पाठ्यम सिमित ( अ य यन प रषद् ) वेद एवं िन ,...

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पाठ्यम सिमित ( अययन परषद ) वेद एव ि, MASL-101 फे0. दामोदर राम िपाठी, ग गानाथ झा शोधपीठ फे 0एच0पी0शुल कृ त िवभाग, इलाहाबाद िवविवालय िनदेशक, मानिवक िवाशाखा फे0 पुपा अवथी, कृ त िवभाग उ0मु0िव0 हानी, एस0एस0जे0 परसर, माउॅ िवविवालय डॉ0 देवेश क मार िम अमोड़ा सहायक ायापक, कृ त िवभाग डॉ0 जेश पाडे य, एसो00 उ0मु0िव0, हानी मिहला िडी कॉलेज, हानी डॉ0 स गीता बाजपेयी डॉ0 गोपाल दत िपाठी अकादिमक एसोिसएट कृ त महािवालय, कृ त िवभाग, उ0म 0िव0, हानी हानी य सपादक सह सपादक डॉ0 जेश पाडे डॉ0 देवेश कु मार िम, एसो0 ोफे 0, राजकय मिहला िडी कॉलेज सहायक ायापक, कृ त िवभाग हानी उ0मु0िव0, हानी इकाई लेखन खड इकाई स या डॉ0 देवेश क मार िम, 1 1 से 4 सहायक ायापक, कृ त िवभाग उ0म 0िव0, हानी डॉ0 उमेश क मार श 2 1 से 5 वता, या करण िवभाग ीमती लाडदेवी शमा प चोली स कृ त महािवालय बदनी, भीलवाड़ा, राजथाडॉ0 शशी ितवारी 3 1 से 4 िदली िवविवालय डॉ0 जया ितवारी 4 1 से 5 डी0एस0बी0 परसर, माउॅ िवविवालय नैनीताल काशन वष : 2015 तक का शीषक - वेद एव िISBN No. 978-93-84632-21-2 कॉपीराइट @ उराखड म कत िवविवालय मुक -

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  • पाठ्य�म सिमित ( अ ययन प�रषद् ) वेद एवं िन��, MASL-101

    �ोफे0. दामोदर राम ि�पाठी, गंगानाथ झा शोधपीठ �ोफे0एच0पी0शु� ल

    सं� कृत िवभाग, इलाहाबाद िव विवालय िनदशेक, मानिवक� िवाशाखा

    �ोफे0 पु� पा अव� थी, सं� कृत िवभाग उ0म0ुिव0 ह� �ानी,

    एस0एस0जे0 प�रसर, कुमाउॅ िव विवालय डॉ0 देवेश कुमार िम!

    अ� मोड़ा सहायक �ा� यापक, सं� कृत िवभाग

    डॉ0 "जेश पा$ डेय, एसो0�ो0 उ0म0ुिव0, ह� �ानी

    मिहला िड!ी कॉलेज, ह� �ानी डॉ0 संगीता बाजपेयी

    डॉ0 गोपाल द' त ि�पाठी अकादिमक एसोिसएट

    सं� कृत महािवालय, सं� कृत िवभाग, उ0मु0िव0, ह� �ानी

    ह� �ानी

    मु) य स+ पादक सह स+ पादक

    डॉ0 "जेश पा$ डेय डॉ0 देवेश कुमार िम!,

    एसो0 �ोफे0, राजक�य मिहला िड!ी कॉलेज सहायक �ा� यापक, सं� कृत िवभाग ह� �ानी उ0म0ुिव0, ह� �ानी इकाई लेखन ख$ ड इकाई सं) या

    डॉ0 देवेश कुमार िम!, 1 1 से 4

    सहायक �ा� यापक, सं� कृत िवभाग

    उ0मु0िव0, ह� �ानी

    डॉ0 उमेश कुमार शु� ल 2 1 से 5

    �व( ता, ) याकरण िवभाग

    *ीमती लाडदवेी शमा, पंचोली सं� कृत महािवालय

    ब/0 दनी, भीलवाड़ा, राज� थान

    डॉ0 शशी ितवारी 3 1 से 4

    िद� ली िव विवालय

    डॉ0 जया ितवारी 4 1 से 5

    डी0एस0बी0 प�रसर, कुमाउॅ िव विवालय

    नैनीताल

    �काशन वष2 : 2015

    पु� तक का शीष2क - वेद एवं िन�� ISBN No. 978-93-84632-21-2

    कॉपीराइट @ उ2राख3 ड मकुत िव विवालय

    म4ुक -

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 1

    ख� ड 1. वैिदक सू� त

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 2

    इकाई .1 इ�� सू� 1/1 5 इकाई क� �परेखा

    1.1 �तावना 1.2. उ��ेय

    1.3 म�� सं�या 1 - 5 तक (मलू,अ�वय,�या�या ) 1.4 म� � सं�या 6 -10 तक ( मलू, अ�वय, �या�या ) 1.5 सारांश 1.6 पा�रभािषक श!दावली 1.7 अ$यास �%& के उ'र 1.8 स�दभ( )�थ सचूी 1.9 िनब�धा/मक �%

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 3

    1.1 ��तावना

    विैदक स�ू� से स� बि�धत यह पहली इकाई ह ै। िजस !कार अ�य स�ू� म# आपने िविभ�न दवेताओ ंके )व*प और काय, का अ-ययन िकया ह ैउसी !कार !)ततु इकाई म# इ�2 क3 सम) त िवशषेताओ ंका अ- ययन कर#ग े। यह इ�2 स�ू ऋ6वदे के ि7तीय म�डल का प�2हवॉ स�ू ह,ै इसके दवेता इ�2 तथा ऋिष ग�ृसमद ह; । छ�द 1,7, को छोड़कर शषे सम)त छ�द� म# िAB टुप ्का !योग िकया गया ह ै। एक तथा सात म# पंि� छ�द ह ै। !)ततु स�ू म# ऋिष ने कुल दस छ�द� के मा-यम से इ�2 क3 )तिुत क3 ह,ै िजसम# विैदक दवेता इ�2 क3 िविभ�न ि)थितय� और कायाE�मक िवशषेताओ ंका वणEन ह ै। इस इकाई के अ-ययन के पGात ्आप इ�2 के िविवध )व*प� को जानकर उसक3 महIा एव ंकायाE�मक Kमता का उLलेख करते हMए अ�य दवेताओ ं के काय, से अ�तर भी )थािपत कर सक# ग े।

    1.2. उ�ेय

    विैदक कालीन दवेता इ�2 क3 अिधकािधक िवशेषताओ ं का अ-ययन कराना ही इस इकाई का उN�ेय ह ै। !)ततु इकाई के अ-ययन के पGात ्आप बताय#ग ेिक-

    • इ�2 का )व*प �या ह ै। • इ�2 के कायE �या ह; । • विैदक दवेता इ�2 क3 )तिुतयॉ िकतने छ�द� म# क3 गयी ह;। • इ�2 के पराOम का वणEन िकस !कार िकया गया ह ै। • इ�2 क3 िवशेषताए ंकौन-कौन सी ह; ।

    1.3 म� सं�या 1-5 तक ( मूल, अवय, �या�या )

    सू� - 15 मडल 2, देवता-इ��, ऋिष- गृ�समद, छ�द 1 तथा 7, म� पंि�, शेष ि�� टुप ्।

    संिहता पाठ �धा�व य महतो महािन स�य स�य य करणािन वोचम ् । ि�कटु के विपवत ्सुत या य मदे अिहिम��ो जघान ।।1।।

    अ�वय- स�य)य महतः अ)य महािन करणािन न ु!वोचम ्। इ�2 िAक2ुकेष ुअ)य अिपवत्, इ�2ः

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 4

    अ)य सतु)य मद ेअिह ंजघान । �या�या- ऋिष ग�ृसमद इ�2 क3 िवशषेता !कट करते हMए कहते ह;- स�य)व*प इस महान

    शि�शाली इ�2 के सवEथा ि)थर कम, को !कृT *प से कहता हU ँ। इ�2 ने तीन पाA� म# सोम-रस का पान िकया। इस सोम-रस के मद म# वAृासरु का वध िकया ।।1।। शदाथ�- स�य)य-स�य)व*प, महतः-महान ्अ)य-इस इ�2 के स�या-सवEथा ि)थर महािन-महान ्

    करणािन- कमW को न ु !वोचम-् !कृT *प से कहता हU,ँ इ�2-इ�2 ने, िAक2ुकेष-ुतीन पाA� म#,अिधबत्-सोमपान िकया, अ)य- इस, सतु)य-सोम के, मद े -मद म# (अह ंम#), अिह-ंवAृासरु को, जघान- मार डाला ।। सायणभा�य- ग�ृसमदो Xतू-े महतः बलवतः स�यसंकLप)य अ)य इ�2)य स�या स�यािन यथाथाEिन

