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आधुिनक भारत का इितहास BAHI201 उराखड मु िवविवालय 1 लाक एक- आध िनक भारतीय इितहास लेखन पर परा इकाई एक- आध िनक भारतीय इितहास ोत सामी इकाई दो- भारतीय इितहास एव इितहास लेखन का औपिनवेिशक मत इकाई तीन- वात -भारत रावादी इितहास लेखन-आर.सी.एव दादा भाई नौरोजी इकाई चार- भारतीय इितहास लेखन अधुनातन वृिया -परपरावादी, सदायवादी, रावादी तथा मासवादी

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  • आधुिनक भारत का इितहास BAHI201

    उ�राख�ड म�ु िव� विव�ालय 1

    �लाक एक- आधुिनक भारतीय इितहास लेखन परंपरा

    इकाई एक- आधुिनक भारतीय इितहास क� �ोत सामी

    इकाई दो- भारतीय इितहास एवं इितहास लेखन का औपिनवेिशक मत

    इकाई तीन- �वातं�य-पूव� भारत म� रा��वादी इितहास लेखन-आर.सी.द� एवं

    दादा भाई नौरोजी

    इकाई चार- भारतीय इितहास लेखन म� अधुनातन वृि�यां-पर�परावादी,

    स��दायवादी, रा��वादी तथा मा�स�वादी

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    ईकाई – एक

    आधु�नक भारतीय इ�तहास क� �ोत साम�ी 1.1 ��तावना 1.2 उ��ेय 1.3 आधिुनक भारतीय इितहास के औपिनवेिशक #ोत 1.3.1 अिधिनयम एवं कानून 1.3.2 सरकारी %रपोट' 1.3.3 गैर-सरकारी साम(ी 1.4 आधिुनक भारतीय इितहास के दशेी #ोत 1.4.1 भारतीय पुनजा'गरण के #ोत 1.4.2 िव-ोह., िकसान आ/दोलन. एवं जनजाित संघष4 से संबि/धत साम(ी 1.4.3 रा67ीय आ/दोलन के द�तावेज़ 1.5 समाचार प: एवं पि:काएँ 1.6 सारांश 1.7 पा%रभािषक शयांिकत �?. के उ�र 1.9 संदभ' (थं सचूी 1.10 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम(ी 1.11 िनबंधाCमक �? 1.1 ��तावना

    भारत मD आधुिनक इितहास लेखन का आरEभ िFिटश स�ा कG �थापना के साथ जड़ुा हIआ ह.ै ऎसा भी नही ह ैिक िFिटश शासन कG �थापना के पवू' भारतीय. मD इितहास दश'न का पूण'त: अभाव था. िफर भी #ोत. कG खोज तथा उनके अMययन एवं िवNेषण के आधार पर इितहास िलखने कG एक आधिुनक परEपरा का आरEभ भारत मD उ/नीसवO शता

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    िFिटश राज कG �थापना के साथ यह िवचार आधिुनक भारतीय इितहास लेखन का वैचा%रक आधार बन गया. शीV ही यरूोप कG भाँित भारत मD भी सं(हालय. कG �थापना कG जाने लगी जहाँ सरकारी द�तावेज़. को रखा जाता था. 20सवO सदी तक इितहास लेखन मे सरकारी #ोत. के अित%र� अ/य साम(ी का भी �योग इितहास लेखन मD िकया जाने लगा. आगे हम आधिुनक भारतीय इितहास लेखन के िविभ/न #ोत. के बारे मD जानDगे. 1.2 उ�ेय

    इस इकाई का उ��ेय आधिुनक भारत के इितहास लेखन के िविभ/न #ोत. के बारे मे जानकारी �ाX करना ह.ै ये #ोत �ाथिमक Uप से दो भाग. मD बाँटे जा सकते हS – सरकारी और गैर-सरकारी द�तावेज़. सरकारी द�तावेज़. मD िविभ/न अिधिनयम एवं कानून, सरकारी %रपोट', अिधका%रय. के प: तथा पिुलस एवं गुXचर िवभाग कG %रपोट' आिद को शािमल िकया जा सकता ह.ै वहO गैर-सरकारी #ोत. मD अिधका%रय. के िनजी प:. एवं समाचार प:. को रखा जायेगा. आधिुनक भारतीय इितहास के #ोत. को औपिनवेिशक एवं दसेी #ोत. के आधार पर भी वगYकृत कर सकते हS. औपिनवेिशक #ोत. मD सरकार, सरकारी अिधका%रय. एवं दसूरे कम'चा%रय. से जुड़ी सरकारी एवं गैर-सरकारी सभी साम(ी को रखा जायेगा. दशेी #ोत. मे म[ुय Uप से िव-ोह., िकसान एवं जनजाित आ/दोलन. एवं रा67ीय आ/दोलन से जुड़ी साम(ी आती ह.ै इसके अलावा \े:ीय भाषाओ ंके अखबार. एवं सािहCय कG भी रा67ीय आ/दोलन मे अहम भिूमका रही ह.ै आगे इन सभी के बारे मD हम िव�तार से चचा' करDगे. 1.3 आधुिनक भारतीय इितहास के औपिनवेिशक �ोत

    भारत मD िFिटश शासन ई�ट इिंडया कEपनी ^ारा 1757 ई. मD _लासी कG सफलता के साथ आरEभ हIआ. हम जानते हS िक ई�ट इिंडया कEपनी िFिटश सरकार ^ारा संचािलत नही थी जैसे िक `ांसीसी कEपनी थी. अत: बंगाल ि�थत गवन'र को इaंलै�ड मे बैठे अपने आकाओ ंसे लगातार िनदbश लेने होते थे. साथ ही भारत शासन से सEबि/धत �Cयेक जानकारी एवं सचूना को भेजना भी अिनवाय' था. 1773 ई. के रेaयलूेिटंग एcट के माMयम से एवं इसके पdात दसूरे अिधिनयम. के ज़%रय ेिFिटश सरकार ने भी भारत के शासन पर िनयं:ण करना आरEभ कर िदया. 1857 के पdात तो भारत का शासन सीधे िFिटश संसद के अधीन हो गया. इस सब के प%रणाम�वUप िवशाल िलिखत #ोत साम(ी इितहासकार. के िलये उपल

