प्रेम शक्ति - s3-eu-west-1.amazonaws.com · प्रेम की...

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ेम की शति जिमहेजरिस ने कहा है ," िेम की शजि , शजि के ेम से बड़ी होगी िसंसार को ेम का पिा चऱेगा।" हम सब िनिे ेम की शजि या कर सकिी है ऱेककन या वह वाकई शजि के ेम को िि सकिी है ? और इस समय िबकवव ेम और भय के बीच का संि ऱन खो गया है िइसे कै से हामसऱ कर ? "सभाज ेभ की इजाजत नह देता मककोई मत अगय सचभ गहये ेभ हो तो उसका शोषण नह कमा जा सकता। उसे नह बेज सकते। वह कहेगा, इतना , झे कहा बेज यहे हो? औय जाकय उन अजनबफम को भार जो अऩने घय ? औय हभाये फीच कोई सघषनह है , कोई वाथष नह टकया यहे "अगय वा ऩीढ़ ेभ गहये से गहये फती है तो वरन हो जाएगे। ऩमाषत भाा ऩागर रोग नह मभरगे जो ऩय जाने को तैमाय हगे। मदभने ेभ का वाद मरमा है तो औय रोग की हमा कयना अछा नह रगेगा। जफ ेभ का अन बव नह होता, जफ भने जीवन का वादा नह चखा होता; भौत से माय कयते हो।"

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  • पे्रम की शक्ति

    जिमम हेजरिक्स ने कहा है," िब प्रेम की शजक्ि , शजक्ि के प्रेम से बड़ी होगी िब संसार को प्रेम का पिा चऱेगा।" हम सब िानि ेहैं कक प्रेम की शजक्ि क्या कर सकिी है ऱेककन क्या वह वाकई शजक्ि के प्रेम को िीि सकिी है? और इस समय िबकक ववश्व में प्रेम और भय के बीच का संिुऱन खो गया है िब इसे कैसे हामसऱ करें?

    "सभाज प्रेभ की इजाजत नह ीं देता क्मोंकक कोई व्मक्क्त अगय सचभचु गहये प्रेभ भें हो तो उसका शोषण नह ीं ककमा जा सकता। तुभ उसे मदु्ध भें नह ीं बेज सकत।े वह कहेगा, भैं इतना खुश ह ीं, तुभ भझु ेकहाीं बेज यहे हो? औय भैं जाकय उन अजनबफमों को क्मों भारीं जो अऩने घय भें खुश हैं? औय हभाये फीच कोई सींघषष नह ीं है, कोई स्वाथष नह ीं टकया यहे हैं…

    "अगय मवुा ऩीढ़ प्रेभ भें गहये से गहये ड फती है तो मदु्ध ववर न हो जाएींगे। तुम्हें ऩमाषप्त भात्रा भें ऩागर रोग नह ीं मभरेंगे जो मदु्ध ऩय जाने को तमैाय होंगे। मदद तुभने प्रभे का स्वाद मरमा है तो तुम्हें भतृ्म ुऔय रोगों की हत्मा कयना अच्छा नह ीं रगेगा। जफ तुम्हें प्रेभ का अनबुव नह ीं होता, जफ तुभने जीवन का स्वादा नह ीं चखा होता; तुभ भौत से प्माय कयते हो।"

  • "बम भायता है, भायना चाहता है। बम ववध्वींसक होता है, प्रेभ सजृनात्भक ऊजाष है।"

    ओशो, ताओ दद थ्री टे्रजसष

    रेककन क्मा सींफींध फनान ेका भतरफ प्रेभ भें गहये ड फना नह ीं है?

    "असर फात सींफींध नह ीं, अवस्था है। व्मक्क्त प्रभे भें नह ीं होता, प्रेभ ह होता है। जफ भैं प्रेभ के फाये भें फात कयता ह ीं तो इसका ध्मान यखना, भैं प्रेभ की अवस्था की फात कयता ह ीं।हाीं, सींफींध अच्छी फात है रेककन सींफींध झ ठा होगा अगय तुभने प्रेभ की अवस्था नह ीं जानी है। तफ सींफींध न केवर एक ददखावा होता है फक्कक एक खतयनाक ददखावा होता है क्मोंकक वह तुम्हें रगाताय तुम्हें धोखा दे सकता है, वह तुम्हें रगाताय मह अहसास दे सकता है कक तुम्हें प्रेभ के फाये भें ऩता है जफकक तुभ नह ीं जानत।े प्रेभ फनुनमाद रऩ से एक आींतरयक क्स्थनत है। व्मक्क्त प्रेभ भें नह ीं होता, प्रेभ ह होता है।"

