महम्मद अलहमद अन्नजद साइट इस्लाम...

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1438 कुछ वािक समारोह म भाग लेने का म [ هنديHindi fgUnh ] मुहमद अल-हमूद अजदी साइट इलाम और उर अताउर रहमान जयाउलाह

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  • 1438

    कुछ वार्षिक समारोहों में भाग

    लने ेका हुक्म

    [ Hindi – fgUnh – هندي]

    मुहम्मद अल-हमूद अन्नजदी

    साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

    अताउररहमान ज़ियाउल्लाह

  • 1438

    كم املشاركة يف بعض ح االحتفاالت السنوية

    حممد احلمود انلجدي

    موقع اإلسالم سؤال وجواب

    عطاء الرمحن ضياء اهلل

  • 1

    कुछ वार्षिक समारोहों में भाग

    लने ेका हुक्म

    प्रश्नः

    कुछ वार्षिक अवसरों और समारोहों जैसे-

    अंतरािष्ट्रीय पररवार दिवस, अंतरराष्ट्रीय

    र्वकलांग दिवस और अंतरािष्ट्रीय वदृ्धजन

    दिवस, इसी तरह कुछ धार्मिक अनषु्ट्ठानों

    जैसे- इस्रा व मेराज (पगंैबर सल्लल्लाहु

    अलदैह व सल्लम की रातों-रात मक्का से

  • 2

    मस्जजिे अक़्सा तक, फिर वहााँ से आकाश

    तक की यात्रा की सालगगरह), मीलािनु्नबी

    (पगंैबर सल्लल्लाहु अलदैह व सल्लम का

    जन्म दिवस) और दहज्रत (पगंैबर

    सल्लल्लाहु अलदैह व सल्लम के मक्का से

    मिीना की ओर प्रवास की सालगगरह) के

    समारोहों में भाग लेने में शरीअत का क्या

    हुक्म है? और वह इस प्रकार फक लोगों

    को याि दिलाने और उन्हें नसीहत

    (सिपुिेश) करने के र्लए व्याख्यान और

  • 3

    इजलामी सेर्मनार का आयोजन फकया

    जाए या कुछ पत्रक तयैार फकए जाएं।

    उत्तरः

    हर प्रकार की प्रशंसा और गणुगान केवल

    अल्लाह के र्लए योग्य है।

    मेरे र्लए जो बात प्रत्यक्ष होती है वह यह

    है फक ये दिन जो प्रतत वषि िोहराये जात े

    हैं और उन्हें मनाने के र्लए आयोस्जत

  • 4

    फकए जान े वाल े समारोह, ये नव

    अर्वष्ट्काररत त्योहारों और मनगढ़त

    र्वधानों में से हैं, स्जनकी अल्लाह न ेकोई

    सनि नही ं उतारी है। जबफक आप

    सल्लल्लाहु अलदैह व सल्लम का िरमान

    है : ''और तुम नये अर्वष्ट्कार कर र्लए

    गए मामलों से बचो, क्योंफक हर नवाचार

    बबिअत है और हर बबिअत पथ-भ्रष्ट्टता

  • 5

    (गुमराही) है।'' इसे अहमि, अब ू िाऊि

    और ततर्मिज़ी आदि न ेररवायत फकया है।

    तथा पगंैबर सल्लल्लाहु अलदैह व

    सल्लम ने िरमाया : ''हर जातत (क़ौम)

    का एक त्योहार होता है और यह हमारा

    त्योहार है।'' (बखुारी व मसु्जलम).