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    लगातार िFिटश शासक. पर िनभ'र थी. 18वO सदी एवं 19वO सदी के आरEभ मD हरेक बीस वष' के पdात कEपनी को अपना एकािधकार बनाए रखने के िलय ेसंसद कG अनमुित �ाX करनी पड़ी थी. भारत मD कEपनी राज कG �थापना के पdात िFिटश सरकार ने भारतीय शासन के िलये िनदbश देना भी आरEभ कर िदया. सव'�थम 1773 ई. मD िFिटश संसद ने रेaयलेूिटंग पास कर कEपनी के भारतीय शासन मD ह�त\ेप का आरEभ िकया. इसके माMयम से बंगाल के गवन'र जनरल कG एक प%रषद कG �थापना कG गई तथा कलक�ा मD उfचतम /यायालय बना. परंत ुयह अिधिनयम भारतीय शासन को सeुयवि�थत करने मD नाकाम रहा, अत: शीV ही 1784 ई. मD िपट्स इिंडया एcट लाना पड़ा. इन अिधिनयम. के माMयम से इितहासकार भारत के कEपनी राज पर िFिटश शासन के बढ़ते िनयं:ण का अMययन करते हS. 19वO शताथ ऑफ नेशंस’ के माMयम से इस िवचारधारा को सश� आधार िदया था. ये िवचार भारतीय शासन पर भी �भाव डाल रह े थे. फल�वUप 1813 ई. मD कEपनी के eयापा%रक एकािधकार को सीिमत कर िदया गया और 1833 ई. मD कEपनी के eयापा%रक एकािधकार को पणू'त: समाX ही कर िदया गया. िFटेन मD उदारवादी िवचारधारा के उदय ने भी भारत पर एक eयापा%रक कEपनी के शासन को कटु आलोचना का पा: बना िदया था. 1857 के िव-ोह ने यह अव�यंभावी बना िदया िक भारत का शासन िFिटश Qाउन सीधे अपने हाथ मे ले ले. अब भारत का शासन िFिटश संसद �Cय\ Uप से एक वायसराय के माMयम से चलाने लगी. परंतु उभरते रा67ीय आ/दोलन के दबाव मD लगातार भारतीय शासन को सचुाU Uप से चलान े के िलये संसद को भारत सरकार अिधिनयम पास करने पड़ते थे. इन अिधिनयम. को पास करने के पवू' संसद भारत कG सरकार से eयापक िवचार-िवमश' करती थी. अिधिनयम. को िFिटश संसद मे रखना पड़ता था जहाँ सद�य �Cयेक धारा पर बहस करते थे. इस�कार भारत मD औपिनवेिशक राज से संबि/धत िवशाल िलिखत साम(ी एक: हो गयी. इसमD से अिधकांश साम(ी इaंलै�ड ि�थत इिंडया ऑिफस लाइFेरी मे सरुि\त ह.ै हमD यह बात Mयान रखनी चािहये िक भारत के दैनंिदन �शासन मे ह�त\ेप करना या इस पर िनयं:ण रखना संसद अथवा Qाउन के िलये भी सEभव नही था. अत: भारत मे शासन के मूलभतू िसiांत तो ऊपर विण'त अिधिनयम. ^ारा तय होते थे परंतु वा�तिवक शासन एवं उसकG िविभ/न सम�याओ ं से वायसराय तथा िFिटश अिधका%रय. को ही दो-चार होना पड़ता था. अत: गवन'र जनरल अथवा वायसराय कG प%रषद भारत पर शासन के िलय ेिविभ/न कानून या रेaयलूेशन बनाती थी. आपन ेसती �था समाX िकये जाने वाले कानून के बारे मD पढ़ा होगा. यह कानून गवन'र जनरल िविलयम बDिटक के समय मD बना था. हम यह भी जानते हS िक इस कानून को बनवाने के िलये राजा राममोहन राय के नेतCृव मD भारतीय. के एक वग' का भी सरकार पर दबाव था. इस तरह कुछ कानून तो भारतीय. कG राय या सहमित से बनते थे, परंत ुअिधकाँशत: ऎसा नही था. उदाहरण�वUप बंगाल

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    मD �थाई ब/दोब�त लाग ूकरन ेके िलये लाड' कान'वािलस ने भारतीय. कG सलाह नही ली थी. बाद मD भरूाज�व के दसूरे काननू बनान े मD भी सरकार ने िFिटश अिधका%रय. के बीच ही िवचार-िवमश' चलाया. िफर भी सरकारी अिधका%रय. मD भारत के �शासन को लेकर अcसर काफG चचा' होती थी. इसके प%रणाम�वUप सरकारी #ोत साम(ी का एक िवशाल भडंार तैयार हो गया. इस तरह कG अिधकाँश साम(ी को कालांतर मD अिभलेखागार. एवं पु�तकालय. को �थानांि:त कर िदया गया. 1.3.2 सरकारी �रपोट�

    सरकारी %रपोट' दो तरह कG होती हS – एक तो दिैनक %रपोट', िजसे मु[यत: पुिलस या गुXचर िवभाग ^ारा तैयार िकया जाता था; दसूरी, िकसी िवशेष िवषय के अMययन कG %रपोट'. औपिनवेिशक शासन एक सkुण सचूना तं: के आधार पर िटका हIआ था. उपिनवेशवाद के �ारिEभक चरण मD तो सचूना का मलू #ोत भारतीय ही थे, परंतु धीरे-धीरे अं(ेज़. का भारतीय. से िवlास उठ गया. इसका एक �मखु कारण 1857 का िव-ोह था. इस िव-ोह से सचूना के िलये भारतीय. पर िनभ'रता कG असफलता सामन ेआ गई. इसके अित%र� रा67वाद के उदभव एवं िवकास न ेभी सचूनाओ ंके िलये भारतीय. पर पणू' िनभ'रता को असEभव बना िदया. अत: भारत सरकार न ेसचूनाओ ंके िलये गुXचर िवभाग का पुनग'ठन िकया तािक िव-ोही, रा67वादी एवं Qांितकारी भारतीय. कG गितिविधय. कG eयापक जानकारी �ाX कG जा सके और भारत मD िFिटश शासन को अ\�ुय बनाया जा सके. इन गुXचर सचूनाओ ंको �ांतीय एवं रा67ीय �तर पर िवNेिषत एवं संकिलत करन ेकG सुसंगिठत �णाली थी. िज़ला �तर पर सचूनाओ ंको एक: करने का काय' लोकल इिंटिलजDस अथवा पिुलस के हाँथ मD था. इन सारी सचूनाओ ंका िवNेषण एवं इन पर %रपोट' बनाने का काय' गुXचर या पिुलस िवभाग के अिधका%रय. के ही पास होता था. इन %रपोट4 से हमD न केवल सरकारी kिmक.ण का ही पता चलता ह,ै बि>क िव-ोिहय. एवं आ/दोलनका%रय. के संब/ध मD भी eयापक जानकारी िमलती ह.ै एक दसूरे �कार कG %रपोटn भी हS, िज/हD अcसर भारत कG िविशm सम�याओ ंके प%रपे\ मD तैयार िकया गया था. ये %रपोटn एक�कार से eयापक अMययन के पdात तैयार कG जाती थO. अत: िविशm िवषय. के अMययन के िलये इनका अCयंत महCव ह.ै ऎसी िनयिमत %रपोट4 मD भारतीय जनगणना सEब/धी %रपोटn ह,ै िज/हD सDसस %रपोट' कहा जाता ह.ै िFिटश भारत मD पहली जनगणना 1872 ई. मD हIई, परंत ुरा67ीय �तर पर पहली eयापक जनगणना 1882 से आरEभ हIई. इसके पdात तो �Cयके दस वष4 के अंतराल पर भारत मD जनगणना होती थी. इन जनगणनाओ ंके माMयम से न केवल भारतीय जनांिककG एवं उसमD प%रवत'न. का ही अMययन िकया जा सकता ह,ै बि>क भारतीय जातीय, धािम'क, \े:ीय एवं भाषाई िविभ/नताओ ंको भी जाना जाता ह.ै दरअसल िFिटश शासन नD भारतीय जनगणना मD जाित एवं धम' को एक �मखु पहचान कG भाँित �योग िकया जबिक यरूोप मD ऎसा नही िकया गया था. इस तरह भारतीय. को पहचान. मD बाटन ेसे कालांतर मD साE�दाियक एवं जातीय राजनीित को �ोCसाहन ही िमला. जनगणना के अलावा कुछ दसूरी %रपोटn भी बनाई गई जो

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    िनयिमत तो नहO थO, परंतु िकसी भी तरह कम महCव कG नही थO. उ/नीसवी सदी के अंितम दशक. मD भारत मD भीषण अकाल पड़े थे. भारतीय समाचार प:. मD इन अकाल. के िलये िFिटश नीित को दोषी ठहराया जा रहा था. सरकार ने इन आलोचनाओ ंका जवाब देने के िलय ेअकाल कमीशन. का गठन िकया, िज/ह.ने भारतीय कृिष, मानसून एवं फसल. का अMययनकर महCवपणू' साम(ी उपल

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    िक आधिुनक पिdमी सsयता अिधक िवकिसत एवं �गितशील ह.ै एक अ/य वग', जो कहO अिधक जागUक था, ने पिdमी सsयता का अ/धानुकरण नही िकया, वरन तक' एवं बिुi के आधार पर इसका िवNेषण िकया. इस वग' का भारतीय सsयता, सं�कृित एवं अतीत मD भी िवlास था. अत: इ/ह.ने पूव' एवं पिdम के िवलय से आधिुनक भारतीय सsयता के िवकास कG वकालत कG. तीसरे वग' मD हम उन भारतीय. को रख सकते हS िज/ह.ने आधिुनक सsयता का िवरोध िकया. ये तीन. ही िवचारधाराएँ िविभ/न िव-ोह. एवं आ/दोलन. मD देखी जा सकती हS. आगे हम भारतीय �ितिQया से सEबि/धत साम(ी का िवNेषण करDगे. 1.4.1 भारतीय पुनजा�गरण के �ोत

