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कै से कर काय बंधन? डॉ० संतोष गौड़ रारेमी काय बंधन के महव को सभी तत वीकार करने लगे ह। वतयमान सम म काय बंधन पर पायत ललखा जा रहा है। के वल लखा ही नहीं जा रहा , छप व बक भी रहा है। के वल छप व बक ही नहीं रहा पायत प से पढ़ा भी जा रहा है। काय बंधन की आवकता को समझने के कारण ही आज के वा पर खाली सम देखने को नहीं लमलता। ववाी अपने अवकाश के सम म भी ववलभन अततररतत काओं म जाता है। अन लशववर म जाता है। हाबी तलासेज म जाता है। अतररतत सम म अतररतत आमदनी के ास भी बढ़ते जा रहे ह। हा तक क पारंपरक प से खाली सम म गप लगाने वाली ग हणणा भी वलभन कलाओं और लशप को सीखकर उपादक काय म ोगदान देने लगी हंै। इस कार काय बंधन के महव को वतयमान म बड़े पैमाने पर वीकार का जाने लगा है। अब आवकता इस बात की है क सम जैसे द लयभ तव का बंधन कैसे का जा? वातव म सम का बंधन नहीं गतववधध का बंधन का जाना है। सम के संदभय म काय का बंधन का जाना है। सम का तो ववलभन गततववधध के ललए आवंटन कका जाता है। इस पर ावहारक टकोण से वचार कका जाना उधचत रहेगा। छ सहज, सरल व बोधग त का तनधायरण कर त कका जा ताक जन सामा उन त का ोग कर अपने सम का सद पोग कर सके । अपने सम की ेक इकाई का ोग जीवन म करना चाहो, काय बंधन करना होगा। कदम-कदम पर जोखिम है नत,साहस करके बढ़ना होगा।।

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  • कैसे करें कार्य प्रबंधन?डॉ० संतोष गौड़ राष्ट्रपे्रमी

    कार्य प्रबंधन के महत्त्व को सभी व्र्क्तत स्वीकार करने लगे हैं। वतयमान समर् में कार्य प्रबंधन पर पर्ायप्त ललखा जा रहा है। केवल ललखा ही नहीं जा रहा, छप व बबक भी रहा है। केवल छप व बबक ही नही ंरहा पर्ायप्त रूप से पढ़ा भी जा रहा है। कार्य प्रबंधन की आवश्र्कता को समझने के कारण ही आज के र्वुा पर खाली समर् देखने को नही ं लमलता। ववद्र्ार्थी अपने अवकाश के समर् में भी ववलभन्न अततररतत कक्षाओं में जाता है। अध्र्र्न लशववरों में जाता है। हाॅ बी तलासेज में जाता है। अततररतत समर् में अततररतत आमदनी के प्रर्ास भी बढ़ते जा रहे हैं। र्हााँ तक कक पारंपररक रूप से खाली समर् में गप्पें लगाने वाली गहृहणणर्ााँ भी ववलभन्न कलाओं और लशल्पों को सीखकर उत्पादक कार्य में र्ोगदान देने लगी हंॅै। इस प्रकार कार्य प्रबंधन के महत्त्व को वतयमान में बड़ े पमैाने पर स्वीकार ककर्ा जाने लगा है।

    अब आवश्र्कता इस बात की है कक समर् जैसे दलुयभ तत्त्व का प्रबंधन कैसे ककर्ा जार्? वास्तव में समर् का प्रबंधन नहीं गततववधधर्ों का प्रबंधन ककर्ा जाना है। समर् के संदभय में कार्य का प्रबंधन ककर्ा जाना है। समर् का तो ववलभन्न गततववधधर्ों के ललए आवंटन ककर्ा जाता है। इस पर व्र्ावहाररक दृक्ष्ट्टकोण से ववचार ककर्ा जाना उधचत रहेगा। कुछ सहज, सरल व बोधगम्र् र्कु्ततर्ों का तनधायरण कर प्रस्ततु ककर्ा जार् ताकक जन सामान्र् उन र्कु्ततर्ों का प्रर्ोग कर अपने समर् का सदपुर्ोग कर सके। अपने समर् की प्रत्रे्क इकाई का प्रर्ोग

    जीवन में कुछ करना चाहो, कार्य प्रबंधन करना होगा। कदम-कदम पर जोखिम है ननत,साहस करके बढ़ना होगा।।