    महािन महाि�त करणािन अि)म�स�ेू वYयमाणािन कमाEिण न अ� ! वोचं !कषZण Xवीिम । वच ्प[रभाषण े। छ�दिस लङ्ु, लङ् िलट- वतEमाने, लिुड़, ’अ)यितवि�]याित^योडड़्’ वच ्उम ्घ इित !िस_ौ। कािन-कािन उ`य�ते । िवक2ु केष ु aयोितगौरीमचुयेम ं *पेBवािभ-’लिवकेBवहः स ु )त)य अिभषतंु सोमम ्इ�2ः अिपषत ्। ततः पित)य अ)य सोम)य मद ेहषZ संजाते सित इ�2ः अिह ंवAृमसरंु जघान हतवान ्। अथ� - ग�ृसमदो ऋिषः कथयित यत ्स�य)व*प)य शि�शािलनः इ�2)य स�यािन महाि�त कायाEिण

    !कृT*पेन कथयािम। तेन िAष ु पाAेष ु सोमरसपानं कृतम,् सोम)य हषZ स�जाते सित सः वAृासरंु हतवान ् ।।1।। �याकरणगत िट�पणी- महतः- शbद षTी एकवचन । करणािन-सायण के अनसुार कमाEिण।

    !वोचम-् √ वच ्प[रभाषण ेधत ुसे 'छ�दिसलङुटः’ सAू से वतEमान के अथE म# लुङ् लकार का !योग

    हMआ ह ै। अिपषत ्-√ पा धात ुलङ् लकार !थम पु0 एकवचन । जघान-√हन ्धात िलट् लकार !0 प0ु एक वचन ।

    संिहता पाठ अवंशे धाम तभाय1ृह�तमा रोदसी अपृणद�त3र4म ् स धारय�पिृथव6 प�थ7च सोम य ता मद इ��8कार ।। 2 ।।

    अ�वय- धाम ् अवंश े अ)तभायत,् बहृ�तं अतं[रKं रोदसी अपणृत ् सः पिृथवीम ् धरयत ् च इ�2ः

    सोम)य मद ेताः चकार।

    �या�या- इ�2 ने �लुोक को िबना कारण अ�त[रK म# ि)थत िकया। बढ़े हMए आकाश और �ावापिृथवी को धारण िकया और उसे िव)ततृ िकया । इ�2 ने व ेसब कमE सोम के मद म# िकये ।।2।।

    शदाथ�- �ाम- �लुोक को, अवंशे- ( िबना कारण ) अ�त[रK म#, अ)तभायत्-ि)थत िकया,

    बहृनतं- बढ़े हMए, अ�त[रKं- आकाश रोदसी- �ावा पिृथवी को, धारयत ्-धारण िकया, प!थत ्च-और उसे िव)ततृ िकया । इ�2ः-इ�2 न#, सोम)य-सोम के मदे-मद म#, ताः -व ेसब कमE, चकार-िकया ।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 5

    सायणभा�य- अवशं ेआकाशे धां घोतमानं सयूE �लुोकं वा अ)त-भायत ्इ�2ोऽ)तभायत ्।

    अवल�बन)य त)याव)थापन dय�यमो बहMलम’् इ�य7ाविप शायजादशेः । बहृ�तं महत ् अ�त[रK रोदसी धावपिृथdयौ च अपणृत ्)वतेजसा प[ूरतवान ्। िक�च सः इ�2ः पिृथवe िव)तीणE भिूमं धारयत ्अधारयत ् । तथा प!थ`च एनां भिूमम!थयत ् । !थ !]याने । dय�त)य लिुड़ चिड़ *पम।् चड़्य�यतर)याम ्इित म-योदाI�वम ्सोम)य मद ेहषZ संजाते सित तानीमानी कमाEिण इ�2Gकार ।।2।। सं�कृताथ�- इ�2ः घलुोकं अ�त[रKे )थािपतवान,् विधEतः नभः धावापिृथdयोः प[रपणूEः कृतवान ्

    पिृथवe चाधारयत ्। तेन कृतम ्सवE सोम)य मद े ।।2 ।।

    �याकरणगत िट�पणी- अ)तभायत्-√ )त�भ ु धात ु लड़्ु लकार !थम प0ु एकवचन, 'dयdययो

    बहMलम’् सAू से शानच ्आदशे । रोदसी से ता�पयE घलुोक और पिृथवी लोक से ह ै। अ�त[रK-अ�तः ’)वगEपिृथdयौमE-येईYयते इित’ अ�तर ईK घञ ्यहॉ पषृोदरािद िनयम 7ारा ई को g)व हो जाता ह ै।

    धारयत ्-यह अधारयत ्का विैदक *प ह।ै पिृथवी- √!थ ्धात ुवय�त लड़्ृ लकार !थम प*ुष एक वचन इस म�A म# िATMप ्छ�द ह।ै

    संिहता पाठ स9ेव �ाचो िव िमयाय मानैव;

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 6

    अखनत ्बहMकालग�तdयैः मागkः अनायासेन ताः नदीः सTृवान् ।।3।।

    �याकरणगत िट�पणी- मानैः √मन ्धात ुघञ ्!�यय ततृीया बहMः सj-सीदि�त अि)मन्- सjिनत ्।

    िविमयाय-िविम िलट् लकार !थम प*ुष एकवचन । अतणृत्-√तदृ ् धात ु लड़्लकार !थम प0ु

    एकवचन। असजृत्-√सजृ ्धात ुलड़् लकार !थम प0ु एकवचन। इस मAं म# दवेता इ�2 तथा िनचतृ ्और िATMप छ�द ह।ै

    संिहतापाठ स � वोळ@न ्प3रग�या दभीतेिव;AमधागायुघिमBे अCनौ। सं गोिभरAैरसृज�थेिभः सोमसय ता मद इ��8कार।।4।। अ�वय- सः दभीतेः !वोळmन ् प[रगतय िवBवम ् आयधुम ् इ_े अ6नौ अधाक्। गोिभः अBवःै रथैः समसजृत्, इ�2ः सोम)य मद ेताः चकार ।।4।। �या�या- इस इ�2 ने दभीित के अपहताE असरु� को चारो ओर से घरे िलया। उनके सम)त अn-

    शn� को !दीo (!aविलत) अि6ल म# जता िदया। उन दभीित नामक राजिषE को गाय�, घोड़� और रथ� आिद से संय�ु िकया। यह सब कमE अथाEत ्यह सारा कायE इ�2 ने सोम-रस के मद (अह)ं म# िकया । शदाथ�-सः-उस (इ�2) ने, दभीतेः- दभीित के, !वोळmन ्अपहताE असरु� को, प[रग�य-चारो ओर स े

    घरे कर, िवpं-सम)त, आयधुम ् - अn-शn� को, इ_े-!दीo, अ6नौ-अि6न म#, अधाक्-जलािदया, गोिभः गाय� अpैः-घोडो, रथैः-रथ� से समसजृत्-संय�ु िकया। सायणभ�य- !ाि�कल चमुरुधिुन!भतृयोडसरुा दभीतेः परंु सं*-य प[रगqृ त)मा�परुाि�नरग[ुरित

    कथा । सः इ�2ः दभीतेः दभीितनाEम किG2जिषEः। तसय !वोळmन ्!वो7न।्। सिहवहोरोद-वणE)य’ इ�यो�वम ्।। !कषZण तं दभEितं वहत)तानसरुान ्म-येमागE प[रग�य तेषां िवpं सवEम ्आयधुम ्इ_े अ6नौ दीrयमाने वsौ अधाक् अधाKीत।् दहलेृEिड़ म�Aे घस इ�यािदना `लेलृEक्। पGातं दभीितं गोिभः, अpैः रथेिभः रधैG, सम ् असजृत ् संयोिजतवान ् । सो म)यािदिस_िमित।। अितमिूतEना��यो काह ेम*�वतीये स�ूमखुीया । अिमतमिूतEता इित ख�ड सिूजतं-स ई0 नहe धिुनमतेोरर�णोत।्।4।। सं� कृत - इ�2ः अपहतृEम ्असुरान ्सवEतः प[रtq सवEम ्शnं !दीoवsौ जaवाल गोिभरpैः रथैG तं

    संयोिजतवान ्। ।4 ।।

    �याकरणगतिट�पणी - !वोळmन्- 'सिहवहोरोदवणE)य’ इस सAू से ओ�व होता ह ै । अधाक्- √

    दह् धात ुलड़्ृ !0प0ु एकवचन रथोिभः- रथैः का विैदक *प ्ह ै। सम ्असजृत्- सम ्उपसगE पवूEक √ सजृ ्धात ुलड़् लकार !0 !0 एकवचन । इस मAं म# िATMप छ�द ह ै।

    संिहता पाठ

    स ई मह6 धिुनमेतोररEणा�सौ अ नातृ नृपारय� वि त।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 7

    त उ�सनाय रियमिभ �त थुः सोम य ता मद इ��8कार ।।5 ।। अ�वय- सः एतोः ईम ्महीम ्धुिनम ्अर�णात्। सः अ)नात ृन )वि)त अपारयत ्। ते उ�)नाय रियम ्