    भारत मD िFिटश शासन कG �थापना भारत मD आधिुनक सsयता का आरEभ भी था. अत: भारतीय. के एक वग' ने परुानी पड़ चुकG और सड़ी-गली मा/यताओ ंको Cयागने के िलय ेआ/दोलन िकये. इसका अथ' यह कदािप नही था िक भारतीय. ने आधुिनकता को उसी Uप मे �वीकार कर िलया जैसे यरूोप मD उसका िवकास हIआ था. तथािप भारतीय पनुजा'गरण के वाहक. ने �ाचीन भारतीय सsयता के साथ-साथ आधुिनक पिdमी सsयता का म>ूयांकन िकया. अपने िवचार. के �चार-�सार के िलये इन भारतीय. ने अनेक संगठन. कG �थापना कG. इन संगठन. कG �Cयेक काय'वाही को िलिखत Uप से रखा जाता था. हमD Fहम समाज, दवे समाज, �ाथ'ना समाज आिद संगठन. के िलिखत द�तावेज़ उपलप हS. ऎसी सम�या का सामना इितहासकार. को इस�कार के सबसे eयापक िव-ोह यथा – 1857 के िव-ोह मD भी करना पड़ता ह.ै िफर भी इितहासकार. ने इन िव-ोह. के अMययन के िलय े नवीन सामि(याँ खोज िनकाली हS. भले ही सरकार कG भाषा (अं(ेज़ी) मD

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    िव-ोह. के सEब/ध मD eयापक जानकारी न िमले, \े:ीय भाषाओ ंएवं दसूरी जनभाषाओ ंमD िव-ोह के वण'न भरे पड़े हS. िवशेषकर 1857 पर eयापक एवं नवीन जानकारी उदू' के #ोत. से पता चली ह.ै 1857 का िव-ोह िनिdत ही िFिटश उपिनवेशवाद के िवyi eयापक जनचेतना का प%रणाम था. यह जनचेतना लोक गीत. एवं लोक �मिृतय. मD अिभeय� हIई. इन लोकगीत. एवं लोक�मिृतय. के कुछ �माण हमD आज भी उन इलाक. कG बोिलय. एवं भाषाओ ंमD िमल जाते हS. िजनका अMययनकर इन िव-ोह. मD शािमल लोग. तथा इससे सहानभुिूत रखने वाल. कG चेतना एवं मानिसकता का अMययन िकया जा सकता ह.ै ऊपर हमनD िव-ोह. के द�तावेज़. कG कमी के सEब/ध मD िजस सम�या कG चचा' कG ह,ै वही सम�या कही eयापक Uप से िकसान एवं जनजाित आ/दोलन. के स/दभ' मD सामने आती ह.ै िकसान और जनजाित आ/दोलन के नेता या इसमD भाग लेने वाले पढ़े-िलखे नहO थे. अत: इन आ/दोलन. के सEब/ध मD \े:ीय भाषा सािहCय भी मौन ह.ै अत: इन आ/दोलन. के अMययन का एकमा: साधन सरकारी #ोत ही रह ेहS जो अcसर िव-ोिहय. के �ित आलोचनाCमक kिm ही रखतD हS. लोकगीत. एवं लोक�मिृतय. के अMययन से भी इन आ/दोलन. के बारे मD बहIत कम जानकारी ही िमल पाती ह.ै ऎसे मD इितहासकार. के एक वग' (सबअ>टन' इितहासकार) नD एक नया तरीका िनकाला ह.ै उ/ह.ने सरकारी #ोत. के पनुराMययन एवं पुनeया'[या को िकसान एवं जनजाित आ/दोलन. के अMययन का माMयम बनाया ह.ै इस लेखन से कुछ उCकृm अMययन तो सामने आये हS परंतु इन तरीक. को लेकर इितहासकार. मD मतभदे ह.ै 1.4.3 रा01ीय आ(दोलन के द�तावेज़

    भारत मD रा67वाद का उदय आधुिनक चेतना तथा उपिनवेशवाद-िवरोधी भावना के �सार का सिEमिलत �भाव था. रा67वाद कG रा67ीय �तर पर अिभeयि� के Uप मD 1885 ई. मD कां(ेस कG �थापना हIई. हलांिक इससे पूव' ही कुछ संगठन आधुिनक रा67वाद कG िवचारधारा से �भािवत होकर �थािपत िकये गये थे, िजनमD दादाभाई नौरोजी ^ारा ल/दन मD �थािपत ई�ट इिंडया एसोिसएशन तथा सुरे/-नाथ बैनजY ^ारा कलक�ा मD �थािपत इिंडयन एसोिसएशन �मुख थO. अिखल भारतीय रा67ीय कां(ेस �ितवष' िदसEबर माह मD अपना वािष'क अिधवेशन करती थी. इस अिधवेशन मD िविभ/न ��ताव पास िकये जाते थे तथा सरकार को �Cयावेदन भजेे जाते थे. कालांतर मD कां(ेस ने आ/दोलन करना आरEभ िकया, तो आ/दोलन. से सEबि/धत सभी िनण'य eयापक िवचार-िवमश' के पdात ही िलये जाते थे. इन सभी बहस. एवं िनण'य. को िलिपबi िकया गया था. अत: रा67ीय आ/दोलन से सEबि/धत eयापक द�तावेज़ इितहास लेखन के िलये मौजूद हS. अिखल भारतीय कां(से के अलावा दसूरे दल भी थे, जो रा67ीय आ/दोलन मD या तो भाग ले रह े थे या अं(ेज़. के िपz{ थे. इनमD मुि�लम लीग, िह/द ूमहासभा तथा अकाली दल आिद महCवपूण' थे. इनमD से अिधकांश दल. कG गितिविधय. के बारे मD िलिखत द�तावेज़ उपल

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    गैर-कानूनी ढंग से अपनी गितिविधयाँ चलाते थे. इनमD मु[यत: Qांितकारी संगठन एवं वामपंथी दल थे. हलांिक इन संगठन. मD भी रा67वादी काय'वािहय. के िनण'य eयापक बहस एवं चचा' के पdात ही िलये जाते थे. परंत ुगैर-कानूनी होने के कारण ये संगठन अcसर अपने द�तावेज़. को नm कर िदया करते थे. इन संगठन. का इितहास जानने के #ोत या तो इनके बचे-खचेु द�तावेज़ या सरकारी %रपोटn हS, िजनसे इन संगठन. कG गितिविधय. के बारे मे tात होता ह.ै रा67ीय आ/दोलन एक अCयंत eयापक आ/दोलन था, अतैव इसमD काफG बड़ी सं[या मD भारतीय जनता के �ितिनिधय. ने भाग िलया. इनमD से अनेक ने अपने लेख, द�तावेज़ तथा प: छोड़े हS. उदाहरण�वUप केवल महाCमा ग़ाँधी के लेख. एवं भाषण. को संकिलत कर 100 ख�ड. मD छापा गया ह.ै इसे कलेcटेड वcस' ऑफ महाCमा गाँधी के नाम से �कािशत िकया गया ह.ै िह/दी मD इसके संि\X भाग को गाँधी वाaमय के नाम से �कािशत िकया जा चकुा ह.ै इसके अलावा सरदार पटेल एवं भीमराव अEबेडकर के लेख. एवं उनसे सEबि/धत साम(ी को भी छापा जा चकुा ह.ै रा67ीय नेताओ ं के अलावा रा67ीय आ/दोलन से जड़ेु अनके \े:ीय नतेाओ ं के लेख एवं रचनाएँ भी इितहासकार. के अMययन के िलय ेउपलटन' इितहासकार. नD रा67वाद से संबि/धत ऎसे सारे अMययन. कG आलोचना करते हIए इसे इलीट इितहास कहा ह ै िजससे िनEन वग' (सबअ>टन') कG चेतनाओ ं एवं आ/दोलन मD उनकG भागीदारी के बारे मD कुछ पता नहO चलता ह.ै इन इितहासकार. न ेिनEन वग4 का इितहास िलखने का दावा तो िकया ह ैपरंतु अब तक वे इन वग4 से सEबि/धत नय े#ोत नहO ढूँढ पाये हS और उ/ह.ने परुाने #ोत. कG नवीन eया[या ही कG ह.ै 1.5 समाचार प4 एवं पि4काए ँ