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  • करत े हुए अपने समर् को अधधक गणुवत्तापणूय कार्ो में तनवेश कर समर् की एजेंसी का माललक बन सके। पीटर ड्रकर के अनसुार, ‘प्रबंधक का काम है, काम को सही करने का और नेततृ्वकताय का काम है सही काम करने का।’ अपने जीवन का आपको नेततृ्व भी करना है और अपने समर् का प्रबंधन भी आप ही को करना है। इस प्रकार आप अपने प्रबंधक और नेता दोनों ही हैं। अतः हमें न केवल सही कामों में अपने समर् का तनवेश करना है; वरन कामों को सही भी करना है।

    तर्ा करना है? कब करना है? कैसे करना:है? ककस समर् करना है? ककतना समर् लगेगा? तर्ा कोई अन्र् तरीका है, क्जसकी सहार्ता से इससे कम समर् में अमकु कार्य को पणूय गणुवत्ता सहहत पणूय ककर्ा जाना संभव हो। इन सभी प्रश्नों पर पणूय रूप से ववचार करने के बाद ही कार्य और समर् के सन्दभय में बेहतर फैसला ककर्ा जा सकता है। र्ह कार्य प्रबंधन का के्षत्र है। कार्य प्रबंधन ही हमें समर् की एजेंसी प्रारंभ करन ेकी सामथ्र्र् प्रदान करता है। कार्य प्रबंधन ही है, जो हमें समर् के व्र्वक्स्र्थत उपर्ोग करने की तकनीक बताकर हमें जीवन के प्रत्रे्क पल को जीने का अवसर प्रदान करता है।

    कार्य प्रबंधन तकनीक:

    समर् के सन्दभय में कार्ों का प्रबंधन करने के ललए अर्थायत ् अपनी समस्त गततववधधर्ों का प्रबंधन करने के ललए हमें प्रबंधन तकनीकों को लागू करना होगा। कार्य प्रबंधन तकनीक ही हमें सीलमत उपलब्ध समर् में अधधकतम कार्य करने में सक्षम बनाती है। इसी से हम सीखते हैं कक कम उपर्ोगी कार्ो से हटाकर समर् रूपी संसाधन को अधधक उपर्ोगी कार्ो में लगाकर अधधक व शे्रष्ट्ठ पररणाम प्राप्त ककए जा सकत ेहैं। समर् के संपणूय उपर्ोग के ललए हमें कार्य व उपलब्ध समर् दोनों पर ध्र्ान देना होगा। समर् एक संसाधन है, सीलमत है, क्जसको प्रर्ोग करन े

    अपने जीवन का आपको नेततृ्व भी करना है और अपने समर् का प्रबंधन भी आप ही को करना है। इस प्रकार आप अपने प्रबंधक और नेता दोनों ही हैं।

  • के असीलमत ववकल्प उपलब्ध हैं। सीलमत समर् में अपने असीलमत कार्ों को संपन्न करने के ललए हमें अपनी प्रार्थलमकताओं के अनरुूप कार्ों के ललए समर् आअंहटत करना होगा। हमें र्ह सतुनक्श्चत करना होगा कक हमारे उपलब्ध समर् का प्रत्रे्क पल प्रर्तुत हो और सबसे पहले सबसे महत्त्वपणूय गततववधध में प्रर्ोग ककर्ा जार्।

    समर् के आधार पर बेहतर फैसला: समर् के सन्दभय में कार्य संबधी तनर्ोजन करत ेसमर् कार्य की आवश्र्कता, उसके महत्व, उसके संपन्न करन ेर्ा करवान ेके ववकल्पों पर ववचार ककर्ा जाता है। कार्य की आवश्र्कता, कार्य ककतना आवश्र्क है? कार्य की गुणवत्ता अधधक महत्त्वपणूय है र्ा कार्य की मात्रा र्ा कफर दोनों में संतुलन बनाने की आवश्र्कता है? इस ववषर् पर भी पर्ायप्त ववचार करन े की आवश्र्कता है; तर्ोंकक सांक्यर्की के सहसंबंध के लसद्धांत के अनसुार, ‘पररमाण और गुणवत्ता में नकारात्मक सह-संबंध होता है।’ र्हद हम गणुवत्ता पर अधधक जोर देते हैं, तो उत्पादन कम होगा; इसके ववपरीत हम कार्य की मात्रा पर अधधक जोर देत े हैं, तो गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अतः र्ह तनधायररत करना आवश्र्क है कक हमारी प्रार्थलमकताएाँ तर्ा हैं?

