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रा एव धमके पनथान हते धािमक मािसक पिका नमते भगवान भाकरािमत तेजसे । नमो भवाय देवाय रसायाबमयामने ॥ अथ : हे भगवान !, हे !, आपका तेज अनिगनत सयके तेज समान है । रसप, जलमय िवहवाले हे भवदेव !, आपको नमकार है ! || वय राे जागयाम परोिहता: || ावण, किलयग वष ५१२१ (१७ जलाई - १५ अगत २०१९) वष १ / माकं

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  • रा�� एव धम�के पन��थान हते धािम�क मािसक पि�कां ु ु

    नम�ते भगवान �� भा�करािमत तेजस े । नमो भवाय देवाय रसाया�बमया�मन े ॥ु

    अथ� : ह ेभगवान !, ह े�� !, आपका तेज अनिगनत सय�के तेज समान है । रस�प, ूजलमय िव�हवाले ह ेभवदेव !, आपको नम�कार है !

    || वय रा��े जागयाम परोिहता: ||ं ृ ु

    �ावण, किलयग वष� ५१२१ (१७ जलाई - १५ अग�त २०१९)ु ुवष� १ / �माकं ५

  • तमकर नामक गांवम� सभी जन राि�को बाबाके साथ ु ूपह�चें । बाबाके साथ स�पण� भ�-म�डलीके सम� 'कहां ूसोए ं?', यह एक बडा �� था । उसी गांवम� एक वटव� ृथा, िजसके चार� ओर चबतरा बना था । िनकट ही ू

    गणेशजीका मि�दर भी था । बाबाक� इ�छा वह� िन��थ होनेक� ह�ई । सामने ही कोषागार (�ेझरी) काया�लय था । जहां रातक� चौक�दारी करनेवाला पिलसवाला था । ु राि�को बाबा वटव� नीचे ही सो गए । िकसीने ृवाहनम� तो िकसीने िनकटके िकसी �थानपर िबछावन लगा िलया । �ातःकाल पजारी व पिलसवाला आया । ु ुवे बोले, "इस वटव�के नीचे कोई िन�ा नह� ले सकता । ृआजतक हमार ेसामने यह साहस िकसीने नह� िकया । यह एक म��िस� �थान है । आप कैसे िनि��त िन��थ थे और �ातःकाल उठ भी गए ? आप िनि�त ही कोई दवेत�य स�प�ष ह� ।"ु ु

    पढ उनक� अनभितयां ु ूहोता उनक� िद�यताका भान ।

    किलयगका यही है वेदु

    इसे त मान या न मान ! - तनजा ठाकर ू ु ु

    िन�य रहते िजनके साथ ।

    कैसे कर ेकोई गान ?

    �रि�-िसि�, ऋिष, दवेगण

    ऐसी योगीके च�र�का

    समाजको धमा�िभमख ुएव ं साधना हेत �व� ु ृकरनेके िलए बाबाका ि�स�ीय काय��म, ूभजन, �मण और भ�डारा अिवरत चलता रहता था । भजन और भ�डारमे�

    भ� म�डलीक� सहभािगता तो रहती ही थी; िक�त ु�मण भी वे एकाक� नह� अपने भ��के साथ करते थे । ये �मण या�ाए ं भ��को धम� और अ�या�मको आ�मसात करनेका स�दर मा�यम होती थ� एव ंइस ुम�य अनेक िद�य अनभितयां एव ंअनभव भ�गण एव ंु ू ुअ�य लोग�को होते थे, िजससे सामा�य वेशभषाम� ूरहनेवाले बाबाके उ�च आ�याि�मक �तरका भान सबको होता था । ��तत है ऐसी ही एक घटना, जो ुबाबाके परम भ� �ीयत डॉ. िव�ल पागे�ारा सकंिलत ुमराठी ��थ 'नाथ माझा भ�राजसे' उ�त है ।ृ

    नाथ�के नाथ ह� हमार ेजग�नाथ,

    यही है गीताका �ान,

    शेष भाग....अि�तम रगीन प�के पव� प� पर ं ृ ू ृ

    इस िशिवरम� वैिदक उपासना पीठक� आयव�दाचाय� (डॉ.) �ीमती िवमला ितवारीने िशिवरम� आए सभी रोिगय�का ुनाडी प�र�ण कर िनःश�क औषिधयां भी दी । ऐसे एक िदवसीय मािसक िशिवर�का म�य उ�े�य �ामीण�को उनके ु ु�थानपर जाकर अनभवी िचिक�सक��ारा उनके रोग�क� जांच कर, उ�ह� �व�थ करना व आयव�दका �सार करना है । ु ु

    वैिदक उपासना पीठ�ारा इ�दौरके मानपर �े�म� िनमा�णाधीन आ�मके आसपासके �ामीण भागम� �वा��य ुिशिवरका आयोजन िकया गया । �थम िशिवर मानपरके िनकट ही खद� �ामम� स�प�न ह�आ एव ंदसरा िशिवर ु ु ूहासलपर �ामके पचंायत भवनम� आयोिजत िकया गया । इस दोन� ही िशिवर�म� मानपर िनवासी �ी. �याम परमारका ु ुतो सहयोग था ही, साथ ही �थानीय �ामीण�ने भी इसके आयोजनम� उ��फत� �ितसाद एव ंसहयोग दकेर िशिवरको ूसफल बनाया ।

    वैिदक उपासना पीठके त�वावधानम� इ�दौरके �ामीण भागम� �वा��य िशिवरका शभार�भु

    उपासना काय�

    भ�राज महाराज ज�म शता�दी वष� िवशेष

  • मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०१ ु ु ृ

    �वमकेो जगद�यापको िव��पः �सीद �सीद �भो पण��प ।।४।।् ू

    िगरीश गणशे गले नीलवण� गवे��ािध�ढ गणातीत�पम ।ं ं ं ु ्

    आ� शकराचाय�कतं ृ

    पशना पित पापनाश परशे गजे���य कित वसान वर�ेयम ।ं ं ं ं ं ंू ृ ्जटाजटम�ये �फर�ाङगवा�र महादेवमके �मरािम �मरा�रम ।।१।।् ं ं ्ू ु

    अथ� : हे िशव !, आप जो �ािणमा�के �वामी एव ंर�क ह�, पापका नाश करनेवाले परमे�र ह�, गजराजका चम� धारण करनेवाले ह�, �े� एव ंवरण करने यो�य ह� । िजनक� जटाजटम� गगंाजी खेलती ह�, उन एकमा� महादवेको बार�बार ू�मरण करता ह� ं।

    वेदसार िशव�तवः �तो�म्

    महशे सरशे सराराितनाश िवभ िव�नाथ िवभ�यङगभषम ।ं ं ं ं ं ्ु ु ु ू ू ्िव�पा�िम��क� वि�ि�न�े सदान�दमीडे �भ प�चव��म ।।२।।ं ंु ्

    अथ� : हे महे�र !, हे सर�ेर !, आप दवे�के भी दःख�का नाश करनेवाले, िवभ, िव�नाथ व िवभित धारण ु ु ूुकरनेवाले ह� । सय�, च�� एव ंअि�न आपके तीन ने��के समान ह� । सदा आन�द �दान करनेवाले, प�चमखवाले ू ुमहादवे, म� आपक� �तित करता ह� ं।ु

    भव भा�वर भ�मना भिषताङग भवानीकल� भजे प�चव��म ।।३।।ं ं ् ं ंू ्अथ� : हे िशव !, आप जो कैलाशपित ह�, गण�के �वामी, नीलक�ठ ह�, धम� �व�प वष अथा�त बैलक� सवारी करते ह�, ृगणातीत (ि�गणसे पर)े ह�, ससंारके आिद कारण ह�, �काश पजं स��य ह�, भ�म अलंकत ह�, जो भवानीके पित ह�, ु ु ु ृउन प�चमख �भको म� भजता ह� ं।ु ु

