आंतरिक बल 621 · 2020. 1. 17. · -एक सूक्ष्म बल जो...

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1 आंतरिक बल 621 दिय बल -1 -अहसास को बिल ि-इस संसाि मे जो भी हो िहा है , उसके पीछे कोई ना कोई बल है -शिीरिक बल, भौततक बल, यांिक बल, बाह बल, धन बल आदि आदि -ये बल यथा शतहै -एक बल जो दिखाई नही ि ता पित सब भौततक हल चल के पीछे कायकि िहा है -वह है बकीय बल जसे आकयण का बल भी कहते है -एक है आममक बल यह भी बल है -तीसिा बल है पिमामा का बल जसे अय बल, दिय बल या ििती बल आदि आदि के नम से जाना जता है ये बल भी है इसे आंखो से नही ि खा जा सकता -असल मे तीन ही बल है जो अय है पित असीममत है -बकीय बल, आममक बल औि पिमाबल -बकीय बल औि आमबल पि बह खोज हो की है

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Page 1: आंतरिक बल 621 · 2020. 1. 17. · -एक सूक्ष्म बल जो दिखाई नही िेता पिन्तु सब भौततक हल

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आंतरिक बल 621

दिव्य बल -1

-अहसास को बिल िो

-इस संसाि मेँ जो कुछ भी हो िहा है, उसके पीछे कोई ना कोई बल है ।

-शिीरिक बल, भौततक बल, यांत्रिक बल, बाहु बल, धन बल आदि आदि ।

-ये बल यथा शक्तत है ।

-एक सूक्ष्म बल जो दिखाई नही िेता पिन्तु सब भौततक हल चल के पीछे कायय कि िहा है ।

-वह है चुम्बकीय बल क्जसे आकर्यण का बल भी कहत ेहै ।

-एक है आक्ममक बल । यह भी सूक्ष्म बल है ।

-तीसिा बल है पिमाममा का बल क्जसे अदृश्य बल, दिव्य बल या कुििती बल

आदि आदि के नम से जाना जता है ये बल भी सूक्ष्म है । इसे स्थूल आखंो से

नही िेखा जा सकता ।

-असल मे तीन ही बल है जो अदृश्य है पिन्तु असीममत है ।

-चुम्बकीय बल, आक्ममक बल औि पिमामम बल ।

-चुम्बकीय बल औि आमम बल पि बहुत खोज हो चुकी है ।

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-पिमामम बल के बािे सािा संसाि जानता है पिन्तु इसके बािे सभी के

अनुभव अलग अलग है ।

-भौततक औि अभौततक सुख भोगने वाली आममा ही है ।

-अगि आममा ईश्विीय बल क्जसे दिव्य बल या प्याि का बल कहते है उसके

बािे जान जाए तो महान क्ांतत हो सकती है

-चुम्बकीय बल के तनयम अटल है ।

-ऐसे ही दिव्य बल/ प्याि के बल के तनयम भी अटल होते है ।

-दिव्य बल प्रमयेक व्यक्तत औि प्राणी पि कायय किता है । इसी बल के कािण

ममृयु अवश्य होती है चाहे वह कोई भी हो ।

-हमे हि िोज इस दिव्य बल के बािे कुछ ना कुछ नया सीखना चादहए औि

उस का लाभ उठाना चादहए ।

-दिव्य बल अथायत आप के अंिि जो भावनाए होती है वही आप के आने वाले

कल को आकर्र्यत किती है ।

-चचतंा अचधक चचतंा को खींचती है । तनाव अचधक तनाव को खींचता है । िखु अचधक िखु को खींचता है । असंतोर् अचधक असंतोर् को खींचता है ।

-प्रसन्नता अचधक प्रसन्नता को खींचती है । आनंि अचधक आनंि को खींचता है । शांतत अचधक शांतत को खींचती है । ियालुता अचधक ियालुता को खींचती है । पे्रम अचधक पे्रम को खींचता है ।

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-आप का काम अंिरूनी है अपने संसाि को बिलने के मलए मसर्य अपने अंिि

के अहसास को बिल िो ।

आंतरिक बल 622

दिव्य बल 2-

-प्रमयेक मनुष्य जन्म से लेकि ममृयु तक कुछ न कुछ सोचता िहता हैं । ककसी ना ककसी भावना से

प्रभार्वत होता िहता है ।

-न्यूली बोनय बेबी की एक ही भावना िहती है कक उसकी ममी उसे समय पि

िधू पानी िेती िहे औि िसूिी सुर्वधाओ का ध्यान िखे ।

-अगि आप भावना िखत े हैं अपने बॉस को, तनममत टीचि को नहीं झेल

सकता तो यह आप नकािाममक भावना व्यतत कि िहे हैं ।

-आप के संबंध बॉस के साथ कभी अच्छे नहीं बनेगे औि ऐसे सभी लोगो के

साथ नहीं बनेगे क्जनके बािे आप ऐसा सोच िहे है ।

-यदि आप सोचत ेहैं मेिे घि के लोग, समूह के लोग', ऑर्ीस के लोग बहुत

अच्छे हैं तो आप सकािाममक

भावना भेज िहे हैं । इसका परिणाम यह होगा कक आप जहां जाओगे आप

को सभी प्याि किेगे ।

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-क्जतनी अच्छी भावना होगी उतना ही पे्रम किेगे । क्जतना खुश होंगे उतना ही पे्रम किेगे । बिले मेंंं आप को उतना ही पे्रम ममलेगा ।

-आप जब भी तनिाश होत ेहैं तो यह बुिी भावना हैं । इस का परिणाम आप को उिासी ममलेगी ।

क्जतना क्जतना अच्छा महसूस किेगे आप के जीवन मेंंंअच्छा घदटत होगा ।

-क्जतना खुश िहेगे, सुखी िहेंगे, िोमांचचत िहेगे, उमसाही िहेगे, ये सब

अच्छी भावनाए हैं । इनका परिणाम आप का जीवन बहुत शे्रष्ट बनेगा ।

-अगि आप चचढ़त ेहैं तो यह नकािाममक भावना हैं ।

-आप को चचढ़ाने वाली परिक्स्थतयां ममलेगी । आप को मच्छि काटेगा, कुते भौंकेगे, बच्चे शोि किेगे । लोग त्रबना मतलब हॉनय बजाएंगे क्जस से आप को चचढ़ होगी ।

-अगि आप उिास हैं तो ऐसी ही परिक्स्थयााँ ममलेगी ।

-अगि आप खुश हैं तो खुशी कक परिक्स्थततया ममलेगी ।

- सभी व्यक्तत ज्यािाति नकिाममक र्वचािो मेंंं िहत ेहैं इस मलए उन्हे सािा दिन नकािाममकता ममलती हैं । यही

कािण हैं कक सभी व्यक्तत तनाव मेंंं िहत ेहैं ।

-कोई भी अच्छा काम किना चाहत ेहैं या कोई पुस्तक मलखना चाहते हैं तो पहले मन मेंंं खुशी लाओ । इसका आसान तिीका हैं ।

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-ककतना भी कोई र्विोधी सामने बैठा हो आप अपना मन स्नेही व्यक्तत मेंंं लगाओ । मन मेंंं भगवान को िेखो । अपने इष्ट को िेखो । कोई बगीचा िेखो । कोई अच्छी घटना मेंंं मन को लगाए िखो ।

-दिव्य बल का तनयम कहता है कक बीमािी से लड़ कि उस से मुक्तत नही पा सकते ।

-अगि आप बीमािी से लड़ने के बािे मेँ तनणयय लेत ेहै तो आप अपना ध्यान

बीमािी से लड़ने, यानी बीमािी पि कें दित कि लेत े है औि हम बीमािी को आकर्र्यत कित ेहै ।

-आप ने क्जन डॉतटिो को चुना है उन्हे अपना काम किने िे औि अपना दिमाग केवल स्वस््य पि कें दित िखे ।

-तंिरुस्ती के र्वचाि सोचे । तंिरुस्ती के शब्ि बोले । स्वस्थ व्यककतमव

की कल्पना किनी चादहए ।

आंतरिक बल 623

-दिव्य बल -3

प्रमयेक मनुष्य जीवन मेंंं अच्छा चाहता है ।

- अच्छा का मतलब अच्छा है । हमे पता है कक अच्छा तया है ।

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-अच्छी भावना व र्वचाि जब जब हमािे मेंंं िहत े है तो सब अच्छा अच्छा लगता है ।

-हमे खुशी आती है, हम िोमांचचत हो जात े है, उमसादहत होत े है या जोशीले

होत ेहै ।

-मानमसक क्स्थतत ऐसी तब बनती है ।

-जब हम संगीत सुनत े है । हम योग लगत े है । कोई पाटी होती है । कोई

कर्व सम्मेतन होता है ।

-क्जतनी िेि तक कोई अच्छी इवेंट हो िही हो, हम खुश िहत ेहै ।

-हमे मन पसंि नौकिी ममल जाए ।

-यदि आप अच्छी भावना, उमसाह की भावना, उमंग की भावना, िोमांच की भावना, कल्याण की भावना िखत ेहै

--तब आप के जीवन मेंंं खुमशया ही खुमशया आएगी, आप हि कायय मेंंं सर्ल होंगे । लौककक जीवन की पढ़ाई मेंंं प्रथम आएंगे । आप वजीर्ा लेंगे

। आप को बहुत अच्छी नौकिी ममलेगी । मन पसंि ममि ममलेगे ।

-जो भी काम धंधा किेगे उस मेंंं बिकत होगी । सभी लोग सहयोगी होगे । आप को आगे बढ़ने मेंंं सहयोग किेगे ।

-मसर्य आप को अपने र्वचािो अपनी भावना पि तनयंिण िखना है ।

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-र्विोधी व्यक्तत सामने होगा आप को उसके साथ िहना होता है,डांटने वाले,

लड़ने वाले गुस्सा दिलाने वाले पीछे धकेलने वाले, ईष्याय किने वाले लोग

सामने होंगे, आप को उनके प्रतत नर्ित उठेगी, भयंकि र्वचाि उठें गे ।

-ऐसा कोई भी व्यक्तत या परिक्स्थतत सामने आने पि या अपने ही मन मेंंं व्यथय संकल्प आने पि भी अपने संकल्पों पि तनयंिण िखना है ।

-र्विोधी से बात कि िहे है पिन्तु मन मेंंं ककसी स्नेही को िेखते िहो । भगवान की र्ोटॊ िेखत ेिहो । अपने इष्ट को िेखते िहो ।

-अगि यह नहों हो सकता तो समुन्िि को िेखत ेिहो । ककसी रू्ल या पाकय को िेखत ेिहो । ककसी औि मन पसंि ड्रुश्य को िेखत ेिहो । ऐसा किते हुए

भगवान के दिव्य रूप त्रबिं ुरूप को िेखत ेिहो ।

-आप ने कोई कर्ल्म िेखी है, गीत सुना है, कोई प्रवचन सुना है औि आप को पसंि हैं । कोई हीिो हीिोइन पसंि हैं । आप उन्हे मन मेंं ं िेखो औि बाबा को याि कित े िहो । आप को अच्छा अच्छा लगने लगेगा ।

- बचपन के मन पसंि लोगो को िेखत ेिहो । वे चाहे कहीं भी डिह िहे होंगे

हमािा मन दिव्य बल के आकर्यण से उन लोगो से सम्पकय कि लेता हैं । उनके

सम्पकय से हमेबहुत बल महसूस होता है ।

-अगि हम मन पसंि मतृ व्यक्ततयों को कल्पना मेंंं िेखते है औि भगवान

को याि कित ेहै तो हमािा मन उन से भी एनेजी लेने लगेगा । ..

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आंतरिक बल -624

-दिव्य बल -4

-प्रमयेक व्यक्तत चाहता है कक उसे जीवन मेंंं सर्लता ममले । मनचाहे लक्ष्य

प्राप्त हो । बच्चे सर्ल कैसे हो । पतत शे्रष्ट कैसे बने । िोग कैसे ठीक हो । योग मेंं ंमसद्र्व कैसे प्राप्त किे । लोगो से स्नेह कैसे हो । लड़ाई झगड़ ेकैसे

खमम हो । काम धंधे मेंं ंबढ़ोतिी कैसे हो । आपसी तलेश कैसे खमम हो । प्राय प्रमयेक व्यक्तत यही प्रशन किता है ।

-कोई भी काम किते है, किना चाहत ेहैं, चाहे वह भोजन बनाना हो, सकूल

जाना हो, काम पि जाना हो, ज्ञान सुनना सुनाना हो, पहले अपने र्वचाि,

अपनी मनो भावना को चेक किो ।

-अपने र्वचािो को प्याि मेंंं बिलो ।

-उन सभी चीजो, सभी आितों, सभी कायो, सभी व्यक्ततयों, सभी साधनों के बािे सोचे, क्जसे आप प्याि कित ेहैं या कित ेथे ।

-सब से उतम यह हैं कक भगवान के त्रबिं ुरूप या इष्ट को िेखत ेहुए भगवान के

गुण मसमिन किो आप प्याि के सागि है,, प्याि के सागि हैं ।

-अगि मन मेंंं प्याि की लहि नहीं उठ िही है तो कोई प्यािा सा गीत या भजन आदि सुनो औि सुनत ेिहो औि भगवान को याि कित ेिहो । आप कोई

काम भी कि सकत ेहै पिन्तु मधुि संगीत सुनते हुए किें ।

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-अगि आप ऐसा नहीं किना चाहत े। तब एक एक कि के घि, बाग-बगीचे , ममि, रू्ल, मौसम, िंग, क्स्थततया, घटनाए सप्ताह, महीने, वर्य मेंंं जुड़ी हुई मनचाही र्प्रय घटनाए, र्प्रय चीजे, र्प्रय व्यक्तत/व्यक्ततयों को याि किो औि बीच मेंंं भगवान को याि कित ेिहो, िेखत ेिहो ।

-हो सके तो वह चीजे, व्यक्तत या औि कुछ जो आप को बहुत र्प्रय हैं, उनकी मलस्ट बना लो ।

-अच्छी भावनाओ औि अच्छे र्वचािो को बढ़ाने का यह सहज तिीका हैं । इसे आप कहीं भी, कभी भी कि सकत ेहैं ।

-आप स्वास््य, धन, संबंध, स्वास्थ,् नौकिी औि संबंधो के बािे जो महसूस

किते हैं, आप के जीवन मेंंं वही घट िहा हैं । तथा आगे बढ़ कि ममलने

वाला हैं ।

-इस समय जब आप यह लेख पढ़ िहे हैं चैक किो मै तया सोच िहा हू । अगि

नकािाममक सोच िहे हैं तो इस का र्वपिीत अच्छा तया हैं मसर्य वह सोचो । यह संशय न आने िो कक पता नहों, होगा कक नहीं । आप को मसर्य अच्छा अच्छा सोचना हैं । जो चाहते हैं वह सोचना हैं । जो इस समय र्वपिीत घट

िहा हैं उस पि नहीं सोचना ।

-आप अपने स्वास््य के बािे नौकिी के बािे, परिवाि के बािे या अन्य

महमवपूणय र्वर्यो के बािे तया सोच िहे हैं ।

-इस सोच पि ध्यान िखना हैं ।

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-मसर्य औि मसर्य अपनी मनोिशा, अपनी मनोक्स्थतत पि ध्यान िखना हैं ।

-आप की भावना औि आप के आस पास के संसाि का आपस मेंंं अटूट

संबंध हैं ।

-पिमाममा का दिव्य बल अपनी तिर् से कुछ नहीं किता ।

-यह तो आप की भावनाओ पि प्रततकक्या किता हैं ।

-एक का लाख गुना अच्छा र्ल िेता हैं ।

-एक का लाख गुना बुिा र्ल भी िेता हैं ।

-हमािा प्रमयेक संकल्पा हमें बताता है कक यह ठीक है या गलत है ।

-सोचत ेही अगि बुिा बुिा महसूस होता है तो यह पिमाममा अपने दिव्य बल से

इशािा िेता है कक यह ठीक नहीं, इसे मत किो इसका र्ल बुिा होगा ।

-इसमलए हमािे जीवन मेंंं जो र्वपिीत हो िहा है, उसे अच्छे र्वचािो मेंंं बिलो ।

आंतरिक बल -625

-दिव्य बल -5

-हम अपने जीवन के िचचयता है । अपने जीवन के लेखक हैं ।

-आप ही तय किते हैं कक आप का जीवन कैसा होगा ।

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-यह सब हमािी भावनाओ औि र्वचािो से तय होता है ।

-इस मलए अपने र्वचािो पि ध्यान िो ।

-बुिी भावनाओ की एक सीमा होती है ।

-बहुत ज्यािा चगि जाने पि जब सहन शक्तत जवाब िे जाती है । तब कर्ि

मनुष्य अच्छाई की तिर् बढ़ने लगता है ।

-बुिाई को इस हि तक जाने की नौबत मत आने िो ।

-तुिंत अच्छे र्वचािो अच्छी तल्पना मेंंं लग जाओ ।

-पे्रम जीवन की प्रबल शक्तत है । संसाि मेंंं या व्यक्ततगत जीवन मेंंं क्जतनी भी समस्याएं है उन का मूल कािण है स्नेह की कमी । ईश्वि प्याि

का सागि । हमें उस से सिा ही जुड़ ेिहना चादहए ।

-जब हम बुिाई की ओि सोचत े है या किते है, पिमाममा का दिव्य पे्रम हमें सावधनी िेता है, यह ठीक नहीं है ।

-जीवन मेंं ंिखु बतात े हैं कक आप साकािममक शक्तत, पे्रम की शक्तत से

ििू हो गए हैं औि बहुत लंबे समय से ििू हैं । बेशक आप सेवा कित ेहैं पिन्तु

मन से ईश्विीय पे्रम से ििू हैं । कोई गलती कि िहे हैं औि आप को पता भी हैं पिन्तु शिात्रबयों की तिह सेवा कायो मेंंं लगे िहने से िबा िखा है । जब तक

सेवा किोगे बचे िहोगे । सेवा नहीं होगी तो तनाव होगा । -

आप जीवन मेंंं जो भी चाहत ेहैं इसमलए चाहत ेहैं तयोकक आप को अच्छा लगता है', अच्छा अहसास होता है ।

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-आप अपने जीवन मेंंं जो नहीं चाहत ेबीड़ी, मसगिेट, मास मदििा इसमलए

नहीं चाहत ेतयोकक बुिा अहसास होता है ।

-हम अच्छा स्वास््य चाहत े है तयोकक इस से हमें अच्छा अहसास महसूस

होता है ।

-सभी व्यक्तत मधुि संबंध चाहत ेहै तयोकक इस से हमें अच्छा अहसास होता है

। कटु संबंध इसमलए नहीं चाहत ेतयोकक इस से बुिा अहसास होता है ।

-हम िोना नहीं चाहते तयोकक इस से हमें बुिा अहसास होता है ।

-कोई भी चीज की इच्छा इसमलए किते है तयोकक हम सोचत े है इस से हमें अच्छा लगेगा ।

-अच्छी चीजे ममलती कैसे हैं ।

-अच्छी भावनाओ से अच्छी चीजे ममलती है ।

-आप क्जन चीजो को चाहत े है, क्जन व्यक्ततयो को चाहत े है, क्जन से पे्रम

किते हैं, वह चीजे, वह व्यक्तत भी आप को चाहत ेहैं

आप के जीवन मेंंं आने को बेताब हैं ।

-उन्हे तनमंिण तो िो ।

-तनमंिण है मसर्य अच्छी भावनाए िो । बेशतय पे्रम िो । मेिे जीवन मेंंं आने

से आप को यह यह लाभ होगा यह सोचो । अगि यह सोचेंगे कक आप अगि

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मेिे पास आएंगे तो मुझे र्ायिा होगा तब वह आप के जीवन मेंंं नहीं आएंगे।

-जीवन की बुिी क्स्थतत को बिलने के मलए संघर्य की जरूित नहीं ।

-बस अच्छी भावना िखो । उन्हे पे्रम िो । संगीत सुनो । अच्छी पुस्तके

पढ़ो । िाता बनो । मभखािी तयो बनते हो । आप नहीं आए तो हम मि

जाएंगे मिे आप का िशु्मन आप तयो मिे । आप ऐसा अपने बािे बुिा ना सोचो । आप ईश्वि की संतान हैं । ईश्वि से शक्तत लो ।

-पिमामम के दिव्य पे्रम से आप की मनचाही चीजे, मनचाहे व्यक्तत आप के

जीवन मेंंं आ जाएंगे । पिन्तु इस मेंंं प्रकृतत को पयायप्त समय िो । बीज

डालत े ही नहीं उगता । समय लगता हैं । गेहंू को तैयाि होने मेंंं 6 मास

लगत ेहैं । एक अच्छा संबंध बनाने मेंंं कम से कम 1से 3 वर्य लगता हैं । त्रबगड़ ेसंबंध बनाने मेंंं भी इतना ही समय लगता है । ककसी को मजबूि मत

किो ।

-एक बात दिमाग मेंंं त्रबठा लो, ककसी भी व्यक्तत को हम योग से बिल

सकते हैं या केवल औि केवल पे्रम से बिल सकत ेहैं ।

आंतरिक बल 626

-दिव्य बल -6

-तब औि जब

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-तया आप जीवन भि, तब औि जब, शब्ि का प्रयोग कित ेहै ।

