भारत सरकार विधि और न्याय...

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1 भारत सरकार विधि और नयाय त्रालय (नयाय विभा) राय सभा तारा्ककत स्. 92 जिसका उतर श िार, 28 िर, 2014 को दिया िाा है महिलाओं और बच के विर आपराधिक मामले *92. ीमती रजनी पाहिलः या विधि और याय त्री यह ताे की पा करे क : (क) : वित ती ि के िरा तदहलाओ् और के विर कते आपराधिक तातले ििकए और ऐसे कते तातले , जित उचतनयायालय और उच नयायालय िारा ि सव के आिेश पाररत कए ; (ख) : या सरकार तदहलाओ् और के विर आपराधिक तातल का शीताप िनपटा करे के सलए ि विशे िररत नयायालय थावपत करे का विचार रखती है , यदि, तो तस््िी यौरा या है ; और () : सरकार िारा इस सतया का सतािा हेत अनय या-या कित उठाए ? उतर विधि और याय मंरी (ी डी. िी. सदानंद गौडा ) (क) से (ग) : एक वििरण सि के पटल पर रख दिया या है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

तारा्ककत प्रश् स.् 92 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध आपराधिक मामले

*92. श्रीमती रजनी पाहिलः क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक : (क) : वि त ती िर्षों के िौरा तदहलाओ् और ंच्चों के विरुद्ध कुल ककत े आपराधिक तातले ििज ककए ए हैं और ऐसे ककत े तातले हैं, जि तें उच्चतत नयायालय और उच्च नयायालयों द्िारा िोर्ष ससवद्ध के आिेश पाररत ककए ए हैं; (ख) : क्या सरकार तदहलाओ् और ंच्चों के विरुद्ध आपराधिक तातलों का शीघ्रतापूिजक न पटा कर ेके सलए िेश तें विशरे्ष त्िररत नयायालय स्थावपत कर े का विचार रखती है, यदि, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है; और ( ) : सरकार द्िारा इस सतस्या का सतािा हेत ुअनय क्या-क्या कित उठाए ए हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) से (ग) : एक वििरण सि के पटल पर रख दिया या है ।

2

महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध आपराधिक मामले संबंिी राज् य सभा तारांककत प्रश् न संख या 92 जजसका उत् तर 28 निम् बर, 2014 को हदया जाना िै के भाग (क) से भाग (ग) के उत् तर म िनहदष् ि वििर

(क) : अिी स् थ न यायपासलका तें विचारण न यायालयों द्िारा ऐसे अपराि जिसके अत् जत तदहलाओ् और ंालकों के विरूद्ध अपराि है से स्ं्धित तातलों तें िं िोर्षससवद्ध के आिेश ककए िाते हैं, ऐसे तातले केिल अपील के ताध् यत से उच् च न यायालयों और उच् चतत न यायालय तें लाए िाते हैं । राष्ट् ीयय अपराि असभलेख ब् यूरो द्िारा प्रकासशत ररपोटों के अ ुसार वपछले ती िर्षों के िौरा तदहलाओ् और ंालकों के विरूद्ध अपरािों के स्ं्ि तें ररपोटज ककए ए तातले और उ की िोर्षससवद्ध की िर न म् ा ुसार हैं:-

महिलाओं के विरूद्ध अपराि

बालकों के विरूद्ध अपराि

िर्ष ररपोिष ककए गए मामलों की संख या दोर्ससवद्ध की दर 1 2 3

2013 58224 30.9 2012 38172 29.0 2011 33098 34.6

उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों तें लत्ंत ंलात् स् के तातले और न पटा ककए ए तातलों पर िा कारय ीच ेिय ई है:-

उच् चतत न यायालय तारीख 17.07.2014 को लंबबत बलात् संग के मामलों सहित लैंधगक उत् पीडन, व् यपिर और अपिर से संबंधित मामलों की संख या

तारीख 01.01.2009 से 17.07.2014 तक िनपिाए गए बलात् संग के मामलों सहित लैंधगक उत् पीडन, व् यपिर और अपिर से संबंधित मामलों की संख या

310 1455

िर्ष ररपोिष ककए गए मामलों की संख या

दोर्ससवद्ध की दर

1 2 3 2013 309546 22.4 2012 244270 21.3 2011 228650 26.9

3

उच् च न यायालय तारीख 31.01.2014 को लंबबत बलात् संग के मामलों की संख या

वपछले तीन िर्ों के दौरान िनपिान ककए गए बलात् सगं के मामलों की संख या

31386 15453

(ख) : सरकार े उच च यायालयों के तुख य यायतूनत जयों को ऐसे तातले के अधिक स्ख या तें ल्तंत रख े िाले जिला/अिी स थ यायालयों तें ंलात स् के ल्तंत तातलों के शीघ्र विचारण

के सलए त िररत न पटा यायालयों की स थाप ा कर े और उ तातलों की प्र नत को ता ीटर कर े के सलए सलखा है । सरकार े 7 अप्रैल, 2013 को आयोजित तुख यत्तरयों और तुख य

यायतूनत जयों के स्यकु् त सम्तेल तें सलए ए यथा स्कल् प से स्ं्धित तातलों के अ ुसार तदहलाओ्, ंालकों, विकला् ों, िररर्ष ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरुद्ध अपरािों के न पटा के सलए त िररत न पटा यायालयों की स् थाप ा पर विचार कर े के सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों से भी अ रुोि ककया है । राज् यों के तुख यत्तरयों से तदहलाओ् के विरुद्ध अपराि के तातलों का विचारण कर े के सलए त िररत न पटा यायालयों का ठ कर े के सलए उच च यायालयों को वित तीय सहायता का उपं्ि कर े का अ ुरोि

ककया है । िेश तें तदहलाओ् और ंालकों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित तातलों के शीघ्र विचारण के सलए त् िररत न पटा न यायालयों सदहत अिी स् थ न यायालयों की स् थाप ा कर ा भारत के स्वििा के अिी स्ंधित राज् य सरकारों का उत् तरिानयत् ि है ।

(ग) : ंालकों के विरुद्ध अपरािों के शीघ्र विचारण के सलए विशरे्ष यायालयों को स थावपत कर े

के सलए सरकार द्िारा वििायी उपं्िों को ं ाया या है । ंाल अधिकारों का स्रक्षण

अधिन यत, 2005 की िारा 25 यह उपं्ि करती है कक ंालकों के विरुद्ध अपरािों या ंाल

अधिकारों के अनतक्रतण के शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए राज्य सरकार, अधिसूच ा द्िारा, उच च यायालयों के तुख य यायतूनत ज की सहतनत से राि य तें कत से कत

एक यायालय को विन दिजर्ष ट कर सकें ी या प्रत येक जिले के सलए एक सर यायालय को उक त

अपराि के विचारण के सलए ंाल यायालय हो े का उपं्ि कर सके ी । ंालकों के लैंध क

अपरािों से स्रक्षण अधिन यत, 2012 की िारा 28(1) यह उपं्ि करती है कक शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए, राि य सरकार, उच च यायालय के तुख य यायतूनत ज के

परातशज से, रािपर तें अधिसूच ा द्िारा, अधिन यत के अिी अपरािों के विचारण के सलए एक

सर यायालय को विशरे्ष यायालय हो े के सलए ातन दिजर्ष ट करे ी, पर्त ु यदि कोई सर

यायालय ंाल अधिकारों का स्रक्षण अधिन यत, 2005 के सलए आयो ों के अिी ंाल

यायालय के रूप तें अधिसूधचत है या तत सतय प्रितृ त ककसी अ य विधि के अिी सतरूप

4

प्रयोि ों के सलए ातन दिजर्ष ट है, तं ऐसा यायालय इस िारा के अिी एक विशरे्ष यायालय

ता ा िाए ा ।

ऐसे तातलों के शीघ्र विचारण जिसके अन त जत ंलात् स् िैसे ्भीर अपराि भी हैं के स् थ को न यू तत रख े का ध् या रखते हुए दि प्रनत दि के आिार पर साषियक्षयों की परयक्षा के दृजष्ट् ट कोण से ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 157, 309 और 327 के अिी उपंि्ों के प्रयो के सलए उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों को भी ध् या आकृष्ट् ट कर े के सलए आग्रह ककया या है । उन हों े अपरािों के विचारण तें जिसके अ्त जत ंलात् स ् िैसे ्भीर अपराि भी हैं और यथास्भि शीघ्र तं ा स् थ ककए विचारण हेतु इ उपंिों के सलए न ष्ट् ठापूिजक से िु़ े का जिला न यायिीशों से अ ुरोि ककया है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 720 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

जेलों म बंद विचारािीन कैदी

720. डा. िी. सुब्बारामी रेड्डी : श्रीमती अजम्बका सोनी :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े ककिः

(क) : क्या सरकार का ध्या दि ा्क 30 अक्तूंर, 2014 के एक अग्रणी अगे््रिी सताचार पर तें “टू थर्डजस ऑफ वप्रज़ इ तेट्स आर अप्रीायल्स”शीर्षजक से प्रकासशत सताचार की ओर दिलाया या है, यदि हा,् तो उस पर सरकार की क्या प्रनतकक्रया है ;

(ख) : िेलों तें ं्ि विचारािी कैदियों, विशरे्षकर िंकक 2.8 लाख विचारािी कैदियों तें स े3,000 से अधिक कैिय पा्च िर्षों स ेअधिक सतय स ेिेलों तें ं्ि हैं, की स्खया तें कती ला े हेतु ियर्ाजिधि कारजिाई पर विचार कर े हेत ुक्या कित उठाए ए हैं ; और

( ) : क्या नयाय के प्रशास और िेलों तें ं्ि कैदियों को नयाय सुलभ करा े के तातले तें कोई सुिार ककया िा ा प्रस्तावित है और यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : िी, हा् । राष्ट् ीयय अपराि असभ लेख ब् यूरो (ए सीआरंी) द्िारा प्रकासश त कारा ार सा्जख य की भारत, 2013 के अ ुसार, िेलों तें वि सभ न प्रकार के 4.12 लाख कारा ार सहिासस यों तें से, 2.78 लाख कारा ार सहिासी वि चारािी कैिय हैं । कारा ारों तें वि चारािी कैदि यों की स्ख या को कत कर े के सल ए, उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436 और िारा 436क के अिी ऐसे सभी तातलों का पु विज लोक कर े के सल ए िहा् वि चारािी कैिय िता त के सल ए पार हैं और उ को छो़ े हेतु स् िप्रेरणा से कारजिाई कर े के सल ए जि ला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए अ ुरोि कक या या है । विचारािी कैदियों को न जतुक् त कर े हेत ुआिधिक रूप से ता ीटर कर े के सलए भी उच् च यायालय तें एक त्र स् थावपत कर े की सलाह िय ई है । तुख यत्तरयों और विधित्तरयों से विचारािी कैदियों के विर्षय

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और आिधिक रूप से उ के तातले का पु जविलोक कर े के सलए पाटा का प्रयो कर ेहेतु साफ्टिेयर उपयोि ों के उपयो का भी अ ुरोि ककया या है ।

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भारत सरकार

विधि और न याय त्रालय न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 721 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

त्िररत न्यायालयों की स्थापना ककया जाना

721. श्री डी. राजा : श्री एम.पी. अच्युतन :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े ककिः

(क) : क्या सरकार े तदहलाओ् और ंच्चों के प्रनत ककए ए अपरािों के तातले तें त्िररत रूप से विचारण ककए िा े हेत ुराज्य सरकारों और उच्च नयायालयों से त्िररत नयायालयों की स्थाप ा कर े को कहा था;

(ख) : यदि हा्, तो अं तक स्थावपत ककए ए त्िररत नयायालयों का राज्य-िार ब्यौरा क्या है;

( ) : क्या यह सच है कक कुछ राज्यों तें त्िररत नयायालय स्थावपत हय् ककए िा रहे हैं; और

(र्) : यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं और इस स्ं्ि तें केनरयय आिेशों का सभी राज्य सरकारों द्िारा अ ुपाल सुन जश्चत ककए िा े हेत ुक्या कित उठाए िा रहे हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) और (ख) : सरकार े उच च यायालयों के तखु य यायािीशों को ऐस ेतातले के अधिक स्ख या तें ल्तंत रख े िाले जिला/अिी स थ यायालयों तें ंलात स् के ल्तंत तातलों के शीघ्र

विचारण के सलए त िररत न पटा यायालयों की स थाप ा कर े और उ तातलों की प्र नत को ता ीटर कर े के सलए सलखा है । राज् यों के तुख यत्तरयों से त िररत न पटा यायालयों का ठ कर े के सलए उच च यायालयों को वित तीय सहायता का उपं्ि कर े का अ ुरोि ककया

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या है । तदहलाओ् के विरुद्ध अपराि से स्ं्धित तातलों हेतु स् थावपत ककए ए /असभदहत ककए ए यायालयों के राज् य-िार ब् यौरे के स्ं्ि तें एक वििरण उपां्ि पर स्लन

है ।

ंालकों के विरुद्ध अपरािों के शीघ्र विचारण के सलए विशरे्ष न यायालयों को स् थावपत कर े के सलए सरकार द्िारा वििायी उपं्िों को ं ाया या है । ंाल अधिकारों का स्रक्षण अधिन यत, 2005 की िारा 25 यह उपं्ि करती है कक ंालक के विरुद्ध अपरािों या ंाल अधिकारों के अनतक्रतण के शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए राज्य सरकार, अधिसूच ा द्िारा, उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत ज की सहतनत से राज् य तें कत से कत एक न यायालय को विन दिजष्ट् ट कर सकें ी या प्रत् येक जिले के सलए एक सर न यायालय को उक् त अपराि के विचारण के सलए ंाल न यायालय हो े का उपं्ि कर सके ी । ंालकों के लैंध क अपरािों से स्रक्षण अधिन यत, 2012 की िारा 28(1) यह उपं्ि करती है कक शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए, राज् य सरकार, उच् च न यायालय के तुख य न यायतूनत ज के परातशज से, रािपर तें अधिसूच ा द्िारा, अधिन यत के अिी अपरािों के विचारण के सलए एक सर न यायालय को विशरे्ष न यायालय हो े के सलए ातन दिजष्ट् ट करे ी, पर्तु यदि कोई सर न यायालय ंाल अधिकारों का स्रक्षण अधिन यत, 2005 के सलए आयो ों के अिी ंाल न यायालय के रूप तें अधिसूधचत है या तत् सतय प्रितृ् त ककसी अन य विधि के अिी सतरूप प्रयोि ों के सलए ातन दिजष्ट् ट है, तं ऐसा न यायालय इस िारा के अिी एक विशरे्ष न यायालय ता ा िाए ा ।

(ग) और (घ) : त् िररत न पटा न यायालय राज् य सरकारों द्िारा उ की आिश् यकता के अ ुसार स् थावपत ककए िाते है । कुछ राज् य िसैे अरूणाचल प्रिेश, दहताचल प्रिेश और उत् तराखप् े सूधचत ककया है कक उन हें ल्तंत तातलों के कत हो े के कारण त् िररत न पटा न यायालय की आिश् यकता हय् है । 7 अप्रैल, 2013 को आयोजित तुख यत्तरयों और तुख य न यायतूनत जयों के स्युक् त सम्तेल तें सलए ए यथा स्कल् प के अ ुसार, सरकार े तदहलाओ्, ंालकों, विकला् ों, िररष्ट् ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरुद्ध अपरािों के न पटा के सलए त् िररत न पटा न यायालयों की स् थाप ा पर विचार कर े के सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों से भी अ ुरोि ककया है ।

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उपां्ि

''त्िररत न्यायालयों की स्थापना ककया जाना'' सबंिंी अतारांककत प्रश् न सखं या 721 जजसका उत् तर 28.11.2014 को हदया जाना िै के भाग (क) और (ख) म िनहदष् ि वििर

तदहलाओ् के विरूद्ध अपराि के सलए स् थावपत ककए ए /असभदहत ककए ए न यायालयों की सख् या

क्र.स.ं राज् य का नाम न् यायालयों की सखं या 1 2 3

1 आ्ध्र प्रिेश 24

2 असत 3

3 छत्तीस ढ़ 16

4 च्पी ढ़ 01

5 हररयाणा 21

6 िम्त-ूकश्तीर 5

7 झारख्प 11

8 क ाजटक 10

9 केरल 1

10 तध्य प्रिेश 50

11 तहाराष्ट्ी 27

12 तेर्ालय 1

13 ओडपशा 30

14 पि्ां 20

15 रािस्था 9

16 ससजक्कत 1

17 तसतल ापु 32

18 तरपरुा 2

19 पजश् चती ं ्ाल 48

20 दिल् लय 6

योग 318

दटप् पण: तंहार तें अ तुोदित 68 न यायालय ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 723 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्याियक प्रकक्रया म तेजी लाना

+723. श्रीमती झरना दास बैद्य :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े ककिः

(क) : क्या सरकार िेश तें िीती नयाय प्रशास प्रणालय के विरुद्ध ि सशकायतों को िरू कर े हेतु ककसी योि ा पर विचार कर रहय है; यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं ; और

