रसायन ििजान: उद्भि एिं...

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" अंतरााषटरीय रसायन ििजान िष2011रसायन ििजान: उद्भि एिं ििकास डॉ. कृ षण कुमार िमश भूिमका जैसा िि िििित है संयुकत राषटर संघ दारा िष2011 िअंतराषटरीय रसायन ििजान िषष िे रप मे मनाया जा रहा है। इस आयोजन ि पीछे अंतराषटरीय ििशुद तथा पयुकत रसायन संघ (IUPAC), जेनेिा ि पहल तथा पयासो िी महतिपूणष भूिमिा है। इस आयोजन िी ििषय-िसतु है रसायन ििजानहमारा जीिनहमारा भििषय। पिरभाषा िे तौर पर िहे तो रसायन ििजान पिाथोो िी संरचनासंयोजनवयिहारगुणधमष तथा उनिे पारसपिरि अिभिियाओं िा अधययन है। इंसान िे जीिन मे रसायनो िी भूिमिा हमेशा से रही है तथा सभयता िी िििास याता िे साथ यह उतरोतर बढती गयी है। जीिन तथा रसायनो िा अनयोनयािित संबनध है। िासति मे जीिन िी समूची पििया ही रासायिनि अिभिियाओं िी िेन है। धरती पर समसत ऊजाष िा एिमेि सोत सूयष है जो िपछले िरीब अरब िषष से रोशनी तथा ऊषमा िे रहा है। पेड पौधे उग रहे है जीि जनतु चल ििर रहे है बािल घुमड रहे है िही आिाशीय ििदुत िी चमि तथा िडि है िही आंधी तो िही तूिान अपनी उपिसथित िजष िरा रहे है िही भूिं प तो िही सुनामी िी घटनाएं घिटत हो रही है। इन समसत घटनाओं मे रसायन अपना-अपना िाम िर रहे है। जीिधािरयो मे पोषणििपाचनउतसजषनपजनन हो रहे है। संिेिी अंगो िे पंचानुभिोउिाहरणाथष शबिसपशषरपरस तथा गंधसभी िे िलए रासायिनि िियाएं उतरिायी है। रसायन तथा मानि जीिन रसायन ििजान िा समबनध हमारी रोजमराष िी ििनिगी से है। हमारे जीिन मे हर जगह रसायन मौजूि है। जीिन िी बुिनयािी चीजे जैसे रोटी िपडा तथा मिान सबमे रसायन उपिसथत है। रसायन ििजान मे तरकिी िे चलते इनिा सिरप भी बिलता गया है। लेििन मूल जररतो िा सिरप नही बिला है। िैनंििन इसतेमाल िी चीजे जैसतेलसाबुनि घीशीशातौिलयाितमंजनबशइतशैमपू िसनसिीननेल पािलशिलपिसटिहेयर डाईशेििंग िीमआफटरशेि लोशनिजलसुरमाअंजनिगजिलमपेिसलरोशनाईमोमबतीचशमाजूते मोजे  ििइयांपलािसटििगैरह सब रसायन ििजान ििन है। इनिे अलािा बीडीिसगरेटसुरतीचायििचूनाितथानमिसेधा नमििमिीनीलििहीघीपनीरमट्ठामकखन सब रसायन है। घरेलू इसतेमाल मे आनिले बरतन धातुओं तथा िमिधातुओं िे बने होते है। एलयूिमिनयमतांबापीतलिसा

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" अंतरााषटरीय रसायन ििजान िषा 2011”

रसायन ििजान: उद्भि एिं ििकास – डॉ. कृषण कुमार िमश

भूिमकाजैसा िि िििित है, सयंुकत राषटर संघ दारा िषष 2011 िो अंतराषषटरीय रसायन ििजान िषष िे रप मे मनाया जा रहा ह।ै इस आयोजन िे पीछे अंतराषषटरीय ििशुद तथा पयुकत रसायन संघ (IUPAC),  जेनिेा िे पहल तथा पयासो िी महतिपूणष भूिमिा है। इस आयोजन िी ििषय­िसतु है;  रसायन ििजान:  हमारा जीिन,  हमारा भििषय। पिरभाषा िे तौर पर िहे तो रसायन ििजान पिाथोो िी संरचना, संयोजन,  वयिहार,  गुणधमष तथा उनिे पारसपिरि अिभिियाओं िा अधययन है। इसंान िे जीिन मे रसायनो िी भूिमिा हमेशा स ेरही है तथा सभयता िी िििास याता िे साथ यह उतरोतर बढती गयी ह।ै जीिन तथा रसायनो िा अनयोनयािित सबंनध है। िासति मे जीिन िी समूची पििया ही रासायिनि अिभिियाओं िी िने ह।ै धरती पर समसत ऊजाष िा एिमेि सोत सूयष है जो िपछले िरीब 5 अरब िषष से रोशनी तथा ऊषमा िे रहा ह।ै पडे पौधे उग रहे है,  जीि जनतु चल ििर रहे है,  बािल घुमड रहे है,  िही आिाशीय ििदुत िी चमि तथा िडि ह,ै िही आंधी तो िही तूिान अपनी उपिसथित िजष िरा रहे ह,ै िही भिंूप तो िही सुनामी िी घटनाएं घिटत हो रही ह।ै इन समसत घटनाओं मे रसायन अपना­अपना िाम िर रहे ह।ै जीिधािरयो मे पोषण, ििृद, पाचन, उतसजषन, पजनन हो रह ेहै। सिंेिी अंगो िे पंचानुभिो,  उिाहरणाथष शबि,  सपशष,  रप,  रस तथा गंध,  सभी िे िलए रासायिनि िियाएं उतरिायी ह।ै

रसायन तथा मानि जीिनरसायन ििजान िा समबनध हमारी रोजमराष िी ििनिगी से है। हमारे जीिन मे हर जगह रसायन मौजूि ह।ै जीिन िी बुिनयािी चीजे जसैे रोटी, िपडा तथा मिान सबमे रसायन उपिसथत ह।ै रसायन ििजान मे तरकिी िे चलते इनिा सिरप भी बिलता गया ह।ै लेििन मूल जररतो िा सिरप नही बिला ह।ै िनैंििन इसतेमाल िी चीजे जसैे तेल,  साबुन,  िंघी,  शीशा,  तौिलया,  िंतमंजन,  बश,  इत,  शैमप,ू  िीम,  सनसिीन,  नेल पािलश, 

िलपिसटि,  हयेर डाई,  शेििंग िीम,  आफटरशेि लोशन,  िाजल,  सरुमा,  अजंन,  िागज,  िलम, 

पेिसल,  रोशनाई,  मोमबती,  चशमा,  जतू,े  मोजे,   ििाइयां,  पलािसटि,  िगैरह सब रसायन ििजान िी िेन ह।ै इनिे अलािा बीडी, िसगरेट, सुरती, चाय, िािी, चूना, ितथा, नमि, सेधा नमि, 

िमिी,  नील,  िूध,  िही,  घी,  पनीर,  मट्ठा,  मकखन सब रसायन ह।ै घरेलू इसतेमाल मे आने िाले बरतन धातुओं तथा िमिधातुओं िे बने होते है। एलयूिमिनयम, तांबा, पीतल, िासंा, 

जसता, जमषन िसलिर, िूल, रांगा तथा सटेनलेस सटील से बने पात हर घर मे िमल जाएंगे।

सनान,  धयान,  पजूा­पाठ,  धूप िीप,  निैेद,  अगरबती,  रोली,  रका,  तथा िपूषर,  सभी मे रसायन वयापत है। उतसिो तथा जलसो मे मोमबती,  िीये तथा पटाखो िे पीछे रसायन ही ह।ै हमारी रसोई िासति मे ििििध रसायनो िा अिभ्ुत भडंार ह।ै घी, खादतेल तथा मसाले रसायन ही ह।ै भोजन िा जायिा बढाने िे िलए उपयोग मे आने िाले चटनी,  अचार, 

