एस धम्म « सनंतन « भाग 10 92. - osho...

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1 एस धमो सनंतनो, भाग 10 वचन-म 92. मृयु कᳱ महामारी म खड़ा जीवन ........................................................................................2 93. जीने म जीवन है ............................................................................................................ 27 94. धमम के िर ................................................................................................................. 49 95. मातरम् ितरम् हंवा ..................................................................................................... 69 96. लोभ संसार है, गुर से दूरी है ............................................................................................ 89 97. मृयुबोध के बाद ही महोसव संभव................................................................................ 111 98. सयमेव जयते .............................................................................................................. 137 99. एकमाि साधना--सहजता ............................................................................................. 160 100. यान का दीि, करणा का काश.................................................................................... 183 101. हम अनंत के यािी ह .................................................................................................... 205 102. जीवन का िरम सय : यह, अभी, इसी म ...................................................................... 225

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Page 1: एस धम्म « सनंतन « भाग 10 92. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 त रव क स ह आ ह। ज उस

1

एस धममो सनतनो भाग 10

परवचन-करम

92 मतय की महामारी म खड़ा जीवन 2

93 जीन म जीवन ह 27

94 धमम क तरिरतन 49

95 मातरम तरितरम हतवा 69

96 लोभ ससार ह गर स दरी ह 89

97 मतयबोध क बाद ही महोतसव सभव 111

98 सतयमव जयत 137

99 एकमाि साधना--सहजता 160

100 धयान का दीि करणा का परकाश 183

101 हम अनत क यािी ह 205

102 जीवन का िरम सतय यही अभी इसी म 225

2

एस धममो सनतनो भाग 10

बानव परवचन

मतय की महामारी म खड़ा जीवन

मततासखिररचचागा िसस च तरविल सख

चज मततासख धीरो सिसस तरविल सख 241

िरदकखिदानन यो अततनो सखतरमचछतरत

वरससगगससटठो वरा सो न िररमचचतरत 242

य तरह ककचच तदितरवदध अककचच िन कतरयरतरत

उननलान िमततान तस बडढतरत आसवा 243

यसच ससमारदधा तरनचच कायगतासतरत

अककचनत न सवतरत ककचच सातचचकाररनो

सतान सिजानान अतथ गचछतरत आसवा 244

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो 245

मातर तरितर हतवा राजानो दव च सोतरतथय

वययगघिचम हतवा अनीघो यातरत बराहमणो 246

परथम दशय--

एक समय वशाली म दरभमकष हआ था और महामारी फली थी लोग कततो की मौत मर रह थ मतय का

ताडव नतय हो रहा था मतय का ऐसा तरवकराल रि तो लोगो न कभी नही दखा था न सना था सब उिाय

ककए गए थ लककन सब उिाय हार गए थ कफर कोई और मागम न दखकर तरलचछवी राजा राजगह जाकर

भगवान को वशाली लाए भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया था--मतय िर

तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह कफर जल भी बरसा था सख वकष िनः हर हए थ फल वरषो स न लग थ

कफर स लग थ कफर फल आन शर हए थ लोग अतरत परसनन थ

और भगवान न जब वशाली स तरवदा ली थी तो लोगो न महोतसव मनाया था उनक हदय आभार और

अनगरह स गदगद थ और तब ककसी तरभकष न भगवान स िछा था--यह चमतकार कस हआ भगवान न कहा था-

-तरभकषओ बात आज की नही ह बीज तो बहत िराना ह वकष जरर आज हआ ह म िवमकाल म शख नामक

बराहमण होकर परतयक बदधिररष क चतयो की िजा ककया करता था और यह जो कछ हआ ह उसी िजा क

3

तरविाक स हआ ह जो उस कदन ककया था वह तो अलि था अतयलि था लककन उसका ऐसा महान फल हआ ह

बीज तो होत भी छोट ही ह िर उनस िदा हए वकष आकाश को छन म समथम हो जात ह थोड़ा सा तयाग भी

अलिमाि तयाग भी महासख लाता ह थोड़ी सी िजा भी थोड़ा सा धयान भी जीवन म करातरत बन जाता ह और

जीवन क सार चमतकार धयान क ही चमतकार ह तब उनहोन य गाथाए कही थी--

मततासखिररचचागा िसस च तरविल सख

चज मततासख धीरो सिसस तरविल सख

िरदकखिदानन यो अततनो सखतरमचछतरत

वरससगगससटठो वरा सो न िररमचचतरत

थोड़ सख क िररतयाग स यकद अतरधक सख का लाभ कदखायी द तो धीरिररष अतरधक सख क खयाल स

अलिसख का तयाग कर द

दसरो को दख दकर जो अिन तरलए सख चाहता ह वह वर म और वर क चकर म फसा हआ वयतरि कभी

वर स मि नही होता

िहल तो इस छोटी सी कथा को ठीक स समझ ल कयोकक कथा म ही सिो क पराण तरछि हए ह

मनषय का मन ऐसा ह कक दख म ही भगवान को याद करता ह सख हो तो भगवान को भल जाता ह

और दभामगय की बात ह यह कयोकक जब तम दख म याद करत हो तो भगवान स तरमलन भी हो जाए तो भी

तमहारी बहत ऊिर गतरत नही हो िाती जयादा स जयादा दख स छट जाओग अगर सख म याद करो तो सख स

छट जाओग और महासख को उिलबध होओग जब तम दख म याद करत हो तो याद का इतना ही िररणाम हो

सकता ह कक दख स छट जाओ सख म आ जाओ लककन सख कोई गतवय थोड़ ही ह सख कोई जीवन का लकषय

थोड़ ही ह जो सखी ह व भी सखी कहा ह दखी तो दखी ह ही सखी भी सखी नही ह इसतरलए अगर सख भी

तरमल जाए तो कछ तरमला नही बहत

जो सख म याद करता ह उसकी सख स मतरि हो जाती ह वह महासख म िदािमण करता ह वह ऐस

सख म िदािमण करता ह जो शाशवत ह जो सदा ह सख तो वही जो सदा हो सख की इस िररभारषा को खब

गाठ बाधकर रख लना सख तो वही जो सदा रह जो आए और चला जाए वह तो दख का ही एक रि ह

आएगा थोड़ी दर भातरत होगी कक सख हआ चला जाएगा--और भी गहर गडढ म तरगरा जाएगा और भी दख म

िटक जाएगा

जो कषणभगर ह वह आभास ह वासततरवक नही वासततरवक तो तरमटता ही नही तरमट सकता नही जो ह

सदा ह और सदा रहगा जो नही ह वह कभी भासता ह कक ह और कभी तरतरोतरहत हो जाता ह जस दर

मरसथल म तमह जल-सरोवर कदखायी िड़ अगर ह तो तम उसक िास भी िहच जाओ तो भी ह तम उसस

जल िी लो तो भी ह तम उसस दर भी चल जाओ तो भी ह लककन अगर मगमरीतरचका ह अगर तरसफम कदखायी

िड़ रहा ह अगर तरसफम तमहार पयास क कारण तमन ही कलिना कर ली ह तो जस-जस िास िहचोग वस-वस

जल का सरोवर तरतरोतरहत होन लगगा जब तम ठीक उस जगह िहच जाओग जहा जल-सरोवर कदखायी िड़ता

था तब तम अचानक िाओग रत क ढरो क अतरतररि और कछ भी नही ह तमहारी पयास न ही सिना दख

तरलया था

4

पयास सिन िदा करती ह अगर तमन कदन म उिवास ककया ह तो रात तम सिना दखोग भोजन करन

का भख न सिना िदा कर कदया अगर तमहारी कामवासना अतपत ह तो रात तम सिन दखोग कामवासना क

तपत करन क कषधा न सिना िदा कर कदया गरीब धन क सिन दखता ह अमीर सवतिता क सिन दखता ह

जो हमार िास नही ह उसका हम सिना दखत ह और अगर हमारी कषधा इतनी बढ़ जाए पयास इतनी बढ़

जाए कक हमारा िरा मन आचछाकदत हो जाए उसी पयास स तो कफर हम भीतर ही नही दखत आख बद करक

ही नही दखत खली आख भी सिना कदखायी िड़न लगता ह वही मगमरीतरचका ह तब तमहारा सिना इतना

परबल हो गया कक तम सतय को झठला दत हो और उसक ऊिर सिन को आरोतरित कर लत हो

हम सबको ऐसा अनभव ह हमन चाह समझा हो चाह न समझा हो जो नही ह उसको भी हम दख लत

ह ककसी सतरी स तमहारा परम ह तमह उसकी कषधा ह तमह उसकी पयास ह उस सतरी को तमस कछ लना-दना

नही ह लककन तम उसकी भाव-भतरगमा म उसक उठन-बठन म दख लोग इशारा कक उसको तमस परम ह वह

तमस अगर हसकर भी बोल लगी--हसकर वह सभी स बोलती होगी--अगर वह तमह कभी घर चाय तरिलान क

तरलए बला लगी तो तम समझोग कक उस परम ह तम इस छोटी सी बात िर अिनी िरी वासना को आरोतरित

कर दोग राह िर रककर तमस बात कर लगी तो तम समझोग कक उसको भी मरी आकाकषा ह

हम परतरतिल ऐसा करत ह जो नही ह उसको दख लत ह कयोकक हम चाहत ह कक वह हो जो ह उसको

झठला दत ह कयोकक हम चाहत नही कक वह हो ऐस हम जीवन को झठ करक जीत ह कषणभर को कदख भी

जाए इसस कछ फकम न िड़गा सिना तो टटगा सिनो म सख कहा सख तो शाशवतता म ह

इसतरलए बदध कहत ह--एस धममो सनतनो जो सदा रह वही धमम ह सनातन धमम का सवभाव ह

वशाली म दरभमकष हआ वशाली क िास ही राजगह म भगवान ठहर ह लककन जब तक दखी न थ लोग

तब तक उनह तरनमतरित न ककया था

य कथाए तो परतीक-कथाए ह यही तो हमारी दशा ह जब सब ठीक चलता होता कौन मकदर जाता

कौन िजा करता कौन परभ को समरण करता जब तम जीत रह होत तब तो िरमातमा की याद भल जाती ह

जब तम हारन लगत तब तम साध-सतसग खोजत जब जीवन म तरवरषाद िकड़ता जब तमहार ककए कछ भी

नही होता तब तम कोई सहारा खोजत तब तम राम-राम जित तब तम माला िकड़त तब तम धयान म

बठत और खयाल रह दख म धयान करना बहत करठन ह दख बड़ा वयाघात ह दख बड़ा तरवघन ह सख म धयान

करना सरल ह लककन सख म कोई धयान करता नही

सख की तरग िर अगर तम धयान म जड़ जाओ--मन सख स भरा ह मन परफतरललत ह मन ताजा ह यवा

ह--इस उतसाह क कषण को अगर तम धयान म लगा दो तो जो धयान वरषो म िरा न होगा वह कषणो म िरा हो

सकता ह

इसतरलए मरी अतरनवायम तरशकषा यही ह कक जब सख का कषण हो तब तो चकना ही मत तब तो सख क

कषण को धयान क तरलए समरिमत कर दना तब भगवान को याद कर लना वह याद बड़ी गहरी जाएगी वह

तमहार अतसतल को छ लगी वह तमहार पराणो की गहराई म परतरततरित हो जाएगी तम मकदर बन जाओग

जब तमहारी आख आस स भरी ह तब तम भगवान को बलात हो दवार तो अवरदध ह जब तमहार ओठ

मसकराहट स भर ह तब बलाओ तब दवार खल ह तब उस मसकराहट क सहार तमहार परभ का समरण तमहारी

आतमा तक को रिातररत करन म सफल हो जाएगा सख म करो याद जो दख म करत ह दख स राहत तरमल

5

जाती ह परभ की समतरत ह राहत तो दगी लककन जो सख म याद करत ह व मि हो जात ह इस बात को

खयाल म रखना

वशाली म िड़ा दरभमकष बड़ी महामारी फली लोग कततो की मौत मरन लग तब घबड़ाए मतय का

ताडव नतय ऐसा कभी दखा न था सना भी न था इतरतहास म वरणमत भी न था सब उिाय ककए

खयाल रखना आदमी िहल और सब उिाय कर लता ह िरमातमा अतरतम उिाय ह और तरजसको तम

अतरतम उिाय मानत हो वही परथम ह लककन तम उस कय म आतरखर म खड़ा करत हो तम िहल और सब

उिाय कर लत हो जब तमहारा कोई उिाय नही जीतता तब तम िरमातमा की तरफ झकत हो थक-हार इस

तरवचार स कक शायद अब और तो कही होता नही शायद हो जाए यह आसथा नही ह--आसथावान तो िहल

िरमातमा की तरफ झकता ह--यह अनासथा ह िहल तम जाओग उस कदशा म तरजसम तमहारी आसथा ह

समझो कक बीमार िड़ तो तम िहल होतरमयोिथ क िास नही जाओग िहल एलोिथ क िास जाओग

उसम तमहारी आसथा ह कफर अगर एलोिथ न जीत सका तो तम आयवद क िास जाओग उसम तमहारी

थोड़ी सी डगमगाती आसथा ह--िराना ससकार ह कफर वह भी न जीता तो तम शायद होतरमयोिथ क िास

जाओ अब तम सोचत हो शायद होतरमयोिथ भी न जीत तो कफर तम शायद नचरोिथ क िास जाओ और

जब सब िथी हार जाए तो शायद तम िरमातमा का समरण करो तम कहो अब तो कोई सहारा नही अब तो

बसहारा ह अत म तम याद करत हो अत म याद करत हो यही बताता ह कक तमहारी कोई आसथा नही

अनयथा िहल तम िरमातमा की याद ककए होत िहला मौका तम उसको दत हो तरजसम तमहारी आसथा ह

िरमातमा आतरखर म हमन रख छोड़ा ह

वशाली क लोग हमस कछ तरभनन न थ ठीक हम जस लोग थ ऐसी घटना कभी घटी या नही घटी इसकी

कफकर म मत िड़ना वशाली क लोग हम जस लोग थ इसीतरलए तो लोग बढ़ाि म िरमातमा का समरण करत

ह जवानी म नही तब तो सब ठीक चलता मालम िड़ता ह नाव बहती मालम िड़ती ह दसरा ककनारा बहत

दर नही मालम िड़ता िरो म बल होता ह अिन अहकार िर भरोसा होता ह कर लग खद जझन की तरहममत

होती ह कफर धीर-धीर िर कमजोर हो जात ह नाव टटन-फटन लगती ह दसरा ककनारा दर होन लगता ह

लगता ह मझधार म ही डबकर मरना ह अिन िर अब भरोसा नही रह जाता अिन सब ककए उिाय वयथम होन

लगत ह तब आदमी भगवान की समतरत करता ह तब सोचता ह शायद

िर खयाल रखना तरजसन अत म भगवान को मौका कदया ह उसक भीतर शायद तो मौजद रहगा ही अत

म मौका दन का मतलब ही ह कक तमहारा भगवतता म तरवशवास नही ह

य वशाली क लोग दरभमकष फला होगा महामारी फली होगी सब उिाय ककए होग तरचककतसा-वयवसथा

की होगी लककन कछ भी रासता न तरमला लोग कततो की मौत मर रह थ यह कततो की मौत शबद मझ बहत

ठीक लगा

गरतरजएफ तरनरतर अिन तरशषयो स कहा करता था कक तरजस वयतरि न धयान नही ककया वह कतत की मौत

मरगा ककसी न उसस िछा कतत की मौत का कया अथम होता ह तो गरतरजएफ न कहा कतत की मौत का अथम

यह होता ह कक वयथम जीआ और वयथम मरा दतकार खायी जगह-जगह स भगाया गया जहा गया वही दतकारा

गया रासत िर िड़ी जठन स जजदगी गजारी कड़-करकट िर बठा और सोया और ऐस ही आया और ऐस ही

वयथम चला गया न जजदगी म कछ िाया न मौत म कछ दशमन हआ--कतत की मौत

6

लककन हम लगता ह कक कभी-कभी कोई कतत की मौत मरता ह बात उलटी ह कभी-कभी कोई मरता

ह तरजसकी कतत की मौत नही होती अतरधक लोग कतत की मौत ही मरत ह हजार म एकाध मरता ह तरजसकी

मौत को तम कहोग कतत की मौत नही ह जो जीआ तरजसन जाना तरजसन जागकर अनभव ककया तरजसन जीवन

को िहचाना तरजसन जीवन की ककरण िकड़ी और जीवन क सरोत की तरफ आख उठायी जो धयानसथ हआ

वही कतत की मौत नही मरता

कफर हम बड़ बचन हो जात ह--महामारी फल जाए लोग मरन लग तो हम बड़ बचन हो जात ह और

एक बात िर हम कभी धयान ही नही दत कक सभी को मरना ह--महामारी फल कक न फल इस जगत म सौ

परतरतशत लोग मरत ह खयाल ककया ऐसा नही कक तरननयानब परतरतशत लोग मरत ह कक अटठानब परतरतशत लोग

मरत ह कक अमरीका म कम मरत ह और भारत म जयादा मरत ह यहा सौ परतरतशत लोग मरत ह--तरजतन बचच

िदा होत ह उतन ही आदमी यहा मरत ह महामारी तो फली ही हई ह महामारी का और कया अथम होता ह

जहा बचन का ककसी का भी कोई उिाय नही जहा कोई औरषतरध काम न आएगी साधारण बीमारी को हम

कहत ह--जहा औरषतरध काम आ जाए तो उसको कहत ह बीमारी रोग महामारी कहत ह जहा कोई औरषतरध

काम न आए जहा हमार सब उिाय टट जाए और मतय अततः जीत महामारी तो फली हई ह सदा स फली

हई ह इस िथवी िर हम मरघट म ही खड़ ह यहा मरन क अतरतररि और कछ होन वाला नही ह दर-अबर

घटना घटगी थोड़ समय का अतर होगा

वशाली क लोगो न यह कभी न दखा था कक सभी लोग मरत ह सभी को मरना ह अगर यह दखा होता

तो भगवान को िहल बला लाए होत कक हम कछ जीवन क सि द द कोई सोिान द कक हम भी जान सक

अमत कया ह लककन नही गए कयोकक महामारी फली नही थी

आदमी न कछ ऐसी वयवसथा की ह कक मौत कदखायी नही िड़ती जो सवामतरधक महतविणम ह वह कदखायी

नही िड़ती और जो वयथम की बात ह खब कदखायी िड़ती ह तम एक कार को खरीदत हो तो तरजतना सोचत

हो तरजतनी रात सोत नही तरजतनी कटलाग दखत हो तम एक मकान खरीदत हो तो तरजतनी खोजबीन करत

हो तम एक तरसनमागह म जात हो तो तरजतना तरवचार करत हो अखबार उठाकर कक कहा जाना कौन सी

कफलम दखनी तम जीवन क सबध म इतना भी नही सोचत तम यह भी नही दखत कक यह जीवन हाथ स बहा

जा रहा ह और मौत रोज िास आयी चली जा रही ह मौत दवार िर खड़ी ह कब ल जाएगी कहा नही जा

सकता हमन इस तरह स झठलाया ह मौत को कक तरजसका तरहसाब नही

मरी एक ककताब ह--अनरटल य डाय जब तक तम मरो नही इगलड म एक परकाशक उस छािना चाहता

ह--शलटन परस उनका िि मझ तरमला तो म चककत हआ उनहोन तरलखा ककताब अदभत ह हम इस छािना

चाहत ह इगलड म लककन नाम हम यह नही रख सकत अनरटल य डाय यह तो इसका शीरषमक दखकर ही लोग

इस खरीदग नही लोग मौत स इतना डरत ह ऐसी ककताब कौन खरीदगा तरजसक ऊिर यह तरलखा हो--अनरटल

य डाय नाम यह हम नही रख सकत ह नाम हम बदलना िड़गा उनहोन तरलखा

सचक ह बात हम मौत की बात ही कहा करत ह कोई मर जाता ह तो कहत ह दहावसान हो गया

तरछिात ह कोई मर गया तो कहत ह सवगमवासी हो गए चाह नरक ही गए हो सौ म स तरननयानब नरक ही जा

रह होग जसा जीवन कदखता ह उसम शायद ही कोई कभी सवगमवासी होता हो लककन यहा जो भी मर जहा

भी मर--कदलली म भी मरो--तो भी सवगमवासी बस मर कक सवगमवासी हो गए कक िरमातमा क पयार हो गए

कक परभ न उठा तरलया मौत शबद का सीधा उियोग करन म भी हम घबड़ात ह कयो

7

मौत शबद स बचनी होती ह मौत शबद म अिनी मौत की खबर तरमलती ह धन तरमलती ह मौत शबद

हम याद कदलाता ह कक मझ भी मरना होगा दहावसान म ऐसी धन नही तरमलती सवगीय म ऐसा भाव नही

िदा होता ह कक चलो ककसी कदन हम भी सवगीय हो जाएग कोई बात नही सवगम तरमलगा मौत बहत सिषट

कह दती ह बात को सवगीय म बहत तरछिाकर बात कही गयी ह जहर को तरछिा कदया तरमठास म ऊिर एक

शककर की ितम लगा दी

मरघट को दखत हो सारी दतरनया म कोई जातरत हो कोई धमम हो कोई दश हो गाव क बाहर बनात ह

और मौत खड़ी ह जजदगी क बीच म ठीक जहा तमहारा बाजार ह एमजी रोड िर वहा होना चातरहए मरघट

ठीक बीच बाजार म ताकक तरजतनी बार तम बाजार जाओ--सबजी खरीदो कक किड़ा खरीदो कक तरसनमा-गह

जाओ--हर बार तमह मौत स साकषातकार हो हर बार तम दखो कक कोई तरचता जल रही ह हर बार तम दखो

कक कफर कोई अथी आ गयी बीच बाजार म होना चातरहए मरघट कयोकक जजदगी क बीच म खड़ी ह मौत उस

हम बाहर हटाकर रखत ह--दर गाव क जहा हम जाना नही िड़ता या कभी-कभी ककसी क साथ जाना िड़ता

ह अथी म तो बड़ बमन स चल जात ह और जलदी स भागत ह वहा स जाना वही िड़गा जहा स तम भाग-

भाग आत हो जस तम दसरो को िहचा आए वस दसर तमह िहचा आएग--ठीक ऐस ही

म छोटा था--तो जसा सभी घरो म होता ह--कभी कोई मर जाए तो मरी मा मझ जलदी स अदर बलाकर

दरवाजा बद कर लती चलो अदर चलो अदर चलो म िछता बात कया ह वह कहती अदर चलो बात कछ

भी नही ह मरी उतसकता बढ़ी सवाभातरवक था कक बात कया ह जब भी कोई हडी तरलए तरनकलता बाजा-बड

बजता मझ अदर बला तरलया जाता दरवाजा बद कर कदया जाता--मौत कदखायी नही िड़नी चातरहए बचचो को

अभी स इतनी खतरनाक बात कदखायी िड़ कही जीवन म हताश न हो जाए मगर मरी मा का दरवाज को बद

करना मर तरलए बड़ा कारगर हो गया वह एक दरवाज को बद करती म दसर स नदारद हो जाता म धीर-धीर

जो भी गाव म मरता उसी क साथ मरघट जान लगा कफर तो गाव म तरजतन आदमी मर म सतरनतरित था लोग

मझ िहचानन भी लग कक वह लड़का आया कक नही कोई भी मर इसकी कफर मझ कफकर ही नही रही कक

कौन मरता ह इसस कया फकम िड़ता ह कफर म जान ही लगा हर आदमी की मौत िर मरघट जान लगा और

धीर-धीर बात यह मझ खयाल म उस समय स आन लगी कक मरघट को गाव क बाहर तरछिाकर कयो बनाया ह

दीवाल उठा दी ह सब तरफ स तरछिा कदया ह कही स कदखायी न िड़

एक मयतरनतरसिल कमटी म तरवचार ककया जा रहा था मरघट क चारो तरफ बड़ी दीवाल उठान का सब

िकष म थ एक झककी सा आदमी खड़ा हआ और उसन कहा कक नही इसका कया सार कयोकक जो वहा दफना

कदए गए ह व तरनकलकर बाहर नही आ सकत और जो बाहर ह व अिन आि भीतर जाना नही चाहत

इसतरलए दीवाल की जररत कया

मगर दीवाल का परयोजन दसरा ह उसका परयोजन ह जो बाहर ह उनको कदखायी न िड़ कक जीवन का

सतय कया ह जीवन का सतय ह मतय जीवन महामारी ह कयोकक जीवन सभी को मार डालता ह इसका कोई

इलाज नही ह

तमन कभी सोचा जीवन का कोई इलाज ह टीबी का इलाज ह क सर का भी इलाज हो जाएगा अगर

नही ह तो मगर जीवन का कोई इलाज ह और जीवन सभी को मार डालता ह तमन दखा सौ परतरतशत मार

डालता ह जो जीतरवत हआ वह मरगा ही जीवन का कोई भी इलाज नही ह जीवन महामारी ह

8

लककन वशाली क लोगो को िता नही था--जसा तमको िता नही ह जसा ककसी को िता नही ह--हम

महामारी क बीच ही िदा होत ह कयोकक हम मरणधमाम दो वयतरियो क सयोग स िदा होत ह हम मौत क

बीच ही िदा होत ह हम मौत क नतय की छाया म ही िदा होत ह हम मौत की छाया म ही िलत और बड़

होत ह और एक कदन हम मौत की ही दतरनया म वािस लौट जात ह--तरमटटी तरमटटी म तरगर जाती ह हम

महामारी म ही जी रह ह तरजस यह कदख जाता ह उसक जीवन म करातरत का सििात होता ह

वशाली म दरभमकष हआ तब लोगो को याद आयी महामारी फली तब याद आयी सब उिाय कर तरलए

सब उिाय हार गए तब याद आयी कफर उनहोन अिन राजा को राजी ककया होगा कक अब आि जाए भगवान

राजगह म ठहर ह उनह बला लाए शायद शायद उनकी मौजदगी और चीज बदल जाए

खयाल रखना कक तम चाह शायद ही भगवान को बलाओ तो भी चीज बदल जाती ह कभी-कभी तम

सयोगवशात ही याद करो तो भी िररवतमन हो जाता ह तमहारी आसथा अगर होती ह तब तो बड़ा गहरा

िररवतमन हो जाता ह तम अगर कभी सदह स भर हए भी याद कर लत हो तो तमहार सदह को भी तरहलाकर

िररणाम होत ह तमहारा सदह बाधा तो बनता ह लककन तरबलकल ही रोक नही िाता कछ न कछ हो ही जाता

ह िरा सागर तरमल सकता था अगर आसथा होती अब िरा सागर शायद न तरमल मगर छोटा-मोटा झरना तो

फट ही िड़ता ह तमहार सदह को तोड़कर भी भगवान फट िड़ता ह इसतरलए जो न बला सकत हो आसथा स

कोई कफकर नही शायद-भाव स ही बलाए मगर बलाए तो जो न बला सकत हो सख म कोई कफकर नही

दख म ही बलाए मगर बलाए तो आज दख म बलाया कल शायद सख म भी बलाएग

राजा गया राजगह जाकर भगवान को वशाली तरलवा आया भगवान न एक बार भी न कहा कक अब

आए बड़ी दर करक आए और म तो तरनरतर यही कहता रहा ह कक जीवन दख ह और जीवन मतय ह और सब

कषणभगर ह और सब जा रहा ह तमन कभी न सना मरी नही सनी महामारी की सन ली

कभी-कभी ऐसा होता ह शरितम िकार हम नही सनत तरनकषट की िकार हम समझ म आ जाती ह

कयोकक हम तरनकषट ह हमारी भारषा तरनकषट की भारषा ह बदध बीच म खड़ होकर हम िकार तो शायद हम न

सन कदवाला तरनकल जाए और हमारी समझ म आ जाए ितनी मर जाए और हमारी समझ म आ जाए जए म

हार जाए और हमारी समझ म आ जाए और बदध िकारत रह और हमारी समझ म न आए हमारी एक दतरनया

ह कीड़-मकोड़ो की दतरनया ह जमीन िर सरकती हई दतरनया ह हम आकाश म उड़त नही आकाश की भारषा

हमारी िकड़ म नही आती

लककन बदध न इनकार न ककया उनहोन कहा चलो ककसी बहान सही मझ याद ककया चलो महामारी

इनको एक सदश ल आयी कक अब भगवान की जररत ह चलो इसका भी उियोग कर ल

भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया

ऐसा हआ या नही इसकी कफकर म मत िड़ना य बात कछ भीतर की ह बाहर हआ हो तो ठीक न हआ

हो तो ठीक लककन भगवान की उितरसथतरत म मतय का नतय शात हो ही जाता ह तम अिन हदय की वशाली म

भगवान को बलाओ इधर भगवान का परवश हआ उधर तम िाओग मौत बाहर तरनकलन लगी यह ह अथम

बौदध शासतरो म भी ऐसा अथम नही तरलखा ह व यही मानकर चलत ह कक यह तथयगत बात ह म नही

मानता कक यह तथयगत बात ह यह बड़ी महतविणम बात ह--ततवगत ह तथयगत नही इसम ततव तो बहत ह

लककन इसको फकट और तथय मानकर मत चलना अनयथा वयथम क तरववाद िदा होत ह कक ऐसा कस हो सकता

9

ह महामारी कस दर हो जाएगी और कस दर होगी बदध को खद भी तो एक कदन मरना िड़ा यह शरीर तो

जाता ही ह बदध का हो तो भी जाता ह बदध जस पयार आदमी का शरीर हो तो भी जाता ह

तो मौत बदध की मौजदगी म हट गयी हो वशाली स ऐसा तो लगता नही लककन ककसी और गहर तल

िर बात सच ह जब भी कोई वयतरि भगवान को बला ल आता ह अिन हदय म तो मौत हट जाती ह तमह

िहली दफा अमत की परतीतरत होनी शर होती ह भगवान की मौजदगी म तमहार भीतर िहली दफ व सवर

उठत ह जो शाशवत क ह एस धममो सनतनो तमह एक दतरषट का नया आयाम खलता हआ मालम िड़ता ह

हमन दह क साथ अिन को एक समझ तरलया ह तो हम मरणधमाम हो गए ह हम भल ही गए ह कक हम

दह नही ह--दह म जरर ह हम समरण नही रहा ह कक हम तरमटटी क दीए नही ह तरमटटी क दीए म जलती हई

जो तरचनमय जयोतरत ह वही ह तमहार भीतर जो जागरण ह होश ह चतनय ह वही तम हो दह तो मकदर ह

तमहारा दवता भीतर तरवराजमान ह और दवता मकदर नही ह दवता क हटत ही मकदर कचरा हो जाएगा यह

भी सच ह मगर दवता क रहत मकदर मकदर ह जस ही तमहारी अतदमतरषट बदलती ह तमह अिन साकषीभाव का

समरण आता ह वस ही अमत का परवश होता ह

तो म तो इसका ऐसा अथम करता ह--ततवगत तथयगत मझ जचता नही ह म कोई ऐतरतहातरसक नही ह

और मर मन म तथयो का कोई बड़ा मलय नही ह म तथयो को हमशा ततवो की सवा म लगा दता ह

भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया था

हो ही जाना चातरहए हो ही जाता ह जस ही याद आनी शर होती ह कक म आतमा ह कक म िरमातमा

ह कक मर भीतर कदवय जयोतरत जल रही ह वस ही दह की बात समापत हो गयी कफर जो तमहार मा-बाि स

िदा हए तम वह तम न रह तादातमय टट गया तम तो वह हो गए जो सदा स हो तमहार मा-बाि भी न थ

तब भी तम थ तमहारी दह तरमटटी म तरगर जाएगी कफर भी तम रहोग उसकी जरा सी याद आती ह सब बदल

जाता ह

मतय िर तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह

और तरजसको अमत की उिलतरबध हो गयी ह उसकी मौजदगी म यह सरलता स घट जाता ह इसतरलए

सतसग का बड़ा मलय ह महामारी तो सभी नगररयो म फली ह सभी नगररया वशाली ह तम भी छोट-मोट

नही हो तम भी एक बड़ नगर हो एक-एक वयतरि एक-एक नगर ह

हमार िास जो शबद ह िररष वह बहत बहमलय ह िररष उसी स बना ह तरजसस िर--नगर िररष का

मतलब होता ह तम एक िर नगर हो और तमहार नगर म तरछिा हआ बसा हआ मातरलक ह--िररष

वजञातरनको स िछो तो व कहत ह एक शरीर म कम स कम सात करोड़ जीवाण ह सात करोड़ बबई

छोटी नगरी ह बबई स समझो कक चौदह गना जयादा एक शरीर म सात करोड़ जीवाण ह सात करोड़ जीवन

उन सबक बीच म तम बस हो नगर तो हो ही वशाली छोटी रही होगी और इस नगर म जलदी ही मौत आन

वाली ह महामारी आन वाली ह उसक कदम तमहारी तरफ िड़ ही रह ह इस बीच अगर तमह कभी भी कही

भी भगवतता का साथ तरमल जाए ककसी भी ऐस वयतरि का साथ तरमल जाए तरजसक भीतर घटना घट गयी हो तो

उसकी मौजदगी तमह तमहारी गतम स उठान लगगी--तरसफम मौजदगी

सतसग का अरथ होता ह गर कछ करता नही--करन का यहा कछ ह भी नही ककया कछ जा भी नही

सकता--लककन उसकी मौजदगी तरसफम उसकी उितरसथतरत उसकी तरग तमह सोत स जगान लगती ह तमन दखा

न कोई नाचता हो तमहार िर म थाि िड़न लगती ह कोई हसता हो तमहार भीतर हसी फटन लगती ह

10

कोई उदास हो तमहार भीतर उदासी घनी हो जाती ह दस आदमी उदास बठ हो तम जब आए थ तो बड़

परसनन थ उनक िास बठ जाओग उदास हो जाओग तम बड़ उदास थ दस आदमी बड़ तरखलतरखलाकर हसत थ

गिशि करत थ तम आए तम अिनी उदासी भल गए तम भी हसन लग ककसी जागरक िररष क सतसग म

जो उसक भीतर घटा ह वह तमहार भीतर तरतरगत होन लगता ह हम अलग-अलग नही ह हम एक-दसर स

जड़ ह हमार तत एक-दसर स गथ ह अगर तम ककसी भी वयतरि क साथ हो जाओ तो जसा वह वयतरि ह वस

तम होन लगोग

इसतरलए अिन स छोट वयतरियो का साथ मत खोजना--अकसर हम खोजत ह कयोकक अिन स छोट क

साथ एक मजा ह कयोकक हम बड़ मालम होत ह अिन स छोट क साथ एक रस ह अहकार की ततरपत तरमलती

ह दतरनया म लोग अिन स छोट का साथ खोजत रहत ह अिन स बड़ क साथ तो अड़चन होती ह

तमन सना न ऊट जब तरहमालय क िास िहचा तो उस बड़ा दख हआ उसन तरहमालय की तरफ दखा ही

नही वह रासता बदलकर वािस अिन मरसथल म लौट आया ऊट को तरहमालय क िास बड़ी िीड़ा होती ह

कयोकक ऊट को िहली दफा िता चलता ह कक अर म कछ भी नही ह ऊट को तो रतरगसतान जमता ह जहा वह

सब कछ ह सबस ऊची चीज ह

अकसर यह होता ह यह मन की एक बहत बतरनयादी परककरया ह कक हम अिन स छोट को खोज लत ह

यह रोज होता ह सब कदशाओ म होता ह राजनता अिन स छोट छटभइयो को खोज लत ह अिन स छोट

लोगो िर ही अिन अहकार को बसाया जा सकता ह और कोई उिाय नही ह

सतसग का अथम ह अिन स बड़ को खोजना वह मन की परककरया क तरविरीत जाना ह वह ऊधवमगमन ह

वह मन का तरनयम तोड़ना ह कयोकक अगर अिन स छोट को खोजा तो तमहारा अहकार मजबत होगा अिन स

बड़ को खोजा तो तमहारा अहकार तरवसरजमत होगा अिन स बड़ को खोजा तो उसकी दर जाती हई ककरण तमह

भी दर ल जान लगगी उसक भीतर हआ परकाश तमहार भीतर सोए परकाश को भी तरतलतरमला दगा उसकी चोट

तमह जगाएगी--तरसफम मौजदगी

सतसग अनठा शबद ह दतरनया की ककसी भारषा म ऐसा कोई शबद नही ह कयोकक दतरनया म कभी इस

बात को ठीक स खोजा ही नही गया ह जसा हमन इस दश म खोजा सतसग अनठा शबद ह इसका मतलब ह

तरसफम उसक साथ हो जाना तरजस सतय तरमल गया हो तरसरफ उसक िास हो जाना बठ जाना--चाह चि बठ रहो

तो भी चलगा--उसक सग-साथ हो लना उसक और अिन बीच की दीवाल तरगरा दना अिन ऊिर कोई रकषा

का इतजाम न करना अिन हदय को खोल दना कक अब जो हो हो उसकी तरगो को अिन भीतर आन दना

उसकी सवरलहरी को गजन दना धीर-धीर तम उसम डबकी लगा लोग उसको अमत तरमला ह तमह भी अमत

की तरफ िहल-िहल अनभव आन शर हो जाएग झरोखा खलगा

मतय िर तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह कफर जल भी बरसा कफर वकषो म ितत आए कफर फल

तरखल जहा फल तरखलन बद हो गए थ जहा जीवन सखा जा रहा था वहा नए िललव लग

एक जीवन ह बाहर का और एक जीवन ह भीतर का सतसग की वरषाम हो जाए तो भीतर क जीवन म

फल आन शर होत ह व ही फल वासततरवक फल ह कयोकक व रटक ग उनकी सगध सदा रहगी सबह तरखल

साझ मझाम गए ऐस फल नही तरखल तो तरखल कफर मझामत नही

इस कथा को दोनो तल िर समझना

11

लोग अतरत परसनन थ और भगवान न जब वशाली स तरवदा ली तो लोगो न महोतसव मनाया था उनक

हदय आभार और अनगरह स गदगद थ और तब ककसी तरभकष न भगवान स िछा--यह चमतकार कस हआ लोगो

का दख तरमट गया ह लोग शात हए ह लोगो की मतय स दतरषट हट गयी महामारी तरवदा हो गयी सख वकषो िर

ितत आ गए ह तरजनहोन कभी जीवन का रस न जाना था उनम जीवन की रसधार बही यह चमतकार कस हआ

लोग अतरत परसनन थ यदयतरि और बहत कछ हो सकता था लककन दख म िकारो तो इतना ही हो सकता

ह इसस जयादा हो सकता था अगर सख म िकारत जब दखी थ तो भगवान को ल आए थ जब सखी हो गए

तो रोकना न चाहा तब रोक लना था कहत कक अब कहा जात ह अब तो न जान दग तरजसस दख म इतना

तरमला था काश उस रोक लत सख म भी तो कफर सब कछ तरमल जाता लककन सोचा होगा बात तो िरी हो

गयी अब कयो रोकना अब कया परयोजन सख आया कक कफर हम कफर भलन लगत ह कफर हम तरवदा दत ह

हम कहत ह अब जब जररत होगी तब कफर याद कर लग हम भगवान का भी उियोग करत ह और यह

भगवान का उियोग बड़ा छोटा ह यह तो ऐस ही ह जस कोई तलवार स एक चीटी को मार चीटी को मारन

क तरलए तलवार की कया जररत ह

भगवान की मौजदगी स तरसफम दख तरमट तो यह तमन तलवार का उियोग चीटी मारन क तरलए ककया

चीटी तो तरबना ही तलवार क मारी जा सकती थी

यहा मरी दतरषट तमह समझा दना चाहता ह इसतरलए म तरवजञान का िकषिाती ह म कहता ह यह काम तो

तरवजञान स हो सकता ह इसक तरलए धमम की कोई जररत नही बीमारी तो तरवजञान स दर हो सकती ह दररदरता

तो तरवजञान स दर हो सकती ह तरवतरकषपतता तो तरवजञान स दर हो सकती ह दह की और मन की आतरधया और

वयातरधया तो तरवजञान स दर हो सकती ह इसक तरलए धमम की कोई जररत नही ह धमम की तो तब जररत ह जब

तरवजञान अिना काम िरा कर चका तम सब भातरत सखी हो अब महासख चातरहए इसतरलए म तरवजञान का

िकषिाती ह तो म मानता ह तरवजञान का कछ काम ह

मर िास लोग आ जात ह व कहत ह कक लड़क को नौकरी नही तरमलती कक ितनी बीमार ह कक बटी को

वर नही तरमल रहा ह आि कछ कर म कहता ह कक इन बातो का इतजाम तम खद ही कर ल सकत हो कर ही

लोग कछ न कछ हो ही जाएगा इन बातो क तरलए मर िास मत आओ कछ और बड़ा नही खोजना ह कछ

और तरवराट की कदशा म यािा नही करनी ह

गाव क लोग परसनन थ अतरत परसनन थ बहत छोटा ही िाया था शरआत ही हई थी यािा की लककन बदध

को उनहोन रोका नही

बदध क तरभकषओ न िछा होगा ककसी न राह म जात वि--यह चमतकार कस हआ भगवान न कहा--

तरभकषओ बात आज की नही ह

बदध बड़ वजञातरनक ह वह परतयक चीज कीशखला जोड़त ह तरवजञान का अथम होता ह कायम-कारण का

तरनयम अगर वकष ह तो बीज रहा होगा अगर बीज था तो िहल भी वकष रहा होगा अगर वकष था तो उसक

भी िहल बीज रहा होगा एक चीज स दसरी चीज िदा होती ह सब चीज सयि ह कायम-कारण का जाल

फला हआ ह यहा अकारण कछ भी नही होता सब सकारण ह बदध का इस िर बहत जोर था इस सकारण

होन की धारणा का ही नाम कममवाद ह

12

तो बदध स जब भी कोई कछ िछता ह तब वह ततकषणशखला की बात करत ह व कहत ह ककसी कतय को

आणतरवक रि स मत लना एटातरमक मत लना कोई कतय अिन म िरा नही ह उस कतय का जोड़ कही िीछ ह

और कही आग भी

तो बदध न कहा--बात आज की नही ह बीज बहत िराना ह वकष जरर आज हआ ह

जब भी बदध क तरशषय उनस िछत ह उनक सबध म कोई बात वह उनह अिन अतीत जीवनो म ल जात

ह वह बड़ी गहरी खोज करत ह कक कहा स यह सबध जड़ा होगा कस यह घटना शर हई होगी बीज स ही

शरआत करो तो ही वकष को समझा जा सकता ह कारण को ठीक स समझ लो तो कायम समझा जा सकता ह

सकषम को ठीक स समझ लो तो सथल समझा जा सकता ह कयोकक सार सथल की परककरयाए सकषम म तरछिी ह

वकष जरर आज हआ ह बदध न कहा म िवमकाल म शख नामक बराहमण होकर परतयक बदधिररष क चतयो

की िजा ककया करता था

परतयक बदधिररष की ऐसा कोई तरहसाब न रखता था कक कौन जन कौन जहद कौन अिना कौन िराया

कौन शरमण कौन बराहमण ऐसी कोई जचता न रखता था जो भी जाग गए ह उन सभी की िजा करता था गाव

म तरजतन मकदर थ सभी िर फल चढ़ा आता था ऐसी तरनषिकष भाव स मरी िजा थी कछ बहत बड़ा काम न

था लककन बदध न कहा उसका ही जो बीज मर भीतर िड़ा रहा उसस ही चमतकार हआ ह वह जो तरनषिकष

भाव स िजा की थी वह जो तरनषकिट भाव स िजा की थी अिना-िराया न दखा था वही बीज तरखलकर आज

इस जगह िहच गया ह कक म अमत को उिलबध हआ ह और तरजनका मझस साथ हो जाता ह जो मझ ककसी

भी कारण िकार लत ह अिन िास उनको भी अमत की झलक तरमलन लगती ह उनक जीवन स भी मतय तरवदा

होन लगती ह

म परतयक बदधिररष क चतयो की िजा ककया करता था और यह जो कछ हआ उसी क तरविाक स हआ ह

जो उस कदन ककया था वह तो अलि था अतयलि था लककन उसका ऐसा महान फल हआ ह बीज तो होत भी

छोट ही ह िर इसस िदा हए वकष छोट स बीज स िदा हए वकष आकाश क साथ होड़ लत ह थोड़ा सा तयाग

भी अलिमाि तयाग भी महासख लाता ह

कछ बड़ा मन तयाग भी न ककया था उस जनम म इतना ही तयाग ककया था अिना-िराया छोड़ कदया

था सभी जागरतिररषो को बशतम आदर कदया था

समझत हो यह धारममक आदमी का लकषण ह छोटा मत समझना इस बदध ककतना ही कह कक अलिमाि

यह छोटा नही ह तम मतरसजद क सामन स ऐस ही गजर जात हो जस मतरसजद ह ही नही तम गरदवार क सामन

स ऐस तरनकल जात हो जस गरदवारा ह ही नही अगर तम मसलमान हो तो जहद का मकदर तमह कदखायी नही

िड़ता अगर तम जहद हो तो जन का मकदर तमह कदखायी नही िड़ता यह धारममक होन का लकषण न हआ यह

तो राजनीतरत हई यह तो समह और सपरदाय और धारणा और तरसदधात स बध होना हआ

धारममक वयतरि को तो जहा भी दीए जल ह तरजसक भी दीए जल ह व सभी दीए िरमातमा क ह कफर

नानक का दीया जला हो गरदवार म तो कोई फकम नही िड़ता वहा भी झक आएगा कफर राम का दीया जला हो

राम क मकदर म वहा भी झक आएगा कफर कषण का दीया हो वहा भी झक आएगा कफर मोहममद का दीया

हो वहा भी झक आएगा धारममक वयतरि न तो एक बात सीख ली ह कक जब भी कही कोई दीया जलता ह तो

िरमातमा का ही दीया जलता ह

13

बझ दीए ससार क जल दीए भगवान क बझ बझो म भद होगा जल जलो म कोई भद नही ह बझा

दीया एक तरह का दसरा बझा दीया दसर तरह का तरमटटी अलग होगी कोई चीनी का बना होगा कोई लोह

का बना होगा कोई सोन का बना होगा कोई चादी का बना होगा सवभावतः तरमटटी क दीए और चादी क दीए

म बड़ा फकम ह लककन जब जयोतरत जलगी तो जयोतरत कही चादी की होती ह कक सोन की होती ह कक तरमटटी की

होती ह जयोतरत तो तरसफम जयोतरत की होती ह जयोतरत को जो दखगा उसको तो सभी जल दीयो म एक ही जयोतरत

का तरनवास कदखायी िड़गा एक ही सरज उतर आया ह एक ही ककरण परतरवषट हो गयी ह

इसको बदध तो कहत ह अलि लककन म न कहगा अलि कयोकक यह अलि भी हो नही रहा ह लोग

सोचकर जात ह अिना मकदर अिना गर अिना शासतर दसर का मकदर तो मकदर ही नही ह दसर क मकदर म

जाना तो िाि ऐस शासतर ह इस दश म

जन-शासतरो म तरलखा ह--ऐसा ही जहद-शासतरो म भी तरलखा ह--कक अगर कोई िागल हाथी तमह रासत िर

तरमल जाए जन-शासतर कहत ह और तम मरन की हालत म आ जाओ और िास म ही जहदओ का दवालय हो

तो हाथी क िर क नीच मर जाना बहतर लककन जहदओ क दवालय म शरण मत लना ऐसा ही जहद क शासतर

भी कहत ह--ठीक यही का यही िागल हाथी क िर क नीच दबकर मर जाना बहतर ह लककन जन-मकदर म

शरण मत लना अगर जन-मकदर क िास स तरनकलत हो और जन-गर कछ समझा रहा हो तो अिन कानो म

अगतरलया डाल लना सनना मत

य धारममक आदमी क लकषण ह तो कफर अधारममक क कया लकषण होग

बदध कहत ह--कछ और मरी तरवतरशषटता न थी जब म शख नामक बराहमण था ककसी जनम म तो मरी

इतनी ही तरवतरशषटता थी--छोटी ही समझो बीजमाि-- कक म सभी बदधिररषो को नमसकार करता था सभी

चतयो म जाता सभी तरशवालयो म जाता और पराथमना कर आता था िजा कर आता था मन कोई भदभाव न

रखा था उस अभद दतरषट स यह धीर-धीर बीज फला

जो अभद को दखगा वह एक कदन अभद को उिलबध हो जाएगा तरजसन तरमटटी क दीयो का तरहसाब रखा

वह दीयो म ही िड़ा रहगा तरजसन जयोतरत दखी वह एक कदन जयोतरतममय हो जाएगा तम जो दखत हो वही हो

जात हो दतरषट एक कदन तमहार जीवन की सतरषट हो जाती ह

तो बदध कहत ह आज यह जो चमतकार हआ इसका बीज बड़ा छोटा ह

अब समझना मन इसतरलए कहा कक दो तल िर यह कथा ह एक तल िर तो बदध का आना महामारी स

भरी हई वशाली म वह एक तल ह कफर दसरा तल ह तरभकषओ का बदध स िछना बदध कोई अवसर नही

चकत उनहोन अिन तरभकषओ को भी सदश द कदया कक कसा भाव होना चातरहए अगर कभी तम अमत को

उिलबध करना चाहत हो मतय क तरवजता होना चाहत हो वसततः तरजन होना चाहत हो तो भद मत करना

सभी बदधिररष सभी जागरतिररष एक ही सतय को उिलबध हो गए ह--इस बीज को अिन भीतर तरजतन गहराई

म डाल सको डाल दना इसी स ककसी कदन वकष िदा होगा फल लगग ठीक समय ठीक अवसर िर तमहार

जीवन म बसत आ जाएगा तब न कवल तमहार भीतर बसत आएगा तम जहा स गजर जाओग वहा भी बसत

की हवा बहगी तम तरजनक साथ खड़ हो जाओग उनक भीतर भी जयोतरत िदा होगी तम तरजनका हाथ िकड़

लोग उनका जीवन स छटकारा होना शर हो जाएगा तमहारा जो सहारा िकड़ लग तम उनक तरलए नाव बन

जाओग

14

थोड़ सख क िररतयाग स यकद अतरधक सख का लाभ कदखायी द तो धीरिररष अतरधक सख क खयाल स

अलिसख का तयाग कर द

और बदध न कहा यह छोटा सा गतरणत याद रखो कक कभी-कभी ऐसा होता ह कक आज हम लगता ह कक

इसम खब सख ह और हम यह भी कदखायी िड़ता ह कक अगर इसका तयाग कर द तो कल अनतगना सख हो

सकता ह लककन वह कल होगा तो हम आज क ही सख को िकड़ लत ह कल क अनत गन को छोड़ दत ह

इसतरलए हम दीन रह जात ह दररदर रह जात ह समझो कक तमहार िास मटठीभर अनन ह तम आज खा लो उस

तो थोड़ा सा सख तरमलगा लककन अगर तम इस बो दो--तो शायद दो-चार महीन परतीकषा करनी िड़गी--लककन

बड़ी फसल िदा होगी शायद सालभर क लायक भोजन िदा हो जाए

तो बदध कहत ह बतरदधमान कौन ह बतरदधमान वह ह जो अलि को छोड़कर तरवराट को उिलबध करन म

लगा रहता ह जो जीवन क आतयतरतक गतरणत िर सदा धयान रखता ह कक जो म कर रहा ह इसका अतरतम फल

कया होगा आज का ही सवाल नही ह इसका आतयतरतक िररणाम कया होगा

सवभावतः उस कदन जब बदध शख नाम क बराहमण थ थोड़ी अड़चन हई होगी अगर जनो क मकदर म

गए होग तो जहदओ न कहा होगा त वहा कयो जाता ह--बराहमण थ--कषट हआ होगा अगर जहदओ क मकदर म

गए होग तो जनो न कहा होगा कक त तो हमार मकदर म आता ह अब वहा कयो जाता ह कषट हआ होगा

गाव म शायद िागल समझ जात होग

तम जरा सोचो कक तम सब मकदर-मतरसजद म जाकर नमसकार करन लगो लोग समझग कदमाग खराब

हो गया तरजनका कदमाग खराब ह व समझग कक तमहारा कदमाग खराब हो गया कषट हआ होगा परतरतिा

गवायी होगी लोगो न िागल समझा होगा

लककन बदध कहत ह वह छोटा सा तयाग था कया फकम िड़ता ह कक लोगो न िागल समझा कया फकम

िड़ता था अगर लोग समझत कक म िागल नही ह कछ भी फकम नही िड़ता था लककन उसका जो िररणाम

हआ वयािक ह

जब गगा िदा होती ह तो बद-बद िदा होती ह गोमख स तरगरती ह गगोिी तम अिनी मटठी म समहाल

ल सकत हो कफर रोज बड़ी होती जाती ह बड़ी होती जाती ह जब गगा सागर म तरगरती ह तब तम तरवशवास

भी न कर सकोग कक यह वही गगा ह जो गोमख स तरगरती ह जो गगोिी म बद-बद टिकती ह तरजसको तम

मटठी म बाध ल सकत थ यह वही गगा ह िहचान नही आती

बीज छोटा वकष बहत बड़ा हो जाता ह बतरदधमान वयतरि अलिसख को छोड़ता चल महासख क तरलए

छोट को न िकड़ कषदर को न िकड़ तरवराट िर धयान रख

दसर को दख दकर जो अिन तरलए सख चाहता ह वह वर-चकर म फसा हआ वयतरि कभी वर स मि

नही होता

और बदध न कहा सख तो सभी चाहत ह मगर सख की चाह म एक बात खयाल रखना--िहला तो सि

कहा अलिसख को छोड़ दना महासख क तरलए दसरा सि कहा--यह खयाल रखना कक सख तो चाहना लककन

दसर क दख िर तमहारा सख तरनभमर न हो दसर क दख िर आधाररत सख तमह अततः दख म ही ल जाएगा

महादख म ल जाएगा

हम जो जीवन म दख भोग रह ह वह हमन कभी न कभी उन सखो की आकाकषा म िदा कर तरलए थ

तरजनक कारण हम दसरो को दख दना िड़ा था दसरो क तरलए खोद गए गडढ एक कदन सवय को तरगरात ह

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म एक गाव म ठहरा हआ था उस रात उस गाव म एक बड़ी अनठी घटना घट गयी कफर म उस भल न

सका छोटा गाव बस एक ही टरन आती और एक ही टरन जाती तो दो बार सटशन िर चहल-िहल होती आन

वाली टरन कदन को बारह बज आती जान वाली टरन रात को दो बज सटशन िर भी कछ जयादा लोग नही ह--

एक सटशन मासटर ह एकाध िोटमर ह एकाध और आदमी कलकम ह कोई जयादा यािी आत-जात भी नही ह

उस रात ऐसा हआ कक एक आदमी रात की गाड़ी िकड़न क तरलए साझ सटशन िर आया वह बार-बार

अिन बग म दख लता था सटशन मासटर को सदह हआ शक हआ कक कछ बड़ा धन तरलए हए ह वह अिन बग

को भी दबाए था एक कषण को भी उस छोड़ता नही था आदमी दखन स भी धनी मालम िड़ता था रात दो

बज टरन जाएगी मन म बराई आयी उसन िोटमर को बलाकर कहा कक ऐसा कर दो बज रात तक कही भी

इसकी जरा भी झिकी लग जाए--और आठ बज रात क बाद तो गाव म सननाटा हो जाता ह गाव भी कोई दो

मील दर--इसको खतम करना ह

िोटमर न कलहाड़ी ल ली और वह घमता रहा कक यह कब सो जाए मगर वह भी आदमी जागा रहा

जागा रहा जागा रहा िोटमर को झिकी आ गयी और जब िोटमर को झिकी आ गयी तो वह आदमी तरजस बच

िर बठा था उसस उठकर उसको नीद आन लगी थी तो अिना बग लकर वह टहलन लगा पलटफामम िर इस

बीच सटशन मासटर आकर उस बच िर लट गया तरजस िर वह धनी लटा था िोटमर की आख खली दखा कक सो

गया उसन आकर गदमन अलग कर दी सटशन मासटर मारा गया सबह गाव म खबर आयी म उस भल नही

सका उस घटना को इतजाम उसी न ककया था मारा खद ही गया

जीवन म करीब-करीब ऐसा ही हो रहा ह जो दख तमन दसरो को कदए ह व लौट आएग जो सख तमन

दसरो को कदए ह व भी लौट आएग दख भी हजारगन होकर लौट आत ह सख भी हजारगन होकर लौट आत

इसतरलए बदध कहत ह दसरा सि याद रखना सख बन सक तो द दना अगर सख न द सको तो कम स

कम दख मत दना दसरो को दख मत दना अिना सख ऐसा बनाना कक तम िर ही तरनभमर हो दसर क दख िर

तरनभमर न हो

फकम समझो

एक आदमी धन क इकटठ करन म सख लता ह तरनतरित ही यह कई लोगो का धन छीनगा तरबना धन छीन

धन आएगा भी कहा स धन बहत बहलता स ह भी नही नयन ह धन ऐसा िड़ा भी नही चारो तरफ तरजतन

लोग ह उनस धन बहत कम ह तो धन छीनगा तो धन इकटठा कर िाएगा यह आदमी दसरो को दख कदए

तरबना धनी न हो सकगा और धन िान स जो सख तरमलन वाला ह दो काडी का ह और तरजतना दख कदया ह

उसक जो दषिररणाम होग अनत समय तक उसकी जो परतरतककरयाए होगी व बहत भयकर ह

एक दसरा आदमी धयान म सख लता ह धयान और धन म यही खबी ह धयान जब तम करत हो तो तम

ककसी का धयान नही छीनत तमहारा धयान बढ़ता जाता ह ककसी का धयान तरछनता नही

तो बदध कहग अगर धयान और धन म चनना हो तो धयान चनना यह अपरतरतयोगी ह इसकी ककसी स

कोई सिधाम नही ह और तमहारा आनद बढ़ता जाएगा और आियम की बात यह ह कक तम तरजतन आनकदत होत

जाओग अनायास तम दसरो को भी आनद दन म सफल होन लगोग समथम होन लगोग

जो ह उस हम बाटत ह दखी आदमी दख दता ह सखी आदमी सख दता ह--दना ही िड़गा जब फल

तरखलगा और गध तरनकलगी तो हवाओ म बहगी ही जब तमहारा धयान सघनीभत होगा तो तमहार चारो तरफ

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गध उठगी सख दोग तो सख तरमलगा ऐसा सख खोजना जो ककसी क दख िर आधाररत न होता हो यही बदध

की मौतरलक तरशकषा ह

और कफर अलि भी सख तरमल आज अलि भी शायद छोड़ना िड़ कल क महासख क तरलए तो उस भी

छोड़ दना अलि तरमल तो अलि ल लना अलि छोड़ना िड़ तो छोड़ दना मगर एक खयाल रखना--जीवन का

िरा तरवसतार खयाल रखना चीज एक-दसर स सयि ह अतरतम िररणाम कया होगा उस िर धयान रह और

ऐसा सख कमाना जो तमहारा अिना हो तरजसक तरलए दसर को दखी नही करना िड़ता ह

अब एक आदमी को राजनता बनना ह तो उस दसरो को दखी करना होगा अब इकदरा और मोरारजी

दोनो साथ-साथ सखी नही हो सकत इसका कोई उिाय नही ह कोई न कोई दखी होगा

तो बदध कहत ह ऐसी कदशा म मत जाना जहा ककसी को तरबना दखी ककए तम सखी हो ही न सको

हजार और उिाय ह जीवन म आनकदत होन क

अब एक आदमी बासरी बजाता हो तो इसस ककसी का कछ लना-दना नही ह यह अिन एकात म

बठकर बासरी बजा सकता ह एक आदमी नाचता हो यह एकात म नाच सकता ह एक आदमी धयान करता

हो यह एकात म धयान कर सकता ह इसका ककसी स कछ लना-दना नही ह

ऐस सख खोजना जो तरनजी ह और ऐस बहत सख ह जो तरनजी ह वसततः व ही सख ह कयोकक दसर को

दखी कर कस सखी होओग कस सखी हो सकत हो िर वि िीड़ा भीतर बनी रहगी कक दसर को दख कदया

ह बदला आता होगा परतरतकार होकर रहगा दसरा भी कषमा तो नही कर दगा

इसतरलए बदध कहत ह वर-चकर िदा हो जाता ह तरवतरशयस सरकम ल िदा हो जाता ह दषट-चकर िदा हो

जाता ह तम दसर को दख दत हो दसरा तमह दख दन को आतर हो जाता ह कफर इसशखला का कही कोई

अत नही ह

महासख क तरलए अलि को छोड़ दना बड़ क तरलए छोट को छोड़ दना शाशवत क तरलए कषणभगर को छोड़

दना और ऐसा सख खोजना जो तमहारा अिना हो तरजसक तरलए दसर िर तरनभमर नही होना िड़ता ह तब तम

सवति हो गए यही मि जीवन की आधारतरशला ह

दसरा सि तरदवतीय दशय--

मन क मागम अतरत सकषम ह ससार क छोड़न म ही मन नही छटता ह मन ससार का मल ह ससार मन

का मल नही ह ससार छोड़ना हो तो फल-ितत तोड़न जसा ह और जड़ तो इसस नषट नही होती ह हा जड़

उखाड़ फक दन िर तरनिय ही ससार वकष अिन आि सख जाता ह मन ह जड़ ससार की इसतरलए मन स मतरि

ही वासततरवक सनयास ह

भगवान क जातयावन नामक तरवहार म तरवहरत समय की घटना ह कछ तरभकष तरभकषािािो को सदर

बनान या वसतरो िर नाना बल-बट तरनकालन या नाना परकार की िादकाए रचन उन िर िचचीकारी करन या

इसी तरह क कामो म सलगन रहत थ उनह धयान-भावना का समय ही नही था और समय भी हो तो धयान का

तो व जस तरवसमरण ही कर बठ थ

इस बात की खबर भगवान को तरमली उनहोन उन तरभकषओ को खब डाटा व उनह डाटत समय अतरत

कठोर थ वह करणा का ही रि ह गर का परयोजन ही यही ह कक वह चताए कफर चताए और कफर-कफर

चताए उनहोन उन तरभकषओ स कहा--ककसतरलए आए हो और कया कर रह हो आए थ हरर भजन को ओटन लग

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किास कया इसीतरलए तरभकष-जीवन सवीकार ककया था सदर िादकाए बनान क तरलए वसतरो िर बल-बट काढ़न

क तरलए कफर ससार म ही कया बराई थी मन क जाल को समझो तरभकषओ मन क सकषम खल समझो

तरभकषओ एक िल को भी लकषय को तरवसमत मत करो सोत-जागत उठत-बठत होश रखो तरभकषओ तो ही समय

िाकर अनकल ऋत म तरनवामण की फसल काट सकोग धयान नही बोया तो तरनवामण की फसल भी हाथ लगन

वाली नही ह कफर िछताओग और कफर िछताए होत का जब तरचतरड़या चग गयी खत अभी समय ह अभी

कछ कर लो और तब उनहोन य गाथाए कही--

य तरह ककचच तदितरवदध अककचच िन कतरयरतरत

उननलान िमततान तस बडढतरत आसवा

जो करन योगय ह उसको तो छोड़ दता ह लककन जो न करन योगय ह उस करता ह ऐस उमड़त मलो

वाल परमाकदयो क आसरव बढ़त ह

यसच ससमारदधा तरनचच कायगतासतरत

अककचनत न सवतरत ककचच सातचचकाररनो

सतान सिजानान अतथ गचछतरत आसवा

तरजनह तरनतय कायगता-समतरत उितरसथत रहती ह व अकतमवय को नही करत और कतमवय स कभी नही

चकत ह उन समतरतवान और सपरजञावान िररषो क आसरव असत हो जात ह

ऐसा तरनरतर होता ह तम बाहर क रि तो बदल लत हो लककन भीतर की वतरतत नही बदलती बाहर क

ढग बदलना तो बहत आसान ह असली बात तो भीतर क ढग बदलन की ह इसका यह भी अथम नही कक बाहर

क ढग मत बदलो बाहर क ढग इसतरलए बदलो ताकक भीतर क ढग बदलन म सहारा तरमल लककन भलकर भी

यह मत समझना कक बाहर का ढग बदल तरलया तो भीतर क ढग अिन आि बदल गए

अब कोई तरभकष होग सनयसत हो गए जब सनयसत न हए होग तो सदर वसतर िहनत होग िोशाक िहनत

होग कीमती जत िहनत होग रासतो िर अकड़कर चलत होग इि-खशबए अिन वसतरो िर तरछड़कत होग

मोहक सदर होन की चषटा करत होग सनयसत हो गए लककन अब भी चषटा जारी ह नए ढग स जारी ह अब

कछ और नही ह उनक िास तरभकषािाि ह तो तरभकषािाि म ही खदाई कर-कर क उस सदर बना रह ह उसम

ही ककड़-ितथर लगाकर सदर बना रह ह अब कछ नही ह लकड़ी की िादकाए ह तो उन िादकाओ को भी

सदर बनान की चषटा म लग ह अब कछ बच नही ह तीन चीवर ह तीन वसतर ह मगर उन िर भी कसीदा तो

ककया ही जा सकता ह उनको भी सदर तो बनाया ही जा सकता ह वह िराना मन अभी भी िीछा कर रहा ह

इसस फकम नही िड़ता तम सोन-चादी क आभरषण िहनो या जाकर जगल क िततो क आभरषण बना लो

और उनको िहन लो इसस कोई फकम नही िड़ता आभरषण िहनन की आकाकषा वाला मन तो वही का वही ह

म मोहक कदख यह वासना कयो िदा होती ह यह इसतरलए िदा होती ह कक कोई मझ मोहक जान कोई

मझम आकररषमत हो कोई मझम आसि हो कोई मझ िान योगय चाहन योगय मान तो इसका अथम साफ ह कक

तम ककसी को िान म लग हो तम ककसी को अिन म उलझान म लग हो

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ससार म तो ठीक ह कक तम बन-सवरकर तरनकलत हो रासत िर लककन तरभकष बन-सवरकर तरनकल तो

कफर बात गलत हो गयी बात इसतरलए गलत हो गयी कक तरभकष होन का अथम ही यही था कक अब मझ और

आसतरि क जाल नही फलान ह बहत हो चका मन दख तरलया कक आसतरि स तरसवाय दख क कछ भी नही

तरमलता ह तो अब मझम कोई आसि हो इसकी म कोई योजना न करगा मझ लोग दख इसकी चषटा न

करगा म ऐस तरनकल जाऊगा जस तरनकला ही नही कोई मझ दख न कोई मझम उतसक न हो म चिचाि ऐस

तरनकल जाऊगा जस था ही नही ऐस चिचाि जीन जो लगता ह वही सनयासी ह दसरा मझ िकड़ दसरा मझ

समझ मलयवान दसरा मझम उतसक हो दसरा मझस सममोतरहत हो इसक िीछ वासना ही तरछिी ह ताकक म

दसर का भोग कर सक

लोग बड़ी उलटी वासनाओ स भर ह तरसतरया घर म बठी रहती ह भत-परत बनी घर स बाहर जाती ह

खब सज-सवर जाती ह कफर जवान हो जाती ह सौ परतरतशत सौदयम म नबब परतरतशत तो परसाधन स होता ह

दस परतरतशत शायद सवाभातरवक होता हो और वह जो दस परतरतशत सवाभातरवक होता ह उसको नबब परतरतशत

की जररत भी नही होती नबब परतरतशत की जररत तो वह जो दस परतरतशत भी नही होता उसी को तरछिान क

तरलए होती ह करि वयतरि जयादा सजता-सवरता ह करि सतरी जयादा आभरषणो म रस लती ह िररिरक

करना होता ह जो सौदयम स नही िरा हो रहा ह उस ककसी और चीज स िरा कर दना ह चहरा तो सदर नही

ह तो बालो की शली बदली जा सकती ह नाक तो बहत सदर नही ह तो हीर की नथ िहनी जा सकती ह

नाक न कदखायी िड़गी कफर जब दसरा आदमी दखगा तो उस हीरा चमकता हआ कदखायी िड़गा और हीर की

ओट म नाक सदर हो जाएगी जस ही तरसतरया बाहर तरनकलती ह खब सज-सवर जाती ह--वही िररष भी करत

ह--कफर अगर कोई धकका मार द सतरी को या ककड़ फक द या एक कफलमी गाना गा द तो वह नाराज होती ह

और आयोजन यही करक तरनकली ह इसको म कहता ह तरवरोधाभासी तरचतत की दशा

म एक तरवशवतरवदयालय म तरशकषक था एक कदन बठा था जपरतरसिल क कमर म कछ बात करता था कक एक

यवती आयी और उसन तरशकायत की कक ककसी न उस ककड़ मार कदया म बठा था तो जपरतरसिल न मझस कहा

कक अब आि ही बताइए कया कर यह रोज का उिदरव ह मन उस लड़की की तरफ दखा मन कहा ककड़

ककतना बड़ा था उसन कहा जरा सा था मन कहा उसन जरा सा मारा यही आियम ह तझ बड़ी चटटान

मारनी थी त इतनी सज-सवरकर आयी ह उसन ककड़ मारा यह बात जचती नही ठीक इतन सज-सवरकर

तरवशवतरवदयालय आन की जररत कया थी यहा कोई सौदयम-परतरतयोतरगता हो रही ह इतन चसत किड़ िहनकर

इतन आभरषण लादकर इतन बालो को सवारकर यहा त िढ़न आयी ह या ककसी बाजार म

कफर मन उस यवती स िछा कक म एक बात और िछना चाहता ह त ककसी कदन इतना सज-सवरकर

आए और कोई ककड़ न मार तो तर मन को दख होगा कक सख िहल तो वह बहत चौकी मरी बात स कफर

सोचन भी लगी कफर उसन कहा कक शायद आि ठीक ही कहत ह कयोकक मन दखा तरवशवतरवदयालय म तरजन

लड़ककयो क िीछ लोग ककड़-ितथर फकत ह व दखी ह--कम स कम कदखलाती ह कक दखी ह--और तरजनक िीछ

कोई ककड़-ितथर नही फकता व बहत दखी ह महादखी ह कक कोई ककड़-ितथर फकन वाला तरमलता ही नही

कोई तरचटठी-ििी भी नही तरलखता तरजनको तरचटठी-ििी तरलखी जाती ह व तरशकायत कर रही ह और तरजनको

तरचटठी-ििी नही तरलखी जाती व तरशकायत कर रही ह मन बड़ा तरवरोधाभासी ह

लककन ससार म ठीक ह ससार तरवरोधाभास ह वहा हम कछ चाहत ह कछ कदखलात ह कछ कदखलात

ह कछ और चाहत ह अगर तम अिन मन को दखोग तो तम बड़ चककत हो जाओग कक तमन कस सकषम जाल

19

बना रख ह तम तरनकलत इस ढग स हो कक परतयक वयतरि तम म कामातर हो जाए और अगर कोई कामातर हो

जाए तो तम नाराज होत हो आयोजन उसी का करत हो कफर जब सफलता तरमल जाए तब तम बड़ बचन होत

हो और सफलता करन क तरलए घर स बड़ी वयवसथा करक तरनकल थ अगर कोई न दख तमह रासत स तम

अिना सारा सौदयम-परसाधन करक तरनकल गए और ककसी न भी नजर न डाली तो भी तम उदास घर आओग कक

बात कया ह मामला कया ह लोग कया मझम उतसक ही नही रह

दसर की उतसकता अहकार का िोरषण ह तमह अचछा लगता ह जब दसर लोग उतसक होत ह तम

मलयवान मालम होत हो तरजनक भीतर कोई मलय नही ह व इसी तरह मलय का अिन तरलए धोखा िदा करत

ह दसर लोग उतसक ह जरर मलयवान होना चातरहए इतन लोगो न मरी तरफ आख उठाकर दखा जरर

मझम कछ खबी होनी चातरहए तमह खद अिनी खबी का कछ िता नही ह--ह भी नही खबी--एक झठा भरोसा

इसस तरमलता ह कक अगर खबी न होती तो इतन लोग मझम उतसक कयो होत जरर म सदर होना चातरहए

नही तो इतन लोग उतसक ह तमह अिन सौदयम िर खद तो कोई आसथा नही ह तम दसरो क मतवय इकटठ करत

हो मगर ससार म ठीक ससार िागलो की दतरनया ह

बदध न ससारी को कछ भी न कहा होता लककन सनयसत हो जान क बाद य तरभकष नाना परकार क

आयोजन करत थ--िादका समहालत सजात वसतरो िर कसीदा तरनकालत तरभकषािाि आदमी का मन कसा ह

तरभकषािाि का मतलब ही यह होता ह कक अब म आतरखरी जगह खड़ा हो गया अब मझ परथम खड़ होन की

इचछा ही नही वह तो तरभकषािाि का परतीक ह कक म अब अतरतम हो गया तरभकष हो गया तरभखारी हो गया

अब मझ कोई समराट होन का आकरषमण नही ह अब म परथम नही होना चाहता म परतरतयोतरगता स हट गया

परतरतयोतरगता-तयाग की ही सचना तरभकषािाि ह कक म दीन-हीन हो गया अब म भीख मागकर ल लगा दो रोटी

तरमल जाए बस बहत ह मगर वह भी तरभकषािाि को सजाता ह वह भी उस िर बड़ी कारीगरी करता ह उसम

भी झझट चलती ह

म तरािथी जन-मतरनयो क एक सममलन म सतरममतरलत हआ तो वहा तरजसक िास तरजतना सदर

तरभकषािाि तरजतना कारीगरी स बनाया तरभकषािाि वह उतना बड़ा तरभकष वह उतना बड़ा मतरन तरािथी बड़ी

महनत करत ह उनका तरभकषािाि सदर होता ह तरचतत लभा जाए इतना सदर बनात ह

अब तरभकषािाि उसको इतना सदर बनान का कया परयोजन ह िर आदमी ऐसा ह कक भीतर तो वही

रहता ह वह जहा भी जाएगा वही अिन भीतर क तरलए कछ न कछ उिाय खोज लगा मन कफर नए जाल बनन

लगगा

तो बदध न उनह बलाया उनह खब डाटा बदध डाटत हो ऐसा सनकर हम हरानी होती ह और न कवल

डाटा डाटत समय अतरत कठोर भी थ यह कठोरता करणा का ही रि ह गर को कठोर होना ही िड़गा बहत

बार उस अतरत कठोर भी होना िड़गा कयोकक हमारी नीद इतनी गहरी ह कक अगर वह न तरचललाए तो शायद

हम सनग भी नही अगर वह न झकझोर तो शायद हम जागग भी नही हमार सिन मधर ह और हम सिनो

म बड़ डब हए ह

बदध न कहा--तरभकषओ ककसतरलए आए हो और कया कर रह हो

तमह धयान की फसमत ही नही ह समय ही नही ह तम तो भल ही गए कक धयान क तरलए आए थ सनयास

का मौतरलक लकषय धयान ह धयान स सनयास तरनकलता ह सनयास स और धयान तरनकलना चातरहए कफर धयान स

और सनयास कफर और सनयास स और धयान--धयान और सनयास एक-दसर को बढ़ात चल जाए तो तमहारी

20

गतरत होती ह धयान और सनयास दो िख ह तरजनस िरमातमा तक िहचा जा सकता ह लककन धयान ही भल

गए तो सनयास का कोई मलय नही ह

मन क जाल समझो तरभकषओ बदध न कहा सोत-जागत उठत-बठत होश रखो तरभकषओ नही तो िीछ

िछताओग अभी समय ह अभी कछ कर लो

और तब उनहोन य सि कह जो करन योगय ह उसको तो छोड़ दता ह लककन जो न करन योगय ह उस

करता ह

तरभकषािाि िर खदाई कर रह हो कक िादका िर खदाई कर रह हो तमह होश ह कया कर रह हो यह

सारा समय वयथम गया िादका यही िड़ी रह जाएगी तरभकषािाि यही िड़ रह जाएग जस महल िड़ रह जाएग

वस ही झोितरड़या भी िड़ी रह जाएगी सब यही िड़ा रह जाएगा कछ ऐसा कमाओ जो मौत क िार तमहार

साथ जा सक वही करन योगय ह जो मौत क िार साथ जा सक

जो उस तो करता जो वयथम था और उस छोड़ दता जो साथमक था ऐस उमड़त मलो वाल परमाकदयो क

आसरव बढ़त ह

इसस तो ससार और बड़ा होगा इसस ससार छोटा नही होगा

तरजनह तरनतय कायगता-समतरत उितरसथत रहती ह

अिन शरीर का बोध रखो कायगता-समतरत बदध क धयान का परथम चरण ह इसका अथम होता ह--यह

शरीर सदर ह ही नही लाख उिाय करो तो भी सदर न हो सकगा सब धोखा ह

बदध न बततीस करिताए शरीर म तरगनायी ह इन बततीस करिताओ का समरण रखन का नाम कायगता-

समतरत ह िहली तो बात यह शरीर मरगा इस शरीर म मौत लगगी यह िदा ही बड़ी गदगी स हआ ह

मा क गभम म तम कहा थ तमह िता ह मल-मि स तरघर िड़ थ उसी मल-मि म नौ महीन बड़ हए

उसी मल-मि स तमहारा शरीर धीर-धीर तरनरममत हआ कफर बदध कहत ह कक अिन शरीर म इन तरवरषयो की

समतरत रख--कश रोम नख दात तवक मास सनाय अतरसथ अतरसथमजजा यकत कलोमक पलीहा फफफस

आत उदरसथ मल-मि तरितत कफ रि िसीना चबी लार आकद इन सब चीजो स भरा हआ यह शरीर ह

इसम सौदयम हो कस सकता ह

सौदयम तो तरसफम चतना का होता ह दह तो मल-मि का घर ह दह तो धोखा ह दह क धोख म मत

िड़ना बदध कहत ह इस बात को समरण रखना कक इसको तम ककतन ही इि स तरछड़को इस िर तो भी इसकी

दगध नही जाती और तम इस ककतन ही सदर वसतरो म ढाको तो भी इसका असौदरय नही ढकता ह और तम

चाह ककतन ही सोन क आभरषण िहनो हीर-जवाहरात सजाओ तो भी तमहार भीतर की मास-मजजा वसी की

वसी ह

तरजस कदन चतना का िकषी उड़ जाएगा तमहारी दह को कोई दो िस म खरीदन को राजी न होगा जलदी

स लोग ल जाएग मरघट िर जला आएग जलदी समापत करग घड़ी दो घड़ी रक जाएगी दह तो बदब आएगी

यह तो रोज नहाओ धोओ साफ करो तब ककसी तरह तम बदब को तरछिा िात हो लककन बदब बह रही ह

बदध कहत ह शरीर तो करि ह सौदयम तो चतना का होता ह और सौदयम चतना का जानना हो तो

धयान मागम ह और शरीर का सौदयम मानना हो तो धयान को भल जाना मागम ह धयान करना ही मत कभी

नही तो शरीर का असौदयम िता चलगा तमह िता चलगा यह शरीर म यही सब तो भरा ह इसम और तो कछ

भी नही ह

21

कभी जाकर असिताल म टग अतरसथिजर को दख आना कभी जाकर ककसी मद का िोसटमाटमम होता हो

तो जरर दख आना दखन योगय ह उसस तमह थोड़ी अिनी समतरत आएगी कक तमहारी हालत कया ह ककसी

मद का िट कटा हआ दख लना तब तमह समझ म आएगा कक ककतना मल-मि भर हए हम चल रह ह यह

हमार शरीर की तरसथतरत ह

बदध कहत ह इस तरसथतरत का बोध रखो यह बोध रह तो धीर-धीर शरीर स तादातमय टट जाता ह और

तम उसकी तलाश म लग जात हो जो शरीर क भीतर तरछिा ह जो िरमसदर ह उस सदर करना नही होता

वह सदर ह उस जानत ही सौदयम की वरषाम हो जाती ह और शरीर को सदर करना िड़ता ह कयोकक शरीर

सदर नही ह कर-करक भी सदर होता नही ह कभी नही हआ ह कभी नही हो सकगा

ततीय दशय--

यह बहत अनठा सि ह बदध क अनठ स अनठ सिो म एक इस खब खयाल स समझ लना

परभातवला आकाश म उठता सयम आमरवन म ितरकषयो का कलरव भगवान जतवन म तरवहरत थ उनक

िास ही बहत स आगतक तरभकष भगवान की वदना कर एक ओर बठ थ उसी समय लव कठक भददीय सथतरवर

भगवान स तरवदा ल कछ समय क तरलए भगवान स दर जा रह थ उनह जात दख भगवान न उनकी ओर सकत

कर कहा--तरभकषओ दखत हो इस भागयशाली तरभकष को वह माता-तरिता को मारकर दखरतरहत होकर जा रहा

माता-तरिता को मारकर व तरभकष भगवान की बात सनकर चौक चौककर एक-दसर का मह दखन लग

कक भगवान न यह कया कहा माता-तरिता को मारकर दखरतरहत होकर जा रहा ह इस भागयशाली तरभकष को

दखो उनह तो अिन कानो िर भरोसा नही हआ माता-तरिता की हतया स बड़ा तो कोई और िाि नही ह

भगवान यह कया कहत ह कही कछ चक ह या तो हम सनन म चक गए या भगवान कहन म चक गए

माता-तरिता क हतयार को भागयशाली कहना यह कसी तरशकषा ह भगवान होश म ह

अतयत सदह और तरवभम म िड़ उनहोन भगवान स िछा--तथागत कया कह रह ह ऐसी बात न तो आखो

दखी न कानो सनी भगवान न तब कहा--इतना ही नही इस अिवम तरभकष न और भी हतयाए की ह और बड़ी

सफलता स और बड़ी कशलता स हतया करन म इसका कोई सानी नही ह तरभकषओ तम भी इसस कछ सीख

लो तम भी इस जस बनो और तम भी दख-सागर क िार हो जाओग तरभकषओ न कहा--आि कहत कया ह

हतयार की परशसा कर रह ह और बदध न कहा--इतना ही नही तरभकषओ इसन अिनी भी हतया कर दी ह यह

आतमघाती भी ह यह बड़ा भागयशाली ह और तब उनहोन य सि कह--

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

मातर तरितर हतवा राजानो दव च सोतरतथय

वययगघिचम हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

माता अथामत तषणा--बदध कहत ह सार जीवन का जनम तषणा स हआ ह--माता अथामत तषणा तरिता

अथामत अहकार दो कषतरिय राजाओ अथामत शाशवत दतरषट और उचछद दतरषट--आतरसतकता और नातरसतकता--और

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उनक अनचरो को--सार शासतरीय तरसदधातो को--और उनक साथ सार राषटर को--आसतरियो सतरहत अिन भीतर

क सार ससार को--मारकर यह बराहमण तरनषिाि हो गया ह

माता-तरिता दो शरोतरिय राजाओ और वयाघरिचम को मारकर बराहमण तरनषिाि हो जाता ह

समझन की कोतरशश कर

तषणा को कहा बदध न मा तषणा ह सतरण इसतरलए तरसतरया जयादा तषणातर होती ह िररष की बजाय

तरसतरयो की िकड़ वसतओ िर धन िर मकान िर बहत होती ह--तषणातर होती ह और तरसतरया ईषयाम स बहत

जलती ह--ककसी न बड़ा मकान बना तरलया ककसी न नयी साड़ी खरीद ली

तषणा सतरण ह अहकार िररष ह िररष को कषट होता ह तभी जब ककसी का अहकार बढ़ता दखन लग जब

उसक अहकार को चोट लगती ह तब वह बचन होता ह वसतए चाह न हो मगर परतरतिा हो परतरतिा क तरलए

सब भी छोड़न को तयार होता ह िररष मगर परतरतिा छोड़न को तयार नही होता म कछ ह ऐसा भाव रह तो

वह सब छोड़न को तयार ह भखा मर सकता ह उिवास कर सकता ह--अगर लोगो को खयाल रह कक यह

महातिसवी ह नगा खड़ा हो सकता ह धि-ताि सह सकता ह बस एक बात भर बनी रह कक यह आदमी गजब

का ह

िररष की जड़ उसक अहकार म ह इसतरलए सतरी की जड़ उसकी तषणा म ह तषणा शबद भी सतरण ह

अहकार शबद भी िररषवाची ह यह िररष का रोग ह अहकार और तषणा सतरी का रोग ह इन दोनो क तरमलन स

हम सब बन ह न तो तम िररष हो अकल न तम सतरी हो अकल जस मा और तरिता स तमहारा जनम हआ--आधा

तरहससा मा न कदया ह तमहार शरीर को आधा तरहससा तमहार तरिता न कदया ह कोई िररष एकदम शदध िररष

नही ह कयोकक मा का तरहससा कहा जाएगा और कोई सतरी शदध सतरी नही ह कयोकक तरिता का तरहससा कहा

जाएगा दोनो का तरमलन ह ऐस ही तरचतत बना ह तषणा और अहकार स तरसतरयो म तषणा की मािा जयादा

िररषो म अहकार की मािा जयादा भद मािा का ह और दोनो महारोग ह और दोनो को मार तरबना कोई दख

स मि नही होता

इसतरलए बदध न बड़ी अजीब बात कही ह कक यह अिन माता-तरिता को मारकर दख स मि हो गया ह

दखत ह इस भागयशाली तरभकष को इसकी तषणा भी नही रही--यह कछ िान को उतसक भी नही ह और इसका

कोई अहकार भी नही रहा--इसकी कोई म की घोरषणा भी नही रही यह शनयवत हो गया ह जस ह ही नही

इसन अिन को िोछ तरलया इसतरलए बदध कहत ह इतना ही नही इसन अिना भी आतमघात कर तरलया ह

अब खयाल करना अगर हमार जीवन की सारी दौड़ अहकार और तषणा स बनी ह तो तरजस कदन

अहकार और तषणा समापत हो जाएगी उसी कदन हमारा जीवन भी समापत हो गया--आतमघात भी हो गया

इसतरलए तो बदधिररष कहत ह कक तरजस वयतरि न तषणा और अहकार छोड़ कदया उसका दबारा जनम नही होगा

वह ससार म कफर नही आएगा उसका कफर िनः आगमन नही ह उसन जीवन का मलसरोत ही तोड़ कदया वह

महाजीवन म तरवराजता आकाश उसका घर होगा तरनवामण उसकी तरनयतरत होगी

इतना ही नही बदध कहत ह माता-तरिता को दो कषतरिय राजाओ को यह भी बड़ी अनठी बात ह बदध

कहत ह आतरसतकता और नातरसतकता य दो राजा ह दतरनया म कछ लोग आतरसतक बनकर बठ गए ह कछ लोग

नातरसतक बनकर बठ गए ह कछ क ऊिर आतरसतकता का राजय ह कछ िर नातरसतकता का राजय ह दोनो स

मतरि चातरहए कयोकक जो ह उस न तो हा स कहा जा सकता और न ना म कहा जा सकता जो ह वह इतना

बड़ा ह कक हा और ना म नही समाता

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इसतरलए बदध स जब कोई िछता ह ईशवर ह तब चि रह जात ह वह कछ भी नही कहत बदध स कोई

िछता ह आि आतरसतक ह तो चि रह जात ह नातरसतक ह तो चि रह जात ह कयोकक वह कहत ह कक

अतरसततव इतना तरवराट ह कक हा और ना की कोरटयो म नही समाता हा कहो तो भी गलती हो जाती ह ना

कहो तो भी गलती हो जाती ह हा और ना दोनो इसम समातरहत ह कोई कोरटया मन की काम नही आती

इसतरलए मन की सारी तरवभाजक कोरटयो स मि हो गया ह दो कषतरिय राजाओ को भी इसन मार डाला

हम अकसर तरवभाजन म िड़ रहत ह कभी तम कहत हो दख कभी तम कहत हो सख तरवभाजन हो

गया कभी तम कहत हो म िररष कभी तम कहत हो म सतरी तरवभाजन हो गया जहा-जहा दो का तरवभाजन

ह वहा-वहा तम मन क परभाव म रहोग दवत यानी मन और जहा दोनो तरगरा कदए तम चि हो गए--मौन

यानी मन क िार हो जाना मौन मन क बाहर हो जान की तरसथतरत ह मौन अदवत ह

इसन दो राजाओ को मार डाला ह उनक अनचरो को भी मार डाला ह--सब तरसदधात सब शासतर सब

कफलासफी इसन आग लगा दी ह अब न यह सोचता न यह तरवचारता अब तो यह शनय तरनरवमचार म ठहरा ह

इसन सार राषटर को भी मार डाला ह इसन अिन भीतर क सार ससार को ही उखाड़ डाला ह

खयाल करना तमहारा ससार तमहार िड़ोसी का ससार नही ह ितनी का ससार ितरत का ससार नही ह

बट का ससार बाि का ससार नही ह यहा उतन ही ससार ह तरजतन लोग ह हर आदमी अिन ससार म रह

रहा ह हर आदमी न अिन मन का तरवसतार ककया हआ ह वही उसका ससार ह

बदध कहत ह इसन सार अिन भीतर क जगत को ही जलाकर राख कर कदया तो यह बराहमण तरनषिाि हो

गया ह

माता-तरिता दो कषतरिय राजाओ वयाघरिचम को मारकर बराहमण तरनषिाि हो जाता ह

िाच शि ह जो मनषय को काट डालत ह चाह उनको िचतरनदरया कहो या िाच शि कहो िाच परकार

की कामवासनाए कहो लककन िाच शि ह जो मनषय को काट डालत ह यह उन िाचो को भी मारकर

हतया का ऐसा अदभत अथम सवभावतः तरभकष चौक गए होग जब िहली दफा सना होगा कक मा-बाि को

मारकर यह दख स मि हो गया ह

उनहोन िछा--तथागत कया कह रह ह

तथागत शबद का भी वही अथम होता ह जो सगत का सगत का अथम होता ह जो भलीभातरत चला गया

जो इस जमीन िर कदखायी िड़ता ह लककन अब यहा तरजसकी चतना नही ह तथागत का यह भी अथम होता ह

जो भलीभातरत आया और भलीभातरत चला गया जो ऐस आया जस आया ही न हो और ऐस चला गया जस गया

ही न हो तरजसका होना न होना ककसी को िता ही न चला जस िानी िर लकीर खीचत ह--ऐस बदधो का

आगमन ह इतरतहास िर कोई रखा नही छटती

इतरतहास िर रखा तो तरहटलर चगजखा तमरलग इनकी छटती ह बदधो की नही छटती न करत ह

तरवधवस तो कस रखा छटगी इतरतहास िर अतजमगत म परवश करत ह बाहर क जगत म तो धीर-धीर शनय हो

जात ह तो कस इतरतहास िर रखा छटगी बदधो को तथागत कहा जाता ह--चिचाि आत ह चिचाि चल जात

ह ककसी को कानो-कान खबर नही िड़ती

तरशषयो न िछा कक तथागत कया कह रह ह यह आि कसी बात कर रह ह कक माता-तरिता को मारकर

माता-तरिता को मारना तो सब स बड़ा िाि ह

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इसका एक और अथम म करना चाहगा जो इस सि म नही कहा गया ह लककन अगर बदध आज होत तो

कहत अमरीका म मनोतरवजञान की एक नयी िदधतरत तरवकतरसत हई ह टराजकशनल एनातरलतरसस महतविणम ह

बहत टराजकशनल एनातरलतरसस क तरहसाब स परतयक वयतरि म तीन वयतरि होत ह--एक तमहारी मा एक तमहारा

तरिता एक तमहारा बचिन छोटा बचचा ह हजार काम करना चाहता ह हजार रकावट िड़ती ह आग स

खलना चाहता ह मा कहती ह नही बाहर जाना चाहता ह तरमिो क िास बाि कहता ह नही रात हो गयी

सो जाओ जब सोना नही चाहता ह तब मा-बाि कहत ह सो जाओ जब उठना चाहता ह सबह तो उठन नही

दत जब नही उठना चाहता ह तो उठात ह जब खाना नही चाहता तो तरखलात ह जब खाना चाहता ह तो

रोकत ह कक अब बहत हो गया हजार तरनरषध ह तो छोटा बचचा तरनतररषदध होता जाता ह

वह जो तरनतररषदध छोटा बचचा ह तमहार भीतर वह कभी नही मरता वह तमहार भीतर मौजद ह इसतरलए

कभी-कभी तम अगर समझोग ठीक स ऐसी घड़ी आ जाती ह जब तमहारा छोटा बचचा परगट हो जाता ह--ककसी

न गाली द दी उस वि तम जो वयवहार करत हो वह छोट बचच का वयवहार ह तमहारी उमर िचास साल की

हो लककन ततकषण तम ऐसा वयवहार करत हो जस सात साल का बचचा भी करन म सकोच कर जरा सी बात

और तम भल गए अिन ितालीस साल लौट गए बचिन म िीछ तम िछताओग तम कहोग यह मन कस

ककया यह ककस बात न मझ िकड़ तरलया यह तो शोभा नही दता जरा सी बात हो गयी और तम एकदम

बचकानी अवसथा म वयवहार कर तरलए वह बचचा तमहार भीतर जजदा ह दबा िड़ा ह जरा सी चोट की जररत

ह तरनकल आता ह

तमन दखा होगा ककसी क घर म आग लग गयी म एक गाव म ठहरा था एक घर म आग लग गयी

उस घर क मातरलक को म बहत कदन स जानता था बड़ तरहममत का आदमी वह एकदम छाती िीट-िीटकर रोन

लगा

मन उस जाकर कहा कक त तरहममतवर आदमी ह--उसकी छाती भी बड़ी थी वह गाव म रामलीला म

अगद का िाटम करता था उसस बड़ी छाती का आदमी मन कफर दखा नही उसकी बड़ी चौड़ी छाती थी वह

एकदम छाती िीटकर--मन उसको जाकर कहा कक दख जरा सन भी इतनी बड़ी छाती और ऐस िीट रहा ह

और त अगद का काम करता ह मकान म ही आग लग गयी ह न

वह मझस बोला जञान की बात अभी नही मझ मत छड़ो अर म मर गया वह कफर िीटन लगा कक म

मारा गया म लट गया छोट बचच जसा--जस छोटा बचचा िर िटकन लगता ह और तरचललान लगता ह

तमन कभी खयाल ककया छोट बचच का एक लकषण होता ह वह ककसी भी चीज को चाहता ह तो अभी

चाहता ह इसी वि चाहता ह आधी रात म आइसकरीम चातरहए तो अभी चातरहए वह मान ही नही सकता कक

कल िर छोड़ा जा सकता ह--कयो कल िर अभी कयो नही

तमन अिन तरचतत म भी यह वतरतत दखी कई बार तरसर मारती एक कार रासत स गजरत दखी और तम

कहत हो अभी चातरहए इसी वि चातरहए चाह अब घर तरबक जाए चाह झझट म िड़ जाओ चाह कजम लना

िड़ चाह जजदगीभर चकान म लग जाए कजम मगर इसी वि चातरहए अब तो लना ही ह

अमरीका इस समय दतरनया म सबस जयादा बचकाना दश ह तो हर चीज इसटट--इसटट काफी--हर चीज

इसी वि चातरहए काफी बनान की भी झझट कौन कर तयार करन की भी झझट कौन कर तयार चातरहए

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हर चीज तयार चातरहए भोजन तयार चातरहए बस जयादा स जयादा तरडबबा खोलना आना चातरहए और कछ

खास जररत नही ह

हर चीज इसी वि हो य बचकानी बात ह मगर य मरती नही य भीतर रहती ह य कभी भी लौट

आती ह य ककसी दरदमन म दघमटना म परगट हो जाती ह तमहारी परौढ़ता ऊिर-ऊिर ह भीतर तमहारा बचचा

तरछिा ह जो कभी नही बढ़ा तरजसम कोई परौढ़ता आयी ही नही सामानय कामकाज म तम समहाल रहत हो

अिन को लककन जरा भी असामानय तरसथतरत आती ह कक तमहारी परौढ़ता दो कौड़ी की सातरबत होती ह तमहारी

परौढ़ता चमड़ी स जयादा गहरी नही ह जरा ककसी न खरोच कदया कक तमहारा बचचा परगट हो जाता ह तो यह

बचचा जाना चातरहए इसकी मतय होनी चातरहए तो ही तम परौढ़ हो िाओग

कफर तमहारी मा और तरिता तमहार भीतर सदा बठ ह इनकी भी मतय होनी चातरहए इसका बाहर क

माता-तरिता स कोई सबध नही ह टराजकशनल एनातरलतरसस का कहना यह ह कक वही वयतरि ठीक स परौढ़ हो

िाता ह तरजसक भीतर माता-तरिता की आवाज समापत हो जाती ह नही तो तम कछ भी करो माता-तरिता की

आवाज िीछा करती ह

समझो कक तम बचिन म कछ काम करत थ मा-बाि न रोक कदया था अब भी तम वह काम करना

चाहत हो भीतर स एक आवाज आती ह तमहारा तरिता कहता ह--नही हालाकक अब तम सवति हो तम

अधरी रात म बाहर जाना चाहत थ तरिता न रोक कदया था तम छोट बचच थ यह ठीक भी था रोक दना

तमहारी िररतरसथतरत क अनकल था अब भी तम अधर म जात हो बाहर तो ऐसा लगता ह तरिता इनकार कर रह

ह साफ नही होता भीतर स कोई रोकता ह भीतर स कोई दबाता ह भीतर स कोई कहता ह--मत जाओ यह

मत करो ऐसा मत करो यह जो भीतर तमहार तरिता की आवाज ह यह तमह कभी बढ़न न दगी तमहारी मा

अभी भी तमह िकड़ हए ह वह तमहारा िीछा नही छोड़ती उसस छटकारा चातरहए

समझो कक तम ककसी एक लड़की क परम म िड़ गए थ और तमहारी मा न बाधा डाल दी थी--शायद

जररी था डालना तमहारी उमर भी नही थी अभी अभी तम परम का अथम भी नही समझ सकत थ अभी तम

झझट म िड़ जात अभी तम उलझ जात तमहारी िढ़ाई-तरलखाई रक जाती तमहारा तरवकास रक जाता--मा न

रोक कदया था मा न सब तरह स तमह लड़ककयो स बचाया था

अब तमहारी शादी भी हो गयी ह तमहारी ितनी घर म ह लककन जब तम ितनी का भी हाथ हाथ म लत

हो तमहारी मा भीतर स रोक रही ह वह कह रही ह सावधान झझट म मत िड़ना तो तम ितनी का हाथ भी

हाथ म लत हो लककन िर मन स नही ल िात वह मा िीछ खीच रही ह इस मा का जाना होना ही चातरहए

नही तो तम कभी परौढ़ न हो िाओग

टराजकशनल एनातरलतरसस क लोगो को अगर बदध क य सि तरमल जाए तो उनक तरलए तो बड़ा सहारा

तरमल जाएगा--माता-तरिता की हतया माता-तरिता की हतया स तमहार बाहर क माता-तरिता की हतया का कोई

सबध नही ह तमहार भीतर जो माता-तरिता की परतरतमा बठ गयी ह उसकी हतया होनी चातरहए तभी तम मि

हो िाओग और यह बड़ मज की और तरवरोधाभासी बात ह कक तरजस कदन तम भीतर क माता-तरिता स मि हो

जाओग उस कदन तम बाहर क माता-तरिता को िहली दफा ठीक आदर द िाओग उसक िहल नही समादर

िदा होगा अभी तो तम भीतर इतन गरतरसत हो उनस कक तमहार मन म करोध ह मा-बाि को कषमा करना भी

मतरशकल ह

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गरतरजएफ न अिन दरवाज िर तरलख रखा था कक अगर तमन अिन मा-बाि को कषमा कर कदया हो तो

मर िास आओ अजीब सी बात सतय की खोज म आए आदमी स िछना कक तमन मा-बाि को कषमा कर कदया

या नही कषमा लोग कहत हम तो आदर करत ह वह कहता कक जाओ वािस िहल कषमा करो आदर अभी

कहा ह सब थोथा ह माफ तो करो िहल

माफ तम तभी कर सकोग जब तमहार भीतर स सारा मा-बाि का जाल तरमट जाए तम मि हो जाओ

तरजनस तम बध हो उनह माफ नही कर सकत गलामी को कोई माफ करता ह िरतिता को कोई माफ करता

ह कारागह को कोई माफ करता ह और तरजसन तमह गलाम बनाया ह उसको तम आदर कस द सकत हो

इसतरलए अगर बचच मा-बाि क परतरत अनादर स भर जात ह तो आियम नही ह मा-बाि क परतरत आदर

तभी हो सकता ह जब मा-बाि स िरा छटकारा हो जाए और यह बाहर की बात नही ह कक बाहर क मा-बाि

को छोड़कर भाग जाओ बाहर क मा-बाि को छोड़न स कछ भी नही होता तरहमालय चल जाओ वहा भी

भीतर क मा-बाि तमहारा िीछा करग व तमहार मन क तरहसस हो गए ह उस मन को बदलना जररी ह

बदध क य सि इसतरलए मन कह बड़ महतविणम ह

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

बराहमण मि हो जाता ह माता-तरिता को मारकर कषतरिय दो राजाओ को मारकर राजा क अनचरो को

मारकर सार राषटर की हतया करक अततः सवय अिनी हतया करक सार दखो क िार हो जाता ह

तरनवामण का अथम ही यही होता ह--अिन हाथ स अिनी महामतय को तरनमतरित कर लना तरनवामण का अथम

होता ह--दीए की जयोतरत जस बझ जाती ह ऐसा जो बझ जाए तरजसक भीतर कोई म न बच इस न-म की

अवसथा का नाम तरनवामण ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

तरानव परवचन

जीन म जीवन ह

िहला परशनः म तब तक धयान कस कर सकता ह जब तक कक ससार म इतना दख ह दररदरता ह दीनता

ह कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह िरमातमा मझ यकद तरमल तो उसस अिनी

शातरत मागन क बजाय म उन लोगो क तरलए दड ही मागना जयादा िसद करगा तरजनक कारण ससार म शोरषण

ह दख ह और अनयाय ह

जसी आिकी मजी धयान न करना हो तो कोई भी बहाना काफी ह धयान न करना हो तो ककसी भी

तरह स अिन को समझा ल सकत ह कक धयान करना ठीक नही लककन अभी यह भी नही समझ हो कक धयान

कया ह यह भी नही समझ हो कक दतरनया म इतना दख इतनी िीड़ा इतनी िरशानी धयान क न होन क

कारण ह

दखी आदमी दसर को दख दता ह और कछ दना भी चाह तो नही द सकता जो तमहार िास ह वही तो

दोग जो तमहार िास नही ह वह दना भी चाहो तो कस दोग दखी दख दता ह सखी सख दता ह यकद तम

चाहत हो कक दतरनया म सख हो तो भीतर की शातरत भीतर का होश अतरनवायम शत ह

धयान शबद िर मत अटको धयान का अथम इतना ही ह कक तम अिन भीतर क रस म डबन लग जब तम

रसिणम होत हो तो तमहार कतयो म भी रस बहता ह कफर तम जो करत हो उसम भी सगध आ जाती ह धयान

स भरा हआ वयतरि कठोर तो नही हो सकता करणा सहज ही बहगी धयान स भरा हआ वयतरि शोरषण तो नही

कर सकता असभव ह धयान स भरा हआ वयतरि जहसक तो नही हो सकता अजहसा और परम धयान की छायाए

ह करणा ऐस ही आती ह धयान क िीछ जस बलगाड़ी चलती ह और उसक िीछ चाको क तरनशान बनत चलत

ह--अतरनवायम ह

दतरनया म इतन लोग दखी ह और इतन लोग एक-दसर को दख द रह ह दख तरनतरित ह मगर दख का

कारण कया ह दख का कारण यही ह कक लोग सखी नही ह तम तरजस अवसथा म हो उसी की तरग तमस िदा

होती ह सब अिन सख की दौड़ म ही दसरो को दखी कर रह ह कोई अकारण तो दखी नही कर रहा ह कोई

ककसी को दखी करन क तरलए थोड़ ही दखी कर रहा ह सब चाहत ह सख तरमल और अिन-अिन सख की दौड़

म लग ह सवभावतः इस दौड़ म बड़ा सघरषम ह और सभी अिन सख को बाहर खोज रह ह सभी को कदलली

जाना ह सभी को कदलली क िदो िर बठना ह तो सघरषम ह छीना-झिटी ह उठा-िटक ह आिा-धािी ह

कफर ठीक स िहच कक गलत स िहच इसकी भी जचता करन की फसमत कहा कयोकक कदखायी ऐसा िड़ता

ह--जो ठीक का बहत तरवचार करत ह व िहच ही नही िात ह यहा तो जो ठीक का तरवचार नही करता ह वह

िहचता हआ मालम िड़ता ह तो धीर-धीर साधन मलयहीन हो जात ह बस लकषय एक ह कक सख तरमल जाए

कफर चाह सबका सख छीनकर भी सख तरमल जाए तो भी मरा सख मझ तरमलना चातरहए इसी चषटा म दसरा भी

लगा ह इसी चषटा म सारी िथवी क करोड़ो लोग लग ह और सब बाहर दौड़ रह ह धयान का अथम ह--सख

बाहर नही ह धयान का अथम ह--सख भीतर ह

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जो बाहर गया वह दख स और गहर दख म िहचता रहगा और तरजतन दख म िहचगा उतना ही पयासा

हो जाएगा कक सख ककसी तरह तरमल जाए कफर तो यन-कन-परकारण कफर तो अचछी तरह तरमल तो ठीक बरी

तरह तरमल तो ठीक ककसी की हतया स तरमल तो ठीक ककसी क खन स तरमल तो ठीक लककन सख तरमल जाए

जस-जस तम अिन स दर जाओग वस-वस सख की गहरी पयास िदा होगी और उस अधी पयास म तम कछ

भी कर गजरोग कफर भी सख तरमलगा नही तरसकदर को नही तरमलता न बड़ धनितरतयो को तरमलता ह सख

तरमला ह उनह जो भीतर की तरफ गए और भीतर की तरफ जान का नाम ह धयान अतयामिा ह धयान

जो अिन म डबा उस सख तरमलता ह जो अिन म डबा उसकी सिधाम समापत हो गयी उसकी कोई

परतरतयोतरगता नही ह कयोकक मरा सख मरा ह उस कोई छीनना चाह तो भी छीन नही सकता ह मरा सख मरी

ऐसी सितरतत ह जो मतय भी नही छीन िाएगी कफर ककसी स कया सिधाम ह और जब सिधाम नही तो शिता

नही कफर एक मिीभाव िदा होता ह

यहा कोई ककसी का सख नही छीन सकता ह यहा परतयक वयतरि सखी हो सकता ह अिन भीतर

िहचकर और परतयक वयतरि दखी हो जाता ह अिन स बाहर दौड़कर दख यानी बाहर सख यानी भीतर

बाहर दौड़ तो सघरषम ह जहसा ह वमनसय ह शोरषण ह भीतर आए तो न जहसा ह न शोरषण ह न वमनसय ह

और जो अिन सख म तरथर हआ उसक िास तरग उठती ह सख की उसक िास गीत िदा होता ह उसक िास

जो आएगा वह भी उस गीत म डबगा

इस दतरनया म उसी कदन दख समापत होगा तरजस कदन बड़ी मािा म धयान का अवतरण होगा उसक िहल

दख समापत नही हो सकता

अब तम िछत हो म तब तक धयान कस कर सकता ह जब तक कक ससार म इतना दख ह दररदरता ह

दीनता ह

यह दख ह ही इसीतरलए कक धयान नही ह और तम कहत हो तब तक म धयान कस कर सकता ह यह तो

ऐसी बात हई कक मरीज तरचककतसक को जाकर कह कक जब तक म बीमार ह तब तक औरषतरध कस ल सकता ह

िहल ठीक हो जाऊ कफर औरषतरध लगा बीमार हो इसीतरलए औरषतरध की जररत ह ठीक हो जाओग तो कफर तो

जररत ही न होगी बीमारी क तरमटान क तरलए औरषतरध ह धयान

तम कहत हो ससार म इतना दख इतनी िीड़ा इतना शोरषण इतना अनयाय ह म कस धयान कर

इसीतरलए धयान करो कम स कम एक तो धयान कर कम स कम तम तो धयान करो थोड़ी ही तरग सही

तमहार िास िदा होगी थोड़ा तो सख होगा माना कक इस बड़ जगल म एक फल तरखलन स कया होगा लककन

एक फल तरखलन स और फलो को भी याद तो आ सकती ह कक हम भी तरखल सकत ह और कतरलया भी तरहममत

जटा सकती ह दबी हई कतरलया अकररत हो सकती ह बीजो म सिन िदा हो सकत ह एक फल तरखलन स

परतयक बीज म लहर िदा हो सकती ह

कफर इसस कया फकम िड़ता ह तम तरखल थोड़ी सगध बटी थोड़ चाद-तार परसनन हए थोड़ा सा दतरनया

का एक छोटा सा कोना जो तमन घर रखा ह वहा सख की थोड़ी वरषाम हई तम यही तो चाहत हो न कक दतरनया

म सख की वरषाम हो कम स कम उतनी दतरनया को तो सखी कर लो तरजतन को तमन घरा ह तम दतरनया का एक

तरहससा हो तम दतरनया का एक छोटा सा कोना हो तम जस लोगो स तरमलकर ही दतरनया बनी ह आदमी

आदमी स तरमलकर आदतरमयत बनी ह आदतरमयत अलग तो नही ह कही जहा भी जाओग आदमी िाओग

आदतरमयत तो कही न िाओग कोई वयतरि तरमलगा समाज तो कही होता नही समाज तो कवल शबदकोश म

29

ह समाज का कोई अतरसततव नही ह वयतरि का अतरसततव ह तम तो कम स कम एक तो कम स कम तरखल जाए

इतनी तो किा दतरनया िर करो

तमहारी इस किा स इतना होगा कक तमस जो दगध उठती ह नही उठगी अगर तमह सच म लोगो िर

दया आती ह तो कम स कम उस दगध को तो रोक दो जो तमस उठती ह दसर िर तो तमहारा वश भी नही ह

कम स कम तम तो थोड़ी सगध दो तरजतना तम कर सकत हो उतना तो करो

तम कहत हो वह भी म न करगा कयोकक दतरनया बहत दखी ह

सारा गाव बीमार ह माना तम भी बीमार हो कम स कम तमह दवा तरमलती ह तम तो इलाज कर लो

एक आदमी ठीक हो जाए तो दसर आदतरमयो को ठीक करन क तरलए कछ उिाय कर सकता ह सारा गाव सोया

ह तम भी सोए हो कम स कम तम तो जग जाओ एक आदमी जग जाए तो दसरो को जगान की वयवसथा कर

सकता ह सोया आदमी तो ककसी को कस जगाएगा जागा हआ जगा सकता ह धयान का अथम इसस अतरतररि

और कछ भी नही ह

कफर भी तमहारी मजी तमह लगता हो जब तक दतरनया सखी न हो जाएगी तब तक म धयान न करगा

तो तम कभी धयान न करोग अनत काल बीत जाएगा तम धयान न करोग कयोकक यह दतरनया कभी सखी इस

तरह होन वाली नही ह तमहार धयान करन स दतरनया क इस बड़ भवन की एक ईट तो सखी होती ह एक ईट

तो सोना बनती ह एक ईट म तो पराण आता ह इतनी दतरनया बदली चलो इतना सही बद-बद स सागर भर

जाता ह तम एक बद हो माना बहत छोट हो लककन इतन छोट भी नही तरजतना तमन मान रखा ह

आतरखर बदध एक ही वयतरि ह एक ही बद ह लककन एक का दीया जला तो कफर दीए स और हजारो दीए

जल धयान एक की चतना म िदा हो जाए तो वह लिट बहतो को लगती ह सभी तो सख की तलाश म ह जब

ककसी को जागा हआ दखत ह और लगता ह कक सख यहा घटा ह तो उस तरफ दौड़ िड़त ह अभी दौड़ रह ह

जहा उनह कदखायी िड़ता ह सब दौड़ रह ह यदयतरि वहा कोई सख का परमाण भी नही तरमलता कफर भी और

कया कर और कछ करन को सझता भी नही

सब धन की तरफ जा रह ह तम दखी हो तम भी धन की तरफ जा रह हो दखत भी हो गौर स कक

धतरनयो क िास कोई सख कदखायी िड़ता नही लककन कर कया कछ न करन स तो बहतर ह कछ कर खोज

शायद तरमल जाए सार लोग दौड़ रह ह तो एकदम तो गलत न होग तो तम भी भीड़ म सतरममतरलत हो जात

हो

लककन जब कही ककसी बदध म ककसी कराइसट म ककसी कषण म तमह सख का दीया जलता हआ कदखायी

िड़ता ह तब तो तमहार तरलए परमाण होता ह कोई जा रहा ह या नही जा रहा ह यह सवाल नही ह तम जा

सकत हो

अगर तमन यह तय ककया ह कक जब सारी दतरनया सखी हो जाएगी तब म धयान करगा तो धयान कभी

होगा ही नही

और तम यह कहत हो कक कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह

सवाथम शबद का अथम समझत हो शबद बड़ा पयारा ह लककन गलत हाथो म िड़ गया ह सवाथम का अथम

होता ह--आतमाथम अिना सख सव का अथम तो म तो सवाथम शबद म कोई बराई नही दखता म तो तरबलकल िकष

म ह म तो कहता ह धमम का अथम ही सवाथम ह कयोकक धमम का अथम सवभाव ह

30

और एक बात खयाल रखना कक तरजसन सवाथम साध तरलया उसस िराथम सधता ह तरजसस सवाथम ही न

सधा उसस िराथम कस सधगा जो अिना न हआ वह ककसी और का कस होगा जो अिन को सख न द सका

वह ककसको सख द सकगा इसक िहल कक तम दसरो को परम करो म तमह कहता ह अिन को परम करो इसक

िहल कक तम दसरो क जीवन म सख की कोई हवा ला सको कम स कम अिन जीवन म तो हवा ल आओ

इसक िहल कक दसर क अधर जीवन म परकाश की ककरण उतार सको कम स कम अिन अधर म तो परकाश को

तरनमतरित करो इसको सवाथम कहत हो चलो सवाथम ही सही शबद स कया फकम िड़ता ह लककन यह सवाथम

तरबलकल जररी ह यह दतरनया जयादा सखी हो जाए अगर लोग ठीक अथो म सवाथी हो जाए

और तरजस आदमी न अिना सख नही जाना वह जब दसर को सख दन की कोतरशश म लग जाता ह तो

बड़ खतर होत ह उस िहल तो िता नही कक सख कया ह वह जबदमसती दसर िर सख थोिन लगता ह तरजस

सख का उस भी अनभव नही हआ तो करगा कया वही करगा जो उसक जीवन म हआ ह

समझो कक तमहार मा-बाि न तमह एक तरह की तरशकषा दी--तम मसलमान-घर म िदा हए कक जहद-घर

म िदा हए कक जन-घर म तमहार मा-बाि न जलदी स तमह जन जहद या मसलमान बना कदया उनहोन यह

सोचा ही नही कक उनक जन होन स जहद होन स उनह सख तरमला ह नही व एकदम तमह सख दन म लग गए

तमह जहद बना कदया मसलमान बना कदया तमहार मा-बाि न तमह धन की दौड़ म लगा कदया उनहोन यह

सोचा भी नही एक भी बार कक हम धन की दौड़ म जीवनभर दौड़ हम धन तरमला ह धन स सख तरमला ह

उनहोन जो ककया था वही तमह तरसखा कदया उनकी भी मजबरी ह और कछ तरसखाएग भी कया जो हम सीख

होत ह उसी की तरशकषा द सकत ह उनहोन अिनी सारी बीमाररया तमह सौि दी तमहारी धरोहर बस इतनी ही

ह उनक मा-बाि उनह सौि गए थ बीमाररया व तमह सौि गए तम अिन बचचो को सौि जाओग

कछ सवाथम कर लो कछ सख िा लो ताकक उतना तम अिन बचचो को द सको उतना तम अिन

िड़ोतरसयो को द सको यहा हर आदमी दसर को सखी करन म लगा ह और यहा कोई सखी ह नही जो सवाद

तमह नही तरमला उस सवाद को तम दसर को कस द सकोग असभव ह

म तो तरबलकल सवाथम क िकष म ह म तो कहता ह मजहब मतलब की बात ह इसस बड़ा कोई मतलब

नही ह धमम यानी सवाथम लककन बड़ी अिवम घटना घटती ह सवाथम की ही बतरनयाद िर िराथम का मकदर खड़ा

होता ह

तम जब धीर-धीर अिन जीवन म शातरत सख आनद की झलक िान लगत हो तो अनायास ही तमहारा

जीवन दसरो क तरलए उिदश हो जाता ह तमहार जीवन स दसरो को इतरगत और इशार तरमलन लगत ह तम

अिन बचचो को वही तरसखाओग तरजसस तमन शातरत जानी तम कफर परतरतसिधाम न तरसखाओग परतरतयोतरगता न

तरसखाओग सघरषम-वमनसय न तरसखाओग तम उनक मन म जहर न डालोग

इस दतरनया म अगर लोग थोड़ सवाथी हो जाए तो बड़ा िराथम हो जाए

अब तम कहत हो कक कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह

तरनिट सवाथम ह लककन सवाथम म कही भी कछ बरा नही ह अभी तक तमन तरजसको सवाथम समझा ह

उसम सवाथम भी नही ह तम कहत हो धन कमाएग इसम सवाथम ह िद िा लग इसम सवाथम ह बड़ा भवन

बनाएग इसम सवाथम ह म तमस कहता ह इसम सवाथम कछ भी नही ह मकान बन जाएगा िद भी तरमल

जाएगा धन भी कमा तरलया जाएगा--अगर िागल हए तो सब हो जाएगा जो तम करना चाहत हो--मगर सवाथम

हल नही होगा कयोकक सख न तरमलगा और सवय का तरमलन भी नही होगा और न जीवन म कोई अथमवतता

31

आएगी तमहारा जीवन वयथम ही रहगा कोरा तरजसम कभी कोई वरषाम नही हई जहा कभी कोई अकर नही फट

कभी कोई हररयाली नही और कभी कोई फल नही आए तमहारी वीणा ऐसी ही िड़ी रह जाएगी तरजसम कभी

ककसी न तार नही छड़ कहा का अथम और कहा का सव

तमन तरजसको सवाथम समझा ह उसम सवाथम नही ह तरसफम मढ़ता ह और तरजसको तम सवाथम कहकर कहत

हो कक कस म कर म तमस कहता ह उसम सवाथम ह और िरम समझदारी का कदम भी ह तम यह सवाथम

करो

इस बात को तम जीवन क गतरणत का बहत आधारभत तरनयम मान लो कक अगर तम चाहत हो दतरनया

भली हो तो अिन स शर कर दो--तम भल हो जाओ

कफर तम कहत हो िरमातमा मझ यकद तरमल भी तो उसस अिनी शातरत मागन क बजाय म उन लोगो

क तरलए दड ही मागना िसद करगा तरजनक कारण ससार म शोरषण ह दख ह और अनयाय ह

कया तम सोचत हो तम उन लोगो म सतरममतरलत नही हो कया तम सोचत हो व लोग कोई और लोग ह

तम उन लोगो स भी तो िछो कभी व भी यही कहत हए िाए जाएग कक दसरो क कारण कौन ह दसरा यहा

ककसकी बात कर रह हो ककसको दड कदलवाओग तमन शोरषण नही ककया ह तमन दसर को नही सताया

ह तम दसर की छाती िर नही बठ गए हो मातरलक नही बन गए हो तमन दसरो को नही दबाया ह तमन

वही सब ककया ह मािा म भल भद हो हो सकता ह तमहार शोरषण की परककरया बहत छोट दायर म चलती हो

लककन चलती ह तम जी न सकोग तम अिन स नीच क आदमी को उसी तरह सता रह हो तरजस तरह तमहार

ऊिर का आदमी तमह सता रहा ह यह सारा जाल जीवन का शोरषण का जाल ह इसम तम एकदम बाहर नही

हो दड ककसक तरलए मागोग

और जरा खयाल करना दड भी तो दख ही दगा दसरो को तो तम दसरो को दखी ही दखना चाहत हो

िरमातमा भी तरमल जाएगा तो भी तम मागोग दड ही दसरो को दख दन का उिाय ही तम अिनी शातरत तक

छोड़न को तयार हो

मन सना ह एक िरानी अरबी कथा ह दो तरमि थ एक अधा और एक लगड़ा साथ रहत और साथ ही

भीख मागत साथ रहना जररी भी था कयोकक अधा दख नही सकता था लगड़ा चल नही सकता था तो अधा

लगड़ को अिन कध िर तरबठाकर चलता था भीख अलग-अलग मागी भी नही जा सकती थी सग-साथ म ही

सार भी था साझदारी भी

कफर जस सभी साझदारो म झगड़ हो जात ह कभी-कभी उनम भी झगड़ हो जात थ कभी लगड़ा जयादा

िस िर कबजा कर लता कभी अधा जयादा िस िर कबजा कर लता कभी अधा चलन स इनकार कर दता कभी

लगड़ा कहता अभी आराम करना ह अभी मरी आख काम म न आएगी सवाभातरवक जस सभी साझदाररयो म

झगड़ होत ह उनम भी झगड़ हो जात थ

एक कदन तो बात ऐसी बढ़ गयी कक दोनो न एक-दसर को डटकर िीटा यह भी ठीक ह सभी धध म

होता ह भगवान को बड़ी दया आयी--िरानी कहानी ह उन कदनो भगवान आदमी को जयादा समझता नही

था अब तो दया भी नही आती कयोकक आदमी ऐसा मढ़ ह कक इस िर दया करन स भी कोई सार नही ऐसी

ही घटनाए बार-बार घटी और भगवान भी धीर-धीर आदमी की मढ़ता को समझ गया अब इतनी जलदी दया

नही करता भगवान को बड़ी दया आयी भगवान न सोचा कक अध को अगर आख और लगड़ को अगर िाव द

कदए जाए तो कोई एक-दसर का आतरशरत न रहगा एक-दसर स मि हो जाएग और इनक जीवन म शातरत होगी

32

भगवान परगट हआ और उसन उन दोनो स कहा कक तम वरदान माग लो तमह जो चातरहए हो माग लो कयोकक

सवभावतः भगवान न सोचा कक अधा आख मागगा लगड़ा िर मागगा मगर नही आदमी की बात िछो ही

मत

उनहोन लगड़ को दशमन कदया िछा कक त माग ल तझ कया मागना ह लगड़ न कहा--भगवान उस अध

को भी लगड़ा बना दो चौक होग कफर अध क सामन परगट हए अध न कहा--परभ उस लगड़ को अधा बना

दो

दोनो एक-दसर को दड दन म उतसक थ इसस दतरनया बहतर नही हो गयी अधा लगड़ा भी हो गया

और लगड़ा अधा भी हो गया हालत और खराब हो गयी शायद इसीतरलए अब भगवान इतनी जलदी दया नही

करता और ऐस आ-आकर परगट नही हो जाता और कहता नही कक वरदान माग लो बहत बार करक दख

तरलया आदमी की मढ़ता बड़ी गहरी मालम िड़ती ह

तम कहत हो--बीसवी सदी म--कक अगर िरमातमा मर सामन परगट भी हो जाए तो म अिनी शातरत

मागन क बजाय उनक तरलए दड मागगा तरजनक कारण दतरनया म दख ह

िहली तो बात तमहार कारण दख ह कफर तम सोचत भला होओ कक दसरो क कारण दख ह उनक

तरलए दड मागन स कया हल होगा हो सकता ह तमह बड़ी नाराजगी ह तमहार दफतर म जो तमहारा मातरलक ह

वह बड़ा दबा रहा ह और तमह दबना िड़ रहा ह लककन तमहार घर म तमहारी ितनी बठी ह उस तम दबा रह

हो और उस बड़ा दबना िड़ रहा ह तम उस समझात हो कक ितरत तो िरमातमा ह सकदयो स तमन समझाया

ह और वह जानती ह तमह भलीभातरत कक अगर तम िरमातमा हो तो िरमातमा भी दो कौड़ी का ह तमहार

साथ िरमातमा तक की बइजजती हो रही ह तमहारी इजजत नही बढ़ रही तमहार साथ िरमातमा क जड़न स

िरमातमा तक की नौका डबी जा रही ह उस तम सता रह हो सब तरह स उसका तमन सब तरह स शोरषण

ककया ह अगर ितनी स िछगा िरमातमा तो वह तमहार तरलए दड की वयवसथा करगी

ितनी कछ नही कर सकती अिन बचचो को सता रही ह उसक िास और कछ उिाय नही ह वह ककनही

भी बहानो स बचचो को सतान म लगी ह अचछ-अचछ बहान खोजती ह बचचो क भल क तरलए ही उनको मारती

ह बचच भी जानत ह कक इसस भल का कोई लना-दना नही ह आज तरिताजी और माताजी म बनी नही ह

इसतरलए बचच सावधान रहत ह कक आज झझट ह या तो इधर स तरिटग या उधर स तरिटग अगर बचचो स

िरमातमा िछ तो तो शायद वह अिनी मा को दड कदलवाना चाहगा कौन बचचा नही कदलवाना चाहता

अिनी मा को दड दषट मालम होती ह

अगर एक-एक स िछन जाओग तो तम िाओग हम सब जड़ ह ककसक तरलए दड कदलवाओग और दड

कदलवान स कया लाभ होगा सभी को दड तरमल जाएगा--अध लगड़ हो जाएग लगड़ अध हो जाएग--दतरनया

और बदतर हो जाएगी शायद इसी डर स भगवान तमहार सामन परगट भी नही होता कक ऐस ही हालत खराब

ह अब और खराब करवानी ह

तम अिनी शातरत न मागोग ककसी को यहा अिन सख म रस नही मालम होता दसर को दख दन म रस

मालम होता ह

कफर भी तम कहत हो दतरनया म दख कयो ह

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शायद तमको लगगा अिनी शातरत मागन म तो सवाथम हो जाएगा तो म तमस कहता ह भल आदमी

सवाथम हो जान दो अिनी शातरत मागो कछ हजाम नही ह इस सवाथम म तम अिनी माग लो दसरो क सामन

परगट होगा व अिनी शातरत माग लग--यह दतरनया शात हो सकती ह

और धयान का कया अथम होता ह धयान का अथम होता ह--िरमातमा तो तमहार सामन परगट नही हो रहा

आि ही किा करक िरमातमा क सामन परगट हो जाओ धयान का इतना अथम होता ह िरमातमा तो परगट नही

हो रहा ह साफ ह शायद तमस डरता ह भय खाता ह बचता ह तम जहा जात हो वहा स तरनकल भागता ह

तमस िीछा छड़ा रहा ह लककन तम इतन शात होकर िरमातमा क सामन परगट हो सकत हो िरमातमा क

सामन सवय को परगट कर दना धयान ह और अनायास वरदान की वरषाम हो जाती ह तमहारा सारा जीवनकोण

बदल जाता ह दखन का ढग बदल जाता ह

मन सना ह एक झन साधक दर स आशरम लौटा गर न उसस दरी का कारण िछा तो तरशषय न कषमा

मागी और कहा कक माफ कर गरदव रासत म िोलो का खल हो रहा था वह म दखन म लग गया गर न िछा

कक कया तरखलाड़ी थक गए थ तरशषय न कहा जी हा खल क अत तक तो बहत थक गए थ गर न िछा कया

घोड़ भी थक गए थ तरशषय थोड़ा हरान हआ कक यह बात कया िछत ह मगर कफर उसन कहा हा घोड़ भी

थक गए थ कफर गर न िछा कया लकड़ी क खभ भी थक गए थ तब तो तरशषय न समझा यह कया िागलिन

की बात ह तरशषय उततर न द सका उस रात वह सो भी न सका कयोकक यह तो मानना असभव था कक गर

िागल ह इस बात की ही सभावना थी कक मझस ही कोई भल-चक हो रही ह परशन िछा ह तो कछ अथम होगा

ही

रात सोया नही जागता रहा सोचता रहा सोचता रहा सबह सरज की ककरण फटत ही उसक भीतर

भी उततर फटा जस अचानक एक बात अतसतल स उठी और साफ हो गयी वह दौड़ा हआ गर क िास िहचा

और उसन गर स कहा किा कर अिना परशन दोहराइए कही ऐसा न हो कक मन ठीक स सना न हो तो गर न

िछा कक कया खभ भी थक गए थ उस तरशषय न कहा हा खभ भी थक गए थ

गर बहत परसनन हए उनहोन उस गल लगा तरलया और कहा कक दख अगर खभो को थकावट न आती

होती तो थकावट कफर ककसी को भी नही आ सकती थी तरा धयान आज िरा हआ तन आदतरमयो को थकावट

आयी इसम हा भर दी घोड़ो को थकावट आयी इसम त थोड़ा तरझझका उसी सरलता स न कहा तरजतना तन

आदतरमयो क तरलए कहा था और जब मन खभो की बात िछी तब तो त तरबलकल अटक गया उसस जातरहर हो

गया कक तरा धयान अभी िरा नही हआ ह जब धयान िरा होता ह तो करणा समगर हो जाती ह आदमी ही

नही थकत ह घोड़ भी थकत ह खभ भी थकत ह सारा अतरसततव पराणवान ह इसतरलए सारा अतरसततव थकता

ह और सार अतरसततव को दया की जररत ह

मगर यह तो धयान की िररणतरत ह यह उस सवाथम की िररणतरत ह तरजसस तम बचना चाह रह हो यह

उस िरम सवाथम की अवसथा ह जहा खभ भी जो आमतौर स मदाम कदखायी िड़त ह व भी जीवत हो उठत ह

जहा ितथर और चटटान भी थकती ह जहा सारा अतरसततव पराणवान अनभव होता ह जहा सार अतरसततव क साथ

तम एक तरह का तादातमय अनभव करत हो एकता अनभव करत हो

म कल भवानी परसाद तरमशर की एक कतरवता िढ़ रहा था यह कहानी तो मन तमस बहत बार कही ह इस

उनहोन कतरवता म बाधा ह कहानी पयारी ह इस समझना--

अधोनमीतरलत नयन बदध बठ थ िदमासन म

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तरशषय िणम न कहा तरजस तरह पराण वयापत तरिभवन म

अथवा वाय तरनरभ गगन म जस मि तरवचरता

म तरिलोक म वसा ही कछ ह परभ घमा करता

शल-तरशखर नकदयो की धारा िारावार तर म

वचन आिक जहा कही जा िहच वही मर म

तरवकल मानवो क मन जाग शातरतपरभा म ऐस

सयोदय क साथ जाग जात ह शतदल जस

िणम न कहा कक आिक वचनो की सगध फलाता हआ मर बस यही एक आकाकषा ह जस सयम क ऊगन

िर हजार-हजार कमल तरखल जात ह ऐस आिकी जयोतरत को िहचाऊ और लोगो क हदय-कमल तरखल

अधोनमीतरलत नयन बदध बठ थ िदमासन म

तरशषय िणम न कहा तरजस तरह पराण वयापत तरिभवन म

अथवा वाय तरनरभ गगन म जस मि तरवचरता

म तरिलोक म वसा ही कछ ह परभ घमा करता

शल-तरशखर नकदयो की धारा िारावार तर म

वचन आिक जहा कही जा िहच वही मर म

तरवकल मानवो क मन जाग शातरतपरभा म ऐस

सयोदय क साथ जाग जात ह शतदल जस

वतस ककत यकद लोग न समझ कर तमह अिमातरनत

कहा िणम न परभ उनको म नही तरगनगा अनतरचत

धनयवाद ही दगा फकी धल न ितथर मार

कवल कछ अिशबद तरवरोधी बात सनी उचार

बदध न िछा कक अगर लोग अिमान करग िणम तो कफर तझ कया होगा लोग न समझग तो कफर तझ

कया होगा त तो समझान जाएगा लोग समझत कहा ह लोग समझना चाहत नही लोग तो जो समझान

आता ह उस िर नाराज हो जात ह लोग अगर तरा अिमान करग तो तझ कया होगा

वतस ककत यकद लोग न समझ कर तमह अिमातरनत

कहा िणम न परभ उनको म नही तरगनगा अनतरचत

धनयवाद ही दगा फकी धल न ितथर मार

कवल कछ अिशबद तरवरोधी बात सनी उचार

बड़ भल लोग ह ऐसा धनयवाद मानगा कछ थोड़ स अिशबद कह ितथर भी मार सकत थ धल भी

उछाल सकत थ थोड़ स अिशबद कह अिशबदो स कया बनता-तरबगड़ता ह न कोई चोट लगती न कोई घाव

होता बड़ भल लोग ह ऐसा ही मानगा

ककत अगर व हाथ उठाए फक तम िर ढल

धनयवाद दगा मानगा छड़छाड़ कक खल

अतरस न कोश स खीची उनन ककया नही वध मरा

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बदध न कहा यह भी हो सकता ह कक व ढल भी मार तमहारी तरिटाई भी कर ितथरो स तमहारा तरसर

तोड़ द कफर िणम कफर कया होगा

ककत अगर व हाथ उठाए फक तम िर ढल

धनयवाद दगा मानगा छड़छाड़ कक खल

अतरस न कोश स खीची उनन ककया नही वध मरा

िणम न कहा खश होऊगा भल लोग ह तरकस स तीर न तरनकाला पराण ही न ल तरलए मर तरसफम ितथर

मारा खल-खल म समझगा करीड़ा की मारा ही मार नही डाला इतना ही कया कम ह

और वतस यकद वध कर डाला उन लोगो न तरा

परभ ऐसी यकद मतय तरमल तो भागय उस मानगा

धमम-िथ िर पराण गए तरनवामण उस जानगा

परभ न अधोनमीतरलत लोचन खोल िणम को दखा

अधरो िर परसफरटत हो उठी सहज सनहमय रखा

रखा शीश िर हाथ िणम क कहा वतस तम जाओ

तरनभमय होकर तरवकल मनो म शातरतपरभा परकटाओ

जब िणम न कहा कक तरसफम मारत ह मार ही नही डालत तो बदध न िछा और अगर व मार ही डाल

कफर तझ कया होगा िणम तो उसन कहा धमम क िथ िर अगर मर जाऊ तो इसस शभ और मतय कया होगी

परभ ऐसी यकद मतय तरमल तो भागय उस मानगा

धमम-िथ िर पराण गए तरनवामण उस जानगा

परभ न अधोनमीतरलत लोचन खोल िणम को दखा

अधरो िर परसफरटत हो उठी सहज सनहमय रखा

रखा शीश िर हाथ िणम क कहा वतस तम जाओ

तरनभमय होकर तरवकल मनो म शातरतपरभा परकटाओ

इतनी शातरत भीतर हो कक मौत भी िीड़ा न द इतना धयान भीतर हो कक अिमान अिमातरनत न कर

ितथर बरसाए जाए तो करीड़ा समझ म आए कोई पराण भी ल ल तो भी धनयवाद म बाधा न िड़ धनयवाद म

भद न िड़ तो ही कोई वयतरि इस जगत म सख दन म समथम हो िाता ह इसतरलए बदध न कहा अब तम जा

सकत हो तम जाओ बाटो अब तमहार िास ह तरजसक िास ह वही बाट सकता ह

धयान का कया अथम होता ह धयान का अथम होता ह जो सिदा तम लकर आए हो इस जगत म जो

तमहार अतरतम म तरछिी ह उस उघाड़कर दख लना िद को हटाना अिनी तरनजता को अनभव कर लना वह

जो भीतर तरननाद बज रहा ह सदा स सख का उसकी परतीतरत कर लना कफर तम बाहर सख न खोजोग कफर

बाहर क सब सख दख जस मालम होग भीतर का सख इतना िणम ह ऐसा िरातिर ऐसा शाशवत उसकी एक

झलक तरमल गयी तो सार जगत क सब सख दख जस हो जात ह उसकी एक झलक तरमल गयी तो बाहर का

जीवन मतय जसा हो जाता ह उसकी तलना म कफर सब फीका हो जाता ह कफर इसम दौड़-धाि नही रह

जाती सघरषम नही रह जाता यदध नही रह जाता कलह नही रह जाती

ऐस ही धयान को उिलबध वयतरि इस जगत म सख की थोड़ी सी गगा को उतार ला सकत ह ऐस ही

भगीरथ गगा को िकार सकत ह सख की तमस यह न हो सकगा तम धयान करन को ही राजी नही धयान का

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तमह अथम भी िता नही कयोकक अथम िता भी कस होगा जब तक करोग नही तम उस दवार को खोलन स

इनकार कर रह हो तरजस दवार को खोलन स परभ तरमलगा और तम कहत हो जब तक दतरनया म दख ह म यह

दवार िर दसतक न दगा कयोकक यह तो बड़ा सवाथम हो जाएगा लोग दखी ह लोग भी इसीतरलए दखी ह कक व

भी यही कह रह ह कक तब तक दसतक न दग इस दवार िर जब तक और लोग दखी ह

यह तो बड़ा दषट-चकर ह कम स कम तम तो दसतक दो तम तो भीतर झाककर दखो और तमह सख तरमल

जाए तो कफर दौड़ िड़ना बाहर जस िणम जा रहा था लोगो म शातरत की परभा जगान तम भी चल जाना कफर

तम स जो बन करना कफर तम जो भी करोग शभ होगा

धयान का अथम ह--होशिवमक जीना तरबना धयान क जो आदमी जीता ह बहोशी स जीता ह

आतरखरी बात आमतौर स तमन यही सना ह यही सोचा ह यही तमस कहा भी गया ह सकदयो स कक

दतरनया म दख ह कयोकक दतरनया म बर लोग ह बर लोग दख द रह ह दतरनया म िािी ह िातरियो क कारण

दख हो रहा ह तम कछ नए नही हो जो तम कहत हो अगर भगवान हम तरमल जाए तो इन दषटो को जो दतरनया

म दख फला रह ह इनको दड कदलवा दग तम नए नही हो तमहार ऋतररष-मतरन सदा स यही करत रह ह

इसतरलए तो नकम बनाया भगवान स पराथमना करवा-करवाकर नकम बनवाया कक िातरियो को नकम म डाल दो

लककन तमन दखा नकम की ही तरह तमन जमीन िर कारागह बना रख ह तरजनको तम गलत समझत

हो उनको कारागह म डाल दत हो कारागह स ककसी को तमन कभी सधरकर लौटत दखा कारागह स कभी

कोई सधरकर आया ह हा तमहारी दड दन की आकाकषा िरी हो जाती ह तमहारी दषटता िरी हो जाती ह उस

आदमी न एक गलती की थी तमन और एक गलती कर ली

उस आदमी न समझो कक ककसी की हतया की थी और समाज न उसस बदला ल तरलया समाज की तरफ

स परतरततरनतरध बठा ह अदालत म मतरजसटरट उसन उस फासी कदलवा दी लककन फासी दन स कया फकम हआ

जहा एक आदमी मरा था वहा दो आदमी मर एक भल दसरी भल स तो कटती नही घटती नही दगनी हो

जाती ह जहा थोड़ी सी कातरलख थी वहा और दगनी कातरलख हो गयी

एक आदमी न कछ भल-चक की थी तमन सजा द दी िाच साल जल म डाल कदया तमन कभी दखा

कक जल स लौटकर कभी भी कोई सधरा ह जल स लौटकर और तरबगड़कर आ जाता ह कयोकक जल म और

िरान दादाओ स तरमलन हो जाता ह दादागर वहा बठ ह िरान तरनषणात वह सब बता दत ह कक त िकड़ा कस

गया तर स यह भल हो गयी अब दबारा ऐसी भल मत करना तरजस वजह स दड कदया ह उसको थोड़ ही भल

समझत ह वहा कारागह म बठ लोग िकड़ जान को भल समझत ह

मर एक तरशकषक थ बहत पयार आदमी थ उनकी बात म कभी नही भलता मसलमान थ वह सदा

सिररटडट होत थ सकल म िरीकषाओ क सब स बजगम तरशकषक थ िहली दफ ही जब वह सिररटडट थ और मन

िरीकषा दी तो उनकी बात मझ जची वह आए अदर और उनहोन कहा कक तम चोरी करो नकल करो कछ भी

करो इसस मझ कफकर नही ह िकड़ भर मत जाना िकड़ गए तो सजा िाओग िकड़ गए तो मझस बरा कोई

भी नही अब तम खद ही सोच लो मझ चोरी स कोई एतराज ही नही ह चोरी स कया एतराज जब तक नही

िकड़ गए तब तक तम मज स करो अगर तमह िकड़ जान का डर हो तो जो-जो तरवदयाथी कछ नोट ल आए हो

कछ कर तरलए हो किा करक द द बहत स तरवदयारथमयो न द कदए तरनकालकर यह बात तो सीधी-साफ थी यह

गतरणत तरबलकल साफ-सथरा था

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इस दतरनया म दड चोरी का थोड़ ही तरमलता ह िकड़ जान का तरमलता ह तो जब तम ककसी चोर को

जल म डाल दत हो उसको जो कषट होता ह वह इस बात का होता ह कक म िकड़ा गया अब दबारा िकड़ा न

जाऊ बस तो वहा और दादागर ह व तरसखान बठ ह तमन और तरवदयालय म भज कदया उनको--जलखाना

तरवदयालय ह तमहार जलखान स कोई सधरकर नही तरनकला

अब तो मनोवजञातरनक कहन लग ह कक जलखान की िरी वयवसथा बदल दो इसको जलखाना कहो ही

मत इसको दडालय समझो ही मत इसको सधारालय या जयादा स जयादा असिताल कहो यहा तरचककतसा करो

लोगो की दड मत दो

मगर तमहार सतो को अभी भी अकल नही आयी ह अभी भी नकम म दड कदया जा रहा ह बात तो वही

की वही ह गतरणत वही का वही ह नकम स ककसी िािी क ठीक होकर लौटन की तमन खबर सनी ककसी िराण

म तरलखा ह मन तो बहत खोजा मझ नही तरमला कक कोई िािी नकम गया हो और वहा स सधरकर लौटा हो

कोई कहानी ही नही ह जो गया नकम सो नकम म ही िड़ा ह और तरबगड़ता जा रहा ह दड स कोई सधरता नही

दड स तो तरसफम तम भी दषट होन का मजा ल लत हो

कफर यह जो मौतरलक गतरणत ह इसक भीतर वह अब तक यह रहा कक जो आदमी बर ह उनक कारण

दतरनया म दख ह म तमस कहना चाहता ह बरो क कारण दतरनया म दख नही ह बहोश लोगो क कारण दख

ह और बहोश होन क कारण ही व बर भी ह बराई म जड़ नही ह बहोशी म जड़ ह और धयान यानी होश

अब तक दतरनया को हमन ऐसी कोतरशश की ह कक बरा आदमी भला हो जाए--दड स हो परलोभन स हो

मार-िीट स हो फसलान स हो ररशवत स हो तो नकम का भय कदखलात ह सवगम की ररशवत कदखलात ह आदर

तरमलगा सममान तरमलगा समाज म परतरतिा तरमलगी राषटरितरत िदमभरषण िदमशरी की उिातरधया दग अचछा करो

बरा ककया तो दड तरमलगा जलखान म िड़ोग परतरतिा खो जाएगी नाम न रहगा नकम म िड़ोग तो दड और

लोभ भय और परलोभन इनक आधार िर हम आदमी को बराई स उठान की कोतरशश करत रह ह यह कोतरशश

सफल नही हई दतरनया बरी स बरी होती चली गयी ह इस कोतरशश की बतरनयादी बात म कही भल ह जड़ म

भल ह

मरा तरवशलरषण कछ और ह मरा मानना ऐसा नही ह कक दतरनया म बर आदतरमयो क कारण दख ह मरा

मानना ऐसा ह कक दतरनया म बहोश आदतरमयो क कारण दख ह बहोश आदमी ही दख द सकता ह कयो

कयोकक तरजस होश आ जाए उस तो यह भी होश आ जाता ह कक दो दख और तरमलगा दख कौन अिन को दख

दना चाहता ह तरसफम बहोश आदमी दख द सकता ह कयोकक उस यह िता नही कक दख का उततर कफर और

बड़ा दख होकर आता ह

जस छोट बचच रासत स गजरत हो कसी का धकका लग गया तो गसस म आ जात ह कसी को एक थािड़

जमा दत ह थािड़ स कसी को चोट लगती कक नही उसका तो कछ िता नही उनक हाथ को चोट लगती ह

मगर व बड़ परसनन हो जात ह कक दड द कदया

तम जब भी ककसी को दख द रह हो तम बचकानी बात कर रह हो इसका उततर आएगा

मन सना ह एक छोटी सी बड़ी पयारी कहानी समराट अकबर की एक बगम थी जोधाबाई अकबर

जोधाबाई और बीरबल एक सबह नदी-तट िर घमन को गए ह जोधाबाई आग थी बीरबल बीच म था

अकबर सब क िीछ था अकबर को शरारत सझी उसन बीरबल की कमर म तरचकोटी काट ली बीरबल को

गससा तो बहत आया लककन चि रहा सोचन लगा कया कर कछ कदम आग चलकर बीरबल न जोधाबाई

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की कमर म तरचकोटी काट ली जोधाबाई न करोध म एक तमाचा बीरबल क मह िर जड़ कदया बीरबल न उसी

परकार एक जोरदार तमाचा िीछ आ रह अकबर क मह िर जड़ कदया अकबर आग-बबला होकर बोला

बीरबल यह कया तरहमाकत ह गसताखी माफ तरजलल-इलाही बीरबल न कहा आिन जो तरचटठी भजी थी उसका

जवाब आया ह

जवाब आत ह यहा कोई भजी गयी तरचटठी तरबना जवाब क नही रहती यह सारा अतरसततव परतयततर दता

ह परतरतधवतरनत करता ह तम जो करत हो वह लौटता ह और कई गना होकर लौटता ह--तरचकोटी काटी थी

और जोरदार तमाच की तरह लौटता ह चाह तम सोच भी न िाओ कक मरी तरचकोटी स इसका कोई सबध ह

लककन सबध ह यही तो कमम का िरा तरसदधात ह दख दो और दख िाओग कफर दख िाओग तो और दख दन

को उतसक हो जाओग और दख दोग और दख िाओग कफर तो इसका जाल कही टटगा नही ससार म दख

घना होता जाता ह इसीतरलए

बर आदमी क कारण दख नही ह बहोश आदमी क कारण दख ह नीतरत समझाती ह कक बरा आदमी

भला हो जाए धमम समझाता ह बहोश आदमी होश म आ जाए--नीतरत और धमम का यही भद ह नतरतक आदमी

जररी नही ह धारममक हो लककन धारममक आदमी जररी रि स नतरतक होता ह नतरतक आदमी हो सकता ह न

ईशवर को मान न धयान को मान आतरखर रस म भी नतरतक आदमी ह चीन म भी नतरतक आदमी ह नातरसतक

भी नतरतक हो सकता ह नतरतक होन क तरलए धारममक होन की कोई जररत नही ह लककन धारममक आदमी

अनतरतक नही हो सकता धमम की िकड़ और गहरी ह धमम क साथ नीतरत अिन आि आती ह नीतरत क साथ धमम

अिन आि नही आता

कफर नीतरत म तो एक तरह का दमन होता ह तम अचछ होन की कोतरशश करत हो ककसी तरह रोक-

थामकर अिन को अचछा भी बना लत हो लककन भीतर-भीतर तो बराई की आग जलती रहती ह भीतर तो

वही रोग उफनत रहत ह भीतर तो वही मवाद इकटठी होती रहती ह चोरी तम भी करना चाहत हो लककन

कर नही िात बईमानी तम भी करना चाहत हो लककन घबड़ात हो दतरनया म सौ ईमानदारो म तरननयानब

इसीतरलए ईमानदार होत ह कक बईमानी करन क कारण िकड़ जान का भय ह ईमानदार नही ह तरसफम िकड़

जान का भय ह अगर कोई आशवसत कर द कक कोई भय नही ह तम करो तो व करन को ततिर हो जाएग

इसीतरलए ऐसा हो जाता ह कक जब कोई आदमी सतता म नही होता तब तक ईमानदार होता ह कयोकक

तब तक िकड़ जान का डर होता ह जस ही सतता म िहचता ह धीर-धीर िकड़ जान का डर समापत हो जाता

ह--कौन िकड़गा आकर तम परधानमिी हो गए कक राषटरितरत हो गए अब तमह कौन िकड़गा अब तो तम

कानन की छाती िर बठ गए अब तो हर चीज तमहार नीच हो गयी--तो धीर-धीर जस-जस उसको समझ म

आन लगता ह कक अब तो सब चीज मर हाथ म ह वस-वस सार रोग जो भीतर दब थ बाहर आन लगत ह हर

सततातरधकारी बईमान हो जाता ह धोखबाज हो जाता ह

इसतरलए तम हरान होत हो कक आतरखर यह कय होता ह कक अचछ लोगो को हम भजत ह सतता म--अचछ

क कारण ही भजत ह चनाव म वोट दत ह कक आदमी अचछा ह भला ह कफर यह हो कया जाता ह िद िर

िहचत ही आदमी धीर-धीर बदल कयो जाता ह कब बदल जाता ह कस बदल जाता ह

इसकी बदलाहट का राज इतना ही ह कक वह अचछा था नतरतक आधार िर अचछा था कयोकक बर होन म

नकसान था अचछा था कयोकक बर होन म भय था अचछा था कयोकक अचछ म ही लाभ था अब सतता म िहच

गया अब उस कदखायी िड़ता ह--अब अगर बरा हो जाऊ तो खब लाभ ह अब अचछ होन म जयादा लाभ नही

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ह अब अचछ होन म तो हातरन ह अगर सतता म िहचकर अचछा बना रहा तो न धन इकटठा कर िाऊगा न

शतरि इकटठी कर िाऊगा न दशमनो स बदला ल िाऊगा न आग तक क तरलए अिना इतजाम कर िाऊगा न मर

बचच भी आग जाकर सतता म बठ रह इसकी वयवसथा जटा िाऊगा तो अब तो अचछ रहन म कोई लाभ नही ह

वह अचछा था लाभ क कारण अब बर होन म लाभ ह और लाभ उसका मल आधार था तो जब लाभ अब बर

होन म ह तो बरा हो जाना ही सहज तकम यि बात ह इसतरलए दतरनया म सभी सततातरधकारी बर हो जात ह

और आदमी सदा स यही सोचता रहा कक मामला कया हो जाता ह हम भजत ह समाज-सवको को

आतरखर म सब बात बदल जाती ह जो समाज-सवा करत थ गरीबो की सवा करत थ ऐसा करत थ वसा करत

थ सतता म िहचत ही सब भल जात ह शोरषण शर कर दत ह तरजनक तरखलाफ लड़कर िहच थ वही करना

शर कर दत ह सतता सभी को एक सा कर डालती ह

कयो कयोकक अतरधकतर आदमी धारममक नही ह नतरतक ह नतरतक आदमी का कोई भरोसा नही

मन सना ह मलला नसरददीन एक तरलफट म सवार था एक मतरहला भी साथ सवार थी--एक सदर

मतरहला नसरददीन न उसस कहा कक अगर आज रात मर िास रक जाओ तो िाच हजार रिय दगा वह मतरहला

तो एकदम नाराज हो गयी उसन कहा म अभी ितरलस को बलाती ह तमन इस तरह की बात कही कस

नसरददीन न कहा तो कोई बात नही दस हजार ल लना दस हजार सनकर मतरहला ढीली िड़ गयी उतना

तमतमायािन न रहा और नसरददीन न कहा कछ कफकर न कर िस की कोई कमी नही िदरह हजार दगा उस

मतरहला न जलदी स नसरददीन का हाथ अिन हाथ म ल तरलया नसरददीन न कहा और अगर िदरह रिय द तो

चलगा तो वह मतरहला तो बहत आग-बबला हो गयी उसन कहा तमन समझा कया ह मझ नसरददीन न

कहा वह तो म समझ गया त भी समझ गयी म भी समझ गया कक त कौन ह अब तो मोल-भाव करना ह

िदरह हजार म राजी ह त कौन ह यह तो हम समझ गए अब तो मोल-भाव की बात ह िदरह हजार म राजी

ह तो कौन ह इसम अब कोई बाधा न रही

तम भी खयाल करना तमहारी नतरतकता तमहारी भलाई की एक सीमा होती ह तम चोरी शायद न

करो िाच रिय िड़ ह शायद तम तरनकल जाओ साध बन िदरह िड़ ह शायद तरनकल जाओ िदरह हजार िड़

ह कफर रठठकन लगोग िदरह लाख िड़ ह कफर तम छोड़ोग तम कहोग अभी साधता छोड़ो अब यह साधता

ससती िड़ रही ह जो िड़ा ह वह जयादा काम का ह यह साधता कफर समहाल लग एक दफा िदरह लाख हाथ

म आ जाए तो साधता तो कभी भी समहाल लग मकदर बनवा दग दान करवा दग साध तो कफर हो जाएग

साध होन म कया रखा ह इस मौक को तम न छोड़ सकोग

नतरतक आदमी की सीमा होती ह धारममक आदमी की कोई सीमा नही होती नतरतक आदमी कारण स

नतरतक होता ह धारममक आदमी तरसफम होश क कारण नतरतक होता ह और धयान क तरबना होश नही

तो तरजनहोन परशन िछा ह वह होग थोड़ नतरतक जचतक होग थोड़ा नीतरत का तरवचार करत होग मगर धमम

का उनह कोई तरहसाब अभी खयाल म नही ह और नतरतक होन स कोई नतरतक नही होता धारममक होन स ही

वसततः नतरतक होता ह नीतरत तो धोखा ह नीतरत तो झठा तरसकका ह धमम क नाम िर चलता ह लककन असली

नही ह

म चाहता ह तम जागो होश स भरो होश स भरत ही आदमी बरा नही रह जाता कयोकक होश स भरा

आदमी बरा हो ही नही सकता यह तो ऐस ही ह जस रोशनी जल गयी और अधरा समापत हो गया अब तम

दरवाज स तरनकलोग दीवाल स थोड़ ही तरनकलोग अधर म कभी-कभी दीवाल स तरनकलन की कोतरशश की थी

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जरर टकरा भी गए थ तरगर भी थ फनीचर स भी उलझ गए थ चोट भी खा गए थ दसर को भी चोट िहचा

दी थी लककन अब रोशनी जल गयी ह अब तो न टकराओग न फनीचर िर तरगरोग न सामान टटगा न

बरतन तरगरग न दिमण फटगा न दीवाल म तरसर टकराएगा अब तो तम सीध तरनकल जाओग अब तो रोशनी

बहोशी जानी चातरहए आदमी साधारणतः बहोश ह हम एक नश म चल रह ह इस छोटी सी घटना को

सनो--

योजना तरवभाग क दो बाब अफीम क बहत शौकीन थ इसतरलए कायामलय म भी अकसर तरिनक म रहत

थ एक कदन ऊिर स आदश आया कक आकदवासी कषि म एक कए का तरनमामण ककया जाए इनक तरजमम कए क

सथल-तरनरीकषण का भार सौिा गया दोनो सथल-तरनरीकषण क तरलए चल िड़ रासत म उनह एक कआ तरमला व

काफी चल चक थ इसतरलए थकावट दर करन क तरलए थोड़ी दर वहा रक िानी िीया और अफीम चढ़ायी जब

अफीम काफी चढ़ गयी तब एक बाब न दसर स कहा कयो यार यकद हम लोग इस कए को आकदवासी कषि म

ल चल तो नया कआ खदवान का िसा उड़ा सकत ह दोनो अफीम म थ दोनो को बात जच गयी कक बात

तरबलकल सीधी-सीधी ह नया कआ बनान की जररत कया ह यहा कोई कदखायी भी नही िड़ता कआ एकात

म िड़ा ह इसी को ही ल चल

दसरा खश होकर बोला यार तमहार कदमाग का कोई जवाब नही चलो कोतरशश कर इतन म हवा का

झोका आया अफीम और चढ़ गयी दोनो वही लढ़क गए दोनो कए को धकका द रह थ जब लढ़ककर तरगर गए

धकका दत ही कोतरशश म लग थ कक ल चल धकाकर

काफी दर बाद उनको बहोश दखकर दहाती इकटठ हो गए एक बाब को कछ होश आया तो उसन

दहातरतयो को दखकर अिन दोसत को कहा बस करो यार आकदवासी कषि आ गया ह जयादा और जोर

लगाओग तो अिन लोग आग बढ़ जाएग वह समझ कक आ गया गाव ल आए हम कए को धकाकर यहा तक

और अब अगर जयादा जोर लगाया तो आग भी तरनकल जा सकत ह रक जाओ

ऐसी एक तरिनक ह तरजसम हम डब ह तरवचार की तदरा ह मन की बहोशी ह सब भीतर अधरा-अधरा ह

रोशनी जलती नही धआ-धआ ह इसम हम सब कछ ककए जा रह ह जो हम करत ह--हम शभ भी कर ऐसी

दशा म तो अशभ ही होगा सोए आदमी स शभ होता ही नही सोए आदमी स िणय होता ही नही और जाग

आदमी स िाि नही होता ह

इसतरलए म िािी को िणयातमा नही बनाना चाहता म तरसफम सोए को जागा बनाना चाहता ह तरजस कदन

तमहार भीतर धयान होता ह--धयान का अथम ह तरनरवमचार चतनय कोई तरवचार का धआ नही माि होश--उस

होश की आभा म तमह सब साफ कदखायी िड़न लगता ह कहा चलो कया करो अब तक कया ककया और कया-

कया िररणाम हए सारा अतीत सिषट हो जाता ह इतना ही नही सारा भतरवषय सिषट हो जाता ह सारी बात

ऐस साफ हो जाती ह जस कदन म सरज तरनकलता ह और सब रासत कदखायी िड़न लगत ह और रात क अधर

म सब खो जात ह

धयान क तरलए कोई बहान खोजकर बचन की कोतरशश मत करना धयान इस जगत म एकमाि करन योगय

बात ह शरष न ककया चलगा धयान न ककया तो चक तो जीवन स चक कफर भी तमहारी मजी

41

दसरा परशनः परतयक कामना अिना परतरतिकष तरलए कयो आती ह उसका तरवभातरजत रहना कया अतरनवायम

ह और कया कोई अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह यह कामना कया ह

िहल तो कामना कया ह कामना का अथम ह--जो ह जसा ह वसा ठीक नही ह जहा ह वहा सतषट नही

ह कही और होऊ कछ और होऊ ककसी और ढग स होऊ कामना का अथम ह--यह जगह मरी जगह नही कोई

और जगह मरी जगह ह यह जो मरा जीवन ह यह मरा जीवन नही कोई अनय जीवन मरा जीवन ह कामना

का अथम ह--जो ह उसस अततरपत और जो नही ह उसकी आकाकषा

कामना का मौतरलक सवर असतोरष ह और तरजसको कामना स मि होना हो उस सतोरष क िाठ सीखन

िड़त ह जो जसा ह उसस राजी ह जहा ह उसस राजी ह तरजसका राजीिन िरा ह जो कहता ह कक ठीक

तरजतना तरमलता उतना भी कया कम ह जो तरमलता उतना भी कया कम ह तरमलता ह यही कया कम ह ऐस

तरजसक जीवन म भीतर एक सतोरष का सगीत बजता ह उसकी कामना तरवसरजमत हो जाती ह

कामना असतोरष का शोरगल ह

तो जो मकान ह तमहार िास उसस मन राजी नही बड़ा मकान चातरहए तरजसक िास बड़ा ह उसका

बड़ स राजी नही उस और बड़ा चातरहए और इतना बड़ा मकान कभी हआ ही नही तरजसस कोई राजी हआ हो

जो सदर ह वह अिन सौदयम स राजी नही जो सवसथ ह वह अिन सवासथय स राजी नही ककसी बात स हम

राजी नही ह नाराज रहना हमारा सवभाव हो गया ह हर चीज हम काटती ह और हम लगता ह इसस

बहतर हो सकती ह इसस बहतर हो सकती ह बस इसी स कामना िदा होती ह कलिना स कामना िदा होती

िश-िकषी परसनन ह कयोकक कलिना नही ह वकष आनकदत ह--य सर क वकष हवा म डोलत हए आनकदत

ह इनह कछ परयोजन नही ह य जो ह बस ियामपत ह इनह ककसी और वकषो जसी ितरततया नही चातरहए िास म

ही खड़ अशोक क वकषो स इनकी कोई सिधाम नही ह इनक मन म यह कभी तरवचार नही आया कक अशोक जस

ितत हमार कयो नही ह गद का फल गलाब स ककसी तरह की सिधाम म नही ह चटटान जो िड़ी ह उस वकष स

कछ लना-दना नही ह कक म वकष जसी कयो नही ह--कलिना नही ह कलिना नही ह तो कामना नही ह जो ह

जसा ह उसस िरम ततरपत ह इसतरलए परकतरत म तमह इतना सवगम मालम िड़ता ह

इसतरलए कभी-कभी भागकर तम जब तरहमालय चल जात हो बठत हो कभी चाद को दखत हो रात या

सागर की तरगो को दखत हो सरज को ऊगत दखत हो घन जगलो की हररयाली को दखत हो तब तमह एक

तरह की ततरपत तरमलती ह वह ततरपत--परकतरत की ततरपत की थोड़ी सी छाया तमम बन रही ह

यहा सब शात ह यहा कोई कही नही जा रहा ह परकतरत अिनी जगह ठहरी ह गतरत नही ह दौड़-धि

नही ह परतरतयोतरगता नही ह सब अिन होन स राजी ह घास का छोटा सा िौधा भी अिन होन स िरम परसनन

ह आकाश-छत दवदार क वकषो स भी उसकी कोई ईषयाम नही ह वह यह भी नही कहता कक तम बड़ म छोटा

छोटा-बड़ा परकतरत म कोई होता नही

आदमी की तकलीफ ह कक आदमी कलिना कर सकता ह आदमी की जो तकलीफ ह उस ठीक स समझ

लोग तो आदमी इन वकषो और फलो स भी जयादा आनकदत हो सकता ह कयोकक वकषो और ितथरो और िहाड़ो

का सख तो अचतन ह आदमी का सख चतन हो सकता ह मगर दशा यही चातरहए आदमी रहत हए तरजस कदन

तम वकष जस सतषट हो जाओग उस कदन तम िाओग सवगम उतर आया

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धयान रखना कोई सवगम म नही जाता सवगम तमम उतर आता ह सतोरष क िीछ चला आता ह

तो िहली तो बात कामना कया ह कामना का अथम ह--यह ठीक नही वह ठीक ह यह और वह क बीच

की जो दरी ह वह कामना ह और वह दरी कभी तरमटती नही वह ऐसी दरी ह जस तरकषतरतज और तमहार बीच

होती ह कदखता दर जयादा दर नही होगा िदरह मील बीस मील आकाश जमीन स तरमलता हआ कदखायी

िड़ता ह तम सोचत हो दौडगा तो अभी घटभर म िहच जाऊगा दौड़त रहो जनमो-जनमो दौड़त रहो--

जनमो-जनमो दौड़त ही रह हो--कही भी आकाश िथवी को छता नही ह तरसफम छता मालम िड़ता ह कदखायी

िड़ता ह कयोकक िथवी गोल ह इसतरलए कदखायी िड़ता ह कक छ रहा ह बीस मील चलन क बाद िाओग कक

आकाश भी बीस मील िीछ हट गया तम सारी िथवी का चककर लगा आओग और िाओग आकाश को कभी

तमन कही िथवी को छत नही दखा छता ही नही ह

ऐसी ही कामना ह यह और वह की दरी बनी ही रहती ह उतनी की उतनी ही बनी रहती ह तमहार

िास दस हजार रिय ह मन कहता ह अगर एक लाख हो जाए तो बस कफर नही चातरहए कछ तमहारा मन

कहता ह बार-बार कहता ह कक बस एक लाख हो जाए एक लाख होत ही तम िाओग कक वही मन कहन लगा

कक अब दस लाख जब तक न होग तब तक शातरत नही कयो दस हजार थ तो एक लाख--दस गन म शातरत थी

अब एक लाख ह तो दस लाख--दस गन म कफर शातरत ह फासला उतना का उतना ह

गरीब और अमीर दोनो क बीच कामना बराबर होती ह तरभखारी और समराट क बीच कामना बराबर

एक सी होती ह कोई फकम नही होता कया तम सोचत हो तरभखारी खड़ा हो और समराट खड़ा हो तो यह जो

आकाश छता हआ कदखायी िड़ता ह दोनो क तरलए अलग-अलग दरी िर कदखायी िड़गा समराट को भी बीस

मील आग कदखायी िड़ता ह तरभखारी को भी बीस मील आग कदखायी िड़ता ह यह भातरत समान ह जो जहा

ह सदा उसस आग कही ततरपत का सरोत मालम होता ह कही आग ह मरदयान यहा मरसथल वहा ह मरदयान

तरजसन जाना कक यही ह मरदयान और इसी कषण म आख बद करक डबकी मार ली तरजसन कामना

छोड़ी कलिना छोड़ी सवगम उतर आता ह तम कामना छोड़ो इधर सवगम आया और कामना छोड़न का मतलब

यह नही ह कक तम सवगम की कामना क तरलए कामना छोड़ो नही तो कामना छोड़ी ही नही कफर भल हो

जाएगी ऐसी भल रोज होती ह

धारममक आदमी यही भल करता ह वह कहता ह चलो ठीक आि कहत ह कामना छोड़न स सख

तरमलगा तो हम कामना छोड़ दत ह सख तरमलगा न िकका ह मगर यह तो कामना का ही नया रि हआ

कामना छोड़न स सख तरमलता ह िररणाम की तरह नही छाया की तरह तमन कामना छोड़ी तो उसी छोड़न

म सख तो था ही कामना क कारण कदखायी नही िड़ता था कामना गयी कक सख परगट हो जाता ह जस िदाम

िड़ा था इस िद क हटन स सख िदा होन का कोई सबध नही ह यह उसका िररणाम नही ह सख तो िड़ा ही

था तमन कामना का िदाम डाल रखा था लककन अगर तमन सोचा कक चलो कामना छोड़न स सख तरमलगा हम

कामना छोड़ दग तो तम कामना को तो सजा रह हो भीतर अभी भी अभी भी तम सख िाना चाहत हो

इसीतरलए कामना छोड़न को भी राजी हो

यह धारममक जीवन की सबस बड़ी उलझन ह लोग कहत ह ससार छोड़न स सवगम तरमल जाएगा तो

ससार छोड़ दत ह--मगर सवरग िान की आशा म और िान की आशा का नाम ससार कछ तरमल इस वासना

का नाम ससार

परतयक कामना का अिना परतरतिकष कयो ह

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होगा ही कयोकक कामना तरवभाजन करती ह यह और वह यहा और वहा म तरवभाजन करती ह ससार

और सवगम तरवभाजन स ही कामना जीती ह अगर तरवभाजन न हो तो कामना ही मर जाए अगर दो न हो तो

कामना कस करोग दो तो अतरनवायम ह जो म ह वह और जो म हो सकता ह वह यह दो की तो धारणा

अतरनवायम ह तो दोनो क बीच कामना का सत बनगा कामना का तार जखचगा कामना की रससी फलगी अगर

एक ही ह तो कफर कसी कामना

इसीतरलए तो जञातरनयो न कहा एक को ही दखो तो कामना मर जाएगी एक ही ह बरहम ही ह या सतय

ही ह तो कफर कामना नही बचगी जो ह ह इसस अनयथा न हआ ह न हो सकता ह कफर कस कामना

करोग कफर कामना का कोई उिाय न रह जाएगा

मन सना ह एक सफी फकीर हसन रोज पराथमना करता था और रोज छाती िीटता था और िरमातमा स

कहता था ह परभ दवार खोलो कब स िकार रहा ह वह एक बार एक दसर सफी फकीर सतरी रातरबया क घर

ठहरा हआ था--रातरबया बड़ी अनठी औरत हई जस मीरा जस सहजो जस थरसा ऐसी रातरबया जस बदध

कषण और महावीर िररषो म ऐसी रातरबया रातरबया सनती थी दो-तीन कदन स हसन उसक यहा ठहरा था

रोज पराथमना करता रोज छाती िीटता और कहता ह परभ दवार खोलो कब स िकार रहा ह कब मरी अजम

सनोग

तीसर कदन रातरबया स न सना गया वह िास ही बठी थी उसन जाकर उस तरहलाया हसन को उसन

कहा सनो जी दरवाजा खला िड़ा ह यह कया िकार मचा रखी ह रोज-रोज कक दरवाजा खोलो दरवाजा

खोलो दरवाजा खला ह दरवाजा कभी बद नही था हसन तो घबड़ा गया रातरबया क परतरत उसक मन म आदर

तो बहत था ही कहती ह तो ठीक ही कहती होगी तो हसन न िछा कफर कफर मझ खला कय नही कदखायी

िड़ता तो रातरबया न कहा इसतरलए कदखायी नही िड़ता कक तम बहत जयादा आतर हो बड़ कामी हो--खल

जाए दरवाजा ह परभ खोलो दरवाजा खोलो मझ सवगम म बला लो मझ आनद क जगत म बला लो यह

तमहारी कामना िदाम बन रही ह िरमातमा का दरवाजा खला हआ ह तमहारी कामना िदाम बन रही ह तमहारी

आख बद ह िरमातमा का दरवाजा बद नही ह

इसीतरलए तो बदध न यहा तक कहा ह कक िरमातमा की भी बात छोड़ दो कयोकक उसस भी दो िदा हो

जात ह--म और िरमातमा इसतरलए बदध न कहा मोकष की भी बात छोड़ दो उसस भी दो िदा हो जात ह--म

और मोकष बदध न तो कहा जो ह ह उसको दो नाम मत दो दो कदए कक अड़चन शर हई कक तनाव शर

हआ कफर तम कस रकोग जो दसरा ह उसको िान की तलाश शर हो जाएगी पयास शर हो जाएगी

अतरसततव एक ह कामना दो म बाट दती ह

तम िछत हो उसका तरवभातरजत रहना कया अतरनवायम ह

तरबलकल अतरनवायम ह कयोकक तरवभाजन न होगा तो कामना बच ही नही सकती जस दो होन चातरहए

लड़न क तरलए दो होन चातरहए परम करन क तरलए दो चातरहए दवदव क तरलए ऐस ही दो चातरहए कामना क तरलए

और दो की तो बात छोड़ो हमन तो अनक कर तरलए इसतरलए हमार कामना क घोड़ सभी कदशाओ म दौड़ जा

रह ह

और कया कोई अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह

नही अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह कयोकक जहा तम अखड और अतरवभातरजत हए वहा

कामना न रह जाएगी जहा कामना आयी वहा तम खतरडत हो गए और तरवभातरजत हो गए

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सना ह मन दतरकषण भारत क एक अिवम साध हए--सदातरशव सवामी कछ कदन िहल मन तमस उनकी

कहानी कही थी कक अिन गर क आशरम म एक ितरडत को आया दख उसस तरववाद म उलझ गए थ उसक सार

तकम तोड़ डाल थ उस बरी तरह खतरडत कर कदया था ितरडत को तहस-नहस कर डाला था ितरडत बहत

खयातरतनाम था तो सदातरशव सोचत थ कक गर िीठ थिकाएगा और कहगा कक ठीक ककया इसको रासत िर

लगाया लककन जब ितरडत चला गया तो गर न तरसफम इतना ही कहा सदातरशव अिनी वाणी िर कब सयम

करोग कयो वयथम कयो वयथम बोलना इसस कया तरमला यह सब बकवास थी कब चि होओग और सदातरशव

न गर की तरफ दखा चरण छए और कहा कक आि कहत ह कब अभी हआ जाता ह और वह चि हो गए

कफर जीवनभर मौन रह

यह उनही की घटना ह उनहोन जीवनभर मौन रहन की साधना सवीकार कर ली थी मौन थ और नगन

नगन रहत और चि बड़ी झझट आती थी एक तो मौन बोलत नही और नगन घमत समातरध उनकी तरनरतर

लगी रहती थी मसत ही रहत थ अिनी मसती म

एक कदन भल स एक मसलमान सरदार क तरशतरवर म चल गए मसती म जा रह थ नाचत तरशतरवर बीच म

िड़ गया होगा तो िड़ गया कोई तरशतरवर क तरलए गए नही थ तरसतरयो न डरकर चीख लगा दी कोई नगा मसती

म नाचता हआ चला आ रहा ह व समझ कोई िागल ह नगन साध को घसा दखकर सरदार भी करोध म आ

गया और उसन तलवार उठा ली और हमला कर कदया सदातरशव का एक हाथ कटकर नीच तरगर गया लककन

सदातरशव क आनद म कोई बाधा न िड़ी हाथ कटकर तरगर गया लह बहन लगा लककन नाच जारी रहा जस

नाचत आए थ वस ही नाचत चलन वािस लौटन लग

सरदार हरान हआ दखी भी हआ--यह मसती ऐसी मसती कभी दखी न थी और हाथ कट जाए और िता

न चल ऐसी मसती ककसी और लोक म था यह आदमी आखो म दखा तो जस इस लोक म था ही नही कही

और इसकी चतना जस दह म थी ही नही दखी हआ िरो िर तरगर िड़ा कषमा मागन लगा सदातरशव हसन

लग सरदार न कहा उिदश द वह तो मौन थ उिदश द नही सकत थ तो उनहोन रत िर अगली स एक

छोटा सा वचन तरलख कदया जो वचन तरलखा वह था--जो चाहत हो वह मत करो तब तम जो चाहोग कर

सकोग जो चाहत हो वह मत करो तब तम जो चाहोग कर सकोग बड़ी अनठी बात तरलख दी जो-जो कामना

कर रह हो वह मत करो तब तम जो-जो कामना करत हो वह तरमल जाएगा यह बड़ी अजीब बात हो गयी

मगर ऐसा ही ह जब तक तम मागोग नही तरमलगा तरजस कदन तम छोड़ दोग उसी कदन तरमल जाएगा

तम भागोग और सख छलता रहगा तम रक जाओ और सख तमहार चरणो म लोटन लगगा

मन सना ह एक यवक धन क िीछ िागल था सब उिाय कर दख कछ रासता न तरमला एक फकीर क

िास िहच गया फकीर स उसन कहा कक म बड़ उिाय करता ह धन िाना ह लककन धन तरमलता नही कया

कर और जब फकीर क िास वह गया था तब गाव का सबस धनी आदमी फकीर क िर दाब रहा था तो

उसन कहा यह मामला कया ह म धन क िीछ दीवाना ह धन मझ तरमलता नही तम सब छोड़-छाड़कर यहा

बठ हो यह धनी आदमी तमहार िर कयो दाब रहा ह तो उस फकीर न कहा ऐसा ही होता ह तम धन की

कफकर न करो तो धन तमहार िर दाबगा तो उसन कहा यह ककसी न मझ अब तक बताया नही चलो यही

करग

दो-तीन साल बाद आया और हालत खराब हो गयी थी बड़ा नाराज हो गया कहन लगा कक ककस तरह

की बात बता दी मन धन की कफकर छोड़ दी तो जो िास था वह भी चला गया आन की तो बात ही रही म

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बार-बार दखता ह कक अब आएगा कोई धनी आदमी िर दाबगा अब लकषमी आएगी और िर दाबगी कोई िता

नही चलता उस फकीर न कहा यह बार-बार दखन क कारण ही लकषमी नही आ रही ह और जब छोड़ ही

कदया तो बार-बार कया दखना तो तन छोड़ा ही नही लौट-लौटकर दखता ह उसका मतलब ही यह हआ कक

तन छोड़ा नही

इस जगत का यह मौतरलक तरनयम ह तम जो चाहोग न तरमलगा तमहारी चाह क कारण ही बाधा िड़

जाती ह तमन चाह छोड़ी कक सब बरसन लगता ह लककन इसका मतलब यह नही कक तम इसी बरसन क

तरलए चाह छोड़ना नही तो चाह छोड़ी नही कफर तम लौट-लौटकर दखत रहोग

कामना म तो दवदव ह इसतरलए कामना म अशातरत ह कामना म िीड़ा ह सताि ह कामना तमह खडो म

बाट दती ह टकड़ो म तोड़ दती ह कामना तमह तरवतरकषपत करती ह कामना िागलिन का मल ह कामना गयी

तो िागलिन गया कामना गयी तो खड गए तम अखड हए तम अखड हए तो बरहम हए तम अखड हए तो

तरनवामण बरसा तम अखड हए तम एक हए कफर कोई दख नही ह दो होन म दख ह दई म दख ह अदवत

सतरचचदानद ह

बदध का एक तरशषय था--तरवमलकीरतम अनठ तरशषयो म एक था उसक िास भी लोग जात डरत थ कयोकक

वह हर बात म स कछ ऐसी बात तरनकाल दता था कछ ऐसा तकम खड़ा कर दता था--बड़ा तारकम क था दाशमतरनक

था--कक एक बार तरवमलकीरतम बीमार हआ तो बदध न अिन दो-चार तरशषयो को कहा कक जाकर िछकर आओ

तरवमलकीरतम की ततरबयत कसी ह कोई जाए न यह िछन भी कक ततरबयत कसी ह कयोकक वह उसी म स कछ

तरनकाल दगा और उसस लोग डरत थ कक वह तरववाद म वही उलझा दगा

आतरखर मजशरी बदध का दसरा एक परमख तरशषय जान को राजी हआ मजशरी गया तरवमलकीरतम स उसन

िछा आि बीमार ह कसी ततरबयत ह भगवान न समरण ककया िछवाया ह तरवमलकीरतम न कहा म बीमार

ह बात गलत जो बीमार ह वह म कस हो सकता ह म तो दरषटा ह दख रहा ह कक शरीर बीमार ह और तम

िछत हो कक म बीमार ह सभी बीमार ह जो भी शरीर म ह बीमार ह कम-जयादा होग सारा अतरसततव

बीमार ह तरवमलकीरतम न कहा जीवन बीमार ह कामना का रोग लगा ह और बड़ा रोग कया चातरहए इधर

कामना खा रही ह उधर मौत िास आ रही ह इधर कामना एक-एक टकड़ा काट जा रही ह मरन क िहल

मार डाल रही ह उधर मौत आ रही ह कछ बचा-खचा रहगा तो मौत समापत कर दगी

तो तरवमलकीरतम न कहा िहली तो बात म बीमार नही ह म तो दख रहा ह दसरी बात म ही बीमार

नही ह सारा अतरसततव बीमार ह--अतरसततव माि बीमार ह होना यहा बीमारी ह

तरवमलकीरतम ठीक कह रहा ह कामना काट डालती ह तम कामना की तलवार स अिन को ककतना काट

रह हो ककतना दख िा रह हो कामना स सख तो कभी तरमलता नही कयोकक कामना कभी िरी तो होती नही

जो सख तरमल जाए सदा अधरी रहती ह और सदा काटती रहती ह घाव को हरा रखती ह भरन भी नही दती

घाव को बार-बार उघाड़ लती ह एक कामना ककसी तरह छटती ह तो दस िदा हो जाती ह यह कामना का

जवर बीमारी ह

जीवन बीमार ह कामना स कामना की िणामहतरत मतय म होती ह लककन तब तम चक गए मरन क

िहल अगर तम कामना को मार डालो तो तम अमत को उिलबध हो जाओग कामना मतय म ल जाती ह

तरनषकाम तरचतत अमत को उिलबध हो जाता ह

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आतरखरी परशनः जीवन परशन ह या िहली

परशन तो तरनतरित नही ह कयोकक जीवन का कोई उततर नही ह तरजसका उततर न हो वह परशन तो हो नही

सकता िहली जरर ह लककन िहली भी ऐसी तरजसका कोई हल नही ह हल हो जान वाली िहली नही ह

जीवन इसतरलए जञातरनयो न उस रहसय कहा ह

रहसय का अथम होता ह--ऐसी िहली तरजसका कोई हल होना सभव नही ह तरजस तम जी तो सकत हो

लककन जान कभी नही सकत तरजसको तम कभी जञान नही बना सकत अनभव तो बन जाएगा लककन जञान

कभी न बनगा तरजसको तम कभी मटठी म नही बाध सकोग

ऐसा ही समझो कक जस तम सागर म तो उतर सकत हो लककन सागर को मटठी म नही ल सकत सागर

बड़ा ह तरवराट ह तमहारी मटठी छोटी ह जीवन बहत बड़ा ह जीवन को समझन का हमारा जो मतरसतषक ह

बहत छोटा ह यह मतरसतषक डबकी लगा सकता ह जीवन क सागर म रस-तरवभोर हो सकता ह लककन जीवन

को कभी हल न कर िाएगा

यही तो दशमन और धमम म फकम ह जसा मन तमस कहा नीतरत और धमम म फकम ह नीतरत आदमी को

अचछा बनाती ह धमम आदमी को जगाता ह ऐस ही धमम और दशमन म फकम ह दशमन सोचता ह--जीवन का

उततर कया ह जीवन क रहसय को हल कस कर जीवन की िहली कस बझ धमम कहता ह--यह तो बझा नही

जा सकता िहल यह तो सोचो कक बझन वाला ककतना छोटा ह और तरजस बझना ह ककतना बड़ा ह चममच स

सागर को खाली करन चल हो कक चममच चममच म रग लकर सागर को रगन चल हो थोड़ी होश की बात

करो धमम कहता ह--तम डबकी तो लगा सकत हो जीवन को जी तो सकत हो उसकी िरम धनयता म लककन

जान नही सकत यह िहली ह तरजसका कोई उततर नही

म िढ़ता था रवीदरनाथ क जीवन म एक ससमरण ह रवीदरनाथ ककसी तरमि क घर महमान थ तरमि की

छोटी बचची न उनस सबह-सबह आकर कहा यकद आिको एक कोठरी म बद करक उस िर ताला जड़ कदया जाए

तो आि कया करग जस छोट बचच िछत ह कोठरी म बद कर कदया और ताला लगा कदया कफर आि कया

करोग रवीदरनाथ न कहा म िड़ोतरसयो की सहायता क तरलए आवाज लगाऊगा िर लड़की बोली छोतरड़ए वह

बात तो कतरहए ही मत कोठरी ऐसी जगह ह जहा कोई िड़ोसी ह ही नही मान लीतरजए िड़ोस म कोई ह ही

नही कफर कया कररएगा रवीदरनाथ सोच म िड़ गए बोल तब म ककवाड़ो को तोड़न की कोतरशश करगा

लड़की हसी उसन कहा यह नही चलगा ककवाड़ लोह क बन ह रवीदरनाथ न सोचा और कफर कहा कक तब तो

यह जीवन की िहली हो गयी कक म जो कछ भी करगा उसको असफल करन की वयवसथा िहल स ही कर ली

गयी ह

जीवन ऐसी िहली ह

मन सना ह अमरीका की एक दकान िर एक ितरत-ितनी तरखलौना खरीदत थ अिन बचच क तरलए एक

तरखलौना था टकड़-टकड़ म जमान का खल था उनक टकड़ जम जाए तो तरखलौना बन जाए िहल ितनी न उस

जमान की खब कोतरशश की वह जम नही कफर उसन अिन ितरत की तरफ दखा ितरत गतरणत का परोफसर था

उसन कहा लाओ म जमाए दता ह उसन भी बहत कोतरशश की लककन जमा नही उसन कहा यह तो हदद हो

गयी दकानदार स िछा कक भई मरी ितनी िढ़ी-तरलखी ह इसस नही जमता म गतरणत का परोफसर ह मझस

नही जमता तो मर छोट बचच स कस जमगा

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उस दकानदार न कहा आि न िहल ही कयो नही िछा यह तरखलौना बनाया ही इस तरह गया ह कक

जमता ही नही इसस बचच को तरशकषा तरमलती ह कक ऐसा ही जीवन ह यह जीवन की तरफ इशारा दन क तरलए

बनाया गया तरखलौना ह इस तरखलौन का नाम ह--लाइफ इसका नाम ह--जीवन आिन दखा नही इस िर

तरलखा हआ ह तरडबब िर--जीवन यह बनाया ही गया ह इस तरह स कक यह जमता नही यह तो एक अनभव

क तरलए ह कक बचचा समझन लग कक यहा कछ चीज ह जो कभी हल नही होगी बतरदधमानी इसम ह कक जो हल न

होता हो उस हल करन की कोतरशश न की जाए

हजारो साल स आदमी सोचता रहा ह जीवन कया ह कोई उततर नही ह झन फकीर ठीक-ठीक उततर

दत ह

एक झन फकीर अिनी चाय िी रहा था और एक आगतक न िछा जीवन कया ह उसन कहा चाय की

पयाली आगतक बड़ा तरवचारक था उसन कहा चाय की पयाली मन बड़ उततर दख बड़ी ककताब िढ़ी यह भी

कोई बात हई म इसस राजी नही हो सकता तो उस फकीर न कहा तमहारी मजी चलो भई तो जीवन चाय

की पयाली नही ह और कया करना ह

लककन फकीर न बात ठीक कही सार उततर ऐस ही वयथम ह जीवन की पयाली को चाह चाय की पयाली

कहो चाह चाय की पयाली न कहो कया फकम िड़ता ह आदमी क सब उततर वयथम ह आदमी उततर खोज नही

िाया आदमी उततर खोज नही िाएगा कयोकक बतरदध छोटी ह अतरसततव तरवराट ह अश िणम को नही समझ

सकता ह लककन िणम को जी सकता ह िणम म डबकी ल सकता ह िणम क साथ एकरि हो सकता ह एकातम

हो सकता ह

धयान का अथम इतना ही होता ह कक हम जीवन को सलझान की वयथम कोतरशश म न िड़ हम जीवन को

जीन की चषटा म सलगन हो जाए

एक िल भी मत खोओ जो िल गया गया सदा क तरलए गया कफर न लौट सकगा परतयक िल को

जीवन क उतसव म सलगन कर दो परतयक िल को जीवन की पराथमना म लीन कर दो परतयक िल को जीवन की

डबकी म समातरहत कर दो डबो जीओ उततर मत खोजो उततर नही ह

तम िछत हो कक कया जीवन परशन ह या िहली

परशन तो तरबलकल नही अनयथा दशमनशासतर स उततर तरमल गए होत िहली भी ऐसी ह कक तरजसका कोई

उततर नही ह और इस जीवन को अगर जानन की आकाकषा सच म ह तो जीओ और बाटो तरजतना रस ल सको

लो और तरजतना रस द सको दो कयोकक तरजतना दोग उतना ही तरमलगा कजस की तरह इस जीवन की तरफ

दतरषट मत रखना तरतजोड़ी म बद करन की कोतरशश मत करना बाटो

मन सना ह एक बार एक सतत परवाही नदी और बद घर म आबदध तालाब म कछ बात हई तालाब न

नदी स कहा त वयथम ही अिनी जल-सितरतत को समदर म फ क जा रही ह इस तरह एक कदन तरनतरित ही त चक

जाएगी समापत हो जाएगी अिन को समहाल अिन जल को रोक सगहीत कर

तालाब की यह सलाह एक वयावहाररक आदमी की सलाह थी लककन नदी थी वदाती उसन कहा तम

भल गए हो तम भल कर रह हो तमह जीवन का सि ही तरवसमरण हो गया ह दन म बड़ा आनद ह ऐसा

आनद जो कक रोकन म नही ह जब कभी मन रोका तो म दखी हई ह और जब मन कदया तब सख खब बहा

ह तरजतनी म बही ह उतना सख बहा ह और यह मत सोचना कक म सागर को द रही ह म अिन सख क

कारण द रही ह--सवातः सखाय दना ही मन जीवन जाना ह तम मत हो और अगर यगो तक भी बन रह तो

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उसस कया एक कषण भी कोई िरी तरह जी ल तो जान तरलया अनभव कर तरलया सकदयो तक कोई बना रह

सड़ता रह तो उसस कया न जीआ न अनभव ककया

दोनो की बात तो एक-दसर स मल खायी नही मनमटाव हो गया कफर उनहोन बोल-चाल बद कर

कदया इस बात को जयादा कदन नही बीत थ कक नदी तो िवमवत ही बहती रही तालाब सखकर तलया रह गया

कफर आयी धि तिता हआ सरज कफर एक कीचड़ की गदी तलया माि बची कफर तो वह भी सखन लगी जब

गमी का ताि िर तरशखर िर आया तो तालाब समापत हो चका था नदी अब भी बह रही थी मरत तालाब स

नदी न कहा दखो म दती ह तो मर सरोत मझ दत ह तम दत नही तो तमहार सरोत तमह नही दत जो दता ह

उस तरमलता ह दना जीवन का तरनयम ह और अगर परतयक न दन िर आबदध हो जाए तो जीवन समापत ह

जीवन को िहली परशन ऐसा सोचकर हल करन म मत लग जाना जीवन जीन म और जीना दन म ह

इसतरलए सार धमो न दान को धमम का मल सि कहा ह दान का मतलब तरसफम इतना ही होता ह--बाटो

जो तमहार िास हो उस बाटो उस उलीचो इधर तम दन लगोग उधर तम िाओग अजञात सरोतो स

तमहार भीतर जल बहन लगा कआ दखत न तरजतना िानी खीच लत हो उतना कए म िानी भर जाता ह

नया िानी आ जाता ह नए जल क झरन फट िड़त ह कए स िानी मत खीचो डरकर बठ रहो ढाक दो कए

को बद कर दो कक कही िानी चक न जाए कभी समय िर काम िड़गा तो कआ सड़ जाएगा और धीर-धीर

झरन जब बहग नही तो सख जाएग उन िर तरमटटी जम जाएगी ितथर बठ जाएग झरन अवरदध हो जाएग

जीवन को जानना ह तो जीओ जीवन म ही जीवन ह जीन म जीवन ह जीवन को सजञा मत समझो

जीवन को ककरया समझो और दो बाटो

इसको परशन मानकर आख बद करक हल करन की कोतरशश मत करना नाचो गाओ गनगनाओ

सतरममतरलत होओ यह जो तरवराट उतसव चल रहा ह िरमातमा का इसम भागीदार होओ तरजतनी तमहारी

भागीदारी होगी उतना ही तम िाओग उतना ही तम समझोग उतना ही तम अनभव करोग

कफर भी म तमस दोहरा द कक यह जञान कभी न बनगा ऐसा न होगा कक तम एक कदन कह सको--मन

जान तरलया ऐसा कभी नही होता यह इतना बड़ा ह कक हम जानत रहत जानत रहत जानत रहत कफर भी

चकता नही ह यह अशरष बना रहता ह यह शरष ही रहता ह कभी समापत नही होता ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

चौरानव परवचन

धमम क तरिरतन

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच बदधगता सतरत 247

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच धममगता सतरत 248

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच सघगता सतरत 249

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच कायगता सतरत 250

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च अजहसाय रतो मनो 251

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च भावनाय रतो मनो 252

गौतम बदध का सारा उिदश सारी दशना एक छोट स शबद म सगहीत की जा सकती ह वह छोटा सा

शबद ह--समतरत िाली म उसी का नाम ह--सतरत और बाद म मधययगीन सतो न उसी को िकारा--सरतरत

समतरत का अथम ममोरी नही समतरत का अथम ह--बोध होश जागकर कछ करना जाग-जाग होना

समतरतिवमक करना राह िर चलत ह आि तो ऐस भी चल सकत ह कक चलन का जरा भी होश न हो--ऐस ही

चलत ह चलना यातरिक ह शरीर को चलना आ गया ह दफतर जात ह घर आत ह रासता शरीर को याद हो

गया ह कब बाए मड़ना बाए मड़ जात ह कब दाए मड़ना दाए मड़ जात ह अिना घर आ गया तो दरवाजा

खटका दत ह लककन इस सब क तरलए कोई समतरत रखन की जररत नही होती यिवत यह सब होता ह इसक

तरलए होशिरवक करन की कोई जररत नही मालम होती

ऐसा हमारा िरा जीवन तरननयानब परतरतशत बहोशी स भरा हआ ह यही बहोशी हमारा बधन ह इसी

बहोशी क कारण हमारा बहत बड़ा चतनय का तरहससा अधर म डबा ह जस ितथर डबा हो िानी म और जरा

सा टकड़ा ऊिर उभरा हआ कदखायी िड़ता हो बड़ी चटटान नीच तरछिी हो ऐसा हमारा बड़ा मन तो अधर म

तरछिा ह छोटा सा टकड़ा ऊिर उभरा ह तरजस हम अिना मन कहत ह वह बहत छोटा सा तरहससा ह और तरजस

हम िहचानत भी नही--हमारा ही मन--वह बहत बड़ा तरहससा ह फरायड उस ही अचतन मन कहता ह

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बदध कहत ह उस अचतन मन को जब तक चतन न कर तरलया जाए जब तक धीर-धीर उस अचतन मन

का एक-एक अग परकाश स न भर जाए तब तक तम मि न हो सकोग तमहार भीतर जब चतना का दीया िरा

जलगा तमहार कोन-कातरो को सभी को आलोक स मतरडत करता हआ तमहार भीतर एक खड भी न रह

जाएगा अधर म दबा तम िरम परकातरशत हो उठोग इस दशा को ही बदध न समातरध कहा ह समातरध जड़ता का

नाम नही समातरध बहोश हो जान का नाम नही जो समातरध बहोशी म ल जाती हो उस बदध न जड़-समातरध

कहा ह उस मढ़ता कहा ह तम समातरध म तरगर िड़ो मरचछमत होकर तो बदध उस समातरध नही कहत

इसतरलए बदध की बात आधतरनक मनोतरवजञान को बहत रचती ह आधतरनक मनोतरवजञान भी उस जड़-

समातरध को तरहसटीररया कहगा वह बहोशी ह तमम जो थोड़ा सा होश था वह भी खो कदया शातरत तरमलगी

उसस भी कयोकक उतनी दर क तरलए बहोश हो गए तो जचता न रही उतनी दर क तरलए सब तरवलपत हो गया

घटभर बाद जब तम होश म आओग तो तमह लगगा कक बड़ी शातरत थी लककन वसी ही शातरत जसी गहरी नीद

म हो जाती ह िर गहरी नीद समातरध तो नही

समातरध और गहरी नीद म थोड़ी सी समानता ह इतनी समानता ह कक गहरी नीद म भी सब शात हो

जाता ह समातरध म भी सब शात हो जाता ह लककन गहरी नीद म शात होता ह चतना क बझ जान क कारण

और समातरध म शात होता ह चतना क िर जग जान क कारण

इस ऐसा समझो कक मनषय क जीवन म तब तक तनाव और बचनी रहगी जब तक मनषय का कछ तरहससा

चतन और कछ अचतन ह तो दो तरविरीत कदशाओ म आदमी भागता ह--चतन और अचतन अचतन अिनी

तरफ खीचता ह चतन अिनी तरफ खीचता ह इस रससाकशी म आदमी की जचता िदा होती ह सताि िदा

होता ह एतरगवश िदा होता ह चतन की मान तो अचतन नाराज हो जाता ह अचतन की मान तो चतन नाराज

हो जाता ह अचतन की मान तो चतन बदला लता ह चतन की मान तो अचतन बदला लता ह

जस समझो एक सदर सतरी जा रही ह राह स और तमहारा मन लभायमान हो गया तम कामातर हो

गए यह अचतन स आ रहा ह यह तमहारी िशता का तरहससा ह यह उस जगत की खबर ह जब न कोई नीतरत

थी न कोई तरनयम थ यह उस चतनय की खबर ह जसा िशओ क िास ह--जो भला लगा जसा भला लगा कोई

उततरदातरयतव न था अचतन कहता ह इस सतरी को भोग लो चतन कहता ह नही नीतरत ह मयामदा ह

अनशासन ह तम तरववातरहत हो तमहार बचच ह

अब अगर तम चतन की मानो तो अचतन बदला लता ह अचतन दखी होता ह तरतलतरमलाता ह िरशान

होता ह तम उदास हो जात हो इसतरलए ितरत उदास कदखायी िड़त ह ितरतनया उदास कदखायी िड़ती ह

अचतन बदला लता ह तम ककसी तरह अचतन को दबाकर उसकी छाती िर बठ जात हो कहत हो नही यह

ठीक नही ह यह करन योगय नही ह इसतरलए नही करग यह कतमवय नही इसतरलए नही करग मगर भीतर बात

तो उठ गयी ह भीतर वासना तो जग गयी ह तम दबाकर बठ जाओग तम साि क ऊिर बठ गए लककन साि

भीतर जजदा ह और कलबलाएगा सिनो म सताएगा रात जब नीद म सो जाओग तब शायद ही ककसी को

अिनी ितनी का सिना आता हो दसर की तरसतरयो क सिन आत ह शायद ही अिन ितरत का सिना आता हो

भारत म सती की जो िररभारषा थी वही थी--तरजस सतरी को सिन म भी अिन ितरत क अतरतररि ककसी

की याद न आती हो उसको हम सती कहत थ यह बड़ी अनठी िररभारषा थी यह बात बड़ी कीमत की ह

सिन म कसौटी ह जागन म न आती हो यह कोई बड़ी बात नही कयोकक जागन म तो हम समहालकर बठ

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रहत ह चतन को मानकर चलत ह अचतन को िीछ धकाए रहत ह उस अधर म डाल रखत ह असली

कसौटी तो तब ह जब नीद म भी िर की याद न आए

नीद म कस दबाओग नीद म तो तम हो ही नही तम तो सो गए तम तो बहोश हो दबान वाला मौजद

न रहा लड़न वाला मौजद न रहा तो नीद म तो जो अचतन ह वह खलकर खलगा कदन म हतया करनी चाही

थी नही कर िाए रात नीद म हतया कर दोग कदन म चोरी करनी चाही थी नही कर िाए--नीतरत थी धमम

था नकम था सवगम था साध-सत थ रक गए--परतरतिा थी लककन रात नीद म न तो साध-सत ह न शासतर ह न

सवगम ह न नकम ह अचतन िरा मि ह और यह अचतन कभी-कभी चतन म भी धकक मारगा अगर अवसर तरमल

जाए तो धकक मारगा

इसतरलए सारी दतरनया म हमन इसकी वयवसथा की ह कक आदमी को अनतरतक होन का अवसर न तरमल

तभी वह नतरतक रहता ह समझो कक यह जो दसरी सतरी तमह परीतरतकर लग गयी यह एक जगल म तमह तरमल--न

िना क रासत िर तरमल--जगल म तरमल जहा दर-दर तक मीलो तक कोई नही ह तम दोनो ही अकल हो तब

अिन को रोकना करठन हो जाएगा बसती म बीच बसती म परतरतिा का सवाल था ितरलस का सवाल था अब

यहा तो कोई सवाल नही ह समझो कक यह सतरी जगल म नही तम दोनो एक नाव म डब गए हो और एक दवीि

िर लग जात हो--जहा कोई भी नही ह और कोई कभी नही आएगा न ितनी को खबर लगगी न समाज को

खबर लगगी अब कोई आन वाला नही ह--तब तब तम अचतन की मान लोग तब तम चतन की कफकर न

करोग

इसतरलए कानन ितरलस और राजय इसी की कफकर करता ह कक अवसर कम स कम तरमल ितरिम म जब

स तरसतरयो न दफतरो म काम शर ककया ह कारखानो म काम शर ककया ह तब स िररवार उजड़न लगा कयोकक

सतरी और िररषो क करीब आन क जयादा अवसर हो गए िरब म यह खतरा कम ह कयोकक सतरी को अवसर ही

नही ह सतरी घर म बद ह उस कोई मौका नही ह कक वह ककसी क सिकम म आ सक िरा समाज िररषो का

समाज ह तरसतरया तो बद ह

मगर यह अवसर को छीन लन स अचतन बदलता नही तरसफम ररपरशन हो गया तरसफम दमन हो गया और

तरजसका दमन कर कदया ह वह भीतर बठा ह सलग रहा ह और ककसी भी कदन ककसी मौक िर ककसी कषण म

ककसी कमजोरी म फट िड़गा

इसतरलए आदमी िागल होत ह िागल होन का इतना ही अथम ह कक अचतन म बहत दबाया गया ह

इसका बदला ल तरलया चतन स एक कदन उसन तोड़ दी सब सीमाए सब मयामदाए तरनकल भागा सब तरनयम

उखाड़कर छट ल ली िागल होना अचतन का परतरतकार ह

अगर तम चतन की मानो तो अचतन परतरतकार लता ह अगर तम अचतन की मानो तो मसीबत म िड़त

हो जल जाना िड़ तरिटाई हो परतरतिा खो जाए ितनी नाराज हो जाए बचच बरबाद हो जाए चतन की मानो

तो बड़ कषट ह अचतन की मानो तो उसस भी बड़ कषट ह इसतरलए दड ह दड इसतरलए ह ताकक दो कषटो क बीच

तमह चनना िड़ तो जो छोटा कषट ह उसी को हम चन लत ह छोटा कषट यही ह कक चतन की मान लो अचतन

की इनकार कर दो यही छोटा कषट ह

इसतरलए सारी नतरतक वयवसथाए बड़-बड़ दड की वयवसथा करती ह हजारो साल नरक म सड़ाए जाओग

अगारो म सक जाओग जलत कड़ाहो म डाल जाओग और न मालम ककतन काल तक िीड़ा भोगनी िड़गी एक

जरा सी बात क तरलए कक एक दसरी सतरी की तरफ कामवासना की दतरषट स दख तरलया कक दसर क धन को

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अिना बनान की चोरी की वासना उठ गयी और अदालत ह और कानन ह व सब तयार बठ ह कक तम मानो

अचतन की और तमह दड द व सब चतन की सवा म लग ह

यह मनषय की तरसथतरत ह इस तरसथतरत म हर हालत म दवदव ह तम कछ भी करो तम दख िाओग इस

तरसथतरत म सख हो नही सकता तो सख क दो ही उिाय ह कफर एक उिाय यह ह कक चतन को भी अचतन कर

दो तो तमहार भीतर एकरसता आ जाए--यही आदमी शराब िीकर करता ह या एलएसड़ी या मारीजआना

या गाजा या भग यही आदमी नशा करक करता ह नश का इतना ही अथम ह कक वह जो चतन मन ह उसको

नश म डबा दो तो िरा अचतन हो गया--एक अधरी रात फल गयी

इसतरलए अगर कोई नश म कोई जमम कर ल तो अदालत भी उसको कम सजा दती ह वह कहती ह

इसका चतन तो होश म था ही नही एक शराबी तमह गाली द द तो तम उतन नाराज नही होत तरजतना वही

आदमी तरबना शराब िीए गाली द तो तम नाराज हो जात हो एक शराबी तमह धकका मार द तो तम कहत हो

कक शराबी ह गर-शराबी धकका मार द--वही आदमी--तो तम लड़न को तयार हो जात हो कया फकम करत हो

तम शराबी म और गर-शराबी म अगर अदालत म यह तय हो जाए कक आदमी शराब िीए हए था इसतरलए

इसन हतया कर दी तो उसको दड बहत कम तरमलगा अदालत म तय हो जाए कक आदमी िागल ह इसतरलए

इसन हतया कर दी तो दड कम तरमलगा दड तरमलगा ही नही कयोकक इसका चतन तो था ही नही दड ककसको

दना यह तो िरी अधरी रात था यह तो िरा िश जसा हो गया था

इसतरलए शराब िीन म नश म वही काम हो रहा ह जो समातरध म होता ह--तरविरीत कदशा म हो रहा ह

समातरध म हम अचतन को चतन बना लत ह और एकरस हो जात ह और शराब म हम चतन को अचतन बना

लत ह और एकरस हो जात ह एकरसता म सख ह

इस तम गाठ बाधकर रख लो--एकरसता म सख ह जब तम एक हो जात हो तो तम सखी जब तक तम

दो हो तब तक तम दखी भीतर जो दवदव ह वह दख को िदा करता ह घरषमण होता ह जब तम भीतर तरबलकल

एक हो जात हो समरस एक लयबदधता हो जाती ह तमहार भीतर कोई दवदव नही होता अदवदव की अवसथा

होती ह तम तरनदवदव होत हो अदवत होत हो बस वही सख ह

इसीतरलए सभी धयातरनयो न शराब का तरवरोध ककया ह तम समझ लना कयो तरवरोध ककया ह

सभी धयातरनयो न शराब का तरवरोध ककया ह कारण यह नही ह कक शराब म कोई खराबी ह कारण यह

ह कक शराबी कभी धयानी नही हो िाएगा कयोकक उसन तो धयान का सबसटीटयट चन तरलया धयान म भी

एकरसता होती ह शराब म भी एकरसता होती ह तो जो शराब िीकर एकरसता को िान लगा--ससती

एकरसता तरमल गयी जाकर एक बोतल िी डाली इतन ससत म तरमल गयी

धयान तो वरषो क शरम स तरमलगा धयान क तरलए तो बड़ी कीमत चकानी िड़गी धयान क तरलए तो बड़ा

सघरषमण करना होगा इच-इच बढ़गा बद-बद बढ़गा और इतना ससता तरमलता नही ह महगा सौदा ह लबी

यािा ह िहचग नही िहचग िकका नही ह िहाड़ की चढ़ाई ह शराब तो उतार ह जस ितथर को ढकल कदया

िहाड़ स बस एक दफा धकका मार कदया काफी ह कफर तो अिन आि ही उतार िर उतरता जाएगा खाई-

खदक तक िहच जाएगा जब तक खाई न तरमल तब तक रकगा ही नही धकका मारन क बाद और धकान की

जररत नही ह लककन अगर िहाड़ िर चढ़ाना हो ितथर को ऊधवमयािा करनी हो तो धकान स काम न

चलगा--धकात ही रहना िड़गा जब तक कक चोटी िर न िहच जाए और तमन जरा भल-चक की कक ितथर

नीच लढ़क जाएगा कही स भी तरगरन की सभावना ह

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धयानी क तरगरन की सभावना ह शराबी क तरगरन की सभावना नही ह यह बात दखत हो इसतरलए

तमन एक शबद सना होगा--योगभषट तमन भोगभषट शबद सना भोगी क भषट होन की सभावना नही ह वह

खडड म ह ही उसस नीच तरगरन का कोई उिाय नही ह तरसफम योगी तरगरता ह भोगी कभी नही तरगरता भोगी

तरगरा ही हआ ह वह आतरखरी जगह िड़ा ही हआ ह अब और कया आतरखरी जगह होगी योगी तरगरता ह योगी

ही तरगरता ह भोगी होन स तो योगभषट होना बहतर ह कम स कम चढ़ तो थ इसकी तो खबर ह तरगर सही

चल तो थ उठ तो थ चषटा तो की थी एक परयास तो ककया था एक अतरभयान तो उठा था एक यािा एक

चनौती सवीकार तो की थी--तरगर गए कोई बात नही हजार बार तरगरो मगर उठ-उठकर चलत रहना

शराब का धयातरनयो न तरवरोध ककया ह कयोकक शराब िररिरक ह यह ससत म धयान की भातरत करवा

दती ह धयानी को भी तम शराब जसी मसती म डबा हआ िाओग और शराबी म भी तमह धयान की थोड़ी सी

गध तरमलगी--रसमगध--फकम इतना ही होगा शराबी बहोश ह धयानी होश म ह शराबी न अिनी समतरत खो दी

और धयानी न अिनी समतरत िरी जगा ली मनषय बीच म ह मनषय दवदव म ह मनषय आधा अचतन ह आधा

चतन ह शराबी िरा अचतन ह धयानी िरा चतन ह

बदध कहत ह अगर तमन कोई ऐसी धयान की परककरया की हो तरजसस तम बहोश हो जात हो तो वह

धयान की परककरया शराब जसी ह जड़ ह उसस सावधान उस धोख म मत िड़ना कछ ऐसा धयान साधो तरजसस

तमहारी चतना जाग उस जागन की परककरया का नाम ह--समतरत माइडफलनस तम ऐस जागरक हो जाओ कक

तमहार भीतर कोई तरवरोध न रह जाए एक परकाश अखड परकाश फल जाए

आज क सि इस अखड परकाश क ही सि ह सि क िहल सदभम यह छोटी सी कहानी ह--

भगवान राजगह म तरवहरत थ उसी समय राजगह म घटी यह घटना ह उस महानगर म दो छोट लड़क

सदा साथ-साथ खलत थ उनम बड़ी मिी थी अनक परकार क खल व खलत थ आियम की बात यह थी कक एक

सदा जीतता था और दसरा सदा हारता था और भी आियम की बात यह थी कक जो सदा जीतता था वह हारन

वाल स सभी दतरषटयो स कमजोर था हारन वाल न सब उिाय ककए िर कभी भी जीत न सका खल चाह कोई

भी हो उसकी हार सतरनतरित ही थी वह जीतन वाल क खल क ढगो का सब भातरत अधययन भी करता था--

जानना जररी था कक दसर की जीत हर बार कयो हो जाती ह कया राज ह --एकात म अभयास भी करता था

िर जीत न हई सो न हई एक बात जरर उसन िररलतरकषत की थी कक जीतन वाला अिवम रि स शात था और

जीत क तरलए कोई आतरता भी उसम नही थी कोई आगरह भी नही था कक जीत ही खलता था--अनागरह स

फलाकाकषा नही थी और सदा ही क कदरत मालम होता था जस अिन म ठहरा ह और सदा ही गहरा मालम

होता था तरछछला नही था ओछा नही था उसक अतस म जस कोई लौ तरनषकि जलती थी उसक िास एक

परसादिणम आभामडल भी था इसतरलए उसस बार-बार हारकर भी हारन वाला उसका शि नही हो गया था--

तरमिता कायम थी जीत भी जाता था जीतन वाला तो कभी अहकार स न भरता था जस यह कोई खास बात

ही न थी खल अिन म िरा था जीत कक हार इसस उस परयोजन नही था मगर जीतता सदा था

हारन वाल न यह भी दखा था कक परतयक खल शर करन क िवम वह आख बद करक एक कषण को तरबलकल

तरनसतबध हो जाता था जस सारा ससार रक गया हो उसक ओठ जरर कछ बदबदात थ--जस वह कोई पराथमना

करता हो या कक मिोचचार करता हो या कक कोई समरण करता हो

54

अततः हारन वाल न अिन तरमि स उसका राज िछा कया करत हो उसन िछा हर खल शर होन क

िहल ककस लोक म खो जात हो जीतन वाल न कहा भगवान का समरण करता ह नमो बदधसस का िाठ करता

ह इसीतरलए तो जीतता ह म नही जीतता भगवान जीतत ह

उस कदन स हारन वाल न भी नमो बदधसस का िाठ शर कर कदया यदयतरि यह कोरा अभयास ही था कफर

भी उस इसम धीर-धीर रस आन लगा तोतारटत ही था यह मिोचचार िर कफर भी मन िर िररणाम होन लग

गहर न सही तो न सही िर सतह िर सिषट ही फल कदखायी िड़न लग वह थोड़ा शात होन लगा थोड़ी

उचछखलता कम होन लगी थोड़ा तरछछलािन कम होन लगा हार की िीड़ा कम होन लगी जीत की आकाकषा

कम होन लगी खल खलन म ियामपत ह ऐसा भाव धीर-धीर उस भी जगन लगा भगवान क इस समरण म वह

अनजान ही धीर-धीर डबकी भी खान लगा शर तो ककया था िररणाम क तरलए कक खल म जीत जाऊ लककन

धीर-धीर िररणाम तो भल गया और समरण म ही मजा आन लगा िहल तो खल क शर-शर म याद करता

था कफर कभी एकात तरमल जाता तो बठकर नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस का िाठ करता कफर तो

खल गौण होन लगा और िाठ परमख हो गया कफर तो जब कभी िाठ करन स समय तरमलता तो ही खलता रात

भी कभी नीद खल जाती तो तरबसतर िर िड़ा-िड़ा नमो बदधसस का िाठ करता उस कछ जयादा िता नही था

कक कया ह इसका राज लककन सवाद आन लगा एक तरमशरी उसक मह म घलन लगी

छोटा बचचा था शायद इसीतरलए सरलता स बात हो गयी तरजतन बड़ हम हो जात ह उतन तरवकत हो

जात ह सरल था कड़ा-कचरा जीवन न अभी इकटठा न ककया था--अभी सलट कोरी थी

जो बचच बचिन म धयान की तरफ लग जाए धनयभागी ह कयोकक तरजतनी दर हो जाती ह उतना ही

करठन हो जाता ह तरजतनी दर हो जाती ह उतनी ही अड़चन बढ़ जाती ह कफर बहत सी बाधाए हटाओ तो

धयान लगता ह और बचिन म तो ऐस लग सकता ह इशार म लग सकता ह कयोकक बचचा एक अथम म तो

धयानसथ ह ही अभी ससार िदा नही हआ ह अभी कोई बड़ी महतवाकाकषा िदा नही हई ह छोटी सी

महतवाकाकषा थी कक खल म जीत जाऊ और तो कोई बड़ी महतवाकाकषा नही थी--राषटरितरत नही होना

परधानमिी नही होना धनितरत नही होना िद-परतरतिा का मोह नही था तरगलली-डडा खलता होगा इसम जीत

जाऊ छोटी सी महतवाकाकषा थी थोड़ ही समरण स टट गयी होगी थोड़ा सा जाल मन न फलाया था थोड़ ही

समरण स कट गया होगा

एक खला आकाश उस कदखायी िड़न लगा धीर-धीर उसक सिन खो गए और कदन म भी उठत-बठत

एक शात धारा उसक भीतर बहन लगी

एक कदन उसका तरिता गाड़ी लकर उसक साथ जगल गया और लकड़ी स गाड़ी लाद घर की तरफ लौटन

लगा मागम म शमशान क िास बलो को खोलकर व थोड़ी दर तरवशराम क तरलए रक--दोिहरी थी और थक गए थ

लककन उनक बल दसरो क साथ राजगह म चल गए--व तो सोए थ और बल नगर म परवश कर गए तरिता बट

को वही गाड़ी क िास छोड़ गाड़ी को रखान की कह नगर म बलो को खोजन गया बल तरमल तो लककन तब

जब कक सयम ढल गया था और नगर दवार-बद हो गए थ सो वह नगर क बाहर न आ सका बटा नगर क बाहर

रह गया बाि नगर क भीतर बद हो गया अधरी रात बाि तो बहत घबड़ाया शमशान म िड़ा छोटा सा बटा

कया गजरगी उस िर बाि तो बहत रोया-तरचललाया लककन कोई उिाय न था दवार बद हो गए सो दवार बद हो

गए

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और लकड़हार की सन भी कौन और लकड़हार क बट का मलय भी ककतना दवारिालो स तरसर फोड़ा

होगा तरचललाया होगा रोया होगा उनहोन कहा कक अब कछ नही हो सकता बात समापत हो गयी

अधरी रात अमावस की रात और वह छोटा सा लड़का मरघट िर अकला लककन उस लड़क को भय न

लगा भय तो दर उस बड़ा मजा आ गया ऐसा एकात उस कभी तरमला ही न था गरीब का बटा था छोटा सा

घर होगा एक ही कमर म सब रहत होग--और बचच होग मा होगी तरिता होगा तरिता क भाई होग ितरतनया

होगी तरिता क भाइयो की बढ़ी दादी होगी दादा होग न मालम ककतनी भीड़-भाड़ होगी कभी ऐसा एकात

उस न तरमला था यह अमावस की रात आकाश तारो स भरा हआ यह मरघट का सननाटा जहा एक भी आदमी

दर-दर तक नही नगर क दवार-दरवाज बद सारा नगर सो गया यह अिवम अवसर था ऐसी शातरत और सननाटा

उसन कभी जाना नही था वह बठकर नमो बदधसस का िाठ करन लगा

नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस कहत कब आधी रात बीत गयी उस समरण नही तार जड़ गया

सगीत जम गया वीणा बजन लगी िहली दफा धयान की झलक तरमली

शातरत तो तरमली थी अब तक रस भी आना शर हआ था लककन अब तक बद-बद था आज डबकी खा

गया आज िरी डबकी खा गया आज डब गया बाढ़ आ गयी

ऐसा नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस कहता-कहता गाड़ी क नीच सरककर सो गया

यह साधारण नीद न थी नीद भी थी और जागा हआ भी था--यह समातरध थी उसन उस रात जो जाना

उसी को जानन क तरलए सारी दतरनया तड़फती ह उस लकड़हार क बट न उस रात जो िहचाना उसको तरबना

िहचान कोई कभी सतषट नही हआ सखी नही हआ सख बरस गया उसका मन मगन हो उठा शरीर सोया था

और भीतर कोई जागा था--सब रोशन था उतरजयारा ही उतरजयारा था जस हजार-हजार सरज एक साथ जग

गए हो जस जीवन सब तरफ स परकातरशत हो उठा हो ककसी कोन म कोई अधरा न था

वह ककसी और ही लोक म परवश कर गया वह इस ससार का वासी न रहा जो घटना ककसी दसर क

तरलए अतरभशाि हो सकती थी उसक तरलए वरदान बन गयी

मरघट का सननाटा मौत बन सकती थी छोट बचच की लककन उस बचच को अमत का अनभव बन गयी सब

हम िर तरनभमर ह वही अवसर मतय म ल जाता ह वही अमत म वही अवसर वरदान बन सकता वही

अतरभशाि सब हम िर तरनभमर ह अवसर म कछ भी नही होता हम अवसर क साथ कस चतनय का परवाह लात

ह इस िर सब तरनभमर होता ह

था मरघट लककन मरघट की तो उस याद ही न आयी उसन तो एक कषण भी सोचा नही कक मरघट ह

उसन तो सोचा कक ऐसा अवसर धनयभाग मर तरिता आए नही बल लौट नही सननाटा अिवम ह दवार-दरवाज

बद हो गए आज इस घड़ी को भगवान क साथ िरा जी ल वह नमो बदधसस कहत-कहत कहत-कहत बदध क

साथ एकरि हो गया होगा तरजसका हम समरण करत ह उसक साथ हम एकरि हो जात ह

वह तरनदरा अिवम थी

इस तरनदरा क तरलए योग म तरवशरष शबद ह--योगतदरा आदमी सोया भी होता और नही भी सोया होता

इसीतरलए तो कषण न कहा ह कक जब सब सो जात ह तब भी योगी जागता ह उसका यही अथम ह या तरनशा

सवमभतानाम तसयाम जागरतम सयमी--जब सब सो गए होत ह जो सब क तरलए अधरी रात ह तरनदरा ह सरषतरपत

ह योगी क तरलए वह भी जागरण ह

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उस रात वह छोटा सा बचचा योगसथ हो गया योगारढ़ हो गया और अनजान हआ यह अनायास हआ

यह चाहकर भी नही हआ था ऐसी कछ योजना भी न थी अकसर यही होता ह कक जो योजना बनाकर चलत

ह नही िहच िात कयोकक योजना म वासना आ जाती ह अकसर अनायास होता ह

यहा रोज ऐसा अनभव मझ होता ह जो लोग यहा धयान करन आत ह बड़ी योजना और आकाकषा स

उनह नही होता जो ऐस ही आ गए होत ह सयोगवशात सोचत ह कर ल दख ल शायद कछ हो उनह हो

जाता ह

और िहली दफा तो जब ककसी को होता ह तो आसानी स हो जाता ह दसरी दफ करठन होता ह कयोकक

दसरी दफ वासना आ जाती ह िहली दफा तो अनभव था नही तो वासना कस करत धयान शबद सना भी था

तो भी धयान का कछ अथम तो िकड़ म आता नही था--कया ह कसा ह जब िहली दफा धयान उतर आता ह

और ककरण तमह जगमगा जाती ह ऐसा रस तरमलता ह कक कफर सारी वासना उसी तरफ दौड़न लगती ह

वह वासना जो बड़ मकान चाहती थी बड़ी कार चाहती थी सदर सतरी चाहती थी शतरिशाली ितरत

चाहती थी धन-िद चाहती थी सब तरफ स वासना इकटठी होकर धयान की तरफ दौड़ िड़ती ह कयोकक जो

धन स नही तरमला वह धयान स तरमलता ह जो िद स नही तरमला वह धयान स तरमलता ह जो ककसी सभोग स

नही तरमला वह धयान स तरमलता ह तो सब तरफ स वासना क झरन इकटठ एक धारा म हो जात ह और धयान

की तरफ दौड़न लगत ह लककन धयान वासना स नही तरमलता धयान तो तरनवामसना की तरसथतरत म घटता ह जब

तम चाहोग तब तम चकोग

तो तमह यह हरानी होगी इस छोट स बचच न चाहा तो नही था यह घटना कस घट गयी यह बात

साथमक ह घटना ऐस ही घटती ह अनायास ही घटती ह इस जगत म जो भी शरि ह वह मागन स नही

तरमलता मागन स तो हम तरभखारी हो जात ह तरबना माग तरमलता ह तरबन माग मोती तरमल माग तरमल न चन

उसन मागा भी नही था उस तो एक अवसर तरमल गया कक अधरी रात यह आकाश म तरझलतरमलात तार यह

सननाटा यह चपिी यह नीरव धवतरन यह मरघट वह तो बठ गया ककसी खास वजह स नही कछ लकषय न था

सामन उसन शासतर भी न िढ़ थ शासतर सन भी न थ सतो की वाणी भी नही सनी थी लोभ का कोई कारण भी

नही था वह ककसी मोकष ककसी भगवान क दशमन करन को उतसक भी नही था कोई तरनवामण भी नही िाना

चाहता था मगर यह मौका था सननाट का और धीर-धीर उस नमो बदधसस क अतरतररि कछ बचा भी नही था

उसक िास करता भी कया बाि आया नही बल लौट नही घर जान का उिाय नही नगर क दवार-दरवाज बद

हो गए करता भी कया वह तो बहत कदन स जब भी मौका तरमलता था एकात तरमलता था नमो बदधसस करता

था नमो बदधसस करन लगा डोलन लगा

जस साि डोलन लगता ह बीन सनकर ऐसा मिोचचार अगर कोई तरबना ककसी वासना क कर तो तमहार

भीतर की चतना डोलन लगती ह एक अिवम नतय का समायोजन हो जाता ह चाह शरीर न भी तरहल भीतर

नतय खड़ा हो जाता ह

डोलत-डोलत लट गया गाड़ी क नीच सो गया सोया भी था और जागा भी था इस जगत का जो सब स

महतविणम अनभव ह वह यही ह--सोए भी और जाग भी अभी तो हालत उलटी ह--जाग हो और सोए हो अभी

लगत हो कक जाग हो और बड़ी गहरी नीद ह आख खली ह और भीतर नीद समायी ह इसस उलटी भी घटना

घटती ह अभी तो तम शीरषामसन कर रह हो तरसर क बल खड़ हो--जाग हो और सोए हो तरजस कदन िर क बल

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खड़ होओग--वही तो बदधतव का अथम ह--िर िर खड़ हो जाना आदमी उलटा खड़ा ह जो सीधा खड़ा हो गया

वही बदध ह वह सोता भी ह तो जागता ह

जो रात अतरभशाि हो सकती थी वह वरदान हो गयी और जो मि मातर सयोग स तरमला था वह उस

रातरि सवाभातरवक हो गया

सयोग की ही बात थी कक दसरा लड़का जीतता था और यह लड़का भी जीतना चाहता था--कौन नही

जीतना चाहता बढ़ तक जीत क भाव स मि नही होत ह तो बचचो स तो आशा नही की जा सकती ह बढ़ो को

तो कषमा नही ककया जा सकता कयोकक जजदगी बीत गयी अभी तक इतना भी नही सीख कक जीतन म कछ सार

नही ह हारन म कोई हारता नही जीतन म कोई जीतता नही--यहा हार और जीत सब बराबर ह कयोकक मौत

सब को एक सा तरमटा जाती ह हार हए तरमटटी म तरगर जात ह जीत हए तरमटटी म तरगर जात ह

यह तो छोटा बचचा था इसको तो हम कषमा कर सकत ह यह जीतना चाहता था इसन सब उिाय कर

तरलए थ इसन सब तरह स तरनरीकषण ककया था कक जीतन वाल की कला कया ह कयो जीत-जीत जाता ह म

कयो हार-हार जाता ह शतरिशाली था जीतन वाल स इसतरलए बात बड़ी आियम की थी--इसकी शतरि का सरोत

कहा ह कयोकक शरीर स म बलवान ह जीतना मझ चातरहए गतरणत क तरहसाब स लककन जजदगी बड़ी अजीब ह

यहा गतरणत क तरहसाब स कोई बात घटती कहा ह यहा गतरणत को मानकर जजदगी चलती कहा ह यहा कभी-

कभी कमजोर जीत जात ह और शतरिशाली हार जात ह

दखत ह िहाड़ स जल की धारा तरगरती ह चटटान िर तरगरती ह जब चटटान िर िहली दफा जल की

धारा तरगरती होगी तो चटटान सोचती होगी--अर िागल मझको तोड़न की कोतरशश कर रही ह और जल इतना

कोमल ह इतना सतरण ह और चटटान इतनी िररष और इतनी कठोर मगर एक कदन चटटान टट जाती ह रत

होकर बह जाएगी चटटान जो समदरो क तटो िर रत ह जो नकदयो क तटो िर रत ह वह कभी िहाड़ो म बड़ी-

बड़ी चटटान थी सब रत चटटान स बनी ह और चटटान टटती ह जल की सकषम धार स कोमल धार स कोमल

धार अततः जीत जाती ह मगर धार म कछ बात होगी जीतन का कछ राज होगा इस जगत म सब कछ

गतरणत क तरहसाब स नही चलता इस जगत का कछ सकषम गतरणत भी ह

तो सब ऊिर क उिाय कर तरलए होग उस लड़क न कस खलता ह उसका एकात म अभयास भी ककया

था मगर कफर भी हार-हार गया--न जीता सो न जीता िछना नही चाहता था उसस कयोकक उसस कया

िछना उसक जीतन का राज चिचाि तरनरीकषण करता था जब कोई उिाय न बचा होगा तो उसन िछा एक

ही बात अनबझी रह गयी थी कक हर खल शर करन क िहल वह लड़का आख बद करक खड़ा हो जाता ह

उसक ओठ कछ बदबदात ह तब एक अिवम शातरत उसक चहर िर मालम होती ह एक रोशनी झलकती ह अब

तरसफम यही एक राज रह गया था और सब तो कर तरलया था उसस कछ काम नही हआ था

अततः उसन िछा कक भाई मझ बता दो कया करत हो कसा समरण कया मि सयोग की बात थी कक

वह लड़का नमो बदधसस का िाठ करता था वही उसका बल था सना ह न तमन वचन--तरनबमल क बल राम

तरनबमल भी बली हो जाता ह अगर राम का साथ हो और बलवान भी कमजोर हो जाता ह अगर राम का साथ न

हो यहा सारा बल राम का बल ह यहा जो अिन बल िर रटका ह हारगा तरजसन परभ क बल िर छोड़ा वह

जीतगा जब तक तम अिन बल िर रटक हो रोओग िरशान होओग टटोग--तब तक तम चटटान हो तब तक

तम रत हो-होकर दख िाओग खड-खड हो जाओग

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तरजस कदन तमन राम क बल का सहारा िकड़ तरलया तरजस कदन तमन कहा म नही ह त ही ह यही तो

अथम होता ह समरण का परभ-समरण का नाम-समरण का उस लड़क न कहा कक म थोड़ ही जीतता ह भगवान

जीतत ह म उनका समरण करता ह उनही िर छोड़ दता ह म तो उिकरण हो जाता ह जसा कषण न अजमन

को गीता म कहा कक त तरनतरमतत माि हो जा त परभ को करन द जो वह करना चाहत ह त बीच म बाधा मत

बन जसा कबीर न कहा कक म तो बास की िोगरी ह गीत मर नही गीत तो िरमातमा क ह जब उसकी मरजी

होती गाता म तो बास की िोगरी ह तरसफम मागम ह उसक आन का गीतो िर मरी छाि नही ह गीतो िर मरा

कबजा नही ह गीत उसक ह म तरसफम दवार ह उसका--उिकरण माि

ऐसा ही उस लड़क न कहा कक म थोड़ ही जीतता ह इसम कछ राज नही ह म परभ का समरण करता ह

कफर खल म लग जाता ह कफर वह जान

मगर इस बात म बड़ा बल ह कयोकक जस ही तमहारा अहकार तरवगतरलत हआ तम बलशाली हए तम

तरवराट हए अहकार तरवगतरलत होत ही तम जल की धार हो गए अहकार क रहत-रहत तम चटटान हो और

अहकार क तरवगतरलत होन का एक ही उिाय ह कक ककसी भातरत तम अिना हाथ भगवान क हाथ म द दो ककस

बहान दत हो इसस कछ फकम नही िड़ता तमहारा हाथ भगवान क हाथ म हो तम तरनतरमतत माि हो जाओ

यह सयोग की ही बात थी कक उस लड़क न कहा म भगवान का समरण करता ह बदध का समरण करता

ह--नमो बदधसस जीतन क तरलए आतर इस यवक न इसकी नकलिटटी शर की

खयाल रखना कभी-कभी गलत कारणो स भी लोग ठीक जगह िहच जात ह कभी-कभी सयोग भी सतय

तक िहचा दता ह कभी-कभी तम जो शर करत हो वह कोई बहत गहरा नही होता लककन शर करन स ही

यािा का िहला कदम िड़ जाता ह

मर िास लोग आत ह वह कहत ह सनयास हम लना चाहत ह लककन किड़ रगन स कया होगा म

कहता ह तम कफकर छोड़ो किड़ तो रगो कछ तो रगो वह कहत ह कबीर तो कहत ह--मन न रगाए रगाए

जोगी किड़ा म कहता ह ठीक कहत ह मन भी रग जाएगा तम किड़ रगान की तरहममत तो करो जो किड़

रगान तक स डर रहा ह उसका मन कस रगगा कबीर ठीक कहत ह मगर खयाल रखना कबीर न जोतरगयो स

कहा था कबीर न उनस कहा था तरजनहोन किड़ रग तरलए थ और मन अभी तक नही रगा था उनहोन कहा था--

मन न रगाए जोगी जोतरगयो स कहा था कक तमन मन तो रगाया नही रगा तरलए किड़ा इसस कया होगा अब

मन रगाओ तमन अभी किड़ा भी नही रगाया तम अभी जोगी नही हो कबीर का वचन तमहार तरलए नही ह

तरजनहोन किड़ा रगा तरलया उनस म भी कहता ह--मन न रगाए रगाए जोगी किड़ा मगर तमस न कहगा

तमस तो कहगा--िहल जोगी तो बनो कम स कम किड़ा तो रगाओ एक बार किड़ा रग जाए इतनी तरहममत

तो करो और तम कहत हो कक बाहर क किड़ स कया होगा

बाहर और भीतर म जोड़ ह सयोग और सतय भी जड़ ह जो बाहर ह एकदम बाहर थोड़ ही ह वह भी

भीतर का ही फलाव ह तम भोजन तो करत न तो बाहर स ही भोजन लत हो वह भीतर िहच जाता ह तम

यह तो नही कहत बाहर का भोजन कया करना बाहर का जल कया िीना भीतर पयास ह बाहर क जल स

कया होगा ऐसा तो नही कहत या कहत हो भीतर की पयास बाहर क जल स बझ जाती ह और भीतर की

भख बाहर क भोजन स बझ जाती ह और भीतर क परम क तरलए बाहर परमी खोजत हो और कभी नही कहत

कक परम की पयास तो भीतर ह बाहर क परमी स कया होगा

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बाहर और भीतर म बहत फकम नही ह वकष िर जो फल अभी लटका ह बहत दर और बाहर ह जब तम

उस चबा लोग और िचा लोग भीतर हो जाएगा तमहारा खन बन जाएगा मास-मजजा बन जाएगा आज

तमहार भीतर जो मास-मजजा ह कल तम मर जाओग तमहारी कबर बन जाएगी तमहारी मास-मजजा तरमटटी म

तरमल जाएगी और तरमटटी स कफर वकष उगगा और वकष म कफर फल लगग--तमहारा मास-मजजा कफर फल बन

जाएगा बाहर और भीतर अलग-अलग नही ह सयि ह जड़ ह

इसतरलए ऐस मन को धोखा दन क उिाय मत ककया कर कक बाहर स कया होगा और यह तरसफम उिाय ह

अब भीतर का तो ककसी को िता नही तम रगोग कक नही रगोग बाहर का िता चल सकता ह बाहर स

घबड़ात हो कक लोग गररक वसतरो म दखकर कहग--अर िागल हो गए लोगो का इतना डर ह लोगो क मतवय

की इतनी जचता ह सीधी बात नही कहत कक म लोगो स डरता ह कायर ह बहाना खोजत हो कबीर का कक

कबीर न ऐसा कहा ह कक बाहर क किड़ रगान स कया होगा म भी कहता ह कया होगा लककन यह कहा उनस

तरजनहोन रगा तरलए थ उनस म भी कहता ह

बाहर की घटना थी तरबलकल सयोगवशात शर हई थी कोई लड़क क भीतर धयान की तलाश न थी न

भगवान की कोई खोज थी खल-खल म सीख तरलया था खल-खल म दाव लग गया नमो बदधसस नमो बदधसस

रटन लगा रटत थी तोता-रटत थी ककसी बड़ मलय की बात नही थी लककन रटत-रटत एक बात लगी कक

रटत-रटत ही सतह िर कछ शातरत आ जाती ह वह जो उतरदवगनता थी वह कम होन लगी तरवचार थोड़ कषीण

हए वह जो जीत की आकाकषा थी वह भी कषीण होन लगी अब खलता था लककन खल म दसर ढग का मजा

आन लगा अब खलन क तरलए खलन लगा िहल जीतन क तरलए खलता था

जो जीतन क तरलए खलता ह उसकी हार तरनतरित ह कयोकक वह तना हआ होता ह वह िरशान होता ह

उसका मन खल म तो होता ही नही उसकी आख गड़ी होती ह आग भतरवषय म फल म--जलदी स जीत जाऊ

जो खलन म ही डबा होता ह उसको फल की कोई कफकर ही नही होती वह खलन म िरा सलगन होता ह

उसक िर सलगन होन स जीत आती ह और जीत की आकाकषा स िर सलगन नही हो िात तो हार हो जाती ह

तम दखत न आमतौर स सब लोग ककतनी अचछी तरह बातचीत करत ह गिशि करत ह कफर ककसी

को मच िर खड़ा कर दो और बस उनकी बोलती बद हो गयी हाथ-िर किन लग कया हो जाता ह मच िर

िहचकर कौन सी अड़चन हो जाती ह भल-चग थ सदा बोलत थ असल म इनको चि ही करना मतरशकल

था बोल-बोलकर लोगो को उबा दत थ आज अचानक बोलती बद कयो हो गयी

आज िहली दफा लोगो को सामन बठ दखकर इनको एक खयाल िकड़ गया कक आज कछ ऐसा बोलना ह

कक लोग परभातरवत हो जाए बस अड़चन हो गयी आज बोलन म िरी परककरया न रही लकषय म धयान हो गया

लोग परभातरवत हो जाए य इतनी आख जो दख रही ह य सब मान ल कक हा कोई ह बोलन वाला कोई ह

विा बस इसी स अड़चन हो गयी

मच िर खड़ होकर अतरभनता किन लगता ह हाथ-िर डोलन लगत ह िसीना-िसीना होन लगता ह

कयो िहली दफा कतय म नही रहा कतय क िार आकाकषा दौड़न लगी बड़ा अतरभनता वही ह तरजसको इसकी

जचता ही नही होती कक लोगो िर कया िररणाम होग और बड़ा विा वही ह तरजस खयाल भी नही आता कक

लोग इसक सबध म कया सोचग बड़ा तरखलाड़ी वही ह जो खल म िरा डब जाता ह समगरभावन उसी स जीत

आती ह

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धीर-धीर इसको भी कफकर छटन लगी यह लड़का भी रस लन लगा खलन म एक और ही मजा आन

लगा एक और तरह की ततरपत तरमलन लगी अतरनमतरहत हो गयी ततरपत खल क भीतर करीड़ा म ही रस हो गया

खल काम न रहा खल िहली दफा खल हआ

इसतरलए इस दश म हम कहत ह--भगवान न सतरषट बनायी ऐसा नही कहत--सतरषट का खल खला लीला

की कया फकम ह खल और सतरषट म

ितरिम म ककरतरियतरनटी ह--ईसाइयत ह--जदाइजम ह इसलाम ह व सब कहत ह भगवान न दतरनया

बनायी कतय की तरह छह कदन म बनायी कफर थक गया खल स कोई कभी नही थकता खयाल रखना

इसतरलए जहदओ क िास छटटी का कोई उिाय ही नही ह भगवान क तरलए छह कदन म थक गया सातव कदन

तरवशराम ककया इसीतरलए तो रतरववार को छटटी मनात ह ईसाई भगवान तक न छटटी ली तो आदमी का कया

भगवान थक गया छह कदन बना-बनाकर उस कदन तरवशराम ककया उसन दर स उठा होगा सबह अखबार भी

दर स िढ़ा होगा चाय भी तरबसतर िर बलायी होगी ितनी को डाटा-डिटा भी होगा तरबसतर िर ही लट-लट

रतरडयो सना होगा या टीवी दखा होगा--जो कछ भी ककया--दोिहर तक सोया रहा होगा थक गया कतय

काम थका दता ह

इस दश म हमारी धारणा ह यह जगत भगवान की लीला ह थका ही नही अभी तक छटटी नही ली

छटटी की धारणा ही भारत क िराणो म नही ह कक भगवान छटटी ल छटटी का मतलब तो हआ थक जाए खल

स कभी कोई थकता ह

सच तो यह ह जब तम काम स थक जात हो तो खल म थकान तरमटात हो कदनभर दफतर स लौट कफर

घर आकर ताश खलन लग या बडजमटन खलन लग छह कदन थक गए कफर सातव कदन गोलफ खलन चल गए

थकान को तरमटात हो खल स तो खल स तो कोई कभी थकता नही खल स तो िनरजजीतरवत होता ह

हमारी धारणा यही ह कक जीवन कतय नही होना चातरहए जीवन खल होना चातरहए खल का यही फकम

ह कतय का लकषय होता ह खल का लकषय नही होता खल म कोई फलाकाकषा नही होती काम म फलाकाकषा

होती ह

तम दफतर म बठ काम करत हो थक जात हो उतना ही काम तम रतरववार क कदन घर म बठकर करत

रहत हो नही थकत अिना काम तो खल ह खोल ली कार सफाई करन लग तो नही थकत कदनभर लग

रहत हो दफतर म फाइल यहा स वहा रखन म थक जात हो जहा काम आया वहा थकान ह कयोकक काम

आया लकषय आया

उस लड़क को िहली दफा खल खल हआ अब मजा और ही आन लगा अब जीत की कोई जचता न रही

सयोग स यह घटना घटी थी नमो बदधसस कहना ऐस ही खल-खल म शर ककया था लककन उस रात

सयोग सवाभातरवक हो गया उस रात मि पराणो म उतर गया उस कदन मि ऊिर-ऊिर न रहा उस कदन मि

को उचचार न करना िड़ा उस कदन भीतर स उचचार उठन लगा इसी को तो हमन परणव कहा ह जब मि अिन

आि उठन लग

वह सननाटा वह रात जरा सोचो उस रात की तम होत तमहार भीतर भी कछ होता--भय िकड़ता

और भय उठन लगता तमहारी नातरभ स और सार पराण भय स किन लगत कतरित हो जात रात ठडी भी होती

तो िसीना आता भत-परत कदखायी िड़न लगत मरघट कोई साधारण जगह नही अधरी रात छोटा सा बचचा

लककन यह सयोग यह सअवसर िाकर जो मि अब तक ककसी तरह ऊिर-ऊिर चलता रहा था आज उसन

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िहली दफ डबकी मार दी इस मौक का अिवम लाभ हो गया उसक हदय स गजार उठन लगी होगी अब ऐसा

कहना ठीक नही कक उसन नमो बदधसस का िाठ ककया अब तो ऐसा कहना ठीक होगा नमो बदधसस का िाठ

हआ उस अिवम अवसर क बीच यह घटना घटी धयान सवाभातरवक हआ

रातरि वहा शमशान म कछ भत आए शमशान व बड़ परसनन हए व उस लड़क को खा जाना चाहत थ व

अनायास तरमल इस तरशकार स अतयत खश हो गए और उसक आसिास नाचन लग

और वह लड़का तो उस दशा म था--या तरनशा सवमभतानाम तसयाम जागरतम सयमी वह तो सोया था और

जागा भी था

भतो को नाचत दखकर वह उठकर बठ गया भत नाच रह थ वह भी अिन भीतर क नाच म मगन हो

गया उसन कफर नमो बदधसस नमो बदधसस कहना शर कर कदया

लड़क की जस ही आख खली भतो को नाचत दखा वह भी अिन अतर क नतय म सलगन हो गया आज

उस भत डरा न िाए तरजस कदन धयान हो जाए उस कदन मतय डरा नही िाती--भत यानी मतय क परतीक तरजस

कदन धयान हो जाए उस कदन तो कछ भी नही डरा िाता धयानी क तरलए भय होता ही नही उस तो खब मजा

आया उसन तो सोचा होगा तो य भी धयानसथ हो गए या बात कया ह य भी नमो बदधसस का िाठ करत ह

या बात कया ह उस व भत जस कदखायी ही न िड़ होग

और जब उसन नमो बदधसस का उचचार शर कर कदया तो भत घबड़ा गए

जब अमत मौजद हो तो मौत घबड़ा जाती ह जब धयान मौजद हो तो यमदत घबड़ा जात ह व तो बहत

घबड़ा गए

उनहोन गौर स दखा यह कोई साधारण बचचा नही था इसक चारो तरफ परकाश मतरडत था एक

आभामडल था व तो उसकी सवा म लग गए व तो भाग गए राजमहल समराट की सोन की थाली और समराट

का भोजन लकर आए उस छोट स बचच को भोजन कराया उसकी खब िजा की कफर उसक िर दाब रातभर

उसकी रकषा की िहरा कदया

य तो परतीक ह तरजसको धयान लग गया मौत भी उसका िहरा दती ह तरजसको धयान लग गया मौत

भी उसकी सवा करती ह इस बात को खयाल म रखना परतीको िर मत चल जाना ऐस कछ भत हए ऐसा

नही ह ऐसा अथम मत ल लना य तो तरसफम साकतरतक कथाए ह य इतना ही कहती ह कक ऐसा घटता ह जब

अमत भीतर उिलबध होता ह तो मौत सवा म रत हो जाती ह मौत तभी तक घातक ह जब तक तम

मरणधमाम स जड़ हो जब तक तम सोचत हो म दह ह तब तक मौत घातक ह तरजस कदन तमन जाना कक म दह

नही ह म मन नही ह उस कदन मौत घातक नही ह

रातरिभर िहरा दत रह और सबह जब सरज ऊगन लगा तो जलदी स सोन की थाली को गाड़ी की

लकतरड़यो म तरछिाकर भाग गए परातः नगर म यह समाचार फला कक राजमहल स समराट क सवणम-थाल की

चोरी हो गयी ह तरसिाही इधर-उधर खोजत हए न िाकर अततः नगर क बाहर भी खोजन लग उस गाड़ी म

वह सवणम-थाल िाया गया उस लड़क को यही चोर ह ऐसा मान समराट क समकष परसतत ककया गया और वह

लड़का तो रासतभर नमो बदधसस जिता रहा उसकी मसती दखत ही बनती थी शहर म भीड़ उसक िीछ चलन

लगी वसा रि ककसी न दखा नही था

वह उसी गाव का लड़का था लककन अब ककसी और दतरनया का तरहससा हो गया था उसका बाि भी भीड़

म चलन लगा वह बाि भी बड़ा चककत हआ--इस लड़क को कया हो गया ह यह अिना नही मालम होता यह

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तो कही बहत दर मालम होता ह यह कछ और मालम होता ह इसको हमन िहल कभी इस तरह दखा नही

तरसिाही हथकतरड़या डाल थ लककन अब कसी हथकतरड़या तरसिाही उस महल की तरफ ल जा रह थ लककन वह

जरा भी शककत नही था अब कसी शका अब कसा भय वह मगन था तरसिाही थोड़ बचन थ और िरशान थ

और भीड़ बढ़न लगी और जब समराट क सामन लाया गया तो समराट तक भौचकका रह गया जो दखा उसन

सामन समराट था जबतरबसार उस समय का बड़ा परतरसदध समराट था बदध क िास जाता भी था बदध स धयान

की बात भी सनी थी जो बदध म दखा था जो बदध क कछ खास तरशषयो म दखा था उसकी ही झलक--और बड़ी

ताजी झलक जस झरना अभी फटा हो फल अभी तरखला हो--इस लड़क म थी

वह उस लड़क को िछा कक हआ कया ह यह थाल तन चराया उस लड़क न सारी कथा कह दी कक

हआ ऐसा म नमो बदधसस कहत-कहत सो गया--सोया भी जागा भी मानो न मानो ऐसा हआ मझस भी

कोई िहल कहता तो म भी न मानता कक सोना और जागना एक साथ हो सकता ह मगर ऐसा हआ कछ बात

ऐसी ह जो हो तभी मानी जा सकती ह न हो तो मानन का कोई उिाय नही उसन कहा आि भरोसा कर

लो ऐसा हआ मर आसिास कछ लोग आकर नाचन लग मन आख खोली उनको नाचत दखकर म भी मसत

हआ मन सोचा शायद य भी नमो बदधसस का िाठ कर रह ह तो म कफर नमो बदधसस का िाठ करन लगा

कफर िता नही उनह कया हआ व मर चरण दाबन लग भोजन लाए थाली लाए मझ भोजन करवाया मझ

सलाया रातभर मर िास खड़ रह िहरा दत रह सबह इस थाली को लकतरड़यो म तरछिाकर भाग गए कफर

आिक तरसिाही आए कफर तो कथा आिको मालम ह इसक बाद की कथा आिको मालम ह

समराट उस लकर भगवान बदध क िास गया भगवान राजगह म ठहर थ समराट न भगवान स िछा--

भत कया बदधानसमतरत इस तरह की रकषक हो सकती ह कया नमो बदधसस क िाठ माि स इस छोट स बचच को

जो हआ ह वह ककसी को हो सकता ह और यह भी खल-खल म म तो लोगो को जीवनभर तिियाम करत

दखता ह तब नही होता कस भरोसा कर कक इस छोट स लड़क को हो गया ह आि कया कहत ह कया इस

लड़क की कथा सच ह

भगवान न कहा--हा महाराज बदधानसमतरत सवय क ही िरम रि की समतरत ह जब तम कहत हो नमो

बदधसस तो तम अिनी ही िरम दशा का समरण कर रह हो--तमहारा ही भगवत-सवरि

बदध यानी कोई वयतरि नही बदध का कछ लना-दना गौतम बदध स नही ह बदधतव तो तमहार ही जागरण

की आतरखरी दशा ह तमहारी ही जयोतरतममय दशा ह तमहारा ही तरचनमय रि ह जब तम समरण करत हो--नमो

बदधसस तो तम अिन ही तरचनमय रि को िकार रह हो तम अिन ही भीतर अिनी ही आतमा को आवाज द रह

हो तम तरचलला रह हो कक परगट हो जाओ जो मर भीतर तरछि हो नमो बदधसस ककसी बाहर क बदध क तरलए

समिमण नही ह अिन अतरतम म तरछि बदध क तरलए खोज ह और अगर कोई सरल तरचतत हो तो जलदी हो जाता

इसीतरलए जलदी हो गया यह छोटा बचचा ह सरल तरचतत ह तिसवी सरल तरचतत नही ह बड़ करठन ह बड़

कठोर ह और वासना स भर ह लोभ स भर ह धयान करन चल ह लककन धयान म भी िीछ लकषय बना हआ

ह इसन तरबना लकषय क ककया इसतरलए हो गया इस सहज समातरध लग गयी ह

नमो बदधसस या बदधानसमतरत सवय क ही िरम रि की समतरत ह वह सतह क दवारा अिनी ही गहराई की

िकार ह वह िररतरध क दवारा क दर का समरण ह वह बाहय क दवारा अतर की जागतरत की चषटा ह उसक