    कार्य ककसी से करवार्ा जा सकता है र्ा उसके महत्त्व को देखते हुए उसे स्वरं् ही करना उधचत होगा? उसके ललए ककतना समर् लगाना उधचत होगा? समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन के अन्तगयत आवश्र्क है कक हम सभी पहलओंु पर ववचार करके बेहतर फैसला लें ताकक न्र्नूतम समर् में गुणवत्तापणूय कार्य संपन्न होना संभव बनाकर बच ेहुए समर् का अन्र् गततववधधर्ों में तनवेश कर सकें ।

    अच्छी उत्पादकताः

    ‘पररमाण और गणुवत्ता में नकारात्मक सह-संबंध होता है।’

  • समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन के अन्तगयत प्रबंधन की तकनीकों के आधार पर समर् का आवंटन ककर्ा जाता है। प्रत्रे्क कार्य का व्र्ापक अध्र्र्न करके र्ोजना बनाकर व्र्वक्स्र्थत रूप से कार्य संपन्न ककर्ा र्ा करवार्ा जाता है। इस प्रकार समर् का भी पणूय गुणवत्तार्तुत प्रर्ोग होता है अर्थायत ् समर् के पल-पल का सदपुर्ोग होता है। र्ही नहीं प्रबंधन की तकनीकों के प्रर्ोग के कारण कार्य की गुणवत्ता का भी पणूय ध्र्ान रखना संभव होता है। ध्र्ान रखने की बात है कक कम समर् में अधधक कार्य संपन्न करने का आशर् कार्य की गणुवत्ता से समझौता करना नहीं होता। तनर्ोजन के अन्तगयत हम संतुलन बनाने की कोलशश कर सकत ेहैं। कार्य प्रबंधन समर् व कार्य दोनों की गुणवत्ता में वदृ्धध करने के ललए होता है। र्ोजना बनाकर कार्य करने के पररणामस्वरूप कार्य की गुणवत्ता का स्तर भी अच्छा रहे, इस प्रकार का तनर्ोजन करना ही शे्रर्स्कर है।

    पे्ररणा स्तर में वदृ्धध:

    कार्य प्रबंधन के अन्तगयत हम कार्ों को र्ोजनाबद्ध ढंग से करते हैं। र्ोजनाबद्ध ढंग से कार्य करने के कारण हमारा लक्ष्र् स्पष्ट्ट रूप से हमारे सामने रहता है। समर् के तनवेश से प्राप्त होने वाले पररणामों का पवूायनमुान रहने के कारण हमारी प्रेरणा का स्तर स्वाभाववक रूप से अच्छा रहता है। र्ोजना के अनसुार कार्य करने के कारण पररणाम भी हमारी र्ोजना के अनरुूप रहने की संभावना रहती हैं। र्ोजना के अनसुार पररणाम आने पर पे्ररणा स्तर व मनोबल में और भी अधधक वदृ्धध होती है। हम और भी अधधक प्रभावशीलता के सार्थ कार्य करने में सक्षम होत ेहैं। समर् का लेखा-जोखा रखे जान े के कारण हमारे जीवन के हर पल का उत्पादक प्रर्ोग होता है। जीवन के हर पल का उत्पादक प्रर्ोग करने के ललए प्रेरणा का स्तर उच्च स्तर पर रखना आवश्र्क होता है। प्ररेणा का स्तर समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करके ही उच्च स्तर पर रखा जा सकता है।

    सफलता की ओर पहला कदमः

    सामान्र्तः कहा जा सकता है कक समर् के संदभय में प्रबंधन सफलता की र्ात्रा प्रारंभ करने का पहला कदम है। र्ह केवल कहावत मात्र ही नहीं है एक

  • वास्तववकता है। समर् ही जीवन है। जीवन से अधधक मलू्र्वान व महत्त्वपणूय व्र्क्तत के पास कुछ भी नही ं है। जो व्र्क्तत अपने जीवन का व्र्वक्स्र्थत प्रर्ोग नहीं करता अर्थायत ् अपने समर् का र्ोजनाबद्ध ढंग से प्रर्ोग सतुनक्श्चत नही ंकरता उसे सफलता के सपने नहीं देखन े चाहहए। र्हद कोई व्र्क्तत अपने पास उपलब्ध समर् का ही प्रबंधन की सहार्ता से सदपुर्ोग सतुनक्श्चत नही ंकर सकता, तो वह अन्र् संसाधनों का भी सही प्रकार से प्रबंधन नही ंकर पारे्गा। समर् के पल-पल का कार्य के सार्थ प्रबंधन अन्र् संसाधनों के प्रबंधन का आधार है। मानवीर् संसाधनों के अततररतत अन्र् संसाधनों का भी एक जीवनकाल र्ा कार्यकारी जीवन काल होता है। अतः उनके सन्दभय में भी समर् के अनसुार उपर्ोग करन ेकी र्ोजना बनाना आवश्र्क होता है।

