चीन की वैश्ववक आर्थिक णनीततिः एशिा, ात...

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चीन की वैवक आथिक रणनीतत एशिया, भारत और वव पर असर * राजद त वयाम सरन अय, विकासशील देश के लए अन संधान और स चना णाली, नई ददली तथा अय, रारीय स रा सलाहकार बोड [email protected] लसध -राजनीततक विचारक, हेफोड मेककं र ने 1904 ही कह दया था आंतररक या िजलतनकासी की विशेषता से पररप णड और सम -शतसे अभेय होने के कारण रेलशया का भीतर, िविक राजनीतका 'के -बंद ' बन कर रहेगाउनका यह मानना था विवि के सबसे बङे भाग पर शासन करना, तनया के ऊपर ि का आधार बनेगा, जो समय और पह के मामले जहाकी लना रेल की ेठता जैसा होगाउहने भवियिाणी की थी भविय अगर और चीन एक साथ आते , तो िसम तनया को मात दे सकते बेशक, थम विवि-के बाद के दन मेककं र को अपने ारंलभक विचार संशोधन करने पर मजब होना पङा. वितीय विवि-के बाद के हालात को देख कर उहने पहले ही यह भांप लया था भविय तनया, संय उतरी अटलांदटक या जसे उहने लमसागर का नाम दया था, और एलशयाई शततय के बीच -राजनीततक से संत लत होगीइसीललए, उहने कहा था - राजनीततक ि के लए महाविपीय और सम , दोन ही आयाम की जरत पङेगी. बाद No. 24 December 2014 No. 36 November 2015

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Page 1: चीन की वैश्ववक आर्थिक णनीततिः एशिा, ात औ वववव प अ · पूर्व ाजदतू व ा न अध्यक्ष,

चीन की वैश्ववक आर्थिक रणनीततिः एशिया, भारत और वववव पर असर*

पूर्व राजदतू वयाम सरन अध्यक्ष, विकासशील देशों के ललए अनुसंधान और सूचना प्रणाली, नई ददल्ली तथा

अध्यक्ष, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड [email protected]

प्रलसद्ध भू-राजनीततक विचारक, हेल्फोर्ड मेककंर्र ने 1904 में ही कह ददया था कक आंतररक

या ध्रिुीय जलतनकासी की विशषेता से पररपूणड और समुद्र-शक्तत से अभेद्य होने के कारण

यूरेलशया का भीतरी क्षेत्र, िैक्विक राजनीतत का 'केन्द्द्र-बबदं'ु बन कर रहेगा। उनका यह मानना था कक विवि के सबसे बङे भूभाग पर शासन करना, दतुनया के ऊपर प्रभुत्ि का आधार बनेगा, जो कक

समय और पहुुँच के मामले में जहाजों की तुलना में रेल की शे्रष्ट्ठता जैसा होगा। उन्द्होंने भविष्ट्यिाणी की थी कक भविष्ट्य में अगर रूस

और चीन एक साथ आते हैं, तो ि ेसमुद्री दतुनया को मात दे सकते हैं। बेशक, प्रथम विवि-युद्ध के

बाद के ददनों में मेककंर्र को अपने प्रारंलभक

विचार में संशोधन करने पर मजबूर होना पङा. द्वितीय विवि-युद्ध के बाद के हालात को देख कर

उन्द्होंने पहले ही यह भांप ललया था कक भविष्य में दतुनया, संयुतत उत्तरी अटलांदटक या क्जस े

उन्द्होंने लमर्लैंर् सागर का नाम ददया था, और

एलशयाई शक्ततयों के बीच भ-ूराजनीततक रूप स े

संतुललत होगी। इसीललए, उन्द्होंने कहा था कक भू-राजनीततक प्रभुत्ि के ललए महाद्विपीय और

समुद्री, दोनों ही आयामों की जरूरत पङेगी. बाद

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के भ-ूराजनीततक विचारक, अल्रेर् महान ने भी यूरेलशया कें दद्रत िैक्विक नजररया पेश ककया, लेककन उनका जोर समुद्री शक्तत पर ज़्यादा था, जो कक पक्वचमी और प्राच्य लसस्टम िाले दोहरे

िैक्विक ढाुँच ेको आपस में जोङता है।

चीन भूगोलीय राजनीतत को बदलना चाहता है

इस पषृ्ट्ठभूलम में, हम इस समय यही देख रहे हैं कक चीन One Belt One Road (OBOR) नामक अपनी पहल के द्धारा महाद्विपीय समुद्री भूरणनीततक क्षेत्र बनाने में व्यस्त है। यह बेल्ट इस भूरणनीततक क्षेत्र के महाद्बबपीय आयाम का प्रदशडन है। यह रेल मागों, भ-ुराजमागों, तेल और गैस पाइप-लाइनों तथा बुतनयादी ढाुँच ेकी अन्द्य पररयोजनाओं का एक नेटिकड है, जो मध्य एलशया और रूस होते हुए Trans-Siberian Railway (रांस-साइबेररयन रेलिे) को जोङती हुई और क़जाकक़स्तान तथा मंगोललया से होकर गुजरने िाली यह लाइन मॉस्को तक जाती है), मध्य चीन के लशयान से लेकर रॉटरर्मै और िेतनस तक फैला हुआ है।

