एस धम्म « सनंतन « भाग 12 113. - osho...

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1 एस धमो सनंतनो, भाग 12 वचन-म 113. संयास कᳱ मंगल-वेला ....................................................................................................... 2 114. जीने कᳱ कला ................................................................................................................ 27 115. वराट कᳱ अभीसा ........................................................................................................ 50 116. राजनीवत और धम......................................................................................................... 78 117. बुव का आलोक ........................................................................................................ 105 118. सम संकृ वत का सृजन ................................................................................................ 128 119. ाᳬणव के विखर--बु .............................................................................................. 154 120. अप दीपो भव! ............................................................................................................ 179 121. जागो और जीओ .......................................................................................................... 202 122. एस धमो सनंतनो ....................................................................................................... 222

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Page 1: एस धम्म « सनंतन « भाग 12 113. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 तब भगव न न इस ग क कह

1

एस धममो सनतनो भाग 12

परवचन-करम

113 सनयास की मगल-वला2

114 जीन की कला 27

115 ववराट की अभीपसा 50

116 राजनीवत और धमम 78

117 बदधतव का आलोक 105

118 समगर ससकवत का सजन 128

119 बराहमणतव क विखर--बदध 154

120 अपप दीपो भव 179

121 जागो और जीओ 202

122 एस धममो सनतनो 222

2

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ तरह परवचन

सनयास की मगल-वला

सबबसो नाम-रपससम यसस नवति ममावयत

असता च न सोचवत स व वभकखवत वचचवत 303

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

छततवा रागच दोसच ततो वनबबाणमवहवस 304

पच वछनद पच जह पच चततरर भावय

पच सगावतगो वभकख ओघवतणणोवत वचचवत 305

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

यवमह झानच पजा च स व वनबबाणसवनतक 306

परिम दशयः

भगवान शरावसती म ववहरत ि शरावसती म पचगर-दायक नामक एक बराहमण िा वह खत बोन क पशचात

फसल तयार होन तक पाच बार वभकषसघ को दान दता िा एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

वभकषाटन करन क वलए जात समय उसक दवार पर जाकर खड़ हो गए उस समय बराहमण घर म बठकर दवार की

ओर पीठ करक भोजन कर रहा िा बराहमणी न भगवान को दखा वह सचवतत हई दक यदद मर पवत न शरमण

गौतम को दखा तो दफर यह वनशचय ही भोजन उनह द दगा और तब मझ दफर स पकान की झझट करनी पड़गी

ऐसा सोच वह भगवान की ओर पीठ कर उनह अपन पवत स वछपाती हई खड़ी हो गयी वजसस दक बराहमण उनह

न दख सक

उस समय तक बराहमण को भगवान की उपवसिवत की अतःपरजञा होन लगी और वह अपवम सगध जो

भगवान को सदा घर रहती िी उसक भी नासापटो तक पहच गयी और उसका मकान भी एक अलौदकक दीवि

स भरन लगा और इधर बराहमणी भी भगवान को दसरी जगह जात न दखकर हस पड़ी

बराहमण न चौककर पीछ दखा उस तो अपनी आखो पर कषणभर को भरोसा नही आया और उसक मह स

वनकल गयाः यह कया भगवान दफर उसन भगवान क चरण छ वदना की और अविष भोजन दकर यह परशन

पछाः ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कहत ह कयो वभकष कहत ह वभकष का अिम कया ह और कोई

वभकष कस होता ह

यह परशन उसक मन म उठा कयोदक भगवान की इस अनायास उपवसिवत क मधर कषण म उसक भीतर

सनयास की आकाकषा का उदय हआ िायद भगवान उसक दवार पर उस ददन इसीवलए गए भी ि और िायद

बराहमणी भी अचतन म उठ दकसी भय क कारण भगवान को वछपाकर खड़ी हो गयी िी

3

तब भगवान न इस गािा को कहाः

सबबसो नाम-रपससम यसस नवति ममावयत

असता च न सोचवत स व वभकखवत वचचवत

वजसकी नाम-रप--पच-सकध--म जरा भी ममता नही ह और जो उनक नही होन पर िोक नही करता

वही वभकष ह उस ही म वभकष कहता ह

इसक पहल दक इस सतर को समझो इस छोटी सी घटना म गहर जाना जररी ह घटना सीधी-साफ ह

लदकन उतरन की कला आती हो तो सीधी-साफ घटनाओ म भी जीवन क बड़ रहसय वछप वमल जात ह

हीरो की खदान भी तो ककड़-पतिर और वमटटी म ही होती ह--खोदना आना चावहए जौहरी की नजर

चावहए तो ककड़-पतिर को हटाकर हीर खोज वलए जात ह

इन छोटी-छोटी घटनाओ म बड़ हीर दब पड़ ह म यही कोविि कर रहा ह दक तमह िोड़ी जौहरी की

नजर वमल तम इनकी पत उघाड़न लगो वजतन गहर उतरोग उतनी बड़ी सपदा तमह वमलन लगगी

शरावसती म पचगर-दायक नामक बराहमण िा वह खत क बोन क पशचात फसल तयार होन तक पाच बार

वभकषसघ को दान दता िा एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर वभकषाटन करन क वलए जात समय उसक

दवार पर जाकर खड़ हो गए

अभी बराहमण को भी अपन वनशचय का पता नही ह उसक अतसतल म कया उठा ह अभी बराहमण को भी

अजञात ह अभी बराहमण को खयाल नही ह दक उसक वभकष होन का कषण आ गया

मनषय का बहत छोटा सा मन मनषय को जञात ह मनवसवद कहत हः जस बफम का टकड़ा पानी म

तराओ तो िोड़ा ऊपर रहता ह अवधक नीच डबा होता ह एक खड बाहर रहता ह नौ खड भीतर डब रहत

ह ऐसा मनषय का मन ह एक खड कवल चतन हआ ह नौ खड अधर म डब ह

तमहार अधर मन म कया उठता ह तमह भी पता चलन म कभी-कभी वषो लग जात ह जो आज तमहार

मन म उठगा हो सकता ह पहचानत-पहचानत वषम बीत जाए और अगर कभी एक बार जो तमहार अचतन म

उठा ह तमहार चतन तक भी आ जाए तो भी पकका नही ह दक तम समझो कयोदक तमहारी नासमझी क जाल

बड़ परान ह तम कछ का कछ समझो तम कछ की कछ वयाखया कर लो तम कछ का कछ अिम वनकाल लो

कयोदक अिम आएगा तमहारी समवतयो स तमहार अतीत स

तमहारी समवतया और तमहारा अतीत उसी छोट स खड म सीवमत ह जो चतन हो गया ह और यह जो

नया भाव उठ रहा ह यह तमहारी गहराई स आ रहा ह इस गहराई का अिम तमहारी समवतयो स नही खोजा

जा सकता तमहारी समवतयो को इस गहराई का कछ पता ही नही ह इस गहराई क अिम को खोजन क वलए तो

तमह जहा स यह भाव उठा ह उसी गहराई म डबकी लगानी पड़गी तो ही अिम वमलगा नही तो अिम नही

वमलगा

कल दकसी का परशन िा इस सदभम म सािमक ह नतरकमारी न पछा ह दक अब सनयास का भाव उठ रहा

ह परगाढ़ता स उठ रहा ह लदकन एक सवाल ह--दक यह मरा भावावि तो नही ह आपन सच म मझ पकारा

ह या यह कवल मरी भावाववषट दिा ह दक आपको सन-सनकर इस ववचार म मोवहत हो गयी ह

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भाव उठ रहा ह पराना मन कह रहा हः यह वसफम भावावि ह यह असली भाव नही ह भाव का आवि

मातर ह यह असली भाव नही ह यह तो सनन क कारण यहा क वातावरण म इतन गररक वसतरधारी

सनयावसयो को दखकर एक आकाकषा का उदय हआ ह ठहरो घर चलो िावत स ववचार करो कछ ददन धयम

रखो जलदी कया ह

घर जाकर िावत स ववचार करक करोग कया यह जो भाव की तरग उठी िी इसको ववनषट कर दोग

इसको भावावि कहन म ही तमन ववनषट करना िर कर ददया और मजा ऐसा ह दक जब यह तरग चली

जाएगी और तमहार भीतर दसरी बात उठगी दक नही सनयास नही लना ह तब तम कषणभर को न सोचोग दक

यह कही भावावि तो नही

यह आदमी का अदभत मन ह तब तम न सोचोग दक कही ऐसा तो नही ह दक वापस घर आ गए

गहसिो क बीच आ गए अब गररक वसतरधारी नही ददखायी पड़त अब धयान करत हए मदमसत लोग नही

ददखायी पड़त अब वह वाणी सनायी नही पड़ती अब वह हवा नही ह और यहा बाजार और कोलाहल और

घर और घर-गहसिी की झझट और सब अपन ही जस लोग--कही इस परभाव म सनयास न ल यह भावावि

तो नही उठ रहा ह दफर नही सोचोग दफर एकदम राजी हो जाओग दक यह असली चीज हाि आ गयी

यह असली चीज नही हाि आ गयी यह तमहारी समवतयो स आया तमहार अतीत स आया तमहार

अनभव स आया और अभी जो आ रहा ह वह तमहार अनभव स नही आ रहा ह तमहार अतीत स नही आ रहा

ह वह तमहारी गहराई स आ रहा ह और तमहारी गहराइयो का तमह कछ पता नही ह

पछा ह दक यह कही भावावि तो नही ह आपन सच म मझ पकारा ह

अब समझो अगर म कह दक हा सच म मन तमह पकारा ह तो कया तम सोचत हो और ववचार नही

उठ ग दक पता नही ऐसा मझ समझान क वलए ही तो नही कह ददया दक मन तझ पकारा ह इसकी सचाई का

परमाण कया दक वसततः पकारा ह कही सातवना क वलए तो नही कह ददया कही ऐसा तो नही ह दक मझ

सनयास म दीवकषत करना िा इसवलए कह ददया हो

ववचार की तरग तो उठती चली जाएगी उनका कोई अत नही ह ववचार स इसवलए कभी कोई हल

नही होता

इस कहानी का जो पहला वहससा ह वह यह दक एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

अभी बराहमण को वनशचय का कछ पता नही ह बराहमण को पता होता तो बराहमण सवय भगवान क पास

आ गया होता दक ह परभ मर हदय म वभकष होन का भाव उठा ह घड़ी आ गयी फल पक गया अब म वगरना

चाहता ह और आप म खो जाना चाहता ह जस फल भवम म खो जाता ह ऐस मझ आतमलीन कर ल मझ

सवीकार कर ल मझ अगीकार कर ल

बराहमण नही आया ह बदध उसक दवार पर गए ह और इसवलए म दफर स तमह दोहरा दः इसक पहल

दक विषय चन गर चनता ह इसक पहल दक विषय को पता चल गर को पता चलता ह विषय चनगा भी कस

अधर म भटकता हआ उस कछ भी तो पता नही ह वह तो अगर कछ चनगा भी तो गलत चनगा

कल रात हालड स एक यवक सनयास लन आए म दखता ह दक वनशचय ह लदकन उनको अभी वनशचय

का पता नही ह व मझस कहन लग म सोचगा म ववचार करगा मन उनस कहाः तम सोचोग और ववचार

करोग तो गलत होगा तमहारा सोचा हआ कब सही हआ तमहारा ववचारा हआ कब सही हआ अब यहा

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आकर भी सोचोग ववचारोग तो यहा आना हआ ही नही तमन यातरा हालड स यहा तक की वयिम की अब

यहा सोचो-ववचारो मत--दखो

दखना अलग बात ह दखना गहर म उतरना ह सोचना-ववचारना अपनी अतीत समवतयो म जाना ह

अतीत म गए दक चक कयोदक तमहारा जो अचतन ह वह अभी मौजद ह यही डबकी मारनी ह

सोचन-ववचारन वाला आदमी ऐसा ह जसा कोई पानी की सतह पर तरता ह और दखन वाला आदमी

ऐसा ह जस कोई पानी की गहराई म डबकी मारता ह--गोताखोर गोताखोर बनो

बदध वभकषाटन को जात ि उस बराहमण क घर जान का अभी कोई खयाल भी न िा लदकन अचानक उनह

ददखायी पड़ा दक उस बराहमण क अचतन म वनशचय हो गया ह सनयास की दकरण पहच गयी ह

एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

धयान रखनाः बदध जस वयवि सोचत नही दखत ह सोचना तो अधो का काम ह आख वाल दखत ह

बदध को ददखायी पड़ा जस तमह ददखायी पड़ता ह दक वकष क पतत हर ह दक एक पीला पतता हो गया ह दक

अब यह वगरन क करीब ह जस तमह ददखायी पड़ता ह दक ददन ह दक रात ह दक सरज वनकला ह दक बादल

वघर गए दक वषाम हो रही ह--ऐस बदध को चतनय-लोक की वसिवतया ददखायी पड़ती ह

यह वनशचय पक गया यह आदमी सनयसत होन की घड़ी क करीब आ गया इसको इस पर ही छोड़ दो

तो पकका नही ह दक इसको अपन वनशचय का पता कब चल जनम-जनम भी बीत जाए और जब चल भी तब भी

पता नही दक यह कया वयाखया कर दकस तरह अपन को समझा ल बझा ल दकस तरह वापस सो जाए करवट

ल ल दफर सपनो म खो जाए

इस परम घड़ी को बदध इस बराहमण पर नही छोड़ सकत ह इस बराहमण का कछ भरोसा नही ह इसवलए

सवय उसक दवार पर जाकर रक गए गए तो ि वभकषाटन को उसक दवार पर जान की बात न िी

दवार पर जाकर खड़ हो गए उस समय बराहमण घर म बठकर दवार की ओर पीठ करक भोजन कर रहा िा

बराहमण को तो कछ पता ही नही िा कया होन वाला ह दकस घड़ी म म आ गया ह उस कछ पता नही

ह वह तो सामानय--जस रोज अपन भोजन क समय भोजन करता होगा--भोजन कर रहा िा दवार की ओर

पीठ दकए िा उस यह भी पता नही दक बदध आ रह ह

तमह भी पता नही दक कब बदध तमहार दवार पर आत ह तमह भी पता नही दक कब तमहार दवार पर

दसतक दत ह

जीसस का परवसदध वचन हः मागो और वमलगा खोजो और पाओग खटखटाओ और दवार खोल ददए

जाएग

लदकन साधारण आदमी की दिा इसस ठीक उलटी ह वह कहता हः दो और म नही लगा आओ म पीठ

कर लगा दवार खटखटाओ म खोलन वाला नही

बराहमण को इतना भी पता नही दक बदध का आगमन हो रहा ह नही तो पीठ दकए बठा होता

इसवलए म कहता ह इन छोटी-छोटी बातो म खयाल करना तमम स भी अवधक मरी तरफ पीठ दकए

बठ ह इसका मतलब यह नही दक तम पीठ दकए बठ हो हो सकता हः तम वबलकल सामन बठ हो मझ दख रह

हो लदकन दफर भी म तमस कहता ह जो मझ दख रह ह उनम स भी बहत स पीठ दकए बठ ह जो मझ सन

रह ह उनम स भी बहत स पीठ दकए बठ ह पीठ दकए बठ ह अिामत रकषा कर रह ह अपनी अपन को गवान

की तयारी नही ददखा रह ह अपन को ववसरजमत करन की वहममत नही जटा रह ह

6

बराहमण दवार की ओर पीठ दकए भोजन कर रहा िा परम घड़ी आ गयी सनयास का कषण करीब आ गया

बदध दवार पर खड़ ह और वह एक छोटी सी परदकरया म लगा िा--भोजन

यह भी समझ लना भोजन का अिम हः यह साधारण जो रोजमराम का जीवन ह--खाना-पीना उठना-

सोना खात-पीत उठत-सोत आदमी जनम स लकर मतय तक की यातरा परी कर लता ह खान-पीन म ही तो

सब चला जाता ह

भोजन कर रहा िा उस पता नही दक भगवतता दवार पर खड़ी ह वह भोजन कर रहा ह वह एक छोट स

काम म लगा ह एक दनददन कायम म लगा ह कालातीत दवार पर खड़ा ह और उस इसकी कछ खबर नही ह

आदमी ऐसा ही सोया हआ ह तमहारी राह पर भी बहत बार बदध का आगमन हआ ह लदकन तम पीठ

दकए रह ऐसा नही ह दक तम बदधो स नही वमल हो वमल हो मगर पीठ िी इसवलए वमलना नही हो पाया

बराहमणी न भगवान को दखा लदकन बराहमणी क मन म तो कोई वनशचय उदय नही हआ ह और उस

दखकर पता ह कया सचता पदा हई आदमी कसा कषदर ह उस एक सचता पदा हई उस यह नही ददखायी पड़ा

दक भगवान दवार पर खड़ ह उठ पाव पखार वबठाऊ उस दफकर एक बात की हई दक यदद मर पवत न इस

शरमण गौतम को दखा तो दफर यह वनशचय ही भोजन उस द दगा और मझ दफर पकान की झझट करनी पड़गी

आदमी कसी कषदर बातो म ववराट को खोता ह ऐसी दिा तमहारी भी ह इस बराहमणी पर नाराज मत

होना इस बराहमणी को कषमा करना कयोदक यह बराहमणी तमहारी परतीक ह

कषदर बातो म आदमी ववराट को खो दता ह सचता भी कया उठी तमह हसी आएगी कयोदक यह तमहारी

वसिवत नही ह तम सोचत होः अपनी वसिवत नही ह यह तमह हसी आएगी दक बराहमणी भी कसी मढ़ ह लदकन

यही आम आदमी की दिा ह तम भी ऐसी ही कषदर-कषदर बातो स चकत हो बात इतनी कषदर होती ह लदकन

उनक वलए तम कारण खब जटा लत हो

बराहमणी को एक दफकर पदा हई दक और एक झझट दवार पर आकर खड़ी हो गयी अब यह शरमण गौतम

वभकषापातर वलए खड़ा ह

यदयवप बदध वभकषा मागन आए नही ह बदध वभकषा दन आए ह इस बराहमण क मन म एक सकलप जनम

रहा ह बदध उस जनम दन आए ह बदध ऐस आए ह जस दक दाई इसक भीतर कछ पक रहा ह इस सहार की

जररत ह जस गभम परा हो गया ह और बचचा पदा होन को ह--और दाई को हम बलात ह

सकरात न कहा ह दक म दाई ह सभी बदधपरष दाई ह तमहारा ही जनम होना ह तमह कम स कम पीड़ा

हो ऐस तमहारा जनम हो जाए कम स कम खन बह ऐसा तमहारा जनम हो जाए तम तमहार ही जनम की

परदकरया म बाधा न बन जाओ इस तरह तमहारा जनम हो जाए सरलता स सगमता स तमहारा पनरजजीवन हो

जाए

तो बदध तो इसवलए आए ह लदकन यह सतरी सोच रही ह दक एक झझट हई अब कही मझ दफर भोजन न

बनाना पड़ इतना फासला ह आदमी और बदधो म

ऐसा सोच वह भगवान की ओर पीठ कर अपन पवत को वछपाती हई खड़ी हो गयी वजसस दक बराहमण

उनह दख न सक

ऐसा यहा रोज होता ह अगर पतनी यहा आन म उतसक हो जाती ह तो पवत अपनी पतनी को वछपाकर

सरकषा करन लगता ह अगर पवत यहा आन म उतसक हो जाता ह तो पतनी अपन पवत को वछपाकर खड़ी हो

जाती ह रोकन की कोविि म लग जाती ह सौभागयिाली ह व जो पवत-पतनी दोनो यहा आ गए ह नही तो

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एक बाधा डालगा कयोदक उस डर पदा होता ह दक एक झझट हई अब कही कछ स कछ न हो जाए यह मरी

पतनी कही सनयसत न हो जाए यह मरा पवत कही सनयसत न हो जाए लोग अपन बटो को नही लात

म गवावलयर म कई वषो पहल ससवधया पररवार म महमान िा ववजय राज ससवधया न ही मझ वनमवतरत

दकया िा लदकन जब म पहच गया और मर सबध म उसन बात सनी तो वह डर गयी

अब मझ बला वलया िा तो सभा का आयोजन भी दकया डरत-डरत मझ सना भी उसक बट न भी

सना दसर ददन दोपहर वह मझ वमलन आयी उसन कहा दक कषमा कर आपस छपाना नही चावहए मरा बटा

भी आना चाहता िा लदकन म उस लायी नही म तो परौढ़ ह लदकन वह भावाववषट हो सकता ह वह आपकी

बातो म आ सकता ह और आपकी बात खतरनाक ह इसवलए म उस लायी नही म उस आपस नही वमलन

दगी और म आपस कह दती ह कयोदक म आपस वछपाना भी नही चाहती

अब यह मा बट को आड़ म लकर खड़ी हो रही ह इस पता नही दकस बात स बचा रही ह और अपन

को परौढ़ समझती ह परौढ़ का मतलब यह दक म तो बहत जड़ ह मझ पर कछ असर होन वाला नही ह आप

कछ भी कह म सन लगी मझ कछ खतरा नही ह लदकन मरा बटा अभी जवान ह अभी ताजा ह और आपकी

बातो म ववदरोह ह और कही उसको वचनगारी न लग जाए

दफर कहन लगीः मझ कषमा कर कयोदक मर पवत चल बस और अब बटा ही मरा सब सहारा ह जस

दक मर सपकम म आकर बटा ववकत हो जाएगा

यह बड़ी हरानी की बात ह पतनी इतनी परिान नही होती अगर पवत िराबघर चला जाए लदकन

सतसग म चला जाए तो जयादा परिान होती ह कयोदक िराबघर दकतनी ही अड़चन ला द लदकन कम स

कम पतनी की सरकषा तो कायम रहगी पवत एक बार वशयालय भी चला जाए तो पतनी उतनी परिान नही

होती वजतनी साध-सगत म बठ जाए तो कयोदक चला गया वापस लौट आएगा लदकन साध-सगत म खतरा

ह कही चला ही न जाए कही वापस लौटन का सत ही न टट जाए

जो हमार मोह क जाल ह और उन मोह म जो लोग गरसत ह उन सबको भय पदा हो जाता ह--जब तम

दकसी बदधपरष क पास जाओग कयोदक बदधपरषो की एक ही तो विकषा ह दक मोह स मि हो जाओ तो

वजनका मोह म वनवहत सवािम ह व सब तरह की अड़चन डालग और आदमी तरकीब वनकाल लता ह

एक वमतर मर पास आए उनहोन कहा दक म तो सनयास लना चाहता ह लदकन मरी पतनी राजी नही ह

और जब म घर स चलन लगा तो उसन तीन दफा मझस कसम वखलवा ली दक सनयास नही लना मन कसम

भी खा ली ह तो सनयास म लना चाहता ह लदकन लगा नही कयोदक आप ही तो कहत हः दकसी को दख

नही दना चावहए अब पतनी को कया दख दना

मन उनस कछ और बात की तादक व यह सनयास की बात िोड़ी दर को भल जाए मन उनस पछाः पतनी

तमहारी और दकन-दकन चीजो क वखलाफ ह व बोलः अर साहब हर चीज क वखलाफ ह वसगरट पीता ह तो

वखलाफ वसनमा जाऊ तो वखलाफ जयादा दकताब म पढ़न म लग जाऊ तो वखलाफ तो मन पछाः वसगरट

छोड़ी उनहोन कहा दक नही छटती तो मन कहाः पतनी को दख द रह हो और वसगरट पीए चल जा रह हो

और सनयास छोड़न को राजी हो कयोदक पतनी को दख नही दना चाहत हो और दकतन दख पतनी को नही ददए

8

और सब दख दन की तयारी ह वसफम यह सनयास क सबध म दख नही दना चाहत ददखायी पड़ता ह न

आदमी तरकीब वनकालता ह आदमी बड़ा किल ह और वजतनी किलता आदमी बदधो स बचन म लगाता ह

उतनी किलता दकसी और चीज म नही लगाता ह

पतनी घरकर खड़ी हो गयी ह पीछ जाकर खड़ी हो गयी पवत क तादक भल-चक स भी पवत कही पीछ न

दख ल दवार पर खड़ा हआ गौतम ददखायी न पड़ जाए

उस समय तक लदकन भगवान की उपवसिवत की अतःपरजञा होन लगी बराहमण को वह जो भीतर सकलप

उठा िा उसी को सहारा दन बदध वहा आकर खड़ हए ि

खयाल रखनाः वजसक पास होत हो वसा भाव िीघरता स उठ पाता ह जहा होत हो वहा दब हए भाव

उठ आत ह तमहार भीतर कामवासना पड़ी ह और दफर एक वशया क घर पहच जाओ या वशया तमहार घर आ

जाए तो ततकषण तम पाओगः कामवासना जग गयी पड़ी तो िी वशया ऐसी कोई चीज पदा नही कर सकती

जो तमहार भीतर पड़ी न हो वशया कया करगी बदध क पास पहच जाएगी तो कया होगा

लदकन अगर तमहार पास आ गयी तो कामवासना जो दबी पड़ी िी अवसर दखकर सअवसर दखकर

उमगन लगगी तलहटी स उठगी सतह पर आ जाएगी

यही हआ बदध वहा आकर खड़ हो गए अभी बोल भी नही उनकी मौजदगी उनकी उपवसिवत उनका

अतःनाद इस वयवि की चतना को वहलान लगा उनकी वीणा इस वयवि क भीतर भी गजन लगी

उसकी अतःपरजञा जागन लगी उस अचानक बदध की याद आन लगी अचानक भोजन करना रक गया

भोजन करन म रस न रहा एकदम बदध क भाव म डबन लगा और जस-जस भाव म डबा वस-वस उस वह

अपवम सगध भी नासापटो म भरन लगी जो बदध को सदा घर रहती िी

और चौका और गहरा डब गया उस सगध म और जस ही सगध म और गहरा डबा उसन दखा दक घर

उस कोमल दीवि स भर गया ह जस बदध की मौजदगी म भर जाता ह

वह पीछ लौटकर दखन ही वाला िा दक मामला कया ह और तभी पतनी भी हस पड़ी पतनी इसवलए हस

पड़ी दक यह भी हदद हो गयी म वछपाकर खड़ी ह इस आिा म दक यह गौतम कही और चला जाए वभकषा

मागन मगर यह भी हदद ह दक यह भी डटकर खड़ा हआ ह न कछ बोलता न कछ चालता यह भी यही खड़ा

हआ ह यह भी जान वाला नही ह ददखता ह

उस इस वसिवत म जोर स हसी आ गयी दक एक तो म वजदद कर रही ह दक दफर भोजन न बनाना पड़

और यह भी वजदद दकए हए खड़ा ह दक आज बनवाकर रहगा इसवलए बराहमणी हस उठी

बदध की अतःपरजञा उनकी सगध का नासापटो म भर जाना उनकी दीवि का घर म ददखायी पड़ना दफर

पतनी का हसना--तो सवभावतः उसन पीछ लौटकर दखा चौककर उसन पीछ दखा उस तो अपनी आखो पर

कषणभर को भरोसा ही नही आया

दकसको आएगा वजसक पास भी आख ह उस भरोसा नही आएगा हा अधो को तो ददखायी ही नही

पड़ग बराहमणी को ददखायी नही पड़ ि बराहमणी वबलकल अधी िी उसक भीतर कोई दबा हआ सवर भी नही

िा अजञात का सतय की खोज की कोई आकाकषा भी नही िी वह गहन तदरा म िी मरछमत िी

बराहमण इतना मरछमत नही िा आख खलन-खलन क करीब िी बराहमण का बरहम-महतम आ गया िा

सबह होन क करीब िी झपकी टटती िी या आधी टट ही चकी िी रात जा चकी िी नीद भी हो चकी िी

भोर क पवकषयो क सवर सनायी पड़न लग ि ऐसी मधय की दिा िी बराहमण की

9

बराहमणी तो अपनी आधी रात म िी--मधय-रावतर म--जब सवपन भी खो जात ह और सषवि महान होती ह

परगाढ़ होती ह बराहमणी की अमावसया िी अभी अधरी रात लदकन बराहमण की सबह करीब आ गयी िी

धयान रखना बाहर की सबह तो सबक वलए एक ही समय म होती ह भीतर की सबह सबक वलए

अलग-अलग समय म होती ह बाहर की रात तो सभी क वलए एक ही समय म होती ह लदकन भीतर की रात

सबकी अलग-अलग होती ह

यह हो सकता ह दक तमहार पड़ोस म जो बठा ह उसकी सबह करीब ह और तम अभी आधी रात म हो

यह हो सकता ह दक तमहारी सबह आन म अभी जनमो-जनमो की दर हो और इसीवलए तो हम एक-दसर को

समझ नही पात कयोदक हमारी समझ क तल अलग-अलग होत ह कोई पहाड़ स बोल रहा ह कोई घाटी म

भटक रहा ह कोई आख खोलकर दख वलया ह दकसी की आख सदा स बद ह तो एक-दसर को समझना बड़ा

मवशकल हो जाता ह कयोदक सब सीढ़ी क अलग-अलग पायदानो पर खड़ ह

यह तो चौक उठा इस तो भरोसा नही आया बदध--और उसक दवार पर आकर खड़ ह पहल कभी नही

आए ि जब भी उस जाना िा वह दान दन जाता िा पाच बार वह दान दता िा वभकषसघ को वह जाता िा

दान कर आता िा

बदध कभी नही आए ि पहली बार आए ह कस भरोसा हो भरोसा हो तो कस भरोसा हो

अनक बार सोचा होगा उसन पराणो म सजोयी होगी यह आिा दक कभी बदध मर घर आए सोचा होगाः

कभी आमवतरत कर दफर डरा होगा दक मझ गरीब बराहमण का आमतरण सवीकार होगा दक नही होगा भय-

सकोच म िायद आमतरण नही ददया होगा या कयो कषट द कयो वहा ल जाऊ कया परयोजन ह जब आना हो

म ही आ सकता ह उनह कयो भटकाऊ ऐसा सोचकर रक गया होगा परम क कारण रक गया होगा सकोच क

कारण रक गया होगा बदध आज अचानक वबना बलाए दवार पर आकर खड़ हो गए ह

जब जररत होती ह तब सदगर सदा ही उपलबध हो जाता ह सदगर को बलान की जररत नही पड़ती

तमहारी पातरता जब भर जाएगी जब तम उस जगह क करीब होओग जहा उसक हाि की जररत ह--वह

वनवशचत मौजद हो जाएगा होना ही चावहए

बराहमण न चौककर दखा उस अपनी आखो पर भरोसा नही आया और उसक मह स वनकल गया--यह

कया भगवान

चदकत आशचयमववमगध आख मीड़कर दखी होगी सोचा होगाः कोई सपना तो नही दख रहा सोचा

होगाः सदा-सदा सोचता रहा ह दक भगवान आए आए आए कही उसी सोचन क कारण यह मरी ही कलपना

तो मर सामन खड़ी नही हो गयी ह

दफर उसन भगवान क चरण छ वदना की अविष भोजन दकर यह परशन पछाः ह गौतम आप अपन

विषयो को वभकष कहत ह--कयो

उस समय तक दो तरह क सनयासी उपलबध ि भारत म जन सनयासी मवन कहलाता ह सहद सनयासी

सवामी कहलाता ह बदध न पहली दफ सनयासी को वभकष का नाम ददया सनयास को एक नयी भाव-भवगमा दी

और एक नया आयाम ददया

अब उलटी ददखती ह बात सहद सनयासी कहलाता ह--सवामी मावलक और बदध न कहा--वभकष

वभखारी उलटा कर ददया जन मवन मधय म ह--न मावलक न वभखारी मौन ह--इसवलए मवन इसवलए जनो

स सहद उतन नाराज नही ह वजतन बौदधो स नाराज हए बदध न सारी चीज उलटी कर दी

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जनो को कषमा कर ददया ह इसवलए जन सहदसतान म बस सक लदकन बौदध नही बस सक बौदधो को तो

समाि कर ददया बौदधो को तो उखाड़ ददया मारा भी काटा भी कढ़ाओ म जलाया भी कयोदक बदध न परदकरया

को वबलकल उलटा कर ददया यह वसफम िबद की ही बात नही ह यह बदध की अतदमवषट ह दक सहद-ववचार स

उनहोन वबलकल एक दसरी भावधारा को जनम ददया

सवामी िबद पयारा ह कछ बरा नही ह लदकन उसम एक खतरा ह खतरा तो सभी िबदो म होता ह

सवामी िबद म एक खतरा ह दक कही उसस सनयासी अहकारी न हो जाए सवामी िबद पयारा ह उसका

मतलब होता हः अपना मावलक और अपनी मालदकयत तो चावहए ही अपना सवावमतव तो चावहए ही

जो अपना मावलक नही ह वही तो ससारी ह उसक हजार मावलक ह हजार इछाए उसकी मावलक ह

धन उसका मावलक ह पद उसका मावलक ह उसक बहत मावलक ह वह गलाम ह

सनयासी वही ह वजसन और सब तरह क मावलक हटा ददए और सवय अपना मावलक हो गया ह अब

उसकी इददरया उस पर काब नही रखती कबजा नही रखती अब इददरया उस नही चलाती वह अपनी इददरयो

को चलाता ह अब मन उस नही चलाता वह मन को अपन पीछ लकर चलता ह मन उसकी छाया हो गया

उसन अपन आतम-गौरव की घोषणा कर दी

िबद बड़ा पयारा ह अिमपणम ह लदकन खतरा ह खतरा यह ह दक अहकार का जनम हो जाए अकड़ आ

जाए और अहकार पदा हो जाए तो परमातमा स वमलन म बाधा पड़ गयी दफर ससार लौट आया पीछ क

दरवाज स जयादा सकषम होकर लौट आया पहल धन की अकड़ िी पद की अकड़ िी अब सनयास की अकड़ हो

जाएगी

बदध न इसवलए बदल ददया िबद ठीक दसर तल पर ल गए कहा--वभकष लदकन याद रखनाः वभकष का

अिम वभखारी नही ह भाषाकोि म तो ह लदकन बदध न वभकष का अिम दकयाः जो सब तरह स खाली ह वभकषा

का पातर हो गया ह जो वजसक पास अपना कछ भी नही ह जो अपन भीतर वसफम िनय ह वजसन और सब तो

छोड़ा ही छोड़ा म का भाव भी छोड़ ददया आतमा भी छोड़ दी अतता भी छोड़ दी जो अनतता म जी रहा ह जो

वसफम िनय हो गया ह ऐसा वयवि वभकष वभखारी नही कयोदक वभखारी तो वह ह जो अभी आिा स भरा ह

दक वमल जाएगा जो माग रहा ह दक वमल जाएगा दक पा लगा दकसी न दकसी तरह खोज लगा माग-मागकर

इकटठा कर लगा लदकन अभी इकटठ होन की दौड़ जारी ह

वभखारी धनाकाकषी ह धनाढय नही ह मगर धनाकाकषी ह धन उसक पास नही ह लदकन धन की तषणा

तो उसक पास उतनी ही ह वजतनी दकसी धनी क पास हो िायद धनी स जयादा हो कयोदक धनी न तो धन

का िोड़ा अनभव भी वलया अगर उसम िोड़ी अकल होगी तो यह समझ म आ गया होगा दक धन वमलन स

कछ भी नही वमलता लदकन वभखारी को तो यह भी नही हो सकता वभखारी की तो धन की आकाकषा बड़ी

परगाढ़ ह उस धन वमला भी नही धन का अनभव भी नही वह धन क पीछ दौड़ रहा ह

वभकष का अिम हः वजसकी कोई आकाकषा नही इतना ही नही दक उसन वासनाए छोड़ी इददरया छोड़ी

उसन इददरयो पर जो मालदकयत करन वाला भीतर का अहकार ह वह भी छोड़ ददया उसन बाहर का

सवावमतव भी छोड़ ददया उसन सवामी को भी छोड़ ददया वह जो भीतर सवामी बन सकता ह उसको भी छोड़

ददया

बदध कहत हः तम भीतर एक िनयमातर हो और जब तम िनयमातर हो तभी तम वसततः हो यह वभकष

की दिा

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बराहमण न ठीक ही पछा बराहमण ह सवामी िबद स पररवचत रहा होगा यह बदध को कया हआ दक अपन

सनयासी को वभकष कहत ह

तो उसन पछाः ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कयो कहत ह

और यह परशन िायद वह तो सोचता हो दक दािमवनक ह मगर बदध जानत ह दक दािमवनक नही ह

अवसततवगत ह इसीवलए बदध आए ह उसक भीतर वभकष होन की तरग उठ रही ह उसको भी पता नही ह दक

यह परशन कयो पछ रहा ह

तमको भी पता नही होता दक तम कोई परशन कयो पछत हो तमहार वचतत म घमता ह तम पछ लत हो

लदकन तमह उसकी जड़ो का कछ पता नही होता दक कहा स आता ह कयो आता ह

तमह अगर पता चल जाए दक तमन परशन कयो पछा ह तो नबब मौको पर तो परशन हल ही हो जाएगा--इसी

क पता चलन म दक मन कयो पछा ह करीब-करीब हल हो जाएगा अगर तम अपन परशन क भीतर उतर जाओ

और अपन परशन की जड़ो को पकड़ लो तो तम पाओगः परशन क पराण ही वनकल गए उततर करीब आ गया दकसी

स पछन की जररत नही रही

इस बराहमण को कछ पता नही ह दक यह वभकष क सबध म कयो परशन पछ रहा ह अगर तम इसस पछत दक

कयो ऐसा पछत हो तो यह यही कहता दक बहत बार सोचा मन दक सदा सनयासी को सवामी कहा गया ह बदध

कयो वभकष कहत ह बस वजजञासावि पछ रहा ह

लदकन बदध जानत ह यह वजजञासा नही ह अगर यह वजजञासा ही होती तो बदध आत नही बदध तो तभी

आत ह जब कतहल गया वजजञासा गयी और ममकषा पदा होती ह जब कोई वसततः उस दकनार आ गया जहा

उस धकक की जररत ह जहा वह अपन स नही कद सकगा कयोदक आग ववराट िनय ह और उस ववराट िनय क

वलए साहस जटाना करठन ह

ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कयो कहत ह और दफर कोई वभकष कस होता ह इसकी

अतःपरदकरया कया ह

यह परशन उसक मन म उठा उसक चतन तक आया--भगवान की मौजदगी क कारण िायद उस ददन

भगवान उसक दवार पर आकर खड़ नही हए होत तो यह परशन वषो तक रकता या न पछता इस जीवन म

िायद कभी न पछता

ठीक घड़ी म भगवान की मौजदगी उसक भीतर तरग उठती ही उठती िी और भगवान की मौजदगी

और भगवान की ववराट तरग उसकी छोटी सी तरग को ल गयी उठाकर उसक चतनय तक पहचा ददया

यह धकका यह सहारा--यही सदगर का अिम ह जो तमहार भीतर धीमा-धीमा ह उस तवरा द दनी जो

तमहार भीतर कनकना-कनकना ह उस इतनी गमी द दनी दक भाप बनन की कषमता आ जाए जो तमहार भीतर

सोया-सोया ह उस उठा दना जगा दना जो तमहार भीतर सरक रहा ह अधर-अधर म उस पकड़कर रोिनी

म ला दना

यह मौजदगी स ही हो जाता ह यह वसफम बदध जस वयवि की उपवसिवत स हो जाता ह तम बदध क पास

जाकर ऐस परशन पछन लगत हो जो तमन कभी पहल सोच भी नही ि तम बदध क पास जाकर ऐसी

भावदिाओ स भर जात हो जो वबलकल अपररवचत ह तम बदध क पास जाकर अपनी उन भाव-भवगमाओ स

पररवचत होत हो वजनह तम जानत भी नही ि दक तमहार भीतर हो भी सकती ह

बदध की उस अनायास उपवसिवत क मधर कषण म

12

और अनायास िा इसवलए और भी मधर िा कषण अगर बराहमण वनमतरण दकर लाया होता तो इतना

मधर नही होता कयोदक इतना आघातकारी नही होता अगर वनमतरण दकर लाया होता तो इतनी चोट करन

वाला नही होता इतना अवाक नही करता यह कया ऐसा बराहमण नही पछ पाता जानता दक बलाकर लाया

ह इसवलए आए ह इसी जानकारी क कारण ववचत रह जाता वनदोष नही होता

चदक बदध अनायास आ गए ह बराहमण को वबलकल वनदोष दिा म पकड़ वलया ह अनायास पकड़ वलया

और धयान रखना परमातमा सदा अनायास आता ह तम जब बलात हो तब नही आता तमहार बलान

स कभी नही आता तमह जब पता ही नही होता तम जब िात बठ हो खाली बठ हो कछ नही बला रह हो न

ससार को बला रह न परमातमा को बला रह तमहार भीतर कोई पकार ही नही ह तमहार भीतर कोई वासना-

कामना नही ह तमहार भीतर कोई सवपन तरग नही ल रहा ह--और अचानक उसक परो की आवाज भी नही

सनायी पड़ती और वह तमहार सामन आकर खड़ा हो जाता ह

भगवान सदा ही अनायास आता ह अनायास आन म ही तमहारा रपातरण ह भगवान तमह सदा जब

आता ह तो चौकाता ह ववसमयववमगध कर दता ह तमहारी समझ म नही पड़ता दक यह कया हो गया कस हो

गया तम अबझ दिा को उपलबध हो जात हो कयोदक भगवान रहसय ह रहसय बलाए नही जा सकत

वनमतरण नही ददया जा सकता

इस मधर कषण म उसक भीतर सनयास की आकाकषा का उदय हआ िा

बराहमण को भी ददखायी पड़ा दक कछ कपता हआ उठ रहा ह झझावात कछ भीतर आ रहा ह कछ

भीतर उमग रहा ह जो पहल कभी नही उमगा िा कोई बीज फटा ह अकर बना ह और अकर तजी स बढ़

रहा ह अचानक उस ददखायी पड़ा दक म वभकष होना चाहता ह म सनयसत होना चाहता ह

वह जो वनशचय भगवान को ददखायी पड़ा िा वह बराहमण को भी ददखायी पड़ गया भगवान की सविवध

का पररणाम

इसवलए सदा स साध-सगत का मलय ह साध-सगत म कछ बाहर स नही होगा होना तो भीतर ही ह

जागनी तो तमहारी ही जयोवत ह लदकन जहा बहत जयोवतया जगी हो और जहा जयोवत क जगन की बात होती

हो चचाम होती हो मवहमा होती हो जहा जगी हई जयोवतया नाचती हो--वहा जयादा दर तक तम बझ न रह

सकोग उस रौ म बह जाओग उस नाचती हई ऊजाम म वह कषण आ जाएगा जब तम भी नाचन लगोग तमहार

भीतर भी भभककर उठ आएगी तमहारी सोयी हई जयोवत

िायद भगवान उसक दवार पर उस ददन इसवलए ही गए ि दक जो जयोवत धीमी-धीमी सरक रही ह धए

म दबी पड़ी ह वह परजववलत हो जाए

और िायद बराहमणी की चषटा--दक भगवान ददखायी न पड़--उसक अचतन म उठ दकसी भय क कारण ही

सभव हई िी बराहमणी सोच रही िी िायद भगवान भोजन माग लग और मझ दफर भोजन बनाना पड़गा यह

उसकी वयाखया िी लदकन िायद उसक भीतर भी जो भय पदा हआ िा वह भोजन का ही नही हो सकता

कया भोजन बनान म इतना भय हो सकता ह भय िायद यही रहा होगा दक कही आज बराहमण को ही भगवान

न ल जाए

कयोदक जब भगवान बदध जसा वयवि दकसी क दवार पर आता ह तो करावत होगी तो आग लगगी तो

पराना जलगा तो नए का जनम होगा

13

लदकन यह बराहमणी को भी साफ नही ह दक वह कयो जाकर बराहमण को वछपाकर पीछ खड़ी हो गयी ह

वह तो यही सोच रही ह गरीब बराहमणी यही सोच रही ह दक कौन दबारा झझट म पड़

तम अकसर जो कारण सोचत हो अपन कतयो क व ही कारण कारण हो ऐसा मत सोच लना तमहार

कारण तो कवलपत होत ह तमह मल का तो पता नही होता ह

बराहमणी भी भयभीत हो गयी और धयान रखना वसतरयो क भीतर अचतन जयादा सदकरय होता ह परषो

की बजाय इसवलए अकसर वसतरयो को उन बातो की झलक परष स भी पहल वमल जाती ह जो बात सपषट नही

तमन कई बार अनभव दकया होगा रोज ऐसा घटता ह--दक सतरी क भीतर ववचार क पार पकड़न की कछ

जयादा कषमता ह परष म बवदध बढ़ गयी ह सतरी म अभी भी अचतन घना ह

इसवलए सतरी अगर तमस कह दक आज मत जाओ इस हवाई जहाज स यातरा मत करो तो सन लना सतरी

कहः आज हालादक वह कोई जवाब नही द सकगी समझा नही सकगी रोएगी कहगी दक आज मत जाओ

इस टरन स और तम कहोगः कया कारण ह कयो न जाऊ वह कहगीः कारण मझ भी कछ पता नही ह या

कछ बनाया हआ कारण बताएगी दक म जयोवतषी क पास गयी िी वह मना करता ह दक आज का ददन खराब

ह दक महतम ठीक नही ह दक कल चल जाना दक आज मझ काम ह दक बचचा बीमार ह कछ कारण खोजकर

बताएगी लदकन अगर तम ठीक स पछो सहानभवत स पछो तो वह कहगीः बस मर भीतर ऐसा होता ह दक

आज न जाओ मझ भी कछ पता नही ह दक ऐसा कयो होता ह

सतरी अभी भी हदय स जयादा जीती ह बजाय तरक क इसवलए यह मजदार घटना घटी

इसक पहल दक बराहमण--वजसक वलए बदध आए ि--उसक वनणमय को गवत वमल उसक पहल बराहमणी का

अचतन जाग गया उसक पहल बराहमणी खड़ी हो गयी बचान को खतर क पहल बचान को खड़ी हो गयी

खतरा दवार पर खड़ा ह बदध का आगमन खतरनाक ह

हालादक बराहमणी को भी पता नही ह उसन सोचा दक बस भोजन दबारा न बनाना पड़ यह गौतम कहा

आकर खड़ा हो गया

दफर बराहमणी हसी उस हसी म भी ऊपर स तो किा इतना ही कहती ह दक वह इसवलए हसी दक हदद

हो गयी एक म एक बार भोजन बनान की झझट स बचन क वलए पवत को वछपाए खड़ी ह रोक खड़ी ह बदध

को और एक यह गौतम इसकी भी वजदद हदद हो गयी बढ़ता नही दसर दरवाज चला जाए इतना बड़ा गाव

पड़ा ह अब आज यही कोई वजदद बाधकर खड़ा ह

बराहमणी सोचती हः इसवलए म हसी दक यह गौतम भी वजददी ह लदकन िायद यह हसी भी उसक

अचतन स आयी ह िायद उस कही भीतर यह भी साफ हआ दक भोजन दफर स बनाना पड़ इतनी सी बात क

वलए म रोककर खड़ी नही होन वाली िी कछ और ह और जो और की िोड़ी सी झलक उस वमली होगी दक

कही यह शरमण मर पवत को न ल जाए तो हसी होगी यह भी कोई बात सोचन की हई यह कयो ल जाएगा

मर पवत न कभी सनयसत नही होना चाहा कभी वभकष नही होना चाहा मर पवत यदयवप इस गौतम को कभी-

कभी दान दत ह लदकन अब भी बराहमण ह अब भी पजा करत ह हवन करत ह वद पढ़त ह िासतर म लग

रहत ह भरषट होन की कोई आिा नही ह म भी कसी सचता म पड़ गयी इसवलए भी हसी होगी

उस घड़ी भगवान न यह गािा कही और यह गािा बराहमण का सनयास बन गयी दफर कषणभर नही

रका दफर बदध क चरणो म समरपमत हो गया दफर बदध क पीछ चल पड़ा

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और बराहमणी भी जो कषणभर पहल बदध स बचान को खड़ी हई िी वह भी दीवकषत हई वह भी सनयसत

हई उसका परम अपन पवत स वसफम िरीर क तल का ही नही रहा होगा िरीर क ही तल का होता तो नाराज

होती गहरा रहा होगा िोड़ा जयादा गहरा रहा होगा और अगर आज पवत सनयसत होता ह और दीकषा क

मागम पर जाता ह तो ठीक ह वह भी जाएगी वनससकोच वनभमय--जो पवत कर रहा ह वह वह भी करगी

यह चौकान वाली बात ह दक जो अभी कषणभर पहल एक बार और भोजन बनान स परिान हो रही िी

वह आज पवत क साि वभकषणी होन को तयार हो गयी ह

मनषय क भीतर ऐस दवदव ह जो सतरी तमहार वलए सजदगी को दभर बना द वही तमहार ऊपर जान भी द

सकती ह जो सतरी तमहार ऊपर अपन जीवन को नयोछावर कर द करोध स भर जाए तो तमह जहर भी वपला

सकती ह

परम क रासत बड़ उलझ हए ह परम क रासत बड़ जरटल ह परम का गवणत सीधा-सीधा नही ह परम क

रासत सीध-साफ नही ह पगडवडयो की तरह ह बड़ उलट-सीध जात ह

एक कषण पहल भोजन पकान म वझझकी िी और एक कषण बाद सब छोड़कर जान म वझझक न हई उस

बराहमणी का परम बदध स तो नही िा लदकन अपन पवत स िा और इसवलए म तमस कहता ह दक परम दकसी स

भी हो तो परमातमा तक जान का मागम बन सकता ह

अपन पवत स परम िा बदध स कछ लना-दना नही िा उसन एक बार भी भगवान की तरह बदध को नही

सोचा वह कहती ह यह गौतम यह शरमण गौतम कहा खड़ा हो गया ह आकर लदकन पवत क परवत उसका मन

वही होगा जो इस दि म सदा स सोचा गया ववचारा गया वजसक कावय वलख गए ह वजसक गीत गाए गए

ह उसन अपन पवत को परमातमा माना होगा और जब उसका परमातमा जाता ह तो उसक वलए भी जाना ह

जहा उसका परमातमा जाता ह वहा उस जाना ह

जस वसतरया इस दि म कभी पवत की वचता पर चढ़कर सती होती रही ऐस इस दि म वसतरया कभी पवत

क साि सनयसत भी हो गयी ह वजसक साि राग जाना उसक साि ववराग भी जानग और वजसक साि सख

जाना उसक साि तपशचयाम भी जानग साि एक बार हो गया तो अब सख हो दक दख घर-दवार हो दक रासता-

-साि हो गया तो साि हो गया इस दि न साि क बड़ अतरग परयोग दकए ह

बदध न कहाः वजसकी नाम-रप--पच-सकध--म जरा भी ममता नही ह और जो उनक नही होन पर िोक

नही करता वह वभकष कहा जाता ह

बड़ी सीधी पररभाषा गवणत की तरह साफः वजसकी नाम-रप म जरा भी ममता नही ह

नाम-रप का अिम होता ह मानवसक और िारीररक मनषय दो अवसिाओ का पज ह--मन और िरीर

सकषम पज मन उसका नाम ह--नाम कयोदक तमहार सकषम पज मन का जो सबस गहरा भाव ह वह ह अहकार-

-म और जो सिल पज ह िरीर उसका नाम ह--रप आदमी दो म डोलता रहता ह--नाम-रप

वजनको हम बड़-बड़ आदमी कहत ह व भी इस अिम म छोट ही छोट होत ह वजनको सामानय जनता बड़

नता कहती ह महातमा कहती ह व भी साधारणतः इनही दो म बध होत ह और इन दो स जो मि हो जाए

वही वभकष

परसो मन जयपरकाि नारायण का एक विवय पढ़ा उनहोन बबई म अपन वमतरो को धनयवाद दत हए

कहा--जनता को धनयवाद दत हए कहा--दक म जनता का सदा-सदा क वलए अनगहीत रहगा कयोदक मर दि

की जनता न ही मर नाम और यि को दवनया क कोनो-कोनो तक फला ददया ह

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जयपरकाि नारायण जसा ववचारिील वयवि भी नाम और यि--उसम ही बधा रह जाता ह धनयवाद भी

दकस बात का द रह हो इसवलए दक लोगो न मर नाम और यि को दवनया क कोनो-कोनो तक फला ददया ह

कया होगा इसस

राजनीवत की लड़ाई अकसर वसदधातो की लड़ाई नही ह वसदधात तो वसफम आड़ होत ह असली लड़ाई तो

अहकारो की लड़ाई ह गहरी लड़ाई तो वयवितवो की लड़ाई ह

यह कछ कागरस और जनता की लड़ाई कोई वसदधातो की लड़ाई नही ह यह वसफम वयवितवो की लड़ाई ह

कौन परवतवित होता ह कौन पद पर बठता ह और इसीवलए दशमन तो दशमन होत ही ह राजनीवत म वमतर भी

दशमन होत ह कयोदक जो पद पर बठा ह उसक आसपास जो वमतर इकटठ होत ह व भी कोविि म लग ह दक

कब धकका द द अब जगजीवनराम को मौका वमल तो मोरारजी को धकका नही दग दक चरणससह को मौका

वमल तो धकका नही दग इनको धकका नही दग तो अपनी छाती म छरा भक जाएगा

व जो पास खड़ ह व भी धकका दन को खड़ ह व दख रह ह दक कब जरा कमजोरी का कषण हो दक द दो

धकका राजनीवत म ितर तो ितर होत ही ह वमतर भी ितर होत ह

जयपरकाि नारायण न मोरारजी को पद पर वबठाया लदकन अभी कछ ददन पहल भोपाल म दकसी न

मोरारजी को पछा दक हमन सना ह दक अब जयपरकाि नारायण महातमा गाधी की अवसिा म पहच गए ह

आप कया कहत ह मोरारजी एकदम कहः नही कोई महातमा गाधी की अवसिा म कभी नही पहच सकता व

अवदवतीय परष ि और दफर जयपरकाि नारायण न ऐसा कोई दावा दकया भी नही ह

जरा इसको सकषम स दखना जरा ऊपर की धल को झाड़कर दखना तम भीतर बड़ अगार पाओग

पहली तो बात यह दक मोरारजी को महातमा गाधी अवदवतीय ि या नही--इसस कोई परयोजन नही ह

गाधी अवदवतीय ि यह बात तो इसवलए कही जा रही ह तादक जयपरकाि नारायण को उनकी जगह पर न रखा

जाए अब वसततः तो मोरारजी चाहग दक व महातमा गाधी हो गए ह--जयपरकाि कहा बीच म आत ह

चीजो को तम सीध दखोग तो कभी नही समझ पाओग

मोरारजी महातमा गाधी ह महातमा गाधी की सब जड़ताए उनम ह और एक जड़ता और जयादा ह--सव-

मतर का पीना व महातमा गाधी स बड़ महातमा ह दफर कहत ह दक जयपरकाि नारायण न इसका कोई दावा

दकया भी नही ह

अब जरा मजा दखनाः अगर जयपरकाि नारायण दावा न कर तो जब दावा ही नही दकया तो कस हो

सकत ह और अगर कल दावा कर तो इसीवलए दफर महातमा गाधी नही हो सकत--दक कही दावदार महातमा

गाधी हए

दखना तकम बड़ा मजदार होता ह दावा नही दकया जयपरकाि नारायण न जस दक महातमा गाधी होन

का दावा करक दफर दकसी अदालत स फसला लना होगा--दक हा य महातमा गाधी हो गए दावा नही दकया

इसवलए कस इसको मानना और अगर दावा कर तो मोरारजी कहग दक दावदार कही महातमा गाधी होत ह

महातमा गाधी तो ऐस ववनमर ि ववनमरता और य दावदार

लदकन असली बात कछ और ह असली बात यह ह दक मोरारजी नही चाहग दक उनस ऊपर कोई

आदमी परवतवित हो उनस ऊपर दकसी का यि हो और महातमा गाधी स दकसको कया लना ह

16

मन सना ह दक महातमा गाधी की हतया क पहल मोरारजी को पता चल गया िा खबर उनको दी गयी

िी कछ भी उनहोन दकया नही वललभ भाई पटल को भी कहत ह खबर वमल गयी िी लदकन कछ दकया

नही

महातमा गाधी क मरन क पहल वललभ भाई पटल राषटरीय सवयसवक सघ की दो सभाओ म गाधी की

आलोचना दकए और राषटरीय सवयसवक सघ की परिसा दकए और वजस ददन गाधी की हतया हई उसक घटभर

पहल गाधी न जो वललभ भाई पटल स कहा िा वह वचन याद करन जसा ह

महातमा गाधी न वललभ भाई पटल को कहा िा--घटभर पहल मरन क--दक सरदार जसा म तमह

जानता िा अब तम वस नही रह तम बदल गए तम अब वही नही हो वजस वयवि को म जानता िा पद पर

पहचकर तम कछ क कछ हो गए

दफर गाधी की हतया हो गयी और इतन ददन हो गए गाधी की हतया हए मोरारजी न एक बार भी इसक

पहल नही कहा दक इसम आरएसएस का कोई हाि नही ह लदकन अब पद पर पहचकर उनहोन कहना िर

कर ददया दक आरएसएस का इसम कोई हाि नही ह दक गोडस तो आरएसएस का सदसय ही नही रहा

िा जब उसन हतया की

यह हो सकता ह दक गोडस सदसय न रहा हो हतया करत वि वसफम इसीवलए तादक अगर कोई अड़चन

हो तो वजममदारी आरएसएस पर न आए वह वसफम इतना ही बताती ह बात दक वह आरएसएस को

बचान की आकाकषा रही होगी भीतर--दक ससिा बदनाम न हो अगर म पकड़ भी जाऊ तो ससिा पर कोई

लाछन न लग

लदकन बड़ मज की बात ह गाधी क भि महातमा गाधी की समावध पर फल चढ़ात ह और यहा अब

आरएसएस को बढ़ावा द रह ह कयोदक आरएसएस न ही उनको परवतवित दकया ह उनको पद पर वबठाया

इस दवनया म सारी खोज पद की ह यि की ह नाम की ह दकसी को और दकसी बात स मतलब नही ह

सबको एक बात स मतलब ह दक म दकसी तरह वसदध करक ददखा द दक म महान ह और जो भी वयवि वसदध

करक ददखाना चाहता ह दक महान ह उसक भीतर हीनता की गरवि ह इनफीररयाररटी कापलकस ह और

कछ भी नही

बदध न कहाः वजसक भीतर स नाम-रप की ममता चली जाए वजस न तो यि की आकाकषा हो न पद की

आकाकषा हो वजसक भीतर सकषम-सिल दोनो म स दकसी क परवत कोई लगाव न रह जाए ऐसा जो ममता स

मि ह वही वभकष ह

और पद-परवतिा नाम-रप सबक खो जान पर जो िोक न कर

कयोदक यह बहत आसान हः जब तम पद पर होत हो तब तम कह सकत हो दक मझ पद इतयादद की

कोई सचता नही ह मझ पद चावहए नही पद पर होन वाल लोग अकसर ऐसी बात कहन लगत ह दक हम पद

स कया पद म कया रखा

पद पर जो पहच जात ह व अकसर ववनमरता ददखान लगत ह तमन अकसर दखा होगाः छोट पद पर

लोग जयादा उपदरवी होत ह बड़ पद पर लोग कम उपदरवी हो जात ह कयोदक अब परवतिा हो ही गयी अब यह

मजा भी ल लो साि म दक हम परवतिा स भी मि ह हम यि का कोई लना-दना नही ह

17

तमन दखा पवलस वाला जयादा झझट खड़ी करता ह इसपकटर िोड़ी कम पवलस कवमशनर और िोड़ी

कम वजतन बड़ पद पर होता ह आदमी उतनी कम झझट करता ह

मन सना हः एक अधा वभखारी राह पर बठा ह रात ह और राजा और उसक कछ सािी राह भल गए

ह व विकार करन गए ि उस गाव स गजर रह ह कोई और तो नही ह वह अधा बठा ह झाड़ क नीच अपना

एकतारा बजा रहा ह और अध क पास उसका एक विषय बठा ह वह उसस एकतारा सीखता ह वह भी

वभखारी ह दोनो वभखारी ह

राजा आया और उसन कहाः सरदासजी फला-फला गाव का रासता कहा स जाएगा दफर वजीर आया

और उसन कहाः अध फला-फला गाव का रासता कहा स जाता ह अध न दोनो को रासता बता ददया पीछ स

वसपाही आया उसन एक रपट लगायी अध को--दक ऐ बडढ रासता दकधर स जाता ह उसन उस भी रासता

बता ददया

जब व तीनो चल गए तो उस अध न अपन विषय स कहा दक पहला बादिाह िा दसरा वजीर िा

तीसरा वसपाही वह विषय पछन लगाः लदकन आप कस पहचान आप तो अध ह उसन कहाः अध होन स

कया होता ह वजसन कहा सरदासजी वह बड़ पद पर होना चावहए उस कोई सचता नही ह अपन को ददखान

की वह परवतवित ही ह लदकन जो उसक पीछ आया उसन कहा अध अभी उस कछ परवतवित होना ह और जो

उसक पीछ आया वह तो वबलकल गया-बीता होना चावहए उसन एक धपप भी मारा रासता पछ रहा ह और

एक धपप भी लगाया वह वबलकल गयी-बीती हालत म होना चावहए वह वसपाही होगा

आदमी जब बड़ पदो पर पहच जाता ह तब तो वह यह भी मजा ल लता ह कहन का दक पद म कया

रखा ह

इसवलए बदध कहत हः पहल तो ममता न हो और इसका परमाण कया होगा जब य चीज छट जाए तो

िोक न हो तभी असली बात पता चलगी दख न हो ममता नही िी तो दख हो ही नही सकता ममता िी

तो ही दख हो सकता ह

वही वभकष कहा जाता ह

बराहमण न सना चरणो म झका और उसन कहा दक मझ सवीकार कर ल मझ भी इस रासत पर ल चल

ममता म रहकर मन दख वलया दख क अवतररि कछ भी नही पाया अब मझ ममता क पार ल चल

ममता िबद पयारा ह अिमपणम ह इसका मतलब होता ह म-भाव मम धन ता मम यानी म चीजो म

बहत म-भाव रखना यह मरा मकान यह मरी पतनी यह मरी दकान यह मरा धमम यह मरी दकताब यह मरा

मददर यह मरा दि यह सब ममता ह जब म-भाव चला जाए

मकान मकान ह मरा कया और दि दि ह मरा कया करान करान ह मरा कया पतनी सतरी ह मरा

कया मरा कछ भी नही ह जब सब मर वगर जात ह तो अचानक तम पाओगः एक चीज अपन आप वगर जाती

ह वह ह म म को समहालन क वलए मरो क डड लग हए ह चारो तरफ स म रटक ही नही सकता वबना मर

क इसवलए वजतना तम चीजो को कह सकत हो मरा वजतनी जयादा चीज तमहार पास ह कहन को मरी उतना

तमहारा म बड़ा होता जाता ह और जब तमहार पास कोई मरा कहन को नही बचता तो म को खड़ रहन की

जगह नही बचती म ततकषण वगर जाता ह

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तम मर को वगराओ म अपन स वगर जाता ह और उस म क वगर जान का नाम--वभकष म का वगर जाना

यानी िनय हो जाना वह जो वभकष क हाि म वभकषापातर ह वह अगर हाि म ही हो तो बकार ह वह उसकी

आतमा म होना चावहए तभी सािमक ह

वदवतीय दशयः

भगवान क अगरणी विषयो म स एक महाकातयायन क विषय करटकणण सोण सिववर कररघर स जतवन

जा भगवान का दिमन कर जब वापस आए तब उनकी मा न एक ददन उनक उपदि सनन क वलए वजजञासा की

और नगर म भरी बजवाकर सबक साि उनक पास उपदि सनन गयी वजस समय वह उपदि सन रही िी

उसी समय चोरो क एक बड़ वगरोह न उसक घर म सध लगाकर सोना-चादी हीर-जवाहरात आदद ढोना िर

कर ददया एक दासी न चोरो को घर म परवि दकया दख उपावसका को जाकर कहा

उपावसका हसी और बोलीः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

चोरो का सरदार जो दक दासी क पीछ-पीछ उपावसका की परवतदकरया दखन आया िा यह सनकर ठगा

रह गया अवाक रह गया उसन तो खतर की अपकषा की िी

वह उपावसका बड़ी धनी िी उस नगर की सबस धनी वयवि िी उसक इिार पर हजारो लोग चोरो को

घर लत चोरो का भागना मवशकल हो जाता चोरो का सरदार तो डर क कारण ही पीछ-पीछ गया िा दक अब

दख कया होता ह यह उपावसका कया परवतदकरया करती ह

और उपावसका न कहाः दख जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

सवभावतः चोरो का सरदार अवाक रह गया उसन तो खतर की अपकषा की िी लदकन उपावसका क व

िोड़ स िबद उसक जीवन को बदल गए उन िोड़ स िबदो स जस वचनगारी पड़ गयी जस दकसी न उस सोत

स जगा ददया हो जस एक सपना टट गया जस पहली बार आख खली और सरज क दिमन हए वह जागा इस

सतय क परवत दक सोना-चादी हीर-जवाहरातो स भी जयादा कछ मलयवान जरर होना चावहए अनयिा हम

हीर-जवाहरात ढो रह ह और यह उपावसका कहती हः जा चोरो को जो ल जाना हो ल जान द उपदि म

ववघन मत डाल जरर यह कछ पा रही ह जो हीर-जवाहरातो और सोना-चादी स जयादा मलयवान ह यह तो

इतना सीधा गवणत ह

उसन लौटकर अपन सावियो को भी यह बात कही--दक हम कड़ा-ककम ट ढो रह ह सोना वहा लट रहा ह

कयोदक उपावसका न कहाः जा ल जान द उनको जो ल जाना ह त उपदि म ववघन मत कर वहा कछ अमत

बरस रहा ह वमतरो हम भी चल वहा कछ वमल रहा ह उस सतरी को वजसकी हम कोई भी खबर नही ह कोई

भीतरी सपदा बरसती ह कछ लट रहा ह वहा और हम कड़ा-ककम ट

उनह भी बात जची दफर उनहोन चराया हआ सामान पनः पवमवत रखा और सभी धमम-सभा म आकर

उपदि सनन बठ गए वहा उनहोन अमत बरसत दखा वहा उनहोन अलौदकक सपदा दखी उस दफर उनहोन जी

भरकर लटा चोर ही ि दफर लटन म उनहोन कोई कमी नही की कोई दकानदार नही ि दक लटन म डरत

उनहोन ददल भरकर लटा उनहोन ददल भरकर पीया िायद जनमो-जनमो स इसी सपदा की तलाि िी

इसीवलए चोर बन घमत ि

दफर सभा की समावि पर व सब उपावसका क परो पर वगरकर कषमा माग चोरो क सरदार न उपावसका

स कहाः आप हमारी गर ह अब हम अपन बट स परवरजया ददलवाए उपावसका अपन पतर स परािमना कर उनह

19

दीवकषत करायी व चोर अवत आनददत ि और सनयसत हो एकात म वास करन लग मौन रहन लग और धयान म

डबन लग उनहोन िीघर ही धयान की सपदा पायी

भगवान न य सतर इनही भतपवम और अभतपवम चोरो स कह ि

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

छततवा रागच दोसच ततो वनबबाणमवहवस

ह वभकष इस नाव को उलीचो उलीचन पर यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी राग और दवष को वछि

कर दफर तम वनवामण को पराि कर लोग

पच वछनद पच जह पच चततरर भावय

पच सगावतगो वभकख ओघवतणणोवत वचचवत

जो पाच को काट द पाच को छोड़ पाच की भावना कर और पाच क सग का अवतकरमण कर जाए उसी

को बाढ़ को पार कर गया वभकष कहत ह

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

यवमह झानच पजा च स व वनबबाणसवनतक

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता धयान न करन वाल को परजञा नही होती वजसम धयान और परजञा

ह वही वनवामण क समीप ह

पहल घटना को समझ

भगवान क अगरणी विषयो म स एक महाकातयायन क विषय करटकणण सोण कररघर स जतवन जा

भगवान का दिमन करक जब वापस आए तब उनकी मा न एक ददन उनक उपदि सनन क वलए वजजञासा की

और नगर म भरी बजवाकर सबक साि उनक पास उपदि सनन गयी

ऐस ि व ददन बदध की तो मवहमा िी ही बदध क दिमन करक भी कोई अगर लौटता िा तो वह भी

मवहमावान हो जाता िा ऐस ही जस कोई फलो स भर बगीच स गजर तो उसक वसतरो म फलो की गध आ

जाती ह ऐस ही कोई बदध क पास स आए तो उसम िोड़ी सी तो गध बदध की समा ही जाती

तो यह करटकणण सोण अपन गाव स बदध क दिमन करन को गए वहा स जब लौट वापस तो उनकी मा

न कहाः तम धनयभागी हो तम बदध क विषय महाकातयायन क विषय हो तम महाधनयभागी हो तम बदध क

दिमन करक लौट हम इतन धनयभागी नही चलो हम फल न वमल तो फल की पाखड़ी वमल तम जो लकर

आए हो हमस कहो सरज क दिमन िायद हम न हो तम जो िोड़ी सी जयोवत लाए हो उस जयोवत क दिमन

हम कराओ तो उसन परािमना की दक तमन जो सना हो वहा वह दोहराओ हमस कहो

और दसरी बातः वह अकली सनन नही गयी उसन सार गाव म भरी दफरवा दी और कहा दक करटकणण

बदध क पास होकर आए ह िोड़ी सी बदधतव की सपदा लकर आए ह व बाटग सब आए

20

ऐस ि व ददन कयोदक जब परम धन लटता हो बटता हो तो अकल-अकल नही भरी बजाकर सबको

वनमवतरत करक इस जगत की जो सपदा ह उसम दसरो को वनमवतरत नही दकया जा सकता कयोदक व बाट

लग तो तमहार हाि कम पड़गी उस जगत की जो सपदा ह अगर तमन अकल ही उसको अपन पास रखना

चाहा तो मर जाएगी मदाम हो जाएगी सड़ जाएगी तमह वमलगी ही नही उस जगत की सपदा उस ही

वमलती ह जो वमलन पर बाटता ह जो वमलन पर बाटता चला जाता ह जो वजतना बाटता ह उतनी सपदा

बढ़ती ह

इस जगत की सपदा बाटन स घटती ह उस जगत की सपदा बाटन स बढ़ती ह इस सतर को खयाल

रखना

तो भरी बजवा दी सार गाव को लकर उपदि सनन गयी सवभावतः सारा गाव उपदि सनन गया

चोरो की बन आयी गाव म कोई िा ही नही सारा गाव उपदि सनन गाव क बाहर इकटठा हआ िा चोरो न

सोचाः यह अवसर चक जान जसा नही ह व उपावसका क घर म पहच गए बड़ा वगरोह लकर ठीक सखया

बौदध-गरिो म ह--एक हजार चालीस कयोदक उपावसका महाधनी िी उसक पास इतना धन िा दक ढोत-

ढोत ददन लग जात तो ही व ल जा सकत ि

तो एक हजार चोर इकटठ उसक घर पर हमला बोल ददए सब तरफ स दीवाल तोड़कर व अदर घस गए

वसफम एक दासी घर म छटी िी उसन इतना बड़ा वगरोह दखा तो भागी व चोर सोना-चादी हीर-जवाहरात

ढो-ढोकर बाहर ल जान लग दासी न जाकर उपावसका को कहा

दासी घबड़ायी होगी पसीना-पसीना हो रही होगी सब लटा जाता ह लदकन उपावसका हसी और

बोलीः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

इस दि न एक ऐसी सपदा भी जानी ह वजसक सामन और सब सपदाए फीकी हो जाती ह इस दि को

ऐस हीरो का पता ह वजनक सामन तमहार हीर ककड़-पतिर ह इस दि न धयान का धन जाना और वजसन

धयान जान वलया उसक वलए दफर और कोई धन नही ह वसफम धयान ही धन ह इस दि न समावध जानी और

वजसन समावध जानी वह समराट हआ उस असली सामराजय वमला

तम समराट भी हो जाओ ससार म तो वभखारी ही रहोग और तम भीतर क जगत म वभखारी भी हो

जाओ तो समराट हो जाओग ऐसा अदभत वनयम ह

उस कषण उपावसका रस-ववमगध िी उसका बटा लौटा िा बदध क पास होकर बदध की िोड़ी सवास

लाया िा बदध का िोड़ा रग लाया िा बदध का िोड़ा ढग लाया िा वह जो कह रहा िा उसम बदध क वचनो

की भनक िी वह लवलीन होकर सनती िी वह परी डबी िी वह दकसी और लोक की तरफ आख खोल बठी

िी उस दकसी ववराट सतय क दिमन हो रह ि उस एक-एक िबद हदय म जा रहा िा और रपातररत कर रहा

िा उसक भीतर बड़ी रासायवनक परदकरया हो रही िी वह दह स आतमा की तरफ मड़ रही िी वह बाहर स

भीतर की तरफ मड़ रही िी

उसन कहाः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल ऐसा तो कोई तभी

कह सकता ह जब ववराट वमलन लग

और म तमस कहता हः कषदर को छोड़ना मत ववराट को पहल पान म लगो कषदर अपन स छट जाएगा

तमस म नही कहता दक तम घर-दवार छोड़ो म तमस मददर तलािन को कहता ह म तमस नही कहता दक तम

21

धन-दौलत छोड़ो म तमस धयान खोजन को कहता ह वजसको धयान वमल जाएगा धन-दौलत छट ही गयी

छटी न छटी--अिमहीन ह बात उसका कोई मलय ही न रहा

आमतौर स तमस उलटी बात कही जाती ह तमस कहा गया ह दक तम पहल ससार छोड़ो तब तम

परमातमा को पा सकोग म तमस कहना चाहता हः तम ससार छोड़ोग तम और दखी हो जाओग वजतन तम

दखी अभी हो परमातमा नही वमलगा लदकन अगर तम परमातमा को पा लो तो ससार छट जाएगा

अधर स मत लड़ो दीए को जलाओ अधर स लड़ोग दीया नही जलगा अधर स लड़ोग--हारोग िकोग

बड़ परिान हो जाओग ऐस ही तो तमहार सौ म स वननयानब महातमाओ की दिा ह और परिान हो गए

तमस जयादा परिान ह

तमह यह बात ददखायी नही पड़ती--दक कभी-कभी साधारण गहसि क चहर पर तो कछ आनद का भाव

भी ददखायी पड़ता ह तमहार तिाकवित साध-सनयावसयो क चहर पर तो आनद का भाव वबलकल खो गया ह

एकदम जड़ता ह एकदम गहरी उदासी सब जस मरसिल हो गया कया कारण ह

बात तो करत ह दक सब छोड़ दन स आनद वमलगा वमला कहा ह तमन दकसी जन मवन को नाचत

दखा ह परसि दखा ह आनददत दखा ह छोड़कर वमला कया ह

छोड़न स वमलन का कोई सबध नही ह बात उलटी हः वमल जाए तो छट जाता ह दीया जलाओ और

अधरा अपन स नषट हो जाता ह

ऐसी ही घटना उस उपावसका को घट रही िी वह तललीन िी उस धीर-धीर- धीर उस रस का सवाद

आ रहा िा इस घड़ी म यह खबर आयी दक सब धन लटा जा रहा ह उसन कहाः ल जान द उनको सब अब

कोई सचता की बात नही त मरी इस भावदिा म ववघन न डाल

चोरो का सरदार भी पीछ-पीछ चला आया िा उपावसका की परवतदकरया दखन वह तो सनकर अवाक रह

गया वह तो रठठक गया

अकसर ऐसा हो जाता ह दक पापी तमहार तिाकवित पणयातमाओ स जलदी रपातररत हो जात ह

वालमीदक और अगवलमाल और अकसर ऐसा हो जाता ह दक अपरावधयो म एक तरह की सरलता होती ह जो

तमहार परवतवित कह जान वाल लोगो म नही होती परवतवित लोग तो चालाक चालबाज कपटी पाखडी होत

ह लदकन वजनको तम अपराधी कहत हो उनम कपट नही होता चालबाजी नही होती कपट और चालबाजी

ही होती तो व पकड़ ही कयो जात पहली बात वजनम कपट और चालबाजी ह व तो पकड़ नही गए व तो

बड़ सिानो म बठ ह व तो ददलली म ववराजमान ह

जो पकड़ जात ह व सीध-साद लोग ह इसीवलए पकड़ जात ह दवनया म छोट अपराधी पकड़ जात ह

बड़ अपराधी तो परधानमतरी और राषटरपवत बन जात ह दवनया म छोट अपराधी जलखानो म वमलग बड़

अपरावधयो क नाम पर इवतहास वलख जात ह नपोवलयन और वसकदर और चगज और नाददर और सटवलन

और वहटलर और माओ--सब हतयार ह लदकन उनक नाम पर इवतहास वलख जात ह उनकी गण-गािाए गायी

जाती ह

छोट-मोट अपराधी जलो म सड़त ह बड़ अपराधी इवतहास क वनमामता हो जात ह तमहारा सारा

इवतहास बड़ अपरावधयो की किाओ का इवतहास ह और कछ भी नही असली इवतहास नही ह असली

इवतहास वलखा नही गया असली इवतहास वलखा जा सक ऐसी अभी मनषय की वचततदिा नही ह

22

अगर असली इवतहास वलखा जा सक तो बदध होग उस इवतहास म महावीर होग कबीर होग नानक

होग दाद होग मीरा होगी सहजो होगी कराइसट जरिसतर लाओतस और वागतस--ऐस लोग होग ररझाई

नारोपा वतलोपा--ऐस लोग होग फावसस इकहाटम िरसा--ऐस लोग होग मोहममद रावबया बायजीद

मसर--ऐस लोग होग

लदकन ऐस लोगो का तो कछ पता नही चलता फट नोट भी इवतहास म उनक वलए नही वलख जात

उनका नाम भी लोगो को जञात नही ह इस पथवी पर अनत सत हए ह उनका नाम भी लोगो को जञात नही ह

और व ही असली इवतहास ह व ही असली नमक ह पथवी क उनक कारण ही मनषय म िोड़ी गररमा और

गौरव ह

चोर आया परधान िा चोरो का उसन यह बात सनी वह भरोसा न कर सका उसन तो सदा जाना दक

धन सोना-चादी हीर-जवाहरात म ह तो यहा कोई और धन बट रहा ह हम इसका सब लट वलए जा रह ह

और यह कहती ह जा--हसकर--ल जान द चोरो को कड़ा-ककम ट ह यहा त ववघन मत डाल मर धयान म खलल

खड़ी न कर मझ चका मत एक िबद भी चक जाएगा तो म पछताऊगी वह सारी सपवतत चली जाए यह एक

िबद सनायी पड़ जाए तो बहत ह चोर रठठक गया

मर दख अपराधी सदा ही सीध-साद लोग होत ह उनम एक तरह की वनदोषता होती ह एक तरह का

बालपन होता ह वह रठठक गया तो उसन कहाः दफर हम भी कयो न लट इसी धन को तो हम कब तक वही

हीर-जवाहरात लटत रह जब इसको उनकी सचता नही ह तो जरर कछ मामला ह कछ राज ह हम कछ

गलत खोज रह ह

वह भागा गया उसन अपन सावियो को भी कहा--दक म तो जाता ह सनन तम आत हो कयोदक वहा

कछ बटता ह मझ समझ म नही आ रहा ह अभी दक कया बट रहा ह कछ सकषम बरस रहा होगा वहा अभी

मरी समझ नही ह दक साफ-साफ कया हो रहा ह लदकन एक बात पककी ह दक कछ हो रहा ह कयोदक हम यह

सब वलए जा रह ह और उपावसका कहती हः ल जान दो लदकन मर धयान म बाधा मत डालो यहा म सनन

बठी ह धमम-शरवण कर रही ह इसम खलल नही चावहए तो जरर उसक भीतर कोई सगीत बज रहा ह जो

बाहर स ददखायी नही पड़ता और भीतर कोई रसधार बह रही ह जो बाहर स पकड़ म नही आती हम भी

चल तम भी चलो हम कब तक यह कड़ा-ककम ट इकटठा करत रहग तो हम अब तक ठीक धन का पता नही िा

िायद चोर भी ठीक धन की तलाि म ही गलत धन को इकटठा करता रहता ह यही मरा कहना ह इस

दवनया म सभी लोग असली धन को ही खोजन म लग ह लदकन कछ लोग गलत चीजो को असली धन समझ

रह ह तो उनही को पकड़त ह वजस ददन उनको पता चल जाएगा दक यह असली धन नही ह उसी ददन उनक

जीवन म रपातरण करावत नए का आववभामव हो जाएगा उस ददन उन चोरो क जीवन म हआ

उनहोन सब जो ल गए ि बाहर जलदी स भीतर पवमवत रख ददया भाग धमम-सभा की ओर सना

पहली बार सना कभी धमम-सभा म गए ही नही ि धमम-सभा म जान की फसमत कस वमलती जब लोग धमम-

सभा म जात तब व चोरी करत तो धमम-सभा म कभी गए नही ि पहली बार य अमत-वचन सन

खयाल रखना अगर पवडत होत िासतरो क जानकार होत तो िायद कछ पता न चलता तमस म दफर

कहता हः पापी पहच जात ह और पवडत चक जात ह कयोदक पापी सन सकत ह उनक पास बोझ नही ह

जञान का उनक पास िबदो की भीड़ नही ह उनक पास वसदधातो का जाल नही ह

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पापी इस बात को जानता ह दक म अजञानी ह इस कारण सन सकता ह पवडत सोचता हः म जञानी ह म

जानता ही ह इसवलए कया नया होगा यहा कया नया मझ बताया जा सकता ह मन वद पढ़ मन उपवनषद

पढ़ गीता मझ कठसि ह यहा मझ कया नया बताया जा सकता ह इसवलए पवडत चक जाता ह

धनयभागी ि दक व लोग पवडत नही ि और चोर ि जाकर बठ गए अवाक होकर सना होगा पहल

सना नही िा कछ पवम-जञान नही िा वजसक कारण मन खलल डाल

उनहोन वहा अमत बरसत दखा वहा उनहोन अलौदकक सपदा बटत दखी उनहोन जी भरकर उस लटा

चोर ि िायद इसी को लटन की सदा कोविि करत रह ि बहत बार लटी िी सपवतत लदकन वमली नही िी

इसवलए चोरी जारी रही िी आज पहली दफ सपवतत क दिमन हए

दफर सभा की समावि पर व सब उपावसका क परो पर वगर पड़ कषमा मागी धनयवाद ददया और चोरो

क सरदार न उपावसका स कहाः आप हमारी गर ह आपक व िोड़ स िबद--दक जा चोरो को ल जान द जो ल

जाना हो आपकी वह हसी और आपका वह वनममल भाव और आपकी वह वनवामसना की दिा और आपका यह

कहना दक मर धमम-शरवण म बाधा न डाल--हमार जीवन को बदल गयी आप हमारी गर ह अब हम अपन बट

स परवरजया ददलाए हम सीध न मागग सनयास हम आपक दवारा मागग आप हमारी गर ह

उपावसका अपन पतर स परािमना कर उनह दीवकषत करायी व चोर अवत आनददत ि उनक जीवन म इतना

बड़ा रपातरण हआ--आनद की बात िी जस कोई अधर गतम स एकदम आकाि म उठ जाए जस कोई अधर

खाई-खडडो स एकदम सयम स मवडत विखर पर बठ जाए जस कोई जमीन पर सरकता-सरकता अचानक पख पा

जाए और आकाि म उड़

उनक आनद की कोई सीमा नही िी कयोदक कोई चोरी करता रह--दकतनी ही चोरी कर और दकतना

ही किल हो और दकतना ही सफल हो और दकतना ही धन इकटठा कर--चोरी काटती ह भीतर चोरी दि दती

ह कछ म बरा कर रहा ह यह पीड़ा तो घनी होती ह पतिर की तरह छाती पर बठी रहती ह

चोर जानता ह--चोर नही जानगा तो कौन जानगा--दक कछ गलत म कर रहा ह करता ह करता चला

जाता ह वजतना करता ह उतना ही गलत का बोझ भी बढ़ता जाता ह आज सब बोझ उतर गया

सनयसत हए व दीवकषत हए व व अवत आनददत ि व परवरवजत हो एकात म वास करन लग मौन रहन

लग धयान म डबन लग ससार उनहोन परी तरह दख वलया िा सब तरह दख वलया िा बरा करक भला

करक सब दख वलया िा अब करन को कछ बचा नही िा अब व न-करन म उतरन लग

एकात का अिम ह न-करना मौन का अिम ह न-करना धयान का अिम ह न-करना अब व िात िनय म

डबन लग

उनहोन िीघर ही धयान की िाशवत सपदा पायी बौदध किा तो ऐसा कहती ह दक बदध को आकाि स

उड़कर जाना पड़ा मन छोड़ ददया उस बात को तमह भरोसा न आएगा नाहक तमह िका क वलए कयो कारण

दन लदकन कहानी मीठी ह इसवलए एकदम छोड़ भी नही सकता याद ददलाऊगा ही

कहानी तो यही ह दक उन चोरो न जगल म बठकर उनहोन बदध को दखा ही नही उनहोन तो

उपावसका को गर मान वलया उपावसका क माधयम स उसक बट सोण स दीवकषत हो गए उनहोन बदध को दखा

नही ह लदकन उनकी परगाढ़ धयान की दिा--बदध को जाना पड़ा हो आकाि-मागम स तो कछ आशचयम नही

करोग कया जाना ही पड़गा

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म यह नही कह रहा ह दक आकाि-मागम स गए ही होग मगर जो म कह रहा ह वह यह दक बदध को

जाना ही पड़गा इतन धयान की गहराई और ऐस साधारणजनो म ऐस पावपयो म बदध सखच चल आए होग

आना ही पड़ा होगा

आकाि-मागम स आन की किा इतना ही बताती ह दक बदध को उड़कर आना पड़ा इतनी जलदी आना

पड़ा दक िायद पदल चलकर आन म दर लगगी उतनी दर नही की जा सकती और य चोर--इसवलए कहता ह

इनको भतपवम और अभतपवम--य चोर ऐसी महान गहराई म उतरन लग दक बदध को लगा दक और िोड़ी दर हो

गयी तो लाछन होगा इसवलए जाना पड़ा होगा

उनहोन जाकर य सतर इन चोरो स कह ि

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

ह वभकष इस नाव को उलीचो उलीचन पर यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी

दकस नाव की बात कर रह ह यह जो मन की नाव ह इसको उलीचो इसम कछ न रह जाए इसम

कामना न हो वासना न हो महतवाकाकषा न हो इसम खोज न हो इसम माग न हो इसम परािमना न हो इसम

ववचार न हो इसम भाव न हो इसम कछ भी न बच उलीचो वभकषओ ससच वभकख इस नाव स सब उलीच

दो इस नाव को वबलकल खाली कर लो िनय कर लो यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी

राग और दवष को वछि कर दफर तम वनवामण को पराि हो जाओग

यह नाव हलकी हो जाए इतनी हलकी दक इसम कोई वजन न रह जाए तो इसी कषण वनवामण उपलबध

हो जाता ह िनय मन का ही दसरा नाम ह--वनवामण जहा मन िनय ह वहा सब पणम ह जहा मन भरा ह वहा

सब अधरा ह

जो पाच को काट द वभकषओ पाच को छोड़ द वभकषओ पाच की भावना कर वभकषओ और पाच क सग

का अवतकरमण कर जाए वभकषओ उसी को बाढ़ को पार कर गया वभकष कहत ह वही उस पार चला गया

य पाच कया ह

जो पाच को काट द वभकषओ--पच वछनद

पाच चीज बदध न काटन योगय कही हः सतकाय दवषट--दक म िरीर ह वववचदकतसा सदह शरदधा का

अभाव िीलवरत परामिम--दसरो को सलाह दना िील और वरत की और सवय अनगमन न करना काम-राग और

वयापाद--सदा कामना स भर रहना यह पा ल वह पा ल ऐसा हो जाऊ वसा हो जाऊ वयापाद--और सदा

वयसत कभी कषणभर को ववराम नही य पाच चीज छद दन जसी ह इनको छदय-पचक कहा

दफर पाच को छोड़ द जो--हय-पचक रप-राग अरप-राग मान औदधतय और अववदया

रप का आकषमण पानी पर उठ बबल जसा ह रप सबह फल वखला साझ गया अभी कोई सदर िा

यवा िा अभी बढ़ा हो गया

अरप रागः और ऐसा न हो दक रप स राग छट सौदयम स राग छट तो तम असौदयम स राग को बाध लो

करप का राग करन लगो वह भी भल हो गयी ऐस लोग भी ह जो रप स राग छोड़ दग तो अरप क राग म

पड़ जाएग वह भी छट जाना चावहए

मान--अहकार औदधतय--वजदद हठ और अववदया अववदया का अिम ह सवय को न जानना इन पाच को

हय-पचक

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और दफर पाच को कहा ह--भावना इनकी भावना करनी भावय-पचक शरदधा वीयम समवत समावध और

परजञा

शरदधाः एक सरल भरोसा--अवसततव पर सवय पर जीवन पर

वीयमः ऊजाम मद-मद नही जीना चावहए ऐसा जीना चावहए जस मिाल दोनो तरफ स जलती हो

ऊजाम--वीयम

समवतः होिपवमक जीना चावहए एक-एक बात को समरणपवमक करना चावहए

समावधः समाधान वचतत की दिा जहा कोई समसया न रही कोई परिन न रह उततर की कोई तलाि न

रही जहा सब ववचारो की तरग िात हो गयी जहा मन न रहा मनन न रहा तो मन न रहा--समावध

और परजञाः और जहा समावध घटती ह वही तमहार भीतर अतःपरजञा का दीया जलता ह

य पाच भावन योगय ह

और उललघय-पचक और पाच का अवतकरमण कर जाना हः राग दवष मोह मान वमथया-दवषट

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता ह धयान न करन वाल को परजञा नही होती ह वजसम धयान और

परजञा ह वही वनवामण क समीप ह

य दो िबद बड़ बहमलय ह--धयान और परजञा

ऐसा समझो दक दीया जलाया तो दीए का जलना तो धयान ह और दफर जो रोिनी दीए की चारो तरफ

फलती ह वह परजञा य सयि ह

इसवलए बदध कहत ह--

नवति झान अपासस

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता

कयोदक ऐसी तमन कोई जयोवत दखी वजसम परभा न हो वबना परभा क जयोवत कस होगी परभाहीन

जयोवत नही होती जहा दीया जलगा वहा रोिनी भी होगी ऐसा नही हो सकता दक दीया जल और रोिनी न

हो इसस उलटा भी नही हो सकता दक रोिनी हो और दीया न जल

इसवलए बदध कहत ह--

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

परजञाहीन मनषय को धयान नही और धयान न करन वाल को परजञा नही

धयान और परजञा ऐस ही जड़ ह जस मरगी और अडा वबना मरगी क अडा नही वबना अड क मरगी

नही इसवलए बदध कहत ह दक तम यह मत पछो दक पहल कया पीछ कया व दोनो साि-साि ह सयि ह

यगपत घटत ह

वजसम धयान और परजञा ह वही वनवामण को उपलबध हो जाता ह

वनवामण यानी उसका अधरा वमट जाता ह उसक जीवन म दफर रोिनी ही रोिनी हो जाती ह

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इन वभकषओ को जो कभी चोर ि बदध न य अभतपरव वचन कह व करीब पहच रह ि आवखरी कषण

आ रहा िा नाव को जरा और उलीचना िा कछ िोड़ी सी चीज छदनी िी कछ िोड़ी सी चीज छोड़नी िी

कछ िोड़ी सी चीज अवतकरमण करनी िी कछ िोड़ी सी चीज भावना करनी िी उस आवखरी घड़ी म बदध क

सहार की जररत िी

सदगर क सहार की जररत दो जगह सवामवधक हः पहली घड़ी म और अवतम घड़ी म मधय का मागम

इतना करठन नही ह पहली घड़ी करठन अवतम घड़ी करठन और य दोनो घटनाए दोनो क सबध म ह

पहली पहली घड़ी क सबध म बराहमण भोजन करन बठा ह उसक भीतर वनशचय का उदय हो रहा ह

और बदध का जाना--वह पहली घड़ी िी वहा पहला धकका चावहए एक दफा आदमी चल पड़ तो चलता जाता

और यह दसरी घटना आवखरी घड़ी की व चोर धयान म गहर उतरत-उतरत समावध क करीब पहच रह

ि आवखरी घड़ी करीब आ रही िी उनको आवखरी धकका चावहए तादक व महािनय म वनवामण म ववलीन हो

जाए

इन पर मनन करना य सतर तमहार जीवन म भी ऐसी ही करावत ला सकत ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ चौदह परवचन

जीन की कला

पहला परशनः आतमा और परमातमा को असवीकार करन वाल गौतम बदध धमम-गगा को पथवी पर उतार

लान वाल ववरल भगीरिो म वगन गए और आपन अपन धममपद-परवचन को नाम ददया--एस धममो सनतनो

धममपद-परवचन क इस समापन-पवम म हम सकषप म एक बार दफर इस धमम को समझान की अनकपा कर

आतमा और परमातमा को मानना--वसततः दकसी भी चीज को मानना--कमजोरी और अजञान का लकषण

ह मानना ही अजञान का लकषण ह जानन वाला मानता नही जानता ह मानन की कोई जररत नही मानन

वाला जानता नही जानता नही इसीवलए मानता ह

मानन और जानन क फकम को खब गहर स समझ लना मानन स जानन की भरावत पदा हो जाती ह वह

ससता उपाय ह वह झठी दवा ह

मान वलया--ईशवर ह इस मानन म बड़ी तरकीब ह मन की अब जानन की कोई जररत न रही मानन

स जानन का भरम खड़ा कर वलया मानत रह वषो तक दोहरात रह दक ईशवर ह दोहरात रह दक ईशवर ह--

मददर और मवसजद म और वगरज और गरदवार म--तो धीर-धीर भल ही जाओग दक मझ पता नही ह बार-बार

दोहरान स ऐसी परतीवत होन लगगी दक हा ईशवर ह

मगर यह तमहारी पनरवि ह यह तमहारा ही मनोभाव ह जो सघन हो गया यह आतम-सममोहन ह

यह आटो-वहपनोवसस ह यह कवल ससकार मातर ह तम कही पहच नही तम बदल नही तमहार जीवन म कोई

करावत नही हई तम वस क वस हो वसफम तमन एक आवरण ओढ़ वलया तमन राम-नाम चदररया ओढ़ ली

भीतर तम ठीक वस हो जस पहल ि तमन ववशवास का वसतर ओढ़ वलया

दकसको धोखा द रह हो और तमन मलतः अपन को एक भरावत और झठ क साि बाध वलया

वजस ददन पहली बार तमन माना दक ईशवर ह--वह झठ िा कयोदक तमन वबना जान माना िा तमन

बईमानी की हदद कर दी

तम ससार म धोखा-धड़ी करत ि--ठीक तम बाजार-दकान पर धोखा-धड़ी करत ि--ठीक तम मददर म

भी अपना झठ ल आए तम तो न बदल मददर म आकर तमन मददर का ही रप बदल ददया मददर भी ववकत

हआ भरषट हआ तमहार साि तम तो न तर सक नाव को लकर नाव को डबा बठ आप डबत पाड ल डब

जजमान

और जब पहल ददन ही बात झठ िी तो दोहरात-दोहरात अवतम ददन कस सच हो जाएगी झठ

दोहरान स सच होता ह लाख दोहराओ झठ झठ ह लदकन झठ दोहरान स परतीत होता ह दक सच हो गया

अडोलफ वहटलर न यही अपनी आतमकिा मन कमफ म वलखा ह दक झठ को दोहरात जाओ दोहरात-

दोहरात एक ददन सच हो जाता ह सनो ही मत दकसी की दोहरात जाओ

बार-बार सनन स लोगो को भरोसा आन लगता ह दक सच ही होगा--जब इतनी जगह दोहराया जा रहा

ह इतन लोग दोहरा रह ह इतन मददर-मवसजद इतन पवडत-परोवहत इतन मौलवी दोहरा रह ह एक ही

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बात मा-बाप सकल समाज ससकवत--सब दोहरा रह हः ईशवर ह इस दोहरान वालो की जमात म तमन भी

दोहराना िर कर ददया और धीर-धीर लगगा दक सच हो गया ह लदकन झठ कभी सच नही होता

दोहरान स कस कोई बात सच हो सकती ह तम लाख दोहरात रहो दक यह पतिर गलाब का फल ह

पतिर पतिर ह गलाब का फल नही होगा लदकन यह हो सकता ह दक बहत बार दोहरान स तमह गलाब का

फल ददखायी पड़न लग वह झठा गलाब का फल होगा वह सपना ह जो तमन पतिर पर आरोवपत कर वलया

कछ ददन मत दोहराओ दफर पतिर पतिर हो जाएगा पतिर कभी कछ और हआ ही न िा पतिर पतिर ही

िा वसफम दोहरान स तम भरावत म पड़ ि

सब चीज तमन झठ कर डाली ह तमन धमम भी झठ कर डाला ह

इसवलए बदध कहत हः न तो ईशवर को मानन की जररत ह न आतमा को मानन की जररत ह मानन

की जररत ही नही ह मानन की जड़ काटन क वलए उनहोन कहा ईशवर नही ह आतमा नही ह

ऐसा नही दक ईशवर नही ह ऐसा नही दक आतमा नही ह ऐसा तो बदध कस कहग बदध जानत ह

लदकन तमहारी भरावतया बहत हो चकी और उनकी जड़ काटनी जररी ह और एक ही तरह स जड़ कट

सकती ह--दक बदध जसा परष कह द दक नही कोई ईशवर ह और नही कोई आतमा ह तादक तम झकझोर जाओ

तादक तमहारी भरावत क बाहर तम आओ तादक तमन जो झठ वनरममत कर वलए ह और झठो क आधारो पर जो

भवन खड़ कर वलए ह व वगर जाए तमहार ताि क पततो स बन घर को फक मारी बदध न तमहारी कागज की

नावो को डबा ददया तमहार सामन बरहमी स डबा ददया

इसवलए तो यह दि बदध को माफ नही कर पाया इस दि न बदध को इस दि स ही उखाड़ फका

जो तमहार ताि क महलो को वगराएगा उसस तम नाराज हो ही जाओग जो तमहार सपनो को तोड़गा

और तमह नीद स उठाएगा उसक तम दशमन हो ही जाओग और जसा अिक परयास बदध न दकया दकसी और

न कभी नही दकया

बदध की चोट सघातक ह जो वहममतवर ि और वजनहोन झल ली अपनी छाती पर व नए हो गए उनका

नया जनम हो गया जो कमजोर ि व करदध हो गए जो कमजोर ि उनहोन बदला वलया बदध क सामन तो न

ल सक लदकन बदध क जान पर बदला वलया

वजस दि म बदध जसा वयवि पदा हआ उस दि म बौदधो का नाम मातर न बचा यह कस हआ होगा

जरर इस दि क मन म बड़ी परवतदकरया हई होगी--दक हमारा भगवान झठ हमारी आतमा झठ हमार िासतर

झठ हमार वद झठ हम झठ सब झठ वसफम यह एक आदमी गौतम बदध सच

ऐसा बदध न कहा नही िा दक वसफम म सच बदध न इतना ही कहा िाः मानयता झठ जानना सच

ववशवास झठ बोध सच यही बदधतव क धमम का सार ह

बोध सच जागो जागकर दखो मानकर मत दखो कयोदक मानकर दखन स तो तमहारी आख पर चशमा

हो जाता ह--मानन का चशमा तमन मान वलया दक जगत लाल ह और मानत चल गए और लाल को ही दखत

चल गए दखन की चषटा करत रह समहालत रह इसी को तो लोग साधना कहत ह--लाल को दखन की चषटा

दफर एक ददन तमह लाल ददखायी पड़न लगा हर वकष लाल मालम होन लग नीला आकाि लाल मालम होन

लगा तब तमन समझा दक अब पहच गए

कही नही पहच तम और भटक गए तम और वगर गए तम जहा ि वहा स भी पीछ फफक गए

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आख खोलो और ववशवासो की धल झाड़ दो बदध का सदि सीधा-साफ ह आख हो और ववशवास-मि हो

चतनय हो और ससकार-मि हो बोध हो और ववचार-मि हो बस दफर जो ह वही ददखायी पड़ जाएगा

जो ह उसको बदध न नाम भी नही ददया कयोदक नाम दना खतरनाक ह तम इतन खतरनाक लोग हो

दक नाम दत ही नाम को पकड़ लत हो वजसको नाम ददया ह उसको तो भल ही जात हो इसवलए बदध न

कहा--जो ह

उस जो ह का सवभाव ही धमम ह वबना ववचार क जगत को दखना धमम को जानना ह वनरवमचार भाव म

अवसततव को अनभव करना धमम की परतीवत ह धमम का साकषातकार ह

परमातमा नही ह आतमा नही ह--वसफम इसीवलए कहा बदध न दक अगर य ह--ऐसा कहो तो तमहारी

परानी झठी धारणाओ को सबलता वमलती ह बल वमलता ह

म भी रोज यही करता ह चषटा करता ह दक तमहारी परानी धारणा टट जाए और ऐसा नही ह दक

तमहारी परानी धारणा गलत ही होनी चावहए धारणा गलत ह यह हो सकता ह ईशवर ह लदकन ईशवर को

मानन की वजह स तम नही दख पा रह हो ईशवर क मानन को छीन लना ह तादक जो ह वह परगट हो जाए

दफर दोहरा दः कमजोर आदमी मानता ह कायर मानत ह वजनम िोड़ा साहस ह वहममत ह व

जानन की यातरा पर चलत ह

जानन की यातरा पर बड़ साहस की जररत ह सबस बड़ा साहस तो यही ह दक अपनी सारी मानयताओ

को छोड़ दना ह मानयताओ को छोड़त ही तमह लगगा दक तम अजञानी हो गए कयोदक तमहारी मानयताओ क

कारण तम जञानी परतीत होत ि एकदम नगन हो जाओग अजञानी हो जाओग सब हाि स छट जाएगा सब

सपदा तमहार तिाकवित जञान की इसवलए वहममत चावहए

धन छोड़न क वलए इतनी वहममत की जररत नही ह कयोदक धन बाहर ह जञान छोड़न क वलए सबस

बड़ वहममत की जररत ह कयोदक जञान भीतर बठ गया ह धन तो ऐसा ह जस वसतर दकसी न पहन ह फक

ददए नगन हो गया जञान ऐस ह जस हडडी-मास-मजजा-चमड़ी उखाड़ो अलग करो--बड़ी पीड़ा होती ह

इसवलए लोग धन को छोड़कर जगल चल जात ह लदकन जञान को साि ल जात ह सहद जगल म बठकर

भी सहद रहता ह जन जगल म बठकर भी जन रहता ह मसलमान जगल म बठकर भी मसलमान रहता ह

कया मतलब हआ ससकार तो साि ही ल आए

कहत होः समाज को छोड़ ददया कया खाक छोड़ा वजस समाज न तमह य ससकार ददए ि व तो तम

साि ही ल आए यही तो असली समाज ह जो तमहार भीतर बठा ह समाज बाहर नही ह समाज बड़ा

होवियार ह और किल ह उसन भीतर बठकर तमहार अतसतल म जगह बना ली अब तम कही भी भागो वह

तमहार साि जाएगा जब तक तम जागोग नही समाज तमहारा पीछा करगा

बदध न कहा--जागो जागकर वजसका दिमन होता ह उसको ही उनहोन धमम कहा वह धमम िाशवत ह

सनातन ह एस धममो सनतनो

धमम तमहारा सवभाव ह अवसततव का सवभाव तमहारा सवभाव सवम का सवभाव धमम ही तमहार भीतर

शवास ल रहा ह और धमम ही वकषो म हरा होकर पतत बना ह और धमम ही छलाग लगाता ह हररण म और धमम

ही मोर बनकर नाचता ह और धमम ही बादल बनकर वघरता ह और धमम ही सरज बनकर चमकता ह और

धमम ही ह चाद-तारो म और धमम ही ह सागरो म और धमम ही सब तरफ फला ह

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धमम स मतलब ह सवभाव इस सबक भीतर जो अतसतल ह वह एक ही ह जीवतता अिामत धमम चतनय

अिामत धमम यह होन की िाशवतता अिामत धमम

यह होना वमटता ही नही तम पहल भी ि--दकसी और रप दकसी और रग दकसी और ढग म तम बाद

म भी होओग--दकसी और रग दकसी और रप दकसी और ढग म तम सदा स ि और तम सदा रहोग लदकन

तम जस नही तम तो एक रप हो इस रप क भीतर तलािो जरा खोदो गहराई म इस दह क भीतर जाओ

इस मन क भीतर जाओ और वहा खोजो जहा लहर सागर बन जाती ह जहा लहर सागर ह जब भी तम

सागर म उठी दकसी लहर म जाओग तो िोड़ी दर म दर-अबर सागर वमल जाएगा

ऐस ही तम एक लहर हो लहर बनती ह वमटती ह सागर न बनता न वमटता सागर िाशवत ह

सनातन ह लदकन तमन लहर को खब जोर स पकड़ वलया ह तम कहत होः म यह लहर ह और तम इस सचता

म भी लग हो दक कस यह लहर िाशवत हो जाए

यह कभी न हआ ह न होगा लहर कस िाशवत हो सकती ह लहर का तो अिम ही हः जो लहरायी और

गयी आयी और गयी--वही लहर लहर कस िाशवत हो सकती ह बनती नही दक वमटन लगती ह बनन म ही

वमटती ह तम तो जनम नही और मरन लग जनम क साि ही मतय िर हो गयी

लहर तो बनन म ही वमटती ह लहर िाशवत नही हो सकती लहर को िाशवत बनान का जो मोह ह

इसी का नाम ससार ह यह चषटा--दक जसा म ह ऐसा ही बच जाऊ बड़ कजस हो ऐसा ही बच जाऊ जसा

ह और जस हो इसम कछ सार नही वमल रहा ह--मजा यह ह जस हो इसम कछ वमला नही ह--न कोई

सौदयम न कोई सतय न कोई आनद दफर भी जसा ह ऐसा ही बना रह

तमन कभी सोचा दक अगर यह तमहारी आकाकषा परी हो जाए तो इसस बदतर कोई दिा होगी तम

जस हो अगर ऐस ही रह जाओ सदा-सदा क वलए ऐस ही जस तम हो ठहर जाओ तमन सोचा भी नही ह

नही तो तम घबड़ा जाओग तम कहन लगोगः नही परभ भल हो गयी यह परािमना वापस लता ह ऐसा ही रह

जाऊगा--ठहरा रका अवरदध कषटपणम हो जाएगा नही मझ जान दो नए को आन दो

ससार ह--म जसा ह वस ही रहन की आकाकषा सनयास ह--जसा हो वसा ही हो जान की ततपरता

जसा हो आज आदमी तो आदमी कल कबर म पड़ोग और घास बनकर उगोग हरी घास कबर पर परम सदर ह

आदमी स िक नही गए घास नही होना ह घास का फल नही बनना ह

आज आदमी हो कल आकाि म बादल होकर मडराओ आज आदमी हो कल एक तार होकर चमको

आज आदमी हो कल एक गौरया होकर गीत गाओ सबह-सबह सरज क सवागत म आज आदमी हो कल

गलाब का फल बनो--दक कमल बनकर दकसी सरोवर म तरो

आदमी ही रहोग इसी लहर क साि जड़ जड़ता को पकड़ लोग

आज परष हो कल सतरी आज सतरी हो कल परष रप को बहन दो धारा को बहन दो इस सररता को

रोको मत अवरदध मत करो

जो हो उसका सवीकार तिाता--सनयास जसा म ह बस ऐसा ही रह सदा ऐसी जड़ आगरह की

अवसिा ऐसा दरागरह--ससार

ससार म अगर दख वमलता ह तो इसीवलए दख वमलता ह कयोदक जो नही हो सकता उसकी तम माग

करत हो और सनयासी अगर सखी ह परफवललत ह आनददत ह तो कोई खजाना वमल गया ह उस वह खजाना

कया ह वह खजाना यही ह दक जो होता ह वह उसी क साि राजी ह जसा होता ह उसम रततीभर वभि नही

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चाहता वभि की आकाकषा गयी उसकी कोई वासना नही ह वह कछ मागता नही ह वह परवतपल जीता ह

आनद स जवान ह तो जवानी म परसि ह और बचचा िा तो बचपन म परसि िा और बढ़ा हो जाएगा तो

बढ़ाप का सख लगा जीता िा तो जीन का गीत दखा और जीन का नाच और मरगा तो मतय का नाच दखता

हआ मरगा जहा ह जसा ह उसस अनयिा या कही और होन की आकाकषा नही ह

ऐसी जब दिा बन जाएगी तो जो तमह जञान होता ह उसका नाम धमम ह दफर तमह सागर का पता

चलता ह तरगो स तम मि हो गए लहरो स मि हो गए और वनवशचत ही सागर िाशवत ह

बदध न उसी को धमम कहा ह वजसको दसरो न ईशवर कहा ह बदध न उसी को धमम कहा ह वजसको दसरो

न आतमा कहा ह लदकन आतमा और ईशवर क साि जयादा खतरा ह धमम क साि उतना खतरा नही ह

ईशवर का मतलब हो जाता हः कोई बठा ह आकाि म चला रहा ह सार जगत को चलो इसकी खिामद

कर सतवत कर इसको परसि कर ल दकसी तरह तो अपन वलए कछ वविष आयोजन हो जाएगा अपन पर

दया हो जाएगी इसकी अनकपा अपन को वमल जाए तो हम दसरो स आग वनकल जाएग--धन म धयान म

तो हमारी जो माग ह हम इसस परी करवा लग चलो इसक पर दबाए चलो इसस कह दक हम तमहारी

चरण-रज ह

तो ददिा गलत हो गयी ददिा वासना की हो गयी ईशवर को मानत ही दक ईशवर आकाि म बठा ह

मनषय की भावत सवभावतः तो जो मनषय की कमजोररया ह व ईशवर म भी आरोवपत हो जाएगी

मनषय को खिामद स राजी दकया जा सकता ह तो ईशवर को भी खिामद स राजी दकया जा सकता ह

अगर मनषय को खिामद स राजी दकया जा सकता ह तो ईशवर को िोड़ी और सदर खिामद चावहए उसका

नाम सतवत अगर मनषय को ररशवत दी जा सकती ह तो ईशवर को भी ररशवत दी जा सकती ह जरा दन म ढग

होना चावहए जरा किलता और परसादपवमक और अगर आदमी स अपनी माग परी करवायी जा सकती ह

चाह व नयायसगत न भी हो तो दफर ईशवर स भी परी करवायी जा सकती ह

तम चदकत होओगः दवनया क धमम-िासतरो म ऐसी परािमनाए ह जो दक धमम-िासतरो म नही होनी चावहए

अधारममक परािमनाए ह मगर व सचक ह इस बात की दक अगर ईशवर को मनषय की तरह मानोग तो यह

उपदरव होन वाला ह

वद म ऐसी सकड़ो ऋचाए ह वजनम परािमना कर रह ह ऋवष दक हमार दशमन को मार डालो यही तक

नही हमारी गाय क िन म दध बढ़ जाए और दशमन की गाय क िन म दध वबलकल सख जाए य दकस तरह

की परािमनाए ह दक हमार खत म इस बार खब फसल आए और पड़ोसी का खत वबलकल राख हो जाए य दकस

तरह की परािमनाए ह और वद म

मगर य खबर दती ह दक अगर ईशवर को आदमी की तरह मानोग तो तम उसस जो परािमनाए करोग वह

भी आदमी की तरह होगी यह आदमी की असवलयत ह मददर भी जाता ह तो कया मागता ह करान म भी

इस तरह क वचन ह और बाइवबल म भी सदर नही ह

इस अिम म बदध न बड़ी करावतकारी दवषट दी बदध न कहाः हटाओ इस ईशवर को इसक कारण वद की य

अभदर ऋचाए पदा होती ह इसक कारण आदमी क भीतर की बहदी आकाकषाओ को सहारा वमलता ह ईशवर

को हटा दो

ईशवर की जगह वनयम को सिावपत दकया बदध न धमम म अब वनयम स कोई परािमना िोड़ ही कर सकत

हो दकसी को तमन गरतवाकषमण स परािमना करत दखा--दक आज जरा घर क बाहर जा रहा ह ह गरतवाकषमण

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रासत पर वगरा मत दना टाग मत तोड़ दना कयोदक और लोगो क कई क फकचर हो गए ह मझ न हो यह

दखो म तमहारा भि ह

गरतवाकषमण स कोई परािमना नही करता करगा तो मढ़ मालम पड़गा खद की ही आखो म मढ़ मालम

पड़गा लदकन एक दफा गरतवाकषमण को भी आदमी का रप द दो दक गरतवाकषमण जो ह वह एक दवता ह जो

दखता रहता ह दक कौन ठीक चल रहा ह कौन ठीक नही चल रहा ह जो इरछा-वतरछा चलता ह उसको

वगराता ह द मारता ह हडडी तोड़ दता ह असपताल म भती करवा दता ह जो सीधा चलता ह सधकर चलता

ह समहलकर चलता ह उसको बचाता ह

यही तो ह बादल आकाि म गरज तमन कलपना कर ली इदर दवता की--दक नाराज हो रहा ह इदर

दवता हमस कछ भल हो गयी

वबहार म भयकर अकाल पड़ा और महातमा गाधी न पता ह कया कहा उनहोन कहाः यह हमार पापो का

फल ह दवता पापो का परवतकार दड द रहा ह कया पाप हररजनो क साि जो हमन पाप दकया ह उसका

फल द रहा ह लदकन वह पाप तो पर दि म हो रहा ह वसफम वबहार म ही नही हो रहा ह तो वबहार क ही

लोगो को कयो सता रहा ह य वबहाररयो न बचारो न कया वबगाड़ा ह

लदकन हम जब भी ईशवर को वयवि की तरह मान लत ह तो कछ झझट आनी िर होती ह

बदध न ईशवर क वयवितव को पोछ डाला वयवितव को हटा ददया रप को वगरा ददया अरप बना ददया

वद कहत हः परमातमा अरप ह लदकन दफर भी उनकी परािमनाए जो ह व उसको रप मानकर ही चल

रही ह बदध न वसततः परमातमा को अरप कर ददया--ह ही नही परमातमा कोई ईशवर नही ह दफर कया ह

दफर एक महावनयम ह जीवन का एक िाशवत वनयम ह सब वजसक आधार स चल रहा ह

वनयम की परािमना नही की जा सकती वनयम स परािमना नही की जा सकती वनयम की खिामद भी नही

की जा सकती वनयम को ररशवत भी नही दी जा सकती वनयम का तो पालन ही दकया जा सकता ह पालन

करोग सख पाओग नही पालोग दख पाओग और ऐसा नही ह दक वनयम वहा बठा ह डडा वलए दक नही

पाला तो वसर तोड़ दगा कोई वहा बठा नही ह तम वनयम क ववपरीत जाकर सवय को दड द लत हो

जब तम िराब पीकर इरछ-वतरछ चलत तो वगर जात हो ऐसा नही दक गरतवाकषमण दख रहा ह बठा

हआ वहा दक अछा अब इस आदमी न िराब पी अब इसकी तोड़ो टाग ऐसा वहा कोई भी नही ह जब तम

सतलन खो दत हो अपन सतलन खोन क कारण ही तम वगर पड़त हो

तम ही अपन को दड दत तम ही अपन को परसकार बदध न तमह सारी िवि द दी बदध न तमह

सावमभौम िवि द दी

बदध न जब कहा--कोई ईशवर नही ह तो बदध न तमहार जीवन म ईशवरतव की घोषणा कर दी

दसरा परशनः ओिो सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया मतय वसखात

हए जीवन का परमपणम उललास ददया आज हम दोनो हमारी पचचीसवी लगन-वतवि पर आपक ददवय चरणो म

नतय करत हए बहत-बहत अनगहीत ह आपकी कला अपरपार ह भाव को परगट करन म वाणी असमिम ह

आपक चरणो म हमार ित-ित परणाम

पछा ह मज और गलाब न

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ऐसा ही ह जीवन का सतय बड़ा ववरोधाभासी ह अगर मरन की तयारी हो तो जीवन का अनभव होता

ह और अगर दख को अगीकार कर लन की कषमता हो तो सख क मघ बरस जात ह और अगर जीवन म कोई

वासना न रह जाए तो जीवन अपन सब घघट उघाड़ दता ह जो कछ नही चाहता उस सब वमल जाता ह

और जो सब की माग करता रहता ह उस कछ भी नही वमलता

जीवन का गवणत बहत बबझ ह रहसयपणम ह ऐसा ही ह

मज और गलाब न कहाः सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया

सनयासी ही जान सकता ह ससार क सौदयम को ससारी नही जान सकता कयोदक ससारी इतना वलि ह

इतना डबा ह गदगी म दर खड़ होन की कषमता नही ह उसकी वह दर खड़ होकर दख नही सकता और मजा

तो दर खड़ होकर दखन म ह

तम जब बहत वयसत होत हो ससार म तो ससार का सौदयम दखन की सववधा कहा फल वखलत ह मगर

तमह ददखायी नही पड़त चाद-तार आत ह मगर तमह ददखायी नही पड़त तम अपनी दकान म वसर झकाए

अपन खाता-बही म लग हो तमह समय कहा सववधा कहा अवकाि कहा दक तम फलो स दोसती करो दक

पहाड़ो स नमसकार करो दक नददयो क साि बठो दक वकषो स बात करो तमह फरसत कहा तमह अपनी

वतजोड़ी स फरसत कहा

वतजोड़ी स तमहारा वातामलाप बद हो तो चाद-तारो की तरफ आख उठ तम कषदर म उलझ हो तो ववराट

की सवध कस लोग उसकी सरवत कस आएगी उसकी समवत कस जगगी

इसवलए यह ववरोधाभास घटता ह सनयासी जान पाता ह ससार क सौदयम को और ससार क सौदयम को

जानन की कषमता पदा ही तब होती ह जब तमहारा ससार स कछ लना-दना नही ह जब तम अवलि भाव स

खड़ हो गए जब तमन कहा जो ह ठीक ह जसा ह िभ ह अहोभागय दक म अभी शवास ल रहा ह अहोभागय

दक मरी आख ह और म रग-रप दख सकता ह अहोभागय दक मर पास कान ह और पवकषयो क गीत सनायी

पड़त ह और कोई वीणा छड़ता ह तो मर पराण सगीत स भर जात ह अहोभागय

दफर चारो तरफ तमह वीणा वछड़ती हई मालम पड़गी परकवत सब तरफ मदग वलए नाच रही ह यहा

नाच चल रहा ह अपररसीम नाच चल रहा ह हर चीज नाच रही ह नतय लदकन दखन वाल को िोड़ी सी

कषमता तो होनी चावहए

और एक बात हः तम उतना ही जान सकत हो वजतनी तमहारी गहराई बढ़ जाती ह जस-जस तमहारा

धयान गहरा होता ह वस-वस तमहारी दवषट परकवत म गहरी उतरती ह तब सिल ववलीन होन लगता ह और

सकषम का दिमन होन लगता ह

सनयास का अिम कया ह सनयास का अिम हः जो ह उसस म ति ह और जो ह उसस जब तम ति हो

तो गयी भाग-दौड़ गयी आपा-धापी दफर न कही जाना न कही पाना न कछ होना

सनयासी का मतलब यह नही दक वह सवगम पान म लगा ह वह तो दफर दकानदार ही ह दफर भी ससारी

रहा वह सनयासी का अिम यह नही दक अब परमातमा को पाना ह दक अब परमातमा को पाकर रहग यह तो

दफर नयी तमन खात-बही खोल ददए तमन नया बक-बलस खोल ददया--परलोक म मगर उपदरव िर हो

गया पहल धन कमात ि अब पणय कमान लग पहल धन क वसकक इकटठ करत ि अब पणय क वसकक इकटठ करन

लग यह तो कछ फकम न हआ यह तो बीमारी का नाम बदला बस जहर वही का वही िायद और भी गहरा

हो गया और भयकर हो गया

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सनयासी का अिम हः वजसन खोज ही छोड़ दी वजसन कहाः खोजन को कया ह जो ह वमला हआ ह

वजसन कहाः जाना कहा ह सब यही ह वजसन कहाः न कलाि जाऊगा न काबा यही सिल जहा म बठा ह--

कलाि यही सिल जहा म बठा ह--काबा अब दकताबो म न खोजगा अब आख बद करगा अपन म खोजगा

आख खोलगा और परकवत म खोजगा लोगो की आखो म झाकगा मदाम दकताबो म कया होगा सजदा दकताब

मौजद ह य चलत-दफरत करान य चलती-दफरती बाइवबल य चलत-दफरत गरगरि य चलत-दफरत वद

इनम झाकगा इनस दोसती बनाऊगा इनक साि नाचगा

सनयासी का अिम हः वजसक वलए यही कषण सब कछ ह

दफर सौदयम दकतनी दर तमस वछप सकता ह तम जब इतन ठहर जाओग जब तमहारी जीवन-जयोवत को

कोई वासना कपाएगी नही तम अकप हो जाओग जस दीए को जलात हो हवा क झोक उस कपात ह ऐस ही

तमहार भीतर की जो चतना का दीया ह उस वासना क झोक कपात ह जब कोई वासना नही रह जाती दीए

की जयोवत विर हो जाती ह उस विरता म ही कजी ह

ठीक कहा मज-गलाब न दक सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया

म ससार-ववरोधी नही ह म जीवन-ववरोधी नही ह मरा सनयास जीवन को जानन की कला ह जीवन

को तयागन की नही जीवन क परम भोग की कला ह म तमह भगोड़ा नही बनाना चाहता भगोड़ापन तो

कायरता ह जो ससार स भागत ह व कायर ह व डर गए ह व कहत हः यहा रह तो फस जाएग यह सौ

का नोट उनह ददखायी पड़ा दक उनक भीतर एकदम उिल-पिल मच जाती ह दक अब नही बचा सक ग अपन

को यह सौ का नोट डबा लगा

यह सदर सतरी जाती ह अब भागो यहा स अनयिा इसक पीछ लग जाएग मगर यह आदमी जो नोट

दखकर लार टपकान लगता ह यह आदमी जो सदर सतरी को गजरत दखकर एकदम होि खो दता ह यह पहाड़

पर भी बठ जाएगा तो कया होगा यह आदमी यही का यही रहगा यह पहाड़ पर बठकर भी कया सोचगा

आख बद करगा--सौ क नोट तरग आख बद करगा--सदर वसतरया खड़ी हो जाएगी

और धयान रखनाः कोई सतरी इतनी सदर नही ह वजतनी जब तम आख बद करत हो तब सदर हो जाती

ह कयोदक वह कलपना की सतरी होती ह वासतववक सतरी म तो कछ झझट होती ह और वजतनी सदर हो उतनी

जयादा झझट होती ह कयोदक उतनी कीमत चकानी पड़ती ह वजतना बड़ा सौदयम होगा उतनी कीमत सतरी

मागगी लदकन कलपना की सतरी तो सदर ही सदर होती ह वह तो बनती ही सपनो स ह और तमहार ही सपन

ह तम जसा चाहो बना लो नाक िोड़ी लबी तो लबी छोटी कर दो नाक तो छोटी या छोटी ह तो िोड़ी

लबी कर दो

मन सना हः एक सतरी न रात सपना दखा दक आ गया राजकमार वजसकी परतीकषा िी घोड़ पर सवार

उतरा घोड़ स घोड़ा भी कोई ऐसा-वसा घोड़ा नही रहा होगा रहा होगा चतक िानदार घोड़ स उतरा

िानदार राजकमार जब सपना ही दख रह हो तो दफर अचचर-खचचर पर कया वबठाना अपना ही सपना ह तो

चतक पर वबठाया होगा और राजकमार ही आया दफर राजकमार भी रहा होगा सदरतम अब जब सपना ही

दखन चल ह तो इस म कया कजसी कया खचाम मफत सपना ह अपना सपना ह

उतरा राजकमार सदर दह उसकी नील वणम रहा होगा कषण जसा उठाया गोद म इस यवती को

वबठाया घोड़ पर जस पथवीराज सयोवगता को ल भागा पढ़ी होगी कहानी कही पथवीराज-सयोवगता की

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चला घोड़ा उसकी टाप मीलो तक सनायी पड़ ऐसी आवाज चला घोड़ा भागता हआ काफी दर वनकल गए

ससार स

परमी सदा दर वनकल जाना चाहत ह ससार स कयोदक ससार बड़ी बाधा दता ह यहा अड़ग खड़ करन

वाल बहत लोग ह परम म अड़गा खड़ करन वाल तो बहत लोग ह सब तयार बठ ह कयोदक खद परम नही कर

पाए दसर को कस करन द खद चक गए ह अब औरो को भी चकाकर रहग बदला लकर रहग यहा सब परम

क ितर ह

तो जब सपना ही दख रह ह तो दफर चल ससार स दर यवती बड़ी परफवललत हो रही ह बड़ी वखली जा

रही ह उसक हदय की कली पहली दफ वखली ह आ गया राजकमार वजसकी जनमो स परतीकषा िी उसी घोड़

पर सवार वजस पर सदा राजा-महाराजा आत ह दक दवता आत ह

दफर उसन पछा यवती न बड़ सकचात हए बड़ िरमात हए--अपना ही सपना ह तो िरमाओ खब

सकचाओ खब--उसन पछा दक ह राजकमार मझ कहा वलए चलत हो और राजकमार हसन लगा और उसन

कहाः यह सपना तमहारा ह तम जहा कहो इसम मरा कया बस ह म इसम आता कहा ह सपना तमहारा ह

तो व जो तमहार ऋवष-मवन बठ जात ह पहाड़ो पर यहा अगर सतरी मोह लती िी तो वहा सपन सतरी

क ही चलग तम वजसस भागोग वह तमहारा पीछा करगा तम वजसस डरोग तम उसी स हारोग

इसवलए म भागन को नही कहता म कहता हः यही समझो पहचानो वनखारो अपन चतनय को

म जीवन-ववरोधी नही ह जीवन स मरा असीम परम ह और म चाहता ह दक तमहारा सनयास ऐसा हो

दक तमहार ससार को वनखार द तमहार ससार को ऐसा बना द दक परमातमा झलकन लग

और मज-गलाब न कहाः मतय वसखात हए जीवन का परमपणम उललास ददया

वह दसरा ववरोधाभास ह जो मरना जानता ह वही जीना जानता ह जो मरन स डरता ह वह कभी

जी नही पाता कस जीएगा कायर कस जीएगा जो मरन स डरता ह वह जी नही सकता कयोदक जीना

हमिा मौत लाता ह जीए दक मौत

तमन दखा जो वजतनी तवरा स जीएगा उतनी जलदी मौत आ जाती ह एक चटटान ह पड़ी ह सददयो स

मरती नही और गलाब का फल सबह वखला और साझ मर गया तमन कभी सोचा दक गलाब का फल इतन

जलदी कयो मर जाता ह इसवलए मर जाता ह दक इतनी तजी स जीता ह इतनी तवरा स जीता ह इतनी

इटवसटी स इतनी सघनता स जीता ह दक जो चटटान को सददया लगती ह वजस समय को पार करन म उस

गलाब का फल एक ददन म पार कर जाता ह एक ददन म इतना जी लता ह वजतना मदबवदध चटटान सददयो म

जी पाती ह और िायद जी पाती ह दक नही जी पाती

तम गलाब का फल होना चाहोग दक चटटान होना चाहोग चटटान का जीवन लबा ह गलाब क फल का

जीवन बड़ा छोटा ह बड़ा कषणभगर ह कया तम चटटान होना चाहोग अवधक लोगो न यही सोचा ह दक व

चटटान होना चाहग कयोदक व कहत हः जीवन लबा हो मौत न आ जाए

अगर गलाब का फल भी सोच दक मौत न आ जाए तो उसक जीवन की तवरा कम हो जाएगी वह धीर-

धीर जीएगा कयोदक वजतन धीर जीएगा उतनी ही दर लगगी मौत क आन म वजतना कनकना जीएगा

उतनी दर लगगी मौत क आन म वजतना कम जीएगा उतनी मौत दर हो जाएगी अगर वबलकल न जीए तो

मौत को सदा क वलए टाला जा सकता ह

मगर जो वबलकल न जीए वह तो मर ही गया अब मौत को टालकर भी कया होगा

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तमन दखा दक मरा हआ आदमी दफर दबारा नही मरता और अगर तम चाहत हो दक म कभी न मर

तो उसका मतलब एक ही होता ह दक तम वबलकल मदाम हो जाओ मरा हआ आदमी कभी नही मरता एक दफ

कबर म चल गए सो चल गए दफर कभी मौत नही होती

कछ लोग इसी डर स जीत नही और जीत जी कबरो म बठ जात ह अपनी कबर म रहन लगत ह

म तमह जीवन वसखाता ह जीवन वसखान का एक ही उपाय ह दक तमह मतय वसखायी जाए मरन को

अगीकार करन की पातरता वजस ददन आ जाएगी उस ददन तम जीयोग गलाब क फल की तरह--और वही

जीवन ह उस ददन तम जीयोग जस मिाल को कोई दोनो ओर स एक साि जला द एक गहरी भभक

और धयान रखनाः लब जीन स कछ सार नही एक कषण को भी अगर गहर जी वलया--लबा नही गहरा

समय म फला हआ नही कषण म गहरा डबा हआ--एक कषण भी अगर तमन गहराई स जी वलया तो एक कषण म

ही तमह एस धममो सनतनो का पता चल जाता ह वह जो िाशवत धमम ह उसका पता चल जाता ह और ऐस

तम सददयो तक एक लकड़ी क टकड़ की तरह धारा क ऊपर तरत रहो धकक खात रहो लहरो क--इस दकनार स

उस दकनार इस तट स उस तट--तमह हीर-मोती हाि न लगग हीर-मोती क वलए तो गहर जाना होता ह

डबकी मारनी होगी

और मज और गलाब न सनन की कोविि की ह मझ समझन की कोविि की ह चल पड़ ह अभी और-

और सौदयम परगट होगा इतन स कछ नही होन वाला ह अभी और-और सौदयम परगट होगा अभी रोज-रोज

सौदयम घना होगा

जो सतर हाि लग ह--दक मौत स जीवन वमलता और सनयास स ससार का सौदयम परगट होता--इन सतरो

का उपयोग करत रह करत रह तो एक ददन ववराट बरसगा वह घड़ी ही समावध की घड़ी ह

तीसरा परशनः परशन पछन म सार कया ह

दफर पछा काह क वलए दफर इस पर भी सयम रखत सवर करत िोड़ा इसको भी पछन म कया सार

ह यह भी परशन ह

परशन अगर भीतर उठत ह तो पछो या न पछो उठत ही रहग हा पछ लन म एक सभावना हः िायद

समझ क कारण वगर जाए

धयान रखनाः यहा जो उततर ददए जात ह व तमहार परशनो को हल कर दग ऐस उततर नही ह व तमहार

परशनो को सदा क वलए वगरा दग ऐस उततर ह जो परशन हल होता ह वह तो िायद कल दफर खड़ा हो जाए जो

आज तमन दकसी तरह समझ वलया दक हल हो गया वह कल दफर मौजद हो जाएगा

तो उततरो म मरा भरोसा नही ह मरा भरोसा तो इस बात म ह दक तमहारा वचतत वनषपरशन हो जाए पछ-

पछकर ही होगा आज पछोग कल पछोग इधर स पछोग उधर स पछोग और म तमह हर बार तमही पर फक

रहा ह मरा हर उततर तमह तमही पर वापस फक दता ह

अनक बार पछोग वजतन परशन पछत जाओग उतन परशन कम होत जाएग नए-नए उठ ग जलदी अत नही

आन वाला ह मन इतन जलदी िकता नही नए पदा करगा लदकन यह अछा ह दक नए परशन उठ उनस नयी

ताजगी होगी नया खन बहगा

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और जब तम परशन पछत हो तो तमहार वचतत की दिा का सचन होता ह और अछा ह दक तमहार वचतत

की दिा तम मर परवत सवचत करत रहो

तम िायद डरत हो पछन म तमह िायद यह लगता ह दक पछा तो अजञानी मालम पडगा तो तम अपन

को समझा रह हो दक सार कया ह अजञानी पछ रह ह म तो जञानी ह मझ तो पता ही ह मझ कया पछना

लदकन तमहार भीतर परशन जरर ह नही तो यह सवाल भी नही उठता दक परशन पछन म सार कया ह ऐसा

पछकर तम इतना ही कर रह हो दक अपन भीतर क अजञान को वछपा रह हो

यहा कई तरह क लोग ह एक तो व जो पछत नही इसवलए दक धयान की गहराई सघन हई ह और

पछन को अब कछ बचा नही ह दसर व जो पछत नही ह इसवलए दक डरत ह दक कही पछन स अजञान परगट

न हो जाए तीसर व जो पछत ह इसवलए और इस तरह क परशन पछत ह वजनस जञान परगट हो पावडतयपणम

परशन पछत ह और चौि व जो इसवलए पछत ह तादक व अपन हदय को मर सामन खोल सक जसा ह बरा

भला

धयान रखनाः अगर तमहार भीतर परशन उठन बद हो गए ह तब तो िभ वह तो सबस ऊची बात ह दफर

पछन का सवाल ही नही उठता ह ही नही तो पछोग कया अगर यह न हआ हो तो दसरी बात जो चनन जसी

ह वह यह ह दक पछना वही जो तमहार भीतर वसततः उठता हो जञान-परदिमन क वलए नही अपन हदय क

आवदन क वलए

और हर चीज तमहार सबध म खबर दती ह तमहारा चलना तमहारा उठना तमहारा पछना और अछा

ह दक तम अपन को परगट करत रहो अछा ह दक तम मर दपमण म आकर अपना चहरा बार-बार दखत रहो

तादक तमह साफ रह दक तम कहा हो कया हो कस हो

पछो सार ह बहत सार यही ह दक तमह तमहारी िकल बार-बार पता चलती रह पता चलती रह तो

रपातरण सभव ह

रोज सबह दपमण क सामन खड़ होकर पछत नही दक कया सार ह कल भी तो दखा िा परसो भी तो

दखा िा वही का वही तो ह बदल कया गया लदकन दफर दपमण क सामन दखत हो सच म रोज तम बदल रह

हो वही नही हो जो कल िा वही नही हो जो परसो िा बचचा जवान हो रहा ह जवान बढ़ा हो रहा ह

सजदगी मौत म ढली जाती ह सब बदल रहा ह

ऐस ही तम रोज-रोज पछकर दपमण क सामन अपन को खड़ा कर लत हो तमहारा हर परशन अगर

ईमानदारी स भरा हो तो उसम बड़ा सार ह हा पावडतयपणम परशनो का कोई सार नही ह इसवलए म उनक

उततर भी नही दता तम पछत भी हो तो भी उनक उततर नही दता

एक यवा डाकटर न अपनी परवमका स रोमारटक लहज म कहाः तमहारी आखो म जीवन का टावनक ह

जब उदास होता ह तो तमहारा सामीपय ऐसा महसस होता ह जस आवखरी सास वगनत हए मरीज को

आकसीजन वमल जाए तमहार घन काल किो म कलोरोफामम जसी मीठी मदहोिी तमहार

बस उस सतरी न कहाः बकवास बद करो म तमहारी परवमका ह या वडसपनसरी

मगर डाकटर बचारा अपना वनवदन कर रहा ह

तम जो कहत हो जो पछत हो उसम तम मौजद रहो तो अछा ह चीज साफ होती ह

एक जबकतरा नए फिन क कपड़ो की दकताब दख रहा िा उसक चल न पछाः कयो गर अब कया दजी

बनन का इरादा ह

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नही म दख रहा ह दक नयी फिन क कपड़ो म जब कहा-कहा बनायी जाती ह

एक वयापारी न अपनी नयी दकान क बाहर एक बोडम लगा रखा िाः यह दकान आपकी जररतो क वलए

खोली गयी ह अब आपको कही दर जाकर अपन को ठगान की जररत नही ह

यही ठगा सकत ह उनका मतलब साफ ह हालादक उसको खयाल नही होगा दक उसन कया वलख ददया

ह अब ठगान क वलए दर जान की कोई जररत नही ह

गरदव यिािम और भरम म अतर सपषट कर द तो बड़ी कपा होगी भि न ववनती की

आपका यहा उपवसित रहना और मरा परवचन करना यिािम ह परत मरा यह सोचना दक मरी बात पर

आप धयान द रह ह मरा भरम ह सत न समाधान दकया

विषय न पछा हः यिािम और भरम म अतर कया ह तो गर न कहा दक मरा यहा उपवसित रहना और मरा

परवचन करना यिािम ह और मरा यह समझना दक आप यहा उपवसित ह और मझ सन रह ह मरा भरम ह

तम जो पछोग उसम तम रहो तो जरर सार ह नही तो वयिम ह दसर क परशन मत पछना उधार परशन

मत पछना दकताबी परशन मत पछना जीवत पछना तमहार जीवन म समसयाए होगी तमहार जीवन म उलझन

होगी अगर सलझ गए तब तो बड़ा अछा सौभागय अगर समाधान वमल गया

और समाधान तो तभी वमलता ह जब समावध वमल जाए समाधान िबद स ही तो समावध बना ह या

समावध स समाधान बना ह जब समावध वमल जाए तब समाधान उसक पहल तो समसयाए ह और समसयाओ

का जरटल जाल ह

तम ऐस हो जस जगल म कोई भटका हआ आदमी तम पछत होः दकसी स रासता पछन म कया सार ह

जगल म भटक हो और रासता नही पछोग कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक आदमी दभ क कारण नही पछता

एक आदमी न िराब पी ली और अपनी कार म बठकर घर की तरफ चला िराब क नि म कछ उस

ददखायी नही पड़ता दक रासता घर का कहा ह और घर कहा ह मगर दकसी स पछ तो लोग कहगः हदद हो गयी

गाव का परवतवित आदमी ह गाव का िायद मयर ह अब दकसी स पछ दक मरा घर कहा ह या दकस रासत स

जाऊ तो लोग हसग सारा गाव उस जानता ह और लोग कहगः अर कया जयादा पी गए इतनी पी गए दक

अपना घर भल गए

तो वह पछता भी नही दकसी स कयोदक सकोच लगता ह अहकार को चोट लगती ह तो उसन सोचाः

अब कर कया तो जो कार उसक सामन जा रही िी उसन सोचा इसी क पीछ लगा चल

वह उसक पीछ हो वलया वह आदमी जाकर अपनी गरज म गाड़ी खड़ा दकया जब वह अपनी गरज म

गाड़ी खड़ा दकया तो इसन जाकर उसकी गाड़ी स टककर मार दी और वखड़की क बाहर वसर वनकालकर

वचललाया दक हदद हो गयी सकत कयो नही ददया दक गाड़ी खड़ी करत हो उस आदमी न कहाः हदद हो गयी

मर ही गरज म म गाड़ी खड़ी कर और सकत द दकसको सकत द आप यहा चल कस आ रह ह

दकतनी दर वछपाओग

अकसर लोग ऐसा करत ह दकसी स पछ न चपचाप कोई वववध वनकाल ल दकसी क पीछ हो ल दकसी

की बात मान ल कोई दकताब पढ़ ल उसी म स रासता वनकालकर चल पड़

दकसी क गरज म जाकर टकराओग और अछा यही ह दक पछ ही लो निा गहरा ह तमन भी खब

िराब पी रखी ह और तमह भी अपना घर भल गया ह सकोच मत करो सहजता और सरलता स जो परशन

तमहार हो--पछ लो

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और म यह नही कह रहा ह दक मर उततर स तमह उततर वमल जाएगा म यह कह रहा ह दक मर उततर स

तमह अपन परशन को दखन की जयादा कषमता आ जाएगी परशन को समझन की कषमता आ जाएगी परशन क परवत

जागन की बवदध आ जाएगी

म यह नही कह रहा ह दक मरा उततर तम पकड़ लना म यह कह रहा ह दक मर उततर स तमहार भीतर

कछ रपातरण हो सकता ह उततर पकड़ वलया तो कोई सार न होगा वह तो ऐस ही हआ दक तम ददलली जात

ि रासत पर मील का पतिर लगा िा उस पर वलखा िा ददलली और तीर बना िा आग की तरफ तम पतिर

को ही पकड़कर बठ गए तमन कहा दक अछा हआ ददलली वमल गयी

उततर को पकड़ोग तो बस मील का पतिर पकड़कर बठ गए दफर बठ रहो उततर तो तीर ह वह आग

की तरफ इिारा करता ह वह कहता हः चलो कछ करो ऐस हो जाओ तो समाधान ह

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परिन

कया सफर परा करग

राह म दम तोड़ दग

य अकला छोड़त स परशन

परशन य दिमन कभी कववता

कभी तो धमम

साकषय ह इवतहास क

भववतवय क ह जनम

य कभी अनमान ह तो

ह कभी सधान

य कभी ऋत ह कभी ह

पणम का अवभजञान

रास ह य

सजदगी को मोड़त स परशन

य अकला छोड़त स परशन

परशन म सबस बड़ा ह परशन

त ह कौन

मधय म कछ ददख रहा ह

आदद म सब मौन

अत क उस पार कया ह

रावधका या कषण

तवि ह या हम सभी

रह जाएग सतषण

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

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परशन क कछ और भी ह

रग और आयाम

सतय तक सकट-जववलत हो

कया करग काम

कया महावनवीय हो कर

िव बनग हम

या हिली पर रखग

पराण अपन उषण

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

य रहसयो की खदान

खोदत स परशन

सचतको क घर दकय ह

राग रौनक जशन

जञय स अजञय तक ह

सत-कत परशन

वकषवतज वकषवतजो स धरा को

जोड़त स परशन

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

कया सफर परा करग

राह म दम तोड़ दग

य अकला छोड़त स परशन

परशन तो यातरा का इवगत ह परशन तो समाधान और तमहार बीच सत ह लदकन सचचा हो परशन और अगर

सचचा हो तो आज नही कल तम असली परशन पछोग दक म कौन ह सार परशन उसी एक परशन म जाकर वनमवजजत

हो जात ह--दक म कौन ह

और जो जान लता ह--म कौन ह उस सार उततर वमल जात ह उस एक जञान स सार उततर झर आत ह

चौिा परशनः पचगर-दायक बराहमण क घर भगवान बदध का पधारना नदी-नाव-सयोग िा या नदी-सागर-

सयोग लदकन कया यह सच नही ह दक नदी सागर क पास जाती ह सागर नदी क पास नही आता ह

पहली बातः सदगर स वमलना नदी-नाव-सयोग नही ह नदी-सागर-सयोग ह नदी-नाव-सयोग कषणभर

का होता ह पवत-पतनी का भाई-भाई का वमतर-वमतर का इस जगत क और सार सबध नदी-नाव-सयोग ह

बनत वमट जात जो बनकर वमट जाए वह सबध सासाररक ह जो बनकर न वमट वह सबध ससार का

अवतकरमण कर जाता ह

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इसीवलए तो सदा स आकाकषा रही ह आदमी क मन म दक ऐसा परम हो जो कभी वमट न कयोदक ऐसा

परम अगर हो जाए जो कभी न वमट तो वही परमातमा तक ल जान का मागम बन जाएगा और जो परम वमट-

वमट जात ह बनत ह वमट जात ह व परम नदी-नाव-सयोग ह

कोई अवनवायमता नही ह नदी नाव स अलग हो सकती ह नाव नदी स अलग हो सकती ह तम नाव को

खीचकर तट पर रख द सकत हो कोई अवनवायमता नही ह लदकन एक बार गगा सागर म वगर गयी दफर गगा

को खीचकर बाहर न वनकाल सकोग दफर कोई उपाय नही ह दफर खोज भी न सकोग दक गगा कहा गयी

दफर गगा को दबारा बाहर वनकालन की कोई सभावना नही ह

परम इस ऊचाई पर पहच तो नदी-सागर-सयोग हो जाता ह और अगर बदधपरषो क पास भी परम इस

ऊचाई पर न पहच तो दफर कहा पहचगा

जो बदध क पास ि या जो महावीर क पास ि या जो नानक क कबीर क पास ि जो सच म पास ि

उनकी नही कह रहा ह जो भीड़ लगाकर खड़ ि भीड़ लगाकर खड़ होन स कोई पास ह यह पकका नही ह

पास तो वही ह वजसक भीतर ऐस परम का उदय हआ ह वजसका अब कोई अत नही ह वही पास ह वजसक

भीतर िाशवत परम की जवाला जली ह जो अब कभी बझगी नही जो बझ ही नही सकती वही गर और विषय

का सबध ह वह इस जगत म अपवम सबध ह वह इस जगत म ह और जगत का नही ह वह ससार म घटता ह

और ससार क पार ह

तो गर और विषय का वमलन नदी-सागर-सयोग ह पहली बात

दसरी बात तमन पछी हः लदकन कया यह सच नही ह दक नदी सागर क पास जाती ह सागर नदी क

पास नही आता

नही ऊपर-ऊपर स ऐसा ददखता ह दक नदी सागर क पास जाती ह भीतर-भीतर कहानी वबलकल और

ह भीतर-भीतर कहानी ऐसी ह दक सागर नदी क पास आता ह

ऊपर-ऊपर ऐसा ददखता ह विषय गर क पास आता ह भीतर-भीतर ऐसा ह दक गर विषय क पास

जाता ह जब तक गर विषय क पास नही गया विषय गर क पास आ ही नही सकगा विषय बचारा कया

आएगा अधा--अधर म टटोलता जो रोिनी म खड़ा ह वही जो भटका ह वह कस गर को खोजगा जो

पहच गया ह वही भटक को खोज सकता ह

और वसततः भी ऐसा ही होता ह सकषम तल पर सागर ही नदी म आता ह तम दखत नहीः रोज सागर

चढ़ता ह भाप बनकर बादलो म आकाि म और वगरता ह पहाड़ो पर और नददयो म उतरता ह रोज तो यह

होता ह दफर भी तम खयाल नही लत सागर रोज चढ़ता ह दकरणो का सहारा लकर दकरणो की सीदढ़यो स

बादल बनता ह मघ बनता ह दफर मघ चलत उड़कर पहाड़ो की तरफ

मघ म तमह सागर ददखायी नही पड़ता कयोदक मघ सकषम ह इसवलए तमह भल हो गयी इसवलए तमह

खयाल म नही आया दक अगर सागर नदी क पास न जाए तो नदी सागर तक कभी नही पहच सकगी नदी म

जल ही नही होगा सागर तक पहचन का

रोज सागर आता मघ बनकर और वगरता गगोवतरयो म और गगा बनती और गगा बहती और गगा

सागर तक पहचती

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गगा सागर तक तभी पहच पाती ह जब सागर पहल गगा तक पहच जाता नही तो गगा बन ही नही

सकती गगा क पास कोई उपाय नही ह सागर तक पहचन का वबना मघो क आए गगा कया होगी रत का एक

सखा रासता वजस पर कोई जलधारा नही होगी

ऐसा ही गर और विषय का सबध ह गर मघ बनकर आता ह इसवलए ददखायी नही पड़ता सकषम तल

पर आता ह तमहार अतसतल म आता ह इसवलए ददखायी नही पड़ता ह

तम जब गर की तरफ जात हो तो ददखायी पड़ता ह--दक चल गगा जब जाती ह सागर की तरफ तो

अध को भी ददखायी पड़ता ह दक चली गगा सागर की तरफ यह तो बहत गहरी आख हो तो ददखायी पड़ता हः

जब बादलो की तरफ उठन लगी भाप तो सागर चला गगा की तरफ गर चला विषय की तरफ

पाचवा परशनः मर परशन क उततर म आपन ववनोदपवमक आतमघातो क असफल होन की कई कहावनया कही

लदकन म उनम स दकसी वववध का ववचार नही करता ह मझ तो सदा एक ही खयाल आता ह दक अपन मकान

स कद पड म रहता ह बबई की एक गगनचबी इमारत म तरहवी मवजल पर ओिो यह वववध कस असफल हो

सकती ह

इस वववध का मझ पता िा मगर यह बड़ी खतरनाक वववध ह और इसवलए इसको मन छोड़ ददया िा

जो वववधया मन कही िी उनम असफलता हो सकती िी इस वववध म और भी खतरा ह

एक झठा लतीफा टनटन अपन मोट िरीर स परिान हो गयी और तीसर मवजल मकान स जहा वह

रहती िी कद पड़ी सबह जब उसकी असपताल म आख खली तो डाकटर स उसन पछाः डाकटर कया म अभी

सजदा ह डाकटर न कहाः दवी आप तो सजदा ह मगर व तीनो मर गए वजनक ऊपर आप वगरी िी

इसवलए छोड़ ददया िा इस वववध को यह तो आप करना ही मत और वह तो तीसरी मवजल स वगरी

िी तीन मार आप तरहवी मवजल पर रहत ह आप तरह मार सकत हो आप कपा करक यह मत करना

आतमघात म इतना रस कयो ह इतना सचतन जीवन जीन क वलए करो इतनी िवि और धयान जीवन

की खोज म लगाओ तो तमह तरहवी मवजल स कदकर सड़क पर वगरकर वमटना न पड़ तमह पख लग जाए

तम आकाि म उड़ जाओ

इतना ववराट अवसर जीवन का और तम आतमघात की ही सोचत रहोग इतनी जलदी भी कया ह मतय

तो अपन स ही हो जाएगी तम न चाहोग तो भी हो जाएगी

जीवन तमहार हाि म नही ह मतय तो तमहार हाि म भी ह तम चाहो तो आज मर सकत हो मगर

जीवन तमहार हाि म नही ह जीवन तमस बड़ा ह मतय तमस छोटी ह इसीवलए हाि म ह तम जीवन पदा

नही कर सकत हालादक आतमघात कर सकत हो

खयाल दकया इस बात पर इसका मतलब कया होता ह इसका मतलब हआ दक मौत तो हमारी मटठी म

भी हो सकती ह लदकन जीवन हमस इतना बड़ा ह दक हम उस मटठी म नही बाध सकत

जो बड़ा ह जो ववराट ह उसम डबो उसम तरो उसम सतरण करो

और मौत तो अपन आप आ जाएगी यह रगण ववचार तमहार भीतर चलता कयो ह यह इसीवलए चल

रहा ह दक तम दकसी भावत जीवन स चक जा रह हो और चक गए हो

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आदमी आतमघात की तभी सोचता ह जब जीवन म उस कोई फल वखलत ददखायी नही पड़त जब वह

जीवन म हारा होता ह तमन दकसी सखी आदमी को आतमघात करन की बात सोचत दखा तमन कभी दकसी

परमी को परम क कषण म आतमघात करन की बात सोचत दखा तमन कभी दकसी सगीतजञ को वीणा बजात हए

आतमघात की बात सोचत हए दखा

जब जीवन म कोई सगीत होता फल वखलत सजन होता परम होता--तो कोई आतमघात की नही

सोचता तमहारा जीवन अनवखला रह गया होगा तमहार जीवन म सजनातमकता नही होगी तमहार जीवन म

परम न पदापमण नही दकया तमहार जीवन म आनद की कली नही वखली तम रवगसतान जस रह गए होओग

इसवलए आतमघात की बात उठती ह

और आतमघात कर लन स कोई कली नही वखल जाएगी कली वखल जाए तो आतमघात का ववचार

ववदा हो जाए

लदकन बहत लोग ह दवनया म जो आतमघात का ववचार करत रहत ह सच तो यह ह मनवसवद कहत ह

दक ऐसा आदमी खोजना करठन ह वजसन सजदगी म एक दो बार आतमघात का ववचार न दकया हो कभी न

कभी दकसी दख दकसी पीड़ा क कषण म दकसी ववषाद क कषण म सभी न सोचा ह दकया नही--यह और बात

ह और तम भी करोग नही--यह भी पकका ह कयोदक इतना सोचन वाल करत नही सना नः भौकन वाल कतत

काटत नही

आतमघात क वलए सोचन की कया जररत ह करना हो तो कर ही लो इतन ददन स सोच रह हो समयक

वववध की तलाि कर रह हो यह वववध की तलाि कर रह हो और जीए जा रह हो यह जरा रगण जीवन हो

गया दक जी रह ह मौत की वववध की तलाि करन क वलए दक मरन का ववचार कर रह ह इसवलए जीना पड़

रहा ह कया कर अभी ठीक वववध हाि नही लगी

यह बड़ी रगण दिा ह इस रगण दिा क बाहर आओ इसवलए मन तमह सझाव ददया दक आतमघात पीछ

म तमह बताऊगा ठीक-ठीक कस कर लना पहल तम सनयासी तो हो जाओ इतना तो करो इतनी वहममत तो

करो तमम इतनी भी वहममत नही ह तम आतमघात कया करोग

तम कम स कम इतना साहस करो दक लोग हसग दक तम सनयासी हो गए तो हसन दो लोग समझग दक

पागल हो गए तो समझन दो तम इतनी वहममत कर लो तो दफर म तमह ठीक-ठीक वववध बता दगा

सच तो यह ह दक ठीक वववध तमह सदगर क पास ही वमलगी आतमघात की बाकी तो आतमघात झठ ह

िरीर मर जाएगा दफर पदा होना पड़गा म तमह ऐसी वववध बताऊगा दक तम ही मर जाओग दफर कभी पदा

न होना पड़गा वह म-भाव ही मर जाएगा आवागमन स छटकारा हो जाएगा

म तमह ऐसी मतय द सकता ह दक दफर दबारा कभी न जनम होगा और न मतय होगी

छठवा परशनः ओिो ित-ित परणाम

तर वबना सजदगी स कोई विकवा नही विकवा तो नही

तर वबना सजदगी सजदगी नही सजदगी नही

पछा ह मन और हसा न

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ऐसा ददखायी पड़न लग तो िभ घड़ी आ गयी ऐसी परतीवत होन लग दक अब कोई विकायत नही तो

परािमना की पहली दकरण उतरी म परािमना कहता ही ह उस उस वचतत की दिा को जहा कोई विकायत नही

और अकसर तम जात हो मददर म परािमना करन और वसफम विकायत करन जात हो नाम परािमना होता

ह दक मरी पतनी बीमार ह दक मर बचच को नौकरी नही लग रही ह दक मर पास रहन को मकान नही ह और

इसको तम परािमना कहत हो य सब विकायत ह य सब विकव ह यह तमहारा ईशवर क परवत शरदधा का भाव

नही ह यह तम ईशवर क होन पर सदह उठा रह हो--दक तर होत हए और मर पास मकान नही अगर त ह तो

मकान होना चावहए और अगर मकान नही हआ तो समझ रखः त भी नही ह भीतर वछपी यह भावदिा ह

दक म तझ मानगा अगर त मरी माग परी कर द अगर तन मरी माग परी नही की तो सोच-समझ रख एक

भि खोया दफर तन दफर म तरा दशमन हो जाऊगा

और भीतर तो गहर म तम जानत हो दक कहा ह त कहा कौन ह यह तो दख रह ह एक कोविि करक

दख लत ह दक िायद वमल जाए मलतः मकान म तमहारा रस ह परमातमा म नही

तमहारी परािमनाए विकायतो क वछप हए ढग ह रगी-पती विकायत ह भीतर तो विकायत की गदगी ह

ऊपर स सदर रग चढ़ा ददए ह टीम-टाम नया बना ददया ह दकसको धोखा द रह हो

लदकन विकायत वमट विकवा वमट तो परािमना का जनम होता ह और परािमना का जनम इस जगत म

अपवम बात ह परािमना का अिम ह अहोभाव परािमना का अिम ह धनयवाद आभार परािमना का अिम हः जो ह वह

मरी पातरता स जयादा ह

तर वबना सजदगी स कोई विकवा नही विकवा तो नही

परमातमा न भी वमल तो भी सजदगी पयारी ह अपवम ह और सजदगी म ही उतरत जाओग तो परमातमा

भी करीब आता जाएगा सजदगी म ही वछपा ह यह सजदगी उसका ही घघट ह तम उठाओग सजदगी का घघट

और भीतर परमातमा मसकराता वमलगा

तर वबना सजदगी सजदगी नही सजदगी नही

यह भी बात ठीक ह सजदगी को परम करो वबना विकायत क और यह भी समरण रखो दक जब तक त नही

ह--सब ह दफर भी कछ कम ह सब ह सब तरह स तन परा दकया ह लदकन तर वबना तरी मौजदगी क वबना

कछ-कछ कम ह

यह विकायत नही ह यह परािमना ह

परािमना अगर माग तो एक चीज माग--परमातमा को माग परािमना कछ और न माग तमन कछ और

मागा दक परािमना गलत हई

तो ठीक मन-हसा विकवा गया विकायत गयी परािमना बन रही ह और उस परािमना म वनवशचत ही यह

भाव भी सघन होगा दक तर वबना सजदगी सजदगी नही बहत ह सब कछ ह मगर दफर भी कछ चक रहा ह

परमातमा ही जब उपवसित हो जाता ह बाहर-भीतर तो ही पररपणम पररतवि तो ही पररतोष दफर

उसक पार न तो विकायत ह न परािमना ह पहल विकायत चली जाती ह दफर एक ददन परािमना भी चली जाती

विकायत जाए तो परािमना आती ह परािमना भी एक ददन जाएगी उसी ददन परमातमा भी उतर आएगा

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सातवा परशनः धममपद क गािा-परसगो स पता लगता ह दक बराहमण ही भगवान बदध क ववरोधी ि और व

ही उनक धवज-धर भी बन ऐसा कयो हआ ओिो

सवाभाववक ह जो असली बराहमण ि व तो बदध क साि हो वलए असली बराहमण को तो बदध म बरहम क

दिमन हो गए बराहमण वही वजसको बरहम को दखन की कला आती हो बराहमण वही जो बरहममय हो व बदध को

कस चकत जो वसततः बराहमण ि जावत और कल स ही नही अवसततवगत बराहमण ि

जसा दक उददालक न अपन बट शवतकत स कहा ह जब शवतकत लौटा गर क आशरम स तो बड़ा अकड़ा

हआ लौटा अकड़ा हआ लौटा कयोदक सब िासतरो म पारगत होकर लौटता िा सवाभाववक िी अकड़ जवान

की अकड़ जस ववशवववदयालय स कोई लौटता ह सोचता हः सब जान वलया

उददालक न उस दखा वखड़की स बगीच म अदर आत उसकी अकड़ दखी उददालक उदास हो गए

कयोदक अकड़ बराहमण को िोभा नही दती

आया बटा उददालक न पछाः त कया-कया सीखकर लौटा ह तो बट न सब िासतर वगनाए--दक वद

उपवनषद वयाकरण भाषा कावय--सब जो भी िा दिमन धमम जयोवतष भगोल इवतहास पराण--जो भी उन

ददनो क ववषय होग सब उसन वगना ददए दक सब म पारगत होकर लौटा ह सब म परिम कोरट क अक पाकर

लौटा ह य रह मर सरटमदफकट

लदकन बाप न सब ऐस सना जस उस इसम कछ रस नही ह उसन कहाः म तझस यह पछता ह दक

बराहमण होकर लौटा दक नही

शवतकत न कहाः बराहमण तो म ह ही आपका बटा ह

तो बाप न कहा दक नही हमार पररवार म जनम स हम बराहमण को नही सवीकार करत तर बाप-दाद

मर बाप-दाद सदा स बराहमणतव को अनभव स वसदध करत रह ह हम पदा होन स बराहमण अपन को सवीकार

नही करत हमार पररवार म जनमना हम बराहमण को नही मानत त वापस जा बराहमण होकर लौट

बट न पछाः कमी कया ददखायी पड़ती ह बाप न कहाः तरी अकड़ तरा अहकार साफ ह तर अहकार स

दक त अपन को वबना जान आ गया ह तन और सब जान वलया लदकन अपन को नही जाना ह आतमजञान नही

हआ ह त जा बराहमण होकर लौट

यह बराहमण की पररभाषा दखत ह यह बराहमण का अिम हआः बरहम को जानो भीतर वछप बरहम को जानो

तादक बाहर वछपा बरहम भी परगट हो जाए तो बराहमण

तो जो असली म बराहमण ि--जनम स नही अनभव स जञान स बोध स--व तो बदध क पास आए व तो

बदध क पयार हो गए बदध क सार बड़ विषय बराहमण ि उनहोन यह दफकर नही की दक बदध कषवतरय ह और

कषवतरय क सामन बराहमण कस झक

बराहमण तो वही ह जो झकन की कला जानता ह वह कया दफकर करता ह कौन कषवतरय और कौन िदर

जहा बरहम अवतररत हआ ह जहा बरहम का फल वखला ह जहा वह सहसरार कमल वखला ह सहसरदल कमल

और जहा सगध वयाि हो गयी ह--वहा झकगा

जो असली बराहमण ि व तो झक गए बदध क पास आकर व तो बदध क धवज-धर बन गए लदकन जो

नकली बराहमण ि

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और नकली सवभावतः जयादा ह सौ म एकाध असली वननयानब नकली जो वसफम दकसी घर म पदा

होन क कारण नदी-नाव-सयोग क कारण अपन को बराहमण समझत ि समझत ि दक मरा बाप बराहमण िा

इसवलए म बराहमण ह

इतना आसान ह बराहमण होना दक बाप बराहमण िा तो तम बराहमण हो गए तमहार बाप डाकटर हो

इसस तम डाकटर नही हो जात तो बराहमण कस हो जाओग यह तो और गहरी बात ह तमहार बाप इजीवनयर

ि इसवलए तम इजीवनयर नही हो जात तमहार बाप की जानकारी तक तम तक नही पहचती तो बाप का

जञान तो कस पहचगा बाप की जानकारी ह दक व बड़ डाकटर ि तो तम डाकटर बाप क घर पदा हए तो तम

अपन को डाकटर िोड़ ही वलखन लगत हो जसा यहा सहदसतान म चलता ह दक डाकटर की पतनी डाकटरनी

कहलाती ह यह बड़ मज की बात ह

तो तम डाकटर क बट हो तो तम अपन को डाकटर तो नही वलखन लगत तम जानत हो दक डाकटर म

कस हो सकता ह बाप की जानकारी िी जानकारी मझ अरजमत करनी पड़गी

जानकारी तक नही आती जनम क साि खन म नही आती तो जञान तो कस आएगा जञान का अिम होता

ह आतम-अनभव समवत नही उतरती तो बोध तो कस उतरगा बोध तो और गहरा ह समवत स बहत गहरा ह

इसवलए जो सोचत ि दक हम बराहमण ह कयोदक बराहमण बाप क घर पदा हए ह और जो सोचत ि दक

हम बराहमण ह कयोदक हम वद कठसि ह जो सोचत ि दक हम बराहमण ह कयोदक हम िासतर का जञान ह--व बदध

क दशमन हो गए कयोदक जब भी बदध जसा वयवि पदा होता ह तब वह सदा िासतरो क ववपरीत पड़ जाता ह

वह परपरा क ववपरीत पड़ जाता ह वह हर जड़ वसिवत क ववपरीत पड़ जाता ह तो इन वननयानब बराहमणो को

तो लगा दक यह दशमन ह ितर ह यह हमार धमम को नषट करन को पदा हआ ह इस उखाड़ फक

तो बराहमण पकष म भी ि बराहमण ववरोध म भी ि यह सदा स हआ ह

यहा भी कछ बराहमण ह मगर व सौ म एक ही होग वननयानब तो ववरोध म होग झठ सदा ववरोध म

होग सचच पास आ जात ह दफर व दफकर नही करत

ऐसा हआ कािी म सचच बराहमण इकटठ हए कािी म झठ बराहमण तो बहत ह मगर एक दफ सचच बराहमण

इकटठ हए सार दि स व कबीर क दिमन को इकटठ हए--पदरह सौ बराहमण अनठी किा ह हई भी हो इसम िक

होता ह पदरह सौ बराहमण मगर हो भी सकती ह सच कबीर जस वयवियो क पास कभी-कभी ऐस परसग भी

हो जात ह

पदरह सौ बराहमण सार दि स इकटठ हए कबीर क सतसग क वलए कबीर तो जलाहा ि मसलमान ि जनम

स तो उनकी तो िदर स कोई ऊची वसिवत नही िी िदर स गए-बीत ि खद उनक गर रामानद न जो दक

वहममतवर आदमी ि उन तक न इनकार कर ददया िा कबीर को दीकषा दन स--दक त भई हम झझट म डाल

दगा

कबीर न उनस दीकषा ली िी बड़ उपाय स बड़ी किलता स ऐसी दीकषा पहल कभी हई भी नही िी

रामानद न कई बार इनकार कर ददया कबीर को दक त यहा आया ही मत कर कयोदक इसस हम झझट म पड़

जाएग यह बराहमणो का गढ़ ह कािी और यहा म दकसी जलाह को द दगा दीकषा तो मवशकल होगी वहममतवर

न रह होग कमजोर रह होग

तो कबीर गगा क दकनार सीढ़ी पर जहा रामानद सनान करन जात रोज सबह चार बज चादर ओढ़कर

पड़ रह अधर म रामानद का पर पड़ गया कबीर पर पर पड़ गया तो कहाः राम राम और कबीर न कहाः

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बस द ददया मतर हो गया म विषय आपका आप हए मर गर अब राम-राम जपगा और पा लगा और कबीर

राम-राम जपकर पा वलए

इतनी खोज हो तो राम-राम कया कछ भी जपो--वमल जाएगा ऐसी परगाढ़ आकाकषा हो दफर तो

रामानद भी इनकार न कर सक दक ऐसा पयारा आदमी

इस तरकीब स दीकषा ली कहा दक फक ददया कान बरहममहतम म कह ददयाः राम-राम अब और कया

चावहए अब कभी न आऊगा अब कभी न सताऊगा आपको परिान न करगा लदकन आपका हो गया

रामानद वजसस डर ि विषय बनान म उसक दिमन क वलए पदरह सौ बराहमण सचच बराहमण रह होग

वही तो कबीर म उतसक हो सकत ह व इकटठ हए कबीर को उनहोन वनमवतरत दकया दक आप आए और धमम हम

समझाए

कबीर आए वहा पदरह सौ परषो को दखा और लौट गए बड़ हरान हए बराहमण उनहोन कहाः आप लौट

कयो जा रह ह बात कया ह

उनहोन कहाः मीरा कहा ह

जो कबीर को सनन आ गए ि--कबीर जलाह को--उनकी भी इतनी वहममत नही िी दक सतरी को बलाए

सतरी की हालत िदर स बदतर रही

इसवलए तो तलसीदास न उसको िदरो म वगना ह िदर ढोल पि नारी--य सब ताड़न क अवधकारी

तलसीदास स जयादा खतरनाक और बीमार आदमी इस दि म दसरा नही हआ और जब तक इस दि का

तलसीदास स छटकारा नही होता तब तक बड़ी अड़चन ह

तो मीरा की खबर तो कई लोगो को िी मीरा पास ही िी उसकी सगध भी आती िी लदकन सतरी क

पास परष जाए परष तो परमातमा ह और सतरी तो ताड़न की अवधकारी ह सतरी को परष सममान द िदर को

भी द द एक बार चलो आवखर परष ह न िदर परष तो ह मीरा म तो बहत झझट हो गयी सतरी भी ह यह

तो करठन बात िी

कबीर आकर खड़ हए और उनहोन कहाः जब तक मीरा न आएगी तब तक म नही आऊगा मजबरी म

मीरा को वनमवतरत करना पड़ा और जब मीरा आयी और नाची तब कबीर आए उनहोन कहाः मीरा क नाच स

सब िदध हो गया अब यहा सच म ही बराहमणतव की जयोवत जल रही ह अब न कोई िदर ह न कोई सतरी ह अब

सब भद वगर

जहा भद वगर जात ह वहा बरहम का अनभव ह अभद--बरहम का अनभव ह

तो जो सचच बराहमण ि व तो बदध क साि हो वलए व सदा स रह बदध क साि महावीर क साि कबीर

नानक मोहममद जीसस--दवनया म जहा भी कभी कोई लोग हए ह वजनहोन जाना ह--असली बराहमण सदा

उसक साि हो गए नकली बराहमण सदा उसक ववपरीत हो गए ह

नकली की भीड़ ह नकली का समह ह इन नकवलयो न वमलकर बदध क धमम को इस दि स उखाड़ ददया

इस दि की सबस बड़ी सपदा इन नकवलयो न भरषट कर दी इस दि का सबस बड़ा मानव इन नकवलयो न

पराया कर ददया

आज सारा एविया बदध का गणगान करता ह--एक वसफम उनक इस दि को छोड़कर यह अभागा दि बदध

क गणगान स भरा हआ नही ह

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आवखरी परशनः

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

परवान मगर य कहन लग

दीवान तो जलकर ही दखग

तरी याद म जलकर दख वलया

अब आग म जलकर दखग

इस राह म अपनी मौत सही

य राह भी चलकर दखग

पछा ह अनादद न

यही मागम सनयासी का भी ह--परवान का मागम जो जलन को ततपर ह जो वमटन को राजी ह जो खोन

की वहममत रखता ह

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

दवनया तो सदा स कहती रही ह परवान स--दक पागल कहा जाता ह वह वसफम चमक नही ह दीए म

वहा आग भी ह

यही तो तमस भी कहा ह लोगो न दक मर पास मत आना यहा चमक ही नही ह आग भी ह

लदकन परवान दवनया की सनत परवान दवनया की सन तो परवान नही जो दवनया की सन व

परवान हो नही सकत परवान तो अपन भीतर की सनत ह

दीए न पकारा ह िमा न पकारा ह उस जलती जयोवत न पकारा ह जाना ह--चाह कोई भी कीमत हो

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

परवान मगर य कहन लग

दीवान तो जलकर ही दखग

दवनया म और कोई दखन का उपाय भी नही ह जलकर ही दखना पड़ता ह चलकर ही पहचता ह कोई

और जलकर ही दखता ह कोई वबना अनभव क कोई जञान नही

तरी याद म जलकर दख वलया

अब आग म जलकर दखग

इस राह म अपनी मौत सही

य राह भी चलकर दखग

मौत वनवशचत ही ह िक-सबहा कहा मौत वनवशचत ही ह वह परवाना दख रहा हः दसर परवान भी जल

गए ह जो पास पहचकर वगर गए ह उनक पख जल गए ह उनक पराण उड़ गए ह लदकन यह दसरो को

ददखायी पड़ता ह--दक बचारा परवाना जलकर मर गया लदकन जो दसर परवान चल आ रह ह व दखत ह

दक धनयभागी िा दह स मि हो गया सपजर स बाहर हो गया छट गया बधन छट गयी काया

49

य तो जो अपन को बचाना चाहत ह व सोचत ह दक बचारा जलकर मर गया नासमझ अजञानी

जलकर मर गया दर रहता

लदकन जो परवान चल आ रह ह और उड़त हए उनको तो यही ददखायी पड़ता ह दक धनयभागी िा जो

हमस पहल पहच गया व इतना ही नही दखत दक जो नीच जलकर वगरकर पड़ी ह दह व वह भी दखत ह जो

उड़ गयी आतमा जो मि हो गयी आतमा उनह कछ और भी ददखायी पड़ता ह

एक तो वह ह वजस ददखायी पड़ता ह दक बीज सड़ गया खतम हो गया-- बचारा और एक वह ह वजस

ददखायी पड़ता ह दक पौधा पदा हो गया धनयभागी

बीज मरता ह तभी तो पौधा पदा होता ह परवाना मरता ह तभी तो परततरता स मि होता ह परम

दिा को पाता ह

इस राह म अपनी मौत सही

सही नही--होन ही वाली ह मौत क वबना कभी कछ होता ही नही मौत क वबना जीवन ही नही होता

वजतनी बड़ी मौत उतना बड़ा जीवन वजतनी घनी मौत उतना बड़ा जीवन

तम उसी मातरा म जीत हो वजस मातरा म तम साहस रखत हो मरन का

वही तो ह सजदगी ह वजसम अटट एहसास बका का

ह मौत का वजसम खौफ हरदम वो सजदगी सजदगी नही ह

वही तो ह सरवरी जो बदो स दोसती बन क हो नमाया

जो करसमए-अिम पर मकी ह वो सरवरी सरवरी नही ह

वही तो ह आगही न वजसम हो जहदो-इवसया म फकम कोई

हो नकोबद की तमीज वजसम वो आगही आगही नही ह

वही अखववत ह फकम हो जब न आदमी आदमी म कोई

रवा जो रख य फकम वो कौम-अहमदी अहमदी नही ह

वही तो ह आदमी जो जीता ह दसरो क वलए हमिा

वजए फकत अपन ही वलए वो आदमी आदमी नही ह

वही तो ह िायरी जो राज-जमाल-दफतरत की तरजमा हो

जो वघर क रह जाए रगो-ब म वो िायरी िायरी नही ह

वही तो ह सजदगी ह वजसम अटट एहसास बका का

ह मौत का वजसम खौफ हरदम वो सजदगी सजदगी नही ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ पदरह परवचन

ववराट की अभीपसा

सगार पववटठसस सतवचततसस वभकखनो

अमानसी रती होवत सममाधमम ववपससतो 307

यतो यतो सममसवत खनधान उदयबबय

लभती पीवतपामोजज अमत त ववजानत 308

परटसनिारवततसस आचारकसलो वसया

ततो पामोजजबहलो दकखससनत कररससवत 309

ववससका ववय पपफावन मददवावन पमचवत

एव रागच दोसच ववपपमचि वभकखवो 310

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस 311

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो 312

परिम दशयः

भगवान जतवन म ववहरत ि उस समय पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो

म उतरन का सकलप दकया समावध स कम उनका लकषय नही िा गधकटी क बाहर ही सबह क उगत सरज क

साि व धयान करन बठ गधकटी क चारो ओर जही क फल वखल ि

िासता न उन वभकषओ को कहाः वभकषओ जही क वखल इन फलो को दखत हो सबह वखल ह और साझ

मझाम जाएग ऐसा ही कषणभगर जीवन ह अभी ह अभी नही ह इन फलो को धयान म रखना वभकषओ यह

समवत ही कषणभगर क पार ल जान वाली नौका ह

वभकषओ न फलो को दखा और सकलप दकयाः सधया तमहार कमहलाकर वगरन क पवम ही हम धयान को

उपलबध होग हम रागादद स मि होग फलो तम हमार साकषी हो

भगवान न साध साध कहकर अपन आिीषो की वषाम की

और तभी उनहोन य गािाए कही िीः

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सगार पववटठसस सतवचततसस वभकखनो

अमानसी रती होवत सममाधमम ववपससतो

िनय गह म परववषट िात-वचतत वभकष को भली-भावत स धमम की ववपससना करत हए अमानषी रवत पराि

होती ह

यतो यतो सममसवत खनधान उदयबबय

लभती पीवतपामोजज अमत त ववजानत

जस-जस वभकष पाच सकधो--रप वदना सजञा ससकार और ववजञान--की उतपवतत और ववनाि पर

ववचार करता ह वस-वस वह जञावनयो की परीवत और परमोद रपी अमत को पराि करता ह

परटसनिारवततसस आचारकसलो वसया

ततो पामोजजबहलो दकखससनत कररससवत

जो सवा-सतकार सवभाव वाला ह और आचार-किल ह वह आनद स ओतपरोत होकर दख का अत

करगा

ववससका ववय पपफावन मददवावन पमचवत

एव रागच दोसच ववपपमचि वभकखवो

जस जही अपन कमहलाए फलो को छोड़ दती ह वस ही ह वभकषओ तम राग और दवष को छोड़ दो

इसक पहल दक हम सतरो पर ववपससना कर उन पर धयान कर इस दशय को ठीक स मन म बठ जान दो

भगवान जतवन म ववहरत ि

जनिासतर जब महावीर की बात करत ह तो व कहत हः भगवान ववराजत ि बौदधिासतर जब बदध की

बात करत ह तो व कहत हः ववहरत ि

इन दो िबदो म भद ह तावतवक भद ह ववराजना विरता का परतीक ह ववहरना गवत का

जन-दवषट म सतय विर ह ठहरा हआ ह सदा एक-रस ह बौदध-ववचार म सब गवतमान ह परवाहमान ह

सब बहा जा रहा ह बौदध-ववचार म ऐसा कहना ही ठीक नही ह दक कोई चीज ह हर चीज हो रही ह

जस हम कहः वकष ह तो बौदध-ववचार म ठीक नही ह ऐसा कहना कयोदक जब हम कह रह हः वकष ह

तब भी वकष बदल रहा ह हो रहा ह एक पराना पतता टटकर वगर गया होगा जब तमन कहाः वकष ह एक

कली वखलती होगी फल बनती होगी एक नया अकर आता होगा एक नयी जड़ वनकलती होगी वकष िोड़ा

बड़ा हो गया होगा िोड़ा बढ़ा हो गया होगा

52

वजतनी दर म तमन कहा वकष ह उतनी दर म वकष वही नही रहा बदल गया रपातररत हो गया तमह

ददखायी नही पड़ता रपातरण कयोदक रपातरण बड़ा धीमा-धीमा हो रहा ह आवहसता हो रहा ह िनः-िनः

हो रहा ह मगर रपातरण तो हो ही रहा ह

इसवलए बदध तो कहगः ऐसा ही कहो दक वकष हो रहा ह ह जसी कोई चीज जगत म नही ह सब चीज

हो रही ह

हम तो नदी तक को कहत ह दक नदी ह बदध कहत हः पहाड़ो को भी मत कहो दक पहाड़ ह कयोदक

पहाड़ भी बह रह ह नदी तो बह ही रही ह वह तो हम दखत ह दक नदी बह रही ह दफर भी कहत ह नदी ह

तो बदध न भाषा को भी नए रप ददए सवाभाववक िा जब कोई दिमन जनम लता ह तो उसक साि ही

सब नया हो जाता ह कयोदक वह हर चीज पर अपन रग को फकता ह

बदध-भाषा म ह का कोई मलय नही ह हो रहा ह का मलय ह

जन-भाषा म ह का मलय ह कयोदक हम उसी को खोजना ह जो कभी नही बदलता जो बदल रहा ह

वह ससार

वसा ही सहद-ववचार म भी जो बदल रहा ह वह माया और जो कभी नही बदलता वही बरहम तो बरहम

को हम ऐसा नही कह सकत दक ववहरता ह कहना होगा ववराजता ह

बदध की सारी किाए उनक सबध म वलख गए सार वचन सदा िर होत हः भगवान जतवन म या

शरावसती म या दकसी और सिान पर ववहरत ि

गतयातमकता पर बदध का बड़ा जोर ह सब परवाहरप ह और वजस ददन परवाह रक जाएगा उस ददन

तमहार हाि म ऐसा नही ह दक पणम और िाशवत पकड़ म आ जाएगा वजस ददन परवाह रक जाएगा उस ददन

तम वतरोवहत हो जाओग

महावीर क मोकष म आतमा बचगी और दफर सदा-सदा रहगी बदध क वनवामण म आतमा ऐस बझ जाएगी

जस दीया बझ जाता ह इसीवलए िबद वनवामण का उपयोग हआ ह वनवामण का अिम होता हः दीए का बझ

जाना

एक दीया जल रहा ह तमन फक मार दी और जयोवत बझ गयी अब कोई तमस पछ दक जयोवत कहा

गयी--तो कया कहोग कोई तमस पछ दक अब जयोवत कहा ह--तो कया कहोग

ऐस ही कहत ह बदध जब वासना का तल चक जाता ह और जीवन की जयोवत बझ जाती ह तो तम

िनय हो जात हो उस िनय का नाम वनवामण ह ऐसा नही ह दक तमहार हाि म कोई विर वसत पकड़ म आ

जाती ह पकड़न वाला भी खो जाता ह मटठी ही खो जाती ह बाधोग दकस पर

तो जगत ह परवाह और वनवामण ह परवाह का िनय हो जाना परवाह स मकत हो जाना लदकन खयाल

रखना यह खयाल मत लना मन म दक मि होकर तम बचोग परवाह म ही बचाव ह जब तक परवाह ह तभी

तक तम हो परवाह ही तम हो वजस ददन परवाह गया तम भी गए

दीए की जयोवत तम साझ को जलात हो और सबह जब उठकर दखत हो तो सोचत हो वही जयोवत जल

रही ह तो गलत सोचत हो वह जयोवत तो लाखो बार बझ चकी रात म परवतपल धआ हो रही ह जयोवत धआ

होती जाती ह नयी जयोवत जनमती जाती ह परानी हटती जाती ह वजसको तमन साझ जलाया िा सबह तम

उसी को नही बझा सकत वह तो बची ही नही दफर सबह वजस जयोवत को तम बझात हो यह वही जयोवत

53

नही ह वजसको तमन जलाया िा यह दसरी ही जयोवत ह यदयवप उसी जयोवत क परवाह म आयी ह सतवत ह

सतान ह वही नही ह जस बाप न दकसी क तमह गाली दी िी तमन बट को मारा ऐसी बात ह

साझ जो जलायी िी जयोवत वह तो कब की गयी अब तम उसक बट-बटी को बझा रह हो उसकी

सतान को बझा रह हो कई पीदढ़या बीत गयी रात म लदकन अगर तल बचा रह तो जयोवत जलती चली

जाएगी और यह भी हो सकता ह इस दीए म बझ जाए और दसर दीए म छलाग लगा जाए वजसम तल भरा

ह तो वहा जलन लगगी सतान वहा बहन लगगी

ऐसा ही वयवि एक जनम स दसर जनम म छलाग लगाता ह वासना नही चकती तो जयोवत नयी वासना

नए तल को खोज लती ह नए गभम को खोज लती ह लदकन वजस ददन वासना का तल पररपणम चक गया

जयोवत जलकर भसमीभत हो जाती ह वनवामण हो जाता ह तम महािनय म लीन हो जात हो

परवाह ससार ह परवाह का िनय हो जाना मोकष ह

भगवान जतवन म ववहरत ि उस समय पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो

म उतरन का सकलप दकया

धयान क वलए सकलप चावहए सकलप का अिम होता हः सारी ऊजाम को एक सबद पर सलगन कर दना

सकलप का अिम होता हः अपनी ऊजाम को ववभावजत न करना कयोदक अववभाजय ऊजाम हो तो ही कही पहचना

हो सकता ह

जस सरज की दकरण ह अगर इनको तम इकटठा कर लो एक जगह कर लो तो आग पदा हो जाए

वबखरी रह तो आग पदा नही होती ऐसी ही मनषय की जीवन ऊजाम ह एक जगह पड़ एक सबद पर वगरन

लग तो महािवि परजववलत होती ह पचचीस धाराओ म बहती रह तो धीर-धीर खो जाती ह जस नदी

रवगसतान म खो जाए कही पहचती नही

समझो गगा की कई धाराए हो जाए तो सागर तक नही पहच सकगी दफर गगा पहचती ह सागर तक

एक धारा क कारण और वजतनी धाराए मागम म वमलती ह व सब गगा क साि एक होती जाती ह जो नदी

आयी--वगरी यमना आयी--वगरी जो नदी-नाला आया--वगरा व सब गगा क साि एक होत चल जात ह

गगोतरी म तो गगा बड़ी छोटी ह उतरत-उतरत पहाड़ो स बड़ी होन लगती ह मदान म ववराट होन

लगती ह सागर तक पहचत-पहचत खद ही सागर जसी हो जाती ह गगोतरी स गगासागर तक की यातरा

समझन जसी ह कयोदक वही मनषय की ऊजाम की यातरा भी ह

तम दो तरह स जी सकत होः सकलपहीन या सकलपवान सकलपहीन का अिम होता हः तमहार जीवन म

पचचीस धाराए ह धन भी कमा ल पद भी कमा ल परवतिा भी बना ल साध भी कहलाऊ धयान भी कर ल

मददर भी हो आऊ दकान भी चलती रह तमहारा जीवन पचचीस धाराओ म ववभावजत ह इसवलए कछ भी परा

नही हो पाता न दकान परी होती न मददर परा होता न धन वमलता न धयान वमलता

ऊजाम सगहीत होनी चावहए तो सकलप का जनम होता ह एक धारा म वगर अखवडत वगर तो कछ भी

असभव नही ह जीवन म चीज असभव इसवलए मालम हो रही ह कयोदक तम टट हो खड-खड टकड़-टकड़ म

तम एक नही हो इसवलए जीवन म बहत सी चीज असभव ह तम एक हो जाओ तो कछ भी असभव नही ह

सकलप का यही अिम होता ह

पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो म उतरन का सकलप दकया

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दफर भी सकलप तो उनहोन दकया भगवान क आिीष को भी आए तमहारा सकलप ऐस तो काफी ह

लदकन अततः तमहारा ही ह एक अजञानी क सकलप का मलय दकतना हो सकता ह बाध-बधकर दकसी तरह

समहालकर करन की कोविि करोग लदकन भल-चक हो जान की सभावना ह दकसी जञानी का आिीष भी हो

तो तमहार सकलप क बच रहन की तमहार सकलप क बन रहन की तमहार सकलप क पर होन की जयादा

गजाइि ह जीत सवनवशचत हो जाएगी

जञानी का आिीष तमहार खडो को सीमट की तरह जोड़ दगा कोई मर पीछ खड़ा ह जो जानता ह--यह

भरोसा भी तमह दर तक ल जान वाला होगा जस छोट बचच को कोई डर नही लगता उसकी मा पास हो बस

दफर चाह तम उस नकम ल जाओ कोई दफकर नही ह वह नकम म भी खलन लगगा उसकी मा पास ह और तम

उस सवगम ल जाओ और उसकी मा पास न हो तो वह सवगम म भी ववपि और दखी होन लगगा उसकी मा पास

नही ह रोन लगगा चीखन-पकारन लगगा

वह जो मा की मौजदगी ह वही गर की मौजदगी ह गर मौजद हो तो यातरा बड़ी सगम हो जाती ह

लदकन गर की मौजदगी का मतलब कया होता ह गर की मौजदगी का मतलब ह दक तमन दकसी क चरणो म

वसर झकाया ह और दकसी को गर सवीकार दकया ह

गर मौजद भी हो लदकन तमहार भीतर विषय-भाव मौजद न हो तो दकसी अिम का नही ह दफर गर गर

नही ह गर बनता ह तमहार विषय-भाव स

इन पाच सौ वभकषओ न भगवान क चरणो म आकर परािमना की होगी दक हम धयान की गहराइयो म

जाना चाहत ह जी वलए बहत ववचार म और कछ भी नही पाया सोच वलया खब कछ भी नही वमला कर

वलया सब दख बना रहता ह वमटता नही अब हम सब दाव पर लगा दना चाहत ह अब हम कछ बचाना

नही चाहत अब हम आिीष दो दक हम भटक न जाए दक हम बीच स लौट न आए दक हम डगमगा न जाए

दक हम पि-भरषट न हो जाए दक हम मागमयत न हो जाए दक हम दकसी और ददिा म न बह जाए आिीष दो

दक आप हमार साि रहोग आिीष दो दक आपकी छतर-छाया होगी आिीष दो दक आपकी दवषट हमारा पीछा

करगी दक आप हमार भीतर मौजद रहग और दखत रहग दक हम ठीक चल रह न हम चक तो नही रह यह

भरोसा हम आ जाए दक आप खड़ हो हमार साि हम अकल नही ह तो हम दर तक की यातरा कर लग

यातरा तो वयवि को सवय ही करनी ह भरोस की कमी ह गर की जररत ह भरोस क कारण वजस ददन

तमहारी यातरा परी हो जाएगी उस ददन तम पाओगः गर न कछ भी नही दकया और बहत कछ भी दकया

कछ भी नही दकया इस अिो म दक वजस ददन तम यातरा परी कर लोग तम पाओग दक गर पास-पास

तरता रहा तमह भरोसा बना रहा दक अगर डबगा तो कोई बचा लगा लदकन तरत तम रह तम तरकर पहच

अपन आप िायद गर न हाि भी न लगाया हो लदकन पास-पास तरता रहा

तो एक अिम म तो कछ भी नही दकया हाि भी नही लगाया हाि लगान की जररत ही नही ह तम

पहच सकत हो इतनी िवि परमातमा न परतयक को दी ह दक वापस मलसरोत तक पहच जाए इतना पािय

सभी क भीतर रखा ह इतना कलवा तम लकर ही पदा हए हो दक यातरा परी हो जाए और भोजन चक नही

लदकन तमम भरोस की कमी ह और वह भी सवाभाववक ह कभी वजस मागम पर चल नही उस मागम पर

चलन म भरोसा हो कस शरदधा का अभाव ह आतमशरदधा नही ह तमह डर ह दक मझस न हो सकगा और

तमहार डर क कारण ह सवनवशचत कारण ह छोटी-छोटी चीज की ह और नही हो सकी कभी वसगरट पीत ि

और छोड़ना चाही--नही छटी वषो महनत की और नही छटी दकतनी ही बार तय दकया और नही छटी और

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हर बार तय करक वगर और हर बार तय करक पछताए और दफर पीया और दफर भल की दफर अपराध

हआ धीर-धीर गलावन बढ़ती गयी आतम-ववशवास खोता गया एक बात साफ हो गयी दक तमहार दकए कछ

होन वाला नही ह कषदर सी बात नही छटती

तो वजस आदमी को वसगरट पीना न छट सका हो अपन ही सकलप स वह धयान म जाए--कस भरोसा

हो

जो आदमी कई बार वनणमय दकया दक सबह पाच बज उठ आऊगा बरहम-महतम म और कभी नही उठ सका

अलामम भी भरा पाच बज अलामम भी बजा तो गाली दकर घड़ी को भी पटक ददया करवट लकर दफर सो रहा

सबह पछताया दफर रोया चीखा दफर कसम खायी दक अब कल कछ भी हो जाए उठगा दफर कल यही

हआ दकतन ददन तक ऐसा करोग एक ददन तम पाओगः यह अपन स नही होना छोड़ो सोत तो रहत ही हो

अब यह झझट भी कयो लनी उठना तो होता नही होगा भी नही हार गए हार गए तो तमहार भीतर स

आतम-शरदधा वतरोवहत हो जाएगी

इसवलए म तमस कहता हः कषदर बातो म अपन जीवन-परयास को मत लगाना कयोदक कषदर स अगर हार

गए तो ववराट की ददिा म जान म अड़चन आ जाएगी इसवलए म नही कहता दक तम लड़ो छोटी-छोटी बातो

स छोटी-छोटी बातो स लड़न स वसफम हावन होती ह लाभ कछ भी नही होता ह

म तो तमस कहता हः लड़ना ही हो तो दकसी बड़ी बात म ही जझना छोटी बात म जझना ही मत

हारोग तो भी कम स कम इतना तो रहगा खयाल दक बात इतनी बड़ी िी इसवलए हारा छोटी बात स लड़ोग

हारोग तो बड़ी गलावन होगी दक बात इतनी छोटी िी और नही जीता

आचायम तलसी लोगो को अणवरत समझात ह म महावरत समझाता ह अणवरत खतरनाक ह छोटा सा

वरत लना ही मत जीत तो कछ लाभ नही

समझो दक वसगरट पीत ि और जीत गए अब नही पी तो कया खास लाभ ह कछ खास लाभ नही ह

जीत तो कोई आतम-गररमा पदा नही होगी अगर दकसी स कहोग दक मन वसगरट पीना छोड़ ददया तो वह

कहगाः इसम कया रखा ह हम पहल स नही पीत इसम कोई खास बात नही हो गयी धआ भीतर ल गए धआ

बाहर लाए अब नही ल जात इसम कौन सा गण-गौरव ह इसम तमन कौन सी कला वसदध कर ली

जीत तो कछ लाभ नही और अगर हार और सौ म वननयानब मौक ह हारन क जीतन क नही

अगर हार--वजसक वननयानब मौक ह--तो बड़ी हावन ह

मन सना ह ईसप की कहानी हः एक गध न एक ससह को ललकारा दक आ हो जाए दो-दो हाि आज

तय हो जाए दक कौन इस जगल का राजा ह ससह पछ दबाकर भाग गया एक लोमड़ी दखती िी वह बड़ी

हरान हई यह ससह तो हावियो की भी चनौवतयो को कभी डरा नही यह गध स पछ दबाकर भाग गया

मामला कया ह

लोमड़ी न पीछा दकया पछा दक आप राजा ह समराट ह और एक गध स

उसन कहाः गध की वजह स ही भागा अगर गधा हारा तो हमारी जीत स कछ लाभ नही लोग कहग

कया जीत गध स जीत और बदनामी होगी अगर गधा जीत गया भल-चक गधा ही ह इसका कया भरोसा

दलतती मार या कछ हो जाए और कभी जीत जाए सयोग स तो हम सदा क वलए मार गए हम नही मार गए

हमारी सतवत भी मारी गयी दफर सदा क वलए ससहो का वसर झक जाएगा

छोट स नही लड़ना

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म भी तमस यही कहता हः छोट स मत लड़ना लड़ना हो तो कोई बड़ा दशमन चनना वजतना बड़ा

दशमन चनो उतना लाभ ह लड़ना हो तो धमरपान मत चनना धयान चनना लड़ो तो ससह स लड़ो हार तो

भी कहन को तो रहगा दक ससह स हार जीत तब तो कहना ही कया दोनो हाि लडड होग

छोट स मत लड़ना

आचायम तलसी न मझ एक दफा वनमवतरत दकया िा उनक एक सममलन म मन उनस कहा दक नही

अणवरत िबद मझ नही जमता छोटी-छोटी बातो म म आदमी को नही उलझाना चाहता छोटी-छोटी बातो म

ही उलझकर आदमी मरा ह कछ महावरत की बात हो

और यह बड़ मज की बात ह दक छोट स आदमी अकसर हार जाता ह और बड़ स जीत जाता ह यह

गवणत बड़ा बबझ ह इसक पीछ बड़ा मनोववजञान ह

छोट स आदमी कयो हार जाता ह पहली तो बात यह दक जो छोट स लड़न चला ह उसन अपन को

बहत छोटा मान ही वलया उसका भरोसा ही बहत छोट का हो गया जो आदमी वसगरट स लड़न चला ह या

पान स लड़न चला ह या इसी तरह की छोटी-मोटी बातो स लड़न चला ह उसन अपनी कषदरता सवीकार कर

ली इसी सवीकार म हार ह

समझदार आदमी वसगरट स लड़ता नही अगर नही पीना ह तो वसफम छोड़ दता ह लड़ता नही नही

पीना ह तो नही पीता कौन कहता ह दक पीओ वसफम छोड़ दता ह वबना लड़ उस बात ददख गयी दक नही

जचती कोई सार नही ह उस अतदमवषट म ही छटना हो जाता ह

वबना लड़ हो जाए तब तो ठीक जो आदमी कहता हः लगोटी बाधगा और दड-बठक लगाऊगा इसस

लडगा वह पहल स ही हारन की बात पककी हो गयी उसकी वह पहल स ही डरा हआ ह वह घबड़ा रहा ह

उसकी घबड़ाहट उस कपा रही ह वह जानता ह दक म जीतन वाला नही वह जानता ह दक घड़ीभर वसगरट न

पीऊगा तलब उठगी दफर कया होगा

ऐसा हआ पहला आदमी उततरी धरव पर पहचा िा तो उसन जब लौटकर अपन ससमरण वलख तो

उसन ससमरणो म वलखा दक हम सबस बड़ी करठनाई तब आयी जब वसगरट चक गयी भोजन कम हो गया

तो लोग एक बार भोजन करन को राजी ि मगर जब वसगरट चक गयी तो बड़ी मसीबत खड़ी हो गयी लोग

जहाज की रवससया काट-काटकर पीन लग रवससया और जो उनका परमख िा वह तो बहत घबड़ाया उसन

कहाः य रवससया तम पी गए तो यह जहाज चलगा कस वापस हम कस पहचग

रवससयो को बचाना मवशकल हो गया कयोदक अवधक तो धमरपान करन वाल लोग ि व रात म उठ

आए चोरी स रससी काटकर पी जाए और कोई चीज पीन को िी भी नही जहाज पर रवससया ही िी वजनम

स धआ वनकल सकता िा बामवशकल व लौट पाए उन रवससयो को दकसी तरह बचा-बचाकर

एक आदमी यह पढ़ रहा िा अखबार म--हाि म वसगरट वलए--उस खयाल आया दक अगर म भी उस

यातरा म होता और वहिखलाबदध धमरपान करन वाला िा चन समोकर िा एक वसगरट स दसरी जलाए

दसरी स तीसरी जलाए वसगरट हाि स छट ही नही अभी भी अखबार पढ़ रहा िा लदकन उस लगा दक

अगर म उस यातरा म होता तो कया मन भी जहाज की गदी रवससया पी होती मन भी और उसन हाि स

वसगरट छोड़ दी और उसन कहाः अब म दखगा जब इतनी तलब मझम उठ दक म जहाज की सड़ी-गली

रवससयो को धमरपान कर जाऊ तभी वसगरट हाि म उठाऊगा

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तीस साल बीत गए और उसन वसगरट हाि म नही उठायी यह वबना लड़ छोड़ना ह यह वसफम एक बात

ददखायी पड़ गयी--दक यह तो हदद मढ़ता की बात ह मगर यह कया मरी भी दिा यही होगी ऐसा सोचत ही

वसगरट हाि स छोड़ दी छोड़ दी कहना िायद ठीक नही छट गयी लड़ा नही वसगरट और मावचस सदा

टबल पर रखी रही तीस साल तक जब तक वह मरा नही इस परतीकषा म रहा दक उस ददन पीऊगा वजस ददन

ऐसी दिा हो जाएगी दक अब कछ भी पी सकता ह मगर वह दिा कभी न हई और वह बहत हरान हआः

तलब उठी ही नही

तम तलब उठन क पहल ही मान हो दक उठगी उठन ही वाली ह बचना मवशकल ह तमहारी मानयता

ही तमह भरमा रही ह

छोटी-छोटी कषदर बातो स मत लड़ना और बड़ी तो एक ही बात हः लड़ना हो तो परमातमा क वलए

लड़ना लड़ना हो तो धयान क वलए लड़ना वहा परी ऊजाम लकर लड़ना इस ववराट की लड़ाई म तम अकल

भी नही रहोग इस ववराट की लड़ाई म जो भी उसको उपलबध हो गए ह सबक आिीष तमह उपलबध होग

आिीष लकर लड़ना

कयो आिीष लकर लड़ना तादक तमहार साि बदध की ऊजाम जड़ जाए दकसी वजन की ऊजाम जड़ जाए

दकसी सत की ऊजाम जड़ जाए दकसी सत का भागय अपन साि जोड़ लना--यह आिीष का अिम ह जब दकसी

सत का भागय अपन भागय स जोड़ा जा सकता हो तो नासमझ ह जो न जोड़

बदध का आिीष वलया चाहत ि धयान की गहराइयो म उतरना ह समावध स कम उनका लकषय नही

िा

इसस कम लकषय रखना भी नही छोट-छोट लकषय रखना ही नही दर आकाि क तार पर आख होनी

चावहए और अगर तमह दो मील जाना हो तो दस मील जान का सकलप होना चावहए तो दो मील पहचोग

वजतना तमह पाना हो उसस बड़ा सकलप रखना

अकसर लोग उलटा कर लत ह जाना तो चाहत ह सरज तक सकलप बड़ा छोटा सा होता ह दीए तक

पहचन का भी नही होता दफर सरज तक कस पहचोग

सकलप तो आतयवतक होना चावहए वजन लोगो न धन को चना ह सकलप की तरह उनहोन बड़ कषदर को

चन वलया वजनहोन धयान को चना ह उनहोन ही ठीक चना ह चनौती बड़ी चावहए तादक तमहार भीतर सोयी

हई िविया जाग जाए इसवलए कषदर क साि लड़ाई म हार हो जाती ह कयोदक कषदर की चनौती म तमहार

भीतर सोयी हई िविया जागती ही नही िविया जागती तभी ह जब उनक सामन खतरा खड़ा हो जाए

बड़ी चनौती दो वजतनी बड़ी चनौती होगी उतना ही ववराट तम अपन भीतर जागता हआ पाओग

चनौती का सामना करना ह चनौती स जझना ह

तमन कभी खयाल दकयाः अगर दकसी करठनाई क समय म तम जझ पड़त हो तो तमहार भीतर बड़ी

ऊजाम होती ह जसी सामानयतया नही होती

जस समझो दक घर म आग लग गयी ह तम िक-माद आए ि दक सात ददन स यातरा कर रह ि और

सारा िरीर टट रहा िा और तम वबलकल िक-माद ि और भख ि और चाहत ि दक दकसी तरह भोजन

करक वगर पड़ो वबसतर म और खो जाओ दो ददन क वलए वबसतर म दो ददन उठना ही नही ह

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घर आए खान की तो बात दर दखा दक घर म लपट लगी ह आग जल रही ह सब भल गए सात ददन

की िकान िरीर का टटा-फटा होना भख वनदरा--सब गयी एक कषण म कोई जयोवत तमहार भीतर भभककर

उठी एक ऊजाम उठी तम जझ गए

अब िायद तम रातभर आग स लड़त रहो और नीद नही आएगी और पहल तम सोच रह ि दक घड़ीभर

भी अगर मझ जागना पड़ा भोजन क तयार होन क समय की परतीकषा करनी पड़ी तो म सो जाऊगा वगर

जाऊगा

कया हआ कहा स यह ऊजाम आयी एक बड़ी चनौती सामन खड़ी हो गयी उस बड़ी चनौती क कारण

यह ऊजाम आयी

चनौवतया चनना बड़ी किलता की बात ह और अगर चनना ही हो तो आतयवतक कहो उस समावध

वनवामण मोकष परमातमा जो नाम दना चाहो मगर जो परमातमा को पान की परबल अभीपसा स जग खड़ा

होता ह उसक भीतर सोयी हई अतसतल की सारी िविया जग आती ह उसकी जड़ तक कप जाती ह उसक

भीतर जो भी वछपा ह सब परगट हो जाता ह कयोदक इस बड़ी चनौती क सामन अब कछ भी वछपाकर नही

रखा जा सकता अब तो सभी दाव पर लगाना होगा तो ही यातरा हो सकती ह

इसवलए कहता ह दक छोटी-मोटी चीज स लड़ोग तो हारोग कयोदक तमहारी सोयी हई िवियो को

चनौती नही वमलती

अब वसगरट नही पीना ह--यह बात ही सनकर कोई तमहारी आतमा जागन वाली ह आतमा कहगी दक

पीओ न पीओ ठीक ह कया फकम पड़ता ह दक नमक नही खाएग आज दक आज भोजन म घी नही लग इन

सब कषदर बातो स कछ भी नही होता दक पानी छानकर पीएग दक रात पानी नही पीएग इन सब कषदर बातो स

कछ भी नही होता ह

ऐसी कोई चनौती दक तीर की तरह वछद जाए चभ जाए दक चली जाए भीतर तक दक सार सोए हए

अतसतल को कपा द झझावात की तरह आए तफान की तरह आए और तमह उठा जाए उसी उठन म पहचना

लदकन दफर भी काि आिीष भी वमल जाए उनका जो पहच गए ह उनका वजनहोन पा वलया ह उनक

हाि का सहारा वमल जाए तो हार का कोई कारण नही ह

अकसर तम हारत हो कयोदक कषदर स लड़त हो पहली बात और कभी-कभी ववराट की आकाकषा स भी

भरत हो लदकन तमहार पास आिीष की सपदा नही होती तम अकल पड़ जात हो दर दकनारा ववराट तो

बहत दर ह पता नही कहा ह दकनारा यह दकनारा तो हम पता ह दसरा दकनारा वह ददखायी भी नही

पड़ता सागर का दसरा दकनारा उसकी यातरा पर चलत हो घबड़ाहट होती ह यह दकनारा छोड़न म

घबड़ाहट होती ह

इसीवलए तो जब तम धयान करन बठत हो तो ववचार का दकनारा नही छटता मन पकड़-पकड़ लता ह

मन कहता ह दक जो पररवचत ह उसको मत छोड़ो वजसम पररचय ह उसम सरकषा ह यह जाना-माना ह

पहचाना ह अपना ह यहा रह ह जनमो-जनमो स तम कहा जात हो दकस दकनार की तलाि करत हो कही

भटक न जाओ कही सागर म डब न जाओ कही ऐसा न हो दक यह दकनारा भी हाि स जाए और दसरा भी न

वमल दसरा ह इसका पकका कया ह दकसन तमस कहा दक दसरा दकनारा ह तमन तो नही जाना कही ऐसा

न हो दक तम दकसी परवचना म पड़ गए हो दक दकसी झठ सपन न तमह पकड़ वलया ह

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मन तमहारी सरकषा क वलए कहगाः रक रहो इसी दकनार पर ववचार क तट पर ही रक रहो ववचार ह

यह दकनारा धयान ह वह दकनारा ववचार ह ससार धयान ह परमातमा

तो तमन दखाः तम धयान करन बठत हो दकतन ववचार उठत ह जयादा उठत ह उसस जयादा उठत ह

वजतना दक जब तम धयान करन नही बठत चौबीस घट हजार काम म लग रहत हो इतन ववचार नही सतात

घटभर आख बद करक बठ जाओ आसन लगाकर तम इतन हरान हो जात हो दक मामला कया ह कया ववचार

परतीकषा ही करत ि दक करो बच धयान करो दफर तमह बताएग सब तरफ स टट पड़त ह सब ददिाओ स

हमला बोल दत ह जस परतीकषा म ही ि दक करो धयान तो मजा चखाए

आन लगत ह सब तरह क ववचार--धन क वासना क काम क राजनीवत क यह-वह कड़ा-करकट--सब

अखबार उड़ आत ह सब एक ददिा स नही सब ददिाओ स हमला हो जाता ह एकदम वघर जात हो दशमनो

म िोड़ी दर म िककर उठ आत हो सोचत होः इसस तो जब हम काम म लग रहत ह तभी कम ववचार होत

ह यह तो चल ि वनरवमचार होन और ववचार क झझावात स वघर गए

ऐसा कयो होता ह इसवलए होता ह दक मन तमहारी सरकषा कर रहा ह मन कह रहा हः कहा जात हो

वजस लकषय का कोई पता नही जहा तम कभी गए नही वजसका कोई सवाद नही दकस मग-मरीवचका क पीछ

जा रह हो वयावहाररक बनो जो जाना-माना ह परखा ह उसी को पकड़ रहो

इसवलए आिीष की जररत ह आिीष का अिम हः हम तो इस दकनार ह उस दकनार स कोई पकार द

द आिीष का अिम हः हम तो इस दकनार खड़ ह कोई उस दकनार स कह द दक घबड़ाओ मत म पहच गया ह

आओ और जस तम डर रह हो म भी डरता िा डरो मत पहचना होता ह दखो म पहच गया ह

बदधो का सतसग खोजन का और कया अिम होता ह यही दक दकसी ऐस आदमी क पास होना जो अनभव

स कह सक दक पहच गया ह िासतरो स नही अनभव स जो गवाह हो जो साकषी हो जो यह न कह दक म

परमातमा को मानता ह जो कह म जानता ह जो इतना ही न कह जानता ह बवलक कह दक म ह

य तीन अवसिाए हः मानना जानना होना

मानना बहत दर ह वह इसी दकनार खड़ा आदमी ह जो मानता ह उस पता नही ह अधा आदमी जस

रोिनी को मानता ह दक होना चावहए होगी इतन लोग कहत ह तो जरर होगी मगर सदह तो उठत ही

रहग कयोदक उसन तो जाना नही उसन तो दखा नही पता नही लोग झठ ही बोलत हो लोगो का कया

भरोसा अपन अनभव क वबना जानना कस हो मानना भी कस हो तो मानना भी िोिा होता ह सब

मानना िोिा होता ह सब ववशवास अधववशवास होत ह

दफर एक आदमी ह वजसकी आख खली और वजसन दखा--और दखा दक हा रोिनी ह वकषो पर नाचती

हई दकरण दखी आकाि म उगा सरज दखा रात म वघरा आकाि चाद-तारो स भरा दखा दख फल हजार-

हजार रग दख आकाि म वखल इदरधनष दख दखा सब और कहा दक नही ह यह जानना हआ

इसक आग एक और वसिवत ह जब आदमी जानता ही नही आख ही नही हो जाता बवलक रोिनी ही हो

जाता ह जब सवय परकािरप हो जाता ह

इसवलए बदध को हम भगवान कहत ह महावीर को भगवान कहत ह जाना ही नही--हो गए जो जाना-

-वही हो गए

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जानन म िोड़ी दरी होती ह मानन म तो बहत दरी होती ह जानन म िोड़ी दरी होती ह दख रह ह

वह रहा परकाि हम खड़ यहा दफर धीर-धीर दरी वमटती जाती ह वमटती जाती ह और जो जाना जा रहा ह

और जो जानन वाला ह--एक ही हो जात ह जञाता और जञय का भद वगर जाता ह वही परम जञान ह

ऐस दकसी वयवि का आिीष वमल जाए तो तमहार भीतर उतसाह और उमग भर जाती ह शरदधा का

सतरपात होता ह सवग पदा होता ह कोई पहच गया ह तो हम भी पहच सकत ह कोई पहच गया ह तो

दसरा दकनारा ह

इसवलए आिीष मागन आए ि

बदध वजस कटी म रहत ि उसका नाम िा गधकटी बदध की सगध क कारण एक सवास ह आतमा की

जस फल जब वखलत ह तो एक सवास होती ह कागज क फलो म नही होती कागज क फल कभी वखलत ही

नही असली फलो म होती ह सवास

साधारण आदमी म सवास नही होती वह करीब-करीब कागज का फल ह कागज का कयोदक उसन सब

झठ का जाल अपन चारो तरफ बना रखा ह उसन दसरो को धोखा ददया ह अपन को भी धोखा द वलया ह

परवचक ह वमथया ह झठ ही झठ की पत ह सच उसम खोज स नही वमलता दकतना ही खोदो एक झठ क

बाद दसरा झठ दसर झठ क बाद तीसरा झठ दकतना ही खोदो--एक मखौटा दसरा मखौटा मखौट पर

मखौट उसक असली चहर का पता नही चलता दक असली चहरा कया ह और ऐसा नही दक तमह पता नही

चलता उस खद भी पता नही रहा ह उस खद भी अपन असली चहर का पता नही ह

बदध की परपरा म वभकषओ स वनरतर कहा गया हः अपन असली चहर की खोज करो वह चहरा जो

जनम क पहल तमहारा िा और मतय क बाद दफर तमहारा होगा उस चहर की खोज करो जो चहर सजदगी न

तमह द ददए इन चहरो को उतारकर रखो व सब चहर झठ ह

बचचा पदा हआ तब न तो सहद होता न मसलमान न ईसाई न जन न बौदध यह असली बात ह दफर

उसक ऊपर एक चहरा हमन टाग ददया दक यह सहद यह मसलमान यह ईसाई दफर सहद म भी बराहमण दक

िदर दक कषवतरय दक वशय दफर बराहमणो म भी कानयकबज बराहमण दक दिसि दक कोकणसि दफर रोग पर रोग

ह बीमाररयो पर बीमाररया ह खोजत चल जाओ चहर पर चहर ह इसका असली चहरा पता ही नही

चलगा

जब यह पदा हआ िा तब इस यह भी पता नही िा दक म सतरी ह या परष तब यह बस िा तब इस कछ

पता नही िा इसका दह-भाव नही िा वसफम आतम-भाव िा म ह--बस इतना िा अब यह सतरी ह परष ह

सहद ह मसलमान ह गरीब ह अमीर ह जञानी ह अजञानी ह साध ह असाध ह य सब चहर य सब चहर

इसन खरीद बाजार स सकलो म वबकत ह कालजो म वबकत ह यवनवरसमटीज म वबकत ह सब तरफ चहर

वबकत ह अब यह एमए हो गया अब यह पीएचड़ी हो गया अब यह डीवलट हो गया

यहा इस आशरम म तमह बहत स पीएचड़ी बहारी लगात हए वमल जाएग उनहोन चहरा उतारकर रख

ददया तम पहचान भी न सकोग दक य पीएचड़ी ह बहारी लगात ह उतारकर रख ददया चहरा

अभी एक यवती आयी मडीवसन म पीएचड़ी ह मन उसस कहा दक तरा कया इरादा ह उसन कहा दक

बस मझ झाड लगानी ह दकसी को म बताना भी नही चाहती दक म पीएचड़ी ह मडीवसन म मझ डाकटर

नही बनना ह तो मन कहा दक हम एक असपताल की तो जररत ह ही सनयासी बीमार पड़त ह तो उसन

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कहाः असपताल म बहारी लगा दगी मगर नही यह चहरा म नही चाहती म इतनी दर स वसफम यहा बहारी

लगान आयी ह

चहर उतारन पड़त ह उतारकर रख दन पड़त ह

पवशचम स यवक-यववतया सनयास लत ह आकर व कहत हः अजीब बात ह सहदसतान म जो वमलता ह

पहल यही पछता ह वडगरी कया कहा तक पढ़ हो य ब-पढ़-वलखो क सवाल ह पढ़ा-वलखा आदमी नही पछता

यह बात पढ़ा-वलखा इसको कया पछगा य ब-पढ़-वलखो क सवाल ह

सहदसतान तो बड़ा अजीब ह कहत ह बड़ा आधयावतमक ह ददखता नही लोग वमल नही टरन म वमल

जाए पछत हः कया काम करत ह कया तनखवाह ऊपर स कया वमलता ह

एक तो तनखवाह पछना ही अपमानजनक ह दकसी आदमी की तनखवाह नही पछनी चावहए कयोदक हो

सकता ह बचार की छोटी तनखवाह हो और कहन म सकोच हो और झठ बोलना पड़ उसकी नौकरी छोटी-

मोटी हो वह कलकम हो दक दकसी पराइमरी सकल म मासटर हो अब तम उसकी भदद करवान पर राजी हो

या तो वह सच बोल तो अपमानजनक मालम पड़ता ह या झठ बोल तम उस झठ बोलन की उततजना

द रह हो दफर तनखवाह कया वमलती ह और इतन तक चन नही ह आधयावतमक लोगो को आवखरी म पछत ह

ऊपर भी कछ वमलता ह दक नही अगर ऊपर वमलता ह तो नौकरी अछी

हदद हो गयी ऊपर वमलन का मतलब कया होता ह चोरी बईमानी ररशवत

य सब िोि चहर ह और इन िोि चहरो पर हम बड़ा भरोसा ह इसवलए तमहारी सजदगी म सवास

नही ह कागज क फलो म गध नही होती तमहारा असली फल तो मरा जा रहा ह तमहारा गलाब का फल तो

सड़ा जा रहा ह कागज क फलो न चारो तरफ स उस पर घरा डाल ददया ह उसको सास लन की सववधा नही

ह तमहार गलाब क फल को अवसर नही ह दक वह सास ल ल दक वह रोिनी म उठ जाए दक पखवड़या खोल

द जगह नही ह अवकाि नही ह सब सिान कागज क फलो न भर ददया ह

बदध म गध होती ह कयोदक बदध क सब कागज क फल वगरा ददए गए जला ददए गए बदध का अिम होता

ह वजसन अपन असली चहर को पा वलया अब जो दफर वसा हो गया जसा वनदोष बचचा होता ह पहल ददन

का बचचा होता ह वसफम ह न कोई पररभाषा न कोई सीमा असीम हो गया दफर इस सरलता म सगध ह

सवास ह सरलता क अवतररि और कही सवास नही इस सहजता म सगध ह

इसवलए बदध की कटी का नाम िा गधकटी वहा फल वखला िा--मनषयता का फल याद रखनाः तम भी

फल हो चाह अभी कली म दब हो या हो सकता ह अभी कली भी पदा न हई हो अभी दकसी वकष की िाखा

म दब हो या हो सकता ह अभी वकष भी पदा न हआ हो और दकसी बीज म पड़ हो मगर तम भी फल हो

और अपनी सगध को खोजना ह और अपनी सगध को मखर करना ह अपनी सगध को परगट करना ह

अवभवयजना दनी ह जो गीत तमहार भीतर पड़ा ह उस गाया जाना ह और जो नाच तमहार भीतर पड़ा ह

उस नाचा जाना ह

नाचोग गाओग वखलोग तो ही पररतवि ह उस पररतवि म ही उस सतोष म ही एक सगध ह जो इन

नासापटो स नही पहचानी जाती उस पहचानन क वलए भी और नासापट चावहए जस भीतर की आख होती

ह ऐस भीतर क नासापट भी होत ह

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जररी नही दक तम बदध क पास जाओ तो तमह सगध वमल तम अगर अपनी दगध स बहत भर हो तो