    शखैुल इजलाम इब्ने तरै्मय्या रदहमहुल्लाह

    ने अपनी फकताब ''इस्क़्तज़ाउस र्सराततल

  • 6

    मजुतकीम र्ल-मखुालितत असहाबबल

    जहीम'' में उन अवसरों और नवीन

    अर्वष्ट्काररत त्योहारों की तनिंा के बारे मे

    स्जनका र्वशदु्ध शरीअत में कोई आधार

    नहीं है, र्वजतार से बात फकया है। तथा

    इनके अन्िर धमि से संबंगधत जो खराबी

    पाई जाती है, उसे हर एक क्या जान े

    बस्ल्क अगधकांश लोग इस प्रकार की

  • 7

    बबिअतों की खराबी को नहीं जानते,

    र्वशषेकर यदि वे बबिअतें धमिसंगत

    इबाितों के स्जन्स से हैं। बस्ल्क बरु्द्धमान

    लोग ही ऐसे हैं जो इसके अन्िर की कुछ

    खराबी को जानत ेऔर समझत ेहैं।

    तथा लोगों पर अतनवायि यह है फक : व े

    फकताब और सनु्नत का पालन करें,

    अगरच ेव ेइसके अंिर भलाई और खराबी

  • 8

    (लाभ और हातन) के मदु्दों को पणूि रूप से

    न जान सकें ।

    स्जसन े भी फकसी दिन में कोई काम

    अर्वष्ट्कार फकया, जसेै कोई रोज़ा, या

    नमाज ईजाि करना, या कुछ खाने

    बनाना, या सजावट और खचि में र्वजतार

    इत्यादि, तो इस कायि के पीछे दिल के

    अंिर एक आजथा ज़रूर होती है, और यह

  • 9

    इसर्लए क्योंफक उसके र्लए यह आजथा

    रखना ज़रूरी होता है फक यह दिन अन्य

    दिनों की तुलना में बेहतर है, क्योंफक यदि

    उसके दिल में या स्जसका वह अनसुरण

    कर रहा है उसके दिल में यह आजथा न

    होती तो दिल इस दिन और रात को

    र्वर्शष्ट्ट करने के र्लए तैयार न होता,

  • 10

    क्योंफक बबना कारण के फकसी चीज़ को

    प्राथर्मकता िेना असंभव है।

    ईि (त्योहार) का शब्ि उस जथान, उस

    समय और उस समारोह के नाम को

    िशािता है, और इन तीनों में कई चीज़ें

    अर्वष्ट्कार कर ली गई हैं।

    जहााँ तक समय का संबंध है तो इससे

    संबंगधत बबिअतों के तीन प्रकार हैं, और

  • 11

    इनके अंतगित जथान और कायस से

    संबंगधत कुछ बबिअतें आती हैं।

    उनमें से एक प्रकार : ऐसा दिन है स्जसे

    शरीअत न े महानता और सम्मान नही ं

    दिया है, और पवूिजों के यहााँ उसका कोई

    उल्लेख नही ं है, तथा उसमें कोई ऐसी

    चीज़ घदटत नही ं हुई है जो उसकी

    महानता व सम्मान का कारण बनती हो।

  • 12

    िसूरा प्रकार : ऐसा दिन है स्जसके अंिर

    कोई घटना घदटत हुई हो, स्जस तरह फक

    अन्य दिनों में घदटत होती है, परंतु वह

    उसे एक र्वशषे अवसर बनाने को

    अतनवायि न करती हो, और न ही पवूिज

    उसका सम्मान करत ेरहे हों।

    स्जसन ेभी ऐसा फकया उसन ेईसाइयों की

    समानता अपनाई, जो ईसा अलदैहजसलाम

  • 13

    की घटनाओं के दिनों को ईि (त्योहार)

    बना लेत ेहैं, या उसने यहूदियों की नकल

    की। हालााँफक ईि एक शरीअत (धमि-

    शाजत्र) है, अतः स्जसे अल्लाह न ेधमिसंगत

    करार दिया है उसका पालन फकया

    जायेगा, अन्यथा धमि में कोई ऐसी चीज़

    नही ंपिैा की जायेगी जो उसमें से नही ं

    है।

  • 14

    इसी तरह वह भी है जो कुछ लोग ईसा

    अलदैहजसलाम की जयंती में ईसाइयों की

    बराबरी और समानता अपनाते हुए या

    नबी सल्लल्लाहु अलदैह व सल्लम से पे्रम

    और सम्मान के त़ौर पर नई चीज़ें

    अर्वष्ट्कार कर लेते हैं . . चनुााँच ेपवूिजों ने

    इन्हें नही ंफकया है जबफक इसके करन ेकी

    अपेक्षा पाई जाती थी और कोई रूकावट

  • 15

    नही ंथी यदि वह भलाई का काम होता .