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अतरतररि और कोई शरण नही ह उसक अतरतररि और कोई मागम नही ह वही मतय स रकषा और अमत की

उिलतरबध बनती ह और तब उनहोन य गाथाए कही--

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच बदधगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच धममगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच सघगता सतरत

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह

जो सदा याद करत ह भगवतता का बदधतव का जो सदा अिन जीवन को एक ही कदशा म समरिमत करत

चलत ह तरजनक जीवन म एक ही अनिान ह कक कस जाग जाए जो हर तरसथतरत और हर उिाय को जागन का

ही उिाय बना लत ह जो हर अवसर को जागन क तरलए ही काम म ल आत ह जो राह क ितथरो को भी

सीकढ़या बना लत ह और एक ही लकषय रखत ह कक भगवान क मकदर तक िहचना ह--और मकदर उनही क भीतर

ह अिनी ही सीकढ़या चढ़नी ह अिनी ही दह को सीढ़ी बनाना अिन ही मन को सीढ़ी बनाना और जागरक

होकर तरनरतर धीर-धीर सवय क भीतर सोए हए बदध को जगाना ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

ऐसा ही नही कक व जागत म जागत रहत ह व सोत म भी जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा धमम म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा सघ म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तीन बातो िर बदध न सदा जोर कदया--बदध धमम और सघ बदध का अथम ह तरजनम धमम अिन िररिणम

रि म परगट हआ ह काश तम ऐस वयतरि को िा लो तरजसक जीवन म धमम तमह लग कक साकार हआ ह तो

धनयभागी हो तरजसक जीवन स तमह ऐसा लग कक धमम कवल तरसदधात नही ह जीती-जागती तरसथतरत ह तो बदध

कहत ह उस वयतरि क समरण स लाभ होता ह जो जाग गया ह कयोकक जब तक तम जाग हए वयतरि क िास न

होओ तब तक तम ककतना ही सोचो तमह जागरण का कोई आधार नही ह तम तरनराधार हो तमहार भीतर

सदह बना ही रहगा िता नही ऐसी अवसथा होती ह या नही होती िता नही शासतर कहत जरर लककन ऐसा

कभी ककसी को हआ ह या किोल-कलिना ह या िराणकथा ह

बदध क िास जान का अथम इतना ही ह कक दखकर कक मर ही जस मास-मजजा-हडडी स बन हए आदमी म

मर जस ही आदमी म कछ हआ ह जो मझस अतीत ह ठीक मर जसा ही आदमी ह कछ भद नही ह जहा तक

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चमड़ी-मास-मजजा का सबध ह ठीक मर जसा ह बीमारी आएगी तो इस भी लगगी जनमा मरी तरह मरगा

भी मरी तरह सब सख-दख इसी तरह घटत ह लककन कफर भी इसक भीतर कछ घटा ह जो मर भीतर नही

घटा अगर मर ही जस मास-मजजा स बन आदमी क भीतर यह दीया जल सकता ह तो मर भीतर कयो नही

तब एक पयास उठती ह अदमय पयास उठती ह तब एक िकार उठती ह जो तमह झकझोर दती ह सतसग का

यही अथम ह

तो बदध का समरण जागरत बदध तरमल जाए तो सदगर तरमल गया जागरत बदध परतीक ह साकार अवतार ह

धमम का लककन जागरत बदध को भी हम नमसकार इसीतरलए करत ह कक वह धमम का परतीक ह और ककसी कारण

नही जब हम ककसी एक दीए को नमसकार करत ह तो दीए क कारण नही करत उसम जलती जयोतरत क कारण

करत ह वह जयोतरत तो धमम की ह हालाकक दीए क तरबना जयोतरत नही होती होती भी हो तो हम कदखायी नही

िड़ती इसतरलए हम दीए क धनयवादी ह कक उसन जयोतरत को परगट करन म सहायता दी लककन अततः तो

नमसकार जयोतरत क तरलए ह दीए क तरलए नही

तो दसरा नमसकार धमम क तरलए धमम का अथम ह जीवन का आतयतरतक तरनयम तरजसस सारा जीवन

चलता ह तरजसक आधार स चाद-तार बध ह तरजसक आधार स ऋतए घमती ह तरजसक आधार स जीवन

चलता उठता बठता तरजसक आधार स हम सोचत तरवचारत धयान करत समातरध तक िहचत ह जो सारा

तरवसतार ह तरजसका उस आधारभत तरनयम का नाम ह--धमम वह सनातन ह एस धममो सनतनो सदा स चला

आया ह सदा चलता रहगा

जो सथान जहद-तरवचार म िरमातमा का ह वही सथान बदध-तरवचार म धमम का ह जो सबको धारण ककए

हए ह वह धमम उसक परतरत तरनरतर समतरत बनी रह तो सोत-जागत भी वयतरि परकाश स भरा रहता ह

और तीसरी बात सघ म समतरत लीन रह िहला बदध तरजनम िरा धमम परगट हआ ह बीच म धमम जो

अपरगट ह हम अभी तरजसका हम अनमान होता ह--बदध को दखकर--लककन तरजसको हमन सीधा-सीधा साकषात

नही ककया ह जो हमार भीतर अभी नही घटा ह तरजसकी हमारी तरनजी परतीतरत नही ह और कफर सघ सघ ह

उन लोगो का समह जो उस धमम की खोज म लग ह तीन बात ह जो उस धमम की खोज म ममकषा कर रह ह

वह सघ उनकी भी समतरत रखना कयोकक अकल शायद तम न िहच िाओ तम अगर उनक साथ जड़ जाओ जो

िहचन की यािा िर चल ह तो िहचना आसान हो जाएगा

गरतरजएफ कहता था अगर एक कारागह म तम बद हो अकल तरनकलना चाहो तो मतरशकल होगा जल

बड़ा ह दीवाल बड़ी ऊची ह िहरदार मजबत ह जलर ह सारी वयवसथा ह अकल तम तरनकलना चाहो तो

मतरशकल होगा लककन अगर तम जल म बद दो सौ ककदयो क साथ एकजट हो जाओ--दो सौ कदी इकटठ

तरनकलना चाह तो बात बदल जाएगी तब दवार िर खड़ा एक सतरी शायद कछ भी न कर िाए शायद जलर

भी कछ न कर िाए

लककन अभी भी हो सकता ह जलर फौज बला ल तरमतरलटरी बला ल अड़चन खड़ी हो जाए तो अगर

तम जो भीतर दो सौ कदी बद ह तम इकटठ हो गए और तमन बाहर ककसी स सबध बना तरलया जो जल क

बाहर ह तो और आसानी हो जाएगी कयोकक वह आदमी ठीक स िता लगा सकता ह--कौन सी दीवाल

कमजोर ह ककस दीवाल िर कम िहरा रहता ह ककस दीवाल स तरमतरलटरी बहत दर ह कौन स समय िर िहरा

बदलता ह कब रात िहरदार सो जात ह यह तम तो िता न लगा सकोग कयोकक दीवाल क बाहर जो हो रहा

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ह वह दीवाल क बाहर जो ह वही जान सकता ह तो अगर तमहारा दीवाल क बाहर स ककसी स सबध हो

जाए

कफर अगर दीवाल क बाहर तरजसस तमहारा सबध हो वह ऐसा हो जो खद भी कभी इस कारागह म कदी

रह चका हो तो और भी लाभ ह कयोकक उस भीतर का भी िता ह--कहा स दवार ह कहा स दरवाज ह कहा स

तरखड़ककया ह कहा स सीकच काट जा सकत ह ककस िहरदार को ररशवत तरखलायी जा सकती ह कौन सा जलर

कमजोर ह कौन सा जलर रात म शराब िीकर मसत हो जाता ह भल-भाल जाता ह

बदध का अथम ह ऐसा वयतरि जो इस ससार म बद था--ठीक तम जसा--अब बाहर हो गया ह उसस साथ

जोड़ लो सघ स सबध ह उन लोगो स साथ जोड़ लो जो अभी जल म तमहार साथ बद ह उनक साथ इकटठ हो

जाओ

मझस लोग िछत ह कक आि सनयास दकर गररक लोगो की जमात कयो िदा कर रह ह

यह सघ ह अकल-अकल आदमी कमजोर ह सग-साथ मजबत हो जाता ह जो एक न कर सक दस कर

सक ग जो दस न कर सक सौ कर सक ग जो सौ न कर सक हजार कर सक ग जस-जस तम सगरठत होत चल

जात हो तमहारी अिनी कमजोररया तमहार सगी-सातरथयो क बल क साथ सयि हो जाती ह तम जयादा

बलवान हो जात हो तब एक बड़ी लहर िदा होती ह तरजस िर सवार हो जाना आसान ह

तो बदध न कहा बदध का समरण जो रखता ह सघ का समरण जो रखता ह और दोनो क िार जो धमम ह

उसका समरण जो रखता ह तरजनहोन िा तरलया उनका समरण जो िान चल िड़ ह उनका समरण और तरजस

िान चल ह और जो िा तरलया गया ह उसका समरण--य तीन महतविणम समतरतया ह इनको बदध न तरिरतन कहा

ह तरिशरण कहा ह य बदध-धमम क तीन रतन ह--बदध शरण गचछातरम सघ शरण गचछातरम धमम शरण गचछातरम

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच कायगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च अजहसाय रतो मनो

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च भावनाय रतो मनो

िहली तीन बात अिन स बाहर क तरलए--बदध क तरलए सघ क तरलए धमम क तरलए दसरी तीन बात अिन

भीतर क तरलए

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा अिनी काया की समतरत म लीन रहती ह

बाडी अवयरनस उठत ह बठत ह चलत ह लककन धयान रखत ह मरी दह स कया हो रहा ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा काया क परतरत जागरक रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ

सोत और जागत ह

बदध का इस िर बड़ा जोर था काया हमारी िहली िरत ह िरत क भीतर िरत ह काया िहली िरत

ह दसरी िरत तरवचार की ह तीसरी िरत भाव की ह तीन िरत ह--शरीर मन हदय इन तीनो क िार

हमार असली समराट का तरनवास ह इन तीन दीवालो क िार भगवतता तरवराजमान ह इन तीन िरकोटो को िार

करना ह तो िरकोटो को िार करन क तरलए समतरत चातरहए

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िहल काय-समतरत उठो तो जानना कक उठ बठो तो जानना कक बठ भोजन करो तो जानना कक भोजन

कर रह हो सनान करो तो जानना कक सनान कर रह हो तमहारा शरीर यिवत न रह तमहार शरीर की परतयक

परककरया बोधिवमक होन लग करठन ह भल-भल जाओग

करना कोतरशश--रासत िर चलत जब तम लौटकर जाओ तो जरा कोतरशश करना कक थोड़ी दर याद रखो

कक शरीर चल रहा ह दो सक ड याद रहगा भल गए मन कही और चला गया कफर तरछटक गया कफर थोड़ी

दर बाद याद आएगी कक अर म तो कछ और सोचन लगा कफर िकड़कर शरीर िर धयान को ल आना

वरषो की चषटा स काय-समतरत सधती ह और जब काय-समतरत सध जाती ह तो जीवन म बहत सी बात

अिन आि समापत हो जाती ह जस करोध समापत हो जाएगा कामवासना समापत हो जाएगी लोभ समाित हो

जाएगा कयोकक य सब काया की बहोशी ह कामवासना उठती ह काया की बहोशी स जब तमहार भीतर

कामवासना उठती ह तो काया की बहोशी तम िर हावी हो जाती ह अगर तम चलत-उठत-बठत हाथ भी

तरहलात हो तो होशिवमक तरहलात हो कक यह मरा हाथ तरहल रहा ह

तम जरा इसका परयोग करना तम बड़ चककत होओग यह हाथ उठाया मन इसको अगर होशिवमक

उठाया जानत हए कक हाथ उठा रहा ह आतरहसता-आतरहसता उठाया तब तम चककत होओग कक हाथ क उठान

म भी भीतर बड़ी शातरत मालम होगी इसी आधार िर चीन म ताइ ची का तरवकास हआ बदध की काय-समतरत

क आधार िर परतयक ककरया शरीर की बहत धीम-धीम करना

बदध कहत ह अिन तरभकष स आतरहसता चलो धीम चलो ताकक समतरत साध सको आतरहसता-आतरहसता एक-

एक कदम उठाओ जानत हए उठाओ कक बाया कदम उठाया कक दाया कदम उठाया

अगर कोई वरषम दो वररष काय-समतरत म उतर तो चककत हो जाता ह लोग िछत ह कामवासना कस छट

कामवासना सीध नही छटती कयोकक कामवासना काया क परतरत बहोशी का तरहससा ह जब काया की बहोशी

टटती ह तो कामवासना छटती ह और करोध भी तभी छटता ह आकरमक-भाव भी तभी छटत ह जहसा भी तभी

छटती ह

तो िहला काया क परतरत समतरत दसरा--

तरजनका मन कदन-रात सदा अजहसा म लीन ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और जागत

दसरी बात तरवचार िहली बात दह दसरी बात मन मन जहसातमक ह मन सदा ही जहसा की सोचता

ह--ककसस छीन ल ककसस झिट ल ककसको मजा चखा द मन परतरतयोतरगता ह कातरिटीशन ह सिधाम ह

एबीशन महतवाकाकषा ह मन आकरामक ह मन सदा आकरमण की योजनाए बनाता रहता ह कस मकान बड़ा

कर ल कस जमीन बड़ी कर ल कस तरतजोड़ी बड़ी कर ल सवभावतः छीनना िड़गा तभी कछ बड़ा होगा

तो बदध कहत ह मन की जहसा क परतरत जागो और अजहसा क भाव म परतरतिा लाओ यहा न कछ कमान

जसा ह न जोड़न जसा न बढ़ान जसा यहा सब बढ़ाया न बढ़ाया बराबर हो जाता ह यहा की दौलत दौलत

नही यहा का राजय राजय नही अनाकरामक बनो जहसा ह आकरमण अजहसा ह परतरतकरमण अदर लौटो बाहर

मत जाओ ठहरो भीतर तरवचार की जहसा को ठीक स समझो जस-जस तरवचार की जहसा समझ म आएगी और

अजहसा का भाव तरगा भीतर वस-वस तम िाओग दसरी िररतरध भी टट गयी

कफर तीसरी िररतरध ह--

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तरजनका मन कदन-रात सदा भावना म लीन रहता ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

कफर तीसरी भाव की दशा ह भावना की बदध न उस बरहम-तरवहार कहा ह उन भावनाओ म डबो जो

बरहम क करीब ल आएगी जस करणा सहानभतरत समानभतरत दया उन भावनाओ म डबो तरजनस तम दसरो

स टटत नही जड़त हो उन भावनाओ म डबो तरजनस धीर-धीर तमहार भीतर शातरत और आनद घना होता ह

बरहम म तरवहार करो एक म तरवहार करो अनक का भाव छोड़ो कोई मरा शि नही ह सभी मर तरमि ह मिी-

भावना तरमिता का भाव फलाओ जो सख म चाहता ह वही सब को तरमल और जो दख म नही चाहता ह वह

ककसी को भी न तरमल ऐसी भावनाओ म डबो

धीर-धीर भावना म डबत-डबत तीसरी सीढ़ी भी िार हो जाती ह काया की समतरत तरवचार की समतरत

भावना की समतरत कफर भीतर महल म परवश होता ह उस महल म परवश करक तम िाओग बदध को

तरवराजमान तमह तमहार बदध स तरमलन हो जाएगा इसको बदध न कहा ह अपि दीिो भव अिन दीए बन

जाओ कफर तम अिन दीए बन जाओग

राजा जबतरबसार को इस लड़क को लान क कारण बदध न य सतर कह

इस कहानी म मन एक छोटा सा फकम ककया ह उसकी म कषमा-याचना कर ल करना िड़ा इतना सा

फकम ककया ह--ितरडत और शासतरीयजनो को अड़चन होगी--फकम यह ककया हः कथा म ऐसा कहा गया ह कथा

ऐस शर होती ह कक राजगह म दो लड़क थ एक था समयक-दतरषट दसरा था तरमथया-दतरषट दोनो साथ खलत थ

समयक-दतरषट खलत समय नमो बदधसस का िाठ करता था और तरमथया-दतरषट नमो अररहताण का

इशारा साफ ह तरजसन भी कथा रची होगी तरलखी होगी शासतर म वह यह कह रहा ह कक जो बदध का

समरण करता ह वह तो िहच जाता ह जो महावीर का समरण करता ह वह नही िहचता तरजसन कहानी तरलखी

होगी उसकी दतरषट बड़ी कषदर और सापरदातरयक रही होगी तो जो नमो बदधसस का िाठ करता ह वह तो जीतता

था उसको कहा समयक-दतरषट और जो नमो अररहताण तरजनो का समरण करता था अररहतो का समरण करता

था महावीर का नतरम का िाशवम का समरण करता था उसको कहा तरमथया-दतरषट वह हारता था

इतना मन फकम ककया ह इतना मन अलग कर कदया ह कयोकक मझ लगा कक उतनी बात बदध क साथ

मल नही खाएगी कयोकक बदध का और अररहत का एक ही अथम होता ह बदध का अथम होता ह जो जाग गया

अररहत का अथम होता ह तरजसन अिन शिओ िर तरवजय िा ली

मचछाम शि ह मचछाम ही तो शि ह काम-करोध-लोभ-मद-मतसर शि ह शिओ िर तरवजय कस िायी

जाती ह जागकर िायी जाती ह बदध का भी एक नाम अररहत ह करषण का भी एक नाम अररहत ह और म

तो कराइसट को भी अररहत कहता ह और मोहममद को भी अररहत कहता ह अररहत का मतलब ही इतना ह--

तरजसक अब कोई शि न रह तरजसक भीतर सब शि तरवदा हो गए तरजसक भीतर सब शि तरवगतरलत होकर तरमि

बन गए तरजसका करोध करणा बन गया और तरजसकी कामवासना बरहमचयम बन गयी तरजसन अिन शिओ को

अिना तरमि बना तरलया तरजसन जहर को रिातररत कर तरलया जो उस कीतरमया स गजर गया जहा जहर अमत

हो जाता ह

तो इतना फकम मन ककया ह इतना कहानी म मन तोड़ कदया अलग कर कदया कयोकक उतनी बात मझ

सापरदातरयक मालम िड़ी और बदध का सापरदातरयक होन स कोई सबध नही हो सकता ह

68

कहानी बदध न नही तरलखी ह कहानी ककसी अनयायी न तरलखी होगी अनयातरययो की कषदरबतरदध न बड़

उिदरव ककए ह ऐसी कहातरनया जन-गरथो म भी ह तरजनम बदध को गाली दी गयी ह ऐसी कहातरनया बदध-गरथो

म ह तरजनम जनो को गाली दी गयी ह य ओछी बात ह धमम बड़ा तरवराट ह और जब भी मझ ऐसा लगता ह

कक ककसी शासतर म ककसी सि को बदलन की जररत ह तो म जरा भी तरहचककचाता नही मरी शासतर क परतरत

कोई तरनिा ही नही ह म शासतरीय नही ह म िरी सवतिता मानता ह अिनी कयोकक मरी तरनिा बदध क परतरत ह

शासतर क परतरत नही ह

इस कहानी को िढ़त वि मझ लगा कक अगर बदध भी इस कहानी को िढ़ग तो इतना तरहससा छोड़ दग

उतना मन छोड़ कदया ह अगर म तरजममवार ह ककसी क परतरत तो बदध क परतरत और ककसी क परतरत नही अगर

महावीर क वचनो म मझ कछ वचन ऐस लगत ह जो कक महावीर क वचन नही हो सकत नही होन चातरहए म

उनको छोड़ दता ह कभी मझ ऐसा लगता ह कक यह अथम नही ककया जाना चातरहए तो अथम बदल दता ह

इसतरलए मझस ितरडत नाराज भी ह व कहत ह कक म शासतरो म हर-फर करता ह

शासतर म मरी कोई तरनिा नही ह शासतर मर तरलए तरखलवाड़ ह मरी तरनिा शासतर स बहत िार ह मरी

तरनिा तो अनभव म ह मरी तरनिा मर भीतर ह जो मरी तरनिा िर कस जाता ह मझ लगता ह कक यह बात म

भी कह सकता ह तो ही म बदध स कहलवाऊगा म भी कह सकता ह तो म महावीर स कहलवाऊगा

इसतरलए जन मझस परसनन नही ह कयोकक व कहत ह महावीर स मन ऐसी बात कहलवा दी जो महावीर

न नही कही ह उनको िता नही ह कक महावीर और मझम ढाई हजार साल का फकम हो गया आज महावीर

लौटत तो जो म कह रहा ह वही कहत ढाई हजार साल बाद इतना फकम न िड़ता महावीर जड़बतरदध नही थ

कोई गरामोफोन क ररकाडम नही थ कक वही का वही दोहरात रहत

मझस बौदध नाराज ह म नागिर म ठहरा था तो एक बड़ बौदध तरभकष ह बड़ ितरडत ह--आनद

कौशलयायन--वह मझ तरमलन आए उनहोन कहा कक आि कछ ऐसी बात कहत ह जो शासतर म नही ह ककस

शासतर म ह आिन कछ ऐसी बात जोड़ दी ह जो कही भी नही तरलखी ह मरी जजदगी शासतर िढ़त हो गयी

तो मन उनस कहा न तरलखी हो तो तरलख लनी चातरहए कयोकक शासतर ककसी न तरलख ह तम इतना और

जोड़ लो म बदध का नया ससकरण ह ससकरणो म थोड़ा फकम हो जाता ह न वह तो बहत नाराज हो गए

कहन लग शासतर म कस कछ जोड़ा जा सकता ह मन कहा म जोडगा म घटाऊगा कयोकक जो बात मझ

लगती ह ओछी ह वह कस बदध स कहलवाऊ अनयाय हो जाएगा उसक तरलए बदध कफर मझ कभी कषमा न कर

सक ग

ितरडत नाराज हो जाए मझ जरा जचता नही ह उनकी नाराजगी स कया बनता-तरबगड़ता ह लककन बदध

क साथ कछ अनयाय नही होना चातरहए इसतरलए मन इतना फकम ककया ह अनयथा कहानी अदभत ह अनयथा

कहानी बड़ी पयारी ह बड़ी सचक ह इस िर धयान करना

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

िचानव परवचन

मातरम तरितरम हतवा

िहला परशनः म दसरो को सलाह दन म बड़ा कशल ह यदयतरि अिनी समझ अिन ही काम नही आती ह

दसरो को सलाह दना इतना सरल कयो होता ह

महाराज आि सोचत ह कक आिकी सलाह दसरो क काम आती ह सलाह ककसी क काम नही आती जब

आिक ही काम आिकी सलाह नही आती तो दसर क काम कस आ जाएगी तरजसको आिन ही इस योगय नही

माना कक इसका उियोग कर जीवन म उसका कौन उियोग करन वाला ह

लकमान स ककसी न िछा था ऐसी कौन सी चीज ह दतरनया म तरजस सभी दत ह और कोई नही लता

लकमान न कहा सलाह दी खब जाती ह लता कोई भी नही तम खद ही अिनी सलाह मानन को तयार नही

हो थोड़ा सोचो

मन सना ह एक सफी फकीर क िास एक सतरी अिन बट को लकर आयी और उसन कहा कक इस जरा

समझा द म हार गयी इसक तरिता हार गए इसक तरशकषक हार गए हम सबस समझवा चक ह यह समझता

नही अब आि ही एकमाि आशा ह यह बहत गड़ खाता ह फकीर न कहा सात कदन बाद आओ सतरी तो

समझी नही इसम सात कदन बाद आन की कया बात थी सात कदन बाद िहची बट को लकर फकीर न कहा

कक कषमा करो सात कदन और लगग सात कदन बाद आओ ऐसा तीसरी बार भी कहा तो उस सतरी न कहा बात

कया ह उसन कहा बात तो म सात कदन बाद आओ तभी बताऊगा

इककीसव कदन उस फकीर न कहा बटा गड़ खाना बद कर द सतरी न तो तरसर स हाथ मार तरलया कक इस

सलाह क तरलए इककीस कदन भटकाया तीन बार बलाया उसन कहा यह इतनी सी सलाह नही म खद ही गड़

खान का बहत शौकीन ह इस छोट स बचच को म कह कक गड़ खाना छोड़ द बरा ह इसक िहल म तो छोड़ द

इककीस कदन मझ छोड़न म लग गए और इस सलाह दता तो बईमानी की होती झठी होती उस बट न फकीर

की तरफ आख उठाकर दखा उसक चरणो म झका और उसन कहा तो म भी छोड़ दता ह

तमहारी सलाह म मलय तभी आता ह जब तम भी उस करत हो तमहारा जीवन अगर तमहार तरवचार क

तरविरीत ह तो लोग तमहारा जीवन दखत ह तमहारा तरवचार थोड़ ही तरवचार स कोई परभातरवत नही होता

लोग परभातरवत जीवन स होत ह तमहार भीतर की अतरगन स होत ह बात तम आग की करो और तमहार जीवन म

राख ही राख हो तमहारा जीवन तमहार वचनो को झठला दगा बात तो सभी अचछी करत ह बात अचछी

करन म कया लगता ह हलदी लग न कफटकरी रग चोखा हो जाए कछ खचम तो होता नही ह बात करन म

लोग जानत ह कक बात तो कचरा ह और इस दश म तो और इस दश म इतनी सलाह दी गयी ह इतन उिदश

कदए गए ह कक लोग थक गए ह लोग ऊब गए ह लोग छटकारा चाहत ह

तम सोचत हो कक म दसरो को सलाह दन म बड़ा कशल ह लककन मरी सलाह मर ही काम कयो नही

आती

ककसी क काम नही आती जब तमहार काम नही आती तो ककसी क भी काम नही आएगी

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मन सना ह मलला नसरददीन क िड़ोसी क घर एक बड़ा कीमती तोता था तोता सात कदन तक मल-मि

तरवसजमन न ककया तो िड़ोसी घबड़ा गया ऐसा कभी न हआ था कतरबजयत आदतरमयो को होती ह तोतो को

नही तोत अभी इतन तरबगड़ नही अभी जीवन इतना खराब नही हआ जचतरतत हआ कछ समझ म न आया

सोचा मलला नसरददीन स िछ ल बजरग आदमी ह बढ़ आदमी ह जीवन दखा ह िरखा ह बाल ऐस ही सफद

नही ककए ह नसरददीन को बलाया

मलला न अिन चशम को ठीक-ठाक ककया तोत क जिजर क चारो तरफ घमा ठीक स तरनरीकषण ककया

तरवचार ककया काफी कफर कहा भाईजान जिजर म आिन जहदसतान का नकशा कयो तरबछाया ह िड़ोसी न

कहा मल-मि नीच न तरगर इसतरलए म सदा अखबार तरबछा दता ह और जब स इमरजसी समापत हो गयी ह

अखबारो म भी हड़ताल होन लगी ह तो सात कदन िहल अखबार की हड़ताल थी अखबार आया नही तो मन

यह जहदसतान का नकशा तरबछा कदया कया इसम कोई गलती हो गयी कया मन कोई भल-चक की इसम

आिको कोई एतराज ह

मलला हसा और बोला बड़ तरमया एतराज नही समसया सलझ गयी तोत आदतरमयो जस जड़ नही होत

तोत बतरदधमान होत ह और सवदनशील भी होत ह जहदसतान तरजतना मल-मि सह सकता था सह चका और

जयादा सहन की इसकी कषमता नही ह यही दख बचारा तोता मल-मि साध योगी बना बठा ह हटाओ यह

जहदसतान का नकशा

तमहार उिदश तमहार उिदषटा तमहार सलाह दन वाल तमहार तथाकतरथत धममगर तमहारी खोिड़ी को

खब कचर स भर चक ह तरजतनी सलाह इस दश म दी गयी ह उतनी और कही नही दी गयी इस दश की दगमतरत

का यही बड़ स बड़ा कारण ह और जो सलाह द रहा ह वह इसकी कफकर ही नही करता कक उसक जीवन म

सलाह क तरलए कोई परमाण नही ह उसका जीवन झठला रहा ह वह जो कह रहा ह ठीक उसस उलटा उसका

जीवन कह रहा ह

इस तम समझना बड़ो की तो बात छोड़ दो छोट-छोट बचच भी तम कया कहत हो यह नही सनत तम

कया करत हो इस सन लत ह मा-बाि कया कहत ह बचच को इसस थोड़ ही बचचा परभातरवत होता ह मा-बाि

कया करत ह इसस परभातरवत होता ह बचचा दखता रहता ह तम लाख कहो कक झठ मत बोलो लककन बचचा

झठ बोलगा कयोकक तम झठ बोलत हो तम लाख कहो कक तरनभीक रहो इसस कछ फकम नही िड़ता

मन सना ह एक छोटा बचचा भागा घर क भीतर आया और उसन अिनी मा स कहा--मममी मममी एक

शर चला आ रहा ह चौककर उसकी मा न दखा एक मररयल सा कतता चला आ रहा था उसकी मा न कहा कक

हदद हो गयी झठ की यह शर ह ककतनी दफा कहा लाख दफ समझा चकी ह कक झठ मत बोलो चलो इसी

वि आख बद करो और भगवान स पराथमना करो और कषमा मागो बटा बठ गया िालथी लगाकर आख बद

करक थोड़ी दर बाद उठा और बोला कषमा माग ली मा न िछा कया हआ कया तमन कहा उसन कहा मन

कहा कक ह परभ एक कतता आ रहा था और मन अिनी मममी को कहा कक शर आ रहा ह मरी मममी बहत

नाराज हो गयी कहती ह झठ नही बोलना चातरहए आिका कया तरवचार ह परभ बोल अर बकफकर रह जब म

छोटा था तो म भी अिनी मममी को ऐस ही कतत को शर कहकर डराया करता था

बचचा जानता ह तमहारा ईशवर भी झठा ककसस पराथमना करन को कह रह हो उस उसन कतत को शर

कहा इसम तो शायद थोड़ी सचचाई भी हो लककन ककस ईशवर स आख बद करक उसस तम पराथमना करन को कह

रह हो कोई भी नही ह वहा कतत को शर कहा थोड़ी अतरतशयोतरि की और आख बद करक तो कोई भी नही

71

ह वहा ककसको तम भगवान कह रह हो न तमह अनभव ह न ककसी को अनभव ह झठ िर और महाझठ की

ित जमाए जा रह हो

बचच दखत ह सब तरफ झठ चल रहा ह बाि कहता ह कक झठ मत बोलना और कफर कह दता ह--कोई

दरवाज िर आया ककराएदार आ गया--तो िहचा दता ह बट को कह दो कक तरिताजी घर म नही ह अब बटा

दख रहा ह कक यह बात झठ ह इस सब का कया अथम होता ह इसका अथम होता ह कक जब कहना हो तो यही

कहो कक झठ नही बोलना चातरहए और जब बोलना हो तो तरजसम लाभ हो वही बोलो यह बात इतनी सिषट ह

यह सदश इतना साफ ह

छोट बचच तक तमहार सतय को दख लत ह तो बड़--जो काफी बईमान हो गए तरजनहोन जीवन म काफी

अनभव कर तरलया ह--व तमहार सतय को न दख िाएग

ऐसा हआ दतरकषण की एक कथा ह दतरकषण म एक बड़ परतरसदध ितरडत हए ितरडत मतरण ितरडत मतरण

ककदरश चरटटयार भगवान मरगन कारतमकय क भि थ एक कदन उनक यहा एक भगत आया वह गल म रदराकष

की माला िहन माथ िर भसम रमाए हए था और मह स मरगा-मरगा की रट लगा रहा था उसन ितरडत मतरण

स कहा म भगवान मरगन का मकदर बनवान की सोच रहा ह कल रात भगवान न सवपन म दशमन दकर कहा कक

जचता मत करो ितरडत मतरण क िास जाओ तमह जो कछ भी चातरहए व दग ितरडत मतरण न इस िर भगत स

बड़ी तरवनमरता स पराथमना की कक रातभर मर यहा रतरहए सबह बात होगी

सबर उनहोन भगत को बलाकर बताया महाराज रात को भगवान न मझ भी दशमन कदए ह और कहा कक

सामन वह जो ताड़ ह उसक नीच िाच फट की गहराई िर खजाना गड़ा हआ ह उस तरनकालकर भगत क

हवाल कर दो अगर वहा गपत खजाना न तरमल तो भगत न शका की महाराज ितरडत मतरण न कहा मझ भी

यही शका हई थी और मन तरहममत करक भगवान मरगन स िछ भी तरलया उनहोन फौरन उततर कदया कक अगर

वहा खजाना न तरमल तो वहा भगत जी को गाड़ दो यह सनना था कक बगला भगत लोटा-सोटा उठाकर वहा स

भाग गया

न तमह भरोसा ह तमहार भगवान का न तमहार बचचो को आएगा न तम तरजनको सलाह दत हो उनह

आएगा तमहारा जीवन तमहारी कथा कहता ह तम झठ चला नही सकत झठ िकड़ा ही जाएगा

अब तम कहत हो कक सलाह दन म म बड़ा कशल ह

यह कशलता महगी िड़ रही ह यह कशलता छोड़ो इस कशलता स ककसी को लाभ नही हआ हालाकक

तमहारा जीवन वयथम जाएगा इस कशलता क कारण कोई तमह कभी धनयवाद नही दगा लोग तरसफम ऊबत होग

तमहारी सलाह स कयोकक जब तक कोई सलाह माग नही तब तक दना मत और जब कोई सलाह माग तो

तभी दना जब तमहार जीवत अनभव स तरनकलती हो तो ककसी क काम िड़ तो ककसी क जीवन म राह बन

तो ककसी क अधर म दीया जल

य दो कसौटी खयाल रख लना िहल तो तरबन मागी सलाह दना मत कयोकक तरबन मागी सलाह कोई

िसद नही करता अिमानजनक ह तरबन मागी सलाह का मतलब होता ह कक तम दसर को अजञानी तरसदध करन

की कोतरशश कर रह हो दसर क अहकार को चोट लगती ह वह तमस बदला लगा तमहारी सलाह स उस तो

कोई लाभ न होगा शायद तमह हातरन िहचाए सलाह दन वालो को लोग माफ नही कर िात

तो िहल तो तरबन मागी सलाह दना मत और सौ म तरननयानब सलाह तरबन मागी दी जाती ह कफर अगर

कोई माग भी तो तरवचार कर लना कक तमहारी अिनी अनभतरत कया ह अिनी अनभतरत क तरविरीत सलाह मत

72

दना अगर तम य दो बात करन म सफल हो जाओ तो न तो तम ककसी को हातरन िहचा सकोग न तम ककसी

का अिमान करोग न तम लोगो का मन वयथम कचर स भरोग यह कशलता छोड़ो यह कशलता काम की नही

ह यह गल म फासी ह तमहार और अगर य दो बात तमन धयान म रखी तो तमहार जीवन म धीर-धीर तरनखार

आएगा कयोकक तम वही करोग जो कहोग और वही कहोग जो तम करोग

जब ककसी वयतरि क जीवन म कतय म और तरवचार म तालमल हो जाता ह तो िरम सगीत िदा होता ह

नही तो ऐसा ही समझो कक तबला एक ढग स बज रहा ह और तरसतार एक ढग स बज रहा ह दोनो म कोई

तालमल नही ह बसरािन ह ऐस तमहार तरवचार एक ढग स चल रह ह और तमहारा जीवन एक ढग स चल

रहा ह दोनो म कोई तालमल नही ह बलगाड़ी म जत बल एक इस तरफ को जा रहा ह एक उस तरफ को

जा रहा ह और बलगाड़ी की ददमशा हई जा रही ह जीवन म सगीत तभी िदा होता ह शातरत तभी िदा होती

ह सख तभी िदा होता ह जब तमहार तरवचार और जीवन म एक तालमल होता ह एक सामजसय होता ह एक

समनवय होता ह

वही कहो जो तमन जाना हो ईमानदार बनो अगर तमन ईशवर को नही जाना ह तो भलकर ककसी स

मत कहना कक ईशवर ह कहना कक म खोजता ह अभी मझ तरमला नही तो कस कह तरमल जाएगा तो तरनवदन

करगा या इसक िहल तमह तरमल जाए तो मझ िर दया करना मझ खबर दना अिन छोट बचचो स भी यही

कहना कक ईशवर को खोजता ह अभी मझ तरमला नही बट शायद तझ तरमल जाए मझस िहल तरमल जाए--कौन

जान--तो मझ याद रखना मझ बता दना तरा तरिता अभी भी अधर म ह तरी मा अभी भी भटकती ह

काश तम अिन बचचो क परतरत इतन सचच हो सको अिन िड़ोतरसयो क परतरत इतन सचच हो सको अिन

तरमि-तरपरयजनो क परतरत इतन सचच हो सको तम सोचत हो तमहार जीवन म कसी न सगध आ जाएगी कस न

तम सदर हो उठोग

यह कशलता छोतरड़ए और सबस िहल तो जो तम ककसी स कहन चल हो उस िरखो जाचो उस जीवन

की कसौटी िर कसो वह सच भी ह हा तमह लग कक सच ह तमह उसस रस तरमल तमहार जीवन म आनद

बह तमहार जीवन म थोड़ी रोशनी हो थोड़ा साफ-साफ कदखन लग तमहारी आखो का धधलका तरमट कफर

तम जरर कह दना सवभावतः जब तमह कदखायी िड़गा तो तरजनह तम परम करत हो उनस तम तरनवदन करना

चाहोग लककन अभी तो अकसर यही होता ह कक तम दसरो को सलाह इसतरलए दत हो तरसफम यही तरसदध करन

को कक म तमस जयादा जञानी ह मझ जयादा िता ह

म छोटा था तो मर गाव म एक बड़ ितरडत थ मर तरिता क तरमि थ म तरिता का तरसर खाया करता कोई

भी सवाल उठाता मगर वह ईमानदार आदमी ह उनकी ईमानदारी क कारण मर मन म उनक परतरत अिार

शरदधा ह वह मझस कहत मझ िता नही तम ितरडतजी क िास चलो ितरडतजी क परतरत मर मन म कोई शरदधा

कभी िदा नही हई कयोकक मझ कदखता नही कक वह जो कहत थ उसम जरा भी सचाई थी उनक घर जाकर

म बठकर उनका तरनरीकषण भी ककया करता वह जो कहत थ उसस उनक जीवन का कोई तालमल न था लककन

बड़ी बरहमजञान की बात करत थ बरहमसि िर भाषय करत थ और जब म उनस जयादा तरववाद करन लगता तो

वह कहत ठहरो जब तम बड़ हो जाओग उमर िाओग तब यह बात समझ म आएगी मन कहा आि उमर की

एक तारीख तय कर द अगर आि जीतरवत रह तो म तरनवदन करगा उस कदन आकर मझ टालन क तरलए उनहोन

कह कदया होगा--कम स कम इककीस साल क तो हो जाओ

73

जब म इककीस का हो गया म िहच गया मन कहा कछ भी मझ अनभव नही हो रहा ह जो आि बतात

ह इककीस साल का हो गया अब कया इरादा ह अब कतरहएगा बयालीस साल क हो जाओ बयालीस साल का

हो जाऊगा तब आग की बता दना टालो मत तमह हआ हो तो कहो कक हआ नही हआ हो तो कहो कक नही

हआ उस कदन न-मालम कस भाव की दशा म थ व कोई और था भी नही नही तो उनक भि बठ रहत थ

भिो क सामन और करठन हो जाता उस कदन उनहोन आख बद कर ली उनकी आख स दो आस तरगर िड़ उस

कदन मर मन म उनक परतरत शरदधा िदा हई

उनहोन कहा मझ कषमा करो म झठ ही बोला था मझ भी कहा हआ ह टालन की ही बात थी उस कदन

भी तम छोट थ लककन तम िहचान गए थ कयोकक म तमहारी आखो स दख रहा था तमहार मन म शरदधा िदा

नही हई थी तम भी समझ गए थ म टाल रहा ह कक बड़ हो जाओ मझ भी िता नही ह उमर स इसका कया

सबध तरसफम झझट तरमटान को मन कहा था मन कहा आज मर मन म आिक परतरत शरदधा का भाव िदा हआ

अब तक म आिको तरनिट बईमान समझता था

खयाल रखना कक तम जो भी सलाह तमहार जीवत अनभव स नही परगटी ह दत हो उसस तम बईमान

समझ जात हो ईमानदार नही वही कहो जो जाना ह तब ककतना कम कहन को रह जाता ह कभी सोचा

ककतना कम रह जाता ह कहन को एक िोसटकाडम िर तरलख सकत हो इतना कम बचता ह सब कड़ा-करकट

हट जाता ह और तम चककत हो जाओग उस छोट स िोसटकाडम िर तरलखी गयी बात इतनी बहमलय हो जाती

ह एक-एक बात का वजन ऐसा हो जाता ह जसा तरहमालय का वजन हो तम तरजस दोग वह कतकतय होगा

िछत हो दसर को सलाह दना इतना सरल कयो होता ह

इसम करठनाई ह भी कया तमह करना नही ह कर तो दसरा फस तो दसरा न कर तो िछताए कर तो

िछताए मसीबत तमन दसर की खड़ी कर दी तमह कया अड़चन ह तमह दसर िर दया भी नही ह तरसफम

दयाहीन मफत सलाह दत ह तमम करणा भी नही ह तमह दसर क परतरत सहानभतरत भी नही ह

मन सना मलला की ितनी चौक क बाहर आयी और उसन कहा नसरददीन आज मर दात म बहत ददम ह

नसरददीन न अखबार स आख उठायी बड़ी बरखी स बमन स और कहा तो तरनकलवा दो मर दात म होता तो

म तरत ही तरनकलवा दता ितनी न कहा हा जी लककन यह तमहारा दात थोड़ ही ह तमहारा होता तो म भी

उस तरनकलवान म कोई कोर-कसर उठा न रखती

अिना दात तरनकलवाना हो तो अड़चन होती ह दसर का दात तरनकलवाना हो इसम सलाह दन म कया

अड़चन ह दसर को सलाह दन म अड़चन नही ह इसीतरलए म कहता ह सोचकर दना कचची मत द दना ऐस

ही मत द दना टालन को मत द दना वयथम जञान का परभाव कदखान को मत द दना थोथ आडबर क कारण मत

द दना िीड़ा स दना सोचकर दना अनभव करक दना उसक साथ सहानभतरत रखकर दना

तो तम िाओग कक तमहारी हर सलाह दसर को बदल न बदल तमह बदलती ह तम अिनी हर सलाह म

िाओग कक तमहारा जीवन तरनखरता ह हर सलाह तमहार जीवन िर छनी की एक चोट बनगी तमहारी परतरतमा

जयादा साफ उभरगी

भीड़ म ऐस कोई इसान की बात कर

जस ितथर क बतो म जान की बात कर

झठ को सच िर जहा तरजीह दना आम हो

कौन होगा जो वहा िर जञान की बात कर

74

ह तो खशफहमी महज लककन बहस स फायदा

ह तो खशफहमी महज लककन बहस स फायदा

शािगरसतो स कोई वरदान की बात कर

मतरजलो की ओर बढ़ना ह तो चलत ही रहो

लाख दतरनया गरदमशो-तफान की बात कर

जो सवय चल िाए काध िर तरलए अिनी सलीब

हक बजातरनब ह वही ईमान की बात कर

जब तक अिन कध िर अिनी सली लकर तम न चल होओ तब तक ईमान की बात करना ही मत जब

तक धमम क रासत िर तमन तकलीफ न उठायी हो तब तक धमम की बात करना ही मत जब तक परभ क चरणो

म तमन अिना तरसर काटकर न चढ़ाया हो तब तक परभ-अनभव की बात करना ही मत जब तक अिन मन को

राख करक समापत न कर कदया हो तब तक धयान-समातरध की बात करना ही मत

जो सवय चल िाए काध िर तरलए अिनी सलीब

हक बजातरनब ह वही ईमान की बात कर

तब तमह हक तरमलता ह नही तो गर-अतरधकार बात ह जहसा ह इस रोको इस छोड़ो इस जाल को

तोड़ो इसक बाहर आओ तमहारा जीवन ही तब सलाह बन जाता ह तमहार उठत-बठत स लोगो को ककरण

तरमलगी तमहारी आख का इशारा ियामपत होगा

अभी तम लाख तरसर मारो तम जब कह रह हो बड़ बल स तब भी तमहार भीतर की तरनबमलता साफ

जातरहर होती ह तम लड़खड़ा रह हो तम कह रह हो शरदधा की बात और भीतर सदह खड़ा ह इस शरदधा म

शरदधा जसा कछ भी नही ह

गरतरजएफ का एक बड़ा तरशषय आसिसकी जब िहली दफा उस तरमला तो गरतरजएफ न आसिसकी स कहा

यह कोरा कागज ह इस िर त एक तरफ तरलख ला कक कया त जानता ह और दसरी तरफ तरलख ला कक कया त

नही जानता ह आसिसकी न कहा कयो तो गरतरजएफ न कहा ताकक जो त जानता ह उसकी बात हम कभी न

करग--जब त जानता ही ह तो उसकी हम बात कयो कर जो त नही जानता उसकी बात करग जो त नही

जानता वह म जनान की कोतरशश करगा जो त जानता ह वह समापत हो गयी बात

सोचत हो ककस करठनाई म िड़ गया होगा आसिसकी ल तो तरलया कागज हाथ म बगल की कोठरी म

चला गया सदम रात थी और बफम िड़ रही थी बाहर लककन उस िसीना आन लगा कलम तो उठा ली लककन

तरलखन को कछ न सझ--कया जानता ह

और आज बात बड़ी महगी थी--ससती नही थी--कयोकक एक दफा तरलख कदया इस कागज िर तो वह तो

जानता ह गरतरजएफ को कक वह आदमी ऐसा ह कक अगर तरलख कदया कक ईशवर को जानता ह तो कफर ईशवर की

बात न करगा तरलख कदया कक धयान को जानता ह तो कफर धयान की बात न करगा तरलख कदया कक परम को

जानता ह तो कफर परम की बात न करगा आज बड़ी करठन थी बात बड़ी करठन घड़ी थी महगा था यह

सौदा आज सोचकर ही तरलखना था खब सोचन लगा परम को जानता ह धयान को जानता ह धमम को

जानता ह ईशवर को आतमा को कया जानता ह उसन बड़ी ककताब तरलखी थी इसक िहल--आसिसकी न--

जगतखयातरत थी उसकी गरतरजएफ को तो कोई जानता भी न था एक गरीब फकीर लककन आसिसकी

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जगतखयात था उसकी ककताब सारी दतरनया म थी अनक भारषाओ म अनवाकदत हो चकी थी लोग उस जञानी

की तरह मानत थ

यह जञानी लककन आदमी ईमानदार रहा होगा एक घटभर बाद वािस आया इसन कोरा कागज

गरतरजएफ क हाथ म द कदया और कहा मझ कछ भी िता नही ह आि अ ब स स शर कर म तरनिट अजञानी

ह इसस बात शर कर गरतरजएफ न कहा तब कछ हो सकता ह म सोच रहा था कक तन ककतना अजञान अिनी

ककताबो म बघारा ह ककतनी बात त लोगो को सलाह दता रहा ह आज कसौटी हो जाएगी कक त आदमी

ईमानदार ह या नही त ईमानदार ह म तझ सवीकार करता ह त इस रासत िर बढ़ सकगा

जगत की बड़ी स बड़ी ईमानदारी इस बात म ह कक हम सवीकार कर कक हम मालम नही ह जो सवीकार

करत ह कक हम अजञानी ह ककसी कदन जञानी हो सकत ह जो सवीकार करन म तरझझकत ह जो थोथ और झठ

जञान को अिना जञान दावा करत रहत ह उनक जञानी होन की कोई सभावना नही ह

दसरा परशनः टराजकशनल एनातरलतरसस क बार म बोलत हए आिन कहा कक अगर इस तरवतरध क खोजन

वालो को भगवान बदध का मातरम तरितरम हतवा वाला सि तरमल जाए तो यह तरवतरध अिवम रि स उियोगी हो

जाए इस िर कछ और परकाश डालन की किा कर

मनषय जब िदा होता ह तो कोर कागज की तरह िदा होता ह मनषय जब िदा होता ह तो शदध

तरनममलता की तरह िदा होता ह मनषय जब िदा होता ह तो िणम सवतिता की तरह िदा होता ह बशतम उस

िर कोई सीमा नही होती कोई मयामदा नही होती--अमयामद असीम मनषय जब िदा होता ह तो आतमा की

तरह िदा होता ह कफर समाज िररवार तरिता माता तरशकषक सकल कालज तरवशवतरवदयालय सब तरमलकर

इस आतमा क आसिास मन की एक ितम खड़ी करत ह मन की एक दीवाल बनात ह

धयान रखना मन समाज दवारा तरनरममत होता ह आतमा तमहारी ह शरीर परकतरत का ह और मन समाज

का ह मन तरबलकल उधार और बासी चीज ह शरीर भी सदर ह कयोकक परकतरत का सौदयम ह उसम--झरनो की

कलकल ह तमहार खन म तरमटटी की सगध ह तमहारी दह म जस आकाश क तार ह ऐसी ऊजाम ह तमहार पराण

म तमहारा शरीर तरनसगम स आया वह पराकतरतक ह वह परकतरत ह तमहारी आतमा िरमातमा स आयी दोनो

सदर ह दोनो अिवम रि स सदर ह दोनो क बीच म एक दीवाल ह मन की मन समाज दवारा तरनरममत ह मन

तमहार शरीर को भी दबाता ह और तमहारी परकतरत को धीर-धीर तरवकतरत बना दता ह मन तमहारी आतमा को

भी दबाता ह घरता ह और कारागह म बद कर दता ह

मन क दो काम ह--शरीर की परकतरत को तरनयतरित कर लना और आतमा की अबाध सवतिता को कारागह

म डाल दना

सार धमम का इतना ही सि ह मन स कस मि हो जाए जो समाज न ककया ह धमम उस नकारता ह

बदधिररषो का इतना ही उियोग ह सदगर क िास होन का इतना ही परयोजन ह कक जो समाज न तमहार साथ

कर कदया ह सदगर उस धीर-धीर हटाता ह तमह सहयोग दता ह कक तम हटा दो समाज न जो दीवाल तमहार

तरफ चन दी ह मन की तरवचारो की उसकी एक-एक ईट तरखसका दता ह

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तरजस कदन मन तरवसरजमत हो जाता ह उसी कदन समातरध लग जाती ह तरजस कदन शरीर नसरगमक और

आतमा सवति इन दोनो क मधय समातरध का सवर उठता ह यह जो चीन की दीवाल ह--मन--यह दोनो को

अलग ककए ह अ-मन समातरध का सि ह नो-माइड उनमन मन स मि हो जाना धयान का अथम ह

तो सार धमम की आधार-तरशला एक ही ह कक समाज न जो ककया ह उस कस अनककया ककया जा सक

तम कफर स कस उस जगह िहच जाओ जहा तम िदा हए थ तमहारी आख कफर कस उसी तरह तरनधमम और

तरनधमल हो जाए जसी जब तम िहली दफा मा क िट स जनम थ और आख खोली थी उस कषण थी कोई िदाम न

था तमहार कान कफर कस वस ही खल जाए जस िहली दफा जब तमन धवतरन सनी थी तब थ तमहारा सिशम

कस कफर उतना ही सवदनशील हो जाए जसा िहल कदन था जब तम जनम थ तम कफर कस उसी तरह मि

सास लन लगो जसी तमन िहली सास ली थी तम कफर कस वस ही हसो--कार--तम कफर कस वस ही रोओ--

कार--कस तम कार हो जाओ कस समाज न तम िर जो-जो थोिा ह वह कफर स हटा तरलया जाए

समाज क इस आरोिण म माता-तरिता न बहत बड़ा हाथ बटाया ह कयोकक व ही तमहारा िहला समाज

थ कफर तमहार भाई-बहन थ कफर तमहार िड़ोसी थ कफर सकल था कफर कालज था कफर यतरनवरसमटी थी

कफर यह सारा तरवसतार था--ितम दर ितम जस कक पयाज होती ह एक ितम क ऊिर दसरी ितम जमती चली गयी

ह अब तो तम खो ही गए हो भीड़-भड़कक म अब तो तमह िता ही नही चलता कक तम कौन हो अब तो तमह

िछना िड़ता ह कक म कौन ह वरषो चषटा करोग कक म कौन ह तब कही तमह उततर आएगा कयोकक जहा स

उततर आ सकता ह उसम और तमहार बीच इतना अतराल हो गया ह और इतनी दीवाल और इतन िद और

इतनी अड़चन इतनी बाधाए हो गयी ह धमम का अथम ह इन बाधाओ को कस हटाए

इसका यह अथम नही होता कक हम बचच को इस तरह िाल सकत ह कक उस िर कोई िद ही न िड़ यह

असभव ह समझना इस मरी बात सनकर बहत बार ऐसा लग जाता ह तो कफर हम बचचो को कोई ससकार

कयो द ससकार दन स बचा नही जा सकता ससकार दन ही िड़ग अतरनवायम बराई ह नससरी इतरवल

आतरखर बचचा आग की तरफ जा रहा होगा तो रोकना ही िड़गा कक मत जाओ ससकार तरमलगा अधरी

रात म बचचा बाहर जाना चाहगा तो मा को कहना िड़गा कक मत जाओ खतरा ह भय िदा होगा तरनभमय िर

सीमा बन जाएगी भय की जहर घर म रखा होगा तो दर रखना िड़गा बचच क हाथ तक न िहच जाए हाथ

िहच जाए तो झटक स छीन लना होगा बचचा अिन को नकसान िहचा सकता ह दसर को नकसान िहचा

सकता ह य सारी बात रकावट डालनी होगी बचच को ससकार दन होग बचच को अनशासन दना होगा हर

कही खड़ होकर मल-मि तरवसजमन कर तो रोकना होगा समय िर ठीक सथान िर मल-मि तरवसजमन कर इसकी

तरशकषा दनी होगी टायलट टरजनग दनी होगी समय िर भोजन माग कदनभर भोजन न करता रह हर घड़ी हर

कही हर कोई काम न करन लग एक तरववक दना होगा इसस बचा नही जा सकता यह करना ही होगा कम-

जयादा ऐसा-वसा लककन यह होगा ही यह अतरनवायम ह

और धमम जो कहता ह वह भी बात महतविणम ह जब यह सारी की सारी वयवसथा तरनरममत हो जाएगी

तो एक कदन इस तोड़ना भी इतना ही जररी ह कफर तोड़ा जा सकता ह तरजसक भीतर अनशासन आ गया

उस अनशासन स मि ककया जा सकता ह

इस बात को समझना इसक तरवरोधाभास को समझना

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वसततः उस ही अनशासन स मि ककया जा सकता ह तरजसक भीतर अनशासन आ गया जब तक नही

आया ह तब तक तो मि नही ककया जा सकता ह तरजसक भीतर समझ आ गयी उस कफर ससकार स मि

ककया जा सकता ह

इसतरलए हमन इस दश म सनयासी को सार ससकारो स मि रखा हमन उसक ऊिर वणम की बाधा नही

मानी आशरम की बाधा नही मानी सनयासी होत ही समाज की सारी वयवसथा क बाहर माना सारी वयवसथा

का अतरतकरमण कर गया जो सनयसत हो गया उस िर अब कोई रकावट नही कोई बाधा नही उसकी सवतिता

िरम ह न शासतर रोकता ह न ससकतरत न समाज कयो कयोकक हमन यह जाना कक सनयसत होन का अथम ही

यही होता ह कक कम स कम समझ िदा हो गयी अिनी समझ िदा हो गयी अब ऊिर स रोिी गयी समझ की

कोई जररत नही ह

ऐसा ही समझो कक बचचा चलना शर करता ह तो मा उसका हाथ िकड़ती ह चलाती ह यह हाथ सदा

नही िकड़ रहना ह एक कदन िकड़ना िड़ता ह एक कदन छोड़ना भी िड़ता ह अगर मा बहत दया म इस हाथ

को िकड़ ही रह तो दशमन ह जब बचचा चलना सीख जाए तो जस एक कदन मा न दया करक बचच का हाथ

िकड़ा था ऐस ही दया करक हाथ हटा भी लना होगा नही तो यह बचचा जवान हो जाएगा और मा इसका हाथ

िकड़ कफरगी--यह कभी परौढ़ ही न हो िाएगा बहत सी माताए ऐसा करती ह बहत स तरिता ऐसा करत ह

उनक बचच मदाम रह जात ह--गोबर-गणश

सहारा दो िर सहारा जररत स जयादा मत द दना सहारा दना इसीतरलए कक ककसी कदन वयतरि

बसहारा खड़ा हो सक अिन िर िर खड़ा हो सक तरनयम दना ताकक तरनयम स मि हो सक सयम दना ताकक

सयम स मि हो सक सब समझा दना जब उसकी सब समझ साफ हो जाए तो उसस कहना अब समझ भी

छोड़ द अब त मि हो सकता ह

यह दसरी बात नही हो िाती िहली बात हो जाती ह दसरी अटक जाती ह टराजकशनल एनातरलतरसस

का इतना ही अथम ह कक यह दसरी बात हो जाए जो मा एक कदन तमहारा हाथ िकड़ ली थी वह िकड़ ही न

रह जाए उसका हाथ एक कदन छोड़ना जररी ह अगर उसन न छोड़ा हो तो तम छोड़ना तमह वह हाथ स

मि हो जाना जररी ह तमहार तरिता न एक कदन तमह सरकषा दी थी तमह सब तरफ स घरकर सतरवधा दी थी

एक कदन वह घरा तोड़ दना अगर तरिता तोड़न को राजी न हो तो तम तोड़ दना वह तोड़ना जररी ह अनयथा

तम घर म आबदध मर जाओग वह घरा तमहारी कबर हो जाएगा

दखत न एक िौध को लगात मिा यहा बगीच म िौधा लगाती ह तो उसक सहार क तरलए एक बास

लगा दती ह कफर ऐसा हआ कक यह यतरकलपटस यहा िास म ह इसका बास लगा ही रहा वह यतरकलपटस बड़ा

हो गया ह लककन परौढ़ नही हो िा रहा छपिर स ऊिर उठ गया ह लककन तरबना बास क तरगर जाता ह उसम

रीढ़ िदा नही हो िायी बास जररत स जयादा लगा रह गया अब कोई उिाय नही कदखता कक अब कया ककया

जाए अब बास को हटाओ तो तरगरता ह मर जाएगा बास को न हटाओ तो खतरा ह--कयोकक अब अब बास

की जररत नही ह यह बास हट जाना चातरहए था ऐसी हालत बहत लोगो की ह

छोटा वकष होता ह उसक चारो तरफ हम बागड़ लगा दत ह कटघरा खड़ा कर दत ह--सरकषा क तरलए--

कफर एक कदन कटघर को अलग कर लना होता ह हम अलग न कर तो वकष तोड़कर आग बढ़ जाता ह

ऐसी ही अवसथा मनषय की ह मनषय एक छोटा िौधा ह बचचा एक बहत नाजक घटना ह उसक

आसिास सब तरह की सरकषा चातरहए लककन धीर-धीर सरकषा हटनी चातरहए तो ही बचचा बलशाली होगा तो

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ही उसक भीतर रीढ़ िदा होगी इसतरलए अकसर ऐसा होता ह कक बड़ घरो क बट तरबना रीढ़ क होत ह तरजनक

िास खब सख-सतरवधा ह उनक बचच मदाम होत ह

तमन दखा होगा बड़ घरो म परतरतभाशाली लोग िदा नही होत परतरतभा िदा ही नही होती तरजतना धन-

िसा हो ककसी घर म उतन ही बदध िदा होत ह परतरतभा क तरलए चनौती चातरहए अमीर का बटा चनौती ही

नही ह उसक तरलए वह कहता ह जो चातरहए वह मझ तरमला ही हआ ह अब और कया करना ह िढ़-तरलखकर

भी कया होगा तरवशवतरवदयालय म तरसर मारन स भी कया फायदा ह

मन सना ह हनरी फोडम--अमरीका का बड़ा करोड़ितरत--अिन बटो को गरीबो की तरह िाला फोडम क

बड़ मोटर-कारखान क सामन उसक बट छोट जब थ तो जत िर िातरलश करत थ ककसी न हनरी फोडम को कहा

यह तम कया कर रह हो उसन कहा कक म ऐस ही जत िातरलश करता था उस जत िातरलश करन स म हनरी

फोडम बना अगर मर बचच अभी स हनरी फोडम बन गए तो एक कदन जता िातरलश करग

बात म बल ह बात सच ह आदमी करठनाई स बढ़ता ह सतरवधा स दब जाता मर जाता अतरत सतरवधा

तरहतकर नही ह थोड़ी असतरवधा भी होनी चातरहए थोड़ी सतरवधा भी और धीर-धीर सतरवधा हटती जानी

चातरहए और चनौती बड़ी होती जानी चातरहए हटा लो बास हटा लो बागड़ ताकक वकष उठ तफानो स टककर

ल अधड़ो स जझ तो जड़ मजबत होगी तो उसक िर जमीन म धसग और बल आएगा आतमतरवशवास आएगा

यह भरोसा आएगा कक म तफानो स जझ सकता ह कक म चाद-तारो की यािा िर अकला जा सकता ह कक मर

िर मजबती स जमीन म गड़ ह--यह िथवी मरी ह यह आकाश मरा ह

टराजकशनल एनातरलतरसस का बतरनयादी आधार यही ह कक एक कदन वयतरि को अिन मा-बाि स मि होना

चातरहए बदध का जो सि ह मातरम तरितरम हतवा वह इसी का सि ह बदध कहत ह एक कदन माता-तरिता की

हतया कर दनी चातरहए

ठीक यही बात जीसस न भी कही ह ईसाई भी इस बात को िकड़ नही िाए और बड़ शरमदा हो जात ह

जब बाइतरबल म यह वचन उनको कदखलाया जाता ह तो व बड़ िरशान हो जात ह व हल नही कर िात

कयोकक जीसस न कहा ह जब तक तम अिन माता-तरिता को घणा न करो तम मर तरशषय न हो सकोग

अब यह भी बात उस आदमी क मह स जो परम का उिदषटा था तरजसन कहा अिन दशमन को भी परम

करना और तरजसन कहा कक जो तमहार एक गाल िर चाटा मार उसक सामन दसरा भी कर दना और तरजसन

कहा कक जो तमहारा कोट छीन ल उसको कमीज भी द दना हो सकता ह बचार को कमीज की भी जररत हो

और जो तमस एक मील बोझ ल जान को कह उसक साथ दो मील चल जाना कयोकक कौन जान सकोचवश कह

न रहा हो शि को भी अिन जसा परम करना तरजसन यह बात कही उनही ओठो स यह दसरी बात बड़ी अजीब

लगती ह कक जब तक तम अिन मा-बाि को घणा न करोग मर तरशषय न हो सकोग

ईसाइयत इन वचनो को तरछिाती रही ह इन िर वयाखया नही की जाती बदध का वचन तो और भी

खतरनाक ह जीसस तो कहत ह जब तक तम अिन माता-तरिता को घणा न करो--यह कछ भी नही ह मरी

अिनी समझ यही ह कक बदध का सि ही ह जो जीसस क कानो म िड़ गया था लककन जीसस न इसम बदलाहट

की होगी कयोकक तरजनस वह बात कर रह थ व तो यह भी नही समझ िा रह थ हतया की बात सनकर तो व

तरबलकल ही िागल हो जात कक तम कह कया रह हो बदध न कहा ह मा-बाि की हतया न कर जो वह तरभकष न

हो सकगा

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यह तो और भी करठन बात हो गयी--और बदध क मह स महाकरणावान बदध स जयादा करणा स भरा

कोई वयतरि नही हआ जहसा की बात कह रह ह--हतया कर दो मा-बाि की

समझ लना बाहर क मा-बाि स इसका परयोजन नही ह तमहार भीतर जो ससकाररत होकर मा-बाि बठ

गए ह उनकी हतया कर दो तमहार भीतर जो मा-बाि की आवाज बहत गहर म परतरवषट हो गयी ह जो तमह अब

भी मि नही होन दती जो ससकार तमहार भीतर बहत जजीर की तरह बधा िड़ा ह उस तोड़ दो

ऐसा रोज तमह अनभव होगा अगर तम थोड़ा समझिवमक जीओग थोड़ धयानिवमक जीओग थोड़ी समतरत

को जगाओग तो तम घड़ी-घड़ी िाओग

मर एक तरमि ह जहदी क बड़ कतरव ह कोई िचास साल तो उमर ह ितनी ह बचच ह लड़की की शादी हो

गयी उसक बचच ह एक दफा मर साथ सफर ककए उनकी ितनी न मझस कहा कक सफर म आिको इनकी कई

खतरबया िता चलगी मन कहा यह मर िरान िररतरचत ह उनहोन कहा इसस कछ नही होता सफर म िता

चलगी और सफर म िता चली

डाकटर क बट ह वह तरिता तो चल बस तरिता कछ झककी ककसम क थ डाकटर थ और झककी सो दोहरी

बीमाररया झककी ऐस थ कक हर चीज म शक होता था कक कही कोई इनफकशन न लग जाए यह न हो जाए वह

न हो जाए वही झकक इनको भी ह वह मझ िता भी नही था जब टरन म चाय आयी तो उनहोन कहा कक नही

म नही िीऊगा मन कहा कया बात ह उनहोन कहा नही-नही कफर भी मझ बताए तो उनहोन कहा नही

मझ िीना ही नही मझ अभी इचछा ही नही ह चलो मन कहा कोई बात नही

भोजन का वि हो गया भोजन आया तो कहा नही मझ भोजन भी नही करना ह तो मन कहा हआ

कया तमहारी भख को उनहोन कहा नही कोई बात नही िर मन कहा कक कोई तकलीफ हो रही ह िट म

कछ अड़चन ह कया बात ह उनहोन कहा अब आि बार-बार तरजदद करग और चौबीस घट साथ रहना ह बात

यह ह कक म कही की चाय नही िी सकता और कही का भोजन नही कर सकता यह चौबीस घट म तो उिवास

करगा मन कहा कयो उनहोन कहा अब आि जयादा न छड़ बात यह ह कक मझ इनफकशन का डर ह मन

कहा यह डर आया कहा स उनहोन कहा कक मर तरिता

तरिता चल बस मगर तरिता जो ससकार द गए ह वह बठा ह जब बदध कहत ह माता-तरिता की हतया कर

दो तब बदध यह कह रह ह कक यह भीतर जो ससकार ह इसकी हतया कर दो अब यह कफजल की बकवास ह

और इतन डर-डरकर जीओग तो जीन म कोई सार ही नही ह मर ही जाओ ऐस डर-डरकर तो जी न सकोग

उनकी ितनी न मझ बताया कक मर ितरत न मझ कभी चमा नही कयोकक इनफकशन

यह तो बात सच ह कक चबन स जयादा इनफतरकसयस दतरनया म कोई और चीज नही ह कयोकक दसर क

ओठो स लाखो कीटाण तमहार ओठो म चल जात ह अब यह ितरत तो तभी चम सकत ह अिनी ितनी को जब

जब उसक ओठ वगरह सब सटरलाइजड ककए जाए मगर तब तक चबन का अथम न रह जाएगा परयोजन न रह

जाएगा यह तो भय सीमा स आग बढ़ गया यह िागलिन आ गया

तम जरा अिन भीतर खोजना शायद इतनी अतरतशयोतरि न हो लककन तम यही िाओग जब तम अिन

बट स बात कर रह हो तब जरा गौर करना तम उसी ढग स बात कर रह हो तरजस तरह तमहार तरिता तमस

बात करत थ यह बड़ मज की बात ह तो तम बढ़ जरा भी नही तम वही दोहरा रह हो तम गरामोफोन क

ररकाडम हो तम जब अिनी ितनी स झगड़ा करो तो जरा गौर स दखना यह झगड़ा वस ही हो रहा ह जस

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तमहार तरिता और तमहारी मा का होता था अकसर तम वही दोहरा रह हो इसम जरा भी नया नही कछ

नवीन नही ह

और अगर तम सतरी हो तो जरा गौर करना कक तम अिन ितरत क साथ जो वयवहार कर रही हो वह तमन

अिनी मा स सीखा मा जो तमहार तरिता क साथ करती थी वही तम अिन ितरत क साथ ककए जा रही हो

ऐस सकदयो तक चीज दोहरती रहती ह और चतनय का लकषण ह--नवीनता जब इतना दोहराव होता ह

जीवन म इतनी िनरतरि होती ह तो चतना दब जाती ह जड़ हो जाती ह मर जाती ह तब तम जीवत नही

रह जात

तम जरा जाच-िरख करना तम अिनी भाव-भतरगमाओ म अिन माता-तरिता को तरछिा िाओग तम

अिन वयवहार म अिन माता-तरिता को तरछिा िाओग तम अिन बोलन-चालन म माता-तरिता को तरछिा

िाओग तम अिन कतयो म दषकतयो म माता-तरिता को तरछिा िाओग अचछ-बर म तरछिा िाओग तो तम हो

कहा

बदध जब कहत ह माता-तरिता की हतया कर दो तो वह कहत ह उस हतया क बाद ही तमहारा जनम होगा

एक जनम तो हो गया उतना जनम काफी नही ह तरदवज बनो अब दसरा जनम चातरहए कफर स जनमो यह दसरा

जनम तमहारी चतनय की िहली घोरषणा होगी दोहराओ मत तम कोई अतरभनय मत करो

मगर ऐसा ही हो रहा ह म लोगो को दखता ह मर िास कभी कोई आ जाता ह वह कहता ह कक मर

तरिता का ऐसा दवयमवहार ह कक मरी मा ऐसी दषट ह तो इस--मा तो यहा मौजद नही ह तरिता यहा मौजद नही

ह--म इसी आदमी का तरनरीकषण करता रहता कछ कदन तक और अकसर इस आदमी म ही परमाण तरमल जात ह

कक इसकी बात सच ह या नही इसको ही दखकर इसक मा-बाि की सारी कथा धीर-धीर तरलखी जा सकती ह

इसक ही वयवहार म इसक मा-बाि को िकड़ा जा सकता ह

इस बात क तरलए बदध न कहा कक अिन मा-बाि की हतया कर दो अिन ससकार जो एक कदन जररी थ

अब तोड़ डालो बागड़ हटा दो बास तरगरा दो अब सहार की जररत नही ह बसातरखया फक दो अब अिन िर

िर खड़ हो जाओ आतमवान बनो यह आतमवान बनन का सि ही टराजकशनल एनातरलतरसस का सि भी ह

सवय बनो सवतव की घोरषणा करो उधार-उधार बास-बास न रहो

तम तरनरीकषण करोग तो तम बहत चौकोग तरननयानब परतरतशत तम उधार हो और सबस जयादा उधारी

मा-बाि क परतरत ह सवाभातरवक और धयान रखना इसका यह मतलब भी नही ह कक बदध यह कह रह ह मा-

बाि गलत थ--यह तो बदध कह ही नही रह ह मा-बाि तमहार ककतन ही अचछ रह हो इसस कोई सबध नही

ह अकसर तो ऐसा होता ह बर मा-बाि स छटना करठन नही होता अचछ मा-बाि स ही छटना करठन होता

ह अचछ मा-बाि की जकड़ गहरी होती ह कयोकक अचछ स कस छटो सोन की जजीर होती ह उस छोड़ो

कस तोड़ो कस बर मा-बाि स तो छटकारा हो जाता ह अचछ मा-बाि स मतरशकल होता ह अचछ स तो

लगाव बनता ह मोह बनता ह--इतन पयार मा-बाि

बदध यह नही कह रह ह कक तमहार मा-बाि गलत ह बदध का विवय मा-बाि स कछ भी सबतरधत नही

ह मा-बाि कस थ इस सबध म बदध क विवय म कोई बात नही कही गयी ह--न अचछा न बरा बदध तरसफम

इतना ही कह रह ह कक परतयक वयतरि को एक कदन अिन मा-बाि स मि होन की कषमता जटानी चातरहए तरजस

कदन यह कषमता तमहारी िरी हो जाती ह कक तम मा-बाि स िरी तरह मि हो गए उस कदन तम वयतरि बन

उस कदन तम आतमवान हए उस कदन अगर तमहार मा-बाि को थोड़ी भी समझ ह तो व आनकदत होग और

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उतसव मनाएग तमहारा असली जनम हआ तमहारा िहली दफा जनमकदन आया तमहार मा-बाि फल लगाएग

दीए जलाएग अगर उनम समझ ह तो भोज दग तरमिो को बलाएग कक आज मरा बटा सवतव को उिलबध

हआ आज यह हमारी िनरतरि नही ह आज इसक अिन जीवन की यािा शर होती ह

इन विवयो म माता-तरिता स कछ भी परयोजन नही ह इन विवयो म तरसफम इतना ही परयोजन ह जस

एक आदमी सीढ़ी चढ़ता ह तरबना सीढ़ी चढ़ ऊिर की छत िर िहच नही सकता कफर अगर सीढ़ी को ही

िकड़कर रक जाए रासत म तो भी छत तक नही िहच सकता सीढ़ी िर चढ़ना भी होता ह कफर एक कदन

सीढ़ी छोड़ भी दनी होती ह और सवभावतः मा-बाि का ससकरण सबस गहरा होता ह कयोकक व हमार सबस

जयादा करीब होत ह िहली तरशकषा उनही स तरमलती ह

अब तम इस जरा समझो कक ककस तरह हम जकड़ हए ह िहली दफा बचचा िदा होता ह बचच का जो

िहला ससगम ह जगत स ससार स वह मा क सतन स होता ह िहला ससगम िहला ससार मा का सतन ह और

तम दखना ऐसा िररष खोजना मतरशकल ह जो सतरी क सतनो स मकत हो जब तक तम सतरी क सतनो स मि नही

हो तब तक तम अभी बचकान ही हो अभी तम िहल कदन क बचच ही हो जो मा क सतन िर तरनभमर था

सकदया बीत गयी लोग मरतमया बनात तो सतन महतविणम तरचि बनात तो सतन महतविणम कफलम बनात

तो सतन महतविणम कतरवता तरलखत उिनयास तरलखत तो सतन महतविणम और ऐसा मत सोचना कक आज ही

ऐसा हो गया ह सदा स ऐसा ह तम अिन िरान स िरान कावयो को उठाकर दखो--कातरलदास को कक

भवभतरत को--वहा भी वही ह सतनो का वणमन ह तम िरानी स िरानी मरतमया दखो तो सतन बहत उभारकर

कदखाए गए ह इतन बड़ सतन होत भी नही तरजतन मरतमयो म कदखाए गए ह--खजराहो जाकर दखो इतन

सडौल सतन होत भी नही तरजतन तरचिकारी म और कतरवताओ म खोद गए ह

यह कया बात ह मामला कया ह आदमी सतन क िीछ ऐसा दीवाना कयो ह यह िररष सतन क परतरत

इस तरह उतसक कयो ह कयोकक सभी िररषो का जो िहला ससगम ससार स हआ जो िहला ससकार िड़ा वह

सतन का ह और जो छोटा बचचा छोटा सा बचचा उसक तरलए सतन बहत बड़ी घटना ह और सवभावतः सतन

तरजतना भरा हो उतना बचच क तरलए सखद ह सतन तरजतना सडौल हो उतना बचच क तरलए सखद ह--उतना

जयादा दध दता ह वही भाव िोरषण का गहर म बठ गया ह तो तरजस सतरी का सतन बड़ा न हो उसम तमहारा

रस कम होता ह

तो तमहार भीतर जो बचिन म बठा ससकार ह अब भी तमहारी आखो िर िदाम ककए हए ह अब जररी

नही ह कक छोट सतन वाली सतरी बरी सतरी हो और बड़ सतन वाली सतरी अचछी सतरी हो जररी नही आवशयक

नही लककन पलबवाय और दतरनयाभर म तरजतनी अशलील ितरिकाए छिती ह और अशलील ककताब तरलखी जाती ह

उन सबम बड़ सतनो िर बड़ा आगरह ह

अमरीका म तो अब यह ह कक अगर सतन छोटा हो तो लोग इजकशन ल रह ह--तरसतरलकान का इजकशन--

ताकक सतन बड़ा हो जाए सडौल हो जाए फल जाए जबदमसती फल जाए तो भी चलगा कतरिम औरषतरध स फल

जाए तो भी चलगा मगर सतन फला हआ होना चातरहए कयोकक िररष उसम आकररषमत ह

िररष सतन म आकररषमत ह तरसतरया भी सतन म आकररषमत ह तो सतन को समहाल रखन क तरलए न-मालम

ककतन तरह की बरा बनती ह सतन को बड़ा कदखान क तरलए न-मालम ककतन तरह की िजडग की जाती ह

तरछिाती भी ह तरसतरया सतन को और कदखाती भी ह एक बड़ा खल चलता ह तरछिाती भी ह और कदखाती भी ह

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इस बात को खयाल म रखना तरछिा-तरछिाकर कदखाती ह कदखा-कदखाकर तरछिाती ह तरसतरयो को भी िता ह

िररषो को भी िता ह लककन यह बड़ी बचकानी दतरनया ह

इसका मतलब इस दतरनया म कोई बढ़ता ही नही परौढ़ होता ही नही और यह मन तरसफम उदाहरण क

तरलए कहा इसी तरह सारी तरचतत की दशा ह तम वही उलझ हो जहा स कभी क िार हो चकना था तम वहा

अटक हो जहा स तम सोचत हो िार हो चक हो

टराजकशनल एनातरलतरसस कहती ह अिन तरचतत का ठीक स तरवशलरषण ककया जाए अिन कतयो की

टराजकशन का मतलब होता ह तम जो कतय कर रह हो दसरो स सबतरधत होन म अतसबधो म तमहार जो कतय

हो रह ह टराजकशन जो हो रहा ह जो तमहारा लन-दन हो रहा ह दसरो स उस लन-दन म ठीक स अगर

तरवशलरषण ककया जाए तो तम िाओग कक तम अिन बचिन म अभी भी उलझ हो वहा स तम तरनकल नही िाए

शरीर बड़ा हो गया ह तमहारी चतना तरवकतरसत नही हो िायी तमहारी आतमा छोटी रह गयी ह इस छोटी

आतमा को मि करना ह इस कारागह क बाहर लाना ह

इसको कारागह क बाहर लान का उिाय ह--मातरम तरितरम हतवा तम माता-तरिता क हता हो जाओ

इसतरलए बदध न कहा अिन तरभकषओ को कक दखत हो इस तरभकष को यह महाभागयशाली ह यह अिन माता-

तरिता की हतया करक िरमसख को उिलबध हो गया ह

तरजस कदन तम माता-तरिता स मि हए तम ससार स मि हए माता-तरिता तमहार ससार का दवार ह

उनही क कारण तम ससार म आए हो उनही क सहार ससार म आए हो तरजस कदन उनस मि हो गए उस कदन

तमन तरनवामण क दवार म परवश कर तरलया

टराजकशनल एनातरलतरसस अभी परारतरभक ह बदध का सि अतरतम ह आतरखरी ह इसतरलए मन कहा कक

अगर टराजकशनल एनातरलतरसस क अनयातरययो को बदध क य सिो का िता चल जाए तो व बड़ गदगद होग

उनह बड़ा सहारा तरमलगा तब उनकी बात कवल मनोवजञातरनक ही न रह जाएगी उनकी बात का एक धारममक

आयाम भी हो जाएगा

तीसरा परशनः तयाग बड़ी बात ह या छोटी

आदमी आदमी िर तरनभमर ह

अगर तमन समझकर तयागा तो बड़ी छोटी बात ह अगर नासमझी स तयागा तो बड़ी बात ह बड़ी बड़ी

बात ह समझ का अथम होता ह तमन जाना धन म कोई मलय ही नही ह तो तयाग बड़ी छोटी बात ह कचरा

था छोड़ कदया तो कया छोड़ा तम उसका गणगान न करोग सततरत न करोग सततरत न करवाओग न आकाकषा

करोग तम कहत न कफरोग कक मन लाखो छोड़ कदए ह वहा कछ था ही नही तमह कदखायी िड़ गया ह

इसतरलए छोड़ा कड़ा-करकट था छोड़ कदया ककड़-ितथर थ छोड़ कदए

लककन अगर तमन ककसी की बात सनकर छोड़ा सवगम क लोभ म छोड़ा िरसकार की आशा म छोड़ा

सोचा कक यहा छोड़ग तो वहा तरमलगा िरमातमा क घर म खब तरमलगा यहा लाख छोड़ तो वहा दस लाख

तरमलग ऐस गतरणत स छोड़ा तो तम घोरषणा करत कफरोग कयोकक तमह सवय कदखायी नही िड़ा ह कक धन

वयथम ह तम तो और धन की आकाकषा म इस धन को छोड़ हो तम शाशवत धन की आशा म कषणभगर धन को

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छोड़ हो तम तो भगवान क साथ भी जआ खल रह हो लाटरी लगा रह हो तो तमन बड़ा तयाग ककया तम

घोरषणा करोग तरचललात कफरोग कक मन इतना छोड़ा मगर कफर तयाग हआ ही नही

मन सना ह कक एक औरत मरी--एक सफी कहानी ह--एक औरत मरी दवदत उस लन आए अब व

सोचन लग कक इस कस सवगम ल जाए इसन कोई अचछा कतय कभी ककया िछा उसी बढ़ी की आतमा स उसन

कहा--हा मन एक मली एक बार एक तरभखारी को दी थी तो उनहोन कहा चल मली क ही सहार चल मली

परगट हो गयी उस औरत न मली को िकड़ तरलया और वह सवगम की तरफ उठन लगी और लोगो न दखा

उसको सवगम की तरफ उठत दखत कोई न उसक िर िकड़ तरलए वह भी उठन लगा ककसी न उसक िर िकड़

तरलए वह भी उठन लगा बड़ी लबी कतार लग गयी कय तो लग गया चली सतरी उठती और वह लबी कतार

चली उठती सतरी को बड़ा बरा भी लगन लगा कक दान तो मन की मली और य फालत ऐर-गर-नतथ-खर य मर

िर िकड़कर चल आ रह ह उस बड़ा करोध भी आन लगा उस बड़ी अकड़ भी आन लगी

आतरखर जब ठीक सवगम क दवार िर िहच गयी तो उसन कहा कक हटो छोड़ो मर िर मली मरी ह बात

इतनी बढ़ गयी कक वह भल ही गयी तरववाद म हाथ छोड़ कदए मली स और कहा मली मरी ह िरी कतार

जमीन िर तरगर गयी वह मर का भाव सवगम क दवार स वािस ल आया

अगर तयाग ककया ह तो तयाग का अथम यह होता ह कक तम समझ गए कक यहा कया मरा कया तरा तब

तो छोटी बात ह

ऐसा समझो इस छोटी सी घटना को सनो बात ह चतनय महापरभ की गहसथ थ तब की बात ह नाम

था उनका तरनमाई ितरडत एक सबह नौका म जा रह थ हाथ म एक नयाय का हसततरलतरखत गरथ था और साथ थ

सहिाठी रघनाथ ितरडत रघनाथ न आगरह ककया तो चतनय परभ अिना गरथ उनह िढ़कर सनान लग जयो-जयो व

गरथ सनात जात तस-तस रघनाथ ितरडत का दख बढ़ता जाता और तरचतत उदास होता जाता अत म रघनाथ

ितरडत रो िड़ तरनमाई न कारण िछा तो उनहोन कहा कया बताऊ मन भी बड़ िररशरम स एक गरथ तरलखा

ह--कदतरधतरत समझता था कक यह गरथ नयाय क गरथो म सबस परधान होगा िर तमहार इस गरथ क आग उस

कौन िछगा इसतरलए म दखी हो गया ह तमहारा गरथ तरनतरित उसस शरि ह मर वरषो की महनत वयथम गयी

तरनमाई हसकर बोल बस इतनी छोटी सी बात इतनी सी छोटी बात क तरलए इतना दख यह लो और

उनहोन िोथी को जल म फक कदया एक कषण न लगा िोथी जल म डब गयी िोथी क िनन जल म तरबखर गए

रघनाथ न कहा यह तमन कया ककया इतन महान गरथ को ऐस फक कदया तरनमाई न कहा महान कछ भी

नही सब शबदो का जाल ह बड़ा इसका कोई मलय नही ह दो कौड़ी की बात ह तम सखी हो सको इसक

मकाबल यह कछ भी नही तमहार ओठ िर मसकराहट आ सक तो ऐस हजार गरथ नदी म फक द

तरनमाई न कहा छोटी सी बात

जब तम जीवन क सतयो को ठीक-ठीक िहचानत हो तो तयाग बड़ी छोटी बात ह जब जीवन क सतयो को

ठीक-ठीक नही िहचानत तो बड़ी करठन बात ह बड़ी करठन और बड़ी बड़ी तम उस खब गणनफल करक

दखत हो एक रिया दान करोग तो हजार कहोग कछ छोटा-मोटा दान कर दोग तो धीर-धीर बढ़ात जाओग

तमको िता ही नही चलगा कक तम उस बढ़ात जा रह हो हर बार जब तम बताओग तो कछ जयादा बताओग

और जयादा बताओग बात बढ़ती चली जाएगी तम बड़ा करक बताना चाहत हो

इस जगत म कोई भी वसत मलयवान नही ह ऐसी परतीतरत का नाम तयाग तयाग का अथम दान नही ह

तयाग का अथम बोध तयाग का अथम दना नही ह तयाग का अथम ह इस बात की समझ कक यहा दन योगय भी कया

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ह लन योगय भी कया ह यहा का यही िड़ा रह जाएगा हम आए और हम चल सब ठाठ िड़ा रह जाएगा जब

हम नही आए थ तब भी यही था हम चल जाएग तब भी यही होगा हम नाहक ही बीच म अिना-तिना करक

बहत झगड़-झास खड़ कर लत ह मरा तरा द लत रोक लत कबजा कर लत तयाग का मजा ल लत और

अिना यहा कछ भी नही ह अिना यहा कछ ह नही ऐसी परतीतरत को म कहता ह तयाग

तो वयतरि वयतरि िर तरनभमर ह तयाग बड़ी बात ह या छोटी तम िर तरनभमर ह अगर धयान ह तो तयाग

कछ भी खास बात नही बड़ी साधारण बात ह--धयान की छाया अगर धयान नही ह तो कफर तयाग बड़ी बात

ह बहत बड़ी बात ह

चौथा परशनः अगर शराब धयान म बाधक ह तो सतरचचदानद वाली समातरध की तो बात ही कया अनभव स

समझता ह कक इस खडड स तरनकलकर ही धयान की परातरपत हो सकती ह किाकर इस खडड स तरनकलन का उिाय

बताए

िछा ह लालभाई न िकक तरियककड़ ह मगर चलो िछा यह भी खब रासता इसस ही बनगा िछना आ

गया तो िहली ककरण आ गयी यह भाव उठन लगा कक इस खडड स बाहर तरनकलना ह तो तरनकल आओग खडड

म तम ही गए हो तरजन िरो स गए हो व ही िर वािस ल आएग तरजस खडड म तरगर गए हो अगर िहचानन

लगो कक यह खडडा ह तो ककतनी दर िड़ रहोग खडड म आदमी इसीतरलए िड़ा रहता ह कक सोचता ह महल ह

सोन का महल ह कफर तम िर िसारकर और चादर ओढ़कर सोए रहत हो तरजस कदन कदखायी िड़ा अर खडडा

ह उठना शर हो गया बाहर तरनकलना शर हो गया

मन तरिछल कदन कहा शराब धयान म बाधक ह यह आधी ही बात थी आधी बात तमस और कह द

धयान भी शराब म बाधक ह शराब िीए तो धयान करना मतरशकल होगा और अगर धयान ककए तो शराब िीना

मतरशकल हो जाएगा और यह बात खयाल रखना अगर दोनो म कशतमकशती हो तो धयान ही जीतता ह शराब

नही जीतती शराब जीत भी कस सकती ह शराब छोटी शराब ह धयान बड़ी शराब ह शराब साधारण अगरो

स तरनकलती ह धयान तो आतमा का तरनचोड़ ह तो धयान और शराब म अगर सघरषम हो जाए तो िहल शायद

थोड़ कदन तक शराब जीतती मालम िड़ घबड़ाना मत धयान ही जीतगा सघरषम जारी रहन दना

हा मन तरनतरित कहा कक शराब धयान म बाधक ह मगर इसस तम यह मत सोचना कक कफर म धयान

कस कर कयोकक म तो शराब िीता ह तो धयान कस कर अगर धयान न करोग तो कफर बाहर न तरनकल

िाओग धयान शर करो शराब बाधा डालगी तम शराब ही थोड़ हो गए हो तमहार भीतर अभी थोड़ा बोध

ह बोध तरबलकल नषट तो नही हो गया--नषट कभी होता नही--उस थोड़ स बोध स धयान शर करो धयान क

तरवरोध म शराब तमह खीचगी हटाएगी डलाएगी तम उसको चनौती मानना और तम अिन बोध को धयान

म लगाना धीर-धीर तम िाओग बोध बड़ा होन लगा शराब की िकड़ छोटी होन लगी एक कदन बोध इतना

बड़ा हो जाएगा कक शराब कब तरगर गयी तमह याद भी न रहगी

िछा ह तमन इस खडड स तरनकलन का उिाय बताए

धयान ही उिाय ह और कोई उिाय नही धयान की सीढ़ी ही लगाओ इस खडड म तमह अड़चन होगी

तम कहोग एक तरफ म कहता ह कक शराब िीन स धयान म बाधा िड़ती ह--तरनतरित िड़ती ह धयान करोग

और शराब न िीत होओग तो धयान जलदी लग जाएगा शराब िीत हो तो दर स लगगा अड़चन डालगी

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शराब शराब िरी तरह उिाय करगी तमह फसलान क कक धयान मत करो कयोकक शराब अनभव करगी कक यह

धयान तो दशमन ह तम दशमन क खम म जा रह हो आज नही कल अगर धयान लग गया तो मझस तमहारा

छटकारा हो जाएगा इसी कारण तो म कहता ह तम धयान स लगाव लगाओ चौबीस घट थोड़ ही शराब म

िड़ हो लालभाई कभी िी लत हो तब अगर चक भी गए कोई हजाम नही जब नही िीत तब धयान मत चको

जस-जस धयान म मजा बढ़गा वस-वस तम िाओग करातरत होन लगी

आदमी शराब कयो िीता ह दखी ह और म जानता ह लालभाई को दखी ह भल आदमी ह सरल

तरचतत ह और दखी ह जजदगी म बचतरनया ह उन बचतरनयो को भलान क तरलए शराब िी लत ह जब तक शराब

िीए रहत ह बचतरनया भली रहती ह दख भल रहत ह कफर जब होश म आत ह दख खड़ हो जात ह दख खड़

हो जात ह तो कोई और उिाय नही सझता कफर शराब िीओ कफर भलाओ

हालाकक शराब िीन स दख तरमटत नही यह कोई तरमटान का उिाय नही यह तो शतममगम का ढग ह

दशमन कदखायी िड़ा आख बद कर ली और रत म तरसर गड़ाकर खड़ हो गए इसस दशमन तरमटता नही कभी तो

तरनकालोग तरसर रत क बाहर भोजन की तलाश करन तो शतममगम जाएगा दकान-दफतर तो जाओग जस ही

तरसर तरनकालोग कफर िरशातरनया खड़ी हो गयी

धयान करन स तम िाओग कक िरशातरनया तरमटन लगी िरशातरनयो क कारण शराब िीत हो धयान

िरशातरनया तरमटान लगगा धयान तमह दख क बाहर लान लगगा जस-जस दख क बाहर आओग वस-वस शराब

िीन की जररत कम होन लगगी शराब कोई जानकर और मज स थोड़ ही िीता ह इस खयाल म िड़ना ही

मत लोग अतयत दख म शराब िीना चनत ह बहत दखी होता ह आदमी तभी अिन को भलाना चाहता ह

जब आदमी सखी होता ह तब अिन को तरबलकल नही भलाना चाहता ह

म एक नगर म बहत वरषो तक रहा एक मसलमान वकील मर िास आए और उनहोन कहा कक दख

आिकी बात िढ़ता ह जचती ह लककन कभी आया नही कयोकक एक बात मझ मालम ह कक म जाऊगा तो

झझट म िडगा झझट यह ह कक म शराब िीता और मास खाता और म मानता ह कक आि जरर कहग कक य

दोनो बात छोड़ दो मन कहा तो तमन मझ समझा ही नही म कयो कह छोड़ दो तम मज स मास खाओ मज

स शराब िीओ उनहोन कहा कया कहत ह आि कह कया रह ह यह म अिन कानो स सन रहा ह मन कहा

तम िीओ तम खाओ तमह जो करना ह करो म तो कहता ह धयान शर करो म तमह कछ छोड़न को कहता

नही म तो तमह कछ िकड़न को कहता ह मरी दतरषट तरवधायक ह नकारातमक नही म अधरा तरमटान को नही

कहता म कहता ह दीया जलाओ अधरा तरमट जाएगा जब दीया जलगा

उनहोन कहा तो म छोड़न की कोई मझ जररत नही ह तो जचती ह कफर आिस मरा मल बठ जाएगा

म कई साध-सतो क िास गया मल मरा बठता नही कयोकक व िहल ही बता दत ह कक मासाहार छोड़ो शराब

बद करो वह मझस होता नही इसतरलए बात आग बढ़ती नही मन कहा आज स तम कभी मासाहार शराब

की बात मर सामन उठाना ही मत यह तमहारा काम तम जानो मरा काम इतना ह कक तम धयान करो मर स

अब स तमहारा धयान का सबध हआ और कसम खाओ कक मर सामन अब कभी यह शराब और मास की बात

नही उठाओग उनहोन कहा उठाऊगा ही कयो बात ही खतम हो गयी

वरषमभर उनहोन धयान ककया--लककन बड़ी तरनिा स धयान ककया आदमी ईमानदार थ--वरषमभर क बाद

उनहोन मझ आकर कहा कक कषमा कर वचन तोड़ना िड़गा आज मझ शराब की बात करनी िड़गी और

मासाहार की भी मन कहा कया हआ उनहोन कहा छह महीन धयान करन क बाद धीर-धीर शराब म रस

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कम होन लगा नौ महीन क बाद रस ही कम नही हो गया नौ महीन क बाद शराब स अड़चन होन लगी जब

िी लता तो जसी मसती धयान की बनी रहती थी वह खो जाती जब न िीता तो मसती जयादा होती

अब समझना शराब तो भलान का काम करती ह अगर तम दखी हो तो दख को भला दती ह अगर तम

मसत हो तो मसती को भला दती ह

तो शराब छड़ान का एक ही उिाय ह कक तम ककसी तरह मसत हो जाओ उस कदन असली बात दाव िर

लगगी उस कदन शराब िीना हो तो िीना जब मसती को भलाना िड़गा तब तम खद ही िाओग कक यह तो

महगा सौदा हो गया यह तो कोई सार न हआ िसा लगाओ शराब िीओ चोरी करो ितनी स झगड़ो तलाक

की हालत सहो बचच गाली द मोहललाभर तमको िागल समझ जहा जाओ वहा बइजजती हो और इस सबका

िररणाम कल इतना कक हाथ जो मसती लगी वह खो-खो जाए

तो उनहोन कहा कक नौ महीन क बाद मन शराब बद कर दी कयोकक अब इसम कोई सार ही नही रहा

सार की तो बात ही छोड़ दो उलटा जो मरी मसती सध रही थी वह इसकी वजह स टटती यह महगा सौदा हो

गया लककन तब तक मासाहार िर कोई अड़चन न आयी थी उसक बाद मासाहार िर अड़चन शर हो आयी

धयान एक-एक कदम जाता ह धीर-धीर जाता ह शराब इतनी गहरी नही थी तरजतना मासाहार गहरा

था कयोकक मसलमान थ शराब तो जब जवान हो गए तब िीना शर की थी मासाहार तो बचिन स ककया

था मासाहार म तो िल थ उसका ससकार बहत गहरा था वह मा-बाि स तरमला था वह तो जब तक मा-बाि

को न मार डालो तब तक उसस छटकारा होन वाला नही था वह जरा गहरी बात थी शराब तो ऊिर-ऊिर

थी िहल शराब चली गयी

कफर तरजस कदन उनहोन मझस आकर यह बात कही उनहोन कहा कक आज म एक तरमि क घर भोजन

करन गया था जब मास िरोसा गया तो मझ एकदम उलटी होन लगी एकदम घबड़ाहट हई मास दखकर मर

भीतर एकदम ऐसा तफान उठ गया और जब तक म सनानगह म जाकर उलटी नही कर तरलया तब तक राहत न

तरमली और अब म मास न खा सकगा खान की तो बात दर अब मझ यही सोचकर हरानी होती ह कक मन

तरिछल ितालीस साल जीवन क कस मासाहार ककया कस

तरजस कदन तमहारा धयान गहरा होता ह य िररणाम अिन स आन शर होत ह तो म कहता ह

लालभाई धयान म लगो धयान और शराब को लड़ा दो धयान सदा जीता ह शराब सदा हारी ह परमाण क

तरलए दसर शराबी का परशन ह--तर काः

थोड़ समय स शराब की एक मािा होती ह तरजसकी म तलाश म थी बहोशी जब आन लगती ह तब

सकलि स उस घड़ी को समहाल लती ह कछ कषण बाद जागतरत का बड़ा तरवसफोट होता ह और साथ-साथ नशा

िरा एक ही साथ उतर जाता ह भीतर कछ इतना समहल गया ह कक म वणमन नही कर सकती अब कछ अिन

म शरदधा बढ़ रही ह लगता ह कक व कदन दर नही ह तरजनकी मझ तलाश थी आिकी ही शराब म डबन लायक

हो जाऊ इतनी पराथमना आिन तरजस तरह मझ मर िर छोड़ कदया और जनदा न की इसतरलए आज म शराब

जसी आदत को छोड़ िाऊगी ककस तरह आिका धनयवाद अदा कर बस अब तरबलकल सब ठीक चल रहा ह

बदला लन का भाव भी तरवसरजमत हो गया ह मगर आिन मझ मौका कदया यह कया कम ह अब जनदा या

कडमनशन भी नही ह मगर जागकर और जानकर सब कछ अिन आि छट रहा ह और यह मर बस की बात

नही ह यह परशन नही हकीकत ह मर परणाम सवीकार कर

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जो आज तर को हआ ह कल लालभाई को भी हो सकता ह जरा साहस रखन की सकलि को समहाल

रखन की जरा धयमिवमक साधना म लग रहन की जररत ह साधना तरनतरित फल लाती ह

िाचवा परशनः म कया कर कक मझ मर असली रि क दशमन हो जाए

एक बहत गद बचच न अिन तरिता स िछा--तरिताजी हम सब जासस-चोर खल रह ह और म जासस ह

जरा बताइए कक म कया कर कक मर दोसत मझ िहचान न िाए बटा तम तरसफम साबन स मह धो लो तमह

कोई नही िहचानगा तरिताजी बोल

म कया कर कक मझ मर असली रि क दशमन हो जाए

जरा साबन कबीर न धयान को साबन कहा ह जरा धयान जरा धो डालो मह जरा धयान क छीट िड़

जान दो

आतरखरी परशनः आि कहत ह कक राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता कयो

यह भी कोई बड़ी करठन बात ह समझनी कक राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता राजनीतरत का अथम

होता ह दसरो िर कस बलशाली हो जाऊ दसरो िर बलशाली वही होना चाहता ह जो अिन िर जरा भी

बल नही रखता यह उसकी ही िरतम ह

मनोवजञातरनक तरवशरषकर एडलर कहता ह तरजनक जीवन म हीनता-गरतरथ ह इनफीररआररटी कापलकस ह

तरजनको भीतर स लगता ह म हीन ह कछ भी नही ह व सार लोग राजनीतरत म सलगन हो जात ह कयोकक उनक

िास एक ही उिाय ह कक कसी िर बठ जाए बड़ी तो दतरनया को वह कदखा सक कक म कछ ह और दतरनया मान

ल कक म कछ ह तो उनको खद भी भरोसा आ जाए कक म कछ ह और तो उनक िास उिाय नही

हीनगरतरथ क लोग ही राजनीतरत म उतसक होत ह हीनतम लोग राजनीतरत म उतसक होत ह तमहारी

राजधातरनयो म हीनतम लोग इकटठ ह राजधानी करीब-करीब अिरातरधयो स भरी ह िागलो स भरी ह

तरवतरकषपतो स भरी ह

लककन य अिराधी बड़ कशल अिराधी ह य बड़ी वयवसथा और तरनयम स अिराध करत ह य इस ढग स

अिराध करत ह कक जस सवा कर रह हो य सवा कहकर अिराध करत ह

मन सना ह मलला नसरददीन कदलली गया था एक सधया एक बगीच म घमन गया था सदी आन-आन

को थी मीठी-मीठी सदी बढ़न लगी थी लोग अिन ऊनी वसतर तरनकाल तरलए थ मलला भी अिना ऊनी कोट

िहनकर बगीच की तरफ घमन गया था एक बढ़ तरभखारी न चार आन माग उसकी दशा अतरत दयनीय थी िट

िीठ स लगा जा रहा था वसतर चीथड़ हो गए थ आख दबमलता स अब बझी तब बझी ऐसी मालम होती थी

मलला नसरददीन न उसस कहा बड़ तरमया चार आन स कया होगा चार आन म कछ आता भी तो नही--

खाक भी नही तरमलती चार आन म चार आन स कया खरीदोग यह लो िाच रिए का नोट ल लो

लककन बढ़ा तरभखमगा िीछ हट गया उसन कहा कक नही साहब चार आन काफी ह कयोकक इतन

राजनीतरतजञो स भरी कदलली म िाच रिए जसी बड़ी रकम लकर चलना खतर स खाली नही ह

88

सब बईमान सब अिराधी सब तरह क चालबाज राजधातरनयो म इकटठ हो जात ह तरजस कदन दतरनया म

राजधातरनया न होगी दतरनया बड़ी बहतर होगी और तरजस कदन दतरनया म राजनीतरतजञ न होग दतरनया बड़ी

सवसथ होगी तरजस कदन दतरनया स राजनीतरत हट जाएगी उस कदन दतरनया म धमम होगा

धमम तरबलकल उलटी यािा ह धमम का अथम ह म अिना मातरलक हो जाऊ और राजनीतरत का अथम ह म

दसरो का मातरलक हो जाऊ धमम का अथम ह म अिन भीतर जाऊ राजनीतरत का अथम ह बाहर मरा राजय फल

धमम भीतर क राजय की खोज ह और राजनीतरत बाहर क राजय की खोज ह धन बाहर ह िद बाहर ह

राजनीतरत उसम उतसक ह धयान भीतर ह िरमातमा भीतर ह धमम उसम उतसक ह धमम अतयामिा ह राजनीतरत

बतरहयामिा

तो जब म कहता ह राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता तो बड़ी सीधी सी बात ह--जो बाहर की यािा

िर गया ह वह कस साथ ही साथ भीतर की यािा िर जा सकता ह भीतर की यािा िर जान क तरलए

अतरनवायम चरण ह कक बाहर की यािा रक बाहर की यािा समापत हो बद हो कयोकक वही ऊजाम जो बाहर जा

रही ह भीतर आएगी ऊजाम तो एक ही ह तमहार िास जीवन तो एक ही ह कही भी लगा दो या तो बाहर

की सवा म लगा दो या भीतर की खोज म लगा दो राजनीतरतजञ बतरहममखी ह धारममक अतममखी

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

तरछयानव परवचन

लोभ ससार ह गर स दरी ह

दपिबबजज दरतरभरम दरवासा घरा दखा

दकखो समानसवासो दकखानितरततदधग

तसमा न च अदधग तरसया न च दकखानितरततो तरसया 253

सदधो सीलन सिननो यसोभोगसमतरपितो

य य िदस भजतरत ततथ ततथव ितरजतो 254

दर सतो िकासतरत तरहमवतो व िबबता

असततथ न कदससतरत रतरतततरखतता यथासरा 255

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया 256

परथम दशय--

भगवान वशाली म तरवहरत थ उनक सातरननधय म कहत थ सख वकष िनः हर हो गए और जो जीवन-

वीणाए सनी िड़ी थी उनम सगीत जाग िड़ा जो झरन बहन बद हो गए थ व िनः बहन लग मरसथल

मरदयानो म बदल गए िर इस दखन को तो आख चातरहए सकषम आख चातरहए अतदमतरषट चातरहए चमड़ी की

आखो स तो यह कदखायी नही िड़ता ह और यह सगीत ऐसा तो नही ह कक बाहर क कानो स सना जा सक

यह िरमोतसव ह िरम भोग ह यह िरमातम-दशा ह समातरध ही सन िाती ह इस सवर को समातरध ही दख

िाती ह इस उतसव को

तो जो दख सकत थ व आहलाकदत थ जो सन सकत थ व मसत हो रह थ और जो आहलाकदत थ और

मसत हो रह थ उनक तरलए सवगम रोज-रोज अिन नए दवार खोल रहा था िर सभी तो इतन भागयशाली नही ह

कछ ऐस भी थ तरजनह न कछ कदखायी िड़ता था न कछ सनायी ही िड़ता था व ररि आए थ और ररि ही थ

व आ भी गए थ और आए भी नही थ ऐस अभागो म ही एक था--वजजीितत तरभकष

आतरशवन िरणममा की रातरि थी वशाली रागरग म डबा था नगर स सगीत और नतय की सवर-लहररया

भगवान क तरवहार-सथल महावन तक आ रही थी वह तरभकष भगवान क सगीत को तो नही सन िाया था उसन

भगवान क अतसतल स उठत हए परकाश को तो अब तक नही दखा था लककन राजधानी म जल हए दीए उस

कदखायी िड़ रह थ और राजधानी म होता रागरग और उसस आती सवर-लहररया उस सनायी िड़ रही थी

वह तरभकष गाज-बाजो की य आवाज सन अतरत उदास हो गया उस लगा कक म तरभकष हो वयथम ही जीवन गवा रहा

90

ह सख तो ससार म ह दखो लोग कस मज म ह राजधानी उतसव मना रही ह म यहा िड़ा मढ़ कया कर रहा

ह म भी सनयास ल कसी उलझन म िड़ गया

ऐसा अवसर शतान--मार--तो कभी चकता नही सो मार न उस भी खब उकसाया खब सबजबाग

कदखाए मोहक सिनो को खड़ा ककया और वह तरभकष सोचन लगा--कल सबह ही अब बहत हो चका कल सबह

ही भाग जाऊगा छोड़कर यह सनयास ससार ही सतय ह यहा म वयथम ही उलझा ह तड़फ रहा ह यहा म कर

कया रहा ह यहा रखा भी कया ह

लककन इसक िहल कक वह भाग जाता भगवान न उस बलाया सबह वह भागन की तयाररया ही कर

रहा था कक भगवान का सदश आया वह तो बहत चौका यह िहला मौका था जब भगवान न उस बलाया था

डरा भी मन म शका भी उठी लककन उसन सोचा--मन तो ककसी को बात कही भी नही ह मर अतरतररि कोई

जानता भी नही कक म भाग रहा ह शायद ककसी और कारण स बलाया होगा

कफर भगवान न जब उसस उसक सार मन की कथा कही तो उस भरोसा ही न आया एक-एक बात जो

उसन सोची थी और एक-एक सवपन जो उसन दखा था और एक-एक उततजना जो शतान न उस दी थी और

उसका यह तरनणमय कक वह भागकर जा रहा ह आज सभी भगवान न उस कहा उस कदन उसकी आख खली उस

कदन उसन जाना कक वह ककसक िास ह ऐस तो वह वरषो स था बदध क िास िर उस कदन ही सतसग बना उस

कदन ही गर तरमला उस कदन स उदासी न रही उस कदन स उतसव शर हआ उस कदन स बदध की वीणा क सवर

उस सनायी िड़न लग उस कदन ससार झठा हआ सनयास सतय हआ

इस वजजीितत तरभकष स ही भगवान न य गाथाए कही थी--

दपिबबजज दरतरभरम दरवासा घरा दखा

दकखो समानसवासो दकखानितरततदधग

तसमा न च अदधग तरसया न च दकखानितरततो तरसया

सदधो सीलन सिननो यसोभोगसमतरपितो

य य िदस भजतरत ततथ ततथव ितरजतो

गलत परवजया म रमण करना दषकर ह न रहन योगय घर म रहना दखद ह असमान या परतरतकल लोगो

क साथ रहना दखद ह इसतरलए ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

शरदधा और शील स सिनन तथा यश और भोग स मि िररष जहा कही जाता ह सवमि ितरजत होता ह

इसक िहल कक हम गाथाओ म उतर तम इस पयारी कहानी को ठीक स समझ लना यह दशय तमहार

हदय िर अककत हो जाए कक तरमट न बहत काम िड़गा ऐसी दशा बहतो की ह ऐसी दशा यहा भी बहतो की

ह ऐसी दशा सदा ही बहतो की ह

िहली बात गौतम बदध जस वयतरि क िास होकर भी तम उनह दख िाओग ऐसी कोई अतरनवायमता नही

सयम तरनकला हो तो भी तमह परकाश कदखायी ही िड़ ऐसी कोई अतरनवायमता नही तम अध हो सकत हो या न

सही अध आख वाल होओ लककन आख बद ककए खड़ हो सकत हो तो परकाश तमह कदखायी न िड़गा परकाश

ह लककन पररकाश दखन क तरलए तमहारी आख खली होनी चातरहए

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बदधो क िास भी लोग बदधो को चक जात ह तरजनो क िास भी लोग तरजनो को चक जात ह कषण और

कराइसट क िास रहकर भी लोग उनह नही िहचान िाए ह और जब नही िहचान िात तो सवभावतः उनकी

सहज तरनषितरतत यही होती ह कक भगवान होग ही नही बदध होग ही नही अनयथा हम आख वालो को कदखायी

कयो न िड़त कफर उनका यह भी तरनषकरषम होता ह कक तरजनह कदखायी िड़त ह य िागल मालम होत ह सवय

को तो कदखायी नही िड़ता ह तो दसरो को कदखायी िड़ता ह यह मानना भी अतरत करठन हो जाता ह कफर

दसरो को कदखायी िड़ता हो और मझ न कदखायी िड़ता हो तो अहकार को चोट लगती ह

इसतरलए अध आख वालो को झठलान की चषटा करत ह और आख वाल कम ह आख वाल बहत थोड़ ह

अध बहत ह अधो की भीड़ ह आख वाल इकक-दकक ह इसतरलए सवभावतः बहमत अधो क िकष म हो जाता ह

बदधो को दखना हो तो बहमत की मत सनना भीड़ की मत सनना नही तो तम बदधो को कभी न दख

िाओग बदधो को दखन क तरलए कोई लोकतातरिक वयवसथा नही होती कक मत ल तरलया कक ककतन लोग मानत

ह कक यह आदमी बदध ह या नही कभी-कभी ऐसा होता ह कक बदध गजर जात ह और ककसी को कदखायी नही

िड़ता िरा नगर अधा हो तो ककसी को भी कदखायी नही िड़त ह और तरजस कदखायी िड़त ह वह इतना

अकला िड़ जाता ह कक वह कहन म भी डरता ह कक मन बदध को दखा कक मन भगवान क दशमन ककए कक मरा

भगवान स सबध जड़ा

भगवान वशाली म तरवहरत थ उनक सातरननधय म कहत ह शासतर सख वकष कफर स हर हो गए

य परतीक ह इन परतीको को तम तथय मत मान लना आदमी नही दख िाता तो वकष कस दख िाएग

आदमी इतना अधा ह--आदमी जो इतना तरवकतरसत हो गया ह तरजसकी चतना इस िथवी िर सबस जयादा

तरवकासमान चतना ह--वह नही दख िाता तो वकष कस दख िाएग तथय मत मान लना लककन एक सचना ह

इस परतीक म वकष सरल ह आदमी तरजतन तरवकतरसत तो नही ह लककन आदमी तरजतन जरटल भी नही ह

तरवकास क साथ जरटलता आती ह तरवकास क साथ तकम आता ह सदह आता ह तरवकास क साथ अशरदधा आती

ह तरवकास क साथ अहकार आता ह तरवकास दोहरी तलवार ह एक तरफ तमहारी समझ बढ़ती ह एक तरफ

तमहारी नासमझी की कषमता भी उतनी ही बढ़ती ह य दोनो साथ-साथ बढ़ती ह

तो मनषय तरजतना समझदार हो सकता ह उतना ही नासमझ भी हो सकता ह वकरष बहत समझदार तो

नही हो सकत इसीतरलए बहत नासमझ भी नही हो सकत वकषो म तम बतरदधमान वकष न िाओग और बदध वकष

भी न िाओग वकष सब एक जस होत ह आदमी म बड़ी परतरतभा भी दखोग और बड़ा अधािन भी िाओग

परतीक यह ह कक वकष तो सरल ह अतरवकतरसत ह लककन सरल ह छोट बचचो की भातरत ह वकष अभी भी

जहद और मसलमान नही ह अभी भी करान और वद म उनका भरोसा नही ह अभी भी उनहोन ककताब िढ़ी

नही जञानी नही बन वकष ितरडत नही ह भोल ह सहज ह

तो परतीक यह ह कक बदधो को वह समझ लता ह जो सहज ह वकषो जसा भोला-भाला आदमी भी समझ

लगा और मनषयो जसा महाितरडत भी हो तो चक जाएगा सरलता बदध को दखन का उिाय ह सरलता क

तरलए सगम ह

शासतर कहत ह कक झरन जो बहन बद हो गए थ कफर बहन लग

बदधतव का अथम होता ह तरजसकी जीवन ऊजाम अिन िररिणम परवाह म आ गयी तरजसकी जीवन ऊजाम अब

अवरदध नही ह बह रही ह जो बहता ह उसक साथ-साथ दसरो म भी बहन की सवदनशीलता िदा होती ह

नाचत आदमी क साथ नाचन का मन होन लगता ह हसत आदमी क साथ हसी फटन लगती ह रोत आदमी क

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साथ उदासी आ जाती ह बदध तो परवाहशील ह सररत परवाह ह उनकी धारा तो अब ककसी अवरोध को नही

मानती ककसी चटटान को सवीकार नही करती अब उन िर न कोई िकषिात ह न कोई बाध ह अब िरम

सवतिता उनक जीवन की तरसथतरत ह जस नदी बही जाती ह िररिणम सवतिता स ऐसा बदध का चतनय भाव ह

इस भाव क तरलए परतीक ह कक झरन जो सख गए थ व भी बदध की मौजदगी म कफर बहन लग उनक

भीतर भी बहन का सवपन जगा बहना ही भल गए थ याद ही चली गयी थी कक हम बहन क तरलए बन ह बदध

का बहाव दखकर उनकी भी सोयी आतमा जग गयी

तथय मत मान लना तथय नही ह इन कथाओ म इन कथाओ म सतय ह तथय तरबलकल नही तथय स

इनका कोई लना-दना नही ह इनक इशार जीवन क महतविणम तरसदधातो की तरफ ह

ऐसी ही तो दशा मनषय की ह उसक भीतर सब धाराए रक गयी ह न परम बहता न दया बहती न

करणा बहती न बोध बहता न समातरध बहती कछ भी नही बहता तम अवरदध एक तलया हो गए हो सड़त

हो तमहारा जीवन एक बहाव नही ह तम बहत बध गए हो इस बधी हई अवसथा को ही बदध न गहसथ होना

कहा ह और जो बहन लगा उसको ही सनयसत कहा ह

तो परतीक पयारा ह कक सख झरन बहन लग तरजनकी जीवनधारा सख गयी थी जो भल ही गए थ बहन

का िाठ जो भारषा ही भल बठ थ बहन की और जो छोट-छोट डबरो म कद हो गए थ उनक भीतर भी

जसहनाद उठा बदध को बहत दखकर उनको भी याद आयी भली-तरबसरी याद आयी अिन होन का ढग समझ म

आया बदध क बहाव म जो नतय उनह कदखायी िड़ा उनह लगा--काश हम भी ऐस बहत हम भी ऐस बह सकत

ह अगर एक मनषय बह सकता ह तो हम कयो नही बह सकत उनकी सोयी आतमा को चनौती तरमली व भी

बहन लग थ

और तरजनकी-जीवन वीणा अछती िड़ी थी

तरजस िर अगतरलयो न कभी कोई सगीत रचा ही न था वीणा क तार धल स जम गए होग िोछा ही न

था वीणा को और कभी वीणा को िकारा भी नही था सजाया-सवारा भी नही था और वीणा म जो सोया ह

सगीत उस कभी जगाया भी न था ललकारा भी न था उनकी वीणा क तार किन लग बदध की बजती वीणा क

िास यह सवाभातरवक था

मरसथल मरदयानो म बदल रह थ चतनाओ म नए फल तरखलन लग चतनाए हरी होन लगी धयान की

वरषाम होन लगी समातरध की हररयाली फलन लगी परम की सररताए बहन लगी िरमातमा का सगीत उठन

लगा

िर इस दखन को तो चातरहए आख यह सबको नही कदखायी िड़ा हो सकता ह तम भी मौजद रह होओ

कभी न कभी रह ही होओग इतन लोग बदध हो चक ह इस िथवी िर और तम सदा स यहा हो असभव ह यह

बात कक कभी न कभी बदधो का रासता और तमहारा रासता कटा न हो असभव ह यह बात कक कभी न कभी तम

उसी रासत िर बदधो क साथ थोड़ी दर न चल तरलए होओ यह सयोग तरमल ही गया होगा ककतन बदधिररष हए

ह अनत बदधिररष हए ह अनतकाल म तम भी अनतकाल स यहा हो इसी नगरी क वासी हो यह बात मानी

नही जा सकती कक तमहारा रासता कभी ककसी बदधिररष न नही काटा होगा लककन तम िहचान नही िाए तम

अिनी धन म चल गए होओग तम अिनी ही दकानदारी अिना बाजार अिना धन-दौलत अिन बचच अिना

िररवार अिनी जचता-कफकर म डब रह होओग बदध िास स गजर गए होग तमन आख उठाकर न दखा होगा

93

तमहार भीतर मन का इतना शोरगल ह इतना कोलाहल ह कक बदध अिन एकतार को बजात तमहार िास स

तरनकल गए होग और तमह सनायी न िड़ा होगा

तम अिन म इस तरह डब हो कक तम दखत ही नही कक कया हो रहा ह चारो तरफ ककन वकषो िर फल

तरखल गए और ककन ितरकषयो न गीत गाए कौन सा सरज तरनकला कौन स चाद-तारो स आज आकाश भरा ह

फरसत कहा ह तम इतन वयसत हो अिनी कषदर बातो म कक तरवराट स चक जात हो

खयाल रखना कषदर भी तरवराट को चका सकता ह एक छोटा सा तरतनका आख म िड़ जाए तो सामन खड़ा

तरहमालय कदखायी िड़ना बद हो जाता ह जरा सा तरतनका आख म िड़ जाए तो आख बद हो गयी तरहमालय

कदखायी िड़ना बद हो गया तरहमालय इतना तरवराट ह और छोट स तरतनक क कारण तरछि जाता ह

ऐसी छोटी-छोटी कषदर बात हमारी आखो म भरी ह उनक कारण तरवराट तरहमालय जस िररष भी हमार

िास स तरनकल जात ह हमारी िहचान म नही आत कभी अगर ककसी को िहचान म भी आ जात हो तो हम

समझत ह िागल ह सममोतरहत हो गया होगा तरवतरकषपत हो गया ह होश म नही ह बतरदध गवा दी हम सोचत ह

हम तकम शाली लोग ह हम तरवचार करना जानत ह हम इतन जलदी स ककसी क भलाव म नही आत

इस दखन को आख चातरहए बदधतव को दखन क तरलए आख चातरहए अतदमतरषट चातरहए सकषम दतरषट चातरहए

एक तो सथल दतरषट होती ह जो सथल को दखती ह जब तम सथल स दखत हो तो सथल ही कदखायी िड़ता ह

तम जब ककसी को दखत हो तो उसकी आतमा तो कदखायी नही िड़ती उसकी दह कदखायी िड़ती ह चमड़ की

आख चमड़ की दह को दखन म समथम ह चमड़ क कान चमड़ क ओठो स उठी आवाज को सनन म समरथ ह

िर इस दह म तरछिा भी कोई बठा ह यह दीया खाली नही ह इसक भीतर एक जयोतरत जल रही ह उस

जयोतरत को दखन क तरलए य आख काफी नही ह और एक शबद तो ह जो ओठो स िदा होता ह और एक शबद ह

जो अहरनमश भीतर गज रहा ह--ओकार िरम नाद--वह तो कानो स सनायी नही िड़ता हम सकषम स ही सकषम

को दख सकत ह यह गतरणत सीधा ह

तो बदधो को दखन क तरलए अगर तम इनही आखो को लकर गए तरजन आखो स तमन जजदगीभर और सब

चीज दखी तो य आख काम न आएगी इन आखो को हटाना िड़गा नयी आख तलाशनी होगी कयोकक बदध म

तम शरीर को दखन तो नही गए हो शरीर तो और भी बहतो क िास ह बदध क शबद ही सनन तो नही गए हो

शबद तो सब तरफ काफी गजररत हो रह ह शबद और शरीर को दखन अगर तम बदध क िास गए तो तम बदध

क िास गए ही नही बदध क िास तो तम तरनःशबद को दखन गए हो अरि को िकड़न गए हो तरनराकार की

थोड़ी सी झलक तरमल जाए इसक तरलए गए हो उसक तरलए जररी होगा कक तमहार भीतर तरनराकार को िकड़न

वाली थोड़ी सी दतरषट तो िदा हो जरा तो भीतर की आख खल

धयान क तरबना बदध को नही िहचाना जा सकता ह तरवचार स बदध को नही िहचाना जा सकता ह धयान

स ही िहचाना जा सकता ह तरवचार स ससार जाना जाता ह धयान स िरमातमा धयान स भगवान िहचाना

जाता ह

इस दखन को चातरहए सकषम दतरषट अतदमतरषट चमड़ की आखो स यह कदखायी नही िड़ता और यह सगीत

ऐसा तो नही ह कक बाहर क कानो स सना जा सक

यह अतरत सकषम तल िर बज रहा ह अहरनमश बज रहा ह परतरतिल बज रहा ह लककन जब तम भी इतन

ही शात अिन भीतर हो जाओग तरजतनी शातरत म बदध का सगीत बज रहा ह तो मल बठगा बदध जस थोड़ स

होओग तो बदध स मल बठगा बदध क रग म थोड़ रगोग तो मल बठगा बदध जस हए तरबना बदध क साथ सबध

94

नही जड़ता थोड़ा सही जरा सी मािा म सही बदध होग तरवराट सागर तम एक बद ही बन जाओ सागर की

तो भी चलगा एक छोटी सी बद भी सागर स तरमलन म समथम हो जाती ह

तमन दखा एक छोटी सी बद को सागर म ढलका दो ततकषण तरमल जाती ह एक कषण की भी दर नही

लगती और तम एक बड़ी चटटान को लाकर सागर म डाल दो--बड़ी हो तो भी कया चटटान ह तरमलती नही बद

छोटी ह तो भी तरमल जाती ह बड़ी चटटान भी नही तरमलती बड़ी बतरदध लकर गए तम बदध क िास तो भी मल

नही होगा छोटा सा धयान लकर गए तो भी मल हो जाएगा कयोकक धयान सवभावतः सवरितः वसा ही ह

जस बदध ह और तरवचार का बदध स कोई सबध नही ह बदध ह तरनरवमचार तो तरनरवमचार की थोड़ी बद चातरहए

अगर बदधिररषो को िहचानना हो तो धयान म उतरना तमहारी आख िर धयान का रस आ जाए कफर

सब ठीक हो जाएगा कफर जो नही कदखायी िड़ता था कल तक अचानक कदखायी िड़गा जस तरबजली कौध

जाए जस अधर म दीया जल जाए और तम तब चककत होओग कक यह इतन करीब थी बात और इतन कदन

तक म था और कफर भी कदखायी नही िड़ती थी

यह िरमोतसव ह िरम भोग ह यह िरमातम-दशा ह

बदध की दशा इस जगत की दशा नही ह इस जगत क बाहर का ह कछ तम भी थोड़ बाहर होओ तो

िहचान होगी

तो जो दख सकत थ व आहलाकदत थ

सवभावतः जो दख सकत थ बदध को व आहलाकदत थ कयोकक बदध की मौजदगी म एक बात तरसदध हो

गयी थी कक हम भी यही हो सकत ह आज नही कल कल नही िरसो थोड़ी दर भला लग जाए लककन

आतमतरवशवास परतरततरित हो गया था तरजनहोन बदध को दख तरलया था िहचान तरलया था--सागर थ बदध लककन

अब बद भी आशा कर सकती थी कक म भी सागर हो सकती ह बदध बड़ तरवराट वकष थ लककन अब बीज भी

सिना दख सकता था वकष होन का बदध क वकष िर फल तरखल थ बदध सज खड़ थ लककन अब बीज भी सोच

सकता था कक दर होगी थोड़ा समय लगगा शरम होगा लककन कोई बात नही आज नही कल म भी फलाकर

अिनी शाखाओ को आकाश म खड़ा होऊगा म भी हवाओ म नाचगा म भी चाद-तारो स बात करगा मर भी

फल तरखलग बदध को दखकर तरजनको आनद हो गया था उनक भीतर बदध क िदा होन का िहला बीजाकर िड़

गया िहला अकरण शर हआ व गरभमत हो गए

जो बदध को दखकर आनकदत नही होत उनह िता नही व आतमघात कर रह ह बदध को दखकर ऐस भी

लोग ह जो दखी होत ह ऐस भी लोग ह जो जचतरतत और िरशान होत ह और उदास होत ह ऐस भी लोग ह जो

ईषयाम स भरत ह और जलन स भरत ह जो बदध को दखकर ईषयाम और जलन स भर गया जो बदध को दखकर

उदास और दखी हो गया जहसा स भर गया जो बदध को दखकर बदध क खडन म लग गया जो बदध को दखकर

इस चषटा म लग गया तरसदध करन की कक नही कोई बदध नही ह बदध होत ही नही यह सब धोखाधड़ी ह जो

इस चषटा म लग गया उस िता नही वह कया कर रहा ह वह अिन ही हाथ स अिनी जड़ काट रहा ह बदध क

खडन स बदध का तो खडन नही होगा तमहार भतरवषय म बदधतव की सभावना कषीण हो जाएगी

बदध क खडन स बदध का कया तरबगड़गा बदध का न कछ बनगा न कछ तरबगड़गा लककन तम अिन भतरवषय

को अधकार म कर लोग जब बदधतव होता ही नही तो तम कस ककसी कदन बदध हो िाओग तम अिन तरवशवास

को--जनम सकता था उस न जनमन दोग जो बीज अकर बन सकता था तम उस मार डालोग यह तमहारा

गभमिात हो गया तमन अिन भतरवषय को तोड़ कदया तम अिन अतीत स टग रह गए

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तरजन लोगो को बदध को दखकर आहलाद िदा होता ह उनका अतीत समापत हआ और भतरवषय का परारभ

हआ उनक जीवन म नए क होन की सभावना आ गयी सभावना न दवार खोला तरवकास अब हो सकता ह

तो अगर तम आहलाकदत न हो सको बदधो को दखकर तो कम स कम दखी तो मत ही होना धनयभागी

हो अगर आहलाकदत हो सको अगर उनक साथ नाच सको उनक गीत म डब सको तम धनयभागी हो अगर

यह न हो सक तो कम स कम दखी तो मत होना नाराज मत होना आकरामक मत हो जाना कयोकक बदधो का

तरवरोध अिन ही हाथो अिना आतमघात ह इसक अतरतररि कछ भी नही जब भी तमन ककसी भगवतता का

तरवरोध ककया ह तभी तमन तय कर तरलया कक अब तम भगवान होन क तरलए तयार नही हो तभी तमन तरनणमय

ल तरलया कक म जो ह बस यही रहगा आग बढ़न की मरी कोई आकाकषा नही ह

जो तमस आग ह उसक साथ आग बढ़ जाओ उस इनकारो मत उसक साथ नाच लो उसी नतय म तम

गतरतमान हो जाओग

तो जो दख सकत थ आहलाकदत थ जो सन सकत थ मसत हो रह थ और जो आहलाकदत थ और मसत

हो रह थ उनक तरलए सवगम रोज-रोज अिन नए दवार और अिन नए रहसय खोल रहा था

यह यािा ऐसी ह कक कभी चकती नही तरजतना बढ़ो उतनी बढ़ती जाती ह तरजतना खोलो उतन नए

रहसय की सभावनाए िदा होती जाती ह रहसय का कोई अत नही ह आधयातरतमक यािा का परारभ तो ह अत

नही यह अनत की यािा ह सो अनत यािा ह

िर सभी इतन भागयशाली नही ह कथा कहती ह आदमी अभागा भी ह बहत तो थ तरजनहोन बदध को

सना नही बहत थ तरजनहोन सना तो सवीकारा नही और बहत ऐस भी थ कक सन तरलया सवीकार भी कर तरलया

और बदध क िास आकर दीतरकषत भी हो गए सनयसत भी हो गए तो भी बदध क िास नही आ िाए

ककसी गलत कारण स दीकषा ल ली होगी ककसी गलत कारण स सनयसत हो गए होग आदमी की गलती

इतनी परगाढ़ ह कक वह गलत कारणो स ससार म होता ह और कफर ककसी कदन सनयास भी लता ह तो गलत

कारणो स सनयास ल लता ह गलत कारणो स तरलया सनयास तो काम नही आता

ऐसा ही एक तरभकष था वजजीितत उसका नाम था वह ररि ही आया और ररि ही था और वरषो बदध क

िास हो गए थ रहत सनता था जो बदध कहत करता भी था ऊिर-ऊिर ही लककन सारी बात थी भीतर कही

बतरनयाद म ही भल हो गयी थी कही जड़ म चक हो गयी थी आया भी था लककन आ नही िाया था दसर

कहत थ भगवान ह तो सवीकार भी करता था लककन बदध क भगवान होन की परतीतरत तरनज नही थी भीतर स

नही हई थी लोभ क कारण दीतरकषत हो गया होगा यह सोचकर दीतरकषत हो गया होगा कक शायद सनयास म

सख हो

शायद आधार रहा होगा सनयास का परतीतरत नही थी लोभ था सनयास म सख ह ऐसा कदखायी नही

िड़ा था बदध भी आनकदत ह ऐसा कदखायी नही िड़ा था बदध आनद की बात करत ह ऐसा सनायी िड़ा था

बदध आनद की बात करत ह तो भीतर आनद की आकाकषा भी िदा हई होगी--म भी आनद िाऊ शायद बदध

कहत ह ठीक ही कहत होग दखी रहा होगा जस सभी दखी ह उस दख क बीच बदध की आनद की बातो को

सनकर लोभ जगा होगा वासना जगी होगी महतवाकाकषा िदा हई होगी इसी महतवाकाकषा क कारण दीतरकषत

हो गया था

महतवाकाकषा क कारण जो दीतरकषत होता ह उसकी दीकषा बतरनयाद स ही रगण हो गयी समझ क कारण

सनयास हो तो ही ठीक महतवाकाकषा तो नासमझी ह महतवाकाकषा ही तो ससार ह ससार म दौड़त हो कक धन

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तरमल जाए तो सख होगा िद तरमल जाए तो सख होगा कफर हार-थक न िद स तरमलता सख न धन स तरमलता

सख दख ही दख बढ़ता जाता ह कफर एक कदन सनत हो ककसी बदधिररष को कक इस सबको छोड़ दो तो सख

होगा तो तम सोचत हो--चलो इसको भी दख ल करक ऐस जजदगी तो जा ही रही ह िद और धन म दौड़कर

आधी तो गवा ही दी ह कछ बची ह थोड़ी शायद यह आदमी ठीक कहता हो चलो एक मौका इसको भी दो

लककन तमह इस आदमी म आनद कदखायी नही िड़ा ह

इस भद को खयाल म रखना दो तरह क सनयासी सदा होत रह ह एक लोभ क कारण और दसरा

तरजसन बदध को भर आख दखा िहचाना उनकी सगध ली उनक सगीत को सना और तरजसक भीतर यह शरदधा

जनमी कक हा यहा सख ह इस आदमी म सख नाच रहा ह ऐसी तरजनको परतीतरत हई उस परतीतरत क कारण

सनयसत हए जो परतीतरत क कारण सनयसत होता ह उसका बदध स सीधा सबध जड़ गया जो महतवाकाकषा क

कारण सनयसत हआ उसस बदध का कोई सबध नही वह अभी भी अिनी िरानी ही दतरनया म ह वसतर बदल

तरलए जीवन का ऊिरी ढाचा बदल तरलया घर-दवार छोड़ कदया ितनी-बचच छोड़ कदए तरभकषािाि हाथ म ल

तरलया मगर यह सब नाटक ह और थोड़-बहत कदनो म यह बात तो भीतर उठन ही लगगी कक इतनी दर हो

गयी अभी तक सख तो तरमल नही रहा ह और नाटक स सख तरमलता नही नाटक स तरमल सकता नही

तो थोड़ कदनो म उसको कफर घबड़ाहट शर हो जाएगी यह डर भी शर होगा कक हो सकता था म

ससार म ही रहा आता कम स कम कछ तो था शायद थोड़ कदन और महनत करता और थोड़ा धन तरमल जाता

तो सख होता और बड़ िद िर िहच जाता तो सख होता यह छोड़कर तो म झझट म िड़ गया न घर क रह न

घाट क यह तो मरी धोबी क गध की हालत हो गयी वह ससार गया और यहा कछ तरमलता नही मालम

िड़ता

एक जन मतरन न मझ कहा--उनकी उमर सततर वरषम ह सरल आदमी ह तरहममतवर होग तभी मझस कह

सक बहत तरहममतवर नही ह इसतरलए जब मझस कहा तो वहा जो और लोग बठ थ उनस कहा आि किा

करक यहा स चल जाए मझ कछ तरनजी बात करनी ह व उनही क तरशषय थ जो बठ थ मन उनस कहा बठ

रहन द इनको भी कछ लाभ होगा उनहोन कहा कक नही इनह हटाए जब व सब चल गए तब उनहोन मझस

कहा कक मझ एक दख की बात कहनी ह और इनक सामन नही कह सकता था कया दख की बात ह तो उनहोन

कहा िचास साल हो गए मझ मतरन हए जब बीस साल का था तब सनयास तरलया था लककन सख तो तरमला

नही यह म ककसस कह शरावको स तो कह नही सकता इनको तो म यही समझाता ह कक बड़ा सख ह इनको

तो म यही समझाता ह कक तम कहा दख म िड़ हो छोड़ो ससार समझाता तो ह लककन भीतर डर भी लगता

ह कक म इनको कया कह रहा ह सख तो मझ भी नही तरमला भीतर जचता भी िदा होती ह कक म इनह कही

ककसी गलत मागम िर तो नही ल जा रहा ह कयोकक जो मझ नही तरमला वह इनह कस तरमलगा आिस तरनवदन

करता ह कक मझ सख नही तरमला आया था सख की तलाश म इसी खोज म आया था

उस कदन उन जन मतरन को मन यह वजजीितत की कथा कही थी उनको मन कहा था यह कथा सन आि

गलत कारणो स सनयास ल तरलए ह आि लोभ म सनयास ल तरलए ह आिका सनयास ससार का ही एक रि ह

यह सनयास ह ही नही िचास साल नही िाच सौ साल बठ रहो कछ भी न होगा ककड़ को दबा दो जमीन म

और बठ रहो िाच सौ साल तो कही अकर थोड़ ही आन वाला ह बीज दबाना होगा ककतनी दर बठ रह

इसस थोड़ ही सबध ह मौसम भी आएगा और चला जाएगा वसत भी आएगा और बीत जाएगा वरषाम भी

होगी और बीत जाएगी--ककड़ म स अकरण थोड़ ही होता ह लोभ स कभी कोई सख नही तरनकलता

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अब इस समझना

ससार म दख ह ऐसा मत समझो लोभ म दख ह लोभ क कारण ससार म दख ह अगर ससार म रहत

हए भी लोभ छट जाए तो ससार म भी दख नही ह खयाल करना ससार म दख नही ह लोभ म दख ह ऐस

लोग भी हए ह इस जगत म जो ससार म रहकर सख को उिलबध हए

अषटावकर की महागीता म तमन दखा न जनक ससार म रह अषटावकर भी ससार म रह और िरम सख

को उिलबध हए कषण ससार म रह और िरम सख को उिलबध हए मोहममद न भी सनयास नही तरलया ससार

म ही रह और िरम सख को उिलबध हए नानक और कबीर दाद और रदास िरम सख को उिलबध हए

ससार म दख नही ह दख लोभ म ह इसका यह अथम हआ कक लोभ ही ससार ह लोभ गया तो ससार गया

अब होता कया ह ससार तो तम छोड़ दत हो और लोभ बचा लत हो तो तमन जहर तो बचा तरलया

असली चीज तो बचा ली भीतर का जहर तो बचा तरलया बोतल फक दी बोतल फकन स कछ भी न होगा

बोतल म जहर था भी नही बोतल जहर थी भी नही जहर तो बचा तरलया असली चीज तो बचा ली--लोभ--

लोभ क कारण सनयसत हो गए तो िचास साल नही िचास जनम तक सनयासी रहो कछ भी न होगा तम

बार-बार ससार म लौटोग

लोभ दख ह ऐसी परतीतरत हो जाए और ऐसी परतीतरत का सबस सगम उिाय यही ह कक ककसी बदधिररष

को अवसर दो ककसी बदधिररष क िास शात होकर बठो सतसग करो ककसी बदधिररष क िास तमह ऐसा

कदखायी िड़ जाए कक लोभ इस आदमी म नही ह और िरम सख की वरषाम हो रही ह यह परतीतरत तमहार भीतर

साफ हो जाए यह ककरण एक बार उतर जाए कफर सनयास आएगा कफर तम ससार म रहो कक ससार क बाहर

रहो तम कही भी रहो सख तमहारा छाया की तरह िीछा करगा लोभ स सग-साथ छटना चातरहए सारी

सातरजश लोभ की ह

तो ररि ही आया था यह वजजीितत और ररि ही था आ भी गया था और आया भी नही था ऊिर-ऊिर

स मौजद था बदध क िीछ चलता था लककन बदध इस अभी कदखायी ही नही िड़ थ िीछ कस चलोग िीछ तो

उसक चल सकत हो जो कदखायी िड़ा हो अध की तरह अधर म टटोलता था सामन रोशनी खड़ी थी लककन

आख बद हो तो रोशनी कदखायी नही िड़ती सामन दीया जल रहा था इस जल दीए स अिना बझा दीया

जलाया जा सकता था लककन बझा दीया जलाना हो तो जल दीए क करीब आना िड़ बहत करीब आना िड़

इतन करीब आना िड़ कक जल दीए की लौ एक छलाग लगा सक और बझ दीए की लौ िर सवार हो जाए इसी

सातरननधय का नाम सतसग ह इसी सातरननधय क तरलए सकदयो स लोग बदधिररषो क िास रह ह उनक तरनकट रह ह

तरजतन तरनकट हो जाए तरजतनी समीिता हो जाए

कफर आयी आतरशवन िरणममा की रातरि उस रातरि वशाली म महोतसव मनाया जाता था रागरग का कदन

था लोग खब नशा करत ह लोग खब नाचत ह वशयाए सजकर तरनकलती सारा नगर भोग म लीन होता उस

कदन दीन-दररदर भी अचछ वसतर िहनत वह रातरि भोग की रातरि थी

वशाली रागरग म डबा था नगर स सगीत और नतय की सवर-लहररया भगवान क तरवहार-सथल महावन

तक आ रही थी

महावन वशाली क बाहर था--नगर क बाहर नदी क उस िार नगर क उतसव की लहर नगर म जल

होग दीि कदवाली थी नगर म यवक-यवतरतया सजकर तरनकल थ सब तरफ नाच था सब तरफ मसती थी उस

रात जस ससार म कोई दख नही था

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बदध की सवर-लहररया तो सनायी नही िड़ी थी वजजीितत को लककन वशाली की य सवर-लहररया

सनायी िड़ी बदध का सख तो नही कदखायी िड़ा था वजजीितत को लककन नगर म य दखी लोग जो शराब

िीकर नाच रह ह य दखी लोग जो जीवनभर दखी रह ह--सालभर दखी रहत ह और साल म एक कदन ककसी

तरह अिन को समझात ह कक सख ह--इनम उस सख कदखायी िड़ा जहा सख जरा भी नही था और ऐसा भी

नही था कक इस दतरनया स वह अिररतरचत हो इसी दतरनया स आया था इन उतसवो म वह भी सतरममतरलत हआ

होगा लककन आदमी सीखता कहा अनभव स भल-भल जाता ह चक-चक जाता ह इसी दतरनया स आया था

इनही गतरलयो स आया था इनही वशयाओ क दवारो िर उसन भी नाच-गान दख होग इसी तरह शराब िी होगी

इसी तरह रागरग म डबा होगा--भल गया सब कक सख वहा था तो म यहा आता ही कयो आज कफर मन

लभान लगा

वह तरभकष गाज-बाजो की य आवाज सन अतरत उदास हो गया उस लगा म तरभकष हो वयथम ही जीवन गवा

रहा ह

ऐसा बहत बार तमह लगगा धयान करत वि लगगा--कया कर रहा ह इतना समय वयथम जा रहा ह

इतनी दर रतरडयो ही सन लत तरसनमा ही दख आत गाव म सरकस आया ह इतनी दर ताश ही खल लत तरमिो

स गिशि कर लत यह म कया कर रहा ह धयान कर रहा ह पराथमना कर रहा ह इस िजागह म बठा म कया

कर रहा ह सनयसत होकर भी बहत बार तमह यह खयाल आएगा कक म कया कर रहा ह इसम सार कया ह

मन बार-बार ससार की तरफ लौट जाना चाहता ह कयो कयोकक मन का जीवन लोभ क साथ ह लोभ

क तरबना मन ऐस ही ह जस मछली सागर क तरबना जस मछली तड़फती ह--सागर की रत िर डाल दो तड़फती

ह सागर क तरलए--ऐसा मन तड़फता ह लोभ क तरलए कयोकक लोभ म ही मन जीता ह लोभ क तरबना मन मर

जाता ह

म सनयास ल कसी उलझन म िड़ गया सोचन लगा वजजीितत ऐसा अवसर मार--शतान--चकता नही

शतान मन का ही नाम ह मन तो उस खब उकसान लगा और मन न तो उस खब फसलाया खब

परलोभन कदए खब सबजबाग कदखाए कक ससार म कस-कस मज ह सतरी का मजा ह शराब का मजा ह नाच का

मजा ह भोजन का मजा ह वसतरो का मजा ह महलो का मजा ह--मजा ही मजा ह त यहा कया कर रहा ह

तरभकषािाि तरलए बठा ह मढ़ य बाकी मढ़ ह इनक साथ त भी मढ़ हो गया ह जरा दख बदध क साथ ककतन

लोग ह थोड़ स उगतरलयो िर तरगन जा सक इतन लोग ह वहा दख ससार म ककतन लोग ह य सभी लोग

नासमझ तो नही हो सकत य थोड़ स लोग ही बतरदधमान ह त ककस झझट म िड़ गया त ककन की बातो म

उलझ गया ठीक ही तो कहत थ लोग कक बदध की बातो स बचना सममोतरहत मत हो जाना तन सना नही सन

लता अचछा था अभी भी कछ तरबगड़ा नही ह अभी भी जजदगी ह दर अभी भी नही हो गयी ह अभी भी

भाग जा

आतरखर उसन रात जागत-जागत तय ही कर तरलया कक कल सबह भाग जाऊगा हो जाऊगा वािस

ससारी

सभी का मन बार-बार सनयास स भागता ह और ससारी हो जाना चाहता ह मन की मौत ह सनयास

अहकार की मौत ह सनयास तो अहकार और मन तमह समझाएग सावधान रहना सावचत रहना

लककन इसक िहल कक वह भाग जाता भगवान न उस बलाया

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सदगर का यही तो अथम ह कक तमह भागन न द तम जब भागन लगो तब रोक सदगर का इतना ही तो

परयोजन ह इसीतरलए तो आदमी सदगर को खोजता ह अिन वश नही ह बात अिन वश तो तम भाग ही

जाओग कोई रोक न ल तो तम रक न िाओग कोई तमहारा हाथ न थाम ल तो तम रक न िाओग

बदध न कभी उस बलाया नही था लककन आज न बलाए तब तो कफर बहत दर हो जाएगी भाग गया तो

भाग गया कफर तरगर जाएगा उसी िक म उसी कीचड़ म कमल बनन का अवसर तरमलन ही वाला था कक कफर

कीचड़ म तरगरन की तयारी कर रहा ह दखत होग वजजीितत को सोचत होग बहत बार कक यह वसततः सनयासी

तो अभी हआ नही परतीकषा करत होग कक आज नही कल कल नही िरसो हो जाएगा लककन अगर यह भाग

गया तब तो सारी सभावनाए समापत हो जाएगी यह तो आतमघात म उतसक ह अब दर नही की जा सकती

तो बदध न उस बलाया

वह तो बहत डरा भी लककन सोचा--मन ककसी को कहा भी तो नही

लककन सदगर का अथम ही कया होता ह सदगर का अथम इतना ही होता ह कक जो तरशषय क भीतर घटता

हो वह गर को सवाकदत होता रह--तरशषय कह या न कह अकसर तो ऐसा होता ह कक तरशषय कछ कहता ह वह

तो कहता ही नही जो उसक भीतर होता ह अकसर तो हम तरशषटाचार म ही झठी बात कहत रहत ह कछ

कहता ह कछ कहना चाहता ह कछ भीतर होता ह लककन गर इसकी कफकर नही करता ह कक तम कया कहत

हो कया नही कहत हो गर तो वही दखता ह कया ह

तरशषय तो गर को भी धोखा दन की कोतरशश करता ह यह भी सवाभातरवक ह कषमा योगय ह कयोकक जो

अिन को ही धोखा द रहा ह वह गर को कस धोखा दन स बचगा धोखा दना ही तरजसकी कशलता ह धोखा

दना ही तरजसक जीवन का सारा सार-सचय ह वह बचगा भी कस वह तो गर को भी धोखा दता ह लककन

गर तो दिमण ह जो तमहार भीतर उठता ह वह गर क भीतर घट जाता ह जो मघ तमहार भीतर घमड़त ह

उनकी छाया गर क भीतर िड़न लगती ह जो सिन तमहार भीतर उठत ह गर को उनकी गध लग जाती ह

उनकी िगधवतरन सनायी िड़ जाती ह

सोचा--मन अिनी बात तो ककसी को कही भी नही ह शायद कछ और कारण होगा लककन कफर बदध न

सारी कथा कही उसक मन का सारा राज कहा तरवसतार स सारी बात कही एक-एक रग-ढग जो उसक मन म

उठा था और उसक मन न शतान न उस जो-जो बात समझायी थी वह भी सब कही उस कदन उसकी आख

खली उस कदन उस समझ म आया वह ककसक िास ह

िास रहकर भी अब तक समझ म न आया था आज िहली दफ बदध की करणा परगट हई बदध की दतरषट

परगट हई और बदध की जचता उसक तरलए बदध का परम उसक तरलए अब तक तो शायद कई बार यह भी सोचा

होगा कक बदध औरो की तो कफकर करत ह मरी कोई कफकर नही करत वरषो हो गए िता नही मरी याद भी करत

ह कभी मझ कभी बलाया भी नही मरी तरफ कभी धयान भी नही कदया इतनी तो भीड़ ह तरशषयो की इसम

कहा वजजीितत की याद होगी करोतरधत भी हआ होगा मन म नाराज भी हआ होगा कई बार सोचा भी होगा

कक कया रखा ह यहा रहन म जहा अिनी कोई जचता करन वाला नही घर था तो कम स कम मा कफकर करती

थी तरिता कफकर करत थ बचच कफकर करत बढ़ा हो जाता यहा तो कोई कफकर करन वाला कदखायी नही िड़ता--

और बदध तो अतरलपत ह दर ह बहत दर ह आज िहली दफ उस लगा कक अतरलपत म भी करणा होती ह जो दर

ह उसस भी जो भटक ह उनक तरलए जचता उठती ह

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तरनतरित ही अिन दख स बदध मि हो गए ह लककन तरजस कदन कोई वयतरि अिन दख स मि हो जाता

ह उस कदन सभी का दख उस कदखायी िड़न लगता ह अिनी कोई जचता नही बची ह लककन तरजस कदन अिनी

जचता नही बचती उस कदन सार ससार की जचता सालन लगती ह अिनी तरफ स तो आ गए मतरजल िर

लककन मतरजल िर आत ही एक बड़ उततरदातरयतव का जनम हो जाता ह और वह उततरदातरयतच यही ह कक जो

िीछ भटक रह ह और टटोल रह ह उनको राह कदखाओ

बदध क जीवन म कथा ह कक जब वह मर और सवगम क दवार उनक तरलए खल तो वह दवार िर ही खड़ रह

गए िीठ करक खड़ रह गए दवारिाल न कहा आि परभ भीतर आए हमन सवागत की तयाररया की ह जनमो-

जनमो म कभी अनत-अनत यगो म कोई बदध होकर आता ह सारा सवगम सजा ह अपसराए नाचन को तयार ह

दवता सगीत वादय तरलए उतसक ह फल बरसान की तयाररया ह सारा सवगम सजा ह आि भीतर आए आि उस

तरफ मह करक कयो खड़ हो गए ह बदध न कहा कस अभी भीतर आऊ और बहत लोग ह म भीतर आ जाऊ

तो औरो का कया होगा म रकगा म इस दवार िर ही रकगा कयोकक इस दवार स मरी आवाज दसरो तक िहच

सकगी भीतर आ गया तो कफर मरी आवाज क िहचन का कोई उिाय नही म अनत काल तक रकगा जब और

सार लोग परतरवषट हो जाएग सवगम म तरगनती कर लगा कक सभी परतरवषट हो गए तब म आतरखरी आदमी परतरवषट

होऊगा

यह कथा मीठी ह अिवम कथा ह महाकरणा की कथा ह

उस कदन लगा वजजीितत को कक बदध की अतरलपतता म करणा की ररिता नही ह महाकरणा की लहर ह

उस कदन उसकी आख खली उस कदन उसन जाना कक वह ककसक िास ह ऐस वह वरषो स साथ था िर उस

कदन सतसग बना

सतसग उसी कदन बनता ह तरजस कदन गर की मतरहमा परगट होती ह तरजस कदन गर का गरतव परगट होता

ह तरजस कदन गर का गरतवाकरषमण परगट होता ह तरजस कदन गर की करणा साफ होती ह उस कदन बदध की

परतरतमा उस कदखायी िड़ी तरमली होगी झलक एक अधर म दखा होगा बदध का परकाशमान रि उस कदन बदध

का दीया ही महतविणम न रहा बदध की भीतर की जयोतरत स थोड़ा सबध बना उस कदन सतसग हआ उस कदन

बदध की दह न रही मलयवान बदध की अतरातमा बदध क भीतर तरछिा हआ तरनराकार तरनःशबद

परम म ही सतसग बनता ह उस कदन उस परमाण तरमला कक बदध का परम ह उसक परतरत इस बदध क परम म

ही उसक भीतर भी परम जगा होगा--परम न परम को िकारा परम न परम क हाथ म हाथ द कदया उस कदन स

नाच शर हआ उस कदन स उतसव शर हआ उस कदन स उदासी न रही उस कदन स एक अिवम आनद की वरषाम

होन लगी

इस वजजीितत तरभकष स ही भगवान न य गाथाए कही थी--

गलत परवजया म रमण करना दषकर ह

गलत परवजया यानी लोभ स तरलया गया सनयास

न रहन योगय घर म रहना दखद ह

अब यह जो तन लोभ का घर बना तरलया यह रहन योगय था ही नही तन घर का नाम बदल तरलया

ससार की जगह सनयास तरलख कदया मगर यह गलत घर गलत ही था रहता त उसी म रहा यह लोभ क घर

को तरगरा द

असमान या परतरतकल लोगो क साथ रहना दखद ह ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

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त लोभ को छोड़ लोभ क कारण गलत घर बना तरलया लोभ क कारण गलत लोगो स सबध जोड़ तरलया

लोभ क कारण असमान और परतरतकल लोगो क साथ सबध जड़ता ह लोभ क कारण ही शिता िदा होती ह

लोभ क कारण ही तथाकतरथत तरमिता िदा होती ह लोभ क कारण मोह बनता ह दवरष बनता ह लोभ क कारण

घणा आती ह जहसा आती ह लोभ स सारा फलाव होता ह कफर इन सबक साथ रहना िड़ता ह--घणा जहसा

ईषयाम मतसर मद अहकार और इनक साथ रहना दखद ह एक तो लोभ का घर और य सगी-साथी

इसतरलए ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

ससार का अथम ह लोभ लोभ क मागम का ितरथक न बन

शरदधा और शील स सिनन हो

सदह स कोई कभी सख तक नही िहचा शरदधा स िहचत लोग सख तक

शरदधा और शील स सिनन

और शील का अथम होता ह लोभ को छोड़कर जो जीवन म आचरण बचता ह उसका नाम शील ह लोभ

क कारण जो आचरण ह वही कशीलता ह लोभमि जो आचरण ह वही शील ह उसका सौदयम अिवम ह

अब तम सोचो अगर तम धयान करन भी लोभ क कारण बठ तो धयान शील नही ह यह बदध की अनठी

वयाखया ह बदध कहत ह धयान का मजा लन क तरलए ह धयान म ही रस लन क तरलए बठ कोई लोभ नही ह

कछ और िान की इचछा नही ह धयान करन म ही सारा मजा ह धयान क बाहर कोई लकषय नही ह कोई

फलाकाकषा नही ह धयान अिन म ही अिना फल ह

मर िास लोग आत ह व कहत ह धयान करग तो कया तरमलगा कया लाभ कया होगा उनकी समझ म

ही यह बात नही आती कक धयान और लाभ का कोई सबध नही ह कयोकक लाभ का सबध लोभ स होता ह

लाभ तो लोभ का िि ह धयान का लोभ स कोई सबध नही ह लाभ स कोई सबध नही ह धयान तो ऐसी तरचतत

की दशा ह जब तम कछ भी नही मागत न कछ चाहत न कही जाना चाहत न कछ होना चाहत धयान तो

िरम सततरषट ह कहा लाभ कहा रोगो की बात उठा रह हो कहा बीमाररया ला रह हो लाभ म तो तनाव ह

कफर लाभ म जचता ह कफर कम हआ कक जयादा हआ तो अहकार ह या तरवरषाद ह कफर तो उिदरव शर हो जात

ह कफर और जयादा हो कफर और जयादा हो कफर और की दौड़ िदा होती ह और की दौड़ ही तो मन ह कफर

ससार का चाक घमन लगता ह

तो बदध कहत ह शरदधा और शील स सिनन यश और भोग स मि िररष

कछ भोग ल कछ िा ल कछ बन जाऊ--यश की आकाकषा--कछ बन जाऊ कक राषटरितरत हो जाऊ कक

परधानमिी हो जाऊ कक धनितरत हो जाऊ कक बड़ा परतरसदध हो जाऊ कछ हो जाऊ--यश--और कछ भोग ल इन

दो आकाकषाओ स ही इन दो िरो स ही सारा ससार चल रहा ह यश और भोग

चीन म एक कथा ह एक समराट अिन मिी क साथ महल िर खड़ा था और सागर म हजारो नौकाए चल

रही थी हजारो जहाज चल रह थ समराट न अिन वजीर स कहा--वजीर बढ़ा था--उस बढ़ वजीर स कहा

दखत ह हजारो जहाज समदर म चल रह ह उस बढ़ वजीर न दखा और उसन कहा कक नही महाराज जहाज

तो दो ही ह समराट बोला दो आिकी आख तो ठीक ह न उमर न कही आख तो खराब नही कर दी नही

उसन कहा कक दो ही जहाज ह--यश और भोग बाकी सब जहाज तो ठीक ही ह बाकी उनही क कारण चल रह

ह अगर इन सब जहाजो को बाटा जाए तो दो कतारो म बट जाएग कोई यश क तरलए चल रहा ह कोई धन क

तरलए चल रहा ह

102

दतरनया म दो ही तो महतवाकाकषाए ह--एक धन की महतवाकाकषा और एक िद की महतवाकाकषा दतरनया

म दो ही तो राजनीतरतया ह--एक िद की राजनीतरत एक धन की राजनीतरत

इन दो स जो मि ह बदध कहत ह वह जहा भी जाता ह सवमि ितरजत होता ह

यह बड़ी अनठी बात ह जो यश क भाव स मि ह उस यश तरमलता तरजस यश की आकाकषा नही उस

यश तरमलता और तरजस भोग का कोई खयाल नही रहा उस िरम भोग उिलबध होता ह उस िर भोग की वरषाम

हो जाती ह

तरदवतीय दशय--

भगवान क शरावक अनाथजिडक सठ की लड़की चलसभददा का तरववाह उगरनगरवासी उगगत सठ क िि स

हआ था उगगत सठ तरमथया-दतरषट था वह िाखतरडयो का आदर करता था धमम म नही चमतकारो म उसकी शरदधा

थी सो मदाररयो और जादगरो और धतो का उसक घर म बड़ा सममान था इन तरह-तरह क ढोतरगयो क आन

िर वह चलसभददा को भी उनह परणाम करन क तरलए कहता था वह समयक-दतरषट यवती इन तथाकतरथत साधओ

सतो और महातमाओ क िास जान म तरझझकती थी और ककसी न ककसी तरह टाल जाती थी

तरजसन बदध क चरणो म तरसर रखा हो कफर हर ककसी क चरणो म तरसर रखना करठन हो जाता ह और

इसम कछ आियम भी नही तरजसन कोतरहनर जाना हो कफर उस ककड़-ितथर नही लभा सकत ह

लककन उसका यह वयवहार उसक ससर को कषटकर होन लगा उसक ितरत को भी कषटकर होन लगा

उसकी सास को भी कषटकर होन लगा वह सारा िररवार ही िाखतरडयो क जाल म था उनक अहकार को चोट

लगती थी उनह यह बात ही बहत कषटकर मालम होती थी कक उनक महातमा िाखडी ह यह बात उनक

बरदाशत क बाहर होन लगी

एक कदन वह आगबबला हो उठा और करोध म सभददा स बोला--त सदा हमार साधओ का अनादर करती

ह सो बला अिन बदध को और अिन साधओ को हम भी तो उनह दख दख कया चमतकार ह उनम और दख

कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

चलसभददा न ससर की ऐसी बात सनकर जतवन की ओर परणाम करक आनद आसओ स भरी हई आखो

स कहा--भत कल क तरलए िाच सौ तरभकषओ क साथ मरा भोजन सवीकार कर मझ भला तो नही कदया ह न

और मरी आवाज तो आि तक िहचती ह न म ह चलसभददा और कफर उसन तीन मटठी जही क फल आकाश की

ओर फ क व फल वही जमीन िर तरगर िड़ ससर और उसका सारा िररवार इस िागलिन िर खब हसा

कयोकक जतवन वहा स मीलो दर था जहा बदध ठहर थ और जब फल ही नही गए तो सदश कया खाक जाएगा

लककन चलसभददा भगवान क सवागत की तयाररयो म सलगन हो गयी

अब दशय बदल चल जतवन--

भगवान बोलत थ--सबह-सबह की घड़ी होगी--बीच म अचानक आधा वाकय था अटक गए बोल नही

रक गए और बोल--तरभकषओ जही क फलो की गध आती ह न और उनहोन उगरनगर की ओर आख उठायी तभी

अनाथजिडक न खड़ होकर कहा--भत कल क तरलए मरा भोजन सवीकार कर भगवान न कहा--गहितरत म कल

क तरलए तमहारी बटी चलसभददा दवारा तरनमतरित ह उसन जही क फलो की गध क साथ अभी-अभी आमिण

भजा ह अनाथजिडक न चककत होकर कहा--भत चलसभददा यहा स मीलो दर ह वह कस आिको तरनमतरित की

ह म उस यहा कही दखता नही भगवान हस और उनहोन कहा--गहितरत दर रहत हए भी सतिररष सामन खड़

103

होन क समान परकातरशत होत ह म अभी सभददा क सामन ही खड़ा ह शरदधा बड़ा सत ह वह समय और सथान

की सभी दररयो को जोड़न म समथम ह वसततः शरदधा क आयाम म समय और सथान का अतरसततव ही नही ह

अशरदधाल िास होकर भी दर और शरदधाल दर होकर भी िास ही होत ह और तब उनहोन य गाथाए कही--

दर सतो िकासतरत तरहमवतो व िबबता

असततथ न कदससतरत रतरतततरखतता यथासरा

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया

सत दर होन िर भी तरहमालय िवमत की भातरत परकाशत ह और असत िास होन िर भी रात म फ क बाण

की तरह कदखलायी नही दत

एक ही आसन रखन वाला एक ही शयया रखन वाला और अकला तरवचरन वाला बन और

आलसयरतरहत हो और अिन को दमन कर अकला ही वनात म रमण कर

िहल इस मीठी कहानी को समझ

अनाथजिडक बदध क खास शरावको म एक था उसका असली नाम कया था भल ही गया ह बदध उस

अनाथजिडक कहत थ कयोकक वह बड़ा दानी था अनाथो को दता था अनाथो को दन क कारण अनाथजिडक

था जतवन उसी की भतरम थी जो उसन बदध को भट की थी उसकी बटी थी चलसभददा बचिन स ही बदध की

छाया म बड़ी हई थी जतवन म बदध अकसर ठहरत थ य इतनी जो कहातरनया मन कही बहत सी कहातरनयो म

जतवन म तरवहरत थ जतवन म तरवहरत थ आता ह जतवन अनाथजिडक दवारा कदया गया जगल था बदध क

तरलए

छोटी थी तभी स चलसभददा न बदध की तरफ दखना शर ककया था सौभागयशाली थी धनयभागी थी

कयोकक तरजनह बचिन स बदधिररषो का साथ तरमल आए उसस बड़ी और कोई बात नही कयोकक बचचो क हदय

होत ह सरल उन िर छाि जलदी िड़ती ह गहरी िड़ती ह तरजतनी दर होती जाती ह उतनी मतरशकल होती

जाती ह उतनी जरटलता हो जाती ह बड़ होकर और हजार बात बाधा बन जाती ह बचच क सामन कोई बाधा

नही होती बचच तो एक अथम म बदध क तरनकटतम होत ह उनह मौका तरमल जाए तो उनकी वीणा तो जलदी बजन

लगती ह उनह मौका तरमल जाए तो उनका धयान तो जलदी लगन लगता ह मौक की ही बात ह

चलसभददा सौभागयशाली थी अनाथजिडक बदध का दीवाना शरावक था बदध क िीछ िागल होकर घमता

था जहा बदध जात वही जाता था और अकसर बदध उसकी भतरम म तरनवास करत थ तो चलसभददा बचिन स

ही बदध की वाणी िर िली थी दध क साथ ही उसन बदध का समरण भी िीया था

कफर उसका तरववाह हआ तरजसक यहा तरववाह हआ--उगगत सठ क िि स उगरनगरवासी--उसकी बदध म

कोई शरदधा न थी उसन बदध को कभी दखा भी न था उसकी शरदधा तो चमतकारो म थी तो बाजीगर जादगर

मदारी कोई सथल बात कदखलाए इसम उसकी शरदधा थी उसक घर म ऐस िाखतरडयो की कतार लगी रहती

वह चलसभददा को भी सवभावतः कहता था कक हमार गर आए ह उनक चरण छओ

चलसभददा मतरशकल म िड़ती होगी--इनकार भी नही करना चाहती थी और तरजसन बदध क चरण छए

हो कथा कहती ह अब हर ककसी क चरण छना करठन हो जाता ह तरजसन बदध को दखा हो कफर और कोई

104

सरत मन नही भाती तरजसन बदध स थोड़ी सी भी सगतरत बाध ली हो कोतरहनर तरमल गया अब ककड़-ितथरो

की कोई ककतनी ही परशसा कर ककतनी ही सततरत कर तो भी उसकी िहचानन वाली आख अब ककड़-ितथरो क

लोभ म नही िड़ सकती

वह हसती होगी मन ही मन म कछ कहती भी न थी--घघट मार लती होगी--कक कोई ताबीज

तरनकालकर द रहा ह हवा स कोई राख तरगरा रहा ह सब मदारी इनक जीवन म नही कोई बदधतव की ककरण

ह नही कोई शातरत ह नही कोई आनद ह नही कोई समातरध ह

लककन धीर-धीर यह बात ससर को अखरन लगी अकसर अखरता ह तमहार गर को कोई न मान तो

अखरता ह कषट होता ह कयोकक तमहार गर क साथ तमहारा अहकार जड़ गया होता ह तमहार गर का मतलब

यह ह तमहारा गर ठीक तो तम ठीक अगर तमहारा गर गलत तो कफर तम भी गलत तो थोड़ कदन तो ससर न

सहा होगा कफर धीर-धीर उसन कहा यह बात जयादा हई जा रही ह--वह कभी छन न गयी िर कभी झकी

नही ककसी और क तरलए बच जाती कोई हजार बहान तरनकाल लती कोई काम करन लगती यहा-वहा सरक

जाती िड़ोस म हो जाती होगी

एक कदन ससर आगबबला हो उठा करोध म सभददा स बोला--त सदा हमार साधओ का अनादर करती ह

साधओ का उसन अनादर ककया भी नही था लककन कोई साध हो तब न वह तो कवल असाधओ क

चरणो म झकन स इनकार कर रही थी

सो बला अिन बदध को उसक ससर न कहा और अिन साधओ को हम भी तो उनह दख सदा उनही-

उनही की बात करती ह दख कया चमतकार ह उनम दख कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

कफर भी उसकी नजर तो चमतकार िर ह ररतरदध-तरसतरदध िर ह बदध को कफर भी वह िहचान न िाएगा

अगर यही नजर रहती ह तो बदध को िहचानना असभव हो जाएगा यह गलत दतरषट ह इसतरलए सि कहता ह

कक तरमथया-दतरषट था समयक-दतरषट वह ह जो जीवन क सतय की तलाश करता ह और तरमथया-दतरषट वह ह जो

जीवन क सतय की तलाश तो नही करता जीवन म और शतरिशाली कस हो जाए इसकी खोज करता ह

ररतरदध-तरसतरदध का कया अथम ह ररतरदध-तरसतरदध का अथम ह वही ससार का रोग कफर लगा ह िहल धन

कमात थ अब तरसतरदधया कमात ह िहल भी लोगो को परभातरवत करन म उतसक थ अब भी लोगो को परभातरवत

करन म उतसक ह िहल भी चाहत थ कक हमार हाथ म शतरि हो बल हो अब भी वही खोज चल रही ह

समयक-दतरषट शातरत खोजता ह तरमथया-दतरषट शतरि

फकम समझ लना अगर तम शतरि खोजन तरनकल हो तो तम तरमथया-दतरषट हो और अगर तम शातरत खोजन

तरनकल हो तो तम समयक-दतरषट हो और मजा यह ह कक जो शातरत खोजता ह उस शतरि अनायास तरमल जाती ह

और जो शतरि खोजता ह उस शातरत तो तरमलती ही नही शतरि का भी तरसफम धोखा ही िदा करता ह शतरि क

नाम िर चालबातरजया

आज ही ऐसा नही चल रहा ह सदा स ऐसा चलता रहा ह तम चालबाजो क िास बड़ी भीड़-भाड़

दखोग और कछ कषदर बातो क तरलए भीड़-भाड़ चलती ह कोई क हाथ स राख तरगरती ह और लाखो लोग इकटठ

हो जाएग अब राख क तरगरन स भी कया होता ह

एक तरमि न मझ िि तरलखा कक उनकी ितनी सतय साईबाबा को मानती ह और वह मझ मानत ह

उनका िि आया ह कक एक चमतकार हो गया सतय साईबाबा की फोटो स राख तरगरती ह तो उनकी ितनी न

105

कहा कक--ककसी कदन हो गया होगा तरववाद--तो उनकी ितनी न कहा कक तो तमहार भगवान की फोटो स राख

तरगर तो म मान तरजदद चढ़ गयी होगी ितरत को भी यह मामला अहकार का ितरत-ितनी क अहकार का मामला

तो उनहोन भी फोटो मरी रख दी होगी मर िास िि आया कक बड़ी हरानी की बात ह दसर कदन राख तरगरी

आिक फोटो स भी राख तरगरी आि कया कहत ह

तो मन उनह तरलखा कक ितनी न कवल साईबाबा क फोटो स राख तरगरा रही ह वह मरी फोटो स भी राख

तरगरा रही ह तम ितनी स सावधान मरा इसम कोई हाथ नही ह

ितनी न ही आतरखर ितरत िर दया की होगी सोचा होगा कक अब बात जयादा तरबगड़ जाएगी तो रात उस

मरी फोटो िर भी तरछड़क आयी होगी राख जसा साईबाबा की िर तरछड़कती रही उसन--ितरतनया ह दयाल

होती ह--उसन सोचा होगा अब ितरत की भी इजजत बचाओ मगर ितरत इसस बड़ चमतकत ह

हमारी बतरदधया छोटी ह हमारी बतरदधया ओछी ह यह बात उनको बहत जची कक राख तरगरी अब राख

तरगरन स होगा भी कया समझो कक तरगरी तो भी कया होन वाला ह इसका कोई भी तो मलय नही ह दो कौड़ी

की बात ह मगर हमार मन दो कौड़ी क ह और हमार मन इस तरह की कषदर बातो म बड़ा रस लत ह

तो िछा सभददा क ससर न कक दख कया चमतकार ह उनम दख कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

अब बदध म ररतरदधया-तरसतरदधया होती ही नही बदधिररष का अथम ही होता ह जो ररतरदध-तरसतरदध क िार हआ

बदधतव तो आतरखरी बात ह बदधतव म कोई चमतकार नही होत कयोकक बदधतव महाचमतकार ह

ककसी न झन फकीर बोकोज स िछा तमहारा चमतकार कया ह तो उसन कहा जब मझ भख लगती ह

भोजन कर लता जब नीद आती तो सो जाता जब नीद खल जाती तो उठ आता यही मरा चमतकार ह उनहोन

कहा यह भी कोई चमतकार ह

मगर बोकोज ठीक कह रहा ह वह कह रहा ह सब सरल हो गया ह सब बालसलभ हो गया ह जब

भख लगी रोटी खा ली जब नीद आ गयी सो गए सब सरल हो गया ह वह बड़ी अनठी बात कह रहा ह

बदधिररष तो सरल होत ह

चलसभददा न ससर की ऐसी बात सन जतवन की ओर परणाम करक आनद आसओ स भरी हई आखो स

कहा--भत कल क तरलए िाच सौ तरभकषओ क साथ मरा भोजन सवीकार कर मझ भला तो नही कदया ह न और

मरी आवाज तो आि तक िहचती ह न और कफर उसन तीन मटठी जही क फल आकाश की ओर फ क व फल

वही तरगर िड़ ससर और उसका सारा िररवार इस िागलिन िर हसा कहा कक जब फल ही तरगर गए तो सदश

कया िहचगा

सोचा होगा उनहोन फल फ क तो फल जाएग आकाश क मागम स जाएग बदध को सदश लकर अगर यह

घटना घटी होती तो व भागकर बदध क चरणो म खद गए होत लककन चलसभददा न उनक हसन की जरा भी

जचता न की वह तो सवागत की तयाररयो म लग गयी कल भगवान आएग िाच सौ तरभकष आएग ऐसी शरदधा

होती ह वह तो इसन बात ही खतम हो गयी कह कदया तरनवदन कर कदया अब बात खतम हो गयी अब और

कया करन को ह वह तयारी म लग गयी वह तो िागल की तरह दौड़ती रही होगी कदनभर उसन तयाररया

की होगी िाच सौ तरभकषओ का भोजन बनाना ह भगवान िहली दफा आएग उनका भोजन बनाना ह

अब दशय बदल चल जतवन भगवान बोलत थ अचानक बीच म रक गए और बोल--तरभकषओ जही क

फलो की गध आती ह

106

शायद ककसी को भी न आयी हो शायद तरसफम बदध को ही आयी हो कयोकक कहानी कछ कहती नही कक

ककसी न कहा कक हा हम भी आती ह

और उनहोन उगरनगर की ओर आख उठायी तभी अनाथजिडक न खड़ होकर कहा--चलसभददा क तरिता न

वह उसका गाव था--भत कल क तरलए मरा भोजन सवीकार कर बदध न कहा--कषमा करो गहितरत म तरनमिण

सवीकार कर चका तमहारी बटी चलसभददा का तरनमिण मन सवीकार कर तरलया ह कल तो मझ वहा जाना

होगा उसन जही क फलो की गध क साथ अभी-अभी आमिण भजा ह तमह गध नही मालम होती कसी जही

क फलो की गध चारो तरफ भर गयी ह

शायद उस भी गध का िता न चला हो अनाथजिडक न चककत होकर कहा--भत चलसभददा यहा स

मीलो दर वह कस आिको तरनमतरित की ह तो भगवान न कहा--गहितरत दर रहत हए भी सतिररष सामन खड़

होन क समान परगट होत ह परकातरशत होत ह म अभी सभददा क सामन ही खड़ा ह शरदधा बड़ा सत ह वह समय

और सथान की सभी दररयो को जोड़ दता ह वसततः शरदधा क आयाम म समय सथान का अतरसततव होता ही

नही अशरदधाल िास होकर भी दर और शरदधाल दर होकर भी िास होत ह

दखा अभी-अभी वजजीितत की कथा हमन िढ़ी वह िास था और दर था और अब हम िढ़त ह कथा

सभददा की--दर ह और िास ह

तब उनहोन य सि कह थ

सि क िहल तीन बात जो मन इस कहानी म फकम की ह वह तमह तरनवदन कर द

िहली बात कथा कहती ह कक उगगत सठ तरजन-शरावक था वह महावीर का भि था यह बात मन

अलग कर दी कयोकक महावीर उतन ही चमतकारो क िार ह तरजतन बदध न बदध न कोई चमतकार ककए ह न

महावीर न कोई चमतकार ककए ह अगर कोई चमतकार हए ह तो हए ह ककए ककसी न भी नही

इसतरलए तरजनहोन कथा तरलखी ह--तरशषयो म तो तरववाद चलत ही रहत ह बदध क तरशषय और महावीर क

तरशषय जगह-जगह लड़त थ चौराह-चौराह िर लड़त थ उनम भारी तरववाद थ व एक-दसर की जनदा करत थ

तरशषयो की समझ ककतनी कथा भी तरशषयो न तरलखी ह तो नासमझी उसम भरी ह इसतरलए मन महावीर का

शरावक था सभददा का ससर वह बात अलग कर दी ह

अगर महावीर का भि होता तो िाखतरडयो का भि हो ही नही सकता था दो म स एक ही हो सकता ह

या तो िाखतरडयो का भि रहा हो या महावीर का भि रहा हो और मर सामन दो ही तरवकलि थ या तो

महावीर का भि मान िाखतरडयो का भि न मान लककन तब कहानी म कोई अथम ही न रह जाएगा कयोकक

तरजसन महावीर को िहचान तरलया उसन बदध को भी िहचान ही तरलया य दोनो ही भीतर तरबलकल एक जस ह

शायद बाहर का रि-रग अलग हो मगर बाहर क रि-रग की बात ही कहा हो रही ह बात तो भीतर की हो

रही ह भीतर महावीर और बदध का सवाद तरबलकल एक जसा ह उसम रततीभर फकम नही ह

तो अगर म िाखतरडयो का तरहससा अलग कर दता और कहता कक महावीर का भि ह तो िरी कहानी

खराब हो जाती कफर कहानी म कोई मतलब ही नही रह जाता इसतरलए मन महावीर का भि था यह बात

अलग कर दी ह

दसरी बात कहानी कहती ह कक चलसभददा न तीन मटठी फल फ क व आकाश म तरतरोतरहत हो गए िहच

तीर की तरह बदध क ऊिर छतरी बनकर खड़ हो गए आकाश म अधर म लटक गए वह बात भी मन अलग

कर दी ह कयो सथल का चमतकार अथमहीन ह इसतरलए मन इतनी ही बात रखी ह--फलो की सगध िहची

107

सकषम िहचा सथल तो तरगर जाता ह सथल कहा जाता ह सकषम की अनत यािा ह चमतकार सकषम म होत ह

सथल म नही उसका तरनवदन िहचा उसकी पयास िहची उसकी िकार िहची उसकी शरदधा की सगध िहची

मगर फल िहच इस तरह की अवजञातरनक बात म नही कहना चाहता

लककन भिो को तो अतरतशयोतरि करन की होड़ होती ह असल म भि तो यह तरसदध करन की चषटा कर

रह ह कक बदध और भी बड़ चमतकारी थ व जो िाखडी आत थ उनस बड़ चमतकारी थ भिो की चषटा तो यह

रहती ह कक वह चमतकार करन वाल जो िाखडी थ व तो छोट-मोट चमतकारी थ बदध महाचमतकारी थ दखो

फल भी िहच गए और छोड़ो बदध की बदध की शरातरवका का चमतकार दखो बदध तो दर बदध की भि सभददा

का चमतकार दखो

तो कथा म चमतकार को ही तरजतान-हरान की चषटा ह वह बात मझ कभी जचती नही वह बात मन

अलग कर दी

और इस दतरनया को भी न जचगी दतरनया बहत आग आ गयी ह बचकानी बात अब बहत अथम नही

रखती ह हम शासतरो म स बहत कछ काटकर फक दना ह जो-जो अवजञातरनक मालम िड़ काटकर फक दना ह

हा कावय को बचा लो लककन तरवजञान क तरविरीत नही जाना चातरहए कावय कावय तरवजञान क ऊिर जाए

चलगा तरविरीत न जाए तरवजञान तरवरोधी न हो तरवजञान सहयोगी हो

तो कावय को म बचा लता ह सदा अतरवजञान को काट दता ह फल गए तो यह बात तरवजञान क तरविरीत

हो जाएगी लककन सगध गयी यह कावय ह इतनी छटटी हम कतरवता को द कयोकक इतनी कतरवता भी मर जाए

तो जीवन म सब रहसय मर जाता ह सगध गयी इसका कवल मतलब ही इतना ह सथल कछ भी न गया सकषम

गया यह परतीक ह इसतरलए मन फल वही तरगरा कदए बदध मझस परसनन होग बौदध मझस नाराज होग

तीसरी बात कथा कहती ह कक सभददा का नगर कई योजन दर था वह बात भी मन बदल दी ह मन

कहा कछ मील दर था कयोकक कफर दसर कदन बदध को भी िहचाना ह न कथा तो कहती ह बदध आकाशमागम

स गए िाच सौ तरभकषओ को लकर आकाशमागम स उड़ और िहच गए कषणभर म इस तरह की कफजल बातो म

मझ जरा भी रस नही ह तो कई योजन मन काट कदया थोड़ स दर कछ मील चल होग सबह दो-चार-िाच

मील िहच गए होग चलकर ही गए

आकाशमागो म मरी बहत तरनिा नही ह िथवी क मागम काफी पयार ह आकाशमागम स जान की कोई

जररत भी नही ह और िाच सौ तरभकषओ को लकर जाना जरा बहदा भी लगगा और ऐस लोग उड़ आकाश स

जाए-आए

लककन कथा तो कषदर बतरदध स तरनकलती ह वह चमतकार कदखलाना चाहत ह तो कथा यह भी कहती ह

कक जब बदध िहच िाच सौ तरभकषओ को लकर आकाशमागम स तो सभददा का ससर और ितरत और सास और

सारा िररवार एकदम चरणो म झक गया ऐसा चमतकार तो दखा नही था न कवल यह उनका िरा नगर भी

ततकषण बदध स दीतरकषत हआ

अगर चमतकार स दीतरकषत हए तो बदध स दीतरकषत हए ही नही इसतरलए कथा का अत मन ऐसा ककया ह--

दसर कदन भगवान न मीलो की यािा की चलसभददा का तरनमिण था यह यािा करनी ही िड़ी रासता कई

मील का था थक भी गए होग लककन जब परम िकार तो चलना ही होता ह भगवान का िहचना कोई

चमतकार तो नही घट लककन भगवान का िहचना ही बड़ स बड़ा चमतकार ह उनकी मौजदगी उनकी

108

उितरसथतरत बड़ा चमतकार ह उनकी सरलता उनकी सहजता परम क साथ चलन की उनकी कषमता उनकी

करणा उनकी समातरध

बदध की सरलता न उनकी समातरध न सभददा क ससर को छ तरलया

सच म इसी की तो तलाश म था सभददा का ससर भी आदमी चमतकारी क भी िास जाता ह तो जाता

तो इसी तलाश म ह कक शायद असली सोना तरमल जाए आदमी झठ क िास भी जाता ह तो सच की ही खोज

म जाता ह ऐसी मरी शरदधा ह तम अगर ससार म भी उलझ हो तो तम उलझ समातरध क तरलए ही हो तम

सोचत हो शायद समातरध यहा तरमल जाए शायद सख यहा तरमल जाए शातरत यहा तरमल जाए गलत कदशा म

खोज रह हो जरर लककन लकषय गलत नही ह लकषय तो ककसी का भी गलत नही ह

यहा हम सभी िरमातमा को खोज रह ह हमन नाम अलग-अलग रख तरलए ह--ककसी न िरमातमा का

नाम रिया ककसी न िरमातमा का नाम िद सवभावतः िरमातमा रिए म नही समा सकता इसतरलए रिया

तरमल जाता ह और एक कदन हम िात ह िरमातमा नही तरमला इसम कछ भल हमारी खोज की नही थी कदशा

की थी

जाता होगा चमतकाररयो क िास िाखतरडयो क िास लाता होगा िाखतरडयो को घर म इसी आशा म

अनजानी अचतन म घमती हई यही अभीपसा रही होगी और जब सतय खड़ा हो गया सामन आकर तो तरमथया

स शरदधा हट जाए इसम आियम कया ह सतय को अिन समथमन क तरलए ककनही तरसतरदधयो ककनही ररतरदधयो ककनही

चमतकारो की कोई जररत नही ह सतय अिन म काफी ह ियामपत ह असतय को चमतकारो की जररत ह

असतय तरबना चमतकारो क खड़ा ही नही हो सकता असतय लगड़ा ह उस चमतकार की बसातरखया चातरहए सतय

क तो अिन ही िर ह उसको ककसी का सहारा नही चातरहए

तो मन कथा का अत ऐस ककया ह कक बदध की सरलता उनकी शनयता उनकी समातरध की गध उनकी

करणा एक यवती की िकार िर मीलो तक उनका चलकर आना िसीन स लथिथ धल स भर रह होग--

आकाशमागम स तो आए नही थ जमीन स आए थ नग िर चलत थ बदध--एक यवती की िकार िर इतनी दर

चलकर आना ऐसा उनका अनगरह इस सबन छ तरलया होगा ससर क हदय को इसस वह रिातररत हआ था

सि तो सीध साफ ह

सत दर होन िर भी तरहमालय की िवमत की भातरत परकाशत ह

आख हो तो सत ककतन ही दर हो तो भी कदखायी िड़त ह आख न हो तो िास भी हो तो कदखायी नही

िड़त और सत ककतन ही दर हो तो भी तरहमालय की तरह परकाशत ह बस शरदधा का दवार खला हो

और असत तो िास होन िर भी रात म फ क बाण की तरह कदखलायी नही दत

मगर खयाल रखना असतो को असत कदखलायी दत ह सतो को सत कदखलायी दत ह जस को वसा

कदखलायी दता ह समान समान को आकररषमत करता ह

एक ही आसन रखन वाल बनो इसतरलए बदध न कहा शायद िछा होगा अनाथजिडक न तो भगवान

ऐसी शरदधा कस उिलबध हो जसी सभददा को तरमली कस सत हम भी दर स जयोतरतममय परकाश की तरह कदखायी

िड़न लग तरहमालय की तरह कदखायी िड़ तरहमालय तो सकड़ो मील दर स कदखायी िड़ जाता ह तो िछा

होगा अनाथजिडक न म तो आिक िास ह लककन िास ही लग रहन का मोह बना रहता ह कयोकक दर जाता

ह और आि खो जात ह इस मरी बटी सभददा को कया हआ यह घटना मर भीतर कस घट

तो बदध न कहा--

109

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया

एक ही आसन रखन वाला एक शयया रखन वाला और अकला तरवचरन वाला बन

एकात म रस ल अकल होन म रस ल भीड़-भाड़ म रस को तोड़ िर म रस को तोड़ सवय म डब

आतमरमण कर

आलसयरतरहत हो और अिन को दमन कर अकला ही वनात म रमण कर

और अहकार को दबा द तरमटा द नषट कर द अहकार को जला द अिन को दमन कर--एकोदममततान--

वह जो अतता ह हमार भीतर अहकार ह वह म-भाव जो ह उस अतता को तरबलकल ही नषट कर द

फकम खयाल म लना अकसर ऐसा होता ह जो आदमी अकल म जाता ह वह और अहकारी हो जाता ह

इसतरलए बदध न यह बात कही एकातसवी हो लककन अहकारसवी न बन जाए अकल म रह लककन अकल म

रमत-रमत ऐसा न सोचन लग कक म कोई बड़ा महतविणम कछ तरवतरशषट हो गया सनयसत बन लककन म

सनयासी ह ऐसी अकड़ न िकड़ जाए धयान कर लककन म धयानी हो गया ऐसा अहकार तरनरममत न होन द

एक ही आसन रखन वाला

न तो शरीर को बहत तरहलाए-डलाए एक ही आसन म बठ कयो कयोकक जब तमहारा शरीर बहत

तरहलता-डलता ह तो तमहारा मन भी तरहलता-डलता ह सब जड़ ह एकासन का मतलब होता ह शरीर को भी

तरथर रख शरीर क तरथर रहन स मन क तरथर रहन म सहायता तरमलती ह

तम जरा करक दखना जब तमहारा शरीर तरबलकल तरथर होकर रह जाएगा जस जयोतरत तरहलती भी न हो

हवा का कि भी न आता हो तो तम अचानक िाओग तमहारा मन भी शात होन लगा

यह सतय योतरगयो को सदा स जञात रहा ह इसतरलए आसन का बड़ा बहमलय अथम ह आसन का अथम ह

आसानी स बठ जाए तरवशराम स बठ जाए और कफर बठा रह एक ही आसन म डबा रह शरीर ऐसा हो जाए

जस मरतम तो उस अवसथा म धीर-धीर मन भी ठहर जाता ह जो शरीर म होता ह मन म होता ह जो मन म

होता ह शरीर म होता ह शरीर स शर करना आसान होगा

इसतरलए बदध कहत ह एक ही आसन रखन वाला--एकासन--एक शयया रखन वाला

बदध कहत ह रात भी सोए तो एक ही करवट सोए जयादा करवट भी न बदल एक ही करवट सोया रह

ताकक रात भी तरचतत न तरहल

और अकला तरवचरन वाला बन

और धीर-धीर दसरो म रस ही न ल धीर-धीर दसर िर जीतरवत होना छोड़ धीर-धीर अिन को ियामपत

समझ

कफर यह भी धयान रह कक यह एकात यह एकासन यह एक शयया यह धयान कही यह सब आलसय का

नाम न बन जाए कही ऐसा न हो कक आलसी हो जाए--ऐसा बठ गए आलसी हो गए--कक कतय खो जाए

जीवन की ऊजाम खो जाए तो आलसय को न आन द अनयथा नीद आ जाएगी समातरध न आएगी

अिन को दमन कर

110

अिन को दमन करन का जो मौतरलक सि ह वह ह--एकोदममततान--अतता क भाव को नषट कर द और

अहकार को न िलन द तो बदध कहत ह जो सभददा को हआ ऐसा ही तझ भी हो जाएगा ऐसा ही सभी को हो

जाता ह तब सतिररष कही भी हो तरहमालय की तरह सामन खड़ हो जात ह शरदधा की आख खल जाए हदय

क दवार खल जाए तो सतिररष कही भी हो उिलबध हो जात ह जो दह म ह व तो कदखायी िड़न ही लगत ह

जो दह म भी नही रह व भी कदखायी िड़न लगत ह

तरजसक मन म आज भी बदध क परतरत अिार शरदधा ह उसक तरलए बदध आज उतन ही परतयकष ह जस तब थ

कोई फकम नही िड़ा ह तरजनहोन महावीर को चाहा ह और परम ककया ह--लोभ क कारण नही जनम क कारण

नही तरजनकी सच म ही शरदधा ह--उनक तरलए महावीर आज उतन ही सतय ह तरजतन कभी और थ वस कराइसट

वस नानक वस कबीर वस जरथसतर वस मोहममद शरदधा की आख हो तो समय और सथान की सारी दररया

तरगर जाती ह

दो ही तो दररया ह--समय की और सथान की आज हमस बदध की दरी िचचीस सौ साल की हो गयी यह

समय की दरी ह उस समय बदध और सभददा म कोई िाच-सात मील की दरी रही होगी वह सथान की दरी थी

लककन परम क तरलए और धयान क तरलए न कोई सथान की दरी ह न कोई समय की दरी ह धयान और परम

की दशा म समय और सथान दोनो तरतरोतरहत हो जात ह तब हम जीत ह शाशवत म तब हम जीत ह अनत म

तब हम जीत ह उसम जो कभी नही बदलता जो सदा ह सदा था सदा रहगा एस धममो सनतनो उसको

जान लना ही शाशवत सनातन धमम को जान लना ह

आज इतना ही

111

एस धममो सनतनो भाग 10

सतानव परवचन

मतयबोध क बाद ही महोतसव सभव

िहला परशनः आिन कहा कक जीवन का सतय मतय ह कफर मतय का सतय कया ह

जीवन तरवरोधाभासो स बना ह जीवन तरवरोधाभासो क बीच तनाव और सतलन ह तनाव भी और

सतलन भी यहा परकाश चातरहए हो तो अधर क तरबना न हो सकगा यहा जीवन चातरहए हो तो मतय क तरबना

नही हो सकगा तो एक अथम म अधरा परकाश का तरवरोधी भी ह और एक अथम म सहयोगी भी

य दोनो बात खयाल म रखना तरवरोधी इस अथम म कक अधर स ठीक उलटा ह सहयोगी इस अथम म कक

तरबना अधर क परकाश हो ही न सकगा अधरा ििभतरम भी ह परकाश की

और ऐसा ही जीवन-मतय का सबध ह मतय क तरबना जीवन की कोई सभावना नही मतय की भतरम म ही

जीवन क फल तरखलत ह और मतय म ही टटत ह तरगरत ह तरबखर जात ह जस िथवी स ऊगता ह िौधा

तरखलता ह बड़ा होता ह िथवी क सहार ही तरखलता और बड़ा होता ह और एक कदन वही तरगरकर िथवी म ही

कबर बन जाती ह ऐस ही मतय स जीवन तरनकलता ह और मतय म ही लीन हो जाता ह तो एक अथम म तो

तरविरीत ह िथवी िौध क कयोकक एक कदन कबर बनगी और एक अथम म मा भी ह कयोकक तरबना िथवी क िौधा

हो न सकगा

इस महतविणम बात को परतीकातमक ढग स जसा भारत म कहा गया ह वसा कही भी नही कहा गया

तमन दखा होगा काली की परतरतमा दखी होगी काली क तरचि दख होग तो काली अतरत सदर ह िर काली ह

सौदयम अिवम ह लककन अधरी रात जसा अमावस जसा काली मा ह मा का परतीक ह समसत माततव का

परतीक ह मा का अरथ होता ह--तरजसस सब िदा हआ लककन काल मतय का भी नाम ह तो काली मतय का भी

परतीक ह तरजसम सब लीन हो जाएगा इसतरलए मा काली क गल म आदमी क तरसरो की माला ह हाथ म

आदमी की अभी-अभी काटी नयी खोिड़ी ह टिकता हआ रि ह यह परतीक बहत महतविरण ह इसम हमन

जीवन और मतय को साथ-साथ खड़ करन की कोतरशश की ह

सतरी जीवन का परतीक ह--जीवन उसस आता ह भतरम ह--और मतय का परतीक भी ऐसी तरहममत दतरनया म

कभी ककसी दसरी कौम न नही की कक मा म मतय दखी हो मा म जनम तो सभी को कदखायी िड़ा ह लककन

भारत की खोज ऐसी ह कक जहा स जनम हआ वही तो मतय होगी न जहा स आए वही लौट जाना होगा तो

मा जनम भी ह जनमदािी भी और मतय भी ह काली भी ह काल भी ह परथम जहा स हम शर हए अत म

वही लौट जाएग एक लहर उठी सागर म कफर सागर म ही तरगरगी और समापत होगी

तो जीवन और मतय तरविरीत ह हमार दख लककन अगर िरमातमा की दतरषट स दखो तो सहयोगी ह जस

दो िख न हो तो िकषी न उड़ और दो िर न हो तो तम न चलो ऐस जीवन और मतय दो िर ह अतरसततव क

तमन िछा कक जीवन का सतय आि कहत ह मतय ह कफर मतय का सतय कया ह

सवभावतः मतय का सतय जीवन ह

अब इस बात की गहराई म उतरो अगर तम बहत जीन की आकाकषा स भर हो तो तम मतय स डर

जाओग कयोकक जीवन का सतय मतय ह अगर जीवरषणा बहत गहरी ह तो तम बहत घबड़ाओग मौत स तम

112

जीना चाहत हो और मौत आ रही ह और मजा यह ह कक मौत जीन क सहार ही आ रही ह तरजतना जीओग

उतनी मौत करीब आ जाएगी जयादा जीओग मौत और जलदी आ जाएगी न जीओ तो मरन स बच भी सकत

हो लककन जीओग तो कस बचोग जीओग तो परतरतिल जो जीवन म गया वह सीकढ़या मौत की ही बन रही ह

इसतरलए जो आदमी जीवन क तरलए तरजतना आतर ह और तरजतना जीवरषणा स भरा ह सोचता ह जीऊ

खब जीऊ वह आदमी उतना ही मौत स कि रहा ह कयोकक वह दखता ह मौत आ रही ह--जीवन का सतय

मतय ह जीवन मतय क अतरतररि और कही ल भी तो नही जाता कस ही जीओ--अचछ जीओ बर जीओ साध

की तरह असाध की तरह सजजन की तरह दजमन की तरह गरीब की तरह अमीर की तरह कस ही जीओ

लककन सब जीवन मतय म ल जाता ह ककसी कदशा स आओ--दौड़त आओ कक धीम आओ िदल आओ कक घोड़ो

िर सवार आओ काट भर रासतो स आओ कक फल भर रासतो स आओ--कछ भद नही िड़ता आ सभी मतय म

जात हो अतरतम मतरजल एक ह सब जीवन सब जीवन-सररताए मतय क सागर म तरगर जाती ह

तो तरजतना जीवन की आकाकषा होगी सवभावतः मतय का भय उतना ही होगा जो लोग तम दखत हो

मौत स डर ह व व ही लोग ह जो जीवन बचाए रखन को बहत आतर ह मतय स भयभीत होता हआ आदमी

तरसफम एक ही खबर दता ह कक वह जीवन को िकड़ रखना चाहता ह जीवन को िकड़ रखना चाहता ह मौत

हाथ म आती ह तरजतना जोर स जीवन को िकड़ता ह उतनी ही मौत हाथ म आती ह और उतना ही वह घबड़ा

जाता ह जीवन का सतय मतय ह

कफर म तमस दसरी बात कहता ह--मतय का सतय जीवन ह जो मरन को राजी ह जो मरन का सवागत

करन को तयार ह जो मरन को कहता ह--अतरभनदन जो मरन को जरा भी घबड़ाया नही ह जरा भी भयभीत

नही ह जरा भी तरजसक मन म मतय स कोई दभामव नही जो मतय म ऐस जान को तयार ह जस कोई मा की

गोद म सो जान को तयार हो ऐस वयतरि को महाजीवन का दशमन हो जाता ह मतय क दवारा जीवन का अनभव

हो जाता ह मतय का सतय जीवन ह

इसतरलए बदधो को जीवन का अनभव होता ह योतरगयो को जीवन का अनभव होता ह भोतरगयो को तरसफम

मतय का अनभव होता ह

यह बात ऊिर स दख उलटी लगती ह कयोकक भोगी जीवन चाहता था और हाथ लगती ह मौत और

योगी जीवन को छोड़ बठा उसन जीवन िर सारी वासना छोड़ दी उसन जीवन का राग छोड़ कदया उस

जीवन म कछ रस न रहा उस जीवन हाथ लगता ह ऐसा उलटा गतरणत ह तम चलोग जीवन की तरफ

िहचोग मतय म तम चल िड़ो मतय म और तम िहच जाओग महाजीवन म

इसतरलए जीसस का परतरसदध वचन ह--जो अिन को बचाएग व नषट हो जाएग और जो अिन को नषट करन

को राजी ह वह बच गया

इस ऐसा कहो--जो बचना चाहग डब जाएग और जो डब गया वह बच गया इसतरलए योगी मौत का

सवागत करता ह सतकार करता ह योगी परतरतिल मौत की परतीकषा करता ह योगी मरन को राजी ह योगी

मतय का सवाद िाना चाहता ह योगी कहता ह दखना चाहता ह मतय कया ह िहचानना चाहता ह मतय कया

ह मतय म उतरना चाहता ह मतय की अधरी गफाओ म यािा करना चाहता ह मतय का अतरभयान करन को

उतसक ह

113

ऐसा जो मतय की खोज म जाता ह वह अचानक िाता ह कक मतय की अधरी गफा म जस-जस तम परवश

करत हो वस-वस जीवन क अतयत आलोकमयी जगत म परतरवषट हो जात हो इस तरविरीत सतय को इस

िोलररटी को इस धरवीयता को तरजसन समझ तरलया उसक हाथ म जीवन की बड़ी कजी आ गयी

यह तरविरीत सतय बहत रिो म परगट होता ह धन िकड़ना चाहो और तम तरनधमन रह जाओग धन छोड़ो

और तम धनी हो गए यह भी इसी सतय का एक रि ह तम यशसवी होना चाहो और अिमान हाथ लगगा

और तम सब यश की आकाकषा छोड़कर तरनजमन म बठ रहो और तम िाओग कक यश तमहारा रासता खोजता हआ

दर जगल म भी आन लगा यह भी उसी सतय की अतरभवयतरि ह तम चाहो जसा वसा नही होता उसस उलटा

हो जाता ह

इसतरलए चाह को समझो अनयथा दखी होत रहोग जो चाहोग वह तो तरमलगा नही उसस उलटा

तरमलगा सवभावतः दख होगा अगर तम जीवन चाहत हो तो मतय क तरलए राजी हो जाओ अगर वासततरवक

धन चाहत हो जो कोई तमस न छीन सकगा तो तरनधमन होन म परसनन हो जाओ अगर तम सच म परतरतिा

चाहत हो तो सममान की कोई आकाकषा न करो अगर तम तरवजय चाहत हो तरजन होना चाहत हो जीतना

चाहत हो सवय को तो जीत का सारा भाव ही छोड़ दो सवमहारा हो जाओ

इन तरविरीत सतयो क कारण िवीय विवय ितरिम की आखो म बड़ उलट मालम होत ह बड़ अतकयम

तरवतरकषपत जस मालम होत ह यह भी कोई बात हई--धन िाना हो धन छोड़ दो जीवन िाना हो जीवन छोड़

दो यह कौन सा तकम ह ितरिम क मनीरषी इस समझ नही िात व कहत ह रहसयवादी बात ह िागलो जसी

बात ह

जरा भी िागलो जसी बात नही ह जीवन क िरम सतय िर आधाररत बात ह इनस जयादा तकम यि और

कया होगा यह सीधा तकम ह इस तम जीवन म िरखो और तम इस रोज-रोज िाओग तरजतना सममान चाहोग

उतन अिमातरनत होन लगोग कयोकक तरजतना सममान चाहोग उतना अहकार परबल होगा और अहकार को

जरा-जरा सी चोट कफर लगन लगती ह जरा-जरा सी चोट लगन लगती ह उतना ही दख होन लगता ह तमन

सममान की कफकर छोड़ी अहकार का मामला गया अहकार का घाव समापत हआ अब तमह कौन चोट िहचा

सकता ह

लाओतस कहता ह मझ कोई हरा नही सकता कयोकक म जीतना ही नही चाहता ह लाओतस कहता ह

म जीता ही हआ ह कयोकक मन अिनी हार को सवीकार कर तरलया ह अब मझ कौन हराएगा

हमन इस दश म दखा बदध को दखा महावीर को दखा सब छोड़कर महावीर नगन हो गए लककन उन

जसा समदध वयतरि िहल कभी दखा नही गया था उस नगनता म िरम समतरदध थी

सवामी राम अमरीका गए वह अिन को बादशाह कहत थ उनक िास कछ भी न था दो लगोरटया थी

ककसी न िछा कक दो लगोरटया ह आिक िास ककस परकार क आि बादशाह ह कौन सी दौलत ह आिक िास

कौन सा राजय सवामी राम न कहा थोड़ी कमी ह मर राजय म य दो लगोरटया य और छट जाए तो मरा

राजय िरा हो जाए इनकी वजह स मरी सावमभौतरमकता म थोड़ी कमी ह य दो लगोरटया मरी सीमा बनी ह म

बादशाह ह इसतरलए नही कक मर िास कछ ह म बादशाह इसतरलए ह कक मझ ककसी भी चीज की जररत नही

फकम समझना बादशाह क अथम ही बदल गए मझ ककसी चीज की जररत नही ह तो बादशाहत उसी

को ककसी चीज की जररत नही होती तरजसक िास सब ह तरजसको जररत ह वह तो दररदर ह और तम तब

114

चककत हो जाओग कक अकसर ऐसा होता ह कक तरभखाररयो स भी जयादा दररदर तमहार समदध होत ह कयोकक

तरभखारी की जररत तो थोड़ी ह समदध की जररत बहत जयादा ह तरभखारी की जररत तो जरा म िरी हो

जाए समदध की जररत तो कभी िरी न होगी

सफी फकीर फरीद अकबर क िास गया था फरीद को उसक गाव क लोगो न कहा था कक अकबर स जरा

पराथमना करो कक एक मदरसा गाव म खोल द तमह इतना मानता ह टालगा नही तो फरीद गया सबह-सबह

जलदी गया अकबर नमाज िढ़ता था फरीद आया तो उस रकावट नही डाली गयी उस अकबर का जो

िजागह था उसम ल जाया गया अकबर हाथ उठाए आकाश की तरफ कह रहा था--ह िरमातमा ह

िरवरकदगार ह करणावान ह रहमान ह रहीम मझ िर किा कर मर राजय को बड़ा कर फरीद न तो सना

और लौट िड़ा

बादशाह न नमाज िरी की लौटकर दखा तो फरीद को जात दखा--िीठ कदखायी िड़ी--दौड़ा रोका

फरीद को कक कस आए कस चल फरीद न कहा कक बड़ी आशा स आया था गाव क लोगो न मझस कहा कक

तमस कह कक एक मदरसा खलवा दो कफर इधर तमह मन भीख मागत दखा मन सोचा कक कहा तरबचार गरीब

अकबर स कह इसकी हालत वस ही खसता ह खराब ह यह वस खद ही माग रहा ह अब इसस एक और

मदरसा खलवाना इसकी और गरीबी बढ़ जाएगी आए थ समराट क िास दखकर कक तम दररदर हो लौट जात

ह अकबर न कहा कक नही-नही मदरसा खलवान स कछ अड़चन न होगी एक नही दस खलवा द तरबलकल

कफकर न करो फरीद न कहा अब तो बात ही खतम हो गयी तम तरजसस मागत थ उसी स माग लग अब

बीच म और एक तरबचवया तम भगवान स मागो हम तमस माग इसम कया सार ह जब तम माग ही रह हो

तो तमस मागना ठीक नही अशोभन होगा अतरशषट होगा नही म न माग सकगा

यह ठीक ककया फरीद न इसम बड़ी अतदमतरषट ह समराट भी माग रह ह तरभखमग की तो शायद िरतम भी

हो जाए--दो रोटी मागता ह कक एक वसतर मागता ह तरमल जाएगा और न भी तरमला तो थोड़ी सी उसकी माग

थी थोड़ी सी तकलीफ भी होगी माग क ही अनिात म तकलीफ होती ह लककन समराट का कया होगा उसकी

माग तो ऐसी ह जो कभी िरी हो नही सकती न िरी हई तो दख होगा--और महादख होगा कयोकक माग बड़ी

ह--और अगर िरी हई तो भी सख होन वाला नही कयोकक िरी हो ही नही सकती इधर राजय बढ़ा कक उधर

माग बढ़ जाएगी

आदमी क िट की सीमा ह दो रोटी स भर जाएगी कक चार रोटी स भर जाएगी लककन आदमी क मन

की तो कोई सीमा नही ह ककतना ही धन हो तो भी मन भरता नही मन भरता ही नही जो नही भरता उसी

का नाम मन ह

कफर कौन दररदर ह

जीवन म यह तरवरोधाभास जगह-जगह परगट होता ह कक हमन कभी-कभी नगन लोग दख जो समदध थ

और हमन बड़ समराट दख जो दररदर थ तरजनक िास सब था और कछ भी न था ऐस लोग दख और तरजनक िास

कछ भी न था और सब था ऐस लोग दख यह उसी मल धरवीयता का एक तरहससा ह

तो तम िछत हो--जीवन का सतय मन कहा मतय कफर मतय का सतय कया ह

मतय का सतय जीवन

115

दसरा परशन भी सबतरधत हः कया सारी िवी मनीरषा मतयबोध डथ काशसनस िर ही क कदरत ह तरनरतर

मतयबोध स जीवन को उतसवमय कस बनाया जा सकगा

वही मल भद तमहारी समझ म नही आ रहा ह तम सोचत हो मतय की याद करग तो जीवन का उतसव

तो फीका हो जाएगा तम सोचत हो मतय की याद करग तो कफर कस हसग मतय दवार िर खड़ी होगी तो कफर

हम कस नाचग कस गीत गाएग कफर तो वीणा टट जाएगी कफर तो िर रक जाएग कफर तो घघर बजग

नही तम सोचत हो मौत की परतीतरत होगी तो कफर उतसव कस होगा

और म दोनो बात कहता ह कक मौत की परतीतरत गहरी करो और उतसव म कमी मत आन दना तो तमह

अड़चन होती ह

तम कहत हो अगर उतसव चलाए रखना ह तो मौत ह ही नही ऐसा मानना जररी ह मौत होती ही

नही ऐसा मानना जररी ह अगर होती भी होगी तो दसरो की होती ह कम स कम मरी नही होती ऐसा

मानना जररी ह और अगर मरी भी होगी तो होगी कभी अभी थोड़ ही हो रही ह ऐसा मानना जररी ह

मौत को िहल तो टालो कक मरी होती ही नही और एक अथम म बात सही भी ह तमन अिन को मरत तो कभी

दखा नही सदा दसरो को मरत दखत हो--कभी कोई मरा कभी कोई मरा तम तो कभी मर नही कभी इसको

ल गए मरघट कभी उसको ल गए मरघट तम सवय को तो कभी मरघट ल गए नही तम तो सदा लौट-लौट

आत हो दसरो को तरवदा कर आत हो तो सवाभातरवक तकम होगा कक दसर मरत ह म तो मरता नही यह भी

टालन का एक ढग ह

मगर जयादा दर न टाल सकोग मन भीतर कहता ह कक दसर भी तो ऐसा ही सोचत थ जसा म सोचता

ह जस म उनको िहचा आया ऐस दसर मझ िहचा आएग लोग तयार ही बठ ह इधर तम मर नही कक व

अथी बनान लगत ह जस तम बनाए हो दसरो की अथी दसर भी तो तमहारी बनाएग तो यह बात जयादा दर

टाली नही जा सकती

तो कफर एक खयाल कक कोई आज थोड़ ही मौत हो रही ह अभी कयो कदल गमगीन करो अभी कयो

उदास जब होगी तब दखग आज तो कभी नही होती मौत कल होगी िरसो होगी वरषो बाद होगी सततर वरषम

बाद होगी होगी तब होगी टालत ह हम टालकर हम सोचत ह कक अब हम जरा नाच ल थोड़ा गीत गनगना

ल थोड़ा परम कर ल थोड़ी मिी बना ल थोड़ा राग-रग हो रस बह मौत को दरवाजो क बाहर करक सब

तरफ स दरवाज बद करक हम नाचत ह

तो तमहारा परशन ठीक ह कक अगर मतय का बोध होगा--सब दरवाज खोल द और अनभव म आन द कक म

भी मरगा जस और मरत ह सच म दसरो की मौत मरी ही मौत की खबर लाती ह हर अथी गजरती ह और

हर अथी मरी ही अथी क बधन का इतजाम करती ह जब भी कोई मरता ह तो मनषय मरता ह म भी मनषय

ह हर मतय म मरी मतय का इशारा तरछिा ह सब दरवाज खोल द और कभी भी मर मरना तो होगा और वह

कभी भी कभी भी घट सकता ह आज भी घट सकता ह एक कषण बाद घट सकता ह अभी ह और दसरी सास न

आए सब दरवाज खोल द मौत क तो तम कहत हो कफर तो हम एकदम िकषाघात लग जाएगा िर रठठर

जाएग हाथ अकड़ जाएग कफर कया नाचग कफर कस उतसव होगा

और म कहता ह दोनो बात साथ होगी साथ ही हो सकती ह मर तरहसाब म तो अगर तमन मौत को

दवार-दरवाजो क बाहर बद कर कदया ह तो मौत दसतक मारती रहगी तम नाचो मगर मौत की दसतक सनायी

116

िड़ती रहगी मौत चीखती-िकारती रहगी कयोकक तम एक झठ कर रह हो तमहारा नाच झठ ह तमह भी िता

ह तरजन िरो स तम नाच रह हो उन िरो म मौत समा रही ह तरजस कठ स तम गा रह हो वह कठ मरन की

तयारी कर रहा ह तरजस हदय स तम शवास ल रह हो उसकी शवास हर कषण कम होती जा रही ह तम मौत को

झठलाकर उतसव का ढोग कर सकत हो उतसव वासततरवक नही हो सकता

वासततरवक तो व ही नाच ह तरजनहोन जीवन म कोई झठ खड़ा नही ककया सतय क साथ ही सतय क सग

ही असली नतय ह सतसग म ही असली नतय ह झठ क साथ कसा नतय समझा तरलया मन को बझा तरलया

ककसी तरह नाचन लग तो ककसी तरह का नाचना होगा जबदमसती होगी सहज उमग न होगी सहज परवाह न

होगा और तमन ही तो झठलाया ह तो तम अिन ही झठ को भलोग कस वह तो याद रहगा ही मरना तो ह

ही मरना तो होगा ही

और तरजस चीज को हम दबात ह वह और उभर-उभरकर सामन आती ह तरजस हम तरछिात ह वह हमार

रासत म िड़न लगती ह इस जगत म कोई भी झठ तरसथर नही बनाया जा सकता ह कोई भी झठ सतय का

धोखा नही द सकता थोड़ी-बहत दर तम अिन को धोखा द लो ककतनी दर धोखा दोग अिन को ही कस

धोखा दोग तम जानत हो कक धोखा द रह हो

हर बार मरत आदमी को दखकर तमह समझ म आता ह कक अिनी भी घड़ी आती ह कय छोटा होता

जाता ह उसी म तो हम खड़ ह एक आदमी और मर गया आग स सरक गया कय थोड़ा और आग बढ़ गया

हमारी मौत और थोड़ी करीब आ गयी कस झठलाओग दात तरगरन लग बाल सफद होन लग अब िहल जस

दौड़ नही सकत अब सीकढ़या चढ़त हो तो हाफ चढ़न लगी कस झठलाओग मौत हर जगह स खबर द रही ह

दसतक मार रही ह अब िरान कदन जसी बात न रही जरा कछ खा लत हो तो अड़चन हो जाती ह जरा जयादा

खा लत हो तो अड़चन हो जाती ह जरा जयादा हस लत हो तो थक जात हो रोन की तो बात छोड़ो हसी म

भी थकान आन लगी मौत करीब आ रही ह मौत सब तरफ स खबर भज रही ह--सावधान कस नाचोग

ककतनी दर नाचोग नाच म स ही मौत उभरन लगगी नाच म ही मौत खड़ी हो जाएगी

नही झठ क साथ असतय क साथ कोई नतय नही ह म तमस कहता ह मतय का तो बोध चातरहए

कयोकक जसा मन अभी-अभी कहा मतय का सतय जीवन ह अगर तमह मतय का ठीक-ठीक बोध हो जाए तम

मतय को िहचान लो मतय का साकषातकार हो जाए--जो कक हो सकता ह धयान क सार परयोग मतय क परयोग ह

इसतरलए तो म कहता ह कक म तमह मतय तरसखाता ह एक बार तम मतय को ठीक स सीख लो मतय की भारषा

समझन लगो तम अिन को मरता हआ एक बार दख लो

रमण महररषम क जीवन म ऐसी घटना घटी वही घटना करातरत की घटना हो गयी उसस ही उनक भीतर

महररषम का जनम हआ अठारह सिह-अठारह साल क थ घर छोड़कर भाग गए थ सतय की खोज म कई कदन क

भख थ पयास थ एक मकदर म जाकर ठहर थ िरो म फफोल िड़ गए थ चलत-चलत कई कदन की भख कई

कदन की पयास थकान उस मकदर म िड़-िड़ रात ऐसा लगा कक मौत आ रही ह लट गए--आ रही तो आ रही

सतय का खोजी कया कर जो आ रहा उस दख जो आ रहा उस िहचान जो आ रहा उसम आख गड़ाए

उसका दशमन कर लट गए न भाग न तरचललाए न चीखा न िकारा मरन लग जब मौत आ रही ह तो आ

रही ह जो िरमातमा भज रहा ह वही उसका परसाद ह वह उसकी भट ह जस जीवन उसन कदया वस ही मौत

द रहा ह अगीकार कर तरलया

117

इसको बदध न तथाताभाव कहा ह जो हो उस वसा ही सवीकार कर लना उसम ना-नच न करना ऐसा

हो वसा हो ऐसी अिनी आकाकषा न डालना जसा हो वसा का वसा

कबीर न कहा ह--जस का तस जसा का तसा वसा ही सवीकार कर लना कयोकक जब तक तम

असवीकार करत हो तब तक तम जीवन स लड़ रह हो तब तक तम िरमातमा स सघरषम कर रह हो तब तक

ककसी न ककसी भातरत तम अिनी आकाकषा आरोतरित करना चाहत हो तब तक तम सतय क खोजी नही हो तब

तक तमहारा अहकार परगाढ़ ह जो ह जसा ह उस वसा ही सवीकार कर लन म अहकार समापत हो जाता ह

अहकार क खड़ होन की जगह नही रह जाती सघरषम गया अहकार गया

रमण लट गए राजी हो गए मौत आती ह तो मौत आती ह अिन बस कया ह तरजतरह तरवतरध राख राम

तरततरह तरवतरध रतरहए अब मौत आ गयी तो मौत आ गयी अब इसी तरवतरध राम ल जाना चाहत ह तो ठीक यह

उनकी मजी व चलन को तयार हो गए इसको लाओतस न कहा ह--नदी की धार म बहना नदी की धार क

तरखलाफ लड़ना नही

अहकार धार क तरखलाफ लड़ता ह अहकार कहता ह ऊिर की तरफ जाऊगा गगोिी की तरफ यािा

करता ह अहकार गगा जा रही ह गगासागर अहकार जाता ह गगोिी की तरफ इसतरलए सघरषम हो जाता ह

इसतरलए गगा स टककर हो जाती ह यह जो तरवराट गगा ह अतरसततव की इसक साथ धार क साथ बहन का नाम

ही समिमण ह

बहन लग धार क साथ दखन लग कया हो रहा ह िर ससत हो गए शनय हो गए मर गए हाथ ससत हो

गए शनय हो गए मर गए और रमण जाग हए भीतर दख रह ह--और तो कछ करन को नही ह--एक दीया

जल रहा ह धयान का दख रह ह कक यह हो रहा ह यह हो रहा ह यह हो रहा ह सारा शरीर शववत हो गया

दख रह ह एक कषण को तो ऐसा लगा कक शवास भी गयी दख रह ह और उसी कषण करातरत घटी शरीर मत हो

गया मन क तरवचार धीर-धीर शात हो गए कयोकक सब तरवचार सघरषम क तरवचार ह जब तक तम ऊिर की

तरफ तरना चाह रह हो तब तक तरवचार ह तरजतना ऊिर की तरफ तरना चाहोग उतन ही तरवचार जचतािणम हो

जात ह जब बहन ही लग धार क साथ कसा तरवचार कसी जचता जचता भी छट गयी शरीर मत की तरह िड़ा

रह गया शवास रक गयी ठहर गयी शात हो गयी एक कषण जस मतय घट गयी और उसी कषण जीवन भी घट

गया कयोकक मतय का सतय जीवन ह जस सब जीवन मतय म ल जाता ह वस सब मतय और बड़ जीवन म ल

जाती ह बस तम जाग होओ तो काम हो जाए

रमण जाग थ दखत रह चककत हो गए--शरीर तो मर गया म नही मरा मन तो मर गया म नही मरा

सब तो मर गया म तो ह चतनय तो ह चतनय तो और भी परगाढ़ रि स ह जसा कभी न था ऊिर-ऊिर का

जाला कट गया ऊिर-ऊिर की वयथम की धल हट गयी भीतर की मतरण और भी चमकन लगी और भी

जयोतरतममय हो गयी तरमटटी मरती ह मणमय मरता ह तरचनमय की कसी मौत दह जाती और आती तम न आत

न जात एस धममो सनतनो तम तो शाशवत हो तम िरमातम-सवरि हो

उस घड़ी रमण को कदखायी िड़ा कक उितरनरषद ठीक कहत ह--अह बरहमातरसम तब तक सनी थी बात िढ़ी

भी थी िर अनभव म न आयी थी उस कदन अनभव म आ गयी उस कदन साकषातकार हआ उठकर बठ गए

उसी कदन करातरत घट गयी कफर और कछ नही ककया बात हो गयी मलाकात हो गयी तरमलन हो गया अमत

का अनभव हो गया

118

कफर जब वरषो बाद कई वरषो बाद दबारा मौत आयी--रमण को क सर हआ और तरमि बहत जचतरतत होन

लग भि बहत जचतरतत होन लग--तो रमण बार-बार आख खोलत और वह कहत तम नाहक िरशान हो रह

हो तरजसक तरलए तम िरशान हो रह हो वह तो कई साल िहल मर चका और तरजसक तरलए तम सोचत हो

आदर करत हो शरदधा करत हो उसकी कोई मतय नही तम नाहक िरशान हो रह हो जो मर सकता था मर

चका बहत कदन िहल उसक मरन िर ही तो मरा जनम हआ और अब जो म ह इसकी कोई मतय नही

रामकषण मरत थ शारदा उनकी ितनी रोन लगी तो रामकषण न आख खोली और कहा कक चि

ककसतरलए रोती ह म न कही गया न कही आया म जहा ह वही रहगा तो शारदा न िछा तमहारी दह क चल

जान क बाद मरी चतरड़यो का कया करना ठीक बात िछी तरवधवा हो जाएगी तो चतरड़या तो फोड़नी िड़गी

रामकषण न कहा कक म मरगा ही नही तो चतरड़या फोड़गी कस त सधवा ह और सधवा रहगी

तरसफम भारत म एक ही तरवधवा हई तरजसन चतरड़या नही फोड़ी--शारदा न फोड़न का कोई कारण ही न

रहा रामकषण सबक तरलए मर गए शारदा क तरलए नही मर शारदा का भाव ऐसा था रामकषण क परतरत कक

रामकषण की परतीतरत उस भाव म उसकी भी परतीतरत हो गयी उस भी कदख गया कक बात तो सच ह दह जाती

ह--दह स तो लना-दना भी कया था--दह क भीतर जो जयोतरतममय तरवराजमान था वह तो रहगा वह कस

जाएगा

मतय का सतय जीवन ह धयान म ककसी कदन मतय घट जाती ह तरजस कदन धयान म मतय घट जाती ह

उस कदन धयान का नाम समातरध इसीतरलए समातरध शबद हम दोनो क तरलए उियोग करत ह--जब कोई मर

जाता ह तो कहत ह समातरध ल ली सत की कबर को हम समातरध कहत ह और धयान की िरम अवसथा को भी

समातरध कहत ह कयो कयोकक दोनो म मतय घटती ह धयान की िरम अवसथा म तमह कदखायी िड़ जाता ह

मरणधमाम कया ह और अ-मरणधमाम कया ह मत और अमत अलग-अलग हो जात ह दध और िानी अलग-

अलग हो जात ह

इस दध और िानी को अलग-अलग कर लन वालो को हमन िरमहस कहा ह कयोकक िरमहस का अथम

होता ह वह जो दध और िानी अलग-अलग कर ल हस क साथ कतरवयो न यह भाव जोड़ कदया ह कक हस की

यह कषमता होती ह कक दध-िानी तरमलाकर रख दो तो वह दध िी लगा और िानी छोड़ दगा ऐस ही तरमल ह

दह और चतनय तरमटटी और आकाश का ऐसा ही तरमलन हआ ह तम बन हो तरमटटी और आकाश क मल स तरजस

कदन तमहार भीतर िरमहस-भाव िदा होगा धयान की उतकषटता होगी धयान की परखर धार काट दगी दोनो को

अलग-अलग--तरमटटी इस तरफ िड़ी रह जाएगी अमत उस तरफ हो जाएगा--उस कदन तम जानोग कक मतय का

सतय जीवन ह

मतय को जानकर ही असली उतसव शर होगा कफर कफर तम नाचो कफर नाचन क अतरतररि बचा ही

कया कफर और करोग कया मरना तो ह नही और जब मतय ही न रही तो कफर कसा दख कसा तरवरषाद कसी

जचता कफर नतय म एक अतरभनव गण आ जाता ह कफर नतय तमहारा नही होता िरमातमा का हो जाता ह

कफर तम नही नाचत िरमातमा तमहार भीतर नाचता ह

इसतरलए म कहता ह--मतयबोध म और उतसव म तरवरोध नही ह मतयबोध क बाद ही महोतसव शर होता

119

तीसरा परशनः आि कहत ह कक सनयासी को भागना नही जागना ह िर ससार म रहत यह जागना हो

कस सकता ह

और कहा जागोग ससार ही ह यही सोए हो यही जागना होगा इस बात को समझ लो--जहा सोओग

वही जागोग न सोए तो िना म और जागो कदलली म ऐसा थोड़ ही होन वाला ह सोए िना म तो िना म ही

जागोग जहा सोए वही जागोग इस तम जीवन क गतरणत की एक बहत बहमलय कड़ी मानो यह एक िरम

मलयवान तरसदधात ह--जहा सोए हो वही जागोग

हा सोए-सोए सिन तम कही क भी दखत रहो मगर जागना तो वही होगा जहा सोए हो िना म सोए

रात तम सोचो ससार भर की सिन दखो कलकतत म होन क कक मदरास म कक कदलली म जहा तमहारा मन हो

कक चाद-तारो िर कोई रकावट नही ह न कोई रटकट लगती न कोई समय लगता न कही आन-जान म कोई

बाधा खड़ी होती तम जो चाहो सोचो सिन म तम कही भी हो सकत हो लककन जब सबह जागोग तब िना

म होओग जहा सोए थ वही जागना होगा ससार म सोए हो तो ससार म ही जागना होगा

इसतरलए म कहता ह भागो मत कफर भागकर जाओग कहा यह सब तरफ ससार ह इस छोटी सी बात

को समझो तम अिन घर स छोड़कर भाग गए तो कया होगा ककसी आशरम म बठ जाओग तो आशरम ससार

का उतना ही तरहससा ह तरजतना तमहारा घर तरहससा था दकान छोड़ दी बाजार छोड़ कदया मकदर म बठ

जाओग मकदर व ही लोग बनात ह जो दकान चला रह ह मकदर बाजार स बनता ह बाजार तो तरबना मकदर क

हो सकता ह मकदर तरबना बाजार क नही हो सकता

इस खयाल म ल लना मकदर बाजार िर तरनभमर ह बाजार मकदर िर तरनभमर नही ह मकदर रह न रह

बाजार हो सकता ह आतरखर रस म बाजार ह मकदर चला गया चीन म बाजार ह मकदर चला गया लककन

तमन कही ऐसा दखा कक मकदर हो और बाजार न हो

मकदर बच और बाजार न हो तो मकदर खडहर हो जाता ह मकदर क पराण तो बाजार म ह मकदर म जो

दीया जलता ह उसकी रोशनी बाजार स आती ह मकदर म जो िजारी पराथमना करता ह उसक पराण भी बाजार

स आत ह मकदर सब तरफ स बाजार स जड़ा ह भागोग कहा जाओग कहा इस िथवी िर कही भी जाओ

ससार ह चाद-तारो िर भी चल जाओ तो भी ससार ह ससार ही ह जो ह उसका नाम ससार ह इसतरलए

भागना तो हो भी नही सकता

कफर करठनाइया भीतर ह बाहर तो नही ह बाहर होती तो बड़ा आसान था--भाग गए अभी कषण

महममद यहा बठ ह वह नौकरी छोड़-छोड़कर भागत थ मन कहा कहा जात हो वह कहत थ िचगनी जा

रहा ह िचगनी म कया करोग िचगनी भी ससार ह कषण महममद को बात समझ म आ गयी कक िचगनी भी

जाकर कया होगा िना म कया खराबी ह यह बात समझन योगय ह

कफर अड़चन भीतर ह बाहर तो नही ह तब तो बात आसान हो जाती ह करठनाई बाहर होती तो बड़ी

आसान हो जाती अड़चन ितनी म होती तो बड़ी आसान हो जाती ह बात ितनी छोड़कर भाग गए झझट खतम

हो गयी अड़चन तो भीतर ह भीतर सतरी म रस ह तो तम यहा स भाग जाओग ितनी छोड़ दोग कोई और सतरी

म रस िदा हो जाएगा

और सच तो यह ह ितनी म तो अिन आि धीर-धीर रस कम हो जाता ह इसतरलए ितनी क िास सतरी स

मि हो जाना तरजतना आसान ह उतना नयी सतरी क िास होकर मि होना उतना आसान नही होगा कयोकक

120

नयी सतरी म तो कफर स रस जगता ह कफर जवान हए कफर वासनाए उमगी कफर िरान सिन ताज हए ितनी

क साथ तो धीर-धीर सब सिन खो गए धीर-धीर सब सिन मर गए धीर-धीर सब आशाए समापत हो गयी

ितनी क िास तरजतनी आसानी स वरागय िदा होता ह और कही नही होता

इस तम िकड़कर रख लो गाठ बाध लो ितनी न हो तो ससार म तरवरागी न हो वरागय साध-सतो स

िदा नही होता ितनी करवा दती ह ितनी की तम किा मानो उसक चरण छओ वही तमह िरमातम-मागम िर

लगाती ह उसी क कारण तम मकदर की तरफ जान लगत हो साध-सतो का सतसग करन लगत हो ितनी तमह

ऐसा घबड़ा दती ह इसको छोड़कर कहा जा रह हो इसको छोड़कर तम गए कक तम कफर वही मढ़ता म िड़

जाओग

बचच छोड़ दोग राग कहा जाएगा राग कही और बन जाएगा राग ककसी और स बन जाएगा राग

जाना चातरहए राग क तरवरषय जान स कछ भी नही होता राग की वासना जानी चातरहए और वासना भीतर ह

तम जहा जाओग वासना साथ चली जाएगी वासना तम हो वासना तमहार अहकार का तरहससा ह तमहार

मन का तरहससा ह वासना क कारण ससार ह ससार क कारण वासना नही ह तो कारण को समझो और कारण

को काटो

इसतरलए म कहता ह भागो मत जागो जागन स कटता ह भागन स नही और भगोड़ा कायर ह और

कायर कही िरमातमा तक िहच ह िरमातमा तक तरसफम दससाहसी िहचत ह खयाल रखना साहसी भी नही

कहता दससाहसी जआरी िहचत ह जो सब दाव िर लगान की तरहममत रखत ह भगोड़ कायर य तो कभी

नही िहचत डर-डराए लोग कित िर य िरमातमा तक नही िहचत यह यािा लबी ह इस यािा म ऐस

डरत लोगो का काम नही ह वहा तरहममतवर लोग चातरहए

तो ससार स भागो मत हार हए ससार स भागो मत ससार म जागो

कफर म तमस कहता ह यहा तरजतनी सतरवधा जागन की ह और कही नही ससार का परयोजन ही यही ह

कक यहा इतनी करठनाइया ह इतनी अड़चन ह कक तमह जागना ही िड़गा चमतकार तो यही ह कक इतनी

करठनाइयो क बावजद तम मज स सो रह हो और घराम रह हो तमहारी नीद म दखल ही नही िड़ता यहा बड-

बाज बज रह ह और तरशवजी की बारात चारो तरफ नाच रही ह और तम अिन सो रह हो और मज स सो रह

हो

तम यहा नही जाग रह तम तरहमालय िर जागोग तरहमालय िर बड़ा सननाटा ह वहा तो तम खब गहरी

नीद म सो जाओग वहा जगाएगा कौन जगान क तरलए चनौती चातरहए जगान क तरलए तरविरीतता चातरहए

जगान क तरलए चोट चातरहए जगान क तरलए कोलाहल उिदरव चातरहए वहा कोई उिदरव नही ह

तो तम तदरा को या तरनदरा को अगर धयान समझ लो तो बात दसरी बठ गए एक गफा म ससत कातरहल

की तरह नीद आन लगी बठ-बठ--करोग भी कया इस कारण तमहार तथाकतरथत भगोड़ साध-सनयातरसयो म

जीवन की परतरतभा नही कदखायी िड़ती चहर िर आखो म जयोतरत नही कदखायी िड़ती एक ससती एक

आलसय एक तदरा मढ़ता क लकरषण तमह तरमलग बोध क लकषण नही तरमलग तमह करठनाई स ऐसा तरमलगा

साध तरजसम कक बोध हो--जड़ता तरमलगी--कयोकक भगोड़ म बोध हो कस सकता ह बोध ही हो सकता होता तो

भागता कयो

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यह ससार िरमातमा न तमह कदया यह कसौटी ह यह िरीकषा ह इसस गजरोग तो तरनखरोग यह आग

ह तरजसम स गजर गए तो सवणम बन जाओग शदध कदन बन जाओग तमहारा कड़ा-करकट जल जाएगा ितनी

को ितरत को बचचो को दकान को बाजार को अतरगन समझो कसौटी समझो इसस भागना नही ह

हा सोना भी भागकर बच सकता ह अतरगन स लककन तब कड़ा-करकट भरा रह जाएगा अतरगन स गजरन

म िीड़ा ह यह मझ मालम ह लककन िीड़ा म ही तरनखार ह िीड़ा ही धोती ह िोछती ह माजती ह िीड़ा क

तरबना कोई कभी तरवकतरसत हआ ह िीड़ा ही तरवकास का दवार बनती ह सब िीड़ा हट जाए तम ततकषण मदाम हो

जाओग िीड़ा का उियोग करो िीड़ा को उिकरण बनाओ इसतरलए म कहता ह ससार स भागो मत

आि कहत ह सनयासी को भागना नही जागना ह यह ससार म रहत कस हो सकता ह

यही हो सकता ह और कही तो हो ही नही सकता इस छोटी सी बड़ी पराचीन कथा को सनो--

समराट िषितरमि न अशवमध-यजञ ककया यजञ की िणामहतरत हो चकी थी रात को अतरततरथयो क सतकार म

नतयोतसव था जब यजञ क बरहमा महररषम ितजतरल उसम उितरसथत हए तो उनक तरशषय चि क मन म गर क

वयवहार क औतरचतय क तरवरषय म शका-शल चभ गया

ितजतरल योग-सिो क तरनमामता तरजनहोन योग की िररभारषा ही की हः तरचततवतरतत-तरनरोध कक तरचतत की

वतरततयो का तरनरोध हो जाए तो आदमी योग को उिलबध होता ह सवभावतः उनका एक तरशषय चि बड़ी शका

म िड़ गया कक गरदव कहा जा रह ह समराट न उतसव ककया ह रात उसम वशयाए नाचन वाली ह

योगतरिततवतरतततरनरोधः और यह ितजतरल अब तक समझात रह कक तरचततवतरत का तरनरोध ही योग ह यह भी वहा

जा रह ह तो उस बहत शका-शल चभ गया

उस कदन स उसका मन महाभाषय और योगसिो क अधययन म न लगता था

जब शका हो जाए तो कफर कस लग शरदधा म ही मन लगता ह शका म तो दरी हो गयी उस कदन स

गर स नाता टट गया रहा अब भी रहा गर क िास अब भी उठता था चरण भी छता था आदर भी दता था

मगर भीतर अड़चन हो गयी

अत म एक कदन जब महररषम तरचततवतरतत-तरनरोध क साधनो िर बोल रह थ तो चि न यह परासतरगक परशन

ककया--भगवन कया नतय-गीत और रस-रग भी तरचततवतरतत-तरनरोध म सहायक ह िारदशी ितजतरल मसकराए

और बोल--चि वासतव म तमहारा परशन तो यह ह कक कया उस रात मरा समराट क नतय-उतसव म सतरममतरलत

होना सयम-वरत क तरवरदध नही था

वरषम बीत गए थ उस बात को हए तो लककन कदखता रहा होगा ितजतरल को कक इसक मन म बात चभ

गयी ह चभ गयी ह चभ गयी ह राह दखता परतीकषा करता ककसी अवसर िर परशन को खड़ा करगा

अपरासतरगक भी नही होना चातरहए नही तो गर सोचग कक यह मन सदह ककया

शायद वरषम क बीतन क बाद जब कफर कभी ितजतरल बोलत होग तरचततवतरतत- तरनरोध िर तो उसन कहा

कक महाराज कया नतय इतयाकद म सतरममतरलत होना भी तरचततवतरतत क तरनरोध म सहायक होता ह सोचता होगा

वरषम बीत गए अब तो महररषम भल भी गए होग उस बात को और उनको तो याद भी कस होगा मन तो कभी

कहा भी नही कक शका-शल मरी छाती म चभा ह और मरी शरदधा तम िर डगमगा गयी ह मन तमह वहा दखा

ह वशयाए नतय करती थी और शराब क पयाल चलत थ--राजदरबार था--वहा आि कया कर रह थ आधी रात

तक वहा आिको बठन की जररत कया थी य सब बात थी कहना तो ऐस ही चाहता था लककन इतनी

तरहममत कभी जटा न िाया

122

लककन िारदशी ितजतरल मसकराए और बोलः चि वासतव म तमहारा असली परशन तो यह ह कक कया उस

रात मरा समराट क नतय-उतसव म सतरममतरलत होना सयम-वरत क तरवरदध नही था सयम क सचच अथम को तम

समझ नही सनो सौमय आतमा का सवरि ह रस--रसो व सः--उस रस को िररशदध और अतरवकत रखना ही

सयम ह तरवकतरत की आशका स रस-तरवमख होना ऐसा ही ह जस कोई गतरहणी तरभखाररयो क भय स घर म

भोजन िकाना ही बद कर द

बड़ी अनठी बात कही तरभखारी आत ह इस भय स घर म भोजन ही न बनाओ--न रहगा बास न बजगी

बासरी मगर यह तो तरभखाररयो क िीछ खद भी मर भोजन न िका तो खद भी मर

तो ितजतरल न कहा रस तो जीवन का सवभाव ह रसो व सः यह तो िरमातमा का सवभाव ह रस

उतसव तो िरमातमा का होन का ढग ह यह तो आतमा की आतररक दशा ह--रस इस रस स तरवमख होकर इस

रस को दबाकर इस रस को तरवकत करक कोई वयतरि मि नही होता और कफर इस डर स कक कही रस िदा न

हो जाए तम उन-उन सथानो स भागत रहो जहा-जहा रस िदा हो सकता ह तो इसस भी कछ मतरि नही होती

सयम का ठीक-ठीक अथम तो होता ह--इस रस को िररशदध करना इस रस को अतरवकत रखना रस को तरवकत

करन की िररतरसथतरतयो म ही तो तरसदध होगा कक रस तरवकत होता ह नही होता अतरवकत रहता ह नही रहता

जहा तरवकार खड़ा हो वहा तमहारा रस िररशदध भीतर नाचता रह तरवकार और रस म तरमशरण न हो वही तो

कसौटी ह

तरवकतरत की आशका स रस-तरवमख होना ऐसा ही होगा जस कोई गतरहणी तरभखाररयो क भय स घर म

भोजन िकाना बद कर द अथवा कोई करषक भड़-बकररयो क भय स खती करना ही छोड़ बठ यह सयम नही

िलायन ह यह आतमघात का दसरा रि ह आतमा को रस-वरजमत बनान का परयतन ऐसा ही भमिणम ह जस जल

को तरलता स अथवा अतरगन को ऊषमा स मि करन की चषटा इस भम म मत फसो

यह बड़ी अिवम घटना ह और ितजतरल क मह स तो और भी अिवम ह कषण न कही होती तो ठीक था

समझ म आ जाती बात लककन ितजतरल यह कहत ह तरजनहोन ितजतरल का योगसि ही िढ़ा ह व तो चौक ग

कयोकक ितजतरल क योगसि स तो ऐसी भातरत िदा होती लगती ह कक ितजतरल दमन क ही िकष म ह

कोई जञानी दमन क िकष म कभी नही रहा अगर तमह लगता हो रहा तो तमहारी समझ म कही भल हो

गयी ह जञानी मतरि क िकष म ह दमन क िकष म नही कफर कषण हो कक ितजतरल मि होना ह दतरमत नही

जो दतरमत हो गया वह तो बड़ कारागह म िड़ गया तम दबा लो अिनी वासना को बठी रहगी भीतर

सलगती रहगी उमगती रहगी धीर-धीर भीतर उिदरव खड़ा करती रहगी एक न एक कदन तरवसफोट होगा जब

तरवसफोट होगा तो तम तरवतरकषपत हो जाओग तरवमि होना तो दर तरवतरकषपतता हाथ लगगी

जञातरनयो न यही कहा ह--भागो मत जो भीतर ह उसक परतरत जागो उसक परतरत धयान को उठाओ साकषी

बनो दखो कक मर भीतर काम ह कक करोध ह कक लोभ ह और इस दखन म ससार बड़ा सहयोगी ह

मन सना ह एक आदमी तरहमालय चला गया करोधी था बहत करोध क कारण रोज-रोज झझट होती थी

अततः उसन सोचा कक ससार म बड़ी झझट होती ह--यह तो नही सोचा कक करोध म झझट ह--सोचा ससार म

बड़ी झझट ह झगड़ा-झासा खड़ा हो जाता ह छोड़-छाड़कर जगल चला गया िहाड़ िर बठ गया तीस साल

िहाड़ िर था सवभावतः न ककसी न अिमान ककया न ककसी स झगड़ा हआ न बस सटड िर खड़ा हआ रटकट

लन न तरसनमा घर क सामन भीड़ म धकका-मककी हई कोई सवाल ही नही था शात हो गया

123

तीस साल की लबी साधना क बाद उस लगा कक अब तो करोध बचा ही नही बात खतम हो गयी तभी

सयोग की बात कभ का मला भरा और ककसी यािी न कहा कक महाराज आि तीस साल स यही गफा म बठ

ह अब चतरलए भी अब जनता को थोड़ा उिदश भी दीतरजए आिको जञान उिलबध हो गया धीर-धीर लोग भी

आन लग थ खबर सनकर कक कोई महातमा तीस साल स गफा म रहत ह उसको भी लगा कक अब तो कोई

कारण भी नही डर का अब तो तीस साल म तरवजय भी िा ली लौटा कभ क मला आया

अब कभ का मला तो कभ का मला िागलो की ऐसी भीड़ और कही तो तरमलगी नही कभ क मल म तो

ककसी न कफकर ही नही की इनकी भीड़ म घसा ककसी आदमी न िर िर िर रख कदया धकका-मककी हो गयी

याद ही नही रहा तीस साल कस सिन की तरह तरतरोतरहत हो गए िकड़ ली उस आदमी की गदमन लगा कदए

दो-चार घस वह जो तरशषय साथ आए थ लकर उनहोन कहा--महाराज आि यह कया कर रह ह ितरलस िकड़

लगी तब उस होश आया तब वह बड़ा हरान हआ हसा भी कक यह तो तीस साल बकार गए मगर तीस साल

एक भी बार ऐसा न हआ तीस साल कोई छोटा समय नही ह--आधा जीवन और आज अचानक हो गया

तब उस बात भी समझ म आ गयी कक िहाड़ िर बठन स िररतरसथतरत ही न रही चनौती न रही न ककसी

न िर िर िर रखा न ककसी न गाली दी न ककसी न अिमान ककया तो करोध िदा न हआ लककन इसका यह

अथम थोड़ ही ह कक करोध न रहा अतरगन और घी दर-दर रह तो न अतरगन का िता चला न घी का िता चला अब

अतरगन और घी िास-िास आ गए तो लिट िदा हई भभक िदा हई--एक कषण म हो गयी वह जो भीतर तरछिा

था परगट हो गया

उसन उस आदमी क कहत ह िर िड़ तरजसको उसन दो घस लगा कदए थ और कहा कक आि मर गर ह

जो तीस साल म तरहमालय मझ न बता सका वह आिन एक कषण म बता कदया अब म जाता ह बाजार की

तरफ अब बाजार म ही रहगा तीस साल वयथम गए

म तमस भागन को नही कहता म तमस कहता ह यह ससार की सारी तरविरीत िररतरसथतरतयो का

उियोग कर लो तरनतरित ही यहा लोग ह जो करोध कदलवा दत ह लककन इसका मतलब साफ ह इतना ही कक

तमहार भीतर अभी करोध ह इसतरलए करोध कदलवा दत ह यहा लोग ह जो तमह लोभ म िड़वा दत ह इसतरलए

कक तमहार भीतर लोभ ह यहा लोग ह कक तरजनह दखकर तमहार भीतर म कामवासना जगती ह लककन

कामवासना भीतर ह उनका कोई कसर नही

ऐसा ही समझो कक जस कोई आदमी ककसी कए म बालटी डालता ह कफर िानी स भरकर बालटी तरनकल

आती ह कआ अगर िानी स ररि हो तो लाख बालटी डालो िानी भरकर नही आएगा कआ िानी स भरा

होना चातरहए तो ही बालटी म भरगा बालटी िानी िदा नही कर सकती बालटी कए म िानी भरा हो तो बाहर

ला सकती ह

जब कोई तमह गाली दता ह तो करोध थोड़ ही िदा करता ह उसकी गाली तो बालटी का काम करती ह

तमहार भीतर भर करोध को बाहर ल आती ह जब एक सदर सतरी तमहार िास स तरनकलती ह तो वह तमहार

भीतर काम थोड़ ही िदा करती ह उसकी मौजदगी तो बालटी बन जाती ह तमहार भीतर भरा हआ काम

भरकर बाहर आ जाता ह अब सतरी स भाग जाओ तो िानी तो भीतर भरा ही रहगा बातरलटयो स भाग गए

ससार छोड़ दो तो करोध की िररतरसथतरत न आएगी लोभ की िररतरसथतरत न आएगी लककन तम बदल थोड़ ही

बदलाहट इतनी ससती होती तो सभी िलायनवादी सभी एसकतरिसट महातमा हो गए होत और तमहार सौ

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महातमाओ म तरननयानब िलायनवादी ह उनस जरा सावधान रहना व खद भी भाग गए ह व तमको भी

भागन का ही उिदश दग

म भागन क जरा भी िकष म नही ह कयोकक मझ कदखायी िड़ता ह इस ससार म रहकर ही तरवकास होता

ह इस ससार म िड़ती रोज की चोट ही तमह जगा द तो जग जाओ और कोई उिाय नही तरनतरित ही कषटिणम

ह यह बात लककन बस यही एक उिाय ह और कोई उिाय ही नही यही एक मागम ह और कोई शाटमकट नही

ह करठन ह दसतर ह िीड़ा होती ह बहत बार बहत करठनाइया खड़ी होती ह मगर व सभी करठनाइया

अगर समझ हो सहयोगी हो जाती ह व सभी करठनाइया सीकढ़या बन जाती ह

चौथा परशनः अहकार कया ह

हीनता को तरछिान का उिाय ह अहकार हीनता की भीतर गाठ ह कक म कछ भी नही तो म कछ होकर

कदखा द इसकी चषटा ह अहकार

साधारणतः परतयक को यह हीनता की गरतरथ ह कयो कयोकक बचिन स परतयक को कहा गया ह कक

कछ होकर कदखा दो कछ करक कदखा दो कछ नाम छोड़ जाओ इतरतहास म कछ काम छोड़ जाओ परतयक को

यह कहा गया ह कक तम जस हो ऐस काफी नही हो तम जस हो ऐस शभ नही हो सदर नही हो तम कछ

करो मरतमया बनाओ कक तरचि बनाओ कक कतरवताए बनाओ कक राजनीतरत म दौड़ो कक कदलली िहच जाओ कक

धन कमाओ कछ करक कदखाओ तमहार होन म कोई मलय नही ह तमहारा होना तरनममलय ह तमहार कतय म

कछ मलय होगा तो कछ करक कदखाओग तो ही लगगा कक तम हो नही तो तमह लगगा कक तम कछ भी नही--

खाली-खाली

सकल जाओ वहा भी वही महतवाकाकषा का िाठ ह सब तरफ महतवाकाकषा तरसखायी जा रही ह दौड़ो

तजी स दौड़ो कयोकक दसर दौड़ रह ह िीछ मत रह जाना दौड़ भारी ह सघरषम गहरा ह गलाघोट

परतरतयोतरगता ह चाह गला ही काटना िड़ दसर का तो काट दना मगर कछ करक बता दना इस दौड़ म सारा

उिदरव खड़ा हो रहा ह अहकार ह महतवाकाकषा अहकार ह म कछ नही ह इसकी िीड़ा को भलान का उिाय

मनतरसवद कहत ह कक तरजस कदन वयतरि यह समझ लता ह कक म अगर कछ नही ह तो ठीक तरबलकल

ठीक म कछ नही ह म शनय ह तो शनय ह और अिन इस शनय स राजी हो जाता ह उसी कदन अहकार समापत

हो जाता ह

इसतरलए बदध न तो बहत जोर कदया ह कक तमहार भीतर शनय ह उस शनय स राजी हो जाओ तम अिन

को शनयमाि ही जानो बदध न तरजतनी बड़ी वजञातरनक वयवसथा दी ह मनषय क अहकार को तरगरान की ककसी

और दसर न नही दी ह और बदध न तरजस वयवसथा स यह बात कही ह उतनी तकम यि वयवसथा स भी ककसी न

नही कही ह बदध का परसतावन बहत बहमलय ह अनको न कहा ह अहकार छोड़ो लककन यह बात अगर इस

तरह कही जाए कक अहकार छोड़ो तो कछ लाभ नही ह कयोकक छोड़ोग कस एक नया अहकार खड़ा हो

जाता ह अहकार छोड़न वाल लोग एक नए अहकार स भर जात ह--कक हम तरवनमर ह कक मझस जयादा तरवनमर

और कोई भी नही तरवनमरता का भी अहकार होता ह साधता का भी अहकार होता ह तरनरअहकाररता का भी

अहकार होता ह अहकार बड़ी सकषम बात ह

125

इसतरलए बदध न यह नही कहा कक अहकार छोड़ो बदध न कहा अहकार समझो यह तमहार भीतर जो

शनय ह उसको झठलान की कोतरशश स अहकार िदा होता ह तम भीतर क शनय को सवीकार कर लो कहो कक