िायद तमह बदध की सगध का पता भी न चल तम अगर अपन िोरगल स बहत भर हो तो तमह बदध का िनय

और सगीत उस िनय का कस सनायी पड़गा

गधकटी क चारो ओर जही क फल वखल ि

िासता न उन वभकषओ को कहाः वभकषओ जही क वखल इन फलो को दखत हो

एक फल तो बदध का वखला िा मगर िायद अभी य वभकष उस नही दख सकत इसवलए मजबरी ह और

बदध को कहना पड़ाः वभकषओ इन जही क वखल फलो को दखत हो य सवावसत फल इन पर धयान दो इन

फलो म कई राज वछप ह एक तो दक ऐस ही फल तम हो सकत हो ऐसी ही सवास तमहारी हो सकती ह

दसराः य फल सबह वखलत ह साझ मझाम जात ह ऐसा ही यह मनषय का जीवन ह इसम मोह मत

लगाना यह आया ह यह जाएगा इस पर मटठी मत बाधना इसक साि कपणता का सबध मत जोड़ना यह तो

आया ह और जाएगा जनम क साि ही मतय का आगमन हो गया ह

य फल अभी दकतन खि ददखायी पड़त ह साझ मझाम जाएग वगर जाएग धल म और खो जाएग ऐसा

ही जीवन ह

जो जीवन को पकड़ना चाहता ह वह सदा दख म ही रह जाता ह जीवन को पकड़ो मत यह पकड़ा जा

नही सकता बहता ह बहन दो इस समझो यह धयान की आधारविला ह

तमहार जीवन का दख कया ह तमहार जीवन का मौवलक दख यही ह दक जो रकगा नही उस तम

रोकना चाहत हो तमहार जीवन का मौवलक दख यही ह दक जो नही होगा उस तम करना चाहत हो जो हो

ही नही सकता

जस तम जवान हो तो तम सदा जवान रहना चाहत हो यह हो ही नही सकता तो दखी होन वाल हो

दख कोई तमह द नही रहा ह तम अपना दख पदा कर रह हो जवान को बढ़ा होना ही पड़गा इसम कछ बराई

भी नही ह परवाह ह जवानी का अपना सौदयम ह बढ़ाप का अपना सौदयम ह और अगर बढ़ापा तमह करप

ददखायी पड़ता ह तो उसका एक ही कारण ह दक यह बढा आदमी अभी भी जवानी को पकड़न की कोविि

म होगा जो इसक हाि स छट गयी ह इसवलए बढ़ाप का वनसशचत भोग नही कर पा रहा ह

नही तो बचपन का अपना सौदयम ह जवानी का अपना सौदयम ह बढ़ाप का अपना सौदयम ह और धयान

रखनाः बढ़ाप का सौदयम सबस बड़ा सौदयम ह कयोदक सबस अत म आता ह वह फल आवखरी ह

इसवलए तो इस दि म हम बढ़ को आदर दत ह सब बढ़ आदर क योगय होत नही इस जानकर भी दत

ह मानयता भीतर यह ह दक अगर कोई आदमी बचपन म परी तरह बचपन जीया हो और जब बचपन चला

गया तो पीछ लौटकर न दखा हो दो आस न बहाए हो उसक वलए जवानी म परी जवानी जीया हो और जब

जवानी चली गयी तो लौटकर न दखा हो वह आदमी परा बढ़ापा जीएगा उसक बढ़ाप म परजञा होगी बोध

होगा समझ होगी

बचचा तो दकतना ही वनदोष हो दफर भी अबोध होता ह उसकी वनदोषता म एक तरह का अजञान होता

ह उसकी वनदोषता अजञान की पयामयवाची होती ह वह वनदोष ह कयोदक अभी उसन जाना नही ह

जवानी वजददी होती ह जवानी सपनो स भर हए समय का नाम ह जवानी हजार सपन दखती ह और

हजार तरह की ववपदाओ म पड़ती ह जवानी म हजार तरह की मढ़ताए सवनवशचत ह जवानी एक तरह की

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मढ़ता ह एक तरह का निा ह जवानी एक तरह की मदहोिी ह जवानी म बड़ी गवत ह और बड़ी तवरा ह

और बड़ी ऊजाम ह लदकन बड़ी वववकषिता भी ह

बढ़ाप म जवानी की मढ़ता गयी वववकषिता गयी पागलपन गया जवानी का जोि-खरोि गया जवानी

की उततजना जवर गया बचपन का अजञान गया

जीवन क सार अनभव बढ़ को ताजा कर जात वनखार जात िदध कर जात अब न वासना क अधड़

उठत न बचपन का अजञान वखलौनो म उलझाता न जवानी की वववकषिता पद धन परवतिा की दौड़ म

महतवाकाकषा जगाती एक िावत उतरनी िर हो जाती ह

बढ़ा एक अपवम सतोष स भरन लगता ह सब जो दखना िा दख वलया सब जो जानना िा जान

वलया अब घर लौटन लगता ह

लदकन हमारी तकलीफ यह ह दक हमम स बहत कम लोग बढ़ हो पात ह बढ़ हो कस जो बढ़ ह व भी

अभी जवानी का ववचार करत रहत ह बचपन का ववचार करत रहत ह कहत हः अर व ददन गजब क ि

जो आदमी यह कह दक जो ददन बीत गए व गजब क ि समझनाः यह आदमी बढ़ नही पाया यह परौढ़

नही हआ कयोदक अगर व ददन गजब क ि तो य ददन और गजब क होन चावहए कयोदक उनही गजब क ददनो

क ऊपर खड़ ह और जब य ददन गजब क नही ह तो व ददन भी गजब क नही हो सकत जब बढ़ाप म सौदयम

नही ह तो जवानी कस सदर रही होगी अगर गगा सागर म वगरन क करीब गगा नही ह तो गगोतरी म कस

गगा रही होगी

बढ़ा आदमी एक अवभनव सौदयम स भर जाता ह उसक सौदयम म एक िीतलता होती ह जवानी की गमी

नही और बढ़ा आदमी दफर सरल हो जाता ह लदकन उसकी सरलता म बवदधमतता होती ह--बचच का अजञान

नही बढ़ापा अदभत ह

और जो आदमी ठीक स बढ़ा हो गया--न पीछ लौटकर दखता जवानी को न याद करता बचपन को--वह

आदमी अब मतय म भी उतन ही आनद स परवि कर सकगा कयोदक बढ़ाप का डर कया ह दक कही म बढ़ा न हो

जाऊ वह डर यही ह दक बढ़ाप क बाद दफर आवखरी कदम मौत ह

तो जवान जवानी म ही रक जाना चाहता ह सब तरह की चषटाए करता ह दक दकसी तरह पर जमाकर

खड़ा हो जाऊ यह जो नदी की धार सब बहाए ल जा रही ह यह मझ अपवाद की तरह छोड़ द तो दख ही

दख होगा

सख दकस होता ह सख उस होता ह वजसकी जीवन स कोई माग नही जीवन जो करता ह उस

सवीकार करन का भाव ह तिाता म सख ह जवानी तो जवानी म बढ़ापा तो बढ़ापा आज दकसी का परम

वमला तो परम और कल परम खो गया तो उतना ही िात भाव आज महल ि तो ठीक कल झोपड़ आ गए तो

ठीक

लदकन दवनया म दो तरह क मढ़ ह अगर झोपड़ा ह तो व चाहत ह महल होना चावहए और अगर

महल ह तो व चाहत ह झोपड़ा होना चावहए बड़ी मवशकल ह आदमी जहा ह वहा राजी नही ह अगर

झोपड़ा ह तो व कहत हः जब तक महल न वमल जाए म सखी नही हो सकता और महल वमल जाए तो

आदमी सोचन लगता हः महलो म कहा सख ह जब तक म वभखारी न हो जाऊ सड़क का तब तक कहा सख

होन वाला ह गरीब अमीर होन की सोचता ह अमीर गरीब होन की सोचता ह

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लदकन तम जो हो जहा हो उसको जीत नही तम जो हो वजस कषण म हो जहा हो जस हो उस कषण

को परी समगरता स जी लो उसस अनयिा की माग न करो जब वह कषण चला जाएगा कोई अड़चन न होगी

नया कषण आएगा नए कषण क साि नया जीवन आएगा

तो फलो म यह भी सदि ह और फलो म यह भी सदि ह दक यह जीवन सदा रहन को नही ह आज ह

कल नही हो जाएगा इसवलए यह यातरा ह मवजल नही ह यहा घर मत बना लना

समराट अकबर न फतहपर सीकरी का नगर बसाया बस तो कभी नही पाया नगर बसत कहा जब तक

नगर बसा तब तक अकबर क मरन क ददन करीब आ गए दफर जा नही पाया नगर सदा स ब-बसा रहा

लदकन बनाया सदर नगर िा सदरतम नगरो म एक बनाया िा और एक-एक चीज बड़ खयाल स रखी िी

एक-एक चीज एक-एक ईट बड़ सोच-ववचारकर रखी गयी िी

जो पल फतहपर सीकरी को जोड़ता ह उस पल पर कया वचन वलख जाए तो अकबर न सालो उस पर

ववचार दकया िा नगरदवार पर सवागत क वलए कया वचन वलख जाए दफर जीसस का परवसदध वचन चना िा

वचन ह दक यह ससार एक सत ह इसस गजर जाना इस पर घर मत बना लना

फल म यह सदि हः यहा सब बीत जाएगा घर मत बना लना घर जो बना लता ह जीवन म वही

गहसि ह और जो घर नही बनाता वही सनयसत ह

सनयास क वलए घर छोड़कर जान की जररत नही ह सनयास क वलए घर बनान की आदत छोड़न की

जररत ह सनयास क वलए यहा कोई घर घर नही ह सभी सराय ह जहा ठहर वही सराय ह इसका यह

मतलब नही ह दक सराय को गदा करो दक सराय ह अपन को कया लना-दना इसका यह भी मतलब नही दक

सराय कसी भी हो तो चलगा सराय को सदर करो सदरता स रहो लदकन धयान रखो दक जो आज ह वह

कल चला जाएगा यह जीवन का सवभाव ह

तो बदध न कहाः वभकषओ जही क इन वखल फलो को दखत हो य साझ मझाम जाएग ऐसा ही कषणभगर

जीवन ह अभी ह अभी नही इन फलो को धयान म रखना वभकषओ यह समवत ही कषणभगर क पार ल जान

वाली नौका ह

कयो जो कषणभगर को पकड़ना चाहता ह उसक भीतर ववचारो का तफान उठगा ववचार ह कया

कषणभगर को पकड़न की चषटाए कषणभगर को विर करन की चषटाए ववचार ह कया घर बनान की ईट

इसवलए जो कषणभगर को पकड़ना नही चाहता उसक भीतर ववचार अपन आप कषीण हो जात ह

सार ही कया ह जब सब चला जाना ह तो इतन सोच-ववचार स कया होगा इतनी योजनाए बनान का

कया अिम ह अतीत चला गया भववषय भी आएगा और चला जाएगा और वतममान बहा जा रहा ह जी लो--

बजाय योजनाए करन क

जस-जस ववचार कम होत ह वस-वस धयान परगट होता ह धयान ह वनरवमचार वचतत की दिा वही नौका

ह वही पार ल जाएगी

ववचारो न बाध रखा ह जजीरो की तरह इस तट स धयान ल जाएगा नौका की तरह उस तट पर

वभकषओ न फलो को दखा और सकलप दकयाः सधया तमहार कमहलाकर वगरन क पवम ही हम धयान को

उपलबध होग हम रागादद स मि होग फलो तम हमार साकषी रहो

भगवान न कहाः साध साध

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जब भी व आिीष दत ि तो यही उनका आिीष िाः साध साध धनय हो दक साधता का जनम हो रहा

ह धनय हो दक सरलता पदा हो रही ह धनय हो दक धयान की तरफ तमहारी दवषट जा रही ह धनय हो दक

साधना म रस उमग रहा ह साध साध ऐसा कहकर अपन आिीषो की वषाम की तब य सतर उनहोन कह िः

िनय गह म परववषट िात-वचतत वभकष को भली-भावत स धमम की ववपससना करत हए अमानषी रवत पराि

होती ह

जो वयवि िनय गह म ठहर जाए जो अपन भीतर वनरवमचार हो जाए वजसक भीतर ववचारो की तरग न

उठती हो िनय यानी वनरवमचार जो वयवि िनय हो जाए वही िात-वचतत ह

जो लोग तमह साधारणतः िात-वचतत ददखायी पड़त ह वह िावत वसफम ऊपर स साधी गयी ह कयोदक

भीतर तो ववचारो का बवडर चल रहा ह चप होन स कोई िात नही होता न बोलन स कोई िात नही होता

न सोचन स िात होता ह

तम ऊपर स वबलकल पतिर की मरतम बनकर बठ सकत हो और भीतर ववचार चलत रह तो इस पतिर

की मरतम बनन स कछ भी नही होगा

एक यवक दीकषा लन एक सदगर क पास पहचा--एक बौदध वभकष क पास बौदध वभकष एक बदध-मददर म

रहता िा जब वह यवक आया तो उस गर न पछा दक पहल कही और कछ सीखा ह उसन कहाः हा पहल म

एक योगी क पास सीखा ह कया सीख हो उस यवक न जलदी स पालिी मार ली पदमासन म बठ गया आख

बद कर ली दो वमनट तक गर दखता रहा उसन कहा दक अब आख खोलो और रासता पकड़ो

यवक न कहाः रासता पकड़ो म आपक पास विषय होन आया ह

उस गर न कहाः यहा पतिर की मरतमया इस मददर म बहत ह हम और जररत नही ह इनही को साफ-

समहाल करत बहत झझट हो रही ह यह पदमासन लगाकर तम बठ गए लदकन भीतर तमहार म परा बाजार

दख रहा ह

पदमासन लगान स कया होगा िीषामसन लगान स भी कया होगा भीतर स बाजार बद होना चावहए

वही एकमातर वासतववक आसन ह िरीर क आसनो म मत उलझ जाना असली सवाल मन का ह वहा िनयता

होनी चावहए तो िात-वचतत होता ह कोई और जो िात-वचतत होता ह वही धमम की ववपससना कर पाता ह

ववपससना का अिम होता ह लौटकर दखना पतजवल क िासतर म पतजवल न वजस परतयाहार कहा ह--

पीछ लौटकर जाना वजसको महावीर न परवतकरमण कहा ह आकरमण यानी बाहर जाना दसर पर हमला

परवतकरमण यानी अपन पर आना वजसको जीसस न मटानॉया कहा ह--वापसी उसी को बदध ववपससना कहत

ववपससना का अिम होता हः लौटकर अपन सरोत को दखना जब ववचारो का जाल हट जाता ह और

सामन वसफम िनय रह जाता ह तभी तम लौटकर पीछ दख सकत हो नही तो ववचार तमह पकड़ रहत ह लौटन

नही दत ववचारो क उलझाव क कारण तम अपन मलसरोत को दखन स ववचत रह जात हो

जो उस मलसरोत को दख लता ह--यह बदध का वचन बड़ा अदभत ह--वह अमानषी रवत को उपलबध हो

जाता ह वह ऐस सभोग को उपलबध हो जाता ह जो मनषयता क पार ह

वजसको मन सभोग स समावध की ओर कहा ह उसको ही बदध अमानषी रवत कहत ह

एक तो रवत ह मनषय की--सतरी और परष की कषणभर को सख वमलता ह वमलता ह या आभास होता ह

कम स कम दफर एक और रवत ह जब तमहारी चतना अपन ही मलसरोत म वगर जाती ह जब तम अपन स

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वमलत हो एक तो रवत ह दसर स वमलन की और एक रवत ह अपन स वमलन की जब तमहारा तमस ही

वमलना होता ह उस कषण जो महाआनद होता ह वही समावध ह

सभोग म समावध की झलक ह समावध म सभोग की पणमता ह

जस-जस वभकष पाच सकधो--रप वदना सजञा ससकार और ववजञान--की उतपवतत और ववनाि पर

ववचार करता ह वस-वस वह जञावनयो की परीवत और परमोदरपी अमत को पराि करता ह

एक तो अजञानी का परम ह एक जञानी का परम ह धनयभागी ह व जो जञानी की परम-दिा को पा ल

अभाग ह व जो अजञानी क परम म ही पड़ रह और भटक जाए

इनक भद को खयाल म लना

अजञान स भरा हआ परम कया ह अजञान स भरा हआ परम ऐसा ह वजसम परम का कोई कण भी नही ह

कछ और ही ह बात कछ और ही ह तम अकल होन म ऊबत हो इसवलए दकसी को परम करत हो दक अकल

होन म मजा नही आता ह अकल होन म ऊब आती ह उदासी आती ह अकल होन म घबड़ाहट होती ह--दकसी

का साि चावहए दकसी का साि तमहार वलए एक जररत ह यह अजञानी का परम ह

जञानी का परम कया ह जञानी अकल होन म परम आनद स भरता ह अकल होन म परिान नही होता

अकल होन म परम आनद स भरता ह लदकन इतन आनद स भर जाता ह दक अब उस आनद को बाटना चाहता

ह दकसी को दना चाहता ह

अजञानी का परम मागता ह जञानी का परम दता ह

बदध न खब ददया समसत सदगरओ न ददया वमलगा तो दना ही पड़गा जब दीया जलगा तो रोिनी

वबखरगी और जब फल वखलगा तो सगध उड़गी हवाओ पर इस रोका नही जा सकता

अजञानी का परम कसा ह अजञानी का परम ऐसा ह दक वमल जाए वभखारी का परम ह पवत पतनी स चाह

रहा ह दक कछ दो म अकल म बड़ा उदास हो रहा ह मझ कछ रस दो और पतनी भी कह रही ह दक मझ कछ

रस दो दोनो वभखारी एक-दसर स माग रह ह दन की तयारी दकसी की भी नही ह तो कलह तो होगी ही

इसवलए पवत-पतनी क बीच जो कलह ह वह िाशवत ह उस कलह का मल कारण पवत और पतनी की कोई

खराबी नही ह अजञानी का परम ह दोनो माग रह ह

दो वभखारी रासत पर खड़ हो गए समझ लो दक दोनो अध वभखारी ह इसवलए दख भी नही पात दक

दसरा भी वभखारी ह दोनो एक-दसर क सामन हाि फलाए खड़ ह दक कछ वमल जाए दया करो

वही दिा ह पवत-पवतनयो की अध दख भी नही सकत दक दसरा बचारा खद ही वभखारी ह इसस कया

माग रह ह और दसरा भी माग रहा ह दक कछ वमल जाए और दोनो ही दखी होग कयोदक वमलना तो ह नही

दन की तयारी दकसी की वहा ह नही दन को वहा कछ ह ही नही तयारी भी कस हो सब खाली-खाली ह

ररकत ह

इसवलए इस जगत म सभी परमी समझत ह दक धोखा ददया गया दक कहा स इस सतरी की झझट म पड़

गया इतनी वसतरया िी वजनस वमल सकता िा

दकसी स नही वमलन वाला िा तम उनक पवतयो स तो पछो जाकर दक उनको कया वमला व सोचत ह

दक िायद तमहारी पतनी वमल जाती तो उनह कछ वमल जाता

मन सना हः एक यहदी परोवहत को एक यवक न आकर कहा दक मझ कषमा कर द मझ वबलकल कषमा कर

द म महापापी ह यहदी परोवहत न कहाः लदकन मझ पता तो चल दक कया पाप ह उस यवक न कहाः मत

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पछ बस मझ कषमा कर द यह पाप ऐसा ह दक म कह न सकगा लदकन परोवहत न कहा तम मझस कह

सकत हो और वबना जान म कषमा भी कस कर द

तो मजबरी म उस यवक न कहा दक मामला यह ह दक कई बार मर मन म आपकी पतनी क परवत वासना

उठती ह मझ कषमा कर द

उस यहदी परोवहत न उसक वसर पर हाि रखा और कहाः बटा घबड़ा मत मर मन म भी तरी पतनी क

परवत ववचार उठत ह त वनसशचत रह इसम कछ अपराध नही ह कयोदक यह हालत मरी भी ह

यही हालत ह जो तमह नही वमला ह सोचत हो िायद उसस वमल जाता

इस जगत म वभखारी वभखाररयो क सामन खड़ ह दकसी समराट को खोजो मगर समराट को खोजन का

ढग समराट होना ह इसवलए बड़ी मसीबत ह समराट क पास समराट होकर ही पहच सकत हो वभखारी को

राजमहल म परवि भी नही वमलगा

समराट को खोजन का उपाय समराट होना ह अगर बदधो स सतसग चाहत हो तो धयानी बनो धीर-धीर

तमहारा समराट भी भीतर पदा हो दफर खब परम बरसता ह परम ही परम बहता ह परम की रसधार बहती ह

वह जस-जस ववपससना को उपलबध होता ह और जस-जस दखता हः ससार म सब कषणभगर ह यहा

कछ ठहरन वाला नही ह वस-वस जञावनयो की परीवत और परमोदरपी अमत को पराि करता ह

और जब दन की कला आ जाती ह और दन की कषमता आ जाती ह तो सख ह सख दन म ह लन म

नही

तमन भी कभी-कभी जीवन म वनरीकषण दकया होगा इस बात का दक जब तम दत हो तब एक तरह का

सख वमलता ह कछ भी िोड़ा सा भी द दो और जब तम लत हो तब पीछ िोड़ी सी गलावन होती ह लन म

तम दीन हो जात हो

इसवलए एक बात जाननाः अगर तम दकसी को कछ दो तो खयाल रखना वह तमह कभी कषमा नही कर

पाएगा वह तमस बदला लगा इसवलए अकसर होता ह लोग कहत हः हमन तो नकी की हम बदल म बदी

वमली इसम राज ह इसवलए जञावनयो न कहा नकी कर और कए म डाल दफर उसको वबलकल भल ही जा

उसकी याद ही मत ददलाना नही तो वजस आदमी क साि नकी की ह वही तरी गरदन काटगा कयोदक उसको

तन दीन कर ददया

एक आदमी आया तमन उस सौ रपए द ददए और तमहार मन म बड़ा नकी का भाव उठा दक दखो

दकतना गजब का काम कर रह ह इसको सौ रपए द रह ह तम तो गजब काम कर रह हो उस आदमी पर कया

गजर रही ह वह यह दख रहा ह दक अछा कभी मौका वमला तो दख लग तम ऐस अकड़ जा रह ऐस फल

जा रह हो आज हम मसीबत म ह ठीक ह हाि फलान पड़ तमहार सामन ठीक ह

वह सदा परािमना करगा दक कभी ऐसा ददन आए दक तम भी हमार सामन हाि फलाओ तभी वह तमह

कषमा कर पाएगा नही तो कषमा नही कर पाएगा वह तमहारा दशमन हो गया तमन एक दशमन बना वलया

दना इस ढग स दक लन वाल को पीड़ा न हो तो ही नही तो तम कषमा नही दकए जा सकोग दना

इस ढग स दक लन वाल को पता न चल इसवलए गि-दान की मवहमा ह दना इस ढग स दक लन वाल को यह

खयाल ही न हो दक दन वाला वहा अकड़कर खड़ा िा और दन म मजा ल रहा िा

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दना ववनमरता स दना झक कर हाि तमहारा नीचा हो इस ढग स दना लन वाल का हाि ऊपर रह

इस ढग स दना तादक लन वाल को ऐसा लग दक लकर उसन तम पर कपा की ह अनगरह दकया ह दफर तमहार

वलए कभी नकी क बदल म बदी नही वमलगी

वजसक भीतर दन की पातरता आ जाती ह पातर भर जाता ह परम स उसी क भीतर परमोद होता ह परमोद

ह दन का आनद सबस बड़ा आनद ह इस जगत म दन का आनद और सबस बड़ी दन की चीज ह इस जगत म

धयान नबर दो पर परम य दो बड़ी स बड़ी सपदाए ह--धयान की और परम की

जो सवा-सतकार सवभाव वाला ह और आचार-किल ह वह आनद स ओतपरोत होकर दख का अत

करगा

जस जही अपन कमहलाए फलो को छोड़ दती ह वस ही ह वभकषओ तम राग और दवष को छोड़ दो

दसरा दशयः

शरावसती का एक वनधमन परष हल चलाकर दकसी भावत जीवन-यापन करता िा वह अतयत दखी िा

जस दक सभी पराणी दखी ह

दफर उस पर बदध की जयोवत पड़ी वह सनयसत हआ फकत सनयसत होत समय उसन अपन हल-नगल को

ववहार क पास ही एक वकष पर टाग ददया अतीत स सबध तोड़ना आसान भी तो नही ह चाह अतीत म कछ

हो या न हो न हो तो छोड़ना िायद और भी करठन होता ह

सनयसत हो कछ ददन तो वह बड़ा परसि रहा और दफर उदास हो गया मन का ऐसा ही सवभाव ह--दवदव

एक अवत स दसरी अवत इस उदासी म वरागय स वरागय पदा हआ वह सोचन लगाः इसस तो गहसि ही

बहतर ि यह कहा की झझट मोल ल ली यह सनयसत होन म कया सार ह

इस ववराग स वरागय की दिा म वह उस हल को लकर पनः गहसि हो जान क वलए वकष क नीच गया

फकत वहा पहचत-पहचत ही उस अपनी मढ़ता ददखी उसन खड़ होकर धयानपवमक अपनी वसिवत को वनहारा--

दक म यह कया कर रहा ह

उस अपनी भल समझ आयी पनः ववहार वापस लौट आया दफर यह उसकी साधना ही हो गयी जब-

जब उस उदासी उतपि होती वह वकष क पास जाता अपन हल को दखता और दफर वापस लौट आता

वभकषओ न उस बार-बार अपन हल-नगल को दखत और बार-बार नगल क पास जात दख उसका नाम ही

नगलकल रख ददया

लदकन एक ददन वह हल क दिमन करक लौटता िा दक अहमतव को उपलबध हो गया और दफर उस दकसी

न दबारा हल-दिमन को जात नही दखा वभकषओ को सवभावतः वजजञासा जगीः इस नगलकल को कया हो गया

ह अब नही जाता ह उस वकष क पास पहल तो बार-बार जाता िा

उनहोन पछाः आवस नगलकल अब त उस वकष क पास नही जाता बात कया ह

नगलकल हसा और बोलाः जब तक आसवि रही अतीत स जाता िा जब तक ससगम रहा तब तक

गया अब वह जजीर टट गयी ह म अब मि ह

इस सन वभकषओ न भगवान स कहाः भत यह नगलकल झठ बोलता ह यह अहमतव परावि की घोषणा कर

रहा ह यह कहता ह म मि ह

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भगवान न करणा स उन वभकषओ की ओर दखा और कहाः वभकषओ मरा पतर अपन आपको उपदि द

परवरवजत होन क कतय को समाि कर वलया ह उस जो पाना िा उसन पा वलया ह और जो छोड़ना िा छोड़

ददया ह वह वनशचय ही मि हो गया ह

तब उनहोन य दो सतर कहः

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो

जो आप ही अपन को परररत करगा जो आप ही अपन को सलगन करगा वह आतम-गि--अपन दवारा

रवकषत--समवतवान वभकष सख स ववहार करगा वह मि हो जाता ह

मनषय अपना सवामी आप ह आप ही अपनी गवत ह इसवलए अपन को सयमी बनाव जस सदर घोड़

को बवनया सयत करता ह

पहल दशय को समझ ल पयारा दशय ह

एक वनधमन आदमी बदध क ववहार क पास ही अपना हल चलाकर छोटी-मोटी खती-बाड़ी करता िा

वनधमन िा बहत दकसी भावत जीवन-यापन होता िा दो सखी रोटी वमल जाती िी फट-परान वसतर नगा नही

िा रखी-सखी रोटी भखा नही िा मगर जीवन म और कछ भी न िा एक गहन बोझ की तरह जीवन को ढो

रहा िा

वह अतयत दखी िा जस दक सभी पराणी दखी ह

गरीब दखी ह गरीबी क कारण नही कयोदक अमीर भी दखी ह जो हार गए व दखी ह हारन क कारण

नही कयोदक जो जीत गए व भी दखी ह

बदध कहत हः यहा सभी दखी ह मनषय होन म ही दख समाया हआ ह

इसवलए तम झठ कारणो पर मत अटक जाना तम यह मत कहना दक म गरीब ह इसवलए दखी ह यही

तो भरावत ह तो जो आदमी सोचता हः म गरीब ह इसवलए दखी ह तो वह अमीर होन म लग जाता ह दफर

अमीर होकर एक ददन पाता ह दक सजदगी अमीर होन म बीत गयी और दखी म उतना का उतना ह िायद

िोड़ा जयादा हो गया ह कयोदक गरीब आदमी जयादा दख भी नही खरीद सकता गरीब की हवसयत दकतनी

अमीर आदमी जयादा दख खरीद सकता ह उसकी हवसयत जयादा ह

गरीब आदमी की दख म भी तो कषमता होती ह न अब एक आदमी गरीब ह तो बलगाड़ी म चलगा

हवाई जहाज म उड़न का दख नही जान सकता कस जानगा वह तो कोई हवाई जहाज म उड़ तब

वबड़ला पररवार की एक मवहला को कोई मर पास लाया उसकी करठनाई कया िी उसकी करठनाई िीः

हवाई जहाज म उड़न म उस बड़ा भय लगता और रलगाड़ी म वह चल भी नही सकती वह परवतिा स नीच ह

अब यह दख कोई गरीब कस जानगा और हवाई जहाज म उड़न म डर लगता ह पसीना-पसीना हो

जाती ह हदय की धड़कन बढ़ जाती ह बलडपरिर बढ़ जाता ह और रलगाड़ी म चल कस

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अब यह दख कोई गरीब जान सकता ह यह बहत मवशकल ह मामला गरीब को यह दख कहा गरीब

झोपड़ म रहन का दख जान सकता ह महलो म रहन का दख अमीर ही जान सकता ह गरीब नही जान

सकता गरीब रखी-सखी रोटी का दख जानता ह अमीर ससवाद भोजनो का दख जानता ह

यहा मर पास वजतन अमीर आत ह उनक दख अलग जो गरीब आत ह उनक दख अलग गरीब क दख

भी बड़ दीन-हीन होत ह लड़क को नौकरी नही लग रही ह अमीर का दख यह होता ह दक लड़का िराब पी

रहा ह

अब य बड़ अलग दख ह गरीब का लड़का िराब पीए तो पीए कहा स नौकरी ही नही लगी ह अभी

अब यह िराब तो बड़ी आग की मवजल ह

एक महारानी मझस वमलन आयी कछ ददन पहल उनका लड़का ददनभर निा दकए पड़ा रहता ह और

काम ही नही करता कछ उठ भी नही सकता वबसतर स इतना निा दकए रहता ह

महारानी का लड़का ह मन कहाः यह योगय भी ह कोई गरीब का लड़का नही ह गरीब का लड़का

होता तो कछ और तरह क दख झलता अमीर का लड़का ह तो य ही दख झलगा

अब धीर-धीर तो और तरह क डरगस म पड़ गया ह िराब स अब काम नही चलता िराब इतनी पी

डाली ह दक अब िराब स निा नही होता अब तो िराब ही बह रही ह उसक खन म अब तो मछड़ भी

उनको काटत होग तो निा चढ़ता होगा तो अब उसको और डरगस चावहए--एलएसड़ी

अब गरीब न तो एलएसड़ी का नाम भी नही सना माररजआना अब गरीब न तो यह नाम भी नही

सना और अब मह स ही लन स काम नही चलता अब वह अपन को खद ही इजकिन मारता रहता ह और

यह आवखरी दिा ह बस उठकर सबह स एक इजकिन मार वलया दफर पड़ गए दफर जब होि आया दफर

एक इजकिन मार वलया अब उसकी हालत खराब होती जा रही ह रोज-रोज खराब होती जा रही ह

अब महारानी मझस कहती िी दक कया कर इसको अमरीका ल जाऊ मन कहाः अमरीका ल जान स

कया होगा अमरीका तो इसका यही आ ही गया अमरीका म यही हो सकता िा यह तो इसन कर ही वलया

अब इसको वहा काह क वलए ल जाना

नही उनहोन कहा वचदकतसा क वलए

यह वहा जाकर और वबगड़गा कयोदक वहा और ववकवसत डरग उपलबध हो गए ह मन कहाः अमरीका

ही ल जाओ तो कवलफोरनमया ल जाना

गरीब क दख ह छोट-मोट अमीर क दख ह और बड़ कयोदक वह जयादा दख खरीद सकता ह उसका

फलाव बड़ा ह वह दखो म चनाव भी कर सकता ह यह दख ल दक वह दख ल कौन सा दख खरीद भारतीय

दख खरीद दक ववदिी दख खरीद दकस तरह का दख खरीद

अब गरीब आदमी तो भारतीय दख खरीद सकता ह अमीर आदमी ववदिी दख खरीदगा गए पवशचम

और एक ववदिी सतरी स वववाह कर लाए यह ववदिी दख ह यह बहत करठन दख ह

मर एक वमतर ह परोफसर एक अमरीकन यवती स वववाह करक आ गए अब बड़ सात साल साि रह

मर पड़ोस म ही रहत ि जब म ववशवववदयालय म विकषक िा तब मर पास ही रहत ि उनका दख चौबीस घट

वही हर चीज म दख कयोदक जब अमरीकन सतरी स िादी की ह तो दफर अमरीकन लहजा चावहए अब

अमरीकन सतरी ह वह िराब भी पीएगी वसगरट भी पीएगी अब यह इनको बहत करठन मालम पड़ दक सतरी

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और वसगरट पीए और इनक ही सामन फक रही ह और इनस घर म काम भी करवाए कयोदक अमरीका म तो

पचास-पचास परवतित काम ह

ठीक भी ह जब अमरीकन सतरी ली तो अमरीकन दख भी लना पड़गा न तो काम बाट ददया उसन एक

ददन म नाशता बनाऊगी एक ददन आप बनाए अब बना रह ह पकौड़ सबह स और आख उनकी धआ खा रही

व मझस पछत कया कर मन कहाः इसम कछ करना नही ह तम ववदिी दख वलए हो तमह दिी दख

नही जचा

दफर वह िाम को खलन भी जाएगी टवनस इनको वह सचता लग दक वह टवनस खलन गयी ह मन कहाः

उसको खलन दो नही खलन की बात नही ह व मझस कह वह वहा लोगो क गल म हाि डालकर घमती ह

ववदिी दख तो ववदिी दख ह करठनाइया ह

गरीब अपनी सीमा म जीता दकसी तरह अमीर हो जाता ह तब उसको पता चलता ह दक यह तो

मामला वबगड़ गया यह कहा स कहा पहच गए

यहा हमार वरागय ह व राधा क परम म पड़ गए ह अब राधा ह इटवलयन इटवलयन मतलबः ववदवियो

म भी ववदिी अब उनको भारी कषट ह अब उनको चौबीस घट इसी की दफकर रहती ह दक राधा कहा ह

दकसस बात कर रही ह दकसक हाि म हाि डालकर घमन चली गयी ह

मन उनस कहाः वरागय तम गरीब घर क आदमी हो तम अपनी सीमा म रहो तम कोई भारतीय दख

खरीदो

तो वह आदमी बड़ा दखी िा

बदध कहत हः दखी होना ही आदवमयत ह इसम कारण मत खोजना दक यह कारण ह वह कारण ह

आदमी जहा भी होगा दखी होगा जब तक आदमी क पार न हो जाए तब तक दखी होगा आदवमयत कारण

ह तो तम दख बदल ल सकत हो मगर इसस कछ फकम न पड़गा

उस पर बदध की जयोवत पड़ी

यह बदध की जयोवत पड़न का कया मामला ह

अपन खत म चलाता होगा हल-बकखर बदध वहा स रोज वनकलत होग वह ववहार क पास ही खती-

बाड़ी करता िा दखता होगा रोज बदध को जात यह िात परवतमा यह परसादपणम वयवितव खड़ा हो जाता

होगा कभी-कभी अपन हल को रोककर दो कषण आख भरकर दख लता होगा दफर अपन हल म जत जाता

होगा यह रोज होता रहा होगा

जस रसरी आवत-जात ह वसल पर परत वनिान पतिर पर भी वनिान पड़ जाता ह रससा आता रह

जाता रह करत-करत अभयास क जड़-मवत होत सजान

रोज-रोज दखता होगा दफर और जयादा-जयादा दखन लगा होगा दफर बदध जात होग तो पीछ दर तक

दखता रहता होगा जब तक आख स ओझल न हो जाए दफर धीर-धीर परतीकषा करन लगा होगा दक आज अभी

तक आए नही कब आत होग दफर दकसी ददन न आत होग तो तलब लगती होगी लगता होगा दक आज आए

नही कभी ऐसा भी होता होगा दक बदध होग बीमार नही गए होग वभकषा मागन तो िायद आशरम पहच गया

होगा दक एक झलक वहा वमल जाए

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दफर बदध को दखत-दखत बदध क और वभकष भी ददखायी पड़न िर हए होग य बदध अकल नही ह

हजारो इनक वभकष ह और सब परफवललत मालम होत ह सब आनददत मालम होत ह म ही एक दख म पड़ा म

कब तक इस हल-बकखर म ही जता रहगा

ऐस ववचारो की तरग आन लगी होगी इनही तरगो म एक ददन बदध की बसी म फस गया होगा

दफर उस पर बदध की जयोवत पड़ी

एक ददन लगा होगाः मर पास ह कया इस आदमी क पास सब िा राजमहल ि खोजबीन की होगी

पता लगाया होगा यह आदमी कसा लगता इतना पयारा और इतना सदर ह और ह वभखारी लगता ह

समराटो का समराट चाल म इसकी समराट का भाव ह भाव-भवगमा इसकी कछ और ह यह होना चावहए

राजमहलो म यह यहा कया कर रहा ह आदमी

पता लगाया होगा पता चला होगाः सब िा इसक पास सब छोड़ ददया इसको ववचार उठन लग होग

दक मर पास कछ भी नही ह यह एक हल ह यह नगल बस यही मरी सपवतत ह और मर पास ह कया छोड़न

को म भी कयो न इस आदमी की छाया बन जाऊ म भी कयो न इसक पीछ चल पड एकाध बद िायद मर

हाि भी लग जाए--जो इसका सागर ह उसकी और जब इतन लोग इसक पीछ चल रह ह और पा रह ह

माना दक म अभागा ह लदकन दफर भी िायद कछ हाि लग जाए

धीर-धीर रस लगा होगा राग लगा होगा

धनयभागी ह व वजनका बदधो स राग लग जाए वजनको बदधो स परम हो जाए कयोदक उनक जीवन का

दवार खलन क करीब ह

तो एक ददन सनयसत हो गया फकत सनयसत होत समय उसन अपन हल-नगल को ववहार क पास ही एक

वकष पर टाग ददया

सोचा होगा दक कया भरोसा अनजान रासत पर जाता ह--जच न जच आज उतसाह म उमग म ह कल

पता चल दक सब दफजल की बकवास ह तो अपना नगल तो समहालकर रख दो कभी जररत पड़ी तो दफर

लौट आएग रासता कायम रखा लौटन का दक कभी अड़चन आ जाए तो ऐसा नही दक सब खतम करक आ गए

दफर लौटना ही मवशकल हो जाए

तो ववहार क पास ही एक झाड़ पर ऊपर समहालकर अपन नगल को रख ददया

यह परतीक ह इस बात काः इसी तरह हम अपन अतीत को समहालकर रख रहत ह सनयसत भी हो जात

ह तो अतीत को समहालकर रखत ह दक लौटन क सब सत न टट जाए

झन फकीर ररझाई अपन गर क पास गया तो गर न पछाः सन त सनयसत होना चाहता ह पहल तीन-

चार सवालो क जवाब द द कहा स आता ह

ररझाई न कहाः जहा स आता ह वहा स वबलकल आ गया ह इसवलए उस सबध म कोई जवाब नही

दगा

गर न पछाः छोड़ मझ चावलो म बहत रस ह वहा चावल क कया दाम ह जहा स त आता ह

ररझाई न कहाः सन चावल क दाम जरर वहा कछ ह जरर कछ होग लदकन म वहा स आ गया ह

और जहा स म आ गया ह वहा क चावलो क दाम म वहसाब म नही रखता उसकी समवत नही रखता

गर न कहाः एक बात और दकस रासत स आया कहा-कहा होकर आया

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ररझाई न कहाः आप दफजल की बात पछ रह ह और म जानता ह दक आप कयो पछ रह ह आप मझ

भड़काए मत आप मझ उततवजत न कर लदकन यह मरा वनयम रहा ह दक वजस पल स गजर गए उस तोड़

ददया वजस सीढ़ी को पार कर गए उस वगरा ददया कयोदक लौटना कहा ह लौटना ह ही नही आग जाना ह

तो गर न उस आिीवामद ददया और कहा दक त ठीक-ठीक सनयसत होन क योगय ह

मगर इतनी योगयता तो कब होती ह बड़ी मवशकल स होती ह

जो अतीत को तोड़ दता ह वही सनयासी ह जो अतीत म अपना घर नही रखता वही गहसि नही ह

जो कहता हः जो गया गया अब तो जो ह ह जो यहा ह और अभी ह

तो यह किा-परतीक पयारा ह दक गरीब आदमी और तो कछ िा नही उसक पास कोई वतजोड़ी नही

िी कोई बक-बलस नही िा कछ भी नही िा एक नगल िा एक हल िा उसको रख आया दक कभी जररत

पड़ तो एकदम असहाय न हो जाऊ

अतीत स सबध तोड़ना बड़ा करठन ह चाह अतीत म कछ हो या न हो न हो तो छोड़ना और भी करठन

ह कयोदक लगता ह गरीब आदमी ह यही तो एक सपदा ह छोटी सी यही चली गयी तो दफर कछ न बचगा

अमीर तो िायद कछ छोड़ भी द कयोदक उसक पास और बहत कछ ह इतना छोड़न स कछ हजाम नही ह

अमीर िायद धन भी छोड़ द कयोदक वह जानता हः उसक पररवार क लोग भी धनी ह कल अगर

लौटगा अपना धन नही होगा तो भी अपन पररवार क लोगो का धन होगा अमीर तो िायद सब छोड़ द

कयोदक उसकी परवतिा भी ह करवडट भी ह कल अगर लौटकर आएगा तो परवतिा स भी जी लगा उधार भी

वमल जाएगा

लदकन गरीब आदमी उसक पास तो हल ह दो पस कोई दगा नही उधार परवतिा तो कोई ह नही

पररवार तो कछ ह नही वजनको अपना कह सक ऐसा तो कोई ह नही यह एक नगल ही बस सब कछ ह तो

उसको रख ददया उसन यही इसका पररवार ह यही इसका धन ह यही इसकी सारी की सारी आतमा ह उसन

उस समहालकर रख ददया

सनयसत हो कछ ददन तक तो बड़ा परसि रहा और दफर उदास हो गया

यह रोज घटता ह यह यहा भी घटता ह जब कोई आदमी सनयसत होता ह तो बड़ी आिाओ उमगो

उतसाहो स भरा होता ह लदकन तमहारी आिा क अनकल ही िोड़ ही ससार चलता ह और तमहारी अपकषाए

िोड़ ही जररी रप स परी होती ह दफर तम अपकषाए भी बहत कर लत हो तम अपकषाए जररत स जयादा

कर लत हो उन अपकषाओ को परा करन क वलए वजतना शरम करना चावहए वह तो करत नही अपकषाए

अटकी रह जाती ह परी नही होती वजतना सकलप चावहए वह तो होता नही दफर धीर-धीर उदासी पकड़ती

लोग सोचत ह दक िायद सनयसत हो गए तो सब हो गया सनयसत होन स वसफम िरआत होती ह यातरा

की सब तो अभी होना ह

मर पास लोग आ जात ह व कहत ह दक बस सनयास द दीवजए दफर दो-चार महीन बाद आत ह दक

अभी तक कछ हआ नही जस दक सनयास स कछ होन वाला ह

सनयास तो वसफम सचना िी दक अब हम कछ करग वह तो कछ दकया नही व सोचत ह दक सनयास ल

वलया सो सब हो गया अब जस वजममवारी मरी ह अब व मझ अदालत म ल जान की इछा रखत ह दक अभी

तक दकया कयो नही

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तो यह आदमी सनयसत हो गया िा सोचता होगाः बदध क विषय हो गए अब और कया करना ह दफर

उदासी आनी िर हई होगी कयोदक बदध कहत हः ववपससना करो बदध कहत हः धयान करो बदध कहत

हः सकलप करो बदध कहत हः भीतर जाओ यह जाता होगा भीतर इसको नगल ददखायी पड़ता होगा

झाड़ पर लटका नगल जाता होगा भीतर वही ववचार आत होग पीछ अतीत क सोचता होगाः यह कहा की

झझट म म कहा भीतर जाना कहा ह भीतर कया ह भीतर अधरा-अधरा ददखता होगा दक अछी

झझट म पड़ अपना हल चलात ि अपनी दो रोटी कमा लत ि वह भी गयी और यह भीतर जाना

यह तो सोचा ही नही िा बदध को दखा िा बदध की मवहमा दखी िी बदध का गौरव दखा िा बदध का

परकाि दखा िा उसी लोभ म पड़कर सनयसत हो गया िा अब यह करना भी पड़गा कछ यह तो सोचता िाः

ऐस ही वमल जाएगा पीछ चलत-चलत वमल जाएगा

तो कई दफ उदासी आ जाती ह

पहली दफा जब उदासी आयी तो उसन सोचाः इसम कोई सार नही यह अपना काम नही ह गया

उचट गया वरागय स मन पहचा अपन वकष क पास सोचाः हल को लकर पनः गहसि हो जाऊ

लदकन मन ऐसा ही कषणभगर ह

यहा रोज ऐसा होता ह कोई मझस पछता ह दक मन बहत उदास ह म कया कर म कहता हः तीन

ददन बाद आओ वह सोचता हः तीन ददन बाद म उपाय बताऊगा तीन ददन बाद वह आता ह वह कहता हः

अब मन उदास नही ह मन कहाः वापस जाओ इतना काफी ह इसस समझो दक य सब कषवणक भाव-भवगमाए

ह इनम इतन उलझो मत आती ह जाती ह मौसम की तरह बदलती ह

सबह सरज दपहर बादल वघर गए साझ बदा-बादी हो गयी

अब हर चीज को समसया मत बनाओ दक बदा-बादी हो गयी अब कया कर जस दक अब सजदगीभर

बदा-बादी होती रहगी कल सबह दफर सरज वनकलगा अब बादल वघर गए अब कया कर म कहता हः

तीन ददन बाद आओ तीन ददन बाद बादल छट जात ह

इसीवलए लकषमी को वबठा रखा ह वह रोकती ह लोगो को लोग कहत ह आज ही चावहए वह कहती ह

कल परसो टालती ह वह उपाय ह जब तक तम मर पास आओग समसया गयी तमहारी भी गयी मरी भी

गयी

धीर-धीर तमह यह समझ म आ जाएगा दक अगर तम िोड़ा धीरज रखो तो समसयाए चली जाती ह--

अपन स चली जाती ह इसवलए अगरजी म बीमार क वलए िबद ह--पिट पिट का मतलब होता ह जो पिस

रख बीमारी चली जाती ह धयम रख िबद पयारा ह धीरज रह तो सब चला जाता ह

कहत ह दक अगर सदी-जकाम हो दवा लो तो सात ददन म जाता ह और दवा न लो तो एक सिाह म

मगर जाता ह धीरज चावहए

यह गया होगा जब तक वकष क पास पहचा तब तक बात बदल गयी बादल वघर ि अब छट गए

सरज वनकल आया इसन सोचाः अर म--और यह कया कर रहा ह जब हल-बकखर जोतता िा तो कौन सा

सखी िा दख क वसवा कछ भी न िा अब न हल-बकखर जोतन पड़त न महनत करनी पड़ती वभकषा माग

लाता ह पहल स अछी रोटी वमल रही ह अछी दाल अछी सबजी वमल रही ह और बदध का सतसग पहल

तड़फता िा कब वनकलग एक कषणभर को दख पाता िा अब चौबीस घट उनकी सविवध ह यह म कया कर

रहा ह

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सोचा होगा दक इतनी बड़ी सपदा पान चला ह--बदधतव िोड़ा शरम तो करना ही होगा िोड़ा भीतर भी

हल-बकखर चलाना होगा

बदध कहत िः म भी दकसान ह म भीतर की खती-बाड़ी करता ह भीतर बीज बोता ह भीतर की फसल

काटता ह

ऐस ही दकसानो स बदध न कहा होगा यह कयोदक दकसान दकसान की भाषा समझ

सोचकर दक यह तो म गलत कर रहा ह यह तो म वयिम कर रहा ह यह तो म दकस दभामगय म सोचा दक

वापस लौट जाऊ नही नही ऐसा सोचकर ववचारकर दफर दढ़-वनशचय हो वापस लौट आया उस अपनी

मढ़ता ददखी और पनः सनयास की उमग स भर गया

दफर यह तो उसकी साधना ही हो गयी कयोदक कोई एक ददन आ गयी उदासी चली गयी ऐसा िोड़ ही

ह बादल एक ददन वघर और चल गए बार-बार वघर बार-बार वघर और बार-बार जाए दफर तो उस तरकीब

हाि लग गयी दफर तो उसन सोचाः यह अदभत तरकीब ह जब भी झझट आती चल गए जाकर दखा अपन

नगल को

उस नगल को दखकर ही उसको अपन परान ददन सब साफ हो जात दक वही कौन सा सख िा

महानरक भोग रह ि उसस अब हालत बहतर ह अब चीज सधर रही ह और धीर-धीर िावत भी उतरती ह

और कभी-कभी मन सिाट स भी भर जाता ह और कभी-कभी बदध वजस िनय की बात करत ह उसकी िोड़ी

सी झलक हवा का एक झकोरा सा आता ह और बदध वजस धयान की बात करत ह यदयवप परा-परा नही

समहलता लदकन कभी-कभी कभी-कभी वखड़की खलती ह कषणभर को सही मगर बड़ अमत स भर जाती ह

यह हो तो रहा ह अभी बद-बद हो रहा ह कल सागर-सागर भी होगा बद-बद स ही तो सागर भर जाता ह

ऐसा बार-बार जाता और बार-बार वहा स और भी जयादा परफवललत और आनददत होकर लौटन लगा

यह तो उसकी साधना हो गयी जब-जब उदासी उतपि होती वकष क पास जाता हल को दखता वापस लौट

आता ऐसा अनत बार हआ होगा

वभकषओ न उस बार-बार जात दखकर तो उसका नाम ही नगलकल रख ददया व कहन लगः यही इसका

पररवार ह कयोदक आदमी अपन पररवार की तरफ जाता ह कोई अपनी पतनी को छोड़ आया तो सोचता हः

वापस जाऊ दफर अपनी पतनी को लकर गहसि हो जाऊ कोई अपन बट को छोड़ आया सोचता हः जाऊ अब

बट को दफर सवीकार कर ल और गहसि हो जाऊ

इसका कोई और नही ह यह नगलकल ह इसका एक ही कल ह एक ही पररवार ह वह ह नगल उसम

कछ ह भी नही सार उसको कोई चरा भी नही ल जाता झाड़ पर अटका ह कोई ल जान वाला भी नही ह

गाव म मगर यही उसकी कल सपदा ह उसका नाम रख ददया--नगलकल

वह न मालम दकतनी बार गया न मालम दकतनी बार आया लदकन हर बार जब आया तो बहतर

होकर आया हर बार जब आया तो वनखरकर आया हर बार जब आया तो और ताजा होकर आया यह तो

घटना भीतर घट रही िी बाहर तो दकसी को पता नही चलता िा दक भीतर कया हो रहा ह

एक ददन हल क दिमन करक लौटता िा दक अहमतव को उपलबध हो गया

पकती गयी बात पकती गयी बात पकती गयी बात एक ददन फल टपक गया एक ददन लौटता िा

नगल को दखकर और बात सपषट हो गयी अतीत गया वतममान का उदय हो गया

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अहमतव का अिम होता हः चतना वतममान म आ गयी अतीत का सब जाल छट गया सब झझट छट गयी

यही कषण सब कछ हो गया इस कषण म चतना वनरवमचार होकर परजववलत होकर जल उठी

और दफर उस दकसी न दबारा नगल को दखन जात नही दखा सवभावतः वभकषओ को वजजञासा उठी

पछाः आवस नगलकल अब त उस वकष क पास नही जाता ह

नगलकल हसा हसा अपनी मढ़ता पर जो वह हजारो बार गया िा और उसन कहाः जब तक आसवि

रही अतीत स तब तक गया जब तक ससगम रहा तब तक गया अब तो नाता टट गया अब न म नगल का न

नगल मरा अब तो मरा कछ भी नही अब तो मर भीतर म भी नही अब तो जजीर टट गयी अब तो म मि

लदकन वभकषओ को यह बात सनकर जची नही जची इसवलए भी नही दक कोई पसद नही करता यह दक

हमस पहल कोई दसरा मि हो जाए हमस पहल--और यह नगलकल हो गया यह तो गया-बीता िा आवखरी

िा इसको तो लोग जानत ि दक ह यह गाव का गरीब यही खती-बाड़ी करता रहा दफर सनयासी भी हो गया

तो कोई बड़ा सनयासी भी वह नगलकल बार-बार जाए दिमन को और दकसी चीज क दिमन न कर नगल

क दिमन कर यह--और जञान को उपलबध हो जाए यह कभी नही हो सकता

उनहोन जाकर भगवान को कहाः भत यह नगलकल झठ बोलता ह यह अहमतव-परावि की घोषणा करता

ह कहता ह म मि हो गया ह

लदकन जो औरो को नही ददखायी पड़ता वह सदगर को तो ददखायी पड़गा तमह ददखायी पड़गा उसक

पहल सदगर को ददखायी पड़गा

बदध न करणा स उन वभकषओ की ओर दखा

करणा स--कयोदक व ईषयामवि ऐसा कह रह ह करणा स--कयोदक राजनीवत परवि कर रही ह उनक मन

म करणा स--कयोदक उनक अहकार को चोट लग रही ह कोई वषो स सनयासी िा कोई बड़ा पवडत िा कोई

बड़ा जञानी िा कोई बड़ कल स िा राजपतर िा इनको नही वमला और नगलकल को वमल गया वह तो

अछत िा आवखरी िा

बदध न कहाः वभकषओ मरा पतर अपन आपको उपदि द परवरवजत होन क कतय को पणम कर वलया

इसन यदयवप दकसी और स उपदि गरहण नही दकया लदकन अपन आपको रोज-रोज उपदि दता रहा

जब-जब गया उस वकष क पास अपन को उपदि ददया ऐस धार पड़ती रही पड़ती रही अपन को ही जगाया

अपन हािो स

यह बड़ा अदभत ह नगलकल इसकी महतता यही ह दक इसन धीर-धीर करक अपन को सवय अपन हािो

स उठा वलया ह यह बड़ी करठन बात ह लोग दसर क उठाए-उठाए भी नही उठत ह

उस जो पाना िा उसन पा वलया और जो छोड़ना िा वह छोड़ ददया तब बदध न य गािाए कहीः

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस

जो आप ही अपन को परररत करगा जो आप ही अपन को सलगन करगा वह आतम-गि समवतवान वभकष

सख स ववहार करगा

77

उसकी दकसी को कानो-कान खबर नही होगी उसक भीतर ही आतमगि चपचाप फल वखल जाएगा

जो अपन आपको परररत करता रहगा जो अपन आपको जगान की चषटा करता रहगा वह जाग जाता ह

और दकसी को कानो-कान खबर भी नही होती

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो

मनषय अपना सवामी आप ह आप ही अपनी गवत ह

यह बदध का परम उपदि ह--

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

दकसी दसर की कोई वसततः जररत नही ह अगर तम अपन को जगान म लग जाओ वनवशचत ही जाग

जाओग

अतता वह अततनो नािो

मनषय अपना सवामी आप

अतता वह अततनो गवत

अपनी गवत आप आतम-िरण बनो

बदध का जो अवतम वचन िा मरन क पहल वह भी यही िाः अपप दीपो भव--अपन दीए सवय बन

जाओ

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ सोलह परवचन

राजनीवत और धमम

पहला परशनः आपन कबीर और मीरा की एक ही सभा म उपवसित होन की कहानी कही लदकन यह

ऐवतहावसक रप स सभव नही ह कयोदक दोनो समसामवयक नही ि

इवतहास का मलय दो कौड़ी ह इवतहास स मझ परयोजन भी नही ह कहानी अपन आप म मलयवान ह

इवतहास म घटी हो या न घटी हो घटन स मलय बढ़गा नही

कहानी का मलय कहानी क भाव म ह और ऐवतहावसक रप स भी घट सकती ह कोई बहत करठन बात

नही ह अगर कबीर एक सौ बारह साल सजदा रह हो--जो दक सभव ह--तो कबीर और मीरा का वमलन हो

सकता ह

लोग एक सौ पचास साल तक भी जीत ह रस म हजारो लोग ह जो एक सौ पचास साल क करीब

पहच गए ह

लदकन उसस कछ परयोजन नही ह म कह नही रहा ह दक कबीर एक सौ बारह साल सजदा रह म यह भी

नही कह रहा ह दक कबीर का मीरा स कभी वमलना हआ होगा

कहानी का मलय उसकी अतर-किा म ह उसकी अतभामवना म ह न वमल हो इस पथवी पर--छोड़ो सवगम

म पदरह सौ जञानी इकटठ हए हो और कबीर को बलाया हो और कबीर न कहा हो दक जब तक मीरा न आएगी--

या सहजो या दया या रावबया या िरसा या ललला--तब तक म न आऊगा

कहानी का अिम इतना ह दक जहा वसफम परष ही परष ह वहा कछ अधरा ह जहा परष ही परष ह वहा

कछ कठोर हो जाता ह परष हो जाता ह सतरी क आत ही िोड़ा सा माधयम आता ह सतरी क आत ही िोड़ा गीत

आता ह िोड़ा सगीत आता ह सतरी क आत ही अधयातम म िोड़ फल वखलत ह नही तो अधयातम मरसिल हो

जाता ह

चदक अधयातम क सभी िासतर परषो न वलख ह इसवलए िासतर रख-सख ह चदक वसतरया मददरो

मवसजदो वसनागाग स वरजमत रही ह इसवलए धमम मद की तरह जीया ह धमम म पराण आ जाएग

कहानी का अिम ह दक कबीर यह कह रह ह दक सतरी और परष का समान मलय ह एक इसवलए मीरा को

बलाओ तभी म आऊगा

दसराः सतरी और परष की ऊजाम जहा सयि होकर नाचती ह वहा पररपणमता का वास होता ह परष

आधा ह सतरी आधी ह दोनो जहा वमलत ह वहा पणम का जनम होता ह

न तो परष अकला बचच को जनम द सकता ह न सतरी अकली बचच को जनम द सकती ह जीवन फलता ह

तब जब दो का वमलन होता ह दो ववपरीत ऊजामए जब एक-दसर म वगरती ह तो तीसरी ऊजाम का जनम होता

अधयातम बाझ रह गया ह कयोदक परष ही परष की ऊजाम ह

मझस लोग पछत ह दक कोई सतरी तीिकर कयो नही ह कोई सतरी अवतार कयो नही ह कोई सतरी ईशवर

की पतर कयो नही ह कोई सतरी पगबर कयो नही ह

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व ठीक पछत ह वसतरया इस योगय हई ह जो पगबर होनी चावहए जो अवतारो म वगनी जानी चावहए

वजनकी वगनती तीिकरो म होनी चावहए लदकन परष का अहकार नही होन दता वगनती

उस परष क अहकार पर चोट ह कहानी म उस कहानी का इतना ही अिम ह दक कबीर यह कह रह ह दक

म परष क अहकार को भरन को राजी नही ह सतरी की मवहमा उतनी ही ह वजतनी परष की उसकी ऊचाई

उतनी ही हो सकती ह वजतनी परष की

लदकन मीरा को या सहजो को तीिकर की तरह सवीकार करना तो दर जनो म एक सतरी तीिकर हो

गयी उसका नाम जनो न बदल ददया ह--दक पता न चल दकसी को दक वह सतरी िी नाम िा मललीबाई जन

कहत ह मललीनाि परष की तरह वगनती कर दी बात अखरी होगी सतरी रही होगी अपवम मवहमा की

वनवशचत ही महावीर स जयादा मवहमा की सतरी रही होगी नही तो सतरी होकर तीिकरो म वगनी नही जा सकती

िी मवहमा कछ ऐसी रही होगी दक परष भी इनकार कर नही सका जयोवत कछ इतनी जयोवतममय रही होगी

दक सतरी होत हए भी सवीकार करना पड़ा होगा

तईस तीिकर परष ह उसम एक सतरी चौबीसवी--मललीबाई उस समय तो सवीकार कर वलया होगा

उसकी मौजदगी का बल उसकी मौजदगी का दबाव लदकन पीछ परष क अहकार को चोट लगी होगी--दक सतरी

और तीिकर सतरी और इतनी ऊचाई पा ल और िासतर तो कहत ह दक सतरी पयामय स मोकष ही नही हो सकता

व परषो क वलख हए िासतर ह जो कहत ह दक सतरी पयामय स मोकष नही हो सकता कोई भी सतरी सीध

सतरी-दह स मोकष नही जा सकती पहल मर परष बन दसर जनम म दफर जा सकती ह परष हए वबना मोकष

जान का कोई दवार नही ह

यह बड़ी बहदी बात ह अभदर बात ह मगर परषो का राजय रहा परष मावलक रह वसतरयो को पढ़न की

आजञा नही समझन की आजञा नही सोचन की आजञा नही

और एक सतरी तीिकर हो गयी तो दफर िासतरो का कया होगा जो कहत हः सतरी पयामय स मोकष नही ह

उनहोन कहानी को बदल ददया एक छोटी सी तरकीब लगायी एक काननी वयवसिा जटा ली एक टदिकल

तरकीब खोज ली मललीबाई को मललीबाई मत कहो मललीनाि कहो एक सतरी कभी उस मवहमा को परगट भी

की िी तो हमन उसका नाम वमटा ददया

कबीर की कहानी म इतनी ही बात ह दक पदरह सौ पवडत कािी म इकटठ हए ह और उनहोन कबीर को

वनमवतरत दकया ह दक आप आओ व गए उनहोन दखाः सब परष ह लौट गए उनहोन कहाः मीरा को बलाओ

मीरा नाच तो कबीर भी आए मीरा नाच तो कबीर भी बोल

जहा सतरी नही ह वहा कछ अधरा ह वहा माततव नही ह वहा परम नही ह तकम होगा वसदधात-जाल

होगा पावडतय होगा आचरण भी हो सकता ह चररतर भी हो सकता ह लदकन उस चररतर म सगध नही होगी

उस चररतर म माधरी नही होगी मसती नही होगी वहा लोग जञानी होकर पतिरो की तरह हो जाएग वहा

बहाव नही होगा

तमन दखाः एक कमर म दस परष बठ हो हवा और होती ह दफर एक सतरी कमर म आ जाए हवा और

हो जाती ह वसफम उसकी मौजदगी स तनाव कम हो जाता ह लोग जयादा हसन लगत ह लोग वववाद कम

करत ह लोग अभदर िबदो का उपयोग नही करत लोग गाली-गलौज बद कर दत ह

पदरह वसतरया बठी हो तो भी बड़ी त-त म-म होती ह कषदर बातो पर सनदा का रस चलता ह सनदा-रस

बहता एक परष आ जाए बात समहल जाती ह

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सतरी और परष एक ही सतय क दो पहल ह एक ही वसकक क दो पहल ह और अब तक हमन चदक वसकक क

एक ही पहल को सवीकार दकया परष को और सतरी का असवीकार दकया इसवलए दवनया बड़ी दीन रह गयी

दवनया म यदध कम हो अगर सतरी भी इतनी ही सवीकत हो वजतना परष सवीकत ह दवनया म परम िोड़ा

जयादा हो--उसकी जररत ह बहत दक जयादा हो जब परम कम पड़ जाता ह तो सगीन बढ़ती ह तलवार बढ़ती

ह बम बढ़त ह

सतरी सवीकत हो सतवलत हो सतरी और परष समान ह इसवलए कबीर न कहाः जब मीरा आए

मीरा को खोजा गया जब मीरा आकर नाची तब कबीर बोल वनवशचत ही इस बोलन म गणवतता का

फकम हो गया मीरा नाची तब कबीर बोल मीरा क नाचन म ही तरलता आ गयी व गभीर पवडतो क चहर

विविल हो गए होग तकम जाल िोड़ा भीतर कम हआ होगा खोपवड़यो स उतर होग पवडत हदय म डब होग

िोड़ा

मीरा नाची उसन घघर बाध पद घघर बाध मीरा नाची र वातावरण िीतल हो गया होगा िोड़ स

जही क फल झर गए होग दफर कबीर बोल अब यह एक अलग वातावरण म बोल

तम कहा की दफजल बकवास वलए बठ हो दक इवतहास

यह कोई ववशवववदयालय िोड़ ही ह यहा इस तरह की दफजल बातो की चचाम ही नही हो रही ह यहा तो

इसकी भी दफकर नही दक कबीर हए दक नही हए दक मीरा हई दक नही हई इसकी भी कोई दफकर नही ह

कहानी इतनी पयारी ह दक कहानी की वजह स कबीर को होना पड़गा मीरा को होना पड़गा कहानी का अपन

म मलय ह उसका कावय ऐसा ह

लदकन तमहारी दवषट कषदर पर अटक जाती ह तम कषदर वहसाब-दकताब म लग रहत हो जो हआ उसका

पकका होना चावहए और धयान रखोः पकका उसी का हो पाता ह--वजतना कषदर हो उतना पकका हो जाता ह जस

अडोलफ वहटलर हआ इसम कोई िक-सबहा नही होता कयोदक अडोलफ वहटलर इतना धवसातमक ह दक अनक

खडहर अपन पीछ छोड़ जाता ह--परतीक और गवाह

कषण हए यह सददगध ह हए हो न हए हो कयोदक कषण जो लाए ि इस जगत म वह तो उनक साि ही

वतरोवहत हो गया उसका कोई तो परमाण वमलता नही खडहर तो नही छोड़ गए यहा कोई लािो स तो नही

पाट गए पथवी को पतिरो पर कोई हसताकषर भी नही कर गए आए वखल फल की तरह सबह और साझ खो

गए और जब फल खो गया और वास उड़ गयी आकाि म तो कहा खोजोग कहा परमाण खोजोग

कषणो का कोई परमाण नही ह बदधो का कोई परमाण नही ह जीसस का कोई परमाण नही ह परमाण ह

नाददरिाह का परमाण ह तमरलग का परमाण ह नपोवलयन का वसकदर का इनक परमाण ह

इस बात की सदा सभावना ह दक आज स दो हजार साल बाद रमण का कोई परमाण न हो कषणमरतम का

कया परमाण होगा अखबारो म खोजन स नाम भी तो नही वमलगा परमाण होगा जोसफ सटवलन का परमाण

होगा माओ-तस-तग का परमाण होगा मसोवलनी का लदकन कषणमरतम का कया परमाण होगा दो हजार साल

बाद कषणमरतम ऐस ही सददगध हो जाएग जस आज कषण हो गए कोई फकम नही रहगा

वजतनी ऊची बात होती ह उतन ही कम परमाण छटत ह कयोदक ऊची बात आकाि की होती ह नीची

बात जमीन की होती ह नीची बात जमीन पर सरकती ह उसकी लकीर छटती ह ऊची बात आकाि म उड़ती

ह आकाि म उड़न वाल पवकषयो क कोई पद-वचहन तो नही बनत पकषी उड़ गया दफर कोई पद-वचहन नही

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वमलत लदकन जमीन पर जो चलत ह उनक जान क बाद भी पद-वचहन छट जात ह उनक जान क बाद भी

परमाण होता ह

इवतहास कषदर की बात कहता ह इसवलए तो इस दि को एक नयी चीज खोजनी पड़ी उसको हम पराण

कहत ह पराण बड़ा मवहमावान ह दवनया म कही भी पराण जसी धारणा नही ह

परान िासतर कहत ह इवतहास और पराण पराण का अिम इवतहास नही होता पराण कछ और ह

पराण का मतलब होता हः ऐसी बात वजसका इवतहास कोई लखा-जोखा नही रखगा नही रख सकगा नही

कोई उपाय ह इवतहास क पास इवतहास तो लखा-जोखा रखता ह राजनीवत का टटपवजयो का वजनका कोई

मलय नही ह लदकन घड़ीभर जो मच पर आत ह और बड़ा िोरगल मचा दत ह घड़ीभर क वलए उनकी गज

वयाि हो जाती ह--घड़ीभर क वलए

इवतहास तो जो घड़ीभर क वलए बड़ परभाविाली मालम पड़त ह उनका अकन कर लता ह पराण

उनका अकन करता ह जो सदा-सदा क वलए मवहमािाली ह

अब इसम दोनो म फकम होन वाला ह जो सदा-सदा क वलए मवहमािाली ह--एस धममो सनतनो--उसको

पहचानन म हजारो साल लग जात ह उसका इवतहास कस बनाओग इवतहास तो उसका बनता ह वजसको

तम अभी पहचान लत हो बदध को तो अभी भी पहचाना नही गया कबीर स तो अभी भी जान-पहचान कहा

हई तमहारी अभी भी कबीर खड़ ह अभी समझ जान को ह अभी पहचान जान को ह

हजारो साल बीत जात ह तब और तब भी कछ लोग ही कवल पहचान पात ह कया ह बदधतव तब

तक बदध खो चक दह न रही दह क परमाण न रह जब तक पहचानन वाल लोग आत ह तब तक सब वचहन

खो जात ह

इसवलए हमन--वसफम हमन दवनया म--पराण जसी चीज खोजी पराण का अिम होता हः समय की धारा

पर वजसक वचहन नही छटत िाशवत स वजसका सबध ह उसका भी उललख हम करना चावहए उसको भी हम

सगहीत करना चावहए

पवशचम क जो लोग भारत क पराण पढ़त ह उनकी दवषट पराण की नही ह भारतीय भी अब भारतीय

नही ह व भी जब पराण पढ़त ह तो उनकी दवषट भी पराण की नही ह व कहत हः यह इवतहास नही ह

कहा दकसन दक यह इवतहास ह इवतहास िबद का अिम समझत हो वजसकी इवत आ जाए और वजसका

हास हो जाए वजसका अत आ जाता ह जलदी और जो धल म खो जाता ह--यह इवतहास का अिम होता ह

पराण का कया अिम होता ह जो सदा स चला आया ह और सदा चलता रहगा--पर धन आण आता ही

रहा ह--आता ही रहा ह--चलता ही रहा ह--जो िाशवत ह सनातन ह उस पकड़न क वलए कछ और उपाय ह

इसवलए जब म तमस कछ कहता ह तो समरण रखनाः उस कहन म इवतहास इतयादद की बकवास नही

ह म उस इवतहास स वबलकल मि ह म तो तमस वही कह रहा ह वजसक होन की िाशवत सतयता ह घटा हो

न घटा हो न घटा होगा तो घटगा कभी

लदकन तमहारा मन इन वयिम की बातो म घमता रहता ह तम सोचत होः िायद घटता तो मलय बढ़

जाएगा कस बढ़गा मलय

समझो दक सच म ही कबीर एक सौ बारह साल जी गए और कबीर जस लोगो का भरोसा कया--जी

जाए एक सौ बारह साल जी जाए तो मीरा स वमलना हो जाए तो दफर कया मलय बढ़ जाएगा कहानी का

कया मलय बढ़गा

82

इतनी ही बात क जड़न स--दक हा सच म ही एक भवन म कािी क पदरह सौ पवडत इकटठ हए ि दफर

कबीर न मीरा को बलाया मीरा नाची इसस कया फकम पड़गा कया कहानी अपन आप म परी नही ह

परकारातर स यह परमाण जटा लन स कया कहानी का अिम कछ गहरा हो जाएगा कछ भी तो भद नही पड़गा

कहानी का अिम तो कहानी म ह घटी हो न घटी हो न घटी हो तो घटनी चावहए िी न घटी हो तो

अभी कभी घटगी यहा न घटी हो तो कही और घटी होगी इस जमीन पर नही तो दकसी और जमीन पर

जमीनो पर नही तो कही सवगम म लदकन घटी होगी घटगी घटती रहगी जब भी कबीर पदा होग मीराए

पकारी जाएगी और जो कबीर मीरा को न पकार वह कछ अधरा-अधरा ह भयभीत ह कबीर क साि और

भय को जोड़ना ठीक नही होगा

और वजसको यह ददखायी न पड़ जाए दक सतरी म भी वही जयोवत परष म भी वही जयोवत वजस यह सतरी-

परष का वगम-भद याद रह जाए वह कबीर कसा उसम बदधतव ही नही ह अभी अभी दह पर अटका ह अभी

आतमा का पता नही चला ह

दह स सतरी हो कोई परष हो कोई लदकन यह दह की भाषा ह कबीर को तो दह क पार ददखायी पड़ना

चावहए दह क भीतर जो वछपा ह उस पारदिी का दिमन होना चावहए कबीर को तो ददखना चावहए दक कौन

परष कौन सतरी एक का ही ववसतार ह एक ही मौजद ह

दसरा परशनः आप कभी-कभी बड़ा कठोर उततर कयो दत ह

जसा परशन वसा उततर या जसा परशनकताम वसा उततर

और दफर कभी-कभी कठोरता की जररत होती ह करणा क कारण भी कभी-कभी तमहार वसर पर चोट

पड़ तो ही तमह िोड़ा सा होि आता ह तम ऐसी गहरी नीद म सोए हो डर तो यह ह दक तम चोट को भी पी

जाओग और न जागोग

तमहारा पछना दकस भावदिा म होता ह दकस जगह स आता ह तमहारा परशन कयो तमन पछा ह--वह

जयादा महतवपणम ह मझ बजाय तमहार परशन क

कोई वसफम इसवलए पछता ह दक वह अपना पावडतय ददखाना चाहता ह अब जस यही परशन दक कबीर

और मीरा का वमलन ऐवतहावसक नही ह अब यहा कोई इवतहास क अध आ गए जो कषदर का इवतहास पढ़त रह

ह--राजा-राजाओ की रावनयो की कहावनया पढ़त रह ह यदधो की कहावनया पढ़त रह ह--और वजनको तारीख

इतयादद काफी याद हो गयी ह इनक वसर म कचरा भर गया अब य कछ और नही दख सकत अब उनको हर

चीज जब तक कषदर क साि परमावणत न हो तब तक अिमहीन हो जाती ह

अब इनको बड़ी करठनाई होगी य समझ ही न पाएग ववराट को और अगर समझग तो ऐसी माग करग

दक व माग बाधा खड़ी करगी

अब जस कहावनया कहती ह कहावनया ह इवतहास म परमाण हो भी नही सकता कहत हः महावीर

चलत ह रासतो पर तो जो काट सीध पड़ होत ह महावीर को दखकर जलदी स उलट हो जात ह

अब यह कही होता ह काट इतनी दफकर करत ह आदमी दफकर नही करत काट कया खाक दफकर करग

यह कभी हआ तो नही होगा काट रासतो पर पड़ महावीर आत ह यह दखकर दक कही चभ न जाऊ

जलदी स उलट हो जात ह वसर वछपाकर धल म घस जात ह काट ऐसा करग

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लदकन इस कहानी म बड़ा अिम ह कहानी यह कह रही ह दक काटो को भी ऐसा करना चावहए महावीर

जसा वयवि आता हो यह अपकषा ह कहानी की दक होना तो ऐसा चावहए दक रासत पर पड़ काट भी उलट

हो जाए और होता यह ह दक रासत पर खड़ आदमी भी पतिर मारत ह

यह कहानी म अपकषा ह इस कहानी म तमहार वलए इवगत ह सचना ह दक महावीर क रासत पर काट

मत बनना वहा तो काटो को भी उलट जाना चावहए लदकन तम भी काट बन जाओग महावीर क रासत पर

आदमी काट हो जात ह

कहावनया कहती ह दक मोहममद चलत ह रवगसतान म तो एक बादल उनक ऊपर छाया करता ह दकस

बादल को पड़ी ह बादलो को इतना बोध कहा और अगर हो तो सोचो तोः दकतना अपमान हो गया तमहारा

बादल छाया कर मोहममद पर और आदवमयो न कया दकया आदवमयो न मोहममद की छाया छीन लनी चाही

जीवन छीन लना चाहा

अब तम कहोगः इसका इवतहास म परमाण नही ह म भी नही कह रहा ह इसका इवतहास स कछ लना-

दना नही ह यह बात बड़ी मवहमा की ह यह कावय ह और इसम इवगत ह सचनाए ह

इसम यह सचना दी गयी ह दक होना तो यही चावहए दक बादल भी मोहममद पर छाया कर मोहममद

जसा आदमी हो और बादल छाया न कर और होता यह ह दक आदमी भी मोहममद को मारन को उतसक हो

जात ह

कहावनया कहती ह दक बदध जब जगलो म आत तो सख वकषो म हररयाली आ जाती बमौसम फल वखल

जात

होना यही चावहए बदध आए तो बमौसम खब फल वखल जाना चावहए दफर कया खाक मौसम की दफकर

दकए बठ हो बदध का आगमन हआ दकसी वकष क नीच आकर बठ गए और वकष कह रहा ह दक जब वसत

आएगा तब वखलगा यह बात जचती ह

वसत आ गया--यह मतलब हआ कहानी का बदध आ गए तो वसत आ गया अब और दकस वसत की

परतीकषा ह इसस बड़ा वसत और कब आएगा बदध क पास तो आदवमयो क फल वखल जात ह यही तो वसत

कहानी यह कह रही ह दक वखल जान चावहए फल अब और दकस वसत की परतीकषा ह मावलक आ गया

तम नौकरो की परतीकषा कर रह हो

मगर म यह नही कह रहा ह दक फल वखल आदमी नही वखल तो फल कया वखलग य कावय ह य

महाकावय ह पराण गवणत की भाषा म नही वलखा जाता पराण कावय की भाषा म वलखा जाता ह पराण

गवणत की भाषा मानता ही नही पराण भाव की भाषा मानता ह

अब अगर म तमस कह द दक यह इवतहास का कड़ा-करकट तमहारी खोपड़ी म भरा ह इस जलाओ इस

कचर-घर म डाल आओ तो तम कहोग मन कठोर उततर द ददया

यह कठोर नही ह महाराज मरा वि चल तो तमहारा वसर उतार ल यह कठोर नही ह तमहारा वसर

दकसी काम का नही ह नाहक उछल-कद कर रह हो नाहक परिान हो रह हो यह वसर गवा दो तो तमह सब

वमल जाए यही वसर तमहार और परमातमा क बीच बाधा बना ह

लदकन तम पछत होः आप कभी-कभी बड़ा कठोर उततर दत ह

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एक धोबन अपन गधो को हाकती घर की तरफ आ रही िी दक रासत म एक मसखरा वमल गया और

उसन कहाः गधो की अममा सलाम

मालम ह उस धोबन न कया कहा उस धोबन न कहाः खि रहो बटा

और कह भी कया

एक सजजन हः वमया बबबन झककी सवभाव क ह जहा खड़ होत ह लगत ह दाम पछन एक बार व एक

बड़ी दकान म घस गए दाल दकतन म होगी दकलो भर और यह टि-बरि और यह पसट तो घरटया लग रही

ह खर दफर भी दकतन म दोग और यह हयर बरि

दकानदार बड़ी िावत स भाव बताता जा रहा िा आवखर बबबन वमया जब सब चीजो क दाम पछ चक

सबह स साझ होन क करीब आ गयी तो फोन क पास आकर रक और बोलः कयो वमया यह फोन दकतन का

होगा

एक सीमा होती ह ददनभर खराब कर ददया इस आदमी न दकानदार भी बड़ा दकानदार रहा

होगा बरदाशत करता रहा करता रहा करता रहा अब जब यह फोन क भी दाम जब सब चीज ही दकान

की पछ चक अब फोन ही बचा िायद अब आग बड़ वमया का दाम पछ दक आपक दकतन दाम ह

दकानदार बड़ी िावत स भाव बताता जा रहा िा अब जरा बात उस सीमा क बाहर जाती मालम पड़ी

जब बबबन वमया न पछाः कयो वमया यह फोन दकतन का होगा दकानदार वचललायाः एक-एक नबर घमान क

पचास-पचास पस कान स लगान क तीन पस मह स हर िबद बोलन क पस तार की तरह बबबन वमया

बोलः मन तो समच फोन क दाम पछ ि जनाब आप वचललान कयो लग

समच ही फोन क दाम पछ रह ह व

कछ लोग ऐस ह वजनह परयोजन भी नही ह दकसवलए पछ रह ह यह भी नही ह उनको पता पछन क

वलए पछ रह ह कछ खरीदना नही ह

जब म दखता ह दक तम वसफम पछन क वलए पछ रह हो तो मर पास इतना समय नही ह दक सबह स

िाम तक खराब कर जो पछन क वलए पछ रहा ह उसको तो म कठोर उततर दता ह वही उस वमलना

चावहए

जो कतहलवि पछ रहा ह वह गलत जगह स पछ रहा ह हा वजजञासा हो तो मरा उततर कोमल होता

ह और अगर ममकषा हो तो म अपन सार पराण तमहार परशन क उततर म डाल दता ह तम सच म ही मि होन क

वलए पछ रह हो तो दफर म सारी चषटा करता ह

लदकन जब म दखता ह दक यह खजली ही जसी बात ह खजलाहट हो रही ह तमहारी खोपड़ी म कछ तो

म खजलाता नही कयोदक खजलान स खजलाहट और बढ़ती ह दफर म कठोर उततर ही दना पसद करता ह

तमह वही वमलना चावहए जो तमहारी जररत ह

तीसरा परशनः पयार ओिो सतय कया ह कया लवलत और बचच सतय ह कया आप सतय ह कया धमम सतय

ह या कया जो म समझती ह वह सतय ह आप सपषट कर दक सतय कया ह

पछा ह तर न

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तर न तो लवलत और बचच सतय ह कयोदक लवलत और बचचो स वमलना नदी-नाव-सयोग ह त तो पहल

भी िी लवलत और बचच भी पहल ि इस जनम क पहल भी ि लदकन तमहारा कभी वमलना न हआ िा त भी

आग रहगी लवलत और बचच भी आग रहग लदकन दफर दबारा िायद वमलना न हो या हो भी तो पहचान

नही रहगी दक कौन लवलत ह कौन बचच ह कौन म ह

इस ससार क रासत पर हम सब अजनबी ह घड़ीभर का वमलना ह दफर रासत अलग हो जात ह

घड़ीभर साि चल लत ह इसी स ससार बसा लत ह दफर रासत अलग हो जात ह जब कोई मरता ह तो

उसका रासता अलग हो गया दफर अलववदा दन क वसवाय कोई मागम नही ह दफर दबारा तम उस खोज भी

पाओग अनतकाल म--असभव ह

इसवलए न तो बचच सतय ह न पवत सतय ह न पतनी सतय ह न भाई न बहन न मा न बाप सबध ह य

सतय नही सबध भी कषणभगर ह

दफर पछा हः कया आप सतय ह

िोड़ा जयादा सतय ह वजतना पवत-पतनी का सबध होता ह उसस गर-विषय का सबध िोड़ा जयादा सतय

ह कयोदक पवत-पतनी का सबध दह पर चक जाता ह या अगर बहत गहरा जाए तो मन तक जाता ह

गर-विषय का सबध मन स िर होता ह और अगर गहरा चला जाए तो आतमा तक जाता ह लदकन

दफर भी कहता हः िोड़ा जयादा सतय ह कयोदक गर-विषय का सबध भी परमातमा तक नही जाता आतमा

तक ही जाता ह और जाना ह तमह परमातमा तक इसवलए एक ददन गर को भी छोड़ दना पड़ता ह आतमा की

सीमा आयी उस ददन गर गया

इसवलए बदध न कहा हः अगर म भी तमह राह पर वमल जाऊ तो मरी गरदन काट दना राह पर वमल

जाऊ अिामत अगर तमहार और तमहार परमातमा क बीच म आन लग तो मझ हटा दना

गर दवार बन तो ठीक दवार का मतलब ही होता ह दक उसक पार जाना होगा दवार पर कोई रका िोड़

ही रहता ह दवार पर दकतनी दर खड़ रहोग दवार कोई रकन की जगह िोड़ ही ह उसस तो परवि हआ और

आग गए

तो गर दवार ह इसवलए नानक न ठीक कहा अपन मददर को गरदवारा कहा बस गरदवारा ही ह गर वह

दवार ह उसस पार चल जाना ह गर इिारा ह वजस तरफ इिारा ह वहा चल जाना ह

इसवलए गर भी िोड़ा जयादा सतय ह लदकन असली सतय तो परमातमा ह

तो यहा तीन बात हो गयीः सासाररक सबध आधयावतमक सबध पारमारिमक सबध सासाररक सबध--

पवत पतनी बचच बड़ ऊपर क ह िरीर तक जात ह बहत गहर जाए तो मन तक

आधयावतमक सबध--विषय और गर का सबध या कभी-कभी बहत गहर परम म उतर गए परवमयो का

सबध िर होता ह मन स अगर गहरा चला जाए तो आतमा तक पहच जाता ह

और दफर कोई सबध नही तम अकल बचो तमहार एकात म ही परमातमा आववभमत होता ह तम ही

परमातमा हो जात हो दफर कोई सबध नही ह परमातमा और आदमी क बीच कोई सबध नही होता--असबध

ह कयोदक परमातमा और आदमी दो नही ह

तो त पछती हः कया आप सतय ह

िोड़ा जयादा लवलत और बचचो स लदकन परमातमा और तर सबध स िोड़ा कम

दफर पछा हः कया धमम सतय ह

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धमम सतय ह धरम का अिम हः असबवधत दिा धमम का अिम हः अपन सवभाव म विर हो जाना अपन म

डब जाना कोई बाहर न रहा दकसी तरह का सबध बाहर न रहा गर का सबध भी न रहा

वही ह गर जो तमह उस जगह पहचा द जहा गर स भी मवि हो जाए उस गर को सदगर कहा ह उस

गर को वमथया-गर कहा ह जो तमह अपन म अटका ल जो कह मर स आग मत जाना बस यही तमहारा

पड़ाव आ गया मवजल आ गयी अब आग नही जो तमह अपन म अटका ल वह वमथया-गर जो तमह अपन स

पार जान द जो सीढ़ी बन जाए दवार बन जाए तम चढ़ो और पार वनकल जाओ वही सदगर

और धयान रखनाः सदगर क परवत ही अनगरह का भाव होता ह वमथया-गर क परवत तो करोध आएगा आज

नही कल कयोदक वमथया-गर वसततः तमहारा दशमन ह पहल परलोभन ददया ववकास का और दफर अटका

वलया पहल आिा जटायी तमहार भीतर खब आिा जगायी दक मवि दगा और दफर तमन पाया दक एक नए

तरह का बधन हो गया जजीर बदल गयी दसरी जजीर आ गयी एक कारागह स दसर कारागह म परवि हो

गया एक तरह की गलामी िी अब दसरी तरह की गलामी िर हो गयी

तो वमथया-गर क परवत तो तम कभी भी अनगरह का भाव अनभव नही कर सकत अनगरह का भाव तो

उसी क परवत होता ह वजसस परम सवततरता वमल बितम सवततरता वमल

धमम सतय ह

और कया जो म समझती ह वह सतय ह आप सपषट कर दक सतय कया ह

जो तर त समझती ह वह सतय नही ह लदकन जो तर भीतर समझता ह वह सतय ह जो तर भीतर

जागकर दखता ह वह सतय ह समझन वाला सतय ह समझ का कोई बड़ा मलय नही ह समझ तो छोड़ दनी ह

पहल नासमझ छोड़नी पड़ती ह दफर समझ छोड़नी पड़ती ह पहल ससार छोड़ना पड़ता ह दफर अधयातम

छोड़ना पड़ता ह पहल गहसिी छोड़नी पड़ती ह दफर सनयास छोड़ना पड़ता ह

आवखरी म वही बच जाता ह जो सबका समझन वाला ह वनरवमचार जो साकषी बच जाता ह उसी को

धमम कहो उसी को परमातमा कहो मोकष कहो वनवामण कहो--जो परीवतकर लग िबद वह दो लदकन वह

तमहारा अततमम सवभाव ह

चौिा परशनः आप राजनीवत क इतन ववरोध म कयो ह

राजनीवत क म ववरोध म नही ह राजनीवत तो लकषण ह ववरोध म ह हीनता की गरवि क वह जो

इफीररयाररटी कापलकस ह आदमी म उसक और राजनीवत उसी रोग का लकषण ह

जो वयवि वजतनी हीनता की गरवि स पीवड़त होता ह उतन ही पद का आकाकषी होता ह जो वयवि

वजतनी हीनता की गरवि स भरा होता ह उतना ही धन का आकाकषी होता ह

समझना हीनता की गरवि का अिम होता हः भीतर तो तमह लगता ह--म कछ भी नही ह ना-कछ दो

कौड़ी का मगर यह बात अखरती ह यह खटकती ह--म और दो कौड़ी का यह बात मानन का मन नही होता

ददखा दगा दवनया को दक म भी कछ ह हो जाऊगा परधानमतरी दक राषटरपवत दक कमा लगा दवनया की सपवतत

और ददखा दगा दवनया को दक म कछ ह

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तमहार भीतर जो तमह लगता हः दो-कौड़ीपन अिमहीनता ररिता उसको भरन का उपाय ह राजनीवत

राजनीवत यानी महतवाकाकषा धन की हो दक पद की इसस कोई फकम नही पड़ता और कभी-कभी तयाग की भी

होती ह इसस भी कछ फकम नही पड़ता

जब तक तम इस बात को वसदध करन म लग हो दवनया क सामन दक म कछ ह तब तक एक बात ही

वसदध होती ह दक तम भीतर जानत हो दक म ना-कछ ह नही तो वसदध ही कयो करोग

लाओतस का परवसदध वचन हः जो वसदध करन चलता ह वह वसफम अपन को अवसदध करता ह जो दसर को

अपन मत म रपातररत करना चाहता ह लाओतस न कहा ह वह वसफम इतना ही बताता ह दक उस खद भी

अपन मत पर भरोसा नही ह

कया मतलब ह लाओतस का और लाओतस जसी आख कभी-कभी होती ह बड़ी गहरी आख ह

लाओतस का वचन हः वन ह टराइज ट कनववहनस डज नाट कनववहनस उसी चषटा म दक म वसदध कर द दक

म यह ह साफ हो रहा ह दक इस आदमी को खद ही भरोसा नही ह दक यह ह नही तो वसदध करन की कया

जररत

वजसको साफ हो गया दक म कौन ह वह मसती स चलता ह उस कछ वसदध नही करना ह वह वसदध हो

ही गया उसको ही हमन वसदध कहा ह

राजनीवतजञ वसदध करन की कोविि करता ह और वसदध नही कर पाता और वसदध वसदध ह वसदध करन की

कोविि नही करनी पड़ती

राजनीवत हीनता की गरवि स पदा होती ह

पवशचम का एक बड़ा मनोवजञावनक हआ ह एडलर उसन सार मनोववजञान को हीनता की गरवि पर ही

खड़ा दकया ह पद का आकाकषी वसफम इतना ही बताता ह दक म भीतर दीन ह मझ बड़ ससहासन पर वबठाओ

म भीतर बहत डरा हआ ह मझ ऐस ससहासन पर वबठाओ दक म दवनया क ऊपर ददखायी पड़ सक

तमहार बड़ स बड़ राजनीवतजञ बड़ी हीनताओ स वघर होत ह

मन सना हः एक छोट कद का नता और नता सभी छोट कद क होत ह चाह िरीर का कद बड़ा भी

हो भीतर का कद छोटा होता ह सब नता लालबहादर िासतरी होत ह सब नही तो नता ही नही होग

एक छोट कद का नता भाषण द रहा िा भीड़ म स आवाज आयीः आप नजर नही आ रह ह खड़ होकर

भाषण दीवजए

नता न कहाः म खड़ होकर ही भाषण कर रहा ह

भीड़ म स दफर आवाज आयीः अछा हो कपा करक मज पर खड़ हो जाइए

महोदय नता न कहाः म मज पर ही खड़ा हआ ह

नता छोट कद का होता ही ह उसक भीतर ही उस साफ ह दक म ना-कछ इसवलए बाहर परमाण जटा

रहा ह दक दखो मरी िवि मरा धन मरा पद दखो मझ वह तमह िोड़ ही समझा रहा ह वह अपन को भी

समझा रहा ह वह यह कर रहा ह कोविि दक जब इतन लोग मझ मानत ह तो जरर मझम कछ होना

चावहए नही तो इतन लोग मझ मानत कयो जब इतन लोग मझ पजत ह इतनी फल-मालाए आती ह तो

जरर मर भीतर कछ होना चावहए नही तो कया कारण िा दक इतन लोग

हालादक यह भरम जलदी टटगा एक दफा पद स उतरो पता चलगा दक वह जो बहत बड़ी तसवीर

ददखायी पड़ती िी रोज छोटी होती जाती ह छोटी होती जाती ह यह पद स उतरन पर पता चलता ह दक जो

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तमहार पास फल-मालाए लकर आत ि व व ही लोग ह जो अब जतो की मालाए लकर आन लग य ही लोग

फल फकत ि य ही लोग पतिर फकन लगत ह य व ही लोग ह और यह सवाभाववक ह दक य पतिर फक

कयोदक अब इनको फल दसरो पर फकन पड़त ह

और जब भी कोई फल फकता ह राजनता पर तो भीतर तो वह दखता ह दो बात घटती ह उसको

मानता ह दक तमहार पास ताकत ह लदकन यह भी भीतर अनभव होता ह दक ठीक ह आज तम पर ह तो ठीक

ह फफकवा लो फल कभी तो उतरोग नीच मच स दफर दख लग दफर वही आदमी बदला लता ह इसवलए पद

पर राजनता ऐसा सममावनत होता ह और पद स उतरत ही एकदम अपमावनत हो जाता ह

मगर राजनता जब पद पर होता ह तो उसको अपन भीतर भरोसा आ जाता ह--दक ठीक तो मरा यह

खयाल गलत िा दक म ना-कछ ह म कछ ह दखो सारी दवनया मझ मानती ह

यह भरावत ह तमही अपन को नही मानत सारी दवनया क मानन स कया होगा तम ही अपन को नही

जानत सारी दवनया तमह जान ल इसस कया होगा यह झठी परवचना ह लदकन समझन की कोविि करनाः

तम अपन को नही जानत इस बात को भलान क वलए तम इस कोविि म लग जात हो दक दवनया मझ जान

ल सब अखबारो म मरी तसवीर हो सार रवडयो पर मरा वयाखयान हो सार टलीववजन पर म परदरिमत दकया

जाऊ

यह तम कया कर रह हो तमहार भीतर एक खयाल जग रहा ह दक म अपन को नही जानता बजाय

इसक दक तम अपन को जानन म लगो तम एक झठ रासत पर चल रह हो दक म दसरो को जना द दक म कौन

ह तमह खद ही पता नही ह

यही फकम ह राजनीवत का अिम हः दसर जान ल दक म कौन ह और धमम का अिम हः म जान ल दक म

कौन ह धमम अतयामतरा ह राजनीवत बवहयामतरा ह

राजनीवत क म ववरोध म वसफम इसवलए ददखायी पड़ता ह दक भीतर जो हीनता की गरवि ह वह जो

रोग का असली कारण ह जहा स जहर उठता ह वह तोड़ना जररी ह

और धयान रखनाः जब तक तमहार सामन साफ न हो जाए दक राजनीवत धमम का झठा पररपरक ह तब

तक तम धारममक न हो सकोग तब तक तम धमम क नाम पर भी राजनीवतजञ ही हो जाओग तम तयाग कर दोग

और दवनया को ददखान लगोग दक मझस बड़ा तयागी कोई नही ह वसदध कर दगा दक मझस बड़ा तयागी कोई

नही ह तम नगन खड़ हो जाओग सब घर-दवार छोड़कर पतनी-बचच-सववधाए छोड़कर उपवास करोग भख

रहोग िरीर को गलाओग--मगर भीतर एक ही वासना रहगी दक दवनया जान ल दक मझस बड़ा तयागी कोई

भी नही ह

इसम कछ फकम नही ह यह वही का वही खल ह तम अभी भी दसरो म उतसक हो दसर जान ल दक म

कौन ह

जब तक तमहारी उतसकता दसर म ह--दक दसरा मझ जान ल दक म कौन ह--तब तक तम राजनीवतजञ

हो राजनीवत म होओ या न होओ वजस ददन तम सोचोग बदलोग अपनी यातरा को कहोग दक पहल म तो

जान ल दक म कौन ह

और दसरा जानगा ही कस मझ कोई तो मर भीतर नही जा सकता वसवाय मर कोई तो मझ नही दख

सकता वसवाय मर लोग तो मझ बाहर स ही दखग मरी रप-रखा दखग मरी अतरातमा तो नही म ही कहा

दसरो की अतरातमा दख पाता ह लोगो का रप-रग दख लता ह चहरा दख लता ह कपड़ दख लता ह धन-

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पद-परवतिा दख लता ह लदकन भीतर कौन ववराजमान ह वह तो मझ भी नही ददखायी पड़ता तो कोई मर

भीतर जाकर कस दख सकगा वहा तो जान क वलए वसफम एक को ही आजञा ह--वह म ह वहा तम अपन सगी-

सािी को भी नही ल जा सकत अपन परमी को भी नही ल जा सकत

और पहल म तो जान ल दक म कौन ह दफर अगर कोई जानगा मझ तो समझ म पड़न वाली बात ह

लदकन जो अपन को जान लता ह उस दसरो को जनान की आकाकषा ही समाि हो जाती ह उस तो वमल गया

परमधन उस तो वमल गया परमपद उस अब कोई जान न जान उस सचता ही नही ह वह ववचार ही समाि

हो गया वह जाग गया सपन क बाहर आ गया

राजनीवत एक सपना ह सोए हए आदमी का धमम जागरण की कला ह

राजनीवत स मझ कछ लना-दना नही ह और कभी-कभी म राजनीवतजञो क वखलाफ कछ कह दता ह

उसस भी तम यह मत समझ लना दक म उनक वखलाफ ह वह तो कवल उदाहरण ह उनस वयविगत रप स

मझ कछ लना-दना नही ह व नही होग तो कोई और होगा उनकी जगह इतन रगण लोग ह दवनया म दक कया

फकम पड़ता ह इददरा नही तो मोरारजी होग मोरारजी नही तो कोई और आ जाएग कोई न कोई होगा

इतन बीमार लोग ह और इतन पद क आकाकषी ह कोई न कोई होगा

इसस कया फकम पड़ता ह कौन कसी पर बठा ह कोई न कोई नासमझ बठगा नासमझो म जो सबस

जयादा नासमझ होगा वह बठगा कयोदक यह दौड़ ऐसी ह दक इसम समझदारो का काम नही ह

मलला नसरददीन एक दकान पर कछ सामान खरीदन गया िा कोई तयौहार क ददन ि और दकानदार न

चीजो क दाम काफी कम कर ददए ि कम दकए हो या न दकए हो कम स कम बाहर उसन तखती तो लगा दी

िी दक जो चीज दस रपए की ह वह पाच रपए म वबक रही ह चाह वह पहल भी पाच रपए म वबकती रही

हो

मगर भीड़ भारी हो गयी िी खासकर वसतरया ऐसी जगह जरर पहच जाती ह ससती कोई चीज वमलती

हो तो व दफर यह भी नही सोचती दक अपन को इसकी जररत भी ह या नही ससती वमल रही हो तो व बचा

ही लती ह पसा उतना

बड़ी भीड़ िी मलला अकला परष िा लदकन पतनी न उसको भजा िा तो आना पड़ा िा पतनी जरा

बीमार िी खद नही आ सकी और सार मोहलल की पवतनया जा रही िी वसतरया जा रही िी तो उसन कहाः

मलला तमह जाना ही पड़गा सारा गाव जा रहा ह हम ही चक जाएग म बीमार पड़ी ह अभागा ह ददन आज

दक म बीमार ह तम चल जाओ

जाना पड़ा िा बड़ी दर खड़ा रहा वसतरयो की भीड़-भकका उसम अकला परष जयादा धककम-धककी भी

नही कर सक और वसतरया खब धककम-धककी कर रही ह और व जा रही ह और एक

दो घट दखता रहा उसन सोचाः यह तो ददनभर बीत जाएगा म दकान क भीतर ही नही पहच पाऊगा

तो उसन वसर नीच झकाया और दोनो हािो स वसतरयो को चीरना िर दकया जसा आदमी पानी म तरता ह

ऐसा नीच वसर झकाकर वह एकदम घसा

वसतरया बड़ी चौकी दो-चार न उसको धकका भी मारा और कहाः नसरददीन कस करत हो एक सजजन

परष की तरह वयवहार करो

90

नसरददीन न कहाः सजजन परष की तरह वयवहार दो घट स कर रहा ह अब तो एक सिारी का वयवहार

करगा अब सजजन स काम चलन वाला नही ह अब तो सिारी का वयवहार करगा तो ही पहच पाऊगा नही

तो नही पहच सकता

राजनीवत म जो वजतना मढ़ हो वजतना पागल हो और वजतना वसर घसाकर पड़ जाए एकदम पीछ

वही पहच पाता ह समझदार तो कभी क घर लौट आएग दक भई यहा अपना बस नही ह यह अपना काम

नही ह समझदार तो अपनी मालाए ल लग और राम-राम जपग यहा अपना काम नही ह नासमझ

सारी दवनया भरी ह नासमझो स कोई तो होगा इसवलए वयवियो स मझ कछ लना-दना नही ह

वयवि तो वसफम उदाहरण मातर ह

और राजनीवत स भी सीधा मझ कोई ववरोध नही ह ववरोध ह तो इसीवलए दक वह धमम का झठा

पररपरक ह

लोग समझ दक धमम कया ह तादक अपन भीतर क आनद को उपलबध हो सक और यह तभी हो सकता

ह जब व राजनीवत स मि हो जाए यह तभी हो सकता ह जब उनकी महतवाकाकषा वगर जाए

इसवलए ववरोध ह

पाचवा परशनः

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

राई घट न वतल बढ़ हरर बोलौ हरर बोल

ओिो इस पद का भाव समझान की कपा कर

इस पद का वही भाव ह जो कल बदध की किा का भाव िा अतता वह अततनो नािो--आदमी अपना

मावलक खद ह सवय अपना मावलक ह और जब तक यह सतय ददखायी न पड़ जाए तब तक वयिम ही वभखारी

बना रहता ह--वयिम ही अकारण ही

तम वभखारी बन हो वभखारी होन क कारण नही तमह एक सतय का समरण भल गया ह दक तम मावलक

हो--अतता वह अततनो नािो--तम अपन मावलक सवय हो

तरो तर पास ह

वजसकी तम खोज कर रह हो उस तम साि ही लकर आए हए हो उस तमन कभी खोया ही नही

दफर लाओतस का परवसदध वचन ह दक जो खो जाए वह धमम नही ह जो न खोए वही तो सवभाव ह वही

धमम ह

मझस लोग पछत हः ईशवर को खोजना ह म उनस पछता हः कब खोया कहा खोया अगर खोया

ही नही ह तो खोजन जाओग तो भटक जाओग कयोदक वजस खोया ही नही उस खोजोग कस

ईशवर को खोजना नही होता वसफम जागकर दखना पड़ता ह अपन भीतर वहा वह मौजद ह

तरो तर पास ह

वजसको तम तलाि रह हो वह तमहार भीतर ह चक रह हो कयोदक बाहर तलाि रह हो

91

रावबया क जीवन की परवसदध किा ह एक साझ लोगो न दखा दक वह घर क बाहर कछ खोज रही ह

बढ़ी औरत बढ़ी फकीरन पास-पड़ोस क लोग आ गए व भी कहन लग दक हम साि द द कया खो गया

उसन कहाः मरी सई वगर गयी ह व भी खोजन लग

सरज ढलन लगा रात उतरन लगी सई जसी छोटी चीज बड़ा रासता कहा खोज एक समझदार

आदमी न कहा दक रावबया सई वगरी कहा ह ठीक-ठीक जगह का कछ पता हो तो िायद वमल जाए ऐस तो

कभी नही वमलगी रासता बड़ा ह और अब तो रात भी उतरन लगी

रावबया न कहाः वह तो पछो ही मत दक कहा वगरी सई तो घर क भीतर वगरी ह तब तो व सब जो

खोजन म सलगन हो गए ि खड़ हो गए उनहोन कहाः हदद हो गयी तर साि हम भी पागल बन रह ह अगर

सई घर क भीतर वगरी ह तो यहा दकसवलए खोज रही ह तरा होि खो गया पागल हो गयी ह बढ़ाप म

सरठया गयी ह

रावबया न कहाः नही म वही कर रही ह जो सारी दवनया करती ह सई तो भीतर वगरी ह लदकन

भीतर रोिनी नही ह--गरीब औरत दीया नही ह--बाहर रोिनी िी तो मन सोचा बाहर ही खोज जहा

रोिनी ह वही खोज

लोग कहन लगः यह तो हमारी समझ म आता ह दक वबना रोिनी क कस खोजगी लदकन जब वगरी ही

नही ह सई यहा तो यहा कस खोजगी

उसन कहाः यही तो मरी समझ म नही आता तम सबको भी म बाहर खोजत दखती ह और वजस तम

खोज रह हो वह भीतर बठा हआ ह िायद वजस कारण स म सई बाहर खोज रही ह उसी कारण स तम भी

बाहर खोज रह हो

आखो की रोिनी बाहर पड़ती ह हाि बाहर फलत ह कान बाहर सनत ह सारी रोिनी इददरयो की

बाहर पड़ती ह िायद इसीवलए आदमी बाहर खोजन वनकल जाता ह और दफर बाहर का तो कोई अत नही

ह खोजत जाओ खोजत जाओ पथवी चक जाए तो वहमालय क विखरो पर खोजो वहमालय क विखर चक

जाए तो चाद पर खोजो अब मगल पर खोजो और बढ़त जाओ और बढ़त जाओ कोई अत नही ह इस

बरहमाणड का खोजत-खोजत समाि हो जाओग और मजा यह ह दक वजस तम खोज रह ि वह तमहार भीतर

बठा हस रहा ह

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

टटोल िबद भी बड़ा अछा ह कयोदक इददरया तो बाहर ह भीतर अधरा ह टटोलना पड़गा

समझो दक रावबया अगर भीतर खोज अपनी सई तो ददखायी तो कछ नही पड़गा बठ जाएगी जमीन

पर और टटोलगी अधरा ह लदकन अगर सई जहा वगरी ह वहा अधर म भी टटोली जाए तो वमल सकती ह

और जहा वगरी ही नही ह वहा हजार सरज खड़ हो सब रोिन हो तो भी कस वमलगी

टटोलना िबद को खयाल रखना टटोलन का मतलब होता हः पकका पता नही ह कहा ह ददखता कछ

नही सब अधरा ह

धयान जब तम करत हो तब तमह लगगा सदाः अधरा हो गया

दकसी न पछा ह एक परशन दक आप कहत हः भीतर जाओ आप कहत हः आतम-दिमन करो जब भी म

धयान करता ह तो अधरा ही अधरा ददखायी पड़ता ह

92

ठीक हो रहा ह धयान िर हो गया अधरा ददखायी पड़न लग गया बड़ी घटना घट गयी चलो कछ तो

ददखायी पड़ा भीतर का अधरा भी बाहर की रोिनी स बहतर ह चलो कछ तो हाि लगा अधरा सही आज

अधरा हाि लगा ह कल रोिनी हाि लग जाएगी कयोदक अधरा और रोिनी दो नही ह अधर स ही जब ठीक

स पहचान हो जाती ह तो रोिनी बन जाती ह अधरा रोिनी ही ह वजसस हम अपररवचत ह

तमन दखा न कभी-कभी तीवर रोिनी भी अधरा मालम होती ह सरज की तरफ दखा कभी कषणभर

को और दफर चारो तरफ दखो सब अधरा हो जाता ह

भीतर भी इतनी ववराट रोिनी ह इसवलए अधरा मालम होता ह आख चवधया जाती ह और तमन यह

रोिनी कई जनमो स नही दखी ह इसवलए जब पहली दफा यह रोिनी आख पर पड़ती ह एकदम अधरा छा

जाता ह

घबड़ाओ मत तमहार हाि म वजसकी तम खोज कर रह हो उसका पलल आ ही गया यही तो चावहए

अधरा ददखन लगा अब टटोलो

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

राई घट न वतल बढ़

तमहार भीतर जो ह वह न तो राईभर घटता ह न राईभर बढ़ता ह वह तो जसा ह वसा ह जसा का

तसा जस का तस जब तम आए ि पथवी पर तब भी इतना ही िा वजतना अब ह और जब तम जाओग

पथवी स तब भी उतना ही होगा वजतना अब ह वजतना तब िा--जनम क समय

इस ससार क अधकार म भटक हए लोगो क पास भी उतना ही ह वजतना बदधो क पास

राई घट न वतल बढ़

परमातमा क सबध म हम सब समान अवधकारी ह लदकन कछ ह वजनहोन अपन अवधकार को पहचान

वलया और परम आनद म ववराजमान हो गए और कछ ह वजनहोन अपन अवधकार को नही पहचाना वभखमग

बन भीख माग रह ह

यह पयारा वचन हः राई घट न वतल बढ़

न कछ घटता न बढ़ता न कछ पाना ह न कछ खोना ह जो ह जसा ह वसा ही जान लना ह

हरर बोलौ हरर बोल

इसकी पहचान हो जाए तो ही हरर-भजन यह जो राई न घटता न बढ़ता यह जो तमहार भीतर बठा ह

जो टटोलन स ही वमलगा--इसकी वमलन हो जाए इसस पहचान हो जाए यह तमहार हाि लग जाए--तब एक

हरर-बोल उठता ह वह हरर-बोल असली भजन ह

यह जो तम बठकर राम-राम जपत रहत हो इस भजन का कोई मलय नही ह तमह न राम का पता

तमह अपना पता नही राम का कया खाक पता होगा तमह अभी काम का भी पता नही ह राम का तो कया

पता होगा तमन अभी बधन भी नही पहचान मोकष को तो तम कस पहचानोग

अभी तम राम-राम जपत हो कयोदक तम सनत हो दक जपन स िायद कछ हो जाए जपन स कछ नही

होता कछ होन स जप होता ह जब कछ हो जाता ह तब सगध उठती ह तब सगीत वबखरता ह

छठवा परशनः मतय कया ह

93

मतय ह ही नही मतय एक झठ ह--सरासर झठ--जो न कभी हआ न कभी हो सकता ह जो ह वह सदा

ह रप बदलत ह रप की बदलाहट को तम मतय समझ लत हो

तम दकसी वमतर को सटिन पर ववदा करन गए उस गाड़ी म वबठा ददया नमसकार कर ली हाि वहला

ददया गाड़ी छट गयी कया तम सोचत हो यह आदमी मर गया तमहारी आख स ओझल हो गया अब तमह

ददखायी नही पड़ रहा ह लदकन कया तम सोचत हो यह आदमी मर गया

बचच ि दफर तम जवान हो गए बचच का कया हआ बचचा मर गया अब तो बचचा कही ददखायी नही

पड़ता जवान ि अब बढ़ हो गए जवान का कया हआ जवान मर गया जवान अब तो कही ददखायी नही

पड़ता

वसफम रप बदलत ह बचचा ही जवान हो गया जवान ही बढ़ा हो गया और कल जीवन ही मतय हो

जाएगा यह वसफम रप की बदलाहट ह

ददन म तम जाग ि रात सो जाओग ददन और रात एक ही चीज क रपातरण ह जो जागा िा वही सो

गया

बीज म वकष वछपा ह जमीन म डाल दो वकष पदा हो जाएगा जब तक बीज म वछपा िा ददखायी नही

पड़ता िा मतय म तम दफर वछप जात हो बीज म चल जात हो दफर दकसी गभम म पड़ोग दफर जनम होगा

और गभम म नही पड़ोग तो महाजनम होगा तो मोकष म ववराजमान हो जाओग

मरता कभी कछ भी नही

ववजञान भी इस बात स सहमत ह ववजञान कहता हः दकसी चीज को नषट नही दकया जा सकता एक रत

क छोट स कण को भी ववजञान की सारी कषमता क बावजद हम नषट नही कर सकत पीस सकत ह नषट नही कर

सकत रप बदलगा पीसन स तो रत को पीस ददया तो और पतली रत हो गयी उसको और पीस ददया तो

और पतली रत हो गयी हम उसका अण ववसफोट भी कर सकत ह लदकन अण टट जाएगा तो परमाण होग

और पतली रत हो गयी हम परमाण को भी तोड़ सकत ह तो दफर इलकटरान नयटरान पावजटरान रह जाएग

और पतली रत हो गयी मगर नषट कछ नही हो रहा ह वसफम रप बदल रहा ह

ववजञान कहता हः पदािम अववनािी ह ववजञान न पदािम की खोज की इसवलए पदािम क अववनाितव को

जान वलया धमम कहता हः चतना अववनािी ह कयोदक धमम न चतना की खोज की और चतना क अववनाितव

को जान वलया

ववजञान और धमम इस मामल म राजी ह दक जो ह वह अववनािी ह

मतय ह ही नही तम पहल भी ि तम बाद म भी होओग और अगर तम जाग जाओ अगर तम चतनय

स भर जाओ तो तमह सब ददखायी पड़ जाएगा जो-जो तम पहल ि सब ददखायी पड़ जाएगा कब कया ि

बदध न अपन वपछल जनमो की दकतनी किाए कही ह तब ऐसा िा तब ऐसा िा तब वसा िा कभी

जानवर ि कभी पौधा ि कभी पि ि कभी पकषी कभी राजा कभी वभखारी कभी सतरी कभी परष बदध न

बहत किाए कही ह

वह जो जाग जाता ह उस सारा समरण आ जाता ह

मतय तो होती ही नही मतय तो वसफम पद का वगरना ह

तम नाटक दखन गए पदाम वगरा कया तम सोचत हो मर गए सब लोग जो पद क पीछ हो गए व वसफम

पद क पीछ हो गए अब दफर तयारी कर रह होग मछ इतयादद लगाएग दाढ़ी वगरह लगाएग लीप-पोत

94

करग दफर पदाम उठगा िायद तम पहचान भी न पाओ दक जो सजजन िोड़ी दर पहल कछ और ि अब व कछ

और हो गए ह तब व वबना मछ क ि अब व मछ लगाकर आ गए ह िायद तम पहचान भी न पाओ

बस यही हो रहा ह इसवलए ससार को नाटक कहा ह मच कहा ह यहा रप बदलत रहत ह यहा राम

भी रावण बन जात ह और रावण भी राम बन जात ह य पद क पीछ तयाररया कर आत ह दफर लौट आत ह

बार-बार लौट आत ह

तम पछत होः मतय कया ह

मतय ह ही नही मतय एक भरावत ह एक धोखा ह

सरर-ददम गदाज-फगा स पहल िा

सरद-गम मर सोज-बया स पहल िा

म आबोवगल ही अगर ह बकौद-िमो-सहर

तो कौन ह जो मकानो-जमा स पहल िा

य कायनात बसी िी तर तसववर म

वजद हर दो जहा कन दफका स पहल िा

अगर तलाि हो सचची सवाल उठत ह

यकीन-रावसखो-महकम गमा स पहल िा

तर खयाल म अपना ही अकस-कावमल िा

तरा कमाल मर इवमतहा स पहल िा

मरी नजर न तर नकि-पा म दखा िा

जमाल-कहकिा कहकिा स पहल िा

छपगा य तो दफर ऐसा ही एक उभरगा

इसी तरह का जहा इस जहा स पहल िा

तजजवलयात स रौिन ह चशम-िौक मगर

कहा वो जलवा जो नामो-वनिा स पहल िा

सब िा पहल ऐसा ही दफर-दफर ऐसा ही होगा यह दवनया वमट जाएगी तो दसरी दवनया पदा होगी

यह पथवी उजड़ जाएगी तो दसरी पथवी बस जाएगी तम इस दह को छोड़ोग तो दसरी दह म परववषट हो

जाओग तम इस वचततदिा को छोड़ोग तो नयी वचततदिा वमल जाएगी तम अजञान छोड़ोग तो जञान म

परवतवित हो जाओग मगर वमटगा कछ भी नही वमटना होता ही नही

सब यहा अववनािी ह अमत इस अवसततव का सवभाव ह मतय ह ही नही

इसवलए मजबरी ह तमहार परशन का उततर न द सकगा दक मतय कया ह कयोदक जो ह ही नही उसकी

पररभाषा कस कर जो ह ही नही उसकी वयाखया कस कर

ऐसा ही ह जस तमन रासत पर पड़ी रससी म भय क कारण साप दखा भाग घबड़ाए दफर कोई वमल

गया जो जानता ह दक रससी ह उसन तमहारा हाि पकड़ा और कहाः मत घबड़ाओ रससी ह तमह ल गया

पास जाकर ददखा दी दक रससी ह दफर कया तम उसस पछोगः साप का कया हआ

नही तम नही पछोग दक साप का कया हआ बात खतम हो गयी साप िा ही नही कया हआ का सवाल

नही ह कया तम उसस पछोगः अब जरा साप क सबध म समझाइए वह जो साप मन दखा िा वह कया िा

95

वह तमहारी भरावत िी वह बाहर कही िा ही नही रससी क रप-रग न तमह भरावत द दी साझ क

धधलक न तमह भरावत द दी तमहार भीतर क भय न तमह भरावत द दी सारी भरावतयो न वमलकर एक साप

वनरममत कर ददया वह तमहारा सपना िा

मतय तमहारा सपना ह कभी घटा नही घटता मालम होता ह और इसवलए भरावत मजबत बनी रहती ह

दक जो आदमी मरता ह वह तो ववदा हो जाता ह वही जानता ह दक कया ह मतय जो मरता ह तम तो मर

नही रह तम बाहर स खड़ दख रह हो

एक डाकटर मझ वमलन आए ि व कहन लगः मन सकड़ो मतयए दखी ह मन कहाः गलत बात मत कहो

तमन मरत हए लोग दख होग मतयए कस दखोग मतय तम कस दखोग तम तो अभी सजदा हो तमन सकड़ो

मरत हए लोग दख होग लदकन मरत हए लोग दखन स कया होता ह तम कया दखोग बाहर यही दख सकत

हो दक इसकी सास धीमी होती जाती ह दक धड़कन डबती जाती ह मगर यह िोड़ ही मतय ह यह आदमी अब

ठडा हो गया यही दखोग मगर इसक भीतर कया हआ इसक भीतर जो चतना िी कहा गयी उसन कहा

पख फलाए वह दकस आकाि म उड़ गयी वह दकस दवार स परववषट हो गयी दकस गभम म बठ गयी वह कहा

गयी कया हआ

उसका तो तमह कछ भी पता नही ह वह तो वही आदमी कह सकता ह और मद कभी लौटत नही जो

मर गया वह लौटता नही और जो लौट आत ह उनकी तम मानत नही जस बदध यही कह रह ह दक मन धयान

म वह सारा दख वलया जो मौत म दखा जाता ह

इसवलए तो जञानी की कबर को हम समावध कहत ह कयोदक वह समावध को जानकर मरा उसन धयान की

परम दिा जानी

इसवलए तमन दखाः हम सनयासी को जलात नही गड़ात ह िायद तमन सोचा ही न हो दक कयो

गहसि को जलात ह सनयासी को गड़ात ह कयो कयोदक गहसि को अभी दफर पदा होना ह उसकी दह जल

जाए यह अछा कयोदक दह क जलत ही उसकी आतमा की जो आसवि इस दह म िी वह मि हो जाती ह

जब जल ही गयी खतम ही हो गयी राख हो गयी--अब इसम मोह रखन का कया परयोजन ह वह उड़ जाता

ह वह नए गभम म परवि करन की तयारी करन लगता ह पराना घर जल गया तो नया घर खोजता ह

सनयासी तो जानकर ही मरा ह अब उस कोई नया घर सवीकार नही करना ह परान घर स मोह तो

उसन मरन क पहल ही छोड़ ददया अब जलान स कया सार अब जल-जलाए को जलान स कया सार अब मर-

मराए को जलान स कया सार इस आधार पर सनयासी को हम जलात नही गड़ात ह

और सनयासी की हम समावध बनात ह उसकी कबर को समावध कहत ह इसीवलए दक वह धयान की परम

अवसिा समावध को पाकर गया ह वह मतय को जीत जी जानकर गया ह दक मतय झठ ह

वजस ददन मतय झठ हो जाती ह उसी ददन जीवन भी झठ हो जाता ह कयोदक वह मतय और जीवन

हमार दोनो एक ही भरावत क दो वहसस ह वजस ददन मतय झठ हो गयी उस ददन जीवन भी झठ हो गया उस

ददन कछ परगट होता ह जो मतय और जीवन दोनो स अतीत ह उस अतीत का नाम ही परमातमा ह जो न

कभी पदा होता न कभी मरता जो सदा ह

96

सातवा परशनः म परम म सब समरपमत कर दना चाहता िा पर यह नही हआ कयोदक मरा परम ही सवीकार

नही हआ और अब ददल एक टटी हई वीणा ह मरी पीड़ा पर भी वजसस मझ परम िा उस दया नही आयी

अब इस टट-फट जीवन को परभ को कस चढ़ाऊ

बात तो बड़ी ऊची कह रह ह जब टटा-फटा नही िा तब चढ़ाया नही तब सोचा होगा दक अभी तो

वीणा ताजी ह जवान ह अभी दकसी सदर सतरी क चरणो म चढ़ाए अभी कहा परभ को बीच म लात हो दखग

पीछ तब यह सोचकर अपन को समझाया होगा दक अभी तो जवान ह अभी भोग ल यह चार ददन की

सजदगी दफर कया पता अवतम समय म याद कर लग परभ को अभी तो यह चार ददन की जो चादनी ह इसको

लट ल

तो जब तम जवान ि जब हदय सगीत स भरा िा तब इसवलए नही चढ़ाया दक चढ़ाए दकसी सदर दह

क चरणो म और अब कहत हो दक टट-फट गया अब कया परभ क चरणो म चढ़ाए तमन कसम खा रखी ह दक

परभ क चरणो म कभी नही चढ़ाओग

अब तो जागो टट-फट गया ददल दफर भी जागत नही अब भी इरादा यही ह दक अगर वह दवी वमल

जाए भल-चक तो चढ़ा द कब जागोग

और धयान रखनाः सबक ददल टट-फट जात ह तमहारी मनोकाकषा का वयवि वमल तो टट-फट जात ह न

वमल तो टट-फट जात ह ददल तो टट ही फट जात ह यह ददल तो बड़ी कचची चीज ह काच की बनी ह कचच

काच की बनी ह तम अकल रहो तो टट जाता ह तम सग-साि म रहो तो टट जाता ह यह टट ही जाता ह

इसकी कोई मजबती ह नही यह मजबत हो ही नही सकता कयोदक वजसको तम ददल कहत हो यह गलत क

वलए परम ह यह कचचा ही होगा

और तम इस भरावत म मत रहना दक वजसस मझ परम िा उसन मर परम का परतयततर नही ददया इसवलए

टट गया तो तम जरा उन परवमयो स पछना जाकर वजनको परतयततर वमला ह उनकी कया हालत ह

मलला नसरददीन की पतनी न एक ददन उसस कहा दक हमार पचचीस साल पर हो गए वववाह क अब कया

इरादा ह आज इस पचचीसवी वषमगाठ को कस मनाए मलला न कहाः अगर पाच वमनट चप रह तो कसा रह

और कया पचचीस साल की बकवास यह पतनी खोपड़ी खा गयी होगी मलला कह रहा ह दक अब पाच

वमनट चप रह जाए जसा जब कोई मर जाता ह न तो पाच वमनट लोग मौन हो जात ह ऐसा अगर पाच

वमनट मौन होकर मनाए तो कसा रह

तम जरा भि-भोवगयो स तो पछो

मन सना हः नयी दलहन क हाि का खाना पवत न पहली बार खाया वमच बहत जयादा िी दफर भी वह

बात नही वबगाड़ना चाहता िा कौन वबगाड़ना चाहता ह सधारत-सधारत वबगड़ जाती ह यह और बात ह

मगर वबगाड़ना कोई नही चाहता वबगड़ सबकी जाती ह मगर वबगाड़ना कोई भी नही चाहता

तो उस पवत न कहाः बहत अछा खाना बनाया ह

पतनी न कहाः लदकन आप रो कयो रह ह

पवत न कहाः खिी क कारण

पतनी न कहाः और द

तो पवत न कहाः नही म जयादा खिी बदामशत न कर सकगा

97

भि-भोवगयो स पछो रो रह ह और कह रह ह बड़ खि ह उनकी बातो पर मत जाना उनकी आखो

को दखना कया कह रह ह इसम तो पड़ना ही मत कयोदक वह तो सब विषटाचार ह जो कह रह ह उनकी

हालत दखना

सब रग उड़ गया ह सब सपन टट गए ह रससी तो कब की जल गयी ह राख रह गयी ह जरा गौर स

दखना हालादक व कहग यही दक हा हम बड़ खि ह मगर ऐसी मदमगी स कहग दक हम बड़ खि ह दक आदमी

जब कहता ह दक हम बड़ दखी ह तब भी कछ जान रहती ह उसम इनकी खिी म उतनी भी जान नही ह

जब कोई कह हम बड़ खि ह तो पछनाः दफर रो कयो रह ह

आदमी की बड़ी अदभत दिा ह अदभत इसवलए दक जो तम चाहत हो न वमल तो तम तड़फत हो

कयोदक तम सोचत होः वमल जाता तो सवगम वमल जाता और वमल जाए तो तम तड़फत हो--दक अर वमल

गया और कछ न वमला और इस ससार म वमलन को कछ ह ही नही

इस ससार म सभी हारत ह जो हारत ह व तो हारत ही ह जो जीतत ह व भी हारत ह यहा हार

भागय ह यहा जीत होती ही नही जीत बदी ही नही दकसी की दकसमत म नही ह

इस परतीवत को जानकर ही तो आदमी अपन भीतर उतरना िर होता ह--दक यहा बाहर तो हार ही हार

अब कब तक तम यह रोना वलए बठ रहोग--दक दकसी को परम दकया िा सब द दना चाहता िा

भगवान का धनयवाद दो दक बच गया सब द दत तो बहत पछतात वही तो हालत कई की हो गयी ह

सब दकर बठ ह अब अब भागन का भी रासता नही वमलता

और तम कहत होः लदकन यह नही हआ कयोदक मरा परम ही सवीकार नही हआ

तम धनयभागी हो तम झझट स बच गए उस सतरी न तम पर बड़ी दया की

लदकन तम कह रह हो दक इस कारण मर हदय की वीणा टट गयी

उसन तो छई नही तमहार हदय की वीणा टट कस गयी छती तो टटती तार-तार वबखर दती

अब तम कहत हो दक लदकन मरी पीड़ा पर भी वजसस मझ परम िा उस दया न आयी

मझ लगता ह दक तमह परम और दया का भद सपषट नही ह दया आ जाती तो परम नही होन वाला िा

दया परम नही ह दया तो बड़ी बीमार चीज ह रगण दया म तो अपमान ह परम म सममान ह

और यह भी हो सकता ह दक तमन दया मागी हो इसवलए परम नही वमला कोई भी सवसि आदमी दया

नही करना चाहता कयोदक दया का मतलब होता हः एक गलत सबध बनता ह

एक मर पररवचत ि उनह एक ववधवा पर बहत दया आन लगी ववधवाओ पर कई लोगो को दया आती

ह ववधवाओ म कछ खबी होती ह जो सधवाओ म भी नही होती व कहन लग दक म तो ववधवा-वववाह

करगा मझ ववधवा पर बड़ी दया आती ह म तो समाज म करावत करगा

मन उनस कहा दक तम ठीक स सोच लो कयोदक इसस अगर तमन वववाह दकया तो दफर यह सधवा हो

जाएगी दफर ववधवा रहगी नही दफर दया खतम हो जाएगी दफर तो दया तमह तभी आ सकती ह जब तम

मरो और इसको दफर ववधवा करो तमह दया आ रही ह ववधवा पर इतनी सधवाए ह तमह दकसी पर दया

नही आ रही ह

व बड़ नाराज हो गए कयोदक व बड़ी ऊची बात लाए ि सामावजक करावत इतयादद कर रह ि--ववधवा स

वववाह करक

98

नही मान कर वलया वववाह और छह महीन बाद मझ कहा दक मझ कषमा करना दक म नाराज होकर

गया िा आप ठीक ही कहत ि वह दया िी वह परम नही िा म अहकार का मजा ल रहा िा--दक दखो

ववधवा स वववाह करता ह और मरी जावत म कोई अब तक ववधवा स वववाह नही दकया तो म पहला आदमी

िा म दवनया को ददखाना चाहता िा

दफर वववाह हो गया दफर फगग स हवा वनकल गयी अब सामावजक करावत मन कहाः हो गयी

सामावजक करावत अब तम उसको दफर ववधवा बनाओ दकसी और को सामावजक करावत करन दो अब तम कब

तक जीओग अब सार भी कया तमहार जीन म तमह जो करना िा दवनया म तम कर चक

बहत बार ऐसा हो जाता ह

कल एक यवती न मझ आकर कहा फास स आयी ह सनयावसनी ह एक वमतर को लकर आयी ह

कहती िीः म बहत दख म िी बहत पीवड़त िी परिान िी इन वमतर न मझ पर बड़ी दया की दो साल स य

सब तरह स मरी सवा कर रह ह इनक ही सहार जी रही ह अब म इसीवलए आयी ह दक मझ दख क बाहर

कर

मन कहाः म दख क बाहर तो कर द लदकन य वमतर चल जाएग उसन कहाः कयो और मन कहाः त भी

जानती ह अब त कभी ठीक हो नही सकती कयोदक अब इन वमतर को रोकन का एक ही उपाय ह दक इनको

दया करन की सववधा रह तरा इसम नयसत सवािम ह अब तो तरा इसम बड़ा भारी सवािम लग गया अब अगर

त सवसि हो जाए ठीक हो जाए तो य वमतर गए दफर य करग कया इनका काम ही खतम हो गया इनको सतरी

स िोड़ ही मतलब ह वसतरया तो बहत िी दवनया म इनको मतलब ह दया करन स

और वमतर बठ ि वबलकल अकड़ हए उनहोन दया की ह सवभावतः दो साल स इसकी सवा कर रह ह व

चाहत ि म भी सरटमदफकट दगा मरी बात सनकर तो उनकी हालत खराब हो गयी मगर बात ऐसी ही ह

तमन दया मागी तो गलत बात मागी

धयान रखनाः दया मागनी पड़ती ह परम ददया जाता ह और जो मागता ह वह गलत ह वह िर स ही

गलत हो गया

तमहारी भल वहा हो गयी दक तमन परम मागा वह दया ह तमन वभखारी की तरह हाि फलाए और

परम उनही क पास आता ह जो समराट होत ह

तमह दना िा परम और मजा यह ह दक मागो तो दसरा द तो उस पर वनभमर ह दना हो तो दन म तम

मावलक हो कोई तमह रोक नही सकता म सारी दवनया को परम द सकता ह कोई मझ रोक नही सकता कस

रोकगा कोई मझ परम एक भावदिा ह जो म लटाता चल सकता ह राह पर लटाता चल सकता ह जो राह

पर आए उसी को परम स दख सकता ह जो करीब आए उसी को परम द सकता ह जो नही ह पास जो दर ह

उसकी तरफ भी मर परम की तरग उठकर जा सकती ह

परम मागता ही नही परम तो दान ह तमन भल वही कर दी तमन परम मागा और सतरी समझदार िी जो

तमस हट गयी तम गलत आदमी ि तमहारा वचतत ही रगण िा

अब तम कहत होः मरी वीणा टट गयी अब म परभ को कस चढ़ाऊ

अब यह तमहारी टटी वीणा और कोई सवीकार भी कस करगा अब परभ ही कर ल तो बहत और म

तमस कहता ह व कर लग उनकी दकान तो कबाड़ी की दकान ह वहा तो सब टट-फट सामान सब वलए चल

99

आत ह लोग व ल लत ह और व वीणाओ को सधारन म किल ह और व वमटटी को भी छत ह तो सोना हो

जाती ह

तम अब सकोच न करो अब टटी-फटी वीणा ह कम स कम इसको ही द दो और म तमस कहता हः

उनक छत ही इस वीणा स अपवम सगीत उठगा

तम वजस दरवाज पर गए ि वह गलत िा अब ठीक दरवाज पर खड़ हो और अब डर रह हो सकोच

खा रह हो

मन का यह वासती मौसम

वसफम तमहार नाम

रगी-रगी-सी पाखवड़या ह

बवगया ह मदहोि

और कहानी कहत-कहत

ददम हआ खामोि

कजरारी आखो का सावन

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

भोली कवलयो को गधो न

कर डाला बदनाम

खब वलख खत परवया न

फलो को गमनाम

अलसाए सपनो का दपमण

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

अवधयार का दामन िाम

रही ऊघती रात

सख-दख दोनो आज यहा ह

सजा रह बारात

रग भर गीतो का सरगम

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

ऐसा गीत तमन दकसी कषणभगर दह और रप क सामन गाया िा अब यह गीत परमातमा क सामन

गाओ

मन का यह वासती मौसम

वसफम तमहार नाम

तमन बहत वचरटठया वलखी--और-और नामो पर उन नामो न तमह कछ दाद न दी उनक कछ और मसब

रह होग कछ और इराद रह होग अब इस बात को लकर रोत मत रहो अब इस बात को लकर बठ मत रहो

100

िायद तम वजस सतरी क वलए रक हो उस याद भी न हो दक तमन कभी उस परम दकया िा िायद उस पता भी

न चला हो दक दकसी न अपन आप ही अपनी वीणा तोड़ ली

दखत ह न कल नगलकल अपन आप ही बदध हो गया ऐस तमन अपन आप वीणा तोड़ ली दकसी न

तोड़ी-वोड़ी नही ह तमन खद ही गसस म पटक दी तम खद ही तोड़-फोड़ वलए हो और यह हो सकता ह--

अकसर ऐसा होता ह--दक तम वजसक वलए तोड़-फोड़ वलए हो वीणा उस पता भी न चला हो यह जगत कठोर

ह यहा हदय नही ह यहा पाषाण ह

ब-ए-गल रौिनी

रग नगमा सबा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

मरा ददल मरा महबब मासम ददल

ओढ़कर दाइमी दररयो का कफन

ददम क बअमा दशत म दफन ह

आज भी मरी हर मजतररब सास ह

उस प नौहाकना

आज भी याद ह

मझको उस गमम दोपहर का सावनहा

जब तमहारी महबबत क छतनार स

मरा ददल मरा महबब मासम ददल

एक पयास पररद की सरत वगरा

और मरी तरफ इक नजर दख कर

इस तरह मर गया

जस इस कतल इस मग-नागाह म

मरा भी हाि िा

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

ब-ए-गल रौिनी

रग नगमा सबा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

फलो को पता ह चाद-तारो को पता ह दक मरा कतल हो गया ह कवव कह रहा ह

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

101

और वजसक वलए हो गया ह वजसकी वजह स हो गया ह उसको भर पता नही ह

ब-ए-गल

फलो की सगध

रौिनी रग नगमा सबा

सगवधत हवा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

हर सदर चीज को पता ह दक मरी भावना मर गयी

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

िायद पता भी न हो वजसको तमन चाहा िा उस पता भी न हो इस जगत म लोगो को अपना पता

नही दसरो का पता कस हो लोग बहोि ह लोग चल जा रह ह नीद म तदरा म कौन आ गया िा सपन म

िोड़ी दर छाव डालकर चला गया दकसको वहसाब ह

तम िायद उस सतरी क सामन पड़ जाओ वह तमह पहचान भी न सक िायद पछ आप कौन ह िायद

पछ दक चहरा कछ पहचाना सा मालम पड़ता ह जस कही दखा हो

छोड़ो गलत स परम करोग दख पाओग वयिम स परम करोग दख पाओग और दफर तमहार परम करन का

ढग भी बड़ा वयिम और गलत ह तमन दया मागी और चक अब परमातमा क दवार पर खड़ हो अब बहत हो

गया यह

साकी तरी रात वबछौन क हगामो स गजरी ह

अब तो सबह करीब ह अललाह का नाम ल

अब बहत हो गया अब अललाह का नाम लो टटी-फटी वीणा पर ही गनगनाओ उसक नाम म जाद ह

उसक नाम क ससपिम स वीणा सधर जाएगी

और वजसम तम डब जा रह हो नाहक चललभर पानी म डब जा रह हो वहा कछ िा नही डबन जसा

डबना हो तो सागर तलािो

तझस ऐ दररयाए-सजदगी पार कोई भी पा न सका

कस-कस डब गए गो घटनो-घटनो पानी ह

बड़-बड़ यहा डब जा रह ह--गो घटनो-घटनो पानी ह मामला ही कया िा दकसी सतरी की आख अछी

लग गयी--घटनो-घटनो पानी ह दकसी क बाल बड़ पयार ि--घटनो-घटनो पानी ह दकसी की नाक बड़ी लबी

िी तोत जसी िी--घटनो-घटनो पानी ह इसम ही डब गए जागो

आठवा परशनः ओिो बौदध-सावहतय कहता हः भगवान शरावसती म ववहरत ि जन-सावहतय कहता हः

भगवान शरावसती म ठहर ि ववहरना और ठहरना--इन अलग िबदो क उपयोग क पीछ कया परयोजन ह कसा

आशचयम दक उपरोि परशन दन क पवम ही कल उसका उततर आ गया--आपक मख स

पछा ह अमत बोवधधमम न

102

बोवधधमम का धयान वनरतर गहर जा रहा ह बोवधधमम वनरतर डब रह ह इस जीवन क जही क फल

सखन क पहल व पा लग इसकी परी सभावना ददखती ह

जस-जस तमहारा धयान गहरा होन लगगा वस-वस तमहार परशन तम न भी पछो तो मझ तक पहचन

लगग धयान गहरा न हो तो तम पछो भी तो िायद ही मझ तक पहच धयान गहरा न हो तो तम पछ भी लो

मझ तक पहच भी जाए तो िायद म उततर न द धयान गहरा न हो तम पछ भी लो म उततर भी द तो तम

तक न पहच और िायद तम तक पहच भी जाए तो तम उस समझ न पाओ समझ लो तो कर न पाओ

हजार बाधाए ह--धयान न हो तो और धयान हो--तम न भी पछो तो मझ तक पहच जाएगा बहत स

ऐस परशनो क म उततर दता ह जो तमन नही पछ ह लदकन कोई पछना चाहता िा दकसी न मझस भीतर-भीतर

पछा िा कोई मर कानो म गनगना गया िा कागज पर वलखकर नही भजा िा

जस-जस तमहारा धयान गहरा होगा वस-वस तमह यह अनभव म आन लगगा तमहारा परशन--इसक पहल

दक तम पछो--उसका उततर तमह वमल जाएगा वमल ही जाना चावहए नही तो तमहार मर पास होन का

परयोजन कया ह

आवखरी परशनः मरी पतनी बहत करप ह म कया कर

गजब क परशन पछत हो अब म कोई पलावसटक सजमन िोड़ ह अगर पतनी करप ह तो धयान करो पतनी

पर--लाभ ही लाभ होगा सदर सतरी खतर म ल जाए करप सतरी कभी खतर म नही ल जाती इस मौक को चको

मत

सकरात स दकसी न पछा एक यवक आया उसन कहाः म वववाह करना चाहता ह म कर या न

कर आपस इसवलए पछन आया ह दक आप भिभोगी ह

सकरात को इस दवनया की खतरनाक स खतरनाक औरत वमली िी झनिपप उसका नाम िा मगरमछ

कहना चावहए सतरी नही मारती िी सकरात को सकरात जसा पयारा आदमी मगर परमातमा अकसर ऐस

पयार आदवमयो की बड़ी परीकषाए लता ह भजी होगी झनिपप को--दक लग जा इसक पीछ

मारती िी डाटती िी बीच-बीच म आ जाती सकरात अपन विषयो को समझा रह ह वह बीच म

खड़ी हो जाती--दक बद करो बकवास एक बार तो उसन लाकर परी की परी कतली गरम पानी की--चाय बना

रही िी करोध आ गया--सकरात समझा रहा होगा कछ लोगो को उसन परी कतली उसक वसर पर आकर उडल

दी सकरात का चहरा सदा क वलए जल गया आधा चहरा काला पड़ गया

तो उस यवक न पछाः इसीवलए आपस पछन आया ह दक आप भिभोगी ह आप कया कहत ह वववाह

कर या न कर सकरात न कहाः करो अगर सतरी अछी वमली तो सख पाओग अगर मरी जसी सतरी वमली

दािमवनक हो जाओग लाभ ही लाभ ह

अब तम कह रह हो दक करप सतरी

करप सतरी पर धयान अगर करो तो ववराग-भाव पदा होगा ववरागी हो जाओग चको मत अवसर

अगल जनम म कही भल-चक स सदर सतरी वमल जाए तो झझट आएगी

मलला नसरददीन िादी करता िा तो गाव की सबस करप सतरी को चन वलया लोग बड़ चौक धन ह

उसक पास पद ह परवतिा ह सदर स सदर वसतरया उसक पीछ दीवानी िी और इस नासमझ न सबस जयादा

103

करप सतरी को चन वलया वजसकी दक गाव क लोग वववाह की सभावना ही नही मानत ि--दक कौन इसस

वववाह करगा कौन अपन को इतना कषट दना चाहगा उस सतरी की तरफ दखना भी घबड़ान वाला िा

मलला न जब िादी कर ली तो लोगो न पछा दक यह तमन कया दकया उसन कहाः इसक बड़ लाभ ह

इसको दख-दखकर म ससार की असारता का ववचार करगा इसको दख-दखकर बदध जस वयवियो क वचन

मर खयाल म आएग दक सब असार ह यहा कछ सार नही ह और दसराः यह करप सतरी ह इसकी वजह स म

सदा वनसशचत रहगा सदर सतरी का कोई भरोसा नही ह लोग उसक परम म पड़ जाए वह दकसी क परम म पड़

जाए इस पर म हमिा वनसशचत रहगा दो-चार साल भी चला जाऊ कही कोई दफकर नही घर आओ अपनी

सतरी अपनी ह

और सदर वसतरया बाहर स वजतनी सदर होती ह उतनी भीतर स करप हो जाती ह सतलन रखती ह

अकसर ऐसा होगा दक सदर सतरी की जबान कडवी होगी वयवहार कठोर होगा हकड़पन होगा अहकार होगा

सदर सतरी भीतर स दगध दगी सदर परष क साि भी यही बात ह

करप सतरी--पररपरक खोजन पड़त ह उस दह म तो सौदयम नही ह इसवलए सवा करगी परम करगी

सचता लगी दवयमवहार न करगी कयोदक दवयमवहार तो वस ही काफी हो रहा ह वह तो चहर क कारण ही

काफी हआ जा रहा ह दह क कारण ही काफी हआ जा रहा ह अब और तो कया सताना

तो अकसर ऐसा हो जाता ह करप वयवि भीतर स सदर हो जात ह बाहर स सदर वयवि भीतर स

करप हो जात ह सदर को अकड़ होती ह दक तम नही तो कोई और सही करप को अकड़ नही होती तम ही

सब कछ हो

पर सतरी िी तो करप ही मलला जब उस घर ल आया तो मसलमानो म पछत ह सतरी घर आकर पछती

ह दक म अपना बकाम दकसक सामन उठा सकती ह दकसक सामन नही उठा सकती ह दकसक सामन आजञा ह

तो पता ह मलला न कया कहा मलला न कहा दक मझ छोड़कर त सबक सामन अपना बकाम उठा सकती

और यह कहानीः

आदफस का समय होन क कारण बस म अतयवधक भीड़ िी सामन की सीट पर एक नव-वववावहत जोड़ा

बठा िा वजसक सामन एक भदर परष रॉड पकड़कर खड़-खड़ सफर कर रह ि एक जगह बस क अचानक झटक

स रकन स भदर महोदय खद को समहाल न पाए और नव-वध की गोद म वगर पड़

दफर कया िा वह महािय का पारा सातव आसमान पर पहच गया लग उन महािय को बरा-भला

कहन लोगो न समझान की कोविि की दक इस हालत म कोई भी वगर सकता िा फकत वर महािय तो और

भी जयादा भड़क उठ बोलः बस बस आप लोग चप रवहए अगर आपकी पतनी की गोद म कोई बठ तो कया

आप इस सहन करग

मलला नसरददीन यह सब बठा हआ सन रहा िा वह उठकर आया उसन कहाः यह रहा मरा काडम मरा

नाम मलला नसरददीन ह आप इस पत पर दकसी भी समय आ सकत ह और वजतनी दर चाह मरी पतनी की गोद

म बठ सकत ह

अब पतनी करप ह तो यहा सदर और ह कया इस ससार म सभी तो करप ह इस ससार म हर चीज तो

सड़ जाती ह इस ससार म हर चीज तो करप हो जाती ह सदरतम सतरी भी एक ददन करप हो जाती ह और

104

जवान स जवान आदमी भी एक ददन मझामता ह और बढ़ा हो जाता ह सदर स सदर दह भी तो एक ददन वचता

पर चढ़ा दनी पड़गी करोग कया यहा सदर ह कया

इस जगत की असारता को ठीक स पहचानो इस जगत की वयिमता को ठीक स पहचानो तादक इसकी

वयिमता को दखकर तम भीतर की सीदढ़या उतरन लगो

सौदयम भीतर ह बाहर नही सौदयम सवय म ह और वजस ददन तमहार भीतर सौदयम उगगा उस ददन सब

सदर हो जाता ह तम जस वसी दवनया हो जाती ह जसी दवषट वसी सवषट

तम सदर हो जाओ पतनी को सदर करन की दफकर छोड़ो तम सदर हो जाओ और तमहार सदर होन का

अिम कोई परसाधन क साधनो स नही धयान सदर करता ह धयान ही सतय विव सदरम का दवार बनता ह

जस-जस धयान गहरा होगा वस-वस तम पाओगः तमहार भीतर एक अपवम सौदयम लहर ल रहा ह इतना

सौदयम दक तम उडल दो तो सारा जगत सदर हो जाए

मझस तम उस सौदयम की बात पछो इस तरह क वयिम परशन न लाओ तो अछा ह

आज इतना ही

105

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ सतरह परवचन

बदधतव का आलोक

बराहमणवगगो

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण 313

यदा दवयस धममस पारग होवत बराहमणो

अिसस सबब सयोगा अति गछवत जानतो 314

यसस पार अपार वा पारापार न ववजजवत

वीतददर ववसातत तमह बरवम बराहमण 315

झासय ववरजमासीन कतदकचच अनासव

उततमति अनपपतत तमह बरवम बराहमण 316

ददवा तपवत आददचचो रसतत आभावत चवनदमा

सिदधो खवततयो तपवत झायी तपवत बराहमणो

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा 317

परिम दशयः

वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि व तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत

क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए दफर ऐसा सोचकर दक यदद म इनक पास वभकष हो जाऊगा तो

सदा इनह दख पाऊगा परवरवजत हो गए व परवरजया क ददन स ही धयान-भावना आदद न कर कवल तिागत क

रप-सौदयम को ही दखा करत ि भगवान भी उनक जञान की अपररपकवता को दखकर कछ नही कहत ि दफर

एक ददन ठीक घड़ी जान--वककवल क जञान म िोड़ी परौढ़ता दखकर--भगवान न कहाः वककवल इस अपववतर िरीर

को दखन स कया लाभ वककवल जो धमम को दखता ह वह मझ दखता ह

दफर भी वककवल को सध न आयी व िासता का साि छोड़कर कही भी न जात ि िासता क कहन पर भी

नही उनका मोह छटता ही नही िा

तब िासता न सोचाः यह वभकष चोट खाए वबना नही समहलगा यह सवग को पराि हो तो ही िायद

समझ सो एक ददन दकसी महोतसव क समय हजारो वभकषओ क समकष उनहोन बड़ी कठोर चोट की कहाः हट

जा वककवल हट जा वककवल मर सामन स हट जा और ऐसा कहकर वककवल को सामन स हटा ददया

106

सवभावतः वककवल बहत कषबध हआ गहरी चोट खाया पर वककवल न जो वयाखया की वह पनः भरात िी

सोचाः भगवान मझ स करदध ह अब मर जीन स कया लाभ और जब म सामन बठकर उनका रप ही न दख

सकगा तो अब मर जाना ही उवचत ह ऐसा सोचकर वह गदधकट पवमत पर चढ़ाः पवमत स कदकर आतमघात क

वलए अवतम कषण म--बस जब दक वह कदन को ही िा--अधरी रात म कोई हाि पीछ स उसक कध पर आया

उसन लौटकर दखा भगवान सामन खड़ ि अधरी रावतर म उनकी परभा अपवम िी आज उसन िासता की दह

ही नही िासता को दखा आज उसन धमम को जीवत सामन खड़ दखा एक नयी परीवत उसम उमड़ी--ऐसी परीवत

जो दक बाधती नही मि करती ह

तभी भगवान न इस अपवम अनभवत क कषण म वककवल को य गािाए कही िीः

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण

ह बराहमण पराकरम स तषणा क सरोत को काट द और कामनाओ को दर कर द ह बराहमण ससकारो क

कषय को जानकर तम अकत--वनवामण--का साकषातकार कर लोग

यदा दवयस धममस पारग होवत बराहमणो

अिसस सबब सयोगा अति गछवत जानतो

जब बराहमण दो धमो--समि और ववपससना--म पारगत हो जाता ह तब उस जानकार क सभी सयोग--

बधन--असत हो जात ह

यसस पार अपार वा पारापार न ववजजवत

वीतददर ववसातत तमह बरवम बराहमण

वजसक पार अपार और पारापार नही ह जो वीतभय और असग ह उस म बराहमण कहता ह

झासय ववरजमासीन कतदकचच अनासव

उततमति अनपपतत तमह बरवम बराहमण

जो धयानी वनममल आसनबदध कतकतय आसरवरवहत ह वजसन उततमािम को पा वलया ह उस म

बराहमण कहता ह

पहल दशय को समझ

वककवल बराहमण-कल म उतपि हए ि

बराहमण-कल म उतपि होन स कोई बराहमण नही होता ह पदा तो सभी िदर होत ह बराहमण बनना होता

107

िदर की पररभाषा कया ह िदर की पररभाषा हः वजसको िरीर स जयादा कछ ददखायी न पड़ जो िरीर

म जीए िरीर क वलए जीए िरीर स अनयिा वजसकी समझ म न पड़ वजसकी आख पथवी म उलझी रह जाए

आकाि वजस ददखायी न पड़ जो आकवत म बध जाए और आकवत क भीतर जो अनाकत ववराजमान ह उस

ददखायी न पड़ ऐस अध को िदर कहत ह

सभी अध पदा होत ह सभी िदर पदा होत ह बराहमण तो कोई पराकरम स बनता ह बराहमण उपलवबध ह

बराहमण गणवतता ह जो अरजमत करनी होती ह मफत नही होता कोई बराहमण जनम स हो जाओ तो मफत हो

गए जनम स हो जाओ तो सयोग स हो गए जनम स हो जाओ तो तमहारी कौन सी उपलवबध ह

और बराहमण का अिम यह भी नही होता दक जो िासतरो को जानता हो कयोदक िासतरो को तो िदर भी जान

ल सकता ह इसी डर स दक कही िदर िासतरो को न जान ल सददयो तक िदर को िासतर पढ़न स रोका गया नही

तो दफर बराहमण और िदर म भद कया करोग भद कछ ह भी नही उतना ही भद ह दक बराहमण िासतर जानता ह

तिाकवित बराहमण जो जनम स बराहमण ह उसम और तिाकवित िदर म भद कया ह इतना ही भद ह दक

बराहमण वद को जानता ह िदर वद को नही जानता ह इसवलए सहदओ न िदर को वद नही पढ़न ददया नही तो

बराहमण की परवतिा कया रहगी िदर भी अगर पढ़ तो बराहमण हो गया

अगर िासतर को जानना ही एकमातर बराहमण होन की पररभाषा ह तो जो िासतर को जान लगा वही

बराहमण हो गया डाकटर अबडकर को बराहमण कहोग दक नही अगर िासतर को जानना ही पररभाषा हो तो

डाकटर अबडकर बराहमणो स जयादा बहतर बराहमण ह तभी तो इस दि का ववधान बनात समय बराहमणो को

नही बलाया गया अबडकर को वनमवतरत दकया गया अबडकर वववध का िासतर का जञाता िा भारतीय ससकवत

की अपवम पकड़ िी समझ िी बड़-बड़ बराहमण ि उनह न बलाकर एक िदर स भारत का ववधान वनरममत

करवाना दकस बात की सचना ह

िासतर पढ़न का मौका हो िासतर कोई जान ल तो दफर कौन िदर कौन बराहमण यह बात वबगड़ जाएगी

इस डर स बराहमणो न िदर को जानन ही नही ददया िासतर को

वसतरयो को भी नही जानन ददया कयोदक परष की अकड़ का दफर कोई कारण न रह जाएगा और जब

तम जानन ही न दोग

अब यह बड़ मज की बात ह यह कसा अनयाय ह जब िदर पढ़ ही न सकगा पढ़न ही न दोग वह

अजञानी रह जाएगा दफर कहोग दक िदर अजञानी होत ह बराहमण जञानी िदर अजञानी और यह िदर का अजञान

तमहार ही दवारा वनयोवजत आयोवजत अजञान ह

न कोई िदर ह न कोई बराहमण पढ़न स कछ भद तय नही होता अगर भद तय होगा तो कोई अतर-

करावत स तय होगा

बदध दकसको बराहमण कहत ह बदध उसको बराहमण कहत ह वजसन बरहम को जाना लदकन बरहम को जनम

स कस जानोग बरहम को जानन क वलए तो सारा जीवन दाव पर लगाना होगा पराकरम स जानोग बरहम

उपलवबध ह अिक चषटा स िायद एक जनम भी काम न आए अनक जनमो म शरम करक समिा को

साधकर समावध को उपलबध करक अतर क चर खलग बरहम का दिमन होगा--तब तम बराहमण होओग

यह घटना कहती हः वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि लदकन रह होग िदर रप

पर अटक गए िरीर पर अटक गए बदध म भी उतसक हए तो उनक दह-सौदयम क कारण बदध म उतसक हए

तो वसफम बाहरी छटा को दखकर बदध क पास आकर भी बदधतव क दिमन न हए वहा भी दह ही ददखी

108

हम वही दख सकत ह जो दखन की हमम कषमता होती ह तमन दखा चमार रासत पर बठता ह वह

तमहारा चहरा नही दखता तमहारा जता दखता ह ददनभर दखता रहता ह लोगो क जत दफर धीर-धीर

चमार इतना पारगत हो जाता ह जतो को दखन म दक जत को दखकर तमहार सबध म सब जानकारी कर लता

ह अगर जत की हालत खराब ह तो जानता ह दक तमहारी जब खाली ह जत की हालत खराब ह तो जानता

ह दक तमहारी हालत कटी-वपटी ह जसी तमहार जत की हालत ह जत पर चमक ह रौनक ह तो जानता ह दक

तमहार चहर पर भी चमक और रौनक होगी चहर को दखन की जररत कया उसक हाि म जता ह जत स

तमहार सबध म सारा तकम फला लता ह जत स तमहार सबध म सचनाए ल लता ह

दजी कपड़ दखता ह आदमी नही दखता

और तम भी ववचार करनाः तम कया दखत हो तम भी कषदर को ही दखत होओग जो कषदर को दख वह

िदर ह जो कषदर को हटा द और भीतर वछप ववराट स सबध बनाए वही बराहमण ह

तो साधारण लोगो म तम सौदयम दखो यह चल जाएगा लदकन बदध क पास आकर भी चक जाओग

जहा जयोवत भीतर की ऐसी जलती ह दक चाद-तार फीक ह दक सरज िरमाए जहा भीतर की जयोवत ऐसी

जलती दक अध को ददख जाए वहा भी वककवल को कया ददखा वककवल को ददखा बदध का दह-सौदयम

बराहमण-कल म उतपि हआ िा लदकन िदर िा

वककवल तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए

यह एक तरह की कामकता िी इसस कया फकम पड़ता ह दक तम बदध क रप-सौदयम पर मोवहत हए दक

दकसी और क रप-सौदयम पर मोवहत हए रप पर जो मोवहत हआ वह कामक ह

उसन बाहर की पररवध को ही पहचाना वह वतजोड़ी क परम म वगर गया वतजोड़ी क भीतर हीर रख ह

उसकी उस सचता ही नही ह और दह दकतनी ही सदर हो अततः दह ह तो हडडी-मास-मजजा दह दकतनी ही

सदर हो अततः तो मतय म चली जाएगी अततः तो कबर म सड़गी या वचता पर जलगी दह दकतनी ही सदर

हो आज नही कल कीड़-मकोड़ो का भोजन बनगी दह दकतनी ही सदर हो सब वमटटी म वमल जाएगा जो दह

क परम म पड़ा वह वमटटी क परम म पड़ गया वह घड़ क परम म पड़ गया और घड़ क भीतर अमत भरा िा

बदध क पास खड़ होकर भी इस आदमी न अमत न दखा इसन घड़ा दखा घड़ा सदर िा घड़ पर

कारीवगरी िी घड़ पर बड़ी महनत की गयी होगी यह घड़ क मोह म पड़ गया यह घड़ को ही छाती स लगा

वलया और यह भल ही गया दक घड़ क भीतर ऐसा अमत ह दक पीओ तो सदा-सदा क वलए ति हो जाओ दक

सारी कषधा वमट जाए दक सारी भख वमट जाए कतकतय हो जाओ परम अिम ववराजमान िा

िदर का यही अिम ह वककवल िदर िा जस दक सभी लोग िदर होत ह

धयान म ल लना ऐसा मत सोचना दक वककवल िदर िा और तम िदर नही हो हम सब िदर की तरह ही

पदा होत ह और कोई पदा होन का उपाय नही ह बड़ स बड़ा बराहमण--बदध भी--िदर की तरह ही पदा होत ह

िोड़ स धनयभागी जहा पदा होत ह उसस आग बढ़त ह अवधक अभाग जहा पदा होत ह वही अटक

रह जात ह जो जनम पर ही अटककर रह गया ह वह जीवन स जानन स ववचत ही रहा बहत कम लोग ह

जो जनम क बाद बढ़त ह जनम क बाद बढ़ना चावहए जनम तो वसफम िरआत ह अत नही ह जनम तो यातरा का

पहला कदम ह मवजल नही ह जनम तो वसफम अवसर ह जीन का जीवन को जानन का इस अवसर को लकर

ही मत बठ जाना

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जनम तो कोरी दकताब ह वलखोग कब इस पर तमहारा गीत कब फलगा इस पर तमहार वचतर कब

बनग इस पर

जनम तो ऐस ह जस अनगढ़ पतिर छनी कब उठाओग इस पतिर को मरतम कब बनाओग इस पतिर म

पराण कब डालोग अवधक लोग अनगढ़ पतिर की तरह पदा होत अनगढ़ पतिर की तरह मर जात उनकी मरतम

वनखर ही नही पाती उनक भीतर जो वछपा िा वछपा ही रह जाता ह जो गीत गाया जाना िा वबन गाया

चला जाता जो नतय होना िा नही हो पाता

जो अपना गीत गा लता ह वही बदध ह जो अपना नाच नाच लता ह वही बदध ह जो अपनी भीतर

वछपी हई सभावनाओ को अवभवयि कर दता ह अवभवयवजत कर दता ह गनगना लता ह वही बदध ह और

वही कतकायम ह वही फल को फल को उपलबध हआ

अवधक लोग बीज की तरह मर जात ह कछ िोड़ स लोग अकररत होत ह और मर जात ह कछ िोड़ स

लोग वकष भी बन जात ह लदकन उनम कभी फल नही लगत फल नही लगत और मर जात ह जब फल

वखलता ह तमहार जीवन का जब तमहारी चतना सहसरदल कमल बनती तभी जानना दक बराहमण हए--तभी

जानना दक बराहमण हए

इस ऐसा समझो दक सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह दफर िदर क बाद दसरा कदम ह वशय का कछ

लोग वशय बन जात ह वशय का मतलब ह पौधा पदा हआ बीज फटा कछ अकर वनकल

िदर वबलकल ही दह म जीता ह मन का भी उस पता नही आतमा की तो बात ही दर परमातमा का तो

सवाल ही कहा उठता ह तम सोचत हो दक िदर वह ह जो मल-मतर ढोता ह तो तम गलत हो िदर वह ह जो

मल-मतर म जीता ह ढोन स कया होता ह बड़ी उलटी बात समझ ली

जो आदमी पाखान साफ करता ह मर जानवरो को ढोकर ल जाता ह--इसको िदर कहत हो यह िवदध

कर रहा ह सवछता ला रहा ह इसको िदर कहत हो िदर तम हो मल-मतर पदा दकया यह बचारा ढोकर

साफ कर रहा ह--इसको िदर कहत हो इसकी तमहार ऊपर बड़ी कपा ह अनकपा ह इसक चरण छओ इसका

धनयवाद मानो

जरा सोचो दक इस नगर म िदर एक सात ददन क वलए वनणमय कर ल दक अब नही सफाई करनी ह तब

तमको पता चलगा दक िदर कया कर रहा िा तमहार सदर घर भयकर बदब स भर जाएग तब तमह पता

चलगा दक िदर कौन ह

यह मल-मतर म जो जी रहा ह वजसका जीवन मल-मतर क पार नही गया ह वजस पता ही नही दह क

बाहर कछ भोजन कर लता ह मल-मतर स वनषकावसत कर दता ह दफर भोजन कर लता ह ऐसा ही वजसका

जीवन ह इददरयो स पार वजस कछ पता नही ह ऐसा आदमी िदर ह मल-मतर की सफाई करन वाला िदर नही

ह मल-मतर को ही जीवन समझ लन वाला िदर ह

इसस िोड़ा कोई ऊपर उठता ह तो अकर फटता ह वशय बनता ह वशय को िदर स िोड़ी सी जयादा

समझ ह उसक भीतर मन म िोड़ी उमग उठनी िर होती हः पद परवतिा धन सममान सतकार भोजन और

कामवासना--इतन ही पर वशय समाि नही होता वशय जीवन क वयवसाय म लगता ह कछ और भी मलयवान

लदकन वशय भी वसफम अकररत हआ जो वशय की तरह मर जाए वह भी कछ बहत दर नही गया िदर स

110

दफर होता ह कषवतरय कषवतरय का अिम होता हः योदधा सकलपवान जीवन को अब वसा ही नही जी लता

जसा जनम स पाया ह यदध करता ह जीवन को वनखारन का उठाता ह तलवार काट दता ह जो गलत ह

वमटा दता ह जो वयिम ह सािमक की तलाि म लगता ह सघषमरत होता ह जीवन उसक वलए एक चनौती ह

वयवसाय नही

िदर क वलए जीवन कषदर का भोग ह वशय क वलए कषदर स िोड़ ऊपर उठना ह लदकन जीवन की ददिा

वयवसाय की ददिा ह सघषम की नही िोड़ा छीन-झपट लो चोरी कर लो धोखा द दो

कषवतरय का आयाम सघषम का आयाम ह चनौती का आयाम ह चाह सब गवाना पड़ लदकन दाव

लगाओ कषवतरय जआरी ह वयवसायी नही ह कषवतरय वकष बन जाता ह जब जझता ह तो ही कोई वकष बनता

य वकष भी जझत ह तो ही ऊपर उठ पात ह इनकी बड़ी सघषम की किा ह जब एक वकष बनना िर

होता ह तो दकतना सघषम ह उसक सामन नीच जमीन म पड़ पतिर ह वजनको तोड़कर जड़ पहचानी ह कठोर

भवम ह वजसम रासता बनाना ह जल-सरोत खोजन ह दफर अकला ही नही खोज रहा ह और बहत स वकष

खोज रह ह इसक पहल दक दसर जल-सरोत तक पहच जाए इस वकष को अपनी जड़ वहा पहचा दनी ह नही

तो दसर कबजा कर लग दफर आकाि की तरफ उठना ह दफर अकल ही नही ह और वकष पहल स आकाि की

तरफ उठ खड़ ह अगर आकाि की तरफ न उठगा तो सरज की रोिनी न वमलगी िदध हवाए न वमलगी

सघषम ह सकलप ह

सकलप और सघषम स कोई ऊपर जाता ह लदकन सकलप की सीमा ह अपन हाि स लड़ना दकतनी दर

तक हो सकता ह हमार हाि ही बहत छोट ह

कषवतरय अपन पर भरोसा करता ह इसवलए जाता ह वशय स आग जाता ह लदकन अपन भरोस की

सीमा ह तमहारी सामथयम दकतनी एक ददन सकलप िक जाएगा कषवतरय वगरगा जस तफान आया और बड़ा

वकष वगर गया लड़ता रहा िा अब तक लदकन तफानो स कस लड़गा छोटी-मोटी हवाए आती िी वनपट

लता िा आज भयकर चकरवात आया आज ताडव नतय करती हई हवाए आयी आज नही होगा सघषम की

सीमा ह अपन स जब तक बना लड़ वलया अब वगरगा और टटगा और जब बड़ वकष वगरत ह तो दबारा नही

उठत उठ ही नही सकत उठन का कोई उपाय नही ह इसक पार बराहमण ह

बराहमण का अिम हः समपमण कषवतरय का अिम हः सकलप कषवतरय लड़ता ह जीतन की चषटा करता ह

लदकन एक न एक ददन हारगा कयोदक वयवि की सीमा चक जाएगी समवषट क सामन वयवि का कया मकाबला

ह वजतनी दर तक वयवि की ऊजाम जा सकती ह जाएगा दफर ठहर जाएगा

वही स बराहमण िर होता ह अपनी सारी सामथयम लगा दी तब उस पता चलता ह दक मझस भी बड़ा

कोई ह म लड कयो उसका सहारा कयो न ल ल म नदी स सघषम कयो कर म नदी क साि बहन कयो न लग

समपमण िर होता ह बराहमण की दिा समपमण की दिा ह वह परमातमा क साि अपना सबध जोड़ लता ह

जब कोई दकसी गर स अपना सबध जोड़ता ह तो बराहमण होन की िरआत हई इस आदमी को यह बात

ददखायी पड़ गयी दक मर हाि स वजतना हो सकता िा मन कर वलया अब मझ ववराट का परसाद चावहए अब

मझ परमातमा का सहारा चावहए अब मझ अपनी असहाय अवसिा का बोध होता ह इस वसिवत म वयवि

बराहमण बनना िर होता ह

111

और जब समगर समपमण हो जाता ह जब सब भावत वयवि अपन को ववसरजमत कर दता ह असीम म

सीमाए खो जाती ह जस बद सागर म वगर जाए ऐस जब कोई ववराट म वगर जाता ह और उस वगरन म ही

जानता ह ववराट क सवाद को--तब परा बराहमण हआ तब फल लग फल लग तब सगध वबखरी तब कोई कत-

सकलप हआ कतकायम हआ तब पहच गया वहा जहा पहचना िा वनयवत उपलबध हई तभी तवि ह उसक

पवम कोई तवि नही ह

वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि व तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत

क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए दफर ऐसा सोचकर दक यदद म इनक पास वभकष हो जाऊगा तो

सदा इनह दख पाऊगा परवरवजत भी हो गए

आदमी कभी-कभी ठीक काम भी गलत कारणो स करता ह और कभी-कभी गलत काम भी ठीक कारणो

स करता ह और समरण रखना इस सतर को दक गलत आकाकषा स दकया गया ठीक काम भी गलत हो जाता ह

और ठीक आकाकषा स दकया गया गलत काम भी ठीक हो जाता ह अततः वनणामयक तमहारी आकाकषा ह

परसो की कहानी तमन दखी नगलकल बड़ी गलत आकाकषा स वकष पर टाग आए अपन नगल को अपन

हल को दखन जाता िा नगल को दखन जाता िा नगल म कया हो सकता ह हल म कया हो सकता ह कछ

भी नही लदकन हल को दखत-दखत जञान को उपलबध हो गया

यहा बात वबलकल उलटी हो रही ह यहा कोई आदमी बदध क पास आ गया ह और दफर भी चकगा

चकगा कयोदक बदध स भी उसन जो सबध जोड़ ह व बड़ी िदर की वचततदिा स उमग ह

इस आदमी न न तो बदध क वचन सन ह इस आदमी न न बदध क भीतर की मवहमा दखी इस आदमी न

जो बदध का सबस जयादा बाहरी वहससा िा वही दखा बदध की दह दखी यह िदर ह

अगर यह बदध का मन दख ल तो वशय ह अगर यह बदध की आतमा दख ल तो कषवतरय ह अगर यह बदध

क भीतर का परमातमा दख ल तो बराहमण ह य दवषटयो क नाम ह िदर बराहमण

िदर करीब-करीब दखता ही नही टटोलता ह जस अधा आदमी

तमन हलन कलर क सबध म सना ह वह अधी ह बहरी ह अब उसक पास एक ही उपाय ह दकसी को

जानन का दक उसक चहर पर हाि फर जब उसन पवडत जवाहरलाल नहर को दखा पहली दफा तो उसन

उनक चहर पर हाि फरा और बहत खि हई उसन कहाः म खि ह तमहारा चहरा बड़ा सदर ह

जवाहरलाल को तो भरोसा नही हआ दक यह अधी सतरी चहर पर हाि फरकर चहर क सौदयम को कस

समझ लगी उनहोन कहा दक मझ भरोसा नही आता उसन कहा दक तमहारा चहरा ठीक वसा ह जसा मन

यनान म मरतमयो का दखा सगमममर की मरतमया जब मन उन पर हाि फरा तो मझ जसा भाव हआ वसा

तमहार चहर को दखकर हआ

जवाहरलाल क पास पयारा चहरा िा सगमममर की मरतमयो जसा चहरा िा लदकन अधा आदमी दख तो

नही सकता टटोल सकता ह

हलन कलर वसरफ चहर की आकवत को अनभव कर सकती ह हाि फरकर अवधक लोग ऐस ही जीवन

को टटोल रह ह--अध की भावत

ऐस वककवल आया अधा तो नही िा कम स कम ऊपर स तो नही िा आख खली िी मगर अटक गया

रप म जो आखो न ददखाया उसम ही भटक गया ठीक आदमी क पास आया गलत आकाकषा न सब खराब

कर ददया

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सोचाः वभकष हो जाऊ अब वभकष होन का हत दखत ह सनयसत होना चाहता ह लदकन सनयसत होन क

पीछ कारण कया ह कारण ह दक सदा इनक पास रहगा दफर सदा इनका रप दखता रहगा

वभकष हो भी गया लदकन वजस ददन सनयास वलया उसी ददन स न तो धयान दकया न भावना की कोई

बदध दो तरह की बात लोगो को कहत जस म तमस कहता ह भवि और धयान जो लोग धयान कर

सकत उनको धयान म लगात जो नही कर सकत उनको भावना म लगात भावना यानी भवि

बदध भवि का उपयोग नही करत कयोदक व दकसी परमातमा को नही मानत जो आकाि म बठा ह

वजसकी भवि की जाए दफर भावना उनहोन एक नयी परदकरया खोजी जो भवि का ही रप ह वबना

भगवान क भगवान स मि भवि क रप का नाम भावना

भगवान क चरणो म लगायी गयी जो दवषट ह वह भी भावना ह लदकन उसम पता ह दकसी का तमन

परािमना की तमन कहाः ह कषण या तमन राम को पकारा तमन आकाि की तरफ दखा तमहार मन म कोई

धारणा ह रप ह और तमन जो भाव परगट दकया उसम पता ह तमन जो पाती वलखी उसम पता ह राम का

यह भवि

बदध न कहाः वसफम झको कोई नही ह वजसक सामन झकना ह झकना ही काफी ह वबना पता झक

जाओ राम क सामन नही कषण क सामन नही दकसी क सामन का सवाल नही ह झक जाओ जाओ एकात

म और झक जाओ और झकन की कला सीखो

अब इसको भवि नही कह सकत हालादक पररणाम वही होगा इसस कया फकम पड़ता ह दक तम राम का

नाम लकर झक दक कषण का नाम लकर झक दकसका नाम लकर झक इसस कया फकम पड़ता ह नाम तो

बहान ि झकन क बदध न बहान हटा ददए

बदध न कहाः बहानो म झझट होती ह बहानो म झगड़ा खड़ा होता ह जो राम क सामन झकता ह वह

उसस लड़न लगता ह जो कषण क सामन झकता ह झकना-वकना तो भल जात ह एक-दसर क वसर फोड़न म

लग जात ह तम वसफम झको

इसको उनहोन भवि नही कहा इसवलए भावना कहा इसको उनहोन ठीक िबद ददयाः बरहम-भावना

परमातमा बाहर नही ह परमातमा तमहार भीतर ह तम भावना कर लो तमहार भीतर परगट हो जाए भावना

की छनी स तम अपन भीतर की मरतम को वनखार लो दकसी और मददर म फल नही चढ़ान ह

लदकन न तो वककवल न धयान दकया न भावना की वह आया ही नही िा धयान करन या भावना करन

उसकी नजर तो कछ और ही िी उसकी दवषट तो कछ और ही िी

यहा सफी नतय होता ह अनीता बड़ी परिान रहती ह जो सफी नतय को नततव दती ह उसकी परिानी

यह ह दक अवधकतम भारतीय जो सफी नतय म आत ह उनकी नजर वसतरयो पर होती ह वह बड़ी परिान ह

सभी नही लदकन अवधकतम व आत ही इसवलए ह उनह सफी नतय स कछ लना-दना नही ह लदकन सफी

नतय म वसतरया नाच रही ह और उनका हाि छन का मौका वमलगा--उनकी नजर उस पर होती ह उस पर नजर

होन क कारण सफी नतय की जो मवहमा ह वह खो ही जाती ह और ऐस एक-दो आदमी भी वहा हो तो व

ववघन-बाधा खड़ी कर दत ह

उसकी परिानी बढ़ती गयी म कोविि करता रहा कल तक दक दकसी तरह समहालो लदकन वह बढ़ती

ही जाती ह बात तो अब मजबरी म यह तय करना पड़ा दक सफी नतय म भारतीय सवममवलत नही हो सक ग

इसम म जानता ह कछ लोग अकारण ववचत रह जाएग लदकन कोई और उपाय ददखता नही

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कोई गलत कारण स भी धयान करन आ सकता ह

भारतीयो क मन म कामवासना बड़ी दबी पड़ी ह भयकर रप स दबी पड़ी ह सददयो का बोझ ह उनक

ऊपर एक चीज को इतना दबा वलया ह दक वह उनक रग-रग म समा गयी ह उनक खन म परववषट हो गयी ह

व और कछ सोच ही नही सकत हालादक व सोचत ह दक धारममक लोग ह उनकी धारममकता म यह सारा अधमम

समाया हआ ह व सोचत ह दक हम धारममक ह लदकन जस ही व सतरी को दखत ह उनक भीतर बड़ ववकार

उठन लगत ह उन ववकारो को व दबाए जात ह कयोदक दबाना उनह वसखाया गया ह

लदकन दबाए गए ववकारो स कभी मवि नही होती मवि समझ स होती ह दबान स नही होती दमन

स तो घाव वछप जात ह उनम मवाद पड़न लगती ह ऐस भारतीय मनषय क मन म बड़ी मवाद पड़ गयी ह

और वह मवाद बढ़ती चली जाती ह कयोदक तमहार साध-महातमा उसी मवाद को बढ़ान का काम करत ह

मवि चावहए कामवासना स--वनवशचत मवि चावहए लदकन दमन स मवि नही होती

अब यह वककवल कस धयान कर कस भावना कर यह तो बदध क रप पर मोवहत होकर आ गया ह इसन

तो वभकष का वि भी सवीकार कर वलया ह इसन तो सब ससार भी छोड़ ददया यह दीवाना ह उनक रप पर

तिागत को यह बात ददखायी पड़ रही ह--पहल ददन स ही ददखायी पड़ रही ह जब यह वभकष बना

होगा तब स ददखायी पड़ रही ह--दक इसक भीतर बड़ी कामकता भरी पड़ी ह यह िदर ह

लदकन बदध जस वयवि म महाकरणा होती ह

उनहोन सोचाः अभी कहना ठीक नही ह िोड़ी दर दखन दो या तो इस खद ही समझ आ जाएगी

िायद दखत-दखत दखत-दखत भीतर का भी कछ ददखायी पड़ जाए िायद दखत-दखत म जो कहता ह वह

सनायी पड़ जाए िायद दखत-दखत यहा इतन लोग धारणा-धयान कर रह ह इतन लोग भावना कर रह ह

इनकी तरगो का िोड़ा पररणाम हो जाए सतसग का असर होता ह जस लोगो क साि होत हो वस हो जात

हो िायद कछ हो जाए िोड़ी परौढ़ता आन दो

तो दखत ि दक यह वसफम मरी तरफ दखता ह और इसकी आखो म मरी तलाि नही ह वसफम चमड़ पर

अटक जाती ह आख यह चमार ह दफर भी चप रह उसकी अपररपकवता को दखत हए कछ भी नही कह

दफर एक ददन ठीक घड़ी जान

कहना भी तभी होता ह जब ठीक घड़ी आ जाए बदधपरष तभी कहत ह जब ठीक घड़ी आ जाए

कयोदक चोट तभी करनी चावहए जब लोहा गरम हो और बात तभी कहनी चावहए जब परवि कर सक दकसी

क दवार तभी ठकठकान चावहए जब खलन की िोड़ी सभावना हो पकार तभी दनी चावहए जब दकसी की नीद

टटन क करीब ही हो कोई भयकर नीद म खोया हो तो पकार भी न सनगा

तो बदध परतीकषा करत ि ठीक कषण की कभी जब जरा इसकी िदरता कम होगी कभी जब इसक भीतर

बराहमण-भाव का िोड़ा सा परवाह होगा

और धयान रखनाः चौबीस घट कोई भी िदर नही होता और चौबीस घट कोई भी बराहमण नही होता बड़

स बड़ा बराहमण कभी-कभी वबलकल छोट स छोटा िदर हो जाता ह और कभी-कभी कषदर स कषदर िदर भी बराहमण

होन की तरगो स आदोवलत होता ह जीवन परवाह ह

तमन अपन भीतर भी यह परवाह दखा होगाः कभी तम बराहमण होत हो कभी तम िदर कभी कषवतरय

कभी वशय कयोदक य वसिवतया बदलती रहती ह य तो मौसम ह अभी बादल वघर ह तो एक बात अभी

सरज वनकल आया तो दसरी बात अभी दकसी न आकर तमहारी सनदा कर दी तो तमहार वचतत की दिा कछ

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हो गयी और दकसी न आकर तमहारी परिसा कर दी तो तमहार वचतत की दिा कछ हो गयी राह पर चलत ि

रपए की िली वमल गयी तो तमहारा वचतत बदल गया पर म काटा गड़ गया तो तमहारा वचतत बदल गया

दकसी न एक गाली द दी कोई अपमान कर गया दक कोई हसन लगा दखकर--दक तमहारा वचतत बदल गया

तमहारा वचतत तो छई-मई ह जरा-जरा म बदलता ह जब न बदल तो तम बदध हो गए जब न बदल तो

वसितपरजञ हए जब न बदल तो वसिरधी हए जब न बदल तो भगवतता परगट हई

लदकन यह मन तो बदलता रहता ह यह मन तो वगरवगट ह यह तो रग बदलता रहता ह इसवलए तम

यह मत सोचना दक कोई िदर ह तो चौबीस घट िदर ह

इसी कारण सार दवनया क धमो न कछ समय खोज वनकाल ह जब परािमना करनी चावहए जस ठीक

सबह बरहम-महतम म उसको बरहम-महतम कयो कहत ह कयोदक उस वि आदमी क बराहमण-भाव क उदय होन की

सभावना जयादा ह

कयो रातभर सोए ववशराम दकया कम स कम आठ घट क वलए दवनया भल गयी तो दवनया का जाल

आठ घट क वलए टट गया सबह जब आख खलती ह नीद की गहरी ताजगी क बाद ववशराम क बाद तमहार

भीतर िोड़ी दर क वलए बराहमण का जनम होता ह उस कषण तमहार भीतर दया होती करणा होती परम होता

उललास होता उतसाह होता जीवन दफर जागा दफर तम ताज हो गए हो दफर हवाए बही दफर सरज

वनकला दफर पवकषयो न गीत गाए दफर फल वखल तमहार भीतर भी फल वखला तमहार भीतर भी हवाए

बही तमहार भीतर भी सरज वनकला तमहार भीतर का पकषी भी गीत गान लगा

सबह होती ह तो सारा जगत आहलाद स भरता ह रातभर क ववशराम क बाद यह आहलाद सवाभाववक

ह तम कस ववचत रहोग

इसवलए धमो न वनरतर कहा ह दक जलदी जाग जाओ वह जो आदमी आठ-नौ-दस बज उठगा वह चक

गया अपन बरहम होन क कषण को बराहमण होन क कषण को वह उठत स ही िदर होगा

तमन दखा जो आदमी दस बज तक पड़ा रहगा जब वह उठ तो उसक चहर पर तमह िदर ददखायी

पड़गा जो सबह बरहम-महरत म उठ आया ह सरज क साि-साि जो परकवत क साि-साि उठ आया ह उसक

भीतर तम एक तरग पाओग एक ताजगी पाओग उसकी आखो म एक िावत पाओग चाह वह िावत जयादा

दर न रटक कयोदक सजदगी करठन ह जलदी ही उपदरव िर हो जाएगा दकान खोलगा गराहक आएग दफतर

जाएगा पतनी उठगी बचच होग सब उपदरव िर अभी हो जान को ह लदकन इसक पहल दक उपदरव िर हो

सभी धमो न कहा ह परािमना कर लना

परािमना का अिम हः यह जो कषण वमला ह यह जो झरोखा खला ह िोड़ी दर क वलए इस पर सवार हो

जाना इसका फायदा उठा लना इस कषण को परमातमा क चरणो म समरपमत कर दना इस कषण को अगर तमन

परमातमा की पकार म परमातमा की परािमना म लगा ददया तो बहत सभावना ह दक यह कषण िोड़ा लबा

जाएगा अगर वस कछ दर रहता अब िायद िोड़ी जयादा दर रटकगा यह भी हो सकता ह दक अगर तम ठीक

स परािमना कर लो तो यह ददनभर पर फल जाए इसका रग ददनभर मौजद रह जाए

दफर धमो न कहाः रात क अवतम समय म जब तम िक गए ददनभर क उपदरव स ऊब गए तब दफर

परािमना कर लना उसका कया अिम होगा यह बात तो ववरोधाभासी लगती ह सबह तो ठीक दक सब ताजा

िा रात कयो जब दक सब बासा हो गया

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उसक पीछ भी कारण ह जब ददनभर का तम ससार दख चक तो एक ववराग की भावदिा अपन आप

पदा होती ह लगता हः सब दफजल ह ददनभर दखन क बाद नही लग वजसको वह आदमी वबलकल वजर बहरा

ह सब दफजल ह कोई सार नही ऐसी जो भावदिा ह इसका भी उपयोग कर लना इसक ऊपर भी सवार हो

जाना इसका घोड़ा बना लना और परभ की परािमना करत-करत ही नीद म उतर जाना उसका भी लाभ ह

कयोदक परभ की परािमना करत-करत अगर नीद म उतर गए तो नीद पर फल जाएगी परभ की छाया

ऐस जीवन क इन दो कषणो को सभी धमो न सवीकार दकया ह इन दो कषणो को परभ पर समरपमत करना

दफर ऐसा नही दक इन दो ही कषणो म यह बात घटती ह ददन म कई दफ तमहारा मौसम बदलता ह तम

जरा वनरीकषण करोग तो तम समझन लगोग दक कब मौसम बदलता ह और अगर तम वनरीकषण ठीक स करो

तो अदभत पररणाम ला सकत हो तम एक अपन जीवन की वयवसिा भी खोज सकत हो

एक बार तीन महीन तक डायरी रखो हर रोज सोमवार स लकर रवववार तक अपनी डायरी म वलखत

रहो--कब तमहार भीतर बराहमण-कषण होता ह कब िदर-कषण होता ह कब कषवतरय-कषण होता ह कब वशय का

कषण होता ह तीन महीन तक नोट करत रहो धोखा मत दना कयोदक धोखा दकसको दोग तम अपन को ही

दोग जबदमसती मत वलख लना दक नही ह बराहमण-कषण लदकन ददखाना तो चावहए दक एक बराहमण-कषण न

हो तो नही वलखना जब हो तो ही वलखना

अगर तम एक तीन महीन तक अपन भीतर का सारा बयौरा वलख लो तम चदकत हो जाओग तम

चदकत इसवलए हो जाओग दक तम तीन महीन क बाद पाओग दक करीब-करीब तमहार भीतर जो बदलाहट

होती ह व सवनवशचत ह अगर सोमवार को सबह तमह आनददत मालम हआ ह तो तम चदकत होओग जानकर

दक हर सोमवार को ऐसा होता ह

तमहार भीतर एक वतमल ह जस गाड़ी का चाक घमता ह अगर हर िवनवार को तमहार भीतर करोध का

जनम होता ह करोध की छाया होती ह तम कछ न कछ झझट खड़ी कर लत हो कोई झगड़ म पड़ जात हो

दकसी को मार दत हो तो तम चदकत होओग तीन महीन क बाद दक यह करीब-करीब हर िवनवार को होता ह

कम-जयादा और एक बार तमहारी सजदगी का चाटम तमहार सामन हो जाए तो बहत लाभ का ह दफर तो तम

अपन दरवाज पर वलखकर टाग सकत हो--दक सोमवार मझस सावधान दक मगलवार आपका सवागत ह और

दफर तम उसक अनसार जी भी सकत हो

अगर तमहारा सोमवार बरा ददन ह और तमह अनजान इसका अनभव भी होता ह लोग जानत भी ह

दक फला ददन मरा बरा ददन ह हालादक उनह साफ नही होता दक मामला कया ह कयो बरा ददन ह जयोवतषी

स पछन जान की जररत नही ह जयोवतषी को कया पता उसको अपना पता नही ह तमहारा कया खाक पता

होगा

एक जयोवतषी को एक बार मर पास लाया गया जयपर म उसकी एक हजार रपए फीस एक बार हाि

दखन की उसन कहाः एक हजार रपए मरी फीस ह हाि दखन की मन कहाः तम बदफकरी स दखो उसन हाि

दख वलया बड़ा खि िा दक एक हजार रपए वमलत ह जब हाि दख वलया उसन कहाः मरी फीस मन कहाः

वह तो म पहल स ही तय िा दक नही दगा तमह इतना भी पता नही ह तम घर स अपना हाि दखकर तो

चला करो तम मझ दखकर यह भी न समझ सक दक यह आदमी एक हजार रपए नही दगा और म जोर स यह

दोहरा रहा िा अपन भीतर तादक तमह सनायी पड़ जाए अगर तमम िोड़ा भी जयोवतष हो तो समझ म आ

जाए दक भाई दगा नही यह म कह ही रहा िा भीतर बार-बार तम जब हाि पकड़ बठ ि तब म दोहराता

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ही रहा दक हजार रपए दगा नही दगा नही मरी तरफ स तमह मन धोखा नही ददया ह लदकन तम जयोवतषी

कस

उसकी हालत तो बड़ी खसता हो गयी अब वह कया कह

जयोवतषी को तो अपना पता नही ह

मन तो यह भी सना हः एक गाव म दो जयोवतषी ि व दोनो सबह वनकलत अपन-अपन घर स बाजार

जात धधा करन तो एक-दसर का हाि दखत रासत म--भई आज कसा धधा चलगा

अपना ही पता नही ह तमह दसर का कया पता होगा दफर

नही जयोवतष स नही पता चलता तमह अपन जीवन का वनरीकषण करना होगा तो पता चलगा और

एक बार तमह पता हो जाए दक सोमवार या िवनवार या रवववार मरा खराब ददन ह इस ददन कछ न कछ

दघमटना होती ह तो उस ददन छटटी ल लो वह तमहारा छटटी का ददन होना चावहए

रवववार की छटटी नही वमलनी चावहए दवनया अगर वयववसित हो ववजञान स तो आदमी को उस ददन

छटटी वमलनी चावहए जो उसका बरा ददन ह तादक वह लोगो क सपकम म न आए तादक वह अपन घर म चादर

ओढ़कर सो जाए मौन रख बाहर न वनकल दरवाजा बद रख अगर करोध उठ भी तो तदकया पीट ल मगर

बाहर न जाए हा उसका जो अछा ददन ह उस ददन वह सपकम बनाए लोगो स वमल-जल वखल फल

और तम इस तरह क पररवतमन अपन भीतर पकड़ ल सकत हो और व करीब-करीब गाड़ी क चाक की

तरह घमत ह उनम जयादा भद नही होता सजदगीभर ऐसा होता ह जस वसतरयो का मावसक-धमम होता ह

अटठाइस ददन क बाद दफर और-और लौट आता ह ठीक ऐसा ही वतमल ह तमहार भीतर भी

और तम यह जानकर भी हरान होओग दक परषो का भी मावसक-धमम होता ह और हर अटठाइस ददन क

बाद होता ह वसफम वसतरयो क िरीर स खन बाहर जाता ह इसवलए ददखायी पड़ता ह परषो क िरीर स खन

बाहर नही जाता लदकन उनक भीतर चार-पाच ददन क वलए उसी तरह की उिल-पिल हो जाती ह जसी

वसतरयो क भीतर होती ह सकषम उिल-पिल

तमन दखाः जब वसतरयो का मावसक-धमम होता ह तो व जयादा वखि उदास वचड़वचड़ी हो जाती ह ठीक

ऐस ही परषो का मावसक-धमम होता ह चार ददन क वलए व भी बड़ वचड़वचड़ और बड़ उदास और बड़ उपदरवी

हो जात ह मगर उनको तो पता भी नही होता

इस दि म जो वसतरयो को हम चार ददन क वलए वबलकल छटटी द दत ि उसका कारण यह नही िा--

कारण तमन गलत समझा ह--दक वसतरया अपववतर हो जाती ह वह कारण नही ह अपववतर कया होगी खन

भीतर ह तब अपववतर नही ह बाहर जा रहा ह तब तो पववतर हो रही ह अपववतर कस होगी और खन अगर

अपववतर ह तो सारा िरीर ही अपववतर ह अब इसम और कया अपववतरता हो सकती ह

नही उसका कारण मनोवजञावनक िा चार ददन क वलए जब सतरी का मावसक-धमम चलता ह तब वह

वखि होती उदास होती नकारातमक होती अगर वह खाना भी बनाएगी तो उसकी नकारातमकता उस खान

म ववष घोल दगी

मनोवजञावनक कहत ह दक दकसी न करोध स खाना बनाया हो तो मत खाना कयोदक हािो स परवतपल

तरग जा रही ह हािो स ववदयत-परवाह जा रहा ह इसवलए तो जो तमह परम करता ह गहन परम करता ह

उसक हाि की बनी रखी-सखी रोटी भी अदभत होती ह

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होटल म दकतना ही अछा खाना हो कछ कमी होती ह कछ चका-चका होता ह खाना लाि जसा

होता ह उसम आतमा नही होती लाि दकतनी ही सदर हो और वलपवसटक लगा हो और पावडर लगा हो और

सब तरह की सगध वछड़की हो मगर लाि आवखर लाि ह तमह इस लाि म स िायद िरीर क वलए तो

भोजन वमल जाएगा लदकन आतमा का भोजन चक जाएगा

और जस तमहार भीतर िरीर और आतमा ह ऐस ही भोजन क भीतर भी िरीर और आतमा ह आतमा

परम स पड़ती ह

तो जब सतरी उवदवगन हो उदास हो वखि हो नाराज हो नकार स भरी हो तब उसका खाना बनाना

उवचत नही ह तब उसक हाि स जहर जाएगा और तब अछा ह दक वह एकात म एक कमर म बठ जाए

चार ददन वबलकल ववशराम कर ल य चार ददन ऐसी हो जाए जस मर ही गयी दवनया स उसका कोई नाता न

रह

यह बड़ी मनोवजञावनक परदकरया िी लदकन चदक हमन इसको भी गलत ढग द ददया िा हालादक हम

गलत ढग इसवलए द दत ह दक िबदो को समझ नही पात

जब सतरी मावसक-धमम म होती ह तो परान िासतर कहत हः वह िदर हो गयी मगर िदर होन का मतलब

ही यह होता ह दक नकार हो गया उसको छना मत िदर हो गयी मगर परष भी इसी तरह िदर होत ह िासतर

चदक परषो न वलख ह इसवलए परषो क चार ददन नही वलख गए

लदकन अब ववजञान की खोजो न यह साफ कर ददया ह दक परष भी चार ददन इसी तरह िदर हो जात ह

और तम अपन व चार ददन भी खोज ल सकत हो और तम चदकत होओगः हर महीन ठीक वतमल म व चार ददन

आत ह उनकी तारीख तय ह उन चार ददनो म तमस हमिा बराई होती ह झगड़ा हो जाता ह मार-पीट हो

जाती ह उन चार ददनो म तमस चक होती ह कार चलाओग एकसीडट हो जाएगा उन चार ददनो म हाि स

चीज छट जाएगी वगर जाएगी टट जाएगी उन चार ददनो म तमस ऐस वचन वनकल जाएग जो तम नही

कहना चाहत ि और दफर पीछ पछताओग उन चार ददनो म तम अपन म नही हो उन चार ददनो म तमहारा

िदर परी तरह तमहार ऊपर हावी हो गया ह

और जस चार ददन िदर क होत ह ऐस ही चार ददन बराहमण क भी होत ह कयोदक आदमी अवतयो म

डोलता ह एक अवत स दसरी अवत--जस घड़ी का पडलम डोलता ह

तो बदध न परतीकषा की दक जरा पररपकव हो जाए इसकी कोई परौढ़ घड़ी कोई समयक घड़ी दखकर कहगा

दफर एक ददन िोड़ी परौढ़ता की भावना को दखकर भगवान न कहाः वककवल इस अपववतर िरीर को दखन

स कया लाभ वककवल जो धमम को दखता ह वह मझ दखता ह

तो त धयान कर और धमम को दख धमम को दख सकगा--धमम यानी तरा सवभाव--जब त अपन सवभाव को

दख सकगा तो तन मझ दखा तभी जानना दक तन मझ दखा म अगर कछ ह तो धमम ह म अगर कछ ह तो

धयान ह म अगर कछ ह तो समावध ह त समावधसि हो तो मझस जड़गा इन चमड़ की आखो स मर चमड़

को दखत-दखत समय मत गवा य आख भी कल वमटटी म वगर जाएगी यह दह भी कल वमटटी म वगर जाएगी

इसक पहल दक यह दह वमटटी म वगर जाए इस दह क भीतर जो जयोवत परजववलत हई ह उस दख मगर उस त

तभी दख सकगा जब त धमम को दखन म किल हो जाए नही तो नही दख सकगा तो धयान म लग समावध म

उतर

दफर भी वककवल को सध न आयी

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सध इतनी आसानी स आती ही कहा ह सध ही आ जाए तो दफर और कया बचा वककवल न सन वलया

होगा िायद सना भी न हो जब बदध यह कह रह ि तब वह उनकी भाव-भवगमा दखता हो हाि को दखता

हो मदरा दखता हो चहरा दखता हो िायद सना ही न हो जब तम दकसी एक चीज म अटक होत हो तो तमह

कछ और ददखायी ही नही पड़ता

या उसन कहाः ऐसा तो बदध रोज ही कहत रहत ह यह तो कई दफ सन वलया यह तो इनक परवचन म

रोज ही आता ह इसम कौन सी खास बात ह वह अपन म ही लीन रहा होगा अपनी ही भावदिा म तललीन

रहा होगा उस सध न आयी

वह िासता का साि छोड़कर कही जाता भी न िा िासता क कहन पर भी नही

ऐसी घटनाए यहा घट जाती ह मरी एक सनयावसनी ह--कसम वह जब पहली दफा आयी मर चरणो म

वसर रखकर कहा दक सब समरपमत करती ह बस अब मर जीवन क सतरधार आप ह जो आप कहग वही

करगी और मझ यही रहना ह मझ कही जाना नही ह मन उसस कहाः दख म तझ स कहता ह दक त अभी

जा वापस घर तर माता-वपता दखी होग परिान होग कछ ददन त धयान कर उसन कहाः म जान वाली

नही मन उसस कहाः दख त कहती ह दक आप जो कहग म कह रहा ह दक जा उसन कहाः आप जो कहग वह

करगी लदकन म जान वाली नही नही गयी परी हठयोवगनी ह

यह वककवल ऐसा ही आदमी रहा होगा जसी कसम बदध उसको कभी-कभी भजना चाहत कही--दक जा

दसर गाव जाकर कछ काम करक आ वह कहताः आप जो कहग करगा मगर कही जा नही सकता रहगा तो

यही एक ददन को भी आपको वबना दख नही रह सकता उसक मोह को तोड़न को कहत होग दक जा मगर

वजददी िा

मन बड़ा वजददी ह सनता ही नही उनकी भी नही सनता वजनकी सनकर करावत घट सकती ह

िासता क कहन पर भी नही जाता िा उसका मोह छटता ही नही िा एक ददन वबना दख कस रह

जाऊगा और दखता कया िा दखता िा नाक-नकि दखन योगय जो िा वह तो दखता नही िा

तब िासता न सोचाः यह ऐस मानन वाला नही ह इस पर तो बड़ी चोट करनी पड़गी

और धयान रखनाः अगर कभी बदध जस वयवि चोट करत ह तो वसफम अनकपा क कारण करणा क

कारण इस पर दया आती होगी दक बचारा मर पास आकर भी चका जाता ह इतन पास रहकर चका जाता

ह सरोवर क इतन पास--और पयासा

दफर दकसी महोतसव क समय जब बहत वभकष इकटठ हए हजारो वभकषओ क सामन उनहोन वनवशचत ही

कठोर चोट की कहाः हट जा वककवल वह बठा होगा सामन ही वह दख रहा होगा वह लगा होगा अपन ही

काम म वह रस पी रहा होगा अपना ही यदयवप वह रस ऐसा ही ह जस कोई नावलयो स रस पीए

दह म और कया हो सकता ह बदध की दह म भी नही कछ हो सकता ह दकसी की दह म नही होता दह

तो एक जसी ह अजञानी की हो दक जञानी की हो भद दह म जरा भी नही ह भद ह तो भीतर ह भद ह तो

जागरण का और सोन का ह

हट जा वककवल हट जा वककवल मर सामन स हट जा ऐसा बदध न कहा ही नही उस हटवा भी ददया

वककवल को सवभावतः गहरी चोट लगी लदकन अजञानी आदमी करणापणम कतयो की भी अपनी ही

वयाखया करता ह उसन सोचा दक ठीक ह तो बदध मझ पर करदध हो गए ह तो अब जीन स कया सार अब मर

जान म ही सार ह

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तब भी जो बदध चाहत ि वह नही समझा अगर बदध की सनकर हट गया होता सामन स चला गया

होता दर पहाड़ी पर बठ गया होता आख बद करक दक बदध नाराज ह कयोदक म धयान नही कर रहा ह बदध

नाराज ह कयोदक म समावध म नही उतर रहा ह उनकी महाकरणा दक उनहोन मझ हटवाया ह तादक म जाऊ

और समावध म उतर तो ठीक समझा होता ठीक वयाखया की होती मगर गलत वयाखया कर ली

ऐसी गलत वयाखया तम भी करत चल जात हो म कछ कहता ह तम वयाखया कर लत हो अपनी तम

सोच लत होः इसका मतलब ऐसा मतलब तम वनकाल लत हो विषय को चावहए दक अपना मतलब न डाल

जलदी न कर मतलब डालन की मौन बठ जो कहा गया ह उस िबद को अपन भीतर उतरन द मतलब करन

की जलदी न कर तमन अिम वनकाला अनिम हो जाएगा

अब उसन कया समझा दक बदध कहत ह दक अब त दकसी सार का नही असार ह त योगय नही ह

अपातर ह मर जा तर सजदा रहन म कोई मतलब नही ह भारी अपमान हो गया मरा--सोचा होगा हजारो

वभकषओ क सामन मझ बराहमण-पतर को इस तरह दतकारा दक हट जा वककवल हटाया ही नही इतना भारी

अपमान दकया अकल म कह दत

हालादक अकल म व बहत बार कह चक ि और इसन सना नही िा उसन सोचाः अब मर जीन स कया

लाभ जीन म तो एक ही अिम िा उसक और वह अिम िाः बदध की दह को दखत रहना

जब म सामन ही न बठ सकगा उनक तो अब मर जाना उवचत ह ऐसा सोच वह गदधकट पवमत पर चढ़ाः

पवमत स कदकर आतमघात क वलए अवतम कषण म--बस जब दक वह कदन को ही िा--अधरी रात म कोई हाि

पीछ स उसक कध पर आया

बदध का हाि ह ही इसीवलए दक जब तम अधर म होओ और जब तम जीवन क परवत इतन उदास इतन

वखि हो जाओ दक अपन को वमटान को ततपर हो जाओ तब बदध का हाि ह ही इसवलए दक तमहार कध पर

आए

गर का अिम ही यही ह दक वह तमह तलाि जब तमह जररत हो तब उसका हाि पहच ही जाना

चावहए तमहारी जररत हो और उसका हाि न पहच तो दफर गर गर नही ह तम दकतन ही दर होओ इसस

कोई फकम नही पड़ता तम हजारो मील दर होओ इसस भी कोई फकम नही पड़ता जब तमहारी वासतववक

जररत होगी गर का हाि तमहार पास पहचगा ही पहचना ही चावहए वही तो अनबध ह--विषय और गर क

बीच वही तो गाठ ह--विषय और गर क बीच वही तो सगाई ह--विषय और गर क बीच

कोई हाि पीछ स कध पर आया उसन लौटकर दखा भगवान सामन खड़ ि मगर यह दह नही िी यह

भगवान की दह नही िी यह भगवान का वही रप नही िा जो अब तक दखता रहा िा आज कछ अवभनव

घरटत हआ िा इस मतय क कषण म

अकसर ऐसा हो जाता ह जब आदमी मरन ही जा रहा ह जब मरन क वलए आवखरी कदम उठा वलया

ह--एक कषण और और समाि हो जाएगा--तो मन अपन आप रक जाता ह अवरदध हो जाता ह ऐसी घवड़यो म

मन को चलन की सववधा ही नही रहती मन को चलन क वलए भववषय चावहए

इस समझ लना जब कोई आदमी मरन जा रहा ह तो भववषय तो बचा ही नही बात खतम हो गयी

अब मन को चलन को कया रहा मन को चलन को जगह चावहए आग दीवाल आ गयी--मौत आ गयी

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इसीवलए तो बढ़ा आदमी पीछ लौट-लौटकर सोचन लगता ह आग तो दीवाल ह वहा सोचन की जगह

नही ह जवान सोचता हः कल बड़ा मकान बनाऊगा सदर सतरी लाऊगा ऐसा होगा वसा होगा वह भववषय

की सोचता ह मन आग की तरफ दौड़ता ह

बढ़ा आदमी एक ददन दखता हः आग तो अब कछ भी नही ह आग तो मौत ह अब आग कया सोचना

वह मौत स बचन क वलए मौत की तरफ पीठ कर लता ह पीछ की तरफ सोचन लगता ह वह कहता हः कया

जमान ि राम-राजय िा सवणमयग िा बीत गया अब कसा भरषट यग आ गया दध इस भाव वबकता िा घी

इस भाव वबकता िा गह इस भाव वबकता िा वह इन बातो को सोचन लगता ह वह अपन पचास साठ या

अससी साल पहल जो वसिवतया िी उनका ववचार करन लगता ह कस सदर ददन ि कस अछ लोग ि

य ही लोग ि य ही ददन ि कछ फकम नही पड़ता दवनया म बाहर दवनया वही की वही ह वसी की

वसी ह लदकन बढ़ा रग भरन लगता ह अपन अतीत म सब बढ़ भरत ह

लदकन अगर कोई आतमघात करन जाए तब तो पीछ भी लौटकर नही सोच सकता अब तो सोचना ही

समाि हआ आवखरी घड़ी आ गयी अपन हाि स वमटन जा रहा ह अब ववचार क वलए उपाय नही ह सपन

क वलए उपाय नही ह

तो मन न रहा होगा मौजद और इस अधरी रात म दकसी हाि का कध पर पड़ना एकदम चौका होगा

यहा कौन लौटकर दखा होगा जयोवतममय रप िा वजसको बदध दखन क वलए कह रह ि बार-बार--दक त उस

दख जो म वसततः ह--आज इस मतय की घड़ी म सामन खड़ा हो गया िा

यह बदध की पारिमव दह नही िी बौदधिासतर गलत कहत ह बौदधिासतर कहत ह दक बदध खद ही वहा

आकाि-मागम स उड़कर खड़ हो गए ि नही यह बदध की अतदह िी यह बदध की अतरातमा िी यह बदध का

बदधतव िा जो वहा खड़ा हआ िा अगर चमड़ की ही दह खड़ी होती तो म तमस पकका कहता हः वककवल दफर

चक जाता

आज उसन िासता को वसा नही दखा जसा वह सदा दखता िा पर ऐसा दखा जसा िासता चाहत ि

दक दख आज उसन िासता की दह नही िासता को दखा आज उसन धमम को जीवत सामन खड़ा पाया वह

महाकरणा बरसती हई वह परसाद वह िीतल बरसा वह अमत का मघ एक नयी परीवत उसम उमगी--ऐसी

परीवत जो बाधती नही मि करती ह

परम दो तरह क होत ह जब परम िदर जसा परम होता ह िदर का परम होता ह तो बाधता ह कषदर का परम

बाधता ह कयोदक कषदर का परम तमह भी कषदर बना दगा जसा परम करोग वजसस परम करोग वजस ढग स करोग

वस हो जाओग

परम बड़ी कीवमया ह सोच-समझकर करना परम करना हो तो ववराट स करना परम करना हो तो

आकाि स करना परम करना हो तो असीम स करना कयोदक वजसस तम परम करोग वस ही तम हो जाओग

कषदर स करोग कषदर हो जाओग खयाल रखना परम रपातरकारी ह परम एकमातर रसायन ह

आज एक नयी परीवत उमड़ी अब तक जो परीवत जानी िी दह की िी िदर मन की िी आज बराहमण पदा

हआ वककवल आज बराहमण हआ बराहमण-कल म पदा हआ िा उस समय नही आज बदध क कल म पदा होकर

बराहमण हआ आज बदध-कल म जनमा आज नया जनम हआ वदवज हआ

इसवलए तो बराहमण को वदवज कहत ह लदकन सभी बराहमण वदवज नही होत सभी वदवज जरर बराहमण होत

ह दफर वदवज चाह जीसस हो चाह मोहममद--सभी वदवज बराहमण होत ह

121

लदकन आमतौर स लोग समझत ह दक सभी बराहमण वदवज ह बराहमण को वदवज कहत ह गलत वदवज को

बराहमण कहो वदवज का अिम हः जो दबारा जनमा एक जनम मा-बाप स वमला दफर दसरा जनम गर स वमला

आज वककवल वदवज हआ बराहमण हआ आज बदध क कल म जनमा एक नयी परीवत उमड़ी ववराट को

सामन खड़ दखा उस ववराट म िनय हो गया होगा लीन हो गया होगा व दकरण उस धो गयी साफ कर गयी

सवछ कर गयी वह नया हो आया नए मनषय का जनम हआ वजस पर परान की अब छाया भी नही धल भी

नही परान स इसका कोई सबध भी नही ह यह परान स असबवधत ह

ऐसी घड़ी म भगवान न य सतर कह िः

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण

ह बराहमण पराकरम स तषणा क सरोत को काट द और कामनाओ को दर कर द ह बराहमण ससकारो क

कषय को जानकर तम अकत--वनवामण--का साकषातकार कर लोग

बदध न कहाः जसा म ह ऐसा ही त भी हो सकता ह बस अब कामनाओ को एक झटक म काट द अब

दबारा कामना न करना दफर िदर मत हो जाना इस घड़ी को ठीक परख ल पहचान ल पकड़ ल अब यह

घड़ी तरी सजदगी बन अब यह घड़ी तरी परी सजदगी का सार हो जाए इसी क क दर पर तर जीवन का चाक

घम

ह बराहमण

सनत ह फकम अभी कछ ही दर पहल कछ ही घटो पहल कहा िाः वककवल हट हट जा हट जा वककवल

हटवा ददया िा इसक पहल कभी बदध न उसको बराहमण कहकर सबोधन नही दकया िा वककवल आज पहली

दफा कहाः ह बराहमण आज वह बराहमण हआ ह

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

इस घड़ी को पहचान इस घड़ी को पकड़ कामनाओ को काट तषणाओ को उछद कर द ससकारो का

कषय हो जान द अब यह जो िनय तर भीतर घड़ीभर को उतरा ह यही तरी वनयवत हो जाए यही तरा सवभाव

हो जाए तो त अकत को जान लगा

अकत अिामत वनवामण अकत--जो दकए स नही होता अकत--जो करन स कभी हआ नही जो सब करना

छोड़ दन स होता ह जो समपमण म होता ह सकलप स नही होता

जब बराहमण दो धमो म पारगत हो जाता ह

कौन स दो धमम एक धमम ह समि और दसरा धमम ह ववपससना

तब उस जानकार क सभी सयोग--बधन--असत हो जात ह

इन दोनो िबदो को समझ लना जररी ह

बदध न दो तरह की समावध कही हः समि समावध और ववपससना समावध समि समावध का अिम होता

हः लौदकक समावध और ववपससना समावध का अिम होता हः अलौदकक समावध समि समावध का अिम होता

122

हः सकलप स पायी गयी समावध--योग स वववध स ववधान स चषटा स यतन स और ववपससना का अिम होता

हः सहज समावध चषटा स नही यतन स नही योग स नही वववध स नही--बोध स वसफम समझ स ववपससना

िबद का अिम होता हः अतदमवषट

फकम समझना तमन सना दक करोध बरा ह तो तमन करोध को रोक वलया अब तम करोध नही करत हो

तो तमहार चहर पर एक तरह की िावत आ जाएगी लदकन चहर पर ही भीतर तो करोध कही पड़ा ही रहगा

कयोदक तमन दबा ददया ह सनकर अगर तमहारी समझ म आ गया दक करोध गलत ह--िासतर कहत ह इसवलए

नही बदध कहत ह इसवलए नही म कहता ह इसवलए नही--तमन जाना अपन जीवत अनभव स बार-बार

करोध करक दक करोध वयिम ह यह परतीवत तमहारी गहन हो गयी इतनी गहन हो गयी दक इस परतीवत क कारण

ही करोध असभव हो गया तमह दबाना न पड़ा तमह वववध-ववधान न करना पड़ा तमह अनिासन आरोवपत न

करना पड़ा तो दसरी दिा घटगी तब तमहार भीतर भी िावत होगी बाहर भी िावत होगी

समि समावध म बाहर स तो सब हो जाता ह भीतर कछ चक जाता ह ववपससना समावध परी समावध

ह बाहर भीतर एक जसा होता ह एकरस हो जाता ह

जस एक आदमी योगासन साधकर बठ गया अगर वषो अभयास कर लोग तो कसरत की तरह योगासन

सध जाएगा योगासन तो साधकर बठ गए वबलकल पतिर की मरतम की तरह वहलत ही नही चीटी चढ़ती ह

पता उसका लत ही नही मछड़ काटता ह दफकर नही ह बठ तो बठ घटो बठ ह लदकन भीतर मन चल रहा

अभयास कर वलया अब मछड़ का भी अगर रोज-रोज अभयास करोग काटन दो--काटन दो--काटन

दो धीर-धीर धीर-धीर तमहारी चमड़ी सवदना खो दगी चीटी चढ़ती रहगी काटती रहगी तमह पता नही

चलगा चमड़ी कठोर हो गयी अभयास स

बाहर स तो तम मरतम बन गए लदकन भीतर भीतर बाजार भरा ह

दफर एक और तरह का आसन ह वही असली आसन ह तमहारा मन विर हो गया चदक मन विर हो

गया इसवलए िरीर नही कपता तमहारा मन िात ह इसवलए िरीर को कपान की कोई जररत नही ह तब

तम िात बठ--यह और ही बात हो गयी

इसवलए पहली को बदध न लौदकक कहा दसरी को अलौदकक पहली स तम बराहमण तक नही पहच

पाओग पहली स कषवतरय तक सकलप जझत हए लड़त हए परयास स दसरी स तम बराहमण होओग परसाद स

इसवलए बदध न कहाः जो दो धमो को जान लता समि और ववपससना वह पहच गया

पहल आदमी को समि स जाना पड़ता ह दफर समि की हार पर ववपससना का जनम होता ह

ऐसा ही बदध को हआ छह वषम तक उनहोन जो साधा वह समि समावध िी दफर छह वषम क बाद उस

आवखरी रात जो घटा वह ववपससना समावध िी

वजसक पार अपार और पारापार नही ह जो वीतभय और असग ह उस म बराहमण कहता ह

दकस बराहमण कहता ह उस जो तीन चीजो स दर वनकल गया ह पार का अिम होता ह सिल आख

कान नाक स जो दखा जाता ह वजसकी सीमा ह--पार अपार का अिम होता ह वजसकी सीमा नही ह जो बड़ा

ह सकषम ह सिल नही ह रप रस गध स जो इददरयो स नही जाना जाता ह मगर मन स जाना जाता ह

जस तमन एक फल दखा इददरया वसफम इतना ही कह सकती ह दक लाल ह बड़ा ह सगवधत ह य

इददरया कह रही ह यह पार ह जब तम कहत होः सदर ह तो कोई इददरय तमहार पास नही ह सदर कहन

123

वाली सदर कहन वाला मन ह कोई इददरय नही बता सकती तमको दक फल सदर ह कस बताएगी इददरय तो

वसफम खबर द दती ह इददरय तो ऐस ह जस कमरा कमरा यह नही कह सकता दक सदर ह दक असदर कमरा

तो उतार दता ह जो ह सामन गलाब का फल ह इददरय खबर द दती ह आख कहती ह दक लाल फल ह

गलाब का ह नाक कहती हः सगवधत ह मगर सदर जब तम सदर कहत हो--तो अपार

तो रस रप गध सौदयम--य जो ह य सकषम अनभव ह मन क इददरयो क अनभव--पार मन क अनभव--

जो दक आतमा और इददरय क मधय म ह--अपार और दफर पारापार पार और अपार दोनो स भी पार दोनो क

आग--दफर आतमा का अनभव ह

और जो इन तीनो स पार हो जाता ह वह आतमा का अनभव कया ह म का अनभव--अतता इसवलए

बदध न कहाः आतमा नही--अनतता म को भी जान दो इददरया गयी मन गया म को भी जान दो पार स पार

अपार स पार पार-अपार दोनो स पार दफर जो िष रह जाता ह िनय वहा म का भाव भी नही ह उस जो

जान लता ह उस म बराहमण कहता ह

और जो उस जान लता ह सवभावतः वीतभय हो जाता ह दफर उस कया भय अब उसक पास कछ बचा

नही वजस छीन लोग उसन सब सवय ही छोड़ ददया ह अब तो िनय बचा वजस कोई छीन नही सकता वजस

छीनन का कोई उपाय नही ह अब तो वही बचा वजसकी मतय नही हो सकती इसवलए भय कसा वह अभय

को उपलबध हो जाता ह

और असग हो जाता ह अब उसको दकसी क साि की जररत नही रह जाती साि की जररत भय क

कारण ह समझ लना

इसीवलए बदध न कहाः वीतभय और असग

तम साि कयो खोजत हो इसवलए दक अकल म डर लगता ह पतनी डरती ह अकल म पवत डरता ह

अकल म अकल म डर लगता ह अकल म याद आन लगती ह मौत की घबड़ाहट होती ह कोई दसरा रहता ह

मन भरा रहता ह

तमन कभी दखा अकली गली स गजरत हो रात सीटी बजान लगत हो कछ करत नही बनता तो सीटी

बजाओ दफलमी गाना गान लगत हो दफलमी गाना नही अगर धारममक दकसम क आदमी हो तो राम-राम या

