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Page 1 of 161 भारतीय दंड संहिता. 1860 (1860 का अधिनियम सं. 45) विषय- सूची धारा विषय अयाय- 1 ारंभभक अयाय 1 तािना 1. संहिता का िाम और उसके वतति का ववतार 2. भारत के भीतर कए गए अपराि का दंड 3. भारत से परे ककए गए कतु उसके भीतर ववधि के अिुसार ववचारणीय अपराि का दंड 4. राय ेातीय अपराि पर संहिता का ववतार 5. छ ववधिय पर इस अधिनियम वारा भाव ि डाला जािा अयाय 2 साधारण पटीकरण 6. संहिता मै की पररभाषाओं का अपवाद के अयिीि समझा जािा 7. एक बार पटीक त पद का भाव 8. ल ंग 9. वचि 10. “पुरष” “ी” 11. “यतत” 12. “लोक” 13. “तवीि” 14. “सरकार का सेवक” 15. “िहटश इंडडया” 16. भारत सरकार17. सरकार18. “भारत” 19. “यायािीश” 20. “यायालय” 21. “लोकसेवक” 22. “जंगम संपवि”

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    भारतीय दंड संहिता. 1860 (1860 का अधिनियम सं. 45)

    विषय- सचूी धारा विषय

    अध्याय- 1 प्रारंभभक

    अध्याय 1

    प्रस्तािना

    1. सहंिता का िाम और उसके प्रवतति का ववस्तार 2. भारत के भीतर ककए गए अपरािों का दंड 3. भारत से परे ककए गए ककन्त ुउसके भीतर ववधि के अिसुार ववचारणीय अपरािों का दंड 4. राज्य क्षेत्रातीय अपरािों पर सहंिता का ववस्तार 5. कुछ ववधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव ि डाला जािा

    अध्याय 2 साधारण स्पष्टीकरण

    6. सहंिता में की पररभाषाओं का अपवादों के अध्यिीि समझा जािा 7. एक बार स्पष्टीकृत पद का भाव 8. ललगं 9. वचि 10. “परुुष” “स्त्री” 11. “व्यक्तत” 12. “लोक” 13. “तवीि” 14. “सरकार का सेवक” 15. “ब्रिहटश इंडडया” 16. “भारत सरकार” 17. “सरकार” 18. “भारत” 19. “न्यायािीश” 20. “न्यायालय” 21. “लोकसेवक” 22. “जंगम सपंवि”

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    23. '”सदोष अलभलाभ” 24. “बेईमािी स”े 25. “कपटपवूतक” 26. “ववश्वास करिे का कारण” 27. “पत्िी, ललवपक या सेवक के कब्ज ेमें सपंवि” 28. “कूटकरण” 29. “दस्तावेज” 29(क) इलेतरानिक अलभलखे 30. “मलू्यवाि प्रनतभनूत'” 31. “ववल” 32. कायो का निदेश करिे वाले शब्दों के अतंगतत अविै लोप आता िै 33. “कायत”, “लोप” 34. सामान्य आशय को अग्रसर करिे में कई व्यक्ततयों द्वारा ककए गए कायत 35. जबकक ऐसा कायत इस कारण आपराधिक िै कक वि आपराधिक ज्ञाि या आशय से ककया गया िै 36. अशंत: कायत द्वारा या अशंत: लोप द्वारा काररत पररणाम 37. ककसी अपराि को गहित करिे वाले कई कायो में स ेककसी एक को करके सियोग करिा 38. आपराधिक कायत में सपंतृत व्यक्तत ववलभन्ि अपरािों के दोषी िो सकें गे 39. “स्वेच्छया” 40. “अपराि” 41. “ववशषे ववधि” 42. “स्थािीय ववधि” 43. “अविै”, “करिे के ललए विै रुप से आबद्ि” 44. “क्षनत” 45. “जीवि” 46. “मतृ्य”ु 47. “जीवजन्त”ु 48. “जलयाि” 49. “वषत मास” 50. “िारा” 51. “शपथ” 52. “सद्भावपवूतक”

    52(क) “सशं्रय”

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    अध्याय 3 दण्डों के विषय में

    53. “दण्ड”

    53(क) निवातसि के प्रनत निदेश का अथत लगािा

    54. मतृ्य ुदण्डादेश का लघकुरण 55. आजीवि कारावास के दंडादेश का लघकुरण

    55(क) “समधुचत सरकार” की पररभाषा

    56. [ निरस्त.........] 57. दंडाववधियों की लभन्िे 58. ( ***लपु्त) 59. ( ***लपु्त) 60. दंडाहदष्ट करावास के कनतपय मामलों में सपंणूत कारावास या उसका कोई भाग कहिि या सादा िो

    सकेगा 61. [***निरस्त की गई] 62. [***निरस्त की गई] 63. जुमातिे की रकम 64. जुमातिा ि देिे पर कारावास का दण्डादेश 65. जबकक कारावास और जुमातिा दोिों आहदष्ट ककये जा सकत ेिैं, तब जुमातिा ि देिे पर कारावास की

    अवधि 66. जुमातिा ि देिे पर ककस भांनत का कारावास हदया जाय 67. जुमातिा ि देिे पर कारावास,जबकक अपराि केवल जुमातिे से दण्डिीय िो 68. जुमातिा देिे पर कारावास का पयतवसाि िो जािा 69. जुमातिे के आिपुानतक भाग के हदये जािे की दशा में कारावास का पयतवसाि 70. जुमातिे का छि वषत के भीतर या कारावास के दौराि में उद्ग्रिणीय िोिा- सम्पवि को दानयत्व से

    मतृ्य ुउन्मतुत ििीं करती 71. कई अपरािों से लमलकर बिे अपराि के ललये दण्ड की अवधि 72. कई अपरािों में से एक के दोषी व्यक्तत के ललये दण्ड जबकक निणतय में यि कधथत िै कक यि

    सन्देि िै कक वि ककस अपराि का दोषी िै 73. एकान्त परररोि 74. एकान्त परररोि की अवधि

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    75. पवूत दोषलसद्धि के पश्चात ्अध्याय 12 या अध्याय 17 के अिीि कनतपय अपरािों के ललये वधितत दण्ड

    अध्याय 4 साधारण अपिाद

    76. ववधि द्वारा आबद्ि या तथ्य की भलू के कारण अपिे आपको ववधि द्वारा आबद्ि िोिे का ववश्वास करिे वाले व्यक्तत द्वारा ककया गया कायत

    77. न्यानयकत: कायत करिे िेत ुन्यायािीश का कायत 78. न्यायालय के निणतय या आदेश के अिसुरण में ककया गया कायत 79. ववधि द्वारा न्यायािमुत या तथ्य की भलू से अपिे को ववधि द्वारा न्यायािमुत िोिे का ववश्वास

    करिे वाले व्यक्तत द्वारा ककया गया कायत 80. ववधिपणूत कायत करिे में दघुतटिा 81. कायत, क्जसस ेअपिानि काररत िोिा सम्भाव्य िै, ककन्त ुजो आपराधिक आशय के ब्रबिा और अन्य

    अपिानि के निवारण के ललये ककया गया िै 82. सात वषत से कम आय ुके लशश ुका कायत 83. सात वषत से ऊपर ककन्त ुबारि वषत से कम आय ुके अपररपतव समझ के लशश ुका कायत 84. ववकृि धचि व्यक्तत का कायत 85. ऐसे व्यक्तत का कायत जो अपिी इच्छा के ववरुद्ि मिता में िोिे के कारण निणतय पर पिंुचिे में

    असमथत िै 86. ककसी व्यक्तत द्वारा, जो मिता में िै, ककया गया अपराि क्जसमें ववशषे आशय या ज्ञाि का िोिा

