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संकट का सामना कै से कर " के सभम बी मही थिति िऩचीस शिादिम एक वि या होिा है। यानी तनमाि वथि होिी , सभाज को नई तनमाि फनानी ऩड़िी ह। या बवन फेकाय हो जािा है , उसे गयाना ही होिा है। िआगिुक, साभाजक, याजनैतिक, धाभुक -- सबी मवथिाएं हर जािी ह। नए को जभ रेना ऩड़िा है। मह सव ऩीड़ा है।" ओशो ऩहरा आरेख ताजा घटनाओं से ऐसा रगता है कि हभाया विि उटा-टा हो गमा है , सबी जगह साभाजजि, आथि औय धाभि तनाि पै रा है। मा इससे ि ऩैदा होगा? "हां , संिट िघड़ी फह होती है। जफ सफ ि मथाजथत होता है औय िसंिट नहं होता तफ चीज दाि होती ह। जफ ि बी फदरता नहं औय याने िऩिड़ ऩरयऩ ि होती है तफ िफदरना असंबि होता है। जफ सफ ि अयाजि होता है , ि बी जथथय नहं है ,

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  • संकट का सामना कैसे करें

    "फुद्ध के सभम बी मही स्थिति िी। ऩच्चीस शिास्दिमों भें एक विुरु ऩूया होिा है। ऩुयानी फुतनमािें ध्वथि होिी हैं, सभाज को नई फुतनमािें फनानी ऩड़िी हैं। ऩूया बवन फेकाय हो जािा है, उसे गगयाना ही होिा है। िफ आगिकु, साभास्जक, याजनैतिक, धार्भकु -- सबी व्मवथिाएं हहर जािी हैं। नए को जन्भ रेना ऩड़िा है। मह प्रसव ऩीड़ा है।" ओशो

    ऩहरा आरेख

    ताजा घटनाओं से ऐसा रगता है कि हभाया विश्ि उल्टा-ऩुल्टा हो गमा है, सबी जगह साभाजजि, आर्थिि औय धार्भिि तनाि पैरा हुआ है। क्मा इससे िुछ शुब ऩैदा होगा?

    "हां, सिंट िी घड़ी फहुभलू्म होती है। जफ सफ िुछ मथाजथथत होता है औय िोई सिंट नह ं होता तफ चीजें भदुाि होती हैं। जफ िुछ बी फदरता नह ं औय ऩुयाने िी ऩिड़ ऩरयऩूर्ि होती है तफ खदु िो फदरना असबंि होता है। जफ सफ िुछ अयाजि होता है, िुछ बी जथथय नह ं है,

  • िुछ बी सयुक्षऺत नह ं है, िोई नह ं जानता कि अगरे ऩर क्मा होनेिारा है -- ऐसे अयाजि ऺर् भें तुभ थितंत्र होते हो, तुभ फदर सिते हो। तुभ अऩने अंतयतभ िें द्र िो ऩा सित ेहो।

    "जफ सभाज भें उिरऩुिर हो यही होिी है औय सफ कुछ सकंट भें होिा है, अयाजक पैरिा है, वही ऺण है जफ िुभ उसकी काया से बाग सकि ेहो। वह सयर होिा है क्मोंकक कोई िुभ ऩय ऩहया नहीं िे यहा होिा, कोई िुम्हाये ऩीछे नहीं होिा। िुभ अकेरे यह जािे हो। हाराि कुछ ऐसे होिे हैं कक हय कोई अऩने फाये भें ही सोचिा है, कोई िुम्हायी ियप िेखिा ही नहीं है। वही ऺण है। उस ऺण को चूकना नहीं।"

    ओशो, मोग हि साइंस ऑप हि सोर

    महि सकंट कार रूऩािंयण का अवसय िेिा है िो उसे होने िेने के र्रए हभ क्मा कयें? वैस्ववक रूऩांियण होने के र्रए ऐसा रगिा है कक ध्मान, पे्रभ, प्रतिफद्धिा औय सकिमिा मे सबी आववमक हैं। भझुे रगिा है कक अस्थित्व के प्रति हभायी मह स्जम्भेिायी है कक हभ जीवन औय चेिना का मह उऩहाय सयंक्षऺि कयें रेककन कबी-कबी सकिम होना भसु्वकर रगिा है।