हनमान-चालीसा पढ़न लग सब एक ही ह कछ फकम नही ह

मगर कयो सीटी की आवाज अपनी ही आवाज ह लदकन उसको सनकर ऐसा लगता ह दक चलो कछ

तो हो रहा ह कछ ह हालादक सीटी की आवाज स कोई भत-परत भागग नही भत-परत ह नही दक जो भाग

मगर सीटी की आवाज स तमको ऐसा लगता ह दक चलो सब ठीक ह कछ कर तो रह ह गाना गान लग जोर

स अपनी ही आवाज सनकर ऐसा लगता ह जस कोई और मौजद ह भल गए

आदमी अपन को भला रहा ह इसवलए सग-साि खोज रहा ह

बदध न कहाः वही बराहमण ह वजस सग-साि की कोई जररत नही रही जो असग ह और जो वीतभय ह

जो धयानी वनममल आसनबदध कतकतय आसरवरवहत ह वजसन उततमािम को पा वलया ह उस म बराहमण

कहता ह

जो धयान म डब रहा ह धयान यानी वनरवमचार जो वनममल हो रहा ह वनरवमचारता वनममलता लाती ह

ववचार चालाकी ह

124

तमन दखा वजतना आदमी पढ़ा-वलखा हो जाता ह उतना चालाक धोखबाज पाखडी हो जाता ह

वजतन ववचार बढ़ जात ह उतना आदमी बईमान हो जाता ह पढ़ा-वलखा आदमी और बईमान न हो जरा

करठन ह

और हम सोचत ह बड़ी उलटी बात हो रही ह हम कहत ह दक यह मामला कया ह ववशवववदयालय स

लोग आत ह पढ़-वलख करक और इनम वसवाय बईमानी और धतमता क कछ भी नही होता

लदकन ववशवववदयालय वसखात यही ह तमन जो विकषा ववकवसत की ह वह धतमता की ह वनरवमचार की

तो वहा कोई विकषा ही नही ह कोई ववशवववदयालय धयान की कषमता नही दता वनममलता नही दता सरलता

नही दता चालबाजी वसखाता ह गवणत वसखाता ह तकम वसखाता ह कस लट लो दसरो स जयादा यह

वसखाता ह वबना कछ दकए कस सपवतत वमल जाए यह वसखाता ह

वसखात तम यह हो और दफर जो वसखान वाल ह व भी परिान ह जब उनक ववदयािी उनही को धोखा

दन लगत ह उनही की जब काटन लगत ह तो व कहत हः यह मामला कया ह गर क परवत कोई शरदधा नही ह

लदकन तम इनको वसखा कया रह हो शरदधा तमन कभी इनको वसखायी तमन वसखाया तकम सदह और

जब य तम पर ही तकम करत ह और तमहार साि ही सदह करत ह और तमहार साि ही चालबावजया

अभयास कहा करग यह होमवकम ह दफर दवनया म जाएग दफर वहा असली काम करना पड़गा य तयारी कर

रह ह

यह जो ववशवववदयालयो म इतनी रगणता ददखायी पड़ती ह--हड़ताल वघराव--इस सबक वलए वजममवार

विकषा ह ववदयािी नही तमहारी विकषा इसी क वलए ह तमहारी विकषा सहसा वसखाती ह और चालबाजी

वसखाती ह और जब कोई आदमी चालबाज हो जाता ह सहसक हो जाता ह तो उसका अभयास करना चाहता

ह--सवभावतः कहा अभयास कर ववशवववदयालय म ही अभयास करगा

तमहार ववशवववदयालय राजनीवत वसखात ह अभयास कहा कर दफर वही चनाव लड़ना सीखता ह

ववदयािी यवनयन का चनाव--और तम दखोग जस दक पारलमयामट का चनाव हो रहा ह वह अभयास कर रहा

ह वह वछछल पानी म तरना सीख रहा ह दफर कल वह पारलमयामट म भी जाएगा

और पारलमयामट म भी वही होता ह जरा बड़ पमान पर वही मढ़ता वही धतमता वही गडागदी कोई

फकम नही

इसक पीछ कारण ह धयान न हो तो वनममलता नही होती

बदध न कहाः धयानी वनममल आसनबदध

जब भीतर वनममलता होती ह तो िरीर क वयिम हलन-चलन अपन आप ववलीन हो जात ह िरीर म एक

तरह की विरता आ जाती ह एक तरह की िावत आ जाती ह

कतकतय और सवभावतः फल जब धयान क वखलत ह तभी पता लगता ह दक वमल गया जो वमलना

िा पा वलया जो पाना िा पान योगय पा वलया अब कछ और पान योगय नही ह आवखरी सपदा वमल गयी

कतकतय

आसरवरवहत और जो धयान को उपलबध हो गया उसक भीतर वयिम चीज नही आ सकती धयान उसका

रकषक हो जाता ह जो धयान को उपलबध हो गया उसको करोध नही आएगा जो धयान को उपलबध हो गया

उसको लोभ नही आएगा जो धयान को उपलबध हो गया उसको मोह नही आएगा

125

कयो उसक घर अब दीया जल गया ह और दीया जला हो तो अधरा भीतर नही आता और उसक

भीतर पहरदार जग गया ह और पहरदार जगा हो तो चोर नही आत

आसरवरवहत अब ितर भीतर परवि नही कर सकत

और वजसन उततमािम को पा वलया ह दवनया म दो अिम ह एक अिम िरीर का ह और एक अिम आतमा

का आतमा का अिम ह--उततमािम परमािम आवखरी अिम वजसन पा वलया ह उस म बराहमण कहता ह

दसरा दशयः

भगवान क वमगारमात-परसाद म ववहार करत समय एक ददन आनद सिववर न भगवान को परणाम करक

कहाः भत आज म यह जानकर धनय हआ ह दक सब परकािो म आपका परकाि ही बस परकाि ह और परकाि तो

नाममातर को ही परकाि कह जात ह आपक परकाि क समकष व सब अधर जस मालम हो रह ह भत म आज ही

आपको और आपकी अलौदकक जयोवतममयता को दख पाया ह दिमन कर पाया ह और अब म कह सकता ह दक

म अधा नही ह

िासता न यह सन आनद की आखो म दर तक झाका और और-और आलोक उसक ऊपर फका

आनद डबन लगा होगा उस परसाद म उस परकाि म उस परिावत म

और दफर उनहोन कहाः हा आनद ऐसा ही ह लदकन इसम मरा कछ भी नही ह म तो ह ही नही

इसीवलए परकाि ह यह बदधतव का परकाि ह मरा नही यह समावध की जयोवत ह मरी नही म वमटा तभी यह

जयोवत परगट हई ह मरी राख पर यह जयोवत परगट हई ह

तब यह सतर उनहोन आनद को कहाः

ददवा तपवत आददचचो रसतत आभावत चवनदमा

सिदधो खवततयो तपवत झायी तपवत बराहमणो

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा

ददन म कवल सरज तपता ह ददन म कवल सरज परकाि दता ह रात म चदरमा तपता ह रात म चदरमा

परकाि दता ह अलकत होन पर राजा तपता ह

जब खब सवणम ससहासनो पर राजा बठता ह बहमलय वसतरो को पहनकर हीर-जवाहरातो क आभषणो

म हीर-जवाहरातो का ताज पहनता--तब राजा परकावित होता ह

धयानी होन पर बराहमण तपता ह

और जब धयान की पहली झलक आनी िर होती ह तो एक जयोवत आनी िर होती ह बराहमण स धयानी

और बदध ददन-रात तपत ह

अकारण तपत ह वबन बाती वबन तल

फकम समझना सरज की सीमा ह ददन म तपता ह चाद की सीमा ह रात तपता ह दफर सरज एक ददन

बझ जाएगा और चाद क पास तो अपनी कोई रोिनी नही ह उधार ह वह सरज की रोिनी लकर तपता ह

126

वजस ददन सरज बझ जाएगा उसी ददन चाद भी बझ जाएगा चाद तो दपमण जसा ह वह तो वसफम सरज की

रोिनी को परवतफवलत करता ह सरज गया तो चाद गया

सरज की सीमा ह हालादक सीमा बहत बड़ी ह करोड़ो-करोड़ो वषम स तप रहा ह लदकन वजञावनक

कहत हः एक ददन बझगा कयोदक यह वबन बाती वबन तल नही ह इसका ईधन समाि हो रहा ह रोज-रोज

समाि हो रहा ह बड़ा ईधन ह इसक पास लदकन रोज सरज ठडा होता जा रहा ह उसकी गमी कम होती जा

रही ह गमी फफकती जा रही ह खचम होती जा रही ह

एक ददन सरज चक जाएगा यह परकाि सीवमत ह तमहार घर म जला हआ दीया तो सीवमत ह ही कया

ह उसकी सीमा उसका तल रातभर जलगा तल चक जाएगा बाती भी जल जाएगी दफर दफर दीया पड़ा

रह जाएगा

ऐस ही सरज भी जलगा--करोड़ो-करोड़ो वषो तक लदकन उसकी सीमा ह और चाद म तो परवतफलन ह

कवल

अलकत होन पर राजा तपता ह

राजा की जो परवतिा होती ह परकाि होता ह वह अपना नही होता उधार होता ह

दखत तम एक आदमी जब गददी पर बठता ह तो ददखायी पड़ता ह सारी दवनया को नही तो उसका

पता ही नही चलता दकसी को कोई आदमी वमवनसटर हो गया तब तमह पता चलता ह दक अर आप भी

दवनया म ि दफर वह एकदम ददखायी पड़न लगता ह सब अखबारो म ददखायी पड़न लगता ह परिम पि पर

ददखायी पड़न लगता ह सब तरफ िोरगल होन लगता ह

दफर एक ददन पद चला गया दफर वह कहा खो जाता ह पता ही नही चलता दफर तम उस खोजन

वनकलो तो पता न चल

यह उधार ह यह परवतिा उधार ह यह जयोवत अपनी नही ह यह अपनी नही ह यह पद की ह

अगर तमह राजा वमल जाए साधारण वसतरो म तम पहचान न सकोग तभी पहचानोग जब वह अपन

मकट को बाधकर और अपन ससहासन पर बठगा तब पहचानोग नही तो नही पहचान सकोग राजा म कछ

और होता ही नही तमहार जसा ही आदमी ह इस बात को परवतवित करन क वलए ही तो इतन हीर-जवाहरातो

की जररत पड़ती ह

जब नपोवलयन हार गया और उसक महलो की छानबीन की गयी तो बड़ चदकत हए लोग उसन जो

ससहासन बनवाया िा वह इस ढग स बनवाया िा उसम एक यतर लगाया हआ िा पीछ दक जब वह ससहासन

पर बठता तो ससहासन अपन आप धीर-धीर ऊपर उठ जाता चमतकत हो जात ि लोग दक ससहासन अपन

आप ऊपर उठ रहा ह

वह यह ददखान क वलए उसन लगवाया िा दक ससहासन की वजह स म परवतवित नही मरी वजह स

ससहासन परवतवित ह दखो मर बठत ही पीछ इतजाम िा जस ही वह बठता आदमी वहा बटन दबात

मिीन काम करती वह ऊपर उठ जाता वह दवनया म अकला ससहासन िा लोग सोचत िः चमतकार ह

इसवलए तो लोग राजा को सदा भगवान का अवतार मानत रह दक राजा भगवान का परवतवनवध ह पथवी

पर ऐसा कछ भी नही ह वह आदवमयो तक का परवतवनवध नही ह भगवान का तो परवतवनवध कया होगा

उसक पास अपना कछ नही ह सब उधार ह उसकी तलवार म उसकी जयोवत ह उसक सवनको म उसकी

127

जयोवत ह उसक धन म उसकी जयोवत ह हीर-जवाहरातो म जयोवत ह उसकी जयोवत अपनी नही ह राजनीवत

उधार जयोवत ह

इसवलए बदध कहत हः अलकत होन पर राजा तपता ह

जब नपोवलयन को बद कर ददया गया सट हलना क दवीप म तो वह सबह घमन वनकला अपन डाकटर क

साि पहल ही ददन अब तो कदी ह समराट नही रहा हार गया सब एक घास वाली औरत वजस पगडडी पर

वह घमन गया घास का गटठर वलए आ रही ह नपोवलयन का सािी जो डाकटर ह जो उसक पास रखा गया ह

उसकी सवा इतयादद क वलए वह वचललाकर कहता हः घवसयाररन रासता छोड़ उसकी बात सनता ह

नपोवलयन और उस याद आता ह दक अब तो म एक कदी ह वह हाि पकड़ लता ह डाकटर का पगडडी स

नीच उतर जाता ह डाकटर कहता ह कयो वह कहता हः वह जमाना गया जब म कहता पहाड़ो स दक हट

जाओ म आता ह तो पहाड़ हट जात अब घवसयाररन भी नही हटगी हम ही को हट जाना चावहए व ददन

गए

नपोवलयन जसा िवििाली आदमी भी एकदम नपसक हो जाता ह पद गया दक सब गया धन गया दक

सब गया

तो बदध कहत हः राजा भी तपता ह लदकन अलकत होन स

धयानी होन पर बराहमण तपता ह

राजा स बहतर बराहमण ह उसक भीतर की सपदा परगट होनी िर हई धयान उमगा लदकन धयान ऐसा

हः कभी होगा कभी चक जाएगा बराहमण धयानी-- कभी-कभी वबजली जस कौध--ऐसी दिा ह वबजली कौध

जाती ह सब तरफ रोिनी हो जाती ह दफर वबजली चली गयी तो सब तरफ अधरा हो जाता ह

धयान का अिम हः समावध की कौध और जब धयान इतना गहरा हो जाता ह दक अब समावध की तरह

वनसशचत हो गया ठहर गया अब जाता नही आता नही जब रोिनी विर हो गयी तो बदधतव

बदधतव बराहमण की पराकािा ह धयान ह झलक समावध ह उपलवबध

धयानी होन पर बराहमण तपता ह बदध रात-ददन अपन तज स तपत ह

और बदध

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा

उन पर कोई सीमा नही ह न तो ऐसी सीमा ह जसी चाद-तारो पर न ऐसी सीमा ह जस अलकत

राजा पर न ऐसी सीमा ह जस धयानी बराहमण पर उनकी सब सीमाए समाि हो गयी व परकािमय हो गए ह

व परकाि ही हो गए ह व तो वमट गए ह परकाि ही रह गया ह

यही ददिा होनी चावहए यही खोज होनी चावहए ऐसी जयोवत तमहार भीतर परगट हो जो ददन-रात

जल जीवन म जल मतय म जल दह म जल जब दह स मि हो जाओ तो भी जल और ऐसी जयोवत जो

ईधन पर वनभमर न हो दकसी तरह क ईधन पर वनभमर न हो जो वनभमर ही न हो ऐसी जयोवत वजसको सतो न

कहा--वबन बाती वबन तल

आज इतना ही

128

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ अठारह परवचन

समगर ससकवत का सजन

पहला परशनः पवम क और खासकर भारत क सदभम म एक परशन बहत समय स मरा पीछा कर रहा ह वह

यह दक वजन लोगो न कभी दिमन और सचतन क धमम और धयान क गौरीिकर को लाघा िा व ही कालातर म

इतन धवसत और पवतत और ववपि कस हो गए ओिो इस परशन पर कछ परकाि डालन की अनकपा कर

यह सवाभाववक ही िा असवाभाववक कभी होता भी नही जो होता ह सवाभाववक ह यह अवनवायम िा

यह होकर ही रहता कयोदक जब भी कोई जावत कोई समाज एक अवत पर चला जाता ह तो अवत स लौटना

पड़गा दसरी अवत पर जीवन सतलन म ह अवतयो म नही जीवन मधय म ह और आदमी का मन डोलता ह

पडलम की भावत एक अवत स दसरी अवत पर चला जाता ह भोगी योगी हो जात ह योगी भोगी हो जात ह

और दोनो जीवन स चक जात ह

जीवन ह मधय म जहा योग और भोग का वमलन होता ह जहा योग और भोग गल लगत ह जो िरीर

को ही मानता ह वह आज नही कल अधयातम की तरफ यातरा िर कर दगा पवशचम म अधयातम की बड़ी

परवतिा होती जा रही ह रोज कारण कारण वही ह--िाशवत कारण

तीन सौ वषो स वनरतर पवशचम पदािमवादी ह पदािम क अवतररि और कछ भी नही ह आतमा नही ह

परमातमा नही ह दह सब कछ ह इन तीन सौ साल की इस धारणा न एक अवत पर पवशचम को पहचा ददया

पदािमवाद की आवखरी ऊचाई पर पहचा ददया धन ह ववजञान ह सख-सववधाए ह

लदकन अवत पर जब आदमी जाता ह तो उसकी आतमा का गला घटन लगा िरीर तो सब तरह स सपि

ह आतमा ववपि होन लगी और दकतनी दर तक तम आतमा की ववपिता को झल पाओग आज नही कल

आतमा बगावत करगी और तमह दसरी ददिा म मड़ना ही पड़गा

इसवलए अगर पवशचम परब की तरफ आ रहा ह तो तम यह मत सोचना दक यह परब की कोई खबी ह

ऐसा तमहार तिाकवित महातमा समझत ह तमहार राजनता भी यही बकवास करत रहत ह व सोचत हः

पवशचम क लोग परब की तरफ आ रह ह दखो हमारी मवहमा

तमहारी मवहमा का इसस कोई सबध नही ह पवशचम अगर परब की तरफ आ रहा ह तो पदािमवाद की

अवत क कारण आ रहा ह एक अवत दख ली वहा कछ पाया नही वहा िरीर तो ठीक रहा आतमा घट गयी

और आदमी दोनो का जोड़ ह आदमी दोनो का वमलन ह आदमी न तो िरीर ह न आतमा ह आदमी

दोनो क बीच जो सवर पदा होता ह वही ह दोनो क बीच जो लयबदधता ह वही ह िरीर और आतमा का नाच

ह आदमी साि-साि दोनो नाच रह ह उस नतय का नाम आदमी ह और जब नतय परा होता ह िरीर और

आतमा दोनो सयि होत ह तब तवि ह

ऐसा ही परब म घटा आतमा--आतमा--आतमा ससार माया ह झठ ह असतय ह िरीर ह ही नही

सपना ह एक अवत पदा कर दी तो आतमा की ऊचाई को तो छआ लदकन िरीर तड़फन लगा जसी मछली

तड़फती ह पयासी--धप म रत पर--ऐसी भारत की दह घटन लगी उस दह की घटन का यह पररणाम हआ जो

आज सामन ह

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तो आदमी का सतलन जब भी टटगा तब ववपरीत ददिा की तरफ यातरा िर हो जाती ह

इसवलए दफर दोहराता हः यहा योगी भोगी हो जात ह भोगी योगी हो जात ह दोनो चक जात ह

कयोदक दोनो रोगी ह रोग का मतलब--अवत योगी आतमा की अवत स पीवड़त ह भोगी िरीर की अवत स

पीवड़त ह दोनो म भद नही ह दोनो अवतयो स पीवड़त ह एक न िरीर को घोट डाला ह एक न आतमा को

घोट डाला ह लदकन दोनो न जीवन की पररपणमता को अगीकार नही दकया ह

म तमह वही वसखा रहा ह दक जीवन की पररपणमता को अगीकार करो इनकार मत करना कछ तम दह

भी हो तम आतमा भी हो और तम दोनो नही भी हो तमह दोनो म रहना ह और दोनो म रहकर दोनो क पार

भी जाना ह तम न तो भौवतकवादी बनना न अधयातमवादी बनना दोनो भल बहत हो चकी ह जमीन काफी

तड़फ चकी ह तम अब दोनो का समनवय साधना दोनो क बीच सगीत उठाना दोनो का वमलन बहत पयारा

ह दोनो क वमलन को म धमम कहता ह

य तीन िबद समझोः भौवतकवादी--नावसतक तिाकवित आतमवादी-- आवसतक दोनो क मधय म जहा न

तो तम आवसतक हो न तो नावसतक जहा हा और ना का वमलन हो रहा ह--जस ददन और रात वमलत ह सधया

म जस सबह रात और ददन वमलत ह--ऐस जहा हा और ना का वमलन हो रहा ह जहा तम नावसतक भी हो

आवसतक भी कयोदक तम जानत होः तम दोनो का जोड़ हो दह को इनकार करोग आज नही कल दह बगावत

करगी आतमा को इनकार करोग आतमा बगावत करगी और बगावत ही पतन का कारण होता ह

परशन सािमक ह परब न बड़ी ऊचाइया पायी लदकन ऊचाइया अपग िी जस कोई पकषी एक ही पख स

आकाि म बहत ऊपर उड़ गया दकतन ऊपर जा सकगा और दकतनी दर जा सकगा एक ही पख स िायद

िोड़ा तड़फ ल िोड़ा हवाओ क रख पर चढ़ जाए िायद िोड़ी दर तक अपन को खीच ल लदकन यह जयादा

दर नही होन वाला ह तम एक पख दखकर ही कह सकत हो दक यह पकषी वगरगा इसका वगरना अवनवायम ह

उड़ान होती ह दो पखो पर लगड़ा आदमी भी चल लता ह मगर उसका चलना और दो पर स चलन म

बड़ा फकम ह लगड़ आदमी का चलना कषटपणम ह लगड़ा आदमी मजबरी म चलता ह और वजसक पास दोनो

पर ह और सवसि ह वह कभी-कभी वबना कारण क दौड़ता ह नाचता ह कही जाना नही ह तो भी घमन क

वलए वनकलता ह

उन दो परो क वमलन म जो आनद ह वह आनद अपन आप म पररपणम ह

इसवलए म अपन सनयासी को ससार छोड़न को नही कह रहा ह ससार छोड़कर दख वलया गया

वजनहोन ससार छोड़ा व बड़ी बरी तरह वगर मह क बल वगर म अपन सनयासी को ससार ही सब कछ ह ऐसा

भी नही कह रहा ह वजनहोन ससार को सब कछ माना व भी बरी तरह वगर

म तमस कहता हः ससार और सनयास दोनो क बीच एक लयबदधता बनाओ घर म रहो और ऐस जस

मददर म हो दकान पर बठो ऐस जस पजागह म बाजार म और ऐस जस वहमालय पर हो भीड़ म और

अकल चलो ससार म और ससार का पानी तमह छए भी नही ऐस चलो ऐस होिपवमक चलो तब सवासथय

पदा होता ह

परमातमा न तमह िरीर और आतमा दोनो बनाया ह और तमहार महातमा तमह समझा रह ह दक तम

वसफम आतमा हो लाख तमहार महातमा समझात रह दक तम वसफम आतमा हो कस झठलाओग इस सतय को जो

परमातमा न तमह ददया ह दक तम दह भी हो

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तमहारा महातमा भी इसको नही झठला पाता जब भख लगती ह तब वह नही कहता दक म दह नही ह

तब चला वभकषा मागन उसस कहो दक ससार माया ह कहा जा रह हो वहा ह कौन वभकषा दन वाला वभकषा

की जररत कया ह आप तो दह ह ही नही विवोऽह--आप तो विव ह आप कहा जा रह ह दह ह कहा दह

तो सपना ह

अगर महातमा स यह कहोग तब तमह पता चलगा महातमा को भी वभकषा मागन जाना पड़ता ह भोजन

जटाना पड़ता ह सदी लगती ह तो कबल ओढ़ना पड़ता ह और सब माया ह िरीर माया कबल माया गमी

लगती ह तो पसीना आता ह पयास लगती ह बीमारी होती ह तो औषवध की जररत होती ह

यह महातमा दकस झठ म जी रहा ह जो कहता ह दक िरीर माया ह इसस बड़ा और झठ कया होगा

और दफर दसरी तरफ लोग ह जो कहत ह दक िरीर ही सब कछ ह आतमा कछ भी नही ह इनस जरा

पछो दक जब कोई तमह गाली द दता ह तो तकलीफ कयो होती ह पतिर को गाली दो पतिर को कोई

तकलीफ नही होती ह और जब कोई वीणा पर सगीत छड़ दता ह तब तम परफवललत और मगन कयो हो जात

हो पतिर तो नही होता मगन और परफवललत

तमहार भीतर कछ होना चावहए जो पतिर म नही ह जो परफवललत होता ह मगन होता ह सबह सरज

को दखकर जो आहलाददत होता ह रात आकाि म चाद-तारो को दखकर वजसक भीतर एक अपवम िावत छा

जाती ह

यह कौन ह दह क तो य लकषण नही ह दह को तो पता भी नही चलता कहा चाद कहा सरज कहा

सौदयम कहा िावत

तमहार भीतर एक और आयाम भी ह तमहार भीतर कछ और भी ह

ऐसा समझोः चटटान ह यह बाहर ही बाहर ह इसक भीतर कछ भी नही ह तम इसको दकतना ही

खोदो इसक भीतर नही जा सकोग इसक भीतर जसी चीज ह ही नही चटटान तो बस बाहर ही बाहर ह

दफर चटटान क बाद गलाब का फल ह गलाब म िोड़ा भीतर कछ ह पखड़ी ही पखड़ी नही ह पखवड़यो

स जयादा कछ ह जब तम चटटान को दखत हो तो चटटान साफ-सिरी ह सीधी-साफ ह एकागी ह जब तम

गलाब क फल को दखत हो तो वह इतना एकागी नही ह कछ और ह जीवन की झलक ह सौदयम ह एक

सरगम ह

दफर तम एक पकषी को उड़त दखत हो इसम कछ और जयादा ह पकषी अगर तमहार पास आ जाएगा तो

तम पाओगः इसम कछ और जयादा ह जयादा पास आन म डरता ह गलाब का फल नही डरता तम पकड़न की

कोविि करो पकषी उड़ जाता ह गलाब का फल नही उड़ जाता पकषी की आख तमहारी तरफ दखती ह तो तम

जानत हो इसक भीतर कछ ह कोई ह

दफर एक मनषय ह जब तम एक मनषय को दखत हो तो तम जानत होः दह ही सब कछ नही ह भीतर

गहराई ह इसकी आखो म झाको तो तमह पता चलता हः दह ही नही ह आतमा ह

और दफर कभी एक बदध जसा वयवि ह वजसक भीतर अनत गहराई ह--दक तम झाकत जाओ झाकत

जाओ और पार नही ह चटटान म कछ भी भीतर नही ह बदध म भीतर--और भीतर--और भीतर इस भीतर का

नाम ही आतमा ह यह जो भीतर का आयाम ह इसका नाम ही आतमा ह

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जो कहता हः म वसफम िरीर ह वह अपनी गहराई को इनकार कर रहा ह वह परिानी म पड़गा जो

कहता हः म वसफम आतमा ह वह अपन बाहर को इनकार कर रहा ह यह परिानी म पड़गा तम बाहर-भीतर

का मल हो और अपवम मल घट रहा ह तमहार भीतर

यही तो रहसय ह इस जगत का दक यहा ववरोधाभास वमल जात ह एक-दसर म डब जात ह यहा

ववरोधाभास आसलगन करत ह

भारत नषट हआ होना ही िा अमरीका भी नषट हो रहा ह होना ही ह कयोदक अब तक मनषय समगर

ससकवत पदा नही कर पाया अब तक मनषय पणम ससकवत पदा नही कर पाया--ऐसी ससकवत जहा सब सवीकार

हो जहा परम भी सवीकार हो और धयान भी सवीकार हो

खयाल रखनाः धयान यानी आतमा धयान यानी भीतर जान का मागम और परम यानी बाहर जान का मागम

जब तम परम करत हो तो दकसी स करत हो और जब धयान करत हो तो सबस टट जात हो अकल हो जात

हो धयान यानी एकात जब तम धयान म हो तब तम आख बद कर लत हो तम बाहर को भल जात हो तम

अपनी दह को भी ववसमत कर दत हो ससार गया तम अपन भीतर जीत हो भीतर धड़कत हो चतनय म और

गहर उतरत जात हो

जब तम परम म उतरत हो तो अपन को भल जात हो तब दसर पर आख रटक जाती ह तमहारी परयसी

या तमहारा परमी तमहारा बटा या तमहारी मा तमहारा वमतर वजसस तम परम करत हो वही सब कछ हो जाता

ह सारी आख उस पर रटक जाती ह तम अपन को ववसमत कर दत हो सव को भल जात हो पर को याद करत

हो परम म धयान म पर को भल जात हो सव को याद करत हो

परब न धयान की ऊचाई पायी परम म चक गया परम म चक गया तो पतन होना वनवशचत िा कयोदक

परम भोजन ह अतयत जररी अतयत पौवषटक भोजन ह उसक वबना कोई नही जी सकता

परम ऐस ही ह जस सास लना बाहर स ही लोग न सास और तो कोई उपाय नही ह अगर बाहर स

सास लना बद कर दोग तो िरीर घट जाएगा और बाहर स परम आना बद हो जाएगा और जाना बद हो

जाएगा तो आतमा घट जाएगी भारत की आतमा घट गयी परम क अभाव म

पवशचम न परम को तो खब फलाया ह लदकन धयान का उस कछ पता नही ह इसवलए परम वछछला ह

उिला ह उसम कोई गहराई नही ह उसम गहराई हो ही नही सकती कयोदक आदमी सवीकार ही नही करता

ह दक हमार भीतर कोई गहराई ह तो परम ऐस ही ह जस और सार छोट-मोट काम ह एक मनोरजन ह िरीर

का िोड़ा ववशराम उलझनो स िोड़ा छटकारा लदकन कोई गहराई की सभावना नही ह आतररकता नही ह

दो परमी बस एक-दसर की िारीररक जररत परी कर रह ह आवतमक कोई जररत ह ही नही तो वजस

ददन िरीर की जररत परी हो गयी या िरीर िक गया तो एक-दसर स अलग हो जान क वसवाय कोई उपाय

नही ह कयोदक भीतर तो कोई जोड़ हआ ही नही िा आतमाए तो कभी वमली नही िी आतमाए तो सवीकत ही

नही ह तो बस हडडी-मास-मजजा का वमलन ह गहरा नही हो सकता

पवशचम न धयान को छोड़ा ह तो परम उिला ह पवशचम भी वगरगा वगर रहा ह वगरना िर हो गया ह

एक विखर छ वलया अवत का अब भवन खडहर हो रहा ह यह अवत का पररणाम ह

म तमह चाहगा दक तम जानो दक तमहार भीतर धयान की कषमता हो और तमहार भीतर परम की कषमता

हो धयान तमह अपन म ल जाए परम तमह दसर म ल जाए और वजतना धयान तमहारा अपन भीतर गहरा

होगा उतनी तमहारी परम की पातरता बढ़ जाएगी योगयता बढ़ जाएगी और वजतनी तमहारी परम की पातरता

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और योगयता बढ़गी उतना ही तम पाओगः तमहारा धयान म और गहर जान का उपाय हो गया इन दोनो पखो

स उड़ो तो परमातमा दर नही ह

अब तक कोई ससकवत नही बन सकी दभामगय स जो दोनो को सवीकार करती हो नही बनी नही बनान

का उपाय हआ उसका भी कारण ह कयोदक दोनो को वमलान क वलए मझ जसा पागल आदमी चावहए

दोनो ववरोधी ह दोनो तकम म बठत नही ह एक क साि तकम वबलकल ठीक बठ जाता ह एक को चनो तो

बात वबलकल रखाबदध साफ-सिरी मालम होती ह दोनो को चनो तो दोनो ववपरीत ह तो दफर वयवसिा नही

बनती दिमनिासतर वनरममत नही होता

इसवलए म कोई दिमनिासतर वनरममत नही कर रहा ह म वसफम जीवन को एक छद द रहा ह--दिमनिासतर

नही म जीवन को एक कावय द रहा ह--दिमनिासतर नही म जीवन को परम करता ह--वसदधातो को नही अगर

वसदधातो म मरा रस हो तो मझ भी उसी जाल म पड़ना पड़गा वजस जाल म पहल सार लोग पड़ चक ह

कयोदक वसदधात की अपनी एक वयवसिा ह

वसदधात कहता हः िरीर ह तो आतमा नही हो सकती कयोदक तब वसदधात क ऊपर िरीर की सीमा

आरोवपत हो जाती ह तब वसदधात कहता हः अगर आतमा भी हो तो िरीर जसी ही होनी चावहए कहा ह

ददखायी नही पड़ती जसा िरीर ददखायी पड़ता ह कहा ह िरीर का तो वजन तौला जा सकता ह आतमा

दकसी तराज पर तलती नही कहा ह तमहारी आतमा हम िरीर को वछि-वभि करक दख डालत ह हम कही

उसका पता नही चलता

वजसन कहा िरीर ह उसन एक तकम सवीकार कर वलया दक जो भी होगा वह िरीर जसा होना चावहए

तो ही हो सकता ह अब आतमा नही हो सकती कयोदक आतमा वबलकल वभि ह ववपरीत ह

वजसन मान वलया दक आतमा ह वह भी इसी झझट म पड़ता ह जब आतमा को मान वलया कहाः अदशय

सतय ह तो दफर दशय झठ हो जाएगा

तकम को सवयववसित करन की य अवनवायमताए ह अगर अदशय सतय ह असीम सतय ह तो दफर सीवमत

का कया होगा दफर जो ददखायी पड़ता ह दशय ह उसका कया होगा जो छआ जा सकता ह सपिम दकया जा

सकता ह उसका कया होगा तमन अगर अदशय को सवीकार दकया तो दशय को इनकार करना ही होगा

इसवलए तम यह बात जानकर चौकोग दक कालम माकसम और िकराचायम म बहत भद नही ह कालम माकसम

कहता हः िरीर ह कवल और िकराचायम कहत हः आतमा ह कवल दोनो म कछ भद नही ह दोनो का तकम

एक ही ह दक एक ही हो सकता ह दोनो अदवतवादी ह दोनो की तकम -सरणी म जरा भी भद नही ह यदयवप

दोनो एक-दसर स ववपरीत बात कह रह ह लदकन मर वहसाब स दोनो एक ही सकल क वहसस ह एक ही

सपरदाय क वहसस ह कयो कयोदक दोनो न एक बात सवीकार कर ली ह दक एक ही हो सकता ह और जब एक

हो सकता ह तो उसस ववपरीत कस होगा

और म तमस यह कहना चाहता ह दक जीवन ववपरीत पर खड़ा ह जस दक राज जब मकान बनाता ह

तो दरवाजो म दखा ह ईट चनता ह दोनो तरफ स ववपरीत ईट लगाता ह ववपरीत ईटो को लगाकर ही

दरवाजा बनता ह नही तो बन ही नही सकता अगर एक ही ददिा म सब ईट लगा दी जाए मकान वगरगा

खड़ा नही रह सकगा ववपरीत ईट एक-दसर को समहाल लती ह एक-दसर की चनौती एक-दसर का तनाव ही

उनकी िवि ह

133

जीवन को तम सब तरफ स दखो हर जगह दवदव पाओग सतरी ह और परष ह दवदव ह उन दोनो क बीच ही

बचच का जनम ह नया जीवन उनही क बीच बहता ह जस नदी दो दकनारो क बीच बहती ह ऐस सतरी-परष क

दकनारो क बीच जीवन की नयी धारा बहती रहती ह

परमातमा को अकल होती तो परष ही परष बनाता अकल होती तो वसतरया ही वसतरया बनाता अगर

िकराचायम को बनाना पड़ तो व एक ही बनाएग माकसम को बनाना पड़ वह भी एक ही बनाएग य दोनो

अदवतवादी ह दोनो म कछ भद नही ह एक घोषणा करता हः परमातमा माया ह ससार सतय ह एक घोषणा

करता हः परमातमा सतय ह ससार माया ह मगर तकम एक ही ह

जीवन को दखो जरा यहा सब दवदव पर खड़ा ह जनम और मतय साि-साि ह जड़ ह उलट ह और जड़

ह रात और ददन साि-साि ह गमी और सदी साि-साि ह उलट ह और जड़ ह यहा तम जहा भी जीवन को

खोजोग वही तम पाओगः दवदव मौजद ह जीवन दवदवातमक ह डायलवकटकल ह

म जीवन का पकषपाती ह जीवन जसा ह वसा तमह खोलकर कह दता ह मझ कोई जीवन पर वसदधात

नही िोपना ह वसदधात हो तो आदमी हमिा ही वसदधात का पकषपाती होता ह उसक वसदधात क अनकल जो

पड़ता ह वह चन लता ह जो अनकल नही पड़ता वह छोड़ दता ह

मरा कोई वसदधात नही ह मरी आख कोरी ह म कछ तय करक नही चला ह दक ऐसा होना चावहए मर

पास कोई तकम नही ह कोई तराज नही ह जीवन जसा ह वसा का वसा तमस कह रहा ह और जीवन

ववरोधाभासी ह इसवलए म ववरोधाभासी ह इसवलए मर विवय सब ववरोधाभासी ह मन जीवन को

झलकाया ह मन दपमण का काम दकया ह

अब तक समगर ससकवत पदा नही हो सकी कयोदक दािमवनको क हाि स ससकवतया पदा हई ह ससकवत

पदा होनी चावहए कववयो क दवारा और तब उनम एक समगरता होगी वसदधातवादी कभी समगर नही हो सकत

इसवलए म समसत वसदधातो क तयाग का पकषपाती ह छोड़ो वसदधातो को जीवन को दखो और जसा

जीवन ह वसा जीवन ह इसको अगीकार करो इसी अगीकार म गवत ह ववकास ह और इसी अगीकार म

तमहार भीतर परम घटगा और वह परम दररदर नही होगा दीन नही होगा

िकराचायम का परम दररदर ह उसम पदािम को झलन की कषमता नही ह वह पदािम को इनकार करता ह

माकम स का परम भी गरीब ह दीन ह दररदर ह उसम आतमा को सिान नही ह

मरा परम परम समदध ह म इसीवलए उस ईशवर कहता ह ईशवर स मरा मतलब हः ऐशवयमवान परम

समदध ह सब दवदवो का मल ह

ईशवर इकतारा नही ह जसा दक तमहार साध-सनयासी इकतारा वलए घमत ह उसका कारण ह इकतारा

रखन का एक की खबर दन क वलए एक तार रखत ह ईशवर बहतारा ह उसक बहत तार ह बड़ रग बड़ रप

ह ईशवर सतरगा ह इदरधनषी ह तम अपन एकागी आगरहो को अगर न िोपो तो तमह जीवन म इतन रग

ददखायी पड़ग इतनी ववववधता ह जीवन म दक वजसका वहसाब नही और इस ववववधता म ही ऐशवयम ह इस

ववववधता म ही ईशवर वछपा ह

अगर ईशवर इकतारा हो तो उबान वाला होगा ऊब पदा करगा रस चकता ही कहा ह जीवन का कभी

नही चकता ऊब कभी पदा होती ही नही जीवन स वजसको हो जाती ह उसन कछ इकतारा ल रखा होगा

वजसन खली आख रखी और जीवन क सतरग रप दख सब रप दख--िभ और अिभ अछा और बरा

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परीवतकर-अपरीवतकर--सब अगीकार दकया मधिाला स लकर मददर तक वजस सब सवीकार ह ऐसा वयवि

ईशवर क इदरधनष को दखन म समिम हो पाता ह िराबी स लकर साध तक वजस सब सवीकार ह

कयोदक ह तो सब उसी क रप वह जो िराबी जा रहा ह लड़खड़ाता हआ वह भी उसी का रप ह और

वह जो साध बठा ह वकष क िात मौन एकात म वह भी उसी का रप ह महावीर भी उसी क रप ह और

मजन म भी वही वछपा ह

इतनी ववराट दवषट हो तो समगर ससकवत पदा हो सकती ह

इसीवलए तो यहा जो एकागी ससकवत क लोग ह व आ जात ह उनको बड़ी अड़चन होती ह कभी-कभी

कोई कमयवनसट आ जाता ह वह मझस कहता हः और तो सब बात ठीक ह लदकन आप अगर आतमा ईशवर की

बात न कर और सब बात ठीक ह य उतसव य नतय य सब ठीक ह मगर ईशवर परमातमा को कयो बीच म

लात ह अगर य आप बीच म न लाए तो हम भी आ सकत ह

परान ढब का साध-सनयासी भी कभी-कभी आ जाता ह वह कहता हः और सब तो ठीक ह आप ईशवर-

आतमा की जो बात करत ह वह वबलकल जमती ह मगर यह नतय-गान यह परम की हवा यह माहौल य

यवक-यववतया हाि म हाि डाल हए चलत हए नाचत हए यह जरा जचता नही अगर यह आप बद करवा

द तो हम सब आपक विषय होन को तयार ह

य एकागी लोग ह इनम स दोनो का मझस कोई सबध नही बन सकता यह जो परयास यहा हो रहा ह

आज तमह इसकी गररमा समझ म नही आएगी हजारो साल लग जात ह दकसी बात को समझन क वलए

यह जो परयोग यहा चल रहा ह अगर यह सफल हआ वजसकी सभावना बहत कम ह कयोदक व एकागी

लोग काफी िवििाली ह उनकी भीड़ ह और सददया उनक पीछ खड़ी ह अगर यह परयोग सफल हआ तो

हजारो साल लगग तब कही तमह ददखायी पड़गा दक कया म कर रहा िा जब यह परा भवन खड़ा होगा

अभी तो नीव भी नही भरी गयी ह मझ ददखायी पड़ता ह परा भवन दक अगर बन जाएगा तो कसा होगा

तमह तो वसफम इतना ही ददख पाता ह दक कछ गडढ खोद जा रह ह कछ नीव भरी जा रही ह कछ ईट लायी जा

रही ह तमह कछ और ददखायी नही पड़ता हजारो साल लगत ह

लदकन समय आ गया ह

ववकटर हयगो का एक परवसदध वचन हः जब दकसी ववचार क वलए समय आ जाता ह तो दवनया की कोई

िवि उस रोक नही सकती समय की बात ह

वसत आ गया ह इस फल क वखलन का दवनया िक गयी ह परयोग कर-करक एकागी और हर बार

एकागी परयोग असफल हआ ह अब हम बहरगी परयोग कर लना चावहए अब हम ऐसा सनयासी पदा कर जो

ससारी हो और ऐसा ससारी पदा कर जो सनयासी हो

अब हम ऐस धयानी पदा कर जो परम कर सक और ऐस परमी पदा कर जो धयान कर सक

दसरा परशनः कया म िदर होकर भी आपका विषय हो सकता ह कया मझ एकलवय को आप सवीकार

करग

पहली तो बातः म दरोणाचायम नही ह दरोणाचायम मर वलए िोड़ स गद नामो म स एक ह और गदा

इसीवलए नाम हो गया--एकलवय को असवीकार करन क कारण

135

दरोणाचायम को गर भी नही कहना चावहए और अगर व गर रह होग तो उसी अिो म वजस तरह सकल

क मासटर को हम गर कहत ह उनम कछ गरतव नही िा िदध राजनीवत िी

एकलवय को इनकार कर ददया कयोदक वह िदर िा लदकन उसस भी जयादा भीतर राजनीवत िी वह

िी दक वह अजमन स आग वनकल सकता िा ऐसी कषमता िी उसकी राजपतर स कोई आग वनकल जाए और िदर

आग वनकल जाए कषवतरय स--यह दरोणाचायम क बराहमण को बदामशत न िा

दफर नौकर ि राजा क उसक बट को ही दवनया म सबस बड़ा धनधमर बनाना िा वजसका नमक खाया

उसकी बजानी िी गलाम ि एकलवय को इनकार दकया--यह दखकर दक इस यवक की कषमता ददखायी पड़ती

िी दक यह अजमन को पानी वपला द इसन पानी वपलाया होता इसन वस भी पानी वपला ददया इनकार करन

क बाद भी वपला ददया पानी

तो इनकार कर ददया यह तो बहाना िा दक िदर हो इस बहान क पीछ गहरा राजनवतक दाव िा वह

यह िा दक मरा ववविषट विषय अजमन दवनया म सवामवधक परिम हो सबस ऊपर हो

दफर राजपतर ऊपर हो तो मझ कछ लाभ ह यह िदर अगर ऊपर भी हो गया तो इसस वमलना कया ह

इनकार कर ददया

लदकन एकलवय अदभत िा दरोणाचायम मर वलए गद नामो म स एक ह एकलवय मझ बहत पयार नामो

म स एक ह अपवम विषय िा विषय जस होन चावहए दरोणाचायम ऐस गर जस गर नही होन चावहए एकलवय

ऐसा विषय जस विषय होन चावहए

कोई दफकर न की मन म विकायत भी न लाया यह राजनीवत ददखायी भी पड़ गयी होगी लदकन

वजसको गर सवीकार कर वलया उसक सबध म कया विकायत करनी जाकर मरतम बना ली जगल म मरतम क

सामन ही कर लगा

जरा भी विकायत नही ह करोध नही ह वजसको गर सवीकार कर वलया सवीकार कर वलया अगर गर

असवीकार कर द तो भी विषय कस असवीकार कर सकता ह विषय न तो सोचा होगाः िायद इसम ही मरा

वहत ह इसीवलए उनहोन असवीकार कर ददया

गर राजनीवतजञ िा विषय धारममक िा उसन सोचाः मरा इनकार दकया तो जरर मरा वहत ही होगा

इसस कछ लाभ ही होन वाला होगा नही तो व कयो इनकार करत

मरतम बनाकर मरतम की पजा करन लगा और मरतम क सामन ही धनरवमदया का अभयास िर कर ददया

इतनी भावना हो ऐसी आसिा ऐसी शरदधा हो तो गर की जररत भी कया ह शरदधा की कमी ह इसवलए गर

की जररत ह

तो वबना गर क भी पहच गया मरतम स भी पहच गया शरदधा हो तो मरतम जीवत हो जाती ह और शरदधा

न हो तो जीववत गर भी मरतम ही रह जाता ह सब तमहारी शरदधा पर वनभमर ह

इस मरतम को ही मान वलया दक यही गर ह तम दखत रहना--मरतम को कहता होगा--म अभयास करता ह

कही भल-चक हो तो चता दना कही जररत पड़ तो रोक दना

इस अपवम परदकरया म वह उस जगह पहच गया जहा अजमन फीका पड़ गया खबर उड़न लगी दक एकलवय

का वनिाना अचक हो गया ह ऐसा अचक वनिाना कभी दकसी का दखा नही

ऐसी शरदधा हो तो वनिाना अचक होगा ही यह शरदधा का वनिाना ह यह चक ही कस सकता ह और

वजसको मरतम पर इतनी शरदधा ह सवभावतः उस अपन पर इतनी ही शरदधा ह

136

तमहारी शरदधा दसर पर तभी होती ह जब तमह आतम-शरदधा होती ह तमहारी शरदधा उतनी ही होती ह

दसर पर वजतनी तमहार भीतर होती ह वजतनी तमह सवय पर होती ह वजस आदमी को अपन पर शरदधा नही

ह उसको अपनी शरदधा पर भी कस शरदधा होगी वजस आदमी को अपन पर शरदधा ह वही अपनी शरदधा पर शरदधा

कर सकगा वही स सब चीज िर होगी शरदधा पहल भीतर होनी चावहए

एकलवय अपवम रहा होगा इसी शरदधा को दखकर ही तो दरोण चौक होग दक यह आदमी खतरनाक वसदध

हो सकता ह इसकी आखो म उनह झलक ददखायी पड़ी होगी लपट ददखायी पड़ी होगी

लदकन व भल म ि वजसम इतनी आतम-शरदधा हो उस गर इनकार कर द तो भी वह पहच जाता ह

और वजसम इतनी आतम-शरदधा न हो गर लाख सवीकार कर तो भी कहा पहचगा

एकलवय की खबर आन लगी दक एकलवय पहच गया पा वलया उसन अपन गतवय को वजस गर न

एकलवय को विषय बनान स इनकार कर ददया िा वह दवकषणा लन पहच गया

बईमानी की भी एक सीमा होती ह िमम भी न खायी चललभर पानी म डब मरना चावहए िा दरोण को

ऐस विषय क पर जाकर छन चावहए ि लदकन दफर राजनीवत आती ह दफर चालबाजी आती ह

अब व यह इरादा करक गए ह दक जाकर उसक दाए हाि का अगठा माग लगा व जानत ह दक वह दगा

उसकी आखो म उनहोन वह झलक दखी ह दक वह जान द द उन लोगो म स ह उसको िदर कहना तो वबलकल

गलत ह वह अजमन स जयादा कषवतरय ह वह इनकार नही करगा जो मागगा अगर गरदन मागगा तो गरदन द

दगा कयोदक खबर आती िी दक उसन आपकी मरतम बना ली ह मरतम क सामन अभयास करता ह

दरोण पहच गए दखी उसकी वनिानबाजी छाती कप गयी उनक सार विषय फीक ि व खद फीक ि

इस एकलवय क मकाबल व कही नही ि खद भी नही ि तो उनक विषय अजमन इतयादद तो कहा होग बहत

भय आ गया होगा उसस कहा दक ठीक त सीख गया म तरा गर म गर-दवकषणा लन आया

एकलवय की आखो म आस आ गए होग उसक पास दन को कछ भी नही ह गरीब आदमी ह उसन

कहाः आप जो माग जो मर पास हो ल ल ऐस मर पास दन को कया ह

एकलवय इसवलए भी अदभत ह दक वजस गर न इनकार दकया िा उस गर को दवकषणा दन को तयार ह

और जो माग--बितम

गर चालबाज ह कटनीवतजञ ह विषय वबलकल सरल और भोला ह और दरोणाचायम न उसका अगठा माग

वलया--दाए हाि का अगठा कयोदक अगठा कट गया तो दफर कभी वह धनरवमद नही हो सकगा उसकी

धनरवमदया को नषट करन क वलए अगठा माग वलया

उसन अगठा द भी ददया यह अपवम वयवि िा यह कषवतरय िा जब आया िा िदर इसको म नही कह

सकता यह कषवतरय िा जब यह आया िा गर क पास अगठा दकर बराहमण हो गया समपमण अपवम ह जानता ह

दक यह अगठा गया दक मन जो वषो महनत करक धनरवमदया सीखी ह उस पर पानी दफर गया लदकन यह

सवाल ही कहा ह यह सवाल ही नही उठा उस एक दफा भी सदह नही उठा मन म दक यह तो बात जरा

चालबाजी की हो गयी

तो म दरोण नही ह तमस कह द

तम पछत होः कया म िदर होकर भी आपका विषय हो सकता ह

137

िदर सभी ह िदर की तरह ही सभी पदा होत ह और वजस िदर म विषय बनन की कलपना उठन लगी

वह बाहर वनकलन लगा िदरता स उसकी यातरा िर हो गयी इस भाव क साि ही करावत की िरआत ह

वचनगारी पड़ी

तम विषय बनना चाहो और म तमह असवीकार कर यह असभव ह म तो कभी-कभी उनको भी सवीकार

कर लता ह जो विषय नही बनना चाहत ऐस ही भल-चक स कह दत ह दक विषय बनना ह उनको भी

सवीकार कर लता ह

दरोण न एकलवय को असवीकार दकया म उनको भी सवीकार कर लता ह वजनम एकलवय स ठीक

ववपरीत दिा ह जो हजार सदहो स भर ह हजार रोगो स भर ह हजार विकायतो स भर ह वजन न कभी

परािमना का कोई सवर नही सना और शरदधा का वजनक भीतर कोई अकर नही फटा ह कभी जो जानत नही दक

शरदधा िबद का अिम कया होता ह

नावसतको को भी म सवीकार कर लता ह म इसवलए सवीकार कर लता ह दक जो दकसी भी कारण स

सही विषय बनन को उतसक हआ ह चलो एक वखड़की खली दफर बाकी दवार-दरवाज भी खोल लग एक रधर

वमली जरा सा भी वछदर मझ तमम वमल जाए तो म वही स परववषट हो जाऊगा जरा सा रधर वमल जाए तो

सरज की दकरण यह िोड़ ही कहगी दक दरवाज खोलो तब म भीतर आऊगी जरा खपड़ो म जगह खाली रह

जाती ह सरज की दकरण वही स परवि कर जाती ह

तमहारी खोपड़ी क खपड़ो म कही जरा सी भी सध वमल गयी तो म वही स आन को तयार ह म तमस

सामन क दरवाज खोलन को नही कहता म तमस बड-बाज बजान को भी नही कहता तम बड़ी उदघोषणा

करो इसकी भी सचता नही करता तम दकसी भी कषण म दकसी बराहमण-कषण म

अब यह परशन दकसी बराहमण-कषण म उठा होगा िदर को तो यह उठता ही नही िदर तो यहा आता ही

कस िदर तो मर वखलाफ ह तम यहा आ गए यह दकसी बरहम-महतम दकसी बराहमण-कषण म हआ होगा

तमहार मन म विषय होन का भाव भी उठा--अछा ह

दरोण म नही ह और तमस म चाहगा दक तम अगर एकलवय होना चाहो तो उस परान एकलवय की

सारी हालात समझकर होना कयोदक नए एकलवय बड़ी उलटी बात कर रह ह

मन सना हः

कवलयग क

विषयो न गरभवि को

ऐसा मोड़ ददया

दक नकल करत हए

एकलवय न

दरोणाचायम का ही

अगठा तोड़ ददया

तम आधवनक एकलवय नही बनना जमाना बदल गया ह अब विषय दरोणाचायम का अगठा तोड़ दत ह

न म दरोण ह न तमह एकलवय--कम स कम आधवनक एकलवय--बनन की कोई जररत ह और चदक म

दरोण नही ह इसवलए तमह इनकार नही करगा और तमह जगल म कोई मरतम बनाकर धनरवमदया नही सीखनी

होगी म ही तमह वसखाऊगा

138

और जो मर पास ह वह बाटन स घटता नही इसवलए कया कजसी करनी दक इसको बनाएग विषय

उसको नही बनाएग कया ित लगानी नदी क तट पर तम जात हो तो नदी नही कहती दक तमह नही पानी

पीन दगी जो आए पीए नदी राह दखती ह दक कोई आए पीए

फल जब वखलता ह तब यह नही कहता दक तमहारी तरफ न बहगा तमहारी तरफ गध को न बहन दगा

िदर त दर हट मागम स म तो वसफम बराहमणो क वलए ह जब फल वखलता ह तो सगध सबक वलए ह और जब

सरज वनकलता ह तो सरज यह भी नही कहता दक पावपयो पर नही वगरगा पणयातमाओ क घर पर बरसगा

पणयातमाओ क घर और पावपयो क घर म सरज को कोई भद नही ह

और जब मघ वघरत ह और वषाम होती ह तो महातमाओ क खतो म ही नही होती सभी क खतो म हो

जाती ह

तम मझ एक मघ समझो तम अगर लन को तयार हो तो तमह कोई नही रोक सकता और यह कछ

सपदा ऐसी ह दक दन स घटती नही बढ़ती ह वजतना तम लोग उतना िभ ह नए सरोत खलग नए दवार स

और ऊजाम बहगी लो लटो

आदद ह अिष और दर अभी अत

फागनी ववतान तल तरता वसत

तर-तर क कधो पर कोपल खड़ी हयी

नव पललव वि वखल लवतयो क चहर

नील-पील-लाल-शवत समन गहनो म

वन दवी गाव-गाव गाती ह सहर

सहमी-सी िकन आ पहचा दषयत

फागनी ववतान तल तरता वसत

रप की दपहरी म वसधा सवर रही

कसी हई दह फकत वसन तवनक ढील

पनघट पर यौवन क आमवतरत सब ही

छलका सौदयम-कलि जो चाह पी ल

साकषी आकाि और दिमक ददगत

फागनी ववतान तल तरता वसत

पनघट पर यौवन क आमवतरत सब ही

छलका सौदयम-कलि जो चाह पी ल

तम यह पछो ही मत दक तम कौन हो कया हो म भी नही पछता तमहार भीतर पयास ह बस काफी

योगयता ह

पी लो जो कलि छलक रहा ह अजवल भर लो

तीसरा परशनः कल आपन िदर और बराहमण की पररभाषा की कपया समझाए दक मन िदर ह अिवा

बराहमण

139

दह िदर ह मन वशय ह आतमा कषवतरय ह परमातमा बराहमण इसवलए बरहम परमातमा का नाम ह बरहम स

ही बराहमण बना ह

दह िदर ह कयो कयोदक दह म कछ और ह भी नही दह की दौड़ दकतनी ह खा लो पी लो भोग कर

लो सो जाओ जीओ और मर जाओ दह की दौड़ दकतनी ह िदर की सीमा ह यही जो दह म जीता ह वह िदर

ह िदर का अिम हआः दह क साि तादातमय म दह ह ऐसी भावदिाः िदर

मन वशय ह मन खान-पीन स ही राजी नही होता कछ और चावहए मन यानी और चावहए िदर म एक

तरह की सरलता होती ह दह म बड़ी सरलता ह दह कछ जयादा माग नही करती दो रोटी वमल जाए सोन

क वलए छपपर वमल जाए वबसतर वमल जाए जल वमल जाए कोई परम करन को वमल जाए परम दन-लन को

वमल जाए बस िरीर की माग सीधी-साफ ह िोड़ी ह सीवमत ह दह की माग सीवमत ह दह कछ ऐसी बात

नही मागती जो असभव ह दह को असभव म कछ रस नही ह दह वबलकल पराकवतक ह

इसवलए म कहता ह दक सभी िदर की तरह पदा होत ह कयोदक सभी दह की तरह पदा होत ह जब

और-और की वासना उठती ह तो वशय वशय का मतलब हः और धन चावहए

फोडम अपन बढ़ाप तक--हनरी फोडम--और नए धध खोलता चला गया दकसी न उसकी अतयत वदधावसिा

म मरन क कछ ददन पहल ही पछा उसस दक आप अभी भी धध खोलत चल जा रह ह आप क पास इतना ह

इतन और नए धध खोलन का कया कारण ह

वह नए उदयोग खोलन की योजनाए बना रहा िा वबसतर पर पड़ा हआ भी मरता हआ भी हनरी फोडम

न कया कहा मालम हनरी फोडम न कहाः म नही जानता दक कस रक म रकना नही जानता म जब तक मर

ही न जाऊ म रक नही सकता

यह वशय की दिा ह वह कहता ह और इतना ह तो और ऐसा मकान ह तो और िोड़ा बड़ा इतना

धन ह तो और िोड़ा जयादा धन

दह िदर ह और सरल ह िदर सदा ही सरल होत ह मन बहत चालबाज चालाक होवियार वहसाब

वबठान वाला ह मन की सब दौड़ ह मन दकसी चीज स राजी नही ह मन वयवसायी ह वह फलाए चला

जाता ह वह जानता ही नही कहा रकना वह अपनी दकान बड़ी दकए चला जाता ह बड़ी करत-करत ही मर

जाता ह

आतमा कषवतरय ह कयो कयोदक कषवतरय को न तो इस बात की बहत सचता ह दक िरीर की जररत परी हो

जाए जररत पड़ तो वह िरीर की सब जररत छोड़न को राजी ह और कषवतरय को इस बात की भी सचता नही

ह दक और-और अगर कषवतरय को इस बात की सचता हो तो जानना दक वह वशय ह कषवतरय नही ह

कषवतरय का मतलब ही यह होता हः सकलप का आववभामव परबल सकलप का आववभामव महा सकलप का

आववभामव और महा सकलप या परबल सकलप क वलए एक ही चनौती ह वह ह दक म कौन ह इस जान ल

िदर िरीर को जानना चाहता ह उतन म ही जी लता ह वशय मन क साि दौड़ता ह मन को पहचानना

चाहता ह कषवतरय म कौन ह इस जानना चाहता ह वजस ददन तमहार भीतर यह सवाल उठ आए दक म कौन

ह तम कषवतरय होन लग अब तमहारी धन इतयादद दौड़ो म कोई उतसकता नही रही एक नयी यातरा िर हई--

अतयामतरा िर हई

तम यह जानत हो दक इस दि म जो बड़ स बड़ जञानी हए--सब कषवतरय ि बदध जनो क चौबीस तीिकर

राम कषण--सब कषवतरय ि कयो होना चावहए सब बराहमण मगर ि सब कषवतरय कयोदक बराहमण होन क पहल

140

कषवतरय होना जररी ह वजसन जनम क साि अपन को बराहमण समझ वलया वह चक गया उस पता ही नही

चलगा दक बात कया ह

और जो जनम स ही अपन को बराहमण समझ वलया और सोच वलया दक पहच गया कयोदक जनम उसका

बराहमण घर म हआ ह उस सकलप की यातरा करन का अवसर ही नही वमला चनौती नही वमली

इस दि क महाजञानी कषवतरय ि सहदओ क अवतार जनो क तीिकर बौदधो क बदध--सब कषवतरय ि इसक

पीछ कछ कारण ह वसफम एक परिराम को छोड़कर कोई बराहमण अवतार नही ह और परिराम वबलकल

बराहमण नही ह उनस जयादा कषवतरय आदमी कहा खोजोग उनहोन कषवतरयो स खाली कर ददया पथवी को कई दफ

काट-काटकर व काम ही सजदगीभर काटन का करत रह उनका नाम ही परिराम पड़ गया कयोदक व फरसा

वलए घमत रह हतया करन क वलए परि लकर घमत रह परि वाल राम--ऐसा उनका नाम ह

व कषवतरय ही ि उनको भी बराहमण कहना वबलकल ठीक नही ह जरा भी ठीक नही ह उनस बड़ा कषवतरय

खोजना मवशकल ह वजसन सार कषवतरयो को पथवी स कई दफ मार डाला और हटा ददया अब उसस बड़ा कषवतरय

और कौन होगा

सकलप यानी कषवतरय

ऐसा समझो दक भोग यानी िदर तषणा यानी वशय सकलप यानी कषवतरय और जब सकलप परा हो जाए

तभी समपमण की सभावना ह तब समपमण यानी बराहमण जब तम अपना सब कर लो तभी तम झकोग उसी

झकन म असवलयत होगी जब तक तमह लगता हः मर दकए हो जाएगा तब तक तम झक नही सकत तमहारा

झकना धोख का होगा झठा होगा वमथया होगा

अपना सारा दौड़ना दौड़ वलए अपना करना सब कर वलए और पाया दक नही अवतम चीज हाि नही

आती नही आती नही आती चकती चली जाती ह तब एक असहाय अवसिा म आदमी वगर पड़ता ह जब

तम घटन टककर परािमना करत हो तब असली परािमना नही ह जब एक ददन ऐसा आता ह दक तम अचानक

पात हो दक घटन रटक जा रह ह पथवी पर अपन रटका रह हो--ऐसा नही झक रह हो--ऐसा नही झक जा रह

हो अब कोई और उपाय नही रहा वजस ददन झकना सहज फवलत होता ह उस ददन समपमण

समपमण यानी बराहमण समपमण यानी बरहम जो वमटा उसन बरहम को जाना

य चारो पत तमहार भीतर ह यह तमहार ऊपर ह दक तम दकस पर धयान दत हो ऐसा ही समझो दक

जस तमहार रवडयो म चार सटिन ह तम कहा अपन रवडयो की कजी को लगा दत हो दकस सटिन पर रवडयो

क काट को ठहरा दत हो यह तम पर वनभमर ह

य चारो तमहार भीतर ह दह तमहार भीतर ह मन तमहार भीतर ह आतमा तमहार भीतर परमातमा

तमहार भीतर

अगर तमन अपन धयान को दह पर लगा ददया तो तम िदर हो गए

सवभावतः बचच सभी िदर होत ह कयोदक बचचो स यह आिा नही की जा सकती दक व दह स जयादा गहर

म जा सक ग मगर बढ़ अगर िदर हो तो अपमानजनक ह बचचो क वलए सवाभाववक ह अभी सजदगी जानी

नही तो जो पहली पतम ह उसी को पहचानत ह लदकन बढ़ा अगर िदर की तरह मर जाए तो सनदा-योगय ह

सब िदर की तरह पदा होत ह लदकन दकसी को िदर की तरह मरन की आवशयकता नही ह

141

अगर तमन अपन रवडयो को वशय क सटिन पर लगा ददया तमन अपन धयान को वासना-तषणा म लगा

ददया लोभ म लगा ददया तो तम वशय हो जाओग तमन अगर अपन धयान को सकलप पर लगा ददया तो

कषवतरय हो जाओग तमन अपन धयान को अगर समपमण म डबा ददया तो तम बराहमण हो जाओग

धयान कजी ह कछ भी बनो धयान कजी ह िदर क पास भी एक तरह का धयान ह उसन सारा धयान

िरीर पर लगा ददया अब जो सतरी दपमण क सामन घटो खड़ी रहती ह--बाल सवारती ह धोती सवारती ह

पावडर लगाती ह--यह िदर ह य जो दो-तीन घट दपमण क सामन गए य िदरता म गए इसन सारा धयान

िरीर पर लगा ददया ह यह राह पर चलती भी ह तो िरीर पर ही इसका धयान ह यह दसरो को भी दखती

ह तो िरीर पर ही इसका धयान होगा जब यह अपन िरीर को ही दखती ह तो दसर क िरीर को ही दखगी

और कछ नही दख पाएगी यह अगर अपनी साड़ी को घटो पहनन म रस लती ह तो बाहर वनकलगी तो

इसको हर सतरी की साड़ी ददखायी पड़गी और कछ ददखायी नही पड़गा

जो वयवि बठा-बठा सोचता ह दक एक बड़ा मकान होता एक बड़ी कार होती बक म इतना धन होता--

कया कर कस कर वह अपन धयान को वशय पर लगा रहा ह धीर-धीर धयान वही ठहर जाएगा और

अकसर ऐसा हो जाता ह दक अगर तम एक ही रवडयो म एक ही सटिन सदा सनत हो तो धीर-धीर तमहार

रवडयो का काटा उसी सटिन पर ठहर जाएगा जड़ हो जाएगा अगर तम दसर सटिन को कभी सन ही नही हो

और आज अचानक सनना भी चाहो तो िायद पकड़ न सकोग कयोदक हम वजस चीज का उपयोग करत ह वह

जीववत रहती ह और वजसका उपयोग नही करत वह मर जाती ह

इसवलए कभी-कभी जब सववधा बन िदर स छटन की तो छट जाना वशय स छटन की तो छट जाना

जब सववधा वमल तो कम स कम--बराहमण दर--कम स कम िोड़ी दर को कषवतरय होना सकलप को जगाना और

कभी-कभी मौक जब आ जाए वचतत परसि हो परमददत हो परफवललत हो तो कभी-कभी कषणभर को बराहमण हो

जाना सब समरपमत कर दना लट जाना पथवी पर चारो हाि-पर फलाकर जस वमटटी म वमल गए एक हो गए

झक जाना सरज क सामन या वकषो क सामन झकना मलयवान ह कहा झकत हो इसस कछ मतलब नही ह

उसी झकन म िोड़ी दर क वलए बरहम का आववभामव होगा

ऐस धीर-धीर धीर-धीर अनभवत बढ़ती चली जाए तो हर वयवि अततः मरत-मरत बराहमण हो जाता

जनम तो िदर की तरह हआ ह धयान रखना मरत समय बराहमण कम स कम हो जाना मगर एकदम मत

सोचना दक हो सकोग

कई लोग ऐसा सोचत ह दक बस आवखरी घड़ी म हो जाएग वजसन सजदगीभर अभयास नही दकया वह

मरत वि आवखरी घड़ी म रवडयो टटोलगा सटिन नही लगगा दफर पता ही नही होगा दक कहा ह और मौत

इतनी अचानक आती ह दक सववधा नही दती पहल स खबर नही भजती दक कल आन वाली ह अचानक आ

जाती ह आयी दक आयी दक तम गए एक कषण नही लगता उस घड़ी म तम सोचो दक राम को याद कर लग

तो तम गलती म हो तमन अगर सजदगीभर कछ और याद दकया ह तो उसकी ही याद आएगी

इसवलए तयारी करत रहो साधत रहो जब सववधा वमल जाए बराहमण होन का मजा लो उसस बड़ा

कोई मजा नही ह वही आनद की चरम सीमा ह

142

चौिा परशनः आप गाधीवाद की आलोचना करत ह लदकन कया गाधीवाद का सादगी का वसदधात सही

नही ह

वसदधात कोई सही नही होत सादगी सही ह वसदधात सही नही ह फकम कया होगा

जब भी तम वसदधात क कारण कोई चीज साधत हो वह सादी तो हो ही नही सकती वसदधात क कारण

ही जरटल हो जाती ह वसदधात स पाखड पदा होता ह सादगी पदा नही होती

इसवलए गाधी न वजतन पाखडी इस दि म पदा दकए दकसी और न नही और वजनको तम जानत हो

उनकी म बात नही कर रहा ह वजनको तम जानत हो दक हा य पाखडी ह म उनकी तमस बात करना चाहगा

वजनको तम जानत नही दक पाखडी ह व भी पाखडी ह वजनको वबलकल तयाग की और सादगी की परवतमा

समझा जाता ह व भी पाखडी ह

उदाहरण क वलए डाकटर राजदर परसाद को लो अब उनस सादा आदमी कौन वमलगा एकदम साद

आदमी ह और गाधी क वनकटतम अनयावययो म स ह इसवलए तो गाधी न उनह भारत क परिम राषटरपवत होन

क वलए चना नहर की इछा नही िी नहर तो राजगोपालाचारी को चाहत ि नहर तो चाहत ि दक कोई

आदमी जो कटनीवत समझता हो नहर का मन राजदर परसाद क वलए नही िा लदकन गाधी वजदद पर ि दक

राजदर परसाद तो राजदर परसाद परिम राषटरपवत बन

तमह पता ह पहला काम राजदर परसाद न कया दकया राषटरपवत भवन म जाकर सजदगीभर गाधी क पास

बठकर मतर दोहराया--अललाह ईशवर तर नाम सबको सनमवत द भगवान और पहला काम कया दकया तमह

पता ह राषटरपवत भवन म वजतन मसलमान नौकर ि सब अलग कर ददए यह गाधीवादी सादगी ह

य बात वलखी नही जाती कयोदक यहा तो परिसा चलती ह बस परिसा का वहसाब ह अब य बात खबर

दती ह आदमी की असवलयत का कयो मसलमान नौकर अलग कर ददए गए मसलमान नौकर अलग दकए गए

और उनकी जगह बलाए कौन गए राषटरपवत भवन म बदरो क आन की मनाही िी और उनको वसपाही भगा

दत ि कयोदक बदर उपदरव करत कद-फाद मचात

अब य राजदर परसाद तो िदध सहदवाद इनक भीतर ह हनमान जी क तो विषय ह य बदर उनकी

सतान दसरा काम उनहोन जो दकया बड़ा महान कायम वह यह दक बदरो को कोई रोक नही सकता बदर

राषटरपवत भवन म मज स घमन लग बचचो पर हमला करन लग वसतरयो पर हमला करन लग और एक ददन तो

व नहर क कमर म भी घस गए बामवशकल उनको वनकाला जा सका और जात-जात एक बदर नहर का एक

पपरवट जो दकसी न भट दकया िा वह ल गया नहर न वसर पर हाि मार वलया और कहा यह राजदर बाब

की करतत

तम जानकर हरान होओग दक राजदर बाब यह भी चाहत ि ववधान सभा क भी व अधयकष ि उसम भी

उनहोन दो दान दकए ववधान को भारत को जो उनहोन ववधान ददया उसम जो ववधान पररषद का अधयकष िा

उसकी दन दो एकः गौ माता और दसरा बदर व चाहत ि वह सवीकार नही हआ गौ माता की रकषा होनी

चावहए--यह भारत का असली सवाल और यहा कोई सवाल नही ह

दवनया हसती ह इस दि की मढ़ता पर यहा इतन बड़ सवाल खड़ ह और वजस आदमी को ववधान

पररषद का अधयकष बनाया उसकी खोपड़ी म कल इतना आया य दो बातः दक एक तो गौ माता की रकषा

होनी चावहए और दसर हनमान क विज बदरो की रकषा होनी चावहए

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गौ माता को तो दकसी तरह दसरो न भी कहा दक चलो ठीक ह रख लो इनका आगरह मगर बदर तो

जरा बदामशत क बाहर ह अछा हआ दक उनहोन बदर को ववधान म नही जगह दी नही तो दवनया और हसती

वस ही हम पर हसती ह

राजदर परसाद की सादगी की बड़ी चचाम की जाती ह दक व राषटरपवत भवन म भी रह लदकन ऐस रह जस

दक गरीब आदमी को रहना चावहए मन उनका कमरा दखा जहा व राषटरपवत भवन म रह उनहोन कया दकया

िा उसम चारो तरफ चटाई चढ़वा दी िी अदर सगमरमर की दीवालो पर चटाई लगवा दी महल क भीतर

झोपड़ा बना वलया अब मज स उसम रहन लग यह सादगी

तमह झोपड़ म रहना हो तो झोपड़ो की कोई कमी ह इस दि म दफर राषटरपवत भवन म दकसवलए रह

रह हो लदकन आदमी बहत पाखडी ह रहना तो महल म ह मगर झोपड़ म रहन की सादगी भी नही छोड़ी

जाती

और इसकी भी परिसा की जाती ह दक कसी अदभत सादगी

तम जानकर हरान होओग दक जो सववधाए गवनमर जनरल और वायसराय को वमलती िी वही सब

राषटरपवत को वमली िी उसम सबस बड़ी सववधा िीः हजारो रपय महीन मनोरजन पर राषटरपवत खचम कर

सकता िा लदकन राषटरपवत राजदर परसाद न दो सौ ढाई सौ रपय महीन स जयादा कभी मनोरजन पर खचम नही

दकया तो अखबारो म खबर वनकली िी तब--दक कसी सादगी जब हजारो रपय खचम करन की सववधा ह तब

भी दो-ढाई सौ रपय खचम दकए मनोरजन पर इसको कहत ह गाधीवादी सादगी

लदकन असवलयत का तमह पता ह असवलयत का पता कभी अखबारो तक नही आ पाता कयोदक जो

लोग िवि म होत ह अखबार उनका गणगान करन म लग रहत ह असवलयत यह िी दक उनहोन जो हजारो

रपय मनोरजन पर खचम करन ि मनोरजन पर तो दो-ढाई सौ रपय महीन खचम दकए व हजारो रपय उनहोन

अपन नाती-पोतो क नाम कर ददए--जो दक वबलकल गर-काननी ह वह मनोरजन पर खचम होन क वलए िी

सपवतत अवतवि आत ह राषटरपवत क उनक सवागत-सतकार म खचम होती उसम तो खचम नही की नाती-पोतो क

नाम कर ददया

सालभर बाद नहर को पता चला व तो चदकत हो गए दक यह तो हदद हो गयी यह तो वबलकल गर-

काननी ह लदकन अखबारो तक खबर यही पहची दक कसी सादगी दो-ढाई सौ रपय महीन खचम दकए जब दक

करन की सववधा हजारो िी व सब हजारो रपय नाती-पोतो क नाम बक म चल गए इसकी कोई चचाम नही

उठती

वसदधातवादी सादगी ऐसी ही चालाक होती ह ऊपर-ऊपर होती ह

नहर को जाकर समझाना पड़ा राजदर परसाद को दक यह तो बात वबलकल ही गलत ह यह तो दकसी

वायसराय न कभी नही की मनोरजन पर खचम करत--ठीक िा उस पर तो खचाम आपन दकया नही ठीक ह

नही करना ह तो मत कररए मगर यह तो हदद हो गयी बात की यह दकस वहसाब स आपक नाती-पोतो क पास

पहच गया पसा यह अब दबारा नही होना चावहए

कहत ह दक राजदर परसाद इसक वलए कई ददन तक नहर पर नाराज रह कयोदक वह नाती-पोतो की जो

बक म िली बड़ी होती जाती िी वह बद हो गयी

अब तम कया कहोग यह सादगी की वजह स दो-ढाई सौ रपया खचम दकया िा यह बचान क वलए यह

कजसी िी और यह चोरी भी िी यह गाधीवादी सादगी ह

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वसदधात स सादगी जब भी आएगी चालबाज होगी चालाक होगी

तमन िायद सरोवजनी नायड का परवसदध वचन न सना हो सरोवजनी नायड गाधी क वनकटतम लोगो म

एक िी अतयत आतमीय लोगो म एक िी एक वचन बहत परवसदध ह सरोवजनी नायड का--दक लोगो को पता

नही ह दक इस बढ़ आदमी को गरीब रखन क वलए हम दकतना खचम करना पड़ता ह

गाधी की गरीबी बड़ी महगी गरीबी िी व दध तो बकरी का पीत ि लदकन बकरी का भोजन तमह पता

ह काज-दकिवमि ऊपर स ददखता ह बकरी का दध पीत ह बचार व चलत तो िडम कलास रल क डबब म ि

लदकन परा डबबा उनक वलए ररजवम होता िा इसस फसटम कलास म चलना ससता ह जहा सततर आदमी चलत

वहा एक आदमी चल रहा ह यह सततर गना खचम हो गया िडम कलास स फसटम कलास म चार गना फकम होगा

यह सादगी-वादगी नही ह यह बड़ा होवियार वहसाब ह यह सब वसदधात की बातचीत ह इन वसदधातो

क कारण ऊपर स चीज और ददखायी पड़ती ह भीतर कछ और होती ह

सरोवजनी नायड न सही कहा ह सरोवजनी नायड न कहा ह दक अमीर स अमीर आदमी वजतना खचम

कर गाधी की गरीबी पर उसस जयादा खचम करना पड़ता ह वह गरीबी महगी ह

म तमस सादगी को तो वनवशचत ही कहगा दक अदभत बात ह सादगी लदकन सादगी सादी होनी चावहए

सादगी चालबाज गवणत और तकम और वसदधात पर खड़ी नही होनी चावहए नही तो महगी हो जाएगी

दफर यह भी हो सकता ह दक सादगी आरिमक रप स महगी न हो लदकन अगर तमहार भीतर दकसी

गवणत पर खड़ी ह तो सादगी दफर भी नही हो सकती जस जन मवन की सादगी सादगी नही ह कयोदक वह

यह सोच रहा ह दक इस तरह साद रहन स ही मोकष क सख वमलग

यह कोई सादगी न हई यह तो सौदा हआ सादगी कहा हई यह आदमी सादा रहन म आनददत नही ह

सादगी म इसका आनद नही ह सादगी तो वसफम कछ ददन की बात ह दफर तो सवगम म मजा लना ह जन-िासतर

कहत हः मोकष-रमणी का भोग करना ह मोकष-रमणी मोकष म परम पद पर ववराजमान होना ह इसवलए

सादगी चल रही ह इसको तम सादगी कहोग

म उसको सादगी कहता ह वजसका आनद उसम ही हो तमह आनददत लगता ह नगन होना कोई आग का

मोकष नही आग का मोकष तो ववणक का वहसाब ह मन का वहसाब ह--और और तमह नगन होना अछा लगता

तो म तमस यह कहना चाहता ह--तमह बहत चौक होगी इस बात स--दक अमरीका क समदर तटो पर

अगर कोई नगन सनान कर रहा ह वह जयादा सादा ह बजाय तमहार नगन ददगबर मवन क कयो कयोदक वह

नगनता म आनद ल रहा ह और तमहारा जन मवन नगनता म वसफम पणय कमा रहा ह तादक आग मोकष म जाकर

आनद ल इसक भीतर जाल ह गवणत का वह जो अमरीका क समदर तट पर नहान वाला परष या सतरी नगन

होकर आनद ल रहा ह धप का समदर की लहरो का हवा का--वह जयादा सादा ह वह जयादा सीधा ह वह

जयादा साध ह

तमह मरी बात अड़चन म डाल दती ह कयोदक तमहार पास बधी हई धारणाए ह तम कहत होः यह तो

हदद हो गयी तो आप य जो नगन कलब ह पवशचम म इनकी सादगी को जयादा मानत ह बजाय बचार ददगबर

मवन की इतनी कठोर तपशचयाम क

कठोर तपशचयाम ह इसीवलए सादा नही मानता उसक पीछ वहसाब ह

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वह जो नगा दौड़ रहा ह वकषो क साि खल रहा ह पिओ क साि सादा ह छोट बचच जसा ह

सादगी होनी चावहए छोट बचच जसी

भतीजा बोलाः चाची जी जनमददवस पर आपन जो भट दी िी उसक वलए बहत-बहत धनयवाद

चाची जी न कहाः बट उसम धनयवाद की कया बात ह

भतीज न कहाः वस मरी भी यही राय ह लदकन मममी न कहा दफर भी धनयवाद तो दना ही चावहए

यह सादगी यह सीधा-सादापन ह

रावतर क भोजन क समय घर आए ववविषट महमानो क साि मजबान दपवतत भी अपन आठ वषीय पतर क

साि भोजन कर रह ि दक उनक पतर न कमीज की बाह स अपनी नाक पोछी

सबह नाशत क समय मन तमस कछ कहा िा बट याद ह न मजबान मवहला न बचच का धयान नाक

पोछन क गलत तरीक की ओर ददलाया

हा मममी याद ह बचच न कहा

कया कहा िा मममी न पछा

बचचा महमानो की ओर दखत हए बोलाः आपन कहा िा दक इन कमबखतो को भी आज ही मरना िा

यह सादगी इसम कोई गवणत नही कोई वहसाब नही जसा ह वसा ह

सादगी होनी चावहए छोट बचचो जसी और ऐसी सादगी ही साधता ह जब तम वस ही हो बाहर जस

तम भीतर हो

अब यह हो सकता ह दक माता जी गाधीवादी रही हो तो महमानो का तो सवागत दकया होगा महमानो

का लोग सवागत करत ह दक भल आए धनयभाग दकतन ददन राह ददखायी आख िक गयी पलक-पावड़

वबछाए रह आओ पधारो और सबह कहा हो बट क सामन दक इन कमबखतो को भी आज ही मरना िा

जस-जस तम बड़ होत हो तम चालबाज होत जात हो उसी चालबाजी म सादगी खो जाती ह और

सादगी का बड़ा अदभत आनद ह लदकन म यह नही कह रहा ह दक सादगी स सवगम वमलगा म कह रहा हः

सादगी सवगम ह

गाधी की सादगी सादगी नही ह बहत नपा-तला राजनवतक कदम ह नपा-तला गाधी का महातमापन

नपा-तला कटनीवतक कदम ह

म वसदधातो का पकषपाती नही ह जीवन जसा ह उस जीओ उस वनषकपट भाव स जीओ उस भववषय

की आकाकषा स नही उस अतीत की आदत स नही उस कछ पान क हत स नही--जसा ह उस चपचाप जीओ

िायद दवनया तमह महातमा न भी कह कयोदक महातमा धोखबाजो को कहती ह दवनया िायद दवनया

तमह महातमा न कह कयोदक तम पाखडी नही होओग पाखवडयो को महातमा कहती ह दवनया िायद दवनया

तमह वगन ही नही दकसी वगनती म मगर वगनवाना ही कया ह वगनवाना कयो

तम वही कहो जो तमहार हदय म उठता ह और तम वस ही जीयो जसा तमहार हदय म उठता ह ऐसी

बचचो जसी सादगी म वसदधात नही होता सादगी का

एक मवहला न मझ कहा दक वह कषणमरतम क एक विववर म भाग लन हालड गयी साझ का वि िा वह

बाजार म घमन वनकली िी दक बड़ी हरान हो गयी आधयावतमक मवहला ह अब तो कई लोग उस मवहला क

विषय भी ह उस तो बड़ा धकका लगा धकका इस बात स लगा दक कषणमरतम एक कपड़ो की दकान म टाई खरीद

रह ि अब महातमा और टाई खरीद यह तो भारतीय-बवदध को जच ही नही सकता और न कवल टाई खरीद

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रह ि बवलक उनहोन सारी दकान की टाई वबखर रखी िी य नही जच रही य नही जच रही--गल स लगा-

लगाकर सबको दख रह ि

वह मवहला िोड़ी दर खड़ी दखती रही उसका तो सारा भरम टट गया दक यह आदमी तो वबलकल

सासाररक आदमी ह सासाररको स भी गया-बीता ह उसन तो विववर म--विववर क वलए ही हालड गयी िी--

वबना भाग वलए वापस लौट आयी

वापस लौटी िी ताजी ही करदध मझस वमलना हो गया उसन कहा दक हदद हो गयी आप कषणमरतम की

ऐसी परिसा करत ह मन अपनी आख स जो दखा ह वह आपस कहती ह--दक व एक टाई की दकान पर टाई

खरीद रह ि और न कवल खरीद रह ि उनहोन सारी टाई फला रखी िी और वबलकल तललीन ि म खड़ी

रही वहा पदरह वमनट व वबलकल लीन ि

मन कहाः व सरल ह मगर यह सादगी महातमा गाधी वाली सादगी नही ह--वह मवहला महातमा गाधी

की भि ह--यह सरलता ह

मन उस मवहला को कहाः तम इतना तो मानोगी दक कषणमरतम म उतनी तो बवदध होगी ही वजतनी तमम

ह इतना तो मानती हो उनको भी घर स चलत वि यह खयाल आ सकता िा दक म इतना परवतवित जञानी

परबदध परष टाई खरीदन जाऊगा लोग कया सोचग और अगर रक गए होत तो वह चालबाजी होती वह

पाखड होता दफर उस दकान म भर बाजार म खड़ ि कोई चोर की तरह कही दकसी समगलर क घर म घसकर

तो टाई नही खरीद रह ि बीच बाजार म खरीद रह ि छोटा सा गाव वहा कम स कम छह हजार लोग इकटठ

हए ि कषणमरतम को सनन व सब वही ि गाव म इन सब भिो क सामन खरीद रह ि इतना खयाल नही

आया होगा दक यहा छह हजार मर भि ठहर ह लोग दखग तो कया कहग दक म टाई खरीद रहा ह घर भी

बला ल सकत ि बद दरवाजा करक टाई चन ल सकत ि उधर आईना भी होता सववधा भी होती भि भी

न खोत कोई नकसान भी न होता मगर यह न दकया सरलता सादगी

और यह जो तललीनता छोट बचच की तरह जस छोटा बचचा वखलौनो म खो जाए ऐस टाई म खो गए

यह सहजता और त वापस लौट आयी त नदी क दकनार स वापस लौट आयी

त महातमा गाधी की सादगी जानती ह वही अड़चन ह वह नपी-तली सादगी िी गाधी एक-एक काम

करत ि तो नपा-तला करत ि उसका पररणाम कया होगा यह सोचकर करत ि यह सादगी नही ह जहा

पररणाम का वहसाब ह कया कह कौन स िबद का उपयोग कर पतर कसा वलखा जाए कया वलखा जाए

इस पर भारी ववचार करत ि कई दफा पतर को सधारत ि बदलत ि जो विवय द दत ि उसम भी बदलाहट

कर लत ि

उनक एक भि सवामी आनद न मझ कहा एक रात मर पास रक गए दफर तो मझस इतना घबड़ा

गए दक दफर कभी आए नही उनहोन कहा दक ऐसी ही बात चली व गाधी क परान भि िर-िर गाधी

जब भारत आए तब स उनक साि ि तो उनहोन मझस कहा दक मझ पर तो ऐसी छाप पहल ही ददन पड़ गयी

गाधी की दक उनका हो गया सदा क वलए मन कहाः हआ कया

गाधी अफीका स आए ि और अहमदाबाद म पहली दफा बोल और उनहोन अगरजो को गावलया दी

लचच लफग--इस तरह क कछ िबद उपयोग दकए होग और म ररपोटमर िा दकसी पतर का तो मन सोचाः य

िबद दन ठीक नही ह कयोदक इसस गाधी की परवतिा को नकसान पड़गा तो मन व सब िबद अलग कर ददए

और विवय ठीक साफ-सिरा करक छापा

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दसर ददन गाधी न मझ बलाया मर कध को ठोका और कहाः पतरकार तम जसा होना चावहए यही

पतरकाररता ह अब मझस जो वनकल गया िा करोध म उसको छापन की कोई जररत ही नही िी तमन ठीक

दकया इतना बोध होना चावहए पतरकार को

बोलन वाल को बोध नही ह पतरकार को बोध होना चावहए

और सवभावतः सवामी आनद का ददल गदगद हो गया--जब उनहोन कधा ठोका और कहा दक तम महान

पतरकार हो

मन कहाः तमन कभी दसरा काम दकया उनहोन कहाः कया दक गाधी न गाली न दी हो और तमन

गाली जोड़ दी होती कयोदक पहली बात भी गलत ह उतनी ही गलत वजतनी दसरी गलत ह जो कहा िा

वह वसा का वसा छपना चावहए िा यह तो तमन झठ दकया इसम स तमन गावलया वनकाल दी गाधी खि

हए गावलया जोड़ दत तो गाधी नाराज होत गाधी न बहोिी की

यह सादगी नही ह यह नपी-तली राजनीवत ह और तम परभाववत हो गए कयोदक तमह बहत तमहार

अहकार को बड़ी तवि वमली दक गाधी जस वयवि न और कहा दक तम महान पतरकार हो ऐसा ही पतरकार

होना चावहए दफर तम उनक भि हो गए दफर तमन इसी तरह की काट-छाट सजदगीभर की होगी

उनहोन कहाः बात तो ठीक ह

दफर दबारा मझ नही वमल दफर मझस नाराज हो गए होग कयोदक मन सीधी बात कह दी जसी िी

वसी की वसी कह दी दक तमहार अहकार को गाधी न मकखन लगा ददया उनहोन तमह खरीद वलया म अगर

उनकी जगह होता तो म तमस कहता दक तम ठीक पतरकार नही हो कयोदक मन जो गावलया दी िी उनका

कया हआ

इस तरह झठी परवतमाए खड़ी होती ह अब दवनया कभी नही जानगी दक गाधी न गावलया दी िी अब

गाधी की जो परवतमा लोगो की नजर म रहगी वह झठी परवतमा होगी

गाधी न तो ऐस ही कहा होगा--गजराती ि इसस जयादा वजनी गाली द नही सकत--लदकन रामकषण

तो मा-बहन की गाली दत ि मगर दकताबो म उललख नही ह मगर व सीध-साद आदमी ि गाव क जस

आदमी होत ह दकताब नही वलखती उनको कयोदक दकताब कस वलख उनको नही तो परमहस का कया होगा

लदकन म तमस कहता ह दक व गाली दन क कारण ही परमहस ि सरल ि अब जो आदमी उनको जसा

लगा उसको उनहोन वसा ही कहा उसम दफर रततीभर फकम नही दकया व पररषकत साध नही ि--परमहस ि

मयामददत साध नही ि--परमहस ि अब कोई आदमी चोर ह तो उसको उनहोन चोर कहा और कोई आदमी

उनक सामन बठा िा और पास म बठी वसतरयो को दख रहा िा तो उसको उनहोन गदी गाली दी उसको उनहोन

कहा दक त जो कर रहा ह

म इसको सरलता कहता ह सादगी कहता ह म तमस यह नही कह रहा ह दक तम गावलया दना िर

कर दो कयोदक वह तो दफर नपी-तली बात होगी अब परमहस होन लग इसवलए गावलया दन लगो दक इसस

परमहस हो जाएग तो दफर चक गए दफर सादगी स चक गए

म तमस इतनी ही बात कह रहा ह दक जसा ह सरलता स तम जस हो अछ-बर गोर-काल ऐसा

ही खोल दो अपन को इसस अनयिा ददखलान की चषटा नही होनी चावहए म जसा ह दवनया मझ वसा ही

जान इसका नाम सादगी

सादगी गर-नपी-तली दिा ह वसदधात का उसस कछ लना-दना नही ह

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पाचवा परशनः म आपस कछ भी पछत डरता ह कयोदक लोग अगर मर परशन सनग तो हसग

जब परशन ही पछन की वहममत नही तो उततर कस झल पाओग और पछोग नही तो उततर कस पाओग

और लोग हसग तो हसन दो इतनी सादगी तो जीवन म लाओ

परशन तमहार भीतर ह जसा भी ह लोग हसग ही न तो हसन दो म तमस कहता हः जो समझदार ह

व समझग जो नासमझ ह व हसग लाओतस का परवसदध वचन ह दक जो समझदार ह व समझग जो नासमझ

ह व हसग

कयो समझदार कयो समझगा कयोदक समझदार समझगा दक यह परशन तमहारा ही िोड़ ही ह उसका

भी ह वह भी नही पछ पाया ह वह भी रोक रखा बठा रहा ह वह तो तमह धनयवाद दगा दक जो म नही पछ

सका तमन पछ वलया म डरा रहा तमन पछ वलया

जो नासमझ ह मढ़ ह वही हसगा कयोदक मढ़ को यह पता नही ह दक यही परशन उसका भी ह आदमी

आदमी क परशनो म बहत भद िोड़ ही ह आदमी आदमी की तकलीफो म परिावनयो म भद िोड़ ही ह

कया तम पछ सकत हो जो दसर आदमी का सवाल नही होगा मन हजारो सवालो क जवाब ददए ह

मन हर सवाल को हर आदमी का सवाल समझा ह अब तक मझ ऐसा कभी नही ददखायी पड़ा दक यह सवाल

दकसी एक का ववविषट ह मवशकल ह सभव ही नही ह

कया पछोग एक स तो रोग ह काम ह लोभ ह करोध ह मोह ह एक स तो रोग ह तो एक स ही परशन

होग िोड़ा मातराओ का भद होगा दकसी म लोभ की मातरा िोड़ी जयादा और दकसी म करोध की मातरा िोड़ी

कम और दकसी म मोह की मातरा िोड़ी जयादा और दकसी म राग की मातरा िोड़ी कम य मातराओ क भद ह

मगर मौवलक भद कहा होग मौवलक भद होत ही नही आदमी आदमी सब एक जस ह और जब तम दकसी

दसर का परशन सनत हो तो खयाल करना दकसी न दकसी अिो म यह तमहारा परशन भी ह

तो जो समझदार ह व समझग और तमह धनयवाद दग और जो नासमझ ह नासमझो का कया

हसन दो एक समझदार भी समझ ल तो काफी ह और हजार नासमझ हसत रह तो दकसी मलय क नही ह

और तम अगर ऐस डर तो बड़ी मवशकल म पड़ोग तमहारी हालत तो ऐसी हो जाएगी कल म एक गीत

पढ़ता िा--

जो मझ प बीती ह

उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

जो दख उठाए ह

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

म दसरो की वलखी हई दकताबो म

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

ऐसी सतरो को म वमटाता ह

रौिनाई स काट दता ह

149

मझको लगता ह दक लोग उनको अगर पढ़ग

तो राह चलत म टोककर मझस जान कया पछन लगग

मतलब समझ यह आदमी कह रहा ह दक जो मझ प बीती ह उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

उसका वववरण बयौरा म दकसी को न बता सकगा मझ पर ऐसा बीता लदकन तम समझो जो तम पर बीता

ह वह हजारो पर बीता ह जो तम पर बीता ह वह हजारो पर बीत रहा ह तम वभि नही हो तम कोई दवीप

नही हो अलग-िलग तम सयि हो

जो मझ प बीती ह

उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

जो दख उठाए ह

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

मझम िवि नही ह दखो की और अपराधो की जो मन दकए ह

सब और भी ऐस ही कमजोर ह तमन ही अपराध दकए ह ऐसा नही सब न अपराध दकए ह यहा

कौन ह जो अपराधी नही ह तमन ही पाप दकए ह ऐसा नही यहा सब न पाप दकए ह यहा कौन ह जो पापी

नही ह पाप स ऊपर उठना ह पाप क पार जाना ह लदकन कौन ह जो पापी नही ह

परानी कहावत ह दक हर पणयातमा कभी पापी रहा ह और हर पापी कभी पणयातमा हो जाएगा सत का

अतीत ह पापी का भववषय ह मगर भद कया ह

इसवलए जो पहच ह उनहोन कभी तमहारी दकसी एक बात पर भी तमहारी सनदा नही की कयोदक व

जानत ह दक यही भल उनस भी हई इनही गडढो म व भी वगर ह और जब तक तमह ऐसा कोई करणावान न

वमल जाए तब तक जाननाः गर नही वमला

अगर तम दकसी क सामन जाकर कहो दक म कया कर मर मन म चोरी का सवाल उठता ह और वह

आदमी एकदम डडा उठा ल--दक तम महापापी हो नकम म सड़ोग तो तम समझ लना दक इस आदमी म अभी

अनभव ही नही ह इस करणा ही नही ह इस याद ही नही ह या िायद इस याद ह और दबा रहा ह--दक

इसन भी यही सोचा ह दक इसन भी इसी तरह क ववचारो को कभी अपन मन म सजोया ह

और इसका डडा उठाना यह बता रहा ह दक य ववचार इसक भीतर अभी भी सजदा ह वमट नही ह यह

डडा तमहार वलए नही उठा रहा ह यह डडा अपन वलए उठा रहा ह यह असल म यह कह रहा ह दक मत छड़ो

मझ मत उकसाओ मझ दकसी तरह राख जम गयी ह अगार पर मत फक मारो अनयिा मरी राख उड़ गयी

तो यह अगारा मर भीतर भी ह तम जाओ यहा स नकम जाओ तम कही भी जाओ मगर यहा मत आओ यह

कहा की बात ल आए

जब कोई सत तमहारी सनदा कर तो समझ लना दक अभी सत का जनम नही हआ ह सत वही ह जो

तमह सवीकार कर तमहार गहनतम अपराधो म भी सवीकार कर तमहारा गहनतम अपराध भी सत क मन म

तमहार परवत सनदा न लाए तो ही सत ह जो समझ जो कह दक ठीक ह यही तो मन भी दकया ह यही तो

मझस भी हआ ह घबड़ाओ मत जो तमस हो रहा ह वह मझस हआ ह और जो मझस हो रहा ह वह तमस

भी हो सकता ह कयोदक हम दोनो अलग नही ह जो मरा अतीत ह वह तमहारा भववषय ह हम सयि ह हम

अलग नही ह हम एक-दसर स बयौरा ल-द सकत ह

150

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

तो िवि जटाओ िवि वबना जटाए कछ भी न होगा

म दसरो की वलखी हई दकताबो म

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

और कही अगर दकसी उपनयास को पढ़त वि--यह आदमी कह रहा ह--मझ अगर ऐसी कोई बात वमल

जाती ह वजसम मरी झलक आती ह तो म डरता ह दक कही कोई पढ़कर यह समझ न ल दक यह इस आदमी क

बाबत ह

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

ऐसी सतरो को म वमटाता ह

रौिनाई स काट दता ह

मझको लगता ह दक लोग उनको अगर पढ़ग

तो राह चलत म टोककर मझस जान कया पछन लगग

लोगो का भय खतरनाक ह इसी स पकषाघात पदा हो जाता ह इसी स तमह लकवा मार जाता ह

यहा तम दफकर छोड़ो कयोदक यहा मर पास पयार लोग इकटठ ह ऐस लोग इकटठ ह जो समझग ऐस लोग

इकटठ ह वजनको तम पर सनदा का खयाल न आएगा जो तमह धनयवाद दग जो कहगः हमारी बात तमन कह

दी हम वछपाए बठ ि हमारा घाव तमन खोल ददया तमहार घाव क खोलन क बहान हम भी औषवध का पता

चला

यहा मर पास परान ढग क महातमा साध-सत नही ह यहा एक नए ढग का मनषय जनम ल रहा ह एक

नया सनयास पदा हो रहा ह यहा तम भय छोड़ सकत हो

हा तमस म कहगा दक दकसी जन मवन क सामन जाकर मत कहना दकसी िकराचायम क सामन जाकर

मत कहना वहा तमहारी भयकर सनदा होगी वहा ऐसी छोटी-छोटी बातो पर सनदा हो जाती ह वजसका

वहसाब नही ह

मन सनाः परी क िकराचायम ददलली म ठहर हए ि और एक आदमी न खड़ होकर उनस वजजञासा की दक

म खोजी ह मगर ईशवर पर मझ भरोसा नही आता ववशवास नही होता मझ भरोसा ददलवाइए कछ ऐसा

परमाण दीवजए दक ईशवर ह

और पता ह िकराचायम न कया कहा िकराचायम न उस आदमी की तरफ करोध स दखा और पछा दक

तमन पतलन कयो पहन रखी ह

वह बचारा ईशवर की वजजञासा कर रहा ह व पछत हः तमन पतलन कयो पहन रखी ह और वहा बठ

होग चटयाधारी और भी लोग कयोदक परी क िकराचायम क पास और कौन जाएगा मढ़ो की जमात होगी

वहा व सब हसन लग और यह बचारा एकदम दीन-हीन हो गया पतलन पहन हए खड़ा हआ ह होगा ददलली

क दकसी दफतर म कलकम

तमन पतलन कयो पहन रखी ह भारतीय ससकवत का कया हआ तमहारी चोटी कहा ह

151

वह बचारा ईशवर का परमाण लन आया ह अब उसकी चोटी भी नही ह गया नकम म गया काम स और

पतलन पहन रखी ह

और दफर बात यही खतम नही हो गयी व लोग और हसन लग वह तो िोड़ा सचता म पड़ गया होगा

दक यह म कसा परशन पछ बठा यहा चार आदमी क सामन फजीहत हो गयी

जो उनहोन और आग बात की वह तो बहत गजब की ह--बरहम-जञान की उनहोन कहा दक तम पतलन ही

पहनकर पिाब भी करत हो तो तम अिदध हो खड़ होकर पिाब करत हो कयोदक पतलन पहन हो तो

बठकर कस करोग

यह बरहम-जञान चल रहा ह और व सार लोग हसन लग उस आदमी की तरफ दकसी का खयाल नही ह

और उसन एक ऐसी बात पछी िी जो सभी क भीतर ह

और यह मन िकराचायम की पवतरका म ही पढ़ा तो मतलब वजसन छापा ह व िकराचायम की पवतरका

वाल लोग इसको बड़ गौरव स छाप ह दक दखो िकराचायम न कसा नावसतक को ठीक दकया

दकसी को ठीक कर रह हो दक दकसी को सहारा दना ह और जो आदमी ऐसी बात कह रहा ह यह

िकराचायम इसस ऊचाई पर नही हो सकता इसस जयादा ऊचाई पर नही हो सकता

इस आदमी क अपमान म परी मनषय जावत का अपमान कर ददया गया और जो आदमी यह कर रहा ह

वह गहन परकार स दभ का रोगी ह

इनही िकराचायम क साि एक दफा पटना म मरा वमलना हो गया--एक ही मच पर मतरय जी तमह परी

कहानी बता सक ग सयोजको न मझ भी बला वलया उनको भी बला वलया उनहोन मझ दखत ही स सयोजको

को कहा दक अगर य सजजन यहा बोलग तो म यहा नही बोल सकता

अब सयोजक बड़ी मवशकल म पड़ गए दक अब करना कया अड़चन खड़ी हो गयी मझ वनमवतरत दकया

ह दर स मझ बलाया ह और य कहत ह दक अगर म बोला तो व नही बोलग

मन सयोजको को कहा दक उनको कहो दक पहल म बोल दता ह दफर पीछ व बोल और ददल भरकर जो

आलोचना करनी हो वह कर ल यह बात उनह जची

दफर व मवशकल म पड़ गए व तो इतन करोध म आ गए दक आलोचना करना तो मवशकल ही हो गया

आलोचना क वलए भी तो िोड़ी िावत तो चावहए व तो एकदम जवरगरसत हो गए व तो सविपात म हो गए

तो कछ का कछ बकन लग बढ़ आदमी इतना जोि-खरोि पर वखसक गया मच स वगर गए

इस तरह क महातमाओ क पास जाओ तो तमहारा कहना ठीक ह डरना पहल तो जाना ही मत चल

जाओ तो ददल की मत कहना वहा झठ परशन पछना वहा अगर शरदधा न हो तो कहनाः बड़ी शरदधा ह भीतर--तो

ठीक होगा नावसतक हो तो कहनाः आवसतक ह चोटी न भी हो तो भी टोपी लगाकर जाना और कहना दक

चोटी ह और पतलन भी पहन हो तो ऊपर स धोती पहन लना और इसक पहल दक ऐस महातमा तमस कह

दक खड़ होकर पिाब करत हो दक बठकर तम ही बता दना दक हम बठकर ही पिाब करत ह

वहा डरना मर पास डरन की कोई भी जररत नही ह तमहारा जसा परशन हो म अगर कछ ह तो

वचदकतसक ह तम मझस अपनी बीमारी न कहोग तो कस होगा और धयान रखनाः म पि-वचदकतसक नही ह

आदवमयो का वचदकतसक ह

एक सजजन मर पास आए उनहोन कहा दक फला डाकटर बड़ा गजब का डाकटर ह उसस कहो ही मत

वह नाड़ी पर हाि रखकर सब बीमाररया बता दता ह तो मन कहा दक वह आदवमयो का डाकटर ह दक पिओ

152

का व बोलः नही आदवमयो का डाकटर ह मन कहाः आदमी तो बोल सकता ह पिओ का सवाल ह दक

नावड़यो पर हाि रखो अब पि तो बोल नही सकता तो अब नाड़ी पकड़कर दखो दक कया बीमारी ह आदमी

बोल सकता ह इसम गणवतता कया ह इसम कोई गणवतता नही ह

म चाहता ह दक तम अपनी बीमारी मझस कहो तमहार कहन म ही आधी बीमारी हल होती ह म

तमहार वबना कह भी जान सकता ह लदकन मर जानन स उतना लाभ नही होगा वजतना तम कहोग तो होगा

एक तो कहन क वलए तमन जो साहस जटाया वही बड़ी बात हो गयी कहन क वलए तमन जो भय

छोड़ा वही बड़ी बात हो गयी कहन क वलए तमन जो सोचा-ववचारा ववशलषण दकया परखा अपन भीतर--

कया ह मरा रोग--उसी म तमहारा धयान बढ़ा तमहारा होि बढ़ा

ठीक स परशन पछ लना आधा उततर पा जाना ह ठीक स अपना परशन पकड़ लना आधा उततर पा जाना ह

आधा काम तम करो आधा काम म कर कयोदक तम अगर वबलकल कछ न करो तो तमह लाभ नही होगा परा

काम अगर मझ करना पड़ तो तमह लाभ नही होगा

म तमह इिारा द सकता ह काम तमह करना ह

आवखरी परशनः

कहत ह लोग आती ह बहार भी कभी

लदकन हम वखजा क वसवा कछ नही पता

मड़त हवा क साि रह जो सदा उनह

कयो और कब कहा क वसवा कछ नही पता

मािा पकड़ क आज तक रोत रह य लोग

इनको गलत वनिा क वसवा कछ नही पता

खजर नही उठा सको तवर ही बदल लो

तमको तो महरबा क वसवा कछ नही पता

वो कया करग रोिनी घर म कभी वजनह

बझती हई िमा क वसवा कछ नही पता

जित भी कही होती ह य कहती ह दकताब

लदकन हम यहा क वसवा कछ नही पता

दकताब की मानना भी मत तमह पता चल सकता ह जित का पता लगान की जररत भी नही ह

कयोदक जित तमहार भीतर ह कही और नही जित का कोई भगोल नही ह जित का वसफम अधयातम ह

जित यहा ह--इन वकषो म इस आकाि म इन चाद-तारो म इन लोगो म--जित कही और नही ह दकताब

तमह दकसी जित की बात करती ह जो कही दर आकािो म सात आसमानो क पार ह वह जित झठी ह

वजनहोन व दकताब वलखी ह उनको भी पता नही ह

म तमह जित यहा द रहा ह इस जित को पान क वलए दकताबो म जान की जररत नही ह अपन म

जान की जररत ह तम ही हो वह दकताब वजसको तम वद म खोजत हो करान म बाइवबल म धममपद म

तम ही हो वह दकताब वजस पढ़ा जाना ह कौन पढ़गा तमहार अलावा

153

तमहार भीतर सार वद पड़ ह सार करान सार उपवनषद वछप ह जब दकसी ऋवष स उपवनषद पदा

हआ तो उसका अिम यही ह दक हर आदमी म पड़ा ह जब भी कोई जागगा उसी स उपवनषद पदा हो जाएगा

जब दकसी स वद की ऋचाए वनकली और करान की अपवम आयत आयी--व इतनी ही खबर दती ह दक हर

आदमी क अचतन गतम म यह सब पड़ा ह अगर मोहममद म उठ सका तो तम म भी उठ सकगा

म तमह तमहारी याद ददलाता ह दकसी दकताब म जान की जररत नही ह तम ही हो वह दकताब और

जित कही दर नही ह आग नही ह जित यहा ह और अभी ह जित जीवन को जीन का ढग ह नकम भी

जीवन को जीन का ढग ह एक गलत एक सही बस उतना ही भद ह

नकम का अिम होता ह दक तम इस ढग स जी रह हो दक दख पदा होता ह तम इस ढग स जी रह हो दक

सचता पदा होती ह तम इस ढग स जी रह हो दक बचनी रहती ह तम इस ढग स जी रह हो दक सखच-सखच

रहत हो

जित का अिम कया ह जित या सवगम का अिम हः तमह राज हाि लग गया तम इस ढग स जीन लग दक

सख की छाया बनी रहती ह िावत बनी रहती ह भीतर तनाव गया सचता गयी दफकर गयी भववषय गया

अतीत गया यही कषण सब कछ ह तम इसी म नाचत इसी म खात इसी म पीत इसी म सोत इसी म जागत

यह कषण सब कछ ह--वतममान अतीत जाए भववषय जाए सवगम का दवार यही खल जाता ह इस कषण म

ह सवगम का दवार

कहत ह लोग आती ह बहार भी कभी

लदकन हम वखजा क वसवा कछ नही पता

बहार बाहर स नही आती और वखजा भी बाहर स नही आती वसत भी भीतर स आता ह पतझड़ भी

भीतर स आता ह तम गलत ढग स जी रह हो इसवलए तमह पतझड़ क वसवा कछ भी पता नही ह तम ठीक स

जीयो

ठीक स जीन क दो सतर हः धयान और परम य दो जड़ ह अगर य मजबती स तमहार भीतर जम जाए

तो तम पाओग वसत आ गया वसत आया ही हआ िा वसत सदा स आया हआ ह अवसततव वसत क वसवा

और कछ जानता ही नही

आज इतना ही

154

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ उिीस परवचन

बराहमणतव क विखर--बदध

न बराहमणससतदफकच सययो

यदा वनसधो मनसो वपयवह

यतो यतो सहसमनो वनवततवत

ततो ततो सममवत एव दकख 318

न जटावह न गोततवह न जचचा होवत बराहमणो

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो 319

फक त जटावह दममध फक त अवजनसारटया

अबभनतर त गहन वावहर पररमजजवस 320

सबबसाजन छततवा यो व न पररतससवत

सगावतग ववसातत तमह बरवम बराहमण 321

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण 322

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण 323

रह दखी ह कभी रह को महसस दकया ह

जागत जीत हए दवधया कोहर स वलपटकर

सास लत हए इस कोहर को महसस दकया ह

या विकार म दकसी झील प जब रात बसर हो

और पानी क छपाको म बजा करती हो टवलया

सबदकया लती हवाओ क वह बन सन ह

चौदहवी रात क बरफाब-स इस चाद को जब

ढर-स साए जब पकड़न क वलए भागत ह

तमन सावहल प खड़ वगरज की दीवार स लगकर

अपनी गहनाई हई कोख को महसस दकया ह

वजसम सौ बार जल दफर भी वही वमटटी का ढला

155

रह इक बार जलगी तो वह कदन होगी

रह दखी ह कभी रह को महसस दकया ह

जो रह को महसस कर ल वही बराहमण ह जो इस अवसततव की अतरातमा को पहचान ल वही बराहमण

ह जो पदािम म परमातमा को दख ल वही बराहमण ह वजसक वलए सिल और सकषम एक हो जाए वही बराहमण

ह बाहर और भीतर वजसक भद न रह वही बराहमण ह

बदध न बहत-बहत सतरो म बराहमण की पररभाषा की ह बराहमण िबद परम दिा का सचक ह इसकी

सकषम वयाखया होनी जररी ह इसकी गलत वयाखया होती रही ह मन की वयाखया गलत ह--दक जनम स कोई

बराहमण होता ह महावीर की वयाखया िोड़ी ऊपर जाती ह मन स--दक कमम स कोई बराहमण होता ह बदध की

वयाखया और भी ऊपर जाती ह--आतम-अनभव स न जनम स न ऊपर क आचरण स बवलक भीतर जो वछपा ह

उसक साकषातकार स कोई बराहमण होता ह बदध ही कवल बराहमण होता ह जो जाग गया अपन म वही बराहमण

होता ह

बदध की भाषा म बराहमण और बदध पयामयवाची ह

इसक पहल दक हम सतरो म चल सतरो की पररवसिवत समझ

पहला दशयः

शरावसती नगरवासी बहत स मनषय एकतर होकर साररपतर सिववर क अनक गणो की परिसा कर रह ि

एक बदध-ववरोधी बराहमण भी यह सन रहा िा और ईषयाम और करोध स जला जा रहा िा तभी भीड़ म स दकसी

न कहाः हमार आयम ऐस सहनिील ह दक आकरोिन करन वालो या मारन वालो पर भी करोध नही करत ह यह

बात वमथया-दवषट बराहमण की आग म घी का काम कर गयी वह बोलाः उनह कोई करोवधत करना जानता ही न

होगा दखो म करोवधत करता ह

नगरवासी हस और उनहोन कहाः यदद तम उनह करोवधत कर सकत हो तो करो

वह बराहमण दोपहर म साररपतर को वभकषाटन करत दख पीछ स जाकर लात स पीठ पर मारा

लदकन सिववर न पीछ लौटकर दखा भी नही व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि सो

वस ही चलत रह उलट मन ही मन व परसि भी हए कयोदक साधारणतः ऐसी वसिवत म मन डावाडोल हो

उठ यह सवाभाववक ही ह लदकन मन नही डोला िा और धयान की जयोवत और भी विर हो उठी िी उनक

भीतर इस भावत लात मारन वाल क परवत आभार क अवतररि और कछ भी नही िा

इस घटना न अध बराहमण को तो जस आख द दी वह साररपतर क चरणो म वगर पड़ा और उनह घर ल

जाकर भोजन कराया उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक सार कलमष को बहाकर

उसकी आतमा को वनममल कर रह ि

इस तरह साररपतर क वनवमतत उस पर पहली बार बदध की दकरण पड़ी िी

लदकन वभकषओ को साररपतर का वयवहार नही जचा उनहोन भगवान स कहाः आयषमान साररपतर न

अछा नही दकया जो दक मारन वाल बराहमण क घर जाकर भोजन भी दकया अब दकस वह वबना मार छोड़गा

वह तो वभकषओ को मारन की आदत बना लगा अब तो वह वभकषओ को मारता हआ ही ववचरण करगा

156

िासता न वभकषओ स कहाः वभकषओ बराहमण को मारन वाला बराहमण नही ह गहसि-बराहमण दवारा शरमण-

बराहमण मारा गया होगा और साररपतर न वही दकया ह जो दक बराहमण क योगय ह दफर तमह पता भी नही ह

दक साररपतर क धयानपणम वयवहार न एक अध आदमी को आख परदान कर दी ह

और तभी उनहोन य गािाए कहीः

न बराहमणससतदफकच सययो यदा वनसधो मनसो वपयवह

यतो यतो सहसमनो वनवततवत ततो ततो सममवत एव दकख

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो स मन को हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात हो जाता ह

न जटावह न गोततवह न जचचा होवत बराहमणो

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो

न जटा स न गोतर स न जनम स बराहमण होता ह वजसम सतय और धमम ह वही िवच ह और वही

बराहमण ह

फक त जटावह दममध फक त अवजनसारटया

अबभनतर त गहन वावहर पररमजजवस

ह दबमवदध जटाओ स तरा कया बनगा मगचमम पहनन स तरा कया होगा तरा अतर तो ववकारो स भरा

ह बाहर कया धोता ह

सबबसाजन छततवा यो व न पररतससवत

सगावतग ववसातत तमह बरवम बराहमण

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह उस सग और आसवि स ववरत को म बराहमण

कहता ह

शरावसती नगरवासी--सीध-साद लोग--एकतर होकर साररपतर क गणो की परिसा कर रह ि

साररपतर बदध क परमख विषयो म एक वजनहोन बदध क जीत जी बदधतव पराि दकया--उनम स एक

साररपतर सवय भी कभी बहत बड़ा पवडत िा जब पहली बार बदध क पास आया िा तो बदध स वववाद करन

आया िा पाच सौ अपन विषयो को साि लाया िा लदकन बदध क पास आकर वववाद का मौका नही बना

वववाद क पहल हार हो गयी बदध को दखत ही हार हो गयी

बड़ा सवदनिील रहा होगा पावडतय तो िा लदकन पावडतय पर बहत पकड़ न रही होगी पावडतय तो

िा लदकन पावडतय स हटकर दखन की कषमता रही होगी इसवलए बदध को दखत ही रपातररत हो गया

157

विषयो स अपन कहा िा भल जाओ वववाद की बात यह आदमी वववाद करन योगय नही ह यह आदमी लड़न

योगय नही ह यह आदमी ऐसा ह वजसक चरणो म हम बठ म तो बदध का विषयतव सवीकार करता ह तम मर

विषय हो अगर तम मझ समझ हो तो मर साि झक जाओ खद दीवकषत हआ अपन पाच सौ विषयो को भी

दीवकषत दकया

बदध क पास हजारो विषय ि उनम साररपतर सबस बड़ा बौवदधक वयवि िा--लदकन बवदध म सीवमत नही

और जलदी ही उसम फल वखलन िर हो गए जलदी ही उसम सवास आनी िर हो गयी जो झकन को इतना

ततपर हो आया िा वववाद करन और वनरवमवाद झक गया वजसक पास ऐसी सरल दवषट हो ऐसा सहज भाव

हो अगर जलदी ही वह बदधतव को उपलबध हो गया तो कछ आशचयम नही ह

शरावसती क भोल-भाल लोग सीध-साद लोग साररपतर क गणो की परिसा कर रह ि

ऐस गण ि ही साररपतर म वजनकी परिसा की जाए यही दखत होः वववाद करन आया हो और वबना एक

परशन उठाए झक जाए और विषयतव सवीकार कर ल बड़ पावडतय क बोझ स दबा हो िासतरो का जञाता हो और

िासतरो को ऐस हटा द जस कोई दपमण स धल को हटा दता ह इतनी सगमता स इतनी सरलता स वबना दभ

क वबना अहकार क वबना अकड़ क न कवल खद झका बवलक अपन पाच सौ विषयो को भी झका ददया

साररपतर न बदध स कभी कोई परशन ही नही पछा दफर आया िा उततर दन परशन ही नही पछा उनकी

छाया हो गया उनम लीन हो गया

गण खब ि साररपतर म गणी िा गाव क लोग ठीक ही परिसा करत ि लदकन एक बदध-ववरोधी बराहमण

भी यह सन रहा िा और ईषयाम और करोध स जला जा रहा िा तभी भीड़ म स दकसी न कहाः हमार आयम ऐस

सहनिील ह दक आकरोिन करन वालो या मारन वालो पर भी करोध नही करत ह यह बात वमथया-दवषट बराहमण

की आग म घी का काम कर गयी

वमथया-दवषट का अिम होता हः वजस उलटा दखन की आदत पड़ गयी ह उलटी खोपड़ी सीधी बात को भी

जो उलटा करक दखगा जो सीधा दख ही नही सकता वजसकी दवषट म बड़ी गहरी भरावत बठ गयी ह

साररपतर की परिसा हो रही ह उस परिसा स आग लग रही ह

ऐस बहत लोग ह जो दकसी की भी परिसा नही सन सकत जो कवल सनदा सन सकत ह इसीवलए तो

लोग जयादातर सनदा करत ह कयोदक सनदा ही सनन वाल लोग ह जहा दो-चार आदमी वमल दक सनदा िर हो

जाती ह

परिसा करना भी अपन आप म एक गणवतता ह कयोदक परिसा वही कर सकता ह वजसक पास समयक

दवषट हो परिसा क वलए सबस बड़ा गण जररी ह दक जो अपन को हटाकर दसर को दख सक जो दसर क

बड़पपन म पीवड़त न हो जाए वजसक अहकार को चोट न लग जो दसर की भवय परवतमा को दखकर करोध स न

भर जाए--दक यह कौन ह जो मझस जयादा भवय ह यह कौन ह जो मझस जयादा ददवय ह यह कौन ह जो

मझस जयादा शरि ह मझस जयादा शरि कोई भी नही हो सकता--ऐसी पीड़ा वजस पदा हो जाती ह वह वमथया-

दवषट ह

वमथया-दवषट दकसी की परिसा बदामशत नही कर सकता कयोदक वह दकसी की परिसा को अपनी सनदा

मानता ह दसरा बड़ा ह तो म छोटा हो गया--यह उसका तकम ह दसरा सदर ह तो म करप हो गया--यह

उसका तकम ह दसरा चररतरवान ह तो दफर मरा कया

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वमथया-दवषट दसर की सनदा सन सकता ह कयो कयोदक दसर की सनदा स उसक अहकार को भरण-

पोषण वमलता ह तो वह कहता हः अछा तो यह भी चररतरहीन ह इसस तो हम ही भल ह

तम धयान रखना सनदा का एक मनोववजञान ह कयो लोग सनदा पसद करत ह तम अगर दकसी स कहो

दक अ नाम का आदमी सत हो गया ह कोई मानगा नही पचचीस दलील लोग लाएग--दक नही सत नही ह सब

धोखा-धड़ी ह सब पाखड ह और तम दकसी क सबध म कहो दक फला आदमी चोर हो गया ह तो कोई वववाद

न करगा वह कहगाः हम पहल स ही पता ह वह चोर ह ही कया हम बता रह हो वह महाचोर ह तमह अब

पता चला तमहारी आख अधी िी

तमन कभी दखाः सनदा जब तम दकसी की करो तो कोई परमाण नही मागता और परिसा जब करो तो

हजार परमाण माग जात ह और और भी एक करठनाई ह दक परिसा वजन चीजो की होती ह उनक वलए परमाण

नही होत और सनदा वजन चीजो की होती ह उनक वलए परमाण होत ह कयोदक सनदा तो कषदर जगत की बात

ह उसक वलए परमाण हो सकत ह

समझो दकसी आदमी की तम सनदा कर रह हो दक उसन चोरी की तो चार आदमी गवाह की तरह खड़

दकए जा सकत ह दक इनहोन उस चोरी करत दखा लदकन तम कहत हो दक कोई आदमी जाग गया परबदध हो

गया इसक वलए कहा गवाह खोजोग कहा स गवाह मौजद करोग कौन कहगा दक हा मन इसको बदध होत

दखा यह बात तो दखन की नही ह यह तो बदध ही कोई हो तो दख सक जो सवय बदध हो वह दख सक

दसरा तो कोई इसका गवाह नही हो सकता

मज की बात दखना जो परिसा-योगय ततव ह उनक वलए परमाण नही होत और उनक वलए लोग परमाण

पछत ह और जो सनदा ह उसक वलए हजार परमाण होत ह लदकन कोई परमाण पछता ही नही परमाण क वबना

ही सवीकार कर लत ह लोग लोग सनदा सवीकार करना चाहत ह लोग तयार ही ह दक सनदा करो

तमहार अखबार सनदा स भर होत ह तम अखबार पढ़त ही इसीवलए हो दक आज दकस-दकस की बवखया

उधड़ी गयी अखबार म वजस ददन सनदा नही होती उस ददन तम उस उदासी स सरकाकर एक तरफ रख दत

हो--दक कछ खास बात ही नही ह जब अखबार म हतया की खबर होती ह चोरी की दकसी की सतरी क भगान

की तलाक की आतमहतया की तब तम एकदम चशमा ठीक करक एकदम अखबार पर झक जात हो दक एक

िबद चक न जाए इसवलए बचारा अखबार छापन वाला आदमी सनदा की तलाि म घमता रहता ह

पतरकारो की दवषट ही वमथया हो जाती ह कयोदक उनका धधा ही खराब ह उनक धध का मतलब ही यह

ह दक जनता जो चाहती ह वह लाओ खोजबीन कर अछ स अछ आदमी म कछ बरा खोजो सदर स सदर म

कोई दाग खोजो चाद की दफकर छोड़ो चाद पर वह जो काला धबबा ह उसकी चचाम करो कयोदक लोग धबब

म उतसक ह चाद म उतसक नही ह चाद की बात करो तो कोई अखबार खरीदगा ही नही

इसवलए जो पतरकाररता ह वह मलतः सनदा क रस की ही कला ह कस खोज लो--कही स भी कछ गलत

कस खोज लो और जब तम खोजन का तय ही दकए बठ हो तो जरर खोज लोग कयोदक जो आदमी जो

खोजन वनकला ह उस वमल जाएगा

यह दवनया ववराट ह इसम अधरी रात ह और उजाल ददन ह इसम गलाब क फल ह और गलाब क काट

ह जो आदमी सनदा खोजन वनकला ह वह कहगा दक दवनया बड़ी बरी ह यहा दो रातो क बीच म एक छोटा

सा ददन ह दो अधरी रात और बीच म छोटा सा ददन और जो परिसा खोजन वनकला ह वह कहगा दक दवनया

बड़ी पयारी ह परमातमा न कसी गजब की दवनया बनायी हः दो उजाल ददन बीच म एक अधरी रात

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जो आदमी सनदा खोजन वनकला ह वह गलाब की झाड़ी म काटो की वगनती कर लगा और सवभावतः

काटो की वगनती जब तम करोग तो कोई न कोई काटा हाि म गड़ जाएगा तम और करोधावगन स भर जाओग

अगर काटा हाि म गड़ गया और खन वनकल आया तो तमह जो एकाध फल वखला ह झाड़ी पर वह ददखायी

ही नही पड़गा तम अपनी पीड़ा स दब जाओग तम गावलया दत हए लौटोग

जो आदमी फल को दखन वनकला ह वह फल स ऐसा भर जाएगा दक उस काट भी पयार मालम पड़ग

वह फल स ऐसा रस-ववमगध हो जाएगा दक उस यह बात ददखायी पड़गी दक काट जरर भगवान न इसीवलए

बनाए होग दक फलो की रकषा हो सक य फलो क पहरदार ह

सब तम पर वनभमर ह कस तम दखत हो कया तम दखन चल हो

यह बदध-ववरोधी बराहमण िा इसन तय ही कर रखा िा न यह कभी बदध क पास गया िा

यह बड़ आशचयम की बात ह दक ववरोधी पास जात ही नही ववरोधी दर-दर रहत ह ववरोध करन क वलए

यह जररी ह दक व दर-दर रह पास आए तो खतरा ह पास आए तो डर ह दक कही ऐसा न हो दक हमारा

ववरोध गल जाए तो ववरोधी पीठ दकए खड़ा रहता ह दर-दर रहता ह सनी-सनायी बातो म स चनता ह

दफर उन चनी हई बातो को भी वबगाड़ता ह अपना रग दता ह दफर उनको ववकत करता ह ववकवत को

बढ़ाता ह दफर उस ववकवत म जीता ह और सोचता ह दक मझ तथयो का पता ह

धयान रखना इस जगत म तथय होत ही नही तथय झठ बात ह इस जगत म सब वयाखयाए ह तथय

नही होत

एक बड़ा इवतहासकार एडमड बकम ववशव का इवतहास वलख रहा िा उसन कोई तीस साल उस पर

महनत की िी और वह चाहता िा दक दवनया का ऐसा इवतहास वलख जसा पहल कभी नही वलखा गया तीस

साल लबा समय िा आधा जीवन उसन गवा ददया िा

एक ददन उसक घर क पीछ एक हतया हो गयी वह भागा हआ पहचा भीड़ खड़ी िी लाि पड़ी िी

हतयारा पकड़ वलया गया िा रग हािो उसन लोगो स पछा दक कया हआ लदकन वजतन लोग ि उतनी बात

वजतन मह उतनी बात कोई हतयार क पकष म िा कोई वजसकी हतया की गयी उसक पकष म िा कोई इसका

कसर बता रहा िा कोई उसका कसर बता रहा िा

एडमड बकम तो हरान हो गया उसक घर क पीछ हतया हई ह अभी हतयारा मौजद ह अभी लाि पड़ी

ह अभी खन बह रहा ह सड़क पर अभी सब ताजा ह और नया ह अभी खन सखा भी नही ह लोग मौजद ह

जो चशमदीद गवाह ह लदकन कोई दो चशमदीद गवाह की बात एक सी नही ह

वह लौटकर आया और उसन तीस साल म जो इवतहास वलखा िा उसको आग लगा दी उसन कहा दक

म इवतहास वलखन बठा ह दवनया का बदध क समय म कया हआ और वसकदर क समय म कया हआ और कषण

क समय म कया हआ यह म कया कर रहा ह मर घर क पीछ एक हतया हो जाए म भागकर पहच रग हाि

हतयारा पकड़ा गया हो चशमदीद गवाह मौजद हो और वनणमय करना मवशकल ह दक कया हआ तो म तीन

हजार और पाच हजार साल पहल कया हआ--यह कस तय कर पाऊगा सब अफवाह ह और सब वयाखयाए ह

वयाखया वयाखया की बात ह तम कस वयाखया करत हो इस पर सब वनभमर करता ह

मर एक सनयासी न--उमानाि न--नपाल स मझ पतर वलखा ह दक दवकषण भारत म लोग राम को जलाकर

कया पाएग जब म उनका पतर पढ़ रहा िा तब मन सोचा दक जब य उमानाि आएग तो म उनस पछगाः

तमन उततर म रावण को जलाकर कया पाया उस पर सदह नही ह उनह उततर क ह उस पर सदह नही ह दक

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रावण को जलान म कोई हजाम ह रावण को तो जलाना ही चावहए हर साल लदकन य राम क पकष म वजनहोन

दकताब वलखी ह उनकी वयाखया ह रावण क पकष म दकताब वलखी जा सकती ह तब वयाखया वबलकल बदल

जाएगी घटना वही ह लदकन वयाखया बदल जाएगी

कया सच ह--म नही कह रहा ह म तमस यह कह रहा ह दक तथयो म सच होता ही नही सब वयाखया

होती ह तय ही नही हो पाता दवनया म इतन यदध हो गए ह लदकन कभी तय नही हआ दक दकसन हमला

दकया तय हो ही नही सकता कयोदक एक पकष कह चला जाता ह दक दसर न हमला दकया दसरा पकष कह

जाता ह दक उसन हमला दकया दफर जो जीत जाता ह वह इवतहास की दकताब वलखता ह जो जीत जाता ह

वह अपन पकष को दकताबो म डाल दता ह

जब सटवलन रस का तानािाह बना तो उसन सारा इवतहास बदल ददया रस का सारा इवतहास बदल

ददया अपन ववरोवधयो की तसवीर वनकाल दी अपन ववरोवधयो क नाम वनकाल ददए जहा तसवीर खद की

नही िी वहा फोटोगराफी की कलाबाजी स अपनी तसवीर डलवा दी सब जगह अपना नाम डाल ददया अपन

पकषपावतयो का नाम डाल ददया

जब तक सटवलन सतता म रहा वही इवतहास रस म चला बचचो न वही पढ़ा सटवलन क मरत ही बात

बदल गयी सटवलन क ववरोवधयो न सटवलन का नाम दफर पोछ ददया

यही तो अभी हो रहा ह ददलली म कपसल खोदा जा रहा ह इददरा न एक कपसल रखा िा वह एक

वयाखया ह सवभावतः उसम कछ नाम नही होग जस सभाष का नाम नही होगा या होगा तो कही रटपपणी

म होगा पाद-रटपपणी म दकसी मलय का नही होगा सवभावतः उसम सरदार पटल का नाम नही होगा या

होगा भी तो गौण होगा और वनवशचत ही उसम मोरारजी भाई का नाम नही ह

उस वनकालना पड़गा वनकाला जा रहा ह खोदा जा रहा ह दफर स टाइम कपसल बनाया जाएगा

उसम इददरा ववदा हो जाएगी उसम नहर वसकड़कर छोट हो जाएग उसम वललभभाई फलकर कपपा हो

जाएग उसम मोरारजी भाई वबलकल बीच म ववराजमान हो जाएग उसम जगजीवनराम और चरणससह--सब

बठ जाएग

लदकन दकतनी दर यह चलगा दो-चार-पाच साल बाद दफर कोई सतता म आएगा दफर टाइम कपसल

उखाड़ना पड़गा ऐसा सदा होता रहा ह िायद नया टाइम कपसल जो मोरारजी भाई बनवाए उसम राषटरीय

सवयसवक सघ की भी गण-गािा हो और िायद उसम कहा जाए दक नािराम गोडस राषटरीय सवयसवक सघ

का अग नही िा और गाधी की हतया म राषटरीय सवयसवक सघ का कोई हाि नही ह उसम चीज बदलगी

कयोदक मोरारजी भाई राषटरीय सवयसवक सघ क बल पर खड़ ह टाइम कपसल उसक ही बल पर वलखा जाएगा

सारा इवतहास बदलगा

पना म ऐस लोग ह जो नािराम गोडस को महातमा नािराम गोडस कहत ह जनम-वतवि मनात ह

वमठाइया बाटत ह अगर कल कभी आरएसएस क हाि म इस मलक की िवि आ गयी तो महातमा गाधी

ववदा हो जाएग उनकी मरतमया चौराहो स हटा ली जाएगी वहा गर गोलवलकर नािराम गोडस--महातमा

नािराम गोडस--की मरतमया खड़ी हो जाएगी और तम उसस भी राजी हो जाओग कयोदक वजसक हाि म सतता

ह तम उसस राजी हो जात हो

आदमी तथयो की वयाखयाए कर लता ह जसी करना चाहता ह वसी कर लता ह

161

बदध दकसको समयक-दवषट कहत ह दकसको वमथया-दवषट कहत ह बदध कहत हः जो वयाखया करता ह

वह वमथया-दवषट ह जो वयाखया नही करता जो ववचारिनय होकर वनरवमचार होकर दखता ह वह समयक-दवषट

ह अगर ववचार पहल स ही तमहार भीतर ह तो तम तथय को कस दखोग तमहारा ववचार तथय को रग दगा

तथय को वसा बना दगा जसा तमहारा ववचार चाहता ह तम वही दख लोग जो तम दखना चाहत ि या जो

तमन दखन का तय ही कर रखा िा

एक आदमी न एक दकताब वलखी ह दक तरह का आकड़ा बहत बरा ह हजार पि की दकताब ह सारी

दवनया स उसन हजारो परमाण इकटठ दकए ह पढ़ोग तो तमह भी भरोसा आ जाएगा दक तरह का आकड़ा खराब

अमरीका म ऐसी धारणा ह दक तरह का आकड़ा खराब ह बड़ होटलो म तरहवी मवजल नही होती

कयोदक तरहवी पर कोई रकना नही चाहता बारहवी क बाद सीधी चौदहवी मवजल आती ह तरहवी मवजल

होती ही नही नही तो कोई रक ही नही तरहवी मवजल म तरह नबर का कमरा लोग बरदाशत नही करत

तरह नबर स बचत ह तरह तारीख को समहलकर चलत ह

तो इस आदमी न सब इकटठा दकया हः दक तरह तारीख को दकतन लोग आतमहतया करत ह तरह तारीख

को दकतन लोग पागल होत ह तरहवी मवजल स दकतन लोग वगरकर मर जात ह तरहव नबर की बस म चलन

वालो म दकतनी दघमटनाए होती ह उसन सार आकड़ इकटठ दकए ह--तरह स सबवधत सब

एक वमतर मर पास उसको लकर आए ि मन कहा उनस दक तम ऐसा करो दक तम चौदह तारीख क

सबध म खोजबीन करो इतन ही लोग चौदह को भी मरत ह और चौदहवी मवजल स भी वगरत ह और चौदह

नबर की बस भी टकराती ह और चौदह नबर की कार भी पहाड़ स वगर जाती ह तम चौदह क पीछ पड़

जाओ तो तम चौदह क वलए भी इतन ही आकड़ जड़ा लोग आकड़ जड़ान म कछ अड़चन नही ह

सजदगी बहत बड़ी ह उसम अगर हमन कछ तय ही कर रखा ह तो हम वही चन लत ह तमन अगर

मान रखा ह दक सबह स इस आदमी की िकल दखन स सब खराब हो जाएगा तो खराब नही होता दकसी की

िकल दखन स कया खराब होना ह लदकन तमन अगर मान रखा ह और व सजजन सबह स वमल गए रासत पर

घमत तमन कहाः मार गए य महाराज क दिमन हो गए आज ददन खराब होगा

अब आज ददन म जो-जो खराबी होगी व होन ही वाली िी मगर सब इनही क ऊपर जाएगी पर म

काटा गड़ गया तम कहोगः उस दषट का सबह चहरा दखा िा हाि स पयाला वगरकर टट गया उस दषट का

सबह चहरा दखा िा

अब तम ददनभर याद करत रहोग उस दषट का चहरा और तमह पचास कारण वमल जाएग रासत पर

कल क वछलक पर दफसलकर वगर पड़ उस दषट का चहरा दखा िा और तब तम और आशवसत हो गए दक इस

आदमी का चहरा बड़ा खतरनाक ह अब दबारा इसस बचना ह कही दबारा दफर न ददखायी पड़ जाए दबारा

ददखायी पड़गा तो और अड़चन हो जाएगी तमहारी धारणा मजबत होती चली जाएगी

यह आदमी बदध-ववरोधी ह बदध क पास कभी गया नही ह वमथया-दवषट बराहमण इसन एक बात तय कर

रखी ह दक बदध गलत ह बदध गलत ह तो उनक विषय भी गलत ही होग--सवभावतः तो साररपतर गलत होना

ही चावहए

162

उसन कहाः छोड़ो बकवास तम कहत हो उनह कोई करोवधत नही कर पाता इसम उनकी कोई गणवतता

नही ह सच बात यह ह दक उनह कोई करोवधत करना न जानता होगा ठीक बटन दबाना न आता होगा मझ पर

छोड़ो यह काम म उनह करदध करक बता दगा

दख रह ह उसकी एक दवषट ह वह यह मानन को तयार ही नही ह दक कोई आदमी ऐसा हो सकता ह

जो करोवधत न हो कम स कम बदध का विषय तो ऐसा नही हो सकता तो दफर एक ही बात हो सकती ह दक

वजन लोगो क दवारा साररपतर करोवधत नही दकए जा सक ह उनह करोवधत करना न आता होगा उनहोन ठीक रग

न पकड़ी होगी उसन कहाः मझ पर छोड़ो यह काम उनह कोई करोवधत करना जानता न होगा दखो म

करोवधत करता ह

नगरवासी हस कभी-कभी भोल-भाल लोग जयादा समझदार वसदध होत ह बजाय पवडतो क व हस

उनहोन कहा दक यह पागलपन की बात ह दक तम साररपतर को करोवधत कर लोग दफर भी तम करोवधत कर

सको तो करक दखो

उस बराहमण न दोपहर म सिववर को वभकषाटन करत दख पीछ स जाकर लात स पीठ पर मारा

इन छोटी-छोटी किाओ म एक-एक बात अिमपणम ह अकसर बदधपरषो पर जो लात मारी जाती ह व

सदा पीछ स ही मारी जाती ह सामन स तो वहममत नही होती सामन स तो घबड़ाहट लगगी कयोदक व आख

वह चहरा वह परसाद कही रोक द कही वझझक आ जाए कही वहचक आ जाए इसवलए बदधो की जो सनदा

होती ह वह पीछ स होती ह सामन स नही होती ह

और धयान रखना जो पीछ सनदा करता ह वह कायर ह उस अपनी सनदा पर भी भरोसा नही ह अपन

पर भी भरोसा नही ह

इस आदमी न आकर पीछ स साररपतर को लात मारी लदकन सिववर न पीछ लौटकर नही दखा

वनषपरयोजन बदध न कहा ह अपन विषयो को दक वजसम परयोजन न हो उसम जरा भी ऊजाम मत डालना

अब कोई आदमी पीछ स लात मार रहा ह तो इसम परयोजन कया ह पीछ दखन स सार कया ह इसम उलझन

की जररत कया ह यह पागल होगा दक मढ़ होगा दक वमथया-दवषट होगा इसम इतना भी रस लन की जररत

नही ह दक पीछ लौटकर दखो कयोदक गलत को दखना भी अनावशयक ह वयिम को दखना भी उवचत नही ह

कयोदक वजस हम दखत ह उसकी छाप हमारी आख पर पड़ती ह

तो बदध न कहा ह दक वयिम को दखना ही मत वयिम को सनना ही मत वयिम का ववचार ही मत करना

कयोदक वजतनी दर तम वयिम को दखन म लगाओग वजतना समय और वजतनी िवि वयिम पर वयय करोग

उतनी ही सािमक की तरफ जान म रकावट पड़ जाएगी

तो बदध न कहा ह दक जब जाना ह एक यातरा पर और एक मवजल पर तो सारी ऊजाम उसी तरफ बह

यहा-वहा छाटना मत बाटना मत

तो साररपतर न पीछ लौटकर भी नही दखा लात तो लगी लात तो जसी तमह लगती ह उसस जयादा

लगगी साररपतर को कयोदक वजतना सवदनिील वयवि होगा वजतना जागरक वयवि होगा उतना ही उसका

बोध भी परगाढ़ होता ह

िराबी को लात मार दो तो िायद लग भी नही पता भी न चल दसर ददन तम पछो दक भई रात तम

जा रह ि रासत पर और हमन लात मारी िी वह कहगाः हम पता नही कसी रात कस तम कस हम रात का

कहा दकसको पता ह जरा जयादा पी गए ि िराबी को पता ही नही चलता कयोदक िराबी मरछमत ह

163

तम घर भाग आ रह हो दकसी न कह ददया ह दक तमहार घर म आग लग गयी ह और तम भाग हो

बाजार स दकान बद करक बतहािा और दकसी न तमह पीछ स लात आकर मार दी तमह िायद पता भी न

चल कयोदक तमहारा मन तो सारा का सारा तमस पहल भाग गया ह वह वहा पहच गया ह जहा मकान म

आग लगी ह वह तो लपटो को दख रहा ह तम वहा हो ही नही तम करीब-करीब मरछमत हो वहा तो िरीर

ही ह मातर तमहारी आतमा तो पख पसारकर उड़ गयी ह तमह याद भी न रह पता भी न चल

लदकन साररपतर जस समयकरप स जागरत वयवि को कोई लात मार तो परा-परा पता चलगा रततीभर

नही चकगा लदकन साररपतर न पीछ लौटकर नही दखा बदध की अनिासना यही िी दक वयिम को मत दखना

व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि

और बदध न कहा ह दक सदा ऐस चलो जस तमहार हाि म एक दीया ह जो जरा भी कप तो बझ

जाएगा वजस पर हजार हवाओ क हमल हो रह ह यह लात भी हवा का एक झोका ह दीए को उनहोन और

समहाल वलया होगा दक कही यह लात का झोका दीए को बझा न द कही दीए की लौ कप न जाए

वजसको इस भीतर क दीए की लौ को समहालन का मजा आ गया ह जो इसम रसलीन हो गया ह उस

दफर सारी दवनया की बात वयिम ह दफर वह दफकर नही करता दक कोई लात मार गया उसकी दफकर कछ

और ह वह भीतर की सपदा को समहालता ह--दक कही इस लात मारन स उवदवगन न हो जाऊ कही करोध न आ

जाए कही उततजना म कछ कर न बठ कयोदक कछ भी कर लोग उततजना म--दीए स हाि छट जाएगा दीया

चक जाएगा और वजसको वषो म समहाला ह वह कषण म खोया जा सकता ह

जब आदमी पहाड़ की ऊचाइयो पर चढ़ता ह तो जस-जस ऊचाई बढ़न लगती ह वस-वस समहलन

लगता ह कयोदक अब वगरन म बहत खतरा ह धयान रखना सपाट जमीन पर चलन वाला आदमी वगर सकता

ह कोई बड़ी अड़चन नही ह खरोच-वरोच लगगी िोड़ी मलहम-पटटी कर लगा ठीक हो जाएगी लदकन जस-

जस पहाड़ की ऊचाई पर पहचन लगता ह

अब तम गौरीिकर क विखर पर इस तरह नही चल सकत जस तम पना की सड़क पर चलत हो तमह

एक-एक शवास समहालकर लनी पड़गी और एक-एक पर जमाकर चलना होगा कयोदक वहा स वगर तो गए

वहा स वगर तो दफर सदा को गए खरोच नही लगगी सब समाि ही हो जाएगा

ऐसी ही अतरदिा धयान म भी आती ह धयान क विखरो पर जब तम चलन लगत हो तब बहत

समहलकर चलना होता ह

साररपतर उन धयान क विखरो पर ह जहा स वगरा हआ आदमी बरी तरह भटक जाता ह जनमो-जनमो क

वलए अब कोई लात मार गया इसम कछ मलय ही नही ह इसका कोई अिम ही नही ह ऐसी घड़ी म उवदवगन

नही हआ जा सकता

तम जलदी स उवदवगन हो जात हो कयोदक तमहार पास खोन को कछ नही ह याद रखना तम इसीवलए

उवदवगन हो जात हो तमहार पास खोन को कछ नही ह उवदवगन होन म तमहारा कछ हजाम नही ह खरोच लगगी

िोड़ी-बहत ठीक ह लदकन साररपतर क वलए महगा सौदा ह खरोच ही नही लगगी सब खो जाएगा जनमो-

जनमो की सपदा खो जाएगी हाि आत-आत खजाना खो जाएगा

व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि सो वस ही चलत रह उलट मन ही मन व परसि

भी हए कयोदक साधारणतः ऐसी वसिवत म मन डावाडोल हो उठ यह सवाभाववक ह और दखा दक मन

डावाडोल नही हआ ह लात लगी--और नही लगी चोट पड़ी--और चोट नही हई हवा का झोका आया और

164

गजर गया अकप िी जयोवत अकप ही रही परमददत हो गए होग परफवललत हो गए होग हदय-कमल खल

गया होगा कहा होगाः अहोभागय

सवाभाववक िा--वह नही हआ वजस ददन सवाभाववक वजसको हम कहत ह वह न हो उस ददन परम

सवभाव क दवार खलत ह

दो तरह की वसिवतया ह एकः वजसको पराकवतक कह दकसी को चोट की लौटकर दखगा नाराज होगा

और दकसी को चोट की और लौटकर भी न दखा नाराज भी न हआ--जसा िा वसा रहा जरा भी कपन न

आया लहर न उठी यह दसरी परकवत म परवि हो गया

एक परकवत ह दह की एक परकवत ह आतमा की दह की परकवत म पहली बात घटगी आतमा की परकवत म

जो उतरन लगा उस दसरी बात घटगी

तो परसि भी हए अब यह बात उलटी हो गयी और यही स बदधतव की िरआत ह दखी तो नही हए

नाराज तो नही हए बड़ राजी हए बड़ परसि हए दक यह तो अदभत हआ मन नही डोला िा और धयान की

जयोवत और भी विर हो उठी िी

वजतनी बड़ी चनौती हो उतनी धयान की जयोवत विर होती ह चक तो बरी तरह वगरोग नही चक तो

अदभत रप स समहल जाओग दोनो सभावनाए ह पहाड़ स वगर तो गए और पहाड़ पर िोड़ और समहल तो

विखर तमहारा हआ दक तम विखर हए

उनक भीतर इस भावत लात मारन वाल क वलए आभार क अवतररि और कछ भी नही िा

व भीतर ही भीतर कह रह होगः धनय ह बराहमण तन भला दकया तन एक अवसर ददया मझ पता ही

नही िा दक जयोवत इतनी भी विर हो सकती ह तन चनौती दी त हवा का झोका कया लाया मरी परीकषा ल

ली म तरा अनगहीत ह

इस घटना न अध बराहमण को तो जस आख द दी

यह लौटकर न दखना यह उसी मसती स चलत जाना जस चल रह ि जस कछ हआ ही नही लात तो

पीछ स मारी िी दौड़कर आग आया और चरणो म वगर पड़ा

खयाल रखनाः सनदा पीछ स की जाती ह कवल परिसा करत समय ही तम सामन खड़ हो सकत हो लात

पीछ स मारी जा सकती ह लदकन चरण पीछ स नही छए जात कभी नही छए जात चरण सामन स छन होत

ह जो झक सकता ह वही ऐस परषो क सामन आ सकता ह--साररपतर जस परषो क

और यह बड़ी अदभत बात लगती ह दक यह आदमी--ऐसा वमथया-दवषट ऐसा करोधी ऐसा दषट परकवत का

अकारण लात मारी--यह इतन जलदी बदल गया

अकसर ऐसा होता ह जो वजतना कठोर हो सकता ह वह उतना ही कोमल भी हो सकता ह जो वजतना

ववरोध म हो सकता ह उतना ही पकष म भी हो सकता ह जो वजतनी घणा स भरा होता ह वह उतन ही परम स

भी भर सकता ह बदलाहट कवल उनक ही जीवन म नही होती जो कनकन जीत ह

एक यहदी फकीर न दि क सबस बड़ धममगर को अपनी वलखी दकताब भजी वजस विषय क हाि भजी

उसन कहाः आप गलत कर रह ह न भज तो अछा कयोदक व आपक ववरोध म ह व आपको ितर मानत ह

यह फकीर पहचा हआ वयवि िा लदकन सवभावतः धममगर इसको दशमन मान यह सवाभाववक ह

कयोदक जब भी कोई पहचा हआ फकीर होगा तिाकवित धमम तिाकवित धममगर तिाकवित परोवहत-पड

वसिवत-सिापक--सब उसक ववरोध म हो जाएग

165

वह सबस बड़ा धममगर िा और उसक मन म बड़ा करोध िा इस आदमी क परवत कयोदक यह आदमी पहच

गया िा यही अड़चन िी यही जलन िी

लदकन फकीर न कहा अपन विषय कोः त जा त वसफम दखना ठीक-ठीक दखना दक कया वहा होता ह

और ठीक-ठीक मझ आकर बता दना

वह दकताब लकर गया फकीर का विषय जब पहचा धममगर क बगीच म धममगर अपनी पतनी क साि

बठा बगीच म गपिप कर रहा िा इसन दकताब उसक हाि म दी उसन दकताब पर नाम दखा उसी वि

दकताब को फक ददया और कहा दक तमन मर हाि अपववतर कर ददए मझ सनान करना होगा वनकल जाओ

बाहर यहा स

विषय तो जानता िा--यह होगा

तभी पतनी बोलीः इतन कठोर होन की भी कया जररत ह तमहार पास इतनी दकताब ह तमहार

पसतकालय म इसको भी रख दत दकसी कोन म न पढ़ना िा न पढ़त लदकन इतना कठोर होन की कया

जररत ह और दफर अगर फकना ही िा तो इस आदमी को चल जान दत दफर फक दत इसी क सामन इतना

अविषट वयवहार करन की कया जररत ह

विषय न यह सब सना अपन गर को आकर कहा कहा दक पतनी बड़ी भली ह उसन कहाः दकताब को

पसतकालय म रख दत हजारो पसतक ह यह भी पड़ी रहती उसन कहा दक अगर फकना ही िा तो जब यह

आदमी चला जाता तब फक दत इसी क सामन यह दवयमवहार करन की कया जररत िी लदकन धममगर बड़ा

दषट आदमी ह उसन दकताब को ऐस फका जस जहर हो जस मन साप-वबछ उसक हाि म द ददया हो

तमह पता ह उस यहदी फकीर न कया कहा उसन अपन विषय को कहाः तझ कछ पता नही ह धममगर

आज नही कल मर पकष म हो सकता ह लदकन उसकी पतनी कभी नही होगी

यह बड़ी मनोवजञावनक दवषट ह

पतनी वयावहाररक ह--न परम न घणा एक तरह की उपकषा ह--दक ठीक पड़ी रहती दकताब या फकना

िा बाद म फक दत उपकषा ह न पकष ह न ववपकष ह जो ववपकष म ही नही ह वह पकष म कभी न हो सकगा

उस यहदी फकीर न ठीक कहा दक पतनी पर मरा कोई वि नही चल सकगा यह धममगर तो आज नही

कल मर पकष म होगा और यही हआ

जस ही विषय चला गया वह धममगर िोड़ा िात हआ दफर उस भी लगा दक उसन दवयमवहार दकया

आवखर फकीर न अपनी दकताब भजी िी इतन सममान स तो यह मरी तरफ स अछा नही हआ उठा दकताब

को झाड़ा-पोछा अब पशचातताप क कारण दकताब को पढ़ा--दक अब ठीक ह जो हो गयी भल हो गयी लदकन

दख भी तो दक इसम कया वलखा ह

पढ़ा--तो बदला पढ़ा--तो दखा दक य तो परम सतय ह इस दकताब म वही सतय ह जो सदा स कह गए

ह एस धममो सनतनो वही सनातन धमम सदा स कहा गया धमम इसम ह अभी दकताब फकी िी घड़ीभर बाद

झककर उस दकताब को नमसकार भी दकया

उस यहदी फकीर न ठीक ही कहा दक धममगर पर तो अपना वि चलगा कभी न कभी लदकन उसकी

पतनी पर अपना कोई वि नही ह उसकी पतनी को हम न बदल सक ग

इसवलए अकसर ऐसा हो जाता ह मनोववजञान की बड़ी जरटल राह ह

166

इस घटना न अध को आख द दी वह साररपतर क चरणो म वगर पड़ा और परािमना की दक मर घर चल

भोजन कर मरा सवागत-सतकार सवीकार कर उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक

सार कलमष को बहाकर उसकी आतमा को वनममल कर रह ि

आख आसओ स भर जाए तो और इसस बड़ी वनममल करन वाली कोई और वववध नही ह पशचातताप उमड़

आए तो सब पाप धल जात ह पशचातताप सघन हो जाए तो तमहार भीतर जो भी कड़ा-करकट ह पशचातताप

की सघन अवगन म जल जाता ह इसवलए जीसस न तो पशचातताप को ररपटस को धमम की सबस बड़ी कीवमया

कहा ह बाइवबल म जगह-जगह व दोहरात ह ररपट पशचातताप करो डबो पशचातताप म वजतन डब जाओग

पशचातताप म उतन ही ताज होकर वनकलोग पशचातताप म सनान हो जाता ह पशचातताप म पाप ववसरजमत हो

जात ह गगा म नहान स िायद न हो लदकन पशचातताप म नहान स वनवशचत हो जात ह

उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक सार कलमष को बहाकर उसकी आतमा

को वनममल कर रह ि

इस तरह साररपतर क वनवमतत उस पर पहली बार बदध की दकरण पड़ी

जो बदध क विषय स वमल गया वह बदध स भी वमल गया बदध अगर सयम ह तो उनक विषय सयम की

दकरण ह साररपतर क वनवमतत यह बात घट गयी यह बराहमण बदध का हो गया साररपतर जब ऐसा ह तो बदध

कस होग

लदकन वभकषओ को साररपतर का वयवहार नही जचा उनहोन भगवान स कहाः आयषमान साररपतर न

अछा नही दकया जो दक मारन वाल बराहमण क घर भी भोजन दकया वह अब दकस वबना मार छोड़गा वह

तो वभकषओ को मारत ही ववचरण करगा

यह सामानय आदमी का तकम ह इस तकम क पार जाना जररी ह

िासता न वभकषओ स कहाः वभकषओ बराहमण को मारन वाला बराहमण नही हो सकता पहली बात गहसि-

बराहमण दवारा शरमण-बराहमण मारा गया होगा झठ बराहमण दवारा सचचा बराहमण मारा गया होगा लदकन जो

मारता ह अकारण वबना कछ वजह क वह बराहमण नही हो सकता और साररपतर न वही दकया जो बराहमण क

योगय ह दफर तमह पता भी नही ह दक साररपतर क धयानपणम वयवहार न एक अध आदमी को आख परदान कर

दी ह

तब उनहोन य सतर कह ह

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो को मन स हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात होता ह

समझना तमहार मन म सहसा कयो उठती ह कब उठती ह तभी उठती ह जब तमस तमहारा कोई वपरय

पदािम छीना जाता ह तभी उठती ह जब कोई तमहार और तमहार वपरय पदािम क बीच म आ जाता ह

समझो अगर साररपतर को अपनी दह स बहत मोह होता तो यह लात कारगर हो गयी होती बराहमण

जीत गया होता मारन वाला बराहमण जीत गया होता अगर दह स बहत मोह होता तो दफर असभव िा दक

वबना लौट दख और साररपतर आग बढ़ जाए दफर असभव िा दक धयान का दीया जला रह जाए दफर असभव

िा दक साररपतर कषबध न होता हजार तरग उठ आती व नही उठी कयो कयोदक दह स कोई मोह नही ह दह

स कोई तादातमय नही ह

तम तभी नाराज होत हो जब तमस कोई तमहारी वपरय वसत छीनता ह या वपरय वसत नषट करता ह

167

बदध क एक विषय ि पणमकाशयप व जञान को उपलबध हो गए बदधतव पा वलया तो बदध न कहाः पणम

अब त बदधतव को उपलबध हो गया अब त जा और जो तन पाया ह उस बाट अब त दर-दर जा दर-दर दि

और जहा-जहा खबर पहचा सक पहचा

पणम राजी हआ उसन कहाः आपकी आजञा ह तो म जाता ह

बदध न पछाः दकस तरफ जाएगा कहा जाएगा

तो उसन कहाः एक परदि ह वबहार का--सखा परदि वहा कोई वभकष कभी नही गया मझ आप वही जान

की आजञा द कया वहा क लोग आपस ववचत ही रह जाएग

बदध न कहाः सन पणम वहा कोई इसीवलए नही गया दक वहा क लोग बड़ दषट ह त वहा जाएगा तो

गावलया खानी पड़गी लाछन सहन पड़ग हजार तरह की सनदा उनका वयवहार बड़ा असभय ह

पणम न कहाः दफर भी उनक वलए दकसी की जररत ह उनक वलए आपकी जररत ह उनको भी जररत

ह दक बदध की दकरण वहा पहच म वहा जाऊगा

बदध न कहाः तो दफर त कछ सवालो क जवाब द द एक अगर व गावलया दग तो तझ कया होगा

तो पणम न कहाः कयो आप पछत ह आप जानत ह मझ कया होगा मझ वही होगा जो आपको होगा

कयोदक अब म आपस वभि नही ह दफर भी आप पछत ह तो म कहता ह मझ ऐसा होगा दक य लोग दकतन

भल ह वसफम गावलया ही दत ह मारत नही मार भी सकत ि

बदध न कहाः दसरा सवाल और अगर व मार तो तझ कया होगा

पणम न कहाः मझ यही होगा दक लोग बड़ भल ह दक मारत ह मार ही नही डालत मार डाल भी सकत

ि

बदध न कहाः तीसरा और आवखरी सवाल दक अगर व मार ही डाल तो आवखरी कषण म सास टटत वि

तझ कया होगा

पणम न कहाः यही होगा दक लोग बड़ भल ह उस जीवन स छटकारा ददलवा ददया वजसम कोई भल-चक

हो सकती िी

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो को मन स हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात हो जाता ह

न जटा स न गोतर स न जनम स कोई बराहमण होता ह वजसम सतय और धमम ह वही िवच और बराहमण

धमम कहन स ही काम चलना चावहए िा लदकन बदध न दो िबद उपयोग दकए--सतय और धमम

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो

कयो धमम सबक पास ह धमम यानी तमहारा अतरतम सवभाव तमहारा अतरतम तम जो अपनी मल

परकवत म हो वही ह धमम धमम सबक भीतर ह वजस पता हो जाता ह उसक भीतर सतय भी होता ह

धमम तो सबक भीतर ह धमम को वजसन जागकर दख वलया वह सतय को उपलबध हो गया

बराहमण सभी ह लदकन बीज म ह जब बीज फटकर वकष बन जाता ह तो सतय सवभाव को जान वलया

पहचान वलया भर आख आमन-सामन खड़ होकर दख वलया साकषात कर वलया सवभाव का तो सतय

168

इसवलए बदध न दो िबदो का उपयोग दकया वजसम सतय और धमम ह

धमम तो सबम ह उतना ही तमम ह वजतना बदध म ह लदकन तमम सतय नही ह तमह सतय का पता

नही ह तमन अभी धमम का साकषातकार नही दकया ह धमम को जागकर जान लन का नाम सतय का साकषातकार

ह ऐस साकषातकार स िवचता पदा होती ह सवछता पदा होती ह वही िवचता बराहमणतव ह

ह दबमवदध जटाओ स तरा कया बनगा मगचमम पहनन स तरा कया होगा तरा अतर तो ववकारो स भरा

ह बाहर कया धोता ह

लोग बाहर ही धोन म लग ह ऐसा नही दक बाहर धोना कछ बरा ह धोना तो सदा अछा ह कछ न

धोन स बाहर धोना भी अछा ह लदकन बाहर धोन म ही समाि हो जाना अछा नही ह भीतर भी बहत कछ

धोन को ह जब तम गगा म सनान करत हो तो बाहर ही साफ होत हो भीतर नही हो सकत जब तक धयान

की गगा म सनान न करो तब तक भीतर साफ न हो सकोग ऊपर-ऊपर साफ कर लोग बराई कछ नही ह

इसम लदकन भलाई भी कछ खास नही ह

भीतर कस कोई साफ होता ह भीतर दकस जल स कोई साफ होता ह धयान क जल स भीतर का

ववकार कया ह ववचार भीतर का ववकार ह भीतर मल का मल कारण ववचार ह वजतन जयादा ववचार

उतना ही भीतर वचतत मलगरसत होता ह जब ववचार कषीण होत ववचार िात हो जात कोई ववचार नही रह

जाता भीतर सिाटा छा जाता ह उसी सिाट का नाम ह--भीतर धोना और जो भीतर अपन को धो लता ह

वही बराहमण ह

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह और सग और आसवि स ववरत हो जाता ह उस

म बराहमण कहता ह

जो सार सयोजनो को काटकर

हमन जीवन को जो बना रखा ह वह सब सयोजन ह दकसी को पतनी मान वलया ह--यह एक सयोजन ह

कोई तमहारी पतनी ह नही न कोई तमहारा पवत ह कस कोई पवत-पतनी होगा तम कहत होः नही आप भी

कया बात कहत ह परोवहत क सामन अवगन की साकषी म सात फर वलए ह सात नही तम सततर लो फर लन स

कोई पवत-पतनी होता ह

एक सजजन अपनी पतनी स छटना चाहत ि व मर पास आए ि व कहन लगः कस छट सात फर वलए

ह मन कहाः उलट सात फर ल लो और कया करोग छटना ही हो तो छट जाओ

फर स कोई कस बधगा यह सब सयोजन ह यह तरकीब ह य फर यह आग य मतर यह पवडत यह

परोवहत यह भीड़-भाड़ यह बारात यह घोड़ पर बठना य बड-बाज--य सब तरकीब ह य सयोजन ह तमहार

मन म यह बात गहरी वबठान क वलए दक अब तम पवत हो गए यह पतनी हो गयी

मगर य सब सयोजन ह

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह

सयोजन कट तभी कोई भयरवहत होता ह नही तो मरी पतनी ह कही चली न जाए मरा पवत ह कही

छोड़ न द मरा बटा ह कही वबगड़ न जाए--तो हजार सचताए और हजार भय उठत ह मरा िरीर ह कही

मौत न आ जाए कही म बढा न हो जाऊ

यहा कछ भी मरा नही ह वजसन सार मर क सबध तोड़ ददए वजसन जाना दक यहा मरा कछ भी नही

ह उस एक और बात पता चलती ह दक म भी नही ह म मर का जोड़ ह हजार मर को जड़कर म बनता ह

169

जस छोट-छोट धागो को बनत जाओ बनत जाओ मोटी रससी बन जाती ह ऐस मर क धाग जोड़त जाओ

जोड़त जाओ उनही धागो स म की मोटी रससी बन जाती ह

सब सयोजनो को जो छोड़ दता ह उसका पहल मर का भाव छट जाता ह ममतव और एक ददन

अचानक पाता ह दक म तो अपन आप मर गया एक-एक धागा वनकालत गए रससी स रससी दबली-पतली

होती चली गयी

वनकालत-वनकालत एक ददन जब आवखरी धागा वनकल जाएगा रससी नही बचगी दफर कोई भय नही

ह मरन क पहल मर ही गए दफर भय कया म ह ही नही--इस भाव-अवसिा को बदध न अनतता कहा ह यह

जान लना दक म नही ह िनय ह--यही वनवामण ह

बदध कहत हः ऐस वनवामण को जो उपलबध हआ--सग आसवि स मि भयरवहत--उस म बराहमण कहता

बराहमण की जसी पयारी पररभाषा बदध न की ह वसी दकसी न भी नही की ह बराहमणो न भी नही की ह

बराहमणो क िासतरो म भी बराहमण की ऐसी अदभत पररभाषा नही ह वहा तो बड़ी कषदर पररभाषा ह--दक जो

बराहमण क घर म पदा हआ

बराहमण क घर म पदा होन स कया होगा इतना आसान नही ह बराहमण होना

बराहमण होना बड़ी गहन उपलवबध ह महान उपलवबध ह वनखार स होती ह सजदगी को सवारन स

होती ह सवछ िदध करन स होती ह सजदगी को आग म डालन स होती ह तपशचयाम स होती ह साधना स

होती ह बराहमणतव वसवदध ह ऐस जनम म मफत नही वमलती ह

दसरा दशयः

राजगह म धनजावत नाम की एक बराहमणी सरोतापवतत-फल पराि करन क समय स दकसी भी बहान हो

सदा नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस कहती रहती िी

यह बदध की परािमना ह यह बदध की अचमना ह यह बदध की उपासना का भाव ह नमो तसस भगवतो--

नमसकार हो उन भगवान को नमसकार हो उन अहमत को नमसकार हो उन समयकरप स सबोवध पराि को यह

बदध क परवत नमसकार ह नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

कोई भी बहाना वमल तो वह चकती नही िी बराहमणी धनजावत नाम की छीक आ जाए खासी आ जाए

दफसलकर वगर पड़ तो वह ततकषण कहतीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

एक ददन उसक घर भोज िा काम की भागा-भागी म उसका पर दफसल गया बराहमणी िी भोज म सार

बराहमण इकटठ ि सारा पररवार इकटठा िा पवत िा पवत क सब भाई ि ररशतदार ि समहलत ही उसन ततकषण

भगवान की वदना कीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस--नमसकार हो उन भगवान को नमसकार हो

उन अहमत को नमसकार हो उन सममासबदधसस को

इस सनकर उसक पवत क भाई भारदवाज न उस बहत डाटाः नषट हो दषटा जहा नही वहा ही उस मड

शरमण की परिसा करती ह और दफर बोलाः आज म तर उस शरमण गौतम क साि िासतरािम करगा और सदा क

वलए उस समाि करगा उस हराकर लौटगा

170

बराहमणी हसी और बोलीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस नमसकार हो उन भगवान को

नमसकार हो उन अहमत को नमसकार हो उन समयक सबोवध पराि को जाओ बराहमण िासतरािम करो यदयवप उन

भगवान क साि िासतरािम करन म कौन समिम ह दफर भी तम जाओ इसस कछ लाभ ही होगा

बराहमण करोध और अहकार और ववजय की महतवाकाकषा म जलता हआ बदध क पास पहचा वह ऐस िा

जस साकषात जवर आया हो उसका सब जल रहा िा लपट ही लपट उसम उठ रही िी लदकन भगवान को

दखत ही िीतल वषाम हो गयी उनकी उपवसिवत म करोध बझ गया उनकी आखो को दख उस वयवि को जीतन

की नही उस वयवि स हारन की आकाकषा पदा हो गयी उसका मन रपातररत हआ उसन कछ परशन पछ--

वववाद क वलए नही ममकषा स और भगवान क उततरो को पा वह समाधान को उपलबध हआ समावध लग

गयी दफर घर नही लौटा बदध का ही हो गया बदध म ही खो गया वह उसी ददन परवरवजत हआ और उसी ददन

अहमतव को उपलबध हआ

ऐसी घटना बहत कम घटी ह दक उसी ददन सनयसत हआ और उसी ददन समावधसि हो गया उसी ददन

सनयसत हआ और उसी ददन बदधतव को उपलबध हआ ऐसी घटना बहत मवशकल स घटती ह जनमो-जनमो म भी

बदधतव फल जाए तो भी जलदी फल गया यह तो चमतकार हआ

दफर उसक भाई बराहमणी क पवत को भी बदध पर भयकर करोध आया जब उस खबर लगी दक उसका

छोटा भाई सनयसत हो गया वह भी भगवान को नाना परकार स आकरोिन करता हआ गाली दता हआ असभय

िबदो को बोलता हआ वणवन गया और वह भी भगवान क पास जा ऐस बझ गया जस जलता अगारा जल म

वगरकर बझ जाता ह

ऐसा ही उसक दो अनय भाइयो क साि भी हआ

वभकष भगवान का चमतकार दख चदकत ि व आपस म कहन लगः आवसो बदध-गण म बड़ा चमतकार ह

ऐस दषट अहकारी और करोधी वयवि भी िातवचतत हो सनयसत हो गए ह और बराहमण-धमम को छोड़ ददए ह

भगवान न यह सना तो कहाः वभकषओ भल न करो उनहोन बराहमण धमम नही छोड़ा ह वसततः पहल व

बराहमण नही ि और अब बराहमण हए ह

तब बदध न य सतर कह हः

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह उस बदधपरष को म बराहमण कहता

जो वबना दवषत वचतत दकए गाली वध और बधन को सह लता ह कषमा-बल ही वजसक बल का सनापवत

ह उस म बराहमण कहता ह

समझो इस पररवसिवत को वजसम इन सतरो का जनम हआ

171

राजगह म धनजावत नाम की बराहमणी सरोतापवतत-फल पराि करन क समय स ही दकसी बहान हो

भगवान की वदना दकया करती िी

सरोतापवतत-फल का अिम होता हः जो बदध की धारा म परववषट हो गया सरोत म आपि हो गया जो बदध की

नदी म उतर गया और वजसन कहाः नदी अब मझ ल चल जो बदध की धारा म सवममवलत हो गया और बदध

क साि बहन लगा उसको कहत ह--सरोतापवतत-फल

और अकसर ऐसा हो गया हः जहा परष दभ म अकड़ खड़ रह जात ह वहा वसतरया छलाग लगा जाती ह

सारा पररवार बदध-ववरोधी िा और यह बराहमणी सरोतापवतत-फल को उतपि हो गयी यह गयी और बदध क

चरणो म झक गयी कयोदक वसतरया ववचार स नही जीती भाव स जीती ह और भाव स सबध जड़ना आसान

होता ह ववचार की बजाय ववचार दभी ह अहकारी ह भाव सदा समरपमत होन को ततपर ह

सतरी का हदय बदधो स जलदी जड़ जाता ह बजाय परषो क मवसतषक क परष जीता ह मवसतषक म

वसतरया धड़कती ह हदय म इसवलए अकसर ऐसा हो गया ह दक परष अहकार म अकड़ रह ह वसतरया उनक

पहल झक गयी ह

तो यह सरोतापवतत-फल को पराि वजस ददन स हई िी उसी ददन स इसका समरण एक िा इसका जाप

एक िा उठत-बठत-सोत हर जगह एक ही बात कहती िीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

इस मतर को भी समझ लना नमसकार हो उन भगवान को उन समयक सबोवध पराि को उन अहमत को

अहमत का अिम होता हः वजसक भीतर क सार ितर मर गए काम करोध लोभ मोह--य अरर कह गए ह

अरर यानी ितर सब अरर हत हो गए सब अरर मर गए वजसक भीतर अब काम करोध लोभ मोह कछ भी

नही बच जो वनरवमकार हआ वह ह अहमत अहमत कस वनरवमकार होता ह समयक सबोवध स ठीक-ठीक समावध

ठीक-ठीक समावध कया ह तम कहोगः समावध भी कया गर-ठीक और ठीक होती ह गर-ठीक भी होती

ह और ठीक भी होती ह गर-ठीक समावध का अिम होता हः मरछमत समावध एक तरह की वनदरा एक तरह की

सषवि आदमी मरछमत हो जाता ह समावध म तो गर-ठीक समावध

तमन सना होगाः कोई योगी बठ जाता ह जमीन पर और महीनभर बठा रहता ह दक सिाहभर बठा

रहता ह वह कया करता ह वहा वह मरछमत हो जाता ह वह सास को अवरदध करक अपनी चतना खो दता

ह वजतनी दर चतना खोयी रहती ह उतनी दर तक वह जमीन क नीच रह सकता ह

यह असमयक समावध ह यह जबदमसती ह इस योगी म तम कोई गण न दखोग यह योगी तमह रासत पर

चलता वमल जाएगा तो तम इस साधारण आदमी पाओग और हो सकता ह दक यह चमतकार जो इसन

ददखाया कछ पस क वलए ददखा ददया हो तम इसम वबलकल सामानय आदमी दखोग इसम कछ ववविषटता

नही होगी इसन कवल वववध सीख ली ह इसन अपन को आतम-सममोवहत करना सीख वलया ह यह दकसी

तरह अपन को गहरी मछाम म उतारन की कला जान गया ह इसको समावध नही कहना चावहए मगर इसको

लोग समावध कहत ह

इसवलए बदध को समावध म भद करना पड़ा बदध न कहाः समावध तो वही ह दक होि बढ़ घट नही

समावध तो वही ह दक परी चतनय की अवसिा हो अपवम चतनय का परकाि हो और उस चतनय क परकाि म ही

कोई सतय को जान

172

ऐसी मछाम म गडढ म बठकर कोई सतय को िोड़ ही जान लगा यह तो एक तरह की मादकता ह जस

कोई कलोरोफामम म पड़ जाता ह कलोरोफामम म पड़ जाता ह तो दफर उसका आपरिन करन म करठनाई नही

आती कयोदक उस कछ पता नही चलता

कोई चाह तो इसी तरह की कलोरोफामम की दिा योग की परदकरयाओ स पदा कर सकता ह शवास का

ठीक-ठीक अभयास कर लन पर पराणायाम का अभयास कर लन पर अगर कोई शवास को बाहर रोकन म समिम

हो जाए तो मरछमत हो जाएगा और इस मछाम को एक वववध स चलाया जाता ह वह कहकर मरछमत होगा

दक म सात ददन तक मरछमत रह तो सात ददन क बाद मछाम अपन स टट जाएगी

जस तमन अगर कभी कोविि की हो दक रात तय करक सोए दक सबह पाच बज नीद खल जाए अगर

तम ठीक स तय करक सोए तो सबह पाच बज नीद खल जाएगी

हा अगर ठीक स तय नही दकया तो ही अड़चन होगी तय करत वि ही सोचत रह दक अर कहा

खलती ह य सब बात ह अगर ऐस पाच बज कहन स नीद खलती होती तो दफर अलामम घड़ी की जररत कया

िी और मरी नीद तो ऐसी ह दक अलामम स भी नही खलती पतनी घसीटती ह खीचती ह तब भी नही खलती

ऐस सोचन स कही खलन वाली ह लदकन चलो कहत ह तो दख परयोग करक सोच वलया दक पाच बज नीद

खल जाएगी नही खलगी कयोदक तमन सोचा ही नही भाव ही नही दकया

कभी िदध मन स साफ मन स भाव कर लो तम चदकत हो जाओग ठीक पाच बज--न वमनट इधर न

वमनट उधर

मनोवजञावनक कहत ह दक तमहार भीतर भी एक घड़ी ह--बायोलावजकल कलाक--जो भीतर चल रही ह

उसी घड़ी क वहसाब स तो हर अटठाइसव ददन सतरी को मावसक-धमम हो जाता ह नही तो कस पता चल दक

अटठाइस ददन हो गए उसी घड़ी क अनसार तो नौ महीन म बचचा पदा हो जाता ह नही तो कस पता चल दक

नौ महीन पर हो गए उसी घड़ी क अनसार तो तमह ठीक वि रोज भख लग आती ह नही तो पता कस चल

दक अब बारह बज गए और भख लगन का समय हो गया वही घड़ी काम कर रही ह उस घड़ी का तम उपयोग

सीख जाओ तो नीद समय पर खल जाएगी अलामम की जररत नही होगी और नीद समय पर आ जाएगी

कोई ततर-मतर करन की जररत नही होगी भख समय पर लग आएगी सब समय पर होन लगगा

बाहर की घड़ी न एक बड़ा नकसान दकया ह दक भीतर की घड़ी ववसमत हो गयी ह तमन दखाः गाव म

जगलो म लोगो को--घड़ी नही ह लदकन--समय का बड़ा बोध होता ह व चार बज रात उठकर बता सकत ह

दक दकतनी दर और लगगी सबह होन म आधी रात बता सकत ह दक आधी रात बीत गयी लदकन जो आदमी

घड़ी पर वनभमर हो गया ह--हाि म बधी घड़ी पर--उसकी हाि की घड़ी खो जाए दफर उस कछ पता नही

चलता दक दकतना बजा ह या कया मामला ह भीतर की घड़ी धीर-धीर अवरदध हो गयी ह

यह जो असमयक समावध ह इसम तीन काम हो रह ह एक तो शवास की परदकरया दसरीः सममोवहत करन

की परदकरया और तीसरी बातः भीतर की घड़ी का उपयोग लदकन इसस कोई बदध नही होता इस तरह क

हठयोगी सामानयजन होत ह उनक जीवन म कोई भद नही होता तमहार जीवन स

तो बदध न समयक समावध कहा ह उसको वजसम कोई जबदमसती न हो वबना जबदमसती िोप जो

समझपवमक बोधपवमक फवलत हो

इस मतर का अिम हः वजसन अपन भीतर क ितरओ को समयक सबोवध स नषट कर ददया ह और ऐस ही

वयवि को बदध-धमम म भगवान कहा जाता ह

173

तो य तीनो िबद बड़ सचक ह अररहत या अररहत--वजसन अपन भीतर क ितर मार डाल कस समयक

सबोवध स चतनय स धयान स और वजसक भीतर धयान फल गया और ितर मर गए उसक भीतर जो बच

रहता ह वही भगवतता ह

यह पयारा मतर ह और इसका समरण वजतना हो उतना अछा ह तो यह बराहमणी कोई भी मौका आए

चकती नही िी छीक आए तो खासी आए तो दफसलकर वगर पड़ तो कछ भी मौका वमल दकसी भी वनवमतत

समरण करती िी भगवान का उसक घर भोज िा उस ददन पर दफसलकर वगर पड़ी भागा-भागी म सामान

लाती होगी परसती होगी समहलत ही उसन कहाः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

इस सनकर उसक पवत क भाई भारदवाज न उस बहत डाटा सारा पररवार ववरोधी िा बदध का

ऐसा रोज यहा होता ह जया बठी होगी कही उसक पवत न उस अलटीमटम द ददया ह दक अगर

सनयासी रहना ह तो मरा घर बद अगर मर घर आना ह तो सनयास की बात छोड़ दो अब कछ भी वबगड़ता

नही ह पवत का उसक सनयसत होन स लदकन दभ को चोट लगती होगी अहकार को पीड़ा होती होगी यह

बात भी बदामशत नही की जा सकती दक मरी पतनी धयान म मझस आग जा रही ह दक मझस जयादा िात हो

रही ह

पवत का दभ बड़ा भयकर होता ह पतनी दकसी भी वसिवत म पवत स आग नही होनी चावहए इसवलए तो

लोग लबी सतरी स िादी नही करत िरीर म भी लबी नही होनी चावहए हदद हो गयी पढ़ी-वलखी सतरी को वर

नही वमलत कयोदक वह कम पढ़ी-वलखी होनी चावहए परष का अहकार

अगर परष बीए ह तो वह पीएचड़ी लड़की स िादी नही करगा वह कहगाः हम चपरासी मालम

पड़ग तो लड़की कम स कम मरटरक हो तो चलगी

इसवलए सददयो तक आदमी न वसतरयो को पढ़न नही ददया और इसम कछ आशचयम नही ह दक वसतरयो की

लबाई नीची कयो रह गयी ह कोई कारण नही ह लबाई उनकी परषो जसी हो सकती ह लदकन कोई परष

िादी करन को राजी नही ह लबी सतरी स तो हर परष अपन स रठगनी सतरी खोजता ह इसका पररणाम यह

होता ह दक जब बट पदा होत ह तो व परष क अनसार लब हो जात ह और जब बटी पदा होती ह तो वह सतरी

क अनसार छोटी हो जाती ह दफर उस बटी को भी अपन स लबा पवत वमलगा और इसी तरह सददयो स चल

रहा ह तो धीर-धीर परी नसल वसतरयो की छोटी हो गयी ह बहत लबी वसतरयो को िायद पवत ही न वमल होग

करठन होता ह लबी सतरी तमहार बगल म चलती हो कोई पछ दक आप कौन तो पतनी ह कहन म जरा

घबड़ाहट होती ह

पवशचम म वसतरया इसका बदला लन लगी ह इसवलए ऊची ऐड़ी क जत पहनन पड़ रह ह वह वसफम

बदला ह परष स--दक तम कया समझत हो चलो कोई बात नही हम ऐस लब नही ह तो हम लबी ऐड़ी का

जता पहनकर तमहार बराबर ऊचाई कर लग पवशचम म वसतरयो की लबाई बढ़न लगी ह सौ दो सौ वषम म

पवशचम म सतरी-परषो की लबाई बराबर हो जाएगी

हर बात म सतरी छोटी होनी चावहए अब जया क पवत को कया कषट हो सकता ह पतनी कोई िराब नही

पीन लगी ह कोई जआ नही खलन लगी ह पतनी वसफम धयान कर रही ह कभी-कभी भवि-भाव म होकर

नाचती ह जया म गण ह मीरा जसा वखल--तो मीरा हो जाए इसक नाच स तकलीफ ह इसक गीत स

तकलीफ ह इसकी परसिता स अड़चन ह तो या सनयास या घर स बाहर हो जाओ घर स बाहर वनकाल ददया

ह उस

174

अब सनयास वजसको फल गया ह छोड़ना असभव ह म भी समझाऊ तो वह राजी नही होगी म भी

उस कह दक लौट जा वापस तो अब वह वापस नही लौटगी कयोदक वजस सवाद लग गया ह अब वह पवत को

छोड़न को तयार ह घर जान को तयार नही ह

अब समझ लना गाली तो मझ पर पड़न वाली ह कयोदक समझा यही जाएगा दक मन भड़काया होगा

मन कहा होगा--छोड़ो मन नही कहा ह लदकन पवत अपन आप धकका द रहा ह पवत अपन आप अपन पररवार

को बरबाद कर रहा ह दफर कहता दफरगा दक मन पररवार बरबाद कर ददया ह अब बचच ह पतनी घर स चली

गयी और वजममवार खद ह

ऐस ही उस बराहमणी का पररवार ववरोध म रहा होगा वछपात होग इस बात को व दक हमार घर की

बराहमणी हमार घर की सतरी बदध क धमम म सवममवलत हो गयी ह वछपाकर रखत होग दकसी को बतात नही

होग और यह अड़चन हो गयी दक सबक सामन महमानो क सामन पर दफसलकर वगरी और उसन कह ददयाः

नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस यह तो सारी बात खल गयी यह तो सबको पता चल गया दक यह

बराहमणी अब बराहमणी नही रही इसन तो बदध क धमम को अगीकार कर वलया ह

उसक पवत का छोटा भाई एकदम करदध हो गया उसन कहाः नषट हो दषटा जहा नही वहा ही उस मड

शरमण की परिसा करती ह

तम सोच रखना लोग मझ ही गाली दत ह ऐसा नही व बदध को भी गाली द रह ि व कषण को भी

गाली द रह ि व महावीर को भी गाली द रह ि उनका काम ही गाली दना रहा ह

और दफर बोलाः आज म तर उस शरमण गौतम क साि िासतरािम करगा और उस हराऊगा

बराहमणी हसी और बोली

हसी हसी इसवलए दक यह अछा ही हआ चलो इस बहान ही तम चल जाओ कभी कोई दशमनी क

बहान भी बदध क पास आ जाए तो भी पास तो आया चलो इसी बहान सही िायद इसी बहान कोई दकरण

पकड़ ल कोई गध पकड़ ल िायद इसी बहान बदध स पहचान हो जाए कौन जान

और कभी-कभी ऐसा होता ह दक जब आदमी करोध स उबलता होता ह तो ऐसा होता ह जस दक आग स

लाल हो रहा लोहा उस पर चोट पड़ तो जलदी रपातरण हो जाता ह ठड लोह को नही बदला जा सकता ह

गरम लोह को बदला जाता ह इसवलए लोहार पहल लोह को गरम करता ह गरम लोहा बदला जा सकता ह

अब यह भारदवाज गरम लोह की तरह चला बदध की तरफ उबल रहा ह सौ वडगरी पर उसका पारा ह

भाप बन रही ह उसक भीतर बराहमणी हसी होगी और उसन कहाः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

उसन कहाः धनय हो भगवान खब तरकीब वनकाली खब मझ वगराया और मतर वनकलवा ददया और अब यह

मरा दवर चला तमहार चककर म अछा हआ नमसकार हो भगवान को नमसकार हो अहमत को नमसकार हो

समयक सबदध को

और उसन कहाः जाओ बराहमण जाओ िासतरािम करो यदयवप उन भगवान क साि िासतरािम करन म कौन

समिम ह दफर भी तम जाओ कछ भला होगा चलो इस बहान ही सही दशमन की तरह ही जाओ दोसत की

तरह न जा सक अभाग हो चलो दशमन की तरह जाओ यह भी भागय का कषण बन सकता ह

बराहमण करोध और अहकार और ववजय की आकाकषा म जलता हआ बदध क पास गया वह ऐस िा जस

साकषात जवर हो उसका सब जल रहा िा लदकन भगवान को दखत ही कछ हआ जस िीतल वषाम हो गयी

175

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह ठीक तवरा म कोई बात परवि कर जाती ह कनकन आदमी नही बदल जा

सकत ठड आदमी नही बदल जा सकत लदकन गरम आदमी बदल जा सकत ह

जो बदध क ववरोध म इतना उतति हो सकता ह--वबना बदध को जान वबना बदध को पहचान वजसन कभी

उन आखो म नही झाका उस पयारी दह को भी नही दखा उस पयारी आतमा क दिमन भी नही दकए उसक

वातावरण म भी नही गया उस माहौल की कछ खबर नही ह दक वहा कया हो रहा ह वह इतनी उतति दिा म

आया होगा तो जस जलता हआ लोहा कोई पानी म फक द ऐस बदध की उस छाया म उस िीतल छाया म

चमतकत हो गया होगा

समझना अगर सामानयतया आया होता सोचता दक चलो एक ददन चलकर दखः कौन ह कया ह

तो िायद पररणाम न होता कयोदक ठडा-ठडा आता ठड लोह को पानी म फक दो कछ भी न होगा गरम

लोह को फको बड़ी आवाज होगी ठड लोह को फको पता भी न चलगा गरम लोह को फको तो गरम लोहा

रपातररत होगा ठडा लोहा रपातररत नही होगा कयोदक ठडा अब और कया ठडा होगा

यह गरम आया िा इसवलए बदध की जो िोड़ी सी बद इस पर पड़ी होगी ततकषण रपातरकारी हो गयी

चाह परम म गरम जाओ चाह घणा म गरम जाओ बदधो क पास गरम जाना ठड मत जाना

उनकी उपवसिवत म उसका करोध अचानक बझ गया जस िीतल वषाम हो गयी उनकी आखो को दख

उस वयवि को जीतन की नही उस वयवि स हारन की आकाकषा जाग उठी

परम का मतलब यही होता ह--हारन की आकाकषा वजसस तम हारना चाहत हो उसस तमह परम ह

वजसस तम जीतना चाहत हो उसस तमह कस परम होगा परम की कला हः हारकर जीतना हारन स िरआत

ह जीतन म अत ह परमी हारता ह झकता ह और जीत लता ह

इस िात बठ आदमी को दखकर इस परसादपणम आदमी को दखकर ऐसा आदमी तो इस बराहमण न

कभी दखा नही िा ठगा रह गया होगा फककतमवयववमढ़ हो गया होगा एक कषण को--अवाक रठठका हआ मन

हआः झक जाऊ मन हआः इन चरणो म वसर रख द

उसन कछ परशन पछ अब वववाद क वलए नही ममकषा स और भगवान क उततरो को पा वह समाधान को

उपलबध हआ

जब कोई ममकषा स पछता ह तो ही उततर हदय तक पहचता ह जब कोई वववाद क वलए पछता ह तो

उततर ददए जात ह लदकन पहचत नही अगर उसन वववाद स पछा होता तो बदध न उततर ददए भी न होत

यही बदध की परदकरया िी

जब कोई वववाद स पछता तो बदध कहतः बठो कछ दर रको कछ दर मर पास रहो सालभर बाद

पछना सालभर बदध अपनी हवा म उस रखत सालभर बदध औरो क परशनो क उततर दत न मालम दकतन परशनो

क उततर दत और इस आदमी को चपचाप वबठा रखत वजस ददन इसक भीतर वववाद की भाव-दिा चली

जाती और वजस ददन इसक भीतर वजजञासा उठती ममकषा उठती इसवलए पछता दक जानना चाहता ह

इसवलए नही दक जनाना चाहता ह इसवलए नही दक खडन करन को उतसक ह बवलक इसवलए दक अब

रपातररत होन की तयारी ह

तो जब कोई रपातररत होना चाहता ह तो उततर ततकषण पहच जात ह हदय क गहनतम म हदय की

अवतम गहराई को छ लत ह सपददत कर दत ह सवग का उदय होता ह वयवि रोमावचत हो जाता ह

समाधान उपलबध होता ह

176

भगवान क उततरो को पा वह समाधान को उपलबध हआ समावध लग गयी दफर घर नही लौटा

बदध क पास जाकर जो लौट आए वह गया ही नही गया होगा--दफर भी गया नही गया होगा--पहचा

नही िरीर स गया होगा--मन स नही गया

जो बदध क पास गया वह गया ही सदा को गया वह उनका ही होकर लौटगा उस रग म वबना रग जो

लौट आए वह गया--ऐसा मानना ही मत

दफर घर नही लौटा बदध का ही हो गया बदध म ही खो गया वह उसी ददन परवरवजत हआ और उसी ददन

अहमतव को उपलबध हआ

इतनी गरमी म जो परवरवजत होगा इतनी गरमी स जो ठडा होगा वह रपातररत हो जाएगा

उपकषा मत करना धनयभागी हो अगर परम कर सको अगर परम न कर सको तो दसरा धनयभाग--दक

घणा करना मगर उपकषा मत करना

नीति न वलखा ह दक ईशवर मर गया ह परमाण परमाण दक अब न तो कोई ईशवर क पकष म ह और न कोई

ववपकष म ह सब लोग उपकषा स भर गए ह अब कोई वववाद भी नही करता दक ईशवर ह या नही

अगर कही तम वववाद भी करो तो लोग कहत हः भई होगा उसको उस पर छोड़ो अभी तो चाय

पीयो दक अभी रवडयो स नयज आ रही ह गड़बड़ बीच म न करो ईशवर होगा मान वलया होगा झझट कौन

खड़ी कर नाहक वववाद कौन कर समय कौन खराब कर

लोग उपकषा स जब भरत ह तभी ईशवर स सबध छट जाता ह अछ ि ददन जब नावसतक ि और

आवसतक ि और गहन वववाद िा और गरमा-गरमी िी अछ ि ददन कयोदक ईशवर सजदा िा सजदा िा अिामत

हमस सबध होता िा हमस जड़ता िा

नावसतक कभी आवसतक हो सकता ह लदकन जो कहता हः भई होगा सताओ न बकार की बात न

उठाओ हम कहा कहत ह दक नही ह हम मददर जात ह गीता पर फल भी चढ़ा दत ह कभी-कभी गीता

उलट-पलट भी लत ह होगा जरर होगा आप कहत ह तो होना ही चावहए मगर वयिम की बकवास खड़ी न

करो ऐसा जो आदमी ह इसक जीवन म ईशवर मर गया ह ऐस जीवन म बदध स कोई ससगम नही हो सकता

अछ ि व लोग दक कम स कम उतति होत ि

जीसस को लोगो न सली दी अब अगर आए तो िायद उपकषा कर और उपकषा जयादा बड़ी सली हो

जाएगी

बदध को लोगो न गावलया दी ठीक िा गाली दन का मतलब ही यह होता ह दक तम उवदवगन तो हो गए

सबध तो जड़न लगा ितरता का सही ितरता वमतरता म बदल सकती ह ितरता भी एक तरह की वमतरता ह

उसकी खबर घर पहची बराहमणी क पवत को भी भयकर करोध आया उसन कहाः यह तो हदद हो गयी

मरा भाई भी मर हाि स गया मरी पतनी तो पहल ही जा चकी िी मरा भाई भी मर हाि स गया

वह भी भगवान को नाना परकार क आकरोिन करता हआ रासत पर गावलया दता हआ असभय िबदो को

बोलता हआ वणवन गया जहा भगवान ववहरत ि और वह भी भगवान क पास जा ऐस बझ गया जस जलता

अगार जल म वगरकर बझ जाता ह ऐसा ही उसक अनय दो भाइयो क साि भी हआ वभकष भगवान का

चमतकार दख चदकत ि

177

चमतकार कछ भी नही ह जल म अगारा वगर बझ जाए चमतकार कया ह सवाभाववक ह अगार का

जलना सवाभाववक ह जल का िीतल होना सवाभाववक ह दफर अगार का जल म वगरकर बझ जाना

सवाभाववक ह सब सवाभाववक ह

कहन लगः आवसो बदध-गण म बड़ा चमतकार ह ऐस दषट अहकारी करोधी वयवि भी िातवचतत हो

सनयसत हो गए ह और बराहमण-धमम को छोड़ ददए ह

भगवान न कहाः वभकषओ भल न करो उनहोन बराहमण-धमम नही छोड़ा ह वसततः पहल व बराहमण नही

ि और अब बराहमण हए ह

दफर भी बदध को यह दि समझ नही पाया इस दि न यही समझा दक बदध न सहद-धमम नषट कर ददया

बदध इस पथवी क सबस बड़ सहद ि उनस बड़ा सहद न पहल पदा हआ न पीछ पदा हआ मगर सहद नासमझ ि

और चक गए बदध न बराहमणतव को जो मवहमा दी िी वह दकसी न भी कभी नही दी ह

लदकन अकसर यह भल हो जाती ह अकसर ऐसा हो जाता ह

जीसस सबस बड़ यहदी ि पथवी क उनस बड़ा कोई यहदी न पहल हआ न पीछ हआ लदकन यहददयो

न ही छोड़ ददया फासी लगा दी बदध सबस बड़ सहद ि और सहदओ न ही उनका तयाग कर ददया और

सहदसतान स बदध-धमम को उखाड़ फका पता नही मनषय कब समझदार होगा कब इसकी आख खलगी यह

अपन घर म आयी सपदा को असवीकार करन की इसकी परानी आदत ह

जीसस न कहा हः पगबर अपन गाव म नही पजा जाता अपन लोगो क दवारा नही पजा जाता इसस

पगबर की कछ हावन होती ह सो नही पगबर की कया हावन होनी ह लदकन व लोग जो सवामवधक लाभावनवत

हो जात सबस जयादा ववचत रह जात ह

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह उस बदधपरष को म बराहमण कहता

नदधा अिामत करोध साकल अिामत मोह रससी अिामत लोभ और खटा अिामत काम वजसन काम करोध

मोह लोभ--इन चार को उखाड़ फका ह

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह

सबकी जड़ खट म ह--काम म काम क कारण ही और सब चीज पदा होती ह इस खयाल रखना

इसवलए काम मल जड़ ह िष िाखाए ह वकष की फल-पतत ह असली चीज जड़ ह--काम कयो

कयोदक जब तमहार काम म कोई बाधा डालता ह तो करोध पदा होता ह जब तमहारा काम सफल होन

लगता ह तो लोभ पदा होता ह जब तमहारा काम सफल हो जाता ह तो मोह पदा होता ह

समझो उदाहरण क वलए तम एक सतरी को पाना चाहत हो और एक दसर सजजन परवतयोवगता करन

लग तो करोध पदा होगा तम परवतयोगी को मारन को उतार हो जाओग भयकर ईषयाम जगगी आग की लपट

उठन लगगी अगर तम सतरी को पा लो तो तम चाहोग दक जो तमहारी हो गयी ह वह अब सदा क वलए

तमहारी हो कही कल दकसी और की न हो जाए तो लोभ पदा हआ अब तमहार भीतर सतरी को पररगरह बना

लन की इछा हो गयी दक वह मरी हो जाए सब तरफ दवार-दरवाज बद कर दोग दीवाल क भीतर उस वबठा

दोग एक पीजड़ म वबठा दोग और ताला लगा दोग दक अब दकसी और की कभी न हो जाए लोभ पदा हआ

दफर वजसस सख वमलगा उसस मोह पदा होगा दफर उसक वबना एक कषण न रह सकोग जहा जाओग उसी

की याद आएगी वचतत उसी क आसपास मडराएगा और इन सबक खट म कया ह काम ह

178

तो बदध कहत हः वजसन नदधा--करोध उखाड़ फका साकल तोड़ दी--मोह उखाड़ फका रससी तोड़ दी--

लोभ उखाड़ फका और इतना ही नही जो खट को भी काटकर फक ददया ह उखाड़कर फक ददया ह उस

बदधपरष को म बराहमण कहता ह

वजसक भीतर काम नही रहा उसक भीतर ही राम का आववभामव होता ह यह काम की ऊजाम ही जब

और सार ववषयो स मि हो जाती ह तो राम बन जाती ह राम कछ और ऊजाम नही ह वही ऊजाम ह हीरा

जब पड़ा ह कड़-करकट म और वमटटी म दबा ह तो काम और जब हीर को वनखारा गया साफ-सिरा दकया

गया और दकसी जौहरी न हीर को पहल ददए--तो राम

काम और राम एक ही ऊजाम क दो छोर ह काम की ही अवतम ऊचाई राम ह और राम का ही सबस

नीच वगर जाना काम ह

जो वबना दवषत वचतत दकए गाली वध और बधन को सह लता ह कषमा-बल ही वजसक बल का सनापवत

ह उस म बराहमण कहता ह

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण

ऐस वयवि को म बदध ऐस वयवि को म बराहमण कहता ह वजसन जीवन क सार बधन काट डाल ह जो

परम सवततरता को उपलबध हो गया ह वजसकी ऊजाम पर अब कोई सीमा नही ह वजसको पख लग गए ह

नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस--जो भगवान हो गया ह जो अहमत हो गया ह जो समयक

सबोवध को पराि हो गया ह वही बराहमण ह

इसवलए बदध न कहाः वभकषओ ऐसी भरावत मत करो दक इनहोन बराहमण-धमम छोड़ ददया य पहल बराहमण

ि ही नही अब पहली दफा बराहमण हए ह अब पहली दफा बरहम स पररवचत हए ह अब पहली दफा बदधतव का

सवाद लगा ह मन इनह बराहमण बनाया ह

काि यह बात सहद समझ पात काि यह बात यह दि समझ पाया होता तो इस दि का सबस पयारा

बटा इस दि स वनषकावसत नही होता और इस दि को जो अपवम सपदा वमली िी वह दसरो क हाि न पड़ती

हजारो लोग चीन और जापान और िाईलड और बमाम और कोररया और लका म बदध क मागम पर चलकर

बदधतव को उपलबध हए ह व हजारो लोग यहा भी उपलबध हो सकत ि लदकन यहा एक भरावत पकड़ गयी दक

बदध बराहमण-धमम ववरोधी ह

बदध तिाकवित बराहमणो क ववरोधी ि बदध तिाकवित वद और उपवनषदो क ववरोधी ि लदकन असली

वद और असली उपवनषद और असली बराहमण का कोई कस ववरोधी हो सकता ह

आज इतना ही

179

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ बीस परवचन

अपप दीपो भव

पहला परशनः म तमही स पछती ह मझ तमस पयार कयो ह

कभी तम जदा न होओग मझ यह ऐतबार कयो ह

पछा ह मा योग परजञा न

परम क वलए कोई भी कारण नही होता और वजस परम का कारण बताया जा सक वह परम नही ह परम क

साि कयो का कोई भी सबध नही ह परम कोई वयवसाय नही ह परम क भीतर हत होता ही नही परम अकारण

भाव-दिा ह न कोई ितम ह न कोई सीमा ह

कयो का पता चल जाए तो परम का रहसय ही समाि हो गया परम का कभी भी िासतर नही बन पाता

इसीवलए नही बन पाता परम क गीत हो सकत ह परम का कोई िासतर नही कोई वसदधात नही

परम मवसतषक की बात नही ह मवसतषक की होती तो कयो का उततर वमल जाता परम हदय की बात ह

वहा कयो का कभी परवि ही नही होता

कयो ह मवसतषक का परशन और परम ह हदय का आववभामव इन दोनो का कही वमलना नही होता इसवलए

जब परम होता ह तो बस होता ह--बबझ रहसयपणम अजञात ही नही--अजञय ऐसा भी नही दक दकसी ददन जान

लोग

इसीवलए तो जीसस न कहा दक परम परमातमा ह इस पथवी पर परम एक अकला अनभव ह जो परमातमा

क सबध म िोड़ इवगत करता ह ऐसा ही परमातमा ह--अकारण अहतक ऐसा ही परमातमा ह--रहसयपणम

ऐसा ही परमातमा ह वजसका दक हम आर-पार न पा सक ग परम उसकी पहली झलक ह

कयो पछो ही मत यदयवप म जानता ह कयो उठता ह कयो का उठना भी सवाभाववक ह आदमी हर

चीज का कारण खोजना चाहता ह इसी स तो ववजञान का जनम हआ कयोदक आदमी हर चीज का कारण

खोजना चाहता ह दक ऐसा कयो होता ह जब कारण वमल जाता ह तो ववजञान बन जाता ह और वजन चीजो

का कारण नही वमलता उनही स धमम बनता ह धमम और ववजञान का यही भद ह कारण वमल गया तो ववजञान

वनरममत हो जाएगा

परम का ववजञान कभी वनरममत नही होगा और परमातमा ववजञान की परयोगिाला म कभी पकड़ म नही

आएगा जीवन म जो भी परम ह--सौदयम सतय परम--उन पर ववजञान की कोई पहच नही ह व ववजञान की

पहच क बाहर ह जीवन म जो भी महतवपणम ह गररमापणम ह वह कछ अजञात लोक स उठता ह तमहार भीतर

स ही उठता ह लदकन इतन अतरतम स आता ह दक तमहारी पररवध उस नही समझ पाती तमहार ववचार करन

की कषमता पररवध पर ह और तमहार परम करन की कषमता तमहार क दर पर ह

क दर तो पररवध को समझ सकता ह लदकन पररवध क दर को नही समझ सकती कषदर ववराट को नही समझ

सकता ववराट कषदर को समझ सकता ह छोटा बचचा बढ़ को नही समझ सकता बढ़ा छोट बचच को समझ सकता

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परम बड़ी बात ह--मवसतषक स बहत बड़ी मवसतषक स ही कयो--परम तमस भी बड़ी बात ह इसीवलए तो

तम अवि हो जात हो परम का झोका जब आता ह तम कहा बचत हो परम का मौसम जब आता ह तम कहा

बचत हो परम की दकरण उतरती ह तम वमट जात हो तमस भी बड़ी बात ह तो तम कस समझ पाओग तम

तो बचत ही नही जब परम उतरता ह जब परम नाचता हआ आता ह तमहार भीतर तम कहा होत हो खदी

बखदी हो जाती ह आतमा अनातमा हो जाती ह एक िनय रह जाता ह उस िनय म ही नाचती ह दकरण परम

की परािमना की परमातमा की

नही उस तम न समझ पाओग जब तम लौटत हो तब परम जा चका जो समझ सकता िा जब आता ह

तो वजस समझना िा वह जा चका और वजस समझना ह जब वह वहा होता ह तमहार भीतर तो जो समझना

चाहता ह वह मौजद नही होता

कबीर न कहा हः हरत हरत ह सखी रहया कबीर हराइ खोजन चला ह कबीर कहत ह परमातमा को

खोजन चला िा खोजत-खोजत कबीर तो खो ही गया और वजस कषण कबीर खोया उसी कषण परमातमा स

वमलन हआ

यह वमलन बड़ा ववरोधाभासी ह खोजी तो चला गया तब खोज परी हई--खोजी क जान पर तो वमलन

कहा पहल कबीर िा अब परमातमा ह वमलन कहा कबीर तो अब नही ह जब तक कबीर िा तब तक

परमातमा नही िा अब परमातमा ह तो कबीर नही ह ऐसी दिा ह परम की

कबीर न कहा हः परम गली अवत साकरी ताम दो न समाय इसका तमन एक अिम तो सदा वलया ह दक

परमी और परयसी दो एक साि न समा सक ग उनको एक हो जाना पड़गा इसका एक और गहरा अिम हः परम म

मवसतषक और हदय भी न समा सक ग एक ही समा सकता ह

कयो उठता ह मवसतषक स खजलाहट ह मवसतषक की उसका कोई मलय भी नही ह उठना सवाभाववक

ह लदकन अब धीर-धीर सवभाव स भी ऊपर उठो तादक परम सवभाव वमल

म तमही स पछती ह मझ तमस पयार कयो ह

नही इसका कोई उततर नही हो सकता वकष हर कयो ह चाद-तारो म रोिनी कयो ह आकाि म बादल

कयो भटकत ह सबह सरज कयो वनकलता ह पकषी परभात म गीत कयो गात ह

वजञावनक स पछोग कछ न कछ उततर खोज लाएगा लदकन उस उततर स भी कछ हल नही होता

वजञावनक स पछोग वकष हर कयो ह तो कहगा कयोदक कलोरोदफल वकषो म ह लदकन इसस कछ हल नही

हआ यह कोई परशन का उततर न हआ वसफम परशन को टालना हआ दफर परशन खड़ा हो जाएगा दक वकषो म

कलोरोदफल ह कयो दफर अटक गयी बात

डीएचलारस न ठीक उततर ददया ह एक छोट बचच क साि घमता ह लारस एक बगीच म और जसा

बचच पछत ह बचच न पछाः वकष हर कयो ह वहाय द टरीज आर गरीन और डीएचलारस न कहाः द आर गरीन

वबकाज द आर गरीन वकष हर ह कयोदक हर ह और बचचा राजी हो गया और बचचा हसा और बचच को बात

जची

बचच जस सरल हो जाओ तो तमह मरी बात समझ म आ जाएगी म जो कह रहा ह बस परम ह जस

वकष हर ह--अकारण

इस जगत म कारण नही ह कारण की खोज बड़ी कषदर ह इस जगत म कारण ह ही नही यह जगत

इसीवलए तो लीला कहा गया ह खल ह कारण नही ह

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तम एक मकान बना रह हो उसम कारण होता ह दक रहोग और एक छोटा बचचा ताि क पततो को

जमाकर मकान बना रहा ह इसम कया कारण ह तम बाजार जा रह हो इसम कारण ह दकान जाना ह

धधा करना ह पसा कमाना ह रोटी-रोजी चावहए छपपर चावहए और एक बचचा कमर म चककर लगा रहा ह

इसम कया कारण ह

एक आदमी सबह घमन वनकला ह कही जा नही रहा ह इसम कोई कारण नही ह कही स लौट आए

कही बठ जाए न जाए तो कोई बात नही ह

यह जगत अकारण ह यहा इतना सब कछ हो रहा ह लदकन इस होन क पीछ कोई हत कोई वयवसाय

नही ह वजसन ऐसा जाना वह मि हो गया वजसन ऐसा पहचाना उसक सार बधन वगर गए कयोदक दफर

कया बधन रह दफर कया सचता रही सचता तभी तक हो सकती ह जब हम कछ करन को उतार ह अगर यह

जगत अपन स हो ही रहा ह तो सचता कहा रही

तमह सचता पकड़ सकती ह अगर तम सोचो दक मर िरीर क भीतर खन बह रहा ह कही रक जाए रात

सोत म न बह दफर कया करगा हदय धड़क रहा ह और हम तो सो गए--और न धड़क दफर म कया करगा

शवास तो चल रही ह रक जाए दफर म कया करगा तो तम मवशकल म पड़ जाओग तो सचता पदा हो

जाएगी

जब तक शवास चल रही ह चल रही ह जब नही चल रही ह तब नही चल रही ह न चलन म कोई

कारण ह न न चलन म कोई कारण ह लीला ह खल ह

इस तरह जीवन को दखो तो तम सचताओ क बाहर होन लगो और जो सचताओ क बाहर हआ वही

मददर म परववषट होता ह

कभी तम जदा न होग मझ यह ऐतबार कयो ह

यह ऐतबार भी परम का अतरग भाग ह जस फल म सगध होती ह ऐस परम म ऐतबार होता ह परम म

शरदधा का दीया जलता ह परम म एक भरोसा होता ह उस भरोस का भी कोई कारण नही ह लदकन बस परम

म वह भरोसा पाया जाता ह जस फलो म सगध पायी जाती ह जस पानी नीच की तरफ बहता ह और आग

गरम ह ऐस ही परम का गण शरदधा ह वह उसकी आतमा ह परम क दीए म शरदधा का परकाि होता रहता ह

परशन पयारा ह मगर उततर मत खोजो उततर को जान दो परम को जीयो और यह जो ऐतबार जगा ह यह

जो शरदधा जगी ह इस पर समरपमत हो जाओ इस पर सब नयोछावर कर दो इसम डबकी मार लो इसम वमट

जाओ इसम खो जाओ और तम सब पा लोग

खोना ही पान का सतर ह वजसन बचाया वह चका वजसन कजसी की वह गरीब रह गया वजसन

लटाया उसन पाया जो डबा वह पहचा मझधार म डबन की वहममत चावहए तो मझधार ही दकनारा हो

जाती ह और मझधार ही दकनारा हो तभी कछ मजा ह

दसरा परशनः भगवान बदध न कहा हः अपन दीए आप बनो तो कया सतय की खोज म दकसी भी सहार की

कोई जररत नही ह

यह जानन को भी तो तमह बदध क पास जाना पड़गा न --अपन दीए आप बनो इतनी ही जररत ह गर

की गर तमहारी बसाखी नही बनन वाला ह जो बसाखी बन जाए तमहारी वह तमहारा दशमन ह गर नही ह

182

कयोदक जो बसाखी बन जाए तमहारी वह तमह सदा क वलए लगड़ा कर दगा और अगर बसाखी पर तम वनभमर

रहन लग तो तम अपन परो को कब खोजोग अपनी गवत कब खोजोग अपनी ऊजाम कब खोजोग

जो तमह हाि पकड़कर चलान लग वह गर तमह अधा रखगा जो कहः मरा तो दीया जला ह तमह दीया

जलान की कया जररत दख लो मरी रोिनी म चल आओ मर साि उस पर भरोसा मत करना कयोदक आज

नही कल रासत अलग हो जाएग कब रासत अलग हो जाएग कोई भी नही जानता कब मौत आकर बीच म

दीवाल बन जाएगी कोई भी नही जानता तब तम एकदम घपप अधर म छट जाओग गर की रोिनी को

अपनी रोिनी मत समझ लना

ऐसी भल अकसर हो जाती ह

सदफयो की कहानी ह दक दो आदमी एक रासत पर चल रह ह एक आदमी क हाि म लालटन ह और

एक आदमी क हाि म कोई लालटन नही ह कछ घटो तक व दोनो साि-साि चलत रह ह आधी रात हो गयी

मगर वजसक हाि म लालटन नही ह उस इस बात का खयाल भी पदा नही होता दक मर हाि म लालटन नही

ह जररत कया ह दसर आदमी क हाि म लालटन ह और रोिनी पड़ रही ह और वजतना वजसक हाि म

लालटन ह उसको रोिनी वमल रही ह उतनी उसको भी वमल रही ह वजसक हाि म लालटन नही ह दोनो मज

स गपिप करत चल जात ह दफर वह जगह आ गयी जहा लालटन वाल न कहाः अब मरा रासता तमस अलग

होता ह अलववदा दफर घपप अधरा हो गया

आज नही कल गर स ववदा हो जाना पड़गा या गर ववदा हो जाएगा सदगर वही ह जो ववदा होन क

पहल तमहारा दीया जलान क वलए तमह सचत कर इसवलए बदध न कहा हः अपप दीपो भव अपन दीए खद

बनो यह भी सजदगीभर कहा लदकन नही सना लोगो न वजनहोन सन वलया उनहोन तो अपन दीए जला

वलए लदकन कछ इसी मसती म रह दक करना कया ह बदध तो ह

आनद स कही ह यह बात उनहोन आनद भी उनही नासमझो म एक िा जो बदध की रोिनी म चालीस

साल तक चलता रहा सवभावतः चालीस साल तक रोिनी वमलती रह तो लोग भल ही जाएग दक अपन पास

रोिनी नही ह दक हम अध ह चालीस साल तक दकसी जाग का साि वमलता रह तो सवभावतः भल हो

जाएगी लोग यह भरोसा ही कर लग दक हम भी पहच ही गए रोिनी तो सदा रहती ह भल-चक होती नही

भटकत नही गडढो म वगरत नही

और आनद बदध क सवामवधक वनकट रहा चालीस साल छाया की तरह साि रहा सबह-साझ रात-ददन

चालीस साल म एक ददन भी बदध को छोड़कर नही गया बदध वभकषा मागन जाए तो आनद साि जाएगा बदध

सोए तो आनद साि सोएगा बदध उठ तो आनद साि उठगा आनद वबलकल छाया िा भल ही गया होगा

उसको हम कषमा कर सकत ह चालीस साल रोिनी ही रोिनी उठत-बठत रोिनी जागत-सोत रोिनी भल

ही गया होगा

दफर बदध का अवतम ददन आ गया रासत अलग हए और बदध न कहा दक अब मरी आवखरी घड़ी आ

गयी अब म ववदा लगा वभकषओ दकसी को कछ पछना हो तो पछ लो बस आज म आवखरी सास लगा

वजनहोन अपन दीए जला वलए ि व तो िात अपन दीए जलाए बठ रह परम अनगरह स भर हए--दक न

वमलता बदध का साि तो िायद हम याद भी न आती दक हमार भीतर दीए क जलन की सभावना ह न

वमलता बदध का साि न बदध हम चोट करत रहत बार-बार दक जागो जागो जलाओ अपना दीया तो िायद

183

हम पता भी होता िासतर स पढ़कर दक हमार भीतर दीए क जलन की सभावना ह तो भी हमन न जलाया

होता हम यह भी पता होता दक सभावना ह जल भी सकता ह तो वववध मालम नही िी

आवखर दीया बनाना हो तो वववध भी तो होनी चावहए बाती बनानी आनी चावहए तल भरना आना

चावहए दफर दीया ऐसा होना चावहए दक तल बह न जाए दफर दीए की समहाल भी करनी होती ह नही तो

कभी बाती तल म ही वगर जाएगी और दीया बझ जाएगा वह साज-समहाल भी आनी चावहए वववध भी आनी

चावहए दफर चकमक पतिर भी खोजन चावहए दफर आग पदा करन की कला भी होनी चावहए

तो अनगरह स भर ि वजनहोन पा वलया िा व तो िात चपचाप बठ रह गहन आनद म गहन अहोभाव

आनद दहाड़ मारकर रोन लगा उसन कहाः यह आप कया कह रह ह यह कहो ही मत मरा कया होगा

आ गया रासता अलग होन का कषण आज उस पता चला दक य चालीस साल म तो अधा ही िा यह

रोिनी उधार िी यह रोिनी दकसी और की िी और यह ववदाई का कषण आ गया और ववदाई का कषण आज

नही कल दर-अबर आएगा ही

तब बदध न कहा िाः आनद दकतनी बार मन तझस कहा ह अपप दीपो भव अपना दीया बन त सनता

नही अब त समझ चालीस साल वनरतर कहन पर तन नही सना इसवलए रोना पड़ रहा ह दख उनको

वजनहोन सना व दीया बन िात अपनी जगह बठ ह

बदध क जान स एक तरह का सवग ह इस अपवम मनषय क साि इतन ददन रहन का मौका वमला आज

अलग होन का कषण आया तो एक तरह की उदासी ह मगर दहाड़ मारकर नही रो रह ह कयोदक यह डर नही

ह दक अधरा हो जाएगा अपना-अपना दीया उनहोन जला वलया ह

तम पछत होः भगवान बदध न कहा ह अपन दीए आप बनो तो कया सतय की खोज म दकसी भी सहार

की कोई जररत नही ह

यह जरा नाजक सवाल ह नाजक इसवलए दक एक अिम म जररत ह और एक अिम म जररत नही ह इस

अिम म जररत ह दक तम अपन स तो िायद जाग ही न सकोग तमहारी नीद बड़ी गहरी ह कोई तमह जगाए

लदकन इस अिम म जररत नही ह दक दकसी दसर क जगान स ही तम जाग जाओग जब तक तम ही न

जागना चाहो कोई तमह जगा न सकगा और अगर तम जागना चाहो तो वबना दकसी क जगाए भी जाग सकत

