ऩाठ 1 वह चिड़िया जो (केदारनाथ अग्रवाऱ...

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1 ऩाठ 1 वह चिड़िया जो ( केदारनाथ अवाऱ ) शदाथथ : डी जौ फाजये की फालरमाॉ चि - िाहत ऩसॊद हफोरी - चिय ऩरयचित विजन - एकाॊत नसान गयफीर- गिीरअलबभान से बयी ह उॉड़ेरकय - डारकय नोर :- न -1 वह चिड़िया जो’ कववता के आधार ऩर बताइए क चिड़िया को कन-कन िीज से यार है उर - चिड़ड़मा को अन से माय है िह द चधमा ि अधऩके ज डी के दाने फड़े भन से खाती है। उसे विजन से माय है एकाॊत िन भ िह फड़े उभॊग से भध य िय भ गाती है । चिड़ड़मा को नदी से बी माय है । िह नदी की फीि धाया से जर की फ दे अऩनी िि भ रेकय उड़ जाती है । मह िीज उसे आजादी का एहसास दराती ह । इसलरए िह इन सफसे माय कयती है । न -2 आशय ऩट कीजजए − (क) रस उॉडेऱ कर गा ऱेती है | उर - त ऩॊत ऩामऩ तक िसॊत से री गई है । इसके यियमता केदायनाथ अिार ह| त त ऩॊभ कवि मह कहना िाहते ह कक चिड़ड़मा भध य िय भ गाती है उसके िय (आिाज) की भध यता िाताियण भ यस घोर देती है (ख) िढ़ी नदी का दऱ टटोऱकर, जऱ का मोती ऱे जाती है |

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    ऩाठ – 1

    वह चिड़िया जो ( केदारनाथ अग्रवाऱ )

    शब्दाथथ :ज ॊडी जौ फाजये की फालरमाॉ रूचि - िाहत ऩसॊद भ ॉहफोरी - चिय ऩरयचित विजन - एकाॊत स नसान गयफीरी - गिीरी अलबभान से बयी ह ई उॉड़रेकय - डारकय

    प्रश्नोत्तर :-

    प्रश्न -1 वह चिड़िया जो’ कववता के आधार ऩर बताइए कक चिड़िया को ककन-ककन िीज़ों से प्यार है उत्तर - चिड़ड़मा को अन्न से प्माय है िह दचूधमा ि अधऩके ज ॊडी के दाने फड़ ेभन से खाती है। उसे विजन से प्माय है एकाॊत िन भें िह फड़ ेउभॊग स ेभध य स्िय भें गाती है । चिड़ड़मा को नदी से बी प्माय है । िह नदी की फीि धाया से जर की फूॊदे अऩनी िोंि भें रेकय उड़ जाती है । मह िीजें उसे आजादी का एहसास ददराती हैं । इसलरए िह इन सफसे प्माय कयती है ।

    प्रश्न -2 आशय स्ऩष्ट कीजजए − (क) रस उॉडऱे कर गा ऱेती है |उत्तर - प्रस्त त ऩॊक्तत ऩाठ्मऩ स्तक िसॊत से री गई है । इसके यियमता केदायनाथ अग्रिार हैं| प्रस्त त ऩॊक्तत भें कवि मह कहना िाहते हैं कक चिड़ड़मा भध य स्िय भें गाती है । उसके स्िय (आिाज) की भध यता िाताियण भें यस घोर देती है ।

    (ख) िढ़ी नदी का ददऱ टटोऱकर, जऱ का मोती ऱे जाती है |

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    उत्तर - प्रस्त त ऩॊक्तत भें कवि चिड़ड़मा के साहस के फाये भें फता यहे हैं। कवि कहते हैं कक चिड़ड़मा जर से बयी उपनती नदी के फीि से अऩनी िोंि भें ऩानी की फूॉद रेकय उड़ जाती है । ऐसा रगता है जैसे िह नदी के ह्रदम से भोती रेकय उड़ी जा यही है।