    अपेक्षक्षत िै 87. सम्मनत स ेककया गया कायत क्जसमें मतृ्य ुया घोर उपिनत काररत करिे का आशय ि िो और ि

    उसकी सम्भाव्यता का ज्ञाि िो 88. ककसी व्यक्तत के फायदे के ललये सम्मनत स ेसद् भाविापवूतक ककया गया कायत क्जससे मतृ्य ुकाररत

    करिे का आशय ििीं िै 89. सरंक्षक द्वारा या उसकी सम्मनत से लशश ु या उन्मि व्यक्तत के फायदे के ललये सदभाव-पवूतक

    ककया गया कायत 90. सम्मनत, क्जसके सम्बन्ि में यि ज्ञात िो कक वि भय या भ्रम के अिीि दी गई िै 91. ऐसे कायों का अपवजति जो काररत अपिानि के ब्रबिा भी स्वत: अपराि िै 92. सम्मनत के ब्रबिा ककसी व्यक्तत के फायदे के ललये सद् भाविापवूतक ककया गया कायत 93. सद्भावपवूतक दी गई ससंचूिा 94. वि कायत क्जसको करिे के ललये कोई व्यक्तत िमककयों द्वारा वववश ककया गया िै 95. तचु्छ अपिानि काररत करिे वाला कायत

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    प्राइिेट प्रततरक्षा के अधधकार के विषय में 96. प्राइवेट प्रनतरक्षा में की गई बातें 97. शरीर तथा सम्पवि की प्राइवेट प्रनतरक्षा का अधिकार 98. ऐसे व्यक्तत के कायत के ववरुद्ि प्राइवेट प्रनतरक्षा का अधिकार जो ववकृतधचि आहद िो 99. कायत, क्जिके ववरुद्ि प्राइवटे प्रनतरक्षा का कोई अधिकार ििीं िै 100. शरीर की प्राइवेट प्रनतरक्षा के अधिकार का ववस्तार मतृ्यकुाररत करिे पर कब िोता िै 101. कब ऐसे अधिकार का ववस्तार मतृ्य ुसे लभन्ि कोई अपिानि काररत करिे तक िोता िै 102. शरीर की प्राइवेट प्रनतरक्षा के अधिकार का प्रारम्भ और बिा रििा 103. कब सम्पवि की प्राइवेट प्रनतरक्षा के अधिकार का ववस्तार मतृ्यकुाररत करिे तक का िोता िै 104. ऐसे अधिकार का ववस्तार मतृ्य ुसे लभन्ि कोई अपिानि काररत करिे तक का कब िोता िै 105. सम्पवि की प्राइवेट प्रनतरक्षा के अधिकार का प्रारम्भ और बिा रििा 106. घातक िमले के ववरुद्ि प्राइवेट प्रनतरक्षा का अधिकार जबकक निदोष व्यक्तत को अपिानि िोिे की

    जोखखम िै अध्याय 5

    दषु्प्रेरण के विषय में 107. ककसी बात का दषु्पे्ररण 108. दषु्पे्ररक 108क. भारत से बािर के अपरािों का भारत में दषु्पे्रर ्ण 109. दषु्पे्ररण का दंड, यहद दषु्पे्रररत कायत उसके पररणामस्वरुप ककया जाए, और जिां कक उस दंड के

    ललए अलभव्यतत उंपबिं ििीं िै 110. दषु्पे्ररण का दंड, यहद दषु्पे्रररत व्यक्तत दषु्पे्ररक के आशय से लभन्ि आशय से कायत करता िै 111. दषु्पे्ररक का दानयत्व जब एक कायत का दषु्पे्ररण ककया गया िै और उससे लभन्ि कायत ककया गया िै 112. दषु्पे्ररक कब दषु्पे्रररत कायत के ललए और ककए गए कायत के ललए आकललत दंड से दंडिीय िै 113. दषु्पे्रररत कायत से काररत उस प्रभाव के ललए दषु्पे्ररक का दानयत्व जो दषु्पे्ररक द्वारा आशनयत से

    लभन्ि िो 114. अपराि ककए जात ेसमय दषु्पे्ररक की उपक्स्थनत 115. मतृ्य ुया आजीवि कारावास से दंडिीय अपराि का दषु्पे्ररण यहद अपराि ििीं ककया जाता 116. कारावास से दंडिीय अपराि का दषु्पे्ररण, यहद अपराि ि ककया जाए 117. लोक सािारण द्वारा या दस से अधिक व्यक्ततयों द्वारा अपराि ककए जािे का दषु्पे्ररण 118. मतृ्य ुया आजीवि कारावास से दंडिीय अपराि करिे की पररकल्पिा को नछपािा 119. ककसी ऐसे अपराि के ककए जािे की पररकल्पिा का लोक-सेवक द्वारा नछपाया जािा, क्जसका

    निवारण करिा उसका कितव् य िै 120. कारावास से दंडिीय अपराि करिे की पररकल्पिा को नछपािा

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    अध्याय 5क आपराधधक षड्यंत्र

    120क. आपराधिक षड्यतं्र की पररभाषा 120ख. आपराधिक षड्यतं्र का दण्ड

    अध्याय 6

    राज्य के विरुद्ध अपराधों के विषय में 121. भारत सरकार के ववरुद्ि यदु्ि करिा या यदु्ि करिे का प्रयत्ि करिा या यदु्ि करिे का दषु्पे्ररण

    करिा 121क. िारा 121 द्वारा दंडिीय अपरािों को करिे का षड्यतं्र 122. भारत सरकार के ववरुद्ि यदु्ि करिे के आशय से आयिु आहद सगं्रि करिा 123. यदु्ि करिे की पररकल्पिा को सकुर बिािे के आशय से नछपािा 124. कसी ववधिपणूत शक्तत का प्रयोग करिे के ललए वववश करिे या उसका प्रयोग अवरोधित करिे के

    आशय से राष्रपनत, राज्यपाल आहद पर िमला करिा 124क. राजद्रोि 125. भारत सरकार से मतै्री सबंिं रखिे वाली ककसी एलशयाई शक्तत के ववरुद्ि यदु्ि करिा 126. भारत सरकार के साथ शांनत का सबंिं रखिे वाली शक्तत के राज्यक्षते्र में लटू-पाट करिा 127. िारा 125 और 126 में वखणतत यदु्ि या लटू-पाट द्वारा ली गई सपंवि प्राप्त करिा 128. लोक-सेवक का स् वचे् छया राजकैदी या यदु्ि कैदी को निकल भागिे देिा 129. उपेक्षा स ेलोक-सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागिा सिि करिा 130. ऐसे कैदी के निकल भागिे में सिायता देिा, उसे छुड़ािा या सशं्रय देिा

    अध्याय 7 सेना, नौसेना और िायुसनेा से संबंधधत अपराधों के विषय में

    131. ववद्रोि का दषु्पे्ररण या ककसी सनैिक, िौसनैिक या वायसुनैिक को कितव् य से ववचललत करिे का प्रयत्ि करिा

    132. ववद्रोि का दषु्पे्ररण, यहद उसके पररणामस्वरुप ववद्रोि ककया जाए 133. सनैिक, िौसनैिक या वायसुनैिक द्वारा अपिे वररष्ि ऑकफसर पर जबकक वि ऑकफसर अपिे पद

    निष्पादि में िो, िमले का दषु्पे्ररण 134. ऐसे िमले का दषु्पे्ररण, यहद िमला ककया जाए 135. सनैिक, िौसनैिक या वायसुनैिक द्वारा अलभत्यजि का दषु्पे्ररण 136. अलभत्याजक को सशं्रय देिा 137. मास्टर की उपेक्षा से ककसी वाखणक्ज्यक जलयाि पर नछपा िुआ अलभत्याजक 138. सनैिक, िौसनैिक या वाय-ुसनैिक द्वारा अििीिता के कायत का दषु्पे्ररण 138क. [निरलसत]

