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सामाय िहदी 1.भाषा, बोली और याकरण भाषाभाषा मूलतः विनसंके त की एक यवथा है , यह मानव मुख से ि नकली अिभयि$त है , यह ि वचार के आदान'दान का एक सामािजक साधन है और इसके श,द के अथ- 'ायः .ढ़ होते हैँ भाषा अिभयि$त का एक ऐसा समथ- साधन है ि जसके 2ारा मनु3य अपने ि वचारॲ को दूसरॲ पर 'कट कर सकता है और दूसरॲ के ि वचार जाना सकता है अतः हम कह सकते हैँ ि भाव और ि वचार की अिभयि$त के ि लए .ढ़ अथ7ँ म8 'यु$त विन संके त की यवथा ही भाषा है '9येक देश की अपनी एक भाषा होती है हमारी रा3:भाषा ि हदी है संसार म; अनेक भाषाएँ ह< जैसे- ि हदी , संकृ त, अं>ेजी , बँगला, गुजराती , पंजाबी , उदू - , तेलुगु, मलयालम, कAड़, C< , चीनी , जम- इ9यािदभाषा के 'कार- भाषा दो 'कार की होती है 1. मौिखक भाषा2. ि लिखत भाषाआमने सामने बैठे यि$त परपर बातचीत करते ह< अथवा कोई यि$त भाषण आिद 2ारा अपने ि वचार 'कट करता है तो उसे भाषा का मौिखक .प कहते ह< जब यि$त ि कसी दूर बैठे यि$त को पG 2ारा अथवा पुतकॲ एवं पG-पिGकाओं म; लेख 2ारा अपने ि वचार 'कट करता है तब उसे भाषा का ि लिखत .प कहते ह< बोली : ि जस IेG का आदमी जहJ रहता है , उस IेG की अपनी एक बोली होतीहै वहJ रहने वाला यि$त, अपनी बात दूसरे यि$त को उसी बोली म8 बोलकर कहता है तथा उसी म8 सुनता है जैसेशेखावाटी (झुझुनू, चु. सीकर) के ि नवासी शेखावाटी बोली म8 कहतेहैँ एवं सुनते हैँ इसी 'कार कोटा और बूँदी IेG के ि नवासी हाड़ौती म8; अलवर IेG के ि नवासी मेवाती म8; जयपुर IेG के ि नवासी ढू ँढ़ाड़ी म8; मेवाड़ के ि नवासी मेवाड़ी म8 तथा जोधपुर, बीकानेर और नागौर IेG के ि नवासी मारवाड़ी म8 अपनी बात दूसरे यि$त को बोलकर कहते हैँ तथा दूसरे यि$त की बात सुनकर समझते हैँ अतः भाषा का वह .प जो एक सीिमत IेG म8 बोला जाये , उसे बोली कहते हैँ कई बोिलय तथा उनकी समान बात से ि मलकर भाषा बनती है बोली भाषा का बहुत गहरा सMबध है भाषा का IेGीय .प बोली कहलाता है अथNत् देश के ि विभA भागॲ म; बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है और ि कसी भी IेGीय बोली का ि लिखत .प म; ि थर सािह9य वहJ की भाषा कहलाता है याकरण : मनु3य मौिखक एवं ि लिखत भाषा म; अपने ि वचार 'कट कर सकता है और करता रहा है ि कतु इससे भाषा का कोई ि निPत एवं शुQ व.प ि थर नहीं हो सकताभाषा के शुQ और थायी .प को ि निPत करने के ि लए ि नयमबQ योजना की आवRयकता होती है और उस ि नयमबQ योजना को हम याकरण कहते ह< पिरभाषायाकरण वह शाG है ि जसके 2ारा ि कसी भी भाषा के श,दॲ और वा$यॲ के शुQ व.पॲ एवं शुQ 'योगॲ का ि वशद Sान कराया जाता है भाषा और याकरण का संबंध कोई भी मनु3य शुQ भाषा का पूण- Sान याकरण के ि बना 'ाTत नहीं कर सकताअतः भाषा और याकरण का घिनV संबंध ह< वह भाषा म; उWचारण, श,द-'योग, वा$य- गठन तथा अथ7ं के 'योग के .प को ि निPत करता है याकरण के ि वभागयाकरण के चार अंग ि नधNिरत ि कये गये ह< 1. वण- -ि वचार इसम8 वण7ँ के आकार, भेद, उWचारण, और उनके ि मलाने की ि विध बताई जाती है 2. श,द-ि वचार इसम8 श,द के भेद, .प, यु9पित आिद का वण- ि कया जाता है 3. पद-ि वचार इसम8 पद तथा उसके भेद का वण- ि कया जाता है 4. वा$य-ि वचार इसम8 वा$य के भेद, वा$य बनाने और अलग करने की ि विध तथा ि वरामि चX का वण- ि कया जाता है ि लिप : ि कसी भी भाषा के ि लखने की ि विध को ि लिपकहते ह< ि हदी और संकृ त भाषा की ि लिप का नाम देवनागरी है अं>ेजी भाषा की ि लिप रोमन’, उदू - भाषा की ि लिप फारसी , और पंजाबी भाषा की ि लिप गुZमुखी है देवनागरी ि लिप की ि न[ ि वशेषताएँ हैँ (i) यह बाएँ से दाएँ ि लखी जाती है (ii) '9येक वण- की आकृ ित समान होती है जैसे, , , आिद(iii) उWचारण के अनु.प ि लखी जाती है अथNत् जैसे बोली जाती है , वैसी ि लखी जाती है सािह9य : Sान-रािश का संिचत कोश ही सािह9य है सािह9य ही ि कसी भी देश, जाित और वग- को जीवंत रखने का- उसके अतीत .पॲ को दशNने का एकमाG सा\य होता है यह मानव की अनुभूित के ि विभA पIॲ को प] करता है और पाठकॲ एवं ^ोताओं के हृदय म; एक अलौिकक अिनव- चनीय आनंद की अनुभूित उ9पA करता है ♦♦♦ « पीछे जाय8 | आगे पढ8 » सामाय ि हदी होम पेज 'तुित:–

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  • सामा य िह दी

    1.भाषा, बोली और याकरण• भाषा– भाषा मूलतः विन–संकेत की एक यव था है, यह मानव मुख से िनकली अिभ यि त है, यह िवचार के आदान– दान का एक सामािजक साधन है और इसके श द केअथ ायः ढ़ होते है।ँ भाषा अिभ यि त का एक ऐसा समथ साधन है िजसके ारा मनु य अपने िवचारॲ को दसूरॲ पर कट कर सकता है और दसूरॲ के िवचार जानासकता है। अतः हम कह सकते है ँिक “भाव और िवचार की अिभ यि त के िलए ढ़ अथ ँ म यु त विन संकेत की यव था ही भाषा है।” येक देश की अपनी एक भाषा होती है। हमारी रा भाषा िह दी है। संसार म अनेक भाषाए ँह। जैसे- िह दी, सं कृत, अं ेजी, बगँला, गुजराती, पजंाबी, उद,ू तेलुगु,मलयालम, क ड़, च, चीनी, जमन इ यािद।

    • भाषा के कार- भाषा दो कार की होती है –1. मौिखक भाषा।2. िलिखत भाषा।

    आमने–सामने बैठे यि त पर पर बातचीत करते ह अथवा कोई यि त भाषण आिद ारा अपने िवचार कट करता है तो उसे भाषा का मौिखक प कहते ह। जब यि त िकसी दरू बैठे यि त को प ारा अथवा पु तकॲ एव ंप -पि काओं म लेख ारा अपने िवचार कट करता है तब उसे भाषा का िलिखत प कहते ह।

    • बोली: िजस े का आदमी जह रहता है, उस े की अपनी एक बोली होतीहै। वह रहने वाला यि त, अपनी बात दसूरे यि त को उसी बोली म बोलकर कहता है तथा उसीम सुनता है। जैसे–शेखावाटी (झु झुनू, चु व सीकर) के िनवासी ‘शेखावाटी’ बोली म कहतेहै ँएव ंसुनते है।ँ इसी कार कोटा और बूँदी े के िनवासी ‘हाड़ौती’ म; अलवरे के िनवासी ‘मेवाती’ म; जयपुर े के िनवासी ‘ढूँढ़ाड़ी’ म; मेवाड़ के िनवासी ‘मेवाड़ी’ म तथा जोधपुर, बीकानेर और नागौर े के िनवासी ‘मारवाड़ी’ म अपनी बात

