फरवरी म भकपा माओवादी की एकता...

39
फरवरी २००७ मै भकपा (माओवादी) की एकता कािेस-नौवि कािेस मै कामरेड अनुराधा गााध वारा पढे गये पे का अिश। यह कामरेड अनुराधा गााध वारा तुत आलेख का सिपाददत अिश है। सिपादन भाकपा (माओवादी) कएकता कािेस मै पाररत अवितय के अनुऱप कया गया है। इस कार उपरोत लेख शादहद कामरेड अनुराधा के ववार का सिलेषण (synthesis) है। जो कक जनवादी कै दियता की किया को लागू करने के दौरान सिपन ह आ। इस आलेख की रोशन मै पाी ने भारत की सामित ववशशताओि को ामणवादी सामितवाद के ऱप मै चहत और परभावषत ककया। 'सिहत' समूह ने यह सिपाददत लेख अपने ककस वववत सू से हाशसल ककया है , जसने 'सिहत' समूह वारा मई २०१५ मै 'जातत न' पर आयोजत सेशमनार के िम मै इसे साझा कया है। जात-आधाररत/ामणवादी सामितवाद के वषय मै भारत मै यह पाया जाता है आददम समाज से वगसमाज की उपवि जातया वणग के ऱप मै है। तकरीबन ौि ईसव सदी के समय से सामतवाद के दौर मै , जातकी ये सिरनाएसमाज के ेणबध वरप मै सुढ होत ली गय। जात-आधाररत सामितवाद ामणवादी वारधारा के साि अततनगदहऱप से परपर गु ािरहा है। भारतय सामतवाद की इस वशशता की, जो हर यत के जवन के लगभग हर पहलू को समेत है और जसका देश के वगसिघषग पर गहन असर है , भारतय कयुतन ने अभ पयागत गहराई तक छानबन नहीि की है। देश के सिशोधनवादी लोग भारतय सामतवाद (या अगध-सामतवाद) को समझ नहीि पाये ि, जाततिा ामणवादी वारधारा की तो बात ही छोड़ दीजए। लेककन दरअसल वे मासग ही िजहने सबसे पहले भारतय समाज की वशशता को हण करने का यास कया। उहने इसे यूरोप सामतवाद से अलग ऱप मै देखकर एशशयाई उपादन णाली कहा िमासग गहराई तक छानबन इसशलए नहीि कर पाये यह उस वत उनके अययन के के ि मै ही नहीि रहा (और इसशलए तब तक भारत की हकीकत के बारे मै अययन बह ही सशमत रहा) परतु (कोसािब, राह , शमाग जैसे अपवाद को छोड़कर) भारतय कयुतन यहाके समाज की वशवऱप की समझ को वकशसत नहीि कर सके

Upload: others

Post on 25-Apr-2020

24 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

फरवरी २००७ म भकपा (माओवादी) की एकता काागरस-नौव ा काागरस म कामरड अनराधा गााध दवारा पढ गय परच का अाश

यह कामरड अनराधा गााध दवारा परसतत आलख का सापाददत अाश ह सापादन भाकपा (माओवादी) की एकता काागरस म पाररत अवससिततयो क अनरप ककया गया ह इस परकार उपरोकत लख शादहद कामरड अनराधा क ववरचारो का साशलषण (synthesis) ह जो कक जनवादी क दियता की परकिया को लाग करन क दौरान सापनन हआ इस आलख की रोशन म पारटी न भारत की सामात ववशशषरटताओा को बराहमणवादी सामातवाद क रप म चरचसनहत और पररभावषत ककया

साहतत समह न यह सापाददत लख अपन ककस ववशवसत सतर स हाशसल ककया ह सजसन साहतत समह दवारा मई २०१५ म जातत परशन पर आयोसजत सशमनार क िम म इस साझा ककया ह

जातत-आधाररतबराहमणवादी सामातवाद क ववषय म

भारत म यह पाया जाता ह कक आददम समाज स वगग समाज की उतपवि जातत या वणग क रप म हई ह तकरीबन रचौि ईसव सदी क समय स सामनतवाद क दौर म जातत की य साररचनाएा समाज क शरण बदध सवरप म सदढ होत रचली गय जातत-आधाररत सामातवाद बराहमणवादी ववरचारधारा क साि अनततनगदहत रप स परसपर गािा हआ रहा ह

भारत य सामनतवाद की इस ववशशषरटता की जो हर वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल को समरटत ह और सजसका दश क वगग साघषग पर भ गहन असर ह भारत य कमयतनसरटो न अभ पयागपत गहराई तक छानब न नहीा की ह दश क साशोधनवादी लोग भारत य सामनतवाद (या अदगध-सामनतवाद) को भ समझ नहीा पाय ि जातत तिा बराहमणवादी ववरचारधारा की तो बात ही छोड़ दीसजए

लककन दरअसल व माकसग ही ि सजनहोन सबस पहल भारत य समाज की ववशशषरटता को गरहण करन का परयास ककया उनहोन इस यरोप सामनतवाद स अलग रप म दखकर एशशयाई उतपादन परणाली कहा िा माकसग गहराई

तक छानब न इसशलए नहीा कर पाय कक यह उस वकत उनक अधययन क कनि म ही नहीा रहा (और इसशलए भ कक

तब तक भारत की हकीकत क बार म अधययन बहत ही स शमत रहा) परनत (कोसााब राहल शमाग जस कछ

अपवादो को छोड़कर) भारत य कमयतनसरट यहाा क समाज की ववशशषरट सवरप की समझ को ववकशसत नहीा कर सक

ह दशको तक कमयतनसरट आनदोलन पर साशोधनवाददयो क छाय रहन क कारण इस कायग को समपनन करना और

भ मसशकल रहा

साशोधनवाददयो न खास तौर पर भारत य सामनतवाद की समझ हाशसल करन क परतत यरो-क दित दसषरटकोण और जातत वयवसिा तिा जातत उतप ड़न क परतत आचिगक तनयतववादी दसषरटकोण अपनाया माओवाददयो न पहल क इस साशोधनवादी दसषरटकोण को तयागकर भारत य समाज क अदगध-सामनत रचररतर पर तो साफ नज़ररया पशा ककया

मगर अभ इसक जाततवादी ढाारच और बराहमणवादी ववरचारधारातमक जड़ो क ववशलषण की गहराई स छानब न नहीा कर पाय ह

माओवाददयो न सबस जयादा उतप डड़त तबको - दशलतो तिा जनजाततयो क ब रच अपना आधार कायम ककया और जातत-आधाररत अदगध-सामनत पराचधकार पर परहार भ ककया ह मगर व छआछत (या असपशयता) जातत उतप ड़न

और बरहमणवाद क खखलाफ कोई ववशशषरट तिा ससमसनवत मदहम नहीा रचला पाय ह इस आलख म हमारा परयास

यह होगा कक कछ माओवाददयो न सजस हद तक ववशलषण ककया ह उस को ववकशसत ककया जाय अवशय ही भववषय म इसका अचधक गहराई को ववशलषण करना होगा सजस पारटी दवारा आग कभ हाि म लन की जररत

होग हम इस आलख को अपन दसतावजो पर सझाय गय उन साशोधनो क सदधासनतक आधार क रप म परसतत

कर रह ह जो ववशभनन सिानो पर परसताववत ककय गय ह इस शलए इस आलख को अपन कायगिम घरल

पररससितत और रणन तत एवा कायगन तत म परसताववत इस मदद पर साशोधनो क साि-साि पढा जाना रचादहए

यह आलख दो अधयायो म ववभासजत ह पहल म ह भारत म भारत य सामनतवाद का ववशशषरट रचररतर ह की रचरचाग की गय ह दसर म वगग साघषग पर इसका असर और भारत म नय जनवादी िासनत तिा जातत वयवसिा क

सफाय स साबाचधत सवालो पर रचरचाग की गय ह दोनो अधयायो क अनतगगत कई उप-श षगक भ ह

भारत म भारत य सामनतवाद का ववशशषरट रचररतर

भारत म सामनतवाद की अपन ववशशषरट रचाररतरतरक ववशषताएा रही ह जो यरोप क समान नहीा ि ा अिागत य दास समाज स उभर आय सामानय सामनतवाद क समान नहीा ि ा भारत क सामनतवाद की सबस महतवपणग ववशशषरटता यहाा की बरामाणवादी जातत वयवसिा ही रही ह

१ भारत म जातत वयवसिा

भारत म यहाा की सामासजक साररचना पर जातत वयवसिा दहात समाज वणग ववरचारधारा की पररचणड शसकत बराहमणवादी धमग तिा आदशगवादी दशगनो की परमख शाखाओा का एक-दसर क साि गि होन आदद पहलओा की छाप ह जनम क आधार पर शाशवत ववषमता यहाा की अनोख ववशषता ह ऐस ववषमता म ववशवास दहनद ( और गर-दहनद भ ) लोगो क मन मससतषक पर बड़ सफलता स इस हद तक अाककत हआ ह कक इस दतनया की पराकततक दशा क रप म समझा जाता ह

जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक ररशत आम तौर पर अातगागम जाततगत समहो क इदग-चगदग कायम रहत ह यरोप म सजस परकार वयसकतगत ररशत-नात या साबाध रह ह इसस शभनन यहाा बतनयादी तौर पर समह-आधाररत मल-जोल ही रहा ह जाततगत समह अपन म ही समादहत और पदाइश तौर पर आतम-तनयातरतरत सामासजक पदिम की जह वयवसिा का अाग ह अपन परमपरागत रप म जाततगत समह अपन खास रचाररतरतरक तौर-तरीको स ही एक-दसर क साि मल-जोल रखत ह जाततगत समह ववशष क सदसयो को उस समह ववशष क पहरचान जान वाल परत को स जाना जाता ह सजनम शारीररक ववशषताओा स लकर भाषा पशा पहनावा ररहाइश सिान आदद साासकततक ववशषताओा तक शाशमल ह समह ववशष क परणता उस समह क सदसय होत ह समह स समबदधता अवशय ही परासाचगक होत ह लककन वयसकतगत गणातमक ववशषताएा अपरासाचगक होत ह जातत की पररघरटना ढाारचागत पररघरटना भ ह और अचधररचनातमक पररघरटना भ

भारत य सामनतवाद क तहत सखत स पदिमातमक शासक जाततयो का परयोग समरच परािशमक उतपादक तनमन जाततयो को जयादातर दववज (दो बार जनम शलय हए) शासको तिा ज़म ादारो क बनधन म बााध रखन क शलए ककया जाता रहा ह बराहमणवादी धमग को बल दन वाली कमग की ववरचारधारा की जड़ इतन गहरी रही ह कक जो भ वयसकत या वयसकतयो क समह उसक अनरप ढलन क शलए तयार नहीा होत ि उनह जातत-तनकाला की ऐस सजा भगतन पड़त ि जो मौत स भ जयादा भयाकर होत ि महनतकश जाततयो क साि बनधन म बााध दन की इस वयवसिा न समगरता म जातत-वणग की इस वयवसिा को आचिगक क अलावा (आचिगकिर) उतप ड़न क शलए काम आनवाली ऐस खास भारत य सामासजक साररचना बना ददया जो अचधशष (सरपलस) क दोहन क शलए इसतमाल की जात रही ह

भारत म वयसकतगत पहरचान क बजाय सामदहक पहरचान पर जातत ववशष म जनम लन क कारण मोबश सिाय हो रचकी पदिम पर और शदधता तिा परदषण की घारणा पर परबल जोर रहा ह दव ज जाततयो को ही शिो तिा परचमो या अततशिो या अछतो स अचधशष क दोहन का लाभ शमलता रहा ह आचिगकिर ववशषताओा वाल भारत य सामनतवाद की य खाशसयत यरोप स तरबलकल शभनन रही ह उतपादन क समबनध बहआयाम माधयमो स एक स दसरी जातत क ब रच साबाध का रप लत रह ह शासन करन सनाओा की कमान साभालन ववजञान जाद रटोना तिा कमगकाणड पर एकाचधकार कायम करन क मामलो

म दववजो का ही एकाकी राज रहा ह इसक अलावा दववज अपन शरषठ सामासजक हशसयत क नात उतपादन क साधनो यर भ तनयनतरण रखत रह ह

बराहमणवादी आदशो को मन की सादहता वशशषठ क धमगसतर और अनय कई सामासजक-धाशमगक पसतको तिा शमिकीय महाकवयो क जररय लखको न सिावपत सतर बना ददया ह

जातत एक सासिाबदध ववषमता की वयवसिा ह यह ककस इासान को दतनया म पदा होन पर ककस रप म पहरचाना जाएगा उसकी सव काररता कस बनग उसकी अधयासतमक पववतरता कस होग मानशसक तौर पर वह अपन को ककस

तरह समवपगत करगा - इसक शलए तनदश दता ह इस परकार वह पहरचान सव कायगता अधयासतमक पववतरता मानशसक समपगण क अनरप इनसानो को ढाल भ दत ह इसक तमाम तनयम होत ह - शशवतव शशषयवतव परषतव क रचसन िकन प न खान हलका होन क ढोन मााजन मलन लप लगान कपड़ तयार करन पहनन जवरात का परयोग करन व बठन उठन आराम करन क रचलन-कफरन शमलन-जलन यातरा करन क बोलन पढन सनन पाठ पढन वववादो को हल करन गाना गान काम करन खलन तिा लड़न क तनयम होत ह जो पदिम स समबसनधत होत ह बराहमणवादी ववरचारधारा की वयवसिा म सामासजक तिा धाशमगक अचधकारो ववशषाचधकार तया पशा तनदशन परशशकषण तिा शशकषण वयसकततव कतगवय तिा वयवहार ईशवरीय मानयता सवा तिा समारोह भलो अपराधो तिा अचधकारो क अततिमणो परसपर सारचार बरचाव तिा बदहषकार गनदा करन तिा शदचधकरण करन दसणडत करन तिा सजा दन क खास तनयम होत ह एक वाकय म कह तो जनम स मतय तक वयसकत क ज वन का एक एक कषण तनयमो स सारचाशलत होता ह

सामासजक पदिम हर समाज की सावगभौशमक ववशषता ह जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक पदिम क सावगभौशमक रप स पहरचान गय सरोत तिा परत क ज वन क परतयक पहल म अवशय मौजद रहत ह अभ भ कछ जाततयो क लोगो की जत पहनन या खास ककसम क भवन का तनमागण करन या खास जानवर की सवारी करन या खास ककसम क वाहन स सफर करन या खास ककसम क कपड़ या जवर पहनन की अनमतत नहीा ह एक ओर भाषा भ सामासजक हशसयत को सापकषय रप स दशागन वाला एक परमख वाहक ह तो दसरी और ववषम जाततयो म बारटा समाज एक ऐस रचभत सचरचाई ह जहाा भाषाओ क पदिमातमक साबाधो तिा सामासजक-आचिगक-साासकततक परभतव का माधयम बन हई ह जातत का पहल भाषा क समरच ढाारचा म मौजद ह परनत यह खास तौर पर शबदो क समह क रप म और अशभवादन करन कषमायारचना करन इचछाओा को वयकत करन आदद क तयशदा सतरो क रप म ददखाय दता ह सजनका ररशतो को कायम करन तिा पररभावषत करन म मदद करन का ववशष कायग होता ह

आम तौर पर बरहमणवाद क पारसपररक परभतव म जातत की महतवपणग रचाररतरतरक ववशषता यह ह कक वयसकत जनम लता ह ककस खास जातत म और इसक बाद वह ककस दसरी जातत की हशसयत कतई हाशसल नहीा कर सकता इसका पररणाम यह रहा कक वयसकत की सामासजक गततश लता पर रोक लग गय यह दहनदतव की अिागत कमग की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा (सजस बौदध मत स उधार शलया गया) स भ जड़ गया धमग का पालन कर और अगल जनम म अचधक ऊा रच दज म दबारा पदा होकर ही हशसयत म सधार ककया जा सकता िा कानन बनान वालो म को जयादातर बरहमण होन क नात उनहोन ऐस सासकार ददय कक धमग की अशभवयसकत वणग-आशरम-घमग क शसदधानत म शमलत ह यहाा कतगवय की पररभाषा का समबनध उस वयसकत की जातत स होता ह

इस परकार हम पात ह कक जाततगत बारटवार तिा शरषठता और बराहयपावादी धमगपरायणता तिा आचिगक शोषण गहराई स परसपर गि हए ह रचाकक दहासा और असहन यता समाज क पदिम म अनततनगदहत ह अत समसत शासक वगो न राजकीय तनतर का नयनतम परयोग कर अचधशष का अचधकतम दोहन करन क शलए अपन एक बहतरीन उपकरण क रप म जातत का परयोग ककया ह सामासजक शरखणयो क ववशभनन सतर रह ह इस शलए उतप डड़त जनता को हमशा-हमशा क शलए दबाय रखन क शलए जातत को बहतरीन उपकरण क रप म परयोग म लाया गया सजसस शासक वगो क खखलाफ उतप डड़तो की एकता कायम करना अचधक कदठन हो गया इस शलए जातत की वयवसिा का सार रप म परयोग मसलमान एवा इसाई शासको न ही नहीा बसलक आज क उन धमगतनरपकष शासक वगीय अशभजातो न भ ककया ह रचाह व काागरस क हो या समाजवादी हो या ककस माकसगवादी रप-राग क

२ जाततयो कौ उतपवि

जाततयो का इततहास ३००० वषग स अचधक पराना ह यह वगग समाज क ववकास राजय क उदय सामनत उतपादन परणाली क वविास और जनजातत समहो की अपन परिाओा तिा रीतत-ररवाजो क बावजद शोषणकारी कवष अिगवयवसिा म लगातार परनत अकसर जबरन आतमसात ककय जान की परकिया क साि अववसचछनन रप स जड़ा रहा ह

भारत य समाज को दख तो हम तनमन मासजलो को पात ह - ईसापवग ३००० वषग स तकरीबन ईसापवग १८००१५०० वषग तक पराक-आयग (पराक-वददक) काल यान आयो या वदो स पहल का काल शसनध घारटी सभयता का काल रहा वहाा की हड़पपा की आबादी म जातत का कोई साकषय नहीा शमलता पर वगीय ववभदीकरण पाया जाता ह शसनध घारटी की सभयता आददम कवष उदयोग और सदरवती सिानो क साि

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

ह दशको तक कमयतनसरट आनदोलन पर साशोधनवाददयो क छाय रहन क कारण इस कायग को समपनन करना और

भ मसशकल रहा

साशोधनवाददयो न खास तौर पर भारत य सामनतवाद की समझ हाशसल करन क परतत यरो-क दित दसषरटकोण और जातत वयवसिा तिा जातत उतप ड़न क परतत आचिगक तनयतववादी दसषरटकोण अपनाया माओवाददयो न पहल क इस साशोधनवादी दसषरटकोण को तयागकर भारत य समाज क अदगध-सामनत रचररतर पर तो साफ नज़ररया पशा ककया

मगर अभ इसक जाततवादी ढाारच और बराहमणवादी ववरचारधारातमक जड़ो क ववशलषण की गहराई स छानब न नहीा कर पाय ह

माओवाददयो न सबस जयादा उतप डड़त तबको - दशलतो तिा जनजाततयो क ब रच अपना आधार कायम ककया और जातत-आधाररत अदगध-सामनत पराचधकार पर परहार भ ककया ह मगर व छआछत (या असपशयता) जातत उतप ड़न

और बरहमणवाद क खखलाफ कोई ववशशषरट तिा ससमसनवत मदहम नहीा रचला पाय ह इस आलख म हमारा परयास

यह होगा कक कछ माओवाददयो न सजस हद तक ववशलषण ककया ह उस को ववकशसत ककया जाय अवशय ही भववषय म इसका अचधक गहराई को ववशलषण करना होगा सजस पारटी दवारा आग कभ हाि म लन की जररत

होग हम इस आलख को अपन दसतावजो पर सझाय गय उन साशोधनो क सदधासनतक आधार क रप म परसतत

कर रह ह जो ववशभनन सिानो पर परसताववत ककय गय ह इस शलए इस आलख को अपन कायगिम घरल

पररससितत और रणन तत एवा कायगन तत म परसताववत इस मदद पर साशोधनो क साि-साि पढा जाना रचादहए