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    139. कुछ अधिनियमों के अध्यिीि व्यक्तत 140. सनैिक, िौसनैिक या वाय ु सनैिक द्वारा उपयोग में लाई जािे वाली पोशाक पिििा या टोकि

    िारण करिा

    अध्याय 8 लोक-प्रशांतत के विरुद्ध अपराधों के विषय में

    141. ववधिववरुद्ि जमाव 142. ववधिववरुद्ि जमाव का सदस्य िोिा 143. दण्ड 144. घातक आयिु से सक्ज्जत िोकर ववधिववरूद्ि जमाव में सक्म्मललत िोिा 145. ककसी ववधिववरुद्ि जमाव में यि जाित ेिुये कक उसके ब्रबखर जािे का समादेश दे हदया गया िै,

    सक्म्मललत िोिा या उसमें बिे रििा 146. बल्वा करिा 147. बल्वा करिे के ललये दण्ड 148. घातक आयिु से सक्ज्जत िोकर बल् वा करिा 149. ववधिववरुद्ि जमाव का िर सदस्य, सामान्य उद् देश्य को अग्रसर करिे में ककये गये अपराि का

    दोषी 150. ववधिववरुद्ि जमाव में सक्म्मललत करिे के ललये व्यक्ततयों का भाड़ ेपर लेिा या भाड़ ेपर लेिे के

    प्रनत मौिािकूुलता 151. पांच या अधिक व्यक्ततयों के जमाव को ब्रबखर जािे का समादेश हदए जािे के पक्षात ्उसमें जाित े

    िुए सक्म्मललत िोिा या बिे रििा 152. लोक-सेवक जब बल्वा इत्याहद को दबा रिा िो तब उस पर िमला करिा या उसे बाधित करिा 153. बल्वा करािे के आशय रो स्वरैरता स ेप्रकोपि देिा, यहदबल्वा ककया जाये- यहद बल्वा ि ककया

    जाये 153क. िमत, मलूवशं, जन्म-स्थाि, निवासस्थाि, भाषा इत्याहद के आिारों पर ववलभन्ि समिूों के बीच

    शत्रतुा का सपं्रवतति और सौिाद्रत बिे रििे पर प्रनतकूल प्रभाव डालिे वाले कायत करिा 153कक. ककसी जुलसू में जािबझूकर आयिु ले जािे या ककसी सामहूिक डिल या सामहूिक प्रलशक्षण का

    आयिु सहित सचंालि या आयोजि करिा या उसमें भाग लेिे के ललये दण्ड 153ख राष्रीय अखण्डता पर प्रनतकूल प्रभाव डालिे वाले लांछि, प्राख्याि 154. उस भलूम का स्वामी या अधिभोगी, क्जस पर ववधिववरुद्ि जमाव ककया गया िै 155. उस व्यक्तत का दानयत्व, क्जसके फायदे के ललए बल्वा ककया जाता िै 156. उस स्वामी या अधिभोगी के अलभकतात का दानयत्व, क्जसके फायदे के ललए बल्वा ककया जाता िै 157. ववधिववरुद्ि जमाव के ललए भाड़ ेपर लाए गए व्यक्ततयों को सशं्रय देिा 158. ववधिववरुद्ि जमाव या बल्वे में भाग लेिे के ललए भाड़ ेपर जािा 159. दंगा 160. दंगा करिे के ललए दण्ड

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    अध्याय 9 लोक सेिकों द्िारा या उनसे सम्बन्धधत अपराधों के विषय में

    िारा 161 से िारा 165क को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 सखं्या 49 द्वारा निरलसत

    ककया गया । 166. लोक सेवक, जो ककसी व्यक्तत को क्षनत काररत करिे के आशय स ेववधि की अवज्ञा करता िै 166क. लोक-सेवक जो ववधि के अिीि के निदेश की अवज्ञा करता 166ख. पीडड़त का उपचार ि करिे के ललए दंड 167. लोक सेवक,जो क्षनत करिे के आशय से अशदु्ि दस्तावेज रचता िै 168. लोक सेवक, जो ववधिववरुद्ि रूप से व्यापार में लगता िै 169. लोक सेवक, जो ववधिववरुद्ि रूप से सम्पवि क्रय करता िै या उसके ललये बोली लगाता िै 170. लोक-सेवक का प्रनतरुपण 171. कपटपणूत आशय से लोक-सवेक के उपयोग की पोशाक पिििा या टोकि को िारण करिा

    अध्याय 9 क तनिााचन सम्बधधी अपराधों के विषय में

    171क. “अभ्यथी”, “निवातचि अधिकार” पररभावषत 171ख. ररश्वत 171ग. निवातचिों में असम्यक् असर डालिा 171घ. निवातचिों में प्रनतरूपण 171ङ ररश्वत के ललये दण्ड 171च. निवातचि में असम्यक् असर डालिे या प्रनतरूपण के ललये दण्ड 171छ. निवातचि के लसललसले में लमथ्या कथि 171ज. निवातचि के लसललसले में अविै सदंाय 171झ. निवातचि-लखेा रखिे में असफलता

    अध्याय 10 लोक सेिकों के विधधपूणा प्राधधकार के अिमान के विषय में

    172. समिों की तामील या अन्य कायतवािी से बचिे के ललये फरार िो जािा 173. समि की तामील का या अन्य कायतवािी का या उसके प्रकाशि का निवारण करिा 174. लोक-सेवक का आदेश ि मािकर गरैिाक्जर रििा 174क. 1974 के अधिनियम 2 की िारा 82 के अिीि ककसी उद् घोषणा के उिर में गरै-िाक्जरी 175. दस्तावेज या इलेतरानिक अलभलेख पेश करिे के ललए विै रुप से आबद्ि व्यक्तत का लोक-सेवक

    को दस्तावेज पेश करिे का लोप 176. सचूिा या इविला देिे के ललए विै रुप से आबद्ि व्यक्तत द्वारा लोक-सेवक को सचूिा या इविला

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    देिे का लोप 177. लमथ्या इविला देिा 178. शपथ या प्रनतज्ञाि से इंकार करिा जबकक लोक-सेवक द्वारा वि वसैा करिे के ललए सम्यक् रुप स े

    अपेक्षक्षत ककया जाए 179. प्रश्ि करिे के ललए प्राधिकृत लोक-सेवक का उिर देिे से इंकार करिा 180. कथि पर िस्ताक्षर करिे से इंकार 181. शपथ हदलािे या प्रनतज्ञाि करािे के ललए प्राधिकृत लोक-सेवक के या व्यक्तत के समक्ष शपथ या

    प्रनतज्ञाि पर लमथ्या कथि 182. इस आशय स े लमथ्या इविला देिा कक लोक-सेवक अपिी ववधिपणूत शक्तत का उपयोग दसूरे

    व्यक्तत की क्षनत करिे के ललए करे 183. लोक-सेवक के ववधिपणूत प्राधिकार द्वारा सपंत् त् क्ााा ललए जािे का प्रनतरोि 184. लोक-सेवक के प्राधिकार द्वारा ववक्रय के ललए प्रस्थावपत की गयी सपंवि के ववक्रय में

    उपक्स्थत करिा 185. लोक-सेवक के प्राधिकार द्वारा ववक्रय के ललए प्रस्थावपत की गई सपंवि का अविै क्रय या उसके

    ललए अविै बोली लगािा 186. लोक-सेवक के लोक कृत्यों के निवतिि में बािा डालिा 187. लोक-सेवक की सिायता करिे का लोप जबकक सिायता देिे के ललए ववधि द्वारा आबद्ि िो 188. लोक-सेवक द्वारा सम्यक रूप से प्रख्यावपत आदेश की अवज्ञा 189. लोक-सेवक को क्षनत करिे की िमकी 190. लोक-सेवक से सरंक्षा के ललए आवेदि करिे से ववरत रििे के ललए ककसी व्यक्तत को उत्प्रेररत

