श्री अरविन्द कर्मधारा · 2019-08-15 · श्री...

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अरवि करधा रा अरवि आम-दि शाखा अरवि मार, नई दि 15 अग , 2019 वर 49 अंक 5

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Page 1: श्री अरविन्द कर्मधारा · 2019-08-15 · श्री अरविन्द आश्म दिल्री-शाखा श्री अरविन्द

शरी अरविनद करमधारा

शरीअरविनद आशम-दिलरी शाखाशरीअरविनद मारग, नई दिलरी

15 अगसत, 2019 वरष 49 अक 5

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2 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

शरी अरविनद कमगधाराशरी अरविनद आशम-

दिलरी शाखा का मखपतर24 निमबर 2018

िरग-48 - अक-4

ससापकशरी सरनदरनाथ जौहर फकीर`

विशर परामशग सममविक0 िारा जौहर, सशरी ररमा

ऑनलाइन पबलिकशन ऑफ शरी अरविनद आशम दिलरी शाखा (वन:शलक उपलबध)

कपया सबसकाइब कर[email protected]

कायागलयशरी अरविनद आशम दिलरी-शाखा

शरी अरविनद मारग, नई दिलरी-110016िरभारः 26524810, 26567863

आशम िबसाइट(www.sriaurobindoashram.net)

लकषय-पापतिचाह तपसा दारा हो या सरपमण दारा,

बस इसका कोई रहतव नहरी ह, रहतवपणम

बस यहरी चरीज ह कक वयकति दढता क

साथ अपन लकषय की ओर अभिरख हो।

जब एक बार कदर सच रागम पर चल

पड तो कोई िहा स हटकर जादा नरीचरी

चरीज की ओर कस जा सकता ह ? अगर

आदररी दढ बना रह तो पतन का कोई

रहतव नहरी. आदररी किर उठता ह और

आग बढता ह। अगर आदररी अपन लकषय

की ओर दढ रह तो िगिान क रागम पर

किरी अनतिर असिलता नहरी हो सकतरी।

और अगर तमार अनदर कोई ऐसरी चरीज

ह जो तम पररत करतरी ह, और िह

वनभिचत रप स ह, तो लडखडान, गगरन

या शदा की असिलता का पररणार र

कोई रहतवपणम िकम नहरी पडगा। सघरम

सरापत होन तक चलत जाना चाकहय।

सरीधा, खला हआ और कटकहरीन रागम

हरार सारन ह।

-शरीअरविनद

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3 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

इस अक म...1. पाथमना और धान 4

2. शरी अरविनद की रहता 6

3. कारािास की कहानरी (िाग-1) 27

4. कारािास की कहानरी (िाग-2) 33

5. शरी सरनदरनाथ जौहर ‘फकीर’ 44

6. कार 60

7. तारा दरीदरी का जनमकदन 62

8. आशर क अनय कायमकरर 65

9. योगा कदिस 2019 66

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4 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

पाथगना और धानशरीमा

यह सब कोलाहल ककस ललय, यह दौड-धप, यह वयथम की थोथरी हलचल ककस ललय? यह बिडर ककस ललय जो रनषो को झझािात र िस हय रकखियो क दल की िावत उडाय ल जाता ह? यह सरसत वयथम र नषट हई िकति, य सब असिल पयतन ककतना िोकपद दशय उपसथित करत ह। लोग रससियो क ससर पर कठपतललयो की िावत नाचना कब बनद करग? िह यह िरी नहरी जानत कक कौन या का िसत उनकी रससियो को पकड उनको नचा रहरी ह। उनको कब सरय

गरलगा िावत स बठकर अपन-आप र सराकहत होन का, अपन-आपको एकागर करन का, उस आतररक दार को खोलन का जो तर अरलय खजान, तर असरीर िरदान पर परदा डाल रहा ह?

अजान और अधकार स िरा हआ, रढ हलचल तथा वनरथमक विकपिाला उनका जरीिन रझ ककतना कषटपद और दरीनहरीन लगता ह जबकक तर उतक षट पकाि की एक ककरण, तर कदवय पर की एक ब द इस कषट को आननद क सागर र पररिरतत कर सकतरी ह। ह पि रररी पाथमना तररी ओर उनमख होतरी ह, आखखर य लोग तररी िानति तथा उस अचल और अदमय िकति को जान ल तो अविचल धरीरता स पापत होतरी ह। और यह धरीरता किल उनरी क कहसि आतरी ह जजनकी आख खल गई ह और जो अपनरी सता क जाजवलयरान कनदर र तरा चचतिन करन योगय बन गय ह।

परति अब तररी अभिवयकति की घडरी आ गयरी ह और िरीघर हरी आननद का सतवत-गान सब कदिाओ स िट पडगा। इस घडरी की गमरीरता क आग र िकतिपिमक िरीि निातरी ह।

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5 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019ह कदवय साररी, पदान कर कक यह कदन हरार ललय तर विधान क पवत असधक पणम आतमवनिदन का,

तर करम क पवत असधक सिाागरीण सरपमण का, असधक सरय वनज-विसकवत का, असधक वििाल पकाि का तथा असधक पवितर पर का अिसर बन; और यह िरी पदान कर कक तर साथ असधकासधक गमरीर और अटट अतिररलन दारा हर उतरोतर असधक अचछी तरह तर योगय सिक बनन क ललय अपन-आपको तर साथ एकीित कर। हरस सरगर अहता, तच अभिरान, सारा लोि और सारा अधकार दर कर ताकक तर कदवय पर स पणमतया पजजिललत होकर ससार र हर तररी दरीवपकाए बन।

पिम क सिाससत धप क सिद धए क सरान रर हदय स एक रौन गरीत उठता ह।और पणम सरपमण क पिात िाि र इस कदनोदय क सरय र तझ नरसार करतरी ह।पिम क सिाससत धप क सिद धए क सरान रर हदय स एक रौन गरीत उठता ह।और पणम सरपमण क पिात िाि र इस कदनोदय क सरय र तझ नरसार करतरी ह।

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6 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

शरी अरविनद की महता

नारायण पसाि ‘वबनदद’

सरय-सरय पर पकथरी पर कछ ऐस परर आत ह जो हराररी तरह नहरी होत। यह ठरीक ह कक दखन-सनन र ि दसरो स भिनन नहरी होत, पर यह िरी सतय ह कक हरर और उनर इतना असधक अतिर होता ह जजतना यहा क सख और सगम क आननद र। उनक आकाि स हरारा जरीिन पकाभित होता ह। पकथरी क पतरो र िह दिताओ क पतर होत ह। ऐस दिपतरो र शरी अरविनद की बचपन स हरी गणना थरी।

जजन शरी अरविनद को हर आज िरी पहचान नहरी सक ह उन कविगर रिरीनदरनाथ न आज स 50 िरम पिम पहचाना था और एक कविता ललखकर िदना की थरी। जजतना रहान हरारा दि ह, उतन हरी रहान शरी

अरविनद थ। िारतिरम जो किरी था और सदर िविष र जो होन को ह, उसका कदवय पकाि हरन शरी अरविनद र दखा। शरी अरविनद क विचार र ससार र रानि सभयता का काल पक चका ह। अब एक नया यग आन िाला ह जजसर रन क थिान पर उसस िरी ऊचरी चतना जरीिन का वनयतरण करगरी। इसरी यग को लान क ललए िह जरीिन-िर अपनरी योग-साधना स पयतन करत रह।

गयारह िरम की उमर स हरी िह सोचन लग थ कक दवनया र कोई बहत बडरी उथल-पथल आन िालरी ह और उसर उनको िरी िाग लना होगा। 18 िरम की आय र उनकी यह धारणा दढ हई। ि जब विलायत र पढत थ, तिरी उनोन दि क ललए अपना सिमस होर करन की ठान लरी थरी।

जब ि राजनरीवत र उतर, दि को विदभियो क चगल स छडान का ककसरी को कोई उपाय नहरी सझ रहा था। शरी अरविनद न दि को एक राजनरीवतक दिमन हरी नहरी कदया, उस ककरयानवित करक िरी कदखा कदया। एक ऐसा जराना था जब कलकता का कोई पतर शरी अरविनद का लख छापन का

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7 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019साहस नहरी करता था। उनोन कछ हरी कदनो र दि-िर र करावत की ऐसरी लहर दौडा दरी कक लोग तन स हरी नहरी रन स िरी सदिरी बन गए। उनोन हर ससखाया “सबस पहल भारिरीय बनो।”

शरी अरविनद क राजनवतक जरीिन र िरी गरीता पढरी जा सकतरी थरी। उनर ससार को िद-उपवनरद का जरीता-जागता सरप दखन को गरला। शरी अरविनद का जरीिन एक पयोगिाला था। उस पयोगिाला स उनोन एक नई दवनया को जनम कदया। इस पयोगिाला र िह जरीिन-िर अनसधान करत रह। शरी अरविनद का सपना था – एक नई दवनया, नया दिमन, नया यग, नई हिा, नया रनष-इतना नया जजतना रनष पि क ललए नया था। उनकी दवटि मानि क भविषय पर दटकी थरी।

ससार क जजतन रहान कायम ह, ि सब किरी ककसरी ना ककसरी क सपन हरी थ। जब सपना आ गया ह तो एक ना एक कदन िह रप िरी ल हरी लगा। यह सपना कस सच होगा, यह िारत हरी कदखा सकता ह और सरय आन पर कदखाएगा। 21 िरम की आय तक शरी अरविनद की योग र रचच नहरी थरी, किर िरी िह इतन बड योगरी बन गय।

जनम

1872 का साल 15 अगसत की पणय वतसथ। इसरी कदन पराधरीन िारत की कलकता नारक नगररी र सबह साढ चार बज शरी अरविनद का जनम हआ था। उस सरय कौन जानता था कक यह कदवय तारा िारतरीय आकाि र सनहर ससतार की तरह चरकगा। हराररी आजादरी का कदन तो चना गया था 3 जन, 1948; ककति बदलकर उस कर कदया गया 15 अगसत, 1947। ककसन ककया ऐसा? को ककया? यह का अपन-आप हआ?

बगाल सदा स िारत का रतन-गरित पात रहा ह। यहा हगलरी नार की एक नगररी ह। राररोहन राय और शरीरारकक षण पररहस का यहरी जनम हआ था। इस नगररी क पास स हगलरी नार की नदरी िरी बहतरी ह। इसरी क ककनार कोननगर नारक एक छोटा सा कसा ह। यहरी शरी अरविनद क वपता का जनम हआ था। उसका नार था कक षणधन।

19 िरम बाद की उमर र डा0 कक षणधन का वििाह उस सरय क सपससद नता राजनारायण बोस की कनया स हआ। उस सरय िह 21 िरम की थरी, उनका नार था सणमलता। िह इतनरी सनदर थरी कक लोग उन ‘रगपर का गलाब’ कहा करत। बगाल क लोगो र उन कदनो साहब बनन की धन सिार थरी। दल क दल यिक विलायत जा रह थ। जजसर जजतना अगरजरीपन होता, जो जजतना

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8 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

ठाठ स रहता उसकी उतनरी कदर होतरी। राजनारायण बोस न िरी अगरजरी भिका पाई थरी पर औरो की तरह उनोन अपन को विलायतरी साच र ढलन नहरी कदया। िारतरीय गौरि स िह अपन को गौरिानवित रानत थ। िारतरीय सभयता को िह ककसरी दिा र नरीचा दखना नहरी चाहत थ।

वििाह क बाद जब डा0 कक षणधन विलायत जान लग तो उनक रन र जो िका उठरी थरी िह सहरी होकर रहरी। विलायत स डा0 कक षणधन पर साहब बनकर लौट और िारत र ‘साहब डाकटर’ नार स विखात हए। परति बाहर स पणम विलायतरी होन पर िरी िह रन स पणम िारतरीय थ। बरीज रप स वपता का यह गण शरी अरविनद र िरी आया। िारतरीयो र डा0 घोर हरी सबस पहल ससविल सजमन बन थ। उनक पहल आई0 एर0 एस0 की उपासध ककसरी िारतरीय को नहरी गरलरी। उस सरय इस पद का बडा रान था। खलना र उनकी कीरत सबस असधक थिावपत हई। िहा क घर-घर र, जन-जन की जजहा पर उनका नार था। दसरो की आख क आस पोछन र, वबलखत होठो पर हसरी दौडा दन र िह अपन बचो तक की सध िल जाया करत थ। उनका घर पिम और पजचिर का गरलन-थिल था। शरी अरविनद डा0 कक षणधन क तरीसर पतर थ। बड पतर का नार उनोन विनयिरण रखा और दसर का रनरोहन। तरीसर का नार ‘अरविनद’ रखा।

वपिा-पतर

अपन बचो को डा0 साहब अचछी स अचछी भिका दना चाहत थ। उन सगम की परिाह नहरी थरी, पर बच आकाि र िकर तार की तरह चरक , यहरी उनकी साध थरी। शरी अरविनद क पवत उनकी िर स बडरी अचछी धारणा थरी। अपन साल को उनोन एक पतर र ललखा था –

“रझ पणम आिा ह, ‘अर’ ऐस सचार रप स राजसतर का सचालन करगा कक दि उसस गौरिानवित होगा।” पाच िरम की आय र हरी शरी अरविनद राता की सहरयरी गोद स अलग कर कदए गए और दारजललग क लारट कॉनिट र पढन क ललए िज कदए गए। डा0 घोर को इतन स िरी सतोर नहरी हआ सन 1879 र अपन तरीनो बचो को साथ लकर िह विलायत चल गए और उन एक अगरज पादररी क सपदम कर चल आए। इगड पहचन क पिम जहाज पर हरी इनक कवनषठ पतर का जनम हआ। इस लडक न िरी दि क ललए बडा कार ककया। जो िरी उसक ससगम र आए, दि क ललए रर गरटन क हत पागल हो उठ। इसरी लडक का नार था िाररीनदरकरार घोर। जो बडा होकर पससद करानतिकाररी हआ। डा0 घोर पार स बालक अरविनद को ‘अर’ कहकर पकारा करत थ। उनकी हारदक इचा थरी कक उनका ‘अर’ बडा आदररी बन। बडा आदररी बनना यानरी, आई0 सरी0 एस0 बनना। यहरी थरी उन कदनो बड आदररी बनन की पररिारा। वपता का रन रखन

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9 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019क ललए शरी अरविनद आई0 सरी0 एस0 की पररीका र दाखखल हो गए और समान सकहत पास िरी हो गए, पर घडसिाररी र कननरी काट गए।

उनोन ऐसा को ककया? हाथ र आया सोना को गिा कदया? दि क ललए इतना तयाग उन कदनो नई-सरी बात थरी। उनक पहल दि क कहत र इतना बडा तयाग ककसरी न नहरी ककया था। वपता तो चाहत थ कक उनका ‘अर’ िारतरीय आबोहिा स दर रह तो किर उनक जरीिन र दि-पर का बरीज डाला ककसन? इसका शय उनक वपता को हरी था। दि-पर का बरीज िरी उनोन हरी बोया था। िारत र विदिरी िासको क जो अतयाचार होत रहत थ, उनकी खबर िह अपन बचो को विलायत र अखबार की कतरनो दारा पहचाया करत थ। उन पढ-पढकर बालक अरविनद का कोरल हदय वतलगरला उठता।

वपता तो शरी अरविनद को आई0 सरी0 एस0 अरविनद दखन क ललए पलक वबछाए बठ थ, पर हठात उनको एक तार गरला। तार र तिान िरा था। शरी अरविनद की बहन का कहना ह कक िह गोधलल का सरय था और डा0 कक षणधन टरटर र घरन क ललए जान िाल थ। एक पर पायदान पर रखा हरी था कक तार गरला। तार र ललखा था—जजस जहाज स शरी अरविनद आ रह ह, िह डब गया। तार पढत हरी िह धडार स गगर पड और ‘अर’, ‘अर’ कहत चल बस।

िारत क इवतहास र पतर-सह का ऐसा सनदर दषटात यह एक हरी गरलता ह। पर जजस जहाज पर शरी अरविनद थ, िह िला कस डब सकता था! परति ककतन डबतो को उबारा ह उनक ‘अर’ न, यह दखन क ललए डॉ0 घोर जरीवित नहरी रह।

विदाथथी–जरीिन

भिकक िह ह जो छातरो क जरीिन को ऐसा कछ द जो उनक जरीिन की वनसध बन। जजस पादररी की दखरख र डॉ0 कक षणधन अपन पतरो को छोड आए थ, िह लकटन क बहत बड विदान थ। उनोन बालक अरविनद को लकटन और अगरजरी की इतनरी अचछी भिका दरी कक जब ि लदन क सट पाल सल र दाखखल हए तो उनकी पवतिा दखकर िहा क हडरासटर रगध हो गए और सय उन गररीक पढान का िार ललया। ि बड पारखरी थ। जो लडका उनकी नजर र ‘बाइट बाय’ सावबत होता, उस ऊपर उठान र िह कोई कोर-कसर नहरी रखत थ। बालक अरविनद को िरी परखत उन दर नहरी लगरी।

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10 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

ककति सलरी पसतक पढन र हरी आपका सरय नहरी जाता था। बाहररी पसतको क पढन र िरी आप डब रहत थ। िह बडरी छोटरी उमर स कविता ललखन लग थ। कविता की जो धारा इस उमर र िटरी, उसस आपका सारा जरीिन पावित होता रहा। उनोन जरीिन-िर साधना करक जो कछ पाया उस िह हरार ललए ‘सावितररी’ नारक गदयकावय र सजोकर रख गए ह। यह उनकी िह रचना ह जजसर यग-यग तक हर ऋवर अरविनद क दिमन होत रहग।

लदन जस िहर र बठकर शरी अरविनद न रवन-करारो जसा जरीिन वबताया था। उन साल-िर सबह सडविच क दो टकड और िार को एक आन का कछ खाकर कदन गजारना पडता था, किर िरी उनोन पढाई र किरी कढलाई नहरी आन दरी। उनको दःख किरी दबा नहरी सका। पाकडचररी आन पर िरी ऐसा सरय आया जब उनक पास किल चार आन पस बच रह थ। तौललय क अिाि र ि सानघर स बालो का पानरी हाथ स वनचोडत बाहर आत। एक टटरी खकटया थरी, उसरी पर एक कोन र सोत।

विदि र विदिरी छातरो क बरीच शरी अरविनद न छातरिकचत पापत की थरी। गररीक और लकटन र उनोन इतन नमबर ललए जजतन तब तक ककसरी न नहरी ललए थ। एक रजदार बात यह थरी कक उनक बाद का थिान पाया था विचकाफट न, जो इनक सहपाठरी थ। आग चलकर इनरी क इजलास र अलरीपर कस का विचार हआ था। विचकाफट थ विचाराधरीि और शरी अरविनद थ विचाराधरीन।

एक बार एक अगरजरी अिसर न अपन एक िारतरीय साथरी स पछा, “आप तो बगालरी ह ना?” आप का अरविनद घोर को जानत ह? र उसक कमबरिज जरीिन का साथरी ह। उन कदनो पाचरीन िाराओ र िह अपना सानरी नहरी रखत थ। अिसोस कक उनका जनम िारत र हआ। अगर िह अगरज होत तो अपन पाकडतय क ललए सार ससार र पससद हो जात।

इसस िरी बढकर एक और गण था शरी अरविनद क बाल-जरीिन र। िह था- उनका चररतर-बल और सकलप-िकति। उसस पता चलता था कक िविष र यह यिक का होन को ह। उनक कॉलज क अधक न ललखा था –“घोर का चररतर आदिम-सरप ह। अगरजरी िारा र उसका जान औसत छातरो स कहरी असधक ह और अगरज यिको स िह कहरी अचछी अगरजरी ललख सकता ह। उसर योगयता हरी नहरी, चररतर-बल िरी ह।”

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11 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

बचपन स 14 िरम अगरजो क बरीच रहकर िरी यिक अरविनद अरविनद हरी रह। वतल-िर साहब अरविनद नहरी बन। आप सदा िारतरीय बन रहन र गौरि अनिि करत थ। विलायत स विदिरी बनन क बदल ि सदिरी बनकर लौट।

ककशोरािसा क सवपन

विदयाथथी-जरीिन स हरी राजनरीवत न शरी अरविनद क जरीिन र पिि ककया था। बाहर स शरी अरविनद एक िात, भिषट, कोरल-हदय यिक-स लगत, पर िरीतर स ि ककतन जवालारय थ, यह सदिरी यिक शरी अरविनद र दखन को गरलता ह। उन कदनो उनकी लखनरी स वबजलरी वनकलतरी थरी। इसका कछ आिास उनक विदयाथथी-जरीिन र िरी दखन को गरलता ह।

सन 1892 र दादािाई नौरोजरी जब विलायत र एर0 परी0 बनन क ललए खड हए तब शरी अरविनद िहरी थ। िहरी उनकी खिारदरी नरीवत क विरद आिाज उठान का साहस ककया था उनोन। इनरी कदनो लदन र एक करावतकाररी सिा कायर हई थरी। इसर शरी अरविनद क िाई िरी िररीक हए थ। पतयक न इसर पवतजा लरी थरी कक दि क ललए उनर स हरक कोई ऐसा कायम करगा जो विदिरी िासन को उखाड ि कन र सहायक हो। बर ि कन की बात िरी, कहत ह, इनरी कदनो शरी अरविनद क रन र आयरी।

यह िह जराना था जब विदिरी िासन क विरद कोई जरीि कहलान तक का साहस नहरी कर पाता था। पर सताधाररयो की राजधानरी र बठकर उनक िासन क विरद आप ऐसरी आिाज उठात थ जसरी िारत र किरी नहरी सनरी गई। इसका रलय चकाकर िरी आप अपन पथ स विरत नहरी हए। िारत आत हरी एक कललपत नार स उनक ऐस-ऐस लख वनकलन लग कक लोग दग रह गए। नयायररत रानाड जस परर क कान खड हो गए।

दि को आजाद करान हत जो आग उनक िरीतर सलग रहरी थरी, उस आप सार दि र िलाना चाहत थ। िायद उनक रन र हरी पहल-पहल यह बात आयरी कक खिारदरी नरीवत स कछ हाससल नहरी होन का। दिराता बललदान रागतरी ह। बललदान दन क ललए करर कसकर आग स खलना होगा।

उनक जरीिन र अिरी योग-जरीिन का सगरीत आरि नहरी हआ था। उनक जरीिन र िगिान अिरी नहरी आए थ। दि हरी उनक ललए िगिान था। उस यग क शरी अरविनद का हदय दि-पर

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12 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019क अरकत स कसा लबालब िरा था, इसका पता उन पतरो स लगता ह जो उनोन अपनरी पतनरी को ललख थ: “िगिान को धन सररपत करन का अथम ह पवितर कायम र खचम करना...