यह आलख दो अधयायो म ववभासजत ह पहल म ह भारत म भारत य सामनतवाद का ववशशषरट रचररतर ह की रचरचाग की गय ह दसर म वगग साघषग पर इसका असर और भारत म नय जनवादी िासनत तिा जातत वयवसिा क

सफाय स साबाचधत सवालो पर रचरचाग की गय ह दोनो अधयायो क अनतगगत कई उप-श षगक भ ह

भारत म भारत य सामनतवाद का ववशशषरट रचररतर

भारत म सामनतवाद की अपन ववशशषरट रचाररतरतरक ववशषताएा रही ह जो यरोप क समान नहीा ि ा अिागत य दास समाज स उभर आय सामानय सामनतवाद क समान नहीा ि ा भारत क सामनतवाद की सबस महतवपणग ववशशषरटता यहाा की बरामाणवादी जातत वयवसिा ही रही ह

१ भारत म जातत वयवसिा

भारत म यहाा की सामासजक साररचना पर जातत वयवसिा दहात समाज वणग ववरचारधारा की पररचणड शसकत बराहमणवादी धमग तिा आदशगवादी दशगनो की परमख शाखाओा का एक-दसर क साि गि होन आदद पहलओा की छाप ह जनम क आधार पर शाशवत ववषमता यहाा की अनोख ववशषता ह ऐस ववषमता म ववशवास दहनद ( और गर-दहनद भ ) लोगो क मन मससतषक पर बड़ सफलता स इस हद तक अाककत हआ ह कक इस दतनया की पराकततक दशा क रप म समझा जाता ह

जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक ररशत आम तौर पर अातगागम जाततगत समहो क इदग-चगदग कायम रहत ह यरोप म सजस परकार वयसकतगत ररशत-नात या साबाध रह ह इसस शभनन यहाा बतनयादी तौर पर समह-आधाररत मल-जोल ही रहा ह जाततगत समह अपन म ही समादहत और पदाइश तौर पर आतम-तनयातरतरत सामासजक पदिम की जह वयवसिा का अाग ह अपन परमपरागत रप म जाततगत समह अपन खास रचाररतरतरक तौर-तरीको स ही एक-दसर क साि मल-जोल रखत ह जाततगत समह ववशष क सदसयो को उस समह ववशष क पहरचान जान वाल परत को स जाना जाता ह सजनम शारीररक ववशषताओा स लकर भाषा पशा पहनावा ररहाइश सिान आदद साासकततक ववशषताओा तक शाशमल ह समह ववशष क परणता उस समह क सदसय होत ह समह स समबदधता अवशय ही परासाचगक होत ह लककन वयसकतगत गणातमक ववशषताएा अपरासाचगक होत ह जातत की पररघरटना ढाारचागत पररघरटना भ ह और अचधररचनातमक पररघरटना भ

भारत य सामनतवाद क तहत सखत स पदिमातमक शासक जाततयो का परयोग समरच परािशमक उतपादक तनमन जाततयो को जयादातर दववज (दो बार जनम शलय हए) शासको तिा ज़म ादारो क बनधन म बााध रखन क शलए ककया जाता रहा ह बराहमणवादी धमग को बल दन वाली कमग की ववरचारधारा की जड़ इतन गहरी रही ह कक जो भ वयसकत या वयसकतयो क समह उसक अनरप ढलन क शलए तयार नहीा होत ि उनह जातत-तनकाला की ऐस सजा भगतन पड़त ि जो मौत स भ जयादा भयाकर होत ि महनतकश जाततयो क साि बनधन म बााध दन की इस वयवसिा न समगरता म जातत-वणग की इस वयवसिा को आचिगक क अलावा (आचिगकिर) उतप ड़न क शलए काम आनवाली ऐस खास भारत य सामासजक साररचना बना ददया जो अचधशष (सरपलस) क दोहन क शलए इसतमाल की जात रही ह

भारत म वयसकतगत पहरचान क बजाय सामदहक पहरचान पर जातत ववशष म जनम लन क कारण मोबश सिाय हो रचकी पदिम पर और शदधता तिा परदषण की घारणा पर परबल जोर रहा ह दव ज जाततयो को ही शिो तिा परचमो या अततशिो या अछतो स अचधशष क दोहन का लाभ शमलता रहा ह आचिगकिर ववशषताओा वाल भारत य सामनतवाद की य खाशसयत यरोप स तरबलकल शभनन रही ह उतपादन क समबनध बहआयाम माधयमो स एक स दसरी जातत क ब रच साबाध का रप लत रह ह शासन करन सनाओा की कमान साभालन ववजञान जाद रटोना तिा कमगकाणड पर एकाचधकार कायम करन क मामलो

म दववजो का ही एकाकी राज रहा ह इसक अलावा दववज अपन शरषठ सामासजक हशसयत क नात उतपादन क साधनो यर भ तनयनतरण रखत रह ह

बराहमणवादी आदशो को मन की सादहता वशशषठ क धमगसतर और अनय कई सामासजक-धाशमगक पसतको तिा शमिकीय महाकवयो क जररय लखको न सिावपत सतर बना ददया ह

जातत एक सासिाबदध ववषमता की वयवसिा ह यह ककस इासान को दतनया म पदा होन पर ककस रप म पहरचाना जाएगा उसकी सव काररता कस बनग उसकी अधयासतमक पववतरता कस होग मानशसक तौर पर वह अपन को ककस

तरह समवपगत करगा - इसक शलए तनदश दता ह इस परकार वह पहरचान सव कायगता अधयासतमक पववतरता मानशसक समपगण क अनरप इनसानो को ढाल भ दत ह इसक तमाम तनयम होत ह - शशवतव शशषयवतव परषतव क रचसन िकन प न खान हलका होन क ढोन मााजन मलन लप लगान कपड़ तयार करन पहनन जवरात का परयोग करन व बठन उठन आराम करन क रचलन-कफरन शमलन-जलन यातरा करन क बोलन पढन सनन पाठ पढन वववादो को हल करन गाना गान काम करन खलन तिा लड़न क तनयम होत ह जो पदिम स समबसनधत होत ह बराहमणवादी ववरचारधारा की वयवसिा म सामासजक तिा धाशमगक अचधकारो ववशषाचधकार तया पशा तनदशन परशशकषण तिा शशकषण वयसकततव कतगवय तिा वयवहार ईशवरीय मानयता सवा तिा समारोह भलो अपराधो तिा अचधकारो क अततिमणो परसपर सारचार बरचाव तिा बदहषकार गनदा करन तिा शदचधकरण करन दसणडत करन तिा सजा दन क खास तनयम होत ह एक वाकय म कह तो जनम स मतय तक वयसकत क ज वन का एक एक कषण तनयमो स सारचाशलत होता ह

सामासजक पदिम हर समाज की सावगभौशमक ववशषता ह जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक पदिम क सावगभौशमक रप स पहरचान गय सरोत तिा परत क ज वन क परतयक पहल म अवशय मौजद रहत ह अभ भ कछ जाततयो क लोगो की जत पहनन या खास ककसम क भवन का तनमागण करन या खास जानवर की सवारी करन या खास ककसम क वाहन स सफर करन या खास ककसम क कपड़ या जवर पहनन की अनमतत नहीा ह एक ओर भाषा भ सामासजक हशसयत को सापकषय रप स दशागन वाला एक परमख वाहक ह तो दसरी और ववषम जाततयो म बारटा समाज एक ऐस रचभत सचरचाई ह जहाा भाषाओ क पदिमातमक साबाधो तिा सामासजक-आचिगक-साासकततक परभतव का माधयम बन हई ह जातत का पहल भाषा क समरच ढाारचा म मौजद ह परनत यह खास तौर पर शबदो क समह क रप म और अशभवादन करन कषमायारचना करन इचछाओा को वयकत करन आदद क तयशदा सतरो क रप म ददखाय दता ह सजनका ररशतो को कायम करन तिा पररभावषत करन म मदद करन का ववशष कायग होता ह

आम तौर पर बरहमणवाद क पारसपररक परभतव म जातत की महतवपणग रचाररतरतरक ववशषता यह ह कक वयसकत जनम लता ह ककस खास जातत म और इसक बाद वह ककस दसरी जातत की हशसयत कतई हाशसल नहीा कर सकता इसका पररणाम यह रहा कक वयसकत की सामासजक गततश लता पर रोक लग गय यह दहनदतव की अिागत कमग की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा (सजस बौदध मत स उधार शलया गया) स भ जड़ गया धमग का पालन कर और अगल जनम म अचधक ऊा रच दज म दबारा पदा होकर ही हशसयत म सधार ककया जा सकता िा कानन बनान वालो म को जयादातर बरहमण होन क नात उनहोन ऐस सासकार ददय कक धमग की अशभवयसकत वणग-आशरम-घमग क शसदधानत म शमलत ह यहाा कतगवय की पररभाषा का समबनध उस वयसकत की जातत स होता ह

इस परकार हम पात ह कक जाततगत बारटवार तिा शरषठता और बराहयपावादी धमगपरायणता तिा आचिगक शोषण गहराई स परसपर गि हए ह रचाकक दहासा और असहन यता समाज क पदिम म अनततनगदहत ह अत समसत शासक वगो न राजकीय तनतर का नयनतम परयोग कर अचधशष का अचधकतम दोहन करन क शलए अपन एक बहतरीन उपकरण क रप म जातत का परयोग ककया ह सामासजक शरखणयो क ववशभनन सतर रह ह इस शलए उतप डड़त जनता को हमशा-हमशा क शलए दबाय रखन क शलए जातत को बहतरीन उपकरण क रप म परयोग म लाया गया सजसस शासक वगो क खखलाफ उतप डड़तो की एकता कायम करना अचधक कदठन हो गया इस शलए जातत की वयवसिा का सार रप म परयोग मसलमान एवा इसाई शासको न ही नहीा बसलक आज क उन धमगतनरपकष शासक वगीय अशभजातो न भ ककया ह रचाह व काागरस क हो या समाजवादी हो या ककस माकसगवादी रप-राग क

२ जाततयो कौ उतपवि

जाततयो का इततहास ३००० वषग स अचधक पराना ह यह वगग समाज क ववकास राजय क उदय सामनत उतपादन परणाली क वविास और जनजातत समहो की अपन परिाओा तिा रीतत-ररवाजो क बावजद शोषणकारी कवष अिगवयवसिा म लगातार परनत अकसर जबरन आतमसात ककय जान की परकिया क साि अववसचछनन रप स जड़ा रहा ह

भारत य समाज को दख तो हम तनमन मासजलो को पात ह - ईसापवग ३००० वषग स तकरीबन ईसापवग १८००१५०० वषग तक पराक-आयग (पराक-वददक) काल यान आयो या वदो स पहल का काल शसनध घारटी सभयता का काल रहा वहाा की हड़पपा की आबादी म जातत का कोई साकषय नहीा शमलता पर वगीय ववभदीकरण पाया जाता ह शसनध घारटी की सभयता आददम कवष उदयोग और सदरवती सिानो क साि

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

भारत म यहाा की सामासजक साररचना पर जातत वयवसिा दहात समाज वणग ववरचारधारा की पररचणड शसकत बराहमणवादी धमग तिा आदशगवादी दशगनो की परमख शाखाओा का एक-दसर क साि गि होन आदद पहलओा की छाप ह जनम क आधार पर शाशवत ववषमता यहाा की अनोख ववशषता ह ऐस ववषमता म ववशवास दहनद ( और गर-दहनद भ ) लोगो क मन मससतषक पर बड़ सफलता स इस हद तक अाककत हआ ह कक इस दतनया की पराकततक दशा क रप म समझा जाता ह

जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक ररशत आम तौर पर अातगागम जाततगत समहो क इदग-चगदग कायम रहत ह यरोप म सजस परकार वयसकतगत ररशत-नात या साबाध रह ह इसस शभनन यहाा बतनयादी तौर पर समह-आधाररत मल-जोल ही रहा ह जाततगत समह अपन म ही समादहत और पदाइश तौर पर आतम-तनयातरतरत सामासजक पदिम की जह वयवसिा का अाग ह अपन परमपरागत रप म जाततगत समह अपन खास रचाररतरतरक तौर-तरीको स ही एक-दसर क साि मल-जोल रखत ह जाततगत समह ववशष क सदसयो को उस समह ववशष क पहरचान जान वाल परत को स जाना जाता ह सजनम शारीररक ववशषताओा स लकर भाषा पशा पहनावा ररहाइश सिान आदद साासकततक ववशषताओा तक शाशमल ह समह ववशष क परणता उस समह क सदसय होत ह समह स समबदधता अवशय ही परासाचगक होत ह लककन वयसकतगत गणातमक ववशषताएा अपरासाचगक होत ह जातत की पररघरटना ढाारचागत पररघरटना भ ह और अचधररचनातमक पररघरटना भ

भारत य सामनतवाद क तहत सखत स पदिमातमक शासक जाततयो का परयोग समरच परािशमक उतपादक तनमन जाततयो को जयादातर दववज (दो बार जनम शलय हए) शासको तिा ज़म ादारो क बनधन म बााध रखन क शलए ककया जाता रहा ह बराहमणवादी धमग को बल दन वाली कमग की ववरचारधारा की जड़ इतन गहरी रही ह कक जो भ वयसकत या वयसकतयो क समह उसक अनरप ढलन क शलए तयार नहीा होत ि उनह जातत-तनकाला की ऐस सजा भगतन पड़त ि जो मौत स भ जयादा भयाकर होत ि महनतकश जाततयो क साि बनधन म बााध दन की इस वयवसिा न समगरता म जातत-वणग की इस वयवसिा को आचिगक क अलावा (आचिगकिर) उतप ड़न क शलए काम आनवाली ऐस खास भारत य सामासजक साररचना बना ददया जो अचधशष (सरपलस) क दोहन क शलए इसतमाल की जात रही ह

भारत म वयसकतगत पहरचान क बजाय सामदहक पहरचान पर जातत ववशष म जनम लन क कारण मोबश सिाय हो रचकी पदिम पर और शदधता तिा परदषण की घारणा पर परबल जोर रहा ह दव ज जाततयो को ही शिो तिा परचमो या अततशिो या अछतो स अचधशष क दोहन का लाभ शमलता रहा ह आचिगकिर ववशषताओा वाल भारत य सामनतवाद की य खाशसयत यरोप स तरबलकल शभनन रही ह उतपादन क समबनध बहआयाम माधयमो स एक स दसरी जातत क ब रच साबाध का रप लत रह ह शासन करन सनाओा की कमान साभालन ववजञान जाद रटोना तिा कमगकाणड पर एकाचधकार कायम करन क मामलो

म दववजो का ही एकाकी राज रहा ह इसक अलावा दववज अपन शरषठ सामासजक हशसयत क नात उतपादन क साधनो यर भ तनयनतरण रखत रह ह

बराहमणवादी आदशो को मन की सादहता वशशषठ क धमगसतर और अनय कई सामासजक-धाशमगक पसतको तिा शमिकीय महाकवयो क जररय लखको न सिावपत सतर बना ददया ह

जातत एक सासिाबदध ववषमता की वयवसिा ह यह ककस इासान को दतनया म पदा होन पर ककस रप म पहरचाना जाएगा उसकी सव काररता कस बनग उसकी अधयासतमक पववतरता कस होग मानशसक तौर पर वह अपन को ककस

तरह समवपगत करगा - इसक शलए तनदश दता ह इस परकार वह पहरचान सव कायगता अधयासतमक पववतरता मानशसक समपगण क अनरप इनसानो को ढाल भ दत ह इसक तमाम तनयम होत ह - शशवतव शशषयवतव परषतव क रचसन िकन प न खान हलका होन क ढोन मााजन मलन लप लगान कपड़ तयार करन पहनन जवरात का परयोग करन व बठन उठन आराम करन क रचलन-कफरन शमलन-जलन यातरा करन क बोलन पढन सनन पाठ पढन वववादो को हल करन गाना गान काम करन खलन तिा लड़न क तनयम होत ह जो पदिम स समबसनधत होत ह बराहमणवादी ववरचारधारा की वयवसिा म सामासजक तिा धाशमगक अचधकारो ववशषाचधकार तया पशा तनदशन परशशकषण तिा शशकषण वयसकततव कतगवय तिा वयवहार ईशवरीय मानयता सवा तिा समारोह भलो अपराधो तिा अचधकारो क अततिमणो परसपर सारचार बरचाव तिा बदहषकार गनदा करन तिा शदचधकरण करन दसणडत करन तिा सजा दन क खास तनयम होत ह एक वाकय म कह तो जनम स मतय तक वयसकत क ज वन का एक एक कषण तनयमो स सारचाशलत होता ह

सामासजक पदिम हर समाज की सावगभौशमक ववशषता ह जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक पदिम क सावगभौशमक रप स पहरचान गय सरोत तिा परत क ज वन क परतयक पहल म अवशय मौजद रहत ह अभ भ कछ जाततयो क लोगो की जत पहनन या खास ककसम क भवन का तनमागण करन या खास जानवर की सवारी करन या खास ककसम क वाहन स सफर करन या खास ककसम क कपड़ या जवर पहनन की अनमतत नहीा ह एक ओर भाषा भ सामासजक हशसयत को सापकषय रप स दशागन वाला एक परमख वाहक ह तो दसरी और ववषम जाततयो म बारटा समाज एक ऐस रचभत सचरचाई ह जहाा भाषाओ क पदिमातमक साबाधो तिा सामासजक-आचिगक-साासकततक परभतव का माधयम बन हई ह जातत का पहल भाषा क समरच ढाारचा म मौजद ह परनत यह खास तौर पर शबदो क समह क रप म और अशभवादन करन कषमायारचना करन इचछाओा को वयकत करन आदद क तयशदा सतरो क रप म ददखाय दता ह सजनका ररशतो को कायम करन तिा पररभावषत करन म मदद करन का ववशष कायग होता ह

आम तौर पर बरहमणवाद क पारसपररक परभतव म जातत की महतवपणग रचाररतरतरक ववशषता यह ह कक वयसकत जनम लता ह ककस खास जातत म और इसक बाद वह ककस दसरी जातत की हशसयत कतई हाशसल नहीा कर सकता इसका पररणाम यह रहा कक वयसकत की सामासजक गततश लता पर रोक लग गय यह दहनदतव की अिागत कमग की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा (सजस बौदध मत स उधार शलया गया) स भ जड़ गया धमग का पालन कर और अगल जनम म अचधक ऊा रच दज म दबारा पदा होकर ही हशसयत म सधार ककया जा सकता िा कानन बनान वालो म को जयादातर बरहमण होन क नात उनहोन ऐस सासकार ददय कक धमग की अशभवयसकत वणग-आशरम-घमग क शसदधानत म शमलत ह यहाा कतगवय की पररभाषा का समबनध उस वयसकत की जातत स होता ह

इस परकार हम पात ह कक जाततगत बारटवार तिा शरषठता और बराहयपावादी धमगपरायणता तिा आचिगक शोषण गहराई स परसपर गि हए ह रचाकक दहासा और असहन यता समाज क पदिम म अनततनगदहत ह अत समसत शासक वगो न राजकीय तनतर का नयनतम परयोग कर अचधशष का अचधकतम दोहन करन क शलए अपन एक बहतरीन उपकरण क रप म जातत का परयोग ककया ह सामासजक शरखणयो क ववशभनन सतर रह ह इस शलए उतप डड़त जनता को हमशा-हमशा क शलए दबाय रखन क शलए जातत को बहतरीन उपकरण क रप म परयोग म लाया गया सजसस शासक वगो क खखलाफ उतप डड़तो की एकता कायम करना अचधक कदठन हो गया इस शलए जातत की वयवसिा का सार रप म परयोग मसलमान एवा इसाई शासको न ही नहीा बसलक आज क उन धमगतनरपकष शासक वगीय अशभजातो न भ ककया ह रचाह व काागरस क हो या समाजवादी हो या ककस माकसगवादी रप-राग क