    करिे के ललए क्षनत की िमकी

    अध्याय 11 भमथ्या साक्ष्य और लोक धयाय के विरुद्ध अपराधों के विषय में

    191. लमथ्या साक्ष्य देिा 192. लमथ्या साक्ष्य गढ़िा 193. लमथ्या साक्ष्य के ललए दंड 194. मतृ्य ुसे दंडिीय अपराि के ललए दोषलसद्ि करािे के आशय से लमथ्या साक्ष्य देिा या गढ़िा 195. आजीवि कारावास या कारावास से दंडिीय अपराि के ललए दोषलसद्ि करािे के आशय से लमथ्या

    साक्ष्य देिा या गढ़िा 195क. ककसी व्यक्तत को लमथ्या साक्ष् य देिे के ललए िमकािा 196. उस साक्ष्य को काम में लािा क्जसका लमथ्या िोिा ज्ञात िै 197. लमथ्या प्रमाण पत्र जारी करिा या िस्ताक्षररत करिा 198. प्रमाण पत्र को क्जसका लमथ्या िोिा ज्ञात िै सच्चे के रुप में काम में लािा 199. ऐसी घोषणा में, जो साक्ष्य के रुप में ववधि द्वारा ली जा सके ककया गया लमथ्या कथि 200. ऐसी घोषणा का लमथ्या िोिा जाित ेिुए सच्ची के रुप में काम में लािा

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    201. अपराि के साक्ष्य का ववलोपि, या अपरािी को प्रनतच् छाहदत करिे के ललए लमथ्या इविला देिा 202. इविला देिे के ललए आबद्ि व्यक्तत द्वारा अपराि की इविला देिे का साशय लोप 203. ककए गए अपराि के ववषय में लमथ्या इविला देिा 204. साक्ष्य के रूप में ककसी [दस्तावेज या इलेतरानिक अलभलेख] का पेश ककया जािा निवाररत करिे के

    ललए उसको िष्ट करिा 205. वाद या अलभयोजि में ककसी कायत या कायतवािी के प्रयोजि से लमथ्या प्रनतरुपण 206. सपंवि को समपिरण ककए जािे में या निष्पादि में अलभगिृीत ककए जािे से निवाररत करिे के ललए

    उसे कपटपवूतक िटािा या नछपािा 207. सपंवि पर उसके समपिरण ककए जािे में या निष्पादि में अलभगिृीत ककए जािे से निवाररत करिे

    के ललए कपटपवूतक दावा 208. ऐसी रालश के ललए जो शोध्य ि िो कपटपवूतक डडक्री िोिे देिा सिि करिा 209. बेईमािी से न्यायालय में लमथ्या दावा करिा 210. ऐसी रालश के ललए जो शोध्य ििीं िै. कपटपवूतक डडक्री अलभप्राप्त करिा 211. क्षनत काररत करिे के आशय से अपराि का लमथ्या आरोप 212. अपरािी को सशं्रय देिा 213. अपरािी को दंड से प्रनतच्छाहदत करिे के ललए उपिार आहद लेिा 214. अपरािी के प्रनतच्छादि के प्रनतफलस्वरुप उपिार की प्रस्थापिा या सपंवि का प्रत्यावतति 215. चोरी की सपंवि इत्याहद के वापस लेिे में सिायता करिे के ललए उपिार लेिा 216. ऐसे अपरािी को सशं्रय देिा, जो अलभरक्षा स ेनिकल भागा िै या क्जसको पकड़िे का आदेश हदया

    जा चुका िै 216क्. लटेुरों या डाकुओं को सशं्रय देिे के ललए शक्तत 216ख. (.....................निरलसत) 217. लोक-सेवक द्वारा ककसी व्यक्तत को दंड से या ककसी सपंवि को समपिरण से बचािे के आशय स े

    ववधि के निदेश की अवज्ञा 218. ककसी व्यक्तत को दंड स ेया ककसी सपंवि को समपिरण स ेबचािे के आशय से लोक-सेवक द्वारा

    अशदु्ि अलभलेख या लेख की रचिा 219. न्यानयक कायतवािी में ववधि के प्रनतकूल ररपोटत आहद का लोक-सेवक द्वारा भ्रष्टतापथूतक ककया जािा 220. प्राधिकार वाले व्यक्तत द्वारा जो यि जािता िै कक वि ववधि के प्रनतकूल कायत कर रिा िै,

    ववचारण के ललए या परररोि करिे के ललए सपुदुतगी 221. पकड़िे के ललए आबद्ि लोक-सेवक द्वारा पकड़िे का साशय लोप 222. दंडादेश के अिीि या ववधिपवूतक सपुदुत ककए गए व्यक्तत को पकडिे के ललए आबद्ि लोक-सवेक

    द्वारा पकड़िे का साशय लोप 223. लोक-सेवक द्वारा उपेक्षा स ेपरररोि या अलभरक्षा में स ेनिकल भागिा सिि करिा 224. ककसी व्यक्तत द्वारा ववधि के अिसुार अपिे पकड़ ेजािे में प्रनतरोि या बािा 225. ककसी अन्य व्यक्तत के ववधि के अिसुार पकड़ ेजािे में प्रनतरोि या बािा 225क. उि दशाओ ंमें क्जिके ललए अन्यथा उपबिं ििी ंिै लोक-सेवक द्वारा पकड़िे का लोप या निकल

    भागिा सिि करिा

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    225ख. अन्यथा अिपुबधंित दशाओं में ववधिपवूतक पकड़िे में प्रनतरोि या बािा या निकल भागिा या छुड़ािा

    226. [***]निरलसत 227. दंड के पररिार की शतत का अनतक्रमण 228. न्यानयक कायतवािी में बिेै िुए लोक-सेवक का साशय अपमाि या उसके कायत में ववघ्ि 228क. कनतपय अपरािों आहद स ेपीडड़त व्यक्तत की पिचाि का प्रकटीकरण 229. जूरी सदस्य या असेसर का प्रनतरुपण 229क. जमाित या बन्िपत्र पर छोड़ ेगए व्यक्तत द्वारा न्यायालय में िाक्जर िोिे में असफलता

    अध्याय 12 भसक्कों और सरकारी स्टाम्पों से संबंधधत अपराधों के विषय में

    230. लसतका की पररभाषा 231. लसतके का कूटकरण 232. भारतीय लसतके का कूटकरण 233. लसतके के कूटकरण के ललए उपकरण बिािा या बेचिा 234. भारतीय लसतके के कूटकरण के ललए उपकरण बिािा या बेचिा 235. लसतके के कूटकरण के ललए उपकरण या सामग्री उपयोग में लािे के प्रयोजि से उस ेकब्जे में

    रखिा 236. भारत से बािर लसतके के कूटकरण का भारत में दषु्पे्ररण 237. कूटकृत लसतके का आयात या नियातत 238. भारतीय लसतके की कूटकृनतयों का आयात या नियातत 239. लसतके का पररदाि क्जसका कूटकृत िोिा कब्जे में आिे के समय ज्ञात था 240. उस भारतीय लसतके का पररदाि क्जसका कूटकृत िोिा कब्जे में आिे के समय ज्ञात था 241. ककसी लसतके का असली लसतके के रुप में पररदाि, क्जसका पररदाि करिे वाला उस समय जब वि

    उसके कब् जे में पिली बार आया था, कूटकृत िोिा ििीं जािता था 242. कूटकृत लसतके पर ऐसे व्यक्तत का कब्जा जो उस समय उसका कूटकृत िोिा जािता था, जब वि

    उसके कब्जे में आया था 243. भारतीय लसतके पर ऐसे व्यक्तत का कब्जा जो उसका कूटकृत िोिा उस समय जािता था जब वि