    "प्रतिफद्धिा आववमक नहीं है क्मोंकक प्रतिफद्धिा ऩुयानी हो जािी है, वह िाजा ऺण के अनुकूर नहीं होगी। प्रतिफद्धिा अिीि की गुराभी है। औय िुम्हें कुछ कयने की जरूयि नहीं है, अगय िुम्हाया रृिम पे्रभ से ओिप्रोि है, करुणा से ओिप्रोि है, ध्मान से सयाफोय है िो कृत्म तनकरेगा। जफ अऩने आऩ कृत्म होिा है िफ वह एक सुिंय पूर होिा है। रेककन िुभ अऩने आऩको अनाववमक फोझों से राििे हो–– स्जम्भेिायी, प्रतिफद्धिा, सकिमिा। औय िुभ नहीं सभझिे कक वैस्ववक सकंट इिना फड़ा है औय िुभ हो छोटे, िुभ क्मा काभ कयोगे?

    "इस ग्रह को फचाने के र्रए स्जम्भेिायी, प्रतिफद्धिा, सकिमिा अनाववमक फोझ हैं। इस ऺण का आनंि रो, अऩनी चेिना को ववकर्सि कयो, अगधक थवि:थपूि ुहोओ, अगधक करुणाऩूण ुहोओ, अगधक पे्रभऩूण ुहोओ। कोई प्रतिफद्धिा नहीं, कोई फड़फोराऩन नहीं कक इस ग्रह को फचाना है। आनंि रो, औय इस आनंि से सहज ही कृत्म तनकरिा है। िुम्हें कुछ कयना नहीं होिा।"

    https://shop.osho.com/in/books/osho-talks/yoga

  • ओशो, हरय ओभ ित्सि

    रेककन कुछ न कयि ेहुए र्सपु फैठे यहना अजीफ सा रगिा है।

    "िुम्हें ककसी गतिववगध की जरूयि नहीं है। भौन औय ध्मानऩूण ुहोना कापी है, िुम्हायी छोटी सी गतिववगध से वे कहीं अगधक फड़ी शस्क्िमां हैं। औय िुम्हाये भौन से शामि कोई कृत्म तनकरे जो इस ग्रह को अगधक गरयभाऩूण,ु अगधक गौयवऩूण ुफनाए। भैं मह कहने की कोर्शश कय यहा हंू कक अस्थित्व के आगे मह र्सद्ध कयो कक मह ग्रह इिना फहुभलू्म है कक उसे नष्ट होने िेना तनऩट भखूिुा होगी।

    "िुम्हें कुछ कयना नही ंहै, िुम्हें र्सपु ध्मान कयना है, भौन होना है, पे्रभऩूण ुहोना है, ऩूये जगि को हाथम से बय िेना है। औय हाथम ककसी आणववक अथर से कहीं अगधक शस्क्िशारी है। ऩूये ब्रहभांड को पे्रभ से बय िो। पे्रभ से बयी ितुनमा मुद्ध का पैसरा नहीं रेगी।"

    ओशो, हरय ओभ ित्सि

    आज कर जीवन फस एक सकंट से िसूये संकट के अरावा कुछ नहीं है। रगिा है उससे फचने का कोई याथिा नहीं है।

    "भनुष्म हभेशा सकंट भें यहिा है। भनुष्म ही सकंट है --अनवयि। मह आकस्थभक नहीं है, भरूबिू है । भनुष्म का अंिस ही सकंट से फना है। इसर्रए उसभें इिनी गचिंा, इिना िनाव, इिनी ऩीड़ा यहिी है।भनुष्म एकभार प्राणी है जो ववकर्सि होिा है, जो गति कयिा है, जो कुछ फनिा है। भनुष्म एकभार प्राणी है जो ऩूण ुनहीं है, जो एक प्रकिमा की ियह ऩैिा होिा है। भनुष्म खरुा है। फनना ही उसका होना है। मही सकंट है।

    "भनुष्म थवमं को ऩरयऩूण ुभान नहीं सकिा, अन्मिा भनुष्म रुक जािा है औय सड़ने रगिा है। जीवन िबी होिा है जफ िुभ एक जगह से िसूयी जगह गति कयि ेहो। जीवन है िो थिानों के फीच गति कयना। िुभ एक ही जगह जीववि नहीं यह सकिे। मही पकु है भिुाु वथिु भें औय एक जीववि घटना भें। भिुा ुवथिु स्थिय यहिी है, एक ही जगह फनी यहिी है। जीववि वथिु

    https://shop.osho.com/in/audio-books/series-of-osho-talks/hari-om-tat-sat-the-divine-sound-that-is-the-truthhttps://shop.osho.com/in/audio-books/series-of-osho-talks/hari-om-tat-sat-the-divine-sound-that-is-the-truth