    िशवाका�त शभो शशाङकाध�मौले महशेान शिल�जटाजटधा�रन ।ं ् ू ू ्

    अथ� : हे िशवाकांत !, पाव�तीके मनको मोहनेवाले, हे श�भ !, हे च��शेखर !, हे महादवे !, आप ि�शल एव ंजटाजट ु ू ूधारण करनेवाले ह� । हे िव��प !, मा� आप ही स�पण� जगतम� �या� ह� । हे पण��प ! आप �स�न ह�, �स�न ह� ।ू ू

    देव �तितु

  • मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०२ ु ु ृ

    न ग�मो न शीत न देशो न वेषो न य�याि�त मित�ि�मित� तमीडे ।।६।।ंृ ू ू

    तरीय तमःपारमा��तहीन �प�े पर पावन �ैतहीनम ।।७।।ं ं ं ंु ्अथ� : हे अज�मे (अनािद) ! आप शा�त ह�, िन�य ह�, कारण�के भी कारण ह� । हे क�याणमित� िशव !, आप ही एकमा� ू�काशक�को भी �काश �दान करनेवाले ह�, आप तीन� अव�थाओसें पर ेह� । हे आनािद !, अन�त !, आप जो िक अ�ानसे पर ेह�, आपके उस परम पावन अ�ैत �व�पको नम�कार है ।

    अथ� : हे एकमा� परमा�म !, जगतके आिदकारण, आप इ�छारिहत, िनराकार एव ंऊकार �व�पवाले ह� । आपको ँमा� �ाण�ारा (�यान�ारा) ही जाना जा सकता है । आपके�ारा ही स�पण� सि�क� उ�पि� होती है । आप ही उसका ृूपालन करते ह� तथा अ�ततः उसका आपम� ही लय हो जाता है । हे �भ !, म� आपको भजता ह� ं।ु

    �भो शलपाण े िवभो िव�नाथ महादेव शभो महशे ि�न�े ।ंू

    �व�ो जग�वित देव भव �मरार े �व�येव ित�ित जग�मड िव�नाथ ।ृ

    अथ� : जो न भिम ह�, न जल, न अि�न, न वाय और न ही आकाश ह� । अथा�त आप प�चत�व�से पर ेह� । आप त��ा, ू ुिन�ा, �ी�म एव ंशीतसे भी अिल� ह� । आप दशे एव वेशक� सीमासे भी पर ेह� । हे िनराकार ि�मित� !, म� आपक� �तित ु ुकरता ह� ं।

    अज शा�त कारण कारणाना िशव केवल भासक भासकानाम ।ं ं ं ं ं ं ं ्

    �व�येव ग�छित लय जगदेतदीश िलङगा�मके हर चराचरिव��िपन ।।११।।ं ् ्

    अथ� : हे िवभो !, हे िव�मत� !, आपको नम�कार है, नम�कार है । हे सबको आन�द �दान करनेवाले सदान�द !, ूआपको नम�कार है, नम�कार है । हे तपोयोग �ान�ारा �ा��य आपको नम�कार है, नम�कार है । हे वेद�ान�ारा �ा��य �भ आपको नम�कार है, नम�कार है ।ु

    िशवाका�त शा�त �मरार ेपरार े �वद�यो वर�ेयो न मा�यो न ग�यः ।।९।।ु

    न भिमन� चापो न वि�न� वाय-न� चाकाशमा�ते न त��ा न िन�ा ।ू ु

    नम�ते नम�ते तपोयोगग�य नम�ते नम�ते �ित�ानग�य ।।८।।ु

    श�भो महशे क�णामय शलपाण े गौरीपते पशपते पशपाशनािशन ।ू ु ु ्काशीपते क�णया जगदेतदेक-��वहिस पािस िवदधािस मह�ेरोऽिस ।।१०।।ं ं

    अथ� : हे श�भो !, हे महेश !, हे क�णामय !, हे शलपाणे !, हे गौरीपित !, हे पशपित !, हे काशीपित !, आप ही सभी ू ु�कारके पशपाशका (मोह मायाका) नाश करनेवाले ह� । हे क�णाकर !, आप ही इस जगतक� उ�पि�, पालन एव ंुसहंारके कारण ह�, आप ही इसके एकमा� �वामी ह� ।

    नम�ते नम�ते िवभो िव�मत� नम�ते नम�ते िचदान�दमत� ।ू ू

    यतो जायते पा�यते येन िव� तमीश भजे लीयते य� िव�म ।।५।।ं ं ्

    अथ� : हे ि�शलधारी !, हे िवभो िव�नाथ !, हे महादवे !, हे श�भो !, हे महेश !, हे ि�ने� !, हे पाव�तीव�लभ !, हे ूशा�त !, हे �मरणीय !, हे ि�परा�र !, आपके सम� न कोई �े� है, न वरण करने यो�य है, न मा�य है और न गणनीय ुही है ।

    परा�मानमके जग�ीजमा� िनरीह िनराकारम�कारवे�म ।ं ं ं ्

    अथ� : हे चराचर िव��प �भ !, आपके िलंग�व�पसे ही स�पण� जगत अपने अि�त�वम� आता है (उसक� ु ूउ�पि� होती है), हे शकंर !, हे िव�नाथ ! अि�त�वम� आनेके उपरा�त यह जगत आपम� ही ि�थत रहता है, अथा�त आप ही इसका पालन करते ह�; अ�ततः यह स�पण� सि� आपम� ही लय हो जाती है ।ृू

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    B©_ob : [email protected] OmbñWb (website) : www.vedicupasanapeeth.orggånH©$ : +91 9717492523] 9999670915 (+ 91 9717492523 / 9999670915)

    अनके शा� बह वेिदत�यम ं ्�अ�प� कालो बहव� िव�ना: ।यत सारभत तदपािसत�य ं ं् ू ुहसो यथा �ीरिमवा�भम�यात ।।ं ु ्

    अथ� : पढनेके िलए बह�त शा� ह� और �ान अप�रिमत है । अपने पास समयक� कमी है और बाधाए ंबह�त ह� । जैसे हसं जलम�से दध िनकाल लेता है, उसी �कार उन ूशा��का सार समझ लेना चािहए ।

    दान भोगो नाश: ित�ो गतयो भवि�त िव��य ।ं

    जो �यि� दान नह� करता तथा उसे उपभोगम� भी नह� लेता, उसके धनको तीसरी गित �ा� होती है, अथा�त उसका नाश हो जाता है ।

    अथ� : धनके �यय होनेके तीन माग� ह� यथा दान, उपभोग तथा नाश ।

    योजनाना सह� त शनैग��छेत िपपीिलका ।ं ं ु ्आग�छन वैनतेयोिप पदमके न ग�छित ।।ं्

    अथ� : यिद च�टी चल पडी तो धीर-ेधीर ेवह एक सह� योजन भी चल सकती है; पर�त यिद ग�ड अपने ु�थानसे नह� िहला तो वह एक पग भी आगे नह� बढ सकता है ।

    यो न ददाित न भङ�े त�य ततीया गितभ�वित ।।्ु ॄ

    शा� वचन�. िवषय िववरण प� ृ �माकं

    २. स�पादक�य ४

    ४. धम�धारा

    ६अ. सवचनु

    आ. शकंा समाधान १०

    इ. सगण ग�के िनग�ण िनराले मा�यम १३ु ु ु

    उि�� कौ�तेय १५ई.

    ५. िह�द धम�पर हो रहे आ�मण�पर उपाय २५ू

    ७. भगवान िशवके बारह �योितिल�ग�क� मिहमा २८

    ८. स�त च�र� ३०

    १०. घरका वै� ३४

    ९. �ाणायाम िचिक�सा ३१

    ६. सावधान ! �मणभाषके अिधक उपयोगसे

    १. १ दवे �तित ु

    यवाओमं� िनकल रहे ह� स�ग २७ु

    ३. �ीग� उवाच ५ु

    ११. दशेम� िविवधताम� एकता स�ंकतसे स�भव ३७ृ

    वै�दक उपासना

    ñdm_r, àH$meH$, _wÐH$, d¡{XH$ CnmgZm nrR>H$o {bE मैसस� �ीरंग ऑफसेट, १२३, देवी अिह�या माग�, BÝXm¡a go (_.à.)