िसरिे तथा मुरबबे रसायनो िे उतिृषट उिाहरण ह।ै यातायात तथा संचार िे पीछे रसायनो िी भूिमिा है। पेट,  िािनषस तथा ििििध रंग रोगन,  अबीर गुलाल सब रसायन ही ह।ै ऊजाष िे ििििध सोत जैसे िोयला, पेटरोल, डीिल, िमट्टी िा तेल, नैपथा, तथा खाना पिाने िी गसै रसायनो िे उिाहरण है।

मानि इितहास मे आग िी खोज एि महान तथा िनणाषयि घटना रही ह।ै ऐसा मानते है िि चिमि पतथरो िे रगडने से आग िी खोज हईु होगी। लेििन आग िी खोज से िही बढिर थी घास िूस िे जिरये आग िो िजंिा रखने िी िला। इससे आग जररत पडने पर उपयोग िे िलए सलुभ रहती थी। इससे मानि िी उतरजीििता िी गुजंाइश बढ गयी। िहसंि पशुओं तथा पितिूल मौसम से उसे सुरका पापत हईु। भोजन िो पिािर खाने से सिाि मे बढोतरी िे साथ िह सपुाचय भी हो गया। ऐसा मानते है िि यह तिरीबन आज से एि लाख िषष पहले िी बात ह।ै इंसानी सभयता मे समय िे साथ िृिष तथा पशुपालन िा उिय होने से उसिे सामािजि जीिन िा सूतपात हुआ। धातु िमष से िृिष िे पिरषिृत औजारो िे िनमाषण मे मिि िमली।

केिमसटरी शबदोतपिि: भाषािैजािनक दिषटिेिमसटरी शबि िी उतपित िे बारे मे िई मत मतानतर ह।ै भाषाििजान िी दिषट से ऐसा मानते है िि िेिमसटरी िी मूल धातु chemy िी वयतुपित यूनानी भाषा िे खीिमया ( ) khymeia से हईु है िजसिा मतलब होता है धातुिनमाषण िी यूनानी तिनीि। िुछ लोगो िी मानयता है िि िेमी िा एि अथष होता है परसपर एि िूसरे मे िमलाना। इसिा आशय ताप भिट्टयो मे िपघली धातुओं िो एि िूसरे मे िमलाने से है। पिशचमी ििशि िे अलािा पाचय सभयताओं ने भी ििजान तथा तिनीिी िे केत मे योगिान ििया ह।ै आज यह बात परूी ििुनया सिीिार िरती है िि पाचीनिाल मे चीन तथा भारत, तिनीि और पौदोिगिी मे पाशचातय जगत से िािी आगे थे। इसिलए िेिमसटरी िी जडे इन सभयताओं मे भी ढढूी जा सिती ह।ै िेिमसटरी िी मूल धातु chem िी समानता चीनी शबि kim से है, िजसिा अिभपाय होता है धातुओं िे रपांतर िी िला। इसिा एि रप िचन ( ) chin ह।ै िोई ताजजुब नही होगा यिि अरबी

आग, मानव सभयता की सबसे बडी एवं अहम खोज

और गीि मे chemy शबि िरअसल चीनी भाषा िे kim िे रपांतर हो। चीनी भाषा मे chin mi शबि िा मतलब है सोना गलाना।

एि अनय मतानुसार िेिमसटरी शबि सपेिनश भाषा िे अलिेमी (alchemy) से आया हुआ मानते है जो अरबी िे अल­कीिमया (al­kimia) से बना है िजसिा शािबिि अथष है रपांतरण। िेिमसटरी िे अंतगषत मोटे तौर पर तति और यौिगिो िे रपानतरण,  िनमाषण और उनिे गुणधमोो िा अधययन ििया जाता ह।ै िेमी शबि िी उतपित िे िििभनन मत है। लिेिन इसिे बािजूि यह बात तय है िि इस शबि िा मूलाधार एि ही है। चूंिि इससे िमलते­जलुते शबि पिूष,  मधयएिशया और यरूोप िी भाषाओं मे िमलते है इसिलए इस बात िी पुिषट होती ह।ै रसायन शबि भारतीय भाषाओं िे िलए िोई नया नही है। आयुिेि िो पचंम ििे िी सजंा िी जाती है। इसे आयुषय िा गंथ माना जाता है। आयुिेि मे रसायन शबि िा पयोग बारबंार आता है। भाषाििजान से जात होता है िि रसशासत शबि िा पयोग जहां सािहतय मे बहतुायत से हुआ है िही यह िचिितसा ििजान मे भी पयकुत हआु ह।ै पारा िो शोिधत िरिे उससे िििभनन भसम,  चूणष आिि बनाए जाते थे जो औषिधयो िे िाम आते थे। आयुिेि मे पारा िो रसराज यानी रसो िा राजा िहा गया है। पारे से िनिमषत िििभनन औषिधयां रसायन िहलाती थी। यह रसायन शबि अथष िे संिभष मे अरबी िे अलकेमी िे िािी िनिट ह।ै

िेमी ' ' chemy या कीिमया ' 'chemia शबि से ििसी न ििसी तरह िे रपांतरण िी बात धििनत होती ह।ै रासायिनि िियाओं िा जान भी मनुषय िो पािृिति पिरघटनाओं िे जिरये ही हुआ। िािानल (जंगल िी आग) िे बाि मनुषय ने िेखा िि ििनही धातुओं िे अशं ताप िी िजह से िपघलिर यौिगि मे ढल गए। इसी तरह िानसपिति खाद पिाथोो िे ििघटन िे बाि उनिे गुणधमष मे आए बिलाि िो मानि ने सिाि और उसिे असर िे जिरये महसूस ििया। अरबी, िारसी और उिूष मे आज रसायन, िेिमसटरी या सोना-चांिी बनाने िी ििदा िो िीिमया िहा जाता ह।ै अलिेिमसट िो उिूष, िारसी मे कीिमयागार िहते है और यह शबि

िहनिी मे भी खूब पचिलत है िजसिा अथष होता है- हनुरमंि, रसायनज। िुछ भाषाििजानी िीिमया शबि िी वयतुपित सेिमिटि भाषा-पिरिार िी आरमेइि िबान िे खमः शबि से मानते ह।ै अरबी िा खमीर शबि इसी मूल िा है िजसिा अथष होता है ििणिन अथिा नशा। मूलतः खमः मे ििृद िा भाि िनिहत ह।ै गौरतलब है िि अनाज अथिा िलो से मििरा िनमाषण िो ििणिन िहते ह।ै बोलचाल िी िहनिी मे िहे तो

एक अरबी कीिमयागार का िित

खमीर उठने िी पििया से ही शराब िा िनमाषण होता है। खमीर िी पििया िरअसल जीिाणुओं िी ििृद िी पििया है। इसीिलए खमीरी रोटी िो डबलरोटी िहते है कयोिि खमीर िी िजह से उसिा आिार बढ जाता है।