    अिभ !त) थ:ु । इ�2ः सोम)य मद ेताः चकारः ।।5।। �या�या-इ�2 ने इन ऋिष को पार जाने हते ुमहती नही को ि)थर िकया पार जाने म# असमथE लोग�

    को सकुशल नदी के पार कर िदया । उन लोग� ने नदी को तैरकर धन क3 ओर !)थान िकया। यह सब कायE इ�2 ने सोम के मद म# िकया । शदाथ�ः इ�2 ने एतोः ईम ् इन (ऋिष) को पार जाने के िलए इस, महe-महती, धिुन-नदी को,

    अर�णात्-ि)थर िकया सः-उ�होने, अ)नातनृ-्पारं जाने म# असमथE लोग� को )वि)त-सकुशल, अपारयत-्पार िकयाते-उन लोग� ने उ�)नाय- (उस नदी को) पार कर, रियं -धन को, अिभ-ओर, !त) थ:ु- !)थान िकया । सायणभा�य-सः इ�2ः ईम ्एनां महe महती धिुनं धनुोित )तोतणृां पापानीित धिुनः प*Bणी नदी। ताम ्

    एतोः।। ईpरपदा संिनधानेडिप तो स�ु!�ययेः।। ऋषीणां गमनाथEम ् अर�णात ् उपाशमयत्। महाजलां नदीमLलोपदकाम ्करोती�यथEः। ततः सः इ�2ः असनानत ृन ्सनातमुष�ान ्तरणासमथाEनवषu�)वि)त Kेमणे अपारयत ् ते महषEयः उ�)नाय तां नदीमIुीयE यं रिचमपेYय ग`छि�त तं रियम ् अिभलYय !त)धःु !ति)थरे। िशT ंिस_म ्।।5।। सं�कृत- इ�2ः ऋषीणां गमनाय नदe सं*रोध, तान ्सकुशलम-पारयत ्महषEयः नदीमIुीयE धनं !ित !ति)थरे ।।5।।

    �याकरणगतिट�पणी- एतोः यहॉ तोसनु ्!�यय हMआ। !त)थःु ! उपसगE पवूEक √�या धात ु िलट्

    लकार !थम प*ुष बहMवचन। कितपय िव7ान इस मAं क3 dया]या इस !कार करते ह;- जो जगदीpर इस संसार का सिृTकताE, पालक और संहती संहारक ह; । वह श_ुाचरण करने वाल� को द:ुख� से पार कराने वाला ह ै। इस !कार के श_ु ईpर म# जो समाज के 7ारा !ितिvत होते ह; व ेसब जगत् म# सवEA !ितvा को !ाo करते ह; । इस मAं म# िATMप छ�द ह ै।

    अ�यास- !-1

    क. िन�निलिखत बहMिवकLपीय !w� के उIर दीिजए-

    1. !)ततु स�ू के !थम मAं म# कौन-सा छ�द ह?ै

    क. िATMप ख. भ[ूर�पंि�

    ग. अनTुMप घ. उ[र�पंि�

    2. इ�2 स�ू tहीत ह-ै

    क. ऋ6वदे,02 म�डल से ख. ऋ6वदे 10 म�डल से

    ग. ऋ6वदे 03 म�डल से घ. ऋ6वदे 14 म�डल से

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 8

    3. इ�2 ने िकस नदी को ि)थर िकया?

    क. महानदी ख. गगंा नदी

    ग. महती नदी घ. ग�डक नदी

    4. असरु� ने िकस ऋिष को अपmत िकया ?

    क. िवpािमA ख. उभीित

    ग. दभीित घ. इनम# से कोई नहe

    5. !)ततु स�ू का ऋिष कौन ह;-?

    क. मधु̀ छ�दा ख. कवष ऐलूष

    ग. वाजxवा घ. ग�ृसमद

    ख. िन�निलिखत वा�य� का स�यास�य िनधाEरण क3िजए ।

    1. इ�2 सोम-रस का पान करते ह ै। ( )

    2. अर�णात ्का अथE ह ैि)थर िकया । ( )

    3. इ�2 ने निदय� के मागE को हाथ से खोदा । ( )

    4. दभीित को इ�2 ने गाय, रथ इ�यािद से संय�ु िकया । ( )

    5. √दह् धात ुलड़् लकार !थम प*ुष, एकवचन यह अधाक् शbद क3 dय�ुपिI ह ै।

    1.4 सं�या 6-10 तक ( संिहता पाठ, अवय,�या�या ) संिहता पाठ

    सोदGचं िस�धुम3रणा�मिह�वा व

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 9

    से नT कर िदया । सायणभा�य- सःइ�2िस�ध!ुाyचंस�तंमिह�वा)वकोयेनमिह�नाउदyचमअ्[रणात ् । उदड़्मखुमकरोत्

    ।। िस�धषुbदBछ�दिस पिुलड़्ग। उषसःउषोदdेया अनः शकटं वhेण सं िपपेष। चणूuचकार । एतyच ि7िBब7ा दिु-तरम ्(ऋ6वदे सं 4-30-9) इ�यA )पT ंवYयेत। िकं कुवEन ्। अजवसः जवहीना दबुEलाः सेनाः जिवनीिभः जव- य�ुािभः िववGृन ् िवशेषणे िभ�दन ् । िवपेषिेत सम�वयः। ’’औXGछेूदने’’। शत[र tिहaयािदना संxसारणम ्िशT ं)पTम ्।। सं�कृत-इ�2ः )विह�ना नदीम ्उदड़्मखु ंकृतवान ्। उषोदवेयाः शकटं वhेण चणूuचकार वगेविद भः

    सेनािभः िनबला सेनाः िवशेषणे िछAं कृतवान ्। dयाकरणगत िटrपणी- मिह�वा - यह मिह�ना का विैदक *प ह ै । संिपपेष - सम ्उपसगE पवूEक √ िपष ्धात ुिलट् लकार !0 प0ु एकवचन । चकार-√ कृ-धात ुिलट्लकार !0 प0ु एकवचन । कितपय िव7ान इस म�A को इस !कार dया]याियत करते ह; - िजस !कार सयूE महान बल स ेअपने !काश के 7ारा जल को ऊपर पहMचँाता ह ै। रािA के अधंकार को िवनT करता ह,ै और अपनी ती{ गित से अ|ुत काय, को करता ह ै। उसी !कार हम लोग� को भी करना चािहए। इस मAं म# िATMप छ�द ह ै।

    संिहता पाठ

    स िवBां अपगोहं कनीनामा िवभ;व�नुदितI�परावकृ । �ित Jोणः सथाद् KयनगचL सोम य ता मद इ���चकार ।।7।। अ�वय- सः िव7ान ् परावकृ, कनीनाम ् अपगोहम ् अिवभEवन ् उदितvत ् xोणः !ित)थात ् अनक्

    dयचT। इ�2 सोम)य मद ेताः चकार । �या�या - वह िव7ान ्परावक्ृ ऋिष स�ुदर क�याओ ंके ितरोिहत होने के कारण� को जानकर पनुः

    इ�2 को कृपा स े!�यK होता हMआ उनके स�मखु उपि)थत हMआ । पड़्ग ु परुावक्ृ ऋिष पॉच !ाo करके उनके पास गये, नेAहीन ऋिष पणूE तथा )पT दखेने लगा । यह सब कमE इ�2 ने सोमरस के मद म# िकया । शदाथ� - परुावक्ृ- परुावक्ृ कनीन- स�ुदर क�याओ ं के अपगोहम ् ितरोिहत होने के कारण� के,

    अिवभEवन ्-!�यK होता हMआ, उदितvत ्स�मखु उपि)थत हMआ । xोणः पड़्ग ु!ित)थात्-समीप गये, अनक् नेAहीन, dयचT-)पT दखेने लग।े सायणभा� य - परुािकल क�याकाG चKहुीनं पादहीनं परावजृ ं िजघसृमुिृष }T्वािभददुःु ततः स

    ऋिष[र�2 ं )त�ुवा चKुः पाद ं च लेभ।े तदतेाह कनीनां क�यकानाम ् अपगोहम ् अपगोहनं ितरोभावं िव7वान ्परुावक्ृ ऋिष आिभभEवन ्सवZषां !�यKो भवन ्उदितvत।् xोणः !ित)थात्। पवूEम�घोडघनुा चKलुो भात ्िवअचT । ताः क�यकाः िवशेषण प�यित)म। तानीमािन कमाEिण सः इ�2Bचकार ।।7।। सं�कृत- परुावक्ृ ऋिष क�यकानां ितरोभाव ं }T्वा पनुG !�यKीभवन ्स�मखुमवुि)तवान।् इ�2)य