    स्वतींत्र ओशो टॉक

    भैंने कई फाय इतनी ठेस खामी है, कक प्रेभ का ऩ या भाभरा ह भझु ेबमबीत कयता है…

    "अगय भझु ेठीक से सभझो तो साये बम छोड़ दो औय ज्मादा से ज्मादा फेशतष प्रेभ कयो।औय जफ तुभ प्रेभ कयोगे तो मह भत सोचना कक तुभ द सये के मरए प्रेभ कय यहे हो, तुभ अऩने मरए कुछ कय यहे हो। जफ तुभ प्रेभ कयते हो तो वह तुम्हाये मरए राबप्रद होता है। तो प्रतीऺा भत कयो, भत कहो कक जफ द सये प्रेभ कयेंगे तफ तुभ प्रेभ कयोगे। मह भदु्दा ह नह ीं है।

    "स्वाथी फनो। प्रेभ स्वाथी होता है। रोगों से प्रेभ कयो, तुभ उसके द्वाया कृतकृत्म होओगे, तभु अधधक से अधधक धन्म होओगे।"

    ओशो, ताओ दद थ्री टे्रजसष

    मह एक फड़ी चनुौती भार भ होती है। स्वाथी होना उस सफके खखराप जाता है जो भझु ेमसखामा गमा है।

    "स्वस्थ आत्भ प्रेभ का फड़ा धामभषक भ कम है।जो खुद से प्रेभ नह ीं कयता वह कबी बी ककसी औय से प्रेभ नह ीं कय ऩाएगा। प्रेभ की ऩहर तयींग तुम्हाये हृदम भें उठनी चादहए। मदद वह तुम्हाये अऩने मरए नह ीं उठती तो वह ककसी औय के मरए बी नह ीं उठ सकती क्मोंकक अन्म सबी रोग तुभसे द य हैं।

  • "मह भौन ताराफ भें ऩत्थय पें कने जैसा है। ऩहर तयींगें ऩत्थय के आसऩास ऩदैा होंगी औय फाद भें वे अन्म ककनायों तक पैरती यहेंगी।पे्रभ की ऩहर तयींग तुम्हाये आसऩास होनी चादहए। तुम्हें अऩन ेशय य से प्रेभ कयना चादहए, तुम्हें अऩनी आत्भा से प्रेभ कयना चादहए, अऩनी सभग्रता से प्रेभ कयना चदहए।

    "औय मह स्वाबाववक है; अन्मथा तुभ जी ह नह ीं ऩाओगे। औय मह सुींदय है क्मोंकक मह तुम्हें सुींदय फनाता है। जो व्मक्क्त स्वमीं से प्रेभ कयता है वह सघुड़ हो जाता है, शानदाय होता है। जो व्मक्क्त स्वमीं से प्रेभ कयता है वह भौन होगा ह , अधधक ध्मानी, अधधक प्राथषनाऩ णष फजाम उसके जो स्वमीं से प्रेभ नह ीं कयता।"

    स्वतींत्र ओशो टॉक सीके्रट-रव-अवेमयनसै

    हाीं, भझु ेआधधक भौन औय ध्मानऩ णष होने की ननक्चचत ह आवचमकता है रेककन क्मा भैं एक आतींकवाद के प्रनत पे्रभऩ णष हो सकती ह ीं?

    "प्रेभ की कोई शतें नह ीं होतीीं, कोई अगय-भगय नह ीं होत।े। प्रेभ कबी नह ीं कहता कक मे जरयतें ऩ य कयो औय कपय भैं तुम्हें प्रेभ करीं गा।' प्रेभ चवास की तयह है; जफ वह घटता है, तुभ केवर प्रेभ होते हो। इससे पकष नह ीं ऩड़ता कक तुम्हाये ऩास कौन आता है, एक ऩाऩी मा ऩणु्मात्भा। जो बी तुम्हाये कय फ आता है वह प्रेभ की तयींग अनबुव कयने रगता है, आनींददत होता है। प्रभे बफनाशतष दान है, रेककन क्जनके ऩास है वह दे सकते हैं।

    स्वतींत्र ओशो टॉक्स/ गेस्ट-सकै्स-कीं डभेनेशन

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  • रदंन भें यहती हैं औय हैल्थ केअय व्मवसाम कयती हैं। उन्होंने कहा," इंटयनैट ऩय भैं ककसी रयट्रीट की खोज कय यही थी तो उसभें भेयी नजय ओशो इंटयनैशनर भेडिटेशन ऩय ऩड़ी। रयज़ाटटभैंने तुयंत 'ज़ेन लरववगं इन एक्सऩीरयएन्स' कामटक्रभ फुक ककमा। रेककन महां आकय वैरकभ भॉर्निंग कयने के फाद भैं भल्टीवलसटटी प्रस कामटक्रभ भें दाखखर हुई। इसभें कुछ कोसेस औय

