पंचम िहन्द - webs...क बय ,अ क ब द ह आम, स ध तर; जस...

5
1. 2. 3. 4. पंचउपकृ त, झे जेल आसना, ये जाते तनुधारी, जीवंत, मलीला िवपाक, ने उसे आलंबन सं शांत, शा"अवािहत शांत, अतरं ि शांत, ठं डा, शांत ठं डा, शिमनी डाल मौन, चुप, अनबोला, "ि नु गृही, शाि ने से बचजीव, सानु, " जीिवत, िि, अमृ , जीजीवंत ि दुदशा, गत, अवगिपने घर शांत की ; नु का अवािहत, जल ि, िथर अचंड, भाव सब, शांत, शा हा है " खामोश, , अनु के दय , हसाि; अपिलया" ाणी, सानु; सज , िजद; ता , जीता-िभनय िदुगित, फ़ज़ , कु गित, पनाह दे , शांत, रता का एक पुऽ ; , शांत, सारे रो; िजसम , शात, को अछा , ठडा, ख़ामो, अवा, अनूतर, िवचार मं , अहने साथ िधार, वा जीाणी , िजंदा, सज या ि, ता या" ज़ीअत, ज़ीरी गि; " , या पर"शांत का हह, के जीवारंग ठडा, ता है " ठं ढा, ठढा; , अवाक, शात, अबै मंथन ि1 | Page , उप, अनीवह िजस, चेतन, सम ाण जागत, जी हत, जीअदशा या शा; मा के वणन मनु रा, थमा, िमलते रही ; " , ठढा; ि; जलअवाक, , अबोल, रहा था , आभामानने , सजीव, ाण ; , जीवंत, ; "िताजागत; , फजीहत, वःथ; "उस के नौ वप का िमृित िका, िथर, " याम शांत सके या दह, िनवा अलपत, / उसकी रक, शुबगु ला; " णधार, तन "वी , णव ािणओं जीता-गि, अगकी दुदशा से तन होता लता है " ितहीन, हो जल बोता , िनवचन, , अवासुनकर _ , शुबगु पका कृ त धार, िविभन वान, आंतिरता ; "ि, दुगत, मुझसे देख; "शांत है " ; थर फ क या आवेश हो; "िनभृत, गी; अवाक ________ , धयव िवक, ाणक, कार के , नदवृि होती ने ि, िदहाड़ा, नहीं गई रस का िहत है " ; "ि ठं डी आग बो, चुप बो; रह गया" _ , पने , है " ; िहत ,

Upload: others

Post on 09-Mar-2020

7 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • 1.

    2.

    3.

    4.

    पंचम

    उपकृत, अनुमझेु जेल ज

    आसना, मदंपाये जाते हैं

    तनुधारी, ूाजीवंत, जीवरामलीला में

    िवपाक, औगमैंने उसे अ

    आलबंन ससंशांत, शान्त

    "अूवािहत शांत, अतरंिशांत, ठंडा, का शांत ःवठंडा, शिमतपानी डाल रमौन, चुप, अनबोला, औ"मौन व्यिक्त

    कृतनगुहृीत, शािजाने से बचा

    जीव, दसानु, मन्दहैं" जीिवत, िज़ािणक, अमतृवन्त, सजीवमें जीवंत अि

    ददुर्शा, गत, अवगितअपने घर में

    शांत रससार की असत; मनु का अूवािहत,

    जल में बहुिगत, िःथरअचंड, अचण्वभाव सबकोत, शांत, शान्रहा है" खामोश, ख़ाऔगंा, अनुत्तिक्त के हृदय

    तज्ञ, एहसानिकर; अपनेा िलया" ूाणी, जीवदसानु; सजी

    िज़दंा, िजन्दात; जीता हुव, जीता-जागिभनय िकयादगुर्ित, फ़ज़ी

    ित, कुगित, बुरीपनाह दे दीस, शांत, शासारता का ज्ञ एक पुऽ ; , शांत, ूवाहुत सारे रोग; िजसमें तचण्ड, शान्त, को अच्छा लन्त, ठण्डा,

