थम वैि क अिधवेशन,, , 2018, 2018 िह दी का वैि क...
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अंतरा��ीय िहदी सिमितअंतरा��ीय िहदी सिमितअंतरा��ीय िहदी सिमितअंतरा��ीय िहदी सिमित, , , , भारत शाखाभारत शाखाभारत शाखाभारत शाखा,,,, महारा�महारा�महारा�महारा�, , , , नागपरुनागपरुनागपरुनागपरु
�थम वैि�क अिधवेशन�थम वैि�क अिधवेशन�थम वैि�क अिधवेशन�थम वैि�क अिधवेशन, , , , 2018201820182018
िवषय िवषय िवषय िवषय : : : : " " " " िहदी का वैि�क प�र��ेय िहदी का वैि�क प�र��ेय िहदी का वैि�क प�र��ेय िहदी का वैि�क प�र��ेय : : : : िवकास और चुनौितयाँिवकास और चुनौितयाँिवकास और चुनौितयाँिवकास और चुनौितयाँ """"
�दनांक �दनांक �दनांक �दनांक ----10101010 एवं एवं एवं एवं 11111111 जनवरीजनवरीजनवरीजनवरी, , , , 2018201820182018 �ितवदेन�ितवदेन�ितवदेन�ितवदेन
�दनांक - 10 एवं 11 जनवरी, 2018 को िव िह�दी �दवस के अवसर पर अंतरा��ीय िह�दी
सिमित, भारत शाखा का “�थम वैिक अिधवेशन एवं ि��दवसीय अंतरा��ीय शोध संगो ी” का आयोजन
नागपुर, महारा� म! �कया गया | इसम! दशे-िवदशे के िव�ान",
मनीिषय", ल%ध�ित सािह&यकार", िश'ािवद", भाषा
वै(ािनक", )याित-�ा* लेखक", मीिडयाक,म�य", अ.िह.स. के
�ितिनिधगण, िह�दी सेवी, िविभ. सं/था0 के ग1यमा�य
अ2य' एवं सद/य, अ.िह.स. शाखा के संयोजक / संयोिजका,
�शासिनक अिधकारी, सहकम3, िविव4ालय एवं
महािव4ालय के आचाय�गण, शोधाथ3 तथा छा9-छा9ा0 एवं �ितभािगय" सिहत जाने-माने :ि;&व के
धनी िव�ान" ने भाग िलया |
उ�ाटनउ�ाटनउ�ाटनउ�ाटन स�स�स�स�
�दनांक �दनांक �दनांक �दनांक ---- 10 10 10 10 जनवरीजनवरीजनवरीजनवरी, , , , 2018201820182018 को 2:30 बज े �दन म!
उ=ाटन स9 का आयोजन ‘राजीव गाँधी रा�ीय बौिAक सBपदा
�बंधन सं/थान, ३, िह/लॉप कॉलजे रोड़, िसिवल लाइ�स,
नागपुर (महारा�)-440001 के सभागार म! Hआ | इस काय�Iम
का शभुारBभ एवं उ=ाटन काय�Iम कK अ2य'ा तथा अंतरा��ीय िह�दी सिमित कK पूव� अ2य'ा एवं �थम वैिक अिधवेशन, नागपुर कK संरि'का, अ.िह.स. भारत शाखा कK संयोिजका, Mीमती सुशीला मोहनका; मु)य अितिथ महा&मा गाँधी अंतरा��ीय िह�दी िविव4ालय, वधा�, महारा� के माननीय उपकुलपित एवं )याित�ा* िव�ान �ो. िगरीर िमM; िविशO अितिथ, िवभागीय आयु;, िसिवल लाइ�स, नागपुर तथा �िसA सािह&यकार Mी अनूप कुमार; महारा� शाखा के सं/थापक अ2य' एवं �थम वैिक अिधवेशन के सम�वयक �ो. य( �साद ितवारी; महारा� शाखा एवं �थम वैिक अिधवेशन कK सिचव �ो. वीणा दाढ़े �ारा दीप �Pवलन के साथ Hआ |
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त&पQात काय�Iम कK सचंािलका डॉ. सोनू जसेवानी �ारा सर/वती व�दना कK गयी | मंचासीन अितिथय"
को पुSपगुTछ, अिभन�दन-प9 एवं अ.िह.स. के लोगो वाली दीवार
घड़ी देकर सBमािनत �कया गया |
इस वैिक अिधवेशन के सम�वयक �ो. य( �साद ितवारी
ने आगत अितिथय" का /वागत करते Hए संगो ी कK अवधारणा पर �काश डाला | “िह�दी का वैिक पUर�ेVय : िवकास और
चुनौितयाँ” िवषय पर अपना बीज व;: �दया | साथ ही िह�दी के
सम' खड़ी चुनौितय" का भी उWलेख �कया |
उAाटन के पQात “िह�दी का वैिक पUर�ेVय : िवकास और चुनौितयाँ” िवषय पर केि�Xत अंतरा��ीय शोध संगो ी का �थम स9 आरBभ Hआ | सव��थम िविशO अितिथ Mी अनुप कुमार, िवभागीय आयु;, नागपुर, महारा� ने अपने उYोधन म! िह�दी के िवकास के /वZप और मह&व को रेखां�कत करते Hए वत�मान म! उसके वैिक औिच&य का �ितपादन �कया | साथ ही िह�दी के सम' खड़ी चुनौितय" के िनराकरण कK राह बतायी | उ�ह"ने कहा �क िह�दी को िवदशे" म! लोकि�यता िमल रही ह ै | भारत म! िह�दी कK बढ़ो]री के िलए िह�दी भाषा-भािषय" को भारत कK अ�य 'े9ीय भाषा0 के साथ सम�वय का भाव रख कर चलना होगा | तभी िह�दी को उिचत /थान एवं अिधकार �ा* हो सकेगा |
त&पQात मु)य अितिथ माननीय िगरीर िमM ने अपने अिभभाषण म! इस बात पर बल �दया �क िह�दी को (ान कK भाषा बनाने कK जZरत ह ै| इसके िलए नये िवचार" को िह�दी म! समािवO करने कK आव^यकता ह,ै ता�क यह एक समृA और समथ� भाषा बन सके और अ4तन आव^यकता0 के अनुZप अपनी भूिमका कK साथ�कता को िसA
कर सके | �ौ4ोिगकK के इस युग म! िह�दी का िवकास और
िव/तार तेजी स े�कए जाने कK आव^यकता ह ै|
मु)य अितिथ के उYोधन के पQात अ�तरा��ीय िह�दी सिमित भारत शाखा अ�तरा��ीय िह�दी सिमित भारत शाखा अ�तरा��ीय िह�दी सिमित भारत शाखा अ�तरा��ीय िह�दी सिमित भारत शाखा केकेकेके वबेसाइटवबेसाइटवबेसाइटवबेसाइट
(www.ihaindia.org) का लोकाप�ण मु)य अितिथ एवं अ2य'ा �ारा �कया गया, िजसका िनमा�ण
अ.िह.स. भारत शाखा, िबहार-झारख1ड,
पटना के युवा सद/य Mी िवaK कुमार �ारा
�कया गया ह ै | Mी िवaK ने वेबसाइट के
िनbिलिखत कुछ �मखु िवशेषता0 को बताया :-
१. इस वेबसाइट का िनमा�ण युवा पीढ़ी एवं
वUर नागUरक (senior citizen) को 2यान