    दसूरे यि त को बोलकर कहते है ँतथा दसूरे यि त की बात सुनकर समझते है।ँ

    अतः भाषा का वह प जो एक सीिमत े म बोला जाये, उसे बोली कहते है।ँ कई बोिलय तथा उनकी समान बात से िमलकर भाषा बनती है। बोली व भाषा का बहतुगहरा स ब ध है।

    भाषा का े ीय प बोली कहलाता है। अथ त् देश के िविभ भागॲ म बोली जाने वाली भाषा बोली कहलाती है और िकसी भी े ीय बोली का िलिखत प म ि थरसािह य वह की भाषा कहलाता है।

    • याकरण : मनु य मौिखक एव ंिलिखत भाषा म अपने िवचार कट कर सकता है और करता रहा है िक तु इससे भाषा का कोई िनि त एव ंशु व प ि थर नहीं हो सकता। भाषाके शु और थायी प को िनि त करने के िलए िनयमब योजना की आव यकता होती है और उस िनयमब योजना को हम याकरण कहते ह।

    • पिरभाषा– याकरण वह शा है िजसके ारा िकसी भी भाषा के श दॲ और वा यॲ के शु व पॲ एव ंशु योगॲ का िवशद ान कराया जाता है।

    • भाषा और याकरण का संबधं – कोई भी मनु य शु भाषा का पूण ान याकरण के िबना ा त नहीं कर सकता। अतः भाषा और याकरण का घिन संबधं ह वह भाषा म उ चारण, श द- योग, वा य-गठन तथा अथ ं के योग के प को िनि त करता है।

    • याकरण के िवभाग– याकरण के चार अंग िनध िरत िकये गये ह–1. वण-िवचार – इसम वण ँ के आकार, भेद, उ चारण, और उनके िमलाने की िविध बताई जाती है।2. श द-िवचार – इसम श द के भेद, प, यु पित आिद का वणन िकया जाता है।3. पद-िवचार – इसम पद तथा उसके भेद का वणन िकया जाता है।4. वा य-िवचार – इसम वा य के भेद, वा य बनाने और अलग करने की िविध तथा िवराम–िच का वणन िकया जाता है।

    • िलिप : िकसी भी भाषा के िलखने की िविध को ‘िलिप’ कहते ह। िह दी और सं कृत भाषा की िलिप का नाम देवनागरी है। अं ेजी भाषा की िलिप ‘रोमन’, उद ूभाषा की िलिपफारसी, और पजंाबी भाषा की िलिप गु मुखी है।देवनागरी िलिप की िन िवशेषताए ँहै–ँ(i) यह बाए ँसे दाए ँिलखी जाती है।(ii) येक वण की आकृित समान होती है। जैसे– क, य, अ, द आिद।(iii) उ चारण के अनु प िलखी जाती है अथ त् जैसे बोली जाती है, वैसी िलखी जाती है।

    • सािह य : ान-रािश का संिचत कोश ही सािह य है। सािह य ही िकसी भी देश, जाित और वग को जीवतं रखने का- उसके अतीत पॲ को दश ने का एकमा सा य होता है।यह मानव की अनुभूित के िविभ प ॲ को प करता है और पाठकॲ एव ं ोताओं के हृदय म एक अलौिकक अिनवचनीय आनदं की अनुभूित उ प करता है।

    ♦♦♦

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  • मोद खेदड़

  • सामा य िह दी

    10. वा य श के िलए एक श द अ छी रचना के िलए आव यक है िक कम से कम श द म िवचार कट िकए जाए।ँ भाषा म यह सुिवधा भी होनी चािहए िक व ता या लेखक कम से कम श द म अथ त्सं ेप म बोलकर या िलखकर िवचार अिभ य त कर सके। कम से कम श द म अिधकािधक अथ को कट करने के िलए ‘वा य श या श द–समूह के िलए एक श द’ कािव तृत ान होना आव यक है। ऐसे श द के योग से वा य–रचना म संि तता, सु दरता तथा गंभीरता आ जाती है।

    कुछ उदाहरण िन िलिखत है–ँवा य श या श द–समूह -- श द• हाथी ह कने का छोटा भाला— अंकुश• जो कहा न जा सके— अकथनीय• िजसे मा न िकया जा सके— अ य• िजस थान पर कोई न जा सके— अग य• जो कभी बूढ़ा न हो— अजर• िजसका कोई श ु न हो— अजातश ु• जो जीता न जा सके— अजेय• जो िदखाई न पड़े— अदृ य• िजसके समान कोई न हो— अि तीय• हृदय की बात जानने वाला— अ तय मी• पृ वी, ह और तार आिद का थान— अ तिर• दोपहर बाद का समय— अपरा• जो सामा य िनयम के िव हो— अपवाद• िजस पर मुकदमा चल रहा हो/अपराध करने का आरोप हो/अिभयोग लगाया गया हो— अिभयु त• जो पहले कभी नहीँ हआु— अभूतपूव• फक कर चलाया जाने वाला हिथयार— अ• िजसकी िगनती न हो सके— अगिणत/अगणनीय• जो पहले पढ़ा हआु न हो— अपिठत• िजसके आने की ितिथ िनि त न हो— अितिथ• कमर के नीचे पहने जाने वाला व — अधोव• िजसके बारे म कोई िन य न हो— अिनि त• िजसका भाषा ारा वणन असंभव हो— अिनवचनीय• अ यिधक बढ़ा–चढ़ा कर कही गई बात— अितशयोि त• सबसे आगे रहने वाला— अ णी• जो पहले ज मा हो— अ ज• जो बाद म ज मा हो— अनुज• जो इिं य ारा न जाना जा सके— अगोचर• िजसका पता न हो— अ ात• आगे आने वाला— आगामी• अ डे से ज म लेने वाला— अ डज• जो छूने यो य न हो— अछूत• जो छुआ न गया हो— अछूता• जो अपने थान या ि थित से अलग न िकया जा सके— अ युत• जो अपनी बात से टले नहीँ— अटल• िजस पु तक म आठ अ याय ह— अ ा यायी• आव यकता से अिधक बरसात— अितवृि• बरसात िब कुल न होना— अनावृि• बहतु कम बरसात होना— अ पवृि• इिं य की पहुँच से बाहर— अतीि य/इं यातीत• सीमा का अनुिचत उ लंघन— अित मण• जो बीत गया हो— अतीत• िजसकी गहराई का पता न लग सके— अथाह• आगे का िवचार न कर सकने वाला— अदरूदश• जो आज तक से स ब ध रखता है— अ तन• आदेश जो िनि त अविध तक लागू हो— अ यादेश• िजस पर िकसी ने अिधकार कर िलया हो— अिधकृत• वह सूचना जो सरकार की ओर से जारी हो— अिधसूचना• िवधाियका ारा वीकृत िनयम— अिधिनयम• अिववािहत मिहला— अनूढ़ा• वह ी िजसके पित ने दसूरी शादी कर ली हो— अ यूढ़ा• दसूरे की िववािहत ी— अ योढ़ा• गु के पास रहकर पढ़ने वाला— अ तेवासी• पहाड़ के ऊपर की समतल जमीन— अिध यका• िजसके ह ता र नीचे अंिकत है—ँ अधोह ता रक• एक भाषा के िवचार को दसूरी भाषा म य त करना— अनुवाद• िकसी स दाय का समथन करने वाला— अनुयायी• िकसी ताव का समथन करने की ि या— अनुमोदन• िजसके माता–िपता न ह— अनाथ