म ना-कछ ह यह असतरलयत ह यह वकषो को कोई अहकार नही ह कयोकक वकषो को अिना ना-कछ होना

सवीकार ह िहाड़ो को कोई अहकार नही ह कयोकक उनको अिना ना-कछ होना सवीकार ह ितरकषयो को

अहकार नही

अहकार मानवीय घटना ह मनषय को अहकार ह अहकार दसर स तलना ह कक म दसर स आग कक

दसर स िीछ जब तम दसर स आग होत हो तो अहकार परसनन होता ह जब तम दसर स िीछ होत हो तो दखी

होता ह और सदा ही कोई तमस आग ह कोई तमस िीछ ह यह बड़ी झझट ह हर आदमी लाइन म खड़ा ह

तरजसको तम सोचत हो आग खड़ा ह उसस भी कोई आग ह यहा हजार तरह की झझट ह

निोतरलयन तरवशवतरवजता था लककन उसकी ऊचाई कम थी--िाच फीट िाच इच इसस वह बड़ा िीतरड़त

था जब भी ककसी लब आदमी को दख लता उस बड़ा दख हो जाता कक म कछ नही यह आदमी लबा लतरनन

क िर छोट थ ऊिर का शरीर थोड़ा बड़ा था उस हमशा भय लगा रहता कक कोई मर िर न दख ल िर उसक

इतन छोट थ कक सामानय कसी िर बठता तो जमीन तक नही िहचत थ तो वह तरछिाकर बठता था

भागयतरवधाता हो गया रस का लककन वह अड़चन बनी रही कोई नगा तरभखारी भी तरजसक िर सवसथ थ वह

भी उस बचन कर जाए निोतरलयन बचन हो जाता था एक नग तरभखारी को दखकर भी अगर वह सवसथ तगड़ा

हआ और लबा हआ बस वही उसकी अड़चन थी

हजार उिदरव ह धन हो तो कछ और नही होगा तमहार िास कछ और हो तो धन नही होगा तमहार

िास धन हो बतरदध न होगी तमहार िास बतरदध हो धन न होगा तमहार िास ऐसा तो कोई आदमी अब तक

हआ नही तरजसक िास सब हो सब हो नही सकता यह सभव नही ह और अगर ऐसा कोई आदमी होगा तो

बाकी लोग उसको ततकाल मार डालग यह बरदाशत क बाहर हो जाएगा

ऐस ही बरदाशत क बाहर हो जात ह लोग तरजसक िास जयादा धन ह उसक परतरत लोग तरखलाफ हो जात

ह जो िद िर ह उसक तरखलाफ हो जात ह लोग तरजसक िास कही कछ ह उसक तरखलाफ हो जात ह लोग

तरजसक िास जञान ह उसक तरखलाफ हो जात ह तरजसक िास आनद ह उसक तरखलाफ हो जात ह ककसी क िास

कछ ह उसम उनको अड़चन होन लगती ह कयोकक वह आदमी उनक भीतर की कमी का सचक हो जाता ह कक

यह तमहार िास नही जो मर िास ह

कोई तमहार िीछ खड़ा ह कोई तमहार आग खड़ा ह िीछ वाल को दखकर तम खश हो रह हो आग

वाल को दखकर दखी हो रह हो अहकार दख भी दता ह सख भी दता ह दोनो साथ-साथ दता ह

अहकार का तम िछत भी हो कक कया ह अहकार इसस कस छटकारा िाए तब भी तम इस बात को

ठीक स नही दखत अकसर ऐसा होता ह जो लोग िछत ह कक अहकार स कस छटकारा िाए व उतन ही तरहसस

स छटकारा िाना चाहत ह तरजतन तरहसस म अहकार दख दता ह तरजतन तरहसस म सख दता ह उसस नही छटना

चाहत ह मगर जब तक तम उसस भी न छटोग तरजसम सख दता ह तब तक तम उसस भी न छट िाओग

तरजसम दख दता ह अहकार छोड़न का एक ही अथम होता ह कक तमन अिनी तलना करनी बद कर दी अहकार

छोड़न का एक ही अथम होता ह कक तमन अिन शनयभाव को अगीकार ककया और उसी शनयभाव म तम

अतरदवतीय हो गए

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तमहारी कोई तलना हो भी नही सकती तम जसा आदमी कभी िथवी िर हआ ही नही और न कफर कभी

होगा तमहार अगठ का तरनशान तमहार ही अगठ का तरनशान ह सारी दतरनया म इतन लोग हो चक ह--अरबो-

खरबो--मगर ककसी क अगठ का तरनशान तमहार अगठ का तरनशान नही ह और तमहार वयतरितव का ढग भी

तमहारा ही ह तम तलनीय नही हो तौल कक झझट म िड़ तौलो मत तलना मत करो किरीजन मत करो

तम जस हो उस सवीकार कर लो तम जस हो वसा होना ियामपत ह ऐसा तमह परभ न बनाया इसको तम

धनयभाग मानो इसक तरलए धनयवादी होओ और इस शनय म राजी हो जाओ तमस कफर बहत होगा लककन

वह अहकार क कारण नही होगा वह तमहारी सहज परकतरत क कारण होगा

जस नकदया सागर की तरफ बहती ह ऐसा तमस भी बहत बहगा--हो सकता ह गीत रचा जाए मरतम

बन--होगा ही कयोकक जहा ऊजाम ह वहा कछ घटना घटती रहगी लककन उस घटना क घटन म न तो जचता

रहगी न आिाधािी रहगी न दसरो स परतरतयोतरगता रहगी न सिधाम रहगी

अभी तो तम इस अहकार क नाम िर तरसफम अिन भीतर क शनय को ढाकत हो घाव को ढाकत हो--जस

घाव िर कोई फल रख ल कफर घाव बड़ा होता जाता ह तो और बड़ फल चातरहए और बड़ फल चातरहए कफर

धीर-धीर ऐसा हो जाता ह कक घाव को तरछिान म ही जजदगी बीत जाती ह घाव तरछिता नही और जजदगी

समापत हो जाती ह और तरजसस तम घाव को तरछिा रह हो वही तमहारी फासी बन जाती ह ककसी को ककसी

ढग स अिना अहकार भरना ह ककसी को ककसी और ढग स अततः जीवन उसी अहकार क भरन की कोतरशश म

नषट हो जाता ह

तमन यह िरानी िौरातरणक कथा सनी होगी--

एक योगी था वन म एक चहा उसक िास घमा करता और योगी शात बठता मौन बठता तो चहा--

धीर-धीर तरहममत भी उसकी बढ़ गयी--वह उसकी गोदी म भी आकर बठ जाता उसक आसिास चककर भी

लगाता उसक िास आकर बठा भी रहता योगी अिन धयान म होता अिन आसन म बठता चहा भी उसक

िास आकर रमन लगा धीर-धीर योगी को भी चह स लगाव हो गया

एक कदन चहा बठा था उसक िास--योगी धयान कर रहा था--और एक तरबलली न हमला ककया योगी को

चह िर बड़ी दया आयी और अभी-अभी उस कछ योग की शतरिया भी तरमलनी शर हई थी तो उसन अिन

योगबल स कहा--माजामरो भव उस चह स कहा कक त तरबलला हो जा योगबल था चहा ततकषण तरबलला हो

गया चहा बन-तरबलाव बन गया तरबलली तो घबड़ा गयी भाग गयी योगी बड़ा खश हआ चहा भी बड़ा खश

हआ

लककन यह जयादा कदन बात न चली कक एक कदन एक कतत न हमला कर कदया तरबलल िर तो योगी न

उस चीता बना कदया लककन यह बात कफर भी जयादा कदन न चली चीत िर एक कदन एक जसह न हमला कर

कदया तो उसन उस गरीब चह को अब जसह बना कदया जसह न योगी िर हमला कर कदया तब तो योगी बहत

घबड़ाया उसन कहा यह तो हदद हो गयी यह मरा ही चहा और यह भल ही गया तो उसन कहा--िनममरषको

भव कफर स चहा हो जा चहा कफर स चहा हो गया

इस कहानी म तरजतनी आसानी स चहा जसह स चहा हो गया इतनी आसानी स अहकार का चहा

िनममरषको भव कहन स नही होता िहल हम उस बड़ा करत ह हम फलात चल जात ह हम दसरो क मकाबल

म उसको लड़ात चल जात ह तरबलला बनाया कतत क मकाबल म चीता बनाया चीत क मकाबल म जसह

बनाया--हम बनात चल गए--एक कदन घड़ी आती ह कक वह इतना बड़ा हो जाता ह कक उसक बोझ म हम ही

127

दब जात ह हमारी छाती िर ितथर की तरह िड़ जाता ह कफर हटाना इतना आसान नही ह तरजतना इस

कहानी म ह कफर तम लाख तरचललात रहो--िनममरषको भव वह कहगा--चि रहो शात रहो बकवास मत करो

तमन दखा न तमहारा मन अकसर--तम मन क साथ परयोग करक दख सकत हो--तम सोना चाहत हो

और मन अिनी बकवास म लगा ह तम कहत हो भाई चि हो जाओ वह कहता ह तम चि रहो तमहारा मन

और तमस ही कहता ह तम चि रहो तम कहत हो मझ सोना ह वह कहता ह कफजल की बात न करो अभी

हम अिन काम म लग ह तमहारा मन और तमस ही ट

अब इतना आसान नही इसको तमन ही िाला ह इसको तमन ही बड़ा ककया ह इसको तमन ही

समहाला ह इसको तमन ही ऊजाम दी ह यह तमहारी ही ऊजाम क बल िर आज अकड़ रहा ह लककन धीर-धीर

तम इसस दबत गए धीर-धीर तम छोट होत गए और यह बड़ा होता गया तमन तरजस शनय को दबान क तरलए

इस खड़ा ककया था वह तम हो शनय हमारा सवभाव ह शनयता हमारा गणधमम ह उस शनय को दबान क तरलए

अहकार खड़ा ककया अब यह अहकार खड़ा हो गया अब यह तमह दबा बठा

िहल तम बड़ खश हए कक चलो इसक सहार दसरो को हमारा शनय नही कदखायी िड़ता दसरो क

सामन अकड़कर चल लत ह दतरनया म खयातरत फल रही ह नाम हो रहा ह कफर यह बहत अकड़ गया कफर

इसन तमह जोर स दबा तरलया अब तम घबड़ात हो कक इसस कस छट यह तो गदमन दबाए द रहा ह लककन

अब इतना आसान नही एक बार तमन इसक हाथ म बागडोर द दी तो लन म समय लगगा कभी-कभी

जीवनभर लग जाता ह कभी-कभी अनक जीवन लग जात ह

जब जाग जाओ तभी स दो काम शर कर दो एक कक अब इस और शतरि मत दो दसरा कक अिन

शनयभाव का धीर-धीर समरण करो इस भाव म रमो कक म ना-कछ ह िहल तो बहत कषट होगा--म ना-कछ

यही तो जजदगीभर मानना नही चाहा दतरनया तो यही कह रही थी कक तम ना-कछ हो लककन तमन इनकार

ककया दतरनया तो मानना ही चाहती थी कक तम ना-कछ हो मगर तम न मान अब अिन स मानन म बड़ी

अड़चन होगी

इसी को तो सनयास का सि समझना--म ना-कछ म एक शनय माि बास की िोगरी अगर मझस कछ

होता भी ह तो वह िरमातमा का मरा कया उिकरण माि वह जो चाह करा ल न चाह न कराए चाह

राजा बना द और चाह पयादा बना द जो उसकी मजी मजी उसकी खल उसका म तो एक कठितली धाग

उसक हाथ म ह जसा नचाता ह नाच लता ह इसम मरी अकड़ कया ऐसा भाव तमहार भीतर गहरा होता

चला जाए तो धीर-धीर तम िाओग नयी ऊजाम न तरमली अहकार को और िरानी ऊजाम धीर-धीर शनय म लीन

होन लगी एक कदन अहकार तरगर जाता ह जस ताश क ितत तरगर जात ह जस ताश क िततो स बनाया हआ

मकान तरगर जाता ह जरा सा धयान का झोका चातरहए और यह मकान तरगर जाएगा

िाचवा परशनः म अनभव करता ह कक मर िास आिक चरणो िर चढ़ान क तरलए कछ भी नही ह और यह

दीनता असहय ह

िछा ह कीरतम न अभी जो म कह रहा था उस खयाल म लो यह दीनता भी अहकार का ही रि ह तम

यह मत सोचना कक यह दीनता कोई बहत अचछी बात ह यह अहकार की ही छाया ह चढ़ान की जररत कया

128

ह मर चरणो म कछ चढ़ान की जररत कया ह मर िास रहकर तम शनय होना सीख लो बस ियामपत ह सब

चढ़ गया अिना अहकार ही चढ़ा दो बस बहत हो गया

मगर तम कहत हो कक म अनभव करता ह कक मर िास आिक चरणो िर चढ़ान क तरलए कछ भी नही

यह कछ भी नही का बोध ही तो असली बात ह ककसक िास कछ ह ककसी क िास कछ भी नही ह तम

समझत हो कोई आदमी सौ रिय का नोट रख गया तो कछ रख गया ह कया सौ रिय क नोट म कागज का

टकड़ा ह ऐस ही िड़ा रह जाएगा म भी चला जाऊगा वह भी चल जाएग इसको न म ल जा सकता न वह

ल जा सकत तो चढ़ा कया गए और इसम तमहारा कया था तम नही आए थ तब भी यह नोट यहा था--यही

का था यही स उठाकर चढ़ा कदया चढ़ाया कया

तमहार िास कछ नही ह यह बात तमह िीड़ा कयो द रही ह और यह दीनता तम कहत हो असहय ह--

कयो ककसको असहय हो रही ह अहकार का भाव ह अहकार कछ चढ़ाना चाहता ह अहकार चढ़ाना ही नही

चाहता वह दसरो को भी हराना चाहता ह कहता ह--अचछा तमन सौ का नोट चढ़ाया लो म िाच सौ का

चढ़ाता ह कर कदया रठकान लगा कदया रसत िर तमह भल गए अकड़ बड़ चढ़ान चल थ

चढ़ान म भी दौड़ ह चढ़ान म भी होड़ ह चढ़ान म भी दसर को हराना ह और जीतना ह यह तो

अहकार ही हआ

यह िागलिन छोड़ो मर िास तो बठकर तम इतना समझ जाओ कक तमहार िास कछ नही ह बात हो

गयी कफर दसरी बात भी तमह समझ म आ जाएगी िहल यह समझ म आ जाए कक मर िास कछ भी नही ह

तो कफर दसरी बात भी समझ म आ जाएगी कक म भी कछ नही ह यह शनय आकाश तरजस कदन भीतर परगट

होता ह उस कदन तम चढ़ गए उस कदन िहच गए समिमण हो गया

इसम दीनता कया ह यह तो तरसथतरत ह ककसक िास कया ह इसको असहय कयो कर रह हो तम दखत

होओग कक दसर चढ़ात ह--कोई धन ल आता कोई बतरदध ल आता कछ यह ल आता कछ वह ल आता अब

कीरतम सोचता होगा म कया लाऊ कहा स लाऊ मर िास कछ भी नही ह

तम कछ भी नही हो इसी भाव म रम जाओ बस ियामपत हो गया तम उनस आग तरनकल जाओग जो धन

चढ़ा गए तम उनस आग तरनकल जाओग जो कछ चढ़ा गए कयोकक आग जान का अथम एक ही होता ह कक तम

अिन भीतर चल जाओ--और आग जान का कोई अथम नही होता

इसम िरशान होन की जरा भी जररत नही ह हमारा अहकार बड़ा सकषम ह यह बड़ी-बड़ी तरकीब

खोजता ह बड़ी सकषम तरकीब खोजता ह अब ऊिर स दखन िर ऐसा ही लगगा कक यह तो बड़ी अचछी बात

िछी कीरतम न इसम कछ बराई कया ह

इसम बराई ह इसम गहरी बराई की जड़ ह यह दीनता तमहार अहकार को ही अखर रही ह इतना ही

दखो कक मर िास कछ नही ह अब कर कया बात खतम हो गयी ककसक िास कछ ह कफर चढ़ान की कोई

जररत भी कहा ह कोई परयोजन भी नही ह लककन आमतौर स कछ भी हो ककसी न ककसी दरवाज स

अहकार कफर परतरवषट हो जाता ह िीछ क दरवाज स आ जाता ह

मन सना ह--एक सफी कहानी--एक समराट तरवशवतरवजता हो गया तब उस खबर तरमलन लगी कक उसक

बचिन का एक साथी बड़ा फकीर हो गया ह कदगबर फकीर हो गया ह नगन रहन लगा ह उस फकीर की

129

खयातरत समराट तक आन लगी समराट न तरनमिण भजा कक आि कभी आए राजधानी आए िरान तरमि ह

बचिन म हम साथ थ एक साथ एक सकल म िढ़ थ एक फटटी िर बठ थ बड़ी किा होगी आि आए

फकीर आया फकीर तो िदल चलता था नगन था महीनो लग जब फकीर ठीक राजधानी क बाहर

आया तो कछ यािी जो राजधानी क बाहर जा रह थ उनहोन फकीर स कहा कक तमह िता ह वह समराट अिनी

अकड़ तमह कदखाना चाहता ह इसीतरलए तमह बलाया ह फकीर न कहा कसी अकड़ कया अकड़ कदखाएगा

तो उनहोन कहा वह कदखला रहा ह अकड़ िरी राजधानी सजायी गयी ह रासतो िर मखमली कालीन तरबछाए

गए ह सार नगर म दीए जलाए गए ह सगध तरछड़की गयी ह फलो स िाट कदए ह रासत सारा नगर सगीत स

गजायमान हो रहा ह वह तमह कदखाना चाहता ह कक दख त कया ह एक नगा फकीर और दख म कया ह

फकीर न कहा तो हम भी कदखा दग

व यािी तो चल गए कफर साझ जब फकीर िहचा और राजा समराट दवार तक लन आया उस नगर क--

अिन िर दरबार क साथ आया था उसन जरर राजधानी खब सजायी थी उसन तो सोचा भी नही था कक यह

बात इस अथम म ली जाएगी उसन तो यही सोचा था कक फकीर आता ह बचिन का साथी उसका तरजतना

अचछा सवागत हो सक शायद तरछिी कही बहत गहर म यह वासना भी रही होगी--कदखाऊ उस--मगर यह

बहत चतन नही थी इसका साफ-साफ होश नही था गहर म जरर रही होगी हमारी गहराइयो का हमी को

िता नही होता जब फकीर आया तो फकीर नगा तो था ही उसक घटन तक िर भी कीचड़ स भर थ

समराट थोड़ा हरान हआ कयोकक वरषाम तो हई नही वरषाम क तरलए तो लोग तड़फ रह ह रासत सख िड़ ह

वकष सख जा रह ह ककसान घबड़ा रह ह वरषाम होनी चातरहए और हो नही रही ह समय तरनकला जा रहा ह

इतनी कीचड़ कहा तरमल गयी कक घटन तक कीचड़ स िर भर ह

लककन समराट न वहा दवार िर तो कछ न कहना उतरचत समझा महल तक ल आया और वह फकीर उन

बहमलय कालीनो िर--लाखो रियो क कालीन थ--उन िर वह कीचड़ उछालता हआ चला जब राजमहल म

परतरवषट हो गए और दोनो अकल रह गए तो समराट न िछा कक मागम म जरर कषट हआ होगा इतनी कीचड़ आिक

िर म लग गयी कहा तकलीफ िड़ी कया अड़चन आयी

तो उसन कहा अड़चन अड़चन कोई भी नही तम अगर अिनी दौलत कदखाना चाहत हो तो हम भी

अिनी फकीरी कदखाना चाहत ह हम फकीर ह हम लात मारत ह तमहार बहमलय कालीनो िर समराट हसा

और उसन कहा म तो सोचता था तम बदल गए होओग लककन तम वही क वही आओ गल तरमल हम जब

अलग हए थ सकल स तब स और अब म कोई फकम नही िड़ा ह हम एक ही साथ हम एक जस

अहकार क रासत बड़ सकषम ह फकीरी भी कदखलान लगता ह इसस थोड़ सावधान होना जररी ह और

जब अहकार िरोकष रासत लता ह तो जयादा करठन हो जाता ह जागना सीध-सीध रासत तो बहत ठीक ह एक

आदमी न बड़ा महल बना तरलया साफ कदखायी िड़ता ह कक वह कदखाना चाहता ह नगर को कक म कौन ह एक

आदमी बड़ी कार खरीद लाया वह कदखाना चाहता ह लककन एक आदमी न महल तयाग कर कदया और सड़क

िर नगन खड़ा हो गया कौन जान वह भी कदखाना चाहता हो अब रासता बड़ा सकषम ह अब तो वह खद ही

अिन भीतर अचतन म उतर तो शायद िकड़ िाए कक उसक भीतर आकाकषा कया ह कया वह कदखाना चाहता

ह लोगो को कक दखो दतरनया म हए तयागी मगर मर जसा कभी हआ

जनो और बौदधो न महावीर और बदध की तयाग की बड़ी कथाए तरलखी ह खब बढ़ा-चढ़ाकर तरलखी ह वह

बढ़ा-चढ़ाकर तरलखना बताता ह कक तरजनहोन कथाए तरलखी ह उनक मन म महावीर का मलय नही था धन का

130

ही मलय था बदध का मलय नही था धन का मलय था महावीर क भि तरलखत ह कक महावीर क िास इतन

हजार हाथी इतन हजार घोड़ ऐसा-ऐसा सामान था इतन रतन इतन हीर इतन जवाहरात वह तरगनात ही

चल जात ह वह सखया बढ़ती ही जाती ह--तरजतना शासतरो म जाओग वह सखया बढ़ती ही चली जाती ह

इतना हो नही सकता इतन घोड़ इतन हाथी महावीर तरजस छोट स राजय म िदा हए व उसम खड़ भी

नही हो सकत थ और अगर इतन हाथी-घोड़ खड़ हो जात तो आदतरमयो की जगह न बचती खड़ होन की और

इतना छोटा राजय था महावीर क तरिता का--एक छोटी तहसील समझो महावीर क तरिता कोई महा समराट नही

थ इतना धन हो नही सकता था इसका कोई उिाय नही ह अगर महावीर िदा न हए होत तो महावीर क

तरिता का नाम ककसी को कभी िता भी नही चलता

और वही हालत बदध की भी थी अगर बदध िदा न होत तो बदध क बाि का नाम कभी ककसी को िता न

चलता उनक िास कछ जयादा था भी नही छोट स राजय थ बदध क समय भारत म दो हजार राजय थ अगर

बदध का राजय िर भारत िर होता तो भी इतन हाथी-घोड़ नही हो सकत थ तरजतन तरगनाए ह िर भारत म

इतन हाथी-घोड़ नही थ और दो हजार राजय थ छोटा-मोटा राजय था

लककन भिो न इतन बढ़ा-चढ़ाकर कयो तरलखा बढ़ा-चढ़ाकर इसतरलए तरलखा कक अगर इतना न हो तो

कफर छोड़ा ही कया तो तयाग छोटा हो जाता ह तयाग को बड़ा बतान क तरलए िहल भोग बड़ा करक बताना

िड़ा कक इतना-इतना था सब छोड़ कदया कया गजब का तयाग था मगर धयान रखना तयाग भी नािा जा रहा

ह भोग स तयाग भी नािा जा रहा ह धन स आदमी का मन बहत रगण ह यही तो कारण ह कक जनो क सब

तीथकर राजाओ क बट ह बदध राजा क बट जहदओ क सब अवतार राजा क बट यह भी जरा अजीब सी बात

ह जहदसतान म कभी भी कोई गरीब का बटा कोई मधयवगीय बटा कोई साधारणजन का जो राजिि नही

था तीथकर नही हो सका कया कारण रहा होगा कया अड़चन रही होगी

बात साफ ह तयागी तो महावीर जस और भी बहत हए ह लककन उनका तयाग जनता नही मानगी ह

ही नही तमहार िास तो छोड़ा कया तयागी तो बहत हए बदध जस लककन जनता उनको मानगी नही वह

ककतन ही सब छोड़कर नगन खड़ हो गए हो लककन लोग िछग था कया िहल था कया िहल की तो बताओ

बक बलस कया था और तम कहो कक बक बलस था ही नही बक म अिना खाता ही नही था तो वह कहग

छोड़ा ही नही कछ तो तयाग कस बड़ा हो सकता ह तयाग का बड़ा होना िहल तो इसी स तय होता ह कक बक

बलस ककतना था

तो तरसफम राजाओ क बट ही तीथकर और अवतार हम मालम िड़ बाकी को हमन सवीकार नही ककया

अब कबीर ह दाद ह रदास ह इनकी कौन कफकर कर कछ था ही नही छोड़न को कछ था ही नही तो कया

छोड़ा

अहकार क रासत सकषम ह कफर इसम भी अहकार काम करता ह जब जन दखत ह कक बौदधो न तरलख

कदए इतन घोड़ थ तो उसस जयादा घोड़ बढ़ाकर अिन शासतर म तरलख दत ह जब बौदध दखत ह कक जतरनयो न

जयादा घोड़ बता कदए व जयादा घोड़ कदखा दत ह कयोकक इसम भी अहकार जड़ जाता ह कक मरा गर और

उसक िास घोड़ कम यह हो ही नही सकता मरा गर

म एक नगर म था वहा तीन साधओ म झगड़ा चल रहा था एक साध तरलखत थ अिन को--एक सौ आठ

शरी एक सौ आठ शरी का मतलब होता ह--एक सौ आठ बार शरी तब नाम लना चातरहए शरी शरी शरी शरी ऐसा

एक सौ आठ बार कफर अब उतना कहन म कदककत होगी इसतरलए तरलखत ह--एक सौ आठ दसर तरलखन लग--

131

एक हजार आठ अब तरलखन म कोई अड़चन तो ह ही नही तीसर बहत जचतरतत थ वह मझ तरमलन आए थ वह

कहन लग कक यह एक तरलखता ह एक सौ आठ एक तरलखता ह एक हजार आठ अब एक लाख आठ कभी ककसी

न तरलखा नही ह तो वह जरा शासतरीय नही ह तो वह िछन लग कक म कया तरलख

मन कहा कक तम ऐसा करो कक--अनत शरी कयोकक एक लाख तरलखो कोई एक करोड़ कर द इसम रोक

कौन सकता ह तम अनत शरी जसा छोट बचच कहत ह न कक तमस एक जयादा तम जो कहो उसस एक जयादा

मामला खतम हो गया तम सखया म िड़ो ही मत नही तो कभी हार खाओग मात खाओग वह बोल कक बात

तरबलकल जचती ह तब स वह अनत शरी हो गए

आदमी क अहकार बड़ सकषम ह अहकार क िरोकष रि ह परतयकष रि ह परतयकष रि तो बहत करठन नही

ह कदखायी िड़त ह िरोकष रि जयादा करठन ह उनक परतरत सावधान होना

जब तम कहत हो मरा दश सबस महान तब तम असल म यह कहत हो कक होना ही चातरहए कयोकक म

इस दश म िदा हआ नही तो ऐसा हो कस सकता ह कक मरा दश और महान न हो तम कह तो यही रह कक म

महान लककन िरोकषरि स कह रह सीधा नही कह रह कोई कहता ह जहद-धमम सबस महान कोई कहता ह

जन-धमम सबस महान कयो कयोकक जन-धमम महान हो तो ही तम महान जहद-धमम महान हो तो तम महान

कोई कहता ह करान सबस ऊची ककताब कोई कहता ह वद सबस ऊची ककताब--जो तमहारी ककताब ह वह

ऊची होनी चातरहए

और यह िागलिन सारी दतरनया म ह चीनी समझत ह कक उनस जयादा महान कोई दश नही ह और

वस ही जािानी भी समझत ह और वस ही जममन भी समझत ह दतरनया म ऐसी कोई कौम नही ह जो अिन को

महान न समझती हो कोई दश ऐसा नही जो अिन को महान न समझता हो कयोकक दतरनया म आदमी नही

तरजनको अहकार न हो मगर तम बहान खोजत हो और बहान ऐस खोजत हो कक सीध-सीध कदखायी भी नही

िड़त

अब जब कोई कहता ह भारत दश सबस महान दश तो ककसी को कदखायी भी नही िड़ता कक वह

अहकार की घोरषणा कर रहा ह जब वह कहता ह झडा ऊचा रह हमारा तो तमह लगता ह कक इसम कोई ऐसी

गलत बात कह ही नही रहा झडा ऊचा रह हमारा झडा तमहारा भी ह वह इसतरलए तमह अड़चन नही होती

चीनी को दखकर अड़चन होती ह तमहारा झडा ऊचा तब झगड़ा खड़ा होता ह लककन चीनी दर ह उसस

हमारी सीधी मलाकात साफ-साफ सामन-सामन होती भी नही यहा तो जो हमारा झडा ह वह हम सबका ह

इसतरलए हम मज स कहत रहत ह

जन मकदर म चलती रहती ह बात कक जन-धमम सबस महान धमम कोई अड़चन नही जहद मकदर म

चलती रहती ह बात जहद-धमम सबस महान मतरसजद म चचाम चलती रहती ह कक इसलाम स महान कोई धमम ह

ही नही य चचामए सीमाओ म चलती रहती ह और वहा तरजतन लोग मौजद ह व सब तरसर तरहलात ह कयोकक व

सब मसलमान ह सब जहद ह सब जन ह लककन जरा तम इस सतय को तो दखन की कोतरशश करो--यही सभी

लोग कह रह ह अगर गध-घोड़ भी बोलत होत तो व भी यही कहत व भी यही कहत कक हमस महान कोई भी

नही

मन एक बात सनी ह कक जब डारवमन न तरसदधात परतरतिाकदत ककया कक आदमी बदरो स तरवकतरसत हआ ह

बदरो का ही तरवकास ह तो आदतरमयो म भी तरववाद चला कयोकक आदतरमयो को यह बात जची नही अखरी

कक हम बदर स तरवकतरसत हए ह इसस उनको चोट लगी व िहल स यही सोचत रह थ कक भगवान न बनाया

132

और यह कया मामला हआ एकदम भगवान वतरलदयत बदल गयी भगवान की जगह बदर एकदम वतरलदयत

बदल गयी कहा भगवान और कहा बदर आदतरमयो म खब तरववाद चला लोग बड़ नाराज हए कोई सवीकार

करन को राजी नही था

लककन मन सना ह बदरो म भी बहत तरववाद चला और बदर भी बहत नाराज थ कक कौन कहता ह कक

आदमी हमारा तरवकास ह हमारा ितन ह हम रहत वकषो िर य ितरतत हो गए और समझ रह ह तरवकास हो

गया और अगर गौर स दखो तो उनकी बात म भी अथम तो ह ही एक बदर स तमहारी टककर हो जाए तो समझ

म आ जाए कक तम तरवकतरसत हो कक बदर न छलाग लगा सकत वसी न एक वकष स दसर वकष िर झल सकत

वस न वसी लोच न वसी ऊजाम न वसी शतरि काह क तरवकतरसत ककसी तरह चशमा लगाए और नकली दात

लगाए चल जा रह ह और कह रह ह तरवकतरसत हो गए और बदर हसत ही होग कक यह मामला कया ह इनका

तरवकास कस हो गया

जहा भी अहकार ह उस अहकार को भरन की हम सब वयवसथाए करत ह तो हम कहत ह आदमी

सबस शरि पराणी अब तरववाद तो कभी हआ ही नही ककसी दसरी जातरत क परातरणयो स जसहो स तो िछा नही

मन सना ह--ईसि की कहानी ह--एक जसह जगल म घमता ह िछता ह एक बदर स कक कयो भाई जगल

का राजा कौन बदर कहता ह महाराज आि ह इसम िछन की कया बात ह िछता एक चीत स जगल का

राजा कौन चीता कहता ह यह भी कोई िछन की बात ह बचचा-बचचा जानता ह कक आि ह कफर उसकी अकड़

बढ़ती जाती ह कफर वह जाता ह एक हाथी क िास िछता ह जगल का राजा कौन ह हाथी उस सड़ म

बाधकर और कोई िचचीस फीट दर फक दता ह तरगरता ह जमीन िर धल झाड़कर उठता ह और कहता ह भाई

अगर तमह ठीक मालम नही तो ऐसा कयो नही कहत साफ कह दो कक उततर मालम नही ह

अब उततर और कया होता ह

हम तब तक नही जाग सकत अहकार स जब तक हम अचतन सकषम गतरततरवतरधयो का बोध न होन लग

धयान की परककरयाए िहल तमह चतन म जो अहकार ह उसक परतरत सजग करती ह सथल अहकार--धन का िद

का कफर धीर-धीर तमह बताना शर करती ह कक और भी सकषम अहकार ह--धमम क राषटर क कफर तमह और

सकषम अहकारो का िता चलता ह--तयाग का जञान का ऐस ितम-ितम अहकार काटना िड़ता ह पयाज की तरह

एक क भीतर दसरी ितम ह और दसरी ितम िहल स जयादा गहरी ह कयोकक वह जयादा क दर क तरनकट ह

और अत म जब सारी ित कट जाती ह और पयाज म कछ भी नही बचता तरसफम शनय रह जाता ह तब

तम जानना कक तम उस जगह िहच जहा आतमा का वास ह जहा अहकार िरा कट जाता ह वही तम हो जहा

अहकार नही वही िरमातमा ह

आतरखरी परशनः म ससार छोड़न को तयार ह लककन कया आि आशवासन दत ह कक म इस तरह तरनिय ही

सख िा लगा िकका हो जाए तो म आज ही सब छोड़न को राजी ह

िहली तो बात मन कभी भलकर भी नीद म भी ककसी स नही कहा सिन म भी नही ककसी स कहा कक

ससार छोड़ना और तम मझस िछ रह हो कक म ससार छोड़न को राजी ह म रोज-रोज कह जाता ह छोड़ना

मत भागना मत समझना

133

मगर छोड़ना आसान मालम िड़ता ह समझना करठन इसतरलए म तमहार परशन को समझता ह तम यह

कह रह हो कक समझन की झझट म कहा िड़ अगर छोड़न स काम हल होता हो तो हम अभी छोड़ दत ह और

अकसर तो ऐसा होता ह कक तम छोड़न को तभी राजी होत हो जब ससार ही तमह छोड़ चका होता ह वस

बढ़ाि म लोग अकसर राजी हो जात ह कक चलो छोड़ दत ह

रामकषण क िास एक आदमी आता था वह बड़ उतसव मनाता था--धारममक उतसव और हर उतसव म

भड़ कटती बकररया कटती और बड़ा भोज दता था कफर अचानक उसन उतसव मनान बद कर कदए तो

रामकषण न उसस िछा कक कया हो गया भाई तम बड़ धारममक आदमी थ बड़ उतसव मनात थ कया हो गया

अब धारममक नही रह आसथा टट गयी उनहोन कहा नही महाराज आसथा भी वस ही ह धारममक भी वस ही

ह लककन अब दात ही न रह अब अब कया फायदा उस कदन असली बात जातरहर हई दातो न छोड़ कदया ह

तो अब वह कहत ह कक इस मासाहार म कया रखा ह यह अचछी बात भी नही

जब ससार तमह छोड़न क करीब होन लगता ह बढ़ािा आन लगता ह िर डगमगान लगत ह ससार

तमह छोड़न लगा तो अब तम सोचत हो कक चलो अब कम स कम यही मजा ल लो इस छोड़न का छोड़ द

कफर ससार को छोड़न की बात ही उठती इसीतरलए ह कक ससार म सख नही िाया अब तम सोचत हो

शायद ससार को छाडकर सख तरमल जाए--वही तम मझस िछ रह हो न कवल िछ रह हो तम गारटी

चाहत हो तम कहत हो आशवासन दन को तयार ह--कक अगर न तरमला तो तम मझ अदालत म ल जाओग--कक

सख तरनतरित तरमलगा िकका तरमलगा अगर म ससार छोड़ द तम सख क िीछ अब भी उतन ही दीवान हो और

सख की आकाकषा का नाम ससार ह तम ससार छोड़ोग कस

सख की आकाकषा छटती ह तो ससार छटता ह तरजस कदन तमह यह कदखायी िड़ता ह कक सख बाहर ह

ही नही सख बाहर होता ही नही न ससार िकड़न स तरमलता ह न ससार छोड़न स तरमलता ह कयोकक

िकड़ना भी बाहर छोड़ना भी बाहर ससार बाहर तरजस कदन तम जानत हो कक सख तो सवय म रमन की बात

ह इसका ससार को िकड़न-छोड़न स कोई सबध नही ह तो करातरत घटती ह

और यह आशवासन नही कदए जा सकत ह इसकी कोई गारटी नही हो सकती ह यह तम िर तरनभमर ह

मझ िर तरनभमर नही ह तम अगर समझो तो अभी सख तरमल जाए और तम अगर न समझो तो कभी भी न

तरमलगा और नासमझी तमहारी बहत मजबत कदखायी िड़ती ह िककी

तम कहत हो ससार छोड़न को तयार ह लककन कया आि आशवासन दत ह कक म इस तरह सख तरनिय

ही िा लगा

आशवासन कौन दगा आशवासन बाहर स आएगा और बाहर की इतन कदन तक चषटा कर ली अब बाहर

स छटो अब तो भीतर आशवासन खोजो अब तो आख बद करो और भीतर डबकी लो अपि दीिो भव बदध न

कहा अिन दीए बनो तम मझस माग रह हो आशवासन जस कक मर हाथ म ह सख दना मर हाथ म होता तो

म तमह द ही दता जो मर हाथ म ह वह म तमह द ही रहा ह उसम जरा भी कजसी नही ह लककन न बदध क

हाथ म ह तमह सख दना न महावीर क हाथ म ह ककसी क हाथ म नही ह सख लना तमहार हाथ म ह और

तमहारी जब तक दतरषट गलत ह तब तक सख न तरमलगा

ससार मत छोड़ो दतरषट छोड़ो दतरषट बदल तो सतरषट बदल जाती ह सारा खल दतरषट का ह मगर दतरषट

बदलन को तम राजी नही तम ससार छोड़न को राजी हो मगर यही आख लकर तम जहा भी जाओग वही

ससार बन जाएगा

134

कथा ह पयारी महाराषटर म सत हए रामदास वह राम की कथा कहत थ भि सनन आत थ अब

रामदास जसा वयतरि कथा कह तो कथा म हजार-हजार फल लग गए होग कथा तो वही ह लककन कहन वाल

िर तरनभमर करती ह कथा की खबर ऐसी फलन लगी कक सनत ह हनमान को भी खबर लगी कक रामदास कथा

कहत ह और बड़ा मजा आ रहा ह तो हनमान भी सनन आन लग बठ जात अिना कबल-वबल ओढ़कर बीच

म और सनत और बड़ा मजा लत कक बात तो बड़ी गजब की ह

कभी-कभी ऐसा होता ह कक तम तरहमालय दख आए मगर जब कोई कतरव तरहमालय दखकर आए और

तरहमालय का वणमन करन लग तब तमह िता चलता ह कक अर हा गजब का सौदयम था कोई कतरव चातरहए कोई

सौदयम का िारखी चातरहए तम दख आए तरहमालय मगर तम अिनी आख स दख आए न तमहारी आख म

तरजतना सौदयम था उतना दख आए कफर लौटकर घर आ गए कफर रवीदरनाथ आए तरहमालय स और तरहमालय

का वणमन करन लग और हजार-हजार धाराओ म कतरवता बहन लग तब तम कहोग कक हा बात तो म जो

कहना चाहता था आिन कह दी

तो तरबचार हनमान सीध-साध ह उनको बहत जचन लगी बड़ा तरसर तरहलात थ बड़ मसत हो जात थ कक

बात तो मन दखी थी आख स मगर यह रामदास कह रहा ह और इतन ढग स कह रहा ह और ऐसी बात रचती

ह मगर एक जगह अड़चन हो गयी एक जगह अड़चन हो गयी रामदास वणमन करत ह कक हनमान गए अशोक

वारटका म सीता को लन और उनहोन चारो तरफ दख कक सफद फल लग ह िरी अशोक वारटका म शभ फल

लग ह हनमान भल गए--हनमान ही ठहर--खड़ हो गए कक महाराज और सब ठीक ह मगर यह आि बदल

लो फल लाल थ सफद नही थ रामदास न कहा कौन होत हो जी बीच म बोलन वाल बठ जाओ फल सफद

थ तब तो हनमान को और गससा आ गया उनहोन कबल फक कदया उनकी िछ तरनकल आयी बाहर उनहोन

कहा तम समझत कया हो म खद हनमान ह मझको कहत हो बठ जाओ जी और मझस कहत हो तरचललाकर

कक फल सफद थ म खद वहा गया था और तम हजारो साल बाद कहानी कह रह हो--न तम गए न तमन

दखा

हनमान न सोचा था अब तो रामदास मान जाएग लककन रामदास न कहा कोई भी होओ तम हनमान

ही सही तम रामचदरजी को ल आओ तो म मानन वाला नही फल सफद थ और सफद रहग--मरी कथा म

सफद रहग

इस तरह क तरहममतवर लोग भी तो होत ह य बड़ पयार लोग ह य कहत ह कक तम राम को ल आओ तो

उनकी कफकर मानन वाला नही ह कह कदया सफद सफद म था या नही इसस कोई फकम नही िड़ता म

जानता ह फल सफद थ

बात तो तरबगड़ गयी हनमान बहत उछल-कद मचान लग उनहोन कहा चलना िड़गा रामचदरजी क

िास अब वही तरनणमय कर

तो कथा कहती ह कक रामचदरजी क िास ल जाया गया रामदास गए--हनमान ल गए उनको उड़ाकर--

राम क सामन तरनवदन ककया गया राम न हनमान स कहा कक तझ बीच म नही बोलना चातरहए त शात रहा

कर एक तो ऐसी जगह तम गए ककसतरलए गए भी तो अिना कबल ओढ़ बठ रहत चिचाि सन लत तमह

सनना था तो रामदास ठीक कहत ह फल सफद थ हनमान न कहा यह तो हद हो गयी अनयाय हआ जा रहा

ह म खद गया

135

राम न कहा तम गए थ वह मझ मालम ह लककन तम इतन करोध स भर थ तमहारी आखो म खन था

तमह लाल कदखायी कदए होग फल सफद ही थ तमहारी आख म करोध था खन स भरी थी आख तम दीवानी

हालत म थ यह रामदास बठकर शातरत स अिनी कहानी कह रहा ह इसको कोई दीवानगी थोड़ ही ह इसको

कछ लना-दना थोड़ ही ह तम िागल हए जा रह थ--सीता कद हो गयी थी तम तरजस परम करत हो वह राम

कदककत म िड़ा था सारी बात असतवयसत थी हार होगी कक जीत कछ िकका नही था तम उस अड़चन म थ--

तमह कहा रठकाना कक फल सफद थ कक लाल थ रामदास ठीक कहता ह तम इसस कषमा माग लो

आख की बात ह ससार की बात नही ह तमहारी आख म कामवासना का रग ह तो सब तरफ

कामवासना ह तमहारी आख म राम बस गए सब तरफ राम फल वस ही हो जात ह जस तमहारी आख का रग

तमस म ससार छोड़न को नही कहता ससार म िरमातमा को दखन को कहता ह और म तमह कोई

आशवासन नही द सकता कयोकक आशवासन की माग म ही भल तरछिी ह तम कफर भी यह सोच रह हो कक सख

ककसी और क हाथ म ह सख तमहारी मालककयत ह सख तमहारा सवभाव ह सख तमहारा जनमतरसदध अतरधकार

ह तम इस खो रह हो यह तमहारी मजी तम इस जरा ही भीतर की तरफ मोड़ो और िा लोग ससार स मत

भागो सवय म जागो

य छोटी सी तीन कहातरनया तमस कहता ह

िहली--

अिन तरजजञास िि कछ क तरनरतर िछन िर बहसितरत न कहा--वतस तयाग ही िरम कलयाण का साधन

ह त तयाग का अवलबन ल ककत सवमसव तयाग दन िर भी जब कछ को िरमानद का अनभव न हआ तो वह

कफर बहसितरत क िास िहचा दवगर कछ क सार तरवभम को समझ गए सतरसमत बोल--तात तयाग का अथम

वसत का तयाग नही उस वसत-सबधी ममतव एव अहकार का तयाग ह जब तक जीवन ह वसत की अिकषा तो

अतरनवायम ह अतः वसत तयाजय नही ह तयाजय ह वसत की भोगवासना उसकी सगरह-तरलपसा तम वसतए छोड़न

क िीछ मत िड़ो तम तो वसतए सगरह करन का भाव भर जान दो धन को छोड़न की जररत नही ह धन धन

ह ऐसी दतरषट छोड़ दन की जररत ह और तम अगर सनयास भी इसतरलए लना चाहत हो कक सख तरमल तो तम

सनयास ल ही नही रह कफर तमहारा सनयास भी ससार का ही तरवसतार ह

यह दसरी कहानी--

िराणो म कथा ह दवशमाम नाम क एक बराहमण थ और उसकी ितनी थी सधमी दवशमाम िितरवहीन थ

उनहोन बहत तिियाम की बहत योग साधा बहत धयान ककया फलसवरि दवता उन िर परसनन हए और जब

दवता परगट हआ तो दवशमाम न िि मागा िि िदा हआ वरदान फला लककन िि अधा था मा-बाि बहत

दखी हए बढ़ाि म तरमला भी बटा तो अधा जीवनभर इसी बट क तरलए पराथमनाए की िजाए की ति ककया

योग ककया जो भी कर सकत थ ककया तीथम गए सब ककया और तरमला अधा िर अब तो कोई उिाय न था

इस अध बट को बड़ा ककया गरकल भजा कछ थोड़ा-बहत िढ़-तरलखकर बटा वािस लौटा जब अधा

बटा गरकल स वािस आया तो उसन अिन तरिता स िछा कक कया आि अभी अध ह कयोकक अध तरिता क

तरबना अधा िि कस हो सकता ह दवशमाम तो बहत हरान हआ उसन कहा कक नही बट म अधा नही ह न

तरी मा अधी ह हम आख वाल ह मगर ककसी कमम का फल होगा कक हम अधा बटा तरमला लककन बट न कहा

नही आि अध ह और मरी मा भी अधी ह बाि न िछा तरा मतलब कया तो बट न कहा मरा मतलब यह ह

136

कक जीवनभर करठन तिियाम करक मागा भी तो िि मागा अध हो जीवनभर तिियाम करक जब दवता परगट

हआ तो मागा भी तो िि मागा तम अध हो इसतरलए तो म अधा हआ

तम सनयास स भी सख ही मागत हो--वही सख जो ससार स मागत थक गए हो और नही तरमला सनयास

स शातरत मागो सख नही शातरत तरमलती ह शातरत की छाया की तरह सख चला आता ह तमन जगत म सख

मागा अब तक सख की छाया की तरह अशातरत तरमलती ह

इस सि को खयाल रखना यह कफर एक तरवरोधाभास सख मागो अशातरत तरमलती ह शातरत मागो सख

तरमलता ह

तीसरी कहानी--

समराट तमर लगड़ा था इसतरलए इतरतहास म तमर लग क नाम स परतरसदध ह एक बार एक अधा गवया

उसक दरबार म उितरसथत हआ तमर लग उसका गान सनकर बहत परसनन हआ और उसका नाम िछा दौलत

गवए न उततर कदया दौलत तमर लग न कहा दौलत भी कया अधी होती ह समराट न उसक अधिन िर चोट

की वह अधा हसन लगा और उसन कहा यकद अधी न होती तो कया लगड़ क घर आती

मन तमहारा ससार म मागत-मागत थका नही अभी माग जारी रखोग अभी तरभखारी ही बन रहोग

अब तरभखमगािन छोड़ो सनयास तो तरबना ककसी आकाकषा स फतरलत हो तो ही फतरलत होता ह सनयास तो

ससार की वयथमता को दखकर उमग तो ही उमगता ह सनयास क साथ ककसी वासना का कोई सबध नही तम

यह कहो कक इसतरलए सनयास लत ह तो सनयास चक गए तो यह सनयास अधा और लगड़ा इस सनयास का

कोई मलय नही

तम कहत हो कक ससार म सब करक दख तरलया इस करन म कछ भी न िाया अब अिन भीतर तरवराजत

ह दौड़-दौड़कर दख तरलया अब तरवशराम करत ह अब तरवराम करत ह इस तरवराम म अब कोई माग नही ह

कयोकक माग म तो दौड़ होती ह कफर दौड़ना िड़गा इस तरवराम म कोई वासना नही ह तरसफम वासना स मतरि

ह और तब अचानक सख की वरषाम हो जाती ह महासख की उस महासख को हमन आनद कहा ह इसीतरलए

आनद कहा ह कक सख क तरविरीत तो दख होता ह आनद क तरविरीत कछ भी नही होता जहा सख ह वहा दख

की सभावना ह आज सख ह कल दख हो जाएगा लककन जहा आनद ह वहा शाशवत आनद ह एस धममो

सनतनो

आज इतना ही

137

एस धममो सनतनो भाग 10

अठानव परवचन

सतयमव जयत

अभतवादी तरनरय उितरत यो चातरि

कतवा न करोमीतरत चाह

उभोतरत त िोचच समा भवतरत

तरनहीनकममा मनजा िरतथ 257

कसो यथा दगगहीतो हतथमवानकततरत

सामा दपिरामटठ तरनरमाय उिकडढतरत 258

कतरयरा च कतरयराथन दलहमन िरककम

तरसतरथलो तरह िररबबाजो तरभययो आककरत रज 259

नगर यथा िचचत गतत सतरबातरहर

एव गोिथ अततान खणो व मा उिचचगा

खणातीता तरह सोचतरत तरनरयतरमह समतरपिता 260

अलतरजजता य लजजतरत लतरजजता य न लजजर

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 261

अभय च भयदतरससनो भय च अभयदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 262

सि-सदभम कथा ऐसी ह--

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था और जो वसततः धमामनरागी थ व अतीव रि स आनकदत

थ उनक हदय-कसम भी भगवान की ककरणो म खल जात थ उनक मन-िाखी भगवान क साथ अनत की

उड़ान क तरलए ततिर हो रह थ लककन ऐस लोग तो दभामगय स थोड़ ही थ बहत तो ऐस थ तरजनक पराणो म

भगवान की उितरसथतरत भाल सी चभ रही थी भगवान का बढ़ता परभाव उनह करोध क जहर स भर रहा था

भगवान क वचन उनह तरवधवसक मालम होत थ उनह लगता था कक यह गौतम तो धमम क नाश िर उतार ह

और उनकी बात म थोड़ी सचाई भी थी

कयोकक गौतम बदध की तरशकषाए तरजस व मताध धमम समझत थ उसस तरनिय ही तरवरोध म थी गौतम

ककसी और ही धमम की बात कर रह थ गौतम शदध धमम की बात कर रह थ गौतम िरिरावादी नही थ न

138

सपरदायवादी थ न शासतरो क िजक थ न रकढ़यो-अधतरवशवासो क गौतम का धमम अतीत िर तरनभमर ही नही था

गौतम का धमम उधार नही था सवानभव िर आधाररत था गौतम अिन शासतर सवय थ गौतम का धमम तरसथतरत-

सथािक नही था आमल करातरतकारी था धमम हो ही कवल करातरतकारी सकता ह गौतम की तरनिा समाज म नही

वयतरि म थी और गौतम की आधारतरशला मनषय था आकाश का कोई िरमातमा या दवी-दवता नही गौतम न

मनषय की और मनषय क दवारा चतनय की िरम परतरतिा की थी

इस सबस रकढ़वादी दककयानस धमम क नाम िर भातरत-भातरत क शोरषण म सलगन परकार-परकार क

ितरडत-िरोतरहतो और तथाकतरथत धममगरओ म ककसी भी भातरत गौतम को बदनाम करन की होड़ लगी थी

उनहोन एक सदरी िररवरातरजका को तरवशाल धनरातरश का लोभ दकर राजी कर तरलया कक वह बदध की अकीरतम

फलाए वह सदरी उनक साथ शडयि म सलगन हो गयी वह तरनतय सधया जतवन की ओर जाती थी और

िररवरातरजकाओ क समह म रहकर परातः नगर म परवश करती थी और जब शरावसती-वासी िछत कहा स आ

रही ह तब वह कहती थी रातभर शरमण गौतम को रतरत म रमण कराकर जतवन स आ रही ह

ऐस भगवान की बदनामी फलन लगी लककन भगवान चि रह सो चि रह तरभकष आ-आकर सब उनस

कहत लककन व हसत और चि रहत धीर-धीर यह एक ही बात सार नगर की चचाम का तरवरषय बन गयी लोग

रस ल-लकर और बात को बढ़ा-बढ़ाकर फलान लग और भगवान क िास आन वालो की सखया रोज-रोज कम

होन लगी हजारो आत थ कफर सकड़ो रह गए और कफर अगतरलयो िर तरगन जा सक इतन ही लोग बच और

भगवान हसत और कहत--दखो सदरी िररवरातरजका का अिवम कायम कचरा-कचरा जल गया सोना-सोना बचा

भगवान की शातरत को अचल दख उन तथाकतरथत धममगरओ न गडो को रिय दकर सदरी को मरवा डाला

और फलो क एक ढर म जतवन म ही तरछिा दी उसकी लाश भगवान की शातरत स सदरी अिन ककतय िर धीर-

धीर िछतान लगी थी भगवान न उस एक शबद भी नही कहा था और न ही उसक आन-जान िर कोई रोक ही

लगायी थी उसकी अतरातमा ही उस काटन लगी थी इस कारण उसकी हतया आवशयक हो गयी थी उसक

दवारा सतय की घोरषणा का डर िदा हो गया था कफर यह हतया शडयि को और भी गहरा बनान का उिाय भी

थी

सदरी की हतया क बाद उन धममगरओ न नगर म खबर फला दी कक मालम होता ह कक गौतम न अिन

िाि क भय स सदरी को मरवा डाला ह उनहोन राजा स भी जाकर कहा कक महाराज हम सदरी िररवरातरजका

को नही दख रह दाल म कछ काला ह वह शरमण गौतम क िास जतवन म ही रात गजारा करती थी

राजा न जतवन म सदरी की तलाश क तरलए तरसिाही भज वहा िायी गयी उसकी लाश धममगर न राजा

स कहा--महाराज दतरखए यह महािाि अिन िाि को तरछिान क तरलए गौतम इस महािाि को करन स भी न

चका और व धममगर नगर की गली-गली म घमकर गौतम की जनदा म सलगन हो गए भगवान क तरभकषओ का

तरभकषाटन भी करठन हो गया भगवान क िास तो अब कवल दससाहसी ही जा सकत थ

और भगवान न इस सब िर कया रटपिणी की

भगवान न कहा--तरभकषओ असतय असतय ह तम जचता न करो सतय सवय अिनी रकषा करन म समथम ह

कफर सतय क सवय को परगट करन क अिन ही मागम ह अनठ मागम ह तम बस शातरत रखो धयम रखो धयान करो

और सब सहो यह सहना साधना ह शरदधा न खोओ शरदधा को इस अतरगन स भी गजरन दो यह अिवम अवसर ह

ऐस अवसरो िर ही तो कसौटी होती ह शरदधा और तरनखरकर परगट होगी सतय सदा ही जीतता ह

139

और कफर ऐसा ही हआ सपताह क िर होत-होत ही तरजन गडो न सदरी को मारा था व मधशाला म

शराब की मसती म सब कछ कह गए सतय न ऐस अिन को परगट कर ही कदया तथाकतरथत धममगर अतरत जनकदत

हए और भगवान की कीरतम और हजार गना हो गयी लककन समरण रह कक भगवान कछ न बोल सो कछ न

बोल सतय को सवय ही बोलन कदया अत म उनहोन अिन तरभकषओ स इतना ही कहा कक असतय स सदा

सावधान रहना उसक साथ न कभी जीत हई ह न कभी हो सकती ह एस धममो सनतनो

और तब उनहोन य गाथाए कही

गाथाओ म परवश क िहल इस कथा क सबध म कछ बात--

िहली तो बात यह कथा गौतम बदध क साथ घटी न घटी इसका बहत मलय नही ह कयोकक यह ऐसी

कथा ह कक सदा स सभी बदधो क साथ घटती रही ह यह कथा अनठी ह इस कथा म मनषय क मन का सारा

रोग तरछिा ह

जब भी भगवतता कही परगट होती ह तो अड़चन शर होती ह अड़चन का िहला तो कारण यही ह कक

धमम क नाम िर जो िरिराए जड़ हो जाती ह धमम क नाम िर जो धारणाए लोगो क तरचतत म दढ़ हो जाती ह व

ही धारणाए धमम की तरवरोधी ह जब भी नया धमम िदा होगा तब धमम की असली टककर अधमम स नही होती--

अधमम की तो कोई सामथयम ही नही कक धमम स टककर ल--धमम स टककर होती ह झठ धमम की मर धमम की जीतरवत

धमम स टककर होती ह मत धमम की सघरषम धमम और अधमम म नही ह सघरषम सदा स धमम और धमम क नाम िर

चलत हए तथाकतरथत धमम म ह

बदधो का तरवरोध नातरसतको न नही ककया बदधो का तरवरोध तथाकतरथत आतरसतको न ककया ह बदधो का

तरवरोध उनहोन नही ककया जो ईशवर को नही मानत बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह जो झठ ईशवर को मानत

ह बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह तरजनको ईशवर का सवय तो कोई अनभव नही ह ईशवर की धारणा स

तरजनका आगरह ह बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह जो धमम क नाम िर ककसी तरह का शोरषण करन म सलगन ह-

-ितरडत िरोतरहत धममगर बदधो का तरवरोध धमम क नाम िर चल रह िाखड स आता ह

यह बात बहत सोच लन जसी ह

धमम का तरवरोध धमम स ही होता ह जस असली तरसकक का तरवरोध ककड़-ितथर थोड़ ही कर सकत ह तरसफम

नकली तरसकका करता ह असली तरसकक स टककर गर-तरसकको की नही ह नकली तरसकको की ह नकली तरसकका डरता ह

असली तरसकक स असली तरसकका बाजार म आ जाए तो नकली तरसकक का चलना मतरशकल हो जाए असली तरसकका

लोगो को िता चल जाए तो कौन िछगा नकली तरसकक को असली तरसकका जातरहर न हो िाए नही तो नकली की

नकल जातरहर हो जाएगी सतय स डर नकली को ह सतय स डर अतरभनता को ह वह जो अतरभनय कर रहा ह

वह जो िाखड कर रहा ह

तो चाह बदध हो चाह कषण हो चाह कराइसट हो जब भी कोई वयतरि भगवतता को उिलबध हआ ह तो

यह आियमजनक घटना घटती ह कक सार मकदर सार मतरसजद सार गरदवार उसक तरवरोध म हो जात ह य

मकदर य मतरसजद य गरदवार आिस म ककतन ही लड़त हो लककन जब कोई बदध िदा होता ह तो उसस लड़न क

तरलए सब साथ हो जात ह

बहत स सपरदाय थ भारत म जब बदध का जनम हआ और उन सभी सपरदायो का आिस म बड़ा तरवरोध

था लककन बदध क आतरवभामव क साथ ही जस उन सबका तरवरोध बदध स हो गया उनकी आिस की दशमतरनया

कम हो गयी अब उन सबको खतरा एक ही स था ककसी भी भातरत बदध का सतय लोगो की समझ म न आए

140

कयोकक बदध क सतय क समझ म आन का अथम था कक उनकी दकान गयी उनकी दकान उठी बदध क सतय का

समझ म आ जाना तो उनक जीवन-मरण का सवाल हो गया उनका सारा वयवसाय टट जाएगा

तो यह कथा नयी नही ह यह गौतम बदध क साथ तो घटी ही ह लककन समसत बदधो क साथ घटी ह

इसतरलए इस कथा को म अनठी कथा कहता ह यह ऐतरतहातरसक नही ह यह िौरातरणक ह यह िहल भी घटती

रही ह आज भी घटती ह और कल भी घटगी ऐसा सौभागय का कदन अब तक नही आया जब हम सतय का

सवागत करन को सहज तयार हो ऐसा सौभागय का कदन कभी आएगा इसकी आशा भी दराशा ह

और जाल म कई जरटलताए ह जस बदध क साथ यह टककर हई धममगर लड़ कफर बदध न जो कहा उस

बात को सनकर नए धममगरओ का जाल खड़ा हो गया अब अगर आज कफर कोई बदध िदा हो तो यह मत

सोचना कक बदध क अनयायी उसका साथ दग नही व भी लड़न को उसक साथ उतन ही ततिर होग अतीत

बदधो क अनयायी नए बदधो स लड़त रहत ह कयोकक जस ही बदध का जाना होता ह जस ही बदध की तरवदा होती

ह इस जगत स कक ितरडत-िरोतरहतो का तरगरोह बदध क वचनो को भी घर लता ह वहा भी मकदर बनगा वहा भी

शासतर रचा जाएगा वहा भी िद-परतरतिाए खड़ी होगी वहा भी राजनीतरत चलगी जब दबारा कफर कभी बदध का

आगमन हो तो यह जो जाल खड़ा हो जाएगा यह बदध स लड़गा सवय बदध भी लौटकर आए तो भी उनह

अिन ही भिो स लड़ना िड़गा यह दभामगयिणम ह

हम असतय क इतन िरान िजक ह कक हम एक असतय को छोड़त ह कक हम दसर को िकड़ लत ह इधर

छटा नही कक उधर हमन िकड़ा नही असतय को िकड़न की हमारी आदत इतनी जड़ ह कक अगर हम कभी एक

असतय को छोड़त भी ह तो ततकषण हम दसर को िकड़ लत ह या अगर कभी भल-चक स सतय भी हमार हाथ म

आ जाए तो हमार हाथ म आन क कारण असतय हो जाता ह हमार िाि इतन जहरील हो गए ह कक अमत भी

अगर हमार िाि म भरता ह तो जहरीला हो जाता ह हमार हाथो म चमतकार हो गया ह असली तरसकक आकर

हमार हाथो म झठ हो जात ह

वद तो झठा था ही बदध क समय म लोगो क हाथो म--नही कक वद झठा ह लोगो न झठा कर तरलया था--

बदध न तो कफर सतय कदया लककन लोगो क हाथ म जाकर झठा हो गया बदध का तरवरोध ककया उितरनरषद क

ऋतररषयो को मानन वालो न शकराचायम का तरवरोध ककया बदध को मानन वालो न आज कोई खड़ा हो

शकराचायम उसक तरवरोध को ततिर ह

इस बात की वयवसथा को समझ लना अतीत तरवरोध करता ह वतममान का मत तरवरोध करता ह जीवत

का सड़ा-गला तरवरोध करता ह नए तरखल फल का और तरजनक मन अतीत स मि नही ह व कभी बदधो को

समझ नही िात ककसका मन अतीत स मि ह बहत मतरशकल स उगतरलयो िर तरगन जा सक ऐस लोग ह

तरजनकी इतनी तरहममत ह जो अिन अतीत को टालकर एक तरफ रख द सरज की जो नयी ककरण तरनकली हो

उसक सवागत क तरलए राजी हो जाए सरज की इस नयी ककरण िर अिनी आसथाए अिनी धारणाए न रोि

अिन िकषिात न रोि इस सरज की ककरण क िकष म अिन सार िकषिात तरगरा द नगन हो जाए तरनवमसतर होकर

इस सवीकार कर ल व ही थोड़ स लोग रिातररत हो िात ह

तो यह कथा नयी नही

दसर कारण स भी यह कथा बड़ी पराचीन ह जब भी बदधो को बदनाम करना हो तो ककसी न ककसी रि

म दो ही उिाय काम म लाए जात ह--या तो बदनाम करो कक उनका धन स कछ सबध ह या बदनाम करो कक

काम स उनका कछ सबध ह कातरमनी और काचन दो ही उिाय बड़ी िरानी बात हो गयी बड़ी सड़ी-गली

141

बात हो गयी बस य दो ही उिाय ह धन स तरवरोध करो कहो कक यह आदमी धन क परतरत मोह स भरा ह या

काम स तरवरोध करो

कयो मनषय क मन क सबध म इसस खबर तरमलती ह मनषय का मन दो बातो स तरघरा ह--कातरमनी

और काचन मनषय दो ही चीजो म उतसक ह दो ही म उसका रस ह और य दो ही बात ह तरजनक परतरत मनषय

न सदा अिन को दबाया ह और दतरमत ककया ह कफर धन क सबध म दमन बहत जयादा नही ह लककन काम क

सबध म दमन बहत जयादा ह

इसतरलए काम क सबध म अगर परचार कर दो कक बदध का कोई ककसी तरह का भी काम-सबध ह तो बदध

की परतरतिा को नकसान िहचान स तम चक न िाओग तम सफल हो जाओग कयोकक लोगो का हदय कठा स

भरा ह काम क परतरत इतन दमन स भरा ह कक व मानत ह यह कक ऐसा होना ही चातरहए यह सच होगा ही यह

झठ हो नही सकता कयोकक व अिन को जानत ह अिन भीतर जलत हए काम क परवाह को जानत ह अिन

भीतर जवालामखी तरछिा ह इसको जानत ह

व सोचत ह जो मर भीतर तरछिा ह वह बदध क भीतर कस न होगा सब ऊिर की बात ह भद सब ऊिर

क ह भीतर तो बदध भी ऐस ही आदमी ह जसा म आदमी ह और जब मर भीतर कामवासना ऐसी जलती ह

लिट लती ह तो बदध क भीतर भी लती होगी

तो जस ही खबर तरमल जाए उनह कक बदध का भी ककसी सतरी स कोई सबध ह तो कफर इसम व तरवचार

नही करत कफर इसकी खोजबीन नही करत इसको तो व ततकषण मान लत ह इस तो व सवीकार कर लत ह

कयोकक यह तो उनक भीतर की ही बात थी यह उनहोन अफवाह मानी ऐसा नही व तरसफम अफवाह की परतीकषा

करत थ राह दखत थ कक आती ही होगी खबर--दर अबर की बात ह कोई न कोई तो िता लगा ही लगा एक

को धोखा दोग दसर को धोखा दोग ककतन लोगो को धोखा दोग और ककतन कदन तक धोखा दोग कही न

कही स तो िता चल ही जाएगा अब चल गया िता बठ ही थ ततिर बठ थ नजर गड़ाए बठ थ िलक-िावड़

तरबछाए बठ थ कक अफवाह आती ही होगी

तो जस ही अफवाह आती ह उनक हदय बड़ परसनन हो जात ह व अिनी िीठ ठोकन लगत ह व कहत

ह म तो िहल स ही कहता था म तो िहल स ही जानता था कक यही होगा आतरखर िाया गया कफर व खोजन

नही जात कफर व िता लगान नही जात

तम अिन मन को भी दखना तम अिन मन क सबध म भी एक खयाल रखना अगर ककसी क सबध म

कोई तमह खबर द कक फला आदमी भगवतता को उिलबध हो गया तो तम मानत नही तम कहत हो अजी

कही ऐसी बात होती ह कहातरनयो म तरलखी ह िराणो म तरलखी ह होती थोड़ी कौन भगवान को उिलबध

होता और कतरलयग म तो कम स कम होता ही नही होत थ िहल होत रह होग हम उसका कछ िता नही

आज तो कोई नही हो सकता--इस कतरलयग म इस िचम-काल म जहा भषटता ऐसी फली ह कौन होन वाला

ऐसा ही व सदा कहत थ बदध क समय म भी व यही कहत थ--कक अब कहा होत थ सतयग म अब

कहा कषण क समय म भी यही कहत थ--कक होत थ िहल अब कहा

यह िहल कब था ऐसा कोई काल नही हआ जब लोगो न यही न कहा हो कहत थ--िहल होत थ अब

कहा यह िहल होत थ यह टालन का उिाय ह अब नही हो सकत यह अिनी रकषा की वयवसथा ह

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कोई कह कक फला वयतरि सततव को उिलबध हो गया तमह हजार सदह उठत ह और कोई आकर कह कक

फला सत भषट हो गया--अब यह तमहारा तकम दखना मन म--सत तो तमन कभी उस न माना था लककन भषट

तम मान लत हो िहली तो बात अगर सत नही था तो भषट कस हआ तम तभी उसको सत मानत हो जब भषट

होना िकका हो जाता ह तब तम कहत हो दखो वह सत भषट हो गया

इस मज को दखना भषट होन क िहल तमन उस कभी सत माना ही नही था लककन जस ही िकका चल

गया तमह िता--और िकका ही चलता ह जब िता चलता ह तम उसम कोई कचचािन लत ही नही--कक भषट हो

गया तरजस कदन भषट हो गया तम कहत हो कक दखो वह सत भषट हो गया अर महातमा कस ितरतत हो गए

इस आदमी को तमन महातमा इसक िहल कहा ही नही था अब तम कहत हो जब तमह भषट होन का िकका हो

जाता ह

तम ककसी को महातमा तभी कहत हो जब तम उस िहल तरगरा लत हो उसक िहल महातमा नही कहत

अब महातमा कह सकत हो अब कोई डर नही ह अब तो धल म िड़ा ह तमस भी बरी हालत म हो गया ह

अब तमह कोई इसस भय नही ह तमस भी तरिछड़ गया कम स कम तम इतन बर तो नही हो अिनी ितनी क

साथ रहत हो अिन बचचो क साथ रहत हो तम कम स कम अिनी सीमा और मयामदा म रहत हो यह आदमी

तमस बरा हो गया लककन अब इसको अगर िरा-िरा बरा तरसदध करना ह तो सत मानना जररी ह नही तो

तरगरगा कस अगर िहल स बरा था तो ितन तो हआ नही अब तम कहत हो कक हा यह आदमी िहल सत था

अब भषट हो गया ह

और जब भी भषट होन की बात तमहार खयाल म आती ह तब ककसी न ककसी तरह कामवासना स जड़ी

होती ह कामवासना स ही कयो तमहार भषट होन का भाव जड़ा ह जब भी तम कहत हो फला आदमी

अनतरतक ह तो तमहार मन म एक ही सवाल उठता ह कक अनतरतक मतलब ककसी न ककसी तरह काम क जगत

म भषट झठ बोल इसका खयाल नही आता कक आदमी अनतरतक ह तो झठ बोलता होगा वचन का िालन न

करता होगा इसका खयाल नही आता बईमान होगा इसका खयाल नही आता तसकरी करता होगा इसका

खयाल नही आता डाका डालता होगा इसका खयाल नही आता हतया करता होगा इसका भी खयाल नही

आता जस ही ककसी न कहा फला आदमी अनतरतक ह इममारल ह तम समझ गए कक ककसी सतरी क साथ गलत

सबध ह

तमहारी सारी नतरतकता कामवासना िर क कदरत हो गयी ह और तमहारी सारी अनतरतकता का एक ही अथम

होता ह कक कोई वयतरि ककसी तरह क असामातरजक गरकाननी काम-सबधो म सलगन ह

इतनी कषदर नतरतकता इतनी सीतरमत नतरतकता तमहारी नतरतकता अतरत कामक ह और इसका कारण ह

कयोकक सकदयो-सकदयो स तमहार मन म जो वासना दबायी गयी ह वही सबस महतविणम हो गयी ह तरजस

दबाओग वही महतविणम हो जाता ह तरजस बार-बार दबाओग वह बार-बार उभरना चाहगा तरजस दबाओग

वह बदला लना चाहगा तरजस तम दबाओग झठलाओग वह नए-नए रिो म उठगा तरजस तम अिन भीतर

दबाओग उसको तम दसर क ऊिर परतरतसथातरित करन लगोग

इस मनोवजञातरनक परककरया को खयाल म लना

तम दसर म वही दखन लगोग जो तमन अिन म दबाया ह तमन अगर धन की वासना दबायी ह तो

तमह दसरो म धन की वासना खब परगाढ़ होकर कदखायी िड़न लगगी कही तो दखोग न उस जो तमन दबा

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तरलया ह उसको कही तो रखोग अिन भीतर तो रख नही सकत उस ककसी और क ऊिर रखोग तमन अगर

कामवासना दबायी ह तो तम कामवासना ककसी और क ऊिर रखोग

मन सना ह सफी फकीर हआ बायजीद एक और फकीर उसक िास रात महमान हआ वह फकीर बड़ी

जनदा करन लगा तरसतरयो की कक तरसतरया ही नकम का दवार ह--जस कक तमहार साध-सत सदा स कहत ह सतरी नकम का

दवार ह एक दफा बायजीद न सना दसरी दफा बायजीद न सना तीसरी दफा बायजीद न कहा मर भाई तम

इस दवार म इतन उतसक कयो हो तमह नकम जाना ह तम जब स आए हो िरमातमा की बात ही नही की

तमहारी नजर इस दवार िर कयो अटकी ह और यहा कोई सतरी ह भी नही यहा म बठा और तम बठ यहा दवार

कहा ह तमह यह दवार कदखायी कयो िड़ता ह तम सतरी स इतन भयभीत कयो हो जरर तमन सतरी को खब

दबा तरलया ह भीतर वह सतरी बदला ल रही ह

तरजन-तरजन सतो न तमहार शासतरो म तरलखा ह कक सतरी नकम का दवार ह उनस सावधान रहना य वयतरि न

तो सतरी को समझ िाए न सवय को समझ िाए और य शासतर चकक िररषो न तरलख ह इसतरलए नकम का दवार ह

अगर तरसतरया तरलखती तो तो िररष नकम का दवार होना चातरहए कयोकक तरसतरया अिन ही दवार स तो नकम नही जा

सक गी कौन दवार अिन म स ही नकम जा सकता ह दवार तो सदा दसरा चातरहए तरसतरया भी नकम जाती ह या

नही

एक महातमा एक समय मर िास महमान थ वह कहन लग तरसतरया नकम का दवार ह तो मन कहा कक तम

सोचत हो इसका मतलब हआ कक सब तरसतरया सवगम िहची होगी नकम तो जा ही नही सकती िररष सवगम का दवार

ह और तरसतरया नकम का दवार ह तो यह तो बड़ा महगा मामला हो गया सब िररष नकम म िड़ होग सब तरसतरया

सवगम म होगी तरसतरया ककस दवार स नकम जाती ह मन उनस कहा यह मझ कहो महातमा कक तरसतरया ककस दवार स

नकम जाती ह वह जरा बचन हए उनहोन कहा यह तो कही शासतर म तरलखा नही कक तरसतरया ककस दवार स नकम

तरसतरयो का तरवचार ही कौन कर

तरसतरयो को गातरलया दी गयी ह गातरलया तरसतरयो को नही दी गयी ह गातरलया दी गयी ह अिनी ही दबी

वासना क परतरत करोध ह कयोकक वह वासना धकक मारती ह कफर इस वासना को दसर िर आरोतरित करना

जररी ह तो थोड़ा हलकािन आता ह तरजसको मनोवजञातरनक परोजकशन कहत ह जो तमन अिन भीतर दबा

तरलया उस तम दसर म दखन लगत हो चोर को सभी लोग चोर कदखायी िड़न लगत ह जबकट अगर ककसी

महातमा क भी िास जाए तो अिनी जब समहालकर रखता ह कया भरोसा और महातमाओ का कया भरोसा

कतरलयग चल रहा ह कहा क महातमा जब न काट ल

तमहार भीतर जो दबा ह वह तम तयार हो ककसी िद िर फला दो तमह राहत तरमल जाए कामवासना

सबस जयादा दबायी गयी बात ह इस दतरनया म उसी कदन बदधो को इस तरह की बदनामी स बचन का अवसर

आएगा तरजस कदन लोगो की कामवासना दबी न रहगी सवसथ होगी सहज होगी सवीकत होगी

तमन कभी दखा कोई यह तो दोरष नही लगाता बदध िर कक रात सोत हए िाए गए कयो नही लगाता

कयोकक तरनदरा को हम सवीकार करत ह कोई बदध िर यह दोरष तो नही लगाता कक सनान करत िाए गए कयोकक

सनान को हम सवीकार करत ह लककन अगर तम असवीकार कर दो सनान को तो दोरष िकड़ म आ जाएगा

जन ह कदगबर जन ह व मानत ह कक मतरन को सनान नही करना चातरहए मतरन कयो सनान कर यह तो

ससारी जन सनान करत ह यह तो शरीर को सदर-सवचछ बनान की तरजनकी आकाकषा ह व सनान करत ह यह

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तो शरीर क िीछ जो दीवान ह व सनान करत ह सनान तो शरीर का परसाधन ह जन-मतरन कयो सनान कर उस

तो शरीर स कोई मोह नही ह इसतरलए कदगबर जन-मतरन सनान नही करता

लककन कदगबर जन-मतरनयो क परतरत इस तरह की अफवाह चलती ह कक फला कदगबर मतरन एकात म

तौतरलया िानी म तरभगोकर शरीर साफ कर लता ह यह िाि हो गया तमन कभी सोचा नही होगा कक तम कदन

म दो दफा सनान करत हो महािाि कर रह हो और कोई अगर तमहारी बदनामी कर तो उस यह करनी िड़गी

कक यह सजजन सनान नही करत सनान करत ह इसम कया बदनामी ह लककन जन-मतरन कदगबर जन-मतरन की

बदनामी हो जाती ह

शवताबर जन-मतरन दातन नही करता--नही करना चातरहए तो शवताबर जन-मतरन या सातरधवयो क सबध म

बदनामी चलती ह कक फलानी क वसतरो म टथिसट छिा हआ िाया गया

अब यह भी कोई िाि ह म तमस यह कह रहा ह कक िाि बनता इस बात स ह तरजस चीज को तम

दबाना चाहोग वही िाि बन जाएगी अगर ककसी साधवी क मह स बास न आए तो शरावको को शक हो जाता

ह कक कछ गड़बड़ ह दाल म काला ह मह स बास नही आ रही ह इसका मतलब दातन की ह या मह साफ

ककया ह यह तो नही करना चातरहए साध को मह साफ इतयाकद तो व लोग करत ह तरजनका शरीर म रस ह

यह शरीर तो सड़ा-गला ह ही इसको साफ-सथरा कया करना ह यह तो मर ही जाएगा तरमटटी म तरमटटी तरगर

जाएगी इसको कया दातन करनी तरजस चीज क भी परतरत तमन दमन ककया उसका िररणाम अततः यह होगा

कक उस चीज को तोड़न की बात िाि मालम होन लगगी

दतरनया म जब तक कामवासना सहज सवीकार न होगी तब तक बदधो क परतरत इस तरह की कहातरनया

िदा होती रहगी य कहातरनया बदधो क कारण िदा नही होती य लोगो क तरचतत म कामवासना का जो

असवीकार ह जो तरवरोध ह उसक कारण िदा होती ह य कहातरनया बदधो क सबध म नही ह य कहातरनया

तमहार सबध म ह तम यह मान ही नही सकत कक कोई वयतरि कामवासना क िार हो सकता ह कस तम

मानो तम तो हो नही िात और तम कभी हो न िाओग जब तक लड़ोग तरजस कदन तम लड़ना बद करोग और

कामवासना को सहज भाव स सवीकार कर लोग तम भी िार होन लगोग कयोकक कामवासना बड़ी अनठ ढग

की वासना ह

इसको खयाल म लना

भोजन की वासना ह भोजन क तरबना तम जी नही सकत भोजन क तरबना तम मरन लगोग तो चाह हम

ककतना ही बदधो स आशा रख कक व भोजन न कर कफर भी व भोजन तो करग चलो दो बार न करग तो एक

बार करग बहत ससवाद न करग तो बसवाद करग खीर-मलाई नही उियोग करग रखा-सखा खाएग लककन

कछ तो खाएग ही कयोकक भोजन क तरबना तो एक कषण जी न सक ग िानी तो िीएग चलो रात न िीएग कदन

ही िीएग मगर िानी िीना तो िड़गा शवास तो लग अतरनवायम ह

कामवासना इस तरह की अतरनवायम वासना नही ह कामवासना िर तमहारा जीवन तरनभमर नही ह

कामवासना क तरबना तम मर न जाओग कामवासना क तरबना तमहार बचच िदा न होग यह सच ह कामवासना

क तरबना तम नही मर जाओग बचच िदा नही होग लककन अगर भोजन न ककया िानी न िीया शवास न ली

तो तम मर जाओग

तो कामवासना जीवन क तरलए तमहार जीवन क तरलए अिररहायम नही ह छोड़ी जा सकती ह इसस मि

हआ जा सकता ह लककन मि कवल व ही लोग हो सकत ह तरजनहोन इस िहल सवीकार ककया हो और इस

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सवीकार करक समझा हो और इस िर धयान ककया हो और इसकी िरी आतररक-वयवसथा समझी हो--उठती

कयो ह

तमन खयाल ककया कब-कब तमहारा मन कामवासना स भरता ह तम चककत होओग यह बात जानकर

कक जब तम जयादा जचतरतत होत हो तब जयादा कामवासना स भरता ह जब तम तरनजित होत हो परफतरललत

होत हो तो नही भरता जब तम शात होत हो आनकदत होत हो तो नही भरता तब तम भल जात हो

लककन जब तम अशात होत हो बचन होत हो तब कामवासना स भर जाता ह अकसर यह होता ह

ितरिम क मनतरसवद कहत ह कक अकसर ितरत-ितनी इस राज को समझ लत ह इसतरलए सभोग करन क

िहल लड़ाई-झगड़ा कर लत ह करोतरधत हो जात ह एक-दसर को गाली द लत ह झझट खड़ी कर लत ह कफर

इसक बाद कामवासना म उतरना आसान हो जाता ह

यह बड़ी अजीब सी बात ह ितरत-ितनी अकसर लड़त ह उनक लड़न स ही बचनी और िरशानी िदा

होती ह िरशानी और बचनी म कामकता िदा होती ह शात चन म भरा हआ तरचतत हो तो कामवासना िदा

नही होती कामवासना तमहार भीतर एक तरह का जवर ह और कामवासना स राहत तरमलती ह राहत तभी

तरमलती ह जब जवर खड़ा हो तो कामवासना तमहार शरीर को कषीण करती ह शतरि कषीण हो जाती ह तो जवर

कषीण हो जाता ह भीतर का उबाल कम हो जाता ह तम शातरत स सो जात हो

कामवासना जाती ह कामवासना क दमन स नही धयान क माधयम स उमगी शातरत क दवारा जब कोई

वयतरि ठीक तरवराम म जीन लगता ह तरजसक जीवन म कोई तनाव नही ह कोई जचता नही ह कोई बचनी नही

ह तरजसका जीवन हलक फल जसा ह तरजसक िर जमीन िर नही िड़त जो हवा म उड़ा-उड़ा ह और जो

परतरतिल रस म डबा ह--रसो व सः--जस कल ितजतरल न अिन तरशषय चि स कहा कक जो सदा रसलीन ह वह

कामवासना म नही उतरगा कयोकक कामवासना म वह उतरकर िाएगा कक तरसफम शतरि कषीण होती ह और

उसका रस खोता ह

कामवासना स तरजतना आनद तरमलता ह जब तम उसस जयादा आनद की अवसथा म जीन लगोग तो

कामवासना समापत हो जाएगी जब तक कामवासना म जो रस तरमलता ह वह तमस ऊिर ह और तम उसस

नीच जी रह हो तब तक तो रस बना रहगा

बात को खयाल म लना तमहार तरलए काम की ह इन कथाओ क सहार म कछ तमस कहना चाह रहा ह

बदध म मरी उतनी उतसकता नही ह तरजतनी तमम मरी उतसकता ह कयोकक तमस म बात कर रहा ह बदध तो

बहाना ह

जब तक तमहारा तरचतत कामवासना स जयादा रस न िान लग तब तक तम कामवासना स न छट सकोग

और जो लोग कामवासना स लड़त ह उनकी हालत और बदतर हो जाती ह उनका तरचतत और भी बचन हो

जाता ह व और भी नीच तरगर जात ह इसतरलए उनक तरचतत म सदा कामवासना क ही तरवचार तरत रहत ह

मनषय-जातरत न काम का इतना दमन ककया ह इसीतरलए काम स मि नही हो िाती और इसीतरलए अफवाह

काम स ही सबतरधत होती ह

कफर अब बदध क परतरत धन की बात तो कही नही जा सकती थी कयोकक धन तो उनक िास बहत था

छोड़कर आ गए थ वह तो उनकी बदनामी का कारण नही बनाया जा सकता था एक ही बात बचती थी कक

कामवासना को उनकी बदनामी का कारण बनाया जाए बदध स बदध क सतय स सीधी टककर भी नही ली जा

सकती थी कयोकक सतय इतना परगाढ़ था इतना सिषट था सयम की तरह ऊगा था इन धममगरओ की हतरसयत भी

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न थी कक इस सतय क सामन आख उठाकर खड़ हो जाए इस सतय क सामन तो आ भी नही सकत थ िीछ

छिकर िीठ म छरा मार सकत थ अधर म छरा मार सकत थ और इसस जयादा सगम कोई उिाय नही ह

कामवासना स दतरमत लोगो क जगत म इतनी ही बात काफी ह लोगो म फला दनी कक कोई सदरी सतरी बदध क

िास रात जाती ह और बदध को रतरत-रमण कराती ह बस इतना काफी था

यह सदरी िररवरातरजका इस गाव क बहत लोगो को लभाती रही होगी एक तो सदर थी कफर तरभकषणी

थी बदध की तरशषया थी गाव म तरभकषा मागत हए इस तरभकषणी को दखकर न मालम ककतनो का मन डावाडोल

हआ होगा

इस बात को भी खयाल म लना साधारण सतरी स भी जयादा साधवी लभाती ह कयोकक साधारण सतरी को

िाना बहत करठन नही साधवी को िाना बहत करठन ह और तरजसको िाना करठन ह उसम उतना ही रस

आता ह तरजतना दगमम हो जाए िाना उतना ही रस आता ह तरजस िाना सरल ह उसम रस खो जाता ह

उसम कया रस उसम अहकार को कोई चनौती नही होती

यह सदरी साधवी घमती होगी गाव म तरभकषा मागती होगी इसकी सदर दह दखकर इसका सदर रि

दखकर अनको का मन डावाडोल हआ होगा कफर अचानक खबर गाव म आयी कक यह सदरी तो बदध क साथ

शारीररक-सबध रखती ह तो अनको न मान तरलया होगा तरजन-तरजन न इसस शारीररक-सबध बनान की

कामना की होगी सिना दखा होगा उन सबन मान तरलया होगा कक बात तरबलकल ठीक ह हम भी डोल थ

अिन मन म सोचा होगा--हम भी परभातरवत ककया था और उनहोन बदला भी तरलया होगा अब यह अचछा

मौका था बदध स बदला तरलया जा सकता ह

बदध स हम बदला कयो लना चाहत ह

बदध क कारण हम बहत चोट लगती ह अधो क बीच जसा आख वाला अधो को चोट िहचाता ह कयोकक

उसक कारण व अध मालम होत ह बीमारो क बीच जस सवसथ बीमारो को चोट िहचाता ह कयोकक उसक

कारण तलना म उनको बीमारी कदखायी िड़ती ह जहा घना अधरा ह और सब लोग अधर म टटोल रह ह वहा

एक वयतरि तरजसका भीतर का दीया जल रहा ह हमार भीतर बड़ा करोध जगाता ह यह हमारा अिमान ह

दीया हमम नही जल रहा ह ककसी और म जल रहा ह यह हमार तरलए ईषयाम का कारण बन जाता ह

तो ऐसा ही नही ह कक हमन जीसस को अकारण सली द दी हम दनी िड़ी बदामशत क बाहर हो गए

एक सीमा थी सहन की कफर यह आदमी घम-घमकर हम िीड़ा दन लगा जब भी हम इस दखत हम अड़चन

होन लगी यह हम नकारन लगा इसक सामन मौजद खड़ होन िर हम दीन-हीन मालम होन लग हम लगन

लगा कक हम तचछ ना-कछ जीवन ऐसा होना चातरहए और हमारा जीवन कीड़-मकोड़ सा सरकता हआ

जीवन ऐसा होना चातरहए यह आदमी हम बहत तड़फान लगा यह आदमी हम बहत जयादा चोट करन लगा

यह हम शातरत स सोन न द इस सली दना जररी हो गयी

सकरात को हमन जहर कदया कयोकक सकरात घम-घमकर लोगो को जगान लगा सोए लोग जागना

नही चाहत सोए लोग तरसफम सो ही थोड़ रह ह बड़-बड़ मधर सिन दख रह ह जब इनह तम जगाओ तो इनक

सिन टटत ह और इनहोन सिनो क अतरतररि और कछ जाना नही ह सिन ही इनक जीवन का सतय ह

तो तम इनह जब जगात हो तो इनको लगता ह तम हमार दशमन हो तम हमार सिन तोड़ द रह हो

हम इतन मज म लीन थ--महल बना रह थ सदर रातरनया थी िि थ बड़ा राजय था--तम हम घसीटकर कहा

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ला रह हो इस जागन म इस जागन म कछ भी नही ह हम तरभखमग ह यह झोिड़ी ह यह करि सी ितनी ह

यह उिदरवी लड़का ह हम अिनी नीद म मज स िड़ थ हम सिना मीठा दख रह थ तम हम जगाओ मत

हम बदधो स नाराज रह ह हमन उस नाराजगी का उनस अनक तरह स बदला तरलया ह हमारा परतरतशोध

बहत गहरा ह और उिाय कया ह हमार परतरतशोध क हमार उिाय यही ह कक जस हम ह वसा ही हम उनह भी

तरसदध कर द इतना तरसदध हो जाए कक जस हम ह वस ही व ह बात खतम हो गयी कफर कोई अड़चन न रही

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था

इस परभाव को बढ़ान क तरलए कछ करना नही होता इस परभाव को बढ़ान की कोई आकाकषा भी नही

होती तरजसक भीतर भगवतता का जनम हआ हो यह परभाव अिन स बढ़ता ह जस सरज ऊगता ह और रोशनी

फलती ह और फल तरखलता ह और सगध तरबखरती ह ऐसा यह परभाव ह इस परभाव को करन की कोई चषटा

नही ह कोई परभातरवत हो ऐसा बदधिररष चषटा नही करत उनकी सहज उितरसथतरत उनका जागरण उनका

चतनय अनको को खीचन लगता ह व चबक हो जात ह लोग ऐस जखच चल आत ह जस लोह क टकड़ जखच

चल आत ह उनकी मौजदगी सममोहक हो जाती ह तरजनहोन उनका सवाद तरलया कफर उनह भल नही िात

कफर और सवाद लन का मन होन लगता ह

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था जो धमामनरागी थ व खब आनकदत थ

जो धमामनरागी थ व इसतरलए आनकदत थ कक भगवान की मौजदगी म उनह परमाण तरमल गया कक धमम

सतय ह कक वद जो कहत ह कक उितरनरषद जो कहत ह व तरसफम कथन माि नही ह व विवय माि नही ह यहा

जीता धमम परगट हो गया था जो वसततः धमामनरागी थ व तो बड़ आनकदत थ व तो नाच रह थ व तो मगन थ

व कहत थ हम धनयभागी ह सना था शासतरो म अब आख स दखा सनत आए थ अब अनभव ककया

बड़ा फकम ह सरज क सबध म सना हो और कफर सरज को ऊगत दखना बड़ा फकम ह तरहमालय की

तसवीर दखी हो और कफर जाकर तरहमालय दखना बड़ा फकम ह तसवीर म न तो वह ताजगी ह न वह शीतलता

ह तसवीर म न हवाए ह न रोशनी ह तसवीर म कहा व ऊचाइया जो तरहमालय की ह कहा व गहराइया जो

तरहमालय की ह तसवीर म कहा व िकषी जो तरहमालय िर गीत गात कहा व फल जो तरखलत और सगध स भर

दत ह घारटयो को तसवीर तो तसवीर ह जो तसवीरो म दखा था वह सामन आख क आ गया

वद तो तसवीर ह उितरनरषद तो तसवीर ह हजारो साल बाद कोई वयतरि बदध होता तो जो धमामनरागी

थ उनको ऐसा नही लगा कक बदध वद क तरविरीत ह उनह तो ऐसा लगा बदध वद क साकषी ह अब तक वद

तरबना साकषी क था बदध म साकषी तरमल गया अब तक जो बात कवल तकम थी अब अनभव बनन का उिाय हो

गया यह सामन खड़ा ह वयतरि और जो इसक भीतर हो सकता ह वह हमार भीतर भी हो सकता ह

उनक हदय-कसम भी भगवान की ककरणो म खल जात थ उनक मन-िाखी भगवान क साथ अनत की

उड़ान क तरलए ततिर हो रह थ

जो धमामनरागी ह वह तो बदधिररषो की मौजदगी स आहलाकदत हो जाता ह इसकी ही तो परतीकषा थी

जनमो-जनमो स कक कोई हो जो परमाण हो बौतरदधक परमाण नही चातरहए धमामनरागी को जीवत अतरसततवगत

परमाण चातरहए कोई हो तरजसकी हवा म भगवतता हो तरजसक कारण हम अनभव म आए कक भगवान ह

तरजसकी मौजदगी म हम परमाण तरमलन लग कक भगवान ह तरजसकी मौजदगी हम बताए कक ससार िदाथम िर

समापत नही हो जाता ह यहा तरछि हए रहसय भी ह यहा बड़ गहर रहसय दब िड़ ह खोज क तरलए उिाय ह

तरजसकी मौजदगी हमार तरलए अतरभयान की िकार बन जो हम चनौती द कक आओ मर साथ चलो और जस

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िख मर ह ऐस तमहार भी ह तम कभी उड़ नही इसतरलए िखो की तमह याद नही तम िख लकर ही िदा हए

हो फड़फड़ाओ तम भी उड़ सकोग जो मझ तरमला ह वह तमहारी भी सिदा ह

लककन ऐस लोग तो दभामगय स थोड़ ही थ

उस कदन भी थोड़ थ उसक िहल भी थोड़ थ अब भी थोड़ ह दभामगय ह यह कक इतन धारममक लोग ह

मगर धमामनरागी नही मकदर मतरसजद गरदवारा तरगरजा जात हए ककतन लोग ह लककन धमम क परमी कहा यह

तो सब थोथा वयवहार ह यह तो लोकोिचार ह यह तो समाज की वयवसथा ह कक लोग चचम चल जात रतरववार

को कक गरदवारा चल जात कक जिजी िढ़ लत कक गीता िढ़ लत कक नमोकार मि का जाि कर लत कक

माला फर लत लककन हदय स न माला फरी न जिजी ककया हदय स न कभी मकदर गए न हदय स कभी

िरमातमा को िकारा हदय स िकारा होता तो तरमल ही गया होता नही तरमला ह यह काफी परमाण ह कक ऐस

ही तरखलवाड़ करत रह ऐस ही उिचार की तरह करना चातरहए कतमवय की भातरत करत रह यह तमहार जीवन

की शली नही ह तम इस िर दाव िर कछ भी लगान को राजी नही हो तम चाहत हो मफत भगवान ऐस

तरमलता हो माला इतयाकद फरन स तरमल जाए तो ठीक न तरमल तो ठीक

कभी-कभी तो शायद डरत भी हो कक कही जयादा माला न फर द कही तरमल ही न जाए कयोकक तरमल

जाए तो अड़चन खड़ी होगी तरमल जाए भगवान तो कफर कया करोग तरमल जाए भगवान तो कफर ऐस ही तो

न हो सकोग जस हो कफर उसक रग म रगना होगा कफर अ ब स स एक दसरी ही भारषा सीखनी होगी जीवन

का एक और ही ढाचा रचना होगा एक और ही मकदर बनाना होगा उतनी अड़चन कोई लना नही चाहता

माला भी हम जि लत ह िाठ भी हम िढ़ लत ह िजा भी हम कर लत ह और भरोसा रखत ह कक इसस कही

कछ होन वाला थोड़ ही ह

बहत थोड़ स लोग ह जो सच म ही सतय की तलाश िर ह और जो तलाश िर ह उनह तरमलता ह जो

तलाशा जाता ह तरमलता ही ह इस जगत म तम जो चाहोग तरमलगा अगर न तरमल तो एक ही बात समझना

कक तमन चाहा ही न था चाहत गहरी हो तो िररणाम होत ही ह पयास गहरी हो तो पयास ही परातरपत बन

जाती ह

बहत तो ऐस थ तरजनक पराणो म भगवान की उितरसथतरत भाल सी चभ रही थी

उनका वयवसाय खतर म था उनकी वयवसथा खतर म थी उनका िातरडतय उनका िौरोतरहतय खतर म

था भगवान की मौजदगी म व अजञानी मालम होन लग थ भगवान मौजद नही थ तो व जञानी थ लोग उनक

िास आत थ लोग उनस िछत थ सलाह-मशतरवरा लत थ भगवान की मौजदगी म ितरडत फीका होन लगा

जब भी कोई वयतरि बदधतव को उिलबध होता ह तो सबस जयादा चोट ितरडत को िहचती ह कयोकक

बदधतव ह असली जञान और िातरडतय ह झठा जञान--नकली उधार बासा कडा-करकट उतरचछषट इकटठा ककया

हआ तो जस ही कोई बदधतव को उिलबध वयतरि मौजद हो जाता ह वस ही ितरडत सबस जयादा अड़चन म

िड़ता ह सबस बड़ी करठनाई उसकी खड़ी हो जाती ह

जीसस को तरजन लोगो न सली दी व यहकदयो क ितरडत-िरोतरहत थ बदध क तरखलाफ तरजन लोगो न

हजारो तरह क शडयि रच व सब ितरडत और िरोतरहत थ धमम का दशमन इस िथवी िर ितरडत और िरोतरहत स

जयादा और कोई भी नही ह मकदरो म भगवान की िजा नही हो रही ह कयोकक ितरडत-िरोतरहत क हाथ म िजा

ह और ितरडत-िरोतरहत सदा स शतान क हाथ म ह वह कभी भगवान का साथी रहा नही वह सदा स भगवान

का दशमन ह वह भगवान क नाम का उियोग करता ह शोरषण करता ह वह अचछा धधा ह

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इन लोगो को लगता था कक गौतम धमम क नाश िर उतार ह और एक बात इसम थोड़ी सचाई भी थी

तरजसको व धमम कहत थ तरनतरित ही गौतम उस धमम क तरवनाश क तरलए उतार थ कयोकक वह धमम था ही

नही धमम को तो रोज-रोज नया-नया िदा होना िड़ता ह िराना होत ही सड़ जाता ह मर जाता ह धमम को

तो ऐस ही रोज-रोज िदा होना िड़ता ह जस तम शवास लत हो जो शवास गयी गयी नयी चातरहए यही अथम ह

एस धममो सनतनो का परतरतिल धमम को जीना िड़ता ह परतरतिल उतरना िड़ता ह परतरतिल ताजा-ताजा ही

ताजा-ताजा ही भोग लो तो भोगा बासा-बासा इकटठा ककया तो तमहार हाथ राख लगगी अगारा तो बझ चका

अगारा तो वतममान म होता ह बदध थ अगार की तरह राख की तरह जो ितरडत थ उनह बड़ी अड़चन हई होगी

बदध िरिरावादी नही थ शासतरो क िजक नही थ रकढ़यो-अधतरवशवासो क िजक नही थ

हो भी कयो तरजसको जीवन का सतय सवय कदखायी िड़ गया हो वह कयो चल दसरो की बधी-बधायी

लकीरो िर तरजसक िास अिनी आख हो वह कयो िछ दसरो स रासता और तरजसक िास आख हो वह कयो

टटोल लकड़ी लकर हाथ म लकीरो िर तो व चलत ह तरजनक िास अिनी आख नही िछत तो व ह जो सवय

जानत नही तरजसका अिन भीतर का दीया जल गया हो--अब उसस दसर िछ

तो बदध न वद स िछ रह थ न उितरनरषद स िछ रह थ बदध ककसी स िछ ही नही रह थ बदध क िास तो

अब दन को तयार था यदयतरि जो लोग जरा भी समझ रखत थ उनको ततकषण कदखायी िड़गा कक बदध वही द

रह ह जो वदो न कदया ह अनयथा हो भी कस सकता ह

शायद भारषा बदल गयी हो--भारषा बदल जाती ह--परतीक बदल गए हो वद क ऋतररष ससकत म बोल थ

बदध िाली म बोल रह थ वद क ऋतररषयो न ककसी और तरह क दाशमतरनक ढाच का उियोग ककया था बदध ककसी

और तरह क ढाच का उियोग कर रह थ अगतरलया अलग-अलग थी इशारा एक ही तरफ था लककन ितरडत-

िरोतरहत को लगा कक यह तो धमम का तरवनाश हो जाएगा

गौतम का धमम तरसथतरत-सथािक नही ह गौतम करातरत क िकषिाती ह

गौतम िररवतमन क िकषिाती ह वह कहत ह तमहार भीतर जयोतरत जलनी चातरहए महािररवतमन होना

चातरहए तम ऐसा कछ भी न करो तरजसस तमहारी जयोतरत बझी रह तम ऐसा सब करो तरजसस तमहारी जयोतरत

जल जाए सब परयतन करो ताकक तम जीवत हो जाओ सवय की आख चातरहए सवय क कान चातरहए सवय का

धड़कता हआ हदय चातरहए अिन िर चातरहए और अिन ही बल िर िहचन की तरहममत चातरहए

गौतम न आधारतरशला रखी थी मनषय क ऊिर

और धमम ईशवर िर आधारतरशला रखत ह कोई दवी-दवताओ िर आधारतरशला रखता ह गौतम न

आधारतरशला रखी थी मनषय िर गौतम न आधारतरशला रखी थी तम िर

चडीदास का परतरसदध वचन ह--साबार ऊिर मानस सतय ताहार ऊिर नाही मनषय का सतय सबस ऊिर

ह उसक ऊिर और कोई सतय नही

यह वचन तरनतरित ही बदध स परभातरवत ह बदध न यह िहली दफा कहाः साबार ऊिर मानस सतय सबस

ऊिर मनषय का सतय ह मनषय को िरम परतरतिा दी और कहाः मनषय को कही झकन की जररत नही ह

जगन की जररत ह मनषय को ककसी को मानन की जररत नही ह बस अिन को ही जानन की जररत ह

जो मनषय अिन को जान लता ह वही भगवतता को उिलबध हो जाता ह बदध न भगवान की बड़ी नयी

वयाखया की बदध न नही कहा कक भगवान वह ह जो दतरनया बनाता ह दतरनया तो बदध न कहा ककसी न न

बनायी न कोई बनान वाला ह बदध न भगवान को नया अथम कदया बदध न कहा भगवान का अथम ह

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भागयशाली वह भागयशाली तरजसन सवय को जान तरलया वही भगवान ह मनषय ही जागकर भगवान हो

जाता ह आतमा ही जागरत होकर दीपतमय होकर िरमातमा हो जाती ह तमहार भीतर बीज तरछिा ह िरमातमा

का--बीज ह आतमा--अभी तम सोए हो इसतरलए बीज टटता नही जाग जाओ तो बीज टट जाए जागन का सि

कदया धयान

इसतरलए बदध न पराथमना की बात ही नही की बदध न िजा की बात ही नही की बदध न तो तरसफम एक

सीधा सा सि कदया धयान धयान का अथम ह--नीद को तोड़ो सिन को तोड़ो और जागो जस-जस जागन

लगोग वस-वस िरमातम-भाव तमहारा िदा होन लगगा तरजस कदन तम िर जाग गए उस कदन तम िरमातमा

हो गए मनषय को ऐसी मतरहमा ककसी न भी न दी थी

साबार ऊिर मानस सतय ताहार ऊिर नाही

इस सबस सवभावतः दककयानस रकढ़वादी धमम क नाम िर भातरत-भातरत का शोरषण करन वाल लोग

बहत िीतरड़त हो गए थ उनह कछ सझता भी न था कस इस गौतम स तरववाद कर तरववाद व करन म समथम भी

नही थ गौतम कोई ितरडत होत तो तरववाद आसान हो जाता गौतम क सामन आकर उन ितरडतो क तरववाद और

तकम बड़ छोट और ओछ मालम होन लगत थ उनम कोई बल न था व तकम निसक थ तो िीछ स ही छरा

मारा जा सकता था उिाय उनहोन यह खोजा--

एक सदरी िररवरातरजका को तरवशाल धनरातरश का लोभ दकर राजी कर तरलया कक बदध की अकीरतम फलाए

अब यह सदरी िररवरातरजका बदध की तरशषया थी तरशषय होकर भी कोई इतना दर हो सकता ह इस याद

रखना तरशषय होकर भी कोई अिन गर को बच सकता ह इस याद रखना कराइसट को भी तरजसन बचा--जदास-

-वह कराइसट का तरशषय था बारह तरशषयो म एक और बचा बड़ ससत म--तीस रिय म तीस चादी क टकड़ो म

इस सदरी िररवरातरजका को लोभ कदया होगा धन का िद का परतरतिा का लोभ म आ गयी होगी जो

लोभ म आ जाए वह ससारी ह चाह वह सनयासी ही कयो न हो गया हो िररवरातरजका थी सनयास ल तरलया

था लककन सनयास भी लोभ क कारण ही तरलया होगा कफर लोभ क कारण ही डोल गयी

वह शडयि म सलगन हो गयी तरनतय सधया जतवन जाती िररवरातरजकाओ क साथ समह म रहकर परातः

नगर म परवश करती और जब शरावसती-वासी िछत--और य शरावसती-वासी कोई और न होग वही ितरडत-

िरोतरहत नही तो कौन ककसस िछता ह व ही िछत होग रासतो िर खड़ हो-होकर--कहा स आ रही हो तब

वह कहती रातभर शरमण गौतम को रतरत म रमण कराकर जतवन स आ रही ह ऐस भगवान की बदनामी

फलन लगी लककन भगवान चि रह सो चि रह सतय को इतना समादर शायद ही ककसी न कदया हो

फकम समझना महातमा गाधी न एक शबद इस दश म परचतरलत करवा कदयाः सतयागरह कक सतय का आगरह

करना चातरहए यह कथा इसक तरबलकल तरविरीत ह

बदध कहत ह सतय का आगरह भलकर नही करना चातरहए सतय तो अनागरह स िदा होता ह सतय कहन

स थोड़ ही होता ह असल म आगरह सभी असतय क होत ह जब हम ककसी चीज को बहत चषटा स सतय तरसदध

करन की कदशा म सलगन हो जात ह तो हम इतना ही कहत ह कक हम डर ह कक अगर हमन इसको बहत परबल

परमाण न जटाए तो यह कही बात हार न जाए सतय म तो कोई भय का कारण ही नही ह इसतरलए सतय का

कोई आगरह नही होता

सतयागरह स जयादा गलत शबद कोई हो नही सकता सतय का कोई आगरह होता ही नही सतय तो मौन ह

सतय तो इतना बलशाली ह कक उसक तरलए ककसी सरकषा का कोई आयोजन करन की जररत नही ह

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तो बदध चि रह सो चि रह एक शबद न कहत यह भी न कहत कक झठ बोलती ह यह सदरी यह भी न

कहत कक यह भी खब शडयि चल रहा ह कछ भी न कहत न सदरी क तरखलाफ एक शबद बोल न सदरी को

बलाया न सदरी को समझाया न चताया सदरी को सदरी िर छोड़ कदया

इस अनठी परककरया को समझना महातमा गाधी होत तो उिवास करत वह कहत कक म मर जाऊगा

आमरण अनशन करगा अब सतय की घोरषणा करो सदरी सतय कह नही तो म आमरण अनशन करता ह बदध

न एक शबद भी नही कहा आमरण अनशन की तो बात दसरी सदरी को बलाया भी नही सदरी को समझाया

भी नही सदरी स िछा भी नही

इस अनठी परककरया को समझना यह सतय का अनागरह ह सतय िर इतना भरोसा ह सतय िर ऐसी अटट

शरदधा ह कक सतय अगर ह तो जीतगा ही आज नही कल दर-अबर जीतगा ही कछ कहन की जररत नही

समझी

और यह भी भरोसा ककया कक आतरखर सदरी क भीतर भी आतमा ह कचोटगी ककतनी दर नही

कचोटगी एक कदन बीता होगा दो कदन बीत होग तीन कदन बीत होग गाव म अफवाह खब घनी होन लगी

होगी कक धआ खब फलन लगा होगा सदरी को लगता तो होगा कक बदध बलाएग िछग डाटग-डिटग ऐसा

भी नही था कक डाटत-डिटत नही थ हमन कई कहातरनया दखी ह कक बदध अिन तरशषय को बलात ह डाटत-

डिटत ह तरशषय क तरहत म हो तो डाटत-डिटत ह लककन यह तो बात अिन तरहत की थी इसतरलए कछ भी नही

कहा तरशषय गलत जा रहा हो तरशषय अिन को नकसान िहचा रहा हो तो बदध सब उिाय करत लककन इस

मामल म तो बदध न कोई भी उिाय न ककया इस मामल म तरबलकल चि रह

इस चपिी का भी िररणाम होता ह चपिी भी बड़ी अिवम ऊजाम परगट करती ह कभी-कभी मौन रह जान

स जसा उततर आता ह वसा कछ कहन स नही आता कभी न लड़न स जीत होती ह और कभी लड़न स हार हो

जाती ह बदध चि रह

धीर-धीर यह बात सार नगर की चचाम का तरवरषय बन गयी कफर तो लोगो न कोई और बात ही न की

होगी महीनो तक एक ही चचाम रही होगी कफर बात बढ़न लगी एक मह स दसर मह जान लगी और बड़ी

होन लगी

लोग ऐस ही चचाम थोड़ ही करत ह चचाम म थोड़ा जोड़त ह लोग बड़ सजमनातमक ह लोग जोड़त भी ह

बढ़ात भी ह सधारत भी ह चमकात भी ह आभरषण भी लगात ह बात जब फलती ह तो तम समझ सकत हो

कक उसम हजारो कलाकार भाग लत ह लककन भगवान चि थ सो चि ही रह

िररणाम होन शर हो गए भगवान क िास आन वालो की सखया रोज-रोज कम होन लगी हजारो आत

थ कफर सकड़ो रह गए कफर अगतरलयो िर तरगन जा सक इतन ही लोग बच और तब भगवान हसत और कहत-

-दखो सदरी िररवरातरजका का अिवम कायम कचरा-कचरा जल गया सोना-सोना बचा

यह बात सदरी को भी खबर लगती होगी कक भगवान हसत ह और ऐसा कहत ह कक दखो सदरी का

अिवम कायम बड़ी किा की सदरी न उसक मन म और चोट होन लगी होगी और काटन लगा होगा यह भाव

रातभर सो न सकती होगी उठती-बठती होगी और िीड़ा होती होगी यह शल की तरह चभन लगा होगा कक

वह कया कर रही ह

भगवान की शातरत को अचल दख धममगरओ न गडो को रिय दकर सदरी को मरवा डाला और फलो क

एक ढर म जतवन म ही तरछिा दी उसकी लाश

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भगवान की शातरत स सदरी धीर-धीर अिन ककतय िर िछतान लगी थी धममगरओ को िता चलन लगा

होगा कक सदरी अब रस नही लती ह सदरी अब गाव भी नही आती ह अगर उसस िछत भी ह तो कहती भी

ह तो भी िरान ढग स नही कहती ह बमन स कहती ह सदरी उदास कदखती ह सदरी को बचनी िदा हो गयी

ह अतःकरण म एक सघरषम िदा हो गया ह यह सकट उनह कदखायी िड़ गया होगा सदरी को हटा दना जररी

ह सदरी का जीत रहना अब खतर स खाली नही ह

सदरी को उनहोन मरवा डाला जतवन म ही तरछिा दी लाश गावभर म खबर फला दी कक गौतम न

अिन िाि को तरछिान क तरलए मालम होता ह सदरी को मरवा डाला

धमम क नाम िर ऐसा सब कछ होता रहा ह आज भी होता ह और जब धमम क नाम िर होता ह तो लोग

बड़ी आसानी स धोखा भी खा जात ह कयोकक धममगरओ स हम ऐसी आशा नही करत धममगरओ स हम ऐसी

आशा नही करत इसतरलए जलदी स भरोसा भी कर लत ह मगर यह िरानी कथा ह यह सदा स होती रही

बात ह तरजनका धधा दाव िर लग जाए व अिन को बचान की सब तरह चषटा करत ह ठीक गलत कफर कोई

जचता नही रह जाती

कफर व शरावसती क राजा क िास गए और उनहोन कहा दाल म कछ काला ह महाराज गौतम न

मालम होता ह कछ या तो मार डाला या कही तरछिा कदया सदरी कदखायी नही िड़ती ह कछ कदनो स और

आिको तो िता होगा ही कक जतवन म ही रात गजारा करती थी गौतम क साथ

राजा न तरसिाही भज लाश तरमल गयी उन धममगरओ न कहा--महाराज दतरखए यह महािाि एक िाि

को तरछिान क तरलए यह गौतम इतना बड़ा महािाि करन को तयार हो गया

अब तो हदद हो गयी अब तो कहानी म िरी कहानी हो गयी काम का कतय हो गया हतया भी हो गयी

इतन स ही तो सारी जाससी कहातरनया बनती ह अब तो िरा ससिनस अब तो उनहोन िरी सनसनी िदा कर

दी अब और कछ बचा नही और वहा एक आदमी ह गौतम बदध--तरनहतथा चि बठा इस िर भी गौतम कछ

भी न बोल इस िर भी चि रह

तरभकषओ को तरभकषा तरमलनी भी गाव म मतरशकल हो गयी तरभकषा की दर गाव म तरनकलना मतरशकल हो

गया गाव म चलना मतरशकल हो गया जहा जात होग लोग कहत यह दखो उस हतयार गौतम क तरशषय जा

रह उस कामी गौतम क तरशषय जा रह इनह कौन तरभकषा दगा कौन तरभकषा दकर झझट म िड़गा कयोकक जो

तरभकषा दगा वह भी गाव की नजरो म तरगरगा दवार-दरवाज बद हो जात होग शायद बदध को दो-चार कदन

भोजन भी न तरमला हो कयोकक बदध क िास और तो कोई उिाय न था लककन कछ थोड़ स लोग थ जो

दससाहसी थ और अब भी आत थ ऐसी ही घतरड़या कसौटी की घतरड़या होती ह

भगवान न अिन तरभकषओ स तरसफम इतना ही कहा--असतय असतय ह तम जचता न करो सतय सवय अिनी

रकषा करन म समथम ह

सतयागरह की कोई जररत नही ह सतय तरनरागरह भी जीतता ह जीतता ही ह सतय की जीत अिररहायम

ह तरसफम समय शायद लग जाए असतय की हार अिररहायम ह शायद थोड़ी दर असतय जसहासन िर बठन का

मजा ल ल मगर यह थोड़ी दर का राग-रग ह तम जचता न करो तम इतना ही करो शातरत रखो धयम रखो

धयान रखो सब सहो यह सहना साधना ह शरदधा न खोओ शरदधा को इस अतरगन स भी गजर जान दो यह अिवम

अवसर ह ऐस अिवम अवसर िर ही कसौटी होती ह इसक बाद शरदधा जो तरनखरगी शरदधा जयोतरतममय होकर

परगट होगी

153

और ऐसा ही हआ गडो न रिय ल तरलए थ सदरी को मार डाला था िाि तरछित थोड़ ही िाि

बोलत रात शराब िी ली होगी मधशाला म जाकर जयादा िी गए होग कफर िी गए तो सारी बात कह गए

सब बता कदया खोल कदया सब कक मामला कया ह कक हमन हतया की ह और ककन न हतया करवायी ह और

कयो हतया करवायी ह और गौतम तरनषिाि ह

लककन भगवान कफर भी कछ न बोल सो न बोल चि ही रह सतय को सवय ही बोलन का उनहोन

अवसर कदया अत म अिन तरभकषओ स उनहोन इतना ही कहा कक असतय स सदा सावधान रहना उसक साथ

कभी न जीत हई ह न कभी हो सकती ह एस धममो सनतनो यही शाशवत तरनयम ह

और तब उनहोन य गाथाए कही--

अभतवादी तरनरय उितरत यो चातरि

कतवा न करोमीतरत चाह

उभोतरत त िोचच समा भवतरत

तरनहीनकममा मनजा िरतथ

असतयवादी नकम म जाता ह और वह भी जो कक करक भी कहता ह कक नही ककया दोनो ही परकार क

नीच कमम करन वाल मनषय मरकर समान होत ह

असतयवादी नकम म जाता ह इसका अथम होता ह--उन कदनो की भारषा ह यह--आज की भारषा म इसका

अथम होता ह असतयवादी दख भोगता ह नकम कोई भौगोतरलक जगह नही ह कही िाताल म जहा तमह जाना

िड़गा नकम तमहारी मनोदशा ह जब भी तम असतय बोलत हो तम नकम म िड़त हो तम अिन मन म बड़ नीच

उतर जात हो तम अिन ही मन क अधकारिणम दखिणम घाटी म डब जात हो और ऐसा मत सोचना कक एक

दफा नकम जात हो तम तरजतनी बार कदन म झठ बोलत हो तरजतनी बार बईमानी करत हो उतनी बार नकम म

तरगरत हो और तरजतनी बार सच बोलत हो उतनी बार सवगम म उठत हो तम थमाममीटर क िार की तरह ऊच-

नीच होत रहत हो

तम इसकी जरा जाच करना तमह मरी बात की सचाई तब खयाल म आएगी कक जब भी तम झठ बोलत

हो तब तम दख म िड़ जात हो जब भी तम सच बोलत हो तभी तम मि हो जात हो खल जात हो तरनबध

हो जात हो जब तम सच बोलत हो तरनभामर हो जात हो कोई भार नही रह जाता जब तम झठ बोलत हो

छाती िर ितथर रख जाता ह झठ चाह छोटा ही हो ितथर बहत बड़ा होता ह झठ चाह दो कौड़ी का हो

तरजसका कोई बड़ा मलय भी नही ह न बोलत तो भी चल जाता न बोलत तो भी कछ बहत खो जान वाला नही

था लककन झठ बोलत ही तरसकड़ जात हो झठ तरसकोड़ता ह झठ तमहार हदय को दबाता ह झठ तमह बद

करता ह झठ तमहार भीतर हजार तरह क रोग िदा करता ह

ितरिम म अदालतो म रखी रहती ह एक मशीन आदमी क झठ िकड़न क तरलए वह मशीन सबत ह इस

बात की आदमी को खड़ा कर दत ह मशीन िर उस तो िता भी नही कक मशीन िर खड़ा ह मशीन तो तरछिी

होती ह नीच खड़ा कर कदया उसको एक चबतर िर चबतर क भीतर तरछिी ह मशीन मतरजसटरट उसस िहल

कछ परशन िछता ह ऐस परशन तरजनम वह झठ बोल ही नही सकता जस कहता ह दखो यह घड़ी ह इसम ककतन

बज ह अब सामन घड़ी लटकी ह झठ कस बोलोग और झठ बोलन की जररत भी कया तम कहत हो कक

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साढ़ नौ बज ह तम सच बोल रह हो तो तमहारा हदय एक तरह स धड़कता ह वह जो नीच रखी मशीन ह

जसा कारडमयोगराम म गराफ बनता ह ऐस उस मशीन म गराफ बनता ह वह तमहार हदय की धड़कन तमहार

शरीर की धड़कन का गराफ बनाती ह कफर तमस िछता ह कक यहा कमर म ककतन लोग ह तम तरगनती करक

कहत हो कक बीस लोग ह झठ बोलन का कोई कारण नही ह मशीन गराफ बनाए चली जाती ह एक समतल

गराफ बनता ह तब वह िछता ह कया तमन हतया की तमहार भीतर तो उठता ह कक हा कयोकक तमन की ह

ऊिर स तम कहत हो नही तमहार गराफ म अड़चन आ जाती ह तमहार नीच जो गराफ बन रहा ह उसम गाठ

िड़ जाती ह ततकषण गाठ िड़ जाती ह एक कषण क तरलए हदय धकक स रह जाता ह कछ कहना चाहत थ और

कछ कहा वह जो गि ह वह जो दोनो क बीच म अतराल ह वह मशीन िकड़ लती ह

यह तो छोटा सा परयोग ह लककन जो आदमी जजदगीभर झठ बोल रहा ह उसक हदय म ही वह गाठ

िड़ जाएगी कफर तो वह सच भी बोलना चाहगा तो न बोल सकगा गाठ मजबत हो जाएगी

तमन दखा कक लोग चालीस साल की उमर क करीब आत-आत झझटो म िड़ना शर होत ह इतन कदन

तक गाठ बनती ह कफर हदय का दौरा िड़ता हाटम अटक होता कक क सर हो जाता कक टीबी हो जाती

अकसर य बीमाररया चालीस और बयालीस साल क बाद होती ह इतनी दर तक तमहारा शरीर ककसी तरह

झल लता ह तमहारा शरीर इतनी दर तक झलन म समथम ह कफर ऊट िर आतरखरी तरतनका रख जाता ह--ककसी

भी कदन--और तराज डावाडोल हो जाता ह

अमरीका म तो व कहत ह कक तरजस आदमी को बयालीस साल की उमर तक हाटम अटक न हो वह आदमी

असफल आदमी ह सफल आदमी को होता ही ह सफल आदमी का मतलब तरजसन हजार तरह की बईमातरनया

की और िकड़ा नही गया हजार तरह की चोररया की और िकड़ा नही गया सफल आदमी का मतलब खब

धन इकटठा कर तरलया कदलली िहच गया कक वाजशगटन िहच गया सफल आदमी का मतलब कक तरमतरनसटर हो

गया कक गवनमर हो गया कक राषटरितरत हो गया सफल आदमी का मतलब ही यह होता ह कक उसन बहत स

जाल फलाए और सब जालो म स ककसी तरह स तरनकलता चला गया

मगर तम बाहर स तरनकलत चल जाओ भीतर तमहार हदय म गाठ िड़ती जाती ह उन गाठो क जोड़ का

नाम नकम ह यह तो िरानी भारषा ह इसतरलए बदध िरानी भारषा बोल रह ह म तो िचचीस सौ साल बाद बोल

रहा ह इसतरलए िरानी भारषा नही बोलगा तम अिना नकम िदा कर रह हो तम अिना सवगम भी िदा कर

सकत हो तो बदध न कहा जो असतयवादी ह वह दख म िड़ जाता ह

कसो यथा दगगहीतो हतथमवानकततरत

सामा दपिरामटठ तरनरमाय उिकडढतरत

जस ठीक स नही िकड़न स कश हाथ को ही छद दता ह वस ही ठीक स नही गरहण करन िर शरामणय

नकम म ल जाता ह

अब व कहत ह कक--सदरी का नाम भी नही लत ह--इतना ही कहत ह कक तम यही मत सोच लना

तरभकषओ कक तमन सनयास ल तरलया इतना काफी ह अगर सनयास भी गलत ढग स तरलया तो भी नरक जाओग

कोमल सी घास दखी न--कश--इस कोमल सी घास को भी अगर गलत ढग स तोड़ो तो हाथ कट जाता ह

कोमल सी घास कया हाथ काटगी लककन कोमल सी घास को भी अगर तोड़ना न आता हो और तम गलत ढग

155

स तोड़ लो तो हाथ कट जाए लह तरनकल आए सनयास जसी सहज और शात चीज भी अगर तम गलत ढग स

िकड़ो तो काट दगी तो तमह दख म ल जाएगी तो नकम म तरगरा दगी

सनयास भी गलत हो सकता ह यह समरण रखना और ससार भी सही हो सकता ह यह भी समरण

रखना ठीक और सही आदमी होत ह सनयास और ससार का कोई सवाल नही ह

अब यह सदरी िररवरातरजका सनयासी हो गयी थी बदध स दीतरकषत हो गयी थी यह कसी दीकषा थी यह

कसा सनयास था इस सकोच भी न लगा यह जो करन चल िड़ी इसन कभी तरवचार भी न ककया धन क लोभ

म आ गयी

और तम ऐसा मत सोचना कक बड़ी िािी रही होगी तरबलकल मत सोचना सामानय थी ऐस ही सामानय

लोग ह अगर कोई तमह रिया द और मर तरखलाफ कोई बात कहलवाना चाह तो तम जरा अिन मन म

तरवचार करना कल सबह बठकर कक तम ककतन रिय लकर तरखलाफ बात कहन को राजी--तरसफम तरवचार करना

कोई द भी नही रहा ह तम ल भी नही रह हो तरसफम तरवचार करना--हजार रिया कक दो हजार कक िाच

हजार कक दस हजार जस-जस सखया बड़ी होन लगगी कक तम िाओग रस आन लगा कक िचास हजार तम

कहोग िचास हजार जरा जयादा हो गया िचास हजार न ल जरा मतरशकल हो जाएगा कक लाख तम कहोग

अब छोड़ो भी अब जान दो अब तो ल लो लाख तम जरा दखना कक ककतन रिय--और तमह कोई द नही रहा

ह--तब तम िाओग कक सदरी तमहार भीतर भी तरछिी ह सामानय ह कोई तरवतरशषट बात नही ह

िािी कहकर मत छट जाना नही तो हमारी तरकीब ह य हम कहत ह अर बड़ी महािािी रही होगी

बदध जस वयतरि िर और ऐसा लाछन लगाया महा घोर िािी रही होगी

ऐसा कहकर बच मत जाना यह सामानय मनषय का कतय ह और यह सामानय मनषय सबक भीतर

तरछिा बठा ह यह हो सकता ह कक सबक मलय अलग-अलग कोई िाच रिय म राजी हो जाए--जदास तीस

रिय म राजी हो गया

मगर तीस रिय भी उस कदन क बहत थ खयाल रखना आज क तीस रिय की बात नही ह नगद चादी

थी आज क तीस रिय तो उस जमान क एक रिय क मकाबल भी नही ह उस जमान क तीस रिय बहत थ

एक रिय म जदास क जमान म िरा महीना मज स गजर जाता था शान स गजर जाता था तीस रिय काफी

थ तीस रिय स इतना बयाज तरमल सकता था उन कदनो कक आदमी जजदगीभर मज स जी लता

तो तम तीस रिय िर अिन तीस रिय मत सोचना वह जो नोट तीस रिय तमहार खीस म रहत ह

उनस मत सोचना कक तीस रिय म कस जीसस को बच कदया तम जरा सोचो कक जजदगीभर तरवशराम तरमल

जाए नौकरी इतयाकद की जररत न रही धधा नही करना चल गए माथरान और तरवशराम कर रह ह

जजदगीभर और जरा सा एक झठ बोलना ह चकोग चकोग तो िछताओग तो मन होगा कक बड़ी गलती कर

रह हो

तम जरा तरवचार करना और कभी भी ककसी को जलदी िािी कहकर अिना छटकारा मत कर लना ऐस

लबल लगाकर हम अिन को बचा लत ह सदरी ऐस ही सामानय वयतरि थी जस तम हो जस सब ह आ गयी

होगी धोख म

बदध तो उसका नाम भी नही लत ह व तो इतना ही कहत ह जस ठीक स नही िकड़न स कश हाथ को

ही छद दता ह वस ही ठीक स नही गरहण करन स शरामणय भी नकम म ल जा सकता ह

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कतरयरा च कतरयराथन दलहमन िरककम

तरसतरथलो तरह िररबबाजो तरभययो आककरत रज

यकद परवजया-कमम करना ह--यकद सनयास लना ह तो कफर भलीभातरत ल-- भलीभातरत कर उसम दढ़

िराकरम क साथ लग जाव ढीला-ढाला शरामणय बहत मल व धल तरबखरता ह

उसस तो ससारी भला कम स कम धोखाधड़ी तो नही ह झठा सनयास न ल बदध कहत ह कयोकक झठा

सनयास और भी खतरनाक ह ससारी स भी जयादा खतरनाक

अब थोड़ा समझो अगर यह सदरी िररवरातरजका न होती और वशया होती तो शायद गाव क लोग इतनी

जलदी भरोसा न करत कहत कक अर वशया ह उसकी बात का कया भरोसा दो कौड़ी उसकी कीमत ह उसकी

बात का कया भरोसा यह अगर वशया होती तो कोई इसकी बात का शायद इतनी आसानी स भरोसा न करता

लककन यह शरातरवका थी यह िररवरातरजका थी यह सनयातरसनी थी कफर बदध की ही सनयातरसनी थी अब इसकी

बात तो कस झठलाओ जब यह कहती ह तो ठीक ही कहती होगी लोगो न जलदी भरोसा कर तरलया थी तो

यह सतरी वशया ही नही तो इस तरह राजी हो जाती

वशया का अथम कया होता ह इस शबद िर कभी धयान कदया यह शबद उसी स बनता ह तरजसस वशय

बनता ह वशय का मतलब होता ह--बचकर जीन वाला दकानदार वशया का मतलब होता ह--अिन को

बचकर अिन शरीर को बचकर जीन वाली उसन अिनी आतमा तक बच दी ऐसा झठ बोली जो उसकी आतमा

क तरविरीत था ऐसा झठ बोली जो उसक तरविरीत था तरजसक चरणो म तरसर झकाया था ऐसा झठ बोली जो

उसक तरविरीत था तरजसको भगवान िकारा था यह आतमा बच दना हो गया वशया ही थी मगर ऊिर स वसतर

तो िीत-वसतर थ वसतर तो तरभकषणी क थ वसतर तो िररवरातरजका क थ रग-ढग तो सनयातरसनी का था इसतरलए और

भी आसानी हो गयी

तो बदध कहत ह ढीला-ढाला शरामणय बहत मल व धल तरबखरता ह

नगर यथा िचचत गतत सतरबातरहर

एव गोिथ अततान खणो व मा उिचचगा

खणातीता तरह सोचतरत तरनरयतरमह समतरपिता

जस सीमात का नगर भीतर-बाहर खब रतरकषत होता ह उसी परकार अिन को रतरकषत रख कषणभर भी न

चक कयोकक कषण को चक हए लोग नकम म िड़कर शोक करत ह

बदध कहत ह जस सीमात का नगर ऐसा हो सनयासी

नगर दो तरह क होत ह सीमात का नगर होता ह जस कक िजाब ह तमन कभी सोचा कक िजाबी

इतना मजबत कस हो गया ह सीमात क लोग सदा मजबत हो जात ह सीमात िर रहन वाल लोग सदा कटटर

हो जात ह तरहममतवर हो जात ह मधयदश म रहन वाल लोग ढील-िोल हो जात ह हो ही जात ह कयोकक

वहा कोई खतरा तो आता नही सारा खतरा जब आया तो िजाब जब भी कोई खतरा आए तो िजाब िहली

ही टककर िजाब म तरसकदर आए कक तमर आए कक नाकदर आए कक कोई भी आए आए तो िजाब तो िजाबी

को िहल टककर लनी िड़ तो उस सजग भी रहना िड़ उस जझन क तरलए तयारी भी रखनी िड़ तो अगर वह

बलशाली हो जाए और उसम एक साहस आ जाए आियम नही ह

157

मधयदश म रहन वाला आदमी उस िर झगड़-झझट आत ही नही सरतरकषत ह चारो तरफ स सरतरकषत ह

उस िर खतरा नही आता तो उसम रीढ़ भी िदा नही होती

बदध कहत ह सनयासी सीमात िर जस नगर होता ह ऐसा होना चातरहए

ससारी तो ठीक ह बीच म रहता ह उस िर उतन खतर भी नही ह लककन सनयासी िर खतर जयादा ह

कयोकक उसन वासनाओ स टककर लन का तरनणमय ककया उसन वतरततयो क ऊिर उठन की आकाकषा की वह इस

ससार क िार जान क तरलए अभीपस हआ ह उसन एक बड़ा अतरभयान करना चाहा ह उस िर खतर जयादा ह

सारी वतरततया तरजनक वह िार जाना चाहता ह उस िर हमला करगी लोभ ससारी को उतना नही सताता

तरजतनी तीवरता स सनयासी को सताता ह कयोकक लोभ दखता ह कक तम तरनकल कक तम चल मर हाथ क

बाहर जा कहा रह हो लोभ आतरखरी हमला करता ह

काम ससारी को उतना नही सताता ह तरजतना सनयासी को सताता ह कयोकक काम भी दखता ह कक जा

कहा रह हो महाराज मझ छोड़ चल इतन कदन का साथ ऐस तोड़ चल रको म भी आता ह और बड़ जोर स

हमला करगा सवाभातरवक इतना िराना सगी-साथी ऐस एकदम अचानक रासत म छोड़कर आि चल िड़ िरी

तरजदद स हठ स लगगा झकाएगा सवाभातरवक ह

तो बदध कहत ह सीमात का नगर जस भीतर-बाहर स खब रतरकषत

ऐसा सनयासी हो भीतर-बाहर स खब रतरकषत धयान स रतरकषत शातरत स रतरकषत धयम स रतरकषत शरदधा स

रतरकषत

कषणभर भी न चक

और ऐसा भी न कर कक एकाध कषण चक ग तो कया हजाम ह एक कषण चक तो काफी हो जाता ह कषण म

ही तो सब भल हो जाती ह चौबीस घट जागा रह बदध कहत थ सिन म भी न चक

बदध अिन तरशषयो को ऐसी परककरयाए दत थ तरजनम सिन म भी व जाग रह समझो कक कदन म तो तमन

ककसी तरह समहाल रखा अिन को--सतरी तरनकली तमन आख उठाकर न दखा तम अिनी आख नीच गड़ाए रह

तमन कोई तसवीर न दखी सतरी की कोई कफलम दखन न गए ऐसी जगह स बच जहा आकरषमण हो सकता था

धन न छआ िद की ककसी न बात की तो तमन इकार कर कदया कक भई मझस मत करो म सनयासी तम अिन

को बचा तरलए लककन रात सिन म जब तम सो जाओग तब तब कया होगी रकषा

तो यह तो बाहर स रकषा हो गयी अब भीतर का सवाल ह कदन म तो बाहर थ दशमन--कोई आता था

और कहता था कक महाराज यह एक हीरा मर िास िड़ा ह सोचता ह म कया कर आि ल ल तमन कह

कदया भई म सनयासी ह मन तो डावाडोल हो भी रहा था लककन तमन कहा कक म सनयासी ह म हीरा लकर

कया करगा त अिना हीरा ल जा और दबारा इस तरह की बात मझस मत करना--यह तमन बाहर स तो रकषा

कर ली लककन रात सिन म भीतर स उिदरव शर होगा और तम सोए होओग कफर कया करोग बदध कहत थ

सिन म भी होश रख सोत-सोत होश रख

बदध की परककरया यह थी कक जब तरभकष सोन लग तो एक ही बात धयान म रह सोत समय कक म जागा ह

म दख रहा ह म दख रहा ह और म िहचान रहा ह और म िहचान रहा ह कक यह सब सिना ह और सब झठ

ह ऐसा ही भाव करत-करत रोज सोत-सोत कोई तीन महीन क बाद घटना घटती कक एक रात तम सो जात हो

और तमहार भीतर कछ थोड़ा सा जागा रहता ह सिना आता ह और तमहार भीतर कोई बोलता ह धीम स कक

सिना ह सावधान

158

जो बात तम तीन महीन तक अिन चतन म दोहरात रह वह धीर-धीर-धीर ररस-ररसकर अचतन म

िहच जाती ह और जब अचतन म िहच जाती ह तो कफर काम शर हो जाता ह जब भीतर और बाहर दोनो

स कोई सरतरकषत हो जाता ह तभी सनयासी हो िाता ह

कषणभर भी न चक कयोकक कषण को चक हए लोग नकम म िड़कर शोक करत ह

अलतरजजता य लजजतरत लतरजजता य न लजजर

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

लजजा न करन की बात म जो लतरजजत होत ह और लजजा करन की बात म लतरजजत नही होत व लोग

तरमथया-दतरषट को गरहण करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

और बदध कहत ह लजजा तरजस बात की करनी चातरहए लोग उसकी तो लजजा नही करत और तरजसकी

लजजा नही करनी चातरहए उसकी लजजा करत ह

अब जस तमहारी यह कफकर नही होती कक म झठ न बोल तमहारी यह कफकर होती ह कक ककसी को यह

िता न चल कक म झठ बोला यह बड़ी अजीब सी बात ह तमहारी यह जचता नही होती कक म झठ न बोल--

वही असली बात ह तरजसकी लजजा होनी चातरहए--तमहारी इतनी ही कफकर होती ह कक ककसी को िता न चल

कक म झठ बोला बस िकड़ जाओ तो लतरजजत होत हो करत वि लतरजजत नही होत िकड़ जात वि लतरजजत

होत हो

लतरजजत ही होना हो तो बदध कहत ह करत वि लतरजजत होओ तो िकड़न की बात ही न उठ िकड़न का

मौका ही न आए जाग तो उस वि जब ऐसा कछ तम कर रह हो जो गलत ह असमयक ह

लककन लोग उसम लतरजजत नही होत लोग लतरजजत तब होत ह जब िकड़ जात ह िकड़ भी जात ह तो

भी तरछिान की कोतरशश करत ह सब तरह की लाग-लिट करत ह सब तरह का आयोजन करत ह वकील खड़

करत ह कक नही ऐसा हमन ककया नही ऐसा हम करना नही चाहत थ अगर हो भी गया हो तो अनजान हआ

होगा चाहकर नही हआ ह ऐसा हमारा अतरभपराय न था ऐसी हमारी मनोवतरतत न थी--हजार तकम खोजत ह

लतरजजत उस बात स होत ह तरजसस नही होना चातरहए

तो तरभकषओ को उनहोन कहा लतरजजत वही हो जाना जहा स कतय शर होता ह वही सजग हो जाना

अभय च भयदतरससनो भय च अभयदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

भय न करन की बात म जो भय करत ह और भय करन की बात म भय नही करत व लोग तरमथया-दतरषट

को गरहण करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

भय उस बात का करना तरजसक कारण तमहारी जीवन चतना खोती हो भय उस बात का करना तरजसस

तमहारी मल सिदा नषट होती हो भय उस बात का करना तरजसस तम ओछ और छोट और सकीणम होत हो और

ककसी बात का भय मत करना लोग कया कहत ह इसका भय मत करना लोग कया कहत ह लोग जान वह

लोगो की समसया ह

159

इस बात की जचता मत करना कक लोगो का मतवय कया ह तमहार सबध म तम इसी बात की जचता

करना कक तमहारा मतवय कया ह तमहार सबध म तम अिन सबध म कया सोचत हो अगर तम अिनी आखो क

सामन उजजवल हो तो सारी दतरनया तमह कछ भी कह तम जचता मत करना सतय घोरषणा का उिाय खोज

लगा अगर तम अिनी ही आखो म उजजवल नही हो तो दतरनया तमह ककतना ही िजती रह उसस कछ सार

नही असतय आज नही कल खल जाएगा असतय वही ह जो आज नही कल खल जाएगा और सतय वही ह जो

आज नही कल उदघोतररषत होगा परतरततरित होगा सतय की परतरतिा ह असतय की अपरतरतिा ह

यह भी बदध न अिन तरभकषओ स कहा सदरी का नाम भी नही तरलया वह बात ही नही उठायी उस बात

को जस छड़ा ही नही वह बात आयी और गयी

बदध की यह दतरषट जीवन की समसयाओ को हल करन की ह खयाल रखना यह सतय िर भरोसा ह यह

सतय क परतरत अिवम शरदधा ह सतय जीतगा ही अनयथा कभी हआ नही अनयथा हो नही सकता सतयमव जयत

एस धममो सनतनो

आज इतना ही

160

एस धममो सनतनो भाग 10

तरननयानव परवचन

एकमाि साधना--सहजता

िहला परशनः महावीर और गौतम बदध समकालीन थ आिक परवचनो स सिषट हो रहा ह कक दोनो बात भी

एक ही कहत थ लककन दोनो क तरशषय आिस म तरववाद और झगड़ भी करत थ उनक जान क बाद उनक

अनयातरययो क बीच जहसा और यदध भी हए लककन यकद महावीर और बदध न कहा होता कक हम एक ही धमम

की बात करत ह भद तरसफम िदधतरत का ह तो इतनी शिता नही बढ़ती और दोनो धमो की जो कषतरत हई वह न

होती किािवमक समझाए

िछा ह अमत बोतरधधमम न

िहली बात महावीर और बदध क समय म मनषय की चतना ऐसी नही थी कक इतन तरवराट समनवय को

समझ िाए आज भी चतना ऐसी हो गयी ह कहना करठन ह आज लककन िहली ककरण मनषय की चतना म

उतर रही ह आज जो सभव हआ ह िचचीस सौ वरषम िहल सभव नही था आज म तमस कह सकता ह कक

बाइतरबल वही कहती ह जो गीता कहती ह आज म तमस कह सकता ह कक बदध वही कहत ह जो महावीर कहत

ह और कछ लोग थोड़ स लोग िथवी िर तयार भी हो गए ह इस बात को समझन और सनन को

उस कदन यह बात सभव नही थी उस कदन तो जो महावीर को सनता था उसन बदध को सना नही था

जो बदध को सनता था उसन महावीर को सना नही था तरजसन गीता िढ़ी थी उसन भलकर धममिद नही िढ़ा

था जो वद म रस लता था उसन कभी भलकर ताओ तह ककग म रस नही तरलया था लोग छोट-छोट घरो म

थ एक-दसर स तरबलकल अिररतरचत थ

इस सदी की जो सबस बड़ी खबी ह वह यही ह कक सब शासतर सभी को उिलबध हो गए ह और लोग

एक-दसर को समझन म उतसक भी हए ह थोड़ समथम भी हए ह सभी लोग हो गए ह ऐसा भी म नही कह

रहा ह कयोकक सभी लोग समसामतरयक नही ह

अगर िना म जाकर खोजो तो कछ होग जो दो हजार साल िहल रहत ह अभी भी कछ होग जो िाच

हजार साल िहल रहत ह अभी भी कछ ह तरजनहोन कक अभी गफाए छोड़ी ही नही कछ थोड़ स लोग अभी रह

रह ह व समझ सकत ह और कछ थोड़ स लोग ऐस भी ह जो कल क ह आन वाल कल क ह उनको बात

तरबलकल साफ हो सकती ह

मनषय तरवकतरसत हआ ह मनषय की चतना बड़ी हई ह बीच की सीमाए टटी ह बीच की दीवाल तरगरी

ह तो जो म कर रहा ह यह िहल सभव नही था बदध और महावीर न भी चाहा होगा--म तरनतरित कहता ह

कक चाहा होगा न चाहा हो ऐसा हो ही नही सकता--लककन यह सभव नही था छोट बचच को तम

तरवशवतरवदयालय की तरशकषा द भी नही सकत उस तो िहल सकल ही भजना िड़गा छोटी िाठशाला स ही शर

करना िड़गा और जो िाठशाला म तरसखाया ह उसम स बहत कछ ऐसा ह जो तरवशवतरवदयालय म जाकर गलत

हो जाएगा उसम बहत कछ ऐसा ह तरजसम तरवशवतरवदयालय म जाकर िता चलगा कक इस तरसखान की जररत ही

कया थी लककन उस भी तरसखाना जररी था अनयथा तरवशवतरवदयालय तक िहचना मतरशकल हो जाता

161

तो िहली तो बात यह खयाल रखो कक मनषय की चतना का तल िररवरतमत होता ह--गतरतमान ह

गतयातमक ह तो जो एक कदन सभव होता ह वह हर कदन सभव नही होता जो म तमस कह रहा ह यही बात

अभी चीन म नही कही जा सकती ह यही बात रस म नही कही जा सकती ह जो म तमस कह रहा ह यही

बात मोहममद अगर चाहत भी अरब म आज स चौदह सौ साल िहल कहना तो नही कह सकत थ वहा सनन

वाला कोई न था वहा समझन वाला कोई न था

और बहत सी बात ह जो म तमस कहना चाहता ह और नही कह रहा ह कयोकक तम नही समझोग

कभी-कभी उसम स कोई बात कह दता ह तो ततकषण अड़चन हो जाती ह कभी-कभी कोतरशश करता ह कछ

तमस कहन की जो तम नही समझोग भतरवषय समझगा लककन जब तमस ऐसी कोई बात कहता ह तभी म

िाता ह कक तम बचन हो गए तम िरशान हो गए जो तमहारी समझ म नही आता उसस िरशानी बढ़गी

घटगी नही तम उसक िकष म तो हो ही नही सकत--वह समझ म ही नही आता तो िकष म कस होओग तम

उसक तरविरीत हो जाओग तम उसक दशमन हो जाओग

तो बदध न और महावीर न जरर कहना चाहा होगा कक हम जो कहत ह एक ही बात कहत ह--उस बात

म कछ भद था भी नही भारषा का भद था परतयय का भद था धारणा का भद था अलग-अलग कहन क ढग का

भद था अलग-अलग मागम स िहच थ व एक ही मतरजल िर

और तमहारी बात सच ह कक अगर बदध और महावीर न कह कदया होता तो दोनो धमो की हातरन न

होती यह बात थोड़ी सच ह अगर यह कहा जा सकता होता--कहा नही जा सकता था कयोकक सनन वाला

कोई न था समझन वाला कोई न था--अगर यह कहा जा सकता तो धमो की इतनी हातरन न होती यह भी सच

लककन यह कहन की घटना तो दो िर तरनभमर होती ह--कहन वाल िर और सनन वाल िर तम तरसफम बदध

की याद मत करो महावीर की याद मत करो सनन वाल को भी खयाल म रखो कयोकक आकाश स नही बोला

जाता ह शनय स नही बोला जाता ह तरजसस हम बोल रह ह उसको दखना िड़ता ह उस इच-इच सरकाना

होता ह उस एक-एक कदम बढ़ाना होता ह उसस बहत दर की बात कह दो वह थककर बठ जाता ह वह

घबड़ा जाता ह वह कहता ह यह मर बस की नही ह इतन दर न म जा सकगा न म जाना चाहता ह इतन

दर उस तो एक इच बढ़ाना होता ह एक इच तरहममत करक बढ़ जाता ह तो कफर और एक इच आग बढ़न की

कषमता आ जाती ह उस बहत दर की बात नही कही जा सकती और तरजस मतरजल को उसन जाना नही ह उस

मतरजल की भी बात नही कही जा सकती

अगर बदध और महावीर न सनन वालो की कफकर ककए तरबना ऐसा कह कदया होता कक हम जो कहत ह

एक ही ह तो तरसफम तरवभम बढ़ता लोग और उलझन म िड़ जात तब व सोचन लगत अगर दोनो एक ही बात

कहत ह तो कहत कया ह

तो महावीर को तो यही कहना िड़ा कक जो म कहता ह वही सच ह और बदध को भी यही कहना िड़ा

कक जो म कहता ह वही सच ह इसस अनयथा जो कहता ह गलत ह और जानत हए कहना िड़ा कक अनयथा

भी कहा जा सकता ह

लककन तम ऐसा समझो कक तम एक एलोिथ डाकटर क िास तरचककतसा क तरलए गए और तम उसस िछो

कक आयवकदक वदय कछ और कहता ह वह कोई और दवा सझाता ह और होतरमयोिथी का डाकटर कछ और

दवा सझाता ह और नचरोिथी का डाकटर कहता ह दवा की जररत ही नही ह िानी म बठ रहन स और तरमटटी

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की िटटी चढ़ान स सब ठीक हो जाएगा उिवास करन स सब ठीक हो जाएगा--कया य सभी ठीक कहत ह

अगर एलोिथी का डाकटर तमस कह द कक सभी ठीक ह एक ही तरफ िहचन क अलग-अलग रासत ह और

यही होतरमयोिथी का डाकटर भी कह द और यही आयवद का डाकटर भी कह द और यही नचरोिथ कह द तो

तम बड़ी उलझन म िड़ जाओग तम तब कहोग कहा जाए ककस की सन ककस की मान

सभी ठीक कहत ह ऐसी बात सनकर इसकी बहत कम सभावना ह कक तमहार जीवन म कछ लाभ हो

शायद नकसान हो जाए कयोकक तम आए थ कही स दढ़ तरनिय की तलाश म तम चाहत थ कोई आदमी जोर

स टबल िीटकर कह कक जो म कहता ह यही ठीक ह तम सदह स भर हो तम शरदधा खोज रह हो तमह ऐसा

आदमी चातरहए तरजसकी भारषा तरजसकी आवाज तरजसका दढ़ तरनिय तम म यह भरोसा जगा द कक हा यहा

रहन स कछ हो जाएगा वह कह कक यह भी ठीक ह वह भी ठीक ह चाह यहा रहो चाह वहा रहो सब जगह

स िहच जाओग सब रासत वही िहचा दत ह तो बहत सभावना यह ह कक तम ककसी भी रासत िर न चलो

बहत सभावना यह ह कक तम बहत तरवभतरमत हो जाओ कयोकक बड़ी अलग भारषाए ह बदध और महावीर की

महावीर कहत ह आतमा को जानना जञान ह और बदध कहत ह आतमा को मानन स बड़ा कोई अजञान

नही अब दोनो ठीक ह अगर यह और साथ म जड़ा हो कक महावीर कहत हो म भी ठीक बदध भी ठीक और

बदध कहत हो म भी ठीक और महावीर भी ठीक तम जरा उस आदमी की सोचो उस िर कया गजरगी जो सन

रहा ह आतमा को जानना सबस बड़ा जञान और आतमा को मानना सबस बड़ा अजञान य दोनो ही अगर ठीक ह

तो सनन वाल को यही लगगा कक दोनो िागल ह बजाय इनक िीछ जान क इनक साथ खड़ होन क वह

इनको नमसकार कर लगा वह कहगा तो आि दोनो ठीक रहो म चला म कही और खोज जहा कोई बात ढग

की कही जाती हो शदध तकम की कही जाती हो समझ म िड़न वाली कही जाती हो लोग गतरणत की तरह

सफाई चाहत ह

इसी कारण महावीर को बहत अनयायी नही तरमल कयोकक महावीर न थोड़ी सी तरहममत की बदध स

जयादा तरहममत की बदध को जयादा अनयायी तरमल बदध न उतनी तरहममत नही की यह तम चौकोग सनकर

महावीर न बड़ी तरहममत की ह उसी तरहममत का नाम ह--सयातवाद अनकातवाद

महावीर स कोई िछता ईशवर ह महावीर कहत ह भी नही भी ह दोनो भी सच ह दोनो गलत भी ह

इसका नाम ह सयातवाद कयोकक महावीर कहत ह परतयक बात को कहन क बहत ढग हो सकत ह जो बात ह

क माधयम स कही जा सकती ह वही नही ह क माधयम स भी कही जा सकती ह नकार और तरवधय दोनो एक

ही बात को कहन म उियोग म लाए जा सकत ह दोनो एक साथ भी उियोग म लाए जा सकत ह और दोनो

का एक साथ इनकार भी ककया जा सकता ह

तरजसन भी महावीर को सना उसक िर डगमगा गए उसन कहा सयातवाद हम आए ह शरदधा की तलाश

म तरमलता ह सयात--यह भी ठीक हो सयात वह भी ठीक हो लोग सदह स िीतरड़त ह सयात स उनकी ततरपत न

होगी

इसतरलए महावीर को बहत अनयायी नही तरमल ककतन इन-तरगन जन ह उनकी सखया कछ बड़ी नही

हई और जन-धमम जहदसतान क बाहर नही िहच सका इसम जन-धमम की करठनाई और जहदसतान की गररमा

दोनो तरछिी ह जन-धमम जहदसतान क बाहर नही िहच सका कयोकक जहदसतान म ही जहदसतान जस तरवकतरसत

दश म उस कदन थोड़ स लोग तरमल जो महावीर को समझ सक जहदसतान क बाहर तो व एक आदमी भी नही

िा सक जो महावीर को समझ सक

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इसतरलए जहदसतान क बाहर महावीर को अनयायी नही तरमल नही कक जन नही गए जन-मतरन गए--

तरमशर गए अरब गए तरतबबत गए परमाण ह उसक इतरजपत तक जान क जन-मतरन क परमाण ह अगरजी म तमन

शबद सना होगा--तरजमनोसोकफसट वह जनो का नाम ह तरजमनो जन स बना जन-दाशमतरनक तरजमनोसोकफसट का

मतलब होता ह जन-दरषटा ठीक तरमशर क मधय तक जन-मतरन गया लककन कोई समझन वाला न तरमला बदध को

समझन वाल लोग िर एतरशया म तरमल गए िाठ इतना करठन नही था िाठ सरल था सगम था

कफर जन-मतरनयो की एक और तरजदद थी कक िाठ को जरा-भी तरमतरशरत नही होन दग शदध का शदध रखग

वह तरजदद भी मतरशकल म डाल दी बदध क तरभकषओ म ऐसी तरजदद नही थी तरतबबत म गए तो उनहोन तरतबबत म

समझौता कर तरलया तरतबबत म जो चलता था उसस समझौता कर तरलया चीन म गए तो चीन म जो चलता

था उसस समझौता कर तरलया कोररया गए जािान गए जहा गए वहा जो चलता था उसस समझौता कर

तरलया बदध की भारषा को और वहा की भारषा को तालमल तरबठा कदया बदध-धमम फला खब फला सारा एतरशया

बौदध हो गया

दोनो एक साथ थ--महावीर और बदध--दोनो एक ही अनभव को उिलबध हए महावीर क इन-तरगन

अनयायी रह गए उगतरलयो िर तरगन जा सक --अब भी िचचीस सौ साल क बाद सखया कोई जयादा नही ह

िचचीस-तीस लाख यह कोई सखया हई िचचीस-तीस िररवार अगर महावीर स दीतरकषत होत तो अब तक उनक

बचच िदा होत-होत िचचीस-तीस लाख हो जात बहत थोड़ स लोग महावीर म उतसक हए नही कक महावीर की

बात गलत थी महावीर जरा आग की बात कह रह थ दर की बात कह रह थ बदध का िाठ सरल ह जयादा

लोगो को समझ म आया

लककन इतनी तरहममत तो दोनो म स कोई भी नही कर सका कक--महावीर भी नही कर सक और बदध भी-

-कक महावीर न कहा होता कक बदध जो कहत ह ठीक कहत ह वसा ही ह जसा म कहता ह न बदध कह सक

दोनो म परतरतसिधाम सीधी-सीधी थी और यह कहन स बड़ा तरवभम फलता इसस लोग और उलझन म िड़ जात

लोगो को सहारा दना ह उलझाना नही ह

तो तमहारा परशन तो ठीक ह बहत सी झझट बच जाती अगर दोनो न एक ही मच स बठकर कह कदया

होता कक हम दोनो एक ही बात कहत ह--बहत सी झझट बच जाती लककन बहत स लाभ भी रक जात झझट

बच जाती झगड़ा खड़ा न होता और लाभ रक जाता कयोकक कोई चलता ही नही झगड़ा करन वाला िीछ

खड़ा ही नही होता कोई चलता ही नही इस बात िर

इस मनषय क मन की एक बतरनयादी जररत ह कक यह शरदधा की तलाश करता ह यह कछ ऐसी बात

चाहता ह तरजसको सतरनतरित मन स गरहण कर सक तरजसम जरा सदह न हो तरजसको यह पराणिण स सवीकार

कर सक यह भरोसा माग रहा ह यह कहता ह तम ऐसी बात कह दो दो-टक जस दो और दो चार होत ह

धधली-धधली बात मत कहो उलझी-उलझी बात मत कहो धआ-धआ बात मत कहो साफ कह दो लिट की

तरह धए स शनय थोड़ी सी कह दो मगर साफ कह दो तरजस म समहालकर रख ल अिन हदय म और तरजसक

सहार म चल िड मझ तरनणमय लना ह

आदमी को तरनणमय लना ह तरनणमय तभी तरलया जा सकता ह जब तरनिय हो तरनिय क तरबना तरनणमय नही

होगा तो तरनणामयक बात कह दो इसतरलए बदध और महावीर जानत हए भी ऐसा नही कह कक जो म कहता ह

वही बदध कहत ह जो बदध कहत ह वही म कहता ह य दोनो साथ-साथ जीतरवत थ एक ही इलाक म घमत थ--

तरबहार को दोनो न ितरवि ककया--आज महावीर ह इस गाव म उनक जान क बाद दसर कदन बदध आ गए ह

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एक चौमासा महावीर का हआ ह दसरा चौमासा उसी गाव म बदध का हआ ह व ही लोग जो महावीर को सन

रह ह व ही लोग बदध को सन रह ह इनम अतरनिय िदा न हो जाए इसतरलए दोनो यह जानत हए भी कक जो

व कह रह ह एक ही ह

लककन यह एक ही उनक तरलए ह जो िहच गए यह एक उनक तरलए ह जो तरशखर िर खड़ होकर दखग

उनक तरलए सार िहाड़ िर आत हए रासत एक ही तरशखर िर ला रह ह--िरब स आता ह ितरिम स दतरकषण स

कछ फकम नही िड़ता रतरगसतान म होकर आता ह कक हर मरदयानो म होकर आता ह झरनो क िास स गजरता

ह रासता कक सखा जहा कोई झरन नही ऐसा िहाड़ क रासत स आता ह रासता कोई फकम नही िड़ता सभी

तरशखर िर िहच जात ह

तरशखर िर खड़ा हो तो यह समझ म आ सकता ह या घाटी म भी िड़ा हो लककन बतरदध इतनी परखर हो

गयी हो साफ हो गयी हो जचतन-मनन परगाढ़ हो गया हो समनवय की कषमता तरविरीत म भी उसी को दख

लन की कला आ गयी हो तो शायद घाटी म िड़ हए आदमी को भी समझ म आ जाए

जो उस कदन कवल तरशखर िर िहच हए लोगो को सभव था वह आज िचचीस सौ साल क बाद घाटी म

भी कहा जा सकता ह इसीतरलए म कह रहा ह जो म कह रहा ह यह बदध न भी कहना चाहा होता--बदध तड़फ

होग यह कहन को नही कह सक म भी कछ बात कहन को तड़फता ह वह िचचीस सौ साल बाद कोई कहगा

कयोकक म तमस कहगा तो तम नाराज हो जाओग मझस ककतन लोग नाराज ह कछ ऐसी ही बातो स नाराज

ह जो व नही सनना चाहत थ तरजनकी सनन की कषमता अभी नही थी वह मन कह दी

थोड़ी बात तो कहनी ही िड़गी नही तो तम आग बढ़ोग ही नही सारी बात नही कह सकता ह कयोकक

अनतकाल िड़ा ह इस अनतकाल म आदमी न मालम ककतनी-ककतनी नयी तरवभाओ म नयी कदशाओ म तरवकास

करगा जब नयी चतना अवतररत होन लगगी तो नयी बात कहना सभव हो जाएगा

शिता बच सकती थी जन और बौदध आिस म न लड़त यह हो सकता था लककन यह बड़ी कीमत िर

होता कीमत यह होती कक न कोई जन होता न कोई बौदध होता झगड़ का सवाल ही न था झगड़ा तो तब हो

न जब कोई बौदध हो जाए और कोई जन हो जाए झगड़ा भी तरनिय का िररणाम ह जब एक आदमी तरनिय स

मान लता ह कक महावीर ठीक ह और दसरा आदमी तरनिय स मान लता कक बदध ठीक ह तो उनक बीच कलह

शर होती ह तो तरववाद शर होता ह

तो लाभ भी न होता हातरन भी न होती अगर ऐसा ही था तो कफर यही उतरचत था जो हआ--हातरन भला

हो जाए कछ लाभ तो हो और जो लड़-झगड़ व ककसी और बहान स लड़त-झगड़त खयाल रखना झगड़ना

तरजनह ह उनको बहानो भर का फकम ह व ककसी और बहान स लड़त-झगड़त लड़न वाल की लड़ाई इतनी

आसानी स हटन वाली नही ह वह नए बहान खोज लता ह

तमन दखा जहदसतान गलाम था जहद-मसलमान झगड़त थ झगड़ा टल जहदसतान-िाककसतान बट गए

सोचा था बाटन वालो न कक इस तरह यह झगड़ा टल जाएगा--दोनो को दश तरमल गए अब तो कोई झगड़ा

नही ह अब तो बात खतम हो गयी मसलमान शातरत स रहग जहद शातरत स रहग लककन रह शातरत स तब

बगाली मसलमान िजाबी मसलमान स लड़न लगा तब गजराती महारातरषटरयन स लड़न लगा तब जहदी बोलन

वाला गर-जहदी बोलन वाल जहद स लड़न लगा

य िहल न लड़ थ कभी तमन खयाल ककया जब तक जहद-मसलमान लड़ रह थ तब तक गजराती और

मराठी नही लड़ रह थ तब तक जहदी और ततरमल नही लड़ रह थ तब तक बगाली मसलमान और िजाबी

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मसलमान म गहरा भाईचारा था--दोनो मसलमान थ लड़न की बात ही कहा थी दोनो को जहद स लड़ना था

दोनो इकटठ थ जहद भी इकटठ थ--मसलमान स लड़ना था

अब मसलमान तो कट गया मसलमान का िाककसतान हो गया जहद का जहदसतान हो गया अब ककसस

लड़ और लड़न वाली बतरदध तो वही ह वही क वही ह लड़ना तो िड़गा ही नए बहान खोजन िड़ग तो

बगाल कट गया िाककसतान स भयकर यदध हआ जहद-मसलमान भी इस बरी तरह कभी न लड़ थ जस

मसलमान-मसलमान लड़

और इन बीस-तीस सालो म जहद हजार ढग स लड़ रह ह ककसस लड़ रह हो अब अब कोई भी छोटा

बहाना कक एक तरजला महाराषटर म रह कक मसर म रह बस ियामपत ह झगड़ क तरलए छरबाजी हो जाएगी कक

बबई राजधानी महाराषटर की बन कक गजरात की छरबाजी हो जाएगी कक इस दश की भारषा कौन हो--जहदी

हो कक ततरमल हो कक बगाली हो--कक बस झगड़ा शर और तम यह मत सोचना कक यह झगड़ा ऐसा आसान

ह इसको तरनिटा दो--जहदी-भातररषयो का एक परात बना दो कक चलो सार जहदी-भातररषयो का एक परात सार गर-

जहदी भातररषयो का दसरा परात--तम िाओग जहदी-भारषी आिस म लड़न लग कयोकक उसम भी कई बोतरलया ह

बरज भारषा ह और मगधी ह और बदलखडी ह और छततीसगढ़ी ह झगड़ शर

आदमी को लड़ना ह तो वह नए बहान खोज लगा लड़ना ही ह तो कोई भी तरनतरमतत काम दता ह

तो म तमस यह कहना चाहता ह तरजनह लड़ना था व तो लड़त ही इसतरलए उनको धयान म रखकर

तरजनको लाभ हो सकता ह उनका लाभ न हो यह कोई तरहतकर बात न होती

तो बदध-महावीर न तरजनका लाभ हो सकता था उनको िकारा तरजनको तरनिय तरमल सकता था उनको

िकारा तरजनको शरदधा जम सकती थी उनको िकारा और उनस कहा कक यही मागम ह बस यही मागम ह ताकक

व अटट भाव स परगाढ़ भाव स सलगन हो जाए उनक मन म कोई दतरवधा न रह कक दसरा भी कोई मागम हो

सकता ह कछ लोग िहच कछ लोग महावीर क मागम स िहच कछ लोग बदध क मागम स िहच

हा बहत लड़त रह यह लड़न वालो की कफकर ही छोड़ दो य लड़त ही रहत य महावीर-बदध क नाम स

न लड़त ककसी और नाम स लड़त इनह लड़ना ही ह

लककन आज हालत बदली ह आज हवा बदली ह आज दतरनया बहतर जगह म ह दतरनया तरसकड़ गयी ह

तरवजञान न बड़ी छोटी कर दी दतरनया अब लोग बाइतरबल भी िढ़त ह गीता भी िढ़त ह धममिद भी िढ़त ह

अब म यहा धममिद िर बोल रहा ह महीनो स तो कोई ऐसा थोड़ ही ह कक बदध को मानन वाल ही मझ सन

रह ह जहद भी सन रहा ह जन भी सन रहा ह मसलमान भी सन रहा ह ईसाई भी सन रहा ह यह सभव

नही था अतीत म यह िहली दफा घटना सभव हो रही ह दतरनया करीब आयी ह भाईचारा बढ़ा ह और

लोगो की कषदर सीमाए थोड़ी टटी ह

सभी की टट गयी ऐसा भी नही कह रहा ह तरजनकी टट गयी ह व भतरवषय क मातरलक ह तरजनकी टट

गयी ह व भतरवषय क िि ह जो समय क िहल आ गए ह उनक हाथ स भतरवषय का तरनमामण होगा व ही थोड़ स

लोग भतरवषय क तरनमामता ह बाकी तो अतीत क अधर म सरक रह ह उनका कोई मलय नही ह तरजनको भतरवषय

की थोड़ी समझ ह तरजनकी चतना म थोड़ा परकाश हआ ह उनको एक बात कदखायी िड़नी शर हो गयी ह कक

यह िथवी एक ह आदमी आदमी एक ह--न गोरा और काला अलग ह न जहद-मसलमान अलग ह न बराहमण-

शदर अलग ह--हम सब एक इकटठी मानवता ह और मनषय की सारी धरोहर हमारी धरोहर ह कषण हो कक

166

कराइसट और जरथसतर हो कक महावीर और बदध हो कक सरहा सब हमार ह और हम सबको आतमसात कर

लना ह हम सबको िी लना ह

और आज एक ऐसी सभावना बन रही ह कक इतनी बात कहन िर कक सभी ठीक ह लोग तरवभतरमत नही

होग सच तो यह ह कक अब लोग इसी क माधयम स गतरत कर सकत ह अब तो यह बात ही जानकर भम िदा

होता ह कक महावीर ठीक और बदध गलत कषण ठीक और कराइसट गलत अब तो अगर कषण गलत ह तो कराइसट

क मानन वाल को भी शक होता ह--अगर कषण गलत ह तो कफर कराइसट कस सही होग कयोकक बात तो करीब-

करीब एक ही कहत ह अगर महावीर गलत ह तो कफर बदध भी सही नही हो सकत यह आज बौदध क मन म

भी सवाल उठन लगा ह यह सवाल कभी नही उठता था

अब ऐसा समझो कक महावीर ह कषण ह कराइसट ह मसा ह जरथसतर ह कबीर ह नानक ह लाखो

सतिररष हए इनम स बस तम तरजसको मानत हो वही सही ह और शरष सब गलत ह जरा सोचो इस बात का

अथम कया होगा तम नानक को मानत हो बस नानक सही ह और सब गलत ह आज एक नयी शका िदा

होगी--अगर और सब गलत ह तो बहत सभावना इसकी ह कक नानक भी गलत हो तरननयानब गलत ह और

तरसफम नानक सही ह और जो तरननयानब गलत ह व नानक जसी ही बात कहत ह अब तो अगर नानक को भी

सही होना ह तो बाकी तरननयानब को भी सही होना िड़गा यह एक नयी घटना ह

िरान कदनो म बात उलटी थी अगर नानक को सही होना था तो तरननयानब को गलत होना जररी था

तभी लोग मदबतरदध सकीणमबतरदध लोग चल सकत थ आज हालत ठीक उलटी ह िरा चाक घम गया आज

हालत यह ह अगर नानक को सही होना ह तो कबीर को भी सही होना ह तो लाओतस को भी सही होना ह

तो बोकोज को भी सही होना ह तो दतरनया म जहा-जहा सत हए--ककसी रगरि क ककसी ढग क ककसी भारषा

ककसी शली क--उन सब को सही होना ह तो ही नानक भी सही हो सकत ह अब नानक अकल खड़ होना चाह

तो खड़ न हो सक ग अब तो सब क साथ ही खड़ हो सकत ह

मनषय की तरबरादरी बड़ी हई ह एक नया आकाश सामन खला ह जस तरवजञान एक ह ऐस ही भतरवषय म

धमम भी एक ही होगा एक का मतलब यह होता ह कक जब दो और दो चार होत ह कही भी--चाह तरतबबत म

जोड़ो चाह चीन म जोड़ो चाह जहदसतान म चाह िाककसतान म--जब दो और दो चार ही होत ह िानी को

कही भी गरम करो भाि बनता ह--चाह अमरीका म चाह अफरीका म चाह आसटरतरलया म--सौ तरडगरी िर भाि

बनता ह कही भी ना-नच नही करता यह नही कहता कक यह आसटरतरलया ह छोड़ो जी यहा हम तरननयानब

तरडगरी िर भाि बनग अगर परकतरत क तरनयम सब तरफ एक ह तो िरमातमा क तरनयम अलग-अलग कस हो

जाएग अगर बाहर क तरनयम एक ह तो भीतर क तरनयम भी एक ही होग

तरवजञान न िहली भतरमका रख दी ह तरवजञान एक ह अब जहदओ की कोई कतरमसटरी और मसलमानो की

कतरमसटरी तो नही होती कतरमसटरी तो बस कतरमसटरी होती ह और कफतरजकस ईसाइयो की अलग और जनो की

अलग ऐसा तो नही होता ऐसा होता था िरान कदनो म तम चककत होओग जानकर जनो की अलग भगोल

ह बौदधो की अलग भगोल ह भगोल कछ तो अकल लगाओ भगोल अलग-अलग मगर वह भगोल ही और

थी उस भगोल म सवगम-नको का तरहसाब था इस जमीन की तो भगोल थी नही वह इस जमीन की भगोल का

तो कछ िता ही न था वह भगोल कालितरनक थी सात सवगम ह ककसी क भगोल म ककसी क भगोल म तीन

सवगम ह ककसी क भगोल म और जयादा सवगम ह ककसी क भगोल म सात नकम ह कही सात सौ नकम ह कलिना

का जगत था वह नकश तयार ककए थ मगर सब कलिना का जाल था तो भगोल अलग-अलग थ

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लककन यह भगोल कस अलग हो यह वासततरवक भगोल कस अलग हो यह तो एक ह अगर यह एक ह

तो अतजमगत का भगोल भी अलग-अलग नही हो सकता मनोतरवजञान उसक ितथर रख रहा ह बतरनयाद रख

रहा ह जस मनषय क शरीर क तरनयम एक ह वस ही मनषय क मन क तरनयम एक ह और वस ही मनषय की

आतमा क तरनयम भी एक ह अभी सभावना बननी शर हई कक हम उस एक तरवजञान को खोज ल उस एक

शाशवत तरनयम को खोज ल

अतीत म जो कहा गया ह वह उसी की तरफ इशारा ह लककन इतना साफ नही था तरजतना आज हो

सकता ह मनषय इस भातरत कभी तयार न था तरजस भातरत अब तयार ह भतरवषय का धमम एक होगा भतरवषय म

जहद-मसलमान-ईसाई नही होग भतरवषय म धारममक होग और अधारममक होग

कफर धमम की शतरलया अलग हो सकती ह ककसी को रतरचकर लगता ह पराथमना तो रतरच स पराथमना कर

लककन इसस कछ झगड़ा नही ह ककसी को रतरचकर लगता ह धयान तो धयान कर और ककसी को मकदर क

सथाितय म लगाव ह तो मकदर जाए और ककसी को मतरसजद की बनावट म रतरच ह और मतरसजद क मीनार मन

को मोहत ह तो मतरसजद जाए लककन यह धमम स इसका कोई सबध नही ह सथाितय स सबध ह सौदयम-बोध

स सबध ह

तम अिना मकान एक ढग स बनात हो म अिना मकान एक ढग स बनाता ह इसस कोई झगड़ा तो

खड़ा नही होता म अिन भगवान का मकान एक ढग स बनाता ह तम अिन भगवान का मकान एक ढग स

बनात हो इसस झगड़ा खड़ा कयो हो म अिना मकान बनाता ह गोल तम चौकोन इसस कोई झगड़ा खड़ा

नही होता झगड़ की जररत ही नही तमहारी िसद अलग मरी िसद अलग हम दोनो जानत ह कक मकान का

परयोजन एक कक म इस गोल मकान म रहगा तम उस चौकोन मकान म रहोग रहन क तरलए मकान बनात ह

इतनी सवतिता तो होनी ही चातरहए कक तरजसको जसी मजी हो वसा मकान बना ल िरान ढग का

बनाए नए ढग का बनाए पराचीन शली का बनाए कक कोई नयी शली खोज छपिर ऊचा रख कक नीचा

बगीचा लगाए कक न लगाए िौधो का बगीचा लगाए कक रत ही फला द अिनी मौज इसम हम झगड़ा नही

करत न हम यह कहत ह कक तम तरतरछ मकान म रहत तम गोल मकान म रहत म चौकोर मकान म रहता

हम अलग-अलग ह हम म झगड़ा होगा हमार तरसदधात अलग ह

इसस जयादा भद मकदर-मतरसजद म भी नही ह अिनी-अिनी मौज मतरसजद भी बड़ी पयारी ह जरा जहद

की आख स हटाकर दखना तो मतरसजद म भी बड़ी आकाकषा परगट हई ह व मतरसजद की उठती हई मीनार

आकाश की तरफ मनषय की आकाकषा की परतीक ह--आकाश को छन क तरलए मतरसजद का सननाटा मतरसजद की

शातरत मरतम भी नही ह एक तरचि भी नही ह एक--कयोकक मरतम और तरचि भी बाधा डालत ह--सननाटा ह जसा

सननाटा भीतर हो जाना चातरहए धयान म वसा सननाटा ह मतरसजद का अिना सौदयम ह खाली सौदयम ह मतरसजद

का शनय का सौदयम ह मतरसजद का

मकदर की अिनी मौज ह मकदर जयादा उतसव स भरा हआ ह रग-तरबरगा ह मरतमया ह कई तरह की

छोटी-बड़ी लककन मकदर अिना उतसव रखता ह--घटा ह घटा बजाओ भगवान को जगाओ खद भी जागो

िजा करो मकदर की गोल गबद मडि का आकार उसक नीच उठत हए मिो का उचचार तम िर वािस तरगरती

वाणी--मि तम िर कफर-कफर बरस जात एक मकदर म जाकर ओकार का नाद करो सारा मकदर गजा दता ह

सब लौटा दता ह तम िर कफर उडल दता ह एक घटा बजाओ कफर उसकी परतरतधवतरन गजती रहती ह यह

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ससार िरमातमा की परतरतधवतरन ह माया ह िरमातमा मल ह यह ससार परतरतधवतरन ह छाया ह मकदर अलग

भारषा ह मगर इशारा तो वही ह कफर हजार तरह क मकदर ह

दतरनया म धारममक और अधारममक बचग लककन जहद-मसलमान-ईसाई नही होन चातरहए यह भतरवषय की

बात ह यहा जो परयोग घट रहा ह वह उस भतरवषय क तरलए बड़ा छोटा सा परयोग ह लककन उसम बड़ी

सभावना तरनतरहत ह

मझस लोग आकर िछत ह कक आि लोगो को कया बना रह ह एक ईसाई तरमशनरी न मझस आकर िछा

कक अनक ईसाई आिक िास आत ह आि इनको जहद बना रह ह मन कहा म खद ही जहद नही तो इनको कस

जहद बनाऊगा तो उसन िछा आि कौन ह

म तरसफम धारममक ह इनको धारममक बना रहा ह और इनको म इनक तरगरज स तोड़ नही रहा ह वसततः

जोड़ रहा ह मर िास आकर अगर ईसाई और ईसाई न हो जाए तो मर िास आया नही मसलमान अगर और

मसलमान न हो जाए ठीक िहल दफा मसलमान न हो जाए तो मर िास आया नही जहद मर िास आकर और

जहद हो जाना चातरहए मरा परयोजन बहत अनयथा ह व िरान कदन गए वह िरान आदमी की सकीणम चतना

गयी

िर महावीर और बदध चाहत भी तो यह नही कर सकत थ कयोकक म जानता ह अिन तई कक बहत सी

बात म चाहता ह लककन नही कर सकता ह--तम तयार नही हो उनही थोड़ी सी बातो को करन की कोतरशश म

तो भीड़ छटती गयी ह मर िास स कयोकक जो भी म चाहता ह करना अगर वह जरा जररत स जयादा हो

जाता ह तो तमहारी तरहममत क बाहर हो जाता ह तम भाग खड़ होत हो तम मर दशमन हो जात हो थोड़

दससाहसी बच ह इनक भी साहस की सीमा ह अगर मझ इनको भी छाटना हो तो एक कदन म छाट द सकता

ह इसम कोई अड़चन नही ह इनका साहस मझ िता ह ककतन दर तक इनका साहस ह उसक िार की बात य

न सन सक ग उसक िार य कहग--तो कफर अब चल अब आि जानो

अगर म सार भतरवषय की बात तमस कह द तो शायद मर अतरतररि यहा कोई सनन वाला नही बचगा

तब कहन का कोई अथम न होगा उस तो म जानता ही ह कहना कया ह

तो जब भी ककसी वयतरि को सतय का अनभव हआ ह वह अनभव तो एक ही ह लककन जब वह उस

अनभव को शबदो म बाधता ह तो सनन वाल को दखकर बाधता ह दखन म दो बात समरण रखनी िड़ती ह--

एक जो इसस कहा जाए वह इसस तरबलकल ही तालमल न खा जाए नही तो यह तरवकतरसत नही होगा और

इसक तरबलकल तरविरीत न िड़ जाए अनयथा यह चलगा ही नही इन दोनो क बीच सतलन बनाना िड़ता ह

कछ तो ऐसा कहो जो इसस मल खाता ह ताकक यह अटका रह और कछ ऐसा कहो जो इसस मल नही खाता

ताकक यह बढ़

तम दख न जब सीकढ़या चढ़त हो तो कस चढ़त हो एक िर एक सीढ़ी िर रखत हो जमा लत हो कफर

दसरा िर उठात हो एक िरानी सीढ़ी िर जमा रहता ह दसरा नयी सीढ़ी िर रखत हो जब दसरा नयी सीढ़ी

िर मजबती स जम जाता ह तब कफर तम िरानी सीढ़ी स िर उठात हो एक िर जमा रह िरान म और एक

िर नए की तरफ उठ तो ही गतरत होती ह दोनो िर एक साथ उठा तरलए तो हडडी-िसली टट जाएगी--तरगरोग

और दोनो जमाए खड़ रह तो भी तरवकास नही होगा और दोनो एक साथ उठा तरलए तो भी तरवकास नही होगा

तरवकास होता ह--एक जमा रह िरान म एक नए की तरफ खोज करता रह इस सतलन को ही धयान म रखना

होता ह

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तो तमस इसीतरलए तो म गीता िर बोलता ह ताकक िरान िर िर जमा रह एक मगर गीता िर म वही

नही बोलता जो तमहार और बोलन वाल बोल रह ह दसरा िर तमहारा सरका रहा ह िर वि धममिद िर

बोल रहा ह लककन कोई बौदध धममिद िर इस तरह नही बोला ह जस म बोल रहा ह कयोकक मरी नजर और

ह--एक िर जमा रह एक िर तम तरनजित रख लो कक चलो भगवान बदध की ही तो बात हो रही ह कोई हजाम

नही दसरा िर म सरका रहा ह महावीर िर बोलता ह तम बड़ परसनन होकर सनत हो कक चलो भगवान

महावीर की बात हो रही ह तरनजित हो जात हो तम अिना सब सरकषा का उिाय छोड़कर तरबलकल बठ जात

हो तयार होकर कक चलो यह तो अिनी ही बात हो रही ह उसी बीच तमहारा एक िर म सरका रहा ह तम

तरजतन तरनजित हो जात हो उतनी ही मझ सतरवधा हो जाती ह

तमह तरनजित करन को बोलता ह गीता िर बाइतरबल िर धममिद िर महावीर िर तम तरनजित हो

जात हो तम कहत हो यह तो िरानी बात ह अिन ही शासतर की बात हो रही ह इसम कछ खतरा नही ह

खतरा नही ह ऐसा सोचकर तम अिनी ढाल-तलवार रख दत हो वही खतरा शर होता ह वही स म तमह

थोड़ा आग खीच लता ह

दसरा परशनः तरजस तरह आि शरी ज कषणमरतम क सबध म परम और सततरत क साथ बोलत ह वसा व आिक

बार म नही बोलत ह कभी-कभी तो लगता ह कक व कछ अनयथा कहन जा रह ह लककन कफर टाल जात ह

फलसवरि आिक तरशषय तो बड़ परम स कषणमरतम को सनन जात ह लककन उनक मानन वाल आिक िास खल

कदल स नही आत किाकर समझाए

कषणमरतम जो कहत ह सवाशतः सही ह सौ परतरतशत सही ह लककन कषणमरतम का रासता बहत सकीणम

ह िरा सही ह िगडडी जसा ह मरा रासता बड़ा राजिथ ह मर िथ िर बदध कषण कराइसट मोतरजज

जरथसतर बोतरधधमम लाओतस सब समा जात ह तो कषणमरतम को भी म उसम समा लता ह कछ अड़चन नही

आती मरा घर बड़ा ह कषणमरतम रहत ह छोटी कोठरी म कोठरी तरबलकल भली ह कछ गड़बड़ नही ह मर

बड़ घर म कषणमरतम की कोठरी तो समा जाती ह लककन मरा बड़ा घर कषणमरतम की कोठरी म नही समा

सकता

कषणमरतम हीनयानी ह म महायानी ह कषणमरतम की डोगी ह छोटी सी--डोगी जानत हो न छोट गावो

म जयादा स जयादा एकाध आदमी बठकर चला लता ह मछली मार आया--मरा िोत बड़ा ह बड़ा जहाज ह

महायान उसम आओ सब कदशाओ स लोग सब तरह क लोग सब शासतरो को मानन वाल सब तरसदधातो को

मानन वाल सबक तरलए जगह ह इसतरलए

कषणमरतम तरबलकल सही ह लककन कषणमरतम का एक बहत सकीणम रासता ह उस रासत स िहच जाओग--

जो चलत ह उनको म कहता नही कक छोड़ो--जरर िहच जाओग चलत रहो वह रासता िहचाता ह लककन

िगडडी जसा ह िगडडी भी िहचाती ह लककन इतना म कहना चाहता ह कक ऐसा मत सोचना कक उस रासत

िर जो नही चल रह ह व कोई भी नही िहचत व भी िहच जात ह राजिथ िर चलन वाल भी िहच जात ह

तरसफम राजिथ ही ह इस कारण नही िहचत ऐसा मत सोच लना

तो मरी और कषणमरतम की तरसथतरत तरभनन-तरभनन ह म तो उनकी मज स सततरत कर सकता ह मझ कछ

अड़चन नही ह मरी बात क तरविरीत उनकी बात नही िड़ती ह लककन व मरी सततरत नही कर सकत ह कयोकक

170

मरी बात उनक तरविरीत िड़ जाएगी उनहोन जो एक साफ-सथरा सा रासता बनाया ह अगर व एक दफ भी

कह द कक म ठीक कह रहा ह तो उनका सारा रासता गड़बड़ हो जाएगा कयोकक मन तो सार रासतो को ठीक

कहा ह मझको तो वही ठीक कह सकता ह जो सार रासतो को ठीक कह--खयाल रखना म तो ककसी रासत को

गलत कहता नही ह इतनी समायी कषणमरतम की नही ह

इसम म कछ यह भी नही कह रहा ह कक इसम कछ गलती ह अिनी-अिनी मौज ह कछ लोगो को

िगडडी स चलन म मजा आता ह हजाम कछ भी नही ह मज स चल जो थक गया हो अिनी डोगी म और

िगडडी िर चलत-चलत उसको म कहता ह कक अगर थक गए हो तो घबड़ाओ न जहाज म सतरममतरलत हो

जाओ तमहारी डोगी भी ल आओ उसको भी रख लो कभी तमहारी मजी हो तो कफर अिनी डोगी तरा दना

कफर उतर जाना तमहारी िगडडी भी समा जाएगी इस बड़ रासत िर उसको भी ल लो साथ ककसी कदन थक

जाओ भीड़-भाड़ स बड़ रासत क शोरगल-उतसव स अिनी िगडडी लकर अलग उतर जाना

कषणमरतम को अड़चन ह व मरी बात को ठीक नही कह सकत ह कहग तो उनका सारा रासता डगमगा

जाएगा मरी बात को ठीक कहन का मतलब तो ह कक सारा उिदरव मोल ल तरलया कयोकक मरी बात म कषण

की बात सतरममतरलत ह मरी बात म बदध की बात सतरममतरलत ह मरी बात म महावीर की बात सतरममतरलत ह

मरी बात म मोहममद की बात सतरममतरलत ह मझ हा कहन का मतलब तो यह हआ कक मनषय-जातरत म जो भी

चतनय क अब तक सरोत हए ह सबको ठीक कहना िड़गा इतना खतरा कषणमरतम नही ल सकत इसस उनका

जो साफ-सथरा मागम ह वह सब असतवयसत हो जाएगा

कषणमरतम न एक बतरगया बनायी ह--साफ-सथरी ह गतरणत की तरह साफ-सथरी--मरा तरहसाब तो जगल

जसा ह साफ-सथरा नही ह जगल साफ-सथरा हो भी नही सकता तम एक बगीचा बनात हो लान लगात

हो कयारी सजात हो सब साफ-सथरा कर लत हो ऐसा कषणमरतम का तरहसाब ह इसतरलए तरजनका गतरणत बहत

परखर ह और जो कवल बतरदध स ही चल सकत ह उनको कषणमरतम की बात तरबलकल ठीक लगगी गतरणत जसी ह

तकम यि ह

मरा तरहसाब तो जगल जसा ह मरा तरहसाब जयादा नसरगमक ह मन बहत बनान की कोतरशश नही की ह

उसको जसा ह वसा सवीकार कर तरलया ह मरा मागम सहज ह तरजनको जगल म जान की तरहममत हो व मर

साथ चल तरजनको ऊबड़-खाबड़ म भी चलन की तरहममत हो व मर साथ चल तरजनको अतकम म उतरन की

तरहममत हो व मर साथ चल अतकम तकम क तरविरीत नही ह तकम क िार ह तो अतकम म तकम तो समा जाता ह

लककन तकम म अतकम नही समाता ऐसी अड़चन ह

इसस कषणमरतम िर नाराज मत होना उनकी अिनी वयवसथा ह उनका अिना एक अनशासन ह उस

अनशासन को समहालत हए व मझ हा नही भर सकत मझ हा भर तो अनशासन टट जाएगा यह म भी नही

चाहगा कक उनका अनशासन टट उस अनशासन स कछ लोग चल रह ह िहच जाएग उनको अिना

अनशासन मजबती स कायम रखना चातरहए उनको जगल को बगीच म नही घसन दना चातरहए यह तरबलकल

ठीक ह कयोकक जगल अगर बगीच म आ गया तो तमहारी सब जमायी हई वयवसथा उखड़ जाएगी तमहारा

लान कया होगा तमहारी िगडतरडया तमन बनायी उनका कया होगा तमन जो रासत साफ-सथर ककए थ

उनका कया होगा नही जगल को तमहार बगीच म नही आन दना चातरहए उस रोककर रखना िड़गा

इसतरलए तम ठीक ही कहत हो कक कभी-कभी तो लगता ह कक व कछ अनयथा कहन जा रह ह लककन

कफर टाल जात ह

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व मर िकष म तो बोल नही सकत यह बात सतरनतरित ह व मर तरविकष म भी नही बोलत कयोकक जानत

तो ह व कक जो म कह रहा ह ठीक कह रहा ह इसतरलए तरविकष म बोल नही सकत

इस बात को खयाल म लना मर िकष म बोल नही सकत कयोकक उसस उनहोन जो वयवसथा बनायी ह

वह तरबगड़ जाएगी मर तरविकष म बोल नही सकत कयोकक व जानत ह कक जो म कह रहा ह वह ठीक ह सवय

क तई तो व जानत ह कक जो म कह रहा ह वह ठीक ह

एक बार ऐसा हआ कक म बबई आया--उसी साझ आया कलकतत स और रात ही मझ कदलली जाना था--

कषणमरतम बबई थ ककसी न कषणमरतम को कहा होगा कक म आया हआ ह उनहोन कहा इसी वि तरमलन का

इतजाम करो

वह तरमि भाग हए आए उनका नाम था िरमानद काितरड़या गजराती क एक सिादक थ लखक थ व

एकदम भाग हए आए म जब एअरिोटम जान की तयारी कर रहा था गाड़ी म बठ रहा था तब व िहच तो

मन कहा यह तो बड़ा मतरशकल हो गया जरर तरमलना हो जाता लककन अभी अड़चन ह म लौटकर आता ह

चार कदन बाद लककन दसर कदन सबह कषणमरतम जान को थ लदन वािस तो तरमलना नही हो िाया

उनकी तरमलन की उतसकता--ततकषण उनहोन कहा इसी समय कछ इतजाम करो कक हमारा तरमलना हो

जाए--इस बात का सबत ह कक जो म कह रहा ह जो म कर रहा ह उसम भीतर स उनकी गवाही ह लककन

बाहर स व गवाही नही द सकत दनी भी नही चातरहए दन स तो नकसान होगा

मझ बड़ी सतरवधा ह मझ बड़ी छट ह मन तरजस ढग की अवयवसथा चनी ह-- कक आज भि िर बोलता

ह कल धयानी िर बोलता ह आज इस मागम िर बोलता ह कल उस मागम िर बोलता ह--मन जसी अवयवसथा

चनी ह उस अवयवसथा क कारण मझ जसी सवतिता ह वसी आज तक कभी ककसी को नही थी बदध सीतरमत

महावीर सीतरमत कषण सीतरमत कराइसट सीतरमत कषणमरतम सीतरमत रामकषण-रमण सीतरमत उन सबकी सीमाए

ह व उतना ही बोलत ह तरजतनी उनकी वयवसथा म आता ह उसक बाहर की बात या तो टाल जात ह या

इनकार कर दत ह मझ बड़ी सतरवधा ह

तो म तो कहता ह कषणमरतम ठीक ह तरजसको रच जरर उनस चल-- िहचगा मगर म यह आशा नही

करता कक यही कषणमरतम मर सबध म कह कहग तो उनका रासता असतवयसत हो जाएगा

तीसरा परशनः कया भगवान बदध का सार-सदश यही नही ह कक वयतरि ससार क माया-मोह को आमल

छोड़ द लककन तब तो ससार क परतरत दया या करणा का भाव भी कस रखा जा सकगा

इस समझना

ससार क परतरत बहत माया-मोह हो तो दया का भाव बनगा ही कस तरजतना ससार क परतरत माया-मोह

होता ह उतना ही तरचतत कठोर जहसक ईषयामल हो जाता ह तरजतना ससार की चीजो म लगाव होता ह उतना

ही तमहारी दन की कषमता कम हो जाती ह दया कम हो जाती ह--दया यानी दन की कषमता

तो तमहारा परशन बड़ा तकम यि मालम होता ह ऊिर-ऊिर भीतर तरबलकल िोचा ह तम यह िछ रह हो

कक अगर ससार क परतरत सब माया-मोह छोड़ कदया जाए तो कफर तो करणा-दया का भाव भी छट जाएगा

नही इसस उलटी ही घटना घटती ह तम तरजस कदन सब माया-मोह छोड़ दोग उस कदन तम िाओग

करणा ही करणा बची शदध करणा बची वही ऊजाम जो माया-मोह बनी थी करणा बनती ह ससार स माया-

172

मोह छोड़त ही तमहार हदय म तरसफम एक ही भाव की तरग रह जाती ह--करणा की सार जगत को सखी दखन

का एक भाव रह जाता ह कयो कयोकक अब तम सखी हो गए और कोई भाव रहगा भी कस अब तम

आनकदत हो तम चाहोग कक सारा जगत ऐस ही आनकदत हो अब तमह िता चला कक इतना आनद हो सकता

ह और मझ हो सकता ह तो सभी को हो सकता ह

इसी करणा क कारण तो बदध बोल नही तो बोलत कस जब माया-मोह ही समापत हो गया--अगर

तमहारी बात सही होती--तो अब कफर समझाना कया ह बोलना कया ह अिनी आख बद कर ली होती

चिचाि अिन म डबकर समापत हो गए होत

नही हो सक समापत कोई कभी नही हो सका अिन म समापत जब दख म थ तो चाह जगल भाग गए

लककन जब सख तरमला तो वािस बसती लौट आए बाटना था जगल म ककसको बाटत

इस बात को खयाल म लना महावीर भाग गए जगल जब दखी थ बदध भी भाग गए जगल जब दखी थ

जब दखी थ तो भाग जाना एक अथम म उतरचत ही था कयोकक यहा रहत तो लोगो को दख ही दत और कया

होता दख हो तो दख ही हम दत ह भाग गए हट गए यहा स बीमार आदमी जगल चला जाए ताकक कम स

कम औरो को तो बीमारी न फलाए सकरामक रोग ह तमहारा अचछा ह जगल चल जाओ जब रोग कट जाए

सवासथय िदा हो तब लौट आना कयोकक जस रोग क कीटाण होत ह वस ही सवासथय क भी कीटाण होत ह

जस रोग सकरामक होता ह वस ही सवासथय भी सकरामक होता ह तो िरमजञानी िररष िहल तो भाग जगल की

तरफ और जब िा तरलया जब हीरा हाथ लगा तब लौट आए तब लौटना ही िड़ा अब यह हीरा बाटना भी

तो िड़गा

इस हीर क तरमलत ही एक बड़ा उततरदातरयतव भी साथ म तरमलता ह कक अब इस दो यह सब को तरमल

सकता ह अब उनको खबर करो जगाओ सोयो को तरचललाओ मडरो िर चढ़ जाओ आवाज दो िकारो कोई

सोया न रह जाए ऐसी चषटा करो चार कदन तमहारी जजदगी क बच हो इनको िकारन म लगा दो

बदध बयालीस साल जजदा रह जञान क बाद बयालीस साल अथक िकारत रह--सबह-साझ गाव-गाव

तरचललात कफर चालीस वरषम महावीर भी ऐस ही भटकत रह िकारत रह चोट करत रह ककसी भातरत कोई

जाग जाए

एक छोटी सी कतरवता ह रवीदरनाथ ठाकर की कतरवता का नाम ह--अतरभसार सनयासी क जीवन-दशमन

की इसम सदर झलक ह सनयासी जगत क भोग क तरलए तो जगत को छोड़ दता ह िर सवा क तरलए नही

सवा क तरलए तो वह जगत का हो जाता ह िहली दफा जगत का हो जाता ह और सदा क तरलए हो जाता ह

भोग छोड़न क कारण और भी जयादा जगत का हो जाता ह कयोकक जब तक तम जगत क भोग म उतसक हो

तब तक तम तरभखारी हो तम माग रह हो जगत स दोग कया खाक तरजस कदन तमन भोग की आकाकषा छोड़

दी तम मातरलक बन तम समराट बन अब तम द सकत हो भोग क कारण हम सवा चाहत ह भोग छोड़न िर

सवा दन का परारभ होता ह

इस कतरवता म रवीदरनाथ न कहा ह--रातरि का समय यौवन-मद म मतत नगर-नटी वासवदतता अतरभसार

को तरनकली ह

वशया को कहत थ उस समय नगर-नटी नगर-वध--सार गाव की वध जो सदरतम लड़ककया होती थी

िरान कदनो म नगर की जो सदरतम यवती होती थी उस नगर-वध बना दत थ ताकक लोगो म सघरषम न हो

कलह न हो झगड़ा न हो जो सदरतम ह उसक तरलए बहत परतरतयोतरगता मचगी झगड़ा होगा कलह होगी

173

सदरतम को नगर-वध बना दत थ कक वह सब की हो एक की न हो यह वासवदतता उस समय की बड़ी सदरी

थी बदध क समय की कथा ह यह रवीदरनाथ न कतरवता उसी कथा िर तरलखी ह

वासवदतता अतरभसार को तरनकली ह अिन रथ िर सवार होकर फलो स सजी वह सदरतम यवती थी

उन कदनो की बौदध तरभकष उिगपत को राह म दखकर रठठक जाती ह रथ को रोक लती ह

एक बौदध तरभकष उिगपत बदध का एक तरशषय िास स गजर रहा ह वासवदतता न समराट दख ह दवार िर

भीख मागत समराट दख ह उसक दवार िर भीड़ लगी रहती थी राजििो की सभी को उसका तरमलन हो भी नही

िाता था--बड़ी महगी थी वासवदतता लककन ऐसा सदर वयतरि उसन कभी दखा नही था यह जो तरभकष उिगपत

यह अिन िीत वसतरो म तरभकषािाि तरलए शात मदरा म चला जा रहा ह इसन न तो रासता दखा न भीड़भाड़

दखी ह न वासवदतता को दखा ह यह तो अिनी आखो को चार फीट आग--जसा बदध कहत थ चार फीट स

जयादा मत दखना--अिनी आखो को गड़ाए चिचाि राह स गजर रहा ह इसक चलन म एक अिवम परसाद ह

जो कवल सनयासी क चलन म ही हो सकता ह तरजसको कछ लना-दना नही ह उसक तनाव चल गए वह

यहा-वहा दकानो िर लग बोडम नही दख रहा ह न चीज दख रहा ह न लोग दख रहा ह जब इस ससार स कछ

लना ही न रहा तो अब कया दखना-दाखना शात ह अिन भीतर रमा चिचाि चला जा रहा ह

सनयासी अिवमरि स सदर हो जाता ह सनयास जसा सौदयम दता ह मनषय को और कोई चीज नही दती

सनयसत होकर तम सदर न हो जाओ तो समझना कक कोई भलचक हो रही ह और सनयासी का कोईशगार नही

ह सनयास इतना बड़ाशगार ह कक कफर ककसी औरशगार की कोई जररत नही ह

तमन दखा कक ससारी भोगी ह जवानी म शायद सदर होता हो लककन जस-जस बढ़ािा आन लगता ह

असदर होन लगता ह लककन उसस उलटी घटना घटती ह सनयासी क जीवन म जस-जस सनयासी वदध होन

लगता ह वस-वस और सदर होन लगता ह कयोकक सनयास का कोई वादधमकय होता ही नही सनयास कभी बढ़ा

होता नही सनयास तो तरचर-यवा ह

इसतरलए तो हमन बदध और महावीर की जो मरतमया बनायी ह वह उनक यवावसथा की बनायी ह इस

बात की खबर दन क तरलए कक सनयासी तरचर-यवा ह हमन अिवम सौदयम स भरी मरतमया बनायी ह महावीर और

बदध की उनक िास कछ भी नही ह न कोई साज ह नशगार ह--कषण को तो सतरवधा ह कषण की मरतम को तो

हम सजा लत ह मोरमकट बाध दत रशम क वसतर िहना दत घघर िहना दत हाथ म कगन डाल दत

मोतरतयो का हार लटका दत--बदध और महावीर क िास तो कछ भी नही ह बदध क िास तो एक चीवर ह

तरजसको ओढ़ा हआ ह महावीर क िास तो वह भी नही वह तो नगन खड़ ह लककन कफर भी अिवम सौदयम ह

ऐसा सौदयम तरजसको ककसी सजावट की कोई जररत नही

ऐस इस उिगपत को तरनकलत दखा होगा वासवदतता न और वासवदतता सदरतम लोगो को जानती ह

सदरतम लोगो को भोगा ह सदर स सदर स उसकी िहचान ह सदरतम उसक िास आन को तड़फत ह--उसन

रथ रोक तरलया बौदध तरभकष उिगपत को दखकर वह रठठक जाती ह दीिक क परकाश म--राह क ककनार जो

दीिसतभ ह उसक परकाश म--वह सबल सवसथ और तजोदीपत गौरवणम सनयासी को दखती ही रह जाती ह ऐसा

रि उसन कभी दखा नही सनयासी का सहज सौदयम उसक मन को तरडगा दता ह अब तक लोग उसक परम म

िड़ थ िहली दफा वासवदतता ककसी क परम म िड़ती ह वह सनयासी को अिन घर आमतरित करती ह

सनयासी बड़ी बहमलय बात उततर म कहता ह

उिगपत उसस कहता ह--

174

समय ज कदन आसीब

आिनी जाइबो तोमार कज

तरजस कदन समय आ जाएगा उस कदन म सवय ही तमहार कज म उितरसथत हो जाऊगा वासवदतता कहती

ह कक तरभकष मर घर आओ बठो रथ म म तमह घर ल चल और तरभकष कहता ह--आऊगा जरर आऊगा समय

ज कदन आसीब तरजस कदन समय आ जाएगा आिनी जाइबो तोमार कज वासवदतता तझ मझ बलाना भी न

िड़गा म अिन आि आ जाऊगा समय की परतीकषा

और बहत कदनो तक समय नही आया वासवदतता परतीकषा करती परतीकषा करती उसका मन न लगता

इस ससार म अब राग-रग उस कदखायी न िड़ता बहत लोग आत बहत लोगो स सबध भी बनता--नगर-वध

थी वही उसका काम था वशया थी--लककन अब ककसी दह म वह दीतरपत न कदखायी िड़ती और ककसी दह म

वह सौदयम न कदखायी िड़ता उिगपत की व शात आख उसका िीछा करती रात हो कक कदन सिन उठत

लककन बात सन ली थी उसन उिगपत की कक जब समय आएगा तब आ जाऊगा और इतन बलिवमक कही

थी बात कक यह बात भी साफ हो गयी थीः उिगपत उन लोगो म स नही तरजस तरडगाया जा सक जो कहा ह वसा

ही होगा समय की परतीकषा करनी िड़गी आिनी जाइबो तोमार कज अिन आि आऊगा तर कज म तो

वासवदतता न कफर बलान की चषटा भी नही की कभी राह िर आत-जात शायद उिगपत कदखायी भी िड़ जाता

होगा लककन कफर कहना भी उतरचत न था सनयासी न बात कह दी थी परतीकषा और परतीकषा उसका सारा

जीवन बीत गया

कफर एक रातरि--िनम की रातरि--उिगपत मागम स जा रह थ उनहोन दखा कक कोई मागम िर रगण िड़ा ह

गाव क बाहर उनहोन उस अिन अक म तरलटा तरलया जजमर वसत क दानो स गल गया शरीर कोई नारी ह

परकाश म दखा--अर वासवदतता यौवन बीत गया शरीर जराजीणम अतरतम घड़ी ह वसत रोग क दानो स

शरीर िरी तरह तरघर गया ह बचन का कोई उिाय नही ह कोई अब परमी भी नही बचा--ऐस कषण म कहा परमी

बचत ह नगर म भी रखन को लोग राजी न रह नगर क बाहर खदड़ कदया ह--ऐसी रगण दह को कौन नगर म

रखगा अब उसकी घातक बीमारी दसरो को लग सकती ह

यह जो महारोग ह--वसत रोग इसको हम कहत ह--नाम भी हमन खब चना ह इस दश म नाम भी हम

बड़ तरहसाब स चनत ह सार शरीर िर काम-तरवकार क कारण फफोल फल गए ह यौन-रोग ह लककन हमन

नाम कदया ह वसत रोग--जवानी का रोग वसत का रोग जो अब तक सौदयम बनकर परगट हआ था वही अब

करिता बनकर परगट हो रहा ह जो अब तक चमड़ी िर आभा मालम होती थी वही घाव बन गयी ह सारा

शरीर घावो स भर गया ह सड़ रहा ह महा दगध उठ रही ह उस कौन नगर म रख उस गाव क बाहर

कफकवा कदया ह यह वही सतरी ह तरजस लोग तरसर िर तरलए घमत थ तरजसक चरण चमत थ समराट

अतरतम घड़ी वसत रोग आतरखरी तरसथतरत म ह कोई अब परमी नही नगर स दर मागम िर असहाय िड़ी रो

रही ह दम तोड़ रही ह वासवदतता न आख खोली वह कातर कठ स बोली--दयामय तम कौन हो

म ह सनयासी उिगपत भल तो नही गयी न भली नही हो न मन कहा था--

समय ज कदन आसीब

आिनी जाइबो तोमार कज

तरजस कदन समय आएगा म तमहार कज म सवय उितरसथत हो जाऊगा लगता ह समय आ गया म

उितरसथत ह म तमहारी ककस सवा म आ जाऊ मझ कहो आजञा दो म आ गया ह वासवदतता म सवा क तरलए

175

तयार होकर आ गया ह उस कदन तो आता तो तमस सवा मागता उस कदन तो व आत थ तरजनह तमहारी सवा

की जररत थी आज म आ गया ह म तमहारी सवा करन को ततिर ह

रवीदरनाथ की यह कतरवता बड़ी बहमलय ह यह सनयासी क तरलए एक जयोतरतममय भावदशा की समतरत

बनाए रखन क तरलए बड़ी काम की ह इस समरण रखना ससार तो छोड़ना ह ससार की माया-ममता भी

छोड़नी ह लककन इसका यह अथम नही कक सनयास कठोर बना द तमह किण बना द तमह कक तमहार हदय को

ितथर बना द तब तो तम चक गए

और अकसर ऐसा होता ह अकसर तमहार तथाकतरथत साध-सनयासी-महातमा तरजस कदन माया-मोह

छोड़त ह ससार का उसी कदन दया-ममता दया-करणा भी छोड़ दत ह तमहार तथाकतरथत सनयासी रख-सख

लोग ह उनहोन माया-मोह छोड़ी उसी कदन स व डर गए ह उनहोन अिन को सखा तरलया भय क कारण व

रसहीन हो गए ह उन िर न नए ितत लगत ह न नए फल आत ह इसतरलए तो उनक जीवन म तमह सौदयम

कदखायी न िड़गा उनक जीवन म एक करिता ह मरसथल जस ह तमहार सनयासी चक गए रस स थोड़ ही

तरवरोध था

ितजतरल न कहा न--रसो व सः वह सतय तो रसमय ह वह िरमातमा तो रस भरा ह सनयासी रस स

थोड़ ही तरवरदध ह रस ससार म वयथम न बह रस दया बनकर बह करणा बनकर बह सवा बनकर बह रस

तमह तरभखारी न बनाए समराट बनाए याचक न बनाए दानी बनाए रस तम लटाओ रस तम दो

इसतरलए जो सनयास तमह माया-मोह स छड़ाकर करणा-दया स भी छड़ा दता हो समझना चक गए तीर

तरनशान िर न लगा गलत जगह लग गया भल हो गयी माया-ममता स छड़ान का परयोजन ही इतना ह कक

तमहारी जीवन-ऊजाम करणा बन माया-ममता छट गयी और करणा बनी नही तो ससार भी गया और सतय भी

न तरमला तम धोबी क गध हो गए--घर क न घाट क--तम कही क न रह

और तमहार अतरधक सनयासी और महातमा धोबी क गध ह घर क न घाट क ससार छट गया ह और सतय

तरमला नही ह बाहर का सौदयम छट गया और भीतर का सौदयम तरमला नही ह अटक गए रसधार ही सख गयी

मरसथल हो गए जयादा स जयादा कछ काट वाल झाड़ िदा हो जात हो मरसथल म तो हो जात हो बस और

कछ नही न ऐस वकष िदा होत ह कक तरजनम ककसी राहगीर को छाया तरमल सक न ऐस वकष िदा होत ह कक

रसदार फल लग और ककसी की भख तरमट सक नही ककसी की कषधा तरमटती नही ककसी की पयास तरमटती रख-

सख य खड़ लोग और इनकी तम िजा ककए चल जात हो इनकी िजा खतरनाक ह कयोकक इनको दख-दखकर

धीर-धीर तम भी रख-सख हो जाओग

इस दश म यह दभामगय खब घटा इस दश का सनयासी धीर-धीर जीवन की करणा स ही शनय हो गया

उस करणा ही नही आती लोग मरत हो तो मरत रह लोग सड़त हो तो सड़त रह वह तो कहता हम कया

लना-दना हम तो ससार छोड़ चक

ससार छोड़ वह तो ठीक लककन करणा छोड़ चक तो कफर तम बदध की करणा न समझोग महावीर की

अजहसा न समझोग और कराइसट की सवा न समझोग इस कसौटी मानकर चलना करणा बननी ही चातरहए तो

ही समझना कक सनयास ठीक कदशा म यािा कर रहा ह

चौथा परशनः कया ितरडत-िरोतरहतो का ईशवर सतय नही ह

176

ितरडत-िरोतरहतो का ईशवर उतना ही सतय ह तरजतन व सतय ह तमहारा ईशवर उतना ही सतय होगा तरजतन

तम सतय हो तमहारा ईशवर तमस जयादा सतय नही हो सकता तमहारा ईशवर ठहरा न तम अगर झठ हो

तमहारा ईशवर झठ होगा तम अगर झठ हो तमहारी िजा झठ होगी तमहारी पराथमना झठ होगी तम िर तरनभमर

ह तम अगर मदाम हो तमहारा ईशवर मरा हआ होगा तमहारा ईशवर तम स अनयथा नही हो सकता

ितरडत-िरोतरहत का ईशवर ह ही कया शबद-जाल ह शासतर म िढ़ी हई बात ह जीवन म अनभव की हई

नही ितरडत-िरोतरहत का ईशवर तमहार शोरषण क तरलए ह उसक जीवन-रिातरण क तरलए नही वह मकदर

बनाता ह अिन जीवन-रिातरण क तरलए नही वह परवचन दता ह अिन जीवन-रिातरण क कारण नही

उसम लाभ ह कछ और लाभ ह तमस कछ तरमलता ह तमह उलझाए रखता ह

कालम माकसम न कहा ह कक धमम अफीम का नशा ह यह बात तरननयानब परतरतशत सही ह यह ितरडत-

िरोतरहत क दवारा जो धमम चलता ह उसक बाबत तरबलकल सही ह धमम अफीम का नशा ह लककन यह सौ

परतरतशत सही नही ह इसतरलए म माकसम स राजी नही ह कयोकक ऐसा भी धमम ह जो बदधो का ह जागरत िररषो

का ह ऐसा भी धमम ह जो उनका ह तरजनहोन अनभव ककया ह अगर ितरडत-िरोतरहत का ही धमम होता सौ

परतरतशत तो माकसम तरबलकल सही था माकसम सही भी ह और गलत भी सही ह तथाकतरथत धमम क सबध म और

गलत ह वासततरवक धमम क सबध म

तम उसस सीखना अिना ईशवर तरजसन ईशवर जाना हो तम उसक िास उठना-बठना उसका सतसग

करना तरजसका ईशवर स कछ लगाव बन गया हो तरजसक हाथ म ईशवर का हाथ छ गया हो छ गया हो कम स

कम अगर हाथ िकड़ा भी न हो तो भी चलगा कयोकक छ गया तो बहत दर नही ह िकड़ भी जाएगा और

तरजसका हाथ ईशवर क हाथ म आ गया उसक पराण भी ईशवर क पराण क साथ एक होन लगत ह सत बन गया

हो तरजसका सतसग करना उसक साथ

सत को हम इसीतरलए तो सत कहत ह सत का अथम होता ह तरजसक जीवन म सतय उतर आया सतय

तरजसका जीवन बन गया वही सत सत का सतसग करना ितरडत-िरोतरहत क िीछ मत घमत रहना िरोतरहत तो

तमहारा नौकर-चाकर ह तम सौ रिय दत हो तो आकर तमहार घर म िजा कर जाता ह तम सौ रिय न दोग

नमसकार कर लगा अगर कोई रिय न दगा िजा-िाठ बद हो जाएगा कभी नही करगा उस िजा-िाठ स

परयोजन नही ह नौकरी बजा रहा ह

एक अमीर आदमी अिन बगीच म बठा था अिन एक दोसत स बात कर रहा था वह अमीर आदमी

अिन दोसत स बातचीत करत-करत बोला कक एक बात बताओ सतरी क साथ सभोग करन म ककतना तो काम ह

और ककतना आनद ह ककतना तो बोझरि ह काम जसा और ककतना खल जसा ह सखरि उसक तरमि न

कहा िचास परतरतशत तो काम ह--बोझरि करना िड़ता ह ऐसा--और िचास परतरतशत खल ह सखरि लककन

वह अमीर बोला कक नही म तो मानता ह कक नबब परतरतशत काम जसा ह और दस परतरतशत ही खल जसा ह

िास ही बढ़ा माली काम कर रहा था दोनो न उस बलाया और कहा कक इस बढ़ माली स िछो यह कया

कहता ह उसस िछा कक बढ माली हम दोनो म तरववाद चल रहा ह सभोग म ककतना तो सख ह और

ककतना काम ह म कहता ह नबब परतरतशत काम ह और दस परतरतशत सख ह और मर तरमि कहत ह िचास-

िचास परतरतशत त कया कहता ह उस बढ़ माली न कहा मातरलक सौ परतरतशत सख ह अगर सौ परतरतशत न

होता तो आि हम नौकरो स करवा लत अगर काम ही काम होता तो आि नौकर-चाकर रख लत

177

तम परम क तरलए नौकर-चाकर नही रखत लककन पराथमना क तरलए रखत हो और पराथमना परम की अतरतम

घटना ह तम जब परम करत हो तो खद करत हो नौकर-चाकर नही रखत लककन जब पराथमना तो ितरडत रख

लत हो पराथमना को तम दसर स करवा रह हो--नौकर-चाकर स तो अगर तमहारी पराथमना कभी िरमातमा तक

नही िहचती तो कछ आियम ह

पराथमना तो परम ह वह तो परम की िरमदशा ह तम करोग तो ही िहचगी तरबचवइयो का काम नही ह

दलालो का काम नही ह

कफर दलाल की उतसकता तो तमस जो िसा तरमल रहा ह उसम ह तम सौ रिय दत हो तो वह आधा घटा

करता ह दो सौ दन लगो तो घटभर कर द तम िाच सौ द दो तो कदनभर करता रह और तम तरबलकल न दो

तो कफर एक दफ भी नही आएगा पराथमना करन मकदर की घटी न बजगी िजा का थाल न सजगा फल न

चढ़ाए जाएग तो यह ितरडत जो िजा कर रहा ह िरोतरहत जो िजा कर रहा ह यह िजा भगवान की ह कक धन

की हो रही ह तम जब तक िसा दत हो तब तक ठीक तब तक भगवान ह और भतरि ह और सततरत ह सब ह

और जस ही िसा गया कक सब समापत हआ

मन एक रसी कहानी सनी ह ककससा एक बढ़ रसी ककसान का ह सभी रसी ककसानो की तरह उसका

भी जीवन करठनाइयो स भरा था वरषो तक वह और उसकी बीबी अिन दो बटो क साथ एक कोठरी म रहत थ

कफर एक बटा फौज म चला गया और मोच िर मारा गया दसर बट न दर क ककसी शहर म नौकरी कर ली

कछ वि बाद जब बीबी भी चल बसी तो गराम-सोतरवयत न वह कोठरी उसस छीनकर एक नवदितरत को द दी

और एक िड़ोसी क कमर म कोन म िदाम लगवाकर उसक रहन की वयवसथा कर दी सततर साल की जजदगी म

िहली बार ककसान क कदल म तरवदरोह की तरचनगारी सलगी

साल म दो बार मई कदवस और करातरत की वरषमगाठ िर गाव की सड़क झतरडयो और पलकाडो स सज

उठती थी तरजन िर तरलखा होता था--लतरनन जजदा ह लतरनन जजदा ह जजदा थ और जजदा रहग इस बार यह

शबद िढ़कर बढ़ ककसान क मन म आया कक कयो न मासको जाकर सवम शतरिमान लतरनन स ही कमरा वािस

कदलवान की पराथमना कर वस जीवनभर कभी वह अिन गाव स चद मील स जयादा दर नही गया था मगर

उसन कछ मागकर कछ उधार लकर ककराया जटाया और रल म चढ़कर मासको जा िहचा

मासको म भी िछताछ करता हआ सौभागय स कमयतरनसट िाटी की क दरीय सतरमतरत क एक बड़ िदातरधकारी

क सामन हातरजर हो गया उस सारा ककससा सनाकर बोला मझ लतरनन साहब स तरमलवा दीतरजए ताकक म

उनस कह कक व खद मरा कमरा मझ वािस कदलवाए अतरधकारी हकका-बकका रह गया कफर अिना आियम

तरछिाकर उसन ककसान को बताया कक लतरनन तो कभी क मर चक ह

अब हकका-बकका होन की बारी ककसान की थी अफसर न उस समझाया कक लतरनन का शव लाल चौक म

उनक मकबर म रखा हआ ह लककन ककसान अड़ा रहा उसन कहा मगर झड िर तो साफ तरलखा होता ह कक

लतरनन जजदा ह जजदा थ और जजदा रहग और सदा जजदा रहग अतरधकारी न बड़ सबर स उस समझाना शर

ककया कक इसका अथम तरसफम यह ह कक लतरनन की पररणा जजदा ह और वह हमारा मागमदशमन कर रही ह

अतरधकारी काफी भावावग क साथ बोलता रहा जब वह बोल चका तो ककसान चिचाि उठकर चल कदया

दरवाज िर िहचकर वह िलटा और अतरधकारी स बोला अब म समझ गया साहब जब आिको जररत िड़ती

ह लतरनन जजदा हो उठत ह और जब मझ जररत होती ह लतरनन मर जात ह

178

ितरडत-िजारी को तो िरमातमा की जररत ह ककसी कारण स इस खयाल म लना उननीस सौ सिह म

रस म करातरत हई उसक िहल रस ऐसा ही धारममक दश था जसा भारत बड़ चचम थ बड़ िादरी थ बड़

िजागह थ और लोग बड़ धारममक थ कफर करातरत हो गयी और दस वरषम क भीतर सब चचम गायब हो गए सब

िजा गायब हो गयी सब िड-िरोतरहत गायब हो गए और रस नातरसतक हो गया यह भरोस की बात नही कक

दस साल म इतनी जलदी सब धारममक लोग अधारममक हो गए

एक कमयतरनसट मझस बात कर रहा था वह कहन लगा आि कतरहए यह कस हआ तो मन कहा यह

इसीतरलए हो सका कक व धारममक थ ही नही धारममक होत तो इसस कया फकम िड़ता था कक राजय बदल गया

राजनीतरत बदल गयी कछ फकम न िड़ता धारममक थ ही नही सब झठा धमम था ितरडत-िरोतरहत तो नौकरी म

था जब भगवान स नौकरी तरमलती थी भगवान क नाम िर नौकरी तरमलती थी भगवान की सततरत गाता था

जब लतरनन क नाम िर नौकरी तरमलन लगी तो वह लतरनन की सततरत गान लगा िहल वह कहता था बाइतरबल

तरलए घमता था तरसर िर कफर दास कतरिटल माकसम की ककताब लकर घमन लगा यह वही का वही आदमी ह

तब भी नौकरी म था अब भी नौकरी म ह और जनता को न तब मतलब था न अब मतलब ह तब जनता

सोचती थी कक भगवान की िजा करवा लन स कछ लाभ होगा तो िजा करवा लती थी अब सोचती ह कक

कमयतरनसट िाटी क झड िर फल चढ़ान स लाभ होता ह लतरनन क मकबर िर जान स लाभ होता ह तो यह कर

लती ह

लोग धारममक कहा ह ितरडत-िरोतरहत झठा ह और उसक िीछ चलन वाल लोग झठ ह

तम इस झठ म मत िड़ जाना अगर तमह सतय की सच म तलाश हो तो तरबचवइए मत खोजना मधयसथ

मत खोजना िरमातमा क सामन सीध खड़ होना और अगर तमह लग कक ककसी क जीवन म कही ककरण उतरी

ह तो उस ककरण का सग-साथ करना सत क साथ रहोग तो तमह बदलना िड़गा ितरडत-िरोतरहत क साथ

रहोग तो ितरडत-िरोतरहत तमहारी सवा कर रहा ह वह तमह कस बदलगा ितरडत-िरोतरहत तमहारा नौकर-

चाकर ह तमह नही बदल सकता तम जो चाहत हो वही कर दता ह तमहारी चाह स जो चलता ह वह तमह

नही बदल सकता

कवल सतो क साथ बदलाहट सभव ह कयोकक तमस उनह कछ लना-दना नही ह तमहारी परशसा की भी

अगर उनको जररत ह तो तम समझना कक तम गलत आदमी क िास हो तमहारी सततरत की भी माग ह तो

तम समझना कक यहा कछ होन वाला नही ह उस आदमी को खोजना तरजसको तमस कछ भी नही लना ह--न

तमहारी सततरत न तमहारी परशसा जो तमहारी जचता ही नही करता जो तमहार मतवयो की भी कफकर नही

करता तम उस आदर दत हो कक अनादर इसकी भी कफकर नही करता तमस कछ परयोजन ही नही रखता

ऐस ककसी आदमी क िास अगर बठना सीख तरलया तो शायद तमह ईशवर की हवा का झोका धीर-धीर लगना

शर हो जाए तरजसकी तरखड़की खली ह उसक िास बठन स तमह भी हवा का झोका लगगा सदगर खोजना

िाचवा परशनः ओशो कल आिन भगवान बदध क जीवन म सदरी िररवरातरजका क परसग िर परकाश डाला

कछ ही वरषम िवम आिस दीतरकषत एक जािानी लड़की को माधयम बनाकर ििो और समाचार ििो क जररए िर

दश म आिक तरवरदध जो कतरतसत परचार ककया गया था कया वह भी ितरडतो िरोतरहतो और तथाकतरथत

महातमाओ का कररशमा था आि भी तो उस िर चि ही रह थ कयो और उसकी िररणतरत कया हई

179

िछा ह आनद मिय न

िहली तो बात और जयादा जानना हो उस सबध म तो या तो शरी सतय साईबाबा या बाबा मिानद स

िछना चातरहए तरवसतार उनह मालम ह और म तब भी चि रहा था और अब भी चि रहगा कछ बात ह जो

कवल चपिी स ही कही जा सकती ह

िररणतरत िछत हो कक कया हई

िररणतरत यह हई कक वह जािानी यवती अब आन का तरवचार कर रही ह वािस लौट आन का सकोच स

भरी ह डरती ह कयोकक उसन इस िर शडयि म हाथ बटाया अब डरती ह कक यहा कस आए तड़फती ह आन

को

यहा कछ जािानी तरमि ह उनस म कहगा कक वािस जािान जाओ तो उसको कहना कक घबड़ाए न और

वािस आ जाए न तो यहा कोई उसस कछ कहगा न कोई कछ िछगा जो हआ हआ मझ तो कछ हातरन नही

हई मझ कछ हातरन हो नही सकती ऐसा कछ भी नही ह जो तम मझस छीन सको जो मरा ह वह मरा इतना

ह कक उस तम मझस छीन नही सकत उस मन तमस तरलया नही ह तम सममान दो कक अिमान इसस जरा भी

भद नही िड़ता तमहारा अिमान और सममान सब दोनो बराबर ह मरी परतरतिा तम िर आधाररत नही ह

मरी परतरतिा मरी आतम-परतरतिा ह मरी जड़ मर अिन भीतर ह तमस म रस नही लता इसतरलए तम अगर रस

न दो तो मरी कोई हातरन नही होती इसतरलए म चि रहा

लककन दया उस लड़की िर आती ह वह नाहक झझट म िड़ गयी उसका जरर बहत नकसान हआ तो

जािानी तरमि यहा ह जब व वािस जाए तो उस खोज और उसको कह द कक वह आ जाए यह उसका घर ह

और ऐसी भल-चक तो आदमी स होती ह इसम कछ जचता लन की जररत नही ह यहा उस कोई जवाब-

सवाल नही होन वाला ह न कोई िछगा न कोई उस सताएगा न इसक तरवसतार म जाएगा इसक तरवसतार म

जान का कछ अथम ही नही ह तरजन महातमाओ न उस राजी कर तरलया इस परचार क तरलए उनहोन मरा तो कछ

नकसान नही ककया लककन उस लड़की क जीवन को बरी तरह नकसान िहचा कदया

तरजनहोन उस राजी ककया उन महातमाओ िर तो उसकी शरदधा कभी हो नही सकती और तरजस िर शरदधा

थी उस िर नाहक शरदधा को खतरडत करवा कदया लककन इस तरह खतरडत होती भी नही शरदधा आ गयी होगी

लोभ म उस करठनाइया थी वह लोभ म आ गयी होगी वह तरवदयाथी थी िस की अड़चन थी उस िढ़ना था

अभी वह ससकत िढ़ना चाहती थी वरषो का काम था एक िसा उसक िास नही था आ गयी होगी लोभ म

लककन लोभ म आन क कारण इन महातमाओ क परतरत सममान तो नही हो सकता और तरसफम लोभ क

कारण उसन जो कह कदया उसक कारण जो कहा ह वह सचचा ह ऐसा भाव उसक भीतर तो नही हो सकता

उस सनकर चाह ककसी और न मान तरलया हो कक यह सचचा ह लककन वह सवय तो कस मान सकती ह कक सचचा

ह इसतरलए उसकी आतमा कचोटती ह उस िर मझ दया ह तो कोई उस तक खबर िहचा द तो अचछा ह

आतरखरी परशनः म तरभकष वजजीितत जसा ही ह लककन म भागन की तयारी म नही ह

िछा ह सभारष न

िहली तो बात यकद तम सवीकार कर लो कक म तरभकष वजजीितत जसा ही ह तो तम वजजीितत जस न रह

फकम शर हो गया बड़ा भद आ गया तरजसन जाना कक म अजञानी ह उसक जञान की शरआत हई तरजसन जाना

180

कक म मढ़ ह अब मढ़ता टट जाएगी तरजसन समझा कक म अधर म ह वह परकाश की खोज म लग ही गया इसी

समझ क साथ िहला कदम उठ ही गया

यह समझ लना कक म तरभकष वजजीितत जसा ह सनयासी ह लककन ससार म मरा लगाव ह कीमती बात

ह यही तो वजजीितत को िता नही था कक वह सनयासी ह और ससार म उसका लगाव ह यही उस िता चल

जाता तो फकम हो गए होत यह तमह िता चला

इसीतरलए तो वजजीितत की कथा कही ह कक तमह िता चल और भी ह यहा जो वजजीितत जस ह िर

उनहोन नही िछा तरसफम सभारष न िछा ह तो कथा सभारष तक िहची ह सभारष को लाभ हआ बाकी न सना

होगा उनहोन कहा कक ह ककसी की कथा कोई हआ होगा वजजीितत रहा होगा नासमझ कक सनयासी हो गया

और ससारी बना रहा हम तो ऐस नही उनहोन बात अिन िर न लगायी होगी उनहोन वजजीितत की बात

वजजीितत की ही रहन दी होगी व चक गए सभारष गणी ह उसन सवीकार ककया कक म वजजीितत जसा ह इसी

सवीकतरत म भद िड़ना शर हआ

और दसरी बात सभारष न कही ह लककन म भागन की तयारी म नही ह

वह तम कर न सकोग कई कारणो स

एक तो सभारष आलसी भागन क तरलए तो थोड़ा सा आदमी चातरहए न कक जरा भागन म भी तो कछ

करना िड़ता ह तमहारा आलसय तमहारा भागय ह तम भाग न सकोग इसस आलसय का लाभ ह घबड़ाना

मत आलसी न होत तो शायद भाग जात सभारष िकक आलसी ह आलसी-तरशरोमतरण ककसी कदन बन सकत ह

अषटावकर की सनो तम लाओतस की गनो तम आलसय को ही रिातररत करो साधना म भागना-वागना तमस

होन वाला नही ह भागन क तरलए सककरयता चातरहए कममठता चातरहए वह तमहार बस की बात नही ह

दसरी बात बदध स भागना तरजतना आसान था उतना आसान मर िास स भागना नही ह बदध कठोर

थ कठोर इस अथम म कक उनकी परककरया करठन थी कठोर थ इस अथम म कक उनका मागम तिियाम का मागम था

म कठोर नही ह मरा मागम सगम ह तिियाम का नही ह मरा मागम सहजता का ह हा कभी-कभी जब म

दखता ह ककसी वयतरि को तिियाम का मागम ही ठीक िड़गा तो उसस म कहता ह--करो कयोकक यही उसक

तरलए सहज ह खयाल रखना मरा कारण उसस हा भरन का हा भरन का कारण यह नही कक म तिियाम का

िकषिाती ह हा भरन का कारण इतना ही होता ह कक उस आदमी को तिियाम ही सहज ह

ककसी को म कभी उिवास क तरलए भी हा भर दता ह कक करो कयोकक म दखता ह उस आदमी क तरलए

उिवास तरजतना सहज ह और कोई सहज नही मगर मरा कारण सदा सहजता होती ह म दख लता ह कौन सी

बात सहज ह कौन सी बात तमहार साथ छदबदध हो जाएगी कौन सी बात क साथ तम सरलता स चल सकोग

तो तम जो भी करत हो म उसी म स तमहारा मागम खोजता ह म कहता ह तम जहा हो वही स िरमातमा तक

िहचा जा सकता ह तमह अनयथा होन की जररत नही ह वही स यािा शर कर दो जस हो वस ही यािा

शर कर दो

बदध की बात कठोर थी बदध कहत िहल तमह ऐसा होना िड़गा तब िरमातमा की यािा शर होगी

फकम समझना

बदध कहत थ कक िहल तमह एक खास चौरसत िर आना िड़गा उस चौरसत स रासता जाता ह सतय की

तरफ और उस चौरसत और तमहार बीच हो सकता ह बहत फासला हो वजजीितत और चौरसत क बीच बहत

181

फासला रहा होगा वह वहा तक िहच नही िा रहा था म कहता ह कक तम उस चौरसत िर हो ही जहा स

रासता जाता ह इसतरलए तमह ककसी रासत को तय करक रासत िर नही आना ह रासत िर तो तम हो ही और

वही जो तमहार िास उिलबध ह उसी सामगरी का ठीक-ठीक उियोग कर लना ह

तो म शराबी को शराब तक छोड़न को नही कहता छट जाती ह यह दसरी बात ह--अभी तर न दो कदन

िहल अिनी बोतल मर िास भट करवा दी--छट जाती ह यह दसरी बात ह मगर मन कभी उसस कहा नही

था अब उसन अिन आि भज दी ह बोतल खद जान वािस चाह म वािस द सकता ह मझ शराब की बोतल

स कछ झगड़ा नही ह शराब की बोतल का कया कसर

उसन तो कई दफा मझस िछा ह कक भगवान कह द--और म जानता था कक म कह द तो वह छोड़गी भी

मानगी भी मर कहन की ही परतीकषा थी लककन मन कभी उसस कहा नही कक छोड़ द कयोकक मर कहन स

अगर छोड़ दी तो करठन हो जाएगी मर कहन स छोड़ दी तो जबदमसती हो जाएगी म जबदमसती का िकषिाती

नही ह म धीरज रख सकता ह मन परतीकषा की--छटगी ककसी कदन छटगी अिन स जब छट जाए तो मजा ह

तो बात म एक सौदयम ह

अब उसन खद ही अिन हाथ स बोतल मर िास भज दी ह अब म बोतल उसकी समहालकर रख हए ह

कही जररत िड़ उसको कफर तो म सदा वािस दन को तयार ह तरनःसकोच भाव स बोतल वािस मागी जा

सकती ह और मर मन म तब भी जनदा नही होगी कक तमन बोतल वािस कयो मागी कयोकक मरी सारी चषटा

यहा यही ह कक तम तरजतन सहज हो जाओ तरजतन सरल हो जाओ तमहारी सरलता स ही सगध उठन लगगी

तमहारी सरलता स ही तम सतय की तरफ िहचन लगोग

कफर सभी लोगो क तरलए सरलता अलग-अलग ढग की होती ह यह खयाल रखना ककसी क तरलए एक

बात सरल ह दसर क तरलए वही बात करठन हो सकती ह अब जस सभारष की बात ह सभारष क तरलए आलसय

तरबलकल सहज ह अगर यह बदध जस वयतरि क हाथ म िड़ जाए तो करठनाई म िड़गा बदध इसक तरलए अलग

स वयवसथा नही दग उनकी एक वयवसथा ह उस वयवसथा म सभारष को बठना िड़गा सभारष को बड़ी करठनाई

स गजरना िड़गा मरी कोई वयवसथा नही ह मर तरलए तम मलयवान हो तमह दखकर वयवसथा जटाता ह

इस फकम को खयाल म रखना बदध की एक वयवसथा ह एक अनशासन ह एक ढग ह एक साधना-िदधतरत

ह मरी कोई साधना-िदधतरत नही ह मर िास तमह दखन की एक दतरषट ह तमह दख लता ह कक तम आलसी हो

तो म कहता ह--ठीक तो तरलख दता ह तरपरतरसकरपशन--लाओतस अषटावकर तम इनक साथ चलो इनस तमहारी

दोसती बनगी मल बनगा य लोग आलसी थ और िहच गए तम भी िहच जाओग मगर इनकी सनो अगर

दखता ह कक कोई आदमी बहत कममठ ह कक शात बठना उस आसान ही नही होगा तो उस खब नचाता ह कक

नाचो कदो चीखो-तरचललाओ दौड़ो योग करो--कराट तक की वयवसथा आशरम म कर रखी ह कछ लोग आ

जात ह तरजनको कक जझन का मन ह तरबना जझ तरजनको शातरत नही तरमलगी उनको कहता ह--कराट चलो

यही सही कही स भी चलो

इस कमयतरनटी म मरी आकाकषा ह कक दतरनया म तरजतन उिाय रह ह अब तक और तरजतन उिाय कभी और

हो सकत ह भतरवषय म व सब उिाय उिलबध हो जाए ताकक ककसी वयतरि को ककसी दसर क उिाय स चलन

की अड़चन म न िड़ना िड़ वह अिना ही मागम चन ल इतन अनत मागम ह परभ क इतन अनत मागम ह परभ

कजस नही ह कक तम एक मागम स आओग तो ही सवीकार होओग परभ क अनत मागम ह और हर आदमी क तरलए

कोई न कोई मागम ह जो सगम होगा म उस सगम की तलाश करता ह

182

तो तम मर िास स भाग भी न सकोग कयोकक म तमह कषट ही नही दता भागोग कस भागन क तरलए

भी तो थोड़ा कषट तमह कदया जाना चातरहए भागन क तरलए भी तो तमह थोड़ा सा कारण तरमलना चातरहए तम

मर िास स भागोग कस मर िास स तो कवल व ही भाग सकत ह जो तरनतात अध ह जो तरनतात बहर ह जो

तरनतात जड़ ह जो न सन सकत न समझ सकत न मरा सिशम अनभव कर सकत तरजनक जीवन म कोई सवदना

नही ह कवल व ही लोग भाग सकत ह मगर व रह तो भी कोई सार नही ह जाए तो भी कछ हातरन नही ह--

हातरन न लाभ कछ रह तो ठीक--बकार रहना--चल जाए तो ठीक कयोकक रहन स कछ तरमलन वाला नही था

जान स कछ खोएगा नही

लककन तरजनक भीतर थोड़ी भी बतरदध ह--थोड़ी भी बतरदध ह--तरजनक भीतर जरा सी भी चतना ह और जरा

सवदनशीलता ह व नही भाग सक ग मर साथ उलझ सो उलझ कफर यह जनम-जनम का सबध हआ कफर यह

चलगा यह कफर ऐसा तरववाह ह तरजसम तलाक नही होता इस सनयास को जरा सोच-समझकर लना इसस

तरनकलन का उिाय नही छोड़ा ह

आज इतना ही

183

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ परवचन

धयान का दीि करणा का परकाश

अवजज वजजमतरतनो वजज च वजजदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 263

वजजच वजजतो ातवा अवजजच अवजजतो

सममाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत सगगजत 264

अह नागोव सगाम चाितो ितरतत सर

अतरतवाकय तरततरततरकखसस दससीलो तरह बहजजनो 265

दत नयतरत सतरमजत दत राजातरभरहतरत

दतो सटठो मनससस योतरत वाकय तरततरतकखतरत 266

नतरह एततरह यानतरह गचछय अगत कदस

यथाततना सदतन दतो दतन गचछतरत 267

इद िर तरचततमचारर चाररक

यतरनचछक यतथ काम यथासख

तदजजह तरनगगहससातरम योतरनसो

हतरथपितरभनन तरवय अकसगगहो 268

परथम दशय--

गौतम बदध का नाम ही सकीणम सापररदातरयक तरचतत क लोगो को भयाकरात कर दता था उस नाम म ही

तरवदरोह था वह नाम आमल करातरत का ही ियामयवाची था ऐस भयभीत लोग सवय तो बदध स दर-दर रहत ही

थ अिन बचचो को भी दर-दर रखत थ बचचो क तरलए यवको-यवतरतयो क तरलए उनका भय सवभावतः और भी

जयादा था ऐस लोगो न अिन बचचो को कह रखा था कक व कभी बदध की हवा म भी न जाए उनह उनहोन शिथ

कदला रखी थी कक व कभी भी बदध या बदध क तरभकषओ को परणाम न करग

एक कदन कछ बचच जतवन क बाहर खल रह थ खलत-खलत उनह पयास लगी व भल गए अिन माता-

तरिताओ और धममगरओ को कदए वचन और जतवन म िानी की तलाश म परवश कर गए सयोग की बात कक

भगवान स ही उनका तरमलना हो गया भगवान न उनह िानी तरिलाया और बहत कछ और भी तरिलाया--परम भी

तरिलाया ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी व बचच खल इतयाकद भलकर कदनभर

184

भगवान क िास ही रह ऐसा परम तो उनहोन कभी न जाना था न जाना था ऐसा चबकीय आकरषमण न दखा था

ऐसा सौदयम न दखा था ऐसा परसाद ऐसी शातरत ऐसा आनद ऐसा अिवम उतसव व भगवान म ही डब गए वह

अिवम रस वह अलौककक रग उन सरल बचचो क हदयो को लग गया व कफर रोज ही आन लग व भगवान क

िास धीर-धीर धयान म भी बठन लग उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी

कफर उनक मा-बाि को खबर लगी मा-बाि अतरत करदध हए िर अब बहत दर हो चकी थी बहत उनहोन

तरसर मारा उनक ितरडत-िरोतरहतो न बचचो को समझाया डाटा-डिटा भय-लोभ साम-दाम-दड-भद सब का

उन छोट-छोट बचचो िर परयोग ककया गया िर जो छाि बदध की िड़ गयी थी सो िड़ गयी थी कफर तो य मा-

बाि बहत रोए भी िछताए भी जस बदध न उनक बचचो को तरबगाड़ कदया हो उनकी नाराजगी इतनी थी और

व कहत कफरत थ कक इस भषट गौतम न हमार भोल-भाल बचचो को भी भषट कर कदया ह

अततः उनका िागलिन ऐसा बढ़ा कक उनहोन उन बचचो को भी तयाग दन की ठान ली और एक कदन व

उन बचचो को सौि दन क तरलए बदध क िास गए िर यह जाना उनक जीवन म भी जयोतरत जला गया कयोकक व

भी बदध क ही होकर वािस लौट बदध क िास जाना और बदध क तरबना हए लौट आना सभव भी नही ह इन

लोगो स ही बदध न य गाथाए कही थी

गाथाओ क िहल इस छोटी सी कहानी को सरल सी कहानी को ठीक स हदय िर अककत हो जान द

जब भी कोई धारममक वयतरि इस िथवी िर हआ ह तो सवभावतः तरवदरोही होता ह धमम तरवदरोह ह धमम

का और कोई रि होता ही नही धमम कभी िरिरा बनता ही नही और जो बन जाता ह िरिरा वह धमम नही

ह िरिरा तो ऐसी ह जस साि तरनकल गया और रासत िर साि क गजरन स बन गए तरचहन छट गए िरिरा

तो ऐसी ह जस कक तम तो गजर गए रासत िर बन हए तमहार जतो क तरचहन छट गए

कनफयतरसयस क जीवन म उललख ह कक वह लाओतस स तरमलन गया था यह तरमलन िरिरा और धमम का

तरमलन ह कनफयतरसयस ह िरिरा--जो अतीत का ह वही शरि ह जो हो चका वही शरि ह सब शरि हो चका ह

अब और शरि होन को बचा नही ह कनफयतरसयस क तरलए तो अतीत का समरण ही सार ह धमम का वह

िरिरावादी था वह गया लाओतस को तरमलन लाओतस ह धारममक अतीत तो ह ही नही उसक तरलए और

भतरवषय भी नही ह जो ह वतममान ह

जब कनफयतरसयस न अिनी िरिरावादी बात लाओतस को कही तो लाओतस बहत हसा और उसन यही

शबद कह थ उसन कहा था िरिरा तो ऐस ह जस आदमी तो गजर गया और उसक जत क तरचहन रत िर िड़

रह गए व तरचहन आदमी तो ह ही नही आदमी क जत भी नही ह जीतरवत आदमी तो ह ही नही उन तरचहनो

म जीतरवत आदमी की तो छोड़ो मदाम जत भी उन तरचहनो म नही ह जतो क भी तरचहन ह व छाया की भी

छाया ह

कनफयतरसयस तो बहत डर गया था उसन लौटकर अिन तरशषयो को कहा था इस आदमी क िास भलकर

मत जाना इसकी बात खतरनाक ह

िर धमम खतरनाक ह ही धमम स जयादा खतरनाक और कोई चीज िथवी िर नही ह लककन तम अकसर

दखोग भीरओ को धारममक बन कमजोरो को निसको को धारममक बन घटन टक पराथमनाए-सततरत करत हए

भयाकरात उनका भगवान उनक भय का ही तरनचोड़ ह

तो तरनतरित ही तरजस धमम को य धमम कह रह ह वह धमम नही हो सकता धमम तो खतरनाक ढग स जीन

का नाम ह धमम का अथम ही ह तरनरतर अतरभयान धमम का अथम ही ह िरान और तरिट-तरिटाए स राजी न हो

185

जाना नए की मौतरलक की खोज धमम का अथम ह अनवरषण धमम का अथम ह तरजजञासा ममकषा धमम का अथम ह

उधार और बास स ततरपत नही अिना अनभव नही कर लग तब तक तपत नही होग धमम वद स राजी नही होता

जब तक अिना वद तरनरममत न हो जाए धमम समतरत म नही ह शरतरत म नही ह धमम अनभतरत म ह

जहदओ क कछ गरथ कहलात ह शरतरत सना तरजनह और कछ गरथ कहलात ह समतरत याद रखा तरजनह

जहदओ क सार गरथ दो तरहससो म बाट जा सकत ह--शरतरत और समतरत या तो सना या याद रखा लककन धमम तो

होता ह अनभतरत न शरतरत न समतरत

बदध उसी धमम क परगाढ़ परतीक थ व कहत थ--जानो सवानभव स जानो अपि दीिो भव सवभावतः

िरिरावादी घबड़ाता रहा होगा सापरदातरयक घबड़ाता रहा होगा कयोकक सपरदाय का असली दशमन धमम ह

आमतौर स तम सोचत हो कक जहद का दशमन मसलमान मसलमान का दशमन जहद तो गलत सोचत हो

दोनो सापरदातरयक ह लड़ ककतन ही मगर वासततरवक दशमनी उनकी नही ह एक एक तरह की समतरत को

मानता ह दसरा दसरी तरह की समतरत को मानता ह तरववाद उनम ककतना ही हो लककन मौतरलक मतभद नही

ह दोनो समतरत को मानत ह दोनो अतीत को मानत ह

असली तरवरोध तो होता ह धमम का और एक मज की बात ह कक धमम का तरवरोध सार सपरदाय तरमलकर

करत ह

इस तम कसौटी समझना जब बदध जसा वयतरि िदा होता ह तो ऐसा नही कक जहद उसका तरवरोध करत

ह और जन तरवरोध नही करत कक जन तरवरोध करत ह जहद तरवरोध नही करत कक मसलमान तरवरोध करत ह

ईसाई तरवरोध नही करत जब भी बदध जसा वयतरि िदा होगा तब तम एक चमतकार दखोग कक सभी

सापरदातरयक लोग उसका इकटठ होकर तरवरोध करत ह--जहद हो कक मसलमान कक ईसाई कक जन--सभी तरमलकर

उसका तरवरोध करत ह कयोकक वह सपरदाय क मल िर ही चोट कर रहा ह वह यह कह रहा ह कक धमम सपरदाय

बन ही नही सकता सपरदाय लाश ह मरा हआ धमम ह इस लाश स तरसफम दगध तरनकलती ह इसस ककसी की

मतरि नही होती इस लाश को ढोत रह तो तम भी धीर-धीर लाश हो जाओग तो यह छोटी सी कथा शर

होती ह--

गौतम बदध का नाम सकीणम सापरदातरयक तरचतत क लोगो को भयाकरात कर दता था

उस नाम म अगार था उसस भय िदा हो जाता था और भय तभी िदा होता ह जब तम जो िकड़ हो

वह गलत हो नही तो भय िदा नही होता

तमन अगर सतय को ही सवीकार ककया हो तो तम तरनभमय हो जात हो सतय तरनभमय करता ह सतय मि

करता ह असतय को िकड़ा हो तो तम सदा भयभीत रहत हो कक कही सतय सनायी न िड़ जाए कही ऐसा न

हो कक कोई बात मरी मानयता को डगमगा द इसतरलए सापरदातरयक लोग कहत ह कक सनना ही मत दसर की

बात गनना ही मत दसर क िास जाना ही मत

कयो इतना कया भय ह तमहार िास सतय ह तो तम घबड़ात कयो हो तमहारा सतय ककसी की बात

सनकर तरहल जाएगा तमहारा सतय ककसी की बात सनकर उखड़ जाएगा तो ऐस दो कौड़ी क सतय को कया

मलय द रह हो जो ककसी की बात सनकर उखड़ जाएगा वह तमह जीवन क भवसागर क िार ल जा सकगा

जो सनन स तरबखर जाता ह वह तमहारी मौत म तमहारा साथी हो सकगा

वह तरबखरता इसीतरलए ह कक तमहार भीतर सदह तरछिा ह तम भी जानत हो कक सतय तो यह नही ह

तम भी ककसी तल िर िहचानत हो कक सतय तो यह नही ह मगर इस बात को तरछिाए हो दबाए हो अधर म

186

सरका कदया ह अचतन मन म दरवाज बद करक ताला लगाकर डाल कदया ह लककन तम जानत हो ताला

तमही न लगाया ह तमह िता ह कक अगर सतय की ककरण आएगी तो मरी बात झठ हो जाएगी इसतरलए सतय

की ककरण स बचो अिन अधर को समहालो और सतय की ककरण स बचो

सतय अभय करता ह और असतय भयभीत करता ह

व घबड़ात थ लोग कयोकक एक बात तो साफ थी कक कछ ह बदध क िास कछ धार कछ परखरता कक

बदध की मौजदगी म असतय असतय कदखायी िड़न लगता ह सतय सतय कदखायी िड़न लगता ह कक बदध की

मौजदगी म समयक-दतरषट िदा होती ह लककन हमन असतय क साथ बहत स सवाथम जोड़ रख ह हमार नयसत

सवाथम ह उन नयसत सवाथो को छोड़न की हमारी तयारी नही ह तो यही उतरचत ह कक सतय सनो ही मत

अनयथा जमी-जमायी दतरनया तरबखर जाए एक वयवसथा बनाकर बठ गए ह एक सरकषा ह सब ठीक-ठाक चल

रहा ह इस कयो गड़बड़ करना इस अजञात को कयो तरनमिण दना इस अनजान को कयो बलाना घर म मत

लाओ इस अतरततरथ को ककसी तरह तमन अिन घर को जमा तरलया ह अब नए को लाकर और कफर स जमाना

िड़गा

तो जस-जस लोग बढ़ होन लगत ह वस-वस भय जयादा िकड़न लगता ह अब उमर भी जयादा नही रही

मौत भी करीब आती ह

म अिन गाव जाता ह--जाता था--तो मर एक तरशकषक ह सकल म मझ िढ़ाया उनस मझ लगाव ह तो

उनक घर म सदा जाता था एक बार गाव गया तो उनहोन अिन बट को भजा और मझ कहलवाया कक मर घर

मत आना म थोड़ा हरान हआ मन उनक बट को िछा कक बात कया ह तो उनहोन कहा कक व रोत थ जब

उनहोन यह बात कहलवायी दखी थ लककन उनहोन कहलवाया कक मर घर मत आना तो मन कहा कक तम

उनस कहना एक बार और आऊगा बस एक बार

तो म गया उनक घर मन िछा कक बात कया ह उनहोन कहा बात अब तम िछत हो तो तमस कह द

अब म बढ़ा हआ तमहारी बात सनकर मरी आसथाए डगमगाती ह अब यहा मौत मर करीब खड़ी ह अब

तमहारी बात सनकर म कोई नयी बात शर कर भी नही सकता नयी बात शर करन क तरलए समय भी मर

िास नही ह तरिछली बार तम आए तब स म ठीक स माला नही फर िाया माला फरता ह तमहारी याद आती

