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सांची िव�िव�ालय के छा� ने जीता िच�कारी का रा�� ीय पुर�ार म� �देश के िविदशा के रहने वाले ह� भारत कुमार
आईफा�(AIFACS) ने �ोफेशनल िच�ाकारो ंके िलए आयोिजत की थी �ितयोिगता
200 से अिधक रा�� ीय िच�कारो ंके बीच भारत को िमली सफलता आिक� टे� �ितयोिगता म� भी जीता भारत ने पुर�ार िविव के इंिडयन प�िटंग िवभाग की छा�ा �ेहलता िम�ा का जे.आर.एफ म� चयन िवभागा�� को भी िमला रा�� ीय मिहला कलार� पुर�ार
सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय के इंिडयन प�िटंग िवभाग म� पी.एच.डी कर रहे छा� भारत
कुमार जैन ने िच�कारी का रा�� ीय �र का पुर�ार जीता है। भारत को AIFACS (All India Fine Arts & Craft
Society, New Delhi) इस पुर�ार के तौर पर 25 हज़ार �पए नगद �दान करेगी। वे 10 िदसंबर को इस
पुर�ार को �हण करने के िलए िद�ी म� होगें। भारत कुमार िविदशा के रहने वाले ह�। AIFACS आईफा�
�ितवष� इस �ितयोिगता को आयोिजत करता है। इस �ितयोिगता म� �ी लांस करने वाले �ोफेशनल िच�कार िह�ा
लेते ह�। यह �ितयोिगता सभी �र के �ितभािगयो ंके िलए आयोिजत की जाती है। भारत कुमार के अलावा 200 से
अिधक िच�कारो ंका चयन इस �ितयोिगता के िलए िकया गया था िजसम� उ�ोनें सव��थम �थान हािसल िकया है।
आईफा� के इस पुर�ार के अलावा भारत कुमार का चयन सीएमआर एजुकेशनल इं�ी�ूट ब�गलोर के
क� प के िलए भी �आ है। इस चयन के िलए सं�थान ने उ�� 15 हज़ार �पए नगद के पुर�ार से नवाज़ा है।
दरअसल, सीएमआर एजुकेशनल सं�था आिक� टे� िव�िव�ालय ब�गलोर सं�था है और इस क� प के िलए पूरे देश से
25 िच�कारो ंका चयन िकया गया था। क� प म� चयिनत होने वाले म� �देश के एकमा� िच�कार भारत भी थे।
सं�था ने कला के साथ आिक� टे� को जोड़ते �ए अ�यन को �ाथिमकता दी थी िजसके िलए इन िच�कारो ंको
िच�कारी के िलए आमंि�त िकया गया था।
सांची िव�िव�ालय के कुलपित आचाय� डॉ य�े�र एस. शा�ी एवं कुलसिचव �ी अिदित कुमार ि�पाठी ने
भारत कुमार को उनकी इन दोनो ंसफलताओ ंके िलए बधाई दी। सांची िव�िव�ालय के इंिडयन प�िटंग िवभाग को
एक साथ तीन सफलताएं हािसल �ई ह�। इन अिधका�रयो ंने इन कामयािबयो ंके िलए भी िवभाग और िवभागा��
को बधाई दी। िव�िव�ालय की ही पी.एच.डी की छा�ा �ेहलता िम�ा का चयन यूजीसी के जे.आर.एफ(जूिनयर
�रसच� फैलोिशप) के िलए �आ है। उ�� इस कामयाबी के िलए यूजीसी की ओर से 30 हज़ार �पए �ितमाह की
�ॉलरिशप िमलेगी।
िव�िव�ालय की इंिडयन प�िटग िवभाग की िवभागा�� डॉ सु��ता नंदी को टोकं राज�थान के बारहव� रा�� ीय
कलापव� �ेयॉ� की अंतरंग कला एवं िश�ण सं�थान ने रा�� ीय मिहला कलार� पुर�ार से नवाज़ा है।
भारत कुमार का पूव� म� भी रा�� ीय लिलत कला अकादमी के िलए चयन हो चुका है। वे क� �ीय सं�ृित मं�ालय की