२ जाततयो कौ उतपवि

जाततयो का इततहास ३००० वषग स अचधक पराना ह यह वगग समाज क ववकास राजय क उदय सामनत उतपादन परणाली क वविास और जनजातत समहो की अपन परिाओा तिा रीतत-ररवाजो क बावजद शोषणकारी कवष अिगवयवसिा म लगातार परनत अकसर जबरन आतमसात ककय जान की परकिया क साि अववसचछनन रप स जड़ा रहा ह

भारत य समाज को दख तो हम तनमन मासजलो को पात ह - ईसापवग ३००० वषग स तकरीबन ईसापवग १८००१५०० वषग तक पराक-आयग (पराक-वददक) काल यान आयो या वदो स पहल का काल शसनध घारटी सभयता का काल रहा वहाा की हड़पपा की आबादी म जातत का कोई साकषय नहीा शमलता पर वगीय ववभदीकरण पाया जाता ह शसनध घारटी की सभयता आददम कवष उदयोग और सदरवती सिानो क साि

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

म दववजो का ही एकाकी राज रहा ह इसक अलावा दववज अपन शरषठ सामासजक हशसयत क नात उतपादन क साधनो यर भ तनयनतरण रखत रह ह

बराहमणवादी आदशो को मन की सादहता वशशषठ क धमगसतर और अनय कई सामासजक-धाशमगक पसतको तिा शमिकीय महाकवयो क जररय लखको न सिावपत सतर बना ददया ह

जातत एक सासिाबदध ववषमता की वयवसिा ह यह ककस इासान को दतनया म पदा होन पर ककस रप म पहरचाना जाएगा उसकी सव काररता कस बनग उसकी अधयासतमक पववतरता कस होग मानशसक तौर पर वह अपन को ककस

तरह समवपगत करगा - इसक शलए तनदश दता ह इस परकार वह पहरचान सव कायगता अधयासतमक पववतरता मानशसक समपगण क अनरप इनसानो को ढाल भ दत ह इसक तमाम तनयम होत ह - शशवतव शशषयवतव परषतव क रचसन िकन प न खान हलका होन क ढोन मााजन मलन लप लगान कपड़ तयार करन पहनन जवरात का परयोग करन व बठन उठन आराम करन क रचलन-कफरन शमलन-जलन यातरा करन क बोलन पढन सनन पाठ पढन वववादो को हल करन गाना गान काम करन खलन तिा लड़न क तनयम होत ह जो पदिम स समबसनधत होत ह बराहमणवादी ववरचारधारा की वयवसिा म सामासजक तिा धाशमगक अचधकारो ववशषाचधकार तया पशा तनदशन परशशकषण तिा शशकषण वयसकततव कतगवय तिा वयवहार ईशवरीय मानयता सवा तिा समारोह भलो अपराधो तिा अचधकारो क अततिमणो परसपर सारचार बरचाव तिा बदहषकार गनदा करन तिा शदचधकरण करन दसणडत करन तिा सजा दन क खास तनयम होत ह एक वाकय म कह तो जनम स मतय तक वयसकत क ज वन का एक एक कषण तनयमो स सारचाशलत होता ह

सामासजक पदिम हर समाज की सावगभौशमक ववशषता ह जातत-आधाररत भारत य समाज म सामासजक पदिम क सावगभौशमक रप स पहरचान गय सरोत तिा परत क ज वन क परतयक पहल म अवशय मौजद रहत ह अभ भ कछ जाततयो क लोगो की जत पहनन या खास ककसम क भवन का तनमागण करन या खास जानवर की सवारी करन या खास ककसम क वाहन स सफर करन या खास ककसम क कपड़ या जवर पहनन की अनमतत नहीा ह एक ओर भाषा भ सामासजक हशसयत को सापकषय रप स दशागन वाला एक परमख वाहक ह तो दसरी और ववषम जाततयो म बारटा समाज एक ऐस रचभत सचरचाई ह जहाा भाषाओ क पदिमातमक साबाधो तिा सामासजक-आचिगक-साासकततक परभतव का माधयम बन हई ह जातत का पहल भाषा क समरच ढाारचा म मौजद ह परनत यह खास तौर पर शबदो क समह क रप म और अशभवादन करन कषमायारचना करन इचछाओा को वयकत करन आदद क तयशदा सतरो क रप म ददखाय दता ह सजनका ररशतो को कायम करन तिा पररभावषत करन म मदद करन का ववशष कायग होता ह

आम तौर पर बरहमणवाद क पारसपररक परभतव म जातत की महतवपणग रचाररतरतरक ववशषता यह ह कक वयसकत जनम लता ह ककस खास जातत म और इसक बाद वह ककस दसरी जातत की हशसयत कतई हाशसल नहीा कर सकता इसका पररणाम यह रहा कक वयसकत की सामासजक गततश लता पर रोक लग गय यह दहनदतव की अिागत कमग की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा (सजस बौदध मत स उधार शलया गया) स भ जड़ गया धमग का पालन कर और अगल जनम म अचधक ऊा रच दज म दबारा पदा होकर ही हशसयत म सधार ककया जा सकता िा कानन बनान वालो म को जयादातर बरहमण होन क नात उनहोन ऐस सासकार ददय कक धमग की अशभवयसकत वणग-आशरम-घमग क शसदधानत म शमलत ह यहाा कतगवय की पररभाषा का समबनध उस वयसकत की जातत स होता ह

इस परकार हम पात ह कक जाततगत बारटवार तिा शरषठता और बराहयपावादी धमगपरायणता तिा आचिगक शोषण गहराई स परसपर गि हए ह रचाकक दहासा और असहन यता समाज क पदिम म अनततनगदहत ह अत समसत शासक वगो न राजकीय तनतर का नयनतम परयोग कर अचधशष का अचधकतम दोहन करन क शलए अपन एक बहतरीन उपकरण क रप म जातत का परयोग ककया ह सामासजक शरखणयो क ववशभनन सतर रह ह इस शलए उतप डड़त जनता को हमशा-हमशा क शलए दबाय रखन क शलए जातत को बहतरीन उपकरण क रप म परयोग म लाया गया सजसस शासक वगो क खखलाफ उतप डड़तो की एकता कायम करना अचधक कदठन हो गया इस शलए जातत की वयवसिा का सार रप म परयोग मसलमान एवा इसाई शासको न ही नहीा बसलक आज क उन धमगतनरपकष शासक वगीय अशभजातो न भ ककया ह रचाह व काागरस क हो या समाजवादी हो या ककस माकसगवादी रप-राग क

२ जाततयो कौ उतपवि

जाततयो का इततहास ३००० वषग स अचधक पराना ह यह वगग समाज क ववकास राजय क उदय सामनत उतपादन परणाली क वविास और जनजातत समहो की अपन परिाओा तिा रीतत-ररवाजो क बावजद शोषणकारी कवष अिगवयवसिा म लगातार परनत अकसर जबरन आतमसात ककय जान की परकिया क साि अववसचछनन रप स जड़ा रहा ह

भारत य समाज को दख तो हम तनमन मासजलो को पात ह - ईसापवग ३००० वषग स तकरीबन ईसापवग १८००१५०० वषग तक पराक-आयग (पराक-वददक) काल यान आयो या वदो स पहल का काल शसनध घारटी सभयता का काल रहा वहाा की हड़पपा की आबादी म जातत का कोई साकषय नहीा शमलता पर वगीय ववभदीकरण पाया जाता ह शसनध घारटी की सभयता आददम कवष उदयोग और सदरवती सिानो क साि

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

आम तौर पर बरहमणवाद क पारसपररक परभतव म जातत की महतवपणग रचाररतरतरक ववशषता यह ह कक वयसकत जनम लता ह ककस खास जातत म और इसक बाद वह ककस दसरी जातत की हशसयत कतई हाशसल नहीा कर सकता इसका पररणाम यह रहा कक वयसकत की सामासजक गततश लता पर रोक लग गय यह दहनदतव की अिागत कमग की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा (सजस बौदध मत स उधार शलया गया) स भ जड़ गया धमग का पालन कर और अगल जनम म अचधक ऊा रच दज म दबारा पदा होकर ही हशसयत म सधार ककया जा सकता िा कानन बनान वालो म को जयादातर बरहमण होन क नात उनहोन ऐस सासकार ददय कक धमग की अशभवयसकत वणग-आशरम-घमग क शसदधानत म शमलत ह यहाा कतगवय की पररभाषा का समबनध उस वयसकत की जातत स होता ह

इस परकार हम पात ह कक जाततगत बारटवार तिा शरषठता और बराहयपावादी धमगपरायणता तिा आचिगक शोषण गहराई स परसपर गि हए ह रचाकक दहासा और असहन यता समाज क पदिम म अनततनगदहत ह अत समसत शासक वगो न राजकीय तनतर का नयनतम परयोग कर अचधशष का अचधकतम दोहन करन क शलए अपन एक बहतरीन उपकरण क रप म जातत का परयोग ककया ह सामासजक शरखणयो क ववशभनन सतर रह ह इस शलए उतप डड़त जनता को हमशा-हमशा क शलए दबाय रखन क शलए जातत को बहतरीन उपकरण क रप म परयोग म लाया गया सजसस शासक वगो क खखलाफ उतप डड़तो की एकता कायम करना अचधक कदठन हो गया इस शलए जातत की वयवसिा का सार रप म परयोग मसलमान एवा इसाई शासको न ही नहीा बसलक आज क उन धमगतनरपकष शासक वगीय अशभजातो न भ ककया ह रचाह व काागरस क हो या समाजवादी हो या ककस माकसगवादी रप-राग क

२ जाततयो कौ उतपवि

जाततयो का इततहास ३००० वषग स अचधक पराना ह यह वगग समाज क ववकास राजय क उदय सामनत उतपादन परणाली क वविास और जनजातत समहो की अपन परिाओा तिा रीतत-ररवाजो क बावजद शोषणकारी कवष अिगवयवसिा म लगातार परनत अकसर जबरन आतमसात ककय जान की परकिया क साि अववसचछनन रप स जड़ा रहा ह

भारत य समाज को दख तो हम तनमन मासजलो को पात ह - ईसापवग ३००० वषग स तकरीबन ईसापवग १८००१५०० वषग तक पराक-आयग (पराक-वददक) काल यान आयो या वदो स पहल का काल शसनध घारटी सभयता का काल रहा वहाा की हड़पपा की आबादी म जातत का कोई साकषय नहीा शमलता पर वगीय ववभदीकरण पाया जाता ह शसनध घारटी की सभयता आददम कवष उदयोग और सदरवती सिानो क साि

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

वयापार पर आधाररत वगग ममाज ि इस सभयता क पतन क बाद १२०० सालो तक असभयिा का यग रचला लगभग ईसापवग १८०० वषग क दौरान और पसशरचम स आयो क आगमन क साि पराक-वगीय स वगीय समाज म सािमण का काल शर हआ िा आयो न लोह का परयोग शर ककया और कवष ववकशसत की (ईसापवग १००० स ६०० वषग तक) मानव की ससिर बससतयो को सिावपत ककय जान पर हल क परयोग पर आधाररत कवष ववकशसत होन लग

भारी हाल का परयोग करत हए खत करन वाली आयग तिा अनायग जनजाततयो म वपतसिा अससततव म आय परनत दकषकषण म इस पर काल खणड म मातसिातमक वयवसिा बरकरार रही जहाा लोग अभ आददम कवष और पशओा क पालन-पोषण पर ही तनभगर रह (दकषकषण म लोह का परयोग ईसापवग २०० वषग क आसपास सतवाहनो क शासन काल म शर हआ)

वददक काल म ववशभनन आयग पशरचारक जनजाततयो और मल तनवास जनजाततयो क आपस रटकराव और लोह क वयापक इसतमाल क साि कवष क ववकास क ब रच स वगग समाज का उदय हआ ह यह वगग समाज रचार वणो क रप म मौजद रहा इस परकार हम यह कह सकत ह कक उिर-वददक और उपतनषद काल म पाय जान वाल रचार वणग दरअसल वगग समाज का रप ि वददक आयग पहल ही अशभजातो (रजनय) पजाररयो (बरहमण) और कब ल क सामानय जनो (ववस) म ववभासजत ि राजनयो तिा बराहमणो का ज वन ववरारट यजञो क दौरान ववसो की और स उनह दी जान वाली भरट (दान या बशल क रप म) स रचला आ रहा िा

इस मासजल पर कब ल और गोतर पर आधाररत जनजात य सागठनो का वरचगसव अभ कायम रहा कतरबलाई वयवसिा क वगग समाज म रपानतररत हो जान और ववसो तिा पराध न जनजाततयो की ओर स पाय गय नजरानो एवा तोहफो स अपना ज वन रचलान वाल वयापक वगो या वणो क उभर आन की परकिया म बराहमण तिा कषतर य वणो का शासक वगो क रप म उदय हआ तब तक पशरचासक जनजाततयो न कवष अपना ली ि और मखखय तिा पजारी कतरबल िमश कषतर य तिा बरहमण वणो म शाशमल ककय जा रह ि आयो तिा अनायो क ब रच की पराध न जनजाततयो स ध र-ध र शि वणग न आकार गरहण ककया घरल गलाम मौजद रही मगर मवशशयो की दखभाल और जम न जोतन का काम करन वाल लोग मलत वशय वणग क ककसान (गोतर- आधाररत ववसो क ब रच स अचधक वयापक वशय वणग का उदय हआ) और पराध न शि वणग क शरशमक ही होत ि बनदी दास और सबस तनमन वणग क रप म शि तब अससततव म आय जब कवष परमख उतपादन वयवसिा क रप म उभर आई राजय का उदय ईसापवग ५०० वषग क आसपास हआ

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

गागा यमना तिा शसनध क तरटो पर १२ बड़-बड़ गणराजयो की सिापना उिर म मगध तिा कोशल सामराजयो और दकषकषण सतवाहन सामराजय की सिापना (ईसापवग २४० वषग क आसपास) स वगीय समाज को और राजय क उदय की शरआत हई होग ईसापवग ६०० वषग स लकर रचौि ईसव ा शताबदी तक का काल शदो क शरम पर आधाररत कवष क ववसतार वयापार क उतिान तिा पतन और सामनतवाद क उदय क काल रहा ह

वणागशरम की ववरचारधारा इस वगीय ससितत को परतततरब ातरबत करत रही और इस वगीय ससितत को कषतर य तिा बरहमण शासको क दहत म पषरट करत रही बराहमणो दवारा ररच गय और कषतरतरयो दवारा समचिगत ववरारट यजञ वशय ककसानो तिा वयापाररयो क शलए भारी बोझ और उतपादक शसकतयो क ववकास क शलए भ बड़ बन गय इसस वणो क ब रच त ख रटकराव पदा हो गय वगो क ब रच भद त ख होत जान क सनदभग म य वणगभद जड़ हो गय लककन नवोददत वणग (दोनो तनमन वणो) और अपराध न जनजात य समदायो न बराहमणवादी शरषठता वाली इस ववरचारधारा तिा वणग पदिम को सव कार नहीा ककया लोकायत महाव र बौदध एवा अनय ववरोध पािो तिा दाशगतनक वयवसिाओा क उभार न वददक यजञ-आधाररत बरहमणवाद तिा वणग-आधाररत पदिम को रचनौत द डाली शशलप साघो म सागदठत शशलपकारो तिा वयापाररयो और अदगध-जनजात य राजाओा तिा मखखयाओा न इन पनधो को अपना समिगन ददया बाद म जस-जस मौयग शासन की सिापना क दौरान राजय सदढ हो उठा यजञ का महतव घरटता गया (कर वयवसिा न इसका सिान ल शलया) और कवष अिगवयवसिा सदढ हो गय वस-वस खद बरामाणवाद बौदध मत स कमग क शसदधानत और गोशत खान को वसजगत करन जस कछ उसलो का उधार लत हए रपानतर की परकिया स गजरा लककन परारच न भारत म बरहमणवाद न राजय क ववकास तिा सदढीकरण म का ज भत भशमका तनभाय ओार वणो क रप म वगग समाज का ववकास तिा गठन ककया

ईसापवग त सरी सदी म भारत का पहला बड़ा पणगतः सिावपत राजय मागयग सामराजय इस नय हकीकत की तसव र पश कर रहा िा वशय वणो क ब रच क दौलतमाद वयापाररयो महाजनो तिा ज़म ादारो क वगग को कलीन वगग और नौकरशाही सजस पौर-जनपद कहा जाता िा म शाशमल कर शलया गया इस दौर क बाद-स बराहमणो िो यजञ आयोसजत करन क

अपन परापरागत पशो स हरटन पर नौकरशाही म सिान शमला और य राजा क शसकतशाली सलाहकार तिा मातर बन गय

नय ककसम का यह राजय वषयो स कर वसलन और (बनदी) शिो स शरम करवान पर आधाररत िा मशहर कौदरटलय या रचाणकय क अिगशासतर न इस राजय का मागगदशगन ददया यह ककस धाशमगक आडमबर

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

क तरबना राजय-कौशल का यान हकमत कस रचलाय जाय इसका पहला बबाक वणगन िा अिगशासतर का राजय ऐसा कसनदकत राजय िा सजसन कवष तिा वयापार क ववसतार का दातयतव समभाला खनन पर इजारदारी कायम की शि समहो को ऐस जम नो पर बसाया सजनह साफ ककया तिा हल रचलान लायक बनाया जा सकता िा खत करन क शलए आवशयक रच जो तिा शस ारचाई जस आवररचना परदान की स ता जम नो पर राजय स ध-स ध बनदी शिो स जबरन शरम करवात हए खत कराता िा जबकक राषर जम नो पर मकत ककसान (वशय) खद खत करत ि और अलग-अलग मौको पर इनस कर वसल ककए जात ि स ता जम न को बढत जान की कफराक म जयादा स जयादा जनजात य समदायो पर कबजा कायम ककया जाता िा और उनह बनदी शि शरशमक म पररवतत गत ककया जाता िा जहाा गलाम मौजद रही वहाा भसवाम गाहपतत या राजय अपन एकतरतरत ककय गय धान का सासकरण (परोसशस ाग) करन और कछ वसतओा का उतपादन करन क शलए परमखता स इनहीा गलामो को घरल कायो म लगात रह

इस दौर तक शि वणग क अगआ ककसानो और शरशमको का वगग सदढ हो रचका िा लककन शहरी इलाको म वयापार करन वाल तिा यहीा बस जान वाल वशय खद को अपन ककसान तरबरादरो स अलग करन लग बाद की सददयो म खत -ककसान शिो की ववशषता बनकर रह गय साधारण मकत ककसानो को शि वणग म न रच धकल ददया गया जबकक वशय वणग वयापाररयो तिा महाजनो का वगग बन गया

उिर भारत म मौयग सामराजय क पतन क बाद सवया-सापणग गराम ण वयवसिा सिावपत होन लग ि जनजात य कतरबलो को आतमसात ककय जान की परकिया म जाततयो का ववसतार हआ ह जातत म रपानतररत हो रचकी जनजाततयो क दव -दवताओा को बराहमण कत ककया गया और जबरन बराहमण वयवसिा क अध न लाया गया यजवद काल की वणग वयवसिा का सामासजक आधार कालानतर म सिावपत हई जातत वयवसिा क सामासजक आधार स तरबलकल अलग िा

यजवद काल क दौरान जब लोह क हल स कवष और उतपादन को अपनाया जान लगा तो आयो न पराध न ककए गय अनायो स उतपादन करवाना शर कर ददया और उनक शलए शिो का वणग काफी िा आयग लोगो और शासक वगग क ब रच भद करन क शलए वशय बराहमण और कषतरतरय क ब रच का बारटवारा काफी िा मगर अब सवया-सापणग गाावो क शलए रचार वणो क वयवसिा काफी नहीा मालम हई

कवष और दसतकारी क ववसतार की परकिया म और नय दहात समाज को सिापना की परकिया म अनक शि जाततयाा कायम हई वासतववक खत करन वाल शि और शशलपकार शि का भद पदा हआ वशय वाखणजय तक स शमत रह गय शिो की आबादी छलााग मारत हए बढत गय जबकक वशय साखया म कम होत-होत अलपसाखया म पहारच गय वणो की जाततयो बन गय ा भारत क रचार वणो की वयवसिा म