  • • िजसका ज म िन वण म हआु हो— अं यज• पर परा से चली आई कथा— अनु ुित• िजसका कोई दसूरा उपाय न हो— अन योपाय• वह भाई जो अ य माता से उ प हआु हो— अ योदर• पलक को िबना झपकाए— अिनमेष/िनिनमेष• जो बुलाया न गया हो— अनाहूत• जो ढका हआु न हो— अनावृत• जो दोहराया न गया हो— अनावत• पहले िलखे गए प का मरण— अनु मारक• पीछे–पीछे चलने वाला/अनुसरण करने वाला— अनुगामी• महल का वह भाग जह रािनय िनवास करती है—ँ अंतःपुर/रिनवास• िजसे िकसी बात का पता न हो— अनिभ /अ• िजसका आदर न िकया गया हो— अनादतृ• िजसका मन कहीँ अ य लगा हो— अ यमन क• जो धन को यथ ही खच करता हो— अप ययी• आव यकता से अिधक धन का संचय न करना— अपिर ह• जो िकसी पर अिभयोग लगाए— अिभयोगी• जो भोजन रोगी के िलए िनिष है— अप य• िजस व को पहना न गया हो— अ हत• न जोता गया खेत— अ हत• जो िबन म गे िमल जाए— अयािचत• जो कम बोलता हो— अ पभाषी/िमतभाषी• आदेश की अवहेलना— अव ा• जो िबना वेतन के काय करता हो— अवैतिनक• जो यि त िवदेश म रहता हो— अ वासी• जो सहनशील न हो— असिह णु• िजसका कभी अ त न हो— अन त• िजसका दमन न िकया जा सके— अद य• िजसका पश करना विजत हो— अ पृ य• िजसका िव ास न िकया जा सके— अिव त• जो कभी न न होने वाला हो— अन र• जो रचना अ य भाषा की अनुवाद हो— अनूिदत• िजसके पास कुछ न हो अथ त् दिर — अिकँचन• जो कभी मरता न हो— अमर• जो सुना हआु न हो— अ य• िजसको भेदा न जा सके— अभे• जो साधा न जा सके— असा य• जो चीज इस संसार म न हो— अलौिकक• जो बा संसार के ान से अनिभ हो— अलोक• िजसे ल घा न जा सके— अलंघनीय• िजसकी तुलना न हो सके— अतुलनीय• िजसके आिद ( ार भ) का पता न हो— अनािद• िजसकी सबसे पहले गणना की जाये— अ गण• सभी जाितय से स ब ध रखने वाला— अ तजतीय• िजसकी कोई उपमा न हो— अनुपम• िजसका वणन न हो सके— अवणनीय• िजसका खंडन न िकया जा सके— अखंडनीय• िजसे जाना न जा सके— अ ेय• जो बहतु गहरा हो— अगाध• िजसका िचँतन न िकया जा सके— अिचँ य• िजसको काटा न जा सके— अका य• िजसको यागा न जा सके— अ या य• वा तिवक मू य से अिधक िलया जाने वाला मू य— अिधमू य• अ य से संबधं न रखने वाला/िकसी एक म ही आ था रखने वाला— अन य• जो िबना अ तर के घिटत हो— अन तर• िजसका कोई घर (िनकेत) न हो— अिनकेत• किन ा (सबसे छोटी) और म यमा के बीच की उँगली— अनािमका• मूलकथा म आने वाला संग, लघु कथा— अंतःकथा• िजसका िनवारण न िकया जा सके/िजसे करना आव यक हो— अिनवाय• िजसका िवरोध न हआु हो या न हो सके— अिन /अिवरोधी• िजसका िकसी म लगाव या ेम हो— अनुर त• जो अनु ह (कृपा) से यु त हो— अनुगृहीत• िजस पर आ मण न िकया गया हो— अना त• िजसका उ र न िदया गया हो— अनु िरत• अनुकरण करने यो य— अनुकरणीय• जो कभी न आया हो (भिव य)— अनागत• जो े गुण से यु त न हो— अनाय• िजसकी अपे ा हो— अपेि त• जो मापा न जा सके— अपिरमेय• नीचे की ओर लाना या खीँचना— अपकष• जो सामने न हो— अ य /परो• िजसकी आशा न की गई हो— अ यािशत• जो माण से िस न हो सके— अ मेय• िकसी काम के बार–बार करने के अनुभव वाला— अ य त• िकसी व तु को ा त करने की तीव इ छा— अभी सा

  • • जो सािह य कला आिद म रस न ले— अरिसक• िजसको ा त न िकया जा सके• जो कम जानता हो— अ प• जो वध करने यो य न हो— अव य• जो िविध या कानून के िव हो— अवैध• जो भला–बुरा न समझता हो अथवा सोच–समझकर काम न करता हो— अिववेकी• िजसका िवभाजन न िकया जा सके— अिवभा य/अभा य• िजसका िवभाजन न िकया गया हो— अिवभ त• िजस पर िवचार न िकया गया हो— अिवचािरत• जो काय अव य होने वाला हो— अव यभंावी• िजसको यवहार म न लाया गया हो— अ यवहृत• जो ी सूय भी नहीँ देख पाती— असूयप या• न हो सकने वाला काय आिद— अश य• जो शोक करने यो य नहीँ हो— अशो य• जो कहने, सुनने, देखने म ल जापूण, िघनौना हो— अ लील• िजस रोग का इलाज न िकया जा सके— असा य रोग/लाइलाज• िजससे पार न पाई जा सके— अपार• बूढ़ा–सा िदखने वाला यि त— अधेड़• िजसका कोई मू य न हो— अमू य• जो मृ यु के समीप हो— आस मृ यु• िकसी बात पर बार–बार जोर देना— आ ह• वह ी िजसका पित परदेश से लौटा हो— आगतपितका• िजसकी भुजाए ँघुटन तक ल बी ह— आजानुबाहु• मृ युपय त— आमरण• जो अपने ऊपर िनभर हो— आ मिनभर/ वावलंबी• यथ का दशन— आड बर• पूरे जीवन तक— आजीवन• अपनी ह या वय ंकरना— आ मह या• अपनी शंसा वय ंकरने वाला— आ म लाघी• कोई ऐसी व तु बनाना िजसको पहले कोई न जानता हो— आिव कार• ई र म िव ास रखने वाला— आि तक• शी स होने वाला— आशुतोष• िवदेश से देश म माल मँगाना— आयात• िसर से प व तक— आपादम तक• ार भ से लेकर अंत तक— आ ोपा त• अपनी ह या वय ंकरने वाला— आ मघाती• जो अितिथ का स कार करता है— आितथेय/मेजबान• दसूरे के िहत म अपना जीवन याग देना— आ मो सग• जो बहतु ू र यवहार करता हो— आततायी• िजसका स ब ध आ मा से हो— आ याि मक• िजस पर हमला िकया गया हो— आ त• िजसने हमला िकया हो— आ ता• िजसे सूँघा न जा सके— आ ेय• िजसकी कोई आशा न की गई हो— आशातीत• जो कभी िनराश होना न जाने— आशावादी• िकसी नई चीज की खोज करने वाला— आिव कारक• जो गुण–दोष का िववेचन करता हो— आलोचक• जो ज म लेते ही िगर या मर गया हो— आज मपात• वह किव जो त काल किवता कर सके— आशुकिव• पिव आचरण वाला— आचारपूत• लेखक ारा वय ंकी िलखी गई जीवनी— आ मकथा• वह चीज िजसकी चाह हो— इि छत• िक हीँ घटनाओँ का काल म से िकया गया वणन— इितवृ• इस लोक से संबिंधत— इहलौिकक• जो इ पर िवजय ा त कर चुका हो— इं जीत• म –बाप का अकेला लड़का— इकलौता• जो इि य से परे हो/जो इि य के ारा ात न हो— इि यातीत• दसूरे की उ ित से जलना— ई य• उ र और पूव के बीच की िदशा— ईशान/ईशा य• पवत की िनचली समतल भूिम— उप यका• दसूरे के खाने से बची व तु— उि छ• िकसी भी िनयम का पालन नहीँ करने वाला— उ छंृखल• वह पवत जह से सूय और च मा उिदत होते माने जाते है—ँ उदयाचल• िजसके ऊपर िकसी का उपकार हो— उपकृत• ऐसी जमीन जो अ छी उ पादक हो— उवरा• जो छाती के बल चलता हो (स प आिद)— उरग• िजसने अपना ऋण पूरा चुका िदया हो— उऋण• िजसका मन जगत से उचट गया हो— उदासीन• िजसकी दोन म िन ा हो— उभयिन• ऊपर की ओर जाने वाला— उ वगामी• नदी के िनकलने का थान— उ गम• िकसी व तु के िनम ण म सहायक साधन— उपकरण• जो उपासना के यो य हो— उपा य• मरने के बाद स पि का मािलक— उ रािधकारी/वािरस• सूय दय की लािलमा— उषा