(ख) : क्या सरकार डपजिटल प्रौद्योध की के ताध्यत स ेनयानयक प्रकक्रया तें तेिी ला ेऔर नयाय प्रणालय को आिनु क ं ा े के प्रयास के दहस्से के रूप तें ई-याधचकाओ् और तातलों की ई-फाइसल ् की अ ुतनत िे े पर विचार कर रहय है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) और (ख) : राष्ट् ीयय न याय परर िा और न यानय क सुिार सतश का लक्ष् य ांा्चा त परर ितज ों के ताध् यत स ेसतय से न याय का परर िा और उत् तरिानय त् ि की िवृद्ध कर ा है । राष्ट् ीयय सतश को अ स् त, 2011 तें स् थावप त कक या या था और उसकी सतय-सीता पा्च िर्षज की रखी ई है । राष्ट् ीयय सत श के अिी अिी स् थ न यायपासलका के सल ए अिस्रच ा वि कास और न यायालयों के कम् प् यूटरयकरण से स्ं्धि त ं़ी प्रेरणाए् हैं । केन रयय सरकार े वप छले ती िर्षों तें न यानय क अधि कारर यों के सल ए न यायालय परर सरों और आिासीय इकाइयों के उन य /स्न ताणज के सल ए राज् य सरकारों और स्र् राज् यक्षेरों की 2,198 करो़ रुपए की वि त् तीय सहायता का उपं्ि कक या है । केन रयय सरकार, े न यायालयों तें सरकारय तुकितें को कत कर े के उििे श् य से राज् यों को उ की तुकिता

11

ीनत को अधिसूधचत कर े के सल ए प्रोत् सादह त करती है जि सतें न ष्ट् फल तातलों की छ्टाई कर े और अ ुकल् पी प्रकक्र या के ताध् यत से वि िाि सतािा को प्रोत् सादह त कर े के सल ए उपं्ि सतावि ष्ट् ट कक ए ए हैं । सरकार ेअत् यधि क तुकितेंािी प्रितृ् त क्षेरों के सल ए सतुधच त ीनत और वि िायी उपायों को अ ्ीकृत कर े के सलए धचजन हत ककया है ।

सरकार की ई न यायालय सतश तोप पररयोि ा का लक्ष् य िेश तें ताचज,2015 तक 14249 जिला और अिी स् थ न यायालयों का कम् प् यूटरयकरण कर ा है । पररयोि ा के अ ले चरण तें तातलों के ई फाइल कर े, न यायालय फीस आदि के ई स्िाय कर े, न यायालय पररसरों तें सेिा पररिा और सूच ा ककयोस् क पर आिाररत एसएतएस और तोंाईल आिेि िैसे पहलुओ् के ताध् यत से न यायालय को आई.सी.टय सतथज ं ा े के सलए आ े और िवृद्ध कर े का लक्ष् य है ।

12

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 724 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयों म लंबबत मुकदमे

724. श्री रंजजब बबस्िाल :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : िेश तें ओडपशा सदहत राज्य-िार और नयायालय-िार नयायालयों तें ल्तंत तुकितों की स्खया ककत ी है ;

(ख) : क्या विधि आयो े अप ा प्रनतिेि सौंप दिया है जिसतें ल्तंत तुकितों के ंैकलॉ को िरू कर े हेतु कनतपय सझुाि दिए ए हैं, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ;

( ) : विधि आयो द्िारा अप े प्रनतिेि तें की ई अनय ससफाररशों/सुझािों का ब्यौरा क्या है ;

(र्) : क्या सरकार ेविधि आयो की ससफाररशों को स्िीकार कर सलया है; और

(ङ) : यदि हा,् तो सरकार े उ पर क्या कित उठाए हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ङ) : ल्तंत तातलों पर आ्क़ा उच् च न यायालयों और उच् चतत न यायालय द्िारा रखा िाता है । उपलब् ि िा कारय के अ ुसार, ल्तंत तातलों के ब् यौरे जिसके अत् जत उच् च न यायालय और ओडपशा राज् य तें जिला और अिी स् थ न यायालयों तें ल्तंत तातले भी है उपांद्ध वििरण तें दिए ए है ।

उच् चतत यायालय े इजम् त याज़ अहति ं ात उत् तर प्रिेश राज् य और अन य के तातले तें तारयख 1 फरिरय, 2012 के अप ेआिेश तें, अन य ंातों के साथ, भारत के

13

वि धि आयो स ेतातले के ंकैलॉ को कत कर ेहेत ुअनत रर क् त न यायालयों की सख् या के न िाजरण के सल ए िैज्ञान क पद्धनत वि कसस त कर े को कहा था । विधि आयो े ''ंकाया और ंैकलॉ : अनतररक् त न यानयक (तदहला) ता ि शजक् त'' स े स्ं्िी अप ी 245 िी् ररपोटज तें अन य ंातों के साथ जिला और अिी स् थ न यायालयों के सलए पयाजप् त न यायािीश स्ख या की ण ा के सलए 'न पटा िर' पद्धनत की ससफाररश की है । विधि आयो की अन य ससफाररशों तें अिी स् थ न यायालय के न यायािीशों की सेिान िनृत की आयु तें िवृद्ध कर ा, यातायात/पुसलस चाला के तातलों के सलए विशरे्ष प्रात:कालय और सा्य कालय न यायालयों का सिृ कर ा, अनतररक् त न यायालयों के कायज के सलए पयाजप् त कतजचारयिृ्ि और अिस्रच ा का उपं्ि कर ा तथा पारिसशजता सुन जश् चत कर ा और न यानयक प्रणालय के सलए पाटा आिाररत ीनत न िाजरण के सलए प्रसुवििा प्रिा कर े के क्रत तें और सता पाटा एकतरत कर े और उच् च न यायालय द्िारा पाटा प्रंि पद्धनत रख ा भी सजम् तसलत है ।

अिी स् थ न यायपासलका तें पिों को सजृित ककए िा े और उ को भर े का विर्षय तातला राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के अधिकार क्षेर के भीतर आता है, अत: विधि आयो की ससफाररशों को उ को अगे्रवर्षत कर दिया या है । उच् चतत न यायालय े स्ंद्ध राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों को अप े सतक्ष तातले तें अप ा ििां फाइल कर े का न िेश दिया है ।

14

उपांद्ध

'न्यायालयों म लंबबत मुकदमे' के संबंि म राज् य सभा का प्रश् न संख या 724 जजसका उत् तर 28 निम् बर, 2014 को हदया जाना िै का वििर

2013 म उच् च न् यायालय म लंबबत मामले

क्र.सं. उच् च न् यायालय का नाम 2013

लंबबत मामले

1 इलाहांाि

1043398

2 आ्ध्र प्रिेश

232459

3 ंम्ंई

349837

4 कलकत्ता

280006

5 दिल्लय

64652

6 ुिरात

91953

7 ुिाहाटय

40912

8 दहताचल प्रिेश

60073

9 िम्त-ूकश्तीर

93038

10 क ाजटक

196972

11 केरल

132159

12 तरास

557479

13 तध्य प्रिेश

261611

14 उ़ीसा

206822

15 पट ा

132155

16 प्िां और हररयाणा

262760

17 रािस्था

307640

18 ससजक्कत

120

19 उत्तराख्प

20686

20 छत्तीस ढ़

44139

21 झारख्प

72958

22 तरपुरा

5834

23 तणणपुर

3853

24 तेर्ालय

1189

योग 4462705

****************

15

2013 म जजला और अिीनस् थ न् यायालयों म लंबबत मामले क्र.सं. राज् य/संघ राज् य के्षर का नाम 2013

लंबबत मामले

1. आ्ि प्रिेश 983882

2. अरुणाचल प्रिेश 6076

3. असत 248472

4. तंहार 1807782

5. छत्तीस ढ़ 269116

6. ोिा 31703

7. ुिरात 2226371

8. हररयाणा 555669

9. दहताचल प्रिेश 258791

10. िम्तू-कश्तीर 175647

11. झारख्प 307853

12. क ाजटक 1190335

13. केरल 1354379

14. तध्य प्रिेश 1097658

15. तहाराष्ट्ी 2884398

16. तणणपुर 12907

17. तेर्ालय 4441

18. सतिोरत 3100

19. ा ालैंप 3318

20. उ़ीसा 1134448

21. प्िां 523759

22. रािस्था 1451881

23. ससजक्कत 845

24. तसतल ापु 1288315

25. तरपुरा 69715

26. उत्तर प्रिेश 5604985

27. उत्तराख्प 152654

28. पजश् चती ं् ाल और अ्िता और न कोंार 2572667

29. च्पी ढ़ 59712

30. िािरा और ा र हिलेय और ितण, ियि 4712

31. दिल्लय 522167

32. लक्षद्िीप 354

33. पा्डपचेरय 30749

योग 26838861

*************

16

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 725 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायपासलका म स्िचलीकर

725. प्रो. एम. िी. राजीि गौडा : क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक : (क) : क्या नयायपासलका के स्िचलयकरण के उििे श्य स ेहाल हय तें कोई प्रयास ककए ए हैं, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ; (ख) : क्या उच्च नयायालयों े इ प्रयासों को स्िीकार कर सलया है और क्या उनहों े तातला प्रं्ि , फाइल प्रं्ि और िस्तािेि प्रं्ि के स्िचलयकरण को कायाजजनित कर दिया है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ; ( ) : कक -कक उच्च नयायालयों े स्िचलयकरण की प्रकक्रया को पूरा कर सलया है ; (र्) : अिी स्थ नयायपासलका के स्िचलयकरण की जस्थनत क्या है ; (ङ) : क्या अभी भी ऐसे कई उच्च नयायालय हैं जिनहें स्िचलयकरण की प्रकक्रया को अ ्ीकृत कर ा है ; और (च) : यदि हा्, तो तत्स्ं ्िी ब्यौरा क्या है और स्िचलयकरण को अप ा े तें विल्ं के क्या कारण हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (च) : सरकार को ताचज, 2015 तक िेश तें 14249 जिला और अिी स् थ न यायालयों के कम् प् यूटरयकरण के सलए ई-न यायालय सतश तोप पररयोि ा को कायाांवित कर ा है । 31अक् तूंर, 2014 को 13323 न यायालयों को कम् प् यूटरयकृत ककया या है और िािकाररयों, िकीलों और न यायपासलका के सलए असभदहत सेिाओ् का उपं्ि ककया या है । राष्ट् ीयय ई-न यायालय पोटजल (http://www.ecourts.gov.in) िािकाररयों के सलए ऑ लाइ सेिा का उपं्ि करता है िैसे तातलों का रजिस् ीयकरण, िाि सूची, िाि प्राजस् थनत, िैन क आिेश और अन्तत न णजय के ब् यौरे ।

17

उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों को पहले हय कम् प् यूटरयकरण ककया या है । उ की आईसीटय अिस्रच ा का ई-न यायालय पररयोि ा के अिी उन य ककया या है ।

18

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 726 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयों के कायषिन्पादन के आंकलन िेतु अध्ययन

726. प्रो. एम. िी. राजीि गौडा :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : क्या उ नयायालयों, जि का स्िचलयकरण कर दिया या है, के कायजन ष्ट्पाि की लेखापरयक्षा और आकल कर े के सलए कोई अध्यय कराया या है और यदि हा,् तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है;

(ख) : क्या जिला नयायालयों और उ के अिी स्थ नयायालयों तें सूच ा प्रौद्योध की के कायाजनिय के सलए एक व्यापक कायज योि ा तैयार कर े हेत ु उच्च नयायालयों के िररष्ट्ठ नयायािीशों और प्रौद्योध की विशरे्षज्ञों का एक कायज ंल स्थावपत कर े की कोई योि ा है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है; और

( ) : कम्प्यूटर आिाररत प्रणालय के उपयो तें नयानयक और अनय कासतजकों के प्रसशक्षण, यदि त्रालय द्िारा शुरू ककया या हो के स्ंि् तें ब्यौरा क्या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : सरकार के ई न यायालय सतश तोप पररयोि ा के कायाजन यिय का तूल् या्क राष्ट् ीयय उपयोि आधथजक अ ुस्िा पररर्षद् (ए सीएइआर)) द्िारा ककया िाता है । तुल् याक् का विर्षय ई-न यायालय पररयोि ा के ताध् यत से सजृित आईसीटय अिस्रच ा का न िाजरण कर ा था कक न यायालय के अ ुपाल के सलए था जिसका कम् प् यटूरयकरण ककया िा ा है ।

19

(ख) : ई-न यायालय सतश तोप पररयोि ा को 2005 तें भारत के उच् चतत न यायालय की ई-ससतनत द्िारा तैयार की ई 'भारतीय न यायपासलका तें सूच ा और स्सूच ा प्रोद्योध की के कक्रयान यिय के सलए राष्ट् ीयय ीनत और कायज योि ा (ए पीएपीआईआईसीटय) पर आिाररत स्प्रत् ययीकरण ककया या था । इसके अनतररक् त उच् चतत न यायालय की ई-ससतनत द्िारा एक 'ई-न यायालय पररयोि ा के चरण-2 के सलए ीनत और कायज योि ा 'िस् तािेि' तैयार ककया या है ।

(ग) : ई-न यायालय सतश तोप पररयोि ा के पररिजत प्रं्ि के व् यिहार के अिी यूंीयूए टयय-ूसल क् स आपरेदट ् ससस् टत के उपयो तें 14000 स े अधिक न यानयक अधिकाररयों को प्रसशषियक्षत ककया या है और केस इ फोरतेंश ससस् टत (सीआईएस) साफ्टिेयर तें 4000 से अधिक न यायालय के कतजचाररिृ्ि को प्रसशषियक्षत ककया या है ।

20

विधि और न याय त्रालय न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 727 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

अिीनस्थ न्यायपासलका का सुदृढीकर

727. श्रीमती िंदना चव्िा ः

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : अिी स्थ नयायपासलका तें नयायािीशों के राज्य-िार ककत े पि ररक्त हैं;

(ख) : क्या सरकार अिी स्थ नयायपासलका तें नयायािीशों की स्खया ंढ़ा े का विचार रखती है;

( ) : क्या सरकार े ररजक्तयों को शीघ्रानतशीघ्र भर े के सलए राज्य सरकारों और उच्च नयायालयों को कोई न िेश दिए हैं; और

(र्) : क्या सरकार अिी स्थ नयायािीशों की ुणित् ता सुन जश्चत कर े के सलए अणखल भारतीय नयानयक सेिाए ्आर्भ कर े का विचार रखती है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (घ) : जिला और अिी स् थ न यायालयों तें न यायािीशों की ररजक् तयों की जस् थनतयों के ब् यौरे उपांद्ध वििरण तें दिए ए है । अिी स् थ न यायापासलका तें पिों को सजृित कर े और उ को भरे िा े से स्ं्धित विर्षय का तातला राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के अधिकार क्षेर के भीतर आता है । अप्रैल, 2013 तें आयोजित राज् यों के तुख यत्तरयों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों के सम् तेल तें अन य ंातों के साथ यह स्कल् प ककया या था कक न यायािीश–ि स्ख या अ ुपात तें सुिार के क्रत तें, राज् य सरकारें स्ंद्ध उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों के परातशज तें सभी स् तरों पर न यानयक अधिकाररयों के अनतररक् त

21

पिों का सिृ कर े के सलए आिश् यक उपाय करें ी । िुलाई, 2013 तें उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों े ऐसा 'दृजष्ट् ट क्षेर वििरण और न यायालय विकास योि ा' तैयार कर े का अ ुरोि ककया था जिसतें अन य ंातों के साथ अनतररक् त न यायालयों की आिश् यकता सजम् तसलत हो ी । सभी पणिाररयों द्िारा ककए ए स्युक् त प्रयासों के क्रत तें अिी स् थ न यायपासलका तें त्िूर की ई पि स्ख या को 2012 तें 17715 से ंांाकर 2013 तें 19518 की ई है । जिला और अिी स् थ न यायालयों तें ररजक् तयों को भरे िा े के सलए, तातले को उच् च न यायालय राज् य सरकारों के साथ न यसतत रूप से आ े ंांाया या है ।

अणखल भारतीय न यानयक सेिा (एआईिेएस) के ठ के सलए एक व् यापक प्रस् ताि विरधचत ककया या था और जिसे पर िम् ंर, 2012 तें सधचिों की ससतनत द्िारा अ ुतोदित कर दिया या था । िह प्रस् ताि अप्रैल, 2013 तें तखु यत्तरयों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों के सम् तेल तें आयोजित कायजसूची ति तें था और यह विन श् चय ककया या था कक तु्े पर और विचार-वितशज और ध् या दिए िा ेकी आिश् यकता है । प्रस् ताि पर राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों से दटप् पण की ता् की ई थी । तथावप, अणखल भारतीय न यानयक सेिा के ठ पर राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के ंीच उ की राय तें सभन ता है ।

22

उपाबंि

'अिीनस्थ न्यायपासलका का सुदृढीकर ' के संबंि म राज् य सभा प्रश् न संख या 727 जजसका उत् तर 28 निम् बर, 2014 को हदया जाना िै जजला और अिीनस् थ न् यायालयों म न् यायािीशों की ररजत तयां ( 31.12.2013 को यथा विद्यमान)

क्र.सं. राज् य/संघ राज् य क्षेर ररजत तयां 1. उत् तर प्रिेश 184

2. आ्ध्र प्रिेश 146

3(क). तहाराष्ट्ी 278

3(ख). ोिा 9

3( ). ितण और ियि 1

4 पजश् चती ं् ाल और अ्िता और न कोंार 140

5. छत्तीस ढ़ 42

6. दिल्लय 294

7. ुिरात 716

8(क). असत 139

8(ख). ा ालैंप 1

8( ). तेर्ालय 13

8(र्). तणणपुर 7

8(प.). तरपुरा 35

8(च). सतिोरत 34

8(छ). अरुणाचल प्रिेश 1

9. दहताचल प्रिेश 6

10. िम्तू-कश्तीर 18

11. झारख्प 165

12. क ाजटक 365

13(क). केरल 30

13(ख). लक्ष् यियप 2

14. तध्य प्रिेश 194

15(क). तसतल ापु 99

15(ख). पुपूचरेय 10

16. उ़ीसा 90

17. तंहार 602

18(क). प्िां 235

18(ख). हररयाणा 163

18( ). च्पी ढ़ 10

19.