    (ग) कवव ने चिड़िया को छोटी सॊतोषी म ॉहबोऱी और गरबीऱी चिड़िया क्य़ों कहा हैउत्तर - चिड़ड़मा छोटे आकाय की थी औय ककसी बी फात को फोरन ेसे नहीॊ झझझकती है इसलरए कवि ने उस ेछोटी औय भ ॉहफोरी कहा है । िह सॊतोषी स्िबाि की है । अत् कवि उसे सॊतोषी कहता है । चिड़ड़मा को अऩने कामों ऩय गिव है तमोंकक िह नदी के फीि से ऩानी ऩीने जैसा कदिन कामव सपरताऩूिवक कय जाती है । मही कायण है कक कवि ने चिड़ड़मा को गयफीरी कहा है ।

    प्रश्न - 3 चिड़िया के माध्यम से कवव क्या सन्देश देना िाहता है उत्तर - चिड़ड़मा के भाध्मभ से कवि प्रसन्नता से जीने का सन्देश देता है । कवि कहना िाहते हैं कक हभें थोड़े भें सॊतोष कयना िादहए । अचधक की रारसा नहीॊ यखनी िादहए । इस कविता भें अकेरेऩन भें बी उभॊग से यहने का सन्देश ददमा गमा है । इसके साथ ही कवि हभे फताते हैं कक विऩयीत ऩरयक्स्थयतमों भें बी हभें साहस नहीॊ खोना िादहए तथा अऩनी ऺभता को ऩहिानना िादहए ।

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    पाठ – 2बचपन ( ऱेखिका कृष्णा सोबती )

    शब्दाथथ :सख्त कठोय सैय भ्रभण / घूभना शताब्दी सौ वषों की अवधध कभतय दसूयों से कभ खीजना धिढ़ना

    प्रश्न -1 ऱेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या – क्या काम करती थीॊ ?उत्तर - रेखखका इतवाय की सुफह ऩहरे अऩने भोज़े धोती थीॊ फपय जूते ऩोलरश कयके कऩड़ ेमा ब्रुश से यगड़कय िभकाती थीॊ ।

    प्रश्न -2 तुम्हें बताऊॉ गी कक हमारे समय और तुम्हारे समय में ककतनी दरूी हो चकुी है ।’ यह कहकर ऱेखिका क्या- क्या उदाहरण देती हैंउत्तर - रेखखका के अनुसाय आज औय कर के सभम भें जो दयूी है वो इस प्रकाय है −उस सभम भनोयॊजन का साधन ााभोधोन था ऩयन्तु आज उसका स्थान येडडमो औय टेरीववजन ने रे लरमा है । ऩहरे फच्ि ेकुरधी खाना ऩसन्द फकमा कयते थे ऩयन्तु आज उसकी जगह आइसक्रीभ ने रे री है । उस सभम खाने भें केवर किौड़ी – सभोसे होते थे आज उनकी जगह ऩैटीज़ ने रे री है। शहतूत धारसे औय खसखस के शयफत का स्थान आजकर ऩेप्सी औय कोक ने रे लरमा है । मही वो दयूी है जो रेखखका ने फताई है ।

    प्रश्न - 3 ऱेखिका अपने बचपन में कौन – कौन - सी चीजें मजा ऱे ऱेकर िाती थीॊ ? उनमें से प्रमुि फऱों के नाम लऱखिए । उत्तर - रेखखका फिऩन भें िाकरेट खाना फहुत ऩसॊद कयती थीॊ । वो हभेशा यात भें खाने के फाद अऩने बफस्तय भें आयाभ व भज़े रेते हुए िाकरेट खाती थीॊ । इसके अरावा रेखखका को िनाजोय गयभ काधरयसबयी कसभर औय िसे्टनट फहुत ऩसन्द थे ।