बताओ का तर रररी सहधररणरी होकर इस धरम र ररा साथ दोगरी? र एक साधारण वयकति की तरह रहना चाहता ह। अपन िोजन और िसतर पर उतना हरी खचम करना चाहता ह जजतना एक रारलरी आदररी कर पाता ह:”

“ररा दसरा सपना, जो अिरी हाल र हरी रझपर सिार हआ ह, यह ह कक जस िरी हो िगिान का दिमन पापत ककया जाए-एक रास क अनदर हरी अनिि करन लगा ह कक धरम की बात झठरी नहरी ह।”

इन बातो स पकट होता ह कक इस यिक क रन र कस-कस सपन पल रह थ।

महान ियाररी

जब शरी अरविनद विलायत र थ तो तिरी उनकी बडौदा क रहाराज गायकिाड स िट हई। ि शरी अरविनद स गरलकर इतन पिावित हए कक उसरी सरय अपन राज र रहन का आगरह ककया। 1893 र शरी अरविनद बडौदा क ललए रिाना हए।

उस सरय िि-िरा स ि रानो पर साहब हरी थ। अपनरी रातकिारा र एक िबद िरी नहरी बोल पात थ। ककति कछ कदनो र हरी उनोन अपन-आपको इतना बदल डाला कक जब दरीननदर करार उन बगला पढान बडौदा आए तो शरी अरविनद को दखकर बड हरान हए –“पाि र नोकदार जत, दिरी गरल की धोतरी, रोटरी अचकन, ससर पर लमब-लमब बाल-यहरी ह, सात-सात विदिरी िाराओ क जाता अरविनद घोर? विलायत र पाचिातय ससक वत का तो खब छककर पान ककया था पर िारतरीय ससक वत र ि वबलकल कोर रह गए थ। इस कररी को बडौदा र परा ककया।”

चार िरम र हरी उनका ससक त र इतना पिि हो गया कक ि काललदास की रचनाओ का रल स अगरजरी र अनिाद करन लग। पसतको को पढन र ि डब जात। उनक चारो ओर पसतको क ढर लग रहत। पढना उनक ललए खल था और ललखना विनोद।

शरी अरविनद क जरीिन की सिरी बात वनरालरी ह। बडौदा क राजदरबार र रहन िाल ककसरी वयकति स कोई आिा कर सकता ह कक कोई इतन कर सारान र अपना वनिामह कर लगा।

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13 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019ककसरी न ठरीक हरी कहा ह, “रहानता क लकण बड-बड काययो स नहरी िरन जरीिन की छोटरी-छोटरी घटनाओ स परख जात ह।”

बर कस की गगरफाररी क सरय कलकत क पललस कगरशनर न जब शरी अरविनद क करर पर धािा बोला तो यह दखकर उन बडरी हरानरी हई कक शरी अरविनद जस पढ-ललख वयकति एक रारलरी-स रकान र रहत ह, जररीन पर सोत ह।

जब गर0 नविनसन शरी अरविनद स गरलन गए तो एक बड हॉल र एक चटाई वबछछी दखकर दग रह गए। शरी अरविनद का बडौदाकालरीन एक छातर ललखता ह : “शरी अरविनद अपन रहन-सहन र वबलकल साद थ। नाररयल की रससियो स बनरी एक खाट थरी, उसरी पर एक चादर डालकर सोत थ।” एक बार उसन पछा -“इतन सखत वबसतर पर को सोत ह?”

इस पर उनोन रसरात हए उतर कदया, “पार बच, का तर नहरी जानत कक र एक बहमचाररी ह? हरार िासतरो र कहा ह कक बहमचाररी को कोरल िया पर नहरी सोना चाकहय।”

करोध करना तो शरी अरविनद जानत हरी नहरी थ। उनका िोजन बनान क ललए जो रसोईया था, घर की दख-िाल करन क ललए जो नौकर थ, ि इतन लापरिाह और आलसरी थ कक दसर क यहा दो-एक कदन िरी ना कटक पात। पर एक कण क ललए िरी शरी अरविनद को ककसरी न अपसनन होत नहरी दखा।

‘िनद रातरर’ क कदनो र सधरीर सरकार उनक साथ रहा करत। एक बार उन रलररया हो गया। दो रहरीन स परीकडत दखकर आबोहिा बदलन क ललए शरी अरविनद उन दिघर ल गए। एक कदन की बात ह, जब शरी अरविनद ‘िनद रातरर’ क ललए लख टाइप कर रह थ, सधरीर सरकार क कर बठ। उसकी छछीट कागजो पर जा पडरी। करद होना तो दर रहा, शरी अरविनद न इतना िरी नहरी कहा, ‘का ककया?’ बलकि उठकर िरन उठान लग।

रपय-पस का रोह तो उन छ तक नहरी गया था। उन तरीन रहरीन का ितन एक थलरी र एक साथ गरला करता था। उस लाकर िह एक ट र उडल दत। िह िहरी पडा रहता। जो खचम करना होता, उठा लत।

ककसरी क पछन पर कक “आप पसो को इस पकार को रखत ह, ि हसकर बोल, यह इस बात का पराण ह कक र िल और विशवसत वयकतियो क बरीच रहता ह।” “ररा कहसाब तो िगिान

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14 शरी अरविनद करमधारा

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रखत ह। ि रझ उतना हरी दत ह जजतन की रझ आिशयकता होतरी ह। तो किर इन बातो क परीछ को ससर खपाए?”

लोकवपयता उन ककस हद तक पापत हई थरी। सरत कागरस क बाद जब ि बडौदा आए, िहा क ततालरीन वपससपल न हकम कदया कक कॉलज छोडकर कोई छातर उनका सागत करन ना जाए। परति उनका जलस जस हरी कॉलज क पास पहचा खखडकी-जगलो स कद-कदकर लडक िाग और उनक रथ घोडा हटाकर खद रथ को खरीचकर ल चल।

बडौदा की एक और रोचक घटना सवनए: रगतरयो क साथ किरी-किरी गायकिाड एक योगरी का दिमन करन जाया करत। उनकी आय 400 िरम बताई जातरी थरी। एक कदन शरी अरविनद िरी उनक साथ हो ललए।

रणडलरी क आग-आग थ गायकिाड। िकद योगरी न नजर उठाकर गायकिाड को दखा िरी नहरी और तजरी स शरी अरविनद क पास जा पहच और बोल : “आ गए तर? ना जान ककतन िरयो स तमाररी आन की पतरीका कर रहा ह। अब ररा कायम िरीघर हरी परा होगा। ररा सरय िरीघर हरी परा होगा। र िरीघर हरी ससधार जाऊगा। सरय पर तमाररी सहायता करगा।”

एक और िविषिाणरी उनक बार र रनोरजक ह। जब शरी अरविनद जल र थ, उनकी दादरी न वििदाननद स पछा, “रर ‘अर’ का का होगा?” उतर र उनोन कहा, “िगितरी रा न उनको अपनरी गोद र ल ललया ह ि अब तमार नहरी रह। ि अब सार विशव क ह। उनकी कीरत स विशव सरभित हो उठगा।”

विखात लखक शरी क0 एर0 रनिरी शरी अरविनद क छातरो र स थ। अपनरी रचनाओ र जगह-जगह उनोन शरी अरविनद क सबध र चचाम की ह। उनका कहना ह कक बडौदा कॉलज क छातरो र रह-रहकर दि-पर की जो तरग उठतरी, उसका बहत कछ शय शरी अरविनद को था।

जब िारत र बड-बड नता अगरजरी राज को िगिान की दन रान रह थ, इनोन दि क सारन सतनतरता का पसताि हरी नहरी रखा, िरन उस कस हाससल ककया जा सकता ह, इसकी राह िरी बतायरी जजस आग चलकर गाधरी न इतनरी सिलता क साथ अपनाया।

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15 शरी अरविनद करमधारा

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सविशरी-यर क शरी अरविनद

रहािारत र कहा गया ह – “जन-नायक िह ह जो काल की गवत को बदल द।” 1906 स 1910 तक शरी अरविनद राजनरीवत क खल रदान र रह। पर इन चार िरयो र हरी जो कछ हआ िह ‘सदिरी-यग’ क नार स जाना लगा।

आज कागरस क पास िासन-बल ह। तब उसक पास तयाग और तपसा का बल था। शरी अरविनद स हरी िह यग आरम हआ था।

इस तयाग और तपसा का दि क होनहार यिको पर का पिाि पडा था, यह कोई कर परणापणम कहानरी नहरी ह।

यिक सिारचनदर बोस जब आई0 सरी0 एस0 की पररीका पास कर चक तो उनक रन र एक तिान उठ खडा हआ। उनक वपता तो चाहत थ कक ि जलरी स जलरी ककसरी उच ओहद पर आसरीन हो जाए और हजारो पर हकरत चलाए, पर जननरी जनमिगर िहरीदो का ताज ललए खडरी थरी। सिार की राता दरीन थरी, दबमल थरी, और वपता क आग उनका कोई जोर नहरी चलता था। वपता को ‘ना’ कहन का िह साहस नहरी कर पा रह थ। जब ि कछ वनणमय नहरी कर पाए थ, तब शरी अरविनद की ररत, उनका तयाग, उनकी आखो क सारन चरक उठ और वपता क हजार विरोध करन पर िरी उनोन अपना पथ चन ललया। अपनरी आतमकथा र ि ललखत ह :

“शरी अरविनद का जोवतरमय उदाहरण रररी आखो क सारन नाच रहा ह। उस आदिम की जो राग ह उस परा करन को र तयार ह।”

जब लोगो न दि-सिा और राज-सिा दोनो हरी एक साथ करन की बात कहरी और ररिचनदर दत का उदाहरण पि ककया तो अपन िाई िरत बोस को उनोन ललखा :

“शरी अरविनद का पथ रर ललए असधक परणापद ह, उच और साथमरकहत ह, यदयवप ररिदत क पथ स कहरी जादा कटकाकीणम ह।”

उन दिनो लोरो की समझ हरी नहरी आिा था कक भारि जसा सब पकार स िरीन-हरीन िश भला सवराजय की कलपना कस कर सकिा ह। ि कहि थ – “यह सपना ह, सपना।”

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16 शरी अरविनद करमधारा

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शरी अरविनद िारत को इतना गया-गजरा नहरी रानत थ। अपन विचारो को उनोन ऐस िबदो र रखा कक ि सदा क ललए लोगो क हदय र बठ गए। दििकति क साथ आतमिकति का जो रल उनोन वबठाया िह उनक जरीिन का उजजिलतर पकषठ ह।

बमबई र जनता को नरसार कर जब ि बोलन लग तो लगा, राषटरीयता का कोई पगमबर बोल रहा ह, िारत की नसो र नई जान िकन क ललए िह कोई पगार लाया ह।

दि क ललए अपना सिमस नयौछािर करन िालो को उनोन करमयोगरी राना और अपन तयाग स, तपसा स दि क राषटरीय जरीिन को तपोरय बना कदया।

िारत र जजतन गिमनर जनरल आए ह उनर लाडम कजमन सबस असधक जबरदसत था। बगाल र जागकवत क जो लकण कदखायरी द रह थ सब उस िटरी आख नहरी सहात थ। इसललए उसन एक रनसबा गाठा। ककसरी तरह िारत की दो पधान जावतयो र होड जगा दना जजसस ि एक-दसर क दशमन बन बठ और सदा आपस र लडत-भिडत रह। जब ऐसा होगा तिरी िारत र अगरजो का राज सदा कायर रह सकता ह।

बडौदा र बठकर शरी अरविनद इस चतर खखलाडरी की सिरी चाल दख रह थ। उनोन वनचिय ककया कक यकद बगाल क दो टकड कर कदए तो ऐसा आनदोलन ककया जाएगा कक विदिरी िासन क होि कठकान लग जाए।

बगाल क दो टकड कर कदए गए। उस कदन सार बगाल र िोक रनाया गया। विदिरी िसतरो की होलरी जलाई गई। दल क दल यिक सल-कॉलज छोडकर सदिरी आनदोलन र कद पड।

यहरी स जनता न नता का साथ दना िर ककया और िासतविक जन-आनदोलन आरम हआ। यहरी स हर सताधाररी को यह कदखान र सरथम हए कक यकद सरीध तौर स कछ दन क ललए राजरी नहरी होग तो हर उनकी नाक र दर कर दग। िारत र उनकी नरीद हरार हो जाएगरी। यहरी स सदिरी-यग का आरि हआ। यहरी स दि क िरीर यिको र यह बात उतपनन हई कक दि क ललए अपना सिमस नयौछािर करना रानि का गौरि ह।

विपलिरी क रप म

िरीग काठ र अगनि पदा करना बड धयम का कार ह। एक बार कछ चचनगाररया पकट हो जाए तो उस सलगत दर नहरी लगतरी। उन कदनो िारत का जरीिन दखकर ऐसा लगता था कक ककसरी र

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17 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019आग नहरी ह। ककसरी पकार जनता रोजरी करातरी, पट पालतरी थरी, पट ना िरन पर िरी रख नहरी खोलतरी थरी। चपचाप छातरी पर पतथर रखकर सब कछ सहतरी चलरी जातरी थरी।

िारत को अगरज ककस पकार चस रह थ इसका दादा िाई नौरोजरी न बडा सनदर चचतर खरीचा ह–“रहमद गजनरी न 18 बार कहनदसतान को लटा। उसन जो चोट पहचाई िह 18 हरलो क बाद कर हो गई पर विदिरी िासन क घाि का खन तो बनद हरी नहरी होता।”

शरी अरविनद न हरी सबस पहल कागरस की ‘भिका दकह’ नरीवत क विरद आिाज उठाई थरी और ‘यद दकह’ का िख िका था। उनकी योजना का पथर चरण करावतकाररी आनदोलन था। नार था ‘ििानरी रननदर’। इस योजना क दारा उनोन दि स कछ गगन-चन वयकतियो का, जो आग की जवाला सिमतर िला द, आहान ककया।

शरी अरविनद न अपन खचच स बर बनाना सरीखन क ललए एक आदररी को विलायत िजा था। ि िर स करावतकाररी थ और जरीिन-िर करावतकाररी रह। ि चाहत थ चौकोर करावत।

शरी अरविनद न अपनरी योजना का ‘ििानरी रकदर’ जसा विचचतर नार को रखा? इसललए कक उस जरान र सरकार क विरद खल आर कछ करना आसान नहरी था। शरी अरविनद क नाना राजनारायण बोस को िरी अपनरी योजना का नार ‘कहनद रला’ रखना पडा था।

िारत क बाजारो र विलायतरी चरीजो की िररार दखकर लोगो र सदिरी क िाि जगान की बात सबस पहल राजनारायण बाब क रन र हरी आई थरी।

छई सिो पयगनत आस िर हि

िरीयसलाई काकि िाऊ आस पोि

पिरीप टरी जाललि खि, सि, जि

ककछिई लोक नाय सवाधरीन।

अथग – सई और दियासलाई िक विलायिरी जहाज स आिरी ह। खान-परीन, सोन ककसरी बाि म भरी लोर सवितर नहरी ह।

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18 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019यिक रिरीनदरनाथ इस रल र जाया करत थ। 18 िरम की उमर र उनोन उस रल र एक

कविता का पाठ ककया था। ‘गाओिारत की जय’ जस राषटरीय गान का यहरी स सतरपात हआ।

शरी अरविनद पहल-पहल 1902 र गरदनापर गए थ और िहा हरचनदरदास स गरल थ। यहरी उनोन वनचिय ककया कक करावतकाररी कायम क ललए छः कनदर खोल जाए। राइिल चलान का अभयास िरी उनोन इसरी सरय ककया था।

दसररी बार जब शरी अरविनद गरदनापर गए तो हरचनदर क एक हाथ र गरीता और दसर हाथ र तलिार दकर करावतकाररी दल र दरीभकत ककया।

अपनरी ‘अगनि-यग’ नारक रचना र िाररीन ललखत ह, “शरी अरविनद न हरी रझ खलरी तलिार और गरीता हाथ र दकर इस आदोलन र सनमललत ककया था।” इस पकार जो अगनि 1902 स सलग रहरी थरी, िह बग-िग होत हरी दप स जल उठरी।

सदिरी क उस यग र लोगो र कसा जोि िर गया था, उसक कछ दषटात इस पकार ह : ‘यरािर’ क समािक को जब लमबरी सजा हई िो उसकी बढरी मािा न अपन पतर की इस िश-सिा पर हरग पकट ककया और बराल की 500 बरिया उन बधाई िन आयरी।

18 िरम क खदरीरार को जब िासरी की सजा हई तो उसकी तसरीर घर-घर र कदखाई दन लगरी। दिदोहरी नरन गसाई की हतया करन िाल कनाई लाल दत को जब िासरी की सजा हई तब उसकी चचता-िस को बगाल की जनता न रसतक पर चनदन की तरह लगाया।

इसस पता चलता ह कक दि क रदाम यिको र नई जान िकन की कदिा र शरी अरविनद की दन का ह।

सविशरी-यर का नारा

का तम पता ह कक नार क रप र ‘िद रातरर’ की िरआत कस हई? इसक परीछ तयाग और बललदान की एक कहानरी लछपरी ह।

सरत कागरस तक कछ लोग ‘भििाजरी की जय’ तो कछ ‘िद रातरर’ का नारा लगात थ। बररिाल क नता अजशवनरीकरार थ। िहा उनका इतना पिाि था कक उनक हकम क वबना एक टकडा विलायतरी कपडा या एक चमच विलायतरी नरक िरी पिि नहरी पा सकता था। 1906 र यहा पातरीय समलन हआ था, जजसर शरी अरविनद िरी िागरल हए थ।

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19 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019जब बगाल क नतागण सटरीरर स यहा पहच, तो दखत का ह कक पललस का सखत पहरा ह,

घाट पर एक िरी कलरी नहरी। जब पललस न दखा कक बड घर क यिक कललयो की तरह कधो पर नताओ का सारान लादकर ल जा रह ह, तो उनकी नानरी रर गई। रजजसटट न हकम जाररी ककया – “राजपथ पर कोई ‘िद रातरर’ का नारा नहरी लगा सकता।” यह सनकर सिरी का खन खौलन लगा। “िद रातरर,” कहना अपराध ह! रा को िदना करना अपराध ह! रा को िदना करना अपराध ह! नहरी रानत हर इस!” ‘िद रातरर’ का नारा लगात हए एक दल बाहर वनकला। लाठरी और सगरीन ललए गरखा पललस सारन आकर खडरी हो गई। ककति िह नारो को बद नहरी कर सकी।

एक सयसिक स गर0 कमप न कहा – “इस बज को वनकालकर ि क दो।” उस पर ‘िद रातरर’ ललखा था। बालक चचला उठा, ‘िद रातरर’ परीछ खडरी जनता िरी चचला उठरी, ‘िद रातरर’!