रािस्था

296

23

20. ससजक्कत 6

21. उत्तराख्प 72

योग 4403

*************

24

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 729 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों म मामलों का लंबबत रिना

729. श्री पी. राजीि :

क्या विधि और न्याय मंरी यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : क्या त ती िर्षों के िौरा उच्च नयायालयों और उच्चतत नयायालय तें ल्तंत तातलों की स्खया ंढ़य है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ; और

(ख) : सरकार द्िारा इस तुििे का सतािा कर े के सलए क्या कित उठाए ए हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) और (ख) : ल्तंत तातलों की स्ख या स्ं्िी आ्क़ ेउच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों द्िारा रखे िाते है। उपलब् ि िा कारय के अ ुसार, वपछले ती िर्षज के िौरा उच् चतत न यायालय तें ल्तंत तातलों की स्ख या न म् ा ुसार िय ई है :-

िर्षज ल्तंत तातले 2011 58,519

2012 66,692

2013 66,349

वपछले ती िर्षो के िौरा उच् च न यायालय-िार तें ल्तंत तातले का वििरण उपांद्ध पर दिया या है ।

25

तातलों का न पटा कर ा न यायपासल का का अधि कार-क्षेर तें है । तथावप , तातलों के ंैकलॉ को सुलझा े के सलए उच् च न यायालयों को सतथज ं ा े के सल ए, भारत के तुख य न यायतूनत ज े उच् च न यायालयों की स् िीकृत पि स्ख या तें वि द्यता पि स्ख या का 25 प्रनत शत तक की िवृद्ध कर े के सल ए तुख य त्तर यों/तुख य न यायतूनत जयों के सम् तले तें की ई स्युक् त सस फारर श को सस द्धा्त रूप से सहतनत िे िय है । उच् च न यायालयों और राज् य सरकारों से वि द्यता रर जक् तयों और अनत रर क् त न यायालय कक्ष अिस्रच ा, कतजचारर िृ्ि तथा ंिट की अपेक्षा को भी ध् या तें रखते हुए प्रस् ताि पर अप ी सहतनत िे े का अ ुरोि ककया या है । कुछ उच् च न यायालयों की इस ंांत वि न ज दिष्ट् ट प्रस् ताि राज् य सरकारों से प्राप् त हुए हैं और उन हें भारत के ता ीय तुख य न यायतूनत ज द्िारा अ ुतोदि त कर दि या या है । अन य उच् च न यायालयों के तातले तें, राज् य सरकारों से यह अ ुरोि कक या या है कक िे अप ी सहतनत शीघ्र भेि िें ।

26

उपाबंि – 1

''उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों म मामलों का लंबबत रिना'' संबंिी राज् य सभा अतारांककत प्रश न सं. 729 जजसका उत तर तारीख 28 निम् बर, 2014 को हदया जाना िै, म िनहदषर् ि वििर

िर्ष 2011, 2012 और 2013 के दौरान उच् च न् यायालयों म लंबबत मामले

क्र.सं. उच् च न् यायालयों के नाम 2011 को लंबबत मामले 2012 को लंबबत मामले 2013 को लंबबत मामले

1 इलािाबाद

1005527 1008679 1043398

2 आंध्र प्रदेश

198214 210101 232459

3 बम्बई

362885 341969 349837

4 कलकत्ता

347154 362131 280006

5 हदल्ली

61210 62352 64652

6 गुजरात

82232 76009 91953

7 गुिािािी

53255 52873 40912

8 हिमाचल प्रदेश

49541 55597 60073

9 जम्म-ूकश्मीर

82223 82306 93038

10 कनाषिक

172088 183852 196972

11 केरल

128777 124061 132159

12 मद्रास

473736 500374 557479

13 मध्य प्रदेश

229336 248157 261611

14 उडीसा

301314 332910 206822

15 पिना

118964 119191 132155

16 पंजाब और िररया ा

243666 251120 262760

17 राजस्थान

281306 292551 307640

18 ससजतकम

67 63 120

19 उत्तराखंड

19263 20187 20686

20 छत्तीसगढ

50163 47751 44139

21 झारखंड

61277 61957 72958

22 बरपुरा*

- - 5834

23 मण पुर*

- -

3853

24 मेघालय*

- -

1189

योग 4322198 4434191 4462705

* तीन नये उच् च न् यायालयों का प्रचालन 23 माचष,2013 को अधिसूधचत ककया गया था

****************

27

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 730 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

विचारािीन कैहदयों को जेल म रखने की समय-सीमा

+730. श्री नरेश अग्रिाल :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : क्या सरकार शक के आिार पर ध रफ्तार ककए ए लो ों को अपरािी ता ती है ;

(ख) : यदि हय्, तो उनहें ककत े िक्त तक तं ा सिा सतले िेल तें रखा िा सकता है ; और

( ) : यदि हा्, तो ककस का ू के तहत और तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : ि्प प्रकक्र या स्दह ता के सुस् त उपं्िों के अिी ध रफ्तार कक ए ए व् यजक् त यों और न यानय क प्रनत प्रेर्षण के अिी न रुद्ध कक ए ए व् यजक् त यों को, कक सी अपराि के िोर्षसस द्ध व् यजक् त यों और कारािास का ि्पािेश भो रहे व् यजक् त यों, जि न हें सस द्धिोर्ष व् यजक् त कहा िाता है, की तुल ा तें वि चारािी कैिय कहा िाता है ।

(ख) और (ग) : ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436क िता त के सल ए आिेि कर े के वि चारािी कैिय के अधि कार का उपं्ि करता है िं उस े, यदि िोर्षसस द्ध कक या िाए, अधि कतत ि्पािेश के ि्पािेश भो सल या है । इसके अनत रर क् त ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436 न यायालयों के यह आिेश िेती है कक ि ेककसी ऐसे व् यजक् त, िो ध रफ्तारय की तारयख से सात दि के भीतर िता त िे े तें असतथज है, न िज व् यजक् त के रूप तें सतझें और कक सी प्रनत भू की ता् कक ए तं ा व् यैजक् त क ं्िपर पर उस छो़ िें ।

28

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 731 जिसका उत्तर शुक्रिार, 28 िम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

फास्ि टै्रक न्यायालयों की स्थापना

731. श्रीमती अजम्बका सोनी :

क्या विधि और न्याय मंरी यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) : क्या िेश तें नयाय प्रिा कर े के कात तें तेिी ला े के सलए और अधिक फास्ट ीैक नयायालयों की स्थाप ा कर े का कोई प्रस्ताि है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है;

(ख) : केनरयय अ ुिा ों के प्राििा सदहत फास्ट ीैक नयायालय राज्य-िार ककत े-ककत े हैं ; और

( ) : ककत े प्रनतशत तातले फास्ट ीैक नयायालयों तें भेि ेिाए् े और इससे नयायालय तें ल्तंत तातलों की स्खया ककस हि तक कत हो ी?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) और (ख) : त् िररत न पटा न यायालयों की स् थाप ा से स्ं्धित तातले पर 7 अप्रैल, 2013 को ई दिल्लय तें आयोजित तुखयत्तरयों और तुखय नयायतूनत जयों के सम्तले तें विचार वितशज ककया या था । यह स्कल्प ककया या था कक राज्य सरकारें, स्ं्धित उच्च नयायालयों के तुखय नयायतूनत जयों से परातशज करके तदहलाओ्, ंालकों, न :शक् त व् यजक् तयों, िररष्ट् ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित उपयुक्त स्खया तें त्िररत न पटा नयायालयों की स्थाप ा के सलए आिश्यक कित उठाए् ी और उ के सिृ और उ को िारय रख े के प्रयोि के सलए पयाजप्त न धिया् उपलब्ि कराए ्ी । सरकार े इस विन श् चय को कायाजजन ित कर े के सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायातूनत जयों से अ ुरोि ककया है ।

29

भारत के स्वििा के अिी न यायालयों की स् थाप ा कर ा जिसके अत् जत त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.एस) भी है राज् य सरकारों का उत् तरिानयत् ि है । 11िें वित्त आयो पच्ाट के अिी स् थावपत ककए ए त् िररत न पटा न यायालयों के सलए राज् यों को केन रयय वित् त पोर्षण कर ा, 01 अप्रैल, 2011 से रूका हुआ है । कुछ राज् य अप ेन िी श्रोतों से 31.03.2011 से त् िररत न पटा न यायालय चला रहे हैं । िर्षज 2000 तें, न यारहिें वित् त आयो द्िारा धचजन हत ककए ए और 31.03.2005, 31.03.2011 को कक्रयाशील और िी तत उपलब् ि ररपोटज के अ ुसार त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.एस) की स्ख या को िसशजत कर े िाला एक वििरण उपां्ि पर स्लन है ।

( ) : त् िररत न पटा न यायालय को स् था ा्तररत ककए ए तातले और उ का न पटा कर ा न यायपासलका के कायज क्षेर के भीतर आता है ।

30

उपाबंि

राज् य सभा अतारांककत प्रश् न संख या 731 जजसका उत् तर 28 निम् बर, 2014 को हदया जाना िै के भाग (ख) के उत् तर म िनहदष् ि वििर

िर्ष 2000 म ग यारिि वित् त आयोग िनधिकर के सलए और 31.03.2005, 31.03.2011 को कायषरत और िनहदष् ि की गई तारीख को अनुमोहदत त् िररत िनपिान न् यायालय की संख या संबंिी वििर

क्र.सं. राज् य का नाम 2000 म एफिीएस की अनुमोहदत सखं या

31.03.2005 को कायषरत एफिीएस की सखं या

31.03.2011 को कायषरत एफिीएस की सखं या

कायषरत एफिीएस की संख या

यथा जस् थित

1 आंध्र प्रदेश 86 86 108 72 अप्रैल, 14

2 अरु ाचल प्रदेश

5 3 3 0 माचष, 14

3 असम 20 20 20 20 अत तबूर.12

4 बबिार 183 150 179 179 माचष, 11

5 छत्तीसगढ 31 31 25 21 अप्रैल ,14

6 गोिा 5 5 5 5 जुलाई, 14

7 गुजरात 166 166 61 61 फरिरी,11

8 िररया ा 36 16 6 6 हदसम् बर.10

9 हिमाचल प्रदेश 9 9 9 0 जून, 14

10 जम्म-ूकश्मीर 12 - - 5 जून , 14

11 झारखंड 89 89 39 11 माचष, 14

12 कनाषिक 93 93 87 39 माचष, 14

13 केरल 37 31 38 38 अगस् त, 13

14 मध्य प्रदेश 85 66 84 84 हदसम् बर,10

15 मिारा्ट्र 187 187 51 92 जून , 14

16 मण पुर 3 2 2 2 अत तबूर,12

17 मेघालय 3 3 3 3 जून , 14

18 समजोरम 3 3 3 3 माचष, 11

19 नागालैंड 3 2 2 2 अत तूबर. 12

20 ओडीसा 72 41 35 30 जून , 14

21 पंजाब 29 18 15 20 माचष, 14

22 राजस्थान 83 83 83 0 माचष,14

23 ससजतकम 3 - 1 माचष, 14

24 तसमलनाडु 49 49 49 32 जून , 14

25 बरपुरा 3 3 3 2 जून , 14

31

26 उत्तर प्रदेश 242 242 153 153 माचष, 11

27 उत्तराखंड 45 45 20 0 जुलाई, 14

28 पजश् चमी बंगाल 152 119 109 77 अगस् त, 14

29 हदल् ली - - - 10 माचष, 14

योग 1734 1562 1192 968

32

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

तारा्ककत प्रश् स्.193 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयों म अनुसूधचत जाित/अनुसूधचत जनजाित िगष के न्यायािीशों का प्रितिनधित्ि

*193. श्री अम्बेथ राजन :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) िेश के उच्चतत नयायालय तथा सभी उच्च नयायालयों के नयायािीशों की कुल स्खया का ब्यौरा क्या है;

(ख) क्या िेश के उच्चतत नयायालय तथा सभी उच्च नयायालयों तें नयायािीशों की कुल

स्खया को िेखते हुए अ ुसूधचत िानत/अ ुसूधचत ि िानत ि ज के नयायािीशों का पयाजप्त प्रनतन धित् ि है; और

( ) यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) से (ग) : एक वििरण सि के पटल पर रख दिया या है ।

33

'न्यायालयों म अनुसूधचत जाित/अनुसूधचत जनजाित िगष के न्यायािीशों का प्रितिनधित्ि' संबंिी राज्य सभा तारांककत प्रश्न संखया 193 जजसका उत्तर 05.12.2014 को हदया जाना िै के भाग (क) से (ग) के उत्तर म िनहदष्ि वििर '

(क) : उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों तें 01.12.2014 को न यायािीशों की अ ुतोदित पि स्ख या, कायजरत पि स्खया और ररजक्तयों को िसशजत कर े िाला एक वििरण उपांद्ध है ।

(ख) और ( ) : उच चतत यायालय और उच च यायालयों के यायािीशों की न युक नत

स्वि िा के क्रतश: अ ुच छेि 124 और अ ुच छेि 217 के अिी की िाती है । इ अ ुच छेिों तें कक सी िानत या ि ज के ि यक नत यों के सल ए आरक्षण का उपं्ि हय् है । इससलए नयायािीशों की िानत या ि जिार कोई आ्क़ा हय् रखा िाता है। तथावप, सरकार े उच च यायालयों के

तुख य यायतूनत जयों से अ ुरोि कक या है कक िे यायािीशों की न युक नत के सल ए प्रस ताि भेित े

सतय अ ुसूधच त िानत यों, अ ुसूधच त ि िानतयों, अ य वप छ़ ेि ों, अल पस्ख यकों, तदह लाओ् तें से उपयुक त अभ यधथजयों पर सत यक रूप से विचार करें ।

34

राज्य सभा तारा्ककत प्रश् सख्या 193, जिसका उत्तर 05 दिसम््ंर, 2014 को दिया िा ा है, के भा (क) के उत्तर तें न दिजष्ट्ट उपांि् (01.12.2014 को यथाजस्थनत)

क्र.स.् नयायालय का ात अ ुतोदित पि स्ख या कायजरत पि स्खया

अ ुतोदित पि स्ख या के अ ुसार ररजक्तयााँ

अ. भारत का उच्चतत नयायालय 31 28 03

आ. उच्च नयायालय

1. इलाहांाि 160 81 79

2. तेल् ा ा और आ्ध्र प्रिेश 49 30 19

3. ंम्ंई 75 65 10

4. कलकत्ता 58 39 19

5. छत्तीस ढ़ 18 10 08

6. दिल्लय 60 36 24

7. ुिाहाटय 24 12 12

8. ुिरात 42 30 12

9. दहताचल प्रिेश 13 07 06

10. िम्त-ूकश्तीर 17 09 08

11. झारख्प 25 13 12

12. क ाजटक 62 32 30

13. केरल 38 31 07

14. तध्य प्रिेश 53 34 19

15. तरास 60 43 17

16. तणणपुर 04 03 01

17. तेर्ालय 03 03 0

18. उ़ीसा 27 21 06

19. पट ा 43 33 10

20. प्िां और हररयाणा 85 57 28

21. रािस् था 50 28 22

22. ससजक् कत 03 02 01

23. तरपुरा 04 04 0

24. उत् तराख्प 11 06 05

25. यो 984 629 355

35

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

तारा्ककत प्रश स्.195

जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

विसभन्न उच्च न्यायालयों म न्यायािीशों के ररतत पदों का भरा जाना

*195. डा. भालचन्द्र मु गेकर :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) 30 िू , 2014 की जस्थनत के अ ुसार विसभन उच्च नयायालयों तें नयायािीशों के ककत े पि ररक्त हैं;

(ख) इसका उच्च नयायालयों के सतक्ष लजम्ंत तुकितों के न पटा पर क्या असर प़ता है; और

( ) इ ररक्त पिों को भर े के सलए क्या कायज-योि ा है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) से (ग) : एक वििरण सि के पटल पर रख दिया या है ।