म! रखते Hए �कया गया ह ै|
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२. इससे कोई भी िह�दी जानने अथवा नही जानन ेवाला :ि; /वयं अपने एवं बd" को िह�दी िलखना-
पढ़ना िसखा सकता ह;ै eय"�क साईट पर उनकK
भाषा0 के चयन का िवकWप ह ै| उ�ह"ने आfह �कया �क अ�य भाषा-भाषी भी इस वेबसाइट को समृA करने के िलए िह�दी के साथ-साथ अपनी भाषा का
उपयोग कर! |
३. इस साईट पर कुछ सॉgटवेयर डाले गये ह,ै जो िह�दी शhद को टं�कत (टाइप) करने म! सहायक होग! | ४. इस साईट पर मु)य िह�दी समाचार प9 एवं �यूज़ चैनल का jलंक भी ह ै| ५. इस पर सिमित से सBबि�धत मु)य जानकाUरयाँ भी उपल%ध हk |
६. इस साईट पर सिमित कK ‘मुख पि9का’ “िवा” म! �काशन हतेु आलेख कोई भी :ि; सीधे अपनी
भाषा म! भजे सकता ह ै| ७. साईट के म)ुय पृO पर किवता0 के िलए भी /थान ह ैजहाँ िह�दी �ेमी िह�दी म! अपनी रचनाय! डाल
सकते ह ै| ८. इस सिमित के नाम, काम एवं उपलि%धय" को सोसल िमिडया के मा2यम से ४ वषl कK सीिमत
अविध म! ही ५००० लोग" तक पHचंाया गया ह ै| सभा म! उपि/थत सभी लोग" ने तािलय" कK गड़गड़ाहट से वेबसाइट को अपना समथ�न �दया |
त&पQात िनbां�कत १२ पु/तक" का लोकाप�ण �कया गया :- १. 'िव�द�श�नीिव�द�श�नीिव�द�श�नीिव�द�श�नी' /माUरका एवं सं'ेिपका - �थम वैिक अिधवेशन पर केि�Xत, सम�वयक - �ो. य( �साद ितवारी
२. 'िह�दी का विै�क प र!#ेय िह�दी का विै�क प र!#ेय िह�दी का विै�क प र!#ेय िह�दी का विै�क प र!#ेय : : : : िवकास और िवकास और िवकास और िवकास और
चनुौितयाँचनुौितयाँचनुौितयाँचनुौितयाँ' - �थम वैिक अिधवेशन एवं अंतरा��ीय शोध संगो ी पर एकि9त शोध आलेख, संपादक -�ो. य( �साद ितवारी ३. ''''िव�ािव�ािव�ािव�ा'''' - सिमित कK 9ैमािसक मुख पि9का, जनवरी २०१८, अंक १ - /व.
महाकिव गुलाब खंडलेवाल िवशेषांक, �धान
सBपादक - Mी रमेश जोशी, Ohio, USA
४. 'सरल रामायणसरल रामायणसरल रामायणसरल रामायण'''' - लेिखका - �ो. (डॉ.) निलनी पुरोिहत, वडोदरा, गुजरात
५. ''''अपराध बोधअपराध बोधअपराध बोधअपराध बोध'''' ---- उप�यास ---- लेिखका - डॉ.
कृSणा शमा�, Pitrshford, USA.
६. ''''िचिड़यािचिड़यािचिड़यािचिड़याघरघरघरघर'''' - बाल किवताएँ - लेिखका -
डॉ. �ितभा खंडलेवाल, Ohio, USA
७. ''''कुछ अनुभूितयाँकुछ अनुभूितयाँकुछ अनुभूितयाँकुछ अनुभूितयाँ कुछ &मिृतयाँकुछ &मिृतयाँकुछ &मिृतयाँकुछ &मिृतयाँ'''' - लेिखका - डॉ. �करण िस�हा, Atlanta, USA
८. ''''&टो रज ऑफ &टो रज ऑफ &टो रज ऑफ &टो रज ऑफ उपिनषउपिनषउपिनषउपिनषद-द-द-द-'''' - लेिखका - डॉ. इला कुमार, USA
९. 'बबबबंंंंदददद ददददररररववववााााजजजज//// ककककेेेे पपपपीीीीछछछछेेेे'''' ---- कहानी संfह ---- लेिखका - डॉ. कृSणा Mीवा/तव, नागपुर, महारा�
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१०. ''''भारत सम&याय- हमभारत सम&याय- हमभारत सम&याय- हमभारत सम&याय- हम'''' ---- लखेक ---- Mी उमशे रि^म रोहतगी,,,, MIMIMIMI,,,, USA
११. ''''काशकाशकाशकाश,,,, म0 किव होताम0 किव होताम0 किव होताम0 किव होता.....!.....!.....!.....!'''' - का:, लखेक - Mी िवनाथ दवेांगन, को1डगाँव, छ]ीसगढ़
१२. ''''िह�दी उप�यास/ म- नारी पा�िह�दी उप�यास/ म- नारी पा�िह�दी उप�यास/ म- नारी पा�िह�दी उप�यास/ म- नारी पा�'''' ---- लेिखका ---- Mीमती रीमा दीवान चmा, नागपुर, महारा�
पु/तक" के लोकाप�ण के पQात काn�कम कK अ2य'ा Mीमती सुशीला मोहनका जी के �ारा नागपुर के /थानीय िनbिलिखत िह�दी �ेमी सं/था0 को उनके िह�दी के �ित उ&कृO काय� के िलए अिभ�दन प9 एवं अ.िह.स. के लोगो वाली दीवार घड़ी दकेर सBमािनत �कया गया | सBमान सं/था के �ितिनिध के हाथ" म! �दान �कया गया |
१. Mी राकेश भैया, सBपादक, अिखल भारतवष3य महेरी महासभा, नागपुर - इस महासभा �ारा िवगत १२५ वषl से िह�दी पि9का का �काशन �कया जा रहा ह ै|
२. Mीमती पू,ण�मा गोयल, अ2य'ा अिखल भारतीय मारवाड़ी मिहला सBमेलन, नागपुर - िह�दी के 'े9 म! िवशेष कर बd" म! बढ़ावा दनेे के िलए |
३. Mीमती शारदा मेहािडया, उपा2य'ा, अिखल भारतीय मारवाड़ी मिहला सBमेलन - सBमलेन के कायl म! िह�दी को बढ़ावा दनेे के िलए |
४. Mीमती कृSणा Mीवा/तव, िह�दी मिहला सिमित, नागपुर, महारा� - सिमित �ारा कK गयी िह�दी कK सेवा0 के िलए |
५. Mी ि9भुवन पाल ितवारी, अ2य', मुशंी �ेमचदं वाचनालय, नागपुर इसके बाद उपि/थत अ.िह.स. के /थानीय सिमित के सं/थापक अ2य' एवं वत�मान अ2य'" को
अिभ�दन प9 तथा अ.िह.स. के लोगो वाली दीवार घड़ी दकेर सBमािनत �कया गया :-
१. डॉ. सरोज बजाज, सं/थापक अ2य', अ.िह.स. आंo�दशे-तेलांगना, भारत शाखा, हदैराबाद
२. डॉ. �दीप दीि'त, अ2य', अ.िह.स. उ]र �दशे, भारत शाखा, कानपुर
३. Mी वीरे�X कुमार चौधरी, स/ंथापक अ2य', अ.िह.स. िबहार-झारख1ड, भारत शाखा, पटना
४. डॉ. य( �साद ितवारी, सं/थापक अ2य', अ.िह.स.