हो यह सभावना ह

वबना गर क भी लोग पहच ह मगर इसको जड़ वसदधात मत बना लना दक वबना गर क कोई पहच गया

तो तम भी पहच जाओग

मर पास लोग आ जात ह व कहत हः आपस एक सलाह लनी ह अगर गर न बनाए तो हम पहच

सक ग दक नही मन कहा दक तम इतनी ही बात खद नही सोच सकत इसक वलए भी तम मर पास आए तमन

गर तो बना ही वलया

गर का मतलब कया होता ह दकसी और स पछन गए यह भी तम खद न खोज पाए

मझस लोग आकर पछत ह दक आपका गर कौन िा हमन तो सना दक आपका गर नही िा जब आपन

वबना गर क पा वलया तो हम कयो न पा लग म उनस कहता हः म कभी दकसी स यह भी पछन नही गया

दक वबना गर क वमलगा दक नही

184

तम जब इतनी छोटी सी बात भी खद वनणमय नही कर पात हो तो उस ववराट सतय क वनणमय म तम कस

सफल हो पाओग

तो एक अिम म गर की जररत ह और एक अिम म जररत नही ह अगर तमहारी अभीपसा परगाढ़ हो तो

कोई जररत नही ह लदकन जररत या गर-जररत इसकी समसया कयो बनात हो वजतना वमल सक दकसी स

ल लो मगर इतना धयान रखो दक दसर स वलए हए पर िोड़ ददन काम चल जाएगा अततः तो अपनी समवदध

खद ही खोजनी चावहए दकसी क कध पर सवार होकर िोड़ी दर चल लो अततः तो अपन परो का बल वनरममत

करना ही चावहए

रासता सीधा-साफ ह परबल पयास हो तो अकल भी पहच जाओग रासता इतना सीधा-साफ ह दक इस

पर दकसी क भी साि की कोई जररत नही ह लदकन अगर अकल पहचन की वहममत न बनती हो तो िोड़

ददन दकसी का साि बना लना लदकन साि को बधन मत बना लना दफर ऐसा मत कहना दक वबना साि क

हम जाएग ही नही नही तो तम कभी न पहचोग कयोदक सतय तक तो अततः अकल ही पहचना होगा एकात

म ही घटगी घटना उस एकात म तमहारा गर भी तमहार साि मौजद नही होगा

गर तमह ससार म मि होन म सहयोगी हो सकता ह लदकन परमातमा स वमलन म सहयोगी नही हो

सकता ससार स छड़ान म सहयोगी हो जाएगा ससार छट जाए तो दफर तमह एकात म परमातमा स वमलना

होगा वह वमलन भीड़-भाड़ म नही होता

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

न दकसी िाख का साया ह न दीवार की टक

न दकसी आख की आहट न दकसी चहर का िोर

न कोई दाग जहा बठ क ससताए कोई

दर तक कोई नही कोई नही कोई नही

चद कदमो क वनिा हा कभी वमलत ह कही

साि चलत ह जो कछ दर फकत चद कदम

और दफर टट क वगरत ह यह कहत हए

अपनी तनहाई वलए आप चलो तनहा अकल

साि आए जो यहा कोई नही कोई नही

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

िोड़ी दर दकसी क कदम क साि चल लो तादक चलना आ जाए मवजल नही आती इसस वसफम चलन

की कला आती ह िोड़ी दर दकसी क पग-वचहनो पर चल लो तादक परो को चलन का अभयास हो जाए इसस

मवजल नही आती मवजल तो तमहार ही चलन स आएगी दकसी और क चलन स नही

मरी आख स तम कस दखोग हा िोड़ी दर को तम मरी आख म झाक सकत हो तम मर हदय स कस

अनभव करोग हा िोड़ी दर दकसी गहन भाव की दिा म तम मर हदय क साि धड़क सकत हो वनवशचत ही

दकसी परम की घटना म िोड़ी दर को तमहारा हदय और मरा हदय एक ही लय म बदध हो सकत ह उस समय

कषणभर को तमह रोिनी ददखगी उस समय कषणभर को आकाि खला ददखायी पड़गा सब बादल हट जाएग

लदकन यह िोड़ी ही दर को होगा अततः तो तमह अपन हदय का सरगम खोजना ही ह

185

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

न दकसी िाख का साया ह न दीवार की टक

न दकसी आख की आहट न दकसी चहर का िोर

न कोई दाग जहा बठ क ससताए कोई

दर तक कोई नही कोई नही कोई नही

चद कदमो क वनिा हा कभी वमलत ह कही

साि चलत ह जो कछ दर फकत चद कदम

और दफर टट क वगरत ह यह कहत हए

अपनी तनहाई वलए आप चलो तनहा अकल

साि आए जो यहा कोई नही कोई नही

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

अछा ह दक तमह परमातमा तक अकल ही पहचन की सभावना ह नही तो दकसी पर वनभमर होना

पड़ता और वनभमरता स कभी कोई मवि नही आती वनभमरता तो गलामी का ही एक अछा नाम ह वनभमरता

तो दासता ही ह वह दासता की ही दासतान ह--नए ढग स वलखी गयी नए लफजो म नए िबदो म नए रप-

रग स लदकन बात वही ह

इसवलए कोई सदगर तमह गलाम नही बनाता और जो गलाम बना ल वहा स भाग जाना वहा कषणभर

मत रकना वहा रकना खतरनाक ह जो तमह कह दक मर वबना तमहारा कछ भी नही होगा जो कह दक मर

वबना तम कभी भी नही पहच सकोग जो कहः मर पीछ ही चलत रहना तो ही परमातमा वमलगा नही तो चक

जाओग--ऐसा जो कोई कहता हो उसस बचना उस सवय भी अभी नही वमला ह कयोदक यदद उस सवय वमला

होता तो एक बात उस साफ हो गयी होती दक परमातमा जब वमलता ह एकात म वमलता ह वहा कोई नही

होता कोई दसरा नही होता

उस परमातमा तो वमला ही नही ह उसन लोगो क िोषण करन का नया ढग नयी तरकीब ईजाद कर ली

ह उसन एक जाल ईजाद कर वलया ह वजसम दसरो की गरदन फस जाएगी ऐसा आदमी धारममक नही ह

राजनवतक ह ऐसा आदमी गर नही ह नता ह ऐसा आदमी भीड़-भाड़ को अपन पीछ खड़ा करक अहकार का

रस लना चाहता ह इस आदमी स सावधान रहना इस आदमी स दर-दर रहना इस आदमी क पास मत

आना

जो तमस कह दक मर वबना परमातमा नही वमलगा वह महान स महान असतय बोल रहा ह कयोदक

परमातमा उतना ही तमहारा ह वजतना उसका हा यह हो सकता ह दक तम जरा लड़खड़ात हो वह कम

लड़खड़ाता ह या उसकी लड़खड़ाहट वमट गयी ह और वह तमह चलन का ढग िली वसखा सकता ह हा यह

हो सकता ह दक उस तरना आ गया और तम उस दखकर तरना सीख ल सकत हो लदकन उसक कधो का

सहारा मत लना अनयिा दसरा दकनारा कभी न आएगा उसक कधो पर वनभमर मत हो जाना नही तो वही

तमहारी बबामदी का कारण होगा

इसी तरह तो यह दि बरबाद हआ यहा वमथया गरओ न लोगो को गलाम बना वलया इस मलक को

गलामी की आदत पड़ गयी इस मलक को वनभमर रहन की आदत पड़ गयी यह जो हजार साल इस दि म

186

गलामी आयी इसक पीछ और कोई कारण नही ह इसक पीछ न तो मसलमान ह न मगल ह न तकम ह न हण

ह न अगरज ह इसक पीछ तमहार वमथया गरओ का जाल ह

वमथया गरओ न तमह सददयो स यह वसखाया हः वनभमर होना उनहोन इतना वनभमर होना वसखा ददया दक

जब कोई राजनवतक रप स भी तमहारी छाती पर सवार हो गया तम उसी पर वनभमर हो गए तम जी-हजर

उसी को कहन लग तम उसी क सामन वसर झकाकर खड़ हो गए तमह आजादी का रस ही नही लगा सवाद ही

नही लगा

अगर कोई मझस पछ तो तमहारी गलामी की कहानी क पीछ तमहार गरओ का हाि ह उनहोन तमह

मवि नही वसखायी सवततरता नही वसखायी

काि बदध जस गरओ की तमन सनी होती तो इस दि म गलामी का कोई कारण नही िा काि तमन

वयवितव सीखा होता वनजता सीखी होती काि तमन यह सीखा होता दक मझ मझी होना ह मझ दकसी दसर

की परवतवलवप नही होना ह और मझ अपना दीया खद बनना ह तो तम बाहर क जगत म भी पर जमाकर खड़

होत यह अपमानजनक बात न घटती दक चालीस करोड़ का मलक मटठीभर लोगो का गलाम हो जाए कोई भी

आ जाए और यह मलक गलाम हो जाए

जरर इस मलक की आतमा म गलामी की गहरी छाप पड़ गयी दकसन डाली यह छाप दकसन यह जहर

तमहार खन म घोला दकसन ववषाि की तमहारी आतमा दकसन तमह अधर म रहन क वलए वववधया

वसखायी तमहार तिाकवित गरओ न व गर नही ि

गर तो बदध जस वयवि ही होत ह जो कहत ह अपप दीपो भव

एकात म ही बजगा अवतम सगीत एकात म ही उतरगी समावध एकात म ही होगा वमलन

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

डबती नबजो म जब ददम को नीद आन लग

जदम-सा चहरा वलए चाद उफक पर पहच

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

एक गीत तमहार भीतर घटन को ह वायदा ह एक गीत का दक म आऊगा बरसगा तम पर लदकन कब

जब सब समाि हो जाए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

डबती नबजो म जब ददम को नीद आन लग

जब तमहार जीवन की सारी पीड़ाए छट जाए जब तमहार ददम की आदत वमट जाए

जदम-सा चहरा वलए चाद उफक पर पहच

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो

दवदव जहा वमट जाए

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

187

इसवलए तो हम सधया िबद का उपयोग करत ह परािमना क वलए कयो सधया का उपयोग करत ह सधया

का अिम ही परािमना हो गया लोग कहत हः अभी व सधया कर रह ह सधया का मतलब

न अधरा हो न उजाला हो न यह रात न ददन

मधय म हो सब दवदव छट जाए सब अवतया छट जाए न इस तरफ न उस तरफ कोई झकाव न रह

जाए कोई चनाव न रह जाए कोई ववकलप न रह जाए न जीवन न मतय न वसत न पतझड़ न सख न दख

सधया आ जाए

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

वजसम जब खतम हो

और वजस तमन अब तक जाना ह दक म ह वजस तमन माना ह दक म ह वह जब वमटन लग

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

य जो सास तमन समझी ह जीवन ह यह तमहारी असली सास नही ह इस सास स तो कवल दह चलती

ह एक और सास ह जब इस सास स तमहारा सबध छट जाता ह तब दसरी सास पदा होती ह

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

वही वह सगीत उतरता ह वजस समावध कहो सतय कहो सौदयम कहो विवतव कहो मवि कहो मोकष

कहो वनवामण कहो लदकन उस परम एकात म--जहा सब छट गया--ससार गया और गए वमतर गए ितर गए

दह भी गयी शवास भी गयी ददन और रात भी गए सब दवदव चल गए जहा वबलकल वनपट सिाटा रह गया

वही रह को सास आती ह वही पहली दफा तमहारा आवतमक जीवन िर होता ह वही तमहारा पनजमनम होता

उस घड़ी म परमातमा स वमलन ह वह घड़ी बड़ी एकात की घड़ी ह दसरा तो कया तम भी वहा नही

होत इतना एकात होता ह दक एक भी वहा नही होता दो तो वमट ही गए होत ह अततः एक भी वमट गया

होता ह वसफम ववराट िनय होता ह सब अनपवसित होता ह उस खाली ररि सिान म ही परमातमा का परवि

इसवलए बदध ठीक कहत ह अपन दीए आप बनो इसका यह मतलब नही ह दक गर की कोई जररत नही

ह इसका मतलब यह भी नही दक गर क वबना कोई पहच नही सकता

इसवलए मन कहा नाजक सवाल ह नाजक इसवलए दक गर की जररत ह और नही भी ह इतनी ही

जररत ह दक तम इिार समझ लो और चल पड़ो

सदा गर क पीछ ही चलत रहन की जररत नही ह इिारा समझ म आ जाए दफर भीतर चलना ह

दफर दकसी क पीछ नही चलना ह

उगवलयो को मत पकड़ लना उगवलया वजस तरफ इिारा करती ह वजस चाद की तरफ उसको दखना

और चल पड़ना

तीसरा परशनः आप कहत हः मागो मत दो लटाओ और जीसस कहत हः मागो--और वमलगा दो

बदधपरषो क विवय म इतना ववरोध कयो ह

188

दोनो विवय अलग-अलग घवड़यो म ददए गए विवय ह अलग-अलग लोगो को ददए गए विवय ह

ववरोध जरा भी नही ह

समझो जीसस न कहा हः मागो--और वमलगा खटखटाओ--और दवार खलग खोजो--और पाओग

वबलकल ठीक बात ह जो खोजगा ही नही वह कस पाएगा जो मागगा ही नही उस कस वमलगा और जो

दवार पर दसतक भी न दगा उसक वलए दवार कस खलग सीधी-साफ बात ह यह एक तल का विवय ह

जीसस वजनस बोल रह ि वजन लोगो स बोल रह ि इनक वलए जररी िा ऐसा ही विवय जररी िा

इस विवय म खयाल रखना व लोग वजनस जीसस बोल रह ि य ऐस लोग ि वजनहोन जीसस को सली पर

लटकाया इन लोगो क पास अधयातम जसी कोई वचतत की दिा नही िी नही तो य जीसस को सली पर

लटकात

लाओतस का वचन ठीक इसस उलटा लगगा तमह वही मरा वचन भी ह लाओतस कहता हः मागा--और

चक जाओग खोजा--और भटक खोजो मत--और पा लो यह कछ और तल का विवय ह यह दकनही और तरह

क लोगो स कहा गया ह

लाओतस पर दकसी न पतिर भी नही मारा सली की तो बात अलग वजनक बीच लाओतस रहा होगा य

बड़ अदभत लोग ि

अलग-अलग ककषाओ म य बात कही गयी िी पहली ककषा म बचच को कहना पड़ता हः ग गणि का अब

ववशवववदयालय की अवतम ककषा म भी अगर यही कहा जाए--ग गणि का तो मढ़ता हो जाएगी और दोनो

जररी ह

जीसस वजनस बोल रह ि व वबलकल परािवमक ककषा क ववदयािी ि और लाओतस वजनस बोल रहा िा

वह आवखरी चरम कोरट की बात बोल रहा िा

मगर दफर भी विवय ववरोधी लगत ह तमह हरानी होगी दक मान लो यह भी ठीक ह दक पहली ककषा म

कहत हः ग गणि का तो आवखरी ककषा म यह िोड़ ही कहत ह दक ग गणि का नही रहता तो ग गणि का

ही ह ववदयािी जान गए इसवलए अब कहना नही पड़ता दक ग गणि का

विवय दफर भी ववरोधी लगत ह कयोदक वजतना फासला पहली ककषा म और ववशवववदयालय की ककषा म

होता ह वह फासला ववपरीतता का नही ह वह एक हीिखला का ह और सासाररक वयवि म और

आधयावतमक वयवि म जो फासला होता ह वह ववपरीतता का ह एक हीिखला का नही ह

एक जगह जाकर इस जगत क सार सतय उलट हो जात ह समझन की कोविि करोग तो समझ म आ

जाएगा

पहली बातः वजसन कभी खोजा ही नही वह कस खोज पाएगा और लाओतस कहता हः जो खोजता ही

रहा वह कस खोज पाएगा एक जगह आनी चावहए जहा खोज भी छट जाए नही तो खोज की ही सचता

खोज की ही आपा-धापी खोज की ही भाग-दौड़ मन को घर रहगी

एक आदमी भागा चला जा रहा ह वह कहता हः मवजल पर जाना ह भागगा नही तो कस पहचगा

दफर यह मवजल पर पहचकर भी भागता रह तो यह कस पहचगा तो इस आदमी को हम उलटी बात कहनी

पड़गी इसस कहना पड़गाः जब मवजल स दर हो तो मवजल की तरफ भागो और जब मवजल करीब आन लग

189

तो दौड़ कम करन लगो और जब मवजल वबलकल आ जाए तो रक जाओ अगर मवजल पर आकर भी भागत

रह तो चक जाओग

एक ददन भागना पड़ता ह और एक ददन रकना भी पड़ता ह एक ददन चलना पड़ता ह और एक ददन

ठहरना भी पड़ता ह इनम ववपरीतता नही ह

एक ददन शरम करो परयास करो योग साधो और दफर एक ददन सब साधना को भी पानी म बहा दो

और खाली बठ रह जाओ तो ही पहचोग नही तो अकसर यह हो जाता ह दक परमातमा को पान की दौड़ म

तमहारा वचतत नया ससार बना लता ह दफर वचतत क भीतर हजार तरह क ववचार उठन लगत ह तरग उठन

लगती ह

दकान की तरग ह मददर की भी तरग ह ससार की तरग ह और दफर वनवामण की भी तरग ह लदकन

तरगो स तम मि हो जाओग तभी वमलगा न वनवामण वनवामण का अिम हः वनसतरग हो जाना वनवामण का अिम

हः वनवामण पान का ववचार भी न रह जाए

बदध क जीवन म यह बात वबलकल साफ ह छह वषम तक कठोर तपशचयाम की और दफर छह वषम क बाद

एक ददन तपशचयाम का तयाग कर ददया उसी तरह वजस तरह एक ददन राजमहल का तयाग कर ददया िा

तपशचयाम का भी तयाग कर ददया उसी रात बदधतव फवलत हआ

अब यह सवाल सददयो स पछा जाता रहा ह दक बदध को बदधतव कस वमला छह वषम की तपशचयाम क

कारण वमला या तपशचयाम क तयाग स वमला जो ऐसा परशन पछत ह उनहोन परशन को गलत ढग द ददया िर स

ही गलत ढग द ददया उनको जो भी उततर वमलग व गलत होग अगर गलत परशन पछा तो गलत उततर पा

लोग परशन ठीक होना चावहए

जब तमन यह पछ वलया दक बदध को छह वषम की तपशचयाम स वमला कयोदक वमला छह वषम क बाद एक

रात या उस साझ को उनहोन तपशचयाम छोड़ दी िी उसी रात घटना घटी छह वषम की तपशचयाम ह और उसी

रात तपशचयाम का तयाग भी दकया वमला कयो वमला कस कया कारण ह तपशचयाम कारण ह या उस रात

तपशचयाम का छोड़ दना कारण ह

म तमस कहगा दोनो कारण ह तपशचयाम न की होती तो छोड़त कया खाक छोड़न क पहल तपशचयाम

होनी चावहए जस कोई गरीब आदमी कह दक सब तयाग कर ददया इसक तयाग का कया अिम होगा हम पछगः

तर पास िा कया वह कहः िा तो मर पास कछ नही लदकन सब तयाग कर ददया इसक तयाग का कोई मलय

नही ह कोई समराट तयाग तो मलय ह जब कछ िा ही नही तो तयाग कया दकया ह होना चावहए तयागन क

पहल

बदध न तपशचयाम छोड़ी कयोदक तपशचयाम की िी तम ऐस ही अपनी आराम कसी पर लट जाओ और कहो

दक चलो आज हमन तपशचयाम छोड़ दी हो जाए बदधतव का फल आज की रात लग जाए दफर तम िोड़ी दर म

बठ-बठ िकन लगोग दक कछ नही हो रहा ह आख खोल-खोलकर दखोग दक अभी तक बदधतव आया नही

करवट बदलोग दफर िोड़ी दर म सोचोग दक अर यह सब बकवास ह ऐस कछ होन वाला नही ह हम तो

पहल ही मालम िा दक कछ होता-जाता नही ह दफर भी एक परयोग करक दख वलया

दफर उठकर अपना रवडयो चलान लगोग या टीवी िर कर दोग या अखबार पढ़न लगोग या चल

कलब की तरफ दक चलो दो हाि जए क खल आए दक िराब ढाल लो

190

वह जो छह वषम की तपशचयाम ह वह अवनवायम वहससा ह उसक वबना नही घटता और म तमह यह भी

याद ददला द दक अगर बदध उसी तपशचयाम म लग रहत साठ साल तक तो भी नही घटता

एक चरम सीमा आ जाती ह करन की जहा करन की चरम सीमा आ गयी वहा करन को भी छोड़ दना

जररी ह पहल कमम को चरम सीमा तक ल आना ह सौ वडगरी पर उबलन लग कमम दफर कताम क भाव को भी

ववदा कर दना य दोनो बात सच ह

रावबया क घर एक सफी फकीर हसन ठहरा हआ िा वह रोज सबह परािमना करता िा उसन सना होगा

जीसस का वचन दक खटखटाओ और दवार तमहार वलए खोल ददए जाएग आसक एड इट िल बी वगवन सीक

एड य ववल फाइड नाक एड द डोर िल बी ओपड अनट य

उसन य वचन सन होग य वचन उस बहत जच गए ि उसन इनकी परािमना बना ली िी वह रोज सबह

काबा की तरफ हाि जोड़कर कहताः ह परभ दकतनी दर स खटखटा रहा ह दरवाजा खोवलए दकतनी दर हो

गयी खटखटात- खटखटात कब दरवाजा खलगा अपना वचन याद करो--दक खटखटाओग और दरवाजा

खलगा और म खटखटाए जा रहा ह और म खटखटाए जा रहा ह दरवाजा खलता नही

रावबया न एक ददन सना दो ददन सना तीन ददन सना

रावबया बड़ी अदभत औरत िी िोड़ी ही वसतरया दवनया म हई ह रावबया की कोरट की--मीरा सहजो

दया ललला--बहत िोड़ी सी वसतरया उगवलयो पर वगनी जा सक रावबया उसी कोरट की सतरी ह वजस कोरट क

बदध वजस कोरट क महावीर वजस कोरट क कषण कराइसट

एक ददन सबह दफर हसन वही कर रहा िा हाि फलाए हए आस बह जा रह ह आखो स और कह रहा

हः अब खोलो परभ कब स खटखटा रहा ह

रावबया पीछ स आयी और उसका वसर झझोड़कर बोली दक बद कर बकवास दरवाज खल ह त

खटखटा कयो रहा ह दरवाज कभी बद ही नही ि नासमझ दरवाज सदा स खल ह उसक दरवाज बद कस हो

सकत ह तन यह कहा की बकवास लगा रखी ह त सजदगीभर यही बकता रहगा और दरवाजा खला ह अब

परमातमा भी कया कर वह भी अचकचाकर बठा होगा दक करना कया दरवाजा खला ह अब और कया

खोलना और य सजजन यही कह जा रह ह दक दरवाजा खोलो खटखटा रहा ह दरवाजा खोलो

रावबया न दसरा सतय कहा रावबया यह कह रही ह दक बहत खटखटा चका अब खटखटाना छोड़ जरा

खटखटाना छोड़कर आख खोल त खटखटान म ही उलझा ह और दरवाजा खला ह अब त जरा आख खोल

खटखटान की उलझन स मि हो छोड़ यतन और दख--कया ह जो ह वही मविदायी ह

इसवलए एक ददन शरम करना पड़ता ह और एक ददन शरम छोड़ना पड़ता ह

ऐसा समझो मन सनी ह एक कहानी दक कछ लोग अमतसर स टरन म सवार हए हररदवार जा रह ि

एक आदमी जो उस झड म हररदवार जा रहा िा तीिमयातरा को बड़ा दािमवनक िा बड़ा तारकम क िा भीड़-भाड़

बहत िी मल क ददन होग टरन लदी िी लोग सब तरफ भर ि ऊपर भी चढ़ ि दरवाजो पर अटक ि

वखड़दकयो स लोग भीतर घसन की कोविि म लग ि उस दािमवनक को भी उसक सािी खीच रह ि वह यह

कहता िा दक भई मरी बात तो सनो इसम स दफर उतरना तो नही पड़गा इतनी महनत स चढ़ और दफर

उतरना पड़ तो सार कया

191

वमतरो न कहाः तमहारा दिमन बाद म अभी गाड़ी छटन का वि हआ जा रहा ह सीटी बजी जा रही ह

उनहोन खीच-खाचकर उसको

वह पछता ही जा रहा ह दक म एक बात पछना चाहता ह मझ खीचो मत इसम स उतरना तो नही

पड़गा कयोदक अगर उतरना ही हो तो इतनी फजीहत कया करवानी तो हम पहल स ही अपन पलटफामम पर

खड़ ह

मगर उनहोन नही सना उनहोन खीच-खाच वलया दक यह बकवास म समय गवा दगा उसको खीचकर

अदर कर वलया उसकी कमीज भी फट गयी और हाि की चमड़ी भी वछल गयी

पजाबी अब जानत ही ह आप दक खीचातानी कर

अब यह कोई गजरात िोड़ ही ह दक अमतसर उनहोन ठीक स ही खीचातानी की होगी खीचतानकर

उस अदर कर वलया वह वचललाता भी रहा उनहोन उसकी दफकर ही नही की पजाबी और दिमनिासतर की

दफकर कर वबलकल ही गलत बात ह और जयादा बकवास की होगी तो दो-चार हाि लगाकर उसको चप कर

ददया होगा दक चप बठ

दफर हररदवार आया अब वह दािमवनक उतर नही आवखर वह भी पजाबी ह उसन कहाः जब एक दफ

चढ़ गए तो चढ़ गए अब उतरना कया मन पहल ही कहा िा दक मझ चढ़ाओ मत अगर उतारना हो

अब व दफर खीच रह ह--दक भई हदद हो गयी अब हररदवार आ गया

पर उसकी बात का अिम यह ह वह यह कह रहा ह दक जब उतरना ही ह तो दफर चढ़ना कया जब चढ़

ही गए तो दफर उतरना कया वह िदध तकम की बात कह रहा ह

ऐसा ही तम जब मझस पछत हो दक जीसस और मर विवय म ववरोधाभास ह तो तम भी वही तकम की

बात कर रह हो

एक ददन चढ़ना पड़ता ह टरन म एक ददन उतरना पड़ता ह इनम ववरोध नही ह एक बार सीढ़ी पर

चढ़ना पड़ता ह दफर सीढ़ी स उतरना भी पड़ता ह तम छत की तरफ जा रह हो म तमस कहता हः सीदढ़या

चढ़ो सीदढ़यो स तम पछत होः सीदढ़यो पर चढ़न स हम छत पर पहच जाएग म कहता हः जरर पहच

जाओग दफर तम आवखरी पायदान पर पहचकर खड़ हो गए तम कहत होः अभी तक हम छत पर नही पहच

आवखरी पायदान पर भी छत नही ह यह बात सच ह जस छत पहल पायदान पर नही ह वस ही आवखरी

पायदान पर भी छत नही ह अभी तमह आवखरी पायदान छोड़ना पड़गा तब तम छत पर परवि कर पाओग

लदकन तम कहत होः तो दफर चढ़ाया ही कयो य सौ सीदढ़या चढ़कर अब दकसी तरह बामवशकल तो हाफता

हआ पहचा अब आप कहत ह छोड़ो इतनी महनत स तो चढ़ा अब कहत हो छोड़ो यह तो आप बड़ी

ववरोधाभासी बात कह रह ह

पहली सीढ़ी पर कहा िा चढ़ो जीसस पहली सीढ़ी पर बोल रह ि कयोदक जीसस इस दि म आकर

सदि लकर गए जीसस की उमर क तीस वषम सतय की खोज म लग इवजि और भारत और वतबबत--इन सार

दिो म उनहोन भरमण दकया उस समय बदध-धमम अपनी परखरता म िा नालदा जीवत ववशवववदयालय िा बहत

सभावना ह दक जीसस नालदा म आकर रह उनहोन यहा क परम सतय पहचान समझ सीख

यही तो अड़चन हो गयी इसवलए तो व कछ ऐसी बात कहन लग जो यहददयो को वबलकल न जची

कयोदक यहदी िासतरो स उनका मल नही िा

192

जीसस कछ ऐसी बात ल आए जो ववदिी िी--यहदी ववचार-सचतन धारा क सदभम म यहददयो को बात

जची नही यहदी एक ढग स सोचत ि अगर जीसस न उसी ढग की ही बात कही होती उसी वसलवसल म कही

होती तो यहददयो न उनह एक पगबर माना होता उनको सली दनी पड़ी कयोदक व कछ ऐसी बात ल आए

जो यहदी कानो क वलए वबलकल अपररवचत िी

खास सदि जो लकर आए ि जीसस वह िा सदि बदध क धयान का जागो इसवलए जीसस बार-बार

हजार बार दोहरात ह बाइवबल म--अवक बी अवयर वक अप जागो उठो होि समहालो सावधान हो

जाओ चतो

मगर य बात इस दि म तो समझ म आ सकती िी कयोदक बदध क पहल और हजारो बदधो की परपरा

इस दि म ह बदध कछ नए नही ह बदध एक बड़ी लबी धारा क वहसस ह एकिखला क वहसस ह एक कड़ी ह

उनक पहल और बहत बदध हए ह यह भाषा यहा पररवचत िी

यही भाषा जाकर यहददयो क बीच वबलकल अपररवचत हो गयी

तम चदकत होओग यह जानकर दक जॉन द बवपटसट--वजसन जीसस को दीकषा दी िी वजसक विषय ि

जीसस--वह जलखान म पड़ा िा और जब जीसस की विकषाए िर हई और जलखान तक जॉन द बवपटसट को

खबर पहची तो उस भी सदह हआ दक यह आदमी कया बात कर रहा ह दकस तरह की बात कर रहा ह उसन

एक पतर वलखकर भजा जीसस क पास दक म यह दफर स पछना चाहता ह दक तम वही हो वजसक वलए हम

यहदी सददयो स परतीकषा कर रह ि या तम कोई और हो कया हम दफर परतीकषा करनी पड़गी उस मसीहा

की

यह पतर कयो जॉन द बवपटसट न वलखा होगा जीसस को इसवलए वलखा दक उसको भी समझ म नही

पड़ा दक यह आदमी कह कया रहा ह यह कहा की बात ल आया ह यह कछ बबझ पहवलया ल आया ह

जीसस इस दि स सदि लकर गए सवभावतः एक नयी जावत म वजसन यह सदि कभी नही सना िा

उनह अ ब स स बात िर करनी पड़ी--ग गणि का पहली सीढ़ी स बात िर करनी पड़ी लाओतस या बदध जब

बोलत ह या म जब तमस बोल रहा ह तो आवखरी सीढ़ी की बात बोल सकता ह उसक वलए पिभवम ह

जीसस क पास पिभवम नही िी मजबरी िी

ववरोध जरा भी नही ह वजस सीढ़ी पर जीसस तमह चढ़ा रह ह उसी सीढ़ी पर म तमस दसरा सतय भी

कह रहा ह दक चढ़ना जरर उसस उतरना भी ह--इस भल मत जाना

तो तमस कहता हः मागो वबना माग कस वमलगा और तमस यह भी कहता ह दक मागना छोड़ो

मागन स कभी वमला ह तमस कहता हः खटखटाओ तो दवार खलग और तमस यह भी कहता हः अब

खटखटाना बहत हो गया अब खटखटाना रोको दखो दवार खल ही ह

चौिा परशनः म मतय स इतना नही डरता ह लदकन दखो स बहत डरता ह मर वलए कया मागम ह

मतय स िायद ही कोई डरता ह कयोदक वजसस पररचय ही नही ह उसस डरोग भी कस वजसस

मलाकात ही नही हई उसस डरोग कस लोग दखो स ही डरत ह और मतय स भी इसवलए डरत ह दक पता

नही दकन दखो म मतय ल जाए मतय स भी सीधा नही डरत इसी तरह डरत ह दक पता नही दकन दखो म ल

जाए

193

यहा क दख तो जान-मान पररवचत ह मतय पता नही दकन दखो की नयीिखला की िरआत हो

इसवलए डरत ह अनयिा मतय स डरन का कोई कारण नही ह पहचानी चीज स ही लोग डरत ह अजनबी-

अनजान स डरन का कया कारण हो सकता ह हो सकता हः मतय तमह सख म ल जाए सवगम ल जाए कौन

जान अगर तम बहत ववचारिील हो सॉकरटीज जस तो नही डरोग

सकरात मर रहा ह और उसक विषय उसस पछत ह दक आप डर नही रह ह मतय आ रही ह जहर

तयार दकया जा रहा ह जलदी जहर ददया जाएगा आप मतय स डरत नही

सकरात न कहाः दखो म सोचता ह दो ही सभावनाए ह या तो म मर ही जाऊगा कछ बचगा नही तो

दफर डर कया वजसको डर लगना ह वही नही बचगा तो डर दकसको जनम क पहल का मझ कछ पता नही

ह तो मझ कोई अड़चन नही होती मझ यह बात सोचकर कोई बहत मवशकल नही पड़ती दक जनम क पहल म

नही िा तो जब िा ही नही तो दख कया दफर मौत क बाद नही हो जाऊगा तो दख कया

या तो यह होगा या यह होगा दक म दफर भी बचगा जब बचगा ही तो दफर डर कया दफर दख लग

यहा भी जझ रह ि वहा भी जझ लग जो होगा मकाबला कर लग इसवलए म परिान नही ह म सोच रहा

ह दक मरकर ही दख दक बात कया ह असल म

बहत सोच-ववचार वाला आदमी हो तो मतय स भी नही डरगा डरन का कोई कारण नही रह गया

लदकन दख स आदमी डरता ह दख स तमहारा पररचय ह तम जानत हो दखो को दखो स तमहारी खब

पहचान ह दखो स ही पहचान ह सख की तो वसफम आिा रही ह सपना रहा ह दखो स वमलना हआ ह तो

सवाभाववक ह दक तम दख स डरत हो

सभी दख स डरत ह और जब तक दख स डरग तब तक दखी रहग कयोदक वजसस तम डरोग उस तम

समझ न पाओग और दख वमटता ह समझन स दख वमटता ह जागन स दख वमटता ह दख को पहचान लन

इसीवलए तो दवनया दखी ह दक लोग दख स डरत ह और पीठ दकए रहत ह तो दख का वनदान नही हो

पाता दख पर अगली रखकर नही दखत दक कहा ह कया ह कयो ह दख म उतरकर नही दखत दक कस पदा

हो रहा ह दकस कारण हो रहा ह भय क कारण अपन ही दख स भाग रहत ह

तम कही भी भागो दख स कस भाग पाओग दख तमहार जीवन की िली म ह तम जहा जाओग वही

पहच जाएगा

मन सना हः एक आदमी को डर लगता िा अपनी छाया स और उस बड़ा डर लगता िा अपन

पदवचहनो स तो उसन भागना िर दकया भागना चाहता िा दक दर वनकल जाए छाया स और दर वनकल

जाए अपन पदवचहनो स दर वनकल जाए अपन स मगर अपन स कस दर वनकलोग वजतना भागा उतनी ही

छाया भी उसक पीछ भागी और वजतना भागा उतन ही पदवचहन बनत गए

वागतस न यह कहानी वलखी ह इस पागल आदमी की और यही पागल आदमी जमीन पर पाया जाता

ह इसी की भीड़ ह

वागतस न कहा हः अभाग आदमी अगर त भागता न और दकसी वकष की छाया म बठ जाता तो छाया

खो जाती अगर त भागता न तो पदवचहन बनन बद हो जात मगर त भागता रहा छाया को पीछ लगाता

रहा और पदवचहन भी बनाता रहा

194

वजनस तम डरत हो अगर उनस भागोग तो यही होगा दख स डर दक दखी रहोग दख स डर दक नकम

म पहच जाओग नकम बना लोग दख स डरन की जररत नही ह दख ह तो जानो जागो पहचानो

वजनहोन भी दख क साि दोसती बनायी और दख को ठीक स आख भरकर दखा दख का साकषातकार

दकया व अपवम सपदा क मावलक हो गए कई बात उनको समझ म आयी

एक बात तो यह समझ म आयी दक दख बाहर स नही आता दख म पदा करता ह और जब म पदा

करता ह तो अपन हाि की बात हो गयी न करना हो पदा तो न करो करना हो तो किलता स करो

वजतना करना हो उतना करो मगर दफर रोन-पछतान का कोई सवाल न रहा

वजनहोन दख को गौर स दखा उनह यह बात समझ म आ गयी दक यह मर ही गलत जीन का पररणाम ह

यह मरा ही कमम-फल ह जस एक आदमी दीवाल स वनकलन की कोविि कर उसक वसर म टककर लग और

लहलहान हो जाए और कह दक यह दीवाल मझ बड़ा दख द रही ह

छोट बचच अकसर ऐसा करत ह मगर इस दवनया म सब छोट बचच ह बड़ा कोई कभी मवशकल स हो पाता

ह पराढ़ता आती कहा ह छोट बचच अकसर ऐसा करत ह वनकल रह ि टबल का धकका लग गया हाि म

खरोच आ गयी गसस म आ जात ह उठाकर डडा टबल को मारत ह

यही तम कर रह हो बचच को समझान क वलए उसकी मा को भी आकर टबल को मारना पड़ता ह दक

टबल बड़ी दषट ह मर बट को चोट कर गयी तब बचचा बड़ा परसि होता ह टबल को वपटत दखकर बड़ा परसि

होता ह--दक ठीक हआ ठीक सजा दी गयी

मगर टबल का कोई कसर न िा और तम यह मत सोचना दक वसफम बचच ऐसा करत ह तम भी ऐसा

करत हो तम करोध म होत हो तो दरवाजा ऐसा झटककर खोलत हो जस दरवाज का कोई कसर हो करोध म

होत हो तो जता ऐसा फकत हो वनकालकर

एक झन फकीर िा नान-इन उसक पास एक आदमी वमलन आया वह बड़ करोध म िा घर म कछ

झगड़ा हो गया होगा पतनी स करोध म चला आया आकर जोर स दरवाजा खोला इतन जोर स दक दरवाजा

दीवाल स टकराया और करोध म ही जत उतारकर रख ददए

भीतर गया नान-इन को झककर नमसकार दकया नान-इन न कहा दक तरा झकना तरा नमसकार

सवीकार नही ह त पहल जाकर दरवाज स कषमा माग और जत पर वसर रख अपन जत पर वसर रख और कषमा

माग

उस आदमी न कहाः आप कया बात कर रह ह दरवाज म कोई जान ह जो कषमा माग जत म कोई जान

ह जो कषमा माग नान-इन न कहाः जब इतना समझदार िा तो जत पर करोध कयो परगट दकया जत म कोई

जान ह जो करोध परगट करो तो दरवाज को इतन जोर स धकका कयो ददया दरवाजा कोई तरी पतनी ह त जा

जब करोध करन क वलए तन जान मान ली दरवाज म और जत म तो कषमा मागन म अब कयो कजसी करता ह

उस आदमी को बात तो ददखायी पड़ गयी वह गया उसन दरवाज स कषमा मागी उसन जत पर वसर

रखा और उस आदमी न कहा दक इतनी िावत मझ कभी नही वमली िी जब मन अपन जत पर वसर रखा मझ

एक बात का दिमन हआ दक मामला तो मरा ही ह

लोग वबलकल अपरौढ़ ह बचचो की भावत ह

तम दख क कारण नही दखत दख क कारण सदा तमहार भीतर ह दख बाहर स नही आता और नकम

पाताल म नही ह नकम तमहार ही अचतन मन म ह वही ह पाताल और सवगम कही आकाि म नही ह तम

195

अपन अचतन मन को साफ कर लो कड़-करकट स वही सवगम वनरममत हो जाता ह सवगम और नकम तमहारी ही

भाव-दिाए ह और तम ही वनमामता हो तम ही मावलक हो

तो दख को जो दखगा उसक हाि म दख को खोलन की कजी आ जाती ह और मज की बात ह दक दख

को जो दखगा सामना करगा वह दख का अनगहीत होगा कयोदक हर दख एक चनौती भी ह और हर दख

तमह वनखारन का एक उपाय भी ह और हर दख ऐस ह जस आग और तम ऐस हो जस आग म गजर सोना

आग स गजरकर ही सोना कदन बनता ह

म छाव-छाव चला िा अपना बदन बचाकर

दक रह को एक खबसरत-सा वजसम द द

न कोई वसलवट न दाग कोई

न धप झलस न चोट खाए

न जखम छए न ददम पहच

बस एक कवारी सबह का वजसम पहना द रह को म

मगर तपी जब दपहर ददो की ददम की धप स जो गजरा

तो रह को छाव वमल गयी ह

अजीब ह ददम और तसकीन का साझा ररशता

वमलगी छाव तो बस कही धप म वमलगी

दख वनखारता ह दख सवछ करता ह दख माजता ह मीजता ह और माजता भी

अजीब ह ददम और तसकीन का साझा ररशता

वमलगी छाव तो बस कही धप म वमलगी

दखो स भागो मत दखो को जीयो दखो स होिपवमक गजरो और तम पाओगः हर दख तमह मजबत कर

गया हर दख तमहारी जड़ो को बड़ा कर गया हर दख तमह नया पराण द गया हर दख तमह फौलाद बना गया

दख का कछ कारण ह दख वयिम नही ह दख की कछ सािमकता ह दख की सािमकता यही ह दक दख क

वबना कोई आदमी आतमवान नही हो पाता पोच रह जाता ह पोचा रह जाता ह

इसवलए अकसर वजनको सख और सववधा म ही रहन का मौका वमला ह उनम तम एक तरह की पोचता

पाओग एक तरह का वछछलापन पाओग सखी आदमी म तिाकवित सखी आदमी म गहराई नही होती

उसक भीतर कोई आतमा नही होती

इसवलए तम अकसर धनी घरो म मढ़ वयवियो को पदा होत पाओग धनी घर क बचच बदध रह जात ह

सब सख-सववधा ह करना कया ह सब वस ही वमला ह पाना कया ह

सघषम नही तो सकलप नही और सकलप नही तो आतमा कहा और सकलप नही तो समपमण कस होगा

जब कमाओग सकलप को जब तमहारा म परगाढ़ होगा तभी दकसी ददन उस झकान का मजा भी आएगा नही

तो कया खाक मजा आएगा

वजसक पास अहकार नही ह वह वनरअहकारी नही हो सकता इस बात को खब समझ लना वजसक

पास गहन अहकार ह वही वनरअहकारी हो सकता ह वनरअहकाररता अहकार की आवखरी पराकािा क बाद

घटती ह

तम कहत होः म मतय स इतना नही डरता ह लदकन दखो स बहत डरता ह

196

मतय तो दर ह दख अभी ह िायद इसीवलए मतय स नही डरत दक आएगी तब आएगी अभी कहा

ददखा लत होओग हिली जाकर हसतरखाववद को और कडली पढ़वा लत होओग जयोवतषी स वह कहता होगाः

अभी नही कोई दफकर नही ह अभी तम सततर साल जीओग तम तो सौ साल जीओग तम तो सबको मारकर

जीओग तम तो मज स रहो अभी मौत कहा

और आदमी की दवषट बड़ी सकीणम ह अगर कोई बात दस साल बाद ह तो तमह ददखायी ही नही पड़ती

बहत करीब हो तो ही ददखायी पड़ती ह आदमी दर-दवषट नही ह

तम सोचो कोई तमस कह कल तमह मरना ह तो िायद िोड़ा झटका लग लदकन कोई कह दक एक

सिाह बाद तो उतना झटका नही लगता और एक साल बाद तो तम कहत हो दखग जी दस साल बाद तो

तम कहत होः छोड़ो भी कहा की बकवास लगा रखी ह सततर साल बाद तो वह तो ऐसा लगता ह दक करीब-

करीब अमरता वमल गयी करना कया ह और सततर साल कही पर होत ह इतना लबा फासला दफर तमह

ददखायी नही पड़ता

दख अभी ह मतय दर ह िायद इसीवलए तम डरत नही कयोदक जो दख स डरता ह वह मतय क परवत

वसततः अभय को उपलबध नही हो सकता ह मगर वसफम दर ह इसवलए तमह अभी अड़चन नही ह तम कहत

हो दक जब होगा तब दख लग अभी तो यह वसरददम जान खा रहा ह दक अभी तो यह सचता मन को पकड़ हए

ह अभी तो इस धध म दाव लगा ददया ह कही सब न खो जाए अभी यह नकसान लग गया ह दकान म अभी

यह पतनी छोड़कर चली गयी

अभी य छोटी-छोटी बात काट की तरह चभ रही ह और जब य छोटी-छोटी बात काट की तरह चभ रही

ह तो जब तलवार उतरगी मतय की और गरदन काटगी तो तम सोचत हो तम सख स मर सकोग असभव ह

जब काट इतना दख द रह ह तो तलवार जो वबलकल काट जाएगी काट तो छोट-छोट ह तलवार तो परी

तरह वछि-वभि कर दगी

नही तमह पता नही ह मौत का अभी तमह दख का ही पता नही ह तो मौत का कया पता होगा

तम दख का साकषातकार करो तम दख को दखना िर करो इसी दख स पहचान होती जाए इसी दख स

धीर-धीर तमहार भीतर बल पदा होता जाए तो एक ददन ऐसी घड़ी आएगी दक मौत भी आएगी और तम

अववचल खड़ रहोग मौत तमह घर लगी और तमहार भीतर कोई झझावात न होगा मौत आएगी और तम

अछत रह जाओग वह परम घड़ी

और मौत आनी तो वनवशचत ह इस िरीर म िोड़ी दर ही बस सकत हो जयादा दर नही बसन योगय

यहा जयादा कछ ह भी नही

खड़खड़ाता ह आह सारा बदन

खपवचचया जस बाध रकखी ह

खोखल बास जोड़ रकख हो

कोई रससी कही स खल जाए

ररशता टट कही स जोड़ो का

और वबखर जाए वजसम का पजर

इस बदन म यह रह बचारी

बासरी जानकर चली आयी

197

समझी होगी दक सर वमलग यहा

लदकन सर यहा वमलता कहा

इस बदन म यह रह बचारी

बासरी जानकर चली आयी

समझी होगी दक सर वमलग यहा

मगर सर वमलता कहा ह सर दकसको वमला यहा यहा तो सब सर झठ ह यहा तो बस सब सर

कषणभगर ह यहा तो सब सर अभी ह और अभी खवडत हो जात ह और सभी सर बसवाद हो जात ह मीठा भी

यहा जलदी ही कडवा हो जाता ह और यहा का अमत भी जयादा दर अमत नही होता ऊपर-ऊपर अमत ह

भीतर-भीतर जहर ह

आज नही कल यह दह तो छोड़ दनी पड़गी कही और तलाि करनी ह मगर अगर तमन इस दह म ठीक

स तलाि न की तो बहत डर ह दक दफर दकसी और दह को बासरी समझकर दफर परवि कर जाओग ऐसा ही

तो दकतनी ही बार कर चक हो

अगर इस दह को ठीक स न समझा इसक दख ठीक स न पहचान इसकी वयिमता ठीक स न जानी इसकी

असारता को परगाढ़ता स अपन वचतत म नही वबठाया इसकी कषणभगरता न पहचानी इसका नकम न दखा--तो

आिा लटकी रह जाएगी सोचोगः इस दह म नही हआ यह बासरी ठीक नही िी चलो न रही होगी और भी

बासररया ह कोई और दह धर दकसी और गभम म परवि कर

मरत वि अगर िोड़ी भी आिा सजदा रही तो दफर पनजमनम हो जाएगा मरत वि अगर तम यह

दखकर और जानकर मर दक सजदगी असार ह और यह असारता इतनी पररपणमता स तमहार सामन खड़ी रही

दक जरा भी आिा न उठी जरा भी दफर जनम लन और दफर जीवन को दखन का भाव न उठा तो तम मि हो

जाओग तो तमन जीवन भी जी वलया और मतय भी जी ली तो जीवन स जो वमलना िा वह तमन पा वलया--

दक जीवन असार ह और मतय दफर तमस कछ भी नही छीन सकती--अगर तमही न जान वलया दक जीवन

असार ह कयोदक मतय जीवन ही छीनती ह तम जान ही गए दक जीवन असार ह तो तम मतय का भी

धनयवाद करोग

और जो वयवि मतय को धनयवाद करत हए मर जाता ह वही मि हो जाता ह वही आवागमन क पार

हो जाता ह

पाचवा परशनः म आपकी बात वबलकल ही नही समझ पाता ह

या तो मरा कसर होगा या तमहार पास अभी समझ ही नही ह म तो जो कह रहा ह सीधा-साफ ह

इसम जरा भी उलझाव नही ह लदकन म समझ सकता ह तमह उलझाव ददखत होग कयोदक तमहार दखन क

ढग तमहार सोचन क ढग म िायद बात न बठती हो बठ भी नही सकती

अगर तमह मरी बात समझनी ह तो तमह सोचन क ढग बदलन होग तमह सोचन की नयी िली सीखनी

होगी तमह तकम की सीमाओ क बाहर आना होगा तमह िबदो क जाल स िासतरो की रटी-रटायी बातो स िोड़ा

ऊपर उठना होगा तमह आदमी बनना होगा तमह तोत होन स िोड़ा छटकारा लना होगा

समझ क भी बहत तल ह उतनी ही बात समझ म आती ह जहा तक हमारा तल होता ह

198

मन सनाः एक डाकटर छोट स बचच स बोला--उसकी जाच करता होगा--बट तमह नाक-कान स कोई

विकायत तो नही ह नाक स बलगम टपक रहा ह सदी-जकाम इतन जोर स ह बचच को दक उस कछ ठीक स

सनायी भी नही पड़ता कान तक रध गए ह छाती घरम-घरम हो रही ह और डाकटर पछता हः बट तमह नाक-

कान स कोई विकायत तो नही ह

बचच न कहाः जी ह व कमीज उतारत बीच म आत ह

अपनी-अपनी समझ अब बचच की तकलीफ यह ह दक जब भी कमीज उतारता ह तो नाक-कान बीच म

आत ह एक तल ह

तमह िायद मरी बात समझ म न आती हो हो सकता ह

एक वमतर न मलला नसरददीन स कहाः मलला जी म वववाह इस कारण नही करना चाहता ह दक मझ

वसतरयो स बहत डर लगता ह

मलला न कहाः अगर ऐसी बात ह तब तो तम वववाह तरत कर डालो म तमह अपन अनभव स कहता ह

दक वववाह क बाद एक ही सतरी का भय रह जाता ह

अपना-अपना अनभव अपनी-अपनी समझ

एक बाप न अपन बट स कहाः जमाना बहत आग बढ़ गया ह तम खद अपन योगय लड़की दख लो

बटा बड़ा परसि हआ और तो कभी वपता क चरण न छता िा आज उसन वपता क चरण छए और वपता

की आजञा मानकर पतर न वनयवमत रप स बालकनी म खड़ होकर लड़की दखना िर कर ददया

तम वही समझ सकत हो जो तम समझ सकत हो

अगर तमह मरी बात समझ म नही आ रही ह तो दो उपाय ह या तो म ऐसी बात कह जो तमहारी

समझ म आ जाए या तम ऐसी समझ बनाओ दक जो म कहता ह वह समझ म आ जाए

अगर म ऐसी बात कह जो तमह समझ म आ जाए तो सार ही कया होगा वह तो तमह समझ म आती

ही ह दफर मर पास आन का कोई परयोजन नही ह

तो म तो वह बात नही कहगा जो तमहारी समझ म आ सकती ह म तो वही कहगा जो सच ह तमह

समझ म न आती हो तो समझ को िोड़ा वनखारो िोड़ी धार रखो समझ पर समझ को बदलो

यही तो विषयतव का अिम ह दक अगर समझ म नही आता ह तो हम समझ को बदलग उसम िोड़ी

करठनाई होगी िोड़ा शरम करना होगा और लोग शरम वबलकल नही करना चाहत तो दफर तम अटक रह

जाओग--तमही म

या तो म तमहार पास आऊ या तम मर पास आओ अछा यही होगा दक तम मर पास आओ उसस

तमहारा ववकास होगा म तमहार पास आऊ उसस तमहारा कोई ववकास नही होगा उसम तो तम और जड़बदध

हो जाओग जहा हो वही

तो जरर मझ इस ढग स तमस बात कहनी पड़ती ह दक कछ तो तमहारी समझ म आए और कछ तमहारी

समझ म न आए

अगर म वबलकल ऐसी बात कह दक तमह वबलकल ही समझ म न आए तो तमहारा मझस नाता टट

जाएगा तब म कही दर स वचलला रहा ह और तम कही बहत दर खोए हो वहा तक आवाज भी नही पहचगी

199

तो कछ तो म ऐसी बात कहता ह जो तमहारी समझ म आए तादक नाता बना रह लदकन अगर म

उतनी ही बात कहता रह जो तमहारी समझ म आती ह तो नाता तो बना रहगा लदकन लाभ कया होगा ऐस

नात का परयोजन कया

तो कछ ऐसी बात भी कहता ह जो तमहारी समझ म न आए तादक नाता बना रह सत जड़ा रह तमह

कछ समझ म आता रह और कछ जो समझ म नही आता उस समझन क वलए तम िोड़ हाि ऊपर बढ़ात रहो

तमहार हाि ऊपर बढ़ान म ही दकसी ददन आकाि को तम छओग

छठवा परशनः पयार ओिो परम आपक साविधय म तीन माह रहकर मरा परा जीवन रपातररत हो गया

ह परा जीवन बदल गया ह म आनद स इतनी भर गयी ह दक उस िबदो म वयि नही कर पाती अब तो जहा

भी जाऊगी हदय नतमन करता रहगा और मर मह म आपका गणगान होता रहगा मरा अहोभाव सवीकार कर

पछा ह रजना न

जीवन वनवशचत रपातररत होता ह बस इतनी भी अगर तमहारी तयारी हो दक मर पास वनसशचत मन स

बठ पाओ वसफम पास बठ पाओ वसफम सतसग हो जाए तो भी रपातरण होता ह

बझा दीया जल दीए क करीब आ जाए तो भी जल दीए स बझ दीए पर जयोवत कभी भी छलाग ल

सकती ह

रपातरण दकए-दकए स नही हो कभी-कभी वबना दकए हो जाता ह और असली कलाकार वही ह जो

वबना दकए रपातरण कर ल

लदकन पास होना बड़ी वहममत की बात ह तम यहा बठत भी हो तो भी हजार तरह की दीवाल बनाए

रखत हो सरकषा रखत हो सोच-सोचकर कदम उठात हो सोच-सोचकर अगर कदम उठाए तो चकोग कयोदक

सोच-सोचकर कदम उठाए तो व कदम कभी बहत दर तक जान वाल नही तमहारी सोच की सीमा क भीतर

होग

मर पास दो तरह क लोग सनयास लत ह एक जो सोच-सोचकर सनयास लत ह सोचन की वजह स

उनका सनयास आधा मरा हआ हो जाता ह पहल ही स जस अधमरा बचचा पदा हो

दसर व जो वबना सोच सनयास लत ह जो वसफम मर परम म पड़कर सनयास लत ह जो पागल की तरह

सनयास लत ह जो कहत हः अब नही सोचग एक नाता तो जीवन म बनाए जो वबना सोच ह इनक सनयास

म एक जीवतता होती ह एक परगाढ़ता होती ह इनक सनयास म एक ऊजाम होती ह

रजना का सनयास वसा ही ह वबना सोच वलया ह वहसाब-दकताब नही रखा ह

वसतरया अकसर वबना वहसाब-दकताब क चल पाती ह परष बहत वहसाबी- दकताबी ह वह सब तरह क

ववचार कर लता ह लाभ-हावन सब सोच लता ह जब दखता ह दक हा हावन स लाभ जयादा ह तो दफर

सनयास लता ह हावन-लाभ दोनो सोचन क कारण वचतत का एक वहससा कहता ह मत लो एक वहससा कहता

ह लो तो जब लता भी ह तब भी उसका लना ऐसा ही होता ह वजसको हम पारलमयामटरी कहत ह जस

पारलमयामट म कोई वनणमय वलया जाता ह दक बहमत एक तरफ हो गया तो वनणमय हो गया

लदकन बहमत स वलए गए वनणमय का कोई बहत भरोसा नही ह कयोदक लोग पाटी बदलत ह आए राम

गए राम लोग पाटी बदलत ह तमहार वचतत क वहसस भी बदल जात ह सबह तम सोचत ि दक सततर परवतित

200

मन कह रहा ह सनयास ल लो साझ होत-होत साठ परवतित कह रहा ह दक सनयास ल लो दसर ददन पचास

परवतित कह रहा ह लो पचास परवतित कह रहा ह न लो लन क बाद पता चल दक सततर परवतित मन कह

रहा ह दक गलती कर दी दक ल वलया

मन एक स दसर म डावाडोल होता रहता ह मन का सवभाव डावाडोल होना ह वजसन सोचकर वलया

उसन अधरपन स वलया पारलमयामटरी वनरणय ह इसका कोई बहत भरोसा नही ह वजसन वबना सोच वलया

उसन सवागीणता स वलया उसक भीतर बहमत और अलपमत का मतलब नही ह उसन सवममत स वलया

जो सवममत स सनयास लगा सहज ही रपातरण घरटत होगा

रजना को वसा हआ ऐसा सबको हो सकता ह िोड़ी वहममत चावहए िोड़ा साहस चावहए

और जब ऐसा हो जाए तो दफर कही भी रहो इसस कछ फकम नही पड़ता जो गीत पदा हआ वह जारी

रहगा जो नाच जनमा वह तमहार परो म समा गया वह तमहार पराणो म समा गया दफर पास या दर स कछ

भद नही पड़ता

बहत ह जो यहा पास होकर भी दर ह और बहत ह जो दर होकर भी पास होग पास और दर का कोई

अिम नही ह असली सवाल आतमा स आतमा क पास होना ह

हो गए ह वो दीए की रोिनी लकर फरार

वमल गयी वमलनी िी हमको जो सजाए-ऐतबार

पतिरो म फल वखलत ह यहा तो आजकल

इक नयी तासीर लकर आयी ह फसल-बहार

एक भी चहरा सही चहरा नजर आता नही

इस कदर छायी ह सार िहर प गदो-गबार

काि कोई आईन सा आईना वमलता हम

आईनाखान म य तो आईन ह बिमार

घोसल म रख क उड़त ह परो को आजकल

य पररद दकतन जयादा हो गए ह होवियार

पकषी भी होवियार हो गए ह पखो को घोसल म ही रख जात ह दक कही रासत म खो न जाए दफर उड़त

ह ऐस होवियार झझट म पड़त ह

घोसल म रख क उड़त ह परो को आजकल

य पररद दकतन जयादा हो गए ह होवियार

होवियारी भी कभी-कभी बड़ी गहरी नासमझी होती ह और कभी-कभी नासमझी भी बड़ी गहरी

होवियारी होती ह

परमातमा क सबध म जो पागल होन को तयार ह व ही समझदार ह

आवखरी परशनः ओिो आप अपन विषयो म चनकर एक मर नाम क पीछ ही जी कयो लगात ह और कया

यह मर वलए उवचत नही होगा दक म इसक परवत अपना ववनमर ववरोध परगट कर

पछा ह आनद मतरय न

201

अलग-अलग लोगो को चोट करन क मर अलग-अलग ढग ह मतरय जी

आज इतना ही

202

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ इककीस परवचन

जागो और जीओ

आसा यसय न ववजजवनत अससम लोक परवमह च

वनरासय ववसयतत तमह बरवम बराहमण 324

यससालया न ववजजवनत अाय अकिकिी

अमतोगध अनपपत तमह बरवम बराहमण 325

योध पच पापच उभो सग उपचचगा

असोक ववरज सदध तमह बरवम बराहमण 326

चनदव ववमल सदध ववपपसिमनाववल

ननदीभवपररकखीण तमह बरवम बराहमण 327

वहततवा मानसक योग ददबब योग उपचचगा

सबबयोगववसयतत तमह बरवम बराहमण 328

पबबवनवास यो वदद सगगापायच पससवत

अिो जावतखय पततो असभवावसतो मवन

सबबवोवसतवोसान तमह बरवम बराहमण 329

धममपद क अवतम सतरो का ददन आ गया

लबी िी यातरा पर बड़ी परीवतकर िी म तो चाहता िा--सदा चल बदध क साि उठना बदध क साि

बठना बदध की हवा म डोलना बदध की दकरणो को पकड़ना दफर स जीना उस िाशवत पराण को बदध और

बदध क विषयो क बीच जो अपवम घटनाए घटी उनह दफर स समझना-बझना-गनना उनह दफर हदय म

वबठालना--यातरा अदभत िी

पर यातरा दकतनी ही अदभत हो वजसकी िरआत ह उसका अत ह हम दकतना ही चाह तो भी यहा

कछ िाशवत नही हो सकता यहा बदध भी अवतररत होत ह और ववलीन हो जात ह औरो की तो बात ही कया

यहा सतय भी आता ह तो ठहर नही पाता कषणभर को कौध होती ह खो जाता ह यहा रोिनी नही उतरती

ऐसा नही उतरती ह उतर भी नही पाती दक जान का कषण आ जाता ह

बदध न ठीक ही कहा ह--यहा सभी कछ कषणभगर ह बितम सभी कछ कषणभगर ह और जो इस

कषणभगरता को जान लता ह उसका यहा आना बद हो जाता ह हम तभी तक यहा टटोलत ह जब तक हम

यह भरावत होती ह दक िायद कषणभगर म िाशवत वमल जाए िायद सख म आनद वमल जाए िायद परम म

203

परािमना वमल जाए िायद दह म आतमा वमल जाए िायद पदािम म परमातमा वमल जाए िायद समय म हम

उस खोज ल जो समय क पार ह

पर जो नही होना वह नही होना जो नही होता वह नही हो सकता ह

यहा सतय भी आता ह तो बस झलक द पाता ह इस जगत का सवभाव ही कषणभगरता ह यहा िाशवत

भी पर जमाकर खड़ा नही हो सकता यह धारा बहती ही रहती ह यहा िरआत ह मधय ह और अत ह और

दर नही लगती और वजतनी जीवत बात हो उतन जलदी समाि हो जाती ह पतिर तो दर तक पड़ा रहता ह

फल सबह वखल साझ मरझा जात ह

यही कारण ह दक बदधो क होन का हम भरोसा नही आता कषणभर को रोिनी उतरती ह दफर खो जाती

ह दर तक अधरा--और कभी-कभी रोिनी परगट होती ह सददया बीत जाती ह तब रोिनी परगट होती ह

परानी याददाशत भल जाती ह तब रोिनी परगट होती ह दफर हम भरोसा नही कर पात

यहा तो हम उस पर ही भरोसा ठीक स नही बठता जो रोज-रोज होता ह यहा चीज इतनी सवपनवत ह

भरोसा हो तो कस हो और जो कभी-कभी होता ह सददयो म जो ववरल ह उस पर तो कस भरोसा हो हमार

तो अनभव म पहल कभी नही हआ िा और हमार अनभव म िायद दफर कभी नही होगा

इसवलए बदधो पर हम गहर म सदह बना रहता ह ऐस वयवि हए ऐस वयवि हो सकत ह और जब तक

ऐसी आसिा परगाढ़ न हो दक ऐस वयवि हए ह अब भी हो सकत ह आग भी होत रहग--तब तक तमहार भीतर

बदधतव का जनम नही हो सकगा कयोदक अगर यह भीतर सदह हो दक बदध होत ही नही तो तम कस बदधतव की

यातरा करोग जो होता ही नही उस तरफ कोई भी नही जाता

जो होता ह--सवनवशचत होता ह--ऐसी जब परगाढ़ता स तमहार पराणो म बात बठ जाएगी तभी तम कदम

उठा सकोग अजञात की ओर

इसवलए बदध की चचाम की इसवलए और बदधो की भी तमस चचाम की ह वसफम यह भरोसा ददलान क

वलए तमहार भीतर यह आसिा उमग आए दक नही तम दकसी वयिम खोज म नही लग गए हो परमातमा ह

तम अधर म नही चल रह हो यह रासता खब चला हआ ह और भी लोग तमस पहल इस पर चल ह और ऐसा

पहल ही होता िा--ऐसा नही दफर हो सकता ह कयोदक तमहार भीतर वह सब मौजद ह जो बदध क भीतर

मौजद िा जरा बदध पर भरोसा आन की जररत ह

और जब म कहता हः बदध पर भरोसा आन की जररत तो मरा अिम गौतम बदध स नही ह और भी

बदध हए ह कराइसट और कषण और मोहममद और महावीर और लाओतस और जरिसतर जो जागा वही बदध

बदध जागरण की अवसिा का नाम ह गौतम बदध एक नाम ह ऐस और अनको नाम ह

गौतम बदध क साि इन अनक महीनो तक हमन सतसग दकया

धममपद क तो अवतम सतर का ददन आ गया लदकन इस सतसग को भल मत जाना इस समहालकर

रखना यह परम सपदा ह इसी सपदा म तमहारा सौभागय वछपा ह इसी सपदा म तमहारा भववषय ह

दफर-दफर इन गािाओ को सोचना दफर-दफर इन गािाओ को गनगनाना दफर-दफर इन अपवम दशयो को

समरण म लाना तादक बार-बार क आघात स तमहार भीतर सवनवशचत रखाए हो जाए पतिर पर भी रससी

आती-जाती रहती ह तो वनिान पड़ जात ह

इसवलए इस दि न एक अनठी बात खोजी िी जो दवनया म कही भी नही ह वह िी--पाठ पढ़ना तो

एक बात ह पाठ वबलकल ही दसरी बात ह पढ़न का तो अिम होता हः एक दकताब पढ़ ली खतम हो गयी

204

बात समाि हो गयी पाठ का अिम होता हः जो पढ़ा उस दफर पढ़ा दफर-दफर पढ़ा कयोदक कछ ऐसी बात ह

इस जगत म जो एक ही बार पढ़न स दकसकी समझ म आ सकती ह कछ ऐसी बात ह इस जगत म वजनम

गहराइयो पर गहराइया ह वजनको तम वजतना खोदोग उतन ही अमत की सभावना बढ़ती जाएगी उनही को

हम िासतर कहत ह

दकताब और िासतर म यही फकम ह दकताब वह वजसम एक ही पतम होती ह एक बार पढ़ ली और खतम

हो गयी एक उपनयास पढ़ा और वयिम हो गया एक दफलम दखी और बात खतम हो गयी दबारा कौन उस

दफलम को दखना चाहगा दखन को कछ बचा ही नही सतह िी चक गयी

िासतर हम कहत ह ऐसी दकताब को वजस वजतनी बार दखा उतनी बार नए अिम पदा हए वजतनी बार

झाका उतनी बार कछ नया हाि लगा वजतनी बार भीतर गए कछ लकर लौट बार-बार गए और बार-बार

जयादा वमला कयो कयोदक तमहारा अनभव बढ़ता गया तमहार मनन की कषमता बढ़ती गयी तमहार धयान

की कषमता बढ़ती गयी

बदधो क वचन ऐस वचन ह दक तम जनमो-जनमो तक खोदत रहोग तो भी तम आवखरी सिान पर नही

पहच पाओग आएगा ही नही गहराई क बाद और गहराई गहराई बढ़ती चली जाती ह

पाठ तो तभी समाि होता ह जब तम भी िासतर हो जात हो उसक पहल समाि नही होता पाठ तो तब

समाि होता ह जब िासतर की गहराई तमहारी अपनी गहराई हो जाती ह

ऐसी य अपवम गािाए िी अवतम गािाओ क पहल इस दशय को समझ ल

पहला दशयः

रवत सिववर आयषमान साररपतर क छोट भाई ि साररपतर बदध क अगरणी विषयो म एक ह रवत उनक

छोट भाई ि व वववाह क बधन म बधत-बधत ही छट भाग ि बीच बारात स भाग गए ि बारात पहची ही

जा रही िी मडप क पास जहा पजारी तयार ि सवागत का आयोजन िा बड-बाज बज रह ि ऐस घोड़ स

बीच म उतरकर रवत भाग गए ि

दफर जगल म जाकर बदध क वभकष वमल गए तो उनस उनहोन परवरजया गरहण कर ली और खददरवन म

एकात धयान और मौन क वलए चल गए ि वहा उनहोन सात वषम समगरता स साधना की और अहमतव को

उपलबध हए

उनहोन अभी तक भगवान का दिमन नही दकया िा पहल सोचा रवत न दक योगय तो हो ल तब उन

भगवान क दिमन को जाऊ पहल कछ पातरता तो हो मरी पहल आख तो खोल ल जो दख सक उनह पहल

हदय तो वनखार ल जो झल सक उनह पहल भवम तो तयार कर ल तादक व भगवान अपन बीज फक तो बीज

य ही न चल जाए उनका शरम सािमक हो पहल इस योगय हो जाऊ तब उनक दिमन को जाऊ

तो रवत सात वषो तक भगवान क दिमन को नही गया दफर सात वषो की समगर साधना धयान म सारी

िवि को लगा दना रवत अहमतव को उपलबध हो गया पहल इसवलए नही गया दखन भगवान को दक कस

जाऊ और जब अहमतव को उपलबध हो गया तो जान की कोई बात ही न रही तो भगवान को जान ही वलया

वबना दख जान वलया कयोदक भगवतता भीतर ही उमग आयी

205

सो रवत बड़ी मवशकल म पड़ गया पहल गया नही तब सोच-सोच रोन लगा दक पहल गया नही

सोचता िा दक पातर हो जाऊ और अब जाऊ कया अब वजस दखन चला िा उसक दिमन तो भीतर ही हो गए

वजस गर को बाहर खोजन चला िा वह गर भीतर वमल गया सो रवत मगन होकर अपन जगल म ही रहा

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा पहच वह जगल बहत

भयकर िा रासत ऊबड़-खाबड़ और कटकाकीणम ि जगली पिओ की छाती को कपा दन वाली दहाड़ भरी

दोपहर म भी सनायी पड़ती िी लदकन वभकषओ को इसकी कोई खबर नही वमली कछ पता नही चला न तो

रासतो का ऊबड़-खाबड़ होना पता चला न जगली जानवरो की दहाड़ सनायी पड़ी न काटो स भरा हआ जगल

ददखायी पड़ा उनह तो सब तरफ फल ही फल वखल ददखायी पड़त ि उनह तो सब तरफ जगल की परम िावत

धववनत होती मालम पड़ रही िी

रवत न धयान म भगवान को आत दख उनक वलए सदर आसन बनाया कछ जगल म वविष चीज तो

उसक पास नही िी वभकष िा जो भी वमल सका--पतिर ईट--जो भी वमल सक उसी को लगाकर आसन

बनाया घास-पात जो वमल सका वह वबछा ददया फल वबखर ददए धयान म भगवान को आता दख

भगवान खददरवन म एक माह रह दफर व रवत को भी साि लकर वापस लौट आत समय दो वभकषओ

क उपाहन तल की फोफी और जलपातर पीछ छट गए सो व मागम स लौटकर जब उनह लन गए तो जो उनहोन

दखा उस पर उनह भरोसा नही आया दकसी को भी न आता

रासत बड़ ऊबड़-खाबड़ ि जगली पि दहाड़ रह ि फल तो सब खो गए ि सारा जगल काटो स भरा

िा इतना ही नही रवत का जो वनवास सिान घड़ी दो घड़ी पहल इतना रमय िा दक सवगम को झपाए वह

काटो ही काटो स भरा िा और वजस परम सदर आसन पर रवत न बदध को वबठाया िा उस पर कोई वभखारी

भी बठन को राजी न हो ऐसा करप िा इतना ही नही घड़ीभर पहल जो भवन अपवम जीवतता स नाच रहा

िा वह वबलकल खडहर िा वह भवन िा ही नही वह दकसी न मालम सददयो पहल कोई रहा होगा उसक

महल का खडहर िा

व तो भरोसा न कर सक दखकर वहा ऐसा लगा दक जस हमन कोई सपना दखा िा

शरावसती लौटन पर महोपावसका वविाखा न उनस पछा--उन दो वभकषओ स--आयम रवत का वनवास सिान

कसा िा मत पछो उपावसक व वभकष बोल मत पछो ऐसी खतरनाक जगह हमन कभी दखी नही खडहर िा

खडहर वनवास सिान कहो मत सब काटो स भरा िा जगल और भी बहत दख ह मगर ऐसा भयानक जगल

नही आदमी ददन म खो जाए तो राह न वमल भरी दपहरी म ऐसा घना जगल दक सरज की दकरण न पार

कर सक वकषो को और भयकर जानवरो स भरा हआ बचकर आ गए यही कहो उपावसक पछो मत वह बात

याद ददलाओ मत और यह रवत कस उस जगह म रहता िा काटो ही काटो स भरा िा वह खडहर इतना ही

नही साप-वबछओ स भी भरा िा

दफर वविाखा न और वभकषओ स भी पछा उनहोन कहाः आयम रवत का सिान सवगम जसा सदर ह मानो

ऋवदध स बनाया गया हो चमतकार ह महल सदर हमन बहत दख ह मगर रवत वजस महल म रह रहा िा

ऐसा महल सवगम क दवताओ को भी उपलबध नही होगा इतनी िावत इतनी परगाढ़ िावत ऐसा सिाटा ऐसा

अपवम सगीतमय वातावरण--नही इस पथवी पर दसरा नही ह

206

इन ववपरीत मतवयो स वविाखा सवभावतः चदकत हई दफर उसन भगवान स पछाः भत आयम रवत क

वनवास सिान क सबध म पछन पर आपक साि गए हए वभकषओ म कोई उस नकम जसा और कोई उस सवगम जसा

बतात ह असली बात कया ह

भगवान हस और बोलः उपावसक जब तक वहा रवत का वास िा वह सवगम जसा िा जहा रवत जस

बराहमण ववहरत ह वह सवगम हो ही जाता ह लदकन उनक हटत ही वह नकम जसा हो गया जस दीया हटा

वलया जाए और अधरा हो जाए ऐस ही मरा पतर रवत अहमत हो गया ह बराहमण हो गया ह उसन बरहम को

जान वलया ह

और तब उनहोन य गािाए कही िीः

आसा यसय न ववजजवनत अससम लोक परवमह च

वनरासय ववसयतत तमह बरवम बराहमण

इस लोक और परलोक क ववषय म वजसकी आिाए नही रह गयी ह जो वनरािय और असग ह उस म

बराहमण कहता ह

यससालया न ववजजवनत अाय अकिकिी

अमतोगध अनपपत तमह बरवम बराहमण

वजस आलय--तषणा--नही ह जो जानकर वीतसदह हो गया ह और वजसन डबकर अमत पद वनवामण

को पा वलया ह उस म बराहमण कहता ह

योध पच पापच उभो सग उपचचगा

असोक ववरज सदध तमह बरवम बराहमण

वजसन यहा पणय और पाप दोनो की आसवि को छोड़ ददया ह जो ववगतिोक वनममल और िदध ह उस

म बराहमण कहता ह

सतरो क पवम दशय को खब मनन करो दशय पर धयान करो

रवत सिववर साररपतर का छोटा भाई िा बारात जाती िी घोड़ पर बठा होगा लदकन बीच स भाग

गया कया हो गया

दवनया म तीन तरह क लोग ह पहल वजनह हम मढ़ कह बवदधहीन कह व अनभव स भी नही सीखत

ह बार-बार अनभव हो तब भी नही सीखत ह व पनः-पनः वही भल करत ह व भल भी नयी नही करत ह

व भल भी परानी ही दोहरात ह उनक जीवन म नया कछ होता ही नही उनका जीवन कोलह क बल जसा

होता ह बस उसी म डोलता रहता ह वही चककर काटता रहता ह गाड़ी क चाक जसा घमता रहता ह

एक आदमी अपनी पतनी स बहत पीवड़त िा और कई बार अपन वमतरो स कह चका िा दक अगर यह मरी

सतरी मर जाए तो म दबारा सपन म भी वववाह की न सोचगा दफर सतरी मर गयी सयोग की बात और पाच-

207

सात ददन बाद ही वह आदमी नयी सतरी की तलाि करन लगा तो उसक वमतरो न पछाः अर अभी पाच-सात

ददन ही बीत और तम तो कहत ि सपन म न सोचगा उनहोन कहाः छोड़ो भी जान भी दो उस समय की

बात उस समय की िी सब बदल गया अब सभी वसतरया एक जसी िोड़ ही होती ह उसन दख ददया तो सभी

दख दगी ऐसा िोड़ ही ह

उसन दफर वववाह कर वलया और दफर दख पाया तब वह अपन वमतरो स बोला दक तम ठीक ही कहत

ि अब यह भी अनभव हो गया दक सभी वसतरया एक जसी ह कछ भद नही पड़ता सब सबधो म दख ह और

यह वववाह का सबध तो महादख ह अब कभी नही अगर भगवान एक अवसर और द तो अब कभी न करगा

वववाह

परानी कहानी ह भगवान न सन वलया होगा एक अवसर और ददया पतनी दफर मर गयी साधारणतः

पहली पतनी नही मरती अकसर तो ऐसा होता ह दक पतनी पवत को मारकर ही मरती ह

तमन दखा ववधवाए ददखायी पड़ती ह वसतरयो की िारीररक उमर परषो स जयादा ह पाच साल जयादा

ह औसत अगर आदमी सततर साल जीएगा तो सतरी पचहततर साल जीएगी और एक मढ़ता क कारण दक जब

हम वववाह करत ह तो हम परष की उमर तीन-चार-पाच साल जयादा लड़का होना चावहए इककीस का और

लड़की होनी चावहए सोलह की या अठारह की तो पाच साल का तो सवाभाववक भद ह पाच साल का भद हम

खड़ा कर दत ह तो परष दस साल पीछ वपछड़ जाता ह तो अगर परष मरगा तो उसक दस साल बाद तक

उसकी पतनी क सजदा रहन की सभावना ह

तो पहली पतनी ही नही मरती पहली भी मरी दसरी मरी यह किा सतयग की होगी कलयग म य

बात कहा दसरी सतरी क मरन क पाच-सात ददन बाद ही वह आदमी दफर सतरी तलाि करन लगा वमतरो न कहाः

अर भई अब तो समहलो वह आदमी मसकराया और उसन कहाः सनो अब मझ एक बात समझ म आ गयी

मन म दक आिा की हमिा अनभव पर ववजय होती ह अब मझ दफर आिा बध रही ह दक कौन जान तीसरी

सतरी वभि हो अर दकसन जाना

आिा पर अनभव नही जीत पाता अनभव पर आिा जीत जाती ह--यह मढ़ का लकषण ह

दसर व लोग ह वजनह हम बवदधमान कह व अनभव स सीखत ह अनभव क वबना नही सीखत

बवदधमान को पनरवि नही करनी पड़ती एक ही अनभव काफी होता ह मगर एक अनभव जररी होता ह

वबना अनभव क नही बवदधमान सीख सकता मगर एक काफी ह एक बार चख वलया समदर क पानी को तो

सार समदरो का पानी चख वलया बात समाि हो गयी उस सवाद न वनणमय द ददया अब दबारा यही भल नही

करगा

मढ़ बधी-बधायी भल करता ह कछ सीखता ही नही इसका मतलब हआ--वही-वही भल करन का

मतलब हआ--दक कछ सीखता नही दक भलो को बदल ल नयी भल कर परानी छोड़ कछ नए उपाय कर

बवदधमान एक भल को एक बार करता ह ऐसा नही दक बवदधमान भल नही करता मगर जब करता ह

तो नयी भल करता ह इसवलए बवदधमान ववकासमान होता ह वह आग बढ़ता ह हर अनभव उस नया जञान द

जाता ह

तीसर वयवि होत ह वजनको परजञावान कहा जाता ह व बवदधमान स आग होत ह व अनभव म नही

गजरत व अनभव को बाहर स ही दखकर जाग जात ह व दसरो का अनभव दखकर भी जाग जात ह उनह

सवय ही अनभव म जान की जररत नही होती

208

पहला आदमी ऐसा दक जब वगरगा आग म तो एक बार वगरगा दो बार वगरगा रोज जलगा दफर-दफर

वगरगा दसरा आदमी ऐसा दक एक बार जल जाएगा तो समहल जाएगा और तीसरा आदमी ऐसा दक दसरो

को वगरत दखकर जलत दखकर ही समहल जाएगा उसको परजञावान कहा ह

रवत परजञावान िा उसन दख होग चारो तरफ वववावहत और दखी लोग वववावहत और दखी करीब-

करीब पयामयवाची िबद ह वववावहत--और तमन सखी दखा इस बात को बचान क वलए कहावनया वववाह क

बाद खतम हो जाती ह दफर आग नही जाती कयोदक आग जाना खतरनाक ह

दफलम भी--बड-बाजा बज रहा ह िहनाई बज रही ह--और खतम हो जाती ह वववाह हआ खतम हई

कहावनया परानी कहती ह दक उन दोनो का वववाह हो गया दफर व दोनो सख स रहन लग यही जाकर खतम

हो जाती ह दफर आग की बात उठाना खतर स खाली नही ह

वववाह क बाद कौन कब सख स रहा वववाह क पहल लोग भला सख स रह हो एक आदमी ही जब

दखी िा तो दो होकर दगना दख हो जाएगा हजार गना हो जाएगा दो दखी वमलग तो सख पदा हो कस

सकता ह दो जहरो क वमलन स कही अमत बनता ह

और धयान रखना कसर न सतरी का ह न परष का कसर यही ह दक हमारी मौवलक भरावत ह दक म दखी

ह कोई सतरी भी दखी ह हम दोनो वमल बठ ग साि-साि हो जाएग तो दोनो सखी हो जाएग हम एक असभव

बात की कलपना कर रह ह म दखी ह सतरी दखी ह अकली वह भी दखी ह अकला म भी दखी ह य दो दखी

आदमी एक-दसर स वमलकर दख को अनत गना कर लग यह जोड़ ही नही होगा गणनफल होगा और तब

तड़फ ग तब परिान होग

रवत न दखा होगा चारो तरफ रवत न दख होग अपन मा-बाप रवत न दख होग अपन पड़ोसी अपन

बजगम अपन पररवार क लोग और दफर रवत न यह भी दखा होगा साररपतर का सब छोड़कर सनयसत हो

जाना--बड़ भाई का दफर उसन यह भी दखा होगा दक साररपतर की आखो म एक और ही आभा आ गयी दफर

उसन यह भी दखा होगा दक साररपतर पहली दफा आनददत हए ऐसा आनददत आदमी उसन नही दखा िा

य सब बात वह चपचाप दखता रहा होगा य सारी बात इकटठी होकर उसक भीतर घनी होती रही

होगी दफर घोड़ पर सवार करक जब लोग उस आग की तरफ ल चलन लग और जब बड-बाज जोर स बजन

लग तब उसक भीतर वनरणय की घड़ी आ गयी होगी उसन सोचा होगाः अब सोच ल या दफर सोचन का आग

कोई उपाय न रहगा कछ करना हो तो कर ल अनयिा घड़ीभर बाद दफर करना झझट स भर जाएगा

उसन दखा होगा दक साररपतर घर छोड़कर गए तो उनकी पतनी दकतनी दखी ह साररपतर परम सख को

उपलबध हो गए ह लदकन पतनी बहत दखी ह पवत सजदा ह और पतनी ववधवा हो गयी ह जीत जी पवत क दखी

न होगी तो कया होगा

साररपतर घर छोड़कर चल गए उनक बट दीन-हीन और अनाि हो गए ह साररपतर तो परम अवसिा को

उपलबध हो गए लदकन िोड़ी खटक तो ह इसम दक य बचच अनाि हो गए यह पतनी दखी ह बढ़ मा-बाप

सचवतत ह परिान ह उनको यह बोझ ढोना पड़ रहा ह साररपतर की पतनी और बचचो का

य सब बात सघन होती रही होगी उस घड़ी म इन सारी बातो का जोड़ हो गया उसन सोचा होगाः

अब एक कषण और रक जाऊ दक म भी उसी जाल म पड़ जाऊगा और म भी वही करगा जो साररपतर न दकया

बहतर ह म भाग जाऊ

209

कोई बहाना करक उतर गए होग--दक जरा घोड़ स उतर जाऊ और भाग सो भाग दफर घोड़ पर वापस

नही लौट

िायद दलह को घोड़ पर वबठाकर इसीवलए ल जात होग वजसम भाग न सक छरी इतयादद लटका दत

ह यह उसको समझान को दक त बड़ा बहादर ह भगोड़ा िोड़ ही ह दख घोड़ पर बठा ह राजा-महाराजा ह

और दख इतनी बारात चल रही ह इतना बड-बाजा बज रहा ह उसको सब तरह का भरम दत ह

जस डाकटर जब दकसी का आपरिन करता ह तो पहल बहोि करन क वलए कलोरोफामम दता ह य सब

कलोरोफामम ह एक ददन क वलए उसको राजा बना दत ह--दलहा राजा और एक ददन की अकड़ म वह भला

रहता ह और मसत रहता ह उस पता नही ह इस मसती का पररणाम कया ह

मगर यह रवत बड़ा होवियार आदमी रहा होगा परजञावान रहा होगा यह उतरा और चपचाप भाग

गया इसन दफर पीछ लौटकर नही दखा जगल चला गया वभकष वमल गए मागम पर उनही स दीकषा ल ली

अब बहत ऐस लोग ह जो बदध क पास पहचकर भी अहमत न हो सक और यह आदमी बदध क सामानय

वभकषओ स अजञातनाम वभकषओ स वजनक नाम का भी पता नही ह दक दकनस उसन दीकषा ली िी कोई परवसदध

वभकष न रह होग उनस दीकषा लकर अहमतव को उपलबध हो गया

तो खयाल रखनाः असली सवाल तमहारी परगाढ़ता का ह तम बदध क पास होकर भी चक सकत हो अगर

परगाढ़ नही हो अगर तमहार भीतर तवरा और तीवरता नही ह अगर सार जीवन को दाव पर लगा दन की

वहममत नही ह तो बदध क पास भी चक जाओग और अगर सार जीवन को दाव पर लगा दन की वहममत ह तो

दकसी साधारणजन स दीकषा लकर भी पहच जाओग

एकात मौन और धयान--इन तीन चीजो म रवत सलगन हो गया अकला रहन लगा चप रहन लगा और

अपन भीतर ववचारो को ववदा करन लगा यही तीन सतर ह समावध क

एकात ऐस रहो जस तम अकल हो कही भी रहो--ऐस रहो जस तम अकल हो न कोई सगी ह न कोई

सािी भीड़ म भी रहो तो अकल रहो पररवार म भी रहो तो अकल रहो इस बात को जानत ही रहो भीतर

एक कषण को यह सतर हाि स मत जान दना एक कषण को भी यह भरावत पदा मत होन दना दक तम अकल नही

हो दक कोई तमहार साि ह यहा न कोई साि ह न कोई साि हो सकता ह यहा सब अकल ह अकलापन

आतयवतक ह इस बदला नही जा सकता िोड़ी-बहत दर को भलाया जा सकता ह बदला नही जा सकता

और सब भलाव एक तरह क मादक दरवय ह एक परकार क नि ह कस तम भलात हो इसस फकम नही

पड़ता कोई िराब पीकर भलाता ह कोई धन की दौड़ म पड़कर भलाता ह कोई पद क वलए दीवाना होकर

भलाता ह कस तम भलात हो इसस फकम नही पड़ता लदकन िोड़ी दर को भला सकत हो बस

और जब भी निा उतरगा अचानक पाओगः अकल हो

सनयासी वही ह जो जानता ह दक म अकला ह और भलाता नही अपन अकलपन को भलाना तो दर

अपन अकलपन म रस लता ह और परतीकषा करता ह दक कब मौका वमल जाए दक िोड़ी दर अपन अकलपन का

सवाद ल िोड़ी दर आख बद करक अपन म डब जाऊ अकला रह जाऊ वही मरी वनयवत ह वही मरा सवभाव

ह उसी सवभाव स मझ पहचान बनानी ह

दसरो स पहचान बनान स कछ भी न होगा अपन स पहचान बनानी ह दसरो को जानन स कया होगा

अपन को ही न जाना और सबको जान वलया इस जानन का कोई मलय नही ह मल म तो अजञान रह गया

तो रवत एकात म बठ गया मौन रखन लगा बोलना बद कर ददया

210

बोलन को ह कया जब तक जान न लो तब तक बोलन को ह कया जब तक जान न लो तब तक

बोलना खतरनाक भी ह कयोदक तम जो भी बोलोग वह गलत होगा तम जो भी लोगो स कहोग वह भटकान

वाला होगा तम भटक हो और औरो को भटकाओग

बोलना तो तभी सािमक ह जब कछ जाना हो जब कछ अनभव हआ हो जब कोई बात तमहार भीतर

परखर होकर साफ हो गयी हो जब तमहार भीतर जयोवत जली हो और तमहार पास अपनी आख हो तब

बोलना तब तक तो अछा ह चप ही रहना तम अपना कड़ा-करकट दसर पर मत फकना तमही दब हो औरो

पर कपा करो मत दकसी को दबाओ अपन कड़-करकट स

लदकन लोग बड़ उतसक होत ह लोग अकल-अकल म घबड़ान लगत ह राह खोजन लगत ह दक कोई

वमल जाता दकसी स दो बात कर लत बात करन का मतलबः कछ कचरा वह हमारी तरफ फकता कछ कचरा

हम उसकी तरफ फकत न हम पता ह न उस पता ह इसको लोग बातचीत कहत ह

यह बातचीत महगी ह कयोदक दसरा भी अपन अजञान को वछपाता ह और अपनी बातो को इस तरह स

कहता ह जस जानता हो तम भी अपन अजञान को वछपात हो और अपनी बातो को इस तरह स कहत हो जस

तमन जाना ह दोनो एक-दसर को धोखा द रह हो और अगर दसर न मान वलया तमहारी बात को तो गडढ म

वगरगा तम खद गडढ म वगरत रह हो तमहारी बात मानकर जो चलगा वह गडढ म वगरगा

इसवलए तो कोई दकसी की सलाह नही मानता तमन दखा दवनया म सबस जयादा चीज जो दी जाती

ह वह सलाह ह और सबस कम जो चीज ली जाती ह वह भी सलाह ह

कोई दकसी की मानता नही बाप की बटा नही मानता भाई की भाई नही मानता वमतर की वमतर नही

मानता अधयापक की विषय नही मानता

एक वलहाज स अछा ह दक लोग दकसी की मानत नही अर वगरना ह तो कम स कम अपन ही गडढ म

वगरो दसर की सलाह लकर दसर क गडढ म कयो वगरना अपन गडढ म वगरोग तो िायद कछ अनभव भी होगा

अपनी तरफ स वगरोग अपन हाि स वगरोग तो िायद वनकलन की सभावना भी ह अवि दसर की सलाह स

वगरोग तो वनकलन की सभावना भी न रह जाएगी

म तमस कहना चाहता हः अपन ही पर स चलकर जो नकम तक पहचा ह वह वापस भी लौट सकता ह

जो दसरो क कधो पर चढ़कर पहच गया ह वह लगड़ा ह वह वापस कस लौटगा उसका लौटना बहत असभव

हो जाएगा

और नकम तक ल जान वाल लोग तो तमह बहत वमल जाएग एक ढढो हजार वमल जाएग लदकन नकम स

सवगम तक लान वाला तो बहत मवशकल ह नकम म कहा पाओग ऐसा आदमी जो तमह सवगम तक ल जाए यहा स

नकम तक जान क वलए तो सब गावड़या वबलकल भरी ह लबालब भरी ह लदकन नकम स इस तरफ आन वाली

गावड़या चलती कहा ह उनको चलान वाला नही ह कोई

अछा ही ह दक कोई दकसी की सलाह नही मानता

रवत भाग गया एकात म बठ गया चप हो गया बोलता ही न िा

और जब तम एकात म रहोग और चप रहोग तो भीतर ववचार कब तक चलग कब तक चलग उनका

मौवलक आधार ही कट गया जड़ ही कट गयी तमन पानी सीचना बद कर ददया वही-वही ववचार कछ ददन

तक गजग-गजग- गजग धीर-धीर तम भी ऊब जाओग व भी ऊब जाएग

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रोज-रोज नया कछ होता रह तो ववचार म धारा बहती रहती ह पराण पड़त रहत ह अब अकल म बठ

गए न बोलना ह न चालना ह कब तक वसर म वही ववचार घमत रहग धीर-धीर मदाम हो जाएग वगर

जाएग सख पततो की तरह झड़ जाएग नए पतत तो अब आत नही परान पतत एक बार झड़ गए तो मन

वनरवमचार हो जाएगा उस दिा का नाम ही धयान ह

वहा उनहोन सात वषम समगरता स साधना की

और साधना हो ही तब सकती ह जब कोई समगरता स कर कछ भी बचाया तो चक जाओग वननयानब

वडगरी पर भी पानी भाप नही बनता सौ वडगरी पर ही बनता ह और जब तम भी सौ वडगरी उबलोग तो ही

रपातररत होओग एक वडगरी भी बचाया तो रपातररत नही हो पाओग

इसवलए रपातरण क वलए समगर रप स दाव लगान की कषमता और साहस चावहए लोग दकानदार ह

और परम सतय को पान क वलए जआरी चावहए जो सब दाव पर लगा द दकानदार दो-दो पस का वहसाब

लगाकर दाव पर लगाता ह--दक दकतना लाभ होगा अगर लाभ नही होगा तो हावन दकतनी होगी अभी

इतना लगाऊ पहल दख िोड़ा लगाकर दफर लाभ हो तो िोड़ा और जयादा लगाऊगा दफर लाभ हो तो

िोड़ा और जयादा लगाऊगा

जआरी सब इकटठा लगा दता ह या इस पार या उस पार और वजसन भी सब इकटठा लगा ददया धयान

म वह उस पार ही होता ह इस पार का उपाय ही नही उसक सब लगान म ही उस पार हो गया वह सब

लगान की जो ववतत िी उसी म उस पार हो गया अब कोई और दसरी बात नही बची

सात वषम की समगर साधना रवत अहमतव को उपलबध हो गया उसन जान वलया अपन आतयवतक सवरप

को अपन भीतर वछपी पड़ी भगवतता को उसन अपन को पहचान वलया वह अपन आमन-सामन खड़ा हो

गया वह आहलाददत हो गया आनददत हो गया वह मि हो गया

उसन अभी तक भगवान का दिमन नही दकया िा पहल सोचता िाः पातर हो जाऊ तब करगा और

अब अब यह बात ही वयिम मालम पड़न लगी दक भगवान की दह को दखन जाऊ अब तो भगवान का अतरतम

दख वलया

वही तो बदध न कहा हः जो धमम को जानता ह वह मझ जानता ह वजसन धमम दखा उसन मझ दखा जो

मझ ही दखता रहा और मर भीतर क धमम स ववचत रहा उसन मझ दखा ही नही वह तो अधा िा कयोदक म

दह नही ह

दह क पार जब तम दखन लगोग तभी बदधो स सबध होता ह सबध जड़ता ह वह सग आतमा का ह दह

का नही

तो पहल तो सोचा िा--ठीक ही सोचा िा रवत बड़ा परजञावान ह--ठीक ही सोचा दक पहल पातर तो हो

जाऊ उन भगवान की आख मर ऊपर पड़ इस योगय तो हो जाऊ उनक चरण छऊ इस योगय हाि तो हो

जाए कछ हो तो मर पास चढ़ान को ऐस खाली-खाली कया जाना कछ लकर जाऊ कछ धयान की सपदा

लकर जाऊ कछ उनक परो म रखन की मर पास सववधा हो कछ कमाकर जाऊ

ठीक सोचा िा काि ऐस लोग अवधक हो दवनया म तो दवनया का रप बदल अकसर तो ऐसा होता ह

दक अपातर भी बदधो क पास पहच जात ह और पहच कर ही सोचत ह दक सब हो गया दफर व बदधो को ही दोष

दन लगत ह दक आपक पास आए इतन ददन हो गए अभी तक कछ हआ कयो नही दफर व बदधो पर िक करन

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लगत ह दक जब इतन ददन हो गए और कछ नही हआ तो मालम होता ह य बदध सचच नही ह जस बदधो क

ऊपर ही सब ह

कछ तम भी करोग तमहार भीतर घटनी ह बात और तमहार भीतर कछ भी नही ह

जीसस का परवसदध वचन हः वजसक पास ह उस और ददया जाएगा और वजसक पास नही ह उसस वह

भी छीन वलया जाएगा जो उसक पास ह

अनठा वचन हः वजसक पास ह उस और भी ददया जाएगा

तो रवत न सोचाः कछ लकर जाऊ कछ हो मर पास तब जाऊ बड़ी ठीक बात िी लदकन दफर अड़चन

म पड़ा जब घटना घट गयी तो चौका तो उसन सोचाः अब जाकर कया करगा अब तो उन भगवान को म

यही स दख रहा ह अब तो समय का और सिान का फासला वगर गया अब तो मन जान वलया दक न म दह ह

न व दह ह अब तो म वहा पहच गया जहा व ह अब कहा जाना अब कसा आना-जाना

तो दफर वह कही नही गया बठा रहा और तब यह अपवम घटना घटी

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा गए

यही ह सतय वजस ददन तम तयार होओग भगवान सवय तमहार पास आता ह तमहार जान की कही

कोई जररत नही ह वजस ददन तमहारी तयारी परी ह उस ददन परमातमा उतरता ह यह अिम ह इस कहानी

का

तमह कही जान की जररत नही ह न मकका न काबा न कािी न कलाि तमह कही जान की जररत

नही ह न जरसलम न वगरनार तमह कही जान की जररत नही ह

दफर तम जाओग भी कहा कहा खोजोग उस जब यहा नही ददखायी पड़ता तो कलाि पर कस

ददखायी पड़गा अधा आदमी यहा अधा ह कलाि पर भी अधा होगा जब यहा नही वमलता तो कािी म कस

वमलगा वमलना तो तमह ह नजर तमहारी वनखरी होनी चावहए आख तमहारी खली होनी चावहए हदय

तमहारा परफवललत होना चावहए फल की तरह वखला हआ यहा नही वखल रहा ह काबा म कस वखलगा

तम समझत हो जो काबा म रहत ह व परमातमा को उपलबध हो गए ह तम सोचत हो कािी म रहन

वाल परमातमा को उपलबध हो गए ह

जो यहा घट सकता ह वही कही और भी घटगा और जो कही और घट सकता ह वह यहा भी घट

सकता ह असली सवाल तमहार भीतर का ह

बड़ी पराचीन कहावत ह दक जब विषय तयार हो तो गर उपवसित हो जाता ह जब तम तयार हो तो

परमातमा चपचाप कब चला आता ह तमह पता भी नही चलता

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा गए वह जगल बहत

भयकर िा रासत ऊबड़-खाबड़ और कटकाकीणम ि जगली पिओ की छाती को कपा दन वाली दहाड़ भरी

दोपहरी म सनायी पड़ती िी लदकन वभकषओ को इस सब का कोई पता ही न चला

वजनह भगवान का साि ह उनह यह सब पता चलगा ही नही बदध क साि चलत ि बदध की छाया म

चलत ि बदध की रोिनी म चलत ि बदध का एक वायमडल िा उसम चलत ि सरवकषत ि यह जगल जस

िा ही नही रासत ऊबड़-खाबड़ नही ि

नजर बदध पर लगी हो तो कहा रासता ऊबड़-खाबड़ रासतो म काट पड़ ि लदकन नजर बदध जस फल

पर लगी हो तो दकसको य छोट-मोट काट ददखायी पड़त ह जगल म जगली आवाज गज रही होगी जरर कोई

213

जगल क जानवर वभकषओ को दखकर चप नही हो जाएग लदकन वजसका हदय बदध को सनन म लगा हो उनक

पदचाप को सनन म लगा हो जो यहा एकागर-वचतत होकर डबा हो उस सब खो जाता ह

तमन दखा न तम जब कभी एकागर-वचतत हो जाओ तो आकाि म बादल गरजत रह और तमह सनायी न

पड़ग टरन गजर हवाई जहाज वनकल--तमह सनायी न पड़गा तम जब वचतत स िात होत हो एक ददिा म

अनसयत होत हो तो और सारी ददिाए अपन आप खो जाती ह

बदध क परमी ि य वभकष बदध िोड़ स चन हए वयवियो को लकर ही गए होग साररपतर आदद को

साररपतर होगा महाकाशयप होगा मोदगलयायन होगा आनद होगा ऐस चन हए लोगो को लकर गए होग

िोड़ स लोगो को रवत को ददखान ल गए होग--दक दखो रवत को अकला ह मझ कभी वमला भी नही दर स

ही शरदधा क फल चढ़ाता रहा ह मझ कभी दखा नही और पहच गया

रवत न भगवान को धयान म आत दख

जब बवदध िात हो जाती ह और ववचारो का ऊहापोह वमट जाता ह तो धयान की आख खलती ह धयान

की आख क वलए कोई बाधा नही ह धयान की आख सब दख पाती ह

बदध क आन को दख सदर आसन बनाया

परभ आत ह वजनक पास जान की दकतनी-दकतनी तमिाए िी और दकतनी-दकतनी अभीपसाए िी और

दकतन-दकतन सपन ि वजनक पास जान क वलए सात साल अिक महनत की िी दक पातर हो जाऊ तो जाऊ

आज व सवय आत ह उसका आहलाद तम समझो उसकी परतीकषा तम समझो उसका आनद आज सवगम टटन

को ह

वह तो भल ही गया होगा दक म यह कया कर रहा ह य पतिर और य ईट और जगल स कछ भी

उठाकर आसन बना रहा ह इसकी दफकर ही न रही होगी

परम ऐसा जाद ह दक पतिर को छए सोना हो जाए और तमन अगर बमन स सोन की ईट लगाकर भी

आसन बनाया तो वमटटी हो जाती ह असली सवाल परम का ह बदध परम को दखत ह

भगवान रवत क पास एक माह रह

कहानी कछ नही कहती कहानी बड़ी महतवपणम ह कहानी यह नही कहती दक भगवान न रवत को कछ

कहा दक रवत न भगवान स कछ कहा बस इतना ही कहती ह दक भगवान रवत क पास एक माह रह

नही कछ कहा नही होगा कहन की अब कोई बात ही न िी रवत वहा पहच ही गया जहा पहचान क

वलए भगवान कछ कहत और रवत तो कया कह जो चाह िी वह वबना माग परी हो गयी भगवान उसक दवार

पर आ गए

मरी अपनी दवषट यही ह दक व बठ होग चपचाप पास-पास कोई कछ न बोला होगा बोलन को कछ

बचा न िा दो अहमत बोल भी कया सकत ह दो जञावनयो क पास बोलन को कछ नही होता

दो अजञावनयो क पास बहत होता ह बोलन को बोलन स ही काम नही चलता वसर खोलकर मानग दो

अजञानी एक-दसर की गरदन पकड़ लत ह

दो जञानी वमल तो चप हो जात ह हा एक अजञानी हो और एक जञानी तो कछ बोलन को हो सकता ह

बदध सदा बोलत ह रोज बोलत ह लदकन इस एक माह कछ बोल इसकी कोई खबर नही ह यह एक

माह जस चपपी म बीता होगा वजनको साि ल गए होग व भी ऐस लोग ि जो अहमतव को पा गए ह रवत भी

अहमत िा

214

यह सिाट म बीता होगा महीना यह महीना बड़ा पयारा रहा होगा यह महीना इस पथवी पर अनठा

रहा होगा इतन बदधपरष एक साि बठ चपचाप खब बरसा होगा अमत वहा खब घनी बरसा हई होगी

मसलाधार बरसा होगा अमत वहा सारा वन आनददत हआ होगा पि-पवकषयो तक की आतमाए मि होन क

वलए आतर हो उठी होगी वकषो क पराण सगबगाकर जग गए होग ऐसी गहन चपपी रही होगी

दफर रवत को साि लकर व वापस लौट

और जब भगवान तमहार पास आए तो एक ही परयोजन होता ह दक तमह अपन पास ल आए और तो

कोई परयोजन नही हो सकता गर विषय क पास आता ह तादक विषय को गर अपन पास ल आए गर की

दकरण तमह टटोलती आती ह--खोजती

रवत को साि लकर वापस लौट आत समय दो वभकषओ क उपाहन तल की फोफी और जलपातर पीछ

छट गए सो व मागम स लौटकर जब उनह लन गए तो जो उनहोन दखा उस पर उनह भरोसा नही आया रासत

बड़ ऊबड़-खाबड़ ि

इस बार भगवान का साि न िा व ही रासत भगवान साि हो तो पयार हो जात ह व ही रासत

भगवान साि न हो तो ऊबड़-खाबड़ हो जात ह

दवनया वही ह भगवान का साि हो तो सवगम भगवान का साि चक जाए तो नकम सब वही ह वसफम

भगवान क साि स फकम पड़ता ह तम अकल हो भगवान का साि नही सब ऊबड़-खाबड़ होगा सजदगी एक

दख की किा होगी अिमहीन ववषाद स भरी रगण और भगवान का साि हो तो सब रपातररत हो जाता ह

जाद की तरह तम सवसि हो जात हो कही कोई काट नही रह जात ह सब तरफ फल वखल जात ह कही कोई

िोरगल नही रह जाता सब तरफ िावत बरसन लगती ह

उनह भरोसा न आया दक हो कया गया अभी-अभी हम आए ि अभी-अभी हम गए दो घड़ी म इतना

सब बदल गया य व ही रासत ह यह वही जगल ह य व ही वकष ह इतना ही नही रवत का जो वनवास

सिान घड़ी दो घड़ी पहल इतना रमय िा दक सवगम मालम होता िा वह वसफम काटो स भरा िा और एक खडहर

िा और ऐसा लगता िा जस सददयो स वहा कोई न रहा हो

शरावसती लौटन पर महोपावसका वविाखा न उनस पछाः आयम रवत का वास सिान कसा िा

मत पछो उपावसक सारा काटो स भरा ह और साप-वबछओ स भी भलकर भी भगवान न कर दक

ऐसी जगह दबारा जाना पड़

दफर वविाखा न और वभकषओ स भी पछा उनहोन कहा आयम रवत का सिान सवगम जसा सदर ह मानो

ऋवदध स बनाया गया हो जस हजारो वसदधो न अपनी सारी वसवदध उडल दी हो चमतकार ह वह जगह ऐसी

सदर जगह पथवी पर नही ह

इन ववपरीत मतवयो को सनकर सवभावतः वविाखा चदकत हई दफर उसन भगवान स पछाः भत आयम

रवत क सिान क ववषय म पछन पर आपक साि गए वभकषओ म कोई कहता नकम जसा कोई कहता सवगम जसा

बात कया ह असली बात कया ह आप कह

भगवान न कहाः उपावसक जब तक वहा रवत का वास िा वह सवगम जसा िा जहा रवत जस बराहमण

ववहरत ह वह सवगम हो जाता ह लदकन उनक हटत ही वह नकम जसा हो गया जस दीया हटा वलया जाए और

अधरा हो जाए--ऐस ही मरा पतर रवत अहमत हो गया ह बराहमण हो गया ह उसन बरहम को जान वलया ह

215

धममपद बराहमण की पररभाषा पर परा होता ह--दक बराहमण कौन बराहमण कया बराहमण अवतम दिा ह--

बरहम को जान लन की

इस लोक और परलोक क ववषय म वजसकी आिाए नही ह

जो न तो यहा कछ चाहता ह न वहा कछ चाहता ह जो कछ चाहता ही नही जो अचाह को उपलबध

हो गया ह

ऐस वनरािय और असग को म बराहमण कहता ह

रवत ऐसा बराहमण हो गया ह

वजस तषणा नही ह जो जानकर वीतसदह हो गया ह वजसन डबकर अमत पद वनवामण को पा वलया ह

उस म बराहमण कहता ह

ऐसा मरा पतर रवत बराहमण हो गया ह

जानकर वीतसदह हो गया

इस बात को समझना लोग दो तरह स सदह स बच सकत ह एक तो जबदमसती दकसी ववशवास को अपन

ऊपर िोप ल और सदह स बच जाए वह झठा ह सदह स बचना वह सदह आज नही कल बदला लगा बरी

तरह बदला लगा

तम दवनया म इतन नावसतक दखत हो इतन नावसतक नही ह दवनया म नावसतक बहत जयादा ह

कयोदक वजनह तम आवसतक की तरह दखत हो उनम स िायद ही कोई आवसतक ह व सब नावसतक ह भीतर

तो नावसतकता ह ऊपर स आवसतकता की वसफम धारणा ह मानयता ह मानत ह दक ईशवर ह जाना नही ह

वबना जान कस मानोग वबना जान मानना नपसक ह उसम कोई पराण नही ह

इसवलए बदध कहत ह जानकर जो वीतसदह हो गया ह वजसन जानकर सदह स मवि पा ली वजसन

परमातमा को पहचान वलया सतय को पहचान वलया जो यह नही कहता ह दक मानता ह दक ईशवर ह जो

कहता ह म जानता ह--ऐसा वयवि बराहमण ह

बरहम को मानन स कोई बराहमण नही होता बरहम को जानन स कोई बराहमण होता ह

वजसन यहा पणय और पाप दोनो की आसवि को छोड़ ददया ह जो ववगतिोक वनममल और िदध ह

उस म बराहमण कहता ह

और मरा पतर रवत ऐसा ही बराहमण हो गया ह इस बराहमण क कारण वहा सवगम िा इस बराहमण क

कारण वहा ऋवदध की वषाम हो रही िी इस बराहमण की मौजदगी न उस जगल को महल बना ददया िा

और तम समझ लना अगर तमहार भीतर आनद नही ह तो तम महलो म भी रहो तो जगल म रहोग

और तमहार भीतर आनद ह तो तम जहा रहो वही महल ह वही महल खड़ा हो जाएगा वही महल वनरममत

हो जाएगा तम जहा रहो जस रहो वही महल ह

खयाल रखना लोग कहत ह दक जो आदमी पाप करगा उस नरक भजा जाएगा और जो पणय करगा

उस सवगम भजा जाएगा यह गलत बात ह सच बात कछ और ह जो पाप करता ह वह नकम म जीता ह भजा

जाएगा--ऐसा नही--भववषय म वह नकम म जीता ह--अभी और यही और जो पणय करता ह वह सवगम म जीता

ह--अभी और यही

पाप और पणय परवतपल फल लात ह कोई सरकारी काम िोड़ ही ह दक फाइलो को सरकन म इतना

समय लग दक तमन पाप दकया िा वपछल जनम म और अब तमह फल वमलगा यह तमन कोई भारतीय सरकार

216

की वयवसिा समझी ह दक फाइल सरकती ह एक टबल स दसरी टबल और सरकती ही रहती ह और कभी कोई

पररणाम नही होता

ततकषण ह फल धमम नगद ह यहा उधार कछ भी नही ह

दसरा सतरः

चनदव ववमल सदध ववपपसिमनाववल

ननदीभवपररकखीण तमह बरवम बराहमण

जो चदरमा की भावत ववमल िदध सवछ और वनममल ह तिा वजसकी सभी जनमो की तषणा नषट हो गयी

ह उस म बराहमण कहता ह

वहततवा मानसक योग ददबब योग उपचचगा

सबबयोगववसयतत तमह बरवम बराहमण

जो मानषी बधनो को छोड़ ददवय बधनो को भी छोड़ चका ह जो सभी बधनो स ववमि ह उस म

बराहमण कहता ह

पबबवनवास यो वदद सगगापायच पससवत

अिो जावतखय पततो असभवावसतो मवन

सबबवोवसतवोसान तमह बरवम बराहमण

जो पवम-जनम को जानता ह वजसन सवगम और अगवत को दख वलया ह वजसका पवम-जनम कषीण हो चका

ह वजसकी परजञा पणम हो चकी ह वजसन अपना सब कछ परा कर वलया ह उस म बराहमण कहता ह

इन सतरो का आधार इनकी पिभवम वदवतीय दशयः

राजगह म चदाभ नामक एक बराहमण िा वह पवम-जनम म भगवान कशयप बदध क चतय म चदन लगाया

करता िा वजसक पणय स उसकी नावभ स चदर-मडल सदि आभा वनकलती िी कछ पाखडी बराहमण उस नगर-

नगर लकर घमत ि और लोगो को लटत ि व कहत िः जो इसक िरीर को सपिम करता ह वह जो चाहता ह

पाता ह

एक समय जब भगवान जतवन म ववहरत ि तब उस वलए हए व बराहमण शरावसती पहच सधया समय

िा और सारा शरावसती नगर भगवान क दिमन और धममशरवण क वलए जतवन की ओर जा रहा िा उन बराहमणो

न लोगो को रोककर चदाभ का चमतकार ददखाना चाहा लदकन कोई रकना ही नही चाहता िा दफर व

बराहमण भी िासता क अनभाव को दखन क वलए चदाभ को लकर जतवन गए

भगवान क पास जात ही चदाभ की आभा लि हो गयी वह तो अवत दवखत हआ और चमतकत भी वह

समझा दक िासता आभा लि करन का कोई मतर जानत ह अतः भगवान स बोलाः ह गौतम मझ भी आभा को

217

लि करन का मतर दीवजए और उस मतर को काटन की वववध भी बताइए म सदा-सदा क वलए आपका दास हो

जाऊगा

भगवान न कहाः म परवरवजत होन पर ही मतर द सकता ह चदाभ भगवान की बात सनकर परवरवजत हो

िोड़ ही समय म धयानसि हो अहमतव को पा वलया वह तो भल ही गया मतर की बात महामतर वमल तो कौन

न भल जाए जब बराहमण उस लन क वलए वापस आए तो वह हसा और बोलाः तम लोग जाओ अब म नही

जान वाला हो गया ह मरा तो आना-जाना सब वमट गया ह

बराहमणो को तो बात समझ म ही न आयी दक यह कया कह रहा ह बराहमणो को तो छोड़ द वभकषओ को

भी यह बात समझ म न आयी दक यह कया कह रहा ह

वभकषओ न जाकर भगवान स कहाः भत यह चदाभ वभकष अभी नया-नया आया ह और अहमतव का दावा

कर रहा ह और कहता ह म आन-जान स मि हो गया ह और इस तरह वनरिमक सरासर झठ बोल रहा ह

आप इस चताइए

िासता न कहाः वभकषओ मर पतर की तषणा कषीण हो गयी ह और वह जो कह रहा ह वह पणमतः सतय ह

वह बराहमणतव को उपलबध हो गया ह

तब उनहोन य सतर कह ि

यह छोटी सी कहानी समझ ल

यह चदाभ नाम का बराहमण दकसी अतीत जनम म भगवान कशयप बदध क चतय म चदन लगाया करता

िा

कछ और बड़ा कतय नही िा पीछ लदकन बड़ भाव स चदन लगाया होगा कशयप बदध क चतय म उनकी

मरतम पर असली सवाल भाव का ह बड़ी शरदधा स लगाया होगा तब स ही इसम एक तरह की आभा आ गयी

िी जहा शरदधा ह वहा आभा ह जहा शरदधा ह वहा जाद ह

उस पणय क कारण वह जो कशयप बदध क मददर म चदन लगान का जो पणय िा वह जो आनद स इसन

चदन लगाया िा वह जो आनद स नाचा होगा पजा की होगी परािमना की होगी वह इसक भीतर आभा बन

गयी िी जयोवतममय हो कर इसक भीतर जग गयी िी

कछ पाखडी बराहमण उस साि लकर नगर-नगर घमत ि कयोदक वह बड़ा चमतकारी आदमी िा उसकी

नावभ म स रोिनी वनकलती िी व कपड़ा उघाड़-उघाड़कर लोगो को उसकी नावभ ददखात ि नावभ दखकर

लोग हरान हो जात ि और उनहोन इसम एक धधा बना रखा िा व कहत िः जो इसक िरीर को सपरि

करता ह वह जो चाहता ह पाता ह और जब तक लोग बहत धन दान न करत व उसका िरीर सपिम नही

करन दत ि ऐस व काफी लोगो को लट रह ि

भगवान जतवन म ववहरत ि तब व उस वलए हए शरावसती पहच जतवन शरावसती म िा सधया समय

िा और सारा नगर भगवान क दिमन और धममशरवण क वलए जतवन की ओर जा रहा िा उन बराहमणो न लोगो

को रोककर चदाभ का चमतकार ददखाना चाहा लदकन कोई रकना नही चाहता िा

वजसन भगवान को दखा हो वजसन दकसी बदधपरष को दखा हो उसक वलए सारी दवनया क चमतकार

फीक हो गए वजसन साकषात परकाि दखा हो उसक वलए दकसी की नावभ म स िोड़ी-बहत रोिनी वनकल रही

ह--इसका कोई अिम नही ह बचचो जसी बात ह इस तरह की बातो म बचच ही उतसक हो सकत ह

218

कोई रका नही बराहमण बड़ हरान हए ऐसा तो कभी न हआ िा उनक अनभव म न आया िा जहा गए

ि वही भीड़ लग जाती िी तो उनह लगा दक जरर इसस भी बड़ा चमतकार कही बदध म घट रहा होगा तभी

लोग भाग जा रह ह तो बदध का अनभाव दखन क वलए--दक कौन ह यह बदध और कया इसका परभाव ह कया

इसका चमतकार ह व बराहमण चदाभ को लकर बदध क पास पहच भगवान क सामन जात ही चदाभ की आभा

लि हो गयी

हो ही जाएगी कयोदक जो आभा िी वह ऐसी ही िी जस कोई दीया जलाए सरज क सामन सरज क

सामन दीए की रोिनी खो जाए इसम आशचयम कया

दीए की तो बात और सबह सरज वनकलता ह आकाि क तार खो जात ह अधर म चमकत ह रोिनी

म खो जात ह सरज की ववराट रोिनी तारो की रोिनी छीन लती ह तार कही जात नही जहा ह वही ह

मगर ददन म ददखायी नही पड़त जब सरज ढलगा तब दफर ददखायी पड़न लगग

यह चदाभ की जो आभा िी वमटटी का छोटा सा दीया िा बदध की जो आभा िी जस महासयम की आभा

लदकन चदाभ तो बचारा यही समझा दक जरर कोई मतर जानत होग मरी आभा को वमटा ददया दखी

भी हआ चमतकत भी उसन कहाः ह गौतम मझ भी आभा को लि करन का मतर दीवजए और उस मतर को

काटन की वववध भी बताइए तो म सदा-सदा क वलए आपका दास हो जाऊगा आपकी गलामी करगा

बदधपरष कभी मौका नही चकत कोई भी मौका वमल दकसी भी बहान मौका वमल सनयास का परसाद

अगर बाटन का अवसर हो तो व जररत बाटत ह बदध न यही मौका पकड़ वलया इसी वनवमतत चलो

उनहोन कहाः दख मतर दगा--मतर-वतर ह नही कछ--मतर दगा लदकन पहल त सनयसत हो जा

मतर क लोभ म वह आदमी सनयसत हआ

लदकन बदध न दखा होगा दक इस आदमी म कषमता तो पड़ी ह बीज तो पड़ा ह वह जो कशयप बदध क

मददर म चदन लगाया िा वह जो भावदिा इसकी सघन हई िी वह आज भी मौजद ह तड़फती ह मि होन

को उस पर ही दया की होगी

यह आदमी ऊपर स तो भल-भाल चका ह दकस जनम की बात कहा की बात दकसको याद ह इस

आदमी की बवदध म तो कछ भी नही ह सब भल-भाल गया ह इसकी समवत म कोई बात नही रह गयी ह इस

सरवत नही ह लदकन इसक भीतर जयोवत पड़ी ह

कल एक यवक नाव स आया मन लाख उपाय दकया दक वह सनयसत हो जाए कयोदक उसक हदय को

दख तो मझ लग दक उस सनयसत हो ही जाना चावहए और उसक ववचारो को दख तो लग दक उसकी वहममत

नही ह सब तरह समझाया-बझाया उस दक वह सनयसत हो जाए तरग उसम भी आ जाती िी बीच-बीच म

लगन लगता िा दक ठीक हदय जोर मारन लगता बवदध िोड़ी कषीण हो जाती लदकन दफर वह चौक जाता

दो वहससो म बटा ह वसर कछ कह रहा ह हदय कछ कह रहा ह और हदय की आवाज बड़ी धीमी होती

ह मवशकल स सनायी पड़ती ह कयोदक हमन सददयो स सनी नही ह तो सनायी कस पड़ आदत ही चक गयी

ह खोपड़ी म जो चलता ह वह हम साफ-साफ ददखायी पड़ता ह हम वही बस गए ह हमन हदय म जाना

छोड़ ददया ह

तो यह आदमी तो चाहता िा मतर मतर क लोभ म सनयसत हआ इस पता नही दक बदधो क हाि म तम

अगली द दो तो व जलदी ही पहचा पकड़ लग पकड़ गए दक पकड़ गए दफर छटना मवशकल ह

219

बदध न उसको समझाया होगा दक अब त धयान कर--तो मतर समावध लगा--तो मतर ऐस धीर-धीर

कदम-कदम उसको समावध म पहचा ददया जब वह समावधसि हो गया तो वह तो भल ही गया मतर की बात

कौन न भल जाएगा महामतर वमल गया अब तो उस खद भी ददखायी पड़ गया होगा दक वह बात ही मढ़ता की

िी दक म मतर मागता िा न तो उनहोन काटा िा न कोई मतर िा बड़ी रोिनी क सामन आकर छोटी रोिनी

अपन आप लि हो गयी िी दकसी न कछ दकया नही िा बदध कछ करत नही ह बदध कोई मदारी नही ह

जब बराहमण उस लन क वलए आए तो वह हसा और बोला दक तम लोग जाओ म तो अब नही जान

वाला हो गया ह म तो ऐसी जगह ठहर गया ह जहा स जाना इतयादद होता ही नही म समावधसि हो गया ह

जाना कस हो जाना तो ववचार क घोड़ो पर होता ह जाना तो वासनाओ पर होता ह जाना तो

तषणाओ क सहार होता ह व सब तो गए सहार अब मरी कोई दौड़ नही कयोदक मरी कोई चाह नही अब

मझ कही जाना नही कही पहचना नही कयोदक मझ जहा पहचना िा वहा म पहच गया ह मरा तो आना-

जाना सब वमट गया आवागमन वमट गया तम कहा की बात कर रह हो अब तो इस जमीन पर भी म लौटकर

आन वाला नही मझ महामतर वमल गया ह

बराहमण तो चौक ही चौक दक यह कया हो गया लदकन वभकष भी चौक जो जयादा सोचन जसी बात ह

आदमी इतना राजनवतक पराणी ह वह यह बदामशत नही कर सकता धारममक आदमी भी वभकष भी ईषयाम स भर

गए होग दक यह अभी-अभी तो आया चदाभ और अभी-अभी जञान को उपलबध हो गया और हम इतन ददन स

बठ ह हम कपास ही ओट रह ह और यह आए दर नही हई अभी नया-नया वसकखड़ वसदध होन का दावा कर

रहा ह

उनहोन जाकर बदध को कहा दक भत चदाभ वभकष अहमतव होन का दावा कर रहा ह और इस तरह झठ

बोल रहा ह आप उस चताइए

लदकन बदध न चदाभ को नही चताया चताया उन वभकषओ को दक वभकषओ तम चतो तम ईषयाम स भर

हो तम दख नही रह हो जो घट रहा ह तम अहकार स भर हो मर पतर की तषणा कषीण हो गयी ह और वह

जो कर रहा ह पणमतः सतय ह वह जो कह रहा ह पणमतः सतय ह वह बराहमणतव को उपलबध हो गया ह

जो चदरमा की भावत ववमल िदध सवछ और वनममल ह तिा वजसकी सभी जनमो की तषणा नषट हो

गयी उस म बराहमण कहता ह

और चदाभ बराहमण हो गया ह वभकषओ वह ठीक चदरमा की भावत अब हआ तब तो नाम ही िा तब जो

जरा सी जयोवत िी उसकी नावभ म अब जयोवत सब तरफ फल गयी अब वह जयोवत सवरप हो गया अब

चदाभ चदरमा ही हो गया ह तम दफर स दखो वभकषओ उसम तषणा नही बची उसम माग नही रही उसकी

वासना भसमीभत हो गयी ह वह बराहमण हो गया ह

जो मानषी बधनो को छोड़ ददवय बधनो को भी छोड़ चका ह

उसन मनषयो स ही बधन नही छोड़ ददए ह उसन ददवयता स भी बधन छोड़ ददए ह आया िा मतर

मागन अब वह कछ भी नही मागता मोकष भी नही मागता ह

सभी बधनो स जो ववमि ह उस म बराहमण कहता ह

जो पवम-जनम को जानता ह

और अब उस याद आ गयी ह दक वह जो आभा उसकी नावभ म िी--कयो िी उस याद आ गयी कशयप

महाबदध क चतय म चदन लगाया िा आनद स उतनी सी छोटी बात भी इतना फल लायी िी उस याद आ गए

220

ह अपन सब वपछल जीवन क रासत और चदक उनकी याद आ गयी ह इसवलए अब उसक आग क सब रासत टट

गए ह

अब उसन दख वलया दक म वयिम ही भटक रहा िा बाहर जो भटकता ह वयिम भटकता ह जनमो-जनमो

यही वासनाए यही कामनाए यही तषणाए और इनही-इनही क सहार दौड़ता रहा और कही नही पहचा

अब मरा पतर पहच गया ह अब वह वहा पहच गया ह जहा जनम-मरण िात हो जात ह उसन सवगम-

नकम का सब रहसय जान वलया ह उसका पवम-जनम कषीण हो गया ह अब वह दबारा नही आएगा वह

अनागामी हो गया ह

वजसकी परजञा पणम हो चकी ह वजसन अपना सब कछ परा कर वलया ह उस म बराहमण कहता ह

बदध न बराहमण की जो पररभाषा की वही भगवतता की पररभाषा ह बदध न बराहमण को जसी ऊचाई दी

वसी दकसी न कभी नही दी िी बराहमणो न भी नही बराहमणो न तो बराहमण िबद को बहत कषदर बना ददया--जनम

स जोड़ ददया बदध न आतम-अनभव स जोड़ा बदध न वनवामण स जोड़ा

वह जो मि ह वह जो िनय ह वह जो खो गया ह बद की तरह सागर म और सागर हो गया ह उस म

बराहमण कहता ह--ऐसा बदध न कहा

मन तमस कहाः सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह और दभामगय स अवधक लोग िदर की तरह ही मरत

ह धयान रखना दफर दोहराता ह--सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह बराहमण की तरह कोई पदा नही होता

कयोदक बराहमणतव उपलबध करना होता ह पदा नही होता कोई बराहमणतव अजमन करना होता ह बराहमणतव

साधना का फल ह

िदर की तरह सब पदा होत ह कयोदक सभी िरीर क साि तादातमय म जड़ पदा होत ह िदर ह इसीवलए

पदा होत ह नही तो पदा ही कयो होत िदरता क कारण पदा होत ह कयोदक अभी िरीर स मोह नही गया

इसवलए पराना िरीर छट गया ततकषण जलदी स नया िरीर ल वलया राग बना ह मोह बना ह तषणा बनी ह-

-दफर नए गभम म परववषट हो गए दफर पदा हो गए

तमह कोई पदा नही कर रहा ह तम अपनी ही वासना स पदा होत हो मरत वि जब तम घबड़ाए होत

हो और जोर स पकड़त हो िरीर को और चीखत हो और वचललात हो और कहत होः बचाओ मझ िोड़ी दर

बचा लो तब तम नए जनम का इतजाम कर रह हो

जो मरत वि वनसशचत मर जाता ह जो कहता हः धनय ह यह जीवन समाि हआ धनय--दक इस िरीर

स मवि हई धनय--दक इस कषणभगर स छट जो इस ववशराम म ववदा हो जाता ह उसका दफर कोई जनम नही

तम जनम का बीज अपनी मतय म बोत हो जब तम मरत हो तब तम नए जनम का बीज बोत हो और

तम वजस तरह की वासना करत हो उस तरह क जनम का बीज बोत हो तमहारी वासना ही दह धरगी

तमहारी वासना ही गभम लगी

बदध न कहा हः तम नही जनमत तमहारी वासना जनमती ह तो जब वासना नही तब तमहारा जनम

समाि हो जाता ह

सब िदर की तरह पदा होत ह लदकन िदर की तरह मरन की कोई जररत नही ह समरणपवमक कोई

जीए होिपवमक कोई जीए एकात म मौन और धयान म कोई जीए तो बराहमण की तरह मर सकता ह और जो

बराहमण की तरह मरा वह ससार म नही लौटता ह वह बरहम म ववलीन हो जाता ह

221

य सार धममपद क सतर कस कोई बरहम को उपलबध कर ल कस कोई बराहमण हो जाए इसक ही सतर ि

धममपद का अिम होता हः बराहमण तक पहचा दन वाला मागम धमम का मागम जो तमह बराहमणतव तक पहचा द

सनकर ही समाि मत कर दना जीना इचभर जीना हजार मीलो क सोचन स बहतर ह कषणभर

जीना िाशवत हजारो वषो तक सोचन स बहतर ह कणभर जीना वहमालय जस सोचन स बहतर ह

मलयवान ह

जीओ--जागो और जीओ

आज इतना ही

222

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ बाईस परवचन

एस धममो सनतनो

पहला परशनः यह मोह कया ह उसस इतना दख पदा होता ह फिर भी वह छटता कयो नही ह

मनषय शनय होन की बजाय दख स भरा होना जयादा पसद करता ह भरा होना जयादा पसद करता ह

खाली होन स भयभीत ह चाह फिर दख स ही कयो न भरा हो सख न ममल तो कोई बात नही ह दख ही

सही लफकन कछ पकड़न को चामहए कोई सहारा चामहए

दख भी न हो तो तम शनय म खोन लगोग सख का फकनारा तो दर मालम पड़ता ह दख का फकनारा

पास वही तम खड़ हो जो पास ह उसी को पकड़ लत हो फक कही खो न जाओ कही इस अपार म लीन न हो

जाओ

कहत ह नः डबत को मतनक का सहारा दख तमहारा मतनका ह

बचान योगय कछ भी नही ह दख ही पा रह हो लफकन कछ तो पा रह हो ना-कछ स कछ सदा बहतर

इसमलए जान-जानकर भी आदमी दख को पकड़ लता ह

तम जरा उस फदन की बात सोचो जब तमहार भीतर कोई दख न बच कोई चचता न हो--तम घबड़ा

जाओग तम सह न पाओग तम उमिगन हो उठोग तम बचन हो जाओग तम कोई न कोई दख रच लोग तम

जलदी ही कोई दख पदा कर लोग अगर वासतमवक न होगा तो कालपमनक पदा कर लोग मबना दख क तम न

रह सकोग

इसमलए भी फक मबना दख क तम होत ही नही म ही दख पर जीता ह जहा दख गया म गया अहकार

दख का भोजन करता ह दख ही अहकार म खन बनकर बहता ह हडडी-मास-मजजा बनता ह जहा दख नही

वहा तम नही इसमलए भी तम दख को पकड़त हो फक इसी क सहार तो तम हो

तमन कभी खयाल फकयाः तम अपन दखो को बढ़ा-चढ़ाकर कहत हो मजतन होत ह उनस बहत बड़ा

करक कहत हो कयो दख को बढ़ाकर कहन म कया सख होता होगा

एक सख होता ह फक बड़ दख क साथ अहकार बड़ा होता ह छोटी-मोटी बीमाररया छोट-मोट लोगो को

होती ह बड़ी बीमाररया बड़ लोगो को होती ह छोट-मोट दख दो कौड़ी क दख कोई भी भोग लता ह तम

महग दख भोगत हो तमहार दख बहत बड़ ह तम दखो का पहाड़ ढोत हो तम कोई छोट-मोट दख स नही दब

हो तम पर सारी दमनया की चचताओ का बोझ ह

तम अपन दखो को बड़ा करक बतात हो तम बढ़ा-चढ़ाकर बात करत हो अगर कोई तमहार दख को

छोटा करन की कोमशश कर तो तम उसस नाराज होत हो तम उस कभी कषमा नही करत

आदमी बहत अदभत ह तम अपन दख की कथा कह रह हो और कोई उदास होकर सन या उपकषा कर

तो तमह चोट लगती ह फक म अपन दख कह रहा ह और तम सन नही रह हो तमह चोट इस बात स लगती ह

फक तम मर अहकार को सवीकार नही कर रह हो म इतन दखो स दबा जा रहा ह तमह इतनी भी िसनत नही

दख क िारा तम दसरो का धयान आकरषनत करत हो और अकसर यह तरकीब मन म बठ जाती ह--गहरी

बठ जाती ह--फक दख स धयान आकरषनत होता ह बचपन स ही सीख लत ह छोट-छोट बचच सीख लत ह जब व

चाहत ह मा का धयान ममल मपता का धयान ममल लट जाएग मबसतर पर फक मसर म ददन ह मियो न तो सारी

दमनया म यह कला सीख रखी ह

म अनक घरो म महमान होता था म चफकत होकर दखता था फक पतनी ठीक थी परसनन थी मझस ठीक-

ठीक बात कर रही थी उसक पमत आए और वह लट गयी उसक मसर म ददन ह पमत स धयान को पान का यही

223

उपाय ह मसर म ददन हो तो पमत पास बठता ह मसर म ददन न हो तो कौन फकसक पास बठता ह और हजार

काम ह

और एक बार तमन यह तरकीब सीख ली फक दख स धयान आकरषनत होता ह तो आदमी कछ भी कर

सकता ह तमहार ऋमष-ममन जो उपवास करक अपन को दख द रह ह इसी तकन का उपयोग कर रह ह जो

मिया हर घर म कर रही ह बचच हर घर म कर रह ह

फकसी न तीस फदन का उपवास कर मलया ह और तम चल दशनन करन उसन दख पदा कर मलया ह

उसन तमहार धयान को आकरषनत कर मलया ह अब तो जाना ही होगा ऐस और हजार काम थ दकान थी

बाजार था लफकन अब ममन महाराज न तीस फदन का उपवास कर मलया ह तो अब तो जाना ही होगा भीड़

बढ़न लगती ह लोग काटो पर लट ह मसिन इसीमलए फक काटो पर लट तभी तमहारी नजर उन पर पड़ती ह

लोग अपन को सता रह ह

धमन क नाम पर लोग हजार तरह की पीड़ाए अपन को द रह ह घाव बना रह ह जब तक तमहार ममन

महाराज मबलकल सखकर हडडी-हडडी न हो जाए जब तक तमह थोड़ा उन पर मास फदखायी पड़ तब तक तमह

शक रहता ह फक अभी मजा कर रह ह अभी हडडी पर मास ह जब मास मबलकल चला जाए जब व मबलकल

अमसथ-पजर हो जाए तम कहत होः हा यह ह तपसवी का रप जब उनका चहरा पीला पड़ जाए और खन

मबलकल खो जाए

एक बार कछ लोग अपन एक ममन को मर पास ल आए थ उनकी हालत खराब थी लफकन भकत मझस

कहकर गए थ फक उनक चहर पर ऐसी आभा ह जस सोन की वहा पीतल भी नही था वह मसिन पीलापन था

मन उनस कहा फक तम पागल हो तम इस आदमी को मार डालोग इसका चहरा मसिन पीला हो गया ह जदन

हो गया ह और तम कह रह हो यह आभा ह अधयातम की यह कोई भी भख मरन वाल आदमी क चहर पर हो

जाएगी

दख जलदी स लोगो का धयान आकरषनत करवाता ह

तमन एक बात खयाल की अगर तम सखी हो तो लोग तमस नाराज हो जात ह तम जब दखी होत हो

तब तमस राजी होत ह तम जब सखी हो सब तमहार दशमन हो जात ह सखी आदमी क सब दशमन दखी

आदमी क सब सगी-साथी सहानभमत परगट करन लगत ह

तम एक बड़ा मकान बना लो सारा गाव तमहारा दशमन तमहार मकान म आग लग जाए सारा गाव

तमहार मलए आस बहाता ह तमन यह मजा दखा जो तमहार दख म आस बहा रह ह इनहोन कभी तमहार सख

म खशी नही मनायी थी इनक आस झठ ह य मजा ल रह ह य कह रह हःः चलो अचछा हआ तो जल गया

न हम तो पहल स ही जानत थ फक यह होगा पाप का यह िल होता ही ह

जब तमन बड़ा मकान बनाया था इनम स कोई नही आया था कहन फक हम खश ह फक हम बड़

आनफदत ह फक तमन बड़ा मकान बना मलया

जो तमहार सख म सखी नही हआ वह तमहार दख म दखी कस हो सकता ह लफकन सहानभमत बतान

का मजा ह और सहानभमत लन का भी मजा ह सहानभमत बतान वाल को कया मजा ममलता ह उसको मजा

ममलता ह फक आज म उस हालत म ह जहा सहानभमत बताता ह तम उस हालत म हो जहा सहानभमत

बतायी जाती ह आज तम मगर हो चारो खान मचतत जमीन पर पड़ हो आज मझ मौका ह फक तमहार घाव

सहलाऊ मलहम-पटटी कर आज मझ मौका ह फक तमह बताऊ फक मरी हालत तमस बहतर ह

जब कोई तमहार आस पोछता ह तो जरा उसकी आखो म गौर स दखना वह खश हो रहा ह वह यह

खश हो रहा ह फक चलो एक तो मौका ममला नही तो अपनी ही आखो क आस दसर पोछत रह चजदगीभर

224

आज हम फकसी और क आस पोछ रह ह और कम स कम इतना अचछा ह फक हमारी आख म आस नही ह

फकसी और की आखो म आस ह हम पोछ रह ह

लोग जब दख म सहानभमत फदखात ह तो मजा ल रह ह वह मजा रगण ह वह सवसथ-मचतत का लकषण

नही ह और तम भी दखी होकर जो सहानभमत पान का उपाय कर रह हो वह भी रगण दशा ह

यह पथवी रोमगयो स भरी ह मानमसक रोमगयो स भरी ह यहा सवसथ आदमी खोजना ममशकल ह

पछा ह तमनः मोह कया ह और इतना दख पदा होता ह फिर भी वह छटता नही ह

पहली तो बातः तमह अभी ठीक-ठीक फदखायी नही पड़ा होगा फक मोह स दख पदा होता ह तमन सन

ली होगी बदध की बात फक फकसी महावीर की फक फकसी कबीर की फक फकसी मोहममद की तमन बात सन ली

होगी फक मोह स दख पदा होता ह अभी तमह समझ नही पड़ी ह सनी जरर ह अभी गनी नही ह मवचार

तमहार मन म पड़ गया ह मवचार क कारण परशन उठन लगा ह लफकन यह तमहारा अपना परामामणक अनभव

नही ह यह तमन अपन जीवन की करठनाइयो स नही जाना ह तमन इस अपन अनभव की कसौटी पर नही

कसा ह--फक मोह दख लाता ह अगर तमह यह फदखायी पड़ जाए तो तम कस पकड़ोग

कोई आदमी मर पास नही आता और कहता फक यह मबचछ ह यह मर हाथ म काटता ह अब म इसको

छोड कस कोई पछगा फक मबचछ ह काटता ह दख दता ह मगर छोड़ा नही जाता जस ही मबचछ काटगा

तम िक दोग उस तम पछन नही जाओग फकसी स

लफकन तम पछ रह हो फक मोह दख दता ह फिर भी छटता कयो नही

इसका कारण साि ह भीतर तो तम जानत हो फक मोह म मजा ह य बदधपरष ह जो तमहार चारो तरि

शोरगल मचाए रहत ह जो कहत ह फक मोह म दख ह इनकी बात तम टाल नही सकत कयोफक य आदमी

परामामणक ह इनकी बात को तम इनकार नही कर सकत कयोफक इनका जीवन तमस बहत जयादा अनतगना

आनदपणन ह इनका तकन परगाढ़ ह इनकी परमतभा वजनी ह य जब कछ कहत ह तो उस कहन क पीछ इनका

परा बल होता ह इनकी परी जीवन-जयोमत होती ह

तो इनकी बात को तम इनकार नही कर सकत इनकार करन की तमहार पास कषमता नही ह साहस नही

ह इनकार कस करोग तमहार चहर पर दख ह तमहार पराणो म दख ह इनक चारो तरि आनद की वषान हो

रही ह इनकार तम फकस मह स करोग

तो इनकार तो नही कर पात फक आप गलत कहत ह मानना तो पड़ता ह मसर झकाकर फक आप ठीक

कहत होग कयोफक हम दखी ह और आप आनफदत ह लफकन भीतर तमहारा गहर स गहरा मन यही कह चला

जाता ह फक छोड़ो इन बातो म पड़ना मत ससार म बड़ा सख पड़ा ह शायद अभी नही ममला ह तो कल

ममलगा आज तक नही ममला ह तो कल भी नही ममलगा--यह कौन कह सकता ह खोदो थोड़ा और शायद

जलसरोत ममल जाए थोड़ी महनत और जलदी थको मत फदलली जयादा दर नही ह थोड़ और चलो इतन चल

हो थोड़ा और चल लो इतनी चजदगी गवायी ह थोड़ी और दाव पर लगाकर दख लो और फिर नही होगा

कछ तो अत म तो धमन ह ही लफकन तम धमन को हमशा अत म रखत हो तम कहत होः नही होगा कछ तो

अततः तो परमातमा का समरण करग ही मगर जब तक जीवन ह चषटा तो कर ल इतन लोग दौड़त ह तो

गलत तो न दौड़त होग

अब एक दसरी बात खयाल म लना जब तम बदधपरषो क पास होत हो तो उनकी आख उनका

वयमकततव उनकी भाव-भमगमा उनक जीवन का परसाद उनका सगीत--सब परमाण दता ह फक व ठीक ह तम

गलत हो

225

लफकन बदधपरष फकतन ह कभी-कभी उनस ममलना होता ह और ममलकर भी फकतन लोग उनह दख

पात ह और पहचान पात ह सनकर भी फकतन लोग उनह सन पात ह आख कहा ह जो उनह दख और कान

कहा ह जो उनह सन और हदय कहा ह जो उनह अनभव कर और कभी-कभी मवरल उनस ममलना होता ह

मजनस तमहारा रोज ममलना होता ह सबह स साझ तक--करोड़ो-करोड़ो लोग--व सब तम जस ही दखी

ह और व सब ससार म भाग जा रह ह तषणा म दौड़ जा रह ह मोह म लोभ म इनकी भीड़ भी परमाण

बनती ह फक जब इतन लोग जा रह ह इस ससार की तरि जब सब फदलली जा रह ह तो गलती कस हो सकती

ह इतन लोग गलत हो सकत ह इतन लोग नही गलत हो सकत

अमधकतम लोग गलत होग और इकका-दकका आदमी कभी सही हो जाता ह यह बात जचती नही

इनम बहत समझदार ह पढ़-मलख ह बमदधमान ह परमतमित ह इनम सब तरह क लोग ह गरीब ह

अमीर ह सब भाग जा रह ह इतनी बड़ी भीड़ जब जा रही हो तो फिर भीतर क सवर सगबगान लगत ह व

कहत हःः एक कोमशश और कर लो जहा सब जा रह ह वहा कछ होगा नही तो इतन लोग अनत-अनत काल

स उस तरि जात कयो अब तक रक न जात

तो बदधपरष फिर तमहार भीतर उनका सवर धीमा पड़ जाता ह भीड़ की आवाज फिर वजनी हो

जाती ह और भीड़ की आवाज इसमलए वजनी हो जाती ह फक अतसतल म तम भीड़ स ही राजी हो कयोफक

तम भीड़ क महसस हो तम भीड़ हो

बदधपरषो स तो तम फकसी-फकसी कषण म राजी होत हो कभी बड़ी ममशकल स एक कषणभर को

तालमल बठ जाता ह उनकी वीणा का छोटा सा सवर तमहार कानो म गज जाता ह मगर यह जो नककारखाना

ह मजसम भयकर शोरगल मच रहा ह यह तमह चौबीस घट सनायी पड़ता ह

तमहार मपता मोह स भर ह तमहारी मा मोह स भरी ह तमहार भाई तमहारी बहन तमहार मशकषक

तमहार धमनगर--सब मोह स भर ह सबको पकड़ ह फक कछ ममल जाए और जो ममल जाता ह उस पकड़कर

रख ल और जो नही ममला ह उस भी खोज ल

मोह का अथन कया होता ह मोह का अथन होता ह--मरा ममतव जो मझ ममल गया ह वह छट न जाए

लोभ का कया अथन होता ह लोभ का अथन होता हः जो मझ अभी नही ममला ह वह ममल और मोह का अथन

होता हः जो मझ ममल गया ह वह मर पास रटक य दोनो एक ही पकषी क दो पख ह उस पकषी का नाम हः

तषणा वासना कामना

इन दो पखो पर तषणा उड़ती ह जो ह उस पकड़ रख वह छट न जाए और जो नही ह वह भी मरी

पकड़ म आ जाए एक हाथ म जो ह उस समहाल रख और एक हाथ उस पर िलाता रह जो मर पास नही

मोह लोभ की छाया ह कयोफक अगर उस पाना ह जो तमह नही ममला ह तो उसको तो पकड़कर रखना

ही होगा जो तमह ममल गया ह समझो फक तमहार पास पाच लाख रपय ह और तम पचास लाख चाहत हो

अब पचास लाख अगर चामहए तो य पाच लाख खोन नही चामहए कयोफक इनही क सहार पचास लाख ममल

सकत ह

अगर य खो गए तो फिर पचास लाख का िलाव नही हो सकगा धन धन को खीचता ह पद पद को

खीचता ह जो तमहार पास ह उसम बढ़ती हो सकती ह लफकन अगर इसम कमती होती चली जाए तो फिर

जो तमह नही ममला ह उसको पान की आशा टटन लगती ह

226

तो जो ह उस पर जमाकर पर खड़ रहो और जो नही ह उसकी तरि हाथो को बढ़ात रहो इनही दो क

बीच आदमी चखचा-चखचा मर जाता ह य दो पख वासना क ह और य ही दो पख तमह नकन म उतार दत ह

वासना तो उड़ती ह इनक िारा तम भरषट हो जात हो तम नषट हो जात हो

लफकन यह अनभव तमहारा अपना होना चामहए म कया कहता ह इसकी फिकर मत करो तमहारा

अनभव कया कहता ह--करदो अपन अनभव को जब भी तमन कछ पकड़ना चाहा तभी तम दखी हए हो

कयो दख आता ह पकड़न स कयोफक इस ससार म सब कषणभगर ह पकड़ा कछ जा नही सकता और

तम पकड़ना चाहत हो तम परकमत क मवपरीत चलत हो हारत हो हारन म दख ह जस कोई आदमी नदी क

धार क मवपरीत तरन लग तो शायद हाथ दो हाथ तर भी जाए लफकन फकतना तर सकगा थकगा टटगा

मवपरीत धार म फकतनी दर तरगा धार इस तरि जा रही ह वह उलटा जा रहा ह थोड़ी ही दर म धार की

मवराट शमकत उसकी शमकत को मछनन-मभनन कर दगी थकगा हारगा और जब थकगा हारगा और पर उखड़न

लगग और नीच की तरि बहन लगगा तब मवषाद घरगा फक हार गया परामजत हो गया जो चामहए था नही

पा सका जो ममलना था नही ममल सका तब मचतत म बड़ी गलामन होगी आतमघात क भाव उठ ग दख गहन

होगा

जो जानता ह वह नदी की धार क साथ बहता ह वह कभी हारता ही नही दख हो कयो वह नदी की

धार को शतर नही मानता मतरी साधता ह

बदधतव आता कस ह बदधतव आता ह सवभाव क साथ मतरी साधन स जसा ह जसा होता ह उसस

मवपरीत की आकाकषा मत करना अनयथा दख होगा

जानकर हम मवपरीत की आकाकषा करत ह तम सोचत हो जो मझ ममला

समझो फक तम जवान हो तो तम सोचत हो सदा जवान रह जाऊ तम कया कह रह हो थोड़ा आख

उठाकर दखो ऐसा हो सकता होता तो सभी जवान रह गए होत ऐसा हो सकता होता तो कौन बढ़ा हआ

होता--जानकर सोचकर मवचारकर राजी होकर

हर जवान रक जाना चाहता ह--फक बढ़ा न हो जाऊ लफकन हर एक को बढ़ा होना पड़गा धार बही

जाती ह यह पानी क बबलो जसा जीवन रोज बदलता जाता ह यहा कछ भी मथर नही ह तो जब बढ़ापा

आएगा और उसक पहल कदम तम सनोग दख होगा--फक हार गया हार इतयाफद कछ भी नही जीत की

आकाकषा क कारण हार का खयाल पदा हो रहा ह यह भरामत इसमलए बन रही ह कयोफक तम जवान रहना

चाहत थ और परकमत फकसी चीज को ठहरन नही दती परकमत बहाव ह और तमन परकमत क मवपरीत कछ चाहा

था जो सभव नही ह सभव नही हो सकता ह न हआ ह न कभी होगा

जो सभव नही हो सकता उसकी आकाकषा म दख ह फिर तम बढ़ हो जाओग तब भी नही समझोग

अब तम मरना नही चाहत पहल जवानी पकड़ी थी अब बढ़ाप को पकड़त हो तो कछ सीख नही

दखा फक बचपन था वह भी गया जवानी थी वह भी गयी बढ़ापा भी जाएगा जीवन भी जाएगा

मौत भी आएगी और जब जीवन ही चला गया तो मौत भी जाएगी घबड़ाओ मत सब बह रहा ह यहा न

जीवन रकता ह न मौत रकती ह

इस परवाह को जो सहज भाव स सवीकार कर लता ह जो रततीभर भी इसस सघषन नही करता जो कहता

हः जो हो म उसस राजी ह जसा हो उसस म राजी ह कभी धन हो तो धन स राजी ह और कभी दररदरता

आ जाए तो दररदरता स राजी ह कभी महल ममल जाए तो महल म रह लगा कभी महल खो जाए तो उनक

227

मलए रोता नही रहगा लौटकर पीछ दखगा नही जो होगा जसा होगा उसस अनयथा मर भीतर कोई कामना

न करगा फिर कसा दख फिर दख असभव ह

आज तम एक िी स ममल परम म पड़ गए मववाह कर मलया अब तम सोचत होः यह िी खो न जाए

एक फदन पहल यह तमहारी िी नही थी कही यह खो न जाए कही यह परम टट न जाए कही यह सबध मबखर

न जाए

जो बना ह मबखरगा बनती ही चीज मबखरन को ह यहा कछ भी शाशवत नही ह यहा मसिन झठी और

मदान चीज शाशवत होती ह कागज का िल दर तक रटक सकता ह असली िल दर तक नही रटकता

इसी डर स फक कही परम खो न जाए लोगो न परम करना बद कर फदया और मववाह करना शर फकया

मववाह कागज का िल ह पलामसटक का िल ह परम गलाब का िल ह सबह मखला साझ मझान जाएगा कछ

पकका नही ह

जो जीवत ह वह जीवत ही इसमलए ह फक बह रहा ह बहन म जीवन ह जीवन म बहाव ह जो ठहरा

हआ ह एक पतथर पड़ा ह गलाब क िल क पास वह सबह भी पड़ा था साझ भी पड़ा होगा कल भी पड़ा

होगा परसो भी पड़ा होगा सफदया बीत गयी और सफदयो तक पड़ा रहगा और यह गलाब का िल सबह

मखला और साझ मझान गया

यह सोचकर फक यह गलाब का िल मझान जाएगा तमन पतथर की पजा करनी शर कर दी आदमी खब

अदभत ह पतथर की मरतनयो पर िलो को चढ़ाता ह िलो की मरतनयो पर पतथर को चढ़ाओ तो समझ म आता

लफकन पतथर की मरतन म मथरता मालम होती ह मसथरता मालम होती ह असली बदध तो एक फदन थ

फिर एक फदन नही हो गए लफकन नकली बदध--वह जो पतथर की मरतन ह--उस तम सदा पकड़ बठ रह सकत

हो

आदमी इस भय स फक कही दख न झलना पड़ धीर-धीर जीवत वसतओ स ही सबध तोड़ लता ह मदान

वसतओ स सबध जोड़ लता ह उसस भी दख होगा कयोफक मदान वसतओ स कहा सख की सभावना

सख का एक ही उपाय ह--तरलता तथाता

तमन पछाः मोह कया ह

मोह ह ठहरन की वमतत जहा कछ भी नही ठहरता वहा सब ठहरा हआ रह--ऐसी भावदशा ऐसी भरामत

इसस दख पदा होगा तम खद ही दख पदा कर रह हो फिर इस दख स तम कहत हो फक छटना कस हो यह

छटता भी नही

यह छटता इसमलए नही फक इसको छोड़ो तो तम एकदम खाली हो जात हो फिर तम कया हो दख की

कथा हो तम दख का अबार हो तम दख ही दख जम ह इन सबको छोड़ दो तो शनय हो गए

शनय स घबड़ाहट लगती ह फक चलो कछ नही मसरददन तो ह चलो कछ नही कोई तकलीि तो ह

कोई तकलीि स भर तो ह कछ उलझाव कछ वयसतता बनी ह तो आदमी इसमलए दख नही छोड़ता

परशन पछन वाल का खयाल ऐसा ह फक जब दख ह तो छटता कयो नही इसीमलए नही छटता फक यही तो

ह तमहार पास दख की सपदा क अमतररकत तमहार पास ह कया इसको ही छोड़ दोग तो बचता कया ह

एक फदन महसाब लगाना बठकर एक कागज पर मलखना फक कया-कया दख ह जीवन म कजसी मत

करना सारी िहररशत मलख डालना और फिर सोचना फक यह सब छट जाए तो मर पास कया बचता ह

तम एकदम घबड़ा जाओग कयोफक इसक अमतररकत तमहार पास कछ भी नही बचता यही चचताए यही

मवषाद यही फिकर यही सममतया यही कामनाए यही वासनाए यही सपन--इनक अमतररकत तमहार पास कया

ह यही आपाधापी यही रोज का सघषन--इसक अमतररकत तमहार पास कया ह

228

तमह पता ह छटटी का फदन लोगो का ममशकल स कटता ह काट नही कटता तरकीब खोजनी पड़ती ह

नए दख की फक चलो मपकमनक को चल कोई नया दख उठाए काट नही कटता खाली बठ नही सकत

कयोफक खाली बठ तो खाली मालम होत ह दफतर की याद आती ह बड़ा मजा ह दफतर म छह फदन सोचत

ह कब छटटी हो और मजस फदन छटटी होती ह उस फदन सोचत ह फक कब सोमवार आ जाए और दफतर खल

जाए फिर चल

रमववार क फदन पमिम क मलको म सवानमधक दघनटनाए होती ह कयोफक रमववार क फदन सार लोग

खलल छट गए जस सब जगली जानवर खल छोड़ फदए अब उनको कछ सझ नही रहा ह फक करना कया ह

सबक पास कार ह अपनी-अपनी लकर मनकल पड़ तमन मचतर दख ह पमिम क समदर तटो क वहा लोग इकटठ

ह इतनी भीड़-भाड़ मालम होती ह खड़ होन की जगह नही ह इसस अपन घर म ही थोड़ी जयादा जगह थी

चल मीलो तक कार एक-दसर स लगी चल रही ह चार-छह घट कार डराइव करक पहच फिर चार-छह

घट कार डराइव करक लौट और वहा वही भीड़ थी मजस भीड़ स बचन मनकल थ व सार लोग वही पहच गए

थ सभी को जाना ह भीड़ स बचना ह सारी भीड़ वही पहच गयी घर म भी इसस जयादा आराम था अगर

घर ही रक गए होत तो आज शामत होती कयोफक सारा गाव तो गया था

लफकन घर कौन रक खालीपन--घबड़ाहट होती ह बचनी होती ह कछ करन को चामहए

तमन कभी खाली एक फदन गजारा एक फदन सबह छह बज स साझ छह बज तक कछ न फकया हो पड़

रह अखबार भी न पढ़ा हो रमडयो भी न खोला हो पतनी स भी नही झगड़ हो पड़ोमसयो स भी जाकर गपशप

न की हो एक फदन तमन कभी ऐसा फकया ह फक कछ न फकया हो तमह याद न आएगा ऐसा चजदगी म कोई

फदन मजस फदन तमन कछ न फकया हो

कया कारण होगा फक कभी तमन इतना मवशराम भी न जाना

खाली होन म डर लगता ह खाली होन म भय लगता ह फक यह भीतर अगर म गया खालीपन म और

वहा कछ न पाया तो

मलला नसरददीन एक टरन म सिर कर रहा था रटफकट कलकटर आया रटफकट पछी मलला बहत स खीस

बना रखा ह कमीज म भी कोट म भी अचकन म भी--सब म कई खीस और उनम चीज भरी रखता ह एक

खीसा उलटा दसरा उलटा--सब खीस उलटा मगर एक कोट क खीस को नही छ रहा ह सब म दख मलया

रटफकट नही ममल रही ह

आमखर उस रटफकट कलकटर न कहा फक महानभाव आप इस खीस को नही दख रह ह कोट क उसन

कहाः उसको नही दख सकता अगर उसम न ममली तो फिर फिर मार गए वही तो एक आशा ह फक शायद

वहा हो उस खीस की तो बात ही मत उठाना

फिर अपन दसर खीसो म टटोलन लगा

तम बाहर टटोलत रहत हो कयोफक तम डरत हो फक अगर भीतर खोजा और वहा भी न पाया--फिर

फिर कया होगा फिर गए काम स इसमलए आदमी बाहर दौड़ता ह खब दौड़-धप करता ह

मोह यानी बाहर--बाहर--बाहर वयसतता अथानत बाहर

अवयसत हए खाली हए मवराम आया तो भीतर जाना पड़गा और तो जान को कोई जगह नही बचती

बाहर स ऊजान उलझी थी सलझ गयी तो कहा जाएगी लौटगी अपन घर पर जस पछी उड़ा--उड़ा--और थक

गया तो लौट आता ह अपन नीड़ म ऐस ही तम अगर बाहर कोई उलझन न पाओग तो कहा जाओग लौट

आओग अपन नीड़ म और डर लगता ह फक वहा अगर सननाटा हआ वहा अगर कोई न ममला अगर वहा कछ

भी न हआ

सनत ह फक वहा परमातमा का वास ह जरर होगा मानत ह फक होगा मगर दखत नही अगर न हआ

तो सनत ह वहा परम आनद की वषान हो रही ह सनत ह मगर दखा नही कभी

229

कयोफक दखा और अगर न हआ तो फिर तो जीवन मबलकल ही मनराश हो जाएगा बाहर तो ह ही नही

और अब भीतर भी नही ह फिर तो जीन का कया कारण रह जाएगा फिर तो आतमघात क मसवाय कछ भी न

सझगा

इस घबड़ाहट स आदमी उलझा रहता ह परान मोह कट जात ह नए मोह बना लता ह परानी झझट

छट जाती ह नयी झझट बना लता ह परानी खतम ही नही हो पाती उसक पहल ही नए क बीज बो दता ह

फक कही ऐसा न हो फक कछ ऐसी घड़ी आ जाए फक खाली छट जाऊ परानी झझट खतम नयी ह नही अब

कया कर

और आियन तमह होगा यह जानकर फक जो इस भीतर की शनयता को जानता ह वही सख को जानता ह

और तो सब दख ही दख ह जो इस शनय होन को राजी ह वही पणन हो पाता ह और तो सब खाली क खाली

रह जात ह

यह तमह बड़ा उलटा लगगा जो खाली होन को राजी ह वह भर जाता ह और जो खाली होन को राजी

नही ह वह सदा क मलए खाली रह जाता ह

जीसस न कहा हः धनय ह व जो खोएग कयोफक मजनहोन खोया उनहोन पाया और मजनहोन बचाया

उनहोन सब गवाया

इसमलए तम दख नही छोड़त कछ तो ह मटठी म दख ही सही मटठी तो बधी ह भरामत तो बनी ह

बदध का सारा सदश यही ह सार बदधो का सदश यही ह फक खोलो मटठी बधी मटठी खाली ह ससारी तो

उलटी बात कहत ह व कहत हःः बधी मटठी लाख की खली फक खाक की और बदध कहत हःः खोलो मटठी

बधी मटठी खाक की खोलो तो लाख की खोलो मटठी सब खोल डालो और एक बार आर-पार झाक लो कछ

बद मत रखो कोई जब डर क कारण छोड़ो मत सब ही दख लो चकता दख लो परा दख लो उसी दखन म

उसी दखत-दखत तमहारा जीवन रपातररत हो जाता ह

मजसन अपन भीतर क शनय का साकषातकार कर मलया उसन पणन का साकषातकार कर मलया कयोफक शनय

और पणन एक ही मसकक क दो पहल ह जो एक तरि स शनय मालम होता ह वही दसरी तरि स पणन ह

शनय मालम होता ह कयोफक तम ससार को पकड़ हो तम एक तरह का ही भराव जानत हो--सासाररक

भराव वह वहा नही ह इसमलए तमह भरामत होती ह फक भीतर शनय ह जब तमन सासाररक भराव छोड़ फदया

और तमन भीतर झाका तब तमह दसरी बात पता चलगी फक यह शनय नही ह यह मरी सासाररक पकड़ क

कारण शनय मालम होता था यहा ससार नही ह इसमलए शनय मालम होता था यहा परमातमा ह

म एक बहत बड़ अमीर क घर म महमान हआ अमीर थ और जस अकसर अमीर होत ह कोई सौदयन-

बोध नही था जो नया दमनया म ममलता ह--सारी दमनया म यातरा करत रहत थ--सब खरीद लाए थ जहा जो

ममल वह ल आत थ उनका घर एक कबाड़खाना था मजस कमर म मझ ठहराया उसम समहलकर चलना

पड़ता था इतनी चीज उसम भर रखी थी सब कछ था उसम

मन उनस कहा फक मझ यहा सात फदन रकना होगा आप मझ पर अगर थोड़ी कपा कर तो य सब चीज

यहा स हटा द व बोलः लफकन कमरा खाली हो जाएगा मन उनस कहाः कमरा खाली नही हो जाएगा कमरा

कमरा हो जाएगा अभी यह कमरा ह ही नही अभी यहा स चलना भी पड़ता ह तो समहलकर मनकलना पड़ता

ह यह कोई कमरा ह इसम सथान ही नही ह इसम रहन की जगह नही ह इसम अवकाश नही ह कमर का

तो मतलब होता ह जहा अवकाश हो जहा रहन की जगह हो जहा रहा जा सक कमर का मतलब होता ह

जहा रहा जा सक यहा तो रह ही नही सकता कोई यहा ररकतता तो मबलकल नही ह और ररकतता क मबना कस

रहोग

230

ररकतता म ही रहा जाता ह इसमलए तो सारा अमसततव आकाश म रहता ह कयोफक आकाश यानी शनय

आकाश यानी अवकाश जगह दता ह पथवी हो चाद हो तारा हो सरज हो लोग हो वकष हो--सबको जगह

दता ह आकाश शनय नही ह आकाश पणन ह लफकन उसकी पणनता और ढग की ह

खर म उनका महमान था राजी तो व बहत नही थ लफकन अब मझ वहा सात फदन रहना था म भी

राजी नही था उस कबाड़खान म रहन को तो उनह मजबरी म सब मनकालना पड़ा बड़ बमन स उनहोन

मनकाला मनकाल-मनकालकर पछत थ फक अब इतना रहन द म कहताः इसको भी ल जाओ रमडयो रहन द

टलीमवजन रहन द मन कहाः सब तम ल जाओ तम बस मझ छोड़ दो और तम भी जयादा यहा मत आना-

जाना

ल गए बमन स उनको बड़ी उदासी लग रही थी व बड़ सोच भी रह होग फक म भी कसा नासमझ

आदमी आ गया घर म उनहोन शायद मर आन की वजह स और चीज वहा रख दी होगी उनहोन तयारी की

थी

जब सब मनकल गया वहा कछ भी न बचा तो उनहोन आकर बड़ी उदासी स चारो तरि दखा और कहाः

मन कहा था आपस फक मबलकल खाली हो जाएगा उनकी आखो म करीब-करीब आस थ फक सब खाली हो

गया

मन उनस कहा फक आप फिकर न कर मझ खाली म रहन का आनद ह मझ खाली म रहन का रस ह

अब यह जगह बनी अब यह कमरा भरा-परा ह कमरपन स सथान स भरा ह आकाश स भरा ह मगर यह

और ढग का भराव ह िनीचर स भरना एक भरना ह आकाश स भरना दसरा भरना ह

ठीक ऐसा ही तमहार भीतर भी घटता ह कड़ा-करकट स भर हो अपन को छोड़त भी नही कयोफक

खाली न हो जाओ छोड़ोग तभी तम पहचानोग फक तमहार खाली करत-करत ही जो उतर आता ह आकाश

तमहार भीतर वही तमहारी वासतमवकता ह उस मनवानण कहो परमातमा कहो--जो नाम दना हो वह नाम दो

दसरा परशनः

तमह अपना बनाना चाहता ह

मकददर आजमाना चाहता ह

मझ बस पयार का एक जाम द द

म सब कछ भल जाना चाहता ह

फिर तम गलत जगह आ गए

तमह अपना बनाना चाहता ह

यहा सारी चषटा यही चल रही ह फक अब तम अपना और न बनाओ अपना बनाना यानी मोह मर का

मवसतार म तमह कोई तरह स भी सहयोगी नही हो सकता अपन को बढ़ान म

कािी दख नही झल मलया ह अपनो स अब तो छोड़ो मझस तम इस तरह का सबध बनाओ मजसम

मरा-तरा हो ही नही नही तो वह सबध भी सासाररक हो जाएगा जहा मरा आया वहा ससार आया

कया तम मबना मर-तर को उठाए सबध नही बना सकत कया यह सबध मर-तर की भीड़ स मकत नही

हो सकता तम वहा म यहा कया बीच म मर-तर का शोरगल होना ही चामहए सननाट म यह बात नही हो

सकगी

तम शनय बनो--बजाय मर का िलाव करन क--तो तम मझस जड़ोग म शनय ह तम शनय बनो तो तम

मझस जड़ोग मन मर का भाव छोड़ा ह तम भी मर का भाव छोड़ो तो मझस जड़ोग मझस जड़न का एक ही

उपाय हः मझ जस हो जाओ तो मझस जड़ोग

231

अब तम कहत हो फक तमह अपना बनाना चाहता ह

तमन फकतन दरवाजो पर दसतक दी फकतन लोगो को अपना बनाना चाहा सब जगह स ठोकर खाकर

लौट सब जगह स अपमामनत हए अभी भी होश नही आया फिर वही पराना राग

लोग मवषय बदल लत ह गीत वही गाए चल जात ह लोग वादय बदल लत ह सर वही उठाए चल जात

ह कभी कहत हःः मरा धन कभी कहत हःः मरा मकान फिर कभी कहन लगत हःः मरा गर मरा भगवान

फक मरा मोकष फक मरा शाि कया िकन पड़ता ह तम मरा शाि कहो फक मरी दकान कहो सब बराबर ह

जहा मरा ह वहा दकान ह और इसीमलए तो मफदरो पर भी झगड़ हो जात ह कयोफक जहा मरा ह वहा

झगड़ा ह जहा मरा ह वहा उपदरव ह

म एक गाव म गया एक ही जन मफदर ह थोड़ स घर ह उस गाव म कछ शवताबररयो क घर ह और

कछ फदगबररयो क घर ह और एक ही मफदर ह मफदर पर ताला पड़ा ह पमलस का मन पछाः मामला कया ह

उनहोन कहाः शवताबर और फदगबर म झगड़ा हो गया मफदर एक ही ह कई फदनो स दोनो उसम पजा करत थ

सब ठीक चलता था समय बाट रखा था फक बारह बज तक एक पजा करगा बारह बज क बाद दसर का हो

जाएगा मफदर

कभी-कभी अड़चन आ जाती थी फक बारह बज समय हो गया और कोई शवताबरी ह फक अभी पजा फकए

ही चला जा रहा ह कोई उपदरवी लोग होत ह कोई पजा स मतलब नही ह पजा करनी हो तो कया मतलब ह

यहा आन का कही भी हो सकती ह उपदरवी लोग दख मलया फक बारह बज गए ह लफकन उपदरव खीच गए

पजा को साढ़ बारह बजा फदया फदगबरी आ गए लटठ लकर--फक हटो

व उनक महावीर सवामी खड़ दख रह ह बचार फक यह वहा लटठ चल गया बारह क बाद मफदर मरा

ह न य जो लटठ लकर आए ह इनको पजा स परयोजन ह कयोफक पजा करन वाल को लटठ लकर आन की कया

जररत थी

शवताबरी और फदगबरी म कछ बड़ भद नही ह मगर मरा अड़चन आ जाती ह एक ही महावीर क

मशषय एक की ही पजा ह लफकन उसम भी थोड़-थोड़ महसाब लगा मलए ह जरा-जरा स महसाब

अब महावीर म जयादा महसाब लगान की समवधा भी नही ह नगन खड़ ह अब इसम तम िकन भी कया

करोग लगोटी भी नही लगा सकत तो एक छोटा सा महसाब बना मलया फदगबरी पजा करत ह महावीर की

बद-आख-अवसथा म और शवताबरी पजा करत ह खली-आख-अवसथा म

अब पतथर की मरतन ह ऐसा आख खोलना बद होना तो हो नही सकता तो शवताबरी एक नकली आख

मचपका दत ह ऊपर स--खली आख रह आओ भीतर बद फकए वह मरतन भीतर बद आख की ह ऊपर स खली

आख मचपका दी और पजा कर ली कयोफक व खली आख भगवान की पजा करत ह

फदगबरी आत ह व जलदी स मनकाल आख अलग कर दत ह महावीर स तो कछ लना-दना नही ह

तमन कहानी सनी एक गर क दो मशषय थ एक भरी दपहरी गमी क फदन और दोनो पर दाब रह थ

एक बाया एक दाया बाट मलया था उनहोन आधा-आधा और दोनो को सवा करनी ह

गर न कहाः भाई झगड़ा मत करो सवा करो बाट लो

गर तो सो गया उसको थोड़ी झपकी आ गयी करवट ल ली तो बाया पर दाए पर पर पड़ गया तो

मजसको दाया पर ममला था उसन दसर स कहा हटा ल अपन पर को यह मर बरदाशत क बाहर ह दख हटा

दसरा भी उसन कहाः कौन ह मर पर को हटान वाला यही रहगा

व दोनो डड ल आए आवाज सनकर गर की नीद खल गयी उसन कहाः जरा रको

232

गर को मारन को डड ल आए कयोफक वह पर वह मजसक पर पर पर पड़ गया था वह दसर पर को हटा

दना चाहता था वह डडा ल आया था फक अगर ऐस नही होगा तो डड स हटा फदया जाएगा

गर न कहाः जरा ठहरो पर मर ह दोनो पर मर ह

मगर मवभाजन मर-तर का झझट लाता ह

तमन चजदगी म इतनी बार मरा बनाया और हर बार उजड़ा अब तम यहा तो मरा मत बनाओ यहा तो

मरा लाओ भी मत

तमह अपना बनाना चाहता ह

तम िकन समझो अगर तमहार भीतर समझ हो तो तम मर बनना चाहोग न फक मझ अपना बनाना

चाहोग तम कहोग फक म राजी ह मझ अपना बना ल तम कहोग फक म समरपनत होन को राजी ह म अपन को

छोड़न को राजी ह मझ अपन म लीन कर ल

लफकन तम कह रह होः तमह अपना बनाना चाहता ह

मझ तम अपनी मटठी म लना चाहत हो नही म ऐसी कोई समवधा नही दता म फकसी की मटठी म नही

इसमलए बहत स लोग मझस नाराज होकर चल गए ह कयोफक उनकी मटठी म म नही आता व चाहत थ

फक उनकी मटठी म रह व जसा कह वसा कर जसा कह वसा बोल व जसा कह वस उठ-बठ य सब मटठी

िलान क ढग ह

अजीब लोग ह फकसी क घर म ठहर जाता था तो व समझ फक उनक घर म ठहरा ह तो व मझ यह भी

बता दत फक आज आप बोलन जा रह ह यह बात जरर बोलना म अगर बोलन भी जा रहा था तो खतम अब

नही बोलगा

फक लौटकर मर साथ मझ गाड़ी म लकर आत तो रासत म कहत फक यह बात आप न कहत तो अचछा

था इसस कई लोगो को धकका लग गया होगा दबारा आप यह बात मत कहना

लोग ऐस मढ़ ह फक उनह पता नही फक व कया कह रह ह फकसस कह रह ह उनह होश ही नही ह

तमह अपना बनाना चाहता ह

मकददर आजमाना चाहता ह

मकददर तमहारा अभी तक िटा नही फकतन जनमो स आजमा रह हो खोपड़ी सब जगह स मपट गयी ह

अभी भी मकददर आजमाना चाहत हो अब छोड़ो

यह मकददर आजमाना बचकानी बात ह यह भी अहकार का ही िलाव ह इसम भी दमनया को कछ

करक फदखान का भाव ह फक कछ करक फदखा द कछ होकर फदखा द

मझ बस पयार का एक जाम द द

दखो मजस पयार चामहए हो उस पयार दना सीखना चामहए मागना नही मागन स पयार नही ममलता

जो मागन स ममलता ह वह पयार होता ही नही

परम क ममलन की एक ही कला ह फक दो तम माग-मागकर मभखारी होन की वजह स तो चक आज तक

ममला नही जहा गए मभखारी की तरह खड़ हो गए परम ममलता ह समराटो को मभखाररयो को नही मभखारी

को मभकषा ममलती ह परम नही ममलता और मभकषा कभी परम नही ह सहानभमत ह और सहानभमत म कया

रखा ह दया दया म कया रखा ह मागोग तो जो ममलगा वह दया होगी और दया बड़ी लचर चीज ह दोग

तो जो ममलगा परम होगा

परम उसी मातरा म ममलता ह मजतना फदया जाता ह जो अपना परा हदय उडल दता ह उस खब ममलता

ह खब ममलता ह चारो तरि स बरसकर ममलता ह परम पान क मलए जआरी चामहए मभखारी नही सब दाव

पर लगान की महममत होनी चामहए

233

और कया एक जाम मागत हो एक जाम स कया होगा तमहार ओठो पर लगगा ममशकल स परा सागर

उपलबध हो और तम जाम मागो

मगर कजसी की ऐसी वमतत हो गयी ह दन की महममत नही रही ह तो लन की महममत भी खो गयी ह

जो दना नही जानता वह लना भी नही जानता ह कयोफक व एक ही मसकक क दो पहल ह उनम भद नही ह

यहा तो मभकषा मत मागो इसमलए मन जानकर बदध क पयार शबद मभकष को अपन सनयासी क मलए नही

चना जानकर नही तो बदध स मरा लगाव गहरा ह मन सवामी शबद को चना कयोफक म तमह मामलक बनाना

चाहता ह

म चाहता हःः तम समराट बनो तम मभकषा की आदत छोड़ो तम मागना ही बद करो माग-मागकर ही

तो तमहारी यह ददनशा हो गयी ह अब मागो ही मत अब जो ममल जाए उसस राजी जो न ममल उसस राजी

अब तमहार राजीपन म कोई िकन ही नही पड़ना चामहए--ममल न ममल और तम पाओग फक इतना ममलता ह

इतना ममलता ह फक समहाल नही समहलता तमहारी झोली छोटी पड़ जाएगी तम छोट पड़ जाओग

मगर कला गमणत समझ लना दना गमणत ह दो

करीब-करीब लोग जानत ही नही फक परम दना यानी कया मर पास इतन लोग आत ह उनम स अमधक

की मशकायत यही होती ह फक परम नही ममलता मगर कोई यह मशकायत करन नही आता फक म परम नही द

पाता

तब म सोचता ह फक जब फकसी को परम नही ममल रहा ह तो फकसस य माग रह ह यही तो दन वाल ह

यही लन वाल ह पमत भी मझस आकर कह जाता ह फक मझ परम नही ममलता पतनी स पतनी भी मझस आकर

कह जाती ह फक मझ परम नही ममलता पमत स

दोनो लन पर उतार ह दन को कोई राजी नही ह ममल कस यह सौदा हो तो हो कस यह बात बन

तो बन कस दोनो एक-दसर पर नजर लगाए बठ ह फक दो और कोई दना नही चाहता दसरा भी यही नजर

लगाए बठा ह फक दो दोनो की माग एक ही ह परतन कस हो परतन तो तब हो सकती ह जब दोनो द तो दोनो

को ममल

इस जगत स तमह बहत कम परम ममलता ह कयोफक तम दत ही नही नही तो यह जगत चारो तरि स

परम स भरा ह यहा िल-िल पतती-पतती पर परम का सदश ह यहा कण-कण रतती-रतती पर परम की पाती ह

परमातमा तमह बहत तरह स पामतया भज रहा ह मगर तमह दन की कला नही आती इसमलए तम लन

स चक जात हो

मकददर आजमाना चाहता ह

मझ बस पयार का एक जाम द द

म सब कछ भल जाना चाहता ह

यहा म शराब मनमित बाटता ह मगर वह शराब ऐसी नही फक तम भल जाओ वह शराब ऐसी ह जो

होश लाए वह होश लान वाली शराब ह बहोशी लान वाली शराब तो सब तरि ममल रही ह बहोशी लान

वाली शराब म फकतना मलय ह थोड़ी दर को भल जाओग फिर याद आएगी और घनी होकर आएगी थोड़ी

दर को भल जाओग तब भी भीतर तो सरकती ही रहगी

चचता स भरा आदमी शराब पी लता ह चलो रात गजर गयी सबह फिर चचताए वही की वही खड़ी ह

और बड़ी होकर खड़ी ह कयोफक रात हल कर ली होती तो उनकी उमर कम थी अब रातभर और गजर गयी

उनकी उमर जयादा हो गयी व और मजबत हो गयी उनकी जड़ और िल गयी फिर शराब पी ली ऐस दो-

चार-दस फदन गजार फदए तो चचताए तमहार भीतर गहरी मजबती स जड़ जमा लगी उनको हल करना रोज-

रोज करठन हो जाएगा

234

बहोशी स कछ लाभ नही ह और तम सगीत म भी बहोशी खोजत हो और तम सदरी म भी बहोशी

खोजत हो और तम सपमतत म भी बहोशी खोजत हो और तम सममान म भी बहोशी खोजत हो तम बहोशी

ही खोजत हो

यहा तो कम स कम बहोशी खोजन न आओ यहा होश खोजो यहा जागो

मनमित ही यह जागना भी एक ऐसी अदभत कीममया ह फक इसस तम जागोग भी और मसत भी हो

जाओग इसमलए म इसको शराब भी कहता ह तम जागोग भी और डोलोग भी

मगर डोलना अगर बहोशी म हो तो कछ मजा न रहा वह तो नीद का डोलना ह जागकर डोलो होश

स भर नाचो होश भी हो और नाच भी हो होश भी हो और रसधार भी बह भीतर होश का दीया जल और

बाहर मसती हो

म चाहता हःः तम ऐस सनयासी हो जाओ फक मजसक भीतर बदध जसा दीया जलता हो और मजसक

बाहर मीरा जसी मसती हो तम ऐसा जोड़ बनो इस जोड़ पर कोमशश नही की गयी ह यह जोड़ अब तक

सभव नही हआ ह इसमलए अतीत म सनयास अधरा-अधरा रह गया ह आधा-आधा रह गया ह परा सनयासी

होश स भरा होगा और मदमसत भी होगा दीया भी जला होगा धयान का और परम की धारा भी बहती होगी

पणन सनयासी बनो एक अपवन अवसर तमह ममला ह इस चकना मत चकन की सभावना सदा जयादा ह

अगर न चक तो तम कछ ऐसा जान लोग तम कछ ऐस हो जाओग जसा फक इसक पहल सभव नही था

एकागी ढग क सनयासी हए ह एकागी ढग का सनयास भी सदर ह ससार स तो बहत सदर ह लफकन

बहआयामी सनयास क सामन िीका ह जस हीर पर दखा न बहत पहल होत ह मजतन पहल होत ह उतनी

हीर की चमक बढ़ती जाती ह ऐस ही मजतन तमहार सनयास म पहल होग उतनी चमक बढ़ती जाएगी उतनी

गररमा बढ़ती जाएगी उतनी ही तमस जयादा फकरण परगट होगी

और य दो पहल तो होन ही चामहए फक तमहार भीतर होश का दीया हो और तमहार भीतर होश क दीए

क साथ-साथ मसती की लहर हो होश का दीया ऐसा न हो फक तमह सखा जाए रमगसतान बना जाए

तमम िल भी मखल और तमम िल ही मखल इतना ही नही ह कयोफक अगर िल ही मखल और भीतर

बहोशी रह तो मजा न रहा भीतर दीए की जयोमत भी िलो पर पड़ती हो

िल अधर म मखल तो मजा नही ह और दीया रमगसतान म जल तो मजा नही ह बमगया म जल दीया

िल भी मखल और दीए म फदखायी भी पड़ मसती भी हो और होश म मसती फदखायी भी पड़ती रह मसती

बहोश न हो और होश गर-मसत न हो

इस नए सनयास को ही जनम द रहा ह तम एक महान परयोग म सहभागी हो रह हो तमह शायद पता हो

अपन सौभागय का या न पता हो

तीसरा परशनः

औजार कोई तरकीब कोई

न जान कहा कया अटका ह

न जान कहा कया जाम हआ

यह रात फक बद होती ही नही

यह फदन फक उि खलता ही नही

औजार कोई तरकीब कोई

एक एक बहत बड़ा जादगर हआ--हदनी उसकी सबस बड़ी कला यह थी फक कसी ही जजीरो म उस कस

फदया जाए वह कषणो म खोलकर बाहर आ जाता था जजीरो म कसकर परटयो म बद करक परटयो पर ताल

डालकर उस समदर म िका गया वहा स भी वह ममनटो क भीतर बाहर आ गया

235

दमनया क सभी कारागहो म उस पर परयोग फकए गए सभी तरह क पमलस न अपन इतजाम फकए--इगलड

म अमररका म फास म जमननी म उसको कारागह की कोठरी म डाल दत तालो पर ताल जड़ दत हाथो म

जजीर परो म जजीर और ममनट भी नही बीतती तीन ममनट स जयादा उसको कभी नही लग थ जीवन म

फकसी भी मसथमत स बाहर आ जान म बड़ी चौकान वाली उसकी कला थी

लफकन इटली म वह हार गया इटली म जाकर बड़ी बरी तरह हारा घटभर तक न मनकल सका तीन

घट लग जो भीड़ इकटठी हो गयी थी हजारो लोगो की व तो घबड़ा गए फक मर गया हदनी या कया हआ

यह तो फकसी को भरोसा ही नही था तीन ममनट तो आमखरी सीमा थी सक डो म मनकल आता था यह

हआ कया

और जब तीन घट बाद हदनी मनकला तो उसकी हालत बड़ी खसता थी पसीना-पसीना था माथ की

नस चचता स िल गयी थी आख लाल हो गयी थी बाहर आया तो हाि रहा था

पछा गया फक हआ कया इतनी दर कस लगी उसन कहा फक मर साथ बड़ा धोखा फकया गया दरवाज

पर ताला नही था और वह बचारा कोमशश करता रहा खोलन की फक कहा स खोल ताला हो तो खोल एक

मजाक काम कर गया

ताला होता तो खोल ही लता वह ताला खोलन म तो उसक पास कला थी ऐसा तो कोई ताला नही था

जो वह नही खोल लता मगर ताला था नही दरवाजा मसिन अटका था साकल भी नही चढ़ी थी साकल भी

चढ़ी होती तो खोल लता न साकल थी न ताला था भीतर कछ था ही नही

वह बड़ा घबड़ाया उसन सब तरि खोजा होगा कोई उपाय न फदख पहली दिा हारा तीन घट बाद

लोगो न पछा फिर कस मनकल उसन कहाः ऐस मनकल फक जब तीन घट क बाद मबलकल थक गया और मगर

पड़ा दरवाज को धकका लगा और दरवाजा खल गया सोच मलया फक आज तो परमतिा पानी म ममल गयी

तम पछत होः

औजार कोई तरकीब कोई

न जान कहा कया अटका ह

न जान कहा कया जाम हआ

यह रात फक बद होती ही नही

यह फदन फक उि खलता ही नही

औजार कोई तरकीब कोई

न कोई औजार ह न कोई तरकीब ह दरवाजा बद नही ह तम खोलन की कोमशश म परशान हो रह हो

तम खोलन की कोमशश छोड़ो

यहा तमन जीवन को समसया की तरह मलया फक तम चकत चल जाओग जीवन कोई समसया नही ह

मजसको सलझाना ह न जीवन कोई परशन ह मजसका उततर कही स पाना ह जीवन एक रहसय ह मजसको जीना

िकन समझ लना समसया और रहसय का समसया का अथन होता ह मजसका समाधान हो रहसय का अथन

होता ह मजसका समाधान हो ही न रहसय का अथन होता ह मजसका उततर ह ही नही रहसय का अथन होता हः

तम खोज जाओ खोजत-खोजत तम खो जाओग लफकन खोज जारी रहगी अतहीन ह खोज

इसमलए तो हम परमातमा को असीम कहत ह असीम का अथन होता ह मजसकी कभी कोई सीमा न

आएगी इसमलए तो परमातमा को हम अजञय कहत ह मजस हम जान-जानकर भी न जान पाएग

इसीमलए तो पमडत हार जाता ह और भोल-भाल लोग जान लत ह पमडत और भोल-भाल लोगो की

वही हालत ह जो हदनी की हई पहल वह पमडत था तीन घट तक पमडत रहा तब तक नही खला दरवाजा

236

कयोफक वह सोच रहा थाः ताला होना चामहए ताला होता तो पामडतय काम कर जाता लफकन ताला था ही

नही तो पामडतय कर कया

समसया ह नही जीवन म कोई पामडतय कर कया होती समसया पामडतय हल कर लता बमदध कर कया

बमदध नपसक ह तकन कर कया तकन का बस नही चलता समसया होती तो बस चल जाता चजदगी एक रहसय

जब मगर पड़ा हारकर हदनी उसी धकक म दरवाजा खल गया जो खोल-खोल न खला वह अपन स खल

गया वह बद था ही नही

इसमलए जीसस न कहा हः जो बचचो की भामत भोल-भाल ह व ही मर परभ क राजय म परवश पा सक ग

कयो बचचो की भामत भोल-भाल लोग पा सक ग कयोफक बचच ही रहसय को जीना जानत ह

तमन छोट बचच दख चारो तरि उनह मवमगध करन वाला जगत फदखायी पड़ता ह हर चीज उनह

आकरषनत करती ह एक मततली उड़ी जाती ह भागन लगत ह तम कहत होः कहा भाग रहा ह पागल कयोफक

तमह मततली म कछ नही फदखता तम अध हो तम अध हो गए हो तमहारी आख पर धल जम गयी ह समय न

तमहारी आख को खराब कर फदया ह सकल न मशकषको न माता-मपताओ न ससकारो न तमहारी आख को

धममल कर फदया ह तमहार आियन की हतया कर दी ह और मजस आदमी क भीतर आियन मर गया उस

आदमी क भीतर आतमा मर गयी

तम अब चफकत होन की कषमता खो फदए हो चफकत होन जसी बात ह मततली का होना असभव जसा

होना ह होना नही चामहए इतनी सदर मततली इतनी रग-मबरगी मततली य उड़ी जाती ह बचचा चफकत ह

मवमगध ह भागा तम उसका हाथ खीचत हो कहत होः कहा जात हो

बचचा घास म मखल एक िल को दखकर मवमगध हो जाता ह रसलीन हो जाता ह ककड़-पतथर बीनन

लगता ह समदर क तट पर रग-मबरग ककड़-पतथर तम कहत होः यह त कया कर रहा ह फिजल य चीज कहा

ल जा रहा ह तमस बचाकर भी बचचा अपन खीसो म ककड़-पतथर भर लाता ह रात उसकी मा को उसक

मबसतर म स ककड़-पतथर मनकालकर अलग करन पड़त ह

इन ककड़-पतथरो म बचच को अभी उतना फदख रहा ह मजतना बाद म तमह हीरो म भी नही फदखगा इस

बचच क पास अभी गहरी आख ह

यहा हर चीज रहसयमय ह छोट स ककड़ म भी तो परमातमा मवराजमान ह हर ककड़ हीरा ह होना ही

चामहए कयोफक हर ककड़ पर उसी क हसताकषर ह होना ही चामहए हर पतती पर वद ह हर िल म उपमनषद

ह हर पकषी की आवाज म करान की आयत ह होनी ही चामहए कयोफक वही तो बोलता ह कयोफक वही तो

मखलता ह कयोफक वही तो उड़ता ह वही ह

बचचा रोमामचत हो जाता ह छोटी-छोटी बात स एक तोता उड़ जाता ह और बचचा रोमामचत हो जाता ह

मजस फदन तम बचच जस होओग फिर स तमह बचचा होना पड़गा फिर स तमह धल झाड़नी होगी

समय न समाज न ससकारो न तमहार मन म जो मवकमतया डाल दी ह--मवकमतया यानी जञान--वह जो जञान

डाल फदया ह वह जो पामडतय डाल फदया ह तमह भरम द फदया ह फक म जानता ह उस भरम को छोड़ना होगा

न तो कोई औजार ह न कोई तरकीब ह कयोफक यहा कोई ताला ही नही ह मजसको तोड़ना हो औजार

की कोई जररत ही नही ह ताला लगा ही नही ह सब दरवाज खल ह मसिन तमहारी आख बद ह अब आख

खोलन क मलए तो औजार इतयाफद थोड़ ही होत ह

मन सनाः एक डाकटर एक मरीज को दखन आया एक िी बीमार थी गभनवती थी नौ महीन पर हो

गए थ पमत बड़ा बचन था बाहर खड़ा ह--पद क बाहर डाकटर भीतर गया भीतर स डाकटर बाहर झाका

मखड़की म स और बोला फक हथौड़ी होगी थोड़ा डरा पमत फक हथौड़ी पतनी गभनवती ह हथौड़ी की कया

जररत मगर उसन कहा होगी कोई जररत उसन हथौड़ी लाकर द दी

237

फिर थोड़ी दर बाद डाकटर बोलाः सकर डराइवर अब मार डाला इस आदमी न यह डाकटर ह फक कोई

मकमनक आ गया फक कया मामला ह मगर अब मागता ह तो उसको सकर डराइवर द फदया थोड़ी दर म बोलाः

आरा तब उसन कहाः अब जररत स जयादा हो गयी बात हदद हो गयी मामला कया ह मरी पतनी को हआ

कया उसन कहाः पतनी की बकवास मत करो अभी मरी पटी ही नही खली ह तम पतनी की लगा रह हो

तम औजार माग रह हो यहा परमातमा क ऊपर कोई दरवाज नही ह परमातमा खला ह परगट ह तम

आख स ओझल फकए बठ हो तम आख पर पदान डाल बठ हो तमहारी आख बद ह अब आख खोलन क मलए

कोई सकर डराइवर या हथौड़ी या कोई आर की थोड़ ही जररत ह जब खोलना चाहो तब खोल लो तमहारी

मजी की बात ह

खोलन क मलए परयास भी कया करना ह खोलना चाहो अभी खोल लो और अभी मवमकत हो जाओ और

अभी य िल-पमततयो का राज बदल जाए और अभी य हवाए कछ और सदश लान लग और य सरज की

नाचती फकरण अभी परमातमा का नतय बन जाए और य लोग जो तमहार चारो तरि बठ ह इनक भीतर वही

मछपा ह तमहार भीतर वही मछपा ह खोजन जात कहा हो खोजन वाल म भी वही मछपा ह

न कोई मवमध ह न कोई मवधान समझ चामहए बस समझ चामहए और समझ यानी दपनण जसा मचतत

चामहए

समझ शबद स तम मत समझ लना समझदारो की समझ समझदार तो बड़ नासमझ ह नासमझो की

समझ स मरा मतलब ह

सकरात न कहा हः जब म जानता था तब कछ भी नही जानता था और जब स सब जानना छट गया

ह कया जानन को बचा सब जान मलया

लाओतस न कहा हः जो कह जानता ह समझ लना फक नही जानता जानन वाल कस कहग फक जानत

ह कयोफक जानन को ह कया मसिन रहसय ह रहसय को जाना कस जा सकता ह

जाना जाता ह जब रहसय तो यही जाना जाता ह फक जानन को कछ भी नही ह और कया जाना जाता

ह एक आियनमवमगध भाव घर लता ह एक अहोभाव घर लता ह तम फिर दौड़न लगत हो अमसततव क पीछ

जसा बचचा मततली क पीछ दौड़ता ह तम फिर स समदर क तट पर जीवन क समदर तट पर शख-सीप बीनन

लगत हो फिर तमहार जीवन म अहरननश आनद की वषान शर हो जाती ह

चौथा परशनः मनोमथन करन पर पता चलता ह फक सासाररक वासनाए तो नही ह जो मतय क समय

बधन बन लफकन सतय पान की वासना ही बनती जाती ह सो कया कर कपाकर मागन-दशनन कर

वह भी रोक लगी वासना मातर रोकती ह इसस कछ भद नही पड़ता फक वासना फकस चीज की मवषय -

वसत स कोई भद नही पड़ता तम धन चाहो फक धयान चाहो चाह का सवरप एक ह और चाह रोकती ह

तम पद चाहो फक परमातमा चाहो चाह की भरामत एक ह

चाह का अथन कया होता ह यह समझ लो चाह का अथन होता हः जसा म ह वसा ठीक नही ह कछ

और होना चामहए थोड़ा और धन थोड़ा और पद थोड़ा और धयान थोड़ा और सतय थोड़ा और परमातमा

लफकन थोड़ा और होना चामहए जसा म ह उसस म सतषट नही चाह का अथन ह--असतोष फिर चाह फकस

बात की ह इसस कया िकन पड़गा असतोष तो रहगा ही

तम गए एक शात झील म ककड़ िका--ककड़ साधारण सा ककड़--तो लहर उठती ह तम सोचत हो

कोमहनर हीरा िकोग तो लहर नही उठगी कोमहनर हीरा िको--पानी को कया िकन पड़ता ह तमन ककड़

238

िका फक कोमहनर पानी को तो कोई भी भद नही ह कोमहनर पतथर ह और पतथर कोमहनर ह फिर भी लहर

उठगी और लहर उठ जाएगी तो चाद का जो परमतचबब बन रहा ह वह भरषट हो जाएगा

चाह पतथर की तरह मगरती ह तमहार भीतर फिर चाह सोन की हो फक सवगन की--इसस कोई िकन नही

पड़ता फिर चाह ससार की हो फक परलोक की--इसस कोई िकन नही पड़ता

चाह पतथर की तरह मगरती ह तमहार मचतत म और मचतत कप जाता ह और मचतत क कपन क कारण सतय

खो जाता ह सतय को चाहना हो तो सतय को चाह मत बनाना चाह स जो मकत हो जाता ह उस सतय ममलता

यह तमह जरा करठन लगगा लफकन धयनपवनक समझोग तो सीधी-सीधी बात ह चाह क कारण तनाव

पदा होता ह तनाव भर मचतत म परमातमा की छमब नही बनती चाह क कारण तरग उठ आती ह तरगो क

कारण सब कपन पदा हो जाता ह कपत हए मन म परमातमा की छमब नही बनती

ठीक स समझो तो कपता हआ मन ही ससार ह

पछा ह तमन फक मनोमथन करन पर पता चला फक सासाररक वासनाए तो नही ह

लफकन वासना ससार ह सासाररक वासनाए और पारलौफकक वासनाए ऐसी दो वासनाए थोड़ ही होती

तमह पमडत-परोमहतो न बड़ी गलत बात समझायी ह उनहोन समझाया ह फक ससार की वासना छोड़ो

और परलोक की वासना करो लफकन जञामनयो न कछ और कहा ह बदधो न कछ और कहा ह उनहोन कहा हः

वासना छोड़ो कयोफक वासना ससार ह और जहा वासना नही ह वहा परलोक ह जहा वासना ह वहा यही

लोक रहा आएगा धोख म मत पड़ना मन बहत चालबाज ह

मन कहता ह फक यह तो अचछी वासना ह अचछी वासना होती ही नही वासना मातर बरी होती ह मन

कहगाः यह तो धारमनक वासना ह यह तो आधयामतमक वासना ह इसको तो खब करना चामहए हा धन थोड़

ही चाहत ह हम हम तो धयान चाहत ह

मगर चाहन म ही तो उपदरव ह चाहत तो मतलब तन गए चाहत तो मतलब अशात हो गए चाहत

तो मतलबः यहा न रह इस कषण म न रह भमवषय म चल गए धन भी कल ममलगा और धयान भी कल

ममलगा तो कल म चल गए आज चक गया पद भी कल और परलोक भी कल

और जो ह वह अभी ह और यही ह इसी कषण ह समझो जागो

अगर इसी कषण तमहार भीतर कोई वासना नही ह मझ समझन की भी वासना नही ह शात बठ हो

कोई वासना नही ह मचतत मनसतरग ह कया पान को बचा उस मनसतरग मचतत म कया कमी ह

वही मनसतरग मचतत तो आपतकाम ह वही मनसतरग मचतत तो बराहमण ह उसी को म बराहमण कहता ह

मनसतरग मचतत अकमपत

बरहम की चाह भी रह गयी तो बराहमण नही बरहम हो गए तो बराहमण और बरहम होन क मलए दर कया ह

बरहम तम हो मगर तमहारी चाहत न तमह चकाया ह तम जो खोज रह हो वह तमहार भीतर मौजद ह मगर

खोज की वजह स तम इतन उमिगन हो गए हो

हदनी की कहानी फिर याद करो दरवाजा खला था अटका था मगर वह ताला खोज रहा था ताला था

नही ममशकल म पड़ गया तीन घट लग गए अगर पहल ही दरवाजा खोल फदया होता इतना सोच मलया

होता सोचा नही होगा कयोफक कस सोचता चजदगीभर ताल ही खोल थ और जब लोग उस बद करत थ तो

तालो म ही बद करत थ ताल खलवान क मलए ही तो बद करत थ

मगर य इटमलयन बाजी मार ल गए हदनी को बरा हराया खब गहरा मजाक फकया

सवभावतः तम भी हदनी की जगह होत तो ताला ही खोजत रहत और मजसको तीन ममनट म बाहर

मनकलना हो उसकी बचनी सवभावतः पसीना-पसीना हो गया होगा तीन ममनट की तो बात--घटा बीत

239

गया बार-बार घड़ी दखता होगा घटा बीत गया परमतिा गयी जीवनभर की कमायी गयी लोग कया कहग

फक हदनी गए हार गए पमलस वालो स हार गए आज लग गया ताला तम पर चजदगीभर की परमतिा थी

ममटटी हई जा रही ह

जस-जस समय बीता होगा वस-वस बचनी बढ़ी होगी वस-वस घबड़ाहट बढ़ी होगी रकतचाप बढ़ा

होगा हदय की धड़कन बढ़ी होगी पसीना-पसीना हआ जा रहा होगा और मजतना पसीना हआ होगा मजतना

रकतचाप बढ़ा होगा मजतनी घबड़ाहट बढ़ी होगी उतनी ही तजी स ताला खोजता होगा मजतना ताला खोजता

होगा उतनी ही बमदध खो गयी उतना ही बोध खो गया

यह बात तो उठ भी कस फक शायद दरवाजा खला हो दरवाजा खला ह लफकन चाहत क कारण नही

खल पा रहा ह चाह छोड़ो

और जब म कहता ह चाह छोड़ो तो बशतन कह रहा ह यह नही कह रहा ह फक ससार की चाह छोड़ो

फिर दोहरा दःः चाह ससार ह ससार की कोई चाह नही होती और परमातमा की कोई चाह नही होती

जहा चाह ह वहा ससार ह अगर तम परमातमा चाहत हो तो तम अभी भी सासाररक हो

इसमलए तो म कहता हःः तमहार ऋमष-ममन जो मफदरो म और गिाओ म बठ ह--सब ससारी ह तम

जस ससारी ह जरा भद नही ह सवगन चाह रह ह सवगन म कया चाह रह ह वही अपसराए मजनको तम यहा

चाह रह हो तम फिलम अमभनमतरयो म दख रह हो तम जरा आधमनक हो व जरा पराचीन ह व जरा उवनशी

इतयाफद की सोच रह ह व परानी फिलम अमभनमतरया व सोच रह हःः वहा ममलगा

तम सोचत होः यही चल जाए बाजार म और दो कलहड़ पी ल और व सोचत ह फक वहा पीएग बमहशत

म जहा झरन बह रह ह शराब क यहा कया पीना फिर मफत ममलती ह वहा कोई पाबदी भी नही ह असली

शराब ममलती ह वहा ऐसा कोई दशी ठरान नही वहा कोई सवदशी की झझट नही ह मवदशी शराब क झरन

बह रह ह नहाओ धोओ डबकी लगाओ पीओ मपलाओ

या वहा कलपवकष ह मजनक नीच बठो और जो चाहो ततकषण परा हो जाए ततकषण--चाहा फक परा हो

जाए

सवगन क चाहन वाल तम सोचत हो आधयामतमक ह या फक तम सोचत हो मोकष को चाहन वाल

आधयामतमक ह मोकष म भी कया चाह रह हो यही फक शामत ममल आनद ममल दख स छटकारा हो पीड़ा न

रह

मगर यही तो सासाररक आदमी भी चाह रहा ह वह भी इसीमलए तो धन कमा रहा ह फक दख न रह

इसीमलए तो चाहता ह बड़ा मकान बना ल फक थोड़ी समवधा हो तमहारी और उसकी चाह म कोई मौमलक भद

नही ह भद होगा अगर तो पररमाण का होगा गण का नही ह

तम भला उसस कह सकत हो फक तरी चाह कषणभगर ह हमारी चाह शाशवत की ह लफकन इसका तो

मतलब यही हआ फक तम उसस भी बड़ ससारी हो उसकी चाह कषणभगर की ह उसकी चाह छोटी ह तमहारी

चाह बड़ी भयकर ह सनातन की ह शाशवत की ह तम कषणभगर स राजी नही होत तमहारा लोभ बहत बड़ा

ह तम भयकर ससारी हो

फिर म फकसको आधयामतमक कहता ह--मजसकी कोई चाह नही जो मबना चाह जीता ह जो कहता हः

यही जीएग अभी जीएग मजसक मलए वतनमान कलपवकष ह मजसक मलए जसा ह वसा होना सवगन ह जहा ह

वही मोकष ऐसा वयमकत आधयामतमक ह मजसक पास अनयथा की कोई माग नही ह कल जो आएगा आएगा

अभी जो ह उस भोगता ह अभी जो ह उस बड़ आनद स भोगता ह बड़ अनगरह स भोगता ह

240

पाचवा परशनः ओशो एक सत स आपक बार म बातचीत होती थी मन कहाः मर ओशो सवय सभी परशनो

क उततर ह उनहोन कहाः नही उततर तो बहत ह मगर ओशो तो सभी उततरो क मलए एक परशन बन गया ह

ओशो कपया बताए फक आप परशन ह या उततर

जो सभी उततरो क मलए एक परशन बन गया हो वही सभी परशनो का उततर हो सकता ह सत न ठीक ही

कहा

अब उनस ममलो तो मरी तरि स उनस यह कह दना--फक जो सभी उततरो क मलए परशन बन गया हो वही

सभी परशनो का उततर हो सकता ह

छठवा परशनः ससार न बड़ी कररता स मरी सारी आशाओ पर पानी िर फदया ह म ससार को कषमा कर

भी तो कस कर

ससार तमहारी आशाओ पर न तो पानी िर रहा ह न सोना िर रहा ह ससार को तमहारी आशाओ का

पता ही नही ह तमहारी आशाओ का बस तमही को पता ह

और जब तमह लगता ह फक ससार न तमहारी आशा पर पानी िरा तो इतना ही समझना फक तमन

परकमत क परमतकल कछ करन की कोमशश की होगी ससार न कछ नही फकया ह तम ही उलट गए होओग

अब तम वकष पर स मगर पड़ो और कहो फक गरतवाकषनण न मरी टाग तोड़ दी गरतवाकषनण को इसस

कया लना-दना ह गरतवाकषनण को तमहारी टाग का पता भी नही ह तमहारी टाग इतनी महतवपणन भी नही ह

फक गरतवाकषनण इस तोड़न क मलए कोई मवशष आयोजन कर आप ही चककर मगर गए ह

तमहारी आशाए वयमकतगत ह और तमहारी वयमकतगत आशाओ क कारण ही उन पर पानी फिर जाता ह

सममषट की भाषा म सोचो सममषट क साथ सोचो मवपरीत नही धारा म बहो धारा स लड़ो मत फिर तमहारी

फकसी आशा पर कभी पानी न फिरगा

और अगर तम ठीक स समझ तो मतलब कया हआ मतलब यह हआ फक जब तम सममषट क साथ बहोग

तो तम अलग स आशा ही कस करोग जो सममषट की मनयमत ह वही तमहारी मनयमत ह अलग स आशा करन

की जररत कया ह समझदार आदमी अलग स झझट नही लता

इतना मवराट मजस सहार चल रहा ह म छोटा सा उसक सहार चल लगा चाद-तार नही चकत इतना

मवराट मवशव इतनी समवधा और इतनी सगीतबदधता स चल रहा ह एक म ही कयो चचता कर जो इस सबको

चलाता ह मझ भी चला लगा और जो मझ न चला पाएगा वह इतन मवराट को कहा चला पाएगा

इस भावदशा का नाम ही धारमनकता ह फक म अलग स मनजी आशाए न कर म मनजी कामनाए न कर

म इस मवराट क साथ तललीन होना सीख इस तललीनता म पराथनना उमगती ह

पछत होः ससार न बड़ी कररतापवनक

फकसको उतसकता ह बड़ी कररतापवनक तमहारी टाग तोड़ दी गरतवाकषनण न तमही मगर होओग तमही

ऐस ढग स मगर होओग

तमन दखा कभी-कभी ऐसा हो जाता ह एक बलगाड़ी म एक शराबी चलता हो और एक होश वाला

चलता हो गाड़ी उलट जाए होश वाल को चोट लग जाती ह शराबी को चोट नही लगती मामला कया ह

तम शराबी को रोज दखत हो सड़क पर पड़ हए तम जरा दो-चार दि वस मगरकर दखो तम सदा

असपताल म ही रहोग फिर और शराबी रोज मगरता ह नाली म मगरता ह सड़क पर मगरता ह इस कोन उस

कोन और सबह तम दखो व फिर मज स चल जा रह ह दफतर सब ठीक-ठाक ह कही कोई अड़चन नही ह

241

शराबी का मगरन का ढग जब शराबी मगरता ह तो उस पता नही होता फक म मगर रहा ह इसमलए

मगरन स बचन क कोई उपाय नही करता उपाय न करन क कारण गरतवाकषनण उसक मवपरीत नही पड़ता

तम जब मगरत हो तो मगरत वकत तम एकदम समहल जात हो समहलन की कोमशश करत हो समहलन

की मजतनी कोमशश करत हो उतनी तमहारी हमडडया सखत हो जाती ह तनाव स भर जाती ह समहलत-

समहलत मगरत हो इसमलए चोट खात हो छोट बचच रोज मगरत ह तमहार घर म कोई ऐसी खास चोट नही खा

जात

पमिम क एक वजञामनक न एक परयोग फकया एक मवशवमवदयालय म उसन यह परयोग फकया उसक घर म

बचचा पदा हआ था बचच का अधययन करता था वह यह सोचकर हरान होन लगा फक बचचा फदनभर म इतना

काम करता ह हालाफक सब बकाम काम करता ह उसक महसाब स मगर इधर दौड़ा उधर गया कदा-िादा

झाड़ पर चढ़ा नाचा करता ही रहता ह कछ न कछ गडडा-गडडी यहा स वहा ढोता रहता इतना काम करता ह

इतनी शमकत इस छोट स बचच म आती कहा स ह

उसन एक परयोग फकया उसन मवशवमवदयालय म जो पहलवानी म परथम आया था यवक उसको कहा फक

एक परयोग म करना चाहता ह अगर तम साथ दो तम एक फदन सबह स लकर साझ तक मरा बचचा जो कर

वह करो बस इसक पीछ चलो

वह सबस मजबत आदमी था मवशवमवदयालय म वह चार घट म चारो खान मचतत होकर पड़ गया उसन

कहाः यह बचचा तमहारा मार डालगा साझ तक म बचगा नही

और बचच को आ गया मजा आज कोई आदमी उसक पीछ-पीछ चल रहा ह तो वह और उछला और

कदा उसन दखा फक जो म करता ह वही यह भी करता ह तब तो उसकी हदद हो गयी मज की झाड़ पर चढ़ा

टीन पर चढ़ गया टीन पर स कद पड़ा झाड़ स कदा हजार तरह की कवायद करन लगा उसन चार घट म

उस पहलवान को पसत कर फदया

उसन कहाः तमहारा बचचा मरी जान ल लगा शाम तक यह परयोग नही चल सकता मझ कषमा करो चार

घटा बहत ह

बचच म इतनी ऊजान कहा स ह इतन छोट पराण इतनी ऊजान बचचा अभी तक लड़ नही रहा ह परकमत स

अभी परकमत क साथ ह

जब तक तम परकमत क साथ हो तब तक तमहार मलए अपवन ऊजान ममलती रहगी जस ही तम परकमत स

अपन को मभनन समझ अलग समझ जस ही अहकार का जनम हआ बस वस ही अड़चन ह तमहार अहकार न

तमहारी ददनशा की ह

यह मत कहो फक ससार न मझ कररतापवनक बड़ी कठोरता स मरी आशाओ पर पानी िर फदया ह

तमन आशाए ही ऐसी की होगी फक कोई उपाय नही था पानी उन पर फिरा ही होगा और हर एक

आदमी बड़ी आशाए करता ह आशाए करन म कोई कजस होता ही नही तम मजसस पछो--उसकी आशाए जरा

पछो--फक फदल खोलकर अपनी आशाए कहो तो वह ऐसी आशाए बताएगा फक तम चफकत होओग सभी की य

परी भी कस हो सकती ह

चहदसतान म ऐसा कोई आदमी ह जो परधानमतरी नही होना चाहता कह न कह चाह ऊपर स

मवनमरतावश कह फक नही-नही मगर भीतर गदगदी आ जाएगी फक आप पछ रह ह--कया मवचार ह कया गजब

का मवचार ह कस पहचाना आपन यही तो मर भीतर उठता रहता ह अपन को फकसी तरह समहालकर रखता

ह फक कही यह जोर स न पकड़ ल

अब यह आदमी अततः कहगा एक फदन फक मरी सारी आशाओ पर पानी फिर गया फकतन लोग

परधानमतरी हो सकत ह और अगर सभी परधानमतरी हो सक तो परधानमतरी कौन होना चाहगा--यह भी सवाल

242

अगर मरा वश चल तो म एक कानन बना द फक सभी परधानमतरी ह बात खतम झगड़ा खतम मगर

तब कोई नही होना चाहगा तब लोग कहगः अब इस परधानमतरी होन स कस छट कयोफक यह सामानय हो

गया परधानमतरी होन का मजा यह ह फक साठ करोड़ क मलक म एक आदमी हो सकता ह साठ करोड़ को

हराकर उसी हरान म मजा ह

अब साठ करोड़ लोग परधानमतरी नही हो सकत तो एक को छोड़कर बाकी दखी होन वाल ह और कहग

हमारी आशाओ पर पानी िर फदया और तम यह मत सोचना फक जो परधानमतरी हो गया वह सखी होन वाला

ह वह परधानमतरी होत ही कछ और सोचन लगता ह फक म सारी दमनया जीत ल फक चहदसतान स कया होगा

अखड भारत बना ल पाफकसतान को तो कम स कम हड़प ही ल फक बगलादश को तो पी ही जाऊ फक मसफककम

तो गया अब नपाल फक अब भटान फक कही थोड़ हाथ-पर िलाऊ उसकी आशाओ पर भी पानी फिरन वाला

ह वह भी दखी मरगा वह भी सोचगाः सब आशाओ पर पानी फिर गया दमनया नही जीत पाया

मसकदर जसा आदमी भी दखी मरता ह

और यहा कछ लोग जरर आनद स जीत ह और आनद स मवदा होत ह व बदध जस लोग ह व कोई

आशा ही नही करत व कहत ह जो हो जाए सो ठीक ह जो न हो मबलकल ठीक ह उनको तम कस तोड़ोग

उन पर तम कस पानी िरोग

खयाल रखना यहा तो हर एक आशाओ स भरा ह--हर एक कल म एक गीत पढ़ता थाः

खत क सबज म बसध पड़ी ह दबकी

एक पगडडी की कचली हई अधमई-सी लाश

तज कदमो क तल ददन स कराहती ह

दो फकनारो प जवा मसटटो क चहर तक कर

चप-सी रह जाती ह यह सोच क बस

य मरी कोख कचल दत न रहगीर अगर

मर बट भी जवा हो गए होत अब तक

मरी बटी भी तो बयाहन क कामबल होती

पगडडी मगर यह बात मझ पयारी लगी

खत क सबज म बसध पड़ी ह दबकी

एक पगडडी की कचली हई अधमई-सी लाश

लफकन पगडडी भी ऐसी आशाए रखती ह सभी रखत ह

तज कदमो क तल ददन स कराहती ह

दो फकनारो प जवा मसटटो क चहर तक कर

चप-सी रह जाती ह यह सोच क बस

य मरी कोख कचल दत न रहगीर अगर

अगर राह चलन वालो न मरी कोख को कचल न डाला होता चल-चलकर

मर बट भी जवा हो गए होत अब तक

मरी बटी भी तो बयाहन क कामबल होती

सभी क भीतर हजार-हजार कामनाए ह वासनाए ह व परी नही होती परी भी हो जाए तो कछ हल

नही होता एक परी होती ह तो दस पदा हो जाती ह

इस वयथनता स जागन का नाम ही सनयास ह

और फिर जब तम मबना आशा क जीत हो बदध न कहा ह जब तम मनराशा क साथ जीत हो तभी तम

पहली दिा आनद स जीत हो

मगर मनराशा का अथन समझ लना बदध की मनराशा का वही अथन नही जो तमहारा होता ह तमहारा तो

मनराशा का अथन यह होता हः आशा टट गयी बदध की मनराशा का अथन ह आशा स ममकत हो गयी

243

बदध की मनराशा म आशा भी नही ह मनराशा भी नही ह आशा क भाव स ही छटकारा हो गया अब

कोई माग ही नही बची और जब कोई माग नही बचती तब तमहार भीतर परमातमा परगट होता ह जब कोई

पराथनना नही बचती तब परमातमा परगट होता ह

छोड़ो मभखमगापन समराट होन की घोषणा करो

मवराट क साथ एक होकर चलो मवराट क साथ नाचो इस मवराट की रासलीला म सममममलत होओ

अलग-थलग खयाल न रखो अलग-थलग न चलो वकष और नफदया और पहाड़ और चाद-तार मजसम जी रह ह

उसम तम भी जीओ तम भी हर हो जाओग तमहारी लाली भी िल बनकर परगट होगी तमहारा सोना भी

परगट होगा

तमहार जीवन की ममहमा मनमित परगट हो सकती ह मगर तम अपना आपा छोड़ो म-भाव छोड़ो

इसमलए बदध न कहा हः जो अनतता को उपलबध हो जाए जो जान ल फक म नही ह वही बराहमण ह

एस धममो सनतनो

आज इतना ही

  • सनयास की मगल-वला
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  • बराहमणतव क शिखर--बदध
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  • एस धममो सनतनो
Page 2: एस धम्म « सनंतन « भाग 12 113. - Osho Fragranceoshofragrance.org/db/books/files/Osho_Rajneesh_Es_Dhammo...3 तब भगव न न इस ग क कह

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ तरह परवचन

सनयास की मगल-वला

सबबसो नाम-रपससम यसस नवति ममावयत

असता च न सोचवत स व वभकखवत वचचवत 303

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

छततवा रागच दोसच ततो वनबबाणमवहवस 304

पच वछनद पच जह पच चततरर भावय

पच सगावतगो वभकख ओघवतणणोवत वचचवत 305

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

यवमह झानच पजा च स व वनबबाणसवनतक 306

परिम दशयः

भगवान शरावसती म ववहरत ि शरावसती म पचगर-दायक नामक एक बराहमण िा वह खत बोन क पशचात

फसल तयार होन तक पाच बार वभकषसघ को दान दता िा एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

वभकषाटन करन क वलए जात समय उसक दवार पर जाकर खड़ हो गए उस समय बराहमण घर म बठकर दवार की

