अदी अबाबा विश्वविद्यालय में भारत के...

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अदीस अबाबा विविालय भारत के रापवत, राम नाथ कोविद का संबोधन अदीस अबाबा, इवथयोवपया : 6 अू बर, 2017 मुझे इवथयोवपया कᳱ बत सफल और अयंत भािपूण याा के अंवतम आयोजन के ऱप इस समापन समारोह आपके बीच उपवथथत होकर अयत खुशी हो रही है। मने अभी लगभग दो महीने पहले ही भारत के रापवत के ऱप पद ᳰकया है। जब मेरी पहली सरकारी याा का कायणम तैयार ᳰकया जा रहा था तो मने सोचा ᳰक यह याा अᳱका महाीप कᳱ होनी चावहए, जो हमेशा से भारतीय विदेश नीवत और िथति भारतीय वचतन के के र रहा है। आवखरकार इसी महाीप हमारे रावपता महामा गांधी ने सय और थितंता का अपना वमशन शुऱ ᳰकया था। मेरी पहली याा के महिपूण देश के ऱप इवथयोवपया का चुनाि हम भारतीय ारा आपके देश

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अदीस अबाबा विश्वविद्यालय में भारत के राष्ट्रपवत, श्री

राम नाथ कोविन्द का संबोधन

अदीस अबाबा, इवथयोवपया : 6 अकू्तबर, 2017

मुझे इवथयोवपया की बहुत सफल और अत्यंत

भािपूर्ण यात्रा के अंवतम आयोजन के रूप में इस

समापन समारोह में आपके बीच उपवथथत होकर

अत्यन्त खुशी हो रही ह।ै मैंने अभी लगभग दो महीन े

पहल ेही भारत के राष्ट्रपवत के रूप में पद ग्रहर् ककया

ह।ै जब मेरी पहली सरकारी यात्रा का कायणक्रम तैयार

ककया जा रहा था तो मैंने सोचा कक यह यात्रा अफ्रीका

महाद्वीप की होनी चावहए, जो हमेशा से भारतीय

विदशे नीवत और िाथति में भारतीय वचन्तन के केन्र

में रहा ह।ै आवखरकार इसी महाद्वीप में हमारे राष्ट्रवपता

महात्मा गांधी ने सत्य और थितंत्रता का अपना वमशन

शुरू ककया था।

मेरी पहली यात्रा के महत्िपूर्ण दशे के रूप में

इवथयोवपया का चुनाि हम भारतीयों द्वारा आपके दशे

और विश्व संथथाओं में नेतृत्िकारी भूवमका को कदए जा

रह े महत्ि का ही नहीं बवकक 2000 िर्ण पहल ेकी

हमारी उस पक्की मैत्री का प्रवतवबम्ब ह ैजब हमारे दशेों,

या कहें कक हमारी सभ्यताओं के बीच व्यापार शुरू हुआ

था।

मैं चाय के दशे से कॉफी के इस दशे में एक

तीथणयात्री के रूप में आया ह।ं एक यात्रा के तौर पर,

पुरान े वमत्रों की यह मुलाकात एकदम बक़िया रही ह।ै