    ख़ामोश, अवाकत्तर, अनूतर, में िवचारों क

    नमदं, अहसाने साथ िकय

    वधारी, जीवात्जीव ूाणी य

    ा, िजदंा, सजहुआ या िजगता, जीता या" ज़ीअत, फ़ज़ीहरी गित; बुरीी" ान्त रस, शाज्ञान या परम "शांत का ाहहीन, ठहरागों के जीवाणतरंगें न उठठण्डा, ठंढा

    लगता है" ठंढा, ठण्ढा;

    क्, अवाक, शान्त, अबनैका मथंन च

    िहन्द

    1 | P a g e

    सानमदं, आभया हुआ उपक

    त्मा, अनीशया वह िजसम

    जीव, चेतन,िजसमें ूाण हजागता, जी

    हत, फजीअती दशा या अ

    शान्त; काव्यमात्मा के ःवणर्न मनःुरा, थमा, रुकण ुिमलते हैंठ रही हों; "ा, ठण्ढा; िज

    ; जो जलत

    अवाक्क, शबन, अबोल, चल रहा था

    दी

    भारी, आभारकार माननेव

    श, सजीव, ूमें ूाण हो;

    , जीवंत, जीहो ; "जीिवतीताजागता;

    त, फजीहत, अअवःथा; "उस

    य के नौ रसःवरूप का िचःमिृत में िमका, िःथर, गहैं" ँयाम शांत िजसके ःवभ

    ता या दहक

    शांत, िनवार्कअलपत, अव / उसकी ब

    रक, शुबगज़ुवाला; "मैं आ

    ूाणधारी, तन "पथृ्वी पर

    जीवन्त, ूाणवत ूािणओं जीता-जाग

    अगित, अगतसकी ददुर्शा

    सों में से एकिचंतन होता िमलता है" गितहीन, हो

    जल में पत्भाव में बोध

    कता हुआ न

    क, िनवर्चन, वाकी, अवागबात सुनकर

    _

    ज़ार, शुबगजुआपका कृतज्ञ

    तनुधारी, जीवर िविभन्न ू

    णवान, जीवधमें आंतिरकगता ; "िकश

    त, दगुर्त, अपमझुसे देखी

    क ; "शांत है"

    ोर; जो ूव

    त्थर फें क रहध या आवेश

    हो; "वह ठं

    िनभतृ, अनगी; जो कुछर मैं अवाक

    ________

    जार, धन्यवाज्ञ हँू िक आ

    वक, ूाणक,ूकार के जी

    धारी, जानदाक विृद्ध होती शोर ने

    पित, िदहाड़ा, ी नहीं गई औ

    रस का

    वािहत न हो

    हा है" न हो; "रोि

    ठंडी आग पर

    नबोल, चुप्पछ न बोले; रह गया"

    _

    ादी, आपने

    ीव

    ार, है"

    और

    ;

    िहत

    ,

  • 5.

    6.

    7.

    8.

    पंचम

    िःथरिचत्त, "िःथरिचत्त शांत, शान्तिनराकुल; धैयर्शील, धी"धैयर्शील व्गभंीर, गम्भअनवगाह्य, िनँशब्द, शहोकर तारों

    िबन बोले, मरहा था"

    धमर् से सबंं

    ूकार का ब

    ज्ञान; "िवपिबुिद्ध, अक्ल,अकल, समझआत्मसमदु्भवबुिद्ध से राज

    इत्तफ़ाक़, इत्तूकरण पर

    अभ्युिचत, "यह सामान्

    शांत, िःथरव्यिक्त िवप

    त, ूशान्त, िजो उिद्वग्न धीरजवाला, धैव्यिक्त धयैर्ताभीर, शांत, शअनुद्धत, ठंडशांत, खामोशको देख रह