    कृपावशात ्चKःु पाद ंच !ाoवान।् इमािन सवाEिण कमाEिण इ�2Gकार।

    �याकरणगतिट�पणी- िव7वान ्√ िवद ्धात ुवस ु!� यय । आिवभEवन ्आिवर√् भ ूधातु

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 10

    शत ृ!�यय, उदितvत्-उत्√ )था धात ुलड़् लकार !0 प0ु एकवचन । कितपय िव7ान इस म�A क3 dया]या इस !कार करते ह-ैह े मनBुय� िजस !कार सयूE अपने !काश से अधंकार को िनवIृ कर िविचA संसार िदखलाता ह,ै उसी !कार िव7ान ्dयि� स�य िव�ा के उपदशे से अिव�ा को दरू कर िविवध पदाथE िवiान को !कट करते ह ैऔर उस !कार के िवp को िवभिूषत करने वाले होते ह; । इस म�A म# )वराट् पंि� छ�द ह ै।

    संिहता पाठ िभनMमड़्िगरोिभगृ;णानो िवपव;त य Oंिहता�यैरत ्। 3रणPोधांिस कृि�मायेषां सोम य ता मद इ��8कार ।। 8।। अ�वय- अङ्िग रोिभः गणृानः बलं िभ�त् । पवEत)य }िंहतािन िवऐरत्। एषाम ् कृिA मािण रोधांिस

    [रणक्। इ�2ः सोम)य मद ेताः चकार ।।8 ।। �या�या- अड़्िगरा आिद ऋिषय� से !शंिसत होकर इ�2 ने बल नामक द�ैय को तोड़ िदया तथा

    गाय� के अवरोधक पवEत के स}ुढ़ 7ार� को खोल िदया। इन पवEत� के 7ारा कृिAम *प से िनिमEत अवरोधक 7ार� को दरू िकया। इ�2 ने यह सब कायE सोम के मद म# िकया। शदाथ�- अड़्िगरोिभः- अड़्िगरा ऋिषय� से, गणृानः !शंिसत (बलनामक द�ैय को) िभ�्-तोड़

    िदया, पवEत)य पवEत के }िंहतािन-स}ुर� को, िव ऐरत्-खोल िदया, एषाम ् इन पवEत� के 7ारा कृिAमािण-कृिAम *प से िनिमEत, रोधांिस-अवरोधक 7ारा को, [रणक् दरू िकया। सायणभा�य- अड़्िगरोिभः गृणानः �तुयमानः स इ�) बलं बलनामकम ्असुर िभनत ्अिभनत।् तथा गवां िनरोधक�य पव�त�य .ंिहतािन िशलािभ.ढीकृतािन 1ारािण व ऐरत उ4ािटतवन।् तदेवाह। एषं पव�तानां कृि8मािण ि9यया िनवृ�:ािन रोधािष िन;ािन �येकाहे िन�कैवलये सू@मुखीया ।।8।। संसकृत-इ�2 बलासरुम ्अिभनत।् पवEत)य स}ुढीकृतािन 7ारािण समदु ्धा[रतवान ्। कृिAम7ारा�यिप दरूीकृतािन तेन। तानीमािन कमाEिण स इ�2 चकार ।।8।।

    �याकरणगतिट�पणी-अड़्िगरोिभः-ततृीयािवभि� बहM । गणृानः √ग ृ धात ु iानच ् !dयय विैदक

    *प। कितपय िव7ान इस म�A क3 dयाखा इस !कार करते ह;- ह े मनBुय� । िजस !कार वाय ु क3 सहायता से अि6न अ|ुत काय, को करता ह,ै उसी !कार धािमEक िव7ान के सहयोग से बडे-बड़े उIम कायE कर सकते ह; । उस म�A म# िवराट् िATMप छ�द ह ै।

    संिहता पाठ व�पेनाQयुRया चुमु3रं धुिनGच जघ�थ द यंु �दभीितभावः । रEभी िचद� िविवदे िहरयं सोम य ता मद इ��8कार ।। 9 ।।

    अ�वय- (स`व)ं द)युम ्चमु[ुरम ्धिुनम ्च सव�पेन अ^यrुय आ जघ�य दभीित !भावः। र�भीिचत्

    अA िहर�यम ्िववदेे। इ�2 सोम)य मद ेताः चकार ।। 9 ।।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 11

    �या�या-इ�2 ने दTु, आततायी चमु[ुर और धिुन नामक असरु� को दीधE िन2ा से य�ु करके मार

    डाला और दभीित क3 रKा क3 । द�डधारी ने य_ु म# धन !ाo िकया । इ�2 ने यह सब कमE सोम रस के मद म# िकया । शदाथ�- द)यमु-दTु, चमु[ुर-चमु[ुर, धिुन च और धिुन को )व�पेन-दीधE िन2ा स,े अ^यrुय-य�ु करने,

    आ जघ�थ- मारा डाला, दभीित- दभीित क3 , !आव-रKा क3 र�भीिचत ्द�डधारी ने, अA इस यु_ म#, िहर�यं-धन को िववदे-े!ाo िकया ।। 9 ।। सायणभा�य- स`व ंदसयुं सवE)योपKपियतारं चमु[ुरं धिुन च एत�नामानावसरुौ )व�पेन दीधEिन2या

    अ^यपुत संयोaय जघ�थ छतवानिस। ततः ता^याम ्य-ुयमाण ंदभीितं राजािषE आवः रिKतवानिस। तथा च म�AवणEः �व ंिनद)यं चमु[ुरं धिुनं चा)वापयो दभीतये सहु�त ु(ऋ0सं0 7,19.4) इित। आवः। अवते रKाणानाथE)य लिड़ िसिप *पम ् । र�भी िचत् वAेधारी चा)य दौवा[रकः अA अि)म�य_ेु तयोरसरुयोः िहर�यं धनं िववेद े लेभ।े िवदल् ृ लाभे सव[रतेत ् तानीमािन कमाEिण सोम)य मद े सित चकार इित ।।9।। सं�कृत- इ�2ः चम[ुरं घिुनम ् च एत�नामानावसरुौ हतवान् । राजिषE दभीितं रिKतवान ् यु_ेडि)मन् वAेधारe धनं लेभ े। सवाEणीमािन कमाEिण इ�2णे कृतािन ।।9।।

    �याकरणगतिट�पणी- )व�पेन- √ )वप ्धात ुसे नन ्!�यय, ततृीया िवभि� एकवचन िविवद-े√

    िवदल् ृलाभ ेधात ुसे िलट्कलाकर !0 प*ुष । कितपय िव7ान ्इस मAं क3 dया]या इस !कार करते ह;- जो पु*ष� क3 रKा के िनिमI एकिAत होते ह ैजो प*ुषाथu डाकू आिद दTु� का िनवारण कर xेT प*ुष� क3 रKा िनिमI एकिAत होते ह,ै व ेसंसार के म-य ऐpयE को !ाo करते इस छ�द म# अनTुMप ्छ�द ह ै।

    संिहता पाठ नूनं सा ते �ित वरं ज3रगे दुहीयिद�� दि4णा मधोनी । िश4ा तोतृQयो माित घCभगो नो बृहMदेम िवदथे सुवीराः।।10।। अ�वय- ह ेइ�2 ते सा मधोनी दिKणा ननूं ज[रग ेवरम ्!ित दहुीयत।् )तोतृ̂ यः िशK भगः नः मा अित

    घक्, सवुीराः िवदथे बहृत ्वदमे ।।10 ।। �या�या-हे इ�2! त�ु हारी वह अ�यिधक ऐpयEशािलनी दिKणा िनGय ही )तिुत करने वाले को xेv

    धन !दान करती ह।ै )तिुत करने वाल� को xेv iान !दान क3िजए । धन, ऐpयE आिद के !दान करने के समय हम# न छोड़े और हम हम लोग� को ऐpयE !दान कर#। यi के समय )तोता लोग महान ्)तोA को बोल# ।।10 ।। शदाथ�- ते- त�ुहारी सा-वह मधोनी- अ�यिधक ऐpयEशािलनी, दिKणा ननूं-िनGय ही, ज[रA-े

    )तिुत करने को, वरं- xेv धन, !ित दहुीयत- !दान करती ह,ै सतोतृ̂ यः- )तिुत करने वाल� को िशK- (वह दिKणा) !दान क3िजए, भगः भजनीय (आप) नः- हम लोग� का, मा अित धक्-अितOमण कर, अ�य लोग� को दिKणा न !दान कर#। सवुीराः स�ुदर पAु पौA� से य�ु हम )तोता

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 12

    लोग, िवदथे- इस यi म#, वहृत ्महान ्या !भतू, वदमे- )तोA को बोले । सायणभा�य- ह ेइ�2 या दिKणा। दKम�ुसाहनं करोतीित दिKणा । )तोतृ̂ यो दयेा ते �वत ्संबि�धनी