�ॉलरिशप के िलए भी चयिनत हो चुके ह� तथा �फु� धनकर क� �ीय ज़ोन अवाड� के िलए भी चयिनत िकए जा
चुके ह�।
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क�ीर के 135 छा�ो ंने िकया सांची िव�िव�ालय का �मण
िविभ� िवभागो ंम� प�ंचे और पा��मो ंके बारे म� जाना
क�ीर के 6 िविभ� िज़लो ंसे आए ह� छा�
“म� �देश के लोग सरल, शांिति�य और िमलनसार”- क�ीरी छा�
म� �देश के िविभ� ऐितहािसक �थलो ंपर जाएंगे ये छा�
सांची �ूप का भी िकया �मण
वा�ी सं�था और नेह� युवा क� � करा रही है �मण का आयोजन
क�ीर के िविभ� �ूलो,ं कॉलेजो ंऔर िव�िव�ालयो ंम� अ�यन करने वाले 135 छा�ो ंने आज सांची बौ�-
भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय का �मण िकया। इन छा�ो ं ने सांची िव�िव�ालयो ं के छा�ो ं के साथ मेल-
मुलाकात कर एक दूसरे की सं�ृित, िश�ा �व�था, कोस�स और सं�थाओ ंके बारे म� जानकारी हािसल की। ये
क�ीरी छा� 6 िदनो ंके म� �देश �मण पर ह�। अपनी या�ा के तीसरे िदन इन छा�ो ंने आज सांची िव�िव�ालय
से पहले सांची �ूप का �मण िकया। सांची िव�िव�ालय के �ोफेसरो ं ने भी कशमीरी छा�ो ंका उ�ाह बढ़ाया।
सांची िव�िव�ालय के अं�ेज़ी िवभाग म� पी.एच.डी कर रहे कशमीरी छा� अशरफ वानी ने कशमीरी भाषा म� छा�ो ं
को िव�िव�ालय के पा��मो ंके बारे म� बताया।
क�ीर के 6 अलग-अलग िज़लो ंसे म� �देश प�ंचे इन छा�ो ंने अपने अनुभव सांची िव�िव�ालय के छा�ो ंसे
साझा िकया। पीजी के छा� शािहद वानी ने बताया िक म� �देश के लोग बेहद ही सरल ह� और वे जहां भी गए पूरे
�ेम और �ेह से उनका �ागत िकया गया। एक और छा� इमरान का कहना था िक म� �देश के लोग सरल,
शांिति�य, स�ान देने वाले और सहयोग देने वाले ह�।
नेह� युवा क� � �ारा आयोिजत िकए गए इस टूर म� क�ीरी छा�ो ंको �देश के िविभ� ऐितहािसक �थलो,ं
िश�ण सं�थाओ,ं िव�िव�ालयो ंका दौरा कराया जा रहा है। म� �देश सरकार ने इस टूर की िज़�ेदारी IIFM
अंतग�त WALMI सं�था को सौपंा है। वा�ी के अिधकारी इन क�ीरी छा�ो ंको �मण करा रहे ह�।
इन क�ीरी छा�ो ं ने सांची िव�िव�ालय के िविभ� कोस�स के बारे म� जानने के िलए उ�ाह िदखाया। कई
छा�ो ं का कहना था िक वे उ� िश�ा के िलए म� �देश का चयन कर� गे। इस टूर म� 9वी ं से 12वी ं के छा�,
�ेजुएशन और पो� �ेजुएशन के छा� ह�।
अपनी या�ा के पहले िदन इन क�ीरी छा�ो ं ने शौय� �ारक, इंिदरा गांधी रा�� ीय मानव सं�हालय का
�मण िकया। सांची िव�िव�ालय के बाद ये छा� ता�ुल म��द भी प�ंचे। वा�ी सं�थान म� कल इन क�ीरी
छा�ो ंका म� �देश के छा�ो ंके साथ सां�ृितक उ�व काय��म आयोिजत िकया गया है।
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सांची िव�िव�ालय म� अंतररा�� ीय धम�-ध� स�ेलन का आयोजन