    चुपमौनतः; म

    सत्य, सबिधत हो; "स सत्य, सचबनावटीपन य

    िववेित्त के समय, ूज्ञा, िववेकझ, िजहन, िज़द्भवा, आत्मोद्भजा बनने की

    सहत्तफाक; ससबकी सहम

    अयथापूवर्, न्य साड़ी है/

    र, ूशांत, अपित्तयों से नहिनरुिद्वग्न, अ न हो; "मोधयैर्वान, धीरा से किठनाशान्त, सौम्यडा, ठंढा, ठण्श; ध्विनरिहा था" पचाप, चुप, ममौन रूप से;

    सच, साँच, सत्य की रक्षच, सच्चा, सया छुपाव नवेक, समझदाय िववेक से क, धी, धी शिज़हन, जेहनद्भवा, इड़ा; सोी अपेक्षा अपहमित, रज़ामसहमत होने मित िमलने सामान्य, अरबीला, इ/ यह कामच

    अचंचल, शान्हीं घबराते हैंअिवकल, अोहन का जीवर, शांत, धयैाइयों पर िवय, सजंीदा, ण्डा, ठण्ढा; िहत या जह ँ

    मौन, शांत, "आप यहाँ

    यथाथर्, सत्तक्षा में उन्होंसही, यथाथर्, न हो; "गवाारी, इिम्तयाकाम लेना

    शिक्त, मित, मन, ज़ेहन, जहनसोचने समझपनी बुिद्ध सेमदंी, सम्म की िबया,अन के बाद हीआम, साध

    इतर; िजसचालाऊ सरक

    िहन्द

    2 | P a g e

    न्त, ूशान्त,हैं" अव्याकुल, ूीवन शांत हैयर्वान,् शान्तिवजय ूाप्त क अचंचल, अ जो चंचल हाँ आवाज न

    शान्त, ख़ामाँ चपुचाप बै

    त्त, सही, पूतोंने अपनी ज ठीक, ऋताह ने डर केाज, इिम्तयाचािहए" मनीषा, मेधा,हन, ज़हन, संझने और िनश्चसे फ़कीर बनमित, करार, अवःथा या ी आगे की कधारण, कामसमें कोई िवकार अिधक

    दी

    , अमत्त, इक

    शांत, िनभतृह" त, िनमता, कर लेते हैं" अचपल, िःथ न हो; "वहन हो; "रात

    मोशी से, खबैिठए / चप

    त, ऋत, अिवजान गवँा दीत, अवदात; क मारे सत्याज़; भली-बु

    , िदमाग़, िदमसज्ञा, मनीिषकश्चय करने कनना एयादा क़रार, तज भाव; "उनकायर्वाही कीमचलाऊ, मिवशेषता न ह िदन तक

    कतान; िजस

    त, अनाकुल,

    अव्याहत;

    थर, अचपलाह गभंीर ःविनँशब्द थी

    खामोशी से, परासी अिधक

    िवतथ; वह ी" जसैा हो वैय बयान नहीबुरी बातें सो

    माग, मिःतंका, ूाज्ञता, की विृत्त या अच्छा है" जवीज, तजन दोनों में की जायेगी" मामूली, अिहो या अच्छेनहीं िटकनेव

    _

    सका िचत्त ि

    , अव्यम, िव

    धैयर् रखने

    ा, गहबर, अवभाव का व्यथी और वह

    िनँशब्द, अकारी की बात

    जो न्यायस

    वैसा या िजसहीं िदया" सोचने-समझन

    ंक, बूझ, बुझूाज्ञत्व, उद्ा मानिसक

    जवीज़, इित्तफ़सहमित हो

    िविशष्ट, अिछे से कुछ हवाली"

    ________

    िःथर हो;

    िवौब्ध,

    वाला;

    अनवगाह, यिक्त है" छत पर ख

    अवाक, अवाकत चुपचाप स

    सगंत,उिचत

    समें िकसी

    ने की शिक्त

    झ, अक़ल, अद्महण, अिभबशिक्त; "औरों

    फ़ाक़, इित्तफो गई है /

    िवशेष, अिदहल्के दरज़े

    _

    खड़ा

    क्, सनु

    और

    क्त या

    अईल, बुिद्ध, ों की

    फाक, इस

    िदव्य, का;

  • 9.