    मधोनी धनवती ज[रAे सतोAे वरं xेvमिभमतमथं ननूं !ित दहुीयत ् इदानe !ितदोि6ध स�पादयती�यथEः। ता}शी दिKणां सतोतृ̂ यः अ)म^यं िशK !य`छ। िकंच भगः भजनीय)�व ंमाित धक् ।। दहदेाEनाथE)य लिृड़ ’म�Aे धस0 इ�यािदना `लेलुEक्। नः अ)मान ्अितO�या�ये^य� दिKणां मा याः। !थमम)म�यं दवा पGाद�ये�य� दीयतािम�यथE य7ानोड)माकं कामान ् ना धक् मा धाKीः अपेिKतफलदानेन परूम�ेयथEः। सवुीराः शोभनपAुपौAाः स�तो वयं िवदये अि)मन ् यi े वहृत ् !भतंू )तोAं वदमे �वामिुN�य Xवाम।अA सा ते !ितद6ुधाम ्इित !कृ�य ’वीरो वीरय�यिमAान ्वेIवाE )याद ्गितकमEणो वीरयतेवाE (िन*� 1.7) इ�यA िन*�म ्अनुसंधेयम! ।।10।। सं�कृत- ह े इ�2 परमpैयEशािलनी ते दिKणा खल ु )तोAे xेv धनं !ददाित । धनिवतरणसमये

    असमाकं प[र�यागः न कIEवयः। ऐpयE दqे)म^यं यi े)तोतगृणाः मह�सतोAं वदेम ।।10।। �याकरणगतिट�पणी- )तोतृ̂ यः-)त$ुतचृ से )तोता बना √ )तोत ृ धात ु ^यास ् !�यय होकर

    सतोAे^यः बना ह।ै सवुीराः- सवुीर$जस्, वदमे-√ वद ्धात ुिविधिलड़् लकार उIम प*ुष एकवचन । कितपय िव7ान इस म�A क3 dया]या इस !कार करते ह-ैह े मनBुय�! त�ुह# उIम िव7ान� के िलए अभीT दिKणा और िव�ािथEय� के िलए िशKा दनेी चािहए। िजससे दाता और tहीता फलय�ु बन#। इस म�A के ऋिष ग�ृसमद ह; । दवेता इ�2 ह ैऔर िATMप छ�द ह।ै

    अ�यास- !-2

    क. िन�निलिखत बहMिवकLपीय !w� के उIर दीिजए-

    1. ' शकट’ का अथE ह-ै

    क. गाड़ी ख. गाड़ीवान

    ग. कोचवान घ. इनम# से कोई नहe

    2. गणृान ्िनBप�न ह-ै

    क. tी धात ुसे ख. िगर ्धात ुसे

    ग. ग ृधात ुसे घ. िt धात ुस े

    3. ननूं सा ते !ित वरं................................िवदथे सवुीराः इस मAं का दवेता और छ�द ह-ै

    क. इ�2, पंि� ख इ�2, भ[ुर�पंि�

    ग. इ�2, अनTुMप ग. इ�2, िATMप

    4. अिंगरा आिद ऋिषय� क3 )तिुत पर इ�2 ने िकस द�ैय का वध िकया?

    क. बाल ख. बल

    ग. द�ैया[र घ. बालासरु

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 13

    5. आिवभEवन ्क3 dयाकरिणक dया]या ह-ै

    क. अिवर√्भ ूधातु शत ृ!�यय

    ख. आवीर√्भ ूधात ुशत ृ!�यय

    ग. आवीर√भ ूधात ुशत ृ!�यय

    घ. आिवर√्भ ूधातु शत ृ!�यय

    6. इ�2 ने िकन आतताियय� को िचर ्िन2ा म# सलुाया ?

    क. चमु[ुर और बल को, ख. चमु[ुर और धिुन को

    ग. चमु[ुर और द�ैयािद को घ. धिुन और बालासरु को

    ख. िन�निलिखत वा�य� का स�यास�य िनधाEरण करे -

    1. चमु[ुर और धिुन से इ�2 ने दभीित क3 रKा क3 ।

    2. मघोनी का अथE इ�2 होता ह ै।

    3. सवुीरजस्, सवुीराः क3 dयाकरिणक dया]या ह ै ।

    4. इ�2 न# परुावकृ ऋिष को सोम रस के मद म# नेA य�ु कर िदया

    5. इ�2 ने अपने महान ्बल से नदी को दिKणोIर क3 ओर बढाया ।

    6. चकार शbद क3 िनBपिI √ कृ धात ुिलट् लकार !थम प*ुष एक वचन से हMयी ह ै।

    1.5 सारांश

    इ�2 न# तीन पाA� म# सोम रस का पान िकया इसी रस के मद म# आकर उसने वAृासरु का वध िकया ।वह स�य )व*प वाला ह ै।अकारण ही इ�2 ने �लुोक को अ�त[रK म# ि)थत कर िदया था ।इ�2 ने निदय� को गहृ तथा यi क3 भॉिंत पवूE क3 ओर गितशील बनाया,निदय� को सहज मागE !दान !दान िकया। सारे कम, को इ�2 ने मद म# िकया,वह जल का नेता ह ै ।इ�2 ने दभीित के अपहताEओ ंको घरेकर उनके अn-शA� को !aविलत अि6न म# जला िदया।दभीित नामक राजिषE को गो, अp और रथ� से ससुिaजत कर िदया । नदी पार करने म ेअसमथE लोगो को सकुशल पार कर िदया । इ�2 ने महान बल के 7ारा नदी को उIर क3 ओर बढाया तथा उषा के शकट को अपने वh 7ारा नT कर िदया ।अड़्िगरा आिद ऋिषय� से !शिंसत होकर इ�2 ने बल नामक द�ैय को तोड़ िदया तथा गाय� के अवरोधक पवEत के स}ुढ़ 7ार� को खोल िदया । इन पवEत� के 7ारा कृिAम *प से िनिमEत अवरोधक 7ार� को दरू िकया । )तिुत करने वाल� को xेv iान !दान क3िजए । धन, ऐpयE आिद के !दान करनेके समय हम# न छोड़े और हम लोग� को ऐpयE !दान कर#। यi के समय )तोता गण लोग महान ्का पाठ कर# ।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 14

    1.6 पा�रभािषक श�दावली

    1. करणािन-सायण के अनसुार कमाEिण होता ह ै।

    2. !वोचम-् √ वच ्प[रभाषण ेधात ुसे 'छ�दिसलड़्ुिलटः’ सAू से वतEमान के अथE म# लड़्ु लकार का !योग हMआ ह ै। 3. अ)ना तनृ-्पार जाने म# असमथE लोग� को ।

    1.7 अ�यास �� के उर क. 1-ख. 2-क 3-ग 4-ग 5-घ ख. 1 सही 2-सही 3-गलत 4-सही 5- गलत

    1.8 स�दभ� ��थ सूची

    1. सं)कृत वदे भारती, डॅा िशवबालक ि7वदेी, 2. t�थम ्!काशन, कानपरु

    1.9 िनब�धा�मक ��

    • इ�2 के )व*प एव ंकाय, का िववचेन कर# । • म�A सं]या 3 और 6 क3 सं)कृत अथE सिहत dया]या कर# । • इ�2 न# ऋिषय� एव ंपृवी वािसय� के कT को दरू िकया !)ततु स�ू के आधार पर िस_

    कर#।

    • इ�2 के सोम-रस पान के मह�व का वणEन कर# ।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 15

    इकाई.2 उषःसू�- मूलपाठ, सायणभा�य, अथ� - �या�या इकाई क� �पारेखा

    2.1 �तावना 2.2 उ��ेय 2.3 उषस ्स0ू 2.4 सारांश 2.5 श! दावली 2.6 अ$ यास �� न& के उ/ तर 2.7 स� दभ( )� थ सचूी 2.8 सहायक उपयोगी पाठ्य साम)ी 2.9 िनब�धा/मक �%

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 16

    2.1.��तावना

    )नाIकोIर सं)कृत !थम वषE के !थम !w पA के !थम ख�ड (विैदक स�ू� से स�बि�धत) क3 यह ि7तीय इकाई ह ै । इसके पवूE क3 इकाई म# आपने इ�2 स�ू के मा-यम से विैदक दवेता इ�2 क3 सम)त िवशेषताओ ंका अ-ययन िकया ह ै। इस इकाई के अ�तगEत आप उषा के )व*प एव ंउसके कायW का अ-ययन करेग# । उषस ्स�ू ऋ6वदे के ततृीय म�डल का इकसठवॉ ंस�ू ह ै। इसके ऋिष िवpािमA तथा देवता उषस ्ह; । स�पणूE स�ू म# िATMप ्छ� द का !योग िकया गया ह ै। !)ततु स�ू म# विणEत उषस ्को स�य एव ंअस�य का उ`चारण करने वाली तथा िवशेष *प से शोभायमान बताया गया ह ै। सयूE को उषा का !ेरियता बताया गया ह ै। रािA तथा उषा को दो बहन� के *प म# िचिAत िकया गया ह ै। !)ततु इकाई के अ-ययन से आप उषा के िविभ�न )व*प� एव ंउसके पराOम को बतायेग# ।

    2.2.उ�ेय

    उषस ्स�ू म# विणEत दवेी क3 महIा के प[रiान से आप बता सक# ग ेिक - 1. ऋ6वदे म# विणEत उषा का )व*प �या ह ै? 2. उषस ्के िविभ�न *प� क3 महIा �या ह ै? 3. उषस ्स�ू म# उषा क3 )तिुतयाँ िकतने मAं� के मा-यम से क3 गयी ? 4. उषस ्का )व*प तथा अ�य दवेताओ ंके )व*प एव ंमह�व म# अ�तर �या ह ै? 5. उषा के िविशT कायE कौन-कौन से ह; ?