    र्दद व्र्क्तत अपने पास उपलब्ध समर् के पल-पल का उपर्ोग करने के ललए अपने कार्ों का प्रबंधन करने में महारत हालसल कर लेता है, तो वह अपने जीवन के प्रत्रे्क के्षत्र में सभी कार्ों को संभालने में सक्षम होता है। उसे समर् के संदभय में प्रत्रे्क कार्य का प्रबंधन करने की आदत बन जाती है। एक बार समर् की प्रत्रे्क ाकाक के र्ोजनाबध ध प्ररे्ाग की आदत बन गर्ी तो व्र्क्तत वयवर् ं के प्रबंधन में ही नहीं देश के प्रबंधन में भी सफलता हालसल कर सकता है। जो अपना प्रबंधन कर सकता है, वह ककसी का भी प्रबंधन कर सकता है। जो वयवर्ं पर ननरं्त्रण पा लेता है, वह सभी पर ननरं्त्रण प्राप्त कर सकता है। क्जसन े अपने आपको जीत ललर्ा, दनुनर्ा में कोक उसे पराक्जत नही ंकर सकता।

    व्र्क्तत अपने पास उपलब्ध समर् का ही प्रबंधन की सहार्ता से सदपुर्ोग सनुनक्चचत नहीं कर सकता, तो वह अन्र् संसाधनों का भी सही प्रकार से प्रबंधन नही ंकर पारे्गा।

  • समर् के संदभय में प्रबंधन की आदत हो जाने पर वह जीवन के प्रत्रे्क के्षत्र में सफलता सनुनक्चचत करती है। समर् की प्रत्रे्क ाकाक का प्रर्ोग केवल अपने ही समर् के प्रर्ोग में कुशलता प्रदान नही ं करता वरन ्् ् अन्र् संसाधनों के समर्बध ध प्रबंधन में भी कुशल बनाता है। समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन व्र्क्तत को सफलता की ओर ले जाता है, तर्ोंकक-

    1. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन समर् की प्रत्रे्क ाकाक का सदपुर्ोग करने की आदत डालकर लमतव्र्नर्ता लाता है। समर् की प्रत्रे्क ाकाक के प्रर्ोग के कारण मानवीर् व अमानवीर् सभी संसाधनों के कुशलतम प्रर्ोग के कारण लागत में कमी आती है। र्ही नहीं कुशलतम व प्रभावी प्रर्ोग गुणवत्ता के वयतर को भी सनुनक्चचत करता है।

    2. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन का आधार ननर्ोजन होता है। ननर्ोजन हमें शे्रष्ठतम ननणयर् लेने में सक्षम बनाता है। ननर्ोजन के अन्तगयत हम ध्रे्र्, उध देचर् और लक्ष्र्ों पर भी चचतंन-मनन करत ेहैं। ास प्रकार हमारे सामने हमारे उध देचर् वयपष्ट हो जात ेहैं। आप तर्ा चाहत ेहैं? ासे र्ाद रिना, अपनी गनतववचधर्ों के प्रबंधन का महत्त्वपणूय कदम ही नही ंहै; सफलता का भी प्रथम कदम है। जब आपको पता ही नही ंहोगा कक आप चाहत ेतर्ा हैं? आप तर्ा करेंगे? और तर्ा सफलता पार्ेंगे?

    3. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन केवल मानवीर् समर् को ही अचधक उत्पादक नही ं बनाता वरन ्् ् अन्र् संसाधनों के समर् का भी लमतव्र्नर्तापवूयक प्रर्ोग होने के कारण अचधक उत्पादकता प्राप्त करने में

    आप तर्ा चाहत ेहैं? ासे र्ाद रिना, अपनी गनतववचधर्ों के प्रबंधन का

    महत्वपणूय कदम ही नहीं है; सफलता का भी प्रथम कदम है।

  • सहार्ता प्रदान करता है। कार्य प्रबंधन र्ा समर् के सन्दभय में कार्य प्रबंधन मानवीर् व अमानवीर् साधनों का अचधकतम प्रर्ोग सनुनक्चचत करके ववयत ु र्ा सेवा की लागत को कम करता है। र्ही नही ंसमर् की प्रनत ाकाक का सदपुर्ोग होने व सभी संसाधनों का कुशलतम व प्रभावपणूय उपर्ोग होने के कारण कार्य की गणुवत्ता में भी सधुार होता है।