  • गति कयिी है, न केवर गति कयिी है फस्ल्क उछरिी है, छरांग रगािी है। भिुाु वथिु हभेशा ऻाि भें यहिी है। जीववि घटना ऻाि से अऻाि की ओय, ऩरयगचि से अऩरयगचि की ओय चरिा यहिा है। मही सकंट है। भनुष्म सफसे अगधक जीववि है।

    "िुम्हें सिि गतिशीर होना है। मह गति सभथमाएं तनर्भिु कयिी है क्मोंकक गति का भिरफ है िुभ जो जानिे हो उसके प्रति सिि भयना। िुम्हें तनयंिय अिीि के प्रति भयना होिा है जो कक ऩरयगचि है, जो कक आयाभिेह है, जो कक सखुि है। िुभ उसे जी चुके हो, िुभ उसके फाये भें तनष्णाि हो चुके हो, िुभ उसके फाये भें फहुि कुछ सीख चुके हो। अफ उसभें कोई खिया नहीं है। वह िुम्हाये साि भेर खािा है, िुभ उसके साि भेर खाि ेहो। रेककन आिभी को चरना है, आिभी को साहर्सक अर्बमान ऩय चरना होिा है। िुभ िबी भनुष्म फनिे हो जफ िुभ तनयंिय साहर्सक अर्बमान ऩय तनकरिे हो–– ऻाि से अऻाि िक।"

    ओशो, हि ववसडभ ऑप हि सणै्ड्स

    ऩुयाने ियीके अफ कायगय नहीं हो यहे हैं रेककन हभ उनके फिरे क्मा कय सकिे हैं?

    "हभ फहुि ही अिऩुूण ुसभम भें जी यहे हैं क्मोंकक मह एक भहान विनाश िा सभम है। मा तो भानिता विर न हो जाएगी मा जीिन जीने िा सििथा नमा तय िा ऩैदा होगा। मे ऺर् फहुत भहत्िऩूर्ि हैं। भनुष्म ने आज ति जो बी सिंट जाने हैं उनभें मह सिंट अत्मर्धि फड़ा है। धभि ने आधी दनुनमा िो नष्ट िय ददमा है, आंतरयि दनुनमा िो; औय विऻान शषे दनुनमा िो विनष्ट िय यहा है।

    "जरूयत है सििथा अरग प्रिाय िे धभि िी औय अरग प्रिाय िे विऻान िी -- एि विऻान जो ऩमािियर् िी भदद ियेगा। औय हभें बफरिुर नए धभि िी जरूयत है, िह धभि जो तुम्हें थविंरिा िेगा, गुराभी नहीं; जो थवम ंफनने भें िुम्हायी भिि कयेगा, जो िोऩा हुआ नहीं है। ववऻान प्रकृति ऩय फरात्काय है। औय धभ ुिुम्हायी आंिरयक चेिना के साि ककमा हुआ फरात्काय है/ िोनों असपर हुए, िोनों ववध्वंसक र्सद्ध हुए।

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  • "एक नई दृस्ष्ट चाहहए। इससे ऩहरे उसकी इिनी जरूयि कबी नहीं िी स्जिनी कक आज है क्मोंकक सभम फहुि कभ है। इस ऩथृ्वी को नष्ट कयने की ऺभिा इिनी ज्मािा है कक िुभ कल्ऩना बी नहीं कय सकि ेकक हभने इिनी फड़ी ऺभिा ककसर्रए अस्जिु कय री है? औय हभ हिन-फ-हिन अगधक अथरों का अंफाय रगा यहे हैं। कपय वह सभाजवािी िेश हो मा ऩूंजीवािी िेश हो, उससे कोई पकु नहीं ऩड़िा रेककन हय िेश अऩनी ऩूयी िाकि मुद्ध भें, ववनाश भें रगा यहा है। हभ ज्वाराभखुी ऩय फैठे हैं -- हभाया अऩना, हभने फनामा हुआ; वह ककसी बी ऺण पट सकिा है। इससे ऩहरे कक वह पटे हभें एक नमा ववऻान औय नमा धभ ुखोज रेना है।"

    ओशो, सीिेट ववज़डभ, वाइज़ सायीऩरु

    "अगय हभ अगधक रोगों को पे्रभऩूण ुफना सकें गे, उत्सवभम औय थवि:थपूि ुफना सकें गे िो वैस्ववक सकंट से फचा जा सकिा है। रेककन उसे गंबीयिा से भि रेना। उसके फाये भें खेरऩूण ुहोना। महि अस्थित्व चाहिा है कक मह ग्रह ना यहे िो हभे उसे कैसे योक सकिे हैं?"