तति-ििंतनपिृित ििस चीज से िनिमषत है यह सिियो से िुिनया िे िलए ििचारणीय ििषय रहा है। यह भारतीय मनीिषयो िे िचंतन मनन िा भी ििषय रहा ह।ै सभयता िे आिििाल से यह िौतूहल िा ििषय रहा ह ैिि अलग अलग ििखने िाले ससंार िे समसत पिाथोो िी संरचना पृथि-पृथि है या ििर िे िुछ आधारभूत सरलतम पिाथोो से बने है। पानी ठंडे मौसम मे िहम िे रप मे िमलता है, सामानय िसथितयो मे दि रप मे तथा गरमी मे भाप बनिर उड जाता ह।ै ऐसे ही िैनंििन अनुभिो से मानि िो आभास हुआ होगा िि आिार तथा िाह रप मे िभननता िे बािजूि संसार िी असंखय िसतुएं िुछ सरल तथा बुिनयािी चीजो से बनी है। यह जगत, इसिे पिषत, झील, झरने, सागर, िृक, पशु पाणी, आिि िरोडो चीजे ििस तति या ििन ततिो से िनिमषत है। इस तरह िे पशनो िे साथ िाशशनि िजजासा पारमभ हईु। ििैिि िाल मे ततिो पर ििषि् िचंतन िा िजि िमलता ह।ै सबसे पाचीन ििे यानी ऋगिेि मे पहला शलोि मे ही अिगन िा उललेख होता ह।ै यह िाल 2000-1200 ई.पू. माना जाता है। इसमे िृिषिमष, पशुपालन, चनदपंचांग, िुछ नकतो िा उललेख िमलता ह।ै उपिनषि् िाल िे मनीिषयो ने अनुमान लगाया िि सभी पिाथष िमट्टी यानी पृथिी से पारमभ होते ह।ै इस तरह िा ििचार पसतुत िरने िालो मे महिषष ऐतेय िा नाम पमुखता से िलया जाता है। िुछ अनय लोगो िा मत था िि पृथिी भी जल से पैिा हईु ह।ै जल आग स,े आग हिा स,े तथा इसी तरह िी संिलपनाओं िा उललेख ििया जा सिता ह।ै लिेिन मोटे तौर पर यह िहना युिकतसंगत होगा िि भारतीय िचंतन मे पंचततिो या पंचमहाभूतो यथा- िायु, अिगन, जल, पथृिी तथा आिाश िी िेनदीय भूिमिा थी। उनिा मत था िि संसार िी समसत िसतुएं इनही पंचमहाभूतो से बनी है। ििशेष िर िे सांखयिशषन िे अनुसार पिृित ही पचंमहाभूतो िी जननी है। िह समसत चीजो िी िनमाषती तथा िनयंता है। इस मत िे पितपाििो मे ििपल मुिन िा नाम आता ह।ै यदिप बाि िे िषोो मे इस मत से थोडा अलगाि भी िमलता है। मसलन आयषभट िा मानना था िि सृिषट िे मूल मे चार तति ही है। िे पांचिे तति आिाश िो नही मानते थे। धयान रहे िि आयषभट िा जनम ईसा िे बाि 476 ई. मे हुआ था। ईसा पिूष तीसरी सिी मे िसिनिर िे भारत पर आिमण िे बाि यूनािनयो िा भारत से सासंिृिति तथा िचैािरि आिान पिान िे दार खुल गये थे। ऐसा मानते है िि आयषभट िे मत िे पीछे शायि अरसतूिािी यनूानी ििचारधारा िा ही पभाि िाम िर रहा था।

 कििल मुिन

िुिनया िी िसूरी सभयताओं िे ताितिि िचंतन मे पिाथष पमुख रहा ह।ै माइलेटस िे थेलीि (640­546 ई.पू.) पाचीन यूनान िे आयोिनयन शहर िे िनिासी थे। िे यूनानी परमपरा िे पहले जाने माने पिृितशासती तथा िजैािनि थे। उनिा दढ ििशिास था िि समूची सृिषट िे मूल मे जल िी भूिमिा ह।ै िह जल िो सिषवयापी तति मानते थे। उनिे अनसुार पिृित मे एि सचचाई है िह जल ह।ै यही िििभनन रपो मे जड तथा चेतन सभी मे मौजूि ह।ै इसिा पमाण यह है िि चीजो िो गमष िरने मे उनमे से जल मुकत होता है जसैे, पती, खिनज या

पसीना। िे मानते थे िि धरती पानी पर तरै रही है, सभी चीजे पानी से उतपनन होती है तथा पानी से बनी होती ह।ै उनिा िथन दषटवय है­ "िह पानी ही है जो िििभनन रपो मे धरती, आिाश, निियो, पिषत, ििेता और मनषुय, पश­ुपकी, घास­पात, पेड पौधो, तथा जीि­जनतुओं ति मे मौजूि है। इसिलए पानी पर गहन िचंतन मनन िरो।"  इनिे िशषय थे एनकेसीमेनीज िजनहोने िायु िो पथम सथान ििया तथा हरेािकलटस ने अिगन िो जयािा महति ििया तथा उसे समिषट िा मूल माना। एनेकसागोरस (499­428 ई.पू.) िा मत था िि िुिनया छोटे छोटे िडो से बनी है िजनहे िह बीज िहते थे।

यह एि सचचाई है िि पाचीन िाल मे िुल िमलािर चार या पांच ततिो िा पाधानय था। यूनानी परमपरा मे सृिषट िे मूल मे चार तति रहे है;    िायु,  जल, 

धरती तथा अिगन। इनहे चतुतषति या चतुभूषत भी िहा जा सिता है। अबडेरा िे डमेोििटस 400 ई.पू.) मे पहली परमािणिि पिरिलपना पसतुत िी। उनिे अनुसार संसार िी सभी चीजे शासित,  अििभाजय, 

अििनाशी तथा अननत रप से सूकम पिाथोो से बनी ह।ै यह हरैत िी बात है िि उनिे ििचार आधुिनि संिलपना से िािी मेल खाते ह।ै उनहोने सबसे छोटे िण िे िलए यनूानी शबि एटोमॉस ििया िजसिा शािबिि अथष होता है अििभाजय। लेििन उस समय िोई पयोगातमि पमाण न होने से िे इसे सािबत नही िर सिे। इसी शताबिी मे एमपडेोकलीि, जो िि िसिसली िे िनिासी थे,  ने बताया िि सृिषट िे चार मूल पिाथष है जो अिगन,  जल,  पथृिी तथा िाय ुहै। ससंार िी सभी िसतुएं इनही चार ततिो िे िििभनन अनुपात मे आपस मे िमलने से बनती ह।ै इनिे चार गणु होते है­ आदष, शुषि, उषण तथा शीतल। इसिे पहले माना जाता था िि िायु, आग और पानी िे ही बीच िी अिसथा होती है लेििन बाि मे यह गलत

पाया गया। एमपडेोकलीि िे अनुसार मानि पेिशयो मे चारो तति समान माता मे पाये जाते ह।ै हिड्डयो मे ½  अिगन,  ¼  पृथिी,  ¼  िहससा जल पाया जाता ह।ै िहपोिेटीि िो यूनानी िचिितसा पदित िा जनि िहा जाता ह।ै

अरसतू (Aristotle, 384­322 ई.पू.) इस मत िे पितपाििो मे अगणी थे। ये पलेटो िे िशषय थे। अरसतू, ििशिििजेता िसिनिर िे गरु थे तथा इनिी गणना ििशि िे महानतम सािषिािलि ििचारिो मे िी जाती है। उनहोने एि अनय तति िे अिसतति िा पितपािन ििया िजसे उनहोने ईथर िी संजा िी। ईथर िी सिंलपना 19िी सिी ति िायम रही तथा इसे पिाश िे संचार िा माधयम माना जाता रहा। पलेटो,  िजनहे िारसी मे अिलातून भी िहा जाता ह,ै  िी ििदतसमाज मे बहुत धाि थी। उनहोने एथेस मे अिािमी िी सथापना िी। िे िाशशनि तथा गिणतज थे। उनिा मानना था िि िजसने गिणत िा अधययन नही ििया िह बिेार ह।ै अपनी अिािमी िे पिेशदार पर उनहोने िलखिा ििया था िि "गिणत से अनिभज वयिकत यहां पिेश न िरे"। अरसतू उनिे योगय िशषय

थे िजनिी इतनी पिसिद थी िि ििजान तथा िशषन मे उनिा मत 2000  िषोो ति बरिरार रहा जब तलि िि आधुिनि ििजान ने उनिे ििचारो िो खािरज नही िर ििया। अरसतू िे अनुसार चतुगुषणो िे समुचचय से ही ििसी िसतु िी िासतििि पिृित तय होती ह।ै उिाहरणाथष पृथिी,  आदष एिं शषुि है जबिि िायु,  उषण तथा आदष ह।ै जल,  शीतल एिं आदष है जबिि अिगन,  उषण तथा शषुि ह।ै अरसतू िे िशषय िथयोफेसटस (अ.   372­287  ई.पू.)  ने भी उपरोकत मतो िा समथषन ििया। वयािहािरि रसायन पर उनिी