रोर् एक समुद्री आयाम है। चीन के पूिी समुद्री तट से तनकलने िाली ये सङकें कई बंदरगाहों और अन्द्य तटीय बुतनयादी ढाुँचों को एक-दसूरे से जोङती हैं और दक्षक्षण-पूिड एलशया, दक्षक्षण-एलशया, खाङी के देशों, पूिी-अरीक़ा और भू-मध्य सागर तक फैली हुई हैं, जो यूरोप के एथेंस (यनूान), िेतनस (इटली) और रॉटरर्मै (नीदरलैंर्) तथा अरीक़ा के मोम्बासा (कीतनया) में समाप्त होने के कारण एक फंदे की शतल बनाती हैं। बेल्ट और रोर्, दोनों में क्षेत्रीय फंदे और इकाइयाुँ शालमल हैं, जो उभरते हुए पररिहन नेटिकड की पहुुँच में िवृद्ध करती हैं, लेककन महत्िपूणड कें द्रों पर रोर् को बेल्ट से जोङने का काम भी कर रही हैं। इस प्रकार, CPEC अतत-महत्िपूणड इसललए है, तयोंकक ग्िादर बंदरगाह उन बबदंओुं में से एक है, जहाुँ रोर् और बेल्ट एक-दसूरे को काटते हैं। BCIM के द्धारा तनलमडत उपखरं् भारत के ललए लाभकारी है। प्रस्तावित BCIM दक्षक्षणी चीन के युन्द्नान को म्यांमार, बंगलादेश और पूिी भारत से जोङना चाहता है। OBOR का मक़सद केिल भौततक मूलढाुँचा ही तैयार करना नहीं है, बक्ल्क यह तो इस पहल का अलभन्द्न अगं है। चीनी राष्ट्रीय संसाधन और विकास आयोग तथा विदेश मंत्रालय द्धारा इसी साल माचड में घोवषत बेल्ट-रोर् पहल का विजन और ऐतशन प्लान, इस पहल के समग्र औचचत्य को विस्तार से बताता है। उप-प्रधानमंत्री Zhang

बेल्ट और रोड, दोनों में क्षेत्रीय फंदे और इकाइयााँ शाममल हैं, जो उभरते हुए पररिहन नेटिकक की पहुाँच में िवृि करती हैं, लेककन महत्िपूर्क

कें द्रों पर रोड को बेल्ट से जोङने का काम भी कर रही हैं।

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Gaoli (चांग काओली), जो उस उच्च-स्तरीय समूह के प्रमुख भी हैं, क्जसे इस पररयोजना के संचालन की क्जम्मेदारी सौंपी गई है, के शब्दों में इसके उदे्दवय तनम्नललखखत हैैः

- पूरे एलशया महाद्िीप में नीतत समन्द्िय को बढाना,

- व्यापार उदारीकरण, - वित्तीय एकीकरण, और - लोगों से लोगों के बीच संबंधों सदहत

कनेक्तटविटी।

दस्तािेज में OBOR के बारे में कहा गया है कक ‘यह एक व्यिक्स्थत पररयोजना है, क्जसका तनमाडण सभी के दहतों को पूरा करने के ललए बाहमी-परामशड से, संयुतत रूप से होना चादहए और बेल्ट तथा रोर् से जुङे सभी देशों की विकास से संबंचधत रणनीततयों को एकीकृत करने की कोलशश की जानी चादहए।’ अतैः इस पहल को सक्न्द्नदहत भूलम और समुद्री क्षेत्र बनाने के एक साधन के तौर पर देखा जा रहा है, जहाुँ इसमें शालमल देश एक जैसी आचथडक नीततयों को आगे बढाएंगे। इस आचथडक नीतत के अतंगडत व्यापाररक और आचथडक सहयोग से भौततक मूलढांचा तैयार ककया जाएगा। लोगों से लोगों के बीच संबंधों का समािेश यह स्िीकार करना है कक इस महत्िाकांक्षी पहल के तनरंतर कायाडन्द्ियन के ललए सौहादडपूणड राजनीततक िातािरण के तनमाडण में, सॉफ्ट-पािर महत्िपूणड भूलमका तनभाएंगे।

दस्तािेज में आगे कहा गया है कक ‘Multipolar world (बहु-ध्रिुीय दतुनया), आचथडक िैविीकरण, सांस्कृततक विविधता और सूचना प्रौद्योचगकी के विस्ततृ प्रयोग को आगे बढाने के ललए संयुतत रूप से बेल्ट और रोर् के तनमाडण की इस पहल का मक़सद िैक्विक मुतत व्यापार व्यिस्था तथा खलेु क्षेत्रिाद की भािना से खलुी विवि अथडव्यिस्था को बनाए रखना है।’