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    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०३ ु ु ृ

  • का�ंसेके बनाए माग�पर चल रही है भाजपा

    मोदी शासनने इसबार हजका कोटा बढाकर दो लाख कर िदया है; य�िप भाजपाने यह नह� बताया िक कैलाश मानसरोवर और चार धाम करनेवाल�को भी ऐसा कछ कोटा िमलेगा �या ?ु

    भारतीय सिंवधान िनमा�ताओनें कछ वष�के िलए आर�णका �ावधान रखा था; पर�त कां�ेसने इसे मत (वोट) पानेका ु ुमा�यम बना िदया और धीर-ेधीर ेयह आर�ण ति�करणम� प�रवित�त होता गया, िजसम� अ�पस�ंयक दिलत� आिदका �थान, ुबढती मसलमान और ईसाई जनस�ंया लेती गई और िभ�न-िभ�न धम�के लोग िभ�न राजनीितक दल�के ति�करणके मा�यम ु ुबनते चले गए । कां�ेसके ति�करणका भाजपा सदवै किथत िवरोध करती रही तो २०१४ म� आशा जगी िक िह�द बह�ल रा��म� ु ूिह�दओकं� अवहेलना ब�द होगी; पर�त जैसा िक राजनीितम� होता है भाजपाक� कथनी और करनीम� अ�तर िनकला और ुुकां�ेसके माग�पर बढी और िनराशा ही हाथ लगी; िक�त आशाके साथ िह�दओनें २०१९ म� एक बार पनः �च�ड बह�मतसे ु ुुमोदी शासनको स�ासीन िकया; पर�त इस बार मोदी शासनने आते ही ति�करणक� जैसे झडी ही लगा दी है । मोदी शासनने ु ुकिथत अ�पस�ं यक�के िलए कई नीितयां चलाई है,िजससे िह�दओकें मनम� भाजपाके �ित स�दहे िनमा�ण होने लगा है ।ु

    अब मोदी शासन�ारा सेना 'भत�' िनदशेालयक� ओरसे दा�ल उलमको सभी मह�वपण� िदशा-िनदश� �दान िकए जाएगें, ू ूिजससे वह मसलमान�को सेनाम� 'भत�'के यो�य �िशि�त कर सक� । इसके अित�र� मसलमान�क� व�फ स�पि�का िवकास ु ुिकया जाएगा और इन स�पि�य�पर मदरसे और सामदाियक भवन आिद खोलनेके िलए १००% धनक� �यव�था िकए ुजानेक� योजना है ! मदरस�से आए िदन आतंिकय�को आ�य दनेेके समाचार आते ह�, उसके प�ात भी मोदी शासनको िव�ास है िक वे िजहादक� इ�छा रखनेवाले म�य धाराम� लौट आएगें तो सी�रया और अ�य दशे�क� ि�थित दखे� और एक ऐसे दशेका ुनाम बताए, जहां प�रवत�न आया हो ? मोदी शासनको चािहए था िक ग�कल�क� �थापनापर बल दतेी; �य�िक �वत��ताके ु ुप�ात इस दशेम� मदरसे तो बनते ही रहे ह� और ग�कल�को षडय��कारी ढंगसे न� िकया गया है । यिद मसलमान�को म�य ु ु ् ु ुधाराम� लौटना ही होता तो आज 'एएमय'म� आतंिकय�के िलए नमाज �य� पढी जाती ? अिभय�ता, िचिक�सक, एमबीए बने ूमसलमान यवा आतंक� सगंठन�म� �य� सि�मिलत होते ? भाजपाने झारख�डम� कई कोिट �पए �ययकर मसलमान�के िलए ु ु ुवातानकिलत आधिनक हज हाउस बनाया गया है । म�यम��ी रघवरदासने कहा िक 'सेकल�र�म' हमार ेर�म� है । य�िप ु ू ु ु ु ुकोिट �पए हज हाउसपर �यय करनेवाली धम�िनरपे� भाजपा यह बताना भल गई िक ितरपालम� रखे रामजी कभी मि�दर �पी ूराजभवनक� शोभा बन पाएगें या नह� ? मि�दर�को शासकगण अपने िनय��णम� ले रहे ह�, वह ब�द होगा िक नह� ? इसके साथ के��ने एक और 'नया सवेरा' नामक योजना चलाई है, िजसके अ�तग�त अ�यासके (कोिचगंके) अभावम� �शासिनक सेवाओ ंऔर रा�य सेवाओमं� जानेसे विंचत होनेवाले मसलमान यवा वग�के िलए िनश�क 'कोिचगं' दनेेक� योजना है । के��ने अपने ु ु ुबजटम� पांच वष�म� पांच कोिट अ�पस�ं यक ब�च�को छा�वि� दनेेका वचन िदया है । साथ ही मसलमान�के िलए नवोदय ृ ुिव�ालय�क� भांित दशेभरम� १०० अ�पस�ं यक क�याण िव�ालय खोलनेपर काय� चल रहा ह� । हम िकसीक� भी �गित या िश�ाके िवरोधी नह� है; पर�त भाजपाने यह नह� बताया िक इन िव�ालय�के प�ात शेष ुिव�ालय�से अ�पस�ंयक�के ब�च�को िनकालकर इन अ�पस�ं यक िव�ालयम� नह� डालना चािहए ? �या इन िव�ालय�के आर�भ होनेपर शासन मदरसे ब�द करगेा ? सभी सामा�य वग�के ब�चे धनी नह� होते ह� । जो अपना सब कछ िव�यकर ु�शासिनक सेवाओकं� अ�यास क�ा (कोिचगं) लेते ह�, �या उनक� चक केवल इतनी है िक वे मसलमान नह� है ? कां�ेसक� ू ुमाग�पर बढ रही भाजपा इसका उ�र द ेऔर मोदीजी यह �यान रखे िक चाहे वे िकतना भी ति�करण कर ल�; पर�त कभी उनसे ु ु'व�द ेमातरम' नह� बलवा सकते ह� । यिद भाजपा स�यम� मसलमान�के ब�च�का िवकास चाहती है तो मदरस�को ब�द कर,े ् ु ुिजहादी िश�ाओपंर �ितब�ध लगाए, श�रया िवधान �ितबि�धत कर,े धारा-३७० समा� कर,े उ�ह� आतंक� बना रहे मौलिवय�, पथकतावािदय�को समा� कर,े न िक ति�करण कर े ! िह�दओनें ति�करणके िलए नह� वरन धम�रा�यक� ृ ु ुु�थापनाके िलए भाजपाको चना है ।ु

    स�पादक�य

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०४ ु ु ृ

  • दवेालय�के उ�सव ह�, या�ा हो अथवा गणेश िवसज�नक� शोभाया�ा, सव� अवसर�पर आधिनक ुअथवा पा�ा�य सगंीतक� तालपर म�पानकर नाचनेवाले िह�द िदखाई ूदतेे ह� । ऐसे क�य�से वह ृ

    काय��म दवेताका नह�; अिपत असर�का बन जाता है । ु ुअ�य धिम�य�के िकसी धािम�क काय��मम� इस �कारका ��य नह� िदखाई दतेा । 'म� पीकर नाचना, यह धािम�क काय��मका एक भाग ही है', इस �कारका स�ंकार नई पीढीपर अिंकत ह�आ है । ऐसा न हो, इसके िलए पण�तः ूसतक� रह� ! ऐसे क�य�को रोकना भी साधना है ।ृ

    भारतम� अ�य कछ आयात करनेक� अपे�ा रा���ेमी ुतथा धम��ेमी नेता आयात करो । उसके प�ात कछ भी ुआयात नह� करना होगा । भारत पनः िव�ग� होगा एव ंु ुअपना �ाचीन वैभव �ा� करगेा ।

    भारतक� �वत��ता हेत लडनेवाले यवा ु ु�ाि�तका�रय�को स�मोिहतकर उ�ह� कित करने हेत ृ ुिववश िकया गया, ऐसा यिद बि��ामा�यवािदय�ने कल ुकहा तो आ�य� नह� होना चािहए !