  • • िजसका ऊपर कथन िकया गया हो— उपयु त• कुँए के पास का वह जल कुंड िजसम पशु पानी पीते है—ँ उबारा• छोटी–बड़ी व तुओँ को उठा ले जाने वाला— उठाईिगरा• िजस भूिम म कुछ भी पैदा न होता हो— ऊसर• सूय त के समय िदखने वाली लािलमा— ऊषा• िवचार का ऐसा वाह िजससे कोई िन कष न िनकले— ऊहापोह• कई जगह से िमलाकर इक ा िकया हआु— एकीकृत• स सािरक व तुओँ को ा त करने की इ छा— एषणा• वह ि थित जो अंितक िनण यक हो, िनि त— एक ितक• जो यि त की इ छा पर िनभर हो— ऐि छक• इिं य को िमत करने वाला— ऐ ँ जािलक• लकड़ी या प थर का बना पा िजसम अ कूटा जाता है— ओखली• स प–िब छू के जहर या भूत– ेत के भय को मं से झाड़ने वाला— ओझा• जो उपिनषद से संबिंधत हो— औपिनषिदक• जो मा िश ाचार, यावहािरकता के िलए हो— औपचािरक• िववािहता प ी से उ प संतान— औरस• हि डय का ढ चा— कंकाल• दो यि तय के बीच पर पर होने वाली बातचीत— कथोपकथन• बतन बेचने वाला— कसेरा• िजसे अपने मत या िव ास का अिधक आ ह हो— क र• िजसकी क पना न की जा सके— क पनातीत• ऐसा अ जो खाने यो य न हो— कद• हाथी का ब चा— कलभ• कम म त पर रहने वाला— कमठ• एक के बाद एक— म• कान म कही जाने वाली बात— कानाबाती/कानाफूसी• सरकार का वह अंग जो कानून का पालन करता है— कायपािलका• शंृगािरक वासनाओँ के ित आकिषत— कामुक• जो दःुख या भय से पीिड़त हो— कातर• अपनी गलती वीकार करने वाला— कायल• दसूरे की ह या करने वाला— काितल• बा याव था और युवाव था के बीच की अव था— िकशोराव था• जो बात पूवकाल से लोग म सुनकर चिलत हो— िकँवद ती/जन ुित• अपने काम के बारे म कुछ िन य न करने वाला— िकँकत यिवमूढ़• वृ लता आिद से ढका थान— कु• िजस लड़के का िववाह न हआु हो— कुमार• ऐसी लड़की िजसका िववाह न हआु हो— कुमारी• बुरे काय करने वाला— कुकम• बुरे माग पर चलने वाला— कुमाग• िजसकी बुि बहतु तेज हो— कुशा बुि• जो अ छे कुल म उ प हआु हो— कुलीन• वह यि त िजसका ान अपने ही थान तक सीिमत हो— कूपमंडूक• िकए गए उपकार को मानने वाला— कृत• िकए गए उपकार को न मानने वाला— कृत• जो धन को अ यिधक कंजूसी से खच करता हो— कृपण• िजसने संक प कर रखा है— कृतसंक प• जो के से हटकर दरू जाता हो— के ापसारी• जो के की ओर उ मुख हो— के ािभसारी/के ािभमुख• सप के शरीर से िनकली हईु खोली— कचुली• जो मा िकया जा सके— य• िजसका कुछ ही समय म नाश हो जाए— णभगुंर• जह धरती और आकाश िमलते हएु िदखाई देते है—ँ ि ितज• जो भूख िमटाने के िलए बेचैन हो— ुधातुर• भूख से पीिड़त— ुधात• वह ी िजसका पित अ य ी के साथ रात को रहकर ातः लौटे— खंिडता• आकाशीय िपँड का िववेचन करने वाला— खगोलशा ी• जो यि त अपने हाथ म तलवार िलए रहता है— ख गह त• नायक का ित ी— खलनायक• जह से गंगा नदी का उ गम होता है— गंगो ी• शरीर का यापार करने वाली ी— गिणका• जो आकाश को छू रहा हो— गगन पश• पहले से चली आ रही पर परा का अनुपालन करने वाला— गतानुगितक• हण करने यो य— ा• गीत गाने वाला/वाली— गायक/गाियका• गीत रचने वाला— गीतकार• हर पदाथ को अपनी ओर आकृ करने वाली शि त— गु वाकषण• जो बात गूढ़ (रह यपूण) हो— गूढ़ोि त• जीवन का ि तीय आ म— गृह था म• गाय के खुर से उड़ी धूल— गोधूिल• जब गाय जगंल से लौटती है ँऔर उनके चलने की धूल आसमान म उड़ती है (िदन और राि के बीच का समय)— गोधूिल बेला• गाय के रहने का थान— गौशाला• घास खोदकर जीवन–िनव ह करने वाला— घिसयारा• शरीर की हािन करने वाला— घातक• जो घृणा का पा हो— घृिणत/घृणा पद• िजसके िसर पर चं कला हो (िशव)— चं चूड़/चं शेखर

  • • वह कृित िजसम ग और प दोन ह— चंपू• च के प म घूमती हईु चलने वाली हवा— च वात• याज का वह कार िजसम मूल याज पर भी याज लगता है— च वृि याज• िजसके हाथ म च हो— च पािण• चार भुजाओँ वाला— चतुभुज• काय करने की इ छा— िच ीष• लंबे समय तक जीने वाला— िचरजंीवी• जो िचरकाल से चला आया है— िचरतंन• जो बहतु समय तक ठहर सके— िचर थायी• िचँता (िचँतन) करने यो य बात— िचँतनीय/िचँ य• िजस पर िच लगाया गया हो— िचि त• चार पैर वाला— चौपाया/चतु पद• जो गु त प से िनवास कर रहा हो— छ वासी• दसूर के केवल दोष को खोजने वाला— िछ ा वेषी• प थर को गढ़ने वाला औजार— छैनी• एक थान से दसूरे थान पर चलने वाला— जगंम• पेट की अि न— जठराि न• बारात ठहरने का थान— जनवासा• जो जल बरसाता हो— जलद• जो जल से उ प हो— जलज• वह पहाड़ िजसके मुख से आग िनकले— वालामुखी• जल म रहने वाला जीव— जलचर• जनता ारा चलाया जाने वाला तं — जनतं• उ म बड़ा— ये• जो चम कारी ि याओँ का दशन करता हो— जादगूर• िजसने आ मा को जीत िलया हो— िजता मा• जानने की इ छा रखने वाला— िज ासु• इि य को वश म करने वाला— िजतेि य• िकसी के जीवन–भर के काय ँ का िववरण— जीवन–चिर• जो जीतने के यो य हो— जेय• जेठ (पित का बड़ा भाई) का पु — जेठोत• ि य ारा अपनी इ जत बचाने के िलए िकया गया सामूिहक अि न- वेश— जौहर• ान देने वाली— ानदा• जो ान ा त करने की इ छा रखता हो— ानिपपासु• बहतु गहरा तथा बहतु बड़ा ाकृितक जलाशय— झील• जह िस की ढलाई होती है— टकसाल• बतन बनाने वाला— ठठेरा• जनता को सूचना देने हेतु बजाया जाने वाला वा — िढँढोरा• जो िकसी भी गुट म न हो— तट थ/िनगुट• ह की नीँद— त ा• जो िकसी काय या िच तन म डूबा हो— त लीन• ऋिषय के तप करने की भूिम— तपोभूिम• उसी समय का— त कालीन• वह राजकीय धन जो िकसान की सहायता हेतु िदया जाता है— तक़ाबी• िजसम बाण रखे जाते है—ँ तरकश/तूणीर• जो चोरी–िछपे माल लाता ले जाता हो— त कर• िकसी को पद छोड़ने के िलए िलखा गया प — यागप• तक करने वाला यि त— तािकक• दैिहक, दैिवक और भौितक सुख— ताप य• तैर कर पार जाने की इ छा— िततीष• ान म वेश का मागदशक— तीथकर• वह यि त जो छुटकारा िदलाता है/र ा करता है— ाता• दखुा त नाटक— ासदी• भूत, वतमान और भिव य को जानने/देखने वाला— ि काल /ि कालदश• गंगा, जमुना और सर वती नदी का संगम— ि वेणी• िजसके तीन आँखे है—ँ ि ने• वह थान जो दोन भृकुिटओँ के बीच होता है— ि कुटी• तीन महीने म एक बार— ैमािसक• जो धरती पर िनवास करता हो— थलचर• पित और प ी का जोड़ा— दपंती• दस वष ँ की समयाविध— दशक• गोद िलया हआु पु — द क• संकुिचत िवचार रखने वाला— दिक़यानूस• धन जो िववाह के समय पु ी के िपता से ा त हो— दहेज• जगंल म फैलने वाली आग— दावानल• िदन भर का काय म— िदनचय• िदखने मा को अ छा लगने वाल— िदखावटी• जो सपना िदन (िदवा) म देखा जाता है— िदवा व• दो बार ज म लेने वाला ( ा ण, प ी, द त)— ि ज• िजसने दी ा ली हो— दीि त• अनुिचत बात के िलए आ ह— दरुा ह• बुरे भाव से की गई संिध— दरुिभसंिध• वह काय िजसको करना किठन हो— दु कर• दो िविभ भाषाए ँजानने वाले यि तय को एक–दसूरे की बात समझाने वाला— दभुािषया• जो शी ता से चलता हो— तुगामी

