िचाम क तव के आधार पर अकबर और ... · 2018-09-17 · भी...

19
1 िचऽामक तव के आधार िचऽामक तव के आधार िचऽामक तव के आधार िचऽामक तव के आधार पर अकबर और जहाँगीर पर अकबर और जहाँगीर पर अकबर और जहाँगीर पर अकबर और जहाँगीरकालीन लघु िचऽ म कालीन लघु िचऽ म कालीन लघु िचऽ म कालीन लघु िचऽ म पशु पशु पशु पशु - पी िचऽण का पी िचऽण का पी िचऽण का पी िचऽण का िवेषणामक अययन िवेषणामक अययन िवेषणामक अययन िवेषणामक अययन पीएच . डी. ( िचऽकला ) की िडमी के प जीकरण हेतु कला और कला और कला और कला और सामािजक िवान सामािजक िवान सामािजक िवान सामािजक िवान केकेकेके सकाय म सकाय म सकाय म सकाय म दी दी दी दी आईआईएस आईआईएस आईआईएस आईआईएस िव िव िव िविवयालय िवयालय िवयालय िवयालय, जयपुर जयपुर जयपुर जयपुर शोधािथनी शोधािथनी शोधािथनी शोधािथनी ितजैन पीएच.ड़ी. (2011 - 2012 ) नामाकन स याICG/2011/13027 शोध िनदिशका शोध िनदिशका शोध िनदिशका शोध िनदिशका : डॉ . रीता ताप पुव िवभागाय, िचऽकला िवभाग, राजःथान िविवयालय य कला य कला य कला य कला िवभाग िवभाग िवभाग िवभाग जून जून जून जून, 2012

Upload: others

Post on 19-Mar-2020

22 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • 1

    िचऽा�मक त�व� के आधारिचऽा�मक त�व� के आधारिचऽा�मक त�व� के आधारिचऽा�मक त�व� के आधार पर अकबर और जहाँगीरपर अकबर और जहाँगीरपर अकबर और जहाँगीरपर अकबर और जहाँगीरकालीन लघु िचऽ� म� कालीन लघु िचऽ� म� कालीन लघु िचऽ� म� कालीन लघु िचऽ� म�

    पशु पशु पशु पशु ---- प ी िचऽण का प ी िचऽण का प ी िचऽण का प ी िचऽण का िव#ेषणा�मक अ%ययनिव#ेषणा�मक अ%ययनिव#ेषणा�मक अ%ययनिव#ेषणा�मक अ%ययन पीएच . डी. ( िचऽकला ) की िडमी के पजंीकरण हेतु

    कला और कला और कला और कला और सामािजक िव3ानसामािजक िव3ानसामािजक िव3ानसामािजक िव3ान केकेकेके सकंाय म�सकंाय म�सकंाय म�सकंाय म�

    दी दी दी दी आईआईएस आईआईएस आईआईएस आईआईएस िव6िव6िव6िव6िव7यालयिव7यालयिव7यालयिव7यालय, जयपुरजयपुरजयपुरजयपुर

    शोधािथ:नीशोधािथ:नीशोधािथ:नीशोधािथ:नी

    ौिुतजैन

    पीएच.ड़ी. (2011 - 2012 )

    नामाकंन स>ंया– ICG/2011/13027

    शोध िनद?िशकाशोध िनद?िशकाशोध िनद?िशकाशोध िनद?िशका:

    डॉ. रीता ूताप

    पुव: िवभागा%य , िचऽकला िवभाग,

    राजःथान िव6िव7यालय

    Dँय कला Dँय कला Dँय कला Dँय कला िवभागिवभागिवभागिवभाग

    जूनजूनजूनजून, 2012

  • 2

    पिरचयपिरचयपिरचयपिरचय मुग़ल िचऽकला का जIम, उ�थान एव ंपतन मुग़ल साॆाLय के जIम उ�थान एव ंपतन के साथ

    सिIनिहत है l कुछ समय पूव: मुग़ल कला को ईरानी िचऽकारी की एक शैली माऽ कहा जाता था, जो

    ःथानीय िविभIनता के कारण उ�पIन हो गई थी परIतु अब यह माना जाने लगा है िक मुग़ल कला का

    अपना पथृक अिःत�व है और वह ईरानी ूभाव से मुO न होकर भी पूण: भारतीय है l मुग़ल िचऽकला

    भारतीय, फारसी तथा इःलाम का िमला जुला Rप है l

    मुग़ल िचऽकला का िवकास बाबर के राLयकाल म� 1526 ई. से ूारंभ हआु l मुग़ल कला से कला जगत म�

    बािंतकारी पिरवत:न हआु l इस काल के िचऽ� म� सफाई और बारीकी देखने को िमलती है l बाबर की माँ

    चगेंज खान के वशं की अथा:त मगंोल थी l इसी कारण यह वशं मुग़ल (मगंोल) कहलाया, अIयथा यह तूरानी

    (तुक: ) था l मुग़ल बादशाह� को जैस ेअपनी तुक: परUपरा पर गव: था, वैसे ही अपनी मगंोल परपंरा का भी

    अिभमान था और वे दोन� कुल� की रीित बड़े गौरव से मानते थे l मुग़ल बादशाह� ने अपनी-अपनी Rिच के

    अनुसार कला को आगे बढ़ाया l ये कला 250 साल चली और िफर िॄिटश साॆाLय के ूारभं म� समाZ हो गई

    l

    बाबर म� कला ूविृत पूण: Rप से िव[मान थी l वह किव तथा लेखक था l उसने अपनी आ�मचिरत

    ‘बाबरनामा’ िलखी l भारत वष: म� उसका चार वष: का शासनकाल इतना \यःत रहा िक वह

    िचऽकला के िवकास म� िवशेष योगदान नही ं दे सका l परIतु उसकी आ�मकथा से यह ःप] हो

    जाता है िक बाबर ने अनेक िचऽकार� को सरं ण तथा राLयाौय ूदान िकया था l उसने रगं� व

    तुिलका के ^ारा िचऽण नही ंिकया परIतु पुःतक म� इतनी सजीवता के साथ श_द िचऽण िकया है की इससे

