवीन नवीन ही, एसेा एक-एक समय का परणमन केवल भगवान के केवलान मे हाथ पर रखे ए अावले क तरह प ट रहता है꠰ थाे मे अावले का टा त दया है꠰ जैसे हाथ रखा अा अावला꠰ सभी चीजाे का टा त दे सकते थे पर अ य चीजाे का ेछाेड़कर अावले का टा त याे अाचायाे का ेपस द अाया? या एेसा नही कह सकते थे क हाथ पर रखे ए अाम क तरह, हाथ पर रख ेए डेला प थर या मण क तरह꠰ इन सबकाे टा त मे न लेकर जाे हाथ पर रख ेए अावले क तरह, एेसा जाे टा त दया है उसका कारण यह है क अावला करब 6 कलयाे का हाेता ह,ै उन छहाे कलयाे का पृथक्-पृथक् प ट बाेध हाेता है, अाैर अाकार भी करब-करब उनका एक समान हाेता है꠰ अ य फल ताे कुछ भ न-भ न अाकार के भी हाेते है, जैसे अाम के फल कतने ही कार के हाेते है꠰ हाथ पर रखा अा अावला सम त कलयाे सहत ात हाे जाता है꠰ इसी कार सम त पदाथ, सम त पयाये सत् ात हाेती है केवलान मे꠰ यह समझाने के लए टा त दया जाता है꠰ एक समय का परणमन केवलग य है꠰ हाेता ह ैसव पदाथाे मे꠰ वह भी कसी तरह ात हा ेता ेाभे से रहत है꠰ एक विन चय क महमा- एक व का कतना माहा य है? केवल एक य꠰ जसमे दसूरे य का स बध नही, एसेा एक य ात हा ेजाता ह ैतब माहे का य हा ेजाता ह꠰ै य ह स य ान अपनी महती ित ठा मे हाेता है꠰ केवल एक े मायन ेकसी भी पदाथ के देश ही मा꠰ अ य पदाथाे का वेश नही꠰ इन कार अैत े स य ान क महाित ठा मे है꠰ इसी कार एक समय क पयाय परपूण पूव अारै उर पयाय के सम् बध काे न रखकर िनरपे प से जाने ए क बात केवलान मे हाेती है अारै युयाे स ेहम अाप भी जानते है꠰ ताे िकालवती य का े िनरखने पर जैसे एक अख ड पदाथ ेय हाेता है इसी कार एक समयवती परणित मा काे िनरखने पर भी एक अख ड तव ात हाेता है꠰ यही कारण है क जब हम य काे वशाल करके िनरखते है ताे वक पाे के टूट जाने का माैका मलता है, इसी कार जब हम एक समय मा क परणित काे िनरखन ेचलते है ता ेवहा भी वक प टूट जाते है꠰ वक पाे के चलने के लए हाेना चाहए लगाव꠰ लगाव क बात अख ड पदाथ के ान मे नही है꠰ इससे माेह ताेड़ने का उपाय अैत य

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अ या सही वचन तृतीय भाग

 

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वप का ान है꠰ अारै समयमा परणित के ान करने पर वह चूक ान य का ही रह जाता ह ैइसलए इस सग मे भी िनवक प हाेने का उपाय एक व िनयगत य वप का ान है꠰ वभावदशन का पाैष- हम अपने अापके वभाव पर दे ताेइस के साद से हमे अा वप का भान हाेगा꠰ वभाव कैसे ात हाेता? जल है, गम है, पर हम गम जल के वभाव का ान कैसे कर लेते है? भले ही गम है यह जल, मगर जल का वभाव गम नही है, ठडा है꠰ जैसे हम जल के गम रहते ए भी गम जल मे जल के वभाव का ान कर लेते है इसी कार पारखी लाेग एेसी वकारपयाय मे चलते ए क थित मे भी वभाव का बाधे कर लेत ेहै꠰ जैस ेए सरा का य मनु य के चाम, खून अादक का ेन हण करके एक ह काे ही हण करता ह,ै फाेटाे ले लेता है, इसी कार पारखी जीव देह का,े कषायाे का,े कमाे का ेइन सबकाे हण न करके केवल एक वभाव काे हण कर लेता है꠰ उसके लए चाहए भेदवान꠰ उस भदेवान के बल से इन सब पयायाे से पार हाेकर एक वभाव का हण करे, यही अा ा के अान द क ित ठा का उपाय हाेगा꠰ इस कार माहे राग ेष दरू हाे, ान क समृ बने, बस यही उपाय करने याे य ह ैअाैर उसस ेही हम अापका क याण है꠰ अाज यह 9 वा पर छेद पूण हा ेरहा है꠰ इसमे कुछ नयाे के ान स ेएेसा लगता हाेगा क कभी कुछ कथन अाया, कभी कुछ꠰ कुछ व जचता हाेगा, पर व नही है꠰ यहा कस नय क मे िनरखने पर या नजर अाता है, वह वषय बताया गया꠰ याेजन सबका यह है क जस कसी भी उपाय से श ेयतव ान मे अाये अाैर माेह राग ेषादक वकारपरणमन दरू हाे, जससे अा ा के श अान द क ाि हाे꠰ हम अाप ससार के सभी जीवाे क एक वाछा ह ैक शात ा त हा꠰े अत: स य सहज वाधीन शात क उपलध के अथ हमारा या कत य है इसके वचार मे अभी चल रहे थे꠰ सव थम यह बाेध करना अाव यक है क वा तवक शात या हाेती ह?ै फर दसूर बात यह जानना ह ैक शात जसे चाहये वह परमाथत: या है? इ ही दा ेतवाे काे प ट करने के लए लण, माण, नय, िनेप, िनदेशाद उपायाे का कथन कया꠰ फर शात परणित कैसे हाेती ह,ै उसके अ त: व बा साधन या है, इन उपयाेगी तवाे के जानने के लये िनम, उपादान, िनमनैमक भाव, परणमन वात य अाद का वणन कया है꠰ इस सम त वणन के िन कष मे यह बात िनचाेड़ क अायी क अवकार अ त: वभाव क अाेर हमारा उपयाेग हाे, एेसा य न करे꠰ इससे ही सम त सकट मटेगे, शा वत अान द हाेगा, सदा श पव रहेगे꠰

꠰꠰अ या सही वचन ततृीय भाग समा त꠰꠰