    4. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करने से प्रबंधन की तकनीकों का प्रर्ोग ककर्ा जाता है। ननर्ोजन, ननणयर्न व ननरं्त्रण जैसी प्रबंधन तकनीकों के प्रर्ोग से कुशलता व में वधृ चध होती है। कुशलता में वधृ चध के कारण किर्ान्वर्न का वयतर भी सधुरता है, क्जसके कारण आशा के अनरुूप पररणामों की प्राक्प्त होती है और प्रेरणा का वयतर बढ़ता है। पररमाण और गुणवत्ता दोनों में वधृ चध होती है।

    5. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन से व्र्क्तत के तनाव का वयतर कम होकर समाप्त प्रार्ः हो जाता है। कार्य और समर् का सही आवंटन हो जान े व र्ोजनाबध ध ढंग से कार्य होन े के कारण ककसी प्रकार की हड़बड़ी नही ं रहती। कार्य सचुारू ढंग से चलता रहता है। वयवावय्र् अच्छा रहता है, जो जीवन के आनन्द को बढ़ाकर और अचधक कार्य करने को प्ररेरत करता है। कार्य प्रबंधन अपना कर व्र्क्तत व्र्वयत रहता है, मवयत रहता है और वयववयथ रहता है।

    6. समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करने से सभी गनतववचधर्ों का अध्र्र्न ककर्ा जाता है। प्रत्रे्क गनतववचध में लगने वाले समर् का मानकीकरण हो जाता है। उस मानकीकरण के आधार पर कार्य करन ेवाल े कार्यकताय के पररश्रम का मयूार्ाकंन आसानी से ककर्ा जा सकता है। र्ही नहीं ववयतुओं र्ा सेवाओं का मयूार्ाकंन भी अचधक सटीकता के साथ करना संभव होता है। व्र्क्तत के समर् का सही से उपर्ोग होन ेके कारण उसका आचथयक व सामाक्जक ववकास होता है। उसके पररवार व समाज पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  • कुशल कार्य प्रबंधन हेतु कुछ उपर्ोगी सझुावः

    समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन ककस प्रकार हममें अच्छी आदतों का ववकास करता है? कार्य प्रबंधन हमें प्रत्रे्क के्षत्र में सफलता प्राप्त करने की आदत डाल देता है। प्रचन र्ह है कक हम समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करें कैसे? ताकक हम अपने जीवन में अपने पल-पल का प्रर्ोग उत्पादक कार्ों में कर सकें और अपने पाररवाररक व सामाक्जक जीवन में भी सम्मानजनक वयथान प्राप्त कर सकें । र्ही नहीं व्र्क्ततगत जीवन में अपने आपका आनंद सनुनक्चचत करने में भी कार्य प्रबंधन का ही र्ोगदान रहता है। कार्य प्रबंधन पर चचायएं तो बहुत होती है ककंत ुववचार करने की बात र्ह है कक हम समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करें कैसे? ास संदभय में समर् के संदभय में प्रबंधन करने के ललए कुछ उपर्ोगी सझुावों पर ववचार कर लेना उपर्तुत रहेगा।

    1. र्ोजनाः प्रत्रे्क कार्य को र्ोजना बनाकर संपन्न करें। र्ोजना भी बहुत लम्बी-चड़ैी न बनार्ें, कार्य को टुकड़ों में बांटकर, छोटी-छोटी र्ोजनाएं बनाकर सरलता से पणूय ककर्ा जा सकता है। ास प्रकार छोटी-छोटी र्ोजनाएँ बनाने से लोचशीलता भी बनी रहती है।

    2. अपनी ददनचर्ाय को ातनी टााट रिना ठीक नही ंकक वह जरा से व्र्वधानों और आपात क्वयथनतर्ों के कारण ध्ववयत हो जार्। सवयशे्रष्ठ र्ोजना उसे ही कहा जा सकता है, क्जसे तात्काललक व्र्वधानों और आपात क्वयथनतर्ों के आने पर भी व्र्ावहाररक रूप से लागू करना संभव हो सके। ास उध देचर् की पनूतय के ललए र्ोजना लोचपणूय होनी आवचर्क है। साथ ही उसमें पनुरावलोकन व आवचर्क

    जो अपना प्रबंधन कर सकता है, वह ककसी का भी प्रबधंन कर सकता है।

  • संशाधन का भी प्रावधान होना आवचर्क है। ककसी भी आदशय र्ोजना में दृढ़ता और लोचशीलता जैसे दोनों गुणों का होना आवचर्क है। हमारी ददनचर्ाय भी एक र्ोजना है। अतः उसमें भी दृढ़ता और लोचशीलता दोनों ही गुणों का होना आवचर्क है।