36

''विसभन्न उच्च न्यायालयों म न्यायािीशों के ररतत पदों का भरा जाना'' संबंिी राज्य सभा तारांककत प्रश्न संखया 195 जजसका उत्तर 05.12.2014 को हदया जाना िै, के भाग (क) से (ग) के उत्तर म िनहदष्ि वििर

(क) : उच्चतत नयायालय और उच्च नयायालयों तें तारयख 30.06.2014 को नयायािीशों की ररजक्तयों की िसशजत कर े िाला एक वििरण उपांद्ध है।

(ख) और ( ) : नयायालयों तें तातले का न पटा कर ा नयायपासलका के क्षेराधिकार तें आता है। तथावप, नयायािीशों के ररक्त पिों की िहृत सख्या, तातलों के शीघ्र न पटा की प्रकक्रया के िीती नत तें हो ा कई कारणों तें से एक है।

तारयख 28 अक्तूंर, 1998 की सलाहकारय राय के साथ पदठत तारयख 6 अक्तूंर, 1993 के उच् चतत न यायालय न णजय के अ ुसरण तें उच्च नयायालय के नयायािीश की न युजक्त के सलए प्रस्ताि आर्भ कर े की प्रकक्रया स्ंद्ध उच्च नयायालय के तुखय नयायतूनत ज तें न दहत होती है। प्रकक्रया ज्ञाप के अ ुसार, उच्च नयायालयों तें नयायािीशों की ररजक्तयों को भरे िा े की प्रकक्रया स्ंद्ध उच्च नयायालय के तुखय नयायतूनत ज द्िारा ररजक्तयों के उिभूत हो े से छहिः तास पूिज आर्भ की िा ी चादहए। नयायिीश की न युजक्त एक सतत परातशज है और उच्चतर नयायपासलका के सलए उधचत अभ्यधथजयों के चय के सलए सा्वििान क प्राधिकाररयों के ंीच सतय ल ता है। इस व् यिस् था तें पिों को भर े के सलए प्रस् तािों के अभाि तें ं़ी स्ख या तें पि ररक् त रह िाते हैं । विद्यता ररजक्तयों को शीघ्रता से भरे िाते सतय प्रत्येक प्रयास ककया िाता है, सेिान िजृत्त उन य पि त्या , आदि के कारण ररजक्तयााँ उत्पन होती हैं। उच्च नयायालयों तें हाल हय तें नयायािीश पि स्खया तें 906 से 984 िवृद्ध हो े के साथ ररजक्तयों तें भी िवृद्ध हुई है, जि की स्खया 01.12.2014 को 355 हैं। सरकार े आिधिक रूप से उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों को विद्यता ररजक् तयों के साथ-साथ आ ाती छह तास तें उच् च न यायालय तें प्रत् यासशत ररजक् तयों को भर े के सलए प्रस् तािों को सतय से प्रारम् भ कर े के सलए अ ुस् तरण कराया है ।

37

राज्य सभा तारा्ककत प्रश् सख्या 195, जिसका उत्तर 05 दिसम्ंर, 2014 को दिया िा ा है, के भा (क) के उत्तर तें न दिजष्ट्ट उपांि्

क्र.स्.

नयायालय का ात

30.06.2014 को न यायािीशों की ररजक् तया्

अ. भारत का उच्चतत नयायालय 03 आ. उच्च नयायालय

26. इलाहांाि 72

27. तले ्ा ा और आध््र प्रिेश 18

28. ंम्ंई 11

29. कलकत्ता 19

30. छत्तीस ढ़ 05

31. दिल्लय 10

32. िुाहाटय 11

33. िुरात 11

34. दहताचल प्रिेश 03

35. िम्त-ूकश्तीर 04

36. झारख्प 10

37. क ाजटक 17

38. केरल 03

39. तध्य प्रिेश 11

40. तरास 16

41. तणणपरु 02

42. तेर्ालय 0

43. उ़ीसा 03

44. पट ा 08

45. पि्ां और हररयाणा 20

46. रािस् था 12

47. ससजक् कत 0

48. तरपरुा 0

49. उत् तराख्प 04

यो 270

38

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1493 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

जेलों म दंड झले रिे बेगुनाि लोग

+1493. श्री नरेश अग्रिाल :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या िेश की िेलों तें लाखों ंे ु ाह सिा काट रहे हैं ; (ख) यदि हा्, तो उनहें िल्ि से िल्ि ररहा कर े हेत ुसरकार की क्या कायज-योि ा है; ( ) क्या फास्ट ीैक अिालतों के िररए ऐसे तातलों पर न णजय का विचार हो रहा है; (र्) यदि हा्, तो इस कायज को कं तक पूरा कर सलया िाए ा; और (ङ) यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं? उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) स े(ङ) : ि्प प्रककया स्दहता के सुस् त उपं्िों के अिी ध रफ्तार और नयानयक ररता्प के अिी न रुद्ध व्यजक्तयों को विचारणािी कैिय कहा िाता है। राष्ट् ीयय अपराि असभ लेख ब् यूरो (ए सीआरंी) द्िारा प्रकासश त कारा ार सा्जख य की भारत, 2013 के अ ुसार, िेलों तें वि सभ न प्रकार के 4.12 लाख कारा ार सहिासस यों तें स,े 2.78 लाख कारा ार सहिासी वि चारािी कैिय हैं । कारा ारों तें वि चारािी कैदि यों की स्ख या को कत कर े के उ्ेश्य से, उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों स े ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436 और िारा 436क के अिी ऐस ेसभी तातलों का पु विज लोक कर े के सल ए िहा ्वि चारािी कैिय िता त के सल ए पार हैं और उ को छो़ ेहेतु स् िप्रेरणा स ेकारजिाई कर े के सल ए जि ला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए अ रुोि कक या या है । विचारािी कैदियों को न तुजक्त कर े हेतु आिधिक रूप से ता ीटर कर े के सलए भी उच् च न यायालय तें एक त्र स् थावपत कर े की सलाह िय ई है । त्िररत न पटा नयायालयों को ककए ए तातलों का स्था ा्तरण उच्च नयायालयों की अधिकार क्षेर तें

39

आता है । तुख यत्तरयों और विधित्तरयों से विचारािी कैदियों के विर्षय और आिधिक रूप से उ के तातले का पु विजलोक कर े के सलए पाटा का प्रयो कर े हेत ुसाफ्टिेयर उपयोि ों के उपयो का भी अ ुरोि ककया या है ।

40

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1494 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

महिलाओं और बच्चों के प्रित िुए अपरािों स ेसंबंधित मामलों का िनपिान

1494. श्रीमती मोिससना ककदिई :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) दिल्लय सदहत िेश तें तदहलाओ् और ंच्चों के प्रनत हुए अपराि से स्ं्धित तातलों के सलए फास्ट ीैक नयायालयों की स्थाप ा सदहत तातलों के त्िररत न पटा के सलए क्या कित उठाए ए हैं;

(ख) िेश तें उच्चतत नयायालय और विसभन उच्च नयायालयों तें ल्तंत स्लयय अपराि, र्णृात्तक अपराि, ंलात्कार और यौ उत्पी़ के तातलों की स्खया क्या है और वि त ती िर्षों तें से प्रत्येक िर्षज और चालू िर्षज के िौरा फास्ट ीैक नयायालयों द्िारा न पटाए ए ऐसे तातलों की नयायालय-िार स्खया क्या है; और

( ) सरकार द्िारा ऐसे अपरािों के पीड़तों को का ू ी सहायता प्रिा कर े और त्िररत नयाय सुन जश्चत कर े के सलए क्या अनय कित उठाए ए हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : सरकार े उच च यायालयों के तुख य यायतूनत जयों को ऐसे तातले के अधिक स्ख या तें ल्तंत रख े िाले जिला/अिी स थ यायालयों तें ंलात स् के ल्तंत तातलों के शीघ्र विचारण

के सलए त िररत न पटा यायालयों की स थाप ा कर े और उ तातलों की प्र नत को ता ीटर कर े के सलए सलखा है । राज् यों के तुख यत्तरयों से तदहलाओ् के विरुद्ध अपराि के तातलों का विचारण कर े के सलए त िररत न पटा यायालयों का ठ कर े के सलए उच च यायालयों को वित तीय सहायता का उपंि् कर े का अ ुरोि ककया है । िेश तें तदहलाओ ्और ंालकों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित तातलों के शीघ्र विचारण के सलए त् िररत न पटा न यायालयों सदहत अिी स् थ न यायालयों की स् थाप ा कर ा भारत के स्वििा के अिी स्ंधित राज् य सरकारों का उत् तरिानयत् ि है ।

41

(ख) : राष्ट् ीयय अपराि असभलेख ब् यूरो द्िारा प्रकासशत ररपोटों के अ ुसार वपछले ती िर्षों के िौरा तदहलाओ् और ंालकों के विरूद्ध अपरािों के स्ं्ि तें ररपोटज ककए ए तातले और उ की िोर्षससवद्ध की िर न म् ा ुसार हैं:-

महिलाओं के विरूद्ध अपराि

बालकों के विरूद्ध अपराि

िर्ष ररपोिष ककए गए मामलों की संख या दोर्ससवद्ध की दर 1 2 3

2013 58224 30.9 2012 38172 29.0 2011 33098 34.6

उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों तें लत्ंत ंलात् स् के तातले और न पटा ककए ए तातलों पर िा कारय ीच ेिय ई है:-

उच् चतम न् यायालय तारीख 17.07.2014 को लंबबत बलात् संग के मामलों सहित लैंधगक उत् पीडन, व् यपिर और अपिर से संबंधित मामलों की संख या

तारीख 01.01.2009 स े 17.07.2014 के दौरान िनपिाए गए बलात् संग के मामलों सहित लैंधगक उत् पीडन, व् यपिर और अपिर से संबंधित मामलों की संख या

310 1455 उच् च न् यायालय तारीख 31.01.2014 को लंबबत बलात् संग के मामलों की संख या

वपछले तीन िर्ों के दौरान िनपिान ककए गए बलात् सगं के मामलों की संख या

31386 15453

िर्ष ररपोिष ककए गए मामलों की सखं या दोर्ससवद्ध की दर 1 2 3

2013 309546 22.4 2012 244270 21.3 2011 228650 26.9

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( ) : ंालकों के विरुद्ध अपरािों के शीघ्र विचारण के सलए विशरे्ष यायालयों को स थावपत कर े के सलए सरकार द्िारा वििायी उपं्िों को ं ाया या है । ंाल अधिकार स्रक्षण आयो

अधिन यत, 2005 की िारा 25 यह उपं्ि करती है कक ंालकों के विरुद्ध अपरािों या ंाल

अधिकारों के अनतक्रतण के शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए राज्य सरकार, अधिसूच ा द्िारा, उच च यायालयों के तुख य यायतूनत ज की सहतनत से राि य तें कत से कत

एक यायालय को विन दिजर्ष ट कर सकें ी या प्रत येक जिले के सलए एक सर यायालय को उक त

अपराि के विचारण के सलए ंाल यायालय हो े का विन दिजष्ट्ट कर सके ी । ंालकों के लैंध क

अपरािों से स्रक्षण अधिन यत, 2012 की िारा 28(1) यह उपं्ि करती है कक शीघ्र विचारण का उपं्ि कर े के प्रयोि के सलए, राि य सरकार, उच च यायालय के तुख य यायतूनत ज के

परातशज से, रािपर तें अधिसूच ा द्िारा प्रत्येक जिले के सलए, अधिन यत के अिी अपरािों के विचारण के सलए एक सर यायालय को विशरे्ष यायालय हो ेके सलए न दिजर्ष ट करे ी, पर्त ु

यदि कोई सर यायालय ंाल अधिकार स्रक्षण आयो अधिन यत, 2005 के अिी ंाल

यायालय के रूप तें अधिसूधचत है या तत सतय प्रितृ त ककसी अ य विधि के अिी सतरूप

प्रयोि ों के सलए न दिजर्ष ट है, तं ऐसा यायालय इस िारा के अिी एक विशरे्ष यायालय ता ा िाए ा ।

ऐसे तातलों के शीघ्र विचारण जिसके अन त जत ंलात् स् िैसे ्भीर अपराि भी हैं के स् थ को न यू तत रख े का ध् या रखते हुए दि प्रनत दि के आिार पर साषियक्षयों की परयक्षा के दृजष्ट् ट कोण से ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 157, 309 और 327 के अिी उपं्िों के प्रयो के सलए उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों को भी ध् या आकृष्ट् ट कर े के सलए आग्रह ककया या है । उन हों े अपरािों के विचारण तें जिसके अत् जत ंलात् स ् िैसे ्भीर अपराि भी हैं और यथास्भि शीघ्र तं ा स् थ ककए विचारण हेतु इ उपंिों के सलए न ष्ट् ठापूिजक से िु़ े का जिला न यायिीशों से अ ुरोि ककया है ।

ि्प प्रककया स्दहता 1973 की िारा 357क अपराि के पीड़तों को क्षनतपूनत ज के स्िाय के सलए उपं्ि करती है जिसके किानटत को राज्य विधिक सेिा प्राधिकरण या जिला विधिक सेिा प्राधिकरणों द्िारा सुन जश्चत ककया िाता है। ि ेअत्ररत आिेश पाररत कर े के सलए सशक्त ं ाते हैं और सतुधचत तातलों तें तत्काल राहत प्रिा कर े का उपं्ि करते हैं । इसके सलए, पीड़त सािारण आिेि के साथ विधिक सेिा प्राधिकरणों तें पराविधिक स्िय्सेवियों द्िारा भी पह्ुच सकते हैं।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1495 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायािीशों की सेिािनिजृत्त आयु का बढाया जाना

1495. श्री पररमल नथिानी :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार नयायािीशों की सेिान िजृत्त आय ुंढ़ा े पर विचार कर रहय है; और

(ख) यदि हा,् तो क्या सरकार उच्च नयायालय के नयायािीशों की सेिान िजृत्त आयु 62 िर्षज से ंढ़ाकर 65 िर्षज कर े और उच्चतत नयायालय के नयायािीशों की सेिान िजृत्त आय ु65 िर्षज से ंढ़ाकर 68 िर्षज कर े पर विचार कर रहय है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ख): स्वििा (एकसौ चौिहिा् स्शोि ) वििेयक, 2010 िो उच्च नयायालय के नयायािीशों की सेिान िजृत्त आयु 62 िर्षज स ेंढ़ाकर 65 िर्षज कर े का उपं्ि करता है, लोक सभा तें 25.08.2010 को पुरिःस्थावपत ककया या था। इसके पश्चात वििेयक को सतीक्षा और ररपोटज के सलए स्सियय ससतनत को अगे्रवर्षत कर दिया या था, जिसतें यह ससफाररश की ई कक प्रस्तावित वििेयक अप े ितजता स्िरूप तें हय तं ा ककसी विल्ं के पाररत कर दिया िा ा चादहए। वििेयक पर स्सि तें विचार और पाररत हय् ककया या तथा 15िी् लोक सभा के विर्ट के साथ व्यप त हो या था।

उच्चतत नयायालय के नयायािीशों की सेिान िजृत्त आय ुको 65 िर्षज से ंढ़ाकर 68 िर्षज कर े का कोई प्रस्ताि हय् हैं

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1496 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

राबर न्यायालय

1496. श्री शान्ताराम नायक :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार िेश तें रातरकालय या साय् कालय नयायालय शुरू ककए िा े हेत ु राज्य सरकारों को प्रोत्सादहत कर रहय है;

(ख) कक -कक राज्यों तें इस प्रकार के नयायालय कायज कर रहे हैं;

( ) क्या यह सच है कक कुछ राज्यों के नयायािीश और अधििक्ता इस प्रकार के नयायालय शुरू ककए िा े के पक्ष तें हय् हैं; और

(र्) यदि हा्, तो इसके क्या कारण हैं और इस स्ं्ि तें क्या सतािा , यदि कोई हो, न काला या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : तेरहिें वित्त आयो े राज्यों की अपेक्षाओ् के अ ुसार, ल्तंत तातलों को कत कर े के सलए, प्रातिः /सा्य कालय / पालय/ सप्ताह्त/ चल/ विशरे्ष तजिस्ीेट नयायालय स्थावपत कर े की ससफाररश की हैं।

(ख) : 31 अक्तूंर, 2014 तक राज्यों से प्राप्त िा कारय के अ ुसार, 15 राज्यों अथाजत आाँध्र प्रिेश, असत, तंहार, ुिरात, हररयाणा, दहताचल प्रिेश, िम्तू और कश्तीर, केरल, तहाराष्ट्ी, ओडपशा, प्िां, तसतल ापु, तरपुरा, उत्तर प्रिेश और उत्तराखप् तें ऐसे नयायालय स्थावपत कर दिये ये हैं,।

(ग) और (र्) : इस पहल पर पयाजप्त प्रनतकक्रया की कती के न म् सलणखत कारण हैं :- (i) विधिज्ञ स् तों द्िारा प्रनतरोि

