क्ष्मी स्रनाम स्तोत्रम् ... · 2017-09-27 ·...

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लमȢ सहनȡम तȪम् नȡ˳ȡȲ सȡट सहȲ च ǗǑह गȡय महȡमतȯ महȡ लȡ महȡ दȯȡ भǕǒि मǕ् अय ǔसȯ १ गȡय उवȡच सनत् कǕ मȡरम् आसȢनȲ ȡदज़ȡǑद सǔˡभम् अन् ȪǑगनȪ भȡ ȪǑगनȡम् अय ǔसȯ २ सवय लȫǑकक कमयȪ ǒवमǕिȡनȡȲ Ǒहतȡ वȰ भǕǒि मǕǒि दȲ जम् अनǕ ǗǑह दȡǓनधȯ ३ सनकǕ मȡर भगवन् सवयझȪ ’ǔस ǒवज़ȯशतȬ आǔत ǔसȯ ˡȡȲ ǔश धमȡयय सȡधनम् ४ ǔिनǔतत मȡनवȡȬ सवȶ धनȡ भȡवȯन कȯ वलम् ǔसǔतत धǓनदȪ ’त नȰव धमȡयय कȡमनȡɯ ५ दȡǐर˰ वȲǔसनȢ नȡम कȯ न ǒवनȡ कȧǒतयतȡ कȯन वȡ ƺ ǒवनȡǒि कȯ न Ǖ ǒवनȡǔज़नȢ ६ सवȡयसȡȲ सȡर भǗतȰकȡ ǒवनȡनȡȲ कȯन कȧǒतयतȡ

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  • लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम् नाम्ाां साश्ट सहस्रां च ब्रहूह गार्ग्य महामते महा लक्श्श्््ा महा देव््ा भुक्ति मकु्श्््् अर्य ससद्ध् े१ गार्ग्य उवाच सनत ्कुमारम ्आसीनां द्वादज़ाहद्् ससिभम ् अप्च्चन् ्ोहगनो भक्श्््ा ्ोहगनाम ्अर्य ससद्ध्े २ सवय लौहकक कमयभ््ो क्तवमिुानाां हहता् वै भुक्ति मकु्ति प्रदां जप्च््म ्अनु ब्रहूह द्ाननधे ३ सन्कुमार भगवन् सवयज्झो ’सस क्तवज़ेशतः आसस्तक्य ससद्ध् ेिाां सक्श्शप्र धमायर्य साधनम् ४ सिद्यसतत मानवाः सवे धना भावेन केवलम् ससद्ध््सतत धननदो ’त्स्् नैव धमायर्य कामनाह् ५ दाररद्र्य ्वांससनी नाम केन क्तवद्या प्रकीक्ततयता केन वा ब्रह्म क्तवद्याक्ति केन ्््ु क्तवनासज़नी ६ सवायसाां सार भूतैका क्तवद्यानाां केन कीक्ततयता

  • प्र््क्श्श ससक्तद्धदा ब्रह्मन ्ताम ्आचक्श्व द्ाननधे ७ सन्कुमार उवाच साध ुप्च्श्टां महा भागाह् सवय लोक हहतैनशणः महताम ्एश धमयज़् च नात्ेशाम ्इक्तत मे मक्ततः ८ ब्रह्म क्तवश्णु महादेव महेतराहद महा्मनभः स्प्रोिां कर््ाम ््द्य लक्ष्मी नाम सहस्रकम ्९ ्स््ोचारण माते्रण दाररद्र्यान् मुच््ते नरः हकां िुनस ्तज् जिाज् जािी सवेश्टार्ायन् अवाप्नु् ात ्१० अर् सघ्कल्िः अस्् ज़्री लक्ष्मी हदव्् सहस्र नाम स्तोत्र महामतत्रस्् आनतद कदयम नचक्श्ळीतेसतदरा सतुाद्ो महा्मानो महशय्ः, अनुश्टुि् चतदः, क्तवश्णमुा्ा ज़क्तिः, महा लक्ष्मीः िरा देवता, ज़्री महा लक्ष्मी प्रसाद द्वारा सवेश्टार्य ससद्ध््रे् जिे क्तवनन्ोगः अर् ््ानम् िद्मनाभ क्तप्र्ाां देवी ां िद्माक्श्शी ां िद्मवाससनीम ् िद्मवक्श्त्राां िद्महस्ताां वतदे िद्माम् अहर ्ननज़म ्१