-मै तब खुश होऊंगा जब अपना मकान होगा ।

-मै तब खुश होऊंगा जब मेिी प्रमोशन हो जाएगी ।

-मै तब खुश होऊंगा जब मुझे नौकिी ममल जाएगी ।

-मै तब खुश होऊंगा जब बच्चे अच्छे पिों पि पहंुच जाएंगे ।

-मै तब खुश होऊंगा जब िीिी बन जाऊगी ।

-मै तब खुश होउंगा जब किोड़पतत बन जाऊगा ।

-मै तब खुश होऊंगा जब मंिी बन जाऊंगा ।

-मुझ ेतब खुशी ममलेगी जब तनिोगी हो जाऊंगा ।

-मुझ ेतब खुशी ममलेगी जब िशु्मन मि जाएगा ।

-ये चीजे कभी नहीं ममलेगी ।

-आप दिमाग मेंंं शतय लगा िहे हैं ।

-दिमाग यह चीजे घदटत नहीं होने िेगा ।

-यह पिमाममा के दिव्य बल पे्रम के र्वपिीत है ।

-जो भी पाना चाहत ेहै उसे पे्रम िेना शुरू किो जी ।

-मप्णी बातचीत मै, है औि जाऊगा, । का शब्ि याि िखो ।

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--मुझ ेखुशी है कक मै ठीक हो जाऊंगा ।

-मुझ ेखुशी है कक मुझे अच्छी नौकिी ममल जाएगी ।

-मुझ ेखुशी है कक मुझे अच्छे लोग ममल जाएंगे ।

_मुझ ेखुशी है कक मै िीिी बन जाऊगी

-आप इस पल जो बोल िहे है सोच िहे है, महसूस कि िहे है वही चीजे जीवन

मेंं ंबढे़गी । इसमलए तुिंत र्वपिीत अच्छा सोचो ।

आंतरिक बल 627

-दिव्य बल -7

- भावनाए बल िेती हैंं ं ।

-पे्रम से अच्छी भावनाए उमपन होती है ।

-कोई भी अच्छी भावना उठती है, अच्छा र्वचाि उठता है, अच्छी पे्रिणा आती है या संगीत सुनत ेहै तो हम पिमामम की दिव्य शक्तत पे्रम से जुड़ जात ेहै ।

-अगि आप एक एक कि के अपनी र्प्रय चीजो को मन मेंंं रिपीट कित ेिहे

औि भगवान के गुणो का मन मेंंं मसमिन कित ेिहे तो जीवन मेंंं क्ांतत आ

जाएगी ।

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- आप जो सोचते हैं, जो ितुनया को िेते हैं, जो प्राकृतत को िेते हैं, वही हमें कई

गुणा बढ़ कि ममलता हैं ।

-आप की भावनाए क्जतनी अच्छी होगी, आप की सोच क्जतनी अच्छी होगी, कल्पना क्जतनी अच्छी किेगे, कमय मेंंं, बोल मेंंं, व्यवहाि मेंंं क्जतना अच्छे होंगे आप का जीवन अनंत ऊचाई पि पहंुच जाएगा ।

-हम जीवन मेंंं जो भी चाहत ेहैं, इस का मतलब हैं उस से हम प्याि कि िहे

हैं ।

-हम धन चाहत ेहैं, सेहत चाहत ेहैं, पि चाहत ेहैं, इस का मूल यह है कक इन्हे

आप प्याि कित ेहैं औि क्जसे हम प्याि कित ेहैं वह हमािे जीवन मेंंं आ

जाता है ।

-आप जो चाहत े है बस उसे मन मेंंं िेखत ेिहो, सोचत ेिहो, आिाम से किो पिेशानी मेंंं ना िहो, ये चीजे सहज आ जाएगी ।

-मेिा बहुत अच्छा योग है, मै कमायतीत बन जाऊगा, मैं सवयगुण सम्पन

बनंूगा, मैं भार्ण करंूगी, सभी मुझे प्याि कित ेहै औि मैं आिशय हंू । जब भी समय ममले हि िोज ये शब्ि मन मेंंं िोहिात ेिहो । धीिे धीिे सभी कुछ

आप के जीवन मेंंं घदटत होने लगेगा ।

-ककसी अच्छे लक्ष्य को प्राप्त किने की शतय है, पहले आप अच्छे र्वचाि किें , खुशी की घटनाए याि किो, अच्छे गीत सुना किो , स्नेही व्यक्ततयों को

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दिमाग मेंंं िखा किो, भगवान के त्रबिं ुरूप को या इष्ट को िेखत हुए

मसमिन कित ेिहो आप प्याि के सागि है ।

-आप जो भी प्राप्त किना चाहत े है, जो आप का लक्ष्य है, उसके बािे बोलते समय यह कहा किो कक खुशी की बात है कक मैं अमुक चीज को, लक्ष्य को प्राप्त करूगा ।

-पिन्तु ये र्वचाि मसर्य मन मेंंं िोहिात े िहना है मुख से नहीं बोलने है । अगि आप अपने लक्ष्य के बािे मेंंं बोलत े है तो लोग आप का मनोबल तोड़

िेगे । आप का मजाक उडाएंगे ।

-अगि आप अपने मन मेंंं सोच िहे है तो उनको पता नहीं पड़गेा औि आप

आगे बढ़ जाएंगे ।

-अगि आप महान बनना चाहत ेहै तो अपने लक्ष्यों से संबंचधत कोई ना कोई

एक ऐसी पुस्तक अपने पास िखें जो आलोक प्रिान किने वाली हो िसूिा अव्यतत मुिली की कोई एक पुस्तक अपने पास िखो ।

-जब भी थोड़ा सा समय ममले उसे पढ़त ेिहे औि तब तक पढ़त ेिहें जब तक

आप के जीवन मेंंं तथा िैतनक कायो मेंंं प्रततर्मलत न होने लगे ।

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आंतरिक बल -628

-िेडडयो स्टेशन

-मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

-प्रमयेक मनुष्य का मन एक िेडडयो स्टेशन की तिह कायय किता है ।

-प्रमयेक मनुष्य मेंंं प्रसािण औि प्राक्प्त के कें ि है ।

-प्रमयेक र्वचाि प्रमयेक भावना की एक फ्रीतवेनसी है

-अच्छे र्वचाि औि अच्छी भावनाओ का मतलब है कक आप सकािाममक

फ्रीतवेनसी पि हैं ।

-चुम्बक की तिह आप क्जस फ्रीतवेनसी पि हैं उसी तिह के व्यक्तत,

घटनाए औि परिक्स्थततया अपनी ओि खींचने लगते हैं ।

-आप उमसादहत हैं तो उमसादहत लोगो को आकर्र्यत कित ेहैं ।

-आप की फ्रीतवेनसी वह हैं जो आप महसूस कि िहे हैं ।

- अपने र्वचािो को बिल कि अपनी फ्रीतवेनसी कभी भी बिल सकत ेहैं ।

-जब आप सकािाममक फ्रीतवेनसी पि होत ेहैं तो संबंध, सम्पकय मेंंं आने

वाले व्यक्तत स्नेही, िोमांचक औि सहयोगी होत ेहैं ।

-अगि नकािाममक फ्रीतवेनसी पि है तो िखुी, कंुदठत औि तनिाश होत ेहै । तथा जहां भी जाएंगे आप को ऐसे ही लोग ममलेगे ।

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-यदि कोई तनाव है, तनिाशा है, अकेलापन है, कमी है, तो इस का मतलब है

कक आप गलत फ्रीतवेनसी पि हैंंं । आप की तिंगे नकािाममक वाताविण

बना िही है । तथा यह कार्ी लंबे समय से हो िहा है ।

-ऐसी मनोिशा को तुिंत बिलो ।

-पे्रम की फ्रीतवेनसी सब से शक्तत शाली तिंग है ।

-पे्रम से आप अपने जीवन मेंंं हि र्प्रय औि मनचाही चीज प्राप्त कि सकते है ।

- आज संसाि मेंंं प्रमयेक व्यक्तत पिेशान है । इस का कािण यह है कक

लोग पे्रम तो कित ेहै लेककन कभी कभाि किते है ।

-अतसि वे दिन मेंंं सैकड़ो बाि पे्रम किना छोड़ िेत ेहै ।

-वे इतने लम्बे समय तक पे्रम नहीं कित ेकी पे्रम की शक्तत उन के जीवन मेंंं अच्छी चीजे ले आए ।

-एक पल आप ककसी र्प्रय व्यक्तत से गले ममल कि पे्रम िेत े है । कुछ ही ममनट बाि आप पे्रम िेना छोड़ िेत ेहै, -तयोकक आप को जल्िी है औि काि की चाबी नहीं ममल िही है । आप चाबी ढूढ़ने लग जात ेहै ।

-आप अपने बेटेको िलुाि िही हैं औि अगले ही पल उसे डांट िेती हैं तयोकक

आप को भोजन बनाना है औि गैस खमम हो गई है । भोजन बनाने की चचतंा मेंं ंलग जात ेहै ।

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-ककसी ममि से आप ठहाके लगा लगा कि हंस िहे है । पिन्तु अगले ही पल

नािाज हो जात ेहै तयोकक उसने आप को उधाि िेने से मना कि दिया ।

-ककसी व्यक्तत की बेसबिी से इंतजाि कि िहे थे, आप उसे मन से प्याि िे िहे

थे । पिन्तु उसके आने पि बहुत खचय हो गया ।

तब आप पे्रम िेना छोड़ िेत ेहै ।

-जो भी व्यक्तत हमािे साथ िहत ेहैं या हमािे सम्पकय मैं आत ेहैं, उन्हे हम पे्रम

िेत ेहैं औि पे्रम िेना छोड़ िेत ेहैं ।

-जब हमािे मन मेंंं पे्रम नहीं होता हैं तो बहाना बनात ेहैं हम बहुत त्रबजी हैं ।

-क्जन लोगो से हम प्याि कित ेहैं, जब वह हमें झझड़क िेत ेहैं, हमािी तनिंा किते हैं, छोटी छोटी बातों पि गुस्सा किते हैं तो हम उन्हे प्याि किना छोड़

िेत ेहैं ।

- जब हम पे्रम िेना छोड़ िेते हैं तो नकािाममक फ्रीतवेनसी पि आ जाते हैं औि

नकािाममक तिंगे खीचने लगते हैं क्जस से हमािे जीवन मेंंं अशांतत अनुभव

होने लगती हैं।

-सिा मन मेंंं पिमाममा को या इष्ट को या ककसी मन पसंि व्यक्तत, ककसी बच्चे, ककसी अनजान व्यक्तत, ककसी वस्तु को मन से प्याि किते िहो । इस

से आप सिा प्याि की फ्रीतवेनसी पि िहेंगे औि मनचाही सभी चीजे आप के

जीवन मेंंं आने लगेगी ।

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आंतरिक बल -629

-मन िेडडयो स्टेशन हैं -2

-ऐनटीना र्वद्युत चुम्बकीय तिंगो को प्रसारित किने या ग्रहण किने के काम

आता हैं ।

-ऐनाटीना र्वद्युत चुम्बकीय तिंगो को र्वद्युत संकेतों मेंंं बिल िेता हैं ।

-ऐनटीना िेडडयो, िडाि, ििू िशयन, वायिलेस औि मोबाइल आदि का प्रथम

औि अततम अवयव हैं ।

-यह एक धातु का टुकड़ा हैं जो र्वद्युत तिंगो का सुचालक हैं ।

-अलग अलगा ऐनटीना की अलग अलग शक्तत होती हैं ।

-ऐनटीना 1 ककलोमीटि से लेकि लाखो ककलो मीटि तक तिंगे प्रसारित औि

ग्रहण कि सकता हैं ।

-मानमसक ऐनटीना

-हमािे दिमाग मेंंं भी एक ऐनटीना हैं ।

-हमािे मसि मेंंं पतालू मेंंं एक ऊजाय चक् हैं क्जसे सहस्िाि चक् कहते हैं ।

- इस सहस्िाि चक् मेंंं एक हजाि पंखडड़यों वाला कमल का रू्ल हैं ।

-इन पंखडड़यों मेंंं बल्ब के प्रकाश की तिह दटमदटमाहट होती िहती हैं ।

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-ये पंखडड़यों औि कुछ नहीं एक हजाि मानमसक ऐनटीने हैं जो जलते बूझते िहत ेहैं ।

-यह ऐनटीने रिमसवि का भी काम किते हैं ।

-पूिे ब्रहमांड मेंंं हमािे बािे कोई कुछ भी बोलता या सोचता हैं हमािा ऐनटीना उसे ग्रहण कि लेता हैं ।

-हम भी ककसी के बािे सोचत ेहैं तो इसी एनटीना के माध्यम से हमािे र्वचाि

उस व्यक्तत तक पहंुच जात ेहैं ।

- एंदटना से होत े हुए र्वचाि हमािे नाक मेंंं से तनकल कि आकाश मेंंं जात े

हैं ।

-नाक मेंंं एक छोटा सा छेि हैं जहां नाक की हड्डी बढ़ जाती हैं औि साईंनस

का ऑपिेशन किवात ेहैं, वहां से तिंगे बाहि तनकलती हैं औि यहीं से रिसीव

होती हैं ।

-नाक का यह भाग हमािे गले, आखं औि कान से भी जुड़ा है औि उनसे प्राप्त

संिेशो का भी प्रभाव होता हैं ।

आंतरिक बल -630

-िेडडयो स्टेशन -3-

-हमािा दिमाग एक िेडडयो स्टेशन की तिह काम किता हैं ।

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- यह बात बहुत कम लोग जानत ेहैं । यही कािण हैं कक सािा संसाि भगवान

को अपने अपने ढंग से याि किता हैं पिन्तु मनचाही प्राक्प्त नहीं होती ।

-िाजयोगी भी क्जस योग का अभ्यास किते हैं वह बहुत सहज हैं, भगवान

स्वंय उन का मागय िशयन कि िहे हैं कर्ि भी वह तनिंति योगी नहीं बन पा िहे

हैं । वह भी अनेको पिेशातनयों से जकड़ ेहुए हैं ।

-सवय प्राक्प्त न होने का कािण यह है कक वह यह नहीं जानते कक दिमाग से

संिेश कैसे प्रसारित औि ग्रहण होत ेहैं ।

-जब हम अपने को आममा समझ पिमाममा के त्रबिं ुरूप को िेखतें हुए अपना मन पिमधाम मेंंं एकाग्र कित ेहैं औि भगवान के ककसी एक गुण जैसे कक

आप प्याि के सागि हैं इसका मसमिन कित ेहैं तो इस से दिमाग मेंं ंबल

बनने लगता हैं ।

-इस बल के प्रभाव से सहस्िाि चक् मेंंं एक ऐसा एंदटना हैं जो भगवान से

जुड़ा हुआ हैं वह खुल जाता है औि हम भगवान से शक्तत लेने लगत ेहैं । क्जतना ज्यािा िेि इस गुण का मसमिन किेगे पिमधाम की शांतत औि अन्य

शक्ततयां जो हम नहीं जानत ेहैं वह भी अनुभव होने लगेगी ।

-बाबा आप प्याि के सागि हैं इस शब्ि का िस हजाि बाि मसमिन कि लेत ेहैं तो हमािा मानमसक एनटीना भगवान से इतनी शक्तत खींच लेता हैं क्जस से

हमािे मन पि एक दिन ककसी भी नकािाममकता का असि नहीं होता औि

हमें बहुत अच्छी अनुभूतत होती हैं । एक अजीब तिह का अनुभव होता हैं ।

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-इस अनुभव को आप खुि किेगे तब समझ पाएगे ।

-इस का अनुभव किने के मलए पिमाममा को कल्पना मेंंं िेखत े हुए मलख

मलख कि अभ्यास किना है कक भगवान आप प्याि के सागि हैं ।

-आमतौि पि लोग चलत ेकर्ित ेये अभ्यास कित ेहैं औि समझत ेहैं िस हजाि

बाि मसमिन कि दिया हैं । पिन्तु हकीकत मेंंं 1000 के आसपास की संख्या मेंंं अभ्यास कि पात े हैं । कई तो 100 बाि से ज्यािा नहीं कि पाते औि समझत ेहैं बहुत हो गया ।

-जबानी अभ्यास किते हैं तो मन चीदटगं कि जाता हैं , तयोकक मन इधि

उधि चला जाता हैं ।

-कई लोग माला रे्ित ेहैं उस मेंंं भी मन चीट किता हैं । कुछ दिनो तक

अभ्यास किने के बाि अंगुमलया अपने आप माला रे्िती िहती हैं जैसे बदहनें स्वाटि बुनते समय त्रबना ध्यान दिए सलाइयााँ चलाती िहती हैं । हम

साइकल चलाते हैं औि पैि अपने आप चलत ेिहत ेहैं यह पता नहीं चलता कक

ककतनी बाि पैडल घुमाया हैं ।

-मलख कि याि किने से ये र्ायिा है कक जैसे मन कुछ औि सोचेगा तो मलखना बंि हो जाएगा ।

- लगभग 6 मास तक मलख कि अभ्यास जरूि किें । कर्ि आप का संस्काि

बन जाएगा औि त्रबना मलखे भी अभ्यास कि सकेगे ।

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- अपने को त्रबिं ुसमझने से हम पृ् वी के गुरुमवाकर्यण से मुतत हो जात ेहैं क्जस से हमें ककसी की ^ िेह नहीं खींचती ।

-त्रबिं ुरूप समझने से सातों ऊजाय चक् चाजय होने लगत े हैं ।

-त्रबिं ुरूप समझने से हमािी कमयइक्न्िया, हमािा मन, बुद्र्व औि संस्काि

हमािा कहना मानने लगत ेहैं ।

-त्रबिं ुरूप समझने से हमािे साथी हमािा कहना मांनने लगत ेहैं ।

- अगि हम तीन घंटा त्रबिं ुरूप का अभ्यास कि के ककसी कड़ ेसंस्काि वाले

व्यक्तत से बात किें तो वह भी हमािा कहना मानेगा औि जो लोग आश्रम पि

नहीं आत ेहैं वह भी आने लगेगे ।

-कोई आप के सामने अभिता से पेश आ िहा हैं आप धीिे धीिे मुख से बोले

आप शांत हो शांत हो आप स्नेही हो स्नेही हो उस पि जाि ू कक तिह असि

होगा ।

-हि पल यह भाव िखो मैं तनिाकाि हंू मैं हवा की तिह दिखता नहीं दिखता नहीं । इस अभ्यास से बहुत अच्छा महसूस होगा ।

-त्रबिं ुरूप समझने से हमािा सूक्ष्म शिीि 5 ककलो मीटि प्रतत सैककंड की गतत

से िौड़ने लगता हैं क्जसके प्रभाव से स्थूल शिीि धिती की चुम्बकीय शक्तत

को पाि कि जाता हैं औि हमें हल्का हल्का लगने लगता हैं । हमें ऐसे लगेगा जैसे उड़ िहे हैं । कई योगी तो सच मुच मेंंं धिती से 2-3 कर्ट ऊपि उठ जाते हैं ।

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-क्जतना ज़्यािा त्रबिं ुरूप मेंंं दटके िहेगे आप आगे की तिर् झुकत ेजाएंगे । यह पृ् वी के चुम्बकीय बल से बचने के मलए हमािा दिमाग किता है तयोकक

अगि हम आगे न झुके तो िीढ़ की हड्डी टूट सकती हैं ।

-पढ़ाई कित ेसमय या गहिी सोच मेंंं भी र्वद्याथी वा व्यक्तत अनजाने मेंंं आगे झुकत ेजात ेहै ।

-ककसी के प्रतत समकाि या प्याि की भावना आने से भी हम उनके आगे झुक

जात ेहै, तयो की समकाि के संकल्प से वही बल पैिा होता जो त्रबिं ुसमझने से

होता है ।

आंतरिक बल 631

-िेडडयो स्टेशन -4

-आप ने ऐसे मसद्व पुरुर्ो के बािे मेंंं सुना होगा जो एक ही समय पि िो जगह पि र्विाजमान हो जात ेथे ।

-उनके मशष्य जब याि कित ेथे तो वे वहां पहंुच जात ेथे ।

-लादहड़ी बाबा अपने मशष्यों के पास पहंुच जाया कित ेथे जो हजािो मील ििू

होत ेथे । वह उन से बात कित ेिहत ेथे । उनके मशष्य उसकी आवाज सुनत ेथे

। बातचीत कित ेथे । पिन्तु वह मशष्यों को दिखाई नहीं िेत ेथे ।

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-लादहड़ी बाबा के मशष्य कहते थे गुरु जी आप दिखाई तयो नहीं िेते । तब

बाबा कहत े थे आप की बुद्र्व पूिी शुद्ध नहीं है इसमलए मैं तो तुम्हे िेख

सकता हंू पिन्तु तुम मुझ ेनहीं िेख सकत े।

-लादहड़ी बाबा ने ये शक्तत लगभग 40 वर्य की तपस्या के बाि प्राप्त की औि

इसके मलए उन्होंने 18 से 20 घंटे की साधना हि िोज की थी ।

-कभी कभी आप सब का मन होता होगा की काश मैं भी फ़रिश्ता बन कि जहां जाना चाहू वहां आ औि जा सकू ।

- ऐसा हिेक व्यक्तत कि सकता है ।

-हमािे दिमाग के सहस्िाि चक् मेंंं एक एनटीना है । क्जसे अक्तटवेट किना है । इसके मलए थोड़ा अटेन्शन औि अभ्यास की जरूित है ।

-चलत े कर्ित ेउठत ेबैठत े मसर्य एक संकल्प रिपीट किना है मैं फ़रिश्ता हंू

र्रिश्ता हंू । मैं प्रकाश का शिीि हंू । मेिी स्थूल िेह के अंिि मेिा सूक्ष्म

प्रकाश का शिीि है ।

-जैसे ही हम अपने को फ़रिश्ता समझते है । इस संकल्प को रिपीट कित ेहै

तो हमािे दिमाग मेंंं व क्स्थत कें ि/आंन्टीना कायय किने लगता है । उस से

ऐसी तिंगे तनकलती है जो वह हमािे सूक्ष्म शिीि को स्थूल िेह से अलग किने

लगती है ।

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-अगि हम तीन घंटे योग का अभ्यास कित ेहै या लगभग 10 हजाि संकल्प

रिपीट कि लेते है तो हम अपने को इस शिीि से अलग महसूस कित ेहै । हमें हलका हलका महसूस होता है । ऐसे लगता है जैसे हम उड़ िहे है ।