    उसके कला पारखी होने का पता चलता है l

    बाबर का पुऽ हमायँूु अपनी क`पनाओ ंको िचऽकार� ^ारा िचऽ का Rप देता था l हमायँू को अपने िपता के ु

    समान सािह�य तथा कला से ूेम था l हुमायँू इतना कला ूेमी शासक था िक युb के समय म�

    भी अपने पास सुIदर िचऽकला िक पोिथय� को रखता और अवकाश के ण� म� उनको देख कर

    कलािभcिच को सतुं] करता था l हमायँू ने मीर सैयद अलीु और >वाजा अ_दःसमद शीराजीु को

    आमिंऽत िकया और दरबारी िचऽकार िनयुO िकया l इन दोन� कलाकार� ने ईरानी शैली को

    भारतीय कला शैली म� ढालकर िचऽकला के ेऽ म� नवीन सभंावनाओ ंको जIम िदया l वे दोन�

    बाद म� अकबर के दरबार म� भी सUमानपूव:क कला सजृन करते रहे l

    जहाँगीर के शासन काल म� पशु-पि य� का िचऽण सवा:िधक हुआ l जहाँगीर के बाद शाहजहाँ के समय म�

    िचऽकला के ेऽ म� पतन होने लगा l पहले के सामान कला म� वो बारीिकया ंनही ंरही और िचऽकला का

    ःथान वाःतुकला ने ले िलया िजसका एक नमूना ‘ताजमहल’ है l औरगंजेब को िचऽकला से नफरत थी इस

  • 3

    कारण उसने िचऽ न] करवा िदए थे l उसके समय म� मुग़ल िचऽ परपंरा पूण:त: समाZ हो गई l जैसे-जैसे

    राजाओ ंका राLयकाल उठा और िगरा वैसे-वैसे िचऽकला भी उठती िगरती गई l

    अकबर केअकबर केअकबर केअकबर के शासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकला

    अकबर का अथ: होता है 'महान' l वह एक महान शासक के साथ-साथ महान िचऽकार भी था l 13

    वष: की उॆ म� ही हमायँू की म�ृयु के ु कारण उसे राज ग7ी सभंालनी पड़ी l अकबर के शासन म�

    िश ा,सःंकृित तथा कला के ेऽ म� अभूतपूव: िवकास हआ जो आगे के राजाओ ं के काल तकु

    चलता रहा l वह अपनी पुःतक� को िचऽ� से सुसिLजत करवाता था िजनमे स ेएक है 'हUजानामा' l

    सॆाट कहािनय� के शौिकन थे इसिलए महाभारत, रामायण आिद महाका\य� पर िचऽण करवाता

    था l इसके अलावा पश-ुप ी िचऽण व ूकृित िचऽण भी बहत ु माऽा म� हएु l अकबर के काल म�

    मुग़ल िचऽण म� बड़े पैमाने पर काम हआु l

    अकबरकालीन िचऽ� की िवशेषताएंअकबरकालीन िचऽ� की िवशेषताएंअकबरकालीन िचऽ� की िवशेषताएंअकबरकालीन िचऽ� की िवशेषताए ं

    • अकबरी िचऽ� की रेखाओ ं म� लय तथा गित है l रेखाओ ं की सहायता स े

    ःवाभािवकता िदखाई गई है l

    • चमकदार रंग� का ूयोग हआ हैु , लेिकन ईरानी िचऽ� वाली बेतहाशा चमक नही ंहैl

    यहाँ ह`के व धूिमल रगं� की सुखf म� सतुंलन तथा अIतराल की सुखद \यवःथा

    की गई है l बाद के िचऽ� म� छाया तथा परदाज उभर कर सामने आया है l

    • िचऽतल पर वाःतु, पहाड़�, व ृ� तथा मानवाकृित की अिधकता देखी जा सकती है l

    • िचऽ� के बीच-बीच म� मIथ से सUबिंधत सुिलिप की पिgटया ँिखचंी है, यह ईरानी

    ूभाव है l

    • मथं� म� एक ही िचऽकार का काय: न होकर कई कलाकार� का काय: होता था,

    बि`क एक िचऽ भी कई िचऽकार� ^ारा पूरा होता था l

    • अकबरी िचऽ� म� ईरानी तथा भारतीय त�व� के साथ यूरोिपयन त�व भी िदखाई

    देता है िवशेषतया छाया-ूकाश तथा य-वbृी जैस े त�व� की ओर भारतीय

    कलाकार� का झुकाव होने लगा था l

    जहाँगीर जहाँगीर जहाँगीर जहाँगीर केकेकेके शासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकलाशासन काल म� िचऽकला