  • िूणेतदु वदनाां हदव्् रत्ना भरण भूनशताम ्वरदा भ् हस्ताढ्ाां ््ा्ेच ्चतर सहोदरीम् २ इचा रूिाां भगवतः ससचदानतद रूक्तिणीम ् सवयज्झाां सवय जननी ां क्तवश्ण ुवक्श्शस ्स्र्ला ल्ाम् द्ालमु ्अननज़ां ््ा्ेत ्सुि ससक्तद्ध स्वरूक्तिणीम ्३ अर् लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम् नन््ागतानतत नन््ा नसतदनी जनरझ्जनी नन्् प्रकासज़नी चैव स्वप्रकाज़ स्वरूक्तिणी १ महा लक्ष्मीर ्महा काली महा कत्ा सरस्वती भोग वैभव सतधात्री भिानुग्रह काररणी २ ईज़ावास््ा महा मा्ा महादेवी महेज़्वरी ह्ल्लेिा िरमा ज़क्तिर ्मा्का बीज रूक्तिणी ३ नन््ानतदा नन्् बोधा नाहदनी जन मोहदनी स्् प्र्््नी चैव स्वप्रकाज़ा्म रूक्तिणी ४ क्तत्रिुरा भैरवी क्तवद्या हांसा वागीज़्वरी सज़वा वार्गदेवी च महा राक्तत्रः काल राक्तत्रस ्क्तत्रलोचना ५

  • भरकाली कराली च महाकाली क्ततलोत्तमा काली कराल वक्श्त्रातता कामाक्श्शी कामदा ज़ुभा ६ चसडिका चडि रुिेज़ा चामडुिा चक्र धाररणी तै्रलोक्य जन्नी देवी तै्रलोक्य क्तवज्ोत्तमा ७ ससद्ध लक्ष्मीः हक्र्ा लक्ष्मीर ्मोक्श्श लक्ष्मीः प्रसाहदनी उमा भगवती दुगाय चातरी दाक्श्शा्णी सज़वा ८ प्र््सघ्गरा धरावेला लोकमाता हररक्तप्र्ा िावयती िरमा देवी ब्रह्म क्तवद्या प्रदान्नी ९ अरूिा बहु रूिा च क्तवरूिा क्तवज़्व रूक्तिणी िझ्च भूतास्मका वाणी िझ्च भूतास्मका िरा १० काली-मा िसझ्चका वार्गमी हक्तवः प्र््नध देवता देव माता सरेुज़ाना देव गभाय ’स्बका स्तः ११ सघ्््ा जाक्ततः हक्र्ा ज़क्तिः प्रक्तिर ्मोहहनी मही ्ज्झ क्तवद्या महा क्तवद्या गहु्य क्तवद्या क्तवभावरी १२ ज््ोक्ततश्मती महा माता सवय मतत्र फल प्रदा

  • दाररद्र्य ्वांससनी देवी ह्ल्द् ग्रसतर् भेहदनी १३ सहस्राहद्् सघ्काज़ा चसतरका चतर रूक्तिणी गा्त्री सोम स्भूक्ततः साक्तवत्री प्रणवास्मका १४ ज़घ्करी वैश्णवी ब्राह्मी सवय देव नमस्िा सेव्् दुगाय कुबेराक्श्शी कर वीर ननवाससनी १५ ज्ा च क्तवज्ा चैव ज्तती चािरासजता कुसजजका कानलका ज़ास्त्री वीणा िुस्तक धाररणी १६ सवयज्झ ज़क्तिः ज़्री ज़क्तिर ्ब्रह्म क्तवश्ण ुसज़वास्मका इिा क्तिघ्गनलका म््ा ्णाली ततत ुरूक्तिणी १७ ्ज्झेज़ानी प्रर्ा दीक्श्शा दसक्श्शणा सवय मोहहनी अश्टाघ्ग ्ोहगनी देवी ननबीज ््ान गोचरा १८ सवय तीर्य सस्र्ता ज़ुद्धा सवय िवयत वाससनी वेद ज़ास्त्र प्रभा देवी शड् अघ्गाहद िद क्रम १९ सज़वा धात्री ज़ुभानतदा ्ज्झ कमय स्वरूक्तिणी व्रक्ततनी मेनका देवी ब्रह्माणी ब्रह्मचाररणी २०

  • एकाक्श्शर िरा तारा भव बतध क्तवनासज़नी क्तवज़्व्भरा धराधारा ननराधारानधक स्वरा २१ राका कुहूर ्अमावास््ा िूसणयमा ’नुमती द्युक्ततः ससनीवाली सज़वा वज़््ा वैज़्वदेवी क्तिज़सघ्गला २२ क्तिप्च्िला च क्तवज़ालाक्श्शी रक्श्शोघ्नी सव्श्ट काररणी दुश्ट क्तवराक्तवणी देवी सवोिरव नासज़नी २३ ज़ारदा ज़र सतधाना सवय ज़स्त्र स्वरूक्तिणी ्ुद्ध म्् सस्र्ता देवी सवय भूत प्रभझ्जनी २४ अ्ुद्धा ्ुद्ध रूिा च ज़ातता ज़ासतत स्वरूक्तिणी गघ्गा सरस्वती वेणी ्मनुा नमयदािगा २५ समरु वसना वासा ब्रह्माडि ज़्रोसण मेिला िझ्च वक्श्त्रा दज़ भुजा ज़ुद्ध स्फहटक ससिभा २६ रिा क्श्श्णा ससता िीता सवय वणाय ननरीज़्वरी कानलका चहक्रका देवी स््ा त ुबटुका सस्र्ता २७ तरुणी वारुणी नारी ज््ेश्ठा देवी सरेुज़्वरी क्तवज़्व्भरा धरा कत्री गलागयल क्तवभझ्जनी २८