-भगवान के त्रबिं ुरूप को सामने िेखतें हुए अगि हम यह अभ्यास िस हजाि

घंटे कि लें तो हम सच मुच मेंंं िेह से जब चाहे अलग हो सकते है औि जहां चाहे वहां जा सकत ेहैं । आप लोगो से बातचीत कि सकेगे पिन्तु उन्हे दिखेंगे

नहीीँ ।

-जैसे ही मन मेंंं संकल्प किते हैं की मैं र्रिश्ता हंू तो हमािे दिमाग रूपी आनं्टीना से ऐसी तिंगे प्रवादहत होती हैं जो हमें सूक्ष्म लोकों से जोड़ िेती हैं ।

-हम ब्रहमापूिी, र्वष्णु पूिी, शंकि पूिी या औि जो भी अदृश्य लोक हैं उनसे

जुड़ जाते हैं । उन लोकों मेंंं हो िहे कायय कलापों को पकड़ने लगत ेहैं । वहां से

पे्रिणाएं प्राप्त किने लगत ेहैं । उन लोकों को समझने लगत ेहैं ।

-इसी अभ्यास से तपस्वी ििू क्स्थत ग्रहो की जानकिी खोज पाए जो र्वज्ञान

आज खोज िहा हैं ।

-जैसे ही हम र्रिश्ता रूप का अभ्यास कित ेहैं हम उन योचगयों से भी जुड़ने

लगते हैं जो इस समय तप कि िहे हैं, वह चाहे दहमालय पि हो या औि कहीं िह िहे हो ।

-जैसे ही हम फ़रिश्ता रूप का अभ्यास कित ेहैं हम र्वश्व के शे्रष्ट व्यक्ततयों से जुड़ने लगत ेहैं जो u मिि तिेसा की तिह समज तनमायण के कायो मेंंं लगे

हुए हैं ।

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-यही अभ्यास अगि हम 6 से 8 घंटे किें तो हम चलत ेकर्िते फ़रिश्त ेदिखेंगे

लोगो को साक्षामकाि होने लगेगे ।

आंतरिक बल 631

-िेडडयो स्टेशन -4

-आप ने ऐसे मसद्व पुरुर्ो के बािे मेंंं सुना होगा जो एक ही समय पि िो जगह पि र्विाजमान हो जात ेथे ।

-उनके मशष्य जब याि कित ेथे तो वे वहां पहंुच जात ेथे ।

-लादहड़ी बाबा अपने मशष्यों के पास पहंुच जाया कित ेथे जो हजािो मील ििू

होत ेथे । वह उन से बात कित ेिहत ेथे । उनके मशष्य उसकी आवाज सुनत ेथे

। बातचीत कित ेथे । पिन्तु वह मशष्यों को दिखाई नहीं िेत ेथे ।

-लादहड़ी बाबा के मशष्य कहते थे गुरु जी आप दिखाई तयो नहीं िेते । तब

बाबा कहत े थे आप की बुद्र्व पूिी शुद्ध नहीं है इसमलए मैं तो तुम्हे िेख

सकता हंू पिन्तु तुम मुझ ेनहीं िेख सकत े।

-लादहड़ी बाबा ने ये शक्तत लगभग 40 वर्य की तपस्या के बाि प्राप्त की औि

इसके मलए उन्होंने 18 से 20 घंटे की साधना हि िोज की थी ।

-कभी कभी आप सब का मन होता होगा की काश मैं भी फ़रिश्ता बन कि जहां जाना चाहू वहां आ औि जा सकू ।

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- ऐसा हिेक व्यक्तत कि सकता है ।

-हमािे दिमाग के सहस्िाि चक् मेंंं एक एनटीना है । क्जसे अक्तटवेट किना है । इसके मलए थोड़ा अटेन्शन औि अभ्यास की जरूित है ।

-चलत े कर्ित ेउठत ेबैठत े मसर्य एक संकल्प रिपीट किना है मैं फ़रिश्ता हंू

र्रिश्ता हंू । मैं प्रकाश का शिीि हंू । मेिी स्थूल िेह के अंिि मेिा सूक्ष्म

प्रकाश का शिीि है ।

-जैसे ही हम अपने को फ़रिश्ता समझते है । इस संकल्प को रिपीट कित ेहै

तो हमािे दिमाग मेंंं व क्स्थत कें ि/आंन्टीना कायय किने लगता है । उस से

ऐसी तिंगे तनकलती है जो वह हमािे सूक्ष्म शिीि को स्थूल िेह से अलग किने

लगती है ।

-अगि हम तीन घंटे योग का अभ्यास कित ेहै या लगभग 10 हजाि संकल्प

रिपीट कि लेते है तो हम अपने को इस शिीि से अलग महसूस कित ेहै । हमें हलका हलका महसूस होता है । ऐसे लगता है जैसे हम उड़ िहे है ।

-भगवान के त्रबिं ुरूप को सामने िेखतें हुए अगि हम यह अभ्यास िस हजाि

घंटे कि लें तो हम सच मुच मेंंं िेह से जब चाहे अलग हो सकते है औि जहां चाहे वहां जा सकत ेहैं । आप लोगो से बातचीत कि सकेगे पिन्तु उन्हे दिखेंगे

नहीीँ ।

-जैसे ही मन मेंंं संकल्प किते हैं की मैं र्रिश्ता हंू तो हमािे दिमाग रूपी आनं्टीना से ऐसी तिंगे प्रवादहत होती हैं जो हमें सूक्ष्म लोकों से जोड़ िेती हैं ।

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-हम ब्रहमापूिी, र्वष्णु पूिी, शंकि पूिी या औि जो भी अदृश्य लोक हैं उनसे

जुड़ जाते हैं । उन लोकों मेंंं हो िहे कायय कलापों को पकड़ने लगत ेहैं । वहां से

पे्रिणाएं प्राप्त किने लगत ेहैं । उन लोकों को समझने लगत ेहैं ।

-इसी अभ्यास से तपस्वी ििू क्स्थत ग्रहो की जानकिी खोज पाए जो र्वज्ञान

आज खोज िहा हैं ।

-जैसे ही हम र्रिश्ता रूप का अभ्यास कित ेहैं हम उन योचगयों से भी जुड़ने

लगते हैं जो इस समय तप कि िहे हैं, वह चाहे दहमालय पि हो या औि कहीं िह िहे हो ।

-जैसे ही हम फ़रिश्ता रूप का अभ्यास कित ेहैं हम र्वश्व के शे्रष्ट व्यक्ततयों से जुड़ने लगत ेहैं जो u मिि तिेसा की तिह समज तनमायण के कायो मेंंं लगे

हुए हैं ।

-यही अभ्यास अगि हम 6 से 8 घंटे किें तो हम चलत ेकर्िते फ़रिश्त ेदिखेंगे

लोगो को साक्षामकाि होने लगेगे ।

आंतरिक बल -632

-िेडडयो स्टेशन -5

-र्रिश्ता स्वरूप का अभ्यास

-जब हम र्रिश्ता स्वरूप का अभ्यास किते हैं तो हमािे मेंंं सूक्ष्म दिव्य बल

बनने लगता हैं जो हमें िेह मेंंं िहत ेहुए िेह से अलग किने लगता हैं ।

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-र्रिश्ता स्वरूप समझने से हमािे चािो तिर् सुिक्षा चक् बनने लगता हैं ।

-िेवताओ के मसि के चािो तिर् एक प्रकाश का गोला िेखत ेहैं ऐसा ही चक्

हमािे सािे शिीि के चािो तिर् बनने लगता हैं ।

- मैं शांत स्वरूप र्रिश्ता हंू जब इस शब्ि को 10 हजाि बाि रिपीट कि लेत ेहैं तब यह सुिक्षा चक् बन जाता हैं ।

-ये सुिक्षा चक् बना गया हैं इस की तनशानी यह हैं कक आप के ऊपि ककसी भी व्यक्तत के व्यवहाि, बोल औि कमय का असि नहीीँ होगा । हम उन से आहत

नहीीँ होगे ।

-िसूिी तनशानी यह हैं कक हमािे मन मेंंं नकािाममक र्वचाि नहीीँ उठें गे । हमािे मेंंं पांच र्वकाि तूर्ान की तिह नहीीँ उठें गे ।

-हमें अपर्विता का र्वकाि पिेशान नहीीँ किेगा । ककसी की िेह का आकर्यण

नहीीँ होगा ।

-हमें पास्ट की बाते, पास्ट के व्यवहाि, पास्ट के कमय, पास्ट की कममया सताएगी नहीीँ औि ये सब हमें एक सपना लगेगी ।

-अगि यह सब लक्षण आप के जीवन मेंंं हैं तो इस का सीधा सा मतलब हैं आप का फ़रिश्त ेस्वरूप का अभ्यास कम हैं ।

-आप फ़रिश्त े रूप के लाभ जानत े तो हैं, आप िसूिो को र्रिश्ता बनना मसखात ेतो हैं, आप फ़रिश्त ेरूप पि भार्ण कित ेतो हैं, आप की जुबान मेंंं ममठास तो हैं, पिन्तु अभ्यास नहीीँ हैं ।

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-ज्यिाति आममाएं 108 बाि मसमिन किते हैं । पिन्तु इस से बल नहीीँ बनता । बल बनाने मलए आप को िस हजाि बाि मसमिन किना ही होगा । यह नहीीँ कि सकते तो 3 घंटे योग का अभ्यास किना ही होगा । अगि यह भी मुक्श्कल लगता हैं तो 25 पेज अव्यतत मुिली के पेज पढ़ने ही होंगे ।

-अगि जीवन मेंंं कोई भी मन वाणी औि कमय मेंंं कमी हैं तो िोना धोना बंि

किके तुिंत र्रिश्ता रूप का अभ्यास किो ।नहीीँ तो बाबा पिमधाम मेंंं बैठा िहेगा औि माया खाती िहेगी । छोटी छोटी बातो पि आहत होत ेिहेगे ।

-र्रिश्ता रूप समझने से हम उस मोड मेंंं आ जात ेहैं जब हमािे शिीि के

िोग ठीक होने लगते हैं ।

-योगी होत ेभी िोग ठीक नहीीँ हो िहे हैं तो इस का कािण यह हैं कक हम ककसी ना ककसी व्यक्तत से मानमसक रूप से आहत हो िहे हैं । आहत होने का कािण

र्रिश्ता रूप का अभ्यास िस हजाि से कम है ।

शािीरिक िोग की िवाई तो लेत ेिहो पिन्तु अपने अभ्यास को बढ़ाओ ।

-हजाि काम छोड़ कि भी हम भोजन जरूि किते है । इसी तिह अपनी व्यस्त

दिनचयाय से समय तनकाल कि या व्यस्त िहत ेभी फ़रिश्ता हंू फ़रिश्ता हंू ये

संकल्प िोहिात ेिहो ।

-र्रिश्ता रूप का अभ्यास किने से हम आकाश औि वायु जो कक तनिाकाि

तमव है हम इनसे जुड़ जात े है । हमािे मेंंं इन तमवों की शक्ततयां भी आने

लगती है ।

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-हवा हमािे बाहिी शिीि औि आंतरिक शिीि को टच किती िहती है । फ़रिश्ता रूप समझने से जो तिंगे वायु को प्रभार्वत किती है । ये हवा जहां जहां जाएगी क्जन क्जन व्यक्ततयों को स्पशय किेगी वह व्यक्तत भी शांतत का अनुभव किेगे । इस मलए बाबा कहत ेहै तनिाकािी, तनर्वयकािी, तनिअहंकािी बनो ।

-र्रिश्ता समझने से हमें अहंकाि नहीीँ आएगा तयोकक हम तनिाकाि आकाश

तमव से जुड़ जात े है । आकाश तमव से हमें अनंत शक्ततयां ममल जाती है । हमें ककसी से कुछ लेने की आश ही नहीीँ िहती । हमािे मेंंं िाता पन की भावना आ जाती है । िाता को अहंकाि नहीीँ आता । इसी मलए बाबा कहत ेहै

तनिअहंकािी बनो अथायत र्रिश्ता बनो । फ़रिश्त ेको अहंकाि नहीीँ आता ।

-र्रिश्ता समझने से हमें ककसी के शिीि के प्रतत बुिे र्वचाि, अपर्विता के

र्वचाि नहीीँ उठते तयोकक हम प्रकाश रूप मेंंं होते है औि िसूिो को प्रकाश

िेखतें है । प्रकाश को प्रकाश से बुिे र्वचाि नहीीँ आत े। इस मलए बाबा कहते है

तनर्वयकाि भव अथायत र्रिश्ता स्वरूप भव ।

- कोई भी व्यक्तत, कोई भी संत, कोई भी समाज सेवक, कोई भी र्वज्ञातनक, कोई भी इंक्जतनयि, कोई भी अथयशास्िी, कोई भी िाजनेता जो तनष्काम भाव से र्वश्व कल्याण के कायो मेंंं लगे हुए है हम उन से भी अनजाने .मेंंं जुड़ जात े है । हमािी तिंगे उनको औि उनकी तिंगे हमें प्रभार्वत किती है ।

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-अगि हम फ़रिश्ता रूप मेंंं दटके िहे औि कोई व्यक्तत मुसीबत मेंंं तो बाबा हमािे सूक्ष्म रूप का साक्षामकाि किवाएगा औि उस व्यक्तत को म्रग िशयन

ममलेगा ।

-कोई भी व्यक्तत चचतंा मेंंं होगा औि हल के मलए सोच िहा होगा आप का रूप

उसे दिखेगा औि वह आप को ढंूढ तनकालेगा ।

-इसमलए र्रिश्ता रूप का जम कि अभ्यास किो । आप की सब

मनोकामनाएं पूिी हो जाएगी ।

आंतरिक बल 633

मन एक िेडडयो स्टेशन है -6

-फ़रिश्ता स्वरूप का अभ्यास

-जब हम अपने आप को फ़रिश्ता समझत े है तो हमािे दिमाग मेंंं एक ऐसा एंदटना है क्जस से ऐसी शक्ततशाली तिंगे तनकलती है जो उन लोगो को पहंुचने लगती है क्जनके हम पूवयज थे ।

-हमें पता नहीीँ होगा कक उन आममाओ ने क्जनके हम पूवयज थे कहां जन्म लें िखा है । हमािे से तनकली तिंगे उन्हे अपने आप ढंूढ़ लेती है ।

-यह सब ईथि तमव के माध्यम से होने लगता है ।

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-क्जस मोबाइल नंबि पि हम डायल कित े है उसे हमािे मोबाइल से तनकली तिंगे अपने आप ढंूढ़ लेती है वह व्यक्तत र्वश्व मेंं ंकहीं भी िह िहा हो ।

-पूवयज अथायत हमािे मां-बाप , िािा-िािी, नाना-नानी, बेटा-बेटी, पतत-

पमनी ।

-पूवयज अथायत क्जन का हमािे शिीि से संबंध है ।

-सूक्ष्म शिीि नहीीँ बिलता । उसकी शतल वही िहती है । मसर्य स्थूल शिीि

की शतल बिलती िहती है ।

-सूक्ष्म शिीि को हम मोबाइल नंबि कह सकत े है । सािे र्वश्व मेंंं हमािा एक ही नंबि है । एक ही नंबि के िो मोबाइल नंबि नहीीँ होत े।

-जैसे ही हम अपने को र्रिश्ता समझते है हमािे मन से तनकली तिंगे हमािे

पूवयज पकड़ लेत ेहै ।

पूिे कल्प मेंंं हम लगभग 80 हजाि से एक लाख लोगो के बहुत नजिीक

संबंध मेंंं आत ेहै ।

-ये वे लोग है जो हि जन्म मेंंं हमािे मां-बाप, भाई बदहन, िािा-िािी, नाना-नानी, चाचा-चाची, बुआ रू्र्ा, तथा कक्जन भाई बदहनें थे ।

-जहां हम पढ़ते थे वह टीचि, साथी र्वद्याथी तथा समसंगी लोग औि वहां के

तनममत व्यक्तत औि गुरु आदि भी नजिीक की मलस्ट मेंंं आत ेहै ।

-जहां हम ने िोजी िोटी के मलए कायय ककए वह व्यक्तत भी नजिीकी सूची मेंंं आत ेहै ।

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-इन मेंंं से कार्ी लोग तो हमें हि जन्म मेंंं ममलत ेिहत ेहै । कुछ लोग बहुत

ििू चले जाते है ।

-क्जतना हम र्रिश्ता रूप मेंंं दटकें गे औि क्जतना हमािा योग अच्छा होगा औि क्जतना हमािा मन पर्वि होगा उतना ही वह लोग क्जनके हम पूवयज है

वह अनजाने मेंंं यह महसूस किने लगेगे । उन्हे अच्छे रु्ने ( पे्रिणा ) उठें गे

। वह भी पे्रिणा से स्थान ढंूढ़ कि हमािे सेवा केन्िो से जुड़ जाएंगे । अगि वह

आश्रमों पि ना भी आ सकेगे तब भी बिलने लगेगे ।

-अभी संसाि नहीीँ बिल िहा है । हमािे नजिीकी लोग, हमािी तलास के भाई

बदहनें नहीीँ बिल िहे है ।

-इस का कािण यह है कक हम र्रिश्ता रूप मेंंं दटक नहीीँ िहे है । अभी मन

पर्वि नहीीँ है । एक िसूिे के प्रतत भावनाए ठीक नहीीँ है ।

-अभी हमािी कथनी औि किनी ठीक नहीीँ है ।

-भगवान को याि किने से पहली मसद्र्व मनुष्य को मीठी ज़बान के रूप मेंंं ममलती है ।

-मीठी ज़बान तो सब िाज्ञयोचगयों को ममल गई है । हम मीठी ज़बान से कायय लें िहे है । हम सर्ल हो िहे है । पिन्तु मन अभी पूिा शुध्ि नहीीँ है । इस मलए

संसाि या हमािे नजिीकी लोग बिल नहीीँ िहे है ।

-अगि संसाि को बिलना है तो फ़रिश्त ेरूप मेंंं दटको । क्जतना क्जतना मन

शुध्ि होगा आप र्रिश्ता बनत ेजाएंगे ।

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-इस अभ्यास से हम सािे र्वश्व को एक स्थान पि िहत ेहुए बिल सकत ेहै ।

आंतरिक बल 634

-मन एक िेडडयो स्टेशन है -7

-महर्र्य अिर्विं एक जगह बैठ कि र्वश्व को बिलत ेथे ।

-सवय शक्ततवान पिमर्पता पिमाममा पिमधाम मेंंं िह कि पूिे र्वश्व को चलात ेहै ।

-प्रधान मंिी एक स्थान पि िह कि पूिे िेश को चलाते है ।

-डडप्टी कममशनि एक जगह बैठ कि पूिे क्जले को चलाता है ।

-ये सब इसमलए कि पात ेहै तयोकक एक मसस्टम से जुड़ जात ेहै ।

-यह सािा संसाि एक अदृश्य मसस्टम से चल िहा है ।

-जब हम र्रिश्ता रूप मेंंं दटकत ेहै तब अनजाने मेंंं हम अदृश्य तनयमो से

जुड़ जात ेहै औि हमािे द्वािा क्ांततकािी कायय होने लगत ेहै ।

-अगि हम फ़रिश्ता रूप मेंंं क्स्थत िहेंगे तो जो लोग भगवान को याि कि

िहे है औि भगवान को ढंूढ़ िहे है । बाबा उनको हमािा साक्षामकाि किवा सकत े

है ।

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-जब हम फ़रिश्ता स्वरूप में क्स्थत िहते है औि योग लगाते िहत ेहै तो हमािी तकय बुद्र्व सुप्त हो जाती है ।

-र्रिश्ता समझने से तकय बुद्र्व बहस नहीीँ किती ।

-यह नीि जैसी अवस्था होती है । नीि में हमािी तकय बुद्र्व शून्य हो जाती । हमें कुछ पता नहीीँ होता तया हो िहा है ।

-जागतृ अवस्था में नीि जैसी मानमसक िशा जब हो जाती है तो यही वास्तव

में र्रिश्ता क्स्थतत है ।

-जब हम अपने को र्रिश्ता समझत ेहैं ऐसा मानमसक बल बनता है क्जस से

हमािा सूक्ष्म शिीि हमािी स्थूल बाडी से तनकल कि समय औि सीमा से पिे

ब्रहमांड के ककसी भी कोने, ककसी भी युग मेंं,ं अनंत भूतकाल में, अनंत

भर्वष्य काल में यािा कि सकता है औि प्रमयक्ष अपने मन की आखंो से सब

कुछ चचि की तिह स्पष्ट िेख कि आ सकता है ।

-इतना ही नहीीँ, इस अवस्था में अपने वतयमान क्षणो में अपने घि, अपनी िकुान औि िेश में चल िही घटनाओ को सार् सार् िेख सकत ेहै ।

-इस अवस्था में चोिी अपिाध एवं अन्य गुप्त तछपे हुए िहस्यों को भी जान

सकते है ।

-इसे ध्यान की गहिी अवस्था भी कहत ेहै ।

-असल में हमािी सभी समस्याओ का कािण हमािा चेतन मन है । यह हि

बात में तकय किता है । यह तयो, तया औि कैसे किता है । अगि चेतन मन

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तकय छोड़ िे तो हम जो कुछ भी कल्पना में िेखतें व सोचत ेहै वह ििूिशयन की तिहसे स्पष्ट दिखेगा ।

-तकय बुद्र्व केवल योग से वश में आती है ।

आंतरिक बल 635

-मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

-एंटी टाइम तिंगे

-यह संसाि 186000 मील प्रतत सेकें ड की गतत से चल िहा है ।

-अगि कोई ऐसी र्वचध हो जो हम 186000 मील की गतत से समय के उल्टा चलने लगे तो संसाि थम जाएगा ।

-इस पि र्वज्ञातनक खोज कि िहे है ।

-पिन्तु हमािे मन से ऐसी तिंगे तनकलती िहती है जो एंटी टाइम कायय कि

िही है ।

-हम सूयय का जो प्रकाश िेखतें है यह 8 ममनट पुिाना है तयोकक सूयय से धिती पि प्रकाश पहंुचने में 8 ममतनट लगत ेहै ।