  • • िजसे किठनाई से जाना जा सके— दु य• िजसको पकड़ने म किठनाई हो— दरुिभ ह/दु ा• पित के नेह से विंचत ी— दभुगा• िजसे किठनता से साधा/िस िकया जा सके— दु सा य• जो किठनाई से समझ म आता है— दबु ध• वह माग जो चलने म किठनाई पैदा करता है— दगुम• िजसम खराब आदत ह— दु यसनी• िजसको मापना किठन हो— दु पिरमेय• िजसको जीतना बहतु किठन हो— दजुय• वह ब चा जो अभी म के दधू पर िनभर है— दधुमँुहा• बुरे भा य वाला— दभु यशाली• िजसम दया भावना हो— दयालु• िजसका आचरण बुरा हो— दरुाचारी• दधू पर आधािरत रहने वाला— दु धाहारी• िजसकी ाि त किठन हो— दलुभ• िजसका दमन करना किठन हो— ददुमनीय• आगे की बात सोचने वाला यि त— दरूदश• देश से ोह करने वाला— देश ोही• देह से स बि धत— दैिहक• देव के ारा िकया हआु— दैिवक• ितिदन होने वाला— दैिनक• धन से स प — धनी• जो धनुष को धारण करता हो— धनुधर• धन की इ छा रखने वाला— धने छु• गरीब के िलए दान के प म िदया जाने वाला अ –धन आिद— धम दा• िजसकी धम म िन ा हो— धमिन ा• िकसी के पास रखी हईु दसूरे की व तु— धरोहर/थाती• मछली पकड़कर आजीिवका चलाने वाला— धीवर• जो धीरज रखता हो— धीर• धुरी को धारण करने वाला अथ त् आधारभूत काय ँ म वीण— धुरधंर• अपने थान पर अटल रहने वाला— ुव• यान करने यो य अथवा ल य— येय• यान करने वाला— याता/ यानी• िजसका ज म अभी–अभी हआु हो— नवजात• गाय को दहुते समय बछड़े का गला ब धने की र सी जो गाय के पैर म ब धी जाती है— निव• जो नया–नया आया है— नवागंतुक• िजसका उदय हाल ही म हआु है— नवोिदत• जो आकाश म िवचरण करता है— नभचर• स मान म दी जाने वाली भट— नजराना• िजस ी का िववाह अभी हआु हो— नवोढ़ा• ई र म िव ास न रखने वाला— नाि तक• पुराना घाव जो िरसता रहता हो— नासूर• जो न होने वाला हो— नाशवान/न र• नरक के यो य— नारकीय• वह थान या दकुान जह हजामत बनाई जाती है— नािपतशाला• िकसी से भी न डरने वाला— िनडर/िनभक• जो कपट से रिहत है— िन कपट• जो पढ़ना–िलखना न जानता हो— िनर र• िजसका कोई अथ न हो— िनरथक• िजसे कोई इ छा न हो— िन पृह• रात म िवचरण करने वाला— िनशाचर• िजसका आकार न हो— िनराकार• केवल शाक, फल एव ंफूल खाने वाला या जो मस न खाता हो— िनरािमष• िजससे िकसी कार की हािन न हो— िनरापद• िजसके अवयव न हो— िनरवयव• िबना भोजन (आहार) के— िनराहार• जो यह मानता है िक संसार म कुछ भी अ छा होने की आशा नहीँ है— िनराशावादी• जो उ र न दे सके— िन र• िजसके कोई दाग/कलंक न हो— िन कलंक• िजसम कोई कंटक/अड़चन न हो— िन कंटक• िजसका अपना कोई शु क न हो— िनःशु क• िजसके संतान न हो— िनःसंतान• िजसका अपना कोई वाथ न हो— िन वाथ• यापािरक व तुओँ को िकसी दसूरे देश म भेजने का काय— िनय त• िजसको देश से िनकाल िदया गया हो— िनव िसत• िबना िकसी बाधा के— िनब ध• जो मम व से रिहत हो— िनमम• िजसकी िकसी से उपमा/तुलना न दी जा सके— िन पम• जो िनणय करने वाला हो— िनण यक• िजसे िकसी चीज की लालसा न हो— िन काम• िजसम िकसी बात का िववाद न हो— िनिववाद• जो िन दा करने यो य हो— िन दनीय• िजसम िकसी कार का िवकार उ प न हो— िनिवकार• जो ल जा से रिहत हो— िनल ज• िजसको भय न हो— िनभय

  • • जो नीित जानता हो— नीित• रगंमंच पर पद के पीछे का थान— नेप य• आजीवन चय का वत करने वाला— नैि क• जो नीित के अनुकूल हो— नैितक• जो यायशा की बात जानता हो— नैयाियक• घृत, दु ध, दिध, शहद व श र से बनने वाला पदाथ— पचंामृत• प पात करने वाला— प पाती• पदाथ का सबसे छोटा कण— परमाणु• िजतने की आव यकता हो उतना— पय त• महीने के दो प म से एक— पखवाड़ा• नाटक का पद िगरना— पटा ेप/यविनकापतन• अपनी गलती के िलए िकया हआु दःुख— प ाताप• केवल अपने पित म अनुराग रखने वाली ी— पितवता• पित को चुनने की इ छा वाली क या— पित वरा• उपाय/माग बताने वाला— पथ- दशक/मागदशक• अपने माग से युत/भटका हआु— पथ• अपने पद से हटाया हआु— पद युत• जो भोजन रोगी के िलए उिचत है— प य• घूमने–िफरने/देश–देशा तर मण करने वाला या ी— पयटक• केवल दधू पर िनभर रहने वाला— पयोहारी• दसूर पर िनभर रहने वाला— पराि त/परा यी• परपु ष से ेम करने वाली ी— परकीया• पित ारा छोड़ दी गई प ी— पिर यका• दसूरे का मँुह ताकने वाला— परमुखापे ी• जो पहनने लायक हो— पिरधेय• जो मापा जा सके— पिरमेय• जो सदा बदलता रहे— पिरवतनशील• जो आँख के सामने न हो— परो /अ य• दसूरे पर उपकार करने वाला— परोपकारी/परमाथ• जो पूरी तरह से पक चुका हो/पारगंत हो चुका हो— पिरप व• पद के अंदर रहने वाली— पद नशीन• शंसा करने यो य— शंसनीय• िकसी का त काल उ र दे सकने वाली मित— यु प मित• िकसी वाद का िवरोध करने वाला— ितवादी• शरणागत की र ा करने वाला— णतपाल• वह विन जो कहीँ से टकराकर आए— ित विन• जो िकसी मत को सव थम चलाता है— वतक• वह ी िजसके हाल ही म िशशु उ प हआु हो— सूता• वह आकृित जो िकसी शीशे, जल आिद म िदखाई दे— ितिब ब• हा य रस से पिरपूण नािटका— हसन• माण ारा िस करने यो य— मेय• सं या के बाद व राि होने के पूव का समय— दोष/पूवरा• ान ने से देखने वाला अंधा यि त— ाच ु• सभा म िवचाराथ तुत बात— ताव• हाथ से िलखी गई पु तक— पा डुिलिप• िकसी पिर म के बदले िमलने वाली रािश— पािर िमक• िजसका वभाव पशुओँ के समान हो— पाशिवक• महीने के येक प से संबिंधत— पाि क• िकसी िवषय का पूण ाता— पारगंत• िजसम से आर–पार देखा जा सकता हो— पारदश• जो परलोक से संबिंधत हो— पारलौिकक• माग म खाने के िलए भोजन— पाथेय• िजसका संबधं पृ वी से हो— पािथव• ात इितहास के पूव समय का— ागैितहािसक• थल का वह भाग िजसके तीन ओर पानी हो— ाय ीप• िजसको देखकर अ छा लगे— ि यदश• पीने की इ छा रखने वाला— िपपासु• बार–बार कही गई बात— पुन ि त• िजसका पुनः ज म हआु हो— पुनज म• पहले िकया गया कथन— पूव त• दोपहर से पहले का समय— पूव• ाचीन इितहास का ाता— पुरात ववे ा• पीने यो य पदाथ— पेय• िपता एव ं िपताओँ से संबिंधत— पैतृक• जो स पि िपता से ा त हो— पैतृक स पि• फटे–पुराने कपड़े पहनने वाला— फटीचर• केवल फल पर िनव ह करने वाला— फलाहारी• फल की इ छा रखने वाला— फले छु• बुरी िक मत वाला— बदिक मत• बुरे िमजाज (आचरण) वाला— बदिमजाज• सूय दय से पहले दो घड़ी तक का समय— मुहूत• जीवन का थम आ म— चय म• बहतु िवषय का जानकार— बहु• िजसने सुनकर अनेक िवषय का ान ा त िकया हो— बहु ुत• समु म लगने वाली आग— बड़वानल