अतैः OBOR को अमरीका की अगुिाई में, एलशया में बनने िाले दो बङे अततविशषे आचथडक ब्लाक –Trans-Pacific Partnership (TTP) तथा Trans-Atlantic Trade and Investment Partnership (TTIP) – के जिाब की शतल में भी देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, रोर् पूरी तरह उत्तर-पूिी एलशया के ललए है, जबकक बेल्ट यूरोप के ललए. इसीललए, OBOR एक विकल्प पेश करता है और अमरीका द्धारा प्रिततडत आचथडक संरचना के मुक़ाबले शायद

‘OBOR एक व्यिस्थित पररयोजना है, स्जसका ननमाकर् सभी के हहतों को पूरा करने के मलए बाहमी-परामशक से, संयुक्त रूप स ेहोना चाहहए और बेल्ट तिा रोड स ेजुङे सभी देशों की विकास स ेसंबंधित रर्नीनतयों को एकीकृत करने की

कोमशश की जानी चाहहए।’

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चीन की अचधक समािेशी संरचना है। दस्तािेज में ललखा हैैः ‘बेल्ट और रोर् एलशया, यूरोप तथा अरीक़ा के देशों से गुजरती हुई एक लसरे पर जीिंत पूिड-एलशया आचथडक चक्र तथा दसूरे लसरे पर विकलसत यूरोपी आचथडक चक्र को जोङती है और उन देशों पर आधाररत है, जहाुँ आचथडक विकास की अपार संभािनाएं हैं।’

चीन की इन घोषणाओं से स्पष्ट्ट हो जाना चादहए कक िह इस द्विआयामी पहल को अपने भ-ूरणनीततक क्षेत्र को हालसल करने की दीघडकाललक पररयोजना – क्जसके महाद्विपीय और समुद्री, दोनों आयाम हैं – के तौर पर देख रहा है। यह केिल एक आचथडक पहल ही नहीं है। इसके राजनीततक और सुरक्षा से संबंचधत तनदहताथड पूरी तरह स्पष्ट्ट हैं। चीन के रणनीततकार, ककसी भी हालत में आचथडक और सुरक्षा से संबंचधत उदे्दवयों को एक-दसूरे से अलग नहीं करत।े इनमें से हर एक, दसूरे को सशतत करता है, हालांकक आचथडक तत्ि कभी-कभार सुरक्षा से संबंचधत तनदहताथों पर हािी हो जाते हैं।

अपने विजन और विस्ततृ कायड-योजना की व्याख्या के बाद चीन अब अगले चरण के कक्रयान्द्ियन पर ध्यान कें दद्रत कर रहा है, यानी ‘प्रमुख ददशाएं, प्रमुख देश और प्रमुख पररयोजनाएं।’

आर्थिक रणनीतत की िक्ल में OBOR

यहाुँ पर उल्लेखनीय है कक ‘Made in China 2025’ के नाम से चीन की दसूरी सबसे बङी रणनीततक योजना, चीन को ‘दतुनया की फैतरी’ से बदल कर ‘दतुनया की उत्पादक शक्तत’ बनाना चाहती है, जो ‘निीन उत्पादों और उत्पादक प्रकक्रयाओं से पररपूणड’ हों. यह मेर् इन चाइना 2025 OBOR पहल से पूरी तरह मेल खाती है। Bank of China International के CEO, ली िगं ने हाल ही में दािा ककया था कक OBOR ‘चीन को िस्तुओं के कम स्तर पर तनयाडत िाले देश से बङे स्तर पर िस्तुओं, पूंजी तथा तकनीक के तनयाडत िाले देश में बदल देगा।’ OBOR आचथडक रणनीतत का एक दहस्सा है, जो चीन को अपने यहाुँ भारी मात्रा में पङे तैयार माल की समस्या से तनपटने का अिसर प्रदान करेगा। OBOR के कक्रयान्द्ियन में क्जन मूल-ढाुँचों की बङी मात्रा में जरूरत पङेगी, उनमें तनमाडण सामग्री और उत्पादन सहायक सामान प्रमुख हैं। ये दोनों

OBOR आधिकक रर्नीनत का एक हहथसा है, जो चीन को अपने यहााँ भारी मात्रा में पङे तैयार माल की समथया से ननपटने का अिसर