अिबो प्रकाश वर्य लगत ेहै ।

-पिन्तु हम आखंो यां मन से एक सेकें ड में सूयय यां आकाश को िेख लेत ेहै ।

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-इस से मसद्व है कक हमािे मन से ऐसी तिंगे तनकलती है जो पलक झपकत े

ही अनंत ििूी तय कि लेती है । इस का मतलब यह है कक ये तिंगे समय कक

गतत से तजे है । अतः हम कह सकते है कक मन की गतत एंटी टाइम है ।

-वास्तव में यह सच है ।

-ईथि तमव सािे ब्रहमांड में व्यापक है । यह तमव ध्वतन औि संकल्पों का सुचालक है ।

-हमािे दिमाग का वह भाग जहां हम सोचत ेहै वहां ईथि है ।

-हम जो कुछ सोचत ेहै वह ईथि में ही सोचत ेहै ।

-इस का मतलब है कक हमािे सोचत ेही हमािे संकल्प ईथि में प्रवेश कि के

िसूिे व्यक्तत तक पहंुच जात ेहै

-ईथि में प्रवेश कित े ही संकल्पों की गतत एंटी टाइम हो जाती है ।

-ये तनयम हिेक व्यक्तत में कायय कि िहा है पिन्तु इस के बािे कोई जानता नहीीँ है ।

-ये जो हम सोचत ेिहत ेहै औि हम एक पल में िेहली िसूिे पल अमेरिका औि

तीसिे पल नागपुि औि चौथे पल दहसाि पहंुच जाते है । हमािा मन हकीकत

में यहां पहंुच गया था ।

-पिन्तु हमािी तकय बुद्र्व यह नहीीँ मानती कक हम सचमुच में पहुचत ेहैं । अगि हम तकय बुद्र्व को सुला िे तो जो हम ने सोचा है मन में िेखत े है वह

सचमुच में दिखने लगेगा ।

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-दहपनोदटज्म में तकय बुद्र्व का सोचना बंि कि िेत ेहैं ।

-यह योग साधना, व्रत पूजा पाठ औि कुछ नहीीँ हम अपनी तकय बुद्र्व को अपने वश में कित ेहैं ।

-तकय बुद्र्व बहुत हट्टी है । भगवान ने हिेक मनुष्य को बुद्र्व िे िखी है । मनुष्य अपनी बुद्र्व से ज्यािा कुछ नहीीँ मानता । आप उससे चाहे ककतना समझा लो नहीीँ मानेगा ।

- आप ककसी को कहो अच्छी सेहत के मलए सैि ककया किो । वह व्यक्तत नहीीँ मानेगा । वह तभी मानेगा जब उसे कोई शिीरिक िोग घेि लेगा ।

-कई व्यक्तत चीनी बहुत खात े है । उन्हे आप ककतना भी समझाओ कक

ज्यािा चीनी से शुगि हो जाती है । कम खाया किो । वह नहीीँ मानेगा वह तब

मानेगा जब कोई िोग उसे घेि लेगा औि डॉतटि कहे कक चीनी बंि किो ।

-बच्चो को पढ़ाई का महमव समझ नहीीँ आता । जब उंम्र बीत जाती है तब

समझ आता है ।

-हमािी समस्याओ कक जड़ अज्ञानता हैं । अज्ञानता अथायत कम बुद्र्व । यह

बुद्र्व मानती नहीीँ । इसे मनवाना पड़ता है ।

-बूद्र्व मानती है जब कोई बात हम बाि बाि रिपीट किें । पहली में पहाड़ ेयाि

किने मलए जोि जोि से तलास के सभी र्वद्याथी इकट्टे हो कि बोलत ेथे । वह

पहाड़ ेहमें जीवन भि याि िहत ेहैं ।

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-बुद्र्व मानती है जब कोई चीज मलखी हुई हम पढ़त े है । यही कािण है

पुस्तके पढ़ने से बुद्र्व र्वकमसत होती है ।

-बुद्र्व बिलती है योग/ध्यान साधना का अभ्यास किने से ।

-बहुत तीखा योग हो तब बुद्र्व बिलती है ।

-थोड़ा बहुत यां चलत ेकर्ित ेयोग लगाने से बुद्र्व नहीीँ बिलती । यही कािण

है कक वर्ो से िाजयोगी साधना कि िहे है पिन्तु संस्काि बिले नहीीँ । पांच

र्वकािों से वैसे के वैसे पिेशान है जैसा पहले थे ।

-तनिंति कुछ .ना कुछ योग के साथ साथ पढ़त ेभी िहो ।

-जीवन में कोई भी कमी कमजोिी यां बीमािी आदि हैं, कोई भी तन मन धन

औि संबंध कक कमी हैं तो इस का मतलब बुद्र्व कमजोि हैं । इसे ठीक किने

का साधन हैं पुस्तके पढ़ना औि योग लगाना ।

आंतरिक बल -636

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं

-एंटी टाइम तिंगे

-अगि हम तकय बुद्र्व को जीत लें तो हम मन द्वािा जो कुछ सोचते हैं िेखतें वह मनचाही चीजे हम प्राप्त कि लेगे औि ककसी भी स्थान पि हम एक पल में पहंुच जाएंगे ।

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-कहत ेहैं श्री गुरुनानक िेव जी में यह शक्तत थी । उसकी बदहन नानकी जब

कभी उसे याि किती थी वह अपने मशष्य बाला औि मिायना सदहत तुिंत

पहंुच जात ेथे ।

-कई लोग मानत ेहैं कक शिीि सदहत एक से िसूिे स्थान पि पहुचना मुक्श्कल

हैं ।

पिन्तु यह तो हो सकता हैं कक वह सूक्ष्म शिीि से बदहन के पास पहंुच जाता हो औि बदहन को ऐसा भ्रम हो जाता हो कक वह सचमुच में पहंुच गया था ।

-तकय बुद्र्व को जीतने के मलए बहुत तप की जरूित हैं । यह एक असम्भव

कायय हैं ।

-पिन्तु कुिित अपनी शक्ततयो को पाने का कोई ना कोई सहज उपाय भी छोड़ती हैं । उसे ढंूढ़ना होता है ।

-सहज उपाय तया हैं ?

-यह जो हम मन द्वािा यहा वहां जाते िहत ेहैं बस इसे मान लें कक सूक्ष्म स्ति

पि यह सच में हो िहा हैं । दिमाग की इस शक्तत का उपयोग किना हैं । इसे

समझना हैं ।

- जब कभी कोई गहिी चोट लगती हैं तो मनुष्य कोमा में चला जाता हैं या बेहोश हो जाता है ।

- वास्तव में जब असहनीय चोट लगती है तो ऐसी क्स्थतत में हमािा तकय मन गहिे तल पि चला जाता हैं जहां बहुत शांतत होती हैं । कई बाि यह

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इतना गहिा होता हैं कक वार्पस नहीीँ आ सकता । क्जसे हम कहत ेहैं र्लाना व्यक्तत कोमा में चला गया हैं ।

-हमािे मन में शांतत के बहुत गहिे तल हैं ।

-इसे हम ऐसे समझ सकत े है कक सतयुग के पहले जन्म में सबसे ज्यािा शांतत थी । िसूिे जन्म में उस से कुछ कम शांतत थी । इसी तिह सतयुग के

8 जन्म औि ितेायुग के 12 जन्म कुल 20 जन्मो तक आज की तुलना में बहुत ज्यािा शांतत थी, हम तनिोगी थे सवयगुण सम्पन्न थे । इन सभी जन्मो की िेकॉडडिंग हमािे मन में गहिे स्ति पि पड़ी हुई हैं ।

-अगि हम अपने मन को इन गहिे स्तिों पि लें जाए तो हमें वहां की अनुभूतत होने लगेगी ।

-हमािा मन एंटी टाइम टे्रवल किता हैं ।

-जब कभी मन में अशांतत हो ।

-तब कहे ऐ मेिे मन सतयुग के पहले जन्म में चल जहां बहुत शांतत हैं । यह

सोचत ेही हमािा मन वहां पहंुच जाता हैं । बस इस संकल्प को रिपीट किते िहो । आप इस संकल्प को 10 हजाि बाि एक दिन में रिपीट कि िो । तब

आप को पहले जन्म की िेकॉडडिंग में से अथाह शांतत अनुभव होने लगेगी ।

-इसी तिह अपने मन को िसूिे, तीसिे से 8 वे जन्म में दटकाए आप को उन

जन्मो की िेकॉडडिंग से सुख शांतत महसूस होने लगेगी ।

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-ऐसे ही िेतायुग के 12 जन्मो में जाने का अभ्यास किें औि वहां से शक्तत

प्राप्त किें ।

-ऐसा किते समय बाबा के त्रबिं ुरूप या इष्ट को सामने िेखतें िहे । इस से

आप की शक्तत बढ़ जाएगी ।

-बाबा ने एक बाि ऐसा प्रयोग ककया था । कुछ बदहनो को एक कमिे में 7 दिन

िखा था । उन्हे कमिे में सब सुर्वधाए िी गई थी । उन्हे बाहि ककसी भी व्यक्तत को नहीीँ िेखना था । उन्हे दिन िात योग किने को कहा गया ।

-वह बदहने 2-3 दिन के बाि अपने को सतयुग में समझने लगी । उनकी उम्र

ज्यािा थी । पिन्तु वह अपने को छोटी छोटी िाज कुमारियााँ समझती थी ।

-उनके सामने यज्ञ के भाई बदहनें जब आत ेथे तो उनका सतयुग वाला शिीि

दिखता था । कई उनमे से िासी या नौकि दिखत ेथे तो कई िाजा दिखत े। वह भाई बदहनें सतयुग में जो बनने वाले थे उनका वह रूप उन्हे दिखता था ।

-अगि हम सतयुग की स्मतृत में क्स्थत िहे तो हमािे को सभी व्यक्ततयों का सतयुग वाला रूप दिखने लगेगा औि हमािे में सतयुग वाले सािे गुण आ

जाएंगे ।

-यह सब इथि के माध्यम से मन की एंटी ट्रावेमलगं तिंगो के कािण होता है ।

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आंतरिक बल -637

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम तिंगे

-जब हम कोई पास्ट की बात सोचत ेहै, कोई घटना के बािे, ककसी व्यक्तत के

बािे या इततहास के बािे, तो उस समय हमािे मानमसक एंदटना से एंटी टाइम

तिंगे तनकलती है ।

-पास्ट में क्जस ककसी के बािे सोचत े है । सोचत ेही हम वहां पहंुच जात े है । पिन्तु यह बहुत गहिे स्ति पि हो िहा होता है । अगि हम उस र्वर्य पि

सोचत ेिहे तो उस समय की सािी चीजे हमािे दिमाग में आने लगेगी ।

-आप ने एक महीना पहले कोई पाटी की थी । आज अगि आप से पूछे पाटी में तया हुआ था । तब आप पाटी का ब्यौिा सील्स्लेवि िेने लगेगे । ऐसे लगेगा जैसे आप के सामने अब पाटी हो िही है । जब कक यह एक महीने पहले की बात है । सुनने वाला भी आप की बात मानेगा तयोकक आप वहां उपक्स्थत

थे ।

-सतयुग में हम सवय गुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूणय थे । अथाह सुख शांतत

थी । उस समय स्वगय था । तनिोगी काया थी ।

-जीवन में सम्पूणयता लाने के मलए आप अपने मन में सोचो मैं सतयुग में हंू

औि पहले जन्म में हंू । मैं स्वगय में हंू । बस इसे मन में िोहिात ेिहो । ऐसा

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किते िहने से सतयुग के सािे गुण आप में आने लगेगे । आप का शिीि भी ठीक होने लगेगा ।

-सतयुग के जन्मो की िेकॉडडिंग हमािे अंिि बहुत गहिे अवचेतन मन में पड़ी हुई है । इसे ऊपि लाने में थोड़ा बल की जरूित होती है ।

-समुन्िि से तले तनकालने मलए गहिा बोि किना पड़ता है ।

-धिती से पानी लेने के मलए नलका या ट्यूबवेल लगाना पड़ता है । इस के

मलए भी बोि किना पड़ता है । बोि किने मलए हमें मशीनिी का सहािा लेना पड़ता है ।

-ऐसे ही सतयुग में मन को लें जाने मलए भी हमें ईश्विीय बल का सहािा लेना पड़ता है ।

-अपने सामने कल्पना में पिमाममा के त्रबिं ुरूप को िेखो या अपने इष्ट को िेखो । तथा मन में संकल्प किो मैं सतयुग के पहले जन्म में हंू । मैं स्वगय में हंू । मैं सतयुग में हंू । इसे रिपीट कित ेिहो । धीिे धीिे स्वगय के सािे गुण

आप में आने लगेगे ।

-आप काम कित े हुए, चलत े हुए, खात े पीत,े उठत े बैठत े यही संकल्प

िोहिात ेिहो मैं स्वगय में हंू । स्वगय में हंू ।

-यह अभ्यास मन में किना है । मुख से नहीीँ बोलना । ककसी से डडसकस नहीीँ किना । तयोकक लोग इसे कोिी कल्पना कह कि आप का मनोबल तोड़

िेगे ।

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- कहते है अगि 8 घंटे हि िोज योग लगाए तो तब हम इस अवस्था को पा सकते है । इसे मुक्तत की अवस्था कहत ेहै । यह भी कहत ेहै इस अवस्था को पाने मलए 7 जन्म लगत ेहै ।

-पिन्तु यह इतना मुक्श्कल नहीीँ है ।

-अगि आप एक दिन में 10 हजाि बाि इस संकल्प को रिपीट कित ेहै कक मैं स्वगय में हंू या अढ़ाई घंटे योग में इसी संकल्प को रिपीट कित ेहै तो आप को एक दिन में ही अजीब सा अनुभव होगा । आप का आतंरिक र्वकास होने

लगेगा ।

-अगि आप समझत ेहै यह भी मुक्श्कल है । तब

-आप क्जतना समय बैठ सकत ेहै बैठ कि अभ्यास किो मैं स्वगय में हंू । कर्ि

चलत े कर्ित ेजब भी याि आए बस इसी संकल्प को रिपीट किना है । यह

अभ्यास 6 मास तक किना है । 6 मास बाि आप के जीवन में सतयुगी गुण

अपने आप आ जाएंगे । अभी मनुष्य में क्ोध, लोभ, मोह अहंकाि जैसे

र्वकाि अपने आप थोड़ी सी परिक्स्थतत होने पि आने लगत ेहै । इस अभ्यास

से कोई भी परिक्स्थतत आने पि मन में सिा शांतत बनी िहेगी औि हम

भड़केगे नहीीँ । हम आिाम से कायय किेगे ।

-यह सब इस मलए होता है तयोकक मन की एंटी ट्रावेमलगं तिंगो से सतयुग में पहुच जात ेहैंं ं औि उसी क्स्थतत अनुसि प्रिशयन कित े है ।

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आंतरिक बल 638

-मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

-एंटी टाइम तिंगे

-आज हिेक व्यक्तत ककसी ना ककसी िोग से पीडड़त है ।

-िोगो का कािण कोई ना कोई र्वकाि है ।

-काम, क्ोध, लोभ, मोह, अहंकाि, ईष्याय, द्वेर् औि आलस्य आदि मुख्य

र्वकाि है ।

-आप के मन में कौन सा र्वकाि ज्यािा है । बस वही र्वकाि बीमािी का कािण है । तयोकक जब कोई र्वकाि मन में बहुत लम्बे समय तक उठता िहता है वही बीमािी बन कि हमािे सामने आ जाता है ।

-इन र्वकािों की शुरुआत द्वापि युग से हुई है । इस से पहले कोई र्वकाि

नहीीँ था । द्वापि से कलयुग तक 63 जन्म के र्वकाि हमािे अवचेतन मन में भिे हुए है ।

-र्वकािों को खमम किने मलए हम िाजयोग का अभ्यास किते है । योग की गहिाई ना होने कािण ये र्वकाि खमम नहीीँ हो पा िहे । योग के मलए ज्यािा समय नहीीँ तनकाल पात े। बाबा कहते है 8 घंटा योग लगाओ, 8 घंटा काम

किो औि 8 घंटा नींि किो ।

- हकीकत में 8 घंटा योग लगाना मेहनत है ।

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-इन र्वकािों को खमम किने के मलए हमें मन की आंन्टी टाइम टे्रवल शक्तत

का प्रयोग भी किना चादहए ।

--मसर्य सोचो मैं द्वापि युग के पहले जन्म में हंू । आप के सोचत ेही आप का मन अपनी एंटी टाइम टे्रवमलगं तिंगो से तुिंत द्वापि युग में पहंुच जाता है ।

-कल्पना में अपने द्वापि युग के पहले जन्म के मां बाप, भाई बदहनो को, चाचा चाची, स्कूल या कॉलेज के टीचसय औि स्टूडेंट्स को िेखो, क्जन लोगो से

काम धंधे के िौिान ममले उन्हे िेखो । इस के इलावा औि िसूिे अड़ोसी पड़ोसी क्जन के सम्पकय में पूिे जन्म में आए । इन सब को भगवन को सामने

िेखतें हुए कहो आप शांत स्वरूप है । आप शांत स्वरूप हैं । ये अभ्यास कम

से कम 10 ममतनट जरूि किना है ।

-ऐसा अभ्यास किने से क्जन लोगो से हमािे काममयक दहसाब ककताब बने । वह दहसाब ककताब वहां से खमम होना शुरू हो जाएंगे ।

-इस तिह द्वापि के िसूि जन्म के लोगो को तिंगे िो ।

-अगले दिन द्वापि युग के तीसिे जन्म के लोगो को तिंगे िे ।

-इस तिह द्वापि के चौथे पांचवे औि 21वे जन्म के लोगो को तिंगे िो ।

-ऐसे ही कलयुग के प्रमयेक जन्म के लोगो को एक एक दिन तिंगे िेते िहो ।

-योग के सथ साथ इस ढंग से हम अपने पुिाने जन्मो में बने दहसाब ककताब

को सहज ही खमम कि सकत ेहै ।

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--इस ढंग से हम बहुत जल्िी सवयगुण सम्पन्न 16 कला संपूणय बना जाएंगे ।

-दहपनोदटज्म में ऐसे ही पुिाने जन्मो में लें जात ेहैं औि िोगो का उपचाि किते हैं ।

-दहपनोदटज्म ज्यािा से ज़्यािा र्पछले 7 जन्म तक जा सकत ेहैं । इसके आगे

रिस्क होता हैं । हो सकता आममा वार्पस ही ना आए औि व्यक्तत पागल बना कि िह जाऐ ।

-मन की एंटी टाइम तिंगो का प्रयोग किने से कोई नुकसान नहीीँ । लाभ ही लाभ हैं ।

-क्जन लोगो से अनबन हैं । इन के मलए भी एंटी टाइम तिंगो का प्रयोग किो ।

-मन में सोचो ऐ मन उस जन्म में चल क्जस जन्म से अमुक आममा से मेिा दहसाब ककताब शुरू हुआ । ऐसा सोचत ेही आप का मन वहां पहंुच जाएगा । अब बाबा को मन में सामने िेखतें हुए उस समय जो व्यक्तत से गलत व्यवहाि

ककया थे उसे ठीक कि िो । मान लो उस समय इसे चामाटा मािा था । अब

उसी समय चामाटा मािने के बजाय इस की थोडी हाथ लगाओ औि कहो मान जाओ । यह शब्ि उसके दिमाग की हीमलगं कि िेगा औि वतयमान में आप से अच्छा व्यवहाि किेगा ।

-जब तक र्विोधी से सबंध ठीक नहीीँ हो जात ेयह अभ्यास जरूि किना हैं ।

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आंतरिक बल 639

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं ।

-एंटी टाइम तिंगे

-जब हम बाबा ( भगवान ) को याि कित ेहैं तो उस समय मानमसक िेडडयो से

एंटी टाइम तिंगे तनकलती हैं जो ईथि के माध्यम से पिमधाम में बाबा के

पास पहंुच जाती हैं ।

-योग का मतलब बाबा को िेखत ेिहो । यह िेखना भी इसके पीछे र्वज्ञातनक

कािण हैं ।

--हमािे मोबाइल को गुगल हमािे से ििू होत े हुए अपडटे किता िहता हैं । तयोकक गुगल के पास प्रोगिाममगं होती हैं ।

-हमािी आममा की प्रोग्राममगं में वायिस आ गया हैं ।

-बाबा को मन में िेखतें िहने से बाबा के सािे गुण सािी शक्ततयां हमािे में आ

जाती हैं अथायत हमािी प्रोग्राममगं हो जाती हैं ।

- इसी मसद्वांत पि आधारित मन की एंटी टाइम तिंगो द्वािा हम भूतकाल

में जो लोग थे उन जैसे बन सकते हैं ।

-आप महाममा बुध, क्ाइस्ट, गुरु नानका िेव को याि किें, उन्हे कल्पना में िेखे तो हमािी एंटी टाइम तिंगे कल्पना में िेखतें ही उन से सम्पकय कि लेती हैं । बस उन में मन लगाए िखे तो उनके सािे गुण आप में आ जाएंगे ।

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-आप चाणतय जैसा बनना चाहत ेहैं उसे मन में हि समय िेखतें िहे । धीिे

धीिे उसकी बुद्र्वमता आप में आ जाएगी ।

-आप बीिबल जैसा बनना चाहत ेहैं तो उसे कल्पना में िेखतें िहे आप में उस

जैसी चतुिता आ जाएगी ।

-आप अशोक महान को िेखतें िहे तो उन जैसे महान बनने लग जाएंगे ।

-आप भतत मसहं जैसा बनना चाहते हैं । मसर्य उसे मन में िेखतें िहें आप उस

जैसे क्ांततकािी बन जाएंगे ।

-आप क्जस व्यक्तत या महापुरुर् जैसा बनना चाहत ेहैं बस उसे कल्पना में िेखतें हुए अपने कायय कित े िहे । आपका दिमाग उन जैसा बन जाएगा ।