ह कक सब कफजल ह राम-राम जिता ह तमहारी बात याद आती ह कक कोका-कोला जिो तो भी ऐसा ही

िररणाम होगा तम मझ बहत सता रह हो मरतम क सामन बठता ह और म जानता ह कक मरतम ितथर ह और

अब मौत मरी करीब आती ह तम दखत हो मर हाथ-िर किन लग अब म उठ भी नही सकता मझ मर ऊिर

छोड़ दो

मन उनस कहा मझ कछ अड़चन नही ह लककन जो बात होनी शर हो गयी ह अब उस रोका नही जा

सकता जो अकर फट चका ह उस अब रोका नही जा सकता अब तम लाख उिाय करो तो तम राम-राम अब

उसी अधशरदधा स नही कह सकत जो तम िहल कहत रह हो और मन उनस कहा अगर मरी सनत हो तो म तो

कहगा कक मौत करीब आ रही ह इसतरलए जलदी बदल लो कयोकक जो तम समझन लग हो कक वयथम ह मौत म

टट जाएगा अगर एक कदन बचा ह तो एक कदन काफी ह अगर एक कषण बचा ह तो एक कषण काफी ह इस

एक कषण म भी जीवनभर का कचरा छोड़ दो और िहली बार तरहममत जटाओ िहली बार शात बनन की

तरहममत जटाओ और म तमस यह नही कह रहा ह कक कोई दसरा नाम जिो म तमह कोई दसरा मि नही द

रहा ह म तमस इतना ही कह रहा ह कक जो तमह झठा लगता ह अब उस मत जिो तरबना जित हए मर

187

जाओ हजाम नही ह तरबना मरतम क सामन बठ मर जाओ हजाम नही ह कयोकक जो मरतम झठ हो गयी ह तमह म

न आऊगा इसस कछ फकम न िड़गा और म कभी भी न आया होता तो भी मरतम झठी ही थी चाह तमह याद

आती चाह न आती झठ स कोई िार नही होता झठ की नाव नही बनती तरसफम सतय की नाव बनती ह

जस-जस आदमी बढ़ा होता ह और डरन लगता ह

इसतरलए अकसर दतरनया म जब भी बदध जस वयतरि िदा होत ह तो जवान उनह िहल सवीकार करत ह

यवक-यवतरतया िहल सवीकार करत ह छोट बचच भी कभी सवीकार कर लत ह लककन बड़-बढ़ो को बड़ी

करठनाई होती ह अगर बड़-बढ़ सवीकार भी करत ह तो थोड़ स बड़-बढ़ जो शरीर स शायद बढ़ हो गए हो

लककन आतमा स जो जवान होत ह यवा होत ह जो भीतर स अभी भी कायर नही हो गए होत ह

उमर कायर कर दती ह आदमी को जवानी म आदमी सोचता ह ठीक जो हो उस िर चलगा बढ़ाि म

सोचन लगता ह तरजस िर चलता रहा ह उसी िर चलता रह अब कहा ठीक कहा गर-ठीक अब समय कहा

अब कफर स तरनणमय करना महगा िड़ सकता ह कही ऐसा न हो जो हाथ म ह वह भी छट जाए और जो हाथ म

नही ह वह तरमल भी न जस-जस बढ़ािा आता ह वस-वस आदमी भीर होन लगता ह

बदध जस वयतरियो क िास नबब परतरतशत तो यवा जात ह दस परतरतशत वदध जात ह व वदध भी गररमा ह

इस िथवी की व वदध ही गररमा ह इस िथवी की कयोकक व अभी भी जवान ह व मौत क आतरखरी कषण तक भी

अगर उनह िता चल जाए कक सतय कया ह तो सतय क साथ खड़ होन की तयारी रखत ह असतय को छोड़ दग

चाह असतय क परतरत िरा जीवन ही कयो न समरिमत रहा हो इतनी तरहममत इतना साहस तरजसम न हो वह

धारममक हो भी नही िाता और इसीतरलए धममगर बहत डर रहत ह कक छोट बचच इस तरह क खतरनाक लोगो क

िास न जाए

इधर रोज ऐसी घटना घटती ह यह कहानी कछ उसी कदन होकर चक गयी ऐसा नही आज भी घटती

ह आज भी वसी ही घट रही ह म गवातरलयर म गवातरलयर की महारानी का महमान था उनहोन मझ सना

उनक बट न भी सना दसर कदन व मझ तरमलन आयी और उनहोन मझस कहा मरा बटा भी आना चाहता था

लककन म उस साथ लायी नही कयोकक मझ आिकी बात खतरनाक मालम होती ह हम तो बड़-बढ़ ह हम तो

समझ लत ह लककन छोट बचच ह व तो इन बातो म िड़कर भषट हो सकत ह

मन कहा मरी बात सही ह या गलत इसकी हम कफकर कर छोट-बड़ो की बात िीछ कर लग

ससकारशील मतरहला ह कहा कक नही गलत तो म नही कह सकती सही ही होगी मगर बड़ी दर की ह हमार

काम की नही मन कहा सतय ककतन ही दर का हो सदा काम का ह और असतय ककतना ही िास हो कभी

काम का नही इसतरलए असली सवाल दरी और िास का नही ह असली सवाल तो सच और झठ का ह उनहोन

कहा जो भी हो लककन म अिन बट को नही लायी ह कयोकक मझ डर लगा कक वह तरबगड़ सकता ह

मन कहा तम कयो आ गयी हो तमह डर नही ह तरबगड़न का इसका मतलब यह हआ कक कया तम मर

चकी हो जीतरवत नही हो अब तमह सतय की आवाज सनकर हदय म कोई सिदन नही होता इसतरलए तम

चली आयी हो कयोकक अब तम कायर हो गयी हो अब तमन जजदगी स बहत समझौता कर तरलया अभी

तमहारा बटा समझौत नही ककया ह अभी तमहार बट का जीवन शरष ह अभी तमहार बट क भीतर पराण ह

इसस तम डर रही हो

यह सदा होता रहा ह म कई बतरसतयो म रहा ह जहा रहा ह वही यह घटना रोज घटती रही ह लोग

अिन बचचो को मर िास आन स रोकत ह खद चाह कभी आ भी जाए मगर बचचो को आन स रोकत ह कयोकक

188

खद िर तो उनह भरोसा ह भरोसा इस बात का ह कक हम तो गए भरोसा इस बात का ह कक हमन तो

समझौता गहरा कर तरलया ह भरोसा इस बात का ह कक हम तो असतय म रच-िच गए ह उनह कोई डर नही

ह लककन बचच अभी बचच सरल ह साफ-सथर ह अभी बचचो का कोई िकषिात नही ह अभी बचचो न धारणाए

नही बनायी अभी उनक हदय सतय को सनग तो झकत हो सकत ह

तमहार हदय तो टट चक तमन अिना तार उखाड़ कदया ह तमन झठ क साथ इतना सग-साथ ककया ह

कक झठ न सब तरफ दीवाल खड़ी कर दी ह सतय िकारता भी रह तो झठ का शोरगल तमहार भीतर इतना ह

कक सतय की िकार नही िहचती लककन बचच सरल ह सीध ह अभी उनक बीच और सतय क बीच दीवाल नही

ह अभी बचच नए का आवाहन सन सकत ह नए की चनौती सन सकत ह

तो डरत होग लोग कक बदध क िास उनक बचच न जाए ऐस भयभीत लोग सवय तो बदध स दर-दर रहत

ही थ अिन बचचो को भी दर-दर रखत थ बचचो क तरलए यवक-यवतरतयो क तरलए उनका भय सवभावतः और भी

जयादा था

कयो कयोकक बचच की सलट अभी खाली ह इस िर बदध क हसताकषर उभर आए तो इसका जीवन कछ

और हो जाएगा डर ह कक कही यह बदध की बात सन न ल कयोकक यह सन सकता ह अभी अभी इसक कान

बहर नही हए ह और अभी आख इसकी अधी नही हई ह अभी इसक मन क दिमण िर बहत जयादा धल नही

जमी ह अभी यह बदध क िास जाएगा तो उनकी छतरव इसम अककत हो सकती ह तरजनहोन अिन दिमण तरबगाड़

तरलए ह तरजनक दिमणो िर बहत धल जम गयी ह व चल भी जात ह बदध क िास तो कोई छतरव नही बनती

खाली जात ह खाली लौट आत ह

इसतरलए सारी दतरनया क तथाकतरथत धारममक लोग अिन बचचो को बड़ जलदी स अिन ही धमम म दीतरकषत

करन म लग जात ह न उनक िास धमम ह न उनक िास समझ ह न बझ ह न उनक िास सतय ह लककन जो

भी असतय का कड़ा-करकट उनक मा-बाि उनह द गए थ व अिन बचचो को द दत ह बड़ी जलदी करत ह छोट-

छोट बचचो को मकदर भजन लगत ह मतरसजद भजन लगत ह गरदवारा भजन लगत ह छोट-छोट बचचो क मन म

वही कड़ा-करकट जो खद ढो रह ह डालन लगत ह न उनह उस कड़-करकट स कोई सोना तरमला ह न उनह

आशा ह कक इनह तरमलगा मगर एक ही आशा बाधकर चलत ह कक हम तरजस दतरनया म रह हमार बचच भी उसी

म रह यह परम ह

खलील तरजबरान न कहा ह परम का तो लकषण यह होता ह कक मा-बाि यह पराथमना करग िरमातमा स कक

हमार बचच हमस आग जाए जहा तक हम नही जा सक वहा जाए तरजन िवमत-तरशखरो को हमन नही छआ

हमार बचच छए तरजन आकाश की ऊचाइयो म हम नही उड़ हमार बचच उड़ हमार बचच हमारी ही सीमा म

समापत न हो जाए यह होगा परम का लकषण लककन परम ह कहा

तरजस बट को तम सोचत हो म परम करता ह उसको भी तम परम नही करत अगर तम परम करत होत तो

तमहारा वयवहार दसरा होता अगर तम परम करत होत तो तम अिन बट को कहत कक बटा जहद मत होना

कयोकक म जहद रहा और मन कछ भी न िाया मसलमान मत होना कयोकक म मसलमान रहा और म तरसफम

लड़ा और झगड़ा और मन कछ नही िाया तम अिन बट स कहोग अगर तम उस परम करत हो कक जो भल मन

की त मत दोहराना कही ऐसा न हो कक जसा मरा जीवन वयथम की बातो म उलझा और रतरगसतान म खो गया

उतसव हाथ न लगा रस की कोई धार न बही कोई गीत न फटा कोई फल न तरखल ऐसा तर साथ न हो जाए

मर बट त धयान रखना त मकदर-मतरसजद स सावधान रहना म इनही म उलझ गया त मकदर-मतरसजद स

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अिना आचल बचाकर तरनकल जाना त सतय की खोज करना म नही कर िाया म कायर था मन अिन बड़-

बढ़ो की बात मान ली थी और मन खद कभी खोज नही की त मरी बात मत मानना ककनही कमजोर कषणो म

अगर म आगरह भी कर कक मरी बात मान ल तो भी मत मानना त तरहममत रखना त साहस रखना और अिना

ही सतय खोजना कयोकक तरनजी सतय ही कवल सतय ह जो सवय की खोज स तरमलता ह वही मि करता ह

लककन इतना परम कहा ह परम ही होता तो िथवी और ढग की होती यहा जहद न होत मसलमान न

होत यहा जहदसतानी और िाककसतानी न होत यहा गोर और काल म भद न होता यहा सतरी और िररष क बीच

इतनी असमानता न होती यहा बराहमण और शदर न होत अगर दतरनया म परम होता तो य मढ़ताए न होती

मगर य मढ़ताए धमम की आड़ म तरछिी बठी ह धमम की तरमठास म खब जहर तरछिा बठा ह

डरत होग लोग कक हमार बचच बदध क िास न चल जाए सोचत व यही होग कक बचचो क परम क कारण

हम ऐसा कर रह ह तमहार सोचन स कया होता ह तम लाख सोचो तम जो करत हो उसका िररणाम

बताएगा कक कया सच ह

बदध आए हो गाव म कौन ऐसा बाि होगा जो अिन बट स न कह कक सब छोड़ लाख काम छोड़ जा

बदध को सन हम तो चक हम तो जीवन म न सन िाए हम अभाग थ त जा हम भी आएग शायद तर जीवन

म जलती ककरण दखकर हमार जीवन म भी कफर जोश आ जाए त अभी यवा ह त शायद जलदी समझ ल

लककन बढ़ सोचत ह कक हम जयादा समझदार ह जस समझदारी का तमहार जजदगी क वयथम क अनभव

स कोई सबध ह कयोकक तम चालीस साल एक ही दफतर सबह गए शाम घर लौट तो तम बड़ अनभवी हो

कक तम गडढा खोदत रह सड़क िर चालीस साल तक तो तम बड़ अनभवी हो कक तमह बड़ा जञान हो गया कक

दकान िर किड़ बचत रह तो तम बड़ अनभवी हो तमहारा अनभव कया ह तमहार अनभव स सतय का सबध

कया ह सतय क जानन क तरलए सरलता जयादा उियोगी ह बजाय तमहारा तथाकतरथत अनभव

अनभव न तमह तरवकत कर कदया ह बहत लकीर खीच दी ह तमहार मन िर इन लकीरो क कारण अब

अगर बदध हसताकषर भी कर तो उनका िता भी न चलगा तम बहर हो गए हो तम अध हो गए हो अिन बचचो

को भजना कयोकक उनकी तजतरसवता अभी कायम ह अिन बचचो को भजना कयोकक अभी व हर ह ताज ह व

जलदी बदध को िहचान लग उनका तालमल ततकषण बठ जाएगा अभी व बहत दर नही गए ह ससार म अभी

सनयास क बहत करीब ह

हर बचचा सनयासी की तरह िदा होता ह और बहत थोड़ भागयशाली लोग ह जो सनयासी की तरह मरत

ह सौ बचचो म स सौ बचच सनयासी की तरह िदा होत ह कफर तरननयानब ससारी हो जात ह

इसक िहल कक बचचा ससारी हो जाए इसक िहल कक कषदर बातो को जयादा मलय दन लग तरवराट क

मकाबल इसक िहल कक रिया जयादा मलयवान हो जाए सतय की तलना म इसक िहल कक िद-परतरतिा जयादा

मलयवान हो जाए परम की तलना म भजना बदधो क िास करवाना सतसग कयोकक जलदी ही बचचा भी तरवकत

हो जाएगा जस तम तरवकत हो गए हो जलदी ही तरवकत हो जाएगा कयोकक तमहारा यह िरा समाज रगण ह

और सभी यहा बीमार ह इन बीमारो क बीच िलगा तो बीमार हो ही जाएगा यहा मा-बाि बीमार ह तरशकषक

बीमार ह धममगर बीमार ह राजनता बीमार ह यह दतरनया बीमारो की ह यह बड़ा असिताल ह यहा सब

अिनी-अिनी बीमारी झल रह ह यहा थोड़ी-बहत दर शायद बचचा अिन को बचा ल जयादा दर न बचा

सकगा जलदी ही बीमार हो जाएगा

190

इसक िहल कक बीमारी उस भी िकड़ ल इसक िहल कक उसकी भी आख धधली होन लग और इसक

िहल कक उसक हदय का सवर भी दबन लग शोरगल म इसक िहल कक वह परम क मकाबल धन को जयादा

मलय दन लग आनद क मकाबल परतरतिा को जयादा मलय दन लग शातरत क मकाबल सममान को जयादा मलय

दन लग सतय क मकाबल जो ससार की कषदर चीजो को खरीदन तरनकल िड़--आतमा बचन लग--और कदलली

िहचन म लग जाए इसक िहल कक वह कदलली की यािा िर तरनकल उस भजना बदधो क िास तम नही गए

कोई हजम नही तमहारा अगर परम ह तो तम जरर भजोग

लककन नही ऐसा होता नही मा-बाि यही सोचत ह कक व परम क कारण रोक रह ह हम बड़ धोखबाज

ह हम गलत काम भी ठीक शबदो की आड़ म करत ह हम बड़ कशल ह हमारी बईमानी बड़ी दकष ह

ऐस लोगो न अिन बचचो को कह रखा था कक व कभी बदध की हवा म भी न जाए

बदध की हवा म जाना भी खतर स खाली नही ह उस हवा म भी कछ ह वह हवा भी छती ह और

झकझोरती ह उस हवा म भी तमहार िततो िर जमी हई धल झड़ जा सकती ह उस हवा म तमहार भीतर जमी

हई गदी हवा बाहर तरनकल सकती ह उस हवा क झोक म तमहार भीतर नयी ताजगी और नए अनभव का सवर

गज सकता ह उस हवा क साथ तमहार जीवन म नयी यािा की शरआत हो सकती ह

कयोकक तरजसन बदध को दखा वह बदध जसा न होना चाह यह असभव ह जो बदध क िास बठा उसक

भीतर एक महतवाकाकषा न जग जाए कक कभी ऐसी शातरत मरी भी हो ऐसा असभव ह जगगी ही ऐसी

आकाकषा तरजसन बदध का परसाद दखा सौदयम दखा वह वसा ही सदर होना चाहगा तरजसन बदध को नही दखा

वह अभागा ह कयोकक उसन अिन भतरवषय को नही दखा

बदध म हम अिन भतरवषय को दखत ह तरजन म कराइसट म कषण म हम अिन भतरवषय को दखत ह य िर

हो गए मनषय ह य िर तरखल गए फल ह य हजार िखतरड़यो वाला कमल िरा का िरा तरखल गया ह इस तरखला

हआ दखकर हम याद आती ह कक हम अभी बद ह हम अभी कली ह हम भी तरखल सकत ह यह समरण ही

जीवन म करातरत का सििात हो जाता ह

तो बदध का िता ही न चल बदध जस वयतरि भी होत ह इसकी भनक न िड़ तो मा-बाि न कहा था

अिन बचचो को कक बदध की हवा म भी न जाना उनहोन उनह शिथ कदला रखी थी कयोकक बचचो का कया

भरोसा बचच सीध-साध भोल-भाल अभी कह द हा घड़ीभर बाद चल जाए और बचचो का यह भी डर ह कक

तम तरजस बात स उनह रोको कक वहा न जाए शायद वहा इसीतरलए चल जाए कक मा-बाि न रोका जरर कछ

होगा बचच बचच ह बचचो का अलग गतरणत ह इनकार क कारण ही जा सकत ह

तो उनको शिथ कदला रखी थी उनको कसम कदलायी थी कहा होगा कक हम मर जाएग अगर तम बदध

क िास गए खाओ कसम अिनी मा की खाओ कसम अिन तरिता की उनहोन कसम भी खा ली थी छोट बचच

ह उनस तम जो करवाओ करग तमहार ऊिर तरनभमर ह तम उनकी हतया करो तो भी गदमन तमहार सामन रख

दग कर भी कया सकत ह तमहार हाथ म उनका जीवन-मरण ह

मनषय-जातरत न बचचो िर तरजतना अनाचार ककया ह उतना ककसी और िर नही जब सारी दतरनया म सब

अनाचार तरमट जाएग तब शायद अतरतम अनाचार जो तरमटगा वह होगा मा-बाि क दवारा ककया गया बचचो क

परतरत अनाचार और वह अनाचार कदखायी नही िड़ता कयोकक परम की बड़ी हमन बकवास उठा रखी ह कक हम

सब परम क कारण कर रह ह तम बचच को मारो तो परम क कारण िीटो तो परम क कारण तरसखाओ कछ तो

परम क कारण तो बचचा इनकार भी नही कर सकता तरवदरोह भी नही कर सकता

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सबस िहल तरवदरोह ककया गरीबो न अमीरो क तरखलाफ तब ककसी न सोचा भी नही था कक एक कदन

तरसतरया िररषो क तरखलाफ बगावत कर दगी अब तरसतरयो न बगावत की ह िररषो क तरखलाफ अभी कोई सोच भी

नही सकता ह कक एक कदन बट बचच मा-बाि क तरखलाफ बगावत करग म तमस कहता ह आगाह रहना वह

कदन जलदी ही आएगा करना ही िड़गा तरजस कदन बचच मा-बाि क तरखलाफ बगावत करग उस कदन साफ होगी

बात कक मनषय-जातरत न अनतकाल स ककतना अनाचार बचचो क साथ ककया ह

मगर अनाचार ऐसा ह कक भोल-भाल बचच उसकी बगावत म तरवदरोह भी नही कर सकत उनको िता भी

नही कक कया सही ह कया गलत ह तम िर भरोसा इतना ह उनकी शरदधा इतनी सरल ह कक तम जो चाहो उन

िर थोि दो जहद बना लो मसलमान बना लो ईसाई बना लो तमह जो बनाना हो बना लो कयोकक बचचा

सरल ह बचचा अभी इतना नरम ह कक जसा ढालो ढाल लो कफर एक दफा ढल गया ढाच म िड़ गया कफर

बहत मतरशकल हो जाता ह ढाचा जब मजबत हो जाता ह तम कहत हो बट अब तमह जहा जाना हो जा सकत

हो कयोकक अब इस ढाच को तोड़ना बहत मतरशकल हो जाएगा छोटा िौधा होता ह तब जहा झकाना चाहो

झक जाता ह कफर बड़ा वकष हो गया कफर झकना बहत मतरशकल हो जाता ह अगर गलत भी ढाच म िड़ गया

तो कफर वही उसक जीवन की कथा हो जाती ह

तो उनहोन कसम कदला रखी थी कक जाना तो दर अगर रासत िर बदध तरमल जाए सयोगवशात कभी

तरभकषा मागत तो परणाम भी न करना बदध की तो बात दर बदध क तरभकषओ को भी परणाम मत करना कयोकक

कछ न कछ बदध का बदध क तरभकषओ म भी तो होगा ही और बदध घम रह थ गाव-गाव उनक तरभकष भी घम रह

थ गाव-गाव डर सवाभातरवक होगा

एक कदन कछ बचच जतवन क बाहर खल रह थ

जतवन म बदध ठहर हए थ बचच बाहर खल रह थ अिन खल म मगन होग दिहरी आ गयी होगी धि

तज हई होगी पयास लगी होगी--घर दर गाव क बाहर--जहा यह जतवन था उसक बाहर खलत-खलत उनह

पयास लग गयी व भल गए अिन माता-तरिताओ और धममगरओ को कदए गए वचन और जतवन म िानी की

तलाश म परवश कर गए कक शायद यहा िानी तरमल जाए बदध ठहर ह बदध क तरभकष ठहर ह िानी जरर होगा

सयोग की बात कक भगवान स ही उनका तरमलना हो गया सामन ही तरमल गए बदध बठ होग अिन वकष

क तल भगवान न उनह िानी तरिलाया और बहत कछ और भी तरिलाया

बदध अगर िानी भी तरिलाए तो साथ ही कछ और भी तरिला ही दत ह तरिला दत ह ऐसा चषटा स नही

होता बदध क हाथ म छआ िानी भी बदधतव की थोड़ी खबर ल आता ह बदध की आख भी तम िर िड़ तो भी

कछ तमहार भीतर उमगन लगता ह बदध तमहारी आख म आख डालकर भी दख ल तो तमहार भीतर बीज

फटन लगता ह

बदध न बहत कछ और भी तरिलाया--परम भी तरिलाया

बदध का वयतरितव ही परम ह बदध न कहा ह धयान की िररसमातरपत करणा म ह धयान जब िररिणम हो

जाता ह तो करणा की जयोतरत फलती ह धयान का दीया और करणा का परकाश धयान की कसौटी कहा ह कक

जब करणा फल परम फल य छोट-छोट बचच पयास होकर आ गए ह इनह िानी तरिलाया इनह और कछ भी

तरिलाया--इनह बदधतव तरिलाया

बदधो क िास जाओ तो बदधतव क अलावा और उनक िास दन को कछ ह भी नही छोटी-मोटी चीज

उनक िास दन को ह भी नही बड़ी स बड़ी चीज ही बस उनक िास दन को ह वही द सकत ह जो व ह

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परम भी तरिलाया ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी

जीसस क जीवन म एक ऐसा ही उललख ह जीसस जा रह ह अिन गाव राजधानी स लौट रह ह बीच

म एक कए िर ठहर ह उनह पयास लगी ह कए िर िानी भरती सतरी स उनहोन कहा मझ िानी तरिला द म

पयासा ह उस सतरी न उनह दखा उसन कहा लककन आि खयाल रख म हीन जातरत की ह आि मर हाथ का

िानी तरिएग जीसस न कहा कौन हीन कौन शरि त मझ तरिला म तझ तरिलाऊगा उस सतरी न कहा म समझी

नही आि कया कहत ह आि यह कया कहत ह कक त मझ तरिला म तझ तरिलाऊगा जीसस न कहा हा त जो

िानी तरिलाती ह उसस तो थोड़ी दर को पयास बझगी म तझ जो िानी तरिलाऊगा उसस सदा-सदा क तरलए

पयास बझ जाती ह

बदध या जीसस तमहार भीतर एक नयी पयास को जगात ह कफर उस नयी पयास को बझान का उिाय भी

बतात ह नयी पयास ह--कस हम उस जीवन को जान जो शाशवत हो कस हम इस कषणभगर स मि हो कस

इस समय म बध हए स हमारा छटकारा हो कस हम कषदर क िार हो और तरवराट म हमार िख खल तो िहल

तो पयास जगात ह पयास जग तो यािा शर होती ह पयास हो तो िानी की तलाश शर होती ह और एक बार

िानी की तलाश शर हो जाए तो िानी सदा स ह और बहत ही करीब ह सरोवर भरा ह तमम पयास ही

नही थी इसतरलए तम सरोवर स चकत रह

तो बदध न ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी व बचच खल इतयाकद भलकर कदनभर

भगवान क साथ ही रह

छोट बचच थ सरल थ जो उनक मा-बाि क तरलए सभव नही था वह उनह सभव था व िहचान गए इस

आदमी का जो सवर था उनह सनायी िड़ा शायद कोई उनस िछता तो व कछ जवाब भी न द सकत--जवाब

दन योगय उमर उनकी थी भी नही--लककन गिचि बात समझ म िड़ गयी ऐसा आदमी उनहोन िहल दखा नही

था यह आदमी कछ और ही ककसम का आदमी था इन और ही ककसम क आदतरमयो को आदतरमयो स अलग करन

क तरलए तो हमन कभी उनको बदध कहा कभी तरजन कहा कभी भगवान कहा कभी अवतार कहा कभी िगबर

कहा कभी ईशवर-िि कहा तरसफम इतनी सी बात को अलग करन क तरलए कक यह आदमी कछ और ढग का था

यह और आदतरमयो जसा आदमी नही था इस तरसफम आदमी कहना नयायसगत नही होगा य बचच समझा भी नही

सकत थ मगर समझ गए

खयाल रखना समझा सकन स और समझन का कोई अतरनवायम सबध नही ह अकसर तो ऐसा होता ह कक

जो समझा सकत ह समझ नही िात और जो समझ िात ह समझा नही िात ह गग का गड़ छोट-छोट बचच

थ सवाद तो आ गया शबद उनक िास शायद थ भी नही कक व कह सक कया हआ लककन भल गए खल

इतयाकद व सब खल छोट हो गए

जीसस न कहा ह जो छोट बचचो की भातरत होग व ही मर परभ क राजय म परवश कर सक ग

शायद जीसस ऐस ही बचचो की बात कर रह थ छोट बचचो की भातरत होग भगवान को समझन क तरलए

छोट बचच की भातरत होना जररी ह जो बड़ हो गए ह उनको कफर लौटना िड़ता ह कफर छोट बचच की भातरत

होना िड़ता ह

इसतरलए तो सत की अतरतम अवसथा म सत तरबलकल छोट बचचो जसा हो जाता ह जो िरमहस की दशा ह

वह छोट बचच की दशा ह कफर स जनम हो गया इसतरलए हमन इस दश म जञानी को तरदवज कहा ह दबारा िदा

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हआ एक तो वह जनम था जो मा-बाि स तरमला था और अब एक जनम उसन सवय को कदया ह वह कफर स

बचचा हो गया कफर वसा ही सरल कफर वसा ही सहज

य छोट-छोट सरल बचच जो बड़-बड़ ितरडतो को होना करठन होता ह इन छोट-छोट बचचो को हआ व

भल गए अिना खल तम तो बदध क िास भी जाओ तो तमहारा खल तमह नही भलता बदध क िास बठ रहत

हो सोचत हो अिनी दकान की बदध क िास बठ रहत हो सोचत हो अिन घर की बदध क िास बठ रहत हो

सोचत हो हजार और बात य छोट बचच तो भल ही गए इनका सारा खल िड़ रह गए होग रत म इनहोन जो

घर बनाए थ बाहर भल गए तो भल ही गए भीतर गए तो कफर बाहर आए ही नही कफर बदध क िास ही बठ

रह

व कदनभर भगवान क िास रह

शायद सधया हए भगवान न सवय कहा होगा कक बचचो अब घर वािस जाओ

ऐसा परम तो उनहोन कभी जाना न था

परम परम म बड़ा फकम ह तरजस तम ससार म परम कहत हो वह परम नही ह वह परम का झठा तरसकका ह परम

क नाम िर कछ और चल रहा ह अहकार चल रहा ह परम क नाम िर परम का लबादा ओढ़ जहसा चल रही ह

वमनसय चल रहा ह परम क आभरषणो म सजा हआ न मालम कया-कया--िररगरह दसर िर मालककयत करन की

राजनीतरत चल रही ह परम की ओट म अपरम चल रहा ह अपरम न भी खब अचछा रासता चन तरलया ह--परम की

ओट म चल रहा ह

खलील तरजबरान की एक छोटी कहानी ह िथवी बनी थी नयी-नयी और िरमातमा न सौदयम और करिता

की दवी को िथवी िर भजा व दोनो दतरवया उतरी सवगम स िथवी तक आत-आत धल-धवास स भर गयी थी

तो उनहोन कहा सनान कर ल इसक िहल कक गाव म चल

व दोनो झील म उतरी वसतर उनहोन उतार कदए नगन होकर झील म उतरी सौदयम की दवी तरती हई दर

झील म चल गयी जब सौदयम की दवी दर चली गयी तो करिता की दवी झटिट बाहर आयी और उसन

सौदयम क वसतर िहन और भाग गयी जब तक करिता की दवी भाग गयी तब कही होश आया सौदयम की दवी

को वह भागी आयी तट िर उसन दखा उसक किड़ जा चक ह और अब तो सबह हई जा रही थी लोग

चलन-कफरन लग थ अब कोई और उिाय न था तो उसन करिता क वसतर िहन तरलए

खलील तरजबरान की कहानी कहती ह तब स सौदयम करिता क वसतर िहन हए ह और करिता सौदयम क

वसतर िहन हए ह तब स सौदयम चषटा कर रहा ह करिता को िकड़ लन की कक अिन वसतर वािस ल ल लककन

करिता हाथ नही आती

इस दतरनया म करि सदर बनकर चल रहा ह इस दतरनया म अपरम परम बनकर चल रहा ह असतय न

सतय क वसतर िहन रख ह

इसतरलए तमन खयाल ककया तरजतना असतयवादी हो उतनी ही चषटा करता ह कक जो म कह रहा ह

तरबलकल सतय ह तरबलकल सतय ह हजार दलील जटाता ह कसम खाता ह कक यह तरबलकल सतय ह असतय को

चलान क तरलए सतय तरसदध करना ही िड़ता ह सतय को चलान क तरलए कछ भी तरसदध नही करना िड़ता ह

सतय अिन िर स चलता ह असतय को सतय क उधार िर चातरहए

व तो भल ही गए खल अिना व तो भल ही गए ककसतरलए आए थ और कया होन लगा व तो रम गए

ऐसा चबकीय आकरषमण उनहोन कभी जाना न था न दखा था ऐसा सौदयम

194

यह कछ और ही बात थी यह कछ दह की बात न थी यह कछ दहातीत था यह कछ िार की ककरण

बदध की दह स झलक रही थी बड़-बढ़ो को शायद कदखायी भी न िड़ती य बचच तो सरल थ इनकी आख ताजी

थी इसतरलए कदखायी िड़ गया बदधो को जानन क तरलए िहचानन क तरलए बचचो क जसी सरलता ही चातरहए

न दखा था ऐसा परसाद ऐसी शातरत ऐसा आनद ऐसा अिवम उतसव व भगवान म ही डब गए वह अिवम

रस वह अलौककक रग उन सरल-हदय बचचो को लग गया कफर व रोज आन लग कफर व हर बहान स आन

लग कफर कोई भी मौका तरमलता तो भाग और जतवन िहच

व भगवान क िास आत-आत धीर-धीर धयान म भी बठन लग

और तो होगा भी कया भगवान क िास जाओग तो धयान म बठना ही िड़गा िहल खलन-खलन म आए

होग िहल यह आदमी पयारा लगा था इसतरलए आए होग िहल इस आदमी क िास बठकर अचछा लगा था

इसतरलए आए होग इसकी छाया मधर लगी थी इसतरलए आए होग िर धीर-धीर इस आदमी क िास धयान की

जो वरषाम हो रही ह धीर-धीर िछन लग होग उतसक होन लग होग िछा होगा हम आि जस कस हो जाए

छोट बचच अकसर िछ लत ह कक हम आि जस कस हो जाए ऐसा सौदयम हम कस तरमल आखो म ऐसी सदर

झील हमार कब हो कस हो चल उठ बठ तो ऐसा परसाद हमस कस झलक आिन यह कहा िाया कस

िाया तरजजञासा की होगी कफर धयान म भी बठन लग

उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी

शरदधा दो तरह की होती ह एक होती ह सरल शरदधा सरल शरदधा का अथम होता ह--सदह था ही नही िहल

स हटाना कछ भी नही िड़ा शरदधा का झरना बह ही रहा था और एक होती ह जरटल शरदधा सदह का रोग

िदा हो गया ह अब सदह को हटाना िड़गा चषटा करनी िड़गी तब शरदधा िदा होगी छोट बचच अकसर सरल

शरदधा म उतर जात ह बड़ो क तरलए शरदधा जरटल काम ह सदह जग गया ह व कर भी तो कया कर अब िहल

तो सदह स लड़ना िड़गा िहल तो सदह को तोड़ना िड़गा िहल तो सदह को उखाड़ फकना िड़गा यह घास-

िात जो सदह की ऊग गयी ह यह न हट तो शरदधा क गलाब लग भी न तो िहल उनह सदह को उखाड़ना

िड़गा उनकी अतरधक शतरि सदह स लड़न म लग जाती ह तब कही शरदधा िदा हो िाती ह जरटल ह छोट

बचचो को तो सरल ह

मगर छोट बचचो को हम तरबगाड़ दत ह अगर दतरनया म मा-बाि थोड़ जयादा समझदार हो तो हम बचचो

को कछ भी ऐसा न करग तरजसस उनकी सरल शरदधा तरबगड़ जाए हम कहग कक तम अिनी सरल शरदधा को

बचाए रखो कभी कोई तरमलगा आदमी कभी कोई तरमलगी घड़ी जब तमहारा तालमल बठ जाएगा ककसी स

उसी सरल शरदधा क आधार िर तम ककसी बदध को ककसी तरजन को ककसी कषण को ककसी कराइसट को िहचान

लोग हम तमहारी शरदधा खराब न करग

लककन हम बचचो की गदमन िकड़ लत ह इसक िहल कक उनकी सरल शरदधा उनह जगत क तरवसतार म ल

जाए और व कही ककसी बदध क चरणो म शरण म बठ हम उनह िहल ही झठी शरदधा थोि दत ह झठी शरदधा

थोि दन क कारण सदह िदा होता ह इस गतरणत को ठीक स समझ लना

सदह िदा कयो होता ह दतरनया म सदह िदा होता ह झठी शरदधा थोि दन क कारण छोटा बचचा ह तम

कहत मकदर चलो छोटा बचचा िछता ह ककसतरलए अभी म खल रहा ह म मज म ह तम कहत हो मकदर म

और भी जयादा आनद आएगा और छोट बचच को तरबलकल नही आता तम तो शरदधा तरसखा रह हो और बचचा

सदह सीख रहा ह बचचा सोचता ह कसा आनद यहा बड़-बढ़ बठ ह उदास यहा दौड़ भी नही सकता खल भी

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नही सकता नाच भी नही सकता चीख-िकार भी नही कर सकता यहा कसा आनद और बाि कहता था यहा

आनद तरमलगा

कफर बाि कहता ह झको यह भगवान की मरतम ह और बचचा कहता ह भगवान यह तो ितथर ह यह

तो ितथर को किड़-लतत िहनाकर आिन खड़ा कर कदया ह तम कहत हो झको जी बड़ होओग तब समझोग

अभी तम छोट हो अभी तमहारी यह बात समझ म नही आ सकती ह बड़ी जरटल बात ह बड़ी करठन बात ह

बड़ होओग तब समझोग

तम जबदमसती बचच की गदमन िकड़कर झका दत हो तम उसम सदह िदा कर रह हो धयान रखना तम

सोच रह हो कक शरदधा िदा कर रह हो वह बचचा तरसर तो झका लता ह लककन वह जानता ह कक ह तो यह

ितथर की मरतम

उस न कवल इस मरतम िर सदह आ रहा ह अब तम िर भी सदह आ रहा ह तमहारी बतरदध िर भी सदह

आ रहा ह अब वह सोच रहा ह कक यह बाि भी कछ मढ़ मालम होता ह कह नही सकता कहगा जब तम बढ़

हो जाओग और वह जवान हो जाएगा और उसक हाथ म ताकत होगी जब तमहारी गदमन दबान लगगा वह तब

कहगा कक तम मढ़ हो

मा-बाि िीछ िरशान होत ह व कहत ह कक कया मामला ह बचच हम म शरदधा कयो नही रखत तमही न

नषट करवा दी शरदधा तमन ऐस-ऐस काम बचचो स करवाए तमन ऐसी-ऐसी बात बचचो िर थोिी कक बचचो का

सरल हदय तो टट ही गया और तम जो झठी शरदधा थोिना चाहत थ वह कभी थिी नही उसक िीछ सदह िदा

हआ झठी शरदधा कभी सदह स मि होती ही नही सदह की जनमदािी ह झठी शरदधा क िीछ आता ह सदह

बचच की आख तो ताजी होती ह उस तो चीज साफ कदखायी िड़ती ह कक कया-कया ह

अब तम कहत हो यह गऊ माता ह और बचचा कहता ह गऊ माता तो बचचा कहता ह यह जो बल ह

कया यह तरिता ह यह सीधी बात ह गतरणत की बात ह तम कहत हो नही बल तरिता नही ह बस गऊ माता

ह अब बचच को तम िर सदह होना शर हआ कक बात कया ह अगर गऊ माता ह तो बल तरिता होना चातरहए

और अगर बल तरिता नही ह तो गऊ माता कस ह

तमन बचच क गल म एक धागा िहना कदया और तम कहत हो कक यह बड़ा ितरवि ह और बचचा दखता ह

कक मा इसको बना रही थी यह ितरवि हो कस गया यह ितरवि हो कब गया इसकी ितरविता कया ह

तम जो भी बचच को तरसखा रह हो बचचा भीतर स दख रहा ह कक यह बात झठ मालम िड़ती ह कहता

नही इसस तम यह मत सोच लना कक तम जीत गए कहगा जब उसक िास ताकत होगी कयोकक अभी तो

कहगा तो तरिटगा

मझ जब िहली दफा मकदर ल जाया गया और मझ कहा गया कक झको तो मन कहा मझ झका दो मरी

गदमन िकड़कर झका दो कयोकक मझ कछ झकन योगय कदखता नही यहा कयोकक तरजस मकदर म मझ ल जाया

गया था वह मरतमिजको का मकदर नही ह वहा तरसफम गरथ होत ह मकदर म म तरजस िररवार म िदा हआ वह

मरतमिजक नही ह वह तरसफम गरथ को िजता ह तो वहा वदी िर ककताब रखी थी मन कहा म ककताब को कयो

झक ककताब म कया हो सकता ह कागज ह और सयाही ह इसस जयादा तो कछ भी नही हो सकता कफर

अगर आिकी मजी ह तो झका दो आिक हाथ म ताकत ह म छोटा ह अभी तो कछ कर नही सकता लककन

बदला लगा इसका

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िर म कहगा कक मझ अचछ बड़-बढ़ तरमल मझ झकाया नही गया उनहोन कहा तब ठीक ह जब तरा

मन हो तब झकना जब तरी समझ म आए तब झकना कफर मझ मकदर नही ल जाया गया और उसक कारण

अब भी मर मन म अिन बड़-बढ़ो क परतरत शरदधा ह अगर मझ झकाया होता मर साथ जबदमसती की होती तो

उस ककताब क परतरत तो मरी शरदधा िदा हो ही नही सकती थी इनक परतरत भी अशरदधा िदा हो जाती मझ लगता

कक य जहसक लोग ह और अजहसा िरमो धममः इनक मकदर िर तरलखा ह और य जहसक लोग ह एक छोट बचच क

साथ जहसा कर रह ह उस जबदमसती झका रह ह और दीवाल िर तरलखा ह--अजहसा िरमो धममः अजहसा िरम

धमम ह यह कसी अजहसा मझ हजार सदह खड़ होत उनहोन नही झकाया सदह भी खड़ नही हए

खयाल रखना ककसी िर जबदमसती थोिना मत थोिन का ही परतरतकार ह सदह कफर एक दफा सदह उठ

गया तो बड़ी अड़चन हो जाती ह जब सदह मजबत हो जाता ह तो कफर तम बदध क िास भी चल जाओ तो

भी सदह उठगा तरजसका अिन मा-बाि िर भरोसा खो गया उसका अतरसततव िर भरोसा खो जाता ह कफर वह

ककसी िर भरोसा नही कर सकता वह कहता ह जब अिन मा-बाि धोखा द गए

मलला नसरददीन का छोटा बचचा एक सीढ़ी चढ़ रहा था और मलला वही खड़ा था उसन कहा कक बटा कद

िड़ सीढ़ी स कद िड़ वह बटा डरा और उसन कहा कदगा तो लग जाएगी चोट लग जाएगी उसन कहा म

तरा तरिता खड़ा ह समहालन को त डरता कयो ह बाि िर भरोसा करक बटा कद गया और मलला सरककर

खड़ा हो गया भड़ाम स वह नीच तरगरा दोनो घटन तरछल गए वह रोन लगा और उसन कहा कक तरिताजी यह

कया बात ह आिन मझ धोखा कदया मलला न कहा कक हा एक िाठ ह दतरनया म खयाल रखना ककसी की

मानना मत अिन बाि की भी मत मानना यहा दतरनया बड़ी धोखबाज ह म तरा बाि ह मरी भी मत मानना

कभी इसीतरलए हट गया यह तझ एक िाठ कदया

मगर इस तरह क िाठ तो अततः मनषय क मन म सदह को गहन करत जात ह और तरजसका अिन मा-

बाि िर सदह िदा हो गया उसकी कफर ककसी िर शरदधा नही रह जाती जो तरनकटतम थ जो अिन इतन

करीब थ तरजनस हम िदा हए थ व भी धोखबाज तरसदध हए व भी कछ ऐसी बात कह गए जो सच न थी व भी

ऐसी बात कर रह थ जो तरमथया थी तरजनको हम आज नही कल अिन जीवन म जान लग अनभव कर लग कक

बात तरबलकल झठ थी कफर भी कही गयी थी मा-बाि न भी झठ कहा था

अगर मा-बाि तरसफम उतना ही कह तरजतना जानत ह और एक शबद जयादा न कह और बचचो को मि

रख और उनकी सरल शरदधा नषट न कर तो यह सारी दतरनया धारममक हो सकती ह यह दतरनया अधारममक

नातरसतको क कारण नही ह समरण रखना यह तमहार थोथ आतरसतको क कारण अधारममक ह

भगवान न न तो उनह कछ कहा न उनह कछ तरसदधात तरसखाए

फकम समझो उनहोन यह भी नही कहा कक दतरनया को भगवान न बनाया ह और तमहार भीतर आतमा ह

और इतयाकद-इतयाकद उनहोन तो अिनी जीवन ऊजाम उन बचचो िर बरसायी जो उनक िास था बचचो को

तरिलाया धयान कदया

धयान दना तरसदधात मत दना यह मत कहना कक भगवान ह यह कहना कक शात बठन स धीर-धीर तमह

िता चलगा कया ह और कया नही ह तरनरवमचार होन स िता चलगा कक सतय कया ह तरवचार मत दना

तरनरवमचार दना धयान दना तरसदधात मत दना धयान कदया तो धमम कदया और तरसदधात कदया तो तमन अधमम द

कदए शासतर मत दना शबद मत दना तरनःशबद होन की कषमता दना परम दना

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धयान और परम अगर दो चीज तम द सको ककसी बचच को तो तमन अिना कतमवय िरा कर कदया तमन

इस बचच की आधारतरशला रख दी इस बचच क जीवन म मकदर बनगा बड़ा मकदर बनगा इस बचच क जीवन क

तरशखर आकाश म उठ ग और इसक सवणम-तरशखर सरज की रोशनी म चमक ग और चाद-तारो स बात करग

उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी कफर उनक मा-बाि को खबर लगी मा-बाि अतरत करदध हए िर

अब दर हो चकी थी बदध का सवाद लग चका था बहत उनहोन तरसर मारा उनक ितरडत-िरोतरहतो न बचचो को

समझाया डाटा-डिटा भय-लोभ साम-दाम दड-भद सबका उन छोट-छोट बचचो िर परयोग ककया गया िर

जो छाि बदध की िड़ गयी थी सो िड़ गयी थी

उनहोन एक अनठा आदमी दख तरलया था अब य ितरडत सब फीक-फीक मालम िड़त थ उनहोन एक

जीवत जयोतरत दख ली थी अब य िरोतरहत तरबलकल राख थ अब धोखा नही कदया जा सकता था उनहोन

अनभव कर तरलया था इस आदमी क िास एक नयी ऊजाम का अब यह मा-बाि की बकवास और बातचीत कछ

अथम न रखती थी जब तक अनभव नही ककया था तब तक कसम खान को राजी हो गए थ कक न जाएग

तरजसको दखा न था उसक िास न जान की कसम खान म अड़चन न थी अब दख तरलया था अब दर हो गयी

थी

कफर तो व मा-बाि इतन िगला गए इतन तरवतरकषपत हो गए कक अततः उनहोन यही तय कर तरलया कक ऐस

बचचो को घर म न रखग इनको बदध को ही द दग समहालो इनह तम ही य हमार नही रह इनस हम सबध

तरवतरचछनन कर लत ह ऐसा सोचकर इन बचचो को तयाग दन क तरलए ही व बदध क िास गए िर यह जाना उनक

जीवन म जयोतरत जला गया

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह तम गलत कारण स बदधो क िास जात हो कफर भी ठीक घट जाता ह तम

ठीक कारणो स भी िरोतरहतो क िास जाओ तो भी ठीक नही घटता और तम गलत कारणो स भी बदधो क िास

चल जाओ तो कभी-कभी ठीक घट जाता ह कभी अनायास झरोखा खल जाता ह

आतरखर इन मा-बाि को भी इतना तो तरवचार उठा ही होगा कक हमन िदा ककया इन बचचो को हमन बड़ा

ककया इन बचचो को हमन िाला-िोसा हमारी नही सनत ह आतरखर इस बदध न कया द कदया होगा आतरखर इस

आदमी क िास कया होगा हमार ितरडत की नही सनत ह जो कक शासतरो का जञाता ह वद तरजस कठसथ ह हमार

धममगर की नही सनत ह जो कक इतना अचछा विा ह इतना अचछा समझाता ह तरजसकी सलाह इसस और

अचछी सलाह कया हो सकती ह आतरखर इस बदध म ऐसा कया होगा और कफर हमन इनह मारा िीटा लोभ

कदया कछ भी असर नही होता हो न हो कछ बात हो भी सकती ह उनक भीतर भी एक सगबगी तो उठी

होगी असभव ह कक न उठी हो एक तरवचार तो मन म कौधा होगा तरबजली की तरह कक हो न हो हम ही गलत

हो कौन जान कफर एकाध बचच की बात न थी बहत बचचो की बात थी य कई बचच िड़ोस क खलत चल गए थ

कफर य सब रटक थ य सब कषट सहन को तयार थ लककन बदध क िास नही जाएग ऐसी कसम खान को अब

तयार न थ

गए तो होग करोध म ही गए तो होग नाराज गए तो थ इन बचचो को छोड़ आन लककन भीतर एक बात

तो जग ही गयी थी कक कया होगा िता नही इस आदमी म कछ हो

इधर रोज ऐसा घटता ह लोग रोकत ह ककसी को आन स कक वहा मत जाना सममोतरहत हो जाओग

वहा सममोहन का परयोग चल रहा ह एक ितरत का मझ िि तरमला--तीन-चार िि तरमल चक ह महीनभर क

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भीतर--बड़ िि तरलखत ह कक मरी ितनी न आिस सनयास ल तरलया म बरबाद हो गया मरा सब नषट-भषट हो

गया आिन सममोतरहत कर तरलया आि किा करक मरी ितनी िर स सममोहन हटा ल आि उस मि कर द

अब मरा सनयास न तो ककसी को तोड़ता घर स न ितनी को तोड़ता ितरत स न ितरत को तोड़ता ितनी स

न ितनी बचच स टट रही ह मगर बस ितरत को भारी अड़चन हो गयी ह अड़चन कया ह

अड़चन यही ह कक अब तक व ितनी क िरमातमा बन बठ थ अब वह बात न रही अड़चन यह ह कक

उनका परभतव एकदम स कषीण हो गया अड़चन यह ह कक आज अगर उनकी ितनी स म कछ कह तो वह मरी

मानगी उनकी नही मानगी यह अड़चन--अभी मन कछ कहा भी नही ह म कभी कहगा भी नही--बस लककन

अड़चन सभावना की अड़चन यह बात िीड़ा द रही ह िररष क अहकार को बड़ा कषट होता ह

वह मझ िि म तरलखत ह कक मझम कया कमी ह जो मरी ितनी आिक िास जाती ह यह तो तम अिनी

ितनी स िछो परोफसर ह ककसी तरवशवतरवदयालय म तरलखत ह कक म दशमनशासतर का परोफसर ह हर बात जो परशन

उठता हो हर एक का उततर मर िास ह तरवदयारथमयो को िढ़ाता ह मरी ितनी को कया िछना ह जो आिक िास

जाए म सब बात का उततर दन को तयार ह

आि सब बात का उततर दन को तयार ह लककन अगर ितनी आिक उततरो म आसथा रखन को तयार नही

तो म कया कर मन ितनी को बलाकर समझा भी कदया कक दवी त जा मगर तरजतना म उस समझाता ह कक त

जा उतना वह जान को राजी नही ह

ऐसा तरनरतर होता रहा ह ऐस होन का कारण ह कोई ककसी को यहा सममोतरहत नही कर रहा ह लककन

सतय सममोहक ह यह बात सच ह कोई सममोहन नही कर रहा ह लककन सतय सममोहक ह सतय की एक

ककरण भी तमहार खयाल म आ जाए तो बस तमहारी भावर िड़नी शर हो जाती ह अनजान यह हो जाता ह

गए थ व मा-बाि बड़ी नाराजगी म लककन बदध क िास गए तो उनक जीवन म भी एक जयोतरत जली जो-जो

उनक ितरडत-िजाररयो न अब तक कहा था बदध क सबध म वसा तो कछ भी न था ितरडत-िजारी तो ऐसा

बता रह थ कक इसस बड़ा शतान कोई नही ह यह आदमी भषट कर रहा ह

आतरखर ककतन ही अध रह हो और दिमण िर ककतनी ही धल जमी हो दिमण कफर भी तो कही कोन-कातर

स झलक द ही दगा थोड़ा-बहत तो दिमण बचा होगा दखा होगा इस आदमी को यह आदमी तो ऐसा कछ

शतान नही मालम होता दख होग तरभकष य तरभकष कछ ऐस तो िाशतरवक नही मालम होत जसा ितरडत-िजारी

कह रह थ ऐसा कछ धतम नही मालम होता इसकी बात सनी होगी इनम कछ धतमता नही मालम होती

सीधी-साफ बात ह दो-टक बात ह शायद दो-टक ह इसीतरलए अखरती ह ितरडत-िरोतरहतो को तलना उठी

होगी

उनक जीवन म भी एक जयोतरत जली बदध क िास जाना और बदध क तरबना हए लौट आना सभव भी नही

ह इनही लोगो स बदध न य गाथाए कही थी--

अवजज वजजमतरतनो वजज च वजजदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

वजजच वजजतो ातवा अवजजच अवजजतो

सममाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत सगगजत

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जो अदोरष म दोरष-बतरदध रखन वाल और दोरष म अदोरष-दतरषट रखन वाल ह व लोग तरमथया-दतरषट को गरहण

करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

दोरष को दोरष अदोरष को अदोरष जानकर लोग समयक-दतरषट को धारण करक सगतरत को परापत होत ह

दो छोटी सी बात दो छोट स सि उनहोन उन लोगो को कदए उनको कहा कक जो जसा ह उस वसा ही

दखन स समयक-दतरषट िदा होती ह और जो जसा नही ह उसस अनयथा दखन स तरमथया-दतरषट िदा होती ह जो

जसा ह उस तरबना िकषिात क वसा ही दखना चातरहए तो तम सगतरत म जाओग जो जसा नही ह वसा उस

दखोग जो जसा ह वसा उस नही दखोग तो ककसी और की हातरन नही ह तमही धीर-धीर तरवकतरत म तरघरत

जाओग

जो अदोरष म दोरष-बतरदध रखन वाल ह

और बदध न कहा कक म यहा बठा ह मझ दखो िकषिात लकर मत आओ दसर कया कहत ह इस बाहर

रख आओ मर िास आओ मझ दखो मझ दखो तरनषिकष भाव स ताकक तम तरनणमय कर सको कक कया ठीक ह

और कया गलत ह कफर तमही तरनणामयक बनो मगर तम िहल ही तय कर लो तम िहल ही मान लो आन क

िहल ही तरनणमय कर लो आओ ही न अिन तरनणमय को ही मानकर बठ जाओ आख बद करक कफर तमहारी

मजी लककन तब धयान रखना दगमतरत म िड़ोग दगमतरत म िड़ ही गए कयोकक तम अध हो गए जगह-जगह

टकराओग और जीवन-सतय तमह कभी भी न तरमलगा और जीवन-सतय ही तरमल जाए तो सगतरत तो सवरग

और जीवन-सतय ही खो जाए तो दगमतरत

दोरष को दोरष दखो अदोरष को अदोरष जानो तो समयक-दतरषट उतिनन होती ह ठीक-ठीक दतरषट ठीक-ठीक

आख और बदध का सारा जोर इस बात िर ह कक तमहारी आख ठीक हो--बिदाम हो नगन हो िकषिात मि हो

खाली हो ताकक खाली आख स तम दख सको जो जसा ह वसा ही दख सको

अब जो लोग बदध क िास आकर भी चक जात होग दखन स एक ही अथम ह इस बात का कक उनकी आख

इतनी भरी होगी इतनी भरी होगी कक व कछ का कछ दख लत होग

तमन अकसर िाया होगा अगर तमहारी कोई दतरषट हो तो तम कछ का कछ दख लत हो सफी कहानी ह--

एक फकीर की अिनी बतरगया म काम करत वि खरिी खो गयी वह कछ िानी िीन भीतर गया झोिड़

म लौटकर आया खरिी नदारद िास स एक िड़ोस का छोकरा जा रहा था उसन उसको दखा उसन कहा कक

यही ह चोर इसकी चाल स साफ मालम हो रहा ह कक चोर ह इसका ढग दखो आख बचाकर जा रहा ह उधर

दख रहा ह इसक िर की आहट बता रही ह कक चोर ह यही ह मगर अब एकदम स उसको िकड़ना ठीक भी

नही वह जाच रखन लगा तीन कदन तक दखता रहा जब भी यह लड़का तरनकल इधर-उधर जाए तो वह दख

और उस तरबलकल िकका होता गया कक ह चोर यही हर चीज न परमाण कदया उसको कक यह चोर ह एक तो आख

स आख नही तरमलाता कही-कही दखता ह चलता ह तो डरा-डरा चलता ह चौका-चौका सा मालम िड़ता ह

खरिी इसी न चरायी ह

कफर चौथ कदन खोदत वि खरिी उसको तरमल गयी झाड़ी म वह लड़का कफर तरनकल रहा था उसन

दखा अर ककतना भला लड़का ह जरा भी चोर नही मालम होता अब भी वह वस ही चल रहा ह मगर अब

दतरषट बदल गयी

तम जरा खयाल करना एक आदमी क परतरत तम एक धारणा बना लो कफर उस धारणा स दखो तो तम

िाओग उसी धारणा का समरथन करन क तरलए तमह बहत कछ तरमल जाएगा कफर तमहारी धारणा बदल दो

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तम अचानक िाओग कक वह आदमी बदल गया कयोकक अब तमहारी नयी धारणा क अनकल तम जो िाना

चाहोग वह तरमल जाएगा

बदध कहत ह समयक-दतरषट उसको कहत ह जो तरनधामरणा ह तरजसकी कोई धारणा नही अचछी नही बरी

नही समदतरषट न इस तरफ सोचता ह न उस तरफ तराज ठीक बीच म काटा अटका ह न यह िलड़ा भारी ह

न वह िलड़ा भारी ह ऐसी समतल तरसथतरत का नाम समदतरषट तरजसन मान ही तरलया तरबना खोज तरबना सोच

तरबना तरवचार तरबना अनभव ककए वह असमयक-दतरषट या तरमथया-दतरषट

बदध न उनस इतना ही कहा कक तम दखना सीखो अिनी आख को जरा साफ करो अनयथा तमही

भटकोग तमही दख िाओग

दसरा दशयः

भगवान क कौशाबी म तरवहरत समय की घटना ह बदध-तरवरोधी धममगरओ न गडो-बदमाशो को रिए-

िस तरखला-तरिलाकर भगवान का तथा तरभकषसघ का आकरोशन अिमान करक भगा दन क तरलए तयार कर तरलया

था व तरभकषओ को दखकर भददी गातरलया दत थ नही तरलखी जा सक ऐसी शासतर कहत ह जो तरलखी जा सक

व य थी--तरभकष तरनकलत तो उनस कहत तम मखम हो िागल हो झककी हो चोर-उचकक हो बल-गध हो िश हो

िाशतरवक हो नारकीय हो ितरतत हो तरवकत हो इस तरह क शबद तरभकषओ स कहत

य तो जो तरलखी जा सक न तरलखी जा सक तम समझ लना

व तरभकषतरणओ को भी अिमानजनक शबद बोलत थ व भगवान िर तरह-तरह की कीचड़ उछालत थ

उनहोन बड़ी अनठी-अनठी कहातरनया गढ़ रखी थी और उन कहातरनयो म उस कीचड़ म बहत स धममगरओ का

हाथ था

जब बहत लोग बात कहत हो तो साधारणजन मान लत ह कक ठीक ही कहत होग आतरखर इतन लोगो

को कहन की जररत भी कया ह ठीक ही कहत होग

आनद सथतरवर न भगवान क िास जाकर वदना करक कहा--भत य नगरवासी हम लोगो का आकरोशन

करत ह गातरलया दत ह इसस अचछा ह कक हम ककसी दसरी जगह चल यह नगर हमार तरलए नही तरभकष बहत

िरशान ह तरभकषतरणया बहत िरशान ह झड क झड लोग िीछ चलत ह और अिमानजनक शबद चीखत-

तरचललात ह एक तमाशा हो गया यहा तो जीना करठन हो गया ह कफर आिकी आजञा ह कक हम इसका कोई

उततर न द धयम और शातरत रख इसस बात और असहय हई जाती ह हम भी उततर दन का मौका हो तो हम भी

जझ ल और तरनिट ल

कषतरिय था आनद िराना लड़ाका था यह भी एक झझट लगा दी ह कक कछ कहना मत कछ बोलना

मत उततर दना मत तो हम बड़ी मतरशकल म िड़ गए ह फासी लग गयी ह व फासी लगा रह ह और आि

फासी लगाए हए ह आि कहत ह बोलो मत चिचाि रहो शात रहो धयम रखो इसस बात बहत असहय हो

गयी ह

और चपिी का अथम लोग कया समझत ह आिको िता ह भत व समझत ह कक हमार िास जवाब नही

ह इसतरलए चि ह व सोचत ह कक ह ही नही जवाब नही तो जवाब दत न बात सच ह जो आिक तरखलाफ

परचाररत की जा रही ह इसीतरलए तो बदध चि ह और बदध क तरभकष चि ह दखो कस चिचाि िछ दबाकर

201

तरनकल जात ह शातरत का मतलब व लोग ल रह ह कक िछ दबाकर तरनकल जात ह कछ बोलत नही सतय होता

इनक िास तो मदान म आत जवाब दत

भगवान हस और बोल--आनद कफर कहा चल आनद न कहा--भत इसम कया अड़चन ह दसर नगर

को चल और वहा क मनषयो दवारा आकरोशन करन िर कहा जाएग भगवान न कहा भत वहा स भी दसर

नगर को चल चलग नगरो की कोई कमी ह आनद बोला िागल आनद लककन ऐसा सभी जगह हो सकता ह

सभी जगह होगा अधरा सभी जगह हमस नाराज होगा बीमाररया सभी जगह हमस रषट होगी धममगर सभी

जगह ऐस ही ह और उनक सवाथम िर चोट िड़ती ह आनद तो व जसा यहा कर रह ह वसा वहा भी करग

और हम उनक सवाथम िर चोट करना बद भी तो नही कर सकत आनद कसर तो हमारा ही ह भगवान न

कहा हम उनक सवाथम िर चोट करत ह व परतरतशोध करत ह हम चोट करन स रक नही सकत कयोकक अगर

हम चोट न कर तो सतय की कोई हवा नही फलायी जा सकती और तरजनहोन असतय को िकड़ रखा ह व तम

सोचत हो चि ही बठ रहग उनक सवाथम मरत उनक तरनतरहत सवाथम जलत टटत फटत व बदला लग

कोई मठाधीश ह कोई महामडलशवर ह कोई शकराचायम ह कोई कछ ह कोई कछ ह उनक सबक सवाथम

ह यह कोई सतय-असतय की ही थोड़ी सीधी लड़ाई ह असतय क साथ बहत सवाथम जड़ा ह अगर हम सही ह

तो उनक िास कल कोई भी न जाएगा और व उनही िर जीत ह आन वालो िर जीत ह तो उनकी लाख चषटा

तो होगी ही कक व हम गलत तरसदध कर

कफर उनक िास कोई सीधा उिाय भी नही ह कयोकक व यह तो तरसदध नही कर सकत कक जो व कहत ह

सतय ह सतय का तो उनह कछ िता नही ह इसतरलए व उलटा उिाय करत ह--गाली-गलौज िर उतर आत ह

अिमान-आकरोशन िर उतर आत ह यह उनकी कमजोरी का लकषण ह गाली-गलौज की कोई जररत नही ह

हम अिना सतय तरनवदन करत ह व अिना सतय तरनवदन कर द लोग तरनणमय कर लग लोग सोच लग हमन

अिनी तसवीर रख दी ह व अिनी तसवीर रख द

मगर व अिनी तसवीर रखत नही उनक िास कोई तसवीर नही ह उनका एक ही काम ह कक हमारी

तसवीर िर कीचड़ फक यही एक उनक िास उिाय ह त उनकी तकलीफ भी समझ आनद बदध न कहा

उनकी अड़चन दख अिन ही दख म मत उलझ हमारा दख कया खाक दख ह गाली द दी द दी गाली लगती

कहा लगती ककस को त मत िकड़ तो लगगी नही

बदध यह हमशा कहत थ कक गाली तब तक नही लगती जब तक तम लो न तम लत हो तो लगती ह

ककसी न कहा--गधा तमन ल ली तम खड़ हो गए कक तमन मझ गधा कयो कहा तम लो ही मत आया हवा

का झोका चला गया हवा का झोका झगड़ा कया ह उसन कहा उसकी मौज

म अभी एक कल ही एक छोटी सी कहानी िढ़ रहा था अमरीका म परसीडट का चनाव िीछ हआ काटमर

और फोडम क बीच एक होटल म--कही टकसास म--कछ लोग बठ गिशि कर रह थ और एक आदमी न कहा

यह फोडम तो तरबलकल गधा ह कफर उस लगा कक गधा जरा जररत स जयादा हो गया तो उसन कहा गधा नही

तो कम स कम घोड़ा तो ह ही एक आदमी कोई साढ़ छह फीट लबा एकदम उठकर खड़ा हो गया और दो-तीन

घस उस आदमी को जड़ कदए वह आदमी बहत घबड़ाया उसन कहा कक भई आि कया फोडम क बड़ परमी ह

उसन कहा कक नही हम घोड़ो का अिमान नही सह सकत

अब तमस कोई गधा कह रहा ह अब कौन जान गध का अिमान हो रहा ह कक तमहारा हो रहा ह कफर

गध भी इतन गध नही ह कक गध कहो तो नाराज हो तम कयो नाराज हए जा रह हो और वह जो कह रहा ह

202

वह अिनी दतरषट तरनवदन कर रहा ह गधो को गध क अतरतररि कछ और कदखायी भी नही िड़ता उस हो सकता

ह तमम गधा कदखायी िड़ रहा हो उसको गध स जयादा कछ कदखायी ही न िड़ता हो दतरनया म उसकी

अड़चन ह उसकी समसया ह तम इसम िरशान कयो हो

बदध कहत थ तम लो मत गाली को िकड़ो मत गाली आए आन दो जाए जान दो तम बीच म

अटकाओ मत तम न लोग तो तमह गाली तरमलगी नही तम शात रहो

आनद न कहा यह तो बड़ी मतरशकल ह तो हम कया कर बदध न कहा कया कर सघरषम हमारा जीवन ह

और कही और जान स कछ भी हल न होगा कफर भी आनद न कहा तो हम कर कया आनद हम सह बदध न

कहा हम शातरत स सह सतय क तरलए यह कीमत चकानी ही िड़ती ह जस सगराम भतरम म गया हाथी चारो

कदशाओ स आए हए बाणो को सहता ह ऐस ही अिमानो और गातरलयो को सह लना हमारा कतमवय ह इसम ही

तमहारा कलयाण ह इस अवसर समझो और तरनराश न होओ उन गातरलया दन वालो का बड़ा उिकार ह

यह बदध की सदा की दतरषट ह यह बदधो की सदा की दतरषट ह इसम भी हमारा उिकार ह न व गाली दत

न हम शातरत रखन का ऐसा अवसर तरमलता न व हमारा अिमान करत न हमार िास कसौटी होती कक हम

अिमान को अभी जीत सक या नही व खड़ा कर तफान हमार चारो तरफ और हम तरनरवमघन तरनजित और

अकि बन रह तो उनका उिकार मानो व िरीकषा क मौक द रह ह इनही िरीकषाओ स गजरकर तरनखरोग तम

इनही िरीकषाओ स गजरकर मजबत होग अगर व य मौक न द तो तमह कभी मौका ही नही तरमलगा कक तम

कस जानो कक तमहार भीतर कछ सचमच ही घटा ह या नही घटा ह उनकी करठनाइयो को करठनाइया मत

समझो िरीकषाए समझो और तब उनका भी उिकार ह

और जान स कछ भी न होगा बदध न कहा इस गाव को छोड़ोग दसर गाव म यही होगा दसरा गाव

छोड़ोग तीसर गाव म यही होगा हर जगह यही होगा हर जगह धममगर ह हर जगह गड ह और हर जगह

धममगरओ और गडो क बीच साठ-गाठ ह वह िरानी साठ-गाठ ह राजनीतरतजञ और धममगर क बीच बड़ी िरानी

साठ-गाठ ह राजनीतरतजञ का अथम होता ह--सवीकत गड सममातरनत गड जो बड़ी वयवसथा और कानन क ढग स

अिनी गडातरगरी चलात ह इनक साथ भी िीछ असवीकत गडो का हाथ होता ह व भी िीछ खड़ ह

हर कोई जानता ह कक तमहारा राजनता तरजनक बल िर खड़ा होता ह वह गडो की एक कतार ह

तमहारा राजनता कशल डाक ह और डाक उसक सहार क तरलए खड़ ह और धममगर इन दोनो की साठ-गाठ ह

धममगर सदा स कहता रहा ह कक राजा भगवान का अवतार ह और राजा आकर धममगर क चरण छता ह

जनता खब भलाव म रहती ह जनता दखती ह कक धममगर सचचा होना चातरहए कयोकक राजा तरजसक िर छए

और जब धममगर कहता ह कक राजा भगवान का अवतार ह तो ठीक ही कहता होगा जब धममगर कहता ह तो

ठीक ही कहता होगा यह शडयि ह यह िराना शडयि ह यह िथवी िर सदा स चलता रहा ह धममगर

सहायता दता रहा ह राजनताओ को और राजनता सहायता दत रह धममगरओ को दोनो क बीच म आदमी

कसा रहा ह दोनो न आदमी को चसा ह

बदध दोनो क तरविरीत एक बगावत खड़ी कर रह ह तो कहत ह हर गाव म यही होगा हर गाव म यही

होना ह गाव-गाव म यही होना ह कयोकक हर गाव की कहानी यही ह वयवसथा यही ह हम जहा जाएग वही

अधरा हमस नाराज होगा हम जहा जाएग वही लोग हमस रषट होग हम जहा जाएग वही हम गातरलया

तरमलगी अिमान तरमलग तम इनक तरलए तयार रहो यही हमारा सममान ह सतय की यही कसौटी ह

आनद को य बात कहकर बदध न य सि कह थ य गाथाए--

203

अह नागोव सगाम चाितो ितरतत सर

अतरतवाकय तरततरततरकखसस दससीलो तरह बहजजनो

दत नयतरत सतरमजत दत राजातरभरहतरत

दतो सटठो मनससस योतरत वाकय तरततरतकखतरत

नतरह एततरह यानतरह गचछय अगत कदस

यथाततना सदतन दतो दतन गचछतरत

इद िर तरचततमचारर चाररक

यतरनचछक यतथ काम यथासख

तदजजह तरनगगहससातरम योतरनसो

हतरथपितरभनन तरवय अकसगगहो

जस यदध म हाथी तरगर हए बाण को सहन करता ह वस ही म कट वाकय को सहन करगा कयोकक

बहजन तो दःशील ही ह

बहजन तो दषट परकतरत क ह ही इस मानकर चलो सभी जगह यह बहजन तरमलग कफर जस यदध म हाथी

तरगर हए बाण को सहन करता ह चारो कदशाओ स आत बाणो को सहन करो यह सवीकार करक कक दतरनया म

अतरधक लोग दषट ह बर ह उनका कोई कसर भी नही व बर ह इसतरलए बरा करत ह व दषट ह इसतरलए दषटता

करत ह यह उनका सवभाव ह तरबचछ काटता ह साि फफकारता ह तरबचछ काटता ह तो जहर चढ़ जाता ह

अब इसम तरबचछ का कोई कसर थोड़ ही ह ऐसा तरबचछ का सवभाव ह अतरधक लोग मरचछमत ह मचछाम म जो

भी करत ह वह गलत होगा ही उनक दीए जल नही ह अधर म टटोलत ह टकरात ह सघरषम करत ह

दानत--परतरशतरकषत--हाथी को यदध म ल जात ह दानत िर राजा चढ़ता ह मनषयो म भी दानत शरि ह जो

दसरो क कट वाकयो को सहन करता ह

राजा हर हाथी िर नही चढ़ता राजा दानत हाथी िर चढ़ता ह दानत का मतलब--जो ठीक स परतरशतरकषत

ह ककतन ही बाण तरगर तो भी हाथी टस स मस न होगा राजा उस िर सवारी करता ह भगवान भी उसी िर

सवारी करत ह जो दानत ह उस िर जीवन का िरम तरशखर रखा जाता ह

दानत--परतरशतरकषत--हाथी को यदध म ल जात ह दानत िर राजा चढ़ता ह मनषयो म भी दानत शरि ह

तरजसन अिन को परतरशतरकषत कर तरलया ह और य सार लोग अवसर जटा रह ह तमह परतरशतरकषत करन का य

फक रह ह बाण तमहार ऊिर तम अकि खड़ रहो इनकी गातरलयो की वरषाम क बीच तरहलो नही डलो नही

जीवन रह कक जाए लककन किो नही तो राजा तम िर सवार होगा राजा यानी चतना की अतरतम दशा

समातरध तम िर उतरगी भगवान तम िर तरवराजगा तम मकदर बन जाओग तम जसहासन बनोग परभ क दानत

िर राजा चढ़ता ह ऐस ही तम िर भी जीवन का अतरतम तरशखर रखा जाएगा

इन यानो म स कोई तरनवामण को नही जा सकता

यह जो धममगर और ितरडत और जमानभर क िरोतरहत कह रह ह इन मागो स कोई कभी तरनवामण को नही

जा सकता

अिन को तरजसन दमन कर तरलया ह वही सदानत वहा िहच सकता ह

204

तरसफम एक ही वयतरि वहा िहचता ह एक ही भातरत क वयतरि वहा िहचत ह तरजनहोन अिनी सहनशीलता

अिररसीम कर ली ह जो ऐस दानत हो गए ह कक मौत भी आए तो उनह किाती नही जो कित ही नही ऐसी

तरनषकि दशा को कषण न कहा--तरसथतरतपरजञ तरजसकी परजञा तरसथर हो गयी ह

यह तरचतत िहल यथचछ यथाकाम और यथासख आचरण करता रहा तरजस तरह भड़क हए हाथी को

महावत काब म लाता ह उसी तरह म अिन तरचतत को आज बस म लाऊगा

जब भी कोई गाली द तम एक ही बात खयाल करना जब भी कोई अिमान कर एक ही समरण करना

एक ही दीया जलाना भीतर--

यह तरचतत िहल यथचछ यथाकाम यथासख आचरण करता रहा तरजस तरह भड़क हए हाथी को

महावत काब म लाता ह उसी तरह म अिन तरचतत को आज बस म लाऊगा

हर अिमान को तरचतत को बस म लान का कारण बनाओ हर गाली को उियोग कर लो हर ितथर को

सीढ़ी बनाओ इस जीवन म जो भी तमह तरमलता ह उस सभी का समयक उियोग हो सकता ह गातरलया भी

मकदर की सीकढ़या बन सकती ह और ऐस तो पराथमनाए भी मकदर की सीकढ़या नही बन िाती सब तम िर

तरनभमर ह तमहार िास एक सजनातमक बतरदध होनी चातरहए

बदध का सारा जोर समसत बदधो का सदा स जोर इस बात िर रहा ह--जो जीवन द उसका समयक

उियोग कर लो जो भी जीवन द उसम यह कफकर मत करो--अचछा था बरा था दना था कक नही दना था

जो द द

गाली आए हाथ म तो गाली का उियोग करन की सोचो कक कसा उसका उियोग कर कक मर तरनवामण क

मागम िर सहयोगी हो जाए कस म इस अिन भगवान क मकदर की सीढ़ी म रिातररत कर ल और हर चीज

रिातररत हो जाती ह

आज इतना ही

205

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ एक परवचन

हम अनत क यािी ह

िहला परशनः म तरवगत दो-तीन वरषम स सनयास लना चाहता ह अब तक नही ल िाया अब जसी आिकी

आजञा

आि तो ऐस िछ रह ह जस मरी आजञा स रक हो और जब तीन-चार वरषम तक झझट टाल दी ह तो अब

झझट कयो लत ह जब इतन कदन तरनकल गए लना चाहा और नही तरलया थोड़ कदन और ह तरनकल जाएग

तरहममत रखो हाररए न तरहममत तरबसाररए न राम

एक आदमी मलला नसरददीन क कध िर हाथ रखा और िछा अर मलला आि तो गरममयो म कशमीर जान

वाल थ नही गए मलला न कहा कक कशमीर कशमीर तो हम तरिछल साल जान वाल थ और उसक भी िहल

मनाली जान वाल थ इस साल तो हम ननीताल नही गए

घर बठ-बठ मजा लो जाना-आना कहा ह तीन-चार साल स जा रह हो सनयास ल रह हो अब आज

ऐसी कौन सी अड़चन आ गयी कक लो ही ऐस ही मन को समझाए रखो भलाए रखो इतनी बीती थोड़ी रही

वह भी बीत जाएगी

कफर मझ स आजञा मागत हो जस म सनयास का तरवरोधी ह सबह-शाम यही कहता ह--सनयास सनयास

सनयास तम मझ सनत हो कक सोत हो

मन सना ह एक दश म सत-तरवरोधी हवा चल रही थी हवा तो हवा ह कभी इकदरा क िकष म चलती ह

कभी जनता क िकष म चलती ह हवा का कोई भरोसा तो ह नही ककसक िकष म चलन लग ककसक तरविकष म

उस दश म सतो क तरखलाफ चल रही थी एक िहचा हआ सफी फकीर िकड़ तरलया गया सरकार उसकी सब

तरफ स जाच-िड़ताल कर रही थी वह िहचा हआ आदमी था उसकी बात भी सरकारी अफसरो की समझ म

नही आती थी वस ही अफसरो क िास कदमाग ही अगर हो तो अफसर ही कयो होत लाख दतरनया म और काम

थ फाइलो स तरसर मारत उनकी कछ समझ म नही आता था तो उनहोन एक बड़ मनोवजञातरनक को बलाया कक

शायद यह समझ ल

मनोवजञातरनक न कछ परशन िछ िहला ही परशन उसन िछा कक महाशय कया आि अिनी नीद म बात

करत ह उस फकीर न कहा कक अिनी नीद म नही दसरो की नीद म जरर

आिक सबध म ऐसा लगता ह कक यही हालत मरी ह तमहारी नीद म म बात करता ह ऐसा लगता ह

तम रोज सनत हो सबह सनत साझ सनत अहरनमश एक ही रटन ह कक अब जागो अब तम िछ रह हो कक

अब जसी आिकी आजञा यह तो ऐस ही हआ िरानी कहावत ह कक रातभर राम की कथा सनी और सबह िछा

कक सीता राम की कौन थी यहा तो सारा सवाद ही सनयास का ह ऐस ही बहत दर हो गयी अब और दर न

करो

दसरा परशनः सत सदा स िररगरह क तरवरोध म रह ह लककन िररगरह क तरबना तो चलता नही कफर सतय

का खोजी ककतना िररगरह रख

206

सत िररगरह क तरवरोध म रह ह ऐसी बात सच नही ह िररगरह भाव क तरवरोध म जरर रह ह कछ न

कछ तो सत को भी रखना िड़ता ह--तरभकषािाि ही सही लगोटी ही सही

कछ न कछ जीवन म जररी ह कफर ककतना यह बात महतविणम नही ह कयोकक आदमी का मन ऐसा ह

कक चाह तो लगोटी स इतना राग बना ल सकता ह कक वही नकम ल जान क तरलए ियामपत हो जाए एक कौड़ी स

भी तम अिना राग ऐसा लगा सकत हो कक दसर को कोतरहनर स भी न हो दसरा आदमी कोतरहनर को ऐस छोड़

द जस तरमटटी था और तम कौड़ी को ऐस िकड़ रखो जस कक तमहारा पराण था इसतरलए वसत का सवाल नही ह

ककतनी वसत का भी सवाल नही ह भाव का सवाल ह

ककसी गर न अिन एक यवा सनयासी को जनक क िास भजा था बहत वरषम गर क िास रहा कछ सीखा

नही कफर गर न कहा अब ऐसा कर त जनक क िास जा शायद व तझ कछ तरसखा सक तो वह बड़ी आशा स

गया वरषो तक सनयातरसयो क बीच रहा था समझा भला न हो लककन शबद तो खब सीख ही गया था बतरदध

चाह न जगी हो समतरत तो खब भर ही गयी थी--ितरडत हो गया था परजञावान न हआ हो

जब िहचा जनक क दरबार म तो उसन दखा कक साझ हो गयी ह और जनक अिन दरबार म बठा ह

वशयाए नाच रही ह अधमनगन शराब क पयाल ढाल जा रह ह समराट बीच म बठा ह दरबारी आसिास बठ ह

बड़ गलछर चल रह ह वह सनयासी तो बड़ा हरान हआ उसस तो रहा नही गया उसन कहा महाराज हम

तो जञान की तलाश म आए थ यहा तो अजञान का नगा नतय हो रहा ह और आि मझ कया तरसखाएग हदद हो

गयी यह मर गर की मालम होता ह मझ कोई सजा दी मझ यहा ककसतरलए भजा यह ककन कमो का फल कक

आिक दशमन करन भज कदया और गर क िास नही सीख सका जो कक अिररगरही ह तरजनहोन सब छोड़ा तो

आि स कया सीखगा जो कक यहा महल म बठ राग-रग क बीच

जनक न कहा महाराज आ गए ह तो रात तो आतरतथय गरहण कर सबह बात होगी सबह जनक न

उठाया िीछ ही बहती नदी म सनान करन ल गया कक सनान कर ल िजा कर ल कफर बठकर सतसग होगा

फकीर तो भागा-भागा था वह तो जलदी जाना चाहता था िर उसन कहा अब समराट की बात इनकार भी

नही की जा सकती--जञानी भला न हो अजञानी तो िकका ह इनकार करो कछ जयादा गड़बड़ करो नाराज हो

जाएगा गदमन उतरवा द कछ भी कर सकता ह सन लो इसकी एकाध कदन गजार लो दषट-सग म िड़ गए ह

ऐसा सोचता हआ वह जनक क साथ नदी िर गया दोनो न वसतर ककनार रख जनक क वसतर बहमलय थ हीर-

जवाहरात जड़ थ फकीर की तो एक लगोटी थी वह उसन ककनार रख दी एक लगोटी िहनकर िानी म

उतरा

जब दोनो सनान कर रह थ तब अचानक फकीर तरचललाया कक अर दखत ह आिक महल म आग लगी ह

बड़ी लिट उठी महल ध-ध कर जल रहा ह जनक न दखा और उसन कहा हा लगी ह लककन तरहला भी नही

चला भी नही भागा भी नही फकीर न कहा आि खड़ कस ह अर दौड़ो बचाओ तो जनक न कहा महल ह

मरा कया जब आया था तो तरबना महल क आया था जब जाऊगा तो तरबना महल क जाऊगा और उस फकीर

न कहा तम तमहारी जानो मरी लगोटी महल क िास ही रखी ह म तो चला वह भागकर उसन कहा कक एक

ही लगोटी मर िास वह कही खो न जाए तब भागत हए जब उसन लगोटी उठायी तब उस याद िड़ी बात

वसत क िररगरह का सवाल नही ह भाव का सवाल ह मािा की मत िछो भाव की िछो समझ की

िछो

207

जीसस क जीवन म उललख हः और तब ईसा जरोकम क िास आए नगरसठ जरोकम न मागम म अगतरणत

सवणममदराए तरबखराकर कहा--परभ मरी यह तचछ भट सवीकार कीतरजए ईसा न उस धनरातरश क बीच िड़ एक

ताब क तरसकक को उठाकर कहा--यह सबको त ल जा तरजतना मर सामथयम म था मन ल तरलया इस ताब क तरसकक

का बोझ मझ अतरधक नही ढोना िड़गा म इस मललाह को द दगा वह मझ नदी क िार उतार दगा

उतना मािा की बात िछत हो तो उतना तरजतन स नदी िार उतर जाओ यह कहानी बड़ी मीठी ह

जरोकम न सवणममदराए तरबछा दी रासतो िर और ईसा स कहा कक आि सवीकार कर वह उस समय का बड़ स

बड़ा धनी आदमी था जरोकम और ईसा न यहा-वहा नजर डाली--भट लाया ह तो एकदम इनकार भी न कर

सक--एक ताब का तरसकका उठा तरलया और कहा इतना मर तरलए ियामपत ह सोचा होगा जरोकम न एक ताब क

तरसकक स करोग कया एक ताब क तरसकक स होता कया ह िछा होगा कया कररएगा तो जीसस न कहा कक नदी

िर मललाह तरमलगा उसको म यह द दगा वह मझ नदी क िार उतार दगा नदी िार उतरन क तरलए इतना

काफी ह इसका जयादा दर तक बोझ मझ ढोना न िड़गा बस नदी तक कफर मललाह को द दगा उस िार हो

जाऊगा

यह बड़ी परतीकातमक कहानी ह ऐसी घटी हो न घटी हो यह सवाल नही ह बस इतना ही िररगरह

तरजतन स इस जीवन की नदी को िार हो जाओ मगर धयान रखना कक असली सवाल भाव का ह ताब क एक

तरसकक को भी तम इतन जोर स िकड़ ल सकत हो कक वही तमहारी फासी बन जाए तमन तरजतन जोर स िकड़ा

उसी म तमहारी फासी ह ढीला िकड़ना और जस ही छोड़न का मौका आ जाए एक कषण भी तरझझकना मत

और यह भी तमस नही कह रहा ह कक आज छोड़कर भाग जाओ कहा भागकर जाओग कही तो छपिर

बनाओग तो तमहारा छपिर कछ बरा नही ह ककनही क साथ तो रहोग तो तमहार ितनी-बचच बर नही ह कहा

जाओग भागकर सब जगह ससार ह छोड़न की दौड़ म मत िड़ना

दो तरह की दौड़ ह दतरनया म और दो तरह क िागल ह दतरनया म एक और जयादा हो जाए इसकी दौड़

म लग ह और एक और कम हो जाए इसकी दौड़ म लग ह एक भोगी ह--ककतना बढ़ जाए एक योगी ह

तयागी ह--इतना और घट जाए मगर दोनो अतपत ह जो ह उसस अतपत ह भोगी कहता ह और जयादा हो तो

सख तरमलगा तयागी कहता ह और कम हो तो सख तरमलगा लककन जो ह उसस दोनो म स कोई भी सखी नही

तरजनहोन िछा ह उनका नाम ह--भोगीलाल भाई तम छोड़-छाड़कर भग जाओ तो म तमह नाम दगा--

योगीलाल भाई और कया करगा मगर तम तम ही रहोग तमहार भीतर की भाव की बात ह

तम िकड़त थ िहल कफर तम छोड़न लगोग मगर तपत तम तब भी न होओग सनयसत म उस कहता ह

जो ह उसक साथ राजी ह जतरह तरवतरध राख राम ततरह तरवतरध रतरहए जो द कदया ह जसा ह राजी ह ल ल परभ

तो आज दन को राजी ह और द द तो और भी लन को राजी ह ना-नच नही ह और बरसा द छपिर तोड़कर

अशरफमया तो इनकार नही करग कक म भोगी नही ह म तयागी ह यह कया कर रह ह कया अनयाय हो रहा ह

या सब ल जाए घर स लटकर आज--लटरा तो ह ही भगवान इसीतरलए तो हम उसको हरर कहत ह हरर का

मतलब होता ह चोर चरा ल जो हर ल जो--चोर तो ह ही इधर दता ह उधर छीन भी लता ह आज कदया

कल ल लगा और बीच म तम बड़ी झझटो म िड़ जाओग मफत झझटो म िड़ जाओग

एक सफी कहानी ह एक फकीर क दो बड़ पयार बट थ जड़वा बट थ नगर की शान थ समराट भी उन

बटो को दखकर ईषयाम स भर जाता था समराट क बट भी वस सदर नही थ वस परतरतभाशाली नही थ उस गाव

208

म रोशनी थी उन दो बटो की उनका वयवहार भी इतना ही शालीन था भदर था वह सफी फकीर उनह इतना

परम करता था उनक तरबना कभी भोजन नही करता था उनक तरबना कभी रात सोन नही जाता था

एक कदन मतरसजद स लौटा पराथमना करक घर आया तो आत ही स िछा बट कहा ह रोज की उसकी

आदत थी उसकी ितनी न कहा िहल भोजन कर ल कफर बताऊ थोड़ी लबी कहानी ह िर उसन कहा मर बट

कहा ह उसन कहा कक आिस एक बात कह बीस साल िहल एक धनितरत गाव का हीर-जवाहरातो स भरी

हई एक थली मर िास अमानत म रख गया था आज वािस मागन आया था तो म उस द द कक न द फकीर

बोला िागल यह भी कोई िछन की बात ह उसकी अमानत उसन दी थी बीस साल वह हमार िास रही

इसका मतलब यह तो नही कक हम उसक मातरलक हो गए तन द कयो नही दी अब मर स िछन क तरलए रकी

ह यह भी कोई बात हई उसी वि द दना था झझट टलती तो उसन कहा कफर आि आए कफर कोई

अड़चन नही ह

वह बगल क कमर म ल गयी व दोनो बट नदी म डबकर मर गए थ नदी म तरन गए थ डब गए

उनकी लाश िड़ी थी उसन चादर उढ़ा दी थी फल डाल कदए थ लाशो िर उसन कहा म इसीतरलए चाहती थी

कक आि िहल भोजन कर ल बीस साल िहल तरजस धनी न य हीर-जवाहरात हम कदए थ आज वह वािस

मागन आया था और आि कहत ह कक द दना था सो मन द कदए

यही भाव ह उसन कदया उसन तरलया बीच म तम मातरलक मत बन जाना मालककयत नही होनी

चातरहए तरमतरलकयत ककतनी भी हो मालककयत नही होनी चातरहए बड़ा राजय हो मगर तम उस राजय म ऐस

ही जीना जस तमहारा कछ भी नही ह तमहारा ह भी नही कछ तरजसका ह उसका ह सब भतरम गोिाल की वह

जान तमह थोड़ी दर क तरलए मखतयार बना कदया कक समहालो तमन थोड़ी दर मखतयारी कर ली मातरलक मत

बन जाओ भलो मत तरजसन कदया ह ल लगा तरजतनी दर कदया ह धनयवाद जब ल ल तब भी धनयवाद जब

कदया तो इसका उियोग कर लना जब ल ल तो उस लन की घड़ी का भी उियोग कर लना यही सनयासी की

कला ह यही सनयास की कला ह

न तो छोड़ना ह सनयास न िकड़ना ह सनयास न तो भोग न तयाग सनयास दोनो स मतरि ह सनयास

सभी कछ परभ िर समरिमत कर दन का नाम ह मरा कछ भी नही तो म छोडगा भी कया तो जो ह उसका

उियोग कर लना और उियोग म यह एक धयान रह कक तरजसस तम नदी िार हो सको

तीसरा परशनः आमतौर स आि भीड़ की आलोचना करत ह लककन भगवान बदध क सघ क समथमन म

आिन गरतरजएफ का हवाला दकर समह-शतरि को बहत महतव कदया किाकर सघ-शतरि समह और भीड़ क

भद को समझाइए

ऊिर स भद कदखायी चाह न िड़ भीतर बड़ा भद होता ह

सघ का अथम होता ह--तरजस भीड़ क बीच म एक जागरतिररष खड़ा हो क दर िर बदध क तरबना सघ नही

होता सघ क कारण सघ नही होता बदध क कारण सघ होता ह तो सघ शबद का अथम समझ लना बहत स बझ

दीए रख ह और एक दीया बीच म क दर िर जल रहा ह तो सघ य बहत स बझ दीए सरक रह ह धीर-धीर जल

दीए क िास य जल दीए क िास आए ही इसतरलए ह कक जल जाए यही अभीपसा इनह िास ल आयी ह य बझ

209

दीए एक-दसर स नही जड़ ह इनका कोई सबध अिन िड़ोसी बझ दीए स नही ह इनकी सबकी नजर उस जल

दीए िर लगी ह इन सबका सबध उस जल दीए स ह

मर िास इतन सनयासी ह उनका कोई सबध एक-दसर स नही ह अगर एक-दसर क िास ह तो तरसफम

इसी कारण कक दोनो मर िास ह--और कोई कारण नही ह तम यहा बठ हो ककतन दशो क लोग यहा बठ ह

तमहार िास बठा ह कोई इगलड स ह कोई ईरान स ह कोई अफरीका स ह कोई जािान स ह कोई अमरीका स

ह कोई सवीडन स ह कोई तरसवटजरलड स ह कोई फरास स कोई इटली स तमहारा िड़ोस म बठ आदमी स

कोई भी सबध नही ह न िास म बठी सतरी स कोई सबध ह तमहारा सबध मझस ह उसका भी सबध मझस ह

तम दोनो की नजर मझ िर लगी ह यदयतरि तम सब साथ बठ हो लककन तमहारा सबध सीधा नही ह

सघ का अथम होता ह--जहा एक जला हआ दीया ह और सब बझ दीयो की नजर जल दीए िर लगी ह

उस क दर की तरफ व सरक रह ह आतरहसता-आतरहसता लककन सतरनतरित कदमो स एक-एक इच लककन बढ़ रह

ह एक-एक बद लककन जग रह ह तरजस कषण बहत करीब आ जाएगी दोनो की बातरतया उस कदन छलाग

होगी जल हए दीए स जयोतरत बझ दीए म उतर जाएगी जयोतरत स जयोतरत जल जल दीए की जयोतरत जरा भी

कम नही होगी बझ दीए की जयोतरत जग जाएगी बझ को तरमल जाएगी जल की कम न होगी

यही सतसग ह जो दता ह उसका कम नही होता और तरजस तरमलता ह उसक तरमलन का कया कहना

ककतना तरमल जाता ह

उितरनरषद कहत ह िणम स िणम तरनकाल लो तो भी िीछ िणम शरष रह जाता ह सतसग म यह रोज घटता

ह ईशावासय क इस अिवम वचन का तरनवमचन रोज सतसग म होता ह सतसग का अथम होता ह--कोई िणम हो गया

ह उसस तम िणम भी तरनकाल लो तो भी वह िणम का िरण ही रहता ह वहा कछ कमी नही आती तम सन थ

िर हो जात हो तम खाली थ भर जात हो तमहारा िाि लबालब हो जाता ह छलकन लगता ह और ऐसी-

वसी छलकन नही ऐसी छलकन कक अब तमस कोई िरा ल ल तो भी तम खाली नही होत

सघ का अथम होता ह--क दर िर जागरतिररष हो बदध हो तरजन हो कोई तरजसन सवय को जीता और जो

सवय म जागा भगवतता हो क दर िर तो उसक आसिास जो बझ हए लोग इकटठ हो जात ह सोए-सोए लोग

माना कक सोए ह लककन उनक जीवन म भी जागन का कम स कम सिना तो िदा हो गया जाग नही ह सच

लककन जागन का सिना तो िदा हो गया ह जागन की तरफ बढ़न तो लग ह टटोलन लग ह अधर म टटोल

रह ह अभी टटोलन म बहत वयवसथा भी नही हो सकती लककन आभास तरमलन लग ह

कभी सबह दखत ह न नीद टटी नही ह जाग भी नही ह ऐसी दशा होती ह कभी हलकी-हलकी नीद भी

ह अभी और हलकी-हलकी जाग भी आ गयी--दध वाला दध द रहा ह दवार िर खड़ा यह सनायी िड़ता सा

मालम भी िड़ता ह ितनी चाय इतयाकद बनान लगी ह चौक म आवाज बतमनो की सनायी भी िड़ती ह बचच

सकल जान की तयारी करन लग ह उनका लड़ाई-झगड़ा उनका कोलाहल भी सनायी िड़ता ह यह सब

सनायी िड़ता ह और तम जाग भी नही हो और तम सोए भी नही हो यह बीच की दशा ह तरजसको योग म

तदरा कहा ह--जागरण और तरनदरा क जो बीच म ह दशा

सघ का अथम होता ह--तरबलकल सोए हए आदमी जो गहरी अधरी रात म िड़ ह व तो बदधो क िास आत

नही जो जाग गए ह उनह आन की जररत नही ह जो जाग ही गया जो सवय ही बदध हो गया वह कयो

आए ककसतरलए आए कोई परयोजन नही जो गहरा सोया ह कक उस होश ही नही ह वह कस आए वह बदध क

िास स तरनकल जाता ह और उस रोमाच नही होता वह बदध की हवा स गजर जाता ह और उस हवा का सिशम

210

भी नही होता वह गहरा सोया ह लककन इन दोनो क बीच की दशा वाल लोग भी ह जो जाग भी नही ह कक

बदध हो गए हो और इतन सोए भी नही ह कक बदध होन की आकाकषा न हो उन तदरा स भर लोगो उन जलन की

आकाकषा स भर बझ दीयो स सघ बनता ह

लककन सघ का मौतरलक आधार होता ह बदधिररष क दर म बदध हो तो ही सघ बनता ह

दसरा शबद ह सगठन तरजस कदन बदध तरवदा हो जात ह जला दीया तरवलीन हो जाता ह तरनवामण को

उिलबध हो जाता ह लककन उस जल दीए न जो बात कही थी जो वयवसथा दी थी जो अनशासन कदया था

उस शासता न जो कहा था जो दशना दी थी उसका शासतर रह जाता ह उस शासतर क आधार िर जो बनता ह

वह सगठन सघ की खबी तो इसम न रही सघ क पराण तो गए सगठन मरा हआ सघ ह कछ-कछ भनक रह

गयी कभी जाना था ककसी जागरतिररष का सातरननधय कभी उसक िास उठ-बठ थ कभी उसकी सगध नासािटो

म भरी थी कभी उसकी बासरी की मनमोहक तान हमारी तदरा म हम सनायी िड़ गयी थी कभी ककसी न हम

परमाण कदया था अिन होन स कक ईशवर ह कभी ककसी की वाणी हमार हदय को गदगदा गयी थी बद कतरलया

खली थी कभी कोई बरसा था सरज की भातरत हम िर और हम भी अकररत होन शर हए थ याद रह गयी

शरतरत रह गयी समतरत रह गयी शासतर रह गया--शासता गया शासतर रह गया शासता और शासतर शबद का सबध

समझ लना वही सबध सघ और सगठन का ह

शासता जीवत था जो कहता था वसा था भी कफर वाणी रह गयी सगरह रह गया सतरहता रह गयी

कहन वाला गया अब तम नए परशन िछोग तो उततर न तरमलग अब तो तम िरान परशन तरजनक उततर कदए गए ह

व ही िछो तो उततर तरमल जाएग अब नया सवदन नही होता अब नयी वाणी जागरत नही होती अब नयी

तरग नही उठती अब नयी बासरी नही बजती--रकाडम रह गया शासतर यानी रकाडम गायक तो जा चका रकाडम

रह गया गरामोफोन िर रखोग तो गायक जसा ही लगता ह--जसा लककन रकाडम रकाडम ह और अगर जीतरवत

वयतरि तमह न बदल सका तो रकाडम तमह कस बदलगा

सघ जब मर जाता अथामत जब शासता तरवदा हो जाता तो सगठन िदा होता ह शासता क वचन रह जात

ह जस तरसकखो क दस गर हए जब तक दस गर थ तब तक तरसकख-धमम सघ था तरजस कदन अतरतम गर न तय

ककया कक अब कोई गर नही होगा और गरगरथ ही गर होगा उसी कदन स सगठन जब तक बदध थ तब तक

सघ जब बदध जा चक तरभकष इकटठ हए और उनहोन अिनी-अिनी समतरतयो को उडलकर रकाडम तयार ककया कक

बदध न ककसस कब कया कहा था ककसन कब बदध को कया कहत सना था सब तरभकषओ न अिनी समतरतया टटोली

और सारी समतरतयो का सगरह ककया तीन शासतर बन--तरितरिटक सार तरभकषओ न अिनी समतरत उडलकर जो-जो

बदध न कहा था तरजसन जसा समझा था वसा इकटठा कर कदया तब सगठन बना बदध तो गए याद रह गयी

कफर एक घड़ी ऐसी आती ह कक बीच म शासता तो होता ही नही शासतर भी नही होता तब उस तरसथतरत

को हम कहत ह--समह हम ही आिस म तय करत ह कक हमारा अनशासन कया हो हम कस उठ कस बठ कस

एक-दसर स सबध बनाए

फकम समझना

जब बदध जीतरवत थ सबकी नजर बदध िर लगी थी सब बदध स जड़ थ तार बदध स जड़ थ आिस म

अगर िास भी थ तो भी इसस कछ लना-दना न था कोई सग न था सग बदध क साथ था आिस म साथ थ

कयोकक सब एक कदशा म जात थ इसतरलए साथ हो तरलए थ और कोई साथ न था--सयोग था साथ

211

बदध गए शासतर बचा अब सबध बदध स तो नही रह जाएगा बदध क शबद स रहगा सवभावतः बदध क

शबद को जो लोग ठीक स समझा सक ग बदध क शबद की जो ठीक स वयाखया कर सक ग--ितरडत और िरोतरहत--

महतविणम हो जाएग वयाखयाकार महतविणम हो जाएग और वयाखयाकार एक नही होग अनक होग

बदध क मरत ही बदध का सघ अनक शाखाओ म टट गया टट ही जाएगा कयोकक ककसी न कछ वयाखया

की ककसी न कछ वयाखया की अब तो वयाखया करन वाल सवति हो गए अब बदध तो मौजद न थ कक कहत कक

नही ऐसा मन नही कहा कक मर कहन का ऐसा अथम ह बदध क मौजद रहत य वयाखयाकार तरसर भी उठा नही

सकत थ कयोकक जब बदध ही मौजद ह तो कौन उनकी सनगा कक बदध न कया कहा बदध क हटत ही बड़

दाशमतरनक खड़ हो गए ितरडत खड़ हो गए अलग-अलग वयाखयाए अलग-अलग सपरदाय बन गए बड़ भद बड़

तरववाद एक ही आदमी की वाणी क इतन भद इतन तरववाद

और तरनतरित ही तरजसको तरजसकी बात ठीक लगी वह उसक साथ हो तरलया अब बदध स तो सबध न रहा

बदध क वयाखयाकारो स सबध हो गया बदध तो जागरतिररष थ इसतरलए जागरत का और सोए का सबध हो तो

कछ लाभ होता अब य जो वयाखयाकार ह य इतन ही सोए हए ह तरजतन तम सोए हए हो यह सोए स सोए

का सबध ह तो बनता ह सगठन

मगर कफर भी य जो वयाखया करत ह कम स कम बदध क वचनो की करत ह दर की धवतरन सही बहत

दर की धवतरन बदध को िकार समय हो गया लककन शायद इनहोन बदध की बात सनी थी उसको तरवकत भी कर

तरलया होगा उसको काटा-छाटा भी होगा तोड़ा-मरोड़ा भी होगा कफर भी कछ बदध की बात तो उसम शरष रह

ही जाएगी कछ रग तो रह ही जाएगा

तम इस बगीच स गजर जाओ घर िहच जाओ बगीचा दर रह गया वकष दर रह गए फल दर रह गए

कफर भी तम िाओग तमहार वसतरो म थोड़ी सी गध चली आयी वसतर याद कदलाएग कक बगीच स होकर गजर

हो थोड़ रग रह गए तो सगठन

जब यह रग भी खो जाता ह जब वयाखयाकारो की भी वयाखया होन लगती ह जब वयाखयाकार भी

मौजद नही रह जात तरजनहोन बदध को दखा सना समझा अब इनको सनन समझन वाल वयाखया करन लगत

ह--तो कफर बहत दरी हो गयी तब तरसथतरत हो जाती ह समह की अब तो सोए-सोए अध अधो को मागम कदखान

लगत ह

समझो कक बदध क िास आख थी बदध क वयाखयाकारो क िास कम स कम चशमा था य जो वयाखयाकारो

क वयाखयाकार ह इनक िास चशमा भी नही य ठीक तम जस अध ह शायद तमस जयादा कशल ह बोलन म

शायद तमस जयादा कशल ह तकम करन म शायद तमस अचछी इनकी समतरत ह शायद तमस जयादा इनहोन

अधययन ककया ह िर और कोई भद नही ह चतनागत कोई भद नही ह इतना भी भद नही ह कक य बदध क

सातरननधय म रह हो इतना भी भद नही ह तो समह

कफर एक ऐसा समय भी आता ह जब य भी नही रह जात जब कोई वयवसथा नही रह जाती

वयवसथामाि जब शनय हो जाती ह और जब अध एक-दसर स टकरान लगत ह उसका नाम भीड़ ह

इन चार शबदो का अलग-अलग अथम ह सघ शासता जीतरवत ह सगठन शासता की वाणी परभावी ह

समह शासता की वाणी भी खो गयी लककन अभी कछ वयवसथा शरष ह भीड़ वयवसथा भी गयी अब तरसफम

अराजकता ह

म सघ क िकष म ह सगठन क िकष म नही समह क तो होऊगा कस भीड़ की तो बात ही छोड़ो

212

जब तमह कभी कोई जीतरवत जागरतिररष तरमल जाए तो डब जाना उसक सघ म ऐस अवसर बहत कम

आत ह िथवी िर कभी-कभी आत ह उसको चकना मत उसको चक तो बहत िछताना होता ह और कफर

िछतान स भी कछ होता नही कफर िछताए होत का जब तरचतरड़या चग गयी खत कफर सकदयो तक लोग रोत

कई दफ तमहार मन म भी आता होगा--काश हम भी बदध क समय म होत काश हम भी महावीर क

साथ चल होत उनक िदतरचहनो िर काश हमन भी जीसस को भर-आख दखा होता या काश मोहममद क

वचन सन होत कक कषण क आसिास हम भी नाच होत उस मधर बासरी को सनकर यह िछतावा ह

तम भी मौजद थ तम जरर मौजद थ कयोकक तम बड़ पराचीन हो तम उतन ही पराचीन हो तरजतना

पराचीन यह अतरसततव ह--तम सदा स यहा रह हो तमन न मालम ककतन बदधिररषो को अिन िास स गजरत

दखा होगा लककन दख नही िाए कफर िछतान स कछ भी नही होता जो गया गया जो बीता सो बीता

अभी खोजो कक यह कषण न बीत जाए इस कषण का उियोग कर लो

इसतरलए बदध बार-बार कहत ह एक िल भी सोए-सोए मत तरबताओ जागो खोजो अगर पयास ह तो

जल भी तरमल ही जाएगा अगर तरजजञासा ह तो गर भी तरमल ही जाएगा अगर खोजा तो खोज वयथम नही

जाती िरमातमा की तरफ उठाया कोई भी कदम कभी वयथम नही जाता ह

चौथा परशनः मर मन म कभी-कभी आिक परतरत बड़ा तरवदरोह भड़कता ह और म जहा-तहा आिकी छोटी-

मोटी जनदा भी कर बठती ह कहा गया ह कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही म कया कर

िछा ह कषणतरपरया न

जहा तक कषणतरपरया को म समझता ह इसम कछ गलतरतया ह परशन म वह ठीक कर द

कहा ह मर मन म कभी-कभी आिक परतरत बड़ा तरवदरोह उठता ह

ऐसा मझ नही लगता मझ तो लगता ह तरवदरोह सथायीभाव ह कभी-कभी शायद मर परतरत परम उमड़ता

हो लककन कभी-कभी तरवदरोह उमड़ता ह यह बात सच नही ह तरवदरोह तमहारी सथायी दशा ह और वह जो

कभी-कभी परम उमड़ता ह वह इतना नयन ह कक उसक होन न होन स कछ बहत फकम िड़ता नही

और कषणतरपरया की दशा कतत की िछ जसी ह रखो बारह साल िोगरी म जब िोगरी तरनकालो कफर

तरतरछी की तरतरछी कभी-कभी मझ भी लगता ह कक शायद कषणतरपरया क सबध म मझ भी तरनराश होना िड़गा-

-होऊगा नही वसी मरी आदत नही ह--लककन कषणतरपरया क ढग दखकर कभी-कभी मझ भी लगन लगता ह कक

यह िछ सीधी होगी यह भी मझ खयाल आता ह कक कषणतरपरया यह िछ तरतरछी रह इसम मजा भी ल रही ह

इसस तरवतरशषट हो जाती ह इसस लगता ह--कछ खास ह औरो जसी नही ह खास होन क तरलए कोई और अचछा

ढग चनो यह भी कोई खास होन का ढग ह

राबटम ररपल न बहत सी घटनाए इकटठी की ह सारी दतरनया स उसकी बड़ी परतरसदध ककताबो की सीरीज हः

तरबलीव इट आर नाट मानो या न मानो उसन सब ऐसी बात इकटठी की ह तरजनको कक तम िहली दफा सनकर

कहोग मानन योगय नही मगर मानना िड़गी कयोकक वह तथय ह उसन एक आदमी का उललख ककया ह जो

सार अमरीका म अिनी छाती क सामन एक आईना रखकर उलटा चला कारण बड़ी महनत का काम था

213

उलटा चलना िरा अमरीका उलटा चला कारण जब िछा गया तो उसन कहा कक म परतरसदध होना चाहता ह

वह परतरसदध हो भी गया

एक आदमी परतरसदध होना चाहता था तो उसन अिन आध बाल काट डाल एक तरफ क बाल काट डाल

आधी खोिड़ी साफ कर ली और घम गया नययाकम म तीन कदन घमता रहा अखबारो म खबर छि गयी

टलीतरवजन िर आ गया ििकार उसक िीछ आन लग कक भई यह बात कया ह और वह चपिी रखता था

तीन कदन बाद वह बोला कक मझ परतरसदध होना था

मगर ऐस अगर परतरसदध भी हो गए तो सार कया यह कोई बड़ी सजनातमक बात तो न हई

ऐसा लगता ह कक कषणतरपरया सोचती ह कक इस तरह की बात करन स कछ तरवतरशषट हई जा रही ह यहा

तरवतरशषट होन क हजार उिाय तमह द रहा ह--धयान स तरवतरशषट हो जाओ परम स तरवतरशषट हो जाओ पराथमना स

तरवतरशषट हो जाओ कछ सजनातमक करो तरवतरशषटता ही का कोई मलय नही होता नही तो मढ़ता स भी आदमी

तरवतरशषट हो जाता ह

जाओ रासत िर जाकर शीरषामसन लगाकर खड़ हो जाओ तरवतरशषट हो गए िना हरालड का ििकार िहच

जाएगा फोटो ल लगा नग घमन लगो परतरसदध हो जाओग मगर उसस तमहारी आतमा को कया लाभ होगा

कहा तमहारा तरवकास होगा कई बार ऐसा हो जाता ह कक हम गलत उिाय चन लत ह तरवतरशषट होन क रगण

उिाय चन लत ह कषणतरपरया न रगण उिाय चन हए ह

वस म यह नही कहता कक अगर इसम ही तमह आनद आ रहा हो तो बदलो म ककसी क आनद म दखल

दता ही नही अगर इसम ही आनद आ रहा ह तमहारी मजी मर आशीवामद इसको ऐसा ही जारी रखो

तम कहती हो कक म छोटी-मोटी जनदा आिकी कर बठती ह

कफर छोटी-मोटी कया करनी कफर ठीक स ही करो जब मजा ही लना हो तो छोटा-मोटा कया करना

जब चोरी ही करनी हो तो कफर कौतरड़यो की कया करनी कफर ठीक स जनदा करो कफर कदल खोलकर जनदा

करो और मरा आशीवामद तमहार साथ ह इसतरलए जचता की कोई जररत नही ह

और कहा गया ह कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही

वह ककसी डर हए गर न कहा होगा म नही कहता म तो कहता ह कफकर छोड़ो ठौर म ह तमहारी तम

करो जनदा तरजतनी तमह करनी हो म तम िर नाराज नही ह और कभी नाराज नही होऊगा अगर तमह इसी म

मजा आ रहा ह अगर यही तमहारा सवभाव ह अगर यही तमहारी सहजता ह कक इसस ही तमह कछ तरमलता

मालम िड़ता ह तो म बाधा न बनगा कफकर छोड़ो कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही म तमस

कहता ह म ह ठौर तमहारा तमह तरजतनी जनदा करनी हो करो वह तरजनहोन कहा होगा कमजोर गर रह होग

जनदा स डरत रह होग

मरी जनदा स मझ कोई भय नही ह तमहारी जनदा स मरा कछ बनता-तरबगड़ता नही ह और िराए तो

मरी जनदा करत ही ह अिन करग तो कम स कम थोड़ी कशलता स करग--यह भी आशा रखी जा सकती ह

करो

मगर एक बात खयाल रखना इसस तमहारा तरवकास नही होता ह इसतरलए मझ दया आती ह इसस तमह

कोई गतरत नही तरमलती मरी जनदा करन स तमह कया लाभ होगा इस िर धयान करो थोड़ सवाथी बनो थोड़ी

अिनी तो सोचो कक मझ कया लाभ होगा यह समय मरा वयथम जाएगा अब कषणतरपरया यहा वरषो स ह और म

214

समझता ह वह यहा न होती तो कछ हातरन नही थी--कछ लाभ उस हआ नही वयथम ही यहा ह यहा होन न

होन स कछ मतलब नही ह

कषणतरपरया का ही दसरा परशन हः

म कभी-कभी आशरम स भागना चाहती ह लककन आिस नही भागना चाहती वयवसथा जो अनशासन

हम िर लादती ह वह मझ सहन नही होता कया यह आरोतरित अनशासन आतमानशासन क तरवकास म बाधा

नही ह

म कभी-कभी आशरम स भागना चाहती ह लककन आिस नही भागना चाहती

मरा कोई कसर मरी कोई भल-चक मरा कोई कमो का लना-दना ह और कफर अगर मझस नही भागना

चाहती तो कोई अड़चन नही मझ अिन हदय म रखो और कही भी रहो यह आशरम भी तम भाग जाओगी तो

इतना ही परसनन होगा तरजतनी तम परसनन होओगी तमहार होन स यहा कोई भी परसनन नही ह यह खयाल म ल

लो तम खद ही परसनन नही हो तो कोई और कस परसनन होगा

तम यहा होकर अगर परसनन हो तो ही कोई दसरा तमहार होन स परसनन हो सकता ह परसननता तमहार

भीतर स िरगट होती ह तम अगर आनकदत हो तो ही इस आशरम क वासी तमहार होन स आनकदत होग अगर

तम दखी हो और िरशान हो और यहा तमह भला नही लगता तो तमहार कारण यहा कोई परसनन नही ह

तमहारी बड़ी किा होगी तम चली जाओ तो कोई तमस कह भी नही सकता ह कक तम चली जाओ कोई तमस

कह भी नही रहा ह लककन अगर तमहार मन म यह बार-बार बात उठती ह तो तम किा करो तम कोई

यगाडा की परसीडट तो हो नही--इदी अमीन तो हो नही--कक िरा इगलड कह रहा ह किा करक आि न आए

मगर वह सजजन ह कक जा ही रह ह इगलड न उनको खबर भजी ह कक कामनवलथ की सभा म हम आिका

सवागत करन म असमथम ह मगर वह जा ही रह ह

कोई तमस कहता नही कक तम भाग जाओ कोई तमह रोक भी नही रहा ह खयाल रखना कोई तमहारा

हाथ िकड़कर रोक भी नही रहा ह कक तम यहा रहो तमहार जान स हलकािन ही होगा और तम जो जगह

भर हो वहा कोई दसरा आदमी तरवकतरसत होन लगगा तम तो तरवकतरसत होती मालम नही होती तमहारा होना

न होना बराबर ह म नही कह रहा ह कक चली जाओ म इतना ही कह रहा ह कक अगर तमहार मन म यह

भागन का भाव बार-बार उठता ह तो इस भाव को सनो इसका अनकरण करो यह तमहार ही अतरातमा की

आवाज ह कौन जान यही अतरातमा की आवाज तमह ठीक रासत िर ल जाए तमहारा रासता कही और हो

तमहारा गर कही और हो

रही मरी बात सो मझ तम अिन हदय म रखना जहा भी रहो और जहा भी रहो छोटी-मोटी या बड़ी

जसी जनदा बन करत रहना मझ तम माफ न कर सकोगी यह मझ मालम ह इसतरलए जहा रहो वही जो काम

यहा करती हो वहा करना इसम अड़चन कया ह मर िास रहकर कर ही कया रही हो यहा छोटी-मोटी जनदा

करती हो--कहती हो--म कहता ह बड़ी भी करो िना रही कक िटना िटना म चलाना यही काम तो मर स

तो सग-साथ बना ही रहगा आशरम तमस मि हो जाएगा तम आशरम स मि हो जाओगी

215

खयाल रखो आशरम म जो वयवसथा ह वह मर तरनदश स ह तरजनका मझस लगाव ह व उस वयवसथा को

सवीकार करग जो इस वयवसथा को असवीकार करत ह उनका मझस लगाव नही ह कयोकक वह वयवसथा मरी

ह यहा ककसी और की वयवसथा नही ह यह कोई लोकति नही ह यहा यह तो तरबलकल तानाशाही ह यहा

कोई लोग तय नही कर रह ह कक कया हो यहा जो म तय कर रहा ह वही हो रहा ह वसा ही हो रहा ह रतती-

रतती वसा हो रहा ह

इसतरलए तरजनका मझस लगाव ह व बईमातरनया न कर व इस तरह की बईमानी म न िड़ कक आिस तो

हमारा लगाव ह आशरम आशरम स हम िरशान ह तो तम मझस ही िरशान हो तो तमहारा मझस लगाव

कोरा ह थोथा ह हवाई ह बातचीत का ह उसका कोई मलय नही ह उसम कछ यथाथम नही ह

तरजनका मझस लगाव ह व आशरम म लीन हो गए ह उनको यह अड़चन नही िदा होती इस तरह क

परशन व तरलख-तरलखकर नही भजत न इस तरह की बात करत ह व िरम आनकदत ह आशरम की वयवसथा म

डबकर उनहोन मर तरफ समिमण का रासता खोजा ह वह समिमण का रासता ह

तो आशरम की वयवसथा अगर तमह ठीक नही लगती तो तम ठीक स समझ लो कक मरी वयवसथा तमह

ठीक नही लगती इसस मझस दर ही रहना अचछा ह जब ठीक लगन लग तब आ जाना अगर म रहा तो

तमहारा सवागत होगा नही रहा तो तमहारी तम जानो

और कया यह आरोतरित अनशासन आतमानशासन क तरवकास म बाधा नही ह

यह तम तरनणमय कर लो जब भी हम ककसी सघ म सतरममतरलत होत ह तो हम इसीतरलए सतरममतरलत होत ह

कक अकल-अकल हमस आतम-तरवकास नही हो रहा ह कषणतरपरया तमहार िास आतमा अभी ह कहा तरजसका तम

अनशासन कर लोगी आतमा क नाम स तरसफम धोखा दोगी तमहार िास अभी तरववक कहा ह अभी तमहारा

होश जागा कहा ह अनशासन कौन दगा तमहारी तरनदरा म तम जो भी अनशासन दोगी तमह और गडढ म ल

जाएगा तरजस कदन आतमानशासन जग जाएगा उस कदन तो म भी तमस नही कहगा कक ककसी और अनशासन

को मानो यह और अनशासन उसी अनशासन को जगान की कदशा म परयास ह म तमह तभी तक अनशासन

दगा जब तक मझ लगता ह तमहारी आतम-चतना अभी जागी नही तरजस कदन दखगा तमहारा दीया जल गया

उस कदन तमको कहगा कक अब तम मि हो अब तमह जसा लग वसा करो कयोकक तब तम वही करोगी जो

ठीक ह

अभी तम जो करोगी वह गलत ही होन वाला ह अभी तमस ठीक हो सकता होता तो मर िास आन की

जररत कया थी अभी तमहारा तरववक बझा-बझा ह

आतमानशासन का यही अथम हआ--एक आख वाल आदमी का अधा आदमी हाथ िकड़ता ह कफर जब

अधा आदमी आख वाल का हाथ िकड़ता ह तो शरदधािवमक चलना होता ह अधा बीच-बीच म कहन लग कक म

बाए जाना चाहता ह--म तो आतमानशासन म मानता ह--और तम मझ दाए खीच रह हो अब आख वाला

दखता ह कक बाए गडढा ह लककन अधा कहता ह कक तम मझ दाए खीचोग म दाए नही जाना चाहता यह तो

तम ऊिर स मर ऊिर आरोतरित कर रह हो तम मरी सवतिता छीन रह हो मझ बाए जाना ह म तो अिनी

आतमा की आवाज मानगा मगर आख भी तो होनी चातरहए तो जाओ बाए तो तरगरो गडढ म कफर मरा कसर

मत मानना

अब यह बड़ी मतरशकल की बात ह अगर गडढ म तरगरोगी तो मरा कसर कक भगवान मौजद थ म उनक

िास थी उनहोन कयो धयान न कदया अगर म धयान द तो तमहार आतमानशासन म बाधा िड़ती ह

216

तम तय कर लो अगर इस सघ क तरहसस होकर रहना ह तो यह आतमानशासन इतयाकद की बात छोड़

दो तम अभी आतमवान नही हो इसतरलए तम कोई आतमानशासन दन म समथम नही हो अभी तम अिन सब

इस अहकार की घोरषणा को बद करो--यह तरसफम अहकार की घोरषणा ह आतमा की नही आतमा अभी ह कहा

आतमा जग जाए इसतरलए सारा अनशासन द रहा ह तरजस कदन जग जाएगी उस कदन म तमस खद ही कहगा

कक कषणतरपरया अब त जा औरो को जगा अभी यह नही कह सकता अभी इसका कोई उिाय कहन का नही ह

सोच लो एक दफा ठीक तरनणमय कर लो यहा रहना हो तो िर रहो यहा स जाना हो तो िर भाव स

चली जाओ ऐसा बीच-बीच म तरिशक होकर रहना ठीक नही ह

िाचवा परशनः ििातताि का आधयातरतमक तरवकास म कया मलय ह

ििातताि और ििातताि म फकम ह एक तो ििातताि होता ह जो वयथम की जचता ह तम लौट-लौटकर

िीछ दखत हो और सोचत हो--ऐसा न ककया होता वसा ककया होता ऐसा हो जाता ऐसा न होता तो अचछा

होता यह ििातताि जो ह यह वयथम का रदन ह जो दध तरगर गया और तरबखर गया फशम िर अब उसको इकटठा

नही ककया जा सकता और यह इकटठा भी कर लो तो िीन क काम का नही ह जो गया गया उसी घाव को

खजलात रहना बार-बार ककसी मलय का नही ह

अगर तमहारा ििातताि स यही अथम हो कक िीछ लौट-लौटकर दखना और रोना और तरबसरना और

कहना कक ऐसा न ककया होता तो अचछा था मगर जो हो गया हो गया अब उसको नही करन का कोई भी

उिाय नही ह अतीत म कोई बदलाहट नही की जा सकती इस समरण रखो यह एक बतरनयादी तरसदधात ह

अतीत म कोई बदलाहट नही की जा सकती जसा हो गया अतरतम रि स हो गया अब इसम न तो तम एक

लकीर जोड़ सकत न एक लकीर घटा सकत अब यह हमार हाथ म नही रहा यह बात हमार हाथ स सरक

गयी यह तीर हमार हाथ स तरनकल गया इस अब तरकस म वािस नही लौटाया जा सकता इसतरलए इसक

तरलए रोन स तो कोई सार नही ह

अगर तमहारा ििातताि का यही अथम हो--जो कक अकसर होता ह लोग कहत ह िछता रह ह खब

िछता रह ह ऐसा नही करत फला को गाली द दी न दत यह लाटरी की रटकट खरीदन का मन था और यही

नबर की रटकट तरमल रही थी और न खरीदी आज लखितरत हो गए होत कक इस घोड़ िर लगा कदया होता

दाव कक ऐसा कर तरलया होता कक वसा कर तरलया होता कक इस बार जनता की रटकट िर खड़ ही हो गए

होत अतीत को तम अगर बार-बार सोचत हो इसस कछ लाभ नही ह इसक कारण नकसान ह कयोकक इसक

कारण तम भतरवषय को नही दख िात और वतममान को नही दख िात तमहारी आख धए स भरी रहती ह

अतीत को तो जान दो आख खली रखो साफ रखो जो हो गया हो गया जो अभी नही हआ उसम कछ ककया

जा सकता ह

तो इस अथम म तो ििातताि कभी मत करना अतीत का जचतन मत करना

लककन एक ििातताि का और भी अथम होता ह कक अतीत स सीख ली अतीत क अनभव को तरनचोड़ा

अतीत स जञान की थोड़ी ककरण िायी जो-जो अतीत म हआ ह उसको ऐस ही नही हो जान कदया जो भी हआ

उसस कछ िाठ तरलए उस िाठ क अनसार आग जीवन को गतरत दी उस िाठ क अनसार अगल कदम उठाए

यह छोटी सी कहानी सनो--

217

एक सफी सत थ बड़ ईशवरभि िाच दफ नमाज िढ़न का उनका तरनयम था एक रोज थक-माद थ सो

गए जब नमाज का वि आ गया तो ककसी न आकर उनह जगाया तरहलाकर कहा उठो-उठो नमाज का वि हो

गया ह व ततकाल ही उठ बठ और बड़ कतजञ हए कहन लग भाई तमन मरा बड़ा काम ककया मरी इबादत

रह जाती तो कया होता अचछा अिना नाम तो बताओ उस आदमी न कहा अब नाम रहन दो उसस झझट

होगी लककन सत न कहा कम स कम नाम तो जान तमह धनयवाद तो द तो उसन कहा िछत ही हो तो कह

दता ह मरा नाम इबलीस ह

इबलीस ह शतान का नाम सत तो हरान हए बोल इबलीस शतान अर तमहारा काम तो लोगो को

इबादत स धमम स रोकना ह कफर तम मझ जगान कयो आए यह बात तो बड़ी अटिटी ह सनी नही िढ़ी

नही न आखो दखी न कानो सनी शासतरो म कही उललख नही कक इबलीस और ककसी को जगाता हो कक उठो-

उठो नमाज का वि हो गया तमह हो कया गया ह कया तमहारा कदल बदल गया ह

शतान न कहा नही भया इसम मरा ही फायदा ह एक बार िहल भी तम ऐस ही सो गए थ नमाज का

वि बीत गया तो म बहत खश हआ था लककन जब तम जाग तो इतना रोए इतन दखी हए इतन हदय स

तमन ईशवर को िकारा और इतनी तमन कसम खायी कक अब कभी नही सोऊगा अब कभी भल नही करगा

अब मझ कषमा कर दो तब स वरषो बीत गए ह तब स तम सोए नही तब स तम नमाज ही नही चक अब मन

दखा कक आज तम कफर सो गए हो अगर म तमह न जगाऊ तो और करठनाई होगी तम इसस भी कछ िाठ

लोग तो मन सोचा एक दफ नमाज िढ़ लो वही जयादा ठीक ह उसम मरी कम हातरन ह कयोकक तरिछली दफ

तम चक उसस तमह तरजतना लाभ हआ उतना तमन तरजतनी नमाज जजदगीभर की थी उनस भी न हआ था

इस फकम को समझना

तम जजदगीभर नमाज िढ़त रह रोज सबह-साझ िाच बार उसस तमह इतना लाभ नही हआ था

तरजतना तरिछली बार सो गए थ और जब जाग थ तो तरजस ढग स तम िछताए थ तरजस ढग स तम िीतरड़त हए

थ जस तम रोए थ जस तम जार-जार होकर तड़फ थ तम फशम िर तरघसट थ तमन तरसर िटका था तमन परभ

को ऐसा याद ककया था उस कदन तमहारी नमाज उस कदन तमहारी पराथमना िरमातमा तक िहच गयी थी और

तब स वरषो बीत गए मन तमह बहत सलान की कोतरशश की सब ककया लककन तम कभी नही सोए तम हर

हालत म भी नमाज िढ़त रह आज तम सो गए थक-माद म डरा कक कही आज कफर तम सोए रह तब तो तम

िता नही ककतना लाभ ल लोग उस परायतरितत स उस ििातताि स

ििातताि ििातताि का फकम ह तरसफम रोन की ही बात नही ह सीखन की बात ह सीखो तो बड़ा लाभ

ह जो भल तमन की ह व सभी भल काम की हो जाती ह सभी भल सोन की अगर सीख लो अगर न सीखो

तो तमन जो ठीक भी ककया वह भी तरमटटी हो जाता ह

इस गतरणत को खयाल म लना भल भी सोना हो जाती ह अगर उसस सीख लो और गर-भल भी तरमटटी

हो जाती ह अगर कछ न सीखो अनभव तो जजदगी म सभी को होत ह थोड़ स लोग उनस सीखत ह जो

सीखत ह व जञानी हो जात ह अतरधक लोग उनस सीखत नही अनभव तो सभी को बराबर होत ह अचछ क

बर क लककन कछ लोग अनभवो की रातरश लगाकर बठ रहत ह उसकी माला नही बनात थोड़ स लोग ह जो

अनभव क फलो को सीख क धाग स तरिरोत ह और माला बना लत ह व परभ क गल म हार बन जात ह

िाठ खयाल म रखो--जो हआ हआ वह अनयथा हो नही सकता लककन उसक होन क कारण तम अनयथा

हो सकत हो खयाल लना गलत ििातताि उस कहता ह म जब तम सोचत हो--जो मन ककया वसा न ककया

218

होता अनयथा हो जाता कछ तरकीब हो जाती ऐसा हो जाता वसा हो जाता कयो मन ऐसा ककया ककसी स

िछ लता जरा सी बात थी कयो चक गया इस तरह क िछताव स कोई लाभ नही कयोकक तम अतीत को

बदलना चाह रह हो तो ििातताि वयथम

अगर अतीत म ऐसा हआ इसस तम एक अनभव लो कक म अिन को बदल ल--तम अिन को बदल सकत

हो तम भतरवषय हो तम अभी हए नही हो रह हो इस म बदलाहट हो सकती ह--अगर तम बदल जाओ तो

ििातताि बड़ा बहमलय ह नमाज स जयादा नमाज न हई उसका ििातताि ह

छठवा परशनः भगवान बदध न आनद स कहा कक सथान बदलन स समसया हल होन वाली नही ह कफर आि

कयो बार-बार सथान बदल रह ह

िहली तो बात भगवान बदध एक सथान िर दो-तीन सपताह स जयादा नही रहत थ म एक-एक जगह

चार-चार िाच-िाच साल रटक जाता ह सो यह तम दोरष मझ िर न लगा सकोग कक म बार-बार सथान कयो

बदल रहा ह भगवान बदध तो जजदगीभर बदलत रह लककन उनहोन भी समसया क कारण नही बदला और म

भी समसया क कारण नही बदल रहा ह जब आनद न कहा उनस कक हम दसर गाव चल चल कयोकक इस गाव

क लोग गातरलया दत ह तो उनहोन नही बदला इस कारण नही बदला उनहोन कहा इस कारण बदलन स कया

सार इसका मतलब यह मत समझना कक वह सथान नही बदलत थ सथान तो बदलत ही थ बहत बदलत थ

लककन इस कारण उनहोन कहा सथान बदलना गलत ह

उस सथान स भी बदला उनहोन आतरखर गए उस जगह स लककन तब तक न गए जब तक यह समसया

बहत काट की तरह चभ रही थी और तरभकष बदलना चाहत थ--तब तक नही गए जब तरभकषओ न उनकी बात

सन ली और समझ ली और तरभकष राजी हो गए और धयमिवमक परतीकषा करन लग जब तरभकषओ क मन म यह बात

ही नही रही कक कही और चल तब चल गए मगर व समसया क कारण नही गए

म भी समसया क कारण नही बदलता समसया तो सब जगह बराबर ह सच तो बात यह ह कक जहा दो-

चार-िाच साल रह जाओ वहा समसयाए कम हो जाती ह लोग राजी हो जात ह--कया करोग

म वरषो जबलिर था लोग धीर-धीर राजी हो गए थ व समझत थ कक होगा कदमाग खराब होगा

इनका तरजनको सनना था सनत थ तरजनको नही सनना था नही सनत थ बात तय हो गयी थी कक ठीक ह

अब कया करोग इस आदमी का शोरगल मचा तरलया अखबारो म तरखलाफ तरलख तरलया जलस तरनकाल तरलए

कया करोग कफर आतरखर कब तक चलात रहोग और भी काम ह दतरनया म धमम कोई एक ही काम तो नही

फसमत ककसको ह तरजनको पराथमना करन की फसमत नही उनह मरा तरवरोध करन की फसमत भी ककतनी दर तक

रहगी यह तो सोचो आतरखर व राजी हो गए कक ठीक ह अब छोड़ो भलो तरजस कदन व राजी हो गए उसी

कदन मन जबलिर छोड़ कदया कफर कोई सार न रहा वहा रहन का

कफर मन बबई म अडडा जमा तरलया कफर धीर-धीर बबई क लोग भी राजी होन लग कक ठीक ह तब म

िना आ गया अब िना क लोग भी राजी होन क करीब आ रह ह--अब म कया कर जान का वि करीब आ

गया अब िना म कोई नाराज नही ह मझ िि आत ह तरमिो क िना क सनयातरसयो क कक अब आि छोड़त ह

जब कक सब ठीक-ठाक हआ जा रहा ह अब लोग नाराज भी नही ह उतना तरवरोध भी नही कर रह ह

219

लोगो की सीमा ह अगर तम धयम रख रहो तो व हार जात ह कया करग कब तक तरसर फोड़ग मगर

जस ही यह बात हो जाती ह कफर बदलन का वि आ जाता ह अब कही और जाएग कही और जहा लोग तरसर

फोड़ग वहा जाएग

समसया क कारण नही बदली जाती ह जगह समसयाए हल हो जाती ह तो कफर बदल लत ह--अब यहा

करग भी कया मरीज न रह तरजतन लोगो को लाभ हो सकता था उनहोन लाभ ल तरलया जो अभाग ह उनक

तरलए बठ रहन स कछ लाभ नही अब कही और ककसी और कोन स कही और भी लोग परतीकषा करत ह यही

उतरचत ह

काफी समय रह तरलया यहा जो ल सकत थ लाभ उनहोन ल तरलया उनक कठ भर गए तरजनक तरलए

आया था उनका काम िरा हो गया ऐस तो बहत भीड़ ह िना म उसस मरा कोई लना-दना नही उनक तरलए

म आया भी नही था उनक तरलए म आया भी नही उनक तरलए म यहा रहा भी नही यहा दतरनया म कोन-कोन

स लोग आ रह ह लककन यहा िड़ोस म लोग ह जो यहा नही आए

तरजनक तरलए म आया था उनका काम िरा हआ अब कही और

समसया क कारण कोई बदलता नही--कोई बदध नही बदलता समसया क कारण

सातवा परशनः मन सना ह कक अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती ह ऐसा कयो कया

अिाि सदगर की करणा क हकदार नही ह

इस छोटी सी कहानी को समझो--

अगार न ऋतररष की आहतरतयो का घी िीया और हवय क रस चाट कछ दर बाद वह ठडा होकर राख हो

गया और कड़ की ढरी िर फक कदया गया ऋतररष न जब दसर कदन नए अगार िर आहतरत अरिमत की तो राख न

िकारा कया आज मझस रषट हो महाराज ऋतररष की करणा जाग उठी और उनहोन िाि को िोछकर एक

आहतरत राख को भी अरिमत की तीसर कदन ऋतररष जब नए अगार िर आहतरत दन लग तो राख न गरामकर कहा

अर त वहा कया कर रहा ह अिनी आहतरतया यहा कयो नही लाता ऋतररष न शात सवर म उततर कदया ठीक ह

राख आज म तर अिमान का ही िाि ह कयोकक कल मन मखमतावश तझ अिाि म आहतरत अरिमत करन का

िाि ककया था

अिाि को भी सदगर तो दन को तयार होता ह लककन अिाि लन को तयार नही अिाि का मतलब ही

यह होता ह कक जो लन को तयार नही तो दन स ही थोड़ ही कछ हल होता ह म दन को तयार ह अगर तम

लन को तयार न हो तो मर दन का कया सार होगा तम जब तक तयार नही हो तमह कछ भी नही कदया जा

सकता सथल चीज नही दी जा सकती तो सकषम की तो बात ही छोड़ दो म कोई सथल चीज तमह भट द--फलो

का एक हार भट द--और तम फक दो सथल चीज भी नही दी जा सकती तो सकषम--म तमह सनयास द म तमह

धयान द म तमह परम द--तम उस भी फक दोग

अिाि का अथम खयाल रखना अिाि का अथम यह ह जो लन को तयार नही जो िाि नही ह अभी जो

अभी िाि बनन को राजी नही ह िाि का अथम होता ह जो खाली ह और भरन को तयार ह अिाि का अथम

होता ह जो बद ह और भरन स डरा ह और खाली ही रहन की तरजदद ककए ह कफर अगर अिाि को दो तो वह

फ कगा और अिाि को अगर दो तो वह दवयमवहार करगा--हीरो क साथ ककड़-ितथरो जसा दवयमवहार करगा

220

इसतरलए तमहार परशन को समझन की कोतरशश करो

मन सना ह कक अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती

ऐसा नही कक सदगर नही दना चाहत दना चाहत ह मगर अिाि लत नही और कभी-कभी ऐसा भी हो

सकता ह कक अिाि ऊिर स कहता हो कक म लना चाहता ह लककन सदगर तमहार भीतर दखता ह तमहार

ऊिर की बात नही ह तमहारी वाणी की बात नही ह तमहार पराण की बात ह वह दखता ह तम भीतर स

तयार हो कक ऊिर स ऊिर स तम ककसी और कारण स लन को राजी हो गए होओ

यहा मर िास लोग आ जात ह व कहत ह सनयास चातरहए जब म उनस जरा बात करता ह कक

ककसतरलए चातरहए कया बात ह कया कारण ह तो कारण ऐस तरमलत ह तरजनका सनयास स कोई भी सबध

नही हो सकता

एक यवक सनयास लन आया िछा कारण कया ह वह कहता ह नौकरी नही लगती अब नौकरी नही

लगती तो उसन सोचा कक चलो ककसी आशरम म ही रहग मगर यह सनयास क तरलए ियामपत कारण मानत हो

इस नौकरी नही लगती मन उसस कहा और अगर नौकरी लग जाए तो उसन कहा अगर आि लगवा द तो

बड़ी किा कफर मन कहा कफर सनयास का कया करोग तो उनहोन कहा अगर नौकरी लगवा द तो कफर

सनयास की कोई जररत ही नही ह म तो आया ही इसीतरलए ह कक अब कही लगती नही ठोकर खा-खाकर

िरशान हो गया रोजगार दफतरो क सामन खड़-खड़ सबह स साझ हो जाती ह नौकरी लगती नही लगवा द

आि तो कफर कया जररत सनयास की

अब बात सीधी-साफ ह कोई बीमार ह सोचता ह शायद सनयास एक सतरी अिन बट को लकर आ

गयी--वह बचिन स ही िागल ह मतरसतषक उसका तरवकतरसत नही हआ--इसको सनयास द द वह उस घसीटती

ह इस सनयास द द म उस िछता ह इसको लना ह वह कहती ह इसको तो कछ होश ही नही यह कया

लगा-दगा तो मन कहा त इसक कयो िीछ िड़ी ह

तो वह कहती ह शायद सनयास स इसकी बतरदध ठीक हो जाए शायद इसका मतरसतषक खराब ह--

तरचककतसक तो हार गए मनोवजञातरनक कहत ह कछ हो नही सकता इसम बतरदध क तत ही नही ह--तो शायद

अब इस तरह सनयास नही घटता सनयास इस जगत की सबस अनठी घटना ह सगीत सीख सकता ह

अिाि अगर थोड़ी महनत कर कतरवता भी रच सकता ह अिाि अगर थोड़ी भारषा माज तकबदी साध नाच

भी सीख सकता ह--लगड़ा भी नाच सीख सकता ह--अगर थोड़ा अभयास कर लककन सनयास सनयास तो

सवाग सौदयम ह सनयास तो आतरखरी बात ह सनयास तो आतरखरी समनवय ह सनयास तो समातरध ह इस िर

तो जो सार जीवन को तरनछावर कर द--व भी अगर िा ल तो धनयभागी ह

तो तम िछत हो कक सना ह मन अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती

दीकषा दन म सदगर को कोई कजसी नही कोई किणता नही ह लककन अिाि लन को राजी नही ह

अिाि लता नही ह

िछत हो ऐसा कयो

यह बात सीधी-साफ ह

और कया अिाि सदगर की करणा क हकदार नही ह

हकदार शबद ही गलत ह यह कोई अतरधकार नही ह तरजसका तम दावा करो यह हकदार शबद ही अिाि

क मन की दशा की सचना द रहा ह सनयास का कोई हकदार नही होता यह कोई काननी हक नही ह कक

221

इककीस साल क हो गए तो वोट दन का हक ह तम जनमो-जनमो जी तरलए हो कफर भी हो सकता ह सनयास क

हकदार न होओ यह हक अरजमत करना िड़ता ह यह हक हक कम ह और कतमवय जयादा ह यह तो तमह धीर-

धीर कमाना िड़ता ह यह कोई काननी नही ह कक म चाहता ह सनयास लना तो मझ सनयास कदया जाए यह

तो परसाद-रि तरमलता ह तम पराथमना कर सकत हो हक का दावा नही तम पराथमना कर सकत हो हाथ

जोड़कर तम चरणो म बठ सकत हो कक म तयार ह जब आिकी करणा मझ िर बरस या आि समझ कक म

योगय ह तो मझ भल मत जाना म अिना िाि तरलए यहा बठा ह तम पराथमना कर सकत हो हक की बात नही

कर सकत हक की बात भी अिािता का तरहससा ह

जीवन म जो महतविणम ह सदर ह सतय ह उस िर दाव नही होत हम उसक तरलए तरनमिण द सकत ह

हम िरमातमा को कह सकत ह तम आओ तो मर दरवाज खल रहग तम िकारोग तो मझ जागा हआ िाओग

मन घर-दवार सजाया ह धि-अगरबतती जलायी ह फल रख ह तमहारी सज-शयया तयार की ह िलक-िावड़

तरबछाए म परतीकषा करगा तम आओ तो म धनयभागी तम न आओ तो समझगा अभी म िाि नही यह िाि

का लकषण ह तम आओ तो म धनयभागी तम आओ तो समझगा कक परसाद ह न आओ तो समझगा अभी िाि

नही

अिाि की हालत उलटी ह तम आओ तो वह समझगा आ गए ठीक ह मरा हक ही था आना ही था न

आत तो मजा चखाता आना ही िड़ता यह मरा हक ह यह मरा अतरधकार ह न आओ तो वह नाराज होता ह

कक बड़ा अनयाय हो रहा ह ससार म अनयाय ह ककसी को तरमल रहा ह ककसी को नही तरमल रहा ह जयादती

हो रही ह िकषिात हो रहा ह भाई-भतीजावाद हो रहा ह अिाि की भारषा होती ह एक

िाि की भी एक भारषा होती ह िरमातमा आता ह तो िाि कहता ह--परसाद मरी तो कोई योगयता न

थी कफर तम आए यह िाि की भारषा ह जरा समझना बड़ी उलटी भारषा ह िाि कहता ह म तो अिाि था

और तम आए मरी तो कोई योगयता न थी म माग सक ऐसा तो मरा कोई आधार न था तरसफम तमहारी करणा

तमहारा परम तमहारी दया तम रहीम हो तम रहमान हो तम महाकरणावान हो इसतरलए आए हक क कारण

नही म धनयभागी ह अनगहीत ह यह ऋण चकाया नही जा सकता मझ अिाि िर किा की मझ अयोगय की

तरफ आख उठायी यह िाि की भारषा ह

अिाि कहता ह म िाि मझस जयादा िाि और कौन ह और अभी तक नही आए इतनी दर लगा रह

हो अनयाय मालम होता ह अिाि अिनी योगयता की घोरषणा करता ह--हक तो योगयता की घोरषणा ह

नही सनयास तो जीवन का िरम फल ह यह सहजता म तरखलता ह यह परसादरि तरखलता ह तम

तरनमिण भजो और परतीकषा करो सदगर क िास जाओ तरनमिण द दो तरनवदन कर दो कक आि िकारग तो म

तयार ह

मर िास आत ह इतन लोग उसम तीन तरह क लोग होत ह उसम जो शरितम होता ह वह मझस

आकर कहता ह कक म तयार ह अगर आि मझ िाि समझ तो सनयास द द अगर आि समझ अगर आि समझ

कक अभी मरी तयारी नही तो म परतीकषा करगा आि िर छोड़ता ह जो शरितम ह वह कहता ह आि िर

छोड़ता ह जो उसस नबर दो ह दोयम ह वह कहता ह मन तय कर तरलया कक मझ सनयास लना ह आि मझ

सनयास द कफर एक नबर तीन भी ह वह कहता ह आि सनयास दना चाहत ह अगर आि द तो म तरवचार

कर कक ल या न ल इस िर म तरवचार करगा

222

इसम िहला तो बहत करीब ह भगवान क मकदर क दवार िर खड़ा ह दसरा जयादा दर नही ह तीसरा

बहत दर ह और चौथ भी लोग ह जो आत ही नही उनको तो िता ही नही कक भगवान का कोई मकदर भी

होता ह कक सनयास जसी भी एक जीवन की दशा होती ह कक चतनय का एक नतय भी होता ह एक सगीत भी

होता ह एक कावय भी होता ह

आठवा परशनः कया बदध क िवम भी और बदध हए ह और कया बदध क बाद भी और बदध हए ह

बदधतव चतना की िरमदशा का नाम ह इसका वयतरि स कोई सबध नही ह जस तरजनतव चतना की

अतरतम दशा का नाम ह इसस वयतरि का कोई सबध नही ह तरजन अवसथा ह वस ही बदध अवसथा ह

गौतम बदध हए कोई गौतम िर ही बदधतव समापत नही हो गया गौतम क िहल और बहत बदध हए ह

खद गौतम बदध न उनका उललख ककया ह और गौतम बदध क बाद बहत बदध हए सवभावतः गौतम बदध उनका

तो उललख नही कर सकत बदधतव का अथम ह--जागरत होश को आ गया वयतरि तरजसन अिनी मतरजल िा ली

तरजसको िान को अब कछ शरष न रहा तरजसका िरा पराण जयोतरतममय हो उठा अब जो मणमय स छट गया और

तरचनमय क साथ एक हो गया

इस छोटी सी झन-कथा को समझो--

एक कदन सदगर िन ची न आशरम म बहारी द रह तरभकष स िछा तरभकष कया कर रह हो तरभकष बोला

जमीन साफ कर रहा ह भत सदगर न तब एक बहत ही अदभत बात िछी--झन फकीर इस तरह की बात

िछत भी ह िछा--यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क ििात

अब यह भी कोई बात ह बदध को हए हजारो साल हो गए अब यह सदगर जो सवय बदधतव को उिलबध

ह यह बहारी दत इस तरभकष स िछता ह कक यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क ििात परशन

िागलिन का लगता ह मगर िरमहसो न कई बार िागलिन की बात िछी ह उनम बड़ा अथम ह

जीसस स ककसी न िछा ह कक आि अबराहम क सबध म कया कहत ह

अबराहम यहकदयो का िरमतरिता वह िहला िगबर यहकदयो का इस बात की बहत सभावना ह कक

अबराहम राम का ही दसरा नाम ह--अब राम का अब तरसफम आदर-सचक ह जस हम शरीराम कहत ह ऐस अब

राम अब राम स अबराहम बना इस बात की बहत सभावना ह लककन अबराहम िहला परोफट ह िहला िगबर

िहला तीथकर ह यहकदयो का मसलमानो का ईसाइयो का उसस तीनो धमम िदा हए

तो ककसी न जीसस स िछा कक आि अबराहम क सबध म कया कहत ह तो जीसस न कहा म अबराहम क

भी िहल ह हो गयी बात िागलिन की जीसस कहा हजारो साल बाद हए ह लककन कहत ह म अबराहम क

भी िहल ह

इस झन सदगर िन ची न इस तरभकष स िछा यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क

ििात िर तरभकष न जो उततर कदया वह गर क परशन स भी गजब का ह तरभकष न कहा दोनो ही बात ह बदध क

िवम भी और बदध क ििात भी बोथ तरबफोर एड आफटर गर हसन लगा उसन िीठ थिथिायी

इस हम समझ बदध को हए हो गए हजारो वरषम वह गौतम तरसदधाथम बदध हआ था िर बदध होना उस िर

समाित नही हो गया ह आग भी बदध होना जारी रहगा इस बहारी दन वाल तरभकष को भी अभी बदध होना ह

इसतरलए परतयक घटना दोनो ह--बदध क िवम भी बदध क ििात भी बदधतव तो एक सतत धारा ह एस धममो

223

सनतनो हम सदा बीच म ह हमस िहल बदध हए ह हमस बाद बदध होग हमको भी तो बदध होना ह गौतम

िर ही थोड़ बात चक गयी

लककन हमारी नजर अकसर सीमा िर रक जाती ह हमन दखा गौतम बदध हआ दीया जला हम दीए

को िकड़कर बठ गए--जयोतरत को दखो जयोतरत तो सदा स ह इस दीए म उतरी और दीयो म उतरती रही ह

और दीयो म उतरती रहगी

तो जीसस ठीक कहत ह कक अबराहम क िहल भी म ह यह मरी जो जयोतरत ह यह कोई ऐतरतहातरसक

घटना नही ह यह तो शाशवत ह यह सनातन ह अबराहम बाद म हआ इस जयोतरत क बाद हआ इस जयोतरत क

कारण ही हआ तरजस जयोतरत क कारण म हआ ह यह िरम जयोतरत ह यह िरम जयोतरत शाशवत ह न इसका

कोई आकद ह न इसका कोई अत ह

बदध न अिन तरिछल जनमो क बदधो का उललख ककया ह--चौबीस बदधो का उललख ककया ह एक उललख

म कहा ह कक उस समय क जो बदधिररष थ उनक िास म गया तब गौतम बदध नही थ झककर बदधिररष क

चरण छए उठकर खड़ हए थ कक बहत चौक कयोकक बदध न झककर उनक चरण छ तरलए तो व बहत घबड़ाए

उनहोन कहा म आिक चरण छऊ यह तो ठीक ह अधा आख वाल क सामन झक यह ठीक ह लककन आिन

मर चरण छए यह कसा िाि मझ लगा कदया अब म कया कर

व बदध हसन लग उनहोन कहा तझ िता नही दर-अबर त भी बदध हो जाएगा हम शाशवत म रहत ह

कषणो की तरगनती हम नही रखत म आज हआ बदध त कल हो जाएगा कया फकम ह आज और कल तो सिन म

ह आज और कल क िार जो ह--शाशवत--म वहा स दख रहा ह

कफर तो जब बदध को सवय बदधतव परापत हआ--गौतम को बदधतव परापत हआ--तो िता ह उनहोन कया कहा

उनहोन कहा कक तरजस कदन मझ बदधतव परापत हआ उस कदन मन आख खोली और तब म समझा उस िरान बदध

की बात ठीक ही तो कहा था तरजस कदन मझ बदधतव उिलबध हआ उस कदन मन दखा कक सबको बदधतव की

अवसथा ही ह--उनको िता नही ह लोगो को लककन ह तो अवसथा अब मर िास अध लोग आत ह लककन म

जानता ह आख बद ककए बठ ह आख उनक िास ह--उनह िता न हो उनहोन इतन कदन तक आख बद रखी ह

कक भल ही गए हो कभी शायद खोली ही नही शायद बचिन स ही बद ह शायद जनमो स बद ह

बदध कहत ह अब मर िास कोई आता ह तो वह सोचता ह कक उस कछ िाना ह और म उसक भीतर

दखता ह कक जयोतरत जली ही हई ह जरा नजर भीतर ल जानी ह जरा अिन को ही तलाशना और अिन को ही

खोजना और टटोलना ह

और आतरखरी परशनः सतय की खोज का अत कहा ह

सतय का अथम ही होता ह अनत सतय की खोज का कोई अत नही होता सतय की खोज का परारभ तो

होता ह अत नही होता ह यािा शर तो होती ह िरी नही होती िरी हो नही सकती कयोकक िरी अगर

यािा हो जाए तो उसका अथम होगा कक सतय भी सीतरमत ह तम आ गए आतरखरी सीमा िर कफर उसक िार

कया होगा

नही सतय असीम ह यही तो हमन बार-बार अनक-अनक ढगो स कहा ह--िरमातमा अनत ह असीम ह

अिार ह उसका तरवसतार ह तरवराट ह जस तम सागर म उतर जाओ तो सागर म उतर गए यह तो सच ह

224

लककन िर सागर को थोड़ ही तमन िा तरलया अभी सागर बहत शरष ह तम तरत रहो तरत रहो सागर शरष

ह और शरष ह--तम तरजतना िार करत जाओ उतना िार करत जाओ सागर शरष ह

कफर सागर तो शायद चक भी जाए--हमार सागर बहत बड़ ह लककन बहत बड़ तो नही चक ही जाएग

अगर कोई तरता ही रह तरता ही रह तो दसरा ककनारा भी आ जाएगा िरमातमा का कोई दसरा ककनारा

नही ह िरमातमा का कोई ककनारा ही नही ह इसीतरलए असीम कहत ह

सतय असीम ह अनत ह इसतरलए सतय की खोज का अत नही कोई अत नही होता

इस छोटी सी घटना को समझो--

अमरीका का एक बहत बड़ा मनीरषी हआ--जान डबी वह कहा करता था जीवन जीवन म रतरच का नाम

ह तरजस कदन वह गयी कक जीवन भी चला गया सतय की खोज खोज म रतरच ह सतय म उतना सवाल नही ह

तरजतना खोज म ह मजा मतरजल का नही ह यािा का ह मजा तरमलन का कम ह इतजारी का ह

इस जान डबी स उसकी नबबवी वरषमगाठ िर बातचीत करत समय एक डाकटर तरमि न कहा कफलासफी

दशमन दशमन म रखा कया ह बताइए आि ही बताइए दशमन म रखा कया ह उस डाकटर न िछा डबी न

शातरतिवमक कहा दशमन का लाभ ह उसक अधययन क बाद िहाड़ो िर चढ़ाई सभव हो जाती ह डाकटर न

समझा नही कफर भी उसन कहा अचछा मान तरलया मान तरलया सही कक दशमन का यही लाभ ह कक िहाड़ो

िर चढ़ाई सभव हो जाती ह लककन िहाड़ो िर चढ़न स कौन सा लाभ ह डबी हसा और बोला लाभ यह ह

कक एक िहाड़ िर चढ़न क बाद दसरा ऐसा ही िहाड़ कदखायी िड़ना आरभ हो जाता ह कक तरजस िर चढ़ना

करठन परतीत होता ह उसक िार होन िर तीसरा उसक िार होन िर चौथा और जब तक यह करम ह और

चनौती ह तब तक जीवन ह

तरजस कदन चढ़न को कछ शरष नही आकरषमण चनौती नही उसी कदन मतय घट जाएगी और मतय नही ह

जीवन ही ह एक िहाड़ तम चढ़त हो शायद तम इसी आशा म चढ़त हो कक अब चढ़ गए बस आतरखरी आ

गया अब इसक िार कछ नही ह अब तो आराम करग चादर ओढ़कर सो जाएग िहाड़ िर चढ़त हो तब िात

हो कक दसरा िहाड़ सामन परतीकषा कर रहा ह इसस भी बड़ा इसस भी तरवराट इसस भी जयादा सवणममयी

अब कफर तमहार भीतर चनौती उठी अब कफर तम चल सोचोग कक अब इस िर िड़ाव डाल दग तरजस कदन

तरशखर िर िहचोग--तरशखर िर िहचत ही आग का कदखायी िड़ता ह उसक िहल कदखायी नही िड़ता--तब

कदखायी िड़ता ह और बड़ा िहाड़ मतरण-काचनो स चमकता रकना मतरशकल ह ऐस िहाड़ क बाद िहाड़

सतय की खोज अनत खोज ह यािा ह और ऐसी यािा कक कभी समापत नही होती समापत नही होती

यह शभ भी ह समापत हो जाए तो जीवन समापत हो गया

हम अनत क यािी ह एस धममो सनतनो

आज इतना ही

225

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ दो परवचन

जीवन का िरम सतय यही अभी इसी म

अपिमादरता होथ स-तरचततमनरकखथ

दगगा उदधरथततान िक सततोव कजरो 269

सच लभथ तरनिक सहाय सजदध चर साधतरवहाररधीर

अतरभभयय सबबातरन िररससयातरन चरयय तनततमनो सतीमा 270

नो च लभथ तरनिक सहाय तरसजदध चर साधतरवहाररधीर

राजाव रटठ तरवतरजत िहाय एको चर मातगरोव नागो 271

एकसस चररत सययो नतरतथ बाल सहायता

एको चर न च िािातरन कतरयरा

अपिोससकको मातगरोव नागो 272

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख 273

जीवन म जो छोटी-छोटी बातो म तरवराट क दशमन िा ल वही बतरदधमान ह जो अण म असीम की झलक

िा ल वही बतरदधमान ह कषदर म तरजस कषदरता न कदखायी िड़ कषदर म भी उस दख ल जो सवामतमा ह वही

बतरदधमान ह

जीवन क सतय कही दर आकाश म नही तरछि ह जीवन क सतय यही तरलख िड़ ह चारो तरफ ितत-ितत

िर और कण-कण िर जीवन का वद तरलखा ह दखन वाली आख हो तो वदो म िढ़न की जररत ही नही ह

कयोकक महावद तमहार चारो तरफ उितरसथत हआ ह तमहार ही जीवन की घटनाओ म सतय न हजार-हजार

रग-रि तरलए ह ककसी अवतार क जीवन म जान की जररत नही ह तमहार भीतर भी िरमातमा अवतररत

हआ ह

अगर तम ठीक स दखना शर करो--तरजस बदध समयक-दतरषट कहत ह ठीक-ठीक दखना--तो ऐस बद-बद

इकटठ करत-करत तमहार भीतर भी अमत का सागर इकटठा हो जाएगा और बद-बद ही सागर भरता ह बद को

इनकार मत करना नही तो सागर कभी नही भरगा यह सोचकर बद को इनकार मत कर दना कक बद म कया

रखा ह हम सागर चाहत ह बद म कया रखा ह तरजसन बद को असवीकारा वह सागर स भी वतरचत रह

जाएगा कयोकक सागर बनता बद स ह

जीवन क छोट-छोट फलो को इकटठा करना ही काफी नही ह इनह बोध क धाग म तरिरोओ कक इनकी

माला बन कछ लोग इकटठा भी कर लत ह जीवन क अनभव को लककन उस अनभव स कछ सीख नही लत तो

226

ढर लग जाता ह फलो का लककन माला नही बनती जब तमहार जीवन क बहत स अनभवो को तम एक ही

धाग म तरिरो दत हो जब तमहार जीवन क बहत स अनभव एक ही कदशा म इतरगत करन लगत ह तब तमहार

जीवन म सि उिलबध होता ह

इसतरलए अगर हम बदध-वचनो को सि कहत ह तो उसका कारण ह यह अनक अनभवो क भीतर तरछिा

हआ धागा ह यह एकाध अनभव स तरनचोड़ा नही गया ह यह बहत अनभवो क फलो को भीतर अिन म

समहाल हए ह

और खयाल करना जब माला बनती ह तो फल कदखायी िड़त ह धागा नही कदखायी िड़ता जो नही

कदखायी िड़ता वही समहाल हए ह वह जो अदशय ह उसको िकड़ लन क कारण इन गाथाओ को सि कहत ह

कफर माला बना लन स भी बहत कछ नही होता दतरनया म तीन तरह क लोग ह एक तो जो फलो का

ढर लगाए जात ह जो कभी माला नही बनात उनक जीवन म भी वही घटता ह जो बदधो क जीवन म घटा

बद उनक जीवन म आती ह लककन बदो म उनको सागर कदखायी नही िड़ता और एक-एक बद आती ह और

बद क कारण व इनकार करत चल जात ह इसतरलए सागर स कभी तरमलन नही होता दसर व ह जो हर बद

का सतकार करत ह हर बद को सगहीत करत ह उनको अनभव क धाग म जोड़त ह उनक जीवन म बतरदधमतता

िदा होती ह

मगर एक और इसस भी ऊिर बोध ह जो बतरदधमतता स भी िार ह तरजसको हम परजञा कहत ह फलो को

इकटठा कर लो ढर लगाओ तो भी सड़ जाएग और माला बनाओ तो भी सड़ जाएग फल कषणभगर ह इनको

समहालन का यह ढग नही ह इनको बचान का यह ढग नही ह फल तो समय म तरखलत ह इनक भीतर स

शाशवत को खोजना जररी ह ताकक इसक िहल कक फल कमहला जाए तमहार हाथ म ऐसा इि आ जाए जो

कभी नही कमहलाता

फलो को सगहीत करन स कछ लाभ नही--ढर लगान स तो जरा भी लाभ नही ह नकसान ही ह कयोकक

तरजनस आज गध उठ रही ह उनही स कल दगध उठन लगगी फल अगर इकटठ ककए तो सड़ग यहा हर चीज

सड़ती ह

इसतरलए बतरदधमान आदमी फल इकटठ नही करता इसक िहल कक फल सड़ जाए उनकी माला बनाता ह

लककन मालाए भी इकटठी नही करता इसक िहल कक मालाए सड़ जाए उनस इि तरनचोड़ता ह इि तरनचोड़न

का अथम होता ह असार-असार को अलग कर कदया सार-सार को समहाल तरलया हजारो फलो स थोड़ा सा इि

तरनकलता ह कफर फल कमहलात ह इि कभी नही कमहलाता कफर फल समय क भीतर िदा हए समय क

भीतर ही समा जात ह इि शाशवत म समा जाता ह इि शाशवत ह एस धममो सनतनो

जीवन क छोट-छोट अनभव क फल इनस जब तम असार को छाट दत हो और सार को इकटठा कर लत

हो तो तमहार हाथ म धमम उिलबध होता ह--शाशवत धमम सनातन धमम तमहार हाथ म जीवन का िरम तरनयम

आ जाता ह

मढ़ ढर लगाता ह बतरदधमान माला बनाता ह और तरजस बदधतव की कला आ गयी--परजञावान--असार को

छोड़ दता ह सार को इकटठा कर लता ह दशय को िकड़ता नही अदशय को िकड़ लता दखता फल म गध का

सि कया ह उसी को बचा लता और बहत कछ ह उसका कोई मलय नही ह हजारो फल म बदभर इि

तरनकलता ह लककन वही इि फलो की गध था फलो म तो कछ भी न था वही इि हजारो म फला था तो गध

227

बनी थी उस तरनचोड़ तरलया समय क भीतर स शाशवत को तरनचोड़ तरलया यही इि तरनवामण ह यही इि

मतरिदायी ह यही तमहार जीवन को िरम सगध स भर जाता ह

य जो बदध की छोटी-छोटी कहातरनया म तमस कह रहा ह इस इस नजर स दखना छोटी-छोटी घटनाए

ह तमहार जीवन म भी घटती ह सबक जीवन म घटती ह जीवन घटनाओ का जोड़ ह घटनाए ही घटनाए ह

रोज घट रही ह तम भी इनही घटनाओ क भीतर स गजरत हो--सबह-साझ दफतर म बाजार म घर म खत

म खतरलहान म भीड़ म अकल म यही घटनाए घट रही ह--लककन तम अभी तक इनस इि तरनचोड़न की कला

नही सीख िाए या तो तमन घटनाओ क ढर लगा तरलए ह उनस तरसफम बोझ बढ़ जाता ह और कफर घटनाए

सड़ जाएगी और दगध दगी और अतीत सड़ा हआ तमहार िीछ लगा रहता ह मरा हआ अतीत तमहार तरसर िर

सवार रहता ह वह तमह ठीक स जीन भी नही दता तम जीओग कस तमहारा मरा हआ अतीत जो भत हो

गया अब वह तमहारी छाती िर चढ़ा हआ ह वह तमह जीन नही दता

तो बजाय इसक कक तमन अतीत स इि तरनचोड़ा होता अतीत की परतातमाए तमहार जीवन म अड़चन

डालती ह उठन-बठन म सब तरफ स िरतिता बन जाती ह उनही अड़चनो का नाम ससार ह तमहारा अतीत

ही तमहारा ससार ह और वही अतीत तमहार भतरवषय को उकसाता ह मदाम अतीत कफर स दोहरना चाहता ह

कफर स िदा होना चाहता ह तो तरजन वासनाओ क कारण तम अतीत म कछ घटनाओ म गजर उनही म तम

भतरवषय म भी गजरोग तमहारा आन वाला कल करीब-करीब तमहार बीत कल की ही िनरतरि होगी

कफर जीन म कछ अथम नही ह कल तो बीत चका उसस कछ िाना होता तो िा तरलया होता उसी को

कल कफर दोहराओग--न उसस तरमला कछ न आग कछ तरमलगा ऐस खाली क खाली आत और खाली क खाली

चल जात तरभकषािाि तमहारा कभी भरता नही तमहारा तरभखमगािन कभी तरमटता नही

जीवन क व ही अनभव जो तम बदध की इन कहातरनयो म दख रह हो तमहार िास स गजरत ह कभी-

कभी तमह भी लगा होगा कक य कहातरनया कोई बहत ऐसी तो नही ह कक दर आकाश की हो यही िथवी की ह

लककन बदध की कला कया ह व ततकषण एक छोटी सी घटना को िकड़त ह उसम स इि तरनचोड़ लत ह और

इि जब तम दखत हो तब तम चककत हो जात हो

आज का सि-सदभम--

कौशल-नरश क िास बदधरक नाम का एक महाबलवान हाथी था उसक बल और िराकरम की कहातरनया

दर-दर तक फली थी लोग कहत थ कक यदध म उस जसा कशल हाथी कभी दखा ही नही गया था बड़-बड़

समराट उस हाथी को खरीदना चाहत थ िाना चाहत थ बड़ो की नजर लगी थी उस हाथी िर वह अिवम योदधा

था हाथी यदध स कभी ककसी न उसको भागत नही दखा ककतना ही भयानक सघरषम हो ककतन ही तीर उस िर

बरस रह हो और भाल फ क जा रह हो वह अतरडग चटटान की तरह खड़ा रहता था उसकी जचघाड़ भी ऐसी थी

कक दशमनो क कदल बठ जात थ उसन अिन मातरलक कौशल क राजा की बड़ी सवा की थी अनक यदधो म

तरजताया था

लककन कफर वह वदध हआ और एक कदन तालाब की कीचड़ म फस गया बढ़ाि न उस इतना दबमल कर

कदया था कक वह कीचड़ स अिन को तरनकाल न िाए उसन बहत परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न

तरनकाल सका सो न तरनकाल सका राजा क सवको न भी बहत चषटा की िर सब असफल गया

228

उस परतरसदध हाथी की ऐसी ददमशा दख सभी दखी हए तालाब िर बड़ी भीड़ इकटठी हो गयी वह हाथी

िरी राजधानी का चहता था गावभर म उसक परमी थ बाल-वदध सभी उस चाहत थ उसकी आखो और उसक

वयवहार स सदा ही बतरदधमानी िररलतरकषत होती थी

राजा न अनक महावत भज िर व भी हार गए कोई उिाय ही न कदखायी दता था तब राजा सवय

गया वह भी अिन िरान सवक को इस भातरत दख म िड़ा दख बहत दखी था राजा को आया दख तो सारी

राजधानी तालाब िर इकटठी हो गयी

कफर राजा को बदधरक क िरान महावत की याद आयी वह भी अब वदध हो गया था राजय की सवा स

तरनवतत हो गया था और तरनवतत होकर भगवान बदध क उिदशो म डबा रहता था उसक पररतरत भी राजा क मन

म बहत सनमान था सोचा शायद वह बढ़ा महावत ही कछ कर सक जनम-जनम का जस इन दोनो का साथ

था--इस हाथी का और महावत का बदध न अिनी कहातरनयो म कहा भी ह कक त इस बार ही इस हाथी क साथ

नही ह िहल भी रहा ह यहा सब जीवन जड़ा हआ ह कफर इस जीवन तो िर जीवन वह हाथी क साथ रहा

था हाथी उसी क साथ बड़ा हआ था उसी क साथ जवान हआ था उसी क साथ बढ़ा हो गया था हाथी को

हर हालत म दखा था--शातरत म और यदध म और हाथी की रग-रग स िररतरचत था राजा को याद आयी शायद

वह बढ़ा महावत ही कछ कर सक

उस खबर दी गयी वह बढ़ा महावत आया उसन अिन िरान अिवम हाथी को कीचड़ म फस दखा वह

हसा तरखलतरखलाकर हसा और उसन ककनार स सगराम-भरी बजवायी यदध क नगाड़ो की आवाज सन जस

अचानक बढ़ा हाथी जवान हो गया और कीचड़ स उठकर ककनार िर आ गया वह जस भल ही गया अिनी

वदधावसथा और अिनी कमजोरी उसका सोया योदधा जाग उठा और यह चनौती काम कर गयी कफर उस कषण

भी दर न लगी

अनक उिाय हार गए थ लककन यह सगराम-भरी य बजत हए नगाड़ उसका सोया हआ शौयम जाग उठा

उसका तरशतरथल िड़ गया खन कफर दौड़न लगा वह भल गया एक कषण को--याद आ गयी होगी िरानी--कफर

जवान हो उठा

कषण की भी दर न लगी--सबह स साझ हई जा रही थी सब उिाय हार गए थ--और वह ऐसी मसती और

ऐसी सरलता और सहजता स बाहर आया कक जस न वहा कोई कीचड़ हो और न वह कभी फसा ही था ककनार

िर आकर वह हरषोनमाद म ऐस जचघाड़ा जसा कक वरषो स लोगो न उसकी जचघाड़ सनी ही नही थी वह हाथी

बड़ा आतमवान था वह हाथी सकलि का मतमरि था

भगवान क बहत स तरभकष भी उस बढ़ महावत क साथ यह दखन तालाब क ककनार िहच गए थ उनहोन

सारी घटना भगवान को आकर सनायी और जानत ह भगवान न उनस कया कहा

भगवान न कहा--तरभकषओ उस अिवम हाथी स कछ सीखो उसन तो कीचड़ स अिना उदधार कर तरलया

तम कब तक कीचड़ म फस रहोग और दखत नही कक म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह तरभकषओ जागो और

जगाओ अिन सकलि को वह हाथी भी कर सका वह अतरत दबमल बढ़ा हाथी भी कर सका कया तम न कर

सकोग मनषय होकर सबल होकर बतरदधमान होकर कया तम न कर सकोग कया तम उस हाथी स भी गए-

बीत हो चनौती लो उस हाथी स तम भी आतमवान बनो और एक कषण म ही करातरत घट सकती ह एक कषण म

ही एक िल म ही समरण आ जाए भीतर जो सोया ह जग जाए तो न कोई दबमलता ह न कोई दीनता ह

समरण आ जाए तो न कोई कीचड़ ह न तम कभी फस थ ऐस बाहर हो जाओग तरभकषओ अिनी शतरि िर

229

शरदधा चातरहए तवरा चातरहए तरभकषओ तजी चातरहए एक कषण म काम हो जाता ह वरषो का सवाल नही ह

लककन सारी शतरि एक कषण म इकटठी लग जाए समगरता स िणमरिण

और बदध न कफर कहा--और सनत नही म सगराम-भरी कब स बजा रहा ह तभी उनहोन य गाथाए कही

थी

यह छोटी सी घटना रोज ऐसी घटनाए घटती ह लककन बदध न बड़ा इि खीचा बड़ा इि तरनचोड़ा

िहल तो इस छोटी सी कहानी को ठीक-ठीक हदयगम हो जान द

यह हाथी साधारण हाथी न था महाबलवान था तो खयाल रखना महाबलवान की भी ऐसी दशा हो

जाती ह इसतरलए बल स कभी धोखा मत खाना आज बलवान हो कल तरनबमल हो जाओग आज बड़ी शतरि ह

कल सब शतरि कषीण हो जाएगी आज जवान हो कल बढ़ हो जाओग

एक बढ़ा आदमी रासत स जा रहा था बदध एक वकष क नीच बठ थ उस बढ़ क जजमर शरीर को उसक

कित हाथ को िर को दखकर एक तरभकष हसन लगा--जवान था अभी बदध न कहा--तरभकषओ हसो मत नही तो

लोग कफर तम िर हसग यही दशा तमहारी हो जाएगी यह तमहारा भतरवषय ह इस बढ़ को इस भातरत चलत

दखकर हसो मत इसक िहल कक यह दशा तमहारी हो जाए कछ कर लो

हसी म तो कही यह भाव तरछिा ही ह कक यह मर साथ कभी नही होगा दखत नही ककसी को हारा

दखत हो तम हसत हो तम यह कभी सोचत नही कक जो हार आज इस आदमी की हो गयी कल यह भी जीता

हआ था आज जो चारो खान तरचतत िड़ा ह कल न मालम ककतन लोगो को इसन चारो खान तरचतत ककया था

तम आज हो सकता ह ककसी की छाती िर बठ हो यह सदा रहगी नही बात यहा सदा कछ भी नही रहता

यहा चीज रोज बदलती ह परतरतिल बदलती ह आज जो शतरि म ह कल शतरिहीन हो जाता ह आज जो सतता

म ह कल सतता क बाहर हो जाता ह और मजा यह ह इस दतरनया का अधािन ऐसा ह कक जो भी सतता म

आता ह वह यही सोचता ह कक अब आ गया अब कभी बाहर नही होना ह इतन लोगो को बाहर जात दखता

ह कफर भी यह चक बनी ही रहती ह

तम आज जवान हो कल बढ़ हो जाओग और यह मत सोचना कक तमहार साथ जगत का तरनयम कोई

अिवाद का वयवहार करगा यहा अिवाद होता ही नही जगत क तरनयम तरनरिवाद ह आज जीत हो कल

मरोग अथी दखकर दया मत खाना कयोकक वह अथी तमहारी ही ह अथी दखकर जागो दया खान स कया

होगा यह मत कहो कक बचारा मर गया जब तम कहत हो कक बचारा मर गया तो उसम कही यह भाव तरछिा

ही होता ह कक हम भल अभी तो नही मर कही दर यह धवतरन होती ह कक हमको नही मरना ह यह बचारा मर

गया

तमह अिन बचारिन की याद आती ह जब कोई मरता ह अगर नही याद आती तो तम फलो की ढरी

लगा रह हो माला नही बना रह नही तो हर रोज जो अथी तमहार दवार क बाहर स तरनकलती उसका हर फल

तमहारी माला म सजता जाए और इसक िहल कक मौत आए मौत तमहार सामन साकषात हो जाए उसी मौत

क साकषातकार स सनयास का जनम होता ह

बदध न कहा ह तरजसन मतय को दख तरलया वह सनयसत न हो यह कस सभव ह सनयास का अथम इतना

ही ह कक मौत तम स जो छीन लगी हम उस सवचछा स द दत ह हम कहत ह ठीक ह यह तरछन ही जान वाला

ह इसको िकड़ रखन म वयथम िरशानी कयो लनी िहल िकड़न की िरशानी लो कफर छीन जान का दख

भोगो हम अिनी मौज स द दत ह हम दान कर दत ह हम तयाग कर दत ह मौत जब ल ही जाएगी तो मौत

230

को यह अवसर कयो द हम अिनी ही मजी स द डाल सनयास का इतना ही अथम होता ह कक जो मौत करगी

वह हम खद ही कर दत ह ताकक मौत को झझट बच मौत को महनत कयो करवाए

और खयाल रखना बड़ा करातरतकारी फकम ह जो आदमी गहसथ की तरह मरता ह वह रोत-झीखत मरता

ह कयोकक उसका सब छीना जा रहा ह उसन जो-जो अिना माना था सब हाथ स तरखसका जा रहा ह और जो

वयतरि सनयसत की तरह मरता ह वह अिवम आनद स मरता ह उसक िास छीन जान को कछ भी नही उसस

कोई कछ भी नही छीन सकता उसन तो वह सब िहल ही मान तरलया था कक मरा नही ह जो मौत छीन लगी

जो मौत छीन लगी वह मरा नही ह यही तो कसौटी ह मर होन की मरा वही ह जो मौत नही छीन िाएगी

उसन तो वही बचाया जो मौत नही छीन िाएगी उसन धयान बचाया धन नही बचाया उसन परम

बचाया िद नही बचाया उसन पराथमना बचायी िजा बचायी अचमना बचायी उसन परभ-समरण बचाया उसन

समाज की परतरतिा और सममान और आदर और कड़ा-करकट नही बचाया कयोकक वह तो सब मौत छीन लती

जो मौत छीन लती ह उसन बचाया ही नही उसन वही बचाया तरजस िर मौत का कोई बस नही ह

मौत शरीर को तो मार दती ह इसतरलए उसन शरीर स मोह न रखा न हनयत हनयमान शरीर उसन तो

उसकी तरफ दखा जो शरीर क मार जान स भी नही मरता उसन तो परम उसस जोड़ा उसन तो चाहत उसकी

की जो शरीर क छट जान िर भी नही छटता उसन तरमटटी क दीयो म आसतरि नही लगायी उसन तो जयोतरत म

आसतरि बाधी--जो सदा रहगी सदा थी उसन समय क भीतर शाशवत को तरनचोड़ा उसन फल नही िकड़

उसन इि उसन जलदी-जलदी इि तरनचोड़ा इि साथ जाएगा फल यही िड़ रह जात ह धयान साथ जाएगा

धन यही िड़ा रह जाता ह उसन तरसकदर नही बनना चाहा उसन बदध बनना चाहा महावीर बनना चाहा

कषण बनना चाहा उसन चाहत तरवराट की की सनयास का इतना ही अथम होता ह

उसन दख तरलया लोगो को बढ़ा होत अगर जवान आदमी क िास दतरषट हो तो वह यह दखकर कक कोई

बढ़ा हो रहा ह समझ लगा कक मझ बढ़ा होना ह इसतरलए अभी स सोचकर चलो अभी स इस तरहसाब स चलो

कक यह बढ़ािा आए भी तो मझस कछ छीन न िाए तरजसन होश स दखा वह मदाम को दखकर जान लता ह कक

मरी भी मौत आ रही ह--चल िड़ी ह आती ही होगी आज-कल की बात ह समय थोड़ा दर-अबर की बात ह

आती ही होगी--इसकी आ गयी मरी भी आती होगी तो इसक िहल म घर तयार कर ल म कछ ऐसा बना ल

जो मौत मझस नही छीन िाएगी

तो बदध न उस हसत तरभकष को कहा--मत हस तरभकष त भी ऐसा ही बढ़ा हो जाएगा

चवागतस तरनकलता था एक मरघट स एक खोिड़ी िड़ी थी उसका िर लग गया--सबह थी धधलका था

अभी रोशनी हई नही थी सरज तरनकला नही था--उसन झककर परणाम ककया उस खोिड़ी को साषटाग लटकर

नमसकार ककया उसक तरशषयो न कहा आि यह कया करत ह इस खोिड़ी को नमसकार कर रह ह उसन कहा

ऐसी ही मरी खोिड़ी िड़ी रहगी लोगो क िर लगग म इसको नमसकार कर रहा ह इसन मझ याद कदला दी

कक अिनी कया दशा हो जाएगी इसन मझ बड़ा बोध कदया इसतरलए धनयवाद द रहा ह

और कफर खयाल रखो उसन अिन तरशषयो स कहा यह खोिड़ी ककसी साधारण आदमी की खोिड़ी नही--

कयोकक वह मरघट बड़ लोगो का मरघट था जस कदलली म राजघाट ऐसा बड़ा मरघट था वहा खास-खास

लोग ही दफनाए जात थ--तो उसन कहा यह कोई छोट-मोट आदमी की खोिड़ी नही ह अगर यह जजदा होता

और इसक तरसर म िर लग गया होता तो आज अिनी खर नही थी यह बड़ो की यह हालत हो गयी तो

चवागतस न कहा म फकीर मरी कया हालत होगी जरा सोचो तो

231

उसन खोिड़ी उठा ही ली उसन कफर जजदगीभर खोिड़ी को साथ रखा वह जहा जाता खोिड़ी को

अिन िास रखता लोग जरा िछत भी कक यह खोिड़ी ककसतरलए तरलए कफरत ह यह जरा अचछी नही मालम

होती दखकर भय भी लगता ह वीभतस ह वह कहता कक यही अिनी हालत हो जाएगी इसको दखकर अिनी

याद बनी रहती ह इसको दखकर चलन लगा ह यह मरी गर हो गयी ह

ऐसी छोटी-छोटी घटनाओ स जो तरनचोड़ता चल इि को वही जञानवान ह

वह हाथी बढ़ा हो गया था सबको बढ़ा हो जाना ह महाबलवान ठीक तरनबमल दशा म िहच जात ह

महाधनवान ठीक दीन दशा म िहच जात ह बड़ शतरिशाली ऐसी शतरि खो दत ह कक तमह भरोसा ही न आए

निोतरलयन जब हार गया और उस सट हलना क दवीि म कद कर कदया गया तो एक सबह वह घमन

तरनकला ह छोटा सा दवीि ह जहा उस कद ककया गया दवीि स भाग भी नही सकता इसतरलए उस दवीि िर

घमन-कफरन की सतरवधा ह एक घतरसयाररन घास की एक गठरी तरसर िर तरलए हए आ रही थी िगडडी ह

छोटी और निोतरलयन का डाकटर उसक साथ ह--समराट था निोतरलयन कद म था तो भी डाकटर उसको कदया

गया था जो उसक साथ रह उसकी तीमारदारी कर--डाकटर न घतरसयाररन को आत दखा तो वह तरचललाया कक

ओ घतरसयाररन रासता छोड़ दखती नही कौन आ रहा ह लककन निोतरलयन न उसका हाथ िकड़ा और कहा

कषमा कर डाकटर तमह होश नही ह व कदन गए हम रासता छोड़ द व कदन गए जब म आलपस िवमत स कहता

कक हट जा तो आलपस िवमत भी मरा रासता छोड़ दता आज घतरसयाररन भी मरा रासता कयो छोड़ आज कोई

कारण नही ह और निोतरलयन ककनार हटकर खड़ा हो गया घतरसयाररन को रासता द कदया

समझदार आदमी रहा होगा ऐसी दशा हो जाती ह कक तरजनक तरलए तरहमालय रासता द दता उनक तरलए

घास वाली भी शायद रासता न द और यह दशा सब की हो जाती ह यह दशा होनी ही ह यहा कछ भी तरथर

नही ह इसतरलए यहा तरजसन तरथरता का बोध बनाया वह नासमझ ह

तो िहली तो बात वह महाशतरिवान हाथी तरजसकी कहातरनया दर-दर तक फली थी बढ़ा हो गया था

और एक कदन तालाब की कीचड़ म फस गया जो यदधो म नही फसा था कभी तरजसको फसान क तरलए न मालम

ककतन शडयि और जाल ककए गए थ न मालम ककतन वयह रच गए थ कक मार डाला जाए--कयोकक वह

कौशल-नरश की ताकत था उसकी वजह स कौशल-नरश जीत थ यदधो म--जो हाथी सकड़ो हातरथयो क बीच

भी तरघरकर फसा नही था कभी वह आज एक साधारण स तालाब की गदी कीचड़ म फस गया ह हाथी फसान

को आए थ तो न फसा िाए थ आज कीचड़ फसान को उतसक भी नही ह कीचड़ को कछ लना-दना भी नही ह

और फस गया ह ऐसी दीन दशा हो जाती ह सभी की हो जाती ह

तमहारा मन तमस कहगा--नही अिनी नही होगी सावधान रहना मन की सनना मत मन सभी स

ऐसा कहता ह मन सभी को ऐसा धोखा दता ह मन मढ़ता का सि ह मन की तरजसन सनी वह मढ़ रह गया

मन की तरजसन मानी वह कभी जान नही िाया मन न जानन की कदशा म ल जाता ह मन आखो को धए स

भरता ह मन यही कहगा कक ठीक ह हो गया होगा कमजोर लककन हम तरवटातरमन लग इजकशन लग दवा

जारी रखग डाकटर ह अब तो मतरडकल साइस इतनी बढ़ गयी अब कोई ऐसा दबमल होन की जररत ह

ककतनी ही मतरडकल साइस बढ़ और ककतन ही तम तरवटातरमन लो और ककतनी ही दवाइया िीत रहो और

ककतन ही टातरनक खात रहो कछ फकम न िड़गा दर-अबर तम ऐस ही कमजोर हो जाओग कमजोर हो जाना

ही िड़गा कयोकक जो शतरि दी गयी ह वह कषणभगर ह वह तरवदा होगी दो-चार साल आग कक िीछ उसस

कछ भी फकम नही िड़ता आतरखरी तरहसाब म उसस कछ अतर नही आता ह

232

आज कीचड़ म फस गया ह वह महाबलवान हाथी बढ़ाि न उस अतरत दबमल कर कदया ह उसन बहत

परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न तरनकाल सका सो न तरनकाल सका

उसकी िीड़ा समझो और खयाल रखना अगर यह जवान होता हाथी तो यह कीचड़ स अिन को तरनकाल

लता इसम एक बात और बात म बात तरछिी ह--

जब तक तम जवान हो तब तक ससार स तरनकलना आसान ह जब बढ़ हो जाओग तो कीचड़ स

तरनकलना मतरशकल हो जाएगा आमतौर स लोग उलटा तकम तरलए बठ ह लोग सोचत ह बढ़ जब हो जाएग तब

राम-नाम जि लग अभी कया जलदी ह बढ़ जब हो जाएग तब सनयास ल लग अभी कया जलदी ह अभी तो

जवान ह अभी तो जजदगी ह अभी तो राग-रग ह अभी तो भोग ल जब मौत करीब आन लगगी और हाथ-िर

जजमर होन लगग और जरा दवार खटखटान लगगी तब हो जाएग सनयसत हो जाएग

मर िास लोग आत ह व कहत ह कक आि जवान आदमी को सनयास द दत ह सनयास तो बढ़ो क तरलए

ककसन तमस कहा तमहार मन न कहा होगा अगर मन की सनो तो मन तो यह कहता ह कक सनयास

मदो क तरलए ह बढ़ो क तरलए भी नही मन कहता ह जब अथी िर चढ़ जाओ तब ल लना सनयास

एक सतरी मर िास आती थी सामातरजक कायमकिी थी बबई म उसका बड़ा नाम था वह सनयास लना

चाहती थी उमर उसकी थी कोई िसठ साल मगर वह कहती थी अभी तरसतरया तो िसठ साल म भी शायद

अिन को जवान ही समझती ह तरसतरया तो बढ़ी होती ही नही हो जाए तो भी नही होती मानती नही

कोई ककसी स िछ रहा था अमरीका म कक सतरी अमरीका की परसीडट कयो नही हो सकती तो उनहोन

कहा करठनाई ह कयोकक परसीडट को कम स कम चालीस साल क ऊिर होना चातरहए कोई सतरी चालीस साल

क ऊिर होती ही नही

म उस वदधा को कहा कक अब और कब िसठ साल की त हो गयी उसन कहा हा हो गयी लककन अभी

म मजबत ह और कमजोर भी नही ह आि दखत नही अभी तो िचचीस साल जजदा रहगी कम स कम मन

कहा आदमी जवानी म भी मर जाता ह आदमी बचिन म भी मर जाता ह त िसठ साल क बाद भी यह

सिना समहाल हए ह

और सयोग की बात कक दसर कदन वह मझ तरमलन ही आ रही थी और एक कार स टकरा गयी म उसक

तरलए राह ही दख रहा था वह तो नही आयी उसक बट की खबर आयी असिताल स कक हालत बहत खराब ह

और चौबीस घट बाद वह मर गयी मरत वि बट को कह गयी कक कछ भी हो मझ सनयास तो कदलवा ही

दना मरत वि बटा भागा हआ आया कहन लगा मा तो चल बसी लककन वह कह गयी ह कक गररक वसतर

िहनवा दना माला गल म डलवा दना मन कहा तमहारी मजी तो माला यह रही ल जाओ अब मर हए

आदमी की बात को कयो इनकारना मगर इसका कोई मलय नही ह

सनयास मरकर तरलया लककन अतरधकतर लोगो का तकम यही ह कक जब मरन क करीब आ जाएग तब

तब कफकर कर लग

इस छोटी सी बात म यह खयाल रखना अगर यह हाथी जवान होता और कीचड़ म फसा होता तो

सहजता स तरनकल आया होता कयोकक जो ऊजाम ससार म काम आती ह वही ऊजाम सनयास म भी काम आती

ह ऊजाम तो वही ह

233

अकसर लोग सोचत ह कक जवानी म तो बड़ी करठनाई होगी कयोकक वासना परबल होगी माना जवानी

म वासना परबल होती ह लककन वासना स छटन की शतरि भी उतनी ही परबल होती ह बढ़ाि म एक बड़ी

दघमटना घट जाती ह वासना स छटन की शतरि तो तरनबमल हो जाती ह और वासना उतनी की उतनी परबल

रहती ह वासना कभी छोटी होती नही तरनबमल होती ही नही बढ़ स बढ़ आदमी क भीतर वासना वसी ही

जलती ह जस जवान आदमी क भीतर जलती ह उसका शरीर साथ नही दता उसकी शतरि साथ नही दती

लककन भीतर वासना वसी ही जलती ह वासना म कभी बढ़ािा नही आता वासना बढ़ी होती ही नही ऊजाम

जवान होती ह ऊजाम बढ़ी होती ह वासना सदा जवान रहती ह

तो जब ऊजाम भी जवान हो तब चाह वासना स बाहर तरनकल आओ तो तरनकल आओ जब ऊजाम बढ़ी हो

जाए और वासना तो जवान रहगी ही तब तरनकलना बहत मतरशकल हो जाएगा

इसतरलए बदध और महावीर न एक महाकरातरत इस दश म की बराहमणो की ससकतरत म बढ़ क सनयास की

वयवसथा थी--िचहततर साल क बाद एक तो िचहततर साल क बाद कोई बचता नही कोई भल-चक स बच

गए तो सनयसत हो जाएग सनयास तब लन की वयवसथा थी जब ससार तमह खद ही छोड़ द जब ससार खद

ही तयारी करन लग कक तमह जाकर कबाड़खान म कही फक आए ककसी असिताल म डाल द कक ककसी

वदधाशरम म भरती करवा द जब ककसी कबाड़खान म फकन की ससार की ही इचछा हो जाए जब तमहार बट

ही सोचन लग कक अब जाओ भी अब बहत हो गया अब और न सताओ तब सनयास ल लना िचहततर साल

सौ साल का तरहसाब बाधकर रखा था

सौ साल कोई भी कभी जीता नही उन कदनो म भी नही जीत थ लोग वह तरसफम आशा ह कभी-कभी

कभी-कभार कोई आदमी सौ साल जीआ ह आज भी नही जीता उन कदनो का तो सवाल ही नही ह उन कदनो

की तरजतनी खोजबीन की गयी ह--ककताबो को छोड़ दो--जो अतरसथ-िजर तरमल ह सारी दतरनया िर वह इस बात

क सबत ह कक चालीस साल स जयादा िचास साल स जयादा उन कदनो आदमी जीआ ही नही वह शताय होन

की तो कामना थी आशीवामद था कक सौ वरषम जीओ वह कछ होता नही था लककन उस कामना िर यह सारा

का सारा शासतर तरनरममत हआ था िचचीस साल तक बरहमचयम िचास साल तक गहसथ िचहततर साल तक

वानपरसथ कफर िचहततर साल स सौ साल तक सनयास वह सनयास घटता नही था या कभी-कभी घटता था

कछ लोग जो शतजीवी होत थ

इसतरलए बदध और महावीर न तो एक महाकरातरत का सििात ककया उनहोन इस िर गतरणत को बदला

उनहोन कहा सनयास तो जवान की बात ह जब ऊजाम परखर ह जब ऊजाम जलती ह लिट क साथ वासना भी

तज ह जीवन की ऊजाम भी तज ह फसन का डर भी ह तरनकलन की शतरि भी ह तभी तरनकल जाना कयोकक

िीछ शतरि तो कम होती जाएगी और कीचड़ वसी की वसी रहगी

इस तालाब म कीचड़ तब भी थी जब यह हाथी जवान था अब हाथी तो बढ़ा हो गया तालाब की

कीचड़ अब भी वसी की वसी ह कीचड़ म कोई फकम नही िड़ रहा ह वासना की कीचड़ सदा वसी की वसी

रहती ह शायद कभी जवानी म इस तालाब िर सनान करन आया भी हो--आया ही होगा नही तो बढ़ाि म

कयो आता हम उसी तालाब िर तो जात ह तरजसम जवानी म भी गए हो जहा जवानी म गए ह वही तो हम

बढ़ाि म भी जात ह--आदत िरान ससकार इसी तालाब िर नहाता रहा होगा हालाकक कोई कहानी नही ह

इसक फसन की कयोकक तब जवान था तरनकल-तरनकल गया होगा अब बढ़ा हो गया ह कीचड़ तो वसी की

वसी ह लककन अब तरनकलन की शतरि कषीण हो गयी ह

234

इसक िहल कक बढ़ािा तमह दीन-दबमल कर जाए अिनी ऊजाम को धयान म उडल दना इसक िहल कक

मौत तमहारी छाती िर बठन लग तम समातरध को तरनमिण द दना इसक िहल कक ससार तमह फकन लग तम

सनयास की दतरनया म परवश कर जाना यह अिमानजनक ह कक ससार तमह फ क यह सममानजनक ह कक तम

ससार को कहो कक मन हाथ अलग कर तरलए इसम बड़ा सममान ह

इसीतरलए हमन सनयासी को इतना सममान कदया सममान का कारण कया ह कोई िछ कारण यही ह कक

तरजसको हम मरत दम तक नही छोड़ िात उस सनयासी न जीत जी जीवन की िरम शतरि क कषणो म भी छोड़

कदया तरजसम हम फस ही रहत ह उसस सनयासी न मह मोड़ तरलया

वासना की कीचड़ स तभी अलग हो जाना जब तमहार िास धमतरनयो म रि बहता हो हदय म बल हो

बतरदध म परखरता हो जवानी का उियोग कर लना िरमातमा तक जाना हो तो जवानी का उियोग कर लना

कयोकक उसक मकदर म भी नाचत हए जाना िड़ता ह उतसव स भर जाना िड़ता ह वहा मद और लाशो की

तरह मत िहचना सटरचर िर िड़ हए मत िहचना नही तो व मकदर क दवार भी तमहार तरलए नही खलग

भगवान का मकदर कोई असिताल नही ह वह महोतसव ह

जो तमन जीवन-ऊजाम वासना की बतरलवदी िर चढ़ायी ह वही वासना की वदी िर चढ़ायी गयी ऊजाम

तरजस कदन तम पराथमना की वदी िर चढ़ात हो उसी कदन धारममक हो िात हो ऊजाम वही ह वकदया बदल जाती

ह ससार का दवता ह कफर भगवान ह ऊजाम वही ह

इसतरलए तम अकसर िाओग कक जस कोई मजन लला क तरलए दीवाना होता ह वसा ही कोई चतनय

कषण क तरलए दीवाना हो जाता ह दीवानगी वही ह जस कोई शीरी फरहाद क तरलए िागल होती ह वस ही

कोई मीरा कषण क तरलए िागल हो जाती ह िागलिन वही ह अगर तम मनोवजञातरनक को िछो--खासकर

फरायतरडयन मनोवजञातरनक को--तो वह तो कहगा कक यह वासना का ही परकषिण ह इसम कछ बहत भद नही ह

कयोकक मीरा कषण स वही तो बात कर रही ह जो आमतौर स तरसतरया अिन परमी स चाहती ह--कक मन सज

सजायी ह दखो ककतन फल सज िर तरबछाए ह और तम अभी तक नही आए यह भारषा तो कामना की ह

वासना की ह

सच पराथमना की भारषा भी कामना की ही भारषा ह तरसफम मकदर का दवता बदल गया ह पराथमना उतनी

ही परजवतरलत होती ह तरजतनी वासना यह वही तल ह जो वासना म जलता ह और वासना क दीए म जलता

ह यह वही तल ह जो पराथमना क दीए म भी जलता ह

इसतरलए अगर मीरा कहती ह कक सज मन सजायी ह फल तरबछाए ह आख तरबछाए तमहार रासत िर बठी

ह और तम अभी तक नही आए और म तमह िकार रही ह मर पराण-पयार तम आओ म तमहार तरलए नाच रही

ह आओ हम सग-सग खल सग-सग नाच आओ हम रास रचाए यह भारषा तो वासना की ही ह कोई

तरवरतरहणी जस अिन ितरत क तरलए िकारती हो या अिन परमी क तरलए िकारती हो इस भारषा म और उस भारषा

म कोई भद नही ह िरमातमा ह भी हमारा परमी हम ह उसक परमी सतय को जब कोई उतनी ही तवरा स

िकारता ह तरजतनी तवरा स उसन अिनी कामना क तरवरषयो को िकारा था तभी सतय तक िकार िहचती ह

तमहारी पराथमना अगर तमहारी वासना स कमजोर ह तो कभी सफल नही होगी तमहारी पराथमना ऐसी

होनी चातरहए कक तमहारी सारी वासनाओ की जीवन-ऊजाम उसम परतरवषट हो जाए सारी वासनाए इकटठी होकर

जब पराथमनारत होती ह तभी कोई िहचता ह

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यह बढ़ा हाथी फसा बड़ा कीचड़ म कीचड़ तमहार भी चारो तरफ ह तम कीचड़ क ही भर तालाब म

बार-बार सनान करन जात हो आशा यही रखत हो कक शायद कीचड़ म सनान करन स सवचछ हो जाओग कीचड़

म सनान करन स कोई सवचछ नही होता और हाथी तो बड़ आदतरमयो जस ही नासमझ होत ह शायद इसीतरलए

आदमी हातरथयो को समझदार भी कहता ह कयोकक दोनो की समझदारी तरमलती-जलती होती ह एक सी होती

ह समझदार कहो या नासमझ मगर दोनो म कछ बात एक सी होती ह

हाथी को कभी नहात दखा जब वह नहा लता ह तालाब म और बाहर तरनकलता ह तो अिनी सड़ स धल

को अिन ऊिर फककर घर आ जाता ह बड़ा आदमी जसा ह नहा भी तरलए ककसी भल-चक स तो उनका तरचतत

नही मानता बाहर तरनकलता ह तालाब स सड़ म भर लता ह धल अिन सार शरीर िर फक लता ह कफर हो

गए जस क तस

यही तो तम मकदर म जाकर करत हो ककसी तरह पराथमना कर भी ली तो बाहर तरनकल भी नही िात कक

धल कफर फकन लगत हो अकसर तो ऐसा होता ह कक पराथमना कर रह होत हो तभी धल फकन लगत हो

मकदर म हाथ जोड़ खड़ थ िरमातमा की तरफ आख उठायी थी एक सदर सतरी आ गयी भल गए िरमातमा-

वरमातमा को पराथमना तो कहत रह िरमातमा की लककन मन ककसी और ही बात स भर गया और अकसर ऐसा

हो जाएगा कक इस सतरी की मौजदगी क कारण तम और जोर-जोर स पराथमना करन लगोग और तरहलन-डलन

लगोग--अब इसको परभातरवत भी करना ह िरमातमा तो परभातरवत हो या न हो ककसको िता ह मगर यह सतरी

को कम स कम खयाल आ जाए कक बड़ धारममक ह सतिररष ह सत ह कीचड़ वही डाल लत ह हम हमारी

पराथमना म ही कही वासना आ जाती ह

हम पराथमना भी करत ह तो कछ मागत ह िरमातमा स िरमातमा को छोड़कर हम सब मागत ह--धन

तरमल जाए िद तरमल जाए परतरतिा तरमल जाए कछ तरमल जाए कक लाटरी का रटकट लग जाए हम िरमातमा स

कषदर मागत ह वयथम मागत ह असार मागत ह िरमातमा स तो सार वही मागता ह जो िरमातमा क तरसवाय

और कछ भी नही मागता जो कहता ह कक सब मरा खो जाए लककन म जान ल कक तम कौन हो सब मरा

तरमट जाए दाव िर लग जाए लककन एक िहचान की ककरण उतर आए एक दफा झलक तरमल जाए कक कया ह

यह जीवन म कौन ह और यह कया ह इस रहसय का िदाम उठ जाए

उस बढ़ हाथी न बड़ परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न तरनकाल सका सो न तरनकाल सका राजा

क सवको न भी बहत चषटा की सब असफल हआ

महावत भज गए नए महावत होग हाथी तो बढ़ा था महावत नए होग उनहोन सब नयी-नयी तरवतरधया

उियोग म लायी होगी लककन उस हाथी स उनका कोई सिकम नही था िहचान न थी उस हाथी का उनह कोई

अनभव न था उस हाथी क भीतर की जीवन-ऊजाम ककस ढग स काम करती ह इसका उनह िता नही था

इसतरलए अकसर ऐसा हो जाता ह अगर तम ऐस आदमी स सलाह तरलए तरजस जीवन का ठीक-ठीक

अनभव न हो ऐस आदमी स सलाह तरलए जो तमहार जीवन क अनभव स िररतरचत न हो तो भल हो जाएगी

तो चक हो जाएगी

जनो और बौदधो न इस सबध म भी एक महाकरातरत की जहद कहत ह कषण और राम भगवान क अवतार

ह व ऊिर स नीच आत ह--अवतार का मतलब होता ह ऊिर स नीच आत ह व ठठ भगवान क हदय स आत

ह लककन इसका तो मतलब यह हआ कक व कभी आदमी नही थ तो आदमी क जीवन-अनभव उनक अनभव

नही ह यह बात बड़ी सोचन जसी ह व सीध भगवान क घर स आत ह और हम तो हम तो लब-लब जनमो

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की अधरी रातो स गजरत आ रह ह न मालम ककतन रासतो िर भटक ह न मालम ककतनी ठोकर खायी ह न

मालम ककतन खाई-खडडो म तरगर ह न मालम ककतनी भल-चक की ह हमारा जीवन तो महािाि की लबी यािा

ह और व आत ह ितरवि मकदर स सीध

जनो और बौदधो न यह बात बदल दी उनहोन बदध को और महावीर को अवतार नही कहा तीथकर

कहा तीथकर का अथम होता ह कक व भी हमार साथ ही इस अधर की यािा स आ रह ह हमार ही जस रासतो

स गजर ह हमार ही जस वासना स तड़फ ह हमार जस ही रतती-रतती िरशान हए ह हमार जस ही कीचड़ म

फस ह हम िहचानत ह हमस कछ जयादा ह लककन जो भी हम ह वह तो व रह ही ह उनह हमारी िहचान

इसतरलए यह कोई आियम की बात नही ह कक गीता स उतन लोगो को तरनवामण उिलबध नही हआ तरजतन

लोगो को धममिद स तरनवामण उिलबध हआ गीता आकाशी मालम िड़ती ह हवाई मालम िड़ती ह शदध

दाशमतरनक मालम िड़ती ह धममिद बहत वयावहाररक ह आदमी को दखकर कह गए वचन ह उितरनरषद

आकाश म ह आकाश-कसम जस िथवी िर उनकी कोई जड़ नही मालम होती बदध और महावीर क वचन

िथवी िर जम हए वकषो की तरह ह

भद समझना बदध और महावीर तमहार जस ही आदमी ह उनका भगवान होना आकाश स अवतरण

नही ह ऊधवमगमन ह व तमहारी ही तरह धकक खात िरशान होत टटोलत-टटोलत धीर-धीर आखो को

उिलबध हए ह उनका अतीत और तमहारा अतीत एक जसा ह इसतरलए उनक वचन तमहार तरलए बहत कारगर

होग व जो कह रह ह तमह जानकर कह रह ह व तमस भलीभातरत िररतरचत ह कयोकक व अिन स िररतरचत ह

व तमह जानत ह कयोकक व अिन को जानत ह उनकी तम िर महाकरणा होगी कयोकक व जानत ह कसी

अड़चन ह कसी करठनाई ह जब आदमी वासना म फसा होता ह तो तरनकलना ककतना मतरशकल ह यह उनह

अिन अनभव स िता ह

बदध बार-बार कहत ह अिन तरभकषओ को कक तरिछल जनम म म भी ऐसा ही फसा था उसक िहल म भी

ऐसा ही उलझा था तरभकषओ तम तरनराश न होओ हताश न होओ म िहच गया दखो ऐस ही उलझा था म

तरनकल गया दखो ऐस ही उलझा था तमस भी जयादा मरी उलझन थी तमस भी बड़ा मरा िाि था तमस भी

बड़ी मरी नासमझी थी तम हताश मत होओ अगर म तरनकल आया तो तम भी तरनकल आओग मर तरनकल

आन म तमहार तरनकल आन का सबत ह कयोकक म तम जसा आदमी ह

जहद और बौदधो की भगवान की धारणा तरभनन ह जहद समझत ह भगवान का मतलब होता ह तरजसन

दतरनया बनायी बौदध कहत ह भगवान का अथम होता ह तरजसन दतरनया को जान तरलया बनान-वनान का सवाल

नही ह बनायी तो ककसी न भी नही ह तरजसन दतरनया को जान तरलया तरजसन यह जान तरलया कक दतरनया कस

काम कर रही ह जो इस रहसय स िररतरचत हो गया वह भगवान ह

जहद कहत ह भगवान िहल कफर दतरनया बौदध कहत ह िहल दतरनया कफर भगवान भगवान दतरनया

क अनत-अनत अनभवो क बीच उठा हआ तरशखर ह इि ह बहत दखा भटका िाि ककया सब तरह की भल

सब नरको म गए सब सवगो म गए सख दख दख जान सब तरफ स सब कदशाओ स जीवन को टटोला और

टटोलत-टटोलत-टटोलत एक कदन वह घड़ी आयी कक इस जीवन क िार उठ गए ऊिर उठ गए इस जीवन स

मि हो गए इस मतरि का नाम भगवतता

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इसतरलए जहद और बौदधो क बीच भगवान शबद म कभी भी ियामयवाची मत मान लना व ियामयवाची

नही ह जब जहद कहत ह राम भगवान उनका अथम अलग ह उनका अथम यह ह कक उनहोन कभी िाि दखा

नही उनहोन कभी िाि ककया नही व शदध उतरत ह आकाश स--तरनममल तरनषकलरष जब बदध कहत ह कक म

भगवान ह तो बदध का अथम यह ह मन िाि दखा जसा तम दख रह हो तमस भी जयादा दखा लककन मन

गौर स दखा तमन गौर स नही दखा बस इतना ही फकम ह तम भी गौर स दख लो--सममाकदरटठ--तम भी

समयकरिण दख लो तो तम भी मि हो जाओग तरजसन िाि को गौर स दख तरलया वह िाि क बाहर हो जाता

यह हाथी जाता रहा होगा उसी तालाब िर जवानी म अब भी गया ह अनक महावत आए--नए थ

उनह इस हाथी का कोई अनभव न था शायद उनहोन इस बढ़ हाथी को मारा-िीटा हो बरछ चभाए हो

सताया हो कक ककसी तरह बाहर तरनकल आए लककन जो कीचड़ म फसा ह उस सताकर तम बाहर तरनकालोग

वस ही दबमल ह और सताओग

खयाल करना तम नरक म िड़ हो और तमहार ितरडत-िजारी तमस कहत ह कक अगर तम नही तरनकल तो

और बड़ नरक म भज कदए जाओग

थोड़ी तो दया करो थोड़ी तो मनषयता कदखलाओ आदमी वस ही नरक म िड़ा ह और कहा नरक ह

और इसस बदतर कया नरक होगा और आि आ गए कक कहत ह कक अगर नही तरनकल इसस तो और बड़ नरक

म भज कदए जाओग इसी स तरनकलन का उिाय नही सझ रहा ह और तम और बड़ नरक म भजन का इतजाम

कर रह हो

लोग सोचत ह शायद भय स लोगो क जीवन बदल जा सक उन नए महावतो न भय कदया होगा

सताया होगा यही तो महावत जानत ह मार होग बरछ उकसाया होगा कक शायद भय म िीड़ा म तरनकल

आए बाहर लककन िीड़ा स कोई बाहर नही तरनकलता िीड़ा मतरिदायी नही ह िीड़ा तो हमन वस ही बहत

झल ली

तम कया सोचत हो उस बढ़ महाबलवान हाथी को तरजसका सदर अतीत था कीचड़ म फस दखकर

िीड़ा नही हो रही होगी वह मरा जा रहा होगा वह गड़ा जा रहा होगा वह पराथमना कर रहा होगा कक ह परभ

िथवी फट जाए तो म इसम समा जाऊ मरी मौत हो जाए यह कदन दखन को बदा था कक इस साधारण सी

तलया की कीचड़ म उलझ जाऊगा और तरनकल न सकगा यह कमजोरी यह दबमलता यह कदन दखन को बदा

था और िीड़ा कया होगी तमहार बरछ और कया चभग उसका सारा अहकार चभा िड़ा ह उसकी सारी

अतरसमता चभी िड़ी ह और तम उस मारोग िीटोग

या शायद महावतो न परलोभन कदया हो सदर-सदर भोजन सामन रख हो कक शायद भोजन को दखकर

बाहर तरनकल आए लककन जो कीचड़ म फसा ह वह भोजन को दखकर भी बाहर तरनकल नही सकता

लोभ और भय काम न करग और यही दो बात काम म लायी जाती रही ह--सवगम का लोभ नरक का

भय सकदया बीत गयी ह तमहार ितरडत-िरोतरहत तमहार ककनार खड़ ह तालाब क और तरचलला रह ह कक अगर

कीचड़ म जयादा दर रह तो नरक अगर जलदी तरनकल आओ तो सवगम अगर अभी तरनकल आओ तो अचछा

इतजाम कर दग सवगम म मगर न लोभ का कोई िररणाम होता ह न भय का कोई िररणाम होता ह और

सनत-सनत तम इन बातो क आदी हो गए हो अब न तमह सवगम की जचता ह न तमह नकम का कोई भय ह अब

238

तम कहत हो जब होगा तब होगा अब हम जानत ह कक हमस तो तरनकलत नही बनता इस कीचड़ स तमहार

भय और तमहार लोभ तम समझो

लककन िराना महावत आया उसन कछ और ककया उसन बड़ी अदभत बात की यह छोटी सी घटना ह

म चाहता ह ताकक तम समझ सको कक छोटी-छोटी घटना स खब तरनचोड़ा जा सकता ह

राजा न िरान महावत को बलाया सोचा शायद वही काम आ सक

िराना महावत वसा ही वदध हो गया ह जसा हाथी दोनो साथ-साथ बड़ हए साथ-साथ बढ़ हो गए ह

दोनो क जीवन का सग-साथ का अनभव ह एक-दसर स िहचान ह एक-दसर को जानत ह एक-दसर स बहत

गहरी मिी ह एक-दसर की चतना स सबध ह जानता ह बढ़ा महावत कक इस हाथी िर कौन सी बात काम

करगी इसन दखा ह उसको यदधो क मदानो म इसन कई बार व कषण भी दख होग जब हाथी कमजोर िड़ा

जाता था लहलहान हो गया था और बजा नगाड़ा और हाथी भल गया लहलहान होना और कफर दौड़ िड़ा

कफर जझ गया इस याद होग व कदन यह जानता ह इस हाथी को कक एक ही बात इसको बाहर तरनकाल सकती

ह कक इसका योदधा जाग जाए इसका सकलि परजवतरलत हो जाए एक ही बात इस बाहर ला सकती ह कक यह

भल जाए कक म यह जीणम-जजमर दह ह इस याद आ जाए कक म आतमवान ह

और यह बढ़ा महावत जब स अवकाश परापत हआ राजा की नौकरी स छटा तब स बदध क सतसग म रहा

था वह सतसग भी शायद उस यह बोध द गया हो यह कहानी जड़ी ह शायद बढ़ महावत न बदध स सीखा हो

और कफर बदध न बढ़ महावत को हाथ म लकर अिन और तरभकषओ को भी जगान की कोतरशश की बढ़ा महावत

बदध क िास जाता ह सनता ह बठता ह उस शायद याद आया हो बदध ककस तरह जगात ह कीचड़ म ही तो

फस ह लोग ककस तरह िकारत ह ककस तरह बजात ह नगाड़ यदध क ककस तरह फसलात ह तमहार भीतर की

आतमा को ककस तरह तमह समरण कदलात ह कक तम कौन हो अमतसय ििः कक तम अमत क िि तम मतय

की कीचड़ म दब िड़ हो िकारत ह कक दख त कौन ह भगवान सवय त ह और इस छोटी सी बात स नही छट

िा रहा ह

इस भद को समझना बदध न तो भय दत ह न लोभ दत ह बदध तो तरसफम तमह समतरत दत ह इसतरलए बदध

की भारषा म सबस महतविणम जो शबद ह वह ह समयक-समतरत तमह समरण आ जाए कक तम कौन हो

तमन परतरसदध कहानी सनी होगी--तरववकानद को बहत तरपरय थी--कक जगल म एक शरनी गभमवती थी

छलाग लगाती थी एक िहाड़ी स दसरी िहाड़ी िर और तभी उसका गभम तरगर गया नीच भड़ो का एक समह

जा रहा था वह बचचा जसहनी का बचचा जसह-शावक भड़ो म िड़ गया जसहनी तो चली गयी वह बचचा भड़ो म

ही बड़ा हआ तो सवभावतः उस बचच न यही जाना कक म भड़ ह

हम वही तो सीख लत ह जो हम तरसखाया जाता ह तरजन म तम बड़ हए वही तो तम हो गए--जहद-घर

म हए तो जहद जन-घर म हए तो जन मसलमान-घर म हए तो मसलमान जहदसतान म िदा हए तो

जहदसतानी और चीन म िदा हए तो चीनी--तरजनक बीच रह उनहोन तमह अिन म ढाल तरलया

भड़ो म बड़ा हआ तो जानता था कक म भड़ ह भड़ो क साथ ही घसर-िसर चलता था भड़ डरती थी

जस छोटी-छोटी चीजो स ऐसा ही वह भी डरता था भड़ो जसा तरमतरमयाता था जसह-गजमना तो उस आती ही

नही थी--सनी ही नही थी िहचान ही न थी उसस तरजसकी िहचान न हो तरजसको सना ही न हो वह आए भी

तो कहा स आए ससकार ही न था कोई कफर बड़ा होन लगा--लककन था तो जसह तो थोड़ ही कदनो म भड़ो स

ऊिर उठ गया कफर भी याद न आयी कयोकक जसहो क िास दिमण तो होत नही और भड़ो न भी कोई कफकर न

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की उसी क साथ बड़ी होती रही थी तो धीर-धीर उसकी आदी हो गयी थी कक इस ढग की भड़ ह मान लो कक

इसी तरह की ह इसको यही रग ह वह बड़ा भी हो गया लककन शाकाहारी का शाकाहारी घास-िात खाता

था भड़ो क साथ घसर-िसर चलता था

लककन एक कदन बड़ी अजीब घटना घट गयी एक बढ़ जसह न भड़ो क इस झड िर हमला ककया वह

बढ़ा जसह तो चौककर खड़ा हो गया वह तो भल ही गया हमला इतयाकद--इनक बीच म एक जवान जसह भागा

चला जा रहा ह यह तो उसन कभी सना न दखा न शासतरो म िढ़ा यह हो कया रहा ह उस अिनी आख िर

भरोसा न आया होगा उसन आख मीड़ी होगी कक यह हआ कया यह बात कया ह ऐसा तो कभी दखा नही वह

बीच म जस भड़ो म भड़ वह तो भल ही गया भख-पयास लगी थी वह तो भल ही गया वह भागा भड़

भागी उनक साथ यह यवा जसह भी भागता रहा बामतरशकल बढ़ा जसह िकड़ िाया

िकड़ा तो तरमतरमयान लगा रोन लगा तरगड़तरगड़ान लगा कहन लगा छोड़ दो महाराज मझ जान दो मर

सब सगी-साथी जात ह उस बढ़ न कहा ऐस नही जान दगा यह तो बड़ा चमतकार ह तझ हआ कया ह तरा

होश खो गया ह तरा होश खो गया ह वह भी ठीक भड़ो को कया हआ य तर साथ खड़ी कस ह उसन कहा

म भड़ ह इसम कछ भी नही हआ म जरा बड़ी भड़ ह मगर म ह तो भड़ ही मरा रग-ढग अलग ह ऐसा

कभी-कभी हो जाता ह लककन मझ छोड़ो मझ जान दो--उसको िसीना उतरन लगा

लककन बढ़ा जसह छोड़ा नही घसीटकर ल गया नदी क ककनार झका खद झकाया उस और कहा िानी

म दख जस ही उस नए यवा जसह न िानी म दो तसवीर दखी--बढ़ जसह की और अिनी--गजमना तरनकल गयी

तरसखानी न िड़ी ऐसी गजमना कक िहाड़ कि गए कक बढ़ा जसह कि गया बढ़ जसह न कहा अब त जा तझ जहा

जाना हो

एक कषण म सब बदल गया अब वह भड़ नही था वह दख-सवपन टट गया उस अिन सवरि का बोध हो

गया

बदधिररष यही करत ह बदधिररष बढ़ जसह ह कोई तमम आदमी बनकर बठ गया ह कोई सतरी बनकर बठ

गया ह वह िकड़-िकड़कर ल जात ह नकदयो क ककनार कहत ह जरा झाककर दखो तम वस ही हो जसा म ह

वसा ही अमत तमम भरा ह जसा मझम वसी ही भगवतता तमम जसी मझम जरा दखो मरी शकल अिनी

शकल िहचानो न तम सतरी हो न तम िररष हो तम चतनय हो न तम जवान हो न तम बढ़ हो न तम दीन हो

न दररदर हो न अमीर हो न तम गोर हो न काल हो तम तरनराकार तरनगमण

इस बढ़ महावत न शायद बदध स ही यह बात सीखी होगी--तरनतरित बदध स ही सीखी होगी इस हाथी को

भी जानता था कफर बदध की चचामओ म सतर िकड़ आ गया होगा आया बढ़ा महावत उसन अिन िरान अिवम

हाथी को कीचड़ म फस दखा ऐसी ददमशा उसन कभी दखी नही थी सोचा भी नही था सिन म नही सोचा

था कक यह अिवम शतरिशाली हाथी इतना दबमल हो जाएगा कक कीचड़ स न तरनकल सक--कीचड़ स न तरनकल

सक जो ककसी भी यदध-वयह स बाहर तरनकल आया था उस एक कदन कीचड़ क साथ मात खानी होगी

वह हसा कयो हसा हसा होगा दखकर जगत की तरसथतरत ऐस सबल दबमल हो जात ह ऐस धनवान

दररदर हो जात ह ऐस समराट तरभखारी हो जात ह ऐस जवान थ अरथमयो िर लद जात ह हसा दखकर यह भी

कक यह भल कस गया अिना समरण इस नही रहा कक म कौन ह कस यह तरवसमतरत हई बड़ यदधो का तरवजता

हातरथयो म समराटो जसा समराट यह हतरसतराज इस भल कस हो गयी यह आज कीचड़ स नही तरनकल िा रहा

ह इस अिनी समतरत तरबलकल ही चली गयी इसतरलए हसा होगा

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और उसन ककनार स सगराम-भरी बजवायी बदध क िास यही सीखा होगा यदध-बाज बजवाए जानता

था इस हाथी को कक शायद वह सगीत सनकर इस याद आ जाए

इसीतरलए तो सतसग का मलय ह सतसग का अथम होता ह शायद ककसी बदधिररष क िास बठकर तमह

अिन बदधतव की याद आ जाए शायद ककसी सदगर क िास बठ-बठ तमह याद आ जाए कक जो इस वयतरि क

भीतर ह वही मर भीतर भी तो ह म नाहक िरशान हो रहा म नाहक जचतरतत उदास हो रहा म नाहक

हताश हो रहा शायद ककसी तरखल हए फल को दखकर बद कली को भी तरखलन का सिना िदा हो जाए शायद

ककसी जल दीए को दखकर बझ दीए को भी समरण आ जाए कक म भी जल सकता ह--तल ह बाती ह सब ह

कमी कया ह

इस बढ़ महावत न बड़ी कला की बड़ा होतरशयार रहा होगा बड़ा बतरदधमान रहा होगा बड-बाज बजवा

कदए उन बड-बाजो की चोट--हाथी भल ही गया होगा कसी कीचड़ कसा तालाब एक कषण को जस सारी

बात तरवसमत हो गयी भतरवषय अतीत सब तरवसमत हो गया उन बड-बाजो की चोट म वतममान म आ गया

होगा दह को भल गया जाग गयी भीतर की समतरत कक म कौन ह--महा बलशाली हो गया

यदध क नगाड़ो की आवाज सन जस अचानक बढ़ा हाथी कफर जवान हो गया और कीचड़ स उठकर

ककनार िर आ गया

बदध का बड़ा परतरसदध वचन ह तम वही हो जात हो जो तम सोचत हो कक तम हो िरानी बाइतरबल कहती

ह एज ए मन जथकथ जसा आदमी सोचता वसा ही हो जाता तमहारा तरवचार ही तमहारी तरनयतरत ह तमहारा

तरवचार ही तमहारा भागय-तरनमामता ह सोचता था कमजोर हो गया बढ़ा हो गया तो बढ़ा था अब इस नगाड़

की आवाज म भल गया और याद आ गयी िरानी और सोचा कक म महा बलशाली म हतरसतराज मन इतन यदध

दख इतन यदध जीता भल ही गया कीचड़ इतयाकद कस छट गयी िता ही नही चला छटन की चषटा भी नही

करनी िड़ी उस समरण म ही मतरि हो गयी

इसतरलए बदध कहत ह समयक-समतरत मतरि ह तमह याद आ जाए कक तम कौन हो तम िरमातम-सवरि

हो अह बरहमातरसम जसा उितरनरषद कहत ह कक म बरहम ह कक अलतरहललाज मसर कहता ह अनलहक कक म सतय

ह कक महावीर कहत ह अपिा सो िरमपिा जो आतमा ह वह िरमातमा ह

वह उठकर ककनार आ गया इतनी सरल बात ऐस चला आया जस कीचड़ इतयाकद थी ही नही वह जस

भल गया अिनी वदधावसथा अिनी कमजोरी उसका सोया योदधा जाग उठा और यह चनौती काम कर गयी

चनौती काम करती ह बदधिररष तमह चनौती दत ह बदधिररष तमह भयभीत नही करत जो भयभीत

कर समझ लना वह बदधिररष नही ह जो तमह डराए धमकाए वह तो राजनीतरतजञ ह जो कह कक नरक भज

दग वह तो बड़ी राजनीतरत चल रहा ह जो कहता ह सवगम म तरबठा दग वह तो बड़ी राजनीतरत चल रहा ह

लोभ और भय तो राजनतरतक दाव-िच ह बदधिररष चनौती दत ह बदधिररष िकारत बदधिररष सगीत िदा

करत तमहार चारो तरफ िरलोक का सगीत कक उस सगीत की चोट म तमहार भीतर कछ जग जाए

नगाड़ बड-बाज काम कर गए हाथी उस भारषा को समझ गया समझा उसन यदध म ह कषण भी दर न

लगी ऐसा भी नही कक सोचा-तरवचारा कक अब कया कर कया न कर अब यदध म कही सोच-तरवचार का मौका

होता ह यदध म तो वही जीतता ह जो सोच-तरवचार म नही िड़ता जो सीधा जझ जाता ह यदध म तो वही

जीतता ह जो कषण को भी सोच-तरवचार म नही खोता कयोकक कषण गया कक तम तरिछड़ गए दसरा हाथ मार

लगा वहा तो परतरतिल जीना िड़ता ह िराना योदधा था िराना तरसिाही था वह हाथी उस कषण दर न लगी

241

वह तो ऐसी मसती और ऐसी सरलता और सहजता स बाहर आया जस कक वहा कोई कीचड़ थी ही नही

और जस कक वह कभी फसा ही न था

जब बदध को जञान हआ और ककसी न िछा कक आिको कया तरमला तो वह हस उनहोन कहा तरमला कछ

भी नही कयोकक मन कभी कछ खोया ही नही था तरमला कछ भी नही कयोकक जो मर िास था बस उसका मझ

िता चला तरमला कछ भी नही

कहत ह झन फकीर बोकोज जब समातरध को उिलबध हआ तो हसन लगा और कफर जजदगीभर हसता

रहा जब भी कोई कछ िछ तो वह हस लोग उसस िछत थ आि हसत कयो ह हर बात म हसत कयो ह

वह कहता ह इसतरलए हसता ह कक कोई भी यहा फसा नही ह और सभी को यह खयाल ह कक लोग फस ह

कीचड़ ह नही और लोग फस ह मानयता

तमन दखा धन तमह िकड़ हए ह धन तमह िकड़ता नही तम धन को कया खाक िकड़ोग कस

िकड़ोग तरसफम एक भातरत ह धन तमहारा नही ह तम तो नही थ तब भी धन था तम नही रहोग तब भी धन

होगा जमीन का टकड़ा कहत हो मरा ह तमहार होन स कछ लना-दना नही जमीन को िता ही नही कक आि

आए और गए कब आए कब गए कछ िता नही ह जमीन का टकड़ा तमह नही िकड़ता ह तम कस िकड़ोग

बस तरसफम एक खयाल ह--मरा और सारा खयाल खयाल का मजा ह

एक आदमी क घर म आग लग गयी और वह छाती िीटकर रोन लगा और ककसी न कहा मत रो िागल

तझ िता नही कक तर बट न कल मकान तो बच कदया रात सौदा हो गया ह बस आस सख गए वह हसन

लगा वह बोला ऐसा यह तो बड़ा अचछा हआ तो मकान तरबक गया अब भी मकान जल रहा ह वस ही जल

रहा ह और भी जयादा जल रहा ह मगर अब रोना-धोना नही हो रहा ह तभी बटा भागा आया उसन कहा

कक आि खड़ कया दख रह ह लट गए उसन कहा अर लट गए और ककसी न तो मझ कहा मकान बच कदया

उसन कहा बात हई थी लककन बयाना आज होन का था कफर छाती िीटन लगा

मकान वही ह आदमी वही ह बस बीच म मरा नही ह ऐसा खयाल आ गया था तो आस रक गए अब

मरा ह तो कफर आस आ गए जो हमारा जीवन तरजस हम कहत ह वह हमारी धारणा माि ह

वह हाथी ऐस बाहर आ गया जस फसा ही न हो जस वहा कोई कीचड़ हो ही न ऐसी सरलता और

सहजता स

ऐसी सरलता और सहजता स ही तरमलती ह समातरध ससार स आदमी ऐस ही तरनकल आता ह तरसफम

समरण आ जाए आतम-समरण आ जाए

इसतरलए म भी तमह ससार छोड़न को नही कहता कयोकक म कहता ह िकड़ ही नही सकत िहली तो

बात छोड़ोग कस छोड़ना तो नबर दो होगा िहल तो िकड़ना होना चातरहए इसतरलए म तमस भागन को भी

नही कहता भागोग कहा जागन को कहता ह यह हाथी जाग गया यह बड-बाज की चनौती इस जगा गयी

बस जागो

आकर ककनार िर ऐसा जचघाड़ा जसा वरषो स लोगो न उसकी जचघाड़ न सनी थी व िरान यदध कफर जस

जीवत हो उठ

चतना तो कभी न बढ़ी होती न दबमल होती चतना तो न कभी जनमती और न मरती चतना तो शाशवत

ह और चतना तो सदा एक जसी ह एकरस ह

242

वह हाथी बड़ा आतमवान था इतन जलदी याद आ गयी लोग भी इतन आतमवान नही ह बड़ा

सकलिवान था इतनी चनौती म सकलि जग गया घोरषणा हो गयी बड़ जलदी जागा

भगवान क तरभकषओ न जब यह बात भगवान को कही तो उनहोन कहाः तरभकषओ उस अिरव हाथी स

कछ सीखो उसन तो कीचड़ स अिना उदधार कर तरलया तम कब तक कीचड़ म िड़ रहोग और दखत नही कक

म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह तरभकषओ जागो और जगाओ अिन सकलि को वह हाथी भी कर सका कया

तम न कर सकोग कया तम उस हाथी स भी गए-बीत हो चनौती तो लो उस हाथी स कछ तो शरमाओ कछ

तो सकोच करो कछ तो लजाओ तम भी आतमवान बनो और एक कषण म ही करातरत घट सकती ह

एक कषण म करातरत घट सकती ह ऐसा महासि बदध न कदया ह जनम-जनम का अधरा एक कषण म कट

सकता ह तरजस घर म रात ही रात रही ह जनमो स सकदयो स जहा अधरा ही अधरा रहा ह एक दीया जल

छोटा सा दीया जल अधरा कट जाता ह अधरा यह थोड़ ही कहता ह कक म सकदयो िराना ह अभी नए-नए

दीए स कस कटगा अधर की कोई उमर थोड़ ही होती ह हजार साल िराना अधरा हो कक एक रात िराना

अधरा हो कछ फकम नही िड़ता जब दीया जलता ह तो दोनो तरमट जात ह अधर की कोई शतरि होती नही

अधरा निसक ह ससार निसक ह

तरजस कदन आतमा का दीया जलता ह कोई शतरि नही रोकती इसतरलए बदध न यह नही कहा ह कक

करतरमक-तरवकास होता ह करतरमक होता ह इसतरलए कक तम आतमवान नही हो तम तरहममत ही नही लत तो

सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ो इच-इच सरको तरजनम तरहममत ह व छलाग लगा जात ह एक कषण म घट जाता ह

अकरतरमक एक कषण म तरबना समय को खोए घटना घट सकती ह तमहारी तवरा िर तरनभमर ह

इसतरलए बदध न कहा--एक कषण म करातरत घट सकती ह तवरा चातरहए तरभकषओ तीवरता चातरहए ऐसी

तीवरता कक तमहारा सिणम पराण-मन उसम सलगन हो जाए अिनी शतरि िर शरदधा चातरहए तरभकषओ

बदध कहत ह अिनी शतरि िर शरदधा बदध यह भी नही कहत कक बदध की शतरि िर शरदधा कयोकक बदध की

शतरि िर शरदधा तो कफर ककसी तरह का िरालबन बन जाएगी कफर तम िरति हो जाओग और िरतिता

ससार ह इसतरलए बदध कहत ह अपि दीिो भव अिन दीए खद बनो अिन िर शरदधा करो बदध कहत ह म

तमहारी शरदधा तमम जगा द मरा काम िरा हो गया म कफर बीच स हट जाऊ

और दखो म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह सनो तभी उनहोन य गाथाए कही थी--

अपिमादरता होथ स-तरचततमनरकखथ

दगगा उदधरथततान िक सततोव कजरो

सच लभथ तरनिक सहाय सजदध चर साधतरवहाररधीर

अतरभभयय सबबातरन िररससयातरन चरयय तनततमनो सतीमा

नो च लभथ तरनिक सहाय तरसजदध चर साधतरवहाररधीर

राजाव रटठ तरवतरजत िहाय एको चर मातगरोव नागो

एकसस चररत सययो नतरतथ बाल सहायता

एको चर न च िािातरन कतरयरा

अपिोससकको मातगरोव नागो

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

243

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख

अपरमाद म रत होओ

जागो अपरमाद यानी सोओ मत बहत सो तरलए

अपरमाद म रत होओ अिन तरचतत की रकषा करो

अिन चतनय की रकषा करो जड़ मत बनो चतनय को समरण रखो चतनय को सलगाओ चतनय को

तरनखारो तरजस-तरजस भातरत जयादा चतना िदा हो उस-उस भातरत सब उिाय करो तरजस भातरत मचछाम होती हो

व उिाय छोड़ो तरजन कारणो स जड़ता िदा होती हो व कारण छोड़ो

अपरमाद म रत होओ अिन तरचतत की रकषा करो दलदल म फस हाथी की तरह तम भी अिना उदधार कर

सकोग

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमल जाए तो सभी तरवघनो को दर कर उसी क साथ

समतरतवान और परसनन होकर धीरिररष चल

यकद कोई तरमल जाए ऐसा जो जागा हो यकद कोई तरमल जाए ऐसा जो बतरदधमान हो और अनभवी हो--

बतरदधमान अकला काम नही आता कभी-कभी ऐसा होता ह लोग बतरदधमान होत ह लककन अनभवी नही होत

तो बतरदध तो बड़ी परखर होती ह तो तकम तो खब तरबठा लत ह लककन अनभव कोई नही होता उनकी बातो म

मत िड़ जाना उनकी बात बड़ी झझट म डाल दगी उनह जीवन का कोई अनभव तो ह नही उनह तरसफम गतरणत

का अनभव ह उनह तकम का अनभव ह

मन सना ह तरजस आदमी न औसत का तरसदधात खोजा--यनानी गतरणतजञ था बड़ा बतरदधमान था अनभवी

न रहा होगा--अिन बचचो को लकर तरिकतरनक िर गया था उसन एवरज औसत का तरसदधात खोजा था और जब

कोई तरसदधात खोजता ह नया-नया तो उसी-उसी म लगा रहता ह उसी-उसी म डबा रहता ह नदी िार करत

थ उसक िाच-छह बचच थ ितनी थी उसन जलदी स सब बचचो की ऊचाई नािी ितनी न कहा यह कया कर रह

हो उसन कहा कक औसत तरनकाल रहा ह गया जलदी स िाच-छह जगह िानी भी नािा ककतना गहरा ह

औसत गहराई नाि ली औसत ऊचाई नाि ली बोला ितनी स कोई कफकर नही आन दो बचचो को

अब कोई बचचा लबा था कोई छोटा था कही िानी गहरा था कही उथला था चल िड़ा वह बीच म

बचच ितनी िीछ ितनी तरचललायी कयोकक एक बचचा डबकी खान लगा कफर दसरा बचचा डबकी ितनी तरचललायी

कक तम चल कयो जा रह हो य बचच डबकी खा रह ह उसन कहा यह हो ही नही सकता वह लौटकर भी नही

दखता वह कहता ह यह हो ही नही सकता मर तरसदधात म भल तो हो ही नही सकती

इधर ितनी बचचो को बचान म लगी ह वह दौड़कर गया वािस रत िर उसन जहा गतरणत ककया था

अिना कफर स दखन कक कोई भल तो नही हो गयी भल कछ भी न थी लककन औसत बतरदधमानी की तो बात

ह अनभव की बात नही ह औसत आदमी कही होता ह अब कोई दो फीट का बचचा था कोई चार फीट का

बचचा था दोनो औसत तो तीन फीट क हो गए--तीन फीट का कोई भी नही ह उसम

इसी तरह औसत आमदनी होती ह ककसी की आमदनी का नाम औसत आमदनी नही ह उसम तरबरला

की आमदनी जड़ी ह उसम तरभखारी की आमदनी जड़ी ह दोनो को जोड़कर औसत तरनकाल ली तो तरभखारी भी

अमीर हो जाता ह तरबरला भी तरभखारी हो जात ह

244

औसत झठ ह गतरणत तो ठीक ह तकम तो ठीक ह औसत उमर तरनकाल ली जाती ह कक भारत की औसत

उमर ककतनी ह उनहोन कहा ितीस साल अब इसम सततर-अससी साल नबब साल जीन वाला आदमी भी जड़ा

ह इसम िहल कदन जो बचचा िदा होकर मर गया वह भी जड़ा ह ितीस साल शायद ककसी की भी औसत उमर

न हो शायद एक आदमी ऐसा न तरमल जो ठीक ितीस साल जीता ह मगर औसत

कहत ह रस म जब करातरत हई तो एक सकल की ररिोटम छिी और ररिोटम म छिा कक यहा सौ परतरतशत

तरशकषा म तरवकास हआ ह और जब खोजबीन की गयी तो िाया यह गया कक कछ जयादा नही हआ था सकल म

एक ही तरशकषक था िहल एक तरवदयाथी अब दो तरवदयाथी हो गए थ--सौ परतरतशत सौ परतरतशत सनकर ऐसा

लगता ह कक भारी तरवकास हो गया

कदलली म ऐस ही आकड़ चलत ह बड़ा तरवकास हो रहा ह ऐसा हो गया वसा हो गया आकड़ो का सारा

जाल और आकड़ इतना झठ बोलत ह तरजसका कोई तरहसाब नही तरजसको झठ बोलना हो उस आकड़ सीखन

िड़त ह आकड़ो स इतनी सतरवधा स झठ बोला जा सकता ह और झठ इतना सच मालम होता ह

बतरदधमान अकल स काम नही चलता बतरदधमान--इसतरलए बदध दो शबद जोड़त ह--बतरदधमान और

अनभवी

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान

कोर बतरदधमान क चककर म मत िड़ जाना कोर ितरडत क चककर म मत िड़ जाना अनभवी चातरहए

तरजसन जीवन क अनभव स जाना हो जो कहता हो उस जीआ हो जो कहता हो उसका साकषातकार ककया हो

अगर समातरध की बात करता हो तो शासतर म िढ़कर समातरध की बात न करता हो अनभव स करता हो

समातरधसथ हआ हो

कछ लोग बतरदधमान होत ह लककन अनभवी नही होत और कछ लोग अनभवी होत ह लककन बतरदधमान

नही होत अनभव तो हो जाता ह लककन बतान म सफल नही होत व भी ककसी काम क नही ह उनक तरलए

तो गग का गड़ ह गड़ तो खा गए मगर बोल नही सकत तो उनस तम कछ न सीख िाओग

बदधतव िदा होता ह उस आदमी म तरजसन अनभव भी ककया और अनभव क साथ-साथ तरजसक िास

इतनी कषमता ह कक तमह तकम यि रि स समझा भी सक वही सदगर

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमल जाए तो सभी तरवघनो को दर कर उसी क साथ

समतरतवान और परसनन होकर धीरिररष चल

दो कफर शत बतायी

समतरतवान होकर

बदधिररषो क िास भी सोया-सोया न रह नही तो कोई सार नही ह जागा-जागा रह दीया जल रहा हो

और तम झिकी लत रहो तो भी कोई फायदा नही ह दीया जला कक न जला बराबर

भरी सगराम-भरी बज रही हो और हाथी सोया रहता नीद म िड़ जाता अफीम चढ़ाए होता तो कोई

मतलब हल नही होन वाला था सोचता कक कौन उिदरव कर रहा ह नीद म

बदधिररषो क िास रहना समतरतवान होकर जाग हए होकर सजग एक शबद न चक जाए एक मदरा न

चक जाए बदध की एक झलक न चक जाए ऐसा जो जागा हआ रहगा वह सीखगा

और दसरी बात कहत ह परसननतरचतत होकर

245

उदास होकर भी मत रहना बदधो क िास कयोकक उदासी म तम तरखल न िाओग मरचछमत रह तो सन न

िाओग उदास रह तो तरखल न िाओग उतसव म रहना

अब यह तम जरा बात सनो बौदध तरभकष भी यह नही मान कक परसनन रहना बौदध तरभकषओ को दखो तो

लब चहर उदास मर-मराए--बड़ा बोझ ढो रह ह जस धमम कोई बोझ ह म तमस कहता ह धमम उतसव ह

नतय ह धमम सगीत ह धमम गीत ह रसो व सः धमम तो रस ह मल रस ह

बदध का यह वचन सनो समतरतवान और परसनन होकर

समतरतवान ताकक बदध म जो तमहारी तरफ बह रहा ह वह चक न जाए और परसनन होकर कयोकक परसनन

होकर ही तमहार पराण नाचग और तम नाचोग तो बदध क साथ हो िाओग

सार तरवघनो को दर करक साथ हो जाए

कफर कोई बाधाए न मान हजार बाधाए हो तो उनका तयाग कर द बाधाओ का कयोकक ऐस अवसर

बार-बार नही तरमलत ह

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमि न तरमल जस राजा अिन तरवतरजत राजय को छोड़कर

अकला घमता ह या जस एकल हाथी अकला जगल म घमता ह तो कफर वसा ही अकला तरवचरण कर

बदध कहत ह अगर कोई सदगर न तरमल तो अकला ही तरवचरण कर असदगर स तो बच उसस तो

अकला ठीक कोई तरमि तरमल जाए तो ठीक कोई कलयाण-तरमि--बदध न जो ठीक उियोग ककया ह शबद गर क

तरलए वह ह कलयाण-तरमि

दोनो शबद बड़ पयार ह एक तो तरमि व कहत ह कयोकक गर तरमि ह उसस बड़ा और कौन तरमि और

वह कलयाण-तरमि ह तरमि तो और भी होत ह बहत लककन अकसर अकलयाण क तरमि होत ह शराब िीन जा

रह हो तो बहत तरमि बन जात ह मास खा रह हो तो बहत तरमि आ जात ह धन-िसा ह तो बहत साथी हो

जात ह धन-िसा गया तो साथी भी गए अकलयाण म तो बहत तरमि हो जात ह--जआघर की दोसती कलयाण-

तरमि जो तमहारी शातरत म तमहारी समातरध म तमहार धयान म तरमिता बाध तरजसक सहार तम आग बढ़न

लगो जो तमह धीर-धीर तमहार िक स खीच

वह जो बढ़ा महावत ह वह कलयाण-तरमि उसन आकर बड-बाजा बजा कदया हाथी जाग िड़ा उसन

कछ भी तो नही ककया हाथी को न मारा न िीटा न हाथी को िकारा न कछ ककया तरसफम एक तरसथतरत िदा

कर दी कलयाण-तरमि का अथम होता ह जो तमहार तरलए एक िररतरसथतरत िदा कर द तरजसम तम जाग सको

नही तो अकला तरवचरण कर

अकला रहना शरि ह मखम क साथ तरमिता अचछी नही अकला तरवचर िाि न कर हतरसतराज की तरह

अनतसक होकर रह

या तो तरमिता करना तो कलयाण-तरमिता करना या तरमिता करना ही मत कफर एकल रह अकला रह

कफर ऐस ही चल जस अकला हाथी तरवचरता ह और अनतसक रह जस हाथी रासत िर चलता ह कतत भौकत

ह कफकर नही करता दखता ही नही लौटकर अिना चलता चला जाता ह

कफर अकला ही तरवचर

तरसफम एक ही खयाल रह अकल म--कयोकक अकल म िाि घरगा--इसतरलए िाि न कर बस इतना ही

समरण रख कक िाि नही करना ह ककसी को हातरन िहच ऐसा कछ भी नही करना ह अिना लाभ भी होता हो

दसर को हातरन िहचन स तो भी दसर को हातरन नही िहचानी अिना लाभ भी छोड़ दना ह बस दसर को

246

हातरन न िहच ऐस कतयो स बचता रह और अकला तरवचरता रह तो धीर-धीर यािा हो जाएगी अगर सगी-

साथी तरमल जाए कोई कलयाण-साथी तो काफी अचछा ह जलदी यािा होगी सगम हो जाएगा मागम

वदधावसथा तक शील का िालन सख ह तरसथर शरदधा का होना सख ह जञान का लाभ होना सख ह िािो

का न करना सख ह

और बदध न कहा सख एक ही ह शरदधा का होना सख ह सवय म शरदधा का होना सख ह सोचो वह बढ़ा

हाथी जब बाहर तरनकला होगा कीचड़ स तो कस महासख को न उिलबध हो गया होगा कीचड़ स तरनकलन का

ही सख नही था वह उसस भी बड़ी बात घटी थी--शायद भीड़ म ककसी को भी न कदखायी िड़ी हो भीड़ न तो

यही दखा होगा कक हाथी ककतना मसत कीचड़ स तरनकल आया इसतरलए मसत हो रहा ह

बदध कहत ह अगर गौर स दखो तो कीचड़ स तरनकलना तो गौण था हाथी को अिन िर शरदधा आ गयी

इसतरलए सखी हो रहा ह उस बात कदखायी िड़ गयी कक अर मरा ही तरवचार था जो मझ कमजोर बनाए था

म बढ़ा मान रहा था तो बढ़ा था और बड-बाज म म जवान हो गया तो जवान हो गया तो मरा तरवचार ही मरी

तरनयतरत ह म जो चाह वही हो सकता ह म जो हो गया ह मर ही तरवचारन स हो गया ह तो मरा तरवचार मरा

बल ह शरदधा लौट आयी सवय िर शरदधा सख ह

शील का िालन सख ह

शील का अथम होता ह दसर को सख तरमल ऐसा वयवहार करना िाि और शील म वही फकम ह जो

नकारातमक नीतरत और तरवधायक नीतरत म होता ह िाि का अथम होता ह दसर को दख न तरमल यह

नकारातमक यह िहला कदम कक मझस दसर को दख न तरमल इतना सध जाए तो कफर दसरा कदम शील ह

कक मझस दसर को सख तरमल

जब तम दसरो को दख न दोग तो दसर तमह दख न दग यह आधी यािा ह जब तम दसरो को सख दन

लगोग सब तरफ स सख की धाराए तमहार ऊिर बरसन लगगी महासख होगा

तो िाि स बच शील म सलगन हो शरदधा को जगाए वही शरदधा अत म जञान बन जाती ह यही महासख

ह बदध कहत ह सवय म परतरततरित हो जाना सख ह

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

सवय म परतरततरित हो जाना

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख

सवगम कही और नही ह नकम भी कही और नही ह सवगम ह अिनी शरदधा म परतरततरित हो जाना और नकम ह

अिन ऊिर शरदधा खो दना सवगम ह इस ढग स जीना कक तमहार तरफ सख की धाराए अिन आि बह

इस जगत म परतरतधवतरनया होती ह तम जो कहत हो वही तम िर लौट आता ह तम गाली दो गातरलया

लौट आती ह तम परम बाटो परम लौट आता ह इस जगत म तो परतरतधवतरन होती ह तम दख बाटो दख घना हो

जाएगा तम सख बाटो सख घना हो जाएगा जो दोग अततः वही िा लोग तम जो बोओग वही काटोग यह

छोटा सा सि ह लककन ककतना बड़ा

247

इस छोट स सि िर जीवन महाकरातरत स गजर जाता ह सवगम तमहार हाथ म ह और नकम भी तमहार हाथ

म ह--तम तरनमामता हो अगर तमन अब तक दख िाया ह तो समरण करना अिन ही कारण िाया ह दसर िर

दोरष मत दना दसर िर जो दोरष दता ह वही अधारममक जो यह सवीकार कर लता ह कक म दख िा रहा ह तो

जरर मन ही बोया होगा वही धारममक और धारममक क जीवन म तरवकास होता ह अधारममक क जीवन म

तरवकास नही होता कयोकक अधारममक सदा कहता रहता ह दसर मझ दख द रह ह इसम कस तरवकास होगा

िहली तो बात दसर तमह दख द नही रह दसरी बात दसर दख द रह ह तो अब तम कया करोग जब

तक व दना बद न कर तब तक तमहार हाथ म तो कछ नही रहा तम तो िरति हो गए और दसर बहत ह

इतन बहत ह कक जब सब तमह दख दना बद करग तब तम शायद सवति हो िाओ ऐसी घड़ी कभी आएगी

इसका भरोसा करना मतरशकल ह

बदध कहत ह तमही अिन दख क कारण हो जब तम दसरो को दख दत हो तो तम दख को तरनमिण द

रह हो और तमही अिन सख क कारण हो जब तम दसरो को सख दत हो तो तम सख को बलावा दत हो

सख चाहत हो सख दो दख चाहत हो दख दो गतरणत बहत सीधा-साफ ह

और हर जीवन क अनभव को माला बनाओ जागकर जीवन क एक-एक फल को तरिरोओ ताकक तमहार

िास जीवन-सि हाथ म आ जाए और कफर अतरतमरिण जीवन क सार फलो को तरनचोड़ लो सार-सार

तरनचोड़ लो असार को छोड़ दो वही सार बदधतव ह वही सार बोतरध ह

और जस हाथी कीचड़ स तरनकल आया तम भी तरनकल आओग चनौती सवीकार करो धनयभागी ह व

जो बदधो की चनौती को सवीकार कर लत ह

आज इतना ही

  • मतय की महामारी म खड़ा जीवन
  • जीन म जीवन ह
  • धरम क तरिरतन
  • मातरम पितरम हतवा
  • लोभ ससार ह गर स दरी ह
  • मतयबोध क बाद ही महोतसव सभव
  • सतयमव जयत
  • एकमातर साधना--सहजता
  • धयान का दीप करणा का परकाश
  • हम अनत क यातरी ह
  • जीवन का परम सतय यही अभी इसी म
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2