(ii) भौ ोसलक और स्था ीय अिरोि, विशरे्ष रूप से पूिोत्तर राज्यों तें, और

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(iii) इ नयायालयों के सलए सतुधचत हैससयत िाले सेिा न ितृ्त विधिक अधिकाररयों की अप्राप्यता।

सरकार ऐसे नयायालयों को स्थावपत कर े के सलए उपलब्ि न धियों के उपयो हेतु सतय सतय पर राज्य सरकारों से ंातचीत की है।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1497 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

अिीनस्थ न्यायालयों म अिसंरचना के विकास के सलए केन्द्रीय अनुदान

1497. डा. कनिर दीप ससिं :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या ककसी केनरयय योि ा के अिी सरकार राज्यों को अिी स्थ नयायालयों तें अिस्रच ा के विकास के सलए अ ुिा प्रिा करती है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है;

(ख) त चार िर्षों के िौरा इस शीर्षज के अिी पजश्चत ं् ाल को िारय ककए ए केनरयय अ ुिा का िर्षज-िार ब्यौरा क्या है;

( ) राज्य तें विसभन अिी स्थ नयायालयों तें सजृित अिस्रच ा का ब्यौरा क्या है;

(र्) क्या सरकार का विचार राज्यों को दिए िा े िाले इ अ ुिा ों को ंढ़ा े का है क्योंकक अिसर्च ा के तातले तें ंहुत कत लक्ष्य प्राप्त हो पाये हैं; और

(ङ) यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ङ) : नयायपासलका के सलए अिस्रच ा सुवििाओ् के विकास के सलए कें रयय रूप स ेप्रायोजित स्कीत (सीएसएस) पर िर्षज 1993-1994 स ेकायाजनिय चल रहा है । स्कीत के अिी , कें रयय सरकार, नयायालयों की भौनतक अिस्रच ा तें सुिार के साथ नयानयक अधिकाररयों की आिासीय आिश्यकताओ ्की पूनत ज के सलए राज्य सरकारों के स्साि ों तें िवृद्ध करती है । स्कीत के अिी कें रयय सहायता के अ ुपात को 50 : 50 से 75 : 25 तक पररिनतजत ककया है और स्कीत को, िर्षज 2011-12 के आ े स े केिल अिी स्थ नयायालयों को सजम्तसलत कर े के सलए उपा्तररत ककया है पूिोत्तर राज्यों के सलए यह, 90 : 10 है और 2010-11 से प्रभािी है । स्कीत के सलए ककया या ंिट आं्ट

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कें रयय सहायता को न ंांधित करता है । तथावप, राज्य अनतररक्त रकत को व्यय कर े के सलए स्ित्र है । राज्य सरकारों से प्राप्त स्म्पूणज प्रस्ताि की प्राजप्त पर जिसके अनतज त िारय की ई पूिजिती आिेश वित्तीय सहायता हेतु न धियों के सलए उपयोध ता प्रताण पर भी हैं, स्कीत के दिशान िेश के न ं्ि ों तें राज्य सरकारों को त्िूरय प्रिा की िाती हैं। पजश्चती ं् ाल राज्य सरकार को िर्षज 2011-2012 और 2014-15 के िौरा क्रतशिः 25.18 करो़ रूपये और 20.00 करो़ रूपये की केनरयय सहायता िारय की ई हैं। िर्षज 2012-13 और 2013-14 के िौरा कोई वितीय सहायता हय् िारय की ई थी। पजश्चती ं् ाल राज्य सरकार द्िारा उपलब्ि िा कारय के अ ुसार, राज्य तें अिी स्थ नयायालयों के सलए विकससत की ई / विकास की िा रहय अिस्रच ा के ब्यौरे वििरण तें उपांद्ध ककए ए हैं।

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उपाबंि

अिीनस्थ न्यायालयों म अिसंरचना के विकास के सलए केन्द्रीय अनुदान संबंिी राज्य सभा अतारांककत प्रश्न संखया 1497 जजसका उत्तर 05.12.2014 को हदया जाना िै, के उत्तर म िनहदष्ि वििर

पजश्चती ं् ाल राज्य तें अिी स्थ नयायालयों के सलए विकससत की ई/ विकास की िा रहय अिस्रच ा के ब्यौरे।

क्रत स्खया

िर्षज ककए ए विन ताजण/ विन ताजण ककए िा रहे नयायालय कक्ष

ककए ए विन ताजण/ विन ताजण ककए िा रहे आिासीय ईकाईया ्

स्था स्था 1 2011-12 ख़ पुर, पायतण्प हारंर, ंैरकपोर,

ंहरातपुर ( या), ंारासत, ौरूभात , ससलय ुपी, तातलुक, अलयपोर, तुफा ्ि, कल ा, काकियप, ंरहातपोर, च्चल रािंरय

राणार्ाट

2 2012-13 पायतण्प हारंर, ंहरातपुर (एफटयएस), ंारासत, तातलुक, तुफा ि्, काकद्धीप, ंरहातपोर (कतपोजिट), तंश ुपुर, च्चल रािंरय, ंोलपुर, ईस्लातपोर

काकियप, ससलय ुपी, कुरसें , कल्याणी, राणार्ाट, पुरूसलया्, ोपालंा ्, च्चल, कृष्ट्णा र, के़ुडपहय, कृष्ट्णा र(एचिेओ), ांाियप, आस सोल, ंरहातपोर

3 2013-14 पायतण्प हारंर, तहटा, तालिा, तातलुक, ंहरातपुर, काकद्धीप काकियप

काकियप, कल्याणी

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1498 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

पररिार न्यायालयों की स्थापना

1498. श्री मोिम्मद अली खान :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार ेराज्य सरकारों से िेश तें और अधिक स्खया तें पररिार नयायालयों की स्थाप ा ककए िा े के स्ं्ि तें कोई प्रस्ताि ककए हो ताकक उ की ता् को पूरा या िा सके;

(ख) यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और अं तक उस पर क्या कारजिाई की ई है; और

( ) इस स्ं्ि तें राज्य-िार ितजता जस्थनत क्या है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : कुट्ुं न यायालय अधिन यत, 1984 के अ ुसार, कुट्ुं न यायालयों की स् थाप ा उच् च न यायालय के परातशज से राज् य सरकारों द्िारा की िाती है । केन रयय सरकार, राि य सरकारों को उ के प्रस् तािों के प्राप् त हो िा े पर कुट्ुं न यायालयों के सलए वित् तीय सहायता प्रिा करती है । हाल हय तें, उत् तर प्रिेश और छत् तीस ढ़ राज् य सरकारों से प्रस् ताि प्राप् त हो िा े पर, इ राज् यों को क्रतश: 3.75 करो़ रुपए और 1.00 करो़ रुपए का अ ुिा िारय ककया या है । पोटज ब्लेयर तें कुट्ुं न यायालय की स् थाप ा कर े के सलए पिों के सिृ के स्ं्ि तें अि्ता और न कोंार प्रशास से एक प्रस् ताि प्राप् त हुआ है और िह प्रकक्रयािी है । राज् य सरकारों से प्राप् त ररपोटों के अ ुसार, िेश तें 410 कुट्ुं न यायालय कायज कर रहे हैं ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 1501 जिसका उत्तर शुक्रिार, 05 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

विचारािीन कैहदयों के मामलों की समीक्षा िेत ुपैनल का गठन

1501. श्री हदजगिजय ससिं :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या विचारािी कैदियों के तातलों की सतीक्षा कर े हेत ु प्रत्येक ती ताह पर ंैठक कर े के सलए प्रत्येक जिले तें जिला नयायािीश की अध्यक्षता तें एक सतीक्षा पै ल का ठ ककया िा ा था जिसके सिस्य जिला तजिस्ीेट और पुसलस अिीक्षक हों े ताकक िेलों तें अत्यधिक भी़-भा़ को कत ककया िा सके और ऐसे िोर्षससद्ध व्यजक्तयों को छो़ दिया िाए िो अप े विचारण तें विलम्ं के कारण ल्ंे असे से तातूलय अपरािों के सलए दहरासत तें हैं; और

(ख) क्या त्रालय ेसभी राज्यों और स्र् राज्यक्षेरों तें इस विर्षय पर अतल कर े के सलए न रा ी ससतनत का ठ ककया है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क): ‘कारा ार’ राज् य का विर्षय है और िेलों तें भी़भा़ का सतािा कर े के उपाय राज् य सरकारों के कायजक्षेर के भीतर आता है । तथावप, िेलों तें भी़भा़ के तु्े का सतािा कर े के सलए 17 ि िरय, 2013 को सभी राज् यों और सर्् राज् यक्षरेों ेउन हें यह सलाह िेते हुए एक त्रणा िारय की ई थी कक िे जिला न यायािीश की अध् यक्षता तें प्रत् येक जिले तें एक “पु विजलोक ससतनत” का ठ करे जिसतें जिला तजिस् ीेट और जिला पुसलस अिीक्षक सिस् यों के रूप तें हो । ससतनत को प्रत् येक ती तास तें ंैठक कर ी है और ऐसे विचारािी कैदियों (यूटयपी) के जिन हों े अनर्कतत ि्पािेश का एक चौथाई से अधिक ि्पािेश पूरा कर सलया है, तातलों का प ुविजलोक कर ा है ।

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(ख) : ससत्ंर, 2014 तें, भारत के उच् चतत न यायालय े ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436क को प्रभािी ा्ं स ेकायाजजन ित कर े के सलए सभी न यानयक अधिकाररयों को न िेश िेते हुए भीतससह् के तातले तें एक आिेश पाररत ककया । सरकार े िहा् सभी तातलों का पु विजलोक कर े के सलए जिला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से िहा् विचारािी कैिय ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436 और िारा 436क के अिी िता त के सलए पार हैं और उ को छो़ े के सलए स् िप्रेरणा से कारजिाई कर े के सलए अ ुरोि ककया है ।

उन हें यह भी सलाह िय ई है कक िे विचारािी कैदियों की न तुजजक् त की आिधिक न रा ी के सलए उच् च न यायालयों तें एक त्र स् थावपत करे ।

विचारािी कैदियों (यूटयपी) से स्ं्धित आक़ ेप्राप् त कर े के सलए राष्ट् ीयय सूच ा केन र की सहायता से ई-कैिय साफ्टिेयर का विकास आर्भ ककया या है । अ ेक राज् य विचारािी कैिय (यूटयपी) पर आक़ा उत् पन कर े के सलए इस साफ्टिेयर का प्रयो कर रहे हैं । सभी राज् य सरकारों से अ ुरोि ककया है कक िे कारा ार तैन युअलों का पु विजलोक करें और उन हें पु रयषियक्षत करें और विचारािी कैदियों के आक़ े उत् पन कर े के सलए साफ्टिेयर आिेि का प्रयो करें तथा उ के तातलों का आिधिक रूप से पु विजलोक करें ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

तारा्ककत प्रश् स्. *275 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उच्चतम न्यायालय के सेिािनितृ्त न्यायािीशों की िनयुजतत

*275. श्री ए. यू. ससिं हदि :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या स्वििा का अ ुच्छेि 124 (7) उच्चतत नयायालय के सेिान ितृ्त नयायािीश को िेश के भीतर ककसी नयायालय तें या ककसी प्राधिकरण के सतक्ष असभिच कर ेअथिा कायज कर े से प्रनतं्धित करता है;

(ख) क्या स्सद् को अ ुच्छेि 12 के साथ पदठत अ ुच्छेि 124(7) के अथज के भीतर एक

प्राधिकरण सतझा िाता है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं; और

( ) क्या उच्चतत नयायालय के सेिान ितृ्त नयायािीश को विसभन राि ीनतक पिों पर न युक्त कर ेकी पररपाटय ैनतक रूप से सहय है, और क्या इसस ेनयानयक स्ित्रता को ्भीर खतरा उत्पन होता है, क्योंकक ं़ी स्खया तें सरकारय तातले उच्चतत नयायालय तें लजम्ंत हैं, तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) से (ग) : एक वि िरण सि के पटल पर रख दि या या है ।

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उच् चतम न् यायालय के सेिािनितृ न् यायमूित ष यों की िन युजत त से संबंधि त राज् य सभा तारांकक त प्रश् न सं0 275 जज सका उत् तर 12.12.2014 को हद या जाना िै, िनष हद् ि वि िर

(क) : भारत के स्वि िा का अ ुच् छेि 124(7) उच् चतत न यायालय के सेिान ितृ् त न यायािीश को भारत राज् यक्षेर के भीतर कक सी न यायालय या प्राधि कारय के सतक्ष असभ िच या कायज कर े से न ं जधित करता है ।

(ख) : भारत के स्वि िा तें स् थावप त शजक् त यों के पथृ् क् कीकरण का सस द्धा्त कायजपासल का, वि िानय का और न यायपासल का को वि न ज दिष्ट् ट भूसत का दि ए िा े की अपेक्षा करता है । लोकत्र के सभी ती ो स् त्भ भारत के स्वि िा के अ ुच् छेि 12 तें यथापरर भावर्ष त राज् य की स्रच ा करते हैं ।

(ग) : केन रयय सरकार द्िारा राज् यपाल, भारत का न य्रक तहालेखापरयक्षक, तुख य सतकज ता आयकु् त आदि पिों पर न युजक् त यों के सल ए स्वि िान क उपं्ि, सेिान ितृ् त न यायिीशों तें से उ न यायिीशों के अपिजिजत हय् करते हैं िो ऐसी न युजक् त यों के पार हैं। स्सद् द्िारा अधि न यसत त वि सभ न वि िा ों तें, उच् चतत न यायालय/ उच् च न यायालय के सेिान ितृ् त न यायिीशों की अधि करणों, आयो ों और अन य प्राधिकरणों तें न युजक् त के सल ए उपं्ि हैं ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2273 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

जेलों म बंद पड ेअसभयोगािीन कैहदयों की ररिाई

2273. श्री नरेन्द्र बुढािनया :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक िेश तें एक लाख से अधिक कैिय िो अप े अपरािों के सातंत हो िा ेकी जस्थनत तें िय िा े िालय सिा की आिी से अधिक सिा पूरय कर चकेु हैं, अभी भी िा्च अिालतों द्िारा उ के विचारण की प्रतीक्षा कर रहे हैं;

(ख) क्या उच्च्तत नयायालय के आिेशों के तहत िेलों से ऐसे असभयो ािी कैदियों की ररहाई हेत ुकुछ न णजय सलए ए हैं; और

( ) यदि हा्, तो िेलों से उ की ररहाई की सतय-सीता तथा इस प्रकार ररहा ककए िा े िाले कैदियों की कुल स्खया स्ं्िी विस्ततृ ररपोटज क्या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) : ऐसे विचारािी कैदियों की स्ख या उपलब् ि हय् है जिन हों े आिा कारािास पूरा कर सलया है और उन हों े उस अपराि को पूरा कर सलया है यदि उ का अपराि सातंत हो िाता है । तथावप, राष्ट् ीयय अपराि असभलेख ब् यौरो (ए सीआरिी) द्िारा प्रकासशत ररपोटज के अ ुसार िर्षज 2013 की सताजप् त 6 तास से अधिक सतय तक िेलों तें न रूद्ध ककए ए 113702 विचारािी कैिय थे । जिसतें से 3047 5 िर्षज से अधिक िेलों तें न रूद्ध थे ।

(ख) और (ग) : ससत्ंर, 2014 तें, भारत के उच् चतत न यायालय े ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436क को प्रभािी ा्ं से कायाजजन ित कर े के सलए सभी न यानयक अधिकाररयों

55

को न िेश िेते हुए भीतससह् के तातले तें एक आिेश पाररत ककया । सरकार े िहा् सभी तातलों का पु विजलोक कर े के सलए जिला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से िहा् विचारािी कैिय ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436 और िारा 436क के अिी िता त के सलए पार हैं और उ को छो़ े के सलए स् िप्रेरणा से कारजिाई कर े के सलए अ ुरोि ककया है । उन हें यह भी सलाह िय ई है कक िे विचारािी कैदियों की न तुजजक् त की आिधिक न रा ी के सलए उच् च न यायालयों तें एक त्र स् थावपत करे । सभी राज् यों /स्र् राज् य क्षेरों के तहान िेशक (कारा ार)/ तहान रयक्षक (कारा ार) के द्िारा भी आिेश के अ ुपाल के आिश् यक कारजिाई के सलए अ ुरोि ककया या है ।

56

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2274 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

अिीनस्थ न्यायालयों का डडजजिलाइजेशन

2274. श्रीमती िंदना चव्िा :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार िेश तें अिी स्थ नयायालयों के डपजिटलाइिेश हेत ुकोई कित उठा रहय है, यदि हा्, तो तत्स्ं ्िी ब्यौरा क्या है ;

(ख) वपछले ती िर्षों•के िौरा अिी स्थ नयायालयों के डपजिटलाइिेश हेत ु ककत ी ि रासश आि्दटत की ई है ; और

( ) सरकार ककस सतय-सीता के अि्र अिी स्थ नयायालयों के डपजिटलाइिेश को कायाजजनित कर े का विचार रखती है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा)