शा� तं� और �ीिव�ा परंपरा पर पहला अंतररा�� ीय स�ेलन 17-19 िदसंबर, 2018 को सांची िविव म� जुट�गे देश-िवदेश से िव�ान 34 िवदेशी िव�ानो ंसिहत 130 भारतीय िव�त्-जन ��ुत कर� गे शोध प� वैिदक और बौ� परंपराओ ंका �ितिनिध� करता है शा� तं� शा� तं� पर आधा�रत है मो� माग� की �ीिव�ा परंपरा
भु�� और मु�� के साथ जागितक समृ�� और मो� माग� बताने वाली शा� तं� और �ीिव�ा भारतीय एवं
बौ� दश�न की सवा�िधक पुरानी परंपराओ ंम� से एक है। सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय म� “शा�
तं� एवं �ीिव�ा” पर क� ि�त अंतररा�� ीय स�ेलन का आयोजन 17-18-19 िदसंबर को हो रहा है। शा� तं� पर
क� ि�त अपनी तरह के पहले आयोजन म� िविभ� देशो ंके 34 िवदेशी िव�ान शािमल होगें। लगभग 130 भारतीय
िव�ान भी शा� तं� के िविभ� िवषयो ंपर शोध प� ��ुत कर� गे।
शा� तं� की परंपरा भारत म� काफी पुरानी है �ोिंक यह भारतीय एवं बौ� दश�न की सवा�िधक पुरानी
परंपराओ ंका �ितिनिध� करती है जो पॉंच हजार वष� से �चिलत है। शा� तं� म� वैदांितक परंपरा के शा�त दश�न
शािमल ह� जो दश�न और अ�ास का िमला-जुला �प है। शा� तं� के �ारा साधक समृ�� और आनंद के मा�म
से पीड़ा और दुखो ंसे मु�� पा सकता है।
��ा� का िव�ान समझी जाने वाली �ी िव�ा सम� िव�ानो ंकी �े�तम उपल�� मानी जाती है और यह
�यं को समझने का िव�ान है। �ीिव�ा परंपरा भ�� और �ान का वह आ��क माग� है िजसम� मातृश�� की
पहचान �ारा मनु� को ��ान �ा� होता है। शा� तं� की सवा�िधक लोकि�य �ीिव�ा का अ�ास करने वाले
िव�ान मानते ह� िक इसकी सही समझ, �ान एवं अनु�ान के मा�म से योग की �ा�� की जा सकती है। �ीिव�ा
परंपरा �ारा िकया जाने वाला योग मनु� के िलए मो� की �ा�� का साधन बनता है जो मानव जीवन का परम ल�
है।
शा� तं� की �ीिव�ा प�ित का �ान और मह� िव� म� ब�त कम लोगो ंको है और इसकी श�� और
क�ाण के �ान को लोगो ं के म� साझा करने के उ�े� से अमे�रका, कनाडा, जम�नी, ऑ��� या, िफनलै� ड,
बै��यम, को�रया, �ीलंका एवं नेपाल से िव�ान शािमल हो रहे ह�। स�ेलन म� बै��यम के इंडोलॉिज� कोना�ड
इले�,कनाडा से �ो अरिवंद शमा�, गोवा से सद्गु� ��ेशान� द जी, � वामी परमा� मान� द सर� वती, � वामी
आ� या� मान� द, ह�र�साद � वामी, महाबोिध सोसायटी के वेन. बनगला उपित� सा नायक थैरो, मंुबई से �ाम मनोहर
गो�ामी, महामहोपा�ाय एस रंगनाथन, �ो ए के वी कृ� अ�ा, गोवा िविव के गोरखनाथ िम�ा और �ो गोदावरीश
िम�ा जैसे िव�ान प�ंच रहे ह�।
स�ेलन के दौरान 17 िदसंबर को शाम 6 बजे केरल के केवलम �ीकुमार पिन�र का शा�ीय गायन
होगा एवं शाम 7 बजे ब�गलोर की डॉ. प�जा सुरेश, भरतना�म की �� तुित द�गी। 18 िदसंबर को शाम 6 बजे
कना�टक के पंिडत गनपित भ� हसनागी िहंदु�ानी शा�ीय संगीत ��ुत कर� गे।