    भारत मD िFिटश शासन के सु�भाव. को यिद रेखांिकत करना हो तो इनमD आधुिनक प:का%रता के आरEभ को महCवपूण' माना जा सकता ह.ै हलांिक समाचार प:. एवं पि:काओ ं का आरEभ औपिनवेिशक शासन का सीधा प%रणाम नही था, बि>क भारत मD आधिुनकता के �सार का नतीजा था. चूंिक रा67वादी िवचारधारा का सीधा सEब/ध आधुिनकता से था, अत: आधिुनक चेतना के साथ-साथ भारत मD रा67वाद का भी �सार हIआ. समाचार प:. एवं पि:काओ ं का आरEभ इसी चेतना के �सार का सीधा प%रणाम था. हलांिक सबसे पहले अखबार अं(ेज़. ने ही िनकाले, परंतु शीV ही भारतीय. ने भी अखबार िनकालना आरEभ कर िदया. भारतीय. ने पहले पहल अं(ेज़ी एवं फारसी के समाचार प: िनकाले.

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    जहाँ फारसी परुाने शासक. कG सरकारी भाषा थी, वहO अं(ेज़ी नये शासक. कG भाषा. �पm ह ैिक इन प:. का उ��ेय सीिमत एवं पड़े-िलखे उfच वग' कG भावनाओ ं को अिभeय� करना या उ/हD �भािवत करना भर था. िफर भी फारसी के कुछ समाचार प: िनdय ही िFिटश िवरोधी भावना भड़का रह े थे. सी.ए. बेयली न े अपने एक महCवपूण' अMययन इEपायर ए�ड इनफॉरमेशन मD यह िवचार eय� िकया ह ैिक 19वO शता

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    िलये eयापक साम(ी का �ादभुा'व हIआ. इसका �मुख कारण आधिुनक राज का िलिखत िनदbश. ^ारा संचािलत होना था. आधिुनक िश\ा एवं आधुिनक चेतना के िवकास से भारतीय. ने भी िवशाल लेखन साम(ी छोड़ी. इस�कार हमD उपिनवेशवादी िवचार., नीितय. एवं �िQयाओ ं तथा उपिनवेशवाद-िवरोधी संघष4, िवरोध. आिद के सEब/ध मे eयापक #ोत साम(ी उपलली: िह/दी माMयम काया'/वय िनदशेालय, 1998

    3- सुिमत सरकार, आधिुनक भारत: 1885-1947, नई िद>ली: राजकमल �काशन, 2002

    4- ि^जे/-नारायण झा, �ाचीन भारत: सामािजक आिथ'क और सां�कृितक िवकास कG पड़ताल,

    िद>ली: (ंथ िश>पी, 2000

    1.10 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम!ी

    1- स

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    3- गारलै�ड क/नॉन, दी लाइफ़ एंड माइडं ऑफ ओ%रय�टल िविलयम ज.स: सर िविलयम ज.स, दी

    फ़ॉदर ऑफ माडन' िलंगिवि�टcस, /यूयाक' : कैिEFज यूनीविस'टी �ेस, 1990

    1.11 िनबंधा

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    ईकाई – 2

    भारतीय इ�तहास एवं इ�तहास-लेखन का औप�नवे�शक

    मत 2.1 ��तावना 2.2 उ��ेय 2.3 यरूोपीय इितहास-लेखन एवं आधिुनक इितहास-लेखन मD संब/ध 2.3.1 �ाfयवािदय. ^ारा भारतीय अतीत कG खोज 2.3.2 उपयोिगतावादी इितहास-लेखन 2.3.3 उ/नीसवO शता

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    यरूोपीय साायवादी इितहास-लेखन कG नवीन �विृ� को हम कैिEFज �कूल के नाम से भी जानते हS. आगे हम यरूोपीय इितहास-लेखन कG िविभ/न �विृ�य. तथा उनके ल\ण. कG पथृक-पथृक तथा सामिूहक Uप से चचा' करDगे.

    2.2 उ�ेय

    इस इकाइ' का उ��ेय आपको भारतीय इितहास एवं इितहास-लेखन के औपिनवेिशक मत से प%रिचत कराना ह।ै इस इकाई के अM ययन के उपरांत आप िनE नांिकत जानका%रयां से भी प%रिचत सकD गे : 1. यरूोपीय इितहास-लेखन एवं आधिुनक इितहास-लेखन मD संब/ध 2. �ाfयवािदय. ^ारा भारतीय अतीत कG खोज 3. उपयोिगतावादी इितहास-लेखन 4. उ/नीसवO शता

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    2.3.1 �ाFयवािदय' Gारा भारतीय अतीत कH खोज

    भारत पर यरूोपीय इितहास-लेखन का आरEभ अzारहवO सदी के अंत मD �ाfयवादी (Orientalist) िव^ान. के लेख. ^ारा हIआ. �ाfयवािदय. ने एक असीम उCसकुता के साथ भारतीय अतीत कG खोज आरEभ कG. पर/त,ु Qमबi तPय. के अभाव ने �ाचीन भारत के ऐितहािसक पुन'लेखन को बािधत िकया. रॉबट' ऑमb अपनी रचनाओ ंमD मगुल, मराठा या िFिटश शासनकाल कG ही चचा' कर सके थे. अत: �[यात �ाfयिवद. िवि>क/स तथा िविलयम ज.स ने �ाचीन सािहिCयक एवं िविध कG सं�कृत कृितय. के अनवुाद िकये तािक �ाचीन भारत के बारे मD जाना जा सके. चा>स' िवि>क/स ने भगवतगीता तथा िहतोपदशे का अनवुाद िकया. िविलयम ज.स कG सािहिCयक अिभyिच उनके बहI�िसi अनवुाद शकंुतला से अिभeय� हIयी. िफर भी, ज.स का म[ुय उ��ेय �ाचीन िह/द ूिविध-(ंथ. का अनवुाद करना था. इसके िलय े उ/ह.ने पहले �ाfयिवद. मD सं�कृत के सव'xे tाता िवि>क/स से अनरुोध भी िकया था. िवि>क/स के yिच ना िदखाने पर ज.स ने �वयं सं�कृत सीखी और मनु�मिृत का अं(ेज़ी अनुवाद िकया. �ाचीन िह/द ूिविध-(ंथ. का अनवुाद आरिEभक कEपनी राज के साायवादी उ��ेय. से जड़ुा हIआ था. इसका एक घोिषत लय िह/द ूपंिडत. ^ारा िविध कG मनमानी eया[याओ ं से मुि� पाना था. ज.स ने िविध कG eया[या के िलये परूी तरह पंिडत. या मौलिवय. पर िनरभरता को एक ख़तरे कG भॉित देखा. उ/ह.ने अं(ज़े �शासक. को भारत मD �चिलत शाीय भाषाएँ – फ़ारसी एवं सं�कृत – सीखने के िलये �े%रत िकया. इसी उ��ेय से ज.स न ेभारत आने से पवू' ही फ़ारसी eयाकरण कG एक पु�तक भी िलखी थी. ज.स कG सबसे �भावकारी खोज सं�कृत का समीकरण यरूोप कG महान भाषाओ ं लेिटन तथा (ीक से करना था. उ/ह.ने सं�कृत, लेिटन, (ीक आिद को एक पूव'कालीन भारोपीय भाषा कG संतान बताया, जो अब लुX हो चकुG थी. उनका यह िवचार एक उfच, lेतवणYय एवं शासक आय' �जाित के िसiांत से जुड़ा हIआ था. इस�कार यह िवचार भारत मे अं(ेज़. के शासन कG उपि�थित को जायज़ ठहराता था. िफर भी, �ाfयवािदय. कG खोज. न ेभारतीय इितहास के कुछ महCवपणू' तPय �काश मD ला िदये. ज.स ने (ीक िववरण. मD उि>लिखत सSोकोटस का समीकरण सं�कृत #.त. मD विण'त चं-गुX से िकया. चिूकं (ीक #.त. मD से>यकूस के साथ चं-गुX के यiु एवं संिध कG ितिथयाँ दी गयO थी, अत: पहली बार �ाचीन भारतीय इितहास मD मौय'काल के आरEभ का कालिनधा'रण संभव हो सका. �ाचीन भारतीय इितहास को �काश मे लान ेमD महCवपूण' भिूमका एक अ/य �ाfयिवद जेEस ि�ंसेप ने अदा कG. उ/नीसवO शताक पािल (ंथ. मD िलिखत बौi धम' का इितहास भी सामने आ गया. इन �ारिEभक उपलि