(क) : सरकार की ई-कोटज सतश तोप पररयोि ा ताचज, 2015 तक 14249 जिला और अिी स् थ न यायालयों के क्प् यूटरयकरण का कायज हाथ तें ले रहय है । 31 अक् तूंर, 2014 की जस् थनत के अ ुसार क्प् यूटरयकृत ककए िा े िाले 14249 न यायालयों तें से 14182 न यायालयों के सलए साइटों को क्प् यूटरयकरण के सलए तैयार कर सलया या है, जिसतें से 13606 न यायालयों तें ल ै, 13436 न यायालयों तें हापजिेयर और 13323 न यायालयों तें साफ्टिेयर प्रनतष्ट् ठावपत कर दिया या है । पररयोि ा के ितजता चरण के अिी तातला असभलेखों के डपजिटलयकरण हय् आता है

57

(ख) : जिला और अिी स् थ न यायालयों को क्प् यूटरयकरण कर े के सलए वपछले ती िर्षज तें िारय की ई न धियों के ब् यौरे ीच ेन म् ित है :-

िर्षज अ ुतान त ला त (रूपये करो़ तें)

पु रयषियक्षत ला त

(रूपये करो़ तें) िास् तविक व् यय (रूपये करो़ तें)

2011-12 297.00 155.00 86.4132 2012-13 233.66 90.00 72.97 2013-14 118.00 77.58 38.73

(ग) : भारत के उच् चतत न यायालय े पहलुओ ्तें से एक पहलू जिला और अिी स् थ न यायालयों के तातला असभलेखों का डपजिटलयकरण कर े के साथ न यायपासलका को आईसीटय की और िवृद्ध कर े के सलए ई-न यायालय पररयोि ा के चरण िो के सलए ' ीनत और कायजयोि ा िस् ताििे' को अन्तत रूप दिया है । ीनत िस् तािेि तें विन दिजष्ट् ट ई-न यायालय चरण िो पररयोि ा की अिधि ती िर्षों की है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2275 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

त्िररत न्यायालय

2275. श्री बै् ि पररडा :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या िेश तें शीघ्र नयाय प्रिा कर े हेत ुकई त्िररत नयायालय खोले िा े का विचार है ;

(ख) यदि हा्, तो खोले िा े िाले ऐसे नयायालयों का राज्य-िार ब्यौरा क्या है;

( ) िेश तें उच्चतत नयायालय, उच्च नयायालयों एि ् न चलय अिालतों तें ककत े अिालती तातले ल्तंत हैं ; और

(र्) क्या िेश तें तदहला कैदियों से स्ं्धित तातलों के न पटा हेत ुपूणजतया तदहला नयायालय खोले िा े का भी विचार है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) और (ख) : न यायालयों की स् थाप ा जिसके अत् जत त् िररत न पटा न यायालयों की स् थाप ा कर ा भी है, राज् य सरकारों का उत् तरिायजत् ि है । त् िररत न पटा न यायालयों की स् थाप ा से स्ं्धित तातले पर 7 अप्रैल, 2013 को ई दिल्लय तें आयोजित तुखयत्तरयों और तुखय नयायतूनत जयों के सम्तेल तें यह स्कल्प ककया या था कक राज्य सरकारें, स्ं्धित उच्च नयायालयों के तुखय नयायतूनत जयों स े परातशज करके तदहलाओ्, ंालकों, विसभन रूप से न :शक् त व् यजक् तयों, िररष्ट् ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित उपयुक्त स्खया तें त्िररत न पटा नयायालयों की स्थाप ा के सलए आिश्यक कित उठाए् ी और उ के सिृ और उ को िारय रख े के प्रयोि के सलए पयाजप्त न धिया् उपलब्ि कराए ्ी । सरकार े इस विन श् चय को

59

कायाजजन ित कर े के सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायातूनत जयों से अ ुरोि ककया है ।

(ग) : ल्तंत तातलों पर आ्क़ा उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों द्िारा रखा िाता है । न यायालय सताचार (जिल् ि 9, िाि स्ख या -1) तें उपलब् ि िा कारय के अ ुसार, उच् चतत न यायालय के नतताहय सताचार पर के अ ुसार 31.03.2014 को 52119 ससविल तातले और 12211 आपराधिक तातले ल्तंत थे । विसभन उच् च न यायालयों तें 31.12.2013 को 34.32 लाख ससविल तातले और 10.23 लाख आपराधिक तातले ल्तंत थे । जिला और अिी स् थ न यायालयों तें 31.12.2013 को 82.78 लाख ससविल तातले और 185.60 आपराधिक तातले ल्तंत थे ।

(घ) : िी हय् ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2279 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

महिला न्यायािीशों की संखया

+2279. श्री नरेन्द्र कुमार कश्यप :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या उच्चतत नयायालय और विसभन उच्च नयायालयों तें तदहला नयायािीशों की स्खया कत है;

(ख) यदि हा,् तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है तथा उच्चतत नयायालय एि ् विसभन उच्च नयायालयों तें राज्य और नयायालय-िार तदहला नयायािीशों की स्खया ककत ी है;

( ) क्या उच्च नयायालयों तें तदहला नयायािीशों के सलए कत से कत 20 प्रनतशत आरक्षण की ता् की िाती रहय है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है; और

(र्) नयायपासलका तें तदहला नयायािीशों का पयाजप्त प्रनतन धित्ि सुन जश्चत कर े के सलए सरकार द्िारा क्या-क्या कित उठाए ये है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा )

(क) और (ख) : िी, हा् । उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों तें 08.12.2014 को तदहला न यायािीशों की स्ख या को िसशजत कर े िाला एक वििरण उपांद्ध ककया या है ।

(ग) और (घ) : उच चतत यायालय और उच च यायालयों यायािीशों की न युक नत स्वि िा

के क्रतश: अ ुच छेि 124 और अ ुच छेि 217 के अिी की िाती है । ये अ ुच छेिों कक सी िानत

या ि ज के ि यक नत यों के सल ए आरक्षण का उपं्ि हय् करते हैं । सरकार े उच च यायालयों के तुख य यायतूनत जयों से अ ुरोि कक या है कक ि े यायािीशों की न युक नत के सल ए प्रस ताि

61

भेिते सतय अ ुसूधच त िानत यों, अ ुसूधच त ि िानतयों, अ य वप छ़ े ि ों, अल पस्ख यकों, तदह लाओ् तें से उपयुक त अभ यधथजयों पर सत यक रूप से विचार करें ।

62

राज्य सभा अतारा्ककत प्रश् सख्या 2279, जिसका उत्तर 12.12.2014 को दिया िा ा है, के भा (क) और (ख) के उत्तर तें न दिजष्ट्ट उपांि्

क्र.सं. न्यायालय का नाम तारीख 08.12. 2014 को महिला न् यायािीशों की संख या अ. भारत का उच्चतत नयायालय 01 आ. उच्च नयायालय

50. इलाहांाि 05

51. तेल् ा ा और आध््र प्रिेश

01

52. ंम्ंई 08

53. कलकत्ता 05

54. छत्तीस ढ़ -

55. दिल्लय 08

56. ुिाहाटय 01

57. ुिरात 03

58. दहताचल प्रिेश - 59. िम्तू-कश्तीर - 60. झारख्प - 61. क ाजटक

02

62. केरल 01

63. तध्य प्रिेश 02

64. तरास 06

65. तणणपरु - 66. तेर्ालय - 67. उ़ीसा

01

68. पट ा 03

69. पि्ां और हररयाणा 10

70. रािस् था 03

71. ससजक् कत - 72. तरपरुा - 73. उत् तराख्प - योग 59

63

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2280 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

अणखल भारतीय न्याियक सेिा का सजृन

2280. श्री राम कुमार कश्यप :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार अिी स्थ नयायपासलका को चला े के सलए अणखल भारतीय नयानयक सेिा के सिृ के स्ं्ि तें लम्ंे सतय से लजम्ंत प्रस्ताि पर विचार कर े का इरािा रखती है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है; और

(ख) उक्त सेिा का कं तक सिृ ककए िा े की स्भाि ा है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा)

(क) और (ख) : अणखल भारतीय न यानयक सिेा (एआईिेएस) के ठ के सलए एक व् यापक प्रस् ताि विरधचत ककया या था और जिसे िम् ंर, 2012 तें सधचिों की ससतनत द्िारा अ ुतोदित कर दिया या था । िह प्रस् ताि अप्रैल, 2013 तें तखु यतत्रयों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों के सम् तेल तें कायजसूची ति तें सम् तसलत था और यह विन श् चय ककया या था कक तु्े पर और विचार-वितशज तथा ध् या दिए िा ेकी आिश् यकता है । प्रस् ताि पर राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों से राय की ता् की ई थी । तथावप, अणखल भारतीय न यानयक सेिा के ठ पर राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के ंीच उ की राय तें सभन ता है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2282 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयों म लंबबत मामले

2282. श्री सी. पी. नाराय न :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या नयायालयों की स्खया तें िवृद्ध के ंाििूि िेश के नयायालयों तें ल्तंत तातलों और विचारािी कैदियों की स्खया तें प्रनतिर्षज िवृद्ध होती िा रहय है, यदि हा्, तो इसके क्या कारण हैं ;

(ख) क्या नयायालय द्िारा अप ाई िा े िालय प्रकक्रया इसकी संस ें़ी ििह है; और

( ) क्या इ तातलों के न पटा के सलए विचारण की कायजिाहय तें तेिी ला ेका कोई प्रस्ताि है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : भारत के उच्चतत नयायालय के रैताससक सताचार पर नयायालय सताचार तें उपलब्ि िा कारय के अ ुसार, स्पूणज िेश तें जिला और अिी स्थ नयायालयों तें िर्षज 2010 की सताजप्त पर 2.77 करो़ तातले ल्तंत थे। िर्षज 2013 की सताजप्त पर जिला और अिी स्थ नयायालयों तें ल्तंत तातलों की तत्स्था ी आक़ े2.68 करो़ हैं। तथावप, उच्च नयायालयों तें ल्तंत तातलों की स्खया िर्षज 2010 तें 42.49 लाख से ंढ़कर िर्षज 2013 तें 44.56 लाख हो ई है। राष्ट्ीयय अपराि असभलेख ब्यूरों (ए सीआरंी) द्िारा स्कसलत उपलब्ि कारा ार सा्जखयकी के अ ुसार, िर्षज 2010 की सताजप्त पर स्पूणज िेश की विसभन िेलों तें 2.40 लाख विचारणािी कैिय थे। यह आक़ा िर्षज 2013 की सताजप्त पर 2.78 लाख तक पह्ुच या हैं।

65

राज्य और केनरयय वििा ो की ंढ़ती स्ख या प्रथत अपीलों का स्चय , कुछ उच्च नयायालयों तें सािारण ससविल अधिकाररता का ं ा रह ा, नयायािीशों की ररजक्तया्, उच्च नयायालयों तें िा ेिाले नयानयक-कल् प फोरतों के आिेशों के विरूद्ध, पु रयक्षणों/ अपील की स्खया, स्थ , ररट अधिकाररता का अिािु्ि प्रयो , सु िाई के सलए तातलों की न रा ी कर ेउ का पता ल ा ेऔर उ को सतहूयकृत कर ेकी पयाजप्त व्यिस् था का अभाि, नयायालयों तें तातलों के ल्तंत रह े के कुछ तुखय कारक हैं।

नयायालयों तें तातलों के शीघ्र विचारण के सलए अ ेक वििायी पररितज प्रकक्रयात्तक विधियों तें ककए ए हैं जिसतें ि्प प्रकक्रया स्दहता, 1973 की िारा 309 तथा ससविल प्रकक्रया स्दहता के आिेश 17 िारा 309 तें यथा अनतविजष्ट्ट िा्डपक और ससविल तातलों तें नयायाल कायजिादहयों के स्था को सीसतत कर े के सलए उपं्ि भी हैं।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

(न याय विभा ) राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 2283 जिसका उत्तर शुक्रिार, 12 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

फास्ि टै्रक न्यायालयों को बंद ककया जाना

2283. डा. प्रदीप कुमार बालमुच ू:

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक तातलों के त्िररत न पटा के सलए सरकार द्िारा दठत फास्ट ीैक नयायालय ्भीर वित् तीय स्कट का सात ा कर रहे हैं, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और इसके क्या कारण हैं;

(ख) क्या न धियों की कती के चलते इ नयायालयों को िीरे-िीरे ं्ि ककया िा रहा है;

और

( ) यदि हा्, तो सरकार द्िारा फास्ट ीैक नयायालयों को तिंूत कर े और उनहें कक्रयाशील ं ाए रख े के सलए क्या उपाय ककए िा रहे हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी. िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : भारत के सव्ििा के अिी न यायालयों की स् थाप ा कर ा जिसके अत् जत त् िररत न पटा न यायालयों (एफ.टय.सी.एस) की स् थाप ा कर ा भी है, राज् य सरकारों का उत् तरिानयत् ि है। 11िें वित्त आयो प्चाट के अिी स् थावपत त् िररत न पटा न यायालयों के सलए राज् यों को केन रयय वित् त पोर्षण कर ा, 01 अप्रैल, 2011 से रूका हुआ है । कुछ राज् य अप े न िी श्रोतों से 31.03.2011 से परे त् िररत न पटा न यायालय चला रहे हैं । िर्षज 2000 तें, 11िें वित् त आयो द्िारा धचजन हत 31.03.2005, 31.03.2011 को कक्रयाशील और िी तत उपलब् ि ररपोटज के अ ुसार त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.सी.एस) की स्ख या को उपिसशजत कर े िाला एक वििरण उपां्ि पर स्लन है ।

67

केन रयय सरकार े तहितोह लाल ं ात भारत स्र् के तातले तें उच् चतत न यायालय के न िेशों के अ ुपाल तें अिी स् थ न यायपासलका तें 10 प्रनतशत अनतररक् त पि सजृित की िा रहय न यायािीशों के िेत पर व् यय ंैठक के सलए 13 िें वित्त आयो प्चाट से 31.03.2015 तक ंुन यािय आिार पर प्रनत िर्षज अधिकतत 80 करो़ रूपये तक की न धियों को उपं्ि कर े का अ ुरोि ककया है । राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से त् िररत न पटा न यायालय के सिृ के सलए भी इस स धथनत का उपयो कर े का अ ुरोि ककया है ।

7 अप्रैल, 2013 को ई दिल्लय तें आयोजित तुखयत्तरयों और तुखय नयायतूनत जयों के सम्तेल तें यह स्कल्प ककया या था कक राज्य सरकारें, स्ं्धित उच्च नयायालयों के तुखय नयायतूनत जयों से परातशज करके तदहलाओ्, ंालकों, विसभन रूप से न :शक् त व् यजक् तयों, िररष्ट् ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित उपयुक्त स्खया तें त्िररत न पटा नयायालयों की स्थाप ा के सलए आिश्यक कित उठाए् ी और उ के सिृ और उ को िारय रख े के प्रयोि के सलए पयाजप्त न धिया् उपलब्ि कराए ्ी । सरकार े इस विन श् चय को कायाजजन ित कर ेके सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायातूनत जयों से अ ुरोि ककया है ।

68

उपाबंि

राज् य सभा अतारांककत प्रश् न संख या 2283 जजसका उत् तर 12 हदसम् बर, 2014 को हदया जाना िै, के भाग (क) से (ग) के उत् तर म िनहदष् ि वििर

िर्ष 2000 म ग यारिि वित् त आयोग िनधिकर के सलए और 31.03.2005, 31.03.2011 को कायषरत और िनहदष् ि की गई तारीख को अनुमोहदत त् िररत िनपिान न् यायालय की संख या संबंिी वििर

क्र.सं. राज् य का नाम 2000 म एफिीसीएस की अनुमोहदत सखं या

31.03.2005 को कायषरत एफिीसीएस की सखं या

31.03.2011 को कायषरत एफिीसीएस की संख या

कायषरत एफिीसीएस की संख या

यथा विद्यमान

1 आंध्र प्रदेश 86 86 108 72 अप्रैल, 14

2 अरु ाचल प्रदेश

5 3 3 0 माचष, 14

3 असम 20 20 20 20 अत तबूर.12

4 बबिार 183 150 179 179 माचष, 11

5 छत्तीसगढ 31 31 25 21 अप्रैल ,14

6 गोिा 5 5 5 5 जुलाई, 14

7 गुजरात 166 166 61 61 फरिरी,11

8 िररया ा 36 16 6 6 हदसम् बर.10

9 हिमाचल प्रदेश 9 9 9 0 जून, 14

10 जम्म-ूकश्मीर 12 - - 5 जून , 14

11 झारखंड 89 89 39 11 माचष, 14

12 कनाषिक 93 93 87 39 माचष, 14

13 केरल 37 31 38 38 अगस् त, 13

14 मध्य प्रदेश 85 66 84 84 हदसम् बर,10

15 मिारा्ट्र 187 187 51 92 जून , 14

16 मण पुर 3 2 2 2 अत तबूर,12

17 मेघालय 3 3 3 3 जून , 14

18 समजोरम 3 3 3 3 माचष, 11

19 नागालैंड 3 2 2 2 अत तूबर. 12

20 ओडीसा 72 41 35 30 जून , 14

21 पंजाब 29 18 15 20 माचष, 14

22 राजस्थान 83 83 83 0 माचष,14

23 ससजतकम 3 - 1 माचष, 14

24 तसमलनाडु 49 49 49 32 जून , 14

69

25 बरपुरा 3 3 3 2 जून , 14

26 उत्तर प्रदेश 242 242 153 0 माचष, 11

27 उत्तराखंड 45 45 20 0 जुलाई, 14

28 पजश् चमी बंगाल 152 119 109 77 अगस् त, 14

29 हदल् ली - - - 10 माचष, 14

योग 1734 1562 1192 815

70

भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3086 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उच्चतम-न्यायालय म लंबबत मामले