ओर पीठ करक भोजन कर रहा िा बराहमणी न भगवान को दखा वह सचवतत हई दक यदद मर पवत न शरमण

गौतम को दखा तो दफर यह वनशचय ही भोजन उनह द दगा और तब मझ दफर स पकान की झझट करनी पड़गी

ऐसा सोच वह भगवान की ओर पीठ कर उनह अपन पवत स वछपाती हई खड़ी हो गयी वजसस दक बराहमण उनह

न दख सक

उस समय तक बराहमण को भगवान की उपवसिवत की अतःपरजञा होन लगी और वह अपवम सगध जो

भगवान को सदा घर रहती िी उसक भी नासापटो तक पहच गयी और उसका मकान भी एक अलौदकक दीवि

स भरन लगा और इधर बराहमणी भी भगवान को दसरी जगह जात न दखकर हस पड़ी

बराहमण न चौककर पीछ दखा उस तो अपनी आखो पर कषणभर को भरोसा नही आया और उसक मह स

वनकल गयाः यह कया भगवान दफर उसन भगवान क चरण छ वदना की और अविष भोजन दकर यह परशन

पछाः ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कहत ह कयो वभकष कहत ह वभकष का अिम कया ह और कोई

वभकष कस होता ह

यह परशन उसक मन म उठा कयोदक भगवान की इस अनायास उपवसिवत क मधर कषण म उसक भीतर

सनयास की आकाकषा का उदय हआ िायद भगवान उसक दवार पर उस ददन इसीवलए गए भी ि और िायद

बराहमणी भी अचतन म उठ दकसी भय क कारण भगवान को वछपाकर खड़ी हो गयी िी

3

तब भगवान न इस गािा को कहाः

सबबसो नाम-रपससम यसस नवति ममावयत

असता च न सोचवत स व वभकखवत वचचवत

वजसकी नाम-रप--पच-सकध--म जरा भी ममता नही ह और जो उनक नही होन पर िोक नही करता

वही वभकष ह उस ही म वभकष कहता ह

इसक पहल दक इस सतर को समझो इस छोटी सी घटना म गहर जाना जररी ह घटना सीधी-साफ ह

लदकन उतरन की कला आती हो तो सीधी-साफ घटनाओ म भी जीवन क बड़ रहसय वछप वमल जात ह

हीरो की खदान भी तो ककड़-पतिर और वमटटी म ही होती ह--खोदना आना चावहए जौहरी की नजर

चावहए तो ककड़-पतिर को हटाकर हीर खोज वलए जात ह

इन छोटी-छोटी घटनाओ म बड़ हीर दब पड़ ह म यही कोविि कर रहा ह दक तमह िोड़ी जौहरी की

नजर वमल तम इनकी पत उघाड़न लगो वजतन गहर उतरोग उतनी बड़ी सपदा तमह वमलन लगगी

शरावसती म पचगर-दायक नामक बराहमण िा वह खत क बोन क पशचात फसल तयार होन तक पाच बार

वभकषसघ को दान दता िा एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर वभकषाटन करन क वलए जात समय उसक

दवार पर जाकर खड़ हो गए

अभी बराहमण को भी अपन वनशचय का पता नही ह उसक अतसतल म कया उठा ह अभी बराहमण को भी

अजञात ह अभी बराहमण को खयाल नही ह दक उसक वभकष होन का कषण आ गया

मनषय का बहत छोटा सा मन मनषय को जञात ह मनवसवद कहत हः जस बफम का टकड़ा पानी म

तराओ तो िोड़ा ऊपर रहता ह अवधक नीच डबा होता ह एक खड बाहर रहता ह नौ खड भीतर डब रहत

ह ऐसा मनषय का मन ह एक खड कवल चतन हआ ह नौ खड अधर म डब ह

तमहार अधर मन म कया उठता ह तमह भी पता चलन म कभी-कभी वषो लग जात ह जो आज तमहार

मन म उठगा हो सकता ह पहचानत-पहचानत वषम बीत जाए और अगर कभी एक बार जो तमहार अचतन म

उठा ह तमहार चतन तक भी आ जाए तो भी पकका नही ह दक तम समझो कयोदक तमहारी नासमझी क जाल

बड़ परान ह तम कछ का कछ समझो तम कछ की कछ वयाखया कर लो तम कछ का कछ अिम वनकाल लो

कयोदक अिम आएगा तमहारी समवतयो स तमहार अतीत स

तमहारी समवतया और तमहारा अतीत उसी छोट स खड म सीवमत ह जो चतन हो गया ह और यह जो

नया भाव उठ रहा ह यह तमहारी गहराई स आ रहा ह इस गहराई का अिम तमहारी समवतयो स नही खोजा

जा सकता तमहारी समवतयो को इस गहराई का कछ पता ही नही ह इस गहराई क अिम को खोजन क वलए तो

तमह जहा स यह भाव उठा ह उसी गहराई म डबकी लगानी पड़गी तो ही अिम वमलगा नही तो अिम नही

वमलगा

कल दकसी का परशन िा इस सदभम म सािमक ह नतरकमारी न पछा ह दक अब सनयास का भाव उठ रहा

ह परगाढ़ता स उठ रहा ह लदकन एक सवाल ह--दक यह मरा भावावि तो नही ह आपन सच म मझ पकारा

ह या यह कवल मरी भावाववषट दिा ह दक आपको सन-सनकर इस ववचार म मोवहत हो गयी ह

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भाव उठ रहा ह पराना मन कह रहा हः यह वसफम भावावि ह यह असली भाव नही ह भाव का आवि

मातर ह यह असली भाव नही ह यह तो सनन क कारण यहा क वातावरण म इतन गररक वसतरधारी

सनयावसयो को दखकर एक आकाकषा का उदय हआ ह ठहरो घर चलो िावत स ववचार करो कछ ददन धयम

रखो जलदी कया ह

घर जाकर िावत स ववचार करक करोग कया यह जो भाव की तरग उठी िी इसको ववनषट कर दोग

इसको भावावि कहन म ही तमन ववनषट करना िर कर ददया और मजा ऐसा ह दक जब यह तरग चली

जाएगी और तमहार भीतर दसरी बात उठगी दक नही सनयास नही लना ह तब तम कषणभर को न सोचोग दक

यह कही भावावि तो नही

यह आदमी का अदभत मन ह तब तम न सोचोग दक कही ऐसा तो नही ह दक वापस घर आ गए

गहसिो क बीच आ गए अब गररक वसतरधारी नही ददखायी पड़त अब धयान करत हए मदमसत लोग नही

ददखायी पड़त अब वह वाणी सनायी नही पड़ती अब वह हवा नही ह और यहा बाजार और कोलाहल और

घर और घर-गहसिी की झझट और सब अपन ही जस लोग--कही इस परभाव म सनयास न ल यह भावावि

तो नही उठ रहा ह दफर नही सोचोग दफर एकदम राजी हो जाओग दक यह असली चीज हाि आ गयी

यह असली चीज नही हाि आ गयी यह तमहारी समवतयो स आया तमहार अतीत स आया तमहार

अनभव स आया और अभी जो आ रहा ह वह तमहार अनभव स नही आ रहा ह तमहार अतीत स नही आ रहा

ह वह तमहारी गहराई स आ रहा ह और तमहारी गहराइयो का तमह कछ पता नही ह

पछा ह दक यह कही भावावि तो नही ह आपन सच म मझ पकारा ह

अब समझो अगर म कह दक हा सच म मन तमह पकारा ह तो कया तम सोचत हो और ववचार नही

उठ ग दक पता नही ऐसा मझ समझान क वलए ही तो नही कह ददया दक मन तझ पकारा ह इसकी सचाई का

परमाण कया दक वसततः पकारा ह कही सातवना क वलए तो नही कह ददया कही ऐसा तो नही ह दक मझ

सनयास म दीवकषत करना िा इसवलए कह ददया हो

ववचार की तरग तो उठती चली जाएगी उनका कोई अत नही ह ववचार स इसवलए कभी कोई हल

नही होता

इस कहानी का जो पहला वहससा ह वह यह दक एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

अभी बराहमण को वनशचय का कछ पता नही ह बराहमण को पता होता तो बराहमण सवय भगवान क पास

आ गया होता दक ह परभ मर हदय म वभकष होन का भाव उठा ह घड़ी आ गयी फल पक गया अब म वगरना

चाहता ह और आप म खो जाना चाहता ह जस फल भवम म खो जाता ह ऐस मझ आतमलीन कर ल मझ

सवीकार कर ल मझ अगीकार कर ल

बराहमण नही आया ह बदध उसक दवार पर गए ह और इसवलए म दफर स तमह दोहरा दः इसक पहल

दक विषय चन गर चनता ह इसक पहल दक विषय को पता चल गर को पता चलता ह विषय चनगा भी कस

अधर म भटकता हआ उस कछ भी तो पता नही ह वह तो अगर कछ चनगा भी तो गलत चनगा

कल रात हालड स एक यवक सनयास लन आए म दखता ह दक वनशचय ह लदकन उनको अभी वनशचय

का पता नही ह व मझस कहन लग म सोचगा म ववचार करगा मन उनस कहाः तम सोचोग और ववचार

करोग तो गलत होगा तमहारा सोचा हआ कब सही हआ तमहारा ववचारा हआ कब सही हआ अब यहा

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आकर भी सोचोग ववचारोग तो यहा आना हआ ही नही तमन यातरा हालड स यहा तक की वयिम की अब

यहा सोचो-ववचारो मत--दखो

दखना अलग बात ह दखना गहर म उतरना ह सोचना-ववचारना अपनी अतीत समवतयो म जाना ह

अतीत म गए दक चक कयोदक तमहारा जो अचतन ह वह अभी मौजद ह यही डबकी मारनी ह

सोचन-ववचारन वाला आदमी ऐसा ह जसा कोई पानी की सतह पर तरता ह और दखन वाला आदमी

ऐसा ह जस कोई पानी की गहराई म डबकी मारता ह--गोताखोर गोताखोर बनो

बदध वभकषाटन को जात ि उस बराहमण क घर जान का अभी कोई खयाल भी न िा लदकन अचानक उनह

ददखायी पड़ा दक उस बराहमण क अचतन म वनशचय हो गया ह सनयास की दकरण पहच गयी ह

एक ददन भगवान उसक वनशचय को दखकर

धयान रखनाः बदध जस वयवि सोचत नही दखत ह सोचना तो अधो का काम ह आख वाल दखत ह

बदध को ददखायी पड़ा जस तमह ददखायी पड़ता ह दक वकष क पतत हर ह दक एक पीला पतता हो गया ह दक

अब यह वगरन क करीब ह जस तमह ददखायी पड़ता ह दक ददन ह दक रात ह दक सरज वनकला ह दक बादल

वघर गए दक वषाम हो रही ह--ऐस बदध को चतनय-लोक की वसिवतया ददखायी पड़ती ह

यह वनशचय पक गया यह आदमी सनयसत होन की घड़ी क करीब आ गया इसको इस पर ही छोड़ दो

तो पकका नही ह दक इसको अपन वनशचय का पता कब चल जनम-जनम भी बीत जाए और जब चल भी तब भी

पता नही दक यह कया वयाखया कर दकस तरह अपन को समझा ल बझा ल दकस तरह वापस सो जाए करवट

ल ल दफर सपनो म खो जाए

इस परम घड़ी को बदध इस बराहमण पर नही छोड़ सकत ह इस बराहमण का कछ भरोसा नही ह इसवलए

सवय उसक दवार पर जाकर रक गए गए तो ि वभकषाटन को उसक दवार पर जान की बात न िी

दवार पर जाकर खड़ हो गए उस समय बराहमण घर म बठकर दवार की ओर पीठ करक भोजन कर रहा िा

बराहमण को तो कछ पता ही नही िा कया होन वाला ह दकस घड़ी म म आ गया ह उस कछ पता नही

ह वह तो सामानय--जस रोज अपन भोजन क समय भोजन करता होगा--भोजन कर रहा िा दवार की ओर

पीठ दकए िा उस यह भी पता नही दक बदध आ रह ह

तमह भी पता नही दक कब बदध तमहार दवार पर आत ह तमह भी पता नही दक कब तमहार दवार पर

दसतक दत ह

जीसस का परवसदध वचन हः मागो और वमलगा खोजो और पाओग खटखटाओ और दवार खोल ददए

जाएग

लदकन साधारण आदमी की दिा इसस ठीक उलटी ह वह कहता हः दो और म नही लगा आओ म पीठ

कर लगा दवार खटखटाओ म खोलन वाला नही

बराहमण को इतना भी पता नही दक बदध का आगमन हो रहा ह नही तो पीठ दकए बठा होता

इसवलए म कहता ह इन छोटी-छोटी बातो म खयाल करना तमम स भी अवधक मरी तरफ पीठ दकए

बठ ह इसका मतलब यह नही दक तम पीठ दकए बठ हो हो सकता हः तम वबलकल सामन बठ हो मझ दख रह

हो लदकन दफर भी म तमस कहता ह जो मझ दख रह ह उनम स भी बहत स पीठ दकए बठ ह जो मझ सन

रह ह उनम स भी बहत स पीठ दकए बठ ह पीठ दकए बठ ह अिामत रकषा कर रह ह अपनी अपन को गवान

की तयारी नही ददखा रह ह अपन को ववसरजमत करन की वहममत नही जटा रह ह

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बराहमण दवार की ओर पीठ दकए भोजन कर रहा िा परम घड़ी आ गयी सनयास का कषण करीब आ गया

बदध दवार पर खड़ ह और वह एक छोटी सी परदकरया म लगा िा--भोजन

यह भी समझ लना भोजन का अिम हः यह साधारण जो रोजमराम का जीवन ह--खाना-पीना उठना-

सोना खात-पीत उठत-सोत आदमी जनम स लकर मतय तक की यातरा परी कर लता ह खान-पीन म ही तो

सब चला जाता ह

भोजन कर रहा िा उस पता नही दक भगवतता दवार पर खड़ी ह वह भोजन कर रहा ह वह एक छोट स

काम म लगा ह एक दनददन कायम म लगा ह कालातीत दवार पर खड़ा ह और उस इसकी कछ खबर नही ह

आदमी ऐसा ही सोया हआ ह तमहारी राह पर भी बहत बार बदध का आगमन हआ ह लदकन तम पीठ

दकए रह ऐसा नही ह दक तम बदधो स नही वमल हो वमल हो मगर पीठ िी इसवलए वमलना नही हो पाया

बराहमणी न भगवान को दखा लदकन बराहमणी क मन म तो कोई वनशचय उदय नही हआ ह और उस

दखकर पता ह कया सचता पदा हई आदमी कसा कषदर ह उस एक सचता पदा हई उस यह नही ददखायी पड़ा

दक भगवान दवार पर खड़ ह उठ पाव पखार वबठाऊ उस दफकर एक बात की हई दक यदद मर पवत न इस

शरमण गौतम को दखा तो दफर यह वनशचय ही भोजन उस द दगा और मझ दफर पकान की झझट करनी पड़गी

आदमी कसी कषदर बातो म ववराट को खोता ह ऐसी दिा तमहारी भी ह इस बराहमणी पर नाराज मत

होना इस बराहमणी को कषमा करना कयोदक यह बराहमणी तमहारी परतीक ह

कषदर बातो म आदमी ववराट को खो दता ह सचता भी कया उठी तमह हसी आएगी कयोदक यह तमहारी

वसिवत नही ह तम सोचत होः अपनी वसिवत नही ह यह तमह हसी आएगी दक बराहमणी भी कसी मढ़ ह लदकन

यही आम आदमी की दिा ह तम भी ऐसी ही कषदर-कषदर बातो स चकत हो बात इतनी कषदर होती ह लदकन

उनक वलए तम कारण खब जटा लत हो

बराहमणी को एक दफकर पदा हई दक और एक झझट दवार पर आकर खड़ी हो गयी अब यह शरमण गौतम

वभकषापातर वलए खड़ा ह

यदयवप बदध वभकषा मागन आए नही ह बदध वभकषा दन आए ह इस बराहमण क मन म एक सकलप जनम

रहा ह बदध उस जनम दन आए ह बदध ऐस आए ह जस दक दाई इसक भीतर कछ पक रहा ह इस सहार की

जररत ह जस गभम परा हो गया ह और बचचा पदा होन को ह--और दाई को हम बलात ह

सकरात न कहा ह दक म दाई ह सभी बदधपरष दाई ह तमहारा ही जनम होना ह तमह कम स कम पीड़ा

हो ऐस तमहारा जनम हो जाए कम स कम खन बह ऐसा तमहारा जनम हो जाए तम तमहार ही जनम की

परदकरया म बाधा न बन जाओ इस तरह तमहारा जनम हो जाए सरलता स सगमता स तमहारा पनरजजीवन हो

जाए

तो बदध तो इसवलए आए ह लदकन यह सतरी सोच रही ह दक एक झझट हई अब कही मझ दफर भोजन न

बनाना पड़ इतना फासला ह आदमी और बदधो म

ऐसा सोच वह भगवान की ओर पीठ कर अपन पवत को वछपाती हई खड़ी हो गयी वजसस दक बराहमण

उनह दख न सक

ऐसा यहा रोज होता ह अगर पतनी यहा आन म उतसक हो जाती ह तो पवत अपनी पतनी को वछपाकर

सरकषा करन लगता ह अगर पवत यहा आन म उतसक हो जाता ह तो पतनी अपन पवत को वछपाकर खड़ी हो

जाती ह रोकन की कोविि म लग जाती ह सौभागयिाली ह व जो पवत-पतनी दोनो यहा आ गए ह नही तो

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एक बाधा डालगा कयोदक उस डर पदा होता ह दक एक झझट हई अब कही कछ स कछ न हो जाए यह मरी

पतनी कही सनयसत न हो जाए यह मरा पवत कही सनयसत न हो जाए लोग अपन बटो को नही लात

म गवावलयर म कई वषो पहल ससवधया पररवार म महमान िा ववजय राज ससवधया न ही मझ वनमवतरत

दकया िा लदकन जब म पहच गया और मर सबध म उसन बात सनी तो वह डर गयी

अब मझ बला वलया िा तो सभा का आयोजन भी दकया डरत-डरत मझ सना भी उसक बट न भी

सना दसर ददन दोपहर वह मझ वमलन आयी उसन कहा दक कषमा कर आपस छपाना नही चावहए मरा बटा

भी आना चाहता िा लदकन म उस लायी नही म तो परौढ़ ह लदकन वह भावाववषट हो सकता ह वह आपकी

बातो म आ सकता ह और आपकी बात खतरनाक ह इसवलए म उस लायी नही म उस आपस नही वमलन

दगी और म आपस कह दती ह कयोदक म आपस वछपाना भी नही चाहती

अब यह मा बट को आड़ म लकर खड़ी हो रही ह इस पता नही दकस बात स बचा रही ह और अपन

को परौढ़ समझती ह परौढ़ का मतलब यह दक म तो बहत जड़ ह मझ पर कछ असर होन वाला नही ह आप

कछ भी कह म सन लगी मझ कछ खतरा नही ह लदकन मरा बटा अभी जवान ह अभी ताजा ह और आपकी

बातो म ववदरोह ह और कही उसको वचनगारी न लग जाए

दफर कहन लगीः मझ कषमा कर कयोदक मर पवत चल बस और अब बटा ही मरा सब सहारा ह जस

दक मर सपकम म आकर बटा ववकत हो जाएगा

यह बड़ी हरानी की बात ह पतनी इतनी परिान नही होती अगर पवत िराबघर चला जाए लदकन

सतसग म चला जाए तो जयादा परिान होती ह कयोदक िराबघर दकतनी ही अड़चन ला द लदकन कम स

कम पतनी की सरकषा तो कायम रहगी पवत एक बार वशयालय भी चला जाए तो पतनी उतनी परिान नही

होती वजतनी साध-सगत म बठ जाए तो कयोदक चला गया वापस लौट आएगा लदकन साध-सगत म खतरा

ह कही चला ही न जाए कही वापस लौटन का सत ही न टट जाए

जो हमार मोह क जाल ह और उन मोह म जो लोग गरसत ह उन सबको भय पदा हो जाता ह--जब तम

दकसी बदधपरष क पास जाओग कयोदक बदधपरषो की एक ही तो विकषा ह दक मोह स मि हो जाओ तो

वजनका मोह म वनवहत सवािम ह व सब तरह की अड़चन डालग और आदमी तरकीब वनकाल लता ह

एक वमतर मर पास आए उनहोन कहा दक म तो सनयास लना चाहता ह लदकन मरी पतनी राजी नही ह

और जब म घर स चलन लगा तो उसन तीन दफा मझस कसम वखलवा ली दक सनयास नही लना मन कसम

भी खा ली ह तो सनयास म लना चाहता ह लदकन लगा नही कयोदक आप ही तो कहत हः दकसी को दख

नही दना चावहए अब पतनी को कया दख दना

मन उनस कछ और बात की तादक व यह सनयास की बात िोड़ी दर को भल जाए मन उनस पछाः पतनी

तमहारी और दकन-दकन चीजो क वखलाफ ह व बोलः अर साहब हर चीज क वखलाफ ह वसगरट पीता ह तो

वखलाफ वसनमा जाऊ तो वखलाफ जयादा दकताब म पढ़न म लग जाऊ तो वखलाफ तो मन पछाः वसगरट

छोड़ी उनहोन कहा दक नही छटती तो मन कहाः पतनी को दख द रह हो और वसगरट पीए चल जा रह हो

और सनयास छोड़न को राजी हो कयोदक पतनी को दख नही दना चाहत हो और दकतन दख पतनी को नही ददए

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और सब दख दन की तयारी ह वसफम यह सनयास क सबध म दख नही दना चाहत ददखायी पड़ता ह न

आदमी तरकीब वनकालता ह आदमी बड़ा किल ह और वजतनी किलता आदमी बदधो स बचन म लगाता ह

उतनी किलता दकसी और चीज म नही लगाता ह

पतनी घरकर खड़ी हो गयी ह पीछ जाकर खड़ी हो गयी पवत क तादक भल-चक स भी पवत कही पीछ न

दख ल दवार पर खड़ा हआ गौतम ददखायी न पड़ जाए

उस समय तक लदकन भगवान की उपवसिवत की अतःपरजञा होन लगी बराहमण को वह जो भीतर सकलप

उठा िा उसी को सहारा दन बदध वहा आकर खड़ हए ि

खयाल रखनाः वजसक पास होत हो वसा भाव िीघरता स उठ पाता ह जहा होत हो वहा दब हए भाव

उठ आत ह तमहार भीतर कामवासना पड़ी ह और दफर एक वशया क घर पहच जाओ या वशया तमहार घर आ

जाए तो ततकषण तम पाओगः कामवासना जग गयी पड़ी तो िी वशया ऐसी कोई चीज पदा नही कर सकती

जो तमहार भीतर पड़ी न हो वशया कया करगी बदध क पास पहच जाएगी तो कया होगा

लदकन अगर तमहार पास आ गयी तो कामवासना जो दबी पड़ी िी अवसर दखकर सअवसर दखकर

उमगन लगगी तलहटी स उठगी सतह पर आ जाएगी

यही हआ बदध वहा आकर खड़ हो गए अभी बोल भी नही उनकी मौजदगी उनकी उपवसिवत उनका

अतःनाद इस वयवि की चतना को वहलान लगा उनकी वीणा इस वयवि क भीतर भी गजन लगी

उसकी अतःपरजञा जागन लगी उस अचानक बदध की याद आन लगी अचानक भोजन करना रक गया

भोजन करन म रस न रहा एकदम बदध क भाव म डबन लगा और जस-जस भाव म डबा वस-वस उस वह

अपवम सगध भी नासापटो म भरन लगी जो बदध को सदा घर रहती िी

और चौका और गहरा डब गया उस सगध म और जस ही सगध म और गहरा डबा उसन दखा दक घर

उस कोमल दीवि स भर गया ह जस बदध की मौजदगी म भर जाता ह

वह पीछ लौटकर दखन ही वाला िा दक मामला कया ह और तभी पतनी भी हस पड़ी पतनी इसवलए हस

पड़ी दक यह भी हदद हो गयी म वछपाकर खड़ी ह इस आिा म दक यह गौतम कही और चला जाए वभकषा

मागन मगर यह भी हदद ह दक यह भी डटकर खड़ा हआ ह न कछ बोलता न कछ चालता यह भी यही खड़ा

हआ ह यह भी जान वाला नही ह ददखता ह

उस इस वसिवत म जोर स हसी आ गयी दक एक तो म वजदद कर रही ह दक दफर भोजन न बनाना पड़

और यह भी वजदद दकए हए खड़ा ह दक आज बनवाकर रहगा इसवलए बराहमणी हस उठी

बदध की अतःपरजञा उनकी सगध का नासापटो म भर जाना उनकी दीवि का घर म ददखायी पड़ना दफर

पतनी का हसना--तो सवभावतः उसन पीछ लौटकर दखा चौककर उसन पीछ दखा उस तो अपनी आखो पर

कषणभर को भरोसा ही नही आया

दकसको आएगा वजसक पास भी आख ह उस भरोसा नही आएगा हा अधो को तो ददखायी ही नही

पड़ग बराहमणी को ददखायी नही पड़ ि बराहमणी वबलकल अधी िी उसक भीतर कोई दबा हआ सवर भी नही

िा अजञात का सतय की खोज की कोई आकाकषा भी नही िी वह गहन तदरा म िी मरछमत िी

बराहमण इतना मरछमत नही िा आख खलन-खलन क करीब िी बराहमण का बरहम-महतम आ गया िा

सबह होन क करीब िी झपकी टटती िी या आधी टट ही चकी िी रात जा चकी िी नीद भी हो चकी िी

भोर क पवकषयो क सवर सनायी पड़न लग ि ऐसी मधय की दिा िी बराहमण की

9

बराहमणी तो अपनी आधी रात म िी--मधय-रावतर म--जब सवपन भी खो जात ह और सषवि महान होती ह

परगाढ़ होती ह बराहमणी की अमावसया िी अभी अधरी रात लदकन बराहमण की सबह करीब आ गयी िी

धयान रखना बाहर की सबह तो सबक वलए एक ही समय म होती ह भीतर की सबह सबक वलए

अलग-अलग समय म होती ह बाहर की रात तो सभी क वलए एक ही समय म होती ह लदकन भीतर की रात

सबकी अलग-अलग होती ह

यह हो सकता ह दक तमहार पड़ोस म जो बठा ह उसकी सबह करीब ह और तम अभी आधी रात म हो

यह हो सकता ह दक तमहारी सबह आन म अभी जनमो-जनमो की दर हो और इसीवलए तो हम एक-दसर को

समझ नही पात कयोदक हमारी समझ क तल अलग-अलग होत ह कोई पहाड़ स बोल रहा ह कोई घाटी म

भटक रहा ह कोई आख खोलकर दख वलया ह दकसी की आख सदा स बद ह तो एक-दसर को समझना बड़ा

मवशकल हो जाता ह कयोदक सब सीढ़ी क अलग-अलग पायदानो पर खड़ ह

यह तो चौक उठा इस तो भरोसा नही आया बदध--और उसक दवार पर आकर खड़ ह पहल कभी नही

आए ि जब भी उस जाना िा वह दान दन जाता िा पाच बार वह दान दता िा वभकषसघ को वह जाता िा

दान कर आता िा

बदध कभी नही आए ि पहली बार आए ह कस भरोसा हो भरोसा हो तो कस भरोसा हो

अनक बार सोचा होगा उसन पराणो म सजोयी होगी यह आिा दक कभी बदध मर घर आए सोचा होगाः

कभी आमवतरत कर दफर डरा होगा दक मझ गरीब बराहमण का आमतरण सवीकार होगा दक नही होगा भय-

सकोच म िायद आमतरण नही ददया होगा या कयो कषट द कयो वहा ल जाऊ कया परयोजन ह जब आना हो

म ही आ सकता ह उनह कयो भटकाऊ ऐसा सोचकर रक गया होगा परम क कारण रक गया होगा सकोच क

कारण रक गया होगा बदध आज अचानक वबना बलाए दवार पर आकर खड़ हो गए ह

जब जररत होती ह तब सदगर सदा ही उपलबध हो जाता ह सदगर को बलान की जररत नही पड़ती

तमहारी पातरता जब भर जाएगी जब तम उस जगह क करीब होओग जहा उसक हाि की जररत ह--वह

वनवशचत मौजद हो जाएगा होना ही चावहए

बराहमण न चौककर दखा उस अपनी आखो पर भरोसा नही आया और उसक मह स वनकल गया--यह

कया भगवान

चदकत आशचयमववमगध आख मीड़कर दखी होगी सोचा होगाः कोई सपना तो नही दख रहा सोचा

होगाः सदा-सदा सोचता रहा ह दक भगवान आए आए आए कही उसी सोचन क कारण यह मरी ही कलपना

तो मर सामन खड़ी नही हो गयी ह

दफर उसन भगवान क चरण छ वदना की अविष भोजन दकर यह परशन पछाः ह गौतम आप अपन

विषयो को वभकष कहत ह--कयो

उस समय तक दो तरह क सनयासी उपलबध ि भारत म जन सनयासी मवन कहलाता ह सहद सनयासी

सवामी कहलाता ह बदध न पहली दफ सनयासी को वभकष का नाम ददया सनयास को एक नयी भाव-भवगमा दी

और एक नया आयाम ददया

अब उलटी ददखती ह बात सहद सनयासी कहलाता ह--सवामी मावलक और बदध न कहा--वभकष

वभखारी उलटा कर ददया जन मवन मधय म ह--न मावलक न वभखारी मौन ह--इसवलए मवन इसवलए जनो

स सहद उतन नाराज नही ह वजतन बौदधो स नाराज हए बदध न सारी चीज उलटी कर दी

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जनो को कषमा कर ददया ह इसवलए जन सहदसतान म बस सक लदकन बौदध नही बस सक बौदधो को तो

समाि कर ददया बौदधो को तो उखाड़ ददया मारा भी काटा भी कढ़ाओ म जलाया भी कयोदक बदध न परदकरया

को वबलकल उलटा कर ददया यह वसफम िबद की ही बात नही ह यह बदध की अतदमवषट ह दक सहद-ववचार स

उनहोन वबलकल एक दसरी भावधारा को जनम ददया

सवामी िबद पयारा ह कछ बरा नही ह लदकन उसम एक खतरा ह खतरा तो सभी िबदो म होता ह

सवामी िबद म एक खतरा ह दक कही उसस सनयासी अहकारी न हो जाए सवामी िबद पयारा ह उसका

मतलब होता हः अपना मावलक और अपनी मालदकयत तो चावहए ही अपना सवावमतव तो चावहए ही

जो अपना मावलक नही ह वही तो ससारी ह उसक हजार मावलक ह हजार इछाए उसकी मावलक ह

धन उसका मावलक ह पद उसका मावलक ह उसक बहत मावलक ह वह गलाम ह

सनयासी वही ह वजसन और सब तरह क मावलक हटा ददए और सवय अपना मावलक हो गया ह अब

उसकी इददरया उस पर काब नही रखती कबजा नही रखती अब इददरया उस नही चलाती वह अपनी इददरयो

को चलाता ह अब मन उस नही चलाता वह मन को अपन पीछ लकर चलता ह मन उसकी छाया हो गया

उसन अपन आतम-गौरव की घोषणा कर दी

िबद बड़ा पयारा ह अिमपणम ह लदकन खतरा ह खतरा यह ह दक अहकार का जनम हो जाए अकड़ आ

जाए और अहकार पदा हो जाए तो परमातमा स वमलन म बाधा पड़ गयी दफर ससार लौट आया पीछ क

दरवाज स जयादा सकषम होकर लौट आया पहल धन की अकड़ िी पद की अकड़ िी अब सनयास की अकड़ हो

जाएगी

बदध न इसवलए बदल ददया िबद ठीक दसर तल पर ल गए कहा--वभकष लदकन याद रखनाः वभकष का

अिम वभखारी नही ह भाषाकोि म तो ह लदकन बदध न वभकष का अिम दकयाः जो सब तरह स खाली ह वभकषा

का पातर हो गया ह जो वजसक पास अपना कछ भी नही ह जो अपन भीतर वसफम िनय ह वजसन और सब तो

छोड़ा ही छोड़ा म का भाव भी छोड़ ददया आतमा भी छोड़ दी अतता भी छोड़ दी जो अनतता म जी रहा ह जो

वसफम िनय हो गया ह ऐसा वयवि वभकष वभखारी नही कयोदक वभखारी तो वह ह जो अभी आिा स भरा ह

दक वमल जाएगा जो माग रहा ह दक वमल जाएगा दक पा लगा दकसी न दकसी तरह खोज लगा माग-मागकर

इकटठा कर लगा लदकन अभी इकटठ होन की दौड़ जारी ह

वभखारी धनाकाकषी ह धनाढय नही ह मगर धनाकाकषी ह धन उसक पास नही ह लदकन धन की तषणा

तो उसक पास उतनी ही ह वजतनी दकसी धनी क पास हो िायद धनी स जयादा हो कयोदक धनी न तो धन

का िोड़ा अनभव भी वलया अगर उसम िोड़ी अकल होगी तो यह समझ म आ गया होगा दक धन वमलन स

कछ भी नही वमलता लदकन वभखारी को तो यह भी नही हो सकता वभखारी की तो धन की आकाकषा बड़ी

परगाढ़ ह उस धन वमला भी नही धन का अनभव भी नही वह धन क पीछ दौड़ रहा ह

वभकष का अिम हः वजसकी कोई आकाकषा नही इतना ही नही दक उसन वासनाए छोड़ी इददरया छोड़ी

उसन इददरयो पर जो मालदकयत करन वाला भीतर का अहकार ह वह भी छोड़ ददया उसन बाहर का

सवावमतव भी छोड़ ददया उसन सवामी को भी छोड़ ददया वह जो भीतर सवामी बन सकता ह उसको भी छोड़

ददया

बदध कहत हः तम भीतर एक िनयमातर हो और जब तम िनयमातर हो तभी तम वसततः हो यह वभकष

की दिा

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बराहमण न ठीक ही पछा बराहमण ह सवामी िबद स पररवचत रहा होगा यह बदध को कया हआ दक अपन

सनयासी को वभकष कहत ह

तो उसन पछाः ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कयो कहत ह

और यह परशन िायद वह तो सोचता हो दक दािमवनक ह मगर बदध जानत ह दक दािमवनक नही ह

अवसततवगत ह इसीवलए बदध आए ह उसक भीतर वभकष होन की तरग उठ रही ह उसको भी पता नही ह दक

यह परशन कयो पछ रहा ह

तमको भी पता नही होता दक तम कोई परशन कयो पछत हो तमहार वचतत म घमता ह तम पछ लत हो

लदकन तमह उसकी जड़ो का कछ पता नही होता दक कहा स आता ह कयो आता ह

तमह अगर पता चल जाए दक तमन परशन कयो पछा ह तो नबब मौको पर तो परशन हल ही हो जाएगा--इसी

क पता चलन म दक मन कयो पछा ह करीब-करीब हल हो जाएगा अगर तम अपन परशन क भीतर उतर जाओ

और अपन परशन की जड़ो को पकड़ लो तो तम पाओगः परशन क पराण ही वनकल गए उततर करीब आ गया दकसी

स पछन की जररत नही रही

इस बराहमण को कछ पता नही ह दक यह वभकष क सबध म कयो परशन पछ रहा ह अगर तम इसस पछत दक

कयो ऐसा पछत हो तो यह यही कहता दक बहत बार सोचा मन दक सदा सनयासी को सवामी कहा गया ह बदध

कयो वभकष कहत ह बस वजजञासावि पछ रहा ह

लदकन बदध जानत ह यह वजजञासा नही ह अगर यह वजजञासा ही होती तो बदध आत नही बदध तो तभी

आत ह जब कतहल गया वजजञासा गयी और ममकषा पदा होती ह जब कोई वसततः उस दकनार आ गया जहा

उस धकक की जररत ह जहा वह अपन स नही कद सकगा कयोदक आग ववराट िनय ह और उस ववराट िनय क

वलए साहस जटाना करठन ह

ह गौतम आप अपन विषयो को वभकष कयो कहत ह और दफर कोई वभकष कस होता ह इसकी

अतःपरदकरया कया ह

यह परशन उसक मन म उठा उसक चतन तक आया--भगवान की मौजदगी क कारण िायद उस ददन

भगवान उसक दवार पर आकर खड़ नही हए होत तो यह परशन वषो तक रकता या न पछता इस जीवन म

िायद कभी न पछता

ठीक घड़ी म भगवान की मौजदगी उसक भीतर तरग उठती ही उठती िी और भगवान की मौजदगी

और भगवान की ववराट तरग उसकी छोटी सी तरग को ल गयी उठाकर उसक चतनय तक पहचा ददया

यह धकका यह सहारा--यही सदगर का अिम ह जो तमहार भीतर धीमा-धीमा ह उस तवरा द दनी जो

तमहार भीतर कनकना-कनकना ह उस इतनी गमी द दनी दक भाप बनन की कषमता आ जाए जो तमहार भीतर

सोया-सोया ह उस उठा दना जगा दना जो तमहार भीतर सरक रहा ह अधर-अधर म उस पकड़कर रोिनी

म ला दना

यह मौजदगी स ही हो जाता ह यह वसफम बदध जस वयवि की उपवसिवत स हो जाता ह तम बदध क पास

जाकर ऐस परशन पछन लगत हो जो तमन कभी पहल सोच भी नही ि तम बदध क पास जाकर ऐसी

भावदिाओ स भर जात हो जो वबलकल अपररवचत ह तम बदध क पास जाकर अपनी उन भाव-भवगमाओ स

पररवचत होत हो वजनह तम जानत भी नही ि दक तमहार भीतर हो भी सकती ह

बदध की उस अनायास उपवसिवत क मधर कषण म

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और अनायास िा इसवलए और भी मधर िा कषण अगर बराहमण वनमतरण दकर लाया होता तो इतना

मधर नही होता कयोदक इतना आघातकारी नही होता अगर वनमतरण दकर लाया होता तो इतनी चोट करन

वाला नही होता इतना अवाक नही करता यह कया ऐसा बराहमण नही पछ पाता जानता दक बलाकर लाया

ह इसवलए आए ह इसी जानकारी क कारण ववचत रह जाता वनदोष नही होता

चदक बदध अनायास आ गए ह बराहमण को वबलकल वनदोष दिा म पकड़ वलया ह अनायास पकड़ वलया

और धयान रखना परमातमा सदा अनायास आता ह तम जब बलात हो तब नही आता तमहार बलान

स कभी नही आता तमह जब पता ही नही होता तम जब िात बठ हो खाली बठ हो कछ नही बला रह हो न

ससार को बला रह न परमातमा को बला रह तमहार भीतर कोई पकार ही नही ह तमहार भीतर कोई वासना-

कामना नही ह तमहार भीतर कोई सवपन तरग नही ल रहा ह--और अचानक उसक परो की आवाज भी नही

सनायी पड़ती और वह तमहार सामन आकर खड़ा हो जाता ह

भगवान सदा ही अनायास आता ह अनायास आन म ही तमहारा रपातरण ह भगवान तमह सदा जब

आता ह तो चौकाता ह ववसमयववमगध कर दता ह तमहारी समझ म नही पड़ता दक यह कया हो गया कस हो

गया तम अबझ दिा को उपलबध हो जात हो कयोदक भगवान रहसय ह रहसय बलाए नही जा सकत

वनमतरण नही ददया जा सकता

इस मधर कषण म उसक भीतर सनयास की आकाकषा का उदय हआ िा

बराहमण को भी ददखायी पड़ा दक कछ कपता हआ उठ रहा ह झझावात कछ भीतर आ रहा ह कछ

भीतर उमग रहा ह जो पहल कभी नही उमगा िा कोई बीज फटा ह अकर बना ह और अकर तजी स बढ़

रहा ह अचानक उस ददखायी पड़ा दक म वभकष होना चाहता ह म सनयसत होना चाहता ह

वह जो वनशचय भगवान को ददखायी पड़ा िा वह बराहमण को भी ददखायी पड़ गया भगवान की सविवध

का पररणाम

इसवलए सदा स साध-सगत का मलय ह साध-सगत म कछ बाहर स नही होगा होना तो भीतर ही ह

जागनी तो तमहारी ही जयोवत ह लदकन जहा बहत जयोवतया जगी हो और जहा जयोवत क जगन की बात होती

हो चचाम होती हो मवहमा होती हो जहा जगी हई जयोवतया नाचती हो--वहा जयादा दर तक तम बझ न रह

सकोग उस रौ म बह जाओग उस नाचती हई ऊजाम म वह कषण आ जाएगा जब तम भी नाचन लगोग तमहार

भीतर भी भभककर उठ आएगी तमहारी सोयी हई जयोवत

िायद भगवान उसक दवार पर उस ददन इसवलए ही गए ि दक जो जयोवत धीमी-धीमी सरक रही ह धए

म दबी पड़ी ह वह परजववलत हो जाए

और िायद बराहमणी की चषटा--दक भगवान ददखायी न पड़--उसक अचतन म उठ दकसी भय क कारण ही

सभव हई िी बराहमणी सोच रही िी िायद भगवान भोजन माग लग और मझ दफर भोजन बनाना पड़गा यह

उसकी वयाखया िी लदकन िायद उसक भीतर भी जो भय पदा हआ िा वह भोजन का ही नही हो सकता

कया भोजन बनान म इतना भय हो सकता ह भय िायद यही रहा होगा दक कही आज बराहमण को ही भगवान

न ल जाए

कयोदक जब भगवान बदध जसा वयवि दकसी क दवार पर आता ह तो करावत होगी तो आग लगगी तो

पराना जलगा तो नए का जनम होगा

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लदकन यह बराहमणी को भी साफ नही ह दक वह कयो जाकर बराहमण को वछपाकर पीछ खड़ी हो गयी ह

वह तो यही सोच रही ह गरीब बराहमणी यही सोच रही ह दक कौन दबारा झझट म पड़

तम अकसर जो कारण सोचत हो अपन कतयो क व ही कारण कारण हो ऐसा मत सोच लना तमहार

कारण तो कवलपत होत ह तमह मल का तो पता नही होता ह

बराहमणी भी भयभीत हो गयी और धयान रखना वसतरयो क भीतर अचतन जयादा सदकरय होता ह परषो

की बजाय इसवलए अकसर वसतरयो को उन बातो की झलक परष स भी पहल वमल जाती ह जो बात सपषट नही

तमन कई बार अनभव दकया होगा रोज ऐसा घटता ह--दक सतरी क भीतर ववचार क पार पकड़न की कछ

जयादा कषमता ह परष म बवदध बढ़ गयी ह सतरी म अभी भी अचतन घना ह

इसवलए सतरी अगर तमस कह दक आज मत जाओ इस हवाई जहाज स यातरा मत करो तो सन लना सतरी

कहः आज हालादक वह कोई जवाब नही द सकगी समझा नही सकगी रोएगी कहगी दक आज मत जाओ

इस टरन स और तम कहोगः कया कारण ह कयो न जाऊ वह कहगीः कारण मझ भी कछ पता नही ह या

कछ बनाया हआ कारण बताएगी दक म जयोवतषी क पास गयी िी वह मना करता ह दक आज का ददन खराब

ह दक महतम ठीक नही ह दक कल चल जाना दक आज मझ काम ह दक बचचा बीमार ह कछ कारण खोजकर

बताएगी लदकन अगर तम ठीक स पछो सहानभवत स पछो तो वह कहगीः बस मर भीतर ऐसा होता ह दक

आज न जाओ मझ भी कछ पता नही ह दक ऐसा कयो होता ह

सतरी अभी भी हदय स जयादा जीती ह बजाय तरक क इसवलए यह मजदार घटना घटी

इसक पहल दक बराहमण--वजसक वलए बदध आए ि--उसक वनणमय को गवत वमल उसक पहल बराहमणी का

अचतन जाग गया उसक पहल बराहमणी खड़ी हो गयी बचान को खतर क पहल बचान को खड़ी हो गयी

खतरा दवार पर खड़ा ह बदध का आगमन खतरनाक ह

हालादक बराहमणी को भी पता नही ह उसन सोचा दक बस भोजन दबारा न बनाना पड़ यह गौतम कहा

आकर खड़ा हो गया

दफर बराहमणी हसी उस हसी म भी ऊपर स तो किा इतना ही कहती ह दक वह इसवलए हसी दक हदद

हो गयी एक म एक बार भोजन बनान की झझट स बचन क वलए पवत को वछपाए खड़ी ह रोक खड़ी ह बदध

को और एक यह गौतम इसकी भी वजदद हदद हो गयी बढ़ता नही दसर दरवाज चला जाए इतना बड़ा गाव

पड़ा ह अब आज यही कोई वजदद बाधकर खड़ा ह

बराहमणी सोचती हः इसवलए म हसी दक यह गौतम भी वजददी ह लदकन िायद यह हसी भी उसक

अचतन स आयी ह िायद उस कही भीतर यह भी साफ हआ दक भोजन दफर स बनाना पड़ इतनी सी बात क

वलए म रोककर खड़ी नही होन वाली िी कछ और ह और जो और की िोड़ी सी झलक उस वमली होगी दक

कही यह शरमण मर पवत को न ल जाए तो हसी होगी यह भी कोई बात सोचन की हई यह कयो ल जाएगा

मर पवत न कभी सनयसत नही होना चाहा कभी वभकष नही होना चाहा मर पवत यदयवप इस गौतम को कभी-

कभी दान दत ह लदकन अब भी बराहमण ह अब भी पजा करत ह हवन करत ह वद पढ़त ह िासतर म लग

रहत ह भरषट होन की कोई आिा नही ह म भी कसी सचता म पड़ गयी इसवलए भी हसी होगी

उस घड़ी भगवान न यह गािा कही और यह गािा बराहमण का सनयास बन गयी दफर कषणभर नही

रका दफर बदध क चरणो म समरपमत हो गया दफर बदध क पीछ चल पड़ा

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और बराहमणी भी जो कषणभर पहल बदध स बचान को खड़ी हई िी वह भी दीवकषत हई वह भी सनयसत

हई उसका परम अपन पवत स वसफम िरीर क तल का ही नही रहा होगा िरीर क ही तल का होता तो नाराज

होती गहरा रहा होगा िोड़ा जयादा गहरा रहा होगा और अगर आज पवत सनयसत होता ह और दीकषा क

मागम पर जाता ह तो ठीक ह वह भी जाएगी वनससकोच वनभमय--जो पवत कर रहा ह वह वह भी करगी

यह चौकान वाली बात ह दक जो अभी कषणभर पहल एक बार और भोजन बनान स परिान हो रही िी

वह आज पवत क साि वभकषणी होन को तयार हो गयी ह

मनषय क भीतर ऐस दवदव ह जो सतरी तमहार वलए सजदगी को दभर बना द वही तमहार ऊपर जान भी द

सकती ह जो सतरी तमहार ऊपर अपन जीवन को नयोछावर कर द करोध स भर जाए तो तमह जहर भी वपला

सकती ह

परम क रासत बड़ उलझ हए ह परम क रासत बड़ जरटल ह परम का गवणत सीधा-सीधा नही ह परम क

रासत सीध-साफ नही ह पगडवडयो की तरह ह बड़ उलट-सीध जात ह

एक कषण पहल भोजन पकान म वझझकी िी और एक कषण बाद सब छोड़कर जान म वझझक न हई उस

बराहमणी का परम बदध स तो नही िा लदकन अपन पवत स िा और इसवलए म तमस कहता ह दक परम दकसी स

भी हो तो परमातमा तक जान का मागम बन सकता ह

अपन पवत स परम िा बदध स कछ लना-दना नही िा उसन एक बार भी भगवान की तरह बदध को नही

सोचा वह कहती ह यह गौतम यह शरमण गौतम कहा खड़ा हो गया ह आकर लदकन पवत क परवत उसका मन

वही होगा जो इस दि म सदा स सोचा गया ववचारा गया वजसक कावय वलख गए ह वजसक गीत गाए गए

ह उसन अपन पवत को परमातमा माना होगा और जब उसका परमातमा जाता ह तो उसक वलए भी जाना ह

जहा उसका परमातमा जाता ह वहा उस जाना ह

जस वसतरया इस दि म कभी पवत की वचता पर चढ़कर सती होती रही ऐस इस दि म वसतरया कभी पवत

क साि सनयसत भी हो गयी ह वजसक साि राग जाना उसक साि ववराग भी जानग और वजसक साि सख

जाना उसक साि तपशचयाम भी जानग साि एक बार हो गया तो अब सख हो दक दख घर-दवार हो दक रासता-

-साि हो गया तो साि हो गया इस दि न साि क बड़ अतरग परयोग दकए ह

बदध न कहाः वजसकी नाम-रप--पच-सकध--म जरा भी ममता नही ह और जो उनक नही होन पर िोक

नही करता वह वभकष कहा जाता ह

बड़ी सीधी पररभाषा गवणत की तरह साफः वजसकी नाम-रप म जरा भी ममता नही ह

नाम-रप का अिम होता ह मानवसक और िारीररक मनषय दो अवसिाओ का पज ह--मन और िरीर

सकषम पज मन उसका नाम ह--नाम कयोदक तमहार सकषम पज मन का जो सबस गहरा भाव ह वह ह अहकार-

-म और जो सिल पज ह िरीर उसका नाम ह--रप आदमी दो म डोलता रहता ह--नाम-रप

वजनको हम बड़-बड़ आदमी कहत ह व भी इस अिम म छोट ही छोट होत ह वजनको सामानय जनता बड़

नता कहती ह महातमा कहती ह व भी साधारणतः इनही दो म बध होत ह और इन दो स जो मि हो जाए

वही वभकष

परसो मन जयपरकाि नारायण का एक विवय पढ़ा उनहोन बबई म अपन वमतरो को धनयवाद दत हए

कहा--जनता को धनयवाद दत हए कहा--दक म जनता का सदा-सदा क वलए अनगहीत रहगा कयोदक मर दि

की जनता न ही मर नाम और यि को दवनया क कोनो-कोनो तक फला ददया ह

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जयपरकाि नारायण जसा ववचारिील वयवि भी नाम और यि--उसम ही बधा रह जाता ह धनयवाद भी

दकस बात का द रह हो इसवलए दक लोगो न मर नाम और यि को दवनया क कोनो-कोनो तक फला ददया ह

कया होगा इसस

राजनीवत की लड़ाई अकसर वसदधातो की लड़ाई नही ह वसदधात तो वसफम आड़ होत ह असली लड़ाई तो

अहकारो की लड़ाई ह गहरी लड़ाई तो वयवितवो की लड़ाई ह

यह कछ कागरस और जनता की लड़ाई कोई वसदधातो की लड़ाई नही ह यह वसफम वयवितवो की लड़ाई ह

कौन परवतवित होता ह कौन पद पर बठता ह और इसीवलए दशमन तो दशमन होत ही ह राजनीवत म वमतर भी

दशमन होत ह कयोदक जो पद पर बठा ह उसक आसपास जो वमतर इकटठ होत ह व भी कोविि म लग ह दक

कब धकका द द अब जगजीवनराम को मौका वमल तो मोरारजी को धकका नही दग दक चरणससह को मौका

वमल तो धकका नही दग इनको धकका नही दग तो अपनी छाती म छरा भक जाएगा

व जो पास खड़ ह व भी धकका दन को खड़ ह व दख रह ह दक कब जरा कमजोरी का कषण हो दक द दो

धकका राजनीवत म ितर तो ितर होत ही ह वमतर भी ितर होत ह

जयपरकाि नारायण न मोरारजी को पद पर वबठाया लदकन अभी कछ ददन पहल भोपाल म दकसी न

मोरारजी को पछा दक हमन सना ह दक अब जयपरकाि नारायण महातमा गाधी की अवसिा म पहच गए ह

आप कया कहत ह मोरारजी एकदम कहः नही कोई महातमा गाधी की अवसिा म कभी नही पहच सकता व

अवदवतीय परष ि और दफर जयपरकाि नारायण न ऐसा कोई दावा दकया भी नही ह

जरा इसको सकषम स दखना जरा ऊपर की धल को झाड़कर दखना तम भीतर बड़ अगार पाओग

पहली तो बात यह दक मोरारजी को महातमा गाधी अवदवतीय ि या नही--इसस कोई परयोजन नही ह

गाधी अवदवतीय ि यह बात तो इसवलए कही जा रही ह तादक जयपरकाि नारायण को उनकी जगह पर न रखा

जाए अब वसततः तो मोरारजी चाहग दक व महातमा गाधी हो गए ह--जयपरकाि कहा बीच म आत ह

चीजो को तम सीध दखोग तो कभी नही समझ पाओग

मोरारजी महातमा गाधी ह महातमा गाधी की सब जड़ताए उनम ह और एक जड़ता और जयादा ह--सव-

मतर का पीना व महातमा गाधी स बड़ महातमा ह दफर कहत ह दक जयपरकाि नारायण न इसका कोई दावा

दकया भी नही ह

अब जरा मजा दखनाः अगर जयपरकाि नारायण दावा न कर तो जब दावा ही नही दकया तो कस हो

सकत ह और अगर कल दावा कर तो इसीवलए दफर महातमा गाधी नही हो सकत--दक कही दावदार महातमा

गाधी हए

दखना तकम बड़ा मजदार होता ह दावा नही दकया जयपरकाि नारायण न जस दक महातमा गाधी होन

का दावा करक दफर दकसी अदालत स फसला लना होगा--दक हा य महातमा गाधी हो गए दावा नही दकया

इसवलए कस इसको मानना और अगर दावा कर तो मोरारजी कहग दक दावदार कही महातमा गाधी होत ह

महातमा गाधी तो ऐस ववनमर ि ववनमरता और य दावदार

लदकन असली बात कछ और ह असली बात यह ह दक मोरारजी नही चाहग दक उनस ऊपर कोई

आदमी परवतवित हो उनस ऊपर दकसी का यि हो और महातमा गाधी स दकसको कया लना ह

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मन सना ह दक महातमा गाधी की हतया क पहल मोरारजी को पता चल गया िा खबर उनको दी गयी

िी कछ भी उनहोन दकया नही वललभ भाई पटल को भी कहत ह खबर वमल गयी िी लदकन कछ दकया

नही

महातमा गाधी क मरन क पहल वललभ भाई पटल राषटरीय सवयसवक सघ की दो सभाओ म गाधी की

आलोचना दकए और राषटरीय सवयसवक सघ की परिसा दकए और वजस ददन गाधी की हतया हई उसक घटभर

पहल गाधी न जो वललभ भाई पटल स कहा िा वह वचन याद करन जसा ह

महातमा गाधी न वललभ भाई पटल को कहा िा--घटभर पहल मरन क--दक सरदार जसा म तमह

जानता िा अब तम वस नही रह तम बदल गए तम अब वही नही हो वजस वयवि को म जानता िा पद पर

पहचकर तम कछ क कछ हो गए

दफर गाधी की हतया हो गयी और इतन ददन हो गए गाधी की हतया हए मोरारजी न एक बार भी इसक

पहल नही कहा दक इसम आरएसएस का कोई हाि नही ह लदकन अब पद पर पहचकर उनहोन कहना िर

कर ददया दक आरएसएस का इसम कोई हाि नही ह दक गोडस तो आरएसएस का सदसय ही नही रहा

िा जब उसन हतया की

यह हो सकता ह दक गोडस सदसय न रहा हो हतया करत वि वसफम इसीवलए तादक अगर कोई अड़चन

हो तो वजममदारी आरएसएस पर न आए वह वसफम इतना ही बताती ह बात दक वह आरएसएस को

बचान की आकाकषा रही होगी भीतर--दक ससिा बदनाम न हो अगर म पकड़ भी जाऊ तो ससिा पर कोई

लाछन न लग

लदकन बड़ मज की बात ह गाधी क भि महातमा गाधी की समावध पर फल चढ़ात ह और यहा अब

आरएसएस को बढ़ावा द रह ह कयोदक आरएसएस न ही उनको परवतवित दकया ह उनको पद पर वबठाया

इस दवनया म सारी खोज पद की ह यि की ह नाम की ह दकसी को और दकसी बात स मतलब नही ह

सबको एक बात स मतलब ह दक म दकसी तरह वसदध करक ददखा द दक म महान ह और जो भी वयवि वसदध

करक ददखाना चाहता ह दक महान ह उसक भीतर हीनता की गरवि ह इनफीररयाररटी कापलकस ह और

कछ भी नही

बदध न कहाः वजसक भीतर स नाम-रप की ममता चली जाए वजस न तो यि की आकाकषा हो न पद की

आकाकषा हो वजसक भीतर सकषम-सिल दोनो म स दकसी क परवत कोई लगाव न रह जाए ऐसा जो ममता स

मि ह वही वभकष ह

और पद-परवतिा नाम-रप सबक खो जान पर जो िोक न कर

कयोदक यह बहत आसान हः जब तम पद पर होत हो तब तम कह सकत हो दक मझ पद इतयादद की

कोई सचता नही ह मझ पद चावहए नही पद पर होन वाल लोग अकसर ऐसी बात कहन लगत ह दक हम पद

स कया पद म कया रखा

पद पर जो पहच जात ह व अकसर ववनमरता ददखान लगत ह तमन अकसर दखा होगाः छोट पद पर

लोग जयादा उपदरवी होत ह बड़ पद पर लोग कम उपदरवी हो जात ह कयोदक अब परवतिा हो ही गयी अब यह

मजा भी ल लो साि म दक हम परवतिा स भी मि ह हम यि का कोई लना-दना नही ह

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तमन दखा पवलस वाला जयादा झझट खड़ी करता ह इसपकटर िोड़ी कम पवलस कवमशनर और िोड़ी

कम वजतन बड़ पद पर होता ह आदमी उतनी कम झझट करता ह

मन सना हः एक अधा वभखारी राह पर बठा ह रात ह और राजा और उसक कछ सािी राह भल गए

ह व विकार करन गए ि उस गाव स गजर रह ह कोई और तो नही ह वह अधा बठा ह झाड़ क नीच अपना

एकतारा बजा रहा ह और अध क पास उसका एक विषय बठा ह वह उसस एकतारा सीखता ह वह भी

वभखारी ह दोनो वभखारी ह

राजा आया और उसन कहाः सरदासजी फला-फला गाव का रासता कहा स जाएगा दफर वजीर आया

और उसन कहाः अध फला-फला गाव का रासता कहा स जाता ह अध न दोनो को रासता बता ददया पीछ स

वसपाही आया उसन एक रपट लगायी अध को--दक ऐ बडढ रासता दकधर स जाता ह उसन उस भी रासता

बता ददया

जब व तीनो चल गए तो उस अध न अपन विषय स कहा दक पहला बादिाह िा दसरा वजीर िा

तीसरा वसपाही वह विषय पछन लगाः लदकन आप कस पहचान आप तो अध ह उसन कहाः अध होन स

कया होता ह वजसन कहा सरदासजी वह बड़ पद पर होना चावहए उस कोई सचता नही ह अपन को ददखान

की वह परवतवित ही ह लदकन जो उसक पीछ आया उसन कहा अध अभी उस कछ परवतवित होना ह और जो

उसक पीछ आया वह तो वबलकल गया-बीता होना चावहए उसन एक धपप भी मारा रासता पछ रहा ह और

एक धपप भी लगाया वह वबलकल गयी-बीती हालत म होना चावहए वह वसपाही होगा

आदमी जब बड़ पदो पर पहच जाता ह तब तो वह यह भी मजा ल लता ह कहन का दक पद म कया

रखा ह

इसवलए बदध कहत हः पहल तो ममता न हो और इसका परमाण कया होगा जब य चीज छट जाए तो

िोक न हो तभी असली बात पता चलगी दख न हो ममता नही िी तो दख हो ही नही सकता ममता िी

तो ही दख हो सकता ह

वही वभकष कहा जाता ह

बराहमण न सना चरणो म झका और उसन कहा दक मझ सवीकार कर ल मझ भी इस रासत पर ल चल

ममता म रहकर मन दख वलया दख क अवतररि कछ भी नही पाया अब मझ ममता क पार ल चल

ममता िबद पयारा ह अिमपणम ह इसका मतलब होता ह म-भाव मम धन ता मम यानी म चीजो म

बहत म-भाव रखना यह मरा मकान यह मरी पतनी यह मरी दकान यह मरा धमम यह मरी दकताब यह मरा

मददर यह मरा दि यह सब ममता ह जब म-भाव चला जाए

मकान मकान ह मरा कया और दि दि ह मरा कया करान करान ह मरा कया पतनी सतरी ह मरा

कया मरा कछ भी नही ह जब सब मर वगर जात ह तो अचानक तम पाओगः एक चीज अपन आप वगर जाती

ह वह ह म म को समहालन क वलए मरो क डड लग हए ह चारो तरफ स म रटक ही नही सकता वबना मर

क इसवलए वजतना तम चीजो को कह सकत हो मरा वजतनी जयादा चीज तमहार पास ह कहन को मरी उतना

तमहारा म बड़ा होता जाता ह और जब तमहार पास कोई मरा कहन को नही बचता तो म को खड़ रहन की

जगह नही बचती म ततकषण वगर जाता ह

18

तम मर को वगराओ म अपन स वगर जाता ह और उस म क वगर जान का नाम--वभकष म का वगर जाना

यानी िनय हो जाना वह जो वभकष क हाि म वभकषापातर ह वह अगर हाि म ही हो तो बकार ह वह उसकी

आतमा म होना चावहए तभी सािमक ह

वदवतीय दशयः

भगवान क अगरणी विषयो म स एक महाकातयायन क विषय करटकणण सोण सिववर कररघर स जतवन

जा भगवान का दिमन कर जब वापस आए तब उनकी मा न एक ददन उनक उपदि सनन क वलए वजजञासा की

और नगर म भरी बजवाकर सबक साि उनक पास उपदि सनन गयी वजस समय वह उपदि सन रही िी

उसी समय चोरो क एक बड़ वगरोह न उसक घर म सध लगाकर सोना-चादी हीर-जवाहरात आदद ढोना िर

कर ददया एक दासी न चोरो को घर म परवि दकया दख उपावसका को जाकर कहा

उपावसका हसी और बोलीः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

चोरो का सरदार जो दक दासी क पीछ-पीछ उपावसका की परवतदकरया दखन आया िा यह सनकर ठगा

रह गया अवाक रह गया उसन तो खतर की अपकषा की िी

वह उपावसका बड़ी धनी िी उस नगर की सबस धनी वयवि िी उसक इिार पर हजारो लोग चोरो को

घर लत चोरो का भागना मवशकल हो जाता चोरो का सरदार तो डर क कारण ही पीछ-पीछ गया िा दक अब

दख कया होता ह यह उपावसका कया परवतदकरया करती ह

और उपावसका न कहाः दख जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

सवभावतः चोरो का सरदार अवाक रह गया उसन तो खतर की अपकषा की िी लदकन उपावसका क व

िोड़ स िबद उसक जीवन को बदल गए उन िोड़ स िबदो स जस वचनगारी पड़ गयी जस दकसी न उस सोत

स जगा ददया हो जस एक सपना टट गया जस पहली बार आख खली और सरज क दिमन हए वह जागा इस

सतय क परवत दक सोना-चादी हीर-जवाहरातो स भी जयादा कछ मलयवान जरर होना चावहए अनयिा हम

हीर-जवाहरात ढो रह ह और यह उपावसका कहती हः जा चोरो को जो ल जाना हो ल जान द उपदि म

ववघन मत डाल जरर यह कछ पा रही ह जो हीर-जवाहरातो और सोना-चादी स जयादा मलयवान ह यह तो

इतना सीधा गवणत ह

उसन लौटकर अपन सावियो को भी यह बात कही--दक हम कड़ा-ककम ट ढो रह ह सोना वहा लट रहा ह

कयोदक उपावसका न कहाः जा ल जान द उनको जो ल जाना ह त उपदि म ववघन मत कर वहा कछ अमत

बरस रहा ह वमतरो हम भी चल वहा कछ वमल रहा ह उस सतरी को वजसकी हम कोई भी खबर नही ह कोई

भीतरी सपदा बरसती ह कछ लट रहा ह वहा और हम कड़ा-ककम ट

उनह भी बात जची दफर उनहोन चराया हआ सामान पनः पवमवत रखा और सभी धमम-सभा म आकर

उपदि सनन बठ गए वहा उनहोन अमत बरसत दखा वहा उनहोन अलौदकक सपदा दखी उस दफर उनहोन जी

भरकर लटा चोर ही ि दफर लटन म उनहोन कोई कमी नही की कोई दकानदार नही ि दक लटन म डरत

उनहोन ददल भरकर लटा उनहोन ददल भरकर पीया िायद जनमो-जनमो स इसी सपदा की तलाि िी

इसीवलए चोर बन घमत ि

दफर सभा की समावि पर व सब उपावसका क परो पर वगरकर कषमा माग चोरो क सरदार न उपावसका

स कहाः आप हमारी गर ह अब हम अपन बट स परवरजया ददलवाए उपावसका अपन पतर स परािमना कर उनह

19

दीवकषत करायी व चोर अवत आनददत ि और सनयसत हो एकात म वास करन लग मौन रहन लग और धयान म

डबन लग उनहोन िीघर ही धयान की सपदा पायी

भगवान न य सतर इनही भतपवम और अभतपवम चोरो स कह ि

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

छततवा रागच दोसच ततो वनबबाणमवहवस

ह वभकष इस नाव को उलीचो उलीचन पर यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी राग और दवष को वछि

कर दफर तम वनवामण को पराि कर लोग

पच वछनद पच जह पच चततरर भावय

पच सगावतगो वभकख ओघवतणणोवत वचचवत

जो पाच को काट द पाच को छोड़ पाच की भावना कर और पाच क सग का अवतकरमण कर जाए उसी

को बाढ़ को पार कर गया वभकष कहत ह

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

यवमह झानच पजा च स व वनबबाणसवनतक

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता धयान न करन वाल को परजञा नही होती वजसम धयान और परजञा

ह वही वनवामण क समीप ह

पहल घटना को समझ

भगवान क अगरणी विषयो म स एक महाकातयायन क विषय करटकणण सोण कररघर स जतवन जा

भगवान का दिमन करक जब वापस आए तब उनकी मा न एक ददन उनक उपदि सनन क वलए वजजञासा की

और नगर म भरी बजवाकर सबक साि उनक पास उपदि सनन गयी

ऐस ि व ददन बदध की तो मवहमा िी ही बदध क दिमन करक भी कोई अगर लौटता िा तो वह भी

मवहमावान हो जाता िा ऐस ही जस कोई फलो स भर बगीच स गजर तो उसक वसतरो म फलो की गध आ

जाती ह ऐस ही कोई बदध क पास स आए तो उसम िोड़ी सी तो गध बदध की समा ही जाती

तो यह करटकणण सोण अपन गाव स बदध क दिमन करन को गए वहा स जब लौट वापस तो उनकी मा

न कहाः तम धनयभागी हो तम बदध क विषय महाकातयायन क विषय हो तम महाधनयभागी हो तम बदध क

दिमन करक लौट हम इतन धनयभागी नही चलो हम फल न वमल तो फल की पाखड़ी वमल तम जो लकर

आए हो हमस कहो सरज क दिमन िायद हम न हो तम जो िोड़ी सी जयोवत लाए हो उस जयोवत क दिमन

हम कराओ तो उसन परािमना की दक तमन जो सना हो वहा वह दोहराओ हमस कहो

और दसरी बातः वह अकली सनन नही गयी उसन सार गाव म भरी दफरवा दी और कहा दक करटकणण

बदध क पास होकर आए ह िोड़ी सी बदधतव की सपदा लकर आए ह व बाटग सब आए

20

ऐस ि व ददन कयोदक जब परम धन लटता हो बटता हो तो अकल-अकल नही भरी बजाकर सबको

वनमवतरत करक इस जगत की जो सपदा ह उसम दसरो को वनमवतरत नही दकया जा सकता कयोदक व बाट

लग तो तमहार हाि कम पड़गी उस जगत की जो सपदा ह अगर तमन अकल ही उसको अपन पास रखना

चाहा तो मर जाएगी मदाम हो जाएगी सड़ जाएगी तमह वमलगी ही नही उस जगत की सपदा उस ही

वमलती ह जो वमलन पर बाटता ह जो वमलन पर बाटता चला जाता ह जो वजतना बाटता ह उतनी सपदा

बढ़ती ह

इस जगत की सपदा बाटन स घटती ह उस जगत की सपदा बाटन स बढ़ती ह इस सतर को खयाल

रखना

तो भरी बजवा दी सार गाव को लकर उपदि सनन गयी सवभावतः सारा गाव उपदि सनन गया

चोरो की बन आयी गाव म कोई िा ही नही सारा गाव उपदि सनन गाव क बाहर इकटठा हआ िा चोरो न

सोचाः यह अवसर चक जान जसा नही ह व उपावसका क घर म पहच गए बड़ा वगरोह लकर ठीक सखया

बौदध-गरिो म ह--एक हजार चालीस कयोदक उपावसका महाधनी िी उसक पास इतना धन िा दक ढोत-

ढोत ददन लग जात तो ही व ल जा सकत ि

तो एक हजार चोर इकटठ उसक घर पर हमला बोल ददए सब तरफ स दीवाल तोड़कर व अदर घस गए

वसफम एक दासी घर म छटी िी उसन इतना बड़ा वगरोह दखा तो भागी व चोर सोना-चादी हीर-जवाहरात

ढो-ढोकर बाहर ल जान लग दासी न जाकर उपावसका को कहा

दासी घबड़ायी होगी पसीना-पसीना हो रही होगी सब लटा जाता ह लदकन उपावसका हसी और

बोलीः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल

इस दि न एक ऐसी सपदा भी जानी ह वजसक सामन और सब सपदाए फीकी हो जाती ह इस दि को

ऐस हीरो का पता ह वजनक सामन तमहार हीर ककड़-पतिर ह इस दि न धयान का धन जाना और वजसन

धयान जान वलया उसक वलए दफर और कोई धन नही ह वसफम धयान ही धन ह इस दि न समावध जानी और

वजसन समावध जानी वह समराट हआ उस असली सामराजय वमला

तम समराट भी हो जाओ ससार म तो वभखारी ही रहोग और तम भीतर क जगत म वभखारी भी हो

जाओ तो समराट हो जाओग ऐसा अदभत वनयम ह

उस कषण उपावसका रस-ववमगध िी उसका बटा लौटा िा बदध क पास होकर बदध की िोड़ी सवास

लाया िा बदध का िोड़ा रग लाया िा बदध का िोड़ा ढग लाया िा वह जो कह रहा िा उसम बदध क वचनो

की भनक िी वह लवलीन होकर सनती िी वह परी डबी िी वह दकसी और लोक की तरफ आख खोल बठी

िी उस दकसी ववराट सतय क दिमन हो रह ि उस एक-एक िबद हदय म जा रहा िा और रपातररत कर रहा

िा उसक भीतर बड़ी रासायवनक परदकरया हो रही िी वह दह स आतमा की तरफ मड़ रही िी वह बाहर स

भीतर की तरफ मड़ रही िी

उसन कहाः जा चोरो की जो इछा हो सो ल जाव त उपदि सनन म ववघन न डाल ऐसा तो कोई तभी

कह सकता ह जब ववराट वमलन लग

और म तमस कहता हः कषदर को छोड़ना मत ववराट को पहल पान म लगो कषदर अपन स छट जाएगा

तमस म नही कहता दक तम घर-दवार छोड़ो म तमस मददर तलािन को कहता ह म तमस नही कहता दक तम

21

धन-दौलत छोड़ो म तमस धयान खोजन को कहता ह वजसको धयान वमल जाएगा धन-दौलत छट ही गयी

छटी न छटी--अिमहीन ह बात उसका कोई मलय ही न रहा

आमतौर स तमस उलटी बात कही जाती ह तमस कहा गया ह दक तम पहल ससार छोड़ो तब तम

परमातमा को पा सकोग म तमस कहना चाहता हः तम ससार छोड़ोग तम और दखी हो जाओग वजतन तम

दखी अभी हो परमातमा नही वमलगा लदकन अगर तम परमातमा को पा लो तो ससार छट जाएगा

अधर स मत लड़ो दीए को जलाओ अधर स लड़ोग दीया नही जलगा अधर स लड़ोग--हारोग िकोग

बड़ परिान हो जाओग ऐस ही तो तमहार सौ म स वननयानब महातमाओ की दिा ह और परिान हो गए

तमस जयादा परिान ह

तमह यह बात ददखायी नही पड़ती--दक कभी-कभी साधारण गहसि क चहर पर तो कछ आनद का भाव

भी ददखायी पड़ता ह तमहार तिाकवित साध-सनयावसयो क चहर पर तो आनद का भाव वबलकल खो गया ह

एकदम जड़ता ह एकदम गहरी उदासी सब जस मरसिल हो गया कया कारण ह

बात तो करत ह दक सब छोड़ दन स आनद वमलगा वमला कहा ह तमन दकसी जन मवन को नाचत

दखा ह परसि दखा ह आनददत दखा ह छोड़कर वमला कया ह

छोड़न स वमलन का कोई सबध नही ह बात उलटी हः वमल जाए तो छट जाता ह दीया जलाओ और

अधरा अपन स नषट हो जाता ह

ऐसी ही घटना उस उपावसका को घट रही िी वह तललीन िी उस धीर-धीर- धीर उस रस का सवाद

आ रहा िा इस घड़ी म यह खबर आयी दक सब धन लटा जा रहा ह उसन कहाः ल जान द उनको सब अब

कोई सचता की बात नही त मरी इस भावदिा म ववघन न डाल

चोरो का सरदार भी पीछ-पीछ चला आया िा उपावसका की परवतदकरया दखन वह तो सनकर अवाक रह

गया वह तो रठठक गया

अकसर ऐसा हो जाता ह दक पापी तमहार तिाकवित पणयातमाओ स जलदी रपातररत हो जात ह

वालमीदक और अगवलमाल और अकसर ऐसा हो जाता ह दक अपरावधयो म एक तरह की सरलता होती ह जो

तमहार परवतवित कह जान वाल लोगो म नही होती परवतवित लोग तो चालाक चालबाज कपटी पाखडी होत

ह लदकन वजनको तम अपराधी कहत हो उनम कपट नही होता चालबाजी नही होती कपट और चालबाजी

ही होती तो व पकड़ ही कयो जात पहली बात वजनम कपट और चालबाजी ह व तो पकड़ नही गए व तो

बड़ सिानो म बठ ह व तो ददलली म ववराजमान ह

जो पकड़ जात ह व सीध-साद लोग ह इसीवलए पकड़ जात ह दवनया म छोट अपराधी पकड़ जात ह

बड़ अपराधी तो परधानमतरी और राषटरपवत बन जात ह दवनया म छोट अपराधी जलखानो म वमलग बड़

अपरावधयो क नाम पर इवतहास वलख जात ह नपोवलयन और वसकदर और चगज और नाददर और सटवलन

और वहटलर और माओ--सब हतयार ह लदकन उनक नाम पर इवतहास वलख जात ह उनकी गण-गािाए गायी

जाती ह

छोट-मोट अपराधी जलो म सड़त ह बड़ अपराधी इवतहास क वनमामता हो जात ह तमहारा सारा

इवतहास बड़ अपरावधयो की किाओ का इवतहास ह और कछ भी नही असली इवतहास नही ह असली

इवतहास वलखा नही गया असली इवतहास वलखा जा सक ऐसी अभी मनषय की वचततदिा नही ह

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अगर असली इवतहास वलखा जा सक तो बदध होग उस इवतहास म महावीर होग कबीर होग नानक

होग दाद होग मीरा होगी सहजो होगी कराइसट जरिसतर लाओतस और वागतस--ऐस लोग होग ररझाई

नारोपा वतलोपा--ऐस लोग होग फावसस इकहाटम िरसा--ऐस लोग होग मोहममद रावबया बायजीद

मसर--ऐस लोग होग

लदकन ऐस लोगो का तो कछ पता नही चलता फट नोट भी इवतहास म उनक वलए नही वलख जात

उनका नाम भी लोगो को जञात नही ह इस पथवी पर अनत सत हए ह उनका नाम भी लोगो को जञात नही ह

और व ही असली इवतहास ह व ही असली नमक ह पथवी क उनक कारण ही मनषय म िोड़ी गररमा और

गौरव ह

चोर आया परधान िा चोरो का उसन यह बात सनी वह भरोसा न कर सका उसन तो सदा जाना दक

धन सोना-चादी हीर-जवाहरात म ह तो यहा कोई और धन बट रहा ह हम इसका सब लट वलए जा रह ह

और यह कहती ह जा--हसकर--ल जान द चोरो को कड़ा-ककम ट ह यहा त ववघन मत डाल मर धयान म खलल

खड़ी न कर मझ चका मत एक िबद भी चक जाएगा तो म पछताऊगी वह सारी सपवतत चली जाए यह एक

िबद सनायी पड़ जाए तो बहत ह चोर रठठक गया

मर दख अपराधी सदा ही सीध-साद लोग होत ह उनम एक तरह की वनदोषता होती ह एक तरह का

बालपन होता ह वह रठठक गया तो उसन कहाः दफर हम भी कयो न लट इसी धन को तो हम कब तक वही

हीर-जवाहरात लटत रह जब इसको उनकी सचता नही ह तो जरर कछ मामला ह कछ राज ह हम कछ

गलत खोज रह ह

वह भागा गया उसन अपन सावियो को भी कहा--दक म तो जाता ह सनन तम आत हो कयोदक वहा

कछ बटता ह मझ समझ म नही आ रहा ह अभी दक कया बट रहा ह कछ सकषम बरस रहा होगा वहा अभी

मरी समझ नही ह दक साफ-साफ कया हो रहा ह लदकन एक बात पककी ह दक कछ हो रहा ह कयोदक हम यह

सब वलए जा रह ह और उपावसका कहती हः ल जान दो लदकन मर धयान म बाधा मत डालो यहा म सनन

बठी ह धमम-शरवण कर रही ह इसम खलल नही चावहए तो जरर उसक भीतर कोई सगीत बज रहा ह जो

बाहर स ददखायी नही पड़ता और भीतर कोई रसधार बह रही ह जो बाहर स पकड़ म नही आती हम भी

चल तम भी चलो हम कब तक यह कड़ा-ककम ट इकटठा करत रहग तो हम अब तक ठीक धन का पता नही िा

िायद चोर भी ठीक धन की तलाि म ही गलत धन को इकटठा करता रहता ह यही मरा कहना ह इस

दवनया म सभी लोग असली धन को ही खोजन म लग ह लदकन कछ लोग गलत चीजो को असली धन समझ

रह ह तो उनही को पकड़त ह वजस ददन उनको पता चल जाएगा दक यह असली धन नही ह उसी ददन उनक

जीवन म रपातरण करावत नए का आववभामव हो जाएगा उस ददन उन चोरो क जीवन म हआ

उनहोन सब जो ल गए ि बाहर जलदी स भीतर पवमवत रख ददया भाग धमम-सभा की ओर सना

पहली बार सना कभी धमम-सभा म गए ही नही ि धमम-सभा म जान की फसमत कस वमलती जब लोग धमम-

सभा म जात तब व चोरी करत तो धमम-सभा म कभी गए नही ि पहली बार य अमत-वचन सन

खयाल रखना अगर पवडत होत िासतरो क जानकार होत तो िायद कछ पता न चलता तमस म दफर

कहता हः पापी पहच जात ह और पवडत चक जात ह कयोदक पापी सन सकत ह उनक पास बोझ नही ह

जञान का उनक पास िबदो की भीड़ नही ह उनक पास वसदधातो का जाल नही ह

23

पापी इस बात को जानता ह दक म अजञानी ह इस कारण सन सकता ह पवडत सोचता हः म जञानी ह म

जानता ही ह इसवलए कया नया होगा यहा कया नया मझ बताया जा सकता ह मन वद पढ़ मन उपवनषद

पढ़ गीता मझ कठसि ह यहा मझ कया नया बताया जा सकता ह इसवलए पवडत चक जाता ह

धनयभागी ि दक व लोग पवडत नही ि और चोर ि जाकर बठ गए अवाक होकर सना होगा पहल

सना नही िा कछ पवम-जञान नही िा वजसक कारण मन खलल डाल

उनहोन वहा अमत बरसत दखा वहा उनहोन अलौदकक सपदा बटत दखी उनहोन जी भरकर उस लटा

चोर ि िायद इसी को लटन की सदा कोविि करत रह ि बहत बार लटी िी सपवतत लदकन वमली नही िी

इसवलए चोरी जारी रही िी आज पहली दफ सपवतत क दिमन हए

दफर सभा की समावि पर व सब उपावसका क परो पर वगर पड़ कषमा मागी धनयवाद ददया और चोरो

क सरदार न उपावसका स कहाः आप हमारी गर ह आपक व िोड़ स िबद--दक जा चोरो को ल जान द जो ल

जाना हो आपकी वह हसी और आपका वह वनममल भाव और आपकी वह वनवामसना की दिा और आपका यह

कहना दक मर धमम-शरवण म बाधा न डाल--हमार जीवन को बदल गयी आप हमारी गर ह अब हम अपन बट

स परवरजया ददलाए हम सीध न मागग सनयास हम आपक दवारा मागग आप हमारी गर ह

उपावसका अपन पतर स परािमना कर उनह दीवकषत करायी व चोर अवत आनददत ि उनक जीवन म इतना

बड़ा रपातरण हआ--आनद की बात िी जस कोई अधर गतम स एकदम आकाि म उठ जाए जस कोई अधर

खाई-खडडो स एकदम सयम स मवडत विखर पर बठ जाए जस कोई जमीन पर सरकता-सरकता अचानक पख पा

जाए और आकाि म उड़

उनक आनद की कोई सीमा नही िी कयोदक कोई चोरी करता रह--दकतनी ही चोरी कर और दकतना

ही किल हो और दकतना ही सफल हो और दकतना ही धन इकटठा कर--चोरी काटती ह भीतर चोरी दि दती

ह कछ म बरा कर रहा ह यह पीड़ा तो घनी होती ह पतिर की तरह छाती पर बठी रहती ह

चोर जानता ह--चोर नही जानगा तो कौन जानगा--दक कछ गलत म कर रहा ह करता ह करता चला

जाता ह वजतना करता ह उतना ही गलत का बोझ भी बढ़ता जाता ह आज सब बोझ उतर गया

सनयसत हए व दीवकषत हए व व अवत आनददत ि व परवरवजत हो एकात म वास करन लग मौन रहन

लग धयान म डबन लग ससार उनहोन परी तरह दख वलया िा सब तरह दख वलया िा बरा करक भला

करक सब दख वलया िा अब करन को कछ बचा नही िा अब व न-करन म उतरन लग

एकात का अिम ह न-करना मौन का अिम ह न-करना धयान का अिम ह न-करना अब व िात िनय म

डबन लग

उनहोन िीघर ही धयान की िाशवत सपदा पायी बौदध किा तो ऐसा कहती ह दक बदध को आकाि स

उड़कर जाना पड़ा मन छोड़ ददया उस बात को तमह भरोसा न आएगा नाहक तमह िका क वलए कयो कारण

दन लदकन कहानी मीठी ह इसवलए एकदम छोड़ भी नही सकता याद ददलाऊगा ही

कहानी तो यही ह दक उन चोरो न जगल म बठकर उनहोन बदध को दखा ही नही उनहोन तो

उपावसका को गर मान वलया उपावसका क माधयम स उसक बट सोण स दीवकषत हो गए उनहोन बदध को दखा

नही ह लदकन उनकी परगाढ़ धयान की दिा--बदध को जाना पड़ा हो आकाि-मागम स तो कछ आशचयम नही

करोग कया जाना ही पड़गा

24

म यह नही कह रहा ह दक आकाि-मागम स गए ही होग मगर जो म कह रहा ह वह यह दक बदध को

जाना ही पड़गा इतन धयान की गहराई और ऐस साधारणजनो म ऐस पावपयो म बदध सखच चल आए होग

आना ही पड़ा होगा

आकाि-मागम स आन की किा इतना ही बताती ह दक बदध को उड़कर आना पड़ा इतनी जलदी आना

पड़ा दक िायद पदल चलकर आन म दर लगगी उतनी दर नही की जा सकती और य चोर--इसवलए कहता ह

इनको भतपवम और अभतपवम--य चोर ऐसी महान गहराई म उतरन लग दक बदध को लगा दक और िोड़ी दर हो

गयी तो लाछन होगा इसवलए जाना पड़ा होगा

उनहोन जाकर य सतर इन चोरो स कह ि

ससच वभकख इम नाव वसतता त लहमससवत

ह वभकष इस नाव को उलीचो उलीचन पर यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी

दकस नाव की बात कर रह ह यह जो मन की नाव ह इसको उलीचो इसम कछ न रह जाए इसम

कामना न हो वासना न हो महतवाकाकषा न हो इसम खोज न हो इसम माग न हो इसम परािमना न हो इसम

ववचार न हो इसम भाव न हो इसम कछ भी न बच उलीचो वभकषओ ससच वभकख इस नाव स सब उलीच

दो इस नाव को वबलकल खाली कर लो िनय कर लो यह तमहार वलए हलकी हो जाएगी

राग और दवष को वछि कर दफर तम वनवामण को पराि हो जाओग

यह नाव हलकी हो जाए इतनी हलकी दक इसम कोई वजन न रह जाए तो इसी कषण वनवामण उपलबध

हो जाता ह िनय मन का ही दसरा नाम ह--वनवामण जहा मन िनय ह वहा सब पणम ह जहा मन भरा ह वहा

सब अधरा ह

जो पाच को काट द वभकषओ पाच को छोड़ द वभकषओ पाच की भावना कर वभकषओ और पाच क सग

का अवतकरमण कर जाए वभकषओ उसी को बाढ़ को पार कर गया वभकष कहत ह वही उस पार चला गया

य पाच कया ह

जो पाच को काट द वभकषओ--पच वछनद

पाच चीज बदध न काटन योगय कही हः सतकाय दवषट--दक म िरीर ह वववचदकतसा सदह शरदधा का

अभाव िीलवरत परामिम--दसरो को सलाह दना िील और वरत की और सवय अनगमन न करना काम-राग और

वयापाद--सदा कामना स भर रहना यह पा ल वह पा ल ऐसा हो जाऊ वसा हो जाऊ वयापाद--और सदा

वयसत कभी कषणभर को ववराम नही य पाच चीज छद दन जसी ह इनको छदय-पचक कहा

दफर पाच को छोड़ द जो--हय-पचक रप-राग अरप-राग मान औदधतय और अववदया

रप का आकषमण पानी पर उठ बबल जसा ह रप सबह फल वखला साझ गया अभी कोई सदर िा

यवा िा अभी बढ़ा हो गया

अरप रागः और ऐसा न हो दक रप स राग छट सौदयम स राग छट तो तम असौदयम स राग को बाध लो

करप का राग करन लगो वह भी भल हो गयी ऐस लोग भी ह जो रप स राग छोड़ दग तो अरप क राग म

पड़ जाएग वह भी छट जाना चावहए

मान--अहकार औदधतय--वजदद हठ और अववदया अववदया का अिम ह सवय को न जानना इन पाच को

हय-पचक

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और दफर पाच को कहा ह--भावना इनकी भावना करनी भावय-पचक शरदधा वीयम समवत समावध और

परजञा

शरदधाः एक सरल भरोसा--अवसततव पर सवय पर जीवन पर

वीयमः ऊजाम मद-मद नही जीना चावहए ऐसा जीना चावहए जस मिाल दोनो तरफ स जलती हो

ऊजाम--वीयम

समवतः होिपवमक जीना चावहए एक-एक बात को समरणपवमक करना चावहए

समावधः समाधान वचतत की दिा जहा कोई समसया न रही कोई परिन न रह उततर की कोई तलाि न

रही जहा सब ववचारो की तरग िात हो गयी जहा मन न रहा मनन न रहा तो मन न रहा--समावध

और परजञाः और जहा समावध घटती ह वही तमहार भीतर अतःपरजञा का दीया जलता ह

य पाच भावन योगय ह

और उललघय-पचक और पाच का अवतकरमण कर जाना हः राग दवष मोह मान वमथया-दवषट

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता ह धयान न करन वाल को परजञा नही होती ह वजसम धयान और

परजञा ह वही वनवामण क समीप ह

य दो िबद बड़ बहमलय ह--धयान और परजञा

ऐसा समझो दक दीया जलाया तो दीए का जलना तो धयान ह और दफर जो रोिनी दीए की चारो तरफ

फलती ह वह परजञा य सयि ह

इसवलए बदध कहत ह--

नवति झान अपासस

परजञाहीन मनषय को धयान नही होता

कयोदक ऐसी तमन कोई जयोवत दखी वजसम परभा न हो वबना परभा क जयोवत कस होगी परभाहीन

जयोवत नही होती जहा दीया जलगा वहा रोिनी भी होगी ऐसा नही हो सकता दक दीया जल और रोिनी न

हो इसस उलटा भी नही हो सकता दक रोिनी हो और दीया न जल

इसवलए बदध कहत ह--

नवति झान अपासस पा नवति अझायतो

परजञाहीन मनषय को धयान नही और धयान न करन वाल को परजञा नही

धयान और परजञा ऐस ही जड़ ह जस मरगी और अडा वबना मरगी क अडा नही वबना अड क मरगी

नही इसवलए बदध कहत ह दक तम यह मत पछो दक पहल कया पीछ कया व दोनो साि-साि ह सयि ह

यगपत घटत ह

वजसम धयान और परजञा ह वही वनवामण को उपलबध हो जाता ह

वनवामण यानी उसका अधरा वमट जाता ह उसक जीवन म दफर रोिनी ही रोिनी हो जाती ह

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इन वभकषओ को जो कभी चोर ि बदध न य अभतपरव वचन कह व करीब पहच रह ि आवखरी कषण

आ रहा िा नाव को जरा और उलीचना िा कछ िोड़ी सी चीज छदनी िी कछ िोड़ी सी चीज छोड़नी िी

कछ िोड़ी सी चीज अवतकरमण करनी िी कछ िोड़ी सी चीज भावना करनी िी उस आवखरी घड़ी म बदध क

सहार की जररत िी

सदगर क सहार की जररत दो जगह सवामवधक हः पहली घड़ी म और अवतम घड़ी म मधय का मागम

इतना करठन नही ह पहली घड़ी करठन अवतम घड़ी करठन और य दोनो घटनाए दोनो क सबध म ह

पहली पहली घड़ी क सबध म बराहमण भोजन करन बठा ह उसक भीतर वनशचय का उदय हो रहा ह

और बदध का जाना--वह पहली घड़ी िी वहा पहला धकका चावहए एक दफा आदमी चल पड़ तो चलता जाता

और यह दसरी घटना आवखरी घड़ी की व चोर धयान म गहर उतरत-उतरत समावध क करीब पहच रह

ि आवखरी घड़ी करीब आ रही िी उनको आवखरी धकका चावहए तादक व महािनय म वनवामण म ववलीन हो

जाए

इन पर मनन करना य सतर तमहार जीवन म भी ऐसी ही करावत ला सकत ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ चौदह परवचन

जीन की कला

पहला परशनः आतमा और परमातमा को असवीकार करन वाल गौतम बदध धमम-गगा को पथवी पर उतार

लान वाल ववरल भगीरिो म वगन गए और आपन अपन धममपद-परवचन को नाम ददया--एस धममो सनतनो

धममपद-परवचन क इस समापन-पवम म हम सकषप म एक बार दफर इस धमम को समझान की अनकपा कर

आतमा और परमातमा को मानना--वसततः दकसी भी चीज को मानना--कमजोरी और अजञान का लकषण

ह मानना ही अजञान का लकषण ह जानन वाला मानता नही जानता ह मानन की कोई जररत नही मानन

वाला जानता नही जानता नही इसीवलए मानता ह

मानन और जानन क फकम को खब गहर स समझ लना मानन स जानन की भरावत पदा हो जाती ह वह

ससता उपाय ह वह झठी दवा ह

मान वलया--ईशवर ह इस मानन म बड़ी तरकीब ह मन की अब जानन की कोई जररत न रही मानन

स जानन का भरम खड़ा कर वलया मानत रह वषो तक दोहरात रह दक ईशवर ह दोहरात रह दक ईशवर ह--

मददर और मवसजद म और वगरज और गरदवार म--तो धीर-धीर भल ही जाओग दक मझ पता नही ह बार-बार

दोहरान स ऐसी परतीवत होन लगगी दक हा ईशवर ह

मगर यह तमहारी पनरवि ह यह तमहारा ही मनोभाव ह जो सघन हो गया यह आतम-सममोहन ह

यह आटो-वहपनोवसस ह यह कवल ससकार मातर ह तम कही पहच नही तम बदल नही तमहार जीवन म कोई

करावत नही हई तम वस क वस हो वसफम तमन एक आवरण ओढ़ वलया तमन राम-नाम चदररया ओढ़ ली

भीतर तम ठीक वस हो जस पहल ि तमन ववशवास का वसतर ओढ़ वलया

दकसको धोखा द रह हो और तमन मलतः अपन को एक भरावत और झठ क साि बाध वलया

वजस ददन पहली बार तमन माना दक ईशवर ह--वह झठ िा कयोदक तमन वबना जान माना िा तमन

बईमानी की हदद कर दी

तम ससार म धोखा-धड़ी करत ि--ठीक तम बाजार-दकान पर धोखा-धड़ी करत ि--ठीक तम मददर म

भी अपना झठ ल आए तम तो न बदल मददर म आकर तमन मददर का ही रप बदल ददया मददर भी ववकत

हआ भरषट हआ तमहार साि तम तो न तर सक नाव को लकर नाव को डबा बठ आप डबत पाड ल डब

जजमान

और जब पहल ददन ही बात झठ िी तो दोहरात-दोहरात अवतम ददन कस सच हो जाएगी झठ

दोहरान स सच होता ह लाख दोहराओ झठ झठ ह लदकन झठ दोहरान स परतीत होता ह दक सच हो गया

अडोलफ वहटलर न यही अपनी आतमकिा मन कमफ म वलखा ह दक झठ को दोहरात जाओ दोहरात-

दोहरात एक ददन सच हो जाता ह सनो ही मत दकसी की दोहरात जाओ

बार-बार सनन स लोगो को भरोसा आन लगता ह दक सच ही होगा--जब इतनी जगह दोहराया जा रहा

ह इतन लोग दोहरा रह ह इतन मददर-मवसजद इतन पवडत-परोवहत इतन मौलवी दोहरा रह ह एक ही

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बात मा-बाप सकल समाज ससकवत--सब दोहरा रह हः ईशवर ह इस दोहरान वालो की जमात म तमन भी

दोहराना िर कर ददया और धीर-धीर लगगा दक सच हो गया ह लदकन झठ कभी सच नही होता

दोहरान स कस कोई बात सच हो सकती ह तम लाख दोहरात रहो दक यह पतिर गलाब का फल ह

पतिर पतिर ह गलाब का फल नही होगा लदकन यह हो सकता ह दक बहत बार दोहरान स तमह गलाब का

फल ददखायी पड़न लग वह झठा गलाब का फल होगा वह सपना ह जो तमन पतिर पर आरोवपत कर वलया

कछ ददन मत दोहराओ दफर पतिर पतिर हो जाएगा पतिर कभी कछ और हआ ही न िा पतिर पतिर ही

िा वसफम दोहरान स तम भरावत म पड़ ि

सब चीज तमन झठ कर डाली ह तमन धमम भी झठ कर डाला ह

इसवलए बदध कहत हः न तो ईशवर को मानन की जररत ह न आतमा को मानन की जररत ह मानन

की जररत ही नही ह मानन की जड़ काटन क वलए उनहोन कहा ईशवर नही ह आतमा नही ह

ऐसा नही दक ईशवर नही ह ऐसा नही दक आतमा नही ह ऐसा तो बदध कस कहग बदध जानत ह

लदकन तमहारी भरावतया बहत हो चकी और उनकी जड़ काटनी जररी ह और एक ही तरह स जड़ कट

सकती ह--दक बदध जसा परष कह द दक नही कोई ईशवर ह और नही कोई आतमा ह तादक तम झकझोर जाओ

तादक तमहारी भरावत क बाहर तम आओ तादक तमन जो झठ वनरममत कर वलए ह और झठो क आधारो पर जो

भवन खड़ कर वलए ह व वगर जाए तमहार ताि क पततो स बन घर को फक मारी बदध न तमहारी कागज की

नावो को डबा ददया तमहार सामन बरहमी स डबा ददया

इसवलए तो यह दि बदध को माफ नही कर पाया इस दि न बदध को इस दि स ही उखाड़ फका

जो तमहार ताि क महलो को वगराएगा उसस तम नाराज हो ही जाओग जो तमहार सपनो को तोड़गा

और तमह नीद स उठाएगा उसक तम दशमन हो ही जाओग और जसा अिक परयास बदध न दकया दकसी और

न कभी नही दकया

बदध की चोट सघातक ह जो वहममतवर ि और वजनहोन झल ली अपनी छाती पर व नए हो गए उनका

नया जनम हो गया जो कमजोर ि व करदध हो गए जो कमजोर ि उनहोन बदला वलया बदध क सामन तो न

ल सक लदकन बदध क जान पर बदला वलया

वजस दि म बदध जसा वयवि पदा हआ उस दि म बौदधो का नाम मातर न बचा यह कस हआ होगा

जरर इस दि क मन म बड़ी परवतदकरया हई होगी--दक हमारा भगवान झठ हमारी आतमा झठ हमार िासतर

झठ हमार वद झठ हम झठ सब झठ वसफम यह एक आदमी गौतम बदध सच

ऐसा बदध न कहा नही िा दक वसफम म सच बदध न इतना ही कहा िाः मानयता झठ जानना सच

ववशवास झठ बोध सच यही बदधतव क धमम का सार ह

बोध सच जागो जागकर दखो मानकर मत दखो कयोदक मानकर दखन स तो तमहारी आख पर चशमा

हो जाता ह--मानन का चशमा तमन मान वलया दक जगत लाल ह और मानत चल गए और लाल को ही दखत

चल गए दखन की चषटा करत रह समहालत रह इसी को तो लोग साधना कहत ह--लाल को दखन की चषटा

दफर एक ददन तमह लाल ददखायी पड़न लगा हर वकष लाल मालम होन लग नीला आकाि लाल मालम होन

लगा तब तमन समझा दक अब पहच गए

कही नही पहच तम और भटक गए तम और वगर गए तम जहा ि वहा स भी पीछ फफक गए

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आख खोलो और ववशवासो की धल झाड़ दो बदध का सदि सीधा-साफ ह आख हो और ववशवास-मि हो

चतनय हो और ससकार-मि हो बोध हो और ववचार-मि हो बस दफर जो ह वही ददखायी पड़ जाएगा

जो ह उसको बदध न नाम भी नही ददया कयोदक नाम दना खतरनाक ह तम इतन खतरनाक लोग हो

दक नाम दत ही नाम को पकड़ लत हो वजसको नाम ददया ह उसको तो भल ही जात हो इसवलए बदध न

कहा--जो ह

उस जो ह का सवभाव ही धमम ह वबना ववचार क जगत को दखना धमम को जानना ह वनरवमचार भाव म

अवसततव को अनभव करना धमम की परतीवत ह धमम का साकषातकार ह

परमातमा नही ह आतमा नही ह--वसफम इसीवलए कहा बदध न दक अगर य ह--ऐसा कहो तो तमहारी

परानी झठी धारणाओ को सबलता वमलती ह बल वमलता ह

म भी रोज यही करता ह चषटा करता ह दक तमहारी परानी धारणा टट जाए और ऐसा नही ह दक

तमहारी परानी धारणा गलत ही होनी चावहए धारणा गलत ह यह हो सकता ह ईशवर ह लदकन ईशवर को

मानन की वजह स तम नही दख पा रह हो ईशवर क मानन को छीन लना ह तादक जो ह वह परगट हो जाए

दफर दोहरा दः कमजोर आदमी मानता ह कायर मानत ह वजनम िोड़ा साहस ह वहममत ह व

जानन की यातरा पर चलत ह

जानन की यातरा पर बड़ साहस की जररत ह सबस बड़ा साहस तो यही ह दक अपनी सारी मानयताओ

को छोड़ दना ह मानयताओ को छोड़त ही तमह लगगा दक तम अजञानी हो गए कयोदक तमहारी मानयताओ क

कारण तम जञानी परतीत होत ि एकदम नगन हो जाओग अजञानी हो जाओग सब हाि स छट जाएगा सब

सपदा तमहार तिाकवित जञान की इसवलए वहममत चावहए

धन छोड़न क वलए इतनी वहममत की जररत नही ह कयोदक धन बाहर ह जञान छोड़न क वलए सबस

बड़ वहममत की जररत ह कयोदक जञान भीतर बठ गया ह धन तो ऐसा ह जस वसतर दकसी न पहन ह फक

ददए नगन हो गया जञान ऐस ह जस हडडी-मास-मजजा-चमड़ी उखाड़ो अलग करो--बड़ी पीड़ा होती ह

इसवलए लोग धन को छोड़कर जगल चल जात ह लदकन जञान को साि ल जात ह सहद जगल म बठकर

भी सहद रहता ह जन जगल म बठकर भी जन रहता ह मसलमान जगल म बठकर भी मसलमान रहता ह

कया मतलब हआ ससकार तो साि ही ल आए

कहत होः समाज को छोड़ ददया कया खाक छोड़ा वजस समाज न तमह य ससकार ददए ि व तो तम

साि ही ल आए यही तो असली समाज ह जो तमहार भीतर बठा ह समाज बाहर नही ह समाज बड़ा

होवियार ह और किल ह उसन भीतर बठकर तमहार अतसतल म जगह बना ली अब तम कही भी भागो वह

तमहार साि जाएगा जब तक तम जागोग नही समाज तमहारा पीछा करगा

बदध न कहा--जागो जागकर वजसका दिमन होता ह उसको ही उनहोन धमम कहा वह धमम िाशवत ह

सनातन ह एस धममो सनतनो

धमम तमहारा सवभाव ह अवसततव का सवभाव तमहारा सवभाव सवम का सवभाव धमम ही तमहार भीतर

शवास ल रहा ह और धमम ही वकषो म हरा होकर पतत बना ह और धमम ही छलाग लगाता ह हररण म और धमम

ही मोर बनकर नाचता ह और धमम ही बादल बनकर वघरता ह और धमम ही सरज बनकर चमकता ह और

धमम ही ह चाद-तारो म और धमम ही ह सागरो म और धमम ही सब तरफ फला ह

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धमम स मतलब ह सवभाव इस सबक भीतर जो अतसतल ह वह एक ही ह जीवतता अिामत धमम चतनय

अिामत धमम यह होन की िाशवतता अिामत धमम

यह होना वमटता ही नही तम पहल भी ि--दकसी और रप दकसी और रग दकसी और ढग म तम बाद

म भी होओग--दकसी और रग दकसी और रप दकसी और ढग म तम सदा स ि और तम सदा रहोग लदकन

तम जस नही तम तो एक रप हो इस रप क भीतर तलािो जरा खोदो गहराई म इस दह क भीतर जाओ

इस मन क भीतर जाओ और वहा खोजो जहा लहर सागर बन जाती ह जहा लहर सागर ह जब भी तम

सागर म उठी दकसी लहर म जाओग तो िोड़ी दर म दर-अबर सागर वमल जाएगा

ऐस ही तम एक लहर हो लहर बनती ह वमटती ह सागर न बनता न वमटता सागर िाशवत ह

सनातन ह लदकन तमन लहर को खब जोर स पकड़ वलया ह तम कहत होः म यह लहर ह और तम इस सचता

म भी लग हो दक कस यह लहर िाशवत हो जाए

यह कभी न हआ ह न होगा लहर कस िाशवत हो सकती ह लहर का तो अिम ही हः जो लहरायी और

गयी आयी और गयी--वही लहर लहर कस िाशवत हो सकती ह बनती नही दक वमटन लगती ह बनन म ही

वमटती ह तम तो जनम नही और मरन लग जनम क साि ही मतय िर हो गयी

लहर तो बनन म ही वमटती ह लहर िाशवत नही हो सकती लहर को िाशवत बनान का जो मोह ह

इसी का नाम ससार ह यह चषटा--दक जसा म ह ऐसा ही बच जाऊ बड़ कजस हो ऐसा ही बच जाऊ जसा

ह और जस हो इसम कछ सार नही वमल रहा ह--मजा यह ह जस हो इसम कछ वमला नही ह--न कोई

सौदयम न कोई सतय न कोई आनद दफर भी जसा ह ऐसा ही बना रह

तमन कभी सोचा दक अगर यह तमहारी आकाकषा परी हो जाए तो इसस बदतर कोई दिा होगी तम

जस हो अगर ऐस ही रह जाओ सदा-सदा क वलए ऐस ही जस तम हो ठहर जाओ तमन सोचा भी नही ह

नही तो तम घबड़ा जाओग तम कहन लगोगः नही परभ भल हो गयी यह परािमना वापस लता ह ऐसा ही रह

जाऊगा--ठहरा रका अवरदध कषटपणम हो जाएगा नही मझ जान दो नए को आन दो

ससार ह--म जसा ह वस ही रहन की आकाकषा सनयास ह--जसा हो वसा ही हो जान की ततपरता

जसा हो आज आदमी तो आदमी कल कबर म पड़ोग और घास बनकर उगोग हरी घास कबर पर परम सदर ह

आदमी स िक नही गए घास नही होना ह घास का फल नही बनना ह

आज आदमी हो कल आकाि म बादल होकर मडराओ आज आदमी हो कल एक तार होकर चमको

आज आदमी हो कल एक गौरया होकर गीत गाओ सबह-सबह सरज क सवागत म आज आदमी हो कल

गलाब का फल बनो--दक कमल बनकर दकसी सरोवर म तरो

आदमी ही रहोग इसी लहर क साि जड़ जड़ता को पकड़ लोग

आज परष हो कल सतरी आज सतरी हो कल परष रप को बहन दो धारा को बहन दो इस सररता को

रोको मत अवरदध मत करो

जो हो उसका सवीकार तिाता--सनयास जसा म ह बस ऐसा ही रह सदा ऐसी जड़ आगरह की

अवसिा ऐसा दरागरह--ससार

ससार म अगर दख वमलता ह तो इसीवलए दख वमलता ह कयोदक जो नही हो सकता उसकी तम माग

करत हो और सनयासी अगर सखी ह परफवललत ह आनददत ह तो कोई खजाना वमल गया ह उस वह खजाना

कया ह वह खजाना यही ह दक जो होता ह वह उसी क साि राजी ह जसा होता ह उसम रततीभर वभि नही

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चाहता वभि की आकाकषा गयी उसकी कोई वासना नही ह वह कछ मागता नही ह वह परवतपल जीता ह

आनद स जवान ह तो जवानी म परसि ह और बचचा िा तो बचपन म परसि िा और बढ़ा हो जाएगा तो

बढ़ाप का सख लगा जीता िा तो जीन का गीत दखा और जीन का नाच और मरगा तो मतय का नाच दखता

हआ मरगा जहा ह जसा ह उसस अनयिा या कही और होन की आकाकषा नही ह

ऐसी जब दिा बन जाएगी तो जो तमह जञान होता ह उसका नाम धमम ह दफर तमह सागर का पता

चलता ह तरगो स तम मि हो गए लहरो स मि हो गए और वनवशचत ही सागर िाशवत ह

बदध न उसी को धमम कहा ह वजसको दसरो न ईशवर कहा ह बदध न उसी को धमम कहा ह वजसको दसरो

न आतमा कहा ह लदकन आतमा और ईशवर क साि जयादा खतरा ह धमम क साि उतना खतरा नही ह

ईशवर का मतलब हो जाता हः कोई बठा ह आकाि म चला रहा ह सार जगत को चलो इसकी खिामद

कर सतवत कर इसको परसि कर ल दकसी तरह तो अपन वलए कछ वविष आयोजन हो जाएगा अपन पर

दया हो जाएगी इसकी अनकपा अपन को वमल जाए तो हम दसरो स आग वनकल जाएग--धन म धयान म

तो हमारी जो माग ह हम इसस परी करवा लग चलो इसक पर दबाए चलो इसस कह दक हम तमहारी

चरण-रज ह

तो ददिा गलत हो गयी ददिा वासना की हो गयी ईशवर को मानत ही दक ईशवर आकाि म बठा ह

मनषय की भावत सवभावतः तो जो मनषय की कमजोररया ह व ईशवर म भी आरोवपत हो जाएगी

मनषय को खिामद स राजी दकया जा सकता ह तो ईशवर को भी खिामद स राजी दकया जा सकता ह

अगर मनषय को खिामद स राजी दकया जा सकता ह तो ईशवर को िोड़ी और सदर खिामद चावहए उसका

नाम सतवत अगर मनषय को ररशवत दी जा सकती ह तो ईशवर को भी ररशवत दी जा सकती ह जरा दन म ढग

होना चावहए जरा किलता और परसादपवमक और अगर आदमी स अपनी माग परी करवायी जा सकती ह

चाह व नयायसगत न भी हो तो दफर ईशवर स भी परी करवायी जा सकती ह

तम चदकत होओगः दवनया क धमम-िासतरो म ऐसी परािमनाए ह जो दक धमम-िासतरो म नही होनी चावहए

अधारममक परािमनाए ह मगर व सचक ह इस बात की दक अगर ईशवर को मनषय की तरह मानोग तो यह

उपदरव होन वाला ह

वद म ऐसी सकड़ो ऋचाए ह वजनम परािमना कर रह ह ऋवष दक हमार दशमन को मार डालो यही तक

नही हमारी गाय क िन म दध बढ़ जाए और दशमन की गाय क िन म दध वबलकल सख जाए य दकस तरह

की परािमनाए ह दक हमार खत म इस बार खब फसल आए और पड़ोसी का खत वबलकल राख हो जाए य दकस

तरह की परािमनाए ह और वद म

मगर य खबर दती ह दक अगर ईशवर को आदमी की तरह मानोग तो तम उसस जो परािमनाए करोग वह

भी आदमी की तरह होगी यह आदमी की असवलयत ह मददर भी जाता ह तो कया मागता ह करान म भी

इस तरह क वचन ह और बाइवबल म भी सदर नही ह

इस अिम म बदध न बड़ी करावतकारी दवषट दी बदध न कहाः हटाओ इस ईशवर को इसक कारण वद की य

अभदर ऋचाए पदा होती ह इसक कारण आदमी क भीतर की बहदी आकाकषाओ को सहारा वमलता ह ईशवर

को हटा दो

ईशवर की जगह वनयम को सिावपत दकया बदध न धमम म अब वनयम स कोई परािमना िोड़ ही कर सकत

हो दकसी को तमन गरतवाकषमण स परािमना करत दखा--दक आज जरा घर क बाहर जा रहा ह ह गरतवाकषमण

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रासत पर वगरा मत दना टाग मत तोड़ दना कयोदक और लोगो क कई क फकचर हो गए ह मझ न हो यह

दखो म तमहारा भि ह

गरतवाकषमण स कोई परािमना नही करता करगा तो मढ़ मालम पड़गा खद की ही आखो म मढ़ मालम

पड़गा लदकन एक दफा गरतवाकषमण को भी आदमी का रप द दो दक गरतवाकषमण जो ह वह एक दवता ह जो

दखता रहता ह दक कौन ठीक चल रहा ह कौन ठीक नही चल रहा ह जो इरछा-वतरछा चलता ह उसको

वगराता ह द मारता ह हडडी तोड़ दता ह असपताल म भती करवा दता ह जो सीधा चलता ह सधकर चलता

ह समहलकर चलता ह उसको बचाता ह

यही तो ह बादल आकाि म गरज तमन कलपना कर ली इदर दवता की--दक नाराज हो रहा ह इदर

दवता हमस कछ भल हो गयी

वबहार म भयकर अकाल पड़ा और महातमा गाधी न पता ह कया कहा उनहोन कहाः यह हमार पापो का

फल ह दवता पापो का परवतकार दड द रहा ह कया पाप हररजनो क साि जो हमन पाप दकया ह उसका

फल द रहा ह लदकन वह पाप तो पर दि म हो रहा ह वसफम वबहार म ही नही हो रहा ह तो वबहार क ही

लोगो को कयो सता रहा ह य वबहाररयो न बचारो न कया वबगाड़ा ह

लदकन हम जब भी ईशवर को वयवि की तरह मान लत ह तो कछ झझट आनी िर होती ह

बदध न ईशवर क वयवितव को पोछ डाला वयवितव को हटा ददया रप को वगरा ददया अरप बना ददया

वद कहत हः परमातमा अरप ह लदकन दफर भी उनकी परािमनाए जो ह व उसको रप मानकर ही चल

रही ह बदध न वसततः परमातमा को अरप कर ददया--ह ही नही परमातमा कोई ईशवर नही ह दफर कया ह

दफर एक महावनयम ह जीवन का एक िाशवत वनयम ह सब वजसक आधार स चल रहा ह

वनयम की परािमना नही की जा सकती वनयम स परािमना नही की जा सकती वनयम की खिामद भी नही

की जा सकती वनयम को ररशवत भी नही दी जा सकती वनयम का तो पालन ही दकया जा सकता ह पालन

करोग सख पाओग नही पालोग दख पाओग और ऐसा नही ह दक वनयम वहा बठा ह डडा वलए दक नही

पाला तो वसर तोड़ दगा कोई वहा बठा नही ह तम वनयम क ववपरीत जाकर सवय को दड द लत हो

जब तम िराब पीकर इरछ-वतरछ चलत तो वगर जात हो ऐसा नही दक गरतवाकषमण दख रहा ह बठा

हआ वहा दक अछा अब इस आदमी न िराब पी अब इसकी तोड़ो टाग ऐसा वहा कोई भी नही ह जब तम

सतलन खो दत हो अपन सतलन खोन क कारण ही तम वगर पड़त हो

तम ही अपन को दड दत तम ही अपन को परसकार बदध न तमह सारी िवि द दी बदध न तमह

सावमभौम िवि द दी

बदध न जब कहा--कोई ईशवर नही ह तो बदध न तमहार जीवन म ईशवरतव की घोषणा कर दी

दसरा परशनः ओिो सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया मतय वसखात

हए जीवन का परमपणम उललास ददया आज हम दोनो हमारी पचचीसवी लगन-वतवि पर आपक ददवय चरणो म

नतय करत हए बहत-बहत अनगहीत ह आपकी कला अपरपार ह भाव को परगट करन म वाणी असमिम ह

आपक चरणो म हमार ित-ित परणाम

पछा ह मज और गलाब न

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ऐसा ही ह जीवन का सतय बड़ा ववरोधाभासी ह अगर मरन की तयारी हो तो जीवन का अनभव होता

ह और अगर दख को अगीकार कर लन की कषमता हो तो सख क मघ बरस जात ह और अगर जीवन म कोई

वासना न रह जाए तो जीवन अपन सब घघट उघाड़ दता ह जो कछ नही चाहता उस सब वमल जाता ह

और जो सब की माग करता रहता ह उस कछ भी नही वमलता

जीवन का गवणत बहत बबझ ह रहसयपणम ह ऐसा ही ह

मज और गलाब न कहाः सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया

सनयासी ही जान सकता ह ससार क सौदयम को ससारी नही जान सकता कयोदक ससारी इतना वलि ह

इतना डबा ह गदगी म दर खड़ होन की कषमता नही ह उसकी वह दर खड़ होकर दख नही सकता और मजा

तो दर खड़ होकर दखन म ह

तम जब बहत वयसत होत हो ससार म तो ससार का सौदयम दखन की सववधा कहा फल वखलत ह मगर

तमह ददखायी नही पड़त चाद-तार आत ह मगर तमह ददखायी नही पड़त तम अपनी दकान म वसर झकाए

अपन खाता-बही म लग हो तमह समय कहा सववधा कहा अवकाि कहा दक तम फलो स दोसती करो दक

पहाड़ो स नमसकार करो दक नददयो क साि बठो दक वकषो स बात करो तमह फरसत कहा तमह अपनी

वतजोड़ी स फरसत कहा

वतजोड़ी स तमहारा वातामलाप बद हो तो चाद-तारो की तरफ आख उठ तम कषदर म उलझ हो तो ववराट

की सवध कस लोग उसकी सरवत कस आएगी उसकी समवत कस जगगी

इसवलए यह ववरोधाभास घटता ह सनयासी जान पाता ह ससार क सौदयम को और ससार क सौदयम को

जानन की कषमता पदा ही तब होती ह जब तमहारा ससार स कछ लना-दना नही ह जब तम अवलि भाव स

खड़ हो गए जब तमन कहा जो ह ठीक ह जसा ह िभ ह अहोभागय दक म अभी शवास ल रहा ह अहोभागय

दक मरी आख ह और म रग-रप दख सकता ह अहोभागय दक मर पास कान ह और पवकषयो क गीत सनायी

पड़त ह और कोई वीणा छड़ता ह तो मर पराण सगीत स भर जात ह अहोभागय

दफर चारो तरफ तमह वीणा वछड़ती हई मालम पड़गी परकवत सब तरफ मदग वलए नाच रही ह यहा

नाच चल रहा ह अपररसीम नाच चल रहा ह हर चीज नाच रही ह नतय लदकन दखन वाल को िोड़ी सी

कषमता तो होनी चावहए

और एक बात हः तम उतना ही जान सकत हो वजतनी तमहारी गहराई बढ़ जाती ह जस-जस तमहारा

धयान गहरा होता ह वस-वस तमहारी दवषट परकवत म गहरी उतरती ह तब सिल ववलीन होन लगता ह और

सकषम का दिमन होन लगता ह

सनयास का अिम कया ह सनयास का अिम हः जो ह उसस म ति ह और जो ह उसस जब तम ति हो

तो गयी भाग-दौड़ गयी आपा-धापी दफर न कही जाना न कही पाना न कछ होना

सनयासी का मतलब यह नही दक वह सवगम पान म लगा ह वह तो दफर दकानदार ही ह दफर भी ससारी

रहा वह सनयासी का अिम यह नही दक अब परमातमा को पाना ह दक अब परमातमा को पाकर रहग यह तो

दफर नयी तमन खात-बही खोल ददए तमन नया बक-बलस खोल ददया--परलोक म मगर उपदरव िर हो

गया पहल धन कमात ि अब पणय कमान लग पहल धन क वसकक इकटठ करत ि अब पणय क वसकक इकटठ करन

लग यह तो कछ फकम न हआ यह तो बीमारी का नाम बदला बस जहर वही का वही िायद और भी गहरा

हो गया और भयकर हो गया

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सनयासी का अिम हः वजसन खोज ही छोड़ दी वजसन कहाः खोजन को कया ह जो ह वमला हआ ह

वजसन कहाः जाना कहा ह सब यही ह वजसन कहाः न कलाि जाऊगा न काबा यही सिल जहा म बठा ह--

कलाि यही सिल जहा म बठा ह--काबा अब दकताबो म न खोजगा अब आख बद करगा अपन म खोजगा

आख खोलगा और परकवत म खोजगा लोगो की आखो म झाकगा मदाम दकताबो म कया होगा सजदा दकताब

मौजद ह य चलत-दफरत करान य चलती-दफरती बाइवबल य चलत-दफरत गरगरि य चलत-दफरत वद

इनम झाकगा इनस दोसती बनाऊगा इनक साि नाचगा

सनयासी का अिम हः वजसक वलए यही कषण सब कछ ह

दफर सौदयम दकतनी दर तमस वछप सकता ह तम जब इतन ठहर जाओग जब तमहारी जीवन-जयोवत को

कोई वासना कपाएगी नही तम अकप हो जाओग जस दीए को जलात हो हवा क झोक उस कपात ह ऐस ही

तमहार भीतर की जो चतना का दीया ह उस वासना क झोक कपात ह जब कोई वासना नही रह जाती दीए

की जयोवत विर हो जाती ह उस विरता म ही कजी ह

ठीक कहा मज-गलाब न दक सनयास म दीवकषत करक आपन हम ससार का परम सौदयम परदान दकया

म ससार-ववरोधी नही ह म जीवन-ववरोधी नही ह मरा सनयास जीवन को जानन की कला ह जीवन

को तयागन की नही जीवन क परम भोग की कला ह म तमह भगोड़ा नही बनाना चाहता भगोड़ापन तो

कायरता ह जो ससार स भागत ह व कायर ह व डर गए ह व कहत हः यहा रह तो फस जाएग यह सौ

का नोट उनह ददखायी पड़ा दक उनक भीतर एकदम उिल-पिल मच जाती ह दक अब नही बचा सक ग अपन

को यह सौ का नोट डबा लगा

यह सदर सतरी जाती ह अब भागो यहा स अनयिा इसक पीछ लग जाएग मगर यह आदमी जो नोट

दखकर लार टपकान लगता ह यह आदमी जो सदर सतरी को गजरत दखकर एकदम होि खो दता ह यह पहाड़

पर भी बठ जाएगा तो कया होगा यह आदमी यही का यही रहगा यह पहाड़ पर बठकर भी कया सोचगा

आख बद करगा--सौ क नोट तरग आख बद करगा--सदर वसतरया खड़ी हो जाएगी

और धयान रखनाः कोई सतरी इतनी सदर नही ह वजतनी जब तम आख बद करत हो तब सदर हो जाती

ह कयोदक वह कलपना की सतरी होती ह वासतववक सतरी म तो कछ झझट होती ह और वजतनी सदर हो उतनी

जयादा झझट होती ह कयोदक उतनी कीमत चकानी पड़ती ह वजतना बड़ा सौदयम होगा उतनी कीमत सतरी

मागगी लदकन कलपना की सतरी तो सदर ही सदर होती ह वह तो बनती ही सपनो स ह और तमहार ही सपन

ह तम जसा चाहो बना लो नाक िोड़ी लबी तो लबी छोटी कर दो नाक तो छोटी या छोटी ह तो िोड़ी

लबी कर दो

मन सना हः एक सतरी न रात सपना दखा दक आ गया राजकमार वजसकी परतीकषा िी घोड़ पर सवार

उतरा घोड़ स घोड़ा भी कोई ऐसा-वसा घोड़ा नही रहा होगा रहा होगा चतक िानदार घोड़ स उतरा

िानदार राजकमार जब सपना ही दख रह हो तो दफर अचचर-खचचर पर कया वबठाना अपना ही सपना ह तो

चतक पर वबठाया होगा और राजकमार ही आया दफर राजकमार भी रहा होगा सदरतम अब जब सपना ही

दखन चल ह तो इस म कया कजसी कया खचाम मफत सपना ह अपना सपना ह

उतरा राजकमार सदर दह उसकी नील वणम रहा होगा कषण जसा उठाया गोद म इस यवती को

वबठाया घोड़ पर जस पथवीराज सयोवगता को ल भागा पढ़ी होगी कहानी कही पथवीराज-सयोवगता की

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चला घोड़ा उसकी टाप मीलो तक सनायी पड़ ऐसी आवाज चला घोड़ा भागता हआ काफी दर वनकल गए

ससार स

परमी सदा दर वनकल जाना चाहत ह ससार स कयोदक ससार बड़ी बाधा दता ह यहा अड़ग खड़ करन

वाल बहत लोग ह परम म अड़गा खड़ करन वाल तो बहत लोग ह सब तयार बठ ह कयोदक खद परम नही कर

पाए दसर को कस करन द खद चक गए ह अब औरो को भी चकाकर रहग बदला लकर रहग यहा सब परम

क ितर ह

तो जब सपना ही दख रह ह तो दफर चल ससार स दर यवती बड़ी परफवललत हो रही ह बड़ी वखली जा

रही ह उसक हदय की कली पहली दफ वखली ह आ गया राजकमार वजसकी जनमो स परतीकषा िी उसी घोड़

पर सवार वजस पर सदा राजा-महाराजा आत ह दक दवता आत ह

दफर उसन पछा यवती न बड़ सकचात हए बड़ िरमात हए--अपना ही सपना ह तो िरमाओ खब

सकचाओ खब--उसन पछा दक ह राजकमार मझ कहा वलए चलत हो और राजकमार हसन लगा और उसन

कहाः यह सपना तमहारा ह तम जहा कहो इसम मरा कया बस ह म इसम आता कहा ह सपना तमहारा ह

तो व जो तमहार ऋवष-मवन बठ जात ह पहाड़ो पर यहा अगर सतरी मोह लती िी तो वहा सपन सतरी

क ही चलग तम वजसस भागोग वह तमहारा पीछा करगा तम वजसस डरोग तम उसी स हारोग

इसवलए म भागन को नही कहता म कहता हः यही समझो पहचानो वनखारो अपन चतनय को

म जीवन-ववरोधी नही ह जीवन स मरा असीम परम ह और म चाहता ह दक तमहारा सनयास ऐसा हो

दक तमहार ससार को वनखार द तमहार ससार को ऐसा बना द दक परमातमा झलकन लग

और मज-गलाब न कहाः मतय वसखात हए जीवन का परमपणम उललास ददया

वह दसरा ववरोधाभास ह जो मरना जानता ह वही जीना जानता ह जो मरन स डरता ह वह कभी

जी नही पाता कस जीएगा कायर कस जीएगा जो मरन स डरता ह वह जी नही सकता कयोदक जीना

हमिा मौत लाता ह जीए दक मौत

तमन दखा जो वजतनी तवरा स जीएगा उतनी जलदी मौत आ जाती ह एक चटटान ह पड़ी ह सददयो स

मरती नही और गलाब का फल सबह वखला और साझ मर गया तमन कभी सोचा दक गलाब का फल इतन

जलदी कयो मर जाता ह इसवलए मर जाता ह दक इतनी तजी स जीता ह इतनी तवरा स जीता ह इतनी

इटवसटी स इतनी सघनता स जीता ह दक जो चटटान को सददया लगती ह वजस समय को पार करन म उस

गलाब का फल एक ददन म पार कर जाता ह एक ददन म इतना जी लता ह वजतना मदबवदध चटटान सददयो म

जी पाती ह और िायद जी पाती ह दक नही जी पाती

तम गलाब का फल होना चाहोग दक चटटान होना चाहोग चटटान का जीवन लबा ह गलाब क फल का

जीवन बड़ा छोटा ह बड़ा कषणभगर ह कया तम चटटान होना चाहोग अवधक लोगो न यही सोचा ह दक व

चटटान होना चाहग कयोदक व कहत हः जीवन लबा हो मौत न आ जाए

अगर गलाब का फल भी सोच दक मौत न आ जाए तो उसक जीवन की तवरा कम हो जाएगी वह धीर-

धीर जीएगा कयोदक वजतन धीर जीएगा उतनी ही दर लगगी मौत क आन म वजतना कनकना जीएगा

उतनी दर लगगी मौत क आन म वजतना कम जीएगा उतनी मौत दर हो जाएगी अगर वबलकल न जीए तो

मौत को सदा क वलए टाला जा सकता ह

मगर जो वबलकल न जीए वह तो मर ही गया अब मौत को टालकर भी कया होगा

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तमन दखा दक मरा हआ आदमी दफर दबारा नही मरता और अगर तम चाहत हो दक म कभी न मर

तो उसका मतलब एक ही होता ह दक तम वबलकल मदाम हो जाओ मरा हआ आदमी कभी नही मरता एक दफ

कबर म चल गए सो चल गए दफर कभी मौत नही होती

कछ लोग इसी डर स जीत नही और जीत जी कबरो म बठ जात ह अपनी कबर म रहन लगत ह

म तमह जीवन वसखाता ह जीवन वसखान का एक ही उपाय ह दक तमह मतय वसखायी जाए मरन को

अगीकार करन की पातरता वजस ददन आ जाएगी उस ददन तम जीयोग गलाब क फल की तरह--और वही

जीवन ह उस ददन तम जीयोग जस मिाल को कोई दोनो ओर स एक साि जला द एक गहरी भभक

और धयान रखनाः लब जीन स कछ सार नही एक कषण को भी अगर गहर जी वलया--लबा नही गहरा

समय म फला हआ नही कषण म गहरा डबा हआ--एक कषण भी अगर तमन गहराई स जी वलया तो एक कषण म

ही तमह एस धममो सनतनो का पता चल जाता ह वह जो िाशवत धमम ह उसका पता चल जाता ह और ऐस

तम सददयो तक एक लकड़ी क टकड़ की तरह धारा क ऊपर तरत रहो धकक खात रहो लहरो क--इस दकनार स

उस दकनार इस तट स उस तट--तमह हीर-मोती हाि न लगग हीर-मोती क वलए तो गहर जाना होता ह

डबकी मारनी होगी

और मज और गलाब न सनन की कोविि की ह मझ समझन की कोविि की ह चल पड़ ह अभी और-

और सौदयम परगट होगा इतन स कछ नही होन वाला ह अभी और-और सौदयम परगट होगा अभी रोज-रोज

सौदयम घना होगा

जो सतर हाि लग ह--दक मौत स जीवन वमलता और सनयास स ससार का सौदयम परगट होता--इन सतरो

का उपयोग करत रह करत रह तो एक ददन ववराट बरसगा वह घड़ी ही समावध की घड़ी ह

तीसरा परशनः परशन पछन म सार कया ह

दफर पछा काह क वलए दफर इस पर भी सयम रखत सवर करत िोड़ा इसको भी पछन म कया सार

ह यह भी परशन ह

परशन अगर भीतर उठत ह तो पछो या न पछो उठत ही रहग हा पछ लन म एक सभावना हः िायद

समझ क कारण वगर जाए

धयान रखनाः यहा जो उततर ददए जात ह व तमहार परशनो को हल कर दग ऐस उततर नही ह व तमहार

परशनो को सदा क वलए वगरा दग ऐस उततर ह जो परशन हल होता ह वह तो िायद कल दफर खड़ा हो जाए जो

आज तमन दकसी तरह समझ वलया दक हल हो गया वह कल दफर मौजद हो जाएगा

तो उततरो म मरा भरोसा नही ह मरा भरोसा तो इस बात म ह दक तमहारा वचतत वनषपरशन हो जाए पछ-

पछकर ही होगा आज पछोग कल पछोग इधर स पछोग उधर स पछोग और म तमह हर बार तमही पर फक

रहा ह मरा हर उततर तमह तमही पर वापस फक दता ह

अनक बार पछोग वजतन परशन पछत जाओग उतन परशन कम होत जाएग नए-नए उठ ग जलदी अत नही

आन वाला ह मन इतन जलदी िकता नही नए पदा करगा लदकन यह अछा ह दक नए परशन उठ उनस नयी

ताजगी होगी नया खन बहगा

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और जब तम परशन पछत हो तो तमहार वचतत की दिा का सचन होता ह और अछा ह दक तमहार वचतत

की दिा तम मर परवत सवचत करत रहो

तम िायद डरत हो पछन म तमह िायद यह लगता ह दक पछा तो अजञानी मालम पडगा तो तम अपन

को समझा रह हो दक सार कया ह अजञानी पछ रह ह म तो जञानी ह मझ तो पता ही ह मझ कया पछना

लदकन तमहार भीतर परशन जरर ह नही तो यह सवाल भी नही उठता दक परशन पछन म सार कया ह ऐसा

पछकर तम इतना ही कर रह हो दक अपन भीतर क अजञान को वछपा रह हो

यहा कई तरह क लोग ह एक तो व जो पछत नही इसवलए दक धयान की गहराई सघन हई ह और

पछन को अब कछ बचा नही ह दसर व जो पछत नही ह इसवलए दक डरत ह दक कही पछन स अजञान परगट

न हो जाए तीसर व जो पछत ह इसवलए और इस तरह क परशन पछत ह वजनस जञान परगट हो पावडतयपणम

परशन पछत ह और चौि व जो इसवलए पछत ह तादक व अपन हदय को मर सामन खोल सक जसा ह बरा

भला

धयान रखनाः अगर तमहार भीतर परशन उठन बद हो गए ह तब तो िभ वह तो सबस ऊची बात ह दफर

पछन का सवाल ही नही उठता ह ही नही तो पछोग कया अगर यह न हआ हो तो दसरी बात जो चनन जसी

ह वह यह ह दक पछना वही जो तमहार भीतर वसततः उठता हो जञान-परदिमन क वलए नही अपन हदय क

आवदन क वलए

और हर चीज तमहार सबध म खबर दती ह तमहारा चलना तमहारा उठना तमहारा पछना और अछा

ह दक तम अपन को परगट करत रहो अछा ह दक तम मर दपमण म आकर अपना चहरा बार-बार दखत रहो

तादक तमह साफ रह दक तम कहा हो कया हो कस हो

पछो सार ह बहत सार यही ह दक तमह तमहारी िकल बार-बार पता चलती रह पता चलती रह तो

रपातरण सभव ह

रोज सबह दपमण क सामन खड़ होकर पछत नही दक कया सार ह कल भी तो दखा िा परसो भी तो

दखा िा वही का वही तो ह बदल कया गया लदकन दफर दपमण क सामन दखत हो सच म रोज तम बदल रह

हो वही नही हो जो कल िा वही नही हो जो परसो िा बचचा जवान हो रहा ह जवान बढ़ा हो रहा ह

सजदगी मौत म ढली जाती ह सब बदल रहा ह

ऐस ही तम रोज-रोज पछकर दपमण क सामन अपन को खड़ा कर लत हो तमहारा हर परशन अगर

ईमानदारी स भरा हो तो उसम बड़ा सार ह हा पावडतयपणम परशनो का कोई सार नही ह इसवलए म उनक

उततर भी नही दता तम पछत भी हो तो भी उनक उततर नही दता

एक यवा डाकटर न अपनी परवमका स रोमारटक लहज म कहाः तमहारी आखो म जीवन का टावनक ह

जब उदास होता ह तो तमहारा सामीपय ऐसा महसस होता ह जस आवखरी सास वगनत हए मरीज को

आकसीजन वमल जाए तमहार घन काल किो म कलोरोफामम जसी मीठी मदहोिी तमहार

बस उस सतरी न कहाः बकवास बद करो म तमहारी परवमका ह या वडसपनसरी

मगर डाकटर बचारा अपना वनवदन कर रहा ह

तम जो कहत हो जो पछत हो उसम तम मौजद रहो तो अछा ह चीज साफ होती ह

एक जबकतरा नए फिन क कपड़ो की दकताब दख रहा िा उसक चल न पछाः कयो गर अब कया दजी

बनन का इरादा ह

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नही म दख रहा ह दक नयी फिन क कपड़ो म जब कहा-कहा बनायी जाती ह

एक वयापारी न अपनी नयी दकान क बाहर एक बोडम लगा रखा िाः यह दकान आपकी जररतो क वलए

खोली गयी ह अब आपको कही दर जाकर अपन को ठगान की जररत नही ह

यही ठगा सकत ह उनका मतलब साफ ह हालादक उसको खयाल नही होगा दक उसन कया वलख ददया

ह अब ठगान क वलए दर जान की कोई जररत नही ह

गरदव यिािम और भरम म अतर सपषट कर द तो बड़ी कपा होगी भि न ववनती की

आपका यहा उपवसित रहना और मरा परवचन करना यिािम ह परत मरा यह सोचना दक मरी बात पर

आप धयान द रह ह मरा भरम ह सत न समाधान दकया

विषय न पछा हः यिािम और भरम म अतर कया ह तो गर न कहा दक मरा यहा उपवसित रहना और मरा

परवचन करना यिािम ह और मरा यह समझना दक आप यहा उपवसित ह और मझ सन रह ह मरा भरम ह

तम जो पछोग उसम तम रहो तो जरर सार ह नही तो वयिम ह दसर क परशन मत पछना उधार परशन

मत पछना दकताबी परशन मत पछना जीवत पछना तमहार जीवन म समसयाए होगी तमहार जीवन म उलझन

होगी अगर सलझ गए तब तो बड़ा अछा सौभागय अगर समाधान वमल गया

और समाधान तो तभी वमलता ह जब समावध वमल जाए समाधान िबद स ही तो समावध बना ह या

समावध स समाधान बना ह जब समावध वमल जाए तब समाधान उसक पहल तो समसयाए ह और समसयाओ

का जरटल जाल ह

तम ऐस हो जस जगल म कोई भटका हआ आदमी तम पछत होः दकसी स रासता पछन म कया सार ह

जगल म भटक हो और रासता नही पछोग कभी-कभी ऐसा हो जाता ह दक आदमी दभ क कारण नही पछता

एक आदमी न िराब पी ली और अपनी कार म बठकर घर की तरफ चला िराब क नि म कछ उस

ददखायी नही पड़ता दक रासता घर का कहा ह और घर कहा ह मगर दकसी स पछ तो लोग कहगः हदद हो गयी

गाव का परवतवित आदमी ह गाव का िायद मयर ह अब दकसी स पछ दक मरा घर कहा ह या दकस रासत स

जाऊ तो लोग हसग सारा गाव उस जानता ह और लोग कहगः अर कया जयादा पी गए इतनी पी गए दक

अपना घर भल गए

तो वह पछता भी नही दकसी स कयोदक सकोच लगता ह अहकार को चोट लगती ह तो उसन सोचाः

अब कर कया तो जो कार उसक सामन जा रही िी उसन सोचा इसी क पीछ लगा चल

वह उसक पीछ हो वलया वह आदमी जाकर अपनी गरज म गाड़ी खड़ा दकया जब वह अपनी गरज म

गाड़ी खड़ा दकया तो इसन जाकर उसकी गाड़ी स टककर मार दी और वखड़की क बाहर वसर वनकालकर

वचललाया दक हदद हो गयी सकत कयो नही ददया दक गाड़ी खड़ी करत हो उस आदमी न कहाः हदद हो गयी

मर ही गरज म म गाड़ी खड़ी कर और सकत द दकसको सकत द आप यहा चल कस आ रह ह

दकतनी दर वछपाओग

अकसर लोग ऐसा करत ह दकसी स पछ न चपचाप कोई वववध वनकाल ल दकसी क पीछ हो ल दकसी

की बात मान ल कोई दकताब पढ़ ल उसी म स रासता वनकालकर चल पड़

दकसी क गरज म जाकर टकराओग और अछा यही ह दक पछ ही लो निा गहरा ह तमन भी खब

िराब पी रखी ह और तमह भी अपना घर भल गया ह सकोच मत करो सहजता और सरलता स जो परशन

तमहार हो--पछ लो

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और म यह नही कह रहा ह दक मर उततर स तमह उततर वमल जाएगा म यह कह रहा ह दक मर उततर स

तमह अपन परशन को दखन की जयादा कषमता आ जाएगी परशन को समझन की कषमता आ जाएगी परशन क परवत

जागन की बवदध आ जाएगी

म यह नही कह रहा ह दक मरा उततर तम पकड़ लना म यह कह रहा ह दक मर उततर स तमहार भीतर

कछ रपातरण हो सकता ह उततर पकड़ वलया तो कोई सार न होगा वह तो ऐस ही हआ दक तम ददलली जात

ि रासत पर मील का पतिर लगा िा उस पर वलखा िा ददलली और तीर बना िा आग की तरफ तम पतिर

को ही पकड़कर बठ गए तमन कहा दक अछा हआ ददलली वमल गयी

उततर को पकड़ोग तो बस मील का पतिर पकड़कर बठ गए दफर बठ रहो उततर तो तीर ह वह आग

की तरफ इिारा करता ह वह कहता हः चलो कछ करो ऐस हो जाओ तो समाधान ह

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परिन

कया सफर परा करग

राह म दम तोड़ दग

य अकला छोड़त स परशन

परशन य दिमन कभी कववता

कभी तो धमम

साकषय ह इवतहास क

भववतवय क ह जनम

य कभी अनमान ह तो

ह कभी सधान

य कभी ऋत ह कभी ह

पणम का अवभजञान

रास ह य

सजदगी को मोड़त स परशन

य अकला छोड़त स परशन

परशन म सबस बड़ा ह परशन

त ह कौन

मधय म कछ ददख रहा ह

आदद म सब मौन

अत क उस पार कया ह

रावधका या कषण

तवि ह या हम सभी

रह जाएग सतषण

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

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परशन क कछ और भी ह

रग और आयाम

सतय तक सकट-जववलत हो

कया करग काम

कया महावनवीय हो कर

िव बनग हम

या हिली पर रखग

पराण अपन उषण

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

य रहसयो की खदान

खोदत स परशन

सचतको क घर दकय ह

राग रौनक जशन

जञय स अजञय तक ह

सत-कत परशन

वकषवतज वकषवतजो स धरा को

जोड़त स परशन

परशन ह य

उततरो तक दौड़त स परशन

कया सफर परा करग

राह म दम तोड़ दग

य अकला छोड़त स परशन

परशन तो यातरा का इवगत ह परशन तो समाधान और तमहार बीच सत ह लदकन सचचा हो परशन और अगर

सचचा हो तो आज नही कल तम असली परशन पछोग दक म कौन ह सार परशन उसी एक परशन म जाकर वनमवजजत

हो जात ह--दक म कौन ह

और जो जान लता ह--म कौन ह उस सार उततर वमल जात ह उस एक जञान स सार उततर झर आत ह

चौिा परशनः पचगर-दायक बराहमण क घर भगवान बदध का पधारना नदी-नाव-सयोग िा या नदी-सागर-

सयोग लदकन कया यह सच नही ह दक नदी सागर क पास जाती ह सागर नदी क पास नही आता ह

पहली बातः सदगर स वमलना नदी-नाव-सयोग नही ह नदी-सागर-सयोग ह नदी-नाव-सयोग कषणभर

का होता ह पवत-पतनी का भाई-भाई का वमतर-वमतर का इस जगत क और सार सबध नदी-नाव-सयोग ह

बनत वमट जात जो बनकर वमट जाए वह सबध सासाररक ह जो बनकर न वमट वह सबध ससार का

अवतकरमण कर जाता ह

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इसीवलए तो सदा स आकाकषा रही ह आदमी क मन म दक ऐसा परम हो जो कभी वमट न कयोदक ऐसा

परम अगर हो जाए जो कभी न वमट तो वही परमातमा तक ल जान का मागम बन जाएगा और जो परम वमट-

वमट जात ह बनत ह वमट जात ह व परम नदी-नाव-सयोग ह

कोई अवनवायमता नही ह नदी नाव स अलग हो सकती ह नाव नदी स अलग हो सकती ह तम नाव को

खीचकर तट पर रख द सकत हो कोई अवनवायमता नही ह लदकन एक बार गगा सागर म वगर गयी दफर गगा

को खीचकर बाहर न वनकाल सकोग दफर कोई उपाय नही ह दफर खोज भी न सकोग दक गगा कहा गयी

दफर गगा को दबारा बाहर वनकालन की कोई सभावना नही ह

परम इस ऊचाई पर पहच तो नदी-सागर-सयोग हो जाता ह और अगर बदधपरषो क पास भी परम इस

ऊचाई पर न पहच तो दफर कहा पहचगा

जो बदध क पास ि या जो महावीर क पास ि या जो नानक क कबीर क पास ि जो सच म पास ि

उनकी नही कह रहा ह जो भीड़ लगाकर खड़ ि भीड़ लगाकर खड़ होन स कोई पास ह यह पकका नही ह

पास तो वही ह वजसक भीतर ऐस परम का उदय हआ ह वजसका अब कोई अत नही ह वही पास ह वजसक

भीतर िाशवत परम की जवाला जली ह जो अब कभी बझगी नही जो बझ ही नही सकती वही गर और विषय

का सबध ह वह इस जगत म अपवम सबध ह वह इस जगत म ह और जगत का नही ह वह ससार म घटता ह

और ससार क पार ह

तो गर और विषय का वमलन नदी-सागर-सयोग ह पहली बात

दसरी बात तमन पछी हः लदकन कया यह सच नही ह दक नदी सागर क पास जाती ह सागर नदी क

पास नही आता

नही ऊपर-ऊपर स ऐसा ददखता ह दक नदी सागर क पास जाती ह भीतर-भीतर कहानी वबलकल और

ह भीतर-भीतर कहानी ऐसी ह दक सागर नदी क पास आता ह

ऊपर-ऊपर ऐसा ददखता ह विषय गर क पास आता ह भीतर-भीतर ऐसा ह दक गर विषय क पास

जाता ह जब तक गर विषय क पास नही गया विषय गर क पास आ ही नही सकगा विषय बचारा कया

आएगा अधा--अधर म टटोलता जो रोिनी म खड़ा ह वही जो भटका ह वह कस गर को खोजगा जो

पहच गया ह वही भटक को खोज सकता ह

और वसततः भी ऐसा ही होता ह सकषम तल पर सागर ही नदी म आता ह तम दखत नहीः रोज सागर

चढ़ता ह भाप बनकर बादलो म आकाि म और वगरता ह पहाड़ो पर और नददयो म उतरता ह रोज तो यह

होता ह दफर भी तम खयाल नही लत सागर रोज चढ़ता ह दकरणो का सहारा लकर दकरणो की सीदढ़यो स

बादल बनता ह मघ बनता ह दफर मघ चलत उड़कर पहाड़ो की तरफ

मघ म तमह सागर ददखायी नही पड़ता कयोदक मघ सकषम ह इसवलए तमह भल हो गयी इसवलए तमह

खयाल म नही आया दक अगर सागर नदी क पास न जाए तो नदी सागर तक कभी नही पहच सकगी नदी म

जल ही नही होगा सागर तक पहचन का

रोज सागर आता मघ बनकर और वगरता गगोवतरयो म और गगा बनती और गगा बहती और गगा

सागर तक पहचती

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गगा सागर तक तभी पहच पाती ह जब सागर पहल गगा तक पहच जाता नही तो गगा बन ही नही

सकती गगा क पास कोई उपाय नही ह सागर तक पहचन का वबना मघो क आए गगा कया होगी रत का एक

सखा रासता वजस पर कोई जलधारा नही होगी

ऐसा ही गर और विषय का सबध ह गर मघ बनकर आता ह इसवलए ददखायी नही पड़ता सकषम तल

पर आता ह तमहार अतसतल म आता ह इसवलए ददखायी नही पड़ता ह

तम जब गर की तरफ जात हो तो ददखायी पड़ता ह--दक चल गगा जब जाती ह सागर की तरफ तो

अध को भी ददखायी पड़ता ह दक चली गगा सागर की तरफ यह तो बहत गहरी आख हो तो ददखायी पड़ता हः

जब बादलो की तरफ उठन लगी भाप तो सागर चला गगा की तरफ गर चला विषय की तरफ

पाचवा परशनः मर परशन क उततर म आपन ववनोदपवमक आतमघातो क असफल होन की कई कहावनया कही

लदकन म उनम स दकसी वववध का ववचार नही करता ह मझ तो सदा एक ही खयाल आता ह दक अपन मकान

स कद पड म रहता ह बबई की एक गगनचबी इमारत म तरहवी मवजल पर ओिो यह वववध कस असफल हो

सकती ह

इस वववध का मझ पता िा मगर यह बड़ी खतरनाक वववध ह और इसवलए इसको मन छोड़ ददया िा

जो वववधया मन कही िी उनम असफलता हो सकती िी इस वववध म और भी खतरा ह

एक झठा लतीफा टनटन अपन मोट िरीर स परिान हो गयी और तीसर मवजल मकान स जहा वह

रहती िी कद पड़ी सबह जब उसकी असपताल म आख खली तो डाकटर स उसन पछाः डाकटर कया म अभी

सजदा ह डाकटर न कहाः दवी आप तो सजदा ह मगर व तीनो मर गए वजनक ऊपर आप वगरी िी

इसवलए छोड़ ददया िा इस वववध को यह तो आप करना ही मत और वह तो तीसरी मवजल स वगरी

िी तीन मार आप तरहवी मवजल पर रहत ह आप तरह मार सकत हो आप कपा करक यह मत करना

आतमघात म इतना रस कयो ह इतना सचतन जीवन जीन क वलए करो इतनी िवि और धयान जीवन

की खोज म लगाओ तो तमह तरहवी मवजल स कदकर सड़क पर वगरकर वमटना न पड़ तमह पख लग जाए

तम आकाि म उड़ जाओ

इतना ववराट अवसर जीवन का और तम आतमघात की ही सोचत रहोग इतनी जलदी भी कया ह मतय

तो अपन स ही हो जाएगी तम न चाहोग तो भी हो जाएगी

जीवन तमहार हाि म नही ह मतय तो तमहार हाि म भी ह तम चाहो तो आज मर सकत हो मगर

जीवन तमहार हाि म नही ह जीवन तमस बड़ा ह मतय तमस छोटी ह इसीवलए हाि म ह तम जीवन पदा

नही कर सकत हालादक आतमघात कर सकत हो

खयाल दकया इस बात पर इसका मतलब कया होता ह इसका मतलब हआ दक मौत तो हमारी मटठी म

भी हो सकती ह लदकन जीवन हमस इतना बड़ा ह दक हम उस मटठी म नही बाध सकत

जो बड़ा ह जो ववराट ह उसम डबो उसम तरो उसम सतरण करो

और मौत तो अपन आप आ जाएगी यह रगण ववचार तमहार भीतर चलता कयो ह यह इसीवलए चल

रहा ह दक तम दकसी भावत जीवन स चक जा रह हो और चक गए हो

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आदमी आतमघात की तभी सोचता ह जब जीवन म उस कोई फल वखलत ददखायी नही पड़त जब वह

जीवन म हारा होता ह तमन दकसी सखी आदमी को आतमघात करन की बात सोचत दखा तमन कभी दकसी

परमी को परम क कषण म आतमघात करन की बात सोचत दखा तमन कभी दकसी सगीतजञ को वीणा बजात हए

आतमघात की बात सोचत हए दखा

जब जीवन म कोई सगीत होता फल वखलत सजन होता परम होता--तो कोई आतमघात की नही

सोचता तमहारा जीवन अनवखला रह गया होगा तमहार जीवन म सजनातमकता नही होगी तमहार जीवन म

परम न पदापमण नही दकया तमहार जीवन म आनद की कली नही वखली तम रवगसतान जस रह गए होओग

इसवलए आतमघात की बात उठती ह

और आतमघात कर लन स कोई कली नही वखल जाएगी कली वखल जाए तो आतमघात का ववचार

ववदा हो जाए

लदकन बहत लोग ह दवनया म जो आतमघात का ववचार करत रहत ह सच तो यह ह मनवसवद कहत ह

दक ऐसा आदमी खोजना करठन ह वजसन सजदगी म एक दो बार आतमघात का ववचार न दकया हो कभी न

कभी दकसी दख दकसी पीड़ा क कषण म दकसी ववषाद क कषण म सभी न सोचा ह दकया नही--यह और बात

ह और तम भी करोग नही--यह भी पकका ह कयोदक इतना सोचन वाल करत नही सना नः भौकन वाल कतत

काटत नही

आतमघात क वलए सोचन की कया जररत ह करना हो तो कर ही लो इतन ददन स सोच रह हो समयक

वववध की तलाि कर रह हो यह वववध की तलाि कर रह हो और जीए जा रह हो यह जरा रगण जीवन हो

गया दक जी रह ह मौत की वववध की तलाि करन क वलए दक मरन का ववचार कर रह ह इसवलए जीना पड़

रहा ह कया कर अभी ठीक वववध हाि नही लगी

यह बड़ी रगण दिा ह इस रगण दिा क बाहर आओ इसवलए मन तमह सझाव ददया दक आतमघात पीछ

म तमह बताऊगा ठीक-ठीक कस कर लना पहल तम सनयासी तो हो जाओ इतना तो करो इतनी वहममत तो

करो तमम इतनी भी वहममत नही ह तम आतमघात कया करोग

तम कम स कम इतना साहस करो दक लोग हसग दक तम सनयासी हो गए तो हसन दो लोग समझग दक

पागल हो गए तो समझन दो तम इतनी वहममत कर लो तो दफर म तमह ठीक-ठीक वववध बता दगा

सच तो यह ह दक ठीक वववध तमह सदगर क पास ही वमलगी आतमघात की बाकी तो आतमघात झठ ह

िरीर मर जाएगा दफर पदा होना पड़गा म तमह ऐसी वववध बताऊगा दक तम ही मर जाओग दफर कभी पदा

न होना पड़गा वह म-भाव ही मर जाएगा आवागमन स छटकारा हो जाएगा

म तमह ऐसी मतय द सकता ह दक दफर दबारा कभी न जनम होगा और न मतय होगी

छठवा परशनः ओिो ित-ित परणाम

तर वबना सजदगी स कोई विकवा नही विकवा तो नही

तर वबना सजदगी सजदगी नही सजदगी नही

पछा ह मन और हसा न

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ऐसा ददखायी पड़न लग तो िभ घड़ी आ गयी ऐसी परतीवत होन लग दक अब कोई विकायत नही तो

परािमना की पहली दकरण उतरी म परािमना कहता ही ह उस उस वचतत की दिा को जहा कोई विकायत नही

और अकसर तम जात हो मददर म परािमना करन और वसफम विकायत करन जात हो नाम परािमना होता

ह दक मरी पतनी बीमार ह दक मर बचच को नौकरी नही लग रही ह दक मर पास रहन को मकान नही ह और

इसको तम परािमना कहत हो य सब विकायत ह य सब विकव ह यह तमहारा ईशवर क परवत शरदधा का भाव

नही ह यह तम ईशवर क होन पर सदह उठा रह हो--दक तर होत हए और मर पास मकान नही अगर त ह तो

मकान होना चावहए और अगर मकान नही हआ तो समझ रखः त भी नही ह भीतर वछपी यह भावदिा ह

दक म तझ मानगा अगर त मरी माग परी कर द अगर तन मरी माग परी नही की तो सोच-समझ रख एक

भि खोया दफर तन दफर म तरा दशमन हो जाऊगा

और भीतर तो गहर म तम जानत हो दक कहा ह त कहा कौन ह यह तो दख रह ह एक कोविि करक

दख लत ह दक िायद वमल जाए मलतः मकान म तमहारा रस ह परमातमा म नही

तमहारी परािमनाए विकायतो क वछप हए ढग ह रगी-पती विकायत ह भीतर तो विकायत की गदगी ह

ऊपर स सदर रग चढ़ा ददए ह टीम-टाम नया बना ददया ह दकसको धोखा द रह हो

लदकन विकायत वमट विकवा वमट तो परािमना का जनम होता ह और परािमना का जनम इस जगत म

अपवम बात ह परािमना का अिम ह अहोभाव परािमना का अिम ह धनयवाद आभार परािमना का अिम हः जो ह वह

मरी पातरता स जयादा ह

तर वबना सजदगी स कोई विकवा नही विकवा तो नही

परमातमा न भी वमल तो भी सजदगी पयारी ह अपवम ह और सजदगी म ही उतरत जाओग तो परमातमा

भी करीब आता जाएगा सजदगी म ही वछपा ह यह सजदगी उसका ही घघट ह तम उठाओग सजदगी का घघट

और भीतर परमातमा मसकराता वमलगा

तर वबना सजदगी सजदगी नही सजदगी नही

यह भी बात ठीक ह सजदगी को परम करो वबना विकायत क और यह भी समरण रखो दक जब तक त नही

ह--सब ह दफर भी कछ कम ह सब ह सब तरह स तन परा दकया ह लदकन तर वबना तरी मौजदगी क वबना

कछ-कछ कम ह

यह विकायत नही ह यह परािमना ह

परािमना अगर माग तो एक चीज माग--परमातमा को माग परािमना कछ और न माग तमन कछ और

मागा दक परािमना गलत हई

तो ठीक मन-हसा विकवा गया विकायत गयी परािमना बन रही ह और उस परािमना म वनवशचत ही यह

भाव भी सघन होगा दक तर वबना सजदगी सजदगी नही बहत ह सब कछ ह मगर दफर भी कछ चक रहा ह

परमातमा ही जब उपवसित हो जाता ह बाहर-भीतर तो ही पररपणम पररतवि तो ही पररतोष दफर

उसक पार न तो विकायत ह न परािमना ह पहल विकायत चली जाती ह दफर एक ददन परािमना भी चली जाती

विकायत जाए तो परािमना आती ह परािमना भी एक ददन जाएगी उसी ददन परमातमा भी उतर आएगा

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सातवा परशनः धममपद क गािा-परसगो स पता लगता ह दक बराहमण ही भगवान बदध क ववरोधी ि और व

ही उनक धवज-धर भी बन ऐसा कयो हआ ओिो

सवाभाववक ह जो असली बराहमण ि व तो बदध क साि हो वलए असली बराहमण को तो बदध म बरहम क

दिमन हो गए बराहमण वही वजसको बरहम को दखन की कला आती हो बराहमण वही जो बरहममय हो व बदध को

कस चकत जो वसततः बराहमण ि जावत और कल स ही नही अवसततवगत बराहमण ि

जसा दक उददालक न अपन बट शवतकत स कहा ह जब शवतकत लौटा गर क आशरम स तो बड़ा अकड़ा

हआ लौटा अकड़ा हआ लौटा कयोदक सब िासतरो म पारगत होकर लौटता िा सवाभाववक िी अकड़ जवान

की अकड़ जस ववशवववदयालय स कोई लौटता ह सोचता हः सब जान वलया

उददालक न उस दखा वखड़की स बगीच म अदर आत उसकी अकड़ दखी उददालक उदास हो गए

कयोदक अकड़ बराहमण को िोभा नही दती

आया बटा उददालक न पछाः त कया-कया सीखकर लौटा ह तो बट न सब िासतर वगनाए--दक वद

उपवनषद वयाकरण भाषा कावय--सब जो भी िा दिमन धमम जयोवतष भगोल इवतहास पराण--जो भी उन

ददनो क ववषय होग सब उसन वगना ददए दक सब म पारगत होकर लौटा ह सब म परिम कोरट क अक पाकर

लौटा ह य रह मर सरटमदफकट

लदकन बाप न सब ऐस सना जस उस इसम कछ रस नही ह उसन कहाः म तझस यह पछता ह दक

बराहमण होकर लौटा दक नही

शवतकत न कहाः बराहमण तो म ह ही आपका बटा ह

तो बाप न कहा दक नही हमार पररवार म जनम स हम बराहमण को नही सवीकार करत तर बाप-दाद

मर बाप-दाद सदा स बराहमणतव को अनभव स वसदध करत रह ह हम पदा होन स बराहमण अपन को सवीकार

नही करत हमार पररवार म जनमना हम बराहमण को नही मानत त वापस जा बराहमण होकर लौट

बट न पछाः कमी कया ददखायी पड़ती ह बाप न कहाः तरी अकड़ तरा अहकार साफ ह तर अहकार स

दक त अपन को वबना जान आ गया ह तन और सब जान वलया लदकन अपन को नही जाना ह आतमजञान नही

हआ ह त जा बराहमण होकर लौट

यह बराहमण की पररभाषा दखत ह यह बराहमण का अिम हआः बरहम को जानो भीतर वछप बरहम को जानो

तादक बाहर वछपा बरहम भी परगट हो जाए तो बराहमण

तो जो असली म बराहमण ि--जनम स नही अनभव स जञान स बोध स--व तो बदध क पास आए व तो

बदध क पयार हो गए बदध क सार बड़ विषय बराहमण ि उनहोन यह दफकर नही की दक बदध कषवतरय ह और

कषवतरय क सामन बराहमण कस झक

बराहमण तो वही ह जो झकन की कला जानता ह वह कया दफकर करता ह कौन कषवतरय और कौन िदर

जहा बरहम अवतररत हआ ह जहा बरहम का फल वखला ह जहा वह सहसरार कमल वखला ह सहसरदल कमल

और जहा सगध वयाि हो गयी ह--वहा झकगा

जो असली बराहमण ि व तो झक गए बदध क पास आकर व तो बदध क धवज-धर बन गए लदकन जो

नकली बराहमण ि

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और नकली सवभावतः जयादा ह सौ म एकाध असली वननयानब नकली जो वसफम दकसी घर म पदा

होन क कारण नदी-नाव-सयोग क कारण अपन को बराहमण समझत ि समझत ि दक मरा बाप बराहमण िा

इसवलए म बराहमण ह

इतना आसान ह बराहमण होना दक बाप बराहमण िा तो तम बराहमण हो गए तमहार बाप डाकटर हो

इसस तम डाकटर नही हो जात तो बराहमण कस हो जाओग यह तो और गहरी बात ह तमहार बाप इजीवनयर

ि इसवलए तम इजीवनयर नही हो जात तमहार बाप की जानकारी तक तम तक नही पहचती तो बाप का

जञान तो कस पहचगा बाप की जानकारी ह दक व बड़ डाकटर ि तो तम डाकटर बाप क घर पदा हए तो तम

अपन को डाकटर िोड़ ही वलखन लगत हो जसा यहा सहदसतान म चलता ह दक डाकटर की पतनी डाकटरनी

कहलाती ह यह बड़ मज की बात ह

तो तम डाकटर क बट हो तो तम अपन को डाकटर तो नही वलखन लगत तम जानत हो दक डाकटर म

कस हो सकता ह बाप की जानकारी िी जानकारी मझ अरजमत करनी पड़गी

जानकारी तक नही आती जनम क साि खन म नही आती तो जञान तो कस आएगा जञान का अिम होता

ह आतम-अनभव समवत नही उतरती तो बोध तो कस उतरगा बोध तो और गहरा ह समवत स बहत गहरा ह

इसवलए जो सोचत ि दक हम बराहमण ह कयोदक बराहमण बाप क घर पदा हए ह और जो सोचत ि दक

हम बराहमण ह कयोदक हम वद कठसि ह जो सोचत ि दक हम बराहमण ह कयोदक हम िासतर का जञान ह--व बदध

क दशमन हो गए कयोदक जब भी बदध जसा वयवि पदा होता ह तब वह सदा िासतरो क ववपरीत पड़ जाता ह

वह परपरा क ववपरीत पड़ जाता ह वह हर जड़ वसिवत क ववपरीत पड़ जाता ह तो इन वननयानब बराहमणो को

तो लगा दक यह दशमन ह ितर ह यह हमार धमम को नषट करन को पदा हआ ह इस उखाड़ फक

तो बराहमण पकष म भी ि बराहमण ववरोध म भी ि यह सदा स हआ ह

यहा भी कछ बराहमण ह मगर व सौ म एक ही होग वननयानब तो ववरोध म होग झठ सदा ववरोध म

होग सचच पास आ जात ह दफर व दफकर नही करत

ऐसा हआ कािी म सचच बराहमण इकटठ हए कािी म झठ बराहमण तो बहत ह मगर एक दफ सचच बराहमण

इकटठ हए सार दि स व कबीर क दिमन को इकटठ हए--पदरह सौ बराहमण अनठी किा ह हई भी हो इसम िक

होता ह पदरह सौ बराहमण मगर हो भी सकती ह सच कबीर जस वयवियो क पास कभी-कभी ऐस परसग भी

हो जात ह

पदरह सौ बराहमण सार दि स इकटठ हए कबीर क सतसग क वलए कबीर तो जलाहा ि मसलमान ि जनम

स तो उनकी तो िदर स कोई ऊची वसिवत नही िी िदर स गए-बीत ि खद उनक गर रामानद न जो दक

वहममतवर आदमी ि उन तक न इनकार कर ददया िा कबीर को दीकषा दन स--दक त भई हम झझट म डाल

दगा

कबीर न उनस दीकषा ली िी बड़ उपाय स बड़ी किलता स ऐसी दीकषा पहल कभी हई भी नही िी

रामानद न कई बार इनकार कर ददया कबीर को दक त यहा आया ही मत कर कयोदक इसस हम झझट म पड़

जाएग यह बराहमणो का गढ़ ह कािी और यहा म दकसी जलाह को द दगा दीकषा तो मवशकल होगी वहममतवर

न रह होग कमजोर रह होग

तो कबीर गगा क दकनार सीढ़ी पर जहा रामानद सनान करन जात रोज सबह चार बज चादर ओढ़कर

पड़ रह अधर म रामानद का पर पड़ गया कबीर पर पर पड़ गया तो कहाः राम राम और कबीर न कहाः

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बस द ददया मतर हो गया म विषय आपका आप हए मर गर अब राम-राम जपगा और पा लगा और कबीर

राम-राम जपकर पा वलए

इतनी खोज हो तो राम-राम कया कछ भी जपो--वमल जाएगा ऐसी परगाढ़ आकाकषा हो दफर तो

रामानद भी इनकार न कर सक दक ऐसा पयारा आदमी

इस तरकीब स दीकषा ली कहा दक फक ददया कान बरहममहतम म कह ददयाः राम-राम अब और कया

चावहए अब कभी न आऊगा अब कभी न सताऊगा आपको परिान न करगा लदकन आपका हो गया

रामानद वजसस डर ि विषय बनान म उसक दिमन क वलए पदरह सौ बराहमण सचच बराहमण रह होग

वही तो कबीर म उतसक हो सकत ह व इकटठ हए कबीर को उनहोन वनमवतरत दकया दक आप आए और धमम हम

समझाए

कबीर आए वहा पदरह सौ परषो को दखा और लौट गए बड़ हरान हए बराहमण उनहोन कहाः आप लौट

कयो जा रह ह बात कया ह

उनहोन कहाः मीरा कहा ह

जो कबीर को सनन आ गए ि--कबीर जलाह को--उनकी भी इतनी वहममत नही िी दक सतरी को बलाए

सतरी की हालत िदर स बदतर रही

इसवलए तो तलसीदास न उसको िदरो म वगना ह िदर ढोल पि नारी--य सब ताड़न क अवधकारी

तलसीदास स जयादा खतरनाक और बीमार आदमी इस दि म दसरा नही हआ और जब तक इस दि का

तलसीदास स छटकारा नही होता तब तक बड़ी अड़चन ह

तो मीरा की खबर तो कई लोगो को िी मीरा पास ही िी उसकी सगध भी आती िी लदकन सतरी क

पास परष जाए परष तो परमातमा ह और सतरी तो ताड़न की अवधकारी ह सतरी को परष सममान द िदर को

भी द द एक बार चलो आवखर परष ह न िदर परष तो ह मीरा म तो बहत झझट हो गयी सतरी भी ह यह

तो करठन बात िी

कबीर आकर खड़ हए और उनहोन कहाः जब तक मीरा न आएगी तब तक म नही आऊगा मजबरी म

मीरा को वनमवतरत करना पड़ा और जब मीरा आयी और नाची तब कबीर आए उनहोन कहाः मीरा क नाच स

सब िदध हो गया अब यहा सच म ही बराहमणतव की जयोवत जल रही ह अब न कोई िदर ह न कोई सतरी ह अब

सब भद वगर

जहा भद वगर जात ह वहा बरहम का अनभव ह अभद--बरहम का अनभव ह

तो जो सचच बराहमण ि व तो बदध क साि हो वलए व सदा स रह बदध क साि महावीर क साि कबीर

नानक मोहममद जीसस--दवनया म जहा भी कभी कोई लोग हए ह वजनहोन जाना ह--असली बराहमण सदा

उसक साि हो गए नकली बराहमण सदा उसक ववपरीत हो गए ह

नकली की भीड़ ह नकली का समह ह इन नकवलयो न वमलकर बदध क धमम को इस दि स उखाड़ ददया

इस दि की सबस बड़ी सपदा इन नकवलयो न भरषट कर दी इस दि का सबस बड़ा मानव इन नकवलयो न

पराया कर ददया

आज सारा एविया बदध का गणगान करता ह--एक वसफम उनक इस दि को छोड़कर यह अभागा दि बदध

क गणगान स भरा हआ नही ह

48

आवखरी परशनः

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

परवान मगर य कहन लग

दीवान तो जलकर ही दखग

तरी याद म जलकर दख वलया

अब आग म जलकर दखग

इस राह म अपनी मौत सही

य राह भी चलकर दखग

पछा ह अनादद न

यही मागम सनयासी का भी ह--परवान का मागम जो जलन को ततपर ह जो वमटन को राजी ह जो खोन

की वहममत रखता ह

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

दवनया तो सदा स कहती रही ह परवान स--दक पागल कहा जाता ह वह वसफम चमक नही ह दीए म

वहा आग भी ह

यही तो तमस भी कहा ह लोगो न दक मर पास मत आना यहा चमक ही नही ह आग भी ह

लदकन परवान दवनया की सनत परवान दवनया की सन तो परवान नही जो दवनया की सन व

परवान हो नही सकत परवान तो अपन भीतर की सनत ह

दीए न पकारा ह िमा न पकारा ह उस जलती जयोवत न पकारा ह जाना ह--चाह कोई भी कीमत हो

दीपक की चमक म आग भी ह

दवनया न कहा परवान स

परवान मगर य कहन लग

दीवान तो जलकर ही दखग

दवनया म और कोई दखन का उपाय भी नही ह जलकर ही दखना पड़ता ह चलकर ही पहचता ह कोई

और जलकर ही दखता ह कोई वबना अनभव क कोई जञान नही

तरी याद म जलकर दख वलया

अब आग म जलकर दखग

इस राह म अपनी मौत सही

य राह भी चलकर दखग

मौत वनवशचत ही ह िक-सबहा कहा मौत वनवशचत ही ह वह परवाना दख रहा हः दसर परवान भी जल

गए ह जो पास पहचकर वगर गए ह उनक पख जल गए ह उनक पराण उड़ गए ह लदकन यह दसरो को

ददखायी पड़ता ह--दक बचारा परवाना जलकर मर गया लदकन जो दसर परवान चल आ रह ह व दखत ह

दक धनयभागी िा दह स मि हो गया सपजर स बाहर हो गया छट गया बधन छट गयी काया

49

य तो जो अपन को बचाना चाहत ह व सोचत ह दक बचारा जलकर मर गया नासमझ अजञानी

जलकर मर गया दर रहता

लदकन जो परवान चल आ रह ह और उड़त हए उनको तो यही ददखायी पड़ता ह दक धनयभागी िा जो

हमस पहल पहच गया व इतना ही नही दखत दक जो नीच जलकर वगरकर पड़ी ह दह व वह भी दखत ह जो

उड़ गयी आतमा जो मि हो गयी आतमा उनह कछ और भी ददखायी पड़ता ह

एक तो वह ह वजस ददखायी पड़ता ह दक बीज सड़ गया खतम हो गया-- बचारा और एक वह ह वजस

ददखायी पड़ता ह दक पौधा पदा हो गया धनयभागी

बीज मरता ह तभी तो पौधा पदा होता ह परवाना मरता ह तभी तो परततरता स मि होता ह परम

दिा को पाता ह

इस राह म अपनी मौत सही

सही नही--होन ही वाली ह मौत क वबना कभी कछ होता ही नही मौत क वबना जीवन ही नही होता

वजतनी बड़ी मौत उतना बड़ा जीवन वजतनी घनी मौत उतना बड़ा जीवन

तम उसी मातरा म जीत हो वजस मातरा म तम साहस रखत हो मरन का

वही तो ह सजदगी ह वजसम अटट एहसास बका का

ह मौत का वजसम खौफ हरदम वो सजदगी सजदगी नही ह

वही तो ह सरवरी जो बदो स दोसती बन क हो नमाया

जो करसमए-अिम पर मकी ह वो सरवरी सरवरी नही ह

वही तो ह आगही न वजसम हो जहदो-इवसया म फकम कोई

हो नकोबद की तमीज वजसम वो आगही आगही नही ह

वही अखववत ह फकम हो जब न आदमी आदमी म कोई

रवा जो रख य फकम वो कौम-अहमदी अहमदी नही ह

वही तो ह आदमी जो जीता ह दसरो क वलए हमिा

वजए फकत अपन ही वलए वो आदमी आदमी नही ह

वही तो ह िायरी जो राज-जमाल-दफतरत की तरजमा हो

जो वघर क रह जाए रगो-ब म वो िायरी िायरी नही ह

वही तो ह सजदगी ह वजसम अटट एहसास बका का

ह मौत का वजसम खौफ हरदम वो सजदगी सजदगी नही ह

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ पदरह परवचन

ववराट की अभीपसा

सगार पववटठसस सतवचततसस वभकखनो

अमानसी रती होवत सममाधमम ववपससतो 307

यतो यतो सममसवत खनधान उदयबबय

लभती पीवतपामोजज अमत त ववजानत 308

परटसनिारवततसस आचारकसलो वसया

ततो पामोजजबहलो दकखससनत कररससवत 309

ववससका ववय पपफावन मददवावन पमचवत

एव रागच दोसच ववपपमचि वभकखवो 310

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस 311

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो 312

परिम दशयः

भगवान जतवन म ववहरत ि उस समय पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो

म उतरन का सकलप दकया समावध स कम उनका लकषय नही िा गधकटी क बाहर ही सबह क उगत सरज क

साि व धयान करन बठ गधकटी क चारो ओर जही क फल वखल ि

िासता न उन वभकषओ को कहाः वभकषओ जही क वखल इन फलो को दखत हो सबह वखल ह और साझ

मझाम जाएग ऐसा ही कषणभगर जीवन ह अभी ह अभी नही ह इन फलो को धयान म रखना वभकषओ यह

समवत ही कषणभगर क पार ल जान वाली नौका ह

वभकषओ न फलो को दखा और सकलप दकयाः सधया तमहार कमहलाकर वगरन क पवम ही हम धयान को

उपलबध होग हम रागादद स मि होग फलो तम हमार साकषी हो

भगवान न साध साध कहकर अपन आिीषो की वषाम की

और तभी उनहोन य गािाए कही िीः

51

सगार पववटठसस सतवचततसस वभकखनो

अमानसी रती होवत सममाधमम ववपससतो

िनय गह म परववषट िात-वचतत वभकष को भली-भावत स धमम की ववपससना करत हए अमानषी रवत पराि

होती ह

यतो यतो सममसवत खनधान उदयबबय

लभती पीवतपामोजज अमत त ववजानत

जस-जस वभकष पाच सकधो--रप वदना सजञा ससकार और ववजञान--की उतपवतत और ववनाि पर

ववचार करता ह वस-वस वह जञावनयो की परीवत और परमोद रपी अमत को पराि करता ह

परटसनिारवततसस आचारकसलो वसया

ततो पामोजजबहलो दकखससनत कररससवत

जो सवा-सतकार सवभाव वाला ह और आचार-किल ह वह आनद स ओतपरोत होकर दख का अत

करगा

ववससका ववय पपफावन मददवावन पमचवत

एव रागच दोसच ववपपमचि वभकखवो

जस जही अपन कमहलाए फलो को छोड़ दती ह वस ही ह वभकषओ तम राग और दवष को छोड़ दो

इसक पहल दक हम सतरो पर ववपससना कर उन पर धयान कर इस दशय को ठीक स मन म बठ जान दो

भगवान जतवन म ववहरत ि

जनिासतर जब महावीर की बात करत ह तो व कहत हः भगवान ववराजत ि बौदधिासतर जब बदध की

बात करत ह तो व कहत हः ववहरत ि

इन दो िबदो म भद ह तावतवक भद ह ववराजना विरता का परतीक ह ववहरना गवत का

जन-दवषट म सतय विर ह ठहरा हआ ह सदा एक-रस ह बौदध-ववचार म सब गवतमान ह परवाहमान ह

सब बहा जा रहा ह बौदध-ववचार म ऐसा कहना ही ठीक नही ह दक कोई चीज ह हर चीज हो रही ह

जस हम कहः वकष ह तो बौदध-ववचार म ठीक नही ह ऐसा कहना कयोदक जब हम कह रह हः वकष ह

तब भी वकष बदल रहा ह हो रहा ह एक पराना पतता टटकर वगर गया होगा जब तमन कहाः वकष ह एक

कली वखलती होगी फल बनती होगी एक नया अकर आता होगा एक नयी जड़ वनकलती होगी वकष िोड़ा

बड़ा हो गया होगा िोड़ा बढ़ा हो गया होगा

52

वजतनी दर म तमन कहा वकष ह उतनी दर म वकष वही नही रहा बदल गया रपातररत हो गया तमह

ददखायी नही पड़ता रपातरण कयोदक रपातरण बड़ा धीमा-धीमा हो रहा ह आवहसता हो रहा ह िनः-िनः

हो रहा ह मगर रपातरण तो हो ही रहा ह

इसवलए बदध तो कहगः ऐसा ही कहो दक वकष हो रहा ह ह जसी कोई चीज जगत म नही ह सब चीज

हो रही ह

हम तो नदी तक को कहत ह दक नदी ह बदध कहत हः पहाड़ो को भी मत कहो दक पहाड़ ह कयोदक

पहाड़ भी बह रह ह नदी तो बह ही रही ह वह तो हम दखत ह दक नदी बह रही ह दफर भी कहत ह नदी ह

तो बदध न भाषा को भी नए रप ददए सवाभाववक िा जब कोई दिमन जनम लता ह तो उसक साि ही

सब नया हो जाता ह कयोदक वह हर चीज पर अपन रग को फकता ह

बदध-भाषा म ह का कोई मलय नही ह हो रहा ह का मलय ह

जन-भाषा म ह का मलय ह कयोदक हम उसी को खोजना ह जो कभी नही बदलता जो बदल रहा ह

वह ससार

वसा ही सहद-ववचार म भी जो बदल रहा ह वह माया और जो कभी नही बदलता वही बरहम तो बरहम

को हम ऐसा नही कह सकत दक ववहरता ह कहना होगा ववराजता ह

बदध की सारी किाए उनक सबध म वलख गए सार वचन सदा िर होत हः भगवान जतवन म या

शरावसती म या दकसी और सिान पर ववहरत ि

गतयातमकता पर बदध का बड़ा जोर ह सब परवाहरप ह और वजस ददन परवाह रक जाएगा उस ददन

तमहार हाि म ऐसा नही ह दक पणम और िाशवत पकड़ म आ जाएगा वजस ददन परवाह रक जाएगा उस ददन

तम वतरोवहत हो जाओग

महावीर क मोकष म आतमा बचगी और दफर सदा-सदा रहगी बदध क वनवामण म आतमा ऐस बझ जाएगी

जस दीया बझ जाता ह इसीवलए िबद वनवामण का उपयोग हआ ह वनवामण का अिम होता हः दीए का बझ

जाना

एक दीया जल रहा ह तमन फक मार दी और जयोवत बझ गयी अब कोई तमस पछ दक जयोवत कहा

गयी--तो कया कहोग कोई तमस पछ दक अब जयोवत कहा ह--तो कया कहोग

ऐस ही कहत ह बदध जब वासना का तल चक जाता ह और जीवन की जयोवत बझ जाती ह तो तम

िनय हो जात हो उस िनय का नाम वनवामण ह ऐसा नही ह दक तमहार हाि म कोई विर वसत पकड़ म आ

जाती ह पकड़न वाला भी खो जाता ह मटठी ही खो जाती ह बाधोग दकस पर

तो जगत ह परवाह और वनवामण ह परवाह का िनय हो जाना परवाह स मकत हो जाना लदकन खयाल

रखना यह खयाल मत लना मन म दक मि होकर तम बचोग परवाह म ही बचाव ह जब तक परवाह ह तभी

तक तम हो परवाह ही तम हो वजस ददन परवाह गया तम भी गए

दीए की जयोवत तम साझ को जलात हो और सबह जब उठकर दखत हो तो सोचत हो वही जयोवत जल

रही ह तो गलत सोचत हो वह जयोवत तो लाखो बार बझ चकी रात म परवतपल धआ हो रही ह जयोवत धआ

होती जाती ह नयी जयोवत जनमती जाती ह परानी हटती जाती ह वजसको तमन साझ जलाया िा सबह तम

उसी को नही बझा सकत वह तो बची ही नही दफर सबह वजस जयोवत को तम बझात हो यह वही जयोवत

53

नही ह वजसको तमन जलाया िा यह दसरी ही जयोवत ह यदयवप उसी जयोवत क परवाह म आयी ह सतवत ह

सतान ह वही नही ह जस बाप न दकसी क तमह गाली दी िी तमन बट को मारा ऐसी बात ह

साझ जो जलायी िी जयोवत वह तो कब की गयी अब तम उसक बट-बटी को बझा रह हो उसकी

सतान को बझा रह हो कई पीदढ़या बीत गयी रात म लदकन अगर तल बचा रह तो जयोवत जलती चली

जाएगी और यह भी हो सकता ह इस दीए म बझ जाए और दसर दीए म छलाग लगा जाए वजसम तल भरा

ह तो वहा जलन लगगी सतान वहा बहन लगगी

ऐसा ही वयवि एक जनम स दसर जनम म छलाग लगाता ह वासना नही चकती तो जयोवत नयी वासना

नए तल को खोज लती ह नए गभम को खोज लती ह लदकन वजस ददन वासना का तल पररपणम चक गया

जयोवत जलकर भसमीभत हो जाती ह वनवामण हो जाता ह तम महािनय म लीन हो जात हो

परवाह ससार ह परवाह का िनय हो जाना मोकष ह

भगवान जतवन म ववहरत ि उस समय पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो

म उतरन का सकलप दकया

धयान क वलए सकलप चावहए सकलप का अिम होता हः सारी ऊजाम को एक सबद पर सलगन कर दना

सकलप का अिम होता हः अपनी ऊजाम को ववभावजत न करना कयोदक अववभाजय ऊजाम हो तो ही कही पहचना

हो सकता ह

जस सरज की दकरण ह अगर इनको तम इकटठा कर लो एक जगह कर लो तो आग पदा हो जाए

वबखरी रह तो आग पदा नही होती ऐसी ही मनषय की जीवन ऊजाम ह एक जगह पड़ एक सबद पर वगरन

लग तो महािवि परजववलत होती ह पचचीस धाराओ म बहती रह तो धीर-धीर खो जाती ह जस नदी

रवगसतान म खो जाए कही पहचती नही

समझो गगा की कई धाराए हो जाए तो सागर तक नही पहच सकगी दफर गगा पहचती ह सागर तक

एक धारा क कारण और वजतनी धाराए मागम म वमलती ह व सब गगा क साि एक होती जाती ह जो नदी

आयी--वगरी यमना आयी--वगरी जो नदी-नाला आया--वगरा व सब गगा क साि एक होत चल जात ह

गगोतरी म तो गगा बड़ी छोटी ह उतरत-उतरत पहाड़ो स बड़ी होन लगती ह मदान म ववराट होन

लगती ह सागर तक पहचत-पहचत खद ही सागर जसी हो जाती ह गगोतरी स गगासागर तक की यातरा

समझन जसी ह कयोदक वही मनषय की ऊजाम की यातरा भी ह

तम दो तरह स जी सकत होः सकलपहीन या सकलपवान सकलपहीन का अिम होता हः तमहार जीवन म

पचचीस धाराए ह धन भी कमा ल पद भी कमा ल परवतिा भी बना ल साध भी कहलाऊ धयान भी कर ल

मददर भी हो आऊ दकान भी चलती रह तमहारा जीवन पचचीस धाराओ म ववभावजत ह इसवलए कछ भी परा

नही हो पाता न दकान परी होती न मददर परा होता न धन वमलता न धयान वमलता

ऊजाम सगहीत होनी चावहए तो सकलप का जनम होता ह एक धारा म वगर अखवडत वगर तो कछ भी

असभव नही ह जीवन म चीज असभव इसवलए मालम हो रही ह कयोदक तम टट हो खड-खड टकड़-टकड़ म

तम एक नही हो इसवलए जीवन म बहत सी चीज असभव ह तम एक हो जाओ तो कछ भी असभव नही ह

सकलप का यही अिम होता ह

पाच सौ वभकषओ न भगवान का आिीष ल धयान की गहराइयो म उतरन का सकलप दकया

54

दफर भी सकलप तो उनहोन दकया भगवान क आिीष को भी आए तमहारा सकलप ऐस तो काफी ह

लदकन अततः तमहारा ही ह एक अजञानी क सकलप का मलय दकतना हो सकता ह बाध-बधकर दकसी तरह

समहालकर करन की कोविि करोग लदकन भल-चक हो जान की सभावना ह दकसी जञानी का आिीष भी हो

तो तमहार सकलप क बच रहन की तमहार सकलप क बन रहन की तमहार सकलप क पर होन की जयादा

गजाइि ह जीत सवनवशचत हो जाएगी

जञानी का आिीष तमहार खडो को सीमट की तरह जोड़ दगा कोई मर पीछ खड़ा ह जो जानता ह--यह

भरोसा भी तमह दर तक ल जान वाला होगा जस छोट बचच को कोई डर नही लगता उसकी मा पास हो बस

दफर चाह तम उस नकम ल जाओ कोई दफकर नही ह वह नकम म भी खलन लगगा उसकी मा पास ह और तम

उस सवगम ल जाओ और उसकी मा पास न हो तो वह सवगम म भी ववपि और दखी होन लगगा उसकी मा पास

नही ह रोन लगगा चीखन-पकारन लगगा

वह जो मा की मौजदगी ह वही गर की मौजदगी ह गर मौजद हो तो यातरा बड़ी सगम हो जाती ह

लदकन गर की मौजदगी का मतलब कया होता ह गर की मौजदगी का मतलब ह दक तमन दकसी क चरणो म

वसर झकाया ह और दकसी को गर सवीकार दकया ह

गर मौजद भी हो लदकन तमहार भीतर विषय-भाव मौजद न हो तो दकसी अिम का नही ह दफर गर गर

नही ह गर बनता ह तमहार विषय-भाव स

इन पाच सौ वभकषओ न भगवान क चरणो म आकर परािमना की होगी दक हम धयान की गहराइयो म

जाना चाहत ह जी वलए बहत ववचार म और कछ भी नही पाया सोच वलया खब कछ भी नही वमला कर

वलया सब दख बना रहता ह वमटता नही अब हम सब दाव पर लगा दना चाहत ह अब हम कछ बचाना

नही चाहत अब हम आिीष दो दक हम भटक न जाए दक हम बीच स लौट न आए दक हम डगमगा न जाए

दक हम पि-भरषट न हो जाए दक हम मागमयत न हो जाए दक हम दकसी और ददिा म न बह जाए आिीष दो

दक आप हमार साि रहोग आिीष दो दक आपकी छतर-छाया होगी आिीष दो दक आपकी दवषट हमारा पीछा

करगी दक आप हमार भीतर मौजद रहग और दखत रहग दक हम ठीक चल रह न हम चक तो नही रह यह

भरोसा हम आ जाए दक आप खड़ हो हमार साि हम अकल नही ह तो हम दर तक की यातरा कर लग

यातरा तो वयवि को सवय ही करनी ह भरोस की कमी ह गर की जररत ह भरोस क कारण वजस ददन

तमहारी यातरा परी हो जाएगी उस ददन तम पाओगः गर न कछ भी नही दकया और बहत कछ भी दकया

कछ भी नही दकया इस अिो म दक वजस ददन तम यातरा परी कर लोग तम पाओग दक गर पास-पास

तरता रहा तमह भरोसा बना रहा दक अगर डबगा तो कोई बचा लगा लदकन तरत तम रह तम तरकर पहच

अपन आप िायद गर न हाि भी न लगाया हो लदकन पास-पास तरता रहा

तो एक अिम म तो कछ भी नही दकया हाि भी नही लगाया हाि लगान की जररत ही नही ह तम

पहच सकत हो इतनी िवि परमातमा न परतयक को दी ह दक वापस मलसरोत तक पहच जाए इतना पािय

सभी क भीतर रखा ह इतना कलवा तम लकर ही पदा हए हो दक यातरा परी हो जाए और भोजन चक नही

लदकन तमम भरोस की कमी ह और वह भी सवाभाववक ह कभी वजस मागम पर चल नही उस मागम पर

चलन म भरोसा हो कस शरदधा का अभाव ह आतमशरदधा नही ह तमह डर ह दक मझस न हो सकगा और

तमहार डर क कारण ह सवनवशचत कारण ह छोटी-छोटी चीज की ह और नही हो सकी कभी वसगरट पीत ि

और छोड़ना चाही--नही छटी वषो महनत की और नही छटी दकतनी ही बार तय दकया और नही छटी और

55

हर बार तय करक वगर और हर बार तय करक पछताए और दफर पीया और दफर भल की दफर अपराध

हआ धीर-धीर गलावन बढ़ती गयी आतम-ववशवास खोता गया एक बात साफ हो गयी दक तमहार दकए कछ

होन वाला नही ह कषदर सी बात नही छटती

तो वजस आदमी को वसगरट पीना न छट सका हो अपन ही सकलप स वह धयान म जाए--कस भरोसा

हो

जो आदमी कई बार वनणमय दकया दक सबह पाच बज उठ आऊगा बरहम-महतम म और कभी नही उठ सका

अलामम भी भरा पाच बज अलामम भी बजा तो गाली दकर घड़ी को भी पटक ददया करवट लकर दफर सो रहा

सबह पछताया दफर रोया चीखा दफर कसम खायी दक अब कल कछ भी हो जाए उठगा दफर कल यही

हआ दकतन ददन तक ऐसा करोग एक ददन तम पाओगः यह अपन स नही होना छोड़ो सोत तो रहत ही हो

अब यह झझट भी कयो लनी उठना तो होता नही होगा भी नही हार गए हार गए तो तमहार भीतर स

आतम-शरदधा वतरोवहत हो जाएगी

इसवलए म तमस कहता हः कषदर बातो म अपन जीवन-परयास को मत लगाना कयोदक कषदर स अगर हार

गए तो ववराट की ददिा म जान म अड़चन आ जाएगी इसवलए म नही कहता दक तम लड़ो छोटी-छोटी बातो

स छोटी-छोटी बातो स लड़न स वसफम हावन होती ह लाभ कछ भी नही होता ह

म तो तमस कहता हः लड़ना ही हो तो दकसी बड़ी बात म ही जझना छोटी बात म जझना ही मत

हारोग तो भी कम स कम इतना तो रहगा खयाल दक बात इतनी बड़ी िी इसवलए हारा छोटी बात स लड़ोग

हारोग तो बड़ी गलावन होगी दक बात इतनी छोटी िी और नही जीता

आचायम तलसी लोगो को अणवरत समझात ह म महावरत समझाता ह अणवरत खतरनाक ह छोटा सा

वरत लना ही मत जीत तो कछ लाभ नही

समझो दक वसगरट पीत ि और जीत गए अब नही पी तो कया खास लाभ ह कछ खास लाभ नही ह

जीत तो कोई आतम-गररमा पदा नही होगी अगर दकसी स कहोग दक मन वसगरट पीना छोड़ ददया तो वह

कहगाः इसम कया रखा ह हम पहल स नही पीत इसम कोई खास बात नही हो गयी धआ भीतर ल गए धआ

बाहर लाए अब नही ल जात इसम कौन सा गण-गौरव ह इसम तमन कौन सी कला वसदध कर ली

जीत तो कछ लाभ नही और अगर हार और सौ म वननयानब मौक ह हारन क जीतन क नही

अगर हार--वजसक वननयानब मौक ह--तो बड़ी हावन ह

मन सना ह ईसप की कहानी हः एक गध न एक ससह को ललकारा दक आ हो जाए दो-दो हाि आज

तय हो जाए दक कौन इस जगल का राजा ह ससह पछ दबाकर भाग गया एक लोमड़ी दखती िी वह बड़ी

हरान हई यह ससह तो हावियो की भी चनौवतयो को कभी डरा नही यह गध स पछ दबाकर भाग गया

मामला कया ह

लोमड़ी न पीछा दकया पछा दक आप राजा ह समराट ह और एक गध स

उसन कहाः गध की वजह स ही भागा अगर गधा हारा तो हमारी जीत स कछ लाभ नही लोग कहग

कया जीत गध स जीत और बदनामी होगी अगर गधा जीत गया भल-चक गधा ही ह इसका कया भरोसा

दलतती मार या कछ हो जाए और कभी जीत जाए सयोग स तो हम सदा क वलए मार गए हम नही मार गए

हमारी सतवत भी मारी गयी दफर सदा क वलए ससहो का वसर झक जाएगा

छोट स नही लड़ना

56

म भी तमस यही कहता हः छोट स मत लड़ना लड़ना हो तो कोई बड़ा दशमन चनना वजतना बड़ा

दशमन चनो उतना लाभ ह लड़ना हो तो धमरपान मत चनना धयान चनना लड़ो तो ससह स लड़ो हार तो

भी कहन को तो रहगा दक ससह स हार जीत तब तो कहना ही कया दोनो हाि लडड होग

छोट स मत लड़ना

आचायम तलसी न मझ एक दफा वनमवतरत दकया िा उनक एक सममलन म मन उनस कहा दक नही

अणवरत िबद मझ नही जमता छोटी-छोटी बातो म म आदमी को नही उलझाना चाहता छोटी-छोटी बातो म

ही उलझकर आदमी मरा ह कछ महावरत की बात हो

और यह बड़ मज की बात ह दक छोट स आदमी अकसर हार जाता ह और बड़ स जीत जाता ह यह

गवणत बड़ा बबझ ह इसक पीछ बड़ा मनोववजञान ह

छोट स आदमी कयो हार जाता ह पहली तो बात यह दक जो छोट स लड़न चला ह उसन अपन को

बहत छोटा मान ही वलया उसका भरोसा ही बहत छोट का हो गया जो आदमी वसगरट स लड़न चला ह या

पान स लड़न चला ह या इसी तरह की छोटी-मोटी बातो स लड़न चला ह उसन अपनी कषदरता सवीकार कर

ली इसी सवीकार म हार ह

समझदार आदमी वसगरट स लड़ता नही अगर नही पीना ह तो वसफम छोड़ दता ह लड़ता नही नही

पीना ह तो नही पीता कौन कहता ह दक पीओ वसफम छोड़ दता ह वबना लड़ उस बात ददख गयी दक नही

जचती कोई सार नही ह उस अतदमवषट म ही छटना हो जाता ह

वबना लड़ हो जाए तब तो ठीक जो आदमी कहता हः लगोटी बाधगा और दड-बठक लगाऊगा इसस

लडगा वह पहल स ही हारन की बात पककी हो गयी उसकी वह पहल स ही डरा हआ ह वह घबड़ा रहा ह

उसकी घबड़ाहट उस कपा रही ह वह जानता ह दक म जीतन वाला नही वह जानता ह दक घड़ीभर वसगरट न

पीऊगा तलब उठगी दफर कया होगा

ऐसा हआ पहला आदमी उततरी धरव पर पहचा िा तो उसन जब लौटकर अपन ससमरण वलख तो

उसन ससमरणो म वलखा दक हम सबस बड़ी करठनाई तब आयी जब वसगरट चक गयी भोजन कम हो गया

तो लोग एक बार भोजन करन को राजी ि मगर जब वसगरट चक गयी तो बड़ी मसीबत खड़ी हो गयी लोग

जहाज की रवससया काट-काटकर पीन लग रवससया और जो उनका परमख िा वह तो बहत घबड़ाया उसन

कहाः य रवससया तम पी गए तो यह जहाज चलगा कस वापस हम कस पहचग

रवससयो को बचाना मवशकल हो गया कयोदक अवधक तो धमरपान करन वाल लोग ि व रात म उठ

आए चोरी स रससी काटकर पी जाए और कोई चीज पीन को िी भी नही जहाज पर रवससया ही िी वजनम

स धआ वनकल सकता िा बामवशकल व लौट पाए उन रवससयो को दकसी तरह बचा-बचाकर

एक आदमी यह पढ़ रहा िा अखबार म--हाि म वसगरट वलए--उस खयाल आया दक अगर म भी उस

यातरा म होता और वहिखलाबदध धमरपान करन वाला िा चन समोकर िा एक वसगरट स दसरी जलाए

दसरी स तीसरी जलाए वसगरट हाि स छट ही नही अभी भी अखबार पढ़ रहा िा लदकन उस लगा दक

अगर म उस यातरा म होता तो कया मन भी जहाज की गदी रवससया पी होती मन भी और उसन हाि स

वसगरट छोड़ दी और उसन कहाः अब म दखगा जब इतनी तलब मझम उठ दक म जहाज की सड़ी-गली

रवससयो को धमरपान कर जाऊ तभी वसगरट हाि म उठाऊगा

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तीस साल बीत गए और उसन वसगरट हाि म नही उठायी यह वबना लड़ छोड़ना ह यह वसफम एक बात

ददखायी पड़ गयी--दक यह तो हदद मढ़ता की बात ह मगर यह कया मरी भी दिा यही होगी ऐसा सोचत ही

वसगरट हाि स छोड़ दी छोड़ दी कहना िायद ठीक नही छट गयी लड़ा नही वसगरट और मावचस सदा

टबल पर रखी रही तीस साल तक जब तक वह मरा नही इस परतीकषा म रहा दक उस ददन पीऊगा वजस ददन

ऐसी दिा हो जाएगी दक अब कछ भी पी सकता ह मगर वह दिा कभी न हई और वह बहत हरान हआः

तलब उठी ही नही

तम तलब उठन क पहल ही मान हो दक उठगी उठन ही वाली ह बचना मवशकल ह तमहारी मानयता

ही तमह भरमा रही ह

छोटी-छोटी कषदर बातो स मत लड़ना और बड़ी तो एक ही बात हः लड़ना हो तो परमातमा क वलए

लड़ना लड़ना हो तो धयान क वलए लड़ना वहा परी ऊजाम लकर लड़ना इस ववराट की लड़ाई म तम अकल

भी नही रहोग इस ववराट की लड़ाई म जो भी उसको उपलबध हो गए ह सबक आिीष तमह उपलबध होग

आिीष लकर लड़ना

कयो आिीष लकर लड़ना तादक तमहार साि बदध की ऊजाम जड़ जाए दकसी वजन की ऊजाम जड़ जाए

दकसी सत की ऊजाम जड़ जाए दकसी सत का भागय अपन साि जोड़ लना--यह आिीष का अिम ह जब दकसी

सत का भागय अपन भागय स जोड़ा जा सकता हो तो नासमझ ह जो न जोड़

बदध का आिीष वलया चाहत ि धयान की गहराइयो म उतरना ह समावध स कम उनका लकषय नही

िा

इसस कम लकषय रखना भी नही छोट-छोट लकषय रखना ही नही दर आकाि क तार पर आख होनी

चावहए और अगर तमह दो मील जाना हो तो दस मील जान का सकलप होना चावहए तो दो मील पहचोग

वजतना तमह पाना हो उसस बड़ा सकलप रखना

अकसर लोग उलटा कर लत ह जाना तो चाहत ह सरज तक सकलप बड़ा छोटा सा होता ह दीए तक

पहचन का भी नही होता दफर सरज तक कस पहचोग

सकलप तो आतयवतक होना चावहए वजन लोगो न धन को चना ह सकलप की तरह उनहोन बड़ कषदर को

चन वलया वजनहोन धयान को चना ह उनहोन ही ठीक चना ह चनौती बड़ी चावहए तादक तमहार भीतर सोयी

हई िविया जाग जाए इसवलए कषदर क साि लड़ाई म हार हो जाती ह कयोदक कषदर की चनौती म तमहार

भीतर सोयी हई िविया जागती ही नही िविया जागती तभी ह जब उनक सामन खतरा खड़ा हो जाए

बड़ी चनौती दो वजतनी बड़ी चनौती होगी उतना ही ववराट तम अपन भीतर जागता हआ पाओग

चनौती का सामना करना ह चनौती स जझना ह

तमन कभी खयाल दकयाः अगर दकसी करठनाई क समय म तम जझ पड़त हो तो तमहार भीतर बड़ी

ऊजाम होती ह जसी सामानयतया नही होती

जस समझो दक घर म आग लग गयी ह तम िक-माद आए ि दक सात ददन स यातरा कर रह ि और

सारा िरीर टट रहा िा और तम वबलकल िक-माद ि और भख ि और चाहत ि दक दकसी तरह भोजन

करक वगर पड़ो वबसतर म और खो जाओ दो ददन क वलए वबसतर म दो ददन उठना ही नही ह

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घर आए खान की तो बात दर दखा दक घर म लपट लगी ह आग जल रही ह सब भल गए सात ददन

की िकान िरीर का टटा-फटा होना भख वनदरा--सब गयी एक कषण म कोई जयोवत तमहार भीतर भभककर

उठी एक ऊजाम उठी तम जझ गए

अब िायद तम रातभर आग स लड़त रहो और नीद नही आएगी और पहल तम सोच रह ि दक घड़ीभर

भी अगर मझ जागना पड़ा भोजन क तयार होन क समय की परतीकषा करनी पड़ी तो म सो जाऊगा वगर

जाऊगा

कया हआ कहा स यह ऊजाम आयी एक बड़ी चनौती सामन खड़ी हो गयी उस बड़ी चनौती क कारण

यह ऊजाम आयी

चनौवतया चनना बड़ी किलता की बात ह और अगर चनना ही हो तो आतयवतक कहो उस समावध

वनवामण मोकष परमातमा जो नाम दना चाहो मगर जो परमातमा को पान की परबल अभीपसा स जग खड़ा

होता ह उसक भीतर सोयी हई अतसतल की सारी िविया जग आती ह उसकी जड़ तक कप जाती ह उसक

भीतर जो भी वछपा ह सब परगट हो जाता ह कयोदक इस बड़ी चनौती क सामन अब कछ भी वछपाकर नही

रखा जा सकता अब तो सभी दाव पर लगाना होगा तो ही यातरा हो सकती ह

इसवलए कहता ह दक छोटी-मोटी चीज स लड़ोग तो हारोग कयोदक तमहारी सोयी हई िवियो को

चनौती नही वमलती

अब वसगरट नही पीना ह--यह बात ही सनकर कोई तमहारी आतमा जागन वाली ह आतमा कहगी दक

पीओ न पीओ ठीक ह कया फकम पड़ता ह दक नमक नही खाएग आज दक आज भोजन म घी नही लग इन

सब कषदर बातो स कछ भी नही होता दक पानी छानकर पीएग दक रात पानी नही पीएग इन सब कषदर बातो स

कछ भी नही होता ह

ऐसी कोई चनौती दक तीर की तरह वछद जाए चभ जाए दक चली जाए भीतर तक दक सार सोए हए

अतसतल को कपा द झझावात की तरह आए तफान की तरह आए और तमह उठा जाए उसी उठन म पहचना

लदकन दफर भी काि आिीष भी वमल जाए उनका जो पहच गए ह उनका वजनहोन पा वलया ह उनक

हाि का सहारा वमल जाए तो हार का कोई कारण नही ह

अकसर तम हारत हो कयोदक कषदर स लड़त हो पहली बात और कभी-कभी ववराट की आकाकषा स भी

भरत हो लदकन तमहार पास आिीष की सपदा नही होती तम अकल पड़ जात हो दर दकनारा ववराट तो

बहत दर ह पता नही कहा ह दकनारा यह दकनारा तो हम पता ह दसरा दकनारा वह ददखायी भी नही

पड़ता सागर का दसरा दकनारा उसकी यातरा पर चलत हो घबड़ाहट होती ह यह दकनारा छोड़न म

घबड़ाहट होती ह

इसीवलए तो जब तम धयान करन बठत हो तो ववचार का दकनारा नही छटता मन पकड़-पकड़ लता ह

मन कहता ह दक जो पररवचत ह उसको मत छोड़ो वजसम पररचय ह उसम सरकषा ह यह जाना-माना ह

पहचाना ह अपना ह यहा रह ह जनमो-जनमो स तम कहा जात हो दकस दकनार की तलाि करत हो कही

भटक न जाओ कही सागर म डब न जाओ कही ऐसा न हो दक यह दकनारा भी हाि स जाए और दसरा भी न

वमल दसरा ह इसका पकका कया ह दकसन तमस कहा दक दसरा दकनारा ह तमन तो नही जाना कही ऐसा

न हो दक तम दकसी परवचना म पड़ गए हो दक दकसी झठ सपन न तमह पकड़ वलया ह

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मन तमहारी सरकषा क वलए कहगाः रक रहो इसी दकनार पर ववचार क तट पर ही रक रहो ववचार ह

यह दकनारा धयान ह वह दकनारा ववचार ह ससार धयान ह परमातमा

तो तमन दखाः तम धयान करन बठत हो दकतन ववचार उठत ह जयादा उठत ह उसस जयादा उठत ह

वजतना दक जब तम धयान करन नही बठत चौबीस घट हजार काम म लग रहत हो इतन ववचार नही सतात

घटभर आख बद करक बठ जाओ आसन लगाकर तम इतन हरान हो जात हो दक मामला कया ह कया ववचार

परतीकषा ही करत ि दक करो बच धयान करो दफर तमह बताएग सब तरफ स टट पड़त ह सब ददिाओ स

हमला बोल दत ह जस परतीकषा म ही ि दक करो धयान तो मजा चखाए

आन लगत ह सब तरह क ववचार--धन क वासना क काम क राजनीवत क यह-वह कड़ा-करकट--सब

अखबार उड़ आत ह सब एक ददिा स नही सब ददिाओ स हमला हो जाता ह एकदम वघर जात हो दशमनो

म िोड़ी दर म िककर उठ आत हो सोचत होः इसस तो जब हम काम म लग रहत ह तभी कम ववचार होत

ह यह तो चल ि वनरवमचार होन और ववचार क झझावात स वघर गए

ऐसा कयो होता ह इसवलए होता ह दक मन तमहारी सरकषा कर रहा ह मन कह रहा हः कहा जात हो

वजस लकषय का कोई पता नही जहा तम कभी गए नही वजसका कोई सवाद नही दकस मग-मरीवचका क पीछ

जा रह हो वयावहाररक बनो जो जाना-माना ह परखा ह उसी को पकड़ रहो

इसवलए आिीष की जररत ह आिीष का अिम हः हम तो इस दकनार ह उस दकनार स कोई पकार द

द आिीष का अिम हः हम तो इस दकनार खड़ ह कोई उस दकनार स कह द दक घबड़ाओ मत म पहच गया ह

आओ और जस तम डर रह हो म भी डरता िा डरो मत पहचना होता ह दखो म पहच गया ह

बदधो का सतसग खोजन का और कया अिम होता ह यही दक दकसी ऐस आदमी क पास होना जो अनभव

स कह सक दक पहच गया ह िासतरो स नही अनभव स जो गवाह हो जो साकषी हो जो यह न कह दक म

परमातमा को मानता ह जो कह म जानता ह जो इतना ही न कह जानता ह बवलक कह दक म ह

य तीन अवसिाए हः मानना जानना होना

मानना बहत दर ह वह इसी दकनार खड़ा आदमी ह जो मानता ह उस पता नही ह अधा आदमी जस

रोिनी को मानता ह दक होना चावहए होगी इतन लोग कहत ह तो जरर होगी मगर सदह तो उठत ही

रहग कयोदक उसन तो जाना नही उसन तो दखा नही पता नही लोग झठ ही बोलत हो लोगो का कया

भरोसा अपन अनभव क वबना जानना कस हो मानना भी कस हो तो मानना भी िोिा होता ह सब

मानना िोिा होता ह सब ववशवास अधववशवास होत ह

दफर एक आदमी ह वजसकी आख खली और वजसन दखा--और दखा दक हा रोिनी ह वकषो पर नाचती

हई दकरण दखी आकाि म उगा सरज दखा रात म वघरा आकाि चाद-तारो स भरा दखा दख फल हजार-

हजार रग दख आकाि म वखल इदरधनष दख दखा सब और कहा दक नही ह यह जानना हआ

इसक आग एक और वसिवत ह जब आदमी जानता ही नही आख ही नही हो जाता बवलक रोिनी ही हो

जाता ह जब सवय परकािरप हो जाता ह

इसवलए बदध को हम भगवान कहत ह महावीर को भगवान कहत ह जाना ही नही--हो गए जो जाना-

-वही हो गए

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जानन म िोड़ी दरी होती ह मानन म तो बहत दरी होती ह जानन म िोड़ी दरी होती ह दख रह ह

वह रहा परकाि हम खड़ यहा दफर धीर-धीर दरी वमटती जाती ह वमटती जाती ह और जो जाना जा रहा ह

और जो जानन वाला ह--एक ही हो जात ह जञाता और जञय का भद वगर जाता ह वही परम जञान ह

ऐस दकसी वयवि का आिीष वमल जाए तो तमहार भीतर उतसाह और उमग भर जाती ह शरदधा का

सतरपात होता ह सवग पदा होता ह कोई पहच गया ह तो हम भी पहच सकत ह कोई पहच गया ह तो

दसरा दकनारा ह

इसवलए आिीष मागन आए ि

बदध वजस कटी म रहत ि उसका नाम िा गधकटी बदध की सगध क कारण एक सवास ह आतमा की

जस फल जब वखलत ह तो एक सवास होती ह कागज क फलो म नही होती कागज क फल कभी वखलत ही

नही असली फलो म होती ह सवास

साधारण आदमी म सवास नही होती वह करीब-करीब कागज का फल ह कागज का कयोदक उसन सब

झठ का जाल अपन चारो तरफ बना रखा ह उसन दसरो को धोखा ददया ह अपन को भी धोखा द वलया ह

परवचक ह वमथया ह झठ ही झठ की पत ह सच उसम खोज स नही वमलता दकतना ही खोदो एक झठ क

बाद दसरा झठ दसर झठ क बाद तीसरा झठ दकतना ही खोदो--एक मखौटा दसरा मखौटा मखौट पर

मखौट उसक असली चहर का पता नही चलता दक असली चहरा कया ह और ऐसा नही दक तमह पता नही

चलता उस खद भी पता नही रहा ह उस खद भी अपन असली चहर का पता नही ह

बदध की परपरा म वभकषओ स वनरतर कहा गया हः अपन असली चहर की खोज करो वह चहरा जो

जनम क पहल तमहारा िा और मतय क बाद दफर तमहारा होगा उस चहर की खोज करो जो चहर सजदगी न

तमह द ददए इन चहरो को उतारकर रखो व सब चहर झठ ह

बचचा पदा हआ तब न तो सहद होता न मसलमान न ईसाई न जन न बौदध यह असली बात ह दफर

उसक ऊपर एक चहरा हमन टाग ददया दक यह सहद यह मसलमान यह ईसाई दफर सहद म भी बराहमण दक

िदर दक कषवतरय दक वशय दफर बराहमणो म भी कानयकबज बराहमण दक दिसि दक कोकणसि दफर रोग पर रोग

ह बीमाररयो पर बीमाररया ह खोजत चल जाओ चहर पर चहर ह इसका असली चहरा पता ही नही

चलगा

जब यह पदा हआ िा तब इस यह भी पता नही िा दक म सतरी ह या परष तब यह बस िा तब इस कछ

पता नही िा इसका दह-भाव नही िा वसफम आतम-भाव िा म ह--बस इतना िा अब यह सतरी ह परष ह

सहद ह मसलमान ह गरीब ह अमीर ह जञानी ह अजञानी ह साध ह असाध ह य सब चहर य सब चहर

इसन खरीद बाजार स सकलो म वबकत ह कालजो म वबकत ह यवनवरसमटीज म वबकत ह सब तरफ चहर

वबकत ह अब यह एमए हो गया अब यह पीएचड़ी हो गया अब यह डीवलट हो गया

यहा इस आशरम म तमह बहत स पीएचड़ी बहारी लगात हए वमल जाएग उनहोन चहरा उतारकर रख

ददया तम पहचान भी न सकोग दक य पीएचड़ी ह बहारी लगात ह उतारकर रख ददया चहरा

अभी एक यवती आयी मडीवसन म पीएचड़ी ह मन उसस कहा दक तरा कया इरादा ह उसन कहा दक

बस मझ झाड लगानी ह दकसी को म बताना भी नही चाहती दक म पीएचड़ी ह मडीवसन म मझ डाकटर

नही बनना ह तो मन कहा दक हम एक असपताल की तो जररत ह ही सनयासी बीमार पड़त ह तो उसन

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कहाः असपताल म बहारी लगा दगी मगर नही यह चहरा म नही चाहती म इतनी दर स वसफम यहा बहारी

लगान आयी ह

चहर उतारन पड़त ह उतारकर रख दन पड़त ह

पवशचम स यवक-यववतया सनयास लत ह आकर व कहत हः अजीब बात ह सहदसतान म जो वमलता ह

पहल यही पछता ह वडगरी कया कहा तक पढ़ हो य ब-पढ़-वलखो क सवाल ह पढ़ा-वलखा आदमी नही पछता

यह बात पढ़ा-वलखा इसको कया पछगा य ब-पढ़-वलखो क सवाल ह

सहदसतान तो बड़ा अजीब ह कहत ह बड़ा आधयावतमक ह ददखता नही लोग वमल नही टरन म वमल

जाए पछत हः कया काम करत ह कया तनखवाह ऊपर स कया वमलता ह

एक तो तनखवाह पछना ही अपमानजनक ह दकसी आदमी की तनखवाह नही पछनी चावहए कयोदक हो

सकता ह बचार की छोटी तनखवाह हो और कहन म सकोच हो और झठ बोलना पड़ उसकी नौकरी छोटी-

मोटी हो वह कलकम हो दक दकसी पराइमरी सकल म मासटर हो अब तम उसकी भदद करवान पर राजी हो

या तो वह सच बोल तो अपमानजनक मालम पड़ता ह या झठ बोल तम उस झठ बोलन की उततजना

द रह हो दफर तनखवाह कया वमलती ह और इतन तक चन नही ह आधयावतमक लोगो को आवखरी म पछत ह

ऊपर भी कछ वमलता ह दक नही अगर ऊपर वमलता ह तो नौकरी अछी

हदद हो गयी ऊपर वमलन का मतलब कया होता ह चोरी बईमानी ररशवत

य सब िोि चहर ह और इन िोि चहरो पर हम बड़ा भरोसा ह इसवलए तमहारी सजदगी म सवास

नही ह कागज क फलो म गध नही होती तमहारा असली फल तो मरा जा रहा ह तमहारा गलाब का फल तो

सड़ा जा रहा ह कागज क फलो न चारो तरफ स उस पर घरा डाल ददया ह उसको सास लन की सववधा नही

ह तमहार गलाब क फल को अवसर नही ह दक वह सास ल ल दक वह रोिनी म उठ जाए दक पखवड़या खोल

द जगह नही ह अवकाि नही ह सब सिान कागज क फलो न भर ददया ह

बदध म गध होती ह कयोदक बदध क सब कागज क फल वगरा ददए गए जला ददए गए बदध का अिम होता

ह वजसन अपन असली चहर को पा वलया अब जो दफर वसा हो गया जसा वनदोष बचचा होता ह पहल ददन

का बचचा होता ह वसफम ह न कोई पररभाषा न कोई सीमा असीम हो गया दफर इस सरलता म सगध ह

सवास ह सरलता क अवतररि और कही सवास नही इस सहजता म सगध ह

इसवलए बदध की कटी का नाम िा गधकटी वहा फल वखला िा--मनषयता का फल याद रखनाः तम भी

फल हो चाह अभी कली म दब हो या हो सकता ह अभी कली भी पदा न हई हो अभी दकसी वकष की िाखा

म दब हो या हो सकता ह अभी वकष भी पदा न हआ हो और दकसी बीज म पड़ हो मगर तम भी फल हो

और अपनी सगध को खोजना ह और अपनी सगध को मखर करना ह अपनी सगध को परगट करना ह

अवभवयजना दनी ह जो गीत तमहार भीतर पड़ा ह उस गाया जाना ह और जो नाच तमहार भीतर पड़ा ह

उस नाचा जाना ह

नाचोग गाओग वखलोग तो ही पररतवि ह उस पररतवि म ही उस सतोष म ही एक सगध ह जो इन

नासापटो स नही पहचानी जाती उस पहचानन क वलए भी और नासापट चावहए जस भीतर की आख होती

ह ऐस भीतर क नासापट भी होत ह

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जररी नही दक तम बदध क पास जाओ तो तमह सगध वमल तम अगर अपनी दगध स बहत भर हो तो

िायद तमह बदध की सगध का पता भी न चल तम अगर अपन िोरगल स बहत भर हो तो तमह बदध का िनय

और सगीत उस िनय का कस सनायी पड़गा

गधकटी क चारो ओर जही क फल वखल ि

िासता न उन वभकषओ को कहाः वभकषओ जही क वखल इन फलो को दखत हो

एक फल तो बदध का वखला िा मगर िायद अभी य वभकष उस नही दख सकत इसवलए मजबरी ह और

बदध को कहना पड़ाः वभकषओ इन जही क वखल फलो को दखत हो य सवावसत फल इन पर धयान दो इन

फलो म कई राज वछप ह एक तो दक ऐस ही फल तम हो सकत हो ऐसी ही सवास तमहारी हो सकती ह

दसराः य फल सबह वखलत ह साझ मझाम जात ह ऐसा ही यह मनषय का जीवन ह इसम मोह मत

लगाना यह आया ह यह जाएगा इस पर मटठी मत बाधना इसक साि कपणता का सबध मत जोड़ना यह तो

आया ह और जाएगा जनम क साि ही मतय का आगमन हो गया ह

य फल अभी दकतन खि ददखायी पड़त ह साझ मझाम जाएग वगर जाएग धल म और खो जाएग ऐसा

ही जीवन ह

जो जीवन को पकड़ना चाहता ह वह सदा दख म ही रह जाता ह जीवन को पकड़ो मत यह पकड़ा जा

नही सकता बहता ह बहन दो इस समझो यह धयान की आधारविला ह

तमहार जीवन का दख कया ह तमहार जीवन का मौवलक दख यही ह दक जो रकगा नही उस तम

रोकना चाहत हो तमहार जीवन का मौवलक दख यही ह दक जो नही होगा उस तम करना चाहत हो जो हो