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    प्रश्न - 4 ऱेखिका बचपन में कैसी पोशाक पहना करती थीॊ उत्तर - रेखखका ने फिऩन भें ऩहनी गई फ्रॉक भें से तीन का वणणन फकमा है -एक नीरी ऩीरी धायी वारा फ्रॉक था जजसका कॉरय गोर था । दसूया हल्के गुराफी यॊग का फायीक िनु्नटों वारा घेयदाय फ्रॉक था जजसभें गुराफी फफ्रर रगी हुई थी । रेभन करय के फड़े प्रेटों वारे गभण फ्रॉक का जजक्र बी रेखखका ने अऩने सॊस्भयण भें फकमा है ।

    प्रश्न - 5 ऱेखिका को लशमऱा ररज की याद क्यों आती है उत्तर - फिऩन भें रेखखका कृष्णा सोफती जी ने लशभरा रयज भें फहुत मादगाय सभम बफतामा है इसलरए इसकी माद उनके जीवन का भहत्त्वऩूणण अध्माम है । वहाॉ उन्होंने घोड़ों की सवायी की थी | उन घोड़ों को देखकय वे हॉसा कयती थीॊ क्मोंफक उनके नननहार के घोड़ ेफड़ ेहृष्ट -ऩुष्ट औय खफूसूयत थे । अॉधेया होने के फाद फविमों की यौशनी भें रयज की यौनक देखते ही फनती थी । वो मादें आज बी उनके ददरो - ददभाग भें छाई हैं इसलरए रेखखका को लशभरा रयज की माद फहुत आती है |

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    ऩाठ - 3

    नादान दोस्त पे्रमचंद

    शब्दाथथ :

    कार्निस छज्जा जजऻासा जानने की इच्छा हहपाज़त सुयऺा आहहस्ता से धीये से कसूय गरती मकामक अचानक

    प्रश्न - 1 केशव और श्यामा ने चचड़िया के अडंों की रऺा की या नादानी उत्तर - केशव औय श्माभा का भन ऩाक साप था। वह बूरकय बी चचड़िमा के अॊडों को नुकसान ऩहुॊचाना नह ॊ चाहते थे । इतना जरूय था कक उन्हें उनके फाये भें कुछ बी ऩता नह ॊ था । उन्हें रगता था कक चचड़िमा के अॊडों को कोई तकर प न हो । वह दोनों इस फात से अॊजान थे कक चचड़िमा अऩने फच्चों की सुयऺा खदु कयने भें सऺभ है । वह उन्हें सबी ऩयेशार्नमों से फचा सकती है । जफ फच्चों ने चचड़िमा के अॊडों को ऐसे यखे हुए देखा तो उन्हें फुया रगा । इसके फाद उन्होंने अॊडों को उठामा औय कऩ़ि ेकी गद्द ऩय यख हदमा । केशव औय श्माभा को मह फात नह ॊ ऩता थी कक अॊडों को अगय कोई बी छू रे तो चचड़िमा कपय उन्हें सेती नह ॊ है । इसी वजह से चचड़िमा आखखय भें अॊडों को चगयाकय चर गई ।

    प्रश्न - 2 अडंों के बारे में दोनों आपस ही में सवाऱ -जवाब करके अपने कदऱ को तसल्ऱी क्यों दे कदया करते थेउत्तर - केशव औय श्माभा की भाता जी घय के काभों भें फहुत व्मस्त यहती थीॊ औय उनके पऩता के ऩास ऩढ़ाई -ारखाई का कामि हुआ कयता था । उन दोनों के सवारों का जवाफ देने के ारए कोई नह ॊ था इसारए व ेस्वमॊ ह एक दसूये के सवारों का जवाफ देकय तसल्र दे हदमा कयते थे ।

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    प्रश्न - 3 अडंों के बारे में केशव और श्यामा के मन में ककस तरह के सवाऱ उठते थे वे आपस ही में सवाऱ-जवाब करके अपने कदऱ को तसल्ऱी क्यों दे कदया करते थे