एस धममो सनतनो भाग 10

बानव परवचन

मतय की महामारी म खड़ा जीवन

मततासखिररचचागा िसस च तरविल सख

चज मततासख धीरो सिसस तरविल सख 241

िरदकखिदानन यो अततनो सखतरमचछतरत

वरससगगससटठो वरा सो न िररमचचतरत 242

य तरह ककचच तदितरवदध अककचच िन कतरयरतरत

उननलान िमततान तस बडढतरत आसवा 243

यसच ससमारदधा तरनचच कायगतासतरत

अककचनत न सवतरत ककचच सातचचकाररनो

सतान सिजानान अतथ गचछतरत आसवा 244

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो 245

मातर तरितर हतवा राजानो दव च सोतरतथय

वययगघिचम हतवा अनीघो यातरत बराहमणो 246

परथम दशय--

एक समय वशाली म दरभमकष हआ था और महामारी फली थी लोग कततो की मौत मर रह थ मतय का

ताडव नतय हो रहा था मतय का ऐसा तरवकराल रि तो लोगो न कभी नही दखा था न सना था सब उिाय

ककए गए थ लककन सब उिाय हार गए थ कफर कोई और मागम न दखकर तरलचछवी राजा राजगह जाकर

भगवान को वशाली लाए भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया था--मतय िर

तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह कफर जल भी बरसा था सख वकष िनः हर हए थ फल वरषो स न लग थ

कफर स लग थ कफर फल आन शर हए थ लोग अतरत परसनन थ

और भगवान न जब वशाली स तरवदा ली थी तो लोगो न महोतसव मनाया था उनक हदय आभार और

अनगरह स गदगद थ और तब ककसी तरभकष न भगवान स िछा था--यह चमतकार कस हआ भगवान न कहा था-

-तरभकषओ बात आज की नही ह बीज तो बहत िराना ह वकष जरर आज हआ ह म िवमकाल म शख नामक

बराहमण होकर परतयक बदधिररष क चतयो की िजा ककया करता था और यह जो कछ हआ ह उसी िजा क

3

तरविाक स हआ ह जो उस कदन ककया था वह तो अलि था अतयलि था लककन उसका ऐसा महान फल हआ ह

बीज तो होत भी छोट ही ह िर उनस िदा हए वकष आकाश को छन म समथम हो जात ह थोड़ा सा तयाग भी

अलिमाि तयाग भी महासख लाता ह थोड़ी सी िजा भी थोड़ा सा धयान भी जीवन म करातरत बन जाता ह और

जीवन क सार चमतकार धयान क ही चमतकार ह तब उनहोन य गाथाए कही थी--

मततासखिररचचागा िसस च तरविल सख

चज मततासख धीरो सिसस तरविल सख

िरदकखिदानन यो अततनो सखतरमचछतरत

वरससगगससटठो वरा सो न िररमचचतरत

थोड़ सख क िररतयाग स यकद अतरधक सख का लाभ कदखायी द तो धीरिररष अतरधक सख क खयाल स

अलिसख का तयाग कर द

दसरो को दख दकर जो अिन तरलए सख चाहता ह वह वर म और वर क चकर म फसा हआ वयतरि कभी

वर स मि नही होता

िहल तो इस छोटी सी कथा को ठीक स समझ ल कयोकक कथा म ही सिो क पराण तरछि हए ह

मनषय का मन ऐसा ह कक दख म ही भगवान को याद करता ह सख हो तो भगवान को भल जाता ह

और दभामगय की बात ह यह कयोकक जब तम दख म याद करत हो तो भगवान स तरमलन भी हो जाए तो भी

तमहारी बहत ऊिर गतरत नही हो िाती जयादा स जयादा दख स छट जाओग अगर सख म याद करो तो सख स

छट जाओग और महासख को उिलबध होओग जब तम दख म याद करत हो तो याद का इतना ही िररणाम हो

सकता ह कक दख स छट जाओ सख म आ जाओ लककन सख कोई गतवय थोड़ ही ह सख कोई जीवन का लकषय

थोड़ ही ह जो सखी ह व भी सखी कहा ह दखी तो दखी ह ही सखी भी सखी नही ह इसतरलए अगर सख भी

तरमल जाए तो कछ तरमला नही बहत

जो सख म याद करता ह उसकी सख स मतरि हो जाती ह वह महासख म िदािमण करता ह वह ऐस

सख म िदािमण करता ह जो शाशवत ह जो सदा ह सख तो वही जो सदा हो सख की इस िररभारषा को खब

गाठ बाधकर रख लना सख तो वही जो सदा रह जो आए और चला जाए वह तो दख का ही एक रि ह

आएगा थोड़ी दर भातरत होगी कक सख हआ चला जाएगा--और भी गहर गडढ म तरगरा जाएगा और भी दख म

िटक जाएगा

जो कषणभगर ह वह आभास ह वासततरवक नही वासततरवक तो तरमटता ही नही तरमट सकता नही जो ह

सदा ह और सदा रहगा जो नही ह वह कभी भासता ह कक ह और कभी तरतरोतरहत हो जाता ह जस दर

मरसथल म तमह जल-सरोवर कदखायी िड़ अगर ह तो तम उसक िास भी िहच जाओ तो भी ह तम उसस

जल िी लो तो भी ह तम उसस दर भी चल जाओ तो भी ह लककन अगर मगमरीतरचका ह अगर तरसफम कदखायी

िड़ रहा ह अगर तरसफम तमहार पयास क कारण तमन ही कलिना कर ली ह तो जस-जस िास िहचोग वस-वस

जल का सरोवर तरतरोतरहत होन लगगा जब तम ठीक उस जगह िहच जाओग जहा जल-सरोवर कदखायी िड़ता

था तब तम अचानक िाओग रत क ढरो क अतरतररि और कछ भी नही ह तमहारी पयास न ही सिना दख

तरलया था

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पयास सिन िदा करती ह अगर तमन कदन म उिवास ककया ह तो रात तम सिना दखोग भोजन करन

का भख न सिना िदा कर कदया अगर तमहारी कामवासना अतपत ह तो रात तम सिन दखोग कामवासना क

तपत करन क कषधा न सिना िदा कर कदया गरीब धन क सिन दखता ह अमीर सवतिता क सिन दखता ह

जो हमार िास नही ह उसका हम सिना दखत ह और अगर हमारी कषधा इतनी बढ़ जाए पयास इतनी बढ़

जाए कक हमारा िरा मन आचछाकदत हो जाए उसी पयास स तो कफर हम भीतर ही नही दखत आख बद करक

ही नही दखत खली आख भी सिना कदखायी िड़न लगता ह वही मगमरीतरचका ह तब तमहारा सिना इतना

परबल हो गया कक तम सतय को झठला दत हो और उसक ऊिर सिन को आरोतरित कर लत हो

हम सबको ऐसा अनभव ह हमन चाह समझा हो चाह न समझा हो जो नही ह उसको भी हम दख लत

ह ककसी सतरी स तमहारा परम ह तमह उसकी कषधा ह तमह उसकी पयास ह उस सतरी को तमस कछ लना-दना

नही ह लककन तम उसकी भाव-भतरगमा म उसक उठन-बठन म दख लोग इशारा कक उसको तमस परम ह वह

तमस अगर हसकर भी बोल लगी--हसकर वह सभी स बोलती होगी--अगर वह तमह कभी घर चाय तरिलान क

तरलए बला लगी तो तम समझोग कक उस परम ह तम इस छोटी सी बात िर अिनी िरी वासना को आरोतरित

कर दोग राह िर रककर तमस बात कर लगी तो तम समझोग कक उसको भी मरी आकाकषा ह

हम परतरतिल ऐसा करत ह जो नही ह उसको दख लत ह कयोकक हम चाहत ह कक वह हो जो ह उसको

झठला दत ह कयोकक हम चाहत नही कक वह हो ऐस हम जीवन को झठ करक जीत ह कषणभर को कदख भी

जाए इसस कछ फकम न िड़गा सिना तो टटगा सिनो म सख कहा सख तो शाशवतता म ह

इसतरलए बदध कहत ह--एस धममो सनतनो जो सदा रह वही धमम ह सनातन धमम का सवभाव ह

वशाली म दरभमकष हआ वशाली क िास ही राजगह म भगवान ठहर ह लककन जब तक दखी न थ लोग

तब तक उनह तरनमतरित न ककया था

य कथाए तो परतीक-कथाए ह यही तो हमारी दशा ह जब सब ठीक चलता होता कौन मकदर जाता

कौन िजा करता कौन परभ को समरण करता जब तम जीत रह होत तब तो िरमातमा की याद भल जाती ह

जब तम हारन लगत तब तम साध-सतसग खोजत जब जीवन म तरवरषाद िकड़ता जब तमहार ककए कछ भी

नही होता तब तम कोई सहारा खोजत तब तम राम-राम जित तब तम माला िकड़त तब तम धयान म

बठत और खयाल रह दख म धयान करना बहत करठन ह दख बड़ा वयाघात ह दख बड़ा तरवघन ह सख म धयान

करना सरल ह लककन सख म कोई धयान करता नही

सख की तरग िर अगर तम धयान म जड़ जाओ--मन सख स भरा ह मन परफतरललत ह मन ताजा ह यवा

ह--इस उतसाह क कषण को अगर तम धयान म लगा दो तो जो धयान वरषो म िरा न होगा वह कषणो म िरा हो

सकता ह

इसतरलए मरी अतरनवायम तरशकषा यही ह कक जब सख का कषण हो तब तो चकना ही मत तब तो सख क

कषण को धयान क तरलए समरिमत कर दना तब भगवान को याद कर लना वह याद बड़ी गहरी जाएगी वह

तमहार अतसतल को छ लगी वह तमहार पराणो की गहराई म परतरततरित हो जाएगी तम मकदर बन जाओग

जब तमहारी आख आस स भरी ह तब तम भगवान को बलात हो दवार तो अवरदध ह जब तमहार ओठ

मसकराहट स भर ह तब बलाओ तब दवार खल ह तब उस मसकराहट क सहार तमहार परभ का समरण तमहारी

आतमा तक को रिातररत करन म सफल हो जाएगा सख म करो याद जो दख म करत ह दख स राहत तरमल

5

जाती ह परभ की समतरत ह राहत तो दगी लककन जो सख म याद करत ह व मि हो जात ह इस बात को

खयाल म रखना

वशाली म िड़ा दरभमकष बड़ी महामारी फली लोग कततो की मौत मरन लग तब घबड़ाए मतय का

ताडव नतय ऐसा कभी दखा न था सना भी न था इतरतहास म वरणमत भी न था सब उिाय ककए

खयाल रखना आदमी िहल और सब उिाय कर लता ह िरमातमा अतरतम उिाय ह और तरजसको तम

अतरतम उिाय मानत हो वही परथम ह लककन तम उस कय म आतरखर म खड़ा करत हो तम िहल और सब

उिाय कर लत हो जब तमहारा कोई उिाय नही जीतता तब तम िरमातमा की तरफ झकत हो थक-हार इस

तरवचार स कक शायद अब और तो कही होता नही शायद हो जाए यह आसथा नही ह--आसथावान तो िहल

िरमातमा की तरफ झकता ह--यह अनासथा ह िहल तम जाओग उस कदशा म तरजसम तमहारी आसथा ह

समझो कक बीमार िड़ तो तम िहल होतरमयोिथ क िास नही जाओग िहल एलोिथ क िास जाओग

उसम तमहारी आसथा ह कफर अगर एलोिथ न जीत सका तो तम आयवद क िास जाओग उसम तमहारी

थोड़ी सी डगमगाती आसथा ह--िराना ससकार ह कफर वह भी न जीता तो तम शायद होतरमयोिथ क िास

जाओ अब तम सोचत हो शायद होतरमयोिथ भी न जीत तो कफर तम शायद नचरोिथ क िास जाओ और

जब सब िथी हार जाए तो शायद तम िरमातमा का समरण करो तम कहो अब तो कोई सहारा नही अब तो

बसहारा ह अत म तम याद करत हो अत म याद करत हो यही बताता ह कक तमहारी कोई आसथा नही

अनयथा िहल तम िरमातमा की याद ककए होत िहला मौका तम उसको दत हो तरजसम तमहारी आसथा ह

िरमातमा आतरखर म हमन रख छोड़ा ह

वशाली क लोग हमस कछ तरभनन न थ ठीक हम जस लोग थ ऐसी घटना कभी घटी या नही घटी इसकी

कफकर म मत िड़ना वशाली क लोग हम जस लोग थ इसीतरलए तो लोग बढ़ाि म िरमातमा का समरण करत

ह जवानी म नही तब तो सब ठीक चलता मालम िड़ता ह नाव बहती मालम िड़ती ह दसरा ककनारा बहत

दर नही मालम िड़ता िरो म बल होता ह अिन अहकार िर भरोसा होता ह कर लग खद जझन की तरहममत

होती ह कफर धीर-धीर िर कमजोर हो जात ह नाव टटन-फटन लगती ह दसरा ककनारा दर होन लगता ह

लगता ह मझधार म ही डबकर मरना ह अिन िर अब भरोसा नही रह जाता अिन सब ककए उिाय वयथम होन

लगत ह तब आदमी भगवान की समतरत करता ह तब सोचता ह शायद

िर खयाल रखना तरजसन अत म भगवान को मौका कदया ह उसक भीतर शायद तो मौजद रहगा ही अत

म मौका दन का मतलब ही ह कक तमहारा भगवतता म तरवशवास नही ह

य वशाली क लोग दरभमकष फला होगा महामारी फली होगी सब उिाय ककए होग तरचककतसा-वयवसथा

की होगी लककन कछ भी रासता न तरमला लोग कततो की मौत मर रह थ यह कततो की मौत शबद मझ बहत

ठीक लगा

गरतरजएफ तरनरतर अिन तरशषयो स कहा करता था कक तरजस वयतरि न धयान नही ककया वह कतत की मौत

मरगा ककसी न उसस िछा कतत की मौत का कया अथम होता ह तो गरतरजएफ न कहा कतत की मौत का अथम

यह होता ह कक वयथम जीआ और वयथम मरा दतकार खायी जगह-जगह स भगाया गया जहा गया वही दतकारा

गया रासत िर िड़ी जठन स जजदगी गजारी कड़-करकट िर बठा और सोया और ऐस ही आया और ऐस ही

वयथम चला गया न जजदगी म कछ िाया न मौत म कछ दशमन हआ--कतत की मौत

6

लककन हम लगता ह कक कभी-कभी कोई कतत की मौत मरता ह बात उलटी ह कभी-कभी कोई मरता

ह तरजसकी कतत की मौत नही होती अतरधक लोग कतत की मौत ही मरत ह हजार म एकाध मरता ह तरजसकी

मौत को तम कहोग कतत की मौत नही ह जो जीआ तरजसन जाना तरजसन जागकर अनभव ककया तरजसन जीवन

को िहचाना तरजसन जीवन की ककरण िकड़ी और जीवन क सरोत की तरफ आख उठायी जो धयानसथ हआ

वही कतत की मौत नही मरता

कफर हम बड़ बचन हो जात ह--महामारी फल जाए लोग मरन लग तो हम बड़ बचन हो जात ह और

एक बात िर हम कभी धयान ही नही दत कक सभी को मरना ह--महामारी फल कक न फल इस जगत म सौ

परतरतशत लोग मरत ह खयाल ककया ऐसा नही कक तरननयानब परतरतशत लोग मरत ह कक अटठानब परतरतशत लोग

मरत ह कक अमरीका म कम मरत ह और भारत म जयादा मरत ह यहा सौ परतरतशत लोग मरत ह--तरजतन बचच

िदा होत ह उतन ही आदमी यहा मरत ह महामारी तो फली ही हई ह महामारी का और कया अथम होता ह

जहा बचन का ककसी का भी कोई उिाय नही जहा कोई औरषतरध काम न आएगी साधारण बीमारी को हम

कहत ह--जहा औरषतरध काम आ जाए तो उसको कहत ह बीमारी रोग महामारी कहत ह जहा कोई औरषतरध

काम न आए जहा हमार सब उिाय टट जाए और मतय अततः जीत महामारी तो फली हई ह सदा स फली

हई ह इस िथवी िर हम मरघट म ही खड़ ह यहा मरन क अतरतररि और कछ होन वाला नही ह दर-अबर

घटना घटगी थोड़ समय का अतर होगा

वशाली क लोगो न यह कभी न दखा था कक सभी लोग मरत ह सभी को मरना ह अगर यह दखा होता

तो भगवान को िहल बला लाए होत कक हम कछ जीवन क सि द द कोई सोिान द कक हम भी जान सक

अमत कया ह लककन नही गए कयोकक महामारी फली नही थी

आदमी न कछ ऐसी वयवसथा की ह कक मौत कदखायी नही िड़ती जो सवामतरधक महतविणम ह वह कदखायी

नही िड़ती और जो वयथम की बात ह खब कदखायी िड़ती ह तम एक कार को खरीदत हो तो तरजतना सोचत

हो तरजतनी रात सोत नही तरजतनी कटलाग दखत हो तम एक मकान खरीदत हो तो तरजतनी खोजबीन करत

हो तम एक तरसनमागह म जात हो तो तरजतना तरवचार करत हो अखबार उठाकर कक कहा जाना कौन सी

कफलम दखनी तम जीवन क सबध म इतना भी नही सोचत तम यह भी नही दखत कक यह जीवन हाथ स बहा

जा रहा ह और मौत रोज िास आयी चली जा रही ह मौत दवार िर खड़ी ह कब ल जाएगी कहा नही जा

सकता हमन इस तरह स झठलाया ह मौत को कक तरजसका तरहसाब नही

मरी एक ककताब ह--अनरटल य डाय जब तक तम मरो नही इगलड म एक परकाशक उस छािना चाहता

ह--शलटन परस उनका िि मझ तरमला तो म चककत हआ उनहोन तरलखा ककताब अदभत ह हम इस छािना

चाहत ह इगलड म लककन नाम हम यह नही रख सकत अनरटल य डाय यह तो इसका शीरषमक दखकर ही लोग

इस खरीदग नही लोग मौत स इतना डरत ह ऐसी ककताब कौन खरीदगा तरजसक ऊिर यह तरलखा हो--अनरटल

य डाय नाम यह हम नही रख सकत ह नाम हम बदलना िड़गा उनहोन तरलखा

सचक ह बात हम मौत की बात ही कहा करत ह कोई मर जाता ह तो कहत ह दहावसान हो गया

तरछिात ह कोई मर गया तो कहत ह सवगमवासी हो गए चाह नरक ही गए हो सौ म स तरननयानब नरक ही जा

रह होग जसा जीवन कदखता ह उसम शायद ही कोई कभी सवगमवासी होता हो लककन यहा जो भी मर जहा

भी मर--कदलली म भी मरो--तो भी सवगमवासी बस मर कक सवगमवासी हो गए कक िरमातमा क पयार हो गए

कक परभ न उठा तरलया मौत शबद का सीधा उियोग करन म भी हम घबड़ात ह कयो

7

मौत शबद स बचनी होती ह मौत शबद म अिनी मौत की खबर तरमलती ह धन तरमलती ह मौत शबद

हम याद कदलाता ह कक मझ भी मरना होगा दहावसान म ऐसी धन नही तरमलती सवगीय म ऐसा भाव नही

िदा होता ह कक चलो ककसी कदन हम भी सवगीय हो जाएग कोई बात नही सवगम तरमलगा मौत बहत सिषट

कह दती ह बात को सवगीय म बहत तरछिाकर बात कही गयी ह जहर को तरछिा कदया तरमठास म ऊिर एक

शककर की ितम लगा दी

मरघट को दखत हो सारी दतरनया म कोई जातरत हो कोई धमम हो कोई दश हो गाव क बाहर बनात ह

और मौत खड़ी ह जजदगी क बीच म ठीक जहा तमहारा बाजार ह एमजी रोड िर वहा होना चातरहए मरघट

ठीक बीच बाजार म ताकक तरजतनी बार तम बाजार जाओ--सबजी खरीदो कक किड़ा खरीदो कक तरसनमा-गह

जाओ--हर बार तमह मौत स साकषातकार हो हर बार तम दखो कक कोई तरचता जल रही ह हर बार तम दखो

कक कफर कोई अथी आ गयी बीच बाजार म होना चातरहए मरघट कयोकक जजदगी क बीच म खड़ी ह मौत उस

हम बाहर हटाकर रखत ह--दर गाव क जहा हम जाना नही िड़ता या कभी-कभी ककसी क साथ जाना िड़ता

ह अथी म तो बड़ बमन स चल जात ह और जलदी स भागत ह वहा स जाना वही िड़गा जहा स तम भाग-

भाग आत हो जस तम दसरो को िहचा आए वस दसर तमह िहचा आएग--ठीक ऐस ही

म छोटा था--तो जसा सभी घरो म होता ह--कभी कोई मर जाए तो मरी मा मझ जलदी स अदर बलाकर

दरवाजा बद कर लती चलो अदर चलो अदर चलो म िछता बात कया ह वह कहती अदर चलो बात कछ

भी नही ह मरी उतसकता बढ़ी सवाभातरवक था कक बात कया ह जब भी कोई हडी तरलए तरनकलता बाजा-बड

बजता मझ अदर बला तरलया जाता दरवाजा बद कर कदया जाता--मौत कदखायी नही िड़नी चातरहए बचचो को

अभी स इतनी खतरनाक बात कदखायी िड़ कही जीवन म हताश न हो जाए मगर मरी मा का दरवाज को बद

करना मर तरलए बड़ा कारगर हो गया वह एक दरवाज को बद करती म दसर स नदारद हो जाता म धीर-धीर

जो भी गाव म मरता उसी क साथ मरघट जान लगा कफर तो गाव म तरजतन आदमी मर म सतरनतरित था लोग

मझ िहचानन भी लग कक वह लड़का आया कक नही कोई भी मर इसकी कफर मझ कफकर ही नही रही कक

कौन मरता ह इसस कया फकम िड़ता ह कफर म जान ही लगा हर आदमी की मौत िर मरघट जान लगा और

धीर-धीर बात यह मझ खयाल म उस समय स आन लगी कक मरघट को गाव क बाहर तरछिाकर कयो बनाया ह

दीवाल उठा दी ह सब तरफ स तरछिा कदया ह कही स कदखायी न िड़

एक मयतरनतरसिल कमटी म तरवचार ककया जा रहा था मरघट क चारो तरफ बड़ी दीवाल उठान का सब

िकष म थ एक झककी सा आदमी खड़ा हआ और उसन कहा कक नही इसका कया सार कयोकक जो वहा दफना

कदए गए ह व तरनकलकर बाहर नही आ सकत और जो बाहर ह व अिन आि भीतर जाना नही चाहत

इसतरलए दीवाल की जररत कया

मगर दीवाल का परयोजन दसरा ह उसका परयोजन ह जो बाहर ह उनको कदखायी न िड़ कक जीवन का

सतय कया ह जीवन का सतय ह मतय जीवन महामारी ह कयोकक जीवन सभी को मार डालता ह इसका कोई

इलाज नही ह

तमन कभी सोचा जीवन का कोई इलाज ह टीबी का इलाज ह क सर का भी इलाज हो जाएगा अगर

नही ह तो मगर जीवन का कोई इलाज ह और जीवन सभी को मार डालता ह तमन दखा सौ परतरतशत मार

डालता ह जो जीतरवत हआ वह मरगा ही जीवन का कोई भी इलाज नही ह जीवन महामारी ह

8

लककन वशाली क लोगो को िता नही था--जसा तमको िता नही ह जसा ककसी को िता नही ह--हम

महामारी क बीच ही िदा होत ह कयोकक हम मरणधमाम दो वयतरियो क सयोग स िदा होत ह हम मौत क

बीच ही िदा होत ह हम मौत क नतय की छाया म ही िदा होत ह हम मौत की छाया म ही िलत और बड़

होत ह और एक कदन हम मौत की ही दतरनया म वािस लौट जात ह--तरमटटी तरमटटी म तरगर जाती ह हम

महामारी म ही जी रह ह तरजस यह कदख जाता ह उसक जीवन म करातरत का सििात होता ह

वशाली म दरभमकष हआ तब लोगो को याद आयी महामारी फली तब याद आयी सब उिाय कर तरलए

सब उिाय हार गए तब याद आयी कफर उनहोन अिन राजा को राजी ककया होगा कक अब आि जाए भगवान

राजगह म ठहर ह उनह बला लाए शायद शायद उनकी मौजदगी और चीज बदल जाए

खयाल रखना कक तम चाह शायद ही भगवान को बलाओ तो भी चीज बदल जाती ह कभी-कभी तम

सयोगवशात ही याद करो तो भी िररवतमन हो जाता ह तमहारी आसथा अगर होती ह तब तो बड़ा गहरा

िररवतमन हो जाता ह तम अगर कभी सदह स भर हए भी याद कर लत हो तो तमहार सदह को भी तरहलाकर

िररणाम होत ह तमहारा सदह बाधा तो बनता ह लककन तरबलकल ही रोक नही िाता कछ न कछ हो ही जाता

ह िरा सागर तरमल सकता था अगर आसथा होती अब िरा सागर शायद न तरमल मगर छोटा-मोटा झरना तो

फट ही िड़ता ह तमहार सदह को तोड़कर भी भगवान फट िड़ता ह इसतरलए जो न बला सकत हो आसथा स

कोई कफकर नही शायद-भाव स ही बलाए मगर बलाए तो जो न बला सकत हो सख म कोई कफकर नही

दख म ही बलाए मगर बलाए तो आज दख म बलाया कल शायद सख म भी बलाएग

राजा गया राजगह जाकर भगवान को वशाली तरलवा आया भगवान न एक बार भी न कहा कक अब

आए बड़ी दर करक आए और म तो तरनरतर यही कहता रहा ह कक जीवन दख ह और जीवन मतय ह और सब

कषणभगर ह और सब जा रहा ह तमन कभी न सना मरी नही सनी महामारी की सन ली

कभी-कभी ऐसा होता ह शरितम िकार हम नही सनत तरनकषट की िकार हम समझ म आ जाती ह

कयोकक हम तरनकषट ह हमारी भारषा तरनकषट की भारषा ह बदध बीच म खड़ होकर हम िकार तो शायद हम न

सन कदवाला तरनकल जाए और हमारी समझ म आ जाए ितनी मर जाए और हमारी समझ म आ जाए जए म

हार जाए और हमारी समझ म आ जाए और बदध िकारत रह और हमारी समझ म न आए हमारी एक दतरनया

ह कीड़-मकोड़ो की दतरनया ह जमीन िर सरकती हई दतरनया ह हम आकाश म उड़त नही आकाश की भारषा

हमारी िकड़ म नही आती

लककन बदध न इनकार न ककया उनहोन कहा चलो ककसी बहान सही मझ याद ककया चलो महामारी

इनको एक सदश ल आयी कक अब भगवान की जररत ह चलो इसका भी उियोग कर ल

भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया

ऐसा हआ या नही इसकी कफकर म मत िड़ना य बात कछ भीतर की ह बाहर हआ हो तो ठीक न हआ

हो तो ठीक लककन भगवान की उितरसथतरत म मतय का नतय शात हो ही जाता ह तम अिन हदय की वशाली म

भगवान को बलाओ इधर भगवान का परवश हआ उधर तम िाओग मौत बाहर तरनकलन लगी यह ह अथम

बौदध शासतरो म भी ऐसा अथम नही तरलखा ह व यही मानकर चलत ह कक यह तथयगत बात ह म नही

मानता कक यह तथयगत बात ह यह बड़ी महतविणम बात ह--ततवगत ह तथयगत नही इसम ततव तो बहत ह

लककन इसको फकट और तथय मानकर मत चलना अनयथा वयथम क तरववाद िदा होत ह कक ऐसा कस हो सकता

9

ह महामारी कस दर हो जाएगी और कस दर होगी बदध को खद भी तो एक कदन मरना िड़ा यह शरीर तो

जाता ही ह बदध का हो तो भी जाता ह बदध जस पयार आदमी का शरीर हो तो भी जाता ह

तो मौत बदध की मौजदगी म हट गयी हो वशाली स ऐसा तो लगता नही लककन ककसी और गहर तल

िर बात सच ह जब भी कोई वयतरि भगवान को बला ल आता ह अिन हदय म तो मौत हट जाती ह तमह

िहली दफा अमत की परतीतरत होनी शर होती ह भगवान की मौजदगी म तमहार भीतर िहली दफ व सवर

उठत ह जो शाशवत क ह एस धममो सनतनो तमह एक दतरषट का नया आयाम खलता हआ मालम िड़ता ह

हमन दह क साथ अिन को एक समझ तरलया ह तो हम मरणधमाम हो गए ह हम भल ही गए ह कक हम

दह नही ह--दह म जरर ह हम समरण नही रहा ह कक हम तरमटटी क दीए नही ह तरमटटी क दीए म जलती हई

जो तरचनमय जयोतरत ह वही ह तमहार भीतर जो जागरण ह होश ह चतनय ह वही तम हो दह तो मकदर ह

तमहारा दवता भीतर तरवराजमान ह और दवता मकदर नही ह दवता क हटत ही मकदर कचरा हो जाएगा यह

भी सच ह मगर दवता क रहत मकदर मकदर ह जस ही तमहारी अतदमतरषट बदलती ह तमह अिन साकषीभाव का

समरण आता ह वस ही अमत का परवश होता ह

तो म तो इसका ऐसा अथम करता ह--ततवगत तथयगत मझ जचता नही ह म कोई ऐतरतहातरसक नही ह

और मर मन म तथयो का कोई बड़ा मलय नही ह म तथयो को हमशा ततवो की सवा म लगा दता ह

भगवान की उितरसथतरत म मतय का नगा नतय धीर-धीर शात हो गया था

हो ही जाना चातरहए हो ही जाता ह जस ही याद आनी शर होती ह कक म आतमा ह कक म िरमातमा

ह कक मर भीतर कदवय जयोतरत जल रही ह वस ही दह की बात समापत हो गयी कफर जो तमहार मा-बाि स

िदा हए तम वह तम न रह तादातमय टट गया तम तो वह हो गए जो सदा स हो तमहार मा-बाि भी न थ

तब भी तम थ तमहारी दह तरमटटी म तरगर जाएगी कफर भी तम रहोग उसकी जरा सी याद आती ह सब बदल

जाता ह

मतय िर तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह

और तरजसको अमत की उिलतरबध हो गयी ह उसकी मौजदगी म यह सरलता स घट जाता ह इसतरलए

सतसग का बड़ा मलय ह महामारी तो सभी नगररयो म फली ह सभी नगररया वशाली ह तम भी छोट-मोट

नही हो तम भी एक बड़ नगर हो एक-एक वयतरि एक-एक नगर ह

हमार िास जो शबद ह िररष वह बहत बहमलय ह िररष उसी स बना ह तरजसस िर--नगर िररष का

मतलब होता ह तम एक िर नगर हो और तमहार नगर म तरछिा हआ बसा हआ मातरलक ह--िररष

वजञातरनको स िछो तो व कहत ह एक शरीर म कम स कम सात करोड़ जीवाण ह सात करोड़ बबई

छोटी नगरी ह बबई स समझो कक चौदह गना जयादा एक शरीर म सात करोड़ जीवाण ह सात करोड़ जीवन

उन सबक बीच म तम बस हो नगर तो हो ही वशाली छोटी रही होगी और इस नगर म जलदी ही मौत आन

वाली ह महामारी आन वाली ह उसक कदम तमहारी तरफ िड़ ही रह ह इस बीच अगर तमह कभी भी कही

भी भगवतता का साथ तरमल जाए ककसी भी ऐस वयतरि का साथ तरमल जाए तरजसक भीतर घटना घट गयी हो तो

उसकी मौजदगी तमह तमहारी गतम स उठान लगगी--तरसफम मौजदगी

सतसग का अरथ होता ह गर कछ करता नही--करन का यहा कछ ह भी नही ककया कछ जा भी नही

सकता--लककन उसकी मौजदगी तरसफम उसकी उितरसथतरत उसकी तरग तमह सोत स जगान लगती ह तमन दखा

न कोई नाचता हो तमहार िर म थाि िड़न लगती ह कोई हसता हो तमहार भीतर हसी फटन लगती ह

10

कोई उदास हो तमहार भीतर उदासी घनी हो जाती ह दस आदमी उदास बठ हो तम जब आए थ तो बड़

परसनन थ उनक िास बठ जाओग उदास हो जाओग तम बड़ उदास थ दस आदमी बड़ तरखलतरखलाकर हसत थ

गिशि करत थ तम आए तम अिनी उदासी भल गए तम भी हसन लग ककसी जागरक िररष क सतसग म

जो उसक भीतर घटा ह वह तमहार भीतर तरतरगत होन लगता ह हम अलग-अलग नही ह हम एक-दसर स

जड़ ह हमार तत एक-दसर स गथ ह अगर तम ककसी भी वयतरि क साथ हो जाओ तो जसा वह वयतरि ह वस

तम होन लगोग

इसतरलए अिन स छोट वयतरियो का साथ मत खोजना--अकसर हम खोजत ह कयोकक अिन स छोट क

साथ एक मजा ह कयोकक हम बड़ मालम होत ह अिन स छोट क साथ एक रस ह अहकार की ततरपत तरमलती

ह दतरनया म लोग अिन स छोट का साथ खोजत रहत ह अिन स बड़ क साथ तो अड़चन होती ह

तमन सना न ऊट जब तरहमालय क िास िहचा तो उस बड़ा दख हआ उसन तरहमालय की तरफ दखा ही

नही वह रासता बदलकर वािस अिन मरसथल म लौट आया ऊट को तरहमालय क िास बड़ी िीड़ा होती ह

कयोकक ऊट को िहली दफा िता चलता ह कक अर म कछ भी नही ह ऊट को तो रतरगसतान जमता ह जहा वह

सब कछ ह सबस ऊची चीज ह

अकसर यह होता ह यह मन की एक बहत बतरनयादी परककरया ह कक हम अिन स छोट को खोज लत ह

यह रोज होता ह सब कदशाओ म होता ह राजनता अिन स छोट छटभइयो को खोज लत ह अिन स छोट

लोगो िर ही अिन अहकार को बसाया जा सकता ह और कोई उिाय नही ह

सतसग का अथम ह अिन स बड़ को खोजना वह मन की परककरया क तरविरीत जाना ह वह ऊधवमगमन ह

वह मन का तरनयम तोड़ना ह कयोकक अगर अिन स छोट को खोजा तो तमहारा अहकार मजबत होगा अिन स

बड़ को खोजा तो तमहारा अहकार तरवसरजमत होगा अिन स बड़ को खोजा तो उसकी दर जाती हई ककरण तमह

भी दर ल जान लगगी उसक भीतर हआ परकाश तमहार भीतर सोए परकाश को भी तरतलतरमला दगा उसकी चोट

तमह जगाएगी--तरसफम मौजदगी

सतसग अनठा शबद ह दतरनया की ककसी भारषा म ऐसा कोई शबद नही ह कयोकक दतरनया म कभी इस

बात को ठीक स खोजा ही नही गया ह जसा हमन इस दश म खोजा सतसग अनठा शबद ह इसका मतलब ह

तरसफम उसक साथ हो जाना तरजस सतय तरमल गया हो तरसरफ उसक िास हो जाना बठ जाना--चाह चि बठ रहो

तो भी चलगा--उसक सग-साथ हो लना उसक और अिन बीच की दीवाल तरगरा दना अिन ऊिर कोई रकषा

का इतजाम न करना अिन हदय को खोल दना कक अब जो हो हो उसकी तरगो को अिन भीतर आन दना

उसकी सवरलहरी को गजन दना धीर-धीर तम उसम डबकी लगा लोग उसको अमत तरमला ह तमह भी अमत

की तरफ िहल-िहल अनभव आन शर हो जाएग झरोखा खलगा

मतय िर तो अमत की ही तरवजय हो सकती ह कफर जल भी बरसा कफर वकषो म ितत आए कफर फल

तरखल जहा फल तरखलन बद हो गए थ जहा जीवन सखा जा रहा था वहा नए िललव लग

एक जीवन ह बाहर का और एक जीवन ह भीतर का सतसग की वरषाम हो जाए तो भीतर क जीवन म

फल आन शर होत ह व ही फल वासततरवक फल ह कयोकक व रटक ग उनकी सगध सदा रहगी सबह तरखल

साझ मझाम गए ऐस फल नही तरखल तो तरखल कफर मझामत नही

इस कथा को दोनो तल िर समझना

11

लोग अतरत परसनन थ और भगवान न जब वशाली स तरवदा ली तो लोगो न महोतसव मनाया था उनक

हदय आभार और अनगरह स गदगद थ और तब ककसी तरभकष न भगवान स िछा--यह चमतकार कस हआ लोगो

का दख तरमट गया ह लोग शात हए ह लोगो की मतय स दतरषट हट गयी महामारी तरवदा हो गयी सख वकषो िर

ितत आ गए ह तरजनहोन कभी जीवन का रस न जाना था उनम जीवन की रसधार बही यह चमतकार कस हआ

लोग अतरत परसनन थ यदयतरि और बहत कछ हो सकता था लककन दख म िकारो तो इतना ही हो सकता

ह इसस जयादा हो सकता था अगर सख म िकारत जब दखी थ तो भगवान को ल आए थ जब सखी हो गए

तो रोकना न चाहा तब रोक लना था कहत कक अब कहा जात ह अब तो न जान दग तरजसस दख म इतना

तरमला था काश उस रोक लत सख म भी तो कफर सब कछ तरमल जाता लककन सोचा होगा बात तो िरी हो

गयी अब कयो रोकना अब कया परयोजन सख आया कक कफर हम कफर भलन लगत ह कफर हम तरवदा दत ह

हम कहत ह अब जब जररत होगी तब कफर याद कर लग हम भगवान का भी उियोग करत ह और यह

भगवान का उियोग बड़ा छोटा ह यह तो ऐस ही ह जस कोई तलवार स एक चीटी को मार चीटी को मारन

क तरलए तलवार की कया जररत ह

भगवान की मौजदगी स तरसफम दख तरमट तो यह तमन तलवार का उियोग चीटी मारन क तरलए ककया

चीटी तो तरबना ही तलवार क मारी जा सकती थी

यहा मरी दतरषट तमह समझा दना चाहता ह इसतरलए म तरवजञान का िकषिाती ह म कहता ह यह काम तो

तरवजञान स हो सकता ह इसक तरलए धमम की कोई जररत नही बीमारी तो तरवजञान स दर हो सकती ह दररदरता

तो तरवजञान स दर हो सकती ह तरवतरकषपतता तो तरवजञान स दर हो सकती ह दह की और मन की आतरधया और

वयातरधया तो तरवजञान स दर हो सकती ह इसक तरलए धमम की कोई जररत नही ह धमम की तो तब जररत ह जब

तरवजञान अिना काम िरा कर चका तम सब भातरत सखी हो अब महासख चातरहए इसतरलए म तरवजञान का

िकषिाती ह तो म मानता ह तरवजञान का कछ काम ह

मर िास लोग आ जात ह व कहत ह कक लड़क को नौकरी नही तरमलती कक ितनी बीमार ह कक बटी को

वर नही तरमल रहा ह आि कछ कर म कहता ह कक इन बातो का इतजाम तम खद ही कर ल सकत हो कर ही

लोग कछ न कछ हो ही जाएगा इन बातो क तरलए मर िास मत आओ कछ और बड़ा नही खोजना ह कछ

और तरवराट की कदशा म यािा नही करनी ह

गाव क लोग परसनन थ अतरत परसनन थ बहत छोटा ही िाया था शरआत ही हई थी यािा की लककन बदध

को उनहोन रोका नही

बदध क तरभकषओ न िछा होगा ककसी न राह म जात वि--यह चमतकार कस हआ भगवान न कहा--

तरभकषओ बात आज की नही ह

बदध बड़ वजञातरनक ह वह परतयक चीज कीशखला जोड़त ह तरवजञान का अथम होता ह कायम-कारण का

तरनयम अगर वकष ह तो बीज रहा होगा अगर बीज था तो िहल भी वकष रहा होगा अगर वकष था तो उसक

भी िहल बीज रहा होगा एक चीज स दसरी चीज िदा होती ह सब चीज सयि ह कायम-कारण का जाल

फला हआ ह यहा अकारण कछ भी नही होता सब सकारण ह बदध का इस िर बहत जोर था इस सकारण

होन की धारणा का ही नाम कममवाद ह

12

तो बदध स जब भी कोई कछ िछता ह तब वह ततकषणशखला की बात करत ह व कहत ह ककसी कतय को

आणतरवक रि स मत लना एटातरमक मत लना कोई कतय अिन म िरा नही ह उस कतय का जोड़ कही िीछ ह

और कही आग भी

तो बदध न कहा--बात आज की नही ह बीज बहत िराना ह वकष जरर आज हआ ह

जब भी बदध क तरशषय उनस िछत ह उनक सबध म कोई बात वह उनह अिन अतीत जीवनो म ल जात

ह वह बड़ी गहरी खोज करत ह कक कहा स यह सबध जड़ा होगा कस यह घटना शर हई होगी बीज स ही

शरआत करो तो ही वकष को समझा जा सकता ह कारण को ठीक स समझ लो तो कायम समझा जा सकता ह

सकषम को ठीक स समझ लो तो सथल समझा जा सकता ह कयोकक सार सथल की परककरयाए सकषम म तरछिी ह

वकष जरर आज हआ ह बदध न कहा म िवमकाल म शख नामक बराहमण होकर परतयक बदधिररष क चतयो

की िजा ककया करता था

परतयक बदधिररष की ऐसा कोई तरहसाब न रखता था कक कौन जन कौन जहद कौन अिना कौन िराया

कौन शरमण कौन बराहमण ऐसी कोई जचता न रखता था जो भी जाग गए ह उन सभी की िजा करता था गाव

म तरजतन मकदर थ सभी िर फल चढ़ा आता था ऐसी तरनषिकष भाव स मरी िजा थी कछ बहत बड़ा काम न

था लककन बदध न कहा उसका ही जो बीज मर भीतर िड़ा रहा उसस ही चमतकार हआ ह वह जो तरनषिकष

भाव स िजा की थी वह जो तरनषकिट भाव स िजा की थी अिना-िराया न दखा था वही बीज तरखलकर आज

इस जगह िहच गया ह कक म अमत को उिलबध हआ ह और तरजनका मझस साथ हो जाता ह जो मझ ककसी

भी कारण िकार लत ह अिन िास उनको भी अमत की झलक तरमलन लगती ह उनक जीवन स भी मतय तरवदा

होन लगती ह

म परतयक बदधिररष क चतयो की िजा ककया करता था और यह जो कछ हआ उसी क तरविाक स हआ ह

जो उस कदन ककया था वह तो अलि था अतयलि था लककन उसका ऐसा महान फल हआ ह बीज तो होत भी

छोट ही ह िर इसस िदा हए वकष छोट स बीज स िदा हए वकष आकाश क साथ होड़ लत ह थोड़ा सा तयाग

भी अलिमाि तयाग भी महासख लाता ह

कछ बड़ा मन तयाग भी न ककया था उस जनम म इतना ही तयाग ककया था अिना-िराया छोड़ कदया

था सभी जागरतिररषो को बशतम आदर कदया था

समझत हो यह धारममक आदमी का लकषण ह छोटा मत समझना इस बदध ककतना ही कह कक अलिमाि

यह छोटा नही ह तम मतरसजद क सामन स ऐस ही गजर जात हो जस मतरसजद ह ही नही तम गरदवार क सामन

स ऐस तरनकल जात हो जस गरदवारा ह ही नही अगर तम मसलमान हो तो जहद का मकदर तमह कदखायी नही

िड़ता अगर तम जहद हो तो जन का मकदर तमह कदखायी नही िड़ता यह धारममक होन का लकषण न हआ यह

तो राजनीतरत हई यह तो समह और सपरदाय और धारणा और तरसदधात स बध होना हआ

धारममक वयतरि को तो जहा भी दीए जल ह तरजसक भी दीए जल ह व सभी दीए िरमातमा क ह कफर

नानक का दीया जला हो गरदवार म तो कोई फकम नही िड़ता वहा भी झक आएगा कफर राम का दीया जला हो

राम क मकदर म वहा भी झक आएगा कफर कषण का दीया हो वहा भी झक आएगा कफर मोहममद का दीया

हो वहा भी झक आएगा धारममक वयतरि न तो एक बात सीख ली ह कक जब भी कही कोई दीया जलता ह तो

िरमातमा का ही दीया जलता ह

13

बझ दीए ससार क जल दीए भगवान क बझ बझो म भद होगा जल जलो म कोई भद नही ह बझा

दीया एक तरह का दसरा बझा दीया दसर तरह का तरमटटी अलग होगी कोई चीनी का बना होगा कोई लोह

का बना होगा कोई सोन का बना होगा कोई चादी का बना होगा सवभावतः तरमटटी क दीए और चादी क दीए

म बड़ा फकम ह लककन जब जयोतरत जलगी तो जयोतरत कही चादी की होती ह कक सोन की होती ह कक तरमटटी की

होती ह जयोतरत तो तरसफम जयोतरत की होती ह जयोतरत को जो दखगा उसको तो सभी जल दीयो म एक ही जयोतरत

का तरनवास कदखायी िड़गा एक ही सरज उतर आया ह एक ही ककरण परतरवषट हो गयी ह

इसको बदध तो कहत ह अलि लककन म न कहगा अलि कयोकक यह अलि भी हो नही रहा ह लोग

सोचकर जात ह अिना मकदर अिना गर अिना शासतर दसर का मकदर तो मकदर ही नही ह दसर क मकदर म

जाना तो िाि ऐस शासतर ह इस दश म

जन-शासतरो म तरलखा ह--ऐसा ही जहद-शासतरो म भी तरलखा ह--कक अगर कोई िागल हाथी तमह रासत िर

तरमल जाए जन-शासतर कहत ह और तम मरन की हालत म आ जाओ और िास म ही जहदओ का दवालय हो

तो हाथी क िर क नीच मर जाना बहतर लककन जहदओ क दवालय म शरण मत लना ऐसा ही जहद क शासतर

भी कहत ह--ठीक यही का यही िागल हाथी क िर क नीच दबकर मर जाना बहतर ह लककन जन-मकदर म

शरण मत लना अगर जन-मकदर क िास स तरनकलत हो और जन-गर कछ समझा रहा हो तो अिन कानो म

अगतरलया डाल लना सनना मत

य धारममक आदमी क लकषण ह तो कफर अधारममक क कया लकषण होग

बदध कहत ह--कछ और मरी तरवतरशषटता न थी जब म शख नामक बराहमण था ककसी जनम म तो मरी

इतनी ही तरवतरशषटता थी--छोटी ही समझो बीजमाि-- कक म सभी बदधिररषो को नमसकार करता था सभी

चतयो म जाता सभी तरशवालयो म जाता और पराथमना कर आता था िजा कर आता था मन कोई भदभाव न

रखा था उस अभद दतरषट स यह धीर-धीर बीज फला

जो अभद को दखगा वह एक कदन अभद को उिलबध हो जाएगा तरजसन तरमटटी क दीयो का तरहसाब रखा

वह दीयो म ही िड़ा रहगा तरजसन जयोतरत दखी वह एक कदन जयोतरतममय हो जाएगा तम जो दखत हो वही हो

जात हो दतरषट एक कदन तमहार जीवन की सतरषट हो जाती ह

तो बदध कहत ह आज यह जो चमतकार हआ इसका बीज बड़ा छोटा ह

अब समझना मन इसतरलए कहा कक दो तल िर यह कथा ह एक तल िर तो बदध का आना महामारी स

भरी हई वशाली म वह एक तल ह कफर दसरा तल ह तरभकषओ का बदध स िछना बदध कोई अवसर नही

चकत उनहोन अिन तरभकषओ को भी सदश द कदया कक कसा भाव होना चातरहए अगर कभी तम अमत को

उिलबध करना चाहत हो मतय क तरवजता होना चाहत हो वसततः तरजन होना चाहत हो तो भद मत करना

सभी बदधिररष सभी जागरतिररष एक ही सतय को उिलबध हो गए ह--इस बीज को अिन भीतर तरजतन गहराई

म डाल सको डाल दना इसी स ककसी कदन वकष िदा होगा फल लगग ठीक समय ठीक अवसर िर तमहार

जीवन म बसत आ जाएगा तब न कवल तमहार भीतर बसत आएगा तम जहा स गजर जाओग वहा भी बसत

की हवा बहगी तम तरजनक साथ खड़ हो जाओग उनक भीतर भी जयोतरत िदा होगी तम तरजनका हाथ िकड़

लोग उनका जीवन स छटकारा होना शर हो जाएगा तमहारा जो सहारा िकड़ लग तम उनक तरलए नाव बन

जाओग

14

थोड़ सख क िररतयाग स यकद अतरधक सख का लाभ कदखायी द तो धीरिररष अतरधक सख क खयाल स

अलिसख का तयाग कर द

और बदध न कहा यह छोटा सा गतरणत याद रखो कक कभी-कभी ऐसा होता ह कक आज हम लगता ह कक

इसम खब सख ह और हम यह भी कदखायी िड़ता ह कक अगर इसका तयाग कर द तो कल अनतगना सख हो

सकता ह लककन वह कल होगा तो हम आज क ही सख को िकड़ लत ह कल क अनत गन को छोड़ दत ह

इसतरलए हम दीन रह जात ह दररदर रह जात ह समझो कक तमहार िास मटठीभर अनन ह तम आज खा लो उस

तो थोड़ा सा सख तरमलगा लककन अगर तम इस बो दो--तो शायद दो-चार महीन परतीकषा करनी िड़गी--लककन

बड़ी फसल िदा होगी शायद सालभर क लायक भोजन िदा हो जाए

तो बदध कहत ह बतरदधमान कौन ह बतरदधमान वह ह जो अलि को छोड़कर तरवराट को उिलबध करन म

लगा रहता ह जो जीवन क आतयतरतक गतरणत िर सदा धयान रखता ह कक जो म कर रहा ह इसका अतरतम फल

कया होगा आज का ही सवाल नही ह इसका आतयतरतक िररणाम कया होगा

सवभावतः उस कदन जब बदध शख नाम क बराहमण थ थोड़ी अड़चन हई होगी अगर जनो क मकदर म

गए होग तो जहदओ न कहा होगा त वहा कयो जाता ह--बराहमण थ--कषट हआ होगा अगर जहदओ क मकदर म

गए होग तो जनो न कहा होगा कक त तो हमार मकदर म आता ह अब वहा कयो जाता ह कषट हआ होगा

गाव म शायद िागल समझ जात होग

तम जरा सोचो कक तम सब मकदर-मतरसजद म जाकर नमसकार करन लगो लोग समझग कदमाग खराब

हो गया तरजनका कदमाग खराब ह व समझग कक तमहारा कदमाग खराब हो गया कषट हआ होगा परतरतिा

गवायी होगी लोगो न िागल समझा होगा

लककन बदध कहत ह वह छोटा सा तयाग था कया फकम िड़ता ह कक लोगो न िागल समझा कया फकम

िड़ता था अगर लोग समझत कक म िागल नही ह कछ भी फकम नही िड़ता था लककन उसका जो िररणाम

हआ वयािक ह

जब गगा िदा होती ह तो बद-बद िदा होती ह गोमख स तरगरती ह गगोिी तम अिनी मटठी म समहाल

ल सकत हो कफर रोज बड़ी होती जाती ह बड़ी होती जाती ह जब गगा सागर म तरगरती ह तब तम तरवशवास

भी न कर सकोग कक यह वही गगा ह जो गोमख स तरगरती ह जो गगोिी म बद-बद टिकती ह तरजसको तम

मटठी म बाध ल सकत थ यह वही गगा ह िहचान नही आती

बीज छोटा वकष बहत बड़ा हो जाता ह बतरदधमान वयतरि अलिसख को छोड़ता चल महासख क तरलए

छोट को न िकड़ कषदर को न िकड़ तरवराट िर धयान रख

दसर को दख दकर जो अिन तरलए सख चाहता ह वह वर-चकर म फसा हआ वयतरि कभी वर स मि

नही होता

और बदध न कहा सख तो सभी चाहत ह मगर सख की चाह म एक बात खयाल रखना--िहला तो सि

कहा अलिसख को छोड़ दना महासख क तरलए दसरा सि कहा--यह खयाल रखना कक सख तो चाहना लककन

दसर क दख िर तमहारा सख तरनभमर न हो दसर क दख िर आधाररत सख तमह अततः दख म ही ल जाएगा

महादख म ल जाएगा

हम जो जीवन म दख भोग रह ह वह हमन कभी न कभी उन सखो की आकाकषा म िदा कर तरलए थ

तरजनक कारण हम दसरो को दख दना िड़ा था दसरो क तरलए खोद गए गडढ एक कदन सवय को तरगरात ह

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म एक गाव म ठहरा हआ था उस रात उस गाव म एक बड़ी अनठी घटना घट गयी कफर म उस भल न

सका छोटा गाव बस एक ही टरन आती और एक ही टरन जाती तो दो बार सटशन िर चहल-िहल होती आन

वाली टरन कदन को बारह बज आती जान वाली टरन रात को दो बज सटशन िर भी कछ जयादा लोग नही ह--

एक सटशन मासटर ह एकाध िोटमर ह एकाध और आदमी कलकम ह कोई जयादा यािी आत-जात भी नही ह

उस रात ऐसा हआ कक एक आदमी रात की गाड़ी िकड़न क तरलए साझ सटशन िर आया वह बार-बार

अिन बग म दख लता था सटशन मासटर को सदह हआ शक हआ कक कछ बड़ा धन तरलए हए ह वह अिन बग

को भी दबाए था एक कषण को भी उस छोड़ता नही था आदमी दखन स भी धनी मालम िड़ता था रात दो

बज टरन जाएगी मन म बराई आयी उसन िोटमर को बलाकर कहा कक ऐसा कर दो बज रात तक कही भी

इसकी जरा भी झिकी लग जाए--और आठ बज रात क बाद तो गाव म सननाटा हो जाता ह गाव भी कोई दो

मील दर--इसको खतम करना ह

िोटमर न कलहाड़ी ल ली और वह घमता रहा कक यह कब सो जाए मगर वह भी आदमी जागा रहा

जागा रहा जागा रहा िोटमर को झिकी आ गयी और जब िोटमर को झिकी आ गयी तो वह आदमी तरजस बच

िर बठा था उसस उठकर उसको नीद आन लगी थी तो अिना बग लकर वह टहलन लगा पलटफामम िर इस

बीच सटशन मासटर आकर उस बच िर लट गया तरजस िर वह धनी लटा था िोटमर की आख खली दखा कक सो

गया उसन आकर गदमन अलग कर दी सटशन मासटर मारा गया सबह गाव म खबर आयी म उस भल नही

सका उस घटना को इतजाम उसी न ककया था मारा खद ही गया

जीवन म करीब-करीब ऐसा ही हो रहा ह जो दख तमन दसरो को कदए ह व लौट आएग जो सख तमन

दसरो को कदए ह व भी लौट आएग दख भी हजारगन होकर लौट आत ह सख भी हजारगन होकर लौट आत

इसतरलए बदध कहत ह दसरा सि याद रखना सख बन सक तो द दना अगर सख न द सको तो कम स

कम दख मत दना दसरो को दख मत दना अिना सख ऐसा बनाना कक तम िर ही तरनभमर हो दसर क दख िर

तरनभमर न हो

फकम समझो

एक आदमी धन क इकटठ करन म सख लता ह तरनतरित ही यह कई लोगो का धन छीनगा तरबना धन छीन

धन आएगा भी कहा स धन बहत बहलता स ह भी नही नयन ह धन ऐसा िड़ा भी नही चारो तरफ तरजतन

लोग ह उनस धन बहत कम ह तो धन छीनगा तो धन इकटठा कर िाएगा यह आदमी दसरो को दख कदए

तरबना धनी न हो सकगा और धन िान स जो सख तरमलन वाला ह दो काडी का ह और तरजतना दख कदया ह

उसक जो दषिररणाम होग अनत समय तक उसकी जो परतरतककरयाए होगी व बहत भयकर ह

एक दसरा आदमी धयान म सख लता ह धयान और धन म यही खबी ह धयान जब तम करत हो तो तम

ककसी का धयान नही छीनत तमहारा धयान बढ़ता जाता ह ककसी का धयान तरछनता नही

तो बदध कहग अगर धयान और धन म चनना हो तो धयान चनना यह अपरतरतयोगी ह इसकी ककसी स

कोई सिधाम नही ह और तमहारा आनद बढ़ता जाएगा और आियम की बात यह ह कक तम तरजतन आनकदत होत

जाओग अनायास तम दसरो को भी आनद दन म सफल होन लगोग समथम होन लगोग

जो ह उस हम बाटत ह दखी आदमी दख दता ह सखी आदमी सख दता ह--दना ही िड़गा जब फल

तरखलगा और गध तरनकलगी तो हवाओ म बहगी ही जब तमहारा धयान सघनीभत होगा तो तमहार चारो तरफ

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गध उठगी सख दोग तो सख तरमलगा ऐसा सख खोजना जो ककसी क दख िर आधाररत न होता हो यही बदध

की मौतरलक तरशकषा ह

और कफर अलि भी सख तरमल आज अलि भी शायद छोड़ना िड़ कल क महासख क तरलए तो उस भी

छोड़ दना अलि तरमल तो अलि ल लना अलि छोड़ना िड़ तो छोड़ दना मगर एक खयाल रखना--जीवन का

िरा तरवसतार खयाल रखना चीज एक-दसर स सयि ह अतरतम िररणाम कया होगा उस िर धयान रह और

ऐसा सख कमाना जो तमहारा अिना हो तरजसक तरलए दसर को दखी नही करना िड़ता ह

अब एक आदमी को राजनता बनना ह तो उस दसरो को दखी करना होगा अब इकदरा और मोरारजी

दोनो साथ-साथ सखी नही हो सकत इसका कोई उिाय नही ह कोई न कोई दखी होगा

तो बदध कहत ह ऐसी कदशा म मत जाना जहा ककसी को तरबना दखी ककए तम सखी हो ही न सको

हजार और उिाय ह जीवन म आनकदत होन क

अब एक आदमी बासरी बजाता हो तो इसस ककसी का कछ लना-दना नही ह यह अिन एकात म

बठकर बासरी बजा सकता ह एक आदमी नाचता हो यह एकात म नाच सकता ह एक आदमी धयान करता

हो यह एकात म धयान कर सकता ह इसका ककसी स कछ लना-दना नही ह

ऐस सख खोजना जो तरनजी ह और ऐस बहत सख ह जो तरनजी ह वसततः व ही सख ह कयोकक दसर को

दखी कर कस सखी होओग कस सखी हो सकत हो िर वि िीड़ा भीतर बनी रहगी कक दसर को दख कदया

ह बदला आता होगा परतरतकार होकर रहगा दसरा भी कषमा तो नही कर दगा

इसतरलए बदध कहत ह वर-चकर िदा हो जाता ह तरवतरशयस सरकम ल िदा हो जाता ह दषट-चकर िदा हो

जाता ह तम दसर को दख दत हो दसरा तमह दख दन को आतर हो जाता ह कफर इसशखला का कही कोई

अत नही ह

महासख क तरलए अलि को छोड़ दना बड़ क तरलए छोट को छोड़ दना शाशवत क तरलए कषणभगर को छोड़

दना और ऐसा सख खोजना जो तमहारा अिना हो तरजसक तरलए दसर िर तरनभमर नही होना िड़ता ह तब तम

सवति हो गए यही मि जीवन की आधारतरशला ह

दसरा सि तरदवतीय दशय--

मन क मागम अतरत सकषम ह ससार क छोड़न म ही मन नही छटता ह मन ससार का मल ह ससार मन

का मल नही ह ससार छोड़ना हो तो फल-ितत तोड़न जसा ह और जड़ तो इसस नषट नही होती ह हा जड़

उखाड़ फक दन िर तरनिय ही ससार वकष अिन आि सख जाता ह मन ह जड़ ससार की इसतरलए मन स मतरि

ही वासततरवक सनयास ह

भगवान क जातयावन नामक तरवहार म तरवहरत समय की घटना ह कछ तरभकष तरभकषािािो को सदर

बनान या वसतरो िर नाना बल-बट तरनकालन या नाना परकार की िादकाए रचन उन िर िचचीकारी करन या

इसी तरह क कामो म सलगन रहत थ उनह धयान-भावना का समय ही नही था और समय भी हो तो धयान का

तो व जस तरवसमरण ही कर बठ थ

इस बात की खबर भगवान को तरमली उनहोन उन तरभकषओ को खब डाटा व उनह डाटत समय अतरत

कठोर थ वह करणा का ही रि ह गर का परयोजन ही यही ह कक वह चताए कफर चताए और कफर-कफर

चताए उनहोन उन तरभकषओ स कहा--ककसतरलए आए हो और कया कर रह हो आए थ हरर भजन को ओटन लग

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किास कया इसीतरलए तरभकष-जीवन सवीकार ककया था सदर िादकाए बनान क तरलए वसतरो िर बल-बट काढ़न

क तरलए कफर ससार म ही कया बराई थी मन क जाल को समझो तरभकषओ मन क सकषम खल समझो

तरभकषओ एक िल को भी लकषय को तरवसमत मत करो सोत-जागत उठत-बठत होश रखो तरभकषओ तो ही समय

िाकर अनकल ऋत म तरनवामण की फसल काट सकोग धयान नही बोया तो तरनवामण की फसल भी हाथ लगन

वाली नही ह कफर िछताओग और कफर िछताए होत का जब तरचतरड़या चग गयी खत अभी समय ह अभी

कछ कर लो और तब उनहोन य गाथाए कही--

य तरह ककचच तदितरवदध अककचच िन कतरयरतरत

उननलान िमततान तस बडढतरत आसवा

जो करन योगय ह उसको तो छोड़ दता ह लककन जो न करन योगय ह उस करता ह ऐस उमड़त मलो

वाल परमाकदयो क आसरव बढ़त ह

यसच ससमारदधा तरनचच कायगतासतरत

अककचनत न सवतरत ककचच सातचचकाररनो

सतान सिजानान अतथ गचछतरत आसवा

तरजनह तरनतय कायगता-समतरत उितरसथत रहती ह व अकतमवय को नही करत और कतमवय स कभी नही

चकत ह उन समतरतवान और सपरजञावान िररषो क आसरव असत हो जात ह

ऐसा तरनरतर होता ह तम बाहर क रि तो बदल लत हो लककन भीतर की वतरतत नही बदलती बाहर क

ढग बदलना तो बहत आसान ह असली बात तो भीतर क ढग बदलन की ह इसका यह भी अथम नही कक बाहर

क ढग मत बदलो बाहर क ढग इसतरलए बदलो ताकक भीतर क ढग बदलन म सहारा तरमल लककन भलकर भी

यह मत समझना कक बाहर का ढग बदल तरलया तो भीतर क ढग अिन आि बदल गए

अब कोई तरभकष होग सनयसत हो गए जब सनयसत न हए होग तो सदर वसतर िहनत होग िोशाक िहनत

होग कीमती जत िहनत होग रासतो िर अकड़कर चलत होग इि-खशबए अिन वसतरो िर तरछड़कत होग

मोहक सदर होन की चषटा करत होग सनयसत हो गए लककन अब भी चषटा जारी ह नए ढग स जारी ह अब

कछ और नही ह उनक िास तरभकषािाि ह तो तरभकषािाि म ही खदाई कर-कर क उस सदर बना रह ह उसम

ही ककड़-ितथर लगाकर सदर बना रह ह अब कछ नही ह लकड़ी की िादकाए ह तो उन िादकाओ को भी

सदर बनान की चषटा म लग ह अब कछ बच नही ह तीन चीवर ह तीन वसतर ह मगर उन िर भी कसीदा तो

ककया ही जा सकता ह उनको भी सदर तो बनाया ही जा सकता ह वह िराना मन अभी भी िीछा कर रहा ह

इसस फकम नही िड़ता तम सोन-चादी क आभरषण िहनो या जाकर जगल क िततो क आभरषण बना लो

और उनको िहन लो इसस कोई फकम नही िड़ता आभरषण िहनन की आकाकषा वाला मन तो वही का वही ह

म मोहक कदख यह वासना कयो िदा होती ह यह इसतरलए िदा होती ह कक कोई मझ मोहक जान कोई

मझम आकररषमत हो कोई मझम आसि हो कोई मझ िान योगय चाहन योगय मान तो इसका अथम साफ ह कक

तम ककसी को िान म लग हो तम ककसी को अिन म उलझान म लग हो

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ससार म तो ठीक ह कक तम बन-सवरकर तरनकलत हो रासत िर लककन तरभकष बन-सवरकर तरनकल तो

कफर बात गलत हो गयी बात इसतरलए गलत हो गयी कक तरभकष होन का अथम ही यही था कक अब मझ और

आसतरि क जाल नही फलान ह बहत हो चका मन दख तरलया कक आसतरि स तरसवाय दख क कछ भी नही

तरमलता ह तो अब मझम कोई आसि हो इसकी म कोई योजना न करगा मझ लोग दख इसकी चषटा न

करगा म ऐस तरनकल जाऊगा जस तरनकला ही नही कोई मझ दख न कोई मझम उतसक न हो म चिचाि ऐस

तरनकल जाऊगा जस था ही नही ऐस चिचाि जीन जो लगता ह वही सनयासी ह दसरा मझ िकड़ दसरा मझ

समझ मलयवान दसरा मझम उतसक हो दसरा मझस सममोतरहत हो इसक िीछ वासना ही तरछिी ह ताकक म

दसर का भोग कर सक

लोग बड़ी उलटी वासनाओ स भर ह तरसतरया घर म बठी रहती ह भत-परत बनी घर स बाहर जाती ह

खब सज-सवर जाती ह कफर जवान हो जाती ह सौ परतरतशत सौदयम म नबब परतरतशत तो परसाधन स होता ह

दस परतरतशत शायद सवाभातरवक होता हो और वह जो दस परतरतशत सवाभातरवक होता ह उसको नबब परतरतशत

की जररत भी नही होती नबब परतरतशत की जररत तो वह जो दस परतरतशत भी नही होता उसी को तरछिान क

तरलए होती ह करि वयतरि जयादा सजता-सवरता ह करि सतरी जयादा आभरषणो म रस लती ह िररिरक

करना होता ह जो सौदयम स नही िरा हो रहा ह उस ककसी और चीज स िरा कर दना ह चहरा तो सदर नही

ह तो बालो की शली बदली जा सकती ह नाक तो बहत सदर नही ह तो हीर की नथ िहनी जा सकती ह

नाक न कदखायी िड़गी कफर जब दसरा आदमी दखगा तो उस हीरा चमकता हआ कदखायी िड़गा और हीर की

ओट म नाक सदर हो जाएगी जस ही तरसतरया बाहर तरनकलती ह खब सज-सवर जाती ह--वही िररष भी करत

ह--कफर अगर कोई धकका मार द सतरी को या ककड़ फक द या एक कफलमी गाना गा द तो वह नाराज होती ह

और आयोजन यही करक तरनकली ह इसको म कहता ह तरवरोधाभासी तरचतत की दशा

म एक तरवशवतरवदयालय म तरशकषक था एक कदन बठा था जपरतरसिल क कमर म कछ बात करता था कक एक

यवती आयी और उसन तरशकायत की कक ककसी न उस ककड़ मार कदया म बठा था तो जपरतरसिल न मझस कहा

कक अब आि ही बताइए कया कर यह रोज का उिदरव ह मन उस लड़की की तरफ दखा मन कहा ककड़

ककतना बड़ा था उसन कहा जरा सा था मन कहा उसन जरा सा मारा यही आियम ह तझ बड़ी चटटान

मारनी थी त इतनी सज-सवरकर आयी ह उसन ककड़ मारा यह बात जचती नही ठीक इतन सज-सवरकर

तरवशवतरवदयालय आन की जररत कया थी यहा कोई सौदयम-परतरतयोतरगता हो रही ह इतन चसत किड़ िहनकर

इतन आभरषण लादकर इतन बालो को सवारकर यहा त िढ़न आयी ह या ककसी बाजार म

कफर मन उस यवती स िछा कक म एक बात और िछना चाहता ह त ककसी कदन इतना सज-सवरकर

आए और कोई ककड़ न मार तो तर मन को दख होगा कक सख िहल तो वह बहत चौकी मरी बात स कफर

सोचन भी लगी कफर उसन कहा कक शायद आि ठीक ही कहत ह कयोकक मन दखा तरवशवतरवदयालय म तरजन

लड़ककयो क िीछ लोग ककड़-ितथर फकत ह व दखी ह--कम स कम कदखलाती ह कक दखी ह--और तरजनक िीछ

कोई ककड़-ितथर नही फकता व बहत दखी ह महादखी ह कक कोई ककड़-ितथर फकन वाला तरमलता ही नही

कोई तरचटठी-ििी भी नही तरलखता तरजनको तरचटठी-ििी तरलखी जाती ह व तरशकायत कर रही ह और तरजनको

तरचटठी-ििी नही तरलखी जाती व तरशकायत कर रही ह मन बड़ा तरवरोधाभासी ह

लककन ससार म ठीक ह ससार तरवरोधाभास ह वहा हम कछ चाहत ह कछ कदखलात ह कछ कदखलात

ह कछ और चाहत ह अगर तम अिन मन को दखोग तो तम बड़ चककत हो जाओग कक तमन कस सकषम जाल

19

बना रख ह तम तरनकलत इस ढग स हो कक परतयक वयतरि तम म कामातर हो जाए और अगर कोई कामातर हो

जाए तो तम नाराज होत हो आयोजन उसी का करत हो कफर जब सफलता तरमल जाए तब तम बड़ बचन होत

हो और सफलता करन क तरलए घर स बड़ी वयवसथा करक तरनकल थ अगर कोई न दख तमह रासत स तम

अिना सारा सौदयम-परसाधन करक तरनकल गए और ककसी न भी नजर न डाली तो भी तम उदास घर आओग कक

बात कया ह मामला कया ह लोग कया मझम उतसक ही नही रह

दसर की उतसकता अहकार का िोरषण ह तमह अचछा लगता ह जब दसर लोग उतसक होत ह तम

मलयवान मालम होत हो तरजनक भीतर कोई मलय नही ह व इसी तरह मलय का अिन तरलए धोखा िदा करत

ह दसर लोग उतसक ह जरर मलयवान होना चातरहए इतन लोगो न मरी तरफ आख उठाकर दखा जरर

मझम कछ खबी होनी चातरहए तमह खद अिनी खबी का कछ िता नही ह--ह भी नही खबी--एक झठा भरोसा

इसस तरमलता ह कक अगर खबी न होती तो इतन लोग मझम उतसक कयो होत जरर म सदर होना चातरहए

नही तो इतन लोग उतसक ह तमह अिन सौदयम िर खद तो कोई आसथा नही ह तम दसरो क मतवय इकटठ करत

हो मगर ससार म ठीक ससार िागलो की दतरनया ह

बदध न ससारी को कछ भी न कहा होता लककन सनयसत हो जान क बाद य तरभकष नाना परकार क

आयोजन करत थ--िादका समहालत सजात वसतरो िर कसीदा तरनकालत तरभकषािाि आदमी का मन कसा ह

तरभकषािाि का मतलब ही यह होता ह कक अब म आतरखरी जगह खड़ा हो गया अब मझ परथम खड़ होन की

इचछा ही नही वह तो तरभकषािाि का परतीक ह कक म अब अतरतम हो गया तरभकष हो गया तरभखारी हो गया

अब मझ कोई समराट होन का आकरषमण नही ह अब म परथम नही होना चाहता म परतरतयोतरगता स हट गया

परतरतयोतरगता-तयाग की ही सचना तरभकषािाि ह कक म दीन-हीन हो गया अब म भीख मागकर ल लगा दो रोटी

तरमल जाए बस बहत ह मगर वह भी तरभकषािाि को सजाता ह वह भी उस िर बड़ी कारीगरी करता ह उसम

भी झझट चलती ह

म तरािथी जन-मतरनयो क एक सममलन म सतरममतरलत हआ तो वहा तरजसक िास तरजतना सदर

तरभकषािाि तरजतना कारीगरी स बनाया तरभकषािाि वह उतना बड़ा तरभकष वह उतना बड़ा मतरन तरािथी बड़ी

महनत करत ह उनका तरभकषािाि सदर होता ह तरचतत लभा जाए इतना सदर बनात ह

अब तरभकषािाि उसको इतना सदर बनान का कया परयोजन ह िर आदमी ऐसा ह कक भीतर तो वही

रहता ह वह जहा भी जाएगा वही अिन भीतर क तरलए कछ न कछ उिाय खोज लगा मन कफर नए जाल बनन

लगगा

तो बदध न उनह बलाया उनह खब डाटा बदध डाटत हो ऐसा सनकर हम हरानी होती ह और न कवल

डाटा डाटत समय अतरत कठोर भी थ यह कठोरता करणा का ही रि ह गर को कठोर होना ही िड़गा बहत

बार उस अतरत कठोर भी होना िड़गा कयोकक हमारी नीद इतनी गहरी ह कक अगर वह न तरचललाए तो शायद

हम सनग भी नही अगर वह न झकझोर तो शायद हम जागग भी नही हमार सिन मधर ह और हम सिनो

म बड़ डब हए ह

बदध न कहा--तरभकषओ ककसतरलए आए हो और कया कर रह हो

तमह धयान की फसमत ही नही ह समय ही नही ह तम तो भल ही गए कक धयान क तरलए आए थ सनयास

का मौतरलक लकषय धयान ह धयान स सनयास तरनकलता ह सनयास स और धयान तरनकलना चातरहए कफर धयान स

और सनयास कफर और सनयास स और धयान--धयान और सनयास एक-दसर को बढ़ात चल जाए तो तमहारी

20

गतरत होती ह धयान और सनयास दो िख ह तरजनस िरमातमा तक िहचा जा सकता ह लककन धयान ही भल

गए तो सनयास का कोई मलय नही ह

मन क जाल समझो तरभकषओ बदध न कहा सोत-जागत उठत-बठत होश रखो तरभकषओ नही तो िीछ

िछताओग अभी समय ह अभी कछ कर लो

और तब उनहोन य सि कह जो करन योगय ह उसको तो छोड़ दता ह लककन जो न करन योगय ह उस

करता ह

तरभकषािाि िर खदाई कर रह हो कक िादका िर खदाई कर रह हो तमह होश ह कया कर रह हो यह

सारा समय वयथम गया िादका यही िड़ी रह जाएगी तरभकषािाि यही िड़ रह जाएग जस महल िड़ रह जाएग

वस ही झोितरड़या भी िड़ी रह जाएगी सब यही िड़ा रह जाएगा कछ ऐसा कमाओ जो मौत क िार तमहार

साथ जा सक वही करन योगय ह जो मौत क िार साथ जा सक

जो उस तो करता जो वयथम था और उस छोड़ दता जो साथमक था ऐस उमड़त मलो वाल परमाकदयो क

आसरव बढ़त ह

इसस तो ससार और बड़ा होगा इसस ससार छोटा नही होगा

तरजनह तरनतय कायगता-समतरत उितरसथत रहती ह

अिन शरीर का बोध रखो कायगता-समतरत बदध क धयान का परथम चरण ह इसका अथम होता ह--यह

शरीर सदर ह ही नही लाख उिाय करो तो भी सदर न हो सकगा सब धोखा ह

बदध न बततीस करिताए शरीर म तरगनायी ह इन बततीस करिताओ का समरण रखन का नाम कायगता-

समतरत ह िहली तो बात यह शरीर मरगा इस शरीर म मौत लगगी यह िदा ही बड़ी गदगी स हआ ह

मा क गभम म तम कहा थ तमह िता ह मल-मि स तरघर िड़ थ उसी मल-मि म नौ महीन बड़ हए

उसी मल-मि स तमहारा शरीर धीर-धीर तरनरममत हआ कफर बदध कहत ह कक अिन शरीर म इन तरवरषयो की

समतरत रख--कश रोम नख दात तवक मास सनाय अतरसथ अतरसथमजजा यकत कलोमक पलीहा फफफस

आत उदरसथ मल-मि तरितत कफ रि िसीना चबी लार आकद इन सब चीजो स भरा हआ यह शरीर ह

इसम सौदयम हो कस सकता ह

सौदयम तो तरसफम चतना का होता ह दह तो मल-मि का घर ह दह तो धोखा ह दह क धोख म मत

िड़ना बदध कहत ह इस बात को समरण रखना कक इसको तम ककतन ही इि स तरछड़को इस िर तो भी इसकी

दगध नही जाती और तम इस ककतन ही सदर वसतरो म ढाको तो भी इसका असौदरय नही ढकता ह और तम

चाह ककतन ही सोन क आभरषण िहनो हीर-जवाहरात सजाओ तो भी तमहार भीतर की मास-मजजा वसी की

वसी ह

तरजस कदन चतना का िकषी उड़ जाएगा तमहारी दह को कोई दो िस म खरीदन को राजी न होगा जलदी

स लोग ल जाएग मरघट िर जला आएग जलदी समापत करग घड़ी दो घड़ी रक जाएगी दह तो बदब आएगी

यह तो रोज नहाओ धोओ साफ करो तब ककसी तरह तम बदब को तरछिा िात हो लककन बदब बह रही ह

बदध कहत ह शरीर तो करि ह सौदयम तो चतना का होता ह और सौदयम चतना का जानना हो तो

धयान मागम ह और शरीर का सौदयम मानना हो तो धयान को भल जाना मागम ह धयान करना ही मत कभी

नही तो शरीर का असौदयम िता चलगा तमह िता चलगा यह शरीर म यही सब तो भरा ह इसम और तो कछ

भी नही ह

21

कभी जाकर असिताल म टग अतरसथिजर को दख आना कभी जाकर ककसी मद का िोसटमाटमम होता हो

तो जरर दख आना दखन योगय ह उसस तमह थोड़ी अिनी समतरत आएगी कक तमहारी हालत कया ह ककसी

मद का िट कटा हआ दख लना तब तमह समझ म आएगा कक ककतना मल-मि भर हए हम चल रह ह यह

हमार शरीर की तरसथतरत ह

बदध कहत ह इस तरसथतरत का बोध रखो यह बोध रह तो धीर-धीर शरीर स तादातमय टट जाता ह और

तम उसकी तलाश म लग जात हो जो शरीर क भीतर तरछिा ह जो िरमसदर ह उस सदर करना नही होता

वह सदर ह उस जानत ही सौदयम की वरषाम हो जाती ह और शरीर को सदर करना िड़ता ह कयोकक शरीर

सदर नही ह कर-करक भी सदर होता नही ह कभी नही हआ ह कभी नही हो सकगा

ततीय दशय--

यह बहत अनठा सि ह बदध क अनठ स अनठ सिो म एक इस खब खयाल स समझ लना

परभातवला आकाश म उठता सयम आमरवन म ितरकषयो का कलरव भगवान जतवन म तरवहरत थ उनक

िास ही बहत स आगतक तरभकष भगवान की वदना कर एक ओर बठ थ उसी समय लव कठक भददीय सथतरवर

भगवान स तरवदा ल कछ समय क तरलए भगवान स दर जा रह थ उनह जात दख भगवान न उनकी ओर सकत

कर कहा--तरभकषओ दखत हो इस भागयशाली तरभकष को वह माता-तरिता को मारकर दखरतरहत होकर जा रहा

माता-तरिता को मारकर व तरभकष भगवान की बात सनकर चौक चौककर एक-दसर का मह दखन लग

कक भगवान न यह कया कहा माता-तरिता को मारकर दखरतरहत होकर जा रहा ह इस भागयशाली तरभकष को

दखो उनह तो अिन कानो िर भरोसा नही हआ माता-तरिता की हतया स बड़ा तो कोई और िाि नही ह

भगवान यह कया कहत ह कही कछ चक ह या तो हम सनन म चक गए या भगवान कहन म चक गए

माता-तरिता क हतयार को भागयशाली कहना यह कसी तरशकषा ह भगवान होश म ह

अतयत सदह और तरवभम म िड़ उनहोन भगवान स िछा--तथागत कया कह रह ह ऐसी बात न तो आखो

दखी न कानो सनी भगवान न तब कहा--इतना ही नही इस अिवम तरभकष न और भी हतयाए की ह और बड़ी

सफलता स और बड़ी कशलता स हतया करन म इसका कोई सानी नही ह तरभकषओ तम भी इसस कछ सीख

लो तम भी इस जस बनो और तम भी दख-सागर क िार हो जाओग तरभकषओ न कहा--आि कहत कया ह

हतयार की परशसा कर रह ह और बदध न कहा--इतना ही नही तरभकषओ इसन अिनी भी हतया कर दी ह यह

आतमघाती भी ह यह बड़ा भागयशाली ह और तब उनहोन य सि कह--

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

मातर तरितर हतवा राजानो दव च सोतरतथय

वययगघिचम हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

माता अथामत तषणा--बदध कहत ह सार जीवन का जनम तषणा स हआ ह--माता अथामत तषणा तरिता

अथामत अहकार दो कषतरिय राजाओ अथामत शाशवत दतरषट और उचछद दतरषट--आतरसतकता और नातरसतकता--और

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उनक अनचरो को--सार शासतरीय तरसदधातो को--और उनक साथ सार राषटर को--आसतरियो सतरहत अिन भीतर

क सार ससार को--मारकर यह बराहमण तरनषिाि हो गया ह

माता-तरिता दो शरोतरिय राजाओ और वयाघरिचम को मारकर बराहमण तरनषिाि हो जाता ह

समझन की कोतरशश कर

तषणा को कहा बदध न मा तषणा ह सतरण इसतरलए तरसतरया जयादा तषणातर होती ह िररष की बजाय

तरसतरयो की िकड़ वसतओ िर धन िर मकान िर बहत होती ह--तषणातर होती ह और तरसतरया ईषयाम स बहत

जलती ह--ककसी न बड़ा मकान बना तरलया ककसी न नयी साड़ी खरीद ली

तषणा सतरण ह अहकार िररष ह िररष को कषट होता ह तभी जब ककसी का अहकार बढ़ता दखन लग जब

उसक अहकार को चोट लगती ह तब वह बचन होता ह वसतए चाह न हो मगर परतरतिा हो परतरतिा क तरलए

सब भी छोड़न को तयार होता ह िररष मगर परतरतिा छोड़न को तयार नही होता म कछ ह ऐसा भाव रह तो

वह सब छोड़न को तयार ह भखा मर सकता ह उिवास कर सकता ह--अगर लोगो को खयाल रह कक यह

महातिसवी ह नगा खड़ा हो सकता ह धि-ताि सह सकता ह बस एक बात भर बनी रह कक यह आदमी गजब

का ह

िररष की जड़ उसक अहकार म ह इसतरलए सतरी की जड़ उसकी तषणा म ह तषणा शबद भी सतरण ह

अहकार शबद भी िररषवाची ह यह िररष का रोग ह अहकार और तषणा सतरी का रोग ह इन दोनो क तरमलन स

हम सब बन ह न तो तम िररष हो अकल न तम सतरी हो अकल जस मा और तरिता स तमहारा जनम हआ--आधा

तरहससा मा न कदया ह तमहार शरीर को आधा तरहससा तमहार तरिता न कदया ह कोई िररष एकदम शदध िररष

नही ह कयोकक मा का तरहससा कहा जाएगा और कोई सतरी शदध सतरी नही ह कयोकक तरिता का तरहससा कहा

जाएगा दोनो का तरमलन ह ऐस ही तरचतत बना ह तषणा और अहकार स तरसतरयो म तषणा की मािा जयादा

िररषो म अहकार की मािा जयादा भद मािा का ह और दोनो महारोग ह और दोनो को मार तरबना कोई दख

स मि नही होता

इसतरलए बदध न बड़ी अजीब बात कही ह कक यह अिन माता-तरिता को मारकर दख स मि हो गया ह

दखत ह इस भागयशाली तरभकष को इसकी तषणा भी नही रही--यह कछ िान को उतसक भी नही ह और इसका

कोई अहकार भी नही रहा--इसकी कोई म की घोरषणा भी नही रही यह शनयवत हो गया ह जस ह ही नही

इसन अिन को िोछ तरलया इसतरलए बदध कहत ह इतना ही नही इसन अिना भी आतमघात कर तरलया ह

अब खयाल करना अगर हमार जीवन की सारी दौड़ अहकार और तषणा स बनी ह तो तरजस कदन

अहकार और तषणा समापत हो जाएगी उसी कदन हमारा जीवन भी समापत हो गया--आतमघात भी हो गया

इसतरलए तो बदधिररष कहत ह कक तरजस वयतरि न तषणा और अहकार छोड़ कदया उसका दबारा जनम नही होगा

वह ससार म कफर नही आएगा उसका कफर िनः आगमन नही ह उसन जीवन का मलसरोत ही तोड़ कदया वह

महाजीवन म तरवराजता आकाश उसका घर होगा तरनवामण उसकी तरनयतरत होगी

इतना ही नही बदध कहत ह माता-तरिता को दो कषतरिय राजाओ को यह भी बड़ी अनठी बात ह बदध

कहत ह आतरसतकता और नातरसतकता य दो राजा ह दतरनया म कछ लोग आतरसतक बनकर बठ गए ह कछ लोग

नातरसतक बनकर बठ गए ह कछ क ऊिर आतरसतकता का राजय ह कछ िर नातरसतकता का राजय ह दोनो स

मतरि चातरहए कयोकक जो ह उस न तो हा स कहा जा सकता और न ना म कहा जा सकता जो ह वह इतना

बड़ा ह कक हा और ना म नही समाता

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इसतरलए बदध स जब कोई िछता ह ईशवर ह तब चि रह जात ह वह कछ भी नही कहत बदध स कोई

िछता ह आि आतरसतक ह तो चि रह जात ह नातरसतक ह तो चि रह जात ह कयोकक वह कहत ह कक

अतरसततव इतना तरवराट ह कक हा और ना की कोरटयो म नही समाता हा कहो तो भी गलती हो जाती ह ना

कहो तो भी गलती हो जाती ह हा और ना दोनो इसम समातरहत ह कोई कोरटया मन की काम नही आती

इसतरलए मन की सारी तरवभाजक कोरटयो स मि हो गया ह दो कषतरिय राजाओ को भी इसन मार डाला

हम अकसर तरवभाजन म िड़ रहत ह कभी तम कहत हो दख कभी तम कहत हो सख तरवभाजन हो

गया कभी तम कहत हो म िररष कभी तम कहत हो म सतरी तरवभाजन हो गया जहा-जहा दो का तरवभाजन

ह वहा-वहा तम मन क परभाव म रहोग दवत यानी मन और जहा दोनो तरगरा कदए तम चि हो गए--मौन

यानी मन क िार हो जाना मौन मन क बाहर हो जान की तरसथतरत ह मौन अदवत ह

इसन दो राजाओ को मार डाला ह उनक अनचरो को भी मार डाला ह--सब तरसदधात सब शासतर सब

कफलासफी इसन आग लगा दी ह अब न यह सोचता न यह तरवचारता अब तो यह शनय तरनरवमचार म ठहरा ह

इसन सार राषटर को भी मार डाला ह इसन अिन भीतर क सार ससार को ही उखाड़ डाला ह

खयाल करना तमहारा ससार तमहार िड़ोसी का ससार नही ह ितनी का ससार ितरत का ससार नही ह

बट का ससार बाि का ससार नही ह यहा उतन ही ससार ह तरजतन लोग ह हर आदमी अिन ससार म रह

रहा ह हर आदमी न अिन मन का तरवसतार ककया हआ ह वही उसका ससार ह

बदध कहत ह इसन सार अिन भीतर क जगत को ही जलाकर राख कर कदया तो यह बराहमण तरनषिाि हो

गया ह

माता-तरिता दो कषतरिय राजाओ वयाघरिचम को मारकर बराहमण तरनषिाि हो जाता ह

िाच शि ह जो मनषय को काट डालत ह चाह उनको िचतरनदरया कहो या िाच शि कहो िाच परकार

की कामवासनाए कहो लककन िाच शि ह जो मनषय को काट डालत ह यह उन िाचो को भी मारकर

हतया का ऐसा अदभत अथम सवभावतः तरभकष चौक गए होग जब िहली दफा सना होगा कक मा-बाि को

मारकर यह दख स मि हो गया ह

उनहोन िछा--तथागत कया कह रह ह

तथागत शबद का भी वही अथम होता ह जो सगत का सगत का अथम होता ह जो भलीभातरत चला गया

जो इस जमीन िर कदखायी िड़ता ह लककन अब यहा तरजसकी चतना नही ह तथागत का यह भी अथम होता ह

जो भलीभातरत आया और भलीभातरत चला गया जो ऐस आया जस आया ही न हो और ऐस चला गया जस गया

ही न हो तरजसका होना न होना ककसी को िता ही न चला जस िानी िर लकीर खीचत ह--ऐस बदधो का

आगमन ह इतरतहास िर कोई रखा नही छटती

इतरतहास िर रखा तो तरहटलर चगजखा तमरलग इनकी छटती ह बदधो की नही छटती न करत ह

तरवधवस तो कस रखा छटगी इतरतहास िर अतजमगत म परवश करत ह बाहर क जगत म तो धीर-धीर शनय हो

जात ह तो कस इतरतहास िर रखा छटगी बदधो को तथागत कहा जाता ह--चिचाि आत ह चिचाि चल जात

ह ककसी को कानो-कान खबर नही िड़ती

तरशषयो न िछा कक तथागत कया कह रह ह यह आि कसी बात कर रह ह कक माता-तरिता को मारकर

माता-तरिता को मारना तो सब स बड़ा िाि ह

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इसका एक और अथम म करना चाहगा जो इस सि म नही कहा गया ह लककन अगर बदध आज होत तो

कहत अमरीका म मनोतरवजञान की एक नयी िदधतरत तरवकतरसत हई ह टराजकशनल एनातरलतरसस महतविणम ह

बहत टराजकशनल एनातरलतरसस क तरहसाब स परतयक वयतरि म तीन वयतरि होत ह--एक तमहारी मा एक तमहारा

तरिता एक तमहारा बचिन छोटा बचचा ह हजार काम करना चाहता ह हजार रकावट िड़ती ह आग स

खलना चाहता ह मा कहती ह नही बाहर जाना चाहता ह तरमिो क िास बाि कहता ह नही रात हो गयी

सो जाओ जब सोना नही चाहता ह तब मा-बाि कहत ह सो जाओ जब उठना चाहता ह सबह तो उठन नही

दत जब नही उठना चाहता ह तो उठात ह जब खाना नही चाहता तो तरखलात ह जब खाना चाहता ह तो

रोकत ह कक अब बहत हो गया हजार तरनरषध ह तो छोटा बचचा तरनतररषदध होता जाता ह

वह जो तरनतररषदध छोटा बचचा ह तमहार भीतर वह कभी नही मरता वह तमहार भीतर मौजद ह इसतरलए

कभी-कभी तम अगर समझोग ठीक स ऐसी घड़ी आ जाती ह जब तमहारा छोटा बचचा परगट हो जाता ह--ककसी

न गाली द दी उस वि तम जो वयवहार करत हो वह छोट बचच का वयवहार ह तमहारी उमर िचास साल की

हो लककन ततकषण तम ऐसा वयवहार करत हो जस सात साल का बचचा भी करन म सकोच कर जरा सी बात

और तम भल गए अिन ितालीस साल लौट गए बचिन म िीछ तम िछताओग तम कहोग यह मन कस

ककया यह ककस बात न मझ िकड़ तरलया यह तो शोभा नही दता जरा सी बात हो गयी और तम एकदम

बचकानी अवसथा म वयवहार कर तरलए वह बचचा तमहार भीतर जजदा ह दबा िड़ा ह जरा सी चोट की जररत

ह तरनकल आता ह

तमन दखा होगा ककसी क घर म आग लग गयी म एक गाव म ठहरा था एक घर म आग लग गयी

उस घर क मातरलक को म बहत कदन स जानता था बड़ तरहममत का आदमी वह एकदम छाती िीट-िीटकर रोन

लगा

मन उस जाकर कहा कक त तरहममतवर आदमी ह--उसकी छाती भी बड़ी थी वह गाव म रामलीला म

अगद का िाटम करता था उसस बड़ी छाती का आदमी मन कफर दखा नही उसकी बड़ी चौड़ी छाती थी वह

एकदम छाती िीटकर--मन उसको जाकर कहा कक दख जरा सन भी इतनी बड़ी छाती और ऐस िीट रहा ह

और त अगद का काम करता ह मकान म ही आग लग गयी ह न

वह मझस बोला जञान की बात अभी नही मझ मत छड़ो अर म मर गया वह कफर िीटन लगा कक म

मारा गया म लट गया छोट बचच जसा--जस छोटा बचचा िर िटकन लगता ह और तरचललान लगता ह

तमन कभी खयाल ककया छोट बचच का एक लकषण होता ह वह ककसी भी चीज को चाहता ह तो अभी

चाहता ह इसी वि चाहता ह आधी रात म आइसकरीम चातरहए तो अभी चातरहए वह मान ही नही सकता कक

कल िर छोड़ा जा सकता ह--कयो कल िर अभी कयो नही

तमन अिन तरचतत म भी यह वतरतत दखी कई बार तरसर मारती एक कार रासत स गजरत दखी और तम

कहत हो अभी चातरहए इसी वि चातरहए चाह अब घर तरबक जाए चाह झझट म िड़ जाओ चाह कजम लना

िड़ चाह जजदगीभर चकान म लग जाए कजम मगर इसी वि चातरहए अब तो लना ही ह

अमरीका इस समय दतरनया म सबस जयादा बचकाना दश ह तो हर चीज इसटट--इसटट काफी--हर चीज

इसी वि चातरहए काफी बनान की भी झझट कौन कर तयार करन की भी झझट कौन कर तयार चातरहए

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हर चीज तयार चातरहए भोजन तयार चातरहए बस जयादा स जयादा तरडबबा खोलना आना चातरहए और कछ

खास जररत नही ह

हर चीज इसी वि हो य बचकानी बात ह मगर य मरती नही य भीतर रहती ह य कभी भी लौट

आती ह य ककसी दरदमन म दघमटना म परगट हो जाती ह तमहारी परौढ़ता ऊिर-ऊिर ह भीतर तमहारा बचचा

तरछिा ह जो कभी नही बढ़ा तरजसम कोई परौढ़ता आयी ही नही सामानय कामकाज म तम समहाल रहत हो

अिन को लककन जरा भी असामानय तरसथतरत आती ह कक तमहारी परौढ़ता दो कौड़ी की सातरबत होती ह तमहारी

परौढ़ता चमड़ी स जयादा गहरी नही ह जरा ककसी न खरोच कदया कक तमहारा बचचा परगट हो जाता ह तो यह

बचचा जाना चातरहए इसकी मतय होनी चातरहए तो ही तम परौढ़ हो िाओग

कफर तमहारी मा और तरिता तमहार भीतर सदा बठ ह इनकी भी मतय होनी चातरहए इसका बाहर क

माता-तरिता स कोई सबध नही ह टराजकशनल एनातरलतरसस का कहना यह ह कक वही वयतरि ठीक स परौढ़ हो

िाता ह तरजसक भीतर माता-तरिता की आवाज समापत हो जाती ह नही तो तम कछ भी करो माता-तरिता की

आवाज िीछा करती ह

समझो कक तम बचिन म कछ काम करत थ मा-बाि न रोक कदया था अब भी तम वह काम करना

चाहत हो भीतर स एक आवाज आती ह तमहारा तरिता कहता ह--नही हालाकक अब तम सवति हो तम

अधरी रात म बाहर जाना चाहत थ तरिता न रोक कदया था तम छोट बचच थ यह ठीक भी था रोक दना

तमहारी िररतरसथतरत क अनकल था अब भी तम अधर म जात हो बाहर तो ऐसा लगता ह तरिता इनकार कर रह

ह साफ नही होता भीतर स कोई रोकता ह भीतर स कोई दबाता ह भीतर स कोई कहता ह--मत जाओ यह

मत करो ऐसा मत करो यह जो भीतर तमहार तरिता की आवाज ह यह तमह कभी बढ़न न दगी तमहारी मा

अभी भी तमह िकड़ हए ह वह तमहारा िीछा नही छोड़ती उसस छटकारा चातरहए

समझो कक तम ककसी एक लड़की क परम म िड़ गए थ और तमहारी मा न बाधा डाल दी थी--शायद

जररी था डालना तमहारी उमर भी नही थी अभी अभी तम परम का अथम भी नही समझ सकत थ अभी तम

झझट म िड़ जात अभी तम उलझ जात तमहारी िढ़ाई-तरलखाई रक जाती तमहारा तरवकास रक जाता--मा न

रोक कदया था मा न सब तरह स तमह लड़ककयो स बचाया था

अब तमहारी शादी भी हो गयी ह तमहारी ितनी घर म ह लककन जब तम ितनी का भी हाथ हाथ म लत

हो तमहारी मा भीतर स रोक रही ह वह कह रही ह सावधान झझट म मत िड़ना तो तम ितनी का हाथ भी

हाथ म लत हो लककन िर मन स नही ल िात वह मा िीछ खीच रही ह इस मा का जाना होना ही चातरहए

नही तो तम कभी परौढ़ न हो िाओग

टराजकशनल एनातरलतरसस क लोगो को अगर बदध क य सि तरमल जाए तो उनक तरलए तो बड़ा सहारा

तरमल जाएगा--माता-तरिता की हतया माता-तरिता की हतया स तमहार बाहर क माता-तरिता की हतया का कोई

सबध नही ह तमहार भीतर जो माता-तरिता की परतरतमा बठ गयी ह उसकी हतया होनी चातरहए तभी तम मि

हो िाओग और यह बड़ मज की और तरवरोधाभासी बात ह कक तरजस कदन तम भीतर क माता-तरिता स मि हो

जाओग उस कदन तम बाहर क माता-तरिता को िहली दफा ठीक आदर द िाओग उसक िहल नही समादर

िदा होगा अभी तो तम भीतर इतन गरतरसत हो उनस कक तमहार मन म करोध ह मा-बाि को कषमा करना भी

मतरशकल ह

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गरतरजएफ न अिन दरवाज िर तरलख रखा था कक अगर तमन अिन मा-बाि को कषमा कर कदया हो तो

मर िास आओ अजीब सी बात सतय की खोज म आए आदमी स िछना कक तमन मा-बाि को कषमा कर कदया

या नही कषमा लोग कहत हम तो आदर करत ह वह कहता कक जाओ वािस िहल कषमा करो आदर अभी

कहा ह सब थोथा ह माफ तो करो िहल

माफ तम तभी कर सकोग जब तमहार भीतर स सारा मा-बाि का जाल तरमट जाए तम मि हो जाओ

तरजनस तम बध हो उनह माफ नही कर सकत गलामी को कोई माफ करता ह िरतिता को कोई माफ करता

ह कारागह को कोई माफ करता ह और तरजसन तमह गलाम बनाया ह उसको तम आदर कस द सकत हो

इसतरलए अगर बचच मा-बाि क परतरत अनादर स भर जात ह तो आियम नही ह मा-बाि क परतरत आदर

तभी हो सकता ह जब मा-बाि स िरा छटकारा हो जाए और यह बाहर की बात नही ह कक बाहर क मा-बाि

को छोड़कर भाग जाओ बाहर क मा-बाि को छोड़न स कछ भी नही होता तरहमालय चल जाओ वहा भी

भीतर क मा-बाि तमहारा िीछा करग व तमहार मन क तरहसस हो गए ह उस मन को बदलना जररी ह

बदध क य सि इसतरलए मन कह बड़ महतविणम ह

मातर तरितर हतवा राजानो दव च खतरततय

रटठ सानचर हतवा अनीघो यातरत बराहमणो

बराहमण मि हो जाता ह माता-तरिता को मारकर कषतरिय दो राजाओ को मारकर राजा क अनचरो को

मारकर सार राषटर की हतया करक अततः सवय अिनी हतया करक सार दखो क िार हो जाता ह

तरनवामण का अथम ही यही होता ह--अिन हाथ स अिनी महामतय को तरनमतरित कर लना तरनवामण का अथम

होता ह--दीए की जयोतरत जस बझ जाती ह ऐसा जो बझ जाए तरजसक भीतर कोई म न बच इस न-म की

अवसथा का नाम तरनवामण ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

तरानव परवचन

जीन म जीवन ह

िहला परशनः म तब तक धयान कस कर सकता ह जब तक कक ससार म इतना दख ह दररदरता ह दीनता

ह कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह िरमातमा मझ यकद तरमल तो उसस अिनी

शातरत मागन क बजाय म उन लोगो क तरलए दड ही मागना जयादा िसद करगा तरजनक कारण ससार म शोरषण

ह दख ह और अनयाय ह

जसी आिकी मजी धयान न करना हो तो कोई भी बहाना काफी ह धयान न करना हो तो ककसी भी

तरह स अिन को समझा ल सकत ह कक धयान करना ठीक नही लककन अभी यह भी नही समझ हो कक धयान

कया ह यह भी नही समझ हो कक दतरनया म इतना दख इतनी िीड़ा इतनी िरशानी धयान क न होन क

कारण ह

दखी आदमी दसर को दख दता ह और कछ दना भी चाह तो नही द सकता जो तमहार िास ह वही तो

दोग जो तमहार िास नही ह वह दना भी चाहो तो कस दोग दखी दख दता ह सखी सख दता ह यकद तम

चाहत हो कक दतरनया म सख हो तो भीतर की शातरत भीतर का होश अतरनवायम शत ह

धयान शबद िर मत अटको धयान का अथम इतना ही ह कक तम अिन भीतर क रस म डबन लग जब तम

रसिणम होत हो तो तमहार कतयो म भी रस बहता ह कफर तम जो करत हो उसम भी सगध आ जाती ह धयान

स भरा हआ वयतरि कठोर तो नही हो सकता करणा सहज ही बहगी धयान स भरा हआ वयतरि शोरषण तो नही

कर सकता असभव ह धयान स भरा हआ वयतरि जहसक तो नही हो सकता अजहसा और परम धयान की छायाए

ह करणा ऐस ही आती ह धयान क िीछ जस बलगाड़ी चलती ह और उसक िीछ चाको क तरनशान बनत चलत

ह--अतरनवायम ह

दतरनया म इतन लोग दखी ह और इतन लोग एक-दसर को दख द रह ह दख तरनतरित ह मगर दख का

कारण कया ह दख का कारण यही ह कक लोग सखी नही ह तम तरजस अवसथा म हो उसी की तरग तमस िदा

होती ह सब अिन सख की दौड़ म ही दसरो को दखी कर रह ह कोई अकारण तो दखी नही कर रहा ह कोई

ककसी को दखी करन क तरलए थोड़ ही दखी कर रहा ह सब चाहत ह सख तरमल और अिन-अिन सख की दौड़

म लग ह सवभावतः इस दौड़ म बड़ा सघरषम ह और सभी अिन सख को बाहर खोज रह ह सभी को कदलली

जाना ह सभी को कदलली क िदो िर बठना ह तो सघरषम ह छीना-झिटी ह उठा-िटक ह आिा-धािी ह

कफर ठीक स िहच कक गलत स िहच इसकी भी जचता करन की फसमत कहा कयोकक कदखायी ऐसा िड़ता

ह--जो ठीक का बहत तरवचार करत ह व िहच ही नही िात ह यहा तो जो ठीक का तरवचार नही करता ह वह

िहचता हआ मालम िड़ता ह तो धीर-धीर साधन मलयहीन हो जात ह बस लकषय एक ह कक सख तरमल जाए

कफर चाह सबका सख छीनकर भी सख तरमल जाए तो भी मरा सख मझ तरमलना चातरहए इसी चषटा म दसरा भी

लगा ह इसी चषटा म सारी िथवी क करोड़ो लोग लग ह और सब बाहर दौड़ रह ह धयान का अथम ह--सख

बाहर नही ह धयान का अथम ह--सख भीतर ह

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जो बाहर गया वह दख स और गहर दख म िहचता रहगा और तरजतन दख म िहचगा उतना ही पयासा

हो जाएगा कक सख ककसी तरह तरमल जाए कफर तो यन-कन-परकारण कफर तो अचछी तरह तरमल तो ठीक बरी

तरह तरमल तो ठीक ककसी की हतया स तरमल तो ठीक ककसी क खन स तरमल तो ठीक लककन सख तरमल जाए

जस-जस तम अिन स दर जाओग वस-वस सख की गहरी पयास िदा होगी और उस अधी पयास म तम कछ

भी कर गजरोग कफर भी सख तरमलगा नही तरसकदर को नही तरमलता न बड़ धनितरतयो को तरमलता ह सख

तरमला ह उनह जो भीतर की तरफ गए और भीतर की तरफ जान का नाम ह धयान अतयामिा ह धयान

जो अिन म डबा उस सख तरमलता ह जो अिन म डबा उसकी सिधाम समापत हो गयी उसकी कोई

परतरतयोतरगता नही ह कयोकक मरा सख मरा ह उस कोई छीनना चाह तो भी छीन नही सकता ह मरा सख मरी

ऐसी सितरतत ह जो मतय भी नही छीन िाएगी कफर ककसी स कया सिधाम ह और जब सिधाम नही तो शिता

नही कफर एक मिीभाव िदा होता ह

यहा कोई ककसी का सख नही छीन सकता ह यहा परतयक वयतरि सखी हो सकता ह अिन भीतर

िहचकर और परतयक वयतरि दखी हो जाता ह अिन स बाहर दौड़कर दख यानी बाहर सख यानी भीतर

बाहर दौड़ तो सघरषम ह जहसा ह वमनसय ह शोरषण ह भीतर आए तो न जहसा ह न शोरषण ह न वमनसय ह

और जो अिन सख म तरथर हआ उसक िास तरग उठती ह सख की उसक िास गीत िदा होता ह उसक िास

जो आएगा वह भी उस गीत म डबगा

इस दतरनया म उसी कदन दख समापत होगा तरजस कदन बड़ी मािा म धयान का अवतरण होगा उसक िहल

दख समापत नही हो सकता

अब तम िछत हो म तब तक धयान कस कर सकता ह जब तक कक ससार म इतना दख ह दररदरता ह

दीनता ह

यह दख ह ही इसीतरलए कक धयान नही ह और तम कहत हो तब तक म धयान कस कर सकता ह यह तो

ऐसी बात हई कक मरीज तरचककतसक को जाकर कह कक जब तक म बीमार ह तब तक औरषतरध कस ल सकता ह

िहल ठीक हो जाऊ कफर औरषतरध लगा बीमार हो इसीतरलए औरषतरध की जररत ह ठीक हो जाओग तो कफर तो

जररत ही न होगी बीमारी क तरमटान क तरलए औरषतरध ह धयान

तम कहत हो ससार म इतना दख इतनी िीड़ा इतना शोरषण इतना अनयाय ह म कस धयान कर

इसीतरलए धयान करो कम स कम एक तो धयान कर कम स कम तम तो धयान करो थोड़ी ही तरग सही

तमहार िास िदा होगी थोड़ा तो सख होगा माना कक इस बड़ जगल म एक फल तरखलन स कया होगा लककन

एक फल तरखलन स और फलो को भी याद तो आ सकती ह कक हम भी तरखल सकत ह और कतरलया भी तरहममत

जटा सकती ह दबी हई कतरलया अकररत हो सकती ह बीजो म सिन िदा हो सकत ह एक फल तरखलन स

परतयक बीज म लहर िदा हो सकती ह

कफर इसस कया फकम िड़ता ह तम तरखल थोड़ी सगध बटी थोड़ चाद-तार परसनन हए थोड़ा सा दतरनया

का एक छोटा सा कोना जो तमन घर रखा ह वहा सख की थोड़ी वरषाम हई तम यही तो चाहत हो न कक दतरनया

म सख की वरषाम हो कम स कम उतनी दतरनया को तो सखी कर लो तरजतन को तमन घरा ह तम दतरनया का एक

तरहससा हो तम दतरनया का एक छोटा सा कोना हो तम जस लोगो स तरमलकर ही दतरनया बनी ह आदमी

आदमी स तरमलकर आदतरमयत बनी ह आदतरमयत अलग तो नही ह कही जहा भी जाओग आदमी िाओग

आदतरमयत तो कही न िाओग कोई वयतरि तरमलगा समाज तो कही होता नही समाज तो कवल शबदकोश म

29

ह समाज का कोई अतरसततव नही ह वयतरि का अतरसततव ह तम तो कम स कम एक तो कम स कम तरखल जाए

इतनी तो किा दतरनया िर करो

तमहारी इस किा स इतना होगा कक तमस जो दगध उठती ह नही उठगी अगर तमह सच म लोगो िर

दया आती ह तो कम स कम उस दगध को तो रोक दो जो तमस उठती ह दसर िर तो तमहारा वश भी नही ह

कम स कम तम तो थोड़ी सगध दो तरजतना तम कर सकत हो उतना तो करो

तम कहत हो वह भी म न करगा कयोकक दतरनया बहत दखी ह

सारा गाव बीमार ह माना तम भी बीमार हो कम स कम तमह दवा तरमलती ह तम तो इलाज कर लो

एक आदमी ठीक हो जाए तो दसर आदतरमयो को ठीक करन क तरलए कछ उिाय कर सकता ह सारा गाव सोया

ह तम भी सोए हो कम स कम तम तो जग जाओ एक आदमी जग जाए तो दसरो को जगान की वयवसथा कर

सकता ह सोया आदमी तो ककसी को कस जगाएगा जागा हआ जगा सकता ह धयान का अथम इसस अतरतररि

और कछ भी नही ह

कफर भी तमहारी मजी तमह लगता हो जब तक दतरनया सखी न हो जाएगी तब तक म धयान न करगा

तो तम कभी धयान न करोग अनत काल बीत जाएगा तम धयान न करोग कयोकक यह दतरनया कभी सखी इस

तरह होन वाली नही ह तमहार धयान करन स दतरनया क इस बड़ भवन की एक ईट तो सखी होती ह एक ईट

तो सोना बनती ह एक ईट म तो पराण आता ह इतनी दतरनया बदली चलो इतना सही बद-बद स सागर भर

जाता ह तम एक बद हो माना बहत छोट हो लककन इतन छोट भी नही तरजतना तमन मान रखा ह

आतरखर बदध एक ही वयतरि ह एक ही बद ह लककन एक का दीया जला तो कफर दीए स और हजारो दीए

जल धयान एक की चतना म िदा हो जाए तो वह लिट बहतो को लगती ह सभी तो सख की तलाश म ह जब

ककसी को जागा हआ दखत ह और लगता ह कक सख यहा घटा ह तो उस तरफ दौड़ िड़त ह अभी दौड़ रह ह

जहा उनह कदखायी िड़ता ह सब दौड़ रह ह यदयतरि वहा कोई सख का परमाण भी नही तरमलता कफर भी और

कया कर और कछ करन को सझता भी नही

सब धन की तरफ जा रह ह तम दखी हो तम भी धन की तरफ जा रह हो दखत भी हो गौर स कक

धतरनयो क िास कोई सख कदखायी िड़ता नही लककन कर कया कछ न करन स तो बहतर ह कछ कर खोज

शायद तरमल जाए सार लोग दौड़ रह ह तो एकदम तो गलत न होग तो तम भी भीड़ म सतरममतरलत हो जात

हो

लककन जब कही ककसी बदध म ककसी कराइसट म ककसी कषण म तमह सख का दीया जलता हआ कदखायी

िड़ता ह तब तो तमहार तरलए परमाण होता ह कोई जा रहा ह या नही जा रहा ह यह सवाल नही ह तम जा

सकत हो

अगर तमन यह तय ककया ह कक जब सारी दतरनया सखी हो जाएगी तब म धयान करगा तो धयान कभी

होगा ही नही

और तम यह कहत हो कक कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह

सवाथम शबद का अथम समझत हो शबद बड़ा पयारा ह लककन गलत हाथो म िड़ गया ह सवाथम का अथम

होता ह--आतमाथम अिना सख सव का अथम तो म तो सवाथम शबद म कोई बराई नही दखता म तो तरबलकल िकष

म ह म तो कहता ह धमम का अथम ही सवाथम ह कयोकक धमम का अथम सवभाव ह

30

और एक बात खयाल रखना कक तरजसन सवाथम साध तरलया उसस िराथम सधता ह तरजसस सवाथम ही न

सधा उसस िराथम कस सधगा जो अिना न हआ वह ककसी और का कस होगा जो अिन को सख न द सका

वह ककसको सख द सकगा इसक िहल कक तम दसरो को परम करो म तमह कहता ह अिन को परम करो इसक

िहल कक तम दसरो क जीवन म सख की कोई हवा ला सको कम स कम अिन जीवन म तो हवा ल आओ

इसक िहल कक दसर क अधर जीवन म परकाश की ककरण उतार सको कम स कम अिन अधर म तो परकाश को

तरनमतरित करो इसको सवाथम कहत हो चलो सवाथम ही सही शबद स कया फकम िड़ता ह लककन यह सवाथम

तरबलकल जररी ह यह दतरनया जयादा सखी हो जाए अगर लोग ठीक अथो म सवाथी हो जाए

और तरजस आदमी न अिना सख नही जाना वह जब दसर को सख दन की कोतरशश म लग जाता ह तो

बड़ खतर होत ह उस िहल तो िता नही कक सख कया ह वह जबदमसती दसर िर सख थोिन लगता ह तरजस

सख का उस भी अनभव नही हआ तो करगा कया वही करगा जो उसक जीवन म हआ ह

समझो कक तमहार मा-बाि न तमह एक तरह की तरशकषा दी--तम मसलमान-घर म िदा हए कक जहद-घर

म िदा हए कक जन-घर म तमहार मा-बाि न जलदी स तमह जन जहद या मसलमान बना कदया उनहोन यह

सोचा ही नही कक उनक जन होन स जहद होन स उनह सख तरमला ह नही व एकदम तमह सख दन म लग गए

तमह जहद बना कदया मसलमान बना कदया तमहार मा-बाि न तमह धन की दौड़ म लगा कदया उनहोन यह

सोचा भी नही एक भी बार कक हम धन की दौड़ म जीवनभर दौड़ हम धन तरमला ह धन स सख तरमला ह

उनहोन जो ककया था वही तमह तरसखा कदया उनकी भी मजबरी ह और कछ तरसखाएग भी कया जो हम सीख

होत ह उसी की तरशकषा द सकत ह उनहोन अिनी सारी बीमाररया तमह सौि दी तमहारी धरोहर बस इतनी ही

ह उनक मा-बाि उनह सौि गए थ बीमाररया व तमह सौि गए तम अिन बचचो को सौि जाओग

कछ सवाथम कर लो कछ सख िा लो ताकक उतना तम अिन बचचो को द सको उतना तम अिन

िड़ोतरसयो को द सको यहा हर आदमी दसर को सखी करन म लगा ह और यहा कोई सखी ह नही जो सवाद

तमह नही तरमला उस सवाद को तम दसर को कस द सकोग असभव ह

म तो तरबलकल सवाथम क िकष म ह म तो कहता ह मजहब मतलब की बात ह इसस बड़ा कोई मतलब

नही ह धमम यानी सवाथम लककन बड़ी अिवम घटना घटती ह सवाथम की ही बतरनयाद िर िराथम का मकदर खड़ा

होता ह

तम जब धीर-धीर अिन जीवन म शातरत सख आनद की झलक िान लगत हो तो अनायास ही तमहारा

जीवन दसरो क तरलए उिदश हो जाता ह तमहार जीवन स दसरो को इतरगत और इशार तरमलन लगत ह तम

अिन बचचो को वही तरसखाओग तरजसस तमन शातरत जानी तम कफर परतरतसिधाम न तरसखाओग परतरतयोतरगता न

तरसखाओग सघरषम-वमनसय न तरसखाओग तम उनक मन म जहर न डालोग

इस दतरनया म अगर लोग थोड़ सवाथी हो जाए तो बड़ा िराथम हो जाए

अब तम कहत हो कक कया ऐसी तरसथतरत म धयान आकद करना तरनिट सवाथम नही ह

तरनिट सवाथम ह लककन सवाथम म कही भी कछ बरा नही ह अभी तक तमन तरजसको सवाथम समझा ह

उसम सवाथम भी नही ह तम कहत हो धन कमाएग इसम सवाथम ह िद िा लग इसम सवाथम ह बड़ा भवन

बनाएग इसम सवाथम ह म तमस कहता ह इसम सवाथम कछ भी नही ह मकान बन जाएगा िद भी तरमल

जाएगा धन भी कमा तरलया जाएगा--अगर िागल हए तो सब हो जाएगा जो तम करना चाहत हो--मगर सवाथम

हल नही होगा कयोकक सख न तरमलगा और सवय का तरमलन भी नही होगा और न जीवन म कोई अथमवतता

31

आएगी तमहारा जीवन वयथम ही रहगा कोरा तरजसम कभी कोई वरषाम नही हई जहा कभी कोई अकर नही फट

कभी कोई हररयाली नही और कभी कोई फल नही आए तमहारी वीणा ऐसी ही िड़ी रह जाएगी तरजसम कभी

ककसी न तार नही छड़ कहा का अथम और कहा का सव

तमन तरजसको सवाथम समझा ह उसम सवाथम नही ह तरसफम मढ़ता ह और तरजसको तम सवाथम कहकर कहत

हो कक कस म कर म तमस कहता ह उसम सवाथम ह और िरम समझदारी का कदम भी ह तम यह सवाथम

करो

इस बात को तम जीवन क गतरणत का बहत आधारभत तरनयम मान लो कक अगर तम चाहत हो दतरनया

भली हो तो अिन स शर कर दो--तम भल हो जाओ

कफर तम कहत हो िरमातमा मझ यकद तरमल भी तो उसस अिनी शातरत मागन क बजाय म उन लोगो

क तरलए दड ही मागना िसद करगा तरजनक कारण ससार म शोरषण ह दख ह और अनयाय ह

कया तम सोचत हो तम उन लोगो म सतरममतरलत नही हो कया तम सोचत हो व लोग कोई और लोग ह

तम उन लोगो स भी तो िछो कभी व भी यही कहत हए िाए जाएग कक दसरो क कारण कौन ह दसरा यहा

ककसकी बात कर रह हो ककसको दड कदलवाओग तमन शोरषण नही ककया ह तमन दसर को नही सताया

ह तम दसर की छाती िर नही बठ गए हो मातरलक नही बन गए हो तमन दसरो को नही दबाया ह तमन

वही सब ककया ह मािा म भल भद हो हो सकता ह तमहार शोरषण की परककरया बहत छोट दायर म चलती हो

लककन चलती ह तम जी न सकोग तम अिन स नीच क आदमी को उसी तरह सता रह हो तरजस तरह तमहार

ऊिर का आदमी तमह सता रहा ह यह सारा जाल जीवन का शोरषण का जाल ह इसम तम एकदम बाहर नही

हो दड ककसक तरलए मागोग

और जरा खयाल करना दड भी तो दख ही दगा दसरो को तो तम दसरो को दखी ही दखना चाहत हो

िरमातमा भी तरमल जाएगा तो भी तम मागोग दड ही दसरो को दख दन का उिाय ही तम अिनी शातरत तक

छोड़न को तयार हो

मन सना ह एक िरानी अरबी कथा ह दो तरमि थ एक अधा और एक लगड़ा साथ रहत और साथ ही

भीख मागत साथ रहना जररी भी था कयोकक अधा दख नही सकता था लगड़ा चल नही सकता था तो अधा

लगड़ को अिन कध िर तरबठाकर चलता था भीख अलग-अलग मागी भी नही जा सकती थी सग-साथ म ही

सार भी था साझदारी भी

कफर जस सभी साझदारो म झगड़ हो जात ह कभी-कभी उनम भी झगड़ हो जात थ कभी लगड़ा जयादा

िस िर कबजा कर लता कभी अधा जयादा िस िर कबजा कर लता कभी अधा चलन स इनकार कर दता कभी

लगड़ा कहता अभी आराम करना ह अभी मरी आख काम म न आएगी सवाभातरवक जस सभी साझदाररयो म

झगड़ होत ह उनम भी झगड़ हो जात थ

एक कदन तो बात ऐसी बढ़ गयी कक दोनो न एक-दसर को डटकर िीटा यह भी ठीक ह सभी धध म

होता ह भगवान को बड़ी दया आयी--िरानी कहानी ह उन कदनो भगवान आदमी को जयादा समझता नही

था अब तो दया भी नही आती कयोकक आदमी ऐसा मढ़ ह कक इस िर दया करन स भी कोई सार नही ऐसी

ही घटनाए बार-बार घटी और भगवान भी धीर-धीर आदमी की मढ़ता को समझ गया अब इतनी जलदी दया

नही करता भगवान को बड़ी दया आयी भगवान न सोचा कक अध को अगर आख और लगड़ को अगर िाव द

कदए जाए तो कोई एक-दसर का आतरशरत न रहगा एक-दसर स मि हो जाएग और इनक जीवन म शातरत होगी

32

भगवान परगट हआ और उसन उन दोनो स कहा कक तम वरदान माग लो तमह जो चातरहए हो माग लो कयोकक

सवभावतः भगवान न सोचा कक अधा आख मागगा लगड़ा िर मागगा मगर नही आदमी की बात िछो ही

मत

उनहोन लगड़ को दशमन कदया िछा कक त माग ल तझ कया मागना ह लगड़ न कहा--भगवान उस अध

को भी लगड़ा बना दो चौक होग कफर अध क सामन परगट हए अध न कहा--परभ उस लगड़ को अधा बना

दो

दोनो एक-दसर को दड दन म उतसक थ इसस दतरनया बहतर नही हो गयी अधा लगड़ा भी हो गया

और लगड़ा अधा भी हो गया हालत और खराब हो गयी शायद इसीतरलए अब भगवान इतनी जलदी दया नही

करता और ऐस आ-आकर परगट नही हो जाता और कहता नही कक वरदान माग लो बहत बार करक दख

तरलया आदमी की मढ़ता बड़ी गहरी मालम िड़ती ह

तम कहत हो--बीसवी सदी म--कक अगर िरमातमा मर सामन परगट भी हो जाए तो म अिनी शातरत

मागन क बजाय उनक तरलए दड मागगा तरजनक कारण दतरनया म दख ह

िहली तो बात तमहार कारण दख ह कफर तम सोचत भला होओ कक दसरो क कारण दख ह उनक

तरलए दड मागन स कया हल होगा हो सकता ह तमह बड़ी नाराजगी ह तमहार दफतर म जो तमहारा मातरलक ह

वह बड़ा दबा रहा ह और तमह दबना िड़ रहा ह लककन तमहार घर म तमहारी ितनी बठी ह उस तम दबा रह

हो और उस बड़ा दबना िड़ रहा ह तम उस समझात हो कक ितरत तो िरमातमा ह सकदयो स तमन समझाया

ह और वह जानती ह तमह भलीभातरत कक अगर तम िरमातमा हो तो िरमातमा भी दो कौड़ी का ह तमहार

साथ िरमातमा तक की बइजजती हो रही ह तमहारी इजजत नही बढ़ रही तमहार साथ िरमातमा क जड़न स

िरमातमा तक की नौका डबी जा रही ह उस तम सता रह हो सब तरह स उसका तमन सब तरह स शोरषण

ककया ह अगर ितनी स िछगा िरमातमा तो वह तमहार तरलए दड की वयवसथा करगी

ितनी कछ नही कर सकती अिन बचचो को सता रही ह उसक िास और कछ उिाय नही ह वह ककनही

भी बहानो स बचचो को सतान म लगी ह अचछ-अचछ बहान खोजती ह बचचो क भल क तरलए ही उनको मारती

ह बचच भी जानत ह कक इसस भल का कोई लना-दना नही ह आज तरिताजी और माताजी म बनी नही ह

इसतरलए बचच सावधान रहत ह कक आज झझट ह या तो इधर स तरिटग या उधर स तरिटग अगर बचचो स

िरमातमा िछ तो तो शायद वह अिनी मा को दड कदलवाना चाहगा कौन बचचा नही कदलवाना चाहता

अिनी मा को दड दषट मालम होती ह

अगर एक-एक स िछन जाओग तो तम िाओग हम सब जड़ ह ककसक तरलए दड कदलवाओग और दड

कदलवान स कया लाभ होगा सभी को दड तरमल जाएगा--अध लगड़ हो जाएग लगड़ अध हो जाएग--दतरनया

और बदतर हो जाएगी शायद इसी डर स भगवान तमहार सामन परगट भी नही होता कक ऐस ही हालत खराब

ह अब और खराब करवानी ह

तम अिनी शातरत न मागोग ककसी को यहा अिन सख म रस नही मालम होता दसर को दख दन म रस

मालम होता ह

कफर भी तम कहत हो दतरनया म दख कयो ह

33

शायद तमको लगगा अिनी शातरत मागन म तो सवाथम हो जाएगा तो म तमस कहता ह भल आदमी

सवाथम हो जान दो अिनी शातरत मागो कछ हजाम नही ह इस सवाथम म तम अिनी माग लो दसरो क सामन

परगट होगा व अिनी शातरत माग लग--यह दतरनया शात हो सकती ह

और धयान का कया अथम होता ह धयान का अथम होता ह--िरमातमा तो तमहार सामन परगट नही हो रहा

आि ही किा करक िरमातमा क सामन परगट हो जाओ धयान का इतना अथम होता ह िरमातमा तो परगट नही

हो रहा ह साफ ह शायद तमस डरता ह भय खाता ह बचता ह तम जहा जात हो वहा स तरनकल भागता ह

तमस िीछा छड़ा रहा ह लककन तम इतन शात होकर िरमातमा क सामन परगट हो सकत हो िरमातमा क

सामन सवय को परगट कर दना धयान ह और अनायास वरदान की वरषाम हो जाती ह तमहारा सारा जीवनकोण

बदल जाता ह दखन का ढग बदल जाता ह

मन सना ह एक झन साधक दर स आशरम लौटा गर न उसस दरी का कारण िछा तो तरशषय न कषमा

मागी और कहा कक माफ कर गरदव रासत म िोलो का खल हो रहा था वह म दखन म लग गया गर न िछा

कक कया तरखलाड़ी थक गए थ तरशषय न कहा जी हा खल क अत तक तो बहत थक गए थ गर न िछा कया

घोड़ भी थक गए थ तरशषय थोड़ा हरान हआ कक यह बात कया िछत ह मगर कफर उसन कहा हा घोड़ भी

थक गए थ कफर गर न िछा कया लकड़ी क खभ भी थक गए थ तब तो तरशषय न समझा यह कया िागलिन

की बात ह तरशषय उततर न द सका उस रात वह सो भी न सका कयोकक यह तो मानना असभव था कक गर

िागल ह इस बात की ही सभावना थी कक मझस ही कोई भल-चक हो रही ह परशन िछा ह तो कछ अथम होगा

ही

रात सोया नही जागता रहा सोचता रहा सोचता रहा सबह सरज की ककरण फटत ही उसक भीतर

भी उततर फटा जस अचानक एक बात अतसतल स उठी और साफ हो गयी वह दौड़ा हआ गर क िास िहचा

और उसन गर स कहा किा कर अिना परशन दोहराइए कही ऐसा न हो कक मन ठीक स सना न हो तो गर न

िछा कक कया खभ भी थक गए थ उस तरशषय न कहा हा खभ भी थक गए थ

गर बहत परसनन हए उनहोन उस गल लगा तरलया और कहा कक दख अगर खभो को थकावट न आती

होती तो थकावट कफर ककसी को भी नही आ सकती थी तरा धयान आज िरा हआ तन आदतरमयो को थकावट

आयी इसम हा भर दी घोड़ो को थकावट आयी इसम त थोड़ा तरझझका उसी सरलता स न कहा तरजतना तन

आदतरमयो क तरलए कहा था और जब मन खभो की बात िछी तब तो त तरबलकल अटक गया उसस जातरहर हो

गया कक तरा धयान अभी िरा नही हआ ह जब धयान िरा होता ह तो करणा समगर हो जाती ह आदमी ही

नही थकत ह घोड़ भी थकत ह खभ भी थकत ह सारा अतरसततव पराणवान ह इसतरलए सारा अतरसततव थकता

ह और सार अतरसततव को दया की जररत ह

मगर यह तो धयान की िररणतरत ह यह उस सवाथम की िररणतरत ह तरजसस तम बचना चाह रह हो यह

उस िरम सवाथम की अवसथा ह जहा खभ भी जो आमतौर स मदाम कदखायी िड़त ह व भी जीवत हो उठत ह

जहा ितथर और चटटान भी थकती ह जहा सारा अतरसततव पराणवान अनभव होता ह जहा सार अतरसततव क साथ

तम एक तरह का तादातमय अनभव करत हो एकता अनभव करत हो

म कल भवानी परसाद तरमशर की एक कतरवता िढ़ रहा था यह कहानी तो मन तमस बहत बार कही ह इस

उनहोन कतरवता म बाधा ह कहानी पयारी ह इस समझना--

अधोनमीतरलत नयन बदध बठ थ िदमासन म

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तरशषय िणम न कहा तरजस तरह पराण वयापत तरिभवन म

अथवा वाय तरनरभ गगन म जस मि तरवचरता

म तरिलोक म वसा ही कछ ह परभ घमा करता

शल-तरशखर नकदयो की धारा िारावार तर म

वचन आिक जहा कही जा िहच वही मर म

तरवकल मानवो क मन जाग शातरतपरभा म ऐस

सयोदय क साथ जाग जात ह शतदल जस

िणम न कहा कक आिक वचनो की सगध फलाता हआ मर बस यही एक आकाकषा ह जस सयम क ऊगन

िर हजार-हजार कमल तरखल जात ह ऐस आिकी जयोतरत को िहचाऊ और लोगो क हदय-कमल तरखल

अधोनमीतरलत नयन बदध बठ थ िदमासन म

तरशषय िणम न कहा तरजस तरह पराण वयापत तरिभवन म

अथवा वाय तरनरभ गगन म जस मि तरवचरता

म तरिलोक म वसा ही कछ ह परभ घमा करता

शल-तरशखर नकदयो की धारा िारावार तर म

वचन आिक जहा कही जा िहच वही मर म

तरवकल मानवो क मन जाग शातरतपरभा म ऐस

सयोदय क साथ जाग जात ह शतदल जस

वतस ककत यकद लोग न समझ कर तमह अिमातरनत

कहा िणम न परभ उनको म नही तरगनगा अनतरचत

धनयवाद ही दगा फकी धल न ितथर मार

कवल कछ अिशबद तरवरोधी बात सनी उचार

बदध न िछा कक अगर लोग अिमान करग िणम तो कफर तझ कया होगा लोग न समझग तो कफर तझ

कया होगा त तो समझान जाएगा लोग समझत कहा ह लोग समझना चाहत नही लोग तो जो समझान

आता ह उस िर नाराज हो जात ह लोग अगर तरा अिमान करग तो तझ कया होगा

वतस ककत यकद लोग न समझ कर तमह अिमातरनत

कहा िणम न परभ उनको म नही तरगनगा अनतरचत

धनयवाद ही दगा फकी धल न ितथर मार

कवल कछ अिशबद तरवरोधी बात सनी उचार

बड़ भल लोग ह ऐसा धनयवाद मानगा कछ थोड़ स अिशबद कह ितथर भी मार सकत थ धल भी

उछाल सकत थ थोड़ स अिशबद कह अिशबदो स कया बनता-तरबगड़ता ह न कोई चोट लगती न कोई घाव

होता बड़ भल लोग ह ऐसा ही मानगा

ककत अगर व हाथ उठाए फक तम िर ढल

धनयवाद दगा मानगा छड़छाड़ कक खल

अतरस न कोश स खीची उनन ककया नही वध मरा

35

बदध न कहा यह भी हो सकता ह कक व ढल भी मार तमहारी तरिटाई भी कर ितथरो स तमहारा तरसर

तोड़ द कफर िणम कफर कया होगा

ककत अगर व हाथ उठाए फक तम िर ढल

धनयवाद दगा मानगा छड़छाड़ कक खल

अतरस न कोश स खीची उनन ककया नही वध मरा

िणम न कहा खश होऊगा भल लोग ह तरकस स तीर न तरनकाला पराण ही न ल तरलए मर तरसफम ितथर

मारा खल-खल म समझगा करीड़ा की मारा ही मार नही डाला इतना ही कया कम ह

और वतस यकद वध कर डाला उन लोगो न तरा

परभ ऐसी यकद मतय तरमल तो भागय उस मानगा

धमम-िथ िर पराण गए तरनवामण उस जानगा

परभ न अधोनमीतरलत लोचन खोल िणम को दखा

अधरो िर परसफरटत हो उठी सहज सनहमय रखा

रखा शीश िर हाथ िणम क कहा वतस तम जाओ

तरनभमय होकर तरवकल मनो म शातरतपरभा परकटाओ

जब िणम न कहा कक तरसफम मारत ह मार ही नही डालत तो बदध न िछा और अगर व मार ही डाल

कफर तझ कया होगा िणम तो उसन कहा धमम क िथ िर अगर मर जाऊ तो इसस शभ और मतय कया होगी

परभ ऐसी यकद मतय तरमल तो भागय उस मानगा

धमम-िथ िर पराण गए तरनवामण उस जानगा

परभ न अधोनमीतरलत लोचन खोल िणम को दखा

अधरो िर परसफरटत हो उठी सहज सनहमय रखा

रखा शीश िर हाथ िणम क कहा वतस तम जाओ

तरनभमय होकर तरवकल मनो म शातरतपरभा परकटाओ

इतनी शातरत भीतर हो कक मौत भी िीड़ा न द इतना धयान भीतर हो कक अिमान अिमातरनत न कर

ितथर बरसाए जाए तो करीड़ा समझ म आए कोई पराण भी ल ल तो भी धनयवाद म बाधा न िड़ धनयवाद म

भद न िड़ तो ही कोई वयतरि इस जगत म सख दन म समथम हो िाता ह इसतरलए बदध न कहा अब तम जा

सकत हो तम जाओ बाटो अब तमहार िास ह तरजसक िास ह वही बाट सकता ह

धयान का कया अथम होता ह धयान का अथम होता ह जो सिदा तम लकर आए हो इस जगत म जो

तमहार अतरतम म तरछिी ह उस उघाड़कर दख लना िद को हटाना अिनी तरनजता को अनभव कर लना वह

जो भीतर तरननाद बज रहा ह सदा स सख का उसकी परतीतरत कर लना कफर तम बाहर सख न खोजोग कफर

बाहर क सब सख दख जस मालम होग भीतर का सख इतना िणम ह ऐसा िरातिर ऐसा शाशवत उसकी एक

झलक तरमल गयी तो सार जगत क सब सख दख जस हो जात ह उसकी एक झलक तरमल गयी तो बाहर का

जीवन मतय जसा हो जाता ह उसकी तलना म कफर सब फीका हो जाता ह कफर इसम दौड़-धाि नही रह

जाती सघरषम नही रह जाता यदध नही रह जाता कलह नही रह जाती

ऐस ही धयान को उिलबध वयतरि इस जगत म सख की थोड़ी सी गगा को उतार ला सकत ह ऐस ही

भगीरथ गगा को िकार सकत ह सख की तमस यह न हो सकगा तम धयान करन को ही राजी नही धयान का

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तमह अथम भी िता नही कयोकक अथम िता भी कस होगा जब तक करोग नही तम उस दवार को खोलन स

इनकार कर रह हो तरजस दवार को खोलन स परभ तरमलगा और तम कहत हो जब तक दतरनया म दख ह म यह

दवार िर दसतक न दगा कयोकक यह तो बड़ा सवाथम हो जाएगा लोग दखी ह लोग भी इसीतरलए दखी ह कक व

भी यही कह रह ह कक तब तक दसतक न दग इस दवार िर जब तक और लोग दखी ह

यह तो बड़ा दषट-चकर ह कम स कम तम तो दसतक दो तम तो भीतर झाककर दखो और तमह सख तरमल

जाए तो कफर दौड़ िड़ना बाहर जस िणम जा रहा था लोगो म शातरत की परभा जगान तम भी चल जाना कफर

तम स जो बन करना कफर तम जो भी करोग शभ होगा

धयान का अथम ह--होशिवमक जीना तरबना धयान क जो आदमी जीता ह बहोशी स जीता ह

आतरखरी बात आमतौर स तमन यही सना ह यही सोचा ह यही तमस कहा भी गया ह सकदयो स कक

दतरनया म दख ह कयोकक दतरनया म बर लोग ह बर लोग दख द रह ह दतरनया म िािी ह िातरियो क कारण

दख हो रहा ह तम कछ नए नही हो जो तम कहत हो अगर भगवान हम तरमल जाए तो इन दषटो को जो दतरनया

म दख फला रह ह इनको दड कदलवा दग तम नए नही हो तमहार ऋतररष-मतरन सदा स यही करत रह ह

इसतरलए तो नकम बनाया भगवान स पराथमना करवा-करवाकर नकम बनवाया कक िातरियो को नकम म डाल दो

लककन तमन दखा नकम की ही तरह तमन जमीन िर कारागह बना रख ह तरजनको तम गलत समझत

हो उनको कारागह म डाल दत हो कारागह स ककसी को तमन कभी सधरकर लौटत दखा कारागह स कभी

कोई सधरकर आया ह हा तमहारी दड दन की आकाकषा िरी हो जाती ह तमहारी दषटता िरी हो जाती ह उस

आदमी न एक गलती की थी तमन और एक गलती कर ली

उस आदमी न समझो कक ककसी की हतया की थी और समाज न उसस बदला ल तरलया समाज की तरफ

स परतरततरनतरध बठा ह अदालत म मतरजसटरट उसन उस फासी कदलवा दी लककन फासी दन स कया फकम हआ

जहा एक आदमी मरा था वहा दो आदमी मर एक भल दसरी भल स तो कटती नही घटती नही दगनी हो

जाती ह जहा थोड़ी सी कातरलख थी वहा और दगनी कातरलख हो गयी

एक आदमी न कछ भल-चक की थी तमन सजा द दी िाच साल जल म डाल कदया तमन कभी दखा

कक जल स लौटकर कभी भी कोई सधरा ह जल स लौटकर और तरबगड़कर आ जाता ह कयोकक जल म और

िरान दादाओ स तरमलन हो जाता ह दादागर वहा बठ ह िरान तरनषणात वह सब बता दत ह कक त िकड़ा कस

गया तर स यह भल हो गयी अब दबारा ऐसी भल मत करना तरजस वजह स दड कदया ह उसको थोड़ ही भल

समझत ह वहा कारागह म बठ लोग िकड़ जान को भल समझत ह

मर एक तरशकषक थ बहत पयार आदमी थ उनकी बात म कभी नही भलता मसलमान थ वह सदा

सिररटडट होत थ सकल म िरीकषाओ क सब स बजगम तरशकषक थ िहली दफ ही जब वह सिररटडट थ और मन

िरीकषा दी तो उनकी बात मझ जची वह आए अदर और उनहोन कहा कक तम चोरी करो नकल करो कछ भी

करो इसस मझ कफकर नही ह िकड़ भर मत जाना िकड़ गए तो सजा िाओग िकड़ गए तो मझस बरा कोई

भी नही अब तम खद ही सोच लो मझ चोरी स कोई एतराज ही नही ह चोरी स कया एतराज जब तक नही

िकड़ गए तब तक तम मज स करो अगर तमह िकड़ जान का डर हो तो जो-जो तरवदयाथी कछ नोट ल आए हो

कछ कर तरलए हो किा करक द द बहत स तरवदयारथमयो न द कदए तरनकालकर यह बात तो सीधी-साफ थी यह

गतरणत तरबलकल साफ-सथरा था

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इस दतरनया म दड चोरी का थोड़ ही तरमलता ह िकड़ जान का तरमलता ह तो जब तम ककसी चोर को

जल म डाल दत हो उसको जो कषट होता ह वह इस बात का होता ह कक म िकड़ा गया अब दबारा िकड़ा न

जाऊ बस तो वहा और दादागर ह व तरसखान बठ ह तमन और तरवदयालय म भज कदया उनको--जलखाना

तरवदयालय ह तमहार जलखान स कोई सधरकर नही तरनकला

अब तो मनोवजञातरनक कहन लग ह कक जलखान की िरी वयवसथा बदल दो इसको जलखाना कहो ही

मत इसको दडालय समझो ही मत इसको सधारालय या जयादा स जयादा असिताल कहो यहा तरचककतसा करो

लोगो की दड मत दो

मगर तमहार सतो को अभी भी अकल नही आयी ह अभी भी नकम म दड कदया जा रहा ह बात तो वही

की वही ह गतरणत वही का वही ह नकम स ककसी िािी क ठीक होकर लौटन की तमन खबर सनी ककसी िराण

म तरलखा ह मन तो बहत खोजा मझ नही तरमला कक कोई िािी नकम गया हो और वहा स सधरकर लौटा हो

कोई कहानी ही नही ह जो गया नकम सो नकम म ही िड़ा ह और तरबगड़ता जा रहा ह दड स कोई सधरता नही

दड स तो तरसफम तम भी दषट होन का मजा ल लत हो

कफर यह जो मौतरलक गतरणत ह इसक भीतर वह अब तक यह रहा कक जो आदमी बर ह उनक कारण

दतरनया म दख ह म तमस कहना चाहता ह बरो क कारण दतरनया म दख नही ह बहोश लोगो क कारण दख

ह और बहोश होन क कारण ही व बर भी ह बराई म जड़ नही ह बहोशी म जड़ ह और धयान यानी होश

अब तक दतरनया को हमन ऐसी कोतरशश की ह कक बरा आदमी भला हो जाए--दड स हो परलोभन स हो

मार-िीट स हो फसलान स हो ररशवत स हो तो नकम का भय कदखलात ह सवगम की ररशवत कदखलात ह आदर

तरमलगा सममान तरमलगा समाज म परतरतिा तरमलगी राषटरितरत िदमभरषण िदमशरी की उिातरधया दग अचछा करो

बरा ककया तो दड तरमलगा जलखान म िड़ोग परतरतिा खो जाएगी नाम न रहगा नकम म िड़ोग तो दड और

लोभ भय और परलोभन इनक आधार िर हम आदमी को बराई स उठान की कोतरशश करत रह ह यह कोतरशश

सफल नही हई दतरनया बरी स बरी होती चली गयी ह इस कोतरशश की बतरनयादी बात म कही भल ह जड़ म

भल ह

मरा तरवशलरषण कछ और ह मरा मानना ऐसा नही ह कक दतरनया म बर आदतरमयो क कारण दख ह मरा

मानना ऐसा ह कक दतरनया म बहोश आदतरमयो क कारण दख ह बहोश आदमी ही दख द सकता ह कयो

कयोकक तरजस होश आ जाए उस तो यह भी होश आ जाता ह कक दो दख और तरमलगा दख कौन अिन को दख

दना चाहता ह तरसफम बहोश आदमी दख द सकता ह कयोकक उस यह िता नही कक दख का उततर कफर और

बड़ा दख होकर आता ह

जस छोट बचच रासत स गजरत हो कसी का धकका लग गया तो गसस म आ जात ह कसी को एक थािड़

जमा दत ह थािड़ स कसी को चोट लगती कक नही उसका तो कछ िता नही उनक हाथ को चोट लगती ह

मगर व बड़ परसनन हो जात ह कक दड द कदया

तम जब भी ककसी को दख द रह हो तम बचकानी बात कर रह हो इसका उततर आएगा

मन सना ह एक छोटी सी बड़ी पयारी कहानी समराट अकबर की एक बगम थी जोधाबाई अकबर

जोधाबाई और बीरबल एक सबह नदी-तट िर घमन को गए ह जोधाबाई आग थी बीरबल बीच म था

अकबर सब क िीछ था अकबर को शरारत सझी उसन बीरबल की कमर म तरचकोटी काट ली बीरबल को

गससा तो बहत आया लककन चि रहा सोचन लगा कया कर कछ कदम आग चलकर बीरबल न जोधाबाई

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की कमर म तरचकोटी काट ली जोधाबाई न करोध म एक तमाचा बीरबल क मह िर जड़ कदया बीरबल न उसी

परकार एक जोरदार तमाचा िीछ आ रह अकबर क मह िर जड़ कदया अकबर आग-बबला होकर बोला

बीरबल यह कया तरहमाकत ह गसताखी माफ तरजलल-इलाही बीरबल न कहा आिन जो तरचटठी भजी थी उसका

जवाब आया ह

जवाब आत ह यहा कोई भजी गयी तरचटठी तरबना जवाब क नही रहती यह सारा अतरसततव परतयततर दता

ह परतरतधवतरनत करता ह तम जो करत हो वह लौटता ह और कई गना होकर लौटता ह--तरचकोटी काटी थी

और जोरदार तमाच की तरह लौटता ह चाह तम सोच भी न िाओ कक मरी तरचकोटी स इसका कोई सबध ह

लककन सबध ह यही तो कमम का िरा तरसदधात ह दख दो और दख िाओग कफर दख िाओग तो और दख दन

को उतसक हो जाओग और दख दोग और दख िाओग कफर तो इसका जाल कही टटगा नही ससार म दख

घना होता जाता ह इसीतरलए

बर आदमी क कारण दख नही ह बहोश आदमी क कारण दख ह नीतरत समझाती ह कक बरा आदमी

भला हो जाए धमम समझाता ह बहोश आदमी होश म आ जाए--नीतरत और धमम का यही भद ह नतरतक आदमी

जररी नही ह धारममक हो लककन धारममक आदमी जररी रि स नतरतक होता ह नतरतक आदमी हो सकता ह न

ईशवर को मान न धयान को मान आतरखर रस म भी नतरतक आदमी ह चीन म भी नतरतक आदमी ह नातरसतक

भी नतरतक हो सकता ह नतरतक होन क तरलए धारममक होन की कोई जररत नही ह लककन धारममक आदमी

अनतरतक नही हो सकता धमम की िकड़ और गहरी ह धमम क साथ नीतरत अिन आि आती ह नीतरत क साथ धमम

अिन आि नही आता

कफर नीतरत म तो एक तरह का दमन होता ह तम अचछ होन की कोतरशश करत हो ककसी तरह रोक-

थामकर अिन को अचछा भी बना लत हो लककन भीतर-भीतर तो बराई की आग जलती रहती ह भीतर तो

वही रोग उफनत रहत ह भीतर तो वही मवाद इकटठी होती रहती ह चोरी तम भी करना चाहत हो लककन

कर नही िात बईमानी तम भी करना चाहत हो लककन घबड़ात हो दतरनया म सौ ईमानदारो म तरननयानब

इसीतरलए ईमानदार होत ह कक बईमानी करन क कारण िकड़ जान का भय ह ईमानदार नही ह तरसफम िकड़

जान का भय ह अगर कोई आशवसत कर द कक कोई भय नही ह तम करो तो व करन को ततिर हो जाएग

इसीतरलए ऐसा हो जाता ह कक जब कोई आदमी सतता म नही होता तब तक ईमानदार होता ह कयोकक

तब तक िकड़ जान का डर होता ह जस ही सतता म िहचता ह धीर-धीर िकड़ जान का डर समापत हो जाता

ह--कौन िकड़गा आकर तम परधानमिी हो गए कक राषटरितरत हो गए अब तमह कौन िकड़गा अब तो तम

कानन की छाती िर बठ गए अब तो हर चीज तमहार नीच हो गयी--तो धीर-धीर जस-जस उसको समझ म

आन लगता ह कक अब तो सब चीज मर हाथ म ह वस-वस सार रोग जो भीतर दब थ बाहर आन लगत ह हर

सततातरधकारी बईमान हो जाता ह धोखबाज हो जाता ह

इसतरलए तम हरान होत हो कक आतरखर यह कय होता ह कक अचछ लोगो को हम भजत ह सतता म--अचछ

क कारण ही भजत ह चनाव म वोट दत ह कक आदमी अचछा ह भला ह कफर यह हो कया जाता ह िद िर

िहचत ही आदमी धीर-धीर बदल कयो जाता ह कब बदल जाता ह कस बदल जाता ह

इसकी बदलाहट का राज इतना ही ह कक वह अचछा था नतरतक आधार िर अचछा था कयोकक बर होन म

नकसान था अचछा था कयोकक बर होन म भय था अचछा था कयोकक अचछ म ही लाभ था अब सतता म िहच

गया अब उस कदखायी िड़ता ह--अब अगर बरा हो जाऊ तो खब लाभ ह अब अचछ होन म जयादा लाभ नही

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ह अब अचछ होन म तो हातरन ह अगर सतता म िहचकर अचछा बना रहा तो न धन इकटठा कर िाऊगा न

शतरि इकटठी कर िाऊगा न दशमनो स बदला ल िाऊगा न आग तक क तरलए अिना इतजाम कर िाऊगा न मर

बचच भी आग जाकर सतता म बठ रह इसकी वयवसथा जटा िाऊगा तो अब तो अचछ रहन म कोई लाभ नही ह

वह अचछा था लाभ क कारण अब बर होन म लाभ ह और लाभ उसका मल आधार था तो जब लाभ अब बर

होन म ह तो बरा हो जाना ही सहज तकम यि बात ह इसतरलए दतरनया म सभी सततातरधकारी बर हो जात ह

और आदमी सदा स यही सोचता रहा कक मामला कया हो जाता ह हम भजत ह समाज-सवको को

आतरखर म सब बात बदल जाती ह जो समाज-सवा करत थ गरीबो की सवा करत थ ऐसा करत थ वसा करत

थ सतता म िहचत ही सब भल जात ह शोरषण शर कर दत ह तरजनक तरखलाफ लड़कर िहच थ वही करना

शर कर दत ह सतता सभी को एक सा कर डालती ह

कयो कयोकक अतरधकतर आदमी धारममक नही ह नतरतक ह नतरतक आदमी का कोई भरोसा नही

मन सना ह मलला नसरददीन एक तरलफट म सवार था एक मतरहला भी साथ सवार थी--एक सदर

मतरहला नसरददीन न उसस कहा कक अगर आज रात मर िास रक जाओ तो िाच हजार रिय दगा वह मतरहला

तो एकदम नाराज हो गयी उसन कहा म अभी ितरलस को बलाती ह तमन इस तरह की बात कही कस

नसरददीन न कहा तो कोई बात नही दस हजार ल लना दस हजार सनकर मतरहला ढीली िड़ गयी उतना

तमतमायािन न रहा और नसरददीन न कहा कछ कफकर न कर िस की कोई कमी नही िदरह हजार दगा उस

मतरहला न जलदी स नसरददीन का हाथ अिन हाथ म ल तरलया नसरददीन न कहा और अगर िदरह रिय द तो

चलगा तो वह मतरहला तो बहत आग-बबला हो गयी उसन कहा तमन समझा कया ह मझ नसरददीन न

कहा वह तो म समझ गया त भी समझ गयी म भी समझ गया कक त कौन ह अब तो मोल-भाव करना ह

िदरह हजार म राजी ह त कौन ह यह तो हम समझ गए अब तो मोल-भाव की बात ह िदरह हजार म राजी

ह तो कौन ह इसम अब कोई बाधा न रही

तम भी खयाल करना तमहारी नतरतकता तमहारी भलाई की एक सीमा होती ह तम चोरी शायद न

करो िाच रिय िड़ ह शायद तम तरनकल जाओ साध बन िदरह िड़ ह शायद तरनकल जाओ िदरह हजार िड़

ह कफर रठठकन लगोग िदरह लाख िड़ ह कफर तम छोड़ोग तम कहोग अभी साधता छोड़ो अब यह साधता

ससती िड़ रही ह जो िड़ा ह वह जयादा काम का ह यह साधता कफर समहाल लग एक दफा िदरह लाख हाथ

म आ जाए तो साधता तो कभी भी समहाल लग मकदर बनवा दग दान करवा दग साध तो कफर हो जाएग

साध होन म कया रखा ह इस मौक को तम न छोड़ सकोग

नतरतक आदमी की सीमा होती ह धारममक आदमी की कोई सीमा नही होती नतरतक आदमी कारण स

नतरतक होता ह धारममक आदमी तरसफम होश क कारण नतरतक होता ह और धयान क तरबना होश नही

तो तरजनहोन परशन िछा ह वह होग थोड़ नतरतक जचतक होग थोड़ा नीतरत का तरवचार करत होग मगर धमम

का उनह कोई तरहसाब अभी खयाल म नही ह और नतरतक होन स कोई नतरतक नही होता धारममक होन स ही

वसततः नतरतक होता ह नीतरत तो धोखा ह नीतरत तो झठा तरसकका ह धमम क नाम िर चलता ह लककन असली

नही ह

म चाहता ह तम जागो होश स भरो होश स भरत ही आदमी बरा नही रह जाता कयोकक होश स भरा

आदमी बरा हो ही नही सकता यह तो ऐस ही ह जस रोशनी जल गयी और अधरा समापत हो गया अब तम

दरवाज स तरनकलोग दीवाल स थोड़ ही तरनकलोग अधर म कभी-कभी दीवाल स तरनकलन की कोतरशश की थी

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जरर टकरा भी गए थ तरगर भी थ फनीचर स भी उलझ गए थ चोट भी खा गए थ दसर को भी चोट िहचा

दी थी लककन अब रोशनी जल गयी ह अब तो न टकराओग न फनीचर िर तरगरोग न सामान टटगा न

बरतन तरगरग न दिमण फटगा न दीवाल म तरसर टकराएगा अब तो तम सीध तरनकल जाओग अब तो रोशनी

बहोशी जानी चातरहए आदमी साधारणतः बहोश ह हम एक नश म चल रह ह इस छोटी सी घटना को

सनो--

योजना तरवभाग क दो बाब अफीम क बहत शौकीन थ इसतरलए कायामलय म भी अकसर तरिनक म रहत

थ एक कदन ऊिर स आदश आया कक आकदवासी कषि म एक कए का तरनमामण ककया जाए इनक तरजमम कए क

सथल-तरनरीकषण का भार सौिा गया दोनो सथल-तरनरीकषण क तरलए चल िड़ रासत म उनह एक कआ तरमला व

काफी चल चक थ इसतरलए थकावट दर करन क तरलए थोड़ी दर वहा रक िानी िीया और अफीम चढ़ायी जब

अफीम काफी चढ़ गयी तब एक बाब न दसर स कहा कयो यार यकद हम लोग इस कए को आकदवासी कषि म

ल चल तो नया कआ खदवान का िसा उड़ा सकत ह दोनो अफीम म थ दोनो को बात जच गयी कक बात

तरबलकल सीधी-सीधी ह नया कआ बनान की जररत कया ह यहा कोई कदखायी भी नही िड़ता कआ एकात

म िड़ा ह इसी को ही ल चल

दसरा खश होकर बोला यार तमहार कदमाग का कोई जवाब नही चलो कोतरशश कर इतन म हवा का

झोका आया अफीम और चढ़ गयी दोनो वही लढ़क गए दोनो कए को धकका द रह थ जब लढ़ककर तरगर गए

धकका दत ही कोतरशश म लग थ कक ल चल धकाकर

काफी दर बाद उनको बहोश दखकर दहाती इकटठ हो गए एक बाब को कछ होश आया तो उसन

दहातरतयो को दखकर अिन दोसत को कहा बस करो यार आकदवासी कषि आ गया ह जयादा और जोर

लगाओग तो अिन लोग आग बढ़ जाएग वह समझ कक आ गया गाव ल आए हम कए को धकाकर यहा तक

और अब अगर जयादा जोर लगाया तो आग भी तरनकल जा सकत ह रक जाओ

ऐसी एक तरिनक ह तरजसम हम डब ह तरवचार की तदरा ह मन की बहोशी ह सब भीतर अधरा-अधरा ह

रोशनी जलती नही धआ-धआ ह इसम हम सब कछ ककए जा रह ह जो हम करत ह--हम शभ भी कर ऐसी

दशा म तो अशभ ही होगा सोए आदमी स शभ होता ही नही सोए आदमी स िणय होता ही नही और जाग

आदमी स िाि नही होता ह

इसतरलए म िािी को िणयातमा नही बनाना चाहता म तरसफम सोए को जागा बनाना चाहता ह तरजस कदन

तमहार भीतर धयान होता ह--धयान का अथम ह तरनरवमचार चतनय कोई तरवचार का धआ नही माि होश--उस

होश की आभा म तमह सब साफ कदखायी िड़न लगता ह कहा चलो कया करो अब तक कया ककया और कया-

कया िररणाम हए सारा अतीत सिषट हो जाता ह इतना ही नही सारा भतरवषय सिषट हो जाता ह सारी बात

ऐस साफ हो जाती ह जस कदन म सरज तरनकलता ह और सब रासत कदखायी िड़न लगत ह और रात क अधर

म सब खो जात ह

धयान क तरलए कोई बहान खोजकर बचन की कोतरशश मत करना धयान इस जगत म एकमाि करन योगय

बात ह शरष न ककया चलगा धयान न ककया तो चक तो जीवन स चक कफर भी तमहारी मजी

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दसरा परशनः परतयक कामना अिना परतरतिकष तरलए कयो आती ह उसका तरवभातरजत रहना कया अतरनवायम

ह और कया कोई अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह यह कामना कया ह

िहल तो कामना कया ह कामना का अथम ह--जो ह जसा ह वसा ठीक नही ह जहा ह वहा सतषट नही

ह कही और होऊ कछ और होऊ ककसी और ढग स होऊ कामना का अथम ह--यह जगह मरी जगह नही कोई

और जगह मरी जगह ह यह जो मरा जीवन ह यह मरा जीवन नही कोई अनय जीवन मरा जीवन ह कामना

का अथम ह--जो ह उसस अततरपत और जो नही ह उसकी आकाकषा

कामना का मौतरलक सवर असतोरष ह और तरजसको कामना स मि होना हो उस सतोरष क िाठ सीखन

िड़त ह जो जसा ह उसस राजी ह जहा ह उसस राजी ह तरजसका राजीिन िरा ह जो कहता ह कक ठीक

तरजतना तरमलता उतना भी कया कम ह जो तरमलता उतना भी कया कम ह तरमलता ह यही कया कम ह ऐस

तरजसक जीवन म भीतर एक सतोरष का सगीत बजता ह उसकी कामना तरवसरजमत हो जाती ह

कामना असतोरष का शोरगल ह

तो जो मकान ह तमहार िास उसस मन राजी नही बड़ा मकान चातरहए तरजसक िास बड़ा ह उसका

बड़ स राजी नही उस और बड़ा चातरहए और इतना बड़ा मकान कभी हआ ही नही तरजसस कोई राजी हआ हो

जो सदर ह वह अिन सौदयम स राजी नही जो सवसथ ह वह अिन सवासथय स राजी नही ककसी बात स हम

राजी नही ह नाराज रहना हमारा सवभाव हो गया ह हर चीज हम काटती ह और हम लगता ह इसस

बहतर हो सकती ह इसस बहतर हो सकती ह बस इसी स कामना िदा होती ह कलिना स कामना िदा होती

िश-िकषी परसनन ह कयोकक कलिना नही ह वकष आनकदत ह--य सर क वकष हवा म डोलत हए आनकदत

ह इनह कछ परयोजन नही ह य जो ह बस ियामपत ह इनह ककसी और वकषो जसी ितरततया नही चातरहए िास म

ही खड़ अशोक क वकषो स इनकी कोई सिधाम नही ह इनक मन म यह कभी तरवचार नही आया कक अशोक जस

ितत हमार कयो नही ह गद का फल गलाब स ककसी तरह की सिधाम म नही ह चटटान जो िड़ी ह उस वकष स

कछ लना-दना नही ह कक म वकष जसी कयो नही ह--कलिना नही ह कलिना नही ह तो कामना नही ह जो ह

जसा ह उसस िरम ततरपत ह इसतरलए परकतरत म तमह इतना सवगम मालम िड़ता ह

इसतरलए कभी-कभी भागकर तम जब तरहमालय चल जात हो बठत हो कभी चाद को दखत हो रात या

सागर की तरगो को दखत हो सरज को ऊगत दखत हो घन जगलो की हररयाली को दखत हो तब तमह एक

तरह की ततरपत तरमलती ह वह ततरपत--परकतरत की ततरपत की थोड़ी सी छाया तमम बन रही ह

यहा सब शात ह यहा कोई कही नही जा रहा ह परकतरत अिनी जगह ठहरी ह गतरत नही ह दौड़-धि

नही ह परतरतयोतरगता नही ह सब अिन होन स राजी ह घास का छोटा सा िौधा भी अिन होन स िरम परसनन

ह आकाश-छत दवदार क वकषो स भी उसकी कोई ईषयाम नही ह वह यह भी नही कहता कक तम बड़ म छोटा

छोटा-बड़ा परकतरत म कोई होता नही

आदमी की तकलीफ ह कक आदमी कलिना कर सकता ह आदमी की जो तकलीफ ह उस ठीक स समझ

लोग तो आदमी इन वकषो और फलो स भी जयादा आनकदत हो सकता ह कयोकक वकषो और ितथरो और िहाड़ो

का सख तो अचतन ह आदमी का सख चतन हो सकता ह मगर दशा यही चातरहए आदमी रहत हए तरजस कदन

तम वकष जस सतषट हो जाओग उस कदन तम िाओग सवगम उतर आया

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धयान रखना कोई सवगम म नही जाता सवगम तमम उतर आता ह सतोरष क िीछ चला आता ह

तो िहली तो बात कामना कया ह कामना का अथम ह--यह ठीक नही वह ठीक ह यह और वह क बीच

की जो दरी ह वह कामना ह और वह दरी कभी तरमटती नही वह ऐसी दरी ह जस तरकषतरतज और तमहार बीच

होती ह कदखता दर जयादा दर नही होगा िदरह मील बीस मील आकाश जमीन स तरमलता हआ कदखायी

िड़ता ह तम सोचत हो दौडगा तो अभी घटभर म िहच जाऊगा दौड़त रहो जनमो-जनमो दौड़त रहो--

जनमो-जनमो दौड़त ही रह हो--कही भी आकाश िथवी को छता नही ह तरसफम छता मालम िड़ता ह कदखायी

िड़ता ह कयोकक िथवी गोल ह इसतरलए कदखायी िड़ता ह कक छ रहा ह बीस मील चलन क बाद िाओग कक

आकाश भी बीस मील िीछ हट गया तम सारी िथवी का चककर लगा आओग और िाओग आकाश को कभी

तमन कही िथवी को छत नही दखा छता ही नही ह

ऐसी ही कामना ह यह और वह की दरी बनी ही रहती ह उतनी की उतनी ही बनी रहती ह तमहार

िास दस हजार रिय ह मन कहता ह अगर एक लाख हो जाए तो बस कफर नही चातरहए कछ तमहारा मन

कहता ह बार-बार कहता ह कक बस एक लाख हो जाए एक लाख होत ही तम िाओग कक वही मन कहन लगा

कक अब दस लाख जब तक न होग तब तक शातरत नही कयो दस हजार थ तो एक लाख--दस गन म शातरत थी

अब एक लाख ह तो दस लाख--दस गन म कफर शातरत ह फासला उतना का उतना ह

गरीब और अमीर दोनो क बीच कामना बराबर होती ह तरभखारी और समराट क बीच कामना बराबर

एक सी होती ह कोई फकम नही होता कया तम सोचत हो तरभखारी खड़ा हो और समराट खड़ा हो तो यह जो

आकाश छता हआ कदखायी िड़ता ह दोनो क तरलए अलग-अलग दरी िर कदखायी िड़गा समराट को भी बीस

मील आग कदखायी िड़ता ह तरभखारी को भी बीस मील आग कदखायी िड़ता ह यह भातरत समान ह जो जहा

ह सदा उसस आग कही ततरपत का सरोत मालम होता ह कही आग ह मरदयान यहा मरसथल वहा ह मरदयान

तरजसन जाना कक यही ह मरदयान और इसी कषण म आख बद करक डबकी मार ली तरजसन कामना

छोड़ी कलिना छोड़ी सवगम उतर आता ह तम कामना छोड़ो इधर सवगम आया और कामना छोड़न का मतलब

यह नही ह कक तम सवगम की कामना क तरलए कामना छोड़ो नही तो कामना छोड़ी ही नही कफर भल हो

जाएगी ऐसी भल रोज होती ह

धारममक आदमी यही भल करता ह वह कहता ह चलो ठीक आि कहत ह कामना छोड़न स सख

तरमलगा तो हम कामना छोड़ दत ह सख तरमलगा न िकका ह मगर यह तो कामना का ही नया रि हआ

कामना छोड़न स सख तरमलता ह िररणाम की तरह नही छाया की तरह तमन कामना छोड़ी तो उसी छोड़न

म सख तो था ही कामना क कारण कदखायी नही िड़ता था कामना गयी कक सख परगट हो जाता ह जस िदाम

िड़ा था इस िद क हटन स सख िदा होन का कोई सबध नही ह यह उसका िररणाम नही ह सख तो िड़ा ही

था तमन कामना का िदाम डाल रखा था लककन अगर तमन सोचा कक चलो कामना छोड़न स सख तरमलगा हम

कामना छोड़ दग तो तम कामना को तो सजा रह हो भीतर अभी भी अभी भी तम सख िाना चाहत हो

इसीतरलए कामना छोड़न को भी राजी हो

यह धारममक जीवन की सबस बड़ी उलझन ह लोग कहत ह ससार छोड़न स सवगम तरमल जाएगा तो

ससार छोड़ दत ह--मगर सवरग िान की आशा म और िान की आशा का नाम ससार कछ तरमल इस वासना

का नाम ससार

परतयक कामना का अिना परतरतिकष कयो ह

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होगा ही कयोकक कामना तरवभाजन करती ह यह और वह यहा और वहा म तरवभाजन करती ह ससार

और सवगम तरवभाजन स ही कामना जीती ह अगर तरवभाजन न हो तो कामना ही मर जाए अगर दो न हो तो

कामना कस करोग दो तो अतरनवायम ह जो म ह वह और जो म हो सकता ह वह यह दो की तो धारणा

अतरनवायम ह तो दोनो क बीच कामना का सत बनगा कामना का तार जखचगा कामना की रससी फलगी अगर

एक ही ह तो कफर कसी कामना

इसीतरलए तो जञातरनयो न कहा एक को ही दखो तो कामना मर जाएगी एक ही ह बरहम ही ह या सतय

ही ह तो कफर कामना नही बचगी जो ह ह इसस अनयथा न हआ ह न हो सकता ह कफर कस कामना

करोग कफर कामना का कोई उिाय न रह जाएगा

मन सना ह एक सफी फकीर हसन रोज पराथमना करता था और रोज छाती िीटता था और िरमातमा स

कहता था ह परभ दवार खोलो कब स िकार रहा ह वह एक बार एक दसर सफी फकीर सतरी रातरबया क घर

ठहरा हआ था--रातरबया बड़ी अनठी औरत हई जस मीरा जस सहजो जस थरसा ऐसी रातरबया जस बदध

कषण और महावीर िररषो म ऐसी रातरबया रातरबया सनती थी दो-तीन कदन स हसन उसक यहा ठहरा था

रोज पराथमना करता रोज छाती िीटता और कहता ह परभ दवार खोलो कब स िकार रहा ह कब मरी अजम

सनोग

तीसर कदन रातरबया स न सना गया वह िास ही बठी थी उसन जाकर उस तरहलाया हसन को उसन

कहा सनो जी दरवाजा खला िड़ा ह यह कया िकार मचा रखी ह रोज-रोज कक दरवाजा खोलो दरवाजा

खोलो दरवाजा खला ह दरवाजा कभी बद नही था हसन तो घबड़ा गया रातरबया क परतरत उसक मन म आदर

तो बहत था ही कहती ह तो ठीक ही कहती होगी तो हसन न िछा कफर कफर मझ खला कय नही कदखायी

िड़ता तो रातरबया न कहा इसतरलए कदखायी नही िड़ता कक तम बहत जयादा आतर हो बड़ कामी हो--खल

जाए दरवाजा ह परभ खोलो दरवाजा खोलो मझ सवगम म बला लो मझ आनद क जगत म बला लो यह

तमहारी कामना िदाम बन रही ह िरमातमा का दरवाजा खला हआ ह तमहारी कामना िदाम बन रही ह तमहारी

आख बद ह िरमातमा का दरवाजा बद नही ह

इसीतरलए तो बदध न यहा तक कहा ह कक िरमातमा की भी बात छोड़ दो कयोकक उसस भी दो िदा हो

जात ह--म और िरमातमा इसतरलए बदध न कहा मोकष की भी बात छोड़ दो उसस भी दो िदा हो जात ह--म

और मोकष बदध न तो कहा जो ह ह उसको दो नाम मत दो दो कदए कक अड़चन शर हई कक तनाव शर

हआ कफर तम कस रकोग जो दसरा ह उसको िान की तलाश शर हो जाएगी पयास शर हो जाएगी

अतरसततव एक ह कामना दो म बाट दती ह

तम िछत हो उसका तरवभातरजत रहना कया अतरनवायम ह

तरबलकल अतरनवायम ह कयोकक तरवभाजन न होगा तो कामना बच ही नही सकती जस दो होन चातरहए

लड़न क तरलए दो होन चातरहए परम करन क तरलए दो चातरहए दवदव क तरलए ऐस ही दो चातरहए कामना क तरलए

और दो की तो बात छोड़ो हमन तो अनक कर तरलए इसतरलए हमार कामना क घोड़ सभी कदशाओ म दौड़ जा

रह ह

और कया कोई अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह

नही अखड और अतरवभातरजत कामना सभव नही ह कयोकक जहा तम अखड और अतरवभातरजत हए वहा

कामना न रह जाएगी जहा कामना आयी वहा तम खतरडत हो गए और तरवभातरजत हो गए

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सना ह मन दतरकषण भारत क एक अिवम साध हए--सदातरशव सवामी कछ कदन िहल मन तमस उनकी

कहानी कही थी कक अिन गर क आशरम म एक ितरडत को आया दख उसस तरववाद म उलझ गए थ उसक सार

तकम तोड़ डाल थ उस बरी तरह खतरडत कर कदया था ितरडत को तहस-नहस कर डाला था ितरडत बहत

खयातरतनाम था तो सदातरशव सोचत थ कक गर िीठ थिकाएगा और कहगा कक ठीक ककया इसको रासत िर

लगाया लककन जब ितरडत चला गया तो गर न तरसफम इतना ही कहा सदातरशव अिनी वाणी िर कब सयम

करोग कयो वयथम कयो वयथम बोलना इसस कया तरमला यह सब बकवास थी कब चि होओग और सदातरशव

न गर की तरफ दखा चरण छए और कहा कक आि कहत ह कब अभी हआ जाता ह और वह चि हो गए

कफर जीवनभर मौन रह

यह उनही की घटना ह उनहोन जीवनभर मौन रहन की साधना सवीकार कर ली थी मौन थ और नगन

नगन रहत और चि बड़ी झझट आती थी एक तो मौन बोलत नही और नगन घमत समातरध उनकी तरनरतर

लगी रहती थी मसत ही रहत थ अिनी मसती म

एक कदन भल स एक मसलमान सरदार क तरशतरवर म चल गए मसती म जा रह थ नाचत तरशतरवर बीच म

िड़ गया होगा तो िड़ गया कोई तरशतरवर क तरलए गए नही थ तरसतरयो न डरकर चीख लगा दी कोई नगा मसती

म नाचता हआ चला आ रहा ह व समझ कोई िागल ह नगन साध को घसा दखकर सरदार भी करोध म आ

गया और उसन तलवार उठा ली और हमला कर कदया सदातरशव का एक हाथ कटकर नीच तरगर गया लककन

सदातरशव क आनद म कोई बाधा न िड़ी हाथ कटकर तरगर गया लह बहन लगा लककन नाच जारी रहा जस

नाचत आए थ वस ही नाचत चलन वािस लौटन लग

सरदार हरान हआ दखी भी हआ--यह मसती ऐसी मसती कभी दखी न थी और हाथ कट जाए और िता

न चल ऐसी मसती ककसी और लोक म था यह आदमी आखो म दखा तो जस इस लोक म था ही नही कही

और इसकी चतना जस दह म थी ही नही दखी हआ िरो िर तरगर िड़ा कषमा मागन लगा सदातरशव हसन

लग सरदार न कहा उिदश द वह तो मौन थ उिदश द नही सकत थ तो उनहोन रत िर अगली स एक

छोटा सा वचन तरलख कदया जो वचन तरलखा वह था--जो चाहत हो वह मत करो तब तम जो चाहोग कर

सकोग जो चाहत हो वह मत करो तब तम जो चाहोग कर सकोग बड़ी अनठी बात तरलख दी जो-जो कामना

कर रह हो वह मत करो तब तम जो-जो कामना करत हो वह तरमल जाएगा यह बड़ी अजीब बात हो गयी

मगर ऐसा ही ह जब तक तम मागोग नही तरमलगा तरजस कदन तम छोड़ दोग उसी कदन तरमल जाएगा

तम भागोग और सख छलता रहगा तम रक जाओ और सख तमहार चरणो म लोटन लगगा

मन सना ह एक यवक धन क िीछ िागल था सब उिाय कर दख कछ रासता न तरमला एक फकीर क

िास िहच गया फकीर स उसन कहा कक म बड़ उिाय करता ह धन िाना ह लककन धन तरमलता नही कया

कर और जब फकीर क िास वह गया था तब गाव का सबस धनी आदमी फकीर क िर दाब रहा था तो

उसन कहा यह मामला कया ह म धन क िीछ दीवाना ह धन मझ तरमलता नही तम सब छोड़-छाड़कर यहा

बठ हो यह धनी आदमी तमहार िर कयो दाब रहा ह तो उस फकीर न कहा ऐसा ही होता ह तम धन की

कफकर न करो तो धन तमहार िर दाबगा तो उसन कहा यह ककसी न मझ अब तक बताया नही चलो यही

करग

दो-तीन साल बाद आया और हालत खराब हो गयी थी बड़ा नाराज हो गया कहन लगा कक ककस तरह

की बात बता दी मन धन की कफकर छोड़ दी तो जो िास था वह भी चला गया आन की तो बात ही रही म

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बार-बार दखता ह कक अब आएगा कोई धनी आदमी िर दाबगा अब लकषमी आएगी और िर दाबगी कोई िता

नही चलता उस फकीर न कहा यह बार-बार दखन क कारण ही लकषमी नही आ रही ह और जब छोड़ ही

कदया तो बार-बार कया दखना तो तन छोड़ा ही नही लौट-लौटकर दखता ह उसका मतलब ही यह हआ कक

तन छोड़ा नही

इस जगत का यह मौतरलक तरनयम ह तम जो चाहोग न तरमलगा तमहारी चाह क कारण ही बाधा िड़

जाती ह तमन चाह छोड़ी कक सब बरसन लगता ह लककन इसका मतलब यह नही कक तम इसी बरसन क

तरलए चाह छोड़ना नही तो चाह छोड़ी नही कफर तम लौट-लौटकर दखत रहोग

कामना म तो दवदव ह इसतरलए कामना म अशातरत ह कामना म िीड़ा ह सताि ह कामना तमह खडो म

बाट दती ह टकड़ो म तोड़ दती ह कामना तमह तरवतरकषपत करती ह कामना िागलिन का मल ह कामना गयी

तो िागलिन गया कामना गयी तो खड गए तम अखड हए तम अखड हए तो बरहम हए तम अखड हए तो

तरनवामण बरसा तम अखड हए तम एक हए कफर कोई दख नही ह दो होन म दख ह दई म दख ह अदवत

सतरचचदानद ह

बदध का एक तरशषय था--तरवमलकीरतम अनठ तरशषयो म एक था उसक िास भी लोग जात डरत थ कयोकक

वह हर बात म स कछ ऐसी बात तरनकाल दता था कछ ऐसा तकम खड़ा कर दता था--बड़ा तारकम क था दाशमतरनक

था--कक एक बार तरवमलकीरतम बीमार हआ तो बदध न अिन दो-चार तरशषयो को कहा कक जाकर िछकर आओ

तरवमलकीरतम की ततरबयत कसी ह कोई जाए न यह िछन भी कक ततरबयत कसी ह कयोकक वह उसी म स कछ

तरनकाल दगा और उसस लोग डरत थ कक वह तरववाद म वही उलझा दगा

आतरखर मजशरी बदध का दसरा एक परमख तरशषय जान को राजी हआ मजशरी गया तरवमलकीरतम स उसन

िछा आि बीमार ह कसी ततरबयत ह भगवान न समरण ककया िछवाया ह तरवमलकीरतम न कहा म बीमार

ह बात गलत जो बीमार ह वह म कस हो सकता ह म तो दरषटा ह दख रहा ह कक शरीर बीमार ह और तम

िछत हो कक म बीमार ह सभी बीमार ह जो भी शरीर म ह बीमार ह कम-जयादा होग सारा अतरसततव

बीमार ह तरवमलकीरतम न कहा जीवन बीमार ह कामना का रोग लगा ह और बड़ा रोग कया चातरहए इधर

कामना खा रही ह उधर मौत िास आ रही ह इधर कामना एक-एक टकड़ा काट जा रही ह मरन क िहल

मार डाल रही ह उधर मौत आ रही ह कछ बचा-खचा रहगा तो मौत समापत कर दगी

तो तरवमलकीरतम न कहा िहली तो बात म बीमार नही ह म तो दख रहा ह दसरी बात म ही बीमार

नही ह सारा अतरसततव बीमार ह--अतरसततव माि बीमार ह होना यहा बीमारी ह

तरवमलकीरतम ठीक कह रहा ह कामना काट डालती ह तम कामना की तलवार स अिन को ककतना काट

रह हो ककतना दख िा रह हो कामना स सख तो कभी तरमलता नही कयोकक कामना कभी िरी तो होती नही

जो सख तरमल जाए सदा अधरी रहती ह और सदा काटती रहती ह घाव को हरा रखती ह भरन भी नही दती

घाव को बार-बार उघाड़ लती ह एक कामना ककसी तरह छटती ह तो दस िदा हो जाती ह यह कामना का

जवर बीमारी ह

जीवन बीमार ह कामना स कामना की िणामहतरत मतय म होती ह लककन तब तम चक गए मरन क

िहल अगर तम कामना को मार डालो तो तम अमत को उिलबध हो जाओग कामना मतय म ल जाती ह

तरनषकाम तरचतत अमत को उिलबध हो जाता ह

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आतरखरी परशनः जीवन परशन ह या िहली

परशन तो तरनतरित नही ह कयोकक जीवन का कोई उततर नही ह तरजसका उततर न हो वह परशन तो हो नही

सकता िहली जरर ह लककन िहली भी ऐसी तरजसका कोई हल नही ह हल हो जान वाली िहली नही ह

जीवन इसतरलए जञातरनयो न उस रहसय कहा ह

रहसय का अथम होता ह--ऐसी िहली तरजसका कोई हल होना सभव नही ह तरजस तम जी तो सकत हो

लककन जान कभी नही सकत तरजसको तम कभी जञान नही बना सकत अनभव तो बन जाएगा लककन जञान

कभी न बनगा तरजसको तम कभी मटठी म नही बाध सकोग

ऐसा ही समझो कक जस तम सागर म तो उतर सकत हो लककन सागर को मटठी म नही ल सकत सागर

बड़ा ह तरवराट ह तमहारी मटठी छोटी ह जीवन बहत बड़ा ह जीवन को समझन का हमारा जो मतरसतषक ह

बहत छोटा ह यह मतरसतषक डबकी लगा सकता ह जीवन क सागर म रस-तरवभोर हो सकता ह लककन जीवन

को कभी हल न कर िाएगा

यही तो दशमन और धमम म फकम ह जसा मन तमस कहा नीतरत और धमम म फकम ह नीतरत आदमी को

अचछा बनाती ह धमम आदमी को जगाता ह ऐस ही धमम और दशमन म फकम ह दशमन सोचता ह--जीवन का

उततर कया ह जीवन क रहसय को हल कस कर जीवन की िहली कस बझ धमम कहता ह--यह तो बझा नही

जा सकता िहल यह तो सोचो कक बझन वाला ककतना छोटा ह और तरजस बझना ह ककतना बड़ा ह चममच स

सागर को खाली करन चल हो कक चममच चममच म रग लकर सागर को रगन चल हो थोड़ी होश की बात

करो धमम कहता ह--तम डबकी तो लगा सकत हो जीवन को जी तो सकत हो उसकी िरम धनयता म लककन

जान नही सकत यह िहली ह तरजसका कोई उततर नही

म िढ़ता था रवीदरनाथ क जीवन म एक ससमरण ह रवीदरनाथ ककसी तरमि क घर महमान थ तरमि की

छोटी बचची न उनस सबह-सबह आकर कहा यकद आिको एक कोठरी म बद करक उस िर ताला जड़ कदया जाए

तो आि कया करग जस छोट बचच िछत ह कोठरी म बद कर कदया और ताला लगा कदया कफर आि कया

करोग रवीदरनाथ न कहा म िड़ोतरसयो की सहायता क तरलए आवाज लगाऊगा िर लड़की बोली छोतरड़ए वह

बात तो कतरहए ही मत कोठरी ऐसी जगह ह जहा कोई िड़ोसी ह ही नही मान लीतरजए िड़ोस म कोई ह ही

नही कफर कया कररएगा रवीदरनाथ सोच म िड़ गए बोल तब म ककवाड़ो को तोड़न की कोतरशश करगा

लड़की हसी उसन कहा यह नही चलगा ककवाड़ लोह क बन ह रवीदरनाथ न सोचा और कफर कहा कक तब तो

यह जीवन की िहली हो गयी कक म जो कछ भी करगा उसको असफल करन की वयवसथा िहल स ही कर ली

गयी ह

जीवन ऐसी िहली ह

मन सना ह अमरीका की एक दकान िर एक ितरत-ितनी तरखलौना खरीदत थ अिन बचच क तरलए एक

तरखलौना था टकड़-टकड़ म जमान का खल था उनक टकड़ जम जाए तो तरखलौना बन जाए िहल ितनी न उस

जमान की खब कोतरशश की वह जम नही कफर उसन अिन ितरत की तरफ दखा ितरत गतरणत का परोफसर था

उसन कहा लाओ म जमाए दता ह उसन भी बहत कोतरशश की लककन जमा नही उसन कहा यह तो हदद हो

गयी दकानदार स िछा कक भई मरी ितनी िढ़ी-तरलखी ह इसस नही जमता म गतरणत का परोफसर ह मझस

नही जमता तो मर छोट बचच स कस जमगा

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उस दकानदार न कहा आि न िहल ही कयो नही िछा यह तरखलौना बनाया ही इस तरह गया ह कक

जमता ही नही इसस बचच को तरशकषा तरमलती ह कक ऐसा ही जीवन ह यह जीवन की तरफ इशारा दन क तरलए

बनाया गया तरखलौना ह इस तरखलौन का नाम ह--लाइफ इसका नाम ह--जीवन आिन दखा नही इस िर

तरलखा हआ ह तरडबब िर--जीवन यह बनाया ही गया ह इस तरह स कक यह जमता नही यह तो एक अनभव

क तरलए ह कक बचचा समझन लग कक यहा कछ चीज ह जो कभी हल नही होगी बतरदधमानी इसम ह कक जो हल न

होता हो उस हल करन की कोतरशश न की जाए

हजारो साल स आदमी सोचता रहा ह जीवन कया ह कोई उततर नही ह झन फकीर ठीक-ठीक उततर

दत ह

एक झन फकीर अिनी चाय िी रहा था और एक आगतक न िछा जीवन कया ह उसन कहा चाय की

पयाली आगतक बड़ा तरवचारक था उसन कहा चाय की पयाली मन बड़ उततर दख बड़ी ककताब िढ़ी यह भी

कोई बात हई म इसस राजी नही हो सकता तो उस फकीर न कहा तमहारी मजी चलो भई तो जीवन चाय

की पयाली नही ह और कया करना ह

लककन फकीर न बात ठीक कही सार उततर ऐस ही वयथम ह जीवन की पयाली को चाह चाय की पयाली

कहो चाह चाय की पयाली न कहो कया फकम िड़ता ह आदमी क सब उततर वयथम ह आदमी उततर खोज नही

िाया आदमी उततर खोज नही िाएगा कयोकक बतरदध छोटी ह अतरसततव तरवराट ह अश िणम को नही समझ

सकता ह लककन िणम को जी सकता ह िणम म डबकी ल सकता ह िणम क साथ एकरि हो सकता ह एकातम

हो सकता ह

धयान का अथम इतना ही होता ह कक हम जीवन को सलझान की वयथम कोतरशश म न िड़ हम जीवन को

जीन की चषटा म सलगन हो जाए

एक िल भी मत खोओ जो िल गया गया सदा क तरलए गया कफर न लौट सकगा परतयक िल को

जीवन क उतसव म सलगन कर दो परतयक िल को जीवन की पराथमना म लीन कर दो परतयक िल को जीवन की

डबकी म समातरहत कर दो डबो जीओ उततर मत खोजो उततर नही ह

तम िछत हो कक कया जीवन परशन ह या िहली

परशन तो तरबलकल नही अनयथा दशमनशासतर स उततर तरमल गए होत िहली भी ऐसी ह कक तरजसका कोई

उततर नही ह और इस जीवन को अगर जानन की आकाकषा सच म ह तो जीओ और बाटो तरजतना रस ल सको

लो और तरजतना रस द सको दो कयोकक तरजतना दोग उतना ही तरमलगा कजस की तरह इस जीवन की तरफ

दतरषट मत रखना तरतजोड़ी म बद करन की कोतरशश मत करना बाटो

मन सना ह एक बार एक सतत परवाही नदी और बद घर म आबदध तालाब म कछ बात हई तालाब न

नदी स कहा त वयथम ही अिनी जल-सितरतत को समदर म फ क जा रही ह इस तरह एक कदन तरनतरित ही त चक

जाएगी समापत हो जाएगी अिन को समहाल अिन जल को रोक सगहीत कर

तालाब की यह सलाह एक वयावहाररक आदमी की सलाह थी लककन नदी थी वदाती उसन कहा तम

भल गए हो तम भल कर रह हो तमह जीवन का सि ही तरवसमरण हो गया ह दन म बड़ा आनद ह ऐसा

आनद जो कक रोकन म नही ह जब कभी मन रोका तो म दखी हई ह और जब मन कदया तब सख खब बहा

ह तरजतनी म बही ह उतना सख बहा ह और यह मत सोचना कक म सागर को द रही ह म अिन सख क

कारण द रही ह--सवातः सखाय दना ही मन जीवन जाना ह तम मत हो और अगर यगो तक भी बन रह तो

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उसस कया एक कषण भी कोई िरी तरह जी ल तो जान तरलया अनभव कर तरलया सकदयो तक कोई बना रह

सड़ता रह तो उसस कया न जीआ न अनभव ककया

दोनो की बात तो एक-दसर स मल खायी नही मनमटाव हो गया कफर उनहोन बोल-चाल बद कर

कदया इस बात को जयादा कदन नही बीत थ कक नदी तो िवमवत ही बहती रही तालाब सखकर तलया रह गया

कफर आयी धि तिता हआ सरज कफर एक कीचड़ की गदी तलया माि बची कफर तो वह भी सखन लगी जब

गमी का ताि िर तरशखर िर आया तो तालाब समापत हो चका था नदी अब भी बह रही थी मरत तालाब स

नदी न कहा दखो म दती ह तो मर सरोत मझ दत ह तम दत नही तो तमहार सरोत तमह नही दत जो दता ह

उस तरमलता ह दना जीवन का तरनयम ह और अगर परतयक न दन िर आबदध हो जाए तो जीवन समापत ह

जीवन को िहली परशन ऐसा सोचकर हल करन म मत लग जाना जीवन जीन म और जीना दन म ह

इसतरलए सार धमो न दान को धमम का मल सि कहा ह दान का मतलब तरसफम इतना ही होता ह--बाटो

जो तमहार िास हो उस बाटो उस उलीचो इधर तम दन लगोग उधर तम िाओग अजञात सरोतो स

तमहार भीतर जल बहन लगा कआ दखत न तरजतना िानी खीच लत हो उतना कए म िानी भर जाता ह

नया िानी आ जाता ह नए जल क झरन फट िड़त ह कए स िानी मत खीचो डरकर बठ रहो ढाक दो कए

को बद कर दो कक कही िानी चक न जाए कभी समय िर काम िड़गा तो कआ सड़ जाएगा और धीर-धीर

झरन जब बहग नही तो सख जाएग उन िर तरमटटी जम जाएगी ितथर बठ जाएग झरन अवरदध हो जाएग

जीवन को जानना ह तो जीओ जीवन म ही जीवन ह जीन म जीवन ह जीवन को सजञा मत समझो

जीवन को ककरया समझो और दो बाटो

इसको परशन मानकर आख बद करक हल करन की कोतरशश मत करना नाचो गाओ गनगनाओ

सतरममतरलत होओ यह जो तरवराट उतसव चल रहा ह िरमातमा का इसम भागीदार होओ तरजतनी तमहारी

भागीदारी होगी उतना ही तम िाओग उतना ही तम समझोग उतना ही तम अनभव करोग

कफर भी म तमस दोहरा द कक यह जञान कभी न बनगा ऐसा न होगा कक तम एक कदन कह सको--मन

जान तरलया ऐसा कभी नही होता यह इतना बड़ा ह कक हम जानत रहत जानत रहत जानत रहत कफर भी

चकता नही ह यह अशरष बना रहता ह यह शरष ही रहता ह कभी समापत नही होता ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

चौरानव परवचन

धमम क तरिरतन

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच बदधगता सतरत 247

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच धममगता सतरत 248

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच सघगता सतरत 249

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच कायगता सतरत 250

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च अजहसाय रतो मनो 251

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च भावनाय रतो मनो 252

गौतम बदध का सारा उिदश सारी दशना एक छोट स शबद म सगहीत की जा सकती ह वह छोटा सा

शबद ह--समतरत िाली म उसी का नाम ह--सतरत और बाद म मधययगीन सतो न उसी को िकारा--सरतरत

समतरत का अथम ममोरी नही समतरत का अथम ह--बोध होश जागकर कछ करना जाग-जाग होना

समतरतिवमक करना राह िर चलत ह आि तो ऐस भी चल सकत ह कक चलन का जरा भी होश न हो--ऐस ही

चलत ह चलना यातरिक ह शरीर को चलना आ गया ह दफतर जात ह घर आत ह रासता शरीर को याद हो

गया ह कब बाए मड़ना बाए मड़ जात ह कब दाए मड़ना दाए मड़ जात ह अिना घर आ गया तो दरवाजा

खटका दत ह लककन इस सब क तरलए कोई समतरत रखन की जररत नही होती यिवत यह सब होता ह इसक

तरलए होशिरवक करन की कोई जररत नही मालम होती

ऐसा हमारा िरा जीवन तरननयानब परतरतशत बहोशी स भरा हआ ह यही बहोशी हमारा बधन ह इसी

बहोशी क कारण हमारा बहत बड़ा चतनय का तरहससा अधर म डबा ह जस ितथर डबा हो िानी म और जरा

सा टकड़ा ऊिर उभरा हआ कदखायी िड़ता हो बड़ी चटटान नीच तरछिी हो ऐसा हमारा बड़ा मन तो अधर म

तरछिा ह छोटा सा टकड़ा ऊिर उभरा ह तरजस हम अिना मन कहत ह वह बहत छोटा सा तरहससा ह और तरजस

हम िहचानत भी नही--हमारा ही मन--वह बहत बड़ा तरहससा ह फरायड उस ही अचतन मन कहता ह

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बदध कहत ह उस अचतन मन को जब तक चतन न कर तरलया जाए जब तक धीर-धीर उस अचतन मन

का एक-एक अग परकाश स न भर जाए तब तक तम मि न हो सकोग तमहार भीतर जब चतना का दीया िरा

जलगा तमहार कोन-कातरो को सभी को आलोक स मतरडत करता हआ तमहार भीतर एक खड भी न रह

जाएगा अधर म दबा तम िरम परकातरशत हो उठोग इस दशा को ही बदध न समातरध कहा ह समातरध जड़ता का

नाम नही समातरध बहोश हो जान का नाम नही जो समातरध बहोशी म ल जाती हो उस बदध न जड़-समातरध

कहा ह उस मढ़ता कहा ह तम समातरध म तरगर िड़ो मरचछमत होकर तो बदध उस समातरध नही कहत

इसतरलए बदध की बात आधतरनक मनोतरवजञान को बहत रचती ह आधतरनक मनोतरवजञान भी उस जड़-

समातरध को तरहसटीररया कहगा वह बहोशी ह तमम जो थोड़ा सा होश था वह भी खो कदया शातरत तरमलगी

उसस भी कयोकक उतनी दर क तरलए बहोश हो गए तो जचता न रही उतनी दर क तरलए सब तरवलपत हो गया

घटभर बाद जब तम होश म आओग तो तमह लगगा कक बड़ी शातरत थी लककन वसी ही शातरत जसी गहरी नीद

म हो जाती ह िर गहरी नीद समातरध तो नही

समातरध और गहरी नीद म थोड़ी सी समानता ह इतनी समानता ह कक गहरी नीद म भी सब शात हो

जाता ह समातरध म भी सब शात हो जाता ह लककन गहरी नीद म शात होता ह चतना क बझ जान क कारण

और समातरध म शात होता ह चतना क िर जग जान क कारण

इस ऐसा समझो कक मनषय क जीवन म तब तक तनाव और बचनी रहगी जब तक मनषय का कछ तरहससा

चतन और कछ अचतन ह तो दो तरविरीत कदशाओ म आदमी भागता ह--चतन और अचतन अचतन अिनी

तरफ खीचता ह चतन अिनी तरफ खीचता ह इस रससाकशी म आदमी की जचता िदा होती ह सताि िदा

होता ह एतरगवश िदा होता ह चतन की मान तो अचतन नाराज हो जाता ह अचतन की मान तो चतन नाराज

हो जाता ह अचतन की मान तो चतन बदला लता ह चतन की मान तो अचतन बदला लता ह

जस समझो एक सदर सतरी जा रही ह राह स और तमहारा मन लभायमान हो गया तम कामातर हो

गए यह अचतन स आ रहा ह यह तमहारी िशता का तरहससा ह यह उस जगत की खबर ह जब न कोई नीतरत

थी न कोई तरनयम थ यह उस चतनय की खबर ह जसा िशओ क िास ह--जो भला लगा जसा भला लगा कोई

उततरदातरयतव न था अचतन कहता ह इस सतरी को भोग लो चतन कहता ह नही नीतरत ह मयामदा ह

अनशासन ह तम तरववातरहत हो तमहार बचच ह

अब अगर तम चतन की मानो तो अचतन बदला लता ह अचतन दखी होता ह तरतलतरमलाता ह िरशान

होता ह तम उदास हो जात हो इसतरलए ितरत उदास कदखायी िड़त ह ितरतनया उदास कदखायी िड़ती ह

अचतन बदला लता ह तम ककसी तरह अचतन को दबाकर उसकी छाती िर बठ जात हो कहत हो नही यह

ठीक नही ह यह करन योगय नही ह इसतरलए नही करग यह कतमवय नही इसतरलए नही करग मगर भीतर बात

तो उठ गयी ह भीतर वासना तो जग गयी ह तम दबाकर बठ जाओग तम साि क ऊिर बठ गए लककन साि

भीतर जजदा ह और कलबलाएगा सिनो म सताएगा रात जब नीद म सो जाओग तब शायद ही ककसी को

अिनी ितनी का सिना आता हो दसर की तरसतरयो क सिन आत ह शायद ही अिन ितरत का सिना आता हो

भारत म सती की जो िररभारषा थी वही थी--तरजस सतरी को सिन म भी अिन ितरत क अतरतररि ककसी

की याद न आती हो उसको हम सती कहत थ यह बड़ी अनठी िररभारषा थी यह बात बड़ी कीमत की ह

सिन म कसौटी ह जागन म न आती हो यह कोई बड़ी बात नही कयोकक जागन म तो हम समहालकर बठ

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रहत ह चतन को मानकर चलत ह अचतन को िीछ धकाए रहत ह उस अधर म डाल रखत ह असली

कसौटी तो तब ह जब नीद म भी िर की याद न आए

नीद म कस दबाओग नीद म तो तम हो ही नही तम तो सो गए तम तो बहोश हो दबान वाला मौजद

न रहा लड़न वाला मौजद न रहा तो नीद म तो जो अचतन ह वह खलकर खलगा कदन म हतया करनी चाही

थी नही कर िाए रात नीद म हतया कर दोग कदन म चोरी करनी चाही थी नही कर िाए--नीतरत थी धमम

था नकम था सवगम था साध-सत थ रक गए--परतरतिा थी लककन रात नीद म न तो साध-सत ह न शासतर ह न

सवगम ह न नकम ह अचतन िरा मि ह और यह अचतन कभी-कभी चतन म भी धकक मारगा अगर अवसर तरमल

जाए तो धकक मारगा

इसतरलए सारी दतरनया म हमन इसकी वयवसथा की ह कक आदमी को अनतरतक होन का अवसर न तरमल

तभी वह नतरतक रहता ह समझो कक यह जो दसरी सतरी तमह परीतरतकर लग गयी यह एक जगल म तमह तरमल--न

िना क रासत िर तरमल--जगल म तरमल जहा दर-दर तक मीलो तक कोई नही ह तम दोनो ही अकल हो तब

अिन को रोकना करठन हो जाएगा बसती म बीच बसती म परतरतिा का सवाल था ितरलस का सवाल था अब

यहा तो कोई सवाल नही ह समझो कक यह सतरी जगल म नही तम दोनो एक नाव म डब गए हो और एक दवीि

िर लग जात हो--जहा कोई भी नही ह और कोई कभी नही आएगा न ितनी को खबर लगगी न समाज को

खबर लगगी अब कोई आन वाला नही ह--तब तब तम अचतन की मान लोग तब तम चतन की कफकर न

करोग

इसतरलए कानन ितरलस और राजय इसी की कफकर करता ह कक अवसर कम स कम तरमल ितरिम म जब

स तरसतरयो न दफतरो म काम शर ककया ह कारखानो म काम शर ककया ह तब स िररवार उजड़न लगा कयोकक

सतरी और िररषो क करीब आन क जयादा अवसर हो गए िरब म यह खतरा कम ह कयोकक सतरी को अवसर ही

नही ह सतरी घर म बद ह उस कोई मौका नही ह कक वह ककसी क सिकम म आ सक िरा समाज िररषो का

समाज ह तरसतरया तो बद ह

मगर यह अवसर को छीन लन स अचतन बदलता नही तरसफम ररपरशन हो गया तरसफम दमन हो गया और

तरजसका दमन कर कदया ह वह भीतर बठा ह सलग रहा ह और ककसी भी कदन ककसी मौक िर ककसी कषण म

ककसी कमजोरी म फट िड़गा

इसतरलए आदमी िागल होत ह िागल होन का इतना ही अथम ह कक अचतन म बहत दबाया गया ह

इसका बदला ल तरलया चतन स एक कदन उसन तोड़ दी सब सीमाए सब मयामदाए तरनकल भागा सब तरनयम

उखाड़कर छट ल ली िागल होना अचतन का परतरतकार ह

अगर तम चतन की मानो तो अचतन परतरतकार लता ह अगर तम अचतन की मानो तो मसीबत म िड़त

हो जल जाना िड़ तरिटाई हो परतरतिा खो जाए ितनी नाराज हो जाए बचच बरबाद हो जाए चतन की मानो

तो बड़ कषट ह अचतन की मानो तो उसस भी बड़ कषट ह इसतरलए दड ह दड इसतरलए ह ताकक दो कषटो क बीच

तमह चनना िड़ तो जो छोटा कषट ह उसी को हम चन लत ह छोटा कषट यही ह कक चतन की मान लो अचतन

की इनकार कर दो यही छोटा कषट ह

इसतरलए सारी नतरतक वयवसथाए बड़-बड़ दड की वयवसथा करती ह हजारो साल नरक म सड़ाए जाओग

अगारो म सक जाओग जलत कड़ाहो म डाल जाओग और न मालम ककतन काल तक िीड़ा भोगनी िड़गी एक

जरा सी बात क तरलए कक एक दसरी सतरी की तरफ कामवासना की दतरषट स दख तरलया कक दसर क धन को

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अिना बनान की चोरी की वासना उठ गयी और अदालत ह और कानन ह व सब तयार बठ ह कक तम मानो

अचतन की और तमह दड द व सब चतन की सवा म लग ह

यह मनषय की तरसथतरत ह इस तरसथतरत म हर हालत म दवदव ह तम कछ भी करो तम दख िाओग इस

तरसथतरत म सख हो नही सकता तो सख क दो ही उिाय ह कफर एक उिाय यह ह कक चतन को भी अचतन कर

दो तो तमहार भीतर एकरसता आ जाए--यही आदमी शराब िीकर करता ह या एलएसड़ी या मारीजआना

या गाजा या भग यही आदमी नशा करक करता ह नश का इतना ही अथम ह कक वह जो चतन मन ह उसको

नश म डबा दो तो िरा अचतन हो गया--एक अधरी रात फल गयी

इसतरलए अगर कोई नश म कोई जमम कर ल तो अदालत भी उसको कम सजा दती ह वह कहती ह

इसका चतन तो होश म था ही नही एक शराबी तमह गाली द द तो तम उतन नाराज नही होत तरजतना वही

आदमी तरबना शराब िीए गाली द तो तम नाराज हो जात हो एक शराबी तमह धकका मार द तो तम कहत हो

कक शराबी ह गर-शराबी धकका मार द--वही आदमी--तो तम लड़न को तयार हो जात हो कया फकम करत हो

तम शराबी म और गर-शराबी म अगर अदालत म यह तय हो जाए कक आदमी शराब िीए हए था इसतरलए

इसन हतया कर दी तो उसको दड बहत कम तरमलगा अदालत म तय हो जाए कक आदमी िागल ह इसतरलए

इसन हतया कर दी तो दड कम तरमलगा दड तरमलगा ही नही कयोकक इसका चतन तो था ही नही दड ककसको

दना यह तो िरी अधरी रात था यह तो िरा िश जसा हो गया था

इसतरलए शराब िीन म नश म वही काम हो रहा ह जो समातरध म होता ह--तरविरीत कदशा म हो रहा ह

समातरध म हम अचतन को चतन बना लत ह और एकरस हो जात ह और शराब म हम चतन को अचतन बना

लत ह और एकरस हो जात ह एकरसता म सख ह

इस तम गाठ बाधकर रख लो--एकरसता म सख ह जब तम एक हो जात हो तो तम सखी जब तक तम

दो हो तब तक तम दखी भीतर जो दवदव ह वह दख को िदा करता ह घरषमण होता ह जब तम भीतर तरबलकल

एक हो जात हो समरस एक लयबदधता हो जाती ह तमहार भीतर कोई दवदव नही होता अदवदव की अवसथा

होती ह तम तरनदवदव होत हो अदवत होत हो बस वही सख ह

इसीतरलए सभी धयातरनयो न शराब का तरवरोध ककया ह तम समझ लना कयो तरवरोध ककया ह

सभी धयातरनयो न शराब का तरवरोध ककया ह कारण यह नही ह कक शराब म कोई खराबी ह कारण यह

ह कक शराबी कभी धयानी नही हो िाएगा कयोकक उसन तो धयान का सबसटीटयट चन तरलया धयान म भी

एकरसता होती ह शराब म भी एकरसता होती ह तो जो शराब िीकर एकरसता को िान लगा--ससती

एकरसता तरमल गयी जाकर एक बोतल िी डाली इतन ससत म तरमल गयी

धयान तो वरषो क शरम स तरमलगा धयान क तरलए तो बड़ी कीमत चकानी िड़गी धयान क तरलए तो बड़ा

सघरषमण करना होगा इच-इच बढ़गा बद-बद बढ़गा और इतना ससता तरमलता नही ह महगा सौदा ह लबी

यािा ह िहचग नही िहचग िकका नही ह िहाड़ की चढ़ाई ह शराब तो उतार ह जस ितथर को ढकल कदया

िहाड़ स बस एक दफा धकका मार कदया काफी ह कफर तो अिन आि ही उतार िर उतरता जाएगा खाई-

खदक तक िहच जाएगा जब तक खाई न तरमल तब तक रकगा ही नही धकका मारन क बाद और धकान की

जररत नही ह लककन अगर िहाड़ िर चढ़ाना हो ितथर को ऊधवमयािा करनी हो तो धकान स काम न

चलगा--धकात ही रहना िड़गा जब तक कक चोटी िर न िहच जाए और तमन जरा भल-चक की कक ितथर

नीच लढ़क जाएगा कही स भी तरगरन की सभावना ह

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धयानी क तरगरन की सभावना ह शराबी क तरगरन की सभावना नही ह यह बात दखत हो इसतरलए

तमन एक शबद सना होगा--योगभषट तमन भोगभषट शबद सना भोगी क भषट होन की सभावना नही ह वह

खडड म ह ही उसस नीच तरगरन का कोई उिाय नही ह तरसफम योगी तरगरता ह भोगी कभी नही तरगरता भोगी

तरगरा ही हआ ह वह आतरखरी जगह िड़ा ही हआ ह अब और कया आतरखरी जगह होगी योगी तरगरता ह योगी

ही तरगरता ह भोगी होन स तो योगभषट होना बहतर ह कम स कम चढ़ तो थ इसकी तो खबर ह तरगर सही

चल तो थ उठ तो थ चषटा तो की थी एक परयास तो ककया था एक अतरभयान तो उठा था एक यािा एक

चनौती सवीकार तो की थी--तरगर गए कोई बात नही हजार बार तरगरो मगर उठ-उठकर चलत रहना

शराब का धयातरनयो न तरवरोध ककया ह कयोकक शराब िररिरक ह यह ससत म धयान की भातरत करवा

दती ह धयानी को भी तम शराब जसी मसती म डबा हआ िाओग और शराबी म भी तमह धयान की थोड़ी सी

गध तरमलगी--रसमगध--फकम इतना ही होगा शराबी बहोश ह धयानी होश म ह शराबी न अिनी समतरत खो दी

और धयानी न अिनी समतरत िरी जगा ली मनषय बीच म ह मनषय दवदव म ह मनषय आधा अचतन ह आधा

चतन ह शराबी िरा अचतन ह धयानी िरा चतन ह

बदध कहत ह अगर तमन कोई ऐसी धयान की परककरया की हो तरजसस तम बहोश हो जात हो तो वह

धयान की परककरया शराब जसी ह जड़ ह उसस सावधान उस धोख म मत िड़ना कछ ऐसा धयान साधो तरजसस

तमहारी चतना जाग उस जागन की परककरया का नाम ह--समतरत माइडफलनस तम ऐस जागरक हो जाओ कक

तमहार भीतर कोई तरवरोध न रह जाए एक परकाश अखड परकाश फल जाए

आज क सि इस अखड परकाश क ही सि ह सि क िहल सदभम यह छोटी सी कहानी ह--

भगवान राजगह म तरवहरत थ उसी समय राजगह म घटी यह घटना ह उस महानगर म दो छोट लड़क

सदा साथ-साथ खलत थ उनम बड़ी मिी थी अनक परकार क खल व खलत थ आियम की बात यह थी कक एक

सदा जीतता था और दसरा सदा हारता था और भी आियम की बात यह थी कक जो सदा जीतता था वह हारन

वाल स सभी दतरषटयो स कमजोर था हारन वाल न सब उिाय ककए िर कभी भी जीत न सका खल चाह कोई

भी हो उसकी हार सतरनतरित ही थी वह जीतन वाल क खल क ढगो का सब भातरत अधययन भी करता था--

जानना जररी था कक दसर की जीत हर बार कयो हो जाती ह कया राज ह --एकात म अभयास भी करता था

िर जीत न हई सो न हई एक बात जरर उसन िररलतरकषत की थी कक जीतन वाला अिवम रि स शात था और

जीत क तरलए कोई आतरता भी उसम नही थी कोई आगरह भी नही था कक जीत ही खलता था--अनागरह स

फलाकाकषा नही थी और सदा ही क कदरत मालम होता था जस अिन म ठहरा ह और सदा ही गहरा मालम

होता था तरछछला नही था ओछा नही था उसक अतस म जस कोई लौ तरनषकि जलती थी उसक िास एक

परसादिणम आभामडल भी था इसतरलए उसस बार-बार हारकर भी हारन वाला उसका शि नही हो गया था--

तरमिता कायम थी जीत भी जाता था जीतन वाला तो कभी अहकार स न भरता था जस यह कोई खास बात

ही न थी खल अिन म िरा था जीत कक हार इसस उस परयोजन नही था मगर जीतता सदा था

हारन वाल न यह भी दखा था कक परतयक खल शर करन क िवम वह आख बद करक एक कषण को तरबलकल

तरनसतबध हो जाता था जस सारा ससार रक गया हो उसक ओठ जरर कछ बदबदात थ--जस वह कोई पराथमना

करता हो या कक मिोचचार करता हो या कक कोई समरण करता हो

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अततः हारन वाल न अिन तरमि स उसका राज िछा कया करत हो उसन िछा हर खल शर होन क

िहल ककस लोक म खो जात हो जीतन वाल न कहा भगवान का समरण करता ह नमो बदधसस का िाठ करता

ह इसीतरलए तो जीतता ह म नही जीतता भगवान जीतत ह

उस कदन स हारन वाल न भी नमो बदधसस का िाठ शर कर कदया यदयतरि यह कोरा अभयास ही था कफर

भी उस इसम धीर-धीर रस आन लगा तोतारटत ही था यह मिोचचार िर कफर भी मन िर िररणाम होन लग

गहर न सही तो न सही िर सतह िर सिषट ही फल कदखायी िड़न लग वह थोड़ा शात होन लगा थोड़ी

उचछखलता कम होन लगी थोड़ा तरछछलािन कम होन लगा हार की िीड़ा कम होन लगी जीत की आकाकषा

कम होन लगी खल खलन म ियामपत ह ऐसा भाव धीर-धीर उस भी जगन लगा भगवान क इस समरण म वह

अनजान ही धीर-धीर डबकी भी खान लगा शर तो ककया था िररणाम क तरलए कक खल म जीत जाऊ लककन

धीर-धीर िररणाम तो भल गया और समरण म ही मजा आन लगा िहल तो खल क शर-शर म याद करता

था कफर कभी एकात तरमल जाता तो बठकर नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस का िाठ करता कफर तो

खल गौण होन लगा और िाठ परमख हो गया कफर तो जब कभी िाठ करन स समय तरमलता तो ही खलता रात

भी कभी नीद खल जाती तो तरबसतर िर िड़ा-िड़ा नमो बदधसस का िाठ करता उस कछ जयादा िता नही था

कक कया ह इसका राज लककन सवाद आन लगा एक तरमशरी उसक मह म घलन लगी

छोटा बचचा था शायद इसीतरलए सरलता स बात हो गयी तरजतन बड़ हम हो जात ह उतन तरवकत हो

जात ह सरल था कड़ा-कचरा जीवन न अभी इकटठा न ककया था--अभी सलट कोरी थी

जो बचच बचिन म धयान की तरफ लग जाए धनयभागी ह कयोकक तरजतनी दर हो जाती ह उतना ही

करठन हो जाता ह तरजतनी दर हो जाती ह उतनी ही अड़चन बढ़ जाती ह कफर बहत सी बाधाए हटाओ तो

धयान लगता ह और बचिन म तो ऐस लग सकता ह इशार म लग सकता ह कयोकक बचचा एक अथम म तो

धयानसथ ह ही अभी ससार िदा नही हआ ह अभी कोई बड़ी महतवाकाकषा िदा नही हई ह छोटी सी

महतवाकाकषा थी कक खल म जीत जाऊ और तो कोई बड़ी महतवाकाकषा नही थी--राषटरितरत नही होना

परधानमिी नही होना धनितरत नही होना िद-परतरतिा का मोह नही था तरगलली-डडा खलता होगा इसम जीत

जाऊ छोटी सी महतवाकाकषा थी थोड़ ही समरण स टट गयी होगी थोड़ा सा जाल मन न फलाया था थोड़ ही

समरण स कट गया होगा

एक खला आकाश उस कदखायी िड़न लगा धीर-धीर उसक सिन खो गए और कदन म भी उठत-बठत

एक शात धारा उसक भीतर बहन लगी

एक कदन उसका तरिता गाड़ी लकर उसक साथ जगल गया और लकड़ी स गाड़ी लाद घर की तरफ लौटन

लगा मागम म शमशान क िास बलो को खोलकर व थोड़ी दर तरवशराम क तरलए रक--दोिहरी थी और थक गए थ

लककन उनक बल दसरो क साथ राजगह म चल गए--व तो सोए थ और बल नगर म परवश कर गए तरिता बट

को वही गाड़ी क िास छोड़ गाड़ी को रखान की कह नगर म बलो को खोजन गया बल तरमल तो लककन तब

जब कक सयम ढल गया था और नगर दवार-बद हो गए थ सो वह नगर क बाहर न आ सका बटा नगर क बाहर

रह गया बाि नगर क भीतर बद हो गया अधरी रात बाि तो बहत घबड़ाया शमशान म िड़ा छोटा सा बटा

कया गजरगी उस िर बाि तो बहत रोया-तरचललाया लककन कोई उिाय न था दवार बद हो गए सो दवार बद हो

गए

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और लकड़हार की सन भी कौन और लकड़हार क बट का मलय भी ककतना दवारिालो स तरसर फोड़ा

होगा तरचललाया होगा रोया होगा उनहोन कहा कक अब कछ नही हो सकता बात समापत हो गयी

अधरी रात अमावस की रात और वह छोटा सा लड़का मरघट िर अकला लककन उस लड़क को भय न

लगा भय तो दर उस बड़ा मजा आ गया ऐसा एकात उस कभी तरमला ही न था गरीब का बटा था छोटा सा

घर होगा एक ही कमर म सब रहत होग--और बचच होग मा होगी तरिता होगा तरिता क भाई होग ितरतनया

होगी तरिता क भाइयो की बढ़ी दादी होगी दादा होग न मालम ककतनी भीड़-भाड़ होगी कभी ऐसा एकात

उस न तरमला था यह अमावस की रात आकाश तारो स भरा हआ यह मरघट का सननाटा जहा एक भी आदमी

दर-दर तक नही नगर क दवार-दरवाज बद सारा नगर सो गया यह अिवम अवसर था ऐसी शातरत और सननाटा

उसन कभी जाना नही था वह बठकर नमो बदधसस का िाठ करन लगा

नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस कहत कब आधी रात बीत गयी उस समरण नही तार जड़ गया

सगीत जम गया वीणा बजन लगी िहली दफा धयान की झलक तरमली

शातरत तो तरमली थी अब तक रस भी आना शर हआ था लककन अब तक बद-बद था आज डबकी खा

गया आज िरी डबकी खा गया आज डब गया बाढ़ आ गयी

ऐसा नमो बदधसस नमो बदधसस नमो बदधसस कहता-कहता गाड़ी क नीच सरककर सो गया

यह साधारण नीद न थी नीद भी थी और जागा हआ भी था--यह समातरध थी उसन उस रात जो जाना

उसी को जानन क तरलए सारी दतरनया तड़फती ह उस लकड़हार क बट न उस रात जो िहचाना उसको तरबना

िहचान कोई कभी सतषट नही हआ सखी नही हआ सख बरस गया उसका मन मगन हो उठा शरीर सोया था

और भीतर कोई जागा था--सब रोशन था उतरजयारा ही उतरजयारा था जस हजार-हजार सरज एक साथ जग

गए हो जस जीवन सब तरफ स परकातरशत हो उठा हो ककसी कोन म कोई अधरा न था

वह ककसी और ही लोक म परवश कर गया वह इस ससार का वासी न रहा जो घटना ककसी दसर क

तरलए अतरभशाि हो सकती थी उसक तरलए वरदान बन गयी

मरघट का सननाटा मौत बन सकती थी छोट बचच की लककन उस बचच को अमत का अनभव बन गयी सब

हम िर तरनभमर ह वही अवसर मतय म ल जाता ह वही अमत म वही अवसर वरदान बन सकता वही

अतरभशाि सब हम िर तरनभमर ह अवसर म कछ भी नही होता हम अवसर क साथ कस चतनय का परवाह लात

ह इस िर सब तरनभमर होता ह

था मरघट लककन मरघट की तो उस याद ही न आयी उसन तो एक कषण भी सोचा नही कक मरघट ह

उसन तो सोचा कक ऐसा अवसर धनयभाग मर तरिता आए नही बल लौट नही सननाटा अिवम ह दवार-दरवाज

बद हो गए आज इस घड़ी को भगवान क साथ िरा जी ल वह नमो बदधसस कहत-कहत कहत-कहत बदध क

साथ एकरि हो गया होगा तरजसका हम समरण करत ह उसक साथ हम एकरि हो जात ह

वह तरनदरा अिवम थी

इस तरनदरा क तरलए योग म तरवशरष शबद ह--योगतदरा आदमी सोया भी होता और नही भी सोया होता

इसीतरलए तो कषण न कहा ह कक जब सब सो जात ह तब भी योगी जागता ह उसका यही अथम ह या तरनशा

सवमभतानाम तसयाम जागरतम सयमी--जब सब सो गए होत ह जो सब क तरलए अधरी रात ह तरनदरा ह सरषतरपत

ह योगी क तरलए वह भी जागरण ह

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उस रात वह छोटा सा बचचा योगसथ हो गया योगारढ़ हो गया और अनजान हआ यह अनायास हआ

यह चाहकर भी नही हआ था ऐसी कछ योजना भी न थी अकसर यही होता ह कक जो योजना बनाकर चलत

ह नही िहच िात कयोकक योजना म वासना आ जाती ह अकसर अनायास होता ह

यहा रोज ऐसा अनभव मझ होता ह जो लोग यहा धयान करन आत ह बड़ी योजना और आकाकषा स

उनह नही होता जो ऐस ही आ गए होत ह सयोगवशात सोचत ह कर ल दख ल शायद कछ हो उनह हो

जाता ह

और िहली दफा तो जब ककसी को होता ह तो आसानी स हो जाता ह दसरी दफ करठन होता ह कयोकक

दसरी दफ वासना आ जाती ह िहली दफा तो अनभव था नही तो वासना कस करत धयान शबद सना भी था

तो भी धयान का कछ अथम तो िकड़ म आता नही था--कया ह कसा ह जब िहली दफा धयान उतर आता ह

और ककरण तमह जगमगा जाती ह ऐसा रस तरमलता ह कक कफर सारी वासना उसी तरफ दौड़न लगती ह

वह वासना जो बड़ मकान चाहती थी बड़ी कार चाहती थी सदर सतरी चाहती थी शतरिशाली ितरत

चाहती थी धन-िद चाहती थी सब तरफ स वासना इकटठी होकर धयान की तरफ दौड़ िड़ती ह कयोकक जो

धन स नही तरमला वह धयान स तरमलता ह जो िद स नही तरमला वह धयान स तरमलता ह जो ककसी सभोग स

नही तरमला वह धयान स तरमलता ह तो सब तरफ स वासना क झरन इकटठ एक धारा म हो जात ह और धयान

की तरफ दौड़न लगत ह लककन धयान वासना स नही तरमलता धयान तो तरनवामसना की तरसथतरत म घटता ह जब

तम चाहोग तब तम चकोग

तो तमह यह हरानी होगी इस छोट स बचच न चाहा तो नही था यह घटना कस घट गयी यह बात

साथमक ह घटना ऐस ही घटती ह अनायास ही घटती ह इस जगत म जो भी शरि ह वह मागन स नही

तरमलता मागन स तो हम तरभखारी हो जात ह तरबना माग तरमलता ह तरबन माग मोती तरमल माग तरमल न चन

उसन मागा भी नही था उस तो एक अवसर तरमल गया कक अधरी रात यह आकाश म तरझलतरमलात तार यह

सननाटा यह चपिी यह नीरव धवतरन यह मरघट वह तो बठ गया ककसी खास वजह स नही कछ लकषय न था

सामन उसन शासतर भी न िढ़ थ शासतर सन भी न थ सतो की वाणी भी नही सनी थी लोभ का कोई कारण भी

नही था वह ककसी मोकष ककसी भगवान क दशमन करन को उतसक भी नही था कोई तरनवामण भी नही िाना

चाहता था मगर यह मौका था सननाट का और धीर-धीर उस नमो बदधसस क अतरतररि कछ बचा भी नही था

उसक िास करता भी कया बाि आया नही बल लौट नही घर जान का उिाय नही नगर क दवार-दरवाज बद

हो गए करता भी कया वह तो बहत कदन स जब भी मौका तरमलता था एकात तरमलता था नमो बदधसस करता

था नमो बदधसस करन लगा डोलन लगा

जस साि डोलन लगता ह बीन सनकर ऐसा मिोचचार अगर कोई तरबना ककसी वासना क कर तो तमहार

भीतर की चतना डोलन लगती ह एक अिवम नतय का समायोजन हो जाता ह चाह शरीर न भी तरहल भीतर

नतय खड़ा हो जाता ह

डोलत-डोलत लट गया गाड़ी क नीच सो गया सोया भी था और जागा भी था इस जगत का जो सब स

महतविणम अनभव ह वह यही ह--सोए भी और जाग भी अभी तो हालत उलटी ह--जाग हो और सोए हो अभी

लगत हो कक जाग हो और बड़ी गहरी नीद ह आख खली ह और भीतर नीद समायी ह इसस उलटी भी घटना

घटती ह अभी तो तम शीरषामसन कर रह हो तरसर क बल खड़ हो--जाग हो और सोए हो तरजस कदन िर क बल

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खड़ होओग--वही तो बदधतव का अथम ह--िर िर खड़ हो जाना आदमी उलटा खड़ा ह जो सीधा खड़ा हो गया

वही बदध ह वह सोता भी ह तो जागता ह

जो रात अतरभशाि हो सकती थी वह वरदान हो गयी और जो मि मातर सयोग स तरमला था वह उस

रातरि सवाभातरवक हो गया

सयोग की ही बात थी कक दसरा लड़का जीतता था और यह लड़का भी जीतना चाहता था--कौन नही

जीतना चाहता बढ़ तक जीत क भाव स मि नही होत ह तो बचचो स तो आशा नही की जा सकती ह बढ़ो को

तो कषमा नही ककया जा सकता कयोकक जजदगी बीत गयी अभी तक इतना भी नही सीख कक जीतन म कछ सार

नही ह हारन म कोई हारता नही जीतन म कोई जीतता नही--यहा हार और जीत सब बराबर ह कयोकक मौत

सब को एक सा तरमटा जाती ह हार हए तरमटटी म तरगर जात ह जीत हए तरमटटी म तरगर जात ह

यह तो छोटा बचचा था इसको तो हम कषमा कर सकत ह यह जीतना चाहता था इसन सब उिाय कर

तरलए थ इसन सब तरह स तरनरीकषण ककया था कक जीतन वाल की कला कया ह कयो जीत-जीत जाता ह म

कयो हार-हार जाता ह शतरिशाली था जीतन वाल स इसतरलए बात बड़ी आियम की थी--इसकी शतरि का सरोत

कहा ह कयोकक शरीर स म बलवान ह जीतना मझ चातरहए गतरणत क तरहसाब स लककन जजदगी बड़ी अजीब ह

यहा गतरणत क तरहसाब स कोई बात घटती कहा ह यहा गतरणत को मानकर जजदगी चलती कहा ह यहा कभी-

कभी कमजोर जीत जात ह और शतरिशाली हार जात ह

दखत ह िहाड़ स जल की धारा तरगरती ह चटटान िर तरगरती ह जब चटटान िर िहली दफा जल की

धारा तरगरती होगी तो चटटान सोचती होगी--अर िागल मझको तोड़न की कोतरशश कर रही ह और जल इतना

कोमल ह इतना सतरण ह और चटटान इतनी िररष और इतनी कठोर मगर एक कदन चटटान टट जाती ह रत

होकर बह जाएगी चटटान जो समदरो क तटो िर रत ह जो नकदयो क तटो िर रत ह वह कभी िहाड़ो म बड़ी-

बड़ी चटटान थी सब रत चटटान स बनी ह और चटटान टटती ह जल की सकषम धार स कोमल धार स कोमल

धार अततः जीत जाती ह मगर धार म कछ बात होगी जीतन का कछ राज होगा इस जगत म सब कछ

गतरणत क तरहसाब स नही चलता इस जगत का कछ सकषम गतरणत भी ह

तो सब ऊिर क उिाय कर तरलए होग उस लड़क न कस खलता ह उसका एकात म अभयास भी ककया

था मगर कफर भी हार-हार गया--न जीता सो न जीता िछना नही चाहता था उसस कयोकक उसस कया

िछना उसक जीतन का राज चिचाि तरनरीकषण करता था जब कोई उिाय न बचा होगा तो उसन िछा एक

ही बात अनबझी रह गयी थी कक हर खल शर करन क िहल वह लड़का आख बद करक खड़ा हो जाता ह

उसक ओठ कछ बदबदात ह तब एक अिवम शातरत उसक चहर िर मालम होती ह एक रोशनी झलकती ह अब

तरसफम यही एक राज रह गया था और सब तो कर तरलया था उसस कछ काम नही हआ था

अततः उसन िछा कक भाई मझ बता दो कया करत हो कसा समरण कया मि सयोग की बात थी कक

वह लड़का नमो बदधसस का िाठ करता था वही उसका बल था सना ह न तमन वचन--तरनबमल क बल राम

तरनबमल भी बली हो जाता ह अगर राम का साथ हो और बलवान भी कमजोर हो जाता ह अगर राम का साथ न

हो यहा सारा बल राम का बल ह यहा जो अिन बल िर रटका ह हारगा तरजसन परभ क बल िर छोड़ा वह

जीतगा जब तक तम अिन बल िर रटक हो रोओग िरशान होओग टटोग--तब तक तम चटटान हो तब तक

तम रत हो-होकर दख िाओग खड-खड हो जाओग

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तरजस कदन तमन राम क बल का सहारा िकड़ तरलया तरजस कदन तमन कहा म नही ह त ही ह यही तो

अथम होता ह समरण का परभ-समरण का नाम-समरण का उस लड़क न कहा कक म थोड़ ही जीतता ह भगवान

जीतत ह म उनका समरण करता ह उनही िर छोड़ दता ह म तो उिकरण हो जाता ह जसा कषण न अजमन

को गीता म कहा कक त तरनतरमतत माि हो जा त परभ को करन द जो वह करना चाहत ह त बीच म बाधा मत

बन जसा कबीर न कहा कक म तो बास की िोगरी ह गीत मर नही गीत तो िरमातमा क ह जब उसकी मरजी

होती गाता म तो बास की िोगरी ह तरसफम मागम ह उसक आन का गीतो िर मरी छाि नही ह गीतो िर मरा

कबजा नही ह गीत उसक ह म तरसफम दवार ह उसका--उिकरण माि

ऐसा ही उस लड़क न कहा कक म थोड़ ही जीतता ह इसम कछ राज नही ह म परभ का समरण करता ह

कफर खल म लग जाता ह कफर वह जान

मगर इस बात म बड़ा बल ह कयोकक जस ही तमहारा अहकार तरवगतरलत हआ तम बलशाली हए तम

तरवराट हए अहकार तरवगतरलत होत ही तम जल की धार हो गए अहकार क रहत-रहत तम चटटान हो और

अहकार क तरवगतरलत होन का एक ही उिाय ह कक ककसी भातरत तम अिना हाथ भगवान क हाथ म द दो ककस

बहान दत हो इसस कछ फकम नही िड़ता तमहारा हाथ भगवान क हाथ म हो तम तरनतरमतत माि हो जाओ

यह सयोग की ही बात थी कक उस लड़क न कहा म भगवान का समरण करता ह बदध का समरण करता

ह--नमो बदधसस जीतन क तरलए आतर इस यवक न इसकी नकलिटटी शर की

खयाल रखना कभी-कभी गलत कारणो स भी लोग ठीक जगह िहच जात ह कभी-कभी सयोग भी सतय

तक िहचा दता ह कभी-कभी तम जो शर करत हो वह कोई बहत गहरा नही होता लककन शर करन स ही

यािा का िहला कदम िड़ जाता ह

मर िास लोग आत ह वह कहत ह सनयास हम लना चाहत ह लककन किड़ रगन स कया होगा म

कहता ह तम कफकर छोड़ो किड़ तो रगो कछ तो रगो वह कहत ह कबीर तो कहत ह--मन न रगाए रगाए

जोगी किड़ा म कहता ह ठीक कहत ह मन भी रग जाएगा तम किड़ रगान की तरहममत तो करो जो किड़

रगान तक स डर रहा ह उसका मन कस रगगा कबीर ठीक कहत ह मगर खयाल रखना कबीर न जोतरगयो स

कहा था कबीर न उनस कहा था तरजनहोन किड़ रग तरलए थ और मन अभी तक नही रगा था उनहोन कहा था--

मन न रगाए जोगी जोतरगयो स कहा था कक तमन मन तो रगाया नही रगा तरलए किड़ा इसस कया होगा अब

मन रगाओ तमन अभी किड़ा भी नही रगाया तम अभी जोगी नही हो कबीर का वचन तमहार तरलए नही ह

तरजनहोन किड़ा रगा तरलया उनस म भी कहता ह--मन न रगाए रगाए जोगी किड़ा मगर तमस न कहगा

तमस तो कहगा--िहल जोगी तो बनो कम स कम किड़ा तो रगाओ एक बार किड़ा रग जाए इतनी तरहममत

तो करो और तम कहत हो कक बाहर क किड़ स कया होगा

बाहर और भीतर म जोड़ ह सयोग और सतय भी जड़ ह जो बाहर ह एकदम बाहर थोड़ ही ह वह भी

भीतर का ही फलाव ह तम भोजन तो करत न तो बाहर स ही भोजन लत हो वह भीतर िहच जाता ह तम

यह तो नही कहत बाहर का भोजन कया करना बाहर का जल कया िीना भीतर पयास ह बाहर क जल स

कया होगा ऐसा तो नही कहत या कहत हो भीतर की पयास बाहर क जल स बझ जाती ह और भीतर की

भख बाहर क भोजन स बझ जाती ह और भीतर क परम क तरलए बाहर परमी खोजत हो और कभी नही कहत

कक परम की पयास तो भीतर ह बाहर क परमी स कया होगा

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बाहर और भीतर म बहत फकम नही ह वकष िर जो फल अभी लटका ह बहत दर और बाहर ह जब तम

उस चबा लोग और िचा लोग भीतर हो जाएगा तमहारा खन बन जाएगा मास-मजजा बन जाएगा आज

तमहार भीतर जो मास-मजजा ह कल तम मर जाओग तमहारी कबर बन जाएगी तमहारी मास-मजजा तरमटटी म

तरमल जाएगी और तरमटटी स कफर वकष उगगा और वकष म कफर फल लगग--तमहारा मास-मजजा कफर फल बन

जाएगा बाहर और भीतर अलग-अलग नही ह सयि ह जड़ ह

इसतरलए ऐस मन को धोखा दन क उिाय मत ककया कर कक बाहर स कया होगा और यह तरसफम उिाय ह

अब भीतर का तो ककसी को िता नही तम रगोग कक नही रगोग बाहर का िता चल सकता ह बाहर स

घबड़ात हो कक लोग गररक वसतरो म दखकर कहग--अर िागल हो गए लोगो का इतना डर ह लोगो क मतवय

की इतनी जचता ह सीधी बात नही कहत कक म लोगो स डरता ह कायर ह बहाना खोजत हो कबीर का कक

कबीर न ऐसा कहा ह कक बाहर क किड़ रगान स कया होगा म भी कहता ह कया होगा लककन यह कहा उनस

तरजनहोन रगा तरलए थ उनस म भी कहता ह

बाहर की घटना थी तरबलकल सयोगवशात शर हई थी कोई लड़क क भीतर धयान की तलाश न थी न

भगवान की कोई खोज थी खल-खल म सीख तरलया था खल-खल म दाव लग गया नमो बदधसस नमो बदधसस

रटन लगा रटत थी तोता-रटत थी ककसी बड़ मलय की बात नही थी लककन रटत-रटत एक बात लगी कक

रटत-रटत ही सतह िर कछ शातरत आ जाती ह वह जो उतरदवगनता थी वह कम होन लगी तरवचार थोड़ कषीण

हए वह जो जीत की आकाकषा थी वह भी कषीण होन लगी अब खलता था लककन खल म दसर ढग का मजा

आन लगा अब खलन क तरलए खलन लगा िहल जीतन क तरलए खलता था

जो जीतन क तरलए खलता ह उसकी हार तरनतरित ह कयोकक वह तना हआ होता ह वह िरशान होता ह

उसका मन खल म तो होता ही नही उसकी आख गड़ी होती ह आग भतरवषय म फल म--जलदी स जीत जाऊ

जो खलन म ही डबा होता ह उसको फल की कोई कफकर ही नही होती वह खलन म िरा सलगन होता ह

उसक िर सलगन होन स जीत आती ह और जीत की आकाकषा स िर सलगन नही हो िात तो हार हो जाती ह

तम दखत न आमतौर स सब लोग ककतनी अचछी तरह बातचीत करत ह गिशि करत ह कफर ककसी

को मच िर खड़ा कर दो और बस उनकी बोलती बद हो गयी हाथ-िर किन लग कया हो जाता ह मच िर

िहचकर कौन सी अड़चन हो जाती ह भल-चग थ सदा बोलत थ असल म इनको चि ही करना मतरशकल

था बोल-बोलकर लोगो को उबा दत थ आज अचानक बोलती बद कयो हो गयी

आज िहली दफा लोगो को सामन बठ दखकर इनको एक खयाल िकड़ गया कक आज कछ ऐसा बोलना ह

कक लोग परभातरवत हो जाए बस अड़चन हो गयी आज बोलन म िरी परककरया न रही लकषय म धयान हो गया

लोग परभातरवत हो जाए य इतनी आख जो दख रही ह य सब मान ल कक हा कोई ह बोलन वाला कोई ह

विा बस इसी स अड़चन हो गयी

मच िर खड़ होकर अतरभनता किन लगता ह हाथ-िर डोलन लगत ह िसीना-िसीना होन लगता ह

कयो िहली दफा कतय म नही रहा कतय क िार आकाकषा दौड़न लगी बड़ा अतरभनता वही ह तरजसको इसकी

जचता ही नही होती कक लोगो िर कया िररणाम होग और बड़ा विा वही ह तरजस खयाल भी नही आता कक

लोग इसक सबध म कया सोचग बड़ा तरखलाड़ी वही ह जो खल म िरा डब जाता ह समगरभावन उसी स जीत

आती ह

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धीर-धीर इसको भी कफकर छटन लगी यह लड़का भी रस लन लगा खलन म एक और ही मजा आन

लगा एक और तरह की ततरपत तरमलन लगी अतरनमतरहत हो गयी ततरपत खल क भीतर करीड़ा म ही रस हो गया

खल काम न रहा खल िहली दफा खल हआ

इसतरलए इस दश म हम कहत ह--भगवान न सतरषट बनायी ऐसा नही कहत--सतरषट का खल खला लीला

की कया फकम ह खल और सतरषट म

ितरिम म ककरतरियतरनटी ह--ईसाइयत ह--जदाइजम ह इसलाम ह व सब कहत ह भगवान न दतरनया

बनायी कतय की तरह छह कदन म बनायी कफर थक गया खल स कोई कभी नही थकता खयाल रखना

इसतरलए जहदओ क िास छटटी का कोई उिाय ही नही ह भगवान क तरलए छह कदन म थक गया सातव कदन

तरवशराम ककया इसीतरलए तो रतरववार को छटटी मनात ह ईसाई भगवान तक न छटटी ली तो आदमी का कया

भगवान थक गया छह कदन बना-बनाकर उस कदन तरवशराम ककया उसन दर स उठा होगा सबह अखबार भी

दर स िढ़ा होगा चाय भी तरबसतर िर बलायी होगी ितनी को डाटा-डिटा भी होगा तरबसतर िर ही लट-लट

रतरडयो सना होगा या टीवी दखा होगा--जो कछ भी ककया--दोिहर तक सोया रहा होगा थक गया कतय

काम थका दता ह

इस दश म हमारी धारणा ह यह जगत भगवान की लीला ह थका ही नही अभी तक छटटी नही ली

छटटी की धारणा ही भारत क िराणो म नही ह कक भगवान छटटी ल छटटी का मतलब तो हआ थक जाए खल

स कभी कोई थकता ह

सच तो यह ह जब तम काम स थक जात हो तो खल म थकान तरमटात हो कदनभर दफतर स लौट कफर

घर आकर ताश खलन लग या बडजमटन खलन लग छह कदन थक गए कफर सातव कदन गोलफ खलन चल गए

थकान को तरमटात हो खल स तो खल स तो कोई कभी थकता नही खल स तो िनरजजीतरवत होता ह

हमारी धारणा यही ह कक जीवन कतय नही होना चातरहए जीवन खल होना चातरहए खल का यही फकम

ह कतय का लकषय होता ह खल का लकषय नही होता खल म कोई फलाकाकषा नही होती काम म फलाकाकषा

होती ह

तम दफतर म बठ काम करत हो थक जात हो उतना ही काम तम रतरववार क कदन घर म बठकर करत

रहत हो नही थकत अिना काम तो खल ह खोल ली कार सफाई करन लग तो नही थकत कदनभर लग

रहत हो दफतर म फाइल यहा स वहा रखन म थक जात हो जहा काम आया वहा थकान ह कयोकक काम

आया लकषय आया

उस लड़क को िहली दफा खल खल हआ अब मजा और ही आन लगा अब जीत की कोई जचता न रही

सयोग स यह घटना घटी थी नमो बदधसस कहना ऐस ही खल-खल म शर ककया था लककन उस रात

सयोग सवाभातरवक हो गया उस रात मि पराणो म उतर गया उस कदन मि ऊिर-ऊिर न रहा उस कदन मि

को उचचार न करना िड़ा उस कदन भीतर स उचचार उठन लगा इसी को तो हमन परणव कहा ह जब मि अिन

आि उठन लग

वह सननाटा वह रात जरा सोचो उस रात की तम होत तमहार भीतर भी कछ होता--भय िकड़ता

और भय उठन लगता तमहारी नातरभ स और सार पराण भय स किन लगत कतरित हो जात रात ठडी भी होती

तो िसीना आता भत-परत कदखायी िड़न लगत मरघट कोई साधारण जगह नही अधरी रात छोटा सा बचचा

लककन यह सयोग यह सअवसर िाकर जो मि अब तक ककसी तरह ऊिर-ऊिर चलता रहा था आज उसन

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िहली दफ डबकी मार दी इस मौक का अिवम लाभ हो गया उसक हदय स गजार उठन लगी होगी अब ऐसा

कहना ठीक नही कक उसन नमो बदधसस का िाठ ककया अब तो ऐसा कहना ठीक होगा नमो बदधसस का िाठ

हआ उस अिवम अवसर क बीच यह घटना घटी धयान सवाभातरवक हआ

रातरि वहा शमशान म कछ भत आए शमशान व बड़ परसनन हए व उस लड़क को खा जाना चाहत थ व

अनायास तरमल इस तरशकार स अतयत खश हो गए और उसक आसिास नाचन लग

और वह लड़का तो उस दशा म था--या तरनशा सवमभतानाम तसयाम जागरतम सयमी वह तो सोया था और

जागा भी था

भतो को नाचत दखकर वह उठकर बठ गया भत नाच रह थ वह भी अिन भीतर क नाच म मगन हो

गया उसन कफर नमो बदधसस नमो बदधसस कहना शर कर कदया

लड़क की जस ही आख खली भतो को नाचत दखा वह भी अिन अतर क नतय म सलगन हो गया आज

उस भत डरा न िाए तरजस कदन धयान हो जाए उस कदन मतय डरा नही िाती--भत यानी मतय क परतीक तरजस

कदन धयान हो जाए उस कदन तो कछ भी नही डरा िाता धयानी क तरलए भय होता ही नही उस तो खब मजा

आया उसन तो सोचा होगा तो य भी धयानसथ हो गए या बात कया ह य भी नमो बदधसस का िाठ करत ह

या बात कया ह उस व भत जस कदखायी ही न िड़ होग

और जब उसन नमो बदधसस का उचचार शर कर कदया तो भत घबड़ा गए

जब अमत मौजद हो तो मौत घबड़ा जाती ह जब धयान मौजद हो तो यमदत घबड़ा जात ह व तो बहत

घबड़ा गए

उनहोन गौर स दखा यह कोई साधारण बचचा नही था इसक चारो तरफ परकाश मतरडत था एक

आभामडल था व तो उसकी सवा म लग गए व तो भाग गए राजमहल समराट की सोन की थाली और समराट

का भोजन लकर आए उस छोट स बचच को भोजन कराया उसकी खब िजा की कफर उसक िर दाब रातभर

उसकी रकषा की िहरा कदया

य तो परतीक ह तरजसको धयान लग गया मौत भी उसका िहरा दती ह तरजसको धयान लग गया मौत

भी उसकी सवा करती ह इस बात को खयाल म रखना परतीको िर मत चल जाना ऐस कछ भत हए ऐसा

नही ह ऐसा अथम मत ल लना य तो तरसफम साकतरतक कथाए ह य इतना ही कहती ह कक ऐसा घटता ह जब

अमत भीतर उिलबध होता ह तो मौत सवा म रत हो जाती ह मौत तभी तक घातक ह जब तक तम

मरणधमाम स जड़ हो जब तक तम सोचत हो म दह ह तब तक मौत घातक ह तरजस कदन तमन जाना कक म दह

नही ह म मन नही ह उस कदन मौत घातक नही ह

रातरिभर िहरा दत रह और सबह जब सरज ऊगन लगा तो जलदी स सोन की थाली को गाड़ी की

लकतरड़यो म तरछिाकर भाग गए परातः नगर म यह समाचार फला कक राजमहल स समराट क सवणम-थाल की

चोरी हो गयी ह तरसिाही इधर-उधर खोजत हए न िाकर अततः नगर क बाहर भी खोजन लग उस गाड़ी म

वह सवणम-थाल िाया गया उस लड़क को यही चोर ह ऐसा मान समराट क समकष परसतत ककया गया और वह

लड़का तो रासतभर नमो बदधसस जिता रहा उसकी मसती दखत ही बनती थी शहर म भीड़ उसक िीछ चलन

लगी वसा रि ककसी न दखा नही था

वह उसी गाव का लड़का था लककन अब ककसी और दतरनया का तरहससा हो गया था उसका बाि भी भीड़

म चलन लगा वह बाि भी बड़ा चककत हआ--इस लड़क को कया हो गया ह यह अिना नही मालम होता यह

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तो कही बहत दर मालम होता ह यह कछ और मालम होता ह इसको हमन िहल कभी इस तरह दखा नही

तरसिाही हथकतरड़या डाल थ लककन अब कसी हथकतरड़या तरसिाही उस महल की तरफ ल जा रह थ लककन वह

जरा भी शककत नही था अब कसी शका अब कसा भय वह मगन था तरसिाही थोड़ बचन थ और िरशान थ

और भीड़ बढ़न लगी और जब समराट क सामन लाया गया तो समराट तक भौचकका रह गया जो दखा उसन

सामन समराट था जबतरबसार उस समय का बड़ा परतरसदध समराट था बदध क िास जाता भी था बदध स धयान

की बात भी सनी थी जो बदध म दखा था जो बदध क कछ खास तरशषयो म दखा था उसकी ही झलक--और बड़ी

ताजी झलक जस झरना अभी फटा हो फल अभी तरखला हो--इस लड़क म थी

वह उस लड़क को िछा कक हआ कया ह यह थाल तन चराया उस लड़क न सारी कथा कह दी कक

हआ ऐसा म नमो बदधसस कहत-कहत सो गया--सोया भी जागा भी मानो न मानो ऐसा हआ मझस भी

कोई िहल कहता तो म भी न मानता कक सोना और जागना एक साथ हो सकता ह मगर ऐसा हआ कछ बात

ऐसी ह जो हो तभी मानी जा सकती ह न हो तो मानन का कोई उिाय नही उसन कहा आि भरोसा कर

लो ऐसा हआ मर आसिास कछ लोग आकर नाचन लग मन आख खोली उनको नाचत दखकर म भी मसत

हआ मन सोचा शायद य भी नमो बदधसस का िाठ कर रह ह तो म कफर नमो बदधसस का िाठ करन लगा

कफर िता नही उनह कया हआ व मर चरण दाबन लग भोजन लाए थाली लाए मझ भोजन करवाया मझ

सलाया रातभर मर िास खड़ रह िहरा दत रह सबह इस थाली को लकतरड़यो म तरछिाकर भाग गए कफर

आिक तरसिाही आए कफर तो कथा आिको मालम ह इसक बाद की कथा आिको मालम ह

समराट उस लकर भगवान बदध क िास गया भगवान राजगह म ठहर थ समराट न भगवान स िछा--

भत कया बदधानसमतरत इस तरह की रकषक हो सकती ह कया नमो बदधसस क िाठ माि स इस छोट स बचच को

जो हआ ह वह ककसी को हो सकता ह और यह भी खल-खल म म तो लोगो को जीवनभर तिियाम करत

दखता ह तब नही होता कस भरोसा कर कक इस छोट स लड़क को हो गया ह आि कया कहत ह कया इस

लड़क की कथा सच ह

भगवान न कहा--हा महाराज बदधानसमतरत सवय क ही िरम रि की समतरत ह जब तम कहत हो नमो

बदधसस तो तम अिनी ही िरम दशा का समरण कर रह हो--तमहारा ही भगवत-सवरि

बदध यानी कोई वयतरि नही बदध का कछ लना-दना गौतम बदध स नही ह बदधतव तो तमहार ही जागरण

की आतरखरी दशा ह तमहारी ही जयोतरतममय दशा ह तमहारा ही तरचनमय रि ह जब तम समरण करत हो--नमो

बदधसस तो तम अिन ही तरचनमय रि को िकार रह हो तम अिन ही भीतर अिनी ही आतमा को आवाज द रह

हो तम तरचलला रह हो कक परगट हो जाओ जो मर भीतर तरछि हो नमो बदधसस ककसी बाहर क बदध क तरलए

समिमण नही ह अिन अतरतम म तरछि बदध क तरलए खोज ह और अगर कोई सरल तरचतत हो तो जलदी हो जाता

इसीतरलए जलदी हो गया यह छोटा बचचा ह सरल तरचतत ह तिसवी सरल तरचतत नही ह बड़ करठन ह बड़

कठोर ह और वासना स भर ह लोभ स भर ह धयान करन चल ह लककन धयान म भी िीछ लकषय बना हआ

ह इसन तरबना लकषय क ककया इसतरलए हो गया इस सहज समातरध लग गयी ह

नमो बदधसस या बदधानसमतरत सवय क ही िरम रि की समतरत ह वह सतह क दवारा अिनी ही गहराई की

िकार ह वह िररतरध क दवारा क दर का समरण ह वह बाहय क दवारा अतर की जागतरत की चषटा ह उसक

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अतरतररि और कोई शरण नही ह उसक अतरतररि और कोई मागम नही ह वही मतय स रकषा और अमत की

उिलतरबध बनती ह और तब उनहोन य गाथाए कही--

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच बदधगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच धममगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच सघगता सतरत

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह

जो सदा याद करत ह भगवतता का बदधतव का जो सदा अिन जीवन को एक ही कदशा म समरिमत करत

चलत ह तरजनक जीवन म एक ही अनिान ह कक कस जाग जाए जो हर तरसथतरत और हर उिाय को जागन का

ही उिाय बना लत ह जो हर अवसर को जागन क तरलए ही काम म ल आत ह जो राह क ितथरो को भी

सीकढ़या बना लत ह और एक ही लकषय रखत ह कक भगवान क मकदर तक िहचना ह--और मकदर उनही क भीतर

ह अिनी ही सीकढ़या चढ़नी ह अिनी ही दह को सीढ़ी बनाना अिन ही मन को सीढ़ी बनाना और जागरक

होकर तरनरतर धीर-धीर सवय क भीतर सोए हए बदध को जगाना ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा बदध म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

ऐसा ही नही कक व जागत म जागत रहत ह व सोत म भी जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा धमम म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा सघ म लीन रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