    10.

    11.

    12.

    13.

    14.

    पंचम

    सामिूहक, आआिद में पाका आयोजनसादा, सामा

    पशोपेश, पसिःथित ; "आसशंय, सदेंहज्ञान िजसमें

    सौम्य, सशुीसबका िदलगभंीर, गम्भअनुद्धत, ठंडा

    ूाप्त हो; "उप

    जाने की िब/ आधे घटें

    िवशेंय है"

    मजुायका, कअिनष्ट घटनकरना बंद क2. िवषम स"तीन, पाँच3. िवषम, ि

    आम, सावर्जाया जानेवालन िकया गयान्य, साधार

    दिुवधसोपेश, कशमआपने पैसे मह, सन्देह, दिुवमें पूरा िनश्च

    सौम्ील, सजुान, ल जीत लेता भीर, शांत, शडा, ठंढा, ठण्डा

    उपलब्ध सिुव

    गमनिबया; "राम टे में हमलोग

    व्याक

    1. सकंटकरवर, िवषमना से उत्पन्कर देता है"सखं्या, िवषम, सात आिदिवषम ताल;

    जिनक, सामदुला या उनसेया" रण; िबना धा, दबुधा, अमकश, उलझनमाँगकर मझेुिवधा, दिुबधा,श्चय न हो; "मुौम्य, कोमल अिभिवनीत है" शान्त, सौम्या, ठण्ढा; जोउपलब्ध, ूाप्तवधाओं का सन, ूःथान, के वन गमग ूःथान ककरण में वह

    ट, आपित्त, म, अयोग, न्न होनेवाली" मसखं्या, िविद िवषम सखं्; सगंीत में

    दाियक, सामसे सबंंध रख

    िवशेष आडंबअसमजंस, अन, अिनिश्चतझे दिुवधा में , दबुधा, शकंामझेु उसकी ःवभावी, सौ

    त, अदृप्त; िज

    य, सजंीदा, अो चंचल न हप्त, लब्ध, अिसदपुयोग कर रवानगी, मन का समकरेंगे" ह सजं्ञा िजस

    आपदा, आफ़अिरष्ट, अली ऐसी िःथि

    वषम रािश, िख्याएँ हैं" में ताल का

    िहन्द

    3 | P a g e

    मान्य, सवर्जखनेवाला; "स

    बर या बनाअसमञ्जस, उतता, दोच, दोच डाल िदया"का, शङ्का, अदंबात की सच्

    सौम; कोमल िजसका ःवभ

    अचंचल, अचहो; "वह गभंीिधगत, महैुयरो / बाढ़पीकूच, अयनमाचार सनुक

    सके साथ को

    आफ़त, आफतलहन, आँध, ित िजसमें ब

    िवषम; वह

    एक भेद; "

    दी

    जनीन; ूायसाक्षरता पर

    ावट का; "बउधेड़बनु, उधेचन, अदेंशा, " देशा, अन्देशच्चाई पर स ःवभाववालभाव अच्छा

    चपल, िःथर, भीर ःवभाव या, मयःसर, ीिड़तों को खन, अदर्न, ईरकर सभी अय

    ोई िवशेषण

    त, मसुीबत, आपत,् आपबड़ी हािन हो

    ह सखं्या जो

    "सगंीतकार

    यः सभी व्यिवचार-िवम

    बाबा आमटे धड़-बुन, ऊहापअन्देशा, आ

    शा, अिभशंकासशंय है" ला; "रमेश सौ हो; "सौम्य

    अचपला, गका व्यिक्त हैमयुःसर, मयुखाद्यसामामी रण; एक योध्या वािस

    लगा हो; "