“रारो!” कमपस न हकम कदया।

पललस वनहतथ सयसिको पर टट पडरी। लाकठयो की रार स लोग गगरन लग। पर िागा कोई िरी नहरी, जजतनरी लाकठया पडतरी, उतना हरी लोग चचला उठत - ‘िद रातरर!’

वपता क ससर पर लाठरी पडत दख एक बालक न लाठरी की रार अपन ऊपर ल लरी। था तो िह बालक, पर जजतनरी रार उस पर पडतरी उतनरी हरी बार िह ‘िद रातरर’ का नारा लगता। रारत और घसरीटत हए पललस न उस ल जाकर एक तालाब र ि क कदया।

जब उसक वपता खोजत-खोजत तालाब क पास पहच, तब उसन कहा, “वपताजरी, रन अति तक ‘िद रातरर’, का उचारण करना बनद नहरी ककया।” उस छातरी स लगात हए वपता न उतर कदया – “तमार जस पतर पाकर र धनय हआ।”

आग चलकर बललदानो का जो ताता लगा उसका शरीगणि यहरी हआ। िासको की जनता क साथ यह पहलरी रठिड थरी। जहा लाठरी की िराम हई थरी, िहा सारक बनान क ललए दसर कदन एक सिा बलाई गई। एक रकहला न उठकर कहा, “जब तक ‘िद रातरर’ स पवतबनध नहरी हटाया जाता तब तक र चकडया नहरी पहनगरी” और उसन चकडया उतार कर द दरी। दखत-दखत जनता क रन स राजदोह का िय छरतर हो गया।

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20 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019बररिाल स शरी अरविनद विवपनचनदर पाल क साथ पिथी बगाल का दौरा करन वनकल। ऐनरी

बसट न शरी अरविनद को िारत का ‘रजजनरी’ कहा था। पर तातालरीन िायसराय लाडम गरणो की नजर र शरी अरविनद सबस खतरनाक वयकति थ। उनोन िारत सचचि को यह बात ललखरी थरी, जो विलायत र रहत थ।

एक सरय था जब सारा िारत बगाललयो को डरपोक और दब कहा करता था। रकॉल न तो यहा तक ललख रारा था कक बगाललयो को अगरजो क विरद विदोह करना िड-बकररयो का खखार िकडयो स, रानि का दानि स िर रोल लना ह। परति कछ हरी िरयो र उसरी बगाल स रकतय स खलन िाल ऐस-ऐस यिको का जनम हआ कक अगरज उनक नार स कापन लग। उनकी िरीरता, दि क ललए गरट जान की करता अपन हाथो िासरी का िदा डाल लन का साहस दखकर जनता उनकी राख का तािरीज बनाकर पहनन लगरी।

जल - जरीिन

शरी अरविनद पर तरीन बार रकदरा चला और तरीनो बार ि छोड कदए गए। नार क ि किरी िख नहरी रह। ि सदा परीछ रह कर कार करना चाहत थ परति यह तो सरकार थरी जजसन उन गगरफार कर जनता क सारन लाकर खडा कर कदया ह। रदास क ‘सटणडडम’ न ललखा था, “चररतर और योगयता की दवषट स इतना रहान वयकति आज तक दखन र नहरी आया।”

इसरी सरय एक ऐसरी घटना हई जजसस सार दि र सनसनरी िल गई। बगाल का जो जजला जज था, उसका नार था ककगसिोडम। िह बडा अतयाचाररी था। उसन ‘सधा’ क समपादक को जल र सडाकर रार डाला था। एक 15 िरम क यिक को अपन सारन 15 बत लगिाए थ। उसका अपराध किल इतना था कक शरी अरविनद की गगरफाररी पर जो जलस वनकला था, उसपर लाठरी बरसान िाल साजचण का उसन विरोध ककया।

ककगसिोडम को रारन का पथर पयास वििल गया। किर उसक नार एक पारसल िजा गया। पारसल दखन र पसतक जसा था। पर उसर एक िकतििालरी बर था। आिा थरी कक पारसल की रसिरी काटत हरी बर िट पडगा। पर ककगसिोडम न उस छआ तक नहरी। पललस न पारसल को पानरी र खोला, जजसस बर बकार हो गया। कछ कदन बाद उसकी बदलरी रजफफरपर हो गई। उस िहरी रारन क ललए दो यिक चन गए। उनर स एक का नार था खदरीरार बोस, दसर का पिल चाकी।

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21 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019खदरीरार बोस उसरी गरदनापर जजल का था जहा क तरीन जजलाधरीिो को रौत क घाट उतारा

गया था। खदरीरार बोस जब जल र था, तो उस चररतर भरषट करन क कई उपाय ककए गए। पर िह नहरी कडगा। िह अपन दल क पवत सचा रहा। असत, जजस गाडरी पर इस यिको न बर ि का िह ककगसिोडम की नहरी थरी। उसर दो रर बठरी थरी। तरति उनकी रकतय हो गई। सरकार खार खाए तो बठरी थरी हरी। इस बर काड स उस खलकर दरन करन का रौका गरल गया।

कलकत क रावनकतला रहल र शरी अरविनद की ढाई एकड जररीन थरी। उसर तरीन कोठररी िाला एक रकान था। बाररीनकरार घोर कछ यिको क साथ िहा बर बनाया करत थ। इसका सराग सरकार को लग गया। िहा जजतन वयकति थ उन सबको पकड ललया गया।

5 रई, 1908 को जब शरी अरविनद सोए हए थ, पललस ररिालवर लकर उनक घर घस आई और उन गगरफार कर ललया। उनक साथ उस सरय 34 वयकति थ। शरी अरविनद का असलरी जरीिन यहरी स आरम होता ह।

जब शरी अरविनद जल गए तो उनका हदय पकार उठा – “िगिान! कहा ह तमाररी रका का हाथ? यह का हआ?” ि बकार रहना किरी पसद नहरी करत थ। जल की बकाररी उन खलन लगरी। उस सरय ि यह नहरी सरझ सक कक िगिान उनक साथ खल रह ह, उन भिका द रह ह। जजस कायम क ललए उन 40 िरम एक कोठररी र बनद रहना पडगा, उसक ललए िानति पदान कर रह ह! थोड कदन र उनक रन की यह दबमलता जातरी रहरी!

इसक बाद शरी अरविनद को वबना पयास ककए िगिान क दिमन हए। बात यह हई कक जजस करर र ि रख गए थ, िह नौ िट लमबा और पाच िट चौडा था। रई का रहरीना था। थोडरी दर र िह कररा िटरी क सरान हो जाता। िरीरण गरथी और वबछान क ललए दो कमबल तथा पानरी क ललए टरीन की एक बालरी!

चार-पाच कदन तक उनक पास पहनन क ललए िहरी कपड थ जजन पहनकर ि अपन घर स आए थ। नहान क ललए एक िाडमन उनक ललए एक छोटरी-सरी लगोटरी ढढ लाया था। जब तक धोतरी सखतरी, िहरी लगोटरी पहनकर ि बठ रहत। इसस पता चलता ह कक उन कदनो अरविनद जस पररो क साथ िरी जल र ककतनरी कठोरता बरतरी जातरी थरी।

कछ कदनो बाद हरी उन सबह-िार अपनरी कोठररी क बाहर टहलन की आजा गरल गयरी। एक कदन टहलत हए उनोन दखा, ि जल की दरीिार क अनदर बद नहरी ह, उन सब ओर स िगिान

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15 अगसत, 2019

घर ह। उनकी कोठररी क सारन जो पड था, उन लगा कक िहा पड नहरी ह, शरीकक षण खड ह और उनपर छाया ककए ह। जल क सतररी क बदल सय नारायण सतररी बनकर पहरा द रह ह। कमबल पर लटत हरी उन लगा – “ररा सखा, रर परासपद शरीकक षण रझ अपन बाहओ र ललए हए ह। रन जल क ककदयो, चोरो, हतयारो की ओर दखा – सबर िासदि कदखायरी पड।”

छोटरी अदालत र जब रारला िर हआ, तो ि दखत ह कक अदालत की कसथी पर रजजसटट नहरी सय िासदि बठ ह, सरकाररी िकील क िरीतर िरी िहरी बठ रसरा रह ह। शरी अरविनद पर सबकी दवषट गडरी थरी। उन कदनो सराचारपतर इसरी रारल की पिरी आकद क सराचारो स िर रहत थ। अपनरी राय दत हए सय हाककर न कहा था, “इस रारल र अरविनद घोर का नार िागरल ना होता तो यह जान कब का खतर हो गया होता। रददई उनरी को सबस असधक दोररी ठहरान क ललए उतक ह।”

एक कदन ऐसा िरी था जब योग र शरीअरविनद की आथिा नहरी थरी। िह िारत को अगरजो क खनरी पजो स छडान क ललए िकति पापत करना चाहत थ, पर िगिान उन दसररी ओर बहा ल गए। ि सय कहत ह : “ररा लालन-पालन विलायत र हआ था। कहनद धरम की बहत-सरी बातो को एक कदन र कलपना-रातर सरझता था। यह सरझता था कक इसर बहत कछ भरर ह, पर अब र कहनद धरम क सतय को अनिि कर रहा ह।”

“जब र िगिान की ओर रडा था, तब रर पास ना जान का बल था, ना िकति का। ररा उनक ऊपर विशवास िरी नहरी था। रन कहा – ह िगिान! तर जानत हो, र रकति नहरी रागता, र ऐसरी कोई चरीज नहरी रागता जजस दसर लोग रागा करत ह, र तो किल यह रागता ह कक इस जावत को ऊपर उठान की रझ िकति दो कक उसक पवत र अपना जरीिन उतगम कर सक। र नहरी जानता कक कौन-सा कार कर और कस कर।”

“उतर र िगिान कहत ह – र नहरी चाहता कक और-और लोग जजस पकार अपन दि क ललए कार करत ह, िस हरी तर िरी करो। रन तम कदखा कदया ह कक कहनद धरम का सतय का ह। र अपनरी िाणरी का पचार करन क ललय िारत को उठा रहा ह।” कहनद धरम रनष को विशवास कदलाता ह कक िगिान तमार ह और तर उन पा सकत हो।

जल र शरी अरविनद का सरय असधकतर धान र हरी गजरता। सधा सरय सब उन घरकर बठत। लडको स िह लडको की तरह गरलत। उस सरय उनकी रससकता क सतरोत र सिरी बह

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15 अगसत, 2019जात। किरी-किरी शरी अरविनद बडरी ररीठरी चटकी ललया करत, “हराररी पललस का का कहना। जब कहरी डकतरी पडतरी हो तब तो पललस कहरी नजर नहरी आतरी, जब डकत नौ-दो गयारह हो जात ह, तब यह दल-बल सकहत आ जटतरी ह और चट बोल उठतरी ह – यह सय सिको का कार ह।”

जब पललस गोलरी स हरी बात करतरी हो तब इस पकार स उसकी खखलरी उडाना ककसरी ऐस हदय का हरी कार ह जो दबना नहरी जानता। जो कदल अपन दि क ललए वबक चका ह उसका पललस िला का कर सकतरी ह? शरी अरविनद कछ कर विनोदवपय नहरी थ। कलकता क एक पतर न उन सलाह दरी थरी कक ि अब विदिरी बकहषार पर ितिकता दना छोडकर धरम और साकहतय की सिा र अपना रन लगाए तो अचा हो।

उतर र उनोन कहा, “आहा! आपकी आजा भिरोधायम ह। सराज और सदिरी पर ललखत रहना रररी साकहततयक सिा ह और इनरी पर िारण दना रर धरम का अग ह।” तब तक चचतरजन दास ‘दि बध’ नहरी हो पाय थ। इसरी रकदर स उनकी खावत िर हई। आठ कदन तक उनकी बहस चलतरी रहरी। अति र उनोन कहा : “नयायालय क सारन जो वयकति खडा ह, िह साधारण वयकति नहरी ह। उसकी रकतय क बहत सरय बाद, उस दििकति का कवि, राषटिाद का अितार और रानिता का पजाररी राना जाएगा।” तब कौन जानता था कक िाणरी सतय होकर रहगरी।

पाडिचररी की िपोभमम

पाकडचररी शरी अरविनद की तपसा की गहय थिलरी ह। यह उनकी करम और साधना-िगर ह। जब ि यहा आय तब यह रकतपाय थिान था। आज यह ऋवर िगर विशव का तरीथमथिान ह।

िारत सरकार जस िरी हो शरी अरविनद को पाकडचररी स बाहर ल जान क ललए बचन थरी। उस िय था कक ना जान कब ि किर दि र तहलका रचा द। बगाल र पललस का ऐसा आतक छाया था कक शरी अरविनद की ललखरी पसतक िरी लोग ियरकहत हो कर खररीद नहरी पात थ। ि उनका नार लत िरी डरत थ।

शरी अरविनद स दो बार कागरस का सिापवत बनन क ललए आगरह ककया गया। डा0 र ज, राजरर टणडन, लाला लाजपतराय सररीख नतागण पाकडचररी तक आए पर शरी अरविनद राजरी नहरी हए। दिबनध दास साधना-कतर र कदना चाहत थ पर शरी अरविनद न उन िारत क राजनरीवतक कतर स अलग होन को रना ककया।

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1914 र राताजरी का यहा पहलरी बार आगरन हआ। उनरी की परणा स आयम पगतरका का पकािन आरम हआ! ‘िद रातरर’ क कदनो जजस लखनरी स अगनि क सरलग वनकलकर दि-िर र छात थ, उसस अब अरकत का झरना झरन लगा।

शरी अरविनद न दसरो स बहत पहल ‘एक ससार’ की बात कहरी थरी। 1910 क ‘िारत छोडो’ आनदोलन क बाद जब दि उदासरी का किन ओढ पडा था, तब ककसरी न कहा – “िारत क ललए कोई आिा नहरी रहरी। यद क उपराति अगरजो का दरन-चकर इतन जोर स चलगा कक जनता िरयो तक सतनतरता का नार नहरी ल सकगरी।”

यह बात जब शरी अरविनद स कहरी गयरी तो ि बोल – “रझ दि की सतनतरता की चचता नहरी ह। चचता इस बात की ह कक दि को सततरता गरलन पर िह उसका उपयोग कस करगा?”

जब कदतरीय विशवयद लछडा, तब पहल-पहल उनोन उसक साथ उनोन कोई समबनध नहरी रखा, पर जब दखा कक कहटलर की विजय स पिाचचक िकति सौ गना बढ जाएगरी; तब उनोन हसतकप करना िर ककया। उन कदनो ि यद क घट-घट का सराचार रखत थ और पल-पवतपल दखत और तोलत थ कक जो सकषम जगत र हो रहा ह उसका यहा का पिाि पडता ह। 1945 र जब कहटलर न आतम-हतया कर लरी तब दवनया न जाना कक कसरी थरी शरी अरविनद की ऋवर-दवषट।

शरी अरविनद की खोज

लदन टाइमस न एक बार ललखा था – “शरी अरविनद किल बगद-विलासरी दािमवनक नहरी ह। ि एक ऐस ससार का वनरामण करन र लग ह जो उनक विचार र पदा होन क ललए सघरम कर रहा ह।” रानि-जरीिन र जो जहर िला ह उसका रपातर कस हो यहरी था शरी अरविनद क जरीिन का रहापशन। शरी अरविनद का दिमन रानि क आग िह रिाल जलाता ह जजसस उसकी आखो क आग एक नतन िविष का दार खल, एक निरीन आिा की उस झलक गरल।

विजान न आज रानि को कहा लाकर पटका ह! हरारा जरीिन ककतना रहसरय ह! उसर ककतन पकार की पहललया ह! इसका सहरी हल का ह! इन बातो की खोज शरी अरविनद न ककतन ऊपर उठकर ककतन गहर पठकर की ह! यह बहत कर लोग जानत ह। ससार कसा ह! उसकी अपका ससार कसा होना चाकहए इस पर शरी अरविनद की दवषट थरी।

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25 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019बगद क पकाि र जो कछ करना समि था, िह हो चका। अब एक कदर आग बढन की

बाररी ह। रानस-लोक क पर जो लोक ह उसको शरी अरविनद न अवतरानस नार कदया ह। शरी अरविनद का कहना ह कक अवतरानस को पकथरी पर ला बसाना होगा। अपन रहापररो को दवनया न कब पहचाना ह! जो कहा था उस कर कदखान क ललए शरी अरविनद न जरीिन की बाजरी लगा दरी। 5 कदसमबर, 1950 को शरी अरविनद का वतरोधान हआ। उनकी सरासध क पकाि स आशर का पता-पता पवतवबवबत ह।

महरर शरी अरविनद

जजस यग र हर रह रह ह िह आणविक यग ह। शरी अरविनद इसरी यग क ऋवर ह। हरार पाचरीन ऋवर-रवन अरकत परीत थ और अरकत बरसात थ। ककसरी दिमनाथथी न एक बार कहा था – “यह एक ऐसा परर ह जो दवषट-रातर स रनष क हदय को जरीत लता ह।” राताजरी कौन ह, इस सबध र सय उनोन कहा था – “जनम और पारसमक भिका स र फ च ह, अपनरी इचा-सिाि स िारतरीय ह। रर जरीिन का एकरातर उददशय शरी अरविनद की रहाभिका को रतम रप दना ह।”

लाखो िरम क बाद ऐस परर का जनम हआ जजसन हर ससखाया कक अपनरी रकति क ललए नहरी िरन घकणा-दर क जगत र िगिान का राज थिावपत करन क ललए साधना करनरी होगरी। शरी अरविनद आशर र जावत, िणम का थिान नहरी ह। ना यहा ससतरयो का पिि वनवरद ह। यहा कहनद, रसलरान, ईसाई सिरी एक साथ बठकर िोजन करत ह। आशर दखकर सन 1960 र िदररत प0 सातिलकर जरी न कहा – “जजस चरीज क ललए र पचास साठ िरयो स पाथमना करता आया ह। आज उसरी को यहा रतम रप र दख रहा ह। िकदक यग क बाद इस धरतरी पर िायद इस पकार का पयास यह पहलरी बार हो रहा ह। यहा की साधना पणमरप स िकदक साधना ह – जरीता-जागता िकदक यग यहा जनम ल रहा ह।”

इस सरय शरी अरविनद क नार पर आधाररत अरविनद, नारक एक नगररी बसान का पयास चल रहा ह। यह एक ऐसरी नगररी होगरी जहा छछीना-झपटरी घकणा-दर क ललए थिान नहरी होगा। दवय का, विजान का, रिरीन का उपयोग िगिान क ललए होगा।

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26 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

कारािास की कहानरी (भार-1)

शरी अरविनद

(इस अनिाद र जहा तक हो सका हरन शरीअरविनद की रल बगला पसतक क साथ-साथ चलन की कोभिि की ह। -अन.)