  • • जो अनेक प धारण करता हो— बहु िपया• बहतु से देवताओँ के अि त व म िव ास करने वाला मत— बहदेुववाद• काफी अिधक कीमत का— बहमूु य• अनेक भाषाओँ को जानने वाला— बहभुाषािवद्• रात का भोजन— यालू/राि भोज• िजस ी के कोई संतान नहीँ हईु हो— ब झ• खाने का इ छुक— बुबु ु• • िकसी भवनािद के खंिडत होने के बाद बचे भाग— भ नावशेष• भय के कारण बेचैन— भयाकुल• भा य पर भरोसा रखने वाला— भा यवादी• जो भा य का धनी हो— भा यवान• दीवार पर बने हएु िच — िभि िच• जो पृ वी के भीतर का ान रखता हो— भूगभवेता• धरती पर चलने वाला ज तु— भूचर• जो पहले था या हआु— भूतपूव• धरती को धारण करने वाला पवत— भूधर• औषिधय का जानकार— भेषज• ातःकाल गाया जाने वाला राग— भैरवी• सूय दय के पहले का समय— भोर• भूगोल से संबिंधत— भौगोिलक• फूल का रस— मकरदं• दोपहर का समय— म या• सद म होने वाली वष— महावट/मावठ• हाथी को ह कने वाला— महावत• सुख एव ंदःुख म एक समान रहने वाला— मन वी• िजसकी आँख मगर जैसी हो— मकरा• िकसी मत का अनुसरण करने वाला— मतानुयायी• दो प के बीच म पड़कर फैसला कराने वाला— मख ाता/य र क• जो बहतु ऊँची अक ा/इ छा रखता हो— मह वाक ी• िजसकी बुि कमजोर है— म दबुि /मितमा• िजसकी आ मा महान हो— महा मा• िकसी चीज के मम का ाता— मम• म यराि का समय— म यरा• मन का असीम दःुख— मन ताप• जह केवल रेत ही रेत हो— म थल• म स आिद खाने वाला— म साहारी• माह म होने वाला— मािसक• माता की ह या करने वाला— मातृहतंा• कम खाने वाला— िमताहारी• कम खच करने वाला— िमत ययी• जो अस य बोलता हो— िम यावादी• िजस ी की आँख मछली के समान ह— मीना ी• थोड़ा िखला हआु फूल— मुकुल• शुभ काय हेतु िनकाला गया समय— मुहूत• िदल खोलकर कहना— मु तकंठ• मु ा का अिधक चलन/ सार— मु ा फीित• मरणास अव थावाला/शि त के अनुसार— मुमूषु• मरने की इ छा— मुमूष• मो की इ छा रखने वाला— मुमु ु• चुपचाप देखने वाला— मूकदशक• हिरण के ने जैसी आँख वाली— मृगनयनी• जो मीठी वाणी बोलता हो— मृदभुाषी• िजसने मृ यु को जीत िलया हो— मृ युंजय• कमल की डडंी— मृणाल• जो रचना िकसी यि त की अपनी वय ंकी हो एव ंनई हो— मौिलक• जुड़व भाई या बहन— यमल/यमला• रगंमंच का परदा— यविनका• शि त के अनुसार करना— यथाशि त• जैसा चािहए, उिचत हो वैसा— यथोिचत• जो यं से संबिंधत हो— य ि क• जब तक जीवन रहे— याव जीवन/जीवनपयत• घूम–घूमकर जीवन िबताने वाला— यायावर• समाज को नई िदशा देकर नए युग की शु आत करने वाला— युग वतक• अपने युग का ान रखने वाला— युग ा• य – थान पर थािपत िकया जाने वाला खंभा— यूप• रात को कुछ भी िदखाई नहीँ देने वाला रोग— रतौँधी• िकसान से भूिम कर लेने वाला सरकारी िवभाग— राज व िवभाग• रा य ारा आिधकािरक प से कािशत होने वाला प — राजप (गजट)• िजसके नीचे रेखाए ँलगाई गई ह— रेख िकत• ेम, आन द, भय आिद से र गटे खड़े होने की दशा— रोम च• स ता से िजसके र गटे खड़े हो गए ह— रोम िचत• जो लकड़ी काटकर जीवन िबताता हो— लकड़हारा• िजसका वशं लु त हो गया हो— लु तवशं• लोभी वभाव वाला— लु ध/लोभी

  • • िजसे देखकर र गटे खड़े ह जाए—ँ लोमहषक• वशं पर परा के अनुसार— वशंानुगत• िजसके हाथ म व हो— व पािण• बहतु ही कठोर और बड़ा आघात— व ाघात• बचपन और यौवन के म य की उ — वयसंिध• िजसका वणन न िकया जा सके— वणनातीत• अिधक बोलने वाला— वाचाल• स तान के ित ेम— वा स य• मुकदमा दायर करने वाला— वादी• भाषण देने म चतुर— वा मी• िजसका वाणी पर पूण अिधकार हो— वाच पित• सामािजक मानमय दा के िवपरीत काय करने वाला— वामाचारी• गृह–िनम ण संबधंी िव ान— वा तुिव ान• बाहर के तापमान का असर रोकने हेतु की जाने वाली यव था— वातानुकूलन• वह क या िजसके िववाह करने का वचन दे िदया गया हो— वा दता• िजसम िवष िमला हआु हो— िवषा त• िजस पर िव ास िकया जा सके— िव त• िजस िवषय म िनि त मत न हो— िववादा पद• िजसकी प ी मर चुकी हो— िवधुर• ी िजसका पित मर गया हो— िवधवा• सौतेली म— िवमाता• जो दसूरी जाित का हो— िवजातीय• िजस पर अभी िवचार चल रहा हो— िवचाराधीन• वह ी जो पढ़ी–िलखी व ानी हो— िवदषुी• अपना िहत–अिहत सोचने म समथ— िववेकी• अपनी जगह से अलग िकया हआु— िव थािपत• िजसके अंदर कोई िवकार आ गया हो— िवकृत• जो अपने धम के िव काय करने वाला हो— िवधम• जो िविध/कानून के अनुसार सही हो— िविधवत्/वैध• िकसी िवषय का िवशेष ान रखने वाला— िवशेष• िवनाश करने वाला— िव वसंक• िजसके शरीर के भाग म कमी हो— िवकल ग• िजसे याकरण का पूरा ान हो— वैयाकरण• सौ वष ँ का समूह— शता दी• जो शरण म आ गया हो— शरणागत• शरण की इ छा रखने वाला— शरणाथ• हाथ म पकड़कर चलाया जाने वाला हिथयार जैसे तलवार— श• सौ व तुओँ का सं ह— शतक• जो सौ बात एक साथ याद रख सकता है— शतावधानी• िजसके मरण मा से ही श ु का नाश हो/श ु का नाश करने वाला— श ु• िजसका कोई आिद और अंत न हो— शा त• शाक, फल और फूल खाने वाला— शाकाहारी/िनरािमष• िजस श द के दो अथ ह— िशल• िशव का आलय ( थान)— िशवालय• शुभ चाहने वाला— शुभे छु/शुभाक ी• अनुसंधान के िलए िदया जाने वाला अनुदान— शोधवृि• जो सुनने यो य हो— य/ वणीय• िजसम ा भावना हो— ालु• पित/प ी का िपता— सुर• पित/प ी की माता— ू (सास)• पित/प ी का भाई— शुय (साला)• िजसके छह कोण ह— ष कोण• िजसके छह पद ह (भौँरा)— ष पद• छह–छह माह म होने वाला— ष मािसक• सोलह वष की अव था वाली ी— षोडशी• दो निदय के िमलने का थान— संगम• इि य को वश म रखने वाला— संयमी• जो समाचार भेजता है— संवाददाता• एक ही म से उ प भाई/बहन— सहोदर/सहोदरा• सात सौ दोह का समूह— सतसई• जो गुण–दोष का िववेचन करता हो— समालोचक• सब कुछ जानने वाला— सव• जो समान आयु का हो— समवय क• जो सभी को समान दिृ से देखता हो— समदश• सािहि यक गुण–दोष की िववेचना करने वाला— समी क• वह ी िजसका पित जीिवत हो— सधवा• जो सदा से चला आ रहा हो— सनातन• अ य लोग के साथ गाया जाने वाला गीत— सहगान• उसी समय म होने वाला/रहने वाला— समकालीन• साथ पढ़ने वाला— सहपाठी• जो दसूर की बात सहन कर सकता हो— सिह णु• छूत या संसग से फैलने वाला रोग— सं ामक• जो एक ही जाित के ह— सजातीय• गीत की धुन बनाने वाला— संगीतकार• रस पूण— सरस