3086. श्री अिनल देसाई :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक : (क) क्या यह सच है कक उच्चतत नयायालय तें काफी स्खया तें तातले ल्तंत हैं ; यदि हा्, तो वपछले ती िर्षों से नयायालय तें ककत े तातले ल्तंत हैं ; (ख) वपछले ती िर्षों से ककत े िता त आिेि ल्तंत हैं ;

( ) क्या ककसी व्यजक्त के िता त आिेि को उसके वित्तीय या साताजिक हैससयत के आिार पर प्राथसतकता दिए िा े की कोई प्रकक्रया है ; और

(र्) यदि हा्, तो वपछले ती िर्षों के िौरा नयायालय द्िारा प्राथसतकता के आिार पर सलए ए ऐसे तातलों का ब्यौरा क्या है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा) (क) : उच्चतत नयायालय द्िारा उपलब्ि करायी यी िा कारय के अ ुसार, वि त ती िर्षों और चालू िर्षज के िौरा उच्चतत नयायालय तें ल्तंत और न पटा ककए ए तातलों के ब् यौरे उपांद्ध वििरण तें दिए ए हैं।

(ख) : उच्चतत नयायालय तें वि त ती िर्षों से 15.12.2014 तक 1321 िता त अजिजया् ल्तंत हैं।

(ग) और (घ) : िता त अजिजयों को व्यजक्त के साताजिक या वित्तीय हैससयत के आिार पर पूविजकता िे े के ंिाय ता जिशजक ससद्धा्तों के अ ुसार सभी िता त अजिजयों को पूविजकता िय िा रहय है, और उनहें अ लय अग्रसरण सूची तें उच्चतत नयायालय के सतक्ष सूचींद्ध ककया है। इसके अनतररक्त, शन िार, सोतिार और त ्लिार को ये तातलों के साथ रजिस्ीयकृत िता त अजिजयों को अ ले सप्ताह तें सोतिार को उच्चतत नयायालय के सतक्ष सचूींद्ध ककए िाते हैं और िो ंुििार, ुरूिार और शुक्रिार को

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रजिस्ीयकृत होती हैं उनहें अ ले सप्ताह के शुक्रिार को उच्चतत नयायालय के सतक्ष सूचींद्ध ककया िाता है।

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उपाबंि

राज् य सभा अतारांककत प्रश् न संख या 3086 तारीख 19.12.2014 के उत् तर म िनहदष् ि वििर

भारत के उच् चतम न् यायालय म लंबबत और िनपिान ककए गए मामलों की संख या

िर्ष संजस् थत मामलों की संख या

िनपिान ककए गए मामलों की संख या

िर्ष के अन् त म लंबबत मामले

20111 77090 73133 58519

2012 76917 68744 66692

2013 76742 77085 66349

2014 81583 83013 64919

हिप्प : आक़ े िर्षज 2014 के ि िरय, 2014 से िम्ंर, 2014 के हैं । जिसके 30.11.2014 को 64919 ल्तंत तातलों तें से 19353 तातले एक िर्षज तक के पुरा े हैं इससलए ंकाया (एक िर्षज से अधिक ल्तंत तातले) तातले 45566 हैं ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3087 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

त्िररत न्यायालय

3087. श्री एम. पी. अच्युतन :

श्री डी . राजा :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक िर्षज 2000 से स्थावपत त्िररत नयायालयों (एफ.टय.सी.) तें से

आिे न ियों के अभाि तें कायज हय् कर रहे हैं;

(ख) यदि हा्, तो स्थावपत ककए ए त्िररत नयायालयों का राज्य-िार ब्यौरा क्या है तथा उ तें से ककत े अभी कायज कर रहे हैं;

( ) अभी तक इ तें से प्रत्येक त्िररत नयायालय तें ककत े तातले ििज हुए हैं तथा ककत े तातलों का न पटा ककया या है; और

(र्) कायज कर रहे त्िररत नयायालय को चालू कर े हेत ुक्या उपाय ककए िा रहे हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (घ) : भारत के स्वििा के अिी न यायालयों की स् थाप ा कर ा जिसके अत् जत त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.एस) भी है राज् य सरकारों का उत् तरिानयत् ि है । 11िें वित्त आयो प्चाट के अिी स् थावपत ककए ए त् िररत न पटा न यायालयों के सलए राज् यों को केन रयय वित् त पोर्षण कर ा, 01 अप्रैल, 2011 स ेरूका हुआ है । कुछ राज् य अप ेन िी श्रोतों से 31.03.2011 से त् िररत न पटा न यायालय चला रहे है । िर्षज 2000 तें, 31.03.2005 से 31.03.2011 के ंीच यथा विद्यता कक्रयाशील और िी तत उपलब् ि ररपोटज के अ ुसार न यारहिें वित् त आयो द्िारा धचजन हत ककए ए

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त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.एस) की स्ख या को िसशजत कर े िाला एक वििरण उपां्ि-1 पर स्लन है । त् िररत न पटा न यायालय (एफ.टय.एस) को स् था ा्तररत ककए ए तातलों, और इ न यायालयों द्िारा न पटा ककए तातलों को िसशजत कर े िाला एक वििरण उपां्ि -2 पर स्लन है ।

7 अप्रैल, 2013 को ई दिल्लय तें आयोजित तुखयत्तरयों और तुखय नयायतूनत जयों के सम्तेल तें यह स्कल्प ककया या है कक राज्य सरकारें स्ं्धित उच्च नयायालयों के तुखय नयायतूनत जयों स ेपरातशज करके जस्रयों, ंालकों, न :शक् त व् यजक् तयों, ज् येष्ट् ठ ा ररकों और सताि के सीता्त ि ों के विरूद्ध अपरािों से स्ं्धित उपयुक्त स्खया तें त्िररत न पटा नयायालयों की स्थाप ा के सलए आिश्यक कित उठाए् ी और त्िररत न पटा नयायालयों के सिृ और उ को िारय रख े के प्रयोि के सलए पयाजप्त न धिया् उपलब्ि कराए ्ी । सरकार े इस विन श् चय को कायाजजन ित कर ेके सलए राज् य सरकारों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायातूनत जयों से अ ुरोि ककया है ।

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उपाबंि -1

राज् य सभा अतारांककत प्रश् न संख या 3087 जजसका उत् तर 19 हदसम् बर, 2014 को हदया जाना िै के भाग (क) से (घ) के उत् तर म िनहदष् ि वििर

िर्ष 2000 म और 31.03.2005, 31.03.2011 को कायषरत और िनहदष् ि की गई तारीख को ग यरिि वित् त आयोग िनधिकर के सलए अनुमोहदत त् िररत िनपिान न् यायालय की सखं या संबंिी वििर

क्र.सं. राज् य का नाम 2000 म एफिीएस की अनुमोहदत सखं या

31.03.2005 को कायषरत एफिीएस की सखं या

31.03.2011 को कायषरत एफिीएस की सखं या

कायषरत एफिीएस की संख या

यथा जस् थित

1 आध्र प्रदेश 86 86 108 72 अप्रैल, 14

2 अरु ाचल प्रदेश

5 3 3 0 माचष, 14

3 असम 20 20 20 20 अत िूबर.12

4 बबिार 183 150 179 179 माचष, 11

5 छत्तीसगढ 31 31 25 21 अप्रैल ,14

6 गोिा 5 5 5 5 जुलाई, 14

7 गुजरात 166 166 61 61 फरिरी,11

8 िररया ा 36 16 6 6 हदसम् बर.10

9 हिमाचल प्रदेश 9 9 9 0 जून, 14

10 जम्म-ूकश्मीर 12 - - 5 जून , 14

11 झारखंड 89 89 39 11 माचष, 14

12 कनाषिक 93 93 87 39 माचष, 14

13 केरल 37 31 38 38 अगस् त, 13

14 मध्य प्रदेश 85 66 84 84 हदसम् बर,10

15 मिारा्ट्र 187 187 51 92 जून , 14

16 मण पुर 3 2 2 2 अत िूबर,12

17 मेघालय 3 3 3 3 जून , 14

18 समजोरम 3 3 3 3 माचष, 11

19 नागालैंड 3 2 2 2 अत िूबर, 12

20 ओडीसा 72 41 35 30 जून , 14

21 पंजाब 29 18 15 20 माचष, 14

22 राजस्थान 83 83 83 0 माचष,14

23 ससजतकम 3 - 1 माचष, 14

24 तसमलनाडु 49 49 49 32 जून , 14

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25 बरपुरा 3 3 3 2 जून , 14

26 उत्तर प्रदेश 242 242 153 0 माचष, 11

27 उत्तराखंड 45 45 20 0 जुलाई, 14

28 पजश् चमी बंगाल 152 119 109 77 अगस् त, 14

29 हदल् ली - - - 10 माचष 14

योग 1734 1562 1192 815

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उपाबंि -2

राज् य सभा अतारांककत प्रश् न सखं या 3087 जजसका उत् तर 19 हदसम् बर, 2014 को हदया जाना िै के भाग (क) स े(घ) के उत् तर म िनहदष् ि वििर

त् िररत िनपिान न् यायालय (एफ.िी.एस) को स् थानांतररत ककए गए मामलों, त् िररत िनपिान न् यायालय (एफ.िी.एस) द्िारा िनपिान ककए गए और त् िररत िनपिान न् यायालय (एफ.िी.एस) म लंबबत मामलों की संख या का वििर

क्र.स.ं

राज् य का नाम (एफ.िी.एस) को स् थानांतररत ककए गए मामले

(एफ.िी.एस) द्िारा िनपिान ककए गए मामले

(एफ.िी.एस) म लंबबत मामले

यथा जस् थित

1 2 3 4 5 6

1. आध्र प्रदेश 265545 248457 17088 अप्रैल, 14

2. अरु ाचल प्रदेश 4162 1660 2502 माचष, 14

3. असम 84098 72240 11858 अत िूबर.12

4. बबिार 239278 159105 80173 माचष, 11

5. छत्तीसगढ 94670 76575 18095 माचष, 11

6. गोिा 10185 8590 1595 फरिरी, 14

7. गुजरात 537636 434296 103340 फरिरी,,11

8. िररया ा 38359 33590 4769 हदसम् बर.10

9. हिमाचल प्रदेश 54651 47480 7171 हदसम् बर 12

10. जम्मू-कश्मीर लागू निी ंिोता लागू निी ंिोता लागू निी ंिोता

11. झारखंड 110027 87789 22238 माचष,11

12. कनाषिक 218402 184067 34335 अगस् त,10

13. केरल 135839 116843 18996 अगस् त, 13

14. मध्य प्रदेश 360602 317363 43239 हदसम् बर.10

15. मिारा्ट्र 423518 381619 41899 फरिरी,.11

16. मण पुर 3512 3287 225 अत िूबर, 12

17. मेघालय 1288 973 315 अत िूबर, 12

18. समजोरम 1868 1635 233 माचष, 11

19. नागालैंड 845 786 59 अत िूबर, 12

20. ओडडशा 73093 67700 5393 माचष,.12

21. पंजाब 58570 46347 12223 हदसम् बर.10

22. राजस्थान 149447 123024 26423 माचष,.11

23. ससजतकम लागू निी ंिोता

लागू निी ंिोता लागू निी ंिोता

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24. तसमलनाडु 411957 371336 40621 अगस् त, 10

25. बरपुरा 5812 5591 221 माचष, 11

26. उत्तर प्रदेश 0 0 0 माचष, 11

27. उत्तराखंड 112726 103208 9518 जून ,12

28. पजश् चमी बंगाल 196240 166711 29529 अगस् त, 14

29. हदल् ली लागू निी ंिोता लागू निी ंिोता लागू निी ंिोता

योग 3592330 3060272 532058

ए ए - ला ू हय् होता

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश स्. 3088 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

अिीनस्थ न्यायालयों का डडजजिलीकर

3088. श्री अविनाश राय खन्ना :

श्रीमती िंदना चव्िा :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार िेश भर के सभी अिी स्थ नयायालयों का डपजिटलयकरण कर े का विचार रखती है, यदि हा् तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है;

(ख) क्या अिी स्थ नयायालयों तें सिाजधिक तातले ल्तंत हैं और इ की स्खया दि पर दि ंढ़ती िा रहय है; और

( ) यदि हा्, तो अिी स्थ नयायालयों के डपजिटलयकरण से ल्तंत तातलों को कत कर े

तें ककत ी तिि सतले ी ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : ई-न यायालय सतेककत सतश तोप पररयोि ा के अिी , िो 2007 से िेश के उच् च न यायालयों और जिला तथा अिी स् थ न यायालयों तें कक्रयाजन ित की िा रहय राष्ट् ीयय ई-शास की पवद्धत तें स ेएक है, सरकार े ताचज, 2015 तक िेश तें 14249 जिला और अिी स् थ न यायालयों के क्प् यूटरयकरण की स् कीत तथा उच् चतर न यायालयों के सूच ा और स्चार प्रौद्योध की अिस्रच ा के उन य के सलए एक स् कीत का अ ुतोि ककया था । 30 ित ंर, 2014 को क्प् यूटरयकृत ककए िा े िाले 14249 न यायालयों तें स े14182 न यायालयों के सलए साइटों को क्प् यूटरयकरण के सलए तैयार कर सलया या है,

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जिसतें से 13606 न यायालयों तें लै , 13436 न यायालयों तें हापजिेयर और 13323 न यायालयों तें साफ्टिेयर प्रनतष्ट् ठावपत कर दिया या है ।

(ख) : भारत के उच् चतत न यायालय द्िारा दिए ए आ्कपों के अ ुसार उसके 'न यायालय सताचार' सताचार पर तें िेश के जिला और अिी स् थ न यायालयों तें वपछले ती िर्षों की सताजप् त पर ल्तंत तातलों की स्ख या न म् ा ुसार है:-

िर्षज ल्तंत तातलों की स्ख या (ससविल ि अपराधिक)

2011 26986307

2012 26951461

2013 26839256

(ग) : ई-कोटज पररयोि ा का उ्ेश् य तुकितेंािों, िकीलों और न यायपासलका को िेश तें जिला और अिी स् थ न यायालयों के सािजभौसतक क्प् यूटरयकरण के ताध् यत से ातन दिजष्ट् ट सेिाए् उपलब् ि करा ा है । राष्ट् ीयय ई-कोटज पोटजल (http://www.ecourts.gov.in) तुकितेंािों को तातला रजिस् ीयकरण, हेतुक सूची, िाि प्राजस् थनत, िैन क आिेश और अन्तत न णजय िैसी ऑ लाइ सेिाए् प्रिा करता है ।

ई-कोटज पररयोि ा के अिी क्प् यूटरयकृत ककए ए सभी जिला और अिी स् थ न यायालयों को राष्ट् ीयय न यानयक पाटा धग्रप (एि.िे.पी.िी) से िो़ दिया या है िो कक तातले के असभलेखों के सलए स्पूणज िेश तें सातान य स्ग्रहालय है । एि.िे.पी.िी तें राष्ट् ीयय न यानयक पाटा धग्रप विन जश् चत तातलों की पाटा प्रविजष्ट् ट का कायज हाथ तें सलया या है और ल्तंत तातलों के स्ं्ि तें पाटा को िैन क आिार पर अद्यत ककया िाता है । 31 अक् तूंर, 2014 की जस् थनत के अ ुसार 3.92 करो़ तातलों के स्ं्ि तें और 24 उच् च न यायालयों तें से 21 की अधिकाररता के अिी जिला और अिी स् थ यायालयों से स्ं्धित 60 लाख आिेशों/न णजयों के स्ं्ि तें पाटा को एि.िे.पी.िी तें अपलोप कर दिया या है ।

यद्यवप, ल्तंत तातलों को कत कर ा ई-न यायालय पररयोि ा का तुख य उ्ेश् य हय् है, पररयोि ा के अिी प्रयास अ ुिती रूप तें न याय पररिा तें सुिार को अग्रसर कर रहे हैं ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3091 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयों म लंबबत मामले

3091. श्री नरेश गुजराल :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक : (क) िेश के नयायालयों तें पा्च िर्षों से अधिक सतय से कुल ककत े तातले लजम्ंत हैं; (ख) क्या सरकार िेश के नयायालयों तें लम्ंी छुदियों को खत्त कर े के सलए कोई ीनत त पहल कर े का विचार रखती है; और