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

कषक और शशलपकार शिो की ससितत म रह जबकक रचमार महार कसाई आदद क जाततगत कायग सजनह तचछ काम समझा जाता िा पाररवाररक दासो स करवाय जात रह भारत य सामनत समाज म रचार वणो क अलावा अततशिो या पारचमाओा का पाारचवा वगग अससततव म आया इसम सबस जयादा दब-करचल तबक अछत शाशमल ि सजस दौरान वशयो की बहसाखया शिो क सतर को और सरकत जा रही ि और शिो की आबादी बढ रही ि भारी काम करान क शलए अछतो का पाारचवाा वणग इजाद ककया गया वणग वयवसिा की बतनयाद िो सदढ करन और शिो को दबान म कमग क शसदधानत न परमख भशमका तनभाय ह रचौि और पाारचव वणग की इस ववरचारधारा का पाठ पढा-पढकर दबाया जा सका कक वणग वयवसिा ईशवर-परदत ह और इस बबस सहत जान क अलावा कोई रचारा नहीा कयोकक आखखर तकदीर ही सबस बड़ ताकत ह इस सादहता का जो भ उललाघन करता उस गाभ र पररणामो का बोध कराया गया

अछत जाततयो की साखया इस दौर म बहत जयादा बढत गय ईसापवग रचौि शताबदी स ही अछतो का सनदभग आता ह शमसाल क तौर पर पताजशल म यहाा दो किसमो क शिो का उललख शमलता ह - तनराचशरत (बाहर छोड़ गय) और आचशरत लककन इनकी साखया स शमत ही रही िमश इनम नय- नय जनजात य समहो को शाशमल ककया जाता रहा लककन सामात दौर म इनकी साखया बहत जयादा बढ गय शमसाल क तौर पर रचमार और राजक लोगो को अछत क दज म धकला गया जागलजम न आज ववका क साधनो और आजादी स वाचरचत ककय जान क बाद जबरन पराध न बनाय गय जनजात य समहो को भ अछत क दज म ला परटका गया कछ शशलपकार समहो को भ शिो स अततशि की

कतारो म धकला गया इनम मखयत व बनधआ खततहर शरशमक ि सजनह धाशमगक फरमान क कारण अपन समपवि (जस सोन) और जम न क माशलकान क अचधकार स वाचरचत ककया गया उनका धमग यहीा िा - पर गााव क शलए खास कर भसवाम वगग क शलए शरम करत जाना परनत उनक शलए गााव स बाहर कछ दरी पर रहना जररी हो गया कयोकक उनकी साया भ परदवषत करन वाली मान जान लग भौततक अससततव क इस तनमन सतर और शाशवत गलाम की इस अवसिा म जकड़ जान क कारण इन अछत शरशमको स अचधकतम अचधशष हड़पना ममककन हो गया

मनसमतत जो दसरी ईसव ा सदी म सामन आय सामनत वयवसिा की का ज सातरबत हई इसन सामनत वयवसिा को तरबलकल सरटीक ववरचारधारातमक वधता परदान की इस क जररय परततपाददत ककय जान वाल ववरचार शोषक वगो दवारा बहसाखया की आजादी पर परततबनध लगान और उस तरबलकल चगरी हई हालत म पहारचा दन को जायज ठहरान म काम आत ि रीतत क अनसार परदषण और शदधता की ववरचारधारा कवष एवा शहरी अिगवयवसिा क शलए अदगध-दासो (अछतो) क वगग को जायज ठहरान का साधन बन

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

लगभग रचौि ईसव ा सदी स छठी ईसव ा सदी तक सामनतवाद का सदढीकरण हो जान क साि जातत पर आधाररत जातत वयवसिा बहत जयादा जड़ और बहद उतप ड़णकारी हरन लग इस काल स सामनतवाद ववकशसत हआ और बराहमणवादी दहादतव तिा जातत की वयवसिा न अपना जड़ रप गरहण कर शलया

समरच भारत म यह परकिया सामातवाद क उभरन क साि सपषरट रप स जड़ रही ह इस दौरान तरबरचौशलयो का एक वगग पदा हआ सजसन शरशमक जनता स राजसव या पदावार क दहसस क रप म अचधशष का दोहन ककया इसक साि-साि गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा भ ववकशसत हई त सरी ईसव ा सदी क बाद रोम सामराजय क पतन क साि ही परमखता स मगध कोशल तिा सतवाहन सामराजयो क पतन क कारण वयापार तिा शशलपकार साघो क कमजोर होत जान मिा का पररचलन शसकड़त जान शहरो म चगरावरट होत जान और शशलपकारो क गााव-गााव म जाकर बसत जान न सामनतवाद क उदय क शलए पररससितत तयार कर दी बराहमणो बौदध मठो तिा फौज अफसरो को अनदान क रप म जम न दी गय यह परकिया दसरी ईसव ा सदी म सतवाहन शासन और रचौि ईसव ा सदी म गपत शासन क दौरान शर हई मगर इसका ववसतार पाारचव ा ईसव ा सदी म ही हो पाया सातव ा ईसव ा सदी स लकर राजसव एकतरतरत करन क शलए सामनत तरबरचौशलयो को तनयकत करना और उनह परशासकीय कायग सौपना आम बात हो गय

उभरत सामनतबाद क दौर म बराहमणो को अनदान क रप म जम न क ववतरण का अिग यह हआ कक व शर स ही सामनत वगग का दहससा बन रह गय इस दौर म जाततयो का असर भ वयापक रप लता गया तनसशरचत रीतत-ररवाज वाली जनजाततयो क शलए पहल इसतमाल ककय जान वाल जातत शबद न वणग का रप ल शलया ध र-ध र जातत न वणग का सिान ल शलया और यही लोगो क एक-दसर स बाध रहन का मखय साागठतनक रप बन गया गाावो की खत क शलए या सामासजक ज वन क शलए आवशयक पशगत ववशषजञता-परापत जाततयाा तिा उपजाततयो बड़ साखया म ववकशसत होत गय ा बड़ गाावो म बढई लोहार रचमड़ा सखान वाल मर मवशशयो की खाल उधड़न वाल आदद क साि-साि नाई धोब और पजारी भ मौजद रह इसक अलावा इस दौर म अछत जाततयो की तादाद भ काफी जयादा बढत गय उनका एकमातर धमग पर गााव क शलए ववशष कर भसवाम वगग क शलए शरम करना लककन उनह रहना होता िा गााव स कछ दर कयोकक उनकी साया को भ परदवषत करन वाली माना जान लगा िा भौततक अससततव क सबस तनमन सतर तिा शाशवत गलाम की रातग म धकल गय इन अछत शरशमको स अचधशष का अचधकतम दोहन करना साभव हो गया

जातत क इस ढाारच क सदढीकरण की परकिया मखयत दसव ा सदी तक मोहममद गजन क छापो स पहल तक परी हो रचकी ि सामनत वगो न रचातवणग वयवसिा को खड़ा रखा बौदध मत रखन का दावा करन

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

वाल शशक भ रचातवगणग वयवसिा को मजबत रखन म गवग महसस करत रह तरहव ा ईसव ा सदी म उिर भारत म गलाम की वयवसिा क माधयम स तकग सिा की सिापना न सामनत उतपादन परणाली म महतवपणग दौर ला उपससित ककया उनहोन परशासन को क िीकत [कया और राजसव एकतरतरत करन की जयादा वयवससित वयवसिा लाग की उनहोन जातत क जड़ ढाारचो को भ अपना शलया

सार-साकषप

इस परकार हम भारत म यह पात ह कक समाज म वगग ववभद क उदय क साि ही इनहोन मलत वणग का रप और बाद म जातत का रप ल शलया यहाा जातत और वगग क ब रच करीब अनतरसमबनि रहा ह कछ दौरो म य दौनो ही लगभग पयागयवारच रह ह अनय दौरो म य परी तरह पयागयवारच तो नहीा रह पर उतप डड़त अवशय ही शि या पारचम जाततयो क समह स ही होत ि जबकक उतप ड़क दववज जाततयो क समह स होत ि कछ जाततयो म जस वशयो म एक तबका शासको म शाशमल हआ जबकक शष शाशसतो म जातत की साररचनाएा भल ही जड़ रहीा हो कफर भ गततश लता का ततव खास तौर पर उचरच जाततयो और उनम भ बराहमणो क बजाय जयादातर कषतर यो म ही रहा ह

पराक-वददक काल म शसनध घारटी सभयता (ईसापवग २००० वषग स पहल) क दौरान ककस न ककस पराराशभक रप म वगो का अससततव रहा मगर जाततयाा ककस भ रप म मौजद नहीा रहीा

अगल दौर म जब ईसापवग १८०० वषग क आसपास वददक आयो न परवश ककया तभ स वगग क वणग का रप ल शलया इततहास म यही जातत का मबस पहला पवगज मालम होता ह आयग जनजाततयो तिा मल िववड़ सभयताओा तिा जनजाततयो क ब रच रटकराव तिा आतमसात होन की लमब काल तक रचली परकिया क दौरान जस-जस गोतर पर आधाररत साबाध रटरटत गय और कवष का ववकास हआ वस-वस वणग उभर आय ह उम दौर म वगग का यही रप रहा वणग वस जातत तो नहीा िा जसा जातत को आज जाना जाता ह मगर वणग स ही जातत की उपज हई ह कषतर य और बरहमण दोनो ही ऊपरी वणग रह ह ईसापवग सातव ा सदी क आसपास यही व वगग ि सजनस जनजाततयो को अचधकारशाही (मखखया आदद) उभरी इस अचधकारशाही न वशयो (या ववसो) तिा शिो पर तनयनतरण कायम ककय रखा अभ राजय उभर नहीा ि मगर वणागशरम धमग न अपन आरचार-सादहता तिा अपना तनयनतरण कायम रखा इस दौर म वणग ओर जातत तरबलकल एक-समानय रह ह

ईसापवग ५०० वषग स राजय की सबस पहल साररचनाओा का दौर शर होता ह इस दौर म वणग और जातत क समबनध कछ हद तक बदल गय ववशभनन वणो क ब रच वगग ववभदीकरण होन लगा बरहमण लोग

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

परशासन क कायो म जम गय और महाजन (वयापारी) तिा भसवाम बन वशयो म महाजन (वयापारी) धन भसवाम और शशलपकार रह समय क साि शि भाड़ पर रख जान वाल खततहर शरशमक बन गय और उनकी परकतत भ बदल गय इस परकार अब वणग और वगग क वागरच उतन सजयादा समानता नहीा रह गय सजतन इसस पहल क दौर म रही ि इस परवती-सामनतवादी राजय क शासक वगग कषतर य वणग बरहमण वणग तिा वशय वणग क ऊपरी तबक स बन वशय वणग का एक दहससा शासक वगग का दहससा बन गया जबकक इस वणग का दसरा दहससा शाशसत वगग का बना रह गया याद रखन वाली अनय बात यह ह कक यह वणग वयवसिा अभ भ परी तरह जड़ जातत वयवसिा नहीा बन ि अभ भ एक वणग स दसर वणग म कछ गततश लता समभव ि जाततयाा अगली मासजल म ही ववकशसत हई तिा जड़ बन गय ा

रचौि ईसव सदी क आसपास स सामनतवाद का सदढीकरण होन क साि ही जातत न अपना मौजदा जड़ रप असखतयार कर शलया इस दौर म असाखय जाततयाा ववकशसत हई और गााव-गााव की सवया-सापणग अिगवयवसिा क भ तर अलग-अलग पशगत भशमका तनभान वाल अलग-अलग अातगागम समदाय क रप म सदढ हई य जाततयाा वयसकत ववशष की पहरचान या सामासजक तिा आचिगक मलजोल की परधान इकाई बन राय सामनतवाद क ववकास क साि-साि जो अनचगनत जाततयाा ववकशसत हई व पहल क दौर क वयापक वणो स शभनन रहीा लककन शासक वगो न इनह वणागशरम धमग क ढाारच म ही ठास ददया हाल म ररच गय वणगसासकार क शसदधानत क अनरप ववशभनन जाततयो म नय-नय परवश करन वालो को भ उपयकत दजाग ददया गया इस तरह अब वणग कोई अनतयागम समह नहीा रहा बसलक मोरट तौर पर तमाम जाततयो क दज को दशागन वाली शरण बन गया

इस दौर म तिाकचित अछत जातत गलाम की तरह ज न को अशभशपत जातत क रप म उभर आय वगग और जातत क ब रच का साबाध इस परकार इस दौर म बहत हद तक कफर स कायम हआ और सदढ हो गया जातत वयवसिा पहल स कहीा अचधक जड़ हो जान क कारण अब जातत ववशष क सदसयो क ऐस ककस पश या काम म शाशमल होन पर रोक लगान क शलए सखत कानन बन जो उनक शलए तनसशरचत नहीा ककय गय ि इस परकार वयसकत की जातत और पशा या या कह कक समाज वयवसिा म वयसकत का सिान (दजाग) उतपादन क समबनधो म तनसशरचत सिान क साि-साि उतपादन क साधनो पर माशलकाना होना या न होना और इस परकार वयसकत का वगग जनम स ही तय ककया जान लगा

और मरत दम तक वही का वही बना रहा ककस वगग ववशष म शमसाल क तौर पर ककसानो म ववशभनन जाततयाा हो सकत ि ा मगर ककस जातत का वगग ववशष म हमशा क शलए तनसशरचत सिान ही होता िा जस गााव का तचछ सवक खततहर शरशमक शशलपकार ककसान महाजन (वयापारी) पजारी जम ादार

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

सामनत तरबरचौशलया परशासक आदद जातत और वगग क ब रच यह सखत अातरसाबाध खास तौर पर सवया-सापणग गराम ण अिगवयवसिा क सतर पर जड़ बना रह गया लककन कवल शासक वगो क ब रच इसक कछक अपवाद रह शासक वगग मोरट तौर पर बरहमण कषतर य तिा वशयो क ऊपरी दहसस क ही होत ि मगर कई दफा अनय जाततयो क सदसय या ववदश आिानता यदध म ज तन पर शासक वगो म शाशमल होत ि इनम स कछ शासको न कषतरतरय का दजाग अपना शलया (जस की उिर भारत म) लककन अनय शासको न अपना पहल का शि या मसलमान दजाग बरकरार रखा लककन उनहोन भ जातत वयवसिा म समगर तौर पर कोई बड़ा पररवतगन नहीा ककया वासतव म पर सामात दौर म शासक वगो न अपन शोषण और वगग शासन को आसान बनान तिा सदढ करन क शलए जातत वयवसिा का परा परयोग ककया

इस तरह हम दखत ह की भारत म वगो क उदय क साि-साि जातत न भ बड़ अहम भशमका अदा की ह जाततवगग की य साररचनाएा उस बराहमणवादी ववरचारधारा तिा धमग क साि अववसचछनन रप स जड़ रहीा ह सजनहोन समरच ढाारचो को दव वधता और ववरचारधारातमक जड़ता परदान की यहाा भ हम यह पात ह पराक-सामनत अिागत वददक दौर म ववरचारधारा इतन उतप ड़णकारी नहीा ि और इसन अतयनत जड़ रप नहीा अपनाया िा लककन सामनतवाद क सदढीकरण क साि जस ही जातत न अपना वतगमान रप गरहण ककया वस बरहमणवाद न भ अपन वह उतप ड़क तिा कसतसत ववरचारधारातमक अनतवगसत गरहण की जो आज तक बरकरार ह

उपरोकत स काफी सपषरट ह कक जातत वयवसिा भारत य सामनत वयवसिा म उतपादन क समबनधो का तनसशरचत रप स दहससा रही ह इसन अचधशष क दोहन म भ सहशलयत पदा की ह कयोकक जोर-जबरदसत क आचिगकग िर रपो म स जयादातर न जातत-आधाररत रप असखतयार कर शलया ह जातत-आधाररत पश पहल समाज क शरम ववभाजन का अाग रह ह इसक अलावा जातत वयवसिा न उतपादन क मखय साधन बान जम न क समबनि भ तय ककए इस शलए सवोचरच जाततयो को तो जम न पर माशलकानातनयातरण कायम करन को छरट रही जबकक तनमन जाततयाा जम न पर माशलकाना नहीा रख पात ि ा इतना ही नहीा सामनत भारत म कवष क महतवपणग दहसस - सामदहक शसरचाई पर तनयनतरण परमख रप स उपरी जाततयो खास कर बराहमणो का ही रहता आया ह बरहमणवाद की ववरचारधारा न भ बराहमणो को जम न पर शारीररक शरम करन की अनमतत नहीा दी जबकक तनमम जाततयो स कवल शरम की उमम द की जात रही ह साि ही तनमन जाततयाा लगातार काम करत रहीा और बराहमणो को अनाज सबज फल दध और घ जस तोहफ मफत म दत रह

इस परकार सामनत भारत म हम यह दखत ह कक जातत-आधाररत उतपादन समबनधो क जररय पदा होन वाल अचधशष को बराहमण तिा राजा एवा राजन ततक परशासन हड़प लत रह और जातत समबनध सामनत उतपादन परणाली का अववभाजय अाग रह ह

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

३ बरतनाव ा हकमत का दौर और उसक बाद क समाज म जातत

औपतनवशशक हकमत न बराहमणवादी दहाद वयवसिा और ववषमता पर आधाररत जातत वयवसिा को न तो बदला और न ही छआ भ दरअसल इसन सिान य परापरागत परिाओा को तरज ह न दकर जातत वयवसिा को कानन वयवसिा का अाग बनाया और इस परकार इस नया ज वनदान ददया उनहोन शासतरो की वयाखया करन और लाग करन क उददशय स अागरज जजो को सलाह दन क शलए बराहमण पजाररयो को तनयकत ककया अनय जाततयो क सिावपत अचधकारो की रकषा क नाम पर अछतो को मसनदर म परवश स वाचरचत ककया जाता रहा बरतनाव ा अदालत जाततगत मकदम को सव कार करत ि ा जाततयो की सवायिता का सममान क नाम पर उनको अदालत जाततगत रीतत-न तत का उललाघन ककय जान क ववरदध जाततयो क अनशासतनक अचधकार क पकष म खड होत ि ा अागरजो न सासकत क अधययन को परोतसादहत ककया तिा इसक शलए धन ददया और अागरज म सासकत गरनधो का अनवाद करवाया उनहोन आयग नसल की यरोप य उतपवि पर बल दत हए जातत की उतपवि का नसलवादी शसदधानत पररचाररत ककया यह भ पररचाररत ककया कक जातत नसल की शदधता बनाय रखन का साधन ह

कफर भ भारत म अपन सिा को सदढ करन शोषण को त वर करन क शलए १९व ा सदी म औपतनवशशक

हकमत न जो आचिगक पररवतगन लाग ककय उस पररणामसवरप दहात इलािो क उतपादन साबाधो पर कछ असर पड़ा और ववशभनन जाततयो क ब रच स नय वगग पदा हए बरतानव ा हकमत स पहल भ भारत म जम न बरच व खरीदी जात ि मगर बरतानव ा हकमत क तहत जम न माल बन गय जम न का माल बन जान सभ जाततयो क सदसयो क शलए इसक उपलबध होन जम ादारी रयतवाड़ आदद राजसव बनदोबसत की ववशभनन वयवसिाओा को लाग ककय जान रल परततरकषा कायो औपतनवशशक शशकषा वयवसिा एकरप फौजदारी एवा ददवान कानन तिा औपतनवशशक नौकरशाही क अससततव म आ जान का जातत वयवसिा पर अनायास परभाव पड़ा और समाज म इसकी भशमका कछ-कछ बदलत गय

अागरजो न अपन दहत-साधन क शलए जातत क अससततव का इसतमाल ककया भारत पर कबजा कायम करन क शरआत दौर म जब अागरजो को राजा-महाराजाओा की ओर स कड़ परततरोध का सामना करना पड़ रहा िा तब व अपन आिमणकारी यधद म बशल का बकरा बनान क शलए ककस सिान य शसकत को खड़ा करन की कफराक म रह उस दौरान परमखता स उचरच जातत क दहनद शासको क अमानव य उतप ड़न का सामना कर रहीा अनसचरचत जाततयो (इसक शलए महाराषर क पशवा शासक खास तौर पर कखयात रह) को लकर अागरजो न महार बरटाशलयन (और ऐस अनक दशलत जाततयो की बरटाशलयन) खड़ कीा इस परकिया म दशलतो को पहली बार बराहमणवादी घरटन स कछ आजादी शमली और अपन सददयो परान