प्रदान करेगा।

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क्षेत्र ऐसे हैं, क्जनकी क्षमताओं को चीन ने अभी बङे पैमाने पर इस्तेमाल नहीं ककया है। इन के्षत्रों में कायडरत कुशल तथा अकुशल श्रलमक भी तनयाडत में उसके ललए प्रोत्साहन का काम करेंगे, तयोंकक चीनी अथडव्यिस्था की धीमी रफ़्तार के कारण इनकी संख्या भी काफी बढी है। इसके अलािा, इस प्रकार के ढांचागत तनिेश में बङी पूंजी की भी आिवयतता पङेगी। OBOR की इस पहल में चीनी नेततृ्ि िाला Asian Infrastructure Investment Bank (पूंजी 100 बबललयन अमरीकी र्ॉलर), BRICS New Development Bank (पूंजी 50 बबललयन अमरीकी र्ॉलर, जो बढ कर 100 बबललयन र्ॉलर तक हो सकती है) और प्रस्तावित शंघाई सहयोग संगठन फाइनेंलसगं संस्था शालमल हैं। इस पहल की पररयोजनाओं को धन मुहैया कराने के ललए 40 बबललयन अमरीकी र्ॉलर के एक समवपडत Silk Road Fund की स्थापना भी की गई है। CPEC पररयोजना, क्जसके अतंगडत 11 बबललयन अमरीकी र्ॉलर की लागत से सङकें , रेलिेज तथा ग्िादर बंदरगाह बनाए जाने हैं, की कुछ हद तक आचथडक सहायता इसी फंर् से की जाएगी। चीनी कारोबारी समाचारपत्र Caixin की एक ररपोटड में कहा गया है कक OBOR पहल की सहायता के ललए चीन अपने पयाडप्त विदेशी मुद्रा भंर्ार से 62 बबललयन अमरीकी र्ॉलर की पूुँजी सरकारी तनयंत्रण िाले ‘पॉललसी बैंकों’ में र्ालेगा। रालश का आधा China

Development Bank को जाएगा, बाक़ी 30 बबललयन अमरीकी र्ॉलर चाइना एक्जजम बैंक को. शषे रालश चीन के कृवष विकास बैंक को लमलेगी. अतैः OBOR के अतंगडत पररयोजनाओं की फंडर्गं के ललए धन की पयाडप्त सप्लाई मौजूद है।

OBOR के पीछे एक प्रमुख कारण चीन के अपेक्षाकृत ग़रीब, पक्वचमी तथा दक्षक्षणी प्रांतों में विकास की गतत को तेज करना है। ख़बरों में आया है कक क्जन प्रांतों को इस पहल के ‘बेल्ट’ िाले भाग से जोङा जाएगा, उनमें ढांचागत और सीमापार पररयोजनाओं के ललए 20 बबललयन अमरीकी र्ॉलर उपलब्ध हैं। इन प्रांतों में ख़ास तौर से, चीन के पवचमी छोर के Sichuan (सछुआन), Gansu (कांसू) तथा Qinghai (नछंगहाय), और दक्षक्षणी छोर का Yunnan (युन्द्नान) शालमल हैं। इसीललए, Chongqing (छोंगनछंग) को रेल लाइन गललयारा की एक शाखा के प्रस्थान बबदं ुके तौर पर विकलसत ककया जा रहा है, जो इसे जमडन शहर Duisburg (रु्इसबगड) से जोङेगा। (दसूरा रेट कोररर्ोर Beijing (पेईचचगं) को बंदरगाह शहर हैमबगड से जोङेगा, जबकक तीसरा कोररर्ोर Wuhan (ऊहान) को युरोप के

OBOR के पीछे एक प्रमुख कारर् चीन के अपेक्षाकृत ग़रीब, पस्चचमी तिा दक्षक्षर्ी प्रांतों में विकास की

गनत को तेज़ करना है।

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ककसी स्टेशन से जोङने के ललए प्रस्तावित है, लेककन अभी इसकी पहचान नहीं हुई है।)

यह साफ ददखाई दे रहा है कक चीन ने अपनी इस पहल के यूरेलशयाई दहस्से में रूस को सहभागी बनाने में सफलता हालसल की है। इस प्रकार उसने मॉस्को के इस संदेह को दरू कर ददया है कक चीन, जो उसका ‘तनकट पङोसी’ है, रूस को ककनारे लगाने में व्यस्त है। चीन ने OBOR को रूसी नेततृ्ि िाली यूरेलशया आचथडक यूतनयन (EEU, क्जसमें रूस, आमीतनया, बेलारूस, क़जाकक़स्तान तथा ककरचगस्तान शालमल हैं) और Shanghai Cooperation Organization के साथ जोङने की कोलशश की है। एक रूसी बयान में यह कहते हुए इस पहल का स्िागत ककया गया है कक साइबेररया, क़जाकक़स्तान, मध्य एलशया तथा चीन के पक्वचमी प्रांत, ‘Eurasia के प्राकृततक कें द्र हैं’। वपछले SCO लशखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपतत शी धचनवपगं ने कहा था कक उनका देश इस भूभाग में 4000 ककलोमीटर रेलिे लाइन बबछाने तथा 10,000 ककलोमीटर हाइिे