    उसके कब्जे में आया था 244. टकसाल में नियोक्जत व्यक्तत द्वारा लसतके का उस वजि का या लमश्रण से लभन्ि काररत ककया

    जािा जो ववधि द्वारा नियत िै 245. टकसाल से लसतका बिािे का उपकरण ववधिववरुद्ि रुप से लेिा 246. कपटपवूतक या बेईमािी से लसतके का वजि कम करिा या लमश्रण पररवनत तत करिा 247. कपटपवूतक या बेईमािी से भारतीय लसतके का वजि कम करिा या लमश्रण पररवनत तत करिा 248. इस आशय से ककसी लसतके का रुप पररवनत तत करिा कक वि लभन्ि प्रकार के लसतके के रुप में चल

    जाए 249. इस आशय से भारतीय लसत के का रूप पररवनत तत करिा कक वि लभन्ि प्रकार के लसतके के रुप में

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    चल जाए 250. ऐसे लसतके का पररदाि जो इस ज्ञाि के साथ कब्जे में आया िो कक उसे पररवनत तत ककया गया िै 251. भारतीय लसतके का पररदाि जो इस ज्ञाि के साथ कब्जे में आया िो कक उसे पररवनत तत ककया गया

    िै- 252. ऐसे व्यक्तत द्वारा लसतके पर कब्जा जो उसका पररवनत तत िोिा उस समय जािता था जब वि

    उसके कब्जे में आया 253. ऐसे व्यक्तत द्वारा भारतीय लसतके पर कब्जा जो उसका पररवनत तत िोिा उस समय जािता था जब

    वि उसके कब्जे में आया 254. लसतके का असली लसतके के रुप में पररदाि क्जसका पररदाि करिे वाला उस समय जब वि उसके

    कब्जे में पिली बार आया था, पररवनत तत िोिा ििीं जािता था 255. सरकारी स्टाम्प का कूटकरण 256. सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के ललये उपकरण या सामग्री कब्जे में रखिा 257. सरकारी स्टाम्प के कूटकरण के ललये उपकरण बिािा या बेचिा 258. कूटकृत सरकारी स्टाम्प का ववक्रय 259. सरकारी कूटकृत स्टाम्प को कब्जे में रखिा 260. ककसी सरकारी स्टाम्प को, कूटकृत जाित ेिुए जो असली स्टाम्प के रुप में उपयोग में लािा 261. इस आशय से कक सरकार को िानि काररत िो, उस पदाथत पर से क्जस पर सरकारी स्राम्प लगा

    िुआ िै, लेख लमटािा या दस्तावेज से वि स्टाम्प िटािा जो उसके ललए उपयोग में लाया गया िै 262. ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग क्जसके बारे में ज्ञात िै कक उसका पिले उपयोग िो चुका िै- 263. स्टाम्प के उपयोग ककये जा चुकिे के द्योतक धचिं का छीलकर लमटािा 263क. बिावटी स्टाम्पो का प्रनतषिे

    अध्याय 13 बाटों और मापों से सम्बन्धधत अपराधों के विषय में

    264. तोलिे के ललये खोटे उपकरणों का कपटपवूतक उपयोग 265. खोटे बाट या माप का कपटपवूतक उपयोग 266. खोटे बाट या माप को कब्जे में रखिा 267. खोटे बाट या माप को बिािा या बेचिा

    अध्याय 14

    लोक-स्िास्थ्य. क्षेम. सुविधा, भशष्टता और सदाचार पर प्रभाि डालने िाले अपराधो विषय में

    268. लोक न्यसूेंस 269. उपेक्षापणूत कायत क्जससे जीवि के ललये सकंटपणूत रोग का सकं्रम फैलिा सम्भाव्य िो 270. पररद्वेषपणूत कायत क्जससे जीवि के ललये सकंटपणूत रोग का सकं्रम फैलिा सम्भाव्य िै 271. करन्तीि के नियम की अवज्ञा 272. ववक्रय के ललये आशनयत खाद्य या पेय का अपलमश्रण

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    273. अपायकर खाद्य या पेय का ववक्रय 274. औषधियों का अपलमश्रण 275. अपलमधश्रत औषधियों का ववक्रय 276. औषधि का लभन्ि औषधि या निलमतनत के तौर पर ववक्रय 277. लोक जल-स्त्रोत या जलाशय का जल कलवुषत करिा 278. वायमुण्डल को स्वास्थ्य के ललये अपायकर बिािा 279. लोक मागत पर उतावलेपि से वािि चलािा या िााँकिा 280. जलयाि का उतावलेपि से चलािा 281. भ्रामक प्रकाश, धचह्ि या बोये का प्रदशति 282. अक्षेमकर या अनत-लदे िुये जलयाि में भाड़ ेके ललये जलमागत से ककसी व्यक्तत का प्रविण 283. लोकमागत या िौपररविि पथ में सकंट या बािा 284. ववषलैे पदाथत के सम्बन्ि में उपेक्षापणूत आचरण 285. अक् ि या ज्वलिशील पदाथत के समबन्ि में उपेक्षापणूत आचरण 286. ववस्फोटक पदाथत के बारे में उपेक्षापणूत आचरण 287. मशीिरी के सम्बन्ि में उपेक्षापणूत आचरण 288. ककसी निमातण को धगरािे या उसकी मरम्मत करिे के सम्बन्ि में उपेक्षापणूत आचरण 289. जीवजन्त ुके सम्बन्ि में उपेक्षापणूत आचरण 290. अन्यथा अिपुबधंित मामलों में लोक न्यसेून्स के ललये दण्ड 291. न्यसेून्स बन्द करिे के व्यादेश के पश्चात ्उसका चाल ूरखिा 292. अश्लील पसु्तकों आहद का ववक्रय आहद 293. तरुण व्यक्तत को अश्लील वस्तओुं का ववक्रय आहद 294. अश्लील कायत और गािे 294क. लाटरी कायातलय रखिा

    अध्याय 15 धमा से सम्बन्धधत अपराधों के विषय में

    295. ककसी वगत के िमत का अपमाि करिे के आशय से उपासिा के स्थाि को क्षनत काररत करिा या अपववत्र करिा

    295क. ववमलशतत और ववद्वेशपणूत कायत जो ककसी वगत के िमत या िालमतक ववश्वासों का अपमाि करके उसकी िालमतक भाविाओ ंको आित करिे के आशय से ककय ेगये िों

    296. िालमतक जमाव में ववघ्ि करिा 297. कब्रिस्तािों आहद में अनतचार करिा 298. िालमतक भाविाओ ंको िेस पिुाँचािे के ववमलशतत आशय से शब्द उच्चाररत करिा आहद

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    अध्याय 16 मानि शरीर पर प्रभाि डालने िाले अपराधों के विषय में जीिन के भलये संकटकारी

    अपराधों के विषय में 299. आपराधिक मािव वि 300. ित्या 301. क्जस व्यक्तत की मतृ्य ु काररत करिे का आशय था, उससे लभन्ि व्यक्तत की मतृ्य ु करके

    आपराधिक मािव वि 302. ित्या के ललये दण्ड 303. आजीवि लसद्िदोष द्वारा ित्या के ललये दण्ड 304. ित्या की कोहट में ि आिे वाले आपराधिक मािव वि के ललए दंड 304क. उपेक्षा द्वारा मतृ्य ुकाररत करिा 304ख. दिेज मतृ्य ु305. लशश ुया उन्मि व्यक्तत की आत्मित्या का दषु्पे्ररण 306. आत्मित्या का दषु्पे्ररण 307. ित्या करिे का प्रयत्ि 308. आपराधिक मािव वि करिे का प्रयत्ि 309. आत्मित्या करिे का प्रयत्ि 310. िग 311. दण्ड