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

इततहास म पहली बार शशकषा हाशसल हई इस अातववगरोध क कारण एक तबका सददयो स अपन ज वन को घर रहन वाली गरीब क घरटारटोप स बाहर तनकल पाया इन दशलतो न सहसा अागरजो को मसकतदाता समझा लककन १८५७ क बाद जब अचधकााश राजाओा न अागरजो क सामन घरटन रटक ददय ि तो दशलतो की फौज भती कम होत गय अब अागरज परमखता स उनक रचरणो को छन को तयार हो रचक ऊपरी जाततयो पर भरोसा करन लग बरतनाव ा हकमत क खखलाफ होन वाल असाखय जनजात य वविोहो तिा ककसान वविोहो को पाशववक बल स करचलन क शलए परमखता स इस उचरच जात य कठपतली बल का परयोग ककया गया बाद म अशभजातो क इस वगग को ही मकोल न अागरज शशकषा वयवसिा लाग कर पाल-पोशकर तयार करना रचाहा

शहरी भारत म उदयोग और वयापार क ववकास क साि-साि उन बतनया (वशय) तिा बरहमण जाततयो क ब रच स शसकतशाली दलाल तबको का वगग तयार हआ जो बरहमणवाद क सबस परबल समिगको म भ रह

इसक अलावा रल पररवहन खनन आदद रचल पड़न पर जातत की दीवारो को लााघत हए मज़दर वगग अससततव म आया मगर यहाा भ तचछ एवा जोखखमभरा (खतरनाक) काम जयादातर तनमन जाततयो खास कर अनसचरचत जाततयो क लोग ही करत रह जबकक बहतर जयादा पस वाल काम (खास कर सफदपोशा नौकररयाा) ऊपरी जाततयो क दहसस म जात रह यह परकिया १९४७ क बाद भारत म भ जारी रही ककनत आरकषण लाग होन पर इस परकिया म कछ हद तक मोड़-तोड़ होत दखा गया मधयम जाततयो का बड़ा दहससा अपन खत की भशमकाओा म लगातार लगा रहा

यह सही ह कक (ववकत रपो एवा ववकत अनतवगसत म ही सही) पाज वाद साबाधो की घसपठ न खास कर बरतनाव ा औपतनवशशक दौर क समय स कछ हद तक जातत और वगग क आपस ररशतो म फरबदल ककया लककन खास तौर पर दश क ववसताररत दहात कषतर म ज वन की यह सचरचाई ह कक बदलत ससिततयो क साि जातत न खद को ढाल शलया ह यह भ ज वन का यिािग ह कक जातत वयवसिा बराहमणवादी तिा जाततवादी ववरचारधारा क बगर भारत क अदगध-सामात ढाारच की कलपना नहीा की जा सकत ह साि ही साि इस बात पर भ जोर दना होया कक शहरो म जातत का अससततव आधार और अशभररचना म ववशभनन रपो तिा अनतवगसत म बड़ पमान पर महसस ककया जाता ह यह समझना धोख स खाली नहीा होगा कक जस कछ लोग तिा पादरटगयाा खास कर भाकपा माकपा आदद मानत ह जातत महज साासकततक कषतर तक शसमरट कर रह गय ह

इस परकार हम दखत ह कक अागरजो क दौर म ऊपरी जाततयो का वरचगसव बरकरार रहा बराहमणवादी लोग नौकरशाही म हाव रह और जम ादारीरयतवाड़ की जो वयवसिाएा लाग की गय उसम ऊपरी जाततयाा ही आम तौर पर हाव रही वयवसाय और वयापार म परमखता स बराहमण और बतनया जाततयाा हाव रहीा

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

१९४७ क बाद क दौर म जब सामराजयवादी हमार दश का परोकष तनयनतरण करन लग तो ऊपरी जाततया क उनहीा दलाल तिा सामनत शासक ततवो न सिा हाशसल कर ली

तिाकचित रचनाव लोकतनतर की राजन ततक वयवसिा जातत-वगग की शसकतयो क सम करणो का उलरटफर कर वयवसिा की यिाससितत बनाय रखन क शलए का ज का काम करत रही ह राजय-परायोसजत तनयशमत रचनाव क आयोजन

न जातत वयवसिा और उसकी बरहमणवाद ववरचारधारा की ससिरता बढा दी ह रचनाव राजन तत न एक नकली लोकताातरतरक आवरण ददया ह सजसक बल पर मखयत उपरी जाततयो और साि ही मधयम जाततयो क भ आचिगक रप ख खशहाल तबको क लोग अदगध-सामनत ढाारच को ससिरता दन क शलए जातत-वगग क शमलन क आधार पर अपन राजन ततक भशमका का तनवागह करत ह और अपन राजन ततक-आचिगक आकााकषाओा की पतत ग करत ह भारत की रचनाव राजन तत क अखाड म सिा की राजन तत की जाततगत-वगीय ववशषताएा तरबलकल सपषरट रप स ददखाय दत ह इसक तिाकचित गर-पारापररक धमगतनरपकष भ यह साफ तसव र पश करत ह कक खद को बदलत हए और साि ही ढालत हए ककस परकार काम करत ह

राजकीय पाज वादी कषतर और सासकारी नौकरशाही क ववसतार क साि इस कषतर म भ जाततगत भदभाव कछ फरबदल क साि परकरट हए आदयोचगक तनगमो ववजञान एवा अनसनधान क परततषठानो बको एवा ववि य सासिानो तिा नौकरशाही म ऊपरी जाततयाा परबनधन क सवोचरच सतरो पर हाव रही ह दसरी ओर दशलतो को सफाई कमी रचपरास तिा अनय शारीररक काम सौपकर रचतिग शरण क दज म जस-तस सिान ददया जाता रहा ह मजदर वगग की नौकररयो म दशलतो को मखयत अपकषाकत अकशल कम वतन वाल तिा असरकषकषत कामो म ठका-मजदर क रप म और छोरट पमान क उदयोग म ही काम ददया जाता रहा ह

आनदोलनो क दबाव क कारण क ि तिा परदशो क परशासन म खास कर कलकी और परबनधन क तनमन सतर क ओहदो म आरकषकषत पदो स कछ परततशत नौकररयाा दी जात ह मगर दशलतो और अनय पषठभशम स आय लोगो क ब रच सामासजक दरी बन रहत ह क ि सरकार म रोजगार परापत करन वाल अनसचरचत जातत-जनजातत क लोग दश की अनसचरचत जातत-जनजाततयो की कल आबादी का मसशकल स 13 परततशत ह इसका अिग यह ह कक ९८-९९ परततशत को यहाा रोजगार परापत नहीा हआ ह यही नहीा दशलतो को जो रोजगार शमल ह व जयादातर रचतिग शरण क और भाग ज़मादार की शरण क काम ही ह सजस ऊपरी जाततयो क लोग करत ही नहीा ह

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

सरच यह ह कक गाावो म या कसबो की अनचगनत झोपड़पटदरटयो म दशलतो को घनघोर गरीब और रकषरता की ससिततयो म बदहाली का ज वन ज त हए पाया जाता ह इन जाततयो की बहसाखया खततहर मजदरो की ह जो बदहाली का ज वन ज रह ह य लोग शाशवत सामनत शोषण और अतयारचार का शशकार ह शासको न कल भशम का कवल एक फीसदी ववतररत ककया ह और कहीा भ दशलतो को कोई उललखन य जम न नहीा शमल पाय ह कहीा-कहीा उनह कछ पटरट शमल ह परनत जम ादारो क दबदब क कारण ऐस जम न को दशलत अपन कबज म नहीा ल पात ह कछ जगहो पर भल ही उनह जम न वासतव म शमल गय हो लककन पयागपत तनवश और सासाधनो को कम क कारण उनह अपन जम न कौडड़यो क मोल बरचन या यर चगरव रखन पड़ ह और अनतत गावा दन पड़ ह शहरो की ओर पलायन करन वाल दहात बरोजगारो म जयादातर दशलत ही ह अनसचरचत जाततयो क शलए आरकषण और सधार कायगिमो स उनक ज वन म कोई बतनयादी पररवतगन नहीा हो पाया ह कछ को शशकषा और रोजगार क अवसर अवशय शमल ह मगर य अतयनत नाममातर क और सागर म एक बाद क बराबर ह गााव-गााव म छआछत बरकरार ह और खास तौर पर त ख रप म ह कसबोशहरो म यह भदभावपणग रवयो क रप म और पवागगरहो क रप म मौजद ह यह भदभाव बससतयो क सावगजतनक नलो पर ककराय क मकान लत वकत कायगसिल पर और कछ सावगजतनक सिलो पर भ वयापक रप स पया जाता ह सबस जयादा लाभदायक पशो म ऊपरी जाततयो की इजारदारी ह

परदशो क भाषाई पनगगठन और कफर हररत कासनत न खास कर पसशरचम और दकषकषण भारत म मधयम जाततयो क एक छोरट स उपरी तबक को सिा हाशसल करन म मदद पहारचाय ह लककन उिर भारत क परदशो म उपरी जाततयाा ही परदश सतर पर भ राजकीय तनतर और सरकार पर तनयनतरण रखत आ रही ह

दहात इलाको म १९६० तिा १९७० क दशको क आचिगक साकरटो और हररत िाातत क फलसवरप पाज वाद-परसत ज़म ादारधन ककसानो क तबक का ववसतार हआ ह और मधयम जाततयो क ब रच स नव-धनाढयो का ववसतार हआ ह मगर इन नव-अशभजातो न ककस भ रप म अदगध-सामनत वयवसिा या जातत वयवसिा को छआ तक नहीा ह वासतव म दश क कई दहससो म मधयम जाततयो का यही उभरता तबका दशलतो पर हाल म हए हमलो को अगली कतार म रहा ह जयादातर मधयम जाततयो का उभरता तबका परान उपरी जाततयो क अशभजातो क साि सलह कर लत ह या उनका सिान ल लत ह मगर रामरच वयवसिा को व कोई बड़ा नकसान नहीा पहारचात ह इस परकिया म उतप डड़त जाततयो का एक छोरटा-सा तबका भ ऊपर की ओर गततश ल हो पाया ह मगर इनका अनपात बहत ही कम ह

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

यह सरच ह की उपरोकत पररवतगन स कछ खततहर जाततयो को लाभ हाशसल हआ ह लककन य पररवतगन जात आधाररत समह क अससततव को तोड़कर यरोप क समान भारत य समाज म वयसकतकरण पदा नहीा कर पय ह

दसर पाज वदीकरण क बोध न जातत-आधाररत समह क पहल को मजबत ककया ह न कक नषरट ककया ह यह उस शाशवत जाततगत अससततव का अनवरत शसलशसला ह जो भारत य सामात और कफर अधग-सामात वयवसिा तक रचला आता रहा ह

अगर हम आज तरबहार को शमसाल क तौर पर दख तो हम त न-तरफा शरखणयाा ददखाई दत ह - अगड़ वपछड़ और

दशलत जाततयाा अगड़ जाततयो म बराहमण भशमहार राजपत तिा कायसि ह ऐततहाशसक रप स अधग-सामात ढाारच म इनही जाततयो तिा वगो का वरचगसव रहा ह इसक बाद ह कशमगयो कोइररयो यादवो आदद की अलग-अलग वपछड़ जाततयाा या वगग सबस तनरचल सिान पर ह दशलत (अनसचरचत जाततयाा) इन शरखणयो क अलावा मसलमान और

अनसचरचत जनजाततयाा भ ह यह जोड़ना भ ज़ररी ह की कोइरी कमी तिा यादव यहाा की त न सिान य तौर पर

हाव रहन वाली जाततयाा ह शष वपछड़ जाततयाा अनय वपछड़ जाततयो म ववभासजत की जात ह इनम पाही शरण की वपछड़ जाततयाा वयापार सवा कषतर आदद म पाय जात ह जबकक दसरी शरण को खततहर खततहर मजदर क रप म काम करत हए पाया जाता ह अधग-सामात तरबहार क जातत-वगग क ढाारच म मसलमान मखयतः खततहर मजदर होत

ह जबकक कछ इलािो म उनम स कछ की भशम की सिा होन क कारण वरचगसव भ रहता ह दसरी ओर जातत-वणग पर आधाररत अदगध-सामनत तरबहार म सबस उतप डड़त दशलतो म धोब डोम हलखोर आदद अपन पारमपररक पशो म लग होत ह जबकक बहसाखयक दशलत जाततयो मसहर दसाध रचमार आदद मलत खततहर मजदर ही होत ह हम

माकसगवादी लोग इस तथय स आाख नहीा रचरा सकत ह कक सामदहक गोलबनदी म वगीय रचतना क अलावा जाततगत

या समहगत रचतना भ ककस तरह महतवपणग भशमका अदा करत ह तरबहार क पररदशय स साबाचधत ववशभनन तथयो को दखकर यह कहा जा सकता ह कक अगाड़ जाततयाा सार रप म बड़ जम ादार तिा धन ककसान होत ह जबकक

दशलत सार रप म खततहर मजदर होत ह यादव और कोइरी जस वपछड़ जाततयाा मखयत मधयम तिा गरीब

ककसान होत ह साि ही वपछड़ जाततयो म दो-ततहाई कमी धन ककसान तिा जम ादार ह जबकक दसरी वपछड़ जाततयो का वयापक बरटवारा हो रचका सजनम गर-खततहरो का अनपात काफी जयादा ह सबस महतवपणग बात यह ह

कक भशमहारो तिा राजपतो म कोई खततहर मजदर नहीा ह और दशलतो म कोई धन ककसान या जम ादार नहीा ह

तरबहार म जातत-वगग क सनदभग म आाकड़ यह बतात ह कक बराहमणो और कायसयो क पास सबस जयादा परतत वयसकत

भतत जोत (0561 एकड़) ह इनक बाद घरटत िम म भशमहार राजपत यादव और कमी आत ह इनक परतत वयसकत

भशम जोत ह - भशमहारो तिा राजपतो का 0509 यादवो का 0447 एकड़ कोइररयो का 0230 एकड़ कशमगयो का 0429 एकड़ जबकक दशलतो क पास परतत वयसकत भशम जोत कवल 0124 एकड़ ही ह दसर एक साल म मज़दरो क

बरोजगार रहन क ददनो की साखया बहत जयादा ह हालााकक भशम जोत का आकार सजतना जयादा होता ह उतना उस

मजदर क बरोजगार रहन क ददनो की साखया कम होत ह

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

इस परकिया म मधयम जाततयो क ब रच क पाज वाद-परसत ज़म ादार तिा वयापाररक अशभजातो न कषतर यपरादशशक

सतर पर कायगरत दलाल पाज वादी तबको और अखखल भारत य सतर क दलाल पाज पतत वगो क एक तबक क

सहयोग स अपना हक जतात हए 1977 म जनता पारटी का गठन ककया िा लककन ववशभनन वगो का यह गठबनधन

अलग-अलग ददशा म ख ारच-तान क कारण जयादा दरटक नहीा सका 1980 म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगो क दहतो और क िीकत सासाधनो का परतततनचधतव करन वाली काागरस (इ) कफर स सिा म आय पाज वाद-परसत

ज़म ादार तबको न एक बार कफर उिर परदश तरबहार म अचधक वयापक आधार पर साि आकर वगो का गठबनधन

कायम करत हए जनता दल गदठत ककया यह 1989 म ददलली म सिास न हआ अपन सामासजक आधार को ससिर करन क शलए इसन अनय वपछड़ जाततयो क शलए सरकारी रोजगार और उचरच वयवसातयक शशकषा म आरकषण

की भााग की 1977 म मणडल आयोग को तनयकत ककया जाना इस परकिया का अाग रहा क िीय सवा क पदो म मणडल आयोग की ररपोरटग लाग करन की कायगवाही दरअसल मधयम जाततयो क गराम ण अशभजातो का राजकीय

सासाधनो म अपना दहससा सतनसशरचत करन और अपनो तरबरादर जातत क गरीब वगो पर अपन पकड़ ससिर करन

का परयास िा

तिाकचित वशव करण क इस दौर म 1990 क दशक स दशलतो और अनय वपछड़ जाततयो न अब तक जो भ लाभ

हाशसल ककय ि उनह उलरट ददया जान लगा ह तनज करण और सावगजतनक कषतर म बरोजगार पर लग रोक न आरकषण क मदद को महतवहीन वना शमया ह कयोकक अब कोई नय रोजगार ह ही नहीा और तो और सरचना परौदयोचगकी (आईरटी) मनोराजन और सारचार कषतरो क नय उदयोग म अशभजात ककसम क अगरज भाष माहौल की अतनवायागताओा न इस

लभावन दव प म उतप डड़त जाततयो क परवश को परी तरह बाचधत कर डाला ह अब कफर स ऊपरी जाततया ववशष

कर बराहमणो क ब रच क अशभजात भ अागरज शशकषा तक पहारच होन क नात इन कषतरो पर वरचगसव कायम कर रह ह

जबकक दसरी जाततयाा पहल स जयादा हाशशय पर फ की जा रहीा ह इसक अलावा खत क भयानक साकरट की मार भ सबस जयादा उतप डड़त वगो और जाततयो पर पड़ रहीा ह इस क साि अखखरी बात यह ह कक दहनदतव की लहर की बराहमणवादी सावगसत न उचरच जाततयो क वरचगसव को पहल स जयादा मजबत ककया ह इस शलए उतप डड़त जाततयो और दशलतो न 1970 और 1980 क दशको म साघषो स (इस दौर म खास तौर स दशलत पनिर आनदोलन का भारी परभाव रहा ह) जो भ िोड़ -बहत ज त हाशसल की गय और उस वशव करण क इस दौर म छीन शलया जा रहा ह

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

आज हम उतप डड़त जाततयो क ब रच गहरा धरव करण दख रह ह एक छोरट स तबक न मधयम वगीय हशसयत पा ली ह (अब यह ववकास भ स शमत ककया जा रचका ह) जबकक उतप डड़त जाततयो क जयादातर लोग लगातार गहरात गरीब क खाई म धकल जा रह ह मजदर वगग क ब रच भ हम आज जातत का सवाल बरकरार दख रह ह यहीा कारण ह कक सत कपडा शमल मजदरो म स बड़ साखया बनकर समदाय स आन बालो की ह जता बनान वालो म रचमार समदाय स आन बालो की ह सफाई कशमगयो म भाग समदाय स आन वालो की ह और आईरटी जस कषतरो म बड़ साखया बराहमण तिा उचरच जातत क समदायो स आन वालो की ह

लककन जस-जस असातोष बढता गया वस-वस दशलतो जनजाततयो अनय वपछड़ जाततयो क बहद छोरट-स तबक का शासक वगो म समावश कर शलया गया और जात य पहरचान सघन होत गय ह (यह दहनदतव की लहर की भ एक

गौण उपज ह) इसस ववशभनन उतप डड़त जाततयो क शासक वगीय ततव अपन तरबरादार जाततयो क गरीब-गरबा पर

तनयनतरण कायम कर पात ह इसन वगग साघषग की जदरटलता पहल स जयादा बढा दी ह कयोकक जाततगत जड़ाव को खास तौर पर रचनाव क दौरान वयापक पमान पर बढावा ददया जाता रहा ह उतप डड़त जाततयो क छोरट-छोरट तबको का समावश करन की परकिया कवल राजनता और नौकरशाह क रप म शासक वगो क दायर म ही नहीा रचल रहीा ह

बसलक स ध-स ध साभराजयवादी और उनक एनज ओ भ इस परकिया को रचला रह ह उिर-आधतनकतावादी खमा पहरचान की राजन तत को वयापक सतर पर बढावा द रहा ह यह दरअसल सवगहारा ववरचारधारा और वगग साघषग क

खखलाफ एक ववरचारधारातमक हमल क अलावा कछ भ नहीा ह साि ही यह उतप डड़त जाततयो क ब रच को उभर