    2.3.उषस ्सू# ऋिष-िवAािम� ,देवता-उषस ्छ�द- ि�LTप ्,मडल-3,सू� - 69, मूलपाठ उषो वाजेन । वािजिन �चेतः तोमं जुष व गृणतो मघोिन । पुराणी देिव युवितः पुरंिधरनु Vतं चरिस िवAवारे ।।1।। पदपाठः उषः। वाजेन वािजिन ।�ऽचेताः। तोमम ्जुष व। गृणतः। मघोिनः। पुराणी। देिव। युवितः। पुरंऽिधः। अनु। Vतम।् चरिस। िवAऽवारे ।।1।।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 17

    अ�वय- वाजने वािजिन मघोिन उषः। !चेताः गणृतः )तोमम ्जषु)व । िवpवारे दिेव । परुाणी यवुितः

    परुि�धः {तम ्अनचुरिस । सायण- वाजने वािजिन अ�नेन अ�नवित । मघोिन धनवित ह े उषः। !चेताः !कृT iानवती सती

    गणृतः तव सतोAं कुवEतः )तोत:ु )तोम ं )तोAं जषु)व सेव) व । य7ा वाजने हिवलEKणनेा�नेन सह )तोम ंजषु)विेत स�ब�धः । िव� ववारे सवkवEरणीये ह ेउषो दिेव परुाणी परुातनी युवित तरणी� यपुमा । त7`छोभना । ससंुकाशा मातमृTृचे योषिेतवत ्। ( ऋग ्01/123/2 ) परुि�धः प*ु बहM धी )तोAलKणं कमE य)याः सा । बहM)तोAवती प*ुिधबEहMधी[रित या)कः। पुरि�ध शोभमाना वा । एविंवघगणुोपेता �वमनrु{तं यiकमाEिभलY य चरिस यTdयतया वतEत े। अथ� - अ�न से अ�नवती तथा धन से स�प�न ह ेउषा दवेी । तमु !कृT iान वाली होती हMई )तिुत

    करने वाले के )तोA को tहण करो । स�पणूE िवp के 7ारा वरणीय, िदdय गणु� से स�प�न ह ेउष दवेी तमु परुातनी यवुती के समान हो अथवा सनातन काल स े यवुती ही बनी हMई हो, बहMत अिधक बिु_शािलनी हो और तमु हमारे यi आिद िनयम {त को लYय करके िवचरण करती हो अथाEत उनका पालन करती हो । �या�या- उषा को सदा नवीन रहने के कारण '' परुाणी यवुितः’’ भी कहा जाता ह ै। वाज शbद के

    अनेक अथE ह-ै Swiftness, Race, Prize of Race gain, treasure, food, oblation, strength, strife, contest, booty आिद । म�ैसमलूर ने तो वाजने वािजिन का अथE ‘ Wealthy by wealth or booty ’ िकया ह ै। यहाँ पर 'वार’ का अथE सब वरणीय धन� से स�प�न हो सकता ह ै । वार का मतलब िदन से भी होता ह ै अतः िवpवारे का अथE !ितिदन भी हो सकता ह ै । dयाकरणीय }िT से हम उषा सू� के इस म�A के एक-2 शbद� को इस पर समझ सकते ह; - �याकरण- जषु)व - जषु ्धात,ु लोट लकार, म-यम प*ुष एक वचन विजिन-वाजः अ)य अि)त

    अथE म# वाज + इिन + ङीप । स�बोधन एकवचन । गणृत:- ग$ृ � ना $ ”kr`A षB ठh िवभि� एक वचनA मघोिन-’मघ’ शbद से 'मतपु’् के अथE म# विैदक, 'विनन ्!�यय । व को 'उ’ स�!सारण और 'ऋ�ने^यो ङीप्’ से ङीप्- मघोनी । स�बोधन का एकवचन । यवुितः- यवुन ्ित = युवितः। न का लोप । िवpवारे- िवp नणृ (अ) टाप ्। स�बोधन का एकवचन । चरिस-िवचरण करती हो । )तोमम-्)तोA को । !चेताः-!कृT iान वाली । परंुिधः-परुम ्धी य)या अथE म# 'पषृोदरा-िदdवात ्िनयम से प*ु को परुम ्आदशे हMआ तो परंुिध शbद बना ।

    मूलपाठ 2. उषो देKयम�या; िवभािह च��रथा सूनृता ईरय�ती। आ �वा वह�तु सुयभासो अAा िहरयवणा; पृथुयाजसो ये ।।

    पदपाठ - उषः । देिव । अमBया� । िव । भािह ।

    च�)ऽरथा । सूनृताः । ईरय�ती ।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 18

    आ । Bवा । वह�तु । सुऽयमासः। अEाः। िहरFयवणा� पृथुऽपाजसः। ये ।।2 ।।

    अ�वय- उषः दिेव । अम�याE च�2रथा सनूतृाः ईरय�ती िवभािह । पथृपुाजसः सयुमासः ये अpाः

    िहर�यवणाEम ्�वा आवह�त ु। सायण- ह ेउषो दिेव अम�याE मरणधमEरिहता च�2रथा सवुणEमयारथो-पेता सनूतृाः ि!यस�य*पा वा

    च ईरय�ती उ`चारण-पथृपुाजसः !भतू बलय�ुा अ*णवणाE येऽश िव��ते सयुमासः सBुण ु िनय�त ुश�या रथे योिजता)तेऽpा िहरdयवणाE �वा �वामावह�त ुसयुमासः यमरेकृ`ाथZ रवल ्। अथ�- ह ेउषा दवेी! िदdय गणु� वाली तुम मरण धमE से रिहत होती हMई, सवुणEमय रथ पर आ*ढ होती

    हMई, ि!य और स�य वािणय� का उ`चारण करती हMई, सयूE िकरण� के स�ब�ध म# िवशेष *प से शोभायमान बनो । अ�यिधक बलशाली और अ`छी !कार से िनयि�Aत जो त�ुहारे अ*ण वणE घोड़े ह;, व े)वणE के समान दीिoमान तमुको हमारे स�मखु लाय# । � या� या- िदdयगणुवाली मरणधमE से रिहत आिद जो भी िवशषेणय�ु बात# बतलायी गयी ह,ै ये उषा

    के िविभ�न गणु� को रेखांिकत करती ह।ै घोड़ो क3 िवशेषता बतलाते हMए यह कहा गया ह े िक ये !ितभाशाली और अ`छी !कार से िनयंिAत ह ैऔर ये घोड़े )वणE के समान दीिoमान ह ैये ही तमुको हमारे स�मखु लाय#। उषा क3 !शसंा करते हMए िवpािमA ऋिष कहते ह ैिक ह ेउषा दवेी तमु मरण धमE से रिहत हो तथा तमु िवशषे *प से सुशोिभत हो जाओ मेरी यही कामना ह।ै त�ुहारी वाणी ि!य ह ैतथा तमु स�य वाणी का उ`चारण करती हो । सयूE क3-िकरण� के स�ब�ध को रेखांिकत कर ऋिष िवpािमA कहते ह ै िक तमु इनके स�ब�ध से िवशेष !कार से शोभायमान हो जाओ।ं घोड़ो क3 िवशेषता बतलाते हMए कहते ह; िक ये त�ुहारे अ*ण वणE के घोड़े सब तरह से िनयंAण म# ह; । �याकरण- भािह -भा धातु, लोट लकार, म-यम प*ुष एकवचन । ईरय�ती-ईरिण`शतङृीप ्। सनुतृा-

    सऋुतटाप ्( यहाँ पर नतु ्का आगम तथा दीघE हMआ ) सयुमासः -सयुमखल ्= सयुम । !थमा िवभि� के बहMवचन का वैिदक *प । पथृयुाजसः-पथुपुाजः येषां ते । याजतु ् (ज)् असनु ् (अस)् याजस ् । पीटसEन ने ’पथृयुाजसः ’का अथE ’अ�यिधक चमक वाला’ बताया ह।ै यहाँ पर सयुमासः का अथE ’सखु पवूEक जोते जा सकने वाला’ भी हो सकता ह ै।

    मूलपाठ 3. उषः �तीची भुवनािन िवAोYवा; ितI यमृत य केतुः। समा�मथ; चरणीयमाना चZिम;क नय या ववृ� व।।

    पदपाठ- उषं । तीची । भुवनािन िवEा ।

    उGवा� । िनHिस । अमृत�य। केतुः। समानम ्अथ�म ्। चरणीयमाना ।

    च9िमक नFयिस । आ । ववृB�व ।।3।।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 19