    3. कार्ों की सचूी बनार्ें- हम प्रत्रे्क चीज को र्ाद नही ं रि सकते। ककसी कार्य को र्ा कार्य के िम को भलू जाते हैं। भलूने की क्वयथनत में हमारा कार्य प्रबंधन किर्ाक्न्वत नहीं हो पाता। अतः सचूी बनाकर कार्य करने से ककसी कार्य को भलूने की संभावना ित्म हो जाती है। आप तर्ा चाहत ेहैं? ासे र्ाद रिना अपनी गनतववचधर्ों के प्रभावी प्रबंधन का महत्त्वपणूय कदम है। आप जो चाहते हैं, उसे प्राप्त करने के ललए आपको हर समर् कमयरत रहना है। आपको र्ोजना के अनसुार काम करना है। अतः आप जो करना चाहत ेहैं? जब करना चाहते हैं? क्जस िम में और क्जस र्ोजना के अनसुार करना चाहते हैं। ासे र्ाद रिना आवचर्क है। ासे र्ाद रिने के ललए, भावी संदभय के ललए, र्ोजनाओं को ननदेलशत करने के ललए आप अपनी डार्री में ललि लें। ललिने पर र्ाद करने का तनाव नहीं रहता और ललिा हुआ र्ाद ककए हुए की अपेक्षा वयथाक भी रहता है।

    4. र्ोजना हवा में न रहे, ासललए उसे कागज पर उतारें। कार्ों की सचूी कागज पर ललि लें और कार्य पणूय करत े हुए ननशान लगात ेजाएं। र्ोजना र्ह मानकर बनारे््े् ं कक आप अनंत काल तक जीने वाले हैं ककंतु उसका किर्ान्वर्न र्ह मानकर करें कक मतृ्र् ुसम्मिु िड़ी है अथायत ्र्ोजना सोच समझकर दीर्यकालीन,

    ललिन े पर र्ाद करन े का तनाव नहीं रहता और ललिा हुआ र्ाद ककए हुए की अपेक्षा वयथाक भी रहता है।

  • मध्र्मकालीन व अयापकालीन बनार्ें ककंत ुउनका किर्ान्वर्न करत ेसमर् दीर्यसतू्री न बनें। आज का काम आज ही और अभी संपन्न करें। कल पर न टाले।

    5. कार्ों की सचूी बना लेना ही पर्ायप्त नहीं है। कार्ों को उनके महत्त्व के आधार पर िम प्रदान कर अपनी प्राथलमकताओं का ननधायरण करना भी प्रभावी कार्य प्रबंधन के ललए आवचर्क होता है। अपने कार्ों की प्राथलमकताएँ तर् करना ासललए भी आवचर्क है कक र्ह आवचर्क नही ं कक सचूीबध ध कार्य आज ही हो जारँ्। प्राथलमकता तर् होने पर हमें कार्य करने के िम की चचतंा नही ं रहती। प्राथलमकता के आधार पर कार्य संपन्न होते जाते हैं।

    6. सचूीबध ध सभी कार्ों के ललए कार्य की आवचर्कता के अनसुार समर् ननधायररत करें। वयमरण रिें ककसी कार्य के ललए उतना ही समर् ननधायररत करें, क्जतना उसके ललए आवचर्क है। आवचर्कता से अचधक समर् ननधायररत कर ददरे् जाने पर पककिं सन के ननर्म में बताक गक समवयर्ार्ें सामने आ जाती हैं। पककिं सन के ननर्म के अनसुार कार्य के ललए उपलब्ध समर् के अनसुार कार्य अपने आपको वववयताररत कर लेता है। (WORK EXPANDS TO FILL THE TIME AVAILABLE FOR ITS COMPLETION ) कार्य का र्ह वववयतार कार्य में अनेक जदटलताएं और बाधाओं के रूप में होता है। समर् व कार्य दोनों की प्रभावशीलता भी कम हो जाती है। अतः आवचर्कता ास बात की है कक प्रत्रे्क कार्य के ललए पर्ायप्त ववचलेषण के आधार पर र्ोजना बनाक जाए और प्रत्रे्क कार्य के ललए उतना ही समर् ननधायररत ककर्ा जार् क्जतना वावयतव में आवचर्क है।