बनाने पर जोर देगा और यह कक, मध्य एलशया की पररयोजनाओं के ललए मसल्क रोड कोष (Silk Road Fund) से 16 बबललयन अमरीकी र्ॉलर जारी ककये जाएंगे। रूस और चीन को जोङने िाली दो प्रमुख ऊजाड पररयोजनाएं हैं। पहली, 400 लमललयन अमरीकी र्ॉलर िाली बहुचचचडत ‘Power of Siberia’ पाइपलाइन तथा दसूरी, पक्वचमी साइबेररया को चीन से जोङने िाली अल्ताई गैस पाइपलाइन है। मगर, ऐसी ररपोटें भी आई हैं कक चीन ने जो फंर् देने का िादा ककया था, उसमें कमी की िजह से इन पररयोजनाओं में देरी हो सकती है। OBOR के एक महत्िपूणड पहलू को यहाुँ उजागर करना जरूरी है, तयोंकक अभी उस पर ज़्यादा ध्यान नहीं ददया गया है। यह बेल्ट और रोर् का यूरोपी अगं है, जो कक चीन द्धारा यूरेलशया के पूिी तथा पक्वचमी, दोनों भागों में अपना प्रभाि बढाने के ललए जरूरी है. इसके ललए चीन ने बहुत सािधानी स ेभू-गललयारे में बुतनयादी कें द्रों और समुद्री गललयारे में टलमडनल कें द्रों को चनुा है। उदाहरण के तौर पर, रांस-साइबेररयन ललकं में Hungary (हंगरी) का चनुाि मुख्य लॉक्जक्स्टतस हब के तौर पर ककया गया है। यह यूरोप में चीनी तनयाडतों के ललए वितरण बबदं ुतथा यूरोपी आयातों के ललए संग्रह बबदं ुका काम कर सकते हैं।

चीन ने OBOR को रूसी नेततृ्ि िाली EEU, स्जसमें रूस,

आमीननया, बेलारूस, क़ज़ाकक़थतान तिा ककरधगथतान शाममल हैं और SCO के साि जोङने की कोमशश

की है।

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चीन ने Greece के आचथडक संकट का लाभ उठाते हुए, ख़दु को पायररयस (एथेंस) के सामररक बंदरगाह पर स्थावपत करने की कोलशश की है। चीनी जहाज़रानी कंपनी, कॉस्को, को इस बंदरगाह के विस्तार तथा यहाुँ दो आधतुनक कंटेनर टलमडनल बनाने के ललए 35 िषड की छूट दी गई है। िह इस बंदरगाह में यूनानी सरकार के 67 प्रततशत दहस्से को भी प्राप्त करने की कोलशश करेगा, जब बंदरगाह को पूरी तरह प्राइिेटाइज ककया जाएगा। यूनानी लशवपगं टनभार दतुनया के सबसे बङे टनभारों में से एक है और यूनानी लशवपगं लाइन के अचधकतर जहाज चीन द्धारा तनलमडत हैं, जो कक जहाज-तनमाडण के उद्योग में दतुनया का सबसे बङा देश है। अतैः पायररयस यूरोप के साथ चीनी कारोबार के ललए एक बङे लॉक्जक्स्टतस हब के तौर पर काम करेगा। चीन भूलम समुद्र (Land-Sea) एतसप्रेस की योजना बना रहा है, जो पायररयस को यूरोप के प्रमुख कें द्रों से जोङेगा। पायररयस से पक्वचमी यूरोप तक तेज रफ़्तार रेल लाइन बनाने के ललए 2.5 बबललयन अमरीकी र्ॉलर की एक पररयोजना शुरू की गई है। यूरोप का दसूरा बङा स्टेशन रॉटरर्मै का र्च बंदरगाह है, जो कक पूरे महाद्िीप का एक महत्तिपूणड कागो हब है। पाककस्तान के ग्िादर की तरह ही रॉटरर्मै एक ऐसा बबदं ुहै, जहाुँ भूलम और समुद्री गललयारों के बेल्ट तथा रोर् आपस में लमलते हैं। इसे भी चीन-यूरोप व्यापार के बङे लॉक्जक्स्टतस सेंटर के

तौर पर पेश ककया जा रहा है. तीसरा स्टेशन (टलमडनल) जमडनी का हैमबगड है। पायररयस तथा रॉटरर्मै के अलािा, चीन ने तीन और बङे लॉक्जक्स्टतस और रांसपोटड हब बनाए हैं, एक यूनाइटेर् ककंगर्म (UK) के विगान (मैंचसे्टर) में तथा दो और लशफोल एयरपोटड, एम्सटरर्म, नीदरलैंर् में। आखख़री िाला, रॉटरर्मै के क़रीबी बंदरगाह को जोङेगा।

हाल ही में, प्रधानमंत्री Li Keqiang (ली खैःतछयांग) की ब्रसेल्स यात्रा के दौरान चीन ने घोषणा की थी कक िह यूरोप के नए इन्द्रास्रकचर में तनिेश करने के ललए तैयार है। सामररक तनिेश के ललए यह जंकर प्रायोक्जत 315 बबललयन यूरो के यूरोपी फंर् से आचथडक सहायता प्राप्त कर सकता है। अगर चीन OBOR के उदे्दवयों को पूरा करने िाली पररयोजनाओं में तनिेश करता है, तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होनी चादहए। OBOR पररयोजना में डर्क्जटल लसल्क रोर् और साइबर स्पेस में लसल्क रोर् भी शालमल हैं। एक सहायक इंटरनेट प्लस प्लान का

प्रिानमंत्री Li Keqiang (ली खःनछयांग) की ब्रसेल्स यात्रा के दौरान चीन न ेघोषर्ा की िी कक िह यूरोप के नए इन्फ्राथरकचर में ननिेश करने के मलए तैयार है।