    अ�वय- उषः। िवpा भवुनािन !तीची अगतृ)य केतःु उ-वाE िनTिस। न�यिस। समानम ् अथEम ्

    चरणीयमाना चOम ्इव आनंवृ�)व ।

    सायण- ह ेउषो दवेी! वpा भवुनािन सवाEिण !तीची । !ित आिभमचुयेन अyचित !ाoोती !तीची ।

    अमतृ)य मरणधमE रिहत)य सूयE�य केतुः !iायियAीित �वम-ूवाE नभ)य�ुनता ितvिस। न�यिस पनुः पनुजाEयमानतया नवतरे ह े उषो दवेी! अथEम ् अथEते ग�यतेऽि)मि�न�यथW मागEः समानमकंे मागEमदुया�!ाचीनकाललKणं चरणीयमाना च[रतिुम`छ�ती, �वम)यावन�ृसव पनु)ति)म�मागEम ्आवतृा भाव। तA }Tा�तः। चOिमव यथा नभिस च[रतःृ सयूE)थ रथाऽऋ्ग पनुः पनुरावतEते त7त।् अथ�-ह ेउषा दवेी! तुम स�पणूE लोक� के तरफ जाती हMई मरण धमE से रिहत सयूE क3 -वजा अथाEत

    उसका बोधन कराने वाली उपर आकाश म# ि)थत होती हो । सदा नवीन रहने वाली ह ेउषा । तमु एक ही मागE पर िवचरण करती हMई सयूE के पिहये के चO के समान पनुः पनुः घमूती रहो ।

    �या�या- उषा दवेी के बारे म# यशगान करते हMए िवpािमA ऋिष का कहना ह ै िक ह े उषा दवेी!

    स�पणूE या िजतने भी लोक ह ैइस सिृT म# आप उन सभी के स�मखु अथाEत ्सामने जाती ह।ै आप सयूE के -वजा अथाEत ्उनक3 सIा का बोध कराती ह ै और आप आकाश म# ि)थत ह; । आप कभी !ाचीन नही हो सकती ह।ै आप सवEथा िचर)थायी रहगेी । सयूE का पिहया िजस !कार घमूता रहता ह ैआप उसी !कार पनुः पनुः अथाEत बार-बार घमूती रह े।

    �याकरण-!तीची-!ितअyचिुकवन ्। '' अyचतेGोपसं]यानम’्’ से ड़ीप।् ’अyच’् के अ ंऔरञ ्तथा

    !ित के इ को दीधE ई हMआ ह ै। यहाँ पर िवpा भवुनािन !तीची का अथE ह-ै**In the Face of all Creatures**चरणीयमाना-’चरणम ्इ`छित’ अथE म ेचरण �य`शान`टाप ्। केतुः- 'चाय ्पजूायाम’्

    धात ुसे चाय ्तनु ्। 'चाय’ को ही 'क3’ आदशे हMआ और गणु होकर केत ुबना । ववृB�व- यड़् लगु�त वतृ ्धातु, लोट्लकार, म-यमप*ुष एकवचन । नFयिस- नवईयसनुड़ीप ् । नव के 'अ’ और !�यय के ई का विैदक लोप = न�यिस । स�बोधन

    एकवचन यहाँ पर समानम ्अथE चरणीयमाना का अथE ह-ै **Pressing Forward to the Same Mark** अथा�त~ As in Former daysA आप के सामने एक मAं !)ततु ह ै िजसक3 तलुना

    ऋ6वदे से करनी चािहए - समानो अGवा �व8ोरन�त�यम�या�या चरतोदेव िशHे। न मेथेते न त�धतुः सुमेके न@ोषासा समनसा िव�पे ।।

    रािA और उषा को दो बहन# माना जाता ह ै। ये न कभी *कने वाली ह ैन कभी ठहरने वाली ह; बिLक अबाध गित से घमूती रहती ह; । इनके िवचार एक दसूरे के !ित सहानभुिूतपूणE रहत ेह; और एक दसूरे से िमलता जलुते ह; पर�त ुइनके )व*प पर)पर िभ�न ह; । यहाँ पर छ�द के अनरुोध से ' िवpो-वाE ’ को ' िवpा 'उ-वाE’ 'ितB ठ�यमतृ)य’ को 'ितTिस अमतृ)य तथा’ न�य)या’ को 'न�यिस आ’ पढ़ना

    चािहए ।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 20

    मूलपाठ 4. अव ् युमैव िच�वती मघो�युषा याित वसर य प�नी वज;न�ती सुभमा सुदसंा आ�तािददवः �पथ आपृिथKया

    पदपाठ

    अव। )यमूऽइव । िच�वती मघोनी । उषाः। याित। )वसर)य। प�नी ।

    )वः। जन�ती । सुऽभागा । सडुदसंाः । आ । अ�तात ्। िदवः। प!थे । आ । पिृथdया ।।4।।

    अ�वय- मघोनी )वसर)य प�नी उषाः )यमू इव अविच�वती याित। )वः जन�ती सभुगा सदुसंाः िदवः

    आ अ�तात ्पिृथdयाः आ प!थे । सायण-येयभषुाः वnिमव िव)ततंृ नमः अविच�वती अवचयमपKयं !ापय�ती माघोनी धनवती।

    )वसर)य सvुM अ)यित िसपित तम इित )वसरः सयूW वासरो वा त)य। प�नी सती याित ग`छित। )वः )वक3यं तेजः जन�ती जनय�ती सभुागा सुघना सौभा6यय�ुा वा सदुसंाः शोभनाि6नहोAकमE सेयमषुा िदवः �लुोक)य आ अ�तात ्पिृधdयाG आ अ�तात ्अवसाना�!पथे !काशत इ�यथEः। अथ�- धनस�पिI से प[रपणूE सयूE क3 या िदन क3 प�नी होती हMई यह उषा दवेी वn के समान

    आ`छािदत करने वाले अ�धकार का िवनाश करती हMई अथवा अपने वn के अहकंार को फैकती हMई चली जाती ह ै । अपने तेज को उ�प�न करती हMई अथवा )वगE को सजीव करती हMई, स�ुदर यi*पकमE वाली यह उषा �लुोक के अि�तम िकनारे से लेकर पृवी के अि�तम िकनारे तक फैल जाती ह।ै �या�या-!)ततु मAं म# पीटसEन न#')यमू’ का अथE वn बताया ह ैऔर ')यमूवे िच�वती’ का अथE ह-ै

    asting aside as it were, her garment उषा के िवषय म# वn का उदाहरण दकेर बताया गया ह ैिक िजस !कार शरीर को वn ढकते ह; उसी पर !कार उषा दवेी अ�धकार का िवनाश करती ह ै। य ेधन-स�पिI से प[रपणूE ह ै। ये स�ुदर यi *पी कमW वाली ह ैजो �लुोक से लेकर पृवी के अि�तम िकनारे तक फैली हMई ह ै । रॉथ ने ऋ6वदे के 1/113/7 व# मAं म# ')यमून’ को Hymen नामक tीक दवेता के समानाथEक माना ह।ै ')यमू’ का अथE ह-ै The mistress o the house bestirs herself, drawing back the Strap that closes the doo r। tासमान के अनसुार 'अव)यमूवे िच�वती’ का अथE ह-ै ‘Unloosening her girdle। लडुिवग ने इस !कार बताया ह-ै ‘Shaking reins in order to urge on her horses, or throwing reins away alto-gather in order to alight. सायण ने ')वर)य प�नी’ का अथE बताया ह ैउसे पीटसEन ने अश_ु माना ह ैऔर कहा ह ैिक- ‘Queen of all World’ होना चािहए । पीटसEन के अनसुार ’)वजEन�ती ’ का अथE ‘Bringing heaven to life’ जव सपिमष ्होना चािहए और ’सदुसंाः’ का अथE Doing wonderful and glorious deed होना चािहए । इसका अथE स�ुदर *पवाली भी हो सकता ह ै।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 21

    �याकरण- िच�वती- िच (स)ु शतड़ृीप = िच�वती मघोनी- मघविनन ् ङीप ् = मघोनी )यमू-

    'िषवतु�तसु�ताने’ धात ुसे मन ्!�यय । िसवम । िसव ्के 'व’ को '`छवोः शडूननुािसके च से ’उठ’ और 'इ’ को यण आदशे हMआ तो )यमू बना । ि7तीया िविभ� एकवचन विैदक *प । )वसर)य- 'सvुM अ)यित िसपित तमः’ अथE म# 'स ुअस ्से अरक्’ !�यय = )वसर । षvी िवभि� एकवचन । जन�ती- िणज�त 'जन’ धात ुसे शत ृ। 'छ�द)य-ु भयथा’’ से िणच ्का लोप होकर जन�ती बना ।