ही नही सकता

जस तम जवान हो तो तम सदा जवान रहना चाहत हो यह हो ही नही सकता तो दखी होन वाल हो

दख कोई तमह द नही रहा ह तम अपना दख पदा कर रह हो जवान को बढ़ा होना ही पड़गा इसम कछ बराई

भी नही ह परवाह ह जवानी का अपना सौदयम ह बढ़ाप का अपना सौदयम ह और अगर बढ़ापा तमह करप

ददखायी पड़ता ह तो उसका एक ही कारण ह दक यह बढा आदमी अभी भी जवानी को पकड़न की कोविि

म होगा जो इसक हाि स छट गयी ह इसवलए बढ़ाप का वनसशचत भोग नही कर पा रहा ह

नही तो बचपन का अपना सौदयम ह जवानी का अपना सौदयम ह बढ़ाप का अपना सौदयम ह और धयान

रखनाः बढ़ाप का सौदयम सबस बड़ा सौदयम ह कयोदक सबस अत म आता ह वह फल आवखरी ह

इसवलए तो इस दि म हम बढ़ को आदर दत ह सब बढ़ आदर क योगय होत नही इस जानकर भी दत

ह मानयता भीतर यह ह दक अगर कोई आदमी बचपन म परी तरह बचपन जीया हो और जब बचपन चला

गया तो पीछ लौटकर न दखा हो दो आस न बहाए हो उसक वलए जवानी म परी जवानी जीया हो और जब

जवानी चली गयी तो लौटकर न दखा हो वह आदमी परा बढ़ापा जीएगा उसक बढ़ाप म परजञा होगी बोध

होगा समझ होगी

बचचा तो दकतना ही वनदोष हो दफर भी अबोध होता ह उसकी वनदोषता म एक तरह का अजञान होता

ह उसकी वनदोषता अजञान की पयामयवाची होती ह वह वनदोष ह कयोदक अभी उसन जाना नही ह

जवानी वजददी होती ह जवानी सपनो स भर हए समय का नाम ह जवानी हजार सपन दखती ह और

हजार तरह की ववपदाओ म पड़ती ह जवानी म हजार तरह की मढ़ताए सवनवशचत ह जवानी एक तरह की

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मढ़ता ह एक तरह का निा ह जवानी एक तरह की मदहोिी ह जवानी म बड़ी गवत ह और बड़ी तवरा ह

और बड़ी ऊजाम ह लदकन बड़ी वववकषिता भी ह

बढ़ाप म जवानी की मढ़ता गयी वववकषिता गयी पागलपन गया जवानी का जोि-खरोि गया जवानी

की उततजना जवर गया बचपन का अजञान गया

जीवन क सार अनभव बढ़ को ताजा कर जात वनखार जात िदध कर जात अब न वासना क अधड़

उठत न बचपन का अजञान वखलौनो म उलझाता न जवानी की वववकषिता पद धन परवतिा की दौड़ म

महतवाकाकषा जगाती एक िावत उतरनी िर हो जाती ह

बढ़ा एक अपवम सतोष स भरन लगता ह सब जो दखना िा दख वलया सब जो जानना िा जान

वलया अब घर लौटन लगता ह

लदकन हमारी तकलीफ यह ह दक हमम स बहत कम लोग बढ़ हो पात ह बढ़ हो कस जो बढ़ ह व भी

अभी जवानी का ववचार करत रहत ह बचपन का ववचार करत रहत ह कहत हः अर व ददन गजब क ि

जो आदमी यह कह दक जो ददन बीत गए व गजब क ि समझनाः यह आदमी बढ़ नही पाया यह परौढ़

नही हआ कयोदक अगर व ददन गजब क ि तो य ददन और गजब क होन चावहए कयोदक उनही गजब क ददनो

क ऊपर खड़ ह और जब य ददन गजब क नही ह तो व ददन भी गजब क नही हो सकत जब बढ़ाप म सौदयम

नही ह तो जवानी कस सदर रही होगी अगर गगा सागर म वगरन क करीब गगा नही ह तो गगोतरी म कस

गगा रही होगी

बढ़ा आदमी एक अवभनव सौदयम स भर जाता ह उसक सौदयम म एक िीतलता होती ह जवानी की गमी

नही और बढ़ा आदमी दफर सरल हो जाता ह लदकन उसकी सरलता म बवदधमतता होती ह--बचच का अजञान

नही बढ़ापा अदभत ह

और जो आदमी ठीक स बढ़ा हो गया--न पीछ लौटकर दखता जवानी को न याद करता बचपन को--वह

आदमी अब मतय म भी उतन ही आनद स परवि कर सकगा कयोदक बढ़ाप का डर कया ह दक कही म बढ़ा न हो

जाऊ वह डर यही ह दक बढ़ाप क बाद दफर आवखरी कदम मौत ह

तो जवान जवानी म ही रक जाना चाहता ह सब तरह की चषटाए करता ह दक दकसी तरह पर जमाकर

खड़ा हो जाऊ यह जो नदी की धार सब बहाए ल जा रही ह यह मझ अपवाद की तरह छोड़ द तो दख ही

दख होगा

सख दकस होता ह सख उस होता ह वजसकी जीवन स कोई माग नही जीवन जो करता ह उस

सवीकार करन का भाव ह तिाता म सख ह जवानी तो जवानी म बढ़ापा तो बढ़ापा आज दकसी का परम

वमला तो परम और कल परम खो गया तो उतना ही िात भाव आज महल ि तो ठीक कल झोपड़ आ गए तो

ठीक

लदकन दवनया म दो तरह क मढ़ ह अगर झोपड़ा ह तो व चाहत ह महल होना चावहए और अगर

महल ह तो व चाहत ह झोपड़ा होना चावहए बड़ी मवशकल ह आदमी जहा ह वहा राजी नही ह अगर

झोपड़ा ह तो व कहत हः जब तक महल न वमल जाए म सखी नही हो सकता और महल वमल जाए तो

आदमी सोचन लगता हः महलो म कहा सख ह जब तक म वभखारी न हो जाऊ सड़क का तब तक कहा सख

होन वाला ह गरीब अमीर होन की सोचता ह अमीर गरीब होन की सोचता ह

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लदकन तम जो हो जहा हो उसको जीत नही तम जो हो वजस कषण म हो जहा हो जस हो उस कषण

को परी समगरता स जी लो उसस अनयिा की माग न करो जब वह कषण चला जाएगा कोई अड़चन न होगी

नया कषण आएगा नए कषण क साि नया जीवन आएगा

तो फलो म यह भी सदि ह और फलो म यह भी सदि ह दक यह जीवन सदा रहन को नही ह आज ह

कल नही हो जाएगा इसवलए यह यातरा ह मवजल नही ह यहा घर मत बना लना

समराट अकबर न फतहपर सीकरी का नगर बसाया बस तो कभी नही पाया नगर बसत कहा जब तक

नगर बसा तब तक अकबर क मरन क ददन करीब आ गए दफर जा नही पाया नगर सदा स ब-बसा रहा

लदकन बनाया सदर नगर िा सदरतम नगरो म एक बनाया िा और एक-एक चीज बड़ खयाल स रखी िी

एक-एक चीज एक-एक ईट बड़ सोच-ववचारकर रखी गयी िी

जो पल फतहपर सीकरी को जोड़ता ह उस पल पर कया वचन वलख जाए तो अकबर न सालो उस पर

ववचार दकया िा नगरदवार पर सवागत क वलए कया वचन वलख जाए दफर जीसस का परवसदध वचन चना िा

वचन ह दक यह ससार एक सत ह इसस गजर जाना इस पर घर मत बना लना

फल म यह सदि हः यहा सब बीत जाएगा घर मत बना लना घर जो बना लता ह जीवन म वही

गहसि ह और जो घर नही बनाता वही सनयसत ह

सनयास क वलए घर छोड़कर जान की जररत नही ह सनयास क वलए घर बनान की आदत छोड़न की

जररत ह सनयास क वलए यहा कोई घर घर नही ह सभी सराय ह जहा ठहर वही सराय ह इसका यह

मतलब नही ह दक सराय को गदा करो दक सराय ह अपन को कया लना-दना इसका यह भी मतलब नही दक

सराय कसी भी हो तो चलगा सराय को सदर करो सदरता स रहो लदकन धयान रखो दक जो आज ह वह

कल चला जाएगा यह जीवन का सवभाव ह

तो बदध न कहाः वभकषओ जही क इन वखल फलो को दखत हो य साझ मझाम जाएग ऐसा ही कषणभगर

जीवन ह अभी ह अभी नही इन फलो को धयान म रखना वभकषओ यह समवत ही कषणभगर क पार ल जान

वाली नौका ह

कयो जो कषणभगर को पकड़ना चाहता ह उसक भीतर ववचारो का तफान उठगा ववचार ह कया

कषणभगर को पकड़न की चषटाए कषणभगर को विर करन की चषटाए ववचार ह कया घर बनान की ईट

इसवलए जो कषणभगर को पकड़ना नही चाहता उसक भीतर ववचार अपन आप कषीण हो जात ह

सार ही कया ह जब सब चला जाना ह तो इतन सोच-ववचार स कया होगा इतनी योजनाए बनान का

कया अिम ह अतीत चला गया भववषय भी आएगा और चला जाएगा और वतममान बहा जा रहा ह जी लो--

बजाय योजनाए करन क

जस-जस ववचार कम होत ह वस-वस धयान परगट होता ह धयान ह वनरवमचार वचतत की दिा वही नौका

ह वही पार ल जाएगी

ववचारो न बाध रखा ह जजीरो की तरह इस तट स धयान ल जाएगा नौका की तरह उस तट पर

वभकषओ न फलो को दखा और सकलप दकयाः सधया तमहार कमहलाकर वगरन क पवम ही हम धयान को

उपलबध होग हम रागादद स मि होग फलो तम हमार साकषी रहो

भगवान न कहाः साध साध

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जब भी व आिीष दत ि तो यही उनका आिीष िाः साध साध धनय हो दक साधता का जनम हो रहा

ह धनय हो दक सरलता पदा हो रही ह धनय हो दक धयान की तरफ तमहारी दवषट जा रही ह धनय हो दक

साधना म रस उमग रहा ह साध साध ऐसा कहकर अपन आिीषो की वषाम की तब य सतर उनहोन कह िः

िनय गह म परववषट िात-वचतत वभकष को भली-भावत स धमम की ववपससना करत हए अमानषी रवत पराि

होती ह

जो वयवि िनय गह म ठहर जाए जो अपन भीतर वनरवमचार हो जाए वजसक भीतर ववचारो की तरग न

उठती हो िनय यानी वनरवमचार जो वयवि िनय हो जाए वही िात-वचतत ह

जो लोग तमह साधारणतः िात-वचतत ददखायी पड़त ह वह िावत वसफम ऊपर स साधी गयी ह कयोदक

भीतर तो ववचारो का बवडर चल रहा ह चप होन स कोई िात नही होता न बोलन स कोई िात नही होता

न सोचन स िात होता ह

तम ऊपर स वबलकल पतिर की मरतम बनकर बठ सकत हो और भीतर ववचार चलत रह तो इस पतिर

की मरतम बनन स कछ भी नही होगा

एक यवक दीकषा लन एक सदगर क पास पहचा--एक बौदध वभकष क पास बौदध वभकष एक बदध-मददर म

रहता िा जब वह यवक आया तो उस गर न पछा दक पहल कही और कछ सीखा ह उसन कहाः हा पहल म

एक योगी क पास सीखा ह कया सीख हो उस यवक न जलदी स पालिी मार ली पदमासन म बठ गया आख

बद कर ली दो वमनट तक गर दखता रहा उसन कहा दक अब आख खोलो और रासता पकड़ो

यवक न कहाः रासता पकड़ो म आपक पास विषय होन आया ह

उस गर न कहाः यहा पतिर की मरतमया इस मददर म बहत ह हम और जररत नही ह इनही को साफ-

समहाल करत बहत झझट हो रही ह यह पदमासन लगाकर तम बठ गए लदकन भीतर तमहार म परा बाजार

दख रहा ह

पदमासन लगान स कया होगा िीषामसन लगान स भी कया होगा भीतर स बाजार बद होना चावहए

वही एकमातर वासतववक आसन ह िरीर क आसनो म मत उलझ जाना असली सवाल मन का ह वहा िनयता

होनी चावहए तो िात-वचतत होता ह कोई और जो िात-वचतत होता ह वही धमम की ववपससना कर पाता ह

ववपससना का अिम होता ह लौटकर दखना पतजवल क िासतर म पतजवल न वजस परतयाहार कहा ह--

पीछ लौटकर जाना वजसको महावीर न परवतकरमण कहा ह आकरमण यानी बाहर जाना दसर पर हमला

परवतकरमण यानी अपन पर आना वजसको जीसस न मटानॉया कहा ह--वापसी उसी को बदध ववपससना कहत

ववपससना का अिम होता हः लौटकर अपन सरोत को दखना जब ववचारो का जाल हट जाता ह और

सामन वसफम िनय रह जाता ह तभी तम लौटकर पीछ दख सकत हो नही तो ववचार तमह पकड़ रहत ह लौटन

नही दत ववचारो क उलझाव क कारण तम अपन मलसरोत को दखन स ववचत रह जात हो

जो उस मलसरोत को दख लता ह--यह बदध का वचन बड़ा अदभत ह--वह अमानषी रवत को उपलबध हो

जाता ह वह ऐस सभोग को उपलबध हो जाता ह जो मनषयता क पार ह

वजसको मन सभोग स समावध की ओर कहा ह उसको ही बदध अमानषी रवत कहत ह

एक तो रवत ह मनषय की--सतरी और परष की कषणभर को सख वमलता ह वमलता ह या आभास होता ह

कम स कम दफर एक और रवत ह जब तमहारी चतना अपन ही मलसरोत म वगर जाती ह जब तम अपन स

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वमलत हो एक तो रवत ह दसर स वमलन की और एक रवत ह अपन स वमलन की जब तमहारा तमस ही

वमलना होता ह उस कषण जो महाआनद होता ह वही समावध ह

सभोग म समावध की झलक ह समावध म सभोग की पणमता ह

जस-जस वभकष पाच सकधो--रप वदना सजञा ससकार और ववजञान--की उतपवतत और ववनाि पर

ववचार करता ह वस-वस वह जञावनयो की परीवत और परमोदरपी अमत को पराि करता ह

एक तो अजञानी का परम ह एक जञानी का परम ह धनयभागी ह व जो जञानी की परम-दिा को पा ल

अभाग ह व जो अजञानी क परम म ही पड़ रह और भटक जाए

इनक भद को खयाल म लना

अजञान स भरा हआ परम कया ह अजञान स भरा हआ परम ऐसा ह वजसम परम का कोई कण भी नही ह

कछ और ही ह बात कछ और ही ह तम अकल होन म ऊबत हो इसवलए दकसी को परम करत हो दक अकल

होन म मजा नही आता ह अकल होन म ऊब आती ह उदासी आती ह अकल होन म घबड़ाहट होती ह--दकसी

का साि चावहए दकसी का साि तमहार वलए एक जररत ह यह अजञानी का परम ह

जञानी का परम कया ह जञानी अकल होन म परम आनद स भरता ह अकल होन म परिान नही होता

अकल होन म परम आनद स भरता ह लदकन इतन आनद स भर जाता ह दक अब उस आनद को बाटना चाहता

ह दकसी को दना चाहता ह

अजञानी का परम मागता ह जञानी का परम दता ह

बदध न खब ददया समसत सदगरओ न ददया वमलगा तो दना ही पड़गा जब दीया जलगा तो रोिनी

वबखरगी और जब फल वखलगा तो सगध उड़गी हवाओ पर इस रोका नही जा सकता

अजञानी का परम कसा ह अजञानी का परम ऐसा ह दक वमल जाए वभखारी का परम ह पवत पतनी स चाह

रहा ह दक कछ दो म अकल म बड़ा उदास हो रहा ह मझ कछ रस दो और पतनी भी कह रही ह दक मझ कछ

रस दो दोनो वभखारी एक-दसर स माग रह ह दन की तयारी दकसी की भी नही ह तो कलह तो होगी ही

इसवलए पवत-पतनी क बीच जो कलह ह वह िाशवत ह उस कलह का मल कारण पवत और पतनी की कोई

खराबी नही ह अजञानी का परम ह दोनो माग रह ह

दो वभखारी रासत पर खड़ हो गए समझ लो दक दोनो अध वभखारी ह इसवलए दख भी नही पात दक

दसरा भी वभखारी ह दोनो एक-दसर क सामन हाि फलाए खड़ ह दक कछ वमल जाए दया करो

वही दिा ह पवत-पवतनयो की अध दख भी नही सकत दक दसरा बचारा खद ही वभखारी ह इसस कया

माग रह ह और दसरा भी माग रहा ह दक कछ वमल जाए और दोनो ही दखी होग कयोदक वमलना तो ह नही

दन की तयारी दकसी की वहा ह नही दन को वहा कछ ह ही नही तयारी भी कस हो सब खाली-खाली ह

ररकत ह

इसवलए इस जगत म सभी परमी समझत ह दक धोखा ददया गया दक कहा स इस सतरी की झझट म पड़

गया इतनी वसतरया िी वजनस वमल सकता िा

दकसी स नही वमलन वाला िा तम उनक पवतयो स तो पछो जाकर दक उनको कया वमला व सोचत ह

दक िायद तमहारी पतनी वमल जाती तो उनह कछ वमल जाता

मन सना हः एक यहदी परोवहत को एक यवक न आकर कहा दक मझ कषमा कर द मझ वबलकल कषमा कर

द म महापापी ह यहदी परोवहत न कहाः लदकन मझ पता तो चल दक कया पाप ह उस यवक न कहाः मत

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पछ बस मझ कषमा कर द यह पाप ऐसा ह दक म कह न सकगा लदकन परोवहत न कहा तम मझस कह

सकत हो और वबना जान म कषमा भी कस कर द

तो मजबरी म उस यवक न कहा दक मामला यह ह दक कई बार मर मन म आपकी पतनी क परवत वासना

उठती ह मझ कषमा कर द

उस यहदी परोवहत न उसक वसर पर हाि रखा और कहाः बटा घबड़ा मत मर मन म भी तरी पतनी क

परवत ववचार उठत ह त वनसशचत रह इसम कछ अपराध नही ह कयोदक यह हालत मरी भी ह

यही हालत ह जो तमह नही वमला ह सोचत हो िायद उसस वमल जाता

इस जगत म वभखारी वभखाररयो क सामन खड़ ह दकसी समराट को खोजो मगर समराट को खोजन का

ढग समराट होना ह इसवलए बड़ी मसीबत ह समराट क पास समराट होकर ही पहच सकत हो वभखारी को

राजमहल म परवि भी नही वमलगा

समराट को खोजन का उपाय समराट होना ह अगर बदधो स सतसग चाहत हो तो धयानी बनो धीर-धीर

तमहारा समराट भी भीतर पदा हो दफर खब परम बरसता ह परम ही परम बहता ह परम की रसधार बहती ह

वह जस-जस ववपससना को उपलबध होता ह और जस-जस दखता हः ससार म सब कषणभगर ह यहा

कछ ठहरन वाला नही ह वस-वस जञावनयो की परीवत और परमोदरपी अमत को पराि करता ह

और जब दन की कला आ जाती ह और दन की कषमता आ जाती ह तो सख ह सख दन म ह लन म

नही

तमन भी कभी-कभी जीवन म वनरीकषण दकया होगा इस बात का दक जब तम दत हो तब एक तरह का

सख वमलता ह कछ भी िोड़ा सा भी द दो और जब तम लत हो तब पीछ िोड़ी सी गलावन होती ह लन म

तम दीन हो जात हो

इसवलए एक बात जाननाः अगर तम दकसी को कछ दो तो खयाल रखना वह तमह कभी कषमा नही कर

पाएगा वह तमस बदला लगा इसवलए अकसर होता ह लोग कहत हः हमन तो नकी की हम बदल म बदी

वमली इसम राज ह इसवलए जञावनयो न कहा नकी कर और कए म डाल दफर उसको वबलकल भल ही जा

उसकी याद ही मत ददलाना नही तो वजस आदमी क साि नकी की ह वही तरी गरदन काटगा कयोदक उसको

तन दीन कर ददया

एक आदमी आया तमन उस सौ रपए द ददए और तमहार मन म बड़ा नकी का भाव उठा दक दखो

दकतना गजब का काम कर रह ह इसको सौ रपए द रह ह तम तो गजब काम कर रह हो उस आदमी पर कया

गजर रही ह वह यह दख रहा ह दक अछा कभी मौका वमला तो दख लग तम ऐस अकड़ जा रह ऐस फल

जा रह हो आज हम मसीबत म ह ठीक ह हाि फलान पड़ तमहार सामन ठीक ह

वह सदा परािमना करगा दक कभी ऐसा ददन आए दक तम भी हमार सामन हाि फलाओ तभी वह तमह

कषमा कर पाएगा नही तो कषमा नही कर पाएगा वह तमहारा दशमन हो गया तमन एक दशमन बना वलया

दना इस ढग स दक लन वाल को पीड़ा न हो तो ही नही तो तम कषमा नही दकए जा सकोग दना

इस ढग स दक लन वाल को पता न चल इसवलए गि-दान की मवहमा ह दना इस ढग स दक लन वाल को यह

खयाल ही न हो दक दन वाला वहा अकड़कर खड़ा िा और दन म मजा ल रहा िा

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दना ववनमरता स दना झक कर हाि तमहारा नीचा हो इस ढग स दना लन वाल का हाि ऊपर रह

इस ढग स दना तादक लन वाल को ऐसा लग दक लकर उसन तम पर कपा की ह अनगरह दकया ह दफर तमहार

वलए कभी नकी क बदल म बदी नही वमलगी

वजसक भीतर दन की पातरता आ जाती ह पातर भर जाता ह परम स उसी क भीतर परमोद होता ह परमोद

ह दन का आनद सबस बड़ा आनद ह इस जगत म दन का आनद और सबस बड़ी दन की चीज ह इस जगत म

धयान नबर दो पर परम य दो बड़ी स बड़ी सपदाए ह--धयान की और परम की

जो सवा-सतकार सवभाव वाला ह और आचार-किल ह वह आनद स ओतपरोत होकर दख का अत

करगा

जस जही अपन कमहलाए फलो को छोड़ दती ह वस ही ह वभकषओ तम राग और दवष को छोड़ दो

दसरा दशयः

शरावसती का एक वनधमन परष हल चलाकर दकसी भावत जीवन-यापन करता िा वह अतयत दखी िा

जस दक सभी पराणी दखी ह

दफर उस पर बदध की जयोवत पड़ी वह सनयसत हआ फकत सनयसत होत समय उसन अपन हल-नगल को

ववहार क पास ही एक वकष पर टाग ददया अतीत स सबध तोड़ना आसान भी तो नही ह चाह अतीत म कछ

हो या न हो न हो तो छोड़ना िायद और भी करठन होता ह

सनयसत हो कछ ददन तो वह बड़ा परसि रहा और दफर उदास हो गया मन का ऐसा ही सवभाव ह--दवदव

एक अवत स दसरी अवत इस उदासी म वरागय स वरागय पदा हआ वह सोचन लगाः इसस तो गहसि ही

बहतर ि यह कहा की झझट मोल ल ली यह सनयसत होन म कया सार ह

इस ववराग स वरागय की दिा म वह उस हल को लकर पनः गहसि हो जान क वलए वकष क नीच गया

फकत वहा पहचत-पहचत ही उस अपनी मढ़ता ददखी उसन खड़ होकर धयानपवमक अपनी वसिवत को वनहारा--

दक म यह कया कर रहा ह

उस अपनी भल समझ आयी पनः ववहार वापस लौट आया दफर यह उसकी साधना ही हो गयी जब-

जब उस उदासी उतपि होती वह वकष क पास जाता अपन हल को दखता और दफर वापस लौट आता

वभकषओ न उस बार-बार अपन हल-नगल को दखत और बार-बार नगल क पास जात दख उसका नाम ही

नगलकल रख ददया

लदकन एक ददन वह हल क दिमन करक लौटता िा दक अहमतव को उपलबध हो गया और दफर उस दकसी

न दबारा हल-दिमन को जात नही दखा वभकषओ को सवभावतः वजजञासा जगीः इस नगलकल को कया हो गया

ह अब नही जाता ह उस वकष क पास पहल तो बार-बार जाता िा

उनहोन पछाः आवस नगलकल अब त उस वकष क पास नही जाता बात कया ह

नगलकल हसा और बोलाः जब तक आसवि रही अतीत स जाता िा जब तक ससगम रहा तब तक

गया अब वह जजीर टट गयी ह म अब मि ह

इस सन वभकषओ न भगवान स कहाः भत यह नगलकल झठ बोलता ह यह अहमतव परावि की घोषणा कर

रहा ह यह कहता ह म मि ह

69

भगवान न करणा स उन वभकषओ की ओर दखा और कहाः वभकषओ मरा पतर अपन आपको उपदि द

परवरवजत होन क कतय को समाि कर वलया ह उस जो पाना िा उसन पा वलया ह और जो छोड़ना िा छोड़

ददया ह वह वनशचय ही मि हो गया ह

तब उनहोन य दो सतर कहः

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो

जो आप ही अपन को परररत करगा जो आप ही अपन को सलगन करगा वह आतम-गि--अपन दवारा

रवकषत--समवतवान वभकष सख स ववहार करगा वह मि हो जाता ह

मनषय अपना सवामी आप ह आप ही अपनी गवत ह इसवलए अपन को सयमी बनाव जस सदर घोड़

को बवनया सयत करता ह

पहल दशय को समझ ल पयारा दशय ह

एक वनधमन आदमी बदध क ववहार क पास ही अपना हल चलाकर छोटी-मोटी खती-बाड़ी करता िा

वनधमन िा बहत दकसी भावत जीवन-यापन होता िा दो सखी रोटी वमल जाती िी फट-परान वसतर नगा नही

िा रखी-सखी रोटी भखा नही िा मगर जीवन म और कछ भी न िा एक गहन बोझ की तरह जीवन को ढो

रहा िा

वह अतयत दखी िा जस दक सभी पराणी दखी ह

गरीब दखी ह गरीबी क कारण नही कयोदक अमीर भी दखी ह जो हार गए व दखी ह हारन क कारण

नही कयोदक जो जीत गए व भी दखी ह

बदध कहत हः यहा सभी दखी ह मनषय होन म ही दख समाया हआ ह

इसवलए तम झठ कारणो पर मत अटक जाना तम यह मत कहना दक म गरीब ह इसवलए दखी ह यही

तो भरावत ह तो जो आदमी सोचता हः म गरीब ह इसवलए दखी ह तो वह अमीर होन म लग जाता ह दफर

अमीर होकर एक ददन पाता ह दक सजदगी अमीर होन म बीत गयी और दखी म उतना का उतना ह िायद

िोड़ा जयादा हो गया ह कयोदक गरीब आदमी जयादा दख भी नही खरीद सकता गरीब की हवसयत दकतनी

अमीर आदमी जयादा दख खरीद सकता ह उसकी हवसयत जयादा ह

गरीब आदमी की दख म भी तो कषमता होती ह न अब एक आदमी गरीब ह तो बलगाड़ी म चलगा

हवाई जहाज म उड़न का दख नही जान सकता कस जानगा वह तो कोई हवाई जहाज म उड़ तब

वबड़ला पररवार की एक मवहला को कोई मर पास लाया उसकी करठनाई कया िी उसकी करठनाई िीः

हवाई जहाज म उड़न म उस बड़ा भय लगता और रलगाड़ी म वह चल भी नही सकती वह परवतिा स नीच ह

अब यह दख कोई गरीब कस जानगा और हवाई जहाज म उड़न म डर लगता ह पसीना-पसीना हो

जाती ह हदय की धड़कन बढ़ जाती ह बलडपरिर बढ़ जाता ह और रलगाड़ी म चल कस

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अब यह दख कोई गरीब जान सकता ह यह बहत मवशकल ह मामला गरीब को यह दख कहा गरीब

झोपड़ म रहन का दख जान सकता ह महलो म रहन का दख अमीर ही जान सकता ह गरीब नही जान

सकता गरीब रखी-सखी रोटी का दख जानता ह अमीर ससवाद भोजनो का दख जानता ह

यहा मर पास वजतन अमीर आत ह उनक दख अलग जो गरीब आत ह उनक दख अलग गरीब क दख

भी बड़ दीन-हीन होत ह लड़क को नौकरी नही लग रही ह अमीर का दख यह होता ह दक लड़का िराब पी

रहा ह

अब य बड़ अलग दख ह गरीब का लड़का िराब पीए तो पीए कहा स नौकरी ही नही लगी ह अभी

अब यह िराब तो बड़ी आग की मवजल ह

एक महारानी मझस वमलन आयी कछ ददन पहल उनका लड़का ददनभर निा दकए पड़ा रहता ह और

काम ही नही करता कछ उठ भी नही सकता वबसतर स इतना निा दकए रहता ह

महारानी का लड़का ह मन कहाः यह योगय भी ह कोई गरीब का लड़का नही ह गरीब का लड़का

होता तो कछ और तरह क दख झलता अमीर का लड़का ह तो य ही दख झलगा

अब धीर-धीर तो और तरह क डरगस म पड़ गया ह िराब स अब काम नही चलता िराब इतनी पी

डाली ह दक अब िराब स निा नही होता अब तो िराब ही बह रही ह उसक खन म अब तो मछड़ भी

उनको काटत होग तो निा चढ़ता होगा तो अब उसको और डरगस चावहए--एलएसड़ी

अब गरीब न तो एलएसड़ी का नाम भी नही सना माररजआना अब गरीब न तो यह नाम भी नही

सना और अब मह स ही लन स काम नही चलता अब वह अपन को खद ही इजकिन मारता रहता ह और

यह आवखरी दिा ह बस उठकर सबह स एक इजकिन मार वलया दफर पड़ गए दफर जब होि आया दफर

एक इजकिन मार वलया अब उसकी हालत खराब होती जा रही ह रोज-रोज खराब होती जा रही ह

अब महारानी मझस कहती िी दक कया कर इसको अमरीका ल जाऊ मन कहाः अमरीका ल जान स

कया होगा अमरीका तो इसका यही आ ही गया अमरीका म यही हो सकता िा यह तो इसन कर ही वलया

अब इसको वहा काह क वलए ल जाना

नही उनहोन कहा वचदकतसा क वलए

यह वहा जाकर और वबगड़गा कयोदक वहा और ववकवसत डरग उपलबध हो गए ह मन कहाः अमरीका

ही ल जाओ तो कवलफोरनमया ल जाना

गरीब क दख ह छोट-मोट अमीर क दख ह और बड़ कयोदक वह जयादा दख खरीद सकता ह उसका

फलाव बड़ा ह वह दखो म चनाव भी कर सकता ह यह दख ल दक वह दख ल कौन सा दख खरीद भारतीय

दख खरीद दक ववदिी दख खरीद दकस तरह का दख खरीद

अब गरीब आदमी तो भारतीय दख खरीद सकता ह अमीर आदमी ववदिी दख खरीदगा गए पवशचम

और एक ववदिी सतरी स वववाह कर लाए यह ववदिी दख ह यह बहत करठन दख ह

मर एक वमतर ह परोफसर एक अमरीकन यवती स वववाह करक आ गए अब बड़ सात साल साि रह

मर पड़ोस म ही रहत ि जब म ववशवववदयालय म विकषक िा तब मर पास ही रहत ि उनका दख चौबीस घट

वही हर चीज म दख कयोदक जब अमरीकन सतरी स िादी की ह तो दफर अमरीकन लहजा चावहए अब

अमरीकन सतरी ह वह िराब भी पीएगी वसगरट भी पीएगी अब यह इनको बहत करठन मालम पड़ दक सतरी

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और वसगरट पीए और इनक ही सामन फक रही ह और इनस घर म काम भी करवाए कयोदक अमरीका म तो

पचास-पचास परवतित काम ह

ठीक भी ह जब अमरीकन सतरी ली तो अमरीकन दख भी लना पड़गा न तो काम बाट ददया उसन एक

ददन म नाशता बनाऊगी एक ददन आप बनाए अब बना रह ह पकौड़ सबह स और आख उनकी धआ खा रही

व मझस पछत कया कर मन कहाः इसम कछ करना नही ह तम ववदिी दख वलए हो तमह दिी दख

नही जचा

दफर वह िाम को खलन भी जाएगी टवनस इनको वह सचता लग दक वह टवनस खलन गयी ह मन कहाः

उसको खलन दो नही खलन की बात नही ह व मझस कह वह वहा लोगो क गल म हाि डालकर घमती ह

ववदिी दख तो ववदिी दख ह करठनाइया ह

गरीब अपनी सीमा म जीता दकसी तरह अमीर हो जाता ह तब उसको पता चलता ह दक यह तो

मामला वबगड़ गया यह कहा स कहा पहच गए

यहा हमार वरागय ह व राधा क परम म पड़ गए ह अब राधा ह इटवलयन इटवलयन मतलबः ववदवियो

म भी ववदिी अब उनको भारी कषट ह अब उनको चौबीस घट इसी की दफकर रहती ह दक राधा कहा ह

दकसस बात कर रही ह दकसक हाि म हाि डालकर घमन चली गयी ह

मन उनस कहाः वरागय तम गरीब घर क आदमी हो तम अपनी सीमा म रहो तम कोई भारतीय दख

खरीदो

तो वह आदमी बड़ा दखी िा

बदध कहत हः दखी होना ही आदवमयत ह इसम कारण मत खोजना दक यह कारण ह वह कारण ह

आदमी जहा भी होगा दखी होगा जब तक आदमी क पार न हो जाए तब तक दखी होगा आदवमयत कारण

ह तो तम दख बदल ल सकत हो मगर इसस कछ फकम न पड़गा

उस पर बदध की जयोवत पड़ी

यह बदध की जयोवत पड़न का कया मामला ह

अपन खत म चलाता होगा हल-बकखर बदध वहा स रोज वनकलत होग वह ववहार क पास ही खती-

बाड़ी करता िा दखता होगा रोज बदध को जात यह िात परवतमा यह परसादपणम वयवितव खड़ा हो जाता

होगा कभी-कभी अपन हल को रोककर दो कषण आख भरकर दख लता होगा दफर अपन हल म जत जाता

होगा यह रोज होता रहा होगा

जस रसरी आवत-जात ह वसल पर परत वनिान पतिर पर भी वनिान पड़ जाता ह रससा आता रह

जाता रह करत-करत अभयास क जड़-मवत होत सजान

रोज-रोज दखता होगा दफर और जयादा-जयादा दखन लगा होगा दफर बदध जात होग तो पीछ दर तक

दखता रहता होगा जब तक आख स ओझल न हो जाए दफर धीर-धीर परतीकषा करन लगा होगा दक आज अभी

तक आए नही कब आत होग दफर दकसी ददन न आत होग तो तलब लगती होगी लगता होगा दक आज आए

नही कभी ऐसा भी होता होगा दक बदध होग बीमार नही गए होग वभकषा मागन तो िायद आशरम पहच गया

होगा दक एक झलक वहा वमल जाए

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दफर बदध को दखत-दखत बदध क और वभकष भी ददखायी पड़न िर हए होग य बदध अकल नही ह

हजारो इनक वभकष ह और सब परफवललत मालम होत ह सब आनददत मालम होत ह म ही एक दख म पड़ा म

कब तक इस हल-बकखर म ही जता रहगा

ऐस ववचारो की तरग आन लगी होगी इनही तरगो म एक ददन बदध की बसी म फस गया होगा

दफर उस पर बदध की जयोवत पड़ी

एक ददन लगा होगाः मर पास ह कया इस आदमी क पास सब िा राजमहल ि खोजबीन की होगी

पता लगाया होगा यह आदमी कसा लगता इतना पयारा और इतना सदर ह और ह वभखारी लगता ह

समराटो का समराट चाल म इसकी समराट का भाव ह भाव-भवगमा इसकी कछ और ह यह होना चावहए

राजमहलो म यह यहा कया कर रहा ह आदमी

पता लगाया होगा पता चला होगाः सब िा इसक पास सब छोड़ ददया इसको ववचार उठन लग होग

दक मर पास कछ भी नही ह यह एक हल ह यह नगल बस यही मरी सपवतत ह और मर पास ह कया छोड़न

को म भी कयो न इस आदमी की छाया बन जाऊ म भी कयो न इसक पीछ चल पड एकाध बद िायद मर

हाि भी लग जाए--जो इसका सागर ह उसकी और जब इतन लोग इसक पीछ चल रह ह और पा रह ह

माना दक म अभागा ह लदकन दफर भी िायद कछ हाि लग जाए

धीर-धीर रस लगा होगा राग लगा होगा

धनयभागी ह व वजनका बदधो स राग लग जाए वजनको बदधो स परम हो जाए कयोदक उनक जीवन का

दवार खलन क करीब ह

तो एक ददन सनयसत हो गया फकत सनयसत होत समय उसन अपन हल-नगल को ववहार क पास ही एक

वकष पर टाग ददया

सोचा होगा दक कया भरोसा अनजान रासत पर जाता ह--जच न जच आज उतसाह म उमग म ह कल

पता चल दक सब दफजल की बकवास ह तो अपना नगल तो समहालकर रख दो कभी जररत पड़ी तो दफर

लौट आएग रासता कायम रखा लौटन का दक कभी अड़चन आ जाए तो ऐसा नही दक सब खतम करक आ गए

दफर लौटना ही मवशकल हो जाए

तो ववहार क पास ही एक झाड़ पर ऊपर समहालकर अपन नगल को रख ददया

यह परतीक ह इस बात काः इसी तरह हम अपन अतीत को समहालकर रख रहत ह सनयसत भी हो जात

ह तो अतीत को समहालकर रखत ह दक लौटन क सब सत न टट जाए

झन फकीर ररझाई अपन गर क पास गया तो गर न पछाः सन त सनयसत होना चाहता ह पहल तीन-

चार सवालो क जवाब द द कहा स आता ह

ररझाई न कहाः जहा स आता ह वहा स वबलकल आ गया ह इसवलए उस सबध म कोई जवाब नही

दगा

गर न पछाः छोड़ मझ चावलो म बहत रस ह वहा चावल क कया दाम ह जहा स त आता ह

ररझाई न कहाः सन चावल क दाम जरर वहा कछ ह जरर कछ होग लदकन म वहा स आ गया ह

और जहा स म आ गया ह वहा क चावलो क दाम म वहसाब म नही रखता उसकी समवत नही रखता

गर न कहाः एक बात और दकस रासत स आया कहा-कहा होकर आया

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ररझाई न कहाः आप दफजल की बात पछ रह ह और म जानता ह दक आप कयो पछ रह ह आप मझ

भड़काए मत आप मझ उततवजत न कर लदकन यह मरा वनयम रहा ह दक वजस पल स गजर गए उस तोड़

ददया वजस सीढ़ी को पार कर गए उस वगरा ददया कयोदक लौटना कहा ह लौटना ह ही नही आग जाना ह

तो गर न उस आिीवामद ददया और कहा दक त ठीक-ठीक सनयसत होन क योगय ह

मगर इतनी योगयता तो कब होती ह बड़ी मवशकल स होती ह

जो अतीत को तोड़ दता ह वही सनयासी ह जो अतीत म अपना घर नही रखता वही गहसि नही ह

जो कहता हः जो गया गया अब तो जो ह ह जो यहा ह और अभी ह

तो यह किा-परतीक पयारा ह दक गरीब आदमी और तो कछ िा नही उसक पास कोई वतजोड़ी नही

िी कोई बक-बलस नही िा कछ भी नही िा एक नगल िा एक हल िा उसको रख आया दक कभी जररत

पड़ तो एकदम असहाय न हो जाऊ

अतीत स सबध तोड़ना बड़ा करठन ह चाह अतीत म कछ हो या न हो न हो तो छोड़ना और भी करठन

ह कयोदक लगता ह गरीब आदमी ह यही तो एक सपदा ह छोटी सी यही चली गयी तो दफर कछ न बचगा

अमीर तो िायद कछ छोड़ भी द कयोदक उसक पास और बहत कछ ह इतना छोड़न स कछ हजाम नही ह

अमीर िायद धन भी छोड़ द कयोदक वह जानता हः उसक पररवार क लोग भी धनी ह कल अगर

लौटगा अपना धन नही होगा तो भी अपन पररवार क लोगो का धन होगा अमीर तो िायद सब छोड़ द

कयोदक उसकी परवतिा भी ह करवडट भी ह कल अगर लौटकर आएगा तो परवतिा स भी जी लगा उधार भी

वमल जाएगा

लदकन गरीब आदमी उसक पास तो हल ह दो पस कोई दगा नही उधार परवतिा तो कोई ह नही

पररवार तो कछ ह नही वजनको अपना कह सक ऐसा तो कोई ह नही यह एक नगल ही बस सब कछ ह तो

उसको रख ददया उसन यही इसका पररवार ह यही इसका धन ह यही इसकी सारी की सारी आतमा ह उसन

उस समहालकर रख ददया

सनयसत हो कछ ददन तक तो बड़ा परसि रहा और दफर उदास हो गया

यह रोज घटता ह यह यहा भी घटता ह जब कोई आदमी सनयसत होता ह तो बड़ी आिाओ उमगो

उतसाहो स भरा होता ह लदकन तमहारी आिा क अनकल ही िोड़ ही ससार चलता ह और तमहारी अपकषाए

िोड़ ही जररी रप स परी होती ह दफर तम अपकषाए भी बहत कर लत हो तम अपकषाए जररत स जयादा

कर लत हो उन अपकषाओ को परा करन क वलए वजतना शरम करना चावहए वह तो करत नही अपकषाए

अटकी रह जाती ह परी नही होती वजतना सकलप चावहए वह तो होता नही दफर धीर-धीर उदासी पकड़ती

लोग सोचत ह दक िायद सनयसत हो गए तो सब हो गया सनयसत होन स वसफम िरआत होती ह यातरा

की सब तो अभी होना ह

मर पास लोग आ जात ह व कहत ह दक बस सनयास द दीवजए दफर दो-चार महीन बाद आत ह दक

अभी तक कछ हआ नही जस दक सनयास स कछ होन वाला ह

सनयास तो वसफम सचना िी दक अब हम कछ करग वह तो कछ दकया नही व सोचत ह दक सनयास ल

वलया सो सब हो गया अब जस वजममवारी मरी ह अब व मझ अदालत म ल जान की इछा रखत ह दक अभी

तक दकया कयो नही

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तो यह आदमी सनयसत हो गया िा सोचता होगाः बदध क विषय हो गए अब और कया करना ह दफर

उदासी आनी िर हई होगी कयोदक बदध कहत हः ववपससना करो बदध कहत हः धयान करो बदध कहत

हः सकलप करो बदध कहत हः भीतर जाओ यह जाता होगा भीतर इसको नगल ददखायी पड़ता होगा

झाड़ पर लटका नगल जाता होगा भीतर वही ववचार आत होग पीछ अतीत क सोचता होगाः यह कहा की

झझट म म कहा भीतर जाना कहा ह भीतर कया ह भीतर अधरा-अधरा ददखता होगा दक अछी

झझट म पड़ अपना हल चलात ि अपनी दो रोटी कमा लत ि वह भी गयी और यह भीतर जाना

यह तो सोचा ही नही िा बदध को दखा िा बदध की मवहमा दखी िी बदध का गौरव दखा िा बदध का

परकाि दखा िा उसी लोभ म पड़कर सनयसत हो गया िा अब यह करना भी पड़गा कछ यह तो सोचता िाः

ऐस ही वमल जाएगा पीछ चलत-चलत वमल जाएगा

तो कई दफ उदासी आ जाती ह

पहली दफा जब उदासी आयी तो उसन सोचाः इसम कोई सार नही यह अपना काम नही ह गया

उचट गया वरागय स मन पहचा अपन वकष क पास सोचाः हल को लकर पनः गहसि हो जाऊ

लदकन मन ऐसा ही कषणभगर ह

यहा रोज ऐसा होता ह कोई मझस पछता ह दक मन बहत उदास ह म कया कर म कहता हः तीन

ददन बाद आओ वह सोचता हः तीन ददन बाद म उपाय बताऊगा तीन ददन बाद वह आता ह वह कहता हः

अब मन उदास नही ह मन कहाः वापस जाओ इतना काफी ह इसस समझो दक य सब कषवणक भाव-भवगमाए

ह इनम इतन उलझो मत आती ह जाती ह मौसम की तरह बदलती ह

सबह सरज दपहर बादल वघर गए साझ बदा-बादी हो गयी

अब हर चीज को समसया मत बनाओ दक बदा-बादी हो गयी अब कया कर जस दक अब सजदगीभर

बदा-बादी होती रहगी कल सबह दफर सरज वनकलगा अब बादल वघर गए अब कया कर म कहता हः

तीन ददन बाद आओ तीन ददन बाद बादल छट जात ह

इसीवलए लकषमी को वबठा रखा ह वह रोकती ह लोगो को लोग कहत ह आज ही चावहए वह कहती ह

कल परसो टालती ह वह उपाय ह जब तक तम मर पास आओग समसया गयी तमहारी भी गयी मरी भी

गयी

धीर-धीर तमह यह समझ म आ जाएगा दक अगर तम िोड़ा धीरज रखो तो समसयाए चली जाती ह--

अपन स चली जाती ह इसवलए अगरजी म बीमार क वलए िबद ह--पिट पिट का मतलब होता ह जो पिस

रख बीमारी चली जाती ह धयम रख िबद पयारा ह धीरज रह तो सब चला जाता ह

कहत ह दक अगर सदी-जकाम हो दवा लो तो सात ददन म जाता ह और दवा न लो तो एक सिाह म

मगर जाता ह धीरज चावहए

यह गया होगा जब तक वकष क पास पहचा तब तक बात बदल गयी बादल वघर ि अब छट गए

सरज वनकल आया इसन सोचाः अर म--और यह कया कर रहा ह जब हल-बकखर जोतता िा तो कौन सा

सखी िा दख क वसवा कछ भी न िा अब न हल-बकखर जोतन पड़त न महनत करनी पड़ती वभकषा माग

लाता ह पहल स अछी रोटी वमल रही ह अछी दाल अछी सबजी वमल रही ह और बदध का सतसग पहल

तड़फता िा कब वनकलग एक कषणभर को दख पाता िा अब चौबीस घट उनकी सविवध ह यह म कया कर

रहा ह

75

सोचा होगा दक इतनी बड़ी सपदा पान चला ह--बदधतव िोड़ा शरम तो करना ही होगा िोड़ा भीतर भी

हल-बकखर चलाना होगा

बदध कहत िः म भी दकसान ह म भीतर की खती-बाड़ी करता ह भीतर बीज बोता ह भीतर की फसल

काटता ह

ऐस ही दकसानो स बदध न कहा होगा यह कयोदक दकसान दकसान की भाषा समझ

सोचकर दक यह तो म गलत कर रहा ह यह तो म वयिम कर रहा ह यह तो म दकस दभामगय म सोचा दक

वापस लौट जाऊ नही नही ऐसा सोचकर ववचारकर दफर दढ़-वनशचय हो वापस लौट आया उस अपनी

मढ़ता ददखी और पनः सनयास की उमग स भर गया

दफर यह तो उसकी साधना ही हो गयी कयोदक कोई एक ददन आ गयी उदासी चली गयी ऐसा िोड़ ही

ह बादल एक ददन वघर और चल गए बार-बार वघर बार-बार वघर और बार-बार जाए दफर तो उस तरकीब

हाि लग गयी दफर तो उसन सोचाः यह अदभत तरकीब ह जब भी झझट आती चल गए जाकर दखा अपन

नगल को

उस नगल को दखकर ही उसको अपन परान ददन सब साफ हो जात दक वही कौन सा सख िा

महानरक भोग रह ि उसस अब हालत बहतर ह अब चीज सधर रही ह और धीर-धीर िावत भी उतरती ह

और कभी-कभी मन सिाट स भी भर जाता ह और कभी-कभी बदध वजस िनय की बात करत ह उसकी िोड़ी

सी झलक हवा का एक झकोरा सा आता ह और बदध वजस धयान की बात करत ह यदयवप परा-परा नही

समहलता लदकन कभी-कभी कभी-कभी वखड़की खलती ह कषणभर को सही मगर बड़ अमत स भर जाती ह

यह हो तो रहा ह अभी बद-बद हो रहा ह कल सागर-सागर भी होगा बद-बद स ही तो सागर भर जाता ह

ऐसा बार-बार जाता और बार-बार वहा स और भी जयादा परफवललत और आनददत होकर लौटन लगा

यह तो उसकी साधना हो गयी जब-जब उदासी उतपि होती वकष क पास जाता हल को दखता वापस लौट

आता ऐसा अनत बार हआ होगा

वभकषओ न उस बार-बार जात दखकर तो उसका नाम ही नगलकल रख ददया व कहन लगः यही इसका

पररवार ह कयोदक आदमी अपन पररवार की तरफ जाता ह कोई अपनी पतनी को छोड़ आया तो सोचता हः

वापस जाऊ दफर अपनी पतनी को लकर गहसि हो जाऊ कोई अपन बट को छोड़ आया सोचता हः जाऊ अब

बट को दफर सवीकार कर ल और गहसि हो जाऊ

इसका कोई और नही ह यह नगलकल ह इसका एक ही कल ह एक ही पररवार ह वह ह नगल उसम

कछ ह भी नही सार उसको कोई चरा भी नही ल जाता झाड़ पर अटका ह कोई ल जान वाला भी नही ह

गाव म मगर यही उसकी कल सपदा ह उसका नाम रख ददया--नगलकल

वह न मालम दकतनी बार गया न मालम दकतनी बार आया लदकन हर बार जब आया तो बहतर

होकर आया हर बार जब आया तो वनखरकर आया हर बार जब आया तो और ताजा होकर आया यह तो

घटना भीतर घट रही िी बाहर तो दकसी को पता नही चलता िा दक भीतर कया हो रहा ह

एक ददन हल क दिमन करक लौटता िा दक अहमतव को उपलबध हो गया

पकती गयी बात पकती गयी बात पकती गयी बात एक ददन फल टपक गया एक ददन लौटता िा

नगल को दखकर और बात सपषट हो गयी अतीत गया वतममान का उदय हो गया

76

अहमतव का अिम होता हः चतना वतममान म आ गयी अतीत का सब जाल छट गया सब झझट छट गयी

यही कषण सब कछ हो गया इस कषण म चतना वनरवमचार होकर परजववलत होकर जल उठी

और दफर उस दकसी न दबारा नगल को दखन जात नही दखा सवभावतः वभकषओ को वजजञासा उठी

पछाः आवस नगलकल अब त उस वकष क पास नही जाता ह

नगलकल हसा हसा अपनी मढ़ता पर जो वह हजारो बार गया िा और उसन कहाः जब तक आसवि

रही अतीत स तब तक गया जब तक ससगम रहा तब तक गया अब तो नाता टट गया अब न म नगल का न

नगल मरा अब तो मरा कछ भी नही अब तो मर भीतर म भी नही अब तो जजीर टट गयी अब तो म मि

लदकन वभकषओ को यह बात सनकर जची नही जची इसवलए भी नही दक कोई पसद नही करता यह दक

हमस पहल कोई दसरा मि हो जाए हमस पहल--और यह नगलकल हो गया यह तो गया-बीता िा आवखरी

िा इसको तो लोग जानत ि दक ह यह गाव का गरीब यही खती-बाड़ी करता रहा दफर सनयासी भी हो गया

तो कोई बड़ा सनयासी भी वह नगलकल बार-बार जाए दिमन को और दकसी चीज क दिमन न कर नगल

क दिमन कर यह--और जञान को उपलबध हो जाए यह कभी नही हो सकता

उनहोन जाकर भगवान को कहाः भत यह नगलकल झठ बोलता ह यह अहमतव-परावि की घोषणा करता

ह कहता ह म मि हो गया ह

लदकन जो औरो को नही ददखायी पड़ता वह सदगर को तो ददखायी पड़गा तमह ददखायी पड़गा उसक

पहल सदगर को ददखायी पड़गा

बदध न करणा स उन वभकषओ की ओर दखा

करणा स--कयोदक व ईषयामवि ऐसा कह रह ह करणा स--कयोदक राजनीवत परवि कर रही ह उनक मन

म करणा स--कयोदक उनक अहकार को चोट लग रही ह कोई वषो स सनयासी िा कोई बड़ा पवडत िा कोई

बड़ा जञानी िा कोई बड़ कल स िा राजपतर िा इनको नही वमला और नगलकल को वमल गया वह तो

अछत िा आवखरी िा

बदध न कहाः वभकषओ मरा पतर अपन आपको उपदि द परवरवजत होन क कतय को पणम कर वलया

इसन यदयवप दकसी और स उपदि गरहण नही दकया लदकन अपन आपको रोज-रोज उपदि दता रहा

जब-जब गया उस वकष क पास अपन को उपदि ददया ऐस धार पड़ती रही पड़ती रही अपन को ही जगाया

अपन हािो स

यह बड़ा अदभत ह नगलकल इसकी महतता यही ह दक इसन धीर-धीर करक अपन को सवय अपन हािो

स उठा वलया ह यह बड़ी करठन बात ह लोग दसर क उठाए-उठाए भी नही उठत ह

उस जो पाना िा उसन पा वलया और जो छोड़ना िा वह छोड़ ददया तब बदध न य गािाए कहीः

अततना चोदयततान परटवास अततमततना

सो अततगततो सवतमा सख वभकख ववहावहवस

जो आप ही अपन को परररत करगा जो आप ही अपन को सलगन करगा वह आतम-गि समवतवान वभकष

सख स ववहार करगा

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उसकी दकसी को कानो-कान खबर नही होगी उसक भीतर ही आतमगि चपचाप फल वखल जाएगा

जो अपन आपको परररत करता रहगा जो अपन आपको जगान की चषटा करता रहगा वह जाग जाता ह

और दकसी को कानो-कान खबर भी नही होती

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

तसमा सामयततान असस भदरव वावणजो

मनषय अपना सवामी आप ह आप ही अपनी गवत ह

यह बदध का परम उपदि ह--

अतता वह अततनो नािो अतता वह अततनो गवत

दकसी दसर की कोई वसततः जररत नही ह अगर तम अपन को जगान म लग जाओ वनवशचत ही जाग

जाओग

अतता वह अततनो नािो

मनषय अपना सवामी आप

अतता वह अततनो गवत

अपनी गवत आप आतम-िरण बनो

बदध का जो अवतम वचन िा मरन क पहल वह भी यही िाः अपप दीपो भव--अपन दीए सवय बन

जाओ

आज इतना ही

78

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ सोलह परवचन

राजनीवत और धमम

पहला परशनः आपन कबीर और मीरा की एक ही सभा म उपवसित होन की कहानी कही लदकन यह

ऐवतहावसक रप स सभव नही ह कयोदक दोनो समसामवयक नही ि

इवतहास का मलय दो कौड़ी ह इवतहास स मझ परयोजन भी नही ह कहानी अपन आप म मलयवान ह

इवतहास म घटी हो या न घटी हो घटन स मलय बढ़गा नही

कहानी का मलय कहानी क भाव म ह और ऐवतहावसक रप स भी घट सकती ह कोई बहत करठन बात

नही ह अगर कबीर एक सौ बारह साल सजदा रह हो--जो दक सभव ह--तो कबीर और मीरा का वमलन हो

सकता ह

लोग एक सौ पचास साल तक भी जीत ह रस म हजारो लोग ह जो एक सौ पचास साल क करीब

पहच गए ह

लदकन उसस कछ परयोजन नही ह म कह नही रहा ह दक कबीर एक सौ बारह साल सजदा रह म यह भी

नही कह रहा ह दक कबीर का मीरा स कभी वमलना हआ होगा

कहानी का मलय उसकी अतर-किा म ह उसकी अतभामवना म ह न वमल हो इस पथवी पर--छोड़ो सवगम

म पदरह सौ जञानी इकटठ हए हो और कबीर को बलाया हो और कबीर न कहा हो दक जब तक मीरा न आएगी--

या सहजो या दया या रावबया या िरसा या ललला--तब तक म न आऊगा

कहानी का अिम इतना ह दक जहा वसफम परष ही परष ह वहा कछ अधरा ह जहा परष ही परष ह वहा

कछ कठोर हो जाता ह परष हो जाता ह सतरी क आत ही िोड़ा सा माधयम आता ह सतरी क आत ही िोड़ा गीत

आता ह िोड़ा सगीत आता ह सतरी क आत ही अधयातम म िोड़ फल वखलत ह नही तो अधयातम मरसिल हो

जाता ह

चदक अधयातम क सभी िासतर परषो न वलख ह इसवलए िासतर रख-सख ह चदक वसतरया मददरो

मवसजदो वसनागाग स वरजमत रही ह इसवलए धमम मद की तरह जीया ह धमम म पराण आ जाएग

कहानी का अिम ह दक कबीर यह कह रह ह दक सतरी और परष का समान मलय ह एक इसवलए मीरा को

बलाओ तभी म आऊगा

दसराः सतरी और परष की ऊजाम जहा सयि होकर नाचती ह वहा पररपणमता का वास होता ह परष

आधा ह सतरी आधी ह दोनो जहा वमलत ह वहा पणम का जनम होता ह

न तो परष अकला बचच को जनम द सकता ह न सतरी अकली बचच को जनम द सकती ह जीवन फलता ह

तब जब दो का वमलन होता ह दो ववपरीत ऊजामए जब एक-दसर म वगरती ह तो तीसरी ऊजाम का जनम होता

अधयातम बाझ रह गया ह कयोदक परष ही परष की ऊजाम ह

मझस लोग पछत ह दक कोई सतरी तीिकर कयो नही ह कोई सतरी अवतार कयो नही ह कोई सतरी ईशवर

की पतर कयो नही ह कोई सतरी पगबर कयो नही ह

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व ठीक पछत ह वसतरया इस योगय हई ह जो पगबर होनी चावहए जो अवतारो म वगनी जानी चावहए

वजनकी वगनती तीिकरो म होनी चावहए लदकन परष का अहकार नही होन दता वगनती

उस परष क अहकार पर चोट ह कहानी म उस कहानी का इतना ही अिम ह दक कबीर यह कह रह ह दक

म परष क अहकार को भरन को राजी नही ह सतरी की मवहमा उतनी ही ह वजतनी परष की उसकी ऊचाई

उतनी ही हो सकती ह वजतनी परष की

लदकन मीरा को या सहजो को तीिकर की तरह सवीकार करना तो दर जनो म एक सतरी तीिकर हो

गयी उसका नाम जनो न बदल ददया ह--दक पता न चल दकसी को दक वह सतरी िी नाम िा मललीबाई जन

कहत ह मललीनाि परष की तरह वगनती कर दी बात अखरी होगी सतरी रही होगी अपवम मवहमा की

वनवशचत ही महावीर स जयादा मवहमा की सतरी रही होगी नही तो सतरी होकर तीिकरो म वगनी नही जा सकती

िी मवहमा कछ ऐसी रही होगी दक परष भी इनकार कर नही सका जयोवत कछ इतनी जयोवतममय रही होगी

दक सतरी होत हए भी सवीकार करना पड़ा होगा

तईस तीिकर परष ह उसम एक सतरी चौबीसवी--मललीबाई उस समय तो सवीकार कर वलया होगा

उसकी मौजदगी का बल उसकी मौजदगी का दबाव लदकन पीछ परष क अहकार को चोट लगी होगी--दक सतरी

और तीिकर सतरी और इतनी ऊचाई पा ल और िासतर तो कहत ह दक सतरी पयामय स मोकष ही नही हो सकता

व परषो क वलख हए िासतर ह जो कहत ह दक सतरी पयामय स मोकष नही हो सकता कोई भी सतरी सीध

सतरी-दह स मोकष नही जा सकती पहल मर परष बन दसर जनम म दफर जा सकती ह परष हए वबना मोकष

जान का कोई दवार नही ह

यह बड़ी बहदी बात ह अभदर बात ह मगर परषो का राजय रहा परष मावलक रह वसतरयो को पढ़न की

आजञा नही समझन की आजञा नही सोचन की आजञा नही

और एक सतरी तीिकर हो गयी तो दफर िासतरो का कया होगा जो कहत हः सतरी पयामय स मोकष नही ह

उनहोन कहानी को बदल ददया एक छोटी सी तरकीब लगायी एक काननी वयवसिा जटा ली एक टदिकल

तरकीब खोज ली मललीबाई को मललीबाई मत कहो मललीनाि कहो एक सतरी कभी उस मवहमा को परगट भी

की िी तो हमन उसका नाम वमटा ददया

कबीर की कहानी म इतनी ही बात ह दक पदरह सौ पवडत कािी म इकटठ हए ह और उनहोन कबीर को

वनमवतरत दकया ह दक आप आओ व गए उनहोन दखाः सब परष ह लौट गए उनहोन कहाः मीरा को बलाओ

मीरा नाच तो कबीर भी आए मीरा नाच तो कबीर भी बोल

जहा सतरी नही ह वहा कछ अधरा ह वहा माततव नही ह वहा परम नही ह तकम होगा वसदधात-जाल

होगा पावडतय होगा आचरण भी हो सकता ह चररतर भी हो सकता ह लदकन उस चररतर म सगध नही होगी

उस चररतर म माधरी नही होगी मसती नही होगी वहा लोग जञानी होकर पतिरो की तरह हो जाएग वहा

बहाव नही होगा

तमन दखाः एक कमर म दस परष बठ हो हवा और होती ह दफर एक सतरी कमर म आ जाए हवा और

हो जाती ह वसफम उसकी मौजदगी स तनाव कम हो जाता ह लोग जयादा हसन लगत ह लोग वववाद कम

करत ह लोग अभदर िबदो का उपयोग नही करत लोग गाली-गलौज बद कर दत ह

पदरह वसतरया बठी हो तो भी बड़ी त-त म-म होती ह कषदर बातो पर सनदा का रस चलता ह सनदा-रस

बहता एक परष आ जाए बात समहल जाती ह

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सतरी और परष एक ही सतय क दो पहल ह एक ही वसकक क दो पहल ह और अब तक हमन चदक वसकक क

एक ही पहल को सवीकार दकया परष को और सतरी का असवीकार दकया इसवलए दवनया बड़ी दीन रह गयी

दवनया म यदध कम हो अगर सतरी भी इतनी ही सवीकत हो वजतना परष सवीकत ह दवनया म परम िोड़ा

जयादा हो--उसकी जररत ह बहत दक जयादा हो जब परम कम पड़ जाता ह तो सगीन बढ़ती ह तलवार बढ़ती

ह बम बढ़त ह

सतरी सवीकत हो सतवलत हो सतरी और परष समान ह इसवलए कबीर न कहाः जब मीरा आए

मीरा को खोजा गया जब मीरा आकर नाची तब कबीर बोल वनवशचत ही इस बोलन म गणवतता का

फकम हो गया मीरा नाची तब कबीर बोल मीरा क नाचन म ही तरलता आ गयी व गभीर पवडतो क चहर

विविल हो गए होग तकम जाल िोड़ा भीतर कम हआ होगा खोपवड़यो स उतर होग पवडत हदय म डब होग

िोड़ा

मीरा नाची उसन घघर बाध पद घघर बाध मीरा नाची र वातावरण िीतल हो गया होगा िोड़ स

जही क फल झर गए होग दफर कबीर बोल अब यह एक अलग वातावरण म बोल

तम कहा की दफजल बकवास वलए बठ हो दक इवतहास

यह कोई ववशवववदयालय िोड़ ही ह यहा इस तरह की दफजल बातो की चचाम ही नही हो रही ह यहा तो

इसकी भी दफकर नही दक कबीर हए दक नही हए दक मीरा हई दक नही हई इसकी भी कोई दफकर नही ह

कहानी इतनी पयारी ह दक कहानी की वजह स कबीर को होना पड़गा मीरा को होना पड़गा कहानी का अपन

म मलय ह उसका कावय ऐसा ह

लदकन तमहारी दवषट कषदर पर अटक जाती ह तम कषदर वहसाब-दकताब म लग रहत हो जो हआ उसका

पकका होना चावहए और धयान रखोः पकका उसी का हो पाता ह--वजतना कषदर हो उतना पकका हो जाता ह जस

अडोलफ वहटलर हआ इसम कोई िक-सबहा नही होता कयोदक अडोलफ वहटलर इतना धवसातमक ह दक अनक

खडहर अपन पीछ छोड़ जाता ह--परतीक और गवाह

कषण हए यह सददगध ह हए हो न हए हो कयोदक कषण जो लाए ि इस जगत म वह तो उनक साि ही

वतरोवहत हो गया उसका कोई तो परमाण वमलता नही खडहर तो नही छोड़ गए यहा कोई लािो स तो नही

पाट गए पथवी को पतिरो पर कोई हसताकषर भी नही कर गए आए वखल फल की तरह सबह और साझ खो

गए और जब फल खो गया और वास उड़ गयी आकाि म तो कहा खोजोग कहा परमाण खोजोग

कषणो का कोई परमाण नही ह बदधो का कोई परमाण नही ह जीसस का कोई परमाण नही ह परमाण ह

नाददरिाह का परमाण ह तमरलग का परमाण ह नपोवलयन का वसकदर का इनक परमाण ह

इस बात की सदा सभावना ह दक आज स दो हजार साल बाद रमण का कोई परमाण न हो कषणमरतम का

कया परमाण होगा अखबारो म खोजन स नाम भी तो नही वमलगा परमाण होगा जोसफ सटवलन का परमाण

होगा माओ-तस-तग का परमाण होगा मसोवलनी का लदकन कषणमरतम का कया परमाण होगा दो हजार साल

बाद कषणमरतम ऐस ही सददगध हो जाएग जस आज कषण हो गए कोई फकम नही रहगा

वजतनी ऊची बात होती ह उतन ही कम परमाण छटत ह कयोदक ऊची बात आकाि की होती ह नीची

बात जमीन की होती ह नीची बात जमीन पर सरकती ह उसकी लकीर छटती ह ऊची बात आकाि म उड़ती

ह आकाि म उड़न वाल पवकषयो क कोई पद-वचहन तो नही बनत पकषी उड़ गया दफर कोई पद-वचहन नही

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वमलत लदकन जमीन पर जो चलत ह उनक जान क बाद भी पद-वचहन छट जात ह उनक जान क बाद भी

परमाण होता ह

इवतहास कषदर की बात कहता ह इसवलए तो इस दि को एक नयी चीज खोजनी पड़ी उसको हम पराण

कहत ह पराण बड़ा मवहमावान ह दवनया म कही भी पराण जसी धारणा नही ह

परान िासतर कहत ह इवतहास और पराण पराण का अिम इवतहास नही होता पराण कछ और ह

पराण का मतलब होता हः ऐसी बात वजसका इवतहास कोई लखा-जोखा नही रखगा नही रख सकगा नही

कोई उपाय ह इवतहास क पास इवतहास तो लखा-जोखा रखता ह राजनीवत का टटपवजयो का वजनका कोई

मलय नही ह लदकन घड़ीभर जो मच पर आत ह और बड़ा िोरगल मचा दत ह घड़ीभर क वलए उनकी गज

वयाि हो जाती ह--घड़ीभर क वलए

इवतहास तो जो घड़ीभर क वलए बड़ परभाविाली मालम पड़त ह उनका अकन कर लता ह पराण

उनका अकन करता ह जो सदा-सदा क वलए मवहमािाली ह

अब इसम दोनो म फकम होन वाला ह जो सदा-सदा क वलए मवहमािाली ह--एस धममो सनतनो--उसको

पहचानन म हजारो साल लग जात ह उसका इवतहास कस बनाओग इवतहास तो उसका बनता ह वजसको

तम अभी पहचान लत हो बदध को तो अभी भी पहचाना नही गया कबीर स तो अभी भी जान-पहचान कहा

हई तमहारी अभी भी कबीर खड़ ह अभी समझ जान को ह अभी पहचान जान को ह

हजारो साल बीत जात ह तब और तब भी कछ लोग ही कवल पहचान पात ह कया ह बदधतव तब

तक बदध खो चक दह न रही दह क परमाण न रह जब तक पहचानन वाल लोग आत ह तब तक सब वचहन

खो जात ह

इसवलए हमन--वसफम हमन दवनया म--पराण जसी चीज खोजी पराण का अिम होता हः समय की धारा

पर वजसक वचहन नही छटत िाशवत स वजसका सबध ह उसका भी उललख हम करना चावहए उसको भी हम

सगहीत करना चावहए

पवशचम क जो लोग भारत क पराण पढ़त ह उनकी दवषट पराण की नही ह भारतीय भी अब भारतीय

नही ह व भी जब पराण पढ़त ह तो उनकी दवषट भी पराण की नही ह व कहत हः यह इवतहास नही ह

कहा दकसन दक यह इवतहास ह इवतहास िबद का अिम समझत हो वजसकी इवत आ जाए और वजसका

हास हो जाए वजसका अत आ जाता ह जलदी और जो धल म खो जाता ह--यह इवतहास का अिम होता ह

पराण का कया अिम होता ह जो सदा स चला आया ह और सदा चलता रहगा--पर धन आण आता ही

रहा ह--आता ही रहा ह--चलता ही रहा ह--जो िाशवत ह सनातन ह उस पकड़न क वलए कछ और उपाय ह

इसवलए जब म तमस कछ कहता ह तो समरण रखनाः उस कहन म इवतहास इतयादद की बकवास नही

ह म उस इवतहास स वबलकल मि ह म तो तमस वही कह रहा ह वजसक होन की िाशवत सतयता ह घटा हो

न घटा हो न घटा होगा तो घटगा कभी

लदकन तमहारा मन इन वयिम की बातो म घमता रहता ह तम सोचत होः िायद घटता तो मलय बढ़

जाएगा कस बढ़गा मलय

समझो दक सच म ही कबीर एक सौ बारह साल जी गए और कबीर जस लोगो का भरोसा कया--जी

जाए एक सौ बारह साल जी जाए तो मीरा स वमलना हो जाए तो दफर कया मलय बढ़ जाएगा कहानी का

कया मलय बढ़गा

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इतनी ही बात क जड़न स--दक हा सच म ही एक भवन म कािी क पदरह सौ पवडत इकटठ हए ि दफर

कबीर न मीरा को बलाया मीरा नाची इसस कया फकम पड़गा कया कहानी अपन आप म परी नही ह

परकारातर स यह परमाण जटा लन स कया कहानी का अिम कछ गहरा हो जाएगा कछ भी तो भद नही पड़गा

कहानी का अिम तो कहानी म ह घटी हो न घटी हो न घटी हो तो घटनी चावहए िी न घटी हो तो

अभी कभी घटगी यहा न घटी हो तो कही और घटी होगी इस जमीन पर नही तो दकसी और जमीन पर

जमीनो पर नही तो कही सवगम म लदकन घटी होगी घटगी घटती रहगी जब भी कबीर पदा होग मीराए

पकारी जाएगी और जो कबीर मीरा को न पकार वह कछ अधरा-अधरा ह भयभीत ह कबीर क साि और

भय को जोड़ना ठीक नही होगा

और वजसको यह ददखायी न पड़ जाए दक सतरी म भी वही जयोवत परष म भी वही जयोवत वजस यह सतरी-

परष का वगम-भद याद रह जाए वह कबीर कसा उसम बदधतव ही नही ह अभी अभी दह पर अटका ह अभी

आतमा का पता नही चला ह

दह स सतरी हो कोई परष हो कोई लदकन यह दह की भाषा ह कबीर को तो दह क पार ददखायी पड़ना

चावहए दह क भीतर जो वछपा ह उस पारदिी का दिमन होना चावहए कबीर को तो ददखना चावहए दक कौन

परष कौन सतरी एक का ही ववसतार ह एक ही मौजद ह

दसरा परशनः आप कभी-कभी बड़ा कठोर उततर कयो दत ह

जसा परशन वसा उततर या जसा परशनकताम वसा उततर

और दफर कभी-कभी कठोरता की जररत होती ह करणा क कारण भी कभी-कभी तमहार वसर पर चोट

पड़ तो ही तमह िोड़ा सा होि आता ह तम ऐसी गहरी नीद म सोए हो डर तो यह ह दक तम चोट को भी पी

जाओग और न जागोग

तमहारा पछना दकस भावदिा म होता ह दकस जगह स आता ह तमहारा परशन कयो तमन पछा ह--वह

जयादा महतवपणम ह मझ बजाय तमहार परशन क

कोई वसफम इसवलए पछता ह दक वह अपना पावडतय ददखाना चाहता ह अब जस यही परशन दक कबीर

और मीरा का वमलन ऐवतहावसक नही ह अब यहा कोई इवतहास क अध आ गए जो कषदर का इवतहास पढ़त रह

ह--राजा-राजाओ की रावनयो की कहावनया पढ़त रह ह यदधो की कहावनया पढ़त रह ह--और वजनको तारीख

इतयादद काफी याद हो गयी ह इनक वसर म कचरा भर गया अब य कछ और नही दख सकत अब उनको हर

चीज जब तक कषदर क साि परमावणत न हो तब तक अिमहीन हो जाती ह

अब इनको बड़ी करठनाई होगी य समझ ही न पाएग ववराट को और अगर समझग तो ऐसी माग करग

दक व माग बाधा खड़ी करगी

अब जस कहावनया कहती ह कहावनया ह इवतहास म परमाण हो भी नही सकता कहत हः महावीर

चलत ह रासतो पर तो जो काट सीध पड़ होत ह महावीर को दखकर जलदी स उलट हो जात ह

अब यह कही होता ह काट इतनी दफकर करत ह आदमी दफकर नही करत काट कया खाक दफकर करग

यह कभी हआ तो नही होगा काट रासतो पर पड़ महावीर आत ह यह दखकर दक कही चभ न जाऊ

जलदी स उलट हो जात ह वसर वछपाकर धल म घस जात ह काट ऐसा करग

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लदकन इस कहानी म बड़ा अिम ह कहानी यह कह रही ह दक काटो को भी ऐसा करना चावहए महावीर

जसा वयवि आता हो यह अपकषा ह कहानी की दक होना तो ऐसा चावहए दक रासत पर पड़ काट भी उलट

हो जाए और होता यह ह दक रासत पर खड़ आदमी भी पतिर मारत ह

यह कहानी म अपकषा ह इस कहानी म तमहार वलए इवगत ह सचना ह दक महावीर क रासत पर काट

मत बनना वहा तो काटो को भी उलट जाना चावहए लदकन तम भी काट बन जाओग महावीर क रासत पर

आदमी काट हो जात ह

कहावनया कहती ह दक मोहममद चलत ह रवगसतान म तो एक बादल उनक ऊपर छाया करता ह दकस

बादल को पड़ी ह बादलो को इतना बोध कहा और अगर हो तो सोचो तोः दकतना अपमान हो गया तमहारा

बादल छाया कर मोहममद पर और आदवमयो न कया दकया आदवमयो न मोहममद की छाया छीन लनी चाही

जीवन छीन लना चाहा

अब तम कहोगः इसका इवतहास म परमाण नही ह म भी नही कह रहा ह इसका इवतहास स कछ लना-

दना नही ह यह बात बड़ी मवहमा की ह यह कावय ह और इसम इवगत ह सचनाए ह

इसम यह सचना दी गयी ह दक होना तो यही चावहए दक बादल भी मोहममद पर छाया कर मोहममद

जसा आदमी हो और बादल छाया न कर और होता यह ह दक आदमी भी मोहममद को मारन को उतसक हो

जात ह

कहावनया कहती ह दक बदध जब जगलो म आत तो सख वकषो म हररयाली आ जाती बमौसम फल वखल

जात

होना यही चावहए बदध आए तो बमौसम खब फल वखल जाना चावहए दफर कया खाक मौसम की दफकर

दकए बठ हो बदध का आगमन हआ दकसी वकष क नीच आकर बठ गए और वकष कह रहा ह दक जब वसत

आएगा तब वखलगा यह बात जचती ह

वसत आ गया--यह मतलब हआ कहानी का बदध आ गए तो वसत आ गया अब और दकस वसत की

परतीकषा ह इसस बड़ा वसत और कब आएगा बदध क पास तो आदवमयो क फल वखल जात ह यही तो वसत

कहानी यह कह रही ह दक वखल जान चावहए फल अब और दकस वसत की परतीकषा ह मावलक आ गया

तम नौकरो की परतीकषा कर रह हो

मगर म यह नही कह रहा ह दक फल वखल आदमी नही वखल तो फल कया वखलग य कावय ह य

महाकावय ह पराण गवणत की भाषा म नही वलखा जाता पराण कावय की भाषा म वलखा जाता ह पराण

गवणत की भाषा मानता ही नही पराण भाव की भाषा मानता ह

अब अगर म तमस कह द दक यह इवतहास का कड़ा-करकट तमहारी खोपड़ी म भरा ह इस जलाओ इस

कचर-घर म डाल आओ तो तम कहोग मन कठोर उततर द ददया

यह कठोर नही ह महाराज मरा वि चल तो तमहारा वसर उतार ल यह कठोर नही ह तमहारा वसर

दकसी काम का नही ह नाहक उछल-कद कर रह हो नाहक परिान हो रह हो यह वसर गवा दो तो तमह सब

वमल जाए यही वसर तमहार और परमातमा क बीच बाधा बना ह

लदकन तम पछत होः आप कभी-कभी बड़ा कठोर उततर दत ह

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एक धोबन अपन गधो को हाकती घर की तरफ आ रही िी दक रासत म एक मसखरा वमल गया और

उसन कहाः गधो की अममा सलाम

मालम ह उस धोबन न कया कहा उस धोबन न कहाः खि रहो बटा

और कह भी कया

एक सजजन हः वमया बबबन झककी सवभाव क ह जहा खड़ होत ह लगत ह दाम पछन एक बार व एक

बड़ी दकान म घस गए दाल दकतन म होगी दकलो भर और यह टि-बरि और यह पसट तो घरटया लग रही

ह खर दफर भी दकतन म दोग और यह हयर बरि

दकानदार बड़ी िावत स भाव बताता जा रहा िा आवखर बबबन वमया जब सब चीजो क दाम पछ चक

सबह स साझ होन क करीब आ गयी तो फोन क पास आकर रक और बोलः कयो वमया यह फोन दकतन का

होगा

एक सीमा होती ह ददनभर खराब कर ददया इस आदमी न दकानदार भी बड़ा दकानदार रहा

होगा बरदाशत करता रहा करता रहा करता रहा अब जब यह फोन क भी दाम जब सब चीज ही दकान

की पछ चक अब फोन ही बचा िायद अब आग बड़ वमया का दाम पछ दक आपक दकतन दाम ह

दकानदार बड़ी िावत स भाव बताता जा रहा िा अब जरा बात उस सीमा क बाहर जाती मालम पड़ी

जब बबबन वमया न पछाः कयो वमया यह फोन दकतन का होगा दकानदार वचललायाः एक-एक नबर घमान क

पचास-पचास पस कान स लगान क तीन पस मह स हर िबद बोलन क पस तार की तरह बबबन वमया

बोलः मन तो समच फोन क दाम पछ ि जनाब आप वचललान कयो लग

समच ही फोन क दाम पछ रह ह व

कछ लोग ऐस ह वजनह परयोजन भी नही ह दकसवलए पछ रह ह यह भी नही ह उनको पता पछन क

वलए पछ रह ह कछ खरीदना नही ह

जब म दखता ह दक तम वसफम पछन क वलए पछ रह हो तो मर पास इतना समय नही ह दक सबह स

िाम तक खराब कर जो पछन क वलए पछ रहा ह उसको तो म कठोर उततर दता ह वही उस वमलना

चावहए

जो कतहलवि पछ रहा ह वह गलत जगह स पछ रहा ह हा वजजञासा हो तो मरा उततर कोमल होता

ह और अगर ममकषा हो तो म अपन सार पराण तमहार परशन क उततर म डाल दता ह तम सच म ही मि होन क

वलए पछ रह हो तो दफर म सारी चषटा करता ह

लदकन जब म दखता ह दक यह खजली ही जसी बात ह खजलाहट हो रही ह तमहारी खोपड़ी म कछ तो

म खजलाता नही कयोदक खजलान स खजलाहट और बढ़ती ह दफर म कठोर उततर ही दना पसद करता ह

तमह वही वमलना चावहए जो तमहारी जररत ह

तीसरा परशनः पयार ओिो सतय कया ह कया लवलत और बचच सतय ह कया आप सतय ह कया धमम सतय

ह या कया जो म समझती ह वह सतय ह आप सपषट कर दक सतय कया ह

पछा ह तर न

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तर न तो लवलत और बचच सतय ह कयोदक लवलत और बचचो स वमलना नदी-नाव-सयोग ह त तो पहल

भी िी लवलत और बचच भी पहल ि इस जनम क पहल भी ि लदकन तमहारा कभी वमलना न हआ िा त भी

आग रहगी लवलत और बचच भी आग रहग लदकन दफर दबारा िायद वमलना न हो या हो भी तो पहचान

नही रहगी दक कौन लवलत ह कौन बचच ह कौन म ह

इस ससार क रासत पर हम सब अजनबी ह घड़ीभर का वमलना ह दफर रासत अलग हो जात ह

घड़ीभर साि चल लत ह इसी स ससार बसा लत ह दफर रासत अलग हो जात ह जब कोई मरता ह तो

उसका रासता अलग हो गया दफर अलववदा दन क वसवाय कोई मागम नही ह दफर दबारा तम उस खोज भी

पाओग अनतकाल म--असभव ह

इसवलए न तो बचच सतय ह न पवत सतय ह न पतनी सतय ह न भाई न बहन न मा न बाप सबध ह य

सतय नही सबध भी कषणभगर ह

दफर पछा हः कया आप सतय ह

िोड़ा जयादा सतय ह वजतना पवत-पतनी का सबध होता ह उसस गर-विषय का सबध िोड़ा जयादा सतय

ह कयोदक पवत-पतनी का सबध दह पर चक जाता ह या अगर बहत गहरा जाए तो मन तक जाता ह

गर-विषय का सबध मन स िर होता ह और अगर गहरा चला जाए तो आतमा तक जाता ह लदकन

दफर भी कहता हः िोड़ा जयादा सतय ह कयोदक गर-विषय का सबध भी परमातमा तक नही जाता आतमा

तक ही जाता ह और जाना ह तमह परमातमा तक इसवलए एक ददन गर को भी छोड़ दना पड़ता ह आतमा की

सीमा आयी उस ददन गर गया

इसवलए बदध न कहा हः अगर म भी तमह राह पर वमल जाऊ तो मरी गरदन काट दना राह पर वमल

जाऊ अिामत अगर तमहार और तमहार परमातमा क बीच म आन लग तो मझ हटा दना

गर दवार बन तो ठीक दवार का मतलब ही होता ह दक उसक पार जाना होगा दवार पर कोई रका िोड़

ही रहता ह दवार पर दकतनी दर खड़ रहोग दवार कोई रकन की जगह िोड़ ही ह उसस तो परवि हआ और

आग गए

तो गर दवार ह इसवलए नानक न ठीक कहा अपन मददर को गरदवारा कहा बस गरदवारा ही ह गर वह

दवार ह उसस पार चल जाना ह गर इिारा ह वजस तरफ इिारा ह वहा चल जाना ह

इसवलए गर भी िोड़ा जयादा सतय ह लदकन असली सतय तो परमातमा ह

तो यहा तीन बात हो गयीः सासाररक सबध आधयावतमक सबध पारमारिमक सबध सासाररक सबध--

पवत पतनी बचच बड़ ऊपर क ह िरीर तक जात ह बहत गहर जाए तो मन तक

आधयावतमक सबध--विषय और गर का सबध या कभी-कभी बहत गहर परम म उतर गए परवमयो का

सबध िर होता ह मन स अगर गहरा चला जाए तो आतमा तक पहच जाता ह

और दफर कोई सबध नही तम अकल बचो तमहार एकात म ही परमातमा आववभमत होता ह तम ही

परमातमा हो जात हो दफर कोई सबध नही ह परमातमा और आदमी क बीच कोई सबध नही होता--असबध

ह कयोदक परमातमा और आदमी दो नही ह

तो त पछती हः कया आप सतय ह

िोड़ा जयादा लवलत और बचचो स लदकन परमातमा और तर सबध स िोड़ा कम

दफर पछा हः कया धमम सतय ह

86

धमम सतय ह धरम का अिम हः असबवधत दिा धमम का अिम हः अपन सवभाव म विर हो जाना अपन म

डब जाना कोई बाहर न रहा दकसी तरह का सबध बाहर न रहा गर का सबध भी न रहा

वही ह गर जो तमह उस जगह पहचा द जहा गर स भी मवि हो जाए उस गर को सदगर कहा ह उस

गर को वमथया-गर कहा ह जो तमह अपन म अटका ल जो कह मर स आग मत जाना बस यही तमहारा

पड़ाव आ गया मवजल आ गयी अब आग नही जो तमह अपन म अटका ल वह वमथया-गर जो तमह अपन स

पार जान द जो सीढ़ी बन जाए दवार बन जाए तम चढ़ो और पार वनकल जाओ वही सदगर

और धयान रखनाः सदगर क परवत ही अनगरह का भाव होता ह वमथया-गर क परवत तो करोध आएगा आज

नही कल कयोदक वमथया-गर वसततः तमहारा दशमन ह पहल परलोभन ददया ववकास का और दफर अटका

वलया पहल आिा जटायी तमहार भीतर खब आिा जगायी दक मवि दगा और दफर तमन पाया दक एक नए

तरह का बधन हो गया जजीर बदल गयी दसरी जजीर आ गयी एक कारागह स दसर कारागह म परवि हो

गया एक तरह की गलामी िी अब दसरी तरह की गलामी िर हो गयी

तो वमथया-गर क परवत तो तम कभी भी अनगरह का भाव अनभव नही कर सकत अनगरह का भाव तो

उसी क परवत होता ह वजसस परम सवततरता वमल बितम सवततरता वमल

धमम सतय ह

और कया जो म समझती ह वह सतय ह आप सपषट कर दक सतय कया ह

जो तर त समझती ह वह सतय नही ह लदकन जो तर भीतर समझता ह वह सतय ह जो तर भीतर

जागकर दखता ह वह सतय ह समझन वाला सतय ह समझ का कोई बड़ा मलय नही ह समझ तो छोड़ दनी ह

पहल नासमझ छोड़नी पड़ती ह दफर समझ छोड़नी पड़ती ह पहल ससार छोड़ना पड़ता ह दफर अधयातम

छोड़ना पड़ता ह पहल गहसिी छोड़नी पड़ती ह दफर सनयास छोड़ना पड़ता ह

आवखरी म वही बच जाता ह जो सबका समझन वाला ह वनरवमचार जो साकषी बच जाता ह उसी को

धमम कहो उसी को परमातमा कहो मोकष कहो वनवामण कहो--जो परीवतकर लग िबद वह दो लदकन वह

तमहारा अततमम सवभाव ह

चौिा परशनः आप राजनीवत क इतन ववरोध म कयो ह

राजनीवत क म ववरोध म नही ह राजनीवत तो लकषण ह ववरोध म ह हीनता की गरवि क वह जो

इफीररयाररटी कापलकस ह आदमी म उसक और राजनीवत उसी रोग का लकषण ह

जो वयवि वजतनी हीनता की गरवि स पीवड़त होता ह उतन ही पद का आकाकषी होता ह जो वयवि

वजतनी हीनता की गरवि स भरा होता ह उतना ही धन का आकाकषी होता ह

समझना हीनता की गरवि का अिम होता हः भीतर तो तमह लगता ह--म कछ भी नही ह ना-कछ दो

कौड़ी का मगर यह बात अखरती ह यह खटकती ह--म और दो कौड़ी का यह बात मानन का मन नही होता

ददखा दगा दवनया को दक म भी कछ ह हो जाऊगा परधानमतरी दक राषटरपवत दक कमा लगा दवनया की सपवतत

और ददखा दगा दवनया को दक म कछ ह

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तमहार भीतर जो तमह लगता हः दो-कौड़ीपन अिमहीनता ररिता उसको भरन का उपाय ह राजनीवत

राजनीवत यानी महतवाकाकषा धन की हो दक पद की इसस कोई फकम नही पड़ता और कभी-कभी तयाग की भी

होती ह इसस भी कछ फकम नही पड़ता

जब तक तम इस बात को वसदध करन म लग हो दवनया क सामन दक म कछ ह तब तक एक बात ही

वसदध होती ह दक तम भीतर जानत हो दक म ना-कछ ह नही तो वसदध ही कयो करोग

लाओतस का परवसदध वचन हः जो वसदध करन चलता ह वह वसफम अपन को अवसदध करता ह जो दसर को

अपन मत म रपातररत करना चाहता ह लाओतस न कहा ह वह वसफम इतना ही बताता ह दक उस खद भी

अपन मत पर भरोसा नही ह

कया मतलब ह लाओतस का और लाओतस जसी आख कभी-कभी होती ह बड़ी गहरी आख ह

लाओतस का वचन हः वन ह टराइज ट कनववहनस डज नाट कनववहनस उसी चषटा म दक म वसदध कर द दक

म यह ह साफ हो रहा ह दक इस आदमी को खद ही भरोसा नही ह दक यह ह नही तो वसदध करन की कया

जररत

वजसको साफ हो गया दक म कौन ह वह मसती स चलता ह उस कछ वसदध नही करना ह वह वसदध हो

ही गया उसको ही हमन वसदध कहा ह

राजनीवतजञ वसदध करन की कोविि करता ह और वसदध नही कर पाता और वसदध वसदध ह वसदध करन की

कोविि नही करनी पड़ती

राजनीवत हीनता की गरवि स पदा होती ह

पवशचम का एक बड़ा मनोवजञावनक हआ ह एडलर उसन सार मनोववजञान को हीनता की गरवि पर ही

खड़ा दकया ह पद का आकाकषी वसफम इतना ही बताता ह दक म भीतर दीन ह मझ बड़ ससहासन पर वबठाओ

म भीतर बहत डरा हआ ह मझ ऐस ससहासन पर वबठाओ दक म दवनया क ऊपर ददखायी पड़ सक

तमहार बड़ स बड़ राजनीवतजञ बड़ी हीनताओ स वघर होत ह

मन सना हः एक छोट कद का नता और नता सभी छोट कद क होत ह चाह िरीर का कद बड़ा भी

हो भीतर का कद छोटा होता ह सब नता लालबहादर िासतरी होत ह सब नही तो नता ही नही होग

एक छोट कद का नता भाषण द रहा िा भीड़ म स आवाज आयीः आप नजर नही आ रह ह खड़ होकर

भाषण दीवजए

नता न कहाः म खड़ होकर ही भाषण कर रहा ह

भीड़ म स दफर आवाज आयीः अछा हो कपा करक मज पर खड़ हो जाइए

महोदय नता न कहाः म मज पर ही खड़ा हआ ह

नता छोट कद का होता ही ह उसक भीतर ही उस साफ ह दक म ना-कछ इसवलए बाहर परमाण जटा

रहा ह दक दखो मरी िवि मरा धन मरा पद दखो मझ वह तमह िोड़ ही समझा रहा ह वह अपन को भी

समझा रहा ह वह यह कर रहा ह कोविि दक जब इतन लोग मझ मानत ह तो जरर मझम कछ होना

चावहए नही तो इतन लोग मझ मानत कयो जब इतन लोग मझ पजत ह इतनी फल-मालाए आती ह तो

जरर मर भीतर कछ होना चावहए नही तो कया कारण िा दक इतन लोग

हालादक यह भरम जलदी टटगा एक दफा पद स उतरो पता चलगा दक वह जो बहत बड़ी तसवीर

ददखायी पड़ती िी रोज छोटी होती जाती ह छोटी होती जाती ह यह पद स उतरन पर पता चलता ह दक जो

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तमहार पास फल-मालाए लकर आत ि व व ही लोग ह जो अब जतो की मालाए लकर आन लग य ही लोग

फल फकत ि य ही लोग पतिर फकन लगत ह य व ही लोग ह और यह सवाभाववक ह दक य पतिर फक

कयोदक अब इनको फल दसरो पर फकन पड़त ह

और जब भी कोई फल फकता ह राजनता पर तो भीतर तो वह दखता ह दो बात घटती ह उसको

मानता ह दक तमहार पास ताकत ह लदकन यह भी भीतर अनभव होता ह दक ठीक ह आज तम पर ह तो ठीक

ह फफकवा लो फल कभी तो उतरोग नीच मच स दफर दख लग दफर वही आदमी बदला लता ह इसवलए पद

पर राजनता ऐसा सममावनत होता ह और पद स उतरत ही एकदम अपमावनत हो जाता ह

मगर राजनता जब पद पर होता ह तो उसको अपन भीतर भरोसा आ जाता ह--दक ठीक तो मरा यह

खयाल गलत िा दक म ना-कछ ह म कछ ह दखो सारी दवनया मझ मानती ह

यह भरावत ह तमही अपन को नही मानत सारी दवनया क मानन स कया होगा तम ही अपन को नही

जानत सारी दवनया तमह जान ल इसस कया होगा यह झठी परवचना ह लदकन समझन की कोविि करनाः

तम अपन को नही जानत इस बात को भलान क वलए तम इस कोविि म लग जात हो दक दवनया मझ जान

ल सब अखबारो म मरी तसवीर हो सार रवडयो पर मरा वयाखयान हो सार टलीववजन पर म परदरिमत दकया

जाऊ

यह तम कया कर रह हो तमहार भीतर एक खयाल जग रहा ह दक म अपन को नही जानता बजाय

इसक दक तम अपन को जानन म लगो तम एक झठ रासत पर चल रह हो दक म दसरो को जना द दक म कौन

ह तमह खद ही पता नही ह

यही फकम ह राजनीवत का अिम हः दसर जान ल दक म कौन ह और धमम का अिम हः म जान ल दक म

कौन ह धमम अतयामतरा ह राजनीवत बवहयामतरा ह

राजनीवत क म ववरोध म वसफम इसवलए ददखायी पड़ता ह दक भीतर जो हीनता की गरवि ह वह जो

रोग का असली कारण ह जहा स जहर उठता ह वह तोड़ना जररी ह

और धयान रखनाः जब तक तमहार सामन साफ न हो जाए दक राजनीवत धमम का झठा पररपरक ह तब

तक तम धारममक न हो सकोग तब तक तम धमम क नाम पर भी राजनीवतजञ ही हो जाओग तम तयाग कर दोग

और दवनया को ददखान लगोग दक मझस बड़ा तयागी कोई नही ह वसदध कर दगा दक मझस बड़ा तयागी कोई

नही ह तम नगन खड़ हो जाओग सब घर-दवार छोड़कर पतनी-बचच-सववधाए छोड़कर उपवास करोग भख

रहोग िरीर को गलाओग--मगर भीतर एक ही वासना रहगी दक दवनया जान ल दक मझस बड़ा तयागी कोई

भी नही ह

इसम कछ फकम नही ह यह वही का वही खल ह तम अभी भी दसरो म उतसक हो दसर जान ल दक म

कौन ह

जब तक तमहारी उतसकता दसर म ह--दक दसरा मझ जान ल दक म कौन ह--तब तक तम राजनीवतजञ

हो राजनीवत म होओ या न होओ वजस ददन तम सोचोग बदलोग अपनी यातरा को कहोग दक पहल म तो

जान ल दक म कौन ह

और दसरा जानगा ही कस मझ कोई तो मर भीतर नही जा सकता वसवाय मर कोई तो मझ नही दख

सकता वसवाय मर लोग तो मझ बाहर स ही दखग मरी रप-रखा दखग मरी अतरातमा तो नही म ही कहा

दसरो की अतरातमा दख पाता ह लोगो का रप-रग दख लता ह चहरा दख लता ह कपड़ दख लता ह धन-

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पद-परवतिा दख लता ह लदकन भीतर कौन ववराजमान ह वह तो मझ भी नही ददखायी पड़ता तो कोई मर

भीतर जाकर कस दख सकगा वहा तो जान क वलए वसफम एक को ही आजञा ह--वह म ह वहा तम अपन सगी-

सािी को भी नही ल जा सकत अपन परमी को भी नही ल जा सकत

और पहल म तो जान ल दक म कौन ह दफर अगर कोई जानगा मझ तो समझ म पड़न वाली बात ह

लदकन जो अपन को जान लता ह उस दसरो को जनान की आकाकषा ही समाि हो जाती ह उस तो वमल गया

परमधन उस तो वमल गया परमपद उस अब कोई जान न जान उस सचता ही नही ह वह ववचार ही समाि

हो गया वह जाग गया सपन क बाहर आ गया

राजनीवत एक सपना ह सोए हए आदमी का धमम जागरण की कला ह

राजनीवत स मझ कछ लना-दना नही ह और कभी-कभी म राजनीवतजञो क वखलाफ कछ कह दता ह

उसस भी तम यह मत समझ लना दक म उनक वखलाफ ह वह तो कवल उदाहरण ह उनस वयविगत रप स

मझ कछ लना-दना नही ह व नही होग तो कोई और होगा उनकी जगह इतन रगण लोग ह दवनया म दक कया

फकम पड़ता ह इददरा नही तो मोरारजी होग मोरारजी नही तो कोई और आ जाएग कोई न कोई होगा

इतन बीमार लोग ह और इतन पद क आकाकषी ह कोई न कोई होगा

इसस कया फकम पड़ता ह कौन कसी पर बठा ह कोई न कोई नासमझ बठगा नासमझो म जो सबस

जयादा नासमझ होगा वह बठगा कयोदक यह दौड़ ऐसी ह दक इसम समझदारो का काम नही ह

मलला नसरददीन एक दकान पर कछ सामान खरीदन गया िा कोई तयौहार क ददन ि और दकानदार न

चीजो क दाम काफी कम कर ददए ि कम दकए हो या न दकए हो कम स कम बाहर उसन तखती तो लगा दी

िी दक जो चीज दस रपए की ह वह पाच रपए म वबक रही ह चाह वह पहल भी पाच रपए म वबकती रही

हो

मगर भीड़ भारी हो गयी िी खासकर वसतरया ऐसी जगह जरर पहच जाती ह ससती कोई चीज वमलती

हो तो व दफर यह भी नही सोचती दक अपन को इसकी जररत भी ह या नही ससती वमल रही हो तो व बचा

ही लती ह पसा उतना

बड़ी भीड़ िी मलला अकला परष िा लदकन पतनी न उसको भजा िा तो आना पड़ा िा पतनी जरा

बीमार िी खद नही आ सकी और सार मोहलल की पवतनया जा रही िी वसतरया जा रही िी तो उसन कहाः

मलला तमह जाना ही पड़गा सारा गाव जा रहा ह हम ही चक जाएग म बीमार पड़ी ह अभागा ह ददन आज

दक म बीमार ह तम चल जाओ

जाना पड़ा िा बड़ी दर खड़ा रहा वसतरयो की भीड़-भकका उसम अकला परष जयादा धककम-धककी भी

नही कर सक और वसतरया खब धककम-धककी कर रही ह और व जा रही ह और एक

दो घट दखता रहा उसन सोचाः यह तो ददनभर बीत जाएगा म दकान क भीतर ही नही पहच पाऊगा

तो उसन वसर नीच झकाया और दोनो हािो स वसतरयो को चीरना िर दकया जसा आदमी पानी म तरता ह

ऐसा नीच वसर झकाकर वह एकदम घसा

वसतरया बड़ी चौकी दो-चार न उसको धकका भी मारा और कहाः नसरददीन कस करत हो एक सजजन

परष की तरह वयवहार करो

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नसरददीन न कहाः सजजन परष की तरह वयवहार दो घट स कर रहा ह अब तो एक सिारी का वयवहार

करगा अब सजजन स काम चलन वाला नही ह अब तो सिारी का वयवहार करगा तो ही पहच पाऊगा नही

तो नही पहच सकता

राजनीवत म जो वजतना मढ़ हो वजतना पागल हो और वजतना वसर घसाकर पड़ जाए एकदम पीछ

वही पहच पाता ह समझदार तो कभी क घर लौट आएग दक भई यहा अपना बस नही ह यह अपना काम

नही ह समझदार तो अपनी मालाए ल लग और राम-राम जपग यहा अपना काम नही ह नासमझ

सारी दवनया भरी ह नासमझो स कोई तो होगा इसवलए वयवियो स मझ कछ लना-दना नही ह

वयवि तो वसफम उदाहरण मातर ह

और राजनीवत स भी सीधा मझ कोई ववरोध नही ह ववरोध ह तो इसीवलए दक वह धमम का झठा

पररपरक ह

लोग समझ दक धमम कया ह तादक अपन भीतर क आनद को उपलबध हो सक और यह तभी हो सकता

ह जब व राजनीवत स मि हो जाए यह तभी हो सकता ह जब उनकी महतवाकाकषा वगर जाए

इसवलए ववरोध ह

पाचवा परशनः

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

राई घट न वतल बढ़ हरर बोलौ हरर बोल

ओिो इस पद का भाव समझान की कपा कर

इस पद का वही भाव ह जो कल बदध की किा का भाव िा अतता वह अततनो नािो--आदमी अपना

मावलक खद ह सवय अपना मावलक ह और जब तक यह सतय ददखायी न पड़ जाए तब तक वयिम ही वभखारी

बना रहता ह--वयिम ही अकारण ही

तम वभखारी बन हो वभखारी होन क कारण नही तमह एक सतय का समरण भल गया ह दक तम मावलक

हो--अतता वह अततनो नािो--तम अपन मावलक सवय हो

तरो तर पास ह

वजसकी तम खोज कर रह हो उस तम साि ही लकर आए हए हो उस तमन कभी खोया ही नही

दफर लाओतस का परवसदध वचन ह दक जो खो जाए वह धमम नही ह जो न खोए वही तो सवभाव ह वही

धमम ह

मझस लोग पछत हः ईशवर को खोजना ह म उनस पछता हः कब खोया कहा खोया अगर खोया

ही नही ह तो खोजन जाओग तो भटक जाओग कयोदक वजस खोया ही नही उस खोजोग कस

ईशवर को खोजना नही होता वसफम जागकर दखना पड़ता ह अपन भीतर वहा वह मौजद ह

तरो तर पास ह

वजसको तम तलाि रह हो वह तमहार भीतर ह चक रह हो कयोदक बाहर तलाि रह हो

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रावबया क जीवन की परवसदध किा ह एक साझ लोगो न दखा दक वह घर क बाहर कछ खोज रही ह

बढ़ी औरत बढ़ी फकीरन पास-पड़ोस क लोग आ गए व भी कहन लग दक हम साि द द कया खो गया

उसन कहाः मरी सई वगर गयी ह व भी खोजन लग

सरज ढलन लगा रात उतरन लगी सई जसी छोटी चीज बड़ा रासता कहा खोज एक समझदार

आदमी न कहा दक रावबया सई वगरी कहा ह ठीक-ठीक जगह का कछ पता हो तो िायद वमल जाए ऐस तो

कभी नही वमलगी रासता बड़ा ह और अब तो रात भी उतरन लगी

रावबया न कहाः वह तो पछो ही मत दक कहा वगरी सई तो घर क भीतर वगरी ह तब तो व सब जो

खोजन म सलगन हो गए ि खड़ हो गए उनहोन कहाः हदद हो गयी तर साि हम भी पागल बन रह ह अगर

सई घर क भीतर वगरी ह तो यहा दकसवलए खोज रही ह तरा होि खो गया पागल हो गयी ह बढ़ाप म

सरठया गयी ह

रावबया न कहाः नही म वही कर रही ह जो सारी दवनया करती ह सई तो भीतर वगरी ह लदकन

भीतर रोिनी नही ह--गरीब औरत दीया नही ह--बाहर रोिनी िी तो मन सोचा बाहर ही खोज जहा

रोिनी ह वही खोज

लोग कहन लगः यह तो हमारी समझ म आता ह दक वबना रोिनी क कस खोजगी लदकन जब वगरी ही

नही ह सई यहा तो यहा कस खोजगी

उसन कहाः यही तो मरी समझ म नही आता तम सबको भी म बाहर खोजत दखती ह और वजस तम

खोज रह हो वह भीतर बठा हआ ह िायद वजस कारण स म सई बाहर खोज रही ह उसी कारण स तम भी

बाहर खोज रह हो

आखो की रोिनी बाहर पड़ती ह हाि बाहर फलत ह कान बाहर सनत ह सारी रोिनी इददरयो की

बाहर पड़ती ह िायद इसीवलए आदमी बाहर खोजन वनकल जाता ह और दफर बाहर का तो कोई अत नही

ह खोजत जाओ खोजत जाओ पथवी चक जाए तो वहमालय क विखरो पर खोजो वहमालय क विखर चक

जाए तो चाद पर खोजो अब मगल पर खोजो और बढ़त जाओ और बढ़त जाओ कोई अत नही ह इस

बरहमाणड का खोजत-खोजत समाि हो जाओग और मजा यह ह दक वजस तम खोज रह ि वह तमहार भीतर

बठा हस रहा ह

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

टटोल िबद भी बड़ा अछा ह कयोदक इददरया तो बाहर ह भीतर अधरा ह टटोलना पड़गा

समझो दक रावबया अगर भीतर खोज अपनी सई तो ददखायी तो कछ नही पड़गा बठ जाएगी जमीन

पर और टटोलगी अधरा ह लदकन अगर सई जहा वगरी ह वहा अधर म भी टटोली जाए तो वमल सकती ह

और जहा वगरी ही नही ह वहा हजार सरज खड़ हो सब रोिन हो तो भी कस वमलगी

टटोलना िबद को खयाल रखना टटोलन का मतलब होता हः पकका पता नही ह कहा ह ददखता कछ

नही सब अधरा ह

धयान जब तम करत हो तब तमह लगगा सदाः अधरा हो गया

दकसी न पछा ह एक परशन दक आप कहत हः भीतर जाओ आप कहत हः आतम-दिमन करो जब भी म

धयान करता ह तो अधरा ही अधरा ददखायी पड़ता ह

92

ठीक हो रहा ह धयान िर हो गया अधरा ददखायी पड़न लग गया बड़ी घटना घट गयी चलो कछ तो

ददखायी पड़ा भीतर का अधरा भी बाहर की रोिनी स बहतर ह चलो कछ तो हाि लगा अधरा सही आज

अधरा हाि लगा ह कल रोिनी हाि लग जाएगी कयोदक अधरा और रोिनी दो नही ह अधर स ही जब ठीक

स पहचान हो जाती ह तो रोिनी बन जाती ह अधरा रोिनी ही ह वजसस हम अपररवचत ह

तमन दखा न कभी-कभी तीवर रोिनी भी अधरा मालम होती ह सरज की तरफ दखा कभी कषणभर

को और दफर चारो तरफ दखो सब अधरा हो जाता ह

भीतर भी इतनी ववराट रोिनी ह इसवलए अधरा मालम होता ह आख चवधया जाती ह और तमन यह

रोिनी कई जनमो स नही दखी ह इसवलए जब पहली दफा यह रोिनी आख पर पड़ती ह एकदम अधरा छा

जाता ह

घबड़ाओ मत तमहार हाि म वजसकी तम खोज कर रह हो उसका पलल आ ही गया यही तो चावहए

अधरा ददखन लगा अब टटोलो

तरो तर पास ह अपन मासह टटोल

राई घट न वतल बढ़

तमहार भीतर जो ह वह न तो राईभर घटता ह न राईभर बढ़ता ह वह तो जसा ह वसा ह जसा का

तसा जस का तस जब तम आए ि पथवी पर तब भी इतना ही िा वजतना अब ह और जब तम जाओग

पथवी स तब भी उतना ही होगा वजतना अब ह वजतना तब िा--जनम क समय

इस ससार क अधकार म भटक हए लोगो क पास भी उतना ही ह वजतना बदधो क पास

राई घट न वतल बढ़

परमातमा क सबध म हम सब समान अवधकारी ह लदकन कछ ह वजनहोन अपन अवधकार को पहचान

वलया और परम आनद म ववराजमान हो गए और कछ ह वजनहोन अपन अवधकार को नही पहचाना वभखमग

बन भीख माग रह ह

यह पयारा वचन हः राई घट न वतल बढ़

न कछ घटता न बढ़ता न कछ पाना ह न कछ खोना ह जो ह जसा ह वसा ही जान लना ह

हरर बोलौ हरर बोल

इसकी पहचान हो जाए तो ही हरर-भजन यह जो राई न घटता न बढ़ता यह जो तमहार भीतर बठा ह

जो टटोलन स ही वमलगा--इसकी वमलन हो जाए इसस पहचान हो जाए यह तमहार हाि लग जाए--तब एक

हरर-बोल उठता ह वह हरर-बोल असली भजन ह

यह जो तम बठकर राम-राम जपत रहत हो इस भजन का कोई मलय नही ह तमह न राम का पता

तमह अपना पता नही राम का कया खाक पता होगा तमह अभी काम का भी पता नही ह राम का तो कया

पता होगा तमन अभी बधन भी नही पहचान मोकष को तो तम कस पहचानोग

अभी तम राम-राम जपत हो कयोदक तम सनत हो दक जपन स िायद कछ हो जाए जपन स कछ नही

होता कछ होन स जप होता ह जब कछ हो जाता ह तब सगध उठती ह तब सगीत वबखरता ह

छठवा परशनः मतय कया ह

93

मतय ह ही नही मतय एक झठ ह--सरासर झठ--जो न कभी हआ न कभी हो सकता ह जो ह वह सदा

ह रप बदलत ह रप की बदलाहट को तम मतय समझ लत हो

तम दकसी वमतर को सटिन पर ववदा करन गए उस गाड़ी म वबठा ददया नमसकार कर ली हाि वहला

ददया गाड़ी छट गयी कया तम सोचत हो यह आदमी मर गया तमहारी आख स ओझल हो गया अब तमह

ददखायी नही पड़ रहा ह लदकन कया तम सोचत हो यह आदमी मर गया

बचच ि दफर तम जवान हो गए बचच का कया हआ बचचा मर गया अब तो बचचा कही ददखायी नही

पड़ता जवान ि अब बढ़ हो गए जवान का कया हआ जवान मर गया जवान अब तो कही ददखायी नही

पड़ता

वसफम रप बदलत ह बचचा ही जवान हो गया जवान ही बढ़ा हो गया और कल जीवन ही मतय हो

जाएगा यह वसफम रप की बदलाहट ह

ददन म तम जाग ि रात सो जाओग ददन और रात एक ही चीज क रपातरण ह जो जागा िा वही सो

गया

बीज म वकष वछपा ह जमीन म डाल दो वकष पदा हो जाएगा जब तक बीज म वछपा िा ददखायी नही

पड़ता िा मतय म तम दफर वछप जात हो बीज म चल जात हो दफर दकसी गभम म पड़ोग दफर जनम होगा

और गभम म नही पड़ोग तो महाजनम होगा तो मोकष म ववराजमान हो जाओग

मरता कभी कछ भी नही

ववजञान भी इस बात स सहमत ह ववजञान कहता हः दकसी चीज को नषट नही दकया जा सकता एक रत

क छोट स कण को भी ववजञान की सारी कषमता क बावजद हम नषट नही कर सकत पीस सकत ह नषट नही कर

सकत रप बदलगा पीसन स तो रत को पीस ददया तो और पतली रत हो गयी उसको और पीस ददया तो

और पतली रत हो गयी हम उसका अण ववसफोट भी कर सकत ह लदकन अण टट जाएगा तो परमाण होग

और पतली रत हो गयी हम परमाण को भी तोड़ सकत ह तो दफर इलकटरान नयटरान पावजटरान रह जाएग

और पतली रत हो गयी मगर नषट कछ नही हो रहा ह वसफम रप बदल रहा ह

ववजञान कहता हः पदािम अववनािी ह ववजञान न पदािम की खोज की इसवलए पदािम क अववनाितव को

जान वलया धमम कहता हः चतना अववनािी ह कयोदक धमम न चतना की खोज की और चतना क अववनाितव

को जान वलया

ववजञान और धमम इस मामल म राजी ह दक जो ह वह अववनािी ह

मतय ह ही नही तम पहल भी ि तम बाद म भी होओग और अगर तम जाग जाओ अगर तम चतनय

स भर जाओ तो तमह सब ददखायी पड़ जाएगा जो-जो तम पहल ि सब ददखायी पड़ जाएगा कब कया ि

बदध न अपन वपछल जनमो की दकतनी किाए कही ह तब ऐसा िा तब ऐसा िा तब वसा िा कभी

जानवर ि कभी पौधा ि कभी पि ि कभी पकषी कभी राजा कभी वभखारी कभी सतरी कभी परष बदध न

बहत किाए कही ह

वह जो जाग जाता ह उस सारा समरण आ जाता ह

मतय तो होती ही नही मतय तो वसफम पद का वगरना ह

तम नाटक दखन गए पदाम वगरा कया तम सोचत हो मर गए सब लोग जो पद क पीछ हो गए व वसफम

पद क पीछ हो गए अब दफर तयारी कर रह होग मछ इतयादद लगाएग दाढ़ी वगरह लगाएग लीप-पोत

94

करग दफर पदाम उठगा िायद तम पहचान भी न पाओ दक जो सजजन िोड़ी दर पहल कछ और ि अब व कछ

और हो गए ह तब व वबना मछ क ि अब व मछ लगाकर आ गए ह िायद तम पहचान भी न पाओ

बस यही हो रहा ह इसवलए ससार को नाटक कहा ह मच कहा ह यहा रप बदलत रहत ह यहा राम

भी रावण बन जात ह और रावण भी राम बन जात ह य पद क पीछ तयाररया कर आत ह दफर लौट आत ह

बार-बार लौट आत ह

तम पछत होः मतय कया ह

मतय ह ही नही मतय एक भरावत ह एक धोखा ह

सरर-ददम गदाज-फगा स पहल िा

सरद-गम मर सोज-बया स पहल िा

म आबोवगल ही अगर ह बकौद-िमो-सहर

तो कौन ह जो मकानो-जमा स पहल िा

य कायनात बसी िी तर तसववर म

वजद हर दो जहा कन दफका स पहल िा

अगर तलाि हो सचची सवाल उठत ह

यकीन-रावसखो-महकम गमा स पहल िा

तर खयाल म अपना ही अकस-कावमल िा

तरा कमाल मर इवमतहा स पहल िा

मरी नजर न तर नकि-पा म दखा िा

जमाल-कहकिा कहकिा स पहल िा

छपगा य तो दफर ऐसा ही एक उभरगा

इसी तरह का जहा इस जहा स पहल िा

तजजवलयात स रौिन ह चशम-िौक मगर

कहा वो जलवा जो नामो-वनिा स पहल िा

सब िा पहल ऐसा ही दफर-दफर ऐसा ही होगा यह दवनया वमट जाएगी तो दसरी दवनया पदा होगी

यह पथवी उजड़ जाएगी तो दसरी पथवी बस जाएगी तम इस दह को छोड़ोग तो दसरी दह म परववषट हो

जाओग तम इस वचततदिा को छोड़ोग तो नयी वचततदिा वमल जाएगी तम अजञान छोड़ोग तो जञान म

परवतवित हो जाओग मगर वमटगा कछ भी नही वमटना होता ही नही

सब यहा अववनािी ह अमत इस अवसततव का सवभाव ह मतय ह ही नही

इसवलए मजबरी ह तमहार परशन का उततर न द सकगा दक मतय कया ह कयोदक जो ह ही नही उसकी

पररभाषा कस कर जो ह ही नही उसकी वयाखया कस कर

ऐसा ही ह जस तमन रासत पर पड़ी रससी म भय क कारण साप दखा भाग घबड़ाए दफर कोई वमल

गया जो जानता ह दक रससी ह उसन तमहारा हाि पकड़ा और कहाः मत घबड़ाओ रससी ह तमह ल गया

पास जाकर ददखा दी दक रससी ह दफर कया तम उसस पछोगः साप का कया हआ

नही तम नही पछोग दक साप का कया हआ बात खतम हो गयी साप िा ही नही कया हआ का सवाल

नही ह कया तम उसस पछोगः अब जरा साप क सबध म समझाइए वह जो साप मन दखा िा वह कया िा

95

वह तमहारी भरावत िी वह बाहर कही िा ही नही रससी क रप-रग न तमह भरावत द दी साझ क

धधलक न तमह भरावत द दी तमहार भीतर क भय न तमह भरावत द दी सारी भरावतयो न वमलकर एक साप

वनरममत कर ददया वह तमहारा सपना िा

मतय तमहारा सपना ह कभी घटा नही घटता मालम होता ह और इसवलए भरावत मजबत बनी रहती ह

दक जो आदमी मरता ह वह तो ववदा हो जाता ह वही जानता ह दक कया ह मतय जो मरता ह तम तो मर

नही रह तम बाहर स खड़ दख रह हो

एक डाकटर मझ वमलन आए ि व कहन लगः मन सकड़ो मतयए दखी ह मन कहाः गलत बात मत कहो

तमन मरत हए लोग दख होग मतयए कस दखोग मतय तम कस दखोग तम तो अभी सजदा हो तमन सकड़ो

मरत हए लोग दख होग लदकन मरत हए लोग दखन स कया होता ह तम कया दखोग बाहर यही दख सकत

हो दक इसकी सास धीमी होती जाती ह दक धड़कन डबती जाती ह मगर यह िोड़ ही मतय ह यह आदमी अब

ठडा हो गया यही दखोग मगर इसक भीतर कया हआ इसक भीतर जो चतना िी कहा गयी उसन कहा

पख फलाए वह दकस आकाि म उड़ गयी वह दकस दवार स परववषट हो गयी दकस गभम म बठ गयी वह कहा

गयी कया हआ

उसका तो तमह कछ भी पता नही ह वह तो वही आदमी कह सकता ह और मद कभी लौटत नही जो

मर गया वह लौटता नही और जो लौट आत ह उनकी तम मानत नही जस बदध यही कह रह ह दक मन धयान

म वह सारा दख वलया जो मौत म दखा जाता ह

इसवलए तो जञानी की कबर को हम समावध कहत ह कयोदक वह समावध को जानकर मरा उसन धयान की

परम दिा जानी

इसवलए तमन दखाः हम सनयासी को जलात नही गड़ात ह िायद तमन सोचा ही न हो दक कयो

गहसि को जलात ह सनयासी को गड़ात ह कयो कयोदक गहसि को अभी दफर पदा होना ह उसकी दह जल

जाए यह अछा कयोदक दह क जलत ही उसकी आतमा की जो आसवि इस दह म िी वह मि हो जाती ह

जब जल ही गयी खतम ही हो गयी राख हो गयी--अब इसम मोह रखन का कया परयोजन ह वह उड़ जाता

ह वह नए गभम म परवि करन की तयारी करन लगता ह पराना घर जल गया तो नया घर खोजता ह

सनयासी तो जानकर ही मरा ह अब उस कोई नया घर सवीकार नही करना ह परान घर स मोह तो

उसन मरन क पहल ही छोड़ ददया अब जलान स कया सार अब जल-जलाए को जलान स कया सार अब मर-

मराए को जलान स कया सार इस आधार पर सनयासी को हम जलात नही गड़ात ह

और सनयासी की हम समावध बनात ह उसकी कबर को समावध कहत ह इसीवलए दक वह धयान की परम

अवसिा समावध को पाकर गया ह वह मतय को जीत जी जानकर गया ह दक मतय झठ ह

वजस ददन मतय झठ हो जाती ह उसी ददन जीवन भी झठ हो जाता ह कयोदक वह मतय और जीवन

हमार दोनो एक ही भरावत क दो वहसस ह वजस ददन मतय झठ हो गयी उस ददन जीवन भी झठ हो गया उस

ददन कछ परगट होता ह जो मतय और जीवन दोनो स अतीत ह उस अतीत का नाम ही परमातमा ह जो न

कभी पदा होता न कभी मरता जो सदा ह

96

सातवा परशनः म परम म सब समरपमत कर दना चाहता िा पर यह नही हआ कयोदक मरा परम ही सवीकार

नही हआ और अब ददल एक टटी हई वीणा ह मरी पीड़ा पर भी वजसस मझ परम िा उस दया नही आयी

अब इस टट-फट जीवन को परभ को कस चढ़ाऊ

बात तो बड़ी ऊची कह रह ह जब टटा-फटा नही िा तब चढ़ाया नही तब सोचा होगा दक अभी तो

वीणा ताजी ह जवान ह अभी दकसी सदर सतरी क चरणो म चढ़ाए अभी कहा परभ को बीच म लात हो दखग

पीछ तब यह सोचकर अपन को समझाया होगा दक अभी तो जवान ह अभी भोग ल यह चार ददन की

सजदगी दफर कया पता अवतम समय म याद कर लग परभ को अभी तो यह चार ददन की जो चादनी ह इसको

लट ल

तो जब तम जवान ि जब हदय सगीत स भरा िा तब इसवलए नही चढ़ाया दक चढ़ाए दकसी सदर दह

क चरणो म और अब कहत हो दक टट-फट गया अब कया परभ क चरणो म चढ़ाए तमन कसम खा रखी ह दक

परभ क चरणो म कभी नही चढ़ाओग

अब तो जागो टट-फट गया ददल दफर भी जागत नही अब भी इरादा यही ह दक अगर वह दवी वमल

जाए भल-चक तो चढ़ा द कब जागोग

और धयान रखनाः सबक ददल टट-फट जात ह तमहारी मनोकाकषा का वयवि वमल तो टट-फट जात ह न

वमल तो टट-फट जात ह ददल तो टट ही फट जात ह यह ददल तो बड़ी कचची चीज ह काच की बनी ह कचच

काच की बनी ह तम अकल रहो तो टट जाता ह तम सग-साि म रहो तो टट जाता ह यह टट ही जाता ह

इसकी कोई मजबती ह नही यह मजबत हो ही नही सकता कयोदक वजसको तम ददल कहत हो यह गलत क

वलए परम ह यह कचचा ही होगा

और तम इस भरावत म मत रहना दक वजसस मझ परम िा उसन मर परम का परतयततर नही ददया इसवलए

टट गया तो तम जरा उन परवमयो स पछना जाकर वजनको परतयततर वमला ह उनकी कया हालत ह

मलला नसरददीन की पतनी न एक ददन उसस कहा दक हमार पचचीस साल पर हो गए वववाह क अब कया

इरादा ह आज इस पचचीसवी वषमगाठ को कस मनाए मलला न कहाः अगर पाच वमनट चप रह तो कसा रह

और कया पचचीस साल की बकवास यह पतनी खोपड़ी खा गयी होगी मलला कह रहा ह दक अब पाच

वमनट चप रह जाए जसा जब कोई मर जाता ह न तो पाच वमनट लोग मौन हो जात ह ऐसा अगर पाच

वमनट मौन होकर मनाए तो कसा रह

तम जरा भि-भोवगयो स तो पछो

मन सना हः नयी दलहन क हाि का खाना पवत न पहली बार खाया वमच बहत जयादा िी दफर भी वह

बात नही वबगाड़ना चाहता िा कौन वबगाड़ना चाहता ह सधारत-सधारत वबगड़ जाती ह यह और बात ह

मगर वबगाड़ना कोई नही चाहता वबगड़ सबकी जाती ह मगर वबगाड़ना कोई भी नही चाहता

तो उस पवत न कहाः बहत अछा खाना बनाया ह

पतनी न कहाः लदकन आप रो कयो रह ह

पवत न कहाः खिी क कारण

पतनी न कहाः और द

तो पवत न कहाः नही म जयादा खिी बदामशत न कर सकगा

97

भि-भोवगयो स पछो रो रह ह और कह रह ह बड़ खि ह उनकी बातो पर मत जाना उनकी आखो

को दखना कया कह रह ह इसम तो पड़ना ही मत कयोदक वह तो सब विषटाचार ह जो कह रह ह उनकी

हालत दखना

सब रग उड़ गया ह सब सपन टट गए ह रससी तो कब की जल गयी ह राख रह गयी ह जरा गौर स

दखना हालादक व कहग यही दक हा हम बड़ खि ह मगर ऐसी मदमगी स कहग दक हम बड़ खि ह दक आदमी

जब कहता ह दक हम बड़ दखी ह तब भी कछ जान रहती ह उसम इनकी खिी म उतनी भी जान नही ह

जब कोई कह हम बड़ खि ह तो पछनाः दफर रो कयो रह ह

आदमी की बड़ी अदभत दिा ह अदभत इसवलए दक जो तम चाहत हो न वमल तो तम तड़फत हो

कयोदक तम सोचत होः वमल जाता तो सवगम वमल जाता और वमल जाए तो तम तड़फत हो--दक अर वमल

गया और कछ न वमला और इस ससार म वमलन को कछ ह ही नही

इस ससार म सभी हारत ह जो हारत ह व तो हारत ही ह जो जीतत ह व भी हारत ह यहा हार

भागय ह यहा जीत होती ही नही जीत बदी ही नही दकसी की दकसमत म नही ह

इस परतीवत को जानकर ही तो आदमी अपन भीतर उतरना िर होता ह--दक यहा बाहर तो हार ही हार

अब कब तक तम यह रोना वलए बठ रहोग--दक दकसी को परम दकया िा सब द दना चाहता िा

भगवान का धनयवाद दो दक बच गया सब द दत तो बहत पछतात वही तो हालत कई की हो गयी ह

सब दकर बठ ह अब अब भागन का भी रासता नही वमलता

और तम कहत होः लदकन यह नही हआ कयोदक मरा परम ही सवीकार नही हआ

तम धनयभागी हो तम झझट स बच गए उस सतरी न तम पर बड़ी दया की

लदकन तम कह रह हो दक इस कारण मर हदय की वीणा टट गयी

उसन तो छई नही तमहार हदय की वीणा टट कस गयी छती तो टटती तार-तार वबखर दती

अब तम कहत हो दक लदकन मरी पीड़ा पर भी वजसस मझ परम िा उस दया न आयी

मझ लगता ह दक तमह परम और दया का भद सपषट नही ह दया आ जाती तो परम नही होन वाला िा

दया परम नही ह दया तो बड़ी बीमार चीज ह रगण दया म तो अपमान ह परम म सममान ह

और यह भी हो सकता ह दक तमन दया मागी हो इसवलए परम नही वमला कोई भी सवसि आदमी दया

नही करना चाहता कयोदक दया का मतलब होता हः एक गलत सबध बनता ह

एक मर पररवचत ि उनह एक ववधवा पर बहत दया आन लगी ववधवाओ पर कई लोगो को दया आती

ह ववधवाओ म कछ खबी होती ह जो सधवाओ म भी नही होती व कहन लग दक म तो ववधवा-वववाह

करगा मझ ववधवा पर बड़ी दया आती ह म तो समाज म करावत करगा

मन उनस कहा दक तम ठीक स सोच लो कयोदक इसस अगर तमन वववाह दकया तो दफर यह सधवा हो

जाएगी दफर ववधवा रहगी नही दफर दया खतम हो जाएगी दफर तो दया तमह तभी आ सकती ह जब तम

मरो और इसको दफर ववधवा करो तमह दया आ रही ह ववधवा पर इतनी सधवाए ह तमह दकसी पर दया

नही आ रही ह

व बड़ नाराज हो गए कयोदक व बड़ी ऊची बात लाए ि सामावजक करावत इतयादद कर रह ि--ववधवा स

वववाह करक

98

नही मान कर वलया वववाह और छह महीन बाद मझ कहा दक मझ कषमा करना दक म नाराज होकर

गया िा आप ठीक ही कहत ि वह दया िी वह परम नही िा म अहकार का मजा ल रहा िा--दक दखो

ववधवा स वववाह करता ह और मरी जावत म कोई अब तक ववधवा स वववाह नही दकया तो म पहला आदमी

िा म दवनया को ददखाना चाहता िा

दफर वववाह हो गया दफर फगग स हवा वनकल गयी अब सामावजक करावत मन कहाः हो गयी

सामावजक करावत अब तम उसको दफर ववधवा बनाओ दकसी और को सामावजक करावत करन दो अब तम कब

तक जीओग अब सार भी कया तमहार जीन म तमह जो करना िा दवनया म तम कर चक

बहत बार ऐसा हो जाता ह

कल एक यवती न मझ आकर कहा फास स आयी ह सनयावसनी ह एक वमतर को लकर आयी ह

कहती िीः म बहत दख म िी बहत पीवड़त िी परिान िी इन वमतर न मझ पर बड़ी दया की दो साल स य

सब तरह स मरी सवा कर रह ह इनक ही सहार जी रही ह अब म इसीवलए आयी ह दक मझ दख क बाहर

कर

मन कहाः म दख क बाहर तो कर द लदकन य वमतर चल जाएग उसन कहाः कयो और मन कहाः त भी

जानती ह अब त कभी ठीक हो नही सकती कयोदक अब इन वमतर को रोकन का एक ही उपाय ह दक इनको

दया करन की सववधा रह तरा इसम नयसत सवािम ह अब तो तरा इसम बड़ा भारी सवािम लग गया अब अगर

त सवसि हो जाए ठीक हो जाए तो य वमतर गए दफर य करग कया इनका काम ही खतम हो गया इनको सतरी

स िोड़ ही मतलब ह वसतरया तो बहत िी दवनया म इनको मतलब ह दया करन स

और वमतर बठ ि वबलकल अकड़ हए उनहोन दया की ह सवभावतः दो साल स इसकी सवा कर रह ह व

चाहत ि म भी सरटमदफकट दगा मरी बात सनकर तो उनकी हालत खराब हो गयी मगर बात ऐसी ही ह

तमन दया मागी तो गलत बात मागी

धयान रखनाः दया मागनी पड़ती ह परम ददया जाता ह और जो मागता ह वह गलत ह वह िर स ही

गलत हो गया

तमहारी भल वहा हो गयी दक तमन परम मागा वह दया ह तमन वभखारी की तरह हाि फलाए और

परम उनही क पास आता ह जो समराट होत ह

तमह दना िा परम और मजा यह ह दक मागो तो दसरा द तो उस पर वनभमर ह दना हो तो दन म तम

मावलक हो कोई तमह रोक नही सकता म सारी दवनया को परम द सकता ह कोई मझ रोक नही सकता कस

रोकगा कोई मझ परम एक भावदिा ह जो म लटाता चल सकता ह राह पर लटाता चल सकता ह जो राह

पर आए उसी को परम स दख सकता ह जो करीब आए उसी को परम द सकता ह जो नही ह पास जो दर ह

उसकी तरफ भी मर परम की तरग उठकर जा सकती ह

परम मागता ही नही परम तो दान ह तमन भल वही कर दी तमन परम मागा और सतरी समझदार िी जो

तमस हट गयी तम गलत आदमी ि तमहारा वचतत ही रगण िा

अब तम कहत होः मरी वीणा टट गयी अब म परभ को कस चढ़ाऊ

अब यह तमहारी टटी वीणा और कोई सवीकार भी कस करगा अब परभ ही कर ल तो बहत और म

तमस कहता ह व कर लग उनकी दकान तो कबाड़ी की दकान ह वहा तो सब टट-फट सामान सब वलए चल

99

आत ह लोग व ल लत ह और व वीणाओ को सधारन म किल ह और व वमटटी को भी छत ह तो सोना हो

जाती ह

तम अब सकोच न करो अब टटी-फटी वीणा ह कम स कम इसको ही द दो और म तमस कहता हः

उनक छत ही इस वीणा स अपवम सगीत उठगा

तम वजस दरवाज पर गए ि वह गलत िा अब ठीक दरवाज पर खड़ हो और अब डर रह हो सकोच

खा रह हो

मन का यह वासती मौसम

वसफम तमहार नाम

रगी-रगी-सी पाखवड़या ह

बवगया ह मदहोि

और कहानी कहत-कहत

ददम हआ खामोि

कजरारी आखो का सावन

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

भोली कवलयो को गधो न

कर डाला बदनाम

खब वलख खत परवया न

फलो को गमनाम

अलसाए सपनो का दपमण

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

अवधयार का दामन िाम

रही ऊघती रात

सख-दख दोनो आज यहा ह

सजा रह बारात

रग भर गीतो का सरगम

वसफम तमहार नाम

मन का यह वासती मौसम

ऐसा गीत तमन दकसी कषणभगर दह और रप क सामन गाया िा अब यह गीत परमातमा क सामन

गाओ

मन का यह वासती मौसम

वसफम तमहार नाम

तमन बहत वचरटठया वलखी--और-और नामो पर उन नामो न तमह कछ दाद न दी उनक कछ और मसब

रह होग कछ और इराद रह होग अब इस बात को लकर रोत मत रहो अब इस बात को लकर बठ मत रहो

100

िायद तम वजस सतरी क वलए रक हो उस याद भी न हो दक तमन कभी उस परम दकया िा िायद उस पता भी

न चला हो दक दकसी न अपन आप ही अपनी वीणा तोड़ ली

दखत ह न कल नगलकल अपन आप ही बदध हो गया ऐस तमन अपन आप वीणा तोड़ ली दकसी न

तोड़ी-वोड़ी नही ह तमन खद ही गसस म पटक दी तम खद ही तोड़-फोड़ वलए हो और यह हो सकता ह--

अकसर ऐसा होता ह--दक तम वजसक वलए तोड़-फोड़ वलए हो वीणा उस पता भी न चला हो यह जगत कठोर

ह यहा हदय नही ह यहा पाषाण ह

ब-ए-गल रौिनी

रग नगमा सबा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

मरा ददल मरा महबब मासम ददल

ओढ़कर दाइमी दररयो का कफन

ददम क बअमा दशत म दफन ह

आज भी मरी हर मजतररब सास ह

उस प नौहाकना

आज भी याद ह

मझको उस गमम दोपहर का सावनहा

जब तमहारी महबबत क छतनार स

मरा ददल मरा महबब मासम ददल

एक पयास पररद की सरत वगरा

और मरी तरफ इक नजर दख कर

इस तरह मर गया

जस इस कतल इस मग-नागाह म

मरा भी हाि िा

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

ब-ए-गल रौिनी

रग नगमा सबा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

फलो को पता ह चाद-तारो को पता ह दक मरा कतल हो गया ह कवव कह रहा ह

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

101

और वजसक वलए हो गया ह वजसकी वजह स हो गया ह उसको भर पता नही ह

ब-ए-गल

फलो की सगध

रौिनी रग नगमा सबा

सगवधत हवा

हर हसी चीज ह

मर जजबात क कतल स आिना

हर सदर चीज को पता ह दक मरी भावना मर गयी

वसफम तमको नही

इलम इस कतल का

िायद पता भी न हो वजसको तमन चाहा िा उस पता भी न हो इस जगत म लोगो को अपना पता

नही दसरो का पता कस हो लोग बहोि ह लोग चल जा रह ह नीद म तदरा म कौन आ गया िा सपन म

िोड़ी दर छाव डालकर चला गया दकसको वहसाब ह

तम िायद उस सतरी क सामन पड़ जाओ वह तमह पहचान भी न सक िायद पछ आप कौन ह िायद

पछ दक चहरा कछ पहचाना सा मालम पड़ता ह जस कही दखा हो

छोड़ो गलत स परम करोग दख पाओग वयिम स परम करोग दख पाओग और दफर तमहार परम करन का

ढग भी बड़ा वयिम और गलत ह तमन दया मागी और चक अब परमातमा क दवार पर खड़ हो अब बहत हो

गया यह

साकी तरी रात वबछौन क हगामो स गजरी ह

अब तो सबह करीब ह अललाह का नाम ल

अब बहत हो गया अब अललाह का नाम लो टटी-फटी वीणा पर ही गनगनाओ उसक नाम म जाद ह

उसक नाम क ससपिम स वीणा सधर जाएगी

और वजसम तम डब जा रह हो नाहक चललभर पानी म डब जा रह हो वहा कछ िा नही डबन जसा

डबना हो तो सागर तलािो

तझस ऐ दररयाए-सजदगी पार कोई भी पा न सका

कस-कस डब गए गो घटनो-घटनो पानी ह

बड़-बड़ यहा डब जा रह ह--गो घटनो-घटनो पानी ह मामला ही कया िा दकसी सतरी की आख अछी

लग गयी--घटनो-घटनो पानी ह दकसी क बाल बड़ पयार ि--घटनो-घटनो पानी ह दकसी की नाक बड़ी लबी

िी तोत जसी िी--घटनो-घटनो पानी ह इसम ही डब गए जागो

आठवा परशनः ओिो बौदध-सावहतय कहता हः भगवान शरावसती म ववहरत ि जन-सावहतय कहता हः

भगवान शरावसती म ठहर ि ववहरना और ठहरना--इन अलग िबदो क उपयोग क पीछ कया परयोजन ह कसा

आशचयम दक उपरोि परशन दन क पवम ही कल उसका उततर आ गया--आपक मख स

पछा ह अमत बोवधधमम न

102

बोवधधमम का धयान वनरतर गहर जा रहा ह बोवधधमम वनरतर डब रह ह इस जीवन क जही क फल

सखन क पहल व पा लग इसकी परी सभावना ददखती ह

जस-जस तमहारा धयान गहरा होन लगगा वस-वस तमहार परशन तम न भी पछो तो मझ तक पहचन

लगग धयान गहरा न हो तो तम पछो भी तो िायद ही मझ तक पहच धयान गहरा न हो तो तम पछ भी लो

मझ तक पहच भी जाए तो िायद म उततर न द धयान गहरा न हो तम पछ भी लो म उततर भी द तो तम

तक न पहच और िायद तम तक पहच भी जाए तो तम उस समझ न पाओ समझ लो तो कर न पाओ

हजार बाधाए ह--धयान न हो तो और धयान हो--तम न भी पछो तो मझ तक पहच जाएगा बहत स

ऐस परशनो क म उततर दता ह जो तमन नही पछ ह लदकन कोई पछना चाहता िा दकसी न मझस भीतर-भीतर

पछा िा कोई मर कानो म गनगना गया िा कागज पर वलखकर नही भजा िा

जस-जस तमहारा धयान गहरा होगा वस-वस तमह यह अनभव म आन लगगा तमहारा परशन--इसक पहल

दक तम पछो--उसका उततर तमह वमल जाएगा वमल ही जाना चावहए नही तो तमहार मर पास होन का

परयोजन कया ह

आवखरी परशनः मरी पतनी बहत करप ह म कया कर

गजब क परशन पछत हो अब म कोई पलावसटक सजमन िोड़ ह अगर पतनी करप ह तो धयान करो पतनी

पर--लाभ ही लाभ होगा सदर सतरी खतर म ल जाए करप सतरी कभी खतर म नही ल जाती इस मौक को चको

मत

सकरात स दकसी न पछा एक यवक आया उसन कहाः म वववाह करना चाहता ह म कर या न

कर आपस इसवलए पछन आया ह दक आप भिभोगी ह

सकरात को इस दवनया की खतरनाक स खतरनाक औरत वमली िी झनिपप उसका नाम िा मगरमछ

कहना चावहए सतरी नही मारती िी सकरात को सकरात जसा पयारा आदमी मगर परमातमा अकसर ऐस

पयार आदवमयो की बड़ी परीकषाए लता ह भजी होगी झनिपप को--दक लग जा इसक पीछ

मारती िी डाटती िी बीच-बीच म आ जाती सकरात अपन विषयो को समझा रह ह वह बीच म

खड़ी हो जाती--दक बद करो बकवास एक बार तो उसन लाकर परी की परी कतली गरम पानी की--चाय बना

रही िी करोध आ गया--सकरात समझा रहा होगा कछ लोगो को उसन परी कतली उसक वसर पर आकर उडल

दी सकरात का चहरा सदा क वलए जल गया आधा चहरा काला पड़ गया

तो उस यवक न पछाः इसीवलए आपस पछन आया ह दक आप भिभोगी ह आप कया कहत ह वववाह

कर या न कर सकरात न कहाः करो अगर सतरी अछी वमली तो सख पाओग अगर मरी जसी सतरी वमली

दािमवनक हो जाओग लाभ ही लाभ ह

अब तम कह रह हो दक करप सतरी

करप सतरी पर धयान अगर करो तो ववराग-भाव पदा होगा ववरागी हो जाओग चको मत अवसर

अगल जनम म कही भल-चक स सदर सतरी वमल जाए तो झझट आएगी

मलला नसरददीन िादी करता िा तो गाव की सबस करप सतरी को चन वलया लोग बड़ चौक धन ह

उसक पास पद ह परवतिा ह सदर स सदर वसतरया उसक पीछ दीवानी िी और इस नासमझ न सबस जयादा

103

करप सतरी को चन वलया वजसकी दक गाव क लोग वववाह की सभावना ही नही मानत ि--दक कौन इसस

वववाह करगा कौन अपन को इतना कषट दना चाहगा उस सतरी की तरफ दखना भी घबड़ान वाला िा

मलला न जब िादी कर ली तो लोगो न पछा दक यह तमन कया दकया उसन कहाः इसक बड़ लाभ ह

इसको दख-दखकर म ससार की असारता का ववचार करगा इसको दख-दखकर बदध जस वयवियो क वचन

मर खयाल म आएग दक सब असार ह यहा कछ सार नही ह और दसराः यह करप सतरी ह इसकी वजह स म

सदा वनसशचत रहगा सदर सतरी का कोई भरोसा नही ह लोग उसक परम म पड़ जाए वह दकसी क परम म पड़

जाए इस पर म हमिा वनसशचत रहगा दो-चार साल भी चला जाऊ कही कोई दफकर नही घर आओ अपनी

सतरी अपनी ह

और सदर वसतरया बाहर स वजतनी सदर होती ह उतनी भीतर स करप हो जाती ह सतलन रखती ह

अकसर ऐसा होगा दक सदर सतरी की जबान कडवी होगी वयवहार कठोर होगा हकड़पन होगा अहकार होगा

सदर सतरी भीतर स दगध दगी सदर परष क साि भी यही बात ह

करप सतरी--पररपरक खोजन पड़त ह उस दह म तो सौदयम नही ह इसवलए सवा करगी परम करगी

सचता लगी दवयमवहार न करगी कयोदक दवयमवहार तो वस ही काफी हो रहा ह वह तो चहर क कारण ही

काफी हआ जा रहा ह दह क कारण ही काफी हआ जा रहा ह अब और तो कया सताना

तो अकसर ऐसा हो जाता ह करप वयवि भीतर स सदर हो जात ह बाहर स सदर वयवि भीतर स

करप हो जात ह सदर को अकड़ होती ह दक तम नही तो कोई और सही करप को अकड़ नही होती तम ही

सब कछ हो

पर सतरी िी तो करप ही मलला जब उस घर ल आया तो मसलमानो म पछत ह सतरी घर आकर पछती

ह दक म अपना बकाम दकसक सामन उठा सकती ह दकसक सामन नही उठा सकती ह दकसक सामन आजञा ह

तो पता ह मलला न कया कहा मलला न कहा दक मझ छोड़कर त सबक सामन अपना बकाम उठा सकती

और यह कहानीः

आदफस का समय होन क कारण बस म अतयवधक भीड़ िी सामन की सीट पर एक नव-वववावहत जोड़ा

बठा िा वजसक सामन एक भदर परष रॉड पकड़कर खड़-खड़ सफर कर रह ि एक जगह बस क अचानक झटक

स रकन स भदर महोदय खद को समहाल न पाए और नव-वध की गोद म वगर पड़

दफर कया िा वह महािय का पारा सातव आसमान पर पहच गया लग उन महािय को बरा-भला

कहन लोगो न समझान की कोविि की दक इस हालत म कोई भी वगर सकता िा फकत वर महािय तो और

भी जयादा भड़क उठ बोलः बस बस आप लोग चप रवहए अगर आपकी पतनी की गोद म कोई बठ तो कया

आप इस सहन करग

मलला नसरददीन यह सब बठा हआ सन रहा िा वह उठकर आया उसन कहाः यह रहा मरा काडम मरा

नाम मलला नसरददीन ह आप इस पत पर दकसी भी समय आ सकत ह और वजतनी दर चाह मरी पतनी की गोद

म बठ सकत ह

अब पतनी करप ह तो यहा सदर और ह कया इस ससार म सभी तो करप ह इस ससार म हर चीज तो

सड़ जाती ह इस ससार म हर चीज तो करप हो जाती ह सदरतम सतरी भी एक ददन करप हो जाती ह और

104

जवान स जवान आदमी भी एक ददन मझामता ह और बढ़ा हो जाता ह सदर स सदर दह भी तो एक ददन वचता

पर चढ़ा दनी पड़गी करोग कया यहा सदर ह कया

इस जगत की असारता को ठीक स पहचानो इस जगत की वयिमता को ठीक स पहचानो तादक इसकी

वयिमता को दखकर तम भीतर की सीदढ़या उतरन लगो

सौदयम भीतर ह बाहर नही सौदयम सवय म ह और वजस ददन तमहार भीतर सौदयम उगगा उस ददन सब

सदर हो जाता ह तम जस वसी दवनया हो जाती ह जसी दवषट वसी सवषट

तम सदर हो जाओ पतनी को सदर करन की दफकर छोड़ो तम सदर हो जाओ और तमहार सदर होन का

अिम कोई परसाधन क साधनो स नही धयान सदर करता ह धयान ही सतय विव सदरम का दवार बनता ह

जस-जस धयान गहरा होगा वस-वस तम पाओगः तमहार भीतर एक अपवम सौदयम लहर ल रहा ह इतना

सौदयम दक तम उडल दो तो सारा जगत सदर हो जाए

मझस तम उस सौदयम की बात पछो इस तरह क वयिम परशन न लाओ तो अछा ह

आज इतना ही

105

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ सतरह परवचन

बदधतव का आलोक

बराहमणवगगो

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण 313

यदा दवयस धममस पारग होवत बराहमणो

अिसस सबब सयोगा अति गछवत जानतो 314

यसस पार अपार वा पारापार न ववजजवत

वीतददर ववसातत तमह बरवम बराहमण 315

झासय ववरजमासीन कतदकचच अनासव

उततमति अनपपतत तमह बरवम बराहमण 316

ददवा तपवत आददचचो रसतत आभावत चवनदमा

सिदधो खवततयो तपवत झायी तपवत बराहमणो

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा 317

परिम दशयः

वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि व तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत

क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए दफर ऐसा सोचकर दक यदद म इनक पास वभकष हो जाऊगा तो

सदा इनह दख पाऊगा परवरवजत हो गए व परवरजया क ददन स ही धयान-भावना आदद न कर कवल तिागत क

रप-सौदयम को ही दखा करत ि भगवान भी उनक जञान की अपररपकवता को दखकर कछ नही कहत ि दफर

एक ददन ठीक घड़ी जान--वककवल क जञान म िोड़ी परौढ़ता दखकर--भगवान न कहाः वककवल इस अपववतर िरीर

को दखन स कया लाभ वककवल जो धमम को दखता ह वह मझ दखता ह

दफर भी वककवल को सध न आयी व िासता का साि छोड़कर कही भी न जात ि िासता क कहन पर भी

नही उनका मोह छटता ही नही िा

तब िासता न सोचाः यह वभकष चोट खाए वबना नही समहलगा यह सवग को पराि हो तो ही िायद

समझ सो एक ददन दकसी महोतसव क समय हजारो वभकषओ क समकष उनहोन बड़ी कठोर चोट की कहाः हट

जा वककवल हट जा वककवल मर सामन स हट जा और ऐसा कहकर वककवल को सामन स हटा ददया

106

सवभावतः वककवल बहत कषबध हआ गहरी चोट खाया पर वककवल न जो वयाखया की वह पनः भरात िी

सोचाः भगवान मझ स करदध ह अब मर जीन स कया लाभ और जब म सामन बठकर उनका रप ही न दख

सकगा तो अब मर जाना ही उवचत ह ऐसा सोचकर वह गदधकट पवमत पर चढ़ाः पवमत स कदकर आतमघात क

वलए अवतम कषण म--बस जब दक वह कदन को ही िा--अधरी रात म कोई हाि पीछ स उसक कध पर आया

उसन लौटकर दखा भगवान सामन खड़ ि अधरी रावतर म उनकी परभा अपवम िी आज उसन िासता की दह

ही नही िासता को दखा आज उसन धमम को जीवत सामन खड़ दखा एक नयी परीवत उसम उमड़ी--ऐसी परीवत

जो दक बाधती नही मि करती ह

तभी भगवान न इस अपवम अनभवत क कषण म वककवल को य गािाए कही िीः

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण

ह बराहमण पराकरम स तषणा क सरोत को काट द और कामनाओ को दर कर द ह बराहमण ससकारो क

कषय को जानकर तम अकत--वनवामण--का साकषातकार कर लोग

यदा दवयस धममस पारग होवत बराहमणो

अिसस सबब सयोगा अति गछवत जानतो

जब बराहमण दो धमो--समि और ववपससना--म पारगत हो जाता ह तब उस जानकार क सभी सयोग--

बधन--असत हो जात ह

यसस पार अपार वा पारापार न ववजजवत

वीतददर ववसातत तमह बरवम बराहमण

वजसक पार अपार और पारापार नही ह जो वीतभय और असग ह उस म बराहमण कहता ह

झासय ववरजमासीन कतदकचच अनासव

उततमति अनपपतत तमह बरवम बराहमण

जो धयानी वनममल आसनबदध कतकतय आसरवरवहत ह वजसन उततमािम को पा वलया ह उस म

बराहमण कहता ह

पहल दशय को समझ

वककवल बराहमण-कल म उतपि हए ि

बराहमण-कल म उतपि होन स कोई बराहमण नही होता ह पदा तो सभी िदर होत ह बराहमण बनना होता

107

िदर की पररभाषा कया ह िदर की पररभाषा हः वजसको िरीर स जयादा कछ ददखायी न पड़ जो िरीर

म जीए िरीर क वलए जीए िरीर स अनयिा वजसकी समझ म न पड़ वजसकी आख पथवी म उलझी रह जाए

आकाि वजस ददखायी न पड़ जो आकवत म बध जाए और आकवत क भीतर जो अनाकत ववराजमान ह उस

ददखायी न पड़ ऐस अध को िदर कहत ह

सभी अध पदा होत ह सभी िदर पदा होत ह बराहमण तो कोई पराकरम स बनता ह बराहमण उपलवबध ह

बराहमण गणवतता ह जो अरजमत करनी होती ह मफत नही होता कोई बराहमण जनम स हो जाओ तो मफत हो

गए जनम स हो जाओ तो सयोग स हो गए जनम स हो जाओ तो तमहारी कौन सी उपलवबध ह

और बराहमण का अिम यह भी नही होता दक जो िासतरो को जानता हो कयोदक िासतरो को तो िदर भी जान

ल सकता ह इसी डर स दक कही िदर िासतरो को न जान ल सददयो तक िदर को िासतर पढ़न स रोका गया नही

तो दफर बराहमण और िदर म भद कया करोग भद कछ ह भी नही उतना ही भद ह दक बराहमण िासतर जानता ह

तिाकवित बराहमण जो जनम स बराहमण ह उसम और तिाकवित िदर म भद कया ह इतना ही भद ह दक

बराहमण वद को जानता ह िदर वद को नही जानता ह इसवलए सहदओ न िदर को वद नही पढ़न ददया नही तो

बराहमण की परवतिा कया रहगी िदर भी अगर पढ़ तो बराहमण हो गया

अगर िासतर को जानना ही एकमातर बराहमण होन की पररभाषा ह तो जो िासतर को जान लगा वही

बराहमण हो गया डाकटर अबडकर को बराहमण कहोग दक नही अगर िासतर को जानना ही पररभाषा हो तो

डाकटर अबडकर बराहमणो स जयादा बहतर बराहमण ह तभी तो इस दि का ववधान बनात समय बराहमणो को

नही बलाया गया अबडकर को वनमवतरत दकया गया अबडकर वववध का िासतर का जञाता िा भारतीय ससकवत

की अपवम पकड़ िी समझ िी बड़-बड़ बराहमण ि उनह न बलाकर एक िदर स भारत का ववधान वनरममत

करवाना दकस बात की सचना ह

िासतर पढ़न का मौका हो िासतर कोई जान ल तो दफर कौन िदर कौन बराहमण यह बात वबगड़ जाएगी

इस डर स बराहमणो न िदर को जानन ही नही ददया िासतर को

वसतरयो को भी नही जानन ददया कयोदक परष की अकड़ का दफर कोई कारण न रह जाएगा और जब

तम जानन ही न दोग

अब यह बड़ मज की बात ह यह कसा अनयाय ह जब िदर पढ़ ही न सकगा पढ़न ही न दोग वह

अजञानी रह जाएगा दफर कहोग दक िदर अजञानी होत ह बराहमण जञानी िदर अजञानी और यह िदर का अजञान

तमहार ही दवारा वनयोवजत आयोवजत अजञान ह

न कोई िदर ह न कोई बराहमण पढ़न स कछ भद तय नही होता अगर भद तय होगा तो कोई अतर-

करावत स तय होगा

बदध दकसको बराहमण कहत ह बदध उसको बराहमण कहत ह वजसन बरहम को जाना लदकन बरहम को जनम

स कस जानोग बरहम को जानन क वलए तो सारा जीवन दाव पर लगाना होगा पराकरम स जानोग बरहम

उपलवबध ह अिक चषटा स िायद एक जनम भी काम न आए अनक जनमो म शरम करक समिा को

साधकर समावध को उपलबध करक अतर क चर खलग बरहम का दिमन होगा--तब तम बराहमण होओग

यह घटना कहती हः वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि लदकन रह होग िदर रप

पर अटक गए िरीर पर अटक गए बदध म भी उतसक हए तो उनक दह-सौदयम क कारण बदध म उतसक हए

तो वसफम बाहरी छटा को दखकर बदध क पास आकर भी बदधतव क दिमन न हए वहा भी दह ही ददखी

108

हम वही दख सकत ह जो दखन की हमम कषमता होती ह तमन दखा चमार रासत पर बठता ह वह

तमहारा चहरा नही दखता तमहारा जता दखता ह ददनभर दखता रहता ह लोगो क जत दफर धीर-धीर

चमार इतना पारगत हो जाता ह जतो को दखन म दक जत को दखकर तमहार सबध म सब जानकारी कर लता

ह अगर जत की हालत खराब ह तो जानता ह दक तमहारी जब खाली ह जत की हालत खराब ह तो जानता

ह दक तमहारी हालत कटी-वपटी ह जसी तमहार जत की हालत ह जत पर चमक ह रौनक ह तो जानता ह दक

तमहार चहर पर भी चमक और रौनक होगी चहर को दखन की जररत कया उसक हाि म जता ह जत स

तमहार सबध म सारा तकम फला लता ह जत स तमहार सबध म सचनाए ल लता ह

दजी कपड़ दखता ह आदमी नही दखता

और तम भी ववचार करनाः तम कया दखत हो तम भी कषदर को ही दखत होओग जो कषदर को दख वह

िदर ह जो कषदर को हटा द और भीतर वछप ववराट स सबध बनाए वही बराहमण ह

तो साधारण लोगो म तम सौदयम दखो यह चल जाएगा लदकन बदध क पास आकर भी चक जाओग

जहा जयोवत भीतर की ऐसी जलती ह दक चाद-तार फीक ह दक सरज िरमाए जहा भीतर की जयोवत ऐसी

जलती दक अध को ददख जाए वहा भी वककवल को कया ददखा वककवल को ददखा बदध का दह-सौदयम

बराहमण-कल म उतपि हआ िा लदकन िदर िा

वककवल तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए

यह एक तरह की कामकता िी इसस कया फकम पड़ता ह दक तम बदध क रप-सौदयम पर मोवहत हए दक

दकसी और क रप-सौदयम पर मोवहत हए रप पर जो मोवहत हआ वह कामक ह

उसन बाहर की पररवध को ही पहचाना वह वतजोड़ी क परम म वगर गया वतजोड़ी क भीतर हीर रख ह

उसकी उस सचता ही नही ह और दह दकतनी ही सदर हो अततः दह ह तो हडडी-मास-मजजा दह दकतनी ही

सदर हो अततः तो मतय म चली जाएगी अततः तो कबर म सड़गी या वचता पर जलगी दह दकतनी ही सदर

हो आज नही कल कीड़-मकोड़ो का भोजन बनगी दह दकतनी ही सदर हो सब वमटटी म वमल जाएगा जो दह

क परम म पड़ा वह वमटटी क परम म पड़ गया वह घड़ क परम म पड़ गया और घड़ क भीतर अमत भरा िा

बदध क पास खड़ होकर भी इस आदमी न अमत न दखा इसन घड़ा दखा घड़ा सदर िा घड़ पर

कारीवगरी िी घड़ पर बड़ी महनत की गयी होगी यह घड़ क मोह म पड़ गया यह घड़ को ही छाती स लगा

वलया और यह भल ही गया दक घड़ क भीतर ऐसा अमत ह दक पीओ तो सदा-सदा क वलए ति हो जाओ दक

सारी कषधा वमट जाए दक सारी भख वमट जाए कतकतय हो जाओ परम अिम ववराजमान िा

िदर का यही अिम ह वककवल िदर िा जस दक सभी लोग िदर होत ह

धयान म ल लना ऐसा मत सोचना दक वककवल िदर िा और तम िदर नही हो हम सब िदर की तरह ही

पदा होत ह और कोई पदा होन का उपाय नही ह बड़ स बड़ा बराहमण--बदध भी--िदर की तरह ही पदा होत ह

िोड़ स धनयभागी जहा पदा होत ह उसस आग बढ़त ह अवधक अभाग जहा पदा होत ह वही अटक

रह जात ह जो जनम पर ही अटककर रह गया ह वह जीवन स जानन स ववचत ही रहा बहत कम लोग ह

जो जनम क बाद बढ़त ह जनम क बाद बढ़ना चावहए जनम तो वसफम िरआत ह अत नही ह जनम तो यातरा का

पहला कदम ह मवजल नही ह जनम तो वसफम अवसर ह जीन का जीवन को जानन का इस अवसर को लकर

ही मत बठ जाना

109

जनम तो कोरी दकताब ह वलखोग कब इस पर तमहारा गीत कब फलगा इस पर तमहार वचतर कब

बनग इस पर

जनम तो ऐस ह जस अनगढ़ पतिर छनी कब उठाओग इस पतिर को मरतम कब बनाओग इस पतिर म

पराण कब डालोग अवधक लोग अनगढ़ पतिर की तरह पदा होत अनगढ़ पतिर की तरह मर जात उनकी मरतम

वनखर ही नही पाती उनक भीतर जो वछपा िा वछपा ही रह जाता ह जो गीत गाया जाना िा वबन गाया

चला जाता जो नतय होना िा नही हो पाता

जो अपना गीत गा लता ह वही बदध ह जो अपना नाच नाच लता ह वही बदध ह जो अपनी भीतर

वछपी हई सभावनाओ को अवभवयि कर दता ह अवभवयवजत कर दता ह गनगना लता ह वही बदध ह और

वही कतकायम ह वही फल को फल को उपलबध हआ

अवधक लोग बीज की तरह मर जात ह कछ िोड़ स लोग अकररत होत ह और मर जात ह कछ िोड़ स

लोग वकष भी बन जात ह लदकन उनम कभी फल नही लगत फल नही लगत और मर जात ह जब फल

वखलता ह तमहार जीवन का जब तमहारी चतना सहसरदल कमल बनती तभी जानना दक बराहमण हए--तभी

जानना दक बराहमण हए

इस ऐसा समझो दक सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह दफर िदर क बाद दसरा कदम ह वशय का कछ

लोग वशय बन जात ह वशय का मतलब ह पौधा पदा हआ बीज फटा कछ अकर वनकल

िदर वबलकल ही दह म जीता ह मन का भी उस पता नही आतमा की तो बात ही दर परमातमा का तो

सवाल ही कहा उठता ह तम सोचत हो दक िदर वह ह जो मल-मतर ढोता ह तो तम गलत हो िदर वह ह जो

मल-मतर म जीता ह ढोन स कया होता ह बड़ी उलटी बात समझ ली

जो आदमी पाखान साफ करता ह मर जानवरो को ढोकर ल जाता ह--इसको िदर कहत हो यह िवदध

कर रहा ह सवछता ला रहा ह इसको िदर कहत हो िदर तम हो मल-मतर पदा दकया यह बचारा ढोकर

साफ कर रहा ह--इसको िदर कहत हो इसकी तमहार ऊपर बड़ी कपा ह अनकपा ह इसक चरण छओ इसका

धनयवाद मानो

जरा सोचो दक इस नगर म िदर एक सात ददन क वलए वनणमय कर ल दक अब नही सफाई करनी ह तब

तमको पता चलगा दक िदर कया कर रहा िा तमहार सदर घर भयकर बदब स भर जाएग तब तमह पता

चलगा दक िदर कौन ह

यह मल-मतर म जो जी रहा ह वजसका जीवन मल-मतर क पार नही गया ह वजस पता ही नही दह क

बाहर कछ भोजन कर लता ह मल-मतर स वनषकावसत कर दता ह दफर भोजन कर लता ह ऐसा ही वजसका

जीवन ह इददरयो स पार वजस कछ पता नही ह ऐसा आदमी िदर ह मल-मतर की सफाई करन वाला िदर नही

ह मल-मतर को ही जीवन समझ लन वाला िदर ह

इसस िोड़ा कोई ऊपर उठता ह तो अकर फटता ह वशय बनता ह वशय को िदर स िोड़ी सी जयादा

समझ ह उसक भीतर मन म िोड़ी उमग उठनी िर होती हः पद परवतिा धन सममान सतकार भोजन और

कामवासना--इतन ही पर वशय समाि नही होता वशय जीवन क वयवसाय म लगता ह कछ और भी मलयवान

लदकन वशय भी वसफम अकररत हआ जो वशय की तरह मर जाए वह भी कछ बहत दर नही गया िदर स

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दफर होता ह कषवतरय कषवतरय का अिम होता हः योदधा सकलपवान जीवन को अब वसा ही नही जी लता

जसा जनम स पाया ह यदध करता ह जीवन को वनखारन का उठाता ह तलवार काट दता ह जो गलत ह

वमटा दता ह जो वयिम ह सािमक की तलाि म लगता ह सघषमरत होता ह जीवन उसक वलए एक चनौती ह

वयवसाय नही

िदर क वलए जीवन कषदर का भोग ह वशय क वलए कषदर स िोड़ ऊपर उठना ह लदकन जीवन की ददिा

वयवसाय की ददिा ह सघषम की नही िोड़ा छीन-झपट लो चोरी कर लो धोखा द दो

कषवतरय का आयाम सघषम का आयाम ह चनौती का आयाम ह चाह सब गवाना पड़ लदकन दाव

लगाओ कषवतरय जआरी ह वयवसायी नही ह कषवतरय वकष बन जाता ह जब जझता ह तो ही कोई वकष बनता

य वकष भी जझत ह तो ही ऊपर उठ पात ह इनकी बड़ी सघषम की किा ह जब एक वकष बनना िर

होता ह तो दकतना सघषम ह उसक सामन नीच जमीन म पड़ पतिर ह वजनको तोड़कर जड़ पहचानी ह कठोर

भवम ह वजसम रासता बनाना ह जल-सरोत खोजन ह दफर अकला ही नही खोज रहा ह और बहत स वकष

खोज रह ह इसक पहल दक दसर जल-सरोत तक पहच जाए इस वकष को अपनी जड़ वहा पहचा दनी ह नही

तो दसर कबजा कर लग दफर आकाि की तरफ उठना ह दफर अकल ही नही ह और वकष पहल स आकाि की

तरफ उठ खड़ ह अगर आकाि की तरफ न उठगा तो सरज की रोिनी न वमलगी िदध हवाए न वमलगी

सघषम ह सकलप ह

सकलप और सघषम स कोई ऊपर जाता ह लदकन सकलप की सीमा ह अपन हाि स लड़ना दकतनी दर

तक हो सकता ह हमार हाि ही बहत छोट ह

कषवतरय अपन पर भरोसा करता ह इसवलए जाता ह वशय स आग जाता ह लदकन अपन भरोस की

सीमा ह तमहारी सामथयम दकतनी एक ददन सकलप िक जाएगा कषवतरय वगरगा जस तफान आया और बड़ा

वकष वगर गया लड़ता रहा िा अब तक लदकन तफानो स कस लड़गा छोटी-मोटी हवाए आती िी वनपट

लता िा आज भयकर चकरवात आया आज ताडव नतय करती हई हवाए आयी आज नही होगा सघषम की

सीमा ह अपन स जब तक बना लड़ वलया अब वगरगा और टटगा और जब बड़ वकष वगरत ह तो दबारा नही

उठत उठ ही नही सकत उठन का कोई उपाय नही ह इसक पार बराहमण ह

बराहमण का अिम हः समपमण कषवतरय का अिम हः सकलप कषवतरय लड़ता ह जीतन की चषटा करता ह

लदकन एक न एक ददन हारगा कयोदक वयवि की सीमा चक जाएगी समवषट क सामन वयवि का कया मकाबला

ह वजतनी दर तक वयवि की ऊजाम जा सकती ह जाएगा दफर ठहर जाएगा

वही स बराहमण िर होता ह अपनी सारी सामथयम लगा दी तब उस पता चलता ह दक मझस भी बड़ा

कोई ह म लड कयो उसका सहारा कयो न ल ल म नदी स सघषम कयो कर म नदी क साि बहन कयो न लग

समपमण िर होता ह बराहमण की दिा समपमण की दिा ह वह परमातमा क साि अपना सबध जोड़ लता ह

जब कोई दकसी गर स अपना सबध जोड़ता ह तो बराहमण होन की िरआत हई इस आदमी को यह बात

ददखायी पड़ गयी दक मर हाि स वजतना हो सकता िा मन कर वलया अब मझ ववराट का परसाद चावहए अब

मझ परमातमा का सहारा चावहए अब मझ अपनी असहाय अवसिा का बोध होता ह इस वसिवत म वयवि

बराहमण बनना िर होता ह

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और जब समगर समपमण हो जाता ह जब सब भावत वयवि अपन को ववसरजमत कर दता ह असीम म

सीमाए खो जाती ह जस बद सागर म वगर जाए ऐस जब कोई ववराट म वगर जाता ह और उस वगरन म ही

जानता ह ववराट क सवाद को--तब परा बराहमण हआ तब फल लग फल लग तब सगध वबखरी तब कोई कत-

सकलप हआ कतकायम हआ तब पहच गया वहा जहा पहचना िा वनयवत उपलबध हई तभी तवि ह उसक

पवम कोई तवि नही ह

वककवल सिववर शरावसती म बराहमण-कल म उतपि हए ि व तरणाई क समय वभकषाटन करत हए तिागत

क सदर रप को दखकर अवत मोवहत हो गए दफर ऐसा सोचकर दक यदद म इनक पास वभकष हो जाऊगा तो

सदा इनह दख पाऊगा परवरवजत भी हो गए

आदमी कभी-कभी ठीक काम भी गलत कारणो स करता ह और कभी-कभी गलत काम भी ठीक कारणो

स करता ह और समरण रखना इस सतर को दक गलत आकाकषा स दकया गया ठीक काम भी गलत हो जाता ह

और ठीक आकाकषा स दकया गया गलत काम भी ठीक हो जाता ह अततः वनणामयक तमहारी आकाकषा ह

परसो की कहानी तमन दखी नगलकल बड़ी गलत आकाकषा स वकष पर टाग आए अपन नगल को अपन

हल को दखन जाता िा नगल को दखन जाता िा नगल म कया हो सकता ह हल म कया हो सकता ह कछ

भी नही लदकन हल को दखत-दखत जञान को उपलबध हो गया

यहा बात वबलकल उलटी हो रही ह यहा कोई आदमी बदध क पास आ गया ह और दफर भी चकगा

चकगा कयोदक बदध स भी उसन जो सबध जोड़ ह व बड़ी िदर की वचततदिा स उमग ह

इस आदमी न न तो बदध क वचन सन ह इस आदमी न न बदध क भीतर की मवहमा दखी इस आदमी न

जो बदध का सबस जयादा बाहरी वहससा िा वही दखा बदध की दह दखी यह िदर ह

अगर यह बदध का मन दख ल तो वशय ह अगर यह बदध की आतमा दख ल तो कषवतरय ह अगर यह बदध

क भीतर का परमातमा दख ल तो बराहमण ह य दवषटयो क नाम ह िदर बराहमण

िदर करीब-करीब दखता ही नही टटोलता ह जस अधा आदमी

तमन हलन कलर क सबध म सना ह वह अधी ह बहरी ह अब उसक पास एक ही उपाय ह दकसी को

जानन का दक उसक चहर पर हाि फर जब उसन पवडत जवाहरलाल नहर को दखा पहली दफा तो उसन

उनक चहर पर हाि फरा और बहत खि हई उसन कहाः म खि ह तमहारा चहरा बड़ा सदर ह

जवाहरलाल को तो भरोसा नही हआ दक यह अधी सतरी चहर पर हाि फरकर चहर क सौदयम को कस

समझ लगी उनहोन कहा दक मझ भरोसा नही आता उसन कहा दक तमहारा चहरा ठीक वसा ह जसा मन

यनान म मरतमयो का दखा सगमममर की मरतमया जब मन उन पर हाि फरा तो मझ जसा भाव हआ वसा

तमहार चहर को दखकर हआ

जवाहरलाल क पास पयारा चहरा िा सगमममर की मरतमयो जसा चहरा िा लदकन अधा आदमी दख तो

नही सकता टटोल सकता ह

हलन कलर वसरफ चहर की आकवत को अनभव कर सकती ह हाि फरकर अवधक लोग ऐस ही जीवन

को टटोल रह ह--अध की भावत

ऐस वककवल आया अधा तो नही िा कम स कम ऊपर स तो नही िा आख खली िी मगर अटक गया

रप म जो आखो न ददखाया उसम ही भटक गया ठीक आदमी क पास आया गलत आकाकषा न सब खराब

कर ददया

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सोचाः वभकष हो जाऊ अब वभकष होन का हत दखत ह सनयसत होना चाहता ह लदकन सनयसत होन क

पीछ कारण कया ह कारण ह दक सदा इनक पास रहगा दफर सदा इनका रप दखता रहगा

वभकष हो भी गया लदकन वजस ददन सनयास वलया उसी ददन स न तो धयान दकया न भावना की कोई

बदध दो तरह की बात लोगो को कहत जस म तमस कहता ह भवि और धयान जो लोग धयान कर

सकत उनको धयान म लगात जो नही कर सकत उनको भावना म लगात भावना यानी भवि

बदध भवि का उपयोग नही करत कयोदक व दकसी परमातमा को नही मानत जो आकाि म बठा ह

वजसकी भवि की जाए दफर भावना उनहोन एक नयी परदकरया खोजी जो भवि का ही रप ह वबना

भगवान क भगवान स मि भवि क रप का नाम भावना

भगवान क चरणो म लगायी गयी जो दवषट ह वह भी भावना ह लदकन उसम पता ह दकसी का तमन

परािमना की तमन कहाः ह कषण या तमन राम को पकारा तमन आकाि की तरफ दखा तमहार मन म कोई

धारणा ह रप ह और तमन जो भाव परगट दकया उसम पता ह तमन जो पाती वलखी उसम पता ह राम का

यह भवि

बदध न कहाः वसफम झको कोई नही ह वजसक सामन झकना ह झकना ही काफी ह वबना पता झक

जाओ राम क सामन नही कषण क सामन नही दकसी क सामन का सवाल नही ह झक जाओ जाओ एकात

म और झक जाओ और झकन की कला सीखो

अब इसको भवि नही कह सकत हालादक पररणाम वही होगा इसस कया फकम पड़ता ह दक तम राम का

नाम लकर झक दक कषण का नाम लकर झक दकसका नाम लकर झक इसस कया फकम पड़ता ह नाम तो

बहान ि झकन क बदध न बहान हटा ददए

बदध न कहाः बहानो म झझट होती ह बहानो म झगड़ा खड़ा होता ह जो राम क सामन झकता ह वह

उसस लड़न लगता ह जो कषण क सामन झकता ह झकना-वकना तो भल जात ह एक-दसर क वसर फोड़न म

लग जात ह तम वसफम झको

इसको उनहोन भवि नही कहा इसवलए भावना कहा इसको उनहोन ठीक िबद ददयाः बरहम-भावना

परमातमा बाहर नही ह परमातमा तमहार भीतर ह तम भावना कर लो तमहार भीतर परगट हो जाए भावना

की छनी स तम अपन भीतर की मरतम को वनखार लो दकसी और मददर म फल नही चढ़ान ह

लदकन न तो वककवल न धयान दकया न भावना की वह आया ही नही िा धयान करन या भावना करन

उसकी नजर तो कछ और ही िी उसकी दवषट तो कछ और ही िी

यहा सफी नतय होता ह अनीता बड़ी परिान रहती ह जो सफी नतय को नततव दती ह उसकी परिानी

यह ह दक अवधकतम भारतीय जो सफी नतय म आत ह उनकी नजर वसतरयो पर होती ह वह बड़ी परिान ह

सभी नही लदकन अवधकतम व आत ही इसवलए ह उनह सफी नतय स कछ लना-दना नही ह लदकन सफी

नतय म वसतरया नाच रही ह और उनका हाि छन का मौका वमलगा--उनकी नजर उस पर होती ह उस पर नजर

होन क कारण सफी नतय की जो मवहमा ह वह खो ही जाती ह और ऐस एक-दो आदमी भी वहा हो तो व

ववघन-बाधा खड़ी कर दत ह

उसकी परिानी बढ़ती गयी म कोविि करता रहा कल तक दक दकसी तरह समहालो लदकन वह बढ़ती

ही जाती ह बात तो अब मजबरी म यह तय करना पड़ा दक सफी नतय म भारतीय सवममवलत नही हो सक ग

इसम म जानता ह कछ लोग अकारण ववचत रह जाएग लदकन कोई और उपाय ददखता नही

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कोई गलत कारण स भी धयान करन आ सकता ह

भारतीयो क मन म कामवासना बड़ी दबी पड़ी ह भयकर रप स दबी पड़ी ह सददयो का बोझ ह उनक

ऊपर एक चीज को इतना दबा वलया ह दक वह उनक रग-रग म समा गयी ह उनक खन म परववषट हो गयी ह

व और कछ सोच ही नही सकत हालादक व सोचत ह दक धारममक लोग ह उनकी धारममकता म यह सारा अधमम

समाया हआ ह व सोचत ह दक हम धारममक ह लदकन जस ही व सतरी को दखत ह उनक भीतर बड़ ववकार

उठन लगत ह उन ववकारो को व दबाए जात ह कयोदक दबाना उनह वसखाया गया ह

लदकन दबाए गए ववकारो स कभी मवि नही होती मवि समझ स होती ह दबान स नही होती दमन

स तो घाव वछप जात ह उनम मवाद पड़न लगती ह ऐस भारतीय मनषय क मन म बड़ी मवाद पड़ गयी ह

और वह मवाद बढ़ती चली जाती ह कयोदक तमहार साध-महातमा उसी मवाद को बढ़ान का काम करत ह

मवि चावहए कामवासना स--वनवशचत मवि चावहए लदकन दमन स मवि नही होती

अब यह वककवल कस धयान कर कस भावना कर यह तो बदध क रप पर मोवहत होकर आ गया ह इसन

तो वभकष का वि भी सवीकार कर वलया ह इसन तो सब ससार भी छोड़ ददया यह दीवाना ह उनक रप पर

तिागत को यह बात ददखायी पड़ रही ह--पहल ददन स ही ददखायी पड़ रही ह जब यह वभकष बना

होगा तब स ददखायी पड़ रही ह--दक इसक भीतर बड़ी कामकता भरी पड़ी ह यह िदर ह

लदकन बदध जस वयवि म महाकरणा होती ह

उनहोन सोचाः अभी कहना ठीक नही ह िोड़ी दर दखन दो या तो इस खद ही समझ आ जाएगी

िायद दखत-दखत दखत-दखत भीतर का भी कछ ददखायी पड़ जाए िायद दखत-दखत म जो कहता ह वह

सनायी पड़ जाए िायद दखत-दखत यहा इतन लोग धारणा-धयान कर रह ह इतन लोग भावना कर रह ह

इनकी तरगो का िोड़ा पररणाम हो जाए सतसग का असर होता ह जस लोगो क साि होत हो वस हो जात

हो िायद कछ हो जाए िोड़ी परौढ़ता आन दो

तो दखत ि दक यह वसफम मरी तरफ दखता ह और इसकी आखो म मरी तलाि नही ह वसफम चमड़ पर

अटक जाती ह आख यह चमार ह दफर भी चप रह उसकी अपररपकवता को दखत हए कछ भी नही कह

दफर एक ददन ठीक घड़ी जान

कहना भी तभी होता ह जब ठीक घड़ी आ जाए बदधपरष तभी कहत ह जब ठीक घड़ी आ जाए

कयोदक चोट तभी करनी चावहए जब लोहा गरम हो और बात तभी कहनी चावहए जब परवि कर सक दकसी

क दवार तभी ठकठकान चावहए जब खलन की िोड़ी सभावना हो पकार तभी दनी चावहए जब दकसी की नीद

टटन क करीब ही हो कोई भयकर नीद म खोया हो तो पकार भी न सनगा

तो बदध परतीकषा करत ि ठीक कषण की कभी जब जरा इसकी िदरता कम होगी कभी जब इसक भीतर

बराहमण-भाव का िोड़ा सा परवाह होगा

और धयान रखनाः चौबीस घट कोई भी िदर नही होता और चौबीस घट कोई भी बराहमण नही होता बड़

स बड़ा बराहमण कभी-कभी वबलकल छोट स छोटा िदर हो जाता ह और कभी-कभी कषदर स कषदर िदर भी बराहमण

होन की तरगो स आदोवलत होता ह जीवन परवाह ह

तमन अपन भीतर भी यह परवाह दखा होगाः कभी तम बराहमण होत हो कभी तम िदर कभी कषवतरय

कभी वशय कयोदक य वसिवतया बदलती रहती ह य तो मौसम ह अभी बादल वघर ह तो एक बात अभी

सरज वनकल आया तो दसरी बात अभी दकसी न आकर तमहारी सनदा कर दी तो तमहार वचतत की दिा कछ

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हो गयी और दकसी न आकर तमहारी परिसा कर दी तो तमहार वचतत की दिा कछ हो गयी राह पर चलत ि

रपए की िली वमल गयी तो तमहारा वचतत बदल गया पर म काटा गड़ गया तो तमहारा वचतत बदल गया

दकसी न एक गाली द दी कोई अपमान कर गया दक कोई हसन लगा दखकर--दक तमहारा वचतत बदल गया

तमहारा वचतत तो छई-मई ह जरा-जरा म बदलता ह जब न बदल तो तम बदध हो गए जब न बदल तो

वसितपरजञ हए जब न बदल तो वसिरधी हए जब न बदल तो भगवतता परगट हई

लदकन यह मन तो बदलता रहता ह यह मन तो वगरवगट ह यह तो रग बदलता रहता ह इसवलए तम

यह मत सोचना दक कोई िदर ह तो चौबीस घट िदर ह

इसी कारण सार दवनया क धमो न कछ समय खोज वनकाल ह जब परािमना करनी चावहए जस ठीक

सबह बरहम-महतम म उसको बरहम-महतम कयो कहत ह कयोदक उस वि आदमी क बराहमण-भाव क उदय होन की

सभावना जयादा ह

कयो रातभर सोए ववशराम दकया कम स कम आठ घट क वलए दवनया भल गयी तो दवनया का जाल

आठ घट क वलए टट गया सबह जब आख खलती ह नीद की गहरी ताजगी क बाद ववशराम क बाद तमहार

भीतर िोड़ी दर क वलए बराहमण का जनम होता ह उस कषण तमहार भीतर दया होती करणा होती परम होता

उललास होता उतसाह होता जीवन दफर जागा दफर तम ताज हो गए हो दफर हवाए बही दफर सरज

वनकला दफर पवकषयो न गीत गाए दफर फल वखल तमहार भीतर भी फल वखला तमहार भीतर भी हवाए

बही तमहार भीतर भी सरज वनकला तमहार भीतर का पकषी भी गीत गान लगा

सबह होती ह तो सारा जगत आहलाद स भरता ह रातभर क ववशराम क बाद यह आहलाद सवाभाववक

ह तम कस ववचत रहोग

इसवलए धमो न वनरतर कहा ह दक जलदी जाग जाओ वह जो आदमी आठ-नौ-दस बज उठगा वह चक

गया अपन बरहम होन क कषण को बराहमण होन क कषण को वह उठत स ही िदर होगा

तमन दखा जो आदमी दस बज तक पड़ा रहगा जब वह उठ तो उसक चहर पर तमह िदर ददखायी

पड़गा जो सबह बरहम-महरत म उठ आया ह सरज क साि-साि जो परकवत क साि-साि उठ आया ह उसक

भीतर तम एक तरग पाओग एक ताजगी पाओग उसकी आखो म एक िावत पाओग चाह वह िावत जयादा

दर न रटक कयोदक सजदगी करठन ह जलदी ही उपदरव िर हो जाएगा दकान खोलगा गराहक आएग दफतर

जाएगा पतनी उठगी बचच होग सब उपदरव िर अभी हो जान को ह लदकन इसक पहल दक उपदरव िर हो

सभी धमो न कहा ह परािमना कर लना

परािमना का अिम हः यह जो कषण वमला ह यह जो झरोखा खला ह िोड़ी दर क वलए इस पर सवार हो

जाना इसका फायदा उठा लना इस कषण को परमातमा क चरणो म समरपमत कर दना इस कषण को अगर तमन

परमातमा की पकार म परमातमा की परािमना म लगा ददया तो बहत सभावना ह दक यह कषण िोड़ा लबा

जाएगा अगर वस कछ दर रहता अब िायद िोड़ी जयादा दर रटकगा यह भी हो सकता ह दक अगर तम ठीक

स परािमना कर लो तो यह ददनभर पर फल जाए इसका रग ददनभर मौजद रह जाए

दफर धमो न कहाः रात क अवतम समय म जब तम िक गए ददनभर क उपदरव स ऊब गए तब दफर

परािमना कर लना उसका कया अिम होगा यह बात तो ववरोधाभासी लगती ह सबह तो ठीक दक सब ताजा

िा रात कयो जब दक सब बासा हो गया

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उसक पीछ भी कारण ह जब ददनभर का तम ससार दख चक तो एक ववराग की भावदिा अपन आप

पदा होती ह लगता हः सब दफजल ह ददनभर दखन क बाद नही लग वजसको वह आदमी वबलकल वजर बहरा

ह सब दफजल ह कोई सार नही ऐसी जो भावदिा ह इसका भी उपयोग कर लना इसक ऊपर भी सवार हो

जाना इसका घोड़ा बना लना और परभ की परािमना करत-करत ही नीद म उतर जाना उसका भी लाभ ह

कयोदक परभ की परािमना करत-करत अगर नीद म उतर गए तो नीद पर फल जाएगी परभ की छाया

ऐस जीवन क इन दो कषणो को सभी धमो न सवीकार दकया ह इन दो कषणो को परभ पर समरपमत करना

दफर ऐसा नही दक इन दो ही कषणो म यह बात घटती ह ददन म कई दफ तमहारा मौसम बदलता ह तम

जरा वनरीकषण करोग तो तम समझन लगोग दक कब मौसम बदलता ह और अगर तम वनरीकषण ठीक स करो

तो अदभत पररणाम ला सकत हो तम एक अपन जीवन की वयवसिा भी खोज सकत हो

एक बार तीन महीन तक डायरी रखो हर रोज सोमवार स लकर रवववार तक अपनी डायरी म वलखत

रहो--कब तमहार भीतर बराहमण-कषण होता ह कब िदर-कषण होता ह कब कषवतरय-कषण होता ह कब वशय का

कषण होता ह तीन महीन तक नोट करत रहो धोखा मत दना कयोदक धोखा दकसको दोग तम अपन को ही

दोग जबदमसती मत वलख लना दक नही ह बराहमण-कषण लदकन ददखाना तो चावहए दक एक बराहमण-कषण न

हो तो नही वलखना जब हो तो ही वलखना

अगर तम एक तीन महीन तक अपन भीतर का सारा बयौरा वलख लो तम चदकत हो जाओग तम

चदकत इसवलए हो जाओग दक तम तीन महीन क बाद पाओग दक करीब-करीब तमहार भीतर जो बदलाहट

होती ह व सवनवशचत ह अगर सोमवार को सबह तमह आनददत मालम हआ ह तो तम चदकत होओग जानकर

दक हर सोमवार को ऐसा होता ह

तमहार भीतर एक वतमल ह जस गाड़ी का चाक घमता ह अगर हर िवनवार को तमहार भीतर करोध का

जनम होता ह करोध की छाया होती ह तम कछ न कछ झझट खड़ी कर लत हो कोई झगड़ म पड़ जात हो

दकसी को मार दत हो तो तम चदकत होओग तीन महीन क बाद दक यह करीब-करीब हर िवनवार को होता ह

कम-जयादा और एक बार तमहारी सजदगी का चाटम तमहार सामन हो जाए तो बहत लाभ का ह दफर तो तम

अपन दरवाज पर वलखकर टाग सकत हो--दक सोमवार मझस सावधान दक मगलवार आपका सवागत ह और

दफर तम उसक अनसार जी भी सकत हो

अगर तमहारा सोमवार बरा ददन ह और तमह अनजान इसका अनभव भी होता ह लोग जानत भी ह

दक फला ददन मरा बरा ददन ह हालादक उनह साफ नही होता दक मामला कया ह कयो बरा ददन ह जयोवतषी

स पछन जान की जररत नही ह जयोवतषी को कया पता उसको अपना पता नही ह तमहारा कया खाक पता

होगा

एक जयोवतषी को एक बार मर पास लाया गया जयपर म उसकी एक हजार रपए फीस एक बार हाि

दखन की उसन कहाः एक हजार रपए मरी फीस ह हाि दखन की मन कहाः तम बदफकरी स दखो उसन हाि

दख वलया बड़ा खि िा दक एक हजार रपए वमलत ह जब हाि दख वलया उसन कहाः मरी फीस मन कहाः

वह तो म पहल स ही तय िा दक नही दगा तमह इतना भी पता नही ह तम घर स अपना हाि दखकर तो

चला करो तम मझ दखकर यह भी न समझ सक दक यह आदमी एक हजार रपए नही दगा और म जोर स यह

दोहरा रहा िा अपन भीतर तादक तमह सनायी पड़ जाए अगर तमम िोड़ा भी जयोवतष हो तो समझ म आ

जाए दक भाई दगा नही यह म कह ही रहा िा भीतर बार-बार तम जब हाि पकड़ बठ ि तब म दोहराता

116

ही रहा दक हजार रपए दगा नही दगा नही मरी तरफ स तमह मन धोखा नही ददया ह लदकन तम जयोवतषी

कस

उसकी हालत तो बड़ी खसता हो गयी अब वह कया कह

जयोवतषी को तो अपना पता नही ह

मन तो यह भी सना हः एक गाव म दो जयोवतषी ि व दोनो सबह वनकलत अपन-अपन घर स बाजार

जात धधा करन तो एक-दसर का हाि दखत रासत म--भई आज कसा धधा चलगा

अपना ही पता नही ह तमह दसर का कया पता होगा दफर

नही जयोवतष स नही पता चलता तमह अपन जीवन का वनरीकषण करना होगा तो पता चलगा और

एक बार तमह पता हो जाए दक सोमवार या िवनवार या रवववार मरा खराब ददन ह इस ददन कछ न कछ

दघमटना होती ह तो उस ददन छटटी ल लो वह तमहारा छटटी का ददन होना चावहए

रवववार की छटटी नही वमलनी चावहए दवनया अगर वयववसित हो ववजञान स तो आदमी को उस ददन

छटटी वमलनी चावहए जो उसका बरा ददन ह तादक वह लोगो क सपकम म न आए तादक वह अपन घर म चादर

ओढ़कर सो जाए मौन रख बाहर न वनकल दरवाजा बद रख अगर करोध उठ भी तो तदकया पीट ल मगर

बाहर न जाए हा उसका जो अछा ददन ह उस ददन वह सपकम बनाए लोगो स वमल-जल वखल फल

और तम इस तरह क पररवतमन अपन भीतर पकड़ ल सकत हो और व करीब-करीब गाड़ी क चाक की

तरह घमत ह उनम जयादा भद नही होता सजदगीभर ऐसा होता ह जस वसतरयो का मावसक-धमम होता ह

अटठाइस ददन क बाद दफर और-और लौट आता ह ठीक ऐसा ही वतमल ह तमहार भीतर भी

और तम यह जानकर भी हरान होओग दक परषो का भी मावसक-धमम होता ह और हर अटठाइस ददन क

बाद होता ह वसफम वसतरयो क िरीर स खन बाहर जाता ह इसवलए ददखायी पड़ता ह परषो क िरीर स खन

बाहर नही जाता लदकन उनक भीतर चार-पाच ददन क वलए उसी तरह की उिल-पिल हो जाती ह जसी

वसतरयो क भीतर होती ह सकषम उिल-पिल

तमन दखाः जब वसतरयो का मावसक-धमम होता ह तो व जयादा वखि उदास वचड़वचड़ी हो जाती ह ठीक

ऐस ही परषो का मावसक-धमम होता ह चार ददन क वलए व भी बड़ वचड़वचड़ और बड़ उदास और बड़ उपदरवी

हो जात ह मगर उनको तो पता भी नही होता

इस दि म जो वसतरयो को हम चार ददन क वलए वबलकल छटटी द दत ि उसका कारण यह नही िा--

कारण तमन गलत समझा ह--दक वसतरया अपववतर हो जाती ह वह कारण नही ह अपववतर कया होगी खन

भीतर ह तब अपववतर नही ह बाहर जा रहा ह तब तो पववतर हो रही ह अपववतर कस होगी और खन अगर

अपववतर ह तो सारा िरीर ही अपववतर ह अब इसम और कया अपववतरता हो सकती ह

नही उसका कारण मनोवजञावनक िा चार ददन क वलए जब सतरी का मावसक-धमम चलता ह तब वह

वखि होती उदास होती नकारातमक होती अगर वह खाना भी बनाएगी तो उसकी नकारातमकता उस खान

म ववष घोल दगी

मनोवजञावनक कहत ह दक दकसी न करोध स खाना बनाया हो तो मत खाना कयोदक हािो स परवतपल

तरग जा रही ह हािो स ववदयत-परवाह जा रहा ह इसवलए तो जो तमह परम करता ह गहन परम करता ह

उसक हाि की बनी रखी-सखी रोटी भी अदभत होती ह

117

होटल म दकतना ही अछा खाना हो कछ कमी होती ह कछ चका-चका होता ह खाना लाि जसा

होता ह उसम आतमा नही होती लाि दकतनी ही सदर हो और वलपवसटक लगा हो और पावडर लगा हो और

सब तरह की सगध वछड़की हो मगर लाि आवखर लाि ह तमह इस लाि म स िायद िरीर क वलए तो

भोजन वमल जाएगा लदकन आतमा का भोजन चक जाएगा

और जस तमहार भीतर िरीर और आतमा ह ऐस ही भोजन क भीतर भी िरीर और आतमा ह आतमा

परम स पड़ती ह

तो जब सतरी उवदवगन हो उदास हो वखि हो नाराज हो नकार स भरी हो तब उसका खाना बनाना

उवचत नही ह तब उसक हाि स जहर जाएगा और तब अछा ह दक वह एकात म एक कमर म बठ जाए

चार ददन वबलकल ववशराम कर ल य चार ददन ऐसी हो जाए जस मर ही गयी दवनया स उसका कोई नाता न

रह

यह बड़ी मनोवजञावनक परदकरया िी लदकन चदक हमन इसको भी गलत ढग द ददया िा हालादक हम

गलत ढग इसवलए द दत ह दक िबदो को समझ नही पात

जब सतरी मावसक-धमम म होती ह तो परान िासतर कहत हः वह िदर हो गयी मगर िदर होन का मतलब

ही यह होता ह दक नकार हो गया उसको छना मत िदर हो गयी मगर परष भी इसी तरह िदर होत ह िासतर

चदक परषो न वलख ह इसवलए परषो क चार ददन नही वलख गए

लदकन अब ववजञान की खोजो न यह साफ कर ददया ह दक परष भी चार ददन इसी तरह िदर हो जात ह

और तम अपन व चार ददन भी खोज ल सकत हो और तम चदकत होओगः हर महीन ठीक वतमल म व चार ददन

आत ह उनकी तारीख तय ह उन चार ददनो म तमस हमिा बराई होती ह झगड़ा हो जाता ह मार-पीट हो

जाती ह उन चार ददनो म तमस चक होती ह कार चलाओग एकसीडट हो जाएगा उन चार ददनो म हाि स

चीज छट जाएगी वगर जाएगी टट जाएगी उन चार ददनो म तमस ऐस वचन वनकल जाएग जो तम नही

कहना चाहत ि और दफर पीछ पछताओग उन चार ददनो म तम अपन म नही हो उन चार ददनो म तमहारा

िदर परी तरह तमहार ऊपर हावी हो गया ह

और जस चार ददन िदर क होत ह ऐस ही चार ददन बराहमण क भी होत ह कयोदक आदमी अवतयो म

डोलता ह एक अवत स दसरी अवत--जस घड़ी का पडलम डोलता ह

तो बदध न परतीकषा की दक जरा पररपकव हो जाए इसकी कोई परौढ़ घड़ी कोई समयक घड़ी दखकर कहगा

दफर एक ददन िोड़ी परौढ़ता की भावना को दखकर भगवान न कहाः वककवल इस अपववतर िरीर को दखन

स कया लाभ वककवल जो धमम को दखता ह वह मझ दखता ह

तो त धयान कर और धमम को दख धमम को दख सकगा--धमम यानी तरा सवभाव--जब त अपन सवभाव को

दख सकगा तो तन मझ दखा तभी जानना दक तन मझ दखा म अगर कछ ह तो धमम ह म अगर कछ ह तो

धयान ह म अगर कछ ह तो समावध ह त समावधसि हो तो मझस जड़गा इन चमड़ की आखो स मर चमड़

को दखत-दखत समय मत गवा य आख भी कल वमटटी म वगर जाएगी यह दह भी कल वमटटी म वगर जाएगी

इसक पहल दक यह दह वमटटी म वगर जाए इस दह क भीतर जो जयोवत परजववलत हई ह उस दख मगर उस त

तभी दख सकगा जब त धमम को दखन म किल हो जाए नही तो नही दख सकगा तो धयान म लग समावध म

उतर

दफर भी वककवल को सध न आयी

118

सध इतनी आसानी स आती ही कहा ह सध ही आ जाए तो दफर और कया बचा वककवल न सन वलया

होगा िायद सना भी न हो जब बदध यह कह रह ि तब वह उनकी भाव-भवगमा दखता हो हाि को दखता

हो मदरा दखता हो चहरा दखता हो िायद सना ही न हो जब तम दकसी एक चीज म अटक होत हो तो तमह

कछ और ददखायी ही नही पड़ता

या उसन कहाः ऐसा तो बदध रोज ही कहत रहत ह यह तो कई दफ सन वलया यह तो इनक परवचन म

रोज ही आता ह इसम कौन सी खास बात ह वह अपन म ही लीन रहा होगा अपनी ही भावदिा म तललीन

रहा होगा उस सध न आयी

वह िासता का साि छोड़कर कही जाता भी न िा िासता क कहन पर भी नही

ऐसी घटनाए यहा घट जाती ह मरी एक सनयावसनी ह--कसम वह जब पहली दफा आयी मर चरणो म

वसर रखकर कहा दक सब समरपमत करती ह बस अब मर जीवन क सतरधार आप ह जो आप कहग वही

करगी और मझ यही रहना ह मझ कही जाना नही ह मन उसस कहाः दख म तझ स कहता ह दक त अभी

जा वापस घर तर माता-वपता दखी होग परिान होग कछ ददन त धयान कर उसन कहाः म जान वाली

नही मन उसस कहाः दख त कहती ह दक आप जो कहग म कह रहा ह दक जा उसन कहाः आप जो कहग वह

करगी लदकन म जान वाली नही नही गयी परी हठयोवगनी ह

यह वककवल ऐसा ही आदमी रहा होगा जसी कसम बदध उसको कभी-कभी भजना चाहत कही--दक जा

दसर गाव जाकर कछ काम करक आ वह कहताः आप जो कहग करगा मगर कही जा नही सकता रहगा तो

यही एक ददन को भी आपको वबना दख नही रह सकता उसक मोह को तोड़न को कहत होग दक जा मगर

वजददी िा

मन बड़ा वजददी ह सनता ही नही उनकी भी नही सनता वजनकी सनकर करावत घट सकती ह

िासता क कहन पर भी नही जाता िा उसका मोह छटता ही नही िा एक ददन वबना दख कस रह

जाऊगा और दखता कया िा दखता िा नाक-नकि दखन योगय जो िा वह तो दखता नही िा

तब िासता न सोचाः यह ऐस मानन वाला नही ह इस पर तो बड़ी चोट करनी पड़गी

और धयान रखनाः अगर कभी बदध जस वयवि चोट करत ह तो वसफम अनकपा क कारण करणा क

कारण इस पर दया आती होगी दक बचारा मर पास आकर भी चका जाता ह इतन पास रहकर चका जाता

ह सरोवर क इतन पास--और पयासा

दफर दकसी महोतसव क समय जब बहत वभकष इकटठ हए हजारो वभकषओ क सामन उनहोन वनवशचत ही

कठोर चोट की कहाः हट जा वककवल वह बठा होगा सामन ही वह दख रहा होगा वह लगा होगा अपन ही

काम म वह रस पी रहा होगा अपना ही यदयवप वह रस ऐसा ही ह जस कोई नावलयो स रस पीए

दह म और कया हो सकता ह बदध की दह म भी नही कछ हो सकता ह दकसी की दह म नही होता दह

तो एक जसी ह अजञानी की हो दक जञानी की हो भद दह म जरा भी नही ह भद ह तो भीतर ह भद ह तो

जागरण का और सोन का ह

हट जा वककवल हट जा वककवल मर सामन स हट जा ऐसा बदध न कहा ही नही उस हटवा भी ददया

वककवल को सवभावतः गहरी चोट लगी लदकन अजञानी आदमी करणापणम कतयो की भी अपनी ही

वयाखया करता ह उसन सोचा दक ठीक ह तो बदध मझ पर करदध हो गए ह तो अब जीन स कया सार अब मर

जान म ही सार ह

119

तब भी जो बदध चाहत ि वह नही समझा अगर बदध की सनकर हट गया होता सामन स चला गया

होता दर पहाड़ी पर बठ गया होता आख बद करक दक बदध नाराज ह कयोदक म धयान नही कर रहा ह बदध

नाराज ह कयोदक म समावध म नही उतर रहा ह उनकी महाकरणा दक उनहोन मझ हटवाया ह तादक म जाऊ

और समावध म उतर तो ठीक समझा होता ठीक वयाखया की होती मगर गलत वयाखया कर ली

ऐसी गलत वयाखया तम भी करत चल जात हो म कछ कहता ह तम वयाखया कर लत हो अपनी तम

सोच लत होः इसका मतलब ऐसा मतलब तम वनकाल लत हो विषय को चावहए दक अपना मतलब न डाल

जलदी न कर मतलब डालन की मौन बठ जो कहा गया ह उस िबद को अपन भीतर उतरन द मतलब करन

की जलदी न कर तमन अिम वनकाला अनिम हो जाएगा

अब उसन कया समझा दक बदध कहत ह दक अब त दकसी सार का नही असार ह त योगय नही ह

अपातर ह मर जा तर सजदा रहन म कोई मतलब नही ह भारी अपमान हो गया मरा--सोचा होगा हजारो

वभकषओ क सामन मझ बराहमण-पतर को इस तरह दतकारा दक हट जा वककवल हटाया ही नही इतना भारी

अपमान दकया अकल म कह दत

हालादक अकल म व बहत बार कह चक ि और इसन सना नही िा उसन सोचाः अब मर जीन स कया

लाभ जीन म तो एक ही अिम िा उसक और वह अिम िाः बदध की दह को दखत रहना

जब म सामन ही न बठ सकगा उनक तो अब मर जाना उवचत ह ऐसा सोच वह गदधकट पवमत पर चढ़ाः

पवमत स कदकर आतमघात क वलए अवतम कषण म--बस जब दक वह कदन को ही िा--अधरी रात म कोई हाि

पीछ स उसक कध पर आया

बदध का हाि ह ही इसीवलए दक जब तम अधर म होओ और जब तम जीवन क परवत इतन उदास इतन

वखि हो जाओ दक अपन को वमटान को ततपर हो जाओ तब बदध का हाि ह ही इसवलए दक तमहार कध पर

आए

गर का अिम ही यही ह दक वह तमह तलाि जब तमह जररत हो तब उसका हाि पहच ही जाना

चावहए तमहारी जररत हो और उसका हाि न पहच तो दफर गर गर नही ह तम दकतन ही दर होओ इसस

कोई फकम नही पड़ता तम हजारो मील दर होओ इसस भी कोई फकम नही पड़ता जब तमहारी वासतववक

जररत होगी गर का हाि तमहार पास पहचगा ही पहचना ही चावहए वही तो अनबध ह--विषय और गर क

बीच वही तो गाठ ह--विषय और गर क बीच वही तो सगाई ह--विषय और गर क बीच

कोई हाि पीछ स कध पर आया उसन लौटकर दखा भगवान सामन खड़ ि मगर यह दह नही िी यह

भगवान की दह नही िी यह भगवान का वही रप नही िा जो अब तक दखता रहा िा आज कछ अवभनव

घरटत हआ िा इस मतय क कषण म

अकसर ऐसा हो जाता ह जब आदमी मरन ही जा रहा ह जब मरन क वलए आवखरी कदम उठा वलया

ह--एक कषण और और समाि हो जाएगा--तो मन अपन आप रक जाता ह अवरदध हो जाता ह ऐसी घवड़यो म

मन को चलन की सववधा ही नही रहती मन को चलन क वलए भववषय चावहए

इस समझ लना जब कोई आदमी मरन जा रहा ह तो भववषय तो बचा ही नही बात खतम हो गयी

अब मन को चलन को कया रहा मन को चलन को जगह चावहए आग दीवाल आ गयी--मौत आ गयी

120

इसीवलए तो बढ़ा आदमी पीछ लौट-लौटकर सोचन लगता ह आग तो दीवाल ह वहा सोचन की जगह

नही ह जवान सोचता हः कल बड़ा मकान बनाऊगा सदर सतरी लाऊगा ऐसा होगा वसा होगा वह भववषय

की सोचता ह मन आग की तरफ दौड़ता ह

बढ़ा आदमी एक ददन दखता हः आग तो अब कछ भी नही ह आग तो मौत ह अब आग कया सोचना

वह मौत स बचन क वलए मौत की तरफ पीठ कर लता ह पीछ की तरफ सोचन लगता ह वह कहता हः कया

जमान ि राम-राजय िा सवणमयग िा बीत गया अब कसा भरषट यग आ गया दध इस भाव वबकता िा घी

इस भाव वबकता िा गह इस भाव वबकता िा वह इन बातो को सोचन लगता ह वह अपन पचास साठ या

अससी साल पहल जो वसिवतया िी उनका ववचार करन लगता ह कस सदर ददन ि कस अछ लोग ि

य ही लोग ि य ही ददन ि कछ फकम नही पड़ता दवनया म बाहर दवनया वही की वही ह वसी की

वसी ह लदकन बढ़ा रग भरन लगता ह अपन अतीत म सब बढ़ भरत ह

लदकन अगर कोई आतमघात करन जाए तब तो पीछ भी लौटकर नही सोच सकता अब तो सोचना ही

समाि हआ आवखरी घड़ी आ गयी अपन हाि स वमटन जा रहा ह अब ववचार क वलए उपाय नही ह सपन

क वलए उपाय नही ह

तो मन न रहा होगा मौजद और इस अधरी रात म दकसी हाि का कध पर पड़ना एकदम चौका होगा

यहा कौन लौटकर दखा होगा जयोवतममय रप िा वजसको बदध दखन क वलए कह रह ि बार-बार--दक त उस

दख जो म वसततः ह--आज इस मतय की घड़ी म सामन खड़ा हो गया िा

यह बदध की पारिमव दह नही िी बौदधिासतर गलत कहत ह बौदधिासतर कहत ह दक बदध खद ही वहा

आकाि-मागम स उड़कर खड़ हो गए ि नही यह बदध की अतदह िी यह बदध की अतरातमा िी यह बदध का

बदधतव िा जो वहा खड़ा हआ िा अगर चमड़ की ही दह खड़ी होती तो म तमस पकका कहता हः वककवल दफर

चक जाता

आज उसन िासता को वसा नही दखा जसा वह सदा दखता िा पर ऐसा दखा जसा िासता चाहत ि

दक दख आज उसन िासता की दह नही िासता को दखा आज उसन धमम को जीवत सामन खड़ा पाया वह

महाकरणा बरसती हई वह परसाद वह िीतल बरसा वह अमत का मघ एक नयी परीवत उसम उमगी--ऐसी

परीवत जो बाधती नही मि करती ह

परम दो तरह क होत ह जब परम िदर जसा परम होता ह िदर का परम होता ह तो बाधता ह कषदर का परम

बाधता ह कयोदक कषदर का परम तमह भी कषदर बना दगा जसा परम करोग वजसस परम करोग वजस ढग स करोग

वस हो जाओग

परम बड़ी कीवमया ह सोच-समझकर करना परम करना हो तो ववराट स करना परम करना हो तो

आकाि स करना परम करना हो तो असीम स करना कयोदक वजसस तम परम करोग वस ही तम हो जाओग

कषदर स करोग कषदर हो जाओग खयाल रखना परम रपातरकारी ह परम एकमातर रसायन ह

आज एक नयी परीवत उमड़ी अब तक जो परीवत जानी िी दह की िी िदर मन की िी आज बराहमण पदा

हआ वककवल आज बराहमण हआ बराहमण-कल म पदा हआ िा उस समय नही आज बदध क कल म पदा होकर

बराहमण हआ आज बदध-कल म जनमा आज नया जनम हआ वदवज हआ

इसवलए तो बराहमण को वदवज कहत ह लदकन सभी बराहमण वदवज नही होत सभी वदवज जरर बराहमण होत

ह दफर वदवज चाह जीसस हो चाह मोहममद--सभी वदवज बराहमण होत ह

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लदकन आमतौर स लोग समझत ह दक सभी बराहमण वदवज ह बराहमण को वदवज कहत ह गलत वदवज को

बराहमण कहो वदवज का अिम हः जो दबारा जनमा एक जनम मा-बाप स वमला दफर दसरा जनम गर स वमला

आज वककवल वदवज हआ बराहमण हआ आज बदध क कल म जनमा एक नयी परीवत उमड़ी ववराट को

सामन खड़ दखा उस ववराट म िनय हो गया होगा लीन हो गया होगा व दकरण उस धो गयी साफ कर गयी

सवछ कर गयी वह नया हो आया नए मनषय का जनम हआ वजस पर परान की अब छाया भी नही धल भी

नही परान स इसका कोई सबध भी नही ह यह परान स असबवधत ह

ऐसी घड़ी म भगवान न य सतर कह िः

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

सखारान खय ातवा अकतावस बराहमण

ह बराहमण पराकरम स तषणा क सरोत को काट द और कामनाओ को दर कर द ह बराहमण ससकारो क

कषय को जानकर तम अकत--वनवामण--का साकषातकार कर लोग

बदध न कहाः जसा म ह ऐसा ही त भी हो सकता ह बस अब कामनाओ को एक झटक म काट द अब

दबारा कामना न करना दफर िदर मत हो जाना इस घड़ी को ठीक परख ल पहचान ल पकड़ ल अब यह

घड़ी तरी सजदगी बन अब यह घड़ी तरी परी सजदगी का सार हो जाए इसी क क दर पर तर जीवन का चाक

घम

ह बराहमण

सनत ह फकम अभी कछ ही दर पहल कछ ही घटो पहल कहा िाः वककवल हट हट जा हट जा वककवल

हटवा ददया िा इसक पहल कभी बदध न उसको बराहमण कहकर सबोधन नही दकया िा वककवल आज पहली

दफा कहाः ह बराहमण आज वह बराहमण हआ ह

सछद सोत परककमम काम पनद बराहमण

इस घड़ी को पहचान इस घड़ी को पकड़ कामनाओ को काट तषणाओ को उछद कर द ससकारो का

कषय हो जान द अब यह जो िनय तर भीतर घड़ीभर को उतरा ह यही तरी वनयवत हो जाए यही तरा सवभाव

हो जाए तो त अकत को जान लगा

अकत अिामत वनवामण अकत--जो दकए स नही होता अकत--जो करन स कभी हआ नही जो सब करना

छोड़ दन स होता ह जो समपमण म होता ह सकलप स नही होता

जब बराहमण दो धमो म पारगत हो जाता ह

कौन स दो धमम एक धमम ह समि और दसरा धमम ह ववपससना

तब उस जानकार क सभी सयोग--बधन--असत हो जात ह

इन दोनो िबदो को समझ लना जररी ह

बदध न दो तरह की समावध कही हः समि समावध और ववपससना समावध समि समावध का अिम होता

हः लौदकक समावध और ववपससना समावध का अिम होता हः अलौदकक समावध समि समावध का अिम होता

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हः सकलप स पायी गयी समावध--योग स वववध स ववधान स चषटा स यतन स और ववपससना का अिम होता

हः सहज समावध चषटा स नही यतन स नही योग स नही वववध स नही--बोध स वसफम समझ स ववपससना

िबद का अिम होता हः अतदमवषट

फकम समझना तमन सना दक करोध बरा ह तो तमन करोध को रोक वलया अब तम करोध नही करत हो

तो तमहार चहर पर एक तरह की िावत आ जाएगी लदकन चहर पर ही भीतर तो करोध कही पड़ा ही रहगा

कयोदक तमन दबा ददया ह सनकर अगर तमहारी समझ म आ गया दक करोध गलत ह--िासतर कहत ह इसवलए

नही बदध कहत ह इसवलए नही म कहता ह इसवलए नही--तमन जाना अपन जीवत अनभव स बार-बार

करोध करक दक करोध वयिम ह यह परतीवत तमहारी गहन हो गयी इतनी गहन हो गयी दक इस परतीवत क कारण

ही करोध असभव हो गया तमह दबाना न पड़ा तमह वववध-ववधान न करना पड़ा तमह अनिासन आरोवपत न

करना पड़ा तो दसरी दिा घटगी तब तमहार भीतर भी िावत होगी बाहर भी िावत होगी

समि समावध म बाहर स तो सब हो जाता ह भीतर कछ चक जाता ह ववपससना समावध परी समावध

ह बाहर भीतर एक जसा होता ह एकरस हो जाता ह

जस एक आदमी योगासन साधकर बठ गया अगर वषो अभयास कर लोग तो कसरत की तरह योगासन

सध जाएगा योगासन तो साधकर बठ गए वबलकल पतिर की मरतम की तरह वहलत ही नही चीटी चढ़ती ह

पता उसका लत ही नही मछड़ काटता ह दफकर नही ह बठ तो बठ घटो बठ ह लदकन भीतर मन चल रहा

अभयास कर वलया अब मछड़ का भी अगर रोज-रोज अभयास करोग काटन दो--काटन दो--काटन

दो धीर-धीर धीर-धीर तमहारी चमड़ी सवदना खो दगी चीटी चढ़ती रहगी काटती रहगी तमह पता नही

चलगा चमड़ी कठोर हो गयी अभयास स

बाहर स तो तम मरतम बन गए लदकन भीतर भीतर बाजार भरा ह

दफर एक और तरह का आसन ह वही असली आसन ह तमहारा मन विर हो गया चदक मन विर हो

गया इसवलए िरीर नही कपता तमहारा मन िात ह इसवलए िरीर को कपान की कोई जररत नही ह तब

तम िात बठ--यह और ही बात हो गयी

इसवलए पहली को बदध न लौदकक कहा दसरी को अलौदकक पहली स तम बराहमण तक नही पहच

पाओग पहली स कषवतरय तक सकलप जझत हए लड़त हए परयास स दसरी स तम बराहमण होओग परसाद स

इसवलए बदध न कहाः जो दो धमो को जान लता समि और ववपससना वह पहच गया

पहल आदमी को समि स जाना पड़ता ह दफर समि की हार पर ववपससना का जनम होता ह

ऐसा ही बदध को हआ छह वषम तक उनहोन जो साधा वह समि समावध िी दफर छह वषम क बाद उस

आवखरी रात जो घटा वह ववपससना समावध िी

वजसक पार अपार और पारापार नही ह जो वीतभय और असग ह उस म बराहमण कहता ह

दकस बराहमण कहता ह उस जो तीन चीजो स दर वनकल गया ह पार का अिम होता ह सिल आख

कान नाक स जो दखा जाता ह वजसकी सीमा ह--पार अपार का अिम होता ह वजसकी सीमा नही ह जो बड़ा

ह सकषम ह सिल नही ह रप रस गध स जो इददरयो स नही जाना जाता ह मगर मन स जाना जाता ह

जस तमन एक फल दखा इददरया वसफम इतना ही कह सकती ह दक लाल ह बड़ा ह सगवधत ह य

इददरया कह रही ह यह पार ह जब तम कहत होः सदर ह तो कोई इददरय तमहार पास नही ह सदर कहन

123

वाली सदर कहन वाला मन ह कोई इददरय नही बता सकती तमको दक फल सदर ह कस बताएगी इददरय तो

वसफम खबर द दती ह इददरय तो ऐस ह जस कमरा कमरा यह नही कह सकता दक सदर ह दक असदर कमरा

तो उतार दता ह जो ह सामन गलाब का फल ह इददरय खबर द दती ह आख कहती ह दक लाल फल ह

गलाब का ह नाक कहती हः सगवधत ह मगर सदर जब तम सदर कहत हो--तो अपार

तो रस रप गध सौदयम--य जो ह य सकषम अनभव ह मन क इददरयो क अनभव--पार मन क अनभव--

जो दक आतमा और इददरय क मधय म ह--अपार और दफर पारापार पार और अपार दोनो स भी पार दोनो क

आग--दफर आतमा का अनभव ह

और जो इन तीनो स पार हो जाता ह वह आतमा का अनभव कया ह म का अनभव--अतता इसवलए

बदध न कहाः आतमा नही--अनतता म को भी जान दो इददरया गयी मन गया म को भी जान दो पार स पार

अपार स पार पार-अपार दोनो स पार दफर जो िष रह जाता ह िनय वहा म का भाव भी नही ह उस जो

जान लता ह उस म बराहमण कहता ह

और जो उस जान लता ह सवभावतः वीतभय हो जाता ह दफर उस कया भय अब उसक पास कछ बचा

नही वजस छीन लोग उसन सब सवय ही छोड़ ददया ह अब तो िनय बचा वजस कोई छीन नही सकता वजस

छीनन का कोई उपाय नही ह अब तो वही बचा वजसकी मतय नही हो सकती इसवलए भय कसा वह अभय

को उपलबध हो जाता ह

और असग हो जाता ह अब उसको दकसी क साि की जररत नही रह जाती साि की जररत भय क

कारण ह समझ लना

इसीवलए बदध न कहाः वीतभय और असग

तम साि कयो खोजत हो इसवलए दक अकल म डर लगता ह पतनी डरती ह अकल म पवत डरता ह

अकल म अकल म डर लगता ह अकल म याद आन लगती ह मौत की घबड़ाहट होती ह कोई दसरा रहता ह

मन भरा रहता ह

तमन कभी दखा अकली गली स गजरत हो रात सीटी बजान लगत हो कछ करत नही बनता तो सीटी

बजाओ दफलमी गाना गान लगत हो दफलमी गाना नही अगर धारममक दकसम क आदमी हो तो राम-राम या

हनमान-चालीसा पढ़न लग सब एक ही ह कछ फकम नही ह

मगर कयो सीटी की आवाज अपनी ही आवाज ह लदकन उसको सनकर ऐसा लगता ह दक चलो कछ

तो हो रहा ह कछ ह हालादक सीटी की आवाज स कोई भत-परत भागग नही भत-परत ह नही दक जो भाग

मगर सीटी की आवाज स तमको ऐसा लगता ह दक चलो सब ठीक ह कछ कर तो रह ह गाना गान लग जोर

स अपनी ही आवाज सनकर ऐसा लगता ह जस कोई और मौजद ह भल गए

आदमी अपन को भला रहा ह इसवलए सग-साि खोज रहा ह

बदध न कहाः वही बराहमण ह वजस सग-साि की कोई जररत नही रही जो असग ह और जो वीतभय ह

जो धयानी वनममल आसनबदध कतकतय आसरवरवहत ह वजसन उततमािम को पा वलया ह उस म बराहमण

कहता ह

जो धयान म डब रहा ह धयान यानी वनरवमचार जो वनममल हो रहा ह वनरवमचारता वनममलता लाती ह