इस स�ेलन हेतु सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय को सं�ृित िवभाग म� �देश सरकार,
भारतीय सां�ृितक संबंध प�रषद (ICCR), भारतीय दश�न अनुसंधान प�रषद (ICPR), भारतीय इितहास अनुसंधान
प�रषद (ICHR) और भारतीय सामािजक िव�ान अनुसंधान प�रषद (ICSSR) से भी सहयोग �ा� �आ है।
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सांची िव�िव�ालय म� अंतररा�� ीय धम�-ध� स�ेलन का आगाज़
शा� तं� और �ीिव�ा परंपरा पर पहला अंतररा�� ीय स�ेलन सभी के िलए मो� पाने का तरीका तं� और �ीिव�ा म� तं� के �योगो ंको िव�ान की कसौटी पर कसकर समाज उपयोगी बनाना
��ांड की श��यो ंव �यं से सा�ा�ार के सू� शा� त तं� म� ह�। 16 महािव�ाओ ंम� से तीसरी महािव�ा
यािन �ीिव�ा और शा�तं� के ऐितहािसक, दाश�िनक, सामािजक एवं अ�ा��क पहलुओ ंपर क� ि�त धम�-ध�
स�ेलन का शुभारंभ सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय म� �आ। िविव के कुलपित आचाय� डॉ. य�े�र
एस शा�ी ने उद्घाटन भाषण म� स�ेलन के उ�े� पर �काश डालते �ए कहा िक �ीिव�ा और तं� के
अकादिमक और दाश�िनक प� को दुिनया के सामने लाने के सपने का िज� करते �ए कहा िक दुिनयावी रहकर
भी मो� पाने का तरीका शा� तं� की प�ितयो ंम� है। शा� तं� के �ारा साधक समृ�� और आनंद के मा�म से
पीड़ा और दुखो ंसे मु�� पा सकता है।सार�त �ा�ान देते �ए भारतीय दाश�िनक प�रषद के चेयरमैन �ो.एस.
आर. भ� ने कहा िक �योजन और उससे िमलने वाले फल को देखना आव�क है। उ�ोनें �ीिव�ा को ��ांड का
�ान बताते �ए कहा िक जो ि�या यािन बु�� को �ा� कर उसका सदुपयोग करता है वही पंिडत है।
मैकि�ल यूिनविस�टी कनाडा के �ो. अरिवंद शमा� ने कहा िक पूव� म� शा� तं� और इसके दूसरे �कार के
तं� सभी वण�, जाित और मिहलाओ ंके �ारा भी िकए जाते थे और इसम� कोई �ितबंध नही ंथा। उ�ोनें तं� को
अवचेतन श��यो ंको जागृत करने का मा�म बताते �ए �ापक अथ� म� िव�ान की कसौटी पर कसकर दुिनया के
क�ाण म� इ�ेमाल करने की बात की।
काय��म के िविश� अितिथ सद्गु� ��े�रानंदचाय� �ामी ने कहा िक तं� म� गु�, देवता और मं�की खासी
मह�ा है। उ�ोनें 16 महािव�ाओ ंम� एक �ीिव�ा की उपयोिगता पर भी �काश डाला। समारोह के मु� अितिथ
और महाबोिध सोसायटी ऑफ �ीलंका के �मुख उपाित�ा नायका थैरो ने अपने भाषण म� तं� और बौ� धम� म�
व�यान की तुलना करते �ए कहा िक भारत ने �ीलंका को धम� और सं�ृित से समृ� िकया है। िविव के कुलसिचव
�ी अिदित कुमार ि�पाठी ने आगम और सगुण साधना पर िवचार �� करते �ए कहा िक अहं ��ा�� का िवचार
ब�त ही मौजू है और जब िकसी को संबोिधत कर �ान क� ि�त करते है तो वो ��ावान हो जाता है।
तीन िदन के अंतररा�� ीय स�ेलन म� अमे�रका, कनाडा, जम�नी, ऑ��� या, िफनलै� ड, बै��यम, को�रया,