    गभापात काररत करने, अजात भशशुओं को क्षतत काररत करने, भशशुओं को अरक्षक्षत छोड़ने और जधम तछपाने के विषय में

    312. गभतपात काररत करिा 313. स्त्री की सम्मनत के ब्रबिा गभतपात काररत करिा 314. गभतपात काररत करिे के आशय से ककए गए कायो द्वारा काररत मतृ्य ु 315. लशश ुका जीववत पदैा िोिा रोकिे या जन्म के पश्चात ्उसकी मतृ्य ुकाररत करिे के आशय स े

    ककया गया कायत 316. ऐसे कायत द्वारा जो आपराधिक मािव वि की कोहट में आता िै, ककसी सजीव अजात लशश ुकी

    मतृ्य ुकाररत करिा 317. लशश ुके वपता या माता या उसकी देख-रेख रखिे वाले व्यक्तत द्वारा बारि वषत से कम आय ुके

    लशश ुका अरक्षक्षत डाल हदया जािा और पररत्याग 318. मतृ शरीर के गपु्त व्ययि द्वारा जन्म नछपािा

    उपितत के विषय में

    319. उपिनत 320. घोर उपिनत

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    321. स्वेच्छया उपिनत काररत करिा 322. स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिा 323. स्वेच्छया उपिनत काररत करिे के ललए दंड 324. खतरिाक आयिुों या साििों द्वारा स्वेच्छया उपिनत काररत करिा 325. स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिे के ललये दण्ड 326. खतरिाक आयिुों या साििों द्वारा स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिा 326क. अम्ल आहद का प्रयोग कर स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिा 326ख. स्वेच्छया अम्ल फें किा या फें किे का प्रयोग करिा 327. सम्पवि उद्दावपत करिे के ललए या अविै कायत करािे को मजबरू करिे के ललए स्वेच्छया उपिनत

    काररत करिा 328. अपराि करिे के आशय स ेववष इत्याहद द्वारा उपिनत काररत करिा 329. सम्पवि उद्दावपत करिे के ललये या अविै कायत करािे को मजबरू करिे के ललये स्वेच्छया घोर

    उपिनत काररत करिा 330. ससं्वीकृनत उद्दावपत करिे या वववश करके सम्पवि का प्रत्यावतति करािे के ललये स्वेच्छया उपिनत

    काररत करिा 331. ससं्वीकृनत उद्दावपत करिे के ललये या वववश करके सम्पवि का प्रत्यावतति करािे के ललये स्वेच्छया

    घोर उपिनत काररत करिा 332. लोक-सेवक को अपिे कितव्य से भयोपरत करिे के ललये स्वेच्छया उपिनत काररत करिा 333. लोक-सेवक को अपिे कितव्यों से भयोपरत करिे के ललये स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिा 334. प्रकोपि पर स्वेच्छया उपिनत काररत करिा 335. प्रकोपि पर स्वेच्छया घोर उपिनत काररत करिा 336. कायत क्जससे दसूरों का जीवि या वयैक्ततक क्षेम सकंटापन्ि िो 337. ऐसे कायत द्वारा उपिनत करिा, क्जससे दसूरों का जीवि का या वयैक्ततक क्षेम सकंटापन्ि िो जाए 338. ऐसे कायत द्वारा घोर उपिनत काररत करिा क्जससे दसूरों का जीवि या वयैक्ततक क्षेम सकंटापन्ि

    िो जाए सदोष अिरोध और सदोष परररोध के विषय में

    339. सदोष अवरोि 340. सदोष परररोि 341. सदोष अवरोि के ललए दंड 342. सदोष परररोि के ललए दंड 343. तीि या अधिक हदिों के ललए सदोष परररोि 344. दस या अधिक हदिों के ललए सदोष परररोि 345. ऐसे व्यक्तत का सदोष परररोि, क्जसके छोडिे के ललए ररट निकल चुका िै 346. गपु्त स्थाि में सदोष परररोि 347. सपंवि उद्यावपत करिे के ललए या अविै कायत करिे के ललए मजबरू करिे के ललए सदोष परररोि 348. ससं्वीकृनत उद्यावपत करिे के ललए या वववश करके सपंवि का प्रत्यावतति करिे के ललए सदोष

    परररोि

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    आपराधधक बल और िमले के विषय में 349. बल 350. आपराधिक बल 351. िमला 352. गभंीर प्रकोपि िोिे से अन्यथा िमला करिे या आपराधिक बल का प्रयोग करिे के ललए दंड 353. लोक-सेवक को अपिे कितव् य के निवतिि से भयोपरत करिे के ललए िमला या आपराधिक बल का

    प्रयोग 354. स्त्री की लज्जा भगं करिे के आशय स ेउस पर िमला या आपराधिक बल का प्रयोग 354क. लैंधगक उत्पीडि और लैंधगक उत्पीडि के ललए दण्ड 354ख. वववस्त्र करिे के आशय स ेस्त्री पर िमला या आपराधिक बल का प्रयोग 354ग. दृश्यरनतकता 354घ. पीछा करिा 355. गभंीर प्रकोपि िोिे से अन्यथा ककसी व्यक्तत का निरादर करिे के आशय से उस पर िमला या

    आपराधिक बल का प्रयोग 356. ककसी व्यक्तत द्वारा ल ेजाई जािे वाली सपंवि की चोरी के प्रयत्िों में िमला या आपराधिक बल

    का प्रयोग 357. ककसी व्यक्तत का सदोष परररोि करिे के प्रयत्िों में िमला या आपराधिक बल का प्रयोग 358. गभंीर प्रकोपि लमलिे पर िमला या आपराधिक बल का प्रयोग

    व्यपिरण, अपिरण, दासत्ि और बलात्रम के विषय में

    359. व्यपिरण 360. भारत में से व्यपिरण 361. ववधिपणूत सरंक्षकता में से व्यपिरण 362. अपिरण 363. व्यपिरण के ललए दंड 363क. भीख मांगिे के प्रयोजि के ललए अप्राप्तवय का व्यपिरण या ववकलांगीकरण 364. ित्या करिे के ललए व्यपिरण या अपिरण 364क. मकु्तत-िि आहद के ललए व्यपिरण 365. ककसी व्यक्तत का गपु्त रीनत से और सदोष परररोि करिे के आशय से व्यपिरण या अपिरण 366. वववाि आहद के करिे को वववश करिे के ललए ककसी स्त्री को व् यपहृत करिा, अपहृत करिा या

    उत्प्रेररत करिा 366क. अप्राप्तवय लड़की का उपापि 366ख. ववदेश से लड़की का आयात करिा 367. व्यक्तत को घोर उपिनत, दासत्व, आहद का ववषय बिािे के उद्देश्य से व्यपिरण या अपिरण 368. व्यपहृत या अपहृत व्यक्तत को सदोष नछपािा या परररोि में रखिा 369. दस वषत से कम आय ु के लशश ु के शरीर पर से चोरी करिे के आशय से उसका व्यपिरण या

    अपिरण

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    370. दास के रुप में ककसी व्यक्तत का खरीदिा या व्ययि करिा 370क. ऐसे व्यक्तत का, क्जसका दवु्यातपार ककया गया िै, शोषण 371. दासों का आभ्यालसक व्यौिार करिा 372. वेश्यावकृ्त् त आहद के प्रयोजि के ललए अप्राप्तवय को बेचिा 373. वेश्यावकृ्त् त के प्रयोजि के ललए अप्राप्तवय का खरीदिा आहद 374. ववधिववरुद्ि अनिवायत श्रम-

    यौन अपराध 375. बलात्सगं 376. बलात्सगं के ललए दण्ड 376क. पथृक रििे के दौराि ककसी परुुष द्वारा अपिी पत्िी के साथ सभंोग 376ख. लोक-सेवक द्वारा अपिी अलभरक्षा में की ककसी स्त्री के साथ सभंोग 376ग. जेल, प्रनतपे्रषणगिृ आहद के अिीक्षक द्वारा सभंोग 376घ. अस्पताल के प्रबिंक या कमतचारीवृदं आहद के ककसी सदस्य द्वारा उस अस्पताल में ककसी स्त्री के