र पहलरी रई सन 1908 ई., िकरिार क कदन ‘िनदरातरर’ क दफर र बठा था, तिरी शरीयत शयारसनदर चकरितथी न रजफफरपर का एक टलरीगरार रर हाथ र थराया। पढ कर रालर हआ कक रजफफरपर र बर िटा ह जजसस दो ररो की रकतय हो गयरी ह। उसरी कदन क ‘एमपायर’ अगरजरी अखबार र यह िरी पढा कक पललस कगरशनर न कहा ह – हर जानत ह, इस हतयाकाणड र ककन-ककन का हाथ ह और ि िरीघर हरी गगरफार ककय जायग। तब र यह नहरी जानता था कक र हरी था इस सनदह का रख वनिाना- पललस क विचार र पधान हतयारा, राषट-विपि-पयासरी यिक दल का रनतर दाता और गपत नता। नहरी जानता था कक आज का कदन हरी होगा रर जरीिन क एक अक का अनतिर पकषठ, रर समख था एक िरम का कारािास, इस सरय स हरी रनष-जरीिन क साथ जजतन बनधन ह, सब लछनन-भिनन होग, एक िरम क ललए रानि सराज स अलग पिओ की तरह वपजर र बनद रहना पडगा। किर जब करमकतर र िापस आऊगा तब िह पराना पररचचत अरविनद घोर पिि नहरी करगा िरन, एक नया रनष, नया चररतर, नयरी बगद, नया पाण, नया रन ल और नय कायम का िार उठा अलरीपर सथित आशर स बाहर होगा। कहा ह एक िरम का कारािास पर कहना उचचत था एक िरम का िनिास, एक िरम का आशरिास। बहत कदनो स हदयथि नारायण क साकात दिमन करन की पबल चषटा र लगा था; उतट आिा सजोय हए था कक जगदाता पररोतर को बनधिाि र, पििाि र पापत कर। ककति ससार की सहसतरो िासनाओ क आकरमण, नाना करयो र आसकति और अजान क पगाढ अनधकार क कारण कर ना पाया। अति र पररदयाल सिमरगलरय शरीहरर न इन सब ितरओ को एक हरी िार र सरापत कर उसक ललए सविधा कर दरी, योगाशर कदखलाया और सय गर रप र, सखा रप र उस कद साधन कटरीर र अिथिान ककया। िह आशर था अगरजो का कारागार। र अपन जरीिन र बराबर हरी यह आचियमरय असगवत दखता आ रहा ह कक रर कहतररी बनधगण ररा जजतना िरी उपकार को ना कर, अवनषटकाररी – ितर ककस कह, ररा अब कोई ितर नहरी – ितरओ न हरी असधक उपकार ककया ह। उनोन अवनषट करना चाहा पर इषट हरी हआ। बबकटि गिनमरट की कोप-दवषट का एकरातर िल – रझ िगिान गरल। कारािास क आतिररक जरीिन का इवतहास ललखना इस लख

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27 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019का उददशय नहरी ह, कछ एक घटनाओ को िरणत करन की हरी इचा ह, ककति कारािास क रख िाि का उलख लख क आरम र हरी करना उचचत सरझा, नहरी तो पाठक सरझ बठग कक कषट हरी ह कारािास का सार। कषट नहरी था ऐसरी बात नहरी, ककति असधकाि सरय आननद स हरी बरीता।

िकरिार की रात को र वनजचितिता स सो रहा था। सिर कररीब पाच बज रररी बकहन एकदर डररी-सरी रर करर र आयरी और ररा नार ल रझ पकारन लगरी। र जाग पडा। कण-िर र ररा छोटा-सा कररा सिसतर पललस स िर गया; उनर थ सपररटडट करगन, 24 परगना क काकम साहब, हरार सपररचचत शरीरान विनोदकरार गपत की आननदरयरी और लािणयरयरी ररत और कई एक इसपकटर, लाल पगकडया, जासस और खानातलािरी क साकरी। हाथो र वपसतौल ललय ि िरीर-दपम स ऐस दौड आय रानो तोपो और बनदको स सरभकत ककल पर दखल करन आय हो। आखो स तो नहरी दखा पर सना कक एक शवताग िरीर परर न रररी बकहन की छातरी पर वपसतौल तानरी थरी। वबछौन पर बठा हआ ह, अरमवनकदत अिथिा, करगन साहब न पछा “अरविनद घोर कौन ह?” रन कहा, “हा, र हरी ह अरविनद घोर।” तरति उनोन एक ससपाहरी को रझ गगरफार करन को कहा, उसक बाद करगन साहब की ककसरी एक अशरील बात पर कण-िर क ललए आपस र कहा – सनरी हो गयरी। रन खानातलािरी का िारट रागा, पढकर उस पर सहरी की। िारट र बर की बात दखकर सरझ गया कक इस पललस सना का आवििामि रजफफरपर र हए खन स समबननधत ह। परति यह सरझ र नहरी आया कक बर या कोई विसोटक पदाथम रर रकान र पाय जान क पहल हरी और वबना ‘बॉडरी-िारट’ क रझ को गगरफार ककया गया। तो िरी इस बार र वयथम कोई आपचत नहरी उठायरी। इसक बाद हरी करगन साहब क हकर स रर हाथो र हथकडरी और करर र रसिरी बाध दरी गयरी। एक कहनदसतानरी ससपाहरी िह रसिरी पकड रर परीछ खडा रहा। ठरीक उसरी सरय शरीयत अविनािचनदर िटाचायम और शरीयत िलनदर िस को पललस ऊपर ल आयरी, उनक िरी हाथो र हथकडरी और करर र रसिरी थरी। कररीब आध घण बाद, ना जान ककसक कहन स उनोन हथकडरी और रसिरी खोल दरी। करगन की बातो र ऐसा लगता था रानो िह ककसरी खखार पि की राद र घस आय हो, रानो हर थ अभिभकत, कहसतर और सिाि स कानन-िजक, हरार साथ िद वयिहार या िदता स बात करना बकार ह। परति झगड क बाद साहब जरा नरर पड गय थ। विनोद बाब न रर बार र उन कछ सरझान की चषटा की। उसक बाद करगन न रझस पछा, “आपन िायद बरी. ए. पास ककया ह? ऐस रकान र, ऐस सजजाविहरीन करर र जररीन पर सोय हए थ, इस तरह रहना आप जस भिभकत वयकति क ललए का लजजाजनक नहरी?” रन कहा, “र दररद ह, दररद की तरह हरी रहता ह।” साहब न तरति गरजकर कहा, “तो का आपन

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28 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

धनरी बनन क ललए हरी यह सब रडयनतर रचा ह?” दि-कहतवरता, साथमतयाग या दाररदय-वरत का रहातमय इस थिल बगद अगरज को सरझाना असाध जान रन िसरी चषटा नहरी की।

इस बरीच खानातलािरी चलतरी रहरी। यह सिर साढ पाच बज आरम हई और पायः साढ गयारह बज सरापत हई। बक क बाहर, िरीतर जजतना कावपया, चचटटया, कागज, कागज क टकड, कविताए, नाटक, पदय, पबनध, अनिाद – जो कछ िरी गरला, कछ िरी इन सिमगरासरी खानातलाभियो क गरास स नहरी बच पाया। खानातलािरी क गिाहो र रभकत रहािय कणणरना-स थ। बाद र बड दःख क साथ उनोन रझ बताया कक पललस अचानक वबना कछ कह-सन उन यहा घसरीट लायरी कक उन योगदान करना होगा। रभकत बाब न बड हरी करण िाि स हरण-काणड की कथा सनायरी। दसर साकरी सररनाथ का िाि कछ और हरी था। उनोन बडरी सरत स एक सच राजिति की तरह यह खानातलािरी का कायम ससमपनन ककया रानो इसरी क ललए जनम हो। खानातलािरी क सरय और कोई उलखनरीय घटना नहरी घटरी। पर याद आतरी ह गत क एक छोट कडब र दभकणशवर की जो गरटरी रखरी थरी काकम साहब उस बड सननदगध चचत स बहत दर तक परखत रह रानो उनक रन र िका थरी कक हो ना हो यह कोई नया, ियकर, िकतििालरी विसोटक पदाथम ह। एक तरह स काकम साहब का सनदह वनराधार िरी नहरी कहा जा सकता। अति र यह रान ललया गया कक यह गरटरी क ससिा और कछ नहरी, और इस रासायवनक विशरणकाररयो क पास िजना अनािशयक ह। खानातलािरी क सरय बका खोलन क ससिा रन और कछ नहरी ककया। रझ कोई िरी कागज या चचटरी कदखलायरी या पढकर सनायरी नहरी गयरी, किल अलकधाररी की एक चचटरी करगन साहब न अपन रनोरजन क ललए उच सर र पढरी। बनधिर विनोद गपत अपन सािाविक लललत पदविनयास स घर को कपात हए चककर काट रह थ, िलफ र स या और कहरी स कागज या चचटरी वनकालत, बरीच-बरीच र, “बहत जरररी बहत जरररी” कह उस करगन साहब को थरात जात। र जान नहरी पाया कक य आिशयक कागज का थ? इस बार र कोई कौतहल िरी नहरी था कोकक रझ पता था कक रर घर र विसोटक पदाथम बनान की पणालरी या रडयनतर र हाथ होन का कोई िरी सबत गरलना असमि ह।

रर करर का कोना-कोना छान रारन क बाद पललस हर पास िाल करर र ल गयरी। करगन न रररी छोटरी रासरी का बका खोला, एक-दो बार चचटटयो पर नजर िर डालकर “औरतो की चचटटयो की जररत नहरी” कह उन छोड कदया। इसक बाद एकतल पर पललस रहातमाओ का आवििामि हआ। िहा करगन का चाय-पानरी हआ। रन एक पाला कोको और रोटरी लरी। ऐस सअिसर पर साहब अपन राजनवतक रतो को यकति तकम दारा पवतपाकदत करन की चषटा करन

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15 अगसत, 2019लग। र अविचललत चचत स यह रानससक यनतरणा सहता रहा। तो िरी जजजासा होतरी ह कक िररीर पर अतयाचार करना तो पललस की सनातन पथा रहरी ह, रन पर िरी ऐसा अरानवरक अतयाचार करना अललखखत कानन की चौहददरी र पडता ह का? आिा ह हरार परर रानय दिकहतररी शरीयत योगनदरचनदर घोर इस बार र वयिथिापक सिा र पशन उठायग।

नरीच क कररो और ‘नििकति कायामलय’ की खानातलािरी क बाद ‘नििकति’ क एक लौह सनदक को खोलन क ललए पललस किर स दोतल पर गयरी। आध घण तक वयथम ससर िोडन क बाद उस थान ल जाना हरी वनचिय हआ। इस बार एक पललस साहब न एक साईककल ढढ वनकाला, उस पर लग रलि लबल पर ‘कवषटया’ ललखा था। तरति हरी कवषटया र साहब पर गोलरी चलान िाल का िाहन रान इस एक गरतर पराण सरझ साननद साथ ल गय।

पायः साढ गयारह बज हर घर स रिाना हए। िाटक क बाहर रर रौसाजरी एि शरीयत िपनदरनाथ िस गाडरी र उपसथिवत थ। रौसाजरी न रझस पछा, “ककस अपराध र गगरफार हए हो?” रन कहा, “र कछ नहरी जानता, इनोन घर र घसत हरी गगरफार कर ललया, हाथो र हथकडरी पहनायरी, ‘बॉडरी िारट’ तक नहरी कदखाया।” रौसाजरी क पछन पर कक हथकडरी पहनाय जान का का कारण ह, विनोद बाब बोल, “रहािय, ररा दोर नहरी, अरविनद बाब स पलछय, रन हरी साहब स कहकर हथकडरी खलिायरी ह।” िपन बाब क पछन पर कक का अपराध ह, गपत रहािय न नरहतया की धारा कदखायरी। यह सन िपन बाब सतसमत रह गय और कोई िरी बात नहरी की। बाद र सना, रर सॉललससटर शरीयत हरनदरनाथ दत न गर सटरीट र खानातलािरी क सरय रररी ओर स उपसथित रहन की इचा पकट की थरी पर पललस न उन लौटा कदया।

हर तरीनो को थान ल जान का िार था विनोद बाब पर। थान र उनोन हरार साथ वििर िद वयिहार ककया। िहरी नहा-धोकर, खा-परीकर लालबाजार क ललए चल। कछ घण लालबाजार र वबठा रखन क बाद रायड सटरीट र ल गय। िार तक उसरी िि थिान पर अपना सरय काटा। िहरी जासस-पगि रौलिरी िमस-उल आलर क साथ पहला आलाप ि परीवत थिावपत हई। रौलिरी साहब का तब तक ना इतना पिाि था और ना उनर इतना उताह और उदयर था। बर-कस क पधान अविरक या नॉटमन साहब क Prompter (परक) या जरीिति सरण-िकति क रप र तब तक चरक रारसदय बाब हरी थ इस कस क पधान पणडा। रौलिरी साहब न रझ धरम पर अवतिय सरस िाताम सनायरी। उनक अनसार कहनद-धरम और इसार धरम का रल-रनतर एक हरी ह, कहनदओ क ओकार र तरीन रातराए ह – अ उ र, करान क पहल तरीन अकर ह – अ ल र,

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15 अगसत, 2019िारातततव क वनयर स ल क बदल उ वयिहत होता ह अतएि कहनद और रसलरान का रनतर एक हरी ह तथावप अपन धरम का पाथमक अकणण रखना होता ह, रसलरान क साथ खाना खाना कहनद क ललए वननदनरीय ह। सतयिादरी होना िरी धरम का एक पधान अग ह। साहब लोग कहत ह कक अरविनद घोर हतयाकाररी दल क नता ह, िारतिरम क ललए यह बड दःख और लजजा की बात ह, किर िरी सतयिाकदता अपनान स सथित समालरी जा सकतरी ह। रौलिरी का दढ विशवास था कक विवपन पाल और अरविनद घोर जस उच चररतरिान वयकतियो न चाह जो िरी ककया हो, उस रतिकणठ स सरीकार करग। शरीयत पणमचनदर लाकहडरी िहरी बठ थ, उनोन इस पर सनदह पकट ककया ककति रौलिरी साहब अपनरी बात पर अड रह। उनकी विदयाबगद और उतट धरमिाि दख र अवतिय चरतक त और हररत हआ। जादा बोलना धकषटता होगरी यह सोच रन नमर िाि स उनका अरलय उपदि सना और उस सयतन हदयाककत ककया। धरम क ललए इतन रतिाल होन पर िरी रौलिरी साहब न जाससरी नहरी छोडरी। एक बार कहन लग, “अपन छोट िाई को बर बनान क ललए आपन जो बगरीचा द कदया सो बडरी िल की, यह बगदरानरी का कार नहरी हआ।” उनकी बात का आिय सरझ र रसराया; बोला, “रहािय, बगरीचा जसा ररा िसा रर िाई का, रन उस द कदया ह या कदया िरी तो बर तयार करन क ललए कदया, यह खबर आपको कहा स गरलरी?” रौलिरी साहब अपवति हो बोल, “र कह रहा था यकद आपन ऐसा ककया हो तो।” यह रहातमा अपन जरीिन-चररतर का एक पनना खोल, रझ कदखात हए बोल, “रर जरीिन र जजतनरी नवतक या आरथक उननवत हई ह उसका रल कारण ह रर बाप का एक अवतिय रलयिान उपदि। ि हरिा कहा करत थ, परोसरी थालरी किरी नहरी ठकराना। यहरी रहािाक ह रर जरीिन का रलरनतर, इस सदा याद रखन क कारण हरी हई रररी यह उननवत।” ऐसा कहत सरय रौलिरी साहब न ऐसरी तरीवर दवषट स रररी ओर घरा रानो र हरी ह उनक सारन परोसरी थालरी। सधा-सरय सनारधनय शरीयत रारसदय रखोपाधाय का आवििामि हआ। उनोन रर पवत अतयति दया और सहानिवत कदखायरी, सिरी को रर खान और सोन का पबनध करन को कहा। अगल हरी कण कछ लोग आकर रझ और िलनदर को रसलाधार िराम र लालबाजार हिालात र ल गय। रारसदय क साथ बस यहरी एक बार हरी रररी बातचरीत हई सरझ गया कक आदररी बबररान और उदयररी ह ककति उनकी बातचरीत, िाििगगरा, सर, चलन, सब कछ कक गतरर और असािाविक ह, हरिा जस रगरञच पर अभिनय कर रह हो। ऐस िरी आदररी होत ह जजनका िररीर, बात, ककरया सब रानो अनकत क अितार हो। कच रन को बहकान र ि पकक ह, ककति जो रानि चररतर स अभिज ह एि बहत कदनो तक रनषो क साथ गरलत-जलत रह ह, उनकी पकड र ि पथर पररचय र हरी आ जात ह।

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15 अगसत, 2019लालबाजार र दो तल क एक बड करर र हर दोनो को एक साथ रखा गया। खान को गरला

थोडा-सा जलपान। कछ दर बाद दो अगरज करर र घस, बाद र पता चला कक उनर स एक थ सय पललस कगरशनर हललड साहब। हर दोनो को एक साथ दख हललड साज जट पर बरस पड, रझ कदखाकर बोल, “खबरदार, इस वयकति क साथ ना कोई रह ना कोई बोल।” तरति हरी िलनदर को हटा दसर करर र बद कर कदया गया और जब सब चल गय तो हललड साहब रझस पछत ह – “इस कापररोचचत दषरम र िाग लत हए आपको िरम नहरी आतरी?” “र इसर ललपत था यह रान लन का आपको का असधकार ह?” उतर र हललड न कहा, “रन रान नहरी ललया, र सब जानता ह।” रन कहा, “का जानत ह या का नहरी यह आपको हरी पता होगा पर र इस हतयाकाणड क साथ अपना समपकम पणमतया असरीकार करता ह।” हललड न और कोई बात नहरी की।

उस रात रझ दखन और कई दिमक आय, सिरी पललस क। इनक आन र एक रहस वनकहत था, उस रहस की आज तक र थाह नहरी ल पाया। गगरफाररी स डढ राह पहल एक अपररचचत सजजन रझस गरलन आय थ, उनोन कहा था, “रहािय, आपस ररा पररचय नहरी ह किर िरी आपक पवत शदा-िकति ह, इसरीललए आपको सतकम करन आया ह और जानना चाहता ह कक कोननगर र ककसरी स आपका पररचय ह का? िहा किरी गय थ या िहा कोई घर-बार ह का?” रन कहा, “घर नहरी ह, कोननगर एक बार गया था, कइयो स पररचय िरी ह।” उनोन कहा, “और कछ नहरी कहगा पर कोननगर र अब और ककसरी स रत गरललयगा, आप और आपक िाई बाररीनदर क विरद दषटजन रडयनतर रच रह ह, िरीघर हरी ि आप लोगो को विपचत र डालग। रझस और कोई बात ना पछ।” रन कहा, “रहािय, र सरझ नहरी पाया इस अधर सिाद स ररा का उपकार हआ, किर िरी आप उपकार करन आय थ उसक ललए धनयिाद। र और कछ नहरी जानना चाहता। िगिान पर रझ पणम विशवास ह, ि हरी सदा रररी रका करग, उस विरय र सय यतन करना या सतकम रहना वनरथमक ह।”

उसक बाद इस समबनध र और कोई खबर नहरी गरलरी। रर इस अपररचचत कहतररी न गरथा कलपना नहरी की थरी, इसका पराण उस रात गरला। एक इसपकटर और कछ पललस करमचाररयो न आकर कोननगर की साररी बात जान लरी। उनोन पछा, “कोननगर का आपका आकद थिान ह? कोननगर र बाररीनदर की कोई समपचत ह का?” – इस तरह क अनक पशन पछ गय। बात का ह यह जानन क ललए र इन सब पशनो का उतर दता गया। इस चषटा र सिलता नहरी गरलरी; ककति पशनो स और पललस क पछन क ढग स लगा कक पललस को जो खबर गरलरी ह िह सच ह या

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15 अगसत, 2019झठ इसकी छान-बरीन चल रहरी ह। अनरान लगाया जस ताई – रहाराज क रकददर र वतलक को िाणड, गरथािादरी, पिञचक और अतयाचाररी करार कर दन की चषटा हई थरी एि उस चषटा र बमबई सरकार न योग द पजा क धन का अपवयय ककया था, - िस हरी रझ िरी कछ-एक लोग रसरीबत र डालन की चषटा कर रह ह।

रवििार का सारा कदन हिालात र कटा। रर घर क सारन सरीढरी थरी। सिर दखा कक कछ अलपियस लडक सरीढरी स उतर रह ह। िक स नहरी जानता था पर अनदाज लगाया कक य िरी इसरी रकददर र पकड गय ह, बाद र जान पाया कक य थ रावनकतला बगरीच क लडक। एक राह बाद जल र उनस बातचरीत हई। कछ दर बाद रझ िरी हाथ-र ह धोन नरीच ल जाया गया – नहान का कोई पबनध नहरी था अतः नहरी नहाया। उस कदन सिर खान को गरला दाल-िात, जबरदसतरी कछ-एक कौर उदरथि ककय, बाकी छोडना पडा। िार को गरल रररर। तरीन कदन तक यहरी था हरारा आहार। ककति इतना जरर कहगा कक सोरिार को साज जट न सय हरी रझ चाय और टोसट खान को कदय।