�ीलंका एवं नेपाल से 34 िवदेशी िव�ान समेत 130 भारतीय िव�ान शा� तं� के िविभ� िवषयो ंपर शोध प� ��ुत
कर रहे ह�। पहले िदन दो सामा� स�, तीन गोलमेज स� एवं एक अकादिमक स� म� करीब 30 िव�ानो ंने अपने
िवचार एवं शोधप� ��ुत िकए। िविव के डीन डॉ. नवीन मेहता ने उ�ैन की तं� परपंरा पर अपना शोध-प� ��ुत
िकया। दूसरे िदन दो सामा� स�, छह गोलमेज स� एवं दो अकादिमक स� म� 50 से �ादा िव�ानो ंके शोध-प�
एवं �ा�ान होगें।
स�ेलन म� आज केरल के केवलम �ीकुमार पिन�र ने देवी �ुित एवं आिद शंकराचाय� िवरिचत
सौदय�लहरी, कनकधारा �ोत के �ोको ं का शा�ीय गायन ��ुत िकया वही ं ब�गलोर की डॉ. प�जा सुरेशने
भरतना�म की �� तुित दी। 18 िदसंबर को शाम 6 बजे कना�टक के पंिडत गनपित भ� हसनागी िहंदु�ानी
शा�ीय संगीत ��ुत कर� गे।
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सांची िव�िव�ालय म� तं� और �ीिव�ा के गूढ़ अथ� पर गहन मंथन
समापन स� म� म� �देश की रा�पाल �ीमती आनंदीबेन पटेल मु� अितिथ होगंी
19 िदसंबर को शाम 3 बजे आयोिजत है समापन स�
िहंदू धम� के शा� तं� और य�दी धम� के कबालाह पर अ�यन िकया गया ��ुत
भारतीय शा�ीय नृ� शैली म� श�� और श�� पूजा के मह� पर चचा�
सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय म� जारी धम�-ध� स�ेलन के दूसरे िदन तं� शा� की
भारतीय और बौ� परंपराओ ंएवं �ीिव�ा के िविभ� पहलुओ ंपर गंभीर िवचार िवमश� �आ। आज के पहले स� म�
�ो. बीवीके शा�ी ने बौ� तं� म� �ी लिलता के संबंधो ंपर रोशनी डालते �ए श�� के िविभ� �पो ंकी तुलना और
उनके सामािजक और दाश�िनक प� को समझाया। उ�ोनें कहा िक सामािजक अध� म� सर�ती, ल�मी और काली
को अलग-अलग समझा जाता है लेिकन जब शा� तं� के दश�न का अ�यन िकया जाता है तो इन तीनो ंम� िवभेद
नही ंिकया जाता। नॉथ� कैरोलीना, अमे�रका से आई �ो �वण बोरकाटकी वमा� ने शोध प� म� शा�ीय और आमजनो ं
म� चिच�त तं�ो ंका तुलना�क अधययन ��ुत िकया। इसके साथ ही उ�ोनें बताया िक तं� शा� को वत�मान म�
कैसे अपनाया जाए और इनका िडजीटलीकरण करने से �ा नुकसान हो रहे ह�। कनाडा के सुसकटचेवन
िव�िव�ालय से आए �ो �ज िस�ा ने िहंदू धम� और य�दी धम� के संदभ� म� शा� तं� और कबालाह का अ�यन
��ुत करते �ए बताया िक दोनो ंही दश�नो ंके नारी श�� का खासा मह� है। मंुबई िविव की �ो. शुभदा जोशी ने
वत�मान समाज के संदभ� म� शा� तं� के िवकास का अ�यन ��ुत िकया।
दूसरे स� म� �ो. रामचं� भ� ने िशव के िविभ� �पो ंपर चचा� की। को�रया से इस स�ेलन म� शािमल होने
प�ंचे �ो. िजयो िलयॉ�ग ली ने तं� परंपरा म� िशव और श�� के पर�र संबंधो ंपर �काश डाला। उ�ोनें िशव के
अध�नारी�र �प पर काफी िव�ार से अपने शोध को ��ुत िकया। ए�रज़ोना िव�िव�ालय के �ो. केलेब िसम� ने
तं� परंपरा म� मं�ो ंके भाषाई पहलू पर चचा� की। उ�ोनें मं� और उनके अथ� पर अपना शोध प� ��ुत िकया।