महारा�, भारत शाखा, नागपुर |
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त&पQात िविशO अितिथ डॉ. िव4ा चौधरी, अ.िह.स. भारत शाखा, िबहार-झारख1ड, पटना कK संयोिजका ने अपने व;: म! कहा �क -" भारत कK रा�भाषा िह�दी ह ै| संिवधान म! इसे रा�भाषा का दजा� �दया गया ह ै | यह इसका संवैधािनक सBमान ह ै| :वहार के िलये इसे सBमान के साथ-साथ अिधकार भी चािहये | आग ेउ�ह"ने कहा �क - यह सव�िव�दत ह ै�क अिधकांश िव4ाथ3 /कूल कK पढ़ाई िह�दी अथवा अपनी मातृभाषा म! पूरी करते
हk; जब �क िव4ालय के बाद महािव4ालय कK पढ़ाई का पाpIम qयादातर अंगरेजी म! होता ह ै |
िव4ालय के बाद महािव4ालय म! पढ़ाये जाने वाले िवषय" कK अवधारणा को समझने म! बड़ा फक� पर
जाता ह;ै िवशेषकर िव(ान एवं �ावैिधकK तथा तकनीकK, �ोfाjमंग के िवषय म! | िह�दी रा�ीय ही नहs
अंतरा��ीय भाषा ह ै| इसका �योग वैिक /तर पर सBपक� भाषा के Zप म! होना चािहए | यह /थान अब
तक अंगरेजी भाषा ने ल ेरखा ह ै | इस िमथक स ेबाहर िनकलना होगा �क अंगरेजी के िबना उd िश'ा,
िव(ान एवं �ावैिधकK कK िश'ा, :ावसाियक िश'ा, �ोfाjमंग िश'ा नहs �ा* कK जा सकती ह ै| िह�दी
वैिक पUरपेVय म! अपना /थान, अपनी पहचान �ा* करने कK चुनौितय" को /वीकार करने म! स'म ह ै|
इसके िलय े आव^यक ह ै �क शै'िणक जगत के पुरोधा, शै'िणक :वसाय स े संबंिधत िव�ान, लखेक,
शै'िणक सरकारी, गैरसरकारी सं/थान िश'ा,थ�य" / िव4ा,थ�य" को िह�दी भाषा म! िश'ण �िश'ण लेने
म! मदद कर! | इसके िलए वे उd िश'ा, िव(ान एवं �ावैिधकK, तकनीकK, �ोfाjमंग, :ावसाियक आ�द
िश'ण-सामfी तैयार कर!, कराए ंएवं उस ेिव4ा,थ�य", िश'ा,थ�य" को उपल%ध कराए ं | इसम! �देश एवं
दशे के कोjचंग सं/थान महती भूिमका अदा कर सकत े हk | त&पQात Mीमती सुशीला मोहनका ने अ2य'ीय सBबोधन म! कहा �क - "िह�दी के िवकास के िलए नई पीढ़ी और बd" को िह�दी और भारतीय सं/कृित स ेजोड़ना होगा
| इस लVय कK पू,त� के िलए सरल सीधे उपयोगी बाल
सािह&य कK आव^यकता ह ै| उ�ह"ने सभी िह�दी �िमय" से आfह �कया �क अTछे, सरल, सुबोध, बाल सािह&य का िनमा�ण कKिजये या करवाईय े| बd" म! िह�दी एवं भारतीय
सं/कृित को सीखने के �ित ललक पैदा करनी होगी | भाषा
सं/कृित कK संवािहका होती ह ै| इससे भारतीय सं/कृित का संवध�न एवं सBपोशन होगा | साथ ही भारतीय सं/कृित म! िनिहत सं/कारगत मानवीय मूWय" का समाज म! �&यारोपण होगा |
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अ2य'ीय सBबोधन के पQात मु)य अितिथ डॉ. िमM ने )याित�ा* किव डॉ. मधुप पा1डेय से उनकK रचना "माँ"
किवता सुनाने का आfह �कया | डॉ. पा1डेय ने "माँ" किवता को
सुनाकर सभी Mोतागण को भाव िवभोर कर �दया |
�थम वैिक अिधवेशन कK सिचव डॉ. वीणा दाढे न ेआगत अितिथय" के �ित ध�यवाद (ािपत करते Hए आभार :; �कया | कायI�म का सफल संचालन डॉ. सोनू जसेवानी न े
�कया |
उ=ाटन स9 का समापन रा�गान के साथ Hआ | ि1तीय स�ि1तीय स�ि1तीय स�ि1तीय स� िवषय िवषय िवषय िवषय ---- """"रा�भाषा िह�दी और अिभ4ि5 कौशलरा�भाषा िह�दी और अिभ4ि5 कौशलरा�भाषा िह�दी और अिभ4ि5 कौशलरा�भाषा िह�दी और अिभ4ि5 कौशल" (" (" (" (िवशेष िवशेष िवशेष िवशेष
4ा8यान4ा8यान4ा8यान4ा8यान))))
उ=ाटन एवं �थम स9 के लघु अ�तराल के पQात ि�तीय स9 अपराuन ४ बज े�ारBभ Hआ | इस स9 कK अ2य'ता डॉ.