बाद र सना कक रर िकील न कगरशनर स घर स खाना िजन की अनरवत रागरी थरी पर हललड साहब नहरी रान। यह िरी सना कक आसागरयो स िकील या एटनथी का गरलना वनवरद ह। पता नहरी यह वनरध काननन ठरीक ह या नहरी। िकील का परारिम गरलन स यदयवप रझ कछ सविधा होतरी किर िरी वनताति आिशयकता नहरी थरी, ककति उसस अनको को रकददर र कवत पहचरी। सोरिार को हर कगरशनर क सारन हाजजर ककया गया। रर साथ अविनाि और िलन थ। सबको अलग-अलग दल र ल जाया गया। पिमजनम क पणयिल स हर तरीनो पहल गगरफार हए थ और कानन की जकटलता कािी अनिि कर चक थ और इसललए तरीनो न हरी कगरशनर क आग कछ िरी बोलन स इनार कर कदया। अगल कदन हर थौनमकहल रजजसटट की कचहररी र ल जाया गया। इसरी सरय शरीयत करारकक षण दत, रानयएल साहब और रर एक समबनधरी स िट हई। रानयएल साहब न रझस पछा, “पललस कहतरी ह आपक घर र अनक सनदहजनक चचटरी-पतररी गरलरी ह। ऐसरी चचटटया या कागजात का सचरच थ?” रन कहा, “वनसिनदह कह सकता ह, नहरी थ, होना वबलकल असमि ह।” वनचिय हरी तब sweets letter या scribbling (घसरीट लख) की बात नहरी जानता था। अपन समबनधरी स कहा, “घर र कह दना कक डर नहरी, रररी वनददोवरता समपणमतया पराभणत होगरी।” उस सरय स हरी रर रन र दढ विशवास उपजा कक यह होगा हरी। पहल-पहल वनजमन कारािास र रन जरा विचललत हआ ककति तरीन कदन पाथमना और धान र वबतान क िलसरप वनचिल िानति और अविचललत विशवास न पाण को पनः अभिित ककया।

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33 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

कारािास की कहानरी (भार-2)

शरी अरविनद

‘कारा-काकहनरी’ (कारािास की कहानरी) का अनतिर कहसिा राचम 1910 र ‘सपिात’ र छपा था, तब तक शरी अरविनद न कलकता छोडकर चनदरनगर र िरण ल लरी थरी। बबकटि सरकार क किर स परीछ पडन पर पॉसणडचररी आन स पहल ि चालरीस कदनो तक गपत रप स रह, और ‘कारा-काकहनरी’ अधररी रह गयरी। लककन नललनरीकाति गपत क लख, - जो शरी अरविनद क साथ-साथ नजरबनद रह – हर पललस तथा अदालत क बरीच क समबनध तथा ककदयो क जरीिन की विभिनन अिथिाओ क बार र बतलात ह।

शरी अरविनद का लख उस थिान पर आकर सरापत हो जाता ह जहा अभियतिो को एक बड हॉल र थिानातिररत कर कदया गया था। उन बनदरी बन डढ रहरीना बरीत गया। जन क आखखररी कदन थ। तब तक शरी अरविनद तथा हरचनदर दास – जजन वििर रप स खतरनाक सरझा जाता था – को एकदर स अलग रखा गया था जबकक बाकी ककदयो र स असधकतर एक-एक कोठररी र तरीन-तरीन रख गय थ। यदयवप उन एकदर स एकातििास की ककठन पररसथिवतयो स नहरी गजरना पडा किर िरी थिानािाि तथा सचता इतयाकद की कवयिथिा उनक ललए दःख-ददम तथा अपरान का वनरतिर उत थरी। अतः इस पररितमन को सबन हसरी-खिरी क राहौल क साथ सरीकारा। किल शरी अरविनद औरो क उताह र कहसिा नहरी लत थ, उनोन वनजमनता को सराहना िर कर कदया था और योगाभयास क ललए उस अवनिायम रानत थ।

यह नया थिान एक बडा कररा था जो एक बड बरारद र खलता था और उसक सारन था एक बडा रदान जहा कदरी पानरी की कररी क जञाल र िस वबना अपन वनतय करयो स वनिकत हो सकत थ। इसस िरी असधक अचा यह हआ कक सब एक साथ जट गय और अब ि बरोक-टोक एक-दसर स गरलत, िसमत स बातचरीत करत या गरलकर कार-काज करत थ। यह बडा कररा आधरी ऊचाई की तरीन वििाजक दरीिारो स बटा था और अपन-अपन सादशय क अनसार तरीन दल बन गय थ।

नललनरीकाति गपत ललखत ह, शरी अरविनद इन ‘कररो’ र स एक करर क एक कोन र हरी रहत थ। पहलरी दफा उनोन अपन-आपको हरार बरीच पाया और जलरी हरी, उनक िाई बाररीन की तरह ि सिरी, जजनोन आधानतमक जरीिन क पवत आकरमण का अनिि ककया था, शरी अरविनद

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34 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

क चारो ओर आ जट। बगदजरीवियो न बरीच क करर र अपना आसन जराया जजसकी बागडोर सिालरी उपनदर न, रहरी बात तरीसर की, तो िहा था नाससतको और तकम बगदिाकदयो का राज, हरचनदर दास थ इसक कताम-धताम।

“…हर रन बहलान क ललए विभिनन पकार क खल खला करत थ: पहसन, रकाभिनय, पाठ, गरीत। हराररी खिरी पर कोई पानरी नहरी िर सकता था। इस सबक बरीच शरी अरविनद अपन कोन र धान और सरासध र वनरत रहत लककन बरीच-बरीच र हरार इन रनबहलाि क खलो र कहसिा लन स िरी नहरी कहचककचात....”

जलरी हरी ककदयो को ककताबो की सरीकक वत गरल गया और इस तरह उनोन एक छोटा-रोटा पसतकालय खडा कर ललया जजसर उपवनरद, पराण, िगिदरीता, रारकक षण क िचन तथा वििकाननद साकहतय क साथ-साथ बककरचनदर चटजथी क उपनयास, िकवपयर क नाटक, बकन क लख इतयाकद िरी सनमललत थ। और ककताब ना गरल पान क कारण लोग इनरी चरीजो को पढत और दबारा-वतबारा पढत। इस बरीच उनक अनदर एक तरह की विहलता पनपन लगरी थरी। का होगा? का उन अपना सारा जरीिन जल र हरी वबताना होगा? और अगर उनर स कइयो को िासरी हो गयरी तो?

ऐस सरय बाररीन न िागन की बात सोचरी। अपन कछ सासथयो को साथ ल उसन अपनरी योजना बनानरी िर की और इसक ललए चनदरनगर क करानतिकाररयो क साथ समपकम साध। विचार यह था कक एक िार को इस ककरयानवित ककया जाय जब कछ-एक उदासरीन-स ससपाकहयो की वनगरानरी र सिरी को बाहर खल रदान र आन-जान की छट गरलतरी थरी। उस सरय अपन सासथयो दारा बाहर स अनदर ि की गयरी सरीकढयो तथा रससियो क सहार चढकर हाथ र ररिॉलवर ललय ि जल की सरहद को पार करन की योजना बना रह थ और बाहर तयार खडरी घोडागाकडया उन तरीर की तजरी स गगा क तट पर पहचा दतरी जहा स नाि लकर ि सब सनदर िन की कदिा र चल पडत। विचार यह था कक कहसतर पिओ स िर हए इस िन र पललस छान-बरीन करन का जोखखर ना उठायगरी।

सब इस ररानरी योजना स सहरत थ, लककन शरी अरविनद न तो इस योजना र ककसरी िरी तरह स िररीि होन स साि इनार कर कदया। उनोन कहा, “रहरी रररी बात, र तो नयायालय र उपसथित होऊगा।”

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35 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019दसररी तरि, कानाईलाल दत और सतयन बोस स पररत हो, ककदयो का एक और दल एकदर

स दसररी हरी तरह की योजना बनान र जटा था। िह थरी गददार नरनदरनाथ गोसाररी को खतम करन की योजना। िायद नरनदरनाथ यह िाप गया था कक उसक विरर रडयनतर रचा जा रहा ह कोकक जहा कई एकदर गपत रप स साजजि कर रह थ िहा दसर अपन िािो को लछपा नहरी रह थ, उनोन तो उस धरकी तक द दरी थरी। पललस को गोसाररी की खास जररत थरी और िह उस उन सहककदयो की दया पर नहरी छोड सकतरी थरी जो उस चपचाप खतम कर दन र सरथम थ। और किर सरका की दवषट स नरनदरनाथ को यरोवपयन ककदयो क ललए आरभकत वििाग र थिानातिररत कर कदया गया।

इस बरीच, सतयन बोस को, जो पायः दर स परीकडत रहत थ – जल क असपताल र िरतरी कर कदया गया। उधर कानाईलाल दत को अचानक कोई अजरीब बरीराररी लग गयरी और ि िरी असपताल र आ गय। अब सतयन न गोसाररी क साथ समपकम साधा। अपनरी बरीराररी क बार र भिकायत करत हए उसन गोसाररी स कहा कक बरीराररी क कारण जल-जरीिन उसक ललए असहनरीय हो उठा ह। गोसाररी को रररीज स गरलन-जलन की सरीकक वत गरल गयरी और पहलरी दो रलाकातो र हरी रररीज न उस अपन विशवास र ल ललया और इस तरह गोसाररी न कई बहरलय जानकाररया गरलन की आिा स तरीसररी बार गरलना सरीकार कर ललया। इस िावत 31 अगसत को िह हरिा की तरह अपन अगरज अगरकक को अलग ल गय। कानाईलाल न िरी िहा तक पहचन र दर नहरी लगायरी। कछ कणओ की बातचरीत क बाद अचानक दोनो ककदयो न ररिॉलवर वनकालकर गोसाररी को रार डालन की चषटा की। गोसाररी तथा उसक अगरकक दोनो हरी आहत हए लककन किर िरी दोनो कछ दर तक िागन र सिल हए, इधर सतयन और कानाईलाल जल की सरीकढयो और गलररयो स गोललया बरसात हए ककसरी क बरीच र पडन की कोभिि को वििल करत हए उनक परीछ-परीछ िाग। अति र एक गोलरी गोसाररी की ररीढ की हडरी र जा लगरी। िह नालरी र लढक गया, इतन र ककसरी अगरज कदरी न आकरारको को अपन वनयनतरण र कर ललया।

नललनरीकाति गपत ललखत ह, “तब,खतर की घणरी िरीरण आिाज र झनझना उठरी जजस विकट सकटकाल र हरी बजाया जाता था। उसरी सरय पागलो की िावत िागता हआ एक कदरी यह चचलान लगा, “नरन गोसाई ठणडा हो गया...” तरति सगरीन ललए पललस की एक टकडरी तजरी स उस आगन र आ घसरी जहा हर रोज की अपनरी सर कर रह थ। पललस न हर िड क झणड की तरह हरार आिास र धकल कदया रानो हर बलल क पि हो। वबना ककसरी सदाि क हराररी

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36 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019सबकी तलािरी लरी गयरी, किर सबको एक पकति र खडा करक कदया गया : सबको हिालात र बनद कर कदया जाय!”

“...जल क असधकाररीगण यह सरझ गय थ कक ऊपर स कदखन िालरी रधरता क नरीच हर सचरच ककस धात क बन थ। यह हरार “सरणर यग” का अति था। जजन सविधाओ तथा लािो का हर रजा लटत थ उन सब पर पणमविरार लग गया। उसक बाद तो बस कचहररी हरी िह एकरातर थिान बच रहा जहा हर एक-दसर स गरल सकत थ।”

आखखर ककस तरह स कदरी इन असतर-िसतरो को जटा पाय? यह बात जल क असधकाररयो और पललस की सरझ र ना आयरी। का ररिॉलवर वबसट क कडबो र आय, या किर बड-बड कटहलो र जो कई-कई ककलो क िजनदार िल होत ह या किर बडरी रछललया का पट चरीरकर रख गय थ? कोकक, उस सरय जब हर सब साथ रहत थ ककदयो को अपना खाना खद बनान की और बाहर की और बाहर स रािन रगिान की छट थरी। जो पललसिाला कानाईलाल स इस विरय र पछ-ताछ कर रहा था उसस कानाई न अपन अभयासगत विनोद क साथ कहा, “खदरीरार की आतमा न रझ ररिॉलवर दरी।” रजफिरपर क हतया-काणड क ससलससल र खदरीरार को हाल र हरी िासरी लगरी थरी।

सचरच, ककदयो क हाथो र य हसथयार सबस सरल तररीक स आय। चकक उनक आचरण न पललसिालो पर विशवास जरा ललया था अतः उन रा-बाप और इषट-गरतरो स गरलन की अनरवत गरल गयरी थरी। बाहर क करर र ककदयो और गरलन िालो क बरीच सररयो का एक जगला िर था जजसर स आसानरी स चरीजो का आदान-पदान हो सकता था। विदा लत िति दोनो पक क लोग पर क ििरीित, सररयो क और िरी पास आ जात थ, इस तरह क िािोदक क सरय जब दोनो तरि स हाथ गरलत, िाल की आड र या साडरी क आचल र लछपाकर ररिॉलवर एक हाथ स दसर र थिानातिररत हए। सतिररयो की दवषट स बचन क ललए बननदयो न एक चाल चलरी। कदरी जहा सोत थ िहा की जररीन जरा उठरी हई थरी, गरटरी क ििम पर एक चादर वबछा कर ि सो जाया करत थ, जजनक पास ररिॉलवर था उनोन अपनरी इस “िया” खोद कर उस अनदर गाड कदया था।

कानाईलाल को वनसिनदह कछ डर-सा लगा रहता था अतः िह ससर स पर तक चादर तानकर कदन का असधकाि सरय िहरी लट-लट हरी गजारता और अगर उतकतािि कोई उसस उसका कारण पछता तो िह जिाब र कहता, “र आतिररक जगतो र पिि करन की कोभिि र लगा ह।” अपन जजो क सारन उसन यह घोरणा की थरी कक गोसाई का कार तरार उसन इसललए

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37 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019ककया कोकक िह दिदोहरी था। सतयन बोस क साथ जब उस िरी रकतयदणड दन की घोरणा कर दरी गयरी तो उसन अपरील करन स साि इनार कर कदया “िाशवत आतमा को कौन रार सकता ह?” दोनो न िहरी कार ककया जो उन करना था, उनोन जजरह की ताररीख स पहल गोसाररी को रासत स हटा कदया ताकक उसक ि बयान जो ककदयो को बड जोखखर र डाल सकत थ, वििरकर शरी अरविनद को, ि सिरी रदद हो गय। कोकक रावनकतला बगरीच स कछ दसतािज गरल थ जजनर कछ र ‘बडा कताम’ और कइयो र ‘छोटा कताम’ ललखा था। गोसाररी न पललस को बताया था कक ‘बडा कताम’ स शरी अरविनद की ओर सकत ह और ‘छोटा कताम’ स बाररीन की ओर।

अभियोग लगान िालो को अपन रख रखवबर स हाथ धोना पडा, लककन किर िरी शरी अरविनद क ससर पर कई बड-बड इलार लग थ, उनकी बहन सरोजनरी न उनक बचाि क ललए िकील जटान क ललए आिशयक धन-राभि क ललए अपन दििाससयो स अपरील की:

“रर दििासरी इस बात स अनभिज नहरी ह कक रर िाई, अरविनद घोर क विरद एक गमरीर इलार लगाया गया ह लककन रझ परा विशवास ह और रर पास यह सोचन क कारण ह कक रर दििाससयो र स असधकतर का िरी यहरी विशवास ह कक ि पररी तरह वनददोर ह। रर खाल स अगर कोई योगय िकील उनक बचाि क ललए आय तो उनक छटन की समािना ह। लककन चकक अपन-आपको दिसिा र उतगम कर दन क ललए उनोन गररीबरी का पण ल रखा ह अतः उनक पास ककसरी शषठ िकील को वनयति करन क साधन नहरी ह। अतः उनकी तरि स र जनता की िािना और अपन दििाससयो की उदारता स अपरील करन की कषटकर अवनिायमता रहसस कर रहरी ह। र जानतरी ह कक सिरी उनक राजनवतक रतो स सहरत नहरी ह। लककन एक बात र िदता स कहना चाहगरी कक बहत कर िारतरीय ऐस होग जो उनकी रहान उपलतधियो, उनक आतमोतगम, दि क ललए उनकी एकवनषठ िकति और उनक चररतर की उच आधानतमकता की सराहना ना करत हो, य बात रझ-एक नाररी को-इस बात का पोताहन दतरी ह कक र िारत क हर पतर और पतररी क समख खडरी होकर एक िाई क बचाि क ललए – जो ररा िाई होन क साथ-साथ उनका िरी िाई ह, सहायता की राग कर।”

इसक कछ सरय क बाद हरी रहािय चचतरञन दास – जो नाररी िकील और उताहरी दििति होन क साथ-साथ शरी अरविनद क परान गरतर िरी थ – उनक बचाि क ललए आ गय। अब तो रकददर की साररी धारा हरी बदल गयरी। सरकाररी अभियोकता दारा जटाय गय सिरी पराणो को बोर स दखा गया, दोरारोपण क सिरी तकयो का खणडन ककया गया, नॉटमन रहोदय क सनदर

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38 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019ढाच ढह गय : चचतरञन दास क तरीकण सिादो स बबकटि सरकार क असधितिा पर चपरी छा गयरी। जजस कदन चचतरञन दास को अपना अनतिर िकतवय सनाना था उस कदन उनकी परक िाणरी न सरसत जनसरह को झकझोर कदया। नललनरीकाति गपत न अपन ससरणो र इस घटना का उलख ककया ह:

अचानक हॉल र पररी चपरी छा गयरी; चचतरञन दास की आिाज सयत रप स धरीर-धरीर उठतरी हई असधकासधक गजन लगरी। हर सब उठ गय और एक रहान िानति र, एकागरचचत, अचञचल हर सबन चचतरञन क िबद सन। ऐसा लग रहा था रानो ककसरी िागित िकति न उन पर असधकार कर ललया हो और िहरी उन िबदो क परीछ गज रहरी थरी:

“इस िाद-वििाद क नरीरि हो जान क बहत बाद, इस सघरम और उथल-पथल क िाति हो जान क बहत बाद, इनक रर-खप जान क बहत बाद िरी इन दििकति क कवि, राषटरीयता क रसरीहा और रानिता क पररी क रप र याद ककया जायगा। इनक दहाति क बहत बाद इनक िबद किल िारत र हरी नहरी, बलकि सरद-पार दि-दिातिरो र िरी गखञत और पवतगखञत, होत रहग...ररा दािा ह कक इस सथिवत का रनष किल आपकी अदालत क सारन नहरी, विशव-इवतहास की अदालत क सारन खडा ह।”

जज चार म पौटनम बरीचकराफट िरी शरी अरविनद को बहत पहल स जानत थ। एक हरी काल र दोनो न कमबरिज र अधयन ककया था तथा इकडयन ससविल सरिस की पररीका र िरी दोनो साथ-साथ गय थ। शरी अरविनद क िारत आन क तरीन रहरीन पहल निमबर 1892 र बरीचकराफट की बगाल र वनयकति हई जहा उनोन रजजसटट की भिका पायरी, किर उन एक इलाक क पिासन का कायम-िार सौप कदया गया। नयाय की सहज िािना और उनकी वनषपकता न उन िारतरीयो क बरीच बहत लोकवपय बना कदया था। 1905 र जब लोग बगाल-वििाजन क विरोध र िडक उठ थ तब बरीचकराफट को अलरीपर क इलाक की नयाय-वयिथिा का कायमिार सौपा गया। 1908 र उनोन अदालत क ऐस बहचरचत रकददर की अधकता की जसा किरी कलकत र नहरी हआ : चालरीस वयकतियो पर “राजा क विरद यद करन का” इलार लगाया गया था। शरी अरविनद क साथ आखखररी बार रलाकात हए बरसो बरीत गय थ। अब दोनो का आरना-सारना हआ था। एक अदालत की कसथी पर आसरीन थ तो दसर अभियोगगयो की पकति र, कठघर र बनदरी, जजन पर अिदय पहरा वबठाया गया था।

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39 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019बरीचकराफट को शरी अरविनद क करानतिकाररी होन का विशवास हरी नहरी हो पा रहा था और तब