-ऐसा इसमलए होता हैं तयोकक हमािी मानमसक तिंगे उन के दिमाग से जुड़

जाती हैं उनकी सािी बुद्र्वमता हमािे में आने लगेगी ।

-पिन्तु यह बहुत लंबा प्रोसेस हैं ।

-एक व्यक्तत के माइंड में लगभग 9.50 खिब सेकें ड की िेकॉडडिंग होती हैं । उसे हमािे दिमाग में डाउनलोड होने में लंबा समय लगता हैं ।

-कई भाई बदहनें पूछत ेहैं यह अभ्यास कब तक किना हैं । इस का उति हैं जब तक हम भोजन खाएाँगे तब तक यह अभ्यास किना होगा ।

-इसमलए अपना कायय व्यवहाि कित े हुए बाबा को या इष्ट को या महान

व्यक्तत को मन में मसर्य िेखतें िहे ।

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-आप आइंस्टाइन को मन में िेखतें िहे तो आप भी उन जैसे बुद्र्वमान बन

जाएंगे ।

-आप र्वक्मादिमय, अकबि महान, मसकंिि महान को मन में िेखतें िहे तो आप भी उन जैसा बन जाएंगे ।

-आप मंुशी पे्रम चंि को मन में िेखतें िहें तो आप भी उन जैसे लेखक बन

जाएंगे ।

-आप वेि व्यास को मन में िेखतें िहें तो आप भी उन जैसे महा ज्ञानी बन

जाएंगे ।

-महान न बनने का कािण यह हैं कक वतयमान समय जो हमािे र्विोधी हैं, हमािी एंटी टाइम तिंगे उन से टकिाती िहती है । ऊपि से एकता है, मीठा बोलत े है, अपनी डयूटी भी कित ेिहत े है, साथ साथ िहत े है पिन्तु मन से

एक िसूिे से टकिाते िहते है ।

-यह टकिाव तब खमम होता है जब हम बुतस पढ़त ेहैं ।

- अगि बुतस नहीीँ पढ़ते तो जरूि ककसी न ककसी से टकिाते िहेगे, वतयमान के

नहीीँ तो भूत काल में क्जन लोगो ने र्विोध ककया उन से टकिात ेिहेगे । इस

तिह अपनी शक्तत नष्ट कित े िहेगे । यही मनुष्य के पतन का कािण बन

जाता है ।

-ईमानिािी से चेक किो तया इस समय मन में ककसी से टकिा िहा हंू । अगि

हां तो तुिंत मनसा सेवा पि कोई बुक पढ़ो । हजाि बहाने कि के पढ़ने के

मलए समय तनकलो तथा मन से ककसी न ककसी को प्याि िेत ेिहो ।

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आंतरिक बल 640

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं

-एंटी टाइम तिंगे औि र्वश्व सेवा

-जो लोग हमािे आसपास िहत ेहैं उन्हे कोई बात कहनी हो या संिेश िेना हो तो हम मुह से धीिे धीिे शब्ि बोलत ेहैं 1

-व्यक्तत थोड़ा सा ििू हो तो हम जोि से बोलत ेहैं ।

-ज्यािा लोगो को कोई 'बात कहनी हो तो हम लाउड .स्पीकि का प्रयोग

किते हैं ।

-िसूिे शहि या िसूिे िेश में संिेश भेजना हो तो हम मोबाइल, वायिलेस,

इंटेिनेट या िेडडयो, टी .वी .आदि प्रयोग किते हैं ।

-िेडडयो तिंगो से हम स्पेस में िाकेट में बैठे लोगो को संिेश लेत ेऔि िेत ेहैं ।

- ऐसे ही लोगो को भगवान का परिचय हम व्यक्ततगत रूप से िेत ेहैं । तलास

या पक्ब्लक प्रोगाम में माइक प्रयोग कित ेहैं ।

- इन र्वचधयों से हम बहुत कम संिेश िे पा िहें हैं ।

-81 वर्य में हम किीब 20-25 लाख लोगो को ईश्विीय ज्ञान समझा पाए ।

-लगभग 800 किोड़ आममाओ को संिेश िेना औि उनकी पालना किना आसान काम नहीीँ हैं ।

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-जो लोग योग का अभ्यास कि िहें हैं वह भी अपना आतंरिक बिलाव बहुत

कम कि पाए हैं ।

-हमािे मन में एंटी टाइम ट्रावेमलगं तिंगे हैं क्जनके द्वािा हम घि बैठे पूिे

र्वश्व की सेवा कि सकत ेहैं ।

-ये वंडिरु्ल तिंगे हैं जो कक प्रमयेक व्यक्तत में हैं । इनकी समझ न होने के

कािण हम अपनी शक्ततओ ंको नष्ट कि िहें हैं ।

-जब भी हम ककसी व्यक्तत, वस्तु, स्थान या पिमाममा के बािे सोचत ेहैं, ये

तिंगे सोचत ेही वहां पहंुच जाती हैं ।

- आप ने महसूस ककया होगा हमािी जिा सी भी ककसी व्यक्तत से अनबन हो जाऐ तो हम पिेशान हो जात ेहैं ।

-बाबा कहत ेहैं अगि एक भी आममा आप से असंतुष्ट हैं तो तनिंति योगी नहीीँ बन पाऐगे ।

-ऐसा तयो होता हैं ।

-इस के पीछे गहिा िहस्य हैं ।

-जब ककसी भी एक व्यक्तत को िेखतें तो वह एक नहीीँ होता उसके पीछे बहुत

ज्यािा व्यक्तत होत ेहैं ।

-ब्रहमा कुमिीज मानती हैं कक एक व्यक्तत के ज्यािा से ज्यािा 84 जन्म

होत ेहैं ।

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-एक व्यक्तत पूिे 84 जन्मो में लगभग 80 हजाि लोगो के बहुत किीब से

सम्पकय में आता हैं । गणना के मलए इसे हम लगभग एक लाख मान लेत े

हैं ।

-एक लाख व्यक्ततयों से जो संबंध िहें वह िेकॉडडिंग हमािे अवचेतन में बहुत

गहिे स्ति पि सुिक्षक्षत हैं ।

-जब हम ककसी व्यक्तत से बुिा व्यवहाि किते हैं तो यह संिेश 1 से 3 ममतनट

के अंिि शिीि की प्रमयेक कोमशका को प्राप्त होता हैं । उन कोमशकाओं के

द्वािा उन सब व्यक्ततयों को संिेश जाता हैं जो उसे पूिे 84 जन्मो में ममले

थे । वे व्यक्तत इस समय र्वश्व के अलग अलग स्थानो में जन्म लें कि िह

िहें हैं । जैसे ही उनको ये संिेश जाता हैं वह िीएतट कित ेहैं । उनका यह

िीएतशन हमािी कोमशकाओं को प्राप्त होता है । हमािी कोमशकाएं हमािे मन

को बल िेती हैं । हमािा मन क्जस व्यक्तत ने हमें अपशब्ि कहे हैं उसका र्विोध किता हैं । क्जस की महसूसता ििुव्यवहाि किने वाले को होती हैं ।

-इस मलए कोई भी व्यक्तत आप िेखतें है उसे अकेला न समझे उसके साथ एक

लाख लोग है । आप के प्रमयेक व्यवहाि पि एक लाख लोग प्रततिोध किते है ।

-अगि ििू बैठे ककसी एक व्यक्तत के प्रतत बुिा सोचते है तब भी एक लाख

लोग र्विोध कि िहें है ।

-यह सब हमािे मन में क्स्थत एंटी टाइम तिंगो के कािण होता है ।

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-इस मलए कोई भी व्यक्तत सामने आए या मन में आए उसके बािे अच्छा सोचे

औि बाबा को िेखतें हुए उसके प्रतत सोचे । आप का यह संिेश उन से

संबंचधत एक लाख लोगो को जाएगा । कर्ि उन एक लाख लोगो का आगे एक

एक लाख लोगो को जाएगा । इस तिह ये संसाि बहुत तीव्र गतत से बिलेगा ।

-अभी सभी व्यक्तत तनाव में िहत ेहै या योगी भी मानमसक तलेश में िहते है

तयोकक वे मन में क्जतने लोगो से व्यथय व्यवहाि किते है उतने लाख लोगो की बििआुए उन्हे ममलती िहती है ।

-नामी ग्रामी योगी बीमाि इस मलए है तयोकक वह अपने से छोटे भाई बदहनो से बुिा व्यवहाि कित े है, कमजोिी के बोल बोलत े है क्जस से छोटे व उन पि

तनभयि लीग आहत होत े है औि उनकी आहत वाली एनजी एक लाख बढ़ कि

िीएतट किती है ।

-कोई भी व्यक्तत भाई या बदहनें दिखाई िे ििु से ही बाबा को सामने िेखतें हुए

आप जैसे र्वश्व के भाई औि बदहनें शांत स्वरूप है पे्रम स्वरूप है । आप का यह संकल्प पूिे र्वश्व को पहुचेगा ।

-ऐसा कित ेहुए भगवान के त्रबिं ुरूप को मन में िेखतें िहें ।

आंतरिक बल 641

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम तिंगे औि र्वश्व सेवा

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-हम र्वश्व के ककसी भी कोने में चले जाए हमािा वाट्स अप औि रे्स बुक

अकाउंट कभी चेंज नहीीँ होता । हम इनके माध्यम से सािे संसाि से जुड़ ेिहते है । जो लोग हमािे ग्रुप में है उनको भेजे गए संिेश सिा ही ममलत ेिहेगे ।

-ऐसे ही हमािा मन एंटी टाइम टे्रवेल तिंगो के माध्यम से हमािे र्पछले जन्म

के सभी लोगो से जुड़ा िहता है । हमािे मन में जो भी र्वचाि आता है उसका अच्छा या बुिा प्रभाव र्पछले जन्म के लोगो को होता िहता हैं बेशक इस

समय अलग अलग नाम रूप से उन्होने जन्म लें िखा है ।

-वतयमान में कोई भी एक व्यक्तत जो आप के सामने आता है हम उस एक को तो प्रभार्वत किते ही है । उस से जुड़ े उसके र्पछले जन्म के किीब एक लाख

लोगो को भी प्रभार्वत कित ेहै ।

- कोई भी व्यक्तत जो आप के सम्पकय में आता है, साथ िहता है या मन में याि

आता है चाहे र्विोधी आममा हो, तुिंत बाबा को मन में सामने लाओ औि उस

व्यक्तत को कहो आप शांत स्वरूप हो, शांत स्वरूप हो, आप का यह संकल्प

उस से जुड़े र्पछले जन्मो औि इस जन्म के जुड़ ेसभी लोगो को पहंुच जाता है ।

-अभी संसाि तयो नहीीँ बिल िहा है इस की हकीकत तो यह है कक हमािे मन

में िसूिो के प्रतत भाव अच्छे नहीीँ है ।

- हिेक व्यक्तत के प्रतत अपने भाव बिलो । तब र्वश्व बिलेगा । तभी कहत ेहै

आप भले तो जग भला ।

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-जब आप घि से बाहि जात ेहै औि कोई रितश ेवाला िेखो तो उसको िेखतें हुए मन में सोचो आप जैसे र्वश्व के सभी रितशे वाले भाई शांत स्वरूप है, पे्रम

स्वरूप है, सुख स्वरूप है । आप का यह संकल्प र्वश्व के सभी रितशा वालो को पहंुच जाएगा ।

-आप ककसी सब्जी बेचने वाले को िेखतें है तो मन में उसे कहो आप जैसे र्वश्व

के सभी सब्जी वाले शांत स्वरूप है पे्रम स्वरूप है आप का यह संिेश र्वश्व के

सभी सब्जी र्वके्ताओ ंको ममल जाएगा ।

-ककसी कपड़ा बेचने वाले आिमी को िेखतें है तो उसे िेखतें ही मन में सोचो आप जैसे र्वश्व के सभी कपड़ा व्यापािी शांत स्वरूप है पे्रम स्वरूप है । आप

का यह संकल्प र्वश्व के सभी कपड़ा व्यापारियो को ममल गया है ।

-ककसी ड्राइवि को िेखत,े ककसी मोची को िेखत ेहैं या ककसी भी प्रोरे्शन के

व्यक्तत को िेखतें हो तुिंत मनसा सेवा किो मसर्य सोचा कक उस जैसे र्वश्व के

सभी भाई शांत स्वरूप है पे्रम स्वरूप है । आप का यह संकल्प उन सब को ममल िहा है ।

-अगि आप ककसी बदहन को िेखतें है तो सोचो आप जैसी र्वश्व की सभी बदहनें शांत स्वरूप है, पे्रम स्वरूप है, सुख स्वरूप है तो आप का यह संकल्प

र्वश्व की बदहनो को ममल जाएगा ।

-ककसी छोटी लड़की को िेखे तो मन में सोचे आप जैसी मानमसक फे्रतवेण्सी वाली लड़ककया शांत स्वरूप है, पे्रम स्वरूप है, सुख स्वरूप है । आप का यह

संकल्प उन सब लडककयो को पहंुच जाएगा ।

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- ऐसे ही कोई भी बीमाि व्यक्तत को िेखतें ही सोचो आप जैसे र्वश्व के सभी िोगी भगवान की शक्तत से ठीक हो िहें है तो आप के यह संकल्प र्वश्व के

िोचगयो को ठीक कि िेगा । उन में बल भि िेगा ।

-ये संकल्प उस जैसे अन्य व्यक्ततयों को तयो पहुचत ेहैं ।

-इस का कािण यह हैं हिेक व्यक्तत अपनी एक फे्रतवेण्सी पि सोचता हैं । जो व्यक्तत एक फे्रतवेण्सी पि होते हैं वे एक िसूिे की तिंगे पकड़त ेहैं ।

-जो लोग एक जैसा काम कित ेहैं ज्यािाति उन की मानमसक फे्रतवेण्सी एक

जैसी होती हैं ।

आंतरिक बल 642

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं ।

- एंटी टाइम तिंगे औि र्वश्व सेवा

- वतयमान समय में इंटेिनेट संिेशो के आिान प्रिान का सब से आसान औि

सस्ता साधन हैं ।

- पूिे र्वश्व में अगि संिेश पहुचाना हो तो हमें व्हा्ट्सअप या रे्स बुक पि

जुड़ना पड़गेा

-व्हाट्स अप के ककसी ग्रुप से जुड़ जाए तो हमािा संिेश उस ग्रुप के सभी लोगो को एक पल में ममल जाएगा ।

-यही मसस्टम आममाओ की ितुनया में हैं ।

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-पिमधाम में बाबा के पास एक सुपि कंप्यूटि हैं । इस कंप्यूटि से र्वश्व की सभी आममाएं जुड़ी हुई हैं ।

-हम जो कुछ सोचते हैं वह पहले पिमधाम भगवान के पास सुपि कंप्यूटि में जाता हैं वहां से संिेश उस व्यक्तत को जाता हैं क्जस के बािे हम ने सोचा हैं । पिन्तु यह एक क्षण में हो जाता हैं । इसमलए हमें पता नहीीँ चलता ।

- सभी धमय र्पता, गुरु, संत, महाममा, तथा वतयमान सभी धममयक संस्थाओ

के मुझखया व्यक्तत भगवान के पास जो सुपि कंप्यूटि हैं उसमे जुड़ ेहुए हैं ।

-कोई भी व्यक्तत जैसे ही अपने गुरु को याि किता हैं उसका यह संकल्प

भगवान के पास पहंुच जाता हैं । वहां से भगवान उनको उनकी भावना को पूिा किता हैं ।

-पिमधाम को एक सूक्ष्म लेयि कह सकत ेहैं व्यक्तत का हि बोल संकल्प वहां जाता हैं । उस लेयि से टकिा कि उस व्यक्तत या व्यक्ततयों को पहंुचता हैं क्जस के बािे हम सोचत ेहैं ।

-अगि हम बाबा को सामने िखते हुए श्री कृष्ण को तिंगे िेते हैं तो हमािे

संकल्प उन सब लोगो को पहंुच जाएंगे जो श्री कृष्ण को भगवान मान कि याि

किते हैं । यहा श्री कृष्ण एक ग्रुप की तिह हैं । जब उन्हे तिंगे िेत ेहैं तो उन

सब लोगो को संिेश ममलेगा जो श्री कृष्ण के भतत हैं ।

-ऐसे ही र्वश्व के क्जतने भी साध ुसंत, महाममा, गुि, पीि पैगम्बिों औि

िेर्वयो को भगवान को िेखतें हुए तिंगे िेगे तो यह उन सब लोगो को भी पहंुचेगी जो लोग उन्हे अपना गुरु मानत ेहैं ।

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-इसके मलए हमें मसर्य इतना कायय किना हैं क्जन क्जन गुरुओ ंको हम जानते हैं उन्हे मन में ऐमेजय किो औि बाबा को बीच में िेखतें हुए धीिे धीिे अच्छे

शब्ि बोलने हैं ऐसे समझते हुए कक वह आप के सामने बैठे हैं । आप का यह

र्वचाि उन के मशष्यों को भी ममल जाएगा

-आप के मोहले में जो मंदिि, गुरुद्वािा आदि हैं उसके पुजािी को तिंगे िेने

से उस पुजािी में श्रद्वा िखने वाले लोगो को तिंगे द्वािा संिेश पहंुच

जाएगा ।

- मान लो आप पुजारियों को नहीीँ जानते हैं तब मसर्य इतना कहे कक र्लाने

मंदिि के पुजारियों औि उस मंदिि में जाने वाले लोगो का कल्याण हो । आप

की एंटी टाइम तिंगे उन सब लोगो को ढंूढ लेती हैं औि आप का यह र्वचाि

उन सब को पहुचेगा ।

-ऐसे आप पूिे र्वश्व में क्जन पुजारियों या गुरुओ ंको जानत े हो, चाहे उन्हे टी. वी . पि िेखा हो उन्हे मानमसक तिंगे िे । आप की यह तिंगे उन सब लोगो को पहंुचेगी औि वह बाबा का बनने के मलए पे्ररित होगे ।

-हमािे मन में क्स्थत एंटी टाइम टे्रवमलगं तिंगो की यह र्वशेर्ता होती हैं कक

यह ककसी व्यक्तत की र्ोटॊ को िेखतें ही, वह र्ोटॊ चाहे टी वी. , अखबाि,

व्हा्ट्सअप या रे्स बुक में िेखा हो, उसे पूिे ब्रहमांड में सचय किने लगती हैं औि उस व्यक्तत से तवेण्ट्म लेवेल पि जुड़ जाती है औि उसे पे्ररित किती हैं ।

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-र्वश्व के सभी संत औि गुरु अप के सामने हैं कल्पना में महसूस किो बीच में बाबा को िेखो औि आिाम से कहो अप कल्याणकािी हैं अप शांत स्वरूप हैं । यह ऐसे ही बोलना हैं जैसे कोई व्यक्तत पास में हो औि उसे हम कहत ेहैं भाई

एक ग्लास पानी लाओ । आप का संकल्प सब संतो ने तथा उनसे जुड़ ेलोगो ने सुन मलया हैं ।

आंतरिक बल 643

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम तिंगे औि र्वश्व सेवा

-बाबा ने कहा है जो र्वश्व सेवा किेगा वह र्वश्व महािाजा बनेगा औि नए

बच्चे भी नंबि लें सकत ेहै । यह भी इशािा दिया है कक मंसा सेवा पि र्वशेर्

ध्यान िेने से होगा ।

-सभी िाजयोगी र्वश्व सेवा के कायय में लगे हुए है पिन्तु 81 साल में अभी तक

20-25 लाख लोगो को हम िाजयोगी बना सके है । सवाल उठता है आझखि

र्वश्व की सेवा कैसे किें कक सभी जल्िी जल्िी भगवान को पहचान सके ।

- हमािे दिमाग में एक ऐसा केन्ि है क्जस से एंटी टाइम तिंगे तनकलती है जो एक क्षण में कहीं भी पहंुच जाती है औि तुिंत परिवतयन आिम्भ कि िेती है । इन तिंगो का प्रयोग हमें सीखना चादहऐ ।

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-अगि हम भाित के लोगो का जीवन बिलना चाहत ेहै तो हमें भाित के प्रधान

मंिी को तिंगे िेनी चादहऐ । प्रधान मंिी की सोच सािे भाित को प्रभार्वत

किती है । प्रधान मंिी िेश के कल्याण के मलए सोचता िहता है । इसमलए

प्रधान मंिी की र्ोटॊ कल्पना में िेखो औि बीच में बाबा या इष्ट को िेखो औि

बाबा को कहो आप प्याि के सागि है प्याि के सागि है शांतत के सागि है शांतत

के सागि है । ये तिंगे प्रधान मंिी को पहंुचेगी औि वह ऐसी कल्याणकािी स्कीमें बनाएगा क्जस से पूिा भाित खुशहाल बनेगा ।

-ऐसे ही िसूिे िेशो के प्रधान ममंत्रियो को क्जन्हे आप ने टी .वी यााँ अखबाि

आदि में िेखा है उन्हे तिंगे िो । आप की इन तिंगो से वह पे्ररित होगे औि

अपने िेश के मलए कल्याण का सोचेंगे औि र्वश्व बिलने लगेगा ।

-भाित के प्रधान मंिी को सामने िेखो औि मन में कहो आप जैसे र्वश्व के

सभी प्रधान मंिी शांत स्वरूप है, पे्रम स्वरूप है, आप सभी कल्याणकािी है । ऐसा कित ेसमय बाबा को भी बीच में िखना है । आप के यह र्वचाि एंटी टाइम तिंगे बन कि सभी प्रधान मंत्रियो औि उनसे जुड़ ेसभी व्यक्ततयों को पे्ररित किेगे । इस र्वचध से आप के र्वचाि र्वश्व की प्रमयेक आममा को प्रभार्वत किेगे ।