    ओशो, हरय ओभ ित्सि

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  • भ र

    धन न , न न ब य य धन न य य , औय भ धन न य , धन फ ध भ न म ऩ फ भ न धन न यन यन म धन न य भ धन न य , धन ऩ न भ भ य ऩ य फ न फ ब , ब ब य फ म म भ ऩ औय फ भ म भ य य य फ फ भ ऩ औय फ य ऩ न , फ भ ऩ र र र फ र फ ऩ र र ब य फ म म भ औय म न य , धन य ऩ न न म औय धन ऩय र र र , औय फ भ म भ म य य फ भ नम भ म म

  • भ र र र , म म ब ब भ भ न य न

    फ भ न फ र औय ऊऩय, ऩब ऊऩय, फ फ र ब य म म ऩ म न ? म न य ब य न- य य धन न य य य , धन प र धन म औय भ धन न य , धन भ न , धन ब य धन न म , न य धन फ , फ ऩम धन न फ फ र र , र , नभम र म ऩम भ मभ भ मभ फन म न न भ न धन न म , भ र भ य य , न धन म य , म औय भ फ धन य ध यन र र , इन ध - न म ऩ य ऩ र -ऩ

    औय म न य , म ऩ य ध य , धन न म य ध य म म ऩ य भन भ धन र ब धन र ब , धन भ न , धन य ध धन न भ र न धन ऩ भ न भ फ ध भ ऩ न भर य य धन , य भ य भर य धन औय ऩ न ब बय , इ न यर य पय धन इ यन न , न भ न भ भ , र फ न भ , ब भ , न बय धन भ फ भ धन ऩ औय धन भ य ध , यर य फ न रन र र न , र र न , र य न र न , ऩम र य र ऩम भर भ फन , ऩम ऩ न , भ यन ऩम र य

  • भ र ऩम ऩ न , म भ ऩय ध औय म भ यन , औय इ भ भ भ ऩ रन फ य फ भ यम ऩ यन म म भ यन न औय र ऩम धन , य , र न धन न , न भ न . भ ऩ य धन? भ इ भ भ ऩ , भ धन इ य ? ऩ यन फ ब न ऩ म ऩ यन र फ भ भ न र ?

    भ न भ न य न म यर न र न भ न य न यर ब फ धन म

    ब भ यम भ फ य न य , र न र य भ ऩ , भ यम भ फ यन र भ ऩ , नम ऩ य य नम भ धन इ न म न औय म धन ऩ न न म य फ नध न न य न औय भ य फ न य न प फ प भ य य फ न फ य न औय धन न म , इ न म य भर न नम धन भ औय न र भन धन भ न म भ इ न फ प न, इ न फ ऩ धन भ भ भन धभ यप न

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    मैं बचपन से ओशो की आवाज सनुती आई ह ूं क्योंकक मेरे माूं-पपता ओशो के सूंन्यासी थे। तो मैं स्वाभापवक रूप से ओशो इूंटरनैशनऱ मेडडटेशन ररजाटट की ओर आकपषटत हुई। यहाूं मैं किएटटव लऱपवूंग का कायटिम कर रही ह ूं। समग्र ऊजाट के साथ कैसे काम करना यह कोई यहाूं से सीखे। हम हमारी समस्याओूं से , चुनौततयों से बहुत कुछ सीख सकत ेहैं क्योंकक