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    2.3.2 उपयोिगतावादी इितहास-लेखन

    उपयोिगतावादी (Utilitarian) िवचारधारा उ/नीसवO शता

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    नय ेयगु कG उोषणा थी. उ/नीसवO शताड बाई इट्’स ओन िह�टो%रय/स सामने आई. इसे डाउसन कG सहायता से ईिलयट ^ारा िलखा गया था तथा यह 1857 कG Qांित के पdात िलखी गयी. हलांिक यह xृंखला व�तुत: फ़ारसी मूल #ोत. का अनवुाद थी, परंत ु इसके �ाcकथन मD ईिलयट ने तकु' एवं मग़ुल शासक. के िवyi खबू िवषवमन िकया. िFिटश भारतीय शासक. एवं प%रवतY भारतीय इितहासकार. को इस (ंथ ने काफG �भािवत िकया. इस (ंथ xृंखला ने पहली बार वे तक' िदये जो आज तक साE�दाियक शि�य. ^ारा �योग िकये जाते हS. 2.3.4 आरि:भक बीसवI शताAदी का साKाLयवादी इितहास-लेखन

    भारत का संपूण' इितहास पाठ्यपु�तक के Uप मD िलखने कG xृंखला का अगला अMयाय िवंसDट ए. ि�मथ कG कृितय. के माMयम से सामने आया. ि�मथ को आरिEभक बीसवO शता

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    मD उस काल तक हो चकेु सभी शोध. को समािहत िकया. ि�मथ के (थं. का महCव इस बात से पता चलता ह ैिक उसकG इितहास कृितय. को सभी भारतीय िवlिव�ालय. मD, िजनकG �थापना िपछले पचास वष4 मे हIई थी, पाठ्यपु�तक. कG भॉित पढ़ाया जाता था. ि�मथ का इितहास, जो �वतं:ता के पdात भी भारतीय िवlिव�ालय. मD पढ़ाया जाता रहा, यरूोपीय इितहास-लेखन कG साायवादी िवचारधारा से मु� नही था. ि�मथ ने भारत के राजनीितक इितहास पर ज़yरत से यादा बल िदया था. उसने सााय. एवं शासक. का इितहास िलखने पर ही Mयान िदया. मौय' सााय के सं�थापक चं-गXु तथा गXु सााय कG तो ि�मथ ने कुछ �शंसा कG, परंत ु इन शासक. को ‘िनरंकुश’ एवं ‘सव'स�ावादी’ माना. ि�मथ ने ‘�ाfय-िनरंकुशता’ को ही सााय. के पतन का मूल कारण माना. ि�मथ ने इस तPय कG ओर Mयान खOचा िक �Cयेक सााय के पतन के पdात भारत सदवै अराजकता के एक लEबे यगु मD �वेश कर गया. अत: भारत मे शांित एवं समिृi के िलये िFिटश शासन जैसी ‘उदार-िनरंकुश’ eयव�था का बना रहना आव�यक था. ि�मथ का मानना था िक यिद भारत से िFिटश शासन हटा िलया गया तो देश पनु: राजनीितक अराजकता एवं अशांित के दौर मे पहIचँ जायेगा. हमD यह भलीभॉित Mयान रखना चािहय े िक ि�मथ का काल भारत मD रा67ीय आ/दोलन के उCकष' का काल था. 1885 मD कां(ेस कG �थापना तथा 1905 के �वदशेी आ/दोलन ने ि�मथ के िवचार. को गहरे से �भािवत िकया था. भारतीय रा67ीय आ/दोलन के �ित आलोचनाCमक रवैया संपणू' बीसवO शता`ेड लायल न ेअपनी रचना दी राईज़ एंड एcसपDशन ऑफ िFिटश डोिमिनयन इन इिंडया मD भारत मD िFिटश शासन के आरEभ का कारण भारतीय. मD रा67ीयता के अभाव को माना. दसूरी ओर, उ/ह.ने �ाचीन एवं मMयकालीन भारतीय इितहास मे हIए िव-ोह. कG तीखी िन/दा कG. भारत मD िFिटश शासन कG उपि�थित को उिचत ठहरान ेके िलये जॉन सील न ेएcसपDशन ऑफ इaंलSड मे यह सािबत करने का �यास िकया िक भारत पर अं(ेज़. कG िवजय पवू'िनयोिजत न होकर आकि�मक थी. ये अMययन रा67वािदय. कG आलोचनाओ ं को गलत िसi करन े हतेू िलखे जा रह े थे. रा67वािदय. ^ारा ��तुत आिथ'क दोहन के िसiांत को अनिुचत सािबत करने के िलये वेरा ए/सटे नामक मिहला इितहासकार ने दी इकानािमक डेवलपमDट इन इिंडया (1929) िलखी. िजसमD िFिटशकाल मD भारतीय धन सEपदा के दोहन के रा67वादी तक4 को काटा गया था. कालांतर मD इस िवषय पर भारतीय माcस'वादी इितहासकार. और साायवादी इितहासकार. के मMय लEबी बहस चली. 2.3.5 यूरोपीय इितहास-लेखन मE कैि:Nज �कूल

    आधिुनक भारत पर साायवादी इितहास-लेखन का िवकिसत Uप कैिEFज �कूल के Uप मे सामने आया. कैिEFज �कूल के वा�तिवक अMययन तो �वतं: भारत मD ही सामने आय,े परंत ुइसके बीज िFिटश साायवादी प:कार एवं लेखक वेलDटाइन िशरॉल तथा अमे%रकG िव^ान Fसू टी. मैकुली के