तीन बातो िर बदध न सदा जोर कदया--बदध धमम और सघ बदध का अथम ह तरजनम धमम अिन िररिणम

रि म परगट हआ ह काश तम ऐस वयतरि को िा लो तरजसक जीवन म धमम तमह लग कक साकार हआ ह तो

धनयभागी हो तरजसक जीवन स तमह ऐसा लग कक धमम कवल तरसदधात नही ह जीती-जागती तरसथतरत ह तो बदध

कहत ह उस वयतरि क समरण स लाभ होता ह जो जाग गया ह कयोकक जब तक तम जाग हए वयतरि क िास न

होओ तब तक तम ककतना ही सोचो तमह जागरण का कोई आधार नही ह तम तरनराधार हो तमहार भीतर

सदह बना ही रहगा िता नही ऐसी अवसथा होती ह या नही होती िता नही शासतर कहत जरर लककन ऐसा

कभी ककसी को हआ ह या किोल-कलिना ह या िराणकथा ह

बदध क िास जान का अथम इतना ही ह कक दखकर कक मर ही जस मास-मजजा-हडडी स बन हए आदमी म

मर जस ही आदमी म कछ हआ ह जो मझस अतीत ह ठीक मर जसा ही आदमी ह कछ भद नही ह जहा तक

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चमड़ी-मास-मजजा का सबध ह ठीक मर जसा ह बीमारी आएगी तो इस भी लगगी जनमा मरी तरह मरगा

भी मरी तरह सब सख-दख इसी तरह घटत ह लककन कफर भी इसक भीतर कछ घटा ह जो मर भीतर नही

घटा अगर मर ही जस मास-मजजा स बन आदमी क भीतर यह दीया जल सकता ह तो मर भीतर कयो नही

तब एक पयास उठती ह अदमय पयास उठती ह तब एक िकार उठती ह जो तमह झकझोर दती ह सतसग का

यही अथम ह

तो बदध का समरण जागरत बदध तरमल जाए तो सदगर तरमल गया जागरत बदध परतीक ह साकार अवतार ह

धमम का लककन जागरत बदध को भी हम नमसकार इसीतरलए करत ह कक वह धमम का परतीक ह और ककसी कारण

नही जब हम ककसी एक दीए को नमसकार करत ह तो दीए क कारण नही करत उसम जलती जयोतरत क कारण

करत ह वह जयोतरत तो धमम की ह हालाकक दीए क तरबना जयोतरत नही होती होती भी हो तो हम कदखायी नही

िड़ती इसतरलए हम दीए क धनयवादी ह कक उसन जयोतरत को परगट करन म सहायता दी लककन अततः तो

नमसकार जयोतरत क तरलए ह दीए क तरलए नही

तो दसरा नमसकार धमम क तरलए धमम का अथम ह जीवन का आतयतरतक तरनयम तरजसस सारा जीवन

चलता ह तरजसक आधार स चाद-तार बध ह तरजसक आधार स ऋतए घमती ह तरजसक आधार स जीवन

चलता उठता बठता तरजसक आधार स हम सोचत तरवचारत धयान करत समातरध तक िहचत ह जो सारा

तरवसतार ह तरजसका उस आधारभत तरनयम का नाम ह--धमम वह सनातन ह एस धममो सनतनो सदा स चला

आया ह सदा चलता रहगा

जो सथान जहद-तरवचार म िरमातमा का ह वही सथान बदध-तरवचार म धमम का ह जो सबको धारण ककए

हए ह वह धमम उसक परतरत तरनरतर समतरत बनी रह तो सोत-जागत भी वयतरि परकाश स भरा रहता ह

और तीसरी बात सघ म समतरत लीन रह िहला बदध तरजनम िरा धमम परगट हआ ह बीच म धमम जो

अपरगट ह हम अभी तरजसका हम अनमान होता ह--बदध को दखकर--लककन तरजसको हमन सीधा-सीधा साकषात

नही ककया ह जो हमार भीतर अभी नही घटा ह तरजसकी हमारी तरनजी परतीतरत नही ह और कफर सघ सघ ह

उन लोगो का समह जो उस धमम की खोज म लग ह तीन बात ह जो उस धमम की खोज म ममकषा कर रह ह

वह सघ उनकी भी समतरत रखना कयोकक अकल शायद तम न िहच िाओ तम अगर उनक साथ जड़ जाओ जो

िहचन की यािा िर चल ह तो िहचना आसान हो जाएगा

गरतरजएफ कहता था अगर एक कारागह म तम बद हो अकल तरनकलना चाहो तो मतरशकल होगा जल

बड़ा ह दीवाल बड़ी ऊची ह िहरदार मजबत ह जलर ह सारी वयवसथा ह अकल तम तरनकलना चाहो तो

मतरशकल होगा लककन अगर तम जल म बद दो सौ ककदयो क साथ एकजट हो जाओ--दो सौ कदी इकटठ

तरनकलना चाह तो बात बदल जाएगी तब दवार िर खड़ा एक सतरी शायद कछ भी न कर िाए शायद जलर

भी कछ न कर िाए

लककन अभी भी हो सकता ह जलर फौज बला ल तरमतरलटरी बला ल अड़चन खड़ी हो जाए तो अगर

तम जो भीतर दो सौ कदी बद ह तम इकटठ हो गए और तमन बाहर ककसी स सबध बना तरलया जो जल क

बाहर ह तो और आसानी हो जाएगी कयोकक वह आदमी ठीक स िता लगा सकता ह--कौन सी दीवाल

कमजोर ह ककस दीवाल िर कम िहरा रहता ह ककस दीवाल स तरमतरलटरी बहत दर ह कौन स समय िर िहरा

बदलता ह कब रात िहरदार सो जात ह यह तम तो िता न लगा सकोग कयोकक दीवाल क बाहर जो हो रहा

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ह वह दीवाल क बाहर जो ह वही जान सकता ह तो अगर तमहारा दीवाल क बाहर स ककसी स सबध हो

जाए

कफर अगर दीवाल क बाहर तरजसस तमहारा सबध हो वह ऐसा हो जो खद भी कभी इस कारागह म कदी

रह चका हो तो और भी लाभ ह कयोकक उस भीतर का भी िता ह--कहा स दवार ह कहा स दरवाज ह कहा स

तरखड़ककया ह कहा स सीकच काट जा सकत ह ककस िहरदार को ररशवत तरखलायी जा सकती ह कौन सा जलर

कमजोर ह कौन सा जलर रात म शराब िीकर मसत हो जाता ह भल-भाल जाता ह

बदध का अथम ह ऐसा वयतरि जो इस ससार म बद था--ठीक तम जसा--अब बाहर हो गया ह उसस साथ

जोड़ लो सघ स सबध ह उन लोगो स साथ जोड़ लो जो अभी जल म तमहार साथ बद ह उनक साथ इकटठ हो

जाओ

मझस लोग िछत ह कक आि सनयास दकर गररक लोगो की जमात कयो िदा कर रह ह

यह सघ ह अकल-अकल आदमी कमजोर ह सग-साथ मजबत हो जाता ह जो एक न कर सक दस कर

सक ग जो दस न कर सक सौ कर सक ग जो सौ न कर सक हजार कर सक ग जस-जस तम सगरठत होत चल

जात हो तमहारी अिनी कमजोररया तमहार सगी-सातरथयो क बल क साथ सयि हो जाती ह तम जयादा

बलवान हो जात हो तब एक बड़ी लहर िदा होती ह तरजस िर सवार हो जाना आसान ह

तो बदध न कहा बदध का समरण जो रखता ह सघ का समरण जो रखता ह और दोनो क िार जो धमम ह

उसका समरण जो रखता ह तरजनहोन िा तरलया उनका समरण जो िान चल िड़ ह उनका समरण और तरजस

िान चल ह और जो िा तरलया गया ह उसका समरण--य तीन महतविणम समतरतया ह इनको बदध न तरिरतन कहा

ह तरिशरण कहा ह य बदध-धमम क तीन रतन ह--बदध शरण गचछातरम सघ शरण गचछातरम धमम शरण गचछातरम

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च तरनचच कायगता सतरत

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च अजहसाय रतो मनो

सपिबदध िबजझतरत सदा गोतमसावका

यस कदवा च रततो च भावनाय रतो मनो

िहली तीन बात अिन स बाहर क तरलए--बदध क तरलए सघ क तरलए धमम क तरलए दसरी तीन बात अिन

भीतर क तरलए

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा अिनी काया की समतरत म लीन रहती ह

बाडी अवयरनस उठत ह बठत ह चलत ह लककन धयान रखत ह मरी दह स कया हो रहा ह

तरजनकी समतरत कदन-रात सदा काया क परतरत जागरक रहती ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ

सोत और जागत ह

बदध का इस िर बड़ा जोर था काया हमारी िहली िरत ह िरत क भीतर िरत ह काया िहली िरत

ह दसरी िरत तरवचार की ह तीसरी िरत भाव की ह तीन िरत ह--शरीर मन हदय इन तीनो क िार

हमार असली समराट का तरनवास ह इन तीन दीवालो क िार भगवतता तरवराजमान ह इन तीन िरकोटो को िार

करना ह तो िरकोटो को िार करन क तरलए समतरत चातरहए

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िहल काय-समतरत उठो तो जानना कक उठ बठो तो जानना कक बठ भोजन करो तो जानना कक भोजन

कर रह हो सनान करो तो जानना कक सनान कर रह हो तमहारा शरीर यिवत न रह तमहार शरीर की परतयक

परककरया बोधिवमक होन लग करठन ह भल-भल जाओग

करना कोतरशश--रासत िर चलत जब तम लौटकर जाओ तो जरा कोतरशश करना कक थोड़ी दर याद रखो

कक शरीर चल रहा ह दो सक ड याद रहगा भल गए मन कही और चला गया कफर तरछटक गया कफर थोड़ी

दर बाद याद आएगी कक अर म तो कछ और सोचन लगा कफर िकड़कर शरीर िर धयान को ल आना

वरषो की चषटा स काय-समतरत सधती ह और जब काय-समतरत सध जाती ह तो जीवन म बहत सी बात

अिन आि समापत हो जाती ह जस करोध समापत हो जाएगा कामवासना समापत हो जाएगी लोभ समाित हो

जाएगा कयोकक य सब काया की बहोशी ह कामवासना उठती ह काया की बहोशी स जब तमहार भीतर

कामवासना उठती ह तो काया की बहोशी तम िर हावी हो जाती ह अगर तम चलत-उठत-बठत हाथ भी

तरहलात हो तो होशिवमक तरहलात हो कक यह मरा हाथ तरहल रहा ह

तम जरा इसका परयोग करना तम बड़ चककत होओग यह हाथ उठाया मन इसको अगर होशिवमक

उठाया जानत हए कक हाथ उठा रहा ह आतरहसता-आतरहसता उठाया तब तम चककत होओग कक हाथ क उठान

म भी भीतर बड़ी शातरत मालम होगी इसी आधार िर चीन म ताइ ची का तरवकास हआ बदध की काय-समतरत

क आधार िर परतयक ककरया शरीर की बहत धीम-धीम करना

बदध कहत ह अिन तरभकष स आतरहसता चलो धीम चलो ताकक समतरत साध सको आतरहसता-आतरहसता एक-

एक कदम उठाओ जानत हए उठाओ कक बाया कदम उठाया कक दाया कदम उठाया

अगर कोई वरषम दो वररष काय-समतरत म उतर तो चककत हो जाता ह लोग िछत ह कामवासना कस छट

कामवासना सीध नही छटती कयोकक कामवासना काया क परतरत बहोशी का तरहससा ह जब काया की बहोशी

टटती ह तो कामवासना छटती ह और करोध भी तभी छटता ह आकरमक-भाव भी तभी छटत ह जहसा भी तभी

छटती ह

तो िहला काया क परतरत समतरत दसरा--

तरजनका मन कदन-रात सदा अजहसा म लीन ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और जागत

दसरी बात तरवचार िहली बात दह दसरी बात मन मन जहसातमक ह मन सदा ही जहसा की सोचता

ह--ककसस छीन ल ककसस झिट ल ककसको मजा चखा द मन परतरतयोतरगता ह कातरिटीशन ह सिधाम ह

एबीशन महतवाकाकषा ह मन आकरामक ह मन सदा आकरमण की योजनाए बनाता रहता ह कस मकान बड़ा

कर ल कस जमीन बड़ी कर ल कस तरतजोड़ी बड़ी कर ल सवभावतः छीनना िड़गा तभी कछ बड़ा होगा

तो बदध कहत ह मन की जहसा क परतरत जागो और अजहसा क भाव म परतरतिा लाओ यहा न कछ कमान

जसा ह न जोड़न जसा न बढ़ान जसा यहा सब बढ़ाया न बढ़ाया बराबर हो जाता ह यहा की दौलत दौलत

नही यहा का राजय राजय नही अनाकरामक बनो जहसा ह आकरमण अजहसा ह परतरतकरमण अदर लौटो बाहर

मत जाओ ठहरो भीतर तरवचार की जहसा को ठीक स समझो जस-जस तरवचार की जहसा समझ म आएगी और

अजहसा का भाव तरगा भीतर वस-वस तम िाओग दसरी िररतरध भी टट गयी

कफर तीसरी िररतरध ह--

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तरजनका मन कदन-रात सदा भावना म लीन रहता ह व गौतम क तरशषय सदा सपरबोध क साथ सोत और

जागत ह

कफर तीसरी भाव की दशा ह भावना की बदध न उस बरहम-तरवहार कहा ह उन भावनाओ म डबो जो

बरहम क करीब ल आएगी जस करणा सहानभतरत समानभतरत दया उन भावनाओ म डबो तरजनस तम दसरो

स टटत नही जड़त हो उन भावनाओ म डबो तरजनस धीर-धीर तमहार भीतर शातरत और आनद घना होता ह

बरहम म तरवहार करो एक म तरवहार करो अनक का भाव छोड़ो कोई मरा शि नही ह सभी मर तरमि ह मिी-

भावना तरमिता का भाव फलाओ जो सख म चाहता ह वही सब को तरमल और जो दख म नही चाहता ह वह

ककसी को भी न तरमल ऐसी भावनाओ म डबो

धीर-धीर भावना म डबत-डबत तीसरी सीढ़ी भी िार हो जाती ह काया की समतरत तरवचार की समतरत

भावना की समतरत कफर भीतर महल म परवश होता ह उस महल म परवश करक तम िाओग बदध को

तरवराजमान तमह तमहार बदध स तरमलन हो जाएगा इसको बदध न कहा ह अपि दीिो भव अिन दीए बन

जाओ कफर तम अिन दीए बन जाओग

राजा जबतरबसार को इस लड़क को लान क कारण बदध न य सतर कह

इस कहानी म मन एक छोटा सा फकम ककया ह उसकी म कषमा-याचना कर ल करना िड़ा इतना सा

फकम ककया ह--ितरडत और शासतरीयजनो को अड़चन होगी--फकम यह ककया हः कथा म ऐसा कहा गया ह कथा

ऐस शर होती ह कक राजगह म दो लड़क थ एक था समयक-दतरषट दसरा था तरमथया-दतरषट दोनो साथ खलत थ

समयक-दतरषट खलत समय नमो बदधसस का िाठ करता था और तरमथया-दतरषट नमो अररहताण का

इशारा साफ ह तरजसन भी कथा रची होगी तरलखी होगी शासतर म वह यह कह रहा ह कक जो बदध का

समरण करता ह वह तो िहच जाता ह जो महावीर का समरण करता ह वह नही िहचता तरजसन कहानी तरलखी

होगी उसकी दतरषट बड़ी कषदर और सापरदातरयक रही होगी तो जो नमो बदधसस का िाठ करता ह वह तो जीतता

था उसको कहा समयक-दतरषट और जो नमो अररहताण तरजनो का समरण करता था अररहतो का समरण करता

था महावीर का नतरम का िाशवम का समरण करता था उसको कहा तरमथया-दतरषट वह हारता था

इतना मन फकम ककया ह इतना मन अलग कर कदया ह कयोकक मझ लगा कक उतनी बात बदध क साथ

मल नही खाएगी कयोकक बदध का और अररहत का एक ही अथम होता ह बदध का अथम होता ह जो जाग गया

अररहत का अथम होता ह तरजसन अिन शिओ िर तरवजय िा ली

मचछाम शि ह मचछाम ही तो शि ह काम-करोध-लोभ-मद-मतसर शि ह शिओ िर तरवजय कस िायी

जाती ह जागकर िायी जाती ह बदध का भी एक नाम अररहत ह करषण का भी एक नाम अररहत ह और म

तो कराइसट को भी अररहत कहता ह और मोहममद को भी अररहत कहता ह अररहत का मतलब ही इतना ह--

तरजसक अब कोई शि न रह तरजसक भीतर सब शि तरवदा हो गए तरजसक भीतर सब शि तरवगतरलत होकर तरमि

बन गए तरजसका करोध करणा बन गया और तरजसकी कामवासना बरहमचयम बन गयी तरजसन अिन शिओ को

अिना तरमि बना तरलया तरजसन जहर को रिातररत कर तरलया जो उस कीतरमया स गजर गया जहा जहर अमत

हो जाता ह

तो इतना फकम मन ककया ह इतना कहानी म मन तोड़ कदया अलग कर कदया कयोकक उतनी बात मझ

सापरदातरयक मालम िड़ी और बदध का सापरदातरयक होन स कोई सबध नही हो सकता ह

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कहानी बदध न नही तरलखी ह कहानी ककसी अनयायी न तरलखी होगी अनयातरययो की कषदरबतरदध न बड़

उिदरव ककए ह ऐसी कहातरनया जन-गरथो म भी ह तरजनम बदध को गाली दी गयी ह ऐसी कहातरनया बदध-गरथो

म ह तरजनम जनो को गाली दी गयी ह य ओछी बात ह धमम बड़ा तरवराट ह और जब भी मझ ऐसा लगता ह

कक ककसी शासतर म ककसी सि को बदलन की जररत ह तो म जरा भी तरहचककचाता नही मरी शासतर क परतरत

कोई तरनिा ही नही ह म शासतरीय नही ह म िरी सवतिता मानता ह अिनी कयोकक मरी तरनिा बदध क परतरत ह

शासतर क परतरत नही ह

इस कहानी को िढ़त वि मझ लगा कक अगर बदध भी इस कहानी को िढ़ग तो इतना तरहससा छोड़ दग

उतना मन छोड़ कदया ह अगर म तरजममवार ह ककसी क परतरत तो बदध क परतरत और ककसी क परतरत नही अगर

महावीर क वचनो म मझ कछ वचन ऐस लगत ह जो कक महावीर क वचन नही हो सकत नही होन चातरहए म

उनको छोड़ दता ह कभी मझ ऐसा लगता ह कक यह अथम नही ककया जाना चातरहए तो अथम बदल दता ह

इसतरलए मझस ितरडत नाराज भी ह व कहत ह कक म शासतरो म हर-फर करता ह

शासतर म मरी कोई तरनिा नही ह शासतर मर तरलए तरखलवाड़ ह मरी तरनिा शासतर स बहत िार ह मरी

तरनिा तो अनभव म ह मरी तरनिा मर भीतर ह जो मरी तरनिा िर कस जाता ह मझ लगता ह कक यह बात म

भी कह सकता ह तो ही म बदध स कहलवाऊगा म भी कह सकता ह तो म महावीर स कहलवाऊगा

इसतरलए जन मझस परसनन नही ह कयोकक व कहत ह महावीर स मन ऐसी बात कहलवा दी जो महावीर

न नही कही ह उनको िता नही ह कक महावीर और मझम ढाई हजार साल का फकम हो गया आज महावीर

लौटत तो जो म कह रहा ह वही कहत ढाई हजार साल बाद इतना फकम न िड़ता महावीर जड़बतरदध नही थ

कोई गरामोफोन क ररकाडम नही थ कक वही का वही दोहरात रहत

मझस बौदध नाराज ह म नागिर म ठहरा था तो एक बड़ बौदध तरभकष ह बड़ ितरडत ह--आनद

कौशलयायन--वह मझ तरमलन आए उनहोन कहा कक आि कछ ऐसी बात कहत ह जो शासतर म नही ह ककस

शासतर म ह आिन कछ ऐसी बात जोड़ दी ह जो कही भी नही तरलखी ह मरी जजदगी शासतर िढ़त हो गयी

तो मन उनस कहा न तरलखी हो तो तरलख लनी चातरहए कयोकक शासतर ककसी न तरलख ह तम इतना और

जोड़ लो म बदध का नया ससकरण ह ससकरणो म थोड़ा फकम हो जाता ह न वह तो बहत नाराज हो गए

कहन लग शासतर म कस कछ जोड़ा जा सकता ह मन कहा म जोडगा म घटाऊगा कयोकक जो बात मझ

लगती ह ओछी ह वह कस बदध स कहलवाऊ अनयाय हो जाएगा उसक तरलए बदध कफर मझ कभी कषमा न कर

सक ग

ितरडत नाराज हो जाए मझ जरा जचता नही ह उनकी नाराजगी स कया बनता-तरबगड़ता ह लककन बदध

क साथ कछ अनयाय नही होना चातरहए इसतरलए मन इतना फकम ककया ह अनयथा कहानी अदभत ह अनयथा

कहानी बड़ी पयारी ह बड़ी सचक ह इस िर धयान करना

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

िचानव परवचन

मातरम तरितरम हतवा

िहला परशनः म दसरो को सलाह दन म बड़ा कशल ह यदयतरि अिनी समझ अिन ही काम नही आती ह

दसरो को सलाह दना इतना सरल कयो होता ह

महाराज आि सोचत ह कक आिकी सलाह दसरो क काम आती ह सलाह ककसी क काम नही आती जब

आिक ही काम आिकी सलाह नही आती तो दसर क काम कस आ जाएगी तरजसको आिन ही इस योगय नही

माना कक इसका उियोग कर जीवन म उसका कौन उियोग करन वाला ह

लकमान स ककसी न िछा था ऐसी कौन सी चीज ह दतरनया म तरजस सभी दत ह और कोई नही लता

लकमान न कहा सलाह दी खब जाती ह लता कोई भी नही तम खद ही अिनी सलाह मानन को तयार नही

हो थोड़ा सोचो

मन सना ह एक सफी फकीर क िास एक सतरी अिन बट को लकर आयी और उसन कहा कक इस जरा

समझा द म हार गयी इसक तरिता हार गए इसक तरशकषक हार गए हम सबस समझवा चक ह यह समझता

नही अब आि ही एकमाि आशा ह यह बहत गड़ खाता ह फकीर न कहा सात कदन बाद आओ सतरी तो

समझी नही इसम सात कदन बाद आन की कया बात थी सात कदन बाद िहची बट को लकर फकीर न कहा

कक कषमा करो सात कदन और लगग सात कदन बाद आओ ऐसा तीसरी बार भी कहा तो उस सतरी न कहा बात

कया ह उसन कहा बात तो म सात कदन बाद आओ तभी बताऊगा

इककीसव कदन उस फकीर न कहा बटा गड़ खाना बद कर द सतरी न तो तरसर स हाथ मार तरलया कक इस

सलाह क तरलए इककीस कदन भटकाया तीन बार बलाया उसन कहा यह इतनी सी सलाह नही म खद ही गड़

खान का बहत शौकीन ह इस छोट स बचच को म कह कक गड़ खाना छोड़ द बरा ह इसक िहल म तो छोड़ द

इककीस कदन मझ छोड़न म लग गए और इस सलाह दता तो बईमानी की होती झठी होती उस बट न फकीर

की तरफ आख उठाकर दखा उसक चरणो म झका और उसन कहा तो म भी छोड़ दता ह

तमहारी सलाह म मलय तभी आता ह जब तम भी उस करत हो तमहारा जीवन अगर तमहार तरवचार क

तरविरीत ह तो लोग तमहारा जीवन दखत ह तमहारा तरवचार थोड़ ही तरवचार स कोई परभातरवत नही होता

लोग परभातरवत जीवन स होत ह तमहार भीतर की अतरगन स होत ह बात तम आग की करो और तमहार जीवन म

राख ही राख हो तमहारा जीवन तमहार वचनो को झठला दगा बात तो सभी अचछी करत ह बात अचछी

करन म कया लगता ह हलदी लग न कफटकरी रग चोखा हो जाए कछ खचम तो होता नही ह बात करन म

लोग जानत ह कक बात तो कचरा ह और इस दश म तो और इस दश म इतनी सलाह दी गयी ह इतन उिदश

कदए गए ह कक लोग थक गए ह लोग ऊब गए ह लोग छटकारा चाहत ह

तम सोचत हो कक म दसरो को सलाह दन म बड़ा कशल ह लककन मरी सलाह मर ही काम कयो नही

आती

ककसी क काम नही आती जब तमहार काम नही आती तो ककसी क भी काम नही आएगी

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मन सना ह मलला नसरददीन क िड़ोसी क घर एक बड़ा कीमती तोता था तोता सात कदन तक मल-मि

तरवसजमन न ककया तो िड़ोसी घबड़ा गया ऐसा कभी न हआ था कतरबजयत आदतरमयो को होती ह तोतो को

नही तोत अभी इतन तरबगड़ नही अभी जीवन इतना खराब नही हआ जचतरतत हआ कछ समझ म न आया

सोचा मलला नसरददीन स िछ ल बजरग आदमी ह बढ़ आदमी ह जीवन दखा ह िरखा ह बाल ऐस ही सफद

नही ककए ह नसरददीन को बलाया

मलला न अिन चशम को ठीक-ठाक ककया तोत क जिजर क चारो तरफ घमा ठीक स तरनरीकषण ककया

तरवचार ककया काफी कफर कहा भाईजान जिजर म आिन जहदसतान का नकशा कयो तरबछाया ह िड़ोसी न

कहा मल-मि नीच न तरगर इसतरलए म सदा अखबार तरबछा दता ह और जब स इमरजसी समापत हो गयी ह

अखबारो म भी हड़ताल होन लगी ह तो सात कदन िहल अखबार की हड़ताल थी अखबार आया नही तो मन

यह जहदसतान का नकशा तरबछा कदया कया इसम कोई गलती हो गयी कया मन कोई भल-चक की इसम

आिको कोई एतराज ह

मलला हसा और बोला बड़ तरमया एतराज नही समसया सलझ गयी तोत आदतरमयो जस जड़ नही होत

तोत बतरदधमान होत ह और सवदनशील भी होत ह जहदसतान तरजतना मल-मि सह सकता था सह चका और

जयादा सहन की इसकी कषमता नही ह यही दख बचारा तोता मल-मि साध योगी बना बठा ह हटाओ यह

जहदसतान का नकशा

तमहार उिदश तमहार उिदषटा तमहार सलाह दन वाल तमहार तथाकतरथत धममगर तमहारी खोिड़ी को

खब कचर स भर चक ह तरजतनी सलाह इस दश म दी गयी ह उतनी और कही नही दी गयी इस दश की दगमतरत

का यही बड़ स बड़ा कारण ह और जो सलाह द रहा ह वह इसकी कफकर ही नही करता कक उसक जीवन म

सलाह क तरलए कोई परमाण नही ह उसका जीवन झठला रहा ह वह जो कह रहा ह ठीक उसस उलटा उसका

जीवन कह रहा ह

इस तम समझना बड़ो की तो बात छोड़ दो छोट-छोट बचच भी तम कया कहत हो यह नही सनत तम

कया करत हो इस सन लत ह मा-बाि कया कहत ह बचच को इसस थोड़ ही बचचा परभातरवत होता ह मा-बाि

कया करत ह इसस परभातरवत होता ह बचचा दखता रहता ह तम लाख कहो कक झठ मत बोलो लककन बचचा

झठ बोलगा कयोकक तम झठ बोलत हो तम लाख कहो कक तरनभीक रहो इसस कछ फकम नही िड़ता

मन सना ह एक छोटा बचचा भागा घर क भीतर आया और उसन अिनी मा स कहा--मममी मममी एक

शर चला आ रहा ह चौककर उसकी मा न दखा एक मररयल सा कतता चला आ रहा था उसकी मा न कहा कक

हदद हो गयी झठ की यह शर ह ककतनी दफा कहा लाख दफ समझा चकी ह कक झठ मत बोलो चलो इसी

वि आख बद करो और भगवान स पराथमना करो और कषमा मागो बटा बठ गया िालथी लगाकर आख बद

करक थोड़ी दर बाद उठा और बोला कषमा माग ली मा न िछा कया हआ कया तमन कहा उसन कहा मन

कहा कक ह परभ एक कतता आ रहा था और मन अिनी मममी को कहा कक शर आ रहा ह मरी मममी बहत

नाराज हो गयी कहती ह झठ नही बोलना चातरहए आिका कया तरवचार ह परभ बोल अर बकफकर रह जब म

छोटा था तो म भी अिनी मममी को ऐस ही कतत को शर कहकर डराया करता था

बचचा जानता ह तमहारा ईशवर भी झठा ककसस पराथमना करन को कह रह हो उस उसन कतत को शर

कहा इसम तो शायद थोड़ी सचचाई भी हो लककन ककस ईशवर स आख बद करक उसस तम पराथमना करन को कह

रह हो कोई भी नही ह वहा कतत को शर कहा थोड़ी अतरतशयोतरि की और आख बद करक तो कोई भी नही

71

ह वहा ककसको तम भगवान कह रह हो न तमह अनभव ह न ककसी को अनभव ह झठ िर और महाझठ की

ित जमाए जा रह हो

बचच दखत ह सब तरफ झठ चल रहा ह बाि कहता ह कक झठ मत बोलना और कफर कह दता ह--कोई

दरवाज िर आया ककराएदार आ गया--तो िहचा दता ह बट को कह दो कक तरिताजी घर म नही ह अब बटा

दख रहा ह कक यह बात झठ ह इस सब का कया अथम होता ह इसका अथम होता ह कक जब कहना हो तो यही

कहो कक झठ नही बोलना चातरहए और जब बोलना हो तो तरजसम लाभ हो वही बोलो यह बात इतनी सिषट ह

यह सदश इतना साफ ह

छोट बचच तक तमहार सतय को दख लत ह तो बड़--जो काफी बईमान हो गए तरजनहोन जीवन म काफी

अनभव कर तरलया ह--व तमहार सतय को न दख िाएग

ऐसा हआ दतरकषण की एक कथा ह दतरकषण म एक बड़ परतरसदध ितरडत हए ितरडत मतरण ितरडत मतरण

ककदरश चरटटयार भगवान मरगन कारतमकय क भि थ एक कदन उनक यहा एक भगत आया वह गल म रदराकष

की माला िहन माथ िर भसम रमाए हए था और मह स मरगा-मरगा की रट लगा रहा था उसन ितरडत मतरण

स कहा म भगवान मरगन का मकदर बनवान की सोच रहा ह कल रात भगवान न सवपन म दशमन दकर कहा कक

जचता मत करो ितरडत मतरण क िास जाओ तमह जो कछ भी चातरहए व दग ितरडत मतरण न इस िर भगत स

बड़ी तरवनमरता स पराथमना की कक रातभर मर यहा रतरहए सबह बात होगी

सबर उनहोन भगत को बलाकर बताया महाराज रात को भगवान न मझ भी दशमन कदए ह और कहा कक

सामन वह जो ताड़ ह उसक नीच िाच फट की गहराई िर खजाना गड़ा हआ ह उस तरनकालकर भगत क

हवाल कर दो अगर वहा गपत खजाना न तरमल तो भगत न शका की महाराज ितरडत मतरण न कहा मझ भी

यही शका हई थी और मन तरहममत करक भगवान मरगन स िछ भी तरलया उनहोन फौरन उततर कदया कक अगर

वहा खजाना न तरमल तो वहा भगत जी को गाड़ दो यह सनना था कक बगला भगत लोटा-सोटा उठाकर वहा स

भाग गया

न तमह भरोसा ह तमहार भगवान का न तमहार बचचो को आएगा न तम तरजनको सलाह दत हो उनह

आएगा तमहारा जीवन तमहारी कथा कहता ह तम झठ चला नही सकत झठ िकड़ा ही जाएगा

अब तम कहत हो कक सलाह दन म म बड़ा कशल ह

यह कशलता महगी िड़ रही ह यह कशलता छोड़ो इस कशलता स ककसी को लाभ नही हआ हालाकक

तमहारा जीवन वयथम जाएगा इस कशलता क कारण कोई तमह कभी धनयवाद नही दगा लोग तरसफम ऊबत होग

तमहारी सलाह स कयोकक जब तक कोई सलाह माग नही तब तक दना मत और जब कोई सलाह माग तो

तभी दना जब तमहार जीवत अनभव स तरनकलती हो तो ककसी क काम िड़ तो ककसी क जीवन म राह बन

तो ककसी क अधर म दीया जल

य दो कसौटी खयाल रख लना िहल तो तरबन मागी सलाह दना मत कयोकक तरबन मागी सलाह कोई

िसद नही करता अिमानजनक ह तरबन मागी सलाह का मतलब होता ह कक तम दसर को अजञानी तरसदध करन

की कोतरशश कर रह हो दसर क अहकार को चोट लगती ह वह तमस बदला लगा तमहारी सलाह स उस तो

कोई लाभ न होगा शायद तमह हातरन िहचाए सलाह दन वालो को लोग माफ नही कर िात

तो िहल तो तरबन मागी सलाह दना मत और सौ म तरननयानब सलाह तरबन मागी दी जाती ह कफर अगर

कोई माग भी तो तरवचार कर लना कक तमहारी अिनी अनभतरत कया ह अिनी अनभतरत क तरविरीत सलाह मत

72

दना अगर तम य दो बात करन म सफल हो जाओ तो न तो तम ककसी को हातरन िहचा सकोग न तम ककसी

का अिमान करोग न तम लोगो का मन वयथम कचर स भरोग यह कशलता छोड़ो यह कशलता काम की नही

ह यह गल म फासी ह तमहार और अगर य दो बात तमन धयान म रखी तो तमहार जीवन म धीर-धीर तरनखार

आएगा कयोकक तम वही करोग जो कहोग और वही कहोग जो तम करोग

जब ककसी वयतरि क जीवन म कतय म और तरवचार म तालमल हो जाता ह तो िरम सगीत िदा होता ह

नही तो ऐसा ही समझो कक तबला एक ढग स बज रहा ह और तरसतार एक ढग स बज रहा ह दोनो म कोई

तालमल नही ह बसरािन ह ऐस तमहार तरवचार एक ढग स चल रह ह और तमहारा जीवन एक ढग स चल

रहा ह दोनो म कोई तालमल नही ह बलगाड़ी म जत बल एक इस तरफ को जा रहा ह एक उस तरफ को

जा रहा ह और बलगाड़ी की ददमशा हई जा रही ह जीवन म सगीत तभी िदा होता ह शातरत तभी िदा होती

ह सख तभी िदा होता ह जब तमहार तरवचार और जीवन म एक तालमल होता ह एक सामजसय होता ह एक

समनवय होता ह

वही कहो जो तमन जाना हो ईमानदार बनो अगर तमन ईशवर को नही जाना ह तो भलकर ककसी स

मत कहना कक ईशवर ह कहना कक म खोजता ह अभी मझ तरमला नही तो कस कह तरमल जाएगा तो तरनवदन

करगा या इसक िहल तमह तरमल जाए तो मझ िर दया करना मझ खबर दना अिन छोट बचचो स भी यही

कहना कक ईशवर को खोजता ह अभी मझ तरमला नही बट शायद तझ तरमल जाए मझस िहल तरमल जाए--कौन

जान--तो मझ याद रखना मझ बता दना तरा तरिता अभी भी अधर म ह तरी मा अभी भी भटकती ह

काश तम अिन बचचो क परतरत इतन सचच हो सको अिन िड़ोतरसयो क परतरत इतन सचच हो सको अिन

तरमि-तरपरयजनो क परतरत इतन सचच हो सको तम सोचत हो तमहार जीवन म कसी न सगध आ जाएगी कस न

तम सदर हो उठोग

यह कशलता छोतरड़ए और सबस िहल तो जो तम ककसी स कहन चल हो उस िरखो जाचो उस जीवन

की कसौटी िर कसो वह सच भी ह हा तमह लग कक सच ह तमह उसस रस तरमल तमहार जीवन म आनद

बह तमहार जीवन म थोड़ी रोशनी हो थोड़ा साफ-साफ कदखन लग तमहारी आखो का धधलका तरमट कफर

तम जरर कह दना सवभावतः जब तमह कदखायी िड़गा तो तरजनह तम परम करत हो उनस तम तरनवदन करना

चाहोग लककन अभी तो अकसर यही होता ह कक तम दसरो को सलाह इसतरलए दत हो तरसफम यही तरसदध करन

को कक म तमस जयादा जञानी ह मझ जयादा िता ह

म छोटा था तो मर गाव म एक बड़ ितरडत थ मर तरिता क तरमि थ म तरिता का तरसर खाया करता कोई

भी सवाल उठाता मगर वह ईमानदार आदमी ह उनकी ईमानदारी क कारण मर मन म उनक परतरत अिार

शरदधा ह वह मझस कहत मझ िता नही तम ितरडतजी क िास चलो ितरडतजी क परतरत मर मन म कोई शरदधा

कभी िदा नही हई कयोकक मझ कदखता नही कक वह जो कहत थ उसम जरा भी सचाई थी उनक घर जाकर

म बठकर उनका तरनरीकषण भी ककया करता वह जो कहत थ उसस उनक जीवन का कोई तालमल न था लककन

बड़ी बरहमजञान की बात करत थ बरहमसि िर भाषय करत थ और जब म उनस जयादा तरववाद करन लगता तो

वह कहत ठहरो जब तम बड़ हो जाओग उमर िाओग तब यह बात समझ म आएगी मन कहा आि उमर की

एक तारीख तय कर द अगर आि जीतरवत रह तो म तरनवदन करगा उस कदन आकर मझ टालन क तरलए उनहोन

कह कदया होगा--कम स कम इककीस साल क तो हो जाओ

73

जब म इककीस का हो गया म िहच गया मन कहा कछ भी मझ अनभव नही हो रहा ह जो आि बतात

ह इककीस साल का हो गया अब कया इरादा ह अब कतरहएगा बयालीस साल क हो जाओ बयालीस साल का

हो जाऊगा तब आग की बता दना टालो मत तमह हआ हो तो कहो कक हआ नही हआ हो तो कहो कक नही

हआ उस कदन न-मालम कस भाव की दशा म थ व कोई और था भी नही नही तो उनक भि बठ रहत थ

भिो क सामन और करठन हो जाता उस कदन उनहोन आख बद कर ली उनकी आख स दो आस तरगर िड़ उस

कदन मर मन म उनक परतरत शरदधा िदा हई

उनहोन कहा मझ कषमा करो म झठ ही बोला था मझ भी कहा हआ ह टालन की ही बात थी उस कदन

भी तम छोट थ लककन तम िहचान गए थ कयोकक म तमहारी आखो स दख रहा था तमहार मन म शरदधा िदा

नही हई थी तम भी समझ गए थ म टाल रहा ह कक बड़ हो जाओ मझ भी िता नही ह उमर स इसका कया

सबध तरसफम झझट तरमटान को मन कहा था मन कहा आज मर मन म आिक परतरत शरदधा का भाव िदा हआ

अब तक म आिको तरनिट बईमान समझता था

खयाल रखना कक तम जो भी सलाह तमहार जीवत अनभव स नही परगटी ह दत हो उसस तम बईमान

समझ जात हो ईमानदार नही वही कहो जो जाना ह तब ककतना कम कहन को रह जाता ह कभी सोचा

ककतना कम रह जाता ह कहन को एक िोसटकाडम िर तरलख सकत हो इतना कम बचता ह सब कड़ा-करकट

हट जाता ह और तम चककत हो जाओग उस छोट स िोसटकाडम िर तरलखी गयी बात इतनी बहमलय हो जाती

ह एक-एक बात का वजन ऐसा हो जाता ह जसा तरहमालय का वजन हो तम तरजस दोग वह कतकतय होगा

िछत हो दसर को सलाह दना इतना सरल कयो होता ह

इसम करठनाई ह भी कया तमह करना नही ह कर तो दसरा फस तो दसरा न कर तो िछताए कर तो

िछताए मसीबत तमन दसर की खड़ी कर दी तमह कया अड़चन ह तमह दसर िर दया भी नही ह तरसफम

दयाहीन मफत सलाह दत ह तमम करणा भी नही ह तमह दसर क परतरत सहानभतरत भी नही ह

मन सना मलला की ितनी चौक क बाहर आयी और उसन कहा नसरददीन आज मर दात म बहत ददम ह

नसरददीन न अखबार स आख उठायी बड़ी बरखी स बमन स और कहा तो तरनकलवा दो मर दात म होता तो

म तरत ही तरनकलवा दता ितनी न कहा हा जी लककन यह तमहारा दात थोड़ ही ह तमहारा होता तो म भी

उस तरनकलवान म कोई कोर-कसर उठा न रखती

अिना दात तरनकलवाना हो तो अड़चन होती ह दसर का दात तरनकलवाना हो इसम सलाह दन म कया

अड़चन ह दसर को सलाह दन म अड़चन नही ह इसीतरलए म कहता ह सोचकर दना कचची मत द दना ऐस

ही मत द दना टालन को मत द दना वयथम जञान का परभाव कदखान को मत द दना थोथ आडबर क कारण मत

द दना िीड़ा स दना सोचकर दना अनभव करक दना उसक साथ सहानभतरत रखकर दना

तो तम िाओग कक तमहारी हर सलाह दसर को बदल न बदल तमह बदलती ह तम अिनी हर सलाह म

िाओग कक तमहारा जीवन तरनखरता ह हर सलाह तमहार जीवन िर छनी की एक चोट बनगी तमहारी परतरतमा

जयादा साफ उभरगी

भीड़ म ऐस कोई इसान की बात कर

जस ितथर क बतो म जान की बात कर

झठ को सच िर जहा तरजीह दना आम हो

कौन होगा जो वहा िर जञान की बात कर

74

ह तो खशफहमी महज लककन बहस स फायदा

ह तो खशफहमी महज लककन बहस स फायदा

शािगरसतो स कोई वरदान की बात कर

मतरजलो की ओर बढ़ना ह तो चलत ही रहो

लाख दतरनया गरदमशो-तफान की बात कर

जो सवय चल िाए काध िर तरलए अिनी सलीब

हक बजातरनब ह वही ईमान की बात कर

जब तक अिन कध िर अिनी सली लकर तम न चल होओ तब तक ईमान की बात करना ही मत जब

तक धमम क रासत िर तमन तकलीफ न उठायी हो तब तक धमम की बात करना ही मत जब तक परभ क चरणो

म तमन अिना तरसर काटकर न चढ़ाया हो तब तक परभ-अनभव की बात करना ही मत जब तक अिन मन को

राख करक समापत न कर कदया हो तब तक धयान-समातरध की बात करना ही मत

जो सवय चल िाए काध िर तरलए अिनी सलीब

हक बजातरनब ह वही ईमान की बात कर

तब तमह हक तरमलता ह नही तो गर-अतरधकार बात ह जहसा ह इस रोको इस छोड़ो इस जाल को

तोड़ो इसक बाहर आओ तमहारा जीवन ही तब सलाह बन जाता ह तमहार उठत-बठत स लोगो को ककरण

तरमलगी तमहारी आख का इशारा ियामपत होगा

अभी तम लाख तरसर मारो तम जब कह रह हो बड़ बल स तब भी तमहार भीतर की तरनबमलता साफ

जातरहर होती ह तम लड़खड़ा रह हो तम कह रह हो शरदधा की बात और भीतर सदह खड़ा ह इस शरदधा म

शरदधा जसा कछ भी नही ह

गरतरजएफ का एक बड़ा तरशषय आसिसकी जब िहली दफा उस तरमला तो गरतरजएफ न आसिसकी स कहा

यह कोरा कागज ह इस िर त एक तरफ तरलख ला कक कया त जानता ह और दसरी तरफ तरलख ला कक कया त

नही जानता ह आसिसकी न कहा कयो तो गरतरजएफ न कहा ताकक जो त जानता ह उसकी बात हम कभी न

करग--जब त जानता ही ह तो उसकी हम बात कयो कर जो त नही जानता उसकी बात करग जो त नही

जानता वह म जनान की कोतरशश करगा जो त जानता ह वह समापत हो गयी बात

सोचत हो ककस करठनाई म िड़ गया होगा आसिसकी ल तो तरलया कागज हाथ म बगल की कोठरी म

चला गया सदम रात थी और बफम िड़ रही थी बाहर लककन उस िसीना आन लगा कलम तो उठा ली लककन

तरलखन को कछ न सझ--कया जानता ह

और आज बात बड़ी महगी थी--ससती नही थी--कयोकक एक दफा तरलख कदया इस कागज िर तो वह तो

जानता ह गरतरजएफ को कक वह आदमी ऐसा ह कक अगर तरलख कदया कक ईशवर को जानता ह तो कफर ईशवर की

बात न करगा तरलख कदया कक धयान को जानता ह तो कफर धयान की बात न करगा तरलख कदया कक परम को

जानता ह तो कफर परम की बात न करगा आज बड़ी करठन थी बात बड़ी करठन घड़ी थी महगा था यह

सौदा आज सोचकर ही तरलखना था खब सोचन लगा परम को जानता ह धयान को जानता ह धमम को

जानता ह ईशवर को आतमा को कया जानता ह उसन बड़ी ककताब तरलखी थी इसक िहल--आसिसकी न--

जगतखयातरत थी उसकी गरतरजएफ को तो कोई जानता भी न था एक गरीब फकीर लककन आसिसकी

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जगतखयात था उसकी ककताब सारी दतरनया म थी अनक भारषाओ म अनवाकदत हो चकी थी लोग उस जञानी

की तरह मानत थ

यह जञानी लककन आदमी ईमानदार रहा होगा एक घटभर बाद वािस आया इसन कोरा कागज

गरतरजएफ क हाथ म द कदया और कहा मझ कछ भी िता नही ह आि अ ब स स शर कर म तरनिट अजञानी

ह इसस बात शर कर गरतरजएफ न कहा तब कछ हो सकता ह म सोच रहा था कक तन ककतना अजञान अिनी

ककताबो म बघारा ह ककतनी बात त लोगो को सलाह दता रहा ह आज कसौटी हो जाएगी कक त आदमी

ईमानदार ह या नही त ईमानदार ह म तझ सवीकार करता ह त इस रासत िर बढ़ सकगा

जगत की बड़ी स बड़ी ईमानदारी इस बात म ह कक हम सवीकार कर कक हम मालम नही ह जो सवीकार

करत ह कक हम अजञानी ह ककसी कदन जञानी हो सकत ह जो सवीकार करन म तरझझकत ह जो थोथ और झठ

जञान को अिना जञान दावा करत रहत ह उनक जञानी होन की कोई सभावना नही ह

दसरा परशनः टराजकशनल एनातरलतरसस क बार म बोलत हए आिन कहा कक अगर इस तरवतरध क खोजन

वालो को भगवान बदध का मातरम तरितरम हतवा वाला सि तरमल जाए तो यह तरवतरध अिवम रि स उियोगी हो

जाए इस िर कछ और परकाश डालन की किा कर

मनषय जब िदा होता ह तो कोर कागज की तरह िदा होता ह मनषय जब िदा होता ह तो शदध

तरनममलता की तरह िदा होता ह मनषय जब िदा होता ह तो िणम सवतिता की तरह िदा होता ह बशतम उस

िर कोई सीमा नही होती कोई मयामदा नही होती--अमयामद असीम मनषय जब िदा होता ह तो आतमा की

तरह िदा होता ह कफर समाज िररवार तरिता माता तरशकषक सकल कालज तरवशवतरवदयालय सब तरमलकर

इस आतमा क आसिास मन की एक ितम खड़ी करत ह मन की एक दीवाल बनात ह

धयान रखना मन समाज दवारा तरनरममत होता ह आतमा तमहारी ह शरीर परकतरत का ह और मन समाज

का ह मन तरबलकल उधार और बासी चीज ह शरीर भी सदर ह कयोकक परकतरत का सौदयम ह उसम--झरनो की

कलकल ह तमहार खन म तरमटटी की सगध ह तमहारी दह म जस आकाश क तार ह ऐसी ऊजाम ह तमहार पराण

म तमहारा शरीर तरनसगम स आया वह पराकतरतक ह वह परकतरत ह तमहारी आतमा िरमातमा स आयी दोनो

सदर ह दोनो अिवम रि स सदर ह दोनो क बीच म एक दीवाल ह मन की मन समाज दवारा तरनरममत ह मन

तमहार शरीर को भी दबाता ह और तमहारी परकतरत को धीर-धीर तरवकतरत बना दता ह मन तमहारी आतमा को

भी दबाता ह घरता ह और कारागह म बद कर दता ह

मन क दो काम ह--शरीर की परकतरत को तरनयतरित कर लना और आतमा की अबाध सवतिता को कारागह

म डाल दना

सार धमम का इतना ही सि ह मन स कस मि हो जाए जो समाज न ककया ह धमम उस नकारता ह

बदधिररषो का इतना ही उियोग ह सदगर क िास होन का इतना ही परयोजन ह कक जो समाज न तमहार साथ

कर कदया ह सदगर उस धीर-धीर हटाता ह तमह सहयोग दता ह कक तम हटा दो समाज न जो दीवाल तमहार

तरफ चन दी ह मन की तरवचारो की उसकी एक-एक ईट तरखसका दता ह

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तरजस कदन मन तरवसरजमत हो जाता ह उसी कदन समातरध लग जाती ह तरजस कदन शरीर नसरगमक और

आतमा सवति इन दोनो क मधय समातरध का सवर उठता ह यह जो चीन की दीवाल ह--मन--यह दोनो को

अलग ककए ह अ-मन समातरध का सि ह नो-माइड उनमन मन स मि हो जाना धयान का अथम ह

तो सार धमम की आधार-तरशला एक ही ह कक समाज न जो ककया ह उस कस अनककया ककया जा सक

तम कफर स कस उस जगह िहच जाओ जहा तम िदा हए थ तमहारी आख कफर कस उसी तरह तरनधमम और

तरनधमल हो जाए जसी जब तम िहली दफा मा क िट स जनम थ और आख खोली थी उस कषण थी कोई िदाम न

था तमहार कान कफर कस वस ही खल जाए जस िहली दफा जब तमन धवतरन सनी थी तब थ तमहारा सिशम

कस कफर उतना ही सवदनशील हो जाए जसा िहल कदन था जब तम जनम थ तम कफर कस उसी तरह मि

सास लन लगो जसी तमन िहली सास ली थी तम कफर कस वस ही हसो--कार--तम कफर कस वस ही रोओ--

कार--कस तम कार हो जाओ कस समाज न तम िर जो-जो थोिा ह वह कफर स हटा तरलया जाए

समाज क इस आरोिण म माता-तरिता न बहत बड़ा हाथ बटाया ह कयोकक व ही तमहारा िहला समाज

थ कफर तमहार भाई-बहन थ कफर तमहार िड़ोसी थ कफर सकल था कफर कालज था कफर यतरनवरसमटी थी

कफर यह सारा तरवसतार था--ितम दर ितम जस कक पयाज होती ह एक ितम क ऊिर दसरी ितम जमती चली गयी

ह अब तो तम खो ही गए हो भीड़-भड़कक म अब तो तमह िता ही नही चलता कक तम कौन हो अब तो तमह

िछना िड़ता ह कक म कौन ह वरषो चषटा करोग कक म कौन ह तब कही तमह उततर आएगा कयोकक जहा स

उततर आ सकता ह उसम और तमहार बीच इतना अतराल हो गया ह और इतनी दीवाल और इतन िद और

इतनी अड़चन इतनी बाधाए हो गयी ह धमम का अथम ह इन बाधाओ को कस हटाए

इसका यह अथम नही होता कक हम बचच को इस तरह िाल सकत ह कक उस िर कोई िद ही न िड़ यह

असभव ह समझना इस मरी बात सनकर बहत बार ऐसा लग जाता ह तो कफर हम बचचो को कोई ससकार

कयो द ससकार दन स बचा नही जा सकता ससकार दन ही िड़ग अतरनवायम बराई ह नससरी इतरवल

आतरखर बचचा आग की तरफ जा रहा होगा तो रोकना ही िड़गा कक मत जाओ ससकार तरमलगा अधरी

रात म बचचा बाहर जाना चाहगा तो मा को कहना िड़गा कक मत जाओ खतरा ह भय िदा होगा तरनभमय िर

सीमा बन जाएगी भय की जहर घर म रखा होगा तो दर रखना िड़गा बचच क हाथ तक न िहच जाए हाथ

िहच जाए तो झटक स छीन लना होगा बचचा अिन को नकसान िहचा सकता ह दसर को नकसान िहचा

सकता ह य सारी बात रकावट डालनी होगी बचच को ससकार दन होग बचच को अनशासन दना होगा हर

कही खड़ होकर मल-मि तरवसजमन कर तो रोकना होगा समय िर ठीक सथान िर मल-मि तरवसजमन कर इसकी

तरशकषा दनी होगी टायलट टरजनग दनी होगी समय िर भोजन माग कदनभर भोजन न करता रह हर घड़ी हर

कही हर कोई काम न करन लग एक तरववक दना होगा इसस बचा नही जा सकता यह करना ही होगा कम-

जयादा ऐसा-वसा लककन यह होगा ही यह अतरनवायम ह

और धमम जो कहता ह वह भी बात महतविणम ह जब यह सारी की सारी वयवसथा तरनरममत हो जाएगी

तो एक कदन इस तोड़ना भी इतना ही जररी ह कफर तोड़ा जा सकता ह तरजसक भीतर अनशासन आ गया

उस अनशासन स मि ककया जा सकता ह

इस बात को समझना इसक तरवरोधाभास को समझना

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वसततः उस ही अनशासन स मि ककया जा सकता ह तरजसक भीतर अनशासन आ गया जब तक नही

आया ह तब तक तो मि नही ककया जा सकता ह तरजसक भीतर समझ आ गयी उस कफर ससकार स मि

ककया जा सकता ह

इसतरलए हमन इस दश म सनयासी को सार ससकारो स मि रखा हमन उसक ऊिर वणम की बाधा नही

मानी आशरम की बाधा नही मानी सनयासी होत ही समाज की सारी वयवसथा क बाहर माना सारी वयवसथा

का अतरतकरमण कर गया जो सनयसत हो गया उस िर अब कोई रकावट नही कोई बाधा नही उसकी सवतिता

िरम ह न शासतर रोकता ह न ससकतरत न समाज कयो कयोकक हमन यह जाना कक सनयसत होन का अथम ही

यही होता ह कक कम स कम समझ िदा हो गयी अिनी समझ िदा हो गयी अब ऊिर स रोिी गयी समझ की

कोई जररत नही ह

ऐसा ही समझो कक बचचा चलना शर करता ह तो मा उसका हाथ िकड़ती ह चलाती ह यह हाथ सदा

नही िकड़ रहना ह एक कदन िकड़ना िड़ता ह एक कदन छोड़ना भी िड़ता ह अगर मा बहत दया म इस हाथ

को िकड़ ही रह तो दशमन ह जब बचचा चलना सीख जाए तो जस एक कदन मा न दया करक बचच का हाथ

िकड़ा था ऐस ही दया करक हाथ हटा भी लना होगा नही तो यह बचचा जवान हो जाएगा और मा इसका हाथ

िकड़ कफरगी--यह कभी परौढ़ ही न हो िाएगा बहत सी माताए ऐसा करती ह बहत स तरिता ऐसा करत ह

उनक बचच मदाम रह जात ह--गोबर-गणश

सहारा दो िर सहारा जररत स जयादा मत द दना सहारा दना इसीतरलए कक ककसी कदन वयतरि

बसहारा खड़ा हो सक अिन िर िर खड़ा हो सक तरनयम दना ताकक तरनयम स मि हो सक सयम दना ताकक

सयम स मि हो सक सब समझा दना जब उसकी सब समझ साफ हो जाए तो उसस कहना अब समझ भी

छोड़ द अब त मि हो सकता ह

यह दसरी बात नही हो िाती िहली बात हो जाती ह दसरी अटक जाती ह टराजकशनल एनातरलतरसस

का इतना ही अथम ह कक यह दसरी बात हो जाए जो मा एक कदन तमहारा हाथ िकड़ ली थी वह िकड़ ही न

रह जाए उसका हाथ एक कदन छोड़ना जररी ह अगर उसन न छोड़ा हो तो तम छोड़ना तमह वह हाथ स

मि हो जाना जररी ह तमहार तरिता न एक कदन तमह सरकषा दी थी तमह सब तरफ स घरकर सतरवधा दी थी

एक कदन वह घरा तोड़ दना अगर तरिता तोड़न को राजी न हो तो तम तोड़ दना वह तोड़ना जररी ह अनयथा

तम घर म आबदध मर जाओग वह घरा तमहारी कबर हो जाएगा

दखत न एक िौध को लगात मिा यहा बगीच म िौधा लगाती ह तो उसक सहार क तरलए एक बास

लगा दती ह कफर ऐसा हआ कक यह यतरकलपटस यहा िास म ह इसका बास लगा ही रहा वह यतरकलपटस बड़ा

हो गया ह लककन परौढ़ नही हो िा रहा छपिर स ऊिर उठ गया ह लककन तरबना बास क तरगर जाता ह उसम

रीढ़ िदा नही हो िायी बास जररत स जयादा लगा रह गया अब कोई उिाय नही कदखता कक अब कया ककया

जाए अब बास को हटाओ तो तरगरता ह मर जाएगा बास को न हटाओ तो खतरा ह--कयोकक अब अब बास

की जररत नही ह यह बास हट जाना चातरहए था ऐसी हालत बहत लोगो की ह

छोटा वकष होता ह उसक चारो तरफ हम बागड़ लगा दत ह कटघरा खड़ा कर दत ह--सरकषा क तरलए--

कफर एक कदन कटघर को अलग कर लना होता ह हम अलग न कर तो वकष तोड़कर आग बढ़ जाता ह

ऐसी ही अवसथा मनषय की ह मनषय एक छोटा िौधा ह बचचा एक बहत नाजक घटना ह उसक

आसिास सब तरह की सरकषा चातरहए लककन धीर-धीर सरकषा हटनी चातरहए तो ही बचचा बलशाली होगा तो

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ही उसक भीतर रीढ़ िदा होगी इसतरलए अकसर ऐसा होता ह कक बड़ घरो क बट तरबना रीढ़ क होत ह तरजनक

िास खब सख-सतरवधा ह उनक बचच मदाम होत ह

तमन दखा होगा बड़ घरो म परतरतभाशाली लोग िदा नही होत परतरतभा िदा ही नही होती तरजतना धन-

िसा हो ककसी घर म उतन ही बदध िदा होत ह परतरतभा क तरलए चनौती चातरहए अमीर का बटा चनौती ही

नही ह उसक तरलए वह कहता ह जो चातरहए वह मझ तरमला ही हआ ह अब और कया करना ह िढ़-तरलखकर

भी कया होगा तरवशवतरवदयालय म तरसर मारन स भी कया फायदा ह

मन सना ह हनरी फोडम--अमरीका का बड़ा करोड़ितरत--अिन बटो को गरीबो की तरह िाला फोडम क

बड़ मोटर-कारखान क सामन उसक बट छोट जब थ तो जत िर िातरलश करत थ ककसी न हनरी फोडम को कहा

यह तम कया कर रह हो उसन कहा कक म ऐस ही जत िातरलश करता था उस जत िातरलश करन स म हनरी

फोडम बना अगर मर बचच अभी स हनरी फोडम बन गए तो एक कदन जता िातरलश करग

बात म बल ह बात सच ह आदमी करठनाई स बढ़ता ह सतरवधा स दब जाता मर जाता अतरत सतरवधा

तरहतकर नही ह थोड़ी असतरवधा भी होनी चातरहए थोड़ी सतरवधा भी और धीर-धीर सतरवधा हटती जानी

चातरहए और चनौती बड़ी होती जानी चातरहए हटा लो बास हटा लो बागड़ ताकक वकष उठ तफानो स टककर

ल अधड़ो स जझ तो जड़ मजबत होगी तो उसक िर जमीन म धसग और बल आएगा आतमतरवशवास आएगा

यह भरोसा आएगा कक म तफानो स जझ सकता ह कक म चाद-तारो की यािा िर अकला जा सकता ह कक मर

िर मजबती स जमीन म गड़ ह--यह िथवी मरी ह यह आकाश मरा ह

टराजकशनल एनातरलतरसस का बतरनयादी आधार यही ह कक एक कदन वयतरि को अिन मा-बाि स मि होना

चातरहए बदध का जो सि ह मातरम तरितरम हतवा वह इसी का सि ह बदध कहत ह एक कदन माता-तरिता की

हतया कर दनी चातरहए

ठीक यही बात जीसस न भी कही ह ईसाई भी इस बात को िकड़ नही िाए और बड़ शरमदा हो जात ह

जब बाइतरबल म यह वचन उनको कदखलाया जाता ह तो व बड़ िरशान हो जात ह व हल नही कर िात

कयोकक जीसस न कहा ह जब तक तम अिन माता-तरिता को घणा न करो तम मर तरशषय न हो सकोग

अब यह भी बात उस आदमी क मह स जो परम का उिदषटा था तरजसन कहा अिन दशमन को भी परम

करना और तरजसन कहा कक जो तमहार एक गाल िर चाटा मार उसक सामन दसरा भी कर दना और तरजसन

कहा कक जो तमहारा कोट छीन ल उसको कमीज भी द दना हो सकता ह बचार को कमीज की भी जररत हो

और जो तमस एक मील बोझ ल जान को कह उसक साथ दो मील चल जाना कयोकक कौन जान सकोचवश कह

न रहा हो शि को भी अिन जसा परम करना तरजसन यह बात कही उनही ओठो स यह दसरी बात बड़ी अजीब

लगती ह कक जब तक तम अिन मा-बाि को घणा न करोग मर तरशषय न हो सकोग

ईसाइयत इन वचनो को तरछिाती रही ह इन िर वयाखया नही की जाती बदध का वचन तो और भी

खतरनाक ह जीसस तो कहत ह जब तक तम अिन माता-तरिता को घणा न करो--यह कछ भी नही ह मरी

अिनी समझ यही ह कक बदध का सि ही ह जो जीसस क कानो म िड़ गया था लककन जीसस न इसम बदलाहट

की होगी कयोकक तरजनस वह बात कर रह थ व तो यह भी नही समझ िा रह थ हतया की बात सनकर तो व

तरबलकल ही िागल हो जात कक तम कह कया रह हो बदध न कहा ह मा-बाि की हतया न कर जो वह तरभकष न

हो सकगा

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यह तो और भी करठन बात हो गयी--और बदध क मह स महाकरणावान बदध स जयादा करणा स भरा

कोई वयतरि नही हआ जहसा की बात कह रह ह--हतया कर दो मा-बाि की

समझ लना बाहर क मा-बाि स इसका परयोजन नही ह तमहार भीतर जो ससकाररत होकर मा-बाि बठ

गए ह उनकी हतया कर दो तमहार भीतर जो मा-बाि की आवाज बहत गहर म परतरवषट हो गयी ह जो तमह अब

भी मि नही होन दती जो ससकार तमहार भीतर बहत जजीर की तरह बधा िड़ा ह उस तोड़ दो

ऐसा रोज तमह अनभव होगा अगर तम थोड़ा समझिवमक जीओग थोड़ धयानिवमक जीओग थोड़ी समतरत

को जगाओग तो तम घड़ी-घड़ी िाओग

मर एक तरमि ह जहदी क बड़ कतरव ह कोई िचास साल तो उमर ह ितनी ह बचच ह लड़की की शादी हो

गयी उसक बचच ह एक दफा मर साथ सफर ककए उनकी ितनी न मझस कहा कक सफर म आिको इनकी कई

खतरबया िता चलगी मन कहा यह मर िरान िररतरचत ह उनहोन कहा इसस कछ नही होता सफर म िता

चलगी और सफर म िता चली

डाकटर क बट ह वह तरिता तो चल बस तरिता कछ झककी ककसम क थ डाकटर थ और झककी सो दोहरी

बीमाररया झककी ऐस थ कक हर चीज म शक होता था कक कही कोई इनफकशन न लग जाए यह न हो जाए वह

न हो जाए वही झकक इनको भी ह वह मझ िता भी नही था जब टरन म चाय आयी तो उनहोन कहा कक नही

म नही िीऊगा मन कहा कया बात ह उनहोन कहा नही-नही कफर भी मझ बताए तो उनहोन कहा नही

मझ िीना ही नही मझ अभी इचछा ही नही ह चलो मन कहा कोई बात नही

भोजन का वि हो गया भोजन आया तो कहा नही मझ भोजन भी नही करना ह तो मन कहा हआ

कया तमहारी भख को उनहोन कहा नही कोई बात नही िर मन कहा कक कोई तकलीफ हो रही ह िट म

कछ अड़चन ह कया बात ह उनहोन कहा अब आि बार-बार तरजदद करग और चौबीस घट साथ रहना ह बात

यह ह कक म कही की चाय नही िी सकता और कही का भोजन नही कर सकता यह चौबीस घट म तो उिवास

करगा मन कहा कयो उनहोन कहा अब आि जयादा न छड़ बात यह ह कक मझ इनफकशन का डर ह मन

कहा यह डर आया कहा स उनहोन कहा कक मर तरिता

तरिता चल बस मगर तरिता जो ससकार द गए ह वह बठा ह जब बदध कहत ह माता-तरिता की हतया कर

दो तब बदध यह कह रह ह कक यह भीतर जो ससकार ह इसकी हतया कर दो अब यह कफजल की बकवास ह

और इतन डर-डरकर जीओग तो जीन म कोई सार ही नही ह मर ही जाओ ऐस डर-डरकर तो जी न सकोग

उनकी ितनी न मझ बताया कक मर ितरत न मझ कभी चमा नही कयोकक इनफकशन

यह तो बात सच ह कक चबन स जयादा इनफतरकसयस दतरनया म कोई और चीज नही ह कयोकक दसर क

ओठो स लाखो कीटाण तमहार ओठो म चल जात ह अब यह ितरत तो तभी चम सकत ह अिनी ितनी को जब

जब उसक ओठ वगरह सब सटरलाइजड ककए जाए मगर तब तक चबन का अथम न रह जाएगा परयोजन न रह

जाएगा यह तो भय सीमा स आग बढ़ गया यह िागलिन आ गया

तम जरा अिन भीतर खोजना शायद इतनी अतरतशयोतरि न हो लककन तम यही िाओग जब तम अिन

बट स बात कर रह हो तब जरा गौर करना तम उसी ढग स बात कर रह हो तरजस तरह तमहार तरिता तमस

बात करत थ यह बड़ मज की बात ह तो तम बढ़ जरा भी नही तम वही दोहरा रह हो तम गरामोफोन क

ररकाडम हो तम जब अिनी ितनी स झगड़ा करो तो जरा गौर स दखना यह झगड़ा वस ही हो रहा ह जस

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तमहार तरिता और तमहारी मा का होता था अकसर तम वही दोहरा रह हो इसम जरा भी नया नही कछ

नवीन नही ह

और अगर तम सतरी हो तो जरा गौर करना कक तम अिन ितरत क साथ जो वयवहार कर रही हो वह तमन

अिनी मा स सीखा मा जो तमहार तरिता क साथ करती थी वही तम अिन ितरत क साथ ककए जा रही हो

ऐस सकदयो तक चीज दोहरती रहती ह और चतनय का लकषण ह--नवीनता जब इतना दोहराव होता ह

जीवन म इतनी िनरतरि होती ह तो चतना दब जाती ह जड़ हो जाती ह मर जाती ह तब तम जीवत नही

रह जात

तम जरा जाच-िरख करना तम अिनी भाव-भतरगमाओ म अिन माता-तरिता को तरछिा िाओग तम

अिन वयवहार म अिन माता-तरिता को तरछिा िाओग तम अिन बोलन-चालन म माता-तरिता को तरछिा

िाओग तम अिन कतयो म दषकतयो म माता-तरिता को तरछिा िाओग अचछ-बर म तरछिा िाओग तो तम हो

कहा

बदध जब कहत ह माता-तरिता की हतया कर दो तो वह कहत ह उस हतया क बाद ही तमहारा जनम होगा

एक जनम तो हो गया उतना जनम काफी नही ह तरदवज बनो अब दसरा जनम चातरहए कफर स जनमो यह दसरा

जनम तमहारी चतनय की िहली घोरषणा होगी दोहराओ मत तम कोई अतरभनय मत करो

मगर ऐसा ही हो रहा ह म लोगो को दखता ह मर िास कभी कोई आ जाता ह वह कहता ह कक मर

तरिता का ऐसा दवयमवहार ह कक मरी मा ऐसी दषट ह तो इस--मा तो यहा मौजद नही ह तरिता यहा मौजद नही

ह--म इसी आदमी का तरनरीकषण करता रहता कछ कदन तक और अकसर इस आदमी म ही परमाण तरमल जात ह

कक इसकी बात सच ह या नही इसको ही दखकर इसक मा-बाि की सारी कथा धीर-धीर तरलखी जा सकती ह

इसक ही वयवहार म इसक मा-बाि को िकड़ा जा सकता ह

इस बात क तरलए बदध न कहा कक अिन मा-बाि की हतया कर दो अिन ससकार जो एक कदन जररी थ

अब तोड़ डालो बागड़ हटा दो बास तरगरा दो अब सहार की जररत नही ह बसातरखया फक दो अब अिन िर

िर खड़ हो जाओ आतमवान बनो यह आतमवान बनन का सि ही टराजकशनल एनातरलतरसस का सि भी ह

सवय बनो सवतव की घोरषणा करो उधार-उधार बास-बास न रहो

तम तरनरीकषण करोग तो तम बहत चौकोग तरननयानब परतरतशत तम उधार हो और सबस जयादा उधारी

मा-बाि क परतरत ह सवाभातरवक और धयान रखना इसका यह मतलब भी नही ह कक बदध यह कह रह ह मा-

बाि गलत थ--यह तो बदध कह ही नही रह ह मा-बाि तमहार ककतन ही अचछ रह हो इसस कोई सबध नही

ह अकसर तो ऐसा होता ह बर मा-बाि स छटना करठन नही होता अचछ मा-बाि स ही छटना करठन होता

ह अचछ मा-बाि की जकड़ गहरी होती ह कयोकक अचछ स कस छटो सोन की जजीर होती ह उस छोड़ो

कस तोड़ो कस बर मा-बाि स तो छटकारा हो जाता ह अचछ मा-बाि स मतरशकल होता ह अचछ स तो

लगाव बनता ह मोह बनता ह--इतन पयार मा-बाि

बदध यह नही कह रह ह कक तमहार मा-बाि गलत ह बदध का विवय मा-बाि स कछ भी सबतरधत नही

ह मा-बाि कस थ इस सबध म बदध क विवय म कोई बात नही कही गयी ह--न अचछा न बरा बदध तरसफम

इतना ही कह रह ह कक परतयक वयतरि को एक कदन अिन मा-बाि स मि होन की कषमता जटानी चातरहए तरजस

कदन यह कषमता तमहारी िरी हो जाती ह कक तम मा-बाि स िरी तरह मि हो गए उस कदन तम वयतरि बन

उस कदन तम आतमवान हए उस कदन अगर तमहार मा-बाि को थोड़ी भी समझ ह तो व आनकदत होग और

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उतसव मनाएग तमहारा असली जनम हआ तमहारा िहली दफा जनमकदन आया तमहार मा-बाि फल लगाएग

दीए जलाएग अगर उनम समझ ह तो भोज दग तरमिो को बलाएग कक आज मरा बटा सवतव को उिलबध

हआ आज यह हमारी िनरतरि नही ह आज इसक अिन जीवन की यािा शर होती ह

इन विवयो म माता-तरिता स कछ भी परयोजन नही ह इन विवयो म तरसफम इतना ही परयोजन ह जस

एक आदमी सीढ़ी चढ़ता ह तरबना सीढ़ी चढ़ ऊिर की छत िर िहच नही सकता कफर अगर सीढ़ी को ही

िकड़कर रक जाए रासत म तो भी छत तक नही िहच सकता सीढ़ी िर चढ़ना भी होता ह कफर एक कदन

सीढ़ी छोड़ भी दनी होती ह और सवभावतः मा-बाि का ससकरण सबस गहरा होता ह कयोकक व हमार सबस

जयादा करीब होत ह िहली तरशकषा उनही स तरमलती ह

अब तम इस जरा समझो कक ककस तरह हम जकड़ हए ह िहली दफा बचचा िदा होता ह बचच का जो

िहला ससगम ह जगत स ससार स वह मा क सतन स होता ह िहला ससगम िहला ससार मा का सतन ह और

तम दखना ऐसा िररष खोजना मतरशकल ह जो सतरी क सतनो स मकत हो जब तक तम सतरी क सतनो स मि नही

हो तब तक तम अभी बचकान ही हो अभी तम िहल कदन क बचच ही हो जो मा क सतन िर तरनभमर था

सकदया बीत गयी लोग मरतमया बनात तो सतन महतविणम तरचि बनात तो सतन महतविणम कफलम बनात

तो सतन महतविणम कतरवता तरलखत उिनयास तरलखत तो सतन महतविणम और ऐसा मत सोचना कक आज ही

ऐसा हो गया ह सदा स ऐसा ह तम अिन िरान स िरान कावयो को उठाकर दखो--कातरलदास को कक

भवभतरत को--वहा भी वही ह सतनो का वणमन ह तम िरानी स िरानी मरतमया दखो तो सतन बहत उभारकर

कदखाए गए ह इतन बड़ सतन होत भी नही तरजतन मरतमयो म कदखाए गए ह--खजराहो जाकर दखो इतन

सडौल सतन होत भी नही तरजतन तरचिकारी म और कतरवताओ म खोद गए ह

यह कया बात ह मामला कया ह आदमी सतन क िीछ ऐसा दीवाना कयो ह यह िररष सतन क परतरत

इस तरह उतसक कयो ह कयोकक सभी िररषो का जो िहला ससगम ससार स हआ जो िहला ससकार िड़ा वह

सतन का ह और जो छोटा बचचा छोटा सा बचचा उसक तरलए सतन बहत बड़ी घटना ह और सवभावतः सतन

तरजतना भरा हो उतना बचच क तरलए सखद ह सतन तरजतना सडौल हो उतना बचच क तरलए सखद ह--उतना

जयादा दध दता ह वही भाव िोरषण का गहर म बठ गया ह तो तरजस सतरी का सतन बड़ा न हो उसम तमहारा

रस कम होता ह

तो तमहार भीतर जो बचिन म बठा ससकार ह अब भी तमहारी आखो िर िदाम ककए हए ह अब जररी

नही ह कक छोट सतन वाली सतरी बरी सतरी हो और बड़ सतन वाली सतरी अचछी सतरी हो जररी नही आवशयक

नही लककन पलबवाय और दतरनयाभर म तरजतनी अशलील ितरिकाए छिती ह और अशलील ककताब तरलखी जाती ह

उन सबम बड़ सतनो िर बड़ा आगरह ह

अमरीका म तो अब यह ह कक अगर सतन छोटा हो तो लोग इजकशन ल रह ह--तरसतरलकान का इजकशन--

ताकक सतन बड़ा हो जाए सडौल हो जाए फल जाए जबदमसती फल जाए तो भी चलगा कतरिम औरषतरध स फल

जाए तो भी चलगा मगर सतन फला हआ होना चातरहए कयोकक िररष उसम आकररषमत ह

िररष सतन म आकररषमत ह तरसतरया भी सतन म आकररषमत ह तो सतन को समहाल रखन क तरलए न-मालम

ककतन तरह की बरा बनती ह सतन को बड़ा कदखान क तरलए न-मालम ककतन तरह की िजडग की जाती ह

तरछिाती भी ह तरसतरया सतन को और कदखाती भी ह एक बड़ा खल चलता ह तरछिाती भी ह और कदखाती भी ह

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इस बात को खयाल म रखना तरछिा-तरछिाकर कदखाती ह कदखा-कदखाकर तरछिाती ह तरसतरयो को भी िता ह

िररषो को भी िता ह लककन यह बड़ी बचकानी दतरनया ह

इसका मतलब इस दतरनया म कोई बढ़ता ही नही परौढ़ होता ही नही और यह मन तरसफम उदाहरण क

तरलए कहा इसी तरह सारी तरचतत की दशा ह तम वही उलझ हो जहा स कभी क िार हो चकना था तम वहा

अटक हो जहा स तम सोचत हो िार हो चक हो

टराजकशनल एनातरलतरसस कहती ह अिन तरचतत का ठीक स तरवशलरषण ककया जाए अिन कतयो की

टराजकशन का मतलब होता ह तम जो कतय कर रह हो दसरो स सबतरधत होन म अतसबधो म तमहार जो कतय

हो रह ह टराजकशन जो हो रहा ह जो तमहारा लन-दन हो रहा ह दसरो स उस लन-दन म ठीक स अगर

तरवशलरषण ककया जाए तो तम िाओग कक तम अिन बचिन म अभी भी उलझ हो वहा स तम तरनकल नही िाए

शरीर बड़ा हो गया ह तमहारी चतना तरवकतरसत नही हो िायी तमहारी आतमा छोटी रह गयी ह इस छोटी

आतमा को मि करना ह इस कारागह क बाहर लाना ह

इसको कारागह क बाहर लान का उिाय ह--मातरम तरितरम हतवा तम माता-तरिता क हता हो जाओ

इसतरलए बदध न कहा अिन तरभकषओ को कक दखत हो इस तरभकष को यह महाभागयशाली ह यह अिन माता-

तरिता की हतया करक िरमसख को उिलबध हो गया ह

तरजस कदन तम माता-तरिता स मि हए तम ससार स मि हए माता-तरिता तमहार ससार का दवार ह

उनही क कारण तम ससार म आए हो उनही क सहार ससार म आए हो तरजस कदन उनस मि हो गए उस कदन

तमन तरनवामण क दवार म परवश कर तरलया

टराजकशनल एनातरलतरसस अभी परारतरभक ह बदध का सि अतरतम ह आतरखरी ह इसतरलए मन कहा कक

अगर टराजकशनल एनातरलतरसस क अनयातरययो को बदध क य सिो का िता चल जाए तो व बड़ गदगद होग

उनह बड़ा सहारा तरमलगा तब उनकी बात कवल मनोवजञातरनक ही न रह जाएगी उनकी बात का एक धारममक

आयाम भी हो जाएगा

तीसरा परशनः तयाग बड़ी बात ह या छोटी

आदमी आदमी िर तरनभमर ह

अगर तमन समझकर तयागा तो बड़ी छोटी बात ह अगर नासमझी स तयागा तो बड़ी बात ह बड़ी बड़ी

बात ह समझ का अथम होता ह तमन जाना धन म कोई मलय ही नही ह तो तयाग बड़ी छोटी बात ह कचरा

था छोड़ कदया तो कया छोड़ा तम उसका गणगान न करोग सततरत न करोग सततरत न करवाओग न आकाकषा

करोग तम कहत न कफरोग कक मन लाखो छोड़ कदए ह वहा कछ था ही नही तमह कदखायी िड़ गया ह

इसतरलए छोड़ा कड़ा-करकट था छोड़ कदया ककड़-ितथर थ छोड़ कदए

लककन अगर तमन ककसी की बात सनकर छोड़ा सवगम क लोभ म छोड़ा िरसकार की आशा म छोड़ा

सोचा कक यहा छोड़ग तो वहा तरमलगा िरमातमा क घर म खब तरमलगा यहा लाख छोड़ तो वहा दस लाख

तरमलग ऐस गतरणत स छोड़ा तो तम घोरषणा करत कफरोग कयोकक तमह सवय कदखायी नही िड़ा ह कक धन

वयथम ह तम तो और धन की आकाकषा म इस धन को छोड़ हो तम शाशवत धन की आशा म कषणभगर धन को

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छोड़ हो तम तो भगवान क साथ भी जआ खल रह हो लाटरी लगा रह हो तो तमन बड़ा तयाग ककया तम

घोरषणा करोग तरचललात कफरोग कक मन इतना छोड़ा मगर कफर तयाग हआ ही नही

मन सना ह कक एक औरत मरी--एक सफी कहानी ह--एक औरत मरी दवदत उस लन आए अब व

सोचन लग कक इस कस सवगम ल जाए इसन कोई अचछा कतय कभी ककया िछा उसी बढ़ी की आतमा स उसन

कहा--हा मन एक मली एक बार एक तरभखारी को दी थी तो उनहोन कहा चल मली क ही सहार चल मली

परगट हो गयी उस औरत न मली को िकड़ तरलया और वह सवगम की तरफ उठन लगी और लोगो न दखा

उसको सवगम की तरफ उठत दखत कोई न उसक िर िकड़ तरलए वह भी उठन लगा ककसी न उसक िर िकड़

तरलए वह भी उठन लगा बड़ी लबी कतार लग गयी कय तो लग गया चली सतरी उठती और वह लबी कतार

चली उठती सतरी को बड़ा बरा भी लगन लगा कक दान तो मन की मली और य फालत ऐर-गर-नतथ-खर य मर

िर िकड़कर चल आ रह ह उस बड़ा करोध भी आन लगा उस बड़ी अकड़ भी आन लगी

आतरखर जब ठीक सवगम क दवार िर िहच गयी तो उसन कहा कक हटो छोड़ो मर िर मली मरी ह बात

इतनी बढ़ गयी कक वह भल ही गयी तरववाद म हाथ छोड़ कदए मली स और कहा मली मरी ह िरी कतार

जमीन िर तरगर गयी वह मर का भाव सवगम क दवार स वािस ल आया

अगर तयाग ककया ह तो तयाग का अथम यह होता ह कक तम समझ गए कक यहा कया मरा कया तरा तब

तो छोटी बात ह

ऐसा समझो इस छोटी सी घटना को सनो बात ह चतनय महापरभ की गहसथ थ तब की बात ह नाम

था उनका तरनमाई ितरडत एक सबह नौका म जा रह थ हाथ म एक नयाय का हसततरलतरखत गरथ था और साथ थ

सहिाठी रघनाथ ितरडत रघनाथ न आगरह ककया तो चतनय परभ अिना गरथ उनह िढ़कर सनान लग जयो-जयो व

गरथ सनात जात तस-तस रघनाथ ितरडत का दख बढ़ता जाता और तरचतत उदास होता जाता अत म रघनाथ

ितरडत रो िड़ तरनमाई न कारण िछा तो उनहोन कहा कया बताऊ मन भी बड़ िररशरम स एक गरथ तरलखा

ह--कदतरधतरत समझता था कक यह गरथ नयाय क गरथो म सबस परधान होगा िर तमहार इस गरथ क आग उस

कौन िछगा इसतरलए म दखी हो गया ह तमहारा गरथ तरनतरित उसस शरि ह मर वरषो की महनत वयथम गयी

तरनमाई हसकर बोल बस इतनी छोटी सी बात इतनी सी छोटी बात क तरलए इतना दख यह लो और

उनहोन िोथी को जल म फक कदया एक कषण न लगा िोथी जल म डब गयी िोथी क िनन जल म तरबखर गए

रघनाथ न कहा यह तमन कया ककया इतन महान गरथ को ऐस फक कदया तरनमाई न कहा महान कछ भी

नही सब शबदो का जाल ह बड़ा इसका कोई मलय नही ह दो कौड़ी की बात ह तम सखी हो सको इसक

मकाबल यह कछ भी नही तमहार ओठ िर मसकराहट आ सक तो ऐस हजार गरथ नदी म फक द

तरनमाई न कहा छोटी सी बात

जब तम जीवन क सतयो को ठीक-ठीक िहचानत हो तो तयाग बड़ी छोटी बात ह जब जीवन क सतयो को

ठीक-ठीक नही िहचानत तो बड़ी करठन बात ह बड़ी करठन और बड़ी बड़ी तम उस खब गणनफल करक

दखत हो एक रिया दान करोग तो हजार कहोग कछ छोटा-मोटा दान कर दोग तो धीर-धीर बढ़ात जाओग

तमको िता ही नही चलगा कक तम उस बढ़ात जा रह हो हर बार जब तम बताओग तो कछ जयादा बताओग

और जयादा बताओग बात बढ़ती चली जाएगी तम बड़ा करक बताना चाहत हो

इस जगत म कोई भी वसत मलयवान नही ह ऐसी परतीतरत का नाम तयाग तयाग का अथम दान नही ह

तयाग का अथम बोध तयाग का अथम दना नही ह तयाग का अथम ह इस बात की समझ कक यहा दन योगय भी कया

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ह लन योगय भी कया ह यहा का यही िड़ा रह जाएगा हम आए और हम चल सब ठाठ िड़ा रह जाएगा जब

हम नही आए थ तब भी यही था हम चल जाएग तब भी यही होगा हम नाहक ही बीच म अिना-तिना करक

बहत झगड़-झास खड़ कर लत ह मरा तरा द लत रोक लत कबजा कर लत तयाग का मजा ल लत और

अिना यहा कछ भी नही ह अिना यहा कछ ह नही ऐसी परतीतरत को म कहता ह तयाग

तो वयतरि वयतरि िर तरनभमर ह तयाग बड़ी बात ह या छोटी तम िर तरनभमर ह अगर धयान ह तो तयाग

कछ भी खास बात नही बड़ी साधारण बात ह--धयान की छाया अगर धयान नही ह तो कफर तयाग बड़ी बात

ह बहत बड़ी बात ह

चौथा परशनः अगर शराब धयान म बाधक ह तो सतरचचदानद वाली समातरध की तो बात ही कया अनभव स

समझता ह कक इस खडड स तरनकलकर ही धयान की परातरपत हो सकती ह किाकर इस खडड स तरनकलन का उिाय

बताए

िछा ह लालभाई न िकक तरियककड़ ह मगर चलो िछा यह भी खब रासता इसस ही बनगा िछना आ

गया तो िहली ककरण आ गयी यह भाव उठन लगा कक इस खडड स बाहर तरनकलना ह तो तरनकल आओग खडड

म तम ही गए हो तरजन िरो स गए हो व ही िर वािस ल आएग तरजस खडड म तरगर गए हो अगर िहचानन

लगो कक यह खडडा ह तो ककतनी दर िड़ रहोग खडड म आदमी इसीतरलए िड़ा रहता ह कक सोचता ह महल ह

सोन का महल ह कफर तम िर िसारकर और चादर ओढ़कर सोए रहत हो तरजस कदन कदखायी िड़ा अर खडडा

ह उठना शर हो गया बाहर तरनकलना शर हो गया

मन तरिछल कदन कहा शराब धयान म बाधक ह यह आधी ही बात थी आधी बात तमस और कह द

धयान भी शराब म बाधक ह शराब िीए तो धयान करना मतरशकल होगा और अगर धयान ककए तो शराब िीना

मतरशकल हो जाएगा और यह बात खयाल रखना अगर दोनो म कशतमकशती हो तो धयान ही जीतता ह शराब

नही जीतती शराब जीत भी कस सकती ह शराब छोटी शराब ह धयान बड़ी शराब ह शराब साधारण अगरो

स तरनकलती ह धयान तो आतमा का तरनचोड़ ह तो धयान और शराब म अगर सघरषम हो जाए तो िहल शायद

थोड़ कदन तक शराब जीतती मालम िड़ घबड़ाना मत धयान ही जीतगा सघरषम जारी रहन दना

हा मन तरनतरित कहा कक शराब धयान म बाधक ह मगर इसस तम यह मत सोचना कक कफर म धयान

कस कर कयोकक म तो शराब िीता ह तो धयान कस कर अगर धयान न करोग तो कफर बाहर न तरनकल

िाओग धयान शर करो शराब बाधा डालगी तम शराब ही थोड़ हो गए हो तमहार भीतर अभी थोड़ा बोध

ह बोध तरबलकल नषट तो नही हो गया--नषट कभी होता नही--उस थोड़ स बोध स धयान शर करो धयान क

तरवरोध म शराब तमह खीचगी हटाएगी डलाएगी तम उसको चनौती मानना और तम अिन बोध को धयान

म लगाना धीर-धीर तम िाओग बोध बड़ा होन लगा शराब की िकड़ छोटी होन लगी एक कदन बोध इतना

बड़ा हो जाएगा कक शराब कब तरगर गयी तमह याद भी न रहगी

िछा ह तमन इस खडड स तरनकलन का उिाय बताए

धयान ही उिाय ह और कोई उिाय नही धयान की सीढ़ी ही लगाओ इस खडड म तमह अड़चन होगी

तम कहोग एक तरफ म कहता ह कक शराब िीन स धयान म बाधा िड़ती ह--तरनतरित िड़ती ह धयान करोग

और शराब न िीत होओग तो धयान जलदी लग जाएगा शराब िीत हो तो दर स लगगा अड़चन डालगी

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शराब शराब िरी तरह उिाय करगी तमह फसलान क कक धयान मत करो कयोकक शराब अनभव करगी कक यह

धयान तो दशमन ह तम दशमन क खम म जा रह हो आज नही कल अगर धयान लग गया तो मझस तमहारा

छटकारा हो जाएगा इसी कारण तो म कहता ह तम धयान स लगाव लगाओ चौबीस घट थोड़ ही शराब म

िड़ हो लालभाई कभी िी लत हो तब अगर चक भी गए कोई हजाम नही जब नही िीत तब धयान मत चको

जस-जस धयान म मजा बढ़गा वस-वस तम िाओग करातरत होन लगी

आदमी शराब कयो िीता ह दखी ह और म जानता ह लालभाई को दखी ह भल आदमी ह सरल

तरचतत ह और दखी ह जजदगी म बचतरनया ह उन बचतरनयो को भलान क तरलए शराब िी लत ह जब तक शराब

िीए रहत ह बचतरनया भली रहती ह दख भल रहत ह कफर जब होश म आत ह दख खड़ हो जात ह दख खड़

हो जात ह तो कोई और उिाय नही सझता कफर शराब िीओ कफर भलाओ

हालाकक शराब िीन स दख तरमटत नही यह कोई तरमटान का उिाय नही यह तो शतममगम का ढग ह

दशमन कदखायी िड़ा आख बद कर ली और रत म तरसर गड़ाकर खड़ हो गए इसस दशमन तरमटता नही कभी तो

तरनकालोग तरसर रत क बाहर भोजन की तलाश करन तो शतममगम जाएगा दकान-दफतर तो जाओग जस ही

तरसर तरनकालोग कफर िरशातरनया खड़ी हो गयी

धयान करन स तम िाओग कक िरशातरनया तरमटन लगी िरशातरनयो क कारण शराब िीत हो धयान

िरशातरनया तरमटान लगगा धयान तमह दख क बाहर लान लगगा जस-जस दख क बाहर आओग वस-वस शराब

िीन की जररत कम होन लगगी शराब कोई जानकर और मज स थोड़ ही िीता ह इस खयाल म िड़ना ही

मत लोग अतयत दख म शराब िीना चनत ह बहत दखी होता ह आदमी तभी अिन को भलाना चाहता ह

जब आदमी सखी होता ह तब अिन को तरबलकल नही भलाना चाहता ह

म एक नगर म बहत वरषो तक रहा एक मसलमान वकील मर िास आए और उनहोन कहा कक दख

आिकी बात िढ़ता ह जचती ह लककन कभी आया नही कयोकक एक बात मझ मालम ह कक म जाऊगा तो

झझट म िडगा झझट यह ह कक म शराब िीता और मास खाता और म मानता ह कक आि जरर कहग कक य

दोनो बात छोड़ दो मन कहा तो तमन मझ समझा ही नही म कयो कह छोड़ दो तम मज स मास खाओ मज

स शराब िीओ उनहोन कहा कया कहत ह आि कह कया रह ह यह म अिन कानो स सन रहा ह मन कहा

तम िीओ तम खाओ तमह जो करना ह करो म तो कहता ह धयान शर करो म तमह कछ छोड़न को कहता

नही म तो तमह कछ िकड़न को कहता ह मरी दतरषट तरवधायक ह नकारातमक नही म अधरा तरमटान को नही

कहता म कहता ह दीया जलाओ अधरा तरमट जाएगा जब दीया जलगा

उनहोन कहा तो म छोड़न की कोई मझ जररत नही ह तो जचती ह कफर आिस मरा मल बठ जाएगा

म कई साध-सतो क िास गया मल मरा बठता नही कयोकक व िहल ही बता दत ह कक मासाहार छोड़ो शराब

बद करो वह मझस होता नही इसतरलए बात आग बढ़ती नही मन कहा आज स तम कभी मासाहार शराब

की बात मर सामन उठाना ही मत यह तमहारा काम तम जानो मरा काम इतना ह कक तम धयान करो मर स

अब स तमहारा धयान का सबध हआ और कसम खाओ कक मर सामन अब कभी यह शराब और मास की बात

नही उठाओग उनहोन कहा उठाऊगा ही कयो बात ही खतम हो गयी

वरषमभर उनहोन धयान ककया--लककन बड़ी तरनिा स धयान ककया आदमी ईमानदार थ--वरषमभर क बाद

उनहोन मझ आकर कहा कक कषमा कर वचन तोड़ना िड़गा आज मझ शराब की बात करनी िड़गी और

मासाहार की भी मन कहा कया हआ उनहोन कहा छह महीन धयान करन क बाद धीर-धीर शराब म रस

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कम होन लगा नौ महीन क बाद रस ही कम नही हो गया नौ महीन क बाद शराब स अड़चन होन लगी जब

िी लता तो जसी मसती धयान की बनी रहती थी वह खो जाती जब न िीता तो मसती जयादा होती

अब समझना शराब तो भलान का काम करती ह अगर तम दखी हो तो दख को भला दती ह अगर तम

मसत हो तो मसती को भला दती ह

तो शराब छड़ान का एक ही उिाय ह कक तम ककसी तरह मसत हो जाओ उस कदन असली बात दाव िर

लगगी उस कदन शराब िीना हो तो िीना जब मसती को भलाना िड़गा तब तम खद ही िाओग कक यह तो

महगा सौदा हो गया यह तो कोई सार न हआ िसा लगाओ शराब िीओ चोरी करो ितनी स झगड़ो तलाक

की हालत सहो बचच गाली द मोहललाभर तमको िागल समझ जहा जाओ वहा बइजजती हो और इस सबका

िररणाम कल इतना कक हाथ जो मसती लगी वह खो-खो जाए

तो उनहोन कहा कक नौ महीन क बाद मन शराब बद कर दी कयोकक अब इसम कोई सार ही नही रहा

सार की तो बात ही छोड़ दो उलटा जो मरी मसती सध रही थी वह इसकी वजह स टटती यह महगा सौदा हो

गया लककन तब तक मासाहार िर कोई अड़चन न आयी थी उसक बाद मासाहार िर अड़चन शर हो आयी

धयान एक-एक कदम जाता ह धीर-धीर जाता ह शराब इतनी गहरी नही थी तरजतना मासाहार गहरा

था कयोकक मसलमान थ शराब तो जब जवान हो गए तब िीना शर की थी मासाहार तो बचिन स ककया

था मासाहार म तो िल थ उसका ससकार बहत गहरा था वह मा-बाि स तरमला था वह तो जब तक मा-बाि

को न मार डालो तब तक उसस छटकारा होन वाला नही था वह जरा गहरी बात थी शराब तो ऊिर-ऊिर

थी िहल शराब चली गयी

कफर तरजस कदन उनहोन मझस आकर यह बात कही उनहोन कहा कक आज म एक तरमि क घर भोजन

करन गया था जब मास िरोसा गया तो मझ एकदम उलटी होन लगी एकदम घबड़ाहट हई मास दखकर मर

भीतर एकदम ऐसा तफान उठ गया और जब तक म सनानगह म जाकर उलटी नही कर तरलया तब तक राहत न

तरमली और अब म मास न खा सकगा खान की तो बात दर अब मझ यही सोचकर हरानी होती ह कक मन

तरिछल ितालीस साल जीवन क कस मासाहार ककया कस

तरजस कदन तमहारा धयान गहरा होता ह य िररणाम अिन स आन शर होत ह तो म कहता ह

लालभाई धयान म लगो धयान और शराब को लड़ा दो धयान सदा जीता ह शराब सदा हारी ह परमाण क

तरलए दसर शराबी का परशन ह--तर काः

थोड़ समय स शराब की एक मािा होती ह तरजसकी म तलाश म थी बहोशी जब आन लगती ह तब

सकलि स उस घड़ी को समहाल लती ह कछ कषण बाद जागतरत का बड़ा तरवसफोट होता ह और साथ-साथ नशा

िरा एक ही साथ उतर जाता ह भीतर कछ इतना समहल गया ह कक म वणमन नही कर सकती अब कछ अिन

म शरदधा बढ़ रही ह लगता ह कक व कदन दर नही ह तरजनकी मझ तलाश थी आिकी ही शराब म डबन लायक

हो जाऊ इतनी पराथमना आिन तरजस तरह मझ मर िर छोड़ कदया और जनदा न की इसतरलए आज म शराब

जसी आदत को छोड़ िाऊगी ककस तरह आिका धनयवाद अदा कर बस अब तरबलकल सब ठीक चल रहा ह

बदला लन का भाव भी तरवसरजमत हो गया ह मगर आिन मझ मौका कदया यह कया कम ह अब जनदा या

कडमनशन भी नही ह मगर जागकर और जानकर सब कछ अिन आि छट रहा ह और यह मर बस की बात

नही ह यह परशन नही हकीकत ह मर परणाम सवीकार कर

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जो आज तर को हआ ह कल लालभाई को भी हो सकता ह जरा साहस रखन की सकलि को समहाल

रखन की जरा धयमिवमक साधना म लग रहन की जररत ह साधना तरनतरित फल लाती ह

िाचवा परशनः म कया कर कक मझ मर असली रि क दशमन हो जाए

एक बहत गद बचच न अिन तरिता स िछा--तरिताजी हम सब जासस-चोर खल रह ह और म जासस ह

जरा बताइए कक म कया कर कक मर दोसत मझ िहचान न िाए बटा तम तरसफम साबन स मह धो लो तमह

कोई नही िहचानगा तरिताजी बोल

म कया कर कक मझ मर असली रि क दशमन हो जाए

जरा साबन कबीर न धयान को साबन कहा ह जरा धयान जरा धो डालो मह जरा धयान क छीट िड़

जान दो

आतरखरी परशनः आि कहत ह कक राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता कयो

यह भी कोई बड़ी करठन बात ह समझनी कक राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता राजनीतरत का अथम

होता ह दसरो िर कस बलशाली हो जाऊ दसरो िर बलशाली वही होना चाहता ह जो अिन िर जरा भी

बल नही रखता यह उसकी ही िरतम ह

मनोवजञातरनक तरवशरषकर एडलर कहता ह तरजनक जीवन म हीनता-गरतरथ ह इनफीररआररटी कापलकस ह

तरजनको भीतर स लगता ह म हीन ह कछ भी नही ह व सार लोग राजनीतरत म सलगन हो जात ह कयोकक उनक

िास एक ही उिाय ह कक कसी िर बठ जाए बड़ी तो दतरनया को वह कदखा सक कक म कछ ह और दतरनया मान

ल कक म कछ ह तो उनको खद भी भरोसा आ जाए कक म कछ ह और तो उनक िास उिाय नही

हीनगरतरथ क लोग ही राजनीतरत म उतसक होत ह हीनतम लोग राजनीतरत म उतसक होत ह तमहारी

राजधातरनयो म हीनतम लोग इकटठ ह राजधानी करीब-करीब अिरातरधयो स भरी ह िागलो स भरी ह

तरवतरकषपतो स भरी ह

लककन य अिराधी बड़ कशल अिराधी ह य बड़ी वयवसथा और तरनयम स अिराध करत ह य इस ढग स

अिराध करत ह कक जस सवा कर रह हो य सवा कहकर अिराध करत ह

मन सना ह मलला नसरददीन कदलली गया था एक सधया एक बगीच म घमन गया था सदी आन-आन

को थी मीठी-मीठी सदी बढ़न लगी थी लोग अिन ऊनी वसतर तरनकाल तरलए थ मलला भी अिना ऊनी कोट

िहनकर बगीच की तरफ घमन गया था एक बढ़ तरभखारी न चार आन माग उसकी दशा अतरत दयनीय थी िट

िीठ स लगा जा रहा था वसतर चीथड़ हो गए थ आख दबमलता स अब बझी तब बझी ऐसी मालम होती थी

मलला नसरददीन न उसस कहा बड़ तरमया चार आन स कया होगा चार आन म कछ आता भी तो नही--

खाक भी नही तरमलती चार आन म चार आन स कया खरीदोग यह लो िाच रिए का नोट ल लो

लककन बढ़ा तरभखमगा िीछ हट गया उसन कहा कक नही साहब चार आन काफी ह कयोकक इतन

राजनीतरतजञो स भरी कदलली म िाच रिए जसी बड़ी रकम लकर चलना खतर स खाली नही ह

88

सब बईमान सब अिराधी सब तरह क चालबाज राजधातरनयो म इकटठ हो जात ह तरजस कदन दतरनया म

राजधातरनया न होगी दतरनया बड़ी बहतर होगी और तरजस कदन दतरनया म राजनीतरतजञ न होग दतरनया बड़ी

सवसथ होगी तरजस कदन दतरनया स राजनीतरत हट जाएगी उस कदन दतरनया म धमम होगा

धमम तरबलकल उलटी यािा ह धमम का अथम ह म अिना मातरलक हो जाऊ और राजनीतरत का अथम ह म

दसरो का मातरलक हो जाऊ धमम का अथम ह म अिन भीतर जाऊ राजनीतरत का अथम ह बाहर मरा राजय फल

धमम भीतर क राजय की खोज ह और राजनीतरत बाहर क राजय की खोज ह धन बाहर ह िद बाहर ह

राजनीतरत उसम उतसक ह धयान भीतर ह िरमातमा भीतर ह धमम उसम उतसक ह धमम अतयामिा ह राजनीतरत

बतरहयामिा

तो जब म कहता ह राजनीतरतजञ धारममक नही हो सकता तो बड़ी सीधी सी बात ह--जो बाहर की यािा

िर गया ह वह कस साथ ही साथ भीतर की यािा िर जा सकता ह भीतर की यािा िर जान क तरलए

अतरनवायम चरण ह कक बाहर की यािा रक बाहर की यािा समापत हो बद हो कयोकक वही ऊजाम जो बाहर जा

रही ह भीतर आएगी ऊजाम तो एक ही ह तमहार िास जीवन तो एक ही ह कही भी लगा दो या तो बाहर

की सवा म लगा दो या भीतर की खोज म लगा दो राजनीतरतजञ बतरहममखी ह धारममक अतममखी

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

तरछयानव परवचन

लोभ ससार ह गर स दरी ह

दपिबबजज दरतरभरम दरवासा घरा दखा

दकखो समानसवासो दकखानितरततदधग

तसमा न च अदधग तरसया न च दकखानितरततो तरसया 253

सदधो सीलन सिननो यसोभोगसमतरपितो

य य िदस भजतरत ततथ ततथव ितरजतो 254

दर सतो िकासतरत तरहमवतो व िबबता

असततथ न कदससतरत रतरतततरखतता यथासरा 255

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया 256

परथम दशय--

भगवान वशाली म तरवहरत थ उनक सातरननधय म कहत थ सख वकष िनः हर हो गए और जो जीवन-

वीणाए सनी िड़ी थी उनम सगीत जाग िड़ा जो झरन बहन बद हो गए थ व िनः बहन लग मरसथल

मरदयानो म बदल गए िर इस दखन को तो आख चातरहए सकषम आख चातरहए अतदमतरषट चातरहए चमड़ी की

आखो स तो यह कदखायी नही िड़ता ह और यह सगीत ऐसा तो नही ह कक बाहर क कानो स सना जा सक

यह िरमोतसव ह िरम भोग ह यह िरमातम-दशा ह समातरध ही सन िाती ह इस सवर को समातरध ही दख

िाती ह इस उतसव को

तो जो दख सकत थ व आहलाकदत थ जो सन सकत थ व मसत हो रह थ और जो आहलाकदत थ और

मसत हो रह थ उनक तरलए सवगम रोज-रोज अिन नए दवार खोल रहा था िर सभी तो इतन भागयशाली नही ह

कछ ऐस भी थ तरजनह न कछ कदखायी िड़ता था न कछ सनायी ही िड़ता था व ररि आए थ और ररि ही थ

व आ भी गए थ और आए भी नही थ ऐस अभागो म ही एक था--वजजीितत तरभकष

आतरशवन िरणममा की रातरि थी वशाली रागरग म डबा था नगर स सगीत और नतय की सवर-लहररया

भगवान क तरवहार-सथल महावन तक आ रही थी वह तरभकष भगवान क सगीत को तो नही सन िाया था उसन

भगवान क अतसतल स उठत हए परकाश को तो अब तक नही दखा था लककन राजधानी म जल हए दीए उस

कदखायी िड़ रह थ और राजधानी म होता रागरग और उसस आती सवर-लहररया उस सनायी िड़ रही थी

वह तरभकष गाज-बाजो की य आवाज सन अतरत उदास हो गया उस लगा कक म तरभकष हो वयथम ही जीवन गवा रहा

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ह सख तो ससार म ह दखो लोग कस मज म ह राजधानी उतसव मना रही ह म यहा िड़ा मढ़ कया कर रहा

ह म भी सनयास ल कसी उलझन म िड़ गया

ऐसा अवसर शतान--मार--तो कभी चकता नही सो मार न उस भी खब उकसाया खब सबजबाग

कदखाए मोहक सिनो को खड़ा ककया और वह तरभकष सोचन लगा--कल सबह ही अब बहत हो चका कल सबह

ही भाग जाऊगा छोड़कर यह सनयास ससार ही सतय ह यहा म वयथम ही उलझा ह तड़फ रहा ह यहा म कर

कया रहा ह यहा रखा भी कया ह

लककन इसक िहल कक वह भाग जाता भगवान न उस बलाया सबह वह भागन की तयाररया ही कर

रहा था कक भगवान का सदश आया वह तो बहत चौका यह िहला मौका था जब भगवान न उस बलाया था

डरा भी मन म शका भी उठी लककन उसन सोचा--मन तो ककसी को बात कही भी नही ह मर अतरतररि कोई

जानता भी नही कक म भाग रहा ह शायद ककसी और कारण स बलाया होगा

कफर भगवान न जब उसस उसक सार मन की कथा कही तो उस भरोसा ही न आया एक-एक बात जो

उसन सोची थी और एक-एक सवपन जो उसन दखा था और एक-एक उततजना जो शतान न उस दी थी और

उसका यह तरनणमय कक वह भागकर जा रहा ह आज सभी भगवान न उस कहा उस कदन उसकी आख खली उस

कदन उसन जाना कक वह ककसक िास ह ऐस तो वह वरषो स था बदध क िास िर उस कदन ही सतसग बना उस

कदन ही गर तरमला उस कदन स उदासी न रही उस कदन स उतसव शर हआ उस कदन स बदध की वीणा क सवर

उस सनायी िड़न लग उस कदन ससार झठा हआ सनयास सतय हआ

इस वजजीितत तरभकष स ही भगवान न य गाथाए कही थी--

दपिबबजज दरतरभरम दरवासा घरा दखा

दकखो समानसवासो दकखानितरततदधग

तसमा न च अदधग तरसया न च दकखानितरततो तरसया

सदधो सीलन सिननो यसोभोगसमतरपितो

य य िदस भजतरत ततथ ततथव ितरजतो

गलत परवजया म रमण करना दषकर ह न रहन योगय घर म रहना दखद ह असमान या परतरतकल लोगो

क साथ रहना दखद ह इसतरलए ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

शरदधा और शील स सिनन तथा यश और भोग स मि िररष जहा कही जाता ह सवमि ितरजत होता ह

इसक िहल कक हम गाथाओ म उतर तम इस पयारी कहानी को ठीक स समझ लना यह दशय तमहार

हदय िर अककत हो जाए कक तरमट न बहत काम िड़गा ऐसी दशा बहतो की ह ऐसी दशा यहा भी बहतो की

ह ऐसी दशा सदा ही बहतो की ह

िहली बात गौतम बदध जस वयतरि क िास होकर भी तम उनह दख िाओग ऐसी कोई अतरनवायमता नही

सयम तरनकला हो तो भी तमह परकाश कदखायी ही िड़ ऐसी कोई अतरनवायमता नही तम अध हो सकत हो या न

सही अध आख वाल होओ लककन आख बद ककए खड़ हो सकत हो तो परकाश तमह कदखायी न िड़गा परकाश

ह लककन पररकाश दखन क तरलए तमहारी आख खली होनी चातरहए

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बदधो क िास भी लोग बदधो को चक जात ह तरजनो क िास भी लोग तरजनो को चक जात ह कषण और

कराइसट क िास रहकर भी लोग उनह नही िहचान िाए ह और जब नही िहचान िात तो सवभावतः उनकी

सहज तरनषितरतत यही होती ह कक भगवान होग ही नही बदध होग ही नही अनयथा हम आख वालो को कदखायी

कयो न िड़त कफर उनका यह भी तरनषकरषम होता ह कक तरजनह कदखायी िड़त ह य िागल मालम होत ह सवय

को तो कदखायी नही िड़ता ह तो दसरो को कदखायी िड़ता ह यह मानना भी अतरत करठन हो जाता ह कफर

दसरो को कदखायी िड़ता हो और मझ न कदखायी िड़ता हो तो अहकार को चोट लगती ह

इसतरलए अध आख वालो को झठलान की चषटा करत ह और आख वाल कम ह आख वाल बहत थोड़ ह

अध बहत ह अधो की भीड़ ह आख वाल इकक-दकक ह इसतरलए सवभावतः बहमत अधो क िकष म हो जाता ह

बदधो को दखना हो तो बहमत की मत सनना भीड़ की मत सनना नही तो तम बदधो को कभी न दख

िाओग बदधो को दखन क तरलए कोई लोकतातरिक वयवसथा नही होती कक मत ल तरलया कक ककतन लोग मानत

ह कक यह आदमी बदध ह या नही कभी-कभी ऐसा होता ह कक बदध गजर जात ह और ककसी को कदखायी नही

िड़ता िरा नगर अधा हो तो ककसी को भी कदखायी नही िड़त ह और तरजस कदखायी िड़त ह वह इतना

अकला िड़ जाता ह कक वह कहन म भी डरता ह कक मन बदध को दखा कक मन भगवान क दशमन ककए कक मरा

भगवान स सबध जड़ा

भगवान वशाली म तरवहरत थ उनक सातरननधय म कहत ह शासतर सख वकष कफर स हर हो गए

य परतीक ह इन परतीको को तम तथय मत मान लना आदमी नही दख िाता तो वकष कस दख िाएग

आदमी इतना अधा ह--आदमी जो इतना तरवकतरसत हो गया ह तरजसकी चतना इस िथवी िर सबस जयादा

तरवकासमान चतना ह--वह नही दख िाता तो वकष कस दख िाएग तथय मत मान लना लककन एक सचना ह

इस परतीक म वकष सरल ह आदमी तरजतन तरवकतरसत तो नही ह लककन आदमी तरजतन जरटल भी नही ह

तरवकास क साथ जरटलता आती ह तरवकास क साथ तकम आता ह सदह आता ह तरवकास क साथ अशरदधा आती

ह तरवकास क साथ अहकार आता ह तरवकास दोहरी तलवार ह एक तरफ तमहारी समझ बढ़ती ह एक तरफ

तमहारी नासमझी की कषमता भी उतनी ही बढ़ती ह य दोनो साथ-साथ बढ़ती ह

तो मनषय तरजतना समझदार हो सकता ह उतना ही नासमझ भी हो सकता ह वकरष बहत समझदार तो

नही हो सकत इसीतरलए बहत नासमझ भी नही हो सकत वकषो म तम बतरदधमान वकष न िाओग और बदध वकष

भी न िाओग वकष सब एक जस होत ह आदमी म बड़ी परतरतभा भी दखोग और बड़ा अधािन भी िाओग

परतीक यह ह कक वकष तो सरल ह अतरवकतरसत ह लककन सरल ह छोट बचचो की भातरत ह वकष अभी भी

जहद और मसलमान नही ह अभी भी करान और वद म उनका भरोसा नही ह अभी भी उनहोन ककताब िढ़ी

नही जञानी नही बन वकष ितरडत नही ह भोल ह सहज ह

तो परतीक यह ह कक बदधो को वह समझ लता ह जो सहज ह वकषो जसा भोला-भाला आदमी भी समझ

लगा और मनषयो जसा महाितरडत भी हो तो चक जाएगा सरलता बदध को दखन का उिाय ह सरलता क

तरलए सगम ह

शासतर कहत ह कक झरन जो बहन बद हो गए थ कफर बहन लग

बदधतव का अथम होता ह तरजसकी जीवन ऊजाम अिन िररिणम परवाह म आ गयी तरजसकी जीवन ऊजाम अब

अवरदध नही ह बह रही ह जो बहता ह उसक साथ-साथ दसरो म भी बहन की सवदनशीलता िदा होती ह

नाचत आदमी क साथ नाचन का मन होन लगता ह हसत आदमी क साथ हसी फटन लगती ह रोत आदमी क

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साथ उदासी आ जाती ह बदध तो परवाहशील ह सररत परवाह ह उनकी धारा तो अब ककसी अवरोध को नही

मानती ककसी चटटान को सवीकार नही करती अब उन िर न कोई िकषिात ह न कोई बाध ह अब िरम

सवतिता उनक जीवन की तरसथतरत ह जस नदी बही जाती ह िररिणम सवतिता स ऐसा बदध का चतनय भाव ह

इस भाव क तरलए परतीक ह कक झरन जो सख गए थ व भी बदध की मौजदगी म कफर बहन लग उनक

भीतर भी बहन का सवपन जगा बहना ही भल गए थ याद ही चली गयी थी कक हम बहन क तरलए बन ह बदध

का बहाव दखकर उनकी भी सोयी आतमा जग गयी

तथय मत मान लना तथय नही ह इन कथाओ म इन कथाओ म सतय ह तथय तरबलकल नही तथय स

इनका कोई लना-दना नही ह इनक इशार जीवन क महतविणम तरसदधातो की तरफ ह

ऐसी ही तो दशा मनषय की ह उसक भीतर सब धाराए रक गयी ह न परम बहता न दया बहती न

करणा बहती न बोध बहता न समातरध बहती कछ भी नही बहता तम अवरदध एक तलया हो गए हो सड़त

हो तमहारा जीवन एक बहाव नही ह तम बहत बध गए हो इस बधी हई अवसथा को ही बदध न गहसथ होना

कहा ह और जो बहन लगा उसको ही सनयसत कहा ह

तो परतीक पयारा ह कक सख झरन बहन लग तरजनकी जीवनधारा सख गयी थी जो भल ही गए थ बहन

का िाठ जो भारषा ही भल बठ थ बहन की और जो छोट-छोट डबरो म कद हो गए थ उनक भीतर भी

जसहनाद उठा बदध को बहत दखकर उनको भी याद आयी भली-तरबसरी याद आयी अिन होन का ढग समझ म

आया बदध क बहाव म जो नतय उनह कदखायी िड़ा उनह लगा--काश हम भी ऐस बहत हम भी ऐस बह सकत

ह अगर एक मनषय बह सकता ह तो हम कयो नही बह सकत उनकी सोयी आतमा को चनौती तरमली व भी

बहन लग थ

और तरजनकी-जीवन वीणा अछती िड़ी थी

तरजस िर अगतरलयो न कभी कोई सगीत रचा ही न था वीणा क तार धल स जम गए होग िोछा ही न

था वीणा को और कभी वीणा को िकारा भी नही था सजाया-सवारा भी नही था और वीणा म जो सोया ह

सगीत उस कभी जगाया भी न था ललकारा भी न था उनकी वीणा क तार किन लग बदध की बजती वीणा क

िास यह सवाभातरवक था

मरसथल मरदयानो म बदल रह थ चतनाओ म नए फल तरखलन लग चतनाए हरी होन लगी धयान की

वरषाम होन लगी समातरध की हररयाली फलन लगी परम की सररताए बहन लगी िरमातमा का सगीत उठन

लगा

िर इस दखन को तो चातरहए आख यह सबको नही कदखायी िड़ा हो सकता ह तम भी मौजद रह होओ

कभी न कभी रह ही होओग इतन लोग बदध हो चक ह इस िथवी िर और तम सदा स यहा हो असभव ह यह

बात कक कभी न कभी बदधो का रासता और तमहारा रासता कटा न हो असभव ह यह बात कक कभी न कभी तम

उसी रासत िर बदधो क साथ थोड़ी दर न चल तरलए होओ यह सयोग तरमल ही गया होगा ककतन बदधिररष हए

ह अनत बदधिररष हए ह अनतकाल म तम भी अनतकाल स यहा हो इसी नगरी क वासी हो यह बात मानी

नही जा सकती कक तमहारा रासता कभी ककसी बदधिररष न नही काटा होगा लककन तम िहचान नही िाए तम

अिनी धन म चल गए होओग तम अिनी ही दकानदारी अिना बाजार अिना धन-दौलत अिन बचच अिना

िररवार अिनी जचता-कफकर म डब रह होओग बदध िास स गजर गए होग तमन आख उठाकर न दखा होगा

93

तमहार भीतर मन का इतना शोरगल ह इतना कोलाहल ह कक बदध अिन एकतार को बजात तमहार िास स

तरनकल गए होग और तमह सनायी न िड़ा होगा

तम अिन म इस तरह डब हो कक तम दखत ही नही कक कया हो रहा ह चारो तरफ ककन वकषो िर फल

तरखल गए और ककन ितरकषयो न गीत गाए कौन सा सरज तरनकला कौन स चाद-तारो स आज आकाश भरा ह

फरसत कहा ह तम इतन वयसत हो अिनी कषदर बातो म कक तरवराट स चक जात हो

खयाल रखना कषदर भी तरवराट को चका सकता ह एक छोटा सा तरतनका आख म िड़ जाए तो सामन खड़ा

तरहमालय कदखायी िड़ना बद हो जाता ह जरा सा तरतनका आख म िड़ जाए तो आख बद हो गयी तरहमालय

कदखायी िड़ना बद हो गया तरहमालय इतना तरवराट ह और छोट स तरतनक क कारण तरछि जाता ह

ऐसी छोटी-छोटी कषदर बात हमारी आखो म भरी ह उनक कारण तरवराट तरहमालय जस िररष भी हमार

िास स तरनकल जात ह हमारी िहचान म नही आत कभी अगर ककसी को िहचान म भी आ जात हो तो हम

समझत ह िागल ह सममोतरहत हो गया होगा तरवतरकषपत हो गया ह होश म नही ह बतरदध गवा दी हम सोचत ह

हम तकम शाली लोग ह हम तरवचार करना जानत ह हम इतन जलदी स ककसी क भलाव म नही आत

इस दखन को आख चातरहए बदधतव को दखन क तरलए आख चातरहए अतदमतरषट चातरहए सकषम दतरषट चातरहए

एक तो सथल दतरषट होती ह जो सथल को दखती ह जब तम सथल स दखत हो तो सथल ही कदखायी िड़ता ह

तम जब ककसी को दखत हो तो उसकी आतमा तो कदखायी नही िड़ती उसकी दह कदखायी िड़ती ह चमड़ की

आख चमड़ की दह को दखन म समथम ह चमड़ क कान चमड़ क ओठो स उठी आवाज को सनन म समरथ ह

िर इस दह म तरछिा भी कोई बठा ह यह दीया खाली नही ह इसक भीतर एक जयोतरत जल रही ह उस

जयोतरत को दखन क तरलए य आख काफी नही ह और एक शबद तो ह जो ओठो स िदा होता ह और एक शबद ह

जो अहरनमश भीतर गज रहा ह--ओकार िरम नाद--वह तो कानो स सनायी नही िड़ता हम सकषम स ही सकषम

को दख सकत ह यह गतरणत सीधा ह

तो बदधो को दखन क तरलए अगर तम इनही आखो को लकर गए तरजन आखो स तमन जजदगीभर और सब

चीज दखी तो य आख काम न आएगी इन आखो को हटाना िड़गा नयी आख तलाशनी होगी कयोकक बदध म

तम शरीर को दखन तो नही गए हो शरीर तो और भी बहतो क िास ह बदध क शबद ही सनन तो नही गए हो

शबद तो सब तरफ काफी गजररत हो रह ह शबद और शरीर को दखन अगर तम बदध क िास गए तो तम बदध

क िास गए ही नही बदध क िास तो तम तरनःशबद को दखन गए हो अरि को िकड़न गए हो तरनराकार की

थोड़ी सी झलक तरमल जाए इसक तरलए गए हो उसक तरलए जररी होगा कक तमहार भीतर तरनराकार को िकड़न

वाली थोड़ी सी दतरषट तो िदा हो जरा तो भीतर की आख खल

धयान क तरबना बदध को नही िहचाना जा सकता ह तरवचार स बदध को नही िहचाना जा सकता ह धयान

स ही िहचाना जा सकता ह तरवचार स ससार जाना जाता ह धयान स िरमातमा धयान स भगवान िहचाना

जाता ह

इस दखन को चातरहए सकषम दतरषट अतदमतरषट चमड़ की आखो स यह कदखायी नही िड़ता और यह सगीत

ऐसा तो नही ह कक बाहर क कानो स सना जा सक

यह अतरत सकषम तल िर बज रहा ह अहरनमश बज रहा ह परतरतिल बज रहा ह लककन जब तम भी इतन

ही शात अिन भीतर हो जाओग तरजतनी शातरत म बदध का सगीत बज रहा ह तो मल बठगा बदध जस थोड़ स

होओग तो बदध स मल बठगा बदध क रग म थोड़ रगोग तो मल बठगा बदध जस हए तरबना बदध क साथ सबध

94

नही जड़ता थोड़ा सही जरा सी मािा म सही बदध होग तरवराट सागर तम एक बद ही बन जाओ सागर की

तो भी चलगा एक छोटी सी बद भी सागर स तरमलन म समथम हो जाती ह

तमन दखा एक छोटी सी बद को सागर म ढलका दो ततकषण तरमल जाती ह एक कषण की भी दर नही

लगती और तम एक बड़ी चटटान को लाकर सागर म डाल दो--बड़ी हो तो भी कया चटटान ह तरमलती नही बद

छोटी ह तो भी तरमल जाती ह बड़ी चटटान भी नही तरमलती बड़ी बतरदध लकर गए तम बदध क िास तो भी मल

नही होगा छोटा सा धयान लकर गए तो भी मल हो जाएगा कयोकक धयान सवभावतः सवरितः वसा ही ह

जस बदध ह और तरवचार का बदध स कोई सबध नही ह बदध ह तरनरवमचार तो तरनरवमचार की थोड़ी बद चातरहए

अगर बदधिररषो को िहचानना हो तो धयान म उतरना तमहारी आख िर धयान का रस आ जाए कफर

सब ठीक हो जाएगा कफर जो नही कदखायी िड़ता था कल तक अचानक कदखायी िड़गा जस तरबजली कौध

जाए जस अधर म दीया जल जाए और तम तब चककत होओग कक यह इतन करीब थी बात और इतन कदन

तक म था और कफर भी कदखायी नही िड़ती थी

यह िरमोतसव ह िरम भोग ह यह िरमातम-दशा ह

बदध की दशा इस जगत की दशा नही ह इस जगत क बाहर का ह कछ तम भी थोड़ बाहर होओ तो

िहचान होगी

तो जो दख सकत थ व आहलाकदत थ

सवभावतः जो दख सकत थ बदध को व आहलाकदत थ कयोकक बदध की मौजदगी म एक बात तरसदध हो

गयी थी कक हम भी यही हो सकत ह आज नही कल कल नही िरसो थोड़ी दर भला लग जाए लककन

आतमतरवशवास परतरततरित हो गया था तरजनहोन बदध को दख तरलया था िहचान तरलया था--सागर थ बदध लककन

अब बद भी आशा कर सकती थी कक म भी सागर हो सकती ह बदध बड़ तरवराट वकष थ लककन अब बीज भी

सिना दख सकता था वकष होन का बदध क वकष िर फल तरखल थ बदध सज खड़ थ लककन अब बीज भी सोच

सकता था कक दर होगी थोड़ा समय लगगा शरम होगा लककन कोई बात नही आज नही कल म भी फलाकर

अिनी शाखाओ को आकाश म खड़ा होऊगा म भी हवाओ म नाचगा म भी चाद-तारो स बात करगा मर भी

फल तरखलग बदध को दखकर तरजनको आनद हो गया था उनक भीतर बदध क िदा होन का िहला बीजाकर िड़

गया िहला अकरण शर हआ व गरभमत हो गए

जो बदध को दखकर आनकदत नही होत उनह िता नही व आतमघात कर रह ह बदध को दखकर ऐस भी

लोग ह जो दखी होत ह ऐस भी लोग ह जो जचतरतत और िरशान होत ह और उदास होत ह ऐस भी लोग ह जो

ईषयाम स भरत ह और जलन स भरत ह जो बदध को दखकर ईषयाम और जलन स भर गया जो बदध को दखकर

उदास और दखी हो गया जहसा स भर गया जो बदध को दखकर बदध क खडन म लग गया जो बदध को दखकर

इस चषटा म लग गया तरसदध करन की कक नही कोई बदध नही ह बदध होत ही नही यह सब धोखाधड़ी ह जो

इस चषटा म लग गया उस िता नही वह कया कर रहा ह वह अिन ही हाथ स अिनी जड़ काट रहा ह बदध क

खडन स बदध का तो खडन नही होगा तमहार भतरवषय म बदधतव की सभावना कषीण हो जाएगी

बदध क खडन स बदध का कया तरबगड़गा बदध का न कछ बनगा न कछ तरबगड़गा लककन तम अिन भतरवषय

को अधकार म कर लोग जब बदधतव होता ही नही तो तम कस ककसी कदन बदध हो िाओग तम अिन तरवशवास

को--जनम सकता था उस न जनमन दोग जो बीज अकर बन सकता था तम उस मार डालोग यह तमहारा

गभमिात हो गया तमन अिन भतरवषय को तोड़ कदया तम अिन अतीत स टग रह गए

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तरजन लोगो को बदध को दखकर आहलाद िदा होता ह उनका अतीत समापत हआ और भतरवषय का परारभ

हआ उनक जीवन म नए क होन की सभावना आ गयी सभावना न दवार खोला तरवकास अब हो सकता ह

तो अगर तम आहलाकदत न हो सको बदधो को दखकर तो कम स कम दखी तो मत ही होना धनयभागी

हो अगर आहलाकदत हो सको अगर उनक साथ नाच सको उनक गीत म डब सको तम धनयभागी हो अगर

यह न हो सक तो कम स कम दखी तो मत होना नाराज मत होना आकरामक मत हो जाना कयोकक बदधो का

तरवरोध अिन ही हाथो अिना आतमघात ह इसक अतरतररि कछ भी नही जब भी तमन ककसी भगवतता का

तरवरोध ककया ह तभी तमन तय कर तरलया कक अब तम भगवान होन क तरलए तयार नही हो तभी तमन तरनणमय

ल तरलया कक म जो ह बस यही रहगा आग बढ़न की मरी कोई आकाकषा नही ह

जो तमस आग ह उसक साथ आग बढ़ जाओ उस इनकारो मत उसक साथ नाच लो उसी नतय म तम

गतरतमान हो जाओग

तो जो दख सकत थ आहलाकदत थ जो सन सकत थ मसत हो रह थ और जो आहलाकदत थ और मसत

हो रह थ उनक तरलए सवगम रोज-रोज अिन नए दवार और अिन नए रहसय खोल रहा था

यह यािा ऐसी ह कक कभी चकती नही तरजतना बढ़ो उतनी बढ़ती जाती ह तरजतना खोलो उतन नए

रहसय की सभावनाए िदा होती जाती ह रहसय का कोई अत नही ह आधयातरतमक यािा का परारभ तो ह अत

नही यह अनत की यािा ह सो अनत यािा ह

िर सभी इतन भागयशाली नही ह कथा कहती ह आदमी अभागा भी ह बहत तो थ तरजनहोन बदध को

सना नही बहत थ तरजनहोन सना तो सवीकारा नही और बहत ऐस भी थ कक सन तरलया सवीकार भी कर तरलया

और बदध क िास आकर दीतरकषत भी हो गए सनयसत भी हो गए तो भी बदध क िास नही आ िाए

ककसी गलत कारण स दीकषा ल ली होगी ककसी गलत कारण स सनयसत हो गए होग आदमी की गलती

इतनी परगाढ़ ह कक वह गलत कारणो स ससार म होता ह और कफर ककसी कदन सनयास भी लता ह तो गलत

कारणो स सनयास ल लता ह गलत कारणो स तरलया सनयास तो काम नही आता

ऐसा ही एक तरभकष था वजजीितत उसका नाम था वह ररि ही आया और ररि ही था और वरषो बदध क

िास हो गए थ रहत सनता था जो बदध कहत करता भी था ऊिर-ऊिर ही लककन सारी बात थी भीतर कही

बतरनयाद म ही भल हो गयी थी कही जड़ म चक हो गयी थी आया भी था लककन आ नही िाया था दसर

कहत थ भगवान ह तो सवीकार भी करता था लककन बदध क भगवान होन की परतीतरत तरनज नही थी भीतर स

नही हई थी लोभ क कारण दीतरकषत हो गया होगा यह सोचकर दीतरकषत हो गया होगा कक शायद सनयास म

सख हो

शायद आधार रहा होगा सनयास का परतीतरत नही थी लोभ था सनयास म सख ह ऐसा कदखायी नही

िड़ा था बदध भी आनकदत ह ऐसा कदखायी नही िड़ा था बदध आनद की बात करत ह ऐसा सनायी िड़ा था

बदध आनद की बात करत ह तो भीतर आनद की आकाकषा भी िदा हई होगी--म भी आनद िाऊ शायद बदध

कहत ह ठीक ही कहत होग दखी रहा होगा जस सभी दखी ह उस दख क बीच बदध की आनद की बातो को

सनकर लोभ जगा होगा वासना जगी होगी महतवाकाकषा िदा हई होगी इसी महतवाकाकषा क कारण दीतरकषत

हो गया था

महतवाकाकषा क कारण जो दीतरकषत होता ह उसकी दीकषा बतरनयाद स ही रगण हो गयी समझ क कारण

सनयास हो तो ही ठीक महतवाकाकषा तो नासमझी ह महतवाकाकषा ही तो ससार ह ससार म दौड़त हो कक धन

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तरमल जाए तो सख होगा िद तरमल जाए तो सख होगा कफर हार-थक न िद स तरमलता सख न धन स तरमलता

सख दख ही दख बढ़ता जाता ह कफर एक कदन सनत हो ककसी बदधिररष को कक इस सबको छोड़ दो तो सख

होगा तो तम सोचत हो--चलो इसको भी दख ल करक ऐस जजदगी तो जा ही रही ह िद और धन म दौड़कर

आधी तो गवा ही दी ह कछ बची ह थोड़ी शायद यह आदमी ठीक कहता हो चलो एक मौका इसको भी दो

लककन तमह इस आदमी म आनद कदखायी नही िड़ा ह

इस भद को खयाल म रखना दो तरह क सनयासी सदा होत रह ह एक लोभ क कारण और दसरा

तरजसन बदध को भर आख दखा िहचाना उनकी सगध ली उनक सगीत को सना और तरजसक भीतर यह शरदधा

जनमी कक हा यहा सख ह इस आदमी म सख नाच रहा ह ऐसी तरजनको परतीतरत हई उस परतीतरत क कारण

सनयसत हए जो परतीतरत क कारण सनयसत होता ह उसका बदध स सीधा सबध जड़ गया जो महतवाकाकषा क

कारण सनयसत हआ उसस बदध का कोई सबध नही वह अभी भी अिनी िरानी ही दतरनया म ह वसतर बदल

तरलए जीवन का ऊिरी ढाचा बदल तरलया घर-दवार छोड़ कदया ितनी-बचच छोड़ कदए तरभकषािाि हाथ म ल

तरलया मगर यह सब नाटक ह और थोड़-बहत कदनो म यह बात तो भीतर उठन ही लगगी कक इतनी दर हो

गयी अभी तक सख तो तरमल नही रहा ह और नाटक स सख तरमलता नही नाटक स तरमल सकता नही

तो थोड़ कदनो म उसको कफर घबड़ाहट शर हो जाएगी यह डर भी शर होगा कक हो सकता था म

ससार म ही रहा आता कम स कम कछ तो था शायद थोड़ कदन और महनत करता और थोड़ा धन तरमल जाता

तो सख होता और बड़ िद िर िहच जाता तो सख होता यह छोड़कर तो म झझट म िड़ गया न घर क रह न

घाट क यह तो मरी धोबी क गध की हालत हो गयी वह ससार गया और यहा कछ तरमलता नही मालम

िड़ता

एक जन मतरन न मझ कहा--उनकी उमर सततर वरषम ह सरल आदमी ह तरहममतवर होग तभी मझस कह

सक बहत तरहममतवर नही ह इसतरलए जब मझस कहा तो वहा जो और लोग बठ थ उनस कहा आि किा

करक यहा स चल जाए मझ कछ तरनजी बात करनी ह व उनही क तरशषय थ जो बठ थ मन उनस कहा बठ

रहन द इनको भी कछ लाभ होगा उनहोन कहा कक नही इनह हटाए जब व सब चल गए तब उनहोन मझस

कहा कक मझ एक दख की बात कहनी ह और इनक सामन नही कह सकता था कया दख की बात ह तो उनहोन

कहा िचास साल हो गए मझ मतरन हए जब बीस साल का था तब सनयास तरलया था लककन सख तो तरमला

नही यह म ककसस कह शरावको स तो कह नही सकता इनको तो म यही समझाता ह कक बड़ा सख ह इनको

तो म यही समझाता ह कक तम कहा दख म िड़ हो छोड़ो ससार समझाता तो ह लककन भीतर डर भी लगता

ह कक म इनको कया कह रहा ह सख तो मझ भी नही तरमला भीतर जचता भी िदा होती ह कक म इनह कही

ककसी गलत मागम िर तो नही ल जा रहा ह कयोकक जो मझ नही तरमला वह इनह कस तरमलगा आिस तरनवदन

करता ह कक मझ सख नही तरमला आया था सख की तलाश म इसी खोज म आया था

उस कदन उन जन मतरन को मन यह वजजीितत की कथा कही थी उनको मन कहा था यह कथा सन आि

गलत कारणो स सनयास ल तरलए ह आि लोभ म सनयास ल तरलए ह आिका सनयास ससार का ही एक रि ह

यह सनयास ह ही नही िचास साल नही िाच सौ साल बठ रहो कछ भी न होगा ककड़ को दबा दो जमीन म

और बठ रहो िाच सौ साल तो कही अकर थोड़ ही आन वाला ह बीज दबाना होगा ककतनी दर बठ रह

इसस थोड़ ही सबध ह मौसम भी आएगा और चला जाएगा वसत भी आएगा और बीत जाएगा वरषाम भी

होगी और बीत जाएगी--ककड़ म स अकरण थोड़ ही होता ह लोभ स कभी कोई सख नही तरनकलता

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अब इस समझना

ससार म दख ह ऐसा मत समझो लोभ म दख ह लोभ क कारण ससार म दख ह अगर ससार म रहत

हए भी लोभ छट जाए तो ससार म भी दख नही ह खयाल करना ससार म दख नही ह लोभ म दख ह ऐस

लोग भी हए ह इस जगत म जो ससार म रहकर सख को उिलबध हए

अषटावकर की महागीता म तमन दखा न जनक ससार म रह अषटावकर भी ससार म रह और िरम सख

को उिलबध हए कषण ससार म रह और िरम सख को उिलबध हए मोहममद न भी सनयास नही तरलया ससार

म ही रह और िरम सख को उिलबध हए नानक और कबीर दाद और रदास िरम सख को उिलबध हए

ससार म दख नही ह दख लोभ म ह इसका यह अथम हआ कक लोभ ही ससार ह लोभ गया तो ससार गया

अब होता कया ह ससार तो तम छोड़ दत हो और लोभ बचा लत हो तो तमन जहर तो बचा तरलया

असली चीज तो बचा ली भीतर का जहर तो बचा तरलया बोतल फक दी बोतल फकन स कछ भी न होगा

बोतल म जहर था भी नही बोतल जहर थी भी नही जहर तो बचा तरलया असली चीज तो बचा ली--लोभ--

लोभ क कारण सनयसत हो गए तो िचास साल नही िचास जनम तक सनयासी रहो कछ भी न होगा तम

बार-बार ससार म लौटोग

लोभ दख ह ऐसी परतीतरत हो जाए और ऐसी परतीतरत का सबस सगम उिाय यही ह कक ककसी बदधिररष

को अवसर दो ककसी बदधिररष क िास शात होकर बठो सतसग करो ककसी बदधिररष क िास तमह ऐसा

कदखायी िड़ जाए कक लोभ इस आदमी म नही ह और िरम सख की वरषाम हो रही ह यह परतीतरत तमहार भीतर

साफ हो जाए यह ककरण एक बार उतर जाए कफर सनयास आएगा कफर तम ससार म रहो कक ससार क बाहर

रहो तम कही भी रहो सख तमहारा छाया की तरह िीछा करगा लोभ स सग-साथ छटना चातरहए सारी

सातरजश लोभ की ह

तो ररि ही आया था यह वजजीितत और ररि ही था आ भी गया था और आया भी नही था ऊिर-ऊिर

स मौजद था बदध क िीछ चलता था लककन बदध इस अभी कदखायी ही नही िड़ थ िीछ कस चलोग िीछ तो

उसक चल सकत हो जो कदखायी िड़ा हो अध की तरह अधर म टटोलता था सामन रोशनी खड़ी थी लककन

आख बद हो तो रोशनी कदखायी नही िड़ती सामन दीया जल रहा था इस जल दीए स अिना बझा दीया

जलाया जा सकता था लककन बझा दीया जलाना हो तो जल दीए क करीब आना िड़ बहत करीब आना िड़

इतन करीब आना िड़ कक जल दीए की लौ एक छलाग लगा सक और बझ दीए की लौ िर सवार हो जाए इसी

सातरननधय का नाम सतसग ह इसी सातरननधय क तरलए सकदयो स लोग बदधिररषो क िास रह ह उनक तरनकट रह ह

तरजतन तरनकट हो जाए तरजतनी समीिता हो जाए

कफर आयी आतरशवन िरणममा की रातरि उस रातरि वशाली म महोतसव मनाया जाता था रागरग का कदन

था लोग खब नशा करत ह लोग खब नाचत ह वशयाए सजकर तरनकलती सारा नगर भोग म लीन होता उस

कदन दीन-दररदर भी अचछ वसतर िहनत वह रातरि भोग की रातरि थी

वशाली रागरग म डबा था नगर स सगीत और नतय की सवर-लहररया भगवान क तरवहार-सथल महावन

तक आ रही थी

महावन वशाली क बाहर था--नगर क बाहर नदी क उस िार नगर क उतसव की लहर नगर म जल

होग दीि कदवाली थी नगर म यवक-यवतरतया सजकर तरनकल थ सब तरफ नाच था सब तरफ मसती थी उस

रात जस ससार म कोई दख नही था

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बदध की सवर-लहररया तो सनायी नही िड़ी थी वजजीितत को लककन वशाली की य सवर-लहररया

सनायी िड़ी बदध का सख तो नही कदखायी िड़ा था वजजीितत को लककन नगर म य दखी लोग जो शराब

िीकर नाच रह ह य दखी लोग जो जीवनभर दखी रह ह--सालभर दखी रहत ह और साल म एक कदन ककसी

तरह अिन को समझात ह कक सख ह--इनम उस सख कदखायी िड़ा जहा सख जरा भी नही था और ऐसा भी

नही था कक इस दतरनया स वह अिररतरचत हो इसी दतरनया स आया था इन उतसवो म वह भी सतरममतरलत हआ

होगा लककन आदमी सीखता कहा अनभव स भल-भल जाता ह चक-चक जाता ह इसी दतरनया स आया था

इनही गतरलयो स आया था इनही वशयाओ क दवारो िर उसन भी नाच-गान दख होग इसी तरह शराब िी होगी

इसी तरह रागरग म डबा होगा--भल गया सब कक सख वहा था तो म यहा आता ही कयो आज कफर मन

लभान लगा

वह तरभकष गाज-बाजो की य आवाज सन अतरत उदास हो गया उस लगा म तरभकष हो वयथम ही जीवन गवा

रहा ह

ऐसा बहत बार तमह लगगा धयान करत वि लगगा--कया कर रहा ह इतना समय वयथम जा रहा ह

इतनी दर रतरडयो ही सन लत तरसनमा ही दख आत गाव म सरकस आया ह इतनी दर ताश ही खल लत तरमिो

स गिशि कर लत यह म कया कर रहा ह धयान कर रहा ह पराथमना कर रहा ह इस िजागह म बठा म कया

कर रहा ह सनयसत होकर भी बहत बार तमह यह खयाल आएगा कक म कया कर रहा ह इसम सार कया ह

मन बार-बार ससार की तरफ लौट जाना चाहता ह कयो कयोकक मन का जीवन लोभ क साथ ह लोभ

क तरबना मन ऐस ही ह जस मछली सागर क तरबना जस मछली तड़फती ह--सागर की रत िर डाल दो तड़फती

ह सागर क तरलए--ऐसा मन तड़फता ह लोभ क तरलए कयोकक लोभ म ही मन जीता ह लोभ क तरबना मन मर

जाता ह

म सनयास ल कसी उलझन म िड़ गया सोचन लगा वजजीितत ऐसा अवसर मार--शतान--चकता नही

शतान मन का ही नाम ह मन तो उस खब उकसान लगा और मन न तो उस खब फसलाया खब

परलोभन कदए खब सबजबाग कदखाए कक ससार म कस-कस मज ह सतरी का मजा ह शराब का मजा ह नाच का

मजा ह भोजन का मजा ह वसतरो का मजा ह महलो का मजा ह--मजा ही मजा ह त यहा कया कर रहा ह

तरभकषािाि तरलए बठा ह मढ़ य बाकी मढ़ ह इनक साथ त भी मढ़ हो गया ह जरा दख बदध क साथ ककतन

लोग ह थोड़ स उगतरलयो िर तरगन जा सक इतन लोग ह वहा दख ससार म ककतन लोग ह य सभी लोग

नासमझ तो नही हो सकत य थोड़ स लोग ही बतरदधमान ह त ककस झझट म िड़ गया त ककन की बातो म

उलझ गया ठीक ही तो कहत थ लोग कक बदध की बातो स बचना सममोतरहत मत हो जाना तन सना नही सन

लता अचछा था अभी भी कछ तरबगड़ा नही ह अभी भी जजदगी ह दर अभी भी नही हो गयी ह अभी भी

भाग जा

आतरखर उसन रात जागत-जागत तय ही कर तरलया कक कल सबह भाग जाऊगा हो जाऊगा वािस

ससारी

सभी का मन बार-बार सनयास स भागता ह और ससारी हो जाना चाहता ह मन की मौत ह सनयास

अहकार की मौत ह सनयास तो अहकार और मन तमह समझाएग सावधान रहना सावचत रहना

लककन इसक िहल कक वह भाग जाता भगवान न उस बलाया

99

सदगर का यही तो अथम ह कक तमह भागन न द तम जब भागन लगो तब रोक सदगर का इतना ही तो

परयोजन ह इसीतरलए तो आदमी सदगर को खोजता ह अिन वश नही ह बात अिन वश तो तम भाग ही

जाओग कोई रोक न ल तो तम रक न िाओग कोई तमहारा हाथ न थाम ल तो तम रक न िाओग

बदध न कभी उस बलाया नही था लककन आज न बलाए तब तो कफर बहत दर हो जाएगी भाग गया तो

भाग गया कफर तरगर जाएगा उसी िक म उसी कीचड़ म कमल बनन का अवसर तरमलन ही वाला था कक कफर

कीचड़ म तरगरन की तयारी कर रहा ह दखत होग वजजीितत को सोचत होग बहत बार कक यह वसततः सनयासी

तो अभी हआ नही परतीकषा करत होग कक आज नही कल कल नही िरसो हो जाएगा लककन अगर यह भाग

गया तब तो सारी सभावनाए समापत हो जाएगी यह तो आतमघात म उतसक ह अब दर नही की जा सकती

तो बदध न उस बलाया

वह तो बहत डरा भी लककन सोचा--मन ककसी को कहा भी तो नही

लककन सदगर का अथम ही कया होता ह सदगर का अथम इतना ही होता ह कक जो तरशषय क भीतर घटता

हो वह गर को सवाकदत होता रह--तरशषय कह या न कह अकसर तो ऐसा होता ह कक तरशषय कछ कहता ह वह

तो कहता ही नही जो उसक भीतर होता ह अकसर तो हम तरशषटाचार म ही झठी बात कहत रहत ह कछ

कहता ह कछ कहना चाहता ह कछ भीतर होता ह लककन गर इसकी कफकर नही करता ह कक तम कया कहत

हो कया नही कहत हो गर तो वही दखता ह कया ह

तरशषय तो गर को भी धोखा दन की कोतरशश करता ह यह भी सवाभातरवक ह कषमा योगय ह कयोकक जो

अिन को ही धोखा द रहा ह वह गर को कस धोखा दन स बचगा धोखा दना ही तरजसकी कशलता ह धोखा

दना ही तरजसक जीवन का सारा सार-सचय ह वह बचगा भी कस वह तो गर को भी धोखा दता ह लककन

गर तो दिमण ह जो तमहार भीतर उठता ह वह गर क भीतर घट जाता ह जो मघ तमहार भीतर घमड़त ह

उनकी छाया गर क भीतर िड़न लगती ह जो सिन तमहार भीतर उठत ह गर को उनकी गध लग जाती ह

उनकी िगधवतरन सनायी िड़ जाती ह

सोचा--मन अिनी बात तो ककसी को कही भी नही ह शायद कछ और कारण होगा लककन कफर बदध न

सारी कथा कही उसक मन का सारा राज कहा तरवसतार स सारी बात कही एक-एक रग-ढग जो उसक मन म

उठा था और उसक मन न शतान न उस जो-जो बात समझायी थी वह भी सब कही उस कदन उसकी आख

खली उस कदन उस समझ म आया वह ककसक िास ह

िास रहकर भी अब तक समझ म न आया था आज िहली दफ बदध की करणा परगट हई बदध की दतरषट

परगट हई और बदध की जचता उसक तरलए बदध का परम उसक तरलए अब तक तो शायद कई बार यह भी सोचा

होगा कक बदध औरो की तो कफकर करत ह मरी कोई कफकर नही करत वरषो हो गए िता नही मरी याद भी करत

ह कभी मझ कभी बलाया भी नही मरी तरफ कभी धयान भी नही कदया इतनी तो भीड़ ह तरशषयो की इसम

कहा वजजीितत की याद होगी करोतरधत भी हआ होगा मन म नाराज भी हआ होगा कई बार सोचा भी होगा

कक कया रखा ह यहा रहन म जहा अिनी कोई जचता करन वाला नही घर था तो कम स कम मा कफकर करती

थी तरिता कफकर करत थ बचच कफकर करत बढ़ा हो जाता यहा तो कोई कफकर करन वाला कदखायी नही िड़ता--

और बदध तो अतरलपत ह दर ह बहत दर ह आज िहली दफ उस लगा कक अतरलपत म भी करणा होती ह जो दर

ह उसस भी जो भटक ह उनक तरलए जचता उठती ह

100

तरनतरित ही अिन दख स बदध मि हो गए ह लककन तरजस कदन कोई वयतरि अिन दख स मि हो जाता

ह उस कदन सभी का दख उस कदखायी िड़न लगता ह अिनी कोई जचता नही बची ह लककन तरजस कदन अिनी

जचता नही बचती उस कदन सार ससार की जचता सालन लगती ह अिनी तरफ स तो आ गए मतरजल िर

लककन मतरजल िर आत ही एक बड़ उततरदातरयतव का जनम हो जाता ह और वह उततरदातरयतच यही ह कक जो

िीछ भटक रह ह और टटोल रह ह उनको राह कदखाओ

बदध क जीवन म कथा ह कक जब वह मर और सवगम क दवार उनक तरलए खल तो वह दवार िर ही खड़ रह

गए िीठ करक खड़ रह गए दवारिाल न कहा आि परभ भीतर आए हमन सवागत की तयाररया की ह जनमो-

जनमो म कभी अनत-अनत यगो म कोई बदध होकर आता ह सारा सवगम सजा ह अपसराए नाचन को तयार ह

दवता सगीत वादय तरलए उतसक ह फल बरसान की तयाररया ह सारा सवगम सजा ह आि भीतर आए आि उस

तरफ मह करक कयो खड़ हो गए ह बदध न कहा कस अभी भीतर आऊ और बहत लोग ह म भीतर आ जाऊ

तो औरो का कया होगा म रकगा म इस दवार िर ही रकगा कयोकक इस दवार स मरी आवाज दसरो तक िहच

सकगी भीतर आ गया तो कफर मरी आवाज क िहचन का कोई उिाय नही म अनत काल तक रकगा जब और

सार लोग परतरवषट हो जाएग सवगम म तरगनती कर लगा कक सभी परतरवषट हो गए तब म आतरखरी आदमी परतरवषट

होऊगा

यह कथा मीठी ह अिवम कथा ह महाकरणा की कथा ह

उस कदन लगा वजजीितत को कक बदध की अतरलपतता म करणा की ररिता नही ह महाकरणा की लहर ह

उस कदन उसकी आख खली उस कदन उसन जाना कक वह ककसक िास ह ऐस वह वरषो स साथ था िर उस

कदन सतसग बना

सतसग उसी कदन बनता ह तरजस कदन गर की मतरहमा परगट होती ह तरजस कदन गर का गरतव परगट होता

ह तरजस कदन गर का गरतवाकरषमण परगट होता ह तरजस कदन गर की करणा साफ होती ह उस कदन बदध की

परतरतमा उस कदखायी िड़ी तरमली होगी झलक एक अधर म दखा होगा बदध का परकाशमान रि उस कदन बदध

का दीया ही महतविणम न रहा बदध की भीतर की जयोतरत स थोड़ा सबध बना उस कदन सतसग हआ उस कदन

बदध की दह न रही मलयवान बदध की अतरातमा बदध क भीतर तरछिा हआ तरनराकार तरनःशबद

परम म ही सतसग बनता ह उस कदन उस परमाण तरमला कक बदध का परम ह उसक परतरत इस बदध क परम म

ही उसक भीतर भी परम जगा होगा--परम न परम को िकारा परम न परम क हाथ म हाथ द कदया उस कदन स

नाच शर हआ उस कदन स उतसव शर हआ उस कदन स उदासी न रही उस कदन स एक अिवम आनद की वरषाम

होन लगी

इस वजजीितत तरभकष स ही भगवान न य गाथाए कही थी--

गलत परवजया म रमण करना दषकर ह

गलत परवजया यानी लोभ स तरलया गया सनयास

न रहन योगय घर म रहना दखद ह

अब यह जो तन लोभ का घर बना तरलया यह रहन योगय था ही नही तन घर का नाम बदल तरलया

ससार की जगह सनयास तरलख कदया मगर यह गलत घर गलत ही था रहता त उसी म रहा यह लोभ क घर

को तरगरा द

असमान या परतरतकल लोगो क साथ रहना दखद ह ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

101

त लोभ को छोड़ लोभ क कारण गलत घर बना तरलया लोभ क कारण गलत लोगो स सबध जोड़ तरलया

लोभ क कारण असमान और परतरतकल लोगो क साथ सबध जड़ता ह लोभ क कारण ही शिता िदा होती ह

लोभ क कारण ही तथाकतरथत तरमिता िदा होती ह लोभ क कारण मोह बनता ह दवरष बनता ह लोभ क कारण

घणा आती ह जहसा आती ह लोभ स सारा फलाव होता ह कफर इन सबक साथ रहना िड़ता ह--घणा जहसा

ईषयाम मतसर मद अहकार और इनक साथ रहना दखद ह एक तो लोभ का घर और य सगी-साथी

इसतरलए ससार क मागम का ितरथक न बन और न दखी हो

ससार का अथम ह लोभ लोभ क मागम का ितरथक न बन

शरदधा और शील स सिनन हो

सदह स कोई कभी सख तक नही िहचा शरदधा स िहचत लोग सख तक

शरदधा और शील स सिनन

और शील का अथम होता ह लोभ को छोड़कर जो जीवन म आचरण बचता ह उसका नाम शील ह लोभ

क कारण जो आचरण ह वही कशीलता ह लोभमि जो आचरण ह वही शील ह उसका सौदयम अिवम ह

अब तम सोचो अगर तम धयान करन भी लोभ क कारण बठ तो धयान शील नही ह यह बदध की अनठी

वयाखया ह बदध कहत ह धयान का मजा लन क तरलए ह धयान म ही रस लन क तरलए बठ कोई लोभ नही ह

कछ और िान की इचछा नही ह धयान करन म ही सारा मजा ह धयान क बाहर कोई लकषय नही ह कोई

फलाकाकषा नही ह धयान अिन म ही अिना फल ह

मर िास लोग आत ह व कहत ह धयान करग तो कया तरमलगा कया लाभ कया होगा उनकी समझ म

ही यह बात नही आती कक धयान और लाभ का कोई सबध नही ह कयोकक लाभ का सबध लोभ स होता ह

लाभ तो लोभ का िि ह धयान का लोभ स कोई सबध नही ह लाभ स कोई सबध नही ह धयान तो ऐसी तरचतत

की दशा ह जब तम कछ भी नही मागत न कछ चाहत न कही जाना चाहत न कछ होना चाहत धयान तो

िरम सततरषट ह कहा लाभ कहा रोगो की बात उठा रह हो कहा बीमाररया ला रह हो लाभ म तो तनाव ह

कफर लाभ म जचता ह कफर कम हआ कक जयादा हआ तो अहकार ह या तरवरषाद ह कफर तो उिदरव शर हो जात

ह कफर और जयादा हो कफर और जयादा हो कफर और की दौड़ िदा होती ह और की दौड़ ही तो मन ह कफर

ससार का चाक घमन लगता ह

तो बदध कहत ह शरदधा और शील स सिनन यश और भोग स मि िररष

कछ भोग ल कछ िा ल कछ बन जाऊ--यश की आकाकषा--कछ बन जाऊ कक राषटरितरत हो जाऊ कक

परधानमिी हो जाऊ कक धनितरत हो जाऊ कक बड़ा परतरसदध हो जाऊ कछ हो जाऊ--यश--और कछ भोग ल इन

दो आकाकषाओ स ही इन दो िरो स ही सारा ससार चल रहा ह यश और भोग

चीन म एक कथा ह एक समराट अिन मिी क साथ महल िर खड़ा था और सागर म हजारो नौकाए चल

रही थी हजारो जहाज चल रह थ समराट न अिन वजीर स कहा--वजीर बढ़ा था--उस बढ़ वजीर स कहा

दखत ह हजारो जहाज समदर म चल रह ह उस बढ़ वजीर न दखा और उसन कहा कक नही महाराज जहाज

तो दो ही ह समराट बोला दो आिकी आख तो ठीक ह न उमर न कही आख तो खराब नही कर दी नही

उसन कहा कक दो ही जहाज ह--यश और भोग बाकी सब जहाज तो ठीक ही ह बाकी उनही क कारण चल रह

ह अगर इन सब जहाजो को बाटा जाए तो दो कतारो म बट जाएग कोई यश क तरलए चल रहा ह कोई धन क

तरलए चल रहा ह

102

दतरनया म दो ही तो महतवाकाकषाए ह--एक धन की महतवाकाकषा और एक िद की महतवाकाकषा दतरनया

म दो ही तो राजनीतरतया ह--एक िद की राजनीतरत एक धन की राजनीतरत

इन दो स जो मि ह बदध कहत ह वह जहा भी जाता ह सवमि ितरजत होता ह

यह बड़ी अनठी बात ह जो यश क भाव स मि ह उस यश तरमलता तरजस यश की आकाकषा नही उस

यश तरमलता और तरजस भोग का कोई खयाल नही रहा उस िरम भोग उिलबध होता ह उस िर भोग की वरषाम

हो जाती ह

तरदवतीय दशय--

भगवान क शरावक अनाथजिडक सठ की लड़की चलसभददा का तरववाह उगरनगरवासी उगगत सठ क िि स

हआ था उगगत सठ तरमथया-दतरषट था वह िाखतरडयो का आदर करता था धमम म नही चमतकारो म उसकी शरदधा

थी सो मदाररयो और जादगरो और धतो का उसक घर म बड़ा सममान था इन तरह-तरह क ढोतरगयो क आन

िर वह चलसभददा को भी उनह परणाम करन क तरलए कहता था वह समयक-दतरषट यवती इन तथाकतरथत साधओ

सतो और महातमाओ क िास जान म तरझझकती थी और ककसी न ककसी तरह टाल जाती थी

तरजसन बदध क चरणो म तरसर रखा हो कफर हर ककसी क चरणो म तरसर रखना करठन हो जाता ह और

इसम कछ आियम भी नही तरजसन कोतरहनर जाना हो कफर उस ककड़-ितथर नही लभा सकत ह

लककन उसका यह वयवहार उसक ससर को कषटकर होन लगा उसक ितरत को भी कषटकर होन लगा

उसकी सास को भी कषटकर होन लगा वह सारा िररवार ही िाखतरडयो क जाल म था उनक अहकार को चोट

लगती थी उनह यह बात ही बहत कषटकर मालम होती थी कक उनक महातमा िाखडी ह यह बात उनक

बरदाशत क बाहर होन लगी

एक कदन वह आगबबला हो उठा और करोध म सभददा स बोला--त सदा हमार साधओ का अनादर करती

ह सो बला अिन बदध को और अिन साधओ को हम भी तो उनह दख दख कया चमतकार ह उनम और दख

कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

चलसभददा न ससर की ऐसी बात सनकर जतवन की ओर परणाम करक आनद आसओ स भरी हई आखो

स कहा--भत कल क तरलए िाच सौ तरभकषओ क साथ मरा भोजन सवीकार कर मझ भला तो नही कदया ह न

और मरी आवाज तो आि तक िहचती ह न म ह चलसभददा और कफर उसन तीन मटठी जही क फल आकाश की

ओर फ क व फल वही जमीन िर तरगर िड़ ससर और उसका सारा िररवार इस िागलिन िर खब हसा

कयोकक जतवन वहा स मीलो दर था जहा बदध ठहर थ और जब फल ही नही गए तो सदश कया खाक जाएगा

लककन चलसभददा भगवान क सवागत की तयाररयो म सलगन हो गयी

अब दशय बदल चल जतवन--

भगवान बोलत थ--सबह-सबह की घड़ी होगी--बीच म अचानक आधा वाकय था अटक गए बोल नही

रक गए और बोल--तरभकषओ जही क फलो की गध आती ह न और उनहोन उगरनगर की ओर आख उठायी तभी

अनाथजिडक न खड़ होकर कहा--भत कल क तरलए मरा भोजन सवीकार कर भगवान न कहा--गहितरत म कल

क तरलए तमहारी बटी चलसभददा दवारा तरनमतरित ह उसन जही क फलो की गध क साथ अभी-अभी आमिण

भजा ह अनाथजिडक न चककत होकर कहा--भत चलसभददा यहा स मीलो दर ह वह कस आिको तरनमतरित की

ह म उस यहा कही दखता नही भगवान हस और उनहोन कहा--गहितरत दर रहत हए भी सतिररष सामन खड़

103

होन क समान परकातरशत होत ह म अभी सभददा क सामन ही खड़ा ह शरदधा बड़ा सत ह वह समय और सथान

की सभी दररयो को जोड़न म समथम ह वसततः शरदधा क आयाम म समय और सथान का अतरसततव ही नही ह

अशरदधाल िास होकर भी दर और शरदधाल दर होकर भी िास ही होत ह और तब उनहोन य गाथाए कही--

दर सतो िकासतरत तरहमवतो व िबबता

असततथ न कदससतरत रतरतततरखतता यथासरा

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया

सत दर होन िर भी तरहमालय िवमत की भातरत परकाशत ह और असत िास होन िर भी रात म फ क बाण

की तरह कदखलायी नही दत

एक ही आसन रखन वाला एक ही शयया रखन वाला और अकला तरवचरन वाला बन और

आलसयरतरहत हो और अिन को दमन कर अकला ही वनात म रमण कर

िहल इस मीठी कहानी को समझ

अनाथजिडक बदध क खास शरावको म एक था उसका असली नाम कया था भल ही गया ह बदध उस

अनाथजिडक कहत थ कयोकक वह बड़ा दानी था अनाथो को दता था अनाथो को दन क कारण अनाथजिडक

था जतवन उसी की भतरम थी जो उसन बदध को भट की थी उसकी बटी थी चलसभददा बचिन स ही बदध की

छाया म बड़ी हई थी जतवन म बदध अकसर ठहरत थ य इतनी जो कहातरनया मन कही बहत सी कहातरनयो म

जतवन म तरवहरत थ जतवन म तरवहरत थ आता ह जतवन अनाथजिडक दवारा कदया गया जगल था बदध क

तरलए

छोटी थी तभी स चलसभददा न बदध की तरफ दखना शर ककया था सौभागयशाली थी धनयभागी थी

कयोकक तरजनह बचिन स बदधिररषो का साथ तरमल आए उसस बड़ी और कोई बात नही कयोकक बचचो क हदय

होत ह सरल उन िर छाि जलदी िड़ती ह गहरी िड़ती ह तरजतनी दर होती जाती ह उतनी मतरशकल होती

जाती ह उतनी जरटलता हो जाती ह बड़ होकर और हजार बात बाधा बन जाती ह बचच क सामन कोई बाधा

नही होती बचच तो एक अथम म बदध क तरनकटतम होत ह उनह मौका तरमल जाए तो उनकी वीणा तो जलदी बजन

लगती ह उनह मौका तरमल जाए तो उनका धयान तो जलदी लगन लगता ह मौक की ही बात ह

चलसभददा सौभागयशाली थी अनाथजिडक बदध का दीवाना शरावक था बदध क िीछ िागल होकर घमता

था जहा बदध जात वही जाता था और अकसर बदध उसकी भतरम म तरनवास करत थ तो चलसभददा बचिन स

ही बदध की वाणी िर िली थी दध क साथ ही उसन बदध का समरण भी िीया था

कफर उसका तरववाह हआ तरजसक यहा तरववाह हआ--उगगत सठ क िि स उगरनगरवासी--उसकी बदध म

कोई शरदधा न थी उसन बदध को कभी दखा भी न था उसकी शरदधा तो चमतकारो म थी तो बाजीगर जादगर

मदारी कोई सथल बात कदखलाए इसम उसकी शरदधा थी उसक घर म ऐस िाखतरडयो की कतार लगी रहती

वह चलसभददा को भी सवभावतः कहता था कक हमार गर आए ह उनक चरण छओ

चलसभददा मतरशकल म िड़ती होगी--इनकार भी नही करना चाहती थी और तरजसन बदध क चरण छए

हो कथा कहती ह अब हर ककसी क चरण छना करठन हो जाता ह तरजसन बदध को दखा हो कफर और कोई

104

सरत मन नही भाती तरजसन बदध स थोड़ी सी भी सगतरत बाध ली हो कोतरहनर तरमल गया अब ककड़-ितथरो

की कोई ककतनी ही परशसा कर ककतनी ही सततरत कर तो भी उसकी िहचानन वाली आख अब ककड़-ितथरो क

लोभ म नही िड़ सकती

वह हसती होगी मन ही मन म कछ कहती भी न थी--घघट मार लती होगी--कक कोई ताबीज

तरनकालकर द रहा ह हवा स कोई राख तरगरा रहा ह सब मदारी इनक जीवन म नही कोई बदधतव की ककरण

ह नही कोई शातरत ह नही कोई आनद ह नही कोई समातरध ह

लककन धीर-धीर यह बात ससर को अखरन लगी अकसर अखरता ह तमहार गर को कोई न मान तो

अखरता ह कषट होता ह कयोकक तमहार गर क साथ तमहारा अहकार जड़ गया होता ह तमहार गर का मतलब

यह ह तमहारा गर ठीक तो तम ठीक अगर तमहारा गर गलत तो कफर तम भी गलत तो थोड़ कदन तो ससर न

सहा होगा कफर धीर-धीर उसन कहा यह बात जयादा हई जा रही ह--वह कभी छन न गयी िर कभी झकी

नही ककसी और क तरलए बच जाती कोई हजार बहान तरनकाल लती कोई काम करन लगती यहा-वहा सरक

जाती िड़ोस म हो जाती होगी

एक कदन ससर आगबबला हो उठा करोध म सभददा स बोला--त सदा हमार साधओ का अनादर करती ह

साधओ का उसन अनादर ककया भी नही था लककन कोई साध हो तब न वह तो कवल असाधओ क

चरणो म झकन स इनकार कर रही थी

सो बला अिन बदध को उसक ससर न कहा और अिन साधओ को हम भी तो उनह दख सदा उनही-

उनही की बात करती ह दख कया चमतकार ह उनम दख कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

कफर भी उसकी नजर तो चमतकार िर ह ररतरदध-तरसतरदध िर ह बदध को कफर भी वह िहचान न िाएगा

अगर यही नजर रहती ह तो बदध को िहचानना असभव हो जाएगा यह गलत दतरषट ह इसतरलए सि कहता ह

कक तरमथया-दतरषट था समयक-दतरषट वह ह जो जीवन क सतय की तलाश करता ह और तरमथया-दतरषट वह ह जो

जीवन क सतय की तलाश तो नही करता जीवन म और शतरिशाली कस हो जाए इसकी खोज करता ह

ररतरदध-तरसतरदध का कया अथम ह ररतरदध-तरसतरदध का अथम ह वही ससार का रोग कफर लगा ह िहल धन

कमात थ अब तरसतरदधया कमात ह िहल भी लोगो को परभातरवत करन म उतसक थ अब भी लोगो को परभातरवत

करन म उतसक ह िहल भी चाहत थ कक हमार हाथ म शतरि हो बल हो अब भी वही खोज चल रही ह

समयक-दतरषट शातरत खोजता ह तरमथया-दतरषट शतरि

फकम समझ लना अगर तम शतरि खोजन तरनकल हो तो तम तरमथया-दतरषट हो और अगर तम शातरत खोजन

तरनकल हो तो तम समयक-दतरषट हो और मजा यह ह कक जो शातरत खोजता ह उस शतरि अनायास तरमल जाती ह

और जो शतरि खोजता ह उस शातरत तो तरमलती ही नही शतरि का भी तरसफम धोखा ही िदा करता ह शतरि क

नाम िर चालबातरजया

आज ही ऐसा नही चल रहा ह सदा स ऐसा चलता रहा ह तम चालबाजो क िास बड़ी भीड़-भाड़

दखोग और कछ कषदर बातो क तरलए भीड़-भाड़ चलती ह कोई क हाथ स राख तरगरती ह और लाखो लोग इकटठ

हो जाएग अब राख क तरगरन स भी कया होता ह

एक तरमि न मझ िि तरलखा कक उनकी ितनी सतय साईबाबा को मानती ह और वह मझ मानत ह

उनका िि आया ह कक एक चमतकार हो गया सतय साईबाबा की फोटो स राख तरगरती ह तो उनकी ितनी न

105

कहा कक--ककसी कदन हो गया होगा तरववाद--तो उनकी ितनी न कहा कक तो तमहार भगवान की फोटो स राख

तरगर तो म मान तरजदद चढ़ गयी होगी ितरत को भी यह मामला अहकार का ितरत-ितनी क अहकार का मामला

तो उनहोन भी फोटो मरी रख दी होगी मर िास िि आया कक बड़ी हरानी की बात ह दसर कदन राख तरगरी

आिक फोटो स भी राख तरगरी आि कया कहत ह

तो मन उनह तरलखा कक ितनी न कवल साईबाबा क फोटो स राख तरगरा रही ह वह मरी फोटो स भी राख

तरगरा रही ह तम ितनी स सावधान मरा इसम कोई हाथ नही ह

ितनी न ही आतरखर ितरत िर दया की होगी सोचा होगा कक अब बात जयादा तरबगड़ जाएगी तो रात उस

मरी फोटो िर भी तरछड़क आयी होगी राख जसा साईबाबा की िर तरछड़कती रही उसन--ितरतनया ह दयाल

होती ह--उसन सोचा होगा अब ितरत की भी इजजत बचाओ मगर ितरत इसस बड़ चमतकत ह

हमारी बतरदधया छोटी ह हमारी बतरदधया ओछी ह यह बात उनको बहत जची कक राख तरगरी अब राख

तरगरन स होगा भी कया समझो कक तरगरी तो भी कया होन वाला ह इसका कोई भी तो मलय नही ह दो कौड़ी

की बात ह मगर हमार मन दो कौड़ी क ह और हमार मन इस तरह की कषदर बातो म बड़ा रस लत ह

तो िछा सभददा क ससर न कक दख कया चमतकार ह उनम दख कया ररतरदधया-तरसतरदधया ह

अब बदध म ररतरदधया-तरसतरदधया होती ही नही बदधिररष का अथम ही होता ह जो ररतरदध-तरसतरदध क िार हआ

बदधतव तो आतरखरी बात ह बदधतव म कोई चमतकार नही होत कयोकक बदधतव महाचमतकार ह

ककसी न झन फकीर बोकोज स िछा तमहारा चमतकार कया ह तो उसन कहा जब मझ भख लगती ह

भोजन कर लता जब नीद आती तो सो जाता जब नीद खल जाती तो उठ आता यही मरा चमतकार ह उनहोन

कहा यह भी कोई चमतकार ह

मगर बोकोज ठीक कह रहा ह वह कह रहा ह सब सरल हो गया ह सब बालसलभ हो गया ह जब

भख लगी रोटी खा ली जब नीद आ गयी सो गए सब सरल हो गया ह वह बड़ी अनठी बात कह रहा ह

बदधिररष तो सरल होत ह

चलसभददा न ससर की ऐसी बात सन जतवन की ओर परणाम करक आनद आसओ स भरी हई आखो स

कहा--भत कल क तरलए िाच सौ तरभकषओ क साथ मरा भोजन सवीकार कर मझ भला तो नही कदया ह न और

मरी आवाज तो आि तक िहचती ह न और कफर उसन तीन मटठी जही क फल आकाश की ओर फ क व फल

वही तरगर िड़ ससर और उसका सारा िररवार इस िागलिन िर हसा कहा कक जब फल ही तरगर गए तो सदश

कया िहचगा

सोचा होगा उनहोन फल फ क तो फल जाएग आकाश क मागम स जाएग बदध को सदश लकर अगर यह

घटना घटी होती तो व भागकर बदध क चरणो म खद गए होत लककन चलसभददा न उनक हसन की जरा भी

जचता न की वह तो सवागत की तयाररयो म लग गयी कल भगवान आएग िाच सौ तरभकष आएग ऐसी शरदधा

होती ह वह तो इसन बात ही खतम हो गयी कह कदया तरनवदन कर कदया अब बात खतम हो गयी अब और

कया करन को ह वह तयारी म लग गयी वह तो िागल की तरह दौड़ती रही होगी कदनभर उसन तयाररया

की होगी िाच सौ तरभकषओ का भोजन बनाना ह भगवान िहली दफा आएग उनका भोजन बनाना ह

अब दशय बदल चल जतवन भगवान बोलत थ अचानक बीच म रक गए और बोल--तरभकषओ जही क

फलो की गध आती ह

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शायद ककसी को भी न आयी हो शायद तरसफम बदध को ही आयी हो कयोकक कहानी कछ कहती नही कक

ककसी न कहा कक हा हम भी आती ह

और उनहोन उगरनगर की ओर आख उठायी तभी अनाथजिडक न खड़ होकर कहा--चलसभददा क तरिता न

वह उसका गाव था--भत कल क तरलए मरा भोजन सवीकार कर बदध न कहा--कषमा करो गहितरत म तरनमिण

सवीकार कर चका तमहारी बटी चलसभददा का तरनमिण मन सवीकार कर तरलया ह कल तो मझ वहा जाना

होगा उसन जही क फलो की गध क साथ अभी-अभी आमिण भजा ह तमह गध नही मालम होती कसी जही

क फलो की गध चारो तरफ भर गयी ह

शायद उस भी गध का िता न चला हो अनाथजिडक न चककत होकर कहा--भत चलसभददा यहा स

मीलो दर वह कस आिको तरनमतरित की ह तो भगवान न कहा--गहितरत दर रहत हए भी सतिररष सामन खड़

होन क समान परगट होत ह परकातरशत होत ह म अभी सभददा क सामन ही खड़ा ह शरदधा बड़ा सत ह वह समय

और सथान की सभी दररयो को जोड़ दता ह वसततः शरदधा क आयाम म समय सथान का अतरसततव होता ही

नही अशरदधाल िास होकर भी दर और शरदधाल दर होकर भी िास होत ह

दखा अभी-अभी वजजीितत की कथा हमन िढ़ी वह िास था और दर था और अब हम िढ़त ह कथा

सभददा की--दर ह और िास ह

तब उनहोन य सि कह थ

सि क िहल तीन बात जो मन इस कहानी म फकम की ह वह तमह तरनवदन कर द

िहली बात कथा कहती ह कक उगगत सठ तरजन-शरावक था वह महावीर का भि था यह बात मन

अलग कर दी कयोकक महावीर उतन ही चमतकारो क िार ह तरजतन बदध न बदध न कोई चमतकार ककए ह न

महावीर न कोई चमतकार ककए ह अगर कोई चमतकार हए ह तो हए ह ककए ककसी न भी नही

इसतरलए तरजनहोन कथा तरलखी ह--तरशषयो म तो तरववाद चलत ही रहत ह बदध क तरशषय और महावीर क

तरशषय जगह-जगह लड़त थ चौराह-चौराह िर लड़त थ उनम भारी तरववाद थ व एक-दसर की जनदा करत थ

तरशषयो की समझ ककतनी कथा भी तरशषयो न तरलखी ह तो नासमझी उसम भरी ह इसतरलए मन महावीर का

शरावक था सभददा का ससर वह बात अलग कर दी ह

अगर महावीर का भि होता तो िाखतरडयो का भि हो ही नही सकता था दो म स एक ही हो सकता ह

या तो िाखतरडयो का भि रहा हो या महावीर का भि रहा हो और मर सामन दो ही तरवकलि थ या तो

महावीर का भि मान िाखतरडयो का भि न मान लककन तब कहानी म कोई अथम ही न रह जाएगा कयोकक

तरजसन महावीर को िहचान तरलया उसन बदध को भी िहचान ही तरलया य दोनो ही भीतर तरबलकल एक जस ह

शायद बाहर का रि-रग अलग हो मगर बाहर क रि-रग की बात ही कहा हो रही ह बात तो भीतर की हो

रही ह भीतर महावीर और बदध का सवाद तरबलकल एक जसा ह उसम रततीभर फकम नही ह

तो अगर म िाखतरडयो का तरहससा अलग कर दता और कहता कक महावीर का भि ह तो िरी कहानी

खराब हो जाती कफर कहानी म कोई मतलब ही नही रह जाता इसतरलए मन महावीर का भि था यह बात

अलग कर दी ह

दसरी बात कहानी कहती ह कक चलसभददा न तीन मटठी फल फ क व आकाश म तरतरोतरहत हो गए िहच

तीर की तरह बदध क ऊिर छतरी बनकर खड़ हो गए आकाश म अधर म लटक गए वह बात भी मन अलग

कर दी ह कयो सथल का चमतकार अथमहीन ह इसतरलए मन इतनी ही बात रखी ह--फलो की सगध िहची

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सकषम िहचा सथल तो तरगर जाता ह सथल कहा जाता ह सकषम की अनत यािा ह चमतकार सकषम म होत ह

सथल म नही उसका तरनवदन िहचा उसकी पयास िहची उसकी िकार िहची उसकी शरदधा की सगध िहची

मगर फल िहच इस तरह की अवजञातरनक बात म नही कहना चाहता

लककन भिो को तो अतरतशयोतरि करन की होड़ होती ह असल म भि तो यह तरसदध करन की चषटा कर

रह ह कक बदध और भी बड़ चमतकारी थ व जो िाखडी आत थ उनस बड़ चमतकारी थ भिो की चषटा तो यह

रहती ह कक वह चमतकार करन वाल जो िाखडी थ व तो छोट-मोट चमतकारी थ बदध महाचमतकारी थ दखो

फल भी िहच गए और छोड़ो बदध की बदध की शरातरवका का चमतकार दखो बदध तो दर बदध की भि सभददा

का चमतकार दखो

तो कथा म चमतकार को ही तरजतान-हरान की चषटा ह वह बात मझ कभी जचती नही वह बात मन

अलग कर दी

और इस दतरनया को भी न जचगी दतरनया बहत आग आ गयी ह बचकानी बात अब बहत अथम नही

रखती ह हम शासतरो म स बहत कछ काटकर फक दना ह जो-जो अवजञातरनक मालम िड़ काटकर फक दना ह

हा कावय को बचा लो लककन तरवजञान क तरविरीत नही जाना चातरहए कावय कावय तरवजञान क ऊिर जाए

चलगा तरविरीत न जाए तरवजञान तरवरोधी न हो तरवजञान सहयोगी हो

तो कावय को म बचा लता ह सदा अतरवजञान को काट दता ह फल गए तो यह बात तरवजञान क तरविरीत

हो जाएगी लककन सगध गयी यह कावय ह इतनी छटटी हम कतरवता को द कयोकक इतनी कतरवता भी मर जाए

तो जीवन म सब रहसय मर जाता ह सगध गयी इसका कवल मतलब ही इतना ह सथल कछ भी न गया सकषम

गया यह परतीक ह इसतरलए मन फल वही तरगरा कदए बदध मझस परसनन होग बौदध मझस नाराज होग

तीसरी बात कथा कहती ह कक सभददा का नगर कई योजन दर था वह बात भी मन बदल दी ह मन

कहा कछ मील दर था कयोकक कफर दसर कदन बदध को भी िहचाना ह न कथा तो कहती ह बदध आकाशमागम

स गए िाच सौ तरभकषओ को लकर आकाशमागम स उड़ और िहच गए कषणभर म इस तरह की कफजल बातो म

मझ जरा भी रस नही ह तो कई योजन मन काट कदया थोड़ स दर कछ मील चल होग सबह दो-चार-िाच

मील िहच गए होग चलकर ही गए

आकाशमागो म मरी बहत तरनिा नही ह िथवी क मागम काफी पयार ह आकाशमागम स जान की कोई

जररत भी नही ह और िाच सौ तरभकषओ को लकर जाना जरा बहदा भी लगगा और ऐस लोग उड़ आकाश स

जाए-आए

लककन कथा तो कषदर बतरदध स तरनकलती ह वह चमतकार कदखलाना चाहत ह तो कथा यह भी कहती ह

कक जब बदध िहच िाच सौ तरभकषओ को लकर आकाशमागम स तो सभददा का ससर और ितरत और सास और

सारा िररवार एकदम चरणो म झक गया ऐसा चमतकार तो दखा नही था न कवल यह उनका िरा नगर भी

ततकषण बदध स दीतरकषत हआ

अगर चमतकार स दीतरकषत हए तो बदध स दीतरकषत हए ही नही इसतरलए कथा का अत मन ऐसा ककया ह--

दसर कदन भगवान न मीलो की यािा की चलसभददा का तरनमिण था यह यािा करनी ही िड़ी रासता कई

मील का था थक भी गए होग लककन जब परम िकार तो चलना ही होता ह भगवान का िहचना कोई

चमतकार तो नही घट लककन भगवान का िहचना ही बड़ स बड़ा चमतकार ह उनकी मौजदगी उनकी

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उितरसथतरत बड़ा चमतकार ह उनकी सरलता उनकी सहजता परम क साथ चलन की उनकी कषमता उनकी

करणा उनकी समातरध

बदध की सरलता न उनकी समातरध न सभददा क ससर को छ तरलया

सच म इसी की तो तलाश म था सभददा का ससर भी आदमी चमतकारी क भी िास जाता ह तो जाता

तो इसी तलाश म ह कक शायद असली सोना तरमल जाए आदमी झठ क िास भी जाता ह तो सच की ही खोज

म जाता ह ऐसी मरी शरदधा ह तम अगर ससार म भी उलझ हो तो तम उलझ समातरध क तरलए ही हो तम

सोचत हो शायद समातरध यहा तरमल जाए शायद सख यहा तरमल जाए शातरत यहा तरमल जाए गलत कदशा म

खोज रह हो जरर लककन लकषय गलत नही ह लकषय तो ककसी का भी गलत नही ह

यहा हम सभी िरमातमा को खोज रह ह हमन नाम अलग-अलग रख तरलए ह--ककसी न िरमातमा का

नाम रिया ककसी न िरमातमा का नाम िद सवभावतः िरमातमा रिए म नही समा सकता इसतरलए रिया

तरमल जाता ह और एक कदन हम िात ह िरमातमा नही तरमला इसम कछ भल हमारी खोज की नही थी कदशा

की थी

जाता होगा चमतकाररयो क िास िाखतरडयो क िास लाता होगा िाखतरडयो को घर म इसी आशा म

अनजानी अचतन म घमती हई यही अभीपसा रही होगी और जब सतय खड़ा हो गया सामन आकर तो तरमथया

स शरदधा हट जाए इसम आियम कया ह सतय को अिन समथमन क तरलए ककनही तरसतरदधयो ककनही ररतरदधयो ककनही

चमतकारो की कोई जररत नही ह सतय अिन म काफी ह ियामपत ह असतय को चमतकारो की जररत ह

असतय तरबना चमतकारो क खड़ा ही नही हो सकता असतय लगड़ा ह उस चमतकार की बसातरखया चातरहए सतय

क तो अिन ही िर ह उसको ककसी का सहारा नही चातरहए

तो मन कथा का अत ऐस ककया ह कक बदध की सरलता उनकी शनयता उनकी समातरध की गध उनकी

करणा एक यवती की िकार िर मीलो तक उनका चलकर आना िसीन स लथिथ धल स भर रह होग--

आकाशमागम स तो आए नही थ जमीन स आए थ नग िर चलत थ बदध--एक यवती की िकार िर इतनी दर

चलकर आना ऐसा उनका अनगरह इस सबन छ तरलया होगा ससर क हदय को इसस वह रिातररत हआ था

सि तो सीध साफ ह

सत दर होन िर भी तरहमालय की िवमत की भातरत परकाशत ह

आख हो तो सत ककतन ही दर हो तो भी कदखायी िड़त ह आख न हो तो िास भी हो तो कदखायी नही

िड़त और सत ककतन ही दर हो तो भी तरहमालय की तरह परकाशत ह बस शरदधा का दवार खला हो

और असत तो िास होन िर भी रात म फ क बाण की तरह कदखलायी नही दत

मगर खयाल रखना असतो को असत कदखलायी दत ह सतो को सत कदखलायी दत ह जस को वसा

कदखलायी दता ह समान समान को आकररषमत करता ह

एक ही आसन रखन वाल बनो इसतरलए बदध न कहा शायद िछा होगा अनाथजिडक न तो भगवान

ऐसी शरदधा कस उिलबध हो जसी सभददा को तरमली कस सत हम भी दर स जयोतरतममय परकाश की तरह कदखायी

िड़न लग तरहमालय की तरह कदखायी िड़ तरहमालय तो सकड़ो मील दर स कदखायी िड़ जाता ह तो िछा

होगा अनाथजिडक न म तो आिक िास ह लककन िास ही लग रहन का मोह बना रहता ह कयोकक दर जाता

ह और आि खो जात ह इस मरी बटी सभददा को कया हआ यह घटना मर भीतर कस घट

तो बदध न कहा--

109

एकासन एकसयय एको चरमतकदतो

एकोदममततान वनत रमतो तरसया

एक ही आसन रखन वाला एक शयया रखन वाला और अकला तरवचरन वाला बन

एकात म रस ल अकल होन म रस ल भीड़-भाड़ म रस को तोड़ िर म रस को तोड़ सवय म डब

आतमरमण कर

आलसयरतरहत हो और अिन को दमन कर अकला ही वनात म रमण कर

और अहकार को दबा द तरमटा द नषट कर द अहकार को जला द अिन को दमन कर--एकोदममततान--

वह जो अतता ह हमार भीतर अहकार ह वह म-भाव जो ह उस अतता को तरबलकल ही नषट कर द

फकम खयाल म लना अकसर ऐसा होता ह जो आदमी अकल म जाता ह वह और अहकारी हो जाता ह

इसतरलए बदध न यह बात कही एकातसवी हो लककन अहकारसवी न बन जाए अकल म रह लककन अकल म

रमत-रमत ऐसा न सोचन लग कक म कोई बड़ा महतविणम कछ तरवतरशषट हो गया सनयसत बन लककन म

सनयासी ह ऐसी अकड़ न िकड़ जाए धयान कर लककन म धयानी हो गया ऐसा अहकार तरनरममत न होन द

एक ही आसन रखन वाला

न तो शरीर को बहत तरहलाए-डलाए एक ही आसन म बठ कयो कयोकक जब तमहारा शरीर बहत

तरहलता-डलता ह तो तमहारा मन भी तरहलता-डलता ह सब जड़ ह एकासन का मतलब होता ह शरीर को भी

तरथर रख शरीर क तरथर रहन स मन क तरथर रहन म सहायता तरमलती ह

तम जरा करक दखना जब तमहारा शरीर तरबलकल तरथर होकर रह जाएगा जस जयोतरत तरहलती भी न हो

हवा का कि भी न आता हो तो तम अचानक िाओग तमहारा मन भी शात होन लगा

यह सतय योतरगयो को सदा स जञात रहा ह इसतरलए आसन का बड़ा बहमलय अथम ह आसन का अथम ह

आसानी स बठ जाए तरवशराम स बठ जाए और कफर बठा रह एक ही आसन म डबा रह शरीर ऐसा हो जाए

जस मरतम तो उस अवसथा म धीर-धीर मन भी ठहर जाता ह जो शरीर म होता ह मन म होता ह जो मन म

होता ह शरीर म होता ह शरीर स शर करना आसान होगा

इसतरलए बदध कहत ह एक ही आसन रखन वाला--एकासन--एक शयया रखन वाला

बदध कहत ह रात भी सोए तो एक ही करवट सोए जयादा करवट भी न बदल एक ही करवट सोया रह

ताकक रात भी तरचतत न तरहल

और अकला तरवचरन वाला बन

और धीर-धीर दसरो म रस ही न ल धीर-धीर दसर िर जीतरवत होना छोड़ धीर-धीर अिन को ियामपत

समझ

कफर यह भी धयान रह कक यह एकात यह एकासन यह एक शयया यह धयान कही यह सब आलसय का

नाम न बन जाए कही ऐसा न हो कक आलसी हो जाए--ऐसा बठ गए आलसी हो गए--कक कतय खो जाए

जीवन की ऊजाम खो जाए तो आलसय को न आन द अनयथा नीद आ जाएगी समातरध न आएगी

अिन को दमन कर

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अिन को दमन करन का जो मौतरलक सि ह वह ह--एकोदममततान--अतता क भाव को नषट कर द और

अहकार को न िलन द तो बदध कहत ह जो सभददा को हआ ऐसा ही तझ भी हो जाएगा ऐसा ही सभी को हो

जाता ह तब सतिररष कही भी हो तरहमालय की तरह सामन खड़ हो जात ह शरदधा की आख खल जाए हदय

क दवार खल जाए तो सतिररष कही भी हो उिलबध हो जात ह जो दह म ह व तो कदखायी िड़न ही लगत ह

जो दह म भी नही रह व भी कदखायी िड़न लगत ह

तरजसक मन म आज भी बदध क परतरत अिार शरदधा ह उसक तरलए बदध आज उतन ही परतयकष ह जस तब थ

कोई फकम नही िड़ा ह तरजनहोन महावीर को चाहा ह और परम ककया ह--लोभ क कारण नही जनम क कारण

नही तरजनकी सच म ही शरदधा ह--उनक तरलए महावीर आज उतन ही सतय ह तरजतन कभी और थ वस कराइसट

वस नानक वस कबीर वस जरथसतर वस मोहममद शरदधा की आख हो तो समय और सथान की सारी दररया

तरगर जाती ह

दो ही तो दररया ह--समय की और सथान की आज हमस बदध की दरी िचचीस सौ साल की हो गयी यह

समय की दरी ह उस समय बदध और सभददा म कोई िाच-सात मील की दरी रही होगी वह सथान की दरी थी

लककन परम क तरलए और धयान क तरलए न कोई सथान की दरी ह न कोई समय की दरी ह धयान और परम

की दशा म समय और सथान दोनो तरतरोतरहत हो जात ह तब हम जीत ह शाशवत म तब हम जीत ह अनत म

तब हम जीत ह उसम जो कभी नही बदलता जो सदा ह सदा था सदा रहगा एस धममो सनतनो उसको

जान लना ही शाशवत सनातन धमम को जान लना ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 10

सतानव परवचन

मतयबोध क बाद ही महोतसव सभव

िहला परशनः आिन कहा कक जीवन का सतय मतय ह कफर मतय का सतय कया ह

जीवन तरवरोधाभासो स बना ह जीवन तरवरोधाभासो क बीच तनाव और सतलन ह तनाव भी और

सतलन भी यहा परकाश चातरहए हो तो अधर क तरबना न हो सकगा यहा जीवन चातरहए हो तो मतय क तरबना

नही हो सकगा तो एक अथम म अधरा परकाश का तरवरोधी भी ह और एक अथम म सहयोगी भी

य दोनो बात खयाल म रखना तरवरोधी इस अथम म कक अधर स ठीक उलटा ह सहयोगी इस अथम म कक

तरबना अधर क परकाश हो ही न सकगा अधरा ििभतरम भी ह परकाश की

और ऐसा ही जीवन-मतय का सबध ह मतय क तरबना जीवन की कोई सभावना नही मतय की भतरम म ही

जीवन क फल तरखलत ह और मतय म ही टटत ह तरगरत ह तरबखर जात ह जस िथवी स ऊगता ह िौधा

तरखलता ह बड़ा होता ह िथवी क सहार ही तरखलता और बड़ा होता ह और एक कदन वही तरगरकर िथवी म ही

कबर बन जाती ह ऐस ही मतय स जीवन तरनकलता ह और मतय म ही लीन हो जाता ह तो एक अथम म तो

तरविरीत ह िथवी िौध क कयोकक एक कदन कबर बनगी और एक अथम म मा भी ह कयोकक तरबना िथवी क िौधा

हो न सकगा

इस महतविणम बात को परतीकातमक ढग स जसा भारत म कहा गया ह वसा कही भी नही कहा गया

तमन दखा होगा काली की परतरतमा दखी होगी काली क तरचि दख होग तो काली अतरत सदर ह िर काली ह

सौदयम अिवम ह लककन अधरी रात जसा अमावस जसा काली मा ह मा का परतीक ह समसत माततव का

परतीक ह मा का अरथ होता ह--तरजसस सब िदा हआ लककन काल मतय का भी नाम ह तो काली मतय का भी

परतीक ह तरजसम सब लीन हो जाएगा इसतरलए मा काली क गल म आदमी क तरसरो की माला ह हाथ म

आदमी की अभी-अभी काटी नयी खोिड़ी ह टिकता हआ रि ह यह परतीक बहत महतविरण ह इसम हमन

जीवन और मतय को साथ-साथ खड़ करन की कोतरशश की ह

सतरी जीवन का परतीक ह--जीवन उसस आता ह भतरम ह--और मतय का परतीक भी ऐसी तरहममत दतरनया म

कभी ककसी दसरी कौम न नही की कक मा म मतय दखी हो मा म जनम तो सभी को कदखायी िड़ा ह लककन

भारत की खोज ऐसी ह कक जहा स जनम हआ वही तो मतय होगी न जहा स आए वही लौट जाना होगा तो

मा जनम भी ह जनमदािी भी और मतय भी ह काली भी ह काल भी ह परथम जहा स हम शर हए अत म

वही लौट जाएग एक लहर उठी सागर म कफर सागर म ही तरगरगी और समापत होगी

तो जीवन और मतय तरविरीत ह हमार दख लककन अगर िरमातमा की दतरषट स दखो तो सहयोगी ह जस

दो िख न हो तो िकषी न उड़ और दो िर न हो तो तम न चलो ऐस जीवन और मतय दो िर ह अतरसततव क

तमन िछा कक जीवन का सतय आि कहत ह मतय ह कफर मतय का सतय कया ह

सवभावतः मतय का सतय जीवन ह

अब इस बात की गहराई म उतरो अगर तम बहत जीन की आकाकषा स भर हो तो तम मतय स डर

जाओग कयोकक जीवन का सतय मतय ह अगर जीवरषणा बहत गहरी ह तो तम बहत घबड़ाओग मौत स तम

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जीना चाहत हो और मौत आ रही ह और मजा यह ह कक मौत जीन क सहार ही आ रही ह तरजतना जीओग

उतनी मौत करीब आ जाएगी जयादा जीओग मौत और जलदी आ जाएगी न जीओ तो मरन स बच भी सकत

हो लककन जीओग तो कस बचोग जीओग तो परतरतिल जो जीवन म गया वह सीकढ़या मौत की ही बन रही ह

इसतरलए जो आदमी जीवन क तरलए तरजतना आतर ह और तरजतना जीवरषणा स भरा ह सोचता ह जीऊ

खब जीऊ वह आदमी उतना ही मौत स कि रहा ह कयोकक वह दखता ह मौत आ रही ह--जीवन का सतय

मतय ह जीवन मतय क अतरतररि और कही ल भी तो नही जाता कस ही जीओ--अचछ जीओ बर जीओ साध

की तरह असाध की तरह सजजन की तरह दजमन की तरह गरीब की तरह अमीर की तरह कस ही जीओ

लककन सब जीवन मतय म ल जाता ह ककसी कदशा स आओ--दौड़त आओ कक धीम आओ िदल आओ कक घोड़ो

िर सवार आओ काट भर रासतो स आओ कक फल भर रासतो स आओ--कछ भद नही िड़ता आ सभी मतय म

जात हो अतरतम मतरजल एक ह सब जीवन सब जीवन-सररताए मतय क सागर म तरगर जाती ह

तो तरजतना जीवन की आकाकषा होगी सवभावतः मतय का भय उतना ही होगा जो लोग तम दखत हो

मौत स डर ह व व ही लोग ह जो जीवन बचाए रखन को बहत आतर ह मतय स भयभीत होता हआ आदमी

तरसफम एक ही खबर दता ह कक वह जीवन को िकड़ रखना चाहता ह जीवन को िकड़ रखना चाहता ह मौत

हाथ म आती ह तरजतना जोर स जीवन को िकड़ता ह उतनी ही मौत हाथ म आती ह और उतना ही वह घबड़ा

जाता ह जीवन का सतय मतय ह

कफर म तमस दसरी बात कहता ह--मतय का सतय जीवन ह जो मरन को राजी ह जो मरन का सवागत

करन को तयार ह जो मरन को कहता ह--अतरभनदन जो मरन को जरा भी घबड़ाया नही ह जरा भी भयभीत

नही ह जरा भी तरजसक मन म मतय स कोई दभामव नही जो मतय म ऐस जान को तयार ह जस कोई मा की

गोद म सो जान को तयार हो ऐस वयतरि को महाजीवन का दशमन हो जाता ह मतय क दवारा जीवन का अनभव

हो जाता ह मतय का सतय जीवन ह

इसतरलए बदधो को जीवन का अनभव होता ह योतरगयो को जीवन का अनभव होता ह भोतरगयो को तरसफम

मतय का अनभव होता ह

यह बात ऊिर स दख उलटी लगती ह कयोकक भोगी जीवन चाहता था और हाथ लगती ह मौत और

योगी जीवन को छोड़ बठा उसन जीवन िर सारी वासना छोड़ दी उसन जीवन का राग छोड़ कदया उस

जीवन म कछ रस न रहा उस जीवन हाथ लगता ह ऐसा उलटा गतरणत ह तम चलोग जीवन की तरफ

िहचोग मतय म तम चल िड़ो मतय म और तम िहच जाओग महाजीवन म

इसतरलए जीसस का परतरसदध वचन ह--जो अिन को बचाएग व नषट हो जाएग और जो अिन को नषट करन

को राजी ह वह बच गया

इस ऐसा कहो--जो बचना चाहग डब जाएग और जो डब गया वह बच गया इसतरलए योगी मौत का

सवागत करता ह सतकार करता ह योगी परतरतिल मौत की परतीकषा करता ह योगी मरन को राजी ह योगी

मतय का सवाद िाना चाहता ह योगी कहता ह दखना चाहता ह मतय कया ह िहचानना चाहता ह मतय कया

ह मतय म उतरना चाहता ह मतय की अधरी गफाओ म यािा करना चाहता ह मतय का अतरभयान करन को

उतसक ह

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ऐसा जो मतय की खोज म जाता ह वह अचानक िाता ह कक मतय की अधरी गफा म जस-जस तम परवश

करत हो वस-वस जीवन क अतयत आलोकमयी जगत म परतरवषट हो जात हो इस तरविरीत सतय को इस

िोलररटी को इस धरवीयता को तरजसन समझ तरलया उसक हाथ म जीवन की बड़ी कजी आ गयी

यह तरविरीत सतय बहत रिो म परगट होता ह धन िकड़ना चाहो और तम तरनधमन रह जाओग धन छोड़ो

और तम धनी हो गए यह भी इसी सतय का एक रि ह तम यशसवी होना चाहो और अिमान हाथ लगगा

और तम सब यश की आकाकषा छोड़कर तरनजमन म बठ रहो और तम िाओग कक यश तमहारा रासता खोजता हआ

दर जगल म भी आन लगा यह भी उसी सतय की अतरभवयतरि ह तम चाहो जसा वसा नही होता उसस उलटा

हो जाता ह

इसतरलए चाह को समझो अनयथा दखी होत रहोग जो चाहोग वह तो तरमलगा नही उसस उलटा

तरमलगा सवभावतः दख होगा अगर तम जीवन चाहत हो तो मतय क तरलए राजी हो जाओ अगर वासततरवक

धन चाहत हो जो कोई तमस न छीन सकगा तो तरनधमन होन म परसनन हो जाओ अगर तम सच म परतरतिा

चाहत हो तो सममान की कोई आकाकषा न करो अगर तम तरवजय चाहत हो तरजन होना चाहत हो जीतना

चाहत हो सवय को तो जीत का सारा भाव ही छोड़ दो सवमहारा हो जाओ

इन तरविरीत सतयो क कारण िवीय विवय ितरिम की आखो म बड़ उलट मालम होत ह बड़ अतकयम

तरवतरकषपत जस मालम होत ह यह भी कोई बात हई--धन िाना हो धन छोड़ दो जीवन िाना हो जीवन छोड़

दो यह कौन सा तकम ह ितरिम क मनीरषी इस समझ नही िात व कहत ह रहसयवादी बात ह िागलो जसी

बात ह

जरा भी िागलो जसी बात नही ह जीवन क िरम सतय िर आधाररत बात ह इनस जयादा तकम यि और

कया होगा यह सीधा तकम ह इस तम जीवन म िरखो और तम इस रोज-रोज िाओग तरजतना सममान चाहोग

उतन अिमातरनत होन लगोग कयोकक तरजतना सममान चाहोग उतना अहकार परबल होगा और अहकार को

जरा-जरा सी चोट कफर लगन लगती ह जरा-जरा सी चोट लगन लगती ह उतना ही दख होन लगता ह तमन

सममान की कफकर छोड़ी अहकार का मामला गया अहकार का घाव समापत हआ अब तमह कौन चोट िहचा

सकता ह

लाओतस कहता ह मझ कोई हरा नही सकता कयोकक म जीतना ही नही चाहता ह लाओतस कहता ह

म जीता ही हआ ह कयोकक मन अिनी हार को सवीकार कर तरलया ह अब मझ कौन हराएगा

हमन इस दश म दखा बदध को दखा महावीर को दखा सब छोड़कर महावीर नगन हो गए लककन उन

जसा समदध वयतरि िहल कभी दखा नही गया था उस नगनता म िरम समतरदध थी

सवामी राम अमरीका गए वह अिन को बादशाह कहत थ उनक िास कछ भी न था दो लगोरटया थी

ककसी न िछा कक दो लगोरटया ह आिक िास ककस परकार क आि बादशाह ह कौन सी दौलत ह आिक िास

कौन सा राजय सवामी राम न कहा थोड़ी कमी ह मर राजय म य दो लगोरटया य और छट जाए तो मरा

राजय िरा हो जाए इनकी वजह स मरी सावमभौतरमकता म थोड़ी कमी ह य दो लगोरटया मरी सीमा बनी ह म

बादशाह ह इसतरलए नही कक मर िास कछ ह म बादशाह इसतरलए ह कक मझ ककसी भी चीज की जररत नही

फकम समझना बादशाह क अथम ही बदल गए मझ ककसी चीज की जररत नही ह तो बादशाहत उसी

को ककसी चीज की जररत नही होती तरजसक िास सब ह तरजसको जररत ह वह तो दररदर ह और तम तब

114

चककत हो जाओग कक अकसर ऐसा होता ह कक तरभखाररयो स भी जयादा दररदर तमहार समदध होत ह कयोकक

तरभखारी की जररत तो थोड़ी ह समदध की जररत बहत जयादा ह तरभखारी की जररत तो जरा म िरी हो

जाए समदध की जररत तो कभी िरी न होगी

सफी फकीर फरीद अकबर क िास गया था फरीद को उसक गाव क लोगो न कहा था कक अकबर स जरा

पराथमना करो कक एक मदरसा गाव म खोल द तमह इतना मानता ह टालगा नही तो फरीद गया सबह-सबह

जलदी गया अकबर नमाज िढ़ता था फरीद आया तो उस रकावट नही डाली गयी उस अकबर का जो

िजागह था उसम ल जाया गया अकबर हाथ उठाए आकाश की तरफ कह रहा था--ह िरमातमा ह

िरवरकदगार ह करणावान ह रहमान ह रहीम मझ िर किा कर मर राजय को बड़ा कर फरीद न तो सना

और लौट िड़ा

बादशाह न नमाज िरी की लौटकर दखा तो फरीद को जात दखा--िीठ कदखायी िड़ी--दौड़ा रोका

फरीद को कक कस आए कस चल फरीद न कहा कक बड़ी आशा स आया था गाव क लोगो न मझस कहा कक

तमस कह कक एक मदरसा खलवा दो कफर इधर तमह मन भीख मागत दखा मन सोचा कक कहा तरबचार गरीब

अकबर स कह इसकी हालत वस ही खसता ह खराब ह यह वस खद ही माग रहा ह अब इसस एक और

मदरसा खलवाना इसकी और गरीबी बढ़ जाएगी आए थ समराट क िास दखकर कक तम दररदर हो लौट जात

ह अकबर न कहा कक नही-नही मदरसा खलवान स कछ अड़चन न होगी एक नही दस खलवा द तरबलकल

कफकर न करो फरीद न कहा अब तो बात ही खतम हो गयी तम तरजसस मागत थ उसी स माग लग अब

बीच म और एक तरबचवया तम भगवान स मागो हम तमस माग इसम कया सार ह जब तम माग ही रह हो

तो तमस मागना ठीक नही अशोभन होगा अतरशषट होगा नही म न माग सकगा

यह ठीक ककया फरीद न इसम बड़ी अतदमतरषट ह समराट भी माग रह ह तरभखमग की तो शायद िरतम भी

हो जाए--दो रोटी मागता ह कक एक वसतर मागता ह तरमल जाएगा और न भी तरमला तो थोड़ी सी उसकी माग

थी थोड़ी सी तकलीफ भी होगी माग क ही अनिात म तकलीफ होती ह लककन समराट का कया होगा उसकी

माग तो ऐसी ह जो कभी िरी हो नही सकती न िरी हई तो दख होगा--और महादख होगा कयोकक माग बड़ी

ह--और अगर िरी हई तो भी सख होन वाला नही कयोकक िरी हो ही नही सकती इधर राजय बढ़ा कक उधर

माग बढ़ जाएगी

आदमी क िट की सीमा ह दो रोटी स भर जाएगी कक चार रोटी स भर जाएगी लककन आदमी क मन

की तो कोई सीमा नही ह ककतना ही धन हो तो भी मन भरता नही मन भरता ही नही जो नही भरता उसी

का नाम मन ह

कफर कौन दररदर ह

जीवन म यह तरवरोधाभास जगह-जगह परगट होता ह कक हमन कभी-कभी नगन लोग दख जो समदध थ

और हमन बड़ समराट दख जो दररदर थ तरजनक िास सब था और कछ भी न था ऐस लोग दख और तरजनक िास

कछ भी न था और सब था ऐस लोग दख यह उसी मल धरवीयता का एक तरहससा ह

तो तम िछत हो--जीवन का सतय मन कहा मतय कफर मतय का सतय कया ह

मतय का सतय जीवन

115

दसरा परशन भी सबतरधत हः कया सारी िवी मनीरषा मतयबोध डथ काशसनस िर ही क कदरत ह तरनरतर

मतयबोध स जीवन को उतसवमय कस बनाया जा सकगा

वही मल भद तमहारी समझ म नही आ रहा ह तम सोचत हो मतय की याद करग तो जीवन का उतसव

तो फीका हो जाएगा तम सोचत हो मतय की याद करग तो कफर कस हसग मतय दवार िर खड़ी होगी तो कफर

हम कस नाचग कस गीत गाएग कफर तो वीणा टट जाएगी कफर तो िर रक जाएग कफर तो घघर बजग

नही तम सोचत हो मौत की परतीतरत होगी तो कफर उतसव कस होगा

और म दोनो बात कहता ह कक मौत की परतीतरत गहरी करो और उतसव म कमी मत आन दना तो तमह

अड़चन होती ह

तम कहत हो अगर उतसव चलाए रखना ह तो मौत ह ही नही ऐसा मानना जररी ह मौत होती ही

नही ऐसा मानना जररी ह अगर होती भी होगी तो दसरो की होती ह कम स कम मरी नही होती ऐसा

मानना जररी ह और अगर मरी भी होगी तो होगी कभी अभी थोड़ ही हो रही ह ऐसा मानना जररी ह

मौत को िहल तो टालो कक मरी होती ही नही और एक अथम म बात सही भी ह तमन अिन को मरत तो कभी

दखा नही सदा दसरो को मरत दखत हो--कभी कोई मरा कभी कोई मरा तम तो कभी मर नही कभी इसको

ल गए मरघट कभी उसको ल गए मरघट तम सवय को तो कभी मरघट ल गए नही तम तो सदा लौट-लौट

आत हो दसरो को तरवदा कर आत हो तो सवाभातरवक तकम होगा कक दसर मरत ह म तो मरता नही यह भी

टालन का एक ढग ह

मगर जयादा दर न टाल सकोग मन भीतर कहता ह कक दसर भी तो ऐसा ही सोचत थ जसा म सोचता

ह जस म उनको िहचा आया ऐस दसर मझ िहचा आएग लोग तयार ही बठ ह इधर तम मर नही कक व

अथी बनान लगत ह जस तम बनाए हो दसरो की अथी दसर भी तो तमहारी बनाएग तो यह बात जयादा दर

टाली नही जा सकती

तो कफर एक खयाल कक कोई आज थोड़ ही मौत हो रही ह अभी कयो कदल गमगीन करो अभी कयो

उदास जब होगी तब दखग आज तो कभी नही होती मौत कल होगी िरसो होगी वरषो बाद होगी सततर वरषम

बाद होगी होगी तब होगी टालत ह हम टालकर हम सोचत ह कक अब हम जरा नाच ल थोड़ा गीत गनगना

ल थोड़ा परम कर ल थोड़ी मिी बना ल थोड़ा राग-रग हो रस बह मौत को दरवाजो क बाहर करक सब

तरफ स दरवाज बद करक हम नाचत ह

तो तमहारा परशन ठीक ह कक अगर मतय का बोध होगा--सब दरवाज खोल द और अनभव म आन द कक म

भी मरगा जस और मरत ह सच म दसरो की मौत मरी ही मौत की खबर लाती ह हर अथी गजरती ह और

हर अथी मरी ही अथी क बधन का इतजाम करती ह जब भी कोई मरता ह तो मनषय मरता ह म भी मनषय

ह हर मतय म मरी मतय का इशारा तरछिा ह सब दरवाज खोल द और कभी भी मर मरना तो होगा और वह

कभी भी कभी भी घट सकता ह आज भी घट सकता ह एक कषण बाद घट सकता ह अभी ह और दसरी सास न

आए सब दरवाज खोल द मौत क तो तम कहत हो कफर तो हम एकदम िकषाघात लग जाएगा िर रठठर

जाएग हाथ अकड़ जाएग कफर कया नाचग कफर कस उतसव होगा

और म कहता ह दोनो बात साथ होगी साथ ही हो सकती ह मर तरहसाब म तो अगर तमन मौत को

दवार-दरवाजो क बाहर बद कर कदया ह तो मौत दसतक मारती रहगी तम नाचो मगर मौत की दसतक सनायी

116

िड़ती रहगी मौत चीखती-िकारती रहगी कयोकक तम एक झठ कर रह हो तमहारा नाच झठ ह तमह भी िता

ह तरजन िरो स तम नाच रह हो उन िरो म मौत समा रही ह तरजस कठ स तम गा रह हो वह कठ मरन की

तयारी कर रहा ह तरजस हदय स तम शवास ल रह हो उसकी शवास हर कषण कम होती जा रही ह तम मौत को

झठलाकर उतसव का ढोग कर सकत हो उतसव वासततरवक नही हो सकता

वासततरवक तो व ही नाच ह तरजनहोन जीवन म कोई झठ खड़ा नही ककया सतय क साथ ही सतय क सग

ही असली नतय ह सतसग म ही असली नतय ह झठ क साथ कसा नतय समझा तरलया मन को बझा तरलया

ककसी तरह नाचन लग तो ककसी तरह का नाचना होगा जबदमसती होगी सहज उमग न होगी सहज परवाह न

होगा और तमन ही तो झठलाया ह तो तम अिन ही झठ को भलोग कस वह तो याद रहगा ही मरना तो ह

ही मरना तो होगा ही

और तरजस चीज को हम दबात ह वह और उभर-उभरकर सामन आती ह तरजस हम तरछिात ह वह हमार

रासत म िड़न लगती ह इस जगत म कोई भी झठ तरसथर नही बनाया जा सकता ह कोई भी झठ सतय का

धोखा नही द सकता थोड़ी-बहत दर तम अिन को धोखा द लो ककतनी दर धोखा दोग अिन को ही कस

धोखा दोग तम जानत हो कक धोखा द रह हो

हर बार मरत आदमी को दखकर तमह समझ म आता ह कक अिनी भी घड़ी आती ह कय छोटा होता

जाता ह उसी म तो हम खड़ ह एक आदमी और मर गया आग स सरक गया कय थोड़ा और आग बढ़ गया

हमारी मौत और थोड़ी करीब आ गयी कस झठलाओग दात तरगरन लग बाल सफद होन लग अब िहल जस

दौड़ नही सकत अब सीकढ़या चढ़त हो तो हाफ चढ़न लगी कस झठलाओग मौत हर जगह स खबर द रही ह

दसतक मार रही ह अब िरान कदन जसी बात न रही जरा कछ खा लत हो तो अड़चन हो जाती ह जरा जयादा

खा लत हो तो अड़चन हो जाती ह जरा जयादा हस लत हो तो थक जात हो रोन की तो बात छोड़ो हसी म

भी थकान आन लगी मौत करीब आ रही ह मौत सब तरफ स खबर भज रही ह--सावधान कस नाचोग

ककतनी दर नाचोग नाच म स ही मौत उभरन लगगी नाच म ही मौत खड़ी हो जाएगी

नही झठ क साथ असतय क साथ कोई नतय नही ह म तमस कहता ह मतय का तो बोध चातरहए

कयोकक जसा मन अभी-अभी कहा मतय का सतय जीवन ह अगर तमह मतय का ठीक-ठीक बोध हो जाए तम

मतय को िहचान लो मतय का साकषातकार हो जाए--जो कक हो सकता ह धयान क सार परयोग मतय क परयोग ह

इसतरलए तो म कहता ह कक म तमह मतय तरसखाता ह एक बार तम मतय को ठीक स सीख लो मतय की भारषा

समझन लगो तम अिन को मरता हआ एक बार दख लो

रमण महररषम क जीवन म ऐसी घटना घटी वही घटना करातरत की घटना हो गयी उसस ही उनक भीतर

महररषम का जनम हआ अठारह सिह-अठारह साल क थ घर छोड़कर भाग गए थ सतय की खोज म कई कदन क

भख थ पयास थ एक मकदर म जाकर ठहर थ िरो म फफोल िड़ गए थ चलत-चलत कई कदन की भख कई

कदन की पयास थकान उस मकदर म िड़-िड़ रात ऐसा लगा कक मौत आ रही ह लट गए--आ रही तो आ रही

सतय का खोजी कया कर जो आ रहा उस दख जो आ रहा उस िहचान जो आ रहा उसम आख गड़ाए

उसका दशमन कर लट गए न भाग न तरचललाए न चीखा न िकारा मरन लग जब मौत आ रही ह तो आ

रही ह जो िरमातमा भज रहा ह वही उसका परसाद ह वह उसकी भट ह जस जीवन उसन कदया वस ही मौत

द रहा ह अगीकार कर तरलया

117

इसको बदध न तथाताभाव कहा ह जो हो उस वसा ही सवीकार कर लना उसम ना-नच न करना ऐसा

हो वसा हो ऐसी अिनी आकाकषा न डालना जसा हो वसा का वसा

कबीर न कहा ह--जस का तस जसा का तसा वसा ही सवीकार कर लना कयोकक जब तक तम

असवीकार करत हो तब तक तम जीवन स लड़ रह हो तब तक तम िरमातमा स सघरषम कर रह हो तब तक

ककसी न ककसी भातरत तम अिनी आकाकषा आरोतरित करना चाहत हो तब तक तम सतय क खोजी नही हो तब

तक तमहारा अहकार परगाढ़ ह जो ह जसा ह उस वसा ही सवीकार कर लन म अहकार समापत हो जाता ह

अहकार क खड़ होन की जगह नही रह जाती सघरषम गया अहकार गया

रमण लट गए राजी हो गए मौत आती ह तो मौत आती ह अिन बस कया ह तरजतरह तरवतरध राख राम

तरततरह तरवतरध रतरहए अब मौत आ गयी तो मौत आ गयी अब इसी तरवतरध राम ल जाना चाहत ह तो ठीक यह

उनकी मजी व चलन को तयार हो गए इसको लाओतस न कहा ह--नदी की धार म बहना नदी की धार क

तरखलाफ लड़ना नही

अहकार धार क तरखलाफ लड़ता ह अहकार कहता ह ऊिर की तरफ जाऊगा गगोिी की तरफ यािा

करता ह अहकार गगा जा रही ह गगासागर अहकार जाता ह गगोिी की तरफ इसतरलए सघरषम हो जाता ह

इसतरलए गगा स टककर हो जाती ह यह जो तरवराट गगा ह अतरसततव की इसक साथ धार क साथ बहन का नाम

ही समिमण ह

बहन लग धार क साथ दखन लग कया हो रहा ह िर ससत हो गए शनय हो गए मर गए हाथ ससत हो

गए शनय हो गए मर गए और रमण जाग हए भीतर दख रह ह--और तो कछ करन को नही ह--एक दीया

जल रहा ह धयान का दख रह ह कक यह हो रहा ह यह हो रहा ह यह हो रहा ह सारा शरीर शववत हो गया

दख रह ह एक कषण को तो ऐसा लगा कक शवास भी गयी दख रह ह और उसी कषण करातरत घटी शरीर मत हो

गया मन क तरवचार धीर-धीर शात हो गए कयोकक सब तरवचार सघरषम क तरवचार ह जब तक तम ऊिर की

तरफ तरना चाह रह हो तब तक तरवचार ह तरजतना ऊिर की तरफ तरना चाहोग उतन ही तरवचार जचतािणम हो

जात ह जब बहन ही लग धार क साथ कसा तरवचार कसी जचता जचता भी छट गयी शरीर मत की तरह िड़ा

रह गया शवास रक गयी ठहर गयी शात हो गयी एक कषण जस मतय घट गयी और उसी कषण जीवन भी घट

गया कयोकक मतय का सतय जीवन ह जस सब जीवन मतय म ल जाता ह वस सब मतय और बड़ जीवन म ल

जाती ह बस तम जाग होओ तो काम हो जाए

रमण जाग थ दखत रह चककत हो गए--शरीर तो मर गया म नही मरा मन तो मर गया म नही मरा

सब तो मर गया म तो ह चतनय तो ह चतनय तो और भी परगाढ़ रि स ह जसा कभी न था ऊिर-ऊिर का

जाला कट गया ऊिर-ऊिर की वयथम की धल हट गयी भीतर की मतरण और भी चमकन लगी और भी

जयोतरतममय हो गयी तरमटटी मरती ह मणमय मरता ह तरचनमय की कसी मौत दह जाती और आती तम न आत

न जात एस धममो सनतनो तम तो शाशवत हो तम िरमातम-सवरि हो

उस घड़ी रमण को कदखायी िड़ा कक उितरनरषद ठीक कहत ह--अह बरहमातरसम तब तक सनी थी बात िढ़ी

भी थी िर अनभव म न आयी थी उस कदन अनभव म आ गयी उस कदन साकषातकार हआ उठकर बठ गए

उसी कदन करातरत घट गयी कफर और कछ नही ककया बात हो गयी मलाकात हो गयी तरमलन हो गया अमत

का अनभव हो गया

118

कफर जब वरषो बाद कई वरषो बाद दबारा मौत आयी--रमण को क सर हआ और तरमि बहत जचतरतत होन

लग भि बहत जचतरतत होन लग--तो रमण बार-बार आख खोलत और वह कहत तम नाहक िरशान हो रह

हो तरजसक तरलए तम िरशान हो रह हो वह तो कई साल िहल मर चका और तरजसक तरलए तम सोचत हो

आदर करत हो शरदधा करत हो उसकी कोई मतय नही तम नाहक िरशान हो रह हो जो मर सकता था मर

चका बहत कदन िहल उसक मरन िर ही तो मरा जनम हआ और अब जो म ह इसकी कोई मतय नही

रामकषण मरत थ शारदा उनकी ितनी रोन लगी तो रामकषण न आख खोली और कहा कक चि

ककसतरलए रोती ह म न कही गया न कही आया म जहा ह वही रहगा तो शारदा न िछा तमहारी दह क चल

जान क बाद मरी चतरड़यो का कया करना ठीक बात िछी तरवधवा हो जाएगी तो चतरड़या तो फोड़नी िड़गी

रामकषण न कहा कक म मरगा ही नही तो चतरड़या फोड़गी कस त सधवा ह और सधवा रहगी

तरसफम भारत म एक ही तरवधवा हई तरजसन चतरड़या नही फोड़ी--शारदा न फोड़न का कोई कारण ही न

रहा रामकषण सबक तरलए मर गए शारदा क तरलए नही मर शारदा का भाव ऐसा था रामकषण क परतरत कक

रामकषण की परतीतरत उस भाव म उसकी भी परतीतरत हो गयी उस भी कदख गया कक बात तो सच ह दह जाती

ह--दह स तो लना-दना भी कया था--दह क भीतर जो जयोतरतममय तरवराजमान था वह तो रहगा वह कस

जाएगा

मतय का सतय जीवन ह धयान म ककसी कदन मतय घट जाती ह तरजस कदन धयान म मतय घट जाती ह

उस कदन धयान का नाम समातरध इसीतरलए समातरध शबद हम दोनो क तरलए उियोग करत ह--जब कोई मर

जाता ह तो कहत ह समातरध ल ली सत की कबर को हम समातरध कहत ह और धयान की िरम अवसथा को भी

समातरध कहत ह कयो कयोकक दोनो म मतय घटती ह धयान की िरम अवसथा म तमह कदखायी िड़ जाता ह

मरणधमाम कया ह और अ-मरणधमाम कया ह मत और अमत अलग-अलग हो जात ह दध और िानी अलग-

अलग हो जात ह

इस दध और िानी को अलग-अलग कर लन वालो को हमन िरमहस कहा ह कयोकक िरमहस का अथम

होता ह वह जो दध और िानी अलग-अलग कर ल हस क साथ कतरवयो न यह भाव जोड़ कदया ह कक हस की

यह कषमता होती ह कक दध-िानी तरमलाकर रख दो तो वह दध िी लगा और िानी छोड़ दगा ऐस ही तरमल ह

दह और चतनय तरमटटी और आकाश का ऐसा ही तरमलन हआ ह तम बन हो तरमटटी और आकाश क मल स तरजस

कदन तमहार भीतर िरमहस-भाव िदा होगा धयान की उतकषटता होगी धयान की परखर धार काट दगी दोनो को

अलग-अलग--तरमटटी इस तरफ िड़ी रह जाएगी अमत उस तरफ हो जाएगा--उस कदन तम जानोग कक मतय का

सतय जीवन ह

मतय को जानकर ही असली उतसव शर होगा कफर कफर तम नाचो कफर नाचन क अतरतररि बचा ही

कया कफर और करोग कया मरना तो ह नही और जब मतय ही न रही तो कफर कसा दख कसा तरवरषाद कसी

जचता कफर नतय म एक अतरभनव गण आ जाता ह कफर नतय तमहारा नही होता िरमातमा का हो जाता ह

कफर तम नही नाचत िरमातमा तमहार भीतर नाचता ह

इसतरलए म कहता ह--मतयबोध म और उतसव म तरवरोध नही ह मतयबोध क बाद ही महोतसव शर होता

119

तीसरा परशनः आि कहत ह कक सनयासी को भागना नही जागना ह िर ससार म रहत यह जागना हो

कस सकता ह

और कहा जागोग ससार ही ह यही सोए हो यही जागना होगा इस बात को समझ लो--जहा सोओग

वही जागोग न सोए तो िना म और जागो कदलली म ऐसा थोड़ ही होन वाला ह सोए िना म तो िना म ही

जागोग जहा सोए वही जागोग इस तम जीवन क गतरणत की एक बहत बहमलय कड़ी मानो यह एक िरम

मलयवान तरसदधात ह--जहा सोए हो वही जागोग

हा सोए-सोए सिन तम कही क भी दखत रहो मगर जागना तो वही होगा जहा सोए हो िना म सोए

रात तम सोचो ससार भर की सिन दखो कलकतत म होन क कक मदरास म कक कदलली म जहा तमहारा मन हो

कक चाद-तारो िर कोई रकावट नही ह न कोई रटकट लगती न कोई समय लगता न कही आन-जान म कोई

बाधा खड़ी होती तम जो चाहो सोचो सिन म तम कही भी हो सकत हो लककन जब सबह जागोग तब िना

म होओग जहा सोए थ वही जागना होगा ससार म सोए हो तो ससार म ही जागना होगा

इसतरलए म कहता ह भागो मत कफर भागकर जाओग कहा यह सब तरफ ससार ह इस छोटी सी बात

को समझो तम अिन घर स छोड़कर भाग गए तो कया होगा ककसी आशरम म बठ जाओग तो आशरम ससार

का उतना ही तरहससा ह तरजतना तमहारा घर तरहससा था दकान छोड़ दी बाजार छोड़ कदया मकदर म बठ

जाओग मकदर व ही लोग बनात ह जो दकान चला रह ह मकदर बाजार स बनता ह बाजार तो तरबना मकदर क

हो सकता ह मकदर तरबना बाजार क नही हो सकता

इस खयाल म ल लना मकदर बाजार िर तरनभमर ह बाजार मकदर िर तरनभमर नही ह मकदर रह न रह

बाजार हो सकता ह आतरखर रस म बाजार ह मकदर चला गया चीन म बाजार ह मकदर चला गया लककन

तमन कही ऐसा दखा कक मकदर हो और बाजार न हो

मकदर बच और बाजार न हो तो मकदर खडहर हो जाता ह मकदर क पराण तो बाजार म ह मकदर म जो

दीया जलता ह उसकी रोशनी बाजार स आती ह मकदर म जो िजारी पराथमना करता ह उसक पराण भी बाजार

स आत ह मकदर सब तरफ स बाजार स जड़ा ह भागोग कहा जाओग कहा इस िथवी िर कही भी जाओ

ससार ह चाद-तारो िर भी चल जाओ तो भी ससार ह ससार ही ह जो ह उसका नाम ससार ह इसतरलए

भागना तो हो भी नही सकता

कफर करठनाइया भीतर ह बाहर तो नही ह बाहर होती तो बड़ा आसान था--भाग गए अभी कषण

महममद यहा बठ ह वह नौकरी छोड़-छोड़कर भागत थ मन कहा कहा जात हो वह कहत थ िचगनी जा

रहा ह िचगनी म कया करोग िचगनी भी ससार ह कषण महममद को बात समझ म आ गयी कक िचगनी भी

जाकर कया होगा िना म कया खराबी ह यह बात समझन योगय ह

कफर अड़चन भीतर ह बाहर तो नही ह तब तो बात आसान हो जाती ह करठनाई बाहर होती तो बड़ी

आसान हो जाती अड़चन ितनी म होती तो बड़ी आसान हो जाती ह बात ितनी छोड़कर भाग गए झझट खतम

हो गयी अड़चन तो भीतर ह भीतर सतरी म रस ह तो तम यहा स भाग जाओग ितनी छोड़ दोग कोई और सतरी

म रस िदा हो जाएगा

और सच तो यह ह ितनी म तो अिन आि धीर-धीर रस कम हो जाता ह इसतरलए ितनी क िास सतरी स

मि हो जाना तरजतना आसान ह उतना नयी सतरी क िास होकर मि होना उतना आसान नही होगा कयोकक

120

नयी सतरी म तो कफर स रस जगता ह कफर जवान हए कफर वासनाए उमगी कफर िरान सिन ताज हए ितनी

क साथ तो धीर-धीर सब सिन खो गए धीर-धीर सब सिन मर गए धीर-धीर सब आशाए समापत हो गयी

ितनी क िास तरजतनी आसानी स वरागय िदा होता ह और कही नही होता

इस तम िकड़कर रख लो गाठ बाध लो ितनी न हो तो ससार म तरवरागी न हो वरागय साध-सतो स

िदा नही होता ितनी करवा दती ह ितनी की तम किा मानो उसक चरण छओ वही तमह िरमातम-मागम िर

लगाती ह उसी क कारण तम मकदर की तरफ जान लगत हो साध-सतो का सतसग करन लगत हो ितनी तमह

ऐसा घबड़ा दती ह इसको छोड़कर कहा जा रह हो इसको छोड़कर तम गए कक तम कफर वही मढ़ता म िड़

जाओग

बचच छोड़ दोग राग कहा जाएगा राग कही और बन जाएगा राग ककसी और स बन जाएगा राग

जाना चातरहए राग क तरवरषय जान स कछ भी नही होता राग की वासना जानी चातरहए और वासना भीतर ह

तम जहा जाओग वासना साथ चली जाएगी वासना तम हो वासना तमहार अहकार का तरहससा ह तमहार

मन का तरहससा ह वासना क कारण ससार ह ससार क कारण वासना नही ह तो कारण को समझो और कारण

को काटो

इसतरलए म कहता ह भागो मत जागो जागन स कटता ह भागन स नही और भगोड़ा कायर ह और

कायर कही िरमातमा तक िहच ह िरमातमा तक तरसफम दससाहसी िहचत ह खयाल रखना साहसी भी नही

कहता दससाहसी जआरी िहचत ह जो सब दाव िर लगान की तरहममत रखत ह भगोड़ कायर य तो कभी

नही िहचत डर-डराए लोग कित िर य िरमातमा तक नही िहचत यह यािा लबी ह इस यािा म ऐस

डरत लोगो का काम नही ह वहा तरहममतवर लोग चातरहए

तो ससार स भागो मत हार हए ससार स भागो मत ससार म जागो

कफर म तमस कहता ह यहा तरजतनी सतरवधा जागन की ह और कही नही ससार का परयोजन ही यही ह

कक यहा इतनी करठनाइया ह इतनी अड़चन ह कक तमह जागना ही िड़गा चमतकार तो यही ह कक इतनी

करठनाइयो क बावजद तम मज स सो रह हो और घराम रह हो तमहारी नीद म दखल ही नही िड़ता यहा बड-

बाज बज रह ह और तरशवजी की बारात चारो तरफ नाच रही ह और तम अिन सो रह हो और मज स सो रह

हो

तम यहा नही जाग रह तम तरहमालय िर जागोग तरहमालय िर बड़ा सननाटा ह वहा तो तम खब गहरी

नीद म सो जाओग वहा जगाएगा कौन जगान क तरलए चनौती चातरहए जगान क तरलए तरविरीतता चातरहए

जगान क तरलए चोट चातरहए जगान क तरलए कोलाहल उिदरव चातरहए वहा कोई उिदरव नही ह

तो तम तदरा को या तरनदरा को अगर धयान समझ लो तो बात दसरी बठ गए एक गफा म ससत कातरहल

की तरह नीद आन लगी बठ-बठ--करोग भी कया इस कारण तमहार तथाकतरथत भगोड़ साध-सनयातरसयो म

जीवन की परतरतभा नही कदखायी िड़ती चहर िर आखो म जयोतरत नही कदखायी िड़ती एक ससती एक

आलसय एक तदरा मढ़ता क लकरषण तमह तरमलग बोध क लकषण नही तरमलग तमह करठनाई स ऐसा तरमलगा

साध तरजसम कक बोध हो--जड़ता तरमलगी--कयोकक भगोड़ म बोध हो कस सकता ह बोध ही हो सकता होता तो

भागता कयो

121

यह ससार िरमातमा न तमह कदया यह कसौटी ह यह िरीकषा ह इसस गजरोग तो तरनखरोग यह आग

ह तरजसम स गजर गए तो सवणम बन जाओग शदध कदन बन जाओग तमहारा कड़ा-करकट जल जाएगा ितनी

को ितरत को बचचो को दकान को बाजार को अतरगन समझो कसौटी समझो इसस भागना नही ह

हा सोना भी भागकर बच सकता ह अतरगन स लककन तब कड़ा-करकट भरा रह जाएगा अतरगन स गजरन

म िीड़ा ह यह मझ मालम ह लककन िीड़ा म ही तरनखार ह िीड़ा ही धोती ह िोछती ह माजती ह िीड़ा क

तरबना कोई कभी तरवकतरसत हआ ह िीड़ा ही तरवकास का दवार बनती ह सब िीड़ा हट जाए तम ततकषण मदाम हो

जाओग िीड़ा का उियोग करो िीड़ा को उिकरण बनाओ इसतरलए म कहता ह ससार स भागो मत

आि कहत ह सनयासी को भागना नही जागना ह यह ससार म रहत कस हो सकता ह

यही हो सकता ह और कही तो हो ही नही सकता इस छोटी सी बड़ी पराचीन कथा को सनो--

समराट िषितरमि न अशवमध-यजञ ककया यजञ की िणामहतरत हो चकी थी रात को अतरततरथयो क सतकार म

नतयोतसव था जब यजञ क बरहमा महररषम ितजतरल उसम उितरसथत हए तो उनक तरशषय चि क मन म गर क

वयवहार क औतरचतय क तरवरषय म शका-शल चभ गया

ितजतरल योग-सिो क तरनमामता तरजनहोन योग की िररभारषा ही की हः तरचततवतरतत-तरनरोध कक तरचतत की

वतरततयो का तरनरोध हो जाए तो आदमी योग को उिलबध होता ह सवभावतः उनका एक तरशषय चि बड़ी शका

म िड़ गया कक गरदव कहा जा रह ह समराट न उतसव ककया ह रात उसम वशयाए नाचन वाली ह

योगतरिततवतरतततरनरोधः और यह ितजतरल अब तक समझात रह कक तरचततवतरत का तरनरोध ही योग ह यह भी वहा

जा रह ह तो उस बहत शका-शल चभ गया

उस कदन स उसका मन महाभाषय और योगसिो क अधययन म न लगता था

जब शका हो जाए तो कफर कस लग शरदधा म ही मन लगता ह शका म तो दरी हो गयी उस कदन स

गर स नाता टट गया रहा अब भी रहा गर क िास अब भी उठता था चरण भी छता था आदर भी दता था

मगर भीतर अड़चन हो गयी

अत म एक कदन जब महररषम तरचततवतरतत-तरनरोध क साधनो िर बोल रह थ तो चि न यह परासतरगक परशन

ककया--भगवन कया नतय-गीत और रस-रग भी तरचततवतरतत-तरनरोध म सहायक ह िारदशी ितजतरल मसकराए

और बोल--चि वासतव म तमहारा परशन तो यह ह कक कया उस रात मरा समराट क नतय-उतसव म सतरममतरलत

होना सयम-वरत क तरवरदध नही था

वरषम बीत गए थ उस बात को हए तो लककन कदखता रहा होगा ितजतरल को कक इसक मन म बात चभ

गयी ह चभ गयी ह चभ गयी ह राह दखता परतीकषा करता ककसी अवसर िर परशन को खड़ा करगा

अपरासतरगक भी नही होना चातरहए नही तो गर सोचग कक यह मन सदह ककया

शायद वरषम क बीतन क बाद जब कफर कभी ितजतरल बोलत होग तरचततवतरतत- तरनरोध िर तो उसन कहा

कक महाराज कया नतय इतयाकद म सतरममतरलत होना भी तरचततवतरतत क तरनरोध म सहायक होता ह सोचता होगा

वरषम बीत गए अब तो महररषम भल भी गए होग उस बात को और उनको तो याद भी कस होगा मन तो कभी

कहा भी नही कक शका-शल मरी छाती म चभा ह और मरी शरदधा तम िर डगमगा गयी ह मन तमह वहा दखा

ह वशयाए नतय करती थी और शराब क पयाल चलत थ--राजदरबार था--वहा आि कया कर रह थ आधी रात

तक वहा आिको बठन की जररत कया थी य सब बात थी कहना तो ऐस ही चाहता था लककन इतनी

तरहममत कभी जटा न िाया

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लककन िारदशी ितजतरल मसकराए और बोलः चि वासतव म तमहारा असली परशन तो यह ह कक कया उस

रात मरा समराट क नतय-उतसव म सतरममतरलत होना सयम-वरत क तरवरदध नही था सयम क सचच अथम को तम

समझ नही सनो सौमय आतमा का सवरि ह रस--रसो व सः--उस रस को िररशदध और अतरवकत रखना ही

सयम ह तरवकतरत की आशका स रस-तरवमख होना ऐसा ही ह जस कोई गतरहणी तरभखाररयो क भय स घर म

भोजन िकाना ही बद कर द

बड़ी अनठी बात कही तरभखारी आत ह इस भय स घर म भोजन ही न बनाओ--न रहगा बास न बजगी

बासरी मगर यह तो तरभखाररयो क िीछ खद भी मर भोजन न िका तो खद भी मर

तो ितजतरल न कहा रस तो जीवन का सवभाव ह रसो व सः यह तो िरमातमा का सवभाव ह रस

उतसव तो िरमातमा का होन का ढग ह यह तो आतमा की आतररक दशा ह--रस इस रस स तरवमख होकर इस

रस को दबाकर इस रस को तरवकत करक कोई वयतरि मि नही होता और कफर इस डर स कक कही रस िदा न

हो जाए तम उन-उन सथानो स भागत रहो जहा-जहा रस िदा हो सकता ह तो इसस भी कछ मतरि नही होती

सयम का ठीक-ठीक अथम तो होता ह--इस रस को िररशदध करना इस रस को अतरवकत रखना रस को तरवकत

करन की िररतरसथतरतयो म ही तो तरसदध होगा कक रस तरवकत होता ह नही होता अतरवकत रहता ह नही रहता

जहा तरवकार खड़ा हो वहा तमहारा रस िररशदध भीतर नाचता रह तरवकार और रस म तरमशरण न हो वही तो

कसौटी ह

तरवकतरत की आशका स रस-तरवमख होना ऐसा ही होगा जस कोई गतरहणी तरभखाररयो क भय स घर म

भोजन िकाना बद कर द अथवा कोई करषक भड़-बकररयो क भय स खती करना ही छोड़ बठ यह सयम नही

िलायन ह यह आतमघात का दसरा रि ह आतमा को रस-वरजमत बनान का परयतन ऐसा ही भमिणम ह जस जल

को तरलता स अथवा अतरगन को ऊषमा स मि करन की चषटा इस भम म मत फसो

यह बड़ी अिवम घटना ह और ितजतरल क मह स तो और भी अिवम ह कषण न कही होती तो ठीक था

समझ म आ जाती बात लककन ितजतरल यह कहत ह तरजनहोन ितजतरल का योगसि ही िढ़ा ह व तो चौक ग

कयोकक ितजतरल क योगसि स तो ऐसी भातरत िदा होती लगती ह कक ितजतरल दमन क ही िकष म ह

कोई जञानी दमन क िकष म कभी नही रहा अगर तमह लगता हो रहा तो तमहारी समझ म कही भल हो

गयी ह जञानी मतरि क िकष म ह दमन क िकष म नही कफर कषण हो कक ितजतरल मि होना ह दतरमत नही

जो दतरमत हो गया वह तो बड़ कारागह म िड़ गया तम दबा लो अिनी वासना को बठी रहगी भीतर

सलगती रहगी उमगती रहगी धीर-धीर भीतर उिदरव खड़ा करती रहगी एक न एक कदन तरवसफोट होगा जब

तरवसफोट होगा तो तम तरवतरकषपत हो जाओग तरवमि होना तो दर तरवतरकषपतता हाथ लगगी

जञातरनयो न यही कहा ह--भागो मत जो भीतर ह उसक परतरत जागो उसक परतरत धयान को उठाओ साकषी

बनो दखो कक मर भीतर काम ह कक करोध ह कक लोभ ह और इस दखन म ससार बड़ा सहयोगी ह

मन सना ह एक आदमी तरहमालय चला गया करोधी था बहत करोध क कारण रोज-रोज झझट होती थी

अततः उसन सोचा कक ससार म बड़ी झझट होती ह--यह तो नही सोचा कक करोध म झझट ह--सोचा ससार म

बड़ी झझट ह झगड़ा-झासा खड़ा हो जाता ह छोड़-छाड़कर जगल चला गया िहाड़ िर बठ गया तीस साल

िहाड़ िर था सवभावतः न ककसी न अिमान ककया न ककसी स झगड़ा हआ न बस सटड िर खड़ा हआ रटकट

लन न तरसनमा घर क सामन भीड़ म धकका-मककी हई कोई सवाल ही नही था शात हो गया

123

तीस साल की लबी साधना क बाद उस लगा कक अब तो करोध बचा ही नही बात खतम हो गयी तभी

सयोग की बात कभ का मला भरा और ककसी यािी न कहा कक महाराज आि तीस साल स यही गफा म बठ

ह अब चतरलए भी अब जनता को थोड़ा उिदश भी दीतरजए आिको जञान उिलबध हो गया धीर-धीर लोग भी

आन लग थ खबर सनकर कक कोई महातमा तीस साल स गफा म रहत ह उसको भी लगा कक अब तो कोई

कारण भी नही डर का अब तो तीस साल म तरवजय भी िा ली लौटा कभ क मला आया

अब कभ का मला तो कभ का मला िागलो की ऐसी भीड़ और कही तो तरमलगी नही कभ क मल म तो

ककसी न कफकर ही नही की इनकी भीड़ म घसा ककसी आदमी न िर िर िर रख कदया धकका-मककी हो गयी

याद ही नही रहा तीस साल कस सिन की तरह तरतरोतरहत हो गए िकड़ ली उस आदमी की गदमन लगा कदए

दो-चार घस वह जो तरशषय साथ आए थ लकर उनहोन कहा--महाराज आि यह कया कर रह ह ितरलस िकड़

लगी तब उस होश आया तब वह बड़ा हरान हआ हसा भी कक यह तो तीस साल बकार गए मगर तीस साल

एक भी बार ऐसा न हआ तीस साल कोई छोटा समय नही ह--आधा जीवन और आज अचानक हो गया

तब उस बात भी समझ म आ गयी कक िहाड़ िर बठन स िररतरसथतरत ही न रही चनौती न रही न ककसी

न िर िर िर रखा न ककसी न गाली दी न ककसी न अिमान ककया तो करोध िदा न हआ लककन इसका यह

अथम थोड़ ही ह कक करोध न रहा अतरगन और घी दर-दर रह तो न अतरगन का िता चला न घी का िता चला अब

अतरगन और घी िास-िास आ गए तो लिट िदा हई भभक िदा हई--एक कषण म हो गयी वह जो भीतर तरछिा

था परगट हो गया

उसन उस आदमी क कहत ह िर िड़ तरजसको उसन दो घस लगा कदए थ और कहा कक आि मर गर ह

जो तीस साल म तरहमालय मझ न बता सका वह आिन एक कषण म बता कदया अब म जाता ह बाजार की

तरफ अब बाजार म ही रहगा तीस साल वयथम गए

म तमस भागन को नही कहता म तमस कहता ह यह ससार की सारी तरविरीत िररतरसथतरतयो का

उियोग कर लो तरनतरित ही यहा लोग ह जो करोध कदलवा दत ह लककन इसका मतलब साफ ह इतना ही कक

तमहार भीतर अभी करोध ह इसतरलए करोध कदलवा दत ह यहा लोग ह जो तमह लोभ म िड़वा दत ह इसतरलए

कक तमहार भीतर लोभ ह यहा लोग ह कक तरजनह दखकर तमहार भीतर म कामवासना जगती ह लककन

कामवासना भीतर ह उनका कोई कसर नही

ऐसा ही समझो कक जस कोई आदमी ककसी कए म बालटी डालता ह कफर िानी स भरकर बालटी तरनकल

आती ह कआ अगर िानी स ररि हो तो लाख बालटी डालो िानी भरकर नही आएगा कआ िानी स भरा

होना चातरहए तो ही बालटी म भरगा बालटी िानी िदा नही कर सकती बालटी कए म िानी भरा हो तो बाहर

ला सकती ह

जब कोई तमह गाली दता ह तो करोध थोड़ ही िदा करता ह उसकी गाली तो बालटी का काम करती ह

तमहार भीतर भर करोध को बाहर ल आती ह जब एक सदर सतरी तमहार िास स तरनकलती ह तो वह तमहार

भीतर काम थोड़ ही िदा करती ह उसकी मौजदगी तो बालटी बन जाती ह तमहार भीतर भरा हआ काम

भरकर बाहर आ जाता ह अब सतरी स भाग जाओ तो िानी तो भीतर भरा ही रहगा बातरलटयो स भाग गए

ससार छोड़ दो तो करोध की िररतरसथतरत न आएगी लोभ की िररतरसथतरत न आएगी लककन तम बदल थोड़ ही

बदलाहट इतनी ससती होती तो सभी िलायनवादी सभी एसकतरिसट महातमा हो गए होत और तमहार सौ

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महातमाओ म तरननयानब िलायनवादी ह उनस जरा सावधान रहना व खद भी भाग गए ह व तमको भी

भागन का ही उिदश दग

म भागन क जरा भी िकष म नही ह कयोकक मझ कदखायी िड़ता ह इस ससार म रहकर ही तरवकास होता

ह इस ससार म िड़ती रोज की चोट ही तमह जगा द तो जग जाओ और कोई उिाय नही तरनतरित ही कषटिणम

ह यह बात लककन बस यही एक उिाय ह और कोई उिाय ही नही यही एक मागम ह और कोई शाटमकट नही

ह करठन ह दसतर ह िीड़ा होती ह बहत बार बहत करठनाइया खड़ी होती ह मगर व सभी करठनाइया

अगर समझ हो सहयोगी हो जाती ह व सभी करठनाइया सीकढ़या बन जाती ह

चौथा परशनः अहकार कया ह

हीनता को तरछिान का उिाय ह अहकार हीनता की भीतर गाठ ह कक म कछ भी नही तो म कछ होकर

कदखा द इसकी चषटा ह अहकार

साधारणतः परतयक को यह हीनता की गरतरथ ह कयो कयोकक बचिन स परतयक को कहा गया ह कक

कछ होकर कदखा दो कछ करक कदखा दो कछ नाम छोड़ जाओ इतरतहास म कछ काम छोड़ जाओ परतयक को

यह कहा गया ह कक तम जस हो ऐस काफी नही हो तम जस हो ऐस शभ नही हो सदर नही हो तम कछ

करो मरतमया बनाओ कक तरचि बनाओ कक कतरवताए बनाओ कक राजनीतरत म दौड़ो कक कदलली िहच जाओ कक

धन कमाओ कछ करक कदखाओ तमहार होन म कोई मलय नही ह तमहारा होना तरनममलय ह तमहार कतय म

कछ मलय होगा तो कछ करक कदखाओग तो ही लगगा कक तम हो नही तो तमह लगगा कक तम कछ भी नही--

खाली-खाली

सकल जाओ वहा भी वही महतवाकाकषा का िाठ ह सब तरफ महतवाकाकषा तरसखायी जा रही ह दौड़ो

तजी स दौड़ो कयोकक दसर दौड़ रह ह िीछ मत रह जाना दौड़ भारी ह सघरषम गहरा ह गलाघोट

परतरतयोतरगता ह चाह गला ही काटना िड़ दसर का तो काट दना मगर कछ करक बता दना इस दौड़ म सारा

उिदरव खड़ा हो रहा ह अहकार ह महतवाकाकषा अहकार ह म कछ नही ह इसकी िीड़ा को भलान का उिाय

मनतरसवद कहत ह कक तरजस कदन वयतरि यह समझ लता ह कक म अगर कछ नही ह तो ठीक तरबलकल

ठीक म कछ नही ह म शनय ह तो शनय ह और अिन इस शनय स राजी हो जाता ह उसी कदन अहकार समापत

हो जाता ह

इसतरलए बदध न तो बहत जोर कदया ह कक तमहार भीतर शनय ह उस शनय स राजी हो जाओ तम अिन

को शनयमाि ही जानो बदध न तरजतनी बड़ी वजञातरनक वयवसथा दी ह मनषय क अहकार को तरगरान की ककसी

और दसर न नही दी ह और बदध न तरजस वयवसथा स यह बात कही ह उतनी तकम यि वयवसथा स भी ककसी न

नही कही ह बदध का परसतावन बहत बहमलय ह अनको न कहा ह अहकार छोड़ो लककन यह बात अगर इस

तरह कही जाए कक अहकार छोड़ो तो कछ लाभ नही ह कयोकक छोड़ोग कस एक नया अहकार खड़ा हो

जाता ह अहकार छोड़न वाल लोग एक नए अहकार स भर जात ह--कक हम तरवनमर ह कक मझस जयादा तरवनमर

और कोई भी नही तरवनमरता का भी अहकार होता ह साधता का भी अहकार होता ह तरनरअहकाररता का भी

अहकार होता ह अहकार बड़ी सकषम बात ह

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इसतरलए बदध न यह नही कहा कक अहकार छोड़ो बदध न कहा अहकार समझो यह तमहार भीतर जो

शनय ह उसको झठलान की कोतरशश स अहकार िदा होता ह तम भीतर क शनय को सवीकार कर लो कहो कक

म ना-कछ ह यह असतरलयत ह यह वकषो को कोई अहकार नही ह कयोकक वकषो को अिना ना-कछ होना

सवीकार ह िहाड़ो को कोई अहकार नही ह कयोकक उनको अिना ना-कछ होना सवीकार ह ितरकषयो को

अहकार नही

अहकार मानवीय घटना ह मनषय को अहकार ह अहकार दसर स तलना ह कक म दसर स आग कक

दसर स िीछ जब तम दसर स आग होत हो तो अहकार परसनन होता ह जब तम दसर स िीछ होत हो तो दखी