( ) यदि हा् तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : तातलों के ल्तंत रह े स्ं्िी आ्क़ े उच्चतत नयायालय और उच्च ऩ्यायालयों द्िारा रखे िाते है। भारत के उच्चतत नयायालय द्िारा उपल्ब्ि कराई ई िा कारय के अ ुसार, उच्चतत नयायालय तें 10.12.2014 तक पा्च िर्षज से अधिक सतय से 11861 तातले ल्तंत थे। विसभन उच्च नयायालयों तें 31.12.2013 तक पा्च िर्षज से अधिक सतय से 16.83 लाख तातले ल्तंत थे । 31.12.13 तक जिला और अिी स्थ नयायालयों तें पा्च िर्षज से अधिक सतय से 59.80 लाख तातले ल्तंत थे ।

उच् चतत न यायालय और उच् च न यायालयों तें अिकाश, स्ं्धित न यायालयों द्िारा विन यसतत ककया िाता है । उच् चतत न यायालय े 27 तई, 2014 को उच् चतत न यायालय न यत, 2013 को अधिसूधचत ककया है जिसतें, अन य ंातों के साथ, यह उपं्धित है कक ग्रीष्ट् त कालय ियर्ाजिकाश सात सप् ताह से अधिक हय् हो ा । यह और उपं्धित ककया या है कक न यायालय तथा न यायालय के अधिकाररयों के सलए ियर्ाजिकाश और अिकाश के िौरा पप े िाले रवििार को छो़कर ग्रीष्ट् तकालय ियर्ाजिकाश की सतयािधि और अिकाश दििस उस प्रकार हों े िो तुख य न यायतूनत ज के द्िारा इस प्रकार

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न यत की िाए ी और रािपर तें अधिसूधचत की िाए ी जिससे िह एक सौ ती दििस से अधिक हय् हो ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3095 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायालयी मामलों का समयबद्ध िनपिान

3095. श्री मनसुख एल मांडविया : क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या सरकार नयायालयों तें ंहुत ं़ी स्खया तें लजम्ंत तातलों और उ के न पटारे तें असािरण विलम्ं हो े के कारण लो ों के नयानयक प्रणालय से उठते विश्िास के त्े ज़र नयायालयी तातलों की उ की ्भीरता के अ ुसार सतयंद्ध तरयके से न पटाए िा े का विचार रखती है;

(ख) यदि हा्, तो इसकी क्या जस्थनत है और क्या सरकार ेइस स्ं्ि तें राज्यों की नयायपासलकाओ ्और अनय दहत िारकों से परातशज ककया है;

( ) क्या सरकार इस स्ं्ि तें एक वििा ला े का इरािा रखती है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यह वििा कं तक लाया िाए ा; और

(र्) क्या एक उपाय के रूप तें नयायालयों की स्खया तें िवृद्ध कर े और उनहें िी तत सूच ा प्रौद्योध की से सुसजज्ित कर े पर विचार ककया िा रहा है, यदि हा्, तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (घ) : िेश तें जिला और अिी स् थ न यायालयों तें िर्षज 2010 की सताजप् त पर 2.77 करो़ ल्तंत तातलों की तुल ा तें िर्षज 2013 की सताजप् त पर 2.68 करो़ तातले ल्तंत थे । तथावप, उच् च न यायालयों के ल्तंत तातलों तें िर्षज 2010 तें 42.49 लाख तातले से ंांकर िर्षज 2013 तें 44.56 लाख तातले हो ए हैं ।

न यायालय तातलों के सतंद्ध न पटा पर एक वििा ला े के सलए सरकार का कोई प्रस् ताि हय् है, सरकार े ल्तंत तातलों को कत कर े के सलए तुख य पहलुओ् को

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ग्रहण ककया है । जिला और अिी स् थ न यायालयों की स्ख या िर्षज 2010 तें 16949 तातलों से ंांकर 2013 तें 19518 हो ई है । केन रयय सरकार े वप छले ती िर्षों तें न यानय क अधि कारर यों के सल ए न यायालय परर सरों और आिासीय इकाइयों के उन य /न ताणज के सल ए राज् य सरकारों और सर्् राज् यक्षेरों की 2,198 करो़ रुपए की वि त् तीय सहायता का उपं्ि कक या है । ई-न यायालय परर योि ा के अिी 31 अक् टूंर, 2014 तक 13,323 न यायालयों का कम् प् यूटरयकरण कक या या है । न यायालयों के कम् प् यटूरयकरण कक ए िा े के तातले के प्रं्ि के िहृतर न य्रण के सल ए न यायालयों को सतथज ं ाए ा । यह तुकितेंािी और िकीलों को असभदहत सुवि िाओ् को भी प्रिा करे ा । केन रयय सरकार, न यायालयों तें सरकारय तकुितें को कत कर ेके क्रत तें राज् यों को उ की तुकिता ीनत असभ न जश् च त कर े के सल ए प्रोत् सादह त करती है । जि सतें न ष्ट् फल तातलों की छ्टाई कर े और अ ुकल् पी प्रकक्र या के ताध् यत से वि िाि सतािा को प्रोत् सादह त कर े के सल ए उपं्ि सतावि ष्ट् ट कक ए ए हैं । सरकार अत् यधि क तुकितेंािी प्रितृ् त क्षेरों के सल ए सतुधच त ीनत और वि िायी उपायों को अ ्ीकृत कर े के सलए धचजनहत ककया है । सभी पणिाररयों द्िारा ककए ए स्युक् त प्रयासों के पररणात स्िरूप अिी स् थ न यायालयों तें तातलों की ल्तंत स्ख या की ंढ़ती प्रिनृत पर रोक ल रहय है ।

सरकार े सतय-सतय पर विसभन तु्ों पर राज् य सरकारों और न यायपासलका से परातशों को िाररत ककए हैं । राज् यों के तुख यतत्रयों और उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों का वपछला सम् तेल 7 अप्रैल, 2013 को हुआ था ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3096 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उच्च न्यायालयों की कायषिािी म क्षेरीय भार्ाओ ंके प्रयोग की अनुमित हदया जाना

3096. श्री मनसुख एल. मांडविया : क्या विधि और न्याय त्री दि ा्क 1 अ स्त, 2014 को राज्य सभा तें अतारा्ककत प्रश् स ्2545 के दिए ए उत्तर को िेखें े और यह ंता ेकी कृपा करें े ककिः

(क) क्या सरकार को स्ं्धित राज्यों के उच्च नयायालयों की कायजिाहय तें क्षेरीय भार्षा का प्रयो कर े की अ तुनत दिए िा े के स्ं्ि तें त छिः तहय ों के िौरा ता ीय उच्चतत नयायालय से कोई दटप्पणी प्राप्त हुई है;

(ख) स्ं्धित राज्यों के उच्च नयायालयों की कायजिाहय तें क्षेरीय भार्षाओ ् के प्रयो को अ ुतनत िे े के सलए आि की जस्थनत के अ ुसार सरकार द्िारा की ई कारजिाई की जस्थनत क्या है; और

( ) क्या सरकार इस प्रयोि के सलए स्विि के अ ुच्िेि 348(2) तें स्शोि कर े

का इरािा रखती है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : िी, हय् ।

(ख) : कनतपय उच् च न यायालयों की कायजिादहयों तें क्षेरीय भार्षा के प्रयो स्ं्िी राज् य सरकार से प्रस् ताि प्राप् त हुए हैं, जिसके आिार पर सरकार े भारत के उच् चतत न यायालय के साथ तातले पर कायजिाहय की थी । उच् चतत न यायालया े प्रस् ताि को स् िीकार हय् ककया था । सरकार े इस विन श् चय का पाल ककया है ।

(ग) : िी, हय् ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3098 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

छत्तीसगढ म अितररतत जजला सर न्यायालयों का खोला जाना

+3098. डा. भूर् लाल जांगड े:

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक छत्तीस ढ़ के ंलौिा ंािार जिले के भट ा्ि तें चल रहे ियिा ी नयायालय को 2 अक्तूंर, 2014 से अनतररक्त जिला सर नयायालय के रूप तें कायज प्रारम्भ कर ा था; और

(ख) यदि हा्, तो यह नयायलय कं तक कायज प्रार्भ कर िे ा और यदि हय,् तो इसके क्या कारण हैं ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : िी, हय् ।

(ख) : कोई सतय सारणी न यत हय् की िा सकती है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3099 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

समयबद्ध मुकदमा सुिनजश्चत करने के सलए न्याियक प्रकक्रया म आमूल-चलू पररितषन

3099. श्रीमती िानसुक साइम :

क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या िेश की िेलों तें कैदियों की अत्यधिक स्खया को कत कर ेके एक स्िा त योनय पहल के रूप तें उच्चतत नयायालय ेउ विचारािी कैदियों को ररहा कर े का आिेश दिया है िो अप ी अधिकतत सिा, यदि िोर्षी पाए ए हों, तो, तें से आिी पूरय कर चकेु हैं;

(ख) क्या हतारय िेलों तें ं्ि ल भ चार लाख कैदियों तें से िो नतहाई ऐस ेहैं िो पहले हय काफी सतय िेलों तें ुिार चकेु हैं और तुकिता चलाए िा े का इ्तिार कर रहे हैं; और

( ) क्या सरकार तौिूिा नयानयक प्रकक्रया तें आतूल-चलू पररितज कर े और सतयंद्ध तरयके से तुकिता चलाए िा े को सुन जश्चत कर े पर भी विचार कर रहय है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) : भारत के उच् चतत न यायालय द्िारा भीतससह् के तातले तें ससतम् ंर, 2014 तें पाररत एक आिेश तें ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436क के प्रभािी कक्रयान िय के सलए सभी न यानयक अधिकाररयों को न िेश दिया या है ।

(ख) और (ग) : राष्ट् ीयय अपराि असभ लेख ब् यूरो (ए सीआरंी) द्िारा प्रकासश त कारा ार सा्जख य की भारत, 2013 के अ ुसार, िेलों तें वि सभ न प्रकार के 4.12 लाख कारा ार

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सहिासस यों तें से, 2.78 लाख कारा ार सहिासी वि चारािी कैिय हैं । कारा ारों तें वि चारािी कैदि यों की स्ख या को कत कर े के सल ए, उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436 और िारा 436क के अिी ऐसे सभी तातलों का पु विज लोक कर े के सल ए िहा् वि चारािी कैिय िता त के सल ए पार हैं और उ को छो़ े हेतु स् िप्रेरणा से कारजिाई कर े के सल ए जि ला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए अ ुरोि कक या या है । विचारािी कैदियों को न तुजक् त कर े हेतु आिधिक रूप से ता ीटर कर े के सलए भी उच् च न यायालय तें एक त्र स् थावपत कर े की सलाह िय ई है । तुख यत्तरयों और विधित्तरयों से विचारािी कैदियों के विर्षय और आिधिक रूप से उ के तातले का पु जविलोक कर े के सलए पाटा ं ा े हेतु साफ्टिेयर उपयोि ों के उपयो का भी अ ुरोि ककया या है ।

ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436क विचारािी कैदियों के ंारे तें एक ंार अधिकतत ि्पािेश के आिे से अधिक पूरा कर े पर िता त हेतु आिेि कर े के अधिकारों का उपं्ि करता है । इसके अनतररक् त ि्प प्रकक्रया स्दहता की िारा 436क ककसी ऐसे व् यजक् त को िो ध रफ्तारय की तारयख से 7 दि के भीतर िता त पा े तें असतथज रहता है, और उसे तं ा ककसी प्रनतभूनत की ता् ककए तं ा व् यजक् त त ंा्प पर छोप दिए िा े पर विचार कर े के सलए न यायालयों के सलए आज्ञा िे ेका उपं्ि करता है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3100 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

उधचत समय के भीतर धगरफ्तार/िनरुद्ध व्यजततयों पर मुकदमा चलाया जाना

3100. श्री ितरुची सशिा : क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक िेलों तें प़ ेविचारािी कैदियों के स्ं्ि तें विश्ि रैंकक् तें भारत की जस्थनत ंेहि खतर ाक है;

(ख) क्या सरकार ध रफ्तार या न रुद्ध ककए ए व्यजक्तयों को उधचत सतय के भीतर तुकिता चलाए िा े का अधिकार िे े का विचार रखती है; और

( ) यदि हा् तो तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है और यदि हय्, तो इसके क्या कारण हैं?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : राष्ट् ीयय अपराि असभ लेख ब् यूरो (ए सीआरंी) द्िारा प्रकासश त कारा ार सा्जख य की भारत, 2013 के अ ुसार, िेलों तें वि सभ न प्रकार के 4.12 लाख कारा ार सहिासस यों तें से, 2.78 लाख कारा ार सहिासी वि चारािी कैिय हैं । कारा ारों तें वि चारािी कैदि यों की स्ख या को कत कर े के सल ए, उच् च न यायालयों के तुख य न यायतूनत जयों से ि्प प्रकक्र या स्दह ता की िारा 436 और िारा 436क के अिी ऐसे सभी तातलों का पु विज लोक कर े के सल ए िहा् वि चारािी कैिय िता त के सल ए पार हैं और उ को छो़ ेहेतु स् िप्रेरणा से कारजिाई कर े के सल ए जि ला न यायपासलका को सलाह िे े के सलए अ ुरोि कक या या है । विचारािी कैदियों को न तुजक् त कर े हेतु आिधिक रूप से ता ीटर कर े के सलए भी उच् च न यायालय तें एक त्र स् थावपत कर े की सलाह िय ई है । तुख यत्तरयों और विधित्तरयों से विचारािी कैदियों के विर्षय और आिधिक रूप से उ के तातले का पु जविलोक कर े के सलए पाटा ं ा े हेतु साफ्टिेयर उपयोि ों के उपयो का भी अ ुरोि ककया या है ।

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भारत सरकार विधि और न याय त्रालय

न याय विभा राज् य सभा

अतारा्ककत प्रश् स्. 3101 जिसका उत्तर शुक्रिार, 19 दिसम् ंर, 2014 को दिया िा ा है

न्यायपासलका म ररतत पद

3101. श्री नरेन्द्र बुढािनया : क्या विधि और न्याय त्री यह ंता ेकी कृपा करें े कक :

(क) क्या यह सच है कक ितजता तें अिी स्थ नयायपासलका तें नयायािीशों के 22.5 प्रनतशत पि ररक्त हैं और उच्च नयायालयों तें तो जस्थनत और भी खरां है िहा ्पर 34 प्रनतशत से अधिक पि ररक्त हैं ;

(ख) यदि हा्, तो अिी स्थ नयायपासलका और उच्च नयायालयों तें नयायािीशों के स्िीकृत पिों की स्खया की तुल ा तें ितजता स्खया ककत ी है ; और

( ) सरकार द्िारा इ ररजक्तयों की भती प्रकक्रया तें तेिी ला े के सलए क्या कारजिाई की ई है अथिा की िा रहय है, तत्स्ं्िी ब्यौरा क्या है ?

उत्तर

विधि और न् याय मंरी (श्री डी.िी. सदानंद गौडा)

(क) से (ग) : भारत के स्वििा के अ ुच् छेि 235 के अिी राज् यों तें जिला और अिी स् थ न यायालयों पर न य्रण स्ंद्ध उच् च न यायालय तें न दहत होता है । न यायालय सताचारों तें उपलब् ि िा कारय के अ ुसार, भारत के उच् चतत न यायालय के नतताहय सताचार पर तें 31.12.2013 को जिला और अिी स् थ न यायालय के न यानयक अधिकाररयों की अ ुतोदित पि स्ख या और कायजरत पि स्ख या क्रतश: 19518 और 15115 थी और जिला और अिी स् थ न यायालयों के न यानयक अधिकाररयों के 4303 पि 31.12.2013 को ररक् त थे ।

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विसभन उच् च न यायालयों के न यायािीशों की अ ुतोदित पि स्ख या और कायजरत पि स्ख या क्रतश: 984 और 631 थी, और उच् च न यायालयों के न यायािीशों के 335 पि 15.12.2014 को ररक् त थे ।

प्रकक्रया ज्ञाप के अ ुसार उच्च नयायालय के नयायािीश की न युजक्त के सलए स्ं्धित उच्च नयायालय के तुखय नयायतूनत ज और उच्चतत नयायालय के ककसी नयायािीश की न युजक्त के सलए प्रस्ताि के पहल कर े की प्रकक्रया भारत के तुखय नयायतूनत ज के पास होती है । सरकार अ ले छह तास तें प्रत् यासशत ररक्त स्था ों को भर े के सलए ठीक सतय पर प्रस्ताि आर्भ कर े के सलए आिधिक रूप से उच्च नयायालयों के तुखय नयायतूनत जयों को स्तरण कराती रहती है । उच्च नयायालयों तें ररक्त स्था ों को भर ा उच्चतर नयायपासलका के सलए उपयुक्त अभ्यधथजयों का चय कर े के सलए सा्वििान क प्राधिकाररयों के ंीच एक सतत परातशी प्रकक्रया है । िंकक, नयायािीशों की सेिान िजृत्त, पित्या या प्रोन नत के कारण उत्पन विद्यता ररक्त स्था ों को शीघ्र भर े के सलए हर प्रयास ककया िाता है । जिला और अिी स् थ न यायालयों तें ररजक् तयों को भरे िा े के तातले को उच् च न यायालयों के साथ न यसतत रूप से चलाया िा रहा है ।