ववचार चालाकी ह

124

तमन दखा वजतना आदमी पढ़ा-वलखा हो जाता ह उतना चालाक धोखबाज पाखडी हो जाता ह

वजतन ववचार बढ़ जात ह उतना आदमी बईमान हो जाता ह पढ़ा-वलखा आदमी और बईमान न हो जरा

करठन ह

और हम सोचत ह बड़ी उलटी बात हो रही ह हम कहत ह दक यह मामला कया ह ववशवववदयालय स

लोग आत ह पढ़-वलख करक और इनम वसवाय बईमानी और धतमता क कछ भी नही होता

लदकन ववशवववदयालय वसखात यही ह तमन जो विकषा ववकवसत की ह वह धतमता की ह वनरवमचार की

तो वहा कोई विकषा ही नही ह कोई ववशवववदयालय धयान की कषमता नही दता वनममलता नही दता सरलता

नही दता चालबाजी वसखाता ह गवणत वसखाता ह तकम वसखाता ह कस लट लो दसरो स जयादा यह

वसखाता ह वबना कछ दकए कस सपवतत वमल जाए यह वसखाता ह

वसखात तम यह हो और दफर जो वसखान वाल ह व भी परिान ह जब उनक ववदयािी उनही को धोखा

दन लगत ह उनही की जब काटन लगत ह तो व कहत हः यह मामला कया ह गर क परवत कोई शरदधा नही ह

लदकन तम इनको वसखा कया रह हो शरदधा तमन कभी इनको वसखायी तमन वसखाया तकम सदह और

जब य तम पर ही तकम करत ह और तमहार साि ही सदह करत ह और तमहार साि ही चालबावजया

अभयास कहा करग यह होमवकम ह दफर दवनया म जाएग दफर वहा असली काम करना पड़गा य तयारी कर

रह ह

यह जो ववशवववदयालयो म इतनी रगणता ददखायी पड़ती ह--हड़ताल वघराव--इस सबक वलए वजममवार

विकषा ह ववदयािी नही तमहारी विकषा इसी क वलए ह तमहारी विकषा सहसा वसखाती ह और चालबाजी

वसखाती ह और जब कोई आदमी चालबाज हो जाता ह सहसक हो जाता ह तो उसका अभयास करना चाहता

ह--सवभावतः कहा अभयास कर ववशवववदयालय म ही अभयास करगा

तमहार ववशवववदयालय राजनीवत वसखात ह अभयास कहा कर दफर वही चनाव लड़ना सीखता ह

ववदयािी यवनयन का चनाव--और तम दखोग जस दक पारलमयामट का चनाव हो रहा ह वह अभयास कर रहा

ह वह वछछल पानी म तरना सीख रहा ह दफर कल वह पारलमयामट म भी जाएगा

और पारलमयामट म भी वही होता ह जरा बड़ पमान पर वही मढ़ता वही धतमता वही गडागदी कोई

फकम नही

इसक पीछ कारण ह धयान न हो तो वनममलता नही होती

बदध न कहाः धयानी वनममल आसनबदध

जब भीतर वनममलता होती ह तो िरीर क वयिम हलन-चलन अपन आप ववलीन हो जात ह िरीर म एक

तरह की विरता आ जाती ह एक तरह की िावत आ जाती ह

कतकतय और सवभावतः फल जब धयान क वखलत ह तभी पता लगता ह दक वमल गया जो वमलना

िा पा वलया जो पाना िा पान योगय पा वलया अब कछ और पान योगय नही ह आवखरी सपदा वमल गयी

कतकतय

आसरवरवहत और जो धयान को उपलबध हो गया उसक भीतर वयिम चीज नही आ सकती धयान उसका

रकषक हो जाता ह जो धयान को उपलबध हो गया उसको करोध नही आएगा जो धयान को उपलबध हो गया

उसको लोभ नही आएगा जो धयान को उपलबध हो गया उसको मोह नही आएगा

125

कयो उसक घर अब दीया जल गया ह और दीया जला हो तो अधरा भीतर नही आता और उसक

भीतर पहरदार जग गया ह और पहरदार जगा हो तो चोर नही आत

आसरवरवहत अब ितर भीतर परवि नही कर सकत

और वजसन उततमािम को पा वलया ह दवनया म दो अिम ह एक अिम िरीर का ह और एक अिम आतमा

का आतमा का अिम ह--उततमािम परमािम आवखरी अिम वजसन पा वलया ह उस म बराहमण कहता ह

दसरा दशयः

भगवान क वमगारमात-परसाद म ववहार करत समय एक ददन आनद सिववर न भगवान को परणाम करक

कहाः भत आज म यह जानकर धनय हआ ह दक सब परकािो म आपका परकाि ही बस परकाि ह और परकाि तो

नाममातर को ही परकाि कह जात ह आपक परकाि क समकष व सब अधर जस मालम हो रह ह भत म आज ही

आपको और आपकी अलौदकक जयोवतममयता को दख पाया ह दिमन कर पाया ह और अब म कह सकता ह दक

म अधा नही ह

िासता न यह सन आनद की आखो म दर तक झाका और और-और आलोक उसक ऊपर फका

आनद डबन लगा होगा उस परसाद म उस परकाि म उस परिावत म

और दफर उनहोन कहाः हा आनद ऐसा ही ह लदकन इसम मरा कछ भी नही ह म तो ह ही नही

इसीवलए परकाि ह यह बदधतव का परकाि ह मरा नही यह समावध की जयोवत ह मरी नही म वमटा तभी यह

जयोवत परगट हई ह मरी राख पर यह जयोवत परगट हई ह

तब यह सतर उनहोन आनद को कहाः

ददवा तपवत आददचचो रसतत आभावत चवनदमा

सिदधो खवततयो तपवत झायी तपवत बराहमणो

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा

ददन म कवल सरज तपता ह ददन म कवल सरज परकाि दता ह रात म चदरमा तपता ह रात म चदरमा

परकाि दता ह अलकत होन पर राजा तपता ह

जब खब सवणम ससहासनो पर राजा बठता ह बहमलय वसतरो को पहनकर हीर-जवाहरातो क आभषणो

म हीर-जवाहरातो का ताज पहनता--तब राजा परकावित होता ह

धयानी होन पर बराहमण तपता ह

और जब धयान की पहली झलक आनी िर होती ह तो एक जयोवत आनी िर होती ह बराहमण स धयानी

और बदध ददन-रात तपत ह

अकारण तपत ह वबन बाती वबन तल

फकम समझना सरज की सीमा ह ददन म तपता ह चाद की सीमा ह रात तपता ह दफर सरज एक ददन

बझ जाएगा और चाद क पास तो अपनी कोई रोिनी नही ह उधार ह वह सरज की रोिनी लकर तपता ह

126

वजस ददन सरज बझ जाएगा उसी ददन चाद भी बझ जाएगा चाद तो दपमण जसा ह वह तो वसफम सरज की

रोिनी को परवतफवलत करता ह सरज गया तो चाद गया

सरज की सीमा ह हालादक सीमा बहत बड़ी ह करोड़ो-करोड़ो वषम स तप रहा ह लदकन वजञावनक

कहत हः एक ददन बझगा कयोदक यह वबन बाती वबन तल नही ह इसका ईधन समाि हो रहा ह रोज-रोज

समाि हो रहा ह बड़ा ईधन ह इसक पास लदकन रोज सरज ठडा होता जा रहा ह उसकी गमी कम होती जा

रही ह गमी फफकती जा रही ह खचम होती जा रही ह

एक ददन सरज चक जाएगा यह परकाि सीवमत ह तमहार घर म जला हआ दीया तो सीवमत ह ही कया

ह उसकी सीमा उसका तल रातभर जलगा तल चक जाएगा बाती भी जल जाएगी दफर दफर दीया पड़ा

रह जाएगा

ऐस ही सरज भी जलगा--करोड़ो-करोड़ो वषो तक लदकन उसकी सीमा ह और चाद म तो परवतफलन ह

कवल

अलकत होन पर राजा तपता ह

राजा की जो परवतिा होती ह परकाि होता ह वह अपना नही होता उधार होता ह

दखत तम एक आदमी जब गददी पर बठता ह तो ददखायी पड़ता ह सारी दवनया को नही तो उसका

पता ही नही चलता दकसी को कोई आदमी वमवनसटर हो गया तब तमह पता चलता ह दक अर आप भी

दवनया म ि दफर वह एकदम ददखायी पड़न लगता ह सब अखबारो म ददखायी पड़न लगता ह परिम पि पर

ददखायी पड़न लगता ह सब तरफ िोरगल होन लगता ह

दफर एक ददन पद चला गया दफर वह कहा खो जाता ह पता ही नही चलता दफर तम उस खोजन

वनकलो तो पता न चल

यह उधार ह यह परवतिा उधार ह यह जयोवत अपनी नही ह यह अपनी नही ह यह पद की ह

अगर तमह राजा वमल जाए साधारण वसतरो म तम पहचान न सकोग तभी पहचानोग जब वह अपन

मकट को बाधकर और अपन ससहासन पर बठगा तब पहचानोग नही तो नही पहचान सकोग राजा म कछ

और होता ही नही तमहार जसा ही आदमी ह इस बात को परवतवित करन क वलए ही तो इतन हीर-जवाहरातो

की जररत पड़ती ह

जब नपोवलयन हार गया और उसक महलो की छानबीन की गयी तो बड़ चदकत हए लोग उसन जो

ससहासन बनवाया िा वह इस ढग स बनवाया िा उसम एक यतर लगाया हआ िा पीछ दक जब वह ससहासन

पर बठता तो ससहासन अपन आप धीर-धीर ऊपर उठ जाता चमतकत हो जात ि लोग दक ससहासन अपन

आप ऊपर उठ रहा ह

वह यह ददखान क वलए उसन लगवाया िा दक ससहासन की वजह स म परवतवित नही मरी वजह स

ससहासन परवतवित ह दखो मर बठत ही पीछ इतजाम िा जस ही वह बठता आदमी वहा बटन दबात

मिीन काम करती वह ऊपर उठ जाता वह दवनया म अकला ससहासन िा लोग सोचत िः चमतकार ह

इसवलए तो लोग राजा को सदा भगवान का अवतार मानत रह दक राजा भगवान का परवतवनवध ह पथवी

पर ऐसा कछ भी नही ह वह आदवमयो तक का परवतवनवध नही ह भगवान का तो परवतवनवध कया होगा

उसक पास अपना कछ नही ह सब उधार ह उसकी तलवार म उसकी जयोवत ह उसक सवनको म उसकी

127

जयोवत ह उसक धन म उसकी जयोवत ह हीर-जवाहरातो म जयोवत ह उसकी जयोवत अपनी नही ह राजनीवत

उधार जयोवत ह

इसवलए बदध कहत हः अलकत होन पर राजा तपता ह

जब नपोवलयन को बद कर ददया गया सट हलना क दवीप म तो वह सबह घमन वनकला अपन डाकटर क

साि पहल ही ददन अब तो कदी ह समराट नही रहा हार गया सब एक घास वाली औरत वजस पगडडी पर

वह घमन गया घास का गटठर वलए आ रही ह नपोवलयन का सािी जो डाकटर ह जो उसक पास रखा गया ह

उसकी सवा इतयादद क वलए वह वचललाकर कहता हः घवसयाररन रासता छोड़ उसकी बात सनता ह

नपोवलयन और उस याद आता ह दक अब तो म एक कदी ह वह हाि पकड़ लता ह डाकटर का पगडडी स

नीच उतर जाता ह डाकटर कहता ह कयो वह कहता हः वह जमाना गया जब म कहता पहाड़ो स दक हट

जाओ म आता ह तो पहाड़ हट जात अब घवसयाररन भी नही हटगी हम ही को हट जाना चावहए व ददन

गए

नपोवलयन जसा िवििाली आदमी भी एकदम नपसक हो जाता ह पद गया दक सब गया धन गया दक

सब गया

तो बदध कहत हः राजा भी तपता ह लदकन अलकत होन स

धयानी होन पर बराहमण तपता ह

राजा स बहतर बराहमण ह उसक भीतर की सपदा परगट होनी िर हई धयान उमगा लदकन धयान ऐसा

हः कभी होगा कभी चक जाएगा बराहमण धयानी-- कभी-कभी वबजली जस कौध--ऐसी दिा ह वबजली कौध

जाती ह सब तरफ रोिनी हो जाती ह दफर वबजली चली गयी तो सब तरफ अधरा हो जाता ह

धयान का अिम हः समावध की कौध और जब धयान इतना गहरा हो जाता ह दक अब समावध की तरह

वनसशचत हो गया ठहर गया अब जाता नही आता नही जब रोिनी विर हो गयी तो बदधतव

बदधतव बराहमण की पराकािा ह धयान ह झलक समावध ह उपलवबध

धयानी होन पर बराहमण तपता ह बदध रात-ददन अपन तज स तपत ह

और बदध

अि सबबमहोरसतत बदधो तपवत तजसा

उन पर कोई सीमा नही ह न तो ऐसी सीमा ह जसी चाद-तारो पर न ऐसी सीमा ह जस अलकत

राजा पर न ऐसी सीमा ह जस धयानी बराहमण पर उनकी सब सीमाए समाि हो गयी व परकािमय हो गए ह

व परकाि ही हो गए ह व तो वमट गए ह परकाि ही रह गया ह

यही ददिा होनी चावहए यही खोज होनी चावहए ऐसी जयोवत तमहार भीतर परगट हो जो ददन-रात

जल जीवन म जल मतय म जल दह म जल जब दह स मि हो जाओ तो भी जल और ऐसी जयोवत जो

ईधन पर वनभमर न हो दकसी तरह क ईधन पर वनभमर न हो जो वनभमर ही न हो ऐसी जयोवत वजसको सतो न

कहा--वबन बाती वबन तल

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ अठारह परवचन

समगर ससकवत का सजन

पहला परशनः पवम क और खासकर भारत क सदभम म एक परशन बहत समय स मरा पीछा कर रहा ह वह

यह दक वजन लोगो न कभी दिमन और सचतन क धमम और धयान क गौरीिकर को लाघा िा व ही कालातर म

इतन धवसत और पवतत और ववपि कस हो गए ओिो इस परशन पर कछ परकाि डालन की अनकपा कर

यह सवाभाववक ही िा असवाभाववक कभी होता भी नही जो होता ह सवाभाववक ह यह अवनवायम िा

यह होकर ही रहता कयोदक जब भी कोई जावत कोई समाज एक अवत पर चला जाता ह तो अवत स लौटना

पड़गा दसरी अवत पर जीवन सतलन म ह अवतयो म नही जीवन मधय म ह और आदमी का मन डोलता ह

पडलम की भावत एक अवत स दसरी अवत पर चला जाता ह भोगी योगी हो जात ह योगी भोगी हो जात ह

और दोनो जीवन स चक जात ह

जीवन ह मधय म जहा योग और भोग का वमलन होता ह जहा योग और भोग गल लगत ह जो िरीर

को ही मानता ह वह आज नही कल अधयातम की तरफ यातरा िर कर दगा पवशचम म अधयातम की बड़ी

परवतिा होती जा रही ह रोज कारण कारण वही ह--िाशवत कारण

तीन सौ वषो स वनरतर पवशचम पदािमवादी ह पदािम क अवतररि और कछ भी नही ह आतमा नही ह

परमातमा नही ह दह सब कछ ह इन तीन सौ साल की इस धारणा न एक अवत पर पवशचम को पहचा ददया

पदािमवाद की आवखरी ऊचाई पर पहचा ददया धन ह ववजञान ह सख-सववधाए ह

लदकन अवत पर जब आदमी जाता ह तो उसकी आतमा का गला घटन लगा िरीर तो सब तरह स सपि

ह आतमा ववपि होन लगी और दकतनी दर तक तम आतमा की ववपिता को झल पाओग आज नही कल

आतमा बगावत करगी और तमह दसरी ददिा म मड़ना ही पड़गा

इसवलए अगर पवशचम परब की तरफ आ रहा ह तो तम यह मत सोचना दक यह परब की कोई खबी ह

ऐसा तमहार तिाकवित महातमा समझत ह तमहार राजनता भी यही बकवास करत रहत ह व सोचत हः

पवशचम क लोग परब की तरफ आ रह ह दखो हमारी मवहमा

तमहारी मवहमा का इसस कोई सबध नही ह पवशचम अगर परब की तरफ आ रहा ह तो पदािमवाद की

अवत क कारण आ रहा ह एक अवत दख ली वहा कछ पाया नही वहा िरीर तो ठीक रहा आतमा घट गयी

और आदमी दोनो का जोड़ ह आदमी दोनो का वमलन ह आदमी न तो िरीर ह न आतमा ह आदमी

दोनो क बीच जो सवर पदा होता ह वही ह दोनो क बीच जो लयबदधता ह वही ह िरीर और आतमा का नाच

ह आदमी साि-साि दोनो नाच रह ह उस नतय का नाम आदमी ह और जब नतय परा होता ह िरीर और

आतमा दोनो सयि होत ह तब तवि ह

ऐसा ही परब म घटा आतमा--आतमा--आतमा ससार माया ह झठ ह असतय ह िरीर ह ही नही

सपना ह एक अवत पदा कर दी तो आतमा की ऊचाई को तो छआ लदकन िरीर तड़फन लगा जसी मछली

तड़फती ह पयासी--धप म रत पर--ऐसी भारत की दह घटन लगी उस दह की घटन का यह पररणाम हआ जो

आज सामन ह

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तो आदमी का सतलन जब भी टटगा तब ववपरीत ददिा की तरफ यातरा िर हो जाती ह

इसवलए दफर दोहराता हः यहा योगी भोगी हो जात ह भोगी योगी हो जात ह दोनो चक जात ह

कयोदक दोनो रोगी ह रोग का मतलब--अवत योगी आतमा की अवत स पीवड़त ह भोगी िरीर की अवत स

पीवड़त ह दोनो म भद नही ह दोनो अवतयो स पीवड़त ह एक न िरीर को घोट डाला ह एक न आतमा को

घोट डाला ह लदकन दोनो न जीवन की पररपणमता को अगीकार नही दकया ह

म तमह वही वसखा रहा ह दक जीवन की पररपणमता को अगीकार करो इनकार मत करना कछ तम दह

भी हो तम आतमा भी हो और तम दोनो नही भी हो तमह दोनो म रहना ह और दोनो म रहकर दोनो क पार

भी जाना ह तम न तो भौवतकवादी बनना न अधयातमवादी बनना दोनो भल बहत हो चकी ह जमीन काफी

तड़फ चकी ह तम अब दोनो का समनवय साधना दोनो क बीच सगीत उठाना दोनो का वमलन बहत पयारा

ह दोनो क वमलन को म धमम कहता ह

य तीन िबद समझोः भौवतकवादी--नावसतक तिाकवित आतमवादी-- आवसतक दोनो क मधय म जहा न

तो तम आवसतक हो न तो नावसतक जहा हा और ना का वमलन हो रहा ह--जस ददन और रात वमलत ह सधया

म जस सबह रात और ददन वमलत ह--ऐस जहा हा और ना का वमलन हो रहा ह जहा तम नावसतक भी हो

आवसतक भी कयोदक तम जानत होः तम दोनो का जोड़ हो दह को इनकार करोग आज नही कल दह बगावत

करगी आतमा को इनकार करोग आतमा बगावत करगी और बगावत ही पतन का कारण होता ह

परशन सािमक ह परब न बड़ी ऊचाइया पायी लदकन ऊचाइया अपग िी जस कोई पकषी एक ही पख स

आकाि म बहत ऊपर उड़ गया दकतन ऊपर जा सकगा और दकतनी दर जा सकगा एक ही पख स िायद

िोड़ा तड़फ ल िोड़ा हवाओ क रख पर चढ़ जाए िायद िोड़ी दर तक अपन को खीच ल लदकन यह जयादा

दर नही होन वाला ह तम एक पख दखकर ही कह सकत हो दक यह पकषी वगरगा इसका वगरना अवनवायम ह

उड़ान होती ह दो पखो पर लगड़ा आदमी भी चल लता ह मगर उसका चलना और दो पर स चलन म

बड़ा फकम ह लगड़ आदमी का चलना कषटपणम ह लगड़ा आदमी मजबरी म चलता ह और वजसक पास दोनो

पर ह और सवसि ह वह कभी-कभी वबना कारण क दौड़ता ह नाचता ह कही जाना नही ह तो भी घमन क

वलए वनकलता ह

उन दो परो क वमलन म जो आनद ह वह आनद अपन आप म पररपणम ह

इसवलए म अपन सनयासी को ससार छोड़न को नही कह रहा ह ससार छोड़कर दख वलया गया

वजनहोन ससार छोड़ा व बड़ी बरी तरह वगर मह क बल वगर म अपन सनयासी को ससार ही सब कछ ह ऐसा

भी नही कह रहा ह वजनहोन ससार को सब कछ माना व भी बरी तरह वगर

म तमस कहता हः ससार और सनयास दोनो क बीच एक लयबदधता बनाओ घर म रहो और ऐस जस

मददर म हो दकान पर बठो ऐस जस पजागह म बाजार म और ऐस जस वहमालय पर हो भीड़ म और

अकल चलो ससार म और ससार का पानी तमह छए भी नही ऐस चलो ऐस होिपवमक चलो तब सवासथय

पदा होता ह

परमातमा न तमह िरीर और आतमा दोनो बनाया ह और तमहार महातमा तमह समझा रह ह दक तम

वसफम आतमा हो लाख तमहार महातमा समझात रह दक तम वसफम आतमा हो कस झठलाओग इस सतय को जो

परमातमा न तमह ददया ह दक तम दह भी हो

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तमहारा महातमा भी इसको नही झठला पाता जब भख लगती ह तब वह नही कहता दक म दह नही ह

तब चला वभकषा मागन उसस कहो दक ससार माया ह कहा जा रह हो वहा ह कौन वभकषा दन वाला वभकषा

की जररत कया ह आप तो दह ह ही नही विवोऽह--आप तो विव ह आप कहा जा रह ह दह ह कहा दह

तो सपना ह

अगर महातमा स यह कहोग तब तमह पता चलगा महातमा को भी वभकषा मागन जाना पड़ता ह भोजन

जटाना पड़ता ह सदी लगती ह तो कबल ओढ़ना पड़ता ह और सब माया ह िरीर माया कबल माया गमी

लगती ह तो पसीना आता ह पयास लगती ह बीमारी होती ह तो औषवध की जररत होती ह

यह महातमा दकस झठ म जी रहा ह जो कहता ह दक िरीर माया ह इसस बड़ा और झठ कया होगा

और दफर दसरी तरफ लोग ह जो कहत ह दक िरीर ही सब कछ ह आतमा कछ भी नही ह इनस जरा

पछो दक जब कोई तमह गाली द दता ह तो तकलीफ कयो होती ह पतिर को गाली दो पतिर को कोई

तकलीफ नही होती ह और जब कोई वीणा पर सगीत छड़ दता ह तब तम परफवललत और मगन कयो हो जात

हो पतिर तो नही होता मगन और परफवललत

तमहार भीतर कछ होना चावहए जो पतिर म नही ह जो परफवललत होता ह मगन होता ह सबह सरज

को दखकर जो आहलाददत होता ह रात आकाि म चाद-तारो को दखकर वजसक भीतर एक अपवम िावत छा

जाती ह

यह कौन ह दह क तो य लकषण नही ह दह को तो पता भी नही चलता कहा चाद कहा सरज कहा

सौदयम कहा िावत

तमहार भीतर एक और आयाम भी ह तमहार भीतर कछ और भी ह

ऐसा समझोः चटटान ह यह बाहर ही बाहर ह इसक भीतर कछ भी नही ह तम इसको दकतना ही

खोदो इसक भीतर नही जा सकोग इसक भीतर जसी चीज ह ही नही चटटान तो बस बाहर ही बाहर ह

दफर चटटान क बाद गलाब का फल ह गलाब म िोड़ा भीतर कछ ह पखड़ी ही पखड़ी नही ह पखवड़यो

स जयादा कछ ह जब तम चटटान को दखत हो तो चटटान साफ-सिरी ह सीधी-साफ ह एकागी ह जब तम

गलाब क फल को दखत हो तो वह इतना एकागी नही ह कछ और ह जीवन की झलक ह सौदयम ह एक

सरगम ह

दफर तम एक पकषी को उड़त दखत हो इसम कछ और जयादा ह पकषी अगर तमहार पास आ जाएगा तो

तम पाओगः इसम कछ और जयादा ह जयादा पास आन म डरता ह गलाब का फल नही डरता तम पकड़न की

कोविि करो पकषी उड़ जाता ह गलाब का फल नही उड़ जाता पकषी की आख तमहारी तरफ दखती ह तो तम

जानत हो इसक भीतर कछ ह कोई ह

दफर एक मनषय ह जब तम एक मनषय को दखत हो तो तम जानत होः दह ही सब कछ नही ह भीतर

गहराई ह इसकी आखो म झाको तो तमह पता चलता हः दह ही नही ह आतमा ह

और दफर कभी एक बदध जसा वयवि ह वजसक भीतर अनत गहराई ह--दक तम झाकत जाओ झाकत

जाओ और पार नही ह चटटान म कछ भी भीतर नही ह बदध म भीतर--और भीतर--और भीतर इस भीतर का

नाम ही आतमा ह यह जो भीतर का आयाम ह इसका नाम ही आतमा ह

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जो कहता हः म वसफम िरीर ह वह अपनी गहराई को इनकार कर रहा ह वह परिानी म पड़गा जो

कहता हः म वसफम आतमा ह वह अपन बाहर को इनकार कर रहा ह यह परिानी म पड़गा तम बाहर-भीतर

का मल हो और अपवम मल घट रहा ह तमहार भीतर

यही तो रहसय ह इस जगत का दक यहा ववरोधाभास वमल जात ह एक-दसर म डब जात ह यहा

ववरोधाभास आसलगन करत ह

भारत नषट हआ होना ही िा अमरीका भी नषट हो रहा ह होना ही ह कयोदक अब तक मनषय समगर

ससकवत पदा नही कर पाया अब तक मनषय पणम ससकवत पदा नही कर पाया--ऐसी ससकवत जहा सब सवीकार

हो जहा परम भी सवीकार हो और धयान भी सवीकार हो

खयाल रखनाः धयान यानी आतमा धयान यानी भीतर जान का मागम और परम यानी बाहर जान का मागम

जब तम परम करत हो तो दकसी स करत हो और जब धयान करत हो तो सबस टट जात हो अकल हो जात

हो धयान यानी एकात जब तम धयान म हो तब तम आख बद कर लत हो तम बाहर को भल जात हो तम

अपनी दह को भी ववसमत कर दत हो ससार गया तम अपन भीतर जीत हो भीतर धड़कत हो चतनय म और

गहर उतरत जात हो

जब तम परम म उतरत हो तो अपन को भल जात हो तब दसर पर आख रटक जाती ह तमहारी परयसी

या तमहारा परमी तमहारा बटा या तमहारी मा तमहारा वमतर वजसस तम परम करत हो वही सब कछ हो जाता

ह सारी आख उस पर रटक जाती ह तम अपन को ववसमत कर दत हो सव को भल जात हो पर को याद करत

हो परम म धयान म पर को भल जात हो सव को याद करत हो

परब न धयान की ऊचाई पायी परम म चक गया परम म चक गया तो पतन होना वनवशचत िा कयोदक

परम भोजन ह अतयत जररी अतयत पौवषटक भोजन ह उसक वबना कोई नही जी सकता

परम ऐस ही ह जस सास लना बाहर स ही लोग न सास और तो कोई उपाय नही ह अगर बाहर स

सास लना बद कर दोग तो िरीर घट जाएगा और बाहर स परम आना बद हो जाएगा और जाना बद हो

जाएगा तो आतमा घट जाएगी भारत की आतमा घट गयी परम क अभाव म

पवशचम न परम को तो खब फलाया ह लदकन धयान का उस कछ पता नही ह इसवलए परम वछछला ह

उिला ह उसम कोई गहराई नही ह उसम गहराई हो ही नही सकती कयोदक आदमी सवीकार ही नही करता

ह दक हमार भीतर कोई गहराई ह तो परम ऐस ही ह जस और सार छोट-मोट काम ह एक मनोरजन ह िरीर

का िोड़ा ववशराम उलझनो स िोड़ा छटकारा लदकन कोई गहराई की सभावना नही ह आतररकता नही ह

दो परमी बस एक-दसर की िारीररक जररत परी कर रह ह आवतमक कोई जररत ह ही नही तो वजस

ददन िरीर की जररत परी हो गयी या िरीर िक गया तो एक-दसर स अलग हो जान क वसवाय कोई उपाय

नही ह कयोदक भीतर तो कोई जोड़ हआ ही नही िा आतमाए तो कभी वमली नही िी आतमाए तो सवीकत ही

नही ह तो बस हडडी-मास-मजजा का वमलन ह गहरा नही हो सकता

पवशचम न धयान को छोड़ा ह तो परम उिला ह पवशचम भी वगरगा वगर रहा ह वगरना िर हो गया ह

एक विखर छ वलया अवत का अब भवन खडहर हो रहा ह यह अवत का पररणाम ह

म तमह चाहगा दक तम जानो दक तमहार भीतर धयान की कषमता हो और तमहार भीतर परम की कषमता

हो धयान तमह अपन म ल जाए परम तमह दसर म ल जाए और वजतना धयान तमहारा अपन भीतर गहरा

होगा उतनी तमहारी परम की पातरता बढ़ जाएगी योगयता बढ़ जाएगी और वजतनी तमहारी परम की पातरता

132

और योगयता बढ़गी उतना ही तम पाओगः तमहारा धयान म और गहर जान का उपाय हो गया इन दोनो पखो

स उड़ो तो परमातमा दर नही ह

अब तक कोई ससकवत नही बन सकी दभामगय स जो दोनो को सवीकार करती हो नही बनी नही बनान

का उपाय हआ उसका भी कारण ह कयोदक दोनो को वमलान क वलए मझ जसा पागल आदमी चावहए

दोनो ववरोधी ह दोनो तकम म बठत नही ह एक क साि तकम वबलकल ठीक बठ जाता ह एक को चनो तो

बात वबलकल रखाबदध साफ-सिरी मालम होती ह दोनो को चनो तो दोनो ववपरीत ह तो दफर वयवसिा नही

बनती दिमनिासतर वनरममत नही होता

इसवलए म कोई दिमनिासतर वनरममत नही कर रहा ह म वसफम जीवन को एक छद द रहा ह--दिमनिासतर

नही म जीवन को एक कावय द रहा ह--दिमनिासतर नही म जीवन को परम करता ह--वसदधातो को नही अगर

वसदधातो म मरा रस हो तो मझ भी उसी जाल म पड़ना पड़गा वजस जाल म पहल सार लोग पड़ चक ह

कयोदक वसदधात की अपनी एक वयवसिा ह

वसदधात कहता हः िरीर ह तो आतमा नही हो सकती कयोदक तब वसदधात क ऊपर िरीर की सीमा

आरोवपत हो जाती ह तब वसदधात कहता हः अगर आतमा भी हो तो िरीर जसी ही होनी चावहए कहा ह

ददखायी नही पड़ती जसा िरीर ददखायी पड़ता ह कहा ह िरीर का तो वजन तौला जा सकता ह आतमा

दकसी तराज पर तलती नही कहा ह तमहारी आतमा हम िरीर को वछि-वभि करक दख डालत ह हम कही

उसका पता नही चलता

वजसन कहा िरीर ह उसन एक तकम सवीकार कर वलया दक जो भी होगा वह िरीर जसा होना चावहए

तो ही हो सकता ह अब आतमा नही हो सकती कयोदक आतमा वबलकल वभि ह ववपरीत ह

वजसन मान वलया दक आतमा ह वह भी इसी झझट म पड़ता ह जब आतमा को मान वलया कहाः अदशय

सतय ह तो दफर दशय झठ हो जाएगा

तकम को सवयववसित करन की य अवनवायमताए ह अगर अदशय सतय ह असीम सतय ह तो दफर सीवमत

का कया होगा दफर जो ददखायी पड़ता ह दशय ह उसका कया होगा जो छआ जा सकता ह सपिम दकया जा

सकता ह उसका कया होगा तमन अगर अदशय को सवीकार दकया तो दशय को इनकार करना ही होगा

इसवलए तम यह बात जानकर चौकोग दक कालम माकसम और िकराचायम म बहत भद नही ह कालम माकसम

कहता हः िरीर ह कवल और िकराचायम कहत हः आतमा ह कवल दोनो म कछ भद नही ह दोनो का तकम

एक ही ह दक एक ही हो सकता ह दोनो अदवतवादी ह दोनो की तकम -सरणी म जरा भी भद नही ह यदयवप

दोनो एक-दसर स ववपरीत बात कह रह ह लदकन मर वहसाब स दोनो एक ही सकल क वहसस ह एक ही

सपरदाय क वहसस ह कयो कयोदक दोनो न एक बात सवीकार कर ली ह दक एक ही हो सकता ह और जब एक

हो सकता ह तो उसस ववपरीत कस होगा

और म तमस यह कहना चाहता ह दक जीवन ववपरीत पर खड़ा ह जस दक राज जब मकान बनाता ह

तो दरवाजो म दखा ह ईट चनता ह दोनो तरफ स ववपरीत ईट लगाता ह ववपरीत ईटो को लगाकर ही

दरवाजा बनता ह नही तो बन ही नही सकता अगर एक ही ददिा म सब ईट लगा दी जाए मकान वगरगा

खड़ा नही रह सकगा ववपरीत ईट एक-दसर को समहाल लती ह एक-दसर की चनौती एक-दसर का तनाव ही

उनकी िवि ह

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जीवन को तम सब तरफ स दखो हर जगह दवदव पाओग सतरी ह और परष ह दवदव ह उन दोनो क बीच ही

बचच का जनम ह नया जीवन उनही क बीच बहता ह जस नदी दो दकनारो क बीच बहती ह ऐस सतरी-परष क

दकनारो क बीच जीवन की नयी धारा बहती रहती ह

परमातमा को अकल होती तो परष ही परष बनाता अकल होती तो वसतरया ही वसतरया बनाता अगर

िकराचायम को बनाना पड़ तो व एक ही बनाएग माकसम को बनाना पड़ वह भी एक ही बनाएग य दोनो

अदवतवादी ह दोनो म कछ भद नही ह एक घोषणा करता हः परमातमा माया ह ससार सतय ह एक घोषणा

करता हः परमातमा सतय ह ससार माया ह मगर तकम एक ही ह

जीवन को दखो जरा यहा सब दवदव पर खड़ा ह जनम और मतय साि-साि ह जड़ ह उलट ह और जड़

ह रात और ददन साि-साि ह गमी और सदी साि-साि ह उलट ह और जड़ ह यहा तम जहा भी जीवन को

खोजोग वही तम पाओगः दवदव मौजद ह जीवन दवदवातमक ह डायलवकटकल ह

म जीवन का पकषपाती ह जीवन जसा ह वसा तमह खोलकर कह दता ह मझ कोई जीवन पर वसदधात

नही िोपना ह वसदधात हो तो आदमी हमिा ही वसदधात का पकषपाती होता ह उसक वसदधात क अनकल जो

पड़ता ह वह चन लता ह जो अनकल नही पड़ता वह छोड़ दता ह

मरा कोई वसदधात नही ह मरी आख कोरी ह म कछ तय करक नही चला ह दक ऐसा होना चावहए मर

पास कोई तकम नही ह कोई तराज नही ह जीवन जसा ह वसा का वसा तमस कह रहा ह और जीवन

ववरोधाभासी ह इसवलए म ववरोधाभासी ह इसवलए मर विवय सब ववरोधाभासी ह मन जीवन को

झलकाया ह मन दपमण का काम दकया ह

अब तक समगर ससकवत पदा नही हो सकी कयोदक दािमवनको क हाि स ससकवतया पदा हई ह ससकवत

पदा होनी चावहए कववयो क दवारा और तब उनम एक समगरता होगी वसदधातवादी कभी समगर नही हो सकत

इसवलए म समसत वसदधातो क तयाग का पकषपाती ह छोड़ो वसदधातो को जीवन को दखो और जसा

जीवन ह वसा जीवन ह इसको अगीकार करो इसी अगीकार म गवत ह ववकास ह और इसी अगीकार म

तमहार भीतर परम घटगा और वह परम दररदर नही होगा दीन नही होगा

िकराचायम का परम दररदर ह उसम पदािम को झलन की कषमता नही ह वह पदािम को इनकार करता ह

माकम स का परम भी गरीब ह दीन ह दररदर ह उसम आतमा को सिान नही ह

मरा परम परम समदध ह म इसीवलए उस ईशवर कहता ह ईशवर स मरा मतलब हः ऐशवयमवान परम

समदध ह सब दवदवो का मल ह

ईशवर इकतारा नही ह जसा दक तमहार साध-सनयासी इकतारा वलए घमत ह उसका कारण ह इकतारा

रखन का एक की खबर दन क वलए एक तार रखत ह ईशवर बहतारा ह उसक बहत तार ह बड़ रग बड़ रप

ह ईशवर सतरगा ह इदरधनषी ह तम अपन एकागी आगरहो को अगर न िोपो तो तमह जीवन म इतन रग

ददखायी पड़ग इतनी ववववधता ह जीवन म दक वजसका वहसाब नही और इस ववववधता म ही ऐशवयम ह इस

ववववधता म ही ईशवर वछपा ह

अगर ईशवर इकतारा हो तो उबान वाला होगा ऊब पदा करगा रस चकता ही कहा ह जीवन का कभी

नही चकता ऊब कभी पदा होती ही नही जीवन स वजसको हो जाती ह उसन कछ इकतारा ल रखा होगा

वजसन खली आख रखी और जीवन क सतरग रप दख सब रप दख--िभ और अिभ अछा और बरा

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परीवतकर-अपरीवतकर--सब अगीकार दकया मधिाला स लकर मददर तक वजस सब सवीकार ह ऐसा वयवि

ईशवर क इदरधनष को दखन म समिम हो पाता ह िराबी स लकर साध तक वजस सब सवीकार ह

कयोदक ह तो सब उसी क रप वह जो िराबी जा रहा ह लड़खड़ाता हआ वह भी उसी का रप ह और

वह जो साध बठा ह वकष क िात मौन एकात म वह भी उसी का रप ह महावीर भी उसी क रप ह और

मजन म भी वही वछपा ह

इतनी ववराट दवषट हो तो समगर ससकवत पदा हो सकती ह

इसीवलए तो यहा जो एकागी ससकवत क लोग ह व आ जात ह उनको बड़ी अड़चन होती ह कभी-कभी

कोई कमयवनसट आ जाता ह वह मझस कहता हः और तो सब बात ठीक ह लदकन आप अगर आतमा ईशवर की

बात न कर और सब बात ठीक ह य उतसव य नतय य सब ठीक ह मगर ईशवर परमातमा को कयो बीच म

लात ह अगर य आप बीच म न लाए तो हम भी आ सकत ह

परान ढब का साध-सनयासी भी कभी-कभी आ जाता ह वह कहता हः और सब तो ठीक ह आप ईशवर-

आतमा की जो बात करत ह वह वबलकल जमती ह मगर यह नतय-गान यह परम की हवा यह माहौल य

यवक-यववतया हाि म हाि डाल हए चलत हए नाचत हए यह जरा जचता नही अगर यह आप बद करवा

द तो हम सब आपक विषय होन को तयार ह

य एकागी लोग ह इनम स दोनो का मझस कोई सबध नही बन सकता यह जो परयास यहा हो रहा ह

आज तमह इसकी गररमा समझ म नही आएगी हजारो साल लग जात ह दकसी बात को समझन क वलए

यह जो परयोग यहा चल रहा ह अगर यह सफल हआ वजसकी सभावना बहत कम ह कयोदक व एकागी

लोग काफी िवििाली ह उनकी भीड़ ह और सददया उनक पीछ खड़ी ह अगर यह परयोग सफल हआ तो

हजारो साल लगग तब कही तमह ददखायी पड़गा दक कया म कर रहा िा जब यह परा भवन खड़ा होगा

अभी तो नीव भी नही भरी गयी ह मझ ददखायी पड़ता ह परा भवन दक अगर बन जाएगा तो कसा होगा

तमह तो वसफम इतना ही ददख पाता ह दक कछ गडढ खोद जा रह ह कछ नीव भरी जा रही ह कछ ईट लायी जा

रही ह तमह कछ और ददखायी नही पड़ता हजारो साल लगत ह

लदकन समय आ गया ह

ववकटर हयगो का एक परवसदध वचन हः जब दकसी ववचार क वलए समय आ जाता ह तो दवनया की कोई

िवि उस रोक नही सकती समय की बात ह

वसत आ गया ह इस फल क वखलन का दवनया िक गयी ह परयोग कर-करक एकागी और हर बार

एकागी परयोग असफल हआ ह अब हम बहरगी परयोग कर लना चावहए अब हम ऐसा सनयासी पदा कर जो

ससारी हो और ऐसा ससारी पदा कर जो सनयासी हो

अब हम ऐस धयानी पदा कर जो परम कर सक और ऐस परमी पदा कर जो धयान कर सक

दसरा परशनः कया म िदर होकर भी आपका विषय हो सकता ह कया मझ एकलवय को आप सवीकार

करग

पहली तो बातः म दरोणाचायम नही ह दरोणाचायम मर वलए िोड़ स गद नामो म स एक ह और गदा

इसीवलए नाम हो गया--एकलवय को असवीकार करन क कारण

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दरोणाचायम को गर भी नही कहना चावहए और अगर व गर रह होग तो उसी अिो म वजस तरह सकल

क मासटर को हम गर कहत ह उनम कछ गरतव नही िा िदध राजनीवत िी

एकलवय को इनकार कर ददया कयोदक वह िदर िा लदकन उसस भी जयादा भीतर राजनीवत िी वह

िी दक वह अजमन स आग वनकल सकता िा ऐसी कषमता िी उसकी राजपतर स कोई आग वनकल जाए और िदर

आग वनकल जाए कषवतरय स--यह दरोणाचायम क बराहमण को बदामशत न िा

दफर नौकर ि राजा क उसक बट को ही दवनया म सबस बड़ा धनधमर बनाना िा वजसका नमक खाया

उसकी बजानी िी गलाम ि एकलवय को इनकार दकया--यह दखकर दक इस यवक की कषमता ददखायी पड़ती

िी दक यह अजमन को पानी वपला द इसन पानी वपलाया होता इसन वस भी पानी वपला ददया इनकार करन

क बाद भी वपला ददया पानी

तो इनकार कर ददया यह तो बहाना िा दक िदर हो इस बहान क पीछ गहरा राजनवतक दाव िा वह

यह िा दक मरा ववविषट विषय अजमन दवनया म सवामवधक परिम हो सबस ऊपर हो

दफर राजपतर ऊपर हो तो मझ कछ लाभ ह यह िदर अगर ऊपर भी हो गया तो इसस वमलना कया ह

इनकार कर ददया

लदकन एकलवय अदभत िा दरोणाचायम मर वलए गद नामो म स एक ह एकलवय मझ बहत पयार नामो

म स एक ह अपवम विषय िा विषय जस होन चावहए दरोणाचायम ऐस गर जस गर नही होन चावहए एकलवय

ऐसा विषय जस विषय होन चावहए

कोई दफकर न की मन म विकायत भी न लाया यह राजनीवत ददखायी भी पड़ गयी होगी लदकन

वजसको गर सवीकार कर वलया उसक सबध म कया विकायत करनी जाकर मरतम बना ली जगल म मरतम क

सामन ही कर लगा

जरा भी विकायत नही ह करोध नही ह वजसको गर सवीकार कर वलया सवीकार कर वलया अगर गर

असवीकार कर द तो भी विषय कस असवीकार कर सकता ह विषय न तो सोचा होगाः िायद इसम ही मरा

वहत ह इसीवलए उनहोन असवीकार कर ददया

गर राजनीवतजञ िा विषय धारममक िा उसन सोचाः मरा इनकार दकया तो जरर मरा वहत ही होगा

इसस कछ लाभ ही होन वाला होगा नही तो व कयो इनकार करत

मरतम बनाकर मरतम की पजा करन लगा और मरतम क सामन ही धनरवमदया का अभयास िर कर ददया

इतनी भावना हो ऐसी आसिा ऐसी शरदधा हो तो गर की जररत भी कया ह शरदधा की कमी ह इसवलए गर

की जररत ह

तो वबना गर क भी पहच गया मरतम स भी पहच गया शरदधा हो तो मरतम जीवत हो जाती ह और शरदधा

न हो तो जीववत गर भी मरतम ही रह जाता ह सब तमहारी शरदधा पर वनभमर ह

इस मरतम को ही मान वलया दक यही गर ह तम दखत रहना--मरतम को कहता होगा--म अभयास करता ह

कही भल-चक हो तो चता दना कही जररत पड़ तो रोक दना

इस अपवम परदकरया म वह उस जगह पहच गया जहा अजमन फीका पड़ गया खबर उड़न लगी दक एकलवय

का वनिाना अचक हो गया ह ऐसा अचक वनिाना कभी दकसी का दखा नही

ऐसी शरदधा हो तो वनिाना अचक होगा ही यह शरदधा का वनिाना ह यह चक ही कस सकता ह और

वजसको मरतम पर इतनी शरदधा ह सवभावतः उस अपन पर इतनी ही शरदधा ह

136

तमहारी शरदधा दसर पर तभी होती ह जब तमह आतम-शरदधा होती ह तमहारी शरदधा उतनी ही होती ह

दसर पर वजतनी तमहार भीतर होती ह वजतनी तमह सवय पर होती ह वजस आदमी को अपन पर शरदधा नही

ह उसको अपनी शरदधा पर भी कस शरदधा होगी वजस आदमी को अपन पर शरदधा ह वही अपनी शरदधा पर शरदधा

कर सकगा वही स सब चीज िर होगी शरदधा पहल भीतर होनी चावहए

एकलवय अपवम रहा होगा इसी शरदधा को दखकर ही तो दरोण चौक होग दक यह आदमी खतरनाक वसदध

हो सकता ह इसकी आखो म उनह झलक ददखायी पड़ी होगी लपट ददखायी पड़ी होगी

लदकन व भल म ि वजसम इतनी आतम-शरदधा हो उस गर इनकार कर द तो भी वह पहच जाता ह

और वजसम इतनी आतम-शरदधा न हो गर लाख सवीकार कर तो भी कहा पहचगा

एकलवय की खबर आन लगी दक एकलवय पहच गया पा वलया उसन अपन गतवय को वजस गर न

एकलवय को विषय बनान स इनकार कर ददया िा वह दवकषणा लन पहच गया

बईमानी की भी एक सीमा होती ह िमम भी न खायी चललभर पानी म डब मरना चावहए िा दरोण को

ऐस विषय क पर जाकर छन चावहए ि लदकन दफर राजनीवत आती ह दफर चालबाजी आती ह

अब व यह इरादा करक गए ह दक जाकर उसक दाए हाि का अगठा माग लगा व जानत ह दक वह दगा

उसकी आखो म उनहोन वह झलक दखी ह दक वह जान द द उन लोगो म स ह उसको िदर कहना तो वबलकल

गलत ह वह अजमन स जयादा कषवतरय ह वह इनकार नही करगा जो मागगा अगर गरदन मागगा तो गरदन द

दगा कयोदक खबर आती िी दक उसन आपकी मरतम बना ली ह मरतम क सामन अभयास करता ह

दरोण पहच गए दखी उसकी वनिानबाजी छाती कप गयी उनक सार विषय फीक ि व खद फीक ि

इस एकलवय क मकाबल व कही नही ि खद भी नही ि तो उनक विषय अजमन इतयादद तो कहा होग बहत

भय आ गया होगा उसस कहा दक ठीक त सीख गया म तरा गर म गर-दवकषणा लन आया

एकलवय की आखो म आस आ गए होग उसक पास दन को कछ भी नही ह गरीब आदमी ह उसन

कहाः आप जो माग जो मर पास हो ल ल ऐस मर पास दन को कया ह

एकलवय इसवलए भी अदभत ह दक वजस गर न इनकार दकया िा उस गर को दवकषणा दन को तयार ह

और जो माग--बितम

गर चालबाज ह कटनीवतजञ ह विषय वबलकल सरल और भोला ह और दरोणाचायम न उसका अगठा माग

वलया--दाए हाि का अगठा कयोदक अगठा कट गया तो दफर कभी वह धनरवमद नही हो सकगा उसकी

धनरवमदया को नषट करन क वलए अगठा माग वलया

उसन अगठा द भी ददया यह अपवम वयवि िा यह कषवतरय िा जब आया िा िदर इसको म नही कह

सकता यह कषवतरय िा जब यह आया िा गर क पास अगठा दकर बराहमण हो गया समपमण अपवम ह जानता ह

दक यह अगठा गया दक मन जो वषो महनत करक धनरवमदया सीखी ह उस पर पानी दफर गया लदकन यह

सवाल ही कहा ह यह सवाल ही नही उठा उस एक दफा भी सदह नही उठा मन म दक यह तो बात जरा

चालबाजी की हो गयी

तो म दरोण नही ह तमस कह द

तम पछत होः कया म िदर होकर भी आपका विषय हो सकता ह

137

िदर सभी ह िदर की तरह ही सभी पदा होत ह और वजस िदर म विषय बनन की कलपना उठन लगी

वह बाहर वनकलन लगा िदरता स उसकी यातरा िर हो गयी इस भाव क साि ही करावत की िरआत ह

वचनगारी पड़ी

तम विषय बनना चाहो और म तमह असवीकार कर यह असभव ह म तो कभी-कभी उनको भी सवीकार

कर लता ह जो विषय नही बनना चाहत ऐस ही भल-चक स कह दत ह दक विषय बनना ह उनको भी

सवीकार कर लता ह

दरोण न एकलवय को असवीकार दकया म उनको भी सवीकार कर लता ह वजनम एकलवय स ठीक

ववपरीत दिा ह जो हजार सदहो स भर ह हजार रोगो स भर ह हजार विकायतो स भर ह वजन न कभी

परािमना का कोई सवर नही सना और शरदधा का वजनक भीतर कोई अकर नही फटा ह कभी जो जानत नही दक

शरदधा िबद का अिम कया होता ह

नावसतको को भी म सवीकार कर लता ह म इसवलए सवीकार कर लता ह दक जो दकसी भी कारण स

सही विषय बनन को उतसक हआ ह चलो एक वखड़की खली दफर बाकी दवार-दरवाज भी खोल लग एक रधर

वमली जरा सा भी वछदर मझ तमम वमल जाए तो म वही स परववषट हो जाऊगा जरा सा रधर वमल जाए तो

सरज की दकरण यह िोड़ ही कहगी दक दरवाज खोलो तब म भीतर आऊगी जरा खपड़ो म जगह खाली रह

जाती ह सरज की दकरण वही स परवि कर जाती ह

तमहारी खोपड़ी क खपड़ो म कही जरा सी भी सध वमल गयी तो म वही स आन को तयार ह म तमस

सामन क दरवाज खोलन को नही कहता म तमस बड-बाज बजान को भी नही कहता तम बड़ी उदघोषणा

करो इसकी भी सचता नही करता तम दकसी भी कषण म दकसी बराहमण-कषण म

अब यह परशन दकसी बराहमण-कषण म उठा होगा िदर को तो यह उठता ही नही िदर तो यहा आता ही

कस िदर तो मर वखलाफ ह तम यहा आ गए यह दकसी बरहम-महतम दकसी बराहमण-कषण म हआ होगा

तमहार मन म विषय होन का भाव भी उठा--अछा ह

दरोण म नही ह और तमस म चाहगा दक तम अगर एकलवय होना चाहो तो उस परान एकलवय की

सारी हालात समझकर होना कयोदक नए एकलवय बड़ी उलटी बात कर रह ह

मन सना हः

कवलयग क

विषयो न गरभवि को

ऐसा मोड़ ददया

दक नकल करत हए

एकलवय न

दरोणाचायम का ही

अगठा तोड़ ददया

तम आधवनक एकलवय नही बनना जमाना बदल गया ह अब विषय दरोणाचायम का अगठा तोड़ दत ह

न म दरोण ह न तमह एकलवय--कम स कम आधवनक एकलवय--बनन की कोई जररत ह और चदक म

दरोण नही ह इसवलए तमह इनकार नही करगा और तमह जगल म कोई मरतम बनाकर धनरवमदया नही सीखनी

होगी म ही तमह वसखाऊगा

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और जो मर पास ह वह बाटन स घटता नही इसवलए कया कजसी करनी दक इसको बनाएग विषय

उसको नही बनाएग कया ित लगानी नदी क तट पर तम जात हो तो नदी नही कहती दक तमह नही पानी

पीन दगी जो आए पीए नदी राह दखती ह दक कोई आए पीए

फल जब वखलता ह तब यह नही कहता दक तमहारी तरफ न बहगा तमहारी तरफ गध को न बहन दगा

िदर त दर हट मागम स म तो वसफम बराहमणो क वलए ह जब फल वखलता ह तो सगध सबक वलए ह और जब

सरज वनकलता ह तो सरज यह भी नही कहता दक पावपयो पर नही वगरगा पणयातमाओ क घर पर बरसगा

पणयातमाओ क घर और पावपयो क घर म सरज को कोई भद नही ह

और जब मघ वघरत ह और वषाम होती ह तो महातमाओ क खतो म ही नही होती सभी क खतो म हो

जाती ह

तम मझ एक मघ समझो तम अगर लन को तयार हो तो तमह कोई नही रोक सकता और यह कछ

सपदा ऐसी ह दक दन स घटती नही बढ़ती ह वजतना तम लोग उतना िभ ह नए सरोत खलग नए दवार स

और ऊजाम बहगी लो लटो

आदद ह अिष और दर अभी अत

फागनी ववतान तल तरता वसत

तर-तर क कधो पर कोपल खड़ी हयी

नव पललव वि वखल लवतयो क चहर

नील-पील-लाल-शवत समन गहनो म

वन दवी गाव-गाव गाती ह सहर

सहमी-सी िकन आ पहचा दषयत

फागनी ववतान तल तरता वसत

रप की दपहरी म वसधा सवर रही

कसी हई दह फकत वसन तवनक ढील

पनघट पर यौवन क आमवतरत सब ही

छलका सौदयम-कलि जो चाह पी ल

साकषी आकाि और दिमक ददगत

फागनी ववतान तल तरता वसत

पनघट पर यौवन क आमवतरत सब ही

छलका सौदयम-कलि जो चाह पी ल

तम यह पछो ही मत दक तम कौन हो कया हो म भी नही पछता तमहार भीतर पयास ह बस काफी

योगयता ह

पी लो जो कलि छलक रहा ह अजवल भर लो

तीसरा परशनः कल आपन िदर और बराहमण की पररभाषा की कपया समझाए दक मन िदर ह अिवा

बराहमण

139

दह िदर ह मन वशय ह आतमा कषवतरय ह परमातमा बराहमण इसवलए बरहम परमातमा का नाम ह बरहम स

ही बराहमण बना ह

दह िदर ह कयो कयोदक दह म कछ और ह भी नही दह की दौड़ दकतनी ह खा लो पी लो भोग कर

लो सो जाओ जीओ और मर जाओ दह की दौड़ दकतनी ह िदर की सीमा ह यही जो दह म जीता ह वह िदर

ह िदर का अिम हआः दह क साि तादातमय म दह ह ऐसी भावदिाः िदर

मन वशय ह मन खान-पीन स ही राजी नही होता कछ और चावहए मन यानी और चावहए िदर म एक

तरह की सरलता होती ह दह म बड़ी सरलता ह दह कछ जयादा माग नही करती दो रोटी वमल जाए सोन

क वलए छपपर वमल जाए वबसतर वमल जाए जल वमल जाए कोई परम करन को वमल जाए परम दन-लन को

वमल जाए बस िरीर की माग सीधी-साफ ह िोड़ी ह सीवमत ह दह की माग सीवमत ह दह कछ ऐसी बात

नही मागती जो असभव ह दह को असभव म कछ रस नही ह दह वबलकल पराकवतक ह

इसवलए म कहता ह दक सभी िदर की तरह पदा होत ह कयोदक सभी दह की तरह पदा होत ह जब

और-और की वासना उठती ह तो वशय वशय का मतलब हः और धन चावहए

फोडम अपन बढ़ाप तक--हनरी फोडम--और नए धध खोलता चला गया दकसी न उसकी अतयत वदधावसिा

म मरन क कछ ददन पहल ही पछा उसस दक आप अभी भी धध खोलत चल जा रह ह आप क पास इतना ह

इतन और नए धध खोलन का कया कारण ह

वह नए उदयोग खोलन की योजनाए बना रहा िा वबसतर पर पड़ा हआ भी मरता हआ भी हनरी फोडम

न कया कहा मालम हनरी फोडम न कहाः म नही जानता दक कस रक म रकना नही जानता म जब तक मर

ही न जाऊ म रक नही सकता

यह वशय की दिा ह वह कहता ह और इतना ह तो और ऐसा मकान ह तो और िोड़ा बड़ा इतना

धन ह तो और िोड़ा जयादा धन

दह िदर ह और सरल ह िदर सदा ही सरल होत ह मन बहत चालबाज चालाक होवियार वहसाब

वबठान वाला ह मन की सब दौड़ ह मन दकसी चीज स राजी नही ह मन वयवसायी ह वह फलाए चला

जाता ह वह जानता ही नही कहा रकना वह अपनी दकान बड़ी दकए चला जाता ह बड़ी करत-करत ही मर

जाता ह

आतमा कषवतरय ह कयो कयोदक कषवतरय को न तो इस बात की बहत सचता ह दक िरीर की जररत परी हो

जाए जररत पड़ तो वह िरीर की सब जररत छोड़न को राजी ह और कषवतरय को इस बात की भी सचता नही

ह दक और-और अगर कषवतरय को इस बात की सचता हो तो जानना दक वह वशय ह कषवतरय नही ह

कषवतरय का मतलब ही यह होता हः सकलप का आववभामव परबल सकलप का आववभामव महा सकलप का

आववभामव और महा सकलप या परबल सकलप क वलए एक ही चनौती ह वह ह दक म कौन ह इस जान ल

िदर िरीर को जानना चाहता ह उतन म ही जी लता ह वशय मन क साि दौड़ता ह मन को पहचानना

चाहता ह कषवतरय म कौन ह इस जानना चाहता ह वजस ददन तमहार भीतर यह सवाल उठ आए दक म कौन

ह तम कषवतरय होन लग अब तमहारी धन इतयादद दौड़ो म कोई उतसकता नही रही एक नयी यातरा िर हई--

अतयामतरा िर हई

तम यह जानत हो दक इस दि म जो बड़ स बड़ जञानी हए--सब कषवतरय ि बदध जनो क चौबीस तीिकर

राम कषण--सब कषवतरय ि कयो होना चावहए सब बराहमण मगर ि सब कषवतरय कयोदक बराहमण होन क पहल

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कषवतरय होना जररी ह वजसन जनम क साि अपन को बराहमण समझ वलया वह चक गया उस पता ही नही

चलगा दक बात कया ह

और जो जनम स ही अपन को बराहमण समझ वलया और सोच वलया दक पहच गया कयोदक जनम उसका

बराहमण घर म हआ ह उस सकलप की यातरा करन का अवसर ही नही वमला चनौती नही वमली

इस दि क महाजञानी कषवतरय ि सहदओ क अवतार जनो क तीिकर बौदधो क बदध--सब कषवतरय ि इसक

पीछ कछ कारण ह वसफम एक परिराम को छोड़कर कोई बराहमण अवतार नही ह और परिराम वबलकल

बराहमण नही ह उनस जयादा कषवतरय आदमी कहा खोजोग उनहोन कषवतरयो स खाली कर ददया पथवी को कई दफ

काट-काटकर व काम ही सजदगीभर काटन का करत रह उनका नाम ही परिराम पड़ गया कयोदक व फरसा

वलए घमत रह हतया करन क वलए परि लकर घमत रह परि वाल राम--ऐसा उनका नाम ह

व कषवतरय ही ि उनको भी बराहमण कहना वबलकल ठीक नही ह जरा भी ठीक नही ह उनस बड़ा कषवतरय

खोजना मवशकल ह वजसन सार कषवतरयो को पथवी स कई दफ मार डाला और हटा ददया अब उसस बड़ा कषवतरय

और कौन होगा

सकलप यानी कषवतरय

ऐसा समझो दक भोग यानी िदर तषणा यानी वशय सकलप यानी कषवतरय और जब सकलप परा हो जाए

तभी समपमण की सभावना ह तब समपमण यानी बराहमण जब तम अपना सब कर लो तभी तम झकोग उसी

झकन म असवलयत होगी जब तक तमह लगता हः मर दकए हो जाएगा तब तक तम झक नही सकत तमहारा

झकना धोख का होगा झठा होगा वमथया होगा

अपना सारा दौड़ना दौड़ वलए अपना करना सब कर वलए और पाया दक नही अवतम चीज हाि नही

आती नही आती नही आती चकती चली जाती ह तब एक असहाय अवसिा म आदमी वगर पड़ता ह जब

तम घटन टककर परािमना करत हो तब असली परािमना नही ह जब एक ददन ऐसा आता ह दक तम अचानक

पात हो दक घटन रटक जा रह ह पथवी पर अपन रटका रह हो--ऐसा नही झक रह हो--ऐसा नही झक जा रह

हो अब कोई और उपाय नही रहा वजस ददन झकना सहज फवलत होता ह उस ददन समपमण

समपमण यानी बराहमण समपमण यानी बरहम जो वमटा उसन बरहम को जाना

य चारो पत तमहार भीतर ह यह तमहार ऊपर ह दक तम दकस पर धयान दत हो ऐसा ही समझो दक

जस तमहार रवडयो म चार सटिन ह तम कहा अपन रवडयो की कजी को लगा दत हो दकस सटिन पर रवडयो

क काट को ठहरा दत हो यह तम पर वनभमर ह

य चारो तमहार भीतर ह दह तमहार भीतर ह मन तमहार भीतर ह आतमा तमहार भीतर परमातमा

तमहार भीतर

अगर तमन अपन धयान को दह पर लगा ददया तो तम िदर हो गए

सवभावतः बचच सभी िदर होत ह कयोदक बचचो स यह आिा नही की जा सकती दक व दह स जयादा गहर

म जा सक ग मगर बढ़ अगर िदर हो तो अपमानजनक ह बचचो क वलए सवाभाववक ह अभी सजदगी जानी

नही तो जो पहली पतम ह उसी को पहचानत ह लदकन बढ़ा अगर िदर की तरह मर जाए तो सनदा-योगय ह

सब िदर की तरह पदा होत ह लदकन दकसी को िदर की तरह मरन की आवशयकता नही ह

141

अगर तमन अपन रवडयो को वशय क सटिन पर लगा ददया तमन अपन धयान को वासना-तषणा म लगा

ददया लोभ म लगा ददया तो तम वशय हो जाओग तमन अगर अपन धयान को सकलप पर लगा ददया तो

कषवतरय हो जाओग तमन अपन धयान को अगर समपमण म डबा ददया तो तम बराहमण हो जाओग

धयान कजी ह कछ भी बनो धयान कजी ह िदर क पास भी एक तरह का धयान ह उसन सारा धयान

िरीर पर लगा ददया अब जो सतरी दपमण क सामन घटो खड़ी रहती ह--बाल सवारती ह धोती सवारती ह

पावडर लगाती ह--यह िदर ह य जो दो-तीन घट दपमण क सामन गए य िदरता म गए इसन सारा धयान

िरीर पर लगा ददया ह यह राह पर चलती भी ह तो िरीर पर ही इसका धयान ह यह दसरो को भी दखती

ह तो िरीर पर ही इसका धयान होगा जब यह अपन िरीर को ही दखती ह तो दसर क िरीर को ही दखगी

और कछ नही दख पाएगी यह अगर अपनी साड़ी को घटो पहनन म रस लती ह तो बाहर वनकलगी तो

इसको हर सतरी की साड़ी ददखायी पड़गी और कछ ददखायी नही पड़गा

जो वयवि बठा-बठा सोचता ह दक एक बड़ा मकान होता एक बड़ी कार होती बक म इतना धन होता--

कया कर कस कर वह अपन धयान को वशय पर लगा रहा ह धीर-धीर धयान वही ठहर जाएगा और

अकसर ऐसा हो जाता ह दक अगर तम एक ही रवडयो म एक ही सटिन सदा सनत हो तो धीर-धीर तमहार

रवडयो का काटा उसी सटिन पर ठहर जाएगा जड़ हो जाएगा अगर तम दसर सटिन को कभी सन ही नही हो

और आज अचानक सनना भी चाहो तो िायद पकड़ न सकोग कयोदक हम वजस चीज का उपयोग करत ह वह

जीववत रहती ह और वजसका उपयोग नही करत वह मर जाती ह

इसवलए कभी-कभी जब सववधा बन िदर स छटन की तो छट जाना वशय स छटन की तो छट जाना

जब सववधा वमल तो कम स कम--बराहमण दर--कम स कम िोड़ी दर को कषवतरय होना सकलप को जगाना और

कभी-कभी मौक जब आ जाए वचतत परसि हो परमददत हो परफवललत हो तो कभी-कभी कषणभर को बराहमण हो

जाना सब समरपमत कर दना लट जाना पथवी पर चारो हाि-पर फलाकर जस वमटटी म वमल गए एक हो गए

झक जाना सरज क सामन या वकषो क सामन झकना मलयवान ह कहा झकत हो इसस कछ मतलब नही ह

उसी झकन म िोड़ी दर क वलए बरहम का आववभामव होगा

ऐस धीर-धीर धीर-धीर अनभवत बढ़ती चली जाए तो हर वयवि अततः मरत-मरत बराहमण हो जाता

जनम तो िदर की तरह हआ ह धयान रखना मरत समय बराहमण कम स कम हो जाना मगर एकदम मत

सोचना दक हो सकोग

कई लोग ऐसा सोचत ह दक बस आवखरी घड़ी म हो जाएग वजसन सजदगीभर अभयास नही दकया वह

मरत वि आवखरी घड़ी म रवडयो टटोलगा सटिन नही लगगा दफर पता ही नही होगा दक कहा ह और मौत

इतनी अचानक आती ह दक सववधा नही दती पहल स खबर नही भजती दक कल आन वाली ह अचानक आ

जाती ह आयी दक आयी दक तम गए एक कषण नही लगता उस घड़ी म तम सोचो दक राम को याद कर लग

तो तम गलती म हो तमन अगर सजदगीभर कछ और याद दकया ह तो उसकी ही याद आएगी

इसवलए तयारी करत रहो साधत रहो जब सववधा वमल जाए बराहमण होन का मजा लो उसस बड़ा

कोई मजा नही ह वही आनद की चरम सीमा ह

142

चौिा परशनः आप गाधीवाद की आलोचना करत ह लदकन कया गाधीवाद का सादगी का वसदधात सही

नही ह

वसदधात कोई सही नही होत सादगी सही ह वसदधात सही नही ह फकम कया होगा

जब भी तम वसदधात क कारण कोई चीज साधत हो वह सादी तो हो ही नही सकती वसदधात क कारण

ही जरटल हो जाती ह वसदधात स पाखड पदा होता ह सादगी पदा नही होती

इसवलए गाधी न वजतन पाखडी इस दि म पदा दकए दकसी और न नही और वजनको तम जानत हो

उनकी म बात नही कर रहा ह वजनको तम जानत हो दक हा य पाखडी ह म उनकी तमस बात करना चाहगा

वजनको तम जानत नही दक पाखडी ह व भी पाखडी ह वजनको वबलकल तयाग की और सादगी की परवतमा

समझा जाता ह व भी पाखडी ह

उदाहरण क वलए डाकटर राजदर परसाद को लो अब उनस सादा आदमी कौन वमलगा एकदम साद

आदमी ह और गाधी क वनकटतम अनयावययो म स ह इसवलए तो गाधी न उनह भारत क परिम राषटरपवत होन

क वलए चना नहर की इछा नही िी नहर तो राजगोपालाचारी को चाहत ि नहर तो चाहत ि दक कोई

आदमी जो कटनीवत समझता हो नहर का मन राजदर परसाद क वलए नही िा लदकन गाधी वजदद पर ि दक

राजदर परसाद तो राजदर परसाद परिम राषटरपवत बन

तमह पता ह पहला काम राजदर परसाद न कया दकया राषटरपवत भवन म जाकर सजदगीभर गाधी क पास

बठकर मतर दोहराया--अललाह ईशवर तर नाम सबको सनमवत द भगवान और पहला काम कया दकया तमह

पता ह राषटरपवत भवन म वजतन मसलमान नौकर ि सब अलग कर ददए यह गाधीवादी सादगी ह

य बात वलखी नही जाती कयोदक यहा तो परिसा चलती ह बस परिसा का वहसाब ह अब य बात खबर

दती ह आदमी की असवलयत का कयो मसलमान नौकर अलग कर ददए गए मसलमान नौकर अलग दकए गए

और उनकी जगह बलाए कौन गए राषटरपवत भवन म बदरो क आन की मनाही िी और उनको वसपाही भगा

दत ि कयोदक बदर उपदरव करत कद-फाद मचात

अब य राजदर परसाद तो िदध सहदवाद इनक भीतर ह हनमान जी क तो विषय ह य बदर उनकी

सतान दसरा काम उनहोन जो दकया बड़ा महान कायम वह यह दक बदरो को कोई रोक नही सकता बदर

राषटरपवत भवन म मज स घमन लग बचचो पर हमला करन लग वसतरयो पर हमला करन लग और एक ददन तो

व नहर क कमर म भी घस गए बामवशकल उनको वनकाला जा सका और जात-जात एक बदर नहर का एक

पपरवट जो दकसी न भट दकया िा वह ल गया नहर न वसर पर हाि मार वलया और कहा यह राजदर बाब

की करतत

तम जानकर हरान होओग दक राजदर बाब यह भी चाहत ि ववधान सभा क भी व अधयकष ि उसम भी

उनहोन दो दान दकए ववधान को भारत को जो उनहोन ववधान ददया उसम जो ववधान पररषद का अधयकष िा

उसकी दन दो एकः गौ माता और दसरा बदर व चाहत ि वह सवीकार नही हआ गौ माता की रकषा होनी

चावहए--यह भारत का असली सवाल और यहा कोई सवाल नही ह

दवनया हसती ह इस दि की मढ़ता पर यहा इतन बड़ सवाल खड़ ह और वजस आदमी को ववधान

पररषद का अधयकष बनाया उसकी खोपड़ी म कल इतना आया य दो बातः दक एक तो गौ माता की रकषा

होनी चावहए और दसर हनमान क विज बदरो की रकषा होनी चावहए

143

गौ माता को तो दकसी तरह दसरो न भी कहा दक चलो ठीक ह रख लो इनका आगरह मगर बदर तो

जरा बदामशत क बाहर ह अछा हआ दक उनहोन बदर को ववधान म नही जगह दी नही तो दवनया और हसती

वस ही हम पर हसती ह

राजदर परसाद की सादगी की बड़ी चचाम की जाती ह दक व राषटरपवत भवन म भी रह लदकन ऐस रह जस

दक गरीब आदमी को रहना चावहए मन उनका कमरा दखा जहा व राषटरपवत भवन म रह उनहोन कया दकया

िा उसम चारो तरफ चटाई चढ़वा दी िी अदर सगमरमर की दीवालो पर चटाई लगवा दी महल क भीतर

झोपड़ा बना वलया अब मज स उसम रहन लग यह सादगी

तमह झोपड़ म रहना हो तो झोपड़ो की कोई कमी ह इस दि म दफर राषटरपवत भवन म दकसवलए रह

रह हो लदकन आदमी बहत पाखडी ह रहना तो महल म ह मगर झोपड़ म रहन की सादगी भी नही छोड़ी

जाती

और इसकी भी परिसा की जाती ह दक कसी अदभत सादगी

तम जानकर हरान होओग दक जो सववधाए गवनमर जनरल और वायसराय को वमलती िी वही सब

राषटरपवत को वमली िी उसम सबस बड़ी सववधा िीः हजारो रपय महीन मनोरजन पर राषटरपवत खचम कर

सकता िा लदकन राषटरपवत राजदर परसाद न दो सौ ढाई सौ रपय महीन स जयादा कभी मनोरजन पर खचम नही

दकया तो अखबारो म खबर वनकली िी तब--दक कसी सादगी जब हजारो रपय खचम करन की सववधा ह तब

भी दो-ढाई सौ रपय खचम दकए मनोरजन पर इसको कहत ह गाधीवादी सादगी

लदकन असवलयत का तमह पता ह असवलयत का पता कभी अखबारो तक नही आ पाता कयोदक जो

लोग िवि म होत ह अखबार उनका गणगान करन म लग रहत ह असवलयत यह िी दक उनहोन जो हजारो

रपय मनोरजन पर खचम करन ि मनोरजन पर तो दो-ढाई सौ रपय महीन खचम दकए व हजारो रपय उनहोन

अपन नाती-पोतो क नाम कर ददए--जो दक वबलकल गर-काननी ह वह मनोरजन पर खचम होन क वलए िी

सपवतत अवतवि आत ह राषटरपवत क उनक सवागत-सतकार म खचम होती उसम तो खचम नही की नाती-पोतो क

नाम कर ददया

सालभर बाद नहर को पता चला व तो चदकत हो गए दक यह तो हदद हो गयी यह तो वबलकल गर-

काननी ह लदकन अखबारो तक खबर यही पहची दक कसी सादगी दो-ढाई सौ रपय महीन खचम दकए जब दक

करन की सववधा हजारो िी व सब हजारो रपय नाती-पोतो क नाम बक म चल गए इसकी कोई चचाम नही

उठती

वसदधातवादी सादगी ऐसी ही चालाक होती ह ऊपर-ऊपर होती ह

नहर को जाकर समझाना पड़ा राजदर परसाद को दक यह तो बात वबलकल ही गलत ह यह तो दकसी

वायसराय न कभी नही की मनोरजन पर खचम करत--ठीक िा उस पर तो खचाम आपन दकया नही ठीक ह

नही करना ह तो मत कररए मगर यह तो हदद हो गयी बात की यह दकस वहसाब स आपक नाती-पोतो क पास

पहच गया पसा यह अब दबारा नही होना चावहए

कहत ह दक राजदर परसाद इसक वलए कई ददन तक नहर पर नाराज रह कयोदक वह नाती-पोतो की जो

बक म िली बड़ी होती जाती िी वह बद हो गयी

अब तम कया कहोग यह सादगी की वजह स दो-ढाई सौ रपया खचम दकया िा यह बचान क वलए यह

कजसी िी और यह चोरी भी िी यह गाधीवादी सादगी ह

144

वसदधात स सादगी जब भी आएगी चालबाज होगी चालाक होगी

तमन िायद सरोवजनी नायड का परवसदध वचन न सना हो सरोवजनी नायड गाधी क वनकटतम लोगो म

एक िी अतयत आतमीय लोगो म एक िी एक वचन बहत परवसदध ह सरोवजनी नायड का--दक लोगो को पता

नही ह दक इस बढ़ आदमी को गरीब रखन क वलए हम दकतना खचम करना पड़ता ह

गाधी की गरीबी बड़ी महगी गरीबी िी व दध तो बकरी का पीत ि लदकन बकरी का भोजन तमह पता

ह काज-दकिवमि ऊपर स ददखता ह बकरी का दध पीत ह बचार व चलत तो िडम कलास रल क डबब म ि

लदकन परा डबबा उनक वलए ररजवम होता िा इसस फसटम कलास म चलना ससता ह जहा सततर आदमी चलत

वहा एक आदमी चल रहा ह यह सततर गना खचम हो गया िडम कलास स फसटम कलास म चार गना फकम होगा

यह सादगी-वादगी नही ह यह बड़ा होवियार वहसाब ह यह सब वसदधात की बातचीत ह इन वसदधातो

क कारण ऊपर स चीज और ददखायी पड़ती ह भीतर कछ और होती ह

सरोवजनी नायड न सही कहा ह सरोवजनी नायड न कहा ह दक अमीर स अमीर आदमी वजतना खचम

कर गाधी की गरीबी पर उसस जयादा खचम करना पड़ता ह वह गरीबी महगी ह

म तमस सादगी को तो वनवशचत ही कहगा दक अदभत बात ह सादगी लदकन सादगी सादी होनी चावहए

सादगी चालबाज गवणत और तकम और वसदधात पर खड़ी नही होनी चावहए नही तो महगी हो जाएगी

दफर यह भी हो सकता ह दक सादगी आरिमक रप स महगी न हो लदकन अगर तमहार भीतर दकसी

गवणत पर खड़ी ह तो सादगी दफर भी नही हो सकती जस जन मवन की सादगी सादगी नही ह कयोदक वह

यह सोच रहा ह दक इस तरह साद रहन स ही मोकष क सख वमलग

यह कोई सादगी न हई यह तो सौदा हआ सादगी कहा हई यह आदमी सादा रहन म आनददत नही ह

सादगी म इसका आनद नही ह सादगी तो वसफम कछ ददन की बात ह दफर तो सवगम म मजा लना ह जन-िासतर

कहत हः मोकष-रमणी का भोग करना ह मोकष-रमणी मोकष म परम पद पर ववराजमान होना ह इसवलए

सादगी चल रही ह इसको तम सादगी कहोग

म उसको सादगी कहता ह वजसका आनद उसम ही हो तमह आनददत लगता ह नगन होना कोई आग का

मोकष नही आग का मोकष तो ववणक का वहसाब ह मन का वहसाब ह--और और तमह नगन होना अछा लगता

तो म तमस यह कहना चाहता ह--तमह बहत चौक होगी इस बात स--दक अमरीका क समदर तटो पर

अगर कोई नगन सनान कर रहा ह वह जयादा सादा ह बजाय तमहार नगन ददगबर मवन क कयो कयोदक वह

नगनता म आनद ल रहा ह और तमहारा जन मवन नगनता म वसफम पणय कमा रहा ह तादक आग मोकष म जाकर

आनद ल इसक भीतर जाल ह गवणत का वह जो अमरीका क समदर तट पर नहान वाला परष या सतरी नगन

होकर आनद ल रहा ह धप का समदर की लहरो का हवा का--वह जयादा सादा ह वह जयादा सीधा ह वह

जयादा साध ह

तमह मरी बात अड़चन म डाल दती ह कयोदक तमहार पास बधी हई धारणाए ह तम कहत होः यह तो

हदद हो गयी तो आप य जो नगन कलब ह पवशचम म इनकी सादगी को जयादा मानत ह बजाय बचार ददगबर

मवन की इतनी कठोर तपशचयाम क

कठोर तपशचयाम ह इसीवलए सादा नही मानता उसक पीछ वहसाब ह

145

वह जो नगा दौड़ रहा ह वकषो क साि खल रहा ह पिओ क साि सादा ह छोट बचच जसा ह

सादगी होनी चावहए छोट बचच जसी

भतीजा बोलाः चाची जी जनमददवस पर आपन जो भट दी िी उसक वलए बहत-बहत धनयवाद

चाची जी न कहाः बट उसम धनयवाद की कया बात ह

भतीज न कहाः वस मरी भी यही राय ह लदकन मममी न कहा दफर भी धनयवाद तो दना ही चावहए

यह सादगी यह सीधा-सादापन ह

रावतर क भोजन क समय घर आए ववविषट महमानो क साि मजबान दपवतत भी अपन आठ वषीय पतर क

साि भोजन कर रह ि दक उनक पतर न कमीज की बाह स अपनी नाक पोछी

सबह नाशत क समय मन तमस कछ कहा िा बट याद ह न मजबान मवहला न बचच का धयान नाक

पोछन क गलत तरीक की ओर ददलाया

हा मममी याद ह बचच न कहा

कया कहा िा मममी न पछा

बचचा महमानो की ओर दखत हए बोलाः आपन कहा िा दक इन कमबखतो को भी आज ही मरना िा

यह सादगी इसम कोई गवणत नही कोई वहसाब नही जसा ह वसा ह

सादगी होनी चावहए छोट बचचो जसी और ऐसी सादगी ही साधता ह जब तम वस ही हो बाहर जस

तम भीतर हो

अब यह हो सकता ह दक माता जी गाधीवादी रही हो तो महमानो का तो सवागत दकया होगा महमानो

का लोग सवागत करत ह दक भल आए धनयभाग दकतन ददन राह ददखायी आख िक गयी पलक-पावड़

वबछाए रह आओ पधारो और सबह कहा हो बट क सामन दक इन कमबखतो को भी आज ही मरना िा

जस-जस तम बड़ होत हो तम चालबाज होत जात हो उसी चालबाजी म सादगी खो जाती ह और

सादगी का बड़ा अदभत आनद ह लदकन म यह नही कह रहा ह दक सादगी स सवगम वमलगा म कह रहा हः

सादगी सवगम ह

गाधी की सादगी सादगी नही ह बहत नपा-तला राजनवतक कदम ह नपा-तला गाधी का महातमापन

नपा-तला कटनीवतक कदम ह

म वसदधातो का पकषपाती नही ह जीवन जसा ह उस जीओ उस वनषकपट भाव स जीओ उस भववषय

की आकाकषा स नही उस अतीत की आदत स नही उस कछ पान क हत स नही--जसा ह उस चपचाप जीओ

िायद दवनया तमह महातमा न भी कह कयोदक महातमा धोखबाजो को कहती ह दवनया िायद दवनया

तमह महातमा न कह कयोदक तम पाखडी नही होओग पाखवडयो को महातमा कहती ह दवनया िायद दवनया

तमह वगन ही नही दकसी वगनती म मगर वगनवाना ही कया ह वगनवाना कयो

तम वही कहो जो तमहार हदय म उठता ह और तम वस ही जीयो जसा तमहार हदय म उठता ह ऐसी

बचचो जसी सादगी म वसदधात नही होता सादगी का

एक मवहला न मझ कहा दक वह कषणमरतम क एक विववर म भाग लन हालड गयी साझ का वि िा वह

बाजार म घमन वनकली िी दक बड़ी हरान हो गयी आधयावतमक मवहला ह अब तो कई लोग उस मवहला क

विषय भी ह उस तो बड़ा धकका लगा धकका इस बात स लगा दक कषणमरतम एक कपड़ो की दकान म टाई खरीद

रह ि अब महातमा और टाई खरीद यह तो भारतीय-बवदध को जच ही नही सकता और न कवल टाई खरीद

146

रह ि बवलक उनहोन सारी दकान की टाई वबखर रखी िी य नही जच रही य नही जच रही--गल स लगा-

लगाकर सबको दख रह ि

वह मवहला िोड़ी दर खड़ी दखती रही उसका तो सारा भरम टट गया दक यह आदमी तो वबलकल

सासाररक आदमी ह सासाररको स भी गया-बीता ह उसन तो विववर म--विववर क वलए ही हालड गयी िी--

वबना भाग वलए वापस लौट आयी

वापस लौटी िी ताजी ही करदध मझस वमलना हो गया उसन कहा दक हदद हो गयी आप कषणमरतम की

ऐसी परिसा करत ह मन अपनी आख स जो दखा ह वह आपस कहती ह--दक व एक टाई की दकान पर टाई

खरीद रह ि और न कवल खरीद रह ि उनहोन सारी टाई फला रखी िी और वबलकल तललीन ि म खड़ी

रही वहा पदरह वमनट व वबलकल लीन ि

मन कहाः व सरल ह मगर यह सादगी महातमा गाधी वाली सादगी नही ह--वह मवहला महातमा गाधी

की भि ह--यह सरलता ह

मन उस मवहला को कहाः तम इतना तो मानोगी दक कषणमरतम म उतनी तो बवदध होगी ही वजतनी तमम

ह इतना तो मानती हो उनको भी घर स चलत वि यह खयाल आ सकता िा दक म इतना परवतवित जञानी

परबदध परष टाई खरीदन जाऊगा लोग कया सोचग और अगर रक गए होत तो वह चालबाजी होती वह

पाखड होता दफर उस दकान म भर बाजार म खड़ ि कोई चोर की तरह कही दकसी समगलर क घर म घसकर

तो टाई नही खरीद रह ि बीच बाजार म खरीद रह ि छोटा सा गाव वहा कम स कम छह हजार लोग इकटठ

हए ि कषणमरतम को सनन व सब वही ि गाव म इन सब भिो क सामन खरीद रह ि इतना खयाल नही

आया होगा दक यहा छह हजार मर भि ठहर ह लोग दखग तो कया कहग दक म टाई खरीद रहा ह घर भी

बला ल सकत ि बद दरवाजा करक टाई चन ल सकत ि उधर आईना भी होता सववधा भी होती भि भी

न खोत कोई नकसान भी न होता मगर यह न दकया सरलता सादगी

और यह जो तललीनता छोट बचच की तरह जस छोटा बचचा वखलौनो म खो जाए ऐस टाई म खो गए

यह सहजता और त वापस लौट आयी त नदी क दकनार स वापस लौट आयी

त महातमा गाधी की सादगी जानती ह वही अड़चन ह वह नपी-तली सादगी िी गाधी एक-एक काम

करत ि तो नपा-तला करत ि उसका पररणाम कया होगा यह सोचकर करत ि यह सादगी नही ह जहा

पररणाम का वहसाब ह कया कह कौन स िबद का उपयोग कर पतर कसा वलखा जाए कया वलखा जाए

इस पर भारी ववचार करत ि कई दफा पतर को सधारत ि बदलत ि जो विवय द दत ि उसम भी बदलाहट

कर लत ि

उनक एक भि सवामी आनद न मझ कहा एक रात मर पास रक गए दफर तो मझस इतना घबड़ा

गए दक दफर कभी आए नही उनहोन कहा दक ऐसी ही बात चली व गाधी क परान भि िर-िर गाधी

जब भारत आए तब स उनक साि ि तो उनहोन मझस कहा दक मझ पर तो ऐसी छाप पहल ही ददन पड़ गयी

गाधी की दक उनका हो गया सदा क वलए मन कहाः हआ कया

गाधी अफीका स आए ि और अहमदाबाद म पहली दफा बोल और उनहोन अगरजो को गावलया दी

लचच लफग--इस तरह क कछ िबद उपयोग दकए होग और म ररपोटमर िा दकसी पतर का तो मन सोचाः य

िबद दन ठीक नही ह कयोदक इसस गाधी की परवतिा को नकसान पड़गा तो मन व सब िबद अलग कर ददए

और विवय ठीक साफ-सिरा करक छापा

147

दसर ददन गाधी न मझ बलाया मर कध को ठोका और कहाः पतरकार तम जसा होना चावहए यही

पतरकाररता ह अब मझस जो वनकल गया िा करोध म उसको छापन की कोई जररत ही नही िी तमन ठीक

दकया इतना बोध होना चावहए पतरकार को

बोलन वाल को बोध नही ह पतरकार को बोध होना चावहए

और सवभावतः सवामी आनद का ददल गदगद हो गया--जब उनहोन कधा ठोका और कहा दक तम महान

पतरकार हो

मन कहाः तमन कभी दसरा काम दकया उनहोन कहाः कया दक गाधी न गाली न दी हो और तमन

गाली जोड़ दी होती कयोदक पहली बात भी गलत ह उतनी ही गलत वजतनी दसरी गलत ह जो कहा िा

वह वसा का वसा छपना चावहए िा यह तो तमन झठ दकया इसम स तमन गावलया वनकाल दी गाधी खि

हए गावलया जोड़ दत तो गाधी नाराज होत गाधी न बहोिी की

यह सादगी नही ह यह नपी-तली राजनीवत ह और तम परभाववत हो गए कयोदक तमह बहत तमहार

अहकार को बड़ी तवि वमली दक गाधी जस वयवि न और कहा दक तम महान पतरकार हो ऐसा ही पतरकार

होना चावहए दफर तम उनक भि हो गए दफर तमन इसी तरह की काट-छाट सजदगीभर की होगी

उनहोन कहाः बात तो ठीक ह

दफर दबारा मझ नही वमल दफर मझस नाराज हो गए होग कयोदक मन सीधी बात कह दी जसी िी

वसी की वसी कह दी दक तमहार अहकार को गाधी न मकखन लगा ददया उनहोन तमह खरीद वलया म अगर

उनकी जगह होता तो म तमस कहता दक तम ठीक पतरकार नही हो कयोदक मन जो गावलया दी िी उनका

कया हआ

इस तरह झठी परवतमाए खड़ी होती ह अब दवनया कभी नही जानगी दक गाधी न गावलया दी िी अब

गाधी की जो परवतमा लोगो की नजर म रहगी वह झठी परवतमा होगी

गाधी न तो ऐस ही कहा होगा--गजराती ि इसस जयादा वजनी गाली द नही सकत--लदकन रामकषण

तो मा-बहन की गाली दत ि मगर दकताबो म उललख नही ह मगर व सीध-साद आदमी ि गाव क जस

आदमी होत ह दकताब नही वलखती उनको कयोदक दकताब कस वलख उनको नही तो परमहस का कया होगा

लदकन म तमस कहता ह दक व गाली दन क कारण ही परमहस ि सरल ि अब जो आदमी उनको जसा

लगा उसको उनहोन वसा ही कहा उसम दफर रततीभर फकम नही दकया व पररषकत साध नही ि--परमहस ि

मयामददत साध नही ि--परमहस ि अब कोई आदमी चोर ह तो उसको उनहोन चोर कहा और कोई आदमी

उनक सामन बठा िा और पास म बठी वसतरयो को दख रहा िा तो उसको उनहोन गदी गाली दी उसको उनहोन

कहा दक त जो कर रहा ह

म इसको सरलता कहता ह सादगी कहता ह म तमस यह नही कह रहा ह दक तम गावलया दना िर

कर दो कयोदक वह तो दफर नपी-तली बात होगी अब परमहस होन लग इसवलए गावलया दन लगो दक इसस

परमहस हो जाएग तो दफर चक गए दफर सादगी स चक गए

म तमस इतनी ही बात कह रहा ह दक जसा ह सरलता स तम जस हो अछ-बर गोर-काल ऐसा

ही खोल दो अपन को इसस अनयिा ददखलान की चषटा नही होनी चावहए म जसा ह दवनया मझ वसा ही

जान इसका नाम सादगी

सादगी गर-नपी-तली दिा ह वसदधात का उसस कछ लना-दना नही ह

148

पाचवा परशनः म आपस कछ भी पछत डरता ह कयोदक लोग अगर मर परशन सनग तो हसग

जब परशन ही पछन की वहममत नही तो उततर कस झल पाओग और पछोग नही तो उततर कस पाओग

और लोग हसग तो हसन दो इतनी सादगी तो जीवन म लाओ

परशन तमहार भीतर ह जसा भी ह लोग हसग ही न तो हसन दो म तमस कहता हः जो समझदार ह

व समझग जो नासमझ ह व हसग लाओतस का परवसदध वचन ह दक जो समझदार ह व समझग जो नासमझ

ह व हसग

कयो समझदार कयो समझगा कयोदक समझदार समझगा दक यह परशन तमहारा ही िोड़ ही ह उसका

भी ह वह भी नही पछ पाया ह वह भी रोक रखा बठा रहा ह वह तो तमह धनयवाद दगा दक जो म नही पछ

सका तमन पछ वलया म डरा रहा तमन पछ वलया

जो नासमझ ह मढ़ ह वही हसगा कयोदक मढ़ को यह पता नही ह दक यही परशन उसका भी ह आदमी

आदमी क परशनो म बहत भद िोड़ ही ह आदमी आदमी की तकलीफो म परिावनयो म भद िोड़ ही ह

कया तम पछ सकत हो जो दसर आदमी का सवाल नही होगा मन हजारो सवालो क जवाब ददए ह

मन हर सवाल को हर आदमी का सवाल समझा ह अब तक मझ ऐसा कभी नही ददखायी पड़ा दक यह सवाल

दकसी एक का ववविषट ह मवशकल ह सभव ही नही ह

कया पछोग एक स तो रोग ह काम ह लोभ ह करोध ह मोह ह एक स तो रोग ह तो एक स ही परशन

होग िोड़ा मातराओ का भद होगा दकसी म लोभ की मातरा िोड़ी जयादा और दकसी म करोध की मातरा िोड़ी

कम और दकसी म मोह की मातरा िोड़ी जयादा और दकसी म राग की मातरा िोड़ी कम य मातराओ क भद ह

मगर मौवलक भद कहा होग मौवलक भद होत ही नही आदमी आदमी सब एक जस ह और जब तम दकसी

दसर का परशन सनत हो तो खयाल करना दकसी न दकसी अिो म यह तमहारा परशन भी ह

तो जो समझदार ह व समझग और तमह धनयवाद दग और जो नासमझ ह नासमझो का कया

हसन दो एक समझदार भी समझ ल तो काफी ह और हजार नासमझ हसत रह तो दकसी मलय क नही ह

और तम अगर ऐस डर तो बड़ी मवशकल म पड़ोग तमहारी हालत तो ऐसी हो जाएगी कल म एक गीत

पढ़ता िा--

जो मझ प बीती ह

उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

जो दख उठाए ह

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

म दसरो की वलखी हई दकताबो म

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

ऐसी सतरो को म वमटाता ह

रौिनाई स काट दता ह

149

मझको लगता ह दक लोग उनको अगर पढ़ग

तो राह चलत म टोककर मझस जान कया पछन लगग

मतलब समझ यह आदमी कह रहा ह दक जो मझ प बीती ह उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

उसका वववरण बयौरा म दकसी को न बता सकगा मझ पर ऐसा बीता लदकन तम समझो जो तम पर बीता

ह वह हजारो पर बीता ह जो तम पर बीता ह वह हजारो पर बीत रहा ह तम वभि नही हो तम कोई दवीप

नही हो अलग-िलग तम सयि हो

जो मझ प बीती ह

उसकी तफसील म दकसी स न कह सकगा

जो दख उठाए ह

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

मझम िवि नही ह दखो की और अपराधो की जो मन दकए ह

सब और भी ऐस ही कमजोर ह तमन ही अपराध दकए ह ऐसा नही सब न अपराध दकए ह यहा

कौन ह जो अपराधी नही ह तमन ही पाप दकए ह ऐसा नही यहा सब न पाप दकए ह यहा कौन ह जो पापी

नही ह पाप स ऊपर उठना ह पाप क पार जाना ह लदकन कौन ह जो पापी नही ह

परानी कहावत ह दक हर पणयातमा कभी पापी रहा ह और हर पापी कभी पणयातमा हो जाएगा सत का

अतीत ह पापी का भववषय ह मगर भद कया ह

इसवलए जो पहच ह उनहोन कभी तमहारी दकसी एक बात पर भी तमहारी सनदा नही की कयोदक व

जानत ह दक यही भल उनस भी हई इनही गडढो म व भी वगर ह और जब तक तमह ऐसा कोई करणावान न

वमल जाए तब तक जाननाः गर नही वमला

अगर तम दकसी क सामन जाकर कहो दक म कया कर मर मन म चोरी का सवाल उठता ह और वह

आदमी एकदम डडा उठा ल--दक तम महापापी हो नकम म सड़ोग तो तम समझ लना दक इस आदमी म अभी

अनभव ही नही ह इस करणा ही नही ह इस याद ही नही ह या िायद इस याद ह और दबा रहा ह--दक

इसन भी यही सोचा ह दक इसन भी इसी तरह क ववचारो को कभी अपन मन म सजोया ह

और इसका डडा उठाना यह बता रहा ह दक य ववचार इसक भीतर अभी भी सजदा ह वमट नही ह यह

डडा तमहार वलए नही उठा रहा ह यह डडा अपन वलए उठा रहा ह यह असल म यह कह रहा ह दक मत छड़ो

मझ मत उकसाओ मझ दकसी तरह राख जम गयी ह अगार पर मत फक मारो अनयिा मरी राख उड़ गयी

तो यह अगारा मर भीतर भी ह तम जाओ यहा स नकम जाओ तम कही भी जाओ मगर यहा मत आओ यह

कहा की बात ल आए

जब कोई सत तमहारी सनदा कर तो समझ लना दक अभी सत का जनम नही हआ ह सत वही ह जो

तमह सवीकार कर तमहार गहनतम अपराधो म भी सवीकार कर तमहारा गहनतम अपराध भी सत क मन म

तमहार परवत सनदा न लाए तो ही सत ह जो समझ जो कह दक ठीक ह यही तो मन भी दकया ह यही तो

मझस भी हआ ह घबड़ाओ मत जो तमस हो रहा ह वह मझस हआ ह और जो मझस हो रहा ह वह तमस

भी हो सकता ह कयोदक हम दोनो अलग नही ह जो मरा अतीत ह वह तमहारा भववषय ह हम सयि ह हम

अलग नही ह हम एक-दसर स बयौरा ल-द सकत ह

150

वजन गनाहो का बोझ सीन म ल क दफरता ह

उनको कहन का मझम यारा नही ह

तो िवि जटाओ िवि वबना जटाए कछ भी न होगा

म दसरो की वलखी हई दकताबो म

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

और कही अगर दकसी उपनयास को पढ़त वि--यह आदमी कह रहा ह--मझ अगर ऐसी कोई बात वमल

जाती ह वजसम मरी झलक आती ह तो म डरता ह दक कही कोई पढ़कर यह समझ न ल दक यह इस आदमी क

बाबत ह

दासता अपनी ढढता ह

जहा-जहा सरगजशत मरी ह

ऐसी सतरो को म वमटाता ह

रौिनाई स काट दता ह

मझको लगता ह दक लोग उनको अगर पढ़ग

तो राह चलत म टोककर मझस जान कया पछन लगग

लोगो का भय खतरनाक ह इसी स पकषाघात पदा हो जाता ह इसी स तमह लकवा मार जाता ह

यहा तम दफकर छोड़ो कयोदक यहा मर पास पयार लोग इकटठ ह ऐस लोग इकटठ ह जो समझग ऐस लोग

इकटठ ह वजनको तम पर सनदा का खयाल न आएगा जो तमह धनयवाद दग जो कहगः हमारी बात तमन कह

दी हम वछपाए बठ ि हमारा घाव तमन खोल ददया तमहार घाव क खोलन क बहान हम भी औषवध का पता

चला

यहा मर पास परान ढग क महातमा साध-सत नही ह यहा एक नए ढग का मनषय जनम ल रहा ह एक

नया सनयास पदा हो रहा ह यहा तम भय छोड़ सकत हो

हा तमस म कहगा दक दकसी जन मवन क सामन जाकर मत कहना दकसी िकराचायम क सामन जाकर

मत कहना वहा तमहारी भयकर सनदा होगी वहा ऐसी छोटी-छोटी बातो पर सनदा हो जाती ह वजसका

वहसाब नही ह

मन सनाः परी क िकराचायम ददलली म ठहर हए ि और एक आदमी न खड़ होकर उनस वजजञासा की दक

म खोजी ह मगर ईशवर पर मझ भरोसा नही आता ववशवास नही होता मझ भरोसा ददलवाइए कछ ऐसा

परमाण दीवजए दक ईशवर ह

और पता ह िकराचायम न कया कहा िकराचायम न उस आदमी की तरफ करोध स दखा और पछा दक

तमन पतलन कयो पहन रखी ह

वह बचारा ईशवर की वजजञासा कर रहा ह व पछत हः तमन पतलन कयो पहन रखी ह और वहा बठ

होग चटयाधारी और भी लोग कयोदक परी क िकराचायम क पास और कौन जाएगा मढ़ो की जमात होगी

वहा व सब हसन लग और यह बचारा एकदम दीन-हीन हो गया पतलन पहन हए खड़ा हआ ह होगा ददलली

क दकसी दफतर म कलकम

तमन पतलन कयो पहन रखी ह भारतीय ससकवत का कया हआ तमहारी चोटी कहा ह

151

वह बचारा ईशवर का परमाण लन आया ह अब उसकी चोटी भी नही ह गया नकम म गया काम स और

पतलन पहन रखी ह

और दफर बात यही खतम नही हो गयी व लोग और हसन लग वह तो िोड़ा सचता म पड़ गया होगा

दक यह म कसा परशन पछ बठा यहा चार आदमी क सामन फजीहत हो गयी

जो उनहोन और आग बात की वह तो बहत गजब की ह--बरहम-जञान की उनहोन कहा दक तम पतलन ही

पहनकर पिाब भी करत हो तो तम अिदध हो खड़ होकर पिाब करत हो कयोदक पतलन पहन हो तो

बठकर कस करोग

यह बरहम-जञान चल रहा ह और व सार लोग हसन लग उस आदमी की तरफ दकसी का खयाल नही ह

और उसन एक ऐसी बात पछी िी जो सभी क भीतर ह

और यह मन िकराचायम की पवतरका म ही पढ़ा तो मतलब वजसन छापा ह व िकराचायम की पवतरका

वाल लोग इसको बड़ गौरव स छाप ह दक दखो िकराचायम न कसा नावसतक को ठीक दकया

दकसी को ठीक कर रह हो दक दकसी को सहारा दना ह और जो आदमी ऐसी बात कह रहा ह यह

िकराचायम इसस ऊचाई पर नही हो सकता इसस जयादा ऊचाई पर नही हो सकता

इस आदमी क अपमान म परी मनषय जावत का अपमान कर ददया गया और जो आदमी यह कर रहा ह

वह गहन परकार स दभ का रोगी ह

इनही िकराचायम क साि एक दफा पटना म मरा वमलना हो गया--एक ही मच पर मतरय जी तमह परी

कहानी बता सक ग सयोजको न मझ भी बला वलया उनको भी बला वलया उनहोन मझ दखत ही स सयोजको

को कहा दक अगर य सजजन यहा बोलग तो म यहा नही बोल सकता

अब सयोजक बड़ी मवशकल म पड़ गए दक अब करना कया अड़चन खड़ी हो गयी मझ वनमवतरत दकया

ह दर स मझ बलाया ह और य कहत ह दक अगर म बोला तो व नही बोलग

मन सयोजको को कहा दक उनको कहो दक पहल म बोल दता ह दफर पीछ व बोल और ददल भरकर जो

आलोचना करनी हो वह कर ल यह बात उनह जची

दफर व मवशकल म पड़ गए व तो इतन करोध म आ गए दक आलोचना करना तो मवशकल ही हो गया

आलोचना क वलए भी तो िोड़ी िावत तो चावहए व तो एकदम जवरगरसत हो गए व तो सविपात म हो गए

तो कछ का कछ बकन लग बढ़ आदमी इतना जोि-खरोि पर वखसक गया मच स वगर गए

इस तरह क महातमाओ क पास जाओ तो तमहारा कहना ठीक ह डरना पहल तो जाना ही मत चल

जाओ तो ददल की मत कहना वहा झठ परशन पछना वहा अगर शरदधा न हो तो कहनाः बड़ी शरदधा ह भीतर--तो

ठीक होगा नावसतक हो तो कहनाः आवसतक ह चोटी न भी हो तो भी टोपी लगाकर जाना और कहना दक

चोटी ह और पतलन भी पहन हो तो ऊपर स धोती पहन लना और इसक पहल दक ऐस महातमा तमस कह

दक खड़ होकर पिाब करत हो दक बठकर तम ही बता दना दक हम बठकर ही पिाब करत ह

वहा डरना मर पास डरन की कोई भी जररत नही ह तमहारा जसा परशन हो म अगर कछ ह तो

वचदकतसक ह तम मझस अपनी बीमारी न कहोग तो कस होगा और धयान रखनाः म पि-वचदकतसक नही ह

आदवमयो का वचदकतसक ह

एक सजजन मर पास आए उनहोन कहा दक फला डाकटर बड़ा गजब का डाकटर ह उसस कहो ही मत

वह नाड़ी पर हाि रखकर सब बीमाररया बता दता ह तो मन कहा दक वह आदवमयो का डाकटर ह दक पिओ

152

का व बोलः नही आदवमयो का डाकटर ह मन कहाः आदमी तो बोल सकता ह पिओ का सवाल ह दक

नावड़यो पर हाि रखो अब पि तो बोल नही सकता तो अब नाड़ी पकड़कर दखो दक कया बीमारी ह आदमी

बोल सकता ह इसम गणवतता कया ह इसम कोई गणवतता नही ह

म चाहता ह दक तम अपनी बीमारी मझस कहो तमहार कहन म ही आधी बीमारी हल होती ह म

तमहार वबना कह भी जान सकता ह लदकन मर जानन स उतना लाभ नही होगा वजतना तम कहोग तो होगा

एक तो कहन क वलए तमन जो साहस जटाया वही बड़ी बात हो गयी कहन क वलए तमन जो भय

छोड़ा वही बड़ी बात हो गयी कहन क वलए तमन जो सोचा-ववचारा ववशलषण दकया परखा अपन भीतर--

कया ह मरा रोग--उसी म तमहारा धयान बढ़ा तमहारा होि बढ़ा

ठीक स परशन पछ लना आधा उततर पा जाना ह ठीक स अपना परशन पकड़ लना आधा उततर पा जाना ह

आधा काम तम करो आधा काम म कर कयोदक तम अगर वबलकल कछ न करो तो तमह लाभ नही होगा परा

काम अगर मझ करना पड़ तो तमह लाभ नही होगा

म तमह इिारा द सकता ह काम तमह करना ह

आवखरी परशनः

कहत ह लोग आती ह बहार भी कभी

लदकन हम वखजा क वसवा कछ नही पता

मड़त हवा क साि रह जो सदा उनह

कयो और कब कहा क वसवा कछ नही पता

मािा पकड़ क आज तक रोत रह य लोग

इनको गलत वनिा क वसवा कछ नही पता

खजर नही उठा सको तवर ही बदल लो

तमको तो महरबा क वसवा कछ नही पता

वो कया करग रोिनी घर म कभी वजनह

बझती हई िमा क वसवा कछ नही पता

जित भी कही होती ह य कहती ह दकताब

लदकन हम यहा क वसवा कछ नही पता

दकताब की मानना भी मत तमह पता चल सकता ह जित का पता लगान की जररत भी नही ह

कयोदक जित तमहार भीतर ह कही और नही जित का कोई भगोल नही ह जित का वसफम अधयातम ह

जित यहा ह--इन वकषो म इस आकाि म इन चाद-तारो म इन लोगो म--जित कही और नही ह दकताब

तमह दकसी जित की बात करती ह जो कही दर आकािो म सात आसमानो क पार ह वह जित झठी ह

वजनहोन व दकताब वलखी ह उनको भी पता नही ह

म तमह जित यहा द रहा ह इस जित को पान क वलए दकताबो म जान की जररत नही ह अपन म

जान की जररत ह तम ही हो वह दकताब वजसको तम वद म खोजत हो करान म बाइवबल म धममपद म

तम ही हो वह दकताब वजस पढ़ा जाना ह कौन पढ़गा तमहार अलावा

153

तमहार भीतर सार वद पड़ ह सार करान सार उपवनषद वछप ह जब दकसी ऋवष स उपवनषद पदा

हआ तो उसका अिम यही ह दक हर आदमी म पड़ा ह जब भी कोई जागगा उसी स उपवनषद पदा हो जाएगा

जब दकसी स वद की ऋचाए वनकली और करान की अपवम आयत आयी--व इतनी ही खबर दती ह दक हर

आदमी क अचतन गतम म यह सब पड़ा ह अगर मोहममद म उठ सका तो तम म भी उठ सकगा

म तमह तमहारी याद ददलाता ह दकसी दकताब म जान की जररत नही ह तम ही हो वह दकताब और

जित कही दर नही ह आग नही ह जित यहा ह और अभी ह जित जीवन को जीन का ढग ह नकम भी

जीवन को जीन का ढग ह एक गलत एक सही बस उतना ही भद ह

नकम का अिम होता ह दक तम इस ढग स जी रह हो दक दख पदा होता ह तम इस ढग स जी रह हो दक

सचता पदा होती ह तम इस ढग स जी रह हो दक बचनी रहती ह तम इस ढग स जी रह हो दक सखच-सखच

रहत हो

जित का अिम कया ह जित या सवगम का अिम हः तमह राज हाि लग गया तम इस ढग स जीन लग दक

सख की छाया बनी रहती ह िावत बनी रहती ह भीतर तनाव गया सचता गयी दफकर गयी भववषय गया

अतीत गया यही कषण सब कछ ह तम इसी म नाचत इसी म खात इसी म पीत इसी म सोत इसी म जागत

यह कषण सब कछ ह--वतममान अतीत जाए भववषय जाए सवगम का दवार यही खल जाता ह इस कषण म

ह सवगम का दवार

कहत ह लोग आती ह बहार भी कभी

लदकन हम वखजा क वसवा कछ नही पता

बहार बाहर स नही आती और वखजा भी बाहर स नही आती वसत भी भीतर स आता ह पतझड़ भी

भीतर स आता ह तम गलत ढग स जी रह हो इसवलए तमह पतझड़ क वसवा कछ भी पता नही ह तम ठीक स

जीयो

ठीक स जीन क दो सतर हः धयान और परम य दो जड़ ह अगर य मजबती स तमहार भीतर जम जाए

तो तम पाओग वसत आ गया वसत आया ही हआ िा वसत सदा स आया हआ ह अवसततव वसत क वसवा

और कछ जानता ही नही

आज इतना ही

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एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ उिीस परवचन

बराहमणतव क विखर--बदध

न बराहमणससतदफकच सययो

यदा वनसधो मनसो वपयवह

यतो यतो सहसमनो वनवततवत

ततो ततो सममवत एव दकख 318

न जटावह न गोततवह न जचचा होवत बराहमणो

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो 319

फक त जटावह दममध फक त अवजनसारटया

अबभनतर त गहन वावहर पररमजजवस 320

सबबसाजन छततवा यो व न पररतससवत

सगावतग ववसातत तमह बरवम बराहमण 321

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण 322

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण 323

रह दखी ह कभी रह को महसस दकया ह

जागत जीत हए दवधया कोहर स वलपटकर

सास लत हए इस कोहर को महसस दकया ह

या विकार म दकसी झील प जब रात बसर हो

और पानी क छपाको म बजा करती हो टवलया

सबदकया लती हवाओ क वह बन सन ह

चौदहवी रात क बरफाब-स इस चाद को जब

ढर-स साए जब पकड़न क वलए भागत ह

तमन सावहल प खड़ वगरज की दीवार स लगकर

अपनी गहनाई हई कोख को महसस दकया ह

वजसम सौ बार जल दफर भी वही वमटटी का ढला

155

रह इक बार जलगी तो वह कदन होगी

रह दखी ह कभी रह को महसस दकया ह

जो रह को महसस कर ल वही बराहमण ह जो इस अवसततव की अतरातमा को पहचान ल वही बराहमण

ह जो पदािम म परमातमा को दख ल वही बराहमण ह वजसक वलए सिल और सकषम एक हो जाए वही बराहमण

ह बाहर और भीतर वजसक भद न रह वही बराहमण ह

बदध न बहत-बहत सतरो म बराहमण की पररभाषा की ह बराहमण िबद परम दिा का सचक ह इसकी

सकषम वयाखया होनी जररी ह इसकी गलत वयाखया होती रही ह मन की वयाखया गलत ह--दक जनम स कोई

बराहमण होता ह महावीर की वयाखया िोड़ी ऊपर जाती ह मन स--दक कमम स कोई बराहमण होता ह बदध की

वयाखया और भी ऊपर जाती ह--आतम-अनभव स न जनम स न ऊपर क आचरण स बवलक भीतर जो वछपा ह

उसक साकषातकार स कोई बराहमण होता ह बदध ही कवल बराहमण होता ह जो जाग गया अपन म वही बराहमण

होता ह

बदध की भाषा म बराहमण और बदध पयामयवाची ह

इसक पहल दक हम सतरो म चल सतरो की पररवसिवत समझ

पहला दशयः

शरावसती नगरवासी बहत स मनषय एकतर होकर साररपतर सिववर क अनक गणो की परिसा कर रह ि

एक बदध-ववरोधी बराहमण भी यह सन रहा िा और ईषयाम और करोध स जला जा रहा िा तभी भीड़ म स दकसी

न कहाः हमार आयम ऐस सहनिील ह दक आकरोिन करन वालो या मारन वालो पर भी करोध नही करत ह यह

बात वमथया-दवषट बराहमण की आग म घी का काम कर गयी वह बोलाः उनह कोई करोवधत करना जानता ही न

होगा दखो म करोवधत करता ह

नगरवासी हस और उनहोन कहाः यदद तम उनह करोवधत कर सकत हो तो करो

वह बराहमण दोपहर म साररपतर को वभकषाटन करत दख पीछ स जाकर लात स पीठ पर मारा

लदकन सिववर न पीछ लौटकर दखा भी नही व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि सो

वस ही चलत रह उलट मन ही मन व परसि भी हए कयोदक साधारणतः ऐसी वसिवत म मन डावाडोल हो

उठ यह सवाभाववक ही ह लदकन मन नही डोला िा और धयान की जयोवत और भी विर हो उठी िी उनक

भीतर इस भावत लात मारन वाल क परवत आभार क अवतररि और कछ भी नही िा

इस घटना न अध बराहमण को तो जस आख द दी वह साररपतर क चरणो म वगर पड़ा और उनह घर ल

जाकर भोजन कराया उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक सार कलमष को बहाकर

उसकी आतमा को वनममल कर रह ि

इस तरह साररपतर क वनवमतत उस पर पहली बार बदध की दकरण पड़ी िी

लदकन वभकषओ को साररपतर का वयवहार नही जचा उनहोन भगवान स कहाः आयषमान साररपतर न

अछा नही दकया जो दक मारन वाल बराहमण क घर जाकर भोजन भी दकया अब दकस वह वबना मार छोड़गा

वह तो वभकषओ को मारन की आदत बना लगा अब तो वह वभकषओ को मारता हआ ही ववचरण करगा

156

िासता न वभकषओ स कहाः वभकषओ बराहमण को मारन वाला बराहमण नही ह गहसि-बराहमण दवारा शरमण-

बराहमण मारा गया होगा और साररपतर न वही दकया ह जो दक बराहमण क योगय ह दफर तमह पता भी नही ह

दक साररपतर क धयानपणम वयवहार न एक अध आदमी को आख परदान कर दी ह

और तभी उनहोन य गािाए कहीः

न बराहमणससतदफकच सययो यदा वनसधो मनसो वपयवह

यतो यतो सहसमनो वनवततवत ततो ततो सममवत एव दकख

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो स मन को हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात हो जाता ह

न जटावह न गोततवह न जचचा होवत बराहमणो

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो

न जटा स न गोतर स न जनम स बराहमण होता ह वजसम सतय और धमम ह वही िवच ह और वही

बराहमण ह

फक त जटावह दममध फक त अवजनसारटया

अबभनतर त गहन वावहर पररमजजवस

ह दबमवदध जटाओ स तरा कया बनगा मगचमम पहनन स तरा कया होगा तरा अतर तो ववकारो स भरा

ह बाहर कया धोता ह

सबबसाजन छततवा यो व न पररतससवत

सगावतग ववसातत तमह बरवम बराहमण

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह उस सग और आसवि स ववरत को म बराहमण

कहता ह

शरावसती नगरवासी--सीध-साद लोग--एकतर होकर साररपतर क गणो की परिसा कर रह ि

साररपतर बदध क परमख विषयो म एक वजनहोन बदध क जीत जी बदधतव पराि दकया--उनम स एक

साररपतर सवय भी कभी बहत बड़ा पवडत िा जब पहली बार बदध क पास आया िा तो बदध स वववाद करन

आया िा पाच सौ अपन विषयो को साि लाया िा लदकन बदध क पास आकर वववाद का मौका नही बना

वववाद क पहल हार हो गयी बदध को दखत ही हार हो गयी

बड़ा सवदनिील रहा होगा पावडतय तो िा लदकन पावडतय पर बहत पकड़ न रही होगी पावडतय तो

िा लदकन पावडतय स हटकर दखन की कषमता रही होगी इसवलए बदध को दखत ही रपातररत हो गया

157

विषयो स अपन कहा िा भल जाओ वववाद की बात यह आदमी वववाद करन योगय नही ह यह आदमी लड़न

योगय नही ह यह आदमी ऐसा ह वजसक चरणो म हम बठ म तो बदध का विषयतव सवीकार करता ह तम मर

विषय हो अगर तम मझ समझ हो तो मर साि झक जाओ खद दीवकषत हआ अपन पाच सौ विषयो को भी

दीवकषत दकया

बदध क पास हजारो विषय ि उनम साररपतर सबस बड़ा बौवदधक वयवि िा--लदकन बवदध म सीवमत नही

और जलदी ही उसम फल वखलन िर हो गए जलदी ही उसम सवास आनी िर हो गयी जो झकन को इतना

ततपर हो आया िा वववाद करन और वनरवमवाद झक गया वजसक पास ऐसी सरल दवषट हो ऐसा सहज भाव

हो अगर जलदी ही वह बदधतव को उपलबध हो गया तो कछ आशचयम नही ह

शरावसती क भोल-भाल लोग सीध-साद लोग साररपतर क गणो की परिसा कर रह ि

ऐस गण ि ही साररपतर म वजनकी परिसा की जाए यही दखत होः वववाद करन आया हो और वबना एक

परशन उठाए झक जाए और विषयतव सवीकार कर ल बड़ पावडतय क बोझ स दबा हो िासतरो का जञाता हो और

िासतरो को ऐस हटा द जस कोई दपमण स धल को हटा दता ह इतनी सगमता स इतनी सरलता स वबना दभ

क वबना अहकार क वबना अकड़ क न कवल खद झका बवलक अपन पाच सौ विषयो को भी झका ददया

साररपतर न बदध स कभी कोई परशन ही नही पछा दफर आया िा उततर दन परशन ही नही पछा उनकी

छाया हो गया उनम लीन हो गया

गण खब ि साररपतर म गणी िा गाव क लोग ठीक ही परिसा करत ि लदकन एक बदध-ववरोधी बराहमण

भी यह सन रहा िा और ईषयाम और करोध स जला जा रहा िा तभी भीड़ म स दकसी न कहाः हमार आयम ऐस

सहनिील ह दक आकरोिन करन वालो या मारन वालो पर भी करोध नही करत ह यह बात वमथया-दवषट बराहमण

की आग म घी का काम कर गयी

वमथया-दवषट का अिम होता हः वजस उलटा दखन की आदत पड़ गयी ह उलटी खोपड़ी सीधी बात को भी

जो उलटा करक दखगा जो सीधा दख ही नही सकता वजसकी दवषट म बड़ी गहरी भरावत बठ गयी ह

साररपतर की परिसा हो रही ह उस परिसा स आग लग रही ह

ऐस बहत लोग ह जो दकसी की भी परिसा नही सन सकत जो कवल सनदा सन सकत ह इसीवलए तो

लोग जयादातर सनदा करत ह कयोदक सनदा ही सनन वाल लोग ह जहा दो-चार आदमी वमल दक सनदा िर हो

जाती ह

परिसा करना भी अपन आप म एक गणवतता ह कयोदक परिसा वही कर सकता ह वजसक पास समयक

दवषट हो परिसा क वलए सबस बड़ा गण जररी ह दक जो अपन को हटाकर दसर को दख सक जो दसर क

बड़पपन म पीवड़त न हो जाए वजसक अहकार को चोट न लग जो दसर की भवय परवतमा को दखकर करोध स न

भर जाए--दक यह कौन ह जो मझस जयादा भवय ह यह कौन ह जो मझस जयादा ददवय ह यह कौन ह जो

मझस जयादा शरि ह मझस जयादा शरि कोई भी नही हो सकता--ऐसी पीड़ा वजस पदा हो जाती ह वह वमथया-

दवषट ह

वमथया-दवषट दकसी की परिसा बदामशत नही कर सकता कयोदक वह दकसी की परिसा को अपनी सनदा

मानता ह दसरा बड़ा ह तो म छोटा हो गया--यह उसका तकम ह दसरा सदर ह तो म करप हो गया--यह

उसका तकम ह दसरा चररतरवान ह तो दफर मरा कया

158

वमथया-दवषट दसर की सनदा सन सकता ह कयो कयोदक दसर की सनदा स उसक अहकार को भरण-

पोषण वमलता ह तो वह कहता हः अछा तो यह भी चररतरहीन ह इसस तो हम ही भल ह

तम धयान रखना सनदा का एक मनोववजञान ह कयो लोग सनदा पसद करत ह तम अगर दकसी स कहो

दक अ नाम का आदमी सत हो गया ह कोई मानगा नही पचचीस दलील लोग लाएग--दक नही सत नही ह सब

धोखा-धड़ी ह सब पाखड ह और तम दकसी क सबध म कहो दक फला आदमी चोर हो गया ह तो कोई वववाद

न करगा वह कहगाः हम पहल स ही पता ह वह चोर ह ही कया हम बता रह हो वह महाचोर ह तमह अब

पता चला तमहारी आख अधी िी

तमन कभी दखाः सनदा जब तम दकसी की करो तो कोई परमाण नही मागता और परिसा जब करो तो

हजार परमाण माग जात ह और और भी एक करठनाई ह दक परिसा वजन चीजो की होती ह उनक वलए परमाण

नही होत और सनदा वजन चीजो की होती ह उनक वलए परमाण होत ह कयोदक सनदा तो कषदर जगत की बात

ह उसक वलए परमाण हो सकत ह

समझो दकसी आदमी की तम सनदा कर रह हो दक उसन चोरी की तो चार आदमी गवाह की तरह खड़

दकए जा सकत ह दक इनहोन उस चोरी करत दखा लदकन तम कहत हो दक कोई आदमी जाग गया परबदध हो

गया इसक वलए कहा गवाह खोजोग कहा स गवाह मौजद करोग कौन कहगा दक हा मन इसको बदध होत

दखा यह बात तो दखन की नही ह यह तो बदध ही कोई हो तो दख सक जो सवय बदध हो वह दख सक

दसरा तो कोई इसका गवाह नही हो सकता

मज की बात दखना जो परिसा-योगय ततव ह उनक वलए परमाण नही होत और उनक वलए लोग परमाण

पछत ह और जो सनदा ह उसक वलए हजार परमाण होत ह लदकन कोई परमाण पछता ही नही परमाण क वबना

ही सवीकार कर लत ह लोग लोग सनदा सवीकार करना चाहत ह लोग तयार ही ह दक सनदा करो

तमहार अखबार सनदा स भर होत ह तम अखबार पढ़त ही इसीवलए हो दक आज दकस-दकस की बवखया

उधड़ी गयी अखबार म वजस ददन सनदा नही होती उस ददन तम उस उदासी स सरकाकर एक तरफ रख दत

हो--दक कछ खास बात ही नही ह जब अखबार म हतया की खबर होती ह चोरी की दकसी की सतरी क भगान

की तलाक की आतमहतया की तब तम एकदम चशमा ठीक करक एकदम अखबार पर झक जात हो दक एक

िबद चक न जाए इसवलए बचारा अखबार छापन वाला आदमी सनदा की तलाि म घमता रहता ह

पतरकारो की दवषट ही वमथया हो जाती ह कयोदक उनका धधा ही खराब ह उनक धध का मतलब ही यह

ह दक जनता जो चाहती ह वह लाओ खोजबीन कर अछ स अछ आदमी म कछ बरा खोजो सदर स सदर म

कोई दाग खोजो चाद की दफकर छोड़ो चाद पर वह जो काला धबबा ह उसकी चचाम करो कयोदक लोग धबब

म उतसक ह चाद म उतसक नही ह चाद की बात करो तो कोई अखबार खरीदगा ही नही

इसवलए जो पतरकाररता ह वह मलतः सनदा क रस की ही कला ह कस खोज लो--कही स भी कछ गलत

कस खोज लो और जब तम खोजन का तय ही दकए बठ हो तो जरर खोज लोग कयोदक जो आदमी जो

खोजन वनकला ह उस वमल जाएगा

यह दवनया ववराट ह इसम अधरी रात ह और उजाल ददन ह इसम गलाब क फल ह और गलाब क काट

ह जो आदमी सनदा खोजन वनकला ह वह कहगा दक दवनया बड़ी बरी ह यहा दो रातो क बीच म एक छोटा

सा ददन ह दो अधरी रात और बीच म छोटा सा ददन और जो परिसा खोजन वनकला ह वह कहगा दक दवनया

बड़ी पयारी ह परमातमा न कसी गजब की दवनया बनायी हः दो उजाल ददन बीच म एक अधरी रात

159

जो आदमी सनदा खोजन वनकला ह वह गलाब की झाड़ी म काटो की वगनती कर लगा और सवभावतः

काटो की वगनती जब तम करोग तो कोई न कोई काटा हाि म गड़ जाएगा तम और करोधावगन स भर जाओग

अगर काटा हाि म गड़ गया और खन वनकल आया तो तमह जो एकाध फल वखला ह झाड़ी पर वह ददखायी

ही नही पड़गा तम अपनी पीड़ा स दब जाओग तम गावलया दत हए लौटोग

जो आदमी फल को दखन वनकला ह वह फल स ऐसा भर जाएगा दक उस काट भी पयार मालम पड़ग

वह फल स ऐसा रस-ववमगध हो जाएगा दक उस यह बात ददखायी पड़गी दक काट जरर भगवान न इसीवलए

बनाए होग दक फलो की रकषा हो सक य फलो क पहरदार ह

सब तम पर वनभमर ह कस तम दखत हो कया तम दखन चल हो

यह बदध-ववरोधी बराहमण िा इसन तय ही कर रखा िा न यह कभी बदध क पास गया िा

यह बड़ आशचयम की बात ह दक ववरोधी पास जात ही नही ववरोधी दर-दर रहत ह ववरोध करन क वलए

यह जररी ह दक व दर-दर रह पास आए तो खतरा ह पास आए तो डर ह दक कही ऐसा न हो दक हमारा

ववरोध गल जाए तो ववरोधी पीठ दकए खड़ा रहता ह दर-दर रहता ह सनी-सनायी बातो म स चनता ह

दफर उन चनी हई बातो को भी वबगाड़ता ह अपना रग दता ह दफर उनको ववकत करता ह ववकवत को

बढ़ाता ह दफर उस ववकवत म जीता ह और सोचता ह दक मझ तथयो का पता ह

धयान रखना इस जगत म तथय होत ही नही तथय झठ बात ह इस जगत म सब वयाखयाए ह तथय

नही होत

एक बड़ा इवतहासकार एडमड बकम ववशव का इवतहास वलख रहा िा उसन कोई तीस साल उस पर

महनत की िी और वह चाहता िा दक दवनया का ऐसा इवतहास वलख जसा पहल कभी नही वलखा गया तीस

साल लबा समय िा आधा जीवन उसन गवा ददया िा

एक ददन उसक घर क पीछ एक हतया हो गयी वह भागा हआ पहचा भीड़ खड़ी िी लाि पड़ी िी

हतयारा पकड़ वलया गया िा रग हािो उसन लोगो स पछा दक कया हआ लदकन वजतन लोग ि उतनी बात

वजतन मह उतनी बात कोई हतयार क पकष म िा कोई वजसकी हतया की गयी उसक पकष म िा कोई इसका

कसर बता रहा िा कोई उसका कसर बता रहा िा

एडमड बकम तो हरान हो गया उसक घर क पीछ हतया हई ह अभी हतयारा मौजद ह अभी लाि पड़ी

ह अभी खन बह रहा ह सड़क पर अभी सब ताजा ह और नया ह अभी खन सखा भी नही ह लोग मौजद ह

जो चशमदीद गवाह ह लदकन कोई दो चशमदीद गवाह की बात एक सी नही ह

वह लौटकर आया और उसन तीस साल म जो इवतहास वलखा िा उसको आग लगा दी उसन कहा दक

म इवतहास वलखन बठा ह दवनया का बदध क समय म कया हआ और वसकदर क समय म कया हआ और कषण

क समय म कया हआ यह म कया कर रहा ह मर घर क पीछ एक हतया हो जाए म भागकर पहच रग हाि

हतयारा पकड़ा गया हो चशमदीद गवाह मौजद हो और वनणमय करना मवशकल ह दक कया हआ तो म तीन

हजार और पाच हजार साल पहल कया हआ--यह कस तय कर पाऊगा सब अफवाह ह और सब वयाखयाए ह

वयाखया वयाखया की बात ह तम कस वयाखया करत हो इस पर सब वनभमर करता ह

मर एक सनयासी न--उमानाि न--नपाल स मझ पतर वलखा ह दक दवकषण भारत म लोग राम को जलाकर

कया पाएग जब म उनका पतर पढ़ रहा िा तब मन सोचा दक जब य उमानाि आएग तो म उनस पछगाः

तमन उततर म रावण को जलाकर कया पाया उस पर सदह नही ह उनह उततर क ह उस पर सदह नही ह दक

160

रावण को जलान म कोई हजाम ह रावण को तो जलाना ही चावहए हर साल लदकन य राम क पकष म वजनहोन

दकताब वलखी ह उनकी वयाखया ह रावण क पकष म दकताब वलखी जा सकती ह तब वयाखया वबलकल बदल

जाएगी घटना वही ह लदकन वयाखया बदल जाएगी

कया सच ह--म नही कह रहा ह म तमस यह कह रहा ह दक तथयो म सच होता ही नही सब वयाखया

होती ह तय ही नही हो पाता दवनया म इतन यदध हो गए ह लदकन कभी तय नही हआ दक दकसन हमला

दकया तय हो ही नही सकता कयोदक एक पकष कह चला जाता ह दक दसर न हमला दकया दसरा पकष कह

जाता ह दक उसन हमला दकया दफर जो जीत जाता ह वह इवतहास की दकताब वलखता ह जो जीत जाता ह

वह अपन पकष को दकताबो म डाल दता ह

जब सटवलन रस का तानािाह बना तो उसन सारा इवतहास बदल ददया रस का सारा इवतहास बदल

ददया अपन ववरोवधयो की तसवीर वनकाल दी अपन ववरोवधयो क नाम वनकाल ददए जहा तसवीर खद की

नही िी वहा फोटोगराफी की कलाबाजी स अपनी तसवीर डलवा दी सब जगह अपना नाम डाल ददया अपन

पकषपावतयो का नाम डाल ददया

जब तक सटवलन सतता म रहा वही इवतहास रस म चला बचचो न वही पढ़ा सटवलन क मरत ही बात

बदल गयी सटवलन क ववरोवधयो न सटवलन का नाम दफर पोछ ददया

यही तो अभी हो रहा ह ददलली म कपसल खोदा जा रहा ह इददरा न एक कपसल रखा िा वह एक

वयाखया ह सवभावतः उसम कछ नाम नही होग जस सभाष का नाम नही होगा या होगा तो कही रटपपणी

म होगा पाद-रटपपणी म दकसी मलय का नही होगा सवभावतः उसम सरदार पटल का नाम नही होगा या

होगा भी तो गौण होगा और वनवशचत ही उसम मोरारजी भाई का नाम नही ह

उस वनकालना पड़गा वनकाला जा रहा ह खोदा जा रहा ह दफर स टाइम कपसल बनाया जाएगा

उसम इददरा ववदा हो जाएगी उसम नहर वसकड़कर छोट हो जाएग उसम वललभभाई फलकर कपपा हो

जाएग उसम मोरारजी भाई वबलकल बीच म ववराजमान हो जाएग उसम जगजीवनराम और चरणससह--सब

बठ जाएग

लदकन दकतनी दर यह चलगा दो-चार-पाच साल बाद दफर कोई सतता म आएगा दफर टाइम कपसल

उखाड़ना पड़गा ऐसा सदा होता रहा ह िायद नया टाइम कपसल जो मोरारजी भाई बनवाए उसम राषटरीय

सवयसवक सघ की भी गण-गािा हो और िायद उसम कहा जाए दक नािराम गोडस राषटरीय सवयसवक सघ

का अग नही िा और गाधी की हतया म राषटरीय सवयसवक सघ का कोई हाि नही ह उसम चीज बदलगी

कयोदक मोरारजी भाई राषटरीय सवयसवक सघ क बल पर खड़ ह टाइम कपसल उसक ही बल पर वलखा जाएगा

सारा इवतहास बदलगा

पना म ऐस लोग ह जो नािराम गोडस को महातमा नािराम गोडस कहत ह जनम-वतवि मनात ह

वमठाइया बाटत ह अगर कल कभी आरएसएस क हाि म इस मलक की िवि आ गयी तो महातमा गाधी

ववदा हो जाएग उनकी मरतमया चौराहो स हटा ली जाएगी वहा गर गोलवलकर नािराम गोडस--महातमा

नािराम गोडस--की मरतमया खड़ी हो जाएगी और तम उसस भी राजी हो जाओग कयोदक वजसक हाि म सतता

ह तम उसस राजी हो जात हो

आदमी तथयो की वयाखयाए कर लता ह जसी करना चाहता ह वसी कर लता ह

161

बदध दकसको समयक-दवषट कहत ह दकसको वमथया-दवषट कहत ह बदध कहत हः जो वयाखया करता ह

वह वमथया-दवषट ह जो वयाखया नही करता जो ववचारिनय होकर वनरवमचार होकर दखता ह वह समयक-दवषट

ह अगर ववचार पहल स ही तमहार भीतर ह तो तम तथय को कस दखोग तमहारा ववचार तथय को रग दगा

तथय को वसा बना दगा जसा तमहारा ववचार चाहता ह तम वही दख लोग जो तम दखना चाहत ि या जो

तमन दखन का तय ही कर रखा िा

एक आदमी न एक दकताब वलखी ह दक तरह का आकड़ा बहत बरा ह हजार पि की दकताब ह सारी

दवनया स उसन हजारो परमाण इकटठ दकए ह पढ़ोग तो तमह भी भरोसा आ जाएगा दक तरह का आकड़ा खराब

अमरीका म ऐसी धारणा ह दक तरह का आकड़ा खराब ह बड़ होटलो म तरहवी मवजल नही होती

कयोदक तरहवी पर कोई रकना नही चाहता बारहवी क बाद सीधी चौदहवी मवजल आती ह तरहवी मवजल

होती ही नही नही तो कोई रक ही नही तरहवी मवजल म तरह नबर का कमरा लोग बरदाशत नही करत

तरह नबर स बचत ह तरह तारीख को समहलकर चलत ह

तो इस आदमी न सब इकटठा दकया हः दक तरह तारीख को दकतन लोग आतमहतया करत ह तरह तारीख

को दकतन लोग पागल होत ह तरहवी मवजल स दकतन लोग वगरकर मर जात ह तरहव नबर की बस म चलन

वालो म दकतनी दघमटनाए होती ह उसन सार आकड़ इकटठ दकए ह--तरह स सबवधत सब

एक वमतर मर पास उसको लकर आए ि मन कहा उनस दक तम ऐसा करो दक तम चौदह तारीख क

सबध म खोजबीन करो इतन ही लोग चौदह को भी मरत ह और चौदहवी मवजल स भी वगरत ह और चौदह

नबर की बस भी टकराती ह और चौदह नबर की कार भी पहाड़ स वगर जाती ह तम चौदह क पीछ पड़

जाओ तो तम चौदह क वलए भी इतन ही आकड़ जड़ा लोग आकड़ जड़ान म कछ अड़चन नही ह

सजदगी बहत बड़ी ह उसम अगर हमन कछ तय ही कर रखा ह तो हम वही चन लत ह तमन अगर

मान रखा ह दक सबह स इस आदमी की िकल दखन स सब खराब हो जाएगा तो खराब नही होता दकसी की

िकल दखन स कया खराब होना ह लदकन तमन अगर मान रखा ह और व सजजन सबह स वमल गए रासत पर

घमत तमन कहाः मार गए य महाराज क दिमन हो गए आज ददन खराब होगा

अब आज ददन म जो-जो खराबी होगी व होन ही वाली िी मगर सब इनही क ऊपर जाएगी पर म

काटा गड़ गया तम कहोगः उस दषट का सबह चहरा दखा िा हाि स पयाला वगरकर टट गया उस दषट का

सबह चहरा दखा िा

अब तम ददनभर याद करत रहोग उस दषट का चहरा और तमह पचास कारण वमल जाएग रासत पर

कल क वछलक पर दफसलकर वगर पड़ उस दषट का चहरा दखा िा और तब तम और आशवसत हो गए दक इस

आदमी का चहरा बड़ा खतरनाक ह अब दबारा इसस बचना ह कही दबारा दफर न ददखायी पड़ जाए दबारा

ददखायी पड़गा तो और अड़चन हो जाएगी तमहारी धारणा मजबत होती चली जाएगी

यह आदमी बदध-ववरोधी ह बदध क पास कभी गया नही ह वमथया-दवषट बराहमण इसन एक बात तय कर

रखी ह दक बदध गलत ह बदध गलत ह तो उनक विषय भी गलत ही होग--सवभावतः तो साररपतर गलत होना

ही चावहए

162

उसन कहाः छोड़ो बकवास तम कहत हो उनह कोई करोवधत नही कर पाता इसम उनकी कोई गणवतता

नही ह सच बात यह ह दक उनह कोई करोवधत करना न जानता होगा ठीक बटन दबाना न आता होगा मझ पर

छोड़ो यह काम म उनह करदध करक बता दगा

दख रह ह उसकी एक दवषट ह वह यह मानन को तयार ही नही ह दक कोई आदमी ऐसा हो सकता ह

जो करोवधत न हो कम स कम बदध का विषय तो ऐसा नही हो सकता तो दफर एक ही बात हो सकती ह दक

वजन लोगो क दवारा साररपतर करोवधत नही दकए जा सक ह उनह करोवधत करना न आता होगा उनहोन ठीक रग

न पकड़ी होगी उसन कहाः मझ पर छोड़ो यह काम उनह कोई करोवधत करना जानता न होगा दखो म

करोवधत करता ह

नगरवासी हस कभी-कभी भोल-भाल लोग जयादा समझदार वसदध होत ह बजाय पवडतो क व हस

उनहोन कहा दक यह पागलपन की बात ह दक तम साररपतर को करोवधत कर लोग दफर भी तम करोवधत कर

सको तो करक दखो

उस बराहमण न दोपहर म सिववर को वभकषाटन करत दख पीछ स जाकर लात स पीठ पर मारा

इन छोटी-छोटी किाओ म एक-एक बात अिमपणम ह अकसर बदधपरषो पर जो लात मारी जाती ह व

सदा पीछ स ही मारी जाती ह सामन स तो वहममत नही होती सामन स तो घबड़ाहट लगगी कयोदक व आख

वह चहरा वह परसाद कही रोक द कही वझझक आ जाए कही वहचक आ जाए इसवलए बदधो की जो सनदा

होती ह वह पीछ स होती ह सामन स नही होती ह

और धयान रखना जो पीछ सनदा करता ह वह कायर ह उस अपनी सनदा पर भी भरोसा नही ह अपन

पर भी भरोसा नही ह

इस आदमी न आकर पीछ स साररपतर को लात मारी लदकन सिववर न पीछ लौटकर नही दखा

वनषपरयोजन बदध न कहा ह अपन विषयो को दक वजसम परयोजन न हो उसम जरा भी ऊजाम मत डालना

अब कोई आदमी पीछ स लात मार रहा ह तो इसम परयोजन कया ह पीछ दखन स सार कया ह इसम उलझन

की जररत कया ह यह पागल होगा दक मढ़ होगा दक वमथया-दवषट होगा इसम इतना भी रस लन की जररत

नही ह दक पीछ लौटकर दखो कयोदक गलत को दखना भी अनावशयक ह वयिम को दखना भी उवचत नही ह

कयोदक वजस हम दखत ह उसकी छाप हमारी आख पर पड़ती ह

तो बदध न कहा ह दक वयिम को दखना ही मत वयिम को सनना ही मत वयिम का ववचार ही मत करना

कयोदक वजतनी दर तम वयिम को दखन म लगाओग वजतना समय और वजतनी िवि वयिम पर वयय करोग

उतनी ही सािमक की तरफ जान म रकावट पड़ जाएगी

तो बदध न कहा ह दक जब जाना ह एक यातरा पर और एक मवजल पर तो सारी ऊजाम उसी तरफ बह

यहा-वहा छाटना मत बाटना मत

तो साररपतर न पीछ लौटकर भी नही दखा लात तो लगी लात तो जसी तमह लगती ह उसस जयादा

लगगी साररपतर को कयोदक वजतना सवदनिील वयवि होगा वजतना जागरक वयवि होगा उतना ही उसका

बोध भी परगाढ़ होता ह

िराबी को लात मार दो तो िायद लग भी नही पता भी न चल दसर ददन तम पछो दक भई रात तम

जा रह ि रासत पर और हमन लात मारी िी वह कहगाः हम पता नही कसी रात कस तम कस हम रात का

कहा दकसको पता ह जरा जयादा पी गए ि िराबी को पता ही नही चलता कयोदक िराबी मरछमत ह

163

तम घर भाग आ रह हो दकसी न कह ददया ह दक तमहार घर म आग लग गयी ह और तम भाग हो

बाजार स दकान बद करक बतहािा और दकसी न तमह पीछ स लात आकर मार दी तमह िायद पता भी न

चल कयोदक तमहारा मन तो सारा का सारा तमस पहल भाग गया ह वह वहा पहच गया ह जहा मकान म

आग लगी ह वह तो लपटो को दख रहा ह तम वहा हो ही नही तम करीब-करीब मरछमत हो वहा तो िरीर

ही ह मातर तमहारी आतमा तो पख पसारकर उड़ गयी ह तमह याद भी न रह पता भी न चल

लदकन साररपतर जस समयकरप स जागरत वयवि को कोई लात मार तो परा-परा पता चलगा रततीभर

नही चकगा लदकन साररपतर न पीछ लौटकर नही दखा बदध की अनिासना यही िी दक वयिम को मत दखना

व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि

और बदध न कहा ह दक सदा ऐस चलो जस तमहार हाि म एक दीया ह जो जरा भी कप तो बझ

जाएगा वजस पर हजार हवाओ क हमल हो रह ह यह लात भी हवा का एक झोका ह दीए को उनहोन और

समहाल वलया होगा दक कही यह लात का झोका दीए को बझा न द कही दीए की लौ कप न जाए

वजसको इस भीतर क दीए की लौ को समहालन का मजा आ गया ह जो इसम रसलीन हो गया ह उस

दफर सारी दवनया की बात वयिम ह दफर वह दफकर नही करता दक कोई लात मार गया उसकी दफकर कछ

और ह वह भीतर की सपदा को समहालता ह--दक कही इस लात मारन स उवदवगन न हो जाऊ कही करोध न आ

जाए कही उततजना म कछ कर न बठ कयोदक कछ भी कर लोग उततजना म--दीए स हाि छट जाएगा दीया

चक जाएगा और वजसको वषो म समहाला ह वह कषण म खोया जा सकता ह

जब आदमी पहाड़ की ऊचाइयो पर चढ़ता ह तो जस-जस ऊचाई बढ़न लगती ह वस-वस समहलन

लगता ह कयोदक अब वगरन म बहत खतरा ह धयान रखना सपाट जमीन पर चलन वाला आदमी वगर सकता

ह कोई बड़ी अड़चन नही ह खरोच-वरोच लगगी िोड़ी मलहम-पटटी कर लगा ठीक हो जाएगी लदकन जस-

जस पहाड़ की ऊचाई पर पहचन लगता ह

अब तम गौरीिकर क विखर पर इस तरह नही चल सकत जस तम पना की सड़क पर चलत हो तमह

एक-एक शवास समहालकर लनी पड़गी और एक-एक पर जमाकर चलना होगा कयोदक वहा स वगर तो गए

वहा स वगर तो दफर सदा को गए खरोच नही लगगी सब समाि ही हो जाएगा

ऐसी ही अतरदिा धयान म भी आती ह धयान क विखरो पर जब तम चलन लगत हो तब बहत

समहलकर चलना होता ह

साररपतर उन धयान क विखरो पर ह जहा स वगरा हआ आदमी बरी तरह भटक जाता ह जनमो-जनमो क

वलए अब कोई लात मार गया इसम कछ मलय ही नही ह इसका कोई अिम ही नही ह ऐसी घड़ी म उवदवगन

नही हआ जा सकता

तम जलदी स उवदवगन हो जात हो कयोदक तमहार पास खोन को कछ नही ह याद रखना तम इसीवलए

उवदवगन हो जात हो तमहार पास खोन को कछ नही ह उवदवगन होन म तमहारा कछ हजाम नही ह खरोच लगगी

िोड़ी-बहत ठीक ह लदकन साररपतर क वलए महगा सौदा ह खरोच ही नही लगगी सब खो जाएगा जनमो-

जनमो की सपदा खो जाएगी हाि आत-आत खजाना खो जाएगा

व धयान म जाग धयान क दीए को समहाल चल रह ि सो वस ही चलत रह उलट मन ही मन व परसि

भी हए कयोदक साधारणतः ऐसी वसिवत म मन डावाडोल हो उठ यह सवाभाववक ह और दखा दक मन

डावाडोल नही हआ ह लात लगी--और नही लगी चोट पड़ी--और चोट नही हई हवा का झोका आया और

164

गजर गया अकप िी जयोवत अकप ही रही परमददत हो गए होग परफवललत हो गए होग हदय-कमल खल

गया होगा कहा होगाः अहोभागय

सवाभाववक िा--वह नही हआ वजस ददन सवाभाववक वजसको हम कहत ह वह न हो उस ददन परम

सवभाव क दवार खलत ह

दो तरह की वसिवतया ह एकः वजसको पराकवतक कह दकसी को चोट की लौटकर दखगा नाराज होगा

और दकसी को चोट की और लौटकर भी न दखा नाराज भी न हआ--जसा िा वसा रहा जरा भी कपन न

आया लहर न उठी यह दसरी परकवत म परवि हो गया

एक परकवत ह दह की एक परकवत ह आतमा की दह की परकवत म पहली बात घटगी आतमा की परकवत म

जो उतरन लगा उस दसरी बात घटगी

तो परसि भी हए अब यह बात उलटी हो गयी और यही स बदधतव की िरआत ह दखी तो नही हए

नाराज तो नही हए बड़ राजी हए बड़ परसि हए दक यह तो अदभत हआ मन नही डोला िा और धयान की

जयोवत और भी विर हो उठी िी

वजतनी बड़ी चनौती हो उतनी धयान की जयोवत विर होती ह चक तो बरी तरह वगरोग नही चक तो

अदभत रप स समहल जाओग दोनो सभावनाए ह पहाड़ स वगर तो गए और पहाड़ पर िोड़ और समहल तो

विखर तमहारा हआ दक तम विखर हए

उनक भीतर इस भावत लात मारन वाल क वलए आभार क अवतररि और कछ भी नही िा

व भीतर ही भीतर कह रह होगः धनय ह बराहमण तन भला दकया तन एक अवसर ददया मझ पता ही

नही िा दक जयोवत इतनी भी विर हो सकती ह तन चनौती दी त हवा का झोका कया लाया मरी परीकषा ल

ली म तरा अनगहीत ह

इस घटना न अध बराहमण को तो जस आख द दी

यह लौटकर न दखना यह उसी मसती स चलत जाना जस चल रह ि जस कछ हआ ही नही लात तो

पीछ स मारी िी दौड़कर आग आया और चरणो म वगर पड़ा

खयाल रखनाः सनदा पीछ स की जाती ह कवल परिसा करत समय ही तम सामन खड़ हो सकत हो लात

पीछ स मारी जा सकती ह लदकन चरण पीछ स नही छए जात कभी नही छए जात चरण सामन स छन होत

ह जो झक सकता ह वही ऐस परषो क सामन आ सकता ह--साररपतर जस परषो क

और यह बड़ी अदभत बात लगती ह दक यह आदमी--ऐसा वमथया-दवषट ऐसा करोधी ऐसा दषट परकवत का

अकारण लात मारी--यह इतन जलदी बदल गया

अकसर ऐसा होता ह जो वजतना कठोर हो सकता ह वह उतना ही कोमल भी हो सकता ह जो वजतना

ववरोध म हो सकता ह उतना ही पकष म भी हो सकता ह जो वजतनी घणा स भरा होता ह वह उतन ही परम स

भी भर सकता ह बदलाहट कवल उनक ही जीवन म नही होती जो कनकन जीत ह

एक यहदी फकीर न दि क सबस बड़ धममगर को अपनी वलखी दकताब भजी वजस विषय क हाि भजी

उसन कहाः आप गलत कर रह ह न भज तो अछा कयोदक व आपक ववरोध म ह व आपको ितर मानत ह

यह फकीर पहचा हआ वयवि िा लदकन सवभावतः धममगर इसको दशमन मान यह सवाभाववक ह

कयोदक जब भी कोई पहचा हआ फकीर होगा तिाकवित धमम तिाकवित धममगर तिाकवित परोवहत-पड

वसिवत-सिापक--सब उसक ववरोध म हो जाएग

165

वह सबस बड़ा धममगर िा और उसक मन म बड़ा करोध िा इस आदमी क परवत कयोदक यह आदमी पहच

गया िा यही अड़चन िी यही जलन िी

लदकन फकीर न कहा अपन विषय कोः त जा त वसफम दखना ठीक-ठीक दखना दक कया वहा होता ह

और ठीक-ठीक मझ आकर बता दना

वह दकताब लकर गया फकीर का विषय जब पहचा धममगर क बगीच म धममगर अपनी पतनी क साि

बठा बगीच म गपिप कर रहा िा इसन दकताब उसक हाि म दी उसन दकताब पर नाम दखा उसी वि

दकताब को फक ददया और कहा दक तमन मर हाि अपववतर कर ददए मझ सनान करना होगा वनकल जाओ

बाहर यहा स

विषय तो जानता िा--यह होगा

तभी पतनी बोलीः इतन कठोर होन की भी कया जररत ह तमहार पास इतनी दकताब ह तमहार

पसतकालय म इसको भी रख दत दकसी कोन म न पढ़ना िा न पढ़त लदकन इतना कठोर होन की कया

जररत ह और दफर अगर फकना ही िा तो इस आदमी को चल जान दत दफर फक दत इसी क सामन इतना

अविषट वयवहार करन की कया जररत ह

विषय न यह सब सना अपन गर को आकर कहा कहा दक पतनी बड़ी भली ह उसन कहाः दकताब को

पसतकालय म रख दत हजारो पसतक ह यह भी पड़ी रहती उसन कहा दक अगर फकना ही िा तो जब यह

आदमी चला जाता तब फक दत इसी क सामन यह दवयमवहार करन की कया जररत िी लदकन धममगर बड़ा

दषट आदमी ह उसन दकताब को ऐस फका जस जहर हो जस मन साप-वबछ उसक हाि म द ददया हो

तमह पता ह उस यहदी फकीर न कया कहा उसन अपन विषय को कहाः तझ कछ पता नही ह धममगर

आज नही कल मर पकष म हो सकता ह लदकन उसकी पतनी कभी नही होगी

यह बड़ी मनोवजञावनक दवषट ह

पतनी वयावहाररक ह--न परम न घणा एक तरह की उपकषा ह--दक ठीक पड़ी रहती दकताब या फकना

िा बाद म फक दत उपकषा ह न पकष ह न ववपकष ह जो ववपकष म ही नही ह वह पकष म कभी न हो सकगा

उस यहदी फकीर न ठीक कहा दक पतनी पर मरा कोई वि नही चल सकगा यह धममगर तो आज नही

कल मर पकष म होगा और यही हआ

जस ही विषय चला गया वह धममगर िोड़ा िात हआ दफर उस भी लगा दक उसन दवयमवहार दकया

आवखर फकीर न अपनी दकताब भजी िी इतन सममान स तो यह मरी तरफ स अछा नही हआ उठा दकताब

को झाड़ा-पोछा अब पशचातताप क कारण दकताब को पढ़ा--दक अब ठीक ह जो हो गयी भल हो गयी लदकन

दख भी तो दक इसम कया वलखा ह

पढ़ा--तो बदला पढ़ा--तो दखा दक य तो परम सतय ह इस दकताब म वही सतय ह जो सदा स कह गए

ह एस धममो सनतनो वही सनातन धमम सदा स कहा गया धमम इसम ह अभी दकताब फकी िी घड़ीभर बाद

झककर उस दकताब को नमसकार भी दकया

उस यहदी फकीर न ठीक ही कहा दक धममगर पर तो अपना वि चलगा कभी न कभी लदकन उसकी

पतनी पर अपना कोई वि नही ह उसकी पतनी को हम न बदल सक ग

इसवलए अकसर ऐसा हो जाता ह मनोववजञान की बड़ी जरटल राह ह

166

इस घटना न अध को आख द दी वह साररपतर क चरणो म वगर पड़ा और परािमना की दक मर घर चल

भोजन कर मरा सवागत-सतकार सवीकार कर उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक

सार कलमष को बहाकर उसकी आतमा को वनममल कर रह ि

आख आसओ स भर जाए तो और इसस बड़ी वनममल करन वाली कोई और वववध नही ह पशचातताप उमड़

आए तो सब पाप धल जात ह पशचातताप सघन हो जाए तो तमहार भीतर जो भी कड़ा-करकट ह पशचातताप

की सघन अवगन म जल जाता ह इसवलए जीसस न तो पशचातताप को ररपटस को धमम की सबस बड़ी कीवमया

कहा ह बाइवबल म जगह-जगह व दोहरात ह ररपट पशचातताप करो डबो पशचातताप म वजतन डब जाओग

पशचातताप म उतन ही ताज होकर वनकलोग पशचातताप म सनान हो जाता ह पशचातताप म पाप ववसरजमत हो

जात ह गगा म नहान स िायद न हो लदकन पशचातताप म नहान स वनवशचत हो जात ह

उसकी आख पशचातताप क आसओ स भरी िी और व आस उसक सार कलमष को बहाकर उसकी आतमा

को वनममल कर रह ि

इस तरह साररपतर क वनवमतत उस पर पहली बार बदध की दकरण पड़ी

जो बदध क विषय स वमल गया वह बदध स भी वमल गया बदध अगर सयम ह तो उनक विषय सयम की

दकरण ह साररपतर क वनवमतत यह बात घट गयी यह बराहमण बदध का हो गया साररपतर जब ऐसा ह तो बदध

कस होग

लदकन वभकषओ को साररपतर का वयवहार नही जचा उनहोन भगवान स कहाः आयषमान साररपतर न

अछा नही दकया जो दक मारन वाल बराहमण क घर भी भोजन दकया वह अब दकस वबना मार छोड़गा वह

तो वभकषओ को मारत ही ववचरण करगा

यह सामानय आदमी का तकम ह इस तकम क पार जाना जररी ह

िासता न वभकषओ स कहाः वभकषओ बराहमण को मारन वाला बराहमण नही हो सकता पहली बात गहसि-

बराहमण दवारा शरमण-बराहमण मारा गया होगा झठ बराहमण दवारा सचचा बराहमण मारा गया होगा लदकन जो

मारता ह अकारण वबना कछ वजह क वह बराहमण नही हो सकता और साररपतर न वही दकया जो बराहमण क

योगय ह दफर तमह पता भी नही ह दक साररपतर क धयानपणम वयवहार न एक अध आदमी को आख परदान कर

दी ह

तब उनहोन य सतर कह ह

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो को मन स हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात होता ह

समझना तमहार मन म सहसा कयो उठती ह कब उठती ह तभी उठती ह जब तमस तमहारा कोई वपरय

पदािम छीना जाता ह तभी उठती ह जब कोई तमहार और तमहार वपरय पदािम क बीच म आ जाता ह

समझो अगर साररपतर को अपनी दह स बहत मोह होता तो यह लात कारगर हो गयी होती बराहमण

जीत गया होता मारन वाला बराहमण जीत गया होता अगर दह स बहत मोह होता तो दफर असभव िा दक

वबना लौट दख और साररपतर आग बढ़ जाए दफर असभव िा दक धयान का दीया जला रह जाए दफर असभव

िा दक साररपतर कषबध न होता हजार तरग उठ आती व नही उठी कयो कयोदक दह स कोई मोह नही ह दह

स कोई तादातमय नही ह

तम तभी नाराज होत हो जब तमस कोई तमहारी वपरय वसत छीनता ह या वपरय वसत नषट करता ह

167

बदध क एक विषय ि पणमकाशयप व जञान को उपलबध हो गए बदधतव पा वलया तो बदध न कहाः पणम

अब त बदधतव को उपलबध हो गया अब त जा और जो तन पाया ह उस बाट अब त दर-दर जा दर-दर दि

और जहा-जहा खबर पहचा सक पहचा

पणम राजी हआ उसन कहाः आपकी आजञा ह तो म जाता ह

बदध न पछाः दकस तरफ जाएगा कहा जाएगा

तो उसन कहाः एक परदि ह वबहार का--सखा परदि वहा कोई वभकष कभी नही गया मझ आप वही जान

की आजञा द कया वहा क लोग आपस ववचत ही रह जाएग

बदध न कहाः सन पणम वहा कोई इसीवलए नही गया दक वहा क लोग बड़ दषट ह त वहा जाएगा तो

गावलया खानी पड़गी लाछन सहन पड़ग हजार तरह की सनदा उनका वयवहार बड़ा असभय ह

पणम न कहाः दफर भी उनक वलए दकसी की जररत ह उनक वलए आपकी जररत ह उनको भी जररत

ह दक बदध की दकरण वहा पहच म वहा जाऊगा

बदध न कहाः तो दफर त कछ सवालो क जवाब द द एक अगर व गावलया दग तो तझ कया होगा

तो पणम न कहाः कयो आप पछत ह आप जानत ह मझ कया होगा मझ वही होगा जो आपको होगा

कयोदक अब म आपस वभि नही ह दफर भी आप पछत ह तो म कहता ह मझ ऐसा होगा दक य लोग दकतन

भल ह वसफम गावलया ही दत ह मारत नही मार भी सकत ि

बदध न कहाः दसरा सवाल और अगर व मार तो तझ कया होगा

पणम न कहाः मझ यही होगा दक लोग बड़ भल ह दक मारत ह मार ही नही डालत मार डाल भी सकत

ि

बदध न कहाः तीसरा और आवखरी सवाल दक अगर व मार ही डाल तो आवखरी कषण म सास टटत वि

तझ कया होगा

पणम न कहाः यही होगा दक लोग बड़ भल ह उस जीवन स छटकारा ददलवा ददया वजसम कोई भल-चक

हो सकती िी

बराहमण क वलए यह कम शरयसकर नही ह दक वह वपरय पदािो को मन स हटा लता ह जहा-जहा मन

सहसा स वनवतत होता ह वहा-वहा दख िात हो जाता ह

न जटा स न गोतर स न जनम स कोई बराहमण होता ह वजसम सतय और धमम ह वही िवच और बराहमण

धमम कहन स ही काम चलना चावहए िा लदकन बदध न दो िबद उपयोग दकए--सतय और धमम

यवमह सचचच धममो च सो सची सो च बराहमणो

कयो धमम सबक पास ह धमम यानी तमहारा अतरतम सवभाव तमहारा अतरतम तम जो अपनी मल

परकवत म हो वही ह धमम धमम सबक भीतर ह वजस पता हो जाता ह उसक भीतर सतय भी होता ह

धमम तो सबक भीतर ह धमम को वजसन जागकर दख वलया वह सतय को उपलबध हो गया

बराहमण सभी ह लदकन बीज म ह जब बीज फटकर वकष बन जाता ह तो सतय सवभाव को जान वलया

पहचान वलया भर आख आमन-सामन खड़ होकर दख वलया साकषात कर वलया सवभाव का तो सतय

168

इसवलए बदध न दो िबदो का उपयोग दकया वजसम सतय और धमम ह

धमम तो सबम ह उतना ही तमम ह वजतना बदध म ह लदकन तमम सतय नही ह तमह सतय का पता

नही ह तमन अभी धमम का साकषातकार नही दकया ह धमम को जागकर जान लन का नाम सतय का साकषातकार

ह ऐस साकषातकार स िवचता पदा होती ह सवछता पदा होती ह वही िवचता बराहमणतव ह

ह दबमवदध जटाओ स तरा कया बनगा मगचमम पहनन स तरा कया होगा तरा अतर तो ववकारो स भरा

ह बाहर कया धोता ह

लोग बाहर ही धोन म लग ह ऐसा नही दक बाहर धोना कछ बरा ह धोना तो सदा अछा ह कछ न

धोन स बाहर धोना भी अछा ह लदकन बाहर धोन म ही समाि हो जाना अछा नही ह भीतर भी बहत कछ

धोन को ह जब तम गगा म सनान करत हो तो बाहर ही साफ होत हो भीतर नही हो सकत जब तक धयान

की गगा म सनान न करो तब तक भीतर साफ न हो सकोग ऊपर-ऊपर साफ कर लोग बराई कछ नही ह

इसम लदकन भलाई भी कछ खास नही ह

भीतर कस कोई साफ होता ह भीतर दकस जल स कोई साफ होता ह धयान क जल स भीतर का

ववकार कया ह ववचार भीतर का ववकार ह भीतर मल का मल कारण ववचार ह वजतन जयादा ववचार

उतना ही भीतर वचतत मलगरसत होता ह जब ववचार कषीण होत ववचार िात हो जात कोई ववचार नही रह

जाता भीतर सिाटा छा जाता ह उसी सिाट का नाम ह--भीतर धोना और जो भीतर अपन को धो लता ह

वही बराहमण ह

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह और सग और आसवि स ववरत हो जाता ह उस

म बराहमण कहता ह

जो सार सयोजनो को काटकर

हमन जीवन को जो बना रखा ह वह सब सयोजन ह दकसी को पतनी मान वलया ह--यह एक सयोजन ह

कोई तमहारी पतनी ह नही न कोई तमहारा पवत ह कस कोई पवत-पतनी होगा तम कहत होः नही आप भी

कया बात कहत ह परोवहत क सामन अवगन की साकषी म सात फर वलए ह सात नही तम सततर लो फर लन स

कोई पवत-पतनी होता ह

एक सजजन अपनी पतनी स छटना चाहत ि व मर पास आए ि व कहन लगः कस छट सात फर वलए

ह मन कहाः उलट सात फर ल लो और कया करोग छटना ही हो तो छट जाओ

फर स कोई कस बधगा यह सब सयोजन ह यह तरकीब ह य फर यह आग य मतर यह पवडत यह

परोवहत यह भीड़-भाड़ यह बारात यह घोड़ पर बठना य बड-बाज--य सब तरकीब ह य सयोजन ह तमहार

मन म यह बात गहरी वबठान क वलए दक अब तम पवत हो गए यह पतनी हो गयी

मगर य सब सयोजन ह

जो सार सयोजनो को काटकर भयरवहत हो जाता ह

सयोजन कट तभी कोई भयरवहत होता ह नही तो मरी पतनी ह कही चली न जाए मरा पवत ह कही

छोड़ न द मरा बटा ह कही वबगड़ न जाए--तो हजार सचताए और हजार भय उठत ह मरा िरीर ह कही

मौत न आ जाए कही म बढा न हो जाऊ

यहा कछ भी मरा नही ह वजसन सार मर क सबध तोड़ ददए वजसन जाना दक यहा मरा कछ भी नही

ह उस एक और बात पता चलती ह दक म भी नही ह म मर का जोड़ ह हजार मर को जड़कर म बनता ह

169

जस छोट-छोट धागो को बनत जाओ बनत जाओ मोटी रससी बन जाती ह ऐस मर क धाग जोड़त जाओ

जोड़त जाओ उनही धागो स म की मोटी रससी बन जाती ह

सब सयोजनो को जो छोड़ दता ह उसका पहल मर का भाव छट जाता ह ममतव और एक ददन

अचानक पाता ह दक म तो अपन आप मर गया एक-एक धागा वनकालत गए रससी स रससी दबली-पतली

होती चली गयी

वनकालत-वनकालत एक ददन जब आवखरी धागा वनकल जाएगा रससी नही बचगी दफर कोई भय नही

ह मरन क पहल मर ही गए दफर भय कया म ह ही नही--इस भाव-अवसिा को बदध न अनतता कहा ह यह

जान लना दक म नही ह िनय ह--यही वनवामण ह

बदध कहत हः ऐस वनवामण को जो उपलबध हआ--सग आसवि स मि भयरवहत--उस म बराहमण कहता

बराहमण की जसी पयारी पररभाषा बदध न की ह वसी दकसी न भी नही की ह बराहमणो न भी नही की ह

बराहमणो क िासतरो म भी बराहमण की ऐसी अदभत पररभाषा नही ह वहा तो बड़ी कषदर पररभाषा ह--दक जो

बराहमण क घर म पदा हआ

बराहमण क घर म पदा होन स कया होगा इतना आसान नही ह बराहमण होना

बराहमण होना बड़ी गहन उपलवबध ह महान उपलवबध ह वनखार स होती ह सजदगी को सवारन स

होती ह सवछ िदध करन स होती ह सजदगी को आग म डालन स होती ह तपशचयाम स होती ह साधना स

होती ह बराहमणतव वसवदध ह ऐस जनम म मफत नही वमलती ह

दसरा दशयः

राजगह म धनजावत नाम की एक बराहमणी सरोतापवतत-फल पराि करन क समय स दकसी भी बहान हो

सदा नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस कहती रहती िी

यह बदध की परािमना ह यह बदध की अचमना ह यह बदध की उपासना का भाव ह नमो तसस भगवतो--

नमसकार हो उन भगवान को नमसकार हो उन अहमत को नमसकार हो उन समयकरप स सबोवध पराि को यह

बदध क परवत नमसकार ह नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

कोई भी बहाना वमल तो वह चकती नही िी बराहमणी धनजावत नाम की छीक आ जाए खासी आ जाए

दफसलकर वगर पड़ तो वह ततकषण कहतीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

एक ददन उसक घर भोज िा काम की भागा-भागी म उसका पर दफसल गया बराहमणी िी भोज म सार

बराहमण इकटठ ि सारा पररवार इकटठा िा पवत िा पवत क सब भाई ि ररशतदार ि समहलत ही उसन ततकषण

भगवान की वदना कीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस--नमसकार हो उन भगवान को नमसकार हो

उन अहमत को नमसकार हो उन सममासबदधसस को

इस सनकर उसक पवत क भाई भारदवाज न उस बहत डाटाः नषट हो दषटा जहा नही वहा ही उस मड

शरमण की परिसा करती ह और दफर बोलाः आज म तर उस शरमण गौतम क साि िासतरािम करगा और सदा क

वलए उस समाि करगा उस हराकर लौटगा

170

बराहमणी हसी और बोलीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस नमसकार हो उन भगवान को

नमसकार हो उन अहमत को नमसकार हो उन समयक सबोवध पराि को जाओ बराहमण िासतरािम करो यदयवप उन

भगवान क साि िासतरािम करन म कौन समिम ह दफर भी तम जाओ इसस कछ लाभ ही होगा

बराहमण करोध और अहकार और ववजय की महतवाकाकषा म जलता हआ बदध क पास पहचा वह ऐस िा

जस साकषात जवर आया हो उसका सब जल रहा िा लपट ही लपट उसम उठ रही िी लदकन भगवान को

दखत ही िीतल वषाम हो गयी उनकी उपवसिवत म करोध बझ गया उनकी आखो को दख उस वयवि को जीतन

की नही उस वयवि स हारन की आकाकषा पदा हो गयी उसका मन रपातररत हआ उसन कछ परशन पछ--

वववाद क वलए नही ममकषा स और भगवान क उततरो को पा वह समाधान को उपलबध हआ समावध लग

गयी दफर घर नही लौटा बदध का ही हो गया बदध म ही खो गया वह उसी ददन परवरवजत हआ और उसी ददन

अहमतव को उपलबध हआ

ऐसी घटना बहत कम घटी ह दक उसी ददन सनयसत हआ और उसी ददन समावधसि हो गया उसी ददन

सनयसत हआ और उसी ददन बदधतव को उपलबध हआ ऐसी घटना बहत मवशकल स घटती ह जनमो-जनमो म भी

बदधतव फल जाए तो भी जलदी फल गया यह तो चमतकार हआ

दफर उसक भाई बराहमणी क पवत को भी बदध पर भयकर करोध आया जब उस खबर लगी दक उसका

छोटा भाई सनयसत हो गया वह भी भगवान को नाना परकार स आकरोिन करता हआ गाली दता हआ असभय

िबदो को बोलता हआ वणवन गया और वह भी भगवान क पास जा ऐस बझ गया जस जलता अगारा जल म

वगरकर बझ जाता ह

ऐसा ही उसक दो अनय भाइयो क साि भी हआ

वभकष भगवान का चमतकार दख चदकत ि व आपस म कहन लगः आवसो बदध-गण म बड़ा चमतकार ह

ऐस दषट अहकारी और करोधी वयवि भी िातवचतत हो सनयसत हो गए ह और बराहमण-धमम को छोड़ ददए ह

भगवान न यह सना तो कहाः वभकषओ भल न करो उनहोन बराहमण धमम नही छोड़ा ह वसततः पहल व

बराहमण नही ि और अब बराहमण हए ह

तब बदध न य सतर कह हः

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह उस बदधपरष को म बराहमण कहता

जो वबना दवषत वचतत दकए गाली वध और बधन को सह लता ह कषमा-बल ही वजसक बल का सनापवत

ह उस म बराहमण कहता ह

समझो इस पररवसिवत को वजसम इन सतरो का जनम हआ

171

राजगह म धनजावत नाम की बराहमणी सरोतापवतत-फल पराि करन क समय स ही दकसी बहान हो

भगवान की वदना दकया करती िी

सरोतापवतत-फल का अिम होता हः जो बदध की धारा म परववषट हो गया सरोत म आपि हो गया जो बदध की

नदी म उतर गया और वजसन कहाः नदी अब मझ ल चल जो बदध की धारा म सवममवलत हो गया और बदध

क साि बहन लगा उसको कहत ह--सरोतापवतत-फल

और अकसर ऐसा हो गया हः जहा परष दभ म अकड़ खड़ रह जात ह वहा वसतरया छलाग लगा जाती ह

सारा पररवार बदध-ववरोधी िा और यह बराहमणी सरोतापवतत-फल को उतपि हो गयी यह गयी और बदध क

चरणो म झक गयी कयोदक वसतरया ववचार स नही जीती भाव स जीती ह और भाव स सबध जड़ना आसान

होता ह ववचार की बजाय ववचार दभी ह अहकारी ह भाव सदा समरपमत होन को ततपर ह

सतरी का हदय बदधो स जलदी जड़ जाता ह बजाय परषो क मवसतषक क परष जीता ह मवसतषक म

वसतरया धड़कती ह हदय म इसवलए अकसर ऐसा हो गया ह दक परष अहकार म अकड़ रह ह वसतरया उनक

पहल झक गयी ह

तो यह सरोतापवतत-फल को पराि वजस ददन स हई िी उसी ददन स इसका समरण एक िा इसका जाप

एक िा उठत-बठत-सोत हर जगह एक ही बात कहती िीः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

इस मतर को भी समझ लना नमसकार हो उन भगवान को उन समयक सबोवध पराि को उन अहमत को

अहमत का अिम होता हः वजसक भीतर क सार ितर मर गए काम करोध लोभ मोह--य अरर कह गए ह

अरर यानी ितर सब अरर हत हो गए सब अरर मर गए वजसक भीतर अब काम करोध लोभ मोह कछ भी

नही बच जो वनरवमकार हआ वह ह अहमत अहमत कस वनरवमकार होता ह समयक सबोवध स ठीक-ठीक समावध

ठीक-ठीक समावध कया ह तम कहोगः समावध भी कया गर-ठीक और ठीक होती ह गर-ठीक भी होती

ह और ठीक भी होती ह गर-ठीक समावध का अिम होता हः मरछमत समावध एक तरह की वनदरा एक तरह की

सषवि आदमी मरछमत हो जाता ह समावध म तो गर-ठीक समावध

तमन सना होगाः कोई योगी बठ जाता ह जमीन पर और महीनभर बठा रहता ह दक सिाहभर बठा

रहता ह वह कया करता ह वहा वह मरछमत हो जाता ह वह सास को अवरदध करक अपनी चतना खो दता

ह वजतनी दर चतना खोयी रहती ह उतनी दर तक वह जमीन क नीच रह सकता ह

यह असमयक समावध ह यह जबदमसती ह इस योगी म तम कोई गण न दखोग यह योगी तमह रासत पर

चलता वमल जाएगा तो तम इस साधारण आदमी पाओग और हो सकता ह दक यह चमतकार जो इसन

ददखाया कछ पस क वलए ददखा ददया हो तम इसम वबलकल सामानय आदमी दखोग इसम कछ ववविषटता

नही होगी इसन कवल वववध सीख ली ह इसन अपन को आतम-सममोवहत करना सीख वलया ह यह दकसी

तरह अपन को गहरी मछाम म उतारन की कला जान गया ह इसको समावध नही कहना चावहए मगर इसको

लोग समावध कहत ह

इसवलए बदध को समावध म भद करना पड़ा बदध न कहाः समावध तो वही ह दक होि बढ़ घट नही

समावध तो वही ह दक परी चतनय की अवसिा हो अपवम चतनय का परकाि हो और उस चतनय क परकाि म ही

कोई सतय को जान

172

ऐसी मछाम म गडढ म बठकर कोई सतय को िोड़ ही जान लगा यह तो एक तरह की मादकता ह जस

कोई कलोरोफामम म पड़ जाता ह कलोरोफामम म पड़ जाता ह तो दफर उसका आपरिन करन म करठनाई नही

आती कयोदक उस कछ पता नही चलता

कोई चाह तो इसी तरह की कलोरोफामम की दिा योग की परदकरयाओ स पदा कर सकता ह शवास का

ठीक-ठीक अभयास कर लन पर पराणायाम का अभयास कर लन पर अगर कोई शवास को बाहर रोकन म समिम

हो जाए तो मरछमत हो जाएगा और इस मछाम को एक वववध स चलाया जाता ह वह कहकर मरछमत होगा

दक म सात ददन तक मरछमत रह तो सात ददन क बाद मछाम अपन स टट जाएगी

जस तमन अगर कभी कोविि की हो दक रात तय करक सोए दक सबह पाच बज नीद खल जाए अगर

तम ठीक स तय करक सोए तो सबह पाच बज नीद खल जाएगी

हा अगर ठीक स तय नही दकया तो ही अड़चन होगी तय करत वि ही सोचत रह दक अर कहा

खलती ह य सब बात ह अगर ऐस पाच बज कहन स नीद खलती होती तो दफर अलामम घड़ी की जररत कया

िी और मरी नीद तो ऐसी ह दक अलामम स भी नही खलती पतनी घसीटती ह खीचती ह तब भी नही खलती

ऐस सोचन स कही खलन वाली ह लदकन चलो कहत ह तो दख परयोग करक सोच वलया दक पाच बज नीद

खल जाएगी नही खलगी कयोदक तमन सोचा ही नही भाव ही नही दकया

कभी िदध मन स साफ मन स भाव कर लो तम चदकत हो जाओग ठीक पाच बज--न वमनट इधर न

वमनट उधर

मनोवजञावनक कहत ह दक तमहार भीतर भी एक घड़ी ह--बायोलावजकल कलाक--जो भीतर चल रही ह

उसी घड़ी क वहसाब स तो हर अटठाइसव ददन सतरी को मावसक-धमम हो जाता ह नही तो कस पता चल दक

अटठाइस ददन हो गए उसी घड़ी क अनसार तो नौ महीन म बचचा पदा हो जाता ह नही तो कस पता चल दक

नौ महीन पर हो गए उसी घड़ी क अनसार तो तमह ठीक वि रोज भख लग आती ह नही तो पता कस चल

दक अब बारह बज गए और भख लगन का समय हो गया वही घड़ी काम कर रही ह उस घड़ी का तम उपयोग

सीख जाओ तो नीद समय पर खल जाएगी अलामम की जररत नही होगी और नीद समय पर आ जाएगी

कोई ततर-मतर करन की जररत नही होगी भख समय पर लग आएगी सब समय पर होन लगगा

बाहर की घड़ी न एक बड़ा नकसान दकया ह दक भीतर की घड़ी ववसमत हो गयी ह तमन दखाः गाव म

जगलो म लोगो को--घड़ी नही ह लदकन--समय का बड़ा बोध होता ह व चार बज रात उठकर बता सकत ह

दक दकतनी दर और लगगी सबह होन म आधी रात बता सकत ह दक आधी रात बीत गयी लदकन जो आदमी

घड़ी पर वनभमर हो गया ह--हाि म बधी घड़ी पर--उसकी हाि की घड़ी खो जाए दफर उस कछ पता नही

चलता दक दकतना बजा ह या कया मामला ह भीतर की घड़ी धीर-धीर अवरदध हो गयी ह

यह जो असमयक समावध ह इसम तीन काम हो रह ह एक तो शवास की परदकरया दसरीः सममोवहत करन

की परदकरया और तीसरी बातः भीतर की घड़ी का उपयोग लदकन इसस कोई बदध नही होता इस तरह क

हठयोगी सामानयजन होत ह उनक जीवन म कोई भद नही होता तमहार जीवन स

तो बदध न समयक समावध कहा ह उसको वजसम कोई जबदमसती न हो वबना जबदमसती िोप जो

समझपवमक बोधपवमक फवलत हो

इस मतर का अिम हः वजसन अपन भीतर क ितरओ को समयक सबोवध स नषट कर ददया ह और ऐस ही

वयवि को बदध-धमम म भगवान कहा जाता ह

173

तो य तीनो िबद बड़ सचक ह अररहत या अररहत--वजसन अपन भीतर क ितर मार डाल कस समयक

सबोवध स चतनय स धयान स और वजसक भीतर धयान फल गया और ितर मर गए उसक भीतर जो बच

रहता ह वही भगवतता ह

यह पयारा मतर ह और इसका समरण वजतना हो उतना अछा ह तो यह बराहमणी कोई भी मौका आए

चकती नही िी छीक आए तो खासी आए तो दफसलकर वगर पड़ तो कछ भी मौका वमल दकसी भी वनवमतत

समरण करती िी भगवान का उसक घर भोज िा उस ददन पर दफसलकर वगर पड़ी भागा-भागी म सामान

लाती होगी परसती होगी समहलत ही उसन कहाः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

इस सनकर उसक पवत क भाई भारदवाज न उस बहत डाटा सारा पररवार ववरोधी िा बदध का

ऐसा रोज यहा होता ह जया बठी होगी कही उसक पवत न उस अलटीमटम द ददया ह दक अगर

सनयासी रहना ह तो मरा घर बद अगर मर घर आना ह तो सनयास की बात छोड़ दो अब कछ भी वबगड़ता

नही ह पवत का उसक सनयसत होन स लदकन दभ को चोट लगती होगी अहकार को पीड़ा होती होगी यह

बात भी बदामशत नही की जा सकती दक मरी पतनी धयान म मझस आग जा रही ह दक मझस जयादा िात हो

रही ह

पवत का दभ बड़ा भयकर होता ह पतनी दकसी भी वसिवत म पवत स आग नही होनी चावहए इसवलए तो

लोग लबी सतरी स िादी नही करत िरीर म भी लबी नही होनी चावहए हदद हो गयी पढ़ी-वलखी सतरी को वर

नही वमलत कयोदक वह कम पढ़ी-वलखी होनी चावहए परष का अहकार

अगर परष बीए ह तो वह पीएचड़ी लड़की स िादी नही करगा वह कहगाः हम चपरासी मालम

पड़ग तो लड़की कम स कम मरटरक हो तो चलगी

इसवलए सददयो तक आदमी न वसतरयो को पढ़न नही ददया और इसम कछ आशचयम नही ह दक वसतरयो की

लबाई नीची कयो रह गयी ह कोई कारण नही ह लबाई उनकी परषो जसी हो सकती ह लदकन कोई परष

िादी करन को राजी नही ह लबी सतरी स तो हर परष अपन स रठगनी सतरी खोजता ह इसका पररणाम यह

होता ह दक जब बट पदा होत ह तो व परष क अनसार लब हो जात ह और जब बटी पदा होती ह तो वह सतरी

क अनसार छोटी हो जाती ह दफर उस बटी को भी अपन स लबा पवत वमलगा और इसी तरह सददयो स चल

रहा ह तो धीर-धीर परी नसल वसतरयो की छोटी हो गयी ह बहत लबी वसतरयो को िायद पवत ही न वमल होग

करठन होता ह लबी सतरी तमहार बगल म चलती हो कोई पछ दक आप कौन तो पतनी ह कहन म जरा

घबड़ाहट होती ह

पवशचम म वसतरया इसका बदला लन लगी ह इसवलए ऊची ऐड़ी क जत पहनन पड़ रह ह वह वसफम

बदला ह परष स--दक तम कया समझत हो चलो कोई बात नही हम ऐस लब नही ह तो हम लबी ऐड़ी का

जता पहनकर तमहार बराबर ऊचाई कर लग पवशचम म वसतरयो की लबाई बढ़न लगी ह सौ दो सौ वषम म

पवशचम म सतरी-परषो की लबाई बराबर हो जाएगी

हर बात म सतरी छोटी होनी चावहए अब जया क पवत को कया कषट हो सकता ह पतनी कोई िराब नही

पीन लगी ह कोई जआ नही खलन लगी ह पतनी वसफम धयान कर रही ह कभी-कभी भवि-भाव म होकर

नाचती ह जया म गण ह मीरा जसा वखल--तो मीरा हो जाए इसक नाच स तकलीफ ह इसक गीत स

तकलीफ ह इसकी परसिता स अड़चन ह तो या सनयास या घर स बाहर हो जाओ घर स बाहर वनकाल ददया

ह उस

174

अब सनयास वजसको फल गया ह छोड़ना असभव ह म भी समझाऊ तो वह राजी नही होगी म भी

उस कह दक लौट जा वापस तो अब वह वापस नही लौटगी कयोदक वजस सवाद लग गया ह अब वह पवत को

छोड़न को तयार ह घर जान को तयार नही ह

अब समझ लना गाली तो मझ पर पड़न वाली ह कयोदक समझा यही जाएगा दक मन भड़काया होगा

मन कहा होगा--छोड़ो मन नही कहा ह लदकन पवत अपन आप धकका द रहा ह पवत अपन आप अपन पररवार

को बरबाद कर रहा ह दफर कहता दफरगा दक मन पररवार बरबाद कर ददया ह अब बचच ह पतनी घर स चली

गयी और वजममवार खद ह

ऐस ही उस बराहमणी का पररवार ववरोध म रहा होगा वछपात होग इस बात को व दक हमार घर की

बराहमणी हमार घर की सतरी बदध क धमम म सवममवलत हो गयी ह वछपाकर रखत होग दकसी को बतात नही

होग और यह अड़चन हो गयी दक सबक सामन महमानो क सामन पर दफसलकर वगरी और उसन कह ददयाः

नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस यह तो सारी बात खल गयी यह तो सबको पता चल गया दक यह

बराहमणी अब बराहमणी नही रही इसन तो बदध क धमम को अगीकार कर वलया ह

उसक पवत का छोटा भाई एकदम करदध हो गया उसन कहाः नषट हो दषटा जहा नही वहा ही उस मड

शरमण की परिसा करती ह

तम सोच रखना लोग मझ ही गाली दत ह ऐसा नही व बदध को भी गाली द रह ि व कषण को भी

गाली द रह ि व महावीर को भी गाली द रह ि उनका काम ही गाली दना रहा ह

और दफर बोलाः आज म तर उस शरमण गौतम क साि िासतरािम करगा और उस हराऊगा

बराहमणी हसी और बोली

हसी हसी इसवलए दक यह अछा ही हआ चलो इस बहान ही तम चल जाओ कभी कोई दशमनी क

बहान भी बदध क पास आ जाए तो भी पास तो आया चलो इसी बहान सही िायद इसी बहान कोई दकरण

पकड़ ल कोई गध पकड़ ल िायद इसी बहान बदध स पहचान हो जाए कौन जान

और कभी-कभी ऐसा होता ह दक जब आदमी करोध स उबलता होता ह तो ऐसा होता ह जस दक आग स

लाल हो रहा लोहा उस पर चोट पड़ तो जलदी रपातरण हो जाता ह ठड लोह को नही बदला जा सकता ह

गरम लोह को बदला जाता ह इसवलए लोहार पहल लोह को गरम करता ह गरम लोहा बदला जा सकता ह

अब यह भारदवाज गरम लोह की तरह चला बदध की तरफ उबल रहा ह सौ वडगरी पर उसका पारा ह

भाप बन रही ह उसक भीतर बराहमणी हसी होगी और उसन कहाः नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस

उसन कहाः धनय हो भगवान खब तरकीब वनकाली खब मझ वगराया और मतर वनकलवा ददया और अब यह

मरा दवर चला तमहार चककर म अछा हआ नमसकार हो भगवान को नमसकार हो अहमत को नमसकार हो

समयक सबदध को

और उसन कहाः जाओ बराहमण जाओ िासतरािम करो यदयवप उन भगवान क साि िासतरािम करन म कौन

समिम ह दफर भी तम जाओ कछ भला होगा चलो इस बहान ही सही दशमन की तरह ही जाओ दोसत की

तरह न जा सक अभाग हो चलो दशमन की तरह जाओ यह भी भागय का कषण बन सकता ह

बराहमण करोध और अहकार और ववजय की आकाकषा म जलता हआ बदध क पास गया वह ऐस िा जस

साकषात जवर हो उसका सब जल रहा िा लदकन भगवान को दखत ही कछ हआ जस िीतल वषाम हो गयी

175

कभी-कभी ऐसा हो जाता ह ठीक तवरा म कोई बात परवि कर जाती ह कनकन आदमी नही बदल जा

सकत ठड आदमी नही बदल जा सकत लदकन गरम आदमी बदल जा सकत ह

जो बदध क ववरोध म इतना उतति हो सकता ह--वबना बदध को जान वबना बदध को पहचान वजसन कभी

उन आखो म नही झाका उस पयारी दह को भी नही दखा उस पयारी आतमा क दिमन भी नही दकए उसक

वातावरण म भी नही गया उस माहौल की कछ खबर नही ह दक वहा कया हो रहा ह वह इतनी उतति दिा म

आया होगा तो जस जलता हआ लोहा कोई पानी म फक द ऐस बदध की उस छाया म उस िीतल छाया म

चमतकत हो गया होगा

समझना अगर सामानयतया आया होता सोचता दक चलो एक ददन चलकर दखः कौन ह कया ह

तो िायद पररणाम न होता कयोदक ठडा-ठडा आता ठड लोह को पानी म फक दो कछ भी न होगा गरम

लोह को फको बड़ी आवाज होगी ठड लोह को फको पता भी न चलगा गरम लोह को फको तो गरम लोहा

रपातररत होगा ठडा लोहा रपातररत नही होगा कयोदक ठडा अब और कया ठडा होगा

यह गरम आया िा इसवलए बदध की जो िोड़ी सी बद इस पर पड़ी होगी ततकषण रपातरकारी हो गयी

चाह परम म गरम जाओ चाह घणा म गरम जाओ बदधो क पास गरम जाना ठड मत जाना

उनकी उपवसिवत म उसका करोध अचानक बझ गया जस िीतल वषाम हो गयी उनकी आखो को दख

उस वयवि को जीतन की नही उस वयवि स हारन की आकाकषा जाग उठी

परम का मतलब यही होता ह--हारन की आकाकषा वजसस तम हारना चाहत हो उसस तमह परम ह

वजसस तम जीतना चाहत हो उसस तमह कस परम होगा परम की कला हः हारकर जीतना हारन स िरआत

ह जीतन म अत ह परमी हारता ह झकता ह और जीत लता ह

इस िात बठ आदमी को दखकर इस परसादपणम आदमी को दखकर ऐसा आदमी तो इस बराहमण न

कभी दखा नही िा ठगा रह गया होगा फककतमवयववमढ़ हो गया होगा एक कषण को--अवाक रठठका हआ मन

हआः झक जाऊ मन हआः इन चरणो म वसर रख द

उसन कछ परशन पछ अब वववाद क वलए नही ममकषा स और भगवान क उततरो को पा वह समाधान को

उपलबध हआ

जब कोई ममकषा स पछता ह तो ही उततर हदय तक पहचता ह जब कोई वववाद क वलए पछता ह तो

उततर ददए जात ह लदकन पहचत नही अगर उसन वववाद स पछा होता तो बदध न उततर ददए भी न होत

यही बदध की परदकरया िी

जब कोई वववाद स पछता तो बदध कहतः बठो कछ दर रको कछ दर मर पास रहो सालभर बाद

पछना सालभर बदध अपनी हवा म उस रखत सालभर बदध औरो क परशनो क उततर दत न मालम दकतन परशनो

क उततर दत और इस आदमी को चपचाप वबठा रखत वजस ददन इसक भीतर वववाद की भाव-दिा चली

जाती और वजस ददन इसक भीतर वजजञासा उठती ममकषा उठती इसवलए पछता दक जानना चाहता ह

इसवलए नही दक जनाना चाहता ह इसवलए नही दक खडन करन को उतसक ह बवलक इसवलए दक अब

रपातररत होन की तयारी ह

तो जब कोई रपातररत होना चाहता ह तो उततर ततकषण पहच जात ह हदय क गहनतम म हदय की

अवतम गहराई को छ लत ह सपददत कर दत ह सवग का उदय होता ह वयवि रोमावचत हो जाता ह

समाधान उपलबध होता ह

176

भगवान क उततरो को पा वह समाधान को उपलबध हआ समावध लग गयी दफर घर नही लौटा

बदध क पास जाकर जो लौट आए वह गया ही नही गया होगा--दफर भी गया नही गया होगा--पहचा

नही िरीर स गया होगा--मन स नही गया

जो बदध क पास गया वह गया ही सदा को गया वह उनका ही होकर लौटगा उस रग म वबना रग जो

लौट आए वह गया--ऐसा मानना ही मत

दफर घर नही लौटा बदध का ही हो गया बदध म ही खो गया वह उसी ददन परवरवजत हआ और उसी ददन

अहमतव को उपलबध हआ

इतनी गरमी म जो परवरवजत होगा इतनी गरमी स जो ठडा होगा वह रपातररत हो जाएगा

उपकषा मत करना धनयभागी हो अगर परम कर सको अगर परम न कर सको तो दसरा धनयभाग--दक

घणा करना मगर उपकषा मत करना

नीति न वलखा ह दक ईशवर मर गया ह परमाण परमाण दक अब न तो कोई ईशवर क पकष म ह और न कोई

ववपकष म ह सब लोग उपकषा स भर गए ह अब कोई वववाद भी नही करता दक ईशवर ह या नही

अगर कही तम वववाद भी करो तो लोग कहत हः भई होगा उसको उस पर छोड़ो अभी तो चाय

पीयो दक अभी रवडयो स नयज आ रही ह गड़बड़ बीच म न करो ईशवर होगा मान वलया होगा झझट कौन

खड़ी कर नाहक वववाद कौन कर समय कौन खराब कर

लोग उपकषा स जब भरत ह तभी ईशवर स सबध छट जाता ह अछ ि ददन जब नावसतक ि और

आवसतक ि और गहन वववाद िा और गरमा-गरमी िी अछ ि ददन कयोदक ईशवर सजदा िा सजदा िा अिामत

हमस सबध होता िा हमस जड़ता िा

नावसतक कभी आवसतक हो सकता ह लदकन जो कहता हः भई होगा सताओ न बकार की बात न

उठाओ हम कहा कहत ह दक नही ह हम मददर जात ह गीता पर फल भी चढ़ा दत ह कभी-कभी गीता

उलट-पलट भी लत ह होगा जरर होगा आप कहत ह तो होना ही चावहए मगर वयिम की बकवास खड़ी न

करो ऐसा जो आदमी ह इसक जीवन म ईशवर मर गया ह ऐस जीवन म बदध स कोई ससगम नही हो सकता

अछ ि व लोग दक कम स कम उतति होत ि

जीसस को लोगो न सली दी अब अगर आए तो िायद उपकषा कर और उपकषा जयादा बड़ी सली हो

जाएगी

बदध को लोगो न गावलया दी ठीक िा गाली दन का मतलब ही यह होता ह दक तम उवदवगन तो हो गए

सबध तो जड़न लगा ितरता का सही ितरता वमतरता म बदल सकती ह ितरता भी एक तरह की वमतरता ह

उसकी खबर घर पहची बराहमणी क पवत को भी भयकर करोध आया उसन कहाः यह तो हदद हो गयी

मरा भाई भी मर हाि स गया मरी पतनी तो पहल ही जा चकी िी मरा भाई भी मर हाि स गया

वह भी भगवान को नाना परकार क आकरोिन करता हआ रासत पर गावलया दता हआ असभय िबदो को

बोलता हआ वणवन गया जहा भगवान ववहरत ि और वह भी भगवान क पास जा ऐस बझ गया जस जलता

अगार जल म वगरकर बझ जाता ह ऐसा ही उसक अनय दो भाइयो क साि भी हआ वभकष भगवान का

चमतकार दख चदकत ि

177

चमतकार कछ भी नही ह जल म अगारा वगर बझ जाए चमतकार कया ह सवाभाववक ह अगार का

जलना सवाभाववक ह जल का िीतल होना सवाभाववक ह दफर अगार का जल म वगरकर बझ जाना

सवाभाववक ह सब सवाभाववक ह

कहन लगः आवसो बदध-गण म बड़ा चमतकार ह ऐस दषट अहकारी करोधी वयवि भी िातवचतत हो

सनयसत हो गए ह और बराहमण-धमम को छोड़ ददए ह

भगवान न कहाः वभकषओ भल न करो उनहोन बराहमण-धमम नही छोड़ा ह वसततः पहल व बराहमण नही

ि और अब बराहमण हए ह

दफर भी बदध को यह दि समझ नही पाया इस दि न यही समझा दक बदध न सहद-धमम नषट कर ददया

बदध इस पथवी क सबस बड़ सहद ि उनस बड़ा सहद न पहल पदा हआ न पीछ पदा हआ मगर सहद नासमझ ि

और चक गए बदध न बराहमणतव को जो मवहमा दी िी वह दकसी न भी कभी नही दी ह

लदकन अकसर यह भल हो जाती ह अकसर ऐसा हो जाता ह

जीसस सबस बड़ यहदी ि पथवी क उनस बड़ा कोई यहदी न पहल हआ न पीछ हआ लदकन यहददयो

न ही छोड़ ददया फासी लगा दी बदध सबस बड़ सहद ि और सहदओ न ही उनका तयाग कर ददया और

सहदसतान स बदध-धमम को उखाड़ फका पता नही मनषय कब समझदार होगा कब इसकी आख खलगी यह

अपन घर म आयी सपदा को असवीकार करन की इसकी परानी आदत ह

जीसस न कहा हः पगबर अपन गाव म नही पजा जाता अपन लोगो क दवारा नही पजा जाता इसस

पगबर की कछ हावन होती ह सो नही पगबर की कया हावन होनी ह लदकन व लोग जो सवामवधक लाभावनवत

हो जात सबस जयादा ववचत रह जात ह

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह उस बदधपरष को म बराहमण कहता

नदधा अिामत करोध साकल अिामत मोह रससी अिामत लोभ और खटा अिामत काम वजसन काम करोध

मोह लोभ--इन चार को उखाड़ फका ह

वजसन नदधा रससी साकल को काटकर खट को भी उखाड़ फका ह

सबकी जड़ खट म ह--काम म काम क कारण ही और सब चीज पदा होती ह इस खयाल रखना

इसवलए काम मल जड़ ह िष िाखाए ह वकष की फल-पतत ह असली चीज जड़ ह--काम कयो

कयोदक जब तमहार काम म कोई बाधा डालता ह तो करोध पदा होता ह जब तमहारा काम सफल होन

लगता ह तो लोभ पदा होता ह जब तमहारा काम सफल हो जाता ह तो मोह पदा होता ह

समझो उदाहरण क वलए तम एक सतरी को पाना चाहत हो और एक दसर सजजन परवतयोवगता करन

लग तो करोध पदा होगा तम परवतयोगी को मारन को उतार हो जाओग भयकर ईषयाम जगगी आग की लपट

उठन लगगी अगर तम सतरी को पा लो तो तम चाहोग दक जो तमहारी हो गयी ह वह अब सदा क वलए

तमहारी हो कही कल दकसी और की न हो जाए तो लोभ पदा हआ अब तमहार भीतर सतरी को पररगरह बना

लन की इछा हो गयी दक वह मरी हो जाए सब तरफ दवार-दरवाज बद कर दोग दीवाल क भीतर उस वबठा

दोग एक पीजड़ म वबठा दोग और ताला लगा दोग दक अब दकसी और की कभी न हो जाए लोभ पदा हआ

दफर वजसस सख वमलगा उसस मोह पदा होगा दफर उसक वबना एक कषण न रह सकोग जहा जाओग उसी

की याद आएगी वचतत उसी क आसपास मडराएगा और इन सबक खट म कया ह काम ह

178

तो बदध कहत हः वजसन नदधा--करोध उखाड़ फका साकल तोड़ दी--मोह उखाड़ फका रससी तोड़ दी--

लोभ उखाड़ फका और इतना ही नही जो खट को भी काटकर फक ददया ह उखाड़कर फक ददया ह उस

बदधपरष को म बराहमण कहता ह

वजसक भीतर काम नही रहा उसक भीतर ही राम का आववभामव होता ह यह काम की ऊजाम ही जब

और सार ववषयो स मि हो जाती ह तो राम बन जाती ह राम कछ और ऊजाम नही ह वही ऊजाम ह हीरा

जब पड़ा ह कड़-करकट म और वमटटी म दबा ह तो काम और जब हीर को वनखारा गया साफ-सिरा दकया

गया और दकसी जौहरी न हीर को पहल ददए--तो राम

काम और राम एक ही ऊजाम क दो छोर ह काम की ही अवतम ऊचाई राम ह और राम का ही सबस

नीच वगर जाना काम ह

जो वबना दवषत वचतत दकए गाली वध और बधन को सह लता ह कषमा-बल ही वजसक बल का सनापवत

ह उस म बराहमण कहता ह

छततवा नसनद वरततच सनदाम सहनककम

उवकखततपवलघ बदध तमह बरवम बराहमण

अककोस बधबनधच अदटठो यो वतवतकखवत

खवनतबल बलानीक तमह बरवम बराहमण

ऐस वयवि को म बदध ऐस वयवि को म बराहमण कहता ह वजसन जीवन क सार बधन काट डाल ह जो

परम सवततरता को उपलबध हो गया ह वजसकी ऊजाम पर अब कोई सीमा नही ह वजसको पख लग गए ह

नमो तसस भगवतो अरहतो सममासबदधसस--जो भगवान हो गया ह जो अहमत हो गया ह जो समयक

सबोवध को पराि हो गया ह वही बराहमण ह

इसवलए बदध न कहाः वभकषओ ऐसी भरावत मत करो दक इनहोन बराहमण-धमम छोड़ ददया य पहल बराहमण

ि ही नही अब पहली दफा बराहमण हए ह अब पहली दफा बरहम स पररवचत हए ह अब पहली दफा बदधतव का

सवाद लगा ह मन इनह बराहमण बनाया ह

काि यह बात सहद समझ पात काि यह बात यह दि समझ पाया होता तो इस दि का सबस पयारा

बटा इस दि स वनषकावसत नही होता और इस दि को जो अपवम सपदा वमली िी वह दसरो क हाि न पड़ती

हजारो लोग चीन और जापान और िाईलड और बमाम और कोररया और लका म बदध क मागम पर चलकर

बदधतव को उपलबध हए ह व हजारो लोग यहा भी उपलबध हो सकत ि लदकन यहा एक भरावत पकड़ गयी दक

बदध बराहमण-धमम ववरोधी ह

बदध तिाकवित बराहमणो क ववरोधी ि बदध तिाकवित वद और उपवनषदो क ववरोधी ि लदकन असली

वद और असली उपवनषद और असली बराहमण का कोई कस ववरोधी हो सकता ह

आज इतना ही

179

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ बीस परवचन

अपप दीपो भव

पहला परशनः म तमही स पछती ह मझ तमस पयार कयो ह

कभी तम जदा न होओग मझ यह ऐतबार कयो ह

पछा ह मा योग परजञा न

परम क वलए कोई भी कारण नही होता और वजस परम का कारण बताया जा सक वह परम नही ह परम क

साि कयो का कोई भी सबध नही ह परम कोई वयवसाय नही ह परम क भीतर हत होता ही नही परम अकारण

भाव-दिा ह न कोई ितम ह न कोई सीमा ह

कयो का पता चल जाए तो परम का रहसय ही समाि हो गया परम का कभी भी िासतर नही बन पाता

इसीवलए नही बन पाता परम क गीत हो सकत ह परम का कोई िासतर नही कोई वसदधात नही

परम मवसतषक की बात नही ह मवसतषक की होती तो कयो का उततर वमल जाता परम हदय की बात ह

वहा कयो का कभी परवि ही नही होता

कयो ह मवसतषक का परशन और परम ह हदय का आववभामव इन दोनो का कही वमलना नही होता इसवलए

जब परम होता ह तो बस होता ह--बबझ रहसयपणम अजञात ही नही--अजञय ऐसा भी नही दक दकसी ददन जान

लोग

इसीवलए तो जीसस न कहा दक परम परमातमा ह इस पथवी पर परम एक अकला अनभव ह जो परमातमा

क सबध म िोड़ इवगत करता ह ऐसा ही परमातमा ह--अकारण अहतक ऐसा ही परमातमा ह--रहसयपणम

ऐसा ही परमातमा ह वजसका दक हम आर-पार न पा सक ग परम उसकी पहली झलक ह

कयो पछो ही मत यदयवप म जानता ह कयो उठता ह कयो का उठना भी सवाभाववक ह आदमी हर

चीज का कारण खोजना चाहता ह इसी स तो ववजञान का जनम हआ कयोदक आदमी हर चीज का कारण

खोजना चाहता ह दक ऐसा कयो होता ह जब कारण वमल जाता ह तो ववजञान बन जाता ह और वजन चीजो

का कारण नही वमलता उनही स धमम बनता ह धमम और ववजञान का यही भद ह कारण वमल गया तो ववजञान

वनरममत हो जाएगा

परम का ववजञान कभी वनरममत नही होगा और परमातमा ववजञान की परयोगिाला म कभी पकड़ म नही

आएगा जीवन म जो भी परम ह--सौदयम सतय परम--उन पर ववजञान की कोई पहच नही ह व ववजञान की

पहच क बाहर ह जीवन म जो भी महतवपणम ह गररमापणम ह वह कछ अजञात लोक स उठता ह तमहार भीतर

स ही उठता ह लदकन इतन अतरतम स आता ह दक तमहारी पररवध उस नही समझ पाती तमहार ववचार करन

की कषमता पररवध पर ह और तमहार परम करन की कषमता तमहार क दर पर ह

क दर तो पररवध को समझ सकता ह लदकन पररवध क दर को नही समझ सकती कषदर ववराट को नही समझ

सकता ववराट कषदर को समझ सकता ह छोटा बचचा बढ़ को नही समझ सकता बढ़ा छोट बचच को समझ सकता

180

परम बड़ी बात ह--मवसतषक स बहत बड़ी मवसतषक स ही कयो--परम तमस भी बड़ी बात ह इसीवलए तो

तम अवि हो जात हो परम का झोका जब आता ह तम कहा बचत हो परम का मौसम जब आता ह तम कहा

बचत हो परम की दकरण उतरती ह तम वमट जात हो तमस भी बड़ी बात ह तो तम कस समझ पाओग तम

तो बचत ही नही जब परम उतरता ह जब परम नाचता हआ आता ह तमहार भीतर तम कहा होत हो खदी

बखदी हो जाती ह आतमा अनातमा हो जाती ह एक िनय रह जाता ह उस िनय म ही नाचती ह दकरण परम

की परािमना की परमातमा की

नही उस तम न समझ पाओग जब तम लौटत हो तब परम जा चका जो समझ सकता िा जब आता ह

तो वजस समझना िा वह जा चका और वजस समझना ह जब वह वहा होता ह तमहार भीतर तो जो समझना

चाहता ह वह मौजद नही होता

कबीर न कहा हः हरत हरत ह सखी रहया कबीर हराइ खोजन चला ह कबीर कहत ह परमातमा को

खोजन चला िा खोजत-खोजत कबीर तो खो ही गया और वजस कषण कबीर खोया उसी कषण परमातमा स

वमलन हआ

यह वमलन बड़ा ववरोधाभासी ह खोजी तो चला गया तब खोज परी हई--खोजी क जान पर तो वमलन

कहा पहल कबीर िा अब परमातमा ह वमलन कहा कबीर तो अब नही ह जब तक कबीर िा तब तक

परमातमा नही िा अब परमातमा ह तो कबीर नही ह ऐसी दिा ह परम की

कबीर न कहा हः परम गली अवत साकरी ताम दो न समाय इसका तमन एक अिम तो सदा वलया ह दक

परमी और परयसी दो एक साि न समा सक ग उनको एक हो जाना पड़गा इसका एक और गहरा अिम हः परम म

मवसतषक और हदय भी न समा सक ग एक ही समा सकता ह

कयो उठता ह मवसतषक स खजलाहट ह मवसतषक की उसका कोई मलय भी नही ह उठना सवाभाववक

ह लदकन अब धीर-धीर सवभाव स भी ऊपर उठो तादक परम सवभाव वमल

म तमही स पछती ह मझ तमस पयार कयो ह

नही इसका कोई उततर नही हो सकता वकष हर कयो ह चाद-तारो म रोिनी कयो ह आकाि म बादल

कयो भटकत ह सबह सरज कयो वनकलता ह पकषी परभात म गीत कयो गात ह

वजञावनक स पछोग कछ न कछ उततर खोज लाएगा लदकन उस उततर स भी कछ हल नही होता

वजञावनक स पछोग वकष हर कयो ह तो कहगा कयोदक कलोरोदफल वकषो म ह लदकन इसस कछ हल नही

हआ यह कोई परशन का उततर न हआ वसफम परशन को टालना हआ दफर परशन खड़ा हो जाएगा दक वकषो म

कलोरोदफल ह कयो दफर अटक गयी बात

डीएचलारस न ठीक उततर ददया ह एक छोट बचच क साि घमता ह लारस एक बगीच म और जसा

बचच पछत ह बचच न पछाः वकष हर कयो ह वहाय द टरीज आर गरीन और डीएचलारस न कहाः द आर गरीन

वबकाज द आर गरीन वकष हर ह कयोदक हर ह और बचचा राजी हो गया और बचचा हसा और बचच को बात

जची

बचच जस सरल हो जाओ तो तमह मरी बात समझ म आ जाएगी म जो कह रहा ह बस परम ह जस

वकष हर ह--अकारण

इस जगत म कारण नही ह कारण की खोज बड़ी कषदर ह इस जगत म कारण ह ही नही यह जगत

इसीवलए तो लीला कहा गया ह खल ह कारण नही ह

181

तम एक मकान बना रह हो उसम कारण होता ह दक रहोग और एक छोटा बचचा ताि क पततो को

जमाकर मकान बना रहा ह इसम कया कारण ह तम बाजार जा रह हो इसम कारण ह दकान जाना ह

धधा करना ह पसा कमाना ह रोटी-रोजी चावहए छपपर चावहए और एक बचचा कमर म चककर लगा रहा ह

इसम कया कारण ह

एक आदमी सबह घमन वनकला ह कही जा नही रहा ह इसम कोई कारण नही ह कही स लौट आए

कही बठ जाए न जाए तो कोई बात नही ह

यह जगत अकारण ह यहा इतना सब कछ हो रहा ह लदकन इस होन क पीछ कोई हत कोई वयवसाय

नही ह वजसन ऐसा जाना वह मि हो गया वजसन ऐसा पहचाना उसक सार बधन वगर गए कयोदक दफर

कया बधन रह दफर कया सचता रही सचता तभी तक हो सकती ह जब हम कछ करन को उतार ह अगर यह

जगत अपन स हो ही रहा ह तो सचता कहा रही

तमह सचता पकड़ सकती ह अगर तम सोचो दक मर िरीर क भीतर खन बह रहा ह कही रक जाए रात

सोत म न बह दफर कया करगा हदय धड़क रहा ह और हम तो सो गए--और न धड़क दफर म कया करगा

शवास तो चल रही ह रक जाए दफर म कया करगा तो तम मवशकल म पड़ जाओग तो सचता पदा हो

जाएगी

जब तक शवास चल रही ह चल रही ह जब नही चल रही ह तब नही चल रही ह न चलन म कोई

कारण ह न न चलन म कोई कारण ह लीला ह खल ह

इस तरह जीवन को दखो तो तम सचताओ क बाहर होन लगो और जो सचताओ क बाहर हआ वही

मददर म परववषट होता ह

कभी तम जदा न होग मझ यह ऐतबार कयो ह

यह ऐतबार भी परम का अतरग भाग ह जस फल म सगध होती ह ऐस परम म ऐतबार होता ह परम म

शरदधा का दीया जलता ह परम म एक भरोसा होता ह उस भरोस का भी कोई कारण नही ह लदकन बस परम

म वह भरोसा पाया जाता ह जस फलो म सगध पायी जाती ह जस पानी नीच की तरफ बहता ह और आग

गरम ह ऐस ही परम का गण शरदधा ह वह उसकी आतमा ह परम क दीए म शरदधा का परकाि होता रहता ह

परशन पयारा ह मगर उततर मत खोजो उततर को जान दो परम को जीयो और यह जो ऐतबार जगा ह यह

जो शरदधा जगी ह इस पर समरपमत हो जाओ इस पर सब नयोछावर कर दो इसम डबकी मार लो इसम वमट

जाओ इसम खो जाओ और तम सब पा लोग

खोना ही पान का सतर ह वजसन बचाया वह चका वजसन कजसी की वह गरीब रह गया वजसन

लटाया उसन पाया जो डबा वह पहचा मझधार म डबन की वहममत चावहए तो मझधार ही दकनारा हो

जाती ह और मझधार ही दकनारा हो तभी कछ मजा ह

दसरा परशनः भगवान बदध न कहा हः अपन दीए आप बनो तो कया सतय की खोज म दकसी भी सहार की

कोई जररत नही ह

यह जानन को भी तो तमह बदध क पास जाना पड़गा न --अपन दीए आप बनो इतनी ही जररत ह गर

की गर तमहारी बसाखी नही बनन वाला ह जो बसाखी बन जाए तमहारी वह तमहारा दशमन ह गर नही ह

182

कयोदक जो बसाखी बन जाए तमहारी वह तमह सदा क वलए लगड़ा कर दगा और अगर बसाखी पर तम वनभमर

रहन लग तो तम अपन परो को कब खोजोग अपनी गवत कब खोजोग अपनी ऊजाम कब खोजोग

जो तमह हाि पकड़कर चलान लग वह गर तमह अधा रखगा जो कहः मरा तो दीया जला ह तमह दीया

जलान की कया जररत दख लो मरी रोिनी म चल आओ मर साि उस पर भरोसा मत करना कयोदक आज

नही कल रासत अलग हो जाएग कब रासत अलग हो जाएग कोई भी नही जानता कब मौत आकर बीच म

दीवाल बन जाएगी कोई भी नही जानता तब तम एकदम घपप अधर म छट जाओग गर की रोिनी को

अपनी रोिनी मत समझ लना

ऐसी भल अकसर हो जाती ह

सदफयो की कहानी ह दक दो आदमी एक रासत पर चल रह ह एक आदमी क हाि म लालटन ह और

एक आदमी क हाि म कोई लालटन नही ह कछ घटो तक व दोनो साि-साि चलत रह ह आधी रात हो गयी

मगर वजसक हाि म लालटन नही ह उस इस बात का खयाल भी पदा नही होता दक मर हाि म लालटन नही

ह जररत कया ह दसर आदमी क हाि म लालटन ह और रोिनी पड़ रही ह और वजतना वजसक हाि म

लालटन ह उसको रोिनी वमल रही ह उतनी उसको भी वमल रही ह वजसक हाि म लालटन नही ह दोनो मज

स गपिप करत चल जात ह दफर वह जगह आ गयी जहा लालटन वाल न कहाः अब मरा रासता तमस अलग

होता ह अलववदा दफर घपप अधरा हो गया

आज नही कल गर स ववदा हो जाना पड़गा या गर ववदा हो जाएगा सदगर वही ह जो ववदा होन क

पहल तमहारा दीया जलान क वलए तमह सचत कर इसवलए बदध न कहा हः अपप दीपो भव अपन दीए खद

बनो यह भी सजदगीभर कहा लदकन नही सना लोगो न वजनहोन सन वलया उनहोन तो अपन दीए जला

वलए लदकन कछ इसी मसती म रह दक करना कया ह बदध तो ह

आनद स कही ह यह बात उनहोन आनद भी उनही नासमझो म एक िा जो बदध की रोिनी म चालीस

साल तक चलता रहा सवभावतः चालीस साल तक रोिनी वमलती रह तो लोग भल ही जाएग दक अपन पास

रोिनी नही ह दक हम अध ह चालीस साल तक दकसी जाग का साि वमलता रह तो सवभावतः भल हो

जाएगी लोग यह भरोसा ही कर लग दक हम भी पहच ही गए रोिनी तो सदा रहती ह भल-चक होती नही

भटकत नही गडढो म वगरत नही

और आनद बदध क सवामवधक वनकट रहा चालीस साल छाया की तरह साि रहा सबह-साझ रात-ददन

चालीस साल म एक ददन भी बदध को छोड़कर नही गया बदध वभकषा मागन जाए तो आनद साि जाएगा बदध

सोए तो आनद साि सोएगा बदध उठ तो आनद साि उठगा आनद वबलकल छाया िा भल ही गया होगा

उसको हम कषमा कर सकत ह चालीस साल रोिनी ही रोिनी उठत-बठत रोिनी जागत-सोत रोिनी भल

ही गया होगा

दफर बदध का अवतम ददन आ गया रासत अलग हए और बदध न कहा दक अब मरी आवखरी घड़ी आ

गयी अब म ववदा लगा वभकषओ दकसी को कछ पछना हो तो पछ लो बस आज म आवखरी सास लगा

वजनहोन अपन दीए जला वलए ि व तो िात अपन दीए जलाए बठ रह परम अनगरह स भर हए--दक न

वमलता बदध का साि तो िायद हम याद भी न आती दक हमार भीतर दीए क जलन की सभावना ह न

वमलता बदध का साि न बदध हम चोट करत रहत बार-बार दक जागो जागो जलाओ अपना दीया तो िायद

183

हम पता भी होता िासतर स पढ़कर दक हमार भीतर दीए क जलन की सभावना ह तो भी हमन न जलाया

होता हम यह भी पता होता दक सभावना ह जल भी सकता ह तो वववध मालम नही िी

आवखर दीया बनाना हो तो वववध भी तो होनी चावहए बाती बनानी आनी चावहए तल भरना आना

चावहए दफर दीया ऐसा होना चावहए दक तल बह न जाए दफर दीए की समहाल भी करनी होती ह नही तो

कभी बाती तल म ही वगर जाएगी और दीया बझ जाएगा वह साज-समहाल भी आनी चावहए वववध भी आनी

चावहए दफर चकमक पतिर भी खोजन चावहए दफर आग पदा करन की कला भी होनी चावहए

तो अनगरह स भर ि वजनहोन पा वलया िा व तो िात चपचाप बठ रह गहन आनद म गहन अहोभाव

आनद दहाड़ मारकर रोन लगा उसन कहाः यह आप कया कह रह ह यह कहो ही मत मरा कया होगा

आ गया रासता अलग होन का कषण आज उस पता चला दक य चालीस साल म तो अधा ही िा यह

रोिनी उधार िी यह रोिनी दकसी और की िी और यह ववदाई का कषण आ गया और ववदाई का कषण आज

नही कल दर-अबर आएगा ही

तब बदध न कहा िाः आनद दकतनी बार मन तझस कहा ह अपप दीपो भव अपना दीया बन त सनता

नही अब त समझ चालीस साल वनरतर कहन पर तन नही सना इसवलए रोना पड़ रहा ह दख उनको

वजनहोन सना व दीया बन िात अपनी जगह बठ ह

बदध क जान स एक तरह का सवग ह इस अपवम मनषय क साि इतन ददन रहन का मौका वमला आज

अलग होन का कषण आया तो एक तरह की उदासी ह मगर दहाड़ मारकर नही रो रह ह कयोदक यह डर नही

ह दक अधरा हो जाएगा अपना-अपना दीया उनहोन जला वलया ह

तम पछत होः भगवान बदध न कहा ह अपन दीए आप बनो तो कया सतय की खोज म दकसी भी सहार

की कोई जररत नही ह

यह जरा नाजक सवाल ह नाजक इसवलए दक एक अिम म जररत ह और एक अिम म जररत नही ह इस

अिम म जररत ह दक तम अपन स तो िायद जाग ही न सकोग तमहारी नीद बड़ी गहरी ह कोई तमह जगाए