    उत्तर - केशव औय श्माभा के हदर भें तयह -तयह के सवार उठते । अॊड ेककतने फ़ि ेहोंगे अॊड ेकैसे हैं ककस यॊग के हैं उनभें से फच्च ेकैसे र्नकरेंगे उनके सवारों के जवाफ देने के ारए अमभाॉ औय फाफूजी के ऩास पुयसत नह ॊ थी। इसारए दोनों फच्च ेआऩस भें सवार जवाफ कयके अऩने हदर को तसल्र दे हदमा कयते थे |

    प्रश्न - 4 मााँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों ननकऱ आए मााँ के पूछने पर भी दोनों में से ककसी ने ककवाि खोऱकर दोपहर में बाहर ननकऱने का कारण क्यों नहीं बतायाउत्तर - भाॉ के सोत ेह केशव औय श्माभा अॊडों की यऺा के ारए टोकय व दाना – ऩानी यखने के ारए फाहय र्नकर आमे | ऩयन्तु जफ उन दोनों को बफस्तय ऩय न ऩाकय भाॉ फाहय आ गईं तो दोनों चऩु हो गए क्मोंकक अगय भाॉ को ऩता चरता कक वे क्मा कय यहे हैं तो उनकी पऩटाई हो जाएगी | इसारए ककसी ने ककवा़ि खोरकय दोऩहय भें फाहय र्नकरने का कायण नह ॊ फतामा |

    प्रश्न - 5 प्रेमचदं ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त ’क्यों रखाउत्तर - नादान दोस्त का अथि है - नासभझ साथी। केशव औय श्माभा चचड़िमा के ऐसे ह नासभझ साथी थे जजनकी गरती के कायण चचड़िमा के अॊड ेनष्ट हो गए उन्हें अऩना फसेया छो़िकय जाना ऩ़िा। अॊडों की यऺा कयने के प्रमास भें उनके द्वाया की गई नादानी ने उनके दोस्तों को ऩयेशानी भें डार हदमा। अतः रेखक द्वाया हदमा गमा शीषिक सट क है।

  • सॊज्ञा

    पररभाषा किसी व्मक्ति ,वस्िु ,स्थान अथवा बाव िे नाभ िो सॊज्ञा िहिे हैं |संज्ञा के भेद :- 1. व्यक्तिवाचक 2. जातिवाचक 3. भाववाचक 1. व्यक्तिवाचक :- जो सॊज्ञा शब्द किसी ववशषे व्मक्ति वस्िु स्थान मा प्राणी िा फोधियािे हैं वे व्मक्तिवाचि सॊज्ञा िहरािे हैं

    गुॊजन गीि गा यही है | जमऩुय सुॊदय शहय है |2.जातिवाचक :- जो सॊज्ञा शब्द किसी प्राणी मा वस्िु िी ऩूयी जाति िा फोध ियािे हैंउन्हें जातिवाचि सॊज्ञा िहिे हैं

    ऩेड़ ऩय फॊदय उछर यहे हैं | फच्च ेखेर यहे हैं |3.भाववाचक :- जो सॊज्ञा शब्द किसी वस्िु मा व्मक्ति िे गुण दोष दशा अवस्था आददिा फोध ियाए उसे बाववाचि सॊज्ञा िहिे हैं

    याभ औय श्माभ भें गहयी मभत्रिा है | भोटाऩा स्वास््म िे मरम हातनिायि है |बाववाचि सॊज्ञा फनाने िे तनमभ

    जातिवाचि सॊज्ञा शब्दों से बाववाचि सॊज्ञा शब्द फनाना –जातिवाचि - बाववाचि भनुष्म - भनुष्मिा मभत्र - मभत्रिा ऩशु - ऩशुिाफच्चा - फचऩन

    सववनाभ शब्दों से बाववाचि सॊज्ञा फनाना - सववनाभ - बाववाचिअऩना - अऩनत्व भभ - भभत्व ऩयामा - ऩयामाऩन