    सॆाट जहाँगीर का राLयकाल 1605 ई . से 1627 ई . तक रहा l इस समय तक मुग़ल शैली अपनी

    पराका]ा पर पहँचु गई थी l जहाँगीर अकबर के सामान उदार न था, िजसके पिरणामःवRप

    िचऽकला के िवषय� का दायरा सीिमत हो गया l अब धािम:क कथाओ ंके िचऽ� तथा का`पिनक

  • 4

    िचऽ� का अभाव हो गया l िचऽ� का म>ुय िवषय जहाँगीर सUबिंधत घटनाओ ंऔर उसका %यान

    आकृ] करने वाली वःतुओ ंका रह गया l जहाँगीर ने भी अपना आ�मचिरत िलखा है l वह जो

    भी सुIदर और िवल ण पशु-प ी, फूल, या व ृ आिद देखता उनके िचऽ तैयार करा लेता था l

    अब तक मुग़ल कला ईरानी शैली से मुO हो गई थी इस समय के तुिलका के काम म� अिधक

    पिरंकरण िदखता है l पशु-पि य� के िचऽ� म� ःवाभािवकता तथा वाःतिवकता है l इस समय का

    ससंार ूिसb िचऽ ‘बाज’ का है l इसकी कठोर आखं और िसमटी पलक

    ^ारा उसका ःवभाव ःप] है l जहाँगीर काल म� पुःतक िचऽ� के ःथान पर अिधकतर लघु िचऽ

    ही बनने लगे थे जो िचऽगार� म� रखे जाते थे l यह समय मुग़ल कला की पूण: यौवनावःथा का

    था l

    जहाँगीरकालीनजहाँगीरकालीनजहाँगीरकालीनजहाँगीरकालीन िचऽ� की िवशेषताएंिचऽ� की िवशेषताएंिचऽ� की िवशेषताएंिचऽ� की िवशेषताए ं

    • इस समय की िचऽकारी ईरानी ूभाव से मुO हो चुकी थी l

    • िचऽ� म� अब यथाथ:ता अिधक आ गई थी l पि य� का इतना ःवभािवक िचऽण हआ है ु

    िक वह आधुिनक तकनीक से िखचंी रगंीन फोटो सी लगती है l पि य� के पखं एक दम

    ःवाभािवक लगते है l

    • रेखाय� अिधक महीन व कोमल है l

    • इस काल म� हािशय� की सुIदरता बढ़ गई थी l हािशय� म� जन-जीवन के Dँय , पशु-प ी,

    पेड़-पौधे आिद को अलकंरण के Rप म� बनाया जाता था l

    • रगं� म� सूिफयानापन व परःपर िमिौत रगं तथा एक ही रगं की तान� का ूयोग होने

    लगा था l

    जहाँगीर के बाद शाहजहाँ ने भारत के शासन िक बागडोर सभंाली l िकIतु शाहजहाँ के काल म� मुग़ल

    िचऽकला का Rप बदल गया l उसकी \यिOगत Rिच िचऽकला म� नही ंबि`क ःथाप�य कला म� थी l िफर भी

    उसने उन सःंकृितक परUपराओ ंसे छेड छाड नही ंकी, िजनकी ःथापना उसके िपतामह ने की थी l िचऽकार

    िनरतंर मुग़ल दरबार म� आौय पाते रहे और िचऽकला पलती रही l िचऽकला का उ7ेँय अब मुग़ल

    स`तनत के वैभव का ूदश:न माऽ रह गया था l शाहजहाँ के काल म� िचऽ� की सजावट अपनी पिरपjवता

    की पराकाkा पर पहँचु गई थी, िकIतु इस अवःथा के बाद पतन ःवभािवक था l

    औरगंजेब का शासन काल मुग़ल िचऽकला के पतन का इितहास है l उसके हाथ� म� शासनािधकार आते ही

    इस ेऽ की रही सही खूिबया ँभी सव:था जाती रही l उसने िचऽ कला का ूबल िवरोध िकया l इस काल म�

  • 5

    िचऽकार� को िकसी ूकार का राजकीय ूो�साहन ूाZ नही ंहआु l अत: इस काल म� िचऽकला का पतन हआु

    l

    मुग़ल काल के ूिसbमुग़ल काल के ूिसbमुग़ल काल के ूिसbमुग़ल काल के ूिसb िचऽकारिचऽकारिचऽकारिचऽकार

    मीर सैयद अली

    मसूंर

    >वाजा अ_दःसमद शीराजीु

    दसवतं

    बसावन

    फाc:ख बेग

    िबशनदास

    केसू दास

  • 6

    अ%ययनअ%ययनअ%ययनअ%ययन केकेकेके मु>यमु>यमु>यमु>य उ7ेँयउ7ेँयउ7ेँयउ7ेँय

    • मुग़ल कला म� अकबर तथा जहाँगीर काल के पशु-पि य� के िचऽ� का अ%ययन करना l

    • पशुओ ं तथा पि य� के िचऽ� के साथ उनके रेखा, Rप, वण:, तान, सामजंःय, सतुंलन और

    ूभािवता का िवःतार से अ%ययन l

    • हिंशय� म� पशु - प ी िचऽ� का अ%ययन l

    • मुग़ल िचऽ� के िचऽण की िविध तथा साममी का अ%ययन करना l

    मुग़ल कला के पशु- प ी िचऽण ने मुझ ेबहतु आकिष:त िकया l अत: मेरे शोध का उ7ेँय भी मुग़ल

    कला के पशु-प ी िचऽ� की चरम सीमा को लोग� तक पहचनाु है l इस उ7ेँय की पूित: हेतु मlने

    िविभIन अ%याय� म� इसके िविवध प � पर ूकाश डालने का ूयास िकया है l

  • 7

    सािह�यसािह�यसािह�यसािह�य कीकीकीकी समी ासमी ासमी ासमी ा • िवषय पर उपल_ध सािह�य का िवःतारपूव:क अ%ययन शोध काय: को सुगम बना देता है इसिलए

    िवषय से सUबिंधत लेख, पुःतक� , पऽ, आिद का गहराई से पठन-पाठन, शोधकता: ^ारा िकया जाना

    चािहए l इस के अ%ययन से अनुसIधान काय: कुछ सरल हो जाता है l

    • अ%ययन की ूिविधय� का 3ान हो जाता है l

    • मह�वपूण: अवधारणाओ ंकी जानकारी िमल जाती है, तथा शोध काय: म� आने वाली किठनाइय� का