    अQयास �[-1

    1. उषस ्स�ू के ऋिष ह;-

    (i) विशT (ii) किपल

    (iii) िवpािमA (iv) भतृEह[र

    2. उषस ्स�ू म# छनद का !योग िकया गया ह-ै

    (i) िAB टुप ् (ii) वशं)थ

    (iii) मािलनी (iv) बस�तितलका

    3. उषस ्स�ू-61 ऋ6वदे के िकस म�डल से गहृीत ह-ै

    (i) चतथुE (ii) ततृीय

    (iii) !थम (iv) षT

    4. '' गणृतः’’ शbद िकस िवभि� एव ंिकस वचन का *प ह-ै

    (i) षTी एकवचन (ii) सoमी बहMवचन

    (iii) चतथुu ि7वचन (iv) ततृीया एकवचन

    5. ''न�यिस’’ शbद िकस िवभि� एव ंिकस बचन का *प ह-ै

    (i) स�बोधन ि7वचन (ii) सoमी बहMवचन

    (iii) स�बोधन बहMवचन (iv) स�बोधन एकवचन

    6. [र� )थान� क3 पिूतE क3िजए-

    क.उषो वाजने वािजिन !चेतः....................................................गणृतो मघोिन ।

    ख. आ�वा नह�त ुसयुमासो................................................पथृयुाजसो ये । ग. समानमथE चरणीयमाना...........................................न�य)या वव�ृ)व ।

    घ. पीटसEन ने............................................................का अथE अ�यिधक चमक वाला बताया ह ै।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 22

    ङ. सदा नवीन रहने के कारण उषा को ..........................................क3 कहा जाता ह।ै

    च. उषा और ..............................................................को दो बहने माना जाता ह ै।

    छ. पीटसEन ने )यमू का अथE............................................बताया ह।ै

    ज. रॉथ ने )यमू का अथE ...................................नामक tीन दवेता के समानाथEक माना ह ै।

    मूलपाठ 5. अ7छा वेा देवी युषसं िवभाती � वो भरYवं नमसा सवृुि�न ् । ऊYव; मधुधा िदिव पाजो अJेत �रोचना ��चे रवसंOक् ।।5।।

    पदपाठ

    अ`छा । व दवेीम ्। उषसम।् िवडभातीम । !। वः भर-वम। नमसा । सुडविृ�म।् ऊ-वEम । मधधुा । िदिव । पाजः। अxेत । !। रोचना। **चे। र�वसं}क् ।। अ�वय-वः अ`छ िवभातीम ्दवेीय ्उBसम वः नमसा सवु�ृ�म ्!भर-वम ्गधधुा िदिव ऊ-वEम ्पाजः

    अxेत ्र�वसं-क् रोचना !**चे। सायण- ह े )तोतारो व यBुमाननG अिभलYय िवभाती शोभमान मषुसं दवेी !ित यो यBुमाकं

    स�बि�धनान मसा नम)कारेण सह सवुिृ� शोभनां )तिुत ! भर-व ययंू कु*त। मधआु मधरुािण )तिुत लKणािन वाकयािन दधातीित मध ु सोमः तं धारयतीित वा। य_ा मधधुा आिद�यधाAी। य_ा अवtाहा-भावाद�यय�ु�प�नावयवमरख�डिभदमषुो नाम। सेयमषुाः िदिवनभिस ऊ-वE उ-वाEिभमखुं पाजः तेजः अxेत ् xयित। तथा रोचना रोनशीला र�वसं-य रमणीयदशना उषा ! **चे !कषZण दीrयते। य_ा रोचनालोका�!**चे !कवZण )वतेजसा दीrयित । अथ�- ह े)तिुत करने वालो ! अपने सामने )व`छ *प ्से !कािशत होती हMई दवेी उषा के !ित तमु

    सब नम)कार के साथ उIम सु�दर )तिुत करो । मध ुअथाEत ्)तिुतय� को या सम को अथवा आिद�य को धारण करेने वाली यह उषा दवेी �लुोक म# उ-वाEिभमखु होकर तेज या बल का आxय लेती ह ैऔर रमणीय दशEन वाली होती हMई !कािशत होने वाले लोको को अपने तेज से अितशय *प से !कािशत करती ह ै। �या�या- !)ततु मAं म# िवpािमA ऋिष सभी )तिुत करने वाल� से यह कहते ह ैिक ह े)तिुत करने

    वाल� आपके सामने जो )व`छ *प ्स ेभली-भाँित अ`छी !कार स े!कािशत होती हMई उषा दवेी को

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 23

    तमु सभी नम)कार करो तथा तुम सभी उIम तरीके से इनक3 )ततुी करो। उषा देवी मध ुतथा आिद�य को धारण करने वाली ह।ै ये लोक को !कािशत करने वाली दवेी ह ै। �लुोक म# उ-वाEिभमखु तजे या बल का आxय (सहारा) लेती हो। !)ततु मAं म# वः का दो बार !योग हMआ ह।ै यहाँ पर पहले व को ि7तीया�त मानकर इसका स�ब�ध दवेी उषस ्के साथ जोड़ा गया ह।ै ि7तीय ’वः’ म# षTी िवभि� मानकर इसका स�ब�ध ’नमसा’ के साथ जोड़ा गया ह।ै tासमान, लडुिवग और कोलबकु ने इसका स�ब�ध ’सवुिृ�म’् के साथ िकया ह।ै ’सवुिृ�म’् का dय�ुपिIमलूक अथE साफ करना या काटना(Cleaning of Trimming) पीटसEन ने माना ह।ै इस !कार यहाँ अथE होगा- Cleaning and trimming of grass on which as on a small altar, the oblation, is offeredA''अपने !काश को फैलाती ह’ै’ ऐसा माना ह।ै �याकरण-1. िवभातीम-् िवभाशतड़ृीप । ि7तीया िवभि� एकवचन। यहाँ पर लोक म# िवभा�तीम ्

    *प भी बल सकता ह।ै 2. भर-वम-् भ ृधात ु(आ�मनेपद) लोट् लकार, म-यम ्प*ुष एकवचन 3. xोचना- रचपनु (अन) टाप।् 4. )विृ�म-्स ुपवूEक ’वजृी वजनZ धात’ु धात ुसे ’िकन’ !�यय । 5. अxेत- ’िxञ’् धात,ु वतEमान के अथE म# लड़् लकार, !थम प*ुष, एकवचन (विैदक *प) 6. **चे- *च ्धात ु(आ�मनेपद) िलट् लकार, !थम प*ुष, एकवचन। लट् के अथE म# िलट् 7. मधधुा- मध ुदधाित अथE म# मध+ुध+ि�वप।् 8. र�वस-क्- रिव (एव)् $अच ्=एव।ं सम-श ि�वय=्संहक् एव ंसंहक् य)याः सा=एवसंहक्।

    मलूपाठ 6. ऋतावरो िदनो अक̂रबोYया रेवती रोद्सी िच�म थात।् आयतीमCन उषसं िवभाित वाममेिष �िवणं िभसमाणः।।

    पदपाठ ऋ�यडवरी। िदवः।अकk । अबोिध । आ । रवती। रोदसी इित। िचAम ्। अ)थात । आडयतीम।् अ6ने। उषसम।् िवडभातीम।् वामम ्एिष। 2िवणम।् िभसमाणः।।6।। अ�वय-ऋतावरी िदवः अकk ः अबोिध रेवती रोदसी िचAम ्आ अ)थात।् अ6ने। आयतीम ् िवभातीम ्उषसम ्िभसमाणः वामम ्2िवणम ्एिष। सायण- ऋतावरी स�यवती मेयमषुा िदवः �ालोकादकk )तेजोिभ)बोिध सवkiाEयते। ततो रेवती

    धनवती सेयं रोदसी �ावापिृथdय� िचAं नानािवध*पय�ंु यथा आ$अ)थात ्सवEतो dयाrय ितTित। ह ेअ�ने। आयती �वदिभमखुमाग`छ�ती िवभाती भासमानामषुसमषुोदवेी िमसमाणो हवeिष याच मान)टव ंवाम ंवननीयं !िवणमि6नहोAािदलसण ंधनमिेष !ाrनोिष।

  • वेद एवं िन त MASL101

    उ� तराख� ड म�ु त िव� विव�ालय 24

    अथ�-स�य से य�ु अथवा स�य िनयम� का पालन कराने वाली उषा दवेी �लुोक से आने वाले अपने

    तेज पyज से जानी जाती ह ै । धन से य�ु होती हMई यह उषा �लुोक और पिृथवी लोक को नाना !कार के *प� स ेय�ु होकर dयाo करके ि)थत होती ह ै। ह ेअि6न दवेता अपनी ओर आती !काश मान उषा दवेी से हिव क3 याचना करते हMए तमु अभीT या बॉटने यो6य धन को !ाo करते हो । �या�या-उषा दवेी स�य से प[रपणूE ह ैतथा इ�ह ेस�य िनयम� का पालन कराने वाली के *प म# जाना

    जाता ह ै। नाना !कार *प� से य�ु तथा धन से य�ु उषा �लुोक और पृवी लोक dयाo करके ि)थत होती ह ै । उषा क3 !शसंा करते हMए िवpािमA ऋिष अि6न दवे से कहते ह ै िक ह ेअि6न दवे तमु अपनी ओर आती हMई !काशमान दवेी से हिव क3 याचना करते हMए तमु अभीT या बॉटने यो6य धन को !ापत करते हो । !)ततु मAं म# पीटसEन ने इस मंA का अथE िभ�न !कार से बता