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प्रस्ताि भी है, जो OBOR देशों को सुपरफॉस्ट ब्रॉर्बैंर् नेटिकड से जोङेगा। चीन OBOR देशों में वित्तीय एकीकरण के विस्तार को भी अहलमयत देता है। िह यह काम संस्थाओं (जैसे AIIB (Asian Infrastructure Development Bank) तथा NDB (New Development Bank) की स्थापना और भारी रक़म लगा कर, दोनों ही तरीक़ों से करना चाहता है।

Wigan लॉक्जक्स्टतस हब के अततररतत लंदन, युआन बांर् की शुरूआत के ललए चीन का पसंदीदा कें द्र बन चकुा है। चीन ने बब्रदटश राजधानी में ररयल एस्टेट के पुनविडकास में तनिेश ककया है, साथ ही िह दहकंले के प्रस्तावित प्रमाणु ऊजाड स्टेशन के ललए 3 बबललयन अमरीकी र्ालर का इंतेजाम भी करेगा। बब्रटेन के बहुत से बैंकों को चीन में काम करने के ललए लाइसेंस जारी ककये गए हैं। बब्रटेन की इस पहल से प्रेररत होकर रैं कफटड और पेररस जैसे यूरोप के अन्द्य वित्तीय कें द्र भी इस प्रततस्पधाड में शालमल होना चाहते हैं। इस प्रकार, चीन का मानना

है कक यूरोप एक पररष्ट्कृत वित्तीय नेटिकड स्थावपत करने में उसकी मदद करेगा, क्जसके नतीजे में महत्िाकांक्षी भौततक नेटिकड तैयार होगा, जो यूरेलशया को आपस में जोङेगा। यह पहलू इसललए महत्िपूणड है, तयोंकक यह उस रांस-अटलांदटक गठबंधन को तोङ सकता है, या शायद पहले ही तोङ चकुा है, जो शीत युद्ध के अतं से ही भू-राजनीतत की क्स्थर और पूिडकथनीय विशषेता रहा है। अमरीका के विरोध के बािजूद, AIIB में शालमल होने के ललए बब्रटेन द्धारा तत्परता ददखाना और कफर यूरोपीय ताकतों द्धारा भी ऐसा ही ककया जाना, इस उभरते हुए रूझान का स्पष्ट्ट संकेत है। TTIP को हक़ीक़त का रूप देने में क्जतनी देरी होगी, चीन को अपने यूरेलशयाई प्रोजेतट को सफल बनाने का उतना ही मौक़ा लमलेगा। भारत के ववकल्प

सॉल बनडहार्ड कोहन ने अपनी पुस्तक Geopolitics में, उभरते हुए भू-राजनीततक पररदृष्ट्य का विवलेषण करते हुए बताया है कक इस शताब्दी में तीन रणनीततक क्षेत्रों का उदय होगा। पहला है उत्तरी अटलांदटक तथा उत्तरी पैलसकफक बेलसन में अमरीकी प्रभुत्ि िाली समुद्री दतुनया। दसूरा है समुद्री यूरोप, जो यूरोपी यूतनयन के चारों ओर संगदठत है। और, तीसरा है महाद्िीपीय एलशया भू-

चीन OBOR देशों में वित्तीय एकीकरर् के विथतार को भी

अहममयत देता है। िह यह काम संथिाओं (जैसे AIIB तिा NDB की थिापना और भारी रक़म लगा कर, दोनों ही तरीक़ों से करना चाहता है।

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रणनीततक क्षेत्र, क्जसमें यूरेलशया के सभी देश शालमल हैं तथा रूस क्जसका असली कें द्र है। लेककन, जैसा कक पहले कहा गया, चीन एक अलग महाद्विपीय क्षेत्र बन कर उभरा है, क्जसकी िजह से मध्य एलशया में रूस तथा उत्तरी पैलसकफक में अमरीका का स्थान कम हुआ है। US को अमरीकी गोलाद्धड तक ही सीलमत रखने के ललए, एक तरफ रूस तथा दसूरी तरफ यूरोप से तालमेल बढाने की कोलशशें शुरू हो चकुी हैं। इस मंसूबे के दरूगामी प्रभाि पङ सकते हैं, तयोंकक चीन अगर ओबीओआर में तनदहत िैक्विक रणनीतत में सफल हो जाता है, तो भारत भूलम तथा समुद्री एलशया, दोनों में ही हालशये पर चला जाएगा, या कफर मजबूरी से या पसंद से चीनी प्रभुत्ि िाले नेटिकड (क्जसे भारत के विदेश सचचि, एस जयशंकर नई दतुनया की ‘hard-wiring’ कहते हैं) का अधीनस्थ घटक बन जाएगा। मजेदार बात यह है कक, कोहन ने एक ऐसे समय की पररकल्पना की है, जब चीन की तरह भारत भी महाद्विपीय/समुद्री भूरणनीततक क्षेत्र की स्थापना कर सकेगा। िह यह काम दहदं महासागर के पूिी तथा पक्वचमी ककनारों और भारत से जुङे तथा यूरेलशया के दक्षक्षण में क्स्थत उपमहाद्विपीय भूभाग पर अपना प्रभुत्ि क़ायम करके करेगा। अगर भारत ऐसा करने में सफल हो गया, तो उसे अपने दरिाजे पर ही पूरी