िलखी पुसति "आन सटोनस"  जो िि ईसा से 300 साल पहले िी है,  सबसे पाचीन रचना मानी जाती है।

िीिमयािगरी आधुिनि रसायन िी जनमिाती नही है,  यह बात िसरे से ही साि होनी चािहए। िासति मे रसायन िे उि्भि िे रप मे िीिमयािगरी िी भूिमिा बहुत ही नयूनतम ह।ै यदिप िीिमयािगरी िा एि सिुीघष इितहास है जो िई सभयताओं तथा भूखंडो मे वयापत रही है। इसमे तमाम चीजो िा समािेश है मसलन रोमासं,  साहस, 

िपट,  चालािी,  धमष,  रहसयिाि,  िावय,  हासय,  िपट,  चालबाजी,  िैजािनि पडताल तथा िुशल तिनीिी। पूरी िुिनया िे इितहास मे पारस पतथर या जािुई पतथर िे इितहास से जयािा रोचि तथा नाटिीय अधयाय खोजने पर नही िमलेगा,  जो िि िीिमयािगरी िा मूल मिसि था। िो हजार िषोो ति समाज िे हर िहससे िे लोग गुपत रप से अंधेरे िोनो मे ििठन पिरिम िरते रहे, िसिष इसिलए िि उनहे िह अलािीन िा िचराग िमल जाए। िीिमयािगरी मे लगे हुए लोग समाज िे हर तबिे से ताललिु रखते थे जसैे राजा,  महाराजा से लिेर पोप तथा पािरी,  महान िजैािनिो से लिेर िचंति ििचारि, 

तथा छोटे िमषचारी से लिेर सनुार तथा रंगरेि ति,  सभी इसमे शािमल थे।

        अरसतू

           पलेटो

िीिमयािगरी िे पैिकटशनरो मे रोजर बिेन (अ.1214­1292  ई.),  सेणट थामस (पथम सिी ई.),  बाइिैणटाइन िा हरेोिकलटस (अ. 575­641 ई.),  सिाटलडै िे जमेस चतुथष (1473­1513  ई.) 

शािमल ह।ै

सन् 622 ई. मे अरबी ििदानो ने यूनान तथा चीन िी समृद परंपरा अपनायी। अरबी उप पि 'अल' िे सयंोग से अलिेमी शबि बना िजसिा अथष होता है िमसी ििजान। ऐसा ििशिास था िि अल अकसीर िी मिि से चािंी से सोना तयैार ििया जा सिता है। अल रािी (लगभग 860-925 ई.) अरबी िीिमयािगरी मे एि बडा नाम था। िे पेशे से हिीम थे तथा रसायन ििजान पर उनहोने वयािहािरि िायष ििया। उनहोने 'तेज पानी' यानी अमल तथा कार बनाने िा नुसखा ििया िजसमे अनिे धातुएं सरलता से घुल जाती ह।ै

पागैितहािसक काल की अहम उपलिबियांयदिप पाचीन िाल मे रसायन ििजान जैसा िोई ििषय नही था लिेिन रसायन िी युिकतयां तथा तिनीिे इसतेमाल मे लायी जाती थी। ििजान िे रप मे रसायन भले न रहा हो लेििन रासायिनि पौदोिगिी जरर मौजूि थी। बहधुा ऐसा माना जाता है िि ििजान पहले आया तथा पोदौिगिी उसिे बाि। इसिी एि िजह यह भी हो सिती है िि हम शबि समुचचय िे रप मे ििजान एिं पौदोिगिी िा िजि िरते है उसमे पौदोिगिी शबि ििजान िे बाि आता है। इससे इतर यह सच है िि पौदोिगिी ने ििजान िे सृजन तथा उननयन मे अहम भिूमिा िनभायी है। ििजान, यानी ििचारो तथा िशलप िी उतपित, जो धीरे धीरे आधुिनि ििजान तथा पौदोिगिी िे रप मे ििििसत हुए। मोटे तौर पर ििजान, तथा रसायन ििजान भी, उतना ही पाचीन है िजतना िि हमारे पूिषज। िन:संिेह यह हमारे धमष, िला, सािहतय से िही जयािा परुातन है। आज से िरीब पचास हजार साल पहले पथम होमो सैिपएनस ने तरह तरह िे औजार बनाए, आग जलायी, उसिा इसतेमाल ििया। उसी ने हमारी पहली आििम भाषा िा उचचारण ििया। धयान रहे िि िह भाषा महज मौिखि थी, कयोिि लेखन (िलिप) िा िििास मानि सभयता िे समयिम मे बहुत बाि िी बात ह।ै हम उसी मानि िी संतित है। आज से 10,000 साल पहले इसंान ने तब एि और िांितिारी ििम आगे बढाया जब उसने िृिष तथा पशुपालन सीखा। इन िोनो चीजो ने मानि इितहास मे यगुानतरिारी बिलाि लाया। इससे यायािर मानि एि जगह सथायी होिर जीिन-यापन िरने िी ओर बढा। िृिष ने नये नये औजारो तथा उपिरणो िे िििास िा मागष खोला।

िसंधु सभयता के भगनावशेष

पुरापाषाणिाल ने उननत तथा चमिाए गए पसतर िे औजारो िाले निपाषाणिाल िी राह पिान िी। बनुाई तथा बतषन बनाने िी िशलपिलाओं िा िििास हुआ। िालानतर मे अयसिो िो गलािर धातुएं पापत िर लेने िी िला सीखने िे बाि मानि सभयता मे बहुत पिरितषन हुआ। उसने पहले िासंा, ििर तांबा तथा िािी बाि मे जािर लौह धातु पापत िी। गािं धीरे धीरे बढिर िसबो िा रप लेने लगे। इससे मेसोपोटािमया, िमस, भारत तथा चीन िी िहृि् निीघाटी सभयताएं ििििसत हुई।ं

िसंधुघाटी सभयता िजसे हडपपा सभयता िे नाम से भी जानते है, िा उननतिाल 2600-2000 ई.पू. माना जाता है। इसमे ताम तथा िासंय तिनीि, हल िा पयोग, धानय िोठार, चमिीले मृि्भाड, पकिी ईंटो िा पयोग, िताई-बनुाई, मापतौल, बॉंट, िपास िा पयोग, जयािमित तथा नकतो िा जान िखेने िो िमलता है। यह एि नागर सभयता थी। ईसापिूष 2000-1200 ति िे िौरान भारत मे निपाषाणी बिसतयां, तामपाषाणी बिसतया,ं शैलाियो मे िचतिारी, ताबंे िे औजारो सिहत िासंयिृितयां िखेने िो िमलती ह।ै भारतीय इितहास िे सिणषयुग यानी गुपतिाल मे िचिितसा ििजान िे केत मे चरि संिहता तथा सुिुत सिंहता जसैे गंथ िलखे गये। इसी िाल मे ििलली िे मेहरौली िा लौहसतंभ तथा िबहार िे भागलपुर िजले िे सलुतानगंज नामि सथान से पापत महातमा बदु िी पितमा

धातुिमष िी उतिृषटता िे उिाहरण ह।ै यह पितम 2.3 मीटर ऊँची, 1 मीटर चौडी तथा िजन मे 500 ििलोगाम िी ह।ै िांसय िी यह मूितष 500 ई. से 700 ई. िे बीच िी है जो िि 1860 मे ईसट इिंडयन रलेिे िे िनमाषणिायष िे िौरान खुिाई मे िमली थी।