तो और िरी कर जब एक जज-वनधामरक न कहा कक यह बात अकलपनरीय ह कक इनक जस उच कलरीन तथा बौगदक करतािान वयकति न किरी ऐस बचकान रडयनतर की सिलता पर विशवास ककया हो या किरी इसर ककसरी िरी तरह का कहसिा ललया हो। बरीचकराफट न शरीअरविनद क ‘िनद रातरर’ क तथा अनय लखो, उनक िारणो, उनक पतर-वयिहार इतयाकद को पढा, उनका विशरण ककया था। उनक साकहततयक गणो की िरर-िरर पिसा की – लककन सबस असधक ि उन लखो र पकाभित आदिम की उचता स पिावित हए थ। उनका यह विशवास हो चला था कक शरी अरविनद क ि लखाि जजनका उपयोग दोर को ससद करन क ललए ककया गया था, ि सचरच उसरी उच आदिम स सपननदत थ और उनका उददशय िारत क पनरजजरीिन क ससिाय और कछ ना था।

अपन िसल क रल पाठ, जजसर तरीन सौ स कर पकषठ नहरी ह, बरीचकराफट न शरी अरविनद को एक पवतिािालरी, “बहत हरी धाररक पिकचत िाल” ऐस वयकति क रप र पसतत ककया ह जजनक ललए िारत की साधरीनता का यद परख रप स आधानतमक रहतव रखता था।

उनोन चचतरञन दास क तकयो का हरी सहारा ललया : शरी अरविनद क राजनवतक विचारो र उनक दािमवनक विशवास क ससार ह, िदाति जजस आदिम को वयकति क ललय पसतत करता ह, शरी अरविनद उसरी को िारतिाससयो क सारन रख रह ह : “जजस तरह पतयक वयकति अपन अतिरथि कदवयतव को पाना ह और इस तरह जो कछ उसक अनदर उतर ह उस चररताथम करना ह, उसरी तरह ककसरी दि को अपनरी आतमा को खोजना होगा ताकक िह अपन अनदर की उतर िसत को अभिवयति कर सक। शरी अरविनद कहत ह कक इस तरह की रकति कोई विदिरी साधनो दारा नहरी िरन सय राषट को हरी पाना होगा।” इसरी कारण ि लोगो स यहरी कहत रहत ह कक ि ककसरी विदिरी सहायता पर वनिमर रहन की अपका अपनरी रकति को सय पापत कर।

इसक बाद बरीचकराफट न इलार क सिरी कागजो का विशरण शरी अरविनद की इस वििाल दवषट क पकाि र ककया; ि कहत ह : अगर हर यह रानकर चल कक लखक रडयनतरकाररी ह तो हर इसस कई सदहासपद अनचद गरल जायग, लककन अगर हर ककसरी पिामगरहरी विचार क वबना इस पढ तो हर इसर ऐसा कछ िरी नहरी गरलगा जजसस िका पदा हो।

सबस असधक सकट र डालन िालरी चरीज थरी पससद “गरषटानन पतर” जजस बाररीन न शरी अरविनद को ललखा था। ऐसा राना गया कक इस पतर का रडयनतर क साथ गहरा समबनध ह। अभियोगकताम

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40 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019को “गरषटानन” िबद र “बर” िबद की वपय धववन सनायरी द रहरी थरी। बरीचकराफट न यह पराभणत करन र कोई कसर नहरी छोडरी कक यह पतर गरथा ह और अतितः उस नहरी रखा गया।

नरनदरनाथ गोसाररी क बयान िरी सकटपणम हो सकत थ लककन उनका अब कोटम र उपयोग नहरी ककया जा सकता था। अतः सरकाररी िकील को अभियोगरी को अपन चगल र िसान क ललए उन दो ततवो स िजञचत रहना पडा जजनकी सबस असधक जाच-पडताल होनरी थरी।

दसररी तरि कई ठोस तथ शरी अरविनद की वनददोरता पराभणत कर रह थ : यह तथ कक रावनकतला क बगरीच र उनका आना-जाना नहरी था, यह तथ िरी कक ‘िनद रातरर’ क अपन लखो र ि कहसा का अनरोदन नहरी ककया करत थ। य चरीज और इसक साथ-साथ बचाि दारा पसतत दािमवनक तकम -वितकयो दारा – रख रप स बरीचकराफट दारा – शरी अरविनद बररी हो गय। बरीचकराफट न अपनरी ररपोटम इन िबदो र सरापत की :

“िारत की पररसथिवतयो को धान र रखत हए ककसरी वयकति क ललए यह खतरनाक हो सकता ह कक िह चरीजो की ितमरान वयिथिा स असगत ससदातिो को पकाभित कर, कई पररसथिवतयो र इस राजदोह क आरोप र उचचत ठहराया जा सकता ह। इस तरह का आरोप अरविनद पर लगाया जा सकता ह या नहरी इसको जानन की कोई आिशयकता नहरी ह। रददा तो यह ह कक का उनक लख और िारण जो सय अपन-आप र दि क पनरजजरीिन क अवतररति और ककसरी चरीज का सरथमन नहरी करत और इस कस र उनक विरद उठाय गय तथ का इस बात को पराभणत करन क ललए पयामपत ह कक ि रडयनतर क सदस थ? और सिरी पराणो को इकटा कर लन पर ररा यह रत ह कक रररी तरि स य नयायसगत ना होगा कक इतन बड आरोप क ललए उन दोररी ससद कर द, कोकक पराण अपयामपत ह।”

6 रई 1909 की सबह जब िसला सनाया जान िाला था, 500 ससपाकहयो की एक टकडरी जल और अदालत क रासतो पर ककदयो दारा पलायन क सिरी पयासो को रोकन, पदिमन इतयाकद स बचन और जज को पररी सरका पदान करन क ललए गशत लगा रहरी थरी। असाधारण सरका का इतजार ककया गया था। जब बरीचकराफट न सनिाई-कक र पिि ककया, जहा सिरी अभियोगरी इकट थ, तो सार हॉल र एक सननाटा-सा छा गया। वबना ककसरी पसतािना क बरीचकराफट न अपरासधयो की सचरी पढ दरी। एक कदरी न उस रहतम का िणमन करत हए कहा, “कण िर क ललए बरीचकराफट उस धरीरता स कडग गय जो नयायधरीि क ललए उचचत होतरी ह और हर लोगो न लकषय ककया कक बाररीनदर करार घोर और उलासकर दत क ललए रकतयदणड की घोरणा करत सरय

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41 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019उनक सर र हकिा-सा कमपन आ गया था, इन दोनो को बबकटि सामराज क विरद विदोह करन और असतर-िसतर जटान इतयाकद क अपराध र दोररी करार कदया गया था। अपरील क ललए उन आठ कदनो की रोहलत दरी गयरी। अनय ककदयो र स छह को कालपानरी की सजा हई, छह को कछ िरयो का वनिामसन गरला। बाकी को, जजनक नार पढकर सनाय नहरी गय, जजनर शरी अरविनद िरी थ, वनददोर घोवरत करक रति कर कदया गया। इन लोगो को बनदरी बन हए एक साल गजर गया था।”

रति हो जान क बाद शरी अरविनद न “बगालरी” पगतरका क पकािक को यह पतर िजा :

“कक पा करक रझ अपनरी पगतरका क सतम दारा उन सिरी लोगो क पवत कक तजता का गिरीर िाि पदरित करन की अनरवत दरीजजय जजनोन रकददर क सरय रररी सहायता की। अपन उन असख पररचचत तथा अपररचचत ििचचतिको क नार िला र कस जानगा जजनोन अपनरी-अपनरी हससयत क अनसार रर बचाि क ललए रपया जटान र योगदान कदया। ना हरी र उन सबको वयकतिगत रप स अपना धनयिाद िज सकगा, र उनस यह विनतरी करता ह कक ि सब रररी कक तजता की इस सािमजवनक अभिवयकति को सरीकार कर। रर जल स छटन क बाद रर पास कई तार और चचटटया पहचरी लककन पतयक को उतर द पान क ललए असरथमता वयति की चकक ि बहत हरी बडरी सखा र ह। र अपन दििाससयो क ललए जो थोडा-सा कार कर पाया, उसक बदल र उनोन रझ पर जजतना पर उडला िह पचर रप स उस पतयक दिामगय या रसरीबत की कवतपरत ह जो रररी सािमजवनक गवतविसधयो दारा रझ पर आ सकतरी थरी। जल स अपनरी रकति का शय र ककसरी रानि हसतकप को नहरी दता बलकि सबस पहल र हर सबकी रा की सरका क पवत आिाररी ह, हराररी सबकी रा जजनोन ररा साथ किरी नहरी छोडा, बलकि रझ हरिा अपनरी बाहो र रखा और दःख-ददम और सिरी दिामगयो स रररी रका की और किर र आिाररी ह उन हजारो लोगो की पाथमनाओ क पवत जो रर बनदरी बनन क साथ-साथ रर ललए रा की ओर उठरी। अगर रर दिपर न रझ खतर र डाला तो रर दििाससयो न रझ उस खतर स सकिल बाहर वनकाला।”

शरी अरविनद की जल स रकति स बबकटि गिनमरट को अपनरी हार का-सा अनिि हआ। उनक अनसार बरीचकराफट क िसल पर कई एक थिानो पर पशन उठाय जा सकत थ : बरीचकराफट यह ठरीक तरह स नहरी सरझ पाय कक “शरी अरविनद का धरम था अगरजो का िारत स वनषासन,” िह चाह ककसरी िरी उपाय स को ना हो, िल आधानतमक िकति दारा को ना हो। ना हरी उनोन शरी अरविनद क लखो और उनक िारणो को गहराई स परखा, िोल िडकान िाल िाको क

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42 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019“वनददोर अथम” लगाय, और यह ना दखा कक उनक कछ अपकाभित लख, जजन बरीचकराफट न सरल दािमवनक चचतिन कह कदया था ि सचरच “उपयोग करन क ललए पसतत िसतरासतर” थ। सबस असधक तो उनोन ऐस तथो को असरीकार करन की गलतरी की जो बबकटि सरकार की नजरो र दोररी ससद होन क यथासमि पराण थ : “गरषटानन पतर”, दोरारोपण का रख विरय जजस बरीचकराफट न जालरी कहकर पर हटा कदया और कोई रहतव ना कदया, अपन िाई बाररीन क साथ क समबनध, दल क कई सदसो क साथ उनका पतर-वयिहार, यह तथ कक ि उनक “अधक” हरी नहरी बलकि एक तरह स गर सरझ जात थ – इन सब गमरीर धारणाओ को बरीचकराफट न इस बहान एक ओर सरका कदया कक अरविनद किरी रावनकतला क बगरीच र गय हरी नहरी। बगाल सरकार क सकरटररी जनरल ललखत ह, “अरविनद ना किल इस रडयनतर र पररी तरह डब हए थ बलकि ि इस सथिा क रससतष थ, ि नवतक तथा बौगदक ऊजाम क उत थ। अगर हर इस बात को सरीकार कर ल और अगर हर उन दोररी ससद करन का अिसर पापत हो जाय तो उन दोररति कर दना राजनवतक आतमघात होगा।”

बरीचकराफट क िसल का विरोध करन का वनचिय करक सरकार न इस रारल र बमबई क हाईकोटम स राय रागरी। इस रारल क कागज-पतरो का रआयना करन क बाद ऐसा लगा कक इस रारल की अपरील की गयरी तो बहत समि ह कक शरी अरविनद को दोररी ठहराकर उनक विरद कोई िसला हो जाय। लककन कइयो को इस बात का िय था कक ऐसा कदर उठान पर साररी जनता र असतिोर की एक आग िडक उठगरी, जजस जनता क ललए शरी अरविनद एक तरह स “हरीरो” थ। छह रहरीनो तक उन लोगो क बरीच विचार-विरिम तथा इस और उस पक की बातचरीत हरी चलतरी रहरी और उसका पररणार यह वनकला कक िसला सनान क बाद काननन छह रहरीन का विलमब हो जान की िजह स उस रारल की अपरील ना की जा सकी।

लककन किर िरी अगरजो की रिा अपन “सबस असधक ियकर विरोधरी” को रति छोडन की कतई ना थरी। शरी अरविनद क ककरया-कलापो को बनद करन क अनय साधन िरी थ : उदाहरण क ललए अगर ि उनक लखो, िारणो या उनकी गवतविसधयो र ककसरी पकार का कोई लछद लख ल या लछपा अथम ढढ वनकाल तो एक बार किर स उनक विरद रकददरा चला सकत थ, लककन अपन सरसत पयासो क बािजद पललस ऐस पराणो को नहरी जटा पायरी जो शरी अरविनद को दोररी ठहरात। वबना ककसरी नयाय क वयकति को कहरी दर जल भिजिा दना – यह बबकटि िासन-पणालरी का एक वनयर था जजसक असधकार अगरजो को िारत र पापत थ यानरी ितमरान सरकार क विरद आचरण करन िाल या उसकी पिकचत रखन िाल ककसरी िरी वयकति को अनति काल क

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43 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019ललए काल कोठररी र ठस दना। कई बार बगाल क िासको न शरी अरविनद पर इस वनरकि वनयर का उपयोग करना चाहा ताकक शरी अरविनद को, जो उनक ललए खतर की घणरी थ, कायमकतर स हटा सक लककन ि आपस र एकरत ना हो सक। इनरी कदनो िाइसराय क एक सचचि न ललखा था कक अगर सिरी विपिरी सरीखचो क परीछ बनद कर कदय जाय और अकल शरी अरविनद बाहर रह तो ि किर स एक नयरी विपि-सना तयार कर लग।

1908 की जलाई र यह अििाह िलरी कक बहत स राषटपगरयो को बनदरी बनाया जायगा, इस सनदिम र शरी अरविनद न अपन दििाससयो क नार “करमयोगरी” र “एक खला पतर” छापा जजसर उनोन राषट क आदिम की चचाम की, कानन की हद र रहत हए राजनरीवत क अपन दवषटकोण को सपषट रप स दिामया। इसक बाद कछ सरय क ललए ि धरककया िाति हो गयरी लककन बगाल र करानतिकाररी गवतविसधया बनद नहरी हई। इन गवतविसधयो पर पणम विरार लगान क ललए सरकार न यह वनणमय ल ललया कक सिरी अिाचनरीय वयकतियो को जल र िर कदया जायगा। इस बार 53 लोगो को जल िजन की बात थरी जजनर शरी अरविनद िरी थ। ऐस सरय शरी अरविनद को अनदर स एक आदि गरला जजसका उनोन तरति पालन ककया और इसस पहल कक पललस उन पकड पातरी, 1909 की िरिररी र ि चनदरनगर क ललए रिाना हो गय जो फ च राज र था।

अब शरी अरविनद को एक भिनन पकार की करानति र जटना था – यह थरी आधानतमक करानति – जजसर ना किल िारत क लकषय की बलकि पकथरी क िविष की बाजरी लगरी थरी।

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44 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019शरी सरनदरनाथ जौहर ‘फकीर’

अपन विरय म

म कौन ह और यहा कस आया :

जोहरी र कछ बडा हआ तो रन अपनरी रा स पछा- “रा र कौन ह और यहा कस आया?”

रा न कहा- “पतरा, त ररा बटा ह और रन तझ जनम कदया ह।”

रररी सरझ र कछ नहरी आया। ना र कछ और पछ सका और ना हरी रा रझ कछ सरझा सकी।

मररी जनम भमम िहालरी :

जजस गाि र रन जनम ललया, उसका नार था िहालरी। िह खिडा-लिण पिमत राला क बहत अनदर जाकर घन पिमतो क बरीच सथित था। तहसरील – वपड दादन खा, जजला जहलर जो अब पाककसतान क चगल र ह।

िहालरी गाि एक पहाडरी की छातरी पर नगरीन की तरह जडा हआ था। िह ऐस सनदर ररणरीक और सहािन दशयो स सघरा हआ था जजसन रर रन और आतमा को अिरी तक रोह रखा ह। अपन गाि की सथिवत, पिमतो और पाि क नरीच क पतथरो की याद, जजन पर र िादता हआ चला करता था, अिरी तक रररी आखो क सारन ताजा ह जस कक र ससनरा या टलरीविजन पर कोई दशयािलरी दख रहा होऊ। अिरी जरी चाहता ह कक ककसरी तरह उडकर र अपन गाि को दख आऊ।

मर मािा-वपिा :

रररी रा िाया- जजन हर ‘बब’ कहत थ – बडरी रजबत और ताकत िालरी थरी जो एक ककसान खानदान र पदा हई थरी। रर वपता लाला काहनचनद पजाब क रहकरा बनदोिसत र गगरदािर काननगो थ। िादरी तो उस जरान र बचपन र हरी हो जाया करतरी थरी। रररी रा की िादरी िरी 10-12 साल की आय र हो गई थरी। सना ह कक रर वपता रररी रा स एक साल छोट थ।

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45 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019भोलरी िाई :

गाि र सबको जनम दन िालरी ‘िोलरी दाई’ थरी। रझ अिरी तक याद ह िोलरी दाई बहत बढरी ककति िवय वयकतितव की थरी। िह जब िरी चाह झरतरी-झारतरी हसतरी-रसरातरी हई आतरी और दाि लगाकर झट रझ उठा ल जातरी। इसस रररी रा को रझ हर बार साबन स खब अचछी तरह नहला-धलाकर रर कपड बदलन पडत थ और दो-चार ब द गगाजल लछडक कर रझ िद-पवितर करना पडता था, कोकक िोलरी दाई अछत थरी-जावत की िगगन।

मरा नामकरण और जनम दिन :

र तो इस िररीर को कहत ह परति िह र तो कोई और हरी ह। इस र को पकारन कक ललय ररा एक नार रखा गया। हा, रझ रालर ह कक ररा नार ससकनदरलाल था। इसरी नार स र बडा हआ और इसरी नार स रन भिका पाई।

जब र बडा हआ तो रन अपनरी रा स कई बार पछा कक ‘रा ररा जनमकदन और ककस ताररीख को हआ था?’