अशोक ि9पाठी, पूव� उपमहािनदशेक, दरूदश�न, आकाशवाणी
सलाहकार महािनदशेालय, नई �दWली न ेकK | इनके अितUर;
तीन �ितभािगय" ने िह/सा िलया- डॉ. �दीप दीि'त, अ2य', अ.िह.स. भारत शाखा उ]र�दशे, कानपुर;
डॉ.इला कुमार, �दWली और डॉ. निलनी पुरोिहत, बड़ोदरा, गुजरात |
इस िवशेष :ा)यान म! डॉ. निलनी पुरोिहत ने रा�भाषा िह�दी म! सरलता, तरलता और सहजता को ही
अिभ:ि; 'मता के िलए सबसे उपयोगी बताया | उ�ह"ने
िह�दी म! संवाद एवं संचार को बढ़ावा दनेे पर बल �दया,
ता�क यह अ�य भाषा0 के बीच �चिलत भाषा के Zप म!
अपना /थान बनाने म! सफल हो सके | य�द इस तीन" गुण"
का समावेश �कसी भी भाषा म! होता ह,ै तो वह सुनने, समझने और िलखने वाल" को अपनी ओर आकृO करती ह ै
| यही नहs उ�ह"ने भाषा के �चिलत Zप को भी इसके िव/तार का मूल आधार बताया |
डॉ. �दीप �दि'त ने िह�दी कK अिभ:ि; के कौशल को बढ़ाने के िलए सं/कृत के कUठन श%द" को
सरल Zप म! �/तुत करने का आfह �कया | इसस ेउसकK नैस,ग�क 'मता अ�य भाषा- भािषय" को भी
अपनी ओर खsचेगा और िह�दी को िवकिसत होने का अवसर िमलेगा |
डॉ. इला कुमार ने अपने व;: म! बताया �क िह�दी को तकनीकK भाषा के Zप म! िव/तार िमलना चािहए और संवाद म! अिभ:ि; कौशल पर 2यान �दया जाना चािहए | िह�दी म! (ान-िव(ान एवं
तकनी�क िश'ा को �ाथिमक /तर पर मह&व िमलना चािहए | इसके िलए िवशेष �ावधान सुिनिQत �कया
जाना चािहए | यह तभी सBभव हो सकेगा, जब िह�दी म! ही इन िवषय" कK पाp-सामfी उपल%ध हो |
डॉ. अशोक ि9पाठी ने अपने व;: एवं अ2य'ीय सBबोधन म! कहा �क-"िह�दी म! रा�भाषा होन ेकK 'मता ह ै | संय;ु रा�संघ म! इस ेइसिलए अिधकार नहs िमल रहा ह,ै eय"�क दशे म! ही भारत कK
-
सरकार रा�भाषा का कानूनी सBमान एवं अिधकार नहs द ेरही ह ै| उ�ह"ने आगे कहा �क बाजारबाद म! िह�दी का �योग अिधक होने लगा ह ै| िह�दी का �योग �यायालय म! भी होना चािहए | साथ ही सBबि�धत िवषय के पु/तक" कK रचना िह�दी म! होनी चािहए |
इस स9 के मचं का सचंालन एवं ध�यवाद (ापन डॉ. आभा jसंह, िवभागा2य' िह�दी िवभाग,
बी.एम.बी. महािव4ालय, नागपुर ने �कया |
सां&कृितक स9ंयासां&कृितक स9ंयासां&कृितक स9ंयासां&कृितक स9ंया नाटकनाटकनाटकनाटक, , , , &लाइड&लाइड&लाइड&लाइड----शोशोशोशो एवं किवएवं किवएवं किवएवं किव----सगंो=ीसगंो=ीसगंो=ीसगंो=ी
चाय के लघु अंतराल के बाद 'सां/कृितक स2ंया' काय�Iम आरBभ Hआ | इसम! सव��थम नागपुर के /थानीय कलाकार", �ो. सुपांथ भwाचाय� तथा उनके सहयोिगय"- सव�Mी हष� महा&मे और Mी राHल मुखज3 �ारा 'नाx' शीष�क नामक नाटक का �दश�न �कया गया | इस नाटक के लेखक एवं िनदyशक Mी राHल मुखज3 हk | इस नाटक म! िनदyशक कK यह िवशेषता �दखाई दी �क नाटक िबना �कसी साज-सजा एवं तड़क-भड़क के मंिचत �कया गया | इस नाटक कK खास िवशेषता यह भी रही �क दश�क को आभास नहs Hआ �क नाटक का मचंन आरBभ हो चकुा ह;ै eय"�क कलाकार दश�कदीघा� से उठकर समा�य सतह पर अिभनय (रोड शो) करने लगे | इस नाटक के मा2यम स ेबताया गया �क 'मानवता ऊँच-नीच एवं बड़-े
छोटे का भाव नहs जानती ह ै |' यह भारतीय
सं/कृित ह ै|
नाx मंचन के पQात Mी िवaK कुमार �ारा अंतरा��ीय िह�दी सिमित का इितहास, भारत शाखा
कK /थापना, अबतक कK गितिविधयाँ एवं उपलि%धयाँ /लाइड-शो के मा2यम स े�दखाया गया | िवशेषकर
िबहार-झारख1ड शाखा, पटना के काय�Iम" एवं उपलि%धयाँ से अवगत कराया |
/लाइड शो के पQात लघु किव-संगो ी का आयोजन Hआ | सभागार म! उपि/थत सद/य" म! से
िनbां�कत किवय"-कवियि9य" ने अपनी-अपनी किवता का पाठ �कया :-
Mी शरद सुनेरी, Mी Zप �कशोर कनोिजया, Mी
उमेश रोहतगी, अमUेरका; Mी स�जू कुमार, Mी सूय�म
ठाकुर, Mी िवरथुआ मैनपुरी, Mी राम बाबू गौतम,
अमेUरका; डॉ. गंगाधर ढोके, Mी राHल मुखज3, डॉ.
िव4ा चौधरी |
डॉ. िव4ा चौधरी के �ारा ध�यवाद (ापन के
साथ-साथ अ2य'ा कK अनुमित से सां/कृितक सं2या का समापन Hआ | त&पQात सभी लोग भोजनालय म!