    7. अपनी कार्य सचूी पर नजर रिें और ककरे् जा चकेु कार्ों को हटाकर और नवीन कार्ों को जोड़कर सचूी का नवीनीकरण करत े रहें। कार्य सचूी को अपडटे करत े रहना आवचर्क है, वरना कार्ो के दहुराव में समर् बबायद हो सकता है। समर् की बबायदी हमारी समर् की एजेंसी को ननरवयत कर सकती है। अतः जागरूक रहें और कार्ो की सचूी को समर् समर् पर अध र्तन करत ेरहें।

    8. कार्य करत े हुए समर्-समर् पर उसका पनुरावलोकन भी करते जारं्। कार्य का पनुरावलोकन करने से न केवल कार्य र्ोजना में सधुार के अवसर लमलते हैं,

  • वरन ् जैसे-जैसे आपके कार्य परेू होते जाते हैं, उनकी सफलता की िुशी आपको कदठन काम करने के ललए प्रेरणा और ऊजाय भी देती है। जीवन की वावयतववकता र्ही है कक कार्य ही कार्य करने की पे्ररणा देता है। गंतव्र् पर पहँुचत ेही दसूरा गंतव्र् हमारी प्रतीक्षा करने लगता है।

    9. ववलभन्न अध्र्र्नों से वयपष्ट हो चकुा है कक एक ही कार्य को लम्बे समर् तक करत ेरहन ेसे नीरसता आती है। ननराशा भी उत्पन्न हो सकती है। नीरसता और ननराशा के कारण उत्पादकता में कमी आती है और कार्य प्रबंधन की प्रभावशीलता में भी कमी आती है। अतः आवचर्क है कक समर्-समर् पर ववराम लेकर लर् ुववश्राम लें। कक बार र्ह उध देचर् कार्य में पररवतयन करने से भी परूा हो जाता है। जैसे भी हो कार्य में उत्साह, लगन और उच्च मनोबल बनारे् रिने के ललए ववराम और कार्य की प्रकृनत में पररवतयन आवचर्क है।

    10. हमें उपलब्ध समर् की उपर्ोचगता हमारी कार्य करने की क्षमता के ऊपर ननभयर करती है। समर् का सही व प्रभावी उपर्ोग करन े के ललए हमारा वयववयथ और उत्सादहत रहना भी आवचर्क है। ासके ललए आवचर्क है कक हम उचचत समर् पर संतलुलत व पौक्ष्टक आहार ग्रहण करें। र्ही नही ंशरीर के ललए आवचर्क नींद भी लें। ध्र्ान रिें अचधक कार्य करने के चतकर में अपने वयवावय्र् के साथ समझौता न करें। नीदं की अवचध प्रत्रे्क वयववयथ व्र्क्तत के ललए उसकी जीवनशलैी के आधार पर 4 र्ण्टे से 6 र्ण्टे तक हो सकती है।

    11. संतुललत आहार और पर्ायप्त नींद के साथ ही शरीर को वयववयथ और मन को उत्सादहत रिने के ललए उचचत व्र्ार्ाम भी आवचर्क है। व्र्ार्ाम की प्रकृनत और समर्ावचध व्र्क्ततगत रूचच और आवचर्कता के साथ ही जीवनशलैी पर भी ननभयर करता है। वतयमान में र्ोग का प्रचलन बढ़ रहा है। र्ोग ध्र्ान केक्न्ित करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। अतः र्ोग ककसी भी व्र्क्तत के ललए शे्रष्ठ व्र्ार्ाम हो सकता है। ननर्लमत टहलना, तैरना र्ा साकककल चलाना भी अच्छे व्र्ार्ाम कहे जा सकत ेहैं।

  • समर् के सन्दभय में कार्य प्रबंधन क्जसे सामान्र्तः कार्य प्रबंधन ही कहा जाता है पर काफी कुछ प्रकालशत होता रहता हैं। व्र्क्ततत्व ववकास व कार्य प्रबंधन पर सभी ववधाओं में पर्ायप्त ललिा जा रहा है। र्हाँ कववता के माध्र्म से समर् के संदभय में कार्य प्रबंधन करने हेत ुकुछ सझुाव प्रवयतुत हैं-