    पता लग जाता है l

    • यह अवधारणाओ ंको समझने व ूjक`mनाओ ंके िनमा:ण म� सहायक होता है l

    आरआरआरआर. . . . एनएनएनएन. . . . टडंनटडंनटडंनटडंन “भारतीय िचऽकला की cभारतीय िचऽकला की cभारतीय िचऽकला की cभारतीय िचऽकला की cपरेखापरेखापरेखापरेखा”, भारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशन, मेरठमेरठमेरठमेरठ, 1962 ि^तीय ि^तीय ि^तीय ि^तीय

    सःंकरणसःंकरणसःंकरणसःंकरण

    इसम� मुग़ल कालीन कला का पिरचय देते हए यह बताया गया है की यह शैली बाबरु

    के राLयकाल म� (1526 ई.- 30ई.) ईरान स ेआकर भारत म� ूिव] हईु l हमायँू केु

    समय म� इसका बीजारोपण हआु , अकबर के राLय म� यह फलीफूली, जहाँगीर के समय

    म� यह अपनी पराका]ा की िवकिसत अवःथा को ूाZ हईु , शाहजहाँ के समय इसम�

    पतन के िचIह ूकट होने लगे तथा औरगंजेब के समय म� यह ूाय: समाZ होने

    लगी l मुग़ल कला के िचऽकार कुछ पटना, कुछ दि ण और कुछ भारत की उoर की

    पहािडय� पर जाकर अपना िजिवकोपाज:न करने लगे।

    टडंनटडंनटडंनटडंन आरआरआरआर. . . . एनएनएनएन.... “भारतीय िचऽकला की cपरेखाभारतीय िचऽकला की cपरेखाभारतीय िचऽकला की cपरेखाभारतीय िचऽकला की cपरेखा”, भारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशनभारत भारती ूकाशन, मेरठमेरठमेरठमेरठ, 1962 ि^तीय ि^तीय ि^तीय ि^तीय

    सःंकरणसःंकरणसःंकरणसःंकरण

    इस पुःतक म� हािशय� का वण:न िकया गया है की हािशये इतने अलकृंत है, िजनसे 3ात होता है

    िक वे नjकाश� ^ारा न बनकर िचऽकार� ^ारा ही तैयार िकये गए है I उन पर बेल-बूटे,

    िशकारगाह, बीच-बीच म� पशु-प ी तथा ऐसे Dँय, िजनका सUबIध िचऽ से हो अथवा न हो, बने

    है l

    सोमसोमसोमसोम ूकाशूकाशूकाशूकाश वमा:वमा:वमा:वमा: “rलोराrलोराrलोराrलोरा एडंएडंएडंएडं फौनाफौनाफौनाफौना इनइनइनइन मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल आट: आट: आट: आट: ”, ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक: : : : जे जे जे जे ....जे जे जे जे ....भाभाभाभाभाभाभाभा, मुबंईमुबंईमुबंईमुबंई, इिंडयाइिंडयाइिंडयाइिंडया, Vol.

    50 No. 3, मामामामाच: च: च: च: 1999

  • 8

    इसम� ये बताया गया है की जहाँगीर और शाहजहाँ ने बहतु से िचऽ बनवाए िजनके हािशय� म� पशु

    पि य� का बहतु िवःतार से अकंन करवाया l शाहजहाँ के काल म� सोने के िविभIन रंगत� म� भी काम हआु l

    पि य� और जानवर� को िशकार के पिरDँय म� Lयादा िदखाया गया हैl

    सोमसोमसोमसोम ूकाशूकाशूकाशूकाश वमा:वमा:वमा:वमा: “rलोराrलोराrलोराrलोरा एडंएडंएडंएडं फौनाफौनाफौनाफौना इनइनइनइन मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल आट: आट: आट: आट: ”, ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक: : : : जे जे जे जे ....जे जे जे जे ....भाभाभाभाभाभाभाभा, मुबंईमुबंईमुबंईमुबंई, इिंडयाइिंडयाइिंडयाइिंडया,

    Vol. 50 No. 3, माच: माच: माच: माच: 1999

    पि य� की आकृित को बहत हीु सजीवता के साथ बनाया गया है की उसके आIतिरक भाव भी

    ःप] िदखते है, नेऽ� के भाव देखते ही बनते है l आखं� म� बूरता और च�च के तीखेपन सिहत भीतरी

    िववरण कलाकार के उ�सुक ःवभाव को िदखता है l

    सोमसोमसोमसोम ूकाशूकाशूकाशूकाश वमा:वमा:वमा:वमा: “rलोराrलोराrलोराrलोरा एडंएडंएडंएडं फौनाफौनाफौनाफौना इनइनइनइन मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल आट:आट:आट:आट: ”, ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक: जेजेजेजे .जेजेजेजे .भाभाभाभाभाभाभाभा, मुबंईमुबंईमुबंईमुबंई, इिंडयाइिंडयाइिंडयाइिंडया, “दीदीदीदी

    एिलफ� टएिलफ� टएिलफ� टएिलफ� ट इनइनइनइन मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल प�िटगंप�िटगंप�िटगंप�िटगं” असोकअसोकअसोकअसोक कुमारकुमारकुमारकुमार दासदासदासदास, Vol. 50 No. 3, माच:माच:माच:माच: 1999

    इसम� बताया गया है की अकबर के काल म� अबू’ल फज़ल ने हािथय� का िवःतार से अ%ययन तथा िचऽण

    िकया है, उनका रखरखाव, भोजन, ूिश ण, कम:चािरय� ^ारा उन पर अ�याचार, अकबर का उनके ूित

    ूेम इन सब को िचऽ� के मा%यम से िदखाया गया है l

    आरआरआरआर. एएएए. अमवालअमवालअमवालअमवाल“ “भारतीयभारतीयभारतीयभारतीय िचऽकलािचऽकलािचऽकलािचऽकला काकाकाका िववेचनिववेचनिववेचनिववेचन””, ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक: इटंरनेशनलइटंरनेशनलइटंरनेशनलइटंरनेशनल पि_लिशगंपि_लिशगंपि_लिशगंपि_लिशगं हाऊसहाऊसहाऊसहाऊस, मेरठमेरठमेरठमेरठ ,