  • ववशषेण शब्दों से बाववाचि सॊज्ञा शब्द फनाना -ववशषेण - बाववाचि गयीफ - गयीफी वीय - वीयिा भोटा - भोटाऩानम्र - नम्रिा

    किमा शब्दों से बाववाचि सॊज्ञा शब्द फनाना – किमा - बाववाचि ऩढ़ना - ऩढ़ाई रड़ना - रड़ाईिभाना - िभाई

    अव्मम शब्दों से बाववाचि सॊज्ञा फनाना – अव्मम - बाववाचि तनिट - तनिटिाशाफाश - शाफाशी दयू - दयूी

    अभ्यास कायय :-

    प्र 1. तिम्िलऱखिि शब्दों के भाववाचक रूप लऱखिए :- शब्द भाववाचक संज्ञा शब्दभाववाचक संज्ञा

    भानव सवव ऩशु भभफहाव चरनाशत्र ु प्रबुमशशु बाईसेवि तनजिभाना तनधवनचिुय िामय

  • प्र 2. तिम्िलऱखिि वातयों में से संज्ञा शब्द छााँटकर उिके भेद लऱखिए :-1 याभ िा घोड़ा दौड़ यहा है |2 उसिी फहन अनुयाधा खेर यही है | 3 फुढ़ाऩे भें शयीय दफुवर हो जािा है | 4 ऩेड़ ऩय फन्दय पर खा यहा है |5 िाजभहर आगया भें क्स्थि है |6 ऩािव भें चायों ओय हरयमारी छाई है |

    प्र 3 तिम्िलऱखिि शब्दों में से व्यक्तिवाचक, जातिवाचक िथा भाववाचक संज्ञा शब्द छााँटकर अऱग-अऱग लऱखिए :-

    वीयिा, हाथी, ददल्री, शत्रिुा, घोड़ा, दहभारम, गुरुिा, अघ्माऩि, फचाव, नेिा, िुिुफभीनाय, भहात्भा गाॉधी |

  • संज्ञा के विकारक तत्व व ंग

    व ंग :- संज्ञा शब्द के जजस रूप में पुरुष जाजि या स्त्री जाजि का बोध होिा है उसे

    ज ंग कहिे हैं ।

    व ंग के भेद :-

    (1) पुल्लंग (2) स्त्रीव ंग

    (1) पुल्लंग :- पुरुष जाजि का बोध कराने वा े शब्द पुल्लंग कह ािे हैं ; जैसे- दादा, पुत्र, जपिा, शेर, सेठ आजद |

    (2) स्त्रीव ंग :- स्त्री जाजि का बोध कराने वा े शब्द स्त्रीज ंग कह ािे हैं ; जैसे- दादी, पुत्री, मािा, शेरनी, सेठानी आजद |

    व ंग बद ने के प्रमुख वनयम :-

    ई जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग पुत्र - पुत्री ड़का - ड़की

    बकरा - बकरी

    इन जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग सुनार - सुनाररन ुहार - ुहाररन धोबी - धोजबन

    नी जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग ऊँट - ऊँटनी मोर - मोरनी शेर - शेरनी

  • इका जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग जशक्षक - जशजक्षका नायक - नाजयका ेखक - ेल्खका

    आनी जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग

    देवर - देवरानी नौकर - नौकरानी सेठ - सेठानी

    अ को आ करके

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग जिय - जिया छात्र - छात्रा जशष्य - जशष्या

    आइन जोड़कर

    पुल्लंग - स्त्रीव ंग ठाकुर - ठकुराइन पंजडि - पंजडिाइन

    अन्य

    कजव - कवजयत्री सम्राट - सम्राज्ञी जवद्वान् - जवदुषी

    अभ्यास प्रश्न 1. जनम्नज ल्खि वाक्ो ंमें से रेखांजकि शब्दो ंके ज ंग बद कर वाक् को दोबारा ज ल्खए :-

    (क) सम्राट जसंहासन पर बैठे हैं |

    ............................................................................................... ...