आजादी के साथ, चीनी भूरणनीततक क्षेत्र की चनुौती का जिाब देने का अिसर प्राप्त हो जाएगा। चीन के साथ मुक़ाबला करने तथा उसे पीछे ढकेलने की अगर ककसी देश में क्षमता है, तो िह केिल भारत है. ितडमान विषमताएं ककसी से छुपी हुई नहीं हैं। इस दीघडकाललक उदे्दवय को प्राप्त करने के ललए भारत को तया करना चादहए, यह भी सबको मालूम है।

कफलहाल भारत के पास न तो साधन हैं, न ही उसके पास ऐसी कोई राजनीततक तथा आचथडक शक्तत है, क्जसके दम पर िह विविस्तरीय प्रततयोगी और िैकक्ल्पक connectivity network तैयार कर सके। इसी ललए, यह ज़्यादा उचचत होगा कक OBOR के उन घटकों का ध्यानपूिडक मूल्यांकन ककया जाए, जो सही मायनों में बङे बाजारों तथा संसाधन सप्लाई करने िाले देशों तक ख़दु भारत की कनेक्तटविटी को बेहतर कर सकें तथा इसमें उसी तरह साझदेार बनें, जैसा कक उन्द्होंने AIIB और NDB के साथ ककया है। उदाहरण के तौर

क़िलहाल भारत के पास न तो सािन हैं, न ही उसके पास ऐसी कोई राजनीनतक तिा आधिकक शस्क्त है, स्जसके दम पर िह विचिथतरीय प्रनतयोगी और

िैकस्ल्पक connectivity network तैयार कर सके।

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पर, ईरान से होकर तथा उसकी चाहबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करते हुए मध्य एलशया तक रोर्/रेल ललकं बनाया जाए, उसके बाद मध्य एलशया और रूस के साथ-साथ यूरोप तक पहुुँचने के ललए चीन ने जो रास्ते बनाए हैं, उनका प्रयोग ककया जाए।

भारत के ललए यह भी महत्िपूणड हो सकता है कक िह अपने सीलमत साधनों का उपयोग करते हुए दहदं महासागर में बंदरगाहों का एक जाल बनाए, जो राजमागों और रेल लाइनों से जुङे हों, ठीक उसी तरह जैसा हमें योजनाबद्ध मेकांग-गंगा कोररर्ोर तथा लसतिे-लमजोरम मल्टी मॉर्ल रांस्पोटड कोररर्ोर में देखने को लमलता है। श्रीलंका के पूिी तट, बत्रकंोमाली में गहरे पानी में बंदरगाह बनाकर उसे उजाड तथा रांसपोटड का बङा कें द्र बनाने की योजना काफी लंबे समय से विचाराधीन है। और इस चतेािनी भरे संदेश के बािजूद

कक चीन दक्षक्षणी श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह बना रहा है तथा कोलंबो बंदरगाह को विस्तार दे रहा है, इंडर्यन ऑयल द्धारा बत्रकंोमाली में क्स्थत टैंक फॉमड को अपने कंरोल में लेने के बाद से अभी तक िहाुँ भारत की तरफ से कोई काम नहीं हुआ है। अरं्मान तथा तनकोबार द्िीप बंगाल की खाङी के बीचों बीच क्स्थत हैं, क्जनका विकास तटीय तथा उनसे आगे के राज्यों के ललए क्षेत्रीय लशवपगं हब के तौर पर ककया जा सकता है। लेककन, इन द्िीपों के साथ दरूिती स्थान जैसा ही व्यिहार ककया जा रहा है बजाय इसके कक उनसे एक अतत-महत्तिपूणड समुद्री क्षेत्र के मध्य में क्स्थत स्थान के तौर पर लाभ उठाया जाता। इस बात की काफी चचाड रही कक भारत दहदं महासागर के चारों तरफ क्स्थत तथा मानसून हिाओं से जुङे हुए सभी देशों को आपस में जोङने के ललए स्पाइस रूट, कॉटन रूट और मौसम पररयोजना शुरू कर रहा है। भारत के ललए चीनी OBOR के जिाब में अपने सीलमत साधनों को इन पररयोजनाओं पर लगाने से बेहतर यही होगा कक िह अपने अतत-महत्िपूणड स्थानों की रक्षा के ललए नजदीकी समुद्रों तथा द्िीपों के आस-पास मौजूद उन रास्तों और बंदरगाहों पर ध्यान दे, जो संख्या में तो थोङे हैं, लेककन रणनीततक रूप से महत्िपूणड हैं। संक्षक्षप्त में अगर कहा जाए, तो पहली प्राथलमकता होगी बंगाल बेलसन की खाङी के

भारत के मलए चीनी OBOR के जिाब में अपने सीममत सािनों को इन पररयोजनाओ ंपर लगाने से बेहतर यही होगा कक िह अपने