    नवीननवीननवीननवीन सःंकरणसःंकरणसःंकरणसःंकरण -2005

  • 9

    “जहाँगीर पशु पि य� के ए`बम बनवाने का बड़ा शोिकन था l वह जानवर� के ूित दयालु था - एक बार

    उसने एक हाथी को तालाब के ठIडे पानी म� कापते देखा था तभी उसने यह हjमु िदया के तालाब का पानी

    गरम कराया जाये, िजसस ेयह हाथी जल-बीडा का आनदं उठा सके l”

    आरआरआरआर. . . . एएएए. . . . अमवालअमवालअमवालअमवाल“ “भारतीय िचऽकला का िववेचनभारतीय िचऽकला का िववेचनभारतीय िचऽकला का िववेचनभारतीय िचऽकला का िववेचन””, ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक: : : : इटंरनेशनल पि_लिशगं हाऊसइटंरनेशनल पि_लिशगं हाऊसइटंरनेशनल पि_लिशगं हाऊसइटंरनेशनल पि_लिशगं हाऊस,

    मेरठमेरठमेरठमेरठ , नवीन सःंकरण नवीन सःंकरण नवीन सःंकरण नवीन सःंकरण ----2005

    इसम� कहा गया है की जहाँगीर िशकार, फूल तथा पशु-पि य� के िवषय म� बहत Rिच लेता थाु l

    उःताद मसूंर ने जहाँगीर के िलए पशु-पि य� के अनेक िचऽ बनाये l उसके ^ारा बनाया टकu

    कॉक तथा बाज के िचऽ ससंार ूिसb है l उसके िचऽ� म� नjकाशी जैसा काम होता था इसी से वे

    अपने आपको मसूंर नjकाश कहत ेथे l

    रीता ूताप रीता ूताप रीता ूताप रीता ूताप, भारतीय िचऽकला एव ं मूित:कला का इितहासभारतीय िचऽकला एव ं मूित:कला का इितहासभारतीय िचऽकला एव ं मूित:कला का इितहासभारतीय िचऽकला एव ं मूित:कला का इितहास, ूकाशक ूकाशक ूकाशक ूकाशक ::::राजःथान िहदंी मIथ राजःथान िहदंी मIथ राजःथान िहदंी मIथ राजःथान िहदंी मIथ

    अकादमीअकादमीअकादमीअकादमी, जयपुरजयपुरजयपुरजयपुर

    “मुग़ल िचऽ� म� गlडा, घोडा, मेढा, शेर, ऊँठ, मगृ, बकरे, जेबरा, िजराफ आिद अनोख ेपशुओ ंका िचऽण भी

    िचऽ� म� िमलता है l जहाँगीर को पि य� का अ�यिधक शौख था l उनके राLयकाल म� पशुओ के साथ साथ

    पि य� का िचऽण भी अ�यिधक हआु l मोर, मोरनी, सुनहेरा कबूतर, िशकरा, कOुआ, पीलू, तुकu, तीतर,

    बुलबुल, कोयल, सारस, बतख, मुग:, बटेर, आिद है l इस ूकार पशु-पि ओ ंकी रचना म� बारीिकय� का

    इतना सफल एव ंःप] ूदश:न है िक िचऽ म� िनcिपत पशु-पि ओ ंकी जाित, उपजाित, िक पहचान म�

    समःया नही ंआती” l

    रीितकालीन भारतीय समाज शिशूभा ूसाद रीितकालीन भारतीय समाज शिशूभा ूसाद रीितकालीन भारतीय समाज शिशूभा ूसाद रीितकालीन भारतीय समाज शिशूभा ूसाद

    लोकभारती ूकाशनलोकभारती ूकाशनलोकभारती ूकाशनलोकभारती ूकाशन, इलाहाबादइलाहाबादइलाहाबादइलाहाबाद, सःंकरण सःंकरण सःंकरण सःंकरण : : : : 2007

    http://books.google.co.in

    “जहाँगीर िचऽकला का इतना कुशल पारखी था िक वह अपने आ�मचिरत म� िलखता है - " हमारे िलए

    िचऽकला िक ओर Rिच और िचऽ� के गुण-दोष िववेचन की शिO इतनी बढ़ गई है की जब कोई कलाकृित-

    चाहे मतृ िचऽकार� िक हो या वत:मान की हो, हमारे सामने िबना कलाकार का नाम बताये उपिःथत िक

    जाती तो हम तुरतं बतला देते की अमुक की करती है l और यिद एक ही िचऽ म� कई शबीहे होती और ू�येक

    िभIन कलाकार िक होती तो भी हम हरेक का पता लगा लेते िक कौन िकसकी है l जब सॆाट िक अिभcिच

    िक यह िःथित हो तो राजतऽंीय समाज \यवःथा म� सUबिंधत कला का चरम िवकास ःवभािवक ही है” l

  • 10

    http://indiansaga.com/art/mughal_painting.html

    Almost all the Mughal Emperors of India between about 1570 and 1750 employed large

    numbers of Hindu and Muslim painters. These artists at first produced miniatures that were

    illustrations for the emperor's books. More than 100 painters worked in the palace studio at

    any given time on scenes for histories, poetry books, books of fables, or biographies of the

    emperor. Mughal artists loved naturalism in these miniatures and tried to make their pictures

    as realistic as possible. Human and animal portraits became a speciality.