    (ख) इस जिल्म में नायक ने अच्छा अजिनय जकया |

  • ..................................................................................................

    (ग) यह कजव बहुि जवद्वान है |

    ..................................................................................................

    (घ) नौकर स्वाजदष्ट खाना बनािा है |

    ..................................................................................................

    (ङ) बाजार में एक जिखारी िीख माँग रहा है |

    ..................................................................................................

    (च) जसंह जंग में रहिा है |

    ..................................................................................................

    (छ) हमारे आचायय जी बहुि अच्छा पढ़ािे हैं |

    ..................................................................................................

  • चित्र – वर्णन

    चिसी चित्र िो देखिर उसमें चनचहत चविारोों िो अपने शब्ोों में प्रसु्तत िरना चित्र वर्णन िहलाता है |

    चित्र – वर्णन चिखने से पूवण चनम्नचिखखत बात ों पर ध्यान देना आवश्यक है :-

    चित्र िा वर्णन िरने से पूवण चित्र िो ध्यानपूवणि देखना िाचहए |

    चित्र िो देखिर जो चविार मन में उभर रहे होों , उन पर सोि-चविार िरना िाचहए |

    चविारोों िो क्रमबद्ध तरीिे से चलखना िाचहए | वाक्य एि – दूसरे से सोंबोंचित होों |

    यचद चित्र में चिसी समस्या िा चित्रर् है तो उसे अचे्छ से पहिानना िाचहए ताचि हम उसिे सोंबोंि

    में चलख सिें |

    चित्र – वर्णन िी भाषा सरल, स्पष्ट और प्रवाहपूर्ण होनी िाचहए |

    प्रश्न – पत्र में दी गई शब् सीमा ( 50 से 60 ) िा ध्यान रखना िाचहए |

    चित्र - वर्णन से िाभ

    चित्र वर्णन से वसु्तओों या दृश्ोों िो परखने िी क्षमता िा चविास होता है |

    चित्र वर्णन से िल्पना शक्ति िा चविास होता है |

    चित्र वर्णन से अपने चविारोों िो एि सूत्र में चपरोिर चलखने िी प्रचतभा िा चविास होता है |

    नीिे चदए गए चित्र क देखकर 50 से 60 शब् ों में वर्णन कीचिए ( व्याकरर् चनपुर् पृष्ठ

    सों.नों. 150 )

  • अऩठित गदमयॊश ऩेड़ - ऩौधों के सयथ भयनव कय अनयठदकयर से घननष्ि सम्फन्ध यहय है | वृऺ ों के बफनय तो भयनव जीवन की कल्ऩनय बी नह ॊ की जय सकती | ऩेड़ - ऩौधे न केवर हभें बोजन की सयभग्री प्रदयन कयत ेहैं ,अपऩत ु वयम ु को शदुध कयके हभयये जीवनदयतय हैं अन्न ,पर ,सब्जजमयॉ आठद हभें वृऺ ों से ह मभरत ेहैं | मठद वृऺ न हो तो हभें शदुध वयम ुन मभरे | वृऺ ह हभें ऑक्सीजन देत ेहैं | मे हभे शीतर छयमय देत ेहैं | प्रकृनत कय श्ृॊगयय ऩषु्ऩ बी इन्ह से प्रयप्त होत ेहैं ऩेड़ - ऩौधे वषया कय आधयय बी हैं | मे ब-ूऺयण को बी योककय भदृय की उऩजयऊ शब्क्त को ऺीण होने से फचयत ेहैं | इभययती रकड़ी बी हभें इन्ह ॊ ऩेड़ -ऩौधों से प्रयप्त होती है | उदमोग - धॊधों के मरए अनेक प्रकयय कय कच्चय सयभयन बी हभें वृऺ ह देत ेहैं | सयथ ह ऩेड़ -ऩौधे ह प्रयकृनतक सयुम्मतय औय वबैव के प्रतीक हैं | दबुयाग्म से आज वृऺ ों की अॊधयधुॊध कटयई की जय यह है , ब्जससे प्रकृनत कय सॊतरुन बफगड़ गमय है औय फयढ़ तथय अन्म प्रकयय की पवऩदयओॊ कय सयभनय कयनय ऩड़तय है | हभययय कताव्म है की अधधक स ेअधधक वृऺ रगयएॉ तथय हये - बये ऩेड़ों को कबी न कयटें | हभें ध्मयन यखनय चयठहए कक ऩेड़ -ऩौधे हभयये जीवन कय आधयय हैं | हषा कय पवषम है कक धचऩको आॊदोरन जैसे कयमाक्रभों के दवययय भनषु्म ने ऩेड़ -ऩौधों की अननमॊबित कटयई कय पवयोध ककमय है |