बारद, िजसने दुिनया को दहला िदयाबारि िा आििषिार िई मायने मे मानि इितहास मे िनणाषयि रहा ह।ै इसिी खोज सन् 1040 मे चीन मे हईु। यह िाले रंग िा पाउडर सालट पीटर, चारिोल तथा सलिर (गंधि) िे िमिण से बनता है। बारि िा इसतेमाल यदु मे ििया जाता था। शुर मे इसिे गेनेड तथा गोले िो िुशमन िल पर िैटापुलट िे जिरये िरू से ही िेिा जाता था। बाि मे तोपखाने मे इसतेमाल शरु होने से इसिी असली ताित सामने आयी। बारि िे आििषिार िा मानि समाज पर गहरा असर पडा। ऐसा माना जाता है िि यूरोप िे िई िशेो मे सामंतशाही तथा

िुराने जमाने की एक तोि

सलुतानगंज स ेपापत बुद की भवय मूिति

िनरंिुश शासन िो उखाड िेिने मे बारि िी बहतु बडी भूिमिा थी। लिेिन इसिे साथ यह भी िटु सतय है िि लोिििरद सताओं िे ििलाि लोितांिति जनांिोलनो िो िुचलने मे भी बारि ने बहतु बडी भूिमिा िनभायी कयोिि सताओं िो यह बिनसबत आसानी से सुलभ था।

कीिमयािगरी

िीिमयागार िरअसल पुराने जमाने िे रसायनशासती थे लेििन उनिी िायष पदित आधुिनि रसायन से िनतांत िभनन थी। हम िह सिते है िि रसायनो िे जोड तोड से नये यौिगिो िी उतपित इनही िीिमयागारो िी ििमागी उपज तथा उनिे पयासो िा जीता जागता नतीजा ह।ै रसायनो िे पयोग तथा जोड-तोड मे इन िीिमयागारो ने ििििध उपिरण तथा युिकतयां ििििसत िी िजनिा आज िे अनुसंधानो मे पयोग ििया जा रहा ह।ै िीिमयागारो िी दढ मानयता थी िि हर तति अपने शुदतम रप िो पापत िरना चाहता है। इस पििया मे िुिरती तौर पर, जािहर ह,ै िािी समय लगता ह।ै उनिे अनुसार पृथिी िे गभष मे सोने िा िनमाषण इसी पििया िा पितिल ह।ै सोना एि आिशष धातु है िजस पर ििसी अमल या कार िो पभाि नही पडता। इसिा संकारण भी नही होता तथा खुले मे रख िेने पर जयो िा तयो पडा रहता है। िूसरे तति भी सोने िी इसी िनयित िो पापत िरना चाहते ह।ै

िीिमयाई ििशिास िे अनसुार हर तति िेर सिेर सोने मे रपांतिरत हो जाता है। इसीिलए िीिमयागार ससती धातुओं िो सोने मे बिलने िे िलए इतना पयतनशील रहते थे। िूसरी अहम बात जो थी िह यह थी िि उनहे यिीन था िि रासायिनि अिभिियाओं िे जिरए िे ऐसा रसायन बना सिते है जो उनहे सिा िे िलए अमर बना िेगा। आज हम जानते है िि ये िोनो बाते आधुिनि ििजान िे बुिनयािी िसदानतो से मेल नही खाती तथा आधारहीन है। लिेिन मधयिाल मे यह ििशिास इतना पबल था िि लोगबाग इनमे यिीन िरते थे। िीिमयागारो िा िाम िरने िा तरीिा भी गुपत होता था। िे अपने पयोग, पेकण तथा िनषिषष िूट भाषा/सिेंतो मे िलखते थे। यदिप समूचे िीिमया िो एि तरह से अिैजािनि िहा जा सिता है लेििन इतना सच है िि इससे उपिरणो, यिुकतयो तथा यौिगिो िे िनमाषण मे बहुत मिि िमली।

 अिने पयोगो िर नजर गडाये एक कीिमयागार

िृितम रप से सोना बनाने तथा भपूपषटी मे इसिे अिसतति िी वयाखया ने रसायन िे िििास मे अहम भूिमिा िनभायी ह।ै पाचीन इसंानी सभयता मे सोने िी महता िो िेखते हुए िहा जाता है िि इस िजह से िीिमयािगरी िा पािुभाषि हुआ। िसतुत: िुछ लेखिो िा यह भी मानना है िि ससती धातुओं िो सोने मे तबिील िरने िी चाहत से िीिमयािगरी िा जनम हुआ। जसटस िान लीिबग ने िहा ह ैिि मानि सभयता िे इितहास मे इससे रोचि बात शायि ही िेखने िो िमले जब अलग अलग िालखंडो तथा भभूागो मे जािईु पतथर िी खोज िे िलए इतनी िीिानगी रही हो। यह सुिनिशचत िरने िे िलए िि ऐसी िोई चीज िासति मे होती नही, यह आिशयि था िि हर िसतु िो बहुत बारीिी से िेखा तथा खँगाला जाए िजससे िि परूी तरह से इतमीनान हो जाए। इस िैचािरि जडता िो तोडने िे िलए जािहर है पुनजाषगरण िाल ति इंतजार िरना पडा। मधयिाल मे िीिमयािगरी िी पदित, मौिलि ििजान से िासतििि रप से इतनी उलझी थी तथा उनमे ििचारो िा इतना गड्डमडड् था िि इनमे परसपर भेि िर पाना ही ििठन था। िीिमयािगरी िे ििचार इतना पबल रप से जड जमाए हुए थे िि पुनजाषगरण िाल िे अनिे िैजािनि भी िीिमयाई अिधारणा से मुकत नही हो सिे थे। िीिमयािगरी िुछ बुिनयािी ििशिासो पर आधािरत थी जो इस पिार है।

1) पिृित, इंसान िी तरह ििंिा तथा संिेिनशील है2) सूरज, चांि तथा िसतारे िजन िनयमो से िनयंितत होते है िही िनयम इसंान िे

शरीर पर भी लागू होते है।3) तारे इस धरती पर होने िाली घटनाओं िो पभािित िरते है तथा घटनािम

िो पहले से ही तय िरते है।4) िोई घटना या पििया जो सित:सिूतष है, उसिे पीछे ििसी वयिकतति या आतमा

िा हाथ होता है।

अरब, िीन तथा भारत मे कीिमयािगरी यह वयापि तौर पर सिीिार ििया जाता है िि अरबी िीिमयािगरी िी जडे यनूानी ििजान मे िनिहत ह।ै िासति मे िीिमयािगरी अलकेजैिडरया से मुिसलम ििशि ति पहुंची। इसलामी िीिमयािगरी मे सबसे बडा नाम है जिबर इबन हययन (अ.721-815 ई.)। इनहे पिशचमी िुिनया िे िेशो मे जबेर िे नाम से जाना गया। जिबर िा मानना था िि धातुएं धरती िे गभष मे गंधि तथा पारे िे परसपर संयोग स ेबनती है। यह मत िािी अरसे ति मानय रहा जब ति िि िहन िे फलोिजसटन िसदानत ने सतहिी सिी मे इसे झठुला नही ििया। जबीर ने नौसािर यानी अमोिनयम कलोराइड िा िणषन ििया तथा सिेि सीसा बनाने िी िििध ईजाि िी। उनहोने िसरिे िा आसिन िरिे सानद एिसिटि एिसड तैयार ििया। गौरतलब ह ैिि पाचीन िाल मे एिसिटि एिसड ही सबस ेसानद अमल िे रप मे जात था। जबीर ने तनु नाइिटरि अमल तयैार ििया जो िि सामथयष िे तौर पर िािी तगडा था।