    दासदासदासदास असोकअसोकअसोकअसोक कुमारकुमारकुमारकुमार “ःmल�डरःmल�डरःmल�डरःmल�डर ऑफ़ऑफ़ऑफ़ऑफ़ मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल प�िटगंप�िटगंप�िटगंप�िटगं ” ,ूकाशकूकाशकूकाशकूकाशक : एएएए.एफएफएफएफ. शैख़शैख़शैख़शैख़, बॉUबेबॉUबेबॉUबेबॉUबे , इिंडयाइिंडयाइिंडयाइिंडया

    इसम� लेखक ने बताया है की जहाँगीर अपने खास िचऽकार� से ऐसी चीज� ढढ़ंू के लाने को कहता था जो की

    अनदेखी हो , आyय:जनक हो और लोगो के िलए अनजानी हो िफर उनका िचऽण करवाते थे उसम� एक

    उदाहरण है तुकu कॉक l

    असोकअसोकअसोकअसोक कुमारकुमारकुमारकुमार दासदासदासदास “ मुग़लमुग़लमुग़लमुग़ल माःटस:माःटस:माःटस:माःटस: फद:रफद:रफद:रफद:र ःटडीज़◌़ःटडीज़◌़ःटडीज़◌़ःटडीज़◌”़, माग:माग:माग:माग: पि_लकेशनपि_लकेशनपि_लकेशनपि_लकेशन , मुबंईमुबंईमुबंईमुबंई , इिंडयाइिंडयाइिंडयाइिंडया , Vol.49 No. 4,

    जूनजूनजूनजून 1998

    Abd us-Samad’s horse pictures fall into four categories: (1) sepictions of horses and grooms

    alone, (2) paintings depicting hermits as well as the horse and groom, (3) hunting scenes and (4)

    composition.

  • 11

    Sanjeev Prasad Srivastava “Jahangir, a connoisseur of mughal art” , publisher : Shakti Malik

    Abhinav , New Delhi, India, first published in India 2001

    http://books.google.co.in/books?id=qeNy_Kbs0hMC&pg=PA16&source=gbs_selected_pages&c

    ad=3#v=onepage&q&f=false

    Prologue: The art of Jahangir was essentially successful in depicting tha flora and fauna of his

    kingdom. Even his officers were keen on presenting special birds and animals to the emperor in

    order to win his favour. The emperor always felt pleasure on seeing the new birds. He

    possessed a scientific acumen in regard to the animal world.

  • 12

    Sanjeev Prasad Srivastava “Jahangir, a connoisseur of mughal art” , first published in India

    2001, publisher : Shakti Malik Abhinav , New Delhi, India.

    http://www.spongobongo.com/animals.htm

    Starting with the Indian type animals a systematic evaluation of animals in Islamic and related

    art shows a predominance of matches between the Widener Mughal Animal Carpet and Indian

    art. The elephants as well as the crocodile are very close matches with animals in a number of

    miniatures all attributed to an Indian artist named Miskin.

    Marguerite – Marie Deneck “Indian Art”, Paul Hamlyn Ltd.,1967

    Jahangir loved to observe animals and birds with great detail,Falcon on its perch, standing out

    in profile against a green background

    “Falcon”, Jahangir period, 11 x 19 cm..17th cent.

  • 13

    The Chester Beatty Library “Mughal and other Indian Paintings”

    The Leopard runs away, TutiNama, c. 1580

    The Leopard, breaking the rectangular dimensions of the picture, Forceful leap is dynamic, The

    women’s two sons with exaggerated gestures characteristic of HamzaNama.

    Percy Brown “Indian Paintings under the Mughals”

    Portraits of Daulat the painter, and Abdur- Rahim the writer

    हािशय� म� पशुिचऽण

    Mr. Dyson Perrins’s copy of the Khamsa: painted c.A.D. 1605; size 5” x 8”.

  • 14

    Douglas Mannering “Great works of Indian Art”, Parragon book service Limited,Great Britain

    1996

    Prince Salim surprised by Lion, Salim seated high on the back of an elephant, Akbar’s artists

    were masters at combining colourful decoration and pattern –making.

  • 15

    ूेरणाूेरणाूेरणाूेरणा /औिच�यऔिच�यऔिच�यऔिच�य

    मुग़ल कालीन कला म� िचऽकला के ेऽ म� इतना अिधक काम हआु है िजसे लेकर बहतु से शोध कता:ओ ंने

    अपना शोध काय: िकया है परIतु मेरे शोध म� मl अकबर और जहाँगीर काल म� हएु पशु-पि य� के िचऽ� को

    िचऽा�मक त�व� के आधार पर ःप] कcँगी l ‘िचऽा�मक त�व� के आधार पर मुगल लघु िचऽ� म� पशु-प ी

    िचऽण (अकबर और जहाँगीर के सIदभ: म� ) ’ मेरा िवषय है l अकबर और जहाँगीर के काल तक िकस-

    िकस ूकार से पशु-प ी िचऽण हुए है और उनकी jया िवशेषताए ंहै, उन िचऽ� म� सयंोजन के त�व� रेखा,

    Rप, वण:, तान, सामजंःय, सतुंलन और ूभािवता का िकस तरह से उपयोग िकया है, कौन-कौन से

    िचऽकार� ने उन पर काम िकया है उनका पूण: िववरण शोध काय: म� िदया जाएगा l जहाँगीर और अकबर के

    काल म� पशु प ी िचऽण अिधक हएु है l उन दोन� के काय:काल म� हएु िचऽण� म� jया अतंर है और jया

    समानता है इसका भी पूरा अ%ययन कRंगी l मुग़ल� काल म� िचिऽत हएु पशु-प ी िचऽण ने मुझे

    आकिष:त िकया है l मुग़ल कलाकार� ने िचऽ� को और अिधक आकष:क बनाने के िलए हािशय� का

    आिवंकार िकया l हािशय� तःवीर का दसरा भाग है िफर भी त�कालीू न कलाकार� ने इनको एक

    मु>य अगं मान कर ही सुसिLजत िकया l ूाकृितक Dँय म� मगरम|छ, िसहं, िहरन, खरगोश

    चीता,घोडा, हाथी, मछली, िगलहरी, िचिड़या, तोता आिद पशु-पि य� को तो िचिऽत िकया ही है, साथ-