    िह�दओकें �थानपर मसलमान�के पास 'एकजट ु ुुमतपेटी' होनेके कारण सव�दल�के राजनेता उ�ह� स�त� ुकरनेके �यास करते ह� । हज या�ाको अनदान, स�चर ुआयोगक� अनशसंाका काया��वयन, मदरस�के िलए ुिवशेष अनदान, ये सव� मसलमान�के एकजट मत�के ु ु ुफल�व�प ही ह� । िह�दओकं� जाित, दल, स��दाय, ु�ा�त, भाषा, इस �कार िविभ�न गट�म� बटंवारा होनेके ुकारण उनके मत भी बटं गए ह� । यिद िह�द सगंिठत ह�ए, ू

    तो ही िह�दओकं� मतपेटी िस� होगी तथा िह�दओकें ु ुसगंिठत मत �ा� करनेके िलए ही सही; िक�त ुराजनीितक दल�को िह�द िहतका िवचार करनेको ूबा�य होना होगा ।

    िनग�ण ई�रीय त�वसे एक�प होनेपर ही वा�तिवक ुशाि�तका अनभव होता है । तथािप शासनकता� ुजनमानसको साधना िसखानेके �थानपर मा� सतही मानिसक �तरके उपाय करते ह� । उदा. जनताक� अडचन�को दर करने हेत सतही �तरके �य�न करना, ुूजैसे मनोिचिक�सालय �थािपत करना ।

    - परा�पर ग� डाॅ. जयत आठवलेंु

    (http : // sanatanprabhat.org)साभार मराठी दैिनक सनातन �भात:

    इ�छाशि�, ि�याशि� और �ानशि� तथा रा�� एव ंधम�क� ि�थित 'इ�छाशि�के कारण 'कछ करना चािहए' ऐसी इ�छा ुउ�प�न होती है । ि�याशि�के कारण ��य� कित ृकरनेक� �ेरणा िमलती है । कछ करनेक� इ�छा उ�प�न ुहोने और ��य� कित करनेके िलए �ानशि�क� ृसहायता होनेपर ही यो�य इ�छा उ�प�न होती है िजसके प�रणाम�व�प यो�य कित होती है । अ�य पि�थय�को ृउनक� साधनाके कारण �ानशि� सहायता करती है । िह�द साधना नह� करते; इसिलए उ�ह� �ानशि�क� ूसहायता नह� िमलती है । इस कारण म�यके कछ वष�को ुछोडकर िवगत (िपछले) सह� वष�से उनक� पराजय हो रही है । िह�द�ववादी सगंठन और राजक�य प��म� ुइ�छाशि� एव ं ि�याशि� है; पर�त साधनाके ुअभाववश िह�द अभी भी हार रहे ह� । इसका उपाय यही ूहै िक िह�दओकंो �ानशि� �ा� हो; इसिलए उनसे ुसाधना करवानी होगी ।

    �ीग� उवाचु

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०५ ु ु ृ

    परा�पर ग� डॉ. जयतं आठवले ुसनातन स�ंथाके स�ंथापक

  • धम�धारा (सवचन)ु

    वैिदक उपासना पीठक� स�ंथािपका तनजा ठाकर ु ु

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०६ ु ु ृ

    िचिक�सालय खोलनेके साथ ही िव�ालयीन पाठय�म�म� योगासन, �ाणायाम, भोजन कैसे कर � ?, जल िकतना और कब पीए ं?, घरक� रसोईम� उपल�ध खा� सामि�य�का रोग-िनवारण हेत कैसे उपयोग कर ुसकते ह� ?, जैसी सामा�य एव ंसरल िवषय�को अित शी� सि�मिलत िकया जाना चािहए । इससे ब�चे तो �व�थ ह�गे ही, इसका �सार भी सहज ही होगा । वैिदक उपासना पीठके ग�कलम� ऐसे िवषय�का बा�यकालके ु ुपाठय�म�म� ही समावेश िकया जाएगा ।्

    िह�द रा��म� जब लोग साधनारत हो जाएगें तो ऐसी ूतामिसक कलाकितय�को एव ंरचनाओकंो वे �वय ंन� ृकर दग� े; �य�िक उससे �च�ड �माणम� नकारा�मक ऊजा�का ��ेपण होता है और यह कोई िवशेष वग� या राजनीितक प� या �यि� नह� करगेा, �वय ंसमाज करगेा । इसिलए सभी सम�याओकंा एक ही समाधान है - िह�द रा��क� �थापना, िह�द रा��क� ू ू�थापना, िह�द रा��क� �थापना ।ू

    पव� कालक� भारतीय कलाकितयां या रचनाए ंृूअिधकतर तामिसक नह� होती थी; िक�त वत�मान ुकालम� अिधकांश कलाकार�क� कलाकितयां या रचनाए ंृतामिसक होती ह� । उसका मल कारण है, उनक� वि�का ृूतामिसक होना । ऐसे कलाकार चाहे उ�च िशि�त ह�; िक�त वे धम� और साधनासे बह�त दर होते ह�; इसिलए ु ूउनक� वि� तामिसक ही नह� वरन अिन� शि�य�से ृ

    आवेिशत भी होती है । वे नाि�तक होते तो भी कोई बात नह� थी; िक�त वे िह�द�ोही होते ह� । और वत�मान ु ूकालम� तो िह�द�ोह और रा���ोहका सीधा स�ब�ध है, ूयह �यान रख� ! कोई कलाकित या रचना साि�वक, ृराजिसक या तामिसक है, यह वही जान सकते ह�; जो धम�के मम�� ह� या जो साधनाकर रहे ह� या िजनक� स�म इि��यां इस ज�म या पव� ज�म�क� साधनाके ू ूकारण जागत ह� । धम� िश�णके अभावम� आज ृअिधकांश िह�दओकं� स�म इि��यां जागत नह� ह� तभी ृूुतो सव�� तमोगणी कलाकार�का बोलबाला है ।ु

    यिद इस दशेम� आयव�द ुया �वदशेी िचिक�सा प�ित या वैकि�पक िचिक�सा प�ितको िव�ालय�म� स�ब� ूरीितसे िसखाया जाना आर�भ हो जाए तो शासनको इतने बडे-बडे

    िचिक�सालय खोलनेक� आव�यकता ही नह� होगी ।

    कछ लोग�को स�त� �ारा िदए ह�ए नामजप और ुआ�याि�मक उपचारपर िव�ास नह� होता है; इसिलए उ�ह� उनके�ारा बताए गए जप एव ं आ�याि�मक उपचारसे अपेि�त लाभ नह� होता है । �यान रहे, अ�या�मम� ��ा और भावका ही सवा�िधक मह�व होता है ।

    आज भारतम� अनेक 'ज�म-िह�द' िगरीश कना�डके ूदहेा�तपर दःखी हो रहे ह�; िक�त �या आपको �ात है वे ुुएक िह�द�ोही थे ? उ�ह�ने �वय ंकहा था िक वे गोमांस ूखाते ह� और उसे �ितबि�धत नह� करना चािहए; �य�िक उसे और भी प�थ�के लोग खाते ह� । वह बगंल� ुिवमानप�न�थलका (हवाईअडडाका) नाम भी ्प�रवित�तकर, िजहादी �वि�के एव ंलाख� िह�दओकें ृ ुह�यार,े टीप स�तानके नामपर करना चाहते थे । उ�ह�ने ू ु�वयकें हाथम� 'मी ट अब�न न�सल'का फलक िलखकर ूसामािजक जाल�थलपर 'अब�न न�सलवाद'का समथ�न िकया था । �या ऐसे िह�द�ोही और रा���ोहीको दशेके ूजो �िति�त स�मान िदए गए ह�, यिद द ेिदया गया तो �या उ�ह� वापस नह� लेना चािहए था ? ऐसे लोग�के दहेा�तपर शोक कैसा ? जो न धम�का हो सका,

  • ‘सबका साथ, सबका िवकास व सबका िव�ास’, अ�तग�त मोदी शासनका मसलमान�का बहद ति�करण ु ृ ुआर�भ हो गया है, मोदीजी आप कछ भी कर ल�, उनका ुिव�ास आप तभी जीत सकते ह� जब आप कां�ेस समान खलकर िह�द�ोह करग� े, अ�यथा उनका िव�ास आप ु ूया आपका शासन कभी नह� जीत सकता, यह अ�छेसे अपने अ�तम�नम� अिंकत कर ल� !