लदकन इस अिम म जररत नही ह दक दकसी दसर क जगान स ही तम जाग जाओग जब तक तम ही न

जागना चाहो कोई तमह जगा न सकगा और अगर तम जागना चाहो तो वबना दकसी क जगाए भी जाग सकत

हो यह सभावना ह

वबना गर क भी लोग पहच ह मगर इसको जड़ वसदधात मत बना लना दक वबना गर क कोई पहच गया

तो तम भी पहच जाओग

मर पास लोग आ जात ह व कहत हः आपस एक सलाह लनी ह अगर गर न बनाए तो हम पहच

सक ग दक नही मन कहा दक तम इतनी ही बात खद नही सोच सकत इसक वलए भी तम मर पास आए तमन

गर तो बना ही वलया

गर का मतलब कया होता ह दकसी और स पछन गए यह भी तम खद न खोज पाए

मझस लोग आकर पछत ह दक आपका गर कौन िा हमन तो सना दक आपका गर नही िा जब आपन

वबना गर क पा वलया तो हम कयो न पा लग म उनस कहता हः म कभी दकसी स यह भी पछन नही गया

दक वबना गर क वमलगा दक नही

184

तम जब इतनी छोटी सी बात भी खद वनणमय नही कर पात हो तो उस ववराट सतय क वनणमय म तम कस

सफल हो पाओग

तो एक अिम म गर की जररत ह और एक अिम म जररत नही ह अगर तमहारी अभीपसा परगाढ़ हो तो

कोई जररत नही ह लदकन जररत या गर-जररत इसकी समसया कयो बनात हो वजतना वमल सक दकसी स

ल लो मगर इतना धयान रखो दक दसर स वलए हए पर िोड़ ददन काम चल जाएगा अततः तो अपनी समवदध

खद ही खोजनी चावहए दकसी क कध पर सवार होकर िोड़ी दर चल लो अततः तो अपन परो का बल वनरममत

करना ही चावहए

रासता सीधा-साफ ह परबल पयास हो तो अकल भी पहच जाओग रासता इतना सीधा-साफ ह दक इस

पर दकसी क भी साि की कोई जररत नही ह लदकन अगर अकल पहचन की वहममत न बनती हो तो िोड़

ददन दकसी का साि बना लना लदकन साि को बधन मत बना लना दफर ऐसा मत कहना दक वबना साि क

हम जाएग ही नही नही तो तम कभी न पहचोग कयोदक सतय तक तो अततः अकल ही पहचना होगा एकात

म ही घटगी घटना उस एकात म तमहारा गर भी तमहार साि मौजद नही होगा

गर तमह ससार म मि होन म सहयोगी हो सकता ह लदकन परमातमा स वमलन म सहयोगी नही हो

सकता ससार स छड़ान म सहयोगी हो जाएगा ससार छट जाए तो दफर तमह एकात म परमातमा स वमलना

होगा वह वमलन भीड़-भाड़ म नही होता

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

न दकसी िाख का साया ह न दीवार की टक

न दकसी आख की आहट न दकसी चहर का िोर

न कोई दाग जहा बठ क ससताए कोई

दर तक कोई नही कोई नही कोई नही

चद कदमो क वनिा हा कभी वमलत ह कही

साि चलत ह जो कछ दर फकत चद कदम

और दफर टट क वगरत ह यह कहत हए

अपनी तनहाई वलए आप चलो तनहा अकल

साि आए जो यहा कोई नही कोई नही

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

िोड़ी दर दकसी क कदम क साि चल लो तादक चलना आ जाए मवजल नही आती इसस वसफम चलन

की कला आती ह िोड़ी दर दकसी क पग-वचहनो पर चल लो तादक परो को चलन का अभयास हो जाए इसस

मवजल नही आती मवजल तो तमहार ही चलन स आएगी दकसी और क चलन स नही

मरी आख स तम कस दखोग हा िोड़ी दर को तम मरी आख म झाक सकत हो तम मर हदय स कस

अनभव करोग हा िोड़ी दर दकसी गहन भाव की दिा म तम मर हदय क साि धड़क सकत हो वनवशचत ही

दकसी परम की घटना म िोड़ी दर को तमहारा हदय और मरा हदय एक ही लय म बदध हो सकत ह उस समय

कषणभर को तमह रोिनी ददखगी उस समय कषणभर को आकाि खला ददखायी पड़गा सब बादल हट जाएग

लदकन यह िोड़ी ही दर को होगा अततः तो तमह अपन हदय का सरगम खोजना ही ह

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दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

न दकसी िाख का साया ह न दीवार की टक

न दकसी आख की आहट न दकसी चहर का िोर

न कोई दाग जहा बठ क ससताए कोई

दर तक कोई नही कोई नही कोई नही

चद कदमो क वनिा हा कभी वमलत ह कही

साि चलत ह जो कछ दर फकत चद कदम

और दफर टट क वगरत ह यह कहत हए

अपनी तनहाई वलए आप चलो तनहा अकल

साि आए जो यहा कोई नही कोई नही

दकस कदर सीधा सहल साफ ह यह रसता दखो

अछा ह दक तमह परमातमा तक अकल ही पहचन की सभावना ह नही तो दकसी पर वनभमर होना

पड़ता और वनभमरता स कभी कोई मवि नही आती वनभमरता तो गलामी का ही एक अछा नाम ह वनभमरता

तो दासता ही ह वह दासता की ही दासतान ह--नए ढग स वलखी गयी नए लफजो म नए िबदो म नए रप-

रग स लदकन बात वही ह

इसवलए कोई सदगर तमह गलाम नही बनाता और जो गलाम बना ल वहा स भाग जाना वहा कषणभर

मत रकना वहा रकना खतरनाक ह जो तमह कह दक मर वबना तमहारा कछ भी नही होगा जो कह दक मर

वबना तम कभी भी नही पहच सकोग जो कहः मर पीछ ही चलत रहना तो ही परमातमा वमलगा नही तो चक

जाओग--ऐसा जो कोई कहता हो उसस बचना उस सवय भी अभी नही वमला ह कयोदक यदद उस सवय वमला

होता तो एक बात उस साफ हो गयी होती दक परमातमा जब वमलता ह एकात म वमलता ह वहा कोई नही

होता कोई दसरा नही होता

उस परमातमा तो वमला ही नही ह उसन लोगो क िोषण करन का नया ढग नयी तरकीब ईजाद कर ली

ह उसन एक जाल ईजाद कर वलया ह वजसम दसरो की गरदन फस जाएगी ऐसा आदमी धारममक नही ह

राजनवतक ह ऐसा आदमी गर नही ह नता ह ऐसा आदमी भीड़-भाड़ को अपन पीछ खड़ा करक अहकार का

रस लना चाहता ह इस आदमी स सावधान रहना इस आदमी स दर-दर रहना इस आदमी क पास मत

आना

जो तमस कह दक मर वबना परमातमा नही वमलगा वह महान स महान असतय बोल रहा ह कयोदक

परमातमा उतना ही तमहारा ह वजतना उसका हा यह हो सकता ह दक तम जरा लड़खड़ात हो वह कम

लड़खड़ाता ह या उसकी लड़खड़ाहट वमट गयी ह और वह तमह चलन का ढग िली वसखा सकता ह हा यह

हो सकता ह दक उस तरना आ गया और तम उस दखकर तरना सीख ल सकत हो लदकन उसक कधो का

सहारा मत लना अनयिा दसरा दकनारा कभी न आएगा उसक कधो पर वनभमर मत हो जाना नही तो वही

तमहारी बबामदी का कारण होगा

इसी तरह तो यह दि बरबाद हआ यहा वमथया गरओ न लोगो को गलाम बना वलया इस मलक को

गलामी की आदत पड़ गयी इस मलक को वनभमर रहन की आदत पड़ गयी यह जो हजार साल इस दि म

186

गलामी आयी इसक पीछ और कोई कारण नही ह इसक पीछ न तो मसलमान ह न मगल ह न तकम ह न हण

ह न अगरज ह इसक पीछ तमहार वमथया गरओ का जाल ह

वमथया गरओ न तमह सददयो स यह वसखाया हः वनभमर होना उनहोन इतना वनभमर होना वसखा ददया दक

जब कोई राजनवतक रप स भी तमहारी छाती पर सवार हो गया तम उसी पर वनभमर हो गए तम जी-हजर

उसी को कहन लग तम उसी क सामन वसर झकाकर खड़ हो गए तमह आजादी का रस ही नही लगा सवाद ही

नही लगा

अगर कोई मझस पछ तो तमहारी गलामी की कहानी क पीछ तमहार गरओ का हाि ह उनहोन तमह

मवि नही वसखायी सवततरता नही वसखायी

काि बदध जस गरओ की तमन सनी होती तो इस दि म गलामी का कोई कारण नही िा काि तमन

वयवितव सीखा होता वनजता सीखी होती काि तमन यह सीखा होता दक मझ मझी होना ह मझ दकसी दसर

की परवतवलवप नही होना ह और मझ अपना दीया खद बनना ह तो तम बाहर क जगत म भी पर जमाकर खड़

होत यह अपमानजनक बात न घटती दक चालीस करोड़ का मलक मटठीभर लोगो का गलाम हो जाए कोई भी

आ जाए और यह मलक गलाम हो जाए

जरर इस मलक की आतमा म गलामी की गहरी छाप पड़ गयी दकसन डाली यह छाप दकसन यह जहर

तमहार खन म घोला दकसन ववषाि की तमहारी आतमा दकसन तमह अधर म रहन क वलए वववधया

वसखायी तमहार तिाकवित गरओ न व गर नही ि

गर तो बदध जस वयवि ही होत ह जो कहत ह अपप दीपो भव

एकात म ही बजगा अवतम सगीत एकात म ही उतरगी समावध एकात म ही होगा वमलन

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

डबती नबजो म जब ददम को नीद आन लग

जदम-सा चहरा वलए चाद उफक पर पहच

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

एक गीत तमहार भीतर घटन को ह वायदा ह एक गीत का दक म आऊगा बरसगा तम पर लदकन कब

जब सब समाि हो जाए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

डबती नबजो म जब ददम को नीद आन लग

जब तमहार जीवन की सारी पीड़ाए छट जाए जब तमहार ददम की आदत वमट जाए

जदम-सा चहरा वलए चाद उफक पर पहच

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो

दवदव जहा वमट जाए

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

187

इसवलए तो हम सधया िबद का उपयोग करत ह परािमना क वलए कयो सधया का उपयोग करत ह सधया

का अिम ही परािमना हो गया लोग कहत हः अभी व सधया कर रह ह सधया का मतलब

न अधरा हो न उजाला हो न यह रात न ददन

मधय म हो सब दवदव छट जाए सब अवतया छट जाए न इस तरफ न उस तरफ कोई झकाव न रह

जाए कोई चनाव न रह जाए कोई ववकलप न रह जाए न जीवन न मतय न वसत न पतझड़ न सख न दख

सधया आ जाए

ददन अभी पानी म हो रात दकनार क करीब

न अधरा न उजाला हो न यह रात न ददन

वजसम जब खतम हो

और वजस तमन अब तक जाना ह दक म ह वजस तमन माना ह दक म ह वह जब वमटन लग

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

य जो सास तमन समझी ह जीवन ह यह तमहारी असली सास नही ह इस सास स तो कवल दह चलती

ह एक और सास ह जब इस सास स तमहारा सबध छट जाता ह तब दसरी सास पदा होती ह

वजसम जब खतम हो और रह को जब सास आए

मझस इक नजम का वादा ह वमलगी मझको

वही वह सगीत उतरता ह वजस समावध कहो सतय कहो सौदयम कहो विवतव कहो मवि कहो मोकष

कहो वनवामण कहो लदकन उस परम एकात म--जहा सब छट गया--ससार गया और गए वमतर गए ितर गए

दह भी गयी शवास भी गयी ददन और रात भी गए सब दवदव चल गए जहा वबलकल वनपट सिाटा रह गया

वही रह को सास आती ह वही पहली दफा तमहारा आवतमक जीवन िर होता ह वही तमहारा पनजमनम होता

उस घड़ी म परमातमा स वमलन ह वह घड़ी बड़ी एकात की घड़ी ह दसरा तो कया तम भी वहा नही

होत इतना एकात होता ह दक एक भी वहा नही होता दो तो वमट ही गए होत ह अततः एक भी वमट गया

होता ह वसफम ववराट िनय होता ह सब अनपवसित होता ह उस खाली ररि सिान म ही परमातमा का परवि

इसवलए बदध ठीक कहत ह अपन दीए आप बनो इसका यह मतलब नही ह दक गर की कोई जररत नही

ह इसका मतलब यह भी नही दक गर क वबना कोई पहच नही सकता

इसवलए मन कहा नाजक सवाल ह नाजक इसवलए दक गर की जररत ह और नही भी ह इतनी ही

जररत ह दक तम इिार समझ लो और चल पड़ो

सदा गर क पीछ ही चलत रहन की जररत नही ह इिारा समझ म आ जाए दफर भीतर चलना ह

दफर दकसी क पीछ नही चलना ह

उगवलयो को मत पकड़ लना उगवलया वजस तरफ इिारा करती ह वजस चाद की तरफ उसको दखना

और चल पड़ना

तीसरा परशनः आप कहत हः मागो मत दो लटाओ और जीसस कहत हः मागो--और वमलगा दो

बदधपरषो क विवय म इतना ववरोध कयो ह

188

दोनो विवय अलग-अलग घवड़यो म ददए गए विवय ह अलग-अलग लोगो को ददए गए विवय ह

ववरोध जरा भी नही ह

समझो जीसस न कहा हः मागो--और वमलगा खटखटाओ--और दवार खलग खोजो--और पाओग

वबलकल ठीक बात ह जो खोजगा ही नही वह कस पाएगा जो मागगा ही नही उस कस वमलगा और जो

दवार पर दसतक भी न दगा उसक वलए दवार कस खलग सीधी-साफ बात ह यह एक तल का विवय ह

जीसस वजनस बोल रह ि वजन लोगो स बोल रह ि इनक वलए जररी िा ऐसा ही विवय जररी िा

इस विवय म खयाल रखना व लोग वजनस जीसस बोल रह ि य ऐस लोग ि वजनहोन जीसस को सली पर

लटकाया इन लोगो क पास अधयातम जसी कोई वचतत की दिा नही िी नही तो य जीसस को सली पर

लटकात

लाओतस का वचन ठीक इसस उलटा लगगा तमह वही मरा वचन भी ह लाओतस कहता हः मागा--और

चक जाओग खोजा--और भटक खोजो मत--और पा लो यह कछ और तल का विवय ह यह दकनही और तरह

क लोगो स कहा गया ह

लाओतस पर दकसी न पतिर भी नही मारा सली की तो बात अलग वजनक बीच लाओतस रहा होगा य

बड़ अदभत लोग ि

अलग-अलग ककषाओ म य बात कही गयी िी पहली ककषा म बचच को कहना पड़ता हः ग गणि का अब

ववशवववदयालय की अवतम ककषा म भी अगर यही कहा जाए--ग गणि का तो मढ़ता हो जाएगी और दोनो

जररी ह

जीसस वजनस बोल रह ि व वबलकल परािवमक ककषा क ववदयािी ि और लाओतस वजनस बोल रहा िा

वह आवखरी चरम कोरट की बात बोल रहा िा

मगर दफर भी विवय ववरोधी लगत ह तमह हरानी होगी दक मान लो यह भी ठीक ह दक पहली ककषा म

कहत हः ग गणि का तो आवखरी ककषा म यह िोड़ ही कहत ह दक ग गणि का नही रहता तो ग गणि का

ही ह ववदयािी जान गए इसवलए अब कहना नही पड़ता दक ग गणि का

विवय दफर भी ववरोधी लगत ह कयोदक वजतना फासला पहली ककषा म और ववशवववदयालय की ककषा म

होता ह वह फासला ववपरीतता का नही ह वह एक हीिखला का ह और सासाररक वयवि म और

आधयावतमक वयवि म जो फासला होता ह वह ववपरीतता का ह एक हीिखला का नही ह

एक जगह जाकर इस जगत क सार सतय उलट हो जात ह समझन की कोविि करोग तो समझ म आ

जाएगा

पहली बातः वजसन कभी खोजा ही नही वह कस खोज पाएगा और लाओतस कहता हः जो खोजता ही

रहा वह कस खोज पाएगा एक जगह आनी चावहए जहा खोज भी छट जाए नही तो खोज की ही सचता

खोज की ही आपा-धापी खोज की ही भाग-दौड़ मन को घर रहगी

एक आदमी भागा चला जा रहा ह वह कहता हः मवजल पर जाना ह भागगा नही तो कस पहचगा

दफर यह मवजल पर पहचकर भी भागता रह तो यह कस पहचगा तो इस आदमी को हम उलटी बात कहनी

पड़गी इसस कहना पड़गाः जब मवजल स दर हो तो मवजल की तरफ भागो और जब मवजल करीब आन लग

189

तो दौड़ कम करन लगो और जब मवजल वबलकल आ जाए तो रक जाओ अगर मवजल पर आकर भी भागत

रह तो चक जाओग

एक ददन भागना पड़ता ह और एक ददन रकना भी पड़ता ह एक ददन चलना पड़ता ह और एक ददन

ठहरना भी पड़ता ह इनम ववपरीतता नही ह

एक ददन शरम करो परयास करो योग साधो और दफर एक ददन सब साधना को भी पानी म बहा दो

और खाली बठ रह जाओ तो ही पहचोग नही तो अकसर यह हो जाता ह दक परमातमा को पान की दौड़ म

तमहारा वचतत नया ससार बना लता ह दफर वचतत क भीतर हजार तरह क ववचार उठन लगत ह तरग उठन

लगती ह

दकान की तरग ह मददर की भी तरग ह ससार की तरग ह और दफर वनवामण की भी तरग ह लदकन

तरगो स तम मि हो जाओग तभी वमलगा न वनवामण वनवामण का अिम हः वनसतरग हो जाना वनवामण का अिम

हः वनवामण पान का ववचार भी न रह जाए

बदध क जीवन म यह बात वबलकल साफ ह छह वषम तक कठोर तपशचयाम की और दफर छह वषम क बाद

एक ददन तपशचयाम का तयाग कर ददया उसी तरह वजस तरह एक ददन राजमहल का तयाग कर ददया िा

तपशचयाम का भी तयाग कर ददया उसी रात बदधतव फवलत हआ

अब यह सवाल सददयो स पछा जाता रहा ह दक बदध को बदधतव कस वमला छह वषम की तपशचयाम क

कारण वमला या तपशचयाम क तयाग स वमला जो ऐसा परशन पछत ह उनहोन परशन को गलत ढग द ददया िर स

ही गलत ढग द ददया उनको जो भी उततर वमलग व गलत होग अगर गलत परशन पछा तो गलत उततर पा

लोग परशन ठीक होना चावहए

जब तमन यह पछ वलया दक बदध को छह वषम की तपशचयाम स वमला कयोदक वमला छह वषम क बाद एक

रात या उस साझ को उनहोन तपशचयाम छोड़ दी िी उसी रात घटना घटी छह वषम की तपशचयाम ह और उसी

रात तपशचयाम का तयाग भी दकया वमला कयो वमला कस कया कारण ह तपशचयाम कारण ह या उस रात

तपशचयाम का छोड़ दना कारण ह

म तमस कहगा दोनो कारण ह तपशचयाम न की होती तो छोड़त कया खाक छोड़न क पहल तपशचयाम

होनी चावहए जस कोई गरीब आदमी कह दक सब तयाग कर ददया इसक तयाग का कया अिम होगा हम पछगः

तर पास िा कया वह कहः िा तो मर पास कछ नही लदकन सब तयाग कर ददया इसक तयाग का कोई मलय

नही ह कोई समराट तयाग तो मलय ह जब कछ िा ही नही तो तयाग कया दकया ह होना चावहए तयागन क

पहल

बदध न तपशचयाम छोड़ी कयोदक तपशचयाम की िी तम ऐस ही अपनी आराम कसी पर लट जाओ और कहो

दक चलो आज हमन तपशचयाम छोड़ दी हो जाए बदधतव का फल आज की रात लग जाए दफर तम िोड़ी दर म

बठ-बठ िकन लगोग दक कछ नही हो रहा ह आख खोल-खोलकर दखोग दक अभी तक बदधतव आया नही

करवट बदलोग दफर िोड़ी दर म सोचोग दक अर यह सब बकवास ह ऐस कछ होन वाला नही ह हम तो

पहल ही मालम िा दक कछ होता-जाता नही ह दफर भी एक परयोग करक दख वलया

दफर उठकर अपना रवडयो चलान लगोग या टीवी िर कर दोग या अखबार पढ़न लगोग या चल

कलब की तरफ दक चलो दो हाि जए क खल आए दक िराब ढाल लो

190

वह जो छह वषम की तपशचयाम ह वह अवनवायम वहससा ह उसक वबना नही घटता और म तमह यह भी

याद ददला द दक अगर बदध उसी तपशचयाम म लग रहत साठ साल तक तो भी नही घटता

एक चरम सीमा आ जाती ह करन की जहा करन की चरम सीमा आ गयी वहा करन को भी छोड़ दना

जररी ह पहल कमम को चरम सीमा तक ल आना ह सौ वडगरी पर उबलन लग कमम दफर कताम क भाव को भी

ववदा कर दना य दोनो बात सच ह

रावबया क घर एक सफी फकीर हसन ठहरा हआ िा वह रोज सबह परािमना करता िा उसन सना होगा

जीसस का वचन दक खटखटाओ और दवार तमहार वलए खोल ददए जाएग आसक एड इट िल बी वगवन सीक

एड य ववल फाइड नाक एड द डोर िल बी ओपड अनट य

उसन य वचन सन होग य वचन उस बहत जच गए ि उसन इनकी परािमना बना ली िी वह रोज सबह

काबा की तरफ हाि जोड़कर कहताः ह परभ दकतनी दर स खटखटा रहा ह दरवाजा खोवलए दकतनी दर हो

गयी खटखटात- खटखटात कब दरवाजा खलगा अपना वचन याद करो--दक खटखटाओग और दरवाजा

खलगा और म खटखटाए जा रहा ह और म खटखटाए जा रहा ह दरवाजा खलता नही

रावबया न एक ददन सना दो ददन सना तीन ददन सना

रावबया बड़ी अदभत औरत िी िोड़ी ही वसतरया दवनया म हई ह रावबया की कोरट की--मीरा सहजो

दया ललला--बहत िोड़ी सी वसतरया उगवलयो पर वगनी जा सक रावबया उसी कोरट की सतरी ह वजस कोरट क

बदध वजस कोरट क महावीर वजस कोरट क कषण कराइसट

एक ददन सबह दफर हसन वही कर रहा िा हाि फलाए हए आस बह जा रह ह आखो स और कह रहा

हः अब खोलो परभ कब स खटखटा रहा ह

रावबया पीछ स आयी और उसका वसर झझोड़कर बोली दक बद कर बकवास दरवाज खल ह त

खटखटा कयो रहा ह दरवाज कभी बद ही नही ि नासमझ दरवाज सदा स खल ह उसक दरवाज बद कस हो

सकत ह तन यह कहा की बकवास लगा रखी ह त सजदगीभर यही बकता रहगा और दरवाजा खला ह अब

परमातमा भी कया कर वह भी अचकचाकर बठा होगा दक करना कया दरवाजा खला ह अब और कया

खोलना और य सजजन यही कह जा रह ह दक दरवाजा खोलो खटखटा रहा ह दरवाजा खोलो

रावबया न दसरा सतय कहा रावबया यह कह रही ह दक बहत खटखटा चका अब खटखटाना छोड़ जरा

खटखटाना छोड़कर आख खोल त खटखटान म ही उलझा ह और दरवाजा खला ह अब त जरा आख खोल

खटखटान की उलझन स मि हो छोड़ यतन और दख--कया ह जो ह वही मविदायी ह

इसवलए एक ददन शरम करना पड़ता ह और एक ददन शरम छोड़ना पड़ता ह

ऐसा समझो मन सनी ह एक कहानी दक कछ लोग अमतसर स टरन म सवार हए हररदवार जा रह ि

एक आदमी जो उस झड म हररदवार जा रहा िा तीिमयातरा को बड़ा दािमवनक िा बड़ा तारकम क िा भीड़-भाड़

बहत िी मल क ददन होग टरन लदी िी लोग सब तरफ भर ि ऊपर भी चढ़ ि दरवाजो पर अटक ि

वखड़दकयो स लोग भीतर घसन की कोविि म लग ि उस दािमवनक को भी उसक सािी खीच रह ि वह यह

कहता िा दक भई मरी बात तो सनो इसम स दफर उतरना तो नही पड़गा इतनी महनत स चढ़ और दफर

उतरना पड़ तो सार कया

191

वमतरो न कहाः तमहारा दिमन बाद म अभी गाड़ी छटन का वि हआ जा रहा ह सीटी बजी जा रही ह

उनहोन खीच-खाचकर उसको

वह पछता ही जा रहा ह दक म एक बात पछना चाहता ह मझ खीचो मत इसम स उतरना तो नही

पड़गा कयोदक अगर उतरना ही हो तो इतनी फजीहत कया करवानी तो हम पहल स ही अपन पलटफामम पर

खड़ ह

मगर उनहोन नही सना उनहोन खीच-खाच वलया दक यह बकवास म समय गवा दगा उसको खीचकर

अदर कर वलया उसकी कमीज भी फट गयी और हाि की चमड़ी भी वछल गयी

पजाबी अब जानत ही ह आप दक खीचातानी कर

अब यह कोई गजरात िोड़ ही ह दक अमतसर उनहोन ठीक स ही खीचातानी की होगी खीचतानकर

उस अदर कर वलया वह वचललाता भी रहा उनहोन उसकी दफकर ही नही की पजाबी और दिमनिासतर की

दफकर कर वबलकल ही गलत बात ह और जयादा बकवास की होगी तो दो-चार हाि लगाकर उसको चप कर

ददया होगा दक चप बठ

दफर हररदवार आया अब वह दािमवनक उतर नही आवखर वह भी पजाबी ह उसन कहाः जब एक दफ

चढ़ गए तो चढ़ गए अब उतरना कया मन पहल ही कहा िा दक मझ चढ़ाओ मत अगर उतारना हो

अब व दफर खीच रह ह--दक भई हदद हो गयी अब हररदवार आ गया

पर उसकी बात का अिम यह ह वह यह कह रहा ह दक जब उतरना ही ह तो दफर चढ़ना कया जब चढ़

ही गए तो दफर उतरना कया वह िदध तकम की बात कह रहा ह

ऐसा ही तम जब मझस पछत हो दक जीसस और मर विवय म ववरोधाभास ह तो तम भी वही तकम की

बात कर रह हो

एक ददन चढ़ना पड़ता ह टरन म एक ददन उतरना पड़ता ह इनम ववरोध नही ह एक बार सीढ़ी पर

चढ़ना पड़ता ह दफर सीढ़ी स उतरना भी पड़ता ह तम छत की तरफ जा रह हो म तमस कहता हः सीदढ़या

चढ़ो सीदढ़यो स तम पछत होः सीदढ़यो पर चढ़न स हम छत पर पहच जाएग म कहता हः जरर पहच

जाओग दफर तम आवखरी पायदान पर पहचकर खड़ हो गए तम कहत होः अभी तक हम छत पर नही पहच

आवखरी पायदान पर भी छत नही ह यह बात सच ह जस छत पहल पायदान पर नही ह वस ही आवखरी

पायदान पर भी छत नही ह अभी तमह आवखरी पायदान छोड़ना पड़गा तब तम छत पर परवि कर पाओग

लदकन तम कहत होः तो दफर चढ़ाया ही कयो य सौ सीदढ़या चढ़कर अब दकसी तरह बामवशकल तो हाफता

हआ पहचा अब आप कहत ह छोड़ो इतनी महनत स तो चढ़ा अब कहत हो छोड़ो यह तो आप बड़ी

ववरोधाभासी बात कह रह ह

पहली सीढ़ी पर कहा िा चढ़ो जीसस पहली सीढ़ी पर बोल रह ि कयोदक जीसस इस दि म आकर

सदि लकर गए जीसस की उमर क तीस वषम सतय की खोज म लग इवजि और भारत और वतबबत--इन सार

दिो म उनहोन भरमण दकया उस समय बदध-धमम अपनी परखरता म िा नालदा जीवत ववशवववदयालय िा बहत

सभावना ह दक जीसस नालदा म आकर रह उनहोन यहा क परम सतय पहचान समझ सीख

यही तो अड़चन हो गयी इसवलए तो व कछ ऐसी बात कहन लग जो यहददयो को वबलकल न जची

कयोदक यहदी िासतरो स उनका मल नही िा

192

जीसस कछ ऐसी बात ल आए जो ववदिी िी--यहदी ववचार-सचतन धारा क सदभम म यहददयो को बात

जची नही यहदी एक ढग स सोचत ि अगर जीसस न उसी ढग की ही बात कही होती उसी वसलवसल म कही

होती तो यहददयो न उनह एक पगबर माना होता उनको सली दनी पड़ी कयोदक व कछ ऐसी बात ल आए

जो यहदी कानो क वलए वबलकल अपररवचत िी

खास सदि जो लकर आए ि जीसस वह िा सदि बदध क धयान का जागो इसवलए जीसस बार-बार

हजार बार दोहरात ह बाइवबल म--अवक बी अवयर वक अप जागो उठो होि समहालो सावधान हो

जाओ चतो

मगर य बात इस दि म तो समझ म आ सकती िी कयोदक बदध क पहल और हजारो बदधो की परपरा

इस दि म ह बदध कछ नए नही ह बदध एक बड़ी लबी धारा क वहसस ह एकिखला क वहसस ह एक कड़ी ह

उनक पहल और बहत बदध हए ह यह भाषा यहा पररवचत िी

यही भाषा जाकर यहददयो क बीच वबलकल अपररवचत हो गयी

तम चदकत होओग यह जानकर दक जॉन द बवपटसट--वजसन जीसस को दीकषा दी िी वजसक विषय ि

जीसस--वह जलखान म पड़ा िा और जब जीसस की विकषाए िर हई और जलखान तक जॉन द बवपटसट को

खबर पहची तो उस भी सदह हआ दक यह आदमी कया बात कर रहा ह दकस तरह की बात कर रहा ह उसन

एक पतर वलखकर भजा जीसस क पास दक म यह दफर स पछना चाहता ह दक तम वही हो वजसक वलए हम

यहदी सददयो स परतीकषा कर रह ि या तम कोई और हो कया हम दफर परतीकषा करनी पड़गी उस मसीहा

की

यह पतर कयो जॉन द बवपटसट न वलखा होगा जीसस को इसवलए वलखा दक उसको भी समझ म नही

पड़ा दक यह आदमी कह कया रहा ह यह कहा की बात ल आया ह यह कछ बबझ पहवलया ल आया ह

जीसस इस दि स सदि लकर गए सवभावतः एक नयी जावत म वजसन यह सदि कभी नही सना िा

उनह अ ब स स बात िर करनी पड़ी--ग गणि का पहली सीढ़ी स बात िर करनी पड़ी लाओतस या बदध जब

बोलत ह या म जब तमस बोल रहा ह तो आवखरी सीढ़ी की बात बोल सकता ह उसक वलए पिभवम ह

जीसस क पास पिभवम नही िी मजबरी िी

ववरोध जरा भी नही ह वजस सीढ़ी पर जीसस तमह चढ़ा रह ह उसी सीढ़ी पर म तमस दसरा सतय भी

कह रहा ह दक चढ़ना जरर उसस उतरना भी ह--इस भल मत जाना

तो तमस कहता हः मागो वबना माग कस वमलगा और तमस यह भी कहता ह दक मागना छोड़ो

मागन स कभी वमला ह तमस कहता हः खटखटाओ तो दवार खलग और तमस यह भी कहता हः अब

खटखटाना बहत हो गया अब खटखटाना रोको दखो दवार खल ही ह

चौिा परशनः म मतय स इतना नही डरता ह लदकन दखो स बहत डरता ह मर वलए कया मागम ह

मतय स िायद ही कोई डरता ह कयोदक वजसस पररचय ही नही ह उसस डरोग भी कस वजसस

मलाकात ही नही हई उसस डरोग कस लोग दखो स ही डरत ह और मतय स भी इसवलए डरत ह दक पता

नही दकन दखो म मतय ल जाए मतय स भी सीधा नही डरत इसी तरह डरत ह दक पता नही दकन दखो म ल

जाए

193

यहा क दख तो जान-मान पररवचत ह मतय पता नही दकन दखो की नयीिखला की िरआत हो

इसवलए डरत ह अनयिा मतय स डरन का कोई कारण नही ह पहचानी चीज स ही लोग डरत ह अजनबी-

अनजान स डरन का कया कारण हो सकता ह हो सकता हः मतय तमह सख म ल जाए सवगम ल जाए कौन

जान अगर तम बहत ववचारिील हो सॉकरटीज जस तो नही डरोग

सकरात मर रहा ह और उसक विषय उसस पछत ह दक आप डर नही रह ह मतय आ रही ह जहर

तयार दकया जा रहा ह जलदी जहर ददया जाएगा आप मतय स डरत नही

सकरात न कहाः दखो म सोचता ह दो ही सभावनाए ह या तो म मर ही जाऊगा कछ बचगा नही तो

दफर डर कया वजसको डर लगना ह वही नही बचगा तो डर दकसको जनम क पहल का मझ कछ पता नही

ह तो मझ कोई अड़चन नही होती मझ यह बात सोचकर कोई बहत मवशकल नही पड़ती दक जनम क पहल म

नही िा तो जब िा ही नही तो दख कया दफर मौत क बाद नही हो जाऊगा तो दख कया

या तो यह होगा या यह होगा दक म दफर भी बचगा जब बचगा ही तो दफर डर कया दफर दख लग

यहा भी जझ रह ि वहा भी जझ लग जो होगा मकाबला कर लग इसवलए म परिान नही ह म सोच रहा

ह दक मरकर ही दख दक बात कया ह असल म

बहत सोच-ववचार वाला आदमी हो तो मतय स भी नही डरगा डरन का कोई कारण नही रह गया

लदकन दख स आदमी डरता ह दख स तमहारा पररचय ह तम जानत हो दखो को दखो स तमहारी खब

पहचान ह दखो स ही पहचान ह सख की तो वसफम आिा रही ह सपना रहा ह दखो स वमलना हआ ह तो

सवाभाववक ह दक तम दख स डरत हो

सभी दख स डरत ह और जब तक दख स डरग तब तक दखी रहग कयोदक वजसस तम डरोग उस तम

समझ न पाओग और दख वमटता ह समझन स दख वमटता ह जागन स दख वमटता ह दख को पहचान लन

इसीवलए तो दवनया दखी ह दक लोग दख स डरत ह और पीठ दकए रहत ह तो दख का वनदान नही हो

पाता दख पर अगली रखकर नही दखत दक कहा ह कया ह कयो ह दख म उतरकर नही दखत दक कस पदा

हो रहा ह दकस कारण हो रहा ह भय क कारण अपन ही दख स भाग रहत ह

तम कही भी भागो दख स कस भाग पाओग दख तमहार जीवन की िली म ह तम जहा जाओग वही

पहच जाएगा

मन सना हः एक आदमी को डर लगता िा अपनी छाया स और उस बड़ा डर लगता िा अपन

पदवचहनो स तो उसन भागना िर दकया भागना चाहता िा दक दर वनकल जाए छाया स और दर वनकल

जाए अपन पदवचहनो स दर वनकल जाए अपन स मगर अपन स कस दर वनकलोग वजतना भागा उतनी ही

छाया भी उसक पीछ भागी और वजतना भागा उतन ही पदवचहन बनत गए

वागतस न यह कहानी वलखी ह इस पागल आदमी की और यही पागल आदमी जमीन पर पाया जाता

ह इसी की भीड़ ह

वागतस न कहा हः अभाग आदमी अगर त भागता न और दकसी वकष की छाया म बठ जाता तो छाया

खो जाती अगर त भागता न तो पदवचहन बनन बद हो जात मगर त भागता रहा छाया को पीछ लगाता

रहा और पदवचहन भी बनाता रहा

194

वजनस तम डरत हो अगर उनस भागोग तो यही होगा दख स डर दक दखी रहोग दख स डर दक नकम

म पहच जाओग नकम बना लोग दख स डरन की जररत नही ह दख ह तो जानो जागो पहचानो

वजनहोन भी दख क साि दोसती बनायी और दख को ठीक स आख भरकर दखा दख का साकषातकार

दकया व अपवम सपदा क मावलक हो गए कई बात उनको समझ म आयी

एक बात तो यह समझ म आयी दक दख बाहर स नही आता दख म पदा करता ह और जब म पदा

करता ह तो अपन हाि की बात हो गयी न करना हो पदा तो न करो करना हो तो किलता स करो

वजतना करना हो उतना करो मगर दफर रोन-पछतान का कोई सवाल न रहा

वजनहोन दख को गौर स दखा उनह यह बात समझ म आ गयी दक यह मर ही गलत जीन का पररणाम ह

यह मरा ही कमम-फल ह जस एक आदमी दीवाल स वनकलन की कोविि कर उसक वसर म टककर लग और

लहलहान हो जाए और कह दक यह दीवाल मझ बड़ा दख द रही ह

छोट बचच अकसर ऐसा करत ह मगर इस दवनया म सब छोट बचच ह बड़ा कोई कभी मवशकल स हो पाता

ह पराढ़ता आती कहा ह छोट बचच अकसर ऐसा करत ह वनकल रह ि टबल का धकका लग गया हाि म

खरोच आ गयी गसस म आ जात ह उठाकर डडा टबल को मारत ह

यही तम कर रह हो बचच को समझान क वलए उसकी मा को भी आकर टबल को मारना पड़ता ह दक

टबल बड़ी दषट ह मर बट को चोट कर गयी तब बचचा बड़ा परसि होता ह टबल को वपटत दखकर बड़ा परसि

होता ह--दक ठीक हआ ठीक सजा दी गयी

मगर टबल का कोई कसर न िा और तम यह मत सोचना दक वसफम बचच ऐसा करत ह तम भी ऐसा

करत हो तम करोध म होत हो तो दरवाजा ऐसा झटककर खोलत हो जस दरवाज का कोई कसर हो करोध म

होत हो तो जता ऐसा फकत हो वनकालकर

एक झन फकीर िा नान-इन उसक पास एक आदमी वमलन आया वह बड़ करोध म िा घर म कछ

झगड़ा हो गया होगा पतनी स करोध म चला आया आकर जोर स दरवाजा खोला इतन जोर स दक दरवाजा

दीवाल स टकराया और करोध म ही जत उतारकर रख ददए

भीतर गया नान-इन को झककर नमसकार दकया नान-इन न कहा दक तरा झकना तरा नमसकार

सवीकार नही ह त पहल जाकर दरवाज स कषमा माग और जत पर वसर रख अपन जत पर वसर रख और कषमा

माग

उस आदमी न कहाः आप कया बात कर रह ह दरवाज म कोई जान ह जो कषमा माग जत म कोई जान

ह जो कषमा माग नान-इन न कहाः जब इतना समझदार िा तो जत पर करोध कयो परगट दकया जत म कोई

जान ह जो करोध परगट करो तो दरवाज को इतन जोर स धकका कयो ददया दरवाजा कोई तरी पतनी ह त जा

जब करोध करन क वलए तन जान मान ली दरवाज म और जत म तो कषमा मागन म अब कयो कजसी करता ह

उस आदमी को बात तो ददखायी पड़ गयी वह गया उसन दरवाज स कषमा मागी उसन जत पर वसर

रखा और उस आदमी न कहा दक इतनी िावत मझ कभी नही वमली िी जब मन अपन जत पर वसर रखा मझ

एक बात का दिमन हआ दक मामला तो मरा ही ह

लोग वबलकल अपरौढ़ ह बचचो की भावत ह

तम दख क कारण नही दखत दख क कारण सदा तमहार भीतर ह दख बाहर स नही आता और नकम

पाताल म नही ह नकम तमहार ही अचतन मन म ह वही ह पाताल और सवगम कही आकाि म नही ह तम

195

अपन अचतन मन को साफ कर लो कड़-करकट स वही सवगम वनरममत हो जाता ह सवगम और नकम तमहारी ही

भाव-दिाए ह और तम ही वनमामता हो तम ही मावलक हो

तो दख को जो दखगा उसक हाि म दख को खोलन की कजी आ जाती ह और मज की बात ह दक दख

को जो दखगा सामना करगा वह दख का अनगहीत होगा कयोदक हर दख एक चनौती भी ह और हर दख

तमह वनखारन का एक उपाय भी ह और हर दख ऐस ह जस आग और तम ऐस हो जस आग म गजर सोना

आग स गजरकर ही सोना कदन बनता ह

म छाव-छाव चला िा अपना बदन बचाकर

दक रह को एक खबसरत-सा वजसम द द

न कोई वसलवट न दाग कोई

न धप झलस न चोट खाए

न जखम छए न ददम पहच

बस एक कवारी सबह का वजसम पहना द रह को म

मगर तपी जब दपहर ददो की ददम की धप स जो गजरा

तो रह को छाव वमल गयी ह

अजीब ह ददम और तसकीन का साझा ररशता

वमलगी छाव तो बस कही धप म वमलगी

दख वनखारता ह दख सवछ करता ह दख माजता ह मीजता ह और माजता भी

अजीब ह ददम और तसकीन का साझा ररशता

वमलगी छाव तो बस कही धप म वमलगी

दखो स भागो मत दखो को जीयो दखो स होिपवमक गजरो और तम पाओगः हर दख तमह मजबत कर

गया हर दख तमहारी जड़ो को बड़ा कर गया हर दख तमह नया पराण द गया हर दख तमह फौलाद बना गया

दख का कछ कारण ह दख वयिम नही ह दख की कछ सािमकता ह दख की सािमकता यही ह दक दख क

वबना कोई आदमी आतमवान नही हो पाता पोच रह जाता ह पोचा रह जाता ह

इसवलए अकसर वजनको सख और सववधा म ही रहन का मौका वमला ह उनम तम एक तरह की पोचता

पाओग एक तरह का वछछलापन पाओग सखी आदमी म तिाकवित सखी आदमी म गहराई नही होती

उसक भीतर कोई आतमा नही होती

इसवलए तम अकसर धनी घरो म मढ़ वयवियो को पदा होत पाओग धनी घर क बचच बदध रह जात ह

सब सख-सववधा ह करना कया ह सब वस ही वमला ह पाना कया ह

सघषम नही तो सकलप नही और सकलप नही तो आतमा कहा और सकलप नही तो समपमण कस होगा

जब कमाओग सकलप को जब तमहारा म परगाढ़ होगा तभी दकसी ददन उस झकान का मजा भी आएगा नही

तो कया खाक मजा आएगा

वजसक पास अहकार नही ह वह वनरअहकारी नही हो सकता इस बात को खब समझ लना वजसक

पास गहन अहकार ह वही वनरअहकारी हो सकता ह वनरअहकाररता अहकार की आवखरी पराकािा क बाद

घटती ह

तम कहत होः म मतय स इतना नही डरता ह लदकन दखो स बहत डरता ह

196

मतय तो दर ह दख अभी ह िायद इसीवलए मतय स नही डरत दक आएगी तब आएगी अभी कहा

ददखा लत होओग हिली जाकर हसतरखाववद को और कडली पढ़वा लत होओग जयोवतषी स वह कहता होगाः

अभी नही कोई दफकर नही ह अभी तम सततर साल जीओग तम तो सौ साल जीओग तम तो सबको मारकर

जीओग तम तो मज स रहो अभी मौत कहा

और आदमी की दवषट बड़ी सकीणम ह अगर कोई बात दस साल बाद ह तो तमह ददखायी ही नही पड़ती

बहत करीब हो तो ही ददखायी पड़ती ह आदमी दर-दवषट नही ह

तम सोचो कोई तमस कह कल तमह मरना ह तो िायद िोड़ा झटका लग लदकन कोई कह दक एक

सिाह बाद तो उतना झटका नही लगता और एक साल बाद तो तम कहत हो दखग जी दस साल बाद तो

तम कहत होः छोड़ो भी कहा की बकवास लगा रखी ह सततर साल बाद तो वह तो ऐसा लगता ह दक करीब-

करीब अमरता वमल गयी करना कया ह और सततर साल कही पर होत ह इतना लबा फासला दफर तमह

ददखायी नही पड़ता

दख अभी ह मतय दर ह िायद इसीवलए तम डरत नही कयोदक जो दख स डरता ह वह मतय क परवत

वसततः अभय को उपलबध नही हो सकता ह मगर वसफम दर ह इसवलए तमह अभी अड़चन नही ह तम कहत

हो दक जब होगा तब दख लग अभी तो यह वसरददम जान खा रहा ह दक अभी तो यह सचता मन को पकड़ हए

ह अभी तो इस धध म दाव लगा ददया ह कही सब न खो जाए अभी यह नकसान लग गया ह दकान म अभी

यह पतनी छोड़कर चली गयी

अभी य छोटी-छोटी बात काट की तरह चभ रही ह और जब य छोटी-छोटी बात काट की तरह चभ रही

ह तो जब तलवार उतरगी मतय की और गरदन काटगी तो तम सोचत हो तम सख स मर सकोग असभव ह

जब काट इतना दख द रह ह तो तलवार जो वबलकल काट जाएगी काट तो छोट-छोट ह तलवार तो परी

तरह वछि-वभि कर दगी

नही तमह पता नही ह मौत का अभी तमह दख का ही पता नही ह तो मौत का कया पता होगा

तम दख का साकषातकार करो तम दख को दखना िर करो इसी दख स पहचान होती जाए इसी दख स

धीर-धीर तमहार भीतर बल पदा होता जाए तो एक ददन ऐसी घड़ी आएगी दक मौत भी आएगी और तम

अववचल खड़ रहोग मौत तमह घर लगी और तमहार भीतर कोई झझावात न होगा मौत आएगी और तम

अछत रह जाओग वह परम घड़ी

और मौत आनी तो वनवशचत ह इस िरीर म िोड़ी दर ही बस सकत हो जयादा दर नही बसन योगय

यहा जयादा कछ ह भी नही

खड़खड़ाता ह आह सारा बदन

खपवचचया जस बाध रकखी ह

खोखल बास जोड़ रकख हो

कोई रससी कही स खल जाए

ररशता टट कही स जोड़ो का

और वबखर जाए वजसम का पजर

इस बदन म यह रह बचारी

बासरी जानकर चली आयी

197

समझी होगी दक सर वमलग यहा

लदकन सर यहा वमलता कहा

इस बदन म यह रह बचारी

बासरी जानकर चली आयी

समझी होगी दक सर वमलग यहा

मगर सर वमलता कहा ह सर दकसको वमला यहा यहा तो सब सर झठ ह यहा तो बस सब सर

कषणभगर ह यहा तो सब सर अभी ह और अभी खवडत हो जात ह और सभी सर बसवाद हो जात ह मीठा भी

यहा जलदी ही कडवा हो जाता ह और यहा का अमत भी जयादा दर अमत नही होता ऊपर-ऊपर अमत ह

भीतर-भीतर जहर ह

आज नही कल यह दह तो छोड़ दनी पड़गी कही और तलाि करनी ह मगर अगर तमन इस दह म ठीक

स तलाि न की तो बहत डर ह दक दफर दकसी और दह को बासरी समझकर दफर परवि कर जाओग ऐसा ही

तो दकतनी ही बार कर चक हो

अगर इस दह को ठीक स न समझा इसक दख ठीक स न पहचान इसकी वयिमता ठीक स न जानी इसकी

असारता को परगाढ़ता स अपन वचतत म नही वबठाया इसकी कषणभगरता न पहचानी इसका नकम न दखा--तो

आिा लटकी रह जाएगी सोचोगः इस दह म नही हआ यह बासरी ठीक नही िी चलो न रही होगी और भी

बासररया ह कोई और दह धर दकसी और गभम म परवि कर

मरत वि अगर िोड़ी भी आिा सजदा रही तो दफर पनजमनम हो जाएगा मरत वि अगर तम यह

दखकर और जानकर मर दक सजदगी असार ह और यह असारता इतनी पररपणमता स तमहार सामन खड़ी रही

दक जरा भी आिा न उठी जरा भी दफर जनम लन और दफर जीवन को दखन का भाव न उठा तो तम मि हो

जाओग तो तमन जीवन भी जी वलया और मतय भी जी ली तो जीवन स जो वमलना िा वह तमन पा वलया--

दक जीवन असार ह और मतय दफर तमस कछ भी नही छीन सकती--अगर तमही न जान वलया दक जीवन

असार ह कयोदक मतय जीवन ही छीनती ह तम जान ही गए दक जीवन असार ह तो तम मतय का भी

धनयवाद करोग

और जो वयवि मतय को धनयवाद करत हए मर जाता ह वही मि हो जाता ह वही आवागमन क पार

हो जाता ह

पाचवा परशनः म आपकी बात वबलकल ही नही समझ पाता ह

या तो मरा कसर होगा या तमहार पास अभी समझ ही नही ह म तो जो कह रहा ह सीधा-साफ ह

इसम जरा भी उलझाव नही ह लदकन म समझ सकता ह तमह उलझाव ददखत होग कयोदक तमहार दखन क

ढग तमहार सोचन क ढग म िायद बात न बठती हो बठ भी नही सकती

अगर तमह मरी बात समझनी ह तो तमह सोचन क ढग बदलन होग तमह सोचन की नयी िली सीखनी

होगी तमह तकम की सीमाओ क बाहर आना होगा तमह िबदो क जाल स िासतरो की रटी-रटायी बातो स िोड़ा

ऊपर उठना होगा तमह आदमी बनना होगा तमह तोत होन स िोड़ा छटकारा लना होगा

समझ क भी बहत तल ह उतनी ही बात समझ म आती ह जहा तक हमारा तल होता ह

198

मन सनाः एक डाकटर छोट स बचच स बोला--उसकी जाच करता होगा--बट तमह नाक-कान स कोई

विकायत तो नही ह नाक स बलगम टपक रहा ह सदी-जकाम इतन जोर स ह बचच को दक उस कछ ठीक स

सनायी भी नही पड़ता कान तक रध गए ह छाती घरम-घरम हो रही ह और डाकटर पछता हः बट तमह नाक-

कान स कोई विकायत तो नही ह

बचच न कहाः जी ह व कमीज उतारत बीच म आत ह

अपनी-अपनी समझ अब बचच की तकलीफ यह ह दक जब भी कमीज उतारता ह तो नाक-कान बीच म

आत ह एक तल ह

तमह िायद मरी बात समझ म न आती हो हो सकता ह

एक वमतर न मलला नसरददीन स कहाः मलला जी म वववाह इस कारण नही करना चाहता ह दक मझ

वसतरयो स बहत डर लगता ह

मलला न कहाः अगर ऐसी बात ह तब तो तम वववाह तरत कर डालो म तमह अपन अनभव स कहता ह

दक वववाह क बाद एक ही सतरी का भय रह जाता ह

अपना-अपना अनभव अपनी-अपनी समझ

एक बाप न अपन बट स कहाः जमाना बहत आग बढ़ गया ह तम खद अपन योगय लड़की दख लो

बटा बड़ा परसि हआ और तो कभी वपता क चरण न छता िा आज उसन वपता क चरण छए और वपता

की आजञा मानकर पतर न वनयवमत रप स बालकनी म खड़ होकर लड़की दखना िर कर ददया

तम वही समझ सकत हो जो तम समझ सकत हो

अगर तमह मरी बात समझ म नही आ रही ह तो दो उपाय ह या तो म ऐसी बात कह जो तमहारी

समझ म आ जाए या तम ऐसी समझ बनाओ दक जो म कहता ह वह समझ म आ जाए

अगर म ऐसी बात कह जो तमह समझ म आ जाए तो सार ही कया होगा वह तो तमह समझ म आती

ही ह दफर मर पास आन का कोई परयोजन नही ह

तो म तो वह बात नही कहगा जो तमहारी समझ म आ सकती ह म तो वही कहगा जो सच ह तमह

समझ म न आती हो तो समझ को िोड़ा वनखारो िोड़ी धार रखो समझ पर समझ को बदलो

यही तो विषयतव का अिम ह दक अगर समझ म नही आता ह तो हम समझ को बदलग उसम िोड़ी

करठनाई होगी िोड़ा शरम करना होगा और लोग शरम वबलकल नही करना चाहत तो दफर तम अटक रह

जाओग--तमही म

या तो म तमहार पास आऊ या तम मर पास आओ अछा यही होगा दक तम मर पास आओ उसस

तमहारा ववकास होगा म तमहार पास आऊ उसस तमहारा कोई ववकास नही होगा उसम तो तम और जड़बदध

हो जाओग जहा हो वही

तो जरर मझ इस ढग स तमस बात कहनी पड़ती ह दक कछ तो तमहारी समझ म आए और कछ तमहारी

समझ म न आए

अगर म वबलकल ऐसी बात कह दक तमह वबलकल ही समझ म न आए तो तमहारा मझस नाता टट

जाएगा तब म कही दर स वचलला रहा ह और तम कही बहत दर खोए हो वहा तक आवाज भी नही पहचगी

199

तो कछ तो म ऐसी बात कहता ह जो तमहारी समझ म आए तादक नाता बना रह लदकन अगर म

उतनी ही बात कहता रह जो तमहारी समझ म आती ह तो नाता तो बना रहगा लदकन लाभ कया होगा ऐस

नात का परयोजन कया

तो कछ ऐसी बात भी कहता ह जो तमहारी समझ म न आए तादक नाता बना रह सत जड़ा रह तमह

कछ समझ म आता रह और कछ जो समझ म नही आता उस समझन क वलए तम िोड़ हाि ऊपर बढ़ात रहो

तमहार हाि ऊपर बढ़ान म ही दकसी ददन आकाि को तम छओग

छठवा परशनः पयार ओिो परम आपक साविधय म तीन माह रहकर मरा परा जीवन रपातररत हो गया

ह परा जीवन बदल गया ह म आनद स इतनी भर गयी ह दक उस िबदो म वयि नही कर पाती अब तो जहा

भी जाऊगी हदय नतमन करता रहगा और मर मह म आपका गणगान होता रहगा मरा अहोभाव सवीकार कर

पछा ह रजना न

जीवन वनवशचत रपातररत होता ह बस इतनी भी अगर तमहारी तयारी हो दक मर पास वनसशचत मन स

बठ पाओ वसफम पास बठ पाओ वसफम सतसग हो जाए तो भी रपातरण होता ह

बझा दीया जल दीए क करीब आ जाए तो भी जल दीए स बझ दीए पर जयोवत कभी भी छलाग ल

सकती ह

रपातरण दकए-दकए स नही हो कभी-कभी वबना दकए हो जाता ह और असली कलाकार वही ह जो

वबना दकए रपातरण कर ल

लदकन पास होना बड़ी वहममत की बात ह तम यहा बठत भी हो तो भी हजार तरह की दीवाल बनाए

रखत हो सरकषा रखत हो सोच-सोचकर कदम उठात हो सोच-सोचकर अगर कदम उठाए तो चकोग कयोदक

सोच-सोचकर कदम उठाए तो व कदम कभी बहत दर तक जान वाल नही तमहारी सोच की सीमा क भीतर

होग

मर पास दो तरह क लोग सनयास लत ह एक जो सोच-सोचकर सनयास लत ह सोचन की वजह स

उनका सनयास आधा मरा हआ हो जाता ह पहल ही स जस अधमरा बचचा पदा हो

दसर व जो वबना सोच सनयास लत ह जो वसफम मर परम म पड़कर सनयास लत ह जो पागल की तरह

सनयास लत ह जो कहत हः अब नही सोचग एक नाता तो जीवन म बनाए जो वबना सोच ह इनक सनयास

म एक जीवतता होती ह एक परगाढ़ता होती ह इनक सनयास म एक ऊजाम होती ह

रजना का सनयास वसा ही ह वबना सोच वलया ह वहसाब-दकताब नही रखा ह

वसतरया अकसर वबना वहसाब-दकताब क चल पाती ह परष बहत वहसाबी- दकताबी ह वह सब तरह क

ववचार कर लता ह लाभ-हावन सब सोच लता ह जब दखता ह दक हा हावन स लाभ जयादा ह तो दफर

सनयास लता ह हावन-लाभ दोनो सोचन क कारण वचतत का एक वहससा कहता ह मत लो एक वहससा कहता

ह लो तो जब लता भी ह तब भी उसका लना ऐसा ही होता ह वजसको हम पारलमयामटरी कहत ह जस

पारलमयामट म कोई वनणमय वलया जाता ह दक बहमत एक तरफ हो गया तो वनणमय हो गया

लदकन बहमत स वलए गए वनणमय का कोई बहत भरोसा नही ह कयोदक लोग पाटी बदलत ह आए राम

गए राम लोग पाटी बदलत ह तमहार वचतत क वहसस भी बदल जात ह सबह तम सोचत ि दक सततर परवतित

200

मन कह रहा ह सनयास ल लो साझ होत-होत साठ परवतित कह रहा ह दक सनयास ल लो दसर ददन पचास

परवतित कह रहा ह लो पचास परवतित कह रहा ह न लो लन क बाद पता चल दक सततर परवतित मन कह

रहा ह दक गलती कर दी दक ल वलया

मन एक स दसर म डावाडोल होता रहता ह मन का सवभाव डावाडोल होना ह वजसन सोचकर वलया

उसन अधरपन स वलया पारलमयामटरी वनरणय ह इसका कोई बहत भरोसा नही ह वजसन वबना सोच वलया

उसन सवागीणता स वलया उसक भीतर बहमत और अलपमत का मतलब नही ह उसन सवममत स वलया

जो सवममत स सनयास लगा सहज ही रपातरण घरटत होगा

रजना को वसा हआ ऐसा सबको हो सकता ह िोड़ी वहममत चावहए िोड़ा साहस चावहए

और जब ऐसा हो जाए तो दफर कही भी रहो इसस कछ फकम नही पड़ता जो गीत पदा हआ वह जारी

रहगा जो नाच जनमा वह तमहार परो म समा गया वह तमहार पराणो म समा गया दफर पास या दर स कछ

भद नही पड़ता

बहत ह जो यहा पास होकर भी दर ह और बहत ह जो दर होकर भी पास होग पास और दर का कोई

अिम नही ह असली सवाल आतमा स आतमा क पास होना ह

हो गए ह वो दीए की रोिनी लकर फरार

वमल गयी वमलनी िी हमको जो सजाए-ऐतबार

पतिरो म फल वखलत ह यहा तो आजकल

इक नयी तासीर लकर आयी ह फसल-बहार

एक भी चहरा सही चहरा नजर आता नही

इस कदर छायी ह सार िहर प गदो-गबार

काि कोई आईन सा आईना वमलता हम

आईनाखान म य तो आईन ह बिमार

घोसल म रख क उड़त ह परो को आजकल

य पररद दकतन जयादा हो गए ह होवियार

पकषी भी होवियार हो गए ह पखो को घोसल म ही रख जात ह दक कही रासत म खो न जाए दफर उड़त

ह ऐस होवियार झझट म पड़त ह

घोसल म रख क उड़त ह परो को आजकल

य पररद दकतन जयादा हो गए ह होवियार

होवियारी भी कभी-कभी बड़ी गहरी नासमझी होती ह और कभी-कभी नासमझी भी बड़ी गहरी

होवियारी होती ह

परमातमा क सबध म जो पागल होन को तयार ह व ही समझदार ह

आवखरी परशनः ओिो आप अपन विषयो म चनकर एक मर नाम क पीछ ही जी कयो लगात ह और कया

यह मर वलए उवचत नही होगा दक म इसक परवत अपना ववनमर ववरोध परगट कर

पछा ह आनद मतरय न

201

अलग-अलग लोगो को चोट करन क मर अलग-अलग ढग ह मतरय जी

आज इतना ही

202

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ इककीस परवचन

जागो और जीओ

आसा यसय न ववजजवनत अससम लोक परवमह च

वनरासय ववसयतत तमह बरवम बराहमण 324

यससालया न ववजजवनत अाय अकिकिी

अमतोगध अनपपत तमह बरवम बराहमण 325

योध पच पापच उभो सग उपचचगा

असोक ववरज सदध तमह बरवम बराहमण 326

चनदव ववमल सदध ववपपसिमनाववल

ननदीभवपररकखीण तमह बरवम बराहमण 327

वहततवा मानसक योग ददबब योग उपचचगा

सबबयोगववसयतत तमह बरवम बराहमण 328

पबबवनवास यो वदद सगगापायच पससवत

अिो जावतखय पततो असभवावसतो मवन

सबबवोवसतवोसान तमह बरवम बराहमण 329

धममपद क अवतम सतरो का ददन आ गया

लबी िी यातरा पर बड़ी परीवतकर िी म तो चाहता िा--सदा चल बदध क साि उठना बदध क साि

बठना बदध की हवा म डोलना बदध की दकरणो को पकड़ना दफर स जीना उस िाशवत पराण को बदध और

बदध क विषयो क बीच जो अपवम घटनाए घटी उनह दफर स समझना-बझना-गनना उनह दफर हदय म

वबठालना--यातरा अदभत िी

पर यातरा दकतनी ही अदभत हो वजसकी िरआत ह उसका अत ह हम दकतना ही चाह तो भी यहा

कछ िाशवत नही हो सकता यहा बदध भी अवतररत होत ह और ववलीन हो जात ह औरो की तो बात ही कया

यहा सतय भी आता ह तो ठहर नही पाता कषणभर को कौध होती ह खो जाता ह यहा रोिनी नही उतरती

ऐसा नही उतरती ह उतर भी नही पाती दक जान का कषण आ जाता ह

बदध न ठीक ही कहा ह--यहा सभी कछ कषणभगर ह बितम सभी कछ कषणभगर ह और जो इस

कषणभगरता को जान लता ह उसका यहा आना बद हो जाता ह हम तभी तक यहा टटोलत ह जब तक हम

यह भरावत होती ह दक िायद कषणभगर म िाशवत वमल जाए िायद सख म आनद वमल जाए िायद परम म

203

परािमना वमल जाए िायद दह म आतमा वमल जाए िायद पदािम म परमातमा वमल जाए िायद समय म हम

उस खोज ल जो समय क पार ह

पर जो नही होना वह नही होना जो नही होता वह नही हो सकता ह

यहा सतय भी आता ह तो बस झलक द पाता ह इस जगत का सवभाव ही कषणभगरता ह यहा िाशवत

भी पर जमाकर खड़ा नही हो सकता यह धारा बहती ही रहती ह यहा िरआत ह मधय ह और अत ह और

दर नही लगती और वजतनी जीवत बात हो उतन जलदी समाि हो जाती ह पतिर तो दर तक पड़ा रहता ह

फल सबह वखल साझ मरझा जात ह

यही कारण ह दक बदधो क होन का हम भरोसा नही आता कषणभर को रोिनी उतरती ह दफर खो जाती

ह दर तक अधरा--और कभी-कभी रोिनी परगट होती ह सददया बीत जाती ह तब रोिनी परगट होती ह

परानी याददाशत भल जाती ह तब रोिनी परगट होती ह दफर हम भरोसा नही कर पात

यहा तो हम उस पर ही भरोसा ठीक स नही बठता जो रोज-रोज होता ह यहा चीज इतनी सवपनवत ह

भरोसा हो तो कस हो और जो कभी-कभी होता ह सददयो म जो ववरल ह उस पर तो कस भरोसा हो हमार

तो अनभव म पहल कभी नही हआ िा और हमार अनभव म िायद दफर कभी नही होगा

इसवलए बदधो पर हम गहर म सदह बना रहता ह ऐस वयवि हए ऐस वयवि हो सकत ह और जब तक

ऐसी आसिा परगाढ़ न हो दक ऐस वयवि हए ह अब भी हो सकत ह आग भी होत रहग--तब तक तमहार भीतर

बदधतव का जनम नही हो सकगा कयोदक अगर यह भीतर सदह हो दक बदध होत ही नही तो तम कस बदधतव की

यातरा करोग जो होता ही नही उस तरफ कोई भी नही जाता

जो होता ह--सवनवशचत होता ह--ऐसी जब परगाढ़ता स तमहार पराणो म बात बठ जाएगी तभी तम कदम

उठा सकोग अजञात की ओर

इसवलए बदध की चचाम की इसवलए और बदधो की भी तमस चचाम की ह वसफम यह भरोसा ददलान क

वलए तमहार भीतर यह आसिा उमग आए दक नही तम दकसी वयिम खोज म नही लग गए हो परमातमा ह

तम अधर म नही चल रह हो यह रासता खब चला हआ ह और भी लोग तमस पहल इस पर चल ह और ऐसा

पहल ही होता िा--ऐसा नही दफर हो सकता ह कयोदक तमहार भीतर वह सब मौजद ह जो बदध क भीतर

मौजद िा जरा बदध पर भरोसा आन की जररत ह

और जब म कहता हः बदध पर भरोसा आन की जररत तो मरा अिम गौतम बदध स नही ह और भी

बदध हए ह कराइसट और कषण और मोहममद और महावीर और लाओतस और जरिसतर जो जागा वही बदध

बदध जागरण की अवसिा का नाम ह गौतम बदध एक नाम ह ऐस और अनको नाम ह

गौतम बदध क साि इन अनक महीनो तक हमन सतसग दकया

धममपद क तो अवतम सतर का ददन आ गया लदकन इस सतसग को भल मत जाना इस समहालकर

रखना यह परम सपदा ह इसी सपदा म तमहारा सौभागय वछपा ह इसी सपदा म तमहारा भववषय ह

दफर-दफर इन गािाओ को सोचना दफर-दफर इन गािाओ को गनगनाना दफर-दफर इन अपवम दशयो को

समरण म लाना तादक बार-बार क आघात स तमहार भीतर सवनवशचत रखाए हो जाए पतिर पर भी रससी

आती-जाती रहती ह तो वनिान पड़ जात ह

इसवलए इस दि न एक अनठी बात खोजी िी जो दवनया म कही भी नही ह वह िी--पाठ पढ़ना तो

एक बात ह पाठ वबलकल ही दसरी बात ह पढ़न का तो अिम होता हः एक दकताब पढ़ ली खतम हो गयी

204

बात समाि हो गयी पाठ का अिम होता हः जो पढ़ा उस दफर पढ़ा दफर-दफर पढ़ा कयोदक कछ ऐसी बात ह

इस जगत म जो एक ही बार पढ़न स दकसकी समझ म आ सकती ह कछ ऐसी बात ह इस जगत म वजनम

गहराइयो पर गहराइया ह वजनको तम वजतना खोदोग उतन ही अमत की सभावना बढ़ती जाएगी उनही को

हम िासतर कहत ह

दकताब और िासतर म यही फकम ह दकताब वह वजसम एक ही पतम होती ह एक बार पढ़ ली और खतम

हो गयी एक उपनयास पढ़ा और वयिम हो गया एक दफलम दखी और बात खतम हो गयी दबारा कौन उस

दफलम को दखना चाहगा दखन को कछ बचा ही नही सतह िी चक गयी

िासतर हम कहत ह ऐसी दकताब को वजस वजतनी बार दखा उतनी बार नए अिम पदा हए वजतनी बार

झाका उतनी बार कछ नया हाि लगा वजतनी बार भीतर गए कछ लकर लौट बार-बार गए और बार-बार

जयादा वमला कयो कयोदक तमहारा अनभव बढ़ता गया तमहार मनन की कषमता बढ़ती गयी तमहार धयान

की कषमता बढ़ती गयी

बदधो क वचन ऐस वचन ह दक तम जनमो-जनमो तक खोदत रहोग तो भी तम आवखरी सिान पर नही

पहच पाओग आएगा ही नही गहराई क बाद और गहराई गहराई बढ़ती चली जाती ह

पाठ तो तभी समाि होता ह जब तम भी िासतर हो जात हो उसक पहल समाि नही होता पाठ तो तब

समाि होता ह जब िासतर की गहराई तमहारी अपनी गहराई हो जाती ह

ऐसी य अपवम गािाए िी अवतम गािाओ क पहल इस दशय को समझ ल

पहला दशयः

रवत सिववर आयषमान साररपतर क छोट भाई ि साररपतर बदध क अगरणी विषयो म एक ह रवत उनक

छोट भाई ि व वववाह क बधन म बधत-बधत ही छट भाग ि बीच बारात स भाग गए ि बारात पहची ही

जा रही िी मडप क पास जहा पजारी तयार ि सवागत का आयोजन िा बड-बाज बज रह ि ऐस घोड़ स

बीच म उतरकर रवत भाग गए ि

दफर जगल म जाकर बदध क वभकष वमल गए तो उनस उनहोन परवरजया गरहण कर ली और खददरवन म

एकात धयान और मौन क वलए चल गए ि वहा उनहोन सात वषम समगरता स साधना की और अहमतव को

उपलबध हए

उनहोन अभी तक भगवान का दिमन नही दकया िा पहल सोचा रवत न दक योगय तो हो ल तब उन

भगवान क दिमन को जाऊ पहल कछ पातरता तो हो मरी पहल आख तो खोल ल जो दख सक उनह पहल

हदय तो वनखार ल जो झल सक उनह पहल भवम तो तयार कर ल तादक व भगवान अपन बीज फक तो बीज

य ही न चल जाए उनका शरम सािमक हो पहल इस योगय हो जाऊ तब उनक दिमन को जाऊ

तो रवत सात वषो तक भगवान क दिमन को नही गया दफर सात वषो की समगर साधना धयान म सारी

िवि को लगा दना रवत अहमतव को उपलबध हो गया पहल इसवलए नही गया दखन भगवान को दक कस

जाऊ और जब अहमतव को उपलबध हो गया तो जान की कोई बात ही न रही तो भगवान को जान ही वलया

वबना दख जान वलया कयोदक भगवतता भीतर ही उमग आयी

205

सो रवत बड़ी मवशकल म पड़ गया पहल गया नही तब सोच-सोच रोन लगा दक पहल गया नही

सोचता िा दक पातर हो जाऊ और अब जाऊ कया अब वजस दखन चला िा उसक दिमन तो भीतर ही हो गए

वजस गर को बाहर खोजन चला िा वह गर भीतर वमल गया सो रवत मगन होकर अपन जगल म ही रहा

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा पहच वह जगल बहत

भयकर िा रासत ऊबड़-खाबड़ और कटकाकीणम ि जगली पिओ की छाती को कपा दन वाली दहाड़ भरी

दोपहर म भी सनायी पड़ती िी लदकन वभकषओ को इसकी कोई खबर नही वमली कछ पता नही चला न तो

रासतो का ऊबड़-खाबड़ होना पता चला न जगली जानवरो की दहाड़ सनायी पड़ी न काटो स भरा हआ जगल

ददखायी पड़ा उनह तो सब तरफ फल ही फल वखल ददखायी पड़त ि उनह तो सब तरफ जगल की परम िावत

धववनत होती मालम पड़ रही िी

रवत न धयान म भगवान को आत दख उनक वलए सदर आसन बनाया कछ जगल म वविष चीज तो

उसक पास नही िी वभकष िा जो भी वमल सका--पतिर ईट--जो भी वमल सक उसी को लगाकर आसन

बनाया घास-पात जो वमल सका वह वबछा ददया फल वबखर ददए धयान म भगवान को आता दख

भगवान खददरवन म एक माह रह दफर व रवत को भी साि लकर वापस लौट आत समय दो वभकषओ

क उपाहन तल की फोफी और जलपातर पीछ छट गए सो व मागम स लौटकर जब उनह लन गए तो जो उनहोन

दखा उस पर उनह भरोसा नही आया दकसी को भी न आता

रासत बड़ ऊबड़-खाबड़ ि जगली पि दहाड़ रह ि फल तो सब खो गए ि सारा जगल काटो स भरा

िा इतना ही नही रवत का जो वनवास सिान घड़ी दो घड़ी पहल इतना रमय िा दक सवगम को झपाए वह

काटो ही काटो स भरा िा और वजस परम सदर आसन पर रवत न बदध को वबठाया िा उस पर कोई वभखारी

भी बठन को राजी न हो ऐसा करप िा इतना ही नही घड़ीभर पहल जो भवन अपवम जीवतता स नाच रहा

िा वह वबलकल खडहर िा वह भवन िा ही नही वह दकसी न मालम सददयो पहल कोई रहा होगा उसक

महल का खडहर िा

व तो भरोसा न कर सक दखकर वहा ऐसा लगा दक जस हमन कोई सपना दखा िा

शरावसती लौटन पर महोपावसका वविाखा न उनस पछा--उन दो वभकषओ स--आयम रवत का वनवास सिान

कसा िा मत पछो उपावसक व वभकष बोल मत पछो ऐसी खतरनाक जगह हमन कभी दखी नही खडहर िा

खडहर वनवास सिान कहो मत सब काटो स भरा िा जगल और भी बहत दख ह मगर ऐसा भयानक जगल

नही आदमी ददन म खो जाए तो राह न वमल भरी दपहरी म ऐसा घना जगल दक सरज की दकरण न पार

कर सक वकषो को और भयकर जानवरो स भरा हआ बचकर आ गए यही कहो उपावसक पछो मत वह बात

याद ददलाओ मत और यह रवत कस उस जगह म रहता िा काटो ही काटो स भरा िा वह खडहर इतना ही

नही साप-वबछओ स भी भरा िा

दफर वविाखा न और वभकषओ स भी पछा उनहोन कहाः आयम रवत का सिान सवगम जसा सदर ह मानो

ऋवदध स बनाया गया हो चमतकार ह महल सदर हमन बहत दख ह मगर रवत वजस महल म रह रहा िा

ऐसा महल सवगम क दवताओ को भी उपलबध नही होगा इतनी िावत इतनी परगाढ़ िावत ऐसा सिाटा ऐसा

अपवम सगीतमय वातावरण--नही इस पथवी पर दसरा नही ह

206

इन ववपरीत मतवयो स वविाखा सवभावतः चदकत हई दफर उसन भगवान स पछाः भत आयम रवत क

वनवास सिान क सबध म पछन पर आपक साि गए हए वभकषओ म कोई उस नकम जसा और कोई उस सवगम जसा

बतात ह असली बात कया ह

भगवान हस और बोलः उपावसक जब तक वहा रवत का वास िा वह सवगम जसा िा जहा रवत जस

बराहमण ववहरत ह वह सवगम हो ही जाता ह लदकन उनक हटत ही वह नकम जसा हो गया जस दीया हटा

वलया जाए और अधरा हो जाए ऐस ही मरा पतर रवत अहमत हो गया ह बराहमण हो गया ह उसन बरहम को

जान वलया ह

और तब उनहोन य गािाए कही िीः

आसा यसय न ववजजवनत अससम लोक परवमह च

वनरासय ववसयतत तमह बरवम बराहमण

इस लोक और परलोक क ववषय म वजसकी आिाए नही रह गयी ह जो वनरािय और असग ह उस म

बराहमण कहता ह

यससालया न ववजजवनत अाय अकिकिी

अमतोगध अनपपत तमह बरवम बराहमण

वजस आलय--तषणा--नही ह जो जानकर वीतसदह हो गया ह और वजसन डबकर अमत पद वनवामण

को पा वलया ह उस म बराहमण कहता ह

योध पच पापच उभो सग उपचचगा

असोक ववरज सदध तमह बरवम बराहमण

वजसन यहा पणय और पाप दोनो की आसवि को छोड़ ददया ह जो ववगतिोक वनममल और िदध ह उस

म बराहमण कहता ह

सतरो क पवम दशय को खब मनन करो दशय पर धयान करो

रवत सिववर साररपतर का छोटा भाई िा बारात जाती िी घोड़ पर बठा होगा लदकन बीच स भाग

गया कया हो गया

दवनया म तीन तरह क लोग ह पहल वजनह हम मढ़ कह बवदधहीन कह व अनभव स भी नही सीखत

ह बार-बार अनभव हो तब भी नही सीखत ह व पनः-पनः वही भल करत ह व भल भी नयी नही करत ह

व भल भी परानी ही दोहरात ह उनक जीवन म नया कछ होता ही नही उनका जीवन कोलह क बल जसा

होता ह बस उसी म डोलता रहता ह वही चककर काटता रहता ह गाड़ी क चाक जसा घमता रहता ह

एक आदमी अपनी पतनी स बहत पीवड़त िा और कई बार अपन वमतरो स कह चका िा दक अगर यह मरी

सतरी मर जाए तो म दबारा सपन म भी वववाह की न सोचगा दफर सतरी मर गयी सयोग की बात और पाच-

207

सात ददन बाद ही वह आदमी नयी सतरी की तलाि करन लगा तो उसक वमतरो न पछाः अर अभी पाच-सात

ददन ही बीत और तम तो कहत ि सपन म न सोचगा उनहोन कहाः छोड़ो भी जान भी दो उस समय की

बात उस समय की िी सब बदल गया अब सभी वसतरया एक जसी िोड़ ही होती ह उसन दख ददया तो सभी

दख दगी ऐसा िोड़ ही ह

उसन दफर वववाह कर वलया और दफर दख पाया तब वह अपन वमतरो स बोला दक तम ठीक ही कहत

ि अब यह भी अनभव हो गया दक सभी वसतरया एक जसी ह कछ भद नही पड़ता सब सबधो म दख ह और

यह वववाह का सबध तो महादख ह अब कभी नही अगर भगवान एक अवसर और द तो अब कभी न करगा

वववाह

परानी कहानी ह भगवान न सन वलया होगा एक अवसर और ददया पतनी दफर मर गयी साधारणतः

पहली पतनी नही मरती अकसर तो ऐसा होता ह दक पतनी पवत को मारकर ही मरती ह

तमन दखा ववधवाए ददखायी पड़ती ह वसतरयो की िारीररक उमर परषो स जयादा ह पाच साल जयादा

ह औसत अगर आदमी सततर साल जीएगा तो सतरी पचहततर साल जीएगी और एक मढ़ता क कारण दक जब

हम वववाह करत ह तो हम परष की उमर तीन-चार-पाच साल जयादा लड़का होना चावहए इककीस का और

लड़की होनी चावहए सोलह की या अठारह की तो पाच साल का तो सवाभाववक भद ह पाच साल का भद हम

खड़ा कर दत ह तो परष दस साल पीछ वपछड़ जाता ह तो अगर परष मरगा तो उसक दस साल बाद तक

उसकी पतनी क सजदा रहन की सभावना ह

तो पहली पतनी ही नही मरती पहली भी मरी दसरी मरी यह किा सतयग की होगी कलयग म य

बात कहा दसरी सतरी क मरन क पाच-सात ददन बाद ही वह आदमी दफर सतरी तलाि करन लगा वमतरो न कहाः

अर भई अब तो समहलो वह आदमी मसकराया और उसन कहाः सनो अब मझ एक बात समझ म आ गयी

मन म दक आिा की हमिा अनभव पर ववजय होती ह अब मझ दफर आिा बध रही ह दक कौन जान तीसरी

सतरी वभि हो अर दकसन जाना

आिा पर अनभव नही जीत पाता अनभव पर आिा जीत जाती ह--यह मढ़ का लकषण ह

दसर व लोग ह वजनह हम बवदधमान कह व अनभव स सीखत ह अनभव क वबना नही सीखत

बवदधमान को पनरवि नही करनी पड़ती एक ही अनभव काफी होता ह मगर एक अनभव जररी होता ह

वबना अनभव क नही बवदधमान सीख सकता मगर एक काफी ह एक बार चख वलया समदर क पानी को तो

सार समदरो का पानी चख वलया बात समाि हो गयी उस सवाद न वनणमय द ददया अब दबारा यही भल नही

करगा

मढ़ बधी-बधायी भल करता ह कछ सीखता ही नही इसका मतलब हआ--वही-वही भल करन का

मतलब हआ--दक कछ सीखता नही दक भलो को बदल ल नयी भल कर परानी छोड़ कछ नए उपाय कर

बवदधमान एक भल को एक बार करता ह ऐसा नही दक बवदधमान भल नही करता मगर जब करता ह

तो नयी भल करता ह इसवलए बवदधमान ववकासमान होता ह वह आग बढ़ता ह हर अनभव उस नया जञान द

जाता ह

तीसर वयवि होत ह वजनको परजञावान कहा जाता ह व बवदधमान स आग होत ह व अनभव म नही

गजरत व अनभव को बाहर स ही दखकर जाग जात ह व दसरो का अनभव दखकर भी जाग जात ह उनह

सवय ही अनभव म जान की जररत नही होती

208

पहला आदमी ऐसा दक जब वगरगा आग म तो एक बार वगरगा दो बार वगरगा रोज जलगा दफर-दफर

वगरगा दसरा आदमी ऐसा दक एक बार जल जाएगा तो समहल जाएगा और तीसरा आदमी ऐसा दक दसरो

को वगरत दखकर जलत दखकर ही समहल जाएगा उसको परजञावान कहा ह

रवत परजञावान िा उसन दख होग चारो तरफ वववावहत और दखी लोग वववावहत और दखी करीब-

करीब पयामयवाची िबद ह वववावहत--और तमन सखी दखा इस बात को बचान क वलए कहावनया वववाह क

बाद खतम हो जाती ह दफर आग नही जाती कयोदक आग जाना खतरनाक ह

दफलम भी--बड-बाजा बज रहा ह िहनाई बज रही ह--और खतम हो जाती ह वववाह हआ खतम हई

कहावनया परानी कहती ह दक उन दोनो का वववाह हो गया दफर व दोनो सख स रहन लग यही जाकर खतम

हो जाती ह दफर आग की बात उठाना खतर स खाली नही ह

वववाह क बाद कौन कब सख स रहा वववाह क पहल लोग भला सख स रह हो एक आदमी ही जब

दखी िा तो दो होकर दगना दख हो जाएगा हजार गना हो जाएगा दो दखी वमलग तो सख पदा हो कस

सकता ह दो जहरो क वमलन स कही अमत बनता ह

और धयान रखना कसर न सतरी का ह न परष का कसर यही ह दक हमारी मौवलक भरावत ह दक म दखी

ह कोई सतरी भी दखी ह हम दोनो वमल बठ ग साि-साि हो जाएग तो दोनो सखी हो जाएग हम एक असभव

बात की कलपना कर रह ह म दखी ह सतरी दखी ह अकली वह भी दखी ह अकला म भी दखी ह य दो दखी

आदमी एक-दसर स वमलकर दख को अनत गना कर लग यह जोड़ ही नही होगा गणनफल होगा और तब

तड़फ ग तब परिान होग

रवत न दखा होगा चारो तरफ रवत न दख होग अपन मा-बाप रवत न दख होग अपन पड़ोसी अपन

बजगम अपन पररवार क लोग और दफर रवत न यह भी दखा होगा साररपतर का सब छोड़कर सनयसत हो

जाना--बड़ भाई का दफर उसन यह भी दखा होगा दक साररपतर की आखो म एक और ही आभा आ गयी दफर

उसन यह भी दखा होगा दक साररपतर पहली दफा आनददत हए ऐसा आनददत आदमी उसन नही दखा िा

य सब बात वह चपचाप दखता रहा होगा य सारी बात इकटठी होकर उसक भीतर घनी होती रही

होगी दफर घोड़ पर सवार करक जब लोग उस आग की तरफ ल चलन लग और जब बड-बाज जोर स बजन

लग तब उसक भीतर वनरणय की घड़ी आ गयी होगी उसन सोचा होगाः अब सोच ल या दफर सोचन का आग

कोई उपाय न रहगा कछ करना हो तो कर ल अनयिा घड़ीभर बाद दफर करना झझट स भर जाएगा

उसन दखा होगा दक साररपतर घर छोड़कर गए तो उनकी पतनी दकतनी दखी ह साररपतर परम सख को

उपलबध हो गए ह लदकन पतनी बहत दखी ह पवत सजदा ह और पतनी ववधवा हो गयी ह जीत जी पवत क दखी

न होगी तो कया होगा

साररपतर घर छोड़कर चल गए उनक बट दीन-हीन और अनाि हो गए ह साररपतर तो परम अवसिा को

उपलबध हो गए लदकन िोड़ी खटक तो ह इसम दक य बचच अनाि हो गए यह पतनी दखी ह बढ़ मा-बाप

सचवतत ह परिान ह उनको यह बोझ ढोना पड़ रहा ह साररपतर की पतनी और बचचो का

य सब बात सघन होती रही होगी उस घड़ी म इन सारी बातो का जोड़ हो गया उसन सोचा होगाः

अब एक कषण और रक जाऊ दक म भी उसी जाल म पड़ जाऊगा और म भी वही करगा जो साररपतर न दकया

बहतर ह म भाग जाऊ

209

कोई बहाना करक उतर गए होग--दक जरा घोड़ स उतर जाऊ और भाग सो भाग दफर घोड़ पर वापस

नही लौट

िायद दलह को घोड़ पर वबठाकर इसीवलए ल जात होग वजसम भाग न सक छरी इतयादद लटका दत

ह यह उसको समझान को दक त बड़ा बहादर ह भगोड़ा िोड़ ही ह दख घोड़ पर बठा ह राजा-महाराजा ह

और दख इतनी बारात चल रही ह इतना बड-बाजा बज रहा ह उसको सब तरह का भरम दत ह

जस डाकटर जब दकसी का आपरिन करता ह तो पहल बहोि करन क वलए कलोरोफामम दता ह य सब

कलोरोफामम ह एक ददन क वलए उसको राजा बना दत ह--दलहा राजा और एक ददन की अकड़ म वह भला

रहता ह और मसत रहता ह उस पता नही ह इस मसती का पररणाम कया ह

मगर यह रवत बड़ा होवियार आदमी रहा होगा परजञावान रहा होगा यह उतरा और चपचाप भाग

गया इसन दफर पीछ लौटकर नही दखा जगल चला गया वभकष वमल गए मागम पर उनही स दीकषा ल ली

अब बहत ऐस लोग ह जो बदध क पास पहचकर भी अहमत न हो सक और यह आदमी बदध क सामानय

वभकषओ स अजञातनाम वभकषओ स वजनक नाम का भी पता नही ह दक दकनस उसन दीकषा ली िी कोई परवसदध

वभकष न रह होग उनस दीकषा लकर अहमतव को उपलबध हो गया

तो खयाल रखनाः असली सवाल तमहारी परगाढ़ता का ह तम बदध क पास होकर भी चक सकत हो अगर

परगाढ़ नही हो अगर तमहार भीतर तवरा और तीवरता नही ह अगर सार जीवन को दाव पर लगा दन की

वहममत नही ह तो बदध क पास भी चक जाओग और अगर सार जीवन को दाव पर लगा दन की वहममत ह तो

दकसी साधारणजन स दीकषा लकर भी पहच जाओग

एकात मौन और धयान--इन तीन चीजो म रवत सलगन हो गया अकला रहन लगा चप रहन लगा और

अपन भीतर ववचारो को ववदा करन लगा यही तीन सतर ह समावध क

एकात ऐस रहो जस तम अकल हो कही भी रहो--ऐस रहो जस तम अकल हो न कोई सगी ह न कोई

सािी भीड़ म भी रहो तो अकल रहो पररवार म भी रहो तो अकल रहो इस बात को जानत ही रहो भीतर

एक कषण को यह सतर हाि स मत जान दना एक कषण को भी यह भरावत पदा मत होन दना दक तम अकल नही

हो दक कोई तमहार साि ह यहा न कोई साि ह न कोई साि हो सकता ह यहा सब अकल ह अकलापन

आतयवतक ह इस बदला नही जा सकता िोड़ी-बहत दर को भलाया जा सकता ह बदला नही जा सकता

और सब भलाव एक तरह क मादक दरवय ह एक परकार क नि ह कस तम भलात हो इसस फकम नही

पड़ता कोई िराब पीकर भलाता ह कोई धन की दौड़ म पड़कर भलाता ह कोई पद क वलए दीवाना होकर

भलाता ह कस तम भलात हो इसस फकम नही पड़ता लदकन िोड़ी दर को भला सकत हो बस

और जब भी निा उतरगा अचानक पाओगः अकल हो

सनयासी वही ह जो जानता ह दक म अकला ह और भलाता नही अपन अकलपन को भलाना तो दर

अपन अकलपन म रस लता ह और परतीकषा करता ह दक कब मौका वमल जाए दक िोड़ी दर अपन अकलपन का

सवाद ल िोड़ी दर आख बद करक अपन म डब जाऊ अकला रह जाऊ वही मरी वनयवत ह वही मरा सवभाव

ह उसी सवभाव स मझ पहचान बनानी ह

दसरो स पहचान बनान स कछ भी न होगा अपन स पहचान बनानी ह दसरो को जानन स कया होगा

अपन को ही न जाना और सबको जान वलया इस जानन का कोई मलय नही ह मल म तो अजञान रह गया

तो रवत एकात म बठ गया मौन रखन लगा बोलना बद कर ददया

210

बोलन को ह कया जब तक जान न लो तब तक बोलन को ह कया जब तक जान न लो तब तक

बोलना खतरनाक भी ह कयोदक तम जो भी बोलोग वह गलत होगा तम जो भी लोगो स कहोग वह भटकान

वाला होगा तम भटक हो और औरो को भटकाओग

बोलना तो तभी सािमक ह जब कछ जाना हो जब कछ अनभव हआ हो जब कोई बात तमहार भीतर

परखर होकर साफ हो गयी हो जब तमहार भीतर जयोवत जली हो और तमहार पास अपनी आख हो तब

बोलना तब तक तो अछा ह चप ही रहना तम अपना कड़ा-करकट दसर पर मत फकना तमही दब हो औरो

पर कपा करो मत दकसी को दबाओ अपन कड़-करकट स

लदकन लोग बड़ उतसक होत ह लोग अकल-अकल म घबड़ान लगत ह राह खोजन लगत ह दक कोई

वमल जाता दकसी स दो बात कर लत बात करन का मतलबः कछ कचरा वह हमारी तरफ फकता कछ कचरा

हम उसकी तरफ फकत न हम पता ह न उस पता ह इसको लोग बातचीत कहत ह

यह बातचीत महगी ह कयोदक दसरा भी अपन अजञान को वछपाता ह और अपनी बातो को इस तरह स

कहता ह जस जानता हो तम भी अपन अजञान को वछपात हो और अपनी बातो को इस तरह स कहत हो जस

तमन जाना ह दोनो एक-दसर को धोखा द रह हो और अगर दसर न मान वलया तमहारी बात को तो गडढ म

वगरगा तम खद गडढ म वगरत रह हो तमहारी बात मानकर जो चलगा वह गडढ म वगरगा

इसवलए तो कोई दकसी की सलाह नही मानता तमन दखा दवनया म सबस जयादा चीज जो दी जाती

ह वह सलाह ह और सबस कम जो चीज ली जाती ह वह भी सलाह ह

कोई दकसी की मानता नही बाप की बटा नही मानता भाई की भाई नही मानता वमतर की वमतर नही

मानता अधयापक की विषय नही मानता

एक वलहाज स अछा ह दक लोग दकसी की मानत नही अर वगरना ह तो कम स कम अपन ही गडढ म

वगरो दसर की सलाह लकर दसर क गडढ म कयो वगरना अपन गडढ म वगरोग तो िायद कछ अनभव भी होगा

अपनी तरफ स वगरोग अपन हाि स वगरोग तो िायद वनकलन की सभावना भी ह अवि दसर की सलाह स

वगरोग तो वनकलन की सभावना भी न रह जाएगी

म तमस कहना चाहता हः अपन ही पर स चलकर जो नकम तक पहचा ह वह वापस भी लौट सकता ह

जो दसरो क कधो पर चढ़कर पहच गया ह वह लगड़ा ह वह वापस कस लौटगा उसका लौटना बहत असभव

हो जाएगा

और नकम तक ल जान वाल लोग तो तमह बहत वमल जाएग एक ढढो हजार वमल जाएग लदकन नकम स

सवगम तक लान वाला तो बहत मवशकल ह नकम म कहा पाओग ऐसा आदमी जो तमह सवगम तक ल जाए यहा स

नकम तक जान क वलए तो सब गावड़या वबलकल भरी ह लबालब भरी ह लदकन नकम स इस तरफ आन वाली

गावड़या चलती कहा ह उनको चलान वाला नही ह कोई

अछा ही ह दक कोई दकसी की सलाह नही मानता

रवत भाग गया एकात म बठ गया चप हो गया बोलता ही न िा

और जब तम एकात म रहोग और चप रहोग तो भीतर ववचार कब तक चलग कब तक चलग उनका

मौवलक आधार ही कट गया जड़ ही कट गयी तमन पानी सीचना बद कर ददया वही-वही ववचार कछ ददन

तक गजग-गजग- गजग धीर-धीर तम भी ऊब जाओग व भी ऊब जाएग

211

रोज-रोज नया कछ होता रह तो ववचार म धारा बहती रहती ह पराण पड़त रहत ह अब अकल म बठ

गए न बोलना ह न चालना ह कब तक वसर म वही ववचार घमत रहग धीर-धीर मदाम हो जाएग वगर

जाएग सख पततो की तरह झड़ जाएग नए पतत तो अब आत नही परान पतत एक बार झड़ गए तो मन

वनरवमचार हो जाएगा उस दिा का नाम ही धयान ह

वहा उनहोन सात वषम समगरता स साधना की

और साधना हो ही तब सकती ह जब कोई समगरता स कर कछ भी बचाया तो चक जाओग वननयानब

वडगरी पर भी पानी भाप नही बनता सौ वडगरी पर ही बनता ह और जब तम भी सौ वडगरी उबलोग तो ही

रपातररत होओग एक वडगरी भी बचाया तो रपातररत नही हो पाओग

इसवलए रपातरण क वलए समगर रप स दाव लगान की कषमता और साहस चावहए लोग दकानदार ह

और परम सतय को पान क वलए जआरी चावहए जो सब दाव पर लगा द दकानदार दो-दो पस का वहसाब

लगाकर दाव पर लगाता ह--दक दकतना लाभ होगा अगर लाभ नही होगा तो हावन दकतनी होगी अभी

इतना लगाऊ पहल दख िोड़ा लगाकर दफर लाभ हो तो िोड़ा और जयादा लगाऊगा दफर लाभ हो तो

िोड़ा और जयादा लगाऊगा

जआरी सब इकटठा लगा दता ह या इस पार या उस पार और वजसन भी सब इकटठा लगा ददया धयान

म वह उस पार ही होता ह इस पार का उपाय ही नही उसक सब लगान म ही उस पार हो गया वह सब

लगान की जो ववतत िी उसी म उस पार हो गया अब कोई और दसरी बात नही बची

सात वषम की समगर साधना रवत अहमतव को उपलबध हो गया उसन जान वलया अपन आतयवतक सवरप

को अपन भीतर वछपी पड़ी भगवतता को उसन अपन को पहचान वलया वह अपन आमन-सामन खड़ा हो

गया वह आहलाददत हो गया आनददत हो गया वह मि हो गया

उसन अभी तक भगवान का दिमन नही दकया िा पहल सोचता िाः पातर हो जाऊ तब करगा और

अब अब यह बात ही वयिम मालम पड़न लगी दक भगवान की दह को दखन जाऊ अब तो भगवान का अतरतम

दख वलया

वही तो बदध न कहा हः जो धमम को जानता ह वह मझ जानता ह वजसन धमम दखा उसन मझ दखा जो

मझ ही दखता रहा और मर भीतर क धमम स ववचत रहा उसन मझ दखा ही नही वह तो अधा िा कयोदक म

दह नही ह

दह क पार जब तम दखन लगोग तभी बदधो स सबध होता ह सबध जड़ता ह वह सग आतमा का ह दह

का नही

तो पहल तो सोचा िा--ठीक ही सोचा िा रवत बड़ा परजञावान ह--ठीक ही सोचा दक पहल पातर तो हो

जाऊ उन भगवान की आख मर ऊपर पड़ इस योगय तो हो जाऊ उनक चरण छऊ इस योगय हाि तो हो

जाए कछ हो तो मर पास चढ़ान को ऐस खाली-खाली कया जाना कछ लकर जाऊ कछ धयान की सपदा

लकर जाऊ कछ उनक परो म रखन की मर पास सववधा हो कछ कमाकर जाऊ

ठीक सोचा िा काि ऐस लोग अवधक हो दवनया म तो दवनया का रप बदल अकसर तो ऐसा होता ह

दक अपातर भी बदधो क पास पहच जात ह और पहच कर ही सोचत ह दक सब हो गया दफर व बदधो को ही दोष

दन लगत ह दक आपक पास आए इतन ददन हो गए अभी तक कछ हआ कयो नही दफर व बदधो पर िक करन

212

लगत ह दक जब इतन ददन हो गए और कछ नही हआ तो मालम होता ह य बदध सचच नही ह जस बदधो क

ऊपर ही सब ह

कछ तम भी करोग तमहार भीतर घटनी ह बात और तमहार भीतर कछ भी नही ह

जीसस का परवसदध वचन हः वजसक पास ह उस और ददया जाएगा और वजसक पास नही ह उसस वह

भी छीन वलया जाएगा जो उसक पास ह

अनठा वचन हः वजसक पास ह उस और भी ददया जाएगा

तो रवत न सोचाः कछ लकर जाऊ कछ हो मर पास तब जाऊ बड़ी ठीक बात िी लदकन दफर अड़चन

म पड़ा जब घटना घट गयी तो चौका तो उसन सोचाः अब जाकर कया करगा अब तो उन भगवान को म

यही स दख रहा ह अब तो समय का और सिान का फासला वगर गया अब तो मन जान वलया दक न म दह ह

न व दह ह अब तो म वहा पहच गया जहा व ह अब कहा जाना अब कसा आना-जाना

तो दफर वह कही नही गया बठा रहा और तब यह अपवम घटना घटी

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा गए

यही ह सतय वजस ददन तम तयार होओग भगवान सवय तमहार पास आता ह तमहार जान की कही

कोई जररत नही ह वजस ददन तमहारी तयारी परी ह उस ददन परमातमा उतरता ह यह अिम ह इस कहानी

का

तमह कही जान की जररत नही ह न मकका न काबा न कािी न कलाि तमह कही जान की जररत

नही ह न जरसलम न वगरनार तमह कही जान की जररत नही ह

दफर तम जाओग भी कहा कहा खोजोग उस जब यहा नही ददखायी पड़ता तो कलाि पर कस

ददखायी पड़गा अधा आदमी यहा अधा ह कलाि पर भी अधा होगा जब यहा नही वमलता तो कािी म कस

वमलगा वमलना तो तमह ह नजर तमहारी वनखरी होनी चावहए आख तमहारी खली होनी चावहए हदय

तमहारा परफवललत होना चावहए फल की तरह वखला हआ यहा नही वखल रहा ह काबा म कस वखलगा

तम समझत हो जो काबा म रहत ह व परमातमा को उपलबध हो गए ह तम सोचत हो कािी म रहन

वाल परमातमा को उपलबध हो गए ह

जो यहा घट सकता ह वही कही और भी घटगा और जो कही और घट सकता ह वह यहा भी घट

सकता ह असली सवाल तमहार भीतर का ह

बड़ी पराचीन कहावत ह दक जब विषय तयार हो तो गर उपवसित हो जाता ह जब तम तयार हो तो

परमातमा चपचाप कब चला आता ह तमह पता भी नही चलता

उसक अहमतव को घटा दख भगवान सवय साररपतर आदद सिववरो क साि वहा गए वह जगल बहत

भयकर िा रासत ऊबड़-खाबड़ और कटकाकीणम ि जगली पिओ की छाती को कपा दन वाली दहाड़ भरी

दोपहरी म सनायी पड़ती िी लदकन वभकषओ को इस सब का कोई पता ही न चला

वजनह भगवान का साि ह उनह यह सब पता चलगा ही नही बदध क साि चलत ि बदध की छाया म

चलत ि बदध की रोिनी म चलत ि बदध का एक वायमडल िा उसम चलत ि सरवकषत ि यह जगल जस

िा ही नही रासत ऊबड़-खाबड़ नही ि

नजर बदध पर लगी हो तो कहा रासता ऊबड़-खाबड़ रासतो म काट पड़ ि लदकन नजर बदध जस फल

पर लगी हो तो दकसको य छोट-मोट काट ददखायी पड़त ह जगल म जगली आवाज गज रही होगी जरर कोई

213

जगल क जानवर वभकषओ को दखकर चप नही हो जाएग लदकन वजसका हदय बदध को सनन म लगा हो उनक

पदचाप को सनन म लगा हो जो यहा एकागर-वचतत होकर डबा हो उस सब खो जाता ह

तमन दखा न तम जब कभी एकागर-वचतत हो जाओ तो आकाि म बादल गरजत रह और तमह सनायी न

पड़ग टरन गजर हवाई जहाज वनकल--तमह सनायी न पड़गा तम जब वचतत स िात होत हो एक ददिा म

अनसयत होत हो तो और सारी ददिाए अपन आप खो जाती ह

बदध क परमी ि य वभकष बदध िोड़ स चन हए वयवियो को लकर ही गए होग साररपतर आदद को

साररपतर होगा महाकाशयप होगा मोदगलयायन होगा आनद होगा ऐस चन हए लोगो को लकर गए होग

िोड़ स लोगो को रवत को ददखान ल गए होग--दक दखो रवत को अकला ह मझ कभी वमला भी नही दर स

ही शरदधा क फल चढ़ाता रहा ह मझ कभी दखा नही और पहच गया

रवत न भगवान को धयान म आत दख

जब बवदध िात हो जाती ह और ववचारो का ऊहापोह वमट जाता ह तो धयान की आख खलती ह धयान

की आख क वलए कोई बाधा नही ह धयान की आख सब दख पाती ह

बदध क आन को दख सदर आसन बनाया

परभ आत ह वजनक पास जान की दकतनी-दकतनी तमिाए िी और दकतनी-दकतनी अभीपसाए िी और

दकतन-दकतन सपन ि वजनक पास जान क वलए सात साल अिक महनत की िी दक पातर हो जाऊ तो जाऊ

आज व सवय आत ह उसका आहलाद तम समझो उसकी परतीकषा तम समझो उसका आनद आज सवगम टटन

को ह

वह तो भल ही गया होगा दक म यह कया कर रहा ह य पतिर और य ईट और जगल स कछ भी

उठाकर आसन बना रहा ह इसकी दफकर ही न रही होगी

परम ऐसा जाद ह दक पतिर को छए सोना हो जाए और तमन अगर बमन स सोन की ईट लगाकर भी

आसन बनाया तो वमटटी हो जाती ह असली सवाल परम का ह बदध परम को दखत ह

भगवान रवत क पास एक माह रह

कहानी कछ नही कहती कहानी बड़ी महतवपणम ह कहानी यह नही कहती दक भगवान न रवत को कछ

कहा दक रवत न भगवान स कछ कहा बस इतना ही कहती ह दक भगवान रवत क पास एक माह रह

नही कछ कहा नही होगा कहन की अब कोई बात ही न िी रवत वहा पहच ही गया जहा पहचान क

वलए भगवान कछ कहत और रवत तो कया कह जो चाह िी वह वबना माग परी हो गयी भगवान उसक दवार

पर आ गए

मरी अपनी दवषट यही ह दक व बठ होग चपचाप पास-पास कोई कछ न बोला होगा बोलन को कछ

बचा न िा दो अहमत बोल भी कया सकत ह दो जञावनयो क पास बोलन को कछ नही होता

दो अजञावनयो क पास बहत होता ह बोलन को बोलन स ही काम नही चलता वसर खोलकर मानग दो

अजञानी एक-दसर की गरदन पकड़ लत ह

दो जञानी वमल तो चप हो जात ह हा एक अजञानी हो और एक जञानी तो कछ बोलन को हो सकता ह

बदध सदा बोलत ह रोज बोलत ह लदकन इस एक माह कछ बोल इसकी कोई खबर नही ह यह एक

माह जस चपपी म बीता होगा वजनको साि ल गए होग व भी ऐस लोग ि जो अहमतव को पा गए ह रवत भी

अहमत िा

214

यह सिाट म बीता होगा महीना यह महीना बड़ा पयारा रहा होगा यह महीना इस पथवी पर अनठा

रहा होगा इतन बदधपरष एक साि बठ चपचाप खब बरसा होगा अमत वहा खब घनी बरसा हई होगी

मसलाधार बरसा होगा अमत वहा सारा वन आनददत हआ होगा पि-पवकषयो तक की आतमाए मि होन क

वलए आतर हो उठी होगी वकषो क पराण सगबगाकर जग गए होग ऐसी गहन चपपी रही होगी

दफर रवत को साि लकर व वापस लौट

और जब भगवान तमहार पास आए तो एक ही परयोजन होता ह दक तमह अपन पास ल आए और तो

कोई परयोजन नही हो सकता गर विषय क पास आता ह तादक विषय को गर अपन पास ल आए गर की

दकरण तमह टटोलती आती ह--खोजती

रवत को साि लकर वापस लौट आत समय दो वभकषओ क उपाहन तल की फोफी और जलपातर पीछ

छट गए सो व मागम स लौटकर जब उनह लन गए तो जो उनहोन दखा उस पर उनह भरोसा नही आया रासत

बड़ ऊबड़-खाबड़ ि

इस बार भगवान का साि न िा व ही रासत भगवान साि हो तो पयार हो जात ह व ही रासत

भगवान साि न हो तो ऊबड़-खाबड़ हो जात ह

दवनया वही ह भगवान का साि हो तो सवगम भगवान का साि चक जाए तो नकम सब वही ह वसफम

भगवान क साि स फकम पड़ता ह तम अकल हो भगवान का साि नही सब ऊबड़-खाबड़ होगा सजदगी एक

दख की किा होगी अिमहीन ववषाद स भरी रगण और भगवान का साि हो तो सब रपातररत हो जाता ह

जाद की तरह तम सवसि हो जात हो कही कोई काट नही रह जात ह सब तरफ फल वखल जात ह कही कोई

िोरगल नही रह जाता सब तरफ िावत बरसन लगती ह

उनह भरोसा न आया दक हो कया गया अभी-अभी हम आए ि अभी-अभी हम गए दो घड़ी म इतना

सब बदल गया य व ही रासत ह यह वही जगल ह य व ही वकष ह इतना ही नही रवत का जो वनवास

सिान घड़ी दो घड़ी पहल इतना रमय िा दक सवगम मालम होता िा वह वसफम काटो स भरा िा और एक खडहर

िा और ऐसा लगता िा जस सददयो स वहा कोई न रहा हो

शरावसती लौटन पर महोपावसका वविाखा न उनस पछाः आयम रवत का वास सिान कसा िा

मत पछो उपावसक सारा काटो स भरा ह और साप-वबछओ स भी भलकर भी भगवान न कर दक

ऐसी जगह दबारा जाना पड़

दफर वविाखा न और वभकषओ स भी पछा उनहोन कहा आयम रवत का सिान सवगम जसा सदर ह मानो

ऋवदध स बनाया गया हो जस हजारो वसदधो न अपनी सारी वसवदध उडल दी हो चमतकार ह वह जगह ऐसी

सदर जगह पथवी पर नही ह

इन ववपरीत मतवयो को सनकर सवभावतः वविाखा चदकत हई दफर उसन भगवान स पछाः भत आयम

रवत क सिान क ववषय म पछन पर आपक साि गए वभकषओ म कोई कहता नकम जसा कोई कहता सवगम जसा

बात कया ह असली बात कया ह आप कह

भगवान न कहाः उपावसक जब तक वहा रवत का वास िा वह सवगम जसा िा जहा रवत जस बराहमण

ववहरत ह वह सवगम हो जाता ह लदकन उनक हटत ही वह नकम जसा हो गया जस दीया हटा वलया जाए और

अधरा हो जाए--ऐस ही मरा पतर रवत अहमत हो गया ह बराहमण हो गया ह उसन बरहम को जान वलया ह

215

धममपद बराहमण की पररभाषा पर परा होता ह--दक बराहमण कौन बराहमण कया बराहमण अवतम दिा ह--

बरहम को जान लन की

इस लोक और परलोक क ववषय म वजसकी आिाए नही ह

जो न तो यहा कछ चाहता ह न वहा कछ चाहता ह जो कछ चाहता ही नही जो अचाह को उपलबध

हो गया ह

ऐस वनरािय और असग को म बराहमण कहता ह

रवत ऐसा बराहमण हो गया ह

वजस तषणा नही ह जो जानकर वीतसदह हो गया ह वजसन डबकर अमत पद वनवामण को पा वलया ह

उस म बराहमण कहता ह

ऐसा मरा पतर रवत बराहमण हो गया ह

जानकर वीतसदह हो गया

इस बात को समझना लोग दो तरह स सदह स बच सकत ह एक तो जबदमसती दकसी ववशवास को अपन

ऊपर िोप ल और सदह स बच जाए वह झठा ह सदह स बचना वह सदह आज नही कल बदला लगा बरी

तरह बदला लगा

तम दवनया म इतन नावसतक दखत हो इतन नावसतक नही ह दवनया म नावसतक बहत जयादा ह

कयोदक वजनह तम आवसतक की तरह दखत हो उनम स िायद ही कोई आवसतक ह व सब नावसतक ह भीतर

तो नावसतकता ह ऊपर स आवसतकता की वसफम धारणा ह मानयता ह मानत ह दक ईशवर ह जाना नही ह

वबना जान कस मानोग वबना जान मानना नपसक ह उसम कोई पराण नही ह

इसवलए बदध कहत ह जानकर जो वीतसदह हो गया ह वजसन जानकर सदह स मवि पा ली वजसन

परमातमा को पहचान वलया सतय को पहचान वलया जो यह नही कहता ह दक मानता ह दक ईशवर ह जो

कहता ह म जानता ह--ऐसा वयवि बराहमण ह

बरहम को मानन स कोई बराहमण नही होता बरहम को जानन स कोई बराहमण होता ह

वजसन यहा पणय और पाप दोनो की आसवि को छोड़ ददया ह जो ववगतिोक वनममल और िदध ह

उस म बराहमण कहता ह

और मरा पतर रवत ऐसा ही बराहमण हो गया ह इस बराहमण क कारण वहा सवगम िा इस बराहमण क

कारण वहा ऋवदध की वषाम हो रही िी इस बराहमण की मौजदगी न उस जगल को महल बना ददया िा

और तम समझ लना अगर तमहार भीतर आनद नही ह तो तम महलो म भी रहो तो जगल म रहोग

और तमहार भीतर आनद ह तो तम जहा रहो वही महल ह वही महल खड़ा हो जाएगा वही महल वनरममत

हो जाएगा तम जहा रहो जस रहो वही महल ह

खयाल रखना लोग कहत ह दक जो आदमी पाप करगा उस नरक भजा जाएगा और जो पणय करगा

उस सवगम भजा जाएगा यह गलत बात ह सच बात कछ और ह जो पाप करता ह वह नकम म जीता ह भजा

जाएगा--ऐसा नही--भववषय म वह नकम म जीता ह--अभी और यही और जो पणय करता ह वह सवगम म जीता

ह--अभी और यही

पाप और पणय परवतपल फल लात ह कोई सरकारी काम िोड़ ही ह दक फाइलो को सरकन म इतना

समय लग दक तमन पाप दकया िा वपछल जनम म और अब तमह फल वमलगा यह तमन कोई भारतीय सरकार

216

की वयवसिा समझी ह दक फाइल सरकती ह एक टबल स दसरी टबल और सरकती ही रहती ह और कभी कोई

पररणाम नही होता

ततकषण ह फल धमम नगद ह यहा उधार कछ भी नही ह

दसरा सतरः

चनदव ववमल सदध ववपपसिमनाववल

ननदीभवपररकखीण तमह बरवम बराहमण

जो चदरमा की भावत ववमल िदध सवछ और वनममल ह तिा वजसकी सभी जनमो की तषणा नषट हो गयी

ह उस म बराहमण कहता ह

वहततवा मानसक योग ददबब योग उपचचगा

सबबयोगववसयतत तमह बरवम बराहमण

जो मानषी बधनो को छोड़ ददवय बधनो को भी छोड़ चका ह जो सभी बधनो स ववमि ह उस म

बराहमण कहता ह

पबबवनवास यो वदद सगगापायच पससवत

अिो जावतखय पततो असभवावसतो मवन

सबबवोवसतवोसान तमह बरवम बराहमण

जो पवम-जनम को जानता ह वजसन सवगम और अगवत को दख वलया ह वजसका पवम-जनम कषीण हो चका

ह वजसकी परजञा पणम हो चकी ह वजसन अपना सब कछ परा कर वलया ह उस म बराहमण कहता ह

इन सतरो का आधार इनकी पिभवम वदवतीय दशयः

राजगह म चदाभ नामक एक बराहमण िा वह पवम-जनम म भगवान कशयप बदध क चतय म चदन लगाया

करता िा वजसक पणय स उसकी नावभ स चदर-मडल सदि आभा वनकलती िी कछ पाखडी बराहमण उस नगर-

नगर लकर घमत ि और लोगो को लटत ि व कहत िः जो इसक िरीर को सपिम करता ह वह जो चाहता ह

पाता ह

एक समय जब भगवान जतवन म ववहरत ि तब उस वलए हए व बराहमण शरावसती पहच सधया समय

िा और सारा शरावसती नगर भगवान क दिमन और धममशरवण क वलए जतवन की ओर जा रहा िा उन बराहमणो

न लोगो को रोककर चदाभ का चमतकार ददखाना चाहा लदकन कोई रकना ही नही चाहता िा दफर व

बराहमण भी िासता क अनभाव को दखन क वलए चदाभ को लकर जतवन गए

भगवान क पास जात ही चदाभ की आभा लि हो गयी वह तो अवत दवखत हआ और चमतकत भी वह

समझा दक िासता आभा लि करन का कोई मतर जानत ह अतः भगवान स बोलाः ह गौतम मझ भी आभा को

217

लि करन का मतर दीवजए और उस मतर को काटन की वववध भी बताइए म सदा-सदा क वलए आपका दास हो

जाऊगा

भगवान न कहाः म परवरवजत होन पर ही मतर द सकता ह चदाभ भगवान की बात सनकर परवरवजत हो

िोड़ ही समय म धयानसि हो अहमतव को पा वलया वह तो भल ही गया मतर की बात महामतर वमल तो कौन

न भल जाए जब बराहमण उस लन क वलए वापस आए तो वह हसा और बोलाः तम लोग जाओ अब म नही

जान वाला हो गया ह मरा तो आना-जाना सब वमट गया ह

बराहमणो को तो बात समझ म ही न आयी दक यह कया कह रहा ह बराहमणो को तो छोड़ द वभकषओ को

भी यह बात समझ म न आयी दक यह कया कह रहा ह

वभकषओ न जाकर भगवान स कहाः भत यह चदाभ वभकष अभी नया-नया आया ह और अहमतव का दावा

कर रहा ह और कहता ह म आन-जान स मि हो गया ह और इस तरह वनरिमक सरासर झठ बोल रहा ह

आप इस चताइए

िासता न कहाः वभकषओ मर पतर की तषणा कषीण हो गयी ह और वह जो कह रहा ह वह पणमतः सतय ह

वह बराहमणतव को उपलबध हो गया ह

तब उनहोन य सतर कह ि

यह छोटी सी कहानी समझ ल

यह चदाभ नाम का बराहमण दकसी अतीत जनम म भगवान कशयप बदध क चतय म चदन लगाया करता

िा

कछ और बड़ा कतय नही िा पीछ लदकन बड़ भाव स चदन लगाया होगा कशयप बदध क चतय म उनकी

मरतम पर असली सवाल भाव का ह बड़ी शरदधा स लगाया होगा तब स ही इसम एक तरह की आभा आ गयी

िी जहा शरदधा ह वहा आभा ह जहा शरदधा ह वहा जाद ह

उस पणय क कारण वह जो कशयप बदध क मददर म चदन लगान का जो पणय िा वह जो आनद स इसन

चदन लगाया िा वह जो आनद स नाचा होगा पजा की होगी परािमना की होगी वह इसक भीतर आभा बन

गयी िी जयोवतममय हो कर इसक भीतर जग गयी िी

कछ पाखडी बराहमण उस साि लकर नगर-नगर घमत ि कयोदक वह बड़ा चमतकारी आदमी िा उसकी

नावभ म स रोिनी वनकलती िी व कपड़ा उघाड़-उघाड़कर लोगो को उसकी नावभ ददखात ि नावभ दखकर

लोग हरान हो जात ि और उनहोन इसम एक धधा बना रखा िा व कहत िः जो इसक िरीर को सपरि

करता ह वह जो चाहता ह पाता ह और जब तक लोग बहत धन दान न करत व उसका िरीर सपिम नही

करन दत ि ऐस व काफी लोगो को लट रह ि

भगवान जतवन म ववहरत ि तब व उस वलए हए शरावसती पहच जतवन शरावसती म िा सधया समय

िा और सारा नगर भगवान क दिमन और धममशरवण क वलए जतवन की ओर जा रहा िा उन बराहमणो न लोगो

को रोककर चदाभ का चमतकार ददखाना चाहा लदकन कोई रकना नही चाहता िा

वजसन भगवान को दखा हो वजसन दकसी बदधपरष को दखा हो उसक वलए सारी दवनया क चमतकार

फीक हो गए वजसन साकषात परकाि दखा हो उसक वलए दकसी की नावभ म स िोड़ी-बहत रोिनी वनकल रही

ह--इसका कोई अिम नही ह बचचो जसी बात ह इस तरह की बातो म बचच ही उतसक हो सकत ह

218

कोई रका नही बराहमण बड़ हरान हए ऐसा तो कभी न हआ िा उनक अनभव म न आया िा जहा गए

ि वही भीड़ लग जाती िी तो उनह लगा दक जरर इसस भी बड़ा चमतकार कही बदध म घट रहा होगा तभी

लोग भाग जा रह ह तो बदध का अनभाव दखन क वलए--दक कौन ह यह बदध और कया इसका परभाव ह कया

इसका चमतकार ह व बराहमण चदाभ को लकर बदध क पास पहच भगवान क सामन जात ही चदाभ की आभा

लि हो गयी

हो ही जाएगी कयोदक जो आभा िी वह ऐसी ही िी जस कोई दीया जलाए सरज क सामन सरज क

सामन दीए की रोिनी खो जाए इसम आशचयम कया

दीए की तो बात और सबह सरज वनकलता ह आकाि क तार खो जात ह अधर म चमकत ह रोिनी

म खो जात ह सरज की ववराट रोिनी तारो की रोिनी छीन लती ह तार कही जात नही जहा ह वही ह

मगर ददन म ददखायी नही पड़त जब सरज ढलगा तब दफर ददखायी पड़न लगग

यह चदाभ की जो आभा िी वमटटी का छोटा सा दीया िा बदध की जो आभा िी जस महासयम की आभा

लदकन चदाभ तो बचारा यही समझा दक जरर कोई मतर जानत होग मरी आभा को वमटा ददया दखी

भी हआ चमतकत भी उसन कहाः ह गौतम मझ भी आभा को लि करन का मतर दीवजए और उस मतर को

काटन की वववध भी बताइए तो म सदा-सदा क वलए आपका दास हो जाऊगा आपकी गलामी करगा

बदधपरष कभी मौका नही चकत कोई भी मौका वमल दकसी भी बहान मौका वमल सनयास का परसाद

अगर बाटन का अवसर हो तो व जररत बाटत ह बदध न यही मौका पकड़ वलया इसी वनवमतत चलो

उनहोन कहाः दख मतर दगा--मतर-वतर ह नही कछ--मतर दगा लदकन पहल त सनयसत हो जा

मतर क लोभ म वह आदमी सनयसत हआ

लदकन बदध न दखा होगा दक इस आदमी म कषमता तो पड़ी ह बीज तो पड़ा ह वह जो कशयप बदध क

मददर म चदन लगाया िा वह जो भावदिा इसकी सघन हई िी वह आज भी मौजद ह तड़फती ह मि होन

को उस पर ही दया की होगी

यह आदमी ऊपर स तो भल-भाल चका ह दकस जनम की बात कहा की बात दकसको याद ह इस

आदमी की बवदध म तो कछ भी नही ह सब भल-भाल गया ह इसकी समवत म कोई बात नही रह गयी ह इस

सरवत नही ह लदकन इसक भीतर जयोवत पड़ी ह

कल एक यवक नाव स आया मन लाख उपाय दकया दक वह सनयसत हो जाए कयोदक उसक हदय को

दख तो मझ लग दक उस सनयसत हो ही जाना चावहए और उसक ववचारो को दख तो लग दक उसकी वहममत

नही ह सब तरह समझाया-बझाया उस दक वह सनयसत हो जाए तरग उसम भी आ जाती िी बीच-बीच म

लगन लगता िा दक ठीक हदय जोर मारन लगता बवदध िोड़ी कषीण हो जाती लदकन दफर वह चौक जाता

दो वहससो म बटा ह वसर कछ कह रहा ह हदय कछ कह रहा ह और हदय की आवाज बड़ी धीमी होती

ह मवशकल स सनायी पड़ती ह कयोदक हमन सददयो स सनी नही ह तो सनायी कस पड़ आदत ही चक गयी

ह खोपड़ी म जो चलता ह वह हम साफ-साफ ददखायी पड़ता ह हम वही बस गए ह हमन हदय म जाना

छोड़ ददया ह

तो यह आदमी तो चाहता िा मतर मतर क लोभ म सनयसत हआ इस पता नही दक बदधो क हाि म तम

अगली द दो तो व जलदी ही पहचा पकड़ लग पकड़ गए दक पकड़ गए दफर छटना मवशकल ह

219

बदध न उसको समझाया होगा दक अब त धयान कर--तो मतर समावध लगा--तो मतर ऐस धीर-धीर

कदम-कदम उसको समावध म पहचा ददया जब वह समावधसि हो गया तो वह तो भल ही गया मतर की बात

कौन न भल जाएगा महामतर वमल गया अब तो उस खद भी ददखायी पड़ गया होगा दक वह बात ही मढ़ता की

िी दक म मतर मागता िा न तो उनहोन काटा िा न कोई मतर िा बड़ी रोिनी क सामन आकर छोटी रोिनी

अपन आप लि हो गयी िी दकसी न कछ दकया नही िा बदध कछ करत नही ह बदध कोई मदारी नही ह

जब बराहमण उस लन क वलए आए तो वह हसा और बोला दक तम लोग जाओ म तो अब नही जान

वाला हो गया ह म तो ऐसी जगह ठहर गया ह जहा स जाना इतयादद होता ही नही म समावधसि हो गया ह

जाना कस हो जाना तो ववचार क घोड़ो पर होता ह जाना तो वासनाओ पर होता ह जाना तो

तषणाओ क सहार होता ह व सब तो गए सहार अब मरी कोई दौड़ नही कयोदक मरी कोई चाह नही अब

मझ कही जाना नही कही पहचना नही कयोदक मझ जहा पहचना िा वहा म पहच गया ह मरा तो आना-

जाना सब वमट गया आवागमन वमट गया तम कहा की बात कर रह हो अब तो इस जमीन पर भी म लौटकर

आन वाला नही मझ महामतर वमल गया ह

बराहमण तो चौक ही चौक दक यह कया हो गया लदकन वभकष भी चौक जो जयादा सोचन जसी बात ह

आदमी इतना राजनवतक पराणी ह वह यह बदामशत नही कर सकता धारममक आदमी भी वभकष भी ईषयाम स भर

गए होग दक यह अभी-अभी तो आया चदाभ और अभी-अभी जञान को उपलबध हो गया और हम इतन ददन स

बठ ह हम कपास ही ओट रह ह और यह आए दर नही हई अभी नया-नया वसकखड़ वसदध होन का दावा कर

रहा ह

उनहोन जाकर बदध को कहा दक भत चदाभ वभकष अहमतव होन का दावा कर रहा ह और इस तरह झठ

बोल रहा ह आप उस चताइए

लदकन बदध न चदाभ को नही चताया चताया उन वभकषओ को दक वभकषओ तम चतो तम ईषयाम स भर

हो तम दख नही रह हो जो घट रहा ह तम अहकार स भर हो मर पतर की तषणा कषीण हो गयी ह और वह

जो कर रहा ह पणमतः सतय ह वह जो कह रहा ह पणमतः सतय ह वह बराहमणतव को उपलबध हो गया ह

जो चदरमा की भावत ववमल िदध सवछ और वनममल ह तिा वजसकी सभी जनमो की तषणा नषट हो

गयी उस म बराहमण कहता ह

और चदाभ बराहमण हो गया ह वभकषओ वह ठीक चदरमा की भावत अब हआ तब तो नाम ही िा तब जो

जरा सी जयोवत िी उसकी नावभ म अब जयोवत सब तरफ फल गयी अब वह जयोवत सवरप हो गया अब

चदाभ चदरमा ही हो गया ह तम दफर स दखो वभकषओ उसम तषणा नही बची उसम माग नही रही उसकी

वासना भसमीभत हो गयी ह वह बराहमण हो गया ह

जो मानषी बधनो को छोड़ ददवय बधनो को भी छोड़ चका ह

उसन मनषयो स ही बधन नही छोड़ ददए ह उसन ददवयता स भी बधन छोड़ ददए ह आया िा मतर

मागन अब वह कछ भी नही मागता मोकष भी नही मागता ह

सभी बधनो स जो ववमि ह उस म बराहमण कहता ह

जो पवम-जनम को जानता ह

और अब उस याद आ गयी ह दक वह जो आभा उसकी नावभ म िी--कयो िी उस याद आ गयी कशयप

महाबदध क चतय म चदन लगाया िा आनद स उतनी सी छोटी बात भी इतना फल लायी िी उस याद आ गए

220

ह अपन सब वपछल जीवन क रासत और चदक उनकी याद आ गयी ह इसवलए अब उसक आग क सब रासत टट

गए ह

अब उसन दख वलया दक म वयिम ही भटक रहा िा बाहर जो भटकता ह वयिम भटकता ह जनमो-जनमो

यही वासनाए यही कामनाए यही तषणाए और इनही-इनही क सहार दौड़ता रहा और कही नही पहचा

अब मरा पतर पहच गया ह अब वह वहा पहच गया ह जहा जनम-मरण िात हो जात ह उसन सवगम-

नकम का सब रहसय जान वलया ह उसका पवम-जनम कषीण हो गया ह अब वह दबारा नही आएगा वह

अनागामी हो गया ह

वजसकी परजञा पणम हो चकी ह वजसन अपना सब कछ परा कर वलया ह उस म बराहमण कहता ह

बदध न बराहमण की जो पररभाषा की वही भगवतता की पररभाषा ह बदध न बराहमण को जसी ऊचाई दी

वसी दकसी न कभी नही दी िी बराहमणो न भी नही बराहमणो न तो बराहमण िबद को बहत कषदर बना ददया--जनम

स जोड़ ददया बदध न आतम-अनभव स जोड़ा बदध न वनवामण स जोड़ा

वह जो मि ह वह जो िनय ह वह जो खो गया ह बद की तरह सागर म और सागर हो गया ह उस म

बराहमण कहता ह--ऐसा बदध न कहा

मन तमस कहाः सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह और दभामगय स अवधक लोग िदर की तरह ही मरत

ह धयान रखना दफर दोहराता ह--सभी लोग िदर की तरह पदा होत ह बराहमण की तरह कोई पदा नही होता

कयोदक बराहमणतव उपलबध करना होता ह पदा नही होता कोई बराहमणतव अजमन करना होता ह बराहमणतव

साधना का फल ह

िदर की तरह सब पदा होत ह कयोदक सभी िरीर क साि तादातमय म जड़ पदा होत ह िदर ह इसीवलए

पदा होत ह नही तो पदा ही कयो होत िदरता क कारण पदा होत ह कयोदक अभी िरीर स मोह नही गया

इसवलए पराना िरीर छट गया ततकषण जलदी स नया िरीर ल वलया राग बना ह मोह बना ह तषणा बनी ह-

-दफर नए गभम म परववषट हो गए दफर पदा हो गए

तमह कोई पदा नही कर रहा ह तम अपनी ही वासना स पदा होत हो मरत वि जब तम घबड़ाए होत

हो और जोर स पकड़त हो िरीर को और चीखत हो और वचललात हो और कहत होः बचाओ मझ िोड़ी दर

बचा लो तब तम नए जनम का इतजाम कर रह हो

जो मरत वि वनसशचत मर जाता ह जो कहता हः धनय ह यह जीवन समाि हआ धनय--दक इस िरीर

स मवि हई धनय--दक इस कषणभगर स छट जो इस ववशराम म ववदा हो जाता ह उसका दफर कोई जनम नही

तम जनम का बीज अपनी मतय म बोत हो जब तम मरत हो तब तम नए जनम का बीज बोत हो और

तम वजस तरह की वासना करत हो उस तरह क जनम का बीज बोत हो तमहारी वासना ही दह धरगी

तमहारी वासना ही गभम लगी

बदध न कहा हः तम नही जनमत तमहारी वासना जनमती ह तो जब वासना नही तब तमहारा जनम

समाि हो जाता ह

सब िदर की तरह पदा होत ह लदकन िदर की तरह मरन की कोई जररत नही ह समरणपवमक कोई

जीए होिपवमक कोई जीए एकात म मौन और धयान म कोई जीए तो बराहमण की तरह मर सकता ह और जो

बराहमण की तरह मरा वह ससार म नही लौटता ह वह बरहम म ववलीन हो जाता ह

221

य सार धममपद क सतर कस कोई बरहम को उपलबध कर ल कस कोई बराहमण हो जाए इसक ही सतर ि

धममपद का अिम होता हः बराहमण तक पहचा दन वाला मागम धमम का मागम जो तमह बराहमणतव तक पहचा द

सनकर ही समाि मत कर दना जीना इचभर जीना हजार मीलो क सोचन स बहतर ह कषणभर

जीना िाशवत हजारो वषो तक सोचन स बहतर ह कणभर जीना वहमालय जस सोचन स बहतर ह

मलयवान ह

जीओ--जागो और जीओ

आज इतना ही

222

एस धममो सनतनो भाग 12

एक सौ बाईस परवचन

एस धममो सनतनो

पहला परशनः यह मोह कया ह उसस इतना दख पदा होता ह फिर भी वह छटता कयो नही ह

मनषय शनय होन की बजाय दख स भरा होना जयादा पसद करता ह भरा होना जयादा पसद करता ह

खाली होन स भयभीत ह चाह फिर दख स ही कयो न भरा हो सख न ममल तो कोई बात नही ह दख ही

सही लफकन कछ पकड़न को चामहए कोई सहारा चामहए

दख भी न हो तो तम शनय म खोन लगोग सख का फकनारा तो दर मालम पड़ता ह दख का फकनारा

पास वही तम खड़ हो जो पास ह उसी को पकड़ लत हो फक कही खो न जाओ कही इस अपार म लीन न हो

जाओ

कहत ह नः डबत को मतनक का सहारा दख तमहारा मतनका ह

बचान योगय कछ भी नही ह दख ही पा रह हो लफकन कछ तो पा रह हो ना-कछ स कछ सदा बहतर

इसमलए जान-जानकर भी आदमी दख को पकड़ लता ह

तम जरा उस फदन की बात सोचो जब तमहार भीतर कोई दख न बच कोई चचता न हो--तम घबड़ा

जाओग तम सह न पाओग तम उमिगन हो उठोग तम बचन हो जाओग तम कोई न कोई दख रच लोग तम

जलदी ही कोई दख पदा कर लोग अगर वासतमवक न होगा तो कालपमनक पदा कर लोग मबना दख क तम न

रह सकोग

इसमलए भी फक मबना दख क तम होत ही नही म ही दख पर जीता ह जहा दख गया म गया अहकार

दख का भोजन करता ह दख ही अहकार म खन बनकर बहता ह हडडी-मास-मजजा बनता ह जहा दख नही

वहा तम नही इसमलए भी तम दख को पकड़त हो फक इसी क सहार तो तम हो

तमन कभी खयाल फकयाः तम अपन दखो को बढ़ा-चढ़ाकर कहत हो मजतन होत ह उनस बहत बड़ा

करक कहत हो कयो दख को बढ़ाकर कहन म कया सख होता होगा

एक सख होता ह फक बड़ दख क साथ अहकार बड़ा होता ह छोटी-मोटी बीमाररया छोट-मोट लोगो को

होती ह बड़ी बीमाररया बड़ लोगो को होती ह छोट-मोट दख दो कौड़ी क दख कोई भी भोग लता ह तम

महग दख भोगत हो तमहार दख बहत बड़ ह तम दखो का पहाड़ ढोत हो तम कोई छोट-मोट दख स नही दब

हो तम पर सारी दमनया की चचताओ का बोझ ह

तम अपन दखो को बड़ा करक बतात हो तम बढ़ा-चढ़ाकर बात करत हो अगर कोई तमहार दख को

छोटा करन की कोमशश कर तो तम उसस नाराज होत हो तम उस कभी कषमा नही करत

आदमी बहत अदभत ह तम अपन दख की कथा कह रह हो और कोई उदास होकर सन या उपकषा कर

तो तमह चोट लगती ह फक म अपन दख कह रहा ह और तम सन नही रह हो तमह चोट इस बात स लगती ह

फक तम मर अहकार को सवीकार नही कर रह हो म इतन दखो स दबा जा रहा ह तमह इतनी भी िसनत नही

दख क िारा तम दसरो का धयान आकरषनत करत हो और अकसर यह तरकीब मन म बठ जाती ह--गहरी

बठ जाती ह--फक दख स धयान आकरषनत होता ह बचपन स ही सीख लत ह छोट-छोट बचच सीख लत ह जब व

चाहत ह मा का धयान ममल मपता का धयान ममल लट जाएग मबसतर पर फक मसर म ददन ह मियो न तो सारी

दमनया म यह कला सीख रखी ह

म अनक घरो म महमान होता था म चफकत होकर दखता था फक पतनी ठीक थी परसनन थी मझस ठीक-

ठीक बात कर रही थी उसक पमत आए और वह लट गयी उसक मसर म ददन ह पमत स धयान को पान का यही

223

उपाय ह मसर म ददन हो तो पमत पास बठता ह मसर म ददन न हो तो कौन फकसक पास बठता ह और हजार

काम ह

और एक बार तमन यह तरकीब सीख ली फक दख स धयान आकरषनत होता ह तो आदमी कछ भी कर

सकता ह तमहार ऋमष-ममन जो उपवास करक अपन को दख द रह ह इसी तकन का उपयोग कर रह ह जो

मिया हर घर म कर रही ह बचच हर घर म कर रह ह

फकसी न तीस फदन का उपवास कर मलया ह और तम चल दशनन करन उसन दख पदा कर मलया ह

उसन तमहार धयान को आकरषनत कर मलया ह अब तो जाना ही होगा ऐस और हजार काम थ दकान थी

बाजार था लफकन अब ममन महाराज न तीस फदन का उपवास कर मलया ह तो अब तो जाना ही होगा भीड़

बढ़न लगती ह लोग काटो पर लट ह मसिन इसीमलए फक काटो पर लट तभी तमहारी नजर उन पर पड़ती ह

लोग अपन को सता रह ह

धमन क नाम पर लोग हजार तरह की पीड़ाए अपन को द रह ह घाव बना रह ह जब तक तमहार ममन

महाराज मबलकल सखकर हडडी-हडडी न हो जाए जब तक तमह थोड़ा उन पर मास फदखायी पड़ तब तक तमह

शक रहता ह फक अभी मजा कर रह ह अभी हडडी पर मास ह जब मास मबलकल चला जाए जब व मबलकल

अमसथ-पजर हो जाए तम कहत होः हा यह ह तपसवी का रप जब उनका चहरा पीला पड़ जाए और खन

मबलकल खो जाए

एक बार कछ लोग अपन एक ममन को मर पास ल आए थ उनकी हालत खराब थी लफकन भकत मझस

कहकर गए थ फक उनक चहर पर ऐसी आभा ह जस सोन की वहा पीतल भी नही था वह मसिन पीलापन था

मन उनस कहा फक तम पागल हो तम इस आदमी को मार डालोग इसका चहरा मसिन पीला हो गया ह जदन

हो गया ह और तम कह रह हो यह आभा ह अधयातम की यह कोई भी भख मरन वाल आदमी क चहर पर हो

जाएगी

दख जलदी स लोगो का धयान आकरषनत करवाता ह

तमन एक बात खयाल की अगर तम सखी हो तो लोग तमस नाराज हो जात ह तम जब दखी होत हो

तब तमस राजी होत ह तम जब सखी हो सब तमहार दशमन हो जात ह सखी आदमी क सब दशमन दखी

आदमी क सब सगी-साथी सहानभमत परगट करन लगत ह

तम एक बड़ा मकान बना लो सारा गाव तमहारा दशमन तमहार मकान म आग लग जाए सारा गाव

तमहार मलए आस बहाता ह तमन यह मजा दखा जो तमहार दख म आस बहा रह ह इनहोन कभी तमहार सख

म खशी नही मनायी थी इनक आस झठ ह य मजा ल रह ह य कह रह हःः चलो अचछा हआ तो जल गया

न हम तो पहल स ही जानत थ फक यह होगा पाप का यह िल होता ही ह

जब तमन बड़ा मकान बनाया था इनम स कोई नही आया था कहन फक हम खश ह फक हम बड़

आनफदत ह फक तमन बड़ा मकान बना मलया

जो तमहार सख म सखी नही हआ वह तमहार दख म दखी कस हो सकता ह लफकन सहानभमत बतान

का मजा ह और सहानभमत लन का भी मजा ह सहानभमत बतान वाल को कया मजा ममलता ह उसको मजा

ममलता ह फक आज म उस हालत म ह जहा सहानभमत बताता ह तम उस हालत म हो जहा सहानभमत

बतायी जाती ह आज तम मगर हो चारो खान मचतत जमीन पर पड़ हो आज मझ मौका ह फक तमहार घाव

सहलाऊ मलहम-पटटी कर आज मझ मौका ह फक तमह बताऊ फक मरी हालत तमस बहतर ह

जब कोई तमहार आस पोछता ह तो जरा उसकी आखो म गौर स दखना वह खश हो रहा ह वह यह

खश हो रहा ह फक चलो एक तो मौका ममला नही तो अपनी ही आखो क आस दसर पोछत रह चजदगीभर

224

आज हम फकसी और क आस पोछ रह ह और कम स कम इतना अचछा ह फक हमारी आख म आस नही ह

फकसी और की आखो म आस ह हम पोछ रह ह

लोग जब दख म सहानभमत फदखात ह तो मजा ल रह ह वह मजा रगण ह वह सवसथ-मचतत का लकषण

नही ह और तम भी दखी होकर जो सहानभमत पान का उपाय कर रह हो वह भी रगण दशा ह

यह पथवी रोमगयो स भरी ह मानमसक रोमगयो स भरी ह यहा सवसथ आदमी खोजना ममशकल ह

पछा ह तमनः मोह कया ह और इतना दख पदा होता ह फिर भी वह छटता नही ह

पहली तो बातः तमह अभी ठीक-ठीक फदखायी नही पड़ा होगा फक मोह स दख पदा होता ह तमन सन

ली होगी बदध की बात फक फकसी महावीर की फक फकसी कबीर की फक फकसी मोहममद की तमन बात सन ली

होगी फक मोह स दख पदा होता ह अभी तमह समझ नही पड़ी ह सनी जरर ह अभी गनी नही ह मवचार

तमहार मन म पड़ गया ह मवचार क कारण परशन उठन लगा ह लफकन यह तमहारा अपना परामामणक अनभव

नही ह यह तमन अपन जीवन की करठनाइयो स नही जाना ह तमन इस अपन अनभव की कसौटी पर नही

कसा ह--फक मोह दख लाता ह अगर तमह यह फदखायी पड़ जाए तो तम कस पकड़ोग

कोई आदमी मर पास नही आता और कहता फक यह मबचछ ह यह मर हाथ म काटता ह अब म इसको

छोड कस कोई पछगा फक मबचछ ह काटता ह दख दता ह मगर छोड़ा नही जाता जस ही मबचछ काटगा

तम िक दोग उस तम पछन नही जाओग फकसी स

लफकन तम पछ रह हो फक मोह दख दता ह फिर भी छटता कयो नही

इसका कारण साि ह भीतर तो तम जानत हो फक मोह म मजा ह य बदधपरष ह जो तमहार चारो तरि

शोरगल मचाए रहत ह जो कहत ह फक मोह म दख ह इनकी बात तम टाल नही सकत कयोफक य आदमी

परामामणक ह इनकी बात को तम इनकार नही कर सकत कयोफक इनका जीवन तमस बहत जयादा अनतगना

आनदपणन ह इनका तकन परगाढ़ ह इनकी परमतभा वजनी ह य जब कछ कहत ह तो उस कहन क पीछ इनका

परा बल होता ह इनकी परी जीवन-जयोमत होती ह

तो इनकी बात को तम इनकार नही कर सकत इनकार करन की तमहार पास कषमता नही ह साहस नही

ह इनकार कस करोग तमहार चहर पर दख ह तमहार पराणो म दख ह इनक चारो तरि आनद की वषान हो

रही ह इनकार तम फकस मह स करोग

तो इनकार तो नही कर पात फक आप गलत कहत ह मानना तो पड़ता ह मसर झकाकर फक आप ठीक

कहत होग कयोफक हम दखी ह और आप आनफदत ह लफकन भीतर तमहारा गहर स गहरा मन यही कह चला

जाता ह फक छोड़ो इन बातो म पड़ना मत ससार म बड़ा सख पड़ा ह शायद अभी नही ममला ह तो कल

ममलगा आज तक नही ममला ह तो कल भी नही ममलगा--यह कौन कह सकता ह खोदो थोड़ा और शायद

जलसरोत ममल जाए थोड़ी महनत और जलदी थको मत फदलली जयादा दर नही ह थोड़ और चलो इतन चल

हो थोड़ा और चल लो इतनी चजदगी गवायी ह थोड़ी और दाव पर लगाकर दख लो और फिर नही होगा

कछ तो अत म तो धमन ह ही लफकन तम धमन को हमशा अत म रखत हो तम कहत होः नही होगा कछ तो

अततः तो परमातमा का समरण करग ही मगर जब तक जीवन ह चषटा तो कर ल इतन लोग दौड़त ह तो

गलत तो न दौड़त होग

अब एक दसरी बात खयाल म लना जब तम बदधपरषो क पास होत हो तो उनकी आख उनका

वयमकततव उनकी भाव-भमगमा उनक जीवन का परसाद उनका सगीत--सब परमाण दता ह फक व ठीक ह तम

गलत हो

225

लफकन बदधपरष फकतन ह कभी-कभी उनस ममलना होता ह और ममलकर भी फकतन लोग उनह दख

पात ह और पहचान पात ह सनकर भी फकतन लोग उनह सन पात ह आख कहा ह जो उनह दख और कान

कहा ह जो उनह सन और हदय कहा ह जो उनह अनभव कर और कभी-कभी मवरल उनस ममलना होता ह

मजनस तमहारा रोज ममलना होता ह सबह स साझ तक--करोड़ो-करोड़ो लोग--व सब तम जस ही दखी

ह और व सब ससार म भाग जा रह ह तषणा म दौड़ जा रह ह मोह म लोभ म इनकी भीड़ भी परमाण

बनती ह फक जब इतन लोग जा रह ह इस ससार की तरि जब सब फदलली जा रह ह तो गलती कस हो सकती

ह इतन लोग गलत हो सकत ह इतन लोग नही गलत हो सकत

अमधकतम लोग गलत होग और इकका-दकका आदमी कभी सही हो जाता ह यह बात जचती नही

इनम बहत समझदार ह पढ़-मलख ह बमदधमान ह परमतमित ह इनम सब तरह क लोग ह गरीब ह

अमीर ह सब भाग जा रह ह इतनी बड़ी भीड़ जब जा रही हो तो फिर भीतर क सवर सगबगान लगत ह व

कहत हःः एक कोमशश और कर लो जहा सब जा रह ह वहा कछ होगा नही तो इतन लोग अनत-अनत काल

स उस तरि जात कयो अब तक रक न जात

तो बदधपरष फिर तमहार भीतर उनका सवर धीमा पड़ जाता ह भीड़ की आवाज फिर वजनी हो

जाती ह और भीड़ की आवाज इसमलए वजनी हो जाती ह फक अतसतल म तम भीड़ स ही राजी हो कयोफक

तम भीड़ क महसस हो तम भीड़ हो

बदधपरषो स तो तम फकसी-फकसी कषण म राजी होत हो कभी बड़ी ममशकल स एक कषणभर को

तालमल बठ जाता ह उनकी वीणा का छोटा सा सवर तमहार कानो म गज जाता ह मगर यह जो नककारखाना

ह मजसम भयकर शोरगल मच रहा ह यह तमह चौबीस घट सनायी पड़ता ह

तमहार मपता मोह स भर ह तमहारी मा मोह स भरी ह तमहार भाई तमहारी बहन तमहार मशकषक

तमहार धमनगर--सब मोह स भर ह सबको पकड़ ह फक कछ ममल जाए और जो ममल जाता ह उस पकड़कर

रख ल और जो नही ममला ह उस भी खोज ल

मोह का अथन कया होता ह मोह का अथन होता ह--मरा ममतव जो मझ ममल गया ह वह छट न जाए

लोभ का कया अथन होता ह लोभ का अथन होता हः जो मझ अभी नही ममला ह वह ममल और मोह का अथन

होता हः जो मझ ममल गया ह वह मर पास रटक य दोनो एक ही पकषी क दो पख ह उस पकषी का नाम हः

तषणा वासना कामना

इन दो पखो पर तषणा उड़ती ह जो ह उस पकड़ रख वह छट न जाए और जो नही ह वह भी मरी

पकड़ म आ जाए एक हाथ म जो ह उस समहाल रख और एक हाथ उस पर िलाता रह जो मर पास नही

मोह लोभ की छाया ह कयोफक अगर उस पाना ह जो तमह नही ममला ह तो उसको तो पकड़कर रखना

ही होगा जो तमह ममल गया ह समझो फक तमहार पास पाच लाख रपय ह और तम पचास लाख चाहत हो

अब पचास लाख अगर चामहए तो य पाच लाख खोन नही चामहए कयोफक इनही क सहार पचास लाख ममल

सकत ह

अगर य खो गए तो फिर पचास लाख का िलाव नही हो सकगा धन धन को खीचता ह पद पद को

खीचता ह जो तमहार पास ह उसम बढ़ती हो सकती ह लफकन अगर इसम कमती होती चली जाए तो फिर

जो तमह नही ममला ह उसको पान की आशा टटन लगती ह

226

तो जो ह उस पर जमाकर पर खड़ रहो और जो नही ह उसकी तरि हाथो को बढ़ात रहो इनही दो क

बीच आदमी चखचा-चखचा मर जाता ह य दो पख वासना क ह और य ही दो पख तमह नकन म उतार दत ह

वासना तो उड़ती ह इनक िारा तम भरषट हो जात हो तम नषट हो जात हो

लफकन यह अनभव तमहारा अपना होना चामहए म कया कहता ह इसकी फिकर मत करो तमहारा

अनभव कया कहता ह--करदो अपन अनभव को जब भी तमन कछ पकड़ना चाहा तभी तम दखी हए हो

कयो दख आता ह पकड़न स कयोफक इस ससार म सब कषणभगर ह पकड़ा कछ जा नही सकता और

तम पकड़ना चाहत हो तम परकमत क मवपरीत चलत हो हारत हो हारन म दख ह जस कोई आदमी नदी क

धार क मवपरीत तरन लग तो शायद हाथ दो हाथ तर भी जाए लफकन फकतना तर सकगा थकगा टटगा

मवपरीत धार म फकतनी दर तरगा धार इस तरि जा रही ह वह उलटा जा रहा ह थोड़ी ही दर म धार की

मवराट शमकत उसकी शमकत को मछनन-मभनन कर दगी थकगा हारगा और जब थकगा हारगा और पर उखड़न

लगग और नीच की तरि बहन लगगा तब मवषाद घरगा फक हार गया परामजत हो गया जो चामहए था नही

पा सका जो ममलना था नही ममल सका तब मचतत म बड़ी गलामन होगी आतमघात क भाव उठ ग दख गहन

होगा

जो जानता ह वह नदी की धार क साथ बहता ह वह कभी हारता ही नही दख हो कयो वह नदी की

धार को शतर नही मानता मतरी साधता ह

बदधतव आता कस ह बदधतव आता ह सवभाव क साथ मतरी साधन स जसा ह जसा होता ह उसस

मवपरीत की आकाकषा मत करना अनयथा दख होगा

जानकर हम मवपरीत की आकाकषा करत ह तम सोचत हो जो मझ ममला

समझो फक तम जवान हो तो तम सोचत हो सदा जवान रह जाऊ तम कया कह रह हो थोड़ा आख

उठाकर दखो ऐसा हो सकता होता तो सभी जवान रह गए होत ऐसा हो सकता होता तो कौन बढ़ा हआ

होता--जानकर सोचकर मवचारकर राजी होकर

हर जवान रक जाना चाहता ह--फक बढ़ा न हो जाऊ लफकन हर एक को बढ़ा होना पड़गा धार बही

जाती ह यह पानी क बबलो जसा जीवन रोज बदलता जाता ह यहा कछ भी मथर नही ह तो जब बढ़ापा

आएगा और उसक पहल कदम तम सनोग दख होगा--फक हार गया हार इतयाफद कछ भी नही जीत की

आकाकषा क कारण हार का खयाल पदा हो रहा ह यह भरामत इसमलए बन रही ह कयोफक तम जवान रहना

चाहत थ और परकमत फकसी चीज को ठहरन नही दती परकमत बहाव ह और तमन परकमत क मवपरीत कछ चाहा

था जो सभव नही ह सभव नही हो सकता ह न हआ ह न कभी होगा

जो सभव नही हो सकता उसकी आकाकषा म दख ह फिर तम बढ़ हो जाओग तब भी नही समझोग

अब तम मरना नही चाहत पहल जवानी पकड़ी थी अब बढ़ाप को पकड़त हो तो कछ सीख नही

दखा फक बचपन था वह भी गया जवानी थी वह भी गयी बढ़ापा भी जाएगा जीवन भी जाएगा

मौत भी आएगी और जब जीवन ही चला गया तो मौत भी जाएगी घबड़ाओ मत सब बह रहा ह यहा न

जीवन रकता ह न मौत रकती ह

इस परवाह को जो सहज भाव स सवीकार कर लता ह जो रततीभर भी इसस सघषन नही करता जो कहता

हः जो हो म उसस राजी ह जसा हो उसस म राजी ह कभी धन हो तो धन स राजी ह और कभी दररदरता

आ जाए तो दररदरता स राजी ह कभी महल ममल जाए तो महल म रह लगा कभी महल खो जाए तो उनक

227

मलए रोता नही रहगा लौटकर पीछ दखगा नही जो होगा जसा होगा उसस अनयथा मर भीतर कोई कामना

न करगा फिर कसा दख फिर दख असभव ह

आज तम एक िी स ममल परम म पड़ गए मववाह कर मलया अब तम सोचत होः यह िी खो न जाए

एक फदन पहल यह तमहारी िी नही थी कही यह खो न जाए कही यह परम टट न जाए कही यह सबध मबखर

न जाए

जो बना ह मबखरगा बनती ही चीज मबखरन को ह यहा कछ भी शाशवत नही ह यहा मसिन झठी और

मदान चीज शाशवत होती ह कागज का िल दर तक रटक सकता ह असली िल दर तक नही रटकता

इसी डर स फक कही परम खो न जाए लोगो न परम करना बद कर फदया और मववाह करना शर फकया

मववाह कागज का िल ह पलामसटक का िल ह परम गलाब का िल ह सबह मखला साझ मझान जाएगा कछ

पकका नही ह

जो जीवत ह वह जीवत ही इसमलए ह फक बह रहा ह बहन म जीवन ह जीवन म बहाव ह जो ठहरा

हआ ह एक पतथर पड़ा ह गलाब क िल क पास वह सबह भी पड़ा था साझ भी पड़ा होगा कल भी पड़ा

होगा परसो भी पड़ा होगा सफदया बीत गयी और सफदयो तक पड़ा रहगा और यह गलाब का िल सबह

मखला और साझ मझान गया

यह सोचकर फक यह गलाब का िल मझान जाएगा तमन पतथर की पजा करनी शर कर दी आदमी खब

अदभत ह पतथर की मरतनयो पर िलो को चढ़ाता ह िलो की मरतनयो पर पतथर को चढ़ाओ तो समझ म आता

लफकन पतथर की मरतन म मथरता मालम होती ह मसथरता मालम होती ह असली बदध तो एक फदन थ

फिर एक फदन नही हो गए लफकन नकली बदध--वह जो पतथर की मरतन ह--उस तम सदा पकड़ बठ रह सकत

हो

आदमी इस भय स फक कही दख न झलना पड़ धीर-धीर जीवत वसतओ स ही सबध तोड़ लता ह मदान

वसतओ स सबध जोड़ लता ह उसस भी दख होगा कयोफक मदान वसतओ स कहा सख की सभावना

सख का एक ही उपाय ह--तरलता तथाता

तमन पछाः मोह कया ह

मोह ह ठहरन की वमतत जहा कछ भी नही ठहरता वहा सब ठहरा हआ रह--ऐसी भावदशा ऐसी भरामत

इसस दख पदा होगा तम खद ही दख पदा कर रह हो फिर इस दख स तम कहत हो फक छटना कस हो यह

छटता भी नही

यह छटता इसमलए नही फक इसको छोड़ो तो तम एकदम खाली हो जात हो फिर तम कया हो दख की

कथा हो तम दख का अबार हो तम दख ही दख जम ह इन सबको छोड़ दो तो शनय हो गए

शनय स घबड़ाहट लगती ह फक चलो कछ नही मसरददन तो ह चलो कछ नही कोई तकलीि तो ह

कोई तकलीि स भर तो ह कछ उलझाव कछ वयसतता बनी ह तो आदमी इसमलए दख नही छोड़ता

परशन पछन वाल का खयाल ऐसा ह फक जब दख ह तो छटता कयो नही इसीमलए नही छटता फक यही तो

ह तमहार पास दख की सपदा क अमतररकत तमहार पास ह कया इसको ही छोड़ दोग तो बचता कया ह

एक फदन महसाब लगाना बठकर एक कागज पर मलखना फक कया-कया दख ह जीवन म कजसी मत

करना सारी िहररशत मलख डालना और फिर सोचना फक यह सब छट जाए तो मर पास कया बचता ह

तम एकदम घबड़ा जाओग कयोफक इसक अमतररकत तमहार पास कछ भी नही बचता यही चचताए यही

मवषाद यही फिकर यही सममतया यही कामनाए यही वासनाए यही सपन--इनक अमतररकत तमहार पास कया

ह यही आपाधापी यही रोज का सघषन--इसक अमतररकत तमहार पास कया ह

228

तमह पता ह छटटी का फदन लोगो का ममशकल स कटता ह काट नही कटता तरकीब खोजनी पड़ती ह

नए दख की फक चलो मपकमनक को चल कोई नया दख उठाए काट नही कटता खाली बठ नही सकत

कयोफक खाली बठ तो खाली मालम होत ह दफतर की याद आती ह बड़ा मजा ह दफतर म छह फदन सोचत

ह कब छटटी हो और मजस फदन छटटी होती ह उस फदन सोचत ह फक कब सोमवार आ जाए और दफतर खल

जाए फिर चल

रमववार क फदन पमिम क मलको म सवानमधक दघनटनाए होती ह कयोफक रमववार क फदन सार लोग

खलल छट गए जस सब जगली जानवर खल छोड़ फदए अब उनको कछ सझ नही रहा ह फक करना कया ह

सबक पास कार ह अपनी-अपनी लकर मनकल पड़ तमन मचतर दख ह पमिम क समदर तटो क वहा लोग इकटठ

ह इतनी भीड़-भाड़ मालम होती ह खड़ होन की जगह नही ह इसस अपन घर म ही थोड़ी जयादा जगह थी

चल मीलो तक कार एक-दसर स लगी चल रही ह चार-छह घट कार डराइव करक पहच फिर चार-छह

घट कार डराइव करक लौट और वहा वही भीड़ थी मजस भीड़ स बचन मनकल थ व सार लोग वही पहच गए

थ सभी को जाना ह भीड़ स बचना ह सारी भीड़ वही पहच गयी घर म भी इसस जयादा आराम था अगर

घर ही रक गए होत तो आज शामत होती कयोफक सारा गाव तो गया था

लफकन घर कौन रक खालीपन--घबड़ाहट होती ह बचनी होती ह कछ करन को चामहए

तमन कभी खाली एक फदन गजारा एक फदन सबह छह बज स साझ छह बज तक कछ न फकया हो पड़

रह अखबार भी न पढ़ा हो रमडयो भी न खोला हो पतनी स भी नही झगड़ हो पड़ोमसयो स भी जाकर गपशप

न की हो एक फदन तमन कभी ऐसा फकया ह फक कछ न फकया हो तमह याद न आएगा ऐसा चजदगी म कोई

फदन मजस फदन तमन कछ न फकया हो

कया कारण होगा फक कभी तमन इतना मवशराम भी न जाना

खाली होन म डर लगता ह खाली होन म भय लगता ह फक यह भीतर अगर म गया खालीपन म और

वहा कछ न पाया तो

मलला नसरददीन एक टरन म सिर कर रहा था रटफकट कलकटर आया रटफकट पछी मलला बहत स खीस

बना रखा ह कमीज म भी कोट म भी अचकन म भी--सब म कई खीस और उनम चीज भरी रखता ह एक

खीसा उलटा दसरा उलटा--सब खीस उलटा मगर एक कोट क खीस को नही छ रहा ह सब म दख मलया

रटफकट नही ममल रही ह

आमखर उस रटफकट कलकटर न कहा फक महानभाव आप इस खीस को नही दख रह ह कोट क उसन

कहाः उसको नही दख सकता अगर उसम न ममली तो फिर फिर मार गए वही तो एक आशा ह फक शायद

वहा हो उस खीस की तो बात ही मत उठाना

फिर अपन दसर खीसो म टटोलन लगा

तम बाहर टटोलत रहत हो कयोफक तम डरत हो फक अगर भीतर खोजा और वहा भी न पाया--फिर

फिर कया होगा फिर गए काम स इसमलए आदमी बाहर दौड़ता ह खब दौड़-धप करता ह

मोह यानी बाहर--बाहर--बाहर वयसतता अथानत बाहर

अवयसत हए खाली हए मवराम आया तो भीतर जाना पड़गा और तो जान को कोई जगह नही बचती

बाहर स ऊजान उलझी थी सलझ गयी तो कहा जाएगी लौटगी अपन घर पर जस पछी उड़ा--उड़ा--और थक

गया तो लौट आता ह अपन नीड़ म ऐस ही तम अगर बाहर कोई उलझन न पाओग तो कहा जाओग लौट

आओग अपन नीड़ म और डर लगता ह फक वहा अगर सननाटा हआ वहा अगर कोई न ममला अगर वहा कछ

भी न हआ

सनत ह फक वहा परमातमा का वास ह जरर होगा मानत ह फक होगा मगर दखत नही अगर न हआ

तो सनत ह वहा परम आनद की वषान हो रही ह सनत ह मगर दखा नही कभी

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कयोफक दखा और अगर न हआ तो फिर तो जीवन मबलकल ही मनराश हो जाएगा बाहर तो ह ही नही

और अब भीतर भी नही ह फिर तो जीन का कया कारण रह जाएगा फिर तो आतमघात क मसवाय कछ भी न

सझगा

इस घबड़ाहट स आदमी उलझा रहता ह परान मोह कट जात ह नए मोह बना लता ह परानी झझट

छट जाती ह नयी झझट बना लता ह परानी खतम ही नही हो पाती उसक पहल ही नए क बीज बो दता ह

फक कही ऐसा न हो फक कछ ऐसी घड़ी आ जाए फक खाली छट जाऊ परानी झझट खतम नयी ह नही अब

कया कर

और आियन तमह होगा यह जानकर फक जो इस भीतर की शनयता को जानता ह वही सख को जानता ह

और तो सब दख ही दख ह जो इस शनय होन को राजी ह वही पणन हो पाता ह और तो सब खाली क खाली

रह जात ह

यह तमह बड़ा उलटा लगगा जो खाली होन को राजी ह वह भर जाता ह और जो खाली होन को राजी

नही ह वह सदा क मलए खाली रह जाता ह

जीसस न कहा हः धनय ह व जो खोएग कयोफक मजनहोन खोया उनहोन पाया और मजनहोन बचाया

उनहोन सब गवाया

इसमलए तम दख नही छोड़त कछ तो ह मटठी म दख ही सही मटठी तो बधी ह भरामत तो बनी ह

बदध का सारा सदश यही ह सार बदधो का सदश यही ह फक खोलो मटठी बधी मटठी खाली ह ससारी तो

उलटी बात कहत ह व कहत हःः बधी मटठी लाख की खली फक खाक की और बदध कहत हःः खोलो मटठी

बधी मटठी खाक की खोलो तो लाख की खोलो मटठी सब खोल डालो और एक बार आर-पार झाक लो कछ

बद मत रखो कोई जब डर क कारण छोड़ो मत सब ही दख लो चकता दख लो परा दख लो उसी दखन म

उसी दखत-दखत तमहारा जीवन रपातररत हो जाता ह

मजसन अपन भीतर क शनय का साकषातकार कर मलया उसन पणन का साकषातकार कर मलया कयोफक शनय

और पणन एक ही मसकक क दो पहल ह जो एक तरि स शनय मालम होता ह वही दसरी तरि स पणन ह

शनय मालम होता ह कयोफक तम ससार को पकड़ हो तम एक तरह का ही भराव जानत हो--सासाररक

भराव वह वहा नही ह इसमलए तमह भरामत होती ह फक भीतर शनय ह जब तमन सासाररक भराव छोड़ फदया

और तमन भीतर झाका तब तमह दसरी बात पता चलगी फक यह शनय नही ह यह मरी सासाररक पकड़ क

कारण शनय मालम होता था यहा ससार नही ह इसमलए शनय मालम होता था यहा परमातमा ह

म एक बहत बड़ अमीर क घर म महमान हआ अमीर थ और जस अकसर अमीर होत ह कोई सौदयन-

बोध नही था जो नया दमनया म ममलता ह--सारी दमनया म यातरा करत रहत थ--सब खरीद लाए थ जहा जो

ममल वह ल आत थ उनका घर एक कबाड़खाना था मजस कमर म मझ ठहराया उसम समहलकर चलना

पड़ता था इतनी चीज उसम भर रखी थी सब कछ था उसम

मन उनस कहा फक मझ यहा सात फदन रकना होगा आप मझ पर अगर थोड़ी कपा कर तो य सब चीज

यहा स हटा द व बोलः लफकन कमरा खाली हो जाएगा मन उनस कहाः कमरा खाली नही हो जाएगा कमरा

कमरा हो जाएगा अभी यह कमरा ह ही नही अभी यहा स चलना भी पड़ता ह तो समहलकर मनकलना पड़ता

ह यह कोई कमरा ह इसम सथान ही नही ह इसम रहन की जगह नही ह इसम अवकाश नही ह कमर का

तो मतलब होता ह जहा अवकाश हो जहा रहन की जगह हो जहा रहा जा सक कमर का मतलब होता ह

जहा रहा जा सक यहा तो रह ही नही सकता कोई यहा ररकतता तो मबलकल नही ह और ररकतता क मबना कस

रहोग

230

ररकतता म ही रहा जाता ह इसमलए तो सारा अमसततव आकाश म रहता ह कयोफक आकाश यानी शनय

आकाश यानी अवकाश जगह दता ह पथवी हो चाद हो तारा हो सरज हो लोग हो वकष हो--सबको जगह

दता ह आकाश शनय नही ह आकाश पणन ह लफकन उसकी पणनता और ढग की ह

खर म उनका महमान था राजी तो व बहत नही थ लफकन अब मझ वहा सात फदन रहना था म भी

राजी नही था उस कबाड़खान म रहन को तो उनह मजबरी म सब मनकालना पड़ा बड़ बमन स उनहोन

मनकाला मनकाल-मनकालकर पछत थ फक अब इतना रहन द म कहताः इसको भी ल जाओ रमडयो रहन द

टलीमवजन रहन द मन कहाः सब तम ल जाओ तम बस मझ छोड़ दो और तम भी जयादा यहा मत आना-

जाना

ल गए बमन स उनको बड़ी उदासी लग रही थी व बड़ सोच भी रह होग फक म भी कसा नासमझ

आदमी आ गया घर म उनहोन शायद मर आन की वजह स और चीज वहा रख दी होगी उनहोन तयारी की

थी

जब सब मनकल गया वहा कछ भी न बचा तो उनहोन आकर बड़ी उदासी स चारो तरि दखा और कहाः

मन कहा था आपस फक मबलकल खाली हो जाएगा उनकी आखो म करीब-करीब आस थ फक सब खाली हो

गया

मन उनस कहा फक आप फिकर न कर मझ खाली म रहन का आनद ह मझ खाली म रहन का रस ह

अब यह जगह बनी अब यह कमरा भरा-परा ह कमरपन स सथान स भरा ह आकाश स भरा ह मगर यह

और ढग का भराव ह िनीचर स भरना एक भरना ह आकाश स भरना दसरा भरना ह

ठीक ऐसा ही तमहार भीतर भी घटता ह कड़ा-करकट स भर हो अपन को छोड़त भी नही कयोफक

खाली न हो जाओ छोड़ोग तभी तम पहचानोग फक तमहार खाली करत-करत ही जो उतर आता ह आकाश

तमहार भीतर वही तमहारी वासतमवकता ह उस मनवानण कहो परमातमा कहो--जो नाम दना हो वह नाम दो

दसरा परशनः

तमह अपना बनाना चाहता ह

मकददर आजमाना चाहता ह

मझ बस पयार का एक जाम द द

म सब कछ भल जाना चाहता ह

फिर तम गलत जगह आ गए

तमह अपना बनाना चाहता ह

यहा सारी चषटा यही चल रही ह फक अब तम अपना और न बनाओ अपना बनाना यानी मोह मर का

मवसतार म तमह कोई तरह स भी सहयोगी नही हो सकता अपन को बढ़ान म

कािी दख नही झल मलया ह अपनो स अब तो छोड़ो मझस तम इस तरह का सबध बनाओ मजसम

मरा-तरा हो ही नही नही तो वह सबध भी सासाररक हो जाएगा जहा मरा आया वहा ससार आया

कया तम मबना मर-तर को उठाए सबध नही बना सकत कया यह सबध मर-तर की भीड़ स मकत नही

हो सकता तम वहा म यहा कया बीच म मर-तर का शोरगल होना ही चामहए सननाट म यह बात नही हो

सकगी

तम शनय बनो--बजाय मर का िलाव करन क--तो तम मझस जड़ोग म शनय ह तम शनय बनो तो तम

मझस जड़ोग मन मर का भाव छोड़ा ह तम भी मर का भाव छोड़ो तो मझस जड़ोग मझस जड़न का एक ही

उपाय हः मझ जस हो जाओ तो मझस जड़ोग

231

अब तम कहत हो फक तमह अपना बनाना चाहता ह

तमन फकतन दरवाजो पर दसतक दी फकतन लोगो को अपना बनाना चाहा सब जगह स ठोकर खाकर

लौट सब जगह स अपमामनत हए अभी भी होश नही आया फिर वही पराना राग

लोग मवषय बदल लत ह गीत वही गाए चल जात ह लोग वादय बदल लत ह सर वही उठाए चल जात

ह कभी कहत हःः मरा धन कभी कहत हःः मरा मकान फिर कभी कहन लगत हःः मरा गर मरा भगवान

फक मरा मोकष फक मरा शाि कया िकन पड़ता ह तम मरा शाि कहो फक मरी दकान कहो सब बराबर ह

जहा मरा ह वहा दकान ह और इसीमलए तो मफदरो पर भी झगड़ हो जात ह कयोफक जहा मरा ह वहा

झगड़ा ह जहा मरा ह वहा उपदरव ह

म एक गाव म गया एक ही जन मफदर ह थोड़ स घर ह उस गाव म कछ शवताबररयो क घर ह और

कछ फदगबररयो क घर ह और एक ही मफदर ह मफदर पर ताला पड़ा ह पमलस का मन पछाः मामला कया ह

उनहोन कहाः शवताबर और फदगबर म झगड़ा हो गया मफदर एक ही ह कई फदनो स दोनो उसम पजा करत थ

सब ठीक चलता था समय बाट रखा था फक बारह बज तक एक पजा करगा बारह बज क बाद दसर का हो

जाएगा मफदर

कभी-कभी अड़चन आ जाती थी फक बारह बज समय हो गया और कोई शवताबरी ह फक अभी पजा फकए

ही चला जा रहा ह कोई उपदरवी लोग होत ह कोई पजा स मतलब नही ह पजा करनी हो तो कया मतलब ह

यहा आन का कही भी हो सकती ह उपदरवी लोग दख मलया फक बारह बज गए ह लफकन उपदरव खीच गए

पजा को साढ़ बारह बजा फदया फदगबरी आ गए लटठ लकर--फक हटो

व उनक महावीर सवामी खड़ दख रह ह बचार फक यह वहा लटठ चल गया बारह क बाद मफदर मरा

ह न य जो लटठ लकर आए ह इनको पजा स परयोजन ह कयोफक पजा करन वाल को लटठ लकर आन की कया

जररत थी

शवताबरी और फदगबरी म कछ बड़ भद नही ह मगर मरा अड़चन आ जाती ह एक ही महावीर क

मशषय एक की ही पजा ह लफकन उसम भी थोड़-थोड़ महसाब लगा मलए ह जरा-जरा स महसाब

अब महावीर म जयादा महसाब लगान की समवधा भी नही ह नगन खड़ ह अब इसम तम िकन भी कया

करोग लगोटी भी नही लगा सकत तो एक छोटा सा महसाब बना मलया फदगबरी पजा करत ह महावीर की

बद-आख-अवसथा म और शवताबरी पजा करत ह खली-आख-अवसथा म

अब पतथर की मरतन ह ऐसा आख खोलना बद होना तो हो नही सकता तो शवताबरी एक नकली आख

मचपका दत ह ऊपर स--खली आख रह आओ भीतर बद फकए वह मरतन भीतर बद आख की ह ऊपर स खली

आख मचपका दी और पजा कर ली कयोफक व खली आख भगवान की पजा करत ह

फदगबरी आत ह व जलदी स मनकाल आख अलग कर दत ह महावीर स तो कछ लना-दना नही ह

तमन कहानी सनी एक गर क दो मशषय थ एक भरी दपहरी गमी क फदन और दोनो पर दाब रह थ

एक बाया एक दाया बाट मलया था उनहोन आधा-आधा और दोनो को सवा करनी ह

गर न कहाः भाई झगड़ा मत करो सवा करो बाट लो

गर तो सो गया उसको थोड़ी झपकी आ गयी करवट ल ली तो बाया पर दाए पर पर पड़ गया तो

मजसको दाया पर ममला था उसन दसर स कहा हटा ल अपन पर को यह मर बरदाशत क बाहर ह दख हटा

दसरा भी उसन कहाः कौन ह मर पर को हटान वाला यही रहगा

व दोनो डड ल आए आवाज सनकर गर की नीद खल गयी उसन कहाः जरा रको

232

गर को मारन को डड ल आए कयोफक वह पर वह मजसक पर पर पर पड़ गया था वह दसर पर को हटा

दना चाहता था वह डडा ल आया था फक अगर ऐस नही होगा तो डड स हटा फदया जाएगा

गर न कहाः जरा ठहरो पर मर ह दोनो पर मर ह

मगर मवभाजन मर-तर का झझट लाता ह

तमन चजदगी म इतनी बार मरा बनाया और हर बार उजड़ा अब तम यहा तो मरा मत बनाओ यहा तो

मरा लाओ भी मत

तमह अपना बनाना चाहता ह

तम िकन समझो अगर तमहार भीतर समझ हो तो तम मर बनना चाहोग न फक मझ अपना बनाना

चाहोग तम कहोग फक म राजी ह मझ अपना बना ल तम कहोग फक म समरपनत होन को राजी ह म अपन को

छोड़न को राजी ह मझ अपन म लीन कर ल

लफकन तम कह रह होः तमह अपना बनाना चाहता ह

मझ तम अपनी मटठी म लना चाहत हो नही म ऐसी कोई समवधा नही दता म फकसी की मटठी म नही

इसमलए बहत स लोग मझस नाराज होकर चल गए ह कयोफक उनकी मटठी म म नही आता व चाहत थ

फक उनकी मटठी म रह व जसा कह वसा कर जसा कह वसा बोल व जसा कह वस उठ-बठ य सब मटठी

िलान क ढग ह

अजीब लोग ह फकसी क घर म ठहर जाता था तो व समझ फक उनक घर म ठहरा ह तो व मझ यह भी

बता दत फक आज आप बोलन जा रह ह यह बात जरर बोलना म अगर बोलन भी जा रहा था तो खतम अब

नही बोलगा

फक लौटकर मर साथ मझ गाड़ी म लकर आत तो रासत म कहत फक यह बात आप न कहत तो अचछा

था इसस कई लोगो को धकका लग गया होगा दबारा आप यह बात मत कहना

लोग ऐस मढ़ ह फक उनह पता नही फक व कया कह रह ह फकसस कह रह ह उनह होश ही नही ह

तमह अपना बनाना चाहता ह

मकददर आजमाना चाहता ह

मकददर तमहारा अभी तक िटा नही फकतन जनमो स आजमा रह हो खोपड़ी सब जगह स मपट गयी ह

अभी भी मकददर आजमाना चाहत हो अब छोड़ो

यह मकददर आजमाना बचकानी बात ह यह भी अहकार का ही िलाव ह इसम भी दमनया को कछ

करक फदखान का भाव ह फक कछ करक फदखा द कछ होकर फदखा द

मझ बस पयार का एक जाम द द

दखो मजस पयार चामहए हो उस पयार दना सीखना चामहए मागना नही मागन स पयार नही ममलता

जो मागन स ममलता ह वह पयार होता ही नही

परम क ममलन की एक ही कला ह फक दो तम माग-मागकर मभखारी होन की वजह स तो चक आज तक

ममला नही जहा गए मभखारी की तरह खड़ हो गए परम ममलता ह समराटो को मभखाररयो को नही मभखारी

को मभकषा ममलती ह परम नही ममलता और मभकषा कभी परम नही ह सहानभमत ह और सहानभमत म कया

रखा ह दया दया म कया रखा ह मागोग तो जो ममलगा वह दया होगी और दया बड़ी लचर चीज ह दोग

तो जो ममलगा परम होगा

परम उसी मातरा म ममलता ह मजतना फदया जाता ह जो अपना परा हदय उडल दता ह उस खब ममलता

ह खब ममलता ह चारो तरि स बरसकर ममलता ह परम पान क मलए जआरी चामहए मभखारी नही सब दाव

पर लगान की महममत होनी चामहए

233

और कया एक जाम मागत हो एक जाम स कया होगा तमहार ओठो पर लगगा ममशकल स परा सागर

उपलबध हो और तम जाम मागो

मगर कजसी की ऐसी वमतत हो गयी ह दन की महममत नही रही ह तो लन की महममत भी खो गयी ह

जो दना नही जानता वह लना भी नही जानता ह कयोफक व एक ही मसकक क दो पहल ह उनम भद नही ह

यहा तो मभकषा मत मागो इसमलए मन जानकर बदध क पयार शबद मभकष को अपन सनयासी क मलए नही

चना जानकर नही तो बदध स मरा लगाव गहरा ह मन सवामी शबद को चना कयोफक म तमह मामलक बनाना

चाहता ह

म चाहता हःः तम समराट बनो तम मभकषा की आदत छोड़ो तम मागना ही बद करो माग-मागकर ही

तो तमहारी यह ददनशा हो गयी ह अब मागो ही मत अब जो ममल जाए उसस राजी जो न ममल उसस राजी

अब तमहार राजीपन म कोई िकन ही नही पड़ना चामहए--ममल न ममल और तम पाओग फक इतना ममलता ह

इतना ममलता ह फक समहाल नही समहलता तमहारी झोली छोटी पड़ जाएगी तम छोट पड़ जाओग

मगर कला गमणत समझ लना दना गमणत ह दो

करीब-करीब लोग जानत ही नही फक परम दना यानी कया मर पास इतन लोग आत ह उनम स अमधक

की मशकायत यही होती ह फक परम नही ममलता मगर कोई यह मशकायत करन नही आता फक म परम नही द

पाता

तब म सोचता ह फक जब फकसी को परम नही ममल रहा ह तो फकसस य माग रह ह यही तो दन वाल ह

यही लन वाल ह पमत भी मझस आकर कह जाता ह फक मझ परम नही ममलता पतनी स पतनी भी मझस आकर

कह जाती ह फक मझ परम नही ममलता पमत स

दोनो लन पर उतार ह दन को कोई राजी नही ह ममल कस यह सौदा हो तो हो कस यह बात बन

तो बन कस दोनो एक-दसर पर नजर लगाए बठ ह फक दो और कोई दना नही चाहता दसरा भी यही नजर

लगाए बठा ह फक दो दोनो की माग एक ही ह परतन कस हो परतन तो तब हो सकती ह जब दोनो द तो दोनो

को ममल

इस जगत स तमह बहत कम परम ममलता ह कयोफक तम दत ही नही नही तो यह जगत चारो तरि स

परम स भरा ह यहा िल-िल पतती-पतती पर परम का सदश ह यहा कण-कण रतती-रतती पर परम की पाती ह

परमातमा तमह बहत तरह स पामतया भज रहा ह मगर तमह दन की कला नही आती इसमलए तम लन

स चक जात हो

मकददर आजमाना चाहता ह

मझ बस पयार का एक जाम द द

म सब कछ भल जाना चाहता ह

यहा म शराब मनमित बाटता ह मगर वह शराब ऐसी नही फक तम भल जाओ वह शराब ऐसी ह जो

होश लाए वह होश लान वाली शराब ह बहोशी लान वाली शराब तो सब तरि ममल रही ह बहोशी लान

वाली शराब म फकतना मलय ह थोड़ी दर को भल जाओग फिर याद आएगी और घनी होकर आएगी थोड़ी

दर को भल जाओग तब भी भीतर तो सरकती ही रहगी

चचता स भरा आदमी शराब पी लता ह चलो रात गजर गयी सबह फिर चचताए वही की वही खड़ी ह

और बड़ी होकर खड़ी ह कयोफक रात हल कर ली होती तो उनकी उमर कम थी अब रातभर और गजर गयी

उनकी उमर जयादा हो गयी व और मजबत हो गयी उनकी जड़ और िल गयी फिर शराब पी ली ऐस दो-

चार-दस फदन गजार फदए तो चचताए तमहार भीतर गहरी मजबती स जड़ जमा लगी उनको हल करना रोज-

रोज करठन हो जाएगा

234

बहोशी स कछ लाभ नही ह और तम सगीत म भी बहोशी खोजत हो और तम सदरी म भी बहोशी

खोजत हो और तम सपमतत म भी बहोशी खोजत हो और तम सममान म भी बहोशी खोजत हो तम बहोशी

ही खोजत हो

यहा तो कम स कम बहोशी खोजन न आओ यहा होश खोजो यहा जागो

मनमित ही यह जागना भी एक ऐसी अदभत कीममया ह फक इसस तम जागोग भी और मसत भी हो

जाओग इसमलए म इसको शराब भी कहता ह तम जागोग भी और डोलोग भी

मगर डोलना अगर बहोशी म हो तो कछ मजा न रहा वह तो नीद का डोलना ह जागकर डोलो होश

स भर नाचो होश भी हो और नाच भी हो होश भी हो और रसधार भी बह भीतर होश का दीया जल और

बाहर मसती हो

म चाहता हःः तम ऐस सनयासी हो जाओ फक मजसक भीतर बदध जसा दीया जलता हो और मजसक

बाहर मीरा जसी मसती हो तम ऐसा जोड़ बनो इस जोड़ पर कोमशश नही की गयी ह यह जोड़ अब तक

सभव नही हआ ह इसमलए अतीत म सनयास अधरा-अधरा रह गया ह आधा-आधा रह गया ह परा सनयासी

होश स भरा होगा और मदमसत भी होगा दीया भी जला होगा धयान का और परम की धारा भी बहती होगी

पणन सनयासी बनो एक अपवन अवसर तमह ममला ह इस चकना मत चकन की सभावना सदा जयादा ह

अगर न चक तो तम कछ ऐसा जान लोग तम कछ ऐस हो जाओग जसा फक इसक पहल सभव नही था

एकागी ढग क सनयासी हए ह एकागी ढग का सनयास भी सदर ह ससार स तो बहत सदर ह लफकन

बहआयामी सनयास क सामन िीका ह जस हीर पर दखा न बहत पहल होत ह मजतन पहल होत ह उतनी

हीर की चमक बढ़ती जाती ह ऐस ही मजतन तमहार सनयास म पहल होग उतनी चमक बढ़ती जाएगी उतनी

गररमा बढ़ती जाएगी उतनी ही तमस जयादा फकरण परगट होगी

और य दो पहल तो होन ही चामहए फक तमहार भीतर होश का दीया हो और तमहार भीतर होश क दीए

क साथ-साथ मसती की लहर हो होश का दीया ऐसा न हो फक तमह सखा जाए रमगसतान बना जाए

तमम िल भी मखल और तमम िल ही मखल इतना ही नही ह कयोफक अगर िल ही मखल और भीतर

बहोशी रह तो मजा न रहा भीतर दीए की जयोमत भी िलो पर पड़ती हो

िल अधर म मखल तो मजा नही ह और दीया रमगसतान म जल तो मजा नही ह बमगया म जल दीया

िल भी मखल और दीए म फदखायी भी पड़ मसती भी हो और होश म मसती फदखायी भी पड़ती रह मसती

बहोश न हो और होश गर-मसत न हो

इस नए सनयास को ही जनम द रहा ह तम एक महान परयोग म सहभागी हो रह हो तमह शायद पता हो

अपन सौभागय का या न पता हो

तीसरा परशनः

औजार कोई तरकीब कोई

न जान कहा कया अटका ह

न जान कहा कया जाम हआ

यह रात फक बद होती ही नही

यह फदन फक उि खलता ही नही

औजार कोई तरकीब कोई

एक एक बहत बड़ा जादगर हआ--हदनी उसकी सबस बड़ी कला यह थी फक कसी ही जजीरो म उस कस

फदया जाए वह कषणो म खोलकर बाहर आ जाता था जजीरो म कसकर परटयो म बद करक परटयो पर ताल

डालकर उस समदर म िका गया वहा स भी वह ममनटो क भीतर बाहर आ गया

235

दमनया क सभी कारागहो म उस पर परयोग फकए गए सभी तरह क पमलस न अपन इतजाम फकए--इगलड

म अमररका म फास म जमननी म उसको कारागह की कोठरी म डाल दत तालो पर ताल जड़ दत हाथो म

जजीर परो म जजीर और ममनट भी नही बीतती तीन ममनट स जयादा उसको कभी नही लग थ जीवन म

फकसी भी मसथमत स बाहर आ जान म बड़ी चौकान वाली उसकी कला थी

लफकन इटली म वह हार गया इटली म जाकर बड़ी बरी तरह हारा घटभर तक न मनकल सका तीन

घट लग जो भीड़ इकटठी हो गयी थी हजारो लोगो की व तो घबड़ा गए फक मर गया हदनी या कया हआ

यह तो फकसी को भरोसा ही नही था तीन ममनट तो आमखरी सीमा थी सक डो म मनकल आता था यह

हआ कया

और जब तीन घट बाद हदनी मनकला तो उसकी हालत बड़ी खसता थी पसीना-पसीना था माथ की

नस चचता स िल गयी थी आख लाल हो गयी थी बाहर आया तो हाि रहा था

पछा गया फक हआ कया इतनी दर कस लगी उसन कहा फक मर साथ बड़ा धोखा फकया गया दरवाज

पर ताला नही था और वह बचारा कोमशश करता रहा खोलन की फक कहा स खोल ताला हो तो खोल एक

मजाक काम कर गया

ताला होता तो खोल ही लता वह ताला खोलन म तो उसक पास कला थी ऐसा तो कोई ताला नही था

जो वह नही खोल लता मगर ताला था नही दरवाजा मसिन अटका था साकल भी नही चढ़ी थी साकल भी

चढ़ी होती तो खोल लता न साकल थी न ताला था भीतर कछ था ही नही

वह बड़ा घबड़ाया उसन सब तरि खोजा होगा कोई उपाय न फदख पहली दिा हारा तीन घट बाद

लोगो न पछा फिर कस मनकल उसन कहाः ऐस मनकल फक जब तीन घट क बाद मबलकल थक गया और मगर

पड़ा दरवाज को धकका लगा और दरवाजा खल गया सोच मलया फक आज तो परमतिा पानी म ममल गयी

तम पछत होः

औजार कोई तरकीब कोई

न जान कहा कया अटका ह

न जान कहा कया जाम हआ

यह रात फक बद होती ही नही

यह फदन फक उि खलता ही नही

औजार कोई तरकीब कोई

न कोई औजार ह न कोई तरकीब ह दरवाजा बद नही ह तम खोलन की कोमशश म परशान हो रह हो

तम खोलन की कोमशश छोड़ो

यहा तमन जीवन को समसया की तरह मलया फक तम चकत चल जाओग जीवन कोई समसया नही ह

मजसको सलझाना ह न जीवन कोई परशन ह मजसका उततर कही स पाना ह जीवन एक रहसय ह मजसको जीना

िकन समझ लना समसया और रहसय का समसया का अथन होता ह मजसका समाधान हो रहसय का अथन

होता ह मजसका समाधान हो ही न रहसय का अथन होता ह मजसका उततर ह ही नही रहसय का अथन होता हः

तम खोज जाओ खोजत-खोजत तम खो जाओग लफकन खोज जारी रहगी अतहीन ह खोज

इसमलए तो हम परमातमा को असीम कहत ह असीम का अथन होता ह मजसकी कभी कोई सीमा न

आएगी इसमलए तो परमातमा को हम अजञय कहत ह मजस हम जान-जानकर भी न जान पाएग

इसीमलए तो पमडत हार जाता ह और भोल-भाल लोग जान लत ह पमडत और भोल-भाल लोगो की

वही हालत ह जो हदनी की हई पहल वह पमडत था तीन घट तक पमडत रहा तब तक नही खला दरवाजा

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कयोफक वह सोच रहा थाः ताला होना चामहए ताला होता तो पामडतय काम कर जाता लफकन ताला था ही

नही तो पामडतय कर कया

समसया ह नही जीवन म कोई पामडतय कर कया होती समसया पामडतय हल कर लता बमदध कर कया

बमदध नपसक ह तकन कर कया तकन का बस नही चलता समसया होती तो बस चल जाता चजदगी एक रहसय

जब मगर पड़ा हारकर हदनी उसी धकक म दरवाजा खल गया जो खोल-खोल न खला वह अपन स खल

गया वह बद था ही नही

इसमलए जीसस न कहा हः जो बचचो की भामत भोल-भाल ह व ही मर परभ क राजय म परवश पा सक ग

कयो बचचो की भामत भोल-भाल लोग पा सक ग कयोफक बचच ही रहसय को जीना जानत ह

तमन छोट बचच दख चारो तरि उनह मवमगध करन वाला जगत फदखायी पड़ता ह हर चीज उनह

आकरषनत करती ह एक मततली उड़ी जाती ह भागन लगत ह तम कहत होः कहा भाग रहा ह पागल कयोफक

तमह मततली म कछ नही फदखता तम अध हो तम अध हो गए हो तमहारी आख पर धल जम गयी ह समय न

तमहारी आख को खराब कर फदया ह सकल न मशकषको न माता-मपताओ न ससकारो न तमहारी आख को

धममल कर फदया ह तमहार आियन की हतया कर दी ह और मजस आदमी क भीतर आियन मर गया उस

आदमी क भीतर आतमा मर गयी

तम अब चफकत होन की कषमता खो फदए हो चफकत होन जसी बात ह मततली का होना असभव जसा

होना ह होना नही चामहए इतनी सदर मततली इतनी रग-मबरगी मततली य उड़ी जाती ह बचचा चफकत ह

मवमगध ह भागा तम उसका हाथ खीचत हो कहत होः कहा जात हो

बचचा घास म मखल एक िल को दखकर मवमगध हो जाता ह रसलीन हो जाता ह ककड़-पतथर बीनन

लगता ह समदर क तट पर रग-मबरग ककड़-पतथर तम कहत होः यह त कया कर रहा ह फिजल य चीज कहा

ल जा रहा ह तमस बचाकर भी बचचा अपन खीसो म ककड़-पतथर भर लाता ह रात उसकी मा को उसक

मबसतर म स ककड़-पतथर मनकालकर अलग करन पड़त ह

इन ककड़-पतथरो म बचच को अभी उतना फदख रहा ह मजतना बाद म तमह हीरो म भी नही फदखगा इस

बचच क पास अभी गहरी आख ह

यहा हर चीज रहसयमय ह छोट स ककड़ म भी तो परमातमा मवराजमान ह हर ककड़ हीरा ह होना ही

चामहए कयोफक हर ककड़ पर उसी क हसताकषर ह होना ही चामहए हर पतती पर वद ह हर िल म उपमनषद

ह हर पकषी की आवाज म करान की आयत ह होनी ही चामहए कयोफक वही तो बोलता ह कयोफक वही तो

मखलता ह कयोफक वही तो उड़ता ह वही ह

बचचा रोमामचत हो जाता ह छोटी-छोटी बात स एक तोता उड़ जाता ह और बचचा रोमामचत हो जाता ह

मजस फदन तम बचच जस होओग फिर स तमह बचचा होना पड़गा फिर स तमह धल झाड़नी होगी

समय न समाज न ससकारो न तमहार मन म जो मवकमतया डाल दी ह--मवकमतया यानी जञान--वह जो जञान

डाल फदया ह वह जो पामडतय डाल फदया ह तमह भरम द फदया ह फक म जानता ह उस भरम को छोड़ना होगा

न तो कोई औजार ह न कोई तरकीब ह कयोफक यहा कोई ताला ही नही ह मजसको तोड़ना हो औजार

की कोई जररत ही नही ह ताला लगा ही नही ह सब दरवाज खल ह मसिन तमहारी आख बद ह अब आख

खोलन क मलए तो औजार इतयाफद थोड़ ही होत ह

मन सनाः एक डाकटर एक मरीज को दखन आया एक िी बीमार थी गभनवती थी नौ महीन पर हो

गए थ पमत बड़ा बचन था बाहर खड़ा ह--पद क बाहर डाकटर भीतर गया भीतर स डाकटर बाहर झाका

मखड़की म स और बोला फक हथौड़ी होगी थोड़ा डरा पमत फक हथौड़ी पतनी गभनवती ह हथौड़ी की कया

जररत मगर उसन कहा होगी कोई जररत उसन हथौड़ी लाकर द दी

237

फिर थोड़ी दर बाद डाकटर बोलाः सकर डराइवर अब मार डाला इस आदमी न यह डाकटर ह फक कोई

मकमनक आ गया फक कया मामला ह मगर अब मागता ह तो उसको सकर डराइवर द फदया थोड़ी दर म बोलाः

आरा तब उसन कहाः अब जररत स जयादा हो गयी बात हदद हो गयी मामला कया ह मरी पतनी को हआ

कया उसन कहाः पतनी की बकवास मत करो अभी मरी पटी ही नही खली ह तम पतनी की लगा रह हो

तम औजार माग रह हो यहा परमातमा क ऊपर कोई दरवाज नही ह परमातमा खला ह परगट ह तम

आख स ओझल फकए बठ हो तम आख पर पदान डाल बठ हो तमहारी आख बद ह अब आख खोलन क मलए

कोई सकर डराइवर या हथौड़ी या कोई आर की थोड़ ही जररत ह जब खोलना चाहो तब खोल लो तमहारी

मजी की बात ह

खोलन क मलए परयास भी कया करना ह खोलना चाहो अभी खोल लो और अभी मवमकत हो जाओ और

अभी य िल-पमततयो का राज बदल जाए और अभी य हवाए कछ और सदश लान लग और य सरज की

नाचती फकरण अभी परमातमा का नतय बन जाए और य लोग जो तमहार चारो तरि बठ ह इनक भीतर वही

मछपा ह तमहार भीतर वही मछपा ह खोजन जात कहा हो खोजन वाल म भी वही मछपा ह

न कोई मवमध ह न कोई मवधान समझ चामहए बस समझ चामहए और समझ यानी दपनण जसा मचतत

चामहए

समझ शबद स तम मत समझ लना समझदारो की समझ समझदार तो बड़ नासमझ ह नासमझो की

समझ स मरा मतलब ह

सकरात न कहा हः जब म जानता था तब कछ भी नही जानता था और जब स सब जानना छट गया

ह कया जानन को बचा सब जान मलया

लाओतस न कहा हः जो कह जानता ह समझ लना फक नही जानता जानन वाल कस कहग फक जानत

ह कयोफक जानन को ह कया मसिन रहसय ह रहसय को जाना कस जा सकता ह

जाना जाता ह जब रहसय तो यही जाना जाता ह फक जानन को कछ भी नही ह और कया जाना जाता

ह एक आियनमवमगध भाव घर लता ह एक अहोभाव घर लता ह तम फिर दौड़न लगत हो अमसततव क पीछ

जसा बचचा मततली क पीछ दौड़ता ह तम फिर स समदर क तट पर जीवन क समदर तट पर शख-सीप बीनन

लगत हो फिर तमहार जीवन म अहरननश आनद की वषान शर हो जाती ह

चौथा परशनः मनोमथन करन पर पता चलता ह फक सासाररक वासनाए तो नही ह जो मतय क समय

बधन बन लफकन सतय पान की वासना ही बनती जाती ह सो कया कर कपाकर मागन-दशनन कर

वह भी रोक लगी वासना मातर रोकती ह इसस कछ भद नही पड़ता फक वासना फकस चीज की मवषय -

वसत स कोई भद नही पड़ता तम धन चाहो फक धयान चाहो चाह का सवरप एक ह और चाह रोकती ह

तम पद चाहो फक परमातमा चाहो चाह की भरामत एक ह

चाह का अथन कया होता ह यह समझ लो चाह का अथन होता हः जसा म ह वसा ठीक नही ह कछ

और होना चामहए थोड़ा और धन थोड़ा और पद थोड़ा और धयान थोड़ा और सतय थोड़ा और परमातमा

लफकन थोड़ा और होना चामहए जसा म ह उसस म सतषट नही चाह का अथन ह--असतोष फिर चाह फकस

बात की ह इसस कया िकन पड़गा असतोष तो रहगा ही

तम गए एक शात झील म ककड़ िका--ककड़ साधारण सा ककड़--तो लहर उठती ह तम सोचत हो

कोमहनर हीरा िकोग तो लहर नही उठगी कोमहनर हीरा िको--पानी को कया िकन पड़ता ह तमन ककड़

238

िका फक कोमहनर पानी को तो कोई भी भद नही ह कोमहनर पतथर ह और पतथर कोमहनर ह फिर भी लहर

उठगी और लहर उठ जाएगी तो चाद का जो परमतचबब बन रहा ह वह भरषट हो जाएगा

चाह पतथर की तरह मगरती ह तमहार भीतर फिर चाह सोन की हो फक सवगन की--इसस कोई िकन नही

पड़ता फिर चाह ससार की हो फक परलोक की--इसस कोई िकन नही पड़ता

चाह पतथर की तरह मगरती ह तमहार मचतत म और मचतत कप जाता ह और मचतत क कपन क कारण सतय

खो जाता ह सतय को चाहना हो तो सतय को चाह मत बनाना चाह स जो मकत हो जाता ह उस सतय ममलता

यह तमह जरा करठन लगगा लफकन धयनपवनक समझोग तो सीधी-सीधी बात ह चाह क कारण तनाव

पदा होता ह तनाव भर मचतत म परमातमा की छमब नही बनती चाह क कारण तरग उठ आती ह तरगो क

कारण सब कपन पदा हो जाता ह कपत हए मन म परमातमा की छमब नही बनती

ठीक स समझो तो कपता हआ मन ही ससार ह

पछा ह तमन फक मनोमथन करन पर पता चला फक सासाररक वासनाए तो नही ह

लफकन वासना ससार ह सासाररक वासनाए और पारलौफकक वासनाए ऐसी दो वासनाए थोड़ ही होती

तमह पमडत-परोमहतो न बड़ी गलत बात समझायी ह उनहोन समझाया ह फक ससार की वासना छोड़ो

और परलोक की वासना करो लफकन जञामनयो न कछ और कहा ह बदधो न कछ और कहा ह उनहोन कहा हः

वासना छोड़ो कयोफक वासना ससार ह और जहा वासना नही ह वहा परलोक ह जहा वासना ह वहा यही

लोक रहा आएगा धोख म मत पड़ना मन बहत चालबाज ह

मन कहता ह फक यह तो अचछी वासना ह अचछी वासना होती ही नही वासना मातर बरी होती ह मन

कहगाः यह तो धारमनक वासना ह यह तो आधयामतमक वासना ह इसको तो खब करना चामहए हा धन थोड़

ही चाहत ह हम हम तो धयान चाहत ह

मगर चाहन म ही तो उपदरव ह चाहत तो मतलब तन गए चाहत तो मतलब अशात हो गए चाहत

तो मतलबः यहा न रह इस कषण म न रह भमवषय म चल गए धन भी कल ममलगा और धयान भी कल

ममलगा तो कल म चल गए आज चक गया पद भी कल और परलोक भी कल

और जो ह वह अभी ह और यही ह इसी कषण ह समझो जागो

अगर इसी कषण तमहार भीतर कोई वासना नही ह मझ समझन की भी वासना नही ह शात बठ हो

कोई वासना नही ह मचतत मनसतरग ह कया पान को बचा उस मनसतरग मचतत म कया कमी ह

वही मनसतरग मचतत तो आपतकाम ह वही मनसतरग मचतत तो बराहमण ह उसी को म बराहमण कहता ह

मनसतरग मचतत अकमपत

बरहम की चाह भी रह गयी तो बराहमण नही बरहम हो गए तो बराहमण और बरहम होन क मलए दर कया ह

बरहम तम हो मगर तमहारी चाहत न तमह चकाया ह तम जो खोज रह हो वह तमहार भीतर मौजद ह मगर

खोज की वजह स तम इतन उमिगन हो गए हो

हदनी की कहानी फिर याद करो दरवाजा खला था अटका था मगर वह ताला खोज रहा था ताला था

नही ममशकल म पड़ गया तीन घट लग गए अगर पहल ही दरवाजा खोल फदया होता इतना सोच मलया

होता सोचा नही होगा कयोफक कस सोचता चजदगीभर ताल ही खोल थ और जब लोग उस बद करत थ तो

तालो म ही बद करत थ ताल खलवान क मलए ही तो बद करत थ

मगर य इटमलयन बाजी मार ल गए हदनी को बरा हराया खब गहरा मजाक फकया

सवभावतः तम भी हदनी की जगह होत तो ताला ही खोजत रहत और मजसको तीन ममनट म बाहर

मनकलना हो उसकी बचनी सवभावतः पसीना-पसीना हो गया होगा तीन ममनट की तो बात--घटा बीत

239

गया बार-बार घड़ी दखता होगा घटा बीत गया परमतिा गयी जीवनभर की कमायी गयी लोग कया कहग

फक हदनी गए हार गए पमलस वालो स हार गए आज लग गया ताला तम पर चजदगीभर की परमतिा थी

ममटटी हई जा रही ह

जस-जस समय बीता होगा वस-वस बचनी बढ़ी होगी वस-वस घबड़ाहट बढ़ी होगी रकतचाप बढ़ा

होगा हदय की धड़कन बढ़ी होगी पसीना-पसीना हआ जा रहा होगा और मजतना पसीना हआ होगा मजतना

रकतचाप बढ़ा होगा मजतनी घबड़ाहट बढ़ी होगी उतनी ही तजी स ताला खोजता होगा मजतना ताला खोजता

होगा उतनी ही बमदध खो गयी उतना ही बोध खो गया

यह बात तो उठ भी कस फक शायद दरवाजा खला हो दरवाजा खला ह लफकन चाहत क कारण नही

खल पा रहा ह चाह छोड़ो

और जब म कहता ह चाह छोड़ो तो बशतन कह रहा ह यह नही कह रहा ह फक ससार की चाह छोड़ो

फिर दोहरा दःः चाह ससार ह ससार की कोई चाह नही होती और परमातमा की कोई चाह नही होती

जहा चाह ह वहा ससार ह अगर तम परमातमा चाहत हो तो तम अभी भी सासाररक हो

इसमलए तो म कहता हःः तमहार ऋमष-ममन जो मफदरो म और गिाओ म बठ ह--सब ससारी ह तम

जस ससारी ह जरा भद नही ह सवगन चाह रह ह सवगन म कया चाह रह ह वही अपसराए मजनको तम यहा

चाह रह हो तम फिलम अमभनमतरयो म दख रह हो तम जरा आधमनक हो व जरा पराचीन ह व जरा उवनशी

इतयाफद की सोच रह ह व परानी फिलम अमभनमतरया व सोच रह हःः वहा ममलगा

तम सोचत होः यही चल जाए बाजार म और दो कलहड़ पी ल और व सोचत ह फक वहा पीएग बमहशत

म जहा झरन बह रह ह शराब क यहा कया पीना फिर मफत ममलती ह वहा कोई पाबदी भी नही ह असली

शराब ममलती ह वहा ऐसा कोई दशी ठरान नही वहा कोई सवदशी की झझट नही ह मवदशी शराब क झरन

बह रह ह नहाओ धोओ डबकी लगाओ पीओ मपलाओ

या वहा कलपवकष ह मजनक नीच बठो और जो चाहो ततकषण परा हो जाए ततकषण--चाहा फक परा हो

जाए

सवगन क चाहन वाल तम सोचत हो आधयामतमक ह या फक तम सोचत हो मोकष को चाहन वाल

आधयामतमक ह मोकष म भी कया चाह रह हो यही फक शामत ममल आनद ममल दख स छटकारा हो पीड़ा न

रह

मगर यही तो सासाररक आदमी भी चाह रहा ह वह भी इसीमलए तो धन कमा रहा ह फक दख न रह

इसीमलए तो चाहता ह बड़ा मकान बना ल फक थोड़ी समवधा हो तमहारी और उसकी चाह म कोई मौमलक भद

नही ह भद होगा अगर तो पररमाण का होगा गण का नही ह

तम भला उसस कह सकत हो फक तरी चाह कषणभगर ह हमारी चाह शाशवत की ह लफकन इसका तो

मतलब यही हआ फक तम उसस भी बड़ ससारी हो उसकी चाह कषणभगर की ह उसकी चाह छोटी ह तमहारी

चाह बड़ी भयकर ह सनातन की ह शाशवत की ह तम कषणभगर स राजी नही होत तमहारा लोभ बहत बड़ा

ह तम भयकर ससारी हो

फिर म फकसको आधयामतमक कहता ह--मजसकी कोई चाह नही जो मबना चाह जीता ह जो कहता हः

यही जीएग अभी जीएग मजसक मलए वतनमान कलपवकष ह मजसक मलए जसा ह वसा होना सवगन ह जहा ह

वही मोकष ऐसा वयमकत आधयामतमक ह मजसक पास अनयथा की कोई माग नही ह कल जो आएगा आएगा

अभी जो ह उस भोगता ह अभी जो ह उस बड़ आनद स भोगता ह बड़ अनगरह स भोगता ह

240

पाचवा परशनः ओशो एक सत स आपक बार म बातचीत होती थी मन कहाः मर ओशो सवय सभी परशनो

क उततर ह उनहोन कहाः नही उततर तो बहत ह मगर ओशो तो सभी उततरो क मलए एक परशन बन गया ह

ओशो कपया बताए फक आप परशन ह या उततर

जो सभी उततरो क मलए एक परशन बन गया हो वही सभी परशनो का उततर हो सकता ह सत न ठीक ही

कहा

अब उनस ममलो तो मरी तरि स उनस यह कह दना--फक जो सभी उततरो क मलए परशन बन गया हो वही

सभी परशनो का उततर हो सकता ह

छठवा परशनः ससार न बड़ी कररता स मरी सारी आशाओ पर पानी िर फदया ह म ससार को कषमा कर

भी तो कस कर

ससार तमहारी आशाओ पर न तो पानी िर रहा ह न सोना िर रहा ह ससार को तमहारी आशाओ का

पता ही नही ह तमहारी आशाओ का बस तमही को पता ह

और जब तमह लगता ह फक ससार न तमहारी आशा पर पानी िरा तो इतना ही समझना फक तमन

परकमत क परमतकल कछ करन की कोमशश की होगी ससार न कछ नही फकया ह तम ही उलट गए होओग

अब तम वकष पर स मगर पड़ो और कहो फक गरतवाकषनण न मरी टाग तोड़ दी गरतवाकषनण को इसस

कया लना-दना ह गरतवाकषनण को तमहारी टाग का पता भी नही ह तमहारी टाग इतनी महतवपणन भी नही ह

फक गरतवाकषनण इस तोड़न क मलए कोई मवशष आयोजन कर आप ही चककर मगर गए ह

तमहारी आशाए वयमकतगत ह और तमहारी वयमकतगत आशाओ क कारण ही उन पर पानी फिर जाता ह

सममषट की भाषा म सोचो सममषट क साथ सोचो मवपरीत नही धारा म बहो धारा स लड़ो मत फिर तमहारी

फकसी आशा पर कभी पानी न फिरगा

और अगर तम ठीक स समझ तो मतलब कया हआ मतलब यह हआ फक जब तम सममषट क साथ बहोग

तो तम अलग स आशा ही कस करोग जो सममषट की मनयमत ह वही तमहारी मनयमत ह अलग स आशा करन

की जररत कया ह समझदार आदमी अलग स झझट नही लता

इतना मवराट मजस सहार चल रहा ह म छोटा सा उसक सहार चल लगा चाद-तार नही चकत इतना

मवराट मवशव इतनी समवधा और इतनी सगीतबदधता स चल रहा ह एक म ही कयो चचता कर जो इस सबको

चलाता ह मझ भी चला लगा और जो मझ न चला पाएगा वह इतन मवराट को कहा चला पाएगा

इस भावदशा का नाम ही धारमनकता ह फक म अलग स मनजी आशाए न कर म मनजी कामनाए न कर

म इस मवराट क साथ तललीन होना सीख इस तललीनता म पराथनना उमगती ह

पछत होः ससार न बड़ी कररतापवनक

फकसको उतसकता ह बड़ी कररतापवनक तमहारी टाग तोड़ दी गरतवाकषनण न तमही मगर होओग तमही

ऐस ढग स मगर होओग

तमन दखा कभी-कभी ऐसा हो जाता ह एक बलगाड़ी म एक शराबी चलता हो और एक होश वाला

चलता हो गाड़ी उलट जाए होश वाल को चोट लग जाती ह शराबी को चोट नही लगती मामला कया ह

तम शराबी को रोज दखत हो सड़क पर पड़ हए तम जरा दो-चार दि वस मगरकर दखो तम सदा

असपताल म ही रहोग फिर और शराबी रोज मगरता ह नाली म मगरता ह सड़क पर मगरता ह इस कोन उस

कोन और सबह तम दखो व फिर मज स चल जा रह ह दफतर सब ठीक-ठाक ह कही कोई अड़चन नही ह

241

शराबी का मगरन का ढग जब शराबी मगरता ह तो उस पता नही होता फक म मगर रहा ह इसमलए

मगरन स बचन क कोई उपाय नही करता उपाय न करन क कारण गरतवाकषनण उसक मवपरीत नही पड़ता

तम जब मगरत हो तो मगरत वकत तम एकदम समहल जात हो समहलन की कोमशश करत हो समहलन

की मजतनी कोमशश करत हो उतनी तमहारी हमडडया सखत हो जाती ह तनाव स भर जाती ह समहलत-

समहलत मगरत हो इसमलए चोट खात हो छोट बचच रोज मगरत ह तमहार घर म कोई ऐसी खास चोट नही खा

जात

पमिम क एक वजञामनक न एक परयोग फकया एक मवशवमवदयालय म उसन यह परयोग फकया उसक घर म

बचचा पदा हआ था बचच का अधययन करता था वह यह सोचकर हरान होन लगा फक बचचा फदनभर म इतना

काम करता ह हालाफक सब बकाम काम करता ह उसक महसाब स मगर इधर दौड़ा उधर गया कदा-िादा

झाड़ पर चढ़ा नाचा करता ही रहता ह कछ न कछ गडडा-गडडी यहा स वहा ढोता रहता इतना काम करता ह

इतनी शमकत इस छोट स बचच म आती कहा स ह

उसन एक परयोग फकया उसन मवशवमवदयालय म जो पहलवानी म परथम आया था यवक उसको कहा फक

एक परयोग म करना चाहता ह अगर तम साथ दो तम एक फदन सबह स लकर साझ तक मरा बचचा जो कर

वह करो बस इसक पीछ चलो

वह सबस मजबत आदमी था मवशवमवदयालय म वह चार घट म चारो खान मचतत होकर पड़ गया उसन

कहाः यह बचचा तमहारा मार डालगा साझ तक म बचगा नही

और बचच को आ गया मजा आज कोई आदमी उसक पीछ-पीछ चल रहा ह तो वह और उछला और

कदा उसन दखा फक जो म करता ह वही यह भी करता ह तब तो उसकी हदद हो गयी मज की झाड़ पर चढ़ा

टीन पर चढ़ गया टीन पर स कद पड़ा झाड़ स कदा हजार तरह की कवायद करन लगा उसन चार घट म

उस पहलवान को पसत कर फदया

उसन कहाः तमहारा बचचा मरी जान ल लगा शाम तक यह परयोग नही चल सकता मझ कषमा करो चार

घटा बहत ह

बचच म इतनी ऊजान कहा स ह इतन छोट पराण इतनी ऊजान बचचा अभी तक लड़ नही रहा ह परकमत स

अभी परकमत क साथ ह

जब तक तम परकमत क साथ हो तब तक तमहार मलए अपवन ऊजान ममलती रहगी जस ही तम परकमत स

अपन को मभनन समझ अलग समझ जस ही अहकार का जनम हआ बस वस ही अड़चन ह तमहार अहकार न

तमहारी ददनशा की ह

यह मत कहो फक ससार न मझ कररतापवनक बड़ी कठोरता स मरी आशाओ पर पानी िर फदया ह

तमन आशाए ही ऐसी की होगी फक कोई उपाय नही था पानी उन पर फिरा ही होगा और हर एक

आदमी बड़ी आशाए करता ह आशाए करन म कोई कजस होता ही नही तम मजसस पछो--उसकी आशाए जरा

पछो--फक फदल खोलकर अपनी आशाए कहो तो वह ऐसी आशाए बताएगा फक तम चफकत होओग सभी की य

परी भी कस हो सकती ह

चहदसतान म ऐसा कोई आदमी ह जो परधानमतरी नही होना चाहता कह न कह चाह ऊपर स

मवनमरतावश कह फक नही-नही मगर भीतर गदगदी आ जाएगी फक आप पछ रह ह--कया मवचार ह कया गजब

का मवचार ह कस पहचाना आपन यही तो मर भीतर उठता रहता ह अपन को फकसी तरह समहालकर रखता

ह फक कही यह जोर स न पकड़ ल

अब यह आदमी अततः कहगा एक फदन फक मरी सारी आशाओ पर पानी फिर गया फकतन लोग

परधानमतरी हो सकत ह और अगर सभी परधानमतरी हो सक तो परधानमतरी कौन होना चाहगा--यह भी सवाल

242

अगर मरा वश चल तो म एक कानन बना द फक सभी परधानमतरी ह बात खतम झगड़ा खतम मगर

तब कोई नही होना चाहगा तब लोग कहगः अब इस परधानमतरी होन स कस छट कयोफक यह सामानय हो

गया परधानमतरी होन का मजा यह ह फक साठ करोड़ क मलक म एक आदमी हो सकता ह साठ करोड़ को

हराकर उसी हरान म मजा ह

अब साठ करोड़ लोग परधानमतरी नही हो सकत तो एक को छोड़कर बाकी दखी होन वाल ह और कहग

हमारी आशाओ पर पानी िर फदया और तम यह मत सोचना फक जो परधानमतरी हो गया वह सखी होन वाला

ह वह परधानमतरी होत ही कछ और सोचन लगता ह फक म सारी दमनया जीत ल फक चहदसतान स कया होगा

अखड भारत बना ल पाफकसतान को तो कम स कम हड़प ही ल फक बगलादश को तो पी ही जाऊ फक मसफककम

तो गया अब नपाल फक अब भटान फक कही थोड़ हाथ-पर िलाऊ उसकी आशाओ पर भी पानी फिरन वाला

ह वह भी दखी मरगा वह भी सोचगाः सब आशाओ पर पानी फिर गया दमनया नही जीत पाया

मसकदर जसा आदमी भी दखी मरता ह

और यहा कछ लोग जरर आनद स जीत ह और आनद स मवदा होत ह व बदध जस लोग ह व कोई

आशा ही नही करत व कहत ह जो हो जाए सो ठीक ह जो न हो मबलकल ठीक ह उनको तम कस तोड़ोग

उन पर तम कस पानी िरोग

खयाल रखना यहा तो हर एक आशाओ स भरा ह--हर एक कल म एक गीत पढ़ता थाः

खत क सबज म बसध पड़ी ह दबकी

एक पगडडी की कचली हई अधमई-सी लाश

तज कदमो क तल ददन स कराहती ह

दो फकनारो प जवा मसटटो क चहर तक कर

चप-सी रह जाती ह यह सोच क बस

य मरी कोख कचल दत न रहगीर अगर

मर बट भी जवा हो गए होत अब तक

मरी बटी भी तो बयाहन क कामबल होती

पगडडी मगर यह बात मझ पयारी लगी

खत क सबज म बसध पड़ी ह दबकी

एक पगडडी की कचली हई अधमई-सी लाश

लफकन पगडडी भी ऐसी आशाए रखती ह सभी रखत ह

तज कदमो क तल ददन स कराहती ह

दो फकनारो प जवा मसटटो क चहर तक कर

चप-सी रह जाती ह यह सोच क बस

य मरी कोख कचल दत न रहगीर अगर

अगर राह चलन वालो न मरी कोख को कचल न डाला होता चल-चलकर

मर बट भी जवा हो गए होत अब तक

मरी बटी भी तो बयाहन क कामबल होती

सभी क भीतर हजार-हजार कामनाए ह वासनाए ह व परी नही होती परी भी हो जाए तो कछ हल

नही होता एक परी होती ह तो दस पदा हो जाती ह

इस वयथनता स जागन का नाम ही सनयास ह

और फिर जब तम मबना आशा क जीत हो बदध न कहा ह जब तम मनराशा क साथ जीत हो तभी तम

पहली दिा आनद स जीत हो

मगर मनराशा का अथन समझ लना बदध की मनराशा का वही अथन नही जो तमहारा होता ह तमहारा तो

मनराशा का अथन यह होता हः आशा टट गयी बदध की मनराशा का अथन ह आशा स ममकत हो गयी

243

बदध की मनराशा म आशा भी नही ह मनराशा भी नही ह आशा क भाव स ही छटकारा हो गया अब

कोई माग ही नही बची और जब कोई माग नही बचती तब तमहार भीतर परमातमा परगट होता ह जब कोई

पराथनना नही बचती तब परमातमा परगट होता ह

छोड़ो मभखमगापन समराट होन की घोषणा करो

मवराट क साथ एक होकर चलो मवराट क साथ नाचो इस मवराट की रासलीला म सममममलत होओ

अलग-थलग खयाल न रखो अलग-थलग न चलो वकष और नफदया और पहाड़ और चाद-तार मजसम जी रह ह

उसम तम भी जीओ तम भी हर हो जाओग तमहारी लाली भी िल बनकर परगट होगी तमहारा सोना भी

परगट होगा

तमहार जीवन की ममहमा मनमित परगट हो सकती ह मगर तम अपना आपा छोड़ो म-भाव छोड़ो

इसमलए बदध न कहा हः जो अनतता को उपलबध हो जाए जो जान ल फक म नही ह वही बराहमण ह

एस धममो सनतनो

आज इतना ही

  • सनयास की मगल-वला
  • जीन की कला
  • विराट की अभीपसा
  • राजनीति और धरम
  • बदधतव का आलोक
  • समगर ससकति का सजन
  • बराहमणतव क शिखर--बदध
  • अपप दीपो भव
  • जागो और जीओ
  • एस धममो सनतनो
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