आपके दशे का और आपकी सरकार का आवतथ्य

जबरदथत रहा ह।ै आज इवथयोवपया के सबसे पुराने,

1950 से काम करते आ रह े इस विख्यात

विश्वविद्यालय में आना मेरा और भी बडा सौभाग्य ह।ै

इस भािात्मकता को ब़िाने िाली दसूरी बात यह ह ैकक

हम अपने जमाने के एक नायक और अनेक मायनों में

अफ्रीका के गाधंी नेलसन मंडेला के नाम पर वनर्मणत

इस हॉल में उपवथथत हैं। ऐसा प्रतीत होता ह ैकक आज

इवतहास के दो महापुरुर्ों का आशीिाणद हमारे साथ ह।ै

इवथयोवपया और भारत दोनों के बीच हहदं

महासागर ह।ै हम इससे बंटे हुए भी हैं और जुडे हुए भी

हैं। सकदयों तक, यावत्रयों न ेइवथयोवपया और भारत के

बीच हहदं महासागर को पार ककया ह ै और सोने ि

हाथी दांत से लेकर मसालों और और्वधयों तक अनेक

ककथम की िथतुओं का व्यापार ककया ह।ै तथावप जो

सबसे महत्िपूर्ण िथत ुिे इस विराट समुर के आर-पार

ले गए, िह िथतु ह ैज्ञान। यह ज्ञान वशक्षा के जररए

पोवर्त हुआ ह।ै और इस ज्ञान से ही, ऐसे वसद्ांतों और

मूकयों का वनमाणर् हुआ वजनको हमारे दशे एक-दसूरे के

साथ साझा करते हैं। इवथयोवपया-भारत साझेदारी

सचमुच विचारों का एक संगम रहा ह।ै

इवथयोवपया के साथ भारत के संबंधों का आधार

रहा ह ै वशक्षा में सहयोग। जब इवथयोवपया न ेअपने

वशक्षा क्षेत्र के विथतार के प्रयास शुरू ककए थे तो यहां के

प्राथवमक और माध्यवमक थकूलों में प़िान े के वलए

भारतीय वशक्षकों आमंवत्रत ककया गया था। उन

अगुिाकारों ने दशे के सुदरू भागों की यात्राए ंकीं, बच्चों

में जीिन-मूकय और आदशण संचाररत ककए तथा अपना

संपूर्ण जीिन वशक्षर् के नेक काम में लगा कदया।

मैं समझता ह ंकक उनमें से कुछ लोग अब भी यहीं

रह रह ेहैं और इनमे से कुछ वशक्षक आज हमारे बीच

मौजूद भी हैं। मुझे यह भी बताया गया ह ै कक ककसी

भारतीय वशक्षक द्वारा प़िाए गए लगभग प्रत्येक

इवथयोवपयाई के पास साझा करने के वलए अपने

विकास-कालीन िर्ों की मधुर थमृवतयां मौजूद हैं और

भारत का वजक्र करते ही िे मुथकुरा उठते हैं। मैं इन

वशक्षकों की, उनके प्रयासों के वलए सराहना करता ह।ं

उन्होंन े हम दोनों दशेों की उकलेखनीय सेिा की ह।ै

उनके वलए हमारा धन्यिाद मात्र पयाणप्त नहीं ह।ै

जो काम, प्राथवमक थकूल में भारतीय वशक्षकों द्वारा