    एक कां�ेसिन� �यि�ने कहा िक आप कां�ेसके िवरोधम� �य� िलखती ह� ? सभीको बता द � िक हम िकसी राजनीितक प� या �यि�के न तो प�धर ह� और न ही उनसे िन�ा रखते ह� । जो भी �यि� प� या स�ंथा, धम� और रा��के िव�� काय� करते ह�, हम उनका वैचा�रक ख�डनकर श� िवचार�का म�डन करते ह� । हम धम�िन� ुऔर ई�रिन� ह�; अतः अधम� करनेवाल�का िवरोध करना हमारा धम�क���य है, अब चाहे वह भाजपा हो या कां�ेस हो या अ�य कोई दल या �यि� हो । और आप सभीको एक मह�वपण� सचना द ेद,� आनेवाले कालम� ू ूई�रका मारक त�व काय�रत रहनेवाला है; अतः

    व�ततः िह�द रा��क� �थापना आजका कोई भी ु ूराजनीितक प� कभी नह� कर सकता है; �य�िक सभी स�ालोलप ह� । यह तो मा� साधक वि�के खर े एव ंु ृ�यागी िह�दिन� ही कर सकते ह�; अतः िह�द�विन�ो, ु ुभाजपा शासन आ चका है; इसिलए िह�द रा�� आ ु ूजाएगा; ऐसे �मम� न रह� और अपना �यास जारी रख� !

    न गो माताका, न रा��का, उसके मरनेसे तो इस प�वीका भ-भार ही हलका ह�आ है । िह�द रा��म� ऐसे ृ ू ूकलाकार�के िलए समाजम� कोई �थान नह� होगा, उ�ह� रा��ीय �तरका स�मान दनेा तो बह�त दरक� बात है ।ू

    �ितिदन थोडा समय सांसा�रक िच�ताओकंो छोड ई�रीय िच�तनको द;� इससे िच�ताका मल कारण ू�वतः ही न� हो जाएगा ।

    जैसे आजकल अनेक ि�य�को अपने पितका उपनाम धारण करनेम� ल�जा आती है या उनके अहकंो ठेस पह�चंती है, वैसे ही आजकल अनेक प� भी ऐसे ही ुकछ कारण�से अपने िपताका उपनाम �याग दतेे ह� । ुहमार ेयहां कहते ह� प� िपताके कलका नाम आगे बढाता ु ुहै; िक�त आजके प�को अपने िपताके उपनाम रखनेम� ु ुभी आपि� होती है । िपताका उपनाम जाितसचक होता ूहै, यह सोचकर भी कछ प� ल�जावश अपने कलके ु ु ुउपनामका �याग करते ह� । हम जाित �थाके नह�; अिपत ुवण� �यव�थाके समथ�क ह�; िक�त उपनाम और गो�का ुनाम �ात रहनेसे, आपके प�ात आनेवाली पीढी,

    आपके वशंज, अपने पव�ज�का नाम, मल �थान, ू ूकलदवेी इ�यािद �ात कर सकते ह�, जो हम िह�दओकें ु ुधािम�क अन�ान�के यश�वी होने हेत अनेक बार ु ुआव�यक होता है । एक बातका सभी �यान रख� िक िह�द धम�म� भेदभाव ूया छआछत कभी नह� था, यह तो धम�के पतन होने एव ंु ूमले�छ�के आ�मणके साथ आर�भ ह�आ है । हमार ेयहां तो अनेक य�कम�, नाई, क�हार, सनार इ�यािदके ु ुसहयोगके िबना तो पण� ही नह� हो सकता है । इसिलए ूअपनी जाितपर न अह ंकर � और न ही घणा; �य�िक ृई�र�ाि�का अिधकार हमार ेसमाजम� सबको है, मीरा बाई (�ि�य रानी) सदनाजी (कसाई), कबीर (बनकर), ुरदैास (चम�कार) जैस�ने भी स�त पदको �ा�कर, इस त�यक� पि� क� है । साथ ही, यो�यता व �यागके ुआधारपर ही यहां सबको स�मान िमलता रहा है और िह�द रा��म� भी ऐसा ही होगा ।ू

    इस दशेम� यिद 'िमस इि�डया'के �थानपर 'सबसे सशील क�या'क� �ित�पधा� होती तो आज सशील ु ुक�याओकं� इस दशेम� कोई कमी नह� होती; िक�त ‘िमस ुइि�डया’ दखेकर अिधकतर आधिनक यवितयां अगं ु ु�दश�न करती ह�, अपनी बा� स�दरताके वध�नम� लगी ुरहती ह� और प�रणाम तो आप दखे ही रहे ह� ।

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०७ ु ु ृ

  • यथाशी� अधम� प� और अधम� �यि�क� िन�ाको छोड, धम�के प�म� आ जाए ं अ�यथा 'इ��ाय �वाहा त�काय �वाहा' वाला िनयम जब लाग होगा तो आप भी ूउस प�के साथ ही ई�रीय द�डके भागी बन�गे । यह आपको भयभीत करने हेत नह� कह रहे ह�, आनेवाले ुिह�द रा��से पव� ई�रीय िवधान अनसार स�म �तरीय ू ु ूू�व�छता अिभयान चलेगा, िजसम� सभी द��का ुसव�नाश अव�य होगा; अतः अधम�का माग� �यागकर धम�के माग�का अनसरण कर � अथा�त धम�के प�म� आ ुजाए,ं अधम� �यि� या प�से िन�ा रखनेसे हम अधम� कर � या न कर,� हम भी द�डके अिधकारी होते ही ह�, जैसे महाभारतके य�म� कौरव�के प�से लडनेवाले सभी ुद�डके पा� बने थे ।

    मोदी शासन, शी� इस भयकंर भलका सधार कर �ू ुऔर सभी ह�ता�माओकं� सची भारतके ��येक रा�यके ू��येक ख�डसे �ा�कर, उ�ह� पाठय�म�म� �थान द,� ्यह सभी रा���ेिमय�क� अपे�ा ह ै।

    �या आपको �ात है िक िजन ह�ता�माओकें (शहीद�के) कारण आज हम �वत�� भारतम� सांस ले रह ेह�, उनक� सची भी हमार ेशासनके पास नह� ह ै। िजन ूवीर�ने अपना सव��व भारत माताके िलए बिलदान कर िदया, �या �वत��ता प�ात कां�ेस शासनने उनके नाम और उनक� जीवनीक� जानकारी सभी रा�य�, जनपद� और म�डल�से नह� लेनी चािहए थी ?; िक�त िजस ुदशेम� �ाि�तका�रय�को आतंकवादी कहा जाता हो, उस दशेके िनक� राजनेताओसें रा���ेिमय� और बिलदानी ृ

    वीर�क� सचीका काय� कैसे हो सकता ह ै ? उ�ह� तो ू�वत��ता पव�से अपनी रोटी स�कनेक� महामारी लग ूचक� थी और यह स�ंमण अब सव�� �या� हो चका है, ु ुइस हेत ऐसे सभी कत�न रा�यकता� िध�कारके पा�ह� ।ु ृ

    हम अपने ब�च�को 'िजहादी' एव ं�र मगल�क� सात ू ुपीिढय�का इितहास िसखाते ह�, िजसका �यावहा�रक जीवनम� कोई उपयोग नह� होता । यिद दादा और

    हे राम !, हे क�ण !, शी� अवत�रत हो इस धरापर, ृइस दशेक� ि�यां ची�कार कर आपको पकार रही ह�, ुयहांके नपसंक वि�के शासक और �शासक, ि�य�के ु ृशील र�णम� अब स�म नह� रहे !