    साथ अनेक का`पिनक पशुओ ंको भी अिंकत िकया है l मेरे इस शोध काय: से यह जानने म� मदद

    िमलेगी की मुग़ल काल म� पशु-प ी िचऽण का jया मह�व और खािसयत है l इस जानकारी को ले कर शोध

    कता:ओ ं^ारा आगे भी शोध िकय ेजा सक� गे l ूःतुत शोध काय: ^ारा मुग़ल िचऽकला के िववेचन एव ं

    िव#ेषणा�मक अ%ययन को एक नयी िदशा व िवधा की उपलि_ध होगी, उसके कलाप एव ं

    भावप म� िव[मान वैिव%य को कला एव ंजगत के सम लाने म� सहयोग ूाZ होगा तथा मग़ुल

    िचऽ� का यह प पूण: Rपेण उ}ािटत िकया जा सकेगा l इस िवषय से सUबिंधत अनेक देश के

    िविभIन समंहालय�, पुःतकालय�, एव ं \यिOगत समंह के आधार पर समंिहत लघु िचऽ� का

    अ%ययन कर ूःतुत शोध ूबधं म� यही ूयास रहेगा िक इस िवषय से सUबिंधत अिधक से

    अिधक नवीन एव ंसाथ:क त~य ूकाश म� लाये जा सक� l

  • 16

    शोधशोधशोधशोध पbितपbितपbितपbित

    शोध एक बिमक ूिबया है l ू�येक शोध कुछ िविश] पद� म� िकया जाता है, तािक शोधाथf सही िदशा म�

    काय: करते हएु अपना शोध काय: कर सके, jयोिक समःत शोध - ूिबया कई िबयाओ ंका सUमलेन है, जो

    परःपर जुडी हईु होती है l शोधकाय: को िनिyत अथ: तथा िदशा ूदान करने के िलए यह अ�यावँयक है की

    शोधकाय: की सिं Z cपरेखा तैयार की जाये l उपरोO कथन की ूायोिगकता को %यान म� रखते हएु

    अधोिलिखत शोध cपरेखा तैयार की गई है l शोध ूाRप को िनUन भाग� म� िवभािजत िकया जा सकता है :

    1. साधन: पुःतक� , इIटरनेट, शोधपऽ आिद l

    2. अ%ययन का ःवRप: हमारे अ%ययन का ःवRप िमिौत पbित पर आधािरत है l जहाँ हम

    िवषयवःतु के िव#ेषणा�मक अ%ययन के साथ अIवेषणा�मक अ%ययन करते हएु सशंोधन की

    िवषयवःतु म� काय: कारण भाग� का अIवेषण करना होता है l इस शोध अ%ययन को िनUन शोध

    पbित के आधार पर पूण: िकया जाएगा:

    i. हम� सशंोधन काय: म� िवषय-वःतु पर उपल_ध त�कालीन इितहास की पुःतक� , मह�वपूण: घटनाकम: व

    मुग़ल बादशाह� का सिं Z अ%ययन करना आवँयक है l

    ii. त�कालीन िविभIन िचऽ मा%यम�, पदाथ व तकनीक� का अ%ययन करना है l

    iii. समःया अIमूलक त~य� को सुःप] व सूचीबb करना l

    iv. मुग़ल कला के पशु-प ी िचऽ� की भावना तथा उनम� अIतिन:िहत िचऽकार की मनोदशा को समझने का

    ूयास करना l

    v. समय सीमा िनधा:रण - सशंोधन काय: म� समय अनुशासन का अपना मह�व है l अत: ूःतुत शोध

    सशंोधन म� भी िवभागानुसार समय सीमा िनधा:रण व आवटंन िकया गया है l

    त~य� के ोत� की िव6सनीयता की महoा को %यान म� रखते हएु उपयोग िकय ेगए त~य ूमािणत व

    िव6सनीय पुःतक�, पिऽकाओ,ं शोध पऽ�, आिद ोत� तथा ूिसb व ूितिkत लेखक� व शोधकता:ओ ंके

    काय: का अ%ययन िकया जाएगा l

  • 17

    साममी सकंलनसाममी सकंलनसाममी सकंलनसाममी सकंलन

    अनुसIधान म� अनेक ूकार की साममी एव ं सकंलन की अनेक पbितया ं है l अ%ययन से

    सUबिंधत कई सूचनाएँ ऐसी होती है जो अ%ययनकता: ःवय ंएकऽ करता है तथा दसरी सःंथाओ ंू

    और सिमितय� ^ारा एकऽ साममी को अपने अ%ययन म� उपयोग करता है कई सूचनाएँ, त~य,

    जानकािरया,ं एितहािसक होती है l वे जीविनय�, पुःतक�, पाडुंिलिपय�, डायिरय�, जनगणना ूितवेदन�

    आिद के Rप म� भी उपल_ध होती है िजनका उपयोग अ%ययनकता: अपने अनुसIधान म� करता है l

    साममी के अनेक ोत तथा एकऽ करने की िविभIन पbितया ंहोती है, उनके अनुसार िव^ान� ने

    साममी को दो ूकार� म� बाँटा है : ूाथिमक तथा ि^तीयक साममी l मुग़ल कला के अ%ययन के

    िलए ि^तीयक साममी का उपयोग करना होगा jय�िक मुग़ल काल से सUबिंधत लोग� का िमलना

    असभंव है इसिलए पुःतकालय तथा समंहालय आिद के मा%यम से अ%ययन करके साममी सकंिलत करनी

    होगी l भारत के िविभIन पुःतकालय� तथा िविभIन समंहालय से साममी एकऽ कcँगी l

    िनंकष:िनंकष:िनंकष:िनंकष:

    इस अ%ययन से मl इस िनंकष: पर पहचंीु हूँ की पशु-प ी राजाओ ंका मु>य िवषय रहा है वे अपने साथ

    हमेशा अपने साथ िचऽकार� को रखते थे और जैसे ही कोई सुIदर प ी िदखता उसका िचऽण करवाते थे l

    इतना ही नही ंउनके मन म� पशुओ ंके िलए बहतु दया भावना रहती थी l अकबर और जहाँगीर के काल म�

    पशु-प ी िचऽण सवा:िधक हएु है l जहाँगीर को हमेशा ऐसे पशु-प ी की तलाश रहती थी जो आम लोग� के

    ^ारा नही ंदेखे गए हो और दल:भु तथा अनूठे ह� l जहाँगीर के समय का एक ूमुख िचऽकार उःताद मसूंर था

    िजसने उसके िलए बहतु से पशु-प ी िचऽ बनवाए l मुग़ल सॆाट अपने िचऽकार� को िचऽ बनवाने की

    अ|छी कीमत िदया करते थे l िजस िचऽकार का िजतना अ|छा काम होता था उतनी ही जयादा कीमत

    िमलती थी इसी कारण िचऽकला म� िदन�-िदन िनखार आता गया l मुग़लकला के िचऽ� म� हािशय� का बहतु

    मह�व है l हािशय� म� फूल-पिoय� आिद के अलकंरण के साथ पशु-पि य� का िचऽ भी देखने को िमलता है l

    सUपूण: Rप से देखा जाये तो मुग़ल कला ऐ6य:युO वाःतिवकता का िचिIहत ःवcप तथा सुघड़ कलाकार�

    ^ारा िविभIन वण: योजनाओ ंतथा उनके बदलते हएु भाव� का पिर ण तथा अनुभव करने की कला है l कुछ

    िवदेशी त�व� के होने के बावजूद भी यह एक राीय शैली है तथा अIय देश� की शैिलय� से सव:था िभIन है l

    कला अनुरागी मुग़ल बादशाह� ने भारत की ूाचीन कला परUपरा को सुर ा ूदान की तथा नवीन ःवRप भी

    िदया l मुगल� की यह ःथायी देन भारतीय कला के इितहास के िलए सदैव िचरःमरणीय रहेगी l

  • 18

    शोधशोधशोधशोध कीकीकीकी साममीसाममीसाममीसाममी

    पिरचय

    सािह�य की समी ा

    शोध अ%ययन का मु>य उ7ेँय

    शोध पbित

    सIदभ: तथा मथंसूची

    अ%याय िवभाजन

    i. मुग़ल लघु िचऽकला एक सिं Z पिरचय

    ii. अकबर और जहाँगीर काल म� पशु-प ी िचऽ� म� ूयुO िचऽा�मक त�व

    iii. पशु - प ी िचऽ� म� रेखा, Rप, वण: एव ंतान

    iv. पशु-प ी िचऽ� म� सामजंःय, सतुंलन तथा ूभािवता का महव

    v. हािंशय� म� पशु प ी िचऽण

    vi. अकबर और जहाँगीर काल म� पश-ुप ी िचऽ� के ूमुख िचऽकार

    vii. मुग़ल कला के िचऽ� का रचना िवधान तथा साममी

    viii. उपसहंार

    िचऽावली

  • 19

    सIदभ:सIदभ:सIदभ:सIदभ: तथातथातथातथा मथंसचूीमथंसचूीमथंसचूीमथंसचूी

    • आर. एन. टडंन “भारतीय िचऽकला की cपरेखा”, भारत भारती ूकाशन, मेरठ, 1962

    • सोम ूकाश वमा: “rलोरा एडं फौना इन मुग़ल आट: ”, ूकाशक: जे .जे .भाभा, मुबंई, इिंडया,

    1999

    • आर. ए. अमवाल“ “भारतीय िचऽकला का िववेचन””, ूकाशक: इटंरनेशनल पि_लिशगं हाऊस,

    मेरठ, 2005

    • डॉ. रीता ूताप, “भारतीय िचऽकला एव ं मूित:कला का इितहास”, ूकाशक :राजःथान िहदंी मIथ

    अकादमी, जयपुर, 2011

    • शिशूभा ूसाद “रीितकालीन भारतीय समाज“, लोकभारती ूकाशन, इलाहाबाद, 2007

    • राय कृंणा दास “भारत की िचऽकला”, भारती-भडंार लीडर ूेस, इलाहाबाद, 1996

    • असोक कुमार दास “ मुग़ल माःटस: फद:र ःटडीज़◌”़, माग: पि_लकेशन , मुबंई , इिंडया, 1998

    • असोक कुमार दास “ःmल�डर ऑफ़ मुग़ल प�िटगं ” ,ूकाशक : ए.एफ. शैख़, बॉUबे,1986

    • Douglas Mannering “Great works of Indian Art”, Parragon book service Limited,Great

    Britain 1996

    • Percy Brown “Indian Paintings under the Mughals”, Cosmo Publications, New Delhi,

    India 1981

    • The Chester Beatty Library “Mughal and other Indian Paintings”, Scorpion Cavendish

    Ltd., England,1995

    • Marguerite – Marie Deneck “Indian Art”, Paul Hamlyn Ltd.,1967

    • http://hi.bharatdiscovery.org/india/

    • http://books.google.co.in

    • http://indiansaga.com/art/mughal_painting.html

    • http://books.google.co.in/books?id=qeNy_Kbs0hMC&pg=PA16&so

    • urce=gbs_selected_pages&cad=3#v=onepage&q&f=false

    • http://www.asianart.com/articles/minissale/

    • http://columbiaawaaz.com/2012/05/20/mughal-art-the-unexpected-facilitator-of-

    british-imperialism-in-india/

    • http://www.harmyne.com/2012/05/mughal-paintings-in-india.html