    िवपित्त, िवपपद्, आपद, हो सकती हो

    ो दो से पूरी

    िवषम बजा

    _

    यिक्तयों, अवमशर् हेतु एक

    सादा जीवनपोह, दिुबधा,

    आवटना; हाँ य

    ा, अिभशङ्का

    सौम्य व्यिक्त य व्यिक्त अ

    गहबर, अनवहै"

    मयुःय, अवाप्तमहैुया कराईःथान से

    िसयों को गह

    "अच्छा लड़क

    पदा, गिदर्श आवली, आो; "सकंट में

    ी तरह िवभा

    रहा है"

    ________

    वसरों, अवःथक सामिूहक

    न जीते हैं" िद्विवधा, या ना की

    ा, िवशय; ऐस

    है" अपने ःवभाव

    वगाह, अनवग

    प्त; जो सलुभई गई" दसूरे ःथानहरा आघात

    का में लड़क

    , कहर, शामआसेब; िकसमें िदमाग क

    ािजत न हो

    _

    थाओं सभा

    सा

    व से

    गाह्य,

    भ या

    न को लगा

    का

    मत, सी काम

    ;

  • 15.

    16.

    पंचम

    4. िवषम, िमें िवषम अ5. िवषम, िबतलाया जा6. िवषम, िकी अिधकत

    िवषम, बरबं2. ूचडं, भभयावह, घमदहशतंगेज़, लगे ; "मिहथा" 3. अलग, बअतुल्य, अलअवरत, अससबसे अलग4. किठन, अवघट, दघुर्होगा" 5. िवषम; िवषम सखं्य

    आने योग्य

    दरुुःती, मसदुशा, सपु

    िवषम छन्दअिधक हैं" िवषम अलकंजाता है; "उनिवषम जठरता है" 1. तीआण, तबंड; तेज़ यभयानक, डरामासान, उम दहशतंगेज,िहषासरु को

    बेमेल, असदृलहदा, अनिमसबंद्ध, असम्बग है / सभीिवकट, ूचडंघर्ट, कुघट, अ

    जो दो से याएँ हैं"

    ; "व्यवहायर्अच्छी

    मगंल, मांगपिरिःथित,

    द; वह छंद

    कार; एक नकी रचनाओरािग्न; चार

    तीो, कुशामया ूखर; "इरावना, भयकंम, रौि, रुि, , दहशतनाकमारने के िल

    दृश, अनमेलिमल, अनिमम्बद्ध, इकौंसाी धमोर्ं के मड, ूचण्ड, मअसझू; जो

    भाग देने प

    व्यवहायर्य वःतुओं कछी हालत, गल्य, योग सिुःथित,

    िजसके चा

    अथार्लकंार िओं में िवषमर ूकार की

    म, ूखर, खरइस काम ककर, भयङ्कर महाचंड, मक, रौरव, घमिलए माँ काल

    ल, असम, िविमलत, पथृका, इकौसा; मागर् पथृक हैंमिुँकल, अो आसान न

    पर परूी-पूरी

    य, व्यावहािरकको सभंालकरअभ्युदय,

    गके्षम, िवक सौभाग्य,

    िहन्द

    4 | P a g e

    ारों चरणों में

    िजसमें दो िम की बहुलत जठरािग्नयों

    खर, तेज़, तेजको करने के र, ूचण्ड, ख़महाचण्ड, करमसान, िवषली ने ूचंड

    िवषम, िभन्नक, अपकृ्त, अ जो सदृश हैं पर मिंज़ल

    असहज, गहरन हो; "इस

    न बटँ सके

    क, शक्य, अमर रखो" उत्कषर्, कास, विृद्ध ःवःथता.