    समर्-प्रबंधन

    समर् ही जीवन सम्पवत्त, पल-पल ासको जीना होगा।

    समर्-प्रबंधन जीवन रस देगा, पीना और वपलाना होगा।।

    समर् की कीमत को तुम जानो,

    समर् ही जीवन, रे् पहचानो।

    हर पल-क्षण, उपर्ोग करो ननत,

    देश के दहत में ातना मानो।

    धन,संपवत्त,र्श, लमलेगा तुमको, समर्-धागा वपरोना होगा।

    समर्-प्रबंधन जीवन रस देगा, पीना और वपलाना होगा।।

    नछिान्वेषण में ना समर् गवांओ,

    कभी ककसी को नहीं सताओ।

    कमयशील बन, कमय करो ननत,

    पल भर ना आलस ददिलाओ।

    जीवन को साथयक करना है, क्षण-क्षण बहाना पसीना होगा।

    समर्-प्रबंधन जीवन रस देगा, पीना और वपलाना होगा।।

  • ररचाजय हेत ुववश्राम करो तुम,

    नव-वयफूनतय ले आगे बढ़ो तुम।

    मतृ्र् ु से डरना तुम छोड़ो,

    छूटे हुए जो, काम करो तुम।

    चचन्तन से ही काम चले ना, किर्ान्वर्न ददिलाना होगा।

    समर्-प्रबंधन जीवन रस देगा, पीना और वपलाना होगा।।

    कार्य प्रबंधन की उपर्ोधगताः

    कार्य प्रबंधन के सन्दभय में कहा जाता है, आपकी सफलता र्ा असफलता ास बात पर ननभयर करती है, कक आप ददन को चलात ेहैं र्ा ददन आपको चलाता है। र्ह ववचार जीवन के प्रत्रे्क के्षत्र में उपर्ोगी है। र्दद हम समर् का उपर्ोग नही ंकरत ेतो समर् बीतने के साथ साथ हमारा जीवन भी समाक्प्त की ओर चलता रहता है और एक ददन बबना जीवन का उपर्ोग ककरे् हमारा शरीर हमारा साथ छोड़ देता है। ासी कारण सफल वही होते हैं, जो अपने जीवन का सही उपर्ोग करत ेहैं। कहा जाता है कक गार् को ककस तरीके से दहुा जाता है, गार् से उतना ही दधू प्राप्त ककर्ा जा सकता है। गार् का दधुारूपन दहुने वाले के ऊपर ननभयर करता है। ासी प्रकार समर् की उपर्ोचगता समर् का उपर्ोग करने वाले व्र्क्तत के ऊपर ननभयर करती है।

    आपकी सफलता र्ा असफलता ास पर ननभयर करती है, कक आप ददन को चलात ेहैं र्ा ददन आपको चलाता है।

  • ास सन्दभय में बचपन का एक प्रकरण र्ाद आता है। मेरे वपताजी अपनी आजीववका के ललए राजवयथान से गार् िरीद कर लाते थे और कुछ समर् अपने पास रिकर मौके के अनरुूप वयथानीर् साप्तादहक हाट में बेच देते थे। वे अतसर गभयवती गार् लेकर आते थे और दधू देती हुक को बेच देते थे। ासी प्रकिर्ा में एक बार हमारे र्हाँ एक गार् ऐसी भी आर्ी कक अन्त तक र्ह मालमू नही ंचल सका कक वह ककतना दधू देती है। उस गार् की एक ववशषेता थी कक जब उसके बच्च ेको छोड़ा जाता था, तब वह दधू भी छोड़ती थी; जैसे ही दधू दहुना प्रारंभ ककर्ा जाता था वह अपने दधू को वापस चढ़ा लेती थी। ास दौरान दधू दहुने वाले ने क्जतना दधू ननकाल ललर्ा, र्ह उसकी सफलता थी। उसके पचचात पनुः गार् का बच्चा छोड़ा जाता था, गार् पनुः दधू छोड़ती थी और दहुने वाला पनुः अचधक से अचधक दधू ननकालने का प्रर्ास करता था। र्ह प्रकिर्ा तब तक जारी रहती थी,जब तब गार् दहुने वाला थक नहीं जाता था। हा!ँ गार् का दधू कभी समाप्त हुआ हो, मझु ेवयमरण नहीं। ासी प्रकार की क्वयथनत समर् की है, हम क्जतना उपर्ोग कर लें, उतनी ही हमारे जीवन की सफलता है। समर् की उपर्ोचगता का आकलन संभव नही ंहै। वावयतव में समर् की उपर्ोचगता का ननधायरण उसको प्रर्ोग करने वाले की क्षमता के ऊपर ही ननभयर करता है। जीवन र्ा समर् की उपर्ोचगता के ललए ही कार्य प्रबंधन तकनीक अपनान ेकी सलाह दी जाती है।

    गार् का दधुारूपन दहुने वाले के ऊपर ननभयर करता है। ासी प्रकार समर् की उपर्ोचगता

    समर् का उपर्ोग करने वाले व्र्क्तत के ऊपर ननभयर करती है। गार् को परूा दहुो और समर्

    का परूा उपर्ोग करो।

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