    यहाूं हम उन्हें भर आूंख देख सकत ेहैं। और किर समस्या समस्या जैसी नहीूं ऱगती। अगर आपका सहकमी आपकी तरह उत्साही नहीूं है तो आप लसिट अपना सवटशे्रष्ठ दे दें, और अगऱा आपकी ऊजाट को पकड़ ऱेता है। मैं टदल्ऱी में एक ऑकिस में एक्जेक्युटटव थी, वहाूं आप ककसी स्स्थतत को देखते नहीूं हैं, आप सारे नाटक में इतने उऱझ जात ेहैं कक अपने को भ ऱ ही जाते हैं। यहाूं आपको कुछ समय अपने लऱए भी लमऱ जाता है, आप अपने भीतर झाूंक सकत ेहैं। यह अद्भतु बात है स्जसे अपने रोजमराट के जीवन में ऱाग कर सकत ेहैं। मैं अपने भीतर एक बड़ा बदऱाव देख सकती ह ूं: पहऱे मैं आईसस्िीम के लऱए पागऱ थी ऱेककन जबसे भीतर का स्वाद लमऱा है तबसे आईस्िीम की कलशश कम हो गई!

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  • ऩहरा चयण: ऩहरे सात ददन तक ऩहरा चयण: बफस्तय ऩय रेटकय मा फठैकय, फत्ती फझुाओ औय अंधेये भें यहो।

    दसूया चयण: ककसी सुंदय ऺण का स्भयण कयो जजसे आऩन ेअतीत भें अनबुव ककमा हो -- कोई बी सुंदय ऺण, उनभें से सवोत्तभ ऺण चनुो। हो सकता है वह बफरकुर साधायण हो, क्मोंकक कबी कबी असाधायण घटनाएं ननहामत साधायण तर ऩय घटती हैं। तुभ ससपफ खारी फठेै हो, कुछ न कयते हुए, फारयश छत ऩय गगय यही है, उसकी खुशफ,ू उसकी ध्वनन आऩके आसऩास होती है, औय कुछ कौंध सी होती है। तुभ ऩववत्र ऺण भें होते हो। मा ककसी ददन यास्ते ऩय जाते हुए ऩेड़ों के ऩीछे से अचानक तुम्हाये ऊऩय सयूज की योशनी उतयती है…औय एक कौंध! कुछ खुर जाता है। ऩर बय के सरए तुभ अरग ही दनुनमा भें प्रवेश कयते हो।

  • एक फाय उस ऺण को चनु रेन ेके फाद उसे सात ददन तक जायी यखो। अऩनी आंखें फंद कयो औय उसे ऩनु: जीमो। उसके तफ़सीर भें जाओ। छत ऩय फारयश गगय यही है, टऩ, टऩ… वह आवाज… वह सगंुध… उस ऩर की गणुवत्ता…कोई ऩऺी गा यह है…कहीं कुत्ता बौंक यहा है…कोई प्रेट गगय गई औय उसकी आवाज। इन सबी फायीककमों भें जाओ, सबी ऩहरओंु से, सबी आमाभों से, सबी इंदिमों द्वाया। हय यात तुभ ऩाओगे कक तुभ गहये तफ़सीर भें उतय यहे हो। ऐसे तफ़सीर जजन्हें तुभ असरी घटना भें चकू गए होओगे रेककन तुम्हाये भन ने उसे भदुित ककमा है। तुभ उस ऩर को बरे ही चकू जाओ, तुम्हाया भन उसे दजफ कयता यहता है। तुम्हें ऐसे सकू्ष्भ ऩहर ूभहससू होंगे जो तुम्हें ऩता नहीं थे कक तुभने अनबुव ककए थे। जफ तुम्हायी चतेना उस ऩर ऩय कें दित होगी तफ वह ऺण ऩनुश्च उबयेगा। तुम्हें नई फातों का अनबुव होगा। अचानक तुम्हें फोध होगा कक वे वहां ऩय थीं रेककन उस ऩर भें तुभ उनसे चकू गए थे। रेककन भन उन सफ फातों को दजफ कयता है। वह फेहद बयोसेभंद नौकय है, अत्मगधक सऺभ। सातवें ददन तक तुभ उसे इतना साप देख ऩाओगे कक तुम्हें रगेगा कक तुभने कोई बी असरी ऺण इतनी ससु्ऩष्टता से नहीं देखा है जजतना कक इसे।

    तीसया चयण: खुशी का भौसभ सात ददन के फाद वही फात कयो रेककन एक औय फात जोड़ो: आठवें ददन अऩने आसऩास के स्थान को भहससू कयो, ऐसा अनबुव कयो कक तीन पीट की दयूी तक मह वातास आऩको घेये हुए है, उस फीते ऺण का आबाभण्डर अनबुव कयो। चौदहवें ददन तक तुभ रगबग बफरकुर अरग ही दनुनमा भें यहोगे फेशक इसका होश बी यहेगा कक इन तीन पीटों के फाहय एक सबन्न सभम औय सबन्न आमाभ भौजूद है।