शुरू ककया गया था, िह हाल ही में, उच्च वशक्षा में आगे

ब़िाया गया ह।ै भारतीय प्रोफेसरों को समूचे

इवथयोवपया के विवभन्न विश्वविद्यालयों में नौकररया ं

दी गई हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई ह ैकक 2000 से

ज्यादा भारतीय संकाय सदथय मानविकी और समाज

विज्ञान, इंजीवनयरी, कारोबार प्रबंधन और वचककत्सा

जैसे विविध क्षेत्रों के तहत इवथयोवपयाई

विश्वविद्यालयों में अध्यापन और शैवक्षक अनुसंधान में

योगदान द ेरह ेहैं।

भारतीय वशक्षाविद ्इवथयोवपयाई विश्वविद्यालयों

में सबसे बडे और सबसे महत्िपूर्ण प्रिासी अध्यापन

समुदायों में शावमल हैं। हमें गिण ह ैकक िे हमारे शैवक्षक

समुदायों के बीच सेत ुके रूप में कायण करते हैं। उन्होंन े

दोनों दशेों के विश्वविद्यालयों और शैवक्षक संथथानों के

बीच संपकण और शोध सहयोग को प्रोत्साहन कदया ह।ै

हम सभी को चावहए कक ऐसे प्रयासों को ब़िािा दें।

मैं इस बात पर भी जोर दनेा चाहगंा कक वशक्षा का

असली लक्ष्य ह ैअच्छा इन्सान बनाना। यकद आप एक

अच्छे इन्सान हैं तो आप चाह ेजहां भी पदथथ हों और

चाह ेकुछ भी कर रह ेहों, आप हमेशा प्रत्यके मनुष्य के

जीिन की मूल-भूत अच्छाई में विश्वास करेंगे। यकद

आप वशक्षक हैं तो आप एक अच्छा वशक्षक बनेंगे। यकद

आप प्रशासक हैं तो आप एक अच्छा प्रशासक बनेंगे।

यकद आप डॉक्टर हैं तो आप एक अच्छा डॉक्टर बनेंगे।

वशक्षा का सार यही ह।ै

वमत्रो,

वजस प्रकार भारतीय वशक्षकों ने इवथयोवपयाई

संथथानों में योगदान कदया ह,ै उसी प्रकार इवथयोवपया

के विद्यार्थणयों की वनरंतर हो रह ेआगमन से भारतीय

विश्वविद्यालयों के सांथकृवतक पररदशृ्य और शोधिृवि

में वनखार आया ह।ै िहां से आकर इन विद्यार्थणयों न,े

भारत के विशेर् वमत्र बन े रहत ेहुए अपनी वडवग्रयों

और अपनी ज्ञान-संपदा से अपने दशे में योगदान कदया

ह।ै हमारे वलए यह प्रसन्नता का विर्य ह ैकक भारतीय

वशक्षा संथथानों के पूिण विद्याथी इस दशे के उच्च पदों पर

आसीन हैं। मुझे ज्ञात ह ैकक इस सूची में इवथयोवपया की

प्रथम मवहला और कैवबनेट के कम से कम नौ मंत्री

शावमल हैं।

भारतीय पररसरों में इवथयोवपयाई विद्यार्थणयों के

सराहनीय और थिागत योग्य आगमन की जडें 1969

में इवथयोवपया में शुरू ककए गए और ‘आईटीईसी’