जाकर राि9 भोजन कर अपने-अपने िवMाम /थल पर गये |
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तृतीय स�तृतीय स�तृतीय स�तृतीय स� ---- िवषय िवषय िवषय िवषय ---- ““““िह�दी िशिह�दी िशिह�दी िशिह�दी िश>ण>ण>ण>ण : : : : रोजगारो�मखु िह�दीरोजगारो�मखु िह�दीरोजगारो�मखु िह�दीरोजगारो�मखु िह�दी””””
ग@ुवारग@ुवारग@ुवारग@ुवार,,,, �दनांक�दनांक�दनांक�दनांक ---- ११११११११ जनवरीजनवरीजनवरीजनवरी,,,, २०१८२०१८२०१८२०१८ को १० बज ेपूवा�uन म! सव��थम योग के अzयास से तृतीय
स9 का शुभारBभ Hआ | आट� ऑफ िलjवंग सं/था से जुड़ी डॉ. अच�ना भारती ने 2यान केि�Xत करने से
सBबि�धत योग कराया | योग भी भारतीय सं/कृित का एक मह&वपूण� िह/सा ह ै| इस स9 कK अ2य'ता
डॉ. (�ो.) रंजना अरगड़े, िनदशेक, भाषा सािह&य भवन, गुजरात िव.िव., अहमदाबाद ने कK | डॉ. किवता
कपूर, नई �दWली ने सहअ2य'ता कK | इस स9 म!
मु)य Zप स ेडॉ. रंजीता आर. परब, िह�दी िवभाग,
गोवा िव.िव.; डॉ. आर.कुमार, अहमदाबाद; डॉ.
ओम �काश ितवार, अमेठी; डॉ. बारे लाल जैन,
िह�दी िवभाग, अवधेश �ताप jसंह िव.िव., रीवा
(म.�.); डॉ. उमावती मोहनचXं पवार, कला एवं
वािणqय महािव4ालय, सालेकसा, ग"�दया
(महारा�); सुMी ि/मता पा1डेय, शोध-छा9ा, इलाहबाद; सुMी अच�ना भारती, शोध-छा9ा, नागपुर आ�द
ने अपना-अपना शोध-प9 �/तुत �कया |
डॉ. बारे लाल जैन न ेिह�दी के िवकास म! आने वाली बाधा0 तथा चुनौितय" को रेखां�कत �कया |
डॉ. रंजीता आर. परब ने िह�दी िश'ण कK रोजगारो�मुखी ि/थितय" के िविवध संदभ| का िववेचन �कया |
इनके अितUर; डॉ. िवजय कलमधार, सहायक �ा2यापक, िह�दी शासकKय महािव4ालय, चादँ,
िछ�दवाड़ा (म.�.) ने अपने व;: म! “िवदशे" म! िह�दी अ2यापन : सम/याए ंएवं समाधान” िवषय पर
अपना व;: �दया | डॉ. आर. कुमार ने रोजगार के िलए अनुवाद कK �योजनीयता पर �काश डाला |
डॉ. किवता कपूर, सह-अ2य' ने “तकनीक के पंख" पर आZढ़ िह�दी” के :ावहाUरक एवं वै(ािनक
प'" पर �काश डाला | समfत: इस स9 कK अ2य'ा �ो. रंजना अरगड़े ने अपने अ2यापन काल म! आयी
:ावहाUरक कUठनाइय" के संदभ� म! मुWयांकन एवं पUर'ण करते Hए िह�दी को रोजगारो�मुख होने कK ि/थितय" का िव}ेSण �कया | उ�ह"ने /वत�9ता संfाम म! िह�दी कK उपादयेता कK भूिमका का भी िजI �कया
और उदहारण के साथ /पO �कया | उ�ह"ने कहा �क-
“/वत�9ता �ाि* के िलए आ�दोलनकाUरय" ने िह�दी
को मा2यम बनाया | डॉ. अरगड़े न ेिह�दी के पाpIम
पर त~या&मक जानकारी दी और अंतरा��ीय पUर�ेVय म! अंतरा��ीय िह�दी सिमित �ारा िह�दी के �चार-
-
�सार म! �कये गये योगदान कK भUूर-भूUर �शंसा कK | डॉ. िवजय कलमधार ने काय�Iम का सफल संचालन
�कया | साथ ही व;ा0 तथा आगत अितिथय" के �ित ध�यवाद (ािपत करते Hए आभार �कट �कया |
चतुथ�चतुथ�चतुथ�चतुथ� स�स�स�स� िवषय िवषय िवषय िवषय ---- ““““िमिडया कC भाषा िमिडया कC भाषा िमिडया कC भाषा िमिडया कC भाषा : : : : दशा और �दशादशा और �दशादशा और �दशादशा और �दशा””””
गुवार, �दनांक-11 जनवरी, २०१८ को म2याuन १२ बजे चतुथ� स9 का शुभारBभ Hआ | इस स9
कK अ2य'ता डॉ. वीणा दाढे, पूव� िह�दी िवभागा2य', रा.तु.म. िविव4ालय, नागपुर ने कK | सह-
अ2य'ा के Zप म! डॉ. आरती झा, सहायक �ा2यापक, पं. शBभनूाथ शुeल /वशासी ातको]र
महािव4ालय, शहडोल (म.�) ने दािय&व िनव�हन �कया |
मु)य व;ा के Zप म! �ो. वृषाली मा�Xकेर, िह�दी
िवभागा2य', गोवा िव.िव., गोवा; डॉ. िव4ा चौधरी,
पुरा&विवद एवं संयोिजका अ.िह.स. िबहार-झारख1ड
शाखा, पटना; डॉ. वेद �काश बोरकर, नागपुर; डॉ.
मनमोहन शुWक, इलाहावाद; डॉ. अिमता शeुल, रीवा
और Mी आशा राम सा, शोध छा9, खैरागढ़, (छ.ग.)
आ�द ने अपना-अपना व;: �दया | �ो. वृषाली मा�Xेकर न े “िमिडया कK भाषा : दशा और �दशा पर
�काश डाला | उ�ह"ने इस बात पर jचंता :; कK, �क सोशल िमिडया म! िह�दी का मानक Zप िवकृत
�कया जा रहा ह ै| उ�ह"ने कहा �क हम भल ेही रोमन म! िलखत ेहk, ले�कन सोचत ेिह�दी म! ही हk | िमिडया
कK भाषा वा/तिवकता से दरू होती जा रही ह,ै जब�क समाज भाषा को अपनी भाषा के Zप म! ही दखेना
चाहता ह ै|
डॉ. िव4ा चौधरी ने कहा �क- “िह�दी वैिक पUरपेVय म! अपना /थान एवं अपनी पहचान �ा*
करने कK चुनैितयाँ को /वीकार करने म! स'म ह ै| इस िमथक को तोड़ना होगा �क अंगरेजी के िबना उTय
िश'ा, तकनीकK िश'ा, िव(ान एवं �ावैिधकK, �ोfाjमंग आ�द कK िश'ा नहs �ा* कK जा सकती ह ै |
व/तुत: आज िह�दी म! इन िवषय" के अ2ययन-अ2यापन कK :व/था महािव4ालय" एवं िविव4ालय" म!