  • • साथ काम करने वाला— सहकम• सबको ि य लगने वाला— सवि य• सद ्आचरण रखने वाला— सदाचारी• ान देने वाली देवी— सर वती• जो अपनी प ी के साथ हो— सप ीक• स य के िलए आ ह— स या ह• शत ँ के साथ काम करने का समझौता— संिवदा• जो स य बोलता हो— स यवादी/स यभाषी• संहार करने वाला/मारने वाला— संहारक• िजसका चिर अ छा हो— स चिर• न बहतु ठ डा न बहतु गम— समशीतो ण• जो सब कुछ खाता हो— सवभ ी• सब कुछ पाने वाला— सवल ध• जो सम त देश / थान से संबिंधत हो— सावभौिमक• रथ ह कने वाला— सारिथ• जो पढ़ना–िलखना जानता है— सा र• स ताह म एक बार होने वाला— सा तािहक• सभी लोग के िलए— सावजिनक• आकार से यु त (मूितमान)— साकार• जो सब जगह िव मान हो— सव यापी• िजसकी ीवा सुंदर हो— सु ीव• जो सोया हआु हो— सुषु त• सधवा रहने की दशा या अव था— सुहाग• पसीने से उ प जीव (जैसे जँू आिद)— वेदज• िकसी सं था या यि त के पचास वष पूरे करने के उपल य म होने वाला उ सव— वण जयतंी• ी के वभाव जैसा— ैण• गितहीन रहने वाला— थावर• िजसको िस करने के िलए अ य माण की ज रत न हो— वयिंस / वतः माण• अपनी ही इ छानुसार पित का वरण करने वाली— वयवंरा• जो वय ंभोजन बनाकर खाता हो— वयपंाकी• जो अपने ही अधीन हो— वाधीन• जो अपना ही िहत सोचता हो— वाथ• सौ व तुओँ का सं ह— सैँकड़ा/शतक• हमला करने वाला— हमलावर• सेना का वह भाग जो सबसे आगे हो— हरावल• हवन से संबिंधत साम ी— हिव• ऐसा बयान जो शपथ सिहत िदया गया हो— हलफनामा• दसूरे के काम म दखल देना— ह त ेप• ऐसा दःुख जो हृदय को चीर डाले— हृदय िवदारक• हृदय से संबिंधत— हािदक• िजस पर हसँी आती हो/जो हसँी का पा हो— हा या पद• िकसी सं था या यि त के साठ वष पूरे होने के उपल य म होने वाला उ सव— हीरक जयतंी• जो बात हृदय म अ छी तरह बैठ गई हो— हृदयगंम• दसूर का िहत चाहने वाला— िहतैषी• न टलने वाली घटना/अव यभंावी घटना/भा याधीन— होनहार• य म आहिुत देने वाला— होमाि न

    िविभ कार की इ छाए:ँ• िकसी व तु को ा त करने की तीव इ छा— अभी सा• स सािरक व तुओँ को ा त करने की इ छा— एषणा• काय करने की इ छा— िचकीष• जानने की इ छा— िज ासा• जीतने, दमन करने की इ छा— िजगीषा• िकसी को जीत लेने की इ छा रखने वाला— िजगीषु• िकसी को मारने की इ छा— िजघसा• भोजन करने की इ छा— िजघ सा• हण करने, पकड़ने की इ छा— िजघृ ा• िजदँा रहने की इ छा— िजजीिवषा• ान ा त करने की इ छा— ानिपपासा• तैर कर पार जाने की इ छा— िततीष• धन की इ छा रखने वाला— धने छु• पीने की इ छा रखने वाला— िपपासु• फल की इ छा रखने वाला— फले छु• खाने की इ छा— बुभु ा• खाने का इ छुक— बुभु ु• जो अ यिधक भूखा हो— बुभुि त• मो की इ छा रखने वाला— मुमु ु• मरने की इ छा— मुमुष• मरणास अव था वाला/मरने को इ छुक— मुमूषू• यु की इ छा रखने वाला— युयु सु• यु करने की इ छा— युयु सा• शुभ चाहने वाला— शुभे छु• िहत चाहने वाला— िहतैषी

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    • सामा य िह दी♦ होम पेज

    तुित:–मोद खेदड़

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  • सामा य िह दी

    11. मुहावरे एव ंलोकोि तय1. मुहावरे

    सामा य अथ का बोध न कराकर िवशेष अथवा िवल ण अथ का बोध कराने वाले पदब ध को मुहावरा कहते है।ँ इ ह वा धारा भी कहते है।ँ

    मुहावरा एक ऐसा वा य श है, जो रचना म अपना िवशेष अथ कट करता है। रचना म भावगत सौ दय की दिृ से मुहावर का िवशेष मह व है। इनके योग से भाषासरस, रोचक एव ं भावपूण बन जाती है। इनके मूल प म कभी पिरवतन नहीँ होता अथ त् इनम से िकसी भी श द का पय यवाची श द यु त नहीँ िकया जा सकता। ह ,ि या पद म काल, पु ष, वचन आिद के अनुसार पिरवतन अव य होता है। मुहावरा अपूण वा य होता है। वा य योग करते समय यह वा य का अिभ अंग बन जाता है।मुहावरे के योग से वा य म यं याथ उ प होता है। अतः मुहावरे का शाि दक अथ न लेकर उसका भावाथ हण करना चािहए।मुख मुहावरे व उनका अथ:

    • अंग–अंग िखल उठना– स हो जाना।• अंग छूना– कसम खाना।• अंग–अंग टूटना– सारे बदन म दद होना।• अंग–अंग ढीला होना– बहतु थक जाना।• अंग–अंग मुसकाना– बहतु स होना।• अंग–अंग फूले न समाना– बहतु आनिंदत होना।• अंगड़ाना– अंगड़ाई लेना, जबरन पहन लेना।• अंकुश रखना– िनयं ण रखना।•अंग लगाना– िलपटाना।• अंगारा होना– ोध म लाल हो जाना।• अंगारा उगलना– जली–कटी सुनाना।•अंगार पर पैर रखना– जोिखम मोल लेना।• अँगूठे पर मारना– परवाह न करना।• अँगूठा िदखाना– िनराश करना या ितर कारपूवक मना करना।• अंगूर ख े होना– ा त न होने पर उस व तु को र ी बताना।• अंजर–पजंर ढीला होना– अंग–अंग ढीला होना।• अंडा फूट जाना– भेद खुल जाना।• अंधा बनाना– ठगना।• अँधे की लकड़ी/लाठी– एकमा सहारा।• अंधे को िचराग िदखाना– मूख को उपदेश देना।• अंधाधंुध– िबना सोचे–िवचारे।• अंधानुकरण करना– िबना िवचारे अनुकरण करना।• अंधेर खाता– अ यव था।• अंधेर नगरी– वह थान जह कोई िनयम यव था न हो।• अंधे के हाथ बटेर लगना– िबना यास भारी चीज पा लेना।• अंध म काना राजा– अयो य यि तय के बीच कम यो य भी बहतु यो य होता है।• अँधेरे घर का उजाला– अित सु दर/इकलौती स तान।