होता ह और सदा ही कोई तमस आग ह कोई तमस िीछ ह यह बड़ी झझट ह हर आदमी लाइन म खड़ा ह

तरजसको तम सोचत हो आग खड़ा ह उसस भी कोई आग ह यहा हजार तरह की झझट ह

निोतरलयन तरवशवतरवजता था लककन उसकी ऊचाई कम थी--िाच फीट िाच इच इसस वह बड़ा िीतरड़त

था जब भी ककसी लब आदमी को दख लता उस बड़ा दख हो जाता कक म कछ नही यह आदमी लबा लतरनन

क िर छोट थ ऊिर का शरीर थोड़ा बड़ा था उस हमशा भय लगा रहता कक कोई मर िर न दख ल िर उसक

इतन छोट थ कक सामानय कसी िर बठता तो जमीन तक नही िहचत थ तो वह तरछिाकर बठता था

भागयतरवधाता हो गया रस का लककन वह अड़चन बनी रही कोई नगा तरभखारी भी तरजसक िर सवसथ थ वह

भी उस बचन कर जाए निोतरलयन बचन हो जाता था एक नग तरभखारी को दखकर भी अगर वह सवसथ तगड़ा

हआ और लबा हआ बस वही उसकी अड़चन थी

हजार उिदरव ह धन हो तो कछ और नही होगा तमहार िास कछ और हो तो धन नही होगा तमहार

िास धन हो बतरदध न होगी तमहार िास बतरदध हो धन न होगा तमहार िास ऐसा तो कोई आदमी अब तक

हआ नही तरजसक िास सब हो सब हो नही सकता यह सभव नही ह और अगर ऐसा कोई आदमी होगा तो

बाकी लोग उसको ततकाल मार डालग यह बरदाशत क बाहर हो जाएगा

ऐस ही बरदाशत क बाहर हो जात ह लोग तरजसक िास जयादा धन ह उसक परतरत लोग तरखलाफ हो जात

ह जो िद िर ह उसक तरखलाफ हो जात ह लोग तरजसक िास कही कछ ह उसक तरखलाफ हो जात ह लोग

तरजसक िास जञान ह उसक तरखलाफ हो जात ह तरजसक िास आनद ह उसक तरखलाफ हो जात ह ककसी क िास

कछ ह उसम उनको अड़चन होन लगती ह कयोकक वह आदमी उनक भीतर की कमी का सचक हो जाता ह कक

यह तमहार िास नही जो मर िास ह

कोई तमहार िीछ खड़ा ह कोई तमहार आग खड़ा ह िीछ वाल को दखकर तम खश हो रह हो आग

वाल को दखकर दखी हो रह हो अहकार दख भी दता ह सख भी दता ह दोनो साथ-साथ दता ह

अहकार का तम िछत भी हो कक कया ह अहकार इसस कस छटकारा िाए तब भी तम इस बात को

ठीक स नही दखत अकसर ऐसा होता ह जो लोग िछत ह कक अहकार स कस छटकारा िाए व उतन ही तरहसस

स छटकारा िाना चाहत ह तरजतन तरहसस म अहकार दख दता ह तरजतन तरहसस म सख दता ह उसस नही छटना

चाहत ह मगर जब तक तम उसस भी न छटोग तरजसम सख दता ह तब तक तम उसस भी न छट िाओग

तरजसम दख दता ह अहकार छोड़न का एक ही अथम होता ह कक तमन अिनी तलना करनी बद कर दी अहकार

छोड़न का एक ही अथम होता ह कक तमन अिन शनयभाव को अगीकार ककया और उसी शनयभाव म तम

अतरदवतीय हो गए

126

तमहारी कोई तलना हो भी नही सकती तम जसा आदमी कभी िथवी िर हआ ही नही और न कफर कभी

होगा तमहार अगठ का तरनशान तमहार ही अगठ का तरनशान ह सारी दतरनया म इतन लोग हो चक ह--अरबो-

खरबो--मगर ककसी क अगठ का तरनशान तमहार अगठ का तरनशान नही ह और तमहार वयतरितव का ढग भी

तमहारा ही ह तम तलनीय नही हो तौल कक झझट म िड़ तौलो मत तलना मत करो किरीजन मत करो

तम जस हो उस सवीकार कर लो तम जस हो वसा होना ियामपत ह ऐसा तमह परभ न बनाया इसको तम

धनयभाग मानो इसक तरलए धनयवादी होओ और इस शनय म राजी हो जाओ तमस कफर बहत होगा लककन

वह अहकार क कारण नही होगा वह तमहारी सहज परकतरत क कारण होगा

जस नकदया सागर की तरफ बहती ह ऐसा तमस भी बहत बहगा--हो सकता ह गीत रचा जाए मरतम

बन--होगा ही कयोकक जहा ऊजाम ह वहा कछ घटना घटती रहगी लककन उस घटना क घटन म न तो जचता

रहगी न आिाधािी रहगी न दसरो स परतरतयोतरगता रहगी न सिधाम रहगी

अभी तो तम इस अहकार क नाम िर तरसफम अिन भीतर क शनय को ढाकत हो घाव को ढाकत हो--जस

घाव िर कोई फल रख ल कफर घाव बड़ा होता जाता ह तो और बड़ फल चातरहए और बड़ फल चातरहए कफर

धीर-धीर ऐसा हो जाता ह कक घाव को तरछिान म ही जजदगी बीत जाती ह घाव तरछिता नही और जजदगी

समापत हो जाती ह और तरजसस तम घाव को तरछिा रह हो वही तमहारी फासी बन जाती ह ककसी को ककसी

ढग स अिना अहकार भरना ह ककसी को ककसी और ढग स अततः जीवन उसी अहकार क भरन की कोतरशश म

नषट हो जाता ह

तमन यह िरानी िौरातरणक कथा सनी होगी--

एक योगी था वन म एक चहा उसक िास घमा करता और योगी शात बठता मौन बठता तो चहा--

धीर-धीर तरहममत भी उसकी बढ़ गयी--वह उसकी गोदी म भी आकर बठ जाता उसक आसिास चककर भी

लगाता उसक िास आकर बठा भी रहता योगी अिन धयान म होता अिन आसन म बठता चहा भी उसक

िास आकर रमन लगा धीर-धीर योगी को भी चह स लगाव हो गया

एक कदन चहा बठा था उसक िास--योगी धयान कर रहा था--और एक तरबलली न हमला ककया योगी को

चह िर बड़ी दया आयी और अभी-अभी उस कछ योग की शतरिया भी तरमलनी शर हई थी तो उसन अिन

योगबल स कहा--माजामरो भव उस चह स कहा कक त तरबलला हो जा योगबल था चहा ततकषण तरबलला हो

गया चहा बन-तरबलाव बन गया तरबलली तो घबड़ा गयी भाग गयी योगी बड़ा खश हआ चहा भी बड़ा खश

हआ

लककन यह जयादा कदन बात न चली कक एक कदन एक कतत न हमला कर कदया तरबलल िर तो योगी न

उस चीता बना कदया लककन यह बात कफर भी जयादा कदन न चली चीत िर एक कदन एक जसह न हमला कर

कदया तो उसन उस गरीब चह को अब जसह बना कदया जसह न योगी िर हमला कर कदया तब तो योगी बहत

घबड़ाया उसन कहा यह तो हदद हो गयी यह मरा ही चहा और यह भल ही गया तो उसन कहा--िनममरषको

भव कफर स चहा हो जा चहा कफर स चहा हो गया

इस कहानी म तरजतनी आसानी स चहा जसह स चहा हो गया इतनी आसानी स अहकार का चहा

िनममरषको भव कहन स नही होता िहल हम उस बड़ा करत ह हम फलात चल जात ह हम दसरो क मकाबल

म उसको लड़ात चल जात ह तरबलला बनाया कतत क मकाबल म चीता बनाया चीत क मकाबल म जसह

बनाया--हम बनात चल गए--एक कदन घड़ी आती ह कक वह इतना बड़ा हो जाता ह कक उसक बोझ म हम ही

127

दब जात ह हमारी छाती िर ितथर की तरह िड़ जाता ह कफर हटाना इतना आसान नही ह तरजतना इस

कहानी म ह कफर तम लाख तरचललात रहो--िनममरषको भव वह कहगा--चि रहो शात रहो बकवास मत करो

तमन दखा न तमहारा मन अकसर--तम मन क साथ परयोग करक दख सकत हो--तम सोना चाहत हो

और मन अिनी बकवास म लगा ह तम कहत हो भाई चि हो जाओ वह कहता ह तम चि रहो तमहारा मन

और तमस ही कहता ह तम चि रहो तम कहत हो मझ सोना ह वह कहता ह कफजल की बात न करो अभी

हम अिन काम म लग ह तमहारा मन और तमस ही ट

अब इतना आसान नही इसको तमन ही िाला ह इसको तमन ही बड़ा ककया ह इसको तमन ही

समहाला ह इसको तमन ही ऊजाम दी ह यह तमहारी ही ऊजाम क बल िर आज अकड़ रहा ह लककन धीर-धीर

तम इसस दबत गए धीर-धीर तम छोट होत गए और यह बड़ा होता गया तमन तरजस शनय को दबान क तरलए

इस खड़ा ककया था वह तम हो शनय हमारा सवभाव ह शनयता हमारा गणधमम ह उस शनय को दबान क तरलए

अहकार खड़ा ककया अब यह अहकार खड़ा हो गया अब यह तमह दबा बठा

िहल तम बड़ खश हए कक चलो इसक सहार दसरो को हमारा शनय नही कदखायी िड़ता दसरो क

सामन अकड़कर चल लत ह दतरनया म खयातरत फल रही ह नाम हो रहा ह कफर यह बहत अकड़ गया कफर

इसन तमह जोर स दबा तरलया अब तम घबड़ात हो कक इसस कस छट यह तो गदमन दबाए द रहा ह लककन

अब इतना आसान नही एक बार तमन इसक हाथ म बागडोर द दी तो लन म समय लगगा कभी-कभी

जीवनभर लग जाता ह कभी-कभी अनक जीवन लग जात ह

जब जाग जाओ तभी स दो काम शर कर दो एक कक अब इस और शतरि मत दो दसरा कक अिन

शनयभाव का धीर-धीर समरण करो इस भाव म रमो कक म ना-कछ ह िहल तो बहत कषट होगा--म ना-कछ

यही तो जजदगीभर मानना नही चाहा दतरनया तो यही कह रही थी कक तम ना-कछ हो लककन तमन इनकार

ककया दतरनया तो मानना ही चाहती थी कक तम ना-कछ हो मगर तम न मान अब अिन स मानन म बड़ी

अड़चन होगी

इसी को तो सनयास का सि समझना--म ना-कछ म एक शनय माि बास की िोगरी अगर मझस कछ

होता भी ह तो वह िरमातमा का मरा कया उिकरण माि वह जो चाह करा ल न चाह न कराए चाह

राजा बना द और चाह पयादा बना द जो उसकी मजी मजी उसकी खल उसका म तो एक कठितली धाग

उसक हाथ म ह जसा नचाता ह नाच लता ह इसम मरी अकड़ कया ऐसा भाव तमहार भीतर गहरा होता

चला जाए तो धीर-धीर तम िाओग नयी ऊजाम न तरमली अहकार को और िरानी ऊजाम धीर-धीर शनय म लीन

होन लगी एक कदन अहकार तरगर जाता ह जस ताश क ितत तरगर जात ह जस ताश क िततो स बनाया हआ

मकान तरगर जाता ह जरा सा धयान का झोका चातरहए और यह मकान तरगर जाएगा

िाचवा परशनः म अनभव करता ह कक मर िास आिक चरणो िर चढ़ान क तरलए कछ भी नही ह और यह

दीनता असहय ह

िछा ह कीरतम न अभी जो म कह रहा था उस खयाल म लो यह दीनता भी अहकार का ही रि ह तम

यह मत सोचना कक यह दीनता कोई बहत अचछी बात ह यह अहकार की ही छाया ह चढ़ान की जररत कया

128

ह मर चरणो म कछ चढ़ान की जररत कया ह मर िास रहकर तम शनय होना सीख लो बस ियामपत ह सब

चढ़ गया अिना अहकार ही चढ़ा दो बस बहत हो गया

मगर तम कहत हो कक म अनभव करता ह कक मर िास आिक चरणो िर चढ़ान क तरलए कछ भी नही

यह कछ भी नही का बोध ही तो असली बात ह ककसक िास कछ ह ककसी क िास कछ भी नही ह तम

समझत हो कोई आदमी सौ रिय का नोट रख गया तो कछ रख गया ह कया सौ रिय क नोट म कागज का

टकड़ा ह ऐस ही िड़ा रह जाएगा म भी चला जाऊगा वह भी चल जाएग इसको न म ल जा सकता न वह

ल जा सकत तो चढ़ा कया गए और इसम तमहारा कया था तम नही आए थ तब भी यह नोट यहा था--यही

का था यही स उठाकर चढ़ा कदया चढ़ाया कया

तमहार िास कछ नही ह यह बात तमह िीड़ा कयो द रही ह और यह दीनता तम कहत हो असहय ह--

कयो ककसको असहय हो रही ह अहकार का भाव ह अहकार कछ चढ़ाना चाहता ह अहकार चढ़ाना ही नही

चाहता वह दसरो को भी हराना चाहता ह कहता ह--अचछा तमन सौ का नोट चढ़ाया लो म िाच सौ का

चढ़ाता ह कर कदया रठकान लगा कदया रसत िर तमह भल गए अकड़ बड़ चढ़ान चल थ

चढ़ान म भी दौड़ ह चढ़ान म भी होड़ ह चढ़ान म भी दसर को हराना ह और जीतना ह यह तो

अहकार ही हआ

यह िागलिन छोड़ो मर िास तो बठकर तम इतना समझ जाओ कक तमहार िास कछ नही ह बात हो

गयी कफर दसरी बात भी तमह समझ म आ जाएगी िहल यह समझ म आ जाए कक मर िास कछ भी नही ह

तो कफर दसरी बात भी समझ म आ जाएगी कक म भी कछ नही ह यह शनय आकाश तरजस कदन भीतर परगट

होता ह उस कदन तम चढ़ गए उस कदन िहच गए समिमण हो गया

इसम दीनता कया ह यह तो तरसथतरत ह ककसक िास कया ह इसको असहय कयो कर रह हो तम दखत

होओग कक दसर चढ़ात ह--कोई धन ल आता कोई बतरदध ल आता कछ यह ल आता कछ वह ल आता अब

कीरतम सोचता होगा म कया लाऊ कहा स लाऊ मर िास कछ भी नही ह

तम कछ भी नही हो इसी भाव म रम जाओ बस ियामपत हो गया तम उनस आग तरनकल जाओग जो धन

चढ़ा गए तम उनस आग तरनकल जाओग जो कछ चढ़ा गए कयोकक आग जान का अथम एक ही होता ह कक तम

अिन भीतर चल जाओ--और आग जान का कोई अथम नही होता

इसम िरशान होन की जरा भी जररत नही ह हमारा अहकार बड़ा सकषम ह यह बड़ी-बड़ी तरकीब

खोजता ह बड़ी सकषम तरकीब खोजता ह अब ऊिर स दखन िर ऐसा ही लगगा कक यह तो बड़ी अचछी बात

िछी कीरतम न इसम कछ बराई कया ह

इसम बराई ह इसम गहरी बराई की जड़ ह यह दीनता तमहार अहकार को ही अखर रही ह इतना ही

दखो कक मर िास कछ नही ह अब कर कया बात खतम हो गयी ककसक िास कछ ह कफर चढ़ान की कोई

जररत भी कहा ह कोई परयोजन भी नही ह लककन आमतौर स कछ भी हो ककसी न ककसी दरवाज स

अहकार कफर परतरवषट हो जाता ह िीछ क दरवाज स आ जाता ह

मन सना ह--एक सफी कहानी--एक समराट तरवशवतरवजता हो गया तब उस खबर तरमलन लगी कक उसक

बचिन का एक साथी बड़ा फकीर हो गया ह कदगबर फकीर हो गया ह नगन रहन लगा ह उस फकीर की

129

खयातरत समराट तक आन लगी समराट न तरनमिण भजा कक आि कभी आए राजधानी आए िरान तरमि ह

बचिन म हम साथ थ एक साथ एक सकल म िढ़ थ एक फटटी िर बठ थ बड़ी किा होगी आि आए

फकीर आया फकीर तो िदल चलता था नगन था महीनो लग जब फकीर ठीक राजधानी क बाहर

आया तो कछ यािी जो राजधानी क बाहर जा रह थ उनहोन फकीर स कहा कक तमह िता ह वह समराट अिनी

अकड़ तमह कदखाना चाहता ह इसीतरलए तमह बलाया ह फकीर न कहा कसी अकड़ कया अकड़ कदखाएगा

तो उनहोन कहा वह कदखला रहा ह अकड़ िरी राजधानी सजायी गयी ह रासतो िर मखमली कालीन तरबछाए

गए ह सार नगर म दीए जलाए गए ह सगध तरछड़की गयी ह फलो स िाट कदए ह रासत सारा नगर सगीत स

गजायमान हो रहा ह वह तमह कदखाना चाहता ह कक दख त कया ह एक नगा फकीर और दख म कया ह

फकीर न कहा तो हम भी कदखा दग

व यािी तो चल गए कफर साझ जब फकीर िहचा और राजा समराट दवार तक लन आया उस नगर क--

अिन िर दरबार क साथ आया था उसन जरर राजधानी खब सजायी थी उसन तो सोचा भी नही था कक यह

बात इस अथम म ली जाएगी उसन तो यही सोचा था कक फकीर आता ह बचिन का साथी उसका तरजतना

अचछा सवागत हो सक शायद तरछिी कही बहत गहर म यह वासना भी रही होगी--कदखाऊ उस--मगर यह

बहत चतन नही थी इसका साफ-साफ होश नही था गहर म जरर रही होगी हमारी गहराइयो का हमी को

िता नही होता जब फकीर आया तो फकीर नगा तो था ही उसक घटन तक िर भी कीचड़ स भर थ

समराट थोड़ा हरान हआ कयोकक वरषाम तो हई नही वरषाम क तरलए तो लोग तड़फ रह ह रासत सख िड़ ह

वकष सख जा रह ह ककसान घबड़ा रह ह वरषाम होनी चातरहए और हो नही रही ह समय तरनकला जा रहा ह

इतनी कीचड़ कहा तरमल गयी कक घटन तक कीचड़ स िर भर ह

लककन समराट न वहा दवार िर तो कछ न कहना उतरचत समझा महल तक ल आया और वह फकीर उन

बहमलय कालीनो िर--लाखो रियो क कालीन थ--उन िर वह कीचड़ उछालता हआ चला जब राजमहल म

परतरवषट हो गए और दोनो अकल रह गए तो समराट न िछा कक मागम म जरर कषट हआ होगा इतनी कीचड़ आिक

िर म लग गयी कहा तकलीफ िड़ी कया अड़चन आयी

तो उसन कहा अड़चन अड़चन कोई भी नही तम अगर अिनी दौलत कदखाना चाहत हो तो हम भी

अिनी फकीरी कदखाना चाहत ह हम फकीर ह हम लात मारत ह तमहार बहमलय कालीनो िर समराट हसा

और उसन कहा म तो सोचता था तम बदल गए होओग लककन तम वही क वही आओ गल तरमल हम जब

अलग हए थ सकल स तब स और अब म कोई फकम नही िड़ा ह हम एक ही साथ हम एक जस

अहकार क रासत बड़ सकषम ह फकीरी भी कदखलान लगता ह इसस थोड़ सावधान होना जररी ह और

जब अहकार िरोकष रासत लता ह तो जयादा करठन हो जाता ह जागना सीध-सीध रासत तो बहत ठीक ह एक

आदमी न बड़ा महल बना तरलया साफ कदखायी िड़ता ह कक वह कदखाना चाहता ह नगर को कक म कौन ह एक

आदमी बड़ी कार खरीद लाया वह कदखाना चाहता ह लककन एक आदमी न महल तयाग कर कदया और सड़क

िर नगन खड़ा हो गया कौन जान वह भी कदखाना चाहता हो अब रासता बड़ा सकषम ह अब तो वह खद ही

अिन भीतर अचतन म उतर तो शायद िकड़ िाए कक उसक भीतर आकाकषा कया ह कया वह कदखाना चाहता

ह लोगो को कक दखो दतरनया म हए तयागी मगर मर जसा कभी हआ

जनो और बौदधो न महावीर और बदध की तयाग की बड़ी कथाए तरलखी ह खब बढ़ा-चढ़ाकर तरलखी ह वह

बढ़ा-चढ़ाकर तरलखना बताता ह कक तरजनहोन कथाए तरलखी ह उनक मन म महावीर का मलय नही था धन का

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ही मलय था बदध का मलय नही था धन का मलय था महावीर क भि तरलखत ह कक महावीर क िास इतन

हजार हाथी इतन हजार घोड़ ऐसा-ऐसा सामान था इतन रतन इतन हीर इतन जवाहरात वह तरगनात ही

चल जात ह वह सखया बढ़ती ही जाती ह--तरजतना शासतरो म जाओग वह सखया बढ़ती ही चली जाती ह

इतना हो नही सकता इतन घोड़ इतन हाथी महावीर तरजस छोट स राजय म िदा हए व उसम खड़ भी

नही हो सकत थ और अगर इतन हाथी-घोड़ खड़ हो जात तो आदतरमयो की जगह न बचती खड़ होन की और

इतना छोटा राजय था महावीर क तरिता का--एक छोटी तहसील समझो महावीर क तरिता कोई महा समराट नही

थ इतना धन हो नही सकता था इसका कोई उिाय नही ह अगर महावीर िदा न हए होत तो महावीर क

तरिता का नाम ककसी को कभी िता भी नही चलता

और वही हालत बदध की भी थी अगर बदध िदा न होत तो बदध क बाि का नाम कभी ककसी को िता न

चलता उनक िास कछ जयादा था भी नही छोट स राजय थ बदध क समय भारत म दो हजार राजय थ अगर

बदध का राजय िर भारत िर होता तो भी इतन हाथी-घोड़ नही हो सकत थ तरजतन तरगनाए ह िर भारत म

इतन हाथी-घोड़ नही थ और दो हजार राजय थ छोटा-मोटा राजय था

लककन भिो न इतन बढ़ा-चढ़ाकर कयो तरलखा बढ़ा-चढ़ाकर इसतरलए तरलखा कक अगर इतना न हो तो

कफर छोड़ा ही कया तो तयाग छोटा हो जाता ह तयाग को बड़ा बतान क तरलए िहल भोग बड़ा करक बताना

िड़ा कक इतना-इतना था सब छोड़ कदया कया गजब का तयाग था मगर धयान रखना तयाग भी नािा जा रहा

ह भोग स तयाग भी नािा जा रहा ह धन स आदमी का मन बहत रगण ह यही तो कारण ह कक जनो क सब

तीथकर राजाओ क बट ह बदध राजा क बट जहदओ क सब अवतार राजा क बट यह भी जरा अजीब सी बात

ह जहदसतान म कभी भी कोई गरीब का बटा कोई मधयवगीय बटा कोई साधारणजन का जो राजिि नही

था तीथकर नही हो सका कया कारण रहा होगा कया अड़चन रही होगी

बात साफ ह तयागी तो महावीर जस और भी बहत हए ह लककन उनका तयाग जनता नही मानगी ह

ही नही तमहार िास तो छोड़ा कया तयागी तो बहत हए बदध जस लककन जनता उनको मानगी नही वह

ककतन ही सब छोड़कर नगन खड़ हो गए हो लककन लोग िछग था कया िहल था कया िहल की तो बताओ

बक बलस कया था और तम कहो कक बक बलस था ही नही बक म अिना खाता ही नही था तो वह कहग

छोड़ा ही नही कछ तो तयाग कस बड़ा हो सकता ह तयाग का बड़ा होना िहल तो इसी स तय होता ह कक बक

बलस ककतना था

तो तरसफम राजाओ क बट ही तीथकर और अवतार हम मालम िड़ बाकी को हमन सवीकार नही ककया

अब कबीर ह दाद ह रदास ह इनकी कौन कफकर कर कछ था ही नही छोड़न को कछ था ही नही तो कया

छोड़ा

अहकार क रासत सकषम ह कफर इसम भी अहकार काम करता ह जब जन दखत ह कक बौदधो न तरलख

कदए इतन घोड़ थ तो उसस जयादा घोड़ बढ़ाकर अिन शासतर म तरलख दत ह जब बौदध दखत ह कक जतरनयो न

जयादा घोड़ बता कदए व जयादा घोड़ कदखा दत ह कयोकक इसम भी अहकार जड़ जाता ह कक मरा गर और

उसक िास घोड़ कम यह हो ही नही सकता मरा गर

म एक नगर म था वहा तीन साधओ म झगड़ा चल रहा था एक साध तरलखत थ अिन को--एक सौ आठ

शरी एक सौ आठ शरी का मतलब होता ह--एक सौ आठ बार शरी तब नाम लना चातरहए शरी शरी शरी शरी ऐसा

एक सौ आठ बार कफर अब उतना कहन म कदककत होगी इसतरलए तरलखत ह--एक सौ आठ दसर तरलखन लग--

131

एक हजार आठ अब तरलखन म कोई अड़चन तो ह ही नही तीसर बहत जचतरतत थ वह मझ तरमलन आए थ वह

कहन लग कक यह एक तरलखता ह एक सौ आठ एक तरलखता ह एक हजार आठ अब एक लाख आठ कभी ककसी

न तरलखा नही ह तो वह जरा शासतरीय नही ह तो वह िछन लग कक म कया तरलख

मन कहा कक तम ऐसा करो कक--अनत शरी कयोकक एक लाख तरलखो कोई एक करोड़ कर द इसम रोक

कौन सकता ह तम अनत शरी जसा छोट बचच कहत ह न कक तमस एक जयादा तम जो कहो उसस एक जयादा

मामला खतम हो गया तम सखया म िड़ो ही मत नही तो कभी हार खाओग मात खाओग वह बोल कक बात

तरबलकल जचती ह तब स वह अनत शरी हो गए

आदमी क अहकार बड़ सकषम ह अहकार क िरोकष रि ह परतयकष रि ह परतयकष रि तो बहत करठन नही

ह कदखायी िड़त ह िरोकष रि जयादा करठन ह उनक परतरत सावधान होना

जब तम कहत हो मरा दश सबस महान तब तम असल म यह कहत हो कक होना ही चातरहए कयोकक म

इस दश म िदा हआ नही तो ऐसा हो कस सकता ह कक मरा दश और महान न हो तम कह तो यही रह कक म

महान लककन िरोकषरि स कह रह सीधा नही कह रह कोई कहता ह जहद-धमम सबस महान कोई कहता ह

जन-धमम सबस महान कयो कयोकक जन-धमम महान हो तो ही तम महान जहद-धमम महान हो तो तम महान

कोई कहता ह करान सबस ऊची ककताब कोई कहता ह वद सबस ऊची ककताब--जो तमहारी ककताब ह वह

ऊची होनी चातरहए

और यह िागलिन सारी दतरनया म ह चीनी समझत ह कक उनस जयादा महान कोई दश नही ह और

वस ही जािानी भी समझत ह और वस ही जममन भी समझत ह दतरनया म ऐसी कोई कौम नही ह जो अिन को

महान न समझती हो कोई दश ऐसा नही जो अिन को महान न समझता हो कयोकक दतरनया म आदमी नही

तरजनको अहकार न हो मगर तम बहान खोजत हो और बहान ऐस खोजत हो कक सीध-सीध कदखायी भी नही

िड़त

अब जब कोई कहता ह भारत दश सबस महान दश तो ककसी को कदखायी भी नही िड़ता कक वह

अहकार की घोरषणा कर रहा ह जब वह कहता ह झडा ऊचा रह हमारा तो तमह लगता ह कक इसम कोई ऐसी

गलत बात कह ही नही रहा झडा ऊचा रह हमारा झडा तमहारा भी ह वह इसतरलए तमह अड़चन नही होती

चीनी को दखकर अड़चन होती ह तमहारा झडा ऊचा तब झगड़ा खड़ा होता ह लककन चीनी दर ह उसस

हमारी सीधी मलाकात साफ-साफ सामन-सामन होती भी नही यहा तो जो हमारा झडा ह वह हम सबका ह

इसतरलए हम मज स कहत रहत ह

जन मकदर म चलती रहती ह बात कक जन-धमम सबस महान धमम कोई अड़चन नही जहद मकदर म

चलती रहती ह बात जहद-धमम सबस महान मतरसजद म चचाम चलती रहती ह कक इसलाम स महान कोई धमम ह

ही नही य चचामए सीमाओ म चलती रहती ह और वहा तरजतन लोग मौजद ह व सब तरसर तरहलात ह कयोकक व

सब मसलमान ह सब जहद ह सब जन ह लककन जरा तम इस सतय को तो दखन की कोतरशश करो--यही सभी

लोग कह रह ह अगर गध-घोड़ भी बोलत होत तो व भी यही कहत व भी यही कहत कक हमस महान कोई भी

नही

मन एक बात सनी ह कक जब डारवमन न तरसदधात परतरतिाकदत ककया कक आदमी बदरो स तरवकतरसत हआ ह

बदरो का ही तरवकास ह तो आदतरमयो म भी तरववाद चला कयोकक आदतरमयो को यह बात जची नही अखरी

कक हम बदर स तरवकतरसत हए ह इसस उनको चोट लगी व िहल स यही सोचत रह थ कक भगवान न बनाया

132

और यह कया मामला हआ एकदम भगवान वतरलदयत बदल गयी भगवान की जगह बदर एकदम वतरलदयत

बदल गयी कहा भगवान और कहा बदर आदतरमयो म खब तरववाद चला लोग बड़ नाराज हए कोई सवीकार

करन को राजी नही था

लककन मन सना ह बदरो म भी बहत तरववाद चला और बदर भी बहत नाराज थ कक कौन कहता ह कक

आदमी हमारा तरवकास ह हमारा ितन ह हम रहत वकषो िर य ितरतत हो गए और समझ रह ह तरवकास हो

गया और अगर गौर स दखो तो उनकी बात म भी अथम तो ह ही एक बदर स तमहारी टककर हो जाए तो समझ

म आ जाए कक तम तरवकतरसत हो कक बदर न छलाग लगा सकत वसी न एक वकष स दसर वकष िर झल सकत

वस न वसी लोच न वसी ऊजाम न वसी शतरि काह क तरवकतरसत ककसी तरह चशमा लगाए और नकली दात

लगाए चल जा रह ह और कह रह ह तरवकतरसत हो गए और बदर हसत ही होग कक यह मामला कया ह इनका

तरवकास कस हो गया

जहा भी अहकार ह उस अहकार को भरन की हम सब वयवसथाए करत ह तो हम कहत ह आदमी

सबस शरि पराणी अब तरववाद तो कभी हआ ही नही ककसी दसरी जातरत क परातरणयो स जसहो स तो िछा नही

मन सना ह--ईसि की कहानी ह--एक जसह जगल म घमता ह िछता ह एक बदर स कक कयो भाई जगल

का राजा कौन बदर कहता ह महाराज आि ह इसम िछन की कया बात ह िछता एक चीत स जगल का

राजा कौन चीता कहता ह यह भी कोई िछन की बात ह बचचा-बचचा जानता ह कक आि ह कफर उसकी अकड़

बढ़ती जाती ह कफर वह जाता ह एक हाथी क िास िछता ह जगल का राजा कौन ह हाथी उस सड़ म

बाधकर और कोई िचचीस फीट दर फक दता ह तरगरता ह जमीन िर धल झाड़कर उठता ह और कहता ह भाई

अगर तमह ठीक मालम नही तो ऐसा कयो नही कहत साफ कह दो कक उततर मालम नही ह

अब उततर और कया होता ह

हम तब तक नही जाग सकत अहकार स जब तक हम अचतन सकषम गतरततरवतरधयो का बोध न होन लग

धयान की परककरयाए िहल तमह चतन म जो अहकार ह उसक परतरत सजग करती ह सथल अहकार--धन का िद

का कफर धीर-धीर तमह बताना शर करती ह कक और भी सकषम अहकार ह--धमम क राषटर क कफर तमह और

सकषम अहकारो का िता चलता ह--तयाग का जञान का ऐस ितम-ितम अहकार काटना िड़ता ह पयाज की तरह

एक क भीतर दसरी ितम ह और दसरी ितम िहल स जयादा गहरी ह कयोकक वह जयादा क दर क तरनकट ह

और अत म जब सारी ित कट जाती ह और पयाज म कछ भी नही बचता तरसफम शनय रह जाता ह तब

तम जानना कक तम उस जगह िहच जहा आतमा का वास ह जहा अहकार िरा कट जाता ह वही तम हो जहा

अहकार नही वही िरमातमा ह

आतरखरी परशनः म ससार छोड़न को तयार ह लककन कया आि आशवासन दत ह कक म इस तरह तरनिय ही

सख िा लगा िकका हो जाए तो म आज ही सब छोड़न को राजी ह

िहली तो बात मन कभी भलकर भी नीद म भी ककसी स नही कहा सिन म भी नही ककसी स कहा कक

ससार छोड़ना और तम मझस िछ रह हो कक म ससार छोड़न को राजी ह म रोज-रोज कह जाता ह छोड़ना

मत भागना मत समझना

133

मगर छोड़ना आसान मालम िड़ता ह समझना करठन इसतरलए म तमहार परशन को समझता ह तम यह

कह रह हो कक समझन की झझट म कहा िड़ अगर छोड़न स काम हल होता हो तो हम अभी छोड़ दत ह और

अकसर तो ऐसा होता ह कक तम छोड़न को तभी राजी होत हो जब ससार ही तमह छोड़ चका होता ह वस

बढ़ाि म लोग अकसर राजी हो जात ह कक चलो छोड़ दत ह

रामकषण क िास एक आदमी आता था वह बड़ उतसव मनाता था--धारममक उतसव और हर उतसव म

भड़ कटती बकररया कटती और बड़ा भोज दता था कफर अचानक उसन उतसव मनान बद कर कदए तो

रामकषण न उसस िछा कक कया हो गया भाई तम बड़ धारममक आदमी थ बड़ उतसव मनात थ कया हो गया

अब धारममक नही रह आसथा टट गयी उनहोन कहा नही महाराज आसथा भी वस ही ह धारममक भी वस ही

ह लककन अब दात ही न रह अब अब कया फायदा उस कदन असली बात जातरहर हई दातो न छोड़ कदया ह

तो अब वह कहत ह कक इस मासाहार म कया रखा ह यह अचछी बात भी नही

जब ससार तमह छोड़न क करीब होन लगता ह बढ़ािा आन लगता ह िर डगमगान लगत ह ससार

तमह छोड़न लगा तो अब तम सोचत हो कक चलो अब कम स कम यही मजा ल लो इस छोड़न का छोड़ द

कफर ससार को छोड़न की बात ही उठती इसीतरलए ह कक ससार म सख नही िाया अब तम सोचत हो

शायद ससार को छाडकर सख तरमल जाए--वही तम मझस िछ रह हो न कवल िछ रह हो तम गारटी

चाहत हो तम कहत हो आशवासन दन को तयार ह--कक अगर न तरमला तो तम मझ अदालत म ल जाओग--कक

सख तरनतरित तरमलगा िकका तरमलगा अगर म ससार छोड़ द तम सख क िीछ अब भी उतन ही दीवान हो और

सख की आकाकषा का नाम ससार ह तम ससार छोड़ोग कस

सख की आकाकषा छटती ह तो ससार छटता ह तरजस कदन तमह यह कदखायी िड़ता ह कक सख बाहर ह

ही नही सख बाहर होता ही नही न ससार िकड़न स तरमलता ह न ससार छोड़न स तरमलता ह कयोकक

िकड़ना भी बाहर छोड़ना भी बाहर ससार बाहर तरजस कदन तम जानत हो कक सख तो सवय म रमन की बात

ह इसका ससार को िकड़न-छोड़न स कोई सबध नही ह तो करातरत घटती ह

और यह आशवासन नही कदए जा सकत ह इसकी कोई गारटी नही हो सकती ह यह तम िर तरनभमर ह

मझ िर तरनभमर नही ह तम अगर समझो तो अभी सख तरमल जाए और तम अगर न समझो तो कभी भी न

तरमलगा और नासमझी तमहारी बहत मजबत कदखायी िड़ती ह िककी

तम कहत हो ससार छोड़न को तयार ह लककन कया आि आशवासन दत ह कक म इस तरह सख तरनिय

ही िा लगा

आशवासन कौन दगा आशवासन बाहर स आएगा और बाहर की इतन कदन तक चषटा कर ली अब बाहर

स छटो अब तो भीतर आशवासन खोजो अब तो आख बद करो और भीतर डबकी लो अपि दीिो भव बदध न

कहा अिन दीए बनो तम मझस माग रह हो आशवासन जस कक मर हाथ म ह सख दना मर हाथ म होता तो

म तमह द ही दता जो मर हाथ म ह वह म तमह द ही रहा ह उसम जरा भी कजसी नही ह लककन न बदध क

हाथ म ह तमह सख दना न महावीर क हाथ म ह ककसी क हाथ म नही ह सख लना तमहार हाथ म ह और

तमहारी जब तक दतरषट गलत ह तब तक सख न तरमलगा

ससार मत छोड़ो दतरषट छोड़ो दतरषट बदल तो सतरषट बदल जाती ह सारा खल दतरषट का ह मगर दतरषट

बदलन को तम राजी नही तम ससार छोड़न को राजी हो मगर यही आख लकर तम जहा भी जाओग वही

ससार बन जाएगा

134

कथा ह पयारी महाराषटर म सत हए रामदास वह राम की कथा कहत थ भि सनन आत थ अब

रामदास जसा वयतरि कथा कह तो कथा म हजार-हजार फल लग गए होग कथा तो वही ह लककन कहन वाल

िर तरनभमर करती ह कथा की खबर ऐसी फलन लगी कक सनत ह हनमान को भी खबर लगी कक रामदास कथा

कहत ह और बड़ा मजा आ रहा ह तो हनमान भी सनन आन लग बठ जात अिना कबल-वबल ओढ़कर बीच

म और सनत और बड़ा मजा लत कक बात तो बड़ी गजब की ह

कभी-कभी ऐसा होता ह कक तम तरहमालय दख आए मगर जब कोई कतरव तरहमालय दखकर आए और

तरहमालय का वणमन करन लग तब तमह िता चलता ह कक अर हा गजब का सौदयम था कोई कतरव चातरहए कोई

सौदयम का िारखी चातरहए तम दख आए तरहमालय मगर तम अिनी आख स दख आए न तमहारी आख म

तरजतना सौदयम था उतना दख आए कफर लौटकर घर आ गए कफर रवीदरनाथ आए तरहमालय स और तरहमालय

का वणमन करन लग और हजार-हजार धाराओ म कतरवता बहन लग तब तम कहोग कक हा बात तो म जो

कहना चाहता था आिन कह दी

तो तरबचार हनमान सीध-साध ह उनको बहत जचन लगी बड़ा तरसर तरहलात थ बड़ मसत हो जात थ कक

बात तो मन दखी थी आख स मगर यह रामदास कह रहा ह और इतन ढग स कह रहा ह और ऐसी बात रचती

ह मगर एक जगह अड़चन हो गयी एक जगह अड़चन हो गयी रामदास वणमन करत ह कक हनमान गए अशोक

वारटका म सीता को लन और उनहोन चारो तरफ दख कक सफद फल लग ह िरी अशोक वारटका म शभ फल

लग ह हनमान भल गए--हनमान ही ठहर--खड़ हो गए कक महाराज और सब ठीक ह मगर यह आि बदल

लो फल लाल थ सफद नही थ रामदास न कहा कौन होत हो जी बीच म बोलन वाल बठ जाओ फल सफद

थ तब तो हनमान को और गससा आ गया उनहोन कबल फक कदया उनकी िछ तरनकल आयी बाहर उनहोन

कहा तम समझत कया हो म खद हनमान ह मझको कहत हो बठ जाओ जी और मझस कहत हो तरचललाकर

कक फल सफद थ म खद वहा गया था और तम हजारो साल बाद कहानी कह रह हो--न तम गए न तमन

दखा

हनमान न सोचा था अब तो रामदास मान जाएग लककन रामदास न कहा कोई भी होओ तम हनमान

ही सही तम रामचदरजी को ल आओ तो म मानन वाला नही फल सफद थ और सफद रहग--मरी कथा म

सफद रहग

इस तरह क तरहममतवर लोग भी तो होत ह य बड़ पयार लोग ह य कहत ह कक तम राम को ल आओ तो

उनकी कफकर मानन वाला नही ह कह कदया सफद सफद म था या नही इसस कोई फकम नही िड़ता म

जानता ह फल सफद थ

बात तो तरबगड़ गयी हनमान बहत उछल-कद मचान लग उनहोन कहा चलना िड़गा रामचदरजी क

िास अब वही तरनणमय कर

तो कथा कहती ह कक रामचदरजी क िास ल जाया गया रामदास गए--हनमान ल गए उनको उड़ाकर--

राम क सामन तरनवदन ककया गया राम न हनमान स कहा कक तझ बीच म नही बोलना चातरहए त शात रहा

कर एक तो ऐसी जगह तम गए ककसतरलए गए भी तो अिना कबल ओढ़ बठ रहत चिचाि सन लत तमह

सनना था तो रामदास ठीक कहत ह फल सफद थ हनमान न कहा यह तो हद हो गयी अनयाय हआ जा रहा

ह म खद गया

135

राम न कहा तम गए थ वह मझ मालम ह लककन तम इतन करोध स भर थ तमहारी आखो म खन था

तमह लाल कदखायी कदए होग फल सफद ही थ तमहारी आख म करोध था खन स भरी थी आख तम दीवानी

हालत म थ यह रामदास बठकर शातरत स अिनी कहानी कह रहा ह इसको कोई दीवानगी थोड़ ही ह इसको

कछ लना-दना थोड़ ही ह तम िागल हए जा रह थ--सीता कद हो गयी थी तम तरजस परम करत हो वह राम

कदककत म िड़ा था सारी बात असतवयसत थी हार होगी कक जीत कछ िकका नही था तम उस अड़चन म थ--

तमह कहा रठकाना कक फल सफद थ कक लाल थ रामदास ठीक कहता ह तम इसस कषमा माग लो

आख की बात ह ससार की बात नही ह तमहारी आख म कामवासना का रग ह तो सब तरफ

कामवासना ह तमहारी आख म राम बस गए सब तरफ राम फल वस ही हो जात ह जस तमहारी आख का रग

तमस म ससार छोड़न को नही कहता ससार म िरमातमा को दखन को कहता ह और म तमह कोई

आशवासन नही द सकता कयोकक आशवासन की माग म ही भल तरछिी ह तम कफर भी यह सोच रह हो कक सख

ककसी और क हाथ म ह सख तमहारी मालककयत ह सख तमहारा सवभाव ह सख तमहारा जनमतरसदध अतरधकार

ह तम इस खो रह हो यह तमहारी मजी तम इस जरा ही भीतर की तरफ मोड़ो और िा लोग ससार स मत

भागो सवय म जागो

य छोटी सी तीन कहातरनया तमस कहता ह

िहली--

अिन तरजजञास िि कछ क तरनरतर िछन िर बहसितरत न कहा--वतस तयाग ही िरम कलयाण का साधन

ह त तयाग का अवलबन ल ककत सवमसव तयाग दन िर भी जब कछ को िरमानद का अनभव न हआ तो वह

कफर बहसितरत क िास िहचा दवगर कछ क सार तरवभम को समझ गए सतरसमत बोल--तात तयाग का अथम

वसत का तयाग नही उस वसत-सबधी ममतव एव अहकार का तयाग ह जब तक जीवन ह वसत की अिकषा तो

अतरनवायम ह अतः वसत तयाजय नही ह तयाजय ह वसत की भोगवासना उसकी सगरह-तरलपसा तम वसतए छोड़न

क िीछ मत िड़ो तम तो वसतए सगरह करन का भाव भर जान दो धन को छोड़न की जररत नही ह धन धन

ह ऐसी दतरषट छोड़ दन की जररत ह और तम अगर सनयास भी इसतरलए लना चाहत हो कक सख तरमल तो तम

सनयास ल ही नही रह कफर तमहारा सनयास भी ससार का ही तरवसतार ह

यह दसरी कहानी--

िराणो म कथा ह दवशमाम नाम क एक बराहमण थ और उसकी ितनी थी सधमी दवशमाम िितरवहीन थ

उनहोन बहत तिियाम की बहत योग साधा बहत धयान ककया फलसवरि दवता उन िर परसनन हए और जब

दवता परगट हआ तो दवशमाम न िि मागा िि िदा हआ वरदान फला लककन िि अधा था मा-बाि बहत

दखी हए बढ़ाि म तरमला भी बटा तो अधा जीवनभर इसी बट क तरलए पराथमनाए की िजाए की ति ककया

योग ककया जो भी कर सकत थ ककया तीथम गए सब ककया और तरमला अधा िर अब तो कोई उिाय न था

इस अध बट को बड़ा ककया गरकल भजा कछ थोड़ा-बहत िढ़-तरलखकर बटा वािस लौटा जब अधा

बटा गरकल स वािस आया तो उसन अिन तरिता स िछा कक कया आि अभी अध ह कयोकक अध तरिता क

तरबना अधा िि कस हो सकता ह दवशमाम तो बहत हरान हआ उसन कहा कक नही बट म अधा नही ह न

तरी मा अधी ह हम आख वाल ह मगर ककसी कमम का फल होगा कक हम अधा बटा तरमला लककन बट न कहा

नही आि अध ह और मरी मा भी अधी ह बाि न िछा तरा मतलब कया तो बट न कहा मरा मतलब यह ह

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कक जीवनभर करठन तिियाम करक मागा भी तो िि मागा अध हो जीवनभर तिियाम करक जब दवता परगट

हआ तो मागा भी तो िि मागा तम अध हो इसतरलए तो म अधा हआ

तम सनयास स भी सख ही मागत हो--वही सख जो ससार स मागत थक गए हो और नही तरमला सनयास

स शातरत मागो सख नही शातरत तरमलती ह शातरत की छाया की तरह सख चला आता ह तमन जगत म सख

मागा अब तक सख की छाया की तरह अशातरत तरमलती ह

इस सि को खयाल रखना यह कफर एक तरवरोधाभास सख मागो अशातरत तरमलती ह शातरत मागो सख

तरमलता ह

तीसरी कहानी--

समराट तमर लगड़ा था इसतरलए इतरतहास म तमर लग क नाम स परतरसदध ह एक बार एक अधा गवया

उसक दरबार म उितरसथत हआ तमर लग उसका गान सनकर बहत परसनन हआ और उसका नाम िछा दौलत

गवए न उततर कदया दौलत तमर लग न कहा दौलत भी कया अधी होती ह समराट न उसक अधिन िर चोट

की वह अधा हसन लगा और उसन कहा यकद अधी न होती तो कया लगड़ क घर आती

मन तमहारा ससार म मागत-मागत थका नही अभी माग जारी रखोग अभी तरभखारी ही बन रहोग

अब तरभखमगािन छोड़ो सनयास तो तरबना ककसी आकाकषा स फतरलत हो तो ही फतरलत होता ह सनयास तो

ससार की वयथमता को दखकर उमग तो ही उमगता ह सनयास क साथ ककसी वासना का कोई सबध नही तम

यह कहो कक इसतरलए सनयास लत ह तो सनयास चक गए तो यह सनयास अधा और लगड़ा इस सनयास का

कोई मलय नही

तम कहत हो कक ससार म सब करक दख तरलया इस करन म कछ भी न िाया अब अिन भीतर तरवराजत

ह दौड़-दौड़कर दख तरलया अब तरवशराम करत ह अब तरवराम करत ह इस तरवराम म अब कोई माग नही ह

कयोकक माग म तो दौड़ होती ह कफर दौड़ना िड़गा इस तरवराम म कोई वासना नही ह तरसफम वासना स मतरि

ह और तब अचानक सख की वरषाम हो जाती ह महासख की उस महासख को हमन आनद कहा ह इसीतरलए

आनद कहा ह कक सख क तरविरीत तो दख होता ह आनद क तरविरीत कछ भी नही होता जहा सख ह वहा दख

की सभावना ह आज सख ह कल दख हो जाएगा लककन जहा आनद ह वहा शाशवत आनद ह एस धममो

सनतनो

आज इतना ही

137

एस धममो सनतनो भाग 10

अठानव परवचन

सतयमव जयत

अभतवादी तरनरय उितरत यो चातरि

कतवा न करोमीतरत चाह

उभोतरत त िोचच समा भवतरत

तरनहीनकममा मनजा िरतथ 257

कसो यथा दगगहीतो हतथमवानकततरत

सामा दपिरामटठ तरनरमाय उिकडढतरत 258

कतरयरा च कतरयराथन दलहमन िरककम

तरसतरथलो तरह िररबबाजो तरभययो आककरत रज 259

नगर यथा िचचत गतत सतरबातरहर

एव गोिथ अततान खणो व मा उिचचगा

खणातीता तरह सोचतरत तरनरयतरमह समतरपिता 260

अलतरजजता य लजजतरत लतरजजता य न लजजर

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 261

अभय च भयदतरससनो भय च अभयदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 262

सि-सदभम कथा ऐसी ह--

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था और जो वसततः धमामनरागी थ व अतीव रि स आनकदत

थ उनक हदय-कसम भी भगवान की ककरणो म खल जात थ उनक मन-िाखी भगवान क साथ अनत की

उड़ान क तरलए ततिर हो रह थ लककन ऐस लोग तो दभामगय स थोड़ ही थ बहत तो ऐस थ तरजनक पराणो म

भगवान की उितरसथतरत भाल सी चभ रही थी भगवान का बढ़ता परभाव उनह करोध क जहर स भर रहा था

भगवान क वचन उनह तरवधवसक मालम होत थ उनह लगता था कक यह गौतम तो धमम क नाश िर उतार ह

और उनकी बात म थोड़ी सचाई भी थी

कयोकक गौतम बदध की तरशकषाए तरजस व मताध धमम समझत थ उसस तरनिय ही तरवरोध म थी गौतम

ककसी और ही धमम की बात कर रह थ गौतम शदध धमम की बात कर रह थ गौतम िरिरावादी नही थ न

138

सपरदायवादी थ न शासतरो क िजक थ न रकढ़यो-अधतरवशवासो क गौतम का धमम अतीत िर तरनभमर ही नही था

गौतम का धमम उधार नही था सवानभव िर आधाररत था गौतम अिन शासतर सवय थ गौतम का धमम तरसथतरत-

सथािक नही था आमल करातरतकारी था धमम हो ही कवल करातरतकारी सकता ह गौतम की तरनिा समाज म नही

वयतरि म थी और गौतम की आधारतरशला मनषय था आकाश का कोई िरमातमा या दवी-दवता नही गौतम न

मनषय की और मनषय क दवारा चतनय की िरम परतरतिा की थी

इस सबस रकढ़वादी दककयानस धमम क नाम िर भातरत-भातरत क शोरषण म सलगन परकार-परकार क

ितरडत-िरोतरहतो और तथाकतरथत धममगरओ म ककसी भी भातरत गौतम को बदनाम करन की होड़ लगी थी

उनहोन एक सदरी िररवरातरजका को तरवशाल धनरातरश का लोभ दकर राजी कर तरलया कक वह बदध की अकीरतम

फलाए वह सदरी उनक साथ शडयि म सलगन हो गयी वह तरनतय सधया जतवन की ओर जाती थी और

िररवरातरजकाओ क समह म रहकर परातः नगर म परवश करती थी और जब शरावसती-वासी िछत कहा स आ

रही ह तब वह कहती थी रातभर शरमण गौतम को रतरत म रमण कराकर जतवन स आ रही ह

ऐस भगवान की बदनामी फलन लगी लककन भगवान चि रह सो चि रह तरभकष आ-आकर सब उनस

कहत लककन व हसत और चि रहत धीर-धीर यह एक ही बात सार नगर की चचाम का तरवरषय बन गयी लोग

रस ल-लकर और बात को बढ़ा-बढ़ाकर फलान लग और भगवान क िास आन वालो की सखया रोज-रोज कम

होन लगी हजारो आत थ कफर सकड़ो रह गए और कफर अगतरलयो िर तरगन जा सक इतन ही लोग बच और

भगवान हसत और कहत--दखो सदरी िररवरातरजका का अिवम कायम कचरा-कचरा जल गया सोना-सोना बचा

भगवान की शातरत को अचल दख उन तथाकतरथत धममगरओ न गडो को रिय दकर सदरी को मरवा डाला

और फलो क एक ढर म जतवन म ही तरछिा दी उसकी लाश भगवान की शातरत स सदरी अिन ककतय िर धीर-

धीर िछतान लगी थी भगवान न उस एक शबद भी नही कहा था और न ही उसक आन-जान िर कोई रोक ही

लगायी थी उसकी अतरातमा ही उस काटन लगी थी इस कारण उसकी हतया आवशयक हो गयी थी उसक

दवारा सतय की घोरषणा का डर िदा हो गया था कफर यह हतया शडयि को और भी गहरा बनान का उिाय भी

थी

सदरी की हतया क बाद उन धममगरओ न नगर म खबर फला दी कक मालम होता ह कक गौतम न अिन

िाि क भय स सदरी को मरवा डाला ह उनहोन राजा स भी जाकर कहा कक महाराज हम सदरी िररवरातरजका

को नही दख रह दाल म कछ काला ह वह शरमण गौतम क िास जतवन म ही रात गजारा करती थी

राजा न जतवन म सदरी की तलाश क तरलए तरसिाही भज वहा िायी गयी उसकी लाश धममगर न राजा

स कहा--महाराज दतरखए यह महािाि अिन िाि को तरछिान क तरलए गौतम इस महािाि को करन स भी न

चका और व धममगर नगर की गली-गली म घमकर गौतम की जनदा म सलगन हो गए भगवान क तरभकषओ का

तरभकषाटन भी करठन हो गया भगवान क िास तो अब कवल दससाहसी ही जा सकत थ

और भगवान न इस सब िर कया रटपिणी की

भगवान न कहा--तरभकषओ असतय असतय ह तम जचता न करो सतय सवय अिनी रकषा करन म समथम ह

कफर सतय क सवय को परगट करन क अिन ही मागम ह अनठ मागम ह तम बस शातरत रखो धयम रखो धयान करो

और सब सहो यह सहना साधना ह शरदधा न खोओ शरदधा को इस अतरगन स भी गजरन दो यह अिवम अवसर ह

ऐस अवसरो िर ही तो कसौटी होती ह शरदधा और तरनखरकर परगट होगी सतय सदा ही जीतता ह

139

और कफर ऐसा ही हआ सपताह क िर होत-होत ही तरजन गडो न सदरी को मारा था व मधशाला म

शराब की मसती म सब कछ कह गए सतय न ऐस अिन को परगट कर ही कदया तथाकतरथत धममगर अतरत जनकदत

हए और भगवान की कीरतम और हजार गना हो गयी लककन समरण रह कक भगवान कछ न बोल सो कछ न

बोल सतय को सवय ही बोलन कदया अत म उनहोन अिन तरभकषओ स इतना ही कहा कक असतय स सदा

सावधान रहना उसक साथ न कभी जीत हई ह न कभी हो सकती ह एस धममो सनतनो

और तब उनहोन य गाथाए कही

गाथाओ म परवश क िहल इस कथा क सबध म कछ बात--

िहली तो बात यह कथा गौतम बदध क साथ घटी न घटी इसका बहत मलय नही ह कयोकक यह ऐसी

कथा ह कक सदा स सभी बदधो क साथ घटती रही ह यह कथा अनठी ह इस कथा म मनषय क मन का सारा

रोग तरछिा ह

जब भी भगवतता कही परगट होती ह तो अड़चन शर होती ह अड़चन का िहला तो कारण यही ह कक

धमम क नाम िर जो िरिराए जड़ हो जाती ह धमम क नाम िर जो धारणाए लोगो क तरचतत म दढ़ हो जाती ह व

ही धारणाए धमम की तरवरोधी ह जब भी नया धमम िदा होगा तब धमम की असली टककर अधमम स नही होती--

अधमम की तो कोई सामथयम ही नही कक धमम स टककर ल--धमम स टककर होती ह झठ धमम की मर धमम की जीतरवत

धमम स टककर होती ह मत धमम की सघरषम धमम और अधमम म नही ह सघरषम सदा स धमम और धमम क नाम िर

चलत हए तथाकतरथत धमम म ह

बदधो का तरवरोध नातरसतको न नही ककया बदधो का तरवरोध तथाकतरथत आतरसतको न ककया ह बदधो का

तरवरोध उनहोन नही ककया जो ईशवर को नही मानत बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह जो झठ ईशवर को मानत

ह बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह तरजनको ईशवर का सवय तो कोई अनभव नही ह ईशवर की धारणा स

तरजनका आगरह ह बदधो का तरवरोध उनहोन ककया ह जो धमम क नाम िर ककसी तरह का शोरषण करन म सलगन ह-

-ितरडत िरोतरहत धममगर बदधो का तरवरोध धमम क नाम िर चल रह िाखड स आता ह

यह बात बहत सोच लन जसी ह

धमम का तरवरोध धमम स ही होता ह जस असली तरसकक का तरवरोध ककड़-ितथर थोड़ ही कर सकत ह तरसफम

नकली तरसकका करता ह असली तरसकक स टककर गर-तरसकको की नही ह नकली तरसकको की ह नकली तरसकका डरता ह

असली तरसकक स असली तरसकका बाजार म आ जाए तो नकली तरसकक का चलना मतरशकल हो जाए असली तरसकका

लोगो को िता चल जाए तो कौन िछगा नकली तरसकक को असली तरसकका जातरहर न हो िाए नही तो नकली की

नकल जातरहर हो जाएगी सतय स डर नकली को ह सतय स डर अतरभनता को ह वह जो अतरभनय कर रहा ह

वह जो िाखड कर रहा ह

तो चाह बदध हो चाह कषण हो चाह कराइसट हो जब भी कोई वयतरि भगवतता को उिलबध हआ ह तो

यह आियमजनक घटना घटती ह कक सार मकदर सार मतरसजद सार गरदवार उसक तरवरोध म हो जात ह य

मकदर य मतरसजद य गरदवार आिस म ककतन ही लड़त हो लककन जब कोई बदध िदा होता ह तो उसस लड़न क

तरलए सब साथ हो जात ह

बहत स सपरदाय थ भारत म जब बदध का जनम हआ और उन सभी सपरदायो का आिस म बड़ा तरवरोध

था लककन बदध क आतरवभामव क साथ ही जस उन सबका तरवरोध बदध स हो गया उनकी आिस की दशमतरनया

कम हो गयी अब उन सबको खतरा एक ही स था ककसी भी भातरत बदध का सतय लोगो की समझ म न आए

140

कयोकक बदध क सतय क समझ म आन का अथम था कक उनकी दकान गयी उनकी दकान उठी बदध क सतय का

समझ म आ जाना तो उनक जीवन-मरण का सवाल हो गया उनका सारा वयवसाय टट जाएगा

तो यह कथा नयी नही ह यह गौतम बदध क साथ तो घटी ही ह लककन समसत बदधो क साथ घटी ह

इसतरलए इस कथा को म अनठी कथा कहता ह यह ऐतरतहातरसक नही ह यह िौरातरणक ह यह िहल भी घटती

रही ह आज भी घटती ह और कल भी घटगी ऐसा सौभागय का कदन अब तक नही आया जब हम सतय का

सवागत करन को सहज तयार हो ऐसा सौभागय का कदन कभी आएगा इसकी आशा भी दराशा ह

और जाल म कई जरटलताए ह जस बदध क साथ यह टककर हई धममगर लड़ कफर बदध न जो कहा उस

बात को सनकर नए धममगरओ का जाल खड़ा हो गया अब अगर आज कफर कोई बदध िदा हो तो यह मत

सोचना कक बदध क अनयायी उसका साथ दग नही व भी लड़न को उसक साथ उतन ही ततिर होग अतीत

बदधो क अनयायी नए बदधो स लड़त रहत ह कयोकक जस ही बदध का जाना होता ह जस ही बदध की तरवदा होती

ह इस जगत स कक ितरडत-िरोतरहतो का तरगरोह बदध क वचनो को भी घर लता ह वहा भी मकदर बनगा वहा भी

शासतर रचा जाएगा वहा भी िद-परतरतिाए खड़ी होगी वहा भी राजनीतरत चलगी जब दबारा कफर कभी बदध का

आगमन हो तो यह जो जाल खड़ा हो जाएगा यह बदध स लड़गा सवय बदध भी लौटकर आए तो भी उनह

अिन ही भिो स लड़ना िड़गा यह दभामगयिणम ह

हम असतय क इतन िरान िजक ह कक हम एक असतय को छोड़त ह कक हम दसर को िकड़ लत ह इधर

छटा नही कक उधर हमन िकड़ा नही असतय को िकड़न की हमारी आदत इतनी जड़ ह कक अगर हम कभी एक

असतय को छोड़त भी ह तो ततकषण हम दसर को िकड़ लत ह या अगर कभी भल-चक स सतय भी हमार हाथ म

आ जाए तो हमार हाथ म आन क कारण असतय हो जाता ह हमार िाि इतन जहरील हो गए ह कक अमत भी

अगर हमार िाि म भरता ह तो जहरीला हो जाता ह हमार हाथो म चमतकार हो गया ह असली तरसकक आकर

हमार हाथो म झठ हो जात ह

वद तो झठा था ही बदध क समय म लोगो क हाथो म--नही कक वद झठा ह लोगो न झठा कर तरलया था--

बदध न तो कफर सतय कदया लककन लोगो क हाथ म जाकर झठा हो गया बदध का तरवरोध ककया उितरनरषद क

ऋतररषयो को मानन वालो न शकराचायम का तरवरोध ककया बदध को मानन वालो न आज कोई खड़ा हो

शकराचायम उसक तरवरोध को ततिर ह

इस बात की वयवसथा को समझ लना अतीत तरवरोध करता ह वतममान का मत तरवरोध करता ह जीवत

का सड़ा-गला तरवरोध करता ह नए तरखल फल का और तरजनक मन अतीत स मि नही ह व कभी बदधो को

समझ नही िात ककसका मन अतीत स मि ह बहत मतरशकल स उगतरलयो िर तरगन जा सक ऐस लोग ह

तरजनकी इतनी तरहममत ह जो अिन अतीत को टालकर एक तरफ रख द सरज की जो नयी ककरण तरनकली हो

उसक सवागत क तरलए राजी हो जाए सरज की इस नयी ककरण िर अिनी आसथाए अिनी धारणाए न रोि

अिन िकषिात न रोि इस सरज की ककरण क िकष म अिन सार िकषिात तरगरा द नगन हो जाए तरनवमसतर होकर

इस सवीकार कर ल व ही थोड़ स लोग रिातररत हो िात ह

तो यह कथा नयी नही

दसर कारण स भी यह कथा बड़ी पराचीन ह जब भी बदधो को बदनाम करना हो तो ककसी न ककसी रि

म दो ही उिाय काम म लाए जात ह--या तो बदनाम करो कक उनका धन स कछ सबध ह या बदनाम करो कक

काम स उनका कछ सबध ह कातरमनी और काचन दो ही उिाय बड़ी िरानी बात हो गयी बड़ी सड़ी-गली

141

बात हो गयी बस य दो ही उिाय ह धन स तरवरोध करो कहो कक यह आदमी धन क परतरत मोह स भरा ह या

काम स तरवरोध करो

कयो मनषय क मन क सबध म इसस खबर तरमलती ह मनषय का मन दो बातो स तरघरा ह--कातरमनी

और काचन मनषय दो ही चीजो म उतसक ह दो ही म उसका रस ह और य दो ही बात ह तरजनक परतरत मनषय

न सदा अिन को दबाया ह और दतरमत ककया ह कफर धन क सबध म दमन बहत जयादा नही ह लककन काम क

सबध म दमन बहत जयादा ह

इसतरलए काम क सबध म अगर परचार कर दो कक बदध का कोई ककसी तरह का भी काम-सबध ह तो बदध

की परतरतिा को नकसान िहचान स तम चक न िाओग तम सफल हो जाओग कयोकक लोगो का हदय कठा स

भरा ह काम क परतरत इतन दमन स भरा ह कक व मानत ह यह कक ऐसा होना ही चातरहए यह सच होगा ही यह

झठ हो नही सकता कयोकक व अिन को जानत ह अिन भीतर जलत हए काम क परवाह को जानत ह अिन

भीतर जवालामखी तरछिा ह इसको जानत ह

व सोचत ह जो मर भीतर तरछिा ह वह बदध क भीतर कस न होगा सब ऊिर की बात ह भद सब ऊिर

क ह भीतर तो बदध भी ऐस ही आदमी ह जसा म आदमी ह और जब मर भीतर कामवासना ऐसी जलती ह

लिट लती ह तो बदध क भीतर भी लती होगी

तो जस ही खबर तरमल जाए उनह कक बदध का भी ककसी सतरी स कोई सबध ह तो कफर इसम व तरवचार

नही करत कफर इसकी खोजबीन नही करत इसको तो व ततकषण मान लत ह इस तो व सवीकार कर लत ह

कयोकक यह तो उनक भीतर की ही बात थी यह उनहोन अफवाह मानी ऐसा नही व तरसफम अफवाह की परतीकषा

करत थ राह दखत थ कक आती ही होगी खबर--दर अबर की बात ह कोई न कोई तो िता लगा ही लगा एक

को धोखा दोग दसर को धोखा दोग ककतन लोगो को धोखा दोग और ककतन कदन तक धोखा दोग कही न

कही स तो िता चल ही जाएगा अब चल गया िता बठ ही थ ततिर बठ थ नजर गड़ाए बठ थ िलक-िावड़

तरबछाए बठ थ कक अफवाह आती ही होगी

तो जस ही अफवाह आती ह उनक हदय बड़ परसनन हो जात ह व अिनी िीठ ठोकन लगत ह व कहत

ह म तो िहल स ही कहता था म तो िहल स ही जानता था कक यही होगा आतरखर िाया गया कफर व खोजन

नही जात कफर व िता लगान नही जात

तम अिन मन को भी दखना तम अिन मन क सबध म भी एक खयाल रखना अगर ककसी क सबध म

कोई तमह खबर द कक फला आदमी भगवतता को उिलबध हो गया तो तम मानत नही तम कहत हो अजी

कही ऐसी बात होती ह कहातरनयो म तरलखी ह िराणो म तरलखी ह होती थोड़ी कौन भगवान को उिलबध

होता और कतरलयग म तो कम स कम होता ही नही होत थ िहल होत रह होग हम उसका कछ िता नही

आज तो कोई नही हो सकता--इस कतरलयग म इस िचम-काल म जहा भषटता ऐसी फली ह कौन होन वाला

ऐसा ही व सदा कहत थ बदध क समय म भी व यही कहत थ--कक अब कहा होत थ सतयग म अब

कहा कषण क समय म भी यही कहत थ--कक होत थ िहल अब कहा

यह िहल कब था ऐसा कोई काल नही हआ जब लोगो न यही न कहा हो कहत थ--िहल होत थ अब

कहा यह िहल होत थ यह टालन का उिाय ह अब नही हो सकत यह अिनी रकषा की वयवसथा ह

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कोई कह कक फला वयतरि सततव को उिलबध हो गया तमह हजार सदह उठत ह और कोई आकर कह कक

फला सत भषट हो गया--अब यह तमहारा तकम दखना मन म--सत तो तमन कभी उस न माना था लककन भषट

तम मान लत हो िहली तो बात अगर सत नही था तो भषट कस हआ तम तभी उसको सत मानत हो जब भषट

होना िकका हो जाता ह तब तम कहत हो दखो वह सत भषट हो गया

इस मज को दखना भषट होन क िहल तमन उस कभी सत माना ही नही था लककन जस ही िकका चल

गया तमह िता--और िकका ही चलता ह जब िता चलता ह तम उसम कोई कचचािन लत ही नही--कक भषट हो

गया तरजस कदन भषट हो गया तम कहत हो कक दखो वह सत भषट हो गया अर महातमा कस ितरतत हो गए

इस आदमी को तमन महातमा इसक िहल कहा ही नही था अब तम कहत हो जब तमह भषट होन का िकका हो

जाता ह

तम ककसी को महातमा तभी कहत हो जब तम उस िहल तरगरा लत हो उसक िहल महातमा नही कहत

अब महातमा कह सकत हो अब कोई डर नही ह अब तो धल म िड़ा ह तमस भी बरी हालत म हो गया ह

अब तमह कोई इसस भय नही ह तमस भी तरिछड़ गया कम स कम तम इतन बर तो नही हो अिनी ितनी क

साथ रहत हो अिन बचचो क साथ रहत हो तम कम स कम अिनी सीमा और मयामदा म रहत हो यह आदमी

तमस बरा हो गया लककन अब इसको अगर िरा-िरा बरा तरसदध करना ह तो सत मानना जररी ह नही तो

तरगरगा कस अगर िहल स बरा था तो ितन तो हआ नही अब तम कहत हो कक हा यह आदमी िहल सत था

अब भषट हो गया ह

और जब भी भषट होन की बात तमहार खयाल म आती ह तब ककसी न ककसी तरह कामवासना स जड़ी

होती ह कामवासना स ही कयो तमहार भषट होन का भाव जड़ा ह जब भी तम कहत हो फला आदमी

अनतरतक ह तो तमहार मन म एक ही सवाल उठता ह कक अनतरतक मतलब ककसी न ककसी तरह काम क जगत

म भषट झठ बोल इसका खयाल नही आता कक आदमी अनतरतक ह तो झठ बोलता होगा वचन का िालन न

करता होगा इसका खयाल नही आता बईमान होगा इसका खयाल नही आता तसकरी करता होगा इसका

खयाल नही आता डाका डालता होगा इसका खयाल नही आता हतया करता होगा इसका भी खयाल नही

आता जस ही ककसी न कहा फला आदमी अनतरतक ह इममारल ह तम समझ गए कक ककसी सतरी क साथ गलत

सबध ह

तमहारी सारी नतरतकता कामवासना िर क कदरत हो गयी ह और तमहारी सारी अनतरतकता का एक ही अथम

होता ह कक कोई वयतरि ककसी तरह क असामातरजक गरकाननी काम-सबधो म सलगन ह

इतनी कषदर नतरतकता इतनी सीतरमत नतरतकता तमहारी नतरतकता अतरत कामक ह और इसका कारण ह

कयोकक सकदयो-सकदयो स तमहार मन म जो वासना दबायी गयी ह वही सबस महतविणम हो गयी ह तरजस

दबाओग वही महतविणम हो जाता ह तरजस बार-बार दबाओग वह बार-बार उभरना चाहगा तरजस दबाओग

वह बदला लना चाहगा तरजस तम दबाओग झठलाओग वह नए-नए रिो म उठगा तरजस तम अिन भीतर

दबाओग उसको तम दसर क ऊिर परतरतसथातरित करन लगोग

इस मनोवजञातरनक परककरया को खयाल म लना

तम दसर म वही दखन लगोग जो तमन अिन म दबाया ह तमन अगर धन की वासना दबायी ह तो

तमह दसरो म धन की वासना खब परगाढ़ होकर कदखायी िड़न लगगी कही तो दखोग न उस जो तमन दबा

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तरलया ह उसको कही तो रखोग अिन भीतर तो रख नही सकत उस ककसी और क ऊिर रखोग तमन अगर

कामवासना दबायी ह तो तम कामवासना ककसी और क ऊिर रखोग

मन सना ह सफी फकीर हआ बायजीद एक और फकीर उसक िास रात महमान हआ वह फकीर बड़ी

जनदा करन लगा तरसतरयो की कक तरसतरया ही नकम का दवार ह--जस कक तमहार साध-सत सदा स कहत ह सतरी नकम का

दवार ह एक दफा बायजीद न सना दसरी दफा बायजीद न सना तीसरी दफा बायजीद न कहा मर भाई तम

इस दवार म इतन उतसक कयो हो तमह नकम जाना ह तम जब स आए हो िरमातमा की बात ही नही की

तमहारी नजर इस दवार िर कयो अटकी ह और यहा कोई सतरी ह भी नही यहा म बठा और तम बठ यहा दवार

कहा ह तमह यह दवार कदखायी कयो िड़ता ह तम सतरी स इतन भयभीत कयो हो जरर तमन सतरी को खब

दबा तरलया ह भीतर वह सतरी बदला ल रही ह

तरजन-तरजन सतो न तमहार शासतरो म तरलखा ह कक सतरी नकम का दवार ह उनस सावधान रहना य वयतरि न

तो सतरी को समझ िाए न सवय को समझ िाए और य शासतर चकक िररषो न तरलख ह इसतरलए नकम का दवार ह

अगर तरसतरया तरलखती तो तो िररष नकम का दवार होना चातरहए कयोकक तरसतरया अिन ही दवार स तो नकम नही जा

सक गी कौन दवार अिन म स ही नकम जा सकता ह दवार तो सदा दसरा चातरहए तरसतरया भी नकम जाती ह या

नही

एक महातमा एक समय मर िास महमान थ वह कहन लग तरसतरया नकम का दवार ह तो मन कहा कक तम

सोचत हो इसका मतलब हआ कक सब तरसतरया सवगम िहची होगी नकम तो जा ही नही सकती िररष सवगम का दवार

ह और तरसतरया नकम का दवार ह तो यह तो बड़ा महगा मामला हो गया सब िररष नकम म िड़ होग सब तरसतरया

सवगम म होगी तरसतरया ककस दवार स नकम जाती ह मन उनस कहा यह मझ कहो महातमा कक तरसतरया ककस दवार स

नकम जाती ह वह जरा बचन हए उनहोन कहा यह तो कही शासतर म तरलखा नही कक तरसतरया ककस दवार स नकम

तरसतरयो का तरवचार ही कौन कर

तरसतरयो को गातरलया दी गयी ह गातरलया तरसतरयो को नही दी गयी ह गातरलया दी गयी ह अिनी ही दबी

वासना क परतरत करोध ह कयोकक वह वासना धकक मारती ह कफर इस वासना को दसर िर आरोतरित करना

जररी ह तो थोड़ा हलकािन आता ह तरजसको मनोवजञातरनक परोजकशन कहत ह जो तमन अिन भीतर दबा

तरलया उस तम दसर म दखन लगत हो चोर को सभी लोग चोर कदखायी िड़न लगत ह जबकट अगर ककसी

महातमा क भी िास जाए तो अिनी जब समहालकर रखता ह कया भरोसा और महातमाओ का कया भरोसा

कतरलयग चल रहा ह कहा क महातमा जब न काट ल

तमहार भीतर जो दबा ह वह तम तयार हो ककसी िद िर फला दो तमह राहत तरमल जाए कामवासना

सबस जयादा दबायी गयी बात ह इस दतरनया म उसी कदन बदधो को इस तरह की बदनामी स बचन का अवसर

आएगा तरजस कदन लोगो की कामवासना दबी न रहगी सवसथ होगी सहज होगी सवीकत होगी

तमन कभी दखा कोई यह तो दोरष नही लगाता बदध िर कक रात सोत हए िाए गए कयो नही लगाता

कयोकक तरनदरा को हम सवीकार करत ह कोई बदध िर यह दोरष तो नही लगाता कक सनान करत िाए गए कयोकक

सनान को हम सवीकार करत ह लककन अगर तम असवीकार कर दो सनान को तो दोरष िकड़ म आ जाएगा

जन ह कदगबर जन ह व मानत ह कक मतरन को सनान नही करना चातरहए मतरन कयो सनान कर यह तो

ससारी जन सनान करत ह यह तो शरीर को सदर-सवचछ बनान की तरजनकी आकाकषा ह व सनान करत ह यह

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तो शरीर क िीछ जो दीवान ह व सनान करत ह सनान तो शरीर का परसाधन ह जन-मतरन कयो सनान कर उस

तो शरीर स कोई मोह नही ह इसतरलए कदगबर जन-मतरन सनान नही करता

लककन कदगबर जन-मतरनयो क परतरत इस तरह की अफवाह चलती ह कक फला कदगबर मतरन एकात म

तौतरलया िानी म तरभगोकर शरीर साफ कर लता ह यह िाि हो गया तमन कभी सोचा नही होगा कक तम कदन

म दो दफा सनान करत हो महािाि कर रह हो और कोई अगर तमहारी बदनामी कर तो उस यह करनी िड़गी

कक यह सजजन सनान नही करत सनान करत ह इसम कया बदनामी ह लककन जन-मतरन कदगबर जन-मतरन की

बदनामी हो जाती ह

शवताबर जन-मतरन दातन नही करता--नही करना चातरहए तो शवताबर जन-मतरन या सातरधवयो क सबध म

बदनामी चलती ह कक फलानी क वसतरो म टथिसट छिा हआ िाया गया

अब यह भी कोई िाि ह म तमस यह कह रहा ह कक िाि बनता इस बात स ह तरजस चीज को तम

दबाना चाहोग वही िाि बन जाएगी अगर ककसी साधवी क मह स बास न आए तो शरावको को शक हो जाता

ह कक कछ गड़बड़ ह दाल म काला ह मह स बास नही आ रही ह इसका मतलब दातन की ह या मह साफ

ककया ह यह तो नही करना चातरहए साध को मह साफ इतयाकद तो व लोग करत ह तरजनका शरीर म रस ह

यह शरीर तो सड़ा-गला ह ही इसको साफ-सथरा कया करना ह यह तो मर ही जाएगा तरमटटी म तरमटटी तरगर

जाएगी इसको कया दातन करनी तरजस चीज क भी परतरत तमन दमन ककया उसका िररणाम अततः यह होगा

कक उस चीज को तोड़न की बात िाि मालम होन लगगी

दतरनया म जब तक कामवासना सहज सवीकार न होगी तब तक बदधो क परतरत इस तरह की कहातरनया

िदा होती रहगी य कहातरनया बदधो क कारण िदा नही होती य लोगो क तरचतत म कामवासना का जो

असवीकार ह जो तरवरोध ह उसक कारण िदा होती ह य कहातरनया बदधो क सबध म नही ह य कहातरनया

तमहार सबध म ह तम यह मान ही नही सकत कक कोई वयतरि कामवासना क िार हो सकता ह कस तम

मानो तम तो हो नही िात और तम कभी हो न िाओग जब तक लड़ोग तरजस कदन तम लड़ना बद करोग और

कामवासना को सहज भाव स सवीकार कर लोग तम भी िार होन लगोग कयोकक कामवासना बड़ी अनठ ढग

की वासना ह

इसको खयाल म लना

भोजन की वासना ह भोजन क तरबना तम जी नही सकत भोजन क तरबना तम मरन लगोग तो चाह हम

ककतना ही बदधो स आशा रख कक व भोजन न कर कफर भी व भोजन तो करग चलो दो बार न करग तो एक

बार करग बहत ससवाद न करग तो बसवाद करग खीर-मलाई नही उियोग करग रखा-सखा खाएग लककन

कछ तो खाएग ही कयोकक भोजन क तरबना तो एक कषण जी न सक ग िानी तो िीएग चलो रात न िीएग कदन

ही िीएग मगर िानी िीना तो िड़गा शवास तो लग अतरनवायम ह

कामवासना इस तरह की अतरनवायम वासना नही ह कामवासना िर तमहारा जीवन तरनभमर नही ह

कामवासना क तरबना तम मर न जाओग कामवासना क तरबना तमहार बचच िदा न होग यह सच ह कामवासना

क तरबना तम नही मर जाओग बचच िदा नही होग लककन अगर भोजन न ककया िानी न िीया शवास न ली

तो तम मर जाओग

तो कामवासना जीवन क तरलए तमहार जीवन क तरलए अिररहायम नही ह छोड़ी जा सकती ह इसस मि

हआ जा सकता ह लककन मि कवल व ही लोग हो सकत ह तरजनहोन इस िहल सवीकार ककया हो और इस

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सवीकार करक समझा हो और इस िर धयान ककया हो और इसकी िरी आतररक-वयवसथा समझी हो--उठती

कयो ह

तमन खयाल ककया कब-कब तमहारा मन कामवासना स भरता ह तम चककत होओग यह बात जानकर

कक जब तम जयादा जचतरतत होत हो तब जयादा कामवासना स भरता ह जब तम तरनजित होत हो परफतरललत

होत हो तो नही भरता जब तम शात होत हो आनकदत होत हो तो नही भरता तब तम भल जात हो

लककन जब तम अशात होत हो बचन होत हो तब कामवासना स भर जाता ह अकसर यह होता ह

ितरिम क मनतरसवद कहत ह कक अकसर ितरत-ितनी इस राज को समझ लत ह इसतरलए सभोग करन क

िहल लड़ाई-झगड़ा कर लत ह करोतरधत हो जात ह एक-दसर को गाली द लत ह झझट खड़ी कर लत ह कफर

इसक बाद कामवासना म उतरना आसान हो जाता ह

यह बड़ी अजीब सी बात ह ितरत-ितनी अकसर लड़त ह उनक लड़न स ही बचनी और िरशानी िदा

होती ह िरशानी और बचनी म कामकता िदा होती ह शात चन म भरा हआ तरचतत हो तो कामवासना िदा

नही होती कामवासना तमहार भीतर एक तरह का जवर ह और कामवासना स राहत तरमलती ह राहत तभी

तरमलती ह जब जवर खड़ा हो तो कामवासना तमहार शरीर को कषीण करती ह शतरि कषीण हो जाती ह तो जवर

कषीण हो जाता ह भीतर का उबाल कम हो जाता ह तम शातरत स सो जात हो

कामवासना जाती ह कामवासना क दमन स नही धयान क माधयम स उमगी शातरत क दवारा जब कोई

वयतरि ठीक तरवराम म जीन लगता ह तरजसक जीवन म कोई तनाव नही ह कोई जचता नही ह कोई बचनी नही

ह तरजसका जीवन हलक फल जसा ह तरजसक िर जमीन िर नही िड़त जो हवा म उड़ा-उड़ा ह और जो

परतरतिल रस म डबा ह--रसो व सः--जस कल ितजतरल न अिन तरशषय चि स कहा कक जो सदा रसलीन ह वह

कामवासना म नही उतरगा कयोकक कामवासना म वह उतरकर िाएगा कक तरसफम शतरि कषीण होती ह और

उसका रस खोता ह

कामवासना स तरजतना आनद तरमलता ह जब तम उसस जयादा आनद की अवसथा म जीन लगोग तो

कामवासना समापत हो जाएगी जब तक कामवासना म जो रस तरमलता ह वह तमस ऊिर ह और तम उसस

नीच जी रह हो तब तक तो रस बना रहगा

बात को खयाल म लना तमहार तरलए काम की ह इन कथाओ क सहार म कछ तमस कहना चाह रहा ह

बदध म मरी उतनी उतसकता नही ह तरजतनी तमम मरी उतसकता ह कयोकक तमस म बात कर रहा ह बदध तो

बहाना ह

जब तक तमहारा तरचतत कामवासना स जयादा रस न िान लग तब तक तम कामवासना स न छट सकोग

और जो लोग कामवासना स लड़त ह उनकी हालत और बदतर हो जाती ह उनका तरचतत और भी बचन हो

जाता ह व और भी नीच तरगर जात ह इसतरलए उनक तरचतत म सदा कामवासना क ही तरवचार तरत रहत ह

मनषय-जातरत न काम का इतना दमन ककया ह इसीतरलए काम स मि नही हो िाती और इसीतरलए अफवाह

काम स ही सबतरधत होती ह

कफर अब बदध क परतरत धन की बात तो कही नही जा सकती थी कयोकक धन तो उनक िास बहत था

छोड़कर आ गए थ वह तो उनकी बदनामी का कारण नही बनाया जा सकता था एक ही बात बचती थी कक

कामवासना को उनकी बदनामी का कारण बनाया जाए बदध स बदध क सतय स सीधी टककर भी नही ली जा

सकती थी कयोकक सतय इतना परगाढ़ था इतना सिषट था सयम की तरह ऊगा था इन धममगरओ की हतरसयत भी

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न थी कक इस सतय क सामन आख उठाकर खड़ हो जाए इस सतय क सामन तो आ भी नही सकत थ िीछ

छिकर िीठ म छरा मार सकत थ अधर म छरा मार सकत थ और इसस जयादा सगम कोई उिाय नही ह

कामवासना स दतरमत लोगो क जगत म इतनी ही बात काफी ह लोगो म फला दनी कक कोई सदरी सतरी बदध क

िास रात जाती ह और बदध को रतरत-रमण कराती ह बस इतना काफी था

यह सदरी िररवरातरजका इस गाव क बहत लोगो को लभाती रही होगी एक तो सदर थी कफर तरभकषणी

थी बदध की तरशषया थी गाव म तरभकषा मागत हए इस तरभकषणी को दखकर न मालम ककतनो का मन डावाडोल

हआ होगा

इस बात को भी खयाल म लना साधारण सतरी स भी जयादा साधवी लभाती ह कयोकक साधारण सतरी को

िाना बहत करठन नही साधवी को िाना बहत करठन ह और तरजसको िाना करठन ह उसम उतना ही रस

आता ह तरजतना दगमम हो जाए िाना उतना ही रस आता ह तरजस िाना सरल ह उसम रस खो जाता ह

उसम कया रस उसम अहकार को कोई चनौती नही होती

यह सदरी साधवी घमती होगी गाव म तरभकषा मागती होगी इसकी सदर दह दखकर इसका सदर रि

दखकर अनको का मन डावाडोल हआ होगा कफर अचानक खबर गाव म आयी कक यह सदरी तो बदध क साथ

शारीररक-सबध रखती ह तो अनको न मान तरलया होगा तरजन-तरजन न इसस शारीररक-सबध बनान की

कामना की होगी सिना दखा होगा उन सबन मान तरलया होगा कक बात तरबलकल ठीक ह हम भी डोल थ

अिन मन म सोचा होगा--हम भी परभातरवत ककया था और उनहोन बदला भी तरलया होगा अब यह अचछा

मौका था बदध स बदला तरलया जा सकता ह

बदध स हम बदला कयो लना चाहत ह

बदध क कारण हम बहत चोट लगती ह अधो क बीच जसा आख वाला अधो को चोट िहचाता ह कयोकक

उसक कारण व अध मालम होत ह बीमारो क बीच जस सवसथ बीमारो को चोट िहचाता ह कयोकक उसक

कारण तलना म उनको बीमारी कदखायी िड़ती ह जहा घना अधरा ह और सब लोग अधर म टटोल रह ह वहा

एक वयतरि तरजसका भीतर का दीया जल रहा ह हमार भीतर बड़ा करोध जगाता ह यह हमारा अिमान ह

दीया हमम नही जल रहा ह ककसी और म जल रहा ह यह हमार तरलए ईषयाम का कारण बन जाता ह

तो ऐसा ही नही ह कक हमन जीसस को अकारण सली द दी हम दनी िड़ी बदामशत क बाहर हो गए

एक सीमा थी सहन की कफर यह आदमी घम-घमकर हम िीड़ा दन लगा जब भी हम इस दखत हम अड़चन

होन लगी यह हम नकारन लगा इसक सामन मौजद खड़ होन िर हम दीन-हीन मालम होन लग हम लगन

लगा कक हम तचछ ना-कछ जीवन ऐसा होना चातरहए और हमारा जीवन कीड़-मकोड़ सा सरकता हआ

जीवन ऐसा होना चातरहए यह आदमी हम बहत तड़फान लगा यह आदमी हम बहत जयादा चोट करन लगा

यह हम शातरत स सोन न द इस सली दना जररी हो गयी

सकरात को हमन जहर कदया कयोकक सकरात घम-घमकर लोगो को जगान लगा सोए लोग जागना

नही चाहत सोए लोग तरसफम सो ही थोड़ रह ह बड़-बड़ मधर सिन दख रह ह जब इनह तम जगाओ तो इनक

सिन टटत ह और इनहोन सिनो क अतरतररि और कछ जाना नही ह सिन ही इनक जीवन का सतय ह

तो तम इनह जब जगात हो तो इनको लगता ह तम हमार दशमन हो तम हमार सिन तोड़ द रह हो

हम इतन मज म लीन थ--महल बना रह थ सदर रातरनया थी िि थ बड़ा राजय था--तम हम घसीटकर कहा

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ला रह हो इस जागन म इस जागन म कछ भी नही ह हम तरभखमग ह यह झोिड़ी ह यह करि सी ितनी ह

यह उिदरवी लड़का ह हम अिनी नीद म मज स िड़ थ हम सिना मीठा दख रह थ तम हम जगाओ मत

हम बदधो स नाराज रह ह हमन उस नाराजगी का उनस अनक तरह स बदला तरलया ह हमारा परतरतशोध

बहत गहरा ह और उिाय कया ह हमार परतरतशोध क हमार उिाय यही ह कक जस हम ह वसा ही हम उनह भी

तरसदध कर द इतना तरसदध हो जाए कक जस हम ह वस ही व ह बात खतम हो गयी कफर कोई अड़चन न रही

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था

इस परभाव को बढ़ान क तरलए कछ करना नही होता इस परभाव को बढ़ान की कोई आकाकषा भी नही

होती तरजसक भीतर भगवतता का जनम हआ हो यह परभाव अिन स बढ़ता ह जस सरज ऊगता ह और रोशनी

फलती ह और फल तरखलता ह और सगध तरबखरती ह ऐसा यह परभाव ह इस परभाव को करन की कोई चषटा

नही ह कोई परभातरवत हो ऐसा बदधिररष चषटा नही करत उनकी सहज उितरसथतरत उनका जागरण उनका

चतनय अनको को खीचन लगता ह व चबक हो जात ह लोग ऐस जखच चल आत ह जस लोह क टकड़ जखच

चल आत ह उनकी मौजदगी सममोहक हो जाती ह तरजनहोन उनका सवाद तरलया कफर उनह भल नही िात

कफर और सवाद लन का मन होन लगता ह

भगवान का परभाव परतरतकदन बढ़ता जाता था जो धमामनरागी थ व खब आनकदत थ

जो धमामनरागी थ व इसतरलए आनकदत थ कक भगवान की मौजदगी म उनह परमाण तरमल गया कक धमम

सतय ह कक वद जो कहत ह कक उितरनरषद जो कहत ह व तरसफम कथन माि नही ह व विवय माि नही ह यहा

जीता धमम परगट हो गया था जो वसततः धमामनरागी थ व तो बड़ आनकदत थ व तो नाच रह थ व तो मगन थ

व कहत थ हम धनयभागी ह सना था शासतरो म अब आख स दखा सनत आए थ अब अनभव ककया

बड़ा फकम ह सरज क सबध म सना हो और कफर सरज को ऊगत दखना बड़ा फकम ह तरहमालय की

तसवीर दखी हो और कफर जाकर तरहमालय दखना बड़ा फकम ह तसवीर म न तो वह ताजगी ह न वह शीतलता

ह तसवीर म न हवाए ह न रोशनी ह तसवीर म कहा व ऊचाइया जो तरहमालय की ह कहा व गहराइया जो

तरहमालय की ह तसवीर म कहा व िकषी जो तरहमालय िर गीत गात कहा व फल जो तरखलत और सगध स भर

दत ह घारटयो को तसवीर तो तसवीर ह जो तसवीरो म दखा था वह सामन आख क आ गया

वद तो तसवीर ह उितरनरषद तो तसवीर ह हजारो साल बाद कोई वयतरि बदध होता तो जो धमामनरागी

थ उनको ऐसा नही लगा कक बदध वद क तरविरीत ह उनह तो ऐसा लगा बदध वद क साकषी ह अब तक वद

तरबना साकषी क था बदध म साकषी तरमल गया अब तक जो बात कवल तकम थी अब अनभव बनन का उिाय हो

गया यह सामन खड़ा ह वयतरि और जो इसक भीतर हो सकता ह वह हमार भीतर भी हो सकता ह

उनक हदय-कसम भी भगवान की ककरणो म खल जात थ उनक मन-िाखी भगवान क साथ अनत की

उड़ान क तरलए ततिर हो रह थ

जो धमामनरागी ह वह तो बदधिररषो की मौजदगी स आहलाकदत हो जाता ह इसकी ही तो परतीकषा थी

जनमो-जनमो स कक कोई हो जो परमाण हो बौतरदधक परमाण नही चातरहए धमामनरागी को जीवत अतरसततवगत

परमाण चातरहए कोई हो तरजसकी हवा म भगवतता हो तरजसक कारण हम अनभव म आए कक भगवान ह

तरजसकी मौजदगी म हम परमाण तरमलन लग कक भगवान ह तरजसकी मौजदगी हम बताए कक ससार िदाथम िर

समापत नही हो जाता ह यहा तरछि हए रहसय भी ह यहा बड़ गहर रहसय दब िड़ ह खोज क तरलए उिाय ह

तरजसकी मौजदगी हमार तरलए अतरभयान की िकार बन जो हम चनौती द कक आओ मर साथ चलो और जस

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िख मर ह ऐस तमहार भी ह तम कभी उड़ नही इसतरलए िखो की तमह याद नही तम िख लकर ही िदा हए

हो फड़फड़ाओ तम भी उड़ सकोग जो मझ तरमला ह वह तमहारी भी सिदा ह

लककन ऐस लोग तो दभामगय स थोड़ ही थ

उस कदन भी थोड़ थ उसक िहल भी थोड़ थ अब भी थोड़ ह दभामगय ह यह कक इतन धारममक लोग ह

मगर धमामनरागी नही मकदर मतरसजद गरदवारा तरगरजा जात हए ककतन लोग ह लककन धमम क परमी कहा यह

तो सब थोथा वयवहार ह यह तो लोकोिचार ह यह तो समाज की वयवसथा ह कक लोग चचम चल जात रतरववार

को कक गरदवारा चल जात कक जिजी िढ़ लत कक गीता िढ़ लत कक नमोकार मि का जाि कर लत कक

माला फर लत लककन हदय स न माला फरी न जिजी ककया हदय स न कभी मकदर गए न हदय स कभी

िरमातमा को िकारा हदय स िकारा होता तो तरमल ही गया होता नही तरमला ह यह काफी परमाण ह कक ऐस

ही तरखलवाड़ करत रह ऐस ही उिचार की तरह करना चातरहए कतमवय की भातरत करत रह यह तमहार जीवन

की शली नही ह तम इस िर दाव िर कछ भी लगान को राजी नही हो तम चाहत हो मफत भगवान ऐस

तरमलता हो माला इतयाकद फरन स तरमल जाए तो ठीक न तरमल तो ठीक

कभी-कभी तो शायद डरत भी हो कक कही जयादा माला न फर द कही तरमल ही न जाए कयोकक तरमल

जाए तो अड़चन खड़ी होगी तरमल जाए भगवान तो कफर कया करोग तरमल जाए भगवान तो कफर ऐस ही तो

न हो सकोग जस हो कफर उसक रग म रगना होगा कफर अ ब स स एक दसरी ही भारषा सीखनी होगी जीवन

का एक और ही ढाचा रचना होगा एक और ही मकदर बनाना होगा उतनी अड़चन कोई लना नही चाहता

माला भी हम जि लत ह िाठ भी हम िढ़ लत ह िजा भी हम कर लत ह और भरोसा रखत ह कक इसस कही

कछ होन वाला थोड़ ही ह

बहत थोड़ स लोग ह जो सच म ही सतय की तलाश िर ह और जो तलाश िर ह उनह तरमलता ह जो

तलाशा जाता ह तरमलता ही ह इस जगत म तम जो चाहोग तरमलगा अगर न तरमल तो एक ही बात समझना

कक तमन चाहा ही न था चाहत गहरी हो तो िररणाम होत ही ह पयास गहरी हो तो पयास ही परातरपत बन

जाती ह

बहत तो ऐस थ तरजनक पराणो म भगवान की उितरसथतरत भाल सी चभ रही थी

उनका वयवसाय खतर म था उनकी वयवसथा खतर म थी उनका िातरडतय उनका िौरोतरहतय खतर म

था भगवान की मौजदगी म व अजञानी मालम होन लग थ भगवान मौजद नही थ तो व जञानी थ लोग उनक

िास आत थ लोग उनस िछत थ सलाह-मशतरवरा लत थ भगवान की मौजदगी म ितरडत फीका होन लगा

जब भी कोई वयतरि बदधतव को उिलबध होता ह तो सबस जयादा चोट ितरडत को िहचती ह कयोकक

बदधतव ह असली जञान और िातरडतय ह झठा जञान--नकली उधार बासा कडा-करकट उतरचछषट इकटठा ककया

हआ तो जस ही कोई बदधतव को उिलबध वयतरि मौजद हो जाता ह वस ही ितरडत सबस जयादा अड़चन म

िड़ता ह सबस बड़ी करठनाई उसकी खड़ी हो जाती ह

जीसस को तरजन लोगो न सली दी व यहकदयो क ितरडत-िरोतरहत थ बदध क तरखलाफ तरजन लोगो न

हजारो तरह क शडयि रच व सब ितरडत और िरोतरहत थ धमम का दशमन इस िथवी िर ितरडत और िरोतरहत स

जयादा और कोई भी नही ह मकदरो म भगवान की िजा नही हो रही ह कयोकक ितरडत-िरोतरहत क हाथ म िजा

ह और ितरडत-िरोतरहत सदा स शतान क हाथ म ह वह कभी भगवान का साथी रहा नही वह सदा स भगवान

का दशमन ह वह भगवान क नाम का उियोग करता ह शोरषण करता ह वह अचछा धधा ह

149

इन लोगो को लगता था कक गौतम धमम क नाश िर उतार ह और एक बात इसम थोड़ी सचाई भी थी

तरजसको व धमम कहत थ तरनतरित ही गौतम उस धमम क तरवनाश क तरलए उतार थ कयोकक वह धमम था ही

नही धमम को तो रोज-रोज नया-नया िदा होना िड़ता ह िराना होत ही सड़ जाता ह मर जाता ह धमम को

तो ऐस ही रोज-रोज िदा होना िड़ता ह जस तम शवास लत हो जो शवास गयी गयी नयी चातरहए यही अथम ह

एस धममो सनतनो का परतरतिल धमम को जीना िड़ता ह परतरतिल उतरना िड़ता ह परतरतिल ताजा-ताजा ही

ताजा-ताजा ही भोग लो तो भोगा बासा-बासा इकटठा ककया तो तमहार हाथ राख लगगी अगारा तो बझ चका

अगारा तो वतममान म होता ह बदध थ अगार की तरह राख की तरह जो ितरडत थ उनह बड़ी अड़चन हई होगी

बदध िरिरावादी नही थ शासतरो क िजक नही थ रकढ़यो-अधतरवशवासो क िजक नही थ

हो भी कयो तरजसको जीवन का सतय सवय कदखायी िड़ गया हो वह कयो चल दसरो की बधी-बधायी

लकीरो िर तरजसक िास अिनी आख हो वह कयो िछ दसरो स रासता और तरजसक िास आख हो वह कयो

टटोल लकड़ी लकर हाथ म लकीरो िर तो व चलत ह तरजनक िास अिनी आख नही िछत तो व ह जो सवय

जानत नही तरजसका अिन भीतर का दीया जल गया हो--अब उसस दसर िछ

तो बदध न वद स िछ रह थ न उितरनरषद स िछ रह थ बदध ककसी स िछ ही नही रह थ बदध क िास तो

अब दन को तयार था यदयतरि जो लोग जरा भी समझ रखत थ उनको ततकषण कदखायी िड़गा कक बदध वही द

रह ह जो वदो न कदया ह अनयथा हो भी कस सकता ह

शायद भारषा बदल गयी हो--भारषा बदल जाती ह--परतीक बदल गए हो वद क ऋतररष ससकत म बोल थ

बदध िाली म बोल रह थ वद क ऋतररषयो न ककसी और तरह क दाशमतरनक ढाच का उियोग ककया था बदध ककसी

और तरह क ढाच का उियोग कर रह थ अगतरलया अलग-अलग थी इशारा एक ही तरफ था लककन ितरडत-

िरोतरहत को लगा कक यह तो धमम का तरवनाश हो जाएगा

गौतम का धमम तरसथतरत-सथािक नही ह गौतम करातरत क िकषिाती ह

गौतम िररवतमन क िकषिाती ह वह कहत ह तमहार भीतर जयोतरत जलनी चातरहए महािररवतमन होना

चातरहए तम ऐसा कछ भी न करो तरजसस तमहारी जयोतरत बझी रह तम ऐसा सब करो तरजसस तमहारी जयोतरत

जल जाए सब परयतन करो ताकक तम जीवत हो जाओ सवय की आख चातरहए सवय क कान चातरहए सवय का

धड़कता हआ हदय चातरहए अिन िर चातरहए और अिन ही बल िर िहचन की तरहममत चातरहए

गौतम न आधारतरशला रखी थी मनषय क ऊिर

और धमम ईशवर िर आधारतरशला रखत ह कोई दवी-दवताओ िर आधारतरशला रखता ह गौतम न

आधारतरशला रखी थी मनषय िर गौतम न आधारतरशला रखी थी तम िर

चडीदास का परतरसदध वचन ह--साबार ऊिर मानस सतय ताहार ऊिर नाही मनषय का सतय सबस ऊिर

ह उसक ऊिर और कोई सतय नही

यह वचन तरनतरित ही बदध स परभातरवत ह बदध न यह िहली दफा कहाः साबार ऊिर मानस सतय सबस

ऊिर मनषय का सतय ह मनषय को िरम परतरतिा दी और कहाः मनषय को कही झकन की जररत नही ह

जगन की जररत ह मनषय को ककसी को मानन की जररत नही ह बस अिन को ही जानन की जररत ह

जो मनषय अिन को जान लता ह वही भगवतता को उिलबध हो जाता ह बदध न भगवान की बड़ी नयी

वयाखया की बदध न नही कहा कक भगवान वह ह जो दतरनया बनाता ह दतरनया तो बदध न कहा ककसी न न

बनायी न कोई बनान वाला ह बदध न भगवान को नया अथम कदया बदध न कहा भगवान का अथम ह

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भागयशाली वह भागयशाली तरजसन सवय को जान तरलया वही भगवान ह मनषय ही जागकर भगवान हो

जाता ह आतमा ही जागरत होकर दीपतमय होकर िरमातमा हो जाती ह तमहार भीतर बीज तरछिा ह िरमातमा

का--बीज ह आतमा--अभी तम सोए हो इसतरलए बीज टटता नही जाग जाओ तो बीज टट जाए जागन का सि

कदया धयान

इसतरलए बदध न पराथमना की बात ही नही की बदध न िजा की बात ही नही की बदध न तो तरसफम एक

सीधा सा सि कदया धयान धयान का अथम ह--नीद को तोड़ो सिन को तोड़ो और जागो जस-जस जागन

लगोग वस-वस िरमातम-भाव तमहारा िदा होन लगगा तरजस कदन तम िर जाग गए उस कदन तम िरमातमा

हो गए मनषय को ऐसी मतरहमा ककसी न भी न दी थी

साबार ऊिर मानस सतय ताहार ऊिर नाही

इस सबस सवभावतः दककयानस रकढ़वादी धमम क नाम िर भातरत-भातरत का शोरषण करन वाल लोग

बहत िीतरड़त हो गए थ उनह कछ सझता भी न था कस इस गौतम स तरववाद कर तरववाद व करन म समथम भी

नही थ गौतम कोई ितरडत होत तो तरववाद आसान हो जाता गौतम क सामन आकर उन ितरडतो क तरववाद और

तकम बड़ छोट और ओछ मालम होन लगत थ उनम कोई बल न था व तकम निसक थ तो िीछ स ही छरा

मारा जा सकता था उिाय उनहोन यह खोजा--

एक सदरी िररवरातरजका को तरवशाल धनरातरश का लोभ दकर राजी कर तरलया कक बदध की अकीरतम फलाए

अब यह सदरी िररवरातरजका बदध की तरशषया थी तरशषय होकर भी कोई इतना दर हो सकता ह इस याद

रखना तरशषय होकर भी कोई अिन गर को बच सकता ह इस याद रखना कराइसट को भी तरजसन बचा--जदास-

-वह कराइसट का तरशषय था बारह तरशषयो म एक और बचा बड़ ससत म--तीस रिय म तीस चादी क टकड़ो म

इस सदरी िररवरातरजका को लोभ कदया होगा धन का िद का परतरतिा का लोभ म आ गयी होगी जो

लोभ म आ जाए वह ससारी ह चाह वह सनयासी ही कयो न हो गया हो िररवरातरजका थी सनयास ल तरलया

था लककन सनयास भी लोभ क कारण ही तरलया होगा कफर लोभ क कारण ही डोल गयी

वह शडयि म सलगन हो गयी तरनतय सधया जतवन जाती िररवरातरजकाओ क साथ समह म रहकर परातः

नगर म परवश करती और जब शरावसती-वासी िछत--और य शरावसती-वासी कोई और न होग वही ितरडत-

िरोतरहत नही तो कौन ककसस िछता ह व ही िछत होग रासतो िर खड़ हो-होकर--कहा स आ रही हो तब

वह कहती रातभर शरमण गौतम को रतरत म रमण कराकर जतवन स आ रही ह ऐस भगवान की बदनामी

फलन लगी लककन भगवान चि रह सो चि रह सतय को इतना समादर शायद ही ककसी न कदया हो

फकम समझना महातमा गाधी न एक शबद इस दश म परचतरलत करवा कदयाः सतयागरह कक सतय का आगरह

करना चातरहए यह कथा इसक तरबलकल तरविरीत ह

बदध कहत ह सतय का आगरह भलकर नही करना चातरहए सतय तो अनागरह स िदा होता ह सतय कहन

स थोड़ ही होता ह असल म आगरह सभी असतय क होत ह जब हम ककसी चीज को बहत चषटा स सतय तरसदध

करन की कदशा म सलगन हो जात ह तो हम इतना ही कहत ह कक हम डर ह कक अगर हमन इसको बहत परबल

परमाण न जटाए तो यह कही बात हार न जाए सतय म तो कोई भय का कारण ही नही ह इसतरलए सतय का

कोई आगरह नही होता

सतयागरह स जयादा गलत शबद कोई हो नही सकता सतय का कोई आगरह होता ही नही सतय तो मौन ह

सतय तो इतना बलशाली ह कक उसक तरलए ककसी सरकषा का कोई आयोजन करन की जररत नही ह

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तो बदध चि रह सो चि रह एक शबद न कहत यह भी न कहत कक झठ बोलती ह यह सदरी यह भी न

कहत कक यह भी खब शडयि चल रहा ह कछ भी न कहत न सदरी क तरखलाफ एक शबद बोल न सदरी को

बलाया न सदरी को समझाया न चताया सदरी को सदरी िर छोड़ कदया

इस अनठी परककरया को समझना महातमा गाधी होत तो उिवास करत वह कहत कक म मर जाऊगा

आमरण अनशन करगा अब सतय की घोरषणा करो सदरी सतय कह नही तो म आमरण अनशन करता ह बदध

न एक शबद भी नही कहा आमरण अनशन की तो बात दसरी सदरी को बलाया भी नही सदरी को समझाया

भी नही सदरी स िछा भी नही

इस अनठी परककरया को समझना यह सतय का अनागरह ह सतय िर इतना भरोसा ह सतय िर ऐसी अटट

शरदधा ह कक सतय अगर ह तो जीतगा ही आज नही कल दर-अबर जीतगा ही कछ कहन की जररत नही

समझी

और यह भी भरोसा ककया कक आतरखर सदरी क भीतर भी आतमा ह कचोटगी ककतनी दर नही

कचोटगी एक कदन बीता होगा दो कदन बीत होग तीन कदन बीत होग गाव म अफवाह खब घनी होन लगी

होगी कक धआ खब फलन लगा होगा सदरी को लगता तो होगा कक बदध बलाएग िछग डाटग-डिटग ऐसा

भी नही था कक डाटत-डिटत नही थ हमन कई कहातरनया दखी ह कक बदध अिन तरशषय को बलात ह डाटत-

डिटत ह तरशषय क तरहत म हो तो डाटत-डिटत ह लककन यह तो बात अिन तरहत की थी इसतरलए कछ भी नही

कहा तरशषय गलत जा रहा हो तरशषय अिन को नकसान िहचा रहा हो तो बदध सब उिाय करत लककन इस

मामल म तो बदध न कोई भी उिाय न ककया इस मामल म तरबलकल चि रह

इस चपिी का भी िररणाम होता ह चपिी भी बड़ी अिवम ऊजाम परगट करती ह कभी-कभी मौन रह जान

स जसा उततर आता ह वसा कछ कहन स नही आता कभी न लड़न स जीत होती ह और कभी लड़न स हार हो

जाती ह बदध चि रह

धीर-धीर यह बात सार नगर की चचाम का तरवरषय बन गयी कफर तो लोगो न कोई और बात ही न की

होगी महीनो तक एक ही चचाम रही होगी कफर बात बढ़न लगी एक मह स दसर मह जान लगी और बड़ी

होन लगी

लोग ऐस ही चचाम थोड़ ही करत ह चचाम म थोड़ा जोड़त ह लोग बड़ सजमनातमक ह लोग जोड़त भी ह

बढ़ात भी ह सधारत भी ह चमकात भी ह आभरषण भी लगात ह बात जब फलती ह तो तम समझ सकत हो

कक उसम हजारो कलाकार भाग लत ह लककन भगवान चि थ सो चि ही रह

िररणाम होन शर हो गए भगवान क िास आन वालो की सखया रोज-रोज कम होन लगी हजारो आत

थ कफर सकड़ो रह गए कफर अगतरलयो िर तरगन जा सक इतन ही लोग बच और तब भगवान हसत और कहत-

-दखो सदरी िररवरातरजका का अिवम कायम कचरा-कचरा जल गया सोना-सोना बचा

यह बात सदरी को भी खबर लगती होगी कक भगवान हसत ह और ऐसा कहत ह कक दखो सदरी का

अिवम कायम बड़ी किा की सदरी न उसक मन म और चोट होन लगी होगी और काटन लगा होगा यह भाव

रातभर सो न सकती होगी उठती-बठती होगी और िीड़ा होती होगी यह शल की तरह चभन लगा होगा कक

वह कया कर रही ह

भगवान की शातरत को अचल दख धममगरओ न गडो को रिय दकर सदरी को मरवा डाला और फलो क

एक ढर म जतवन म ही तरछिा दी उसकी लाश

152

भगवान की शातरत स सदरी धीर-धीर अिन ककतय िर िछतान लगी थी धममगरओ को िता चलन लगा

होगा कक सदरी अब रस नही लती ह सदरी अब गाव भी नही आती ह अगर उसस िछत भी ह तो कहती भी

ह तो भी िरान ढग स नही कहती ह बमन स कहती ह सदरी उदास कदखती ह सदरी को बचनी िदा हो गयी

ह अतःकरण म एक सघरषम िदा हो गया ह यह सकट उनह कदखायी िड़ गया होगा सदरी को हटा दना जररी

ह सदरी का जीत रहना अब खतर स खाली नही ह

सदरी को उनहोन मरवा डाला जतवन म ही तरछिा दी लाश गावभर म खबर फला दी कक गौतम न

अिन िाि को तरछिान क तरलए मालम होता ह सदरी को मरवा डाला

धमम क नाम िर ऐसा सब कछ होता रहा ह आज भी होता ह और जब धमम क नाम िर होता ह तो लोग

बड़ी आसानी स धोखा भी खा जात ह कयोकक धममगरओ स हम ऐसी आशा नही करत धममगरओ स हम ऐसी

आशा नही करत इसतरलए जलदी स भरोसा भी कर लत ह मगर यह िरानी कथा ह यह सदा स होती रही

बात ह तरजनका धधा दाव िर लग जाए व अिन को बचान की सब तरह चषटा करत ह ठीक गलत कफर कोई

जचता नही रह जाती

कफर व शरावसती क राजा क िास गए और उनहोन कहा दाल म कछ काला ह महाराज गौतम न

मालम होता ह कछ या तो मार डाला या कही तरछिा कदया सदरी कदखायी नही िड़ती ह कछ कदनो स और

आिको तो िता होगा ही कक जतवन म ही रात गजारा करती थी गौतम क साथ

राजा न तरसिाही भज लाश तरमल गयी उन धममगरओ न कहा--महाराज दतरखए यह महािाि एक िाि

को तरछिान क तरलए यह गौतम इतना बड़ा महािाि करन को तयार हो गया

अब तो हदद हो गयी अब तो कहानी म िरी कहानी हो गयी काम का कतय हो गया हतया भी हो गयी

इतन स ही तो सारी जाससी कहातरनया बनती ह अब तो िरा ससिनस अब तो उनहोन िरी सनसनी िदा कर

दी अब और कछ बचा नही और वहा एक आदमी ह गौतम बदध--तरनहतथा चि बठा इस िर भी गौतम कछ

भी न बोल इस िर भी चि रह

तरभकषओ को तरभकषा तरमलनी भी गाव म मतरशकल हो गयी तरभकषा की दर गाव म तरनकलना मतरशकल हो

गया गाव म चलना मतरशकल हो गया जहा जात होग लोग कहत यह दखो उस हतयार गौतम क तरशषय जा

रह उस कामी गौतम क तरशषय जा रह इनह कौन तरभकषा दगा कौन तरभकषा दकर झझट म िड़गा कयोकक जो

तरभकषा दगा वह भी गाव की नजरो म तरगरगा दवार-दरवाज बद हो जात होग शायद बदध को दो-चार कदन

भोजन भी न तरमला हो कयोकक बदध क िास और तो कोई उिाय न था लककन कछ थोड़ स लोग थ जो

दससाहसी थ और अब भी आत थ ऐसी ही घतरड़या कसौटी की घतरड़या होती ह

भगवान न अिन तरभकषओ स तरसफम इतना ही कहा--असतय असतय ह तम जचता न करो सतय सवय अिनी

रकषा करन म समथम ह

सतयागरह की कोई जररत नही ह सतय तरनरागरह भी जीतता ह जीतता ही ह सतय की जीत अिररहायम

ह तरसफम समय शायद लग जाए असतय की हार अिररहायम ह शायद थोड़ी दर असतय जसहासन िर बठन का

मजा ल ल मगर यह थोड़ी दर का राग-रग ह तम जचता न करो तम इतना ही करो शातरत रखो धयम रखो

धयान रखो सब सहो यह सहना साधना ह शरदधा न खोओ शरदधा को इस अतरगन स भी गजर जान दो यह अिवम

अवसर ह ऐस अिवम अवसर िर ही कसौटी होती ह इसक बाद शरदधा जो तरनखरगी शरदधा जयोतरतममय होकर

परगट होगी

153

और ऐसा ही हआ गडो न रिय ल तरलए थ सदरी को मार डाला था िाि तरछित थोड़ ही िाि

बोलत रात शराब िी ली होगी मधशाला म जाकर जयादा िी गए होग कफर िी गए तो सारी बात कह गए

सब बता कदया खोल कदया सब कक मामला कया ह कक हमन हतया की ह और ककन न हतया करवायी ह और

कयो हतया करवायी ह और गौतम तरनषिाि ह

लककन भगवान कफर भी कछ न बोल सो न बोल चि ही रह सतय को सवय ही बोलन का उनहोन

अवसर कदया अत म अिन तरभकषओ स उनहोन इतना ही कहा कक असतय स सदा सावधान रहना उसक साथ

कभी न जीत हई ह न कभी हो सकती ह एस धममो सनतनो यही शाशवत तरनयम ह

और तब उनहोन य गाथाए कही--

अभतवादी तरनरय उितरत यो चातरि

कतवा न करोमीतरत चाह

उभोतरत त िोचच समा भवतरत

तरनहीनकममा मनजा िरतथ

असतयवादी नकम म जाता ह और वह भी जो कक करक भी कहता ह कक नही ककया दोनो ही परकार क

नीच कमम करन वाल मनषय मरकर समान होत ह

असतयवादी नकम म जाता ह इसका अथम होता ह--उन कदनो की भारषा ह यह--आज की भारषा म इसका

अथम होता ह असतयवादी दख भोगता ह नकम कोई भौगोतरलक जगह नही ह कही िाताल म जहा तमह जाना

िड़गा नकम तमहारी मनोदशा ह जब भी तम असतय बोलत हो तम नकम म िड़त हो तम अिन मन म बड़ नीच

उतर जात हो तम अिन ही मन क अधकारिणम दखिणम घाटी म डब जात हो और ऐसा मत सोचना कक एक

दफा नकम जात हो तम तरजतनी बार कदन म झठ बोलत हो तरजतनी बार बईमानी करत हो उतनी बार नकम म

तरगरत हो और तरजतनी बार सच बोलत हो उतनी बार सवगम म उठत हो तम थमाममीटर क िार की तरह ऊच-

नीच होत रहत हो

तम इसकी जरा जाच करना तमह मरी बात की सचाई तब खयाल म आएगी कक जब भी तम झठ बोलत

हो तब तम दख म िड़ जात हो जब भी तम सच बोलत हो तभी तम मि हो जात हो खल जात हो तरनबध

हो जात हो जब तम सच बोलत हो तरनभामर हो जात हो कोई भार नही रह जाता जब तम झठ बोलत हो

छाती िर ितथर रख जाता ह झठ चाह छोटा ही हो ितथर बहत बड़ा होता ह झठ चाह दो कौड़ी का हो

तरजसका कोई बड़ा मलय भी नही ह न बोलत तो भी चल जाता न बोलत तो भी कछ बहत खो जान वाला नही

था लककन झठ बोलत ही तरसकड़ जात हो झठ तरसकोड़ता ह झठ तमहार हदय को दबाता ह झठ तमह बद

करता ह झठ तमहार भीतर हजार तरह क रोग िदा करता ह

ितरिम म अदालतो म रखी रहती ह एक मशीन आदमी क झठ िकड़न क तरलए वह मशीन सबत ह इस

बात की आदमी को खड़ा कर दत ह मशीन िर उस तो िता भी नही कक मशीन िर खड़ा ह मशीन तो तरछिी

होती ह नीच खड़ा कर कदया उसको एक चबतर िर चबतर क भीतर तरछिी ह मशीन मतरजसटरट उसस िहल

कछ परशन िछता ह ऐस परशन तरजनम वह झठ बोल ही नही सकता जस कहता ह दखो यह घड़ी ह इसम ककतन

बज ह अब सामन घड़ी लटकी ह झठ कस बोलोग और झठ बोलन की जररत भी कया तम कहत हो कक

154

साढ़ नौ बज ह तम सच बोल रह हो तो तमहारा हदय एक तरह स धड़कता ह वह जो नीच रखी मशीन ह

जसा कारडमयोगराम म गराफ बनता ह ऐस उस मशीन म गराफ बनता ह वह तमहार हदय की धड़कन तमहार

शरीर की धड़कन का गराफ बनाती ह कफर तमस िछता ह कक यहा कमर म ककतन लोग ह तम तरगनती करक

कहत हो कक बीस लोग ह झठ बोलन का कोई कारण नही ह मशीन गराफ बनाए चली जाती ह एक समतल

गराफ बनता ह तब वह िछता ह कया तमन हतया की तमहार भीतर तो उठता ह कक हा कयोकक तमन की ह

ऊिर स तम कहत हो नही तमहार गराफ म अड़चन आ जाती ह तमहार नीच जो गराफ बन रहा ह उसम गाठ

िड़ जाती ह ततकषण गाठ िड़ जाती ह एक कषण क तरलए हदय धकक स रह जाता ह कछ कहना चाहत थ और

कछ कहा वह जो गि ह वह जो दोनो क बीच म अतराल ह वह मशीन िकड़ लती ह

यह तो छोटा सा परयोग ह लककन जो आदमी जजदगीभर झठ बोल रहा ह उसक हदय म ही वह गाठ

िड़ जाएगी कफर तो वह सच भी बोलना चाहगा तो न बोल सकगा गाठ मजबत हो जाएगी

तमन दखा कक लोग चालीस साल की उमर क करीब आत-आत झझटो म िड़ना शर होत ह इतन कदन

तक गाठ बनती ह कफर हदय का दौरा िड़ता हाटम अटक होता कक क सर हो जाता कक टीबी हो जाती

अकसर य बीमाररया चालीस और बयालीस साल क बाद होती ह इतनी दर तक तमहारा शरीर ककसी तरह

झल लता ह तमहारा शरीर इतनी दर तक झलन म समथम ह कफर ऊट िर आतरखरी तरतनका रख जाता ह--ककसी

भी कदन--और तराज डावाडोल हो जाता ह

अमरीका म तो व कहत ह कक तरजस आदमी को बयालीस साल की उमर तक हाटम अटक न हो वह आदमी

असफल आदमी ह सफल आदमी को होता ही ह सफल आदमी का मतलब तरजसन हजार तरह की बईमातरनया

की और िकड़ा नही गया हजार तरह की चोररया की और िकड़ा नही गया सफल आदमी का मतलब खब

धन इकटठा कर तरलया कदलली िहच गया कक वाजशगटन िहच गया सफल आदमी का मतलब कक तरमतरनसटर हो

गया कक गवनमर हो गया कक राषटरितरत हो गया सफल आदमी का मतलब ही यह होता ह कक उसन बहत स

जाल फलाए और सब जालो म स ककसी तरह स तरनकलता चला गया

मगर तम बाहर स तरनकलत चल जाओ भीतर तमहार हदय म गाठ िड़ती जाती ह उन गाठो क जोड़ का

नाम नकम ह यह तो िरानी भारषा ह इसतरलए बदध िरानी भारषा बोल रह ह म तो िचचीस सौ साल बाद बोल

रहा ह इसतरलए िरानी भारषा नही बोलगा तम अिना नकम िदा कर रह हो तम अिना सवगम भी िदा कर

सकत हो तो बदध न कहा जो असतयवादी ह वह दख म िड़ जाता ह

कसो यथा दगगहीतो हतथमवानकततरत

सामा दपिरामटठ तरनरमाय उिकडढतरत

जस ठीक स नही िकड़न स कश हाथ को ही छद दता ह वस ही ठीक स नही गरहण करन िर शरामणय

नकम म ल जाता ह

अब व कहत ह कक--सदरी का नाम भी नही लत ह--इतना ही कहत ह कक तम यही मत सोच लना

तरभकषओ कक तमन सनयास ल तरलया इतना काफी ह अगर सनयास भी गलत ढग स तरलया तो भी नरक जाओग

कोमल सी घास दखी न--कश--इस कोमल सी घास को भी अगर गलत ढग स तोड़ो तो हाथ कट जाता ह

कोमल सी घास कया हाथ काटगी लककन कोमल सी घास को भी अगर तोड़ना न आता हो और तम गलत ढग

155

स तोड़ लो तो हाथ कट जाए लह तरनकल आए सनयास जसी सहज और शात चीज भी अगर तम गलत ढग स

िकड़ो तो काट दगी तो तमह दख म ल जाएगी तो नकम म तरगरा दगी

सनयास भी गलत हो सकता ह यह समरण रखना और ससार भी सही हो सकता ह यह भी समरण

रखना ठीक और सही आदमी होत ह सनयास और ससार का कोई सवाल नही ह

अब यह सदरी िररवरातरजका सनयासी हो गयी थी बदध स दीतरकषत हो गयी थी यह कसी दीकषा थी यह

कसा सनयास था इस सकोच भी न लगा यह जो करन चल िड़ी इसन कभी तरवचार भी न ककया धन क लोभ

म आ गयी

और तम ऐसा मत सोचना कक बड़ी िािी रही होगी तरबलकल मत सोचना सामानय थी ऐस ही सामानय

लोग ह अगर कोई तमह रिया द और मर तरखलाफ कोई बात कहलवाना चाह तो तम जरा अिन मन म

तरवचार करना कल सबह बठकर कक तम ककतन रिय लकर तरखलाफ बात कहन को राजी--तरसफम तरवचार करना

कोई द भी नही रहा ह तम ल भी नही रह हो तरसफम तरवचार करना--हजार रिया कक दो हजार कक िाच

हजार कक दस हजार जस-जस सखया बड़ी होन लगगी कक तम िाओग रस आन लगा कक िचास हजार तम

कहोग िचास हजार जरा जयादा हो गया िचास हजार न ल जरा मतरशकल हो जाएगा कक लाख तम कहोग

अब छोड़ो भी अब जान दो अब तो ल लो लाख तम जरा दखना कक ककतन रिय--और तमह कोई द नही रहा

ह--तब तम िाओग कक सदरी तमहार भीतर भी तरछिी ह सामानय ह कोई तरवतरशषट बात नही ह

िािी कहकर मत छट जाना नही तो हमारी तरकीब ह य हम कहत ह अर बड़ी महािािी रही होगी

बदध जस वयतरि िर और ऐसा लाछन लगाया महा घोर िािी रही होगी

ऐसा कहकर बच मत जाना यह सामानय मनषय का कतय ह और यह सामानय मनषय सबक भीतर

तरछिा बठा ह यह हो सकता ह कक सबक मलय अलग-अलग कोई िाच रिय म राजी हो जाए--जदास तीस

रिय म राजी हो गया

मगर तीस रिय भी उस कदन क बहत थ खयाल रखना आज क तीस रिय की बात नही ह नगद चादी

थी आज क तीस रिय तो उस जमान क एक रिय क मकाबल भी नही ह उस जमान क तीस रिय बहत थ

एक रिय म जदास क जमान म िरा महीना मज स गजर जाता था शान स गजर जाता था तीस रिय काफी

थ तीस रिय स इतना बयाज तरमल सकता था उन कदनो कक आदमी जजदगीभर मज स जी लता

तो तम तीस रिय िर अिन तीस रिय मत सोचना वह जो नोट तीस रिय तमहार खीस म रहत ह

उनस मत सोचना कक तीस रिय म कस जीसस को बच कदया तम जरा सोचो कक जजदगीभर तरवशराम तरमल

जाए नौकरी इतयाकद की जररत न रही धधा नही करना चल गए माथरान और तरवशराम कर रह ह

जजदगीभर और जरा सा एक झठ बोलना ह चकोग चकोग तो िछताओग तो मन होगा कक बड़ी गलती कर

रह हो

तम जरा तरवचार करना और कभी भी ककसी को जलदी िािी कहकर अिना छटकारा मत कर लना ऐस

लबल लगाकर हम अिन को बचा लत ह सदरी ऐस ही सामानय वयतरि थी जस तम हो जस सब ह आ गयी

होगी धोख म

बदध तो उसका नाम भी नही लत ह व तो इतना ही कहत ह जस ठीक स नही िकड़न स कश हाथ को

ही छद दता ह वस ही ठीक स नही गरहण करन स शरामणय भी नकम म ल जा सकता ह

156

कतरयरा च कतरयराथन दलहमन िरककम

तरसतरथलो तरह िररबबाजो तरभययो आककरत रज

यकद परवजया-कमम करना ह--यकद सनयास लना ह तो कफर भलीभातरत ल-- भलीभातरत कर उसम दढ़

िराकरम क साथ लग जाव ढीला-ढाला शरामणय बहत मल व धल तरबखरता ह

उसस तो ससारी भला कम स कम धोखाधड़ी तो नही ह झठा सनयास न ल बदध कहत ह कयोकक झठा

सनयास और भी खतरनाक ह ससारी स भी जयादा खतरनाक

अब थोड़ा समझो अगर यह सदरी िररवरातरजका न होती और वशया होती तो शायद गाव क लोग इतनी

जलदी भरोसा न करत कहत कक अर वशया ह उसकी बात का कया भरोसा दो कौड़ी उसकी कीमत ह उसकी

बात का कया भरोसा यह अगर वशया होती तो कोई इसकी बात का शायद इतनी आसानी स भरोसा न करता

लककन यह शरातरवका थी यह िररवरातरजका थी यह सनयातरसनी थी कफर बदध की ही सनयातरसनी थी अब इसकी

बात तो कस झठलाओ जब यह कहती ह तो ठीक ही कहती होगी लोगो न जलदी भरोसा कर तरलया थी तो

यह सतरी वशया ही नही तो इस तरह राजी हो जाती

वशया का अथम कया होता ह इस शबद िर कभी धयान कदया यह शबद उसी स बनता ह तरजसस वशय

बनता ह वशय का मतलब होता ह--बचकर जीन वाला दकानदार वशया का मतलब होता ह--अिन को

बचकर अिन शरीर को बचकर जीन वाली उसन अिनी आतमा तक बच दी ऐसा झठ बोली जो उसकी आतमा

क तरविरीत था ऐसा झठ बोली जो उसक तरविरीत था तरजसक चरणो म तरसर झकाया था ऐसा झठ बोली जो

उसक तरविरीत था तरजसको भगवान िकारा था यह आतमा बच दना हो गया वशया ही थी मगर ऊिर स वसतर

तो िीत-वसतर थ वसतर तो तरभकषणी क थ वसतर तो िररवरातरजका क थ रग-ढग तो सनयातरसनी का था इसतरलए और

भी आसानी हो गयी

तो बदध कहत ह ढीला-ढाला शरामणय बहत मल व धल तरबखरता ह

नगर यथा िचचत गतत सतरबातरहर

एव गोिथ अततान खणो व मा उिचचगा

खणातीता तरह सोचतरत तरनरयतरमह समतरपिता

जस सीमात का नगर भीतर-बाहर खब रतरकषत होता ह उसी परकार अिन को रतरकषत रख कषणभर भी न

चक कयोकक कषण को चक हए लोग नकम म िड़कर शोक करत ह

बदध कहत ह जस सीमात का नगर ऐसा हो सनयासी

नगर दो तरह क होत ह सीमात का नगर होता ह जस कक िजाब ह तमन कभी सोचा कक िजाबी

इतना मजबत कस हो गया ह सीमात क लोग सदा मजबत हो जात ह सीमात िर रहन वाल लोग सदा कटटर

हो जात ह तरहममतवर हो जात ह मधयदश म रहन वाल लोग ढील-िोल हो जात ह हो ही जात ह कयोकक

वहा कोई खतरा तो आता नही सारा खतरा जब आया तो िजाब जब भी कोई खतरा आए तो िजाब िहली

ही टककर िजाब म तरसकदर आए कक तमर आए कक नाकदर आए कक कोई भी आए आए तो िजाब तो िजाबी

को िहल टककर लनी िड़ तो उस सजग भी रहना िड़ उस जझन क तरलए तयारी भी रखनी िड़ तो अगर वह

बलशाली हो जाए और उसम एक साहस आ जाए आियम नही ह

157

मधयदश म रहन वाला आदमी उस िर झगड़-झझट आत ही नही सरतरकषत ह चारो तरफ स सरतरकषत ह

उस िर खतरा नही आता तो उसम रीढ़ भी िदा नही होती

बदध कहत ह सनयासी सीमात िर जस नगर होता ह ऐसा होना चातरहए

ससारी तो ठीक ह बीच म रहता ह उस िर उतन खतर भी नही ह लककन सनयासी िर खतर जयादा ह

कयोकक उसन वासनाओ स टककर लन का तरनणमय ककया उसन वतरततयो क ऊिर उठन की आकाकषा की वह इस

ससार क िार जान क तरलए अभीपस हआ ह उसन एक बड़ा अतरभयान करना चाहा ह उस िर खतर जयादा ह

सारी वतरततया तरजनक वह िार जाना चाहता ह उस िर हमला करगी लोभ ससारी को उतना नही सताता

तरजतनी तीवरता स सनयासी को सताता ह कयोकक लोभ दखता ह कक तम तरनकल कक तम चल मर हाथ क

बाहर जा कहा रह हो लोभ आतरखरी हमला करता ह

काम ससारी को उतना नही सताता ह तरजतना सनयासी को सताता ह कयोकक काम भी दखता ह कक जा

कहा रह हो महाराज मझ छोड़ चल इतन कदन का साथ ऐस तोड़ चल रको म भी आता ह और बड़ जोर स

हमला करगा सवाभातरवक इतना िराना सगी-साथी ऐस एकदम अचानक रासत म छोड़कर आि चल िड़ िरी

तरजदद स हठ स लगगा झकाएगा सवाभातरवक ह

तो बदध कहत ह सीमात का नगर जस भीतर-बाहर स खब रतरकषत

ऐसा सनयासी हो भीतर-बाहर स खब रतरकषत धयान स रतरकषत शातरत स रतरकषत धयम स रतरकषत शरदधा स

रतरकषत

कषणभर भी न चक

और ऐसा भी न कर कक एकाध कषण चक ग तो कया हजाम ह एक कषण चक तो काफी हो जाता ह कषण म

ही तो सब भल हो जाती ह चौबीस घट जागा रह बदध कहत थ सिन म भी न चक

बदध अिन तरशषयो को ऐसी परककरयाए दत थ तरजनम सिन म भी व जाग रह समझो कक कदन म तो तमन

ककसी तरह समहाल रखा अिन को--सतरी तरनकली तमन आख उठाकर न दखा तम अिनी आख नीच गड़ाए रह

तमन कोई तसवीर न दखी सतरी की कोई कफलम दखन न गए ऐसी जगह स बच जहा आकरषमण हो सकता था

धन न छआ िद की ककसी न बात की तो तमन इकार कर कदया कक भई मझस मत करो म सनयासी तम अिन

को बचा तरलए लककन रात सिन म जब तम सो जाओग तब तब कया होगी रकषा

तो यह तो बाहर स रकषा हो गयी अब भीतर का सवाल ह कदन म तो बाहर थ दशमन--कोई आता था

और कहता था कक महाराज यह एक हीरा मर िास िड़ा ह सोचता ह म कया कर आि ल ल तमन कह

कदया भई म सनयासी ह मन तो डावाडोल हो भी रहा था लककन तमन कहा कक म सनयासी ह म हीरा लकर

कया करगा त अिना हीरा ल जा और दबारा इस तरह की बात मझस मत करना--यह तमन बाहर स तो रकषा

कर ली लककन रात सिन म भीतर स उिदरव शर होगा और तम सोए होओग कफर कया करोग बदध कहत थ

सिन म भी होश रख सोत-सोत होश रख

बदध की परककरया यह थी कक जब तरभकष सोन लग तो एक ही बात धयान म रह सोत समय कक म जागा ह

म दख रहा ह म दख रहा ह और म िहचान रहा ह और म िहचान रहा ह कक यह सब सिना ह और सब झठ

ह ऐसा ही भाव करत-करत रोज सोत-सोत कोई तीन महीन क बाद घटना घटती कक एक रात तम सो जात हो

और तमहार भीतर कछ थोड़ा सा जागा रहता ह सिना आता ह और तमहार भीतर कोई बोलता ह धीम स कक

सिना ह सावधान

158

जो बात तम तीन महीन तक अिन चतन म दोहरात रह वह धीर-धीर-धीर ररस-ररसकर अचतन म

िहच जाती ह और जब अचतन म िहच जाती ह तो कफर काम शर हो जाता ह जब भीतर और बाहर दोनो

स कोई सरतरकषत हो जाता ह तभी सनयासी हो िाता ह

कषणभर भी न चक कयोकक कषण को चक हए लोग नकम म िड़कर शोक करत ह

अलतरजजता य लजजतरत लतरजजता य न लजजर

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

लजजा न करन की बात म जो लतरजजत होत ह और लजजा करन की बात म लतरजजत नही होत व लोग

तरमथया-दतरषट को गरहण करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

और बदध कहत ह लजजा तरजस बात की करनी चातरहए लोग उसकी तो लजजा नही करत और तरजसकी

लजजा नही करनी चातरहए उसकी लजजा करत ह

अब जस तमहारी यह कफकर नही होती कक म झठ न बोल तमहारी यह कफकर होती ह कक ककसी को यह

िता न चल कक म झठ बोला यह बड़ी अजीब सी बात ह तमहारी यह जचता नही होती कक म झठ न बोल--

वही असली बात ह तरजसकी लजजा होनी चातरहए--तमहारी इतनी ही कफकर होती ह कक ककसी को िता न चल

कक म झठ बोला बस िकड़ जाओ तो लतरजजत होत हो करत वि लतरजजत नही होत िकड़ जात वि लतरजजत

होत हो

लतरजजत ही होना हो तो बदध कहत ह करत वि लतरजजत होओ तो िकड़न की बात ही न उठ िकड़न का

मौका ही न आए जाग तो उस वि जब ऐसा कछ तम कर रह हो जो गलत ह असमयक ह

लककन लोग उसम लतरजजत नही होत लोग लतरजजत तब होत ह जब िकड़ जात ह िकड़ भी जात ह तो

भी तरछिान की कोतरशश करत ह सब तरह की लाग-लिट करत ह सब तरह का आयोजन करत ह वकील खड़

करत ह कक नही ऐसा हमन ककया नही ऐसा हम करना नही चाहत थ अगर हो भी गया हो तो अनजान हआ

होगा चाहकर नही हआ ह ऐसा हमारा अतरभपराय न था ऐसी हमारी मनोवतरतत न थी--हजार तकम खोजत ह

लतरजजत उस बात स होत ह तरजसस नही होना चातरहए

तो तरभकषओ को उनहोन कहा लतरजजत वही हो जाना जहा स कतय शर होता ह वही सजग हो जाना

अभय च भयदतरससनो भय च अभयदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

भय न करन की बात म जो भय करत ह और भय करन की बात म भय नही करत व लोग तरमथया-दतरषट

को गरहण करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

भय उस बात का करना तरजसक कारण तमहारी जीवन चतना खोती हो भय उस बात का करना तरजसस

तमहारी मल सिदा नषट होती हो भय उस बात का करना तरजसस तम ओछ और छोट और सकीणम होत हो और

ककसी बात का भय मत करना लोग कया कहत ह इसका भय मत करना लोग कया कहत ह लोग जान वह

लोगो की समसया ह

159

इस बात की जचता मत करना कक लोगो का मतवय कया ह तमहार सबध म तम इसी बात की जचता

करना कक तमहारा मतवय कया ह तमहार सबध म तम अिन सबध म कया सोचत हो अगर तम अिनी आखो क

सामन उजजवल हो तो सारी दतरनया तमह कछ भी कह तम जचता मत करना सतय घोरषणा का उिाय खोज

लगा अगर तम अिनी ही आखो म उजजवल नही हो तो दतरनया तमह ककतना ही िजती रह उसस कछ सार

नही असतय आज नही कल खल जाएगा असतय वही ह जो आज नही कल खल जाएगा और सतय वही ह जो

आज नही कल उदघोतररषत होगा परतरततरित होगा सतय की परतरतिा ह असतय की अपरतरतिा ह

यह भी बदध न अिन तरभकषओ स कहा सदरी का नाम भी नही तरलया वह बात ही नही उठायी उस बात

को जस छड़ा ही नही वह बात आयी और गयी

बदध की यह दतरषट जीवन की समसयाओ को हल करन की ह खयाल रखना यह सतय िर भरोसा ह यह

सतय क परतरत अिवम शरदधा ह सतय जीतगा ही अनयथा कभी हआ नही अनयथा हो नही सकता सतयमव जयत

एस धममो सनतनो

आज इतना ही

160

एस धममो सनतनो भाग 10

तरननयानव परवचन

एकमाि साधना--सहजता

िहला परशनः महावीर और गौतम बदध समकालीन थ आिक परवचनो स सिषट हो रहा ह कक दोनो बात भी

एक ही कहत थ लककन दोनो क तरशषय आिस म तरववाद और झगड़ भी करत थ उनक जान क बाद उनक

अनयातरययो क बीच जहसा और यदध भी हए लककन यकद महावीर और बदध न कहा होता कक हम एक ही धमम

की बात करत ह भद तरसफम िदधतरत का ह तो इतनी शिता नही बढ़ती और दोनो धमो की जो कषतरत हई वह न

होती किािवमक समझाए

िछा ह अमत बोतरधधमम न

िहली बात महावीर और बदध क समय म मनषय की चतना ऐसी नही थी कक इतन तरवराट समनवय को

समझ िाए आज भी चतना ऐसी हो गयी ह कहना करठन ह आज लककन िहली ककरण मनषय की चतना म

उतर रही ह आज जो सभव हआ ह िचचीस सौ वरषम िहल सभव नही था आज म तमस कह सकता ह कक

बाइतरबल वही कहती ह जो गीता कहती ह आज म तमस कह सकता ह कक बदध वही कहत ह जो महावीर कहत

ह और कछ लोग थोड़ स लोग िथवी िर तयार भी हो गए ह इस बात को समझन और सनन को

उस कदन यह बात सभव नही थी उस कदन तो जो महावीर को सनता था उसन बदध को सना नही था

जो बदध को सनता था उसन महावीर को सना नही था तरजसन गीता िढ़ी थी उसन भलकर धममिद नही िढ़ा

था जो वद म रस लता था उसन कभी भलकर ताओ तह ककग म रस नही तरलया था लोग छोट-छोट घरो म

थ एक-दसर स तरबलकल अिररतरचत थ

इस सदी की जो सबस बड़ी खबी ह वह यही ह कक सब शासतर सभी को उिलबध हो गए ह और लोग

एक-दसर को समझन म उतसक भी हए ह थोड़ समथम भी हए ह सभी लोग हो गए ह ऐसा भी म नही कह

रहा ह कयोकक सभी लोग समसामतरयक नही ह

अगर िना म जाकर खोजो तो कछ होग जो दो हजार साल िहल रहत ह अभी भी कछ होग जो िाच

हजार साल िहल रहत ह अभी भी कछ ह तरजनहोन कक अभी गफाए छोड़ी ही नही कछ थोड़ स लोग अभी रह

रह ह व समझ सकत ह और कछ थोड़ स लोग ऐस भी ह जो कल क ह आन वाल कल क ह उनको बात

तरबलकल साफ हो सकती ह

मनषय तरवकतरसत हआ ह मनषय की चतना बड़ी हई ह बीच की सीमाए टटी ह बीच की दीवाल तरगरी

ह तो जो म कर रहा ह यह िहल सभव नही था बदध और महावीर न भी चाहा होगा--म तरनतरित कहता ह

कक चाहा होगा न चाहा हो ऐसा हो ही नही सकता--लककन यह सभव नही था छोट बचच को तम

तरवशवतरवदयालय की तरशकषा द भी नही सकत उस तो िहल सकल ही भजना िड़गा छोटी िाठशाला स ही शर

करना िड़गा और जो िाठशाला म तरसखाया ह उसम स बहत कछ ऐसा ह जो तरवशवतरवदयालय म जाकर गलत

हो जाएगा उसम बहत कछ ऐसा ह तरजसम तरवशवतरवदयालय म जाकर िता चलगा कक इस तरसखान की जररत ही

कया थी लककन उस भी तरसखाना जररी था अनयथा तरवशवतरवदयालय तक िहचना मतरशकल हो जाता

161

तो िहली तो बात यह खयाल रखो कक मनषय की चतना का तल िररवरतमत होता ह--गतरतमान ह

गतयातमक ह तो जो एक कदन सभव होता ह वह हर कदन सभव नही होता जो म तमस कह रहा ह यही बात

अभी चीन म नही कही जा सकती ह यही बात रस म नही कही जा सकती ह जो म तमस कह रहा ह यही

बात मोहममद अगर चाहत भी अरब म आज स चौदह सौ साल िहल कहना तो नही कह सकत थ वहा सनन

वाला कोई न था वहा समझन वाला कोई न था

और बहत सी बात ह जो म तमस कहना चाहता ह और नही कह रहा ह कयोकक तम नही समझोग

कभी-कभी उसम स कोई बात कह दता ह तो ततकषण अड़चन हो जाती ह कभी-कभी कोतरशश करता ह कछ

तमस कहन की जो तम नही समझोग भतरवषय समझगा लककन जब तमस ऐसी कोई बात कहता ह तभी म

िाता ह कक तम बचन हो गए तम िरशान हो गए जो तमहारी समझ म नही आता उसस िरशानी बढ़गी

घटगी नही तम उसक िकष म तो हो ही नही सकत--वह समझ म ही नही आता तो िकष म कस होओग तम

उसक तरविरीत हो जाओग तम उसक दशमन हो जाओग

तो बदध न और महावीर न जरर कहना चाहा होगा कक हम जो कहत ह एक ही बात कहत ह--उस बात

म कछ भद था भी नही भारषा का भद था परतयय का भद था धारणा का भद था अलग-अलग कहन क ढग का

भद था अलग-अलग मागम स िहच थ व एक ही मतरजल िर

और तमहारी बात सच ह कक अगर बदध और महावीर न कह कदया होता तो दोनो धमो की हातरन न

होती यह बात थोड़ी सच ह अगर यह कहा जा सकता होता--कहा नही जा सकता था कयोकक सनन वाला

कोई न था समझन वाला कोई न था--अगर यह कहा जा सकता तो धमो की इतनी हातरन न होती यह भी सच

लककन यह कहन की घटना तो दो िर तरनभमर होती ह--कहन वाल िर और सनन वाल िर तम तरसफम बदध

की याद मत करो महावीर की याद मत करो सनन वाल को भी खयाल म रखो कयोकक आकाश स नही बोला

जाता ह शनय स नही बोला जाता ह तरजसस हम बोल रह ह उसको दखना िड़ता ह उस इच-इच सरकाना

होता ह उस एक-एक कदम बढ़ाना होता ह उसस बहत दर की बात कह दो वह थककर बठ जाता ह वह

घबड़ा जाता ह वह कहता ह यह मर बस की नही ह इतन दर न म जा सकगा न म जाना चाहता ह इतन

दर उस तो एक इच बढ़ाना होता ह एक इच तरहममत करक बढ़ जाता ह तो कफर और एक इच आग बढ़न की

कषमता आ जाती ह उस बहत दर की बात नही कही जा सकती और तरजस मतरजल को उसन जाना नही ह उस

मतरजल की भी बात नही कही जा सकती

अगर बदध और महावीर न सनन वालो की कफकर ककए तरबना ऐसा कह कदया होता कक हम जो कहत ह

एक ही ह तो तरसफम तरवभम बढ़ता लोग और उलझन म िड़ जात तब व सोचन लगत अगर दोनो एक ही बात

कहत ह तो कहत कया ह

तो महावीर को तो यही कहना िड़ा कक जो म कहता ह वही सच ह और बदध को भी यही कहना िड़ा

कक जो म कहता ह वही सच ह इसस अनयथा जो कहता ह गलत ह और जानत हए कहना िड़ा कक अनयथा

भी कहा जा सकता ह

लककन तम ऐसा समझो कक तम एक एलोिथ डाकटर क िास तरचककतसा क तरलए गए और तम उसस िछो

कक आयवकदक वदय कछ और कहता ह वह कोई और दवा सझाता ह और होतरमयोिथी का डाकटर कछ और

दवा सझाता ह और नचरोिथी का डाकटर कहता ह दवा की जररत ही नही ह िानी म बठ रहन स और तरमटटी

162

की िटटी चढ़ान स सब ठीक हो जाएगा उिवास करन स सब ठीक हो जाएगा--कया य सभी ठीक कहत ह

अगर एलोिथी का डाकटर तमस कह द कक सभी ठीक ह एक ही तरफ िहचन क अलग-अलग रासत ह और

यही होतरमयोिथी का डाकटर भी कह द और यही आयवद का डाकटर भी कह द और यही नचरोिथ कह द तो

तम बड़ी उलझन म िड़ जाओग तम तब कहोग कहा जाए ककस की सन ककस की मान

सभी ठीक कहत ह ऐसी बात सनकर इसकी बहत कम सभावना ह कक तमहार जीवन म कछ लाभ हो

शायद नकसान हो जाए कयोकक तम आए थ कही स दढ़ तरनिय की तलाश म तम चाहत थ कोई आदमी जोर

स टबल िीटकर कह कक जो म कहता ह यही ठीक ह तम सदह स भर हो तम शरदधा खोज रह हो तमह ऐसा

आदमी चातरहए तरजसकी भारषा तरजसकी आवाज तरजसका दढ़ तरनिय तम म यह भरोसा जगा द कक हा यहा

रहन स कछ हो जाएगा वह कह कक यह भी ठीक ह वह भी ठीक ह चाह यहा रहो चाह वहा रहो सब जगह

स िहच जाओग सब रासत वही िहचा दत ह तो बहत सभावना यह ह कक तम ककसी भी रासत िर न चलो

बहत सभावना यह ह कक तम बहत तरवभतरमत हो जाओ कयोकक बड़ी अलग भारषाए ह बदध और महावीर की

महावीर कहत ह आतमा को जानना जञान ह और बदध कहत ह आतमा को मानन स बड़ा कोई अजञान

नही अब दोनो ठीक ह अगर यह और साथ म जड़ा हो कक महावीर कहत हो म भी ठीक बदध भी ठीक और

बदध कहत हो म भी ठीक और महावीर भी ठीक तम जरा उस आदमी की सोचो उस िर कया गजरगी जो सन

रहा ह आतमा को जानना सबस बड़ा जञान और आतमा को मानना सबस बड़ा अजञान य दोनो ही अगर ठीक ह

तो सनन वाल को यही लगगा कक दोनो िागल ह बजाय इनक िीछ जान क इनक साथ खड़ होन क वह

इनको नमसकार कर लगा वह कहगा तो आि दोनो ठीक रहो म चला म कही और खोज जहा कोई बात ढग

की कही जाती हो शदध तकम की कही जाती हो समझ म िड़न वाली कही जाती हो लोग गतरणत की तरह

सफाई चाहत ह

इसी कारण महावीर को बहत अनयायी नही तरमल कयोकक महावीर न थोड़ी सी तरहममत की बदध स

जयादा तरहममत की बदध को जयादा अनयायी तरमल बदध न उतनी तरहममत नही की यह तम चौकोग सनकर

महावीर न बड़ी तरहममत की ह उसी तरहममत का नाम ह--सयातवाद अनकातवाद

महावीर स कोई िछता ईशवर ह महावीर कहत ह भी नही भी ह दोनो भी सच ह दोनो गलत भी ह

इसका नाम ह सयातवाद कयोकक महावीर कहत ह परतयक बात को कहन क बहत ढग हो सकत ह जो बात ह

क माधयम स कही जा सकती ह वही नही ह क माधयम स भी कही जा सकती ह नकार और तरवधय दोनो एक

ही बात को कहन म उियोग म लाए जा सकत ह दोनो एक साथ भी उियोग म लाए जा सकत ह और दोनो

का एक साथ इनकार भी ककया जा सकता ह

तरजसन भी महावीर को सना उसक िर डगमगा गए उसन कहा सयातवाद हम आए ह शरदधा की तलाश

म तरमलता ह सयात--यह भी ठीक हो सयात वह भी ठीक हो लोग सदह स िीतरड़त ह सयात स उनकी ततरपत न

होगी

इसतरलए महावीर को बहत अनयायी नही तरमल ककतन इन-तरगन जन ह उनकी सखया कछ बड़ी नही

हई और जन-धमम जहदसतान क बाहर नही िहच सका इसम जन-धमम की करठनाई और जहदसतान की गररमा

दोनो तरछिी ह जन-धमम जहदसतान क बाहर नही िहच सका कयोकक जहदसतान म ही जहदसतान जस तरवकतरसत

दश म उस कदन थोड़ स लोग तरमल जो महावीर को समझ सक जहदसतान क बाहर तो व एक आदमी भी नही

िा सक जो महावीर को समझ सक

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इसतरलए जहदसतान क बाहर महावीर को अनयायी नही तरमल नही कक जन नही गए जन-मतरन गए--

तरमशर गए अरब गए तरतबबत गए परमाण ह उसक इतरजपत तक जान क जन-मतरन क परमाण ह अगरजी म तमन

शबद सना होगा--तरजमनोसोकफसट वह जनो का नाम ह तरजमनो जन स बना जन-दाशमतरनक तरजमनोसोकफसट का

मतलब होता ह जन-दरषटा ठीक तरमशर क मधय तक जन-मतरन गया लककन कोई समझन वाला न तरमला बदध को

समझन वाल लोग िर एतरशया म तरमल गए िाठ इतना करठन नही था िाठ सरल था सगम था

कफर जन-मतरनयो की एक और तरजदद थी कक िाठ को जरा-भी तरमतरशरत नही होन दग शदध का शदध रखग

वह तरजदद भी मतरशकल म डाल दी बदध क तरभकषओ म ऐसी तरजदद नही थी तरतबबत म गए तो उनहोन तरतबबत म

समझौता कर तरलया तरतबबत म जो चलता था उसस समझौता कर तरलया चीन म गए तो चीन म जो चलता

था उसस समझौता कर तरलया कोररया गए जािान गए जहा गए वहा जो चलता था उसस समझौता कर

तरलया बदध की भारषा को और वहा की भारषा को तालमल तरबठा कदया बदध-धमम फला खब फला सारा एतरशया

बौदध हो गया

दोनो एक साथ थ--महावीर और बदध--दोनो एक ही अनभव को उिलबध हए महावीर क इन-तरगन

अनयायी रह गए उगतरलयो िर तरगन जा सक --अब भी िचचीस सौ साल क बाद सखया कोई जयादा नही ह

िचचीस-तीस लाख यह कोई सखया हई िचचीस-तीस िररवार अगर महावीर स दीतरकषत होत तो अब तक उनक

बचच िदा होत-होत िचचीस-तीस लाख हो जात बहत थोड़ स लोग महावीर म उतसक हए नही कक महावीर की

बात गलत थी महावीर जरा आग की बात कह रह थ दर की बात कह रह थ बदध का िाठ सरल ह जयादा

लोगो को समझ म आया

लककन इतनी तरहममत तो दोनो म स कोई भी नही कर सका कक--महावीर भी नही कर सक और बदध भी-

-कक महावीर न कहा होता कक बदध जो कहत ह ठीक कहत ह वसा ही ह जसा म कहता ह न बदध कह सक

दोनो म परतरतसिधाम सीधी-सीधी थी और यह कहन स बड़ा तरवभम फलता इसस लोग और उलझन म िड़ जात

लोगो को सहारा दना ह उलझाना नही ह

तो तमहारा परशन तो ठीक ह बहत सी झझट बच जाती अगर दोनो न एक ही मच स बठकर कह कदया

होता कक हम दोनो एक ही बात कहत ह--बहत सी झझट बच जाती लककन बहत स लाभ भी रक जात झझट

बच जाती झगड़ा खड़ा न होता और लाभ रक जाता कयोकक कोई चलता ही नही झगड़ा करन वाला िीछ

खड़ा ही नही होता कोई चलता ही नही इस बात िर

इस मनषय क मन की एक बतरनयादी जररत ह कक यह शरदधा की तलाश करता ह यह कछ ऐसी बात

चाहता ह तरजसको सतरनतरित मन स गरहण कर सक तरजसम जरा सदह न हो तरजसको यह पराणिण स सवीकार

कर सक यह भरोसा माग रहा ह यह कहता ह तम ऐसी बात कह दो दो-टक जस दो और दो चार होत ह

धधली-धधली बात मत कहो उलझी-उलझी बात मत कहो धआ-धआ बात मत कहो साफ कह दो लिट की

तरह धए स शनय थोड़ी सी कह दो मगर साफ कह दो तरजस म समहालकर रख ल अिन हदय म और तरजसक

सहार म चल िड मझ तरनणमय लना ह

आदमी को तरनणमय लना ह तरनणमय तभी तरलया जा सकता ह जब तरनिय हो तरनिय क तरबना तरनणमय नही

होगा तो तरनणामयक बात कह दो इसतरलए बदध और महावीर जानत हए भी ऐसा नही कह कक जो म कहता ह

वही बदध कहत ह जो बदध कहत ह वही म कहता ह य दोनो साथ-साथ जीतरवत थ एक ही इलाक म घमत थ--

तरबहार को दोनो न ितरवि ककया--आज महावीर ह इस गाव म उनक जान क बाद दसर कदन बदध आ गए ह

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एक चौमासा महावीर का हआ ह दसरा चौमासा उसी गाव म बदध का हआ ह व ही लोग जो महावीर को सन

रह ह व ही लोग बदध को सन रह ह इनम अतरनिय िदा न हो जाए इसतरलए दोनो यह जानत हए भी कक जो

व कह रह ह एक ही ह

लककन यह एक ही उनक तरलए ह जो िहच गए यह एक उनक तरलए ह जो तरशखर िर खड़ होकर दखग

उनक तरलए सार िहाड़ िर आत हए रासत एक ही तरशखर िर ला रह ह--िरब स आता ह ितरिम स दतरकषण स

कछ फकम नही िड़ता रतरगसतान म होकर आता ह कक हर मरदयानो म होकर आता ह झरनो क िास स गजरता

ह रासता कक सखा जहा कोई झरन नही ऐसा िहाड़ क रासत स आता ह रासता कोई फकम नही िड़ता सभी

तरशखर िर िहच जात ह

तरशखर िर खड़ा हो तो यह समझ म आ सकता ह या घाटी म भी िड़ा हो लककन बतरदध इतनी परखर हो

गयी हो साफ हो गयी हो जचतन-मनन परगाढ़ हो गया हो समनवय की कषमता तरविरीत म भी उसी को दख

लन की कला आ गयी हो तो शायद घाटी म िड़ हए आदमी को भी समझ म आ जाए

जो उस कदन कवल तरशखर िर िहच हए लोगो को सभव था वह आज िचचीस सौ साल क बाद घाटी म

भी कहा जा सकता ह इसीतरलए म कह रहा ह जो म कह रहा ह यह बदध न भी कहना चाहा होता--बदध तड़फ

होग यह कहन को नही कह सक म भी कछ बात कहन को तड़फता ह वह िचचीस सौ साल बाद कोई कहगा

कयोकक म तमस कहगा तो तम नाराज हो जाओग मझस ककतन लोग नाराज ह कछ ऐसी ही बातो स नाराज

ह जो व नही सनना चाहत थ तरजनकी सनन की कषमता अभी नही थी वह मन कह दी

थोड़ी बात तो कहनी ही िड़गी नही तो तम आग बढ़ोग ही नही सारी बात नही कह सकता ह कयोकक

अनतकाल िड़ा ह इस अनतकाल म आदमी न मालम ककतनी-ककतनी नयी तरवभाओ म नयी कदशाओ म तरवकास

करगा जब नयी चतना अवतररत होन लगगी तो नयी बात कहना सभव हो जाएगा

शिता बच सकती थी जन और बौदध आिस म न लड़त यह हो सकता था लककन यह बड़ी कीमत िर

होता कीमत यह होती कक न कोई जन होता न कोई बौदध होता झगड़ का सवाल ही न था झगड़ा तो तब हो

न जब कोई बौदध हो जाए और कोई जन हो जाए झगड़ा भी तरनिय का िररणाम ह जब एक आदमी तरनिय स

मान लता ह कक महावीर ठीक ह और दसरा आदमी तरनिय स मान लता कक बदध ठीक ह तो उनक बीच कलह

शर होती ह तो तरववाद शर होता ह

तो लाभ भी न होता हातरन भी न होती अगर ऐसा ही था तो कफर यही उतरचत था जो हआ--हातरन भला

हो जाए कछ लाभ तो हो और जो लड़-झगड़ व ककसी और बहान स लड़त-झगड़त खयाल रखना झगड़ना

तरजनह ह उनको बहानो भर का फकम ह व ककसी और बहान स लड़त-झगड़त लड़न वाल की लड़ाई इतनी

आसानी स हटन वाली नही ह वह नए बहान खोज लता ह

तमन दखा जहदसतान गलाम था जहद-मसलमान झगड़त थ झगड़ा टल जहदसतान-िाककसतान बट गए

सोचा था बाटन वालो न कक इस तरह यह झगड़ा टल जाएगा--दोनो को दश तरमल गए अब तो कोई झगड़ा

नही ह अब तो बात खतम हो गयी मसलमान शातरत स रहग जहद शातरत स रहग लककन रह शातरत स तब

बगाली मसलमान िजाबी मसलमान स लड़न लगा तब गजराती महारातरषटरयन स लड़न लगा तब जहदी बोलन

वाला गर-जहदी बोलन वाल जहद स लड़न लगा

य िहल न लड़ थ कभी तमन खयाल ककया जब तक जहद-मसलमान लड़ रह थ तब तक गजराती और

मराठी नही लड़ रह थ तब तक जहदी और ततरमल नही लड़ रह थ तब तक बगाली मसलमान और िजाबी

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मसलमान म गहरा भाईचारा था--दोनो मसलमान थ लड़न की बात ही कहा थी दोनो को जहद स लड़ना था

दोनो इकटठ थ जहद भी इकटठ थ--मसलमान स लड़ना था

अब मसलमान तो कट गया मसलमान का िाककसतान हो गया जहद का जहदसतान हो गया अब ककसस

लड़ और लड़न वाली बतरदध तो वही ह वही क वही ह लड़ना तो िड़गा ही नए बहान खोजन िड़ग तो

बगाल कट गया िाककसतान स भयकर यदध हआ जहद-मसलमान भी इस बरी तरह कभी न लड़ थ जस

मसलमान-मसलमान लड़

और इन बीस-तीस सालो म जहद हजार ढग स लड़ रह ह ककसस लड़ रह हो अब अब कोई भी छोटा

बहाना कक एक तरजला महाराषटर म रह कक मसर म रह बस ियामपत ह झगड़ क तरलए छरबाजी हो जाएगी कक

बबई राजधानी महाराषटर की बन कक गजरात की छरबाजी हो जाएगी कक इस दश की भारषा कौन हो--जहदी

हो कक ततरमल हो कक बगाली हो--कक बस झगड़ा शर और तम यह मत सोचना कक यह झगड़ा ऐसा आसान

ह इसको तरनिटा दो--जहदी-भातररषयो का एक परात बना दो कक चलो सार जहदी-भातररषयो का एक परात सार गर-

जहदी भातररषयो का दसरा परात--तम िाओग जहदी-भारषी आिस म लड़न लग कयोकक उसम भी कई बोतरलया ह

बरज भारषा ह और मगधी ह और बदलखडी ह और छततीसगढ़ी ह झगड़ शर

आदमी को लड़ना ह तो वह नए बहान खोज लगा लड़ना ही ह तो कोई भी तरनतरमतत काम दता ह

तो म तमस यह कहना चाहता ह तरजनह लड़ना था व तो लड़त ही इसतरलए उनको धयान म रखकर

तरजनको लाभ हो सकता ह उनका लाभ न हो यह कोई तरहतकर बात न होती

तो बदध-महावीर न तरजनका लाभ हो सकता था उनको िकारा तरजनको तरनिय तरमल सकता था उनको

िकारा तरजनको शरदधा जम सकती थी उनको िकारा और उनस कहा कक यही मागम ह बस यही मागम ह ताकक

व अटट भाव स परगाढ़ भाव स सलगन हो जाए उनक मन म कोई दतरवधा न रह कक दसरा भी कोई मागम हो

सकता ह कछ लोग िहच कछ लोग महावीर क मागम स िहच कछ लोग बदध क मागम स िहच

हा बहत लड़त रह यह लड़न वालो की कफकर ही छोड़ दो य लड़त ही रहत य महावीर-बदध क नाम स

न लड़त ककसी और नाम स लड़त इनह लड़ना ही ह

लककन आज हालत बदली ह आज हवा बदली ह आज दतरनया बहतर जगह म ह दतरनया तरसकड़ गयी ह

तरवजञान न बड़ी छोटी कर दी दतरनया अब लोग बाइतरबल भी िढ़त ह गीता भी िढ़त ह धममिद भी िढ़त ह

अब म यहा धममिद िर बोल रहा ह महीनो स तो कोई ऐसा थोड़ ही ह कक बदध को मानन वाल ही मझ सन

रह ह जहद भी सन रहा ह जन भी सन रहा ह मसलमान भी सन रहा ह ईसाई भी सन रहा ह यह सभव

नही था अतीत म यह िहली दफा घटना सभव हो रही ह दतरनया करीब आयी ह भाईचारा बढ़ा ह और

लोगो की कषदर सीमाए थोड़ी टटी ह

सभी की टट गयी ऐसा भी नही कह रहा ह तरजनकी टट गयी ह व भतरवषय क मातरलक ह तरजनकी टट

गयी ह व भतरवषय क िि ह जो समय क िहल आ गए ह उनक हाथ स भतरवषय का तरनमामण होगा व ही थोड़ स

लोग भतरवषय क तरनमामता ह बाकी तो अतीत क अधर म सरक रह ह उनका कोई मलय नही ह तरजनको भतरवषय

की थोड़ी समझ ह तरजनकी चतना म थोड़ा परकाश हआ ह उनको एक बात कदखायी िड़नी शर हो गयी ह कक

यह िथवी एक ह आदमी आदमी एक ह--न गोरा और काला अलग ह न जहद-मसलमान अलग ह न बराहमण-

शदर अलग ह--हम सब एक इकटठी मानवता ह और मनषय की सारी धरोहर हमारी धरोहर ह कषण हो कक

166

कराइसट और जरथसतर हो कक महावीर और बदध हो कक सरहा सब हमार ह और हम सबको आतमसात कर

लना ह हम सबको िी लना ह

और आज एक ऐसी सभावना बन रही ह कक इतनी बात कहन िर कक सभी ठीक ह लोग तरवभतरमत नही

होग सच तो यह ह कक अब लोग इसी क माधयम स गतरत कर सकत ह अब तो यह बात ही जानकर भम िदा

होता ह कक महावीर ठीक और बदध गलत कषण ठीक और कराइसट गलत अब तो अगर कषण गलत ह तो कराइसट

क मानन वाल को भी शक होता ह--अगर कषण गलत ह तो कफर कराइसट कस सही होग कयोकक बात तो करीब-

करीब एक ही कहत ह अगर महावीर गलत ह तो कफर बदध भी सही नही हो सकत यह आज बौदध क मन म

भी सवाल उठन लगा ह यह सवाल कभी नही उठता था

अब ऐसा समझो कक महावीर ह कषण ह कराइसट ह मसा ह जरथसतर ह कबीर ह नानक ह लाखो

सतिररष हए इनम स बस तम तरजसको मानत हो वही सही ह और शरष सब गलत ह जरा सोचो इस बात का

अथम कया होगा तम नानक को मानत हो बस नानक सही ह और सब गलत ह आज एक नयी शका िदा

होगी--अगर और सब गलत ह तो बहत सभावना इसकी ह कक नानक भी गलत हो तरननयानब गलत ह और

तरसफम नानक सही ह और जो तरननयानब गलत ह व नानक जसी ही बात कहत ह अब तो अगर नानक को भी

सही होना ह तो बाकी तरननयानब को भी सही होना िड़गा यह एक नयी घटना ह

िरान कदनो म बात उलटी थी अगर नानक को सही होना था तो तरननयानब को गलत होना जररी था

तभी लोग मदबतरदध सकीणमबतरदध लोग चल सकत थ आज हालत ठीक उलटी ह िरा चाक घम गया आज

हालत यह ह अगर नानक को सही होना ह तो कबीर को भी सही होना ह तो लाओतस को भी सही होना ह

तो बोकोज को भी सही होना ह तो दतरनया म जहा-जहा सत हए--ककसी रगरि क ककसी ढग क ककसी भारषा

ककसी शली क--उन सब को सही होना ह तो ही नानक भी सही हो सकत ह अब नानक अकल खड़ होना चाह

तो खड़ न हो सक ग अब तो सब क साथ ही खड़ हो सकत ह

मनषय की तरबरादरी बड़ी हई ह एक नया आकाश सामन खला ह जस तरवजञान एक ह ऐस ही भतरवषय म

धमम भी एक ही होगा एक का मतलब यह होता ह कक जब दो और दो चार होत ह कही भी--चाह तरतबबत म

जोड़ो चाह चीन म जोड़ो चाह जहदसतान म चाह िाककसतान म--जब दो और दो चार ही होत ह िानी को

कही भी गरम करो भाि बनता ह--चाह अमरीका म चाह अफरीका म चाह आसटरतरलया म--सौ तरडगरी िर भाि

बनता ह कही भी ना-नच नही करता यह नही कहता कक यह आसटरतरलया ह छोड़ो जी यहा हम तरननयानब

तरडगरी िर भाि बनग अगर परकतरत क तरनयम सब तरफ एक ह तो िरमातमा क तरनयम अलग-अलग कस हो

जाएग अगर बाहर क तरनयम एक ह तो भीतर क तरनयम भी एक ही होग

तरवजञान न िहली भतरमका रख दी ह तरवजञान एक ह अब जहदओ की कोई कतरमसटरी और मसलमानो की

कतरमसटरी तो नही होती कतरमसटरी तो बस कतरमसटरी होती ह और कफतरजकस ईसाइयो की अलग और जनो की

अलग ऐसा तो नही होता ऐसा होता था िरान कदनो म तम चककत होओग जानकर जनो की अलग भगोल

ह बौदधो की अलग भगोल ह भगोल कछ तो अकल लगाओ भगोल अलग-अलग मगर वह भगोल ही और

थी उस भगोल म सवगम-नको का तरहसाब था इस जमीन की तो भगोल थी नही वह इस जमीन की भगोल का

तो कछ िता ही न था वह भगोल कालितरनक थी सात सवगम ह ककसी क भगोल म ककसी क भगोल म तीन

सवगम ह ककसी क भगोल म और जयादा सवगम ह ककसी क भगोल म सात नकम ह कही सात सौ नकम ह कलिना

का जगत था वह नकश तयार ककए थ मगर सब कलिना का जाल था तो भगोल अलग-अलग थ

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लककन यह भगोल कस अलग हो यह वासततरवक भगोल कस अलग हो यह तो एक ह अगर यह एक ह

तो अतजमगत का भगोल भी अलग-अलग नही हो सकता मनोतरवजञान उसक ितथर रख रहा ह बतरनयाद रख

रहा ह जस मनषय क शरीर क तरनयम एक ह वस ही मनषय क मन क तरनयम एक ह और वस ही मनषय की

आतमा क तरनयम भी एक ह अभी सभावना बननी शर हई कक हम उस एक तरवजञान को खोज ल उस एक

शाशवत तरनयम को खोज ल

अतीत म जो कहा गया ह वह उसी की तरफ इशारा ह लककन इतना साफ नही था तरजतना आज हो

सकता ह मनषय इस भातरत कभी तयार न था तरजस भातरत अब तयार ह भतरवषय का धमम एक होगा भतरवषय म

जहद-मसलमान-ईसाई नही होग भतरवषय म धारममक होग और अधारममक होग

कफर धमम की शतरलया अलग हो सकती ह ककसी को रतरचकर लगता ह पराथमना तो रतरच स पराथमना कर

लककन इसस कछ झगड़ा नही ह ककसी को रतरचकर लगता ह धयान तो धयान कर और ककसी को मकदर क

सथाितय म लगाव ह तो मकदर जाए और ककसी को मतरसजद की बनावट म रतरच ह और मतरसजद क मीनार मन

को मोहत ह तो मतरसजद जाए लककन यह धमम स इसका कोई सबध नही ह सथाितय स सबध ह सौदयम-बोध

स सबध ह

तम अिना मकान एक ढग स बनात हो म अिना मकान एक ढग स बनाता ह इसस कोई झगड़ा तो

खड़ा नही होता म अिन भगवान का मकान एक ढग स बनाता ह तम अिन भगवान का मकान एक ढग स

बनात हो इसस झगड़ा खड़ा कयो हो म अिना मकान बनाता ह गोल तम चौकोन इसस कोई झगड़ा खड़ा

नही होता झगड़ की जररत ही नही तमहारी िसद अलग मरी िसद अलग हम दोनो जानत ह कक मकान का

परयोजन एक कक म इस गोल मकान म रहगा तम उस चौकोन मकान म रहोग रहन क तरलए मकान बनात ह

इतनी सवतिता तो होनी ही चातरहए कक तरजसको जसी मजी हो वसा मकान बना ल िरान ढग का

बनाए नए ढग का बनाए पराचीन शली का बनाए कक कोई नयी शली खोज छपिर ऊचा रख कक नीचा

बगीचा लगाए कक न लगाए िौधो का बगीचा लगाए कक रत ही फला द अिनी मौज इसम हम झगड़ा नही

करत न हम यह कहत ह कक तम तरतरछ मकान म रहत तम गोल मकान म रहत म चौकोर मकान म रहता

हम अलग-अलग ह हम म झगड़ा होगा हमार तरसदधात अलग ह

इसस जयादा भद मकदर-मतरसजद म भी नही ह अिनी-अिनी मौज मतरसजद भी बड़ी पयारी ह जरा जहद

की आख स हटाकर दखना तो मतरसजद म भी बड़ी आकाकषा परगट हई ह व मतरसजद की उठती हई मीनार

आकाश की तरफ मनषय की आकाकषा की परतीक ह--आकाश को छन क तरलए मतरसजद का सननाटा मतरसजद की

शातरत मरतम भी नही ह एक तरचि भी नही ह एक--कयोकक मरतम और तरचि भी बाधा डालत ह--सननाटा ह जसा

सननाटा भीतर हो जाना चातरहए धयान म वसा सननाटा ह मतरसजद का अिना सौदयम ह खाली सौदयम ह मतरसजद

का शनय का सौदयम ह मतरसजद का

मकदर की अिनी मौज ह मकदर जयादा उतसव स भरा हआ ह रग-तरबरगा ह मरतमया ह कई तरह की

छोटी-बड़ी लककन मकदर अिना उतसव रखता ह--घटा ह घटा बजाओ भगवान को जगाओ खद भी जागो

िजा करो मकदर की गोल गबद मडि का आकार उसक नीच उठत हए मिो का उचचार तम िर वािस तरगरती

वाणी--मि तम िर कफर-कफर बरस जात एक मकदर म जाकर ओकार का नाद करो सारा मकदर गजा दता ह

सब लौटा दता ह तम िर कफर उडल दता ह एक घटा बजाओ कफर उसकी परतरतधवतरन गजती रहती ह यह

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ससार िरमातमा की परतरतधवतरन ह माया ह िरमातमा मल ह यह ससार परतरतधवतरन ह छाया ह मकदर अलग

भारषा ह मगर इशारा तो वही ह कफर हजार तरह क मकदर ह

दतरनया म धारममक और अधारममक बचग लककन जहद-मसलमान-ईसाई नही होन चातरहए यह भतरवषय की

बात ह यहा जो परयोग घट रहा ह वह उस भतरवषय क तरलए बड़ा छोटा सा परयोग ह लककन उसम बड़ी

सभावना तरनतरहत ह

मझस लोग आकर िछत ह कक आि लोगो को कया बना रह ह एक ईसाई तरमशनरी न मझस आकर िछा

कक अनक ईसाई आिक िास आत ह आि इनको जहद बना रह ह मन कहा म खद ही जहद नही तो इनको कस

जहद बनाऊगा तो उसन िछा आि कौन ह

म तरसफम धारममक ह इनको धारममक बना रहा ह और इनको म इनक तरगरज स तोड़ नही रहा ह वसततः

जोड़ रहा ह मर िास आकर अगर ईसाई और ईसाई न हो जाए तो मर िास आया नही मसलमान अगर और

मसलमान न हो जाए ठीक िहल दफा मसलमान न हो जाए तो मर िास आया नही जहद मर िास आकर और

जहद हो जाना चातरहए मरा परयोजन बहत अनयथा ह व िरान कदन गए वह िरान आदमी की सकीणम चतना

गयी

िर महावीर और बदध चाहत भी तो यह नही कर सकत थ कयोकक म जानता ह अिन तई कक बहत सी

बात म चाहता ह लककन नही कर सकता ह--तम तयार नही हो उनही थोड़ी सी बातो को करन की कोतरशश म

तो भीड़ छटती गयी ह मर िास स कयोकक जो भी म चाहता ह करना अगर वह जरा जररत स जयादा हो

जाता ह तो तमहारी तरहममत क बाहर हो जाता ह तम भाग खड़ होत हो तम मर दशमन हो जात हो थोड़

दससाहसी बच ह इनक भी साहस की सीमा ह अगर मझ इनको भी छाटना हो तो एक कदन म छाट द सकता

ह इसम कोई अड़चन नही ह इनका साहस मझ िता ह ककतन दर तक इनका साहस ह उसक िार की बात य

न सन सक ग उसक िार य कहग--तो कफर अब चल अब आि जानो

अगर म सार भतरवषय की बात तमस कह द तो शायद मर अतरतररि यहा कोई सनन वाला नही बचगा

तब कहन का कोई अथम न होगा उस तो म जानता ही ह कहना कया ह

तो जब भी ककसी वयतरि को सतय का अनभव हआ ह वह अनभव तो एक ही ह लककन जब वह उस

अनभव को शबदो म बाधता ह तो सनन वाल को दखकर बाधता ह दखन म दो बात समरण रखनी िड़ती ह--

एक जो इसस कहा जाए वह इसस तरबलकल ही तालमल न खा जाए नही तो यह तरवकतरसत नही होगा और

इसक तरबलकल तरविरीत न िड़ जाए अनयथा यह चलगा ही नही इन दोनो क बीच सतलन बनाना िड़ता ह

कछ तो ऐसा कहो जो इसस मल खाता ह ताकक यह अटका रह और कछ ऐसा कहो जो इसस मल नही खाता

ताकक यह बढ़

तम दख न जब सीकढ़या चढ़त हो तो कस चढ़त हो एक िर एक सीढ़ी िर रखत हो जमा लत हो कफर

दसरा िर उठात हो एक िरानी सीढ़ी िर जमा रहता ह दसरा नयी सीढ़ी िर रखत हो जब दसरा नयी सीढ़ी

िर मजबती स जम जाता ह तब कफर तम िरानी सीढ़ी स िर उठात हो एक िर जमा रह िरान म और एक

िर नए की तरफ उठ तो ही गतरत होती ह दोनो िर एक साथ उठा तरलए तो हडडी-िसली टट जाएगी--तरगरोग

और दोनो जमाए खड़ रह तो भी तरवकास नही होगा और दोनो एक साथ उठा तरलए तो भी तरवकास नही होगा

तरवकास होता ह--एक जमा रह िरान म एक नए की तरफ खोज करता रह इस सतलन को ही धयान म रखना

होता ह

169

तो तमस इसीतरलए तो म गीता िर बोलता ह ताकक िरान िर िर जमा रह एक मगर गीता िर म वही

नही बोलता जो तमहार और बोलन वाल बोल रह ह दसरा िर तमहारा सरका रहा ह िर वि धममिद िर

बोल रहा ह लककन कोई बौदध धममिद िर इस तरह नही बोला ह जस म बोल रहा ह कयोकक मरी नजर और

ह--एक िर जमा रह एक िर तम तरनजित रख लो कक चलो भगवान बदध की ही तो बात हो रही ह कोई हजाम

नही दसरा िर म सरका रहा ह महावीर िर बोलता ह तम बड़ परसनन होकर सनत हो कक चलो भगवान

महावीर की बात हो रही ह तरनजित हो जात हो तम अिना सब सरकषा का उिाय छोड़कर तरबलकल बठ जात

हो तयार होकर कक चलो यह तो अिनी ही बात हो रही ह उसी बीच तमहारा एक िर म सरका रहा ह तम

तरजतन तरनजित हो जात हो उतनी ही मझ सतरवधा हो जाती ह

तमह तरनजित करन को बोलता ह गीता िर बाइतरबल िर धममिद िर महावीर िर तम तरनजित हो

जात हो तम कहत हो यह तो िरानी बात ह अिन ही शासतर की बात हो रही ह इसम कछ खतरा नही ह

खतरा नही ह ऐसा सोचकर तम अिनी ढाल-तलवार रख दत हो वही खतरा शर होता ह वही स म तमह

थोड़ा आग खीच लता ह

दसरा परशनः तरजस तरह आि शरी ज कषणमरतम क सबध म परम और सततरत क साथ बोलत ह वसा व आिक

बार म नही बोलत ह कभी-कभी तो लगता ह कक व कछ अनयथा कहन जा रह ह लककन कफर टाल जात ह

फलसवरि आिक तरशषय तो बड़ परम स कषणमरतम को सनन जात ह लककन उनक मानन वाल आिक िास खल

कदल स नही आत किाकर समझाए

कषणमरतम जो कहत ह सवाशतः सही ह सौ परतरतशत सही ह लककन कषणमरतम का रासता बहत सकीणम

ह िरा सही ह िगडडी जसा ह मरा रासता बड़ा राजिथ ह मर िथ िर बदध कषण कराइसट मोतरजज

जरथसतर बोतरधधमम लाओतस सब समा जात ह तो कषणमरतम को भी म उसम समा लता ह कछ अड़चन नही

आती मरा घर बड़ा ह कषणमरतम रहत ह छोटी कोठरी म कोठरी तरबलकल भली ह कछ गड़बड़ नही ह मर

बड़ घर म कषणमरतम की कोठरी तो समा जाती ह लककन मरा बड़ा घर कषणमरतम की कोठरी म नही समा

सकता

कषणमरतम हीनयानी ह म महायानी ह कषणमरतम की डोगी ह छोटी सी--डोगी जानत हो न छोट गावो

म जयादा स जयादा एकाध आदमी बठकर चला लता ह मछली मार आया--मरा िोत बड़ा ह बड़ा जहाज ह

महायान उसम आओ सब कदशाओ स लोग सब तरह क लोग सब शासतरो को मानन वाल सब तरसदधातो को

मानन वाल सबक तरलए जगह ह इसतरलए

कषणमरतम तरबलकल सही ह लककन कषणमरतम का एक बहत सकीणम रासता ह उस रासत स िहच जाओग--

जो चलत ह उनको म कहता नही कक छोड़ो--जरर िहच जाओग चलत रहो वह रासता िहचाता ह लककन

िगडडी जसा ह िगडडी भी िहचाती ह लककन इतना म कहना चाहता ह कक ऐसा मत सोचना कक उस रासत

िर जो नही चल रह ह व कोई भी नही िहचत व भी िहच जात ह राजिथ िर चलन वाल भी िहच जात ह

तरसफम राजिथ ही ह इस कारण नही िहचत ऐसा मत सोच लना

तो मरी और कषणमरतम की तरसथतरत तरभनन-तरभनन ह म तो उनकी मज स सततरत कर सकता ह मझ कछ

अड़चन नही ह मरी बात क तरविरीत उनकी बात नही िड़ती ह लककन व मरी सततरत नही कर सकत ह कयोकक

170

मरी बात उनक तरविरीत िड़ जाएगी उनहोन जो एक साफ-सथरा सा रासता बनाया ह अगर व एक दफ भी

कह द कक म ठीक कह रहा ह तो उनका सारा रासता गड़बड़ हो जाएगा कयोकक मन तो सार रासतो को ठीक

कहा ह मझको तो वही ठीक कह सकता ह जो सार रासतो को ठीक कह--खयाल रखना म तो ककसी रासत को

गलत कहता नही ह इतनी समायी कषणमरतम की नही ह

इसम म कछ यह भी नही कह रहा ह कक इसम कछ गलती ह अिनी-अिनी मौज ह कछ लोगो को

िगडडी स चलन म मजा आता ह हजाम कछ भी नही ह मज स चल जो थक गया हो अिनी डोगी म और

िगडडी िर चलत-चलत उसको म कहता ह कक अगर थक गए हो तो घबड़ाओ न जहाज म सतरममतरलत हो

जाओ तमहारी डोगी भी ल आओ उसको भी रख लो कभी तमहारी मजी हो तो कफर अिनी डोगी तरा दना

कफर उतर जाना तमहारी िगडडी भी समा जाएगी इस बड़ रासत िर उसको भी ल लो साथ ककसी कदन थक

जाओ भीड़-भाड़ स बड़ रासत क शोरगल-उतसव स अिनी िगडडी लकर अलग उतर जाना

कषणमरतम को अड़चन ह व मरी बात को ठीक नही कह सकत ह कहग तो उनका सारा रासता डगमगा

जाएगा मरी बात को ठीक कहन का मतलब तो ह कक सारा उिदरव मोल ल तरलया कयोकक मरी बात म कषण

की बात सतरममतरलत ह मरी बात म बदध की बात सतरममतरलत ह मरी बात म महावीर की बात सतरममतरलत ह

मरी बात म मोहममद की बात सतरममतरलत ह मझ हा कहन का मतलब तो यह हआ कक मनषय-जातरत म जो भी

चतनय क अब तक सरोत हए ह सबको ठीक कहना िड़गा इतना खतरा कषणमरतम नही ल सकत इसस उनका

जो साफ-सथरा मागम ह वह सब असतवयसत हो जाएगा

कषणमरतम न एक बतरगया बनायी ह--साफ-सथरी ह गतरणत की तरह साफ-सथरी--मरा तरहसाब तो जगल

जसा ह साफ-सथरा नही ह जगल साफ-सथरा हो भी नही सकता तम एक बगीचा बनात हो लान लगात

हो कयारी सजात हो सब साफ-सथरा कर लत हो ऐसा कषणमरतम का तरहसाब ह इसतरलए तरजनका गतरणत बहत

परखर ह और जो कवल बतरदध स ही चल सकत ह उनको कषणमरतम की बात तरबलकल ठीक लगगी गतरणत जसी ह

तकम यि ह

मरा तरहसाब तो जगल जसा ह मरा तरहसाब जयादा नसरगमक ह मन बहत बनान की कोतरशश नही की ह

उसको जसा ह वसा सवीकार कर तरलया ह मरा मागम सहज ह तरजनको जगल म जान की तरहममत हो व मर

साथ चल तरजनको ऊबड़-खाबड़ म भी चलन की तरहममत हो व मर साथ चल तरजनको अतकम म उतरन की

तरहममत हो व मर साथ चल अतकम तकम क तरविरीत नही ह तकम क िार ह तो अतकम म तकम तो समा जाता ह

लककन तकम म अतकम नही समाता ऐसी अड़चन ह

इसस कषणमरतम िर नाराज मत होना उनकी अिनी वयवसथा ह उनका अिना एक अनशासन ह उस

अनशासन को समहालत हए व मझ हा नही भर सकत मझ हा भर तो अनशासन टट जाएगा यह म भी नही

चाहगा कक उनका अनशासन टट उस अनशासन स कछ लोग चल रह ह िहच जाएग उनको अिना

अनशासन मजबती स कायम रखना चातरहए उनको जगल को बगीच म नही घसन दना चातरहए यह तरबलकल

ठीक ह कयोकक जगल अगर बगीच म आ गया तो तमहारी सब जमायी हई वयवसथा उखड़ जाएगी तमहारा

लान कया होगा तमहारी िगडतरडया तमन बनायी उनका कया होगा तमन जो रासत साफ-सथर ककए थ

उनका कया होगा नही जगल को तमहार बगीच म नही आन दना चातरहए उस रोककर रखना िड़गा

इसतरलए तम ठीक ही कहत हो कक कभी-कभी तो लगता ह कक व कछ अनयथा कहन जा रह ह लककन

कफर टाल जात ह

171

व मर िकष म तो बोल नही सकत यह बात सतरनतरित ह व मर तरविकष म भी नही बोलत कयोकक जानत

तो ह व कक जो म कह रहा ह ठीक कह रहा ह इसतरलए तरविकष म बोल नही सकत

इस बात को खयाल म लना मर िकष म बोल नही सकत कयोकक उसस उनहोन जो वयवसथा बनायी ह

वह तरबगड़ जाएगी मर तरविकष म बोल नही सकत कयोकक व जानत ह कक जो म कह रहा ह वह ठीक ह सवय

क तई तो व जानत ह कक जो म कह रहा ह वह ठीक ह

एक बार ऐसा हआ कक म बबई आया--उसी साझ आया कलकतत स और रात ही मझ कदलली जाना था--

कषणमरतम बबई थ ककसी न कषणमरतम को कहा होगा कक म आया हआ ह उनहोन कहा इसी वि तरमलन का

इतजाम करो

वह तरमि भाग हए आए उनका नाम था िरमानद काितरड़या गजराती क एक सिादक थ लखक थ व

एकदम भाग हए आए म जब एअरिोटम जान की तयारी कर रहा था गाड़ी म बठ रहा था तब व िहच तो

मन कहा यह तो बड़ा मतरशकल हो गया जरर तरमलना हो जाता लककन अभी अड़चन ह म लौटकर आता ह

चार कदन बाद लककन दसर कदन सबह कषणमरतम जान को थ लदन वािस तो तरमलना नही हो िाया

उनकी तरमलन की उतसकता--ततकषण उनहोन कहा इसी समय कछ इतजाम करो कक हमारा तरमलना हो

जाए--इस बात का सबत ह कक जो म कह रहा ह जो म कर रहा ह उसम भीतर स उनकी गवाही ह लककन

बाहर स व गवाही नही द सकत दनी भी नही चातरहए दन स तो नकसान होगा

मझ बड़ी सतरवधा ह मझ बड़ी छट ह मन तरजस ढग की अवयवसथा चनी ह-- कक आज भि िर बोलता

ह कल धयानी िर बोलता ह आज इस मागम िर बोलता ह कल उस मागम िर बोलता ह--मन जसी अवयवसथा

चनी ह उस अवयवसथा क कारण मझ जसी सवतिता ह वसी आज तक कभी ककसी को नही थी बदध सीतरमत

महावीर सीतरमत कषण सीतरमत कराइसट सीतरमत कषणमरतम सीतरमत रामकषण-रमण सीतरमत उन सबकी सीमाए

ह व उतना ही बोलत ह तरजतनी उनकी वयवसथा म आता ह उसक बाहर की बात या तो टाल जात ह या

इनकार कर दत ह मझ बड़ी सतरवधा ह

तो म तो कहता ह कषणमरतम ठीक ह तरजसको रच जरर उनस चल-- िहचगा मगर म यह आशा नही

करता कक यही कषणमरतम मर सबध म कह कहग तो उनका रासता असतवयसत हो जाएगा

तीसरा परशनः कया भगवान बदध का सार-सदश यही नही ह कक वयतरि ससार क माया-मोह को आमल

छोड़ द लककन तब तो ससार क परतरत दया या करणा का भाव भी कस रखा जा सकगा

इस समझना

ससार क परतरत बहत माया-मोह हो तो दया का भाव बनगा ही कस तरजतना ससार क परतरत माया-मोह

होता ह उतना ही तरचतत कठोर जहसक ईषयामल हो जाता ह तरजतना ससार की चीजो म लगाव होता ह उतना

ही तमहारी दन की कषमता कम हो जाती ह दया कम हो जाती ह--दया यानी दन की कषमता

तो तमहारा परशन बड़ा तकम यि मालम होता ह ऊिर-ऊिर भीतर तरबलकल िोचा ह तम यह िछ रह हो

कक अगर ससार क परतरत सब माया-मोह छोड़ कदया जाए तो कफर तो करणा-दया का भाव भी छट जाएगा

नही इसस उलटी ही घटना घटती ह तम तरजस कदन सब माया-मोह छोड़ दोग उस कदन तम िाओग

करणा ही करणा बची शदध करणा बची वही ऊजाम जो माया-मोह बनी थी करणा बनती ह ससार स माया-

172

मोह छोड़त ही तमहार हदय म तरसफम एक ही भाव की तरग रह जाती ह--करणा की सार जगत को सखी दखन

का एक भाव रह जाता ह कयो कयोकक अब तम सखी हो गए और कोई भाव रहगा भी कस अब तम

आनकदत हो तम चाहोग कक सारा जगत ऐस ही आनकदत हो अब तमह िता चला कक इतना आनद हो सकता

ह और मझ हो सकता ह तो सभी को हो सकता ह

इसी करणा क कारण तो बदध बोल नही तो बोलत कस जब माया-मोह ही समापत हो गया--अगर

तमहारी बात सही होती--तो अब कफर समझाना कया ह बोलना कया ह अिनी आख बद कर ली होती

चिचाि अिन म डबकर समापत हो गए होत

नही हो सक समापत कोई कभी नही हो सका अिन म समापत जब दख म थ तो चाह जगल भाग गए

लककन जब सख तरमला तो वािस बसती लौट आए बाटना था जगल म ककसको बाटत

इस बात को खयाल म लना महावीर भाग गए जगल जब दखी थ बदध भी भाग गए जगल जब दखी थ

जब दखी थ तो भाग जाना एक अथम म उतरचत ही था कयोकक यहा रहत तो लोगो को दख ही दत और कया

होता दख हो तो दख ही हम दत ह भाग गए हट गए यहा स बीमार आदमी जगल चला जाए ताकक कम स

कम औरो को तो बीमारी न फलाए सकरामक रोग ह तमहारा अचछा ह जगल चल जाओ जब रोग कट जाए

सवासथय िदा हो तब लौट आना कयोकक जस रोग क कीटाण होत ह वस ही सवासथय क भी कीटाण होत ह

जस रोग सकरामक होता ह वस ही सवासथय भी सकरामक होता ह तो िरमजञानी िररष िहल तो भाग जगल की

तरफ और जब िा तरलया जब हीरा हाथ लगा तब लौट आए तब लौटना ही िड़ा अब यह हीरा बाटना भी

तो िड़गा

इस हीर क तरमलत ही एक बड़ा उततरदातरयतव भी साथ म तरमलता ह कक अब इस दो यह सब को तरमल

सकता ह अब उनको खबर करो जगाओ सोयो को तरचललाओ मडरो िर चढ़ जाओ आवाज दो िकारो कोई

सोया न रह जाए ऐसी चषटा करो चार कदन तमहारी जजदगी क बच हो इनको िकारन म लगा दो

बदध बयालीस साल जजदा रह जञान क बाद बयालीस साल अथक िकारत रह--सबह-साझ गाव-गाव

तरचललात कफर चालीस वरषम महावीर भी ऐस ही भटकत रह िकारत रह चोट करत रह ककसी भातरत कोई

जाग जाए

एक छोटी सी कतरवता ह रवीदरनाथ ठाकर की कतरवता का नाम ह--अतरभसार सनयासी क जीवन-दशमन

की इसम सदर झलक ह सनयासी जगत क भोग क तरलए तो जगत को छोड़ दता ह िर सवा क तरलए नही

सवा क तरलए तो वह जगत का हो जाता ह िहली दफा जगत का हो जाता ह और सदा क तरलए हो जाता ह

भोग छोड़न क कारण और भी जयादा जगत का हो जाता ह कयोकक जब तक तम जगत क भोग म उतसक हो

तब तक तम तरभखारी हो तम माग रह हो जगत स दोग कया खाक तरजस कदन तमन भोग की आकाकषा छोड़

दी तम मातरलक बन तम समराट बन अब तम द सकत हो भोग क कारण हम सवा चाहत ह भोग छोड़न िर

सवा दन का परारभ होता ह

इस कतरवता म रवीदरनाथ न कहा ह--रातरि का समय यौवन-मद म मतत नगर-नटी वासवदतता अतरभसार

को तरनकली ह

वशया को कहत थ उस समय नगर-नटी नगर-वध--सार गाव की वध जो सदरतम लड़ककया होती थी

िरान कदनो म नगर की जो सदरतम यवती होती थी उस नगर-वध बना दत थ ताकक लोगो म सघरषम न हो

कलह न हो झगड़ा न हो जो सदरतम ह उसक तरलए बहत परतरतयोतरगता मचगी झगड़ा होगा कलह होगी

173

सदरतम को नगर-वध बना दत थ कक वह सब की हो एक की न हो यह वासवदतता उस समय की बड़ी सदरी

थी बदध क समय की कथा ह यह रवीदरनाथ न कतरवता उसी कथा िर तरलखी ह

वासवदतता अतरभसार को तरनकली ह अिन रथ िर सवार होकर फलो स सजी वह सदरतम यवती थी

उन कदनो की बौदध तरभकष उिगपत को राह म दखकर रठठक जाती ह रथ को रोक लती ह

एक बौदध तरभकष उिगपत बदध का एक तरशषय िास स गजर रहा ह वासवदतता न समराट दख ह दवार िर

भीख मागत समराट दख ह उसक दवार िर भीड़ लगी रहती थी राजििो की सभी को उसका तरमलन हो भी नही

िाता था--बड़ी महगी थी वासवदतता लककन ऐसा सदर वयतरि उसन कभी दखा नही था यह जो तरभकष उिगपत

यह अिन िीत वसतरो म तरभकषािाि तरलए शात मदरा म चला जा रहा ह इसन न तो रासता दखा न भीड़भाड़

दखी ह न वासवदतता को दखा ह यह तो अिनी आखो को चार फीट आग--जसा बदध कहत थ चार फीट स

जयादा मत दखना--अिनी आखो को गड़ाए चिचाि राह स गजर रहा ह इसक चलन म एक अिवम परसाद ह

जो कवल सनयासी क चलन म ही हो सकता ह तरजसको कछ लना-दना नही ह उसक तनाव चल गए वह

यहा-वहा दकानो िर लग बोडम नही दख रहा ह न चीज दख रहा ह न लोग दख रहा ह जब इस ससार स कछ

लना ही न रहा तो अब कया दखना-दाखना शात ह अिन भीतर रमा चिचाि चला जा रहा ह

सनयासी अिवमरि स सदर हो जाता ह सनयास जसा सौदयम दता ह मनषय को और कोई चीज नही दती

सनयसत होकर तम सदर न हो जाओ तो समझना कक कोई भलचक हो रही ह और सनयासी का कोईशगार नही

ह सनयास इतना बड़ाशगार ह कक कफर ककसी औरशगार की कोई जररत नही ह

तमन दखा कक ससारी भोगी ह जवानी म शायद सदर होता हो लककन जस-जस बढ़ािा आन लगता ह

असदर होन लगता ह लककन उसस उलटी घटना घटती ह सनयासी क जीवन म जस-जस सनयासी वदध होन

लगता ह वस-वस और सदर होन लगता ह कयोकक सनयास का कोई वादधमकय होता ही नही सनयास कभी बढ़ा

होता नही सनयास तो तरचर-यवा ह

इसतरलए तो हमन बदध और महावीर की जो मरतमया बनायी ह वह उनक यवावसथा की बनायी ह इस

बात की खबर दन क तरलए कक सनयासी तरचर-यवा ह हमन अिवम सौदयम स भरी मरतमया बनायी ह महावीर और

बदध की उनक िास कछ भी नही ह न कोई साज ह नशगार ह--कषण को तो सतरवधा ह कषण की मरतम को तो

हम सजा लत ह मोरमकट बाध दत रशम क वसतर िहना दत घघर िहना दत हाथ म कगन डाल दत

मोतरतयो का हार लटका दत--बदध और महावीर क िास तो कछ भी नही ह बदध क िास तो एक चीवर ह

तरजसको ओढ़ा हआ ह महावीर क िास तो वह भी नही वह तो नगन खड़ ह लककन कफर भी अिवम सौदयम ह

ऐसा सौदयम तरजसको ककसी सजावट की कोई जररत नही

ऐस इस उिगपत को तरनकलत दखा होगा वासवदतता न और वासवदतता सदरतम लोगो को जानती ह

सदरतम लोगो को भोगा ह सदर स सदर स उसकी िहचान ह सदरतम उसक िास आन को तड़फत ह--उसन

रथ रोक तरलया बौदध तरभकष उिगपत को दखकर वह रठठक जाती ह दीिक क परकाश म--राह क ककनार जो

दीिसतभ ह उसक परकाश म--वह सबल सवसथ और तजोदीपत गौरवणम सनयासी को दखती ही रह जाती ह ऐसा

रि उसन कभी दखा नही सनयासी का सहज सौदयम उसक मन को तरडगा दता ह अब तक लोग उसक परम म

िड़ थ िहली दफा वासवदतता ककसी क परम म िड़ती ह वह सनयासी को अिन घर आमतरित करती ह

सनयासी बड़ी बहमलय बात उततर म कहता ह

उिगपत उसस कहता ह--

174

समय ज कदन आसीब

आिनी जाइबो तोमार कज

तरजस कदन समय आ जाएगा उस कदन म सवय ही तमहार कज म उितरसथत हो जाऊगा वासवदतता कहती

ह कक तरभकष मर घर आओ बठो रथ म म तमह घर ल चल और तरभकष कहता ह--आऊगा जरर आऊगा समय

ज कदन आसीब तरजस कदन समय आ जाएगा आिनी जाइबो तोमार कज वासवदतता तझ मझ बलाना भी न

िड़गा म अिन आि आ जाऊगा समय की परतीकषा

और बहत कदनो तक समय नही आया वासवदतता परतीकषा करती परतीकषा करती उसका मन न लगता

इस ससार म अब राग-रग उस कदखायी न िड़ता बहत लोग आत बहत लोगो स सबध भी बनता--नगर-वध

थी वही उसका काम था वशया थी--लककन अब ककसी दह म वह दीतरपत न कदखायी िड़ती और ककसी दह म

वह सौदयम न कदखायी िड़ता उिगपत की व शात आख उसका िीछा करती रात हो कक कदन सिन उठत

लककन बात सन ली थी उसन उिगपत की कक जब समय आएगा तब आ जाऊगा और इतन बलिवमक कही

थी बात कक यह बात भी साफ हो गयी थीः उिगपत उन लोगो म स नही तरजस तरडगाया जा सक जो कहा ह वसा

ही होगा समय की परतीकषा करनी िड़गी आिनी जाइबो तोमार कज अिन आि आऊगा तर कज म तो

वासवदतता न कफर बलान की चषटा भी नही की कभी राह िर आत-जात शायद उिगपत कदखायी भी िड़ जाता

होगा लककन कफर कहना भी उतरचत न था सनयासी न बात कह दी थी परतीकषा और परतीकषा उसका सारा

जीवन बीत गया

कफर एक रातरि--िनम की रातरि--उिगपत मागम स जा रह थ उनहोन दखा कक कोई मागम िर रगण िड़ा ह

गाव क बाहर उनहोन उस अिन अक म तरलटा तरलया जजमर वसत क दानो स गल गया शरीर कोई नारी ह

परकाश म दखा--अर वासवदतता यौवन बीत गया शरीर जराजीणम अतरतम घड़ी ह वसत रोग क दानो स

शरीर िरी तरह तरघर गया ह बचन का कोई उिाय नही ह कोई अब परमी भी नही बचा--ऐस कषण म कहा परमी

बचत ह नगर म भी रखन को लोग राजी न रह नगर क बाहर खदड़ कदया ह--ऐसी रगण दह को कौन नगर म

रखगा अब उसकी घातक बीमारी दसरो को लग सकती ह

यह जो महारोग ह--वसत रोग इसको हम कहत ह--नाम भी हमन खब चना ह इस दश म नाम भी हम

बड़ तरहसाब स चनत ह सार शरीर िर काम-तरवकार क कारण फफोल फल गए ह यौन-रोग ह लककन हमन

नाम कदया ह वसत रोग--जवानी का रोग वसत का रोग जो अब तक सौदयम बनकर परगट हआ था वही अब

करिता बनकर परगट हो रहा ह जो अब तक चमड़ी िर आभा मालम होती थी वही घाव बन गयी ह सारा

शरीर घावो स भर गया ह सड़ रहा ह महा दगध उठ रही ह उस कौन नगर म रख उस गाव क बाहर

कफकवा कदया ह यह वही सतरी ह तरजस लोग तरसर िर तरलए घमत थ तरजसक चरण चमत थ समराट

अतरतम घड़ी वसत रोग आतरखरी तरसथतरत म ह कोई अब परमी नही नगर स दर मागम िर असहाय िड़ी रो

रही ह दम तोड़ रही ह वासवदतता न आख खोली वह कातर कठ स बोली--दयामय तम कौन हो

म ह सनयासी उिगपत भल तो नही गयी न भली नही हो न मन कहा था--

समय ज कदन आसीब

आिनी जाइबो तोमार कज

तरजस कदन समय आएगा म तमहार कज म सवय उितरसथत हो जाऊगा लगता ह समय आ गया म

उितरसथत ह म तमहारी ककस सवा म आ जाऊ मझ कहो आजञा दो म आ गया ह वासवदतता म सवा क तरलए

175

तयार होकर आ गया ह उस कदन तो आता तो तमस सवा मागता उस कदन तो व आत थ तरजनह तमहारी सवा

की जररत थी आज म आ गया ह म तमहारी सवा करन को ततिर ह

रवीदरनाथ की यह कतरवता बड़ी बहमलय ह यह सनयासी क तरलए एक जयोतरतममय भावदशा की समतरत

बनाए रखन क तरलए बड़ी काम की ह इस समरण रखना ससार तो छोड़ना ह ससार की माया-ममता भी

छोड़नी ह लककन इसका यह अथम नही कक सनयास कठोर बना द तमह किण बना द तमह कक तमहार हदय को

ितथर बना द तब तो तम चक गए

और अकसर ऐसा होता ह अकसर तमहार तथाकतरथत साध-सनयासी-महातमा तरजस कदन माया-मोह

छोड़त ह ससार का उसी कदन दया-ममता दया-करणा भी छोड़ दत ह तमहार तथाकतरथत सनयासी रख-सख

लोग ह उनहोन माया-मोह छोड़ी उसी कदन स व डर गए ह उनहोन अिन को सखा तरलया भय क कारण व

रसहीन हो गए ह उन िर न नए ितत लगत ह न नए फल आत ह इसतरलए तो उनक जीवन म तमह सौदयम

कदखायी न िड़गा उनक जीवन म एक करिता ह मरसथल जस ह तमहार सनयासी चक गए रस स थोड़ ही

तरवरोध था

ितजतरल न कहा न--रसो व सः वह सतय तो रसमय ह वह िरमातमा तो रस भरा ह सनयासी रस स

थोड़ ही तरवरदध ह रस ससार म वयथम न बह रस दया बनकर बह करणा बनकर बह सवा बनकर बह रस

तमह तरभखारी न बनाए समराट बनाए याचक न बनाए दानी बनाए रस तम लटाओ रस तम दो

इसतरलए जो सनयास तमह माया-मोह स छड़ाकर करणा-दया स भी छड़ा दता हो समझना चक गए तीर

तरनशान िर न लगा गलत जगह लग गया भल हो गयी माया-ममता स छड़ान का परयोजन ही इतना ह कक

तमहारी जीवन-ऊजाम करणा बन माया-ममता छट गयी और करणा बनी नही तो ससार भी गया और सतय भी

न तरमला तम धोबी क गध हो गए--घर क न घाट क--तम कही क न रह

और तमहार अतरधक सनयासी और महातमा धोबी क गध ह घर क न घाट क ससार छट गया ह और सतय

तरमला नही ह बाहर का सौदयम छट गया और भीतर का सौदयम तरमला नही ह अटक गए रसधार ही सख गयी

मरसथल हो गए जयादा स जयादा कछ काट वाल झाड़ िदा हो जात हो मरसथल म तो हो जात हो बस और

कछ नही न ऐस वकष िदा होत ह कक तरजनम ककसी राहगीर को छाया तरमल सक न ऐस वकष िदा होत ह कक

रसदार फल लग और ककसी की भख तरमट सक नही ककसी की कषधा तरमटती नही ककसी की पयास तरमटती रख-

सख य खड़ लोग और इनकी तम िजा ककए चल जात हो इनकी िजा खतरनाक ह कयोकक इनको दख-दखकर

धीर-धीर तम भी रख-सख हो जाओग

इस दश म यह दभामगय खब घटा इस दश का सनयासी धीर-धीर जीवन की करणा स ही शनय हो गया

उस करणा ही नही आती लोग मरत हो तो मरत रह लोग सड़त हो तो सड़त रह वह तो कहता हम कया

लना-दना हम तो ससार छोड़ चक

ससार छोड़ वह तो ठीक लककन करणा छोड़ चक तो कफर तम बदध की करणा न समझोग महावीर की

अजहसा न समझोग और कराइसट की सवा न समझोग इस कसौटी मानकर चलना करणा बननी ही चातरहए तो

ही समझना कक सनयास ठीक कदशा म यािा कर रहा ह

चौथा परशनः कया ितरडत-िरोतरहतो का ईशवर सतय नही ह

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ितरडत-िरोतरहतो का ईशवर उतना ही सतय ह तरजतन व सतय ह तमहारा ईशवर उतना ही सतय होगा तरजतन

तम सतय हो तमहारा ईशवर तमस जयादा सतय नही हो सकता तमहारा ईशवर ठहरा न तम अगर झठ हो

तमहारा ईशवर झठ होगा तम अगर झठ हो तमहारी िजा झठ होगी तमहारी पराथमना झठ होगी तम िर तरनभमर

ह तम अगर मदाम हो तमहारा ईशवर मरा हआ होगा तमहारा ईशवर तम स अनयथा नही हो सकता

ितरडत-िरोतरहत का ईशवर ह ही कया शबद-जाल ह शासतर म िढ़ी हई बात ह जीवन म अनभव की हई

नही ितरडत-िरोतरहत का ईशवर तमहार शोरषण क तरलए ह उसक जीवन-रिातरण क तरलए नही वह मकदर

बनाता ह अिन जीवन-रिातरण क तरलए नही वह परवचन दता ह अिन जीवन-रिातरण क कारण नही

उसम लाभ ह कछ और लाभ ह तमस कछ तरमलता ह तमह उलझाए रखता ह

कालम माकसम न कहा ह कक धमम अफीम का नशा ह यह बात तरननयानब परतरतशत सही ह यह ितरडत-

िरोतरहत क दवारा जो धमम चलता ह उसक बाबत तरबलकल सही ह धमम अफीम का नशा ह लककन यह सौ

परतरतशत सही नही ह इसतरलए म माकसम स राजी नही ह कयोकक ऐसा भी धमम ह जो बदधो का ह जागरत िररषो

का ह ऐसा भी धमम ह जो उनका ह तरजनहोन अनभव ककया ह अगर ितरडत-िरोतरहत का ही धमम होता सौ

परतरतशत तो माकसम तरबलकल सही था माकसम सही भी ह और गलत भी सही ह तथाकतरथत धमम क सबध म और

गलत ह वासततरवक धमम क सबध म

तम उसस सीखना अिना ईशवर तरजसन ईशवर जाना हो तम उसक िास उठना-बठना उसका सतसग

करना तरजसका ईशवर स कछ लगाव बन गया हो तरजसक हाथ म ईशवर का हाथ छ गया हो छ गया हो कम स

कम अगर हाथ िकड़ा भी न हो तो भी चलगा कयोकक छ गया तो बहत दर नही ह िकड़ भी जाएगा और

तरजसका हाथ ईशवर क हाथ म आ गया उसक पराण भी ईशवर क पराण क साथ एक होन लगत ह सत बन गया

हो तरजसका सतसग करना उसक साथ

सत को हम इसीतरलए तो सत कहत ह सत का अथम होता ह तरजसक जीवन म सतय उतर आया सतय

तरजसका जीवन बन गया वही सत सत का सतसग करना ितरडत-िरोतरहत क िीछ मत घमत रहना िरोतरहत तो

तमहारा नौकर-चाकर ह तम सौ रिय दत हो तो आकर तमहार घर म िजा कर जाता ह तम सौ रिय न दोग

नमसकार कर लगा अगर कोई रिय न दगा िजा-िाठ बद हो जाएगा कभी नही करगा उस िजा-िाठ स

परयोजन नही ह नौकरी बजा रहा ह

एक अमीर आदमी अिन बगीच म बठा था अिन एक दोसत स बात कर रहा था वह अमीर आदमी

अिन दोसत स बातचीत करत-करत बोला कक एक बात बताओ सतरी क साथ सभोग करन म ककतना तो काम ह

और ककतना आनद ह ककतना तो बोझरि ह काम जसा और ककतना खल जसा ह सखरि उसक तरमि न

कहा िचास परतरतशत तो काम ह--बोझरि करना िड़ता ह ऐसा--और िचास परतरतशत खल ह सखरि लककन

वह अमीर बोला कक नही म तो मानता ह कक नबब परतरतशत काम जसा ह और दस परतरतशत ही खल जसा ह

िास ही बढ़ा माली काम कर रहा था दोनो न उस बलाया और कहा कक इस बढ़ माली स िछो यह कया

कहता ह उसस िछा कक बढ माली हम दोनो म तरववाद चल रहा ह सभोग म ककतना तो सख ह और

ककतना काम ह म कहता ह नबब परतरतशत काम ह और दस परतरतशत सख ह और मर तरमि कहत ह िचास-

िचास परतरतशत त कया कहता ह उस बढ़ माली न कहा मातरलक सौ परतरतशत सख ह अगर सौ परतरतशत न

होता तो आि हम नौकरो स करवा लत अगर काम ही काम होता तो आि नौकर-चाकर रख लत

177

तम परम क तरलए नौकर-चाकर नही रखत लककन पराथमना क तरलए रखत हो और पराथमना परम की अतरतम

घटना ह तम जब परम करत हो तो खद करत हो नौकर-चाकर नही रखत लककन जब पराथमना तो ितरडत रख

लत हो पराथमना को तम दसर स करवा रह हो--नौकर-चाकर स तो अगर तमहारी पराथमना कभी िरमातमा तक

नही िहचती तो कछ आियम ह

पराथमना तो परम ह वह तो परम की िरमदशा ह तम करोग तो ही िहचगी तरबचवइयो का काम नही ह

दलालो का काम नही ह

कफर दलाल की उतसकता तो तमस जो िसा तरमल रहा ह उसम ह तम सौ रिय दत हो तो वह आधा घटा

करता ह दो सौ दन लगो तो घटभर कर द तम िाच सौ द दो तो कदनभर करता रह और तम तरबलकल न दो

तो कफर एक दफ भी नही आएगा पराथमना करन मकदर की घटी न बजगी िजा का थाल न सजगा फल न

चढ़ाए जाएग तो यह ितरडत जो िजा कर रहा ह िरोतरहत जो िजा कर रहा ह यह िजा भगवान की ह कक धन

की हो रही ह तम जब तक िसा दत हो तब तक ठीक तब तक भगवान ह और भतरि ह और सततरत ह सब ह

और जस ही िसा गया कक सब समापत हआ

मन एक रसी कहानी सनी ह ककससा एक बढ़ रसी ककसान का ह सभी रसी ककसानो की तरह उसका

भी जीवन करठनाइयो स भरा था वरषो तक वह और उसकी बीबी अिन दो बटो क साथ एक कोठरी म रहत थ

कफर एक बटा फौज म चला गया और मोच िर मारा गया दसर बट न दर क ककसी शहर म नौकरी कर ली

कछ वि बाद जब बीबी भी चल बसी तो गराम-सोतरवयत न वह कोठरी उसस छीनकर एक नवदितरत को द दी

और एक िड़ोसी क कमर म कोन म िदाम लगवाकर उसक रहन की वयवसथा कर दी सततर साल की जजदगी म

िहली बार ककसान क कदल म तरवदरोह की तरचनगारी सलगी

साल म दो बार मई कदवस और करातरत की वरषमगाठ िर गाव की सड़क झतरडयो और पलकाडो स सज

उठती थी तरजन िर तरलखा होता था--लतरनन जजदा ह लतरनन जजदा ह जजदा थ और जजदा रहग इस बार यह

शबद िढ़कर बढ़ ककसान क मन म आया कक कयो न मासको जाकर सवम शतरिमान लतरनन स ही कमरा वािस

कदलवान की पराथमना कर वस जीवनभर कभी वह अिन गाव स चद मील स जयादा दर नही गया था मगर

उसन कछ मागकर कछ उधार लकर ककराया जटाया और रल म चढ़कर मासको जा िहचा

मासको म भी िछताछ करता हआ सौभागय स कमयतरनसट िाटी की क दरीय सतरमतरत क एक बड़ िदातरधकारी

क सामन हातरजर हो गया उस सारा ककससा सनाकर बोला मझ लतरनन साहब स तरमलवा दीतरजए ताकक म

उनस कह कक व खद मरा कमरा मझ वािस कदलवाए अतरधकारी हकका-बकका रह गया कफर अिना आियम

तरछिाकर उसन ककसान को बताया कक लतरनन तो कभी क मर चक ह

अब हकका-बकका होन की बारी ककसान की थी अफसर न उस समझाया कक लतरनन का शव लाल चौक म

उनक मकबर म रखा हआ ह लककन ककसान अड़ा रहा उसन कहा मगर झड िर तो साफ तरलखा होता ह कक

लतरनन जजदा ह जजदा थ और जजदा रहग और सदा जजदा रहग अतरधकारी न बड़ सबर स उस समझाना शर

ककया कक इसका अथम तरसफम यह ह कक लतरनन की पररणा जजदा ह और वह हमारा मागमदशमन कर रही ह

अतरधकारी काफी भावावग क साथ बोलता रहा जब वह बोल चका तो ककसान चिचाि उठकर चल कदया

दरवाज िर िहचकर वह िलटा और अतरधकारी स बोला अब म समझ गया साहब जब आिको जररत िड़ती

ह लतरनन जजदा हो उठत ह और जब मझ जररत होती ह लतरनन मर जात ह

178

ितरडत-िजारी को तो िरमातमा की जररत ह ककसी कारण स इस खयाल म लना उननीस सौ सिह म

रस म करातरत हई उसक िहल रस ऐसा ही धारममक दश था जसा भारत बड़ चचम थ बड़ िादरी थ बड़

िजागह थ और लोग बड़ धारममक थ कफर करातरत हो गयी और दस वरषम क भीतर सब चचम गायब हो गए सब

िजा गायब हो गयी सब िड-िरोतरहत गायब हो गए और रस नातरसतक हो गया यह भरोस की बात नही कक

दस साल म इतनी जलदी सब धारममक लोग अधारममक हो गए

एक कमयतरनसट मझस बात कर रहा था वह कहन लगा आि कतरहए यह कस हआ तो मन कहा यह

इसीतरलए हो सका कक व धारममक थ ही नही धारममक होत तो इसस कया फकम िड़ता था कक राजय बदल गया

राजनीतरत बदल गयी कछ फकम न िड़ता धारममक थ ही नही सब झठा धमम था ितरडत-िरोतरहत तो नौकरी म

था जब भगवान स नौकरी तरमलती थी भगवान क नाम िर नौकरी तरमलती थी भगवान की सततरत गाता था

जब लतरनन क नाम िर नौकरी तरमलन लगी तो वह लतरनन की सततरत गान लगा िहल वह कहता था बाइतरबल

तरलए घमता था तरसर िर कफर दास कतरिटल माकसम की ककताब लकर घमन लगा यह वही का वही आदमी ह

तब भी नौकरी म था अब भी नौकरी म ह और जनता को न तब मतलब था न अब मतलब ह तब जनता

सोचती थी कक भगवान की िजा करवा लन स कछ लाभ होगा तो िजा करवा लती थी अब सोचती ह कक

कमयतरनसट िाटी क झड िर फल चढ़ान स लाभ होता ह लतरनन क मकबर िर जान स लाभ होता ह तो यह कर

लती ह

लोग धारममक कहा ह ितरडत-िरोतरहत झठा ह और उसक िीछ चलन वाल लोग झठ ह

तम इस झठ म मत िड़ जाना अगर तमह सतय की सच म तलाश हो तो तरबचवइए मत खोजना मधयसथ

मत खोजना िरमातमा क सामन सीध खड़ होना और अगर तमह लग कक ककसी क जीवन म कही ककरण उतरी

ह तो उस ककरण का सग-साथ करना सत क साथ रहोग तो तमह बदलना िड़गा ितरडत-िरोतरहत क साथ

रहोग तो ितरडत-िरोतरहत तमहारी सवा कर रहा ह वह तमह कस बदलगा ितरडत-िरोतरहत तमहारा नौकर-

चाकर ह तमह नही बदल सकता तम जो चाहत हो वही कर दता ह तमहारी चाह स जो चलता ह वह तमह

नही बदल सकता

कवल सतो क साथ बदलाहट सभव ह कयोकक तमस उनह कछ लना-दना नही ह तमहारी परशसा की भी

अगर उनको जररत ह तो तम समझना कक तम गलत आदमी क िास हो तमहारी सततरत की भी माग ह तो

तम समझना कक यहा कछ होन वाला नही ह उस आदमी को खोजना तरजसको तमस कछ भी नही लना ह--न

तमहारी सततरत न तमहारी परशसा जो तमहारी जचता ही नही करता जो तमहार मतवयो की भी कफकर नही

करता तम उस आदर दत हो कक अनादर इसकी भी कफकर नही करता तमस कछ परयोजन ही नही रखता

ऐस ककसी आदमी क िास अगर बठना सीख तरलया तो शायद तमह ईशवर की हवा का झोका धीर-धीर लगना

शर हो जाए तरजसकी तरखड़की खली ह उसक िास बठन स तमह भी हवा का झोका लगगा सदगर खोजना

िाचवा परशनः ओशो कल आिन भगवान बदध क जीवन म सदरी िररवरातरजका क परसग िर परकाश डाला

कछ ही वरषम िवम आिस दीतरकषत एक जािानी लड़की को माधयम बनाकर ििो और समाचार ििो क जररए िर

दश म आिक तरवरदध जो कतरतसत परचार ककया गया था कया वह भी ितरडतो िरोतरहतो और तथाकतरथत

महातमाओ का कररशमा था आि भी तो उस िर चि ही रह थ कयो और उसकी िररणतरत कया हई

179

िछा ह आनद मिय न

िहली तो बात और जयादा जानना हो उस सबध म तो या तो शरी सतय साईबाबा या बाबा मिानद स

िछना चातरहए तरवसतार उनह मालम ह और म तब भी चि रहा था और अब भी चि रहगा कछ बात ह जो

कवल चपिी स ही कही जा सकती ह

िररणतरत िछत हो कक कया हई

िररणतरत यह हई कक वह जािानी यवती अब आन का तरवचार कर रही ह वािस लौट आन का सकोच स

भरी ह डरती ह कयोकक उसन इस िर शडयि म हाथ बटाया अब डरती ह कक यहा कस आए तड़फती ह आन

को

यहा कछ जािानी तरमि ह उनस म कहगा कक वािस जािान जाओ तो उसको कहना कक घबड़ाए न और

वािस आ जाए न तो यहा कोई उसस कछ कहगा न कोई कछ िछगा जो हआ हआ मझ तो कछ हातरन नही

हई मझ कछ हातरन हो नही सकती ऐसा कछ भी नही ह जो तम मझस छीन सको जो मरा ह वह मरा इतना

ह कक उस तम मझस छीन नही सकत उस मन तमस तरलया नही ह तम सममान दो कक अिमान इसस जरा भी

भद नही िड़ता तमहारा अिमान और सममान सब दोनो बराबर ह मरी परतरतिा तम िर आधाररत नही ह

मरी परतरतिा मरी आतम-परतरतिा ह मरी जड़ मर अिन भीतर ह तमस म रस नही लता इसतरलए तम अगर रस

न दो तो मरी कोई हातरन नही होती इसतरलए म चि रहा

लककन दया उस लड़की िर आती ह वह नाहक झझट म िड़ गयी उसका जरर बहत नकसान हआ तो

जािानी तरमि यहा ह जब व वािस जाए तो उस खोज और उसको कह द कक वह आ जाए यह उसका घर ह

और ऐसी भल-चक तो आदमी स होती ह इसम कछ जचता लन की जररत नही ह यहा उस कोई जवाब-

सवाल नही होन वाला ह न कोई िछगा न कोई उस सताएगा न इसक तरवसतार म जाएगा इसक तरवसतार म

जान का कछ अथम ही नही ह तरजन महातमाओ न उस राजी कर तरलया इस परचार क तरलए उनहोन मरा तो कछ

नकसान नही ककया लककन उस लड़की क जीवन को बरी तरह नकसान िहचा कदया

तरजनहोन उस राजी ककया उन महातमाओ िर तो उसकी शरदधा कभी हो नही सकती और तरजस िर शरदधा

थी उस िर नाहक शरदधा को खतरडत करवा कदया लककन इस तरह खतरडत होती भी नही शरदधा आ गयी होगी

लोभ म उस करठनाइया थी वह लोभ म आ गयी होगी वह तरवदयाथी थी िस की अड़चन थी उस िढ़ना था

अभी वह ससकत िढ़ना चाहती थी वरषो का काम था एक िसा उसक िास नही था आ गयी होगी लोभ म

लककन लोभ म आन क कारण इन महातमाओ क परतरत सममान तो नही हो सकता और तरसफम लोभ क

कारण उसन जो कह कदया उसक कारण जो कहा ह वह सचचा ह ऐसा भाव उसक भीतर तो नही हो सकता

उस सनकर चाह ककसी और न मान तरलया हो कक यह सचचा ह लककन वह सवय तो कस मान सकती ह कक सचचा

ह इसतरलए उसकी आतमा कचोटती ह उस िर मझ दया ह तो कोई उस तक खबर िहचा द तो अचछा ह

आतरखरी परशनः म तरभकष वजजीितत जसा ही ह लककन म भागन की तयारी म नही ह

िछा ह सभारष न

िहली तो बात यकद तम सवीकार कर लो कक म तरभकष वजजीितत जसा ही ह तो तम वजजीितत जस न रह

फकम शर हो गया बड़ा भद आ गया तरजसन जाना कक म अजञानी ह उसक जञान की शरआत हई तरजसन जाना

180

कक म मढ़ ह अब मढ़ता टट जाएगी तरजसन समझा कक म अधर म ह वह परकाश की खोज म लग ही गया इसी

समझ क साथ िहला कदम उठ ही गया

यह समझ लना कक म तरभकष वजजीितत जसा ह सनयासी ह लककन ससार म मरा लगाव ह कीमती बात

ह यही तो वजजीितत को िता नही था कक वह सनयासी ह और ससार म उसका लगाव ह यही उस िता चल

जाता तो फकम हो गए होत यह तमह िता चला

इसीतरलए तो वजजीितत की कथा कही ह कक तमह िता चल और भी ह यहा जो वजजीितत जस ह िर

उनहोन नही िछा तरसफम सभारष न िछा ह तो कथा सभारष तक िहची ह सभारष को लाभ हआ बाकी न सना

होगा उनहोन कहा कक ह ककसी की कथा कोई हआ होगा वजजीितत रहा होगा नासमझ कक सनयासी हो गया

और ससारी बना रहा हम तो ऐस नही उनहोन बात अिन िर न लगायी होगी उनहोन वजजीितत की बात

वजजीितत की ही रहन दी होगी व चक गए सभारष गणी ह उसन सवीकार ककया कक म वजजीितत जसा ह इसी

सवीकतरत म भद िड़ना शर हआ

और दसरी बात सभारष न कही ह लककन म भागन की तयारी म नही ह

वह तम कर न सकोग कई कारणो स

एक तो सभारष आलसी भागन क तरलए तो थोड़ा सा आदमी चातरहए न कक जरा भागन म भी तो कछ

करना िड़ता ह तमहारा आलसय तमहारा भागय ह तम भाग न सकोग इसस आलसय का लाभ ह घबड़ाना

मत आलसी न होत तो शायद भाग जात सभारष िकक आलसी ह आलसी-तरशरोमतरण ककसी कदन बन सकत ह

अषटावकर की सनो तम लाओतस की गनो तम आलसय को ही रिातररत करो साधना म भागना-वागना तमस

होन वाला नही ह भागन क तरलए सककरयता चातरहए कममठता चातरहए वह तमहार बस की बात नही ह

दसरी बात बदध स भागना तरजतना आसान था उतना आसान मर िास स भागना नही ह बदध कठोर

थ कठोर इस अथम म कक उनकी परककरया करठन थी कठोर थ इस अथम म कक उनका मागम तिियाम का मागम था

म कठोर नही ह मरा मागम सगम ह तिियाम का नही ह मरा मागम सहजता का ह हा कभी-कभी जब म

दखता ह ककसी वयतरि को तिियाम का मागम ही ठीक िड़गा तो उसस म कहता ह--करो कयोकक यही उसक

तरलए सहज ह खयाल रखना मरा कारण उसस हा भरन का हा भरन का कारण यह नही कक म तिियाम का

िकषिाती ह हा भरन का कारण इतना ही होता ह कक उस आदमी को तिियाम ही सहज ह

ककसी को म कभी उिवास क तरलए भी हा भर दता ह कक करो कयोकक म दखता ह उस आदमी क तरलए

उिवास तरजतना सहज ह और कोई सहज नही मगर मरा कारण सदा सहजता होती ह म दख लता ह कौन सी

बात सहज ह कौन सी बात तमहार साथ छदबदध हो जाएगी कौन सी बात क साथ तम सरलता स चल सकोग

तो तम जो भी करत हो म उसी म स तमहारा मागम खोजता ह म कहता ह तम जहा हो वही स िरमातमा तक

िहचा जा सकता ह तमह अनयथा होन की जररत नही ह वही स यािा शर कर दो जस हो वस ही यािा

शर कर दो

बदध की बात कठोर थी बदध कहत िहल तमह ऐसा होना िड़गा तब िरमातमा की यािा शर होगी

फकम समझना

बदध कहत थ कक िहल तमह एक खास चौरसत िर आना िड़गा उस चौरसत स रासता जाता ह सतय की

तरफ और उस चौरसत और तमहार बीच हो सकता ह बहत फासला हो वजजीितत और चौरसत क बीच बहत

181

फासला रहा होगा वह वहा तक िहच नही िा रहा था म कहता ह कक तम उस चौरसत िर हो ही जहा स

रासता जाता ह इसतरलए तमह ककसी रासत को तय करक रासत िर नही आना ह रासत िर तो तम हो ही और

वही जो तमहार िास उिलबध ह उसी सामगरी का ठीक-ठीक उियोग कर लना ह

तो म शराबी को शराब तक छोड़न को नही कहता छट जाती ह यह दसरी बात ह--अभी तर न दो कदन

िहल अिनी बोतल मर िास भट करवा दी--छट जाती ह यह दसरी बात ह मगर मन कभी उसस कहा नही

था अब उसन अिन आि भज दी ह बोतल खद जान वािस चाह म वािस द सकता ह मझ शराब की बोतल

स कछ झगड़ा नही ह शराब की बोतल का कया कसर

उसन तो कई दफा मझस िछा ह कक भगवान कह द--और म जानता था कक म कह द तो वह छोड़गी भी

मानगी भी मर कहन की ही परतीकषा थी लककन मन कभी उसस कहा नही कक छोड़ द कयोकक मर कहन स

अगर छोड़ दी तो करठन हो जाएगी मर कहन स छोड़ दी तो जबदमसती हो जाएगी म जबदमसती का िकषिाती

नही ह म धीरज रख सकता ह मन परतीकषा की--छटगी ककसी कदन छटगी अिन स जब छट जाए तो मजा ह

तो बात म एक सौदयम ह

अब उसन खद ही अिन हाथ स बोतल मर िास भज दी ह अब म बोतल उसकी समहालकर रख हए ह

कही जररत िड़ उसको कफर तो म सदा वािस दन को तयार ह तरनःसकोच भाव स बोतल वािस मागी जा

सकती ह और मर मन म तब भी जनदा नही होगी कक तमन बोतल वािस कयो मागी कयोकक मरी सारी चषटा

यहा यही ह कक तम तरजतन सहज हो जाओ तरजतन सरल हो जाओ तमहारी सरलता स ही सगध उठन लगगी

तमहारी सरलता स ही तम सतय की तरफ िहचन लगोग

कफर सभी लोगो क तरलए सरलता अलग-अलग ढग की होती ह यह खयाल रखना ककसी क तरलए एक

बात सरल ह दसर क तरलए वही बात करठन हो सकती ह अब जस सभारष की बात ह सभारष क तरलए आलसय

तरबलकल सहज ह अगर यह बदध जस वयतरि क हाथ म िड़ जाए तो करठनाई म िड़गा बदध इसक तरलए अलग

स वयवसथा नही दग उनकी एक वयवसथा ह उस वयवसथा म सभारष को बठना िड़गा सभारष को बड़ी करठनाई

स गजरना िड़गा मरी कोई वयवसथा नही ह मर तरलए तम मलयवान हो तमह दखकर वयवसथा जटाता ह

इस फकम को खयाल म रखना बदध की एक वयवसथा ह एक अनशासन ह एक ढग ह एक साधना-िदधतरत

ह मरी कोई साधना-िदधतरत नही ह मर िास तमह दखन की एक दतरषट ह तमह दख लता ह कक तम आलसी हो

तो म कहता ह--ठीक तो तरलख दता ह तरपरतरसकरपशन--लाओतस अषटावकर तम इनक साथ चलो इनस तमहारी

दोसती बनगी मल बनगा य लोग आलसी थ और िहच गए तम भी िहच जाओग मगर इनकी सनो अगर

दखता ह कक कोई आदमी बहत कममठ ह कक शात बठना उस आसान ही नही होगा तो उस खब नचाता ह कक

नाचो कदो चीखो-तरचललाओ दौड़ो योग करो--कराट तक की वयवसथा आशरम म कर रखी ह कछ लोग आ

जात ह तरजनको कक जझन का मन ह तरबना जझ तरजनको शातरत नही तरमलगी उनको कहता ह--कराट चलो

यही सही कही स भी चलो

इस कमयतरनटी म मरी आकाकषा ह कक दतरनया म तरजतन उिाय रह ह अब तक और तरजतन उिाय कभी और

हो सकत ह भतरवषय म व सब उिाय उिलबध हो जाए ताकक ककसी वयतरि को ककसी दसर क उिाय स चलन

की अड़चन म न िड़ना िड़ वह अिना ही मागम चन ल इतन अनत मागम ह परभ क इतन अनत मागम ह परभ

कजस नही ह कक तम एक मागम स आओग तो ही सवीकार होओग परभ क अनत मागम ह और हर आदमी क तरलए

कोई न कोई मागम ह जो सगम होगा म उस सगम की तलाश करता ह

182

तो तम मर िास स भाग भी न सकोग कयोकक म तमह कषट ही नही दता भागोग कस भागन क तरलए

भी तो थोड़ा कषट तमह कदया जाना चातरहए भागन क तरलए भी तो तमह थोड़ा सा कारण तरमलना चातरहए तम

मर िास स भागोग कस मर िास स तो कवल व ही भाग सकत ह जो तरनतात अध ह जो तरनतात बहर ह जो

तरनतात जड़ ह जो न सन सकत न समझ सकत न मरा सिशम अनभव कर सकत तरजनक जीवन म कोई सवदना

नही ह कवल व ही लोग भाग सकत ह मगर व रह तो भी कोई सार नही ह जाए तो भी कछ हातरन नही ह--

हातरन न लाभ कछ रह तो ठीक--बकार रहना--चल जाए तो ठीक कयोकक रहन स कछ तरमलन वाला नही था

जान स कछ खोएगा नही

लककन तरजनक भीतर थोड़ी भी बतरदध ह--थोड़ी भी बतरदध ह--तरजनक भीतर जरा सी भी चतना ह और जरा

सवदनशीलता ह व नही भाग सक ग मर साथ उलझ सो उलझ कफर यह जनम-जनम का सबध हआ कफर यह

चलगा यह कफर ऐसा तरववाह ह तरजसम तलाक नही होता इस सनयास को जरा सोच-समझकर लना इसस

तरनकलन का उिाय नही छोड़ा ह

आज इतना ही

183

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ परवचन

धयान का दीि करणा का परकाश

अवजज वजजमतरतनो वजज च वजजदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत 263

वजजच वजजतो ातवा अवजजच अवजजतो

सममाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत सगगजत 264

अह नागोव सगाम चाितो ितरतत सर

अतरतवाकय तरततरततरकखसस दससीलो तरह बहजजनो 265

दत नयतरत सतरमजत दत राजातरभरहतरत

दतो सटठो मनससस योतरत वाकय तरततरतकखतरत 266

नतरह एततरह यानतरह गचछय अगत कदस

यथाततना सदतन दतो दतन गचछतरत 267

इद िर तरचततमचारर चाररक

यतरनचछक यतथ काम यथासख

तदजजह तरनगगहससातरम योतरनसो

हतरथपितरभनन तरवय अकसगगहो 268

परथम दशय--

गौतम बदध का नाम ही सकीणम सापररदातरयक तरचतत क लोगो को भयाकरात कर दता था उस नाम म ही

तरवदरोह था वह नाम आमल करातरत का ही ियामयवाची था ऐस भयभीत लोग सवय तो बदध स दर-दर रहत ही

थ अिन बचचो को भी दर-दर रखत थ बचचो क तरलए यवको-यवतरतयो क तरलए उनका भय सवभावतः और भी

जयादा था ऐस लोगो न अिन बचचो को कह रखा था कक व कभी बदध की हवा म भी न जाए उनह उनहोन शिथ

कदला रखी थी कक व कभी भी बदध या बदध क तरभकषओ को परणाम न करग

एक कदन कछ बचच जतवन क बाहर खल रह थ खलत-खलत उनह पयास लगी व भल गए अिन माता-

तरिताओ और धममगरओ को कदए वचन और जतवन म िानी की तलाश म परवश कर गए सयोग की बात कक

भगवान स ही उनका तरमलना हो गया भगवान न उनह िानी तरिलाया और बहत कछ और भी तरिलाया--परम भी

तरिलाया ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी व बचच खल इतयाकद भलकर कदनभर

184

भगवान क िास ही रह ऐसा परम तो उनहोन कभी न जाना था न जाना था ऐसा चबकीय आकरषमण न दखा था

ऐसा सौदयम न दखा था ऐसा परसाद ऐसी शातरत ऐसा आनद ऐसा अिवम उतसव व भगवान म ही डब गए वह

अिवम रस वह अलौककक रग उन सरल बचचो क हदयो को लग गया व कफर रोज ही आन लग व भगवान क

िास धीर-धीर धयान म भी बठन लग उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी

कफर उनक मा-बाि को खबर लगी मा-बाि अतरत करदध हए िर अब बहत दर हो चकी थी बहत उनहोन

तरसर मारा उनक ितरडत-िरोतरहतो न बचचो को समझाया डाटा-डिटा भय-लोभ साम-दाम-दड-भद सब का

उन छोट-छोट बचचो िर परयोग ककया गया िर जो छाि बदध की िड़ गयी थी सो िड़ गयी थी कफर तो य मा-

बाि बहत रोए भी िछताए भी जस बदध न उनक बचचो को तरबगाड़ कदया हो उनकी नाराजगी इतनी थी और

व कहत कफरत थ कक इस भषट गौतम न हमार भोल-भाल बचचो को भी भषट कर कदया ह

अततः उनका िागलिन ऐसा बढ़ा कक उनहोन उन बचचो को भी तयाग दन की ठान ली और एक कदन व

उन बचचो को सौि दन क तरलए बदध क िास गए िर यह जाना उनक जीवन म भी जयोतरत जला गया कयोकक व

भी बदध क ही होकर वािस लौट बदध क िास जाना और बदध क तरबना हए लौट आना सभव भी नही ह इन

लोगो स ही बदध न य गाथाए कही थी

गाथाओ क िहल इस छोटी सी कहानी को सरल सी कहानी को ठीक स हदय िर अककत हो जान द

जब भी कोई धारममक वयतरि इस िथवी िर हआ ह तो सवभावतः तरवदरोही होता ह धमम तरवदरोह ह धमम

का और कोई रि होता ही नही धमम कभी िरिरा बनता ही नही और जो बन जाता ह िरिरा वह धमम नही

ह िरिरा तो ऐसी ह जस साि तरनकल गया और रासत िर साि क गजरन स बन गए तरचहन छट गए िरिरा

तो ऐसी ह जस कक तम तो गजर गए रासत िर बन हए तमहार जतो क तरचहन छट गए

कनफयतरसयस क जीवन म उललख ह कक वह लाओतस स तरमलन गया था यह तरमलन िरिरा और धमम का

तरमलन ह कनफयतरसयस ह िरिरा--जो अतीत का ह वही शरि ह जो हो चका वही शरि ह सब शरि हो चका ह

अब और शरि होन को बचा नही ह कनफयतरसयस क तरलए तो अतीत का समरण ही सार ह धमम का वह

िरिरावादी था वह गया लाओतस को तरमलन लाओतस ह धारममक अतीत तो ह ही नही उसक तरलए और

भतरवषय भी नही ह जो ह वतममान ह

जब कनफयतरसयस न अिनी िरिरावादी बात लाओतस को कही तो लाओतस बहत हसा और उसन यही

शबद कह थ उसन कहा था िरिरा तो ऐस ह जस आदमी तो गजर गया और उसक जत क तरचहन रत िर िड़

रह गए व तरचहन आदमी तो ह ही नही आदमी क जत भी नही ह जीतरवत आदमी तो ह ही नही उन तरचहनो

म जीतरवत आदमी की तो छोड़ो मदाम जत भी उन तरचहनो म नही ह जतो क भी तरचहन ह व छाया की भी

छाया ह

कनफयतरसयस तो बहत डर गया था उसन लौटकर अिन तरशषयो को कहा था इस आदमी क िास भलकर

मत जाना इसकी बात खतरनाक ह

िर धमम खतरनाक ह ही धमम स जयादा खतरनाक और कोई चीज िथवी िर नही ह लककन तम अकसर

दखोग भीरओ को धारममक बन कमजोरो को निसको को धारममक बन घटन टक पराथमनाए-सततरत करत हए

भयाकरात उनका भगवान उनक भय का ही तरनचोड़ ह

तो तरनतरित ही तरजस धमम को य धमम कह रह ह वह धमम नही हो सकता धमम तो खतरनाक ढग स जीन

का नाम ह धमम का अथम ही ह तरनरतर अतरभयान धमम का अथम ही ह िरान और तरिट-तरिटाए स राजी न हो

185

जाना नए की मौतरलक की खोज धमम का अथम ह अनवरषण धमम का अथम ह तरजजञासा ममकषा धमम का अथम ह

उधार और बास स ततरपत नही अिना अनभव नही कर लग तब तक तपत नही होग धमम वद स राजी नही होता

जब तक अिना वद तरनरममत न हो जाए धमम समतरत म नही ह शरतरत म नही ह धमम अनभतरत म ह

जहदओ क कछ गरथ कहलात ह शरतरत सना तरजनह और कछ गरथ कहलात ह समतरत याद रखा तरजनह

जहदओ क सार गरथ दो तरहससो म बाट जा सकत ह--शरतरत और समतरत या तो सना या याद रखा लककन धमम तो

होता ह अनभतरत न शरतरत न समतरत

बदध उसी धमम क परगाढ़ परतीक थ व कहत थ--जानो सवानभव स जानो अपि दीिो भव सवभावतः

िरिरावादी घबड़ाता रहा होगा सापरदातरयक घबड़ाता रहा होगा कयोकक सपरदाय का असली दशमन धमम ह

आमतौर स तम सोचत हो कक जहद का दशमन मसलमान मसलमान का दशमन जहद तो गलत सोचत हो

दोनो सापरदातरयक ह लड़ ककतन ही मगर वासततरवक दशमनी उनकी नही ह एक एक तरह की समतरत को

मानता ह दसरा दसरी तरह की समतरत को मानता ह तरववाद उनम ककतना ही हो लककन मौतरलक मतभद नही

ह दोनो समतरत को मानत ह दोनो अतीत को मानत ह

असली तरवरोध तो होता ह धमम का और एक मज की बात ह कक धमम का तरवरोध सार सपरदाय तरमलकर

करत ह

इस तम कसौटी समझना जब बदध जसा वयतरि िदा होता ह तो ऐसा नही कक जहद उसका तरवरोध करत

ह और जन तरवरोध नही करत कक जन तरवरोध करत ह जहद तरवरोध नही करत कक मसलमान तरवरोध करत ह

ईसाई तरवरोध नही करत जब भी बदध जसा वयतरि िदा होगा तब तम एक चमतकार दखोग कक सभी

सापरदातरयक लोग उसका इकटठ होकर तरवरोध करत ह--जहद हो कक मसलमान कक ईसाई कक जन--सभी तरमलकर

उसका तरवरोध करत ह कयोकक वह सपरदाय क मल िर ही चोट कर रहा ह वह यह कह रहा ह कक धमम सपरदाय

बन ही नही सकता सपरदाय लाश ह मरा हआ धमम ह इस लाश स तरसफम दगध तरनकलती ह इसस ककसी की

मतरि नही होती इस लाश को ढोत रह तो तम भी धीर-धीर लाश हो जाओग तो यह छोटी सी कथा शर

होती ह--

गौतम बदध का नाम सकीणम सापरदातरयक तरचतत क लोगो को भयाकरात कर दता था

उस नाम म अगार था उसस भय िदा हो जाता था और भय तभी िदा होता ह जब तम जो िकड़ हो

वह गलत हो नही तो भय िदा नही होता

तमन अगर सतय को ही सवीकार ककया हो तो तम तरनभमय हो जात हो सतय तरनभमय करता ह सतय मि

करता ह असतय को िकड़ा हो तो तम सदा भयभीत रहत हो कक कही सतय सनायी न िड़ जाए कही ऐसा न

हो कक कोई बात मरी मानयता को डगमगा द इसतरलए सापरदातरयक लोग कहत ह कक सनना ही मत दसर की

बात गनना ही मत दसर क िास जाना ही मत

कयो इतना कया भय ह तमहार िास सतय ह तो तम घबड़ात कयो हो तमहारा सतय ककसी की बात

सनकर तरहल जाएगा तमहारा सतय ककसी की बात सनकर उखड़ जाएगा तो ऐस दो कौड़ी क सतय को कया

मलय द रह हो जो ककसी की बात सनकर उखड़ जाएगा वह तमह जीवन क भवसागर क िार ल जा सकगा

जो सनन स तरबखर जाता ह वह तमहारी मौत म तमहारा साथी हो सकगा

वह तरबखरता इसीतरलए ह कक तमहार भीतर सदह तरछिा ह तम भी जानत हो कक सतय तो यह नही ह

तम भी ककसी तल िर िहचानत हो कक सतय तो यह नही ह मगर इस बात को तरछिाए हो दबाए हो अधर म

186

सरका कदया ह अचतन मन म दरवाज बद करक ताला लगाकर डाल कदया ह लककन तम जानत हो ताला

तमही न लगाया ह तमह िता ह कक अगर सतय की ककरण आएगी तो मरी बात झठ हो जाएगी इसतरलए सतय

की ककरण स बचो अिन अधर को समहालो और सतय की ककरण स बचो

सतय अभय करता ह और असतय भयभीत करता ह

व घबड़ात थ लोग कयोकक एक बात तो साफ थी कक कछ ह बदध क िास कछ धार कछ परखरता कक

बदध की मौजदगी म असतय असतय कदखायी िड़न लगता ह सतय सतय कदखायी िड़न लगता ह कक बदध की

मौजदगी म समयक-दतरषट िदा होती ह लककन हमन असतय क साथ बहत स सवाथम जोड़ रख ह हमार नयसत

सवाथम ह उन नयसत सवाथो को छोड़न की हमारी तयारी नही ह तो यही उतरचत ह कक सतय सनो ही मत

अनयथा जमी-जमायी दतरनया तरबखर जाए एक वयवसथा बनाकर बठ गए ह एक सरकषा ह सब ठीक-ठाक चल

रहा ह इस कयो गड़बड़ करना इस अजञात को कयो तरनमिण दना इस अनजान को कयो बलाना घर म मत

लाओ इस अतरततरथ को ककसी तरह तमन अिन घर को जमा तरलया ह अब नए को लाकर और कफर स जमाना

िड़गा

तो जस-जस लोग बढ़ होन लगत ह वस-वस भय जयादा िकड़न लगता ह अब उमर भी जयादा नही रही

मौत भी करीब आती ह

म अिन गाव जाता ह--जाता था--तो मर एक तरशकषक ह सकल म मझ िढ़ाया उनस मझ लगाव ह तो

उनक घर म सदा जाता था एक बार गाव गया तो उनहोन अिन बट को भजा और मझ कहलवाया कक मर घर

मत आना म थोड़ा हरान हआ मन उनक बट को िछा कक बात कया ह तो उनहोन कहा कक व रोत थ जब

उनहोन यह बात कहलवायी दखी थ लककन उनहोन कहलवाया कक मर घर मत आना तो मन कहा कक तम

उनस कहना एक बार और आऊगा बस एक बार

तो म गया उनक घर मन िछा कक बात कया ह उनहोन कहा बात अब तम िछत हो तो तमस कह द

अब म बढ़ा हआ तमहारी बात सनकर मरी आसथाए डगमगाती ह अब यहा मौत मर करीब खड़ी ह अब

तमहारी बात सनकर म कोई नयी बात शर कर भी नही सकता नयी बात शर करन क तरलए समय भी मर

िास नही ह तरिछली बार तम आए तब स म ठीक स माला नही फर िाया माला फरता ह तमहारी याद आती

ह कक सब कफजल ह राम-राम जिता ह तमहारी बात याद आती ह कक कोका-कोला जिो तो भी ऐसा ही

िररणाम होगा तम मझ बहत सता रह हो मरतम क सामन बठता ह और म जानता ह कक मरतम ितथर ह और