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    अMययन. मD अिभeय� हो चुके थे. इन तथा दसूरे आरिEभक साायवादी लेखक. ने रा67ीय आ/दोलन को िFिटश सरकार ^ारा �द� नवीन अवसर. के िलये अं(ज़ेी िश\ा �ाX उfच वग' के संघष' बताया था. 1960 के दशक मD जॉन गैलाघर एवं उनके छा: अिनल सील के अMययन. नD कैिEFज �कूल कG आधारिशला रखी. गैलाघर के पय'वे\ण मD अिनल सील ^ारा िकया गया शोध अMययन इमरजDस ऑफ इिंडयन नेशनिलम (1968) के नाम से �कािशत हIआ. सील ने भारतीय रा67ीय आ/दोलन को अिभजात वग4 कG आपसी �ित�पधा' एवं संघष' के Uप मD िदखाने कG चेmा कG. अिनल सील ^ारा िकया गया िकया गया रा67ीय आ/दोलन का यह िवNेषण कैिEFज �कूल के इितहासकार. के िलये िदशािनदbशक सा बन गया. कैिEFज �कूल इितहास-लेखन कG परEपरा का िविधवत शभुारEभ जॉन गैलाघर, अिनल सील एवं गाड'न जॉनसन ^ारा 1973 मD संयु� Uप से संपािदत लोकॅिलटी, �ॉिवंस एंड नशेन: एसेज़ आन इिंडयन पॉिलिटcस 1870-1940 से हIआ. इस (ंथ ने भारतीय रा67ीय आ/दोलन के संब/ध मD कुछेक एकदम नयी अवधारणाओ ंको ज/म िदया. एक, इसमD रा67ीय आ/दोलन को �थानीय एवं गुटीय राजनीित के छ वा आवरण कG भॉित दखेा गया था. वा�तिवक राजनीितक संघष' �थानीय �तर पर नये संिवधािनक सुधार. से उCप/न अवसर. को लेकर हो रह ेथे. दसूरे, रा67ीय तथा �थानीय नेताओ ंके आपसी संब/ध. कG eया[या सोपानवत आxयदाता-आिxत (पै7ॅन-cलॉइटं) संबध. के Uप मD कG गयी थी. इस िवNेषण के अनसुार अिखल भारतीय संगठन से जड़ुाव नतेाओ ं ने अपनी �थानीय राजनीित चमकाने के िलये िकया. तीसरी महCवपणू' अवधारणा के ज़%रये रा67ीय राजनीितक संघष' के उदभव को िFिटश शासन के बढ़ते के/-ीकरण का प%रणाम माना गया. इस (थं ने कैिEFज �कूल के साायवादी इितहास-लेखन का जो आधार तैयार िकया वह शीV ही एक परEपरा कG भॉित िवकिसत हो गया. अिनल सील कG शोधछा: यिूडथ Fॉउन ने गॉधीजी पर िकय ेगये अपने अMययन (गॉधी’ज़ राइज़ टू पॉवर, 1972) मD उनके राजनीितक उCकष' को िFिटश राज से मोल-तोल कर सकनD कG उनकG \मता से जोड़कर दखेा. इस अवधारणा के तहत नेहU, पटेल, मालवीय तथा आज़ाद को �थानीय या अपने धम4 के िबचोिलय. कG भॉित ��ततु िकया गया. यह िवNेषण आxयदाता-आिxत कG अवधारणा कG ही पुिm करता था. कैिEFज �कूल के इितहासकार. ने �थानीय अMययन. कG बकायदा एक xृंखला ही आरEभ कर दी. अिनल सील के ही एक अ/य �ितभाशाली शोधछा: गाड'न जॉनसन न ेबॉEबे �ांत के कां(से संगठन पर िकय ेगये अMययन (�ोिवंिशयल पॉिलिटcस एडं इिंडयन नेशनिलम: बॉEब ेएंड दी इिंडयन नेशनल कां(ेस 1890-1905) मD नरमपंथ और गरमपंथ के वैचा%रक संघष' को िफरोज़शाह मेहता एवं बाल गंगाधर ितलक के eयि�गत संघष' मD ढूढा. जॉनसन ने कैिEFज इितहासकार. के शोध. को �कािशत करन े के उ��ेय से मॉडन' एिशयन �टडीज़ नामक जन'ल भी संपािदत िकया. �थानीय अMययन. मD िQ�टोफर ए. बेली का इलाहाबाद पर िकया गया अMययन (दी लोकल Uट्स ऑफ इिंडयन पॉिलिटcस: इलाहाबाद 1880-1920) भी कम महCवपणू' नहO था. बेली ने 19वO शता

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    वािणियक तCव. कG चचा' कG, िजसने काला/तर मD शहर मD िविcसत हो रही रा67ीय राजनीित से आxयदाता-आिxत वाले संब/ध बना िलये थे. िफर भी, बेली परूी तरह कैिEFज �कूल कG �थापनाओ ं से सहमत नहO थे और कालांतर मD उ/ह.न े परुान े उदार साायवादी दायरे मे ही इितहास-लेखन को �ाथिमकता दी. बि>क, बेली ने कुछ हद तक कैिEFज �कूल से इतर उदार साायवादी इितहास-लेखन कG परEपरा को पुनजYिवत करने का �यास िकया. दि\ण भारत पर �थानीय अMययन डेिवड ए. वॉशFकु एवं िQ�टोफर जे. बेकर ^ारा िकये गये. वॉशFकु न े1870 से 1920 तथा बेकर ने 1920 से 1937 के मMय दि\ण भारत कG �थानीय राजनीित का अMययन िकया. `ांिसस रॉिबंसन ने संयु� �ांत (वत'मान उ�र �दशे) कG मिु�लम राजनीित कG eया[या �थानीय एवं गुटीय राजनीित के प%र�ेय मD कG. कुल िमलाकर कैिEFज �कूल के साायवादी इितहास-लेखन ने रा67ीय राजनीित एवं रा67ीय आ/दोलन कG अनदखेी ही कG. इन इितहासकार. ने साायवाद एवं रा67वाद के आिथ'क अंतिव'रोध. को नज़रअ/दाज़ कर िदया. उ/ह.नD रा67वाद के उदय के िलय ेसाायवाद ^ारा आिथ'क शोषण के भारतीय रा67वािदय. के तक4 को नहO माना. उनके अनसुार रा67वाद भारतीय. के आपसी स�ा संघष' का प%रणाम था, जो मलूत: धम', जाित, वग' एवं गुट के आधार पर संगिठत थे. कैिEFज इितहासकार. के इन kिmक.ण. कG आलोचना भारतीय माcस'वादी एवं उदारवादी दोनो िवचारधारा के इितहासकार. ने कG ह ै तथा इन इितहासकार. पर िFिटश इितहासकार लेिवस नैिमयर का kिmक.ण अपनाने का आरोप लगाया ह.ै नैिमयर नD िFिटश संसद का इितहास िलखते हIए स�ा-संघष4 कG eया[या वैचा%रक के �थान पर eयि�गत तथा गुटीय राजनीित मD कG थी. अपनी तमाम अवधारणाCमक किमय. के बावजदू कैिEFज इितहासकार. ने \े:ीय अिभलेखागार. मे दफ़न ऐितहािसक साम(ी को �काश मD लाने के अCयतं महCवपणू' काय' को अंजाम िदया. वैसे तो 1980 तक कैिEFज �कूल के साायवादी इितहास-लेखन का अंत हो चकुा था, परंत ुइसकG कुछ अवधारणाओ ंको लगभग इसी समय सबअ>टन' के नाम से आरEभ हIए एक नये इितहास-लेखन ने आCमसात कर िलया. हांलािक, सबअ>टन' अMययन एकदम िभ/न �कार का इितहास-लेखन था तथा इसका कैिEFज इितहास-लेखन से कोई �Cय\ संब/ध नही था. �वमू>यांिकत �? कृपया िनEनांिकत �?. के सम\ सCय अथवा असCय िलिखए। 1. भारत पर यरूोपीय इितहास-लेखन का आरEभ अzारहवO सदी के अंत मD हIआ. 2. िविलयम ज.स न ेभगवतगीता तथा िहतोपदेश का अनवुाद िकया. 3. जेEस िमल ^ारा छः ख�ड. मD िह�7ी ऑफ िFिटश इिंडया नामक पु�तक िलखी गयी . 4. िवंसDट ए. ने अपने (ंथ िह�7ी ऑफ िह/द ूएडं महुEमडन इिंडया कG रचना 1841 मD कG. 5. ि�मथ मॉउंट�टुअट' एि>फंसटन कG अलY िह�7ी ऑफ इिंडया (1904) एवं ऑcसफोड' िह�7ी ऑफ इिंडया (1919) महCवपणू' कृितयॉ थO.