उ�ोनें बताया िक िकसी भी मं� की श�� इस बात पर िनभ�र करती है िक वो कैसे उ�ा�रत िकया जा रहा है,
उसके अ�र, �िन, अथ� और �ु�ि� िव�ान पर गहन चचा� की। गुजरात िव�िव�ालय की �ो. अमी उपा�ाय ने
भारतीय शा�ीय नृ� शैली म� श�� और श�� पूजा के मह� पर चचा� करते �ए बताया िक क�क, गरबा और
श�� पूजा के दाश�िनक प� एक समान ह�। �ो. िदलीप कुमार मोहंता ने शा� मूलक श�� साधना परशोध प�
��ुत करते �ए पंचमकार के मह� पर �काश डाला और बताया िक ये कैसे साधक को श�� पाने म� सहायता
करता है।
इस धम�-ध� स�ेलन के दूसरे िदन के अकादिमक स�ो ंके बाद िहंदु�ानी शा�ीय संगीत का काय��म
आयोिजत िकया गया। शा�ीय संगीत की �थम ��ुती म� डॉ िववेक बंसोड़ ने मंगल वा� पर अपनी ��ुती दी।
इस शा�ीय संगीत काय��म म� दूसरी ��ुती दी पंिडत गनपित भ� हसनागी ने। हारमोिनयम पर उनका साथ िदया
डॉ िववेक बंसोड़ ने और तबले पर संगत दी �ी �ीधर मंदारे ने। कना�टक के पंिडत गनपित भ�, धारवाड़ के उ�ाद
पंिडत बसवराज राजगु� के शािगद� ह�। पंिडत गनपित ने िकराना घराना, �ािलयर घराना और पिटयाला घराना से
�े�रत शा�ीय संगीत ��ुत िकया।
समापन स� म� म� �देश की रा�पाल �ीमती आनंदीबेन पटेल मु� अितिथ होगंी। तीन िदन के
अंतररा�� ीय स�ेलन म� अमे�रका, कनाडा, जम�नी, ऑ��� या, िफनलै� ड, बै��यम, को�रया, �ीलंका एवं नेपाल से
34 िवदेशी िव�ान समेत 130 भारतीय िव�ान शा� तं� के िविभ� िवषयो ंपर शोध प� ��ुत कर रहे ह�। दूसरे िदन
दो सामा� स�, छह गोलमेज स� एवं दो अकादिमक स� म� करीब 60 िव�ानो ंने अपने िवचार एवं शोधप� ��ुत
िकए। तीसरे और अंितम िदन दो सामा� स� एवं समापन स� होगें।
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सांची िव�िव�ालय म� तं� और �ीिव�ा पर धम�-ध� स�ेलन का समापन
समापन स� को रा�पाल �ीमती आनंदीबेन पटेल ने िकया संबोिधत
तं� शा� का दाश�िनक व सामािजक प� समाज के िवकास के िलए आव�क- रा�पाल तं� शा� पर गहन शोध की आव�कता है- आचाय� य�े�र शा�ी शा� तं� पर क� ि�य स�ेलन से इितहास को देखने की नई �ि� िमली- �ो. जमखेड़कर
तीन िदन से सांची बौ�-भारतीय �ान अ�यन िव�िव�ालय म� जारी धम�-ध� स�ेलन का समापन
रा�पाल �ीमित आनंदीबेन पटेल ने िकया। समापन स� म� रा�पाल महोदया ने कहा िक तं� शा� और �ीिव�ा,
भ�� और �ान का अ�ा��क माग� है और इस िवषय म� जनमानस म� अ��ान है िजसे की दूर िकए जाने की
ज़�रत है। उ�ोनें कहा िक तं� शा� और इसके दाश�िनक और सामािजक पहलू समाज के िवकास के िलए ज�री
है, िजनका मानव क�ाण म� उपयोग होना चािहए। रा�पाल महोदया ने कहा िक िव�िव�ालयो ंम� कुलपित और
रिज�� ार सब िमलकर अपनी �ूटी नही ंबजाते िजससे छा�ो ंको मु��ल होती है, ऐसे म� सांची िव�िव�ालय बधाई