    दी

    में अक्षरों की

    िवरोधी वःतुता है" यों में से एक

    ज, अकंुठ, अिलए तीआणख़ौफ़नाक, खराल, उद्धत, षम, हैबतनाकरूप धारण

    न, िवसम, अअबंधुर, अबन्न हों या ए

    ज़ल एक है" रा, गहन, गकिठन समः

    क (सखं्या);

    मली, व्यवहा

    उन्नित, द्ध, सद्गित,

    ी सखं्या सम

    तओुं के सबंं

    क"वैद्य के अ

    अकुण्ठ, अकंुण बुिद्ध की जखौफनाक, िवखूँखार, भयक, ताम; ििकया / म

    असमान, पथृधरु, अिमलएक दसूरे से

    गाढ़ा, अटपटःया का सम

    "तीन, पाँच

    हािरक, इःतेम

    ऋिद्ध, क सफलता,

    _

    मान न हो;

    बध या औिच

    अनुसार मेरे प

    कुिठत, अकुिजरूरत है" िवकराल, िवकयावना, भयािजसे देखने मानिसहं एक

    थक्, िविभन्ल, अमेल, अ िभन्न हों;

    ट, अटपटा, िमाधान शीय

    च, सात, नौ,

    माली; व्यवह

    कल्याण, के्ष सकुाल,

    ________

    "इस किवत

    िचत्य का अभ

    पेट में िवषम

    िन्ठत, चंड,

    कट, भीषण,ावन, से भय याक खूँखार डाक

    न्न, जदुा, अयगु, अरगट"यह फूल

    िवषम, ददुर्मय ही खोजना

    , ग्यारह आ

    हार या काम

    के्षम, ख़ुशह सखु, सगु

    _

    ता

    भाव

    ,

    ा डर कू

    ट, इन

    म, ा

    आिद

    म में

    हाली, गित,

  • 1.

    2.

    3.

    4.

    5.

    6.

    7.

    8.

    9.

    10.

    11.

    12.

    13.

    14.

    15.

    16.

    17.

    पंचम

    होश उड़ ज

    आव देखा

    जान से ह

    टस से मस

    ूाण रक्षा

    इधर कुआँ

    जान पर

    रक्षक का

    िदन रात

    जोिखम उ

    हार न मान

    भीतर की

    िपंड न छ

    कान पर

    आँखों की

    एड़ी-चोटी

    सोना पैदा

    जाना

    ा न ताव

    हाथ धोना

    स न होना

    करना

    आँ उधर खाई

    बन आना

    भक्षक बन

    सड़ना

    उठाना

    ानना

    आवाज सनु

    छोड़ना

    जू ँन रेंगना

    पुतली

    का पसीना

    ा करना

    :

    :

    :

    :

    :

    ई :

    :

    जाना :

    :

    :

    :

    नना :

    :

    ा :

    :

    ा बहाना :

    :

    सधु-बुध ग

    िबना कारण

    मारा जाना

    िकसी भारी

    जीवन बच

    हर हाल में

    िवकट िःथ

    रक्षा करने

    दम घुटना

    साहसपूणर्

    असफल न

    अन्तमर्न क

    साथ न छ

    कुछ भी प

    बहुत प्यार

    अत्यिधक

    कीमती वः

    िहन्द

    5 | P a g e

    गवँा बैठना

    ना

    री चीज का

    चाना

    में मसुीबत क

    थित िजसमें

    न वाला ही श

    काम करना

    न होना

    की बात सनु

    छोड़ना

    परवाह न क

    रा होना/अि

    किठन पिर

    ःतु का ढेर

    दी

    जरा सी भी

    का आना

    म जीिवत रह

    शोषण करने

    नना

    करना

    ित िूय

    रौम करना

    ी जगह न छ

    हना बहुत क

    न लगा हो

    _

    छोड़ना

    किठन हो

    _________