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    6. 1960 के दशक मD जॉन गैलाघर एवं उनके छा: अिनल सील ने कैिEFज �कूल कG आधारिशला रखी. 2.4 यूरोपीय इितहास-लेखन के सामा(य ल;ण

    ऊपर हमनD यरूोपीय इितहास-लेखन कG िविभ/न �विृ�य. कG अलग- अलग चचा' कG ह.ै अब हम इस इितहास-लेखन के सामा/य ल\ण. कG िववेचना करDगे. सबसे महCवपूण' ल\ण के Uप मD कुछेक अपवाद. को छोड़कर संपूण' यूरोपीय इितहास-लेखन मD साायवादी िवचारधारा कG मौजदूगी को आसानी से पहचाना जा सकता ह.ै भले ही �ाfयवािदय. नD �ाचीन भारतीय सं�कृित के �ित yिच, सहानुभिूत एवं �शंसा का �दश'न िकया था, परंतु समकालीन भारत को पितत बताया. इस�कार कEपनी राज को उिचत ठहराने कG कोिशश कG गई. उपयोिगतावािदय. न ेतो संपूण' भारतीय इितहास को ही ख़ा%रज कर िदया. जहाँ िमल न ेतथाकिथत िह/द ूराज को िन/दनीय एवं िनकृm बताया, वहO ईिलयट ने तथाकिथत मुि�लम शासनकाल को अपनी आलोचना का मु[य पा: बनाया. उपयोिगतावािदय. के िन6कष' उनके िवचार से उदार-िनरंकुशता पर आधा%रत साायवाद को उिचत ठहरान ेके �यास मा: ही थे. उ/नीसवO शता

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    2- ईिलयट न े............... को अपनी आलोचना का म[ुय पा: बनाया. 3- (ांट डफ ने ......... के \े:ीय #.त. को खोजा था । 4- कन'ल टाड ने ............ के \े:ीय #.त. को खोजा था । 2.5 यूरोपीय इितहास-लेखन के �भाव

    िफर भी यरूोपीय इितहास-लेखन के भारतीय इितहास-लेखन पर पड़े द6ुप%रणाम. को कम करके नहO आंका जा सकता. यरूोपीय इितहासकार. कG अनेक �थापनाओ ंन ेभारतीय. के मि�त6क पर दरूगामी प%रणाम छोड़ा. �ाfयवािदय. कG �थापनाओ ं ने भारतीय. क. अपने िवलुX अतीत के �ित केवल जागyक ही नहO िकया अिपतु उनमD �ाचीन भारत कG उपलितनत कG �थापना से जोड़कर देखा. भारत कG आज़ादी कG लड़ाई को हज़ार वष4 कG दासता से मुि� का संघष' बताया जाने लगा. दसूरी ओर मुि�लम साE�दाियक इितहासकार. ने �ाचीन भारत कG तमाम उपलिलिवत होता रहा. यूरोपीय इितहासकार. मे मुग़ल-राजपतू तथा मग़ुल-मराठा संघष4 को िह/द-ूमिु�लम संघष4 कG भॉित पशे िकया. सबसे महCवपूण' यरूोपीय इितहासकार. ^ारा िFिटश साायवाद के आिथ'क शोषण कG अनदखेी करना था. इस�कार भारतीय दासता के मलू ल\ण को ही नज़रअ/दाज़ िकया गया. हलांिक, यरूोपीय इितहास-लेखन को केवल साायवादी इितहास-लेखन कह कर ख़ा%रज नही िकया जा सकता. कुछ लेखक तो साायवाद के आलोचक भी थे. यहाँ हम जाज' ऑरवेल के लेख. तथा एडवड' थाEपसन एवं जी. टी. गैरेट के इितहास (राईज़ एडं फ़ुलिफ़लमDट ऑफ िFिटश Uल इन इिंडया, 1934) को साायवादी लेखन के अपवाद के Uप मD दखे सकते हS. िफर भी, यरूोपीय इितहास-लेखन का अिधकांश भाग साायवादी ही था. 2.6 सारांश

    अब आपको जानकारी ह ै िक इितहास लेखन के यरूोपीय मत को यरूोपीय इितहास-लेखन या िवचारधारा के आधार पर साायवादी अथवा औपिनवेिशक इितहास लेखन भी कहा जाता ह.ै हालांिक सभी यरूोपीय इितहासकार साायवादी िवचारधारा के नहO थे. िफर भी साायवाद इस

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    इितहास-लेखन कG मलू िवचारधारा रही ह.ै उ/नीसवO शताड वॉन रSक, लाड' एcटन तथा उनके अनुयायी इसके �थम वाहक बने । भारत पर यरूोपीय इितहास-लेखन का आरEभ अzारहवO सदी के अंत मD �ाfयवादी (Orientalist) िव^ान. के लेख. ^ारा हIआ. उपयोिगतावादी (Utilitarian) िवचारधारा उ/नीसवO शताटन' अMययन एकदम िभ/न �कार का इितहास-लेखन था तथा इसका कैिEFज इितहास-लेखन से कोई �Cय\ संब/ध नही था. कालांतर मD \े:ीय #.त. को �काश मD लाने का काय' कैिEFज �कूल के इितहासकार. न े भी बड़े पमैाने पर िकया. कालांतर मD रा67वादी एवं माcस'वादी इितहासकार. न ेयरूोपीय इितहास-लेखन कG अनेक मा/यताओ ंको चनुौती दी. िफर भी यरूोपीय इितहास-लेखन के भारतीय इितहास-लेखन पर पड़े द6ुप%रणाम. को कम करके नहO आंका जा सकता. यरूोपीय इितहासकार. कG अनेक �थापनाओ ं ने भारतीय. के मि�त6क पर दरूगामी प%रणाम छोड़ा. �ाfयवािदय. कG �थापनाओ ं ने भारतीय. क. अपने िवलXु अतीत के �ित केवल

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    जागyक ही नहO िकया अिपत ुउनमD �ाचीन भारत कG उपलिली: िह/दी माMयम काया'/वय िनदशेालय, 1998 3- सिुमत सरकार, आधिुनक भारत: 1885-1947, नई िद>ली: राजकमल �काशन, 2002 4- ि^जे/-नारायण झा, �ाचीन भारत: सामािजक आिथ'क और सां�कृितक िवकास कG पड़ताल, िद>ली: (ंथ िश>पी, 2000

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    2.10 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम!ी

    1- स

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    ईकाई – 3

    �वातं�य-पूव! भारत म" रा#$वाद& इ�तहास-लेखन – आर.

    सी. द' एव ंदादाभाई नौरोजी 3.1 ��तावना 3.2 उ��ेय 3.3 रा67वादी इितहास-लेखन कG �मुख �विृ�याँ 3.4 आिथ'क रा67वादी इितहास-लेखन 3.4.1 दादाभाई नौरोजी एवं आिथ'क दोहन का िसiांत 3.4.2 आर. सी. द� एवं आिथ'क रा67वादी इितहास-लेखन 3.5 आिथ'क रा67वादी इितहास-लेखन का िवNेषण 3.6 सारांश 3.7 पा%रभािषक शयांिकत �?. के उ�र 3.9 संदभ' (थं सचूी 3.10 सहायक/उपयोगी पाठ्य साम(ी 3.11 िनबंधाCमक �? 3.1 ��तावना

    रा67वादी इितहास-लेखन का आरEभ उ/नीसवO शता

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    3.2 उ�ेय

    इस इकाई मD हम रा67वादी इितहास लेखन तथा इसकG �मुख �विृ�य. को समझने का �यास करDगे. रा67वादी इितहास लेखन आधिुनक रा67वादी िवचारधारा से �भािवत था, अत: इसका एक लय रा67वादी चेतना का �सार रहा ह.ै परंत ुरा67 कG समझ को लेकर िव^ान. के मMय अलग-अलग राय होने के कारण इस इितहास लेखन मे हम िविभ/न धाराए ँपाते हS. एक ओर उन इितहासकार. कG परEपरा ह ै िज/ह.न े भारतीय सां�कृितक उCकृmता पर जोर िदया, दसूरी ओर वे लेखक िज/ह.ने रा67वादी �चार के िलये औपिनवेिशक अथ'तं: को चुनौती दी. इन दसूरे लेखन. का �भाव भारतीय इितहास लेखन मD दरूगामी रहा ह,ै अत: इन पर हम िवशेष गौर करDगे. 3.3 रा01वादी इितहास-लेखन कH �मुख �वृिBयाँ