  • • अँधेरे म रखना– भेद िछपाना।• अँधेरे मँुह– पौ फटते।• अंधेरे–उजाले– समय–कुसमय।• अकड़ना– घम ड करना।• अ ल का दु मन– मूख।• अ ल चकराना– कुछ समझ म न आना।• अ ल का अंधा होना– बेअ ल होना।• अ ल आना– समझ आना।• अ ल का कसूर– बुि दोष।• अ ल काम न करना– कुछ समझ न आना।• अ ल के घोड़े दौड़ाना– तरह–तरह की क पना करना।• अ ल के तोते उड़ना– होश िठकाने न रहना।• अ ल के बिखए उधेड़ना– बुि न कर देना।• अ ल जाती रहना– घबरा जाना।• अ ल िठकाने होना– होश म आना।• अ ल िठकाने ला देना– समझा देना।• अ ल से दरू/बाहर होना– समझ म न आना।• अ ल का पूरा– मूख।• अ ल पर प थर पड़ना– बुि से काम न लेना।• अ ल चरने जाना– बुि का न होना।• अ ल का पुतला– बुि मान।• अ ल के पीछे लठ िलए िफरना– मूखता का काम करना।• अपनी िखचड़ी खुद पकाना– िमलजुल कर न रहना।• अपना उ लू सीधा करना– वाथ िस करना।• अपना सा मँुह लेकर रहना– लि जत होना।• अरमान िनकालना– मन का गुबार पूरा करना।• अपने मँुह िमय िम ू बनना– अपनी बड़ाई आप करना।• अपने प व पर कु ाड़ी मारना– जानबूझकर अपना नुकसान करना।• अपना राग अलापना– अपनी ही बात पर बल देना।• अगर–मगर करना– बहाना करना।• अटकल िभड़ाना– उपाय सोचना।• अपने पैर पर खड़ा होना– वावलंबी होना।• अ र से भट न होना– अनपढ़ होना।• अटखेिलय करना– िकलोल करना।• अडगंा करना– होते काय म बाधा डालना।• अड़ पकड़ना– िजद करना/पनाह म आना।• अता होना– िमलना।• अथाह म पड़ना

  • – मुि कल म पड़ना।• अदब करना– स मान करना।• अधर म झूलना– दिुवधा म रहना।• अधूरा जाना– असमय गभपात होना।• अनसूनी करना– जानबूझकर उपे ा करना।• अनी की चोट– सामने की चोट।• अपनी–अपनी पड़ना– सबको अपनी िचँता होना।• अपनी नीँद सोना– इ छानुसार काय करना।• अपना हाथ जग ाथ– वािधकार होना।• अर य रोदन– िन फल िनवेदन।• अवसर चूकना– सुयोग का लाभ न उठाना।• अवसर ताकना– मौका ढूँढना।• आँख का तारा– बहतु यारा होना/अित ि य।• आँख उठाना– ोध से देखना।• आँख ब द कर काम करना– यान न देना।• आँख चुराना– िछपना।• आँख मारना– इशारा करना।• आँख तरसना– देखने के लालाियत होना।• आँख फेर लेना– ितकूल होना।• आँख िबछाना– ती ा करना।• आँख सकना– सुंदर व तु को देखते रहना।• आँख उठाना– देखने का साहस करना।• आँख खुलना– होश आना।• आँख लगना– नींद आना अथवा यार होना।• आँखॲ पर परदा पड़ना– लोभ के कारण स चाई न दीखना।• आँखॲ म समाना– िदल म बस जाना।• आँखे चुराना– अनदेखा करना।• आँख चार होना– आमने–सामने होना/ ेम होना।• आँख िदखाना– गु से से देखना।• आँख फेरना– बदल जाना, ितकूल होना।• आँख पथरा जाना– देखते–देखते थक जाना।• आँखे िबछाना– ेम से वागत करना।• आँख का क टा होना– बुरा लगना/अि य यि त।• आँख पर िबठाना– आदर करना।• आँख म धूल झकना– धोखा देना।• आँख का पानी ढलना– िनल ज बन जाना।• आँख से िगरना– आदर समा त होना।• आँख पर परदा पड़ना– बुि होना।

  • • आँख म रात कटना– रात–भर जागते रहना।• आँच न आने देना– थोड़ी भी हािन न होने देना।• आँसू पीकर रह जाना– भीतर ही भीतर दःुखी होना।• आकाश के तारे तोड़ना– अस भव काय करना।• आकाश–पाताल एक करना– किठन य करना।• आग म घी डालना– ोध और अिधक बढ़ाना।• आग से खेलना– जानबूझकर मुसीबत म फँसना।• आग पर पानी डालना– उ ेिजत यि त को शा त करना।• आटे–दाल का भाव मालूम होना– किठनाई म पड़ जाना।• आसमान से बात करना– ऊँची क पना करना।• आड़े हाथ लेना– खरी–खरी सुनाना।• आसमान िसर पर उठाना– बहतु शोर करना।• आँचल पसारना– भीख म गना।• आँधी के आम होना– बहतु स ती व तु िमलना।• आँसू प छना– धीरज देना।• आग–पानी का बैर– वाभािवक श ुता।• आसमान पर चढ़ना– बहतु अिधक अिभमान करना।• आग–बबूला होना– बहतु ोध करना।• आपे से बाहर होना– अ यिधक ोध से काबू म न रहना।• आकाश का फूल– अ ा य व तु।• आसमान पर उड़ना– अिभमानी होना।• आ तीन का स प– िव ासघाती िम ।• आकाश चूमना– बहतु ऊँचा होना।• आग लगने पर कुआँ खोदना– पहले से कोई उपाय न कर रखना।• आग लगाकर तमाशा देखना– झगड़ा पैदा करके खुश होना।• आटे के साथ घुन िपसना– दोषी के साथ िनद षी की भी हािन होना।• आधा तीतर आधा बटेर– बेमेल काम।• आसमान के तारे तोड़ना– असंभव काय करना।• आसमान फट पड़ना– अचानक आफत आ पड़ना।• आँचल देना– दधू िपलाना।• आँचल म ग ठ ब धना– अ छी तरह याद कर लेना।• आँचल फैलाना– अित िवन ता पूवक ाथना करना।• आँधी उठना– हलचल मचना।• आँसू िगराना– रोना।• आँसूओँ से मँुह धोना– बहतु रोना।• आकाश कुसुम– अनहोनी बात।• आकाश खुलना– बादल हटना।• आकाश–पाताल का अ तर होना

  • – बहतु बड़ा अ तर।• आग का पुतला– बहतु ोधी।• आग के मोल– बहतु महगँा।• आग लगाना– झगड़ा कराना।• आग म कूदना– वय ंको खतरे म डालना।• आग पर लोटना– बेचैन होना/ई य करना।• आग बुझा लेना– कसर िनकालना।• आग भी न लगाना– तु छ समझना।• आग म झकना– अिन म डाल देना।• आग से पानी होना– ोधाव था से एकदम शा त हो जाना।• आगे–पीछे की सोचना– भावी पिरणाम पर दिृ रखना।• आगे करना– हािजर करना/अगुआ करना/आड़ लेना।• आगे–िपछे िफरना– खुशामद करना।• आगे होकर िफरना– आगे बढ़कर वागत करना।• आज–कल करना– टालमटोल करना।• ईटँ का जवाब प थर से देना– िकसी के आरोप का करारा जवाब देना/कड़ाई से पेश आना।• ईटँ से ईटँ बजाना– न – कर देना/िवनाश करना।• इधर–उधर की लगाना– चुगली करना।• इधर–उधर की ह कना– यथ की ग पे मारना।• ईद का च द होना– बहतु िदन बाद िदखाई देना।• उँगली उठाना– ल छन लगाना/दोष िनकालना।• उँगली पर नचाना– वश म करना/अपनी इ छानुसार चलाना।• उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना– तिनक–सा सहारा पाकर पूरे पर अिधकार जमा लेना/मन की बात ताड़ जान