    इस िनधम� लोकत��के िवषयम� और �या कहा जाए िक सात दशक प�ात इस दशेके राजनेता इस दशेको एकस�म� िपरोने हेत एक रा�� भाषातक नह� द ेू ुपाए । आज भी अिधकांश दि�ण भारतीय रा�य�म� िह�दी भाषाको हेय �ि�से दखेा जाता है ।

    िह�दओ, मसलमान�से धम��ेम सीख� ! कैसे वे अपनी ुुसाधना और धम�के िलए शासन और �शासनसे सब सिवधाए ंउपल�ध करवाकर ले लेते ह� और हम सौ कोिट ुिह�द अपने आरा�य दवे �भ �ीरामके ज�म�थानपर ुूउनके िलए मि�दर िनमा�ण करनेके िलए भी इस दशेके रा�यकता�ओकंो बा�य नह� कर पाते ह� ।

    िजहािदय��ारा 'लव िजहाद'के प�ात िह�द अबोध ूबािलकाओ ं एव ं ि�य�के शीलहरण हेत अब धमा��ध ुवासना�ध��ारा 'रपे िजहाद'का आर�भ हो चका ुहै । �या इस दशेम� प�ष�क� �ा�वि� पण�तः न� हो ु ृ ूचक� है ?, जो उनके रहते, वासना�ध धमा��ध, िह�द ु ूि�य�के शील हरणके िलए िन�य नतन 'िजहाद' ूआर�भ करते रहते ह� ।

    आतंकवादका कैसे सामनाकर उसे जडसे न� करना चािहए ?, यह कोई अिहसंाके पजारी कहे जानेवाले बौ� ुदशे �ीलंकासे सीखे । वहां तो ऐसी ि�थित बौ��ने िनमा�ण कर दी है िक वहांके मसलमान म��ीगणतक ु�यागप� दनेे हेत बा�य हो गए ह� । हमार ेयहां तो स�ा ुिमलते ही दशेिहत गौण और �विहत �धान हो जाता है, फल�व�प सभी राजनेता चाहे वे िकसी भी दलके ह�, अिह�दओकंा ति�करण आर�भ कर दतेे ह�, तभी तो ुुसात दशक�से यह दशे आतंकवाद, न�सलवाद, सा��दाियक उ�पात (दगें), राजनीितक ह�यासे आजतक िनकल नह� पाया है । इस हेत अब िह�द रा�� ु ूही एकमा� िवक�प है ।

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०८ ु ु ृ

  • अ�छा ह�आ लोकसभा चनावसे पव� कछ रा�य�म� ह�ए ु ू ुिवधान सभा चनाव�म� भाजपा हार गई, 'कमसे कम' इससे ुभाजपाको आ�मिव�ास, जो अित आ�मिव�ासम� प�रवित�त हो रहा था, उसका इन रा�य�म� पराजय होनेसे, उ�ह� भान हो गया और इसके िवपरीत कां�ेसका अहकंार इन रा�य�म� ह�ई जीतसे और बढ गया ! सचम� इसीिलए कहा गया है 'ई�र ंयत करोित शोभनं करोित' ।्

    समय रहते ही सभी िव�ालय�, महािव�ालय� एव ंिभ�न सामािजक, राजनीितक स�ंथाओमं� य�क� ुआशकंा होनेपर �या पव�िस�ता करनी चािहए ?, ूइसक� पव�सचना दनेी आर�भकर दनेी चािहए ! ू ूसामा�यता इस�कारक� जानकारी भारतके लोग�को नह� दी जाती है !

    परदादा, नाना व परनानाका नाम िसखाते तो कमसे कम �ा�के समय पि�डतको उनका नाम तो वे बता पाते । िछ: ! िकतनी िदशाहीन है हमारी िश�ाप�ित !

    भारतके लोग�को कराई जाए य�क� पव�िस�ताु ू

    व�तत: भोजनके समय िकसी भी �कारका, सामा�य ुतापमानसे नीचे कोई भी शीतल पेय, िवशेषकर कि�म ृशीतल पेय पदाथ� कदािप न पीए,ं इससे जठराि�न बझ जाती है और पेटम� भोजन सडने लगता है, ऐसा ुहोनेपर भोजनके सव� पोषक त�व न� हो जाते ह� एव ं अनेक रोग होते ह� ।

    अब जो य� होगा, वह सीमावत� �े��तक सीिमत नह� ुरहनेवाला है; �य�िक आधिनक श� २००० से ३००० ुिकलोमीटर तकके �े��का नाश करनेक� �मता रखते ह� ! और भारत-पािक�तान य�म� परमाण बम�का ु ुउपयोग होना भी सामा�य बात है; �य�िक अिववेक� पािक�तान कछ भी कर सकता है, ऐसेम� भारत तो ु��य�र दगेा ही; इसिलए समय रहते इन सबके िवषयम� ुजन-जागित करना आर�भ कर दनेा चािहए !ृ

    यिद चीनके समान ही वैचा�रक क�रताको दर करने ूहेत कछ �यास तभीसे िकए गए होते जबसे आतंकवाद ु ुआर�भ ह�आ तो आज क�मीरक� जनता सैिनक�पर पथराव नह� करती और न ही आतंकवािदय�को अपना सरं�ण दतेी ।

    आजके कछ स�िस� ग�ओकें भ���ारा पछे गए ु ु ु ू���के उ�र सनकर अ�यिधक आ�य� होता है, उनके ुउ�रम� अ�या�म और धम� कह� होता ही नह� है, उनके उ�र मा� मानिसक �तरके होते ह� ।

    भोजनके समय अ�यिधक ठ�डे शीत पेयका न कर � सवेन

    दहेलीम� केजरीवाल शासन अब पिलसके क�धेपर ुकैमरा लगाएगी िजससे पिलस जनताके साथ कैसा वत�न ुकरती है, इसपर �ि� रखी जा सके ! अर े पढे-िलखे िनध�मी मन�यो ! कहां-कहां और िकस-िकसपर कैमरा ुलगाओगे, समाजका ��येक वग� कत��य पारायण बने इस हेत सभी को धम� और साधना िसखाओ !ु

    आजकल पा�ा�य भोजनालय�म� भोजनके साथ शीतपेय परोसनेका �चलन है और ने� मंदकर ूिवदिेशय�को अनकरण करनेवाले भारतीय, उसे बडा ु‘इतराकर’ सेवन करते ह�; िक�त ऐसा नह� करना चािहए ! ु

    इस दशेक� िश�ण �णालीम� यिद ब�च�को माता-िपताका स�मान करना, उनक� व�ाव�थाम� दखेभाल ृकरना ये सव� स�ंकार िदए जाते तो आज िबहार शासनको माता-िपताको व�ाव�थाम� दल��य ृ ुकरनेवाल�को कारागारका द�ड दनेेका िवधान पा�रत नह� करना पडता । इससे ही इस दशेक� शासन �यव�थाक� सोच िकसी सम�याके समाधान हेत िकतनी ुसतही है ?, यह �ात होता है ।

    स�पण� िव�म� मि�जदका मौलवी और िग�रजाघरका ूपादरी, ि�य� और ब�च�के यौन शोषण करनेके �मम� पकडे जाते ह�, इससे ही इन तथाकिथत धम�के त�व�ान कैसे ह�गे ?, यह �ात होता है ।

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ०९ ु ु ृ

  • उ�र : इस ��को अनेक लोग पछते रहते ह�; इसिलए ूसमि� िहताथ� इसका िव�तारसे उ�र द े रही ह� ं�यानक� साधना हेत तीन घटक�का होना अित ुआव�यक है ।

    �� : मालास ेजप करनसे ेया �यान करनमे� दोन�म�स ेकौनसा अिधक �भावी होता है ?