बदचधज व तबक क बड़ दहसस का समावश करन की परकिया का अाग भ ह

इनक अलावा सभ शासक वगीय ततव रचाह वह ककस भ जातत क कयो न हो बसपा ककसम क दशलत हो कयो न हो बराहमाणवादी ववरचारधारा का परयोग करत ह इस राजय शमडडया और शशकषण सासिाएा भ सकिय रप स परोतसादहत करत ह इसका परभाव सवगगरास ह और हरक तबक तक फला हआ ह मज़दर वगग म अिगवाद की भ गहरी पठ बन होन क कारण सभ सामासजक साासकततक तिा राजन ततक गततववचधयो म जाततगत पवागगरह बरकरार रह जात ह महाराषर म यह आम तौर पर दखा जाता ह कक एक मजदर स रट यतनयन का सदसय होत हए भ जब रचनाव की बारी आता ह तो (उचरच जातत का होन पर) शशवसना का और (दशलत होन पर) आरप आई अिागत ररपसबलकन पारटी आफ इसणडया को मत दता ह

जब तक उतप डड़त जाततयाा दब -दब स रहीा और ऊपरी वगोजाततयो क वरचगसव को रचपवाप सव कार करत रहीा तब

तक शासक वगो न इन तबको स रचनद लोगो का समावश करन क बार म नहीा सोरचा धा लककन जब य जयादा स जयादा अपना हक जतान लग तो समावश ककय जान की परकिया रचल पड़ अिगवयवसिा की कछ तबदीशलयो क

कारण भ उतप डड़त जाततयो का छोरटा-सा तबका आचिगक तौर पर ऊपर उठत हए शासक वगग क ततव म शाशमल हो गया ह यही वजह ह कक इसक बावजद कक दश म जाततगत ततवो को ववशभनन आचिगक गततववचधयो म शाशमल

ककया जा रहा ह खास तौर पर 1980 क दशक स सामासजक हशसयत पर इस परकिया का बहत कम परभाव पड़ा ह

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

शहरी इलाको म अचिगक सामासजक तिा राजन ततक गततववचधयो क सभ कषतरो म जाततगत पवागगरह बरकरार ह

दहात इलािो म दशलतो क बढत उभार क बरकस उचरच जाततयो तिा अनय वपछड जाततयो क अशभजात ततव

भयानक हमल करत पाय जा रह ह य परततकियावादी शसकतयाा उतप डड़त जाततयो क शशकषकषत होन और आचिगक रप

स बहतर हो जान को भ बदागशत नहीा कर पा रह ह

४ बराहमणवाद

जम न और शोवषत वगो क शरम को तनयसनवत करन वाल शासक वगग क ववसतार क साि-साि और कड़ परततरोध एवा वगग अनतरतरबरोधो की ससिततयो म बराहमणो न शासक वगो क सकिय सदसय क नात परदषण और शदधता का शसदधानत ववकशसत ककया बहत साभव ह कक इसक शलए उनहोन जनजात य ववशवासो का उधार शलया हो इस शसदधानत न ततकाशलन भौततक समबनधो की रसमो क जररय वयकत ककया सजसम शदधता को मापन क शलए खद बरहमण क मानदणड बन गाय वणग की ववरचारधारा पर समाज की ववरचारधारा बन मय इसस सामनत उतपादन परणाली म जातत वयवसिा का ककतना महरतव रहा ह यह पता रचलता ह

अचधशष को पदा करन राजा की सिा को वधता परदान करन और सवोपरर त वर शोषण क आधार पर सवया-सापणग गराम ण कवष अिगवयवसिा को सदढ करन म बराहमणवादी ववरचारधारा की अहशमयत क कारण छठी ईसव ा सदी म यह बौदध तिा जन मतो पर भाव हो गय

बराहमाणवाद न ववशभनन पािो क रप म अपना ववसतार कर शलया शव तिा वषणव पनि इनम सबस जयादा हाव रह भसकत स समबसनधत इन पािो न भसकत-समबसनध लोकवपरय मतावलातरबयो क उन ततवो का परयोग ककया जो ककसानोतिा अनय लोगो क ब रच जड़ जमा सकत ि इसम आतमसात करन की परकिया क तहत ववशभनन जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) क दव -दवताओा रीतत-ररवाजो एवा परमपराओा को अपन दायर म समरट शलया आतमसात करन को यह परकिया जनजाततयो (उतप डड़त जाततयो) की सासकतत तिा परमपराओा पर बराहमणवादी वरचगसव क अलावा कछ भ नहीा ह शाकर न आठव ईसव ा सदी क दौरान बराहमणवाद को दाशगतनक अनतवगसत परदान की इस परवरचानकताग न कवल जन तिा बौदध मतो का परततवाद ही नहीा ककया बसलक दश क ववशभनन दहससो म गखणत की सिापना कर ववशभनन आसिाओा क धाशमगक ववदवानो म स सकडो का सशरीर सफाया कर अपन धमग को साागठतनक रप स मजबत भ कर शलया

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

बराहमाणवाद न उभर रचक राजय को वधता तिा घाशमगक आधार परदान ककया राजय न उतप डड़त जाततयो की ओर स उस पर हो रह असाखय हमलो क ववरदध बराहमाणवादी वयवसिा को खड़ा करन क शलए सहारा ददया

लककन बराहमाणवाद आखखर ह कया यह कहा जा सकता ह कक यह भारत य सादभो म सामनतवाद की ववरचारधारा ह यह कवल जाततवादी ही नहीा ह बसलक समसत सामनत मतनयो तिा का लीन-ताातरतरक ववरचारो को आिामक रप स परोतसादहत करता ह रचाह वह वपतसिा हो शरम का ततरसकार हो जड़तापणग सामासजक करीततयाा हो या अनधववशवास आदद ही हो वस मलत सभ धमो का यहीा काम होता ह परनत बराहमणवाद म अशभजात परकतत अनततनगदहत ह जबकक अनय सभ धमग (कम स कम खदा क सामन) समानता की बात करत ह इसक अलावा बरहमणवाद जनम स ही सामासजक दज को लकर ऐसा लााछन लगा दता ह जसा अनय ककस भ धमग म नहीा होता ववरचारधारातमक रप स यह सामासजक पदिम पर आधाररत शरषठता बोध की वकालत करता ह कयोकक हर कोई यह मान लता ह कक अछत लोग तनरचल दजग क होत ह उतप डड़तो क ब रच इसका झठा अहम-बोध ककस भ शासक वगग क शलए तरबलकल उपयकत सातरबत होता ह कयोकक इसस आम जनता का बहत बड़ा दहससा अलग-अलग खानो म सागदठत रह जाता ह सजनम हरक अपन स न रच वालो को हीन समझ बठता ह ऐस म एकता ऐसा दसाधय लकषय बन जात ह सजस जाततगत पवागगरहो को तोड़ तरबना हाशसल नहीा ककया जा सकता लककन जब राजन ततक समत समसत सामासजक किया-कलाप जाततगत आधार पर हो रह हो और सददयो स यह सासकारो म ररचा-बसा हो तो यह कायग काफी जयादा मशशकल हो जाता ह

रचातवगण का ढाारचा बराहमाणवाद का ववरचारधारातमक हचियार ह लककन कषतर ववशष क इततहास और रीतत-ररवाजो क अनसार कछ फरबदल कर शलय जात ह खास तौर पर दकषकषण भारत म रचातवगण होता ही नहीा ह वहाा कवल त न ही वणग होत ह इस जाततयो म बारट समाज पर अरचक रप स लाग होन वाली वयवसिा बना दन क शलए कोई कोर-कसर बाकी नहीा छोड़ गय ह परारच न भारत य सादहतय म धमग को एक वयापक अिो वाली अवधारणा क रप म समझा गया ह जो राजन तत समाज और घर-घर क आरचार-वयवहार को भ समरट लत ह धमग जड़ा होता ह कमग स यरोप य अिो म धमग का तातपयग खदा पर आसिा स और खदा क परतत आरचार-वयवहार स होता ह यह कहा जा सकता ह की धमग दशगन एवा समाज-शासतर म कानन आदशग रीतत-ररवाज धमग दान पशरचाताप आदद ववरचारो को भारत क धमग की अवधारणा म समरटा गया ह सामासजक अिो म इसम व सभ ततव नततकता क तनयम एवा सादहताएा ववशवास अवधारणाएा एवा शसदधानत अचधकार एवा कतगवय शाशमल ह जो ककस समाज वयवसिा को एक

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

साि बााध रखन बनाय रखन और पोवषत करत रहन की माशा स तयार ककय जात ह लककन धमग की अवधारणा खास कर वणागशरम वयवसिा पर आधाररत

शासन क ववजञान तिा सामासजक वयवसिा यहाा बनाय रखन क साि उसका साबाध उस पसशरचम क धमग की अवधारणा

स शभनन बना दता ह

यहाा जोर दन लायक बात यह कक धमग को तनयमकानन क उन तनमागताओा न तयार ककया ह जो जयादातर बराहमण जातत क रह और सजनहोन अपन जातत की शरषठता बनाय रखन का सवाभाववक परयास ककया उनहोन अपन ही पररभाषाओा म बराहमणो की अनततनगदहत शरषठता पर बहत जयादा बल ददया जातत म अपन जड़ जमाई हई धमग की अवधारणा मनषय की गततववचध क एक-एक पहल पर लाग होत ह सजसक तहत आचधकार परमख रप स ववशषाचधकार-परापत ऊपरी जाततयो को ही शमल पात रह और तनरचली जाततयो क सज़मम कवल कतगवय ही रह ह दहदतव की धाशमगक-दाशगतनक अवधारणा अिागत कमग की अवधारणा सजसक अनसार वतगमान जनम म वयसकत ववशष क कायग एवा गततववचधयो अगल जनम म उसकी हशसयत एवा हास -खश को तय करत ह कवल धमग की आजञा मानत हए पालन करना ही सामासजक मानदाडो स ऊपर उठन और अगल जनम म अचधक ऊा रच हशसयत म दबारा पदा होन की अनमतत दत ह

वयावहाररक सतर पर बराहमणवाद न ब त अनक सददयो स लोकवपरय दहानततव का नकाब ओढत हए त न बतनयादी अवधारणाएा ईजाद की ह इनम पनजगनम अिागत आतमा क पारगमन का शसदधानत कमग क रप म जान गय भौततकिर तनयम स सारचाशलत होन वाली आतमाओा क पारगमन की साकलपना और धमग यान वणागशरम म जड़ मलयो की सासशलषरट वयवसिा यायावर बरहमण साध-सनत गायक-नतगक तिा भजन गान वाल लोग पराणो तिा महाकावयो और भजनो तिा वातागओा क लोकवपरय माधयमो का परयोग करत हए इन शसदधातो को आम जनता तक पहारचात रह ह वयवहार म साधारण औसत परष या सतर सजस भ वगग या जातत की होत ह उसकी सबस उतकषरट उपलबध परमपरा क अनरप अपन पवगजो या पवगवतत गयो दवारा परयोग ककय गय मागग का ही आम तौर पर अनसरण करना होता ह यहीा वजह ह कक परमपरा धमग का सवोिम तिा सवागचधक महतवपणग सरोत ह जो अनय सभ सादहसतयक या शमिकीय सरोतो स जयादा महतवपणग ह

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

लककन बराहमाणवादी वयवसिा क अशभजात रचररतर क कारण उतप डड़त जनता की ओर स समय-समय पर ववरोध उठ खड़ा होता रहा ह लककन परारच न सामनत भारत क सामासजक-धाशमगक ज वन तिा राजन ततक ज वन म वणग वयवसिा की भशमका इतन जयादा रही ह कक जयादातर आचिगक तिा राजन ततक गततववचधयाा जात -गोतर क आधार पऱ सागदठत होत रही ह इस शलए ढर सार सामासजक तिा अचिगक रटकराव जाततगत तिा धाशमगक पािो क ब रच रटकराव क रप म परकरट हए ह बौदधजन और बराहमाणवादी पािो क ब रच रटकराव शव और वषणव क ब रच रटकराव दकषकषण भारत तिा भाववत आनदोलन म दाय हाि की और बाय हाि की जाततयो क ब रच साघषग - सभ इस क उदाहरण ह

भारत म सामनत वयवसिा और उसक बरहमणवादी ढाारचो स लड़ाई लड़न क परयासो म हमार जनजाततयो का लमबा आर गौरवशाली इततहास रहा ह यही वजह ह कक बराहमाणवादी दहनदतव अपन मभ शासतरो मातरो तिा अपन महाकावयो म भ जनजाततयो का सबस जयादा अपमानजनक तिा तचछ भाषा म सजि करता ह शमसाल क तौर पर एकलवय (राम का ववरोध ) दरअसल जनजातत क मखखया का बरटा िा भसकत आनदोलन बराहमाणवाद क पहलओा क खखलाफ खास तौर पर सशकत आनदोलन रहा ह

12व ा स 7व ा सदी तक क दौर म भसकत आनदोलन जातत वयवसिा और बराहमणवादी वयवसिा क सवागचधक लोकवपरय तिा सािगक ववरोध क रप म उभरा भववत काल क सनतो म जयादातर लोहार बढई बनकर जस दसतकार जाततयो स रह हालााकक कछक धाशमगक सधारक बराहमणो म भ रह ननदन (नयनार) ततरपपन (आलवर सनत) रचोखमला और सनत रोदहदास अछत जाततयो स रह इस आनदोलन न नारी सनतो को भ क िीय भशमका म ला खड़ा ककया भसकत आनदोलन म एक नरमपनध धारा रही सजसक उदाहरण रामानज जञानशवर तिा रचतनय ह इनहोन ईशवर क सामन हर मानव क एक समान होन पर यल ददया दसरी धारा जयादा उगरपनध रही सजसम बासवनना तकाराम नामदव कब र तिा गरनानक ह इनहोन खलकर भदभाव और बराहमाणवादी ढोग-पाखाड की आलोरचना की इनम स कछ न सामासजक सधार क कायग भ शर ककय कब र और गरनानक न दहनदतव क दायर को लााघ ददया भसकत आनदोलन न वयसकत क ईशवर क साि वयसकतगत सरमबनध पर जोर दत हए जातत की दीवारो को पार कर ददया परातन गरािो की जञान की इजारदारी पर आधाररत बराहमाणवादी शरषठता की अवधारणा पर जबरदसत परहार ककया गया

भसकत आनदोलन सामनतवाद की ववरचारधारातमक तिा बौदचधक बतनयाद पर सशकत परहार िा सिान य भाषाओा म

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

परवरचन दकर भसकत आादोलन क सातो न कषतर य भाषाओा को सिान ददलाया इसन ववशभनन कषतरो म राषरीयता क

उभार का आधार तयार ककया यह सही ह कक इस आनदोलन क अनत म रामदास और तलस दास क रप म कटरटरपाि रझान भ सामन आया सजसन रचातवगणग का समिगन ककया और बराहमाणवादी शरषठता तिा परततषठा की पनसिागपना का परयास ककया कफर भ मखयतः भसकत आादोलन धाशमगक तिा सामासजक सधार क शलए आनदोलन

िा लककन उम समय की ऐततहाशसक स माओा क कारण आनदोलन जातत वयवसिा क आघारो पर अिागत सामनत उतपादन परणाली और उसक अध न भशम समयनधो पर हमला नहीा कर सका इस शलए बराहमाणवाद न पहल क

लोकवपरय बराहमणवाद-ववरोध आादोलनो क साि जो ककया िा (बौदध मत स अदहासा को आतमसात कर लना इसका एक उदाहरण ह) वहीा भसकत आनदोलन क कई लोकवपरय पहलओा क साि भ ककया उनह अपन म समादहत कर

शलया

बराहमाणवाद न अपना ववरोध करन वाली ववरचारधाराओा क समसत सादहतय का ववनाश कर डाला ह रचावागक स लकर बौदध तिा जन मतो तक क साि ऐसा ही हआ भारत म नषरट ककय गय सादहतय की खोज रच न और ततबबत

क मठो म ही हो पाय ह बराहमाणवादी दहनदतव क रकषक शाकर न ववदवतापणग बहस क नाम पर सकडो साध-सनतो का वध कर ददया बराहमाणवाद क असली रचररतर को अदहासा तिा गढ दशगन क आवरण म तछपा ददया गया इस

परकार हजारो सालो स रचल आ रह शोषण और परज व अससततव को कमगकाणड शरषठता तिा शारीररक काम क परतत

ततरसकार की आड़ म जायज ठहराया जा सका

वणागशरम वयवसिा क साि बारीकी स गािा हआ यही बराहमणवाद यगो स शासक वगो की ववरचारधारा रहा ह आज तक यही ससितत बन हई ह इस ववरचारधारा क भल परसतोता बराहमण ही रह ह मगर सभ शासक इसका इसतमाल

करत रह रचाह व मगल रह हो या बरतानव ा या कफर आज क शासक (बराहमण हो या न हो) ककस भ शासक

ववरचारधारा की तरह यह ववरचारधारा समाज क सभ तबको तक खास तौर पर अदगध-सामनत उतपादन साबाधो स

अभ भ जड़ तबको तक अपन पठ बना लत ह पाज वादसामराजयवाद भ इसका सजस हद तक भ हो सक

इसतमाल करता ह आज भ वणागशरम वयवसिा आम जनता क सामासजक राजन ततक तिा आचिगक ज वन म स

बहत कछ तय कर रही ह

5 यरोप य सामनतवाद और भारत य सामनतवाद म फकग

माकसग न सामनतवाद की पररभाषा पराकततक अिगवयवसिा क शलए उपयकत राजन ततक तिा सामासजक वयवसिा क रप म की सजसम आय का मखय सरोत जम न होता ह जम न दान ककय जान पर उपरी वगो क परतत समबदधता कायम होत रही और शरम का दोहन वतन क बजाय आचिगकिर करारो स ककया जाता रहा माकसग की नजर म सामातवाद क तहत फौज भसवाम कलीन वगग ककसानो पर हाव रहता ह इस वयवसिा म रचाह परतयकष शरम क

जररय अिवा वसत या पसो क रप म ककराय क जररय ककसानो की ज वन की नयनतम आवशयकताओा स अचधक

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

क अचधशष को जबरन सव कार करात हए भसवाम को हसतानतररत ककया जाता ह इस परकार लघ उतपादन पर

आधाररत इस सामनतवाद म हाव रहन वाल बगग अिागत कलीन वगग का उतपादन म कोई आचिगक कायग नहीा होता रहा ह अचधशष को हड़पन का रप आचिगकिर या राजन ततक हआ करता िा यरोप म ववशभनन दशो तिा दौरो म इनहीा बतनयादी ववशषताओा वाल सामनतवाद क कई रप ददखाय दत ह

यरोप म सामनत समाज तरबलकल साफ तौर पर वगो म ववभासजत रहा ह कलीन पादरी और ककसान वगग

शसदधानत तिा सामासजक ढाारच क वपराशमड क श षग पर राजा होता िा राजा क ठीक न रच कलीनो का एक पदिम

होता िा सजसम उसक जाचगरदार होत ि इनक पास स ध राजा स हाशसल हई जाग र होत ि य परमख पटरटदार

कहलात ि यह वयवसिा सिान य परकतत की कषक वयवसिा रही ज़म ादारी वयवसिा इसका आधार रही सजसक

अध न ककसान-मजदर या भदास होत ि य जम ादार स शमली जम न पर काम करत ि ज़म ादार उनह (ककसान-

मजदरो को) अपन सवाओा तिा आम तौर अपन दयो क बदल जम न का परयोग और सरकषा परदान करता िा (जहाा जम दार क तनज माशलकान की वयवसिा होत ि खास तौर पर वहाा ककसान-मजदर को जम न अपन परयोग क

शलए शमल जात ि ) परनत सवाओ तिा आम तौर पर दयो क बदल हमशा ही भगतान वसत रप म ही नहीा ककया जाता िा यरोप य सामनतवाद म चगररजाघर की भ भशमका होत ि चगररजाघर सामनत पराचधकार क