करने कK जZरत ह ै| िश'ण-ि�िशVण के िलए महािव4ालय, िवि4ालय िह�दी पाp सामfी तैयार कर!,
कराय! और उसे िव4ा,थ�य" को उपल%ध कराय! | िह�दी भारत कK लोकि�य एवं आिधकाUरक भाषा ह ै|
दशे कK सभी भाषा0 म! इसका खास /थान ह ै| आव^यकता ह ैइसके साथ रा�-बोध कK भावना को जागृत
करने कK | भारत कK िश'ण-�णाली, िश'ा-:व/था, िश'क एवं िश'ाथ3- िव4ाथ3 सव�गुण सBपन हk ,
पर�तु उनम! रा� बोध का अभाव �दखता ह ै | इस अभाव को दरू करने म! िश'क / गु अहम भूिमका िनभाकर िव4ा,थ�0 म! रा�बोध के भाव को जागृत कर इसके मा2यम से रा� कK समृिA एवं िवकास म!
-
बुिनयाद का काम कर सकते हk | आज के िव4ाथ3,
िश'ाथ3 ही कल के िश'ािवद, वै(ािनक, तकनीकK
िवशेष( एवं मीिडया िवशेष( हk |
डॉ. वेद �काश बोरकर ने पया�वरण, प9काUरता के /वZप और िवकास पर �काश डाला तथा िव(ान एवं पया�वरण के �ासंिगकता को /लाइड- शो के मा2यम
से �द,श�त �कया | उ�ह"ने िमिडया �ारा पया�वरण के
�ित बढ़ती जागZकता पर संतोष :; �कया | साथ ही पया�वरण और जलवाय ुपUरवत�न के िविभ. प'"
का िवशलेषण �कया |
Mी आशा राम सा ने मनुSय के िलए भाषा को एक अमूWय िनिध िसA करते Hए अिभ:ि; को
सरल-सुगम बनाने कK �दशा म! काम करने पर जोड़ �दया |
कानपुर से पधारे डॉ. अिनल दीि'त ने कहा �क िह�दी �कसी भी Zप म! िलखी जाये, तब भी उसकK
वै(ािनकता कK पहचान हो ही जाती ह ै|
सहअ2य'ा डॉ. आरती झा ने िह�दी पर हो रही िविभ. भाषा0 कK आIामकता कK ओर बढ़ती
�वृि] पर 2यान आकृO कराया | उ�ह"न े कहा �क-“िह�दी से अ�य भाषा0 कK बोिलय" को अलग बताते
Hए कितपय िह�दी िव�ान उसकK हिैसयत को कम कर आंकत ेहk, जब�क अ�य भाषा0 के श%द" को लकेर
िह�दी अपना िवराट Zप धारण कर अपनी जड़े मजबूत कर चुकK ह ै|”
इस स9 कK अ2य'ता कर रहs डॉ. वीणा दाढे ने संवाद" कK दिुनया को िसमटने और श%द" के सं'ेपीकरण का �योग अिधक होने के �ित jचतंा :; करते Hए कहा �क- “िह�दी के �ित िह�दी �ेिमय"
कK नकारा&मक सोच ही उसके िवकास म! बाधक बनती आयी ह ै | अब समय आ गया ह ै �क हम आ&म-
पUर'ण के �ारा िह�दी को आदर और आ/था से देखन ेकK �दशा म! काम कर! | इस �थम वैिक अिधवेशन
के दो �दवसीय अंतरा��ीय आयोजन का म)ुय लVय इ�हs िब�द0ु पर केि�Xत ह ै�क िह�दी के �ित ेह और
सBमान को कैसे बढ़ाया जाये | हम! पूण� िवास ह ै�क यह अिधवेशन िह�दी कK ि/थित को सुदढ़ृ करने कK
�दशा म! एक मह&वपूण� कदम िसA होगा और त&सBब�धी चुनौितय" का सामना करने कK �दशा �दान
करेगा |
इस स9 का संचालन डॉ. अिBबका �साद पा1डेय एवं डॉ. गंगाधर ढोके ने सफलता पूव�क �कया |
अंत म! डॉ. गंगाधर ढोके ने सभी के �ित ध�यवाद (ापन एवं आभार �कट |
पचंमपचंमपचंमपचंम स�स�स�स�
िवषय िवषय िवषय िवषय ---- ““““िवदेश म- िवदेश म- िवदेश म- िवदेश म- िह�दी िह�दी िह�दी िह�दी : : : : &वDप और िव&तार&वDप और िव&तार&वDप और िव&तार&वDप और िव&तार”””” ((((खलुा अिधवशेनखलुा अिधवशेनखलुा अिधवशेनखलुा अिधवशेन))))
भोजनावकाश के बाद 11 जनवरी, २०१८ को २.३० बज े�दन म! पंचम स9- ‘िवदशे म! िह�दी :
/वZप और िव/तार’ (खलुा अिधवेशन) िवषय पर �ारBभ Hआ, िजसकK अ2य'ता यू.एस.ए. स ेआयs डॉ.