-ये तिंगे व्हा्ट्सअप ग्रुप की तिह सब को पहुचती है । सभी प्रधान मंिी एक

ग्रुप है ।

-अब भाित के िाष्ट्रपतत को सामने इमजय किो औि कहो आप जैसे र्वश्व के

सभी िाष्ट्रपतत शांत स्वरूप है, पे्रम स्वरूप है कल्याणकािी है । तयोकक आप

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बाबा को याि किते हुए ये कह िहें हैं तो बाबा की शक्तत आप की एंटी टाइम

तिंगो में प्रवेश कि जाती हैं औि पूिे र्वश्व की आममाओ को पे्ररित किती हैं तथा िाष्ट्रपतत कल्याणकािी कानून बनात ेहैं औि कल्याणकािी स्कीम पास

किते हैं ।

-अपने िाज्य का कल्याण किने मलए अपने िाज्य के मुख्यमंिी को तिंगे िे । मुख्य मंिी अपने िाज्य को प्रभार्वत किेगा ।

-अपने क्जले का कल्याण किने के मलए अपने क्जले के डडप्टी कमीशनि को तिंगे िो । आप अपने के्षि में जो किवाना चाहत ेहैं डी . सी को कल्पना में कहे । आप के र्वचाि उस तक पहंुचेगे औि वह सही कायय किेगा ।

-मशक्षा का स्ति सुधािने केव मलए अपने के्षि के मशक्षा मंिी औि र्वश्व

र्वद्यालयो के वाइस चांसलिस को तिंगे िो । आप के र्वचाि उन्हे मशक्षा में सुधाि के मलए पे्ररित किेगे ।

-कानून व्यवस्था को सुधािने मलए िाज्य के पोलीस डायिेतटि औि ग्रहम्ण्िी को बाबा को सामने िखत ेहुए तिंगे िो । आप के र्वचाि उन्हे पे्ररित किेगे औि

कानून का पालन किेगे ।

-ितुनया में कोई भी सुधाि आप चाहते हैं, उस काम के मलए कौन क्जम्मेवाि हैं उन्हे तिंगे िेत ेिहो । आप के मनचाहे कायय होने लगेगे ।

-दहमालय में बैठे योगी आज भी अपने योग बल से र्वश्व को पे्ररित कि िहें हैं ।

-ऐसे ही आप भी र्वश्व में ककसी ना ककसी को पे्ररित कित ेिहो जी ।

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-आप क्जतने लोगो को पे्ररित कित ेहैं उतने के्षि के िाजा बनेगे ।

-यह संसाि मेल औि र्ीमेल से बना हैं ।

-बाबा को सामने िेखतें हुए कहें र्वश्व की सभी बदहनें आप शांत स्वरूप हैं पे्रम स्वरूप हैं । आप का यह संकल्प र्वश्व की सभी बदहनो को पहंुचेगी ।

-बाबा को याि किते हुए कहें र्वश्व के सभी भाई आप शांत स्वरूप हैं, पे्रम

स्वरूप हैं औि र्वश्व के भाइयो की लंबी लाइन अपने सामने िेखे । आप का संकल्प र्वश्व कक हिेक आममा को पहंुच िहा हैं ।

-उपिोतत िो र्वचधयां सवय शे्रष्ट हैं । इस से आप का प्रमयेक संकल्प र्वश्व की प्रमयेक आममा को माइंड की एंटी टाइम तिंगो के कािण से ममलता िहेगा । इन तिंगो पि खोज की जरूित हैं । पिन्तु यह सचमुच में पहुचती हैं । आप

को संशय में नहीीँ होना की ऐसे कैसे होता हैं । इस र्वचध से आप मनसा सेवा किो िेखना एक दिन में ही बहुत अच्छा लगेगा । आप के ये संकल्प बहुत

गहिे तल पि काम कित ेहैं । उन लोगो को शब्ि तो समझा नहीीँ आएंगे पिन्तु

उन्हे अच्छा अच्छा लगेगा, खुशी होगी, कल्याणकािी र्वचाि उठने लगेगे ।

आंतरिक बल 644

-मन एक िेडडयो है

-एंटी टाइम तिंगे औि महमव पूणय बनने की भावना

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-मानव स्वभाव की सब से बड़ी जरूित यह है कक वह महमवपूणय अनुभव

किना चाहता है ।

-महमवपूणय बनने की भावना भूख से भी ज़्यािा ऊंची होती है ।

-यह पे्रम से भी ऊंची होती है ।

-यह सब से प्रबल मानवीय इच्छा है ।

-इसी मलए हम ििवाजे की नेम प्लेट पि उपाचधयां मलखवात ेहै ।

-ककसी से संबंध तोड़ने का मुख्य कािण प्रशंसा का अभाव है ।

-महमव पाने औि सिाहे जाने की इच्छा सब से शक्ततशाली होती है ।

-लोगो की दिलचस्पी मसर्य औि मसर्य खुि में होती है । इसमे मेिे मलए तया है ।

-हमािा हि काम आमम रुचच या स्वाथय द्वािा पे्ररित होता है ।

-गोपनीय िान किने के बावजूि भी आप को उसका पुिस्काि ममल ही जाता है ।

-िसूिो से यह अपेक्षा न िखे कक िसूिे लोग अपने में रुचच लेना छोड़ िे ।

- हम सभी अपने स्वाथय को सब से पहले िखत ेहै ।

-इंसान के मन में एक प्रबल इच्छा होती है कक उसे जो दिया गया है वह भी बिले में उतने ही मूल्य की कोई चीज लौटाए ।

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-आप ने ककसी को उसकी कोई मन पसंि चीज िी है, तो वह भी बिले में आप

को कोई ऐसी चीज िेना चाहेगा या कोई ऐसा काम किना चाहेगा, जो आप को पसंि आए ।

-आप ककसी का उपकाि कित ेहै तो वह आमतौि इसका बिला चुकाने के मलए

अवसि की तलाश में िहेगा ।

-आप ककसी की प्रशंसा कित ेहै तो वह आप को पसंि किेगा औि प्रशंसा किने

की कोमशश किेगा ।

-आप ककसी का अपमान किते है तो उसके मन में बिला लेने की इच्छा जागतृ हो जाती है ।

-आप कोई नकािाममक काम किते है तो उसके बिले में बढ़ कि

नकािाममकता ममलती है ।

-अगि सकािाममक काम कित ेहै तो बिले में कोई ना कोई सकािाममक चीज

ममलती है ।

-जब आप इन आधािभूत पहलुओ को समझ जाएंगे तो आप में िसूिो को प्रभार्वत किने की अछ्चययजनक शक्तत आ जाएगी । यह जब मन की एंटी टाइम टे्रवेल तिंगो के कािण होता है ।

-आप योग्य है औि आप को स्टेज पि नहीीँ आने दिया जाता तब आप अंिि ही अंिि आहत होत ेहै औि प्रबंधक से मन में टकिाते है उसे कोसत ेहै, िखुी होते है, तनाव आने लगता है ।

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-इस िशा में आप मन में भार्ण किो मन में िेखो कक इस से डबल लोगो की सभा आप के सामने है औि उन्हे मन में तिंगे िेना आिम्भ कि िे । आप

हटय नहीीँ होगे ।

-अगि कर्ि भी डडसट्रब होत े है तो उस शहि के सभी लोगो को तिंगे िो । कर्ि भी आहत होते है तो पूिे िाज्य यााँ िेश को तिंगे िेवे । जैसे जैसे मन में लोग बढ़ते जाएगे आप को अच्छा अच्छा लगने लगेगा ।

-इसका कािण यह है कक जैसे िसूिो को तिंगे िेत े है तो हमािे दिमाग में क्स्थत एंटी टाइम तिंगे उन सभी लोगो से जुड़ जाती है क्जन के बािे हम सोच

िहें है । उनसे शक्तत ममलने लगती है औि हमें मानमसक संतुक्ष्ट ममल जाती है जाती है औि हमािी भार्ण किने की महमव आकांशा पूिी हो जाती है ।

आंतरिक बल 645

मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

-एंटी टाइम तिंगे औि महमवपूणय बनने की भावना

- महमवपूणय बनने की भावना का जन्म मन में होता है अथायत आममा में होता है । यही कािण है कक महमवपूणय बनने में स्व दहत भी होता है ।

-मैं बॉस बनना चाहता हंू, बड़ा जमींिाि बनना चाहता हंू, मैं प्रधानमंिी बनना चाहता हंू ये सब महमव आकांक्षा है ।

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-इन पिो की प्राक्प्त के मलए बहाना होता है िसूिो की सेवा पिन्तु गहिे में खुि को महमवपूणय समझे जाने की भावना होती है ।

-हिेक व्यक्तत की कोई ना कोई महमवकांक्षा होती है । यह अच्छी है । प्रमयेक

व्यक्तत महमव पूणय बन सकता है बस हमें मन की सूक्ष्म कायय प्रणाली को समझना होगा ।

-हम जो भी महमवपूणय लक्ष्य िखत ेहैं , उनके पीछे मन कैसे काम किता है,

इसे जानना होगा ।

-हमािे मन में एंटी टाइम तिंगे होती है । हम भूतकाल, भर्वष्य काल के बािे

सोचत े है यही एंटी टाइम तिंगे है । वतयमान में हम जो सोचत े है एंटी टाइम

तिंगे वही किने लगती है । इनके आगे समय औि स्थान की ििूी नहीीँ होती । यह सोचत ेही वहां पहंुच जाती है क्जस काल के व्यक्तत वस्तु के बािे सोचते है

औि वही किने लगती हैं ।

-इन तिंगो से सही कायय लेना सीखना हैं ।

-इस ितुनया में कुछ लोग हमािे से अच्छे है । जब हम उन से ममलत ेहै तो मन

में हीनता आती है । यह हीनता के र्वचाि जब हम कित े है तो एंटी टाइम

तिंगे हीन चीजो को हमािे जीवन में लाती है । क्जस से हम महमवपूणय बनने

में र्पछड़ जाते है ।

-कुछ लोग हमािे से छोटे होते है कमजोि होत े है उनसे जब बात कित ेहैं तो मन में उनसे हम अच्छा व्यवहाि नहीीँ कित ेहै यााँ अपने को सुपि समझने

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लगत ेहै क्जस से एंटी टाइम तिंगे हमािे में अहंकाि लाती है । अहंकाि आने से

लोगो का दिल तोड़ िेत ेहै । क्जस से हम महमवपूणय बनने से र्पछड़ जात ेहै ।

-आप गिीब हैं, अनपढ़ हैं, आप कमजोि हैं, आप के मां-बाप या भाई बदहनें कैसे भी हो, चाहे कुछ भी हो, आप अितूीय है । यह मन में पतका त्रबठा लो ।

-जब आप ककसी से भी ममलत ेहै उस समय अपनी मनोिशा पि ध्यान िखे । अपना मनोबल उंचा िखे । तब आप को कोई नहीीँ िोक सकेगा आप बहुत

महमवपूणय बन जाएंगे ।

-जब आप आश्रम पि जाते है औि भाई बदहनो से ममलत ेहैं, बात किते समय

मन में यह भाव िखो कक मैं िीिी समान हंू । जैसे सभी लोग िीिी से प्याि से

बात कित ेहै । ऐसे ही सभी भाई बदहनें आप को िीिी की तिह सम्मान िेगे,

प्याि से बात किेगे । बस मुख से नहीीँ बोलना पिन्तु मन में कहत ेिहो । आप

की एंटी टाइम तिंगे िसूिो को अपने अनुकूल बना लेगी ।

-जब आप िीिी से बात किें तो उस समय अपने को िािी समझा किो । तब

आप की एंटी टाइम तिंगे िीिी को आप से सम्मान पूवयक बात किने को पे्ररित किेगी । कई छोटी लड़ककया बहुत अतलमंिी से बोलती हैं तो सभी उसे

िािी िािी कहने लगत ेहैं । इसके पीछे लड़की की एंटी टाइम तिंगे िसूिो को ऐसा किने को उमसादहत किती हैं ।

-आप िादियो से बात कित ेहै तो उस समय अपने आप को ब्रहमा बाप समान

समझो यााँ जगिम्बा समान समझो तब आप की एंटी टाइम तिंगे इतनी शक्ततशाली होगी जो िािीयााँ भी आप को दिल से प्याि िेगी ।

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-ये सब कित ेहुए बाबा के त्रबिं ुरूप को याि कित ेिहना हैं ।

-कई भाई औि बदहनें कहती हैं हमें महमव पूणय नहीीँ समझा जाता हैं । हमें सेवा कायो में आगे आने का चान्स नहीीँ ममलता । हमािे से छोटे छोटे कायय मलए जात ेहैं ।

- याि िखो क्जतनी सेवा किेगे उतना ही महमवपूणय बनेगे । स्थूल सेवा में बहुत बंधन हैं, बहुत रुकावटें हैं । यह चान्स सब को नहीीँ ममलेगा । लोग

र्वघ्न बन के सामने आ खड़ ेहोगे । यह मानव की पुिानी सोच हैं ।

-पुिानी सोच आसानी से नहीीँ बिलती । सोच तब बिलती हैं जब आप हि

िोज 20 पेज अव्यतत मुिली या कोई औि अच्छी पुस्तक पढ़त ेहैं । अगि आप

या कोई भी, चाहे वह ककतना भी महान हो अगि 20 पेज नहीीँ पढ़ता तो उसकी पुिानी सोच नहीीँ बिलेगी । सेवा बढ़ने पि पुिानी सोच अनुसाि कायय किेगा तथा िसूिो को आगे नहीीँ बढ़ने िेगा ।

-इसमलए अगि आप महमवपूणय बनना चाहत ेहैं तो 20 पेज जरूि पढ़ने हैं । क्जस दिन आप नहीीँ पढेगे तो समझो थोड़ा सा पतन हो गया हैं ।

-बाबा ने िीिी िािी वा सभी बी. के. के मलए मुिली सुनना जरूिी कि िखा हैं । इसके पीछे िहस्य यही हैं की पुिानी सोच त्रबना पढे़ नहीीँ बिलती ।

-आप को जो कोई भी दितकत ेआ िही हैं उसका कािण यही हैं कक र्पछले

कार्ी समय से पढ़ नहीीँ िहें हैं । इसमलए पढ़ना शुरू कि िो । आप कक

मजबूरिया ं आप की समस्या हैं । भगवान तुम्हािे से पढ़ाई चाहता हैं ।

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-िसूिा मन से सेवा ककया किो । इस सेवा में कोई तनयम कायिा नहीीँ हैं । कोई रुकावट नहीीँ हैं । ककसी से आज्ञा लेने की जरूित नहीीँ । कोई हि नहीीँ हैं ।

आंतरिक बल 646

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे

- हमें यह मसखाया जाता है कक महमवकांक्षी बनो, सर्ल हो, सबसे अच्छे

अंकों से उत्तीणय हो, कक्षा में प्रथम आओ इमयादि|

-अपना औि अपने मााँ बाप का नाम िोशन किना, प्रततष्ठा कमाना औि बाि

में एक ज्यािा पैसे कमाने वाली नौकिी को पा लेने की अपनी योग्यता को र्वकमसत किना ।

- िसूिों से आगे तनकलना हमािे माता, र्पता, अमभभावक, मशक्षक सभी हमें यही मसखात ेहैं ।

- बच्चे औि बड़ ेिोनों ही इस प्रततस्पधाय में शाममल हैं|

- जो क्जतना महमवकांक्षी है उसमें उतनी ही इष्याय की संभावना है, घणृा की संभावना है औि वह उतना ही दहसंक है|

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-महमवकांक्षी व्यक्तत अपने आस पास के लोगों से जब तक आगे िहता है उस

की इष्याय, घणृा तथा दहसंा उसके अन्िि ही िबी िहती है पि जैसे ही उसके

आस पास का कोई व्यक्तत उससे ऊपि उठने लगता है तो उसमें र्विोध का भाव जाग उठता है|

-अब वह िसूिा व्यक्तत उसे सहयोगी की तिह नहीं दिखता वह उसे

प्रततयोगी की तिह दिखने लगता है|

- इस चाह के चलते अब वह अपना पोर्ण किने के मलए िसूिे व्यक्तत का शोर्ण किने को भी तैयाि हो जाता है|

-वह िसूिे व्यक्तत को नीचा दिखाने की कोमशश किता है, िसूिे व्यक्तत को अपने सर्लता के मागय से हटाने की कोमशश किता है, िसूिे व्यक्तत का बुिा किने की कोमशश किता है, यहााँ तक कक िसूिे व्यक्तत को ख़मम तक कि िेने

की कोमशश किता है ।

- अचधक महमवकांक्षी व्यक्तत ही अचधक से अचधक लोगों का िोल मोडल बना बैठा है| वही प्रततष्ठा पा िहा है, उसका ही अनुसिण ककया जा िहा है| वही िसूिे लोगों के मलए तनणयय मलए जाने के मलए प्रतततनचध के रूप में चुना जा िहा है|

-हमािे आस पास के ज्यािाति लोग शोर्ण प्रवतृत के है ।

-यही कािण है कक अचधकति लोगो से ममलत ेही हमें हीनता होने लगती है,

ईष्याय होने लगती है, मन ही मन िखुी होने लगत े है । हमािी उन्नतत में

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र्वघ्न आने लगत े है । हमें घुटन होने लगती है । हमें अपना पन नहीीँ लगता ।

- बस इस अहसास को बिलना है । अगि यह बिल िे तो हमािी मानमसक

एंटी टाइम तिंगे हमािे को आगे बढ़ाने लगती है ।

-आप ककसी बड़ े व्यक्तत से ममलत ेहै तो हम मन में सोचने लगत ेहै मैं तो बस

तलकय हंू, साधिण ग्रहणी हंू, मैं तो बहुत गिीब हंू । ये र्वचाि आप कक एंटी टाइम तिंगो को कमजोि कित ेहै ।

-मन लो आप डी. सी. से ममलते है तो मन में यह सोचाl किो मैं कमीशनि हंू । अगि ककसी टीचि से बात कित े है तब सोचा किो मैं र्प्रमंसपल हंू । ककसी एम.एल .ए. से बात कित े है तो सोचा किो मैं मंिी हंू । मुख्य मंिी से बात

किते है तो यह सोचा किो मैं प्रधान मंिी हंू । ककसी मसपाही से बात कित ेहै तो सोचा किो मैं थानेिाि हंू ।

-ऐसे कोई भी बड़ा औि शक्ततशाली व्यक्तत जो सामने आए या घि में हो या पड़ोस मेंंं हो िफ्ति मेंंं हो, तुिंत मन मेंंं अपने को उस से बड़ा समझा किो । आप के इस प्रकाि से सोचने पि आप के मन की एंटी टाइम तिंगे

आप में ऐसा बल भि िेगी जो सामने वाला आप को डडस्टबय नहीीँ कि पाएगा । बस यह मन मेंंं किना है लोगो को नहीीँ बताना तयोकक वह आप का साधािण रूप िेख कि आप का मजाक उडाएंगे औि आप का मनोबल तोड़

िेगे ।

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-आप ककसी नौकिी वाली बदहन या भाई को िेखतें औि आप को ईष्याय होती है

तयोकक आप को नौकिी नहीीँ ममली । ऐसी अवस्था मेंंं सोचा किो मैं इस से

भी बड़ी नौकिी प्राप्त करंूगी । आप को मसर्य नौकिी से संबंचधत पुस्तके

पढ़नी हैं । अगि आप अनपढ़ है तब सोचा किो मैं पढंूगी औि इस से उच्च

नौकिी प्राप्त करंूगी अगि इस जन्म नहीीँ ममली तो अगले जन्म शे्रष्ट पि

प्राप्त करंूगी ।

-आप के ये भाव आप की मानमसक एंटी टाइम िेडडयो तिंगो के द्वािा आप के

मलए वैसी ही परिक्स्थतयां बना िेगी । तथा आप ककसी से प्राभार्वत नहीीँ होगे ।

आंतरिक बल 647

-मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

- एंटी टाइम टे्रवल तिंगे औि मनचाहे लक्ष्य कैसे प्राप्त किें ।

-आप का कोई ना कोई लक्ष्य था । हम ककन्ही कािणो से पूिा नहीीँ कि सके ।

-कािण यह कक हमें अपनो ने या िसूिे लोगो से क्जन पि र्वश्वास ककया था उन्होने धोखा दिया । आप की जायिाि लूट लें गए, आगे बढ़ने मेंंं सहयोग नहीीँ ककया, आप का शोर्ण ककया । नाजुक पलों मेंंं मुह रे्ि गये। आप मनचाहे लक्ष्य प्राप्त नहीीँ कि पाए ।

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-प्राय ऐसे र्वचाि समान्य व्यक्तत के मन मेंंं चलत ेिहत ेहैं ।

-ये र्वचाि कित ेिहने से मन की एंटी टाइम तिंगे वही वही आप को अनुभव

किाती िहेगी । आप बुिे अनुभवो से बाहि नहीीँ आएंगे, मन मेंंं तनाव बना िहेगा औि आगे नहीीँ बढ़ पाऐगे । हि पल िोना आता िहेगा । h

-मनचाहे लक्ष्य पाने के मलए मसर्य यह याि िखो कक पुिानी भूलो से तया सीख

ममली ।

-आप जो बनना चाहत ेथे, किना चाहत ेथे, वह अपने बच्चो को बना िो आप

का लक्ष्य पूिा हो जाएगा । ककसी भी उपलक्ब्ध के पीछे कई पीदढयो का हाथ

होता हैं ।

-क्जन कािणो से आप लक्ष्य नहीीँ पा सके वह दिकत े अपने बच्चों को मत

आने िो ।

-आप का ककसी ने शोर्ण ककया या पसैा लूट गया उसकी चचतंा ना किें । प्रक्तत हिेक चीज का दहसाब ककताब िखती हैं ।

- क्जन लोगो ने आप के धन को लूटा हैं वह सािा धन अगले जन्म मेंंं उनको को ब्याज सदहत लौटाना पड़गेा । इसमलए चचतंा तयो किते हो । प्रक्तत एक