समानानतर हआ करत ि मठो चगरजाघरो क गणमानय पदाचधकाररयो तिा खद चगररजाघर क कबज की काकी जयादा ज़म न उसक माशलकान की हआ करत ि इस जम न का जयादातर दहससा कलीनो स ववरासत क रप म या भरट सवरप परापत होता िा और-उसम सामात लाभ तनदहत होत रह

भारत य जातत-आधाररत समाज म सामासजक-आचिगक साबाध आम तौर पर अातगागम जातत समहो क इदग-चगदग रह

ह यरोप की तरह य वयसकतगत ररशतो-नातो या समबनधो स नहीा बसलक बतनयादी तौर यर परसपर मलजोल क आधार पर बन समह रह ह वगग-आधाररत समाज म दतनया म दर कहीा भशमहीनो को जम ादारो क शलए फसल उगान

का काम करन को बाधय होना पड़ता रहा ह मगर भारत म जातत क समह क रहत हए खत का काम कोई अलग-

अलग भशमहीन वयसकत नहीा बसलक एस भशमहीन वयसकत करत रह ह जो खद ककस साघ य समह का अाग होत हए

जम न वाल उपरी या मधयम जाततयो क साघ य समहो क शलए काम करत ि जातत समहो स समबदधता पर

आधाररत ऐस वयवसिा म वयसकतगत ववशषताएा कभ भ समह क परतत समबदधता स अचधक परासाचगक नहीा रहीा ह

परभओा और जम दारो क परतत तनभगरता वयसकतगत ररशतो क बजाय भारत क जातत-आधाररत सामनतवाद म यह तनभगरता सामासजक पदिम क आधार पर कायम होत रहीा ह जातत-वणग वयवसिा म पदिम जनम स तनधागररत

पशो शदधता तिा परदषण क ववशवासो जनम स तनधागररत हशसयत पर तनभगर रहीा ह और जातत-आधाररत समज य

हशसयत तिा आचधक सासाधनो पर अचधकार क ब रच परगाढ समबनध रह ह जाततवाद और बराहमणवाद की बहद

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

अहम भशमका यही ह दोनो आम तौर पर एक--दसर क परक क रप म काम करत ह और आम जनता पर अपना शशका जा कस रखत हए परी तरह हाव रहत ह

गौरतलब ह कक अचधशष को हड़पन क शलए यरोप य सामनतवाद क बतनयादी घरटक ततव कमोबश भारत य सामनतवाद क ही समान होन क बावजद यहाा जातत-वणग तिा वगग का आपस म शमल जाना यरोप य समाज और

भारत य सामासजक-आचिगक साररचनाओा क ब रच फकग करन वाला बड़ा ही दरगाम असरकारी छाप छोड़ता ह माकसग न यरोप की वो सामनत वयवसिा दख जहाा कवष और दसतकारी को उतपादन परककया बड़ -बड़ जाग रो दवारा सारचाशलत और वसतत उन गर-शरशमक जम दारो क कबज म होत ि जो परतयकष राजन ततक वचधक फौज बल क

परयोग क साि-साि आचिगकिर शोषण को भ परक क तौर पर इसतमाल करत ि लककन भारत य पररपरकषय

महनतकशो स अचधशष क दोहन क आचिगकिर पहल पर जयादा गौर ककय जान की मााग करता ह यहीा बराहमणवाद की सिा सवगवयाप और अतलन य ह वयसकतगत पहरचान क बजाय यहाा सामदहक पहरचान पर जोर

तिा जाततगत पदिम म जनम पर आधाररत सामदहक पहरचान पर जोर और शदधता तिा परदषण क सवाल

यरोप य सामनतवाद स भारत को काफी शभनन बना दत ह

यहाा उतपादन क समबनध अभ भ बहत हद तक कई-कई माधयमो स जाततयो क ब रच क समबनधो का रप ल रह ह

II

वगग साघषग पर परभाव

यहाा हम गर-बराहमण और दशलत आनदोलनो क इततहास का साकषकषपत रप स जायजा लग कफर हम वगग तिा जातत साघषग क सदधासनतक पहल की रचरचाग करग अाततः हम सवगहारा बगग की कायगन तत पर जातत क परभाव और नय जनवादी िासनत क साि जातत साघषग क ररशत की रचरचाग करग

1 गर-बराहमण और दशलत आनदोलन

गर-बराहमण जाततयो क ब रच नय-नय वगो का ववकास हआ ह इसक कारण उनकी जनवादी रचतना उननत हई ह

दकषकषण और पसशरचम भारत म बराहमणवादी सामनत वरचगसव एवा शोषण क ववरदध शि तिा अततशि जाततयो को गोलबाद करत हए १९व ा सदी क अनत म गर-बराहमण आनदोलन ववकशसत हए परमखता स य आनदोलन जातत

उतप ड़न क ववशभनन पहलओा अनधववशवास जाततगत-सामनत ववशषाचधकारो एवा अचधकारो अनवााशशक सवरप

क पदो सासकत पर आधाररत शशकषा आदद क सवालो पर क दित रह इन आादोलनो न जाततगत उतप ड़न को जातत

की उतपवि क नतसल-आधाररत शसदधानत का परयोग कर बराहमणो की वयाखया िववड़ नसल पर कबजा करन वाल

आयग आिानताओ क रप म की

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

दो सबस जयादा शसकतशाली गर-बराहमण आनदोलन महाराषर म फल ओर तशमलनाड म पररयार क आनदोलन रह दोनो ही आनदोलन सामनत उचरच जातत अशभजातो क ववरदध ि पर अागरज-ववरोध नहीा ि फल और पररयार दोनो

ही पसशरचम उदारपाि ववरचारो स परभाववत रह फल का आादोलन १८७३ म शर हआ व मधयम जातत की माली जात क सदसय ि पररयार का आनदोलन िोड़ समय क शलए सोववयत िाातत स परभाववत रहा पररयार क नाससतक होन क कारण उनक आादोलन न उगर रचररतर असखतयार ककया और पर ताशमल समाज पर गहरा असर डाला

फल न अपन परयास माबई की जनता क उतप डड़त तबको - मज़दर बगग पर और पण तिा आसपास क ककसानो एवा अछत तबको क ब रच क दित ककय लोकवपरय त खा परहार करन वाली शली और भाषा का परयोग करत हए अपन ग तो पससतकाओा तिा नारटको क जररय फल न शरटज -भरटज वगग (सदखोर-वयापारी और पजारी वगग) क उन तौरतरीको का पदागफाश ककया सजनस व सवगसाधारण लोगो खाम कर ककसानो को ठगत ि

उनक सतयशोधक समाज न बराहमण पजाररयो को बलाकर आयोसजत ककय जान वाल परमपरागत वववाह समारोहो को नकार ददया ऐस नाइयो की हड़ताल का नततव ककया सजनहोन ववधवाओा क शसर क बाल छीलन स इनकार ककया िा ससतरयो क शलए सकल पररतयकता ससतरयो क शलए आशरय- सिल अछतो क शलए सकल शर ककय और प न क पान क कओा को अछतो क शलए खला कर ददया फल क मागगदशगन म १८९० म एनएम लोखाड न माबई क सत कपड़ा शमल मजदरो का पहला सधारवादी सागठन खड़ा ककया सजस शमल हनस एसोशसयशन (शमल म काम करन वालो की सभा) कहा गया फल न ककसानो क ब रच आधतनक कवष को परोतसाहन ददया नहरो का पान इसतमाल न करन क अनधववशवास क ववरदध साघषग ककया इसका परयोग करन क शलए खद जम न खरीदी और उदाहरण परसतत ककया उनहोन सहकाररता गदठत करन की पहल का ददलोजान स समिगन ककया और दरअसल सतयशोधक समाज क कायगिम म यह

सबस महतवपणग मददो म शाशमल रहा मराठी शि ककसानो क पनजागगरण क परत क क तौर पर शशवाज का परयोग करन वालो म फल पहल वयसकत रह उनहोन मराठी म शशकषा दन और परशासन म अनवााशशक पदो का खातमा करन क शलए साघषग ककया फल का जनवादी नजररया और राषरीयतावादी भावना रही सजसक कारण ककसानो क परतत उनका झकाव ससागत रहा लककन उतप ड़न क सरोत को अागरजो की औपतनवशशक न ततयो और उनक दवारा सिावपत अदगध-सामात उतपादन पयाली म भ न दख पान क कारण उनका यह कायगिम बराहमणवाद और शरटज -भरटज वगग (वयापारी-पजारी वगग) दवारा शोषण क

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

खखलाफ लड़न तक स शमत रहा सतयशोधक समाज का कायगिम उभरत धन ककसानो क दहत को दशागता रहा

फल क दहानत क बाद सतयशोधक समाज अहमदनगर सातारा कोलहापर सजलो म कायम रहा और बरार कषतर क अमरावत म भ फला सतयशोधक समाज की तमाशा रटोशलयो क पररचार क पररणामसवरप १९२१-२२ म सातारा म और 1930 क दशक म बलढाना म ज़म ादारो क खखलाफ ककसानो क वविोह हए अपन ओजसव नता आननद सवाम क नततव म ककसानो न लगान म करटौत की मााग की बराहमणो एवा उनक भगवानो को लाातछत ककया सदखोरो तिा वयापाररयो पर हमला बोला अागरजो क कोषागार लरट शलय और पशलस िानो पर हमल ककय वासतव म उनहोन दहात इलाको म सामनत पराचधकार पर तिा अागरजो पर भ हमला ककया इस परकार उनहोन सामनतवाद-ववरोध तिा सामराजयवाद ववरोध रचतना जगाय गर-बराहमणो क जम ादार तबको न इन गततववचधयो का कोई समिगन नहीा ककया बसलक इनकी तननदा की इन आनदोलनो क फलसवरप पसशरचम महाराषर क गाावो स जम ादारो का वयापक पमान पर पलायन हआ इसक अलावा

य आनदोलन १९४० क दशक क उस आनदोलन का अगरदत भ बन सजसम ववखयात नाना पादरटल न पतर सरकार क नाम स ज़म ादारो-सदखोरो क गठजोड़ और बरतानव ा हकमत क ववरदध जनता की समानानतर सरकार कायम की ि बाद म गर-बराहमण यह रझान शतकरी कामगार पकष (ककसान-मज़दर पारटी) और लाल तनशान पारटी म ववलीन हआ और इसक नता जावलकर तिा नाना पादरटल भारत की कमयतनसरट पारटी म शाशमल हए

पररयार का आनदोलन पर तशमलनाड म इस कदर फला िा कक आज वहाा िववड़ पदरटयो क अलावा कोई भ पारटी सिा म नही आ पात ह हालााकक अखखल भारत य अनना िववड़ मननतर कड़गम (एआईएड एमक) तो परा गोल रचककर कारटत हए अपन ववपरीत म बदल गय ह पररयार क आनदोलन म राषरीयता की अनतवगसत भ रही आतमसममान समाजवाददयो न अपन तनयशमत समनलनो का आयोजन करन क साि-साि ककसानो की समसयाओा पर सागदठत होना भ शर ककया भाकपा नताओा क परभाव म आतमसममान समाजवाददयो का नवमबर 1936 म काागरस समाजवादी पारटी म ववलय हआ िा सिा हसतानतर क दौरान पररयार न १५ अगसत को बराहमण काल की जो शरआत हई ि उसस सवतातरता की मााग करत हए शोक ददवस क रप म मनान का आहवान ककया राजगोपालारचारी क अध न काागरस शासन क दौरान िववड़ कड़गम (ड क) न दहनदी िोपन क तनणगय क ववरदध मज़बत आनदोलन छड़ ददय १९४८ तिा १९५२ म

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

और कफर १९६५ म अखखल भारत य दलाल पाज पतत वगग क वरचगसव क खखलाफ तशमल राषरीयता की भावनाओा को

वयकत करत हए दहनदी-ववरोध आनदोलन हए इन आनदोलनो का दहासक दमन हआ ड क न भ अपना जातत-ववरोध पररचार जारी रखत हए भगवान गणश की मतत गयो को तोड़ डाला मसनदरो क बदहषकार का आहवाहन ककया १९५७ म जातत वयवसिा को बरकरार रखन वाल साववधान की हजारो परततयाा जला डाला १९५० क पर दशक म उतप डड़त जाततयो तिा तशमल राषरीयता की साासकततक अशभवयसकत क रप म गर-बराहमण आनदोलन रचलता रहा जब नादर जातत क कामराज परदश क मकयमातर बन तो पररयार न काागरस का समिगन ककया बाद म उनहोन ड एम की सरकार का समिगन ककया मगर सवया पररयार एक जझार तिा सशकत वकता रह

लककन इन गर बराहमण आादोलनो म स जयादातर आादोलन जातत वयवसिा का खातमा करन की बात तो करत रह पर दशलतो क शलए वासतव म व खास कछ नहीा कर रह ि मलत व बराहमणवादी वरचगसव क परतत मधयम वगीय ववदवष का परतततनचधतव कर रह ि इस शलए जब दशलतो क पकष म अाबडकर आवाज उठात रह तो उनह कहीा स भ समिगन परापत नहीा हआ १९२० क दशक क उिरादगध म अाबडकर सकिय हो उठ तब उनहोन दशलतो को नागररक एवा धाशमगक समानता क अचधकार को कायम करन क शलए छड़ गय अनकानक साघषो का नततव ककया इनम १९२७ म कोकण कषतर क एक कसब महाड़ म दशलतो सदहत सभ जाततयो क शलए वहाा की सावगजतनक पान की रटाकी क परयोग क अचधकार क शलए छड़ा गया महाड़ सतयागरह ववरारट सममलन तिा मनसमतत का जलाया जाना १९२८ तिा १९३० म अमरावत तिा नाशशक म मसनदरो म परवश क कायगिम (नाशशक का कायगिम पाारच सालो तक रचला) परमख रह इन जन साघषो

न दशलत समदाय क जझार तिा तरण तबको को सकिय ककया और समरच महार समदाय म जन जागतत पदा का दी गर-बरहमण समदाय क ब रच स जन-गोलबादी और उगर पररवतगनकारी ततवो क समिगन क बावजद य साघषग परततकियावादी सामात दलाल उचरच जात य तबको क त ख ववरोध तिा बरतानव ा सामराजयवाददयो क परतयकष एवा परोकष समिगन क कारण सफल नहीा हो पाय

अाबडकर ही जातत वयवसिा का और खास कर छआछत की परिा का परबल ववरोध करन वाल उिारपनध रह १९३६ म उनहोन सवतनतर लबर पारटी का गठन ककया इस पारटी न कमयतनसरटो तिा समाजवाददयो क सहयोग स सत कपड़ा शमल मजदरो की हड़ताल और खोतो (कोकण क जम ादारो) क ववरदध साघषग म दहससा शलया लककन १९५१ म नहर न दहनद सादहता ववधयक को पाररत करन क शलए जोर द रह

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

अमबडकर स सहमत होन क बजाय इसका ववरोध करन वाली परततकियावादी सामनत शसकतयो का साि ददया अाबडकर क पास नहर क कतरबनरट स इसत फा दन क अलावा तब कोई रचारा नहीा रहा

बतनयादी तौर पर इन सधार आादोलनो न सामातवाद क बद स बदतर पहलओा और बराहमणवाद तिा जातत वयवसिा क रप म इसकी अशभवयसकत का ववरोध ककया दभागगय स साासोधनवादी ततव दश म सामनतवाद-ववरोध आनदोलन खड़ा करन क महतव और इन आनदोलनो को आग बढान की सािगकता को समझ नहीा पाए ि इसस भ बरा यह कक भाकपामाकपा न जातत क सवाल और बराहमाणवाद क परतत याातरतरक नजररया अपनाया वासतव म यह रख बराहमाणवाद तिा उचरच जात य वरचगसव का साि दन वाला रख िा

2 जातत और वगग साधषग

जसा कक हमन ऊपर रचरचाग की ह इततहास क दो कालखाडो म जातत और वगग वसतत एक-दसर म शमल हए ि अनय कालखाडो म जातत और क ब रच करीब अातरसाबादध रहा हालााकक व दोनो एक ही रच ज नहीा ि वतगमान कालखणड म दोनो का अातरसाबाध पहल की तलना म कछ धाधला अवशय पड़ा ह मगर अभ भ आबादी क बहत बड़ दहसस पर जातत और जातत उतप ड़न का शशका जा मजबत स कसा हआ ह

अब वतगमान वगग साघषग म जातत कया सिान ह इस पर सपषरट समझदारी हाशसल करन क शलए सबस पहल यह जररी ह कक हम यह सपषरट समझ रख कक ndash

(क) वगग म कया शाशमल ह और जात कया होत ह (ख) वगग रचतना और वगग साघषग का कया तातपयग ह और जातत उलप ड़न क खखलाफ साघषग को वगग साघषग क सनदभग म कस दखा जाय

(क) वगग और जातत

माकसग न वगग की कोई खास पररभाषा नहीा दी ि लककन माकसगवादी शशकषको न इस सवाल पर जो कछ कहा ह उसस हम अवशय ही अिग लगा सकत ह

ldquoहर ककसम की सोरच पर तनरपवाद रप स ककस वगग की पहरचान की छाप होत हldquo इस पर सताशलन न भ कहा ह ldquoवतगमान बहत सासशलषरट ह इसम समहो का वववधयपणग शमशरण ह - बड़ मधयम तिा तनमन पाज पतत बड़ मधयम तिा तनमन सनामनत ज़म ादार घमनत शरशमक अकशल मजदर तिा कारखान क कशल मजदर उचरच मधयम तिा तनमन पजारी उचरच मधयम तिा तनमन नौकरशाह ववववध ककसम क

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

बदचधज व और इस तरह क अनय समह ऐसा ह वह वववधयपणग दशय जो हमारा समाज उपससित करता हrdquo

सार रप म वगग को मलत ऐस वयसकतयो क समह क रप म पररभावषत ककया जा सकता ह जो उतपादन क सागठन म एक ही ककसम का कायग करत ह या कफर ऐस लोगो क समह क रप म सजनका उतपादन परणाली क साि समान ररशता होता ह

दसरी ओर जाततयाा मलत जन म म तनधागररत अातगागम समह होत ह वगो को चरचसनहत करन क शलए परयोग ककय जान वाल मापदणड परमखता स आचिगक मापदणड होत ह वगग वयसकतयो स बनत ह जबकक जातत मलत एक दरटकाऊ समह ह सजसका समह का पहल वयसकत क पहल को बहत हद तक लााघ जाता ह इसक अलावा जातत किया क सतर पर ऐस जाततयो स बनत ह सजनकी शदधता तिा परदषण की मानयताओा क आधार पर औरअिवा शरषठ या कमतर दज तिा पशा तरबशष क आधार पर अपन अलग पहरचान होत ह तिाकचित अछतो क मामल म यह अलग पहरचान सपषरट रप स ददखाय दत ह यहाा वपछडापन कवल गरीब स समबसनधत नहीा होता बसलक यह वयसकत-वयसकत म अलग- अलग हद तक हो सकता ह ऐसा इसशलए भ ह कयोकक जातत या समदाय पर समगरता म परदषण का दाग लगाया गया ह एक पणगरपण जातत की बतनयादी रचाररतरतरक ववशपताएा इस परकार ह ndash

(१) अनवााशशक रप स सागदठत होना

(२) तिाकचित शभननताओा वाल अलग-अलग अनतगरगम समहो का होना

(३) जाततयो का अनवााशशक होना

(४) पश का जयादातर अनवााशशक होना

(५) खान-पान तिा जल क परयोग पर पाबसनदयाा होना

(६) जाततयो की खास-खास बसाहरटो का होना

(७) एक जातत क भ तर या अनय जाततयो क भ तर वववादो को हल करन क शलए जातत पारचायतो का होना

(८) कमोबश जातत ववशष म जनम लन स ही वयसकत क सामासजक तिा आचिगक दज का तय होना

अत हम दखत ह कक जातत और वगग अवशय ही परसपर समबसनधत ह मगर य समानािी नहीा ह जाततयाा भारत य सामनतवाद की खास ववशषता ह और जाततयो का धमग (बराहमणवाद) क जररय दरटकाऊ