का पा� है जहां सब िमलकर काय� कर रहे ह�। समापन स� म� रा�पाल महोदया का �ागत करते �ए िव�िव�ालय
के िनव�त�मान कुलपित आचाय� य�े�र शा�ी ने कहा िक तं�शा� शोध की �ि� से िपछड़ रहा है औऱ इस कॉ��� स
से शोध को बढ़ावा िमलेगा। उ�ोनें कहा िक तं� की साधना म� श�� का ब�त मह� है और रा�पाल महोदया की
समापन समारोह म� उप��थित सफलता का �ोतक है। समापन समारोह म� भारतीय इितहास अनुसंधान प�रषद के
चेयरमैन �ो अरिवंद पी जामखेड़कर ने कहा िक तं� पर क� ि�त इस स�ेलन से उ�� इितहास को देखने की नई �ि�
िमली है। िव�िव�ालय के कुलसिचव �ी अिदितकुमार ि�पाठी ने ध�वाद �ािपत करते �ए कहा िक तं� शा� का
उ�ेख भारतीय, बौ� और जैन सािह� म� �मुखता से िमलता है। उ�ोने काय��म म� पधारे सभी गणमा�
अितिथयो ंको ध�वाद िदया।
समापन स� के पूव� दो सामा� स�ो ंम� अमे�रका से आए �ो देवाशीष बनज� ने तं� और वेदांत के अंतरसंबंधो ंपर
�काश डालते �ए दोनो ंकी �िकयाओ ंएवं उ�े�ो ंपर बात की। उ�ोनें कहा िक देवी हमारे भीतर है एवं सम�
ऊजा� हेतु देवी के �ित नतम�क होने की आव�कता है। ऑ��� या के �ो जये� सोनी ने शैव िस�ांत और
िशव�ानबोध म� श��िनपात की बात करते �ए कहा िक श�� के िबना िशव की क�ना नही ंहो सकती। उ�ोनें
कहा िक �ान ही शा�त स� है और गु� िशव का �ित�प है। �ो िवजय बहादुर िसंह ने कहा िक वैिदक काल म�
श�� �ा� करने के िलए ही देवताओ ंकी संक�ना �ई। राम की श�� पूजा का िज� करते �ए उ�ोनें कहा िक
राम ने रावण पर िवजय पाने के िलए श�� की उपासना की थी। �ो राधाव�भ ि�पाठी ने महािनवा�ण तं� को
आधार बनाकर वैिदक और दूसरी सं�ृितयो ं के बीच तुलना करते �ए तं� के साथ संबंधो ं पर प� रखा। �ो
�थाने�र ितमलसीना ने ���परकता के िवचार को अिभनवगु� की परा, परापरा और अपरा िव�ा के साथ
��ुत िकया। �ो ि��ोफर चैपल ने देवी प�ावती के संदभ� म� मं�ो ंकी श�� और उसके असर पर अपना शोध
��ुत िकया। �ो गोदावरीश िम�ा ने सौदय� लहरी के संदभ� म� आिद शंकराचाय� की उपिनषद और �ीिव�ा पर
लेखन पर बात की। �ो कोएनाड� ए�ट ने भारतीय दश�न और तं� परंपरा पर चीनी �भावो ं पर बात की। �ो
चूड़ामिण नंदगोपाल ने 1300 पदो ंकी श��िनिध पर क� ि�त �ीिव�ा म� देवी के िविभ� �पो ंपर चचा� की।
काय��म म� िव�िव�ालय �ारा गोद िलए गए गांव िबलारा के छा�ो ंको रा�पाल महोदया ने फल और िकताब� और
मेिडकल फ�� एड िकट भ�ट की। काय��म का संचालन �ो नवीन कुमार मेहता ने िकया।
तीन िदन के अंतररा�� ीय स�ेलन म� अमे�रका, कनाडा, जम�नी, ऑ��� या, िफनलै� ड, बै��यम, को�रया,
�ीलंका एवं नेपाल से 34 िवदेशी िव�ान समेत 130 भारतीय िव�ान शािमल �ए। 6 सामा� स�, 9 गोलमेज स�ेलन
और तीन अकादिमक स�ो ंम� 100 से अिधक शोधप� ��ुत िकए गए।।
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