    चौथा चयण: उस ऺण को जीमो कपय तीसये चयण भें कुछ औय जोड़ना होगा। उस ऺण को जीमो, उससे नघये यहो, औय अफ काल्ऩननक ऐन्टी स्ऩेस, ववऩयीत स्थान ननसभफत कयो। जैसे भान रो तुम्हें फहुत अच्छा रग यहा है, तीन पीट तक तुभ इस खुशहारी से , ददव्मता से नघये हो , अफ ऐसी घटना के फाये भें सोचो कक ककसी ने तुम्हाया अऩभान कय ददमा औय वह अऩभान केवर उस सीभा तक ही आता है। एक फागुड़ है औय उसके बीतय अऩभान प्रवेश नहीं कय सकता। वह तीय की बानंत आता है औय वहां गगय ऩड़ता है। मा कोई उदास घटना को माद कयो, तुम्हें ऩीड़ा हुई है रेककन वह ऩीड़ा तुम्हाये आसऩास के कांच की दीवाय तक ही

  • ऩहंुचती है औय वहीं ऩय गगय जाती है। तुभ तक ऩहंुचती ही नही।ं तुभ देखोगे कक मदद ऩहरे दो सप्ताह सही गए हैं तो तीसये सप्ताह सफ कुछ तीन पीट की सीभा तक आता है औय तुम्हाये बीतय कुछ बी प्रवेश नहीं कयता।

    ऩांचवां चयण : आबाभण्डर को सवफत्र सरमे चरो कपय चौथे सप्ताह से उस आबाभण्डर को अऩन ेऩास यखो-- फाजाय जाते हुए, रोगों से फात कयते हुए सतत स्भयण यखो। तुभ फहुत ही योभागंचत हो ओगे। तुभ दनुनमा भें घभूोगे कपयोगे रेककन तमु्हायी अऩनी ही एक दनुनमा होगी, तुम्हायी ननजी दनुनमा, इसे ननयंतय ख्मार यखो। इससे तुभ वतफभान भें जी सकोगे क्मोंकक वस्ततु: तुभ सतत हजायों हजाय फातों से प्रबाववत हो यहे हो औय वे तुम्हाया ध्मान खींच रेते हैं। अगय तुम्हाये आसऩास सयुऺात्भक आबाभण्डर नहीं होगा तो तुभ कभजोय ऩड़ जाओगे। कोई कुत्ता बौंकता है, अचानक भन उस ददशा भें चरा गमा। तुम्रायी स्भनृत भें कुत्ता आ जाता है। अफ तुम्हायी स्भनृत भें अतीत के फहुत से कुत्ते फठेै हुए हैं। तुहाये दोस्त के ऩास कुत्ता है, अफ तुभ कुत्ते से हटकय अऩने दोस्त के ऩास चरे जाते हो, कपय दोस्त की फहन माद आती है जजसके प्रेभ भें तुभ गगये थे। अफ सायी फकवास शरुू होती है। इस कुत्ते का बौंकना वतफभान भें था रेककन वह तुम्हें कहीं अतीत भें रे गमा। मह तुम्हें बववष्म भें बी रे जा सकता है, कुछ कहा नहीं जा सकता। कोई बी चीज कहीं बी रे जा सकती है। भाभरा फहुत जदटर है। इससरए तुम्हें एक आसऩास सयुऺा आबाभंडर चादहए। कुत्ता बौंकता यहे रेककन तुभ अऩने आऩभें यहो, जस्थय, शांत, भौन, कें दित।

    छठा चयण : आबाभण्डर का त्माग इस आबाभण्डर को कुछ ददन मा कुछ भहीने तक सम्हारो। जफ तुभ देखोगे कक अफ इसकी जरूयत नहीं है तफ इसे छोड़ दो। एक फाय तुभ जान रो कक महां औय अबी कैसे यहा जाए, एक फाय तुभ उसकी सुंदयता का आनंद रे रो, उसकी अऩरयसीभ भस्ती , तो कपय इस आबाभण्डर को छोड़ दो।

    ओशो: फी रयआसरजस्टक, प्रान पॉय ए सभयैकर मह ककताफ अफ ओशो के अनयुोध ऩय उऩरब्ध नहीं है।

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