अब मौत मरी करीब आती ह तम दखत हो मर हाथ-िर किन लग अब म उठ भी नही सकता मझ मर ऊिर

छोड़ दो

मन उनस कहा मझ कछ अड़चन नही ह लककन जो बात होनी शर हो गयी ह अब उस रोका नही जा

सकता जो अकर फट चका ह उस अब रोका नही जा सकता अब तम लाख उिाय करो तो तम राम-राम अब

उसी अधशरदधा स नही कह सकत जो तम िहल कहत रह हो और मन उनस कहा अगर मरी सनत हो तो म तो

कहगा कक मौत करीब आ रही ह इसतरलए जलदी बदल लो कयोकक जो तम समझन लग हो कक वयथम ह मौत म

टट जाएगा अगर एक कदन बचा ह तो एक कदन काफी ह अगर एक कषण बचा ह तो एक कषण काफी ह इस

एक कषण म भी जीवनभर का कचरा छोड़ दो और िहली बार तरहममत जटाओ िहली बार शात बनन की

तरहममत जटाओ और म तमस यह नही कह रहा ह कक कोई दसरा नाम जिो म तमह कोई दसरा मि नही द

रहा ह म तमस इतना ही कह रहा ह कक जो तमह झठा लगता ह अब उस मत जिो तरबना जित हए मर

187

जाओ हजाम नही ह तरबना मरतम क सामन बठ मर जाओ हजाम नही ह कयोकक जो मरतम झठ हो गयी ह तमह म

न आऊगा इसस कछ फकम न िड़गा और म कभी भी न आया होता तो भी मरतम झठी ही थी चाह तमह याद

आती चाह न आती झठ स कोई िार नही होता झठ की नाव नही बनती तरसफम सतय की नाव बनती ह

जस-जस आदमी बढ़ा होता ह और डरन लगता ह

इसतरलए अकसर दतरनया म जब भी बदध जस वयतरि िदा होत ह तो जवान उनह िहल सवीकार करत ह

यवक-यवतरतया िहल सवीकार करत ह छोट बचच भी कभी सवीकार कर लत ह लककन बड़-बढ़ो को बड़ी

करठनाई होती ह अगर बड़-बढ़ सवीकार भी करत ह तो थोड़ स बड़-बढ़ जो शरीर स शायद बढ़ हो गए हो

लककन आतमा स जो जवान होत ह यवा होत ह जो भीतर स अभी भी कायर नही हो गए होत ह

उमर कायर कर दती ह आदमी को जवानी म आदमी सोचता ह ठीक जो हो उस िर चलगा बढ़ाि म

सोचन लगता ह तरजस िर चलता रहा ह उसी िर चलता रह अब कहा ठीक कहा गर-ठीक अब समय कहा

अब कफर स तरनणमय करना महगा िड़ सकता ह कही ऐसा न हो जो हाथ म ह वह भी छट जाए और जो हाथ म

नही ह वह तरमल भी न जस-जस बढ़ािा आता ह वस-वस आदमी भीर होन लगता ह

बदध जस वयतरियो क िास नबब परतरतशत तो यवा जात ह दस परतरतशत वदध जात ह व वदध भी गररमा ह

इस िथवी की व वदध ही गररमा ह इस िथवी की कयोकक व अभी भी जवान ह व मौत क आतरखरी कषण तक भी

अगर उनह िता चल जाए कक सतय कया ह तो सतय क साथ खड़ होन की तयारी रखत ह असतय को छोड़ दग

चाह असतय क परतरत िरा जीवन ही कयो न समरिमत रहा हो इतनी तरहममत इतना साहस तरजसम न हो वह

धारममक हो भी नही िाता और इसीतरलए धममगर बहत डर रहत ह कक छोट बचच इस तरह क खतरनाक लोगो क

िास न जाए

इधर रोज ऐसी घटना घटती ह यह कहानी कछ उसी कदन होकर चक गयी ऐसा नही आज भी घटती

ह आज भी वसी ही घट रही ह म गवातरलयर म गवातरलयर की महारानी का महमान था उनहोन मझ सना

उनक बट न भी सना दसर कदन व मझ तरमलन आयी और उनहोन मझस कहा मरा बटा भी आना चाहता था

लककन म उस साथ लायी नही कयोकक मझ आिकी बात खतरनाक मालम होती ह हम तो बड़-बढ़ ह हम तो

समझ लत ह लककन छोट बचच ह व तो इन बातो म िड़कर भषट हो सकत ह

मन कहा मरी बात सही ह या गलत इसकी हम कफकर कर छोट-बड़ो की बात िीछ कर लग

ससकारशील मतरहला ह कहा कक नही गलत तो म नही कह सकती सही ही होगी मगर बड़ी दर की ह हमार

काम की नही मन कहा सतय ककतन ही दर का हो सदा काम का ह और असतय ककतना ही िास हो कभी

काम का नही इसतरलए असली सवाल दरी और िास का नही ह असली सवाल तो सच और झठ का ह उनहोन

कहा जो भी हो लककन म अिन बट को नही लायी ह कयोकक मझ डर लगा कक वह तरबगड़ सकता ह

मन कहा तम कयो आ गयी हो तमह डर नही ह तरबगड़न का इसका मतलब यह हआ कक कया तम मर

चकी हो जीतरवत नही हो अब तमह सतय की आवाज सनकर हदय म कोई सिदन नही होता इसतरलए तम

चली आयी हो कयोकक अब तम कायर हो गयी हो अब तमन जजदगी स बहत समझौता कर तरलया अभी

तमहारा बटा समझौत नही ककया ह अभी तमहार बट का जीवन शरष ह अभी तमहार बट क भीतर पराण ह

इसस तम डर रही हो

यह सदा होता रहा ह म कई बतरसतयो म रहा ह जहा रहा ह वही यह घटना रोज घटती रही ह लोग

अिन बचचो को मर िास आन स रोकत ह खद चाह कभी आ भी जाए मगर बचचो को आन स रोकत ह कयोकक

188

खद िर तो उनह भरोसा ह भरोसा इस बात का ह कक हम तो गए भरोसा इस बात का ह कक हमन तो

समझौता गहरा कर तरलया ह भरोसा इस बात का ह कक हम तो असतय म रच-िच गए ह उनह कोई डर नही

ह लककन बचच अभी बचच सरल ह साफ-सथर ह अभी बचचो का कोई िकषिात नही ह अभी बचचो न धारणाए

नही बनायी अभी उनक हदय सतय को सनग तो झकत हो सकत ह

तमहार हदय तो टट चक तमन अिना तार उखाड़ कदया ह तमन झठ क साथ इतना सग-साथ ककया ह

कक झठ न सब तरफ दीवाल खड़ी कर दी ह सतय िकारता भी रह तो झठ का शोरगल तमहार भीतर इतना ह

कक सतय की िकार नही िहचती लककन बचच सरल ह सीध ह अभी उनक बीच और सतय क बीच दीवाल नही

ह अभी बचच नए का आवाहन सन सकत ह नए की चनौती सन सकत ह

तो डरत होग लोग कक बदध क िास उनक बचच न जाए ऐस भयभीत लोग सवय तो बदध स दर-दर रहत

ही थ अिन बचचो को भी दर-दर रखत थ बचचो क तरलए यवक-यवतरतयो क तरलए उनका भय सवभावतः और भी

जयादा था

कयो कयोकक बचच की सलट अभी खाली ह इस िर बदध क हसताकषर उभर आए तो इसका जीवन कछ

और हो जाएगा डर ह कक कही यह बदध की बात सन न ल कयोकक यह सन सकता ह अभी अभी इसक कान

बहर नही हए ह और अभी आख इसकी अधी नही हई ह अभी इसक मन क दिमण िर बहत जयादा धल नही

जमी ह अभी यह बदध क िास जाएगा तो उनकी छतरव इसम अककत हो सकती ह तरजनहोन अिन दिमण तरबगाड़

तरलए ह तरजनक दिमणो िर बहत धल जम गयी ह व चल भी जात ह बदध क िास तो कोई छतरव नही बनती

खाली जात ह खाली लौट आत ह

इसतरलए सारी दतरनया क तथाकतरथत धारममक लोग अिन बचचो को बड़ जलदी स अिन ही धमम म दीतरकषत

करन म लग जात ह न उनक िास धमम ह न उनक िास समझ ह न बझ ह न उनक िास सतय ह लककन जो

भी असतय का कड़ा-करकट उनक मा-बाि उनह द गए थ व अिन बचचो को द दत ह बड़ी जलदी करत ह छोट-

छोट बचचो को मकदर भजन लगत ह मतरसजद भजन लगत ह गरदवारा भजन लगत ह छोट-छोट बचचो क मन म

वही कड़ा-करकट जो खद ढो रह ह डालन लगत ह न उनह उस कड़-करकट स कोई सोना तरमला ह न उनह

आशा ह कक इनह तरमलगा मगर एक ही आशा बाधकर चलत ह कक हम तरजस दतरनया म रह हमार बचच भी उसी

म रह यह परम ह

खलील तरजबरान न कहा ह परम का तो लकषण यह होता ह कक मा-बाि यह पराथमना करग िरमातमा स कक

हमार बचच हमस आग जाए जहा तक हम नही जा सक वहा जाए तरजन िवमत-तरशखरो को हमन नही छआ

हमार बचच छए तरजन आकाश की ऊचाइयो म हम नही उड़ हमार बचच उड़ हमार बचच हमारी ही सीमा म

समापत न हो जाए यह होगा परम का लकषण लककन परम ह कहा

तरजस बट को तम सोचत हो म परम करता ह उसको भी तम परम नही करत अगर तम परम करत होत तो

तमहारा वयवहार दसरा होता अगर तम परम करत होत तो तम अिन बट को कहत कक बटा जहद मत होना

कयोकक म जहद रहा और मन कछ भी न िाया मसलमान मत होना कयोकक म मसलमान रहा और म तरसफम

लड़ा और झगड़ा और मन कछ नही िाया तम अिन बट स कहोग अगर तम उस परम करत हो कक जो भल मन

की त मत दोहराना कही ऐसा न हो कक जसा मरा जीवन वयथम की बातो म उलझा और रतरगसतान म खो गया

उतसव हाथ न लगा रस की कोई धार न बही कोई गीत न फटा कोई फल न तरखल ऐसा तर साथ न हो जाए

मर बट त धयान रखना त मकदर-मतरसजद स सावधान रहना म इनही म उलझ गया त मकदर-मतरसजद स

189

अिना आचल बचाकर तरनकल जाना त सतय की खोज करना म नही कर िाया म कायर था मन अिन बड़-

बढ़ो की बात मान ली थी और मन खद कभी खोज नही की त मरी बात मत मानना ककनही कमजोर कषणो म

अगर म आगरह भी कर कक मरी बात मान ल तो भी मत मानना त तरहममत रखना त साहस रखना और अिना

ही सतय खोजना कयोकक तरनजी सतय ही कवल सतय ह जो सवय की खोज स तरमलता ह वही मि करता ह

लककन इतना परम कहा ह परम ही होता तो िथवी और ढग की होती यहा जहद न होत मसलमान न

होत यहा जहदसतानी और िाककसतानी न होत यहा गोर और काल म भद न होता यहा सतरी और िररष क बीच

इतनी असमानता न होती यहा बराहमण और शदर न होत अगर दतरनया म परम होता तो य मढ़ताए न होती

मगर य मढ़ताए धमम की आड़ म तरछिी बठी ह धमम की तरमठास म खब जहर तरछिा बठा ह

डरत होग लोग कक हमार बचच बदध क िास न चल जाए सोचत व यही होग कक बचचो क परम क कारण

हम ऐसा कर रह ह तमहार सोचन स कया होता ह तम लाख सोचो तम जो करत हो उसका िररणाम

बताएगा कक कया सच ह

बदध आए हो गाव म कौन ऐसा बाि होगा जो अिन बट स न कह कक सब छोड़ लाख काम छोड़ जा

बदध को सन हम तो चक हम तो जीवन म न सन िाए हम अभाग थ त जा हम भी आएग शायद तर जीवन

म जलती ककरण दखकर हमार जीवन म भी कफर जोश आ जाए त अभी यवा ह त शायद जलदी समझ ल

लककन बढ़ सोचत ह कक हम जयादा समझदार ह जस समझदारी का तमहार जजदगी क वयथम क अनभव

स कोई सबध ह कयोकक तम चालीस साल एक ही दफतर सबह गए शाम घर लौट तो तम बड़ अनभवी हो

कक तम गडढा खोदत रह सड़क िर चालीस साल तक तो तम बड़ अनभवी हो कक तमह बड़ा जञान हो गया कक

दकान िर किड़ बचत रह तो तम बड़ अनभवी हो तमहारा अनभव कया ह तमहार अनभव स सतय का सबध

कया ह सतय क जानन क तरलए सरलता जयादा उियोगी ह बजाय तमहारा तथाकतरथत अनभव

अनभव न तमह तरवकत कर कदया ह बहत लकीर खीच दी ह तमहार मन िर इन लकीरो क कारण अब

अगर बदध हसताकषर भी कर तो उनका िता भी न चलगा तम बहर हो गए हो तम अध हो गए हो अिन बचचो

को भजना कयोकक उनकी तजतरसवता अभी कायम ह अिन बचचो को भजना कयोकक अभी व हर ह ताज ह व

जलदी बदध को िहचान लग उनका तालमल ततकषण बठ जाएगा अभी व बहत दर नही गए ह ससार म अभी

सनयास क बहत करीब ह

हर बचचा सनयासी की तरह िदा होता ह और बहत थोड़ भागयशाली लोग ह जो सनयासी की तरह मरत

ह सौ बचचो म स सौ बचच सनयासी की तरह िदा होत ह कफर तरननयानब ससारी हो जात ह

इसक िहल कक बचचा ससारी हो जाए इसक िहल कक कषदर बातो को जयादा मलय दन लग तरवराट क

मकाबल इसक िहल कक रिया जयादा मलयवान हो जाए सतय की तलना म इसक िहल कक िद-परतरतिा जयादा

मलयवान हो जाए परम की तलना म भजना बदधो क िास करवाना सतसग कयोकक जलदी ही बचचा भी तरवकत

हो जाएगा जस तम तरवकत हो गए हो जलदी ही तरवकत हो जाएगा कयोकक तमहारा यह िरा समाज रगण ह

और सभी यहा बीमार ह इन बीमारो क बीच िलगा तो बीमार हो ही जाएगा यहा मा-बाि बीमार ह तरशकषक

बीमार ह धममगर बीमार ह राजनता बीमार ह यह दतरनया बीमारो की ह यह बड़ा असिताल ह यहा सब

अिनी-अिनी बीमारी झल रह ह यहा थोड़ी-बहत दर शायद बचचा अिन को बचा ल जयादा दर न बचा

सकगा जलदी ही बीमार हो जाएगा

190

इसक िहल कक बीमारी उस भी िकड़ ल इसक िहल कक उसकी भी आख धधली होन लग और इसक

िहल कक उसक हदय का सवर भी दबन लग शोरगल म इसक िहल कक वह परम क मकाबल धन को जयादा

मलय दन लग आनद क मकाबल परतरतिा को जयादा मलय दन लग शातरत क मकाबल सममान को जयादा मलय

दन लग सतय क मकाबल जो ससार की कषदर चीजो को खरीदन तरनकल िड़--आतमा बचन लग--और कदलली

िहचन म लग जाए इसक िहल कक वह कदलली की यािा िर तरनकल उस भजना बदधो क िास तम नही गए

कोई हजम नही तमहारा अगर परम ह तो तम जरर भजोग

लककन नही ऐसा होता नही मा-बाि यही सोचत ह कक व परम क कारण रोक रह ह हम बड़ धोखबाज

ह हम गलत काम भी ठीक शबदो की आड़ म करत ह हम बड़ कशल ह हमारी बईमानी बड़ी दकष ह

ऐस लोगो न अिन बचचो को कह रखा था कक व कभी बदध की हवा म भी न जाए

बदध की हवा म जाना भी खतर स खाली नही ह उस हवा म भी कछ ह वह हवा भी छती ह और

झकझोरती ह उस हवा म भी तमहार िततो िर जमी हई धल झड़ जा सकती ह उस हवा म तमहार भीतर जमी

हई गदी हवा बाहर तरनकल सकती ह उस हवा क झोक म तमहार भीतर नयी ताजगी और नए अनभव का सवर

गज सकता ह उस हवा क साथ तमहार जीवन म नयी यािा की शरआत हो सकती ह

कयोकक तरजसन बदध को दखा वह बदध जसा न होना चाह यह असभव ह जो बदध क िास बठा उसक

भीतर एक महतवाकाकषा न जग जाए कक कभी ऐसी शातरत मरी भी हो ऐसा असभव ह जगगी ही ऐसी

आकाकषा तरजसन बदध का परसाद दखा सौदयम दखा वह वसा ही सदर होना चाहगा तरजसन बदध को नही दखा

वह अभागा ह कयोकक उसन अिन भतरवषय को नही दखा

बदध म हम अिन भतरवषय को दखत ह तरजन म कराइसट म कषण म हम अिन भतरवषय को दखत ह य िर

हो गए मनषय ह य िर तरखल गए फल ह य हजार िखतरड़यो वाला कमल िरा का िरा तरखल गया ह इस तरखला

हआ दखकर हम याद आती ह कक हम अभी बद ह हम अभी कली ह हम भी तरखल सकत ह यह समरण ही

जीवन म करातरत का सििात हो जाता ह

तो बदध का िता ही न चल बदध जस वयतरि भी होत ह इसकी भनक न िड़ तो मा-बाि न कहा था

अिन बचचो को कक बदध की हवा म भी न जाना उनहोन उनह शिथ कदला रखी थी कयोकक बचचो का कया

भरोसा बचच सीध-साध भोल-भाल अभी कह द हा घड़ीभर बाद चल जाए और बचचो का यह भी डर ह कक

तम तरजस बात स उनह रोको कक वहा न जाए शायद वहा इसीतरलए चल जाए कक मा-बाि न रोका जरर कछ

होगा बचच बचच ह बचचो का अलग गतरणत ह इनकार क कारण ही जा सकत ह

तो उनको शिथ कदला रखी थी उनको कसम कदलायी थी कहा होगा कक हम मर जाएग अगर तम बदध

क िास गए खाओ कसम अिनी मा की खाओ कसम अिन तरिता की उनहोन कसम भी खा ली थी छोट बचच

ह उनस तम जो करवाओ करग तमहार ऊिर तरनभमर ह तम उनकी हतया करो तो भी गदमन तमहार सामन रख

दग कर भी कया सकत ह तमहार हाथ म उनका जीवन-मरण ह

मनषय-जातरत न बचचो िर तरजतना अनाचार ककया ह उतना ककसी और िर नही जब सारी दतरनया म सब

अनाचार तरमट जाएग तब शायद अतरतम अनाचार जो तरमटगा वह होगा मा-बाि क दवारा ककया गया बचचो क

परतरत अनाचार और वह अनाचार कदखायी नही िड़ता कयोकक परम की बड़ी हमन बकवास उठा रखी ह कक हम

सब परम क कारण कर रह ह तम बचच को मारो तो परम क कारण िीटो तो परम क कारण तरसखाओ कछ तो

परम क कारण तो बचचा इनकार भी नही कर सकता तरवदरोह भी नही कर सकता

191

सबस िहल तरवदरोह ककया गरीबो न अमीरो क तरखलाफ तब ककसी न सोचा भी नही था कक एक कदन

तरसतरया िररषो क तरखलाफ बगावत कर दगी अब तरसतरयो न बगावत की ह िररषो क तरखलाफ अभी कोई सोच भी

नही सकता ह कक एक कदन बट बचच मा-बाि क तरखलाफ बगावत करग म तमस कहता ह आगाह रहना वह

कदन जलदी ही आएगा करना ही िड़गा तरजस कदन बचच मा-बाि क तरखलाफ बगावत करग उस कदन साफ होगी

बात कक मनषय-जातरत न अनतकाल स ककतना अनाचार बचचो क साथ ककया ह

मगर अनाचार ऐसा ह कक भोल-भाल बचच उसकी बगावत म तरवदरोह भी नही कर सकत उनको िता भी

नही कक कया सही ह कया गलत ह तम िर भरोसा इतना ह उनकी शरदधा इतनी सरल ह कक तम जो चाहो उन

िर थोि दो जहद बना लो मसलमान बना लो ईसाई बना लो तमह जो बनाना हो बना लो कयोकक बचचा

सरल ह बचचा अभी इतना नरम ह कक जसा ढालो ढाल लो कफर एक दफा ढल गया ढाच म िड़ गया कफर

बहत मतरशकल हो जाता ह ढाचा जब मजबत हो जाता ह तम कहत हो बट अब तमह जहा जाना हो जा सकत

हो कयोकक अब इस ढाच को तोड़ना बहत मतरशकल हो जाएगा छोटा िौधा होता ह तब जहा झकाना चाहो

झक जाता ह कफर बड़ा वकष हो गया कफर झकना बहत मतरशकल हो जाता ह अगर गलत भी ढाच म िड़ गया

तो कफर वही उसक जीवन की कथा हो जाती ह

तो उनहोन कसम कदला रखी थी कक जाना तो दर अगर रासत िर बदध तरमल जाए सयोगवशात कभी

तरभकषा मागत तो परणाम भी न करना बदध की तो बात दर बदध क तरभकषओ को भी परणाम मत करना कयोकक

कछ न कछ बदध का बदध क तरभकषओ म भी तो होगा ही और बदध घम रह थ गाव-गाव उनक तरभकष भी घम रह

थ गाव-गाव डर सवाभातरवक होगा

एक कदन कछ बचच जतवन क बाहर खल रह थ

जतवन म बदध ठहर हए थ बचच बाहर खल रह थ अिन खल म मगन होग दिहरी आ गयी होगी धि

तज हई होगी पयास लगी होगी--घर दर गाव क बाहर--जहा यह जतवन था उसक बाहर खलत-खलत उनह

पयास लग गयी व भल गए अिन माता-तरिताओ और धममगरओ को कदए गए वचन और जतवन म िानी की

तलाश म परवश कर गए कक शायद यहा िानी तरमल जाए बदध ठहर ह बदध क तरभकष ठहर ह िानी जरर होगा

सयोग की बात कक भगवान स ही उनका तरमलना हो गया सामन ही तरमल गए बदध बठ होग अिन वकष

क तल भगवान न उनह िानी तरिलाया और बहत कछ और भी तरिलाया

बदध अगर िानी भी तरिलाए तो साथ ही कछ और भी तरिला ही दत ह तरिला दत ह ऐसा चषटा स नही

होता बदध क हाथ म छआ िानी भी बदधतव की थोड़ी खबर ल आता ह बदध की आख भी तम िर िड़ तो भी

कछ तमहार भीतर उमगन लगता ह बदध तमहारी आख म आख डालकर भी दख ल तो तमहार भीतर बीज

फटन लगता ह

बदध न बहत कछ और भी तरिलाया--परम भी तरिलाया

बदध का वयतरितव ही परम ह बदध न कहा ह धयान की िररसमातरपत करणा म ह धयान जब िररिणम हो

जाता ह तो करणा की जयोतरत फलती ह धयान का दीया और करणा का परकाश धयान की कसौटी कहा ह कक

जब करणा फल परम फल य छोट-छोट बचच पयास होकर आ गए ह इनह िानी तरिलाया इनह और कछ भी

तरिलाया--इनह बदधतव तरिलाया

बदधो क िास जाओ तो बदधतव क अलावा और उनक िास दन को कछ ह भी नही छोटी-मोटी चीज

उनक िास दन को ह भी नही बड़ी स बड़ी चीज ही बस उनक िास दन को ह वही द सकत ह जो व ह

192

परम भी तरिलाया ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी

जीसस क जीवन म एक ऐसा ही उललख ह जीसस जा रह ह अिन गाव राजधानी स लौट रह ह बीच

म एक कए िर ठहर ह उनह पयास लगी ह कए िर िानी भरती सतरी स उनहोन कहा मझ िानी तरिला द म

पयासा ह उस सतरी न उनह दखा उसन कहा लककन आि खयाल रख म हीन जातरत की ह आि मर हाथ का

िानी तरिएग जीसस न कहा कौन हीन कौन शरि त मझ तरिला म तझ तरिलाऊगा उस सतरी न कहा म समझी

नही आि कया कहत ह आि यह कया कहत ह कक त मझ तरिला म तझ तरिलाऊगा जीसस न कहा हा त जो

िानी तरिलाती ह उसस तो थोड़ी दर को पयास बझगी म तझ जो िानी तरिलाऊगा उसस सदा-सदा क तरलए

पयास बझ जाती ह

बदध या जीसस तमहार भीतर एक नयी पयास को जगात ह कफर उस नयी पयास को बझान का उिाय भी

बतात ह नयी पयास ह--कस हम उस जीवन को जान जो शाशवत हो कस हम इस कषणभगर स मि हो कस

इस समय म बध हए स हमारा छटकारा हो कस हम कषदर क िार हो और तरवराट म हमार िख खल तो िहल

तो पयास जगात ह पयास जग तो यािा शर होती ह पयास हो तो िानी की तलाश शर होती ह और एक बार

िानी की तलाश शर हो जाए तो िानी सदा स ह और बहत ही करीब ह सरोवर भरा ह तमम पयास ही

नही थी इसतरलए तम सरोवर स चकत रह

तो बदध न ऊिर की पयास तो तरमटायी और भीतर की पयास जगायी व बचच खल इतयाकद भलकर कदनभर

भगवान क साथ ही रह

छोट बचच थ सरल थ जो उनक मा-बाि क तरलए सभव नही था वह उनह सभव था व िहचान गए इस

आदमी का जो सवर था उनह सनायी िड़ा शायद कोई उनस िछता तो व कछ जवाब भी न द सकत--जवाब

दन योगय उमर उनकी थी भी नही--लककन गिचि बात समझ म िड़ गयी ऐसा आदमी उनहोन िहल दखा नही

था यह आदमी कछ और ही ककसम का आदमी था इन और ही ककसम क आदतरमयो को आदतरमयो स अलग करन

क तरलए तो हमन कभी उनको बदध कहा कभी तरजन कहा कभी भगवान कहा कभी अवतार कहा कभी िगबर

कहा कभी ईशवर-िि कहा तरसफम इतनी सी बात को अलग करन क तरलए कक यह आदमी कछ और ढग का था

यह और आदतरमयो जसा आदमी नही था इस तरसफम आदमी कहना नयायसगत नही होगा य बचच समझा भी नही

सकत थ मगर समझ गए

खयाल रखना समझा सकन स और समझन का कोई अतरनवायम सबध नही ह अकसर तो ऐसा होता ह कक

जो समझा सकत ह समझ नही िात और जो समझ िात ह समझा नही िात ह गग का गड़ छोट-छोट बचच

थ सवाद तो आ गया शबद उनक िास शायद थ भी नही कक व कह सक कया हआ लककन भल गए खल

इतयाकद व सब खल छोट हो गए

जीसस न कहा ह जो छोट बचचो की भातरत होग व ही मर परभ क राजय म परवश कर सक ग

शायद जीसस ऐस ही बचचो की बात कर रह थ छोट बचचो की भातरत होग भगवान को समझन क तरलए

छोट बचच की भातरत होना जररी ह जो बड़ हो गए ह उनको कफर लौटना िड़ता ह कफर छोट बचच की भातरत

होना िड़ता ह

इसतरलए तो सत की अतरतम अवसथा म सत तरबलकल छोट बचचो जसा हो जाता ह जो िरमहस की दशा ह

वह छोट बचच की दशा ह कफर स जनम हो गया इसतरलए हमन इस दश म जञानी को तरदवज कहा ह दबारा िदा

193

हआ एक तो वह जनम था जो मा-बाि स तरमला था और अब एक जनम उसन सवय को कदया ह वह कफर स

बचचा हो गया कफर वसा ही सरल कफर वसा ही सहज

य छोट-छोट सरल बचच जो बड़-बड़ ितरडतो को होना करठन होता ह इन छोट-छोट बचचो को हआ व

भल गए अिना खल तम तो बदध क िास भी जाओ तो तमहारा खल तमह नही भलता बदध क िास बठ रहत

हो सोचत हो अिनी दकान की बदध क िास बठ रहत हो सोचत हो अिन घर की बदध क िास बठ रहत हो

सोचत हो हजार और बात य छोट बचच तो भल ही गए इनका सारा खल िड़ रह गए होग रत म इनहोन जो

घर बनाए थ बाहर भल गए तो भल ही गए भीतर गए तो कफर बाहर आए ही नही कफर बदध क िास ही बठ

रह

व कदनभर भगवान क िास रह

शायद सधया हए भगवान न सवय कहा होगा कक बचचो अब घर वािस जाओ

ऐसा परम तो उनहोन कभी जाना न था

परम परम म बड़ा फकम ह तरजस तम ससार म परम कहत हो वह परम नही ह वह परम का झठा तरसकका ह परम

क नाम िर कछ और चल रहा ह अहकार चल रहा ह परम क नाम िर परम का लबादा ओढ़ जहसा चल रही ह

वमनसय चल रहा ह परम क आभरषणो म सजा हआ न मालम कया-कया--िररगरह दसर िर मालककयत करन की

राजनीतरत चल रही ह परम की ओट म अपरम चल रहा ह अपरम न भी खब अचछा रासता चन तरलया ह--परम की

ओट म चल रहा ह

खलील तरजबरान की एक छोटी कहानी ह िथवी बनी थी नयी-नयी और िरमातमा न सौदयम और करिता

की दवी को िथवी िर भजा व दोनो दतरवया उतरी सवगम स िथवी तक आत-आत धल-धवास स भर गयी थी

तो उनहोन कहा सनान कर ल इसक िहल कक गाव म चल

व दोनो झील म उतरी वसतर उनहोन उतार कदए नगन होकर झील म उतरी सौदयम की दवी तरती हई दर

झील म चल गयी जब सौदयम की दवी दर चली गयी तो करिता की दवी झटिट बाहर आयी और उसन

सौदयम क वसतर िहन और भाग गयी जब तक करिता की दवी भाग गयी तब कही होश आया सौदयम की दवी

को वह भागी आयी तट िर उसन दखा उसक किड़ जा चक ह और अब तो सबह हई जा रही थी लोग

चलन-कफरन लग थ अब कोई और उिाय न था तो उसन करिता क वसतर िहन तरलए

खलील तरजबरान की कहानी कहती ह तब स सौदयम करिता क वसतर िहन हए ह और करिता सौदयम क

वसतर िहन हए ह तब स सौदयम चषटा कर रहा ह करिता को िकड़ लन की कक अिन वसतर वािस ल ल लककन

करिता हाथ नही आती

इस दतरनया म करि सदर बनकर चल रहा ह इस दतरनया म अपरम परम बनकर चल रहा ह असतय न

सतय क वसतर िहन रख ह

इसतरलए तमन खयाल ककया तरजतना असतयवादी हो उतनी ही चषटा करता ह कक जो म कह रहा ह

तरबलकल सतय ह तरबलकल सतय ह हजार दलील जटाता ह कसम खाता ह कक यह तरबलकल सतय ह असतय को

चलान क तरलए सतय तरसदध करना ही िड़ता ह सतय को चलान क तरलए कछ भी तरसदध नही करना िड़ता ह

सतय अिन िर स चलता ह असतय को सतय क उधार िर चातरहए

व तो भल ही गए खल अिना व तो भल ही गए ककसतरलए आए थ और कया होन लगा व तो रम गए

ऐसा चबकीय आकरषमण उनहोन कभी जाना न था न दखा था ऐसा सौदयम

194

यह कछ और ही बात थी यह कछ दह की बात न थी यह कछ दहातीत था यह कछ िार की ककरण

बदध की दह स झलक रही थी बड़-बढ़ो को शायद कदखायी भी न िड़ती य बचच तो सरल थ इनकी आख ताजी

थी इसतरलए कदखायी िड़ गया बदधो को जानन क तरलए िहचानन क तरलए बचचो क जसी सरलता ही चातरहए

न दखा था ऐसा परसाद ऐसी शातरत ऐसा आनद ऐसा अिवम उतसव व भगवान म ही डब गए वह अिवम

रस वह अलौककक रग उन सरल-हदय बचचो को लग गया कफर व रोज आन लग कफर व हर बहान स आन

लग कफर कोई भी मौका तरमलता तो भाग और जतवन िहच

व भगवान क िास आत-आत धीर-धीर धयान म भी बठन लग

और तो होगा भी कया भगवान क िास जाओग तो धयान म बठना ही िड़गा िहल खलन-खलन म आए

होग िहल यह आदमी पयारा लगा था इसतरलए आए होग िहल इस आदमी क िास बठकर अचछा लगा था

इसतरलए आए होग इसकी छाया मधर लगी थी इसतरलए आए होग िर धीर-धीर इस आदमी क िास धयान की

जो वरषाम हो रही ह धीर-धीर िछन लग होग उतसक होन लग होग िछा होगा हम आि जस कस हो जाए

छोट बचच अकसर िछ लत ह कक हम आि जस कस हो जाए ऐसा सौदयम हम कस तरमल आखो म ऐसी सदर

झील हमार कब हो कस हो चल उठ बठ तो ऐसा परसाद हमस कस झलक आिन यह कहा िाया कस

िाया तरजजञासा की होगी कफर धयान म भी बठन लग

उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी

शरदधा दो तरह की होती ह एक होती ह सरल शरदधा सरल शरदधा का अथम होता ह--सदह था ही नही िहल

स हटाना कछ भी नही िड़ा शरदधा का झरना बह ही रहा था और एक होती ह जरटल शरदधा सदह का रोग

िदा हो गया ह अब सदह को हटाना िड़गा चषटा करनी िड़गी तब शरदधा िदा होगी छोट बचच अकसर सरल

शरदधा म उतर जात ह बड़ो क तरलए शरदधा जरटल काम ह सदह जग गया ह व कर भी तो कया कर अब िहल

तो सदह स लड़ना िड़गा िहल तो सदह को तोड़ना िड़गा िहल तो सदह को उखाड़ फकना िड़गा यह घास-

िात जो सदह की ऊग गयी ह यह न हट तो शरदधा क गलाब लग भी न तो िहल उनह सदह को उखाड़ना

िड़गा उनकी अतरधक शतरि सदह स लड़न म लग जाती ह तब कही शरदधा िदा हो िाती ह जरटल ह छोट

बचचो को तो सरल ह

मगर छोट बचचो को हम तरबगाड़ दत ह अगर दतरनया म मा-बाि थोड़ जयादा समझदार हो तो हम बचचो

को कछ भी ऐसा न करग तरजसस उनकी सरल शरदधा तरबगड़ जाए हम कहग कक तम अिनी सरल शरदधा को

बचाए रखो कभी कोई तरमलगा आदमी कभी कोई तरमलगी घड़ी जब तमहारा तालमल बठ जाएगा ककसी स

उसी सरल शरदधा क आधार िर तम ककसी बदध को ककसी तरजन को ककसी कषण को ककसी कराइसट को िहचान

लोग हम तमहारी शरदधा खराब न करग

लककन हम बचचो की गदमन िकड़ लत ह इसक िहल कक उनकी सरल शरदधा उनह जगत क तरवसतार म ल

जाए और व कही ककसी बदध क चरणो म शरण म बठ हम उनह िहल ही झठी शरदधा थोि दत ह झठी शरदधा

थोि दन क कारण सदह िदा होता ह इस गतरणत को ठीक स समझ लना

सदह िदा कयो होता ह दतरनया म सदह िदा होता ह झठी शरदधा थोि दन क कारण छोटा बचचा ह तम

कहत मकदर चलो छोटा बचचा िछता ह ककसतरलए अभी म खल रहा ह म मज म ह तम कहत हो मकदर म

और भी जयादा आनद आएगा और छोट बचच को तरबलकल नही आता तम तो शरदधा तरसखा रह हो और बचचा

सदह सीख रहा ह बचचा सोचता ह कसा आनद यहा बड़-बढ़ बठ ह उदास यहा दौड़ भी नही सकता खल भी

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नही सकता नाच भी नही सकता चीख-िकार भी नही कर सकता यहा कसा आनद और बाि कहता था यहा

आनद तरमलगा

कफर बाि कहता ह झको यह भगवान की मरतम ह और बचचा कहता ह भगवान यह तो ितथर ह यह

तो ितथर को किड़-लतत िहनाकर आिन खड़ा कर कदया ह तम कहत हो झको जी बड़ होओग तब समझोग

अभी तम छोट हो अभी तमहारी यह बात समझ म नही आ सकती ह बड़ी जरटल बात ह बड़ी करठन बात ह

बड़ होओग तब समझोग

तम जबदमसती बचच की गदमन िकड़कर झका दत हो तम उसम सदह िदा कर रह हो धयान रखना तम

सोच रह हो कक शरदधा िदा कर रह हो वह बचचा तरसर तो झका लता ह लककन वह जानता ह कक ह तो यह

ितथर की मरतम

उस न कवल इस मरतम िर सदह आ रहा ह अब तम िर भी सदह आ रहा ह तमहारी बतरदध िर भी सदह

आ रहा ह अब वह सोच रहा ह कक यह बाि भी कछ मढ़ मालम होता ह कह नही सकता कहगा जब तम बढ़

हो जाओग और वह जवान हो जाएगा और उसक हाथ म ताकत होगी जब तमहारी गदमन दबान लगगा वह तब

कहगा कक तम मढ़ हो

मा-बाि िीछ िरशान होत ह व कहत ह कक कया मामला ह बचच हम म शरदधा कयो नही रखत तमही न

नषट करवा दी शरदधा तमन ऐस-ऐस काम बचचो स करवाए तमन ऐसी-ऐसी बात बचचो िर थोिी कक बचचो का

सरल हदय तो टट ही गया और तम जो झठी शरदधा थोिना चाहत थ वह कभी थिी नही उसक िीछ सदह िदा

हआ झठी शरदधा कभी सदह स मि होती ही नही सदह की जनमदािी ह झठी शरदधा क िीछ आता ह सदह

बचच की आख तो ताजी होती ह उस तो चीज साफ कदखायी िड़ती ह कक कया-कया ह

अब तम कहत हो यह गऊ माता ह और बचचा कहता ह गऊ माता तो बचचा कहता ह यह जो बल ह

कया यह तरिता ह यह सीधी बात ह गतरणत की बात ह तम कहत हो नही बल तरिता नही ह बस गऊ माता

ह अब बचच को तम िर सदह होना शर हआ कक बात कया ह अगर गऊ माता ह तो बल तरिता होना चातरहए

और अगर बल तरिता नही ह तो गऊ माता कस ह

तमन बचच क गल म एक धागा िहना कदया और तम कहत हो कक यह बड़ा ितरवि ह और बचचा दखता ह

कक मा इसको बना रही थी यह ितरवि हो कस गया यह ितरवि हो कब गया इसकी ितरविता कया ह

तम जो भी बचच को तरसखा रह हो बचचा भीतर स दख रहा ह कक यह बात झठ मालम िड़ती ह कहता

नही इसस तम यह मत सोच लना कक तम जीत गए कहगा जब उसक िास ताकत होगी कयोकक अभी तो

कहगा तो तरिटगा

मझ जब िहली दफा मकदर ल जाया गया और मझ कहा गया कक झको तो मन कहा मझ झका दो मरी

गदमन िकड़कर झका दो कयोकक मझ कछ झकन योगय कदखता नही यहा कयोकक तरजस मकदर म मझ ल जाया

गया था वह मरतमिजको का मकदर नही ह वहा तरसफम गरथ होत ह मकदर म म तरजस िररवार म िदा हआ वह

मरतमिजक नही ह वह तरसफम गरथ को िजता ह तो वहा वदी िर ककताब रखी थी मन कहा म ककताब को कयो

झक ककताब म कया हो सकता ह कागज ह और सयाही ह इसस जयादा तो कछ भी नही हो सकता कफर

अगर आिकी मजी ह तो झका दो आिक हाथ म ताकत ह म छोटा ह अभी तो कछ कर नही सकता लककन

बदला लगा इसका

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िर म कहगा कक मझ अचछ बड़-बढ़ तरमल मझ झकाया नही गया उनहोन कहा तब ठीक ह जब तरा

मन हो तब झकना जब तरी समझ म आए तब झकना कफर मझ मकदर नही ल जाया गया और उसक कारण

अब भी मर मन म अिन बड़-बढ़ो क परतरत शरदधा ह अगर मझ झकाया होता मर साथ जबदमसती की होती तो

उस ककताब क परतरत तो मरी शरदधा िदा हो ही नही सकती थी इनक परतरत भी अशरदधा िदा हो जाती मझ लगता

कक य जहसक लोग ह और अजहसा िरमो धममः इनक मकदर िर तरलखा ह और य जहसक लोग ह एक छोट बचच क

साथ जहसा कर रह ह उस जबदमसती झका रह ह और दीवाल िर तरलखा ह--अजहसा िरमो धममः अजहसा िरम

धमम ह यह कसी अजहसा मझ हजार सदह खड़ होत उनहोन नही झकाया सदह भी खड़ नही हए

खयाल रखना ककसी िर जबदमसती थोिना मत थोिन का ही परतरतकार ह सदह कफर एक दफा सदह उठ

गया तो बड़ी अड़चन हो जाती ह जब सदह मजबत हो जाता ह तो कफर तम बदध क िास भी चल जाओ तो

भी सदह उठगा तरजसका अिन मा-बाि िर भरोसा खो गया उसका अतरसततव िर भरोसा खो जाता ह कफर वह

ककसी िर भरोसा नही कर सकता वह कहता ह जब अिन मा-बाि धोखा द गए

मलला नसरददीन का छोटा बचचा एक सीढ़ी चढ़ रहा था और मलला वही खड़ा था उसन कहा कक बटा कद

िड़ सीढ़ी स कद िड़ वह बटा डरा और उसन कहा कदगा तो लग जाएगी चोट लग जाएगी उसन कहा म

तरा तरिता खड़ा ह समहालन को त डरता कयो ह बाि िर भरोसा करक बटा कद गया और मलला सरककर

खड़ा हो गया भड़ाम स वह नीच तरगरा दोनो घटन तरछल गए वह रोन लगा और उसन कहा कक तरिताजी यह

कया बात ह आिन मझ धोखा कदया मलला न कहा कक हा एक िाठ ह दतरनया म खयाल रखना ककसी की

मानना मत अिन बाि की भी मत मानना यहा दतरनया बड़ी धोखबाज ह म तरा बाि ह मरी भी मत मानना

कभी इसीतरलए हट गया यह तझ एक िाठ कदया

मगर इस तरह क िाठ तो अततः मनषय क मन म सदह को गहन करत जात ह और तरजसका अिन मा-

बाि िर सदह िदा हो गया उसकी कफर ककसी िर शरदधा नही रह जाती जो तरनकटतम थ जो अिन इतन

करीब थ तरजनस हम िदा हए थ व भी धोखबाज तरसदध हए व भी कछ ऐसी बात कह गए जो सच न थी व भी

ऐसी बात कर रह थ जो तरमथया थी तरजनको हम आज नही कल अिन जीवन म जान लग अनभव कर लग कक

बात तरबलकल झठ थी कफर भी कही गयी थी मा-बाि न भी झठ कहा था

अगर मा-बाि तरसफम उतना ही कह तरजतना जानत ह और एक शबद जयादा न कह और बचचो को मि

रख और उनकी सरल शरदधा नषट न कर तो यह सारी दतरनया धारममक हो सकती ह यह दतरनया अधारममक

नातरसतको क कारण नही ह समरण रखना यह तमहार थोथ आतरसतको क कारण अधारममक ह

भगवान न न तो उनह कछ कहा न उनह कछ तरसदधात तरसखाए

फकम समझो उनहोन यह भी नही कहा कक दतरनया को भगवान न बनाया ह और तमहार भीतर आतमा ह

और इतयाकद-इतयाकद उनहोन तो अिनी जीवन ऊजाम उन बचचो िर बरसायी जो उनक िास था बचचो को

तरिलाया धयान कदया

धयान दना तरसदधात मत दना यह मत कहना कक भगवान ह यह कहना कक शात बठन स धीर-धीर तमह

िता चलगा कया ह और कया नही ह तरनरवमचार होन स िता चलगा कक सतय कया ह तरवचार मत दना

तरनरवमचार दना धयान दना तरसदधात मत दना धयान कदया तो धमम कदया और तरसदधात कदया तो तमन अधमम द

कदए शासतर मत दना शबद मत दना तरनःशबद होन की कषमता दना परम दना

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धयान और परम अगर दो चीज तम द सको ककसी बचच को तो तमन अिना कतमवय िरा कर कदया तमन

इस बचच की आधारतरशला रख दी इस बचच क जीवन म मकदर बनगा बड़ा मकदर बनगा इस बचच क जीवन क

तरशखर आकाश म उठ ग और इसक सवणम-तरशखर सरज की रोशनी म चमक ग और चाद-तारो स बात करग

उनकी सरल शरदधा दखत ही बनती थी कफर उनक मा-बाि को खबर लगी मा-बाि अतरत करदध हए िर

अब दर हो चकी थी बदध का सवाद लग चका था बहत उनहोन तरसर मारा उनक ितरडत-िरोतरहतो न बचचो को

समझाया डाटा-डिटा भय-लोभ साम-दाम दड-भद सबका उन छोट-छोट बचचो िर परयोग ककया गया िर

जो छाि बदध की िड़ गयी थी सो िड़ गयी थी

उनहोन एक अनठा आदमी दख तरलया था अब य ितरडत सब फीक-फीक मालम िड़त थ उनहोन एक

जीवत जयोतरत दख ली थी अब य िरोतरहत तरबलकल राख थ अब धोखा नही कदया जा सकता था उनहोन

अनभव कर तरलया था इस आदमी क िास एक नयी ऊजाम का अब यह मा-बाि की बकवास और बातचीत कछ

अथम न रखती थी जब तक अनभव नही ककया था तब तक कसम खान को राजी हो गए थ कक न जाएग

तरजसको दखा न था उसक िास न जान की कसम खान म अड़चन न थी अब दख तरलया था अब दर हो गयी

थी

कफर तो व मा-बाि इतन िगला गए इतन तरवतरकषपत हो गए कक अततः उनहोन यही तय कर तरलया कक ऐस

बचचो को घर म न रखग इनको बदध को ही द दग समहालो इनह तम ही य हमार नही रह इनस हम सबध

तरवतरचछनन कर लत ह ऐसा सोचकर इन बचचो को तयाग दन क तरलए ही व बदध क िास गए िर यह जाना उनक

जीवन म जयोतरत जला गया

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह तम गलत कारण स बदधो क िास जात हो कफर भी ठीक घट जाता ह तम

ठीक कारणो स भी िरोतरहतो क िास जाओ तो भी ठीक नही घटता और तम गलत कारणो स भी बदधो क िास

चल जाओ तो कभी-कभी ठीक घट जाता ह कभी अनायास झरोखा खल जाता ह

आतरखर इन मा-बाि को भी इतना तो तरवचार उठा ही होगा कक हमन िदा ककया इन बचचो को हमन बड़ा

ककया इन बचचो को हमन िाला-िोसा हमारी नही सनत ह आतरखर इस बदध न कया द कदया होगा आतरखर इस

आदमी क िास कया होगा हमार ितरडत की नही सनत ह जो कक शासतरो का जञाता ह वद तरजस कठसथ ह हमार

धममगर की नही सनत ह जो कक इतना अचछा विा ह इतना अचछा समझाता ह तरजसकी सलाह इसस और

अचछी सलाह कया हो सकती ह आतरखर इस बदध म ऐसा कया होगा और कफर हमन इनह मारा िीटा लोभ

कदया कछ भी असर नही होता हो न हो कछ बात हो भी सकती ह उनक भीतर भी एक सगबगी तो उठी

होगी असभव ह कक न उठी हो एक तरवचार तो मन म कौधा होगा तरबजली की तरह कक हो न हो हम ही गलत

हो कौन जान कफर एकाध बचच की बात न थी बहत बचचो की बात थी य कई बचच िड़ोस क खलत चल गए थ

कफर य सब रटक थ य सब कषट सहन को तयार थ लककन बदध क िास नही जाएग ऐसी कसम खान को अब

तयार न थ

गए तो होग करोध म ही गए तो होग नाराज गए तो थ इन बचचो को छोड़ आन लककन भीतर एक बात

तो जग ही गयी थी कक कया होगा िता नही इस आदमी म कछ हो

इधर रोज ऐसा घटता ह लोग रोकत ह ककसी को आन स कक वहा मत जाना सममोतरहत हो जाओग

वहा सममोहन का परयोग चल रहा ह एक ितरत का मझ िि तरमला--तीन-चार िि तरमल चक ह महीनभर क

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भीतर--बड़ िि तरलखत ह कक मरी ितनी न आिस सनयास ल तरलया म बरबाद हो गया मरा सब नषट-भषट हो

गया आिन सममोतरहत कर तरलया आि किा करक मरी ितनी िर स सममोहन हटा ल आि उस मि कर द

अब मरा सनयास न तो ककसी को तोड़ता घर स न ितनी को तोड़ता ितरत स न ितरत को तोड़ता ितनी स

न ितनी बचच स टट रही ह मगर बस ितरत को भारी अड़चन हो गयी ह अड़चन कया ह

अड़चन यही ह कक अब तक व ितनी क िरमातमा बन बठ थ अब वह बात न रही अड़चन यह ह कक

उनका परभतव एकदम स कषीण हो गया अड़चन यह ह कक आज अगर उनकी ितनी स म कछ कह तो वह मरी

मानगी उनकी नही मानगी यह अड़चन--अभी मन कछ कहा भी नही ह म कभी कहगा भी नही--बस लककन

अड़चन सभावना की अड़चन यह बात िीड़ा द रही ह िररष क अहकार को बड़ा कषट होता ह

वह मझ िि म तरलखत ह कक मझम कया कमी ह जो मरी ितनी आिक िास जाती ह यह तो तम अिनी

ितनी स िछो परोफसर ह ककसी तरवशवतरवदयालय म तरलखत ह कक म दशमनशासतर का परोफसर ह हर बात जो परशन

उठता हो हर एक का उततर मर िास ह तरवदयारथमयो को िढ़ाता ह मरी ितनी को कया िछना ह जो आिक िास

जाए म सब बात का उततर दन को तयार ह

आि सब बात का उततर दन को तयार ह लककन अगर ितनी आिक उततरो म आसथा रखन को तयार नही

तो म कया कर मन ितनी को बलाकर समझा भी कदया कक दवी त जा मगर तरजतना म उस समझाता ह कक त

जा उतना वह जान को राजी नही ह

ऐसा तरनरतर होता रहा ह ऐस होन का कारण ह कोई ककसी को यहा सममोतरहत नही कर रहा ह लककन

सतय सममोहक ह यह बात सच ह कोई सममोहन नही कर रहा ह लककन सतय सममोहक ह सतय की एक

ककरण भी तमहार खयाल म आ जाए तो बस तमहारी भावर िड़नी शर हो जाती ह अनजान यह हो जाता ह

गए थ व मा-बाि बड़ी नाराजगी म लककन बदध क िास गए तो उनक जीवन म भी एक जयोतरत जली जो-जो

उनक ितरडत-िजाररयो न अब तक कहा था बदध क सबध म वसा तो कछ भी न था ितरडत-िजारी तो ऐसा

बता रह थ कक इसस बड़ा शतान कोई नही ह यह आदमी भषट कर रहा ह

आतरखर ककतन ही अध रह हो और दिमण िर ककतनी ही धल जमी हो दिमण कफर भी तो कही कोन-कातर

स झलक द ही दगा थोड़ा-बहत तो दिमण बचा होगा दखा होगा इस आदमी को यह आदमी तो ऐसा कछ

शतान नही मालम होता दख होग तरभकष य तरभकष कछ ऐस तो िाशतरवक नही मालम होत जसा ितरडत-िजारी

कह रह थ ऐसा कछ धतम नही मालम होता इसकी बात सनी होगी इनम कछ धतमता नही मालम होती

सीधी-साफ बात ह दो-टक बात ह शायद दो-टक ह इसीतरलए अखरती ह ितरडत-िरोतरहतो को तलना उठी

होगी

उनक जीवन म भी एक जयोतरत जली बदध क िास जाना और बदध क तरबना हए लौट आना सभव भी नही

ह इनही लोगो स बदध न य गाथाए कही थी--

अवजज वजजमतरतनो वजज च वजजदतरससनो

तरमचछाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत दगगजत

वजजच वजजतो ातवा अवजजच अवजजतो

सममाकदरटठसमादाना सतता गचछतरत सगगजत

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जो अदोरष म दोरष-बतरदध रखन वाल और दोरष म अदोरष-दतरषट रखन वाल ह व लोग तरमथया-दतरषट को गरहण

करन क कारण दगमतरत को परापत होत ह

दोरष को दोरष अदोरष को अदोरष जानकर लोग समयक-दतरषट को धारण करक सगतरत को परापत होत ह

दो छोटी सी बात दो छोट स सि उनहोन उन लोगो को कदए उनको कहा कक जो जसा ह उस वसा ही

दखन स समयक-दतरषट िदा होती ह और जो जसा नही ह उसस अनयथा दखन स तरमथया-दतरषट िदा होती ह जो

जसा ह उस तरबना िकषिात क वसा ही दखना चातरहए तो तम सगतरत म जाओग जो जसा नही ह वसा उस

दखोग जो जसा ह वसा उस नही दखोग तो ककसी और की हातरन नही ह तमही धीर-धीर तरवकतरत म तरघरत

जाओग

जो अदोरष म दोरष-बतरदध रखन वाल ह

और बदध न कहा कक म यहा बठा ह मझ दखो िकषिात लकर मत आओ दसर कया कहत ह इस बाहर

रख आओ मर िास आओ मझ दखो मझ दखो तरनषिकष भाव स ताकक तम तरनणमय कर सको कक कया ठीक ह

और कया गलत ह कफर तमही तरनणामयक बनो मगर तम िहल ही तय कर लो तम िहल ही मान लो आन क

िहल ही तरनणमय कर लो आओ ही न अिन तरनणमय को ही मानकर बठ जाओ आख बद करक कफर तमहारी

मजी लककन तब धयान रखना दगमतरत म िड़ोग दगमतरत म िड़ ही गए कयोकक तम अध हो गए जगह-जगह

टकराओग और जीवन-सतय तमह कभी भी न तरमलगा और जीवन-सतय ही तरमल जाए तो सगतरत तो सवरग

और जीवन-सतय ही खो जाए तो दगमतरत

दोरष को दोरष दखो अदोरष को अदोरष जानो तो समयक-दतरषट उतिनन होती ह ठीक-ठीक दतरषट ठीक-ठीक

आख और बदध का सारा जोर इस बात िर ह कक तमहारी आख ठीक हो--बिदाम हो नगन हो िकषिात मि हो

खाली हो ताकक खाली आख स तम दख सको जो जसा ह वसा ही दख सको

अब जो लोग बदध क िास आकर भी चक जात होग दखन स एक ही अथम ह इस बात का कक उनकी आख

इतनी भरी होगी इतनी भरी होगी कक व कछ का कछ दख लत होग

तमन अकसर िाया होगा अगर तमहारी कोई दतरषट हो तो तम कछ का कछ दख लत हो सफी कहानी ह--

एक फकीर की अिनी बतरगया म काम करत वि खरिी खो गयी वह कछ िानी िीन भीतर गया झोिड़

म लौटकर आया खरिी नदारद िास स एक िड़ोस का छोकरा जा रहा था उसन उसको दखा उसन कहा कक

यही ह चोर इसकी चाल स साफ मालम हो रहा ह कक चोर ह इसका ढग दखो आख बचाकर जा रहा ह उधर

दख रहा ह इसक िर की आहट बता रही ह कक चोर ह यही ह मगर अब एकदम स उसको िकड़ना ठीक भी

नही वह जाच रखन लगा तीन कदन तक दखता रहा जब भी यह लड़का तरनकल इधर-उधर जाए तो वह दख

और उस तरबलकल िकका होता गया कक ह चोर यही हर चीज न परमाण कदया उसको कक यह चोर ह एक तो आख

स आख नही तरमलाता कही-कही दखता ह चलता ह तो डरा-डरा चलता ह चौका-चौका सा मालम िड़ता ह

खरिी इसी न चरायी ह

कफर चौथ कदन खोदत वि खरिी उसको तरमल गयी झाड़ी म वह लड़का कफर तरनकल रहा था उसन

दखा अर ककतना भला लड़का ह जरा भी चोर नही मालम होता अब भी वह वस ही चल रहा ह मगर अब

दतरषट बदल गयी

तम जरा खयाल करना एक आदमी क परतरत तम एक धारणा बना लो कफर उस धारणा स दखो तो तम

िाओग उसी धारणा का समरथन करन क तरलए तमह बहत कछ तरमल जाएगा कफर तमहारी धारणा बदल दो

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तम अचानक िाओग कक वह आदमी बदल गया कयोकक अब तमहारी नयी धारणा क अनकल तम जो िाना

चाहोग वह तरमल जाएगा

बदध कहत ह समयक-दतरषट उसको कहत ह जो तरनधामरणा ह तरजसकी कोई धारणा नही अचछी नही बरी

नही समदतरषट न इस तरफ सोचता ह न उस तरफ तराज ठीक बीच म काटा अटका ह न यह िलड़ा भारी ह

न वह िलड़ा भारी ह ऐसी समतल तरसथतरत का नाम समदतरषट तरजसन मान ही तरलया तरबना खोज तरबना सोच

तरबना तरवचार तरबना अनभव ककए वह असमयक-दतरषट या तरमथया-दतरषट

बदध न उनस इतना ही कहा कक तम दखना सीखो अिनी आख को जरा साफ करो अनयथा तमही

भटकोग तमही दख िाओग

दसरा दशयः

भगवान क कौशाबी म तरवहरत समय की घटना ह बदध-तरवरोधी धममगरओ न गडो-बदमाशो को रिए-

िस तरखला-तरिलाकर भगवान का तथा तरभकषसघ का आकरोशन अिमान करक भगा दन क तरलए तयार कर तरलया

था व तरभकषओ को दखकर भददी गातरलया दत थ नही तरलखी जा सक ऐसी शासतर कहत ह जो तरलखी जा सक

व य थी--तरभकष तरनकलत तो उनस कहत तम मखम हो िागल हो झककी हो चोर-उचकक हो बल-गध हो िश हो

िाशतरवक हो नारकीय हो ितरतत हो तरवकत हो इस तरह क शबद तरभकषओ स कहत

य तो जो तरलखी जा सक न तरलखी जा सक तम समझ लना

व तरभकषतरणओ को भी अिमानजनक शबद बोलत थ व भगवान िर तरह-तरह की कीचड़ उछालत थ

उनहोन बड़ी अनठी-अनठी कहातरनया गढ़ रखी थी और उन कहातरनयो म उस कीचड़ म बहत स धममगरओ का

हाथ था

जब बहत लोग बात कहत हो तो साधारणजन मान लत ह कक ठीक ही कहत होग आतरखर इतन लोगो

को कहन की जररत भी कया ह ठीक ही कहत होग

आनद सथतरवर न भगवान क िास जाकर वदना करक कहा--भत य नगरवासी हम लोगो का आकरोशन

करत ह गातरलया दत ह इसस अचछा ह कक हम ककसी दसरी जगह चल यह नगर हमार तरलए नही तरभकष बहत

िरशान ह तरभकषतरणया बहत िरशान ह झड क झड लोग िीछ चलत ह और अिमानजनक शबद चीखत-

तरचललात ह एक तमाशा हो गया यहा तो जीना करठन हो गया ह कफर आिकी आजञा ह कक हम इसका कोई

उततर न द धयम और शातरत रख इसस बात और असहय हई जाती ह हम भी उततर दन का मौका हो तो हम भी

जझ ल और तरनिट ल

कषतरिय था आनद िराना लड़ाका था यह भी एक झझट लगा दी ह कक कछ कहना मत कछ बोलना

मत उततर दना मत तो हम बड़ी मतरशकल म िड़ गए ह फासी लग गयी ह व फासी लगा रह ह और आि

फासी लगाए हए ह आि कहत ह बोलो मत चिचाि रहो शात रहो धयम रखो इसस बात बहत असहय हो

गयी ह

और चपिी का अथम लोग कया समझत ह आिको िता ह भत व समझत ह कक हमार िास जवाब नही

ह इसतरलए चि ह व सोचत ह कक ह ही नही जवाब नही तो जवाब दत न बात सच ह जो आिक तरखलाफ

परचाररत की जा रही ह इसीतरलए तो बदध चि ह और बदध क तरभकष चि ह दखो कस चिचाि िछ दबाकर

201

तरनकल जात ह शातरत का मतलब व लोग ल रह ह कक िछ दबाकर तरनकल जात ह कछ बोलत नही सतय होता

इनक िास तो मदान म आत जवाब दत

भगवान हस और बोल--आनद कफर कहा चल आनद न कहा--भत इसम कया अड़चन ह दसर नगर

को चल और वहा क मनषयो दवारा आकरोशन करन िर कहा जाएग भगवान न कहा भत वहा स भी दसर

नगर को चल चलग नगरो की कोई कमी ह आनद बोला िागल आनद लककन ऐसा सभी जगह हो सकता ह

सभी जगह होगा अधरा सभी जगह हमस नाराज होगा बीमाररया सभी जगह हमस रषट होगी धममगर सभी

जगह ऐस ही ह और उनक सवाथम िर चोट िड़ती ह आनद तो व जसा यहा कर रह ह वसा वहा भी करग

और हम उनक सवाथम िर चोट करना बद भी तो नही कर सकत आनद कसर तो हमारा ही ह भगवान न

कहा हम उनक सवाथम िर चोट करत ह व परतरतशोध करत ह हम चोट करन स रक नही सकत कयोकक अगर

हम चोट न कर तो सतय की कोई हवा नही फलायी जा सकती और तरजनहोन असतय को िकड़ रखा ह व तम

सोचत हो चि ही बठ रहग उनक सवाथम मरत उनक तरनतरहत सवाथम जलत टटत फटत व बदला लग

कोई मठाधीश ह कोई महामडलशवर ह कोई शकराचायम ह कोई कछ ह कोई कछ ह उनक सबक सवाथम

ह यह कोई सतय-असतय की ही थोड़ी सीधी लड़ाई ह असतय क साथ बहत सवाथम जड़ा ह अगर हम सही ह

तो उनक िास कल कोई भी न जाएगा और व उनही िर जीत ह आन वालो िर जीत ह तो उनकी लाख चषटा

तो होगी ही कक व हम गलत तरसदध कर

कफर उनक िास कोई सीधा उिाय भी नही ह कयोकक व यह तो तरसदध नही कर सकत कक जो व कहत ह

सतय ह सतय का तो उनह कछ िता नही ह इसतरलए व उलटा उिाय करत ह--गाली-गलौज िर उतर आत ह

अिमान-आकरोशन िर उतर आत ह यह उनकी कमजोरी का लकषण ह गाली-गलौज की कोई जररत नही ह

हम अिना सतय तरनवदन करत ह व अिना सतय तरनवदन कर द लोग तरनणमय कर लग लोग सोच लग हमन

अिनी तसवीर रख दी ह व अिनी तसवीर रख द

मगर व अिनी तसवीर रखत नही उनक िास कोई तसवीर नही ह उनका एक ही काम ह कक हमारी

तसवीर िर कीचड़ फक यही एक उनक िास उिाय ह त उनकी तकलीफ भी समझ आनद बदध न कहा

उनकी अड़चन दख अिन ही दख म मत उलझ हमारा दख कया खाक दख ह गाली द दी द दी गाली लगती

कहा लगती ककस को त मत िकड़ तो लगगी नही

बदध यह हमशा कहत थ कक गाली तब तक नही लगती जब तक तम लो न तम लत हो तो लगती ह

ककसी न कहा--गधा तमन ल ली तम खड़ हो गए कक तमन मझ गधा कयो कहा तम लो ही मत आया हवा

का झोका चला गया हवा का झोका झगड़ा कया ह उसन कहा उसकी मौज

म अभी एक कल ही एक छोटी सी कहानी िढ़ रहा था अमरीका म परसीडट का चनाव िीछ हआ काटमर

और फोडम क बीच एक होटल म--कही टकसास म--कछ लोग बठ गिशि कर रह थ और एक आदमी न कहा

यह फोडम तो तरबलकल गधा ह कफर उस लगा कक गधा जरा जररत स जयादा हो गया तो उसन कहा गधा नही

तो कम स कम घोड़ा तो ह ही एक आदमी कोई साढ़ छह फीट लबा एकदम उठकर खड़ा हो गया और दो-तीन

घस उस आदमी को जड़ कदए वह आदमी बहत घबड़ाया उसन कहा कक भई आि कया फोडम क बड़ परमी ह

उसन कहा कक नही हम घोड़ो का अिमान नही सह सकत

अब तमस कोई गधा कह रहा ह अब कौन जान गध का अिमान हो रहा ह कक तमहारा हो रहा ह कफर

गध भी इतन गध नही ह कक गध कहो तो नाराज हो तम कयो नाराज हए जा रह हो और वह जो कह रहा ह

202

वह अिनी दतरषट तरनवदन कर रहा ह गधो को गध क अतरतररि कछ और कदखायी भी नही िड़ता उस हो सकता

ह तमम गधा कदखायी िड़ रहा हो उसको गध स जयादा कछ कदखायी ही न िड़ता हो दतरनया म उसकी

अड़चन ह उसकी समसया ह तम इसम िरशान कयो हो

बदध कहत थ तम लो मत गाली को िकड़ो मत गाली आए आन दो जाए जान दो तम बीच म

अटकाओ मत तम न लोग तो तमह गाली तरमलगी नही तम शात रहो

आनद न कहा यह तो बड़ी मतरशकल ह तो हम कया कर बदध न कहा कया कर सघरषम हमारा जीवन ह

और कही और जान स कछ भी हल न होगा कफर भी आनद न कहा तो हम कर कया आनद हम सह बदध न

कहा हम शातरत स सह सतय क तरलए यह कीमत चकानी ही िड़ती ह जस सगराम भतरम म गया हाथी चारो

कदशाओ स आए हए बाणो को सहता ह ऐस ही अिमानो और गातरलयो को सह लना हमारा कतमवय ह इसम ही

तमहारा कलयाण ह इस अवसर समझो और तरनराश न होओ उन गातरलया दन वालो का बड़ा उिकार ह

यह बदध की सदा की दतरषट ह यह बदधो की सदा की दतरषट ह इसम भी हमारा उिकार ह न व गाली दत

न हम शातरत रखन का ऐसा अवसर तरमलता न व हमारा अिमान करत न हमार िास कसौटी होती कक हम

अिमान को अभी जीत सक या नही व खड़ा कर तफान हमार चारो तरफ और हम तरनरवमघन तरनजित और

अकि बन रह तो उनका उिकार मानो व िरीकषा क मौक द रह ह इनही िरीकषाओ स गजरकर तरनखरोग तम

इनही िरीकषाओ स गजरकर मजबत होग अगर व य मौक न द तो तमह कभी मौका ही नही तरमलगा कक तम

कस जानो कक तमहार भीतर कछ सचमच ही घटा ह या नही घटा ह उनकी करठनाइयो को करठनाइया मत

समझो िरीकषाए समझो और तब उनका भी उिकार ह

और जान स कछ भी न होगा बदध न कहा इस गाव को छोड़ोग दसर गाव म यही होगा दसरा गाव

छोड़ोग तीसर गाव म यही होगा हर जगह यही होगा हर जगह धममगर ह हर जगह गड ह और हर जगह

धममगरओ और गडो क बीच साठ-गाठ ह वह िरानी साठ-गाठ ह राजनीतरतजञ और धममगर क बीच बड़ी िरानी

साठ-गाठ ह राजनीतरतजञ का अथम होता ह--सवीकत गड सममातरनत गड जो बड़ी वयवसथा और कानन क ढग स

अिनी गडातरगरी चलात ह इनक साथ भी िीछ असवीकत गडो का हाथ होता ह व भी िीछ खड़ ह

हर कोई जानता ह कक तमहारा राजनता तरजनक बल िर खड़ा होता ह वह गडो की एक कतार ह

तमहारा राजनता कशल डाक ह और डाक उसक सहार क तरलए खड़ ह और धममगर इन दोनो की साठ-गाठ ह

धममगर सदा स कहता रहा ह कक राजा भगवान का अवतार ह और राजा आकर धममगर क चरण छता ह

जनता खब भलाव म रहती ह जनता दखती ह कक धममगर सचचा होना चातरहए कयोकक राजा तरजसक िर छए

और जब धममगर कहता ह कक राजा भगवान का अवतार ह तो ठीक ही कहता होगा जब धममगर कहता ह तो

ठीक ही कहता होगा यह शडयि ह यह िराना शडयि ह यह िथवी िर सदा स चलता रहा ह धममगर

सहायता दता रहा ह राजनताओ को और राजनता सहायता दत रह धममगरओ को दोनो क बीच म आदमी

कसा रहा ह दोनो न आदमी को चसा ह

बदध दोनो क तरविरीत एक बगावत खड़ी कर रह ह तो कहत ह हर गाव म यही होगा हर गाव म यही

होना ह गाव-गाव म यही होना ह कयोकक हर गाव की कहानी यही ह वयवसथा यही ह हम जहा जाएग वही

अधरा हमस नाराज होगा हम जहा जाएग वही लोग हमस रषट होग हम जहा जाएग वही हम गातरलया

तरमलगी अिमान तरमलग तम इनक तरलए तयार रहो यही हमारा सममान ह सतय की यही कसौटी ह

आनद को य बात कहकर बदध न य सि कह थ य गाथाए--

203

अह नागोव सगाम चाितो ितरतत सर

अतरतवाकय तरततरततरकखसस दससीलो तरह बहजजनो

दत नयतरत सतरमजत दत राजातरभरहतरत

दतो सटठो मनससस योतरत वाकय तरततरतकखतरत

नतरह एततरह यानतरह गचछय अगत कदस

यथाततना सदतन दतो दतन गचछतरत

इद िर तरचततमचारर चाररक

यतरनचछक यतथ काम यथासख

तदजजह तरनगगहससातरम योतरनसो

हतरथपितरभनन तरवय अकसगगहो

जस यदध म हाथी तरगर हए बाण को सहन करता ह वस ही म कट वाकय को सहन करगा कयोकक

बहजन तो दःशील ही ह

बहजन तो दषट परकतरत क ह ही इस मानकर चलो सभी जगह यह बहजन तरमलग कफर जस यदध म हाथी

तरगर हए बाण को सहन करता ह चारो कदशाओ स आत बाणो को सहन करो यह सवीकार करक कक दतरनया म

अतरधक लोग दषट ह बर ह उनका कोई कसर भी नही व बर ह इसतरलए बरा करत ह व दषट ह इसतरलए दषटता

करत ह यह उनका सवभाव ह तरबचछ काटता ह साि फफकारता ह तरबचछ काटता ह तो जहर चढ़ जाता ह

अब इसम तरबचछ का कोई कसर थोड़ ही ह ऐसा तरबचछ का सवभाव ह अतरधक लोग मरचछमत ह मचछाम म जो

भी करत ह वह गलत होगा ही उनक दीए जल नही ह अधर म टटोलत ह टकरात ह सघरषम करत ह

दानत--परतरशतरकषत--हाथी को यदध म ल जात ह दानत िर राजा चढ़ता ह मनषयो म भी दानत शरि ह जो

दसरो क कट वाकयो को सहन करता ह

राजा हर हाथी िर नही चढ़ता राजा दानत हाथी िर चढ़ता ह दानत का मतलब--जो ठीक स परतरशतरकषत

ह ककतन ही बाण तरगर तो भी हाथी टस स मस न होगा राजा उस िर सवारी करता ह भगवान भी उसी िर

सवारी करत ह जो दानत ह उस िर जीवन का िरम तरशखर रखा जाता ह

दानत--परतरशतरकषत--हाथी को यदध म ल जात ह दानत िर राजा चढ़ता ह मनषयो म भी दानत शरि ह

तरजसन अिन को परतरशतरकषत कर तरलया ह और य सार लोग अवसर जटा रह ह तमह परतरशतरकषत करन का य

फक रह ह बाण तमहार ऊिर तम अकि खड़ रहो इनकी गातरलयो की वरषाम क बीच तरहलो नही डलो नही

जीवन रह कक जाए लककन किो नही तो राजा तम िर सवार होगा राजा यानी चतना की अतरतम दशा

समातरध तम िर उतरगी भगवान तम िर तरवराजगा तम मकदर बन जाओग तम जसहासन बनोग परभ क दानत

िर राजा चढ़ता ह ऐस ही तम िर भी जीवन का अतरतम तरशखर रखा जाएगा

इन यानो म स कोई तरनवामण को नही जा सकता

यह जो धममगर और ितरडत और जमानभर क िरोतरहत कह रह ह इन मागो स कोई कभी तरनवामण को नही

जा सकता

अिन को तरजसन दमन कर तरलया ह वही सदानत वहा िहच सकता ह

204

तरसफम एक ही वयतरि वहा िहचता ह एक ही भातरत क वयतरि वहा िहचत ह तरजनहोन अिनी सहनशीलता

अिररसीम कर ली ह जो ऐस दानत हो गए ह कक मौत भी आए तो उनह किाती नही जो कित ही नही ऐसी

तरनषकि दशा को कषण न कहा--तरसथतरतपरजञ तरजसकी परजञा तरसथर हो गयी ह

यह तरचतत िहल यथचछ यथाकाम और यथासख आचरण करता रहा तरजस तरह भड़क हए हाथी को

महावत काब म लाता ह उसी तरह म अिन तरचतत को आज बस म लाऊगा

जब भी कोई गाली द तम एक ही बात खयाल करना जब भी कोई अिमान कर एक ही समरण करना

एक ही दीया जलाना भीतर--

यह तरचतत िहल यथचछ यथाकाम यथासख आचरण करता रहा तरजस तरह भड़क हए हाथी को

महावत काब म लाता ह उसी तरह म अिन तरचतत को आज बस म लाऊगा

हर अिमान को तरचतत को बस म लान का कारण बनाओ हर गाली को उियोग कर लो हर ितथर को

सीढ़ी बनाओ इस जीवन म जो भी तमह तरमलता ह उस सभी का समयक उियोग हो सकता ह गातरलया भी

मकदर की सीकढ़या बन सकती ह और ऐस तो पराथमनाए भी मकदर की सीकढ़या नही बन िाती सब तम िर

तरनभमर ह तमहार िास एक सजनातमक बतरदध होनी चातरहए

बदध का सारा जोर समसत बदधो का सदा स जोर इस बात िर रहा ह--जो जीवन द उसका समयक

उियोग कर लो जो भी जीवन द उसम यह कफकर मत करो--अचछा था बरा था दना था कक नही दना था

जो द द

गाली आए हाथ म तो गाली का उियोग करन की सोचो कक कसा उसका उियोग कर कक मर तरनवामण क

मागम िर सहयोगी हो जाए कस म इस अिन भगवान क मकदर की सीढ़ी म रिातररत कर ल और हर चीज

रिातररत हो जाती ह

आज इतना ही

205

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ एक परवचन

हम अनत क यािी ह

िहला परशनः म तरवगत दो-तीन वरषम स सनयास लना चाहता ह अब तक नही ल िाया अब जसी आिकी

आजञा

आि तो ऐस िछ रह ह जस मरी आजञा स रक हो और जब तीन-चार वरषम तक झझट टाल दी ह तो अब

झझट कयो लत ह जब इतन कदन तरनकल गए लना चाहा और नही तरलया थोड़ कदन और ह तरनकल जाएग

तरहममत रखो हाररए न तरहममत तरबसाररए न राम

एक आदमी मलला नसरददीन क कध िर हाथ रखा और िछा अर मलला आि तो गरममयो म कशमीर जान

वाल थ नही गए मलला न कहा कक कशमीर कशमीर तो हम तरिछल साल जान वाल थ और उसक भी िहल

मनाली जान वाल थ इस साल तो हम ननीताल नही गए

घर बठ-बठ मजा लो जाना-आना कहा ह तीन-चार साल स जा रह हो सनयास ल रह हो अब आज

ऐसी कौन सी अड़चन आ गयी कक लो ही ऐस ही मन को समझाए रखो भलाए रखो इतनी बीती थोड़ी रही

वह भी बीत जाएगी

कफर मझ स आजञा मागत हो जस म सनयास का तरवरोधी ह सबह-शाम यही कहता ह--सनयास सनयास

सनयास तम मझ सनत हो कक सोत हो

मन सना ह एक दश म सत-तरवरोधी हवा चल रही थी हवा तो हवा ह कभी इकदरा क िकष म चलती ह

कभी जनता क िकष म चलती ह हवा का कोई भरोसा तो ह नही ककसक िकष म चलन लग ककसक तरविकष म

उस दश म सतो क तरखलाफ चल रही थी एक िहचा हआ सफी फकीर िकड़ तरलया गया सरकार उसकी सब

तरफ स जाच-िड़ताल कर रही थी वह िहचा हआ आदमी था उसकी बात भी सरकारी अफसरो की समझ म

नही आती थी वस ही अफसरो क िास कदमाग ही अगर हो तो अफसर ही कयो होत लाख दतरनया म और काम

थ फाइलो स तरसर मारत उनकी कछ समझ म नही आता था तो उनहोन एक बड़ मनोवजञातरनक को बलाया कक

शायद यह समझ ल

मनोवजञातरनक न कछ परशन िछ िहला ही परशन उसन िछा कक महाशय कया आि अिनी नीद म बात

करत ह उस फकीर न कहा कक अिनी नीद म नही दसरो की नीद म जरर

आिक सबध म ऐसा लगता ह कक यही हालत मरी ह तमहारी नीद म म बात करता ह ऐसा लगता ह

तम रोज सनत हो सबह सनत साझ सनत अहरनमश एक ही रटन ह कक अब जागो अब तम िछ रह हो कक

अब जसी आिकी आजञा यह तो ऐस ही हआ िरानी कहावत ह कक रातभर राम की कथा सनी और सबह िछा

कक सीता राम की कौन थी यहा तो सारा सवाद ही सनयास का ह ऐस ही बहत दर हो गयी अब और दर न

करो

दसरा परशनः सत सदा स िररगरह क तरवरोध म रह ह लककन िररगरह क तरबना तो चलता नही कफर सतय

का खोजी ककतना िररगरह रख

206

सत िररगरह क तरवरोध म रह ह ऐसी बात सच नही ह िररगरह भाव क तरवरोध म जरर रह ह कछ न

कछ तो सत को भी रखना िड़ता ह--तरभकषािाि ही सही लगोटी ही सही

कछ न कछ जीवन म जररी ह कफर ककतना यह बात महतविणम नही ह कयोकक आदमी का मन ऐसा ह

कक चाह तो लगोटी स इतना राग बना ल सकता ह कक वही नकम ल जान क तरलए ियामपत हो जाए एक कौड़ी स

भी तम अिना राग ऐसा लगा सकत हो कक दसर को कोतरहनर स भी न हो दसरा आदमी कोतरहनर को ऐस छोड़

द जस तरमटटी था और तम कौड़ी को ऐस िकड़ रखो जस कक तमहारा पराण था इसतरलए वसत का सवाल नही ह

ककतनी वसत का भी सवाल नही ह भाव का सवाल ह

ककसी गर न अिन एक यवा सनयासी को जनक क िास भजा था बहत वरषम गर क िास रहा कछ सीखा

नही कफर गर न कहा अब ऐसा कर त जनक क िास जा शायद व तझ कछ तरसखा सक तो वह बड़ी आशा स

गया वरषो तक सनयातरसयो क बीच रहा था समझा भला न हो लककन शबद तो खब सीख ही गया था बतरदध

चाह न जगी हो समतरत तो खब भर ही गयी थी--ितरडत हो गया था परजञावान न हआ हो

जब िहचा जनक क दरबार म तो उसन दखा कक साझ हो गयी ह और जनक अिन दरबार म बठा ह

वशयाए नाच रही ह अधमनगन शराब क पयाल ढाल जा रह ह समराट बीच म बठा ह दरबारी आसिास बठ ह

बड़ गलछर चल रह ह वह सनयासी तो बड़ा हरान हआ उसस तो रहा नही गया उसन कहा महाराज हम

तो जञान की तलाश म आए थ यहा तो अजञान का नगा नतय हो रहा ह और आि मझ कया तरसखाएग हदद हो

गयी यह मर गर की मालम होता ह मझ कोई सजा दी मझ यहा ककसतरलए भजा यह ककन कमो का फल कक

आिक दशमन करन भज कदया और गर क िास नही सीख सका जो कक अिररगरही ह तरजनहोन सब छोड़ा तो

आि स कया सीखगा जो कक यहा महल म बठ राग-रग क बीच

जनक न कहा महाराज आ गए ह तो रात तो आतरतथय गरहण कर सबह बात होगी सबह जनक न

उठाया िीछ ही बहती नदी म सनान करन ल गया कक सनान कर ल िजा कर ल कफर बठकर सतसग होगा

फकीर तो भागा-भागा था वह तो जलदी जाना चाहता था िर उसन कहा अब समराट की बात इनकार भी

नही की जा सकती--जञानी भला न हो अजञानी तो िकका ह इनकार करो कछ जयादा गड़बड़ करो नाराज हो

जाएगा गदमन उतरवा द कछ भी कर सकता ह सन लो इसकी एकाध कदन गजार लो दषट-सग म िड़ गए ह

ऐसा सोचता हआ वह जनक क साथ नदी िर गया दोनो न वसतर ककनार रख जनक क वसतर बहमलय थ हीर-

जवाहरात जड़ थ फकीर की तो एक लगोटी थी वह उसन ककनार रख दी एक लगोटी िहनकर िानी म

उतरा

जब दोनो सनान कर रह थ तब अचानक फकीर तरचललाया कक अर दखत ह आिक महल म आग लगी ह

बड़ी लिट उठी महल ध-ध कर जल रहा ह जनक न दखा और उसन कहा हा लगी ह लककन तरहला भी नही

चला भी नही भागा भी नही फकीर न कहा आि खड़ कस ह अर दौड़ो बचाओ तो जनक न कहा महल ह

मरा कया जब आया था तो तरबना महल क आया था जब जाऊगा तो तरबना महल क जाऊगा और उस फकीर

न कहा तम तमहारी जानो मरी लगोटी महल क िास ही रखी ह म तो चला वह भागकर उसन कहा कक एक

ही लगोटी मर िास वह कही खो न जाए तब भागत हए जब उसन लगोटी उठायी तब उस याद िड़ी बात

वसत क िररगरह का सवाल नही ह भाव का सवाल ह मािा की मत िछो भाव की िछो समझ की

िछो

207

जीसस क जीवन म उललख हः और तब ईसा जरोकम क िास आए नगरसठ जरोकम न मागम म अगतरणत

सवणममदराए तरबखराकर कहा--परभ मरी यह तचछ भट सवीकार कीतरजए ईसा न उस धनरातरश क बीच िड़ एक

ताब क तरसकक को उठाकर कहा--यह सबको त ल जा तरजतना मर सामथयम म था मन ल तरलया इस ताब क तरसकक

का बोझ मझ अतरधक नही ढोना िड़गा म इस मललाह को द दगा वह मझ नदी क िार उतार दगा

उतना मािा की बात िछत हो तो उतना तरजतन स नदी िार उतर जाओ यह कहानी बड़ी मीठी ह

जरोकम न सवणममदराए तरबछा दी रासतो िर और ईसा स कहा कक आि सवीकार कर वह उस समय का बड़ स

बड़ा धनी आदमी था जरोकम और ईसा न यहा-वहा नजर डाली--भट लाया ह तो एकदम इनकार भी न कर

सक--एक ताब का तरसकका उठा तरलया और कहा इतना मर तरलए ियामपत ह सोचा होगा जरोकम न एक ताब क

तरसकक स करोग कया एक ताब क तरसकक स होता कया ह िछा होगा कया कररएगा तो जीसस न कहा कक नदी

िर मललाह तरमलगा उसको म यह द दगा वह मझ नदी क िार उतार दगा नदी िार उतरन क तरलए इतना

काफी ह इसका जयादा दर तक बोझ मझ ढोना न िड़गा बस नदी तक कफर मललाह को द दगा उस िार हो

जाऊगा

यह बड़ी परतीकातमक कहानी ह ऐसी घटी हो न घटी हो यह सवाल नही ह बस इतना ही िररगरह

तरजतन स इस जीवन की नदी को िार हो जाओ मगर धयान रखना कक असली सवाल भाव का ह ताब क एक

तरसकक को भी तम इतन जोर स िकड़ ल सकत हो कक वही तमहारी फासी बन जाए तमन तरजतन जोर स िकड़ा

उसी म तमहारी फासी ह ढीला िकड़ना और जस ही छोड़न का मौका आ जाए एक कषण भी तरझझकना मत

और यह भी तमस नही कह रहा ह कक आज छोड़कर भाग जाओ कहा भागकर जाओग कही तो छपिर

बनाओग तो तमहारा छपिर कछ बरा नही ह ककनही क साथ तो रहोग तो तमहार ितनी-बचच बर नही ह कहा

जाओग भागकर सब जगह ससार ह छोड़न की दौड़ म मत िड़ना

दो तरह की दौड़ ह दतरनया म और दो तरह क िागल ह दतरनया म एक और जयादा हो जाए इसकी दौड़

म लग ह और एक और कम हो जाए इसकी दौड़ म लग ह एक भोगी ह--ककतना बढ़ जाए एक योगी ह

तयागी ह--इतना और घट जाए मगर दोनो अतपत ह जो ह उसस अतपत ह भोगी कहता ह और जयादा हो तो

सख तरमलगा तयागी कहता ह और कम हो तो सख तरमलगा लककन जो ह उसस दोनो म स कोई भी सखी नही

तरजनहोन िछा ह उनका नाम ह--भोगीलाल भाई तम छोड़-छाड़कर भग जाओ तो म तमह नाम दगा--

योगीलाल भाई और कया करगा मगर तम तम ही रहोग तमहार भीतर की भाव की बात ह

तम िकड़त थ िहल कफर तम छोड़न लगोग मगर तपत तम तब भी न होओग सनयसत म उस कहता ह

जो ह उसक साथ राजी ह जतरह तरवतरध राख राम ततरह तरवतरध रतरहए जो द कदया ह जसा ह राजी ह ल ल परभ

तो आज दन को राजी ह और द द तो और भी लन को राजी ह ना-नच नही ह और बरसा द छपिर तोड़कर

अशरफमया तो इनकार नही करग कक म भोगी नही ह म तयागी ह यह कया कर रह ह कया अनयाय हो रहा ह

या सब ल जाए घर स लटकर आज--लटरा तो ह ही भगवान इसीतरलए तो हम उसको हरर कहत ह हरर का

मतलब होता ह चोर चरा ल जो हर ल जो--चोर तो ह ही इधर दता ह उधर छीन भी लता ह आज कदया

कल ल लगा और बीच म तम बड़ी झझटो म िड़ जाओग मफत झझटो म िड़ जाओग

एक सफी कहानी ह एक फकीर क दो बड़ पयार बट थ जड़वा बट थ नगर की शान थ समराट भी उन

बटो को दखकर ईषयाम स भर जाता था समराट क बट भी वस सदर नही थ वस परतरतभाशाली नही थ उस गाव

208

म रोशनी थी उन दो बटो की उनका वयवहार भी इतना ही शालीन था भदर था वह सफी फकीर उनह इतना

परम करता था उनक तरबना कभी भोजन नही करता था उनक तरबना कभी रात सोन नही जाता था

एक कदन मतरसजद स लौटा पराथमना करक घर आया तो आत ही स िछा बट कहा ह रोज की उसकी

आदत थी उसकी ितनी न कहा िहल भोजन कर ल कफर बताऊ थोड़ी लबी कहानी ह िर उसन कहा मर बट

कहा ह उसन कहा कक आिस एक बात कह बीस साल िहल एक धनितरत गाव का हीर-जवाहरातो स भरी

हई एक थली मर िास अमानत म रख गया था आज वािस मागन आया था तो म उस द द कक न द फकीर

बोला िागल यह भी कोई िछन की बात ह उसकी अमानत उसन दी थी बीस साल वह हमार िास रही

इसका मतलब यह तो नही कक हम उसक मातरलक हो गए तन द कयो नही दी अब मर स िछन क तरलए रकी

ह यह भी कोई बात हई उसी वि द दना था झझट टलती तो उसन कहा कफर आि आए कफर कोई

अड़चन नही ह

वह बगल क कमर म ल गयी व दोनो बट नदी म डबकर मर गए थ नदी म तरन गए थ डब गए

उनकी लाश िड़ी थी उसन चादर उढ़ा दी थी फल डाल कदए थ लाशो िर उसन कहा म इसीतरलए चाहती थी

कक आि िहल भोजन कर ल बीस साल िहल तरजस धनी न य हीर-जवाहरात हम कदए थ आज वह वािस

मागन आया था और आि कहत ह कक द दना था सो मन द कदए

यही भाव ह उसन कदया उसन तरलया बीच म तम मातरलक मत बन जाना मालककयत नही होनी

चातरहए तरमतरलकयत ककतनी भी हो मालककयत नही होनी चातरहए बड़ा राजय हो मगर तम उस राजय म ऐस

ही जीना जस तमहारा कछ भी नही ह तमहारा ह भी नही कछ तरजसका ह उसका ह सब भतरम गोिाल की वह

जान तमह थोड़ी दर क तरलए मखतयार बना कदया कक समहालो तमन थोड़ी दर मखतयारी कर ली मातरलक मत

बन जाओ भलो मत तरजसन कदया ह ल लगा तरजतनी दर कदया ह धनयवाद जब ल ल तब भी धनयवाद जब

कदया तो इसका उियोग कर लना जब ल ल तो उस लन की घड़ी का भी उियोग कर लना यही सनयासी की

कला ह यही सनयास की कला ह

न तो छोड़ना ह सनयास न िकड़ना ह सनयास न तो भोग न तयाग सनयास दोनो स मतरि ह सनयास

सभी कछ परभ िर समरिमत कर दन का नाम ह मरा कछ भी नही तो म छोडगा भी कया तो जो ह उसका

उियोग कर लना और उियोग म यह एक धयान रह कक तरजसस तम नदी िार हो सको

तीसरा परशनः आमतौर स आि भीड़ की आलोचना करत ह लककन भगवान बदध क सघ क समथमन म

आिन गरतरजएफ का हवाला दकर समह-शतरि को बहत महतव कदया किाकर सघ-शतरि समह और भीड़ क

भद को समझाइए

ऊिर स भद कदखायी चाह न िड़ भीतर बड़ा भद होता ह

सघ का अथम होता ह--तरजस भीड़ क बीच म एक जागरतिररष खड़ा हो क दर िर बदध क तरबना सघ नही

होता सघ क कारण सघ नही होता बदध क कारण सघ होता ह तो सघ शबद का अथम समझ लना बहत स बझ

दीए रख ह और एक दीया बीच म क दर िर जल रहा ह तो सघ य बहत स बझ दीए सरक रह ह धीर-धीर जल

दीए क िास य जल दीए क िास आए ही इसतरलए ह कक जल जाए यही अभीपसा इनह िास ल आयी ह य बझ

209

दीए एक-दसर स नही जड़ ह इनका कोई सबध अिन िड़ोसी बझ दीए स नही ह इनकी सबकी नजर उस जल

दीए िर लगी ह इन सबका सबध उस जल दीए स ह

मर िास इतन सनयासी ह उनका कोई सबध एक-दसर स नही ह अगर एक-दसर क िास ह तो तरसफम

इसी कारण कक दोनो मर िास ह--और कोई कारण नही ह तम यहा बठ हो ककतन दशो क लोग यहा बठ ह

तमहार िास बठा ह कोई इगलड स ह कोई ईरान स ह कोई अफरीका स ह कोई जािान स ह कोई अमरीका स

ह कोई सवीडन स ह कोई तरसवटजरलड स ह कोई फरास स कोई इटली स तमहारा िड़ोस म बठ आदमी स

कोई भी सबध नही ह न िास म बठी सतरी स कोई सबध ह तमहारा सबध मझस ह उसका भी सबध मझस ह

तम दोनो की नजर मझ िर लगी ह यदयतरि तम सब साथ बठ हो लककन तमहारा सबध सीधा नही ह

सघ का अथम होता ह--जहा एक जला हआ दीया ह और सब बझ दीयो की नजर जल दीए िर लगी ह

उस क दर की तरफ व सरक रह ह आतरहसता-आतरहसता लककन सतरनतरित कदमो स एक-एक इच लककन बढ़ रह

ह एक-एक बद लककन जग रह ह तरजस कषण बहत करीब आ जाएगी दोनो की बातरतया उस कदन छलाग

होगी जल हए दीए स जयोतरत बझ दीए म उतर जाएगी जयोतरत स जयोतरत जल जल दीए की जयोतरत जरा भी

कम नही होगी बझ दीए की जयोतरत जग जाएगी बझ को तरमल जाएगी जल की कम न होगी

यही सतसग ह जो दता ह उसका कम नही होता और तरजस तरमलता ह उसक तरमलन का कया कहना

ककतना तरमल जाता ह

उितरनरषद कहत ह िणम स िणम तरनकाल लो तो भी िीछ िणम शरष रह जाता ह सतसग म यह रोज घटता

ह ईशावासय क इस अिवम वचन का तरनवमचन रोज सतसग म होता ह सतसग का अथम होता ह--कोई िणम हो गया

ह उसस तम िणम भी तरनकाल लो तो भी वह िणम का िरण ही रहता ह वहा कछ कमी नही आती तम सन थ

िर हो जात हो तम खाली थ भर जात हो तमहारा िाि लबालब हो जाता ह छलकन लगता ह और ऐसी-

वसी छलकन नही ऐसी छलकन कक अब तमस कोई िरा ल ल तो भी तम खाली नही होत

सघ का अथम होता ह--क दर िर जागरतिररष हो बदध हो तरजन हो कोई तरजसन सवय को जीता और जो

सवय म जागा भगवतता हो क दर िर तो उसक आसिास जो बझ हए लोग इकटठ हो जात ह सोए-सोए लोग

माना कक सोए ह लककन उनक जीवन म भी जागन का कम स कम सिना तो िदा हो गया जाग नही ह सच

लककन जागन का सिना तो िदा हो गया ह जागन की तरफ बढ़न तो लग ह टटोलन लग ह अधर म टटोल

रह ह अभी टटोलन म बहत वयवसथा भी नही हो सकती लककन आभास तरमलन लग ह

कभी सबह दखत ह न नीद टटी नही ह जाग भी नही ह ऐसी दशा होती ह कभी हलकी-हलकी नीद भी

ह अभी और हलकी-हलकी जाग भी आ गयी--दध वाला दध द रहा ह दवार िर खड़ा यह सनायी िड़ता सा

मालम भी िड़ता ह ितनी चाय इतयाकद बनान लगी ह चौक म आवाज बतमनो की सनायी भी िड़ती ह बचच

सकल जान की तयारी करन लग ह उनका लड़ाई-झगड़ा उनका कोलाहल भी सनायी िड़ता ह यह सब

सनायी िड़ता ह और तम जाग भी नही हो और तम सोए भी नही हो यह बीच की दशा ह तरजसको योग म

तदरा कहा ह--जागरण और तरनदरा क जो बीच म ह दशा

सघ का अथम होता ह--तरबलकल सोए हए आदमी जो गहरी अधरी रात म िड़ ह व तो बदधो क िास आत

नही जो जाग गए ह उनह आन की जररत नही ह जो जाग ही गया जो सवय ही बदध हो गया वह कयो

आए ककसतरलए आए कोई परयोजन नही जो गहरा सोया ह कक उस होश ही नही ह वह कस आए वह बदध क

िास स तरनकल जाता ह और उस रोमाच नही होता वह बदध की हवा स गजर जाता ह और उस हवा का सिशम

210

भी नही होता वह गहरा सोया ह लककन इन दोनो क बीच की दशा वाल लोग भी ह जो जाग भी नही ह कक

बदध हो गए हो और इतन सोए भी नही ह कक बदध होन की आकाकषा न हो उन तदरा स भर लोगो उन जलन की

आकाकषा स भर बझ दीयो स सघ बनता ह

लककन सघ का मौतरलक आधार होता ह बदधिररष क दर म बदध हो तो ही सघ बनता ह

दसरा शबद ह सगठन तरजस कदन बदध तरवदा हो जात ह जला दीया तरवलीन हो जाता ह तरनवामण को

उिलबध हो जाता ह लककन उस जल दीए न जो बात कही थी जो वयवसथा दी थी जो अनशासन कदया था

उस शासता न जो कहा था जो दशना दी थी उसका शासतर रह जाता ह उस शासतर क आधार िर जो बनता ह

वह सगठन सघ की खबी तो इसम न रही सघ क पराण तो गए सगठन मरा हआ सघ ह कछ-कछ भनक रह

गयी कभी जाना था ककसी जागरतिररष का सातरननधय कभी उसक िास उठ-बठ थ कभी उसकी सगध नासािटो

म भरी थी कभी उसकी बासरी की मनमोहक तान हमारी तदरा म हम सनायी िड़ गयी थी कभी ककसी न हम

परमाण कदया था अिन होन स कक ईशवर ह कभी ककसी की वाणी हमार हदय को गदगदा गयी थी बद कतरलया

खली थी कभी कोई बरसा था सरज की भातरत हम िर और हम भी अकररत होन शर हए थ याद रह गयी

शरतरत रह गयी समतरत रह गयी शासतर रह गया--शासता गया शासतर रह गया शासता और शासतर शबद का सबध

समझ लना वही सबध सघ और सगठन का ह

शासता जीवत था जो कहता था वसा था भी कफर वाणी रह गयी सगरह रह गया सतरहता रह गयी

कहन वाला गया अब तम नए परशन िछोग तो उततर न तरमलग अब तो तम िरान परशन तरजनक उततर कदए गए ह

व ही िछो तो उततर तरमल जाएग अब नया सवदन नही होता अब नयी वाणी जागरत नही होती अब नयी

तरग नही उठती अब नयी बासरी नही बजती--रकाडम रह गया शासतर यानी रकाडम गायक तो जा चका रकाडम

रह गया गरामोफोन िर रखोग तो गायक जसा ही लगता ह--जसा लककन रकाडम रकाडम ह और अगर जीतरवत

वयतरि तमह न बदल सका तो रकाडम तमह कस बदलगा

सघ जब मर जाता अथामत जब शासता तरवदा हो जाता तो सगठन िदा होता ह शासता क वचन रह जात

ह जस तरसकखो क दस गर हए जब तक दस गर थ तब तक तरसकख-धमम सघ था तरजस कदन अतरतम गर न तय

ककया कक अब कोई गर नही होगा और गरगरथ ही गर होगा उसी कदन स सगठन जब तक बदध थ तब तक

सघ जब बदध जा चक तरभकष इकटठ हए और उनहोन अिनी-अिनी समतरतयो को उडलकर रकाडम तयार ककया कक

बदध न ककसस कब कया कहा था ककसन कब बदध को कया कहत सना था सब तरभकषओ न अिनी समतरतया टटोली

और सारी समतरतयो का सगरह ककया तीन शासतर बन--तरितरिटक सार तरभकषओ न अिनी समतरत उडलकर जो-जो

बदध न कहा था तरजसन जसा समझा था वसा इकटठा कर कदया तब सगठन बना बदध तो गए याद रह गयी

कफर एक घड़ी ऐसी आती ह कक बीच म शासता तो होता ही नही शासतर भी नही होता तब उस तरसथतरत

को हम कहत ह--समह हम ही आिस म तय करत ह कक हमारा अनशासन कया हो हम कस उठ कस बठ कस

एक-दसर स सबध बनाए

फकम समझना

जब बदध जीतरवत थ सबकी नजर बदध िर लगी थी सब बदध स जड़ थ तार बदध स जड़ थ आिस म

अगर िास भी थ तो भी इसस कछ लना-दना न था कोई सग न था सग बदध क साथ था आिस म साथ थ

कयोकक सब एक कदशा म जात थ इसतरलए साथ हो तरलए थ और कोई साथ न था--सयोग था साथ

211

बदध गए शासतर बचा अब सबध बदध स तो नही रह जाएगा बदध क शबद स रहगा सवभावतः बदध क

शबद को जो लोग ठीक स समझा सक ग बदध क शबद की जो ठीक स वयाखया कर सक ग--ितरडत और िरोतरहत--

महतविणम हो जाएग वयाखयाकार महतविणम हो जाएग और वयाखयाकार एक नही होग अनक होग

बदध क मरत ही बदध का सघ अनक शाखाओ म टट गया टट ही जाएगा कयोकक ककसी न कछ वयाखया

की ककसी न कछ वयाखया की अब तो वयाखया करन वाल सवति हो गए अब बदध तो मौजद न थ कक कहत कक

नही ऐसा मन नही कहा कक मर कहन का ऐसा अथम ह बदध क मौजद रहत य वयाखयाकार तरसर भी उठा नही

सकत थ कयोकक जब बदध ही मौजद ह तो कौन उनकी सनगा कक बदध न कया कहा बदध क हटत ही बड़

दाशमतरनक खड़ हो गए ितरडत खड़ हो गए अलग-अलग वयाखयाए अलग-अलग सपरदाय बन गए बड़ भद बड़

तरववाद एक ही आदमी की वाणी क इतन भद इतन तरववाद

और तरनतरित ही तरजसको तरजसकी बात ठीक लगी वह उसक साथ हो तरलया अब बदध स तो सबध न रहा

बदध क वयाखयाकारो स सबध हो गया बदध तो जागरतिररष थ इसतरलए जागरत का और सोए का सबध हो तो

कछ लाभ होता अब य जो वयाखयाकार ह य इतन ही सोए हए ह तरजतन तम सोए हए हो यह सोए स सोए

का सबध ह तो बनता ह सगठन

मगर कफर भी य जो वयाखया करत ह कम स कम बदध क वचनो की करत ह दर की धवतरन सही बहत

दर की धवतरन बदध को िकार समय हो गया लककन शायद इनहोन बदध की बात सनी थी उसको तरवकत भी कर

तरलया होगा उसको काटा-छाटा भी होगा तोड़ा-मरोड़ा भी होगा कफर भी कछ बदध की बात तो उसम शरष रह

ही जाएगी कछ रग तो रह ही जाएगा

तम इस बगीच स गजर जाओ घर िहच जाओ बगीचा दर रह गया वकष दर रह गए फल दर रह गए

कफर भी तम िाओग तमहार वसतरो म थोड़ी सी गध चली आयी वसतर याद कदलाएग कक बगीच स होकर गजर

हो थोड़ रग रह गए तो सगठन

जब यह रग भी खो जाता ह जब वयाखयाकारो की भी वयाखया होन लगती ह जब वयाखयाकार भी

मौजद नही रह जात तरजनहोन बदध को दखा सना समझा अब इनको सनन समझन वाल वयाखया करन लगत

ह--तो कफर बहत दरी हो गयी तब तरसथतरत हो जाती ह समह की अब तो सोए-सोए अध अधो को मागम कदखान

लगत ह

समझो कक बदध क िास आख थी बदध क वयाखयाकारो क िास कम स कम चशमा था य जो वयाखयाकारो

क वयाखयाकार ह इनक िास चशमा भी नही य ठीक तम जस अध ह शायद तमस जयादा कशल ह बोलन म

शायद तमस जयादा कशल ह तकम करन म शायद तमस अचछी इनकी समतरत ह शायद तमस जयादा इनहोन

अधययन ककया ह िर और कोई भद नही ह चतनागत कोई भद नही ह इतना भी भद नही ह कक य बदध क

सातरननधय म रह हो इतना भी भद नही ह तो समह

कफर एक ऐसा समय भी आता ह जब य भी नही रह जात जब कोई वयवसथा नही रह जाती

वयवसथामाि जब शनय हो जाती ह और जब अध एक-दसर स टकरान लगत ह उसका नाम भीड़ ह

इन चार शबदो का अलग-अलग अथम ह सघ शासता जीतरवत ह सगठन शासता की वाणी परभावी ह

समह शासता की वाणी भी खो गयी लककन अभी कछ वयवसथा शरष ह भीड़ वयवसथा भी गयी अब तरसफम

अराजकता ह

म सघ क िकष म ह सगठन क िकष म नही समह क तो होऊगा कस भीड़ की तो बात ही छोड़ो

212

जब तमह कभी कोई जीतरवत जागरतिररष तरमल जाए तो डब जाना उसक सघ म ऐस अवसर बहत कम

आत ह िथवी िर कभी-कभी आत ह उसको चकना मत उसको चक तो बहत िछताना होता ह और कफर

िछतान स भी कछ होता नही कफर िछताए होत का जब तरचतरड़या चग गयी खत कफर सकदयो तक लोग रोत

कई दफ तमहार मन म भी आता होगा--काश हम भी बदध क समय म होत काश हम भी महावीर क

साथ चल होत उनक िदतरचहनो िर काश हमन भी जीसस को भर-आख दखा होता या काश मोहममद क

वचन सन होत कक कषण क आसिास हम भी नाच होत उस मधर बासरी को सनकर यह िछतावा ह

तम भी मौजद थ तम जरर मौजद थ कयोकक तम बड़ पराचीन हो तम उतन ही पराचीन हो तरजतना

पराचीन यह अतरसततव ह--तम सदा स यहा रह हो तमन न मालम ककतन बदधिररषो को अिन िास स गजरत

दखा होगा लककन दख नही िाए कफर िछतान स कछ भी नही होता जो गया गया जो बीता सो बीता

अभी खोजो कक यह कषण न बीत जाए इस कषण का उियोग कर लो

इसतरलए बदध बार-बार कहत ह एक िल भी सोए-सोए मत तरबताओ जागो खोजो अगर पयास ह तो

जल भी तरमल ही जाएगा अगर तरजजञासा ह तो गर भी तरमल ही जाएगा अगर खोजा तो खोज वयथम नही

जाती िरमातमा की तरफ उठाया कोई भी कदम कभी वयथम नही जाता ह

चौथा परशनः मर मन म कभी-कभी आिक परतरत बड़ा तरवदरोह भड़कता ह और म जहा-तहा आिकी छोटी-

मोटी जनदा भी कर बठती ह कहा गया ह कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही म कया कर

िछा ह कषणतरपरया न

जहा तक कषणतरपरया को म समझता ह इसम कछ गलतरतया ह परशन म वह ठीक कर द

कहा ह मर मन म कभी-कभी आिक परतरत बड़ा तरवदरोह उठता ह

ऐसा मझ नही लगता मझ तो लगता ह तरवदरोह सथायीभाव ह कभी-कभी शायद मर परतरत परम उमड़ता

हो लककन कभी-कभी तरवदरोह उमड़ता ह यह बात सच नही ह तरवदरोह तमहारी सथायी दशा ह और वह जो

कभी-कभी परम उमड़ता ह वह इतना नयन ह कक उसक होन न होन स कछ बहत फकम िड़ता नही

और कषणतरपरया की दशा कतत की िछ जसी ह रखो बारह साल िोगरी म जब िोगरी तरनकालो कफर

तरतरछी की तरतरछी कभी-कभी मझ भी लगता ह कक शायद कषणतरपरया क सबध म मझ भी तरनराश होना िड़गा-

-होऊगा नही वसी मरी आदत नही ह--लककन कषणतरपरया क ढग दखकर कभी-कभी मझ भी लगन लगता ह कक

यह िछ सीधी होगी यह भी मझ खयाल आता ह कक कषणतरपरया यह िछ तरतरछी रह इसम मजा भी ल रही ह

इसस तरवतरशषट हो जाती ह इसस लगता ह--कछ खास ह औरो जसी नही ह खास होन क तरलए कोई और अचछा

ढग चनो यह भी कोई खास होन का ढग ह

राबटम ररपल न बहत सी घटनाए इकटठी की ह सारी दतरनया स उसकी बड़ी परतरसदध ककताबो की सीरीज हः

तरबलीव इट आर नाट मानो या न मानो उसन सब ऐसी बात इकटठी की ह तरजनको कक तम िहली दफा सनकर

कहोग मानन योगय नही मगर मानना िड़गी कयोकक वह तथय ह उसन एक आदमी का उललख ककया ह जो

सार अमरीका म अिनी छाती क सामन एक आईना रखकर उलटा चला कारण बड़ी महनत का काम था

213

उलटा चलना िरा अमरीका उलटा चला कारण जब िछा गया तो उसन कहा कक म परतरसदध होना चाहता ह

वह परतरसदध हो भी गया

एक आदमी परतरसदध होना चाहता था तो उसन अिन आध बाल काट डाल एक तरफ क बाल काट डाल

आधी खोिड़ी साफ कर ली और घम गया नययाकम म तीन कदन घमता रहा अखबारो म खबर छि गयी

टलीतरवजन िर आ गया ििकार उसक िीछ आन लग कक भई यह बात कया ह और वह चपिी रखता था

तीन कदन बाद वह बोला कक मझ परतरसदध होना था

मगर ऐस अगर परतरसदध भी हो गए तो सार कया यह कोई बड़ी सजनातमक बात तो न हई

ऐसा लगता ह कक कषणतरपरया सोचती ह कक इस तरह की बात करन स कछ तरवतरशषट हई जा रही ह यहा

तरवतरशषट होन क हजार उिाय तमह द रहा ह--धयान स तरवतरशषट हो जाओ परम स तरवतरशषट हो जाओ पराथमना स

तरवतरशषट हो जाओ कछ सजनातमक करो तरवतरशषटता ही का कोई मलय नही होता नही तो मढ़ता स भी आदमी

तरवतरशषट हो जाता ह

जाओ रासत िर जाकर शीरषामसन लगाकर खड़ हो जाओ तरवतरशषट हो गए िना हरालड का ििकार िहच

जाएगा फोटो ल लगा नग घमन लगो परतरसदध हो जाओग मगर उसस तमहारी आतमा को कया लाभ होगा

कहा तमहारा तरवकास होगा कई बार ऐसा हो जाता ह कक हम गलत उिाय चन लत ह तरवतरशषट होन क रगण

उिाय चन लत ह कषणतरपरया न रगण उिाय चन हए ह

वस म यह नही कहता कक अगर इसम ही तमह आनद आ रहा हो तो बदलो म ककसी क आनद म दखल

दता ही नही अगर इसम ही आनद आ रहा ह तमहारी मजी मर आशीवामद इसको ऐसा ही जारी रखो

तम कहती हो कक म छोटी-मोटी जनदा आिकी कर बठती ह

कफर छोटी-मोटी कया करनी कफर ठीक स ही करो जब मजा ही लना हो तो छोटा-मोटा कया करना

जब चोरी ही करनी हो तो कफर कौतरड़यो की कया करनी कफर ठीक स जनदा करो कफर कदल खोलकर जनदा

करो और मरा आशीवामद तमहार साथ ह इसतरलए जचता की कोई जररत नही ह

और कहा गया ह कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही

वह ककसी डर हए गर न कहा होगा म नही कहता म तो कहता ह कफकर छोड़ो ठौर म ह तमहारी तम

करो जनदा तरजतनी तमह करनी हो म तम िर नाराज नही ह और कभी नाराज नही होऊगा अगर तमह इसी म

मजा आ रहा ह अगर यही तमहारा सवभाव ह अगर यही तमहारी सहजता ह कक इसस ही तमह कछ तरमलता

मालम िड़ता ह तो म बाधा न बनगा कफकर छोड़ो कक गर की जनदा करन वाल को कही ठौर नही म तमस

कहता ह म ह ठौर तमहारा तमह तरजतनी जनदा करनी हो करो वह तरजनहोन कहा होगा कमजोर गर रह होग

जनदा स डरत रह होग

मरी जनदा स मझ कोई भय नही ह तमहारी जनदा स मरा कछ बनता-तरबगड़ता नही ह और िराए तो

मरी जनदा करत ही ह अिन करग तो कम स कम थोड़ी कशलता स करग--यह भी आशा रखी जा सकती ह

करो

मगर एक बात खयाल रखना इसस तमहारा तरवकास नही होता ह इसतरलए मझ दया आती ह इसस तमह

कोई गतरत नही तरमलती मरी जनदा करन स तमह कया लाभ होगा इस िर धयान करो थोड़ सवाथी बनो थोड़ी

अिनी तो सोचो कक मझ कया लाभ होगा यह समय मरा वयथम जाएगा अब कषणतरपरया यहा वरषो स ह और म

214

समझता ह वह यहा न होती तो कछ हातरन नही थी--कछ लाभ उस हआ नही वयथम ही यहा ह यहा होन न

होन स कछ मतलब नही ह

कषणतरपरया का ही दसरा परशन हः

म कभी-कभी आशरम स भागना चाहती ह लककन आिस नही भागना चाहती वयवसथा जो अनशासन

हम िर लादती ह वह मझ सहन नही होता कया यह आरोतरित अनशासन आतमानशासन क तरवकास म बाधा

नही ह

म कभी-कभी आशरम स भागना चाहती ह लककन आिस नही भागना चाहती

मरा कोई कसर मरी कोई भल-चक मरा कोई कमो का लना-दना ह और कफर अगर मझस नही भागना

चाहती तो कोई अड़चन नही मझ अिन हदय म रखो और कही भी रहो यह आशरम भी तम भाग जाओगी तो

इतना ही परसनन होगा तरजतनी तम परसनन होओगी तमहार होन स यहा कोई भी परसनन नही ह यह खयाल म ल

लो तम खद ही परसनन नही हो तो कोई और कस परसनन होगा

तम यहा होकर अगर परसनन हो तो ही कोई दसरा तमहार होन स परसनन हो सकता ह परसननता तमहार

भीतर स िरगट होती ह तम अगर आनकदत हो तो ही इस आशरम क वासी तमहार होन स आनकदत होग अगर

तम दखी हो और िरशान हो और यहा तमह भला नही लगता तो तमहार कारण यहा कोई परसनन नही ह

तमहारी बड़ी किा होगी तम चली जाओ तो कोई तमस कह भी नही सकता ह कक तम चली जाओ कोई तमस

कह भी नही रहा ह लककन अगर तमहार मन म यह बार-बार बात उठती ह तो तम किा करो तम कोई

यगाडा की परसीडट तो हो नही--इदी अमीन तो हो नही--कक िरा इगलड कह रहा ह किा करक आि न आए

मगर वह सजजन ह कक जा ही रह ह इगलड न उनको खबर भजी ह कक कामनवलथ की सभा म हम आिका

सवागत करन म असमथम ह मगर वह जा ही रह ह

कोई तमस कहता नही कक तम भाग जाओ कोई तमह रोक भी नही रहा ह खयाल रखना कोई तमहारा

हाथ िकड़कर रोक भी नही रहा ह कक तम यहा रहो तमहार जान स हलकािन ही होगा और तम जो जगह

भर हो वहा कोई दसरा आदमी तरवकतरसत होन लगगा तम तो तरवकतरसत होती मालम नही होती तमहारा होना

न होना बराबर ह म नही कह रहा ह कक चली जाओ म इतना ही कह रहा ह कक अगर तमहार मन म यह

भागन का भाव बार-बार उठता ह तो इस भाव को सनो इसका अनकरण करो यह तमहार ही अतरातमा की

आवाज ह कौन जान यही अतरातमा की आवाज तमह ठीक रासत िर ल जाए तमहारा रासता कही और हो

तमहारा गर कही और हो

रही मरी बात सो मझ तम अिन हदय म रखना जहा भी रहो और जहा भी रहो छोटी-मोटी या बड़ी

जसी जनदा बन करत रहना मझ तम माफ न कर सकोगी यह मझ मालम ह इसतरलए जहा रहो वही जो काम

यहा करती हो वहा करना इसम अड़चन कया ह मर िास रहकर कर ही कया रही हो यहा छोटी-मोटी जनदा

करती हो--कहती हो--म कहता ह बड़ी भी करो िना रही कक िटना िटना म चलाना यही काम तो मर स

तो सग-साथ बना ही रहगा आशरम तमस मि हो जाएगा तम आशरम स मि हो जाओगी

215

खयाल रखो आशरम म जो वयवसथा ह वह मर तरनदश स ह तरजनका मझस लगाव ह व उस वयवसथा को

सवीकार करग जो इस वयवसथा को असवीकार करत ह उनका मझस लगाव नही ह कयोकक वह वयवसथा मरी

ह यहा ककसी और की वयवसथा नही ह यह कोई लोकति नही ह यहा यह तो तरबलकल तानाशाही ह यहा

कोई लोग तय नही कर रह ह कक कया हो यहा जो म तय कर रहा ह वही हो रहा ह वसा ही हो रहा ह रतती-

रतती वसा हो रहा ह

इसतरलए तरजनका मझस लगाव ह व बईमातरनया न कर व इस तरह की बईमानी म न िड़ कक आिस तो

हमारा लगाव ह आशरम आशरम स हम िरशान ह तो तम मझस ही िरशान हो तो तमहारा मझस लगाव

कोरा ह थोथा ह हवाई ह बातचीत का ह उसका कोई मलय नही ह उसम कछ यथाथम नही ह

तरजनका मझस लगाव ह व आशरम म लीन हो गए ह उनको यह अड़चन नही िदा होती इस तरह क

परशन व तरलख-तरलखकर नही भजत न इस तरह की बात करत ह व िरम आनकदत ह आशरम की वयवसथा म

डबकर उनहोन मर तरफ समिमण का रासता खोजा ह वह समिमण का रासता ह

तो आशरम की वयवसथा अगर तमह ठीक नही लगती तो तम ठीक स समझ लो कक मरी वयवसथा तमह

ठीक नही लगती इसस मझस दर ही रहना अचछा ह जब ठीक लगन लग तब आ जाना अगर म रहा तो

तमहारा सवागत होगा नही रहा तो तमहारी तम जानो

और कया यह आरोतरित अनशासन आतमानशासन क तरवकास म बाधा नही ह

यह तम तरनणमय कर लो जब भी हम ककसी सघ म सतरममतरलत होत ह तो हम इसीतरलए सतरममतरलत होत ह

कक अकल-अकल हमस आतम-तरवकास नही हो रहा ह कषणतरपरया तमहार िास आतमा अभी ह कहा तरजसका तम

अनशासन कर लोगी आतमा क नाम स तरसफम धोखा दोगी तमहार िास अभी तरववक कहा ह अभी तमहारा

होश जागा कहा ह अनशासन कौन दगा तमहारी तरनदरा म तम जो भी अनशासन दोगी तमह और गडढ म ल

जाएगा तरजस कदन आतमानशासन जग जाएगा उस कदन तो म भी तमस नही कहगा कक ककसी और अनशासन

को मानो यह और अनशासन उसी अनशासन को जगान की कदशा म परयास ह म तमह तभी तक अनशासन

दगा जब तक मझ लगता ह तमहारी आतम-चतना अभी जागी नही तरजस कदन दखगा तमहारा दीया जल गया

उस कदन तमको कहगा कक अब तम मि हो अब तमह जसा लग वसा करो कयोकक तब तम वही करोगी जो

ठीक ह

अभी तम जो करोगी वह गलत ही होन वाला ह अभी तमस ठीक हो सकता होता तो मर िास आन की

जररत कया थी अभी तमहारा तरववक बझा-बझा ह

आतमानशासन का यही अथम हआ--एक आख वाल आदमी का अधा आदमी हाथ िकड़ता ह कफर जब

अधा आदमी आख वाल का हाथ िकड़ता ह तो शरदधािवमक चलना होता ह अधा बीच-बीच म कहन लग कक म

बाए जाना चाहता ह--म तो आतमानशासन म मानता ह--और तम मझ दाए खीच रह हो अब आख वाला

दखता ह कक बाए गडढा ह लककन अधा कहता ह कक तम मझ दाए खीचोग म दाए नही जाना चाहता यह तो

तम ऊिर स मर ऊिर आरोतरित कर रह हो तम मरी सवतिता छीन रह हो मझ बाए जाना ह म तो अिनी

आतमा की आवाज मानगा मगर आख भी तो होनी चातरहए तो जाओ बाए तो तरगरो गडढ म कफर मरा कसर

मत मानना

अब यह बड़ी मतरशकल की बात ह अगर गडढ म तरगरोगी तो मरा कसर कक भगवान मौजद थ म उनक

िास थी उनहोन कयो धयान न कदया अगर म धयान द तो तमहार आतमानशासन म बाधा िड़ती ह

216

तम तय कर लो अगर इस सघ क तरहसस होकर रहना ह तो यह आतमानशासन इतयाकद की बात छोड़

दो तम अभी आतमवान नही हो इसतरलए तम कोई आतमानशासन दन म समथम नही हो अभी तम अिन सब

इस अहकार की घोरषणा को बद करो--यह तरसफम अहकार की घोरषणा ह आतमा की नही आतमा अभी ह कहा

आतमा जग जाए इसतरलए सारा अनशासन द रहा ह तरजस कदन जग जाएगी उस कदन म तमस खद ही कहगा

कक कषणतरपरया अब त जा औरो को जगा अभी यह नही कह सकता अभी इसका कोई उिाय कहन का नही ह

सोच लो एक दफा ठीक तरनणमय कर लो यहा रहना हो तो िर रहो यहा स जाना हो तो िर भाव स

चली जाओ ऐसा बीच-बीच म तरिशक होकर रहना ठीक नही ह

िाचवा परशनः ििातताि का आधयातरतमक तरवकास म कया मलय ह

ििातताि और ििातताि म फकम ह एक तो ििातताि होता ह जो वयथम की जचता ह तम लौट-लौटकर

िीछ दखत हो और सोचत हो--ऐसा न ककया होता वसा ककया होता ऐसा हो जाता ऐसा न होता तो अचछा

होता यह ििातताि जो ह यह वयथम का रदन ह जो दध तरगर गया और तरबखर गया फशम िर अब उसको इकटठा

नही ककया जा सकता और यह इकटठा भी कर लो तो िीन क काम का नही ह जो गया गया उसी घाव को

खजलात रहना बार-बार ककसी मलय का नही ह

अगर तमहारा ििातताि स यही अथम हो कक िीछ लौट-लौटकर दखना और रोना और तरबसरना और

कहना कक ऐसा न ककया होता तो अचछा था मगर जो हो गया हो गया अब उसको नही करन का कोई भी

उिाय नही ह अतीत म कोई बदलाहट नही की जा सकती इस समरण रखो यह एक बतरनयादी तरसदधात ह

अतीत म कोई बदलाहट नही की जा सकती जसा हो गया अतरतम रि स हो गया अब इसम न तो तम एक

लकीर जोड़ सकत न एक लकीर घटा सकत अब यह हमार हाथ म नही रहा यह बात हमार हाथ स सरक

गयी यह तीर हमार हाथ स तरनकल गया इस अब तरकस म वािस नही लौटाया जा सकता इसतरलए इसक

तरलए रोन स तो कोई सार नही ह

अगर तमहारा ििातताि का यही अथम हो--जो कक अकसर होता ह लोग कहत ह िछता रह ह खब

िछता रह ह ऐसा नही करत फला को गाली द दी न दत यह लाटरी की रटकट खरीदन का मन था और यही

नबर की रटकट तरमल रही थी और न खरीदी आज लखितरत हो गए होत कक इस घोड़ िर लगा कदया होता

दाव कक ऐसा कर तरलया होता कक वसा कर तरलया होता कक इस बार जनता की रटकट िर खड़ ही हो गए

होत अतीत को तम अगर बार-बार सोचत हो इसस कछ लाभ नही ह इसक कारण नकसान ह कयोकक इसक

कारण तम भतरवषय को नही दख िात और वतममान को नही दख िात तमहारी आख धए स भरी रहती ह

अतीत को तो जान दो आख खली रखो साफ रखो जो हो गया हो गया जो अभी नही हआ उसम कछ ककया

जा सकता ह

तो इस अथम म तो ििातताि कभी मत करना अतीत का जचतन मत करना

लककन एक ििातताि का और भी अथम होता ह कक अतीत स सीख ली अतीत क अनभव को तरनचोड़ा

अतीत स जञान की थोड़ी ककरण िायी जो-जो अतीत म हआ ह उसको ऐस ही नही हो जान कदया जो भी हआ

उसस कछ िाठ तरलए उस िाठ क अनसार आग जीवन को गतरत दी उस िाठ क अनसार अगल कदम उठाए

यह छोटी सी कहानी सनो--

217

एक सफी सत थ बड़ ईशवरभि िाच दफ नमाज िढ़न का उनका तरनयम था एक रोज थक-माद थ सो

गए जब नमाज का वि आ गया तो ककसी न आकर उनह जगाया तरहलाकर कहा उठो-उठो नमाज का वि हो

गया ह व ततकाल ही उठ बठ और बड़ कतजञ हए कहन लग भाई तमन मरा बड़ा काम ककया मरी इबादत

रह जाती तो कया होता अचछा अिना नाम तो बताओ उस आदमी न कहा अब नाम रहन दो उसस झझट

होगी लककन सत न कहा कम स कम नाम तो जान तमह धनयवाद तो द तो उसन कहा िछत ही हो तो कह

दता ह मरा नाम इबलीस ह

इबलीस ह शतान का नाम सत तो हरान हए बोल इबलीस शतान अर तमहारा काम तो लोगो को

इबादत स धमम स रोकना ह कफर तम मझ जगान कयो आए यह बात तो बड़ी अटिटी ह सनी नही िढ़ी

नही न आखो दखी न कानो सनी शासतरो म कही उललख नही कक इबलीस और ककसी को जगाता हो कक उठो-

उठो नमाज का वि हो गया तमह हो कया गया ह कया तमहारा कदल बदल गया ह

शतान न कहा नही भया इसम मरा ही फायदा ह एक बार िहल भी तम ऐस ही सो गए थ नमाज का

वि बीत गया तो म बहत खश हआ था लककन जब तम जाग तो इतना रोए इतन दखी हए इतन हदय स

तमन ईशवर को िकारा और इतनी तमन कसम खायी कक अब कभी नही सोऊगा अब कभी भल नही करगा

अब मझ कषमा कर दो तब स वरषो बीत गए ह तब स तम सोए नही तब स तम नमाज ही नही चक अब मन

दखा कक आज तम कफर सो गए हो अगर म तमह न जगाऊ तो और करठनाई होगी तम इसस भी कछ िाठ

लोग तो मन सोचा एक दफ नमाज िढ़ लो वही जयादा ठीक ह उसम मरी कम हातरन ह कयोकक तरिछली दफ

तम चक उसस तमह तरजतना लाभ हआ उतना तमन तरजतनी नमाज जजदगीभर की थी उनस भी न हआ था

इस फकम को समझना

तम जजदगीभर नमाज िढ़त रह रोज सबह-साझ िाच बार उसस तमह इतना लाभ नही हआ था

तरजतना तरिछली बार सो गए थ और जब जाग थ तो तरजस ढग स तम िछताए थ तरजस ढग स तम िीतरड़त हए

थ जस तम रोए थ जस तम जार-जार होकर तड़फ थ तम फशम िर तरघसट थ तमन तरसर िटका था तमन परभ

को ऐसा याद ककया था उस कदन तमहारी नमाज उस कदन तमहारी पराथमना िरमातमा तक िहच गयी थी और

तब स वरषो बीत गए मन तमह बहत सलान की कोतरशश की सब ककया लककन तम कभी नही सोए तम हर

हालत म भी नमाज िढ़त रह आज तम सो गए थक-माद म डरा कक कही आज कफर तम सोए रह तब तो तम

िता नही ककतना लाभ ल लोग उस परायतरितत स उस ििातताि स

ििातताि ििातताि का फकम ह तरसफम रोन की ही बात नही ह सीखन की बात ह सीखो तो बड़ा लाभ

ह जो भल तमन की ह व सभी भल काम की हो जाती ह सभी भल सोन की अगर सीख लो अगर न सीखो

तो तमन जो ठीक भी ककया वह भी तरमटटी हो जाता ह

इस गतरणत को खयाल म लना भल भी सोना हो जाती ह अगर उसस सीख लो और गर-भल भी तरमटटी

हो जाती ह अगर कछ न सीखो अनभव तो जजदगी म सभी को होत ह थोड़ स लोग उनस सीखत ह जो

सीखत ह व जञानी हो जात ह अतरधक लोग उनस सीखत नही अनभव तो सभी को बराबर होत ह अचछ क

बर क लककन कछ लोग अनभवो की रातरश लगाकर बठ रहत ह उसकी माला नही बनात थोड़ स लोग ह जो

अनभव क फलो को सीख क धाग स तरिरोत ह और माला बना लत ह व परभ क गल म हार बन जात ह

िाठ खयाल म रखो--जो हआ हआ वह अनयथा हो नही सकता लककन उसक होन क कारण तम अनयथा

हो सकत हो खयाल लना गलत ििातताि उस कहता ह म जब तम सोचत हो--जो मन ककया वसा न ककया

218

होता अनयथा हो जाता कछ तरकीब हो जाती ऐसा हो जाता वसा हो जाता कयो मन ऐसा ककया ककसी स

िछ लता जरा सी बात थी कयो चक गया इस तरह क िछताव स कोई लाभ नही कयोकक तम अतीत को

बदलना चाह रह हो तो ििातताि वयथम

अगर अतीत म ऐसा हआ इसस तम एक अनभव लो कक म अिन को बदल ल--तम अिन को बदल सकत

हो तम भतरवषय हो तम अभी हए नही हो रह हो इस म बदलाहट हो सकती ह--अगर तम बदल जाओ तो

ििातताि बड़ा बहमलय ह नमाज स जयादा नमाज न हई उसका ििातताि ह

छठवा परशनः भगवान बदध न आनद स कहा कक सथान बदलन स समसया हल होन वाली नही ह कफर आि

कयो बार-बार सथान बदल रह ह

िहली तो बात भगवान बदध एक सथान िर दो-तीन सपताह स जयादा नही रहत थ म एक-एक जगह

चार-चार िाच-िाच साल रटक जाता ह सो यह तम दोरष मझ िर न लगा सकोग कक म बार-बार सथान कयो

बदल रहा ह भगवान बदध तो जजदगीभर बदलत रह लककन उनहोन भी समसया क कारण नही बदला और म

भी समसया क कारण नही बदल रहा ह जब आनद न कहा उनस कक हम दसर गाव चल चल कयोकक इस गाव

क लोग गातरलया दत ह तो उनहोन नही बदला इस कारण नही बदला उनहोन कहा इस कारण बदलन स कया

सार इसका मतलब यह मत समझना कक वह सथान नही बदलत थ सथान तो बदलत ही थ बहत बदलत थ

लककन इस कारण उनहोन कहा सथान बदलना गलत ह

उस सथान स भी बदला उनहोन आतरखर गए उस जगह स लककन तब तक न गए जब तक यह समसया

बहत काट की तरह चभ रही थी और तरभकष बदलना चाहत थ--तब तक नही गए जब तरभकषओ न उनकी बात

सन ली और समझ ली और तरभकष राजी हो गए और धयमिवमक परतीकषा करन लग जब तरभकषओ क मन म यह बात

ही नही रही कक कही और चल तब चल गए मगर व समसया क कारण नही गए

म भी समसया क कारण नही बदलता समसया तो सब जगह बराबर ह सच तो बात यह ह कक जहा दो-

चार-िाच साल रह जाओ वहा समसयाए कम हो जाती ह लोग राजी हो जात ह--कया करोग

म वरषो जबलिर था लोग धीर-धीर राजी हो गए थ व समझत थ कक होगा कदमाग खराब होगा

इनका तरजनको सनना था सनत थ तरजनको नही सनना था नही सनत थ बात तय हो गयी थी कक ठीक ह

अब कया करोग इस आदमी का शोरगल मचा तरलया अखबारो म तरखलाफ तरलख तरलया जलस तरनकाल तरलए

कया करोग कफर आतरखर कब तक चलात रहोग और भी काम ह दतरनया म धमम कोई एक ही काम तो नही

फसमत ककसको ह तरजनको पराथमना करन की फसमत नही उनह मरा तरवरोध करन की फसमत भी ककतनी दर तक

रहगी यह तो सोचो आतरखर व राजी हो गए कक ठीक ह अब छोड़ो भलो तरजस कदन व राजी हो गए उसी

कदन मन जबलिर छोड़ कदया कफर कोई सार न रहा वहा रहन का

कफर मन बबई म अडडा जमा तरलया कफर धीर-धीर बबई क लोग भी राजी होन लग कक ठीक ह तब म

िना आ गया अब िना क लोग भी राजी होन क करीब आ रह ह--अब म कया कर जान का वि करीब आ

गया अब िना म कोई नाराज नही ह मझ िि आत ह तरमिो क िना क सनयातरसयो क कक अब आि छोड़त ह

जब कक सब ठीक-ठाक हआ जा रहा ह अब लोग नाराज भी नही ह उतना तरवरोध भी नही कर रह ह

219

लोगो की सीमा ह अगर तम धयम रख रहो तो व हार जात ह कया करग कब तक तरसर फोड़ग मगर

जस ही यह बात हो जाती ह कफर बदलन का वि आ जाता ह अब कही और जाएग कही और जहा लोग तरसर

फोड़ग वहा जाएग

समसया क कारण नही बदली जाती ह जगह समसयाए हल हो जाती ह तो कफर बदल लत ह--अब यहा

करग भी कया मरीज न रह तरजतन लोगो को लाभ हो सकता था उनहोन लाभ ल तरलया जो अभाग ह उनक

तरलए बठ रहन स कछ लाभ नही अब कही और ककसी और कोन स कही और भी लोग परतीकषा करत ह यही

उतरचत ह

काफी समय रह तरलया यहा जो ल सकत थ लाभ उनहोन ल तरलया उनक कठ भर गए तरजनक तरलए

आया था उनका काम िरा हो गया ऐस तो बहत भीड़ ह िना म उसस मरा कोई लना-दना नही उनक तरलए

म आया भी नही था उनक तरलए म आया भी नही उनक तरलए म यहा रहा भी नही यहा दतरनया म कोन-कोन

स लोग आ रह ह लककन यहा िड़ोस म लोग ह जो यहा नही आए

तरजनक तरलए म आया था उनका काम िरा हआ अब कही और

समसया क कारण कोई बदलता नही--कोई बदध नही बदलता समसया क कारण

सातवा परशनः मन सना ह कक अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती ह ऐसा कयो कया

अिाि सदगर की करणा क हकदार नही ह

इस छोटी सी कहानी को समझो--

अगार न ऋतररष की आहतरतयो का घी िीया और हवय क रस चाट कछ दर बाद वह ठडा होकर राख हो

गया और कड़ की ढरी िर फक कदया गया ऋतररष न जब दसर कदन नए अगार िर आहतरत अरिमत की तो राख न

िकारा कया आज मझस रषट हो महाराज ऋतररष की करणा जाग उठी और उनहोन िाि को िोछकर एक

आहतरत राख को भी अरिमत की तीसर कदन ऋतररष जब नए अगार िर आहतरत दन लग तो राख न गरामकर कहा

अर त वहा कया कर रहा ह अिनी आहतरतया यहा कयो नही लाता ऋतररष न शात सवर म उततर कदया ठीक ह

राख आज म तर अिमान का ही िाि ह कयोकक कल मन मखमतावश तझ अिाि म आहतरत अरिमत करन का

िाि ककया था

अिाि को भी सदगर तो दन को तयार होता ह लककन अिाि लन को तयार नही अिाि का मतलब ही

यह होता ह कक जो लन को तयार नही तो दन स ही थोड़ ही कछ हल होता ह म दन को तयार ह अगर तम

लन को तयार न हो तो मर दन का कया सार होगा तम जब तक तयार नही हो तमह कछ भी नही कदया जा

सकता सथल चीज नही दी जा सकती तो सकषम की तो बात ही छोड़ दो म कोई सथल चीज तमह भट द--फलो

का एक हार भट द--और तम फक दो सथल चीज भी नही दी जा सकती तो सकषम--म तमह सनयास द म तमह

धयान द म तमह परम द--तम उस भी फक दोग

अिाि का अथम खयाल रखना अिाि का अथम यह ह जो लन को तयार नही जो िाि नही ह अभी जो

अभी िाि बनन को राजी नही ह िाि का अथम होता ह जो खाली ह और भरन को तयार ह अिाि का अथम

होता ह जो बद ह और भरन स डरा ह और खाली ही रहन की तरजदद ककए ह कफर अगर अिाि को दो तो वह

फ कगा और अिाि को अगर दो तो वह दवयमवहार करगा--हीरो क साथ ककड़-ितथरो जसा दवयमवहार करगा

220

इसतरलए तमहार परशन को समझन की कोतरशश करो

मन सना ह कक अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती

ऐसा नही कक सदगर नही दना चाहत दना चाहत ह मगर अिाि लत नही और कभी-कभी ऐसा भी हो

सकता ह कक अिाि ऊिर स कहता हो कक म लना चाहता ह लककन सदगर तमहार भीतर दखता ह तमहार

ऊिर की बात नही ह तमहारी वाणी की बात नही ह तमहार पराण की बात ह वह दखता ह तम भीतर स

तयार हो कक ऊिर स ऊिर स तम ककसी और कारण स लन को राजी हो गए होओ

यहा मर िास लोग आ जात ह व कहत ह सनयास चातरहए जब म उनस जरा बात करता ह कक

ककसतरलए चातरहए कया बात ह कया कारण ह तो कारण ऐस तरमलत ह तरजनका सनयास स कोई भी सबध

नही हो सकता

एक यवक सनयास लन आया िछा कारण कया ह वह कहता ह नौकरी नही लगती अब नौकरी नही

लगती तो उसन सोचा कक चलो ककसी आशरम म ही रहग मगर यह सनयास क तरलए ियामपत कारण मानत हो

इस नौकरी नही लगती मन उसस कहा और अगर नौकरी लग जाए तो उसन कहा अगर आि लगवा द तो

बड़ी किा कफर मन कहा कफर सनयास का कया करोग तो उनहोन कहा अगर नौकरी लगवा द तो कफर

सनयास की कोई जररत ही नही ह म तो आया ही इसीतरलए ह कक अब कही लगती नही ठोकर खा-खाकर

िरशान हो गया रोजगार दफतरो क सामन खड़-खड़ सबह स साझ हो जाती ह नौकरी लगती नही लगवा द

आि तो कफर कया जररत सनयास की

अब बात सीधी-साफ ह कोई बीमार ह सोचता ह शायद सनयास एक सतरी अिन बट को लकर आ

गयी--वह बचिन स ही िागल ह मतरसतषक उसका तरवकतरसत नही हआ--इसको सनयास द द वह उस घसीटती

ह इस सनयास द द म उस िछता ह इसको लना ह वह कहती ह इसको तो कछ होश ही नही यह कया

लगा-दगा तो मन कहा त इसक कयो िीछ िड़ी ह

तो वह कहती ह शायद सनयास स इसकी बतरदध ठीक हो जाए शायद इसका मतरसतषक खराब ह--

तरचककतसक तो हार गए मनोवजञातरनक कहत ह कछ हो नही सकता इसम बतरदध क तत ही नही ह--तो शायद

अब इस तरह सनयास नही घटता सनयास इस जगत की सबस अनठी घटना ह सगीत सीख सकता ह

अिाि अगर थोड़ी महनत कर कतरवता भी रच सकता ह अिाि अगर थोड़ी भारषा माज तकबदी साध नाच

भी सीख सकता ह--लगड़ा भी नाच सीख सकता ह--अगर थोड़ा अभयास कर लककन सनयास सनयास तो

सवाग सौदयम ह सनयास तो आतरखरी बात ह सनयास तो आतरखरी समनवय ह सनयास तो समातरध ह इस िर

तो जो सार जीवन को तरनछावर कर द--व भी अगर िा ल तो धनयभागी ह

तो तम िछत हो कक सना ह मन अिाि वयतरियो को सनयास की दीकषा नही दी जाती

दीकषा दन म सदगर को कोई कजसी नही कोई किणता नही ह लककन अिाि लन को राजी नही ह

अिाि लता नही ह

िछत हो ऐसा कयो

यह बात सीधी-साफ ह

और कया अिाि सदगर की करणा क हकदार नही ह

हकदार शबद ही गलत ह यह कोई अतरधकार नही ह तरजसका तम दावा करो यह हकदार शबद ही अिाि

क मन की दशा की सचना द रहा ह सनयास का कोई हकदार नही होता यह कोई काननी हक नही ह कक

221

इककीस साल क हो गए तो वोट दन का हक ह तम जनमो-जनमो जी तरलए हो कफर भी हो सकता ह सनयास क

हकदार न होओ यह हक अरजमत करना िड़ता ह यह हक हक कम ह और कतमवय जयादा ह यह तो तमह धीर-

धीर कमाना िड़ता ह यह कोई काननी नही ह कक म चाहता ह सनयास लना तो मझ सनयास कदया जाए यह

तो परसाद-रि तरमलता ह तम पराथमना कर सकत हो हक का दावा नही तम पराथमना कर सकत हो हाथ

जोड़कर तम चरणो म बठ सकत हो कक म तयार ह जब आिकी करणा मझ िर बरस या आि समझ कक म

योगय ह तो मझ भल मत जाना म अिना िाि तरलए यहा बठा ह तम पराथमना कर सकत हो हक की बात नही

कर सकत हक की बात भी अिािता का तरहससा ह

जीवन म जो महतविणम ह सदर ह सतय ह उस िर दाव नही होत हम उसक तरलए तरनमिण द सकत ह

हम िरमातमा को कह सकत ह तम आओ तो मर दरवाज खल रहग तम िकारोग तो मझ जागा हआ िाओग

मन घर-दवार सजाया ह धि-अगरबतती जलायी ह फल रख ह तमहारी सज-शयया तयार की ह िलक-िावड़

तरबछाए म परतीकषा करगा तम आओ तो म धनयभागी तम न आओ तो समझगा अभी म िाि नही यह िाि

का लकषण ह तम आओ तो म धनयभागी तम आओ तो समझगा कक परसाद ह न आओ तो समझगा अभी िाि

नही

अिाि की हालत उलटी ह तम आओ तो वह समझगा आ गए ठीक ह मरा हक ही था आना ही था न

आत तो मजा चखाता आना ही िड़ता यह मरा हक ह यह मरा अतरधकार ह न आओ तो वह नाराज होता ह

कक बड़ा अनयाय हो रहा ह ससार म अनयाय ह ककसी को तरमल रहा ह ककसी को नही तरमल रहा ह जयादती

हो रही ह िकषिात हो रहा ह भाई-भतीजावाद हो रहा ह अिाि की भारषा होती ह एक

िाि की भी एक भारषा होती ह िरमातमा आता ह तो िाि कहता ह--परसाद मरी तो कोई योगयता न

थी कफर तम आए यह िाि की भारषा ह जरा समझना बड़ी उलटी भारषा ह िाि कहता ह म तो अिाि था

और तम आए मरी तो कोई योगयता न थी म माग सक ऐसा तो मरा कोई आधार न था तरसफम तमहारी करणा

तमहारा परम तमहारी दया तम रहीम हो तम रहमान हो तम महाकरणावान हो इसतरलए आए हक क कारण

नही म धनयभागी ह अनगहीत ह यह ऋण चकाया नही जा सकता मझ अिाि िर किा की मझ अयोगय की

तरफ आख उठायी यह िाि की भारषा ह

अिाि कहता ह म िाि मझस जयादा िाि और कौन ह और अभी तक नही आए इतनी दर लगा रह

हो अनयाय मालम होता ह अिाि अिनी योगयता की घोरषणा करता ह--हक तो योगयता की घोरषणा ह

नही सनयास तो जीवन का िरम फल ह यह सहजता म तरखलता ह यह परसादरि तरखलता ह तम

तरनमिण भजो और परतीकषा करो सदगर क िास जाओ तरनमिण द दो तरनवदन कर दो कक आि िकारग तो म

तयार ह

मर िास आत ह इतन लोग उसम तीन तरह क लोग होत ह उसम जो शरितम होता ह वह मझस

आकर कहता ह कक म तयार ह अगर आि मझ िाि समझ तो सनयास द द अगर आि समझ अगर आि समझ

कक अभी मरी तयारी नही तो म परतीकषा करगा आि िर छोड़ता ह जो शरितम ह वह कहता ह आि िर

छोड़ता ह जो उसस नबर दो ह दोयम ह वह कहता ह मन तय कर तरलया कक मझ सनयास लना ह आि मझ

सनयास द कफर एक नबर तीन भी ह वह कहता ह आि सनयास दना चाहत ह अगर आि द तो म तरवचार

कर कक ल या न ल इस िर म तरवचार करगा

222

इसम िहला तो बहत करीब ह भगवान क मकदर क दवार िर खड़ा ह दसरा जयादा दर नही ह तीसरा

बहत दर ह और चौथ भी लोग ह जो आत ही नही उनको तो िता ही नही कक भगवान का कोई मकदर भी

होता ह कक सनयास जसी भी एक जीवन की दशा होती ह कक चतनय का एक नतय भी होता ह एक सगीत भी

होता ह एक कावय भी होता ह

आठवा परशनः कया बदध क िवम भी और बदध हए ह और कया बदध क बाद भी और बदध हए ह

बदधतव चतना की िरमदशा का नाम ह इसका वयतरि स कोई सबध नही ह जस तरजनतव चतना की

अतरतम दशा का नाम ह इसस वयतरि का कोई सबध नही ह तरजन अवसथा ह वस ही बदध अवसथा ह

गौतम बदध हए कोई गौतम िर ही बदधतव समापत नही हो गया गौतम क िहल और बहत बदध हए ह

खद गौतम बदध न उनका उललख ककया ह और गौतम बदध क बाद बहत बदध हए सवभावतः गौतम बदध उनका

तो उललख नही कर सकत बदधतव का अथम ह--जागरत होश को आ गया वयतरि तरजसन अिनी मतरजल िा ली

तरजसको िान को अब कछ शरष न रहा तरजसका िरा पराण जयोतरतममय हो उठा अब जो मणमय स छट गया और

तरचनमय क साथ एक हो गया

इस छोटी सी झन-कथा को समझो--

एक कदन सदगर िन ची न आशरम म बहारी द रह तरभकष स िछा तरभकष कया कर रह हो तरभकष बोला

जमीन साफ कर रहा ह भत सदगर न तब एक बहत ही अदभत बात िछी--झन फकीर इस तरह की बात

िछत भी ह िछा--यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क ििात

अब यह भी कोई बात ह बदध को हए हजारो साल हो गए अब यह सदगर जो सवय बदधतव को उिलबध

ह यह बहारी दत इस तरभकष स िछता ह कक यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क ििात परशन

िागलिन का लगता ह मगर िरमहसो न कई बार िागलिन की बात िछी ह उनम बड़ा अथम ह

जीसस स ककसी न िछा ह कक आि अबराहम क सबध म कया कहत ह

अबराहम यहकदयो का िरमतरिता वह िहला िगबर यहकदयो का इस बात की बहत सभावना ह कक

अबराहम राम का ही दसरा नाम ह--अब राम का अब तरसफम आदर-सचक ह जस हम शरीराम कहत ह ऐस अब

राम अब राम स अबराहम बना इस बात की बहत सभावना ह लककन अबराहम िहला परोफट ह िहला िगबर

िहला तीथकर ह यहकदयो का मसलमानो का ईसाइयो का उसस तीनो धमम िदा हए

तो ककसी न जीसस स िछा कक आि अबराहम क सबध म कया कहत ह तो जीसस न कहा म अबराहम क

भी िहल ह हो गयी बात िागलिन की जीसस कहा हजारो साल बाद हए ह लककन कहत ह म अबराहम क

भी िहल ह

इस झन सदगर िन ची न इस तरभकष स िछा यह बहारी दना तम बदध क िवम कर रह हो या बदध क

ििात िर तरभकष न जो उततर कदया वह गर क परशन स भी गजब का ह तरभकष न कहा दोनो ही बात ह बदध क

िवम भी और बदध क ििात भी बोथ तरबफोर एड आफटर गर हसन लगा उसन िीठ थिथिायी

इस हम समझ बदध को हए हो गए हजारो वरषम वह गौतम तरसदधाथम बदध हआ था िर बदध होना उस िर

समाित नही हो गया ह आग भी बदध होना जारी रहगा इस बहारी दन वाल तरभकष को भी अभी बदध होना ह

इसतरलए परतयक घटना दोनो ह--बदध क िवम भी बदध क ििात भी बदधतव तो एक सतत धारा ह एस धममो

223

सनतनो हम सदा बीच म ह हमस िहल बदध हए ह हमस बाद बदध होग हमको भी तो बदध होना ह गौतम

िर ही थोड़ बात चक गयी

लककन हमारी नजर अकसर सीमा िर रक जाती ह हमन दखा गौतम बदध हआ दीया जला हम दीए

को िकड़कर बठ गए--जयोतरत को दखो जयोतरत तो सदा स ह इस दीए म उतरी और दीयो म उतरती रही ह

और दीयो म उतरती रहगी

तो जीसस ठीक कहत ह कक अबराहम क िहल भी म ह यह मरी जो जयोतरत ह यह कोई ऐतरतहातरसक

घटना नही ह यह तो शाशवत ह यह सनातन ह अबराहम बाद म हआ इस जयोतरत क बाद हआ इस जयोतरत क

कारण ही हआ तरजस जयोतरत क कारण म हआ ह यह िरम जयोतरत ह यह िरम जयोतरत शाशवत ह न इसका

कोई आकद ह न इसका कोई अत ह

बदध न अिन तरिछल जनमो क बदधो का उललख ककया ह--चौबीस बदधो का उललख ककया ह एक उललख

म कहा ह कक उस समय क जो बदधिररष थ उनक िास म गया तब गौतम बदध नही थ झककर बदधिररष क

चरण छए उठकर खड़ हए थ कक बहत चौक कयोकक बदध न झककर उनक चरण छ तरलए तो व बहत घबड़ाए

उनहोन कहा म आिक चरण छऊ यह तो ठीक ह अधा आख वाल क सामन झक यह ठीक ह लककन आिन

मर चरण छए यह कसा िाि मझ लगा कदया अब म कया कर

व बदध हसन लग उनहोन कहा तझ िता नही दर-अबर त भी बदध हो जाएगा हम शाशवत म रहत ह

कषणो की तरगनती हम नही रखत म आज हआ बदध त कल हो जाएगा कया फकम ह आज और कल तो सिन म

ह आज और कल क िार जो ह--शाशवत--म वहा स दख रहा ह

कफर तो जब बदध को सवय बदधतव परापत हआ--गौतम को बदधतव परापत हआ--तो िता ह उनहोन कया कहा

उनहोन कहा कक तरजस कदन मझ बदधतव परापत हआ उस कदन मन आख खोली और तब म समझा उस िरान बदध

की बात ठीक ही तो कहा था तरजस कदन मझ बदधतव उिलबध हआ उस कदन मन दखा कक सबको बदधतव की

अवसथा ही ह--उनको िता नही ह लोगो को लककन ह तो अवसथा अब मर िास अध लोग आत ह लककन म

जानता ह आख बद ककए बठ ह आख उनक िास ह--उनह िता न हो उनहोन इतन कदन तक आख बद रखी ह

कक भल ही गए हो कभी शायद खोली ही नही शायद बचिन स ही बद ह शायद जनमो स बद ह

बदध कहत ह अब मर िास कोई आता ह तो वह सोचता ह कक उस कछ िाना ह और म उसक भीतर

दखता ह कक जयोतरत जली ही हई ह जरा नजर भीतर ल जानी ह जरा अिन को ही तलाशना और अिन को ही

खोजना और टटोलना ह

और आतरखरी परशनः सतय की खोज का अत कहा ह

सतय का अथम ही होता ह अनत सतय की खोज का कोई अत नही होता सतय की खोज का परारभ तो

होता ह अत नही होता ह यािा शर तो होती ह िरी नही होती िरी हो नही सकती कयोकक िरी अगर

यािा हो जाए तो उसका अथम होगा कक सतय भी सीतरमत ह तम आ गए आतरखरी सीमा िर कफर उसक िार

कया होगा

नही सतय असीम ह यही तो हमन बार-बार अनक-अनक ढगो स कहा ह--िरमातमा अनत ह असीम ह

अिार ह उसका तरवसतार ह तरवराट ह जस तम सागर म उतर जाओ तो सागर म उतर गए यह तो सच ह

224

लककन िर सागर को थोड़ ही तमन िा तरलया अभी सागर बहत शरष ह तम तरत रहो तरत रहो सागर शरष

ह और शरष ह--तम तरजतना िार करत जाओ उतना िार करत जाओ सागर शरष ह

कफर सागर तो शायद चक भी जाए--हमार सागर बहत बड़ ह लककन बहत बड़ तो नही चक ही जाएग

अगर कोई तरता ही रह तरता ही रह तो दसरा ककनारा भी आ जाएगा िरमातमा का कोई दसरा ककनारा

नही ह िरमातमा का कोई ककनारा ही नही ह इसीतरलए असीम कहत ह

सतय असीम ह अनत ह इसतरलए सतय की खोज का अत नही कोई अत नही होता

इस छोटी सी घटना को समझो--

अमरीका का एक बहत बड़ा मनीरषी हआ--जान डबी वह कहा करता था जीवन जीवन म रतरच का नाम

ह तरजस कदन वह गयी कक जीवन भी चला गया सतय की खोज खोज म रतरच ह सतय म उतना सवाल नही ह

तरजतना खोज म ह मजा मतरजल का नही ह यािा का ह मजा तरमलन का कम ह इतजारी का ह

इस जान डबी स उसकी नबबवी वरषमगाठ िर बातचीत करत समय एक डाकटर तरमि न कहा कफलासफी

दशमन दशमन म रखा कया ह बताइए आि ही बताइए दशमन म रखा कया ह उस डाकटर न िछा डबी न

शातरतिवमक कहा दशमन का लाभ ह उसक अधययन क बाद िहाड़ो िर चढ़ाई सभव हो जाती ह डाकटर न

समझा नही कफर भी उसन कहा अचछा मान तरलया मान तरलया सही कक दशमन का यही लाभ ह कक िहाड़ो

िर चढ़ाई सभव हो जाती ह लककन िहाड़ो िर चढ़न स कौन सा लाभ ह डबी हसा और बोला लाभ यह ह

कक एक िहाड़ िर चढ़न क बाद दसरा ऐसा ही िहाड़ कदखायी िड़ना आरभ हो जाता ह कक तरजस िर चढ़ना

करठन परतीत होता ह उसक िार होन िर तीसरा उसक िार होन िर चौथा और जब तक यह करम ह और

चनौती ह तब तक जीवन ह

तरजस कदन चढ़न को कछ शरष नही आकरषमण चनौती नही उसी कदन मतय घट जाएगी और मतय नही ह

जीवन ही ह एक िहाड़ तम चढ़त हो शायद तम इसी आशा म चढ़त हो कक अब चढ़ गए बस आतरखरी आ

गया अब इसक िार कछ नही ह अब तो आराम करग चादर ओढ़कर सो जाएग िहाड़ िर चढ़त हो तब िात

हो कक दसरा िहाड़ सामन परतीकषा कर रहा ह इसस भी बड़ा इसस भी तरवराट इसस भी जयादा सवणममयी

अब कफर तमहार भीतर चनौती उठी अब कफर तम चल सोचोग कक अब इस िर िड़ाव डाल दग तरजस कदन

तरशखर िर िहचोग--तरशखर िर िहचत ही आग का कदखायी िड़ता ह उसक िहल कदखायी नही िड़ता--तब

कदखायी िड़ता ह और बड़ा िहाड़ मतरण-काचनो स चमकता रकना मतरशकल ह ऐस िहाड़ क बाद िहाड़

सतय की खोज अनत खोज ह यािा ह और ऐसी यािा कक कभी समापत नही होती समापत नही होती

यह शभ भी ह समापत हो जाए तो जीवन समापत हो गया

हम अनत क यािी ह एस धममो सनतनो

आज इतना ही

225

एस धममो सनतनो भाग 10

एक सौ दो परवचन

जीवन का िरम सतय यही अभी इसी म

अपिमादरता होथ स-तरचततमनरकखथ

दगगा उदधरथततान िक सततोव कजरो 269

सच लभथ तरनिक सहाय सजदध चर साधतरवहाररधीर

अतरभभयय सबबातरन िररससयातरन चरयय तनततमनो सतीमा 270

नो च लभथ तरनिक सहाय तरसजदध चर साधतरवहाररधीर

राजाव रटठ तरवतरजत िहाय एको चर मातगरोव नागो 271

एकसस चररत सययो नतरतथ बाल सहायता

एको चर न च िािातरन कतरयरा

अपिोससकको मातगरोव नागो 272

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख 273

जीवन म जो छोटी-छोटी बातो म तरवराट क दशमन िा ल वही बतरदधमान ह जो अण म असीम की झलक

िा ल वही बतरदधमान ह कषदर म तरजस कषदरता न कदखायी िड़ कषदर म भी उस दख ल जो सवामतमा ह वही

बतरदधमान ह

जीवन क सतय कही दर आकाश म नही तरछि ह जीवन क सतय यही तरलख िड़ ह चारो तरफ ितत-ितत

िर और कण-कण िर जीवन का वद तरलखा ह दखन वाली आख हो तो वदो म िढ़न की जररत ही नही ह

कयोकक महावद तमहार चारो तरफ उितरसथत हआ ह तमहार ही जीवन की घटनाओ म सतय न हजार-हजार

रग-रि तरलए ह ककसी अवतार क जीवन म जान की जररत नही ह तमहार भीतर भी िरमातमा अवतररत

हआ ह

अगर तम ठीक स दखना शर करो--तरजस बदध समयक-दतरषट कहत ह ठीक-ठीक दखना--तो ऐस बद-बद

इकटठ करत-करत तमहार भीतर भी अमत का सागर इकटठा हो जाएगा और बद-बद ही सागर भरता ह बद को

इनकार मत करना नही तो सागर कभी नही भरगा यह सोचकर बद को इनकार मत कर दना कक बद म कया

रखा ह हम सागर चाहत ह बद म कया रखा ह तरजसन बद को असवीकारा वह सागर स भी वतरचत रह

जाएगा कयोकक सागर बनता बद स ह

जीवन क छोट-छोट फलो को इकटठा करना ही काफी नही ह इनह बोध क धाग म तरिरोओ कक इनकी

माला बन कछ लोग इकटठा भी कर लत ह जीवन क अनभव को लककन उस अनभव स कछ सीख नही लत तो

226

ढर लग जाता ह फलो का लककन माला नही बनती जब तमहार जीवन क बहत स अनभवो को तम एक ही

धाग म तरिरो दत हो जब तमहार जीवन क बहत स अनभव एक ही कदशा म इतरगत करन लगत ह तब तमहार

जीवन म सि उिलबध होता ह

इसतरलए अगर हम बदध-वचनो को सि कहत ह तो उसका कारण ह यह अनक अनभवो क भीतर तरछिा

हआ धागा ह यह एकाध अनभव स तरनचोड़ा नही गया ह यह बहत अनभवो क फलो को भीतर अिन म

समहाल हए ह

और खयाल करना जब माला बनती ह तो फल कदखायी िड़त ह धागा नही कदखायी िड़ता जो नही

कदखायी िड़ता वही समहाल हए ह वह जो अदशय ह उसको िकड़ लन क कारण इन गाथाओ को सि कहत ह

कफर माला बना लन स भी बहत कछ नही होता दतरनया म तीन तरह क लोग ह एक तो जो फलो का

ढर लगाए जात ह जो कभी माला नही बनात उनक जीवन म भी वही घटता ह जो बदधो क जीवन म घटा

बद उनक जीवन म आती ह लककन बदो म उनको सागर कदखायी नही िड़ता और एक-एक बद आती ह और

बद क कारण व इनकार करत चल जात ह इसतरलए सागर स कभी तरमलन नही होता दसर व ह जो हर बद

का सतकार करत ह हर बद को सगहीत करत ह उनको अनभव क धाग म जोड़त ह उनक जीवन म बतरदधमतता

िदा होती ह

मगर एक और इसस भी ऊिर बोध ह जो बतरदधमतता स भी िार ह तरजसको हम परजञा कहत ह फलो को

इकटठा कर लो ढर लगाओ तो भी सड़ जाएग और माला बनाओ तो भी सड़ जाएग फल कषणभगर ह इनको

समहालन का यह ढग नही ह इनको बचान का यह ढग नही ह फल तो समय म तरखलत ह इनक भीतर स

शाशवत को खोजना जररी ह ताकक इसक िहल कक फल कमहला जाए तमहार हाथ म ऐसा इि आ जाए जो

कभी नही कमहलाता

फलो को सगहीत करन स कछ लाभ नही--ढर लगान स तो जरा भी लाभ नही ह नकसान ही ह कयोकक

तरजनस आज गध उठ रही ह उनही स कल दगध उठन लगगी फल अगर इकटठ ककए तो सड़ग यहा हर चीज

सड़ती ह

इसतरलए बतरदधमान आदमी फल इकटठ नही करता इसक िहल कक फल सड़ जाए उनकी माला बनाता ह

लककन मालाए भी इकटठी नही करता इसक िहल कक मालाए सड़ जाए उनस इि तरनचोड़ता ह इि तरनचोड़न

का अथम होता ह असार-असार को अलग कर कदया सार-सार को समहाल तरलया हजारो फलो स थोड़ा सा इि

तरनकलता ह कफर फल कमहलात ह इि कभी नही कमहलाता कफर फल समय क भीतर िदा हए समय क

भीतर ही समा जात ह इि शाशवत म समा जाता ह इि शाशवत ह एस धममो सनतनो

जीवन क छोट-छोट अनभव क फल इनस जब तम असार को छाट दत हो और सार को इकटठा कर लत

हो तो तमहार हाथ म धमम उिलबध होता ह--शाशवत धमम सनातन धमम तमहार हाथ म जीवन का िरम तरनयम

आ जाता ह

मढ़ ढर लगाता ह बतरदधमान माला बनाता ह और तरजस बदधतव की कला आ गयी--परजञावान--असार को

छोड़ दता ह सार को इकटठा कर लता ह दशय को िकड़ता नही अदशय को िकड़ लता दखता फल म गध का

सि कया ह उसी को बचा लता और बहत कछ ह उसका कोई मलय नही ह हजारो फल म बदभर इि

तरनकलता ह लककन वही इि फलो की गध था फलो म तो कछ भी न था वही इि हजारो म फला था तो गध

227

बनी थी उस तरनचोड़ तरलया समय क भीतर स शाशवत को तरनचोड़ तरलया यही इि तरनवामण ह यही इि

मतरिदायी ह यही तमहार जीवन को िरम सगध स भर जाता ह

य जो बदध की छोटी-छोटी कहातरनया म तमस कह रहा ह इस इस नजर स दखना छोटी-छोटी घटनाए

ह तमहार जीवन म भी घटती ह सबक जीवन म घटती ह जीवन घटनाओ का जोड़ ह घटनाए ही घटनाए ह

रोज घट रही ह तम भी इनही घटनाओ क भीतर स गजरत हो--सबह-साझ दफतर म बाजार म घर म खत

म खतरलहान म भीड़ म अकल म यही घटनाए घट रही ह--लककन तम अभी तक इनस इि तरनचोड़न की कला

नही सीख िाए या तो तमन घटनाओ क ढर लगा तरलए ह उनस तरसफम बोझ बढ़ जाता ह और कफर घटनाए

सड़ जाएगी और दगध दगी और अतीत सड़ा हआ तमहार िीछ लगा रहता ह मरा हआ अतीत तमहार तरसर िर

सवार रहता ह वह तमह ठीक स जीन भी नही दता तम जीओग कस तमहारा मरा हआ अतीत जो भत हो

गया अब वह तमहारी छाती िर चढ़ा हआ ह वह तमह जीन नही दता

तो बजाय इसक कक तमन अतीत स इि तरनचोड़ा होता अतीत की परतातमाए तमहार जीवन म अड़चन

डालती ह उठन-बठन म सब तरफ स िरतिता बन जाती ह उनही अड़चनो का नाम ससार ह तमहारा अतीत

ही तमहारा ससार ह और वही अतीत तमहार भतरवषय को उकसाता ह मदाम अतीत कफर स दोहरना चाहता ह

कफर स िदा होना चाहता ह तो तरजन वासनाओ क कारण तम अतीत म कछ घटनाओ म गजर उनही म तम

भतरवषय म भी गजरोग तमहारा आन वाला कल करीब-करीब तमहार बीत कल की ही िनरतरि होगी

कफर जीन म कछ अथम नही ह कल तो बीत चका उसस कछ िाना होता तो िा तरलया होता उसी को

कल कफर दोहराओग--न उसस तरमला कछ न आग कछ तरमलगा ऐस खाली क खाली आत और खाली क खाली

चल जात तरभकषािाि तमहारा कभी भरता नही तमहारा तरभखमगािन कभी तरमटता नही

जीवन क व ही अनभव जो तम बदध की इन कहातरनयो म दख रह हो तमहार िास स गजरत ह कभी-

कभी तमह भी लगा होगा कक य कहातरनया कोई बहत ऐसी तो नही ह कक दर आकाश की हो यही िथवी की ह

लककन बदध की कला कया ह व ततकषण एक छोटी सी घटना को िकड़त ह उसम स इि तरनचोड़ लत ह और

इि जब तम दखत हो तब तम चककत हो जात हो

आज का सि-सदभम--

कौशल-नरश क िास बदधरक नाम का एक महाबलवान हाथी था उसक बल और िराकरम की कहातरनया

दर-दर तक फली थी लोग कहत थ कक यदध म उस जसा कशल हाथी कभी दखा ही नही गया था बड़-बड़

समराट उस हाथी को खरीदना चाहत थ िाना चाहत थ बड़ो की नजर लगी थी उस हाथी िर वह अिवम योदधा

था हाथी यदध स कभी ककसी न उसको भागत नही दखा ककतना ही भयानक सघरषम हो ककतन ही तीर उस िर

बरस रह हो और भाल फ क जा रह हो वह अतरडग चटटान की तरह खड़ा रहता था उसकी जचघाड़ भी ऐसी थी

कक दशमनो क कदल बठ जात थ उसन अिन मातरलक कौशल क राजा की बड़ी सवा की थी अनक यदधो म

तरजताया था

लककन कफर वह वदध हआ और एक कदन तालाब की कीचड़ म फस गया बढ़ाि न उस इतना दबमल कर

कदया था कक वह कीचड़ स अिन को तरनकाल न िाए उसन बहत परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न

तरनकाल सका सो न तरनकाल सका राजा क सवको न भी बहत चषटा की िर सब असफल गया

228

उस परतरसदध हाथी की ऐसी ददमशा दख सभी दखी हए तालाब िर बड़ी भीड़ इकटठी हो गयी वह हाथी

िरी राजधानी का चहता था गावभर म उसक परमी थ बाल-वदध सभी उस चाहत थ उसकी आखो और उसक

वयवहार स सदा ही बतरदधमानी िररलतरकषत होती थी

राजा न अनक महावत भज िर व भी हार गए कोई उिाय ही न कदखायी दता था तब राजा सवय

गया वह भी अिन िरान सवक को इस भातरत दख म िड़ा दख बहत दखी था राजा को आया दख तो सारी

राजधानी तालाब िर इकटठी हो गयी

कफर राजा को बदधरक क िरान महावत की याद आयी वह भी अब वदध हो गया था राजय की सवा स

तरनवतत हो गया था और तरनवतत होकर भगवान बदध क उिदशो म डबा रहता था उसक पररतरत भी राजा क मन

म बहत सनमान था सोचा शायद वह बढ़ा महावत ही कछ कर सक जनम-जनम का जस इन दोनो का साथ

था--इस हाथी का और महावत का बदध न अिनी कहातरनयो म कहा भी ह कक त इस बार ही इस हाथी क साथ

नही ह िहल भी रहा ह यहा सब जीवन जड़ा हआ ह कफर इस जीवन तो िर जीवन वह हाथी क साथ रहा

था हाथी उसी क साथ बड़ा हआ था उसी क साथ जवान हआ था उसी क साथ बढ़ा हो गया था हाथी को

हर हालत म दखा था--शातरत म और यदध म और हाथी की रग-रग स िररतरचत था राजा को याद आयी शायद

वह बढ़ा महावत ही कछ कर सक

उस खबर दी गयी वह बढ़ा महावत आया उसन अिन िरान अिवम हाथी को कीचड़ म फस दखा वह

हसा तरखलतरखलाकर हसा और उसन ककनार स सगराम-भरी बजवायी यदध क नगाड़ो की आवाज सन जस

अचानक बढ़ा हाथी जवान हो गया और कीचड़ स उठकर ककनार िर आ गया वह जस भल ही गया अिनी

वदधावसथा और अिनी कमजोरी उसका सोया योदधा जाग उठा और यह चनौती काम कर गयी कफर उस कषण

भी दर न लगी

अनक उिाय हार गए थ लककन यह सगराम-भरी य बजत हए नगाड़ उसका सोया हआ शौयम जाग उठा

उसका तरशतरथल िड़ गया खन कफर दौड़न लगा वह भल गया एक कषण को--याद आ गयी होगी िरानी--कफर

जवान हो उठा

कषण की भी दर न लगी--सबह स साझ हई जा रही थी सब उिाय हार गए थ--और वह ऐसी मसती और

ऐसी सरलता और सहजता स बाहर आया कक जस न वहा कोई कीचड़ हो और न वह कभी फसा ही था ककनार

िर आकर वह हरषोनमाद म ऐस जचघाड़ा जसा कक वरषो स लोगो न उसकी जचघाड़ सनी ही नही थी वह हाथी

बड़ा आतमवान था वह हाथी सकलि का मतमरि था

भगवान क बहत स तरभकष भी उस बढ़ महावत क साथ यह दखन तालाब क ककनार िहच गए थ उनहोन

सारी घटना भगवान को आकर सनायी और जानत ह भगवान न उनस कया कहा

भगवान न कहा--तरभकषओ उस अिवम हाथी स कछ सीखो उसन तो कीचड़ स अिना उदधार कर तरलया

तम कब तक कीचड़ म फस रहोग और दखत नही कक म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह तरभकषओ जागो और

जगाओ अिन सकलि को वह हाथी भी कर सका वह अतरत दबमल बढ़ा हाथी भी कर सका कया तम न कर

सकोग मनषय होकर सबल होकर बतरदधमान होकर कया तम न कर सकोग कया तम उस हाथी स भी गए-

बीत हो चनौती लो उस हाथी स तम भी आतमवान बनो और एक कषण म ही करातरत घट सकती ह एक कषण म

ही एक िल म ही समरण आ जाए भीतर जो सोया ह जग जाए तो न कोई दबमलता ह न कोई दीनता ह

समरण आ जाए तो न कोई कीचड़ ह न तम कभी फस थ ऐस बाहर हो जाओग तरभकषओ अिनी शतरि िर

229

शरदधा चातरहए तवरा चातरहए तरभकषओ तजी चातरहए एक कषण म काम हो जाता ह वरषो का सवाल नही ह

लककन सारी शतरि एक कषण म इकटठी लग जाए समगरता स िणमरिण

और बदध न कफर कहा--और सनत नही म सगराम-भरी कब स बजा रहा ह तभी उनहोन य गाथाए कही

थी

यह छोटी सी घटना रोज ऐसी घटनाए घटती ह लककन बदध न बड़ा इि खीचा बड़ा इि तरनचोड़ा

िहल तो इस छोटी सी कहानी को ठीक-ठीक हदयगम हो जान द

यह हाथी साधारण हाथी न था महाबलवान था तो खयाल रखना महाबलवान की भी ऐसी दशा हो

जाती ह इसतरलए बल स कभी धोखा मत खाना आज बलवान हो कल तरनबमल हो जाओग आज बड़ी शतरि ह

कल सब शतरि कषीण हो जाएगी आज जवान हो कल बढ़ हो जाओग

एक बढ़ा आदमी रासत स जा रहा था बदध एक वकष क नीच बठ थ उस बढ़ क जजमर शरीर को उसक

कित हाथ को िर को दखकर एक तरभकष हसन लगा--जवान था अभी बदध न कहा--तरभकषओ हसो मत नही तो

लोग कफर तम िर हसग यही दशा तमहारी हो जाएगी यह तमहारा भतरवषय ह इस बढ़ को इस भातरत चलत

दखकर हसो मत इसक िहल कक यह दशा तमहारी हो जाए कछ कर लो

हसी म तो कही यह भाव तरछिा ही ह कक यह मर साथ कभी नही होगा दखत नही ककसी को हारा

दखत हो तम हसत हो तम यह कभी सोचत नही कक जो हार आज इस आदमी की हो गयी कल यह भी जीता

हआ था आज जो चारो खान तरचतत िड़ा ह कल न मालम ककतन लोगो को इसन चारो खान तरचतत ककया था

तम आज हो सकता ह ककसी की छाती िर बठ हो यह सदा रहगी नही बात यहा सदा कछ भी नही रहता

यहा चीज रोज बदलती ह परतरतिल बदलती ह आज जो शतरि म ह कल शतरिहीन हो जाता ह आज जो सतता

म ह कल सतता क बाहर हो जाता ह और मजा यह ह इस दतरनया का अधािन ऐसा ह कक जो भी सतता म

आता ह वह यही सोचता ह कक अब आ गया अब कभी बाहर नही होना ह इतन लोगो को बाहर जात दखता

ह कफर भी यह चक बनी ही रहती ह

तम आज जवान हो कल बढ़ हो जाओग और यह मत सोचना कक तमहार साथ जगत का तरनयम कोई

अिवाद का वयवहार करगा यहा अिवाद होता ही नही जगत क तरनयम तरनरिवाद ह आज जीत हो कल

मरोग अथी दखकर दया मत खाना कयोकक वह अथी तमहारी ही ह अथी दखकर जागो दया खान स कया

होगा यह मत कहो कक बचारा मर गया जब तम कहत हो कक बचारा मर गया तो उसम कही यह भाव तरछिा

ही होता ह कक हम भल अभी तो नही मर कही दर यह धवतरन होती ह कक हमको नही मरना ह यह बचारा मर

गया

तमह अिन बचारिन की याद आती ह जब कोई मरता ह अगर नही याद आती तो तम फलो की ढरी

लगा रह हो माला नही बना रह नही तो हर रोज जो अथी तमहार दवार क बाहर स तरनकलती उसका हर फल

तमहारी माला म सजता जाए और इसक िहल कक मौत आए मौत तमहार सामन साकषात हो जाए उसी मौत

क साकषातकार स सनयास का जनम होता ह

बदध न कहा ह तरजसन मतय को दख तरलया वह सनयसत न हो यह कस सभव ह सनयास का अथम इतना

ही ह कक मौत तम स जो छीन लगी हम उस सवचछा स द दत ह हम कहत ह ठीक ह यह तरछन ही जान वाला

ह इसको िकड़ रखन म वयथम िरशानी कयो लनी िहल िकड़न की िरशानी लो कफर छीन जान का दख

भोगो हम अिनी मौज स द दत ह हम दान कर दत ह हम तयाग कर दत ह मौत जब ल ही जाएगी तो मौत

230

को यह अवसर कयो द हम अिनी ही मजी स द डाल सनयास का इतना ही अथम होता ह कक जो मौत करगी

वह हम खद ही कर दत ह ताकक मौत को झझट बच मौत को महनत कयो करवाए

और खयाल रखना बड़ा करातरतकारी फकम ह जो आदमी गहसथ की तरह मरता ह वह रोत-झीखत मरता

ह कयोकक उसका सब छीना जा रहा ह उसन जो-जो अिना माना था सब हाथ स तरखसका जा रहा ह और जो

वयतरि सनयसत की तरह मरता ह वह अिवम आनद स मरता ह उसक िास छीन जान को कछ भी नही उसस

कोई कछ भी नही छीन सकता उसन तो वह सब िहल ही मान तरलया था कक मरा नही ह जो मौत छीन लगी

जो मौत छीन लगी वह मरा नही ह यही तो कसौटी ह मर होन की मरा वही ह जो मौत नही छीन िाएगी

उसन तो वही बचाया जो मौत नही छीन िाएगी उसन धयान बचाया धन नही बचाया उसन परम

बचाया िद नही बचाया उसन पराथमना बचायी िजा बचायी अचमना बचायी उसन परभ-समरण बचाया उसन

समाज की परतरतिा और सममान और आदर और कड़ा-करकट नही बचाया कयोकक वह तो सब मौत छीन लती

जो मौत छीन लती ह उसन बचाया ही नही उसन वही बचाया तरजस िर मौत का कोई बस नही ह

मौत शरीर को तो मार दती ह इसतरलए उसन शरीर स मोह न रखा न हनयत हनयमान शरीर उसन तो

उसकी तरफ दखा जो शरीर क मार जान स भी नही मरता उसन तो परम उसस जोड़ा उसन तो चाहत उसकी

की जो शरीर क छट जान िर भी नही छटता उसन तरमटटी क दीयो म आसतरि नही लगायी उसन तो जयोतरत म

आसतरि बाधी--जो सदा रहगी सदा थी उसन समय क भीतर शाशवत को तरनचोड़ा उसन फल नही िकड़

उसन इि उसन जलदी-जलदी इि तरनचोड़ा इि साथ जाएगा फल यही िड़ रह जात ह धयान साथ जाएगा

धन यही िड़ा रह जाता ह उसन तरसकदर नही बनना चाहा उसन बदध बनना चाहा महावीर बनना चाहा

कषण बनना चाहा उसन चाहत तरवराट की की सनयास का इतना ही अथम होता ह

उसन दख तरलया लोगो को बढ़ा होत अगर जवान आदमी क िास दतरषट हो तो वह यह दखकर कक कोई

बढ़ा हो रहा ह समझ लगा कक मझ बढ़ा होना ह इसतरलए अभी स सोचकर चलो अभी स इस तरहसाब स चलो

कक यह बढ़ािा आए भी तो मझस कछ छीन न िाए तरजसन होश स दखा वह मदाम को दखकर जान लता ह कक

मरी भी मौत आ रही ह--चल िड़ी ह आती ही होगी आज-कल की बात ह समय थोड़ा दर-अबर की बात ह

आती ही होगी--इसकी आ गयी मरी भी आती होगी तो इसक िहल म घर तयार कर ल म कछ ऐसा बना ल

जो मौत मझस नही छीन िाएगी

तो बदध न उस हसत तरभकष को कहा--मत हस तरभकष त भी ऐसा ही बढ़ा हो जाएगा

चवागतस तरनकलता था एक मरघट स एक खोिड़ी िड़ी थी उसका िर लग गया--सबह थी धधलका था

अभी रोशनी हई नही थी सरज तरनकला नही था--उसन झककर परणाम ककया उस खोिड़ी को साषटाग लटकर

नमसकार ककया उसक तरशषयो न कहा आि यह कया करत ह इस खोिड़ी को नमसकार कर रह ह उसन कहा

ऐसी ही मरी खोिड़ी िड़ी रहगी लोगो क िर लगग म इसको नमसकार कर रहा ह इसन मझ याद कदला दी

कक अिनी कया दशा हो जाएगी इसन मझ बड़ा बोध कदया इसतरलए धनयवाद द रहा ह

और कफर खयाल रखो उसन अिन तरशषयो स कहा यह खोिड़ी ककसी साधारण आदमी की खोिड़ी नही--

कयोकक वह मरघट बड़ लोगो का मरघट था जस कदलली म राजघाट ऐसा बड़ा मरघट था वहा खास-खास

लोग ही दफनाए जात थ--तो उसन कहा यह कोई छोट-मोट आदमी की खोिड़ी नही ह अगर यह जजदा होता

और इसक तरसर म िर लग गया होता तो आज अिनी खर नही थी यह बड़ो की यह हालत हो गयी तो

चवागतस न कहा म फकीर मरी कया हालत होगी जरा सोचो तो

231

उसन खोिड़ी उठा ही ली उसन कफर जजदगीभर खोिड़ी को साथ रखा वह जहा जाता खोिड़ी को

अिन िास रखता लोग जरा िछत भी कक यह खोिड़ी ककसतरलए तरलए कफरत ह यह जरा अचछी नही मालम

होती दखकर भय भी लगता ह वीभतस ह वह कहता कक यही अिनी हालत हो जाएगी इसको दखकर अिनी

याद बनी रहती ह इसको दखकर चलन लगा ह यह मरी गर हो गयी ह

ऐसी छोटी-छोटी घटनाओ स जो तरनचोड़ता चल इि को वही जञानवान ह

वह हाथी बढ़ा हो गया था सबको बढ़ा हो जाना ह महाबलवान ठीक तरनबमल दशा म िहच जात ह

महाधनवान ठीक दीन दशा म िहच जात ह बड़ शतरिशाली ऐसी शतरि खो दत ह कक तमह भरोसा ही न आए

निोतरलयन जब हार गया और उस सट हलना क दवीि म कद कर कदया गया तो एक सबह वह घमन

तरनकला ह छोटा सा दवीि ह जहा उस कद ककया गया दवीि स भाग भी नही सकता इसतरलए उस दवीि िर

घमन-कफरन की सतरवधा ह एक घतरसयाररन घास की एक गठरी तरसर िर तरलए हए आ रही थी िगडडी ह

छोटी और निोतरलयन का डाकटर उसक साथ ह--समराट था निोतरलयन कद म था तो भी डाकटर उसको कदया

गया था जो उसक साथ रह उसकी तीमारदारी कर--डाकटर न घतरसयाररन को आत दखा तो वह तरचललाया कक

ओ घतरसयाररन रासता छोड़ दखती नही कौन आ रहा ह लककन निोतरलयन न उसका हाथ िकड़ा और कहा

कषमा कर डाकटर तमह होश नही ह व कदन गए हम रासता छोड़ द व कदन गए जब म आलपस िवमत स कहता

कक हट जा तो आलपस िवमत भी मरा रासता छोड़ दता आज घतरसयाररन भी मरा रासता कयो छोड़ आज कोई

कारण नही ह और निोतरलयन ककनार हटकर खड़ा हो गया घतरसयाररन को रासता द कदया

समझदार आदमी रहा होगा ऐसी दशा हो जाती ह कक तरजनक तरलए तरहमालय रासता द दता उनक तरलए

घास वाली भी शायद रासता न द और यह दशा सब की हो जाती ह यह दशा होनी ही ह यहा कछ भी तरथर

नही ह इसतरलए यहा तरजसन तरथरता का बोध बनाया वह नासमझ ह

तो िहली तो बात वह महाशतरिवान हाथी तरजसकी कहातरनया दर-दर तक फली थी बढ़ा हो गया था

और एक कदन तालाब की कीचड़ म फस गया जो यदधो म नही फसा था कभी तरजसको फसान क तरलए न मालम

ककतन शडयि और जाल ककए गए थ न मालम ककतन वयह रच गए थ कक मार डाला जाए--कयोकक वह

कौशल-नरश की ताकत था उसकी वजह स कौशल-नरश जीत थ यदधो म--जो हाथी सकड़ो हातरथयो क बीच

भी तरघरकर फसा नही था कभी वह आज एक साधारण स तालाब की गदी कीचड़ म फस गया ह हाथी फसान

को आए थ तो न फसा िाए थ आज कीचड़ फसान को उतसक भी नही ह कीचड़ को कछ लना-दना भी नही ह

और फस गया ह ऐसी दीन दशा हो जाती ह सभी की हो जाती ह

तमहारा मन तमस कहगा--नही अिनी नही होगी सावधान रहना मन की सनना मत मन सभी स

ऐसा कहता ह मन सभी को ऐसा धोखा दता ह मन मढ़ता का सि ह मन की तरजसन सनी वह मढ़ रह गया

मन की तरजसन मानी वह कभी जान नही िाया मन न जानन की कदशा म ल जाता ह मन आखो को धए स

भरता ह मन यही कहगा कक ठीक ह हो गया होगा कमजोर लककन हम तरवटातरमन लग इजकशन लग दवा

जारी रखग डाकटर ह अब तो मतरडकल साइस इतनी बढ़ गयी अब कोई ऐसा दबमल होन की जररत ह

ककतनी ही मतरडकल साइस बढ़ और ककतन ही तम तरवटातरमन लो और ककतनी ही दवाइया िीत रहो और

ककतन ही टातरनक खात रहो कछ फकम न िड़गा दर-अबर तम ऐस ही कमजोर हो जाओग कमजोर हो जाना

ही िड़गा कयोकक जो शतरि दी गयी ह वह कषणभगर ह वह तरवदा होगी दो-चार साल आग कक िीछ उसस

कछ भी फकम नही िड़ता आतरखरी तरहसाब म उसस कछ अतर नही आता ह

232

आज कीचड़ म फस गया ह वह महाबलवान हाथी बढ़ाि न उस अतरत दबमल कर कदया ह उसन बहत

परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न तरनकाल सका सो न तरनकाल सका

उसकी िीड़ा समझो और खयाल रखना अगर यह जवान होता हाथी तो यह कीचड़ स अिन को तरनकाल

लता इसम एक बात और बात म बात तरछिी ह--

जब तक तम जवान हो तब तक ससार स तरनकलना आसान ह जब बढ़ हो जाओग तो कीचड़ स

तरनकलना मतरशकल हो जाएगा आमतौर स लोग उलटा तकम तरलए बठ ह लोग सोचत ह बढ़ जब हो जाएग तब

राम-नाम जि लग अभी कया जलदी ह बढ़ जब हो जाएग तब सनयास ल लग अभी कया जलदी ह अभी तो

जवान ह अभी तो जजदगी ह अभी तो राग-रग ह अभी तो भोग ल जब मौत करीब आन लगगी और हाथ-िर

जजमर होन लगग और जरा दवार खटखटान लगगी तब हो जाएग सनयसत हो जाएग

मर िास लोग आत ह व कहत ह कक आि जवान आदमी को सनयास द दत ह सनयास तो बढ़ो क तरलए

ककसन तमस कहा तमहार मन न कहा होगा अगर मन की सनो तो मन तो यह कहता ह कक सनयास

मदो क तरलए ह बढ़ो क तरलए भी नही मन कहता ह जब अथी िर चढ़ जाओ तब ल लना सनयास

एक सतरी मर िास आती थी सामातरजक कायमकिी थी बबई म उसका बड़ा नाम था वह सनयास लना

चाहती थी उमर उसकी थी कोई िसठ साल मगर वह कहती थी अभी तरसतरया तो िसठ साल म भी शायद

अिन को जवान ही समझती ह तरसतरया तो बढ़ी होती ही नही हो जाए तो भी नही होती मानती नही

कोई ककसी स िछ रहा था अमरीका म कक सतरी अमरीका की परसीडट कयो नही हो सकती तो उनहोन

कहा करठनाई ह कयोकक परसीडट को कम स कम चालीस साल क ऊिर होना चातरहए कोई सतरी चालीस साल

क ऊिर होती ही नही

म उस वदधा को कहा कक अब और कब िसठ साल की त हो गयी उसन कहा हा हो गयी लककन अभी

म मजबत ह और कमजोर भी नही ह आि दखत नही अभी तो िचचीस साल जजदा रहगी कम स कम मन

कहा आदमी जवानी म भी मर जाता ह आदमी बचिन म भी मर जाता ह त िसठ साल क बाद भी यह

सिना समहाल हए ह

और सयोग की बात कक दसर कदन वह मझ तरमलन ही आ रही थी और एक कार स टकरा गयी म उसक

तरलए राह ही दख रहा था वह तो नही आयी उसक बट की खबर आयी असिताल स कक हालत बहत खराब ह

और चौबीस घट बाद वह मर गयी मरत वि बट को कह गयी कक कछ भी हो मझ सनयास तो कदलवा ही

दना मरत वि बटा भागा हआ आया कहन लगा मा तो चल बसी लककन वह कह गयी ह कक गररक वसतर

िहनवा दना माला गल म डलवा दना मन कहा तमहारी मजी तो माला यह रही ल जाओ अब मर हए

आदमी की बात को कयो इनकारना मगर इसका कोई मलय नही ह

सनयास मरकर तरलया लककन अतरधकतर लोगो का तकम यही ह कक जब मरन क करीब आ जाएग तब

तब कफकर कर लग

इस छोटी सी बात म यह खयाल रखना अगर यह हाथी जवान होता और कीचड़ म फसा होता तो

सहजता स तरनकल आया होता कयोकक जो ऊजाम ससार म काम आती ह वही ऊजाम सनयास म भी काम आती

ह ऊजाम तो वही ह

233

अकसर लोग सोचत ह कक जवानी म तो बड़ी करठनाई होगी कयोकक वासना परबल होगी माना जवानी

म वासना परबल होती ह लककन वासना स छटन की शतरि भी उतनी ही परबल होती ह बढ़ाि म एक बड़ी

दघमटना घट जाती ह वासना स छटन की शतरि तो तरनबमल हो जाती ह और वासना उतनी की उतनी परबल

रहती ह वासना कभी छोटी होती नही तरनबमल होती ही नही बढ़ स बढ़ आदमी क भीतर वासना वसी ही

जलती ह जस जवान आदमी क भीतर जलती ह उसका शरीर साथ नही दता उसकी शतरि साथ नही दती

लककन भीतर वासना वसी ही जलती ह वासना म कभी बढ़ािा नही आता वासना बढ़ी होती ही नही ऊजाम

जवान होती ह ऊजाम बढ़ी होती ह वासना सदा जवान रहती ह

तो जब ऊजाम भी जवान हो तब चाह वासना स बाहर तरनकल आओ तो तरनकल आओ जब ऊजाम बढ़ी हो

जाए और वासना तो जवान रहगी ही तब तरनकलना बहत मतरशकल हो जाएगा

इसतरलए बदध और महावीर न एक महाकरातरत इस दश म की बराहमणो की ससकतरत म बढ़ क सनयास की

वयवसथा थी--िचहततर साल क बाद एक तो िचहततर साल क बाद कोई बचता नही कोई भल-चक स बच

गए तो सनयसत हो जाएग सनयास तब लन की वयवसथा थी जब ससार तमह खद ही छोड़ द जब ससार खद

ही तयारी करन लग कक तमह जाकर कबाड़खान म कही फक आए ककसी असिताल म डाल द कक ककसी

वदधाशरम म भरती करवा द जब ककसी कबाड़खान म फकन की ससार की ही इचछा हो जाए जब तमहार बट

ही सोचन लग कक अब जाओ भी अब बहत हो गया अब और न सताओ तब सनयास ल लना िचहततर साल

सौ साल का तरहसाब बाधकर रखा था

सौ साल कोई भी कभी जीता नही उन कदनो म भी नही जीत थ लोग वह तरसफम आशा ह कभी-कभी

कभी-कभार कोई आदमी सौ साल जीआ ह आज भी नही जीता उन कदनो का तो सवाल ही नही ह उन कदनो

की तरजतनी खोजबीन की गयी ह--ककताबो को छोड़ दो--जो अतरसथ-िजर तरमल ह सारी दतरनया िर वह इस बात

क सबत ह कक चालीस साल स जयादा िचास साल स जयादा उन कदनो आदमी जीआ ही नही वह शताय होन

की तो कामना थी आशीवामद था कक सौ वरषम जीओ वह कछ होता नही था लककन उस कामना िर यह सारा

का सारा शासतर तरनरममत हआ था िचचीस साल तक बरहमचयम िचास साल तक गहसथ िचहततर साल तक

वानपरसथ कफर िचहततर साल स सौ साल तक सनयास वह सनयास घटता नही था या कभी-कभी घटता था

कछ लोग जो शतजीवी होत थ

इसतरलए बदध और महावीर न तो एक महाकरातरत का सििात ककया उनहोन इस िर गतरणत को बदला

उनहोन कहा सनयास तो जवान की बात ह जब ऊजाम परखर ह जब ऊजाम जलती ह लिट क साथ वासना भी

तज ह जीवन की ऊजाम भी तज ह फसन का डर भी ह तरनकलन की शतरि भी ह तभी तरनकल जाना कयोकक

िीछ शतरि तो कम होती जाएगी और कीचड़ वसी की वसी रहगी

इस तालाब म कीचड़ तब भी थी जब यह हाथी जवान था अब हाथी तो बढ़ा हो गया तालाब की

कीचड़ अब भी वसी की वसी ह कीचड़ म कोई फकम नही िड़ रहा ह वासना की कीचड़ सदा वसी की वसी

रहती ह शायद कभी जवानी म इस तालाब िर सनान करन आया भी हो--आया ही होगा नही तो बढ़ाि म

कयो आता हम उसी तालाब िर तो जात ह तरजसम जवानी म भी गए हो जहा जवानी म गए ह वही तो हम

बढ़ाि म भी जात ह--आदत िरान ससकार इसी तालाब िर नहाता रहा होगा हालाकक कोई कहानी नही ह

इसक फसन की कयोकक तब जवान था तरनकल-तरनकल गया होगा अब बढ़ा हो गया ह कीचड़ तो वसी की

वसी ह लककन अब तरनकलन की शतरि कषीण हो गयी ह

234

इसक िहल कक बढ़ािा तमह दीन-दबमल कर जाए अिनी ऊजाम को धयान म उडल दना इसक िहल कक

मौत तमहारी छाती िर बठन लग तम समातरध को तरनमिण द दना इसक िहल कक ससार तमह फकन लग तम

सनयास की दतरनया म परवश कर जाना यह अिमानजनक ह कक ससार तमह फ क यह सममानजनक ह कक तम

ससार को कहो कक मन हाथ अलग कर तरलए इसम बड़ा सममान ह

इसीतरलए हमन सनयासी को इतना सममान कदया सममान का कारण कया ह कोई िछ कारण यही ह कक

तरजसको हम मरत दम तक नही छोड़ िात उस सनयासी न जीत जी जीवन की िरम शतरि क कषणो म भी छोड़

कदया तरजसम हम फस ही रहत ह उसस सनयासी न मह मोड़ तरलया

वासना की कीचड़ स तभी अलग हो जाना जब तमहार िास धमतरनयो म रि बहता हो हदय म बल हो

बतरदध म परखरता हो जवानी का उियोग कर लना िरमातमा तक जाना हो तो जवानी का उियोग कर लना

कयोकक उसक मकदर म भी नाचत हए जाना िड़ता ह उतसव स भर जाना िड़ता ह वहा मद और लाशो की

तरह मत िहचना सटरचर िर िड़ हए मत िहचना नही तो व मकदर क दवार भी तमहार तरलए नही खलग

भगवान का मकदर कोई असिताल नही ह वह महोतसव ह

जो तमन जीवन-ऊजाम वासना की बतरलवदी िर चढ़ायी ह वही वासना की वदी िर चढ़ायी गयी ऊजाम

तरजस कदन तम पराथमना की वदी िर चढ़ात हो उसी कदन धारममक हो िात हो ऊजाम वही ह वकदया बदल जाती

ह ससार का दवता ह कफर भगवान ह ऊजाम वही ह

इसतरलए तम अकसर िाओग कक जस कोई मजन लला क तरलए दीवाना होता ह वसा ही कोई चतनय

कषण क तरलए दीवाना हो जाता ह दीवानगी वही ह जस कोई शीरी फरहाद क तरलए िागल होती ह वस ही

कोई मीरा कषण क तरलए िागल हो जाती ह िागलिन वही ह अगर तम मनोवजञातरनक को िछो--खासकर

फरायतरडयन मनोवजञातरनक को--तो वह तो कहगा कक यह वासना का ही परकषिण ह इसम कछ बहत भद नही ह

कयोकक मीरा कषण स वही तो बात कर रही ह जो आमतौर स तरसतरया अिन परमी स चाहती ह--कक मन सज

सजायी ह दखो ककतन फल सज िर तरबछाए ह और तम अभी तक नही आए यह भारषा तो कामना की ह

वासना की ह

सच पराथमना की भारषा भी कामना की ही भारषा ह तरसफम मकदर का दवता बदल गया ह पराथमना उतनी

ही परजवतरलत होती ह तरजतनी वासना यह वही तल ह जो वासना म जलता ह और वासना क दीए म जलता

ह यह वही तल ह जो पराथमना क दीए म भी जलता ह

इसतरलए अगर मीरा कहती ह कक सज मन सजायी ह फल तरबछाए ह आख तरबछाए तमहार रासत िर बठी

ह और तम अभी तक नही आए और म तमह िकार रही ह मर पराण-पयार तम आओ म तमहार तरलए नाच रही

ह आओ हम सग-सग खल सग-सग नाच आओ हम रास रचाए यह भारषा तो वासना की ही ह कोई

तरवरतरहणी जस अिन ितरत क तरलए िकारती हो या अिन परमी क तरलए िकारती हो इस भारषा म और उस भारषा

म कोई भद नही ह िरमातमा ह भी हमारा परमी हम ह उसक परमी सतय को जब कोई उतनी ही तवरा स

िकारता ह तरजतनी तवरा स उसन अिनी कामना क तरवरषयो को िकारा था तभी सतय तक िकार िहचती ह

तमहारी पराथमना अगर तमहारी वासना स कमजोर ह तो कभी सफल नही होगी तमहारी पराथमना ऐसी

होनी चातरहए कक तमहारी सारी वासनाओ की जीवन-ऊजाम उसम परतरवषट हो जाए सारी वासनाए इकटठी होकर

जब पराथमनारत होती ह तभी कोई िहचता ह

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यह बढ़ा हाथी फसा बड़ा कीचड़ म कीचड़ तमहार भी चारो तरफ ह तम कीचड़ क ही भर तालाब म

बार-बार सनान करन जात हो आशा यही रखत हो कक शायद कीचड़ म सनान करन स सवचछ हो जाओग कीचड़

म सनान करन स कोई सवचछ नही होता और हाथी तो बड़ आदतरमयो जस ही नासमझ होत ह शायद इसीतरलए

आदमी हातरथयो को समझदार भी कहता ह कयोकक दोनो की समझदारी तरमलती-जलती होती ह एक सी होती

ह समझदार कहो या नासमझ मगर दोनो म कछ बात एक सी होती ह

हाथी को कभी नहात दखा जब वह नहा लता ह तालाब म और बाहर तरनकलता ह तो अिनी सड़ स धल

को अिन ऊिर फककर घर आ जाता ह बड़ा आदमी जसा ह नहा भी तरलए ककसी भल-चक स तो उनका तरचतत

नही मानता बाहर तरनकलता ह तालाब स सड़ म भर लता ह धल अिन सार शरीर िर फक लता ह कफर हो

गए जस क तस

यही तो तम मकदर म जाकर करत हो ककसी तरह पराथमना कर भी ली तो बाहर तरनकल भी नही िात कक

धल कफर फकन लगत हो अकसर तो ऐसा होता ह कक पराथमना कर रह होत हो तभी धल फकन लगत हो

मकदर म हाथ जोड़ खड़ थ िरमातमा की तरफ आख उठायी थी एक सदर सतरी आ गयी भल गए िरमातमा-

वरमातमा को पराथमना तो कहत रह िरमातमा की लककन मन ककसी और ही बात स भर गया और अकसर ऐसा

हो जाएगा कक इस सतरी की मौजदगी क कारण तम और जोर-जोर स पराथमना करन लगोग और तरहलन-डलन

लगोग--अब इसको परभातरवत भी करना ह िरमातमा तो परभातरवत हो या न हो ककसको िता ह मगर यह सतरी

को कम स कम खयाल आ जाए कक बड़ धारममक ह सतिररष ह सत ह कीचड़ वही डाल लत ह हम हमारी

पराथमना म ही कही वासना आ जाती ह

हम पराथमना भी करत ह तो कछ मागत ह िरमातमा स िरमातमा को छोड़कर हम सब मागत ह--धन

तरमल जाए िद तरमल जाए परतरतिा तरमल जाए कछ तरमल जाए कक लाटरी का रटकट लग जाए हम िरमातमा स

कषदर मागत ह वयथम मागत ह असार मागत ह िरमातमा स तो सार वही मागता ह जो िरमातमा क तरसवाय

और कछ भी नही मागता जो कहता ह कक सब मरा खो जाए लककन म जान ल कक तम कौन हो सब मरा

तरमट जाए दाव िर लग जाए लककन एक िहचान की ककरण उतर आए एक दफा झलक तरमल जाए कक कया ह

यह जीवन म कौन ह और यह कया ह इस रहसय का िदाम उठ जाए

उस बढ़ हाथी न बड़ परयास ककए लककन कीचड़ स अिन को न तरनकाल सका सो न तरनकाल सका राजा

क सवको न भी बहत चषटा की सब असफल हआ

महावत भज गए नए महावत होग हाथी तो बढ़ा था महावत नए होग उनहोन सब नयी-नयी तरवतरधया

उियोग म लायी होगी लककन उस हाथी स उनका कोई सिकम नही था िहचान न थी उस हाथी का उनह कोई

अनभव न था उस हाथी क भीतर की जीवन-ऊजाम ककस ढग स काम करती ह इसका उनह िता नही था

इसतरलए अकसर ऐसा हो जाता ह अगर तम ऐस आदमी स सलाह तरलए तरजस जीवन का ठीक-ठीक

अनभव न हो ऐस आदमी स सलाह तरलए जो तमहार जीवन क अनभव स िररतरचत न हो तो भल हो जाएगी

तो चक हो जाएगी

जनो और बौदधो न इस सबध म भी एक महाकरातरत की जहद कहत ह कषण और राम भगवान क अवतार

ह व ऊिर स नीच आत ह--अवतार का मतलब होता ह ऊिर स नीच आत ह व ठठ भगवान क हदय स आत

ह लककन इसका तो मतलब यह हआ कक व कभी आदमी नही थ तो आदमी क जीवन-अनभव उनक अनभव

नही ह यह बात बड़ी सोचन जसी ह व सीध भगवान क घर स आत ह और हम तो हम तो लब-लब जनमो

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की अधरी रातो स गजरत आ रह ह न मालम ककतन रासतो िर भटक ह न मालम ककतनी ठोकर खायी ह न

मालम ककतन खाई-खडडो म तरगर ह न मालम ककतनी भल-चक की ह हमारा जीवन तो महािाि की लबी यािा

ह और व आत ह ितरवि मकदर स सीध

जनो और बौदधो न यह बात बदल दी उनहोन बदध को और महावीर को अवतार नही कहा तीथकर

कहा तीथकर का अथम होता ह कक व भी हमार साथ ही इस अधर की यािा स आ रह ह हमार ही जस रासतो

स गजर ह हमार ही जस वासना स तड़फ ह हमार जस ही रतती-रतती िरशान हए ह हमार जस ही कीचड़ म

फस ह हम िहचानत ह हमस कछ जयादा ह लककन जो भी हम ह वह तो व रह ही ह उनह हमारी िहचान

इसतरलए यह कोई आियम की बात नही ह कक गीता स उतन लोगो को तरनवामण उिलबध नही हआ तरजतन

लोगो को धममिद स तरनवामण उिलबध हआ गीता आकाशी मालम िड़ती ह हवाई मालम िड़ती ह शदध

दाशमतरनक मालम िड़ती ह धममिद बहत वयावहाररक ह आदमी को दखकर कह गए वचन ह उितरनरषद

आकाश म ह आकाश-कसम जस िथवी िर उनकी कोई जड़ नही मालम होती बदध और महावीर क वचन

िथवी िर जम हए वकषो की तरह ह

भद समझना बदध और महावीर तमहार जस ही आदमी ह उनका भगवान होना आकाश स अवतरण

नही ह ऊधवमगमन ह व तमहारी ही तरह धकक खात िरशान होत टटोलत-टटोलत धीर-धीर आखो को

उिलबध हए ह उनका अतीत और तमहारा अतीत एक जसा ह इसतरलए उनक वचन तमहार तरलए बहत कारगर

होग व जो कह रह ह तमह जानकर कह रह ह व तमस भलीभातरत िररतरचत ह कयोकक व अिन स िररतरचत ह

व तमह जानत ह कयोकक व अिन को जानत ह उनकी तम िर महाकरणा होगी कयोकक व जानत ह कसी

अड़चन ह कसी करठनाई ह जब आदमी वासना म फसा होता ह तो तरनकलना ककतना मतरशकल ह यह उनह

अिन अनभव स िता ह

बदध बार-बार कहत ह अिन तरभकषओ को कक तरिछल जनम म म भी ऐसा ही फसा था उसक िहल म भी

ऐसा ही उलझा था तरभकषओ तम तरनराश न होओ हताश न होओ म िहच गया दखो ऐस ही उलझा था म

तरनकल गया दखो ऐस ही उलझा था तमस भी जयादा मरी उलझन थी तमस भी बड़ा मरा िाि था तमस भी

बड़ी मरी नासमझी थी तम हताश मत होओ अगर म तरनकल आया तो तम भी तरनकल आओग मर तरनकल

आन म तमहार तरनकल आन का सबत ह कयोकक म तम जसा आदमी ह

जहद और बौदधो की भगवान की धारणा तरभनन ह जहद समझत ह भगवान का मतलब होता ह तरजसन

दतरनया बनायी बौदध कहत ह भगवान का अथम होता ह तरजसन दतरनया को जान तरलया बनान-वनान का सवाल

नही ह बनायी तो ककसी न भी नही ह तरजसन दतरनया को जान तरलया तरजसन यह जान तरलया कक दतरनया कस

काम कर रही ह जो इस रहसय स िररतरचत हो गया वह भगवान ह

जहद कहत ह भगवान िहल कफर दतरनया बौदध कहत ह िहल दतरनया कफर भगवान भगवान दतरनया

क अनत-अनत अनभवो क बीच उठा हआ तरशखर ह इि ह बहत दखा भटका िाि ककया सब तरह की भल

सब नरको म गए सब सवगो म गए सख दख दख जान सब तरफ स सब कदशाओ स जीवन को टटोला और

टटोलत-टटोलत-टटोलत एक कदन वह घड़ी आयी कक इस जीवन क िार उठ गए ऊिर उठ गए इस जीवन स

मि हो गए इस मतरि का नाम भगवतता

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इसतरलए जहद और बौदधो क बीच भगवान शबद म कभी भी ियामयवाची मत मान लना व ियामयवाची

नही ह जब जहद कहत ह राम भगवान उनका अथम अलग ह उनका अथम यह ह कक उनहोन कभी िाि दखा

नही उनहोन कभी िाि ककया नही व शदध उतरत ह आकाश स--तरनममल तरनषकलरष जब बदध कहत ह कक म

भगवान ह तो बदध का अथम यह ह मन िाि दखा जसा तम दख रह हो तमस भी जयादा दखा लककन मन

गौर स दखा तमन गौर स नही दखा बस इतना ही फकम ह तम भी गौर स दख लो--सममाकदरटठ--तम भी

समयकरिण दख लो तो तम भी मि हो जाओग तरजसन िाि को गौर स दख तरलया वह िाि क बाहर हो जाता

यह हाथी जाता रहा होगा उसी तालाब िर जवानी म अब भी गया ह अनक महावत आए--नए थ

उनह इस हाथी का कोई अनभव न था शायद उनहोन इस बढ़ हाथी को मारा-िीटा हो बरछ चभाए हो

सताया हो कक ककसी तरह बाहर तरनकल आए लककन जो कीचड़ म फसा ह उस सताकर तम बाहर तरनकालोग

वस ही दबमल ह और सताओग

खयाल करना तम नरक म िड़ हो और तमहार ितरडत-िजारी तमस कहत ह कक अगर तम नही तरनकल तो

और बड़ नरक म भज कदए जाओग

थोड़ी तो दया करो थोड़ी तो मनषयता कदखलाओ आदमी वस ही नरक म िड़ा ह और कहा नरक ह

और इसस बदतर कया नरक होगा और आि आ गए कक कहत ह कक अगर नही तरनकल इसस तो और बड़ नरक

म भज कदए जाओग इसी स तरनकलन का उिाय नही सझ रहा ह और तम और बड़ नरक म भजन का इतजाम

कर रह हो

लोग सोचत ह शायद भय स लोगो क जीवन बदल जा सक उन नए महावतो न भय कदया होगा

सताया होगा यही तो महावत जानत ह मार होग बरछ उकसाया होगा कक शायद भय म िीड़ा म तरनकल

आए बाहर लककन िीड़ा स कोई बाहर नही तरनकलता िीड़ा मतरिदायी नही ह िीड़ा तो हमन वस ही बहत

झल ली

तम कया सोचत हो उस बढ़ महाबलवान हाथी को तरजसका सदर अतीत था कीचड़ म फस दखकर

िीड़ा नही हो रही होगी वह मरा जा रहा होगा वह गड़ा जा रहा होगा वह पराथमना कर रहा होगा कक ह परभ

िथवी फट जाए तो म इसम समा जाऊ मरी मौत हो जाए यह कदन दखन को बदा था कक इस साधारण सी

तलया की कीचड़ म उलझ जाऊगा और तरनकल न सकगा यह कमजोरी यह दबमलता यह कदन दखन को बदा

था और िीड़ा कया होगी तमहार बरछ और कया चभग उसका सारा अहकार चभा िड़ा ह उसकी सारी

अतरसमता चभी िड़ी ह और तम उस मारोग िीटोग

या शायद महावतो न परलोभन कदया हो सदर-सदर भोजन सामन रख हो कक शायद भोजन को दखकर

बाहर तरनकल आए लककन जो कीचड़ म फसा ह वह भोजन को दखकर भी बाहर तरनकल नही सकता

लोभ और भय काम न करग और यही दो बात काम म लायी जाती रही ह--सवगम का लोभ नरक का

भय सकदया बीत गयी ह तमहार ितरडत-िरोतरहत तमहार ककनार खड़ ह तालाब क और तरचलला रह ह कक अगर

कीचड़ म जयादा दर रह तो नरक अगर जलदी तरनकल आओ तो सवगम अगर अभी तरनकल आओ तो अचछा

इतजाम कर दग सवगम म मगर न लोभ का कोई िररणाम होता ह न भय का कोई िररणाम होता ह और

सनत-सनत तम इन बातो क आदी हो गए हो अब न तमह सवगम की जचता ह न तमह नकम का कोई भय ह अब

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तम कहत हो जब होगा तब होगा अब हम जानत ह कक हमस तो तरनकलत नही बनता इस कीचड़ स तमहार

भय और तमहार लोभ तम समझो

लककन िराना महावत आया उसन कछ और ककया उसन बड़ी अदभत बात की यह छोटी सी घटना ह

म चाहता ह ताकक तम समझ सको कक छोटी-छोटी घटना स खब तरनचोड़ा जा सकता ह

राजा न िरान महावत को बलाया सोचा शायद वही काम आ सक

िराना महावत वसा ही वदध हो गया ह जसा हाथी दोनो साथ-साथ बड़ हए साथ-साथ बढ़ हो गए ह

दोनो क जीवन का सग-साथ का अनभव ह एक-दसर स िहचान ह एक-दसर को जानत ह एक-दसर स बहत

गहरी मिी ह एक-दसर की चतना स सबध ह जानता ह बढ़ा महावत कक इस हाथी िर कौन सी बात काम

करगी इसन दखा ह उसको यदधो क मदानो म इसन कई बार व कषण भी दख होग जब हाथी कमजोर िड़ा

जाता था लहलहान हो गया था और बजा नगाड़ा और हाथी भल गया लहलहान होना और कफर दौड़ िड़ा

कफर जझ गया इस याद होग व कदन यह जानता ह इस हाथी को कक एक ही बात इसको बाहर तरनकाल सकती

ह कक इसका योदधा जाग जाए इसका सकलि परजवतरलत हो जाए एक ही बात इस बाहर ला सकती ह कक यह

भल जाए कक म यह जीणम-जजमर दह ह इस याद आ जाए कक म आतमवान ह

और यह बढ़ा महावत जब स अवकाश परापत हआ राजा की नौकरी स छटा तब स बदध क सतसग म रहा

था वह सतसग भी शायद उस यह बोध द गया हो यह कहानी जड़ी ह शायद बढ़ महावत न बदध स सीखा हो

और कफर बदध न बढ़ महावत को हाथ म लकर अिन और तरभकषओ को भी जगान की कोतरशश की बढ़ा महावत

बदध क िास जाता ह सनता ह बठता ह उस शायद याद आया हो बदध ककस तरह जगात ह कीचड़ म ही तो

फस ह लोग ककस तरह िकारत ह ककस तरह बजात ह नगाड़ यदध क ककस तरह फसलात ह तमहार भीतर की

आतमा को ककस तरह तमह समरण कदलात ह कक तम कौन हो अमतसय ििः कक तम अमत क िि तम मतय

की कीचड़ म दब िड़ हो िकारत ह कक दख त कौन ह भगवान सवय त ह और इस छोटी सी बात स नही छट

िा रहा ह

इस भद को समझना बदध न तो भय दत ह न लोभ दत ह बदध तो तरसफम तमह समतरत दत ह इसतरलए बदध

की भारषा म सबस महतविणम जो शबद ह वह ह समयक-समतरत तमह समरण आ जाए कक तम कौन हो

तमन परतरसदध कहानी सनी होगी--तरववकानद को बहत तरपरय थी--कक जगल म एक शरनी गभमवती थी

छलाग लगाती थी एक िहाड़ी स दसरी िहाड़ी िर और तभी उसका गभम तरगर गया नीच भड़ो का एक समह

जा रहा था वह बचचा जसहनी का बचचा जसह-शावक भड़ो म िड़ गया जसहनी तो चली गयी वह बचचा भड़ो म

ही बड़ा हआ तो सवभावतः उस बचच न यही जाना कक म भड़ ह

हम वही तो सीख लत ह जो हम तरसखाया जाता ह तरजन म तम बड़ हए वही तो तम हो गए--जहद-घर

म हए तो जहद जन-घर म हए तो जन मसलमान-घर म हए तो मसलमान जहदसतान म िदा हए तो

जहदसतानी और चीन म िदा हए तो चीनी--तरजनक बीच रह उनहोन तमह अिन म ढाल तरलया

भड़ो म बड़ा हआ तो जानता था कक म भड़ ह भड़ो क साथ ही घसर-िसर चलता था भड़ डरती थी

जस छोटी-छोटी चीजो स ऐसा ही वह भी डरता था भड़ो जसा तरमतरमयाता था जसह-गजमना तो उस आती ही

नही थी--सनी ही नही थी िहचान ही न थी उसस तरजसकी िहचान न हो तरजसको सना ही न हो वह आए भी

तो कहा स आए ससकार ही न था कोई कफर बड़ा होन लगा--लककन था तो जसह तो थोड़ ही कदनो म भड़ो स

ऊिर उठ गया कफर भी याद न आयी कयोकक जसहो क िास दिमण तो होत नही और भड़ो न भी कोई कफकर न

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की उसी क साथ बड़ी होती रही थी तो धीर-धीर उसकी आदी हो गयी थी कक इस ढग की भड़ ह मान लो कक

इसी तरह की ह इसको यही रग ह वह बड़ा भी हो गया लककन शाकाहारी का शाकाहारी घास-िात खाता

था भड़ो क साथ घसर-िसर चलता था

लककन एक कदन बड़ी अजीब घटना घट गयी एक बढ़ जसह न भड़ो क इस झड िर हमला ककया वह

बढ़ा जसह तो चौककर खड़ा हो गया वह तो भल ही गया हमला इतयाकद--इनक बीच म एक जवान जसह भागा

चला जा रहा ह यह तो उसन कभी सना न दखा न शासतरो म िढ़ा यह हो कया रहा ह उस अिनी आख िर

भरोसा न आया होगा उसन आख मीड़ी होगी कक यह हआ कया यह बात कया ह ऐसा तो कभी दखा नही वह

बीच म जस भड़ो म भड़ वह तो भल ही गया भख-पयास लगी थी वह तो भल ही गया वह भागा भड़

भागी उनक साथ यह यवा जसह भी भागता रहा बामतरशकल बढ़ा जसह िकड़ िाया

िकड़ा तो तरमतरमयान लगा रोन लगा तरगड़तरगड़ान लगा कहन लगा छोड़ दो महाराज मझ जान दो मर

सब सगी-साथी जात ह उस बढ़ न कहा ऐस नही जान दगा यह तो बड़ा चमतकार ह तझ हआ कया ह तरा

होश खो गया ह तरा होश खो गया ह वह भी ठीक भड़ो को कया हआ य तर साथ खड़ी कस ह उसन कहा

म भड़ ह इसम कछ भी नही हआ म जरा बड़ी भड़ ह मगर म ह तो भड़ ही मरा रग-ढग अलग ह ऐसा

कभी-कभी हो जाता ह लककन मझ छोड़ो मझ जान दो--उसको िसीना उतरन लगा

लककन बढ़ा जसह छोड़ा नही घसीटकर ल गया नदी क ककनार झका खद झकाया उस और कहा िानी

म दख जस ही उस नए यवा जसह न िानी म दो तसवीर दखी--बढ़ जसह की और अिनी--गजमना तरनकल गयी

तरसखानी न िड़ी ऐसी गजमना कक िहाड़ कि गए कक बढ़ा जसह कि गया बढ़ जसह न कहा अब त जा तझ जहा

जाना हो

एक कषण म सब बदल गया अब वह भड़ नही था वह दख-सवपन टट गया उस अिन सवरि का बोध हो

गया

बदधिररष यही करत ह बदधिररष बढ़ जसह ह कोई तमम आदमी बनकर बठ गया ह कोई सतरी बनकर बठ

गया ह वह िकड़-िकड़कर ल जात ह नकदयो क ककनार कहत ह जरा झाककर दखो तम वस ही हो जसा म ह

वसा ही अमत तमम भरा ह जसा मझम वसी ही भगवतता तमम जसी मझम जरा दखो मरी शकल अिनी

शकल िहचानो न तम सतरी हो न तम िररष हो तम चतनय हो न तम जवान हो न तम बढ़ हो न तम दीन हो

न दररदर हो न अमीर हो न तम गोर हो न काल हो तम तरनराकार तरनगमण

इस बढ़ महावत न शायद बदध स ही यह बात सीखी होगी--तरनतरित बदध स ही सीखी होगी इस हाथी को

भी जानता था कफर बदध की चचामओ म सतर िकड़ आ गया होगा आया बढ़ा महावत उसन अिन िरान अिवम

हाथी को कीचड़ म फस दखा ऐसी ददमशा उसन कभी दखी नही थी सोचा भी नही था सिन म नही सोचा

था कक यह अिवम शतरिशाली हाथी इतना दबमल हो जाएगा कक कीचड़ स न तरनकल सक--कीचड़ स न तरनकल

सक जो ककसी भी यदध-वयह स बाहर तरनकल आया था उस एक कदन कीचड़ क साथ मात खानी होगी

वह हसा कयो हसा हसा होगा दखकर जगत की तरसथतरत ऐस सबल दबमल हो जात ह ऐस धनवान

दररदर हो जात ह ऐस समराट तरभखारी हो जात ह ऐस जवान थ अरथमयो िर लद जात ह हसा दखकर यह भी

कक यह भल कस गया अिना समरण इस नही रहा कक म कौन ह कस यह तरवसमतरत हई बड़ यदधो का तरवजता

हातरथयो म समराटो जसा समराट यह हतरसतराज इस भल कस हो गयी यह आज कीचड़ स नही तरनकल िा रहा

ह इस अिनी समतरत तरबलकल ही चली गयी इसतरलए हसा होगा

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और उसन ककनार स सगराम-भरी बजवायी बदध क िास यही सीखा होगा यदध-बाज बजवाए जानता

था इस हाथी को कक शायद वह सगीत सनकर इस याद आ जाए

इसीतरलए तो सतसग का मलय ह सतसग का अथम होता ह शायद ककसी बदधिररष क िास बठकर तमह

अिन बदधतव की याद आ जाए शायद ककसी सदगर क िास बठ-बठ तमह याद आ जाए कक जो इस वयतरि क

भीतर ह वही मर भीतर भी तो ह म नाहक िरशान हो रहा म नाहक जचतरतत उदास हो रहा म नाहक

हताश हो रहा शायद ककसी तरखल हए फल को दखकर बद कली को भी तरखलन का सिना िदा हो जाए शायद

ककसी जल दीए को दखकर बझ दीए को भी समरण आ जाए कक म भी जल सकता ह--तल ह बाती ह सब ह

कमी कया ह

इस बढ़ महावत न बड़ी कला की बड़ा होतरशयार रहा होगा बड़ा बतरदधमान रहा होगा बड-बाज बजवा

कदए उन बड-बाजो की चोट--हाथी भल ही गया होगा कसी कीचड़ कसा तालाब एक कषण को जस सारी

बात तरवसमत हो गयी भतरवषय अतीत सब तरवसमत हो गया उन बड-बाजो की चोट म वतममान म आ गया

होगा दह को भल गया जाग गयी भीतर की समतरत कक म कौन ह--महा बलशाली हो गया

यदध क नगाड़ो की आवाज सन जस अचानक बढ़ा हाथी कफर जवान हो गया और कीचड़ स उठकर

ककनार िर आ गया

बदध का बड़ा परतरसदध वचन ह तम वही हो जात हो जो तम सोचत हो कक तम हो िरानी बाइतरबल कहती

ह एज ए मन जथकथ जसा आदमी सोचता वसा ही हो जाता तमहारा तरवचार ही तमहारी तरनयतरत ह तमहारा

तरवचार ही तमहारा भागय-तरनमामता ह सोचता था कमजोर हो गया बढ़ा हो गया तो बढ़ा था अब इस नगाड़

की आवाज म भल गया और याद आ गयी िरानी और सोचा कक म महा बलशाली म हतरसतराज मन इतन यदध

दख इतन यदध जीता भल ही गया कीचड़ इतयाकद कस छट गयी िता ही नही चला छटन की चषटा भी नही

करनी िड़ी उस समरण म ही मतरि हो गयी

इसतरलए बदध कहत ह समयक-समतरत मतरि ह तमह याद आ जाए कक तम कौन हो तम िरमातम-सवरि

हो अह बरहमातरसम जसा उितरनरषद कहत ह कक म बरहम ह कक अलतरहललाज मसर कहता ह अनलहक कक म सतय

ह कक महावीर कहत ह अपिा सो िरमपिा जो आतमा ह वह िरमातमा ह

वह उठकर ककनार आ गया इतनी सरल बात ऐस चला आया जस कीचड़ इतयाकद थी ही नही वह जस

भल गया अिनी वदधावसथा अिनी कमजोरी उसका सोया योदधा जाग उठा और यह चनौती काम कर गयी

चनौती काम करती ह बदधिररष तमह चनौती दत ह बदधिररष तमह भयभीत नही करत जो भयभीत

कर समझ लना वह बदधिररष नही ह जो तमह डराए धमकाए वह तो राजनीतरतजञ ह जो कह कक नरक भज

दग वह तो बड़ी राजनीतरत चल रहा ह जो कहता ह सवगम म तरबठा दग वह तो बड़ी राजनीतरत चल रहा ह

लोभ और भय तो राजनतरतक दाव-िच ह बदधिररष चनौती दत ह बदधिररष िकारत बदधिररष सगीत िदा

करत तमहार चारो तरफ िरलोक का सगीत कक उस सगीत की चोट म तमहार भीतर कछ जग जाए

नगाड़ बड-बाज काम कर गए हाथी उस भारषा को समझ गया समझा उसन यदध म ह कषण भी दर न

लगी ऐसा भी नही कक सोचा-तरवचारा कक अब कया कर कया न कर अब यदध म कही सोच-तरवचार का मौका

होता ह यदध म तो वही जीतता ह जो सोच-तरवचार म नही िड़ता जो सीधा जझ जाता ह यदध म तो वही

जीतता ह जो कषण को भी सोच-तरवचार म नही खोता कयोकक कषण गया कक तम तरिछड़ गए दसरा हाथ मार

लगा वहा तो परतरतिल जीना िड़ता ह िराना योदधा था िराना तरसिाही था वह हाथी उस कषण दर न लगी

241

वह तो ऐसी मसती और ऐसी सरलता और सहजता स बाहर आया जस कक वहा कोई कीचड़ थी ही नही

और जस कक वह कभी फसा ही न था

जब बदध को जञान हआ और ककसी न िछा कक आिको कया तरमला तो वह हस उनहोन कहा तरमला कछ

भी नही कयोकक मन कभी कछ खोया ही नही था तरमला कछ भी नही कयोकक जो मर िास था बस उसका मझ

िता चला तरमला कछ भी नही

कहत ह झन फकीर बोकोज जब समातरध को उिलबध हआ तो हसन लगा और कफर जजदगीभर हसता

रहा जब भी कोई कछ िछ तो वह हस लोग उसस िछत थ आि हसत कयो ह हर बात म हसत कयो ह

वह कहता ह इसतरलए हसता ह कक कोई भी यहा फसा नही ह और सभी को यह खयाल ह कक लोग फस ह

कीचड़ ह नही और लोग फस ह मानयता

तमन दखा धन तमह िकड़ हए ह धन तमह िकड़ता नही तम धन को कया खाक िकड़ोग कस

िकड़ोग तरसफम एक भातरत ह धन तमहारा नही ह तम तो नही थ तब भी धन था तम नही रहोग तब भी धन

होगा जमीन का टकड़ा कहत हो मरा ह तमहार होन स कछ लना-दना नही जमीन को िता ही नही कक आि

आए और गए कब आए कब गए कछ िता नही ह जमीन का टकड़ा तमह नही िकड़ता ह तम कस िकड़ोग

बस तरसफम एक खयाल ह--मरा और सारा खयाल खयाल का मजा ह

एक आदमी क घर म आग लग गयी और वह छाती िीटकर रोन लगा और ककसी न कहा मत रो िागल

तझ िता नही कक तर बट न कल मकान तो बच कदया रात सौदा हो गया ह बस आस सख गए वह हसन

लगा वह बोला ऐसा यह तो बड़ा अचछा हआ तो मकान तरबक गया अब भी मकान जल रहा ह वस ही जल

रहा ह और भी जयादा जल रहा ह मगर अब रोना-धोना नही हो रहा ह तभी बटा भागा आया उसन कहा

कक आि खड़ कया दख रह ह लट गए उसन कहा अर लट गए और ककसी न तो मझ कहा मकान बच कदया

उसन कहा बात हई थी लककन बयाना आज होन का था कफर छाती िीटन लगा

मकान वही ह आदमी वही ह बस बीच म मरा नही ह ऐसा खयाल आ गया था तो आस रक गए अब

मरा ह तो कफर आस आ गए जो हमारा जीवन तरजस हम कहत ह वह हमारी धारणा माि ह

वह हाथी ऐस बाहर आ गया जस फसा ही न हो जस वहा कोई कीचड़ हो ही न ऐसी सरलता और

सहजता स

ऐसी सरलता और सहजता स ही तरमलती ह समातरध ससार स आदमी ऐस ही तरनकल आता ह तरसफम

समरण आ जाए आतम-समरण आ जाए

इसतरलए म भी तमह ससार छोड़न को नही कहता कयोकक म कहता ह िकड़ ही नही सकत िहली तो

बात छोड़ोग कस छोड़ना तो नबर दो होगा िहल तो िकड़ना होना चातरहए इसतरलए म तमस भागन को भी

नही कहता भागोग कहा जागन को कहता ह यह हाथी जाग गया यह बड-बाज की चनौती इस जगा गयी

बस जागो

आकर ककनार िर ऐसा जचघाड़ा जसा वरषो स लोगो न उसकी जचघाड़ न सनी थी व िरान यदध कफर जस

जीवत हो उठ

चतना तो कभी न बढ़ी होती न दबमल होती चतना तो न कभी जनमती और न मरती चतना तो शाशवत

ह और चतना तो सदा एक जसी ह एकरस ह

242

वह हाथी बड़ा आतमवान था इतन जलदी याद आ गयी लोग भी इतन आतमवान नही ह बड़ा

सकलिवान था इतनी चनौती म सकलि जग गया घोरषणा हो गयी बड़ जलदी जागा

भगवान क तरभकषओ न जब यह बात भगवान को कही तो उनहोन कहाः तरभकषओ उस अिरव हाथी स

कछ सीखो उसन तो कीचड़ स अिना उदधार कर तरलया तम कब तक कीचड़ म िड़ रहोग और दखत नही कक

म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह तरभकषओ जागो और जगाओ अिन सकलि को वह हाथी भी कर सका कया

तम न कर सकोग कया तम उस हाथी स भी गए-बीत हो चनौती तो लो उस हाथी स कछ तो शरमाओ कछ

तो सकोच करो कछ तो लजाओ तम भी आतमवान बनो और एक कषण म ही करातरत घट सकती ह

एक कषण म करातरत घट सकती ह ऐसा महासि बदध न कदया ह जनम-जनम का अधरा एक कषण म कट

सकता ह तरजस घर म रात ही रात रही ह जनमो स सकदयो स जहा अधरा ही अधरा रहा ह एक दीया जल

छोटा सा दीया जल अधरा कट जाता ह अधरा यह थोड़ ही कहता ह कक म सकदयो िराना ह अभी नए-नए

दीए स कस कटगा अधर की कोई उमर थोड़ ही होती ह हजार साल िराना अधरा हो कक एक रात िराना

अधरा हो कछ फकम नही िड़ता जब दीया जलता ह तो दोनो तरमट जात ह अधर की कोई शतरि होती नही

अधरा निसक ह ससार निसक ह

तरजस कदन आतमा का दीया जलता ह कोई शतरि नही रोकती इसतरलए बदध न यह नही कहा ह कक

करतरमक-तरवकास होता ह करतरमक होता ह इसतरलए कक तम आतमवान नही हो तम तरहममत ही नही लत तो

सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ो इच-इच सरको तरजनम तरहममत ह व छलाग लगा जात ह एक कषण म घट जाता ह

अकरतरमक एक कषण म तरबना समय को खोए घटना घट सकती ह तमहारी तवरा िर तरनभमर ह

इसतरलए बदध न कहा--एक कषण म करातरत घट सकती ह तवरा चातरहए तरभकषओ तीवरता चातरहए ऐसी

तीवरता कक तमहारा सिणम पराण-मन उसम सलगन हो जाए अिनी शतरि िर शरदधा चातरहए तरभकषओ

बदध कहत ह अिनी शतरि िर शरदधा बदध यह भी नही कहत कक बदध की शतरि िर शरदधा कयोकक बदध की

शतरि िर शरदधा तो कफर ककसी तरह का िरालबन बन जाएगी कफर तम िरति हो जाओग और िरतिता

ससार ह इसतरलए बदध कहत ह अपि दीिो भव अिन दीए खद बनो अिन िर शरदधा करो बदध कहत ह म

तमहारी शरदधा तमम जगा द मरा काम िरा हो गया म कफर बीच स हट जाऊ

और दखो म कब स सगराम-भरी बजा रहा ह सनो तभी उनहोन य गाथाए कही थी--

अपिमादरता होथ स-तरचततमनरकखथ

दगगा उदधरथततान िक सततोव कजरो

सच लभथ तरनिक सहाय सजदध चर साधतरवहाररधीर

अतरभभयय सबबातरन िररससयातरन चरयय तनततमनो सतीमा

नो च लभथ तरनिक सहाय तरसजदध चर साधतरवहाररधीर

राजाव रटठ तरवतरजत िहाय एको चर मातगरोव नागो

एकसस चररत सययो नतरतथ बाल सहायता

एको चर न च िािातरन कतरयरा

अपिोससकको मातगरोव नागो

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

243

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख

अपरमाद म रत होओ

जागो अपरमाद यानी सोओ मत बहत सो तरलए

अपरमाद म रत होओ अिन तरचतत की रकषा करो

अिन चतनय की रकषा करो जड़ मत बनो चतनय को समरण रखो चतनय को सलगाओ चतनय को

तरनखारो तरजस-तरजस भातरत जयादा चतना िदा हो उस-उस भातरत सब उिाय करो तरजस भातरत मचछाम होती हो

व उिाय छोड़ो तरजन कारणो स जड़ता िदा होती हो व कारण छोड़ो

अपरमाद म रत होओ अिन तरचतत की रकषा करो दलदल म फस हाथी की तरह तम भी अिना उदधार कर

सकोग

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमल जाए तो सभी तरवघनो को दर कर उसी क साथ

समतरतवान और परसनन होकर धीरिररष चल

यकद कोई तरमल जाए ऐसा जो जागा हो यकद कोई तरमल जाए ऐसा जो बतरदधमान हो और अनभवी हो--

बतरदधमान अकला काम नही आता कभी-कभी ऐसा होता ह लोग बतरदधमान होत ह लककन अनभवी नही होत

तो बतरदध तो बड़ी परखर होती ह तो तकम तो खब तरबठा लत ह लककन अनभव कोई नही होता उनकी बातो म

मत िड़ जाना उनकी बात बड़ी झझट म डाल दगी उनह जीवन का कोई अनभव तो ह नही उनह तरसफम गतरणत

का अनभव ह उनह तकम का अनभव ह

मन सना ह तरजस आदमी न औसत का तरसदधात खोजा--यनानी गतरणतजञ था बड़ा बतरदधमान था अनभवी

न रहा होगा--अिन बचचो को लकर तरिकतरनक िर गया था उसन एवरज औसत का तरसदधात खोजा था और जब

कोई तरसदधात खोजता ह नया-नया तो उसी-उसी म लगा रहता ह उसी-उसी म डबा रहता ह नदी िार करत

थ उसक िाच-छह बचच थ ितनी थी उसन जलदी स सब बचचो की ऊचाई नािी ितनी न कहा यह कया कर रह

हो उसन कहा कक औसत तरनकाल रहा ह गया जलदी स िाच-छह जगह िानी भी नािा ककतना गहरा ह

औसत गहराई नाि ली औसत ऊचाई नाि ली बोला ितनी स कोई कफकर नही आन दो बचचो को

अब कोई बचचा लबा था कोई छोटा था कही िानी गहरा था कही उथला था चल िड़ा वह बीच म

बचच ितनी िीछ ितनी तरचललायी कयोकक एक बचचा डबकी खान लगा कफर दसरा बचचा डबकी ितनी तरचललायी

कक तम चल कयो जा रह हो य बचच डबकी खा रह ह उसन कहा यह हो ही नही सकता वह लौटकर भी नही

दखता वह कहता ह यह हो ही नही सकता मर तरसदधात म भल तो हो ही नही सकती

इधर ितनी बचचो को बचान म लगी ह वह दौड़कर गया वािस रत िर उसन जहा गतरणत ककया था

अिना कफर स दखन कक कोई भल तो नही हो गयी भल कछ भी न थी लककन औसत बतरदधमानी की तो बात

ह अनभव की बात नही ह औसत आदमी कही होता ह अब कोई दो फीट का बचचा था कोई चार फीट का

बचचा था दोनो औसत तो तीन फीट क हो गए--तीन फीट का कोई भी नही ह उसम

इसी तरह औसत आमदनी होती ह ककसी की आमदनी का नाम औसत आमदनी नही ह उसम तरबरला

की आमदनी जड़ी ह उसम तरभखारी की आमदनी जड़ी ह दोनो को जोड़कर औसत तरनकाल ली तो तरभखारी भी

अमीर हो जाता ह तरबरला भी तरभखारी हो जात ह

244

औसत झठ ह गतरणत तो ठीक ह तकम तो ठीक ह औसत उमर तरनकाल ली जाती ह कक भारत की औसत

उमर ककतनी ह उनहोन कहा ितीस साल अब इसम सततर-अससी साल नबब साल जीन वाला आदमी भी जड़ा

ह इसम िहल कदन जो बचचा िदा होकर मर गया वह भी जड़ा ह ितीस साल शायद ककसी की भी औसत उमर

न हो शायद एक आदमी ऐसा न तरमल जो ठीक ितीस साल जीता ह मगर औसत

कहत ह रस म जब करातरत हई तो एक सकल की ररिोटम छिी और ररिोटम म छिा कक यहा सौ परतरतशत

तरशकषा म तरवकास हआ ह और जब खोजबीन की गयी तो िाया यह गया कक कछ जयादा नही हआ था सकल म

एक ही तरशकषक था िहल एक तरवदयाथी अब दो तरवदयाथी हो गए थ--सौ परतरतशत सौ परतरतशत सनकर ऐसा

लगता ह कक भारी तरवकास हो गया

कदलली म ऐस ही आकड़ चलत ह बड़ा तरवकास हो रहा ह ऐसा हो गया वसा हो गया आकड़ो का सारा

जाल और आकड़ इतना झठ बोलत ह तरजसका कोई तरहसाब नही तरजसको झठ बोलना हो उस आकड़ सीखन

िड़त ह आकड़ो स इतनी सतरवधा स झठ बोला जा सकता ह और झठ इतना सच मालम होता ह

बतरदधमान अकल स काम नही चलता बतरदधमान--इसतरलए बदध दो शबद जोड़त ह--बतरदधमान और

अनभवी

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान

कोर बतरदधमान क चककर म मत िड़ जाना कोर ितरडत क चककर म मत िड़ जाना अनभवी चातरहए

तरजसन जीवन क अनभव स जाना हो जो कहता हो उस जीआ हो जो कहता हो उसका साकषातकार ककया हो

अगर समातरध की बात करता हो तो शासतर म िढ़कर समातरध की बात न करता हो अनभव स करता हो

समातरधसथ हआ हो

कछ लोग बतरदधमान होत ह लककन अनभवी नही होत और कछ लोग अनभवी होत ह लककन बतरदधमान

नही होत अनभव तो हो जाता ह लककन बतान म सफल नही होत व भी ककसी काम क नही ह उनक तरलए

तो गग का गड़ ह गड़ तो खा गए मगर बोल नही सकत तो उनस तम कछ न सीख िाओग

बदधतव िदा होता ह उस आदमी म तरजसन अनभव भी ककया और अनभव क साथ-साथ तरजसक िास

इतनी कषमता ह कक तमह तकम यि रि स समझा भी सक वही सदगर

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमल जाए तो सभी तरवघनो को दर कर उसी क साथ

समतरतवान और परसनन होकर धीरिररष चल

दो कफर शत बतायी

समतरतवान होकर

बदधिररषो क िास भी सोया-सोया न रह नही तो कोई सार नही ह जागा-जागा रह दीया जल रहा हो

और तम झिकी लत रहो तो भी कोई फायदा नही ह दीया जला कक न जला बराबर

भरी सगराम-भरी बज रही हो और हाथी सोया रहता नीद म िड़ जाता अफीम चढ़ाए होता तो कोई

मतलब हल नही होन वाला था सोचता कक कौन उिदरव कर रहा ह नीद म

बदधिररषो क िास रहना समतरतवान होकर जाग हए होकर सजग एक शबद न चक जाए एक मदरा न

चक जाए बदध की एक झलक न चक जाए ऐसा जो जागा हआ रहगा वह सीखगा

और दसरी बात कहत ह परसननतरचतत होकर

245

उदास होकर भी मत रहना बदधो क िास कयोकक उदासी म तम तरखल न िाओग मरचछमत रह तो सन न

िाओग उदास रह तो तरखल न िाओग उतसव म रहना

अब यह तम जरा बात सनो बौदध तरभकष भी यह नही मान कक परसनन रहना बौदध तरभकषओ को दखो तो

लब चहर उदास मर-मराए--बड़ा बोझ ढो रह ह जस धमम कोई बोझ ह म तमस कहता ह धमम उतसव ह

नतय ह धमम सगीत ह धमम गीत ह रसो व सः धमम तो रस ह मल रस ह

बदध का यह वचन सनो समतरतवान और परसनन होकर

समतरतवान ताकक बदध म जो तमहारी तरफ बह रहा ह वह चक न जाए और परसनन होकर कयोकक परसनन

होकर ही तमहार पराण नाचग और तम नाचोग तो बदध क साथ हो िाओग

सार तरवघनो को दर करक साथ हो जाए

कफर कोई बाधाए न मान हजार बाधाए हो तो उनका तयाग कर द बाधाओ का कयोकक ऐस अवसर

बार-बार नही तरमलत ह

यकद साथ चलन वाला कोई बतरदधमान अनभवी तरमि न तरमल जस राजा अिन तरवतरजत राजय को छोड़कर

अकला घमता ह या जस एकल हाथी अकला जगल म घमता ह तो कफर वसा ही अकला तरवचरण कर

बदध कहत ह अगर कोई सदगर न तरमल तो अकला ही तरवचरण कर असदगर स तो बच उसस तो

अकला ठीक कोई तरमि तरमल जाए तो ठीक कोई कलयाण-तरमि--बदध न जो ठीक उियोग ककया ह शबद गर क

तरलए वह ह कलयाण-तरमि

दोनो शबद बड़ पयार ह एक तो तरमि व कहत ह कयोकक गर तरमि ह उसस बड़ा और कौन तरमि और

वह कलयाण-तरमि ह तरमि तो और भी होत ह बहत लककन अकसर अकलयाण क तरमि होत ह शराब िीन जा

रह हो तो बहत तरमि बन जात ह मास खा रह हो तो बहत तरमि आ जात ह धन-िसा ह तो बहत साथी हो

जात ह धन-िसा गया तो साथी भी गए अकलयाण म तो बहत तरमि हो जात ह--जआघर की दोसती कलयाण-

तरमि जो तमहारी शातरत म तमहारी समातरध म तमहार धयान म तरमिता बाध तरजसक सहार तम आग बढ़न

लगो जो तमह धीर-धीर तमहार िक स खीच

वह जो बढ़ा महावत ह वह कलयाण-तरमि उसन आकर बड-बाजा बजा कदया हाथी जाग िड़ा उसन

कछ भी तो नही ककया हाथी को न मारा न िीटा न हाथी को िकारा न कछ ककया तरसफम एक तरसथतरत िदा

कर दी कलयाण-तरमि का अथम होता ह जो तमहार तरलए एक िररतरसथतरत िदा कर द तरजसम तम जाग सको

नही तो अकला तरवचरण कर

अकला रहना शरि ह मखम क साथ तरमिता अचछी नही अकला तरवचर िाि न कर हतरसतराज की तरह

अनतसक होकर रह

या तो तरमिता करना तो कलयाण-तरमिता करना या तरमिता करना ही मत कफर एकल रह अकला रह

कफर ऐस ही चल जस अकला हाथी तरवचरता ह और अनतसक रह जस हाथी रासत िर चलता ह कतत भौकत

ह कफकर नही करता दखता ही नही लौटकर अिना चलता चला जाता ह

कफर अकला ही तरवचर

तरसफम एक ही खयाल रह अकल म--कयोकक अकल म िाि घरगा--इसतरलए िाि न कर बस इतना ही

समरण रख कक िाि नही करना ह ककसी को हातरन िहच ऐसा कछ भी नही करना ह अिना लाभ भी होता हो

दसर को हातरन िहचन स तो भी दसर को हातरन नही िहचानी अिना लाभ भी छोड़ दना ह बस दसर को

246

हातरन न िहच ऐस कतयो स बचता रह और अकला तरवचरता रह तो धीर-धीर यािा हो जाएगी अगर सगी-

साथी तरमल जाए कोई कलयाण-साथी तो काफी अचछा ह जलदी यािा होगी सगम हो जाएगा मागम

वदधावसथा तक शील का िालन सख ह तरसथर शरदधा का होना सख ह जञान का लाभ होना सख ह िािो

का न करना सख ह

और बदध न कहा सख एक ही ह शरदधा का होना सख ह सवय म शरदधा का होना सख ह सोचो वह बढ़ा

हाथी जब बाहर तरनकला होगा कीचड़ स तो कस महासख को न उिलबध हो गया होगा कीचड़ स तरनकलन का

ही सख नही था वह उसस भी बड़ी बात घटी थी--शायद भीड़ म ककसी को भी न कदखायी िड़ी हो भीड़ न तो

यही दखा होगा कक हाथी ककतना मसत कीचड़ स तरनकल आया इसतरलए मसत हो रहा ह

बदध कहत ह अगर गौर स दखो तो कीचड़ स तरनकलना तो गौण था हाथी को अिन िर शरदधा आ गयी

इसतरलए सखी हो रहा ह उस बात कदखायी िड़ गयी कक अर मरा ही तरवचार था जो मझ कमजोर बनाए था

म बढ़ा मान रहा था तो बढ़ा था और बड-बाज म म जवान हो गया तो जवान हो गया तो मरा तरवचार ही मरी

तरनयतरत ह म जो चाह वही हो सकता ह म जो हो गया ह मर ही तरवचारन स हो गया ह तो मरा तरवचार मरा

बल ह शरदधा लौट आयी सवय िर शरदधा सख ह

शील का िालन सख ह

शील का अथम होता ह दसर को सख तरमल ऐसा वयवहार करना िाि और शील म वही फकम ह जो

नकारातमक नीतरत और तरवधायक नीतरत म होता ह िाि का अथम होता ह दसर को दख न तरमल यह

नकारातमक यह िहला कदम कक मझस दसर को दख न तरमल इतना सध जाए तो कफर दसरा कदम शील ह

कक मझस दसर को सख तरमल

जब तम दसरो को दख न दोग तो दसर तमह दख न दग यह आधी यािा ह जब तम दसरो को सख दन

लगोग सब तरफ स सख की धाराए तमहार ऊिर बरसन लगगी महासख होगा

तो िाि स बच शील म सलगन हो शरदधा को जगाए वही शरदधा अत म जञान बन जाती ह यही महासख

ह बदध कहत ह सवय म परतरततरित हो जाना सख ह

सख याव जरा सील सखा सदधा ितरतरटठता

सवय म परतरततरित हो जाना

सखो िाय िरटलाभो िािान अकरण सख

सवगम कही और नही ह नकम भी कही और नही ह सवगम ह अिनी शरदधा म परतरततरित हो जाना और नकम ह

अिन ऊिर शरदधा खो दना सवगम ह इस ढग स जीना कक तमहार तरफ सख की धाराए अिन आि बह

इस जगत म परतरतधवतरनया होती ह तम जो कहत हो वही तम िर लौट आता ह तम गाली दो गातरलया

लौट आती ह तम परम बाटो परम लौट आता ह इस जगत म तो परतरतधवतरन होती ह तम दख बाटो दख घना हो

जाएगा तम सख बाटो सख घना हो जाएगा जो दोग अततः वही िा लोग तम जो बोओग वही काटोग यह

छोटा सा सि ह लककन ककतना बड़ा

247

इस छोट स सि िर जीवन महाकरातरत स गजर जाता ह सवगम तमहार हाथ म ह और नकम भी तमहार हाथ

म ह--तम तरनमामता हो अगर तमन अब तक दख िाया ह तो समरण करना अिन ही कारण िाया ह दसर िर

दोरष मत दना दसर िर जो दोरष दता ह वही अधारममक जो यह सवीकार कर लता ह कक म दख िा रहा ह तो

जरर मन ही बोया होगा वही धारममक और धारममक क जीवन म तरवकास होता ह अधारममक क जीवन म

तरवकास नही होता कयोकक अधारममक सदा कहता रहता ह दसर मझ दख द रह ह इसम कस तरवकास होगा

िहली तो बात दसर तमह दख द नही रह दसरी बात दसर दख द रह ह तो अब तम कया करोग जब

तक व दना बद न कर तब तक तमहार हाथ म तो कछ नही रहा तम तो िरति हो गए और दसर बहत ह

इतन बहत ह कक जब सब तमह दख दना बद करग तब तम शायद सवति हो िाओ ऐसी घड़ी कभी आएगी

इसका भरोसा करना मतरशकल ह

बदध कहत ह तमही अिन दख क कारण हो जब तम दसरो को दख दत हो तो तम दख को तरनमिण द

रह हो और तमही अिन सख क कारण हो जब तम दसरो को सख दत हो तो तम सख को बलावा दत हो

सख चाहत हो सख दो दख चाहत हो दख दो गतरणत बहत सीधा-साफ ह

और हर जीवन क अनभव को माला बनाओ जागकर जीवन क एक-एक फल को तरिरोओ ताकक तमहार

िास जीवन-सि हाथ म आ जाए और कफर अतरतमरिण जीवन क सार फलो को तरनचोड़ लो सार-सार

तरनचोड़ लो असार को छोड़ दो वही सार बदधतव ह वही सार बोतरध ह

और जस हाथी कीचड़ स तरनकल आया तम भी तरनकल आओग चनौती सवीकार करो धनयभागी ह व

जो बदधो की चनौती को सवीकार कर लत ह

आज इतना ही

  • मतय की महामारी म खड़ा जीवन
  • जीन म जीवन ह
  • धरम क तरिरतन
  • मातरम पितरम हतवा
  • लोभ ससार ह गर स दरी ह
  • मतयबोध क बाद ही महोतसव सभव
  • सतयमव जयत
  • एकमातर साधना--सहजता
  • धयान का दीप करणा का परकाश
  • हम अनत क यातरी ह
  • जीवन का परम सतय यही अभी इसी म
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