अनत-महत्िपूर्क थिानों की रक्षा के मलए नज़दीकी समुद्रों तिा द्िीपों

के आस-पास मौजूद उन राथतों और बंदरगाहों पर ध्यान दे, जो संख्या में तो िोङे हैं, लेककन रर्नीनतक

रूप से महत्िपूर्क हैं।

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ललए अपने अरं्मान तथा तनकोबार द्िीपों को आधतुनक रांसपोटड और लशवपगं हब के तौर पर विकलसत करना। उसके बाद दसूरी प्राथलमकता होगी पक्वचम में चाहबहार से मध्य एलशया तक रोर्/रेल ललकं बनाना; बत्रकंोमाली से पूिड, बंगाल की खाङी तथा आगे के तटीय बंदरगाहों तक लशवपगं ललकं; भारत के पूिी सादहल को जोङने िाला मेकांग-गंगा कोररर्ोर; और लसतिे बदरगाह सदहत म्यांमार के रखखन प्रांत में कालादान Multi-modal Transport Corridor (मल्टी-मॉर्ल रांसपोटड कोररर्ोर)। और क़िर प्रस्तावित BCIM कोररर्ोर इस व्यापक नेटिकड का भाग बन सकता है। यह प्राथलमक चक्र जैसे ही तैयार हो जाए और हमें संसाधन उपलब्ध हो जाएं, हम धीरे-धीरे इस चक्र को और बङा कर सकते हैं। यहाुँ पर ग़ौर करने िाली बात यह है कक इस 21िीं शताब्दी में रणनीतत, सुरक्षा और

अथडशास्त्र साथ-साथ चल रहे हैं। आचथडक तथा व्यापाररक ररवतों का घना जाल बनाना अपने आप में सुरक्षा की गारंटी है। यह कहना सही है कक चीन ने OBOR पहल के कक्रयान्द्ियन में महत्िाकांक्षा और कल्पना का एक स्तर ददखाया है, भारत के राष्ट्रीय कायों में क्जसका हमेशा अभाि रहता है। भारतीय विद्िानों और नीतत तनमाडताओं को OBOR जैसे मुद्दों, क्जनका भारत के प्रमुख दहतों पर बङा असर पङेगा, पर सामररक दृक्ष्ट्ट से सोचना और काम करना चादहए। *चीनी अध्ययन संथिान, हदल्ली, अनंत सेंटर तिा इंडडया इंटरनेशनल सेंटर िारा 30 मसतंबर 2015 को आयोस्जत ‘चीन संगोष्ठी’ में हदये गए व्याख्यान का अनुिाद।

The views expressed here are those of the author and not necessarily of the Institute of Chinese Studies.

The ICS is an interdisciplinary research institution which has a leadership role in promoting Chinese and East Asian Studies in India. The ICS Analysis aims to provide informed and balanced inputs in policy formulation based on extensive interactions

among wide community of scholars, experts, diplomats and military personnel.

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PUBLICATIONS

A short brief on a topic of Contemporary interest with policy-related inputs.

Platform for ongoing research of the ICS faculty and associates.

Authored by the faculty, also emerging from research projects and international conferences.

In draft form and are works-in-progress.

No. 35 | Oct 2015 What does China’s global economic strategy mean for Asia, India and the

World? No. 34 | Sept 2015 नरेंद्र मोदी के पहल ेसाल में भारत की चीन-नीनत का आाँकलन

No. 33 | Aug 2015 China’s Role in Afghan-Taliban Peace Talks: Afghan Perspectives

No. 32 | Aug 2015 India’s Myanmar Strike: The China Factor

No. 31 | July 2015 Deconstructing the Shanghai Stock Exchange Crash

No. 30 | May 2015 China and Vietnam: Neither Thick Friends nor Constant Antagonists No. 29 | Mar 2015 Applying the ‘Going Out’ Strategy: Chinese Provinces and Cities Engage

India No. 28 | Mar 2015 China, the Debt Trap and the Future Prospects for its Economy No. 27 | Feb 2015 Will he or Won’t he? Recent Sino-Tibetan Exchanges over the Dalai Lama’s

Reincarnation No. 26 | Jan 2015 China-Sri Lanka Ties Post-Rajapaksa: Major Changes Unlikely No. 25 | Jan 2015 Chinese Combat Troops Join UN Peacekeeping Operations in South Sudan:

A New Beginning? No. 24 | Dec 2014 China’s ‘Going Out’ Policy: Sub-National Economic Trajectories No. 23 | Dec 2014 The Ebola Crisis: Responses from India and China No. 22 | Nov 2014 18th CPC Central Committee Fourth Plenum: Rule of Law with Chinese

Characteristics No. 21 | Nov 2014 The New BRICS Development Bank and the Aid Architecture

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In its 51st year of publication, China Report is a quarterly referred journal in the

field of social sciences and international relations. It welcomes and offers a platform for original research from a multi-disciplinary perspective in new emerging areas by scholars and research students. China Report is brought out by Sage Publications Ltd, New Delhi. Editor Madhavi Thampi Assistant Editor Jabin T. Jacob Book Review Kishan S. Rana

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