    . .

    तीसरा प्रकार : ऐसा दिन जो शरीअत के

    अंिर सम्मातनत है, जैसे फक आशरूा का

    दिन, अरिा का दिन, ईिलु फित्र और

    ईिलु अज़्हा के दिन और इनके अलावा

    अन्य दिन। फिर इच्छाओं के पजुारी

    उसमें ऐसी चीज़ें पिैा कर लेते हैं स्जनके

  • 16

    बारे में वे यह आजथा रखते हैं फक वह

    एक िज़ीलत (गणु और प्रततष्ट्ठा) है,

    जबफक वह एक घणृाजपि चीज़ है स्जससे

    रोका जाना चादहए, उिाहरण के त़ौर पर

    राफिस्ज़यों का आशरूा के दिन प्यासा रहने

    और शोक मनान ेका अर्वष्ट्कार कर लेना,

    और इनके अलावा अन्य वे मामले स्जन्हें

    अल्लाह ने धमि संगत करार दिया है न

  • 17

    उसके पगंैबर सल्लल्लाहु अलदैह व

    सल्लम ने, और न तो पवूिजों में से और

    न ही पगंैबर सल्लल्लाहु अलदैह व सल्लम

    के घर-पररवार वालों में से फकसी ने उसे

    धमि संगत कहा है। जहााँ तक वदै्ध बठैकों

    के अलावा, जथायी रूप से कोई सभा

    (बठैक) तनधािररत कर लेन ेका मामला है

    जो हफ्तों, या महीनों या सालों में

  • 18

    िोहराया जाता है, तो यह वाजतव में पााँच

    समय की नमाज़ों, जमुा, िोनों ईिों और

    हज्ज के सम्मेलनों और समारोहों की

    बराबरी करता है, और यही नवाचार

    (बबिअत) है।

    इसका मलू र्सद्धांत यह है फकः वदै्ध

    इबाितें जो समय-समय पर िोहरायी

    जाती हैं यहााँ तक फक वह परंपरायें और

  • 19

    र्वशषे अवसर बन जाती हैं, अल्लाह न े

    उनमें से केवब इतनी मात्रा में धमि संगत

    फकया है स्जसके अंिर बन्िों के र्लए

    फकिायत (पयािस्प्त) है, इसर्लए यदि इन

    सामान्य और परंपरागत बठैकों के ऊपर

    कोई अततररक्त बठैक अर्वष्ट्कार कर ली

    गई, तो यह उस चीज़ की बराबरी करना

    है स्जसे अल्लाह न े धमि संगत और

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    परंपरागत बनाया है, और इसके अंिर वह

    खराबी पाई जाती है स्जनमें से कुछ पर

    चतेावनी ऊपर गज़ुर चकुा है, यह उस

    स्जथतत के बबल्कुल र्वपरीत है स्जसे

    आिमी अकेले या कोई र्वर्शष्ट्ट समहू

    कभी-कभार कर लेता है। सार रूप से

    समाप्त हुआ।

  • 21

    जो कुछ ऊपर गुज़र चकुा उसके आधार

    पर : मसुलमान के र्ल इन दिनों में भाग

    लेना जायज़ नही ं है स्जनका हर साल

    जश्न मनाया जात है, और हर साल उसे

    िोहराया जाता है, क्योंफक वह मसुलमानों

    की ईिों के समान हो जाता है जैसा फक

    ऊपर गुज़र चकुा। लेफकन यदि उसे बार-

    बार िोहराया नहीं जाता है, और उसके

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    अंिर मसुलमान उस हक को बयान करने

    पर सक्षम है स्जसे वह उठाये हुए है और

    उसका लोगों में प्रचार कर सकता है, तो

    इन शा अल्लाह उसके ऊपर कोई हरज

    की बात नही ंहै। और अल्लाह तआला ही

    सबसे अगधक ज्ञान रखता है।

    स्रोतः मसाइल व रसाइल / महुम्मि अल-हमिू अन्नजिी, पषृ्ट्ठः 31

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