    प्रश्न - अभ्मयस प्र - 1 ऩेड़ -ऩौधों के सयथ भयनव कय घननष्ि सम्फन्ध कफ से यहय है ?

    प्र - 2 रेखक ने जीवनदयतय ककसे कहय है ?

    प्र - 3 वृऺ ों के प्रनत हभययय कताव्म क्मय है ?

    प्र - 4 हभें वृऺ ों से क्मय मभरतय है ?

    प्र - 5 ऩेड़ - ऩौधे ककसकय प्रतीक हैं ?

  • अनचु्छेद – लेखन

    किसी किषय पर सीकमत शब्दों में अपने किचार किखना ही अनुचे्छद- िेखन है | अनुचे्छद िद िघु कनबोंध भी िहा

    जा सिता है |

    अनुचे्छद लिखने से पूर्व लनम्नलिखखत बात ों पर ध्यान देना आर्श्यक है :-

    अनुचे्छद में मुख्य भाि पर ही समस्त िेखन िें कित हदना चाकहए |

    एि ही अनुचे्छद में उससे सोंबोंकधत सभी कबोंदुओों िी चचाा हदनी चाकहए |

    भाषा सोंकिप्त, भािप्रधान, अर्ापूर्ा और प्रभािदत्पादि हदनी चाकहए |

    सारगकभात ( महत्त्व िी बात ) िेखन िद महत्त्व कदया जाना चाकहए |

    िाक्दों िा परस्पर सोंबोंध हदना चकहए |

    किषय में तारतम्यता ( क्रमबद्धता ) बनी रहनी चाकहए |

    आियश्कता हद तद मुहािरे या िदिदक्ति ( िहाित ) िा प्रयदग िर किषय – िसु्त िद आिषाि और

    रदचि बनाया जा सिता है |

    व्यर्ा िे उदाहरर्दों से बचना चाकहए |

    भाषा िी शुद्धता और शब्दों िे उपयुि चयन िा ध्यान रखना चाकहए |

    प्रश्न – पत्र में दी गई शब् सीमा ( 80 से 100 ) िा ध्यान रखना चाकहए |

    (1) खेि ों का महत्त्व :- ( न टबुक में लिखना है )

    सोंिेत कबोंदु – प्रस्तािना, शारीररि कििास, खेिदों िे प्रिार, किकिध गुर्दों िी प्राक्तप्त, उपसोंहार |

    अभ्यास हेतु

    (2) मेरे आदर्व अध्यापक :-

    सोंिेत कबोंदु – पररचय, आदशा अध्यापि िा व्यक्तित्व, प्रभाि, उपसोंहार |

    (3) प्लाखिक की हालनयााँ :-

    सोंिेत कबोंदु – प्रस्तािना, प्लाक्तिि िा प्रयदग, प्लाक्तिि िे फ़ायदे, प्लाक्तिि से हाकनयााँ, उपसोंहार |

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