सिवता गौड़ ने कK | सहअ2य'ता डॉ. वृषाली मा�Xकेर, िवभागा2य', िह�दी गोवा िविव4ालय, गोवा
-
ने कK | मु)य व;ा के Zप म! डॉ. सुरेश माहेरी, अमलनेर, जलगाँव न े “�वासी सािह&य और
मानवािधकार” िवषय पर केि�Xत अपना सारग,भ�त शोध प9 �/तुत �कया | इसी Iम म! डॉ. सोन ू
जेसवानी न े“भूमंडलीकरण के पUरपेVय म! िह�दी भाषा कK मनोभािषकK” के िविभ. पहलु0 का उWलेख
करते Hए बताया �क वैीकरण व/तुतः बाजारवाद पर आधाUरत एक अथ�शा9ीय पUरकWपना ह,ै िजसका
सBब�ध सीधे मु; बाजार, मु; :ापार और मु; सचंार पर केि�Xत ह ै| वैिकरण के इस भंवर म! िवशेष
Zप से संकटf/त व �मुखता स ेअि/त&वहीन होने का खतरा भाषा0 पर ही आया ह ै| वैीकरण कK मूल
भाषा अंगरेजी ह,ै जो कंयूटर, इ�टरनेट और बाजार अथ�त�9 को अपने लVय म! रखती ह ै | आज इसी
चुनौती का सामना दिुनया कK हर भाषा को करना पड़ रहा ह ै| अगर हम इस कमजोरी को समझ ल!, तो
वह �दन दरू नहs जब िह�दी, जो िव कK सबसे बड़ी भाषा ह ैऔर अिधक सं)या म! बोली जाने वाली भी
ह ै , िव िवजियनी हो जायेगी | रा�भाषा के /तर पर बोली जाने वाली भाषा िह�दी िव कK �मुख
भाषा ह,ै �फर भी वह अपनी चुनौितय" के �ित उदार और सहज बनी रहती ह,ै िजसके कारण उसकK
मह]ा लचीली �दखाई पड़ती ह ै| इसको हम! गितशील और �भावशाली बनाने कK जZरत ह ै|
शोध व;ा डॉ. आरती झा ने िह�दी भाषा कK िवकास या9ा म! उसके वैीकरण और चुनौितयाँ पर
�काश डाला | डॉ. ओम �काश ितवारी ने िव बाजार और िह�दी के अंतसबंध का िव}ेSण �कया | डॉ.
आर.डी. िमM ने िह�दी के िवकास और तुलसी के राम का: कK पृ भूिम म! भाषा के िवकास के िविवध
पहलु0 को रेखां�कत �कया | डॉ. भानू एम. चौधरी, गुजरात ने वैिक पUरदृ̂ य पर िह�दी के मह&वपूण�
पहलु0 का भावना&मक िववेचन �कया | उ�ह"ने अ�य भाषा0 कK तलुना म! िह�दी कK :ापकता का भी
िववेचन �कया | डॉ. इला कुमार ने रा�भाषा िह�दी के मह&व का �ितपादन अिभ:ि; कौशल के पUरपेVय
म! �कया | डॉ. अिBवका �साद पा1डेय ने ^याम संुदर दबेु �ारा िलिखत पु/तक “लोक : मानव मूWय िमिडया
और भाषा संवेदना” पर आधाUरत प9काUरता का िववेचन �कया | Mीमती पू,ण�मा पाUटल, आ/ेिलया न े
िह�दी के िविवध पUरदृ̂ य" का िव}ेSण वैिक संदभ� म! �कया | Mी जय �काश शमा�, नागपुर न ेऔ4ोिगक
सं/थान" म! िह�दी कK कामकाजी �कृित का िव}ेSण �कया | डॉ. /व,ण�मा िस�हा ने िह�दी कK मौिलक
�कृित और िलिप के समि�वत अंतसबंध का िववेचन �कया | सहअ2य' डॉ. वृषाली मा�Xेकर न ेिह�दी कK
मीिडयाधम3 �कृित और अनेक भाषा0 को साथ म!
लकेर चलने कK आदत से पUरिचत कराया | उ�ह"ने
कहा �क- िमिडया अपने बदलते तेवर म! समाज को अTछी तरह स े समझ म! आन े वाली भाषा का
इ/तमाल कर रहा ह ै | jहगंिलश, उदू�, फ़ारसी, तुक
आ�द को िमलाकर िह�दी का नया Zप चलन म! आ
रहा ह,ै वह अपने आप म! �योजनीय ह ै| िमिडया कK
भाषा जहाँ एक ओर िमली-जुली भाषा के Zप म!
-
बदल गयी ह,ै वहs उसके सB�ेशिनयता म! भी सहायक ह ै|
इस स9 कK अ2य'ा डॉ. सिवता गौड़ ने अपने अ2य'ीय सBबोधन म! कहा �क-"आज िह�दी िव
भर म! ४ लाख ३० हजार लोग" कK पहली भाषा ह ै| िह�दी के वैिक पUरपेVय पर िवचार-िवमश� के िलए
हम यहाँ एक9 Hए हk, इसिलए इसी �दवस के मा2यम से देश-िवदशे म! रा�भाषा िह�दी को िवभाषा
बनवाने के िलए अनुकूल ि/थितयाँ और वातावरण िन,म�त �कए जान ेका संकWप िलया जाय े| आज संय;ु
रा�संघ म! िजन छ: भाषा0 को आिधकाUरक दजा� �ा* ह,ै उनम! िह�दी का भी /थान होना चािहये, जो
नहs ह ै | यह तभी सBभव ह,ै जब रा�भाषा �चार सिमितयाँ तथा अ�य िह�दी सेवी सं/थाय! िव िह�दी
सBमेलन" से जड़ुकर हर /तर पर संयु; �यास कर! |" िह�दी भाषा कK जड़ म! बHत ही समृA सािह&यक,
सा/ंकृितक और सामािजक िवरासत ह,ै िजसका उपयोग �कया जा सकता ह ै| उ�ह"ने िह�दी के बHआयामी
मह&व पर �काश डाला तथा भिवSय म! िवबाजार म! उसकK िनतांत आव^यकता पर बल �दया | डॉ. गौड़
ने अनुभूित के आधार पर कहा �क िवदशे म! भले ही लोग रह रह ेह", ले�कन वे सभी अपनी मातृभाषा म!
बोलने म! गव� का अनुभव करते हk | एक दसूरे स ेिह�दी म! बात करना पसंद करते हk | लखनऊ स ेआये डॉ.
िशवमोहन jसंह ने िवषय स ेहट कर अपन ेमन कK बात! कहs |
इस स9 का सफल संचालन डॉ. िवजय कलमधार ने �कया |
समापनसमापनसमापनसमापन स�स�स�स�
पंचम स9 के उपरांत ही समापन स9 �ारBभ Hआ |
इस स9 कK अ2य'ता डॉ. य( �साद ितवारी, अ.िह.स.
महारा�, भारत शाखा, नागपुर के सं/थापक अ2य' न ेकK |
मु)य आित~य Mी शिश�काश jसंह, अिधव;ा, लखनऊ न े
�कया तथा िविशO अितिथ का दाि&यव िनव�हन डॉ. िव4ा
चौधरी, संयोिजका, अ.िह.स. िबहार-झारख1ड शाखा, पटना
ने �कया | इस अवसर पर अिधवेशन कK संरि'का
Mीमती सुशीला मोहनका अिभवावक के /वZप म!