रा सदा यहरी जिाब दतरी थरी कक “पतरा कदन और ताररीख तो पता नहरी। पिात की बला थरी- ठणडरी-ठणडरी ररीठरी हिा चल रहरी थरी। ननरी-ननरी ब द पड रहरी थरी- तब तन जनम ललया।”

पर इसस तो कोई रतलब नहरी वनकला।

दो-तरीन साल र गाि क पकडत जरी न ररा जनमपतररी बनाकर दरी। िह लबरी तो बहत थरी परति उसस िरी कोई ठरीक रतलब नहरी वनकलता था।

बहत सालो बाद र पाकडचररी आशर जा पहचा और िागयिि र राताजरी स जजकर कर बठा। अपनरी जनमपतररी उनको कदखाई। दसर हरी कदन राताजरी क हाथ का ललखा हआ एक सनदर काडम पामबसटक क ललिाि र ससला हआ रर वनिास थिान पर पहचा कदया गया। उस पर ललखा था-

“तमारा जनमकदन 13 अगसत 1903 ह।”

ररा रझर कछ नहरी, जो कछ ह सो तोर।

तरा तझको सौपत, का लागत ह रोर।।

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15 अगसत, 2019मररी बवनयािरी शशका

हरार गाि र एक सल था पाइरररी। कररा िरी एक था और अधापक िरी एक। चालरीस क कररीब छातर थ, उसर एक र िरी। उमर 6 साल की थरी।

रोत-चचलात र सल क ललय तयार होता था। अपनरी सट-तखतरी बगल र और दिात-बसता हाथ र। सल र पहचना िरी सरय पर सात बज पात:। जो जरा िरी दर स आता था उसकी तरति वपटाई। सारा साल तो र िरी जरी बड पर स पार स पढात थ परति आखखर क रहरीनो र ना रालर उन का हो जाता था- एकदर कठोर, ढकढ और करोधरी। एकदर साररी िकति पढान, ससखलान र, याद करान र लगा दत। डर क रार सबकछ याद करना पडता था, नहरी तो बत स वपटाई। गनदरी बातो और दषटता क ललय वपटाई इतनरी होतरी थरी कक नानरी याद आ जाय। रगाम बनाकर िरी टागो क नरीच हाथ वनकालकर कान पकडाया जाता और इसस िरी असधक सजा दन क ललय परीठ पर बरीस-बरीस सर क पतथर रख कदय जात थ।

र िरी जरी तजरी स धडाधड जोड, घटाि, गणा, िाग क सिाल पछत चल जात थ और हरक को र िरी जरी की हथलरी पर उगलरी स ललखना पडता था। यकद जिाब ठरीक हआ तो र िरी जरी ररीठरी आिाज र कहत थ िाबाि! और यकद गलत हआ तो एक थपड। इस तरह पहलरी दो ककाय गाि क सल र वनकलरी जहा र अपनरी दादरी क पास रहा करता था।

मररी ककशरी:

रर वपता जरी रहकरा बनदोबसत र गगरदािर-काननगो थ। परति बनदोिसत एक चलता-किरता रहकरा था। जहा दो चार गािो का बनदोिसत खतम हआ कक रर वपता जरी को आग ककसरी और गाि र धकल कदया जाता था। तो इस तरह उदम की पाइरररी भिका कका 5 पररी करन क ललय रझ कई सल बदलन पड।

बहाि:

यदयवप धरम की दवषट स हरारा खानदान तो ससख खानदान था परति रर वपताजरी आयम सराज की ओर झक गय थ, कोकक उनोन आयम सल र भिका पाई थरी और िहरी स उनोन रकटक िरी पास ककया था।

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15 अगसत, 2019रर वपता जरी को पता लगा कक लाहौर र एक दयाननद ऐगो िकदक सल ह। ककसरी ना ककसरी

तरह उनोन रझ दयाननद एगो िकदक हाई सल क छातरािास र दाखखल कराया। यहा रझ एक साल कहनदरी अलग स पढनरी पडरी। किर िरी रार-वपटाई तो रोटरी-दाल की तरह चलतरी हरी रहतरी थरी।

भिर:

अब निरी कास र रररी ककशतरी नए ििर र िस गई। र अपन सल की हॉकी टरीर क गयारह खखलाकडयो र चन ललया गया। हॉकी खलन और टनामरण जरीतन क ललय हर छ: सात रहरीन लगातार छह-सात घट खलाया जाता था। इसक बाद हर कडमबसटकट टनामरण र दसर सलो क साथ खलन क ललय रहरीनो लगातार सल स बाहर जाना पडता था। इस तरह हराररी सब पढाई गरटरी र गरल गई।

अब आया कतल का कदन। र पहचा यवनिरसटरी र इमतहान दन क ललय। जस-तस सार विरयो क इमतहान द आया और थडम कडिरीजन पास हो गया। इस तरह रररी ककशतरी पार हई, गगा नहरी ललय, यकद एक नमबर िरी कर हो जात तो र िल हो जाता।

किर जब रन 1999 र डरी. ए. िरी. कॉलज लाहौर र पिि पा ललया तो यहा रझको ससक त स पाला पड गया। सन 1920 र रहातमा गाधरी का लाहौर र आगरन हआ। उनोन अपना असहयोग आनदोलन का पोगरार जनता को सरझाया। उसकी वयाखा की कक िकीलो को अदालतो का बकहषार करना चाकहय और विदयारथयो को सल-कॉलज छोड दना चाकहय। उस वििाल सिा र लगिग एक लाख लोग रह होग, जजसको रहातमा गाधरी न समबोसधत ककया। उसर र खडा हो गया और रन सरीध उनस कछ सिाल िरी ककय। सार लोग हरान हो गय कोकक र तो उमर र अिरी बहत हरी छोटा था।

रहातमा गाधरी क असहयोग आनदोलन र िाग लन क आहानक पतयतर कॉलज छोडन िाल विदयारथयो र र िायद पहला या दसरा हरी था।

आजािरी का वबरल बज रया

अब हरन लाहौर क पकडत रारिज दत जरी क वनिास-थिान पर हरी पजाब र पहल निनल कॉललज की सयोजन की। हरार पोिसर भिकक थ एक पवतवषठत ि उचकोकट क धरधर विदान

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15 अगसत, 2019नता-गण यथा – पकडत रारिज दत, शरीरतरी सरला दिरी चौधरानरी, साररी सतयदि, पो. पररोतर लाल सोधरी और पकडत क. सथानर जो लकषमरी इशयोरस कपनरी क रनजजग डाइरकटर िरी थ।

यदयवप ररा पररिार तो वनषठािान राज-ितिो का था, विदिरी सरकार क वपटओ का, पर र तो राषटरीय साधरीनता सगरार र कद हरी पडा। िायद यहरी रर ललय वनयत था। िासति र रर अनदर एक आग थरी- जो रझ राह कदखा रहरी थरी और रझ ठल िरी रहरी थरी। एक अगनि-जवाला थरी जो ररा रागमदिमन कर रहरी थरी और सचालन िरी। जहा कहरी िरी कछ सिति ि सारथमपणम करन को होता था तो र उसर एकदर कद पडता था। रन अपनरी पढाई छोडरी तो इसललय कक रर िरीतर एक पचणड अगनि पजजिललत थरी जो पढाई-ललखाई करन की आिशयकता स कहरी असधक तरीवर थरी- तज थरी और जजसन रझ असहयोग आनदोलन र कद पडन को ठल कदया- रानो रझ रजबर कर कदया।

इधर सरदार हरर ससह जो हरार वििाल कनब क तरीन सौ लोगो क रखखया थ- चरीि ऑि पजाब और गिनमर कौससल क रमबर िरी, उनोन रझ और रर वपता जरी को बलाया और धरकी दरी। परति उस छोटरी उरर र िरी र इतन गसि र था और रहिट था कक रन उन ढकढतापिमक साि कह कदया- “र तो ककसरी हालत र आपस सहरत नहरी हो सकता, आप जो चाह कह।” पर जो हो रर वपता जरी न रझ िहा नहरी छोडा। जबदमसतरी करक ि रझ राजथिान क तहसरील रारगढ र ल आय जो अलिर ररयासत र थरी जहा ि अपनरी सरकाररी नौकररी कर रह थ। सो िहरी पाइरररी सल र जो रर रकान क पास था र कदनिर िहा चला जाया करता था और वबना ककसरी ितन क बचो को पढा कदया करता।

एक कदन िार को रर वपता जरी कछ लोगो क साथ बठ हय थ और रर हरी बार र बात कर रह थ। उनोन कहा- “हरार सार पररिार र दो या तरीन सौ लोग ह, उनर स हर एक ऊच स ऊच ओहदो (पदयो) पर पहच गय ह। और इधर एक र था, र िरी आस लगाय रहता था कक ररा बटा िरी उच भिका पापत करगा और िह िरी कछ बनगा।”

यह कहत-कहत उनकी आख िर आई और आस बह वनकल। एकाएक रररी ओर घरकर रझ हरी सबोसधत करत हय बोल “अगर रर चार बटो र स एक रर जाता तो िरी रझ उतना अिसोस नहरी होता। पर तमार कॉलज छोड दन और पढाई छोड दन न तो रझ बहाल कर कदया ह।”

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15 अगसत, 2019दिलरी म भागय वनणागयक आरमन

इसस रझ िाररी चोट और अनदर धकका लगा और वबना ककसरी स कछ कह-सन रन उसरी रात घर छोड कदया। रर पास पसा-धला कछ था नहरी। र सरीधा ‘दहलरी’ आ गया। यह बात ह सन 1929 की। कदलरी र उतरत हरी रन कागरस दफर की पछताछ की और सरीधा िहा जा पहचा और िहरी ठहर गया। तब किर हफ क अनदर हरी आयम सराज की पछताछ की तो रालर हआ कक यहा तो आयमकरार सिा िरी ह। डॉ. यदिरीर ससह उसक अधक थ और र िरी इसका रमबर बन गया।

सन 1929 र सयसिक आदोलन की हलचल ‘वपस ऑि िर’ की िारत यातरा को लकर िर हो गई। जजसर उनक सागत सरारोहो का डटकर विरोध करना था। तब तक यह सथिा साराजजक कायमकतामओ की एक टोलरी रातर थरी लककन ‘वपस ऑि िर’ की िारत यातरा न इस आनदोलन को दिवयापरी यिािकति का सरप द कदया। अब ि हडताल करन लग और विदिरी कपडो की होलरी जलिान का आयोजन करन लग।

र तो अिरी बहत छोटा था, किल सतरह और अटारह िरम का। ररा कार था सनदि आकद, चचटरी-पतररी लाना, ल जाना ि खादरी एक थिान स दसर थिान तक पहचाना और जहा जसरी आिशयकता हो सहयोग ि सहायता दना। र इस कदन-रात एक –एक करक पररी लगन क साथ करता था, कोकक रर िरीतर एक आग धधक रहरी थरी कक र दि क ललय का ना कर द।

जरीिन सघरग

इस तरह कदलरी आन पर र आयम सराज तथा दि की आजादरी की लडाई र जट गया, लककन पास र एक कौडरी िरी नहरी थरी, जरीविका का कोई साधन नहरी था इसललय कदन को ककसरी लगर या गरदार र जहा गरलता खाना खा लता और रात को कहरी िटपाथो पर सो जाता। किरी-किरी तो लोग रझ चोर-बदराि सरझकर अपन पास स दतार कर िगा िरी दत थ।

एक कदन बड हरी सकोचिि रन आयम करार सिा कदलरी क अधक डॉ. यदिरीर ससह जरी की पतनरी स कहा- “िािरी जरी! आपकी बडरी रहरबानरी होगरी- यकद आप रझ दो रपय उधार द द। र आपका िह रपया जलरी हरी िापस कर दगा।”

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15 अगसत, 2019

िािरी जरी बडरी हरी िद रकहला थरी, उनोन रझ दो रपय उधार द कदय। जजसस रन सदर बाजार स कागज, कलर, पससल, साहरी, कापरी और वनब आकद सटिनररी सारान की खररीद की। उन कदनो जराना था ससता और दो रपय र कािी सारान गरल जाता था। र कररियल सल क पास सडक क ककनार पवतकदन एक घणा कागज कलर आकद सटिनररी का सारान बचन लगा। जजसस रझ एक आना (6 नय पस ) पवतकदन रनािा गरल जाता था।

इस एक आन की दवनक आय स ररा गजारा चल वनकला। रोटरी, रटा और नरक यहरी ररा रोज का आहार हआ करता था। एक रपय र बरीस सर आटा बाजार र गरल जाता था और हलिाई की दकान स एक पस का रटा ल लता था जो रज स दो तरीन कदन क ललय पयामपत होता था। इस तरह लगातार तरीन िरयो तक रन अपना वनिामह ककया और किरी िरी अपना खचम दो रपय पवतराह स असधक बढन नहरी कदया।

कदलरी आन क थोड हरी कदन पचिात रररी इचा टाइवपग सरीखन की हई। इसक ललय जब र नई सडक पर गणपत रार राधाररण क यहा गया तो पता चला कक टाइप सरीखन की िीस दो रपय राससक दनरी होगरी। रर पास िीस क ललय पस तो थ नहरी, इसललय उसकी एिज र रन उनक घर का कार-काज करना िर कर कदया। इस कार र झाड लगान, बतमन साि करन स लकर घर गकहथिरी क छोट-रोट सिरी कार िागरल थ।

उनरी क रकान र एक तग और अधररी जगह डयोढरी र एक गाय बधरी रहतरी थरी। कदन िर कार करन क उपराति जब र थक जाता तब रात को एक टटरी चारपाई पर उसरी गाय क पास सो जाता था। किरी-किरी तो सोत िति गाय रर ऊपर गोबर िरी कर दतरी थरी लककन किर िरी र अपनरी डयटरी र हरिा रसतद रहा।

इस तरह अपन जरीिन क दो िरम रन अतयति अिाि और ककठनाई क साथ गजार और रझ ककतन हरी पापड बलन पड जजसकी लमबरी कहानरी ह। जला हआ रोविल ऑयल, साकडया, पान और चना रन का-का नहरी बचा, िरयो टाइवपसट रहा और दसरो की टहल चाकररी की, इस जरीिन-सगरार र रझ दर-दर ठोकर खानरी पडरी और कसरी-कसरी यातनाय तथा द:ख झलन पड।

उन कदनो शदाननद बाजार पर एक रोजगार कदलान की सथिा थरी। र िहा गया और रझ टाइवपसट क तौर पर नौकररी गरल गई। रन दकान क राललक क साथ सरझौता कर ललया कक कदन र किल चार-पाच घण हरी उनका कार कर सकगा कोकक रझ तो कागरस और आयम करार

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15 अगसत, 2019सिा क ललय कार करना होता ह। ि रररी ितम पर राजरी हो गय और रझ पवतराह 25 रपय दन लग। उनोन रर कार की इतनरी कदर की कक रझ दरीिालरी पर दस रपय परसार बोनस र कदय और साथ र एक गरठाई का कडबा िरी जो उन कदनो क ललहाज स यह विरला और असाधारण था।

उसरी दौरान रर वपता जरी दहलरी र रझ खोजत हय आय और आयम सराज क राधर स रझ ढढ वनकाला। किर ि रझ लाला दरीिानचनद क यहा ल गय जो हरार हरी जजला जहलर क हरी गाि क थ। लाला दरीिानचनद गरललटररी सना क ललय कोयला और नरक क ठकदार थ तथा कदलरी र आयम सराज क एक िकति सति थ। रर वपता जरी क आगरह पर लाला दरीिनचनद न रझ 50 रपय राससक ितन पर टाइवपसट क पद पर अपन यहा रख ललया।

तदतिर र अपना सारान गणपतरार जरी क घर स उठा लाया और दरीिान ििन र आ गया। कदन क सरय र अपना वबसतर दफर र अपन कार की रज क नरीच रख लता और रात क सरय िहरी वबसतर रज पर वबछाकर सो जाता और िोजन चािडरी बाजार क एक ढाब र करन लगा।

उन कदनो र कदन र अपन दफर र टाइवपसट का कार करता और बड सबह ि दर रात तक कागरस ि आयमकरार सिा का कार करता था।

एक बार सरदार नानक ससह को आिशयकता पडन पर रन पररी रात जागकर एक सकम लर की 1000 कॉवपया टाइप की इसस रझ बहत पिसा और आदर गरला। यह रररी एक आतररक गण-धररता थरी कक र पतयक कायम को पररी िकति और उताह स करता था।

दिलरी मररी कमगभमम

उस सरय आयम सराज क सबस विभिषट और उतक षट नता थ साररी शदाननद। अनय लरीडर थ बाबा गरला ससह, लाला नारायण दत, सठ रघघरल और लाला बनिाररी लाल। य सिरी आयम सराज क ककरयकलापो और गवतविसधयो र बडरी सचाई और िकतििािना स िाग लत थ।

डॉ. यदिरीर ससह क नतकतव र हर लोग, ‘यग रन ककरजचियन ऐसोससयिन’ की तजम पर ‘आयमकरार सिा’ का सिति और सवयिसथित सगठन क रप र वनरामण करन र लग थ। डॉ. कििदि िासतररी की अधकता र इसकी िाखाओ की थिापना य. परी., राजथिान ि पजाब र हई। थोडा सरय बरीतन पर र आयमकरार सिा कदलरी का सकरटररी चना गया।

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15 अगसत, 2019

हर वनयगरत रप स अपनरी सापताकहक ररीकटग आयोजजत करत थ और जब किरी जनता को कोई कषट या ककठनाई होतरी तो उस सरय हर सच गरतरो की िावत उनकी रदद करन को हरिा ततपर रहत। रलो, तयोहारो, उतिो, धाररक सरारोहो और जनसिाओ की सरायोजना ि उनका किलतापिमक सचालन करत। अपनरी ‘आयमकरार’ नारक एक पगतरका िरी हर लोग वनकालत थ। हरन साररी दयाननद की िताबदरी क अिसर पर आगरा र ‘अखखल िारतरीय आयमकरार सिा’ का वििाल सगरनार-विचार गोषठरी समलन का सिल आयोजन िरी ककया था।

आयम सराज एक करावतकाररी आनदोलन था। यह परपरागत कहनद सराज को सधार कर इसको रकढिाद और अधविशवासो स रति करक उस उसक िकदक आदियो की पाचरीन और गौरिरयरी सथिवत र पन: पवतवषठत करन क ललय ककटबर था।

वििशरी कपडो का बकहषार

सन 1930 र विदिरी कपडो का बकहषार करन िाल परख कायमकतामओ र स एक र िरी था जजनोन कदलरी र विदिरी कपडो का जरकर बकहषार करिाया। साररी शराननद की पोतरी बहन सतयितरी क तज और िरीरतापिमक नतकतव र यह पोगरार चलता था। हरन विदिरी कपडो का बॉयकॉट सरच चादनरी चौक क सिरी कटरो र कारगर ढग स पिािरी बनाकर पायोजजत कर ललया था। यहरी विदिरी कपडो की थोक ि िटकर वबकरी का बाजार था। हरन इसक ललय अपना एक खकिया ततर और अपनरी गर-सरकाररी अदालत पचायत का िरी गठन कर ललया था। जो कोई िरी हरार कायद-कानन तोडता था और विदिरी कपड बचता था, हर उस पचायत क सरक पि करत थ। यह पचायत सौ-दो-सौ रपय स लकर दस हजार रपय तक क जरामना कर सकतरी थरी। इस िावत कछ करटरी र जरा ककय गय।

दिलरी म वििशरी कपडो की होलरी

सन 1929 क अकटबर राह र कदलरी र यरना नदरी क तरीर पर पकडत रोतरीलाल नहर और पकडत रदन रोहन रालिरीय जरी की िवय उपसथिवत र विदिरी कपडो की वििाल होलरी जलाई गई। जजसर ककतन हरी लोगो न अपन कीरतरी विदिरी िसतर उसर होर करन को कबामन कर कदय थ। ररा वििाह 1927 र हआ था। इस अिसर पर रररी पतनरी को उनक राता-वपता दारा विदिरी कपड कदय गय थ- ि सिरी सारान विदिरी िसतरो की होलरी र द कदय गय।

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15 अगसत, 2019जब विदिरी कपडो क बकहषार न जोर पकडा तब कदलरी पललस न रर खखलाि गगरफाररी

का िारण वनकाला। रर विरर तरीन रारल दजम ककय गय। जब रझ िारणो की खबर गरलरी तब र िगरगत हो गया।

सन1930 र पहल नमबर का रहतवपणम पोगरार था: कागरस क पणम सराज क पवतजा पतर का कदलरी क खास-खास थिानो पर सािमजवनक रप स िाचन ि पाठन। पणम सराज की यह पवतजा लाहौर कागरस क पसताि पर आधाररत थरी जो प0 जिाहर लाल नहर की अधकता र 26 जनिररी, 1921 को पाररत हआ था। रािरी नदरी क तरीर पर उस ऐवतहाससक कागरस असधििन र र िरी रौजद था।

दिलरी म पणग सवराजय की पविजा का सािगजवनक िाचन

कदलरी र कडमबसटकट कागरस करटरी क पदासधकाररयो की एक गपत सिा नई सडक र हई, जजसर दि की राजधानरी कदलरी र पणम सराज की पवतजा को पढ जान की रप-रखा की कायम-पणालरी तय करनरी थरी। उस ररीकटग र र िरी बठा हआ था तब रररी आय लगिग पचरीस िरम की थरी। उस सरय रझ र एक अदत साहस, उताह ि उच परणा का विदयत सचार होन लगा और रन एकदर सत: सहज सिाि चाललत हो अपन को पसतत कर कदया “र इस पणम सराज की पवतजा को पढगा।”

यह वनचिय हआ कक कदलरी की जनता को सार िहर स – विभिनन िागो र चलकर छोटरी-छोटरी टोललयो र ‘बडिाह बला’ थिान पर इकटा होना था, किर िहा स जलस की िक लकर नई सडक स होत हय वनकलना था।

रझ इस जलस की अगआई करनरी थरी, साथ हरी रझको पणम सराज की पवतजा का िाचन िरी करना था और जनता स करिाना था। उस सरय रर विरद पललस क तरीन िारण पहल स हरी वनकल हय थ।

र एक कार र था। उस कार र र दो लोगो क बरीच बठा था- एक थ रर रारा जरी ि दसर थ एक गरतर। रन एक बडा ओिरकोट पहना और ससर पर पगडरी बाध लरी और पररी पोिाक पहन लरी। जलाकर हाथ र ससगरट पकड ललया। उधर रर रारा जरी क हाथ र एक बडा िानदार ससगार था। पललस िाल जो सार कदलरी र छाय हय थ उन हरको दखकर सपन र िरी यह सनदह नहरी हो सकता था कक र कागरस का िकम र ह।

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15 अगसत, 2019 र पर जलस का घर-घर कर रआइना कर रहा था ि सतकताम ि सािधानरी क साथ सचनाय

ि कहदायत द दकर वनरदषट लकषय की ओर आग-आग बढा रहा था कक कोई िरी जतथा छट ना जाय। इस तरह घटा घर पहचन र हरको लगिग 7 घटो का सरय लग गया। ररा खाल ह कक जलस र 50,000 स असधक लोग रह होग। यह तो दखन लायक था। का दशय था। चारो ओर िल वििाल जनसरह र, सार िातािरण र घोर उतकता, उताह, उतजना ि अवनचिय िररी दविधा की हिा थरी।