    साायवादी इितहास-लेखन नD यह सािबत करने का यCन िकया था िक भारतीय अतीत मD अिधकतर या तो राजनीितक एवं �शासिनक अराजकता रही या एक �ाfय-िनरंकुशता. कुल िमलाकर साायवादी इितहासकार. नD यह िदखान ेका �यास िकया था िक भारतीय �वशासन के अनुकूल नहO हS. रा67वादी इितहासकार. ने साायवादी इितहास को चनुौती देते हIए भारतीय इितहास से िवपरीत �माण देना आरEभ िकया. के. पी. जायसवाल ने अपने (ंथ िह/द ू पॉिलटी (1915) मD �ाचीन भारत मD गणत/:. कG उपि�थित के �माण िदये. परंत,ु �ाचीन भारत मD संसदीय �जातं: के सारे ल\ण. को सािबत करने के �यास मD उ/ह.ने �ाचीन शय ^ारा रिचत अथ'शा कG खोज सबसे महCवपूण' थी. मैसूर ि�थत ओ%रय�टल %रसच' इसंटीट्यटू मD काय'रत आर. शामशाी ने इसे खोज िनकाला और 1909 मD सं�कृत मD �कािशत िकया. 1915 मD उ/ह.ने इसका अं(ेज़ी अनवुाद भी छाप िदया. रा67वादी इितहासकार. नD भारतीय अतीत को यरूोप से समiृ िदखाने के �यास मD अितरेकपूण' ढंग से कौिट>य कG तुलना मैकयावली और िब�माक' से कG. मौय'कालीन मंि:-प%रषद को िFटेन कG ि�वी-कॉउिसल के समतु>य बताया गया. साायवादी इितहासकार. नD तक' िदये थे िक भारत िFिटश शासन से पूव' कभी भी एक रा67 नहO था. साथ ही उ/ह.ने भारतीय सं�कृित को िनकृm बताया था. रा67वादी लेखक अपनी सsयता एवं सं�कृित के बचाव के िलये दौड़ पड़े. उ/ह.न ेसािहिCयक #ोत. कG पुनeया'[या करके यह िदखान ेकG चेmा कG िक �ाचीन भारतीय सं�कृित एक महान सं�कृित थी. इस अ/धी दौड़ मD अcसर तPय. कG सCयता को भी नज़रअ/दाज़ कर िदया गया. इस�कार सां�कृितक रा67eवदी इितहास लेखन कG परEपरा आरEभ हIई. भारत को एक रा67 के Uप मD िचि:त करनD के �यास मD शक, कुषाण तथा ह{ण. के आQमण. को िवदशेी आQमण. कG भाँित पेश िकया जाने लगा. के. पी. जायसवाल ने अपनD (ंथ िह�7ी आफ इिंडया मD नाग. को शक-कुषाण शासक. से मुि�दाता के Uप मD पशे िकया, हलांिक इसके िलये पया'X साय नहO थे. सबसे खतरनाक था तुक4 एवं मग़ुल शासक. को िवदशेी आQांता बताना.

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    cय.िक इसके िवरोध मD मुि�लम इितहासकार. नD तकु' और मग़ुल शासक. कG झूठी �शंसा आरEभ कर दी. इस �Qम मD जदनुाथ सरकार ^ारा रिचत िह�7ी ऑफ औरंगज़ेब सबसे �ितिQयावादी सािबत हIई. दी फॉल आफ मग़ुल इEपायर मD सरकार नD मग़ुल. के पतन को औरंगज़ेब कG धािम'क नीित से जोड़ा. कुछ मिु�लम इितहासकार. नD औरंगज़ेब कG तथाकिथत कर धािम'क नीित को राजनीितक आधार पर सही ठहराने कG चेmा कG. इस�कार साE�ादाियक इितहास-लेखन के बीज पड़ना आरEभ हो गये. अनेक रा67वादी इितहासकार. के लेखन. मD मMयकाल और मिु�लम. के �ित वैमन�य कG भावना झलकती थी, जो कहO से भी ऐितहािसक नही थी. साायवाद-िवरोधी होते हIए भी ये इितहासकार व�तुत: साायवादी इितहास-लेखन कG िवभाजनकारी िवचारधारा से �भािवत हो गये थे. उ/ह.न े साायवादी इितहास-लेखन के तक4 को तो काटा परंतु इसमD िछपी वच'�ववादी ऐितहािसक kिm को नहO पहचान सके. रा67वाद का गॉधीवादी यगु आते-आते इस �विृ� के इितहास-लेखन कG आलोचना ह.ने लगी. महाCमा गॉधी ने �वय ं भी िवभाजनकारी साायवादी इितहास-लेखन को एक ख़तरे कG भॉित दखेा और भारत का सही इितहास िलखने कG �ेरणा दी. गॉधीवादी रा67वाद से �भािवत भारतीय इितहासकार. ने धम'िनरपे\ रा67वादी इितहास-लेखन कG नOव डाली. महुEमद हबीब नD अपने सु�िसi (ंथ महमदू ऑफ ग़ज़नी मD महमदू ग़ज़नी को इ�लाम धम'�चारक कG भॉित नहO दखेा. वरन, उ/ह.न े िसi िकया िक महमदू के आQमण धम'यiु के आTान नहO, बि>क गौरव �ािX कG आकां\ा तथा सोने कG लालच मD िकये गये लूट के �यास थे. मMयकालीन इितहास को ग़ैर-साE�ादाियक ढंग से पनुिव'Nेिषत करने के �यास मD ताराच/द का इितहास-लेखन सवWप%र था. अपनी पु�तक इंलुएंस आफ इ�लाम ऑन इिंडयन क>चर मD उ/ह.ने मMयकालीन इितहास मD िह/द-ूमिु�लम सम/यवय को म[ुय िवषय बनाया. के. एम. अशरफ न ेअपने (ंथ लाइफ एंड कंडीशन आफ दी पीपुल आफ िह/द�ुतान 1200-1500 (1935) मD तकु' शासक. कG तीखी आलोचना कG. उ/ह.न ेतक' िदया िक इस काल मD िह/दओु ंऔर मुसलमान. के मMय कोई सां�कृितक संघष' नहO था. साथ ही, अशरफ न े िदखाया िक स>तनतकाल मD इसलाम के आने से आम लोग. कG दशा मD भी कोई सधुार नहO हIआ था. के. एम. अशरफ संभवत: पहले इितहासकार थे िज/ह.ने िनEन सामािजक वग4 को इितहास का पा: बनाया. ग़ैर-साE�दाियक एवं धम'िनरपे\ रा67वादी इितहास िलखने कG िदशा मD एक सफ़ल �योग जवाहरलाल नेहy नD िकया. उनकG िवl �िसi रचना दी िडसकवरी ऑफ इिंडया 1946 मD �कािशत हIई. इस (ंथ मD दसूरे रा67वािदय. के तरह ही �ाचीन भारत कG तमाम उपलि

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    :िुटय. से मु� नहO था, जो समकालीन इितहास मे मौजदू थO. �पm ह ैनेहy नD उपल

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    कां(ेस के अMय\ भी चनु ेगये. इससे पवू' ही 1867 मD कां(ेस के पवू'गामी संगठन के Uप मD उ/ह.ने ल/दन मD ई�ट इिंडया एसोिसएशंन कG �थापना कG थी. एसोिसएशंन के माMयम से उ/ह.ने ल/दन मD भारतीय. के प\ मे समथ'न जटुाने का �यास िकया था. दादाभाई नौरोजी पारसी समाज सुधार के काय4 से भी जुड़े थे. इसके िलये 1851 मD उ/ह.ने रहनमुाई मजदायसन सभा कG �थापना कG थी और रत गोतार नामक प: िनकाला था. उदारवादी िवचारधारा से �भािवत नौरोजी ने 1892 मD िलबरल पाटY के िटकट पर िFिटश पॉिल'यामे�ट का चुनाव लड़ा एवं एम.पी. (मेEबर ओफ पॉिल'यामे�ट) बन गये. 1906 मे दादाभाई नौरोजी न ेपुन: कां(ेस कG कमान उस वत संभाली जब कां(ेस के भीतर नरमपंथी और गरमपंथी गटु संभािवत टकराव कG ओर बढ़ रह ेथे. नौरोजी का eयि�Cव इस वैचा%रक टकराव को एक वष' तक टालने मे सफल रहा. िफर भी, दादाभाई नौरोजी कG राजनीितक गितिविधय. कG सबसे बड़ी उपलिक इसके िलये अं(ज़ेो कG आिथ'क नीितय. को भी िजEमेदार ठहराया. िFिटश आिथ'क नीितय. को आलोचनाCमक kिm से दखेन ेका यह िकसी भार