इसलामी िुिनया िा िसूरा बडा िीिमयािगर था अबू बि मोहममि इबन िििरया अल रािी (860-925 ई.)। उनहे लैिटन मे रेजीज नाम से जाना जाता है। िे महान मुिसलम िचिितसिो मे शुमार ििए जाते है। उनहे पाय: िसिी सिी िा रॉबटष बॉयल िहा जाता ह।ै जबीर तथा अल रािी िोनो इस मत िे समथषि थे िि धातुएं एि िूसरे मे रपांतिरत िी जा सिती है। लेििन अबू अली अट हुसैन इबन अबिुलला इबन िसना (980-1037 ई.) िो इसमे शि था। िे पिशचम िी ििुनया मे एििसेनना िे नाम से पखयात थे तथा इसलाम िे सबसे बड ेिचिितसाििजानी थे। मेिडिसन पर िलखी उनिी पुसति छह सौ साल ति मानि रचना बनी रही जो िि पूरब तथा पिशचम िोनो मे समान

रप से लोििपय थी। रसायन िे बारे मे उनिे पकेण 'ििताब अल-िशफा' नामि उनिी पसुति मे दषटवय ह।ै

चीन मे िीिमयािगरी िी बडी समृद तथा िीघषिािलि परमपरा रही ह।ै इसिा पमाण है चीनी राजशाही दारा 144 ई.पू. मे जारी िी गयी राजाजा िजसमे खोटे िसकिे ढालने तथा निली सोना बनाने िालो िो सािषजिनि रप से िंिडत िरने िा पािधान था। ऐसा िहा जाता है िि तिरीबन 175 ई.पू. मे चीनी समाट िने से िीिमयािगरी से सोना बनाने िी अनुमित िी थी। यह अलग बात है िि इस तरीिे से िोई सोना िभी नही बना तथा खाली िािो तथा धोखाधडी िे अलािा इससे िुछ हािसल नही हआु। यदिप िहां िे शासि दारा एि िीिमयागार िो इस बात िे िलए परुसिृत िरने िा उललेख िमलता है िि उसने ििैोपासना से अमरति िा रहसय जान िलया है।

चीनी परंपरा मे माना जाता था िि ससंार िी िसतुएं पांच घटिो से िनिमषत ह।ै ये है, धातु, िाषठ, पथृिी, जल तथा अिगन। इसिा िजि ईसा से 12 सिी पहले ति िमलता है। िूसरा महतिपूणष मत था, ियन तथा यांग िा, जो िि एि िूसरे िे पबल ििरोधी है। ियन, मािा िसदानत है तथा यांग, नर िसदानत है।

ताओिाि िा उिय छठिी सिी ईसा पिूष हआु था तथा यह एि अमूतष िशषन िे तौर पर ििििसत हुआ। इसमे ियन तथा यागं एिं पांच घटिो िा समािेश था। ताओिािी बहािणडिी िे अनुसार बहाणड िोई िनिशचत सिरप गहण िरने िे पूिष पूणषत: आिारहीन तथा पारिशी था इसीिलए 'महान तेजोमय' िहलाता था। इस तरह

इसलामी कीिमयागार आिस मे मशिवरा करते हुए

ताओिाि िी उतपित िरकतता तथा पशांित से हईु। इनसे ििि् तथा िाल उतपनन हुए।

भारत मे िीिमयािगरी िा उिय पांचिी या छठिी शताबिी मे हुआ, ऐसी मानयता है। यह अगले सात आठ सौ साल ति यह िला िूला। इस िौरान तांितिशासत िा खूब िििास हआु। इसिा मिसि था भौिति सुख समृिद तथा अमरति हािसल िरना। लेििन इसिे साथ ही मोक पापत िरना भी इसिा एि अहम उि्िेशय था। तांितिशासत खास िरिे िहनिू तथा बौद धमष मे धयान धारणा िा मुखय आधार था। िहनिू तांिति ने िेश मे पारे पर आधािरत िीिमयािगरी िा िििास ििया। इसमे परुष तथा सती िो रपि िे तौर पर पसतुत ििया। सजृन िे िलए इन िोनो िी आिशयिता िो िशाषने िे िलए िशि िे अदषनारीशिर रप िी िलपना िी गयी। िशिोपासना मे िशििलंग िी पजूा िे पीछे शायि यही िारण है कयोिि उसिी सरंचना मे सती-पुरष समागमांगो िा योग बताया जाता है।

बौद धमष िे िीिमयागार नागाजुषन िा नाम िािी पचिलत ह।ै ऐसा माना जाता है िि िे चीन िे सथान ििशषे िी याता पर गये थे कयोिि ऐसी धारणा थी िि यह िीिमयागार िो िहां जाना ही चािहए। चीन मे तथा खास िरिे ितबबत मे तंत तथा िूसरी गुपत ििदाओं िा बडा जोर था। िलहाजा पणूषता पापत िरने िे िलए िहां िी याता िो जररी माना जाता था। िहां िी धयान पदित बहुत गोपनीय होती थी। पाचीन ितबबती सािहतय मे इसिा उललेख िमलता ह।ै भारतीय िीिमयािगरी पर चीन िा िुछ हि ति पभाि दिषटगोचर होता है लिेिन यह एि सचचाई है िि भारतीय िीिमयािगरी अपने ढंग से ििििसत हईु। िुछ खास भारतीय िीिमयागारो मे भासिर, नागाजुषन, नागबोिध, यशोधन, िपािलि, बह, गोििनि, सुराननि आिि िे नाम िलए जा सिते है। भारतीय िीिमयािगरी िो रसििदा िहा जाता था तथा िीिमयाई पयोगशाला िो रसशाला िहते थे। सोना िो पारे िे साथ िमलािर िलंग बनाया जाता था िजसे रसिलंग िहते थे। रसरतनसमुचचय नामि पुसति मे इस बात िा िििरण िमलता है िि रसशाला िहा ंतथा ििस तरह स ेअििसथत होनी चािहए।

रसशाला िे अनिे उपिरणो तथा यंतो िा िजि िमलता है मसलन िि खलबट्टा, िोषठी, िंुिनी, छलनी, सीसे िे भभिे, लोहे िे तिे, िगैरह। यंतो मे सिेिनी यंतम, पातन यंतम, ििदा धारा यंतम, धूप यंतम, लिण यंतम, भूधर यंतम, इतयािि। यहा ं

       सृििट की कीिमयायी सकंलिना

िीिमयागारो िी िुछ पसुतिो िा िजि िरना समीचीन होगा उिाहरणाथष, सोमििेिृत रसेनदचूणामिण, िागभट िा रसरतनसमुचचय, यशोधर िा रसपिाशसुधािर, िनतयानंि िसद िा रसरतनािर, रामेशिर भट्ट िा रसेनदिचंतामिण, जानचंि िी रसिौमुिी, िगैरह। िीिमयािगरी या उससे िमलती जलुती सामगी हमे गजुराती, मराठी, तिमल, तेलुग,ु िननड, मलयालम, बांगला भाषाओं मे भी िमलते ह।ै भारतीय िीिमयािगरी मे िनसपितयो िी बडी खास भूिमिा थी। इनहे ििवयौषिध िी संजा िी जाती थी। जैसा िि पहले िजि ििया जा चिुा है, पारे िो रसराज िहा जाता था। इसे िई िसूरे नामो से भी सबंोिधत ििया जाता रहा है जसैे रस, रसेनद, िशििीयष, महारस, पारि, इतयािि। भारतीय िीिमयागारो ने समसत पिाथोो िो पाचं मुखय भागो मे ििभकत ििया है जो ह-ै महारस, उपरस, धातु, रतन तथा ििष। इनमे पतयिे िे उपभेि भी ह।ै इस तरह हम िेखते है िि भारत मे भी िीिमयािगरी िी एि समृद तथा िीघषिािलि परमपरा रही ह ैतथा यह मुखयत: तंत, यंत तथा मंत पर आधािरत थी।