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

अनमोदन ककया जाता ह इस शलए जब हम ककस वयसकत क वगीय आधार की बात करत ह तो हम उसकी जातत पर भ गौर करना पड़ता ह यह इसशलए कक हर वयसकत अपन जनम स जातत और वगग क अनतर-शमशरण क वातावरण म पला-बढा होता ह इस नात इस तथय का उसक मानस और सोरच पर तनसशरचत रप स परभाव पड़ता ह

(ख) वगग रचतना और काा साघषग

लतनन न कया कर म वगग रचतना की यह पररभाषा दी ह ndash आम मज़दरो की रचतना तब तक सचरच वगीय रचतना नहीा बन सकत जब तक मजदर ठोस और सवोपरर सामतयक (हाल क) राजन ततक तथयो तिा घरटनाओ स परतयक अनय सामासजक वगग को और उन वगो क बौदचधक नततक तिा राजन ततक ज वन की सभ अशभवयसकतयो को दखना-परखना नहीा स खत जब तक व आबादी क सभ वगो तबको तिा समहो क ज वन तिा कायग क सभ पहलओा क भौततकवादी ववशलषण तिा भौततकवादी मलयााकन को वयवहार म लाग करना नहीा स खत ह व लोग सामासजक-जनवादी नहीा ह जो मजदर क धयान

दखन-परखन और उसकी रचतना को कवल खद ही पर या कफर मखयत खद पर क दित करात ह कयोकक मजदर वगग का अपना एहसास अरटरट रप स कवल पणगत साफ सदधासनतक समझ स बाधा नहीा ह यह कहना जयादा सरच होगा कक उसका अपना एहसास सदधासनतक समझ क साि इतना नहीा बाधा ह बसलक राजन ततक ज वन क अनभव क जररय हाशसल हई आधतनक समाज क सभ शभनन-शभनन वगो क ब रच क साबाधो की

वयावहाररक समझ क साि अरटरट रप स बाधा ह यहीा वजह ह कक यह सोरच की आचिगक साघषग की आम जनता को राजन ततक आनदोलन की ओर ख रच लन का सबस जयादा वयापक रप म लाग करन योगय तरीका ह हमार अिगवादी सजसकी दहाई दत ह वयावहाररक महतव की दसषरट स तनहायत नकसानदह और परततकियावादी ह मजदर को सामासजक-जनवादी बनन क शलए ज़म ादार तिा पजारी ऊा रच राजकीय अचधकारी तिा ककसान छातर तिा आवारागदग की आचिगक परकतत और सामासजक तिा राजन ततक ववशषताओा की तसव र अपन ददमाग म साफ रखन होग उस उनक मजबत और कमजोर पहलओा को जानना होगा उस उन सभ जमलो और लचछदार बातो का अिग पहरचानना होगा सजसकी आड़ म परतयक वगग और परतयक तबका अपन सवािगपरक अशभलाषाओा तिा अपन असली अादरखान क मामलो को तछपाय रखता ह ववशभनन सासिाएा तिा ववशभनन कानन ककन दहतो को दशागत ह और इनह कस दशागत ह

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

इसस यह सपषरट समझ बनत ह कक वगग रचतना महज पाज पतत वगो क खखलाफ सवगहारा वगग की रचतना नहीा ह वगग रचतना मलत इस वयवसिा क भ तर उतप ड़न और शोषण क सभ पहलओा क ववरदध रचतना ह

इस बात का ताककग क तनषकषग यह ह कक वगग साघषग म उतप ड़न और शोषण क ववरधद साघषग क सार पहलओा को समरटना होगा कवल आचिगक पहल को ही नहीा लना होगा इसका तातपयग यह ह कक परताड़ना क एक-एक पहल स लड़ाई लड़न होग रचाह वह आचिगक हो या राजन ततक धाशमगक हो या जाततगत आदद-आदद इस वगग साघषग का फौरी और परमख मकसद सिा दखल करना होता ह भारत जस दश म जहाा तकरीबन ७०-८० फीसदी आबादी ककस रप म जाततगत उतप ड़नभदभाव का सामना करत ह और १४ फीसदी (दशलत) आबादी छआछत क रप म सबस अमानव य जात य उतप ड़न तिा भदभाव का सामना करत ह वहाा यह कहन की कोई जररत नही ह कक इस कषतर म साघषग को दश क वगग साघषग का अववभाजय तिा आवयतरबक अाग बनाना होगा

लककन इतना ही कहना काफी नहीा ह समाज म गहरी जड़ जमा रचकी बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ साघषग को भ हम गमभ रता स लना होगा जब तक आम जनता सामनत सोरच ह गरशसत रहग जातत सजसका एक महतवपणग पहल होता ह तब तक कोई सचरचा पररवतगन नहीा हो सकता ह माकसग भ यही कहना रचाह रह ि जब उनहोन यह कहा कक जब ववरचार आम जनता म समा जात ह तो व पररक रासकत बन जात ह माओ न भ बदलत समाज म ववरचारधारा की भशमका पर बल ददया ह उनहोन कहा कक हमार दश म लाब समय तक पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा माकसगवाद-ववरोध ववरचारधारा का अससततव बना रहगा बतनयादी तौर पर हमार दश म समाजवादी वयवसिा कायम की जा रचकी ह लककन अभ हमन राजन ततक और ववरचारधारातमक मोरचो पर सापणग ज त हाशसल नहीा की ह ववरचारधारातमक कषतर म यह सवाल कक सवगहारा वगग और पाज पतत वगो क ब रच साधषग म कौन ज तगा अभ सही मायन म हल नहीा हो पाया ह हम पाज वादी और तनमन पाज वादी ववरचारधारा क खखलाफ अभ दीघगकाशलक साघषग रचलाना होगा इस न समझना और ववरचारधारातमक सघषग को छोड़ दना गलत होगा सभ गलत ववरचारो की सभ जहरीली खार-पतवारो की सभ भतो और दानवो की आलोरचना करन होग ककस भ हालत म उनह बलगाम फलन की छरट नहीा दन होग लककन आलोरचना पणगतःताकग सागत

ववशलषणातमक तिा सहमत करान वाली होन रचादहए इस गससल नौकरशाहाना आचधभौततक या जड़सतरवादी नहीा होना रचादहए इस तरह ववरचारधारातमक साघषग दश ववशष क वगग साघषग का अववभाजय अाग ह भारत जस दश म जहाा जाततगत रचतना राजन ततक ही नहीा वरन वयसकत क ज वन क लगभग हर पहल पर हाव रहत ह वहाा जाततवादी सोरच तिा बराहमणवादी ववरचारधारा क खखलाफ और खासकर छआछत की घखणत परिा क खखलाफ ससागत साघषग ककय तरबना भारत य समाज क जनवादीकरण क बार

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

म सोरचा ही नहीा जा सकता यह कड़व सचरचाई ह कक कछ अवसरो को छोड़कर भारत क कमयतनसरट आनदोलन म बगग साघषग क अाग क तौर पर जाततवादी सोरच बराहमणवादी ववरचारधारा तिा छआछत क खखलाफ दढ तनसशरचय क साि साघषग नहीा रचलाया गया ह

3 भारत म सवगहारा वगग की कायगन तत पर जाततवाद का परभाव

दहात इलाको म सिा का सागठन मलत जातत-आधाररत होता ह पराचधकार ककस जातत ववशष क अशभजातो क पास होता ह और व गााव पर अपन पकड़ कायम रखन क शलए अपन जाततगत समबदधता का इसतमाल करत ह सिा म जो भ जातत होग वह उस बराहमणवादी ववरचारधारा को ही अपनात ह सजसका क िीय पहल जाततवाद होता ह अगर पराचधकार का परयोग उचरच जाततयाा कर रही होत ह तो इस सामनत पराचधकार क खखलाफ अचधकााश उतप डड़तो को एकजरट करना जयादा आसान होता ह कयोकक व उचरच जाततयाा गााव का एक छोरटा दहससा ही होत ह दसरी ओर अगर

मधयम जातत का एक तबका सिान य तौर पर ताकतवर हो तो यह काम जयादा मशशकल जान पड़ता ह कयोकक आबादी क बड़ दहसस की जाततगत साबदधता उस सामनत शसकत क साि होत ह ऐस जाततगत साबधता का वगग साधषग पर नकारातमक असर होता ह दोनो मामलो म अवशय ही हमारा कायगभार उचरच एवा मधयम जाततयो क उतप डड़त तबको को गरीबो क पकष म तिा उनक साघषो क पकष म करना और इस परकार ज़म ादार तिा परततकियावादी तबको को अलगाव म डालना होता ह यहाा भ भशमहीन तिा गरीब ककसानो क अिागत उतप डड़त जाततयो अछतो तिा अनय सवागचधक वपछड़ जाततयो का नततव सव कार करन म शरषठता की जाततगत ववरचारधारा बाधा बनत ह

वासतव म सचरच वगीय एकता हाशसल करन की सारवसत जात य भदो तिा उचरच जातत क पवागगरहो की समसत अशभवयसकतयो को धवसत करना ह साि ही उतप डड़त जाततयो तिा दशलतो को जात य एकसनतकता का भ सामना करना होता ह साासोधनवाददयो न अपन रड यतनयन खड़ करत हए जाततगत भद और शरषठता क पवागरहो पर कभ गौर नहीा ककया इन पहलओा पर गौर ककय तरबना वगीय एकता को पखता नहीा बनाया जा सकता ह शरषठता क जाततगत पवागगरह और जात य एकासनतकता दोनो ही यिािग ह इनस रचाह कर भ बरचा नहीा जा सकता ह हम बरचन क बजाय इनस लड़ लना होगा

जब तक जाततगत पवागगरह मौजद रहग और जात य रचतना तिा पहरचान बन रहग तब तक समाज का सचरचा जनवादीकरण नहीा हो सकगा जब तक परतयक जातत खद को अपन स न रच वाली जातत स शरषठ समझत रहग तब तक अशभजातय तिा शरषठता को ववरचारधारा क सिान पर समानता की वयवसिा सिावपत नहीा की जा सकग

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

अकसर यह कहा जाता ह कक जाततगत उतप ड़न क मामलो को उठान पर शरशमक जनता म ववभाजन पदा हो जायगा सरच यह ह कक शरशमक जनता पहल ही ववभासजत ह यह भ सरच ह कक उचरच जात य पवागगरहो क ही कारण जन सागठनो का एक दहससा जाततगत उतप ड़न क मददो को उठान स बरचता रहा ह परनत उचरच जातत की भावनाओ को तषरट करन का दसषरटकोण अपनान का पररणाम जातत वयवसिा को अचधक दरटकाऊ बनाना होता ह दसरी ओर इसका उतप डड़त जाततयो की पषठभशम पर खास कर दशलत जाततयो स आन वाल लोगो पर नकारातमक असर पड़ता ह मौजदा ससितत म जहाा दशलत उभार बढ रहा ह वहाा उचरच जात य भावनाओा का कोई तसषरटकरण या दशलत आतम-सममान की अवहलना ककय जान पर वगग साघषग पर गमभ र परभाव पड़ सकता ह तनसादह ऐस मदद अपररपकव रप स नहीा उठाय जा सकत ह परनत बतनयादी जररत यह एहसास करन की ह कक जन सगठनो क भ तर उचरच जातत की पषठभशम स आनवाल लोगो की अपन इन पवागगरहो स उबरन क शलए उनक दसषरटकोण म बदलाव लान का सतत साघषग करना तनहायत जररी ह जब उचरच जाततयो क ब रच क ववकशसत तबक ऐस मददो को उठाय जान क शलए राज हो तो इन मददो को उठान म कोई दर नहीा की जान रचादहए अत त म इन मददो की उपकषा करन की परवतत मौजद रही ह

हालाकक उतप डड़त लोगो क ब रच क जाततगत पवागगरहो को हल करना बतनयादी तौर पर जनता क ब रच गर-दशमनाना अातरववरोध हल करन का रप लता ह कफर भ अकसर दशलतो क साि यह अनतरववशध दशमनाना अनतरववशध का रप लता ह जब दशलतो को कारट डालन जला डालन हतया करन लरट लन आदद का शशकार बनाया जाता ह तो जवाब कारगवाई का दहासक होना भ लासजम ह ऐस घरटनाएा अचधकतर दहात अशभजातो क उकसान पर घरटत ह दशलत उभार को ककस दहासक ववरोध का मकाबला भ उस क अनरप ककया जाना रचादहए लककन जहाा तक हो सक उचरच जाततयो क पवागगरहो और शरषठता क रवय का मकाबला शशकषा स और समझान-बझान स करना होगा

जात य आधार पर एकता खड़ कर हम जातत वयवसिा को कभ धवसत नहीा कर पायग जातत वयवसिा स लड़न वाल सभ उतप डड़त तबको की वगीय एकता स ही जातत वयवसिा को धवसत ककया जा सकता ह दशलतो को छआछत क खखलाफ अपन आतम-सममान क खाततर लड़न क शलए ववशशषरट सागठन की जररत पड़ सकत ह मगर मलत यह दशलत साराठन क बजाय छआछत स लड़न वाला सागठन होगा यह दखद ह कक सजनह इसका सामना करना पड़ता ह व ही ऐस सागठन की जररत महसस करत ह सरच कह तो इसम सभ जनवादी लोगो को शाशमल होना रचादहए सजतन बार यह कहा जाय कम ही होगा कक छआछत क खखलाफ और दशलत सवाल पर जनवादी सवाल का महतवपणग अाग ह

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

भारत म नय जनवादी िासनत और जातत का सफाया

जसा कक रचरचाग की जा रचकी ह जातत उतप ड़न और बराहमणवाद मौजदा अदगध-सामनत अदगध-औपतनवशशक वयवसिा क साि अववसचछनन रप स गाि हए ह यह कोई अचधररचनातमक पररघरटना मातर नहीा बसलक आचिगक आधार का अाग भ ह इस कारण स छआछत का उनमलन और बराहमाणवाद की सभ अशभवयसकतयो क खखलाफ साघषग क अलावा जातत वयवसिा का सवगनाश हमार दश म नय जनवादी िासनत का आवशयक अाग ह जाततवाद और बराहमणवाद मौजदा शोषनकारी वयवसिा क महतवपणग सताभो म स एक ह सार रप म कह तो दानो का रचररतर अशभजात य पदिमातमक ह और य दोनो ही लोगो को जनम स ही अपन स न रच वाली जाततयो क परतत शरषठता स लस करत ह इन सारी बातो की धमग (बराहमणवाद) क नाम पर दव वधता परदान की जात ह ऐसा अशभजात य ढाारचा ककस भ शोषणकारी वयवसिा क शलए सनहरा उपहार ह

लककन यही सब कछ नहीा ह यह उतप डड़त जनता को बाारटन बाला एक खतरनाक हचियार ह मजदर भ अपन जाततगत पवागगरहो क नात ववभासजत रहत ह शोषक-शासक वगग कोई भ हो उनक शलए ऐस ववभाजन अहोभागय सातरबत होत ह

इस परकार हम दखत ह कक जातत वयवसिा जातत उतप ड़न (खास कर छआछत) और बाहमणवाद की ववरचारधारा स सभ सतरो पर साघषग करन की जररत ह ऐसा करत हए कछ रणन ततक कायगभरो और कछ कायगन ततक कायगभारो का दातयतव समभालन की भ जररत ह

रणन ततक कायगभार

१ अदगध-सामनत वयवसिा को धवसत करन क मखय राजन ततक कायगभार क तहत कवल ज़म ादार क पराचधकार को भ धवसत करन को जररत ही नहीा बसलक पररचशलत उचरच जात य सामनत अदगध-सामनत पराचधकार िो भ धवसत करन की जररत ह जो नय सिा अससततव म आत ह उसम नतततव भशमहीन तिा गरीब ककसानो क हाि म होना रचादहए सजनम स जयादातर सबस जयादा उतप डड़त जाततयो तिा जनजाततयो क लोग होत ह

२ जातत वयवसिा और बराहमणवादी ववरचारधारा को समगरता म धवसत करन क शलए और जाततगत पवागगरहो जात य पहरचान आदद क समसत अवशषो को जड़ स उखाड़न क शलए नय जनवादी िासनत स पहल और नय जनवादी िाातत क बाद काफी लाब समय तक साासकततक िासनतयाा रचलान होग खास तौर पर धाशमगक ताप-तवर क साि सददयो स ररचाय-बरचाय बराहमणवादी ववरचारो क रातोरात ववलपत हो

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

जान की उमम द नहीा की जा सकत ह अातरजात य वववाहो को परोतसादहत करन की जररत ह ताकक अगली प ढी की कोई जात य पहरचान न हो सक (अगर वपतसिा स भ साि-साि साघषग ककया जाय तो यह साभव ह)

३ छआछत जातत वयवसिा की जड़ ह दहनद जाततयो म स अचधकााश इस परिा का पालन करत ह जातत की स ढी क आखखरी छोर पर होन क नात दशलत आबादी क बहत बड़ दहसस की ओर स भदभाव का सामना करत ह इस शलए अगर इस जड़ स उखाड़ा जाय तो सजस आधार पर जाततगत पवागगरह ववकशसत हात ह वही समापत हो जायगा इसस जातत वयवसिा ददशाहीन हो जायग और भरभराकर चगर पड़ग इस शलए छआछत को जड़ स उखाड़ फ कना राजन ततक और ववरचारधारातमक दोनो ही रपो स जातत वयवसिा क सवगनाश का क िीय तिा महतवपणग पहल ह इसक शलए जातत क सवाल पर न ततगत दसतावज और जाततयो क खातम क शलए िासनतकारी कायगिम अपनान की आवशयकता ह

कायगन ततक कायगभार

१ जातत उतप ड़न तिा खास कर छआछत क खखलाफ और दशलतो क आतम-सममान क शलए तिा उन पर होन वाल हमलो क खखलाफ लड़न क शलए सागठनो का तनमागण कर जब भ और जहाा भ जातत उतप ड़न का घरटना घरट उस सवाल को उठान क शलए सभ जन सागठनो को परोतसादहत कर छआछत क खखलाफ साघषग जनवाद क शलए साधषग का अाग ह यह जातत उतप ड़न क सवागचधक अमानव य रप स मसकत का सवाल ह

२ उस जात आधाररत एकता को तोड़ जहाा शासक वगग अपन -अपन जाततयो को अपन-अपन रिो क पदहए स बााधन का परयास करत ह उचरच जाततयो क गरीब लोगो म यह गलत रचतना ह कक व सामासजक रप स अपन जातत क धन लोगो क समान ह इस तरह दशलत तिा अनय उतप डड़त जाततयो का एक दहससा अपन उस (बसपा सरीख) अवसरवादी नततव क प छ लामबनद हो जात ह जो शासक वगग क सामन तरबक रचका ह

३ समरच पारटी तिा जन सागठनो म जातत क सवाल पर शशकषा अशभयान रचलाय

४ पारटी तिा जन सगठनो म उचरच जातत क पवागगरहो या जाततगत पहरचान की समसत अशभवयसकतयो स साघषग कर जब आवशयकता हो तो शदध करण आनदोलनो म इस भ एक दहसस क रप म शाशमल कर

५ जनसागठनो म एक साि भोजन करन एक ही कओा का परयोग करन आदद ठोस उपायो को अपनाय ताकक जातत की वजगनाओा को तोड़ा जा सक

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय

६ दशलतो पर सभ हमलो का जवाब द रचाह व शारीररक हमल हो या अचधक बारीक रपो म हो

७ सरकारी एवा तनज कषतरो म रोजगार तिा शशकषा क मामल म जाततगत आधार पर आरकषण का समिगन कर

८ जाततगत नाम का परयोग बनद कराय और जाततयो को अलग करन वाली योजनाओा का ववरोध कर

९ फल पररयार अमबडकर जस सामासजक सधार आनदोलनो को स माओा क बावजद सामनतवाद क सवागचधक

महतवपणग सताभो म स एक सतमभ क खखलाफ मलत परगततश ल आनदोलन मानकर उनक सभ सकारातमक पहलओा का समिगन कर

१० सागठन क भ तर जाततवाद क सभ रपो क खखलाफ सतत परयास कर और पर समाज म बराहमणवादी ववरचारधारा

मलयो तिा जाततवाद क समसत रपो क खखलाफ सतत ववरचरधारातमक साघषग रचलाय