    * �यान हते �थम घटक ह � - िजस वा�तम� हम �यान ु ुकरते ह� वह साि�वक एव ंशा�त होना चािहए । आजकल भारतम� ५०से ७०% घर �ेतबािधत (भतहा) होते ह� एव ंूिवदशे�म� १००% घर 'भतहा' होते ह�, ऐसे अिन� ूवातावरणम� �यान लगाना अित किठन होता है ।

    साधना आर�भ करनेपर हमारा मन आन�दी हो जाता है, क� �यन हो जाते ह� और हम अ�या�मके ूउ�रो�र चरण�को सा�य करने लगते ह� । साधना आर�भ करनेपर कछ समय आपको तभी क� हो सकता ुहै यिद आपके घरम� ती� िपतदोष हो (आज समाजके ृ७०% लोग�को म�यमसे ती� िपतदोष है) या अिन� ृशि�य�का क� हो । यिद ऐसा हो रहा है तो भी आप अपनी साधना कदािप न छोड�, इसका अथ� है िक आपक� साधनाक� िदशा यो�य है; िक�त अनेक वष� ुसाधना करनेपर भी न आपको कोई अनभित होती हो ु ूऔर न ही क� �यन हो रहे ह� तो समझ ल� िक साधनाक� ूिदशा यो�य नह� है; अतः िकसी स�तसे माग�दश�न ल� या अ�या�मशा� अनसार साधना कर � !ु

    * �यान हते दसरा घटक है - �यानके अ�यास हेत ु ू ु�यनतम आ�याि�मक �तर ५०% होना चािहए एव ंू�यानम� हमारा मन एका� हो इस हेत हमारा आ�याि�मक ु�तर ६०% से अिधक होना चािहए । ५०% आ�याि�मक �तरके नीचे, मनम� िवषय-वासनाओकें स�ंकार अित ती� होते ह�, ऐसेम� मन एका� करते समय, उन स�ंकार के���के �प�दन �यान करनेम� बाधा उ�प�न करते ह� ।

    ��: यिद साधना करनसे े अिन� शि�या मझपर ं ुअिन� �भाव डाल रही ह � और मरे ेसार ेकाय� िबगाड रही ह,� तो �या कछ समयके िलए साधना ब�द कर ुदेनी चािहए ? - अिभषेक, पणेुउ�र : न� िवनती है िक कपया अपना परा नाम िलखा ृ ूकर � ! यिद आपको अपना नाम �कािशत न करना हो तो वह भी िलखा कर,� हम एक साधक या एक पाठक डालकर आपके ��को समि� िहताथ� �कािशत करग� े । साधना करनेसे अिन� शि�यां कभी भी हमारा अिन� नह� कर सकती ह� और साधना तो िकसी भी ि�थितम� कभी भी ब�द नह� करनी चािहए ।

    यिद आपको क� है, तो साधना आर�भ करनेपर अिन� शि�यां भयभीत होकर या अत� िपतर िचढकर ृआपको कछ कालतक क� द ेसकते ह�, ऐसेम� नामजपके ुसाथ सेवा कर,� वह भी िकसी स�तक� शरणम� या उनके काय�म� सहयोग दकेर । हमार े �ीग�के अनसार, ु ुनामजपका मह�व ५% और नामजपके साथ सेवाका मह�व १००% है । ती� आ�याि�मक क��म� नामजप, पजा-पाठ इ�यािदसे िवशेष लाभ नह� होता है, इस हेत ू ुिकसी स�तके काय�म� तन, मन, धन और बि�से ु

    यथाशि� सेवा कर � ! इससे स�तका सकं�प काय�रत होता है एव ंअिन� शि�य�को गित िमलनेसे क� �यन हो ूजाता है । साथ ही यिद िकसीको शारी�रक और मानिसक या आ�याि�मक क� हो तो उ�ह�ने दोष िनम�लन अव�य ही करना चािहए; �य�िक वत�मान ूकालम� अिन� शि�य�का ि�य �थान अपने प�रजन�का घर, उनक� दहे और मन होता है, इसक� शि� िबना ुक�का अ�त िकए स�भव नह� ।

    पिण�याके �ी धीरज केसरीने हमार ेयटयब चैनलके ्ू ू ूएक शकंा समाधानसे स�बि�धत स�सगं, िजसका िवषय है 'हम� �ी ग�दवे द�का नामजप करनेका मन ु�य� नह� करता है', उसके �िति�या �त�भम� िन�निलिखत �� पछा है :-ू

    धम�धारा

    शका समाधानं

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - १० ु ु ृ

  • �यानक� अपे�ा नामजपक� साधना अिधक �े� �य� है ?, इस िवषयम� हमार े �ीग�के माग�दश�नम� ुिनिम�त एव ं स�पण� िव�को धम� और अ�या�मक� ूिश�ा दनेवाले जाल�थल, www.spiritulreserchfoundation.org के कछ मह�वपण� त�य आपसे ु ूसाझा कर रही ह� ंजो िन�निलिखत ह� :-�यानक� तलनाम� नामजप करनकेे �यावहा�रक लाभ ु* िनिव��न साधना : �यानम� हम� िवशेष ि�थितम� बैठना होता है । यिद हम� पीठम� वेदना हो, तो उस ि�थितम� बैठना किठन हो जाएगा । नामजप हेत िकसी भी ु�कारका ब�धन नह� है । साथ ही, �यानका अ�यास करते समय �यानाव�थाम� जानेम� समय लगता है; िक�त नामजपम� ऐसा आव�यक नह� है ।ु

    * �यान हते तीसरा घटक है - �यानकता�के मन एव ंुबि�पर स�म काला आवरण नह� होना चािहए । आज ु ूधम�िश�णके आभावम� १०० �ितशत िपतदोष है तथा ृ९० �ितशत अ�छे साधक�को स�म जगतक� अिन� ूशि�यां उनक� साधनाम� अडचन� िनमा�ण करने हेत ुिभ�न �कारके क� द ेरही ह�, ऐसेम� चाहे सामा�य �यि� हो या साधक हो, उसके �यानक� साधनाम� अख�डता सा�य करनेम� बाधा आती है । ऐसे आपातकालम� भावपव�क नामजप करना, यह साधनाका सव��े� उपाय ूहै । यिद आप आरि�भक चरणके साधक ह� तो ने� खोलकर दवेता या ग�के िच�को दखेते ह�ए माला लेकर ुनामजप कर � और यिद आपका नामजप अजपाजप होता है तो ने� ब�दकर अपनी �कित अन�प वाय म�ा या ृ ु ु ु�ान या आकाश म�ा (ह�त म�ाके �कार) लगाकर ु ुनामजप करना अिधक �े� साधना है ।

    * साधनाम� िनर�तरता : �यान पर ेिदन नह� िकया जा ूसकता, नामजप पर ेिदन िकया जा सकता है । ई�रीय ूत�वसे एक�प होने हेत सतत साधना करना ुआव�यक होता है ।* �िच और अ�िच घटते जाना : भोजन करते समय हम नामजप कर सकते ह� । जब हमारा मन पण� �पसे ू

    जपम� म�न हो जाता है, तो हम भल जाते ह� िक हम �या ूखा रहे ह�, िजससे हमारी �िच और अ�िच घटनेम� सहायता होती है । यिद हम ��येक क�य करते समय ृनामजप करते रह�, तो हमार ेमनपर िनिम�त सव� स�ंकार �यन हो सकते ह� और यह सब �यान करनेसे नह� होता ।ू* सतत 'जागत अव�था', अथा�त सहजाव�था ृअथवा इ��रक� अनभित : �यान करनेवाला साधक ु ू�यानाव�थाके उपरा�त जागत अव�थाम� आ जाता है; ृ�य�िक उसम� �थल आयामके �ित आकष�ण होता है । ूदसरी ओर िनर�तर नामजप करता ह�आ साधक सतत ू'जा�त अव�था'म� ही रहता है, जो एक �कारसे अख�ड �यानाव�था है ।

    * आ�याि�मक अनभितया और आ�याि�मक �तर : ंु ू�यानाव�थाम� आनेवाली अनभितयां िकसीके ु ूआ�याि�मक �तरको नह� दशा�ती । नामजपके �ारा �ा� अनभितयां यह दशा�ती ह� । उदाहरण हेत, ु ू ु�यानाव�थासे �ा� िनिव�चार अव�था यह नह� दशा�ती िक �यि�को आ�म सा�ा�कार हो गया है, जबिक िनर�तर अपनेआप होनेवाला नामजप यह दशा�ता है िक आ�याि�मक �तर ४०% है ।