यह िािबलेगौर है िि 8 िी सिी से लिेर 15 िी सिी ति ििजान एि तरह से तंदािसथा मे था। इसिा िारण है यूरोप मे ईसाइयत िा पभतुि तथा बोलबाला। ईसाई धमषगंथ बाइिबल िे अनसुार सृिषट िा िनमाषता ईशिर है, िह िताषधताष है, िारसाज है, तथा सब िुछ िह जानता ह।ै उसिी मजी से ही सब िुछ होगा। जािहर है ऐसे माहौल मे िैजािनि पडताल िी गुजंाइश बहुत िम थी। हालांिि इस िालखणड मे िुछ नाम है जसैे गालेन, टालेमी तथा रोजर बिेन। लेििन उनिा भी िायष ििशुद िैजािनि न था। मसलन बिेन िा िायष िीिमयािगरी तथा जयोितष पर िेिदत था। इसिलए आधुिनि ििजान िो भी अपने उतथान िे िलए पनुजाषगरण िाल ति इंतजार िरना पडा।

तति की आिुिनक पिरभाषा बहाणड रसायनो िा खजाना ह।ै रसायन िई अिसथाओं, मसलन ठोस, दि तथा गसै मे मौजूि है। समूचे बहाणड मे मोटे तौर पर िो ही चीज ेहै; दवय यानी पिाथष तथा ििदुतचुंबिीय ििििरण। इस बहाणड मे तारे जनम ले रहे है, िही ििसिोट या सिुंचन से िे नषट होने िी िनयित िो पापत हो रहे ह।ै गह, उपगह तथा िूसरे खगोलीय िपणड िनिमषत हो रहे ह।ै पथृिी पर मौजूि जीिन इनही पिाथोो िे पारसपिरि िियाओं िा खेल है। ईसा से पिूष ििुनया िी सभी सभयताओं मे िाशशनि मतो िा पाबलय था। हालांिि इनही से बाि मे आधुिनि ििजान िी बाते िनिलिर सामने आयी। पिाथष िी सरंचना जानने िे पयास मे समय िे साथ रासायिनि ततिो िा उिय हुआ। िाशशनि मत धीरे धीरे पीछे छूटते गये। फांसीसी

               कुछ धाििवक तिव

ििजानी लेिोििए ( ) Lavoisier ने 1789 मे पहली बार ऐसी पिरभाषा िी िजसे सही मायने मे िैजािनि पिरभाषा िहा जा सिता ह।ै उनिे अनुसार,- तति िह पिाथष है जो ििसी भी जात िििध से अपने से सरलतम पिाथोो मे ििभािजत या ििघिटत नही ििया जा सिता। बीसिी सिी िे अंत ति तति िी यही पिरभाषा मानय थी। लेििन यह बात सपषट है िि यह पिरभाषा पयोगो िी असिलता तथा निारातमिता पर जयािा आधािरत थी। उिाहरण िे िलए िािसटि सोडा ( ) KOH िो अठारहिी सिी ति तति माना जाता रहा कयोिि रसायनज इसे और सरल पिाथोो मे ििघिटत िरने मे असिल रहे थे। लिेिन उननीसिी सिी िी शुरआत (1809) मे हमफे डिेी िो िािसटि सोडा िा ििदुत िियोजन िरने मे सिलता िमली िजससे सािबत हआु िि यह तति न होिर एि रासायिनि यौिगि ह।ै हालांिि बाि मे चलिर लिेोिजए िी पिरभाषा भी बेमानी हो गयी कयोिि आधुिनि रसायनजो ने ऐसी िििधयां ईजाि िर ली है िजससे एि तति िूसरे तति मे रपांतिरत ििया जा सिता है। इसे िृितम ततिांतरण ( ) Artificial transmutation िहते ह।ै अब जो तति िी पिरभाषा िी गयी है उसिे अनुसार तति िे पिाथष है िजनिी एि िनिशचत परमाणु सखंया ( )Atomic Number होती ह।ै

तति-याता आज जब हम ततिो िे इितहास पर दिषटपात िरते है तो पाते है िि पाचीनिाल मे मानि िेिल 6 ततिो से पिरिचत था। यह सिाभाििि था िि मनुषय उनही ततिो िो जानता था जो पिृित मे मुकत अिसथा मे पाए जाते है या िजनिा िनषिषषण सरलता से हो सिता ह।ै िसतुत: पिृित मे मुकत अिसथा मे पाए जाने िाले छह ततिो- सोना, चांिी, ताबंा, सीसा, िटन तथा पारा से हम िीघषिाल से पिरिचत है। ऐसा अनुमान है िि सातिे तति लोहे से मानि िा पिरचय सभंित: उलिा िपंडो से हुआ होगा। यदिप लौह खिनज से उसिे िनषिषषण िे तरीिे स ेमानि िरीब 4 हजार िषोो से िाििि ह।ै इसिा पमाण है ििलली िा मेहरौली िसथत लौह सतमभ (िरीब 400 ई.) जो आज भी िैजािनिो िे िलए िौतहूल तथा आशचयष िा ििषय बना हुआ है। इतने बरसो बाि भी मौसम िी मार िा इस पर तिनि पभाि नही पडा है तथा यह जंगहीन बना हआु ह।ै मानि सभयता मे पाषाण यगु िे बाि तामयुग तथा िासंययुग िी बारी आती ह।ै ऐसा माना जाता है िि तांबे िी जानिारी ईसा से लगभग 9000 िषष पहले इंसान िो हईु तथा मधयपूिष िे एनातोिलया नामि सथान से इसिे 6000 साल परुाने नमूने िमले है। तांबे िे बाि िूसरा तति सोना था िजसिा

मेहरौली का लौहसतमभ

जान ईसा पिूष 6000 िषष से भी पहले माना जाता है तथा िमस मे सबसे पहले इसे खोजा गया, ऐसी मानयता ह।ै इसिे बाि सीसा, चांिी तथा िटन तथा पारा से हम पिरिचत हुए। उपरोकत 7 धातुओं मे से सीसा, िटन, पारा तथा जसता नामि धातुओं िा िनषिषषण िुिनया िे िई िशेो मे िािी अरसे से होता रहा ह।ै लोहे िा जान 5000 ई.पू. मे हुआ माना जाता ह।ै िाबषन िी जानिारी िरीब 3750 ई.पू. मे सबसे पहले िमसिािसयो िो हईु।

गंधि (सलिर) िे बारे मे सबसे पहले चीिनयो तथा भारतीयो िो जानिारी हईु। लेिािजए ने 1777 ई. मे बताया िि सलिर एि तति ह।ै पारे िी जानिारी भी सलिर िे समय िे आसपास भारतीयो तथा चीिनयो िो हुई। पारे िे आकसाइड िा पयोग पारिभसम िे रप मे भारतीय िचिितसा पदित मे आयिुेि मे दषटवय ह।ै जसता या िजिं एि ऐसी धातु है िजसिी धाितििी बहुत ििठन है। लेििन जसते िे िनषिषषण मे भारतीयो िो िनपुणता पापत थी। इसिे िजष अिभलेख िमलते ह।ै आठिी सिी ईसिी िी 'रसरतन समुचचय' नामि पसुति मे इस बात िे पमाण िमलते है। मानि सभयता िे िििास मे तामयुग िे बाि िासंययुग िा उिय हुआ जब उसने िासंे िे औजार तथा उपिरण बनाये। िासंा एि िमिधातु है जो तांबे तथा िटन से बना होता ह।ै तांबे मे जसता िमलाने से पीतल नामि िमिधातु िा िनमाषण होता है। िमलाए जाने िाल ेजसते िी माता िे अनुसार िई तरह िी गुणिता िे पीतल तैयार ििए जाते ह।ै बरतन बनाने मे पीतल िी उपयोिगता सबिो जात ह।ै