    सशैन्स बी भफु्त भें लभर सकत ेथे।

    हय भहीने ऩहरी तायीख को महां तीन ददन तक मेडिटेशन इंटेंलसव होता है, मानी सघन ध्मान प्रमोग। इसके अंतगटत सफुह छह फजे से रेकय यात साढ़े दस फजे तक एक के फाद एक ओशो ध्मान ववधधमा ंकी जाती हैं। भझुे आत्भ ववश्वास नहीं था कक कक भैं मह कय ऩाऊंगी कक नहीं रेककन भैंने मह चुनौती स्वीकाय की। शायीरयक रूऩ से मे ध्मान ववधधमा ंफहुत कदिन होती हैं।

    शुरुआत भें ही ओशो की मह दृष्टट सभझामी गई थी कक अगय आऩ अऩनी ऩूयी सभग्रता से ध्मान कयत ेहैं तो आऩ ऊजाट से रफारफ हो जाएंगे। मह सौ पीसदी सच था। भैं सचभचु ऊजाट से बय गई थी। औय हय ददन उसभें फढ़ोतयी हो यही थी। जफ तीन ददन खत्भ हुए तो आईने भें भेयी शकर बी बफरकुर अरग ददखाई दे यही थी, भैं फहुत हल्का अनुबव कय यही थी। भैं हय एक से कहंूगी कक मह ध्मान प्रमोग अवश्म कयना।

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  • पे्रभ सदा नमा होता है। वह कबी ऩुयाना नह ीं होता क्मोंकक वह कुछ इकट्ठा नह ीं कयता, कुछ सींगहृ त नह ीं कयता।

    उसके लरए कोई अतीत नह ीं है, वह हभेशा ताज़ा होता है, उतना ह ताज़ा जजतने कक ओस कण। वह ऺण-ऺण जीता है, आणववक होता है। उसका कोई सातत्म नह ीं होता, कोई ऩयींऩया नह ीं होती। प्रतत ऩर भयता है औय प्रतत ऩर ऩुन:जन्भता है। वह श्वास की बाींतत होता है: तुभ श्वास रेते हो, श्वास छोड़ते हो; कपय श्वास रेत ेहो, कपय छोड़ते हो। तुभ उसे बीतय सम्हार कय नह ीं यखते।

    मदद तुभ श्वास को सम्हार कय यखोगे, तुभ भय जाओगे क्मोंकक वह फासी हो जाएगी, भुदाा हो जाएगी। वह अऩनी जीवन-शजक्त, जीवन की गुणवत्ता खो देगी। पे्रभ की बी वह जथथतत होती

  • है –– वह साींस रेता है, प्रतत ऩर थवमीं को नमा कयता है। तो जफ कोई पे्रभ भें रुक जाता है औय साींस रेना फींद कयता है, तो जीवन का सभचूा अथा खो जाता है। औय रोगों के साथ मह हो यहा है। भन इतना प्रबावी होता है कक वह हृदम को बी प्रबाववत कयता है औय हृदम को बी भारककमत जताने को भजफूय कयता है। हृदम कोई भारककमत नह ीं जानता रेककन भन उसे प्रदवूषत कयता है, ववषाक्त कयता है।

    तो इसे ख्मार यखो, अजथतत्व के पे्रभ भें यहो। औय पे्रभ श्वास-उच्छ्वास की तयह यहे। श्वास रो- , छोड़ो, रेककन ऐसे जैसे पे्रभ अींदय आ यहा है औय फाहय जा यहा है।

    धीये-धीये श्वास के साथ तुम्हें पे्रभ का जाद ूतनलभात कयना है। इसे ध्मान फनाओ: जफ तुभ । श्वास छोड़ोगे, ऐसे भहससू कयो कक तुभ अऩना पे्रभ अजथतत्व भें उीं डरे यहे हो। जफ तुभ साींस रे यहे हो तो अजथतत्व अऩना पे्रभ तुभभें डार यहा है। औय शीघ्र ह तुभ देखोगे कक तुम्हाय श्वास की गुणवत्ता फदर यह है, कपय वह बफरकुर अरग ह हो जाती है जैसा कक ऩहरे तुभने कबी नह ीं जाना था। इसीलरए बायत भें हभ उसे प्राण मा जीवन कहत ेहैं लसपा श्वास नह ीं, वह लसपा आजक्सजन नह ीं है। कुछ औय बी है, थवमीं जीवन ह ।

    ओशो, दद ओऩन डोअय # 13

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