सरय चार या पाच बज िार का था। र बडरी रलकिल ि रहनत स वििाल िरीड र स रासता काटता हआ घटाघर तक जा पहचा। जो हरी र िहा पहचा कक कणरातर र िरीड र लछपाया हआ पटिारम सरीधा खडा कर कदया गया। पलक झपकत हरी रन ससगरट, िाररी ओिरकोट और रिददरी कलदार को खरीचकर उतार कदया और अब र अपनरी असलरी पोिाक िद खादरी की िद सादरी सिद अचकन, चडरीदार पायजारा और गाधरी टोपरी र था। झट स वबजलरी की तरह उछलकर र पटिारम पर चढकर खडा हो गया। जब स पणम सराज का पवतजा पतर वनकाला तथा चनौतरी और उताह स पररी िकति क साथ उच सर र ‘पवतजा’ का पाठन िर कर कदया। िातािरण र घोर उतजना छाई हई थरी। उधर घराबनदरी करन िालरी पललस को जब तक यह अहसास हआ कक यहा का हो रहा ह, हर कािी कार कर चक थ। यह जानत हय कदलरी का कोतिाल रररी ओर लपक कर बढा तो िहा तो एक जन-सरद लहरा रहा था जजसको चरीरत-धककयात लाकठया चलात जब तक िह पहचा तो ‘पवतजा-पतर’ क िाचन का कार कारयाबरी स परा हो चका था।

कदलरी क कोतिाल न जजसका नार अबदल िहाब था, अपन पललस दसत क साथ झपटकर रझ पकडा, घसरीटकर नरीच खरीच ललया और पललस गाडरी र बद कर कोतिालरी ल गय। िहा रन दखा कक सकडो लोगो को टको और बसो र िरकर जल र लाया जा रहा ह।

रझ पर रकदरा चला। रर पहल कस र रजजसटट न वनणमय कदया- तम छ: रहरीन की सखत जल। दसर कस र उनोन कहा- बहत दख ह र तमाररी रदद नहरी कर सकता, कोकक इस अभियोग र अब छ: रहरीन स बढाकर दो िरम की सजा कर दरी गई ह। और अब उनोन दसरा िसला कदया “र तम नौ रहरीन की और सखत कद की सजा दता ह।” िहा एक तरीसरा कस और आ गया। रजजसटट उलझन र पड गया कक का कर। इसर उसन रझ पाच सौ रपय का जरामना या तरीन रहरीन की सखत कद की सजा सनाई।

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15 अगसत, 2019उन तरीन चार हफो क दौरान रररी रा ‘ब’ पिरी क कदनो ररा खाना बनाकर कचहररी लाया

करतरी थरी। तब जब-जब ि रझ हथककडयो र दखतरी तो ि रोन लगतरी और पललस िालो पर खब चचलातरी और बदअसरीस और िाप दन लगतरी कक “अर तर बरबाद हो जाओ। तमारा यह हो जाय। िह हो जाय। कोई नार-लिा ना रह।” आकद आकद। र उन कदलास दता, रा आप इन लोगो को को कोसतरी हो? ऐसा रत कर। इनका इसर का दोर ह। य तो बचार डयकट पर ह। पर िह तो बददआय कदय वबना रह नहरी सकतरी थरी। बचाररी रा।

मलिान जल म :

हर सबको रलतान जल िज कदया गया। यह जल हाल र हरी बनकर तयार हई थरी, तो यह ‘नई जल’ नार स जानरी जातरी थरी। हर सबको छोटरी-छोटरी कोठररया द दरी गयरी। हराररी खाट सरीरट की बनरी थरी। उन पर एक गददा था जजसर गह की बाल और िसा िरा हआ था। हर जल की िदथी द दरी गई, जजस पाकर हर बड खि हय।

रलतान जल र हर सदा कछ ऐसा करत हरी रहत थ जजसस जल क असधकाररयो को परिानरी रह – कदककत पि आय – सरसाय बन। सो पहलरी पाबदरी रझ पर सजा क तौर पर जो लगाई गई थरी घर स पतर-वयिहार बद। कछ कदन बाद रर पररिार क लोगो स रलाकात िरी बद कर दरी गई। थोड कदन और बरीत तो रर हाथो र चार घणो क ललय हथकडरी लगाई जान लगरी। इसरी तरह एक रहरीना िरी ना बरीता होगा कक रझ लोह की ‘डणडा-बडरी’ लगा दरी गई और उसरी क साथ रझ सोना पडता था। इसक बाद रझ िाडम र स वनकाल ललया गया और तरीन रहरीन क ललय कालकोठररी र एकातििास र डाल कदया गया। ऊपर स रझ हर कदन अटारह सर गह चककी पर परीसन को दन लग।

एक बार जलर को सलयट करन स इकार करन पर अगल कदन िहा कटककटकी लाई गई और हराररी काल कोठररयो क बाहर रख दरी गयरी। यह िाररीररक यातना दन का ऐसा यतर था जजसस हर बाधा जाता और किर हरार नग िररीरो पर बत या कोड लगाय जात। डणडा-बडरी र तो हर पहल स हरी थ जजसस हराररी एकडया बररी तरह जखरी हो चकी थरी। इस तरह र रलतान जल र नौ रहरीन रहा और 1939 र गाधरी-इरविन सरझौत क तहत ररहा हआ।

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15 अगसत, 2019

शरीमिरी ियाििरी की सवाधरीनिा आिोलन म सहभामरिा और लाहौर जल म कि

सन 1932 र रन लाला दरीिनचनद क यहा की अपनरी नौकररी छोड दरी और पकडत कनयालाल पज क साथ साझदाररी र अपना वयापार िर कर कदया। कागरस और आयम सराज क अपन कायम क अलािा र अपन वबजनस क कायम र िरी लगा रहता था।

रररी पतनरी दयाितरी एक िार घर स गायब हो गई। िह चादनरी चौक गई, कागरस का झणडा उठाया और रकहलाओ क एक जलस का नतकतव ककया। बहत रात बरीतन पर रझ रालर हआ कक ि तो गगरफार हो गई ह। 12 अकटबर 1932 को उनको छ: रहरीन जल की सजा सनाई गई और उन लाहौर जल िज कदया गया। यह सजा उन ‘कदतरीय सािमजवनक अिजा आदोलन’ र िाग लन क कारण हई।

वयकतिरि सतागरह

सन 1940 र रहातमा गाधरी जरी न वयकतिगत सतयागरह की घोरणा कर िारत की जनता को साधरीनता यज र आतमाहवत दन का आिाहन ककया। र उस सरय गिरीर रप स रोग गरसत हो गया था और सखकर हटडयो का ढाचा रातर रह गया था। परति र अपन दि क ललय आदोलन र िाग लन की अदमय इचा को रोक नहरी सका और रन इसक ललय आिदन पतर िरकर कागरस करटरी क पास अनरवत क ललय िज कदया।

इसरी दौरान रर बचो क भिकक रराररी लाल जरी पारािर जो रर साथ एक ककटया र वनिास कर रह थ और रररी दखिाल िरी करत थ- उनोन इस अिथिा र रझ जल जान स रना ककया और सय अपन आपको वयकतिगत सतयागरह आदोलन र पसतत कर कदया। इस पर उनको एक िरम क कारािास की सजा सनाई गयरी और उन रािलवपणडरी जल र िज कदया गया।

भारि छोडो आिोलन

पललस स आमना-सामना और मिभड : एक कदन र बाबर रोड पर अपन सटल लन क घर पर गया था कक रझ खबर गरलरी कक दो सरी. आई. डरी. खकिया पललस क आदररी बाहर खड थ। रररी पतनरी की छोटरी बकहन न जो रलकिल स गयारह या बारह िरम की थरी उसन िोलपन और सहजिाि स बता कदया कक र घर र ह। इस पर पललस िालो न अपन अिसरो को रर घर र रौजदगरी क बार र सचना द दरी।

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15 अगसत, 2019उसरी दौरान र अपन घर क वपछल दरिाज स वनकल कर आया जहा दो और सरी. आई. डरी.

क आदररी रझ पकडन को खड हय थ। रन उन थपड रार और ठोकर रारता हआ अपनरी कार र जा बठा और उस ल उडा। र अपन दहात-घर पर जहा अब शरी अरविनद आशर, कदलरी िाखा की रख इरारत ह – िहा आ गया।

इसरी दौरान एकडिनल सपररटडट राय गोपालदास न ररा परीछा ककया। जो हरी र अपन दहात-घर पहचा तयो हरी सारन स पललस इसपकटर गर. जन सारन स वपसतौल तान आ गया और गोपालदास उस बार-बार हकम कदया जा रहा था “इस गोलरी रार दो। एकदर गोलरी रारो।” (िट कहर ऐट िस!) और िह रर पास आ गया और रझ कहा कक र गगरफार कर ललया गया ह।

रन उतर कदया- “ठरीक ह यकद र गगरफार कर ललया गया ह तो र अपनरी कार गरज र रख दता ह और तब र आपक साथ चल पडगा।”

पर ि तो रझ धककयान और रारपरीट करन लग। उनोन रररी कररीज पकड लरी और हाथापाई र उस िाड कदया। इस पर रन गर. जन का हाथ पकड ललया और रन उसकी वपसतौल छछीनना चाहा। पर उसन रर हाथ को दातो स काटकर चबा ललया। उधर गोपालदास अपन डड स बराबर रझ रार जा रहा था।

इसरी सरय ररा डाइिर रगतरार अचानक इस जगह पर आ वनकला। उसन गोपालदास को पकड ललया और अचछी रार लगाई। अब तो रन िरी गर. जन को दबोच ललया और उसस उसकी वपसतौल छछीन लरी। अब हर उनको पकडकर उस हॉल र ल आय जहा अब आशर का ‘धान कक’ ह।

गोपालदास की सास हरी उखड गई थरी, िह रर परो को हाथ लगान लगा और पाथमना करन लगा कक र उसको और गर. जन को छोड द नहरी तो उनकी नौकररी खतर र पड जायगरी। रर परो र पडकर गरननत करन लगा कक र वपसतौल िापस कर द और उनको छोड द।

तदतिर हर लोगो न एक िद परररीय सरझौता ककया कक र अपन कार र अपन सटल लन क घर जाऊगा, ि अपनरी िासकीय कार स ररा परीछा करग, र अपना वबसतर घर स लगा किर कनाट सकम स क अपन ऑकिस र जाकर अपन लोगो को जरररी कहदायत दकर अपनरी गगरफाररी दन क ललय तयार हो जाऊगा।

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58 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019

र अपन घर गया और अपना वबसतर ल ललया। रररी पतनरी और रर छोट िाई गरबखश लाल रररी गाडरी र रर साथ बठकर कनॉट सकम स पर रर दफर आ गय। जब हर िहा पहच तो और दो लॉररी िर क बनदको और वपसतौलो स लस पललसरन िहा पहल हरी रौजद खड थ।

कनॉट पस र जब र अपनरी कार स उतरा और अपन दफर की ओर जान को बढा तो िहा पर पहल हरी गललयार र लगिग तरीन हजार लोग रौजद थ जो बड उतजजत थ और सरकार ि पललस क खखलाि गसि र िर हय थ। साररी जनता पवतिाद करतरी हई सारन आ गई। विरोधरी सरो और नारो स िातािरण गजन लगा। हालात वनयतरण स बाहर हो गय और पललस रररी पतनरी और रझको िराणडो र घसरीटन लगरी। रररी पतनरी न रररी टाग पकड लरी और उनको िरी रर साथ िराणडो र घसरीटा जान लगा। जब सथिवत तनािगरसत हो गई और हालात बकाब हरी हो गय तब रजजसटट न रझ गोलरी रार कर जान स रार डालन का आदि जाररी कर कदया। एक पललस असधकाररी न अपनरी वपसतौल रख पर तान िरी दरी ककति इसरी बरीच, पललस न रझ घर र ल ललया, रझ खरीचकर पकडा और पकडकर पललस गाडरी र धकल कर डाल कदया।

यह साररी पललस कायमिाहरी सपररटडट पललस सरी. आई. डरी. गर. आर. जरी. रलर की लरीडरभिप र की गई थरी। जब हर पललस सटिन पर पहच तो गर. रलर न रर डाइिर को बडरी बररी तरह रारा परीटा और किर रझको िरी रारन लगा। परति रन उस चतािनरी दरी, “दखो बिक हरार हथककडया लगरी हई ह पर तर धान रखना कक रररी टाग अिरी आजाद ह, तम ऐसरी ठोकर रारगा कक तर नरीच आ गगरोग।”

तब हर एक कोठररी र डाल कदया गया। ररा खाना और वबसतर नहरी जान कदया गया। रझ पिाबघर तक नहरी जान कदया। रररी गगरफाररी और एकडिनल पललस सपररटडट स जो रररी रठिड की खबर अखबारो र छपरी तो अगल कदन रर गरतर ि हरददम लोग तो रझस गरलन आय हरी, साथ हरी बरीससयो अगरज की औरत और आदररी िरी रझ दखन पललस सटिन आय।

रररी गगरफाररी क बाद पललस असधकाररी रर ि रर सहयोगरी करमचाररयो क विरद हतया की कोभिि क रकदर गढन लग। दहात-घर जाकर उनोन रर सिरी नौकरो ि करमचाररयो को गगरफार कर ललया और हराररी काप जटरी क साजो-सारान-आररी, आर, हथौड और लाकठया आकद अपन कब र ल ललया। एक पललस रन न तो रझ यह िरी बताया कक ककस तरह गोपालदास न अपनरी कररीज और बवनयान उतारकर रज पर रख कदया, किर आररी स खद अपनरी परीठ

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59 शरी अरविनद करमधारा

15 अगसत, 2019खरचरी, थोडा खन रग कपडो को सबत क तौर पर पि ककया और एक डॉकटर स झठा रकडकल सारटकिकट िरी बनिाकर ल ललया कक यह चोट आररी दारा लगाई गई ह।

कछ हरी कदन क बाद रझ एकडिनल कडमबसटकट रजजसटट गर. कडस की अदालत र पि ककया गया। तब तक इस रठिड की कहानरी राय साहब गोपालदास की हरी जबानरी उन रालर हो चकी थरी जो उनोन गर. कडस को घटना िाल कदन हरी बताई थरी।

रकदर की पहलरी सनिाई जल क बाहर क एक करर र हई थरी, रझ घसरीटा जा रहा था, रझ हथककडया लगाई हई थरी। रररी राता जरी, रररी पतनरी और ररशत दार बाहर खड हय थ। जस हरी उनोन दखा ि वबलखकर रोन लग। यह कस दो िरम स असधक सरय तक चलता रहा।

एक बार रकदर क दौरान र बहत धरम सकट र पड गया। पललस क कडपरी सपररटडट पकडत सरीतारार न िल स अपन बयान र गलतरी कर दरी, उसस रझ पर सरकार दारा चलाया गया सारा रकदरा झठा पड जाता था – और इसर रझ लाि था।

जब रर बयान का सरय आया तब सथिवत यह थरी कक यकद र सचा बयान दता ह तो पललस क चलाय सब झठ रकदर सच सावबत हो जात ह और अगर र कडपरी सपररटडड पललस की िल का िायदा उठाता ह तो रझ झठा बयान दना पडता जो कक रररी आतमा रजर नहरी करतरी थरी।

ऐस पिोपि और धरम-सकट की अिथिा र रन शरी अरविनद को रझ सहरी रासता कदखान क ललय विसतार स चचटरी ललखरी। जस हरी पराणरी जरी पढन लग कक शरी अरविनद न पराणरी जरी क हाथो स रररी िह चचटरी छछीन लरी और खद पढन लग। खब हस। और बोल कक सरनदरनाथ को ललखो कक सरनदरनाथ को पललस की िल और करजोररयो का परा-परा लाि उठाना चाकहय। सचाई सरगरता ि समपणमता र दखरी जातरी ह ना कक खणड रप र – टकडो र।

शरी अरविनद क रागम-वनदचिन की पातपत होन पर जजरह क सरय रन अपना बयान धानपिमक कदया और पललस क बयान र वयति असगवतयो का परा लाि उठाया। आखखरकार दो साल क बाद यह कस रर पक र वनणामत हआ और हर सब बररी कर कदय गय। रजजसटट गर. कडस न रर खखलाि झठ रनगढत इलार लगाकर झठ सबत बनान क ललय पललस को कराररी झाड लगाई – काननरी कोड िरी बरसाय।

इस पकार यह कस लमबरी परीडा, अतयाचार और असहय कषट क बाद अत को पापत हआ।

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कामकरणारयरी

“लखिा रनन कम पए होए ह न पर तन अपनरी गपा तो िरसत नहरी ह।”

झलाकर पज चाचा जरी ककतनरी हरी बार कह उठत थ कक “लाखो रन कार पडा हआ ह पर तझको तो गपो स हरी िरसत नहरी ह।”

र सोचतरी कक आखखर जो यहा आया ह-आयरी ह, कछ आिा स हरी तो। पज चाचा जरी तो अपनरी िकति-सरय नहरी द सकत। कसा तो उनका सासथय ह, धयम िरी छट जाता ह। चलो एक पाल चाय स, दो सहानिवतपणम ररीठ बोल स हरी यकद कोई अपना दःख ददम कछ सरय को हरी िल जाय तो का यह ररा िजम नहरी ह।

और किरी ऐसा िरी होता कक ददम की पातरी जो लकर आया होता उसका पललदा हरी खल जाता। तब िापस लौटन पर एक ओर तो साथमकता का िाि होता (कक जो पज चाचाजरी न कदया उसरी पकाि स ककसरी क असधयार जरीिन र एक चचनगरी रख आई ह या ननरी दरीपजोवत जला आई ह।) और साथ हरी दसररी ओर अपराधरी िाि आ जाता कक दखो पज चाचा जरी को िहा छोडकर चाय परी रहरी ह। ककसरी की बात सन रहरी ह और कौन जान कक रर िहा न होन स पज चाचा जरी को का असविधा हो रहरी हो-का कछ दो लाइन हरी सहरी ‘करमधारा’ क ललए ‘कालवबयोणड’ क ललए ललखिा दत और सब पाठको को िागित हास क दारा तरोताजा हरी कर दत। सो िह िरी रह गया।

तिरी पज चाचा जरी की दरीिारो को िदतरी बलद आिाज आतरी-“सदा अपन स पछा करो कक ररा आज का का कार रहा। डायररी बनाओ तब तो कछ पता चलगा”

र अचकचाकर कछ बतान को िरी होतरी पर बतान को िसा ठोस था िरी का जो बतलातरी। चप रह जातरी। िगिान स कहतरी-शरीरा स कहतरी-“रझस पज चाचा जरी की हावन हो जाय ऐसा न होन दना। चाह कछ िरी कर दना”

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15 अगसत, 2019और र अपन कागज-पतर उनक करर की रज स उठाकर दफर र ल जान को होतरी कक

चलो कछ चचटटया हरी वनबटा ल तो तिरी पज चाचा जरी की पनरी दवषट उनको एक झोक र हरी तोल लतरी और ररा उतरा हआ उदास रह दखकर सय हरी करणा विगललत हो जान पर सच भिकक की िावत धरीरज और झलाहट र शवतयो को सिारकर कह उठतरी-“कार को धकका दो नहरी तो किरी होगा हरी नहरी।”

काि कक र कछ सरझ पातरी। कछ िरी का एक पवतित िरी कर पातरी (जो पज चाचा जरी की हरी िबदािलरी ह) तो र का स का हो जातरी। ककतनरी वनसधया पज चाचा जरी क दारा इस थिल जगत र अकदतरीय दनो क रप र ढलकर रानिता क ललए रागम-दिमन-चचनो का कार दतरी।

पर...

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िारा िरीिरी का जनमदिन

शरी अरविनद आशर- कदलरी िाखा र 5 जलाई 2019 को तारा दरीदरी का 83 िा जनमकदन रनाया गया। इस अिसर पर िगररगलर (िककारोपण) कायमकरर का आयोजन ककया गया। कायमकरर की िरआत सबह सरासध लॉन क सररीप तारा दरीदरी दारा कलपिकक लगा कर की गई. आशरिासरीयो क साथ, रदसम इटरनिनल सल क पिम छातर छातराअो एिरअवतसथयो न िरी िककारोपण कर सरारोह र उलास पिमक िाग ललया ।

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आशर क अनय कायमकरर

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योगा कदिस 2019

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