पथम शताबिी ईसिी ति रासायिनि ततिो िे रप मे हमे िसिष 7 तति जात थे। सतहिी सिी िे अतं ति हमे िुल 12 ततिो िी जानिारी थी। यानी िुल 1600 िषोो मे हमारी जानिारी मे िुल 5 नये तति ही शािमल हो पाये। बाि मे यूरोपीय पुनजाषगरण तथा पिशचमी ििशि मे ििजान तथा तिनीिी जान िे चलते नये ततिो िी खोज िा िाम दतु गित से बढा। अठारहिी सिी िे अंत ति ततिो िी सखया बढिर 32 हो गयी यानी एि सिी मे 20 नये तति खोजे गये। उननीसिी सिी िे अंत ति हमे 80 तति मालूम हो चिेु थे अथाषत सौ िषोो मे 48 नये ततिो िा इजािा। बीसिी सिी मे सन् 1936 ति 88 तति जात हो गये थे। सिी िे अंत ति यह संखया पहुंच गयी 114 ति। यानी बीसिी सिी िे सौ साल मे 34 और तति जडुे। लिेिन ये सभी तति पिृित मे पाए जाने िाले तति नही है। जसैा िि हम जानते है यूरेिनयम (परमाणु िमांि 92) िे बाि िाले तति अिसथर होते है तथा पयोगशालाओं मे िनिमषत होते है िजनिा जीिनिाल बहुत िम होता ह।ै इस तरह हम िेख सिते है िि पिृित मे पाए जाने िाले िरीब सभी तति आज से सौ साल पहले ति खोज िलए गए थे।

आििर पंिमहाभूतो का नाम ही शेष रहा! रसायन ििजान िी िििास-याता िे साथ पिाथष िे संघटन सबंनधी सिंलपना मे

पिरितषन होता गया। पंचमहाभूत उतरोतर अपासंिगि होते गये तथा धीरे धीरे िे शनूय मे ििलीन हो गये। आज उनिा नाम ही शषे रह गया है।

जल, जीिन िा मूल है। इसिा जीिन से इतना िनिट िा िासता है िि जल िे िबना जीिन िी िलपना भी बेमानी लगता ह।ै इसीिलए तो िहते है िि, "जल ही जीिन है"। जीिन िा पािभुाषि जल मे हआु, जल ही मे िह ििििसत हुआ तथा िििास िे सोपानो िो तय िरते हुए आज िी परािाषठा पर पहुंचा जब हम उसिी चचाष िर रहे ह।ै इसिलए िावयातमि रप से जल िो जीिन िा पालना भी िहते ह।ै सुपिसद ििजान लखेि ज.ेबी.एस. हालडेन ने िभी वयगंय मे िटपपणी िी थी िि िैटरबरी िे आचष िबशप भी 65 पितशत पानी ही ह।ै हम जानते है िि इसंान िे शरीर मे उसिे िुल भार िा 65-70 पितशत पानी होता ह।ै िासति मे हालडेन िा िहने िा आशय यह था िि वयिकत आम हो या खास, पानी जैसे साधारण पिाथष से िनिमषत ह।ै आधुिनि रसायन ने िभी िा यह सािबत िर ििया है िि पानी िोई तति नही ह।ै िह िरअसल एि यौिगि है जो हाइडरोजन तथा आकसीजन से बना ह।ै

उसी तरह िायु िो एि तति माना जाता था। लिेिन रसायन ििजान ने पाया िि िायु अनेि यौिगिो िा िमिण ह।ै ये यौिगि गैसीय अिसथा मे िायुमंडल मे पाए जाते है। इनमे सबसे पचुर माता मे नाइटरोजन पाया जाता है जो िरीब 78 % होता ह।ै इसिे बाि बारी आती ह ैआकसीजन िी, िजसिा पितशत िरीब 21 है।

आधुिनि रसायन ििजान िे अनुसार पृथिी िोई तति नही है बिलि यह अनिेानिे रसायनो, आकसाइडो िा संगह है। िासति मे पृथिी िी सतह यानी भपूपषटी मे पचरुता से पाये जाने िाले 4 तति है, आकसीजन, िसिलिान, एलयूिमिनयम तथा आयरन। भूपपषटी मे इनही ततिो िे यौिगि पाये जाते ह।ै अिगन कया है? आधुिनि ििजान िे आलोि मे िहे तो यह पिाथष िे िहन िी दशय पििया है िजसमे ऊषमा तथा पिाश मुकत होता है। इसमे तति जसैी िोई बात नही ह।ै

और अंत मे आिाश, िजसिा ििसतार बहुत वयापि है। यह तमाम ििदुतचुंबिीय ििििरणो से ओतपोत ह।ै चूंिि इसमे िोई दवयमान है ही नही। अत: उसिे तति होने िा सिाल ही नही उठता।

संशयिाद: आिुिनक रसायन की दहलीज

रॉबटष बॉयल (1627-91) जो मूलत: नयूटनिािी थे, उनहोने "िि सिेिपटिल िाइिमसट" नामि पुसति िलखिर यूनानी मत िो चुनौती िी। इससे अठारहिी सिी मे रसायन िे िििास िो गित िमली। इस सिी िे पखर रसायनििि थे जॉजष सटाल िजनहोने िहन, शिसन तथा िनसतापन जसैी पिियाओं िी वयाखया िे िलए फलोिजसटन िी सिंलपना िी।

सिी िे मधय मे जोसेि बलिे ने मत ििया िि हिा िोई एि पिाथष नही ह ैबिलि िई चीजो िा िमिण ह।ै इससे पाचीन यनूानी मत िो चुनौती िमली िजसिे अनसुार सिृषट, हिा सिहत चार ततिो से बनी ह।ै िासति मे यह यूनानी मत िे अिसान िा समय था। थोडे समय बाि ही 1766 मे हेनरी िैिेिडश ने रॉयल सोसायटी िे सामने अपने परचे मे बताया िि उनहोने जिलनशील गैस हाइडरोजन िी खोज िी है जो िि हिा िा एि िहससा है।

बाि मे एनटोनी लोरेनट लेिोििए (1743-1794) ने सािबत ििया िि पानी िोई मूलभूत तति न होिर हाइडरोजन तथा आकसीजन से बना एि रासायिनि यौिगि है। यह िो हजार साल से जयािा समय से िायम यूनानी अिधारणा िे ताबूत मे अंितम िील थी। लिेोििए ने यह भी िसद ििया िि पारा, लोहा इतयािि धातुएं तति है, न िि यौिगि। उनिा ििया हआु यह मत िि अिभिारि तथा उतपाि िे भार परसपर िसथर होते है, िासति मे आधुिनि रसायन िे आगमन िी उि्घोषणा थी। लिेोििए िो आधुिनि रसायन िा जनि इसीिलए िहा जाता है कयोिि उनहोने अपने शोध िायोो से इस केत मे एि युगानतर पसतुत ििया तथा उनिे िसदानतो तथा मतो िी सुदढ नीि पर आधुिनि रसायन ििजान आगे बढा।

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• लेि के सभी िित, ििकीपीिडया मुकत जानकोश से साभार

संदभभ

1. फॉम िेिमैन टू िेिमसटरी, हू डबलय.ू सालिबगष, अमेिरिन िेिमिल सोसायटी, िािशंगटन डीसी, 1991

2. िि िोटाना िहसटरी आि िेिमसटरी, िििलयम एच. बॉि, िोटाना पसे, ऐन इंिपंट आि हापषर िोिलनस पिबलशसष, लंिन, 1992

3. तति-नये परुाने, रामचरण मेहरोता, रमाशंिर राय, राषटरीय शिैकि अनुसंधान तथा पिशकण पिरषि, नयी ििलली, 1989

4. जल: जीिन िा आधार, िृषण िुमार िमि, नेशनल बुि टरसट, नयी ििलली, 2001. 5. फॉम अलिेमी टू िेिमसटरी, भाग 1 तथा 2, सुबोध महंती, डरीम 2047, अपलै/मई

रॉबटि बॉयल अिनी पयोगशाला म े

2000.6. लिनोग साइंस, भाग-3, िि िलडष आि िेिमसटरी, इंिमुती राि, सी.एन.आर. राि,

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लेखक- डॉ. कृिण कुमार िमशरीडर (एफ) होमी भाभा िवजान िशका केनदटाटा मलूभतू अनुसंधान संसथानवी. एन. िुरव मागि, मानखुदिमुंबई-400088