मंच पर उपि/थत थs | िविशO अितिथ डॉ. िव4ा
चौधरी ने अपना िवचार :; करते Hए कहा �क-' िह�दी को रा�ीय एवं अंतरा��ीय /तर तक लोग" के बीच :ावहाUरक Zप म! पHचँाने का Mेय
कामगार लोग" एवं �फWम संसार को ह ै| कामगार
वग� एक /थान से दसूरे /थान पर जाकर दशे-िवदशे
म! रोजगार- :वसाय करता ह ै | Iय-िवIय के
साथ-साथ भाषा का भी िविनमय होता है, िजसके
-
पUरणाम /वZप दोन" म! पर/पर भाषा-(ान
संब,ध�त होता ह ै|
इस स9 के मु)य अितिथ Mी शिश�काश jसंह ने कहा �क-िह�दी को लेकर
आज अTछा वातावरण तैयार हो रहा ह ै |
िह�दी �े िमय" को अिधक-से-अिधक िह�दी का
:ावहार अपने जीवन म! करना चािहए |
अिधकतम देश" म! िह�दी के पठन-पाठन कK :व/था रहने पर िह�दी का �चार-�सार
तेजी स ेहोगा, इसके िलए शासन-�शासन और उस दशे के लोग" को दािय&व का िनव�हन करना चािहए |
वा/तिवकता तो यही ह ै �क िह�दी को सयं;ु रा�संघ कK भाषा बनाने के िलए इसका अिधक-स-ेअिधक
�योग हो, तब िबना �कसी कावट के माग� �श/त होगा | Mी शिश�काश jसंह जी ने िनbिलिखत दो
�/ताव �/तािवत �कये :- १. समाजशािय" एवं वै(ािनक" �ारा तकनीकK िवषय" पर िलिखत पु/तक" का भारतीय भाषा0 म! अनुवाद तथा िह�दी म! मलू लखेन कK �ेरणा �दान करना | २. िविभ. वै(ािनक, कृिष, तकनीकK, �यायालयीय भाषा के �चिलत शhद" को िह�दी श%दकोष म! सिBमिलत कर �&येक िवषय के श%दकोष का िनमा�ण करना | सभा म! उपि/थत सभी न ेकरतल 2विन से दोन" �/ताव" को अपना समथ�न �दया |
अ2य'ता कर रह ेडॉ. य( �साद ितवारी ने अपने उYोधन म! िह�दी के वैिक िवकास म! आने वाली
चुनौितय" के पUरपेVय म! कायI�म कK उपलि%धय" पर �काश डाला | उ�ह"ने इस �संग म! Mीमती सुशीला
मोहनका �ारा लगातार �कए गये �यास" का उWलेख करते Hए इस बात पर बल �दया �क �थम वैिक अिधवेशन और अंतरा��ीय संगो ी का आयोजन भाषा, सं/कृित और सािह&य के अंतसBबध का �भाव
सामािजक िनमा�ण म! सहायक होगा | इस कायI�म कK सबसे बड़ी सफलता यही ह ै �क देश-िवदशे के
िव�ान", शोधा,थ�य", सािह&य-�ेिमय", �िति त सािह&यकार" ने अपने-अपने ढंग से िह�दी के िवकास और
उसके िलए जुटायी जा सकने वाली �ाथिमकता0 को रेखां�कत �कया | उ�ह"ने काय�Iम कK सफलता के
िलए अपने सहयोिगय", डॉ. वीणा दाढे के अितUर; शाखा कK उपा2य'ा डॉ. मधुिलका पा1ड,े डॉ. म. म.
कडू के सहयोग कK भूUर-भूUर �संशा कK | साथ ही अ�य सहयोिगय" कK भी काफK सरहना कK | अंत म!
Mीमती सुशीला मोहनका ने आयोजन म! सिBमिलत िव�ान", शोधा,थ�य", छा9-छा9ा0, दशे-िवदशे स े
आये �ितभािगय", मीिडयाक,म�य" एवं अिधवेशन को सफल बनाने िलए आयोजक" तथा सहयोिगय" के
�ित ेह भरा ध�यवाद �दया | उ�ह"ने दरूदराज से आये और /थानीय �ितभािगय", �ितिनिधय" कK तह े
�दल से �शसंा कK, िज�ह"ने आयोजन म! उपि/थत होकर काn�कम को सफल बनाया | Mीमती मोहनका ने
कहा �क अमेUरका म! िह�दी का �योग िनरंतर बढ़ रहा ह ै| इसका Mेय इस तरह के आयोजन" को ही जाता
-
ह ै | इन आयोजन" के बहाने लोग िलखने-पढ़ने का मन बनाते हk और हर जगह पHचंने कK िजBमदेारी
िनभाते हk | िह�दी को इस /तर तक पचँाने म! योगदान कहs-न-कहs अतंरा��ीय एवं रा�ीय परामश� मंडल
के सद/य" को जाता ह,ै जो इसे एक अिभयान कK तरह संचािलत कर रह ेहk |
त&पQात अिभवावक /वZप Mीमती सुशीला मोहनका न े आयोजन सिमित के िनbां�कत पदािधकाUरय" एवं सद/य" को अिभ�दन प9, अ.िह.स. के लोगो वाली दीवार घड़ी दकेर सBमािनत �कया :-
१. Mी शिश�काश jसंह
२. डॉ. अवधेश शeुल
३. डॉ. वीणा दाढे
४. डॉ. सोनू जसेवानी
५. डॉ. िवजय कलमधार
६. डॉ. ओम �काश ितवारी
७. डॉ. आरती झा
८. Mी वीरे�X कुमार चौधरी
&पQात Mीमती मोहनका जी ने उपि/थत िह�दी
सेिवय" सिहत म)ुय अितिथ शिश�काश jसंह, वUर
अिधव;ा उd �यायालय, उ.�.; डॉ. िशवमोहन jसंह, डॉ.
य( �साद ितवारी, डॉ. िव4ा चौधरी एवं Mी वीरे�X कुमार
चौधरी, डॉ. वीणा दाढे, Mी िवaK कुमार, Mी अिभषेक
अfवाल, हदैराबाद; राजीव गाँधी रा�ीय बौिAक सBपदा
�बंधन सं/थान, नागपुर; आमदार िनवास, नागपुर; /थानीय
एवं आमंि9त अितिथय", िमिडया के �ितिनिधय", अंतरा��ीय िह�दी सिमित के सद/य", कायI�म के सभी
सफल सचंालक" के �ित आभार �कट �कया | इस स9 का सफल संचालन डॉ. सपना ितवारी ने �कया | साथ ही अ2य' कK अनुमित से अिधवेशन कK समाि* कK घोषणा Hई |
�ितवेदक �ो. य( �साद ितवारी सं/थापक अ2य', अ.िह.स. महारा�, भारत शाखा
डॉ. िव4ा चौधरी संयोिजका, अ.िह.स. िबहार-झारख1ड, भारत शाखा