    * स�म िवचार�का �कट होना : मनको िनिव�चार ूकरना अथा�त अ�तबा�� कह� भी �यान न दनेा । य�िप इस अव�थाम� स�म स�ंकार कछ �णके िलए ू ुउभरते ह� । दसरी ओर, जब हम इ��रका नामजप ूएका�तासे करते ह�, तब अ�य िवचार�के िव�ेपणके कारण अथवा भि� के��क� िनिम�ित होनेके कारण ये स�म स�ंकार नह� उभरते । इसिलए नामजप िनिव�चार ूमनसे अिधक �ेय�कर है ।

    * �थल जगतके �ित आकष�ण : अ�तम�नम� पव� ू ूज�म�के स�ंकार�के कारण ही हम �थल आयाम�से ूआकिष�त होते ह� । �यानक� अव�थाम� अ�तम�नके ये स�ंकार िनकलते नह�; अिपत मा� दबा िदए ुजाते ह� । नामजपके �ारा ये स�ंकार अ�यिधक मा�ाम� न� हो जाते ह� ।

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - ११ ु ु ृ

  • * साधनाम� पण�ता : नामजप िकसी भी और सम�त ूक�य�के साथ िकया जा सकता है, अथा�त साधनाके ृअ�य प� भी साथम� हो सकते ह� । उदाहरण हेत, कोइ� ुभाव जागित करने, िनरपे� �ेम (�ीित) हेत �यास करने, ृ ु�वभावदोष और अहकें बारमे� पढकर उनके िनम�लन ूकरने इ�यािद हेत �यास कर सकता है । यह मह�वपण� ु ूहै; �य�िक हम� सार ेदािय�व जैसे घर, ब�चे, चाकरी आिद दखेते ह�ए साधना करनी है ।

    िजस काय�से जीवका ऐिहक और पारलौिकक क�याण हो एव ंिजससे समाज �यव�था उ�म रहे, उसे धम� कहते ह�, यह प�रभाषा आ� ग� शकंराचाय�ने दी है ! ुव�तत: इस प�रभाषा अन�प काय�को ही धम�काय� ु ुकहना चािहए ! लोग�को अ�या�मशा�का �ान दनेा, साधना हेत �व� करना, िह�दओमं� धमा�िभमान जा�त ु ृ ुकरना एव ं धम�से स�ब�ध सभी मानिब�दओकं� र�ा ुकरना, उनक� िवड�बना रोकना, यह सब धम�काय� अ�तग�त आता है ।

    * िविभ�न �तर�को अनभव करना : �यानाव�थाम� ुहम एक जडता (�ेतवत अव�था) अनभव करते ह�, ुनामजपसे हम चैत�य अनभव करते ह� ।ु

    िवशेष बात यह है िक अह ंअित बलशाली एव ंकठोर होता है और साधना हम अहकंो न� करने हेत ही करते ुह�; िक�त िन�निलिखत कारण�से �यानके मा�यमसे इसे ुन� करना अ�य�त किठन होता है ।

    ''म� �यान करता ह�'ं', ''म� �यानाव�थाम� जा रहा ह�'ं' ऐसे िवचार आना बह�त ही सरल है । इससे �वयकंा, मन एव ंदहेका भान बढता ही है साथ ही यह िवचार भी कर सकता है िक वह िवशेष और अि�तीय है, िजससे अह ंबढेगा ।

    * नामजप अिन� शि�य�स े हमारी र�ा करता है : �यानक� अव�थाम� मन िनिव�चार हो जाता है । इस अव�थाम� कोई अिन� शि� हम� क� द ेसकती है । दसरी ूओर, जब हम नामजप करते ह� तब हमार ेसव� ओर एक

    सर�ा कवचका िनमा�ण होता है जो अिन� शि�य�से ुहमारी र�ा करता है ।

    ऊपर दी गई तलनाके आधारपर आजके यगम� ु ुआ�याि�मक �गित हेत इ��रका नामजप �ेय�कर है ।ु

    एक पाठकन ेपछा है िक धम�काय� िकस ेकहते ह � ?ू

    * कि�म और सहज अव�था : �यान कि�म अव�था ृ ृहै, नामजपसे हम �ाकितक अव�था �ा� कर इ��रके ृअनस�धानम� रहते ह� ।ु

    �यानके मा�यमसे इ��रीय त�व से एक�प होना सरल नह� होता, �य�िक यह िवचार और अनभव िक वह ुइ��रसे िवभ� है, सदवै �ढ बना रहता है । यह धारणा िक 'म� इ��रसे िभ�न ह�'ं, अह ंहै ।

    वत�मान समयम� अिधकांश लोग �यान साधना �वयमं� एक मनोवै�ािनक सधार लानेक� तकनीकके �पम� ुकरते ह�, न िक आ�याि�मक �गित हेत साधनाके �पम� । ुयही कारण है िक �यानके मा�यमसे जो लाभ होने चािहए वे मा� मनोवै�ािनक �तरके ही रह जाते ह� ।

    यिद आप पहलेसे ही आ�याि�मक �गित हेत ु�यानक� साधना कर रहे ह�, तो हमारा सझाव है ुिक आप उसे नामजपक� साधनाका जोड द � !

    वैसे यिद आप िकसी स�तके काय�से जडकर ुसेवा करते ह� तो वह भी धम�काय�क� ही �ेणीम� आता है; �य�िक स�त�से अ�छा धम�को और कौन समझ सकता है ?

    * स�य अथवा �ामक अनभितया : नामजप�ारा ंु ूहोनेवाली अनभितयां स�य होती ह�; �य�िक यह इ��रके ु ूनामके साथ एक�प होनेके फल�व�प होती ह� । �यानाव�थाम� होनेवाली श�य अथवा िनिव�चार ूअव�थाक� अनभित मायावी है; �य�िक इस अनभितके ु ू ु ूिवषयम� �यि� अनिभ� होता है । जब कोई नामजप करता है, तब सतक� ताके कारण वह वा�तवम� उसका अनभव करता है ।ु

    नामजप करते समय, इ��रका भान अिधक होता है । इ��रक� ही कपासे हम नामजप कर पा रहे ह� इसक� भी ृअनभित होती है । फलतः, साधना करनेका अहकंार ु ूनह� होता, और अहकंारका �य होता है ।

    मािसक वैिदक उपासना �ावण, किलयग वष� ५१२१ १७ जलाई - १५ अग�त २०१९ वष� १ / �मांक ५ प� - १२ ु ु ृ

  • िसत�बर २००७ म� मेरा �थाना�तरण हो गया था और ग� आ�ा अनसार म� रायगढके दवेद आ�मसे गोवाके ु ुरामनाथी आ�म जा रही थी । मेर े पास या�ासाम�ी (सामान) अिधक थी, छोटे-बडे कल नग जोडकर लगभग ु८ नग थे, म� अकेली ही या�ा कर रही थी । आ�मसे दो साधक आकर सार ेनग�को तलवा कर, मझे रलेयानम� ु ुचढा कर गए थे और गोवाके मडगांव 'रलेवे �टेशन'पर दो साधक मझे लेनेके िलए आनेवाले थे । रलेयान रातके ु�यारह बजे पह�चंनेवाला था; पर�त '�ेन' दो-तीन ु�थानपर अिधक समय �क गई और एक तो वातानकिलत यान और ऊपरसे रात हो जानेके कारण ु ूहम कहांपर पह�चें ?, यह पता नह� चल पा रहा था । म� उठकर बैठ गई, तभी मेरी ऊपरवाली 'सीट'से एक अधेड आयके स�जन उतरकर नीचे आए और मेर ेपास बैठ ुगए, उनक� आय लगभग ६० के आसपास होगी, रलेयान ुिनधा��रत समयसे दरेसे चल रही थी । म�ने उन स�जनसे पछा, "�या आप भी उतरनेवाले ह� ?" उ�ह�ने कहा, “नह� ू।” म�ने पछा, "आप बारह बजे रातको नीचे �य� आ गए ?" ूउ�ह�ने कहा, "आपको मडगांव उतरना है, वहां '�ेन' मा� द