(आईटैक) के रूप में लोकवप्रय ‘इंवडयन टेक्नीकल एंड

इकॉनोवमक कोऑपरेशन प्रोग्राम’ में दखेी जा सकती ह।ै

बाद में, इस अग्रर्ी प्रवशक्षर् कायणक्रम के साथ अनेक

दसूरी योजनाएं जोडी गई हैं।

प्रत्येक िर्ण भारत अपन े अफ्रीकी छात्रिृवि

कायणक्रमों के भाग के रूप में सैकडों इवथयोवपयाई

विद्यार्थणयों का अपने यहां थिागत करता ह।ै िे शोध

करन ेया उच्च वडग्री प्राप्त करने के वलए पूरी तरह से

विि-पोवर्त छात्रिृवियों पर भारत आते हैं। मुझे

बताया गया ह ैकक प्रवतकदन औसतन एक इवथयोवपयाई

व्यवक्त हिाई उडान से इन छात्रिृवि और प्रवशक्षर्

अिसरों का लाभ उठाने के वलए भारत आता ह।ै दो

उभरती हुई अथणव्यिथथाओं के बीच सहयोग का यह

श्रेष्ठ उदाहरर् ह।ै

इसके अवतररक्त, इवथयोवपया सवहत अफ्रीकी दशेों

और भारत के बीच शैवक्षक और क्षमता वनमाणर् सहयोग

की एक उपलवधध पैन अफ्रीकन ई-नेटिकण पररयोजना

ह।ै इसे 2009 में इसी शहर में सृवजत ककया गया था।

आठ िर्ण पहले, अदीस अबाबा में वनर्मणत यह

पररयोजना अफ्रीका के 48 दशेों को भारत से जोड़़ती

ह।ै

इस नेटिकण के माध्यम से भारत के पांच प्रवतवष्ठत

विश्वविद्यालयों से दरू-वचककत्सा सेिाओं सवहत दरू-

वशक्षा सेिाए ं प्रदान की जाती हैं। इसके प्रचालन के

प्रथम चरर् में, तकरीबन 7000 विद्यार्थणयों न े

भारतीय विश्वविद्यालयों से स्नातकोिर, स्नातक-पूिण

और वडप्लोमा सर्टणकफकेट पाठ्यक्रम पूरे ककए। भारत

सरकार अफ्रीका भर में विद्यार्थणयों को ऑन लाइन

कोसण उपलधध कराने के विचार से इस ढांचे को उन्नत

और व्यापक बना रही ह।ै

वमत्रो,

हमारी जनसांवख्यकी रूप-रेखाओं के अनुसार

इवथयोवपया और भारत दोनों युिा दशे हैं; भारत की

65 प्रवतशत जनसंख्या 35 िर्ण की आयु से कम की ह;ै

और इवथयोवपया की 64 प्रवतशत जनता 25 िर्ण से

कम ह।ै हमारे सामने एक जैसी चुनौवतयां हैं। ये

चुनौवतया,ं इन युिाओं की उम्मीदों के अनुसार

नौकररया ंऔर रोजगार अिसर प्राप्त करने की क्षमता

के विकास, जल और जलिायु पररितणन की गंभीर

हचंताओं के साथ विकास और प्रगवत के संतुलन की

समझदारी तथा थिच्छ ि निीकरर्ीय ऊजाण में

रोमांचक कामयावबयों सवहत 21िीं शताधदी की

अथणव्यिथथा में थपद्ाण के वलए हमारे युिाओं और

विद्यार्थणयों को वशक्षा और कौशल से सुसवित करने

पर कें करत हैं।

सबसे ब़िकर, एक ऐसा आर्थणक मॉडल प्रोत्सावहत

ककए जाने की आिश्यकता ह ैजो थथानीय समुदाय से

कुछ लेने की बजाय उसमें योगदान करे। यह दवृि,

अफ्रीका के भविष्य, भारत के भविष्य और हमारे साझ े

भविष्य तथा हमारे युिाओं के भविष्य के वलए जरूरी

ह।ै इस प्रयास में इवथयोवपया और िथतुत: समूचा

अफ्रीका, भारत को एक तत्पर और संिेदनशील

साझेदार के रूप में पाएगा।

हम हमेशा कंधे से कंधा वमलाकर खडे रह े हैं।

1940 के दशक में, दसूरे विश्व युद् के दौरान, विदशेी

आक्रमर् से अपने दशे को मुक्त करिाने में

इवथयोवपयाई थितंत्रता सेनावनयों के प्रयासों में

भारतीय सैवनकों ने मदद की थी। खास बात यह ह ैकक

भारत ने यह लडाई, अपनी आजादी से पहले लडी थी।

इवथयोवपया और भारत के लाग सिाणवधक दीर्ाणिवध से

एक दसूरे को जानते रह ेहैं और विश्वास करते रह ेहैं।

दशेों और समाजों के बीच मैत्री इवथयोवपयाई

कॉफी-वनमाणर् रथम की तरह तैयार हुई ह ै और उसे

संजोया गया ह।ै ऐसी मैत्री के पररर्ाम तत्काल नहीं

वमलत;े ये पररर्ाम ज्यादातर दीर्णकावलक अिवध में,

लम्बी दरूी की दौड की भांवत प्राप्त होते हैं। और यह तय

ह ै कक वबककला और गेब्रसेलसेी जैसे धािकों का दशे,

लम्बी दरूी के धािक के महत्ि को जानता ह ैऔर उस े

संजो कर रखता ह।ै

भारत के वलए, इवथयोवपया लम्बी दौड का साथी

ह।ै आइए, प्रत्येक बाधा को वमलकर पार करें।

आप सभी को धन्यिाद और शुभकामनाएं।