एक पाई लौटाएगी । भगवान के घि िेि हैं अंधेि नहीीँ ।

-आप अपने लक्ष्य को अब भी प्राप्त कि सकते हैं ।

-आप डॉतटसय बनना चाहत ेहैं तो डॉतटसय कोसय की बूकस खिीि लो । हि

िोज कुछ पेज पढ़ते िहो । अगि समझ नहीीँ आता तब भी एक एक पेज को

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ध्यान से िेखा किो । यह ज्ञान बहुत गहिे तल पि आपके दिमाग मेंंं चला जाएगा जीवन पययन्त आप ऐसा किते िहें । अब तो शायि आप डॉतटि नहीीँ बन पाऐगे तयोकक ऐज रे्तटि होता हैं । पिन्तु यह पतका हैं कक आप

अगले जन्म डॉतटि जरूि बनेगे ।

-आप आई ए एस बनना चाहत ेथे । अब आई ए एस की बुतस हि िोज पढ़त े

िहो । ये सािा ज्ञान आममा मेंंं चला जाएगा औि आप अगले जन्म छोटी उम्र मेंंं ही आई ए एस बन जाएंगे ।

- आप जो बनना चाहत ेथे मन मेंंं अब भी अपने को वही समझत ेिहो । मैं इंक्जतनयि हंू, मैं र्वज्ञातनक हंू, मैं िाजा हंू, मैं धनवान हंू । ऐसी स्मतृत िखने

से आप कक मनोिशा बहुत ऊंची िहेगी औि वैसी ही परिक्स्थततया बनती जाएगी वैसे ही लोग जीवन मेंंं आते जाएंगे ।

-लक्ष्य प्राप्त ना होने ना होने का कािण, धोखा खाने का कािण तया था उसकी गहिाई मेंंं जाने पि आप पाऐगे कक आप को समझ नहीीँ थी, ज्ञान

नहीीँ था ।

-सर्लता का आधाि ज्ञान हैं । इसमलए अपने दिमाग पि खचय किो । लक्ष्य

से संबंचधत पुस्तके पढ़ा किो । ट्यूशन िखा किो । प्रोग्राम तथा समसंगों मेंं,ं साधना मशर्वि मेंंं भाग मलया किो । यह आप की इन्वेस्टमेंट हैं जो हि

जन्म मेंंं काम आती हैं ।

- आप मेंंं जो भी कला हैं उसके द्वािा र्वश्व की सेवा ककया किो ।

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- अगि आप पाक कला मेंंं तनपुण हैं तो आप अपनी गली की लड़ककयों औि मदहलाओ को मसखाओ । इसके मलए उन्हे कल्पना मेंंं अपने घि

बुलाओ औि उन्हे कल्पना में ही मसखाओ । ऐसे हि िोज किते िहो ।

-अगि आप ज्ञान मेंंं अच्छे हैं तो उन्हे बाबा का ज्ञान औि योग मसखात े िहो

-आप डॉतटि हैं तो िसूिे भाइयो को कल्पना मेंंं यह मसखात ेिहो ।

-आप की एंटी टाइम मानमसक तिंगे सचमुच मेंंं उन सब बदहनो औि भाइयो के दिमाग को प्रमशक्षक्षत कि िही हैं औि वह महान बन जाएगे ।

-इसी र्वचध से अपने मुहल्ले, शहि, िाज्य, िेश औि र्वश्व की आममाओ को सामने िेखतें हुए उन्हे अपनी कला मसखा िो । सािा संसाि आप जैसा बनने

लगेगा औि अच्छे व्यक्तत आप के जीवन मेंं ंआने लगेगे औि बुलंदिया ं छूने

लगेगे ।

-यह सब ईथि के माध्यम से सचमुच होने लगता हैं ।

-हम जो भी चाहत ेहैं मन द्वािा वह सब किते िहो ।

-यह संकल्प ही कमय हैं । कमय मनुष्य को महान बना िेता हैं तथा आप के

मनचाहे लक्ष्य पूिे होत ेहैं ।

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आंतरिक बल 648

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं

-एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि मनचाहे लक्ष्य

-हमें अपनी क्जंिगी के जो दहस्से अच्छे नहीीँ लगत े उसके मलए हम अपने

बाहि के ककसी कािण को जुम्मेंवाि ठहिात े हैं ।

-हम अपने माता र्पता, अपने अर्सिों, अपने िोस्तो, मीडडया, अपने साथ

काम किने वालो, अपने ग्राहको, अपने जीवन साचथयो, अपने िोस्तो, अपने ग्राहको, मौसम के उताि चढ़ाव, अथय व्यवस्था, अपनी कुण्डली, अपने

पैसो के अभाव को जुम्मेवाि ठहिात े हैं ।

-ऐसा सोचने से हमािे मन से तनकली एंटी टाइम तिंगे िसूिो की कममयो पि

एकाग्र हो जाती हैं औि हम उन लोगो से टकिात ेिहत ेहैं क्जस से मानमसक

शक्तत नष्ट होती िहती हैं औि हम धीिे धीिे शिीरिक औि मानमसक िोगी बनने लगत ेहैं ।

-सबसे बड़ी कामयाबी हामसल किने के मलए आप को अपनी क्जंिगी की खुि

जुम्मेवािी लेनी होगी ।

-तुम ने वह सब खुि िचा हैं जो तुम्हािे साथ हो िहा हैं । यही सच्च हैं ।

-अगि तुम सचमुच सर्ल होना चाहत ेहैं तो तुम्हे िसूिो को िोर्ी ठहिाना औि मशकायत किना छोड़ना ही होगा । तथा अपनी क्जंिगी के मलए पूिी जुम्मेवािी उठानी होगी ।

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-िसूिो पि िोर् मढ़ने की आित को सिाकाल के मलए छोड़ना होगा ।

-हम ऐसे र्वचािो मेंंं डूबे िहत े हैं जो हमांिे चािो तिर् सीमाए खड़ी कि

िेत े हैं ।

-यह इसमलए होता हैं तयोकक हम लगाताि खुि को मशक्षक्षत किने मेंंं र्वर्ल

िहते हैं, नए कौशल सीखमने मेंंं कोताही बितत ेहैं, र्ालतू की गपछप

मेंं ंजुटे िहत ेहैं । अस्वस््यकि चीजे खात ेहैं, कसित किने मेंंं गुिेज कित े

हैं, आमिनी से ज्यािा खचय कित ेहैं, भर्वष्य के मलए तनवेश नहीीँ कित,े

जरूिी संघर्य से कतिात े हैं । सच्च बोलने से कन्नी काटत े हैं । जो हम

चाहत ेहैं उसकी र्िमाइश नहीीँ कित े कर्ि हम अचिज से भि उठते हैं कक

आझखि हमािी क्जंिगी बेहति तयो नहीीँ , इतनी गड़बड़ तयो हैं ।

- अगि आप इन पहलुओ पि कायय कित ेहैं तो एंटी टाइम तिंगे तनमायण कायय में लग जाती हैं औि हमािी उन्नतत आिम्भ हो जाती हैं ।

- ज्यािाति लोग ऐसा नहीीँ कित ेहैं, हि वह चीज जो उनके माकर्क नहीीँ है

उसका िोर् बाहिी घटनाओ औि कािणो पि डाल िेत ेहैं ।

-बि ककस्मती से अचधकांश लोग अपनी आितों के इस तिह गुलाम होत ेहैं कक हम कभी अपना व्यवहाि नहीीँ बिलते ।

-हम पहले से तय शुिा प्रततकक्याओ मेंंं - अपने जीवन साथी औि ममिो के

प्रतत, अपने सहकृममयों के प्रतत, अपने ग्राहको के प्रतत, अपने चाहने वालो

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के प्रतत औि असमान्य रूप से सािी ितुनया के प्रतत रं्से िह जात ेहैं । हमािी मानमसक तिंगे इसी चक्व्यूह में अटकी िहती है ।

-हम तयशुिा प्रततकक्याओ का समूह हैं जो हमािे तनयंिण से पिे सकक्य

िहती हैं ।

-हमें अपने र्वचािो, अपनी छर्वयों, अपने सपनो औि दिवा सपनो पि िबुािा काब ूपाना होगा ।

-जो भी आप सोचत,े कहत ेऔि किते हैं, वह आप के उिेश्य आपके मूल्यो औि लक्ष्यों से उसका तालमेल बैठाना चादहऐ ।

-अगि आप को अपने परिणाम पसंि नहीीँ तो अपनी प्रततकक्याएं बिलनी होगी ।

-जो र्विोधी व्यक्तत मन में आत ेहै उनके प्रतत मन में प्रततकक्या बिलो । अब

तक हम मन में उनको बुिा भला कहत ेथे । आज से तुिंत उन्हे कहो आप शांत

हो आप का कल्याण हो या औि कोई साकािाममक प्रततकक्या ककया किो । इस से एंटी टाइम मानमसक तिंगो की शक्तत बढे़गी औि आप के मलए

तनमायण के िास्त ेखुलत ेजाएंगे ।

-र्वश्व की आममाओ को सिा अपने सामने िेखतें हुए उन्हे कहत े िहो आप

सभी शांत स्वरूप है पे्रम स्वरूप है । आप को अपाि शांतत औि पे्रम महसूस

होने लगेगा ।

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आंतरिक बल 649

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं

- एंटी टाइम टे्रवल तिंगे औि मनचाहे लक्ष्य

तया आप ने कभी गुरुमवाकर्यण बल के बािे ककसी को मशकायत कित ेसुना है।

-कोई भी गुरुमवाकर्यण के बािे कुछ नहीीँ कि सकता । हम उसे स्वीकाि कि

लेत े है औि इस शक्तत से लाभ कैसे लें सकत ेहैँ मसर्य इस पहलू पि सोचते िहत ेहै ।

-भूत काल के बािे हम कुछ नहीीँ कि सकते । हम मसर्य इतना कि सकत ेहैं कक इस से सीख तया ली । अगि इस की नकािाममक घटनाए याि िखेगे तो धिती की चुम्बकीय शक्तत की तिह यह हमें तोड़ कि िखा िेगा तयोकक मन

की एंटी टाइम तिंगे हमें बूिे अनुभवो से बाहि नहीीँ तनकलने िेगी

-पहली सीख यह है कक क्जन व्यक्ततयों औि परिक्स्थततयो के बािे हम

मशकायत कित े िहत े है उन्हे हटा नहीीँ सकत े पिन्तु उनके बािे अपनी प्रततकक्या को बिल सकत ेहै ।

-िसूिी सीख यह है कक आप अपनी सोच को सकािममक कायय में लगा िे ।

-बेहति नौकिी की खोज कि सकत ेहै । अपने सपने को साकाि किने के मलए

समय तनकाल सकत ेहैं । कर्ि से पढ़ाई शुरू कि सकत ेहैं । आमम र्वकास

का कोई प्रमशक्षण लें सकत ेहैं । अचधक पैसे कमा सकत ेहैं । िबाव आने पि

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ना कह सकते हैं । ककसी िसूिे मोहल्ले में जा कि िह सकत ेहैँ । यह सब

साकािाममक कायय हैं ।

-लोग हमेशा गलत लोगो से मशकायत किते हैँ । उन लोगो को मशकायत किते है जो कुछ नहीीँ कि सकते ।

-आप के नल में पानी नहीीँ आ िहा है पिन्तु आप मशकायत त्रबजली बोडय को किते हैँ । वह इस मामले में कुछ नहीीँ कि सकता ।

-आप अपने बॉस से पिेशान हैँ औि मशकायत पमनी को कित ेहैँ । वह इस

मामले में कुछ नहीीँ कि सकती ।

-आप की तत्रबयत खिाब हैँ औि इलाज िजी से पूछते हैँ । वह कुछ मिि नहीीँ कि सकता ।

-आप को जो भी पिेशातनया आ िही हैं, उन सब का इलाज हमािे पूवयजो ने

पुस्तको में मलख िखा हैं । इसमलए अपनी समस्या से संबंचधत पुस्तके पढ़ो । इधि उधि मशकायत ेकिने की जरूित नहीीँ हैं ।

-कोई भी समस्या का हल बताने वाले अनेको लोग ममलेगे । आप ने वह मशक्षा र्ालो किनी हैं क्जस में कल्याण औि तनमायण समाया हो ।

-आप को कोई भी समस्या आ िही हैं उस से बचने के मलए ककसी ना ककसी व्यक्तत या ककसी प्राणी या प्राकृतत के ककसी तमव को प्याि िेत ेिहो । आप

का मन कल्याण में लगा िहे । जैसे कक -

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-चाहे ककतनी भी आंधी आए तूर्ान आए कम्पास की सुई सिा ही उति दिशा की ओि िहती है ।

-चाहे कैसी भी परिक्स्थतयो हो सिा मन पिमाममा में लगाए िखने से सब

तुर्ानो से पाि हो जाएंगे । अगि भगवान याि ना आए तो अव्यतत मुिली या कोई अन्य साकािाममक बुक पढ़त ेिहें तो सभी मानमसक तूर्ान, र्वकािों की अंचधया , सब खमम हो जाती है औि अपनी मंक्जल पि पहंुच जात ेहै ।

-आप को ऐसे लोग ममलेगे जो तकय औि िलीले िे कि आप को अपने लक्ष्य से

अलग किने, उसे छोड़ने का रै्सला किने के मलए उकसायेगे, मनाने की कोमशश किेगे ।

-वे आप से कहेगे कक आप पागल हैं औि क्जस काम का इिािा आप ने ककया हैं वह पूिा नहीीँ ककया जा सकता ।

-ऐसे भी होंगे जो आप पि हंसेंगे औि आप को नीचे अपने स्ति तक घसीटने

की कोमशश किेगे ।

-ये िलीले बर्ीले तूर्ान की तिह होती है ।

-ऐसे लोगो की बात ेमत सुनो ।

-आप अपना मन पढ़ने में लगाए औि मानमसक सेवा किते िहो तो इन

आममाओ के चंगुल से बच सकेगे ।

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आंतरिक बल 650

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैं

-एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि भर्वष्य के मनचाहे लक्ष्य

-आप जो चाहे बन सकते हैं, जो चाहो प्राप्त कि सकत ेहो, तयोकक दिमाग

जो कुछ सोच सकता है उसे हमसल कि सकता हैं ।

-दिमाग एक शक्ततशाली सुपि कंप्यूटि हैं क्जस के द्वािा सोची गई प्रमयेक

चीज प्राप्त की जा सकती हैं मसर्य र्वश्वाश हो कक यह हो सकता हैं ।

-मैं नहीीँ कि सकता जैसे वातय औि उसके भाई बंधुओ, काश मैं किने लायक

होता या काश मैं कि सकता, को मयागना होगा । यह शब्ि, मैं नहीीँ कि

सकता, ििसल आपको शक्ततहीन बना िेत ेहैं ।

- दिमाग की बनावट ही ऐसी है कक जो भी समस्या उसके सामने िखें उसे वह

हल कि सकता है औि आप के दिए गये लक्ष्य को पा सकता हैं ।

-आप जो चीज चाहते है उसके बािे मसर्य सोचो । सोचना ही कमय हैँ ।

-आप सोचो मुझे चाय पीनी है तो आप चाय बना लेगे या ककसी होटल पि चले

जाएंगे या ककसी ममि के घि चले जाएंगे औि चाय र्पएंगे ।

-आप सोचो मुझे एक साड़ी लेनी है । दिन में िो-तीन दिन सोचत ेिहो । आप

सोचेंगे कौन सी कम्पनी तथा ककस िंग की खिीिूंगी । कर्ि नकि खिीिूंगी

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या उधाि खिीिूंगी । अगि नकि खिीिनी है तो पैसे का प्रबंध किेगे । तथा एक दिन समय तनकाल कि बजाि जायेगे औि साड़ी खिीि लाएगी ।

-आप को चंडीगढ़ जाना है, जाना हैँ, यह सोचो औि एक दिन चंडीगढ़ के मलए

चल पड़गेे ।

-आप सोचत े है मुझे 8 बजे ऑर्ीस के मलए तनकलना है । 8 बजत ेही हम

अपने आप चल पढ़ते है ।

-हम कोई भी काम कित ेहै उसके पहले सोचत ेहैँ ।

-जब हम कुछ किने के मलए सोचत ेहैँ तो हमािे मन की एंटी टाइम तिंगे वह

सब किने लग जाती हैँ औि तब तक लगी िहती हैँ जब तक वह सचमुच में हमािे जीवन में न आ जाए ।

- ऐसे ही आप जीवन में जो भी किना चाहत ेहै । जो प्राक्प्त चाहत ेहै । उसकी मलस्ट बना लो ।

-मान लो आप एक मकान चाहत ेहै । एक काि चाहते है । आप टीचि बनना चाहत ेहै । आप चाहत ेहै कक आप को 50000 हजाि रुपये हि मास ममलता िहे

। आप लेखक बनना चाहत े हैँ । आप का जीवन साथी समझिाि हो, ममलनसाि हो, केयि किने वाला हो । इसके इलावा भी जीवन जो कुछ

चाहत ेहै । उन चीजो की मलस्ट बना लो ।

-मनचाही प्राक्प्तयों की मलस्ट बनात ेही आप की एंटी टाइम मानमसक तिंगे

कायय किने लगती हैँ ।

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-एक दिन में कम से कम तीन बाि इस मलस्ट को रिवाइज़ कित ेिहो । उस पि

सोचत ेिहो कक इन्हे कैसे प्राप्त कि सकत ेहै ।

-यह सब ककसी से डडसकस किने से बचना हैँ, नहीीँ तो आप के सब से

नजिीकी लोग आप की पमनी, आप का ममि आप का र्विोध किेगा यह कैसे

हो सकता हैँ औि मन ही मन आप की मानमसक तिंगो को काटेंगे ।

- आप अपनी इच्छाओ ंके बािे सोचत ेिहे, उसके मलए पुस्तके पढ़त ेिहे औि

संबंचधत लोगो से ममलते िहे, आप को र्वचाि आएंगे कक ककस लक्ष्य के मलए

तया किना है । वह आवश्यक कायय भी किो ।

-धीिे धीिे आप की सभी इच्छाएं पूणय होने लगेगी ।

-यह सब किते हुए त्रबिं ुरूप पिमाममा या इष्ट को याि भी किना हैँ ।

आंतरिक बल 651

-मन एक िेडडयो स्टेशन हैँ ।

-मन की एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि भर्वष्य के मनचाहे लक्ष्य

-प्रमयेक व्यक्तत भूतकाल की बात ेव घटनाए जानता हैँ । उसे याि किता िहता हैँ औि िखुी होता िहता हैँ । इसका कािण यह हैँ कक मन सच में भूतकाल में चला जाता हैँ औि वह महसूस किता िहता हैँ जो भूतकाल में हो चुका हैँ ।

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-अगि हम भर्वष्य के बािे सोचत ेहैँ तो हमािी एंटी टाइम मानमसक तिंगे

भर्वष्य में चली जाती हैँ औि हमािी सोच अनुसाि कायय किने लगती हैँ ।

-आप सवयगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूणय बनना चाहत ेहैँ । आप िेवता बनना चाहत ेहैँ । आप ियालु बनना चाहत े। आप िाजा या महािाजा बनना चाहत े। आप तनिोगी बनना चाहत ेहैँ ।

-आप वतयमान में जो हैँ वह नहीीँ सोचो । आप वह सोचो जो भर्वष्य में बनना चाहत ेहैँ ।

-आप का साथी शिाब पीता हैँ । आप सोचा किो यह शिाब नहीीँ र्पएगा । वह

सच में नशा छोड़ जाएगा । बाबा को याि कित े हुए सोचत े िहो । आपकी मानमसक तिंगे उसे ठीक किने में लग जायेगी औि 2-3 साल में बुिी लत

छोड़ जाएगा ।

-मैं सम्पूणय बनंूगा । मैं िाजा बनंूगा । िाजा का ििबाि कैसा होगा । न्याय

व्यवस्था कैसी होगी । धन कैसे ममलेगा आदि आदि र्वर्यो पि सोचत ेिहो । आप में िाजाओ वाले गुण आने लगेगे ।

-हम प्राय अपनी पुिानी जीवन कहानी मलख कि बाबा के आगे िखत ेहैँ औि

मार्ी मांगत ेिहत ेहैँ । इसकी बजाय यह मलखा किो बाबा मैं सब से प्याि से

िहूाँगा । बाबा मैं ऐसे कायय करूगा क्जस से परिवाि का, समाज का, िेश का औि स्वंय मेिा कल्याण होगा । बाबा मैं शे्रष्ट कायय करूगा । इस से आप का मनोबल बढे़गा औि आप महान बनने लगेगे ।

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-अगि आप धनवान बनना चाहते हैँ तो मन में ककसी धनवान व्यक्तत की र्ोटॊ िेखतें िहो सोचत े िहो कक मैं उस जैसा धनवान बनंूगा । आपकक

मानमसक तिंगे धनी व्यक्ततयों से टकिाएगी औि उन जैसी कला आप में र्वकमसत हो जाएगी ।

-आप सोचत ेिहा किो कक मैं भर्वष्य के िाजाओ जैसा धनवान बनंूगा ।

-आप धन के मलए क्जस पि तनभयि हैँ उन्हे प्याि की तिंगे दिया किो । बाबा को याि कित ेहुए मन में सोचा किो आप का पतत, बेटा या र्पता जी, आप के

धन के स्िोत, बड़ े ध्यान से कायय कित े हैँ बहुत मधुिता से सब के साथ

व्यवहाि किते हैँ । ग्राहको की लंबी लाइने लगी िहती हैँ ।

-इसके सथ सथ अपनी योग्यता बढ़ाए । उंच से उंच डडग्री प्राप्त किो । धन

के ऊपि बहुत सी पुस्तके छपी हुई हैँ क्जनमे धन के बािे बहुत सूक्ष्म बाते मलखी हुई हैँ उनके पढ़ने से आप की बुद्र्व तीव्र हो जायेगी ।

-आप की मानमसक तिंगे व्यक्ततयों को प्रभार्वत किेगी औि आप के मलए

धन की बौछाि होने लगेगी ।

-ईश्वि, प्रकृतत या आकाश के पास आपको िेने के मलए बहुत कुछ है, लेककन

यदि आपके पास ककसी वस्तु को पाने की तीव्र चाहत नहीं है तो वह नहीं ममलेगी। आपकी चाहत में ताकत होनी चादहए।

- चाहत औि कुछ नहीीँ शक्ततशाली मानमसक तिंग हैँ जो मनचाही लक्ष्यों को आप के अनुकूल बनाती है ।

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आंतरिक बल 652

-मन एक िेडडयो स्टेशन है ।

-मन की एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि व्यापाि में सर्लता

-सभी भाई बदहनें एक ही बात पूछत ेहै कक व्यापाि में सर्लता कैसे पाए । व्यापि में बिकत कैसे आए ।

-व्यापाि में असर्लता या मंिी के अनेको कािण बताए जात ेहै ।

-व्यापाि की मंिी का मूल कािण क्ोध है ।

-जब हम क्ोध कित े है या मन में िखत े है औि क्ोध के समय किीमलयन

कैमिे से अगि र्ोटॊ मलया जा सके तो हमािे दिमाग में से आग के गोले

तनकलते हुए दिखाई िेगे ।

-अगि कोई व्यक्तत हमािी िकुान पि आए औि हम उस पि आग के अंगािे

र्ें के तो वह व्यक्तत ििू भागेगा ।

-आज प्रमयेक व्यापािी ककसी ना ककसी कािण से मन में क्ोचधत िहता है । बेशक वह बोलता तो मीठा है पिन्तु मन से अंगािे जैसी तिंगे तनकलती िहती है क्जस से ग्राहक ििू से ही भाग जात ेहै । .