    साथ सभंोग 376ङ. पिुरावकृ्त् तकतात अपराधियों के ललए दण्ड

    प्रकृतत-विरुद्ध अपराधों के विषय में

    377. प्रकृनत-ववरुद्ि अपराि

    अध्याय 17 सम्पवि के विरुद्ध अपराधों के विषय में

    चोरी के विषय में 378. चोरी 379. चोरी के ललए दंड 380. निवास-गिृ आहद में चोरी 381. ललवपक या सेवक द्वारा स्वामी के कब्जे की सपंवि की चोरी 382. चोरी करिे के ललए मतृ्य,ु उपिनत या अवरोि काररत करिे की तयैारी के पश्चात ्चोरी

    उद्दापन के विषय में 383. उद्दापि 384. उद्दापि के ललए दंड 385. उद्यापि करिे के ललए ककसी व्यक्तत को क्षनत के भय में डालिा 386. ककसी व्यक्तत को मतृ्य ुया घोर उपिनत के भय में डालकर उद्दापि 387. उद्दापि करिे के ललए ककसी व्यक्तत की मतृ्य ुया घोर उपिनत के भय में डालिा 388. मतृ्य ु या आजीवि कारावास, आहद से दंडिीय अपराि का अलभयोग लगािे की िमकी देकर

    उद्दापि 389. उद्दापि करिे के ललए ककसी व्यक्तत को अपराि का अलभयोग लगािे के भय में डालिा

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    लूट और डकैती के विषय में 390. लटू 391. डकैती 392. लटू के ललए दंड 393. लटू करिे का प्रयत्ि 394. लटू करिे में स्वेच्छया उपिनत काररत करिा 395. डकैती के ललए दंड 396. ित्या सहित डकैती 397. मतृ्य ुया घोर उपिनत काररत करिे के प्रयत्ि के साथ लटू या डकैती 398. घातक आयिु से सक्ज्जत िोकर लटू या डकैती करिे का प्रयत्ि 399. डकैती करिे के ललए तयैारी करिा 400. डाकुओं की टोली का िोिे के ललए दंड 401. चोरों की टोली का िोिे के ललए दंड 402. डकैती करिे के प्रयोजि स ेएकब्रत्रत िोिा

    सम्पवि के आपराधधक दवुिातनयोग के विषय में 403. सपंवि का बेईमािी से दवुवतनियोग 404. ऐसी सपंवि का बेईमािी से दवुवतनियोग जो मतृ व्यक्तत की मतृ्य ुके समय उसके कब्जे में थी

    आपराधधक धयासभंग के विषय में 405. आपराधिक न्यासभगं 406. आपराधिक न्यासभगं के ललए दंड 407. वािक, आहद द्वारा आपराधिक न्यासभगं 408. ललवपक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभगं 409. लोक-सेवक द्वारा या बैंकर, व्यापारी या अलभकतात द्वारा आपराधिक न्यासभगं

    चरुाई िुई संपवि प्राप्त करने के विषय में

    410. चुराई िुई सपंवि 411. चुराई िुई सपंवि को बेईमािी से प्राप्त करिा 412. ऐसी सपंवि को बेईमािी स ेप्राप्त करिा जो डकैती करिे में चुराई गई िै- 413. चुराई िुई सपंवि का अभ्यासत: व्यापार तविा 414. चुराई िुई सपंवि नछपािे में सिायता करिा

    छल के विषय में 415. छल 416. प्रनतरुपण द्वारा छल 417. छल के ललए दंड 418. इस ज्ञाि के साथ छल करिा कक उस व्यक्त त को सदोष िानि िो सकती िै क्जसका हित सरंक्षक्षत

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    रखिे के ललए अपरािी आबद्ि िै 419. प्रनतरुपण द्वारा छल के ललए दंड 420. छल करिा और सपंवि पररदि करिे के ललए बेईमािी से उत्पे्रररत करिा

    कपटपूणा विलेखों और संपन्त् त-व्ययनों के विषय में

    421. लेिदारों में ववतरण निवाररत करिे के ललए सपंक्त् त का बेईमािी से या कपटपणूत अपसारण या नछपािा

    422. ऋण को लेिदारों के ललए उपलब्ि िोिे से बेईमािी से या कपटपवूतक निवाररत करिा 423. अतंरण ऐसे ववलखे का, क्जसमें प्रनतफल के सबंिं में लमथ्या कथि अतंववतष्ट िै बेईमािी से या

    कपटपवूतक निष्पादि 424. सपंवि का बेईमािी से या कपटपवूतक अपसारण या नछपाया जािा

    ररन्ष्ट के विषय में

    425. ररक्ष्ट 426. ररक्ष्ट के ललए दंड 427. ररक्ष्ट क्जससे पचास रुपये का िकुसाि िोता िै 428. दस रुपये के मलू्य के जीव-जन्त ुको वि करिे या उसे ववकलांग करिे द्वारा ररक्ष्ट 429. ककसी मलू्य के ढोर आहद की या पचास रुपये के मलू्य के ककसी जीव-जन्त ुको वि करिे या उसे

    ववकलांग करिे द्वारा ररक्ष्ट 430. लसचंि सकंमत को क्षनत करिे या जल को दोषपवूतक मोडिे द्वारा ररक्ष्ट 431. लोक सड़क, पलु, िदी या जल- सारणी को क्षनत पिुाँचाकर ररक्ष्ट 432. लोक जल-निकास में िकुसािप्रद जलप्लावि या बािा काररत करिे द्वारा ररक्ष्ट 433. ककसी दीपगिृ या समदु्री धचन्ि को िष्ट करिे, िटाकर या कम उपयोगी बिाकर ररक्ष्ट 434. लोक प्राधिकारी द्वारा लगाए गए भलूम-धचन्ि को िष्ट करिे या िटािे आहद द्वारा ररक्ष्ट 435. सौ रुपये का या (कृवष-उपज की दशा में) दस रुपये का िकुसाि काररत करिे के आशय से अक्ि

    या ववस्फोटक पदाथत द्वारा ररक्ष्ट 436. गिृ आहद को िष्ट करिे के आशय से अक्ि या ववस्फोटक पदाथत द्वारा ररक्ष्ट 437. तल्लायतुि या बीस टि बोझ वाले जलयाि को िष्ट करिे या सापद बिािे के आशय से ररक्ष्ट 438. िारा 437 में वखणतत अक्ि या ववस्फोटक पदाथत द्वारा की गयी ररक्ष्ट के ललए दंड 439. चोरी आहद करिे के आशय से जलयाि को साशय भलूम या ककिारे पर चढा देिे के ललए दंड 440. मतृ्य ुया उपिनत काररत करिे की तयैारी के पश्चात ्की गयी ररक्ष्ट

    आपराधधक अततचार के विषय में 441. आपराधिक अनतचार 442. गिृ-अनतचार 443. प्रच्छन्ि गिृ- अनतचार 444. रात्रौ प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार

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    445. गिृ-भेदि 446. रात्रौ गिृ-भेंदि 447. आपराधिक अनतचार के ललए दंड 448. गिृ-अनतचार के ललए दंड 449. मतृ्य ुसे दंडिीय अपराि को करिे के ललए गिृ- अनतचार 450. आजीवि कारावास से दंडिीय अपराि को करिे के ललए गिृ-अनतचार 451. कारावास से दंडिीय अपराि को करिे के ललए गिृ-अनतचार 452. उपिनत, िमला या सदोष अवरोि की तयैारी के पश्चात ्गिृ-अनतचार 453. प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या गिृ-भेदि के ललए दंड 454. कारावास से दंडिीय अपराि करिे के ललए प्रच्छन्ि गिृ- अनतचार या गिृ-भदेि 455. उपिनत, िमले या सदोष अवरोि की तयैारी के पश्चात ्प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या गिृ-भेदि 456. रात्रौ प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या रात्रौ गिृ- भदेि के ललए दंड 457. कारावास से दंडिीय अपराि करिे के ललए रात्रौ प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या रात्रौ गिृ-भेदि 458. उपिनत, िमला या सदोष अवरोि की तयैारी के पश्चात ्रात्री प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या रात्रौ गिृ-

    भेदि 459. प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या गिृ- भेदि करत ेसमय घोर उपिनत काररत िो 460. रात्रौ प्रच्छन्ि गिृ-अनतचार या रात्रौ गिृ-भेदि में सयंतुतत: सपंतृत समस्त व्यक्तत दंडिीय िैं,

    जबकक उिमें से एक द्वारा मतृ्य ुया घोर उपिनत काररत की िो 461. ऐसे पात्र को क्जसमें सपंवि िै, बेईमािी से तोडकर खोलिा 462. उसी अपराि के ललए दंड, जबकक वि ऐसे व्यक्तत द् वारा ककया गया िै क्जसे अलभरक्षा न्यस्त की

    गई िै

    अध्याय 18 दस्तािेजों और संपवि धचधिों संबंधी अपराधों के विषय में

    463. कूटरचिा 464. लमथ्या दस्तावेज रचिा 465. कूटरचिा के ललए दंड 466. न्यायालय के अलभलेख की या लोक रक्जस्टर आहद की कूटरचिा 467. मलू्यवाि प्रनतभनूत, ववल इत्याहद की कूटरचिा 468. छल के प्रयोजि से कूटरचिा 469. ख्यानत को अपिानि पिुाँचािे के आशय से कूटरचिा 470. कूटरधचत दस्तावेज या इलेतरानिक अलभलेख 471. कूटरधचत दस्तावेज या इलतेरानिक अलभलेख का असली के रुप में उपयोग में लािा 472. िारा 467 के अिीि दंडिीय कूटरचिा के आशय के कूटकृत मदु्रा आहद का बिािा या कब्ज ेमें

    रखिा 473. अन्यथा दंडिीय कूटरचिा करिे के आशय से कूटकृत मदु्रा आहद का बिािा या कब्जे में रखिा 474. िारा 466 या 467 में वखणतत दस्तावेज को, उसे कूटरधचत जाित ेिुए और उसे असली के रुप में

    उपयोग में लािे का आशय रखत ेिुए कब्जे में रखिा

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    475. िारा 467 में वखणतत दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के ललए उपयोग में लायी जािे वाली अलभलक्षणा या धचन्ि की कूटकृनत बिािा या कूटकृत धचन्ियतुत पदाथत को कब्जे में रखिा

    476. िारा 467 में ववणतत दस्तावेजों से लभन्ि दस्तावेजों के अधिप्रमाणीकरण के ललए उपयोग में लायी जािे वाली अलभलक्षणा या धचन्ि को कूटकृती बिािा या कूटकृत धचन्ियतुत पदाथत को कब्ज ेमें रखिा

    477. ववल, दिक ग्रिण प्राधिकारपत्र या मलू्यवाि प्रनतभनूत को कपटपवूतक रद्द, िष्ट आहद करिा 477क. लेखा का लमथ्याकरण

    संपवि धचधिों और अधय धचधिों के विषय में 478. (...................) निरलसत 479. सपंवि धचन्ि 480. लमथ्या व्यापार धचन्ि का प्रयोग ककया जािा 481. लमथ्या सपंवि-धचन्ि को उपयोग में लािा 482. लमथ्या सपंवि-धचन्ि का उपयोग करिे के ललए दंड 483. अन्य व्यक्तत द्वारा उपयोग में लाए गए सपंवि धचन्ि का कूटकरण 484. लोक-सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए धचन्ि का कूटकरण 485. सपंवि धचन्ि के कूटकरण के ललए कोई उपकरण बिािा या उस पर कब्जा 486. कूटकृत सपंवि धचन्ि से धचक्न्ित माल का ववक्रय 487. ककसी ऐसे पात्र के ऊपर लमथ्या धचन्ि बिािा क्जसमें माल रखा िै 488. ककसी ऐसे लमथ्या धचन्ि को उपयोग में लािे के ललए दंड 489. क्षनत काररत करिे के आशय से सपंवि धचन्ि को ब्रबगाड़िा

    करेंसी नोटों और बैंक नोटों के विषय में 489क. करेंसी िोटों या बैंक िोटों का कूटकरण 489ख. कूटरधचत या कूटकृत करेंसी िोटों या बैंक िोटों को असली के रुप में उपयोग में लािा 489ग. कूटरधचत या कूटकृत करेंसी िोटों या बैंक िोटों को कब्जे में रखिा 489घ. करेंसी िोटों या बैंक िोटों की कूटरचिा या कूटकरण के ललए उपकरण या सामग्री बिािा या

    कब्जे में रखिा 489ङ. करेंसी िोटों या बैंक िोटों से सादृश्य रखिे वाले दस्तावेजों की रचिा या उपयोग

    अध्याय 19

    सेिा संविदाओं के आपराधधक भंग के विषय में 490. (...........) निरलसत 491. असिाय व्यक्तत की पररचयात करिे की और उसकी आवश्यकताओ ंकी पनूत त करिे की सवंवदा का

    भगं 492. (............) निरलसत

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    अध्याय 20 वििाि संबंधी अपराधों के विषय में

    493. ववधिपणूत वववाि का प्रवचंिा से ववश्वास उत्पेररत करिे वाले परुुष द्वारा काररत सिवास 494. पनत या पत्िी के जीवि काल में पिु: वववाि करिा 495. विी अपराि पवूतवती वववाि को उस व्यक्तत को नछपाकर क्जसके साथ पश्चात्वती वववाि ककया

    जाता िै 496. ववधिपणूत वववाि के ब्रबिा कपटपवूतक वववािकमत परूा कर लेिा 497. जारकमत 498. वववाहिता स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जािा, या ले जािा या निरुद्ि रखिा

    अध्याय 20-क

    पतत या पतत के नातेदारों द्िारा कू्ररता के विषय में 498क. ककसी स्त्री के पनत या पनत के िातदेार द्वारा उसके प्रनत कू्ररता करिा

    अध्याय 21

    मानिातन के विषय में 499. माििानि 500. माििानि के ललए दंड 501. माििानिकारक जािी िुई बात को महुद्रत या उत्कीणत करिा 502. माििानिकारक ववषय रखिे वाले महुद्रत या उत्कीणत पदाथत का बेचिा

    अध्याय 22

    आपराधधक अभभत्रास, अपमान और क्षोभ के विषय में 503. आपराधिक अलभत्रास 504. लोक शांनत भगं करिे को प्रकोवपत करिे के आशय स ेसाशय अपमाि 505. लोक ररक्ष्ट कारक वततव्य 506. आपराधिक अलभत्रास के ललए दंड 507. अिाम ससंचूिा द्वारा आपराधिक अलभत्रास 508. व्यक्तत को यि ववश्वास करिे के ललए उत्पे्रररत करके कक वि दैवी अप्रसाद का भाजि िोगा, कराया

    गया कायत 509. शब्द, अगंववक्षेप या कायत जो ककसी स्त्री की लज्जा का अिादर करिे के ललए आशनयत िै 510. मि व्यक्तत द्वारा लोक-स्थाि में अवचार

    अध्याय 23

    अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में 511. आजीवि कारावास या अन्य कारावास से दंडिीय अपरािों को करिे के प्रयत्ि करिे के ललए दंड

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    भारतीय �