-व्यापि को सुचारू रूप से चलाने के मलए क्ोध से अपने को बचाना चादहऐ ।

-क्ोध मनुष्य के र्ववेक का अपहिण कि लेता है । क्ोध मनुष्य को भ्रम में डाल िेता है ।

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-क्ोध के वशीभूत हो कि मनुष्य बना बनाया खेल त्रबगाड़ लेता है । तब उसे

िखुपूणय जीवन त्रबताना पड़ता है ।

-यह क्ोध धीिे धीिे मनुष्य के स्वभाव में बस जाता है औि उसको किम किम

पि हातन पहंुचाता है ।

-ऐसा व्यक्तत क्ोध में हि समय भिा िहता है औि हातन को जैसे मोल लें लेता है । इसमलए क्ोध पि तनयंिण िखना चादहऐ ।

-व्यापि में क्ोध का कोई काम नहीीँ - यह र्वचाि मन में िख कि काम किना चादहऐ ।

-अगि पतत पमनी का आपस में प्याि नहीीँ है, घि के िसूिे सिस्यो से लड़ाई

झगड़ा िहता है, तो यह क्ोध का कािण बन जाएगा । आप हि समय इन

लोगो से मन में नािाज िहेगे तो यह क्ोध आप के ग्राहक भी महसूस किेगे

औि आप के व्यापाि में बिकत नहीीँ पड़गेी ।

-व्यापाि में लोग टोने टोटके का प्रयोग कित े है । इस से उन पि डबल माि

पड़ती है । एक तो व्यापाि में घाटा चल िहा होता है िसूिा टोने टोटके में भी भािी खचय हो जाता है ।

-इसमलए अपने जीवन में प्याि को लें आओ ।

-ककसी ना ककसी स्नेही व्यक्तत को मन से तनष्काम स्नेह िेत ेिहा किो । पिमाममा के त्रबिं ुरूप या इष्ट को याि किते िहना चादहऐ औि मन में यह

संकल्प कक भगवान आप प्याि के सागि है रिपीट कित ेिहना चादहऐ ।

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-भगवान को याि कित े हुए मन में िेखे कक आप की िकुान पि ग्राहको की लंबी लाइने लगी है । आप मन में संकल्प िेपीट किें भगवान आप प्याि के

सागि है । ऐसा किने से आप के मन से तनकली एंटी टाइम तिंगे खुशबूिाि

रू्लो का रूप धािण कि लेगी औि सब ग्राहको को आप की िकुान पि

आकर्र्यत किेगे औि आप के व्यापाि में बिकत पड़गेी ।

-बदहनें क्जस व्यक्तत पि तनभयि है, पापा, भाई, पतत या बेटा । जब वह काम

पि जाता है उस समय उसे मन ही मन िेखतें िहे औि भगवान को याि किते हुए कहत ेिहे भगवान आप प्याि के सागि है प्याि के सागि है । आप के यह

संकल्प उस व्यक्तत के मलए सुिक्षा चक् बन जाएगे उसे क्ोध नहीीँ आएगा, वह खुश िहेगा, जो भी ग्राहक िकुान पि आएगा, समान खिीिेगा । इस

तिह आप का व्यापाि बहुत अच्छा चलेगा ।

-यह अभ्यास जब तक हम जीत ेहै कित ेिहना है ।

-

आंतरिक बल 653

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि व्यापाि में सर्लता

-व्यापाि में सर्लता उन लोगों ने पाई क्जन्होने व्यापाि से संबंचधत रै्सले तब

मलए जब उन का मन बहुत शांत था ।

-ककसी िबाव , तनाव या र्विोध के समय कोई तनणयय ना लो ।

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-जब आप बहुत शांत हो उस समय सोचा किो व्यापाि को बढढाने मलए तया ककया जाए ।

-जब भी तनणयय लेना हो कोई मन पसंि पुस्तक पढ़ना शुरू कि िो । जब आप

को पुस्तक पढ़ते समय आंनि आने लगे । उस समय पढ़त ेपढ़त ेसाथ में व्यापाि से संबंचधत सुझाव आने लगेगे । वह सुझाव मलखते िहो औि उन में जो र्वचाि बहुत जंचता हो उसी अनुसाि कायय किो । आप को सर्लता ममलेगी ।

-कोई भी समस्या हो उस के ऊपि सोचत े िहो कक इस कायय को औि सहज ढंग

से कौसे करू । आप को अचानक से अच्छे अच्छे आइडडयाज आएंगे

-ये सब मन की एंटी टाइम टे्रवेल तिंगो के कािण से होता है ।

-व्यापािी प्राय िसूिे व्यापािी से ईष्याय किता िहता है । इस से मन से ऐसे

र्वचाि तनकलत े है क्जन की िगुयन्ध जलती हुई ममचय जैसे होती है । इस

िगुयन्ध के कािण से लोग आप से माला नहीीँ खिीित े। वह आप से ििू भागते है ।

-ऐसे ही घि में भी ककसी से ईष्याय या घणृा नहीीँ किनी है । अगि किेगे तो व्यापाि में बिकत नहीीँ पड़गेी। कई बाि व्यापािी ईष्याय से िसूिे व्यापािी को िबा िेते है औि खुि बढ़ जात े है । इस र्वचध से बढ़ने वाले व्यापािी मानमसक रूप से पिेशान िहत ेहै ।

-जब भी मन में ईष्याय आये तुिंत उस व्यक्तत को िेखो क्जस से आप को प्याि

हो औि भगवान को याि ककया किो ।

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-कहा जाता है वह लोग आगे बढ़ते है क्जन पि भगवान या सिकाि की िया दृक्ष्ट हो ।

-इस मलए सिकाि को हि समय कोसत े नहीीँ िहो । सिकाि की नीततयो अनुसाि अपने को ढाल लो

-आज प्राय लोग कहत ेहै नौकिी नहीीँ ममलती । सब जगह रिशवत चलती है । मसर्ारिश चलती है ।

- नौकिी का आवेिन कित ेसमय अगि आप सिकाि की औि नौकिी का चयन किने वाले लोगो के प्रतत मन में नर्ित िखेगे तो आप के यह र्वचाि

आप के आवेिन में चचपक जात ेहै औि जब यह संबंचधत व्यक्ततयों के सामने

आता है तो उनके मन की एंटी टाइम तिंगे पकड़ लेते है औि आप का आवेिन

िद्ि कि िेत ेहै ।

-अगि आप ककसी नौकिी की पिीक्षा की तैयािी कित ेसमय एग्जामीनि को स्नेह की तिंगे िेत ेिहे तो आप को वही पुस्तके पढ़ने की पे्रिणा ममलेगी जहां से

उसने पेपि सेट ककया है । इस तिह आप रिटन पिीक्षा पास कि जाएंगे औि

औि आपको नौकिी ममल जाएगी ।

-आप को त्रबजनेस में जो भी पिेशातनया है उस से संबंचधत पुस्तक पढ़ा किो । पढ़ने से इसे आगे बढाने की युक्ततयां ममल जाएंगे ।

-साि में, यदि जीवन में कोई भी दिकत हो, तन की, मन की, संबंध की, धन की तो तुिंत पुस्तके पढ़ा किो । आप जीवन में सिा आगे बढ़त ेिहेगे ।

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आंतरिक बल 654

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि व्यापाि में सर्लता

-िेडडयो से तनकली तिंगे एक क्षेि तक अपना प्रभाव दिखाती है । उस क्षेि में िहने वाले लोग िेडडयो प्रसािण का लाभ लें सकत ेहै ।

-मन रूपी िेडडयो से तनकली तिंगे पूिे ब्रहमांड में प्रसारित होती िहती है ।

-उस िेडडयो में तो हमािी मजी होती है कक हम उसे सुने चाहे ना सुने ।

-मन रूपी िेडडयो से तनकली तिंगे हमें सुननी ही पड़ती है ।

-क्जन लोगो के हम पूवयज है उन सब तक ये तिंगे पहुचती िहती है । इसके

साथ साथ हमािे शिीि को प्राभार्वत किती िहती है । हमािे साथ िहने वालो औि जहां हम कायय कित े है वहां उपक्स्थत लोगो को औि क्जनसे व्यापाि

किते है, उन्हे भी प्राभार्वत किती है ।

-कोयल जब बोलती है तो आसपास के वातविण को मिहोश बना िेती है ।

-जंगल में शेि क्जन जानविो का मशकाि किता है उन का रुिन सािे जंगल के

जीवो को िखुी किता है ।

-प्रमयेक मनुष्य जब भगवान को याि किता है तो मनुष्य के मन से तनकली तिंगे पूिे ब्रहमांड को आनंदित कि िेती है ।

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-जब मनुष्य िसूिे मनुष्य को िबाता है तो उस से तनकली तिंगे पिाथो तक

को नुकसान कि िेती है ।

- एक बहु को घि के सभी सिस्य हि समय िबा कि िखत े थे । उसे अच्छे

कपड़ ेनहीीँ िेत ेथे । ढंग का भोजन नहीीँ िेत ेथे ।

-उस घि में जो भी नए कपड़ े मसल कि आत े थे औि उन्हे अगि सुिक्षक्षत

अलमािी में िख िेते थे तो वह 6 महीने बाि जब तनकालत े थे तो उन

कपड़ो मे छेि ही छेि होत ेथे ।

-वह बहु मन में सोचती िहती थी कक उन के कपड़ो में छेि हो जाए औि

सचमुच में तिंगे कपड़ो में छेि कि िेती थी । इस मलए अगि व्यापाि में आगे

बढ़ना चाहत े है तो घि .में िहने वाली मदहलायों औि बच्चों को कभी ताना नहीीँ मािना, कभी लताड़ना नहीीँ । उन्हे पे्रम से समझाना है । मार् कि िेना है । नहीीँ तो उन की बि िआुए बिकत नहीीँ पढ़ने िेती ॥

-जब मनुष्य के मन से बि िआुए तनकलती है तो वह तिंगे वेक्ल्डगं गैस जैसी तजे होती है । वेक्ल्डंग तिंगे लोहे तक को छेि कि िेती है ।

-ककसी के प्रतत तनकली बि िआु सामने वाले को आंतरिक रूप से बहुत

नुकसान किती है । बड़ ेबड़ ेिाजनेता औि धममयक नेता औि व्यापािी भयंकि

िोगो से पीडड़त िहत ेहै उस के पीछे गिीब लोगो की आहें होती है ।

-सिा ध्यान िखो आप के बोलो से कोई आहत तो नहीीँ होता ।

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-कई लोग त्रबना कािण डित ेिहत ेहै । क्जन घिो में, संस्थाओ औि िफ्तिों में लोगो को बोलने नहीीँ दिया जाता औि अगि कोई बोलता है तो उसे कुचल

दिया जाता है । ऐसे स्थानो पि िहने वालो लोगो को डि लगता है कक पता नहीीँ बड़ ेउनके साथ तया कि िेगे ।

- ऐसा महौल मनुष्य को पिेशान किता है ।

-अगि आप व्यापाि बढ़ाना चाहत ेहै तो ककसी को कुचलने का मत सोचो ।

-अपने ग्राहको की मलस्ट बना लो औि सुबह जब भगवान को याि कित ेहै

तो उस समय सभी गग्राहको को कल्पना में िेखो औि भगवान के साथ

साथ उनकी भी आिती उत्तिा किो । वे सभी आप के पिमानेंट ग्राहक बनेगे ।

आंतरिक बल 655

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-मन की एंटी टाइम टे्रवेल तिंगे औि व्यापाि में सर्लता

-आप क्जसे भी जीवन में लाना चाहत े है तो आप उससे पे्रम किते है । अगि

आप त्रबजनेस में सर्लता चाहत ेहै तो अपने ग्राहको को पे्रम ककया किो । जो भी आप की िकुान पि आए जैसे ही आप की िकुान पि आए आप मन में उसे

कहा किो आई लव यू लाईक यू ।

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-वह व्यक्तत जब तक आप की िकुान पि है उसे मन में यही कहत ेिहा किो । जब वह िकुान से बाहि जाए तब भी यही शब्ि कहत े िहा किो ।

-सुबह जब आप भगवान को याि कित ेहै तो जों लोग आप की िकुान पि आए

थे, क्जन्होने समान खिीिा था या नहीीँ खिीिा था उन सब को प्याि की तिंगे

भेजा किो । मन से उन्हे कहा किो हमािे समान से आप के जीवन में भिपूि

संतुक्ष्ट ममलेगी । भगवान आप की सब अच्छी मनोकामनाएं पूिी किेगा ।

-जब आप िकुान पि बैठते है तो मन में पूिे शहि को अपने सामने िेखो औि

उन्हे मन से पे्ररित किो की आप जब भी इधि आए आप हमािे से समान

खिीिना ।

-आप के मन की एंटी टाइम तिंगे सािे शहि के लोगो को ममलेगी । जब कभी उन्हे आप के िकुान वाली चीजो की जरूित होगी वह बजाि आएंगे । उन्हे

आप की चीजे पसंि आएगी औि वह खिीिेंगे ।

-जो ग्राहक एक बाि आप की िकुान पि आता है, उनकी शकले औि पसंि याि

िखो ।

-जब आप अपनी िकुान के मलए माला खिीिो तो उस समय अपने ग्राहको को मन में िेखा किो की उन्हे यह यह पसंि आएगा की नहीीँ । अगि आप को लगे

यह माल र्लाने र्लाने को अच्छा लगेगा तब आप वही समान खिीि कि

लो ।

-जब आप वह माल िकुान में िैतस में लगा िेगे तो मन में सोचना है यह पीस

र्लाने ग्राहक के मलए है ।

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-जब आप खाली हो तो उस समान को िेखतें हुए अपने ग्राहको का मन में आवाहन किो कक आप की पसंि का पीस आप के मलए िखा हुआ है । आप

जल्िी से आ कि इसे लें जाए ।

-आप की तिंगे आप के ग्राहको को पहंुचेगी औि वह जब भी बाजाि में आएंगे

उन्हे आप की िकुान की तिर् खीच होगी औि वह वही पीस खिीिेंगे जो आप

ने उनके मलए सोच िखा था ।

-आस पास के गावों औि शहिो की मलस्ट बना लो ।

-जब आप सुबह भगवान को याि कित े है उस समय मन में नजिीकी गावों औि शहि के लोगो को िेखे औि उन्हे बताए कक आप सब की अमुक अमुक

पन पसंि चीजे हमािे पास है । आप उन्हे खिीि कि लें जाओ जी । वह लोग

जब भी शहि आएंगे आप की िकुान का रुख किेगे ।

-ऐसे ही पूिे िेश औि र्विेश के लोगो को आमंत्रित कित ेिहा किो जी ।

-जैसे जैसे काम बढे़गा आप उसे ऑन लाईन बेचना शुरू कि िेना ।

-यह मन वाला काम आप को स्वंय ही किना है । ये काम ककसी िसूिे व्यक्तत

या नौकिों को नहीीँ सौपना । यह मसर्य औि मसर्य आप को ही किना है ।

-आप बीमाि हो, कहीं गये हुए है, िकुान से ििू हो, आप जहां भी है, इसी तिह जब तक क्जंिा है मन से कायय कित ेिहना है ।

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-जो भी समान बेचना है उसमे चीदटगं नहीीँ किनी । अगि जिा भी खोट होगा तो आप के काम में बिकत नहीीँ होगी । थोड़ ेसमय के मलए आप लाभ लें सकते है पिन्तु सिा के मलए नहीीँ ।

-एक शब्ि जीवन के सब िखुों से ििू कि िेता है, वह है पे्रम ।

-दिन भि हि छोटी बड़ी अच्छी घटनाओ ंपि बात किो तो आप के जीवन में अच्छी चीजे आयेगी ॥

-पे्रम की शक्तत के मलये सब कुछ सम्भव है ।

-चाहे कैसी भी परिक्स्थतत हो पे्रम आप को मुतत कि सकता है ।

-जब आप पे्रम कित े है तो समझो की आप सकृ्ष्ट के सब से प्रबल एव ं

महानतम शक्तत का इस्तेमाल कि िहे है ।

आंतरिक बल 656

-मन एक िेडडयो स्टेशन है

-मन की एंटी टे्रवेल तिंगे औि व्यापाि में सर्लता

-ितुनया ंकी प्रमयेक वस्तु जीव वा तनजीव से प्रकमपन्न उमपन हो िहे है । जब

हम व्यापाि में लोगो के प्रतत कल्याण की भावना िखत े है औि ऐसे चीजे

बनात े है क्जन से सभी को र्ायिा हो तब आप का व्यापाि सभी को अपनी तिर् आकर्र्यत किेगा ।

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-व्यापाि के पीछे हमािे र्वचाि अगिबत्ती की तिह ग्राहको को आकर्र्यत किेगे

l

- जो भी लोग िकुान पि आएंगे उन्हे ऐसे लगेगा जैसे अपने घि में आये है औि

उन्हे आप का माल पसंि आएगा ।

-ग्राहको के प्रतत कल्याण के संकल्पों से ऐसी खुशब ु तनकलती है क्जसका हि

कोई िीवाना बन जाता है । लोग ऐसे व्यापारियो को ढंूढत ेकर्ित ेहै ।

-िसूिो को लाभ पहुचाने वाले संकल्पों से ऐसी तिंगे बनती है जो सभी को अच्छी लगती है । प्रमयेक व्यक्तत अपना लाभ सोचता है औि जब उसे मन

पसंि सस्ता औि दटकायू समान ममलता है तो उन के मन को चैन ममलता है । उनका मन तपृ्त हो जाता है ।

-योगी जहां तपस्या कित े है वहां दहसंक जीव जन्तु भी ममलजुल कि िहने

लगत े है । ऐसे ही क्जन व्यापारियो के मन में िसूिो के प्रतत कल्याण की भावना होती है उन के र्विोधी भी उन से ममल कि चलने लगत ेहै ।

-जब हम िसूिो को लाभ पहुचाने के मलए व्यापाि कित े है तो सभी ग्राहक

उमंग उमसाह से भि जात ेहै ।

- क्जस व्यापािी के नौकि खुशी से भाग भाग कि काम किते है । नौकिों के

चेहिे पि खुशबू है तो समझो आप के व्यापाि में बिकत पड़गेी ।

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- योचगयों की तिह सभी व्यापािी भी र्वश्व कल्याण के आधाि मूतय है । व्यापािी सूक्ष्म में अपने उमपािो के प्रतत र्वश्व कल्याण का भाव िखें तो वह

भी योचगयों जैसी अनुभूतत किेगे ।

-िसूिो को लाभ पहंुचाने के र्वचािो से उन्हे उमसाह ममलती है जब भी कोई

ग्राहक आये तो मन में सोचा किो इसे कौन सी आइटम िूं जो इसे बहुत लाभ

हो तब वह माल खिीिने के मलए लालातयत होगा तयोकक वह लाभ ही तो चाहता है ।

-िसूिो के प्रतत लाभ के र्वचाि िखने से सांप भी नहीं काटत ेऔि शेि

जैसी जानवि भी ममि बन जाता है ।

-समान बेचने से अच्छा अच्छा महसूस हो तो समझ लो कक आप के मन में कल्याण की भावना है अगि बुिा बुिा महसूस हो तो समझो आप लोगो का नुकसान कि िहे है औि आप का व्यापाि र्लेगा नहीीँ ।

-लोगो को लाभ कैसे हो जब यह सोचत े है तो उस समय र्वचािो से खुशबु तनकलती है, मन की यह एंटी टाइम तिंगे है जो लोगो को आकर्र्यत किती है ।

-जब िसूिो के दहत की सोचत े है, उसे धनवान बनाने की सोचते है, उसे

नीिोगी बनाने का सोचत ेहै, ऐसे सब र्वचािो से आकर्यण पैिा होता है ।

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-जब योग न लग िहा हो, मन में खुशी नही है, पढ़ने को मन नही कि िहा हो, काम किने का मन न हो तो समझो मन से लोगो का नुकसान कि ढे़ि है ।

-सिा मन में साक्मवक र्वचाि िखो चाहे परिक्स्थतत कैसी भी हो । एक शब्ि

बाबा ( भगवान ) आप प्याि के सागि है इसे रिपीट किते िहो इस से ऐसी शक्तत उमपन होती है क्जस से शािीरिक वा मानमसक र्वघ्न नष्ट हो जात ेहै

औि व्यापाि बहुत अच्छा चलने लगता है ।