  • सत््ा राक्तत्रर ्हदवा ज््ो्ना कला काश्ठा ननमेनशका उवी का््ा्नी ज़ुभ्रा सांसाराणयव ताररणी २९ कक्तिला कीनलका ’ज़ोका मसलका नवमसलका देक्तवका नसतदका ज़ातता भसझ्जका भ् भसझ्जका ३० कौसज़की वैहदकी देवी सौरी रूिानधकाक्ततभा हदग ्वस्त्रा नव वस्त्रा च कत्का कमलोद्भवा ३१ ज़्रीः सौ्् लक्श्शणातीतदुगाय सूत्र प्रबोनधका ज़्रद्धा मेधा क्तिः प्रज्झा धारणा कासततर ्एव च ३२ ज़्रुक्ततः सस््तर ्स्तर ्धत्ा भूक्ततर ्इसश्टर ्मनीनशणी क्तवरक्तिर ्व््ाक्तिनी मा्ा सवय मा्ा प्रभझ्जनी ३३ महेतरी मसतत्रणी ससांही चेतर जाल स्वरूक्तिणी अवस्र्ा त्र् ननमुयिा गणु त्र् क्तववसजयता ३४ ईशण त्र् ननमुयिा सवय रोग क्तववसजयता ्ोहग ््ानातत ग््ा च ्ोग ््ान िरा्णा ३५ त्र्ी सज़िा क्तवज़ेशज्झा वेदातत ज्झान रूक्तिणी

  • भारती कमला भाशा िद्मा िद्मवती क्तिः ३६ गौतमी गोमती गौरी ईज़ाना हांस वाहनी नारा्णी प्रभा धारा जाह्नवी ज़घ्करा्मजा ३७ नचत्र घडटा सनुतदा ज़्रीर ्मानवी मनु स्भवा स्तस्भनी क्श्शोनमणी मारी भ्रानमणी ज़त्र ुमाररणी ३८ मोहहनी दे्वनशणी क्तवरा अघोरा रुर रुक्तिणी रुरैकादसज़नी िुड्ा कल््ाणी लाभ काररणी ३९ देव दुगाय महा दूता स्वप्न दुगाय अश्टभैरवी सू् य चतरासि रूिा च ग्रह नक्श्शत्र रूक्तिणी ४० क्तबतदु नाद कला तीता क्तबतदु नाद कलास्मका दज़ वा् ुज्ा कारा कला शोिज़ सां्ुता ४१ काज़््िी कमला देवी नाद चक्र ननवाससनी ्िा धारा सस्र्रा गहु्या देक्तवका चक्र रूक्तिणी ४२ अक्तवद्या ज़ावयरी भुझ्जा ज्भासरु ननबहहयणी ज़्री का्ा ज़्री कला ज़ुभ्रा कमय ननमूयल काररणी ४३

  • आहद लक्ष्मीर ्गणुा धारा िझ्च ब्रह्मास्मका िरा ज़ु्रक्ततर ्ब्रह्म मिुा वासा सवय स्िहत्त रूक्तिणी ४४ ्त सझ्जीवनी मैत्री कानमनी काम वसजयता ननवायण मागयदा देवी हांससनी कासज़का क्श्शमा ४५ सि्ाय गसुणनी नभिा ननगुयणा िसडिता ज़ुभा स्वानमनी वेहदनी ज़क्या ज़ा्बरी चक्र धाररणी ४६ दसडिनी मसुडिनी व््ाघ्री सज़सिनी सोम सांहक्ततः नचततामसणज़् नचदानतदा िझ्च बाणाग्र बोनधनी ४७ बाण ज़े्रसणः सहस्राक्श्शी सहस्र भुज िादुका सत््ावनलस ्क्तत्रसत््ा््ा ब्रह्माडि मसण भूशणा ४८ वासवी दारुणी सेना कुनलका मतत्र रझ्जनी सजत प्राण स्वरूिा च कातता का्् वर प्रदा ४९ मतत्र ब्राह्मण क्तवद्यार्ी नाद रूिा हक्तवश्मती आर्वयननः ज़्रुक्ततः ज़ूत्ा कल्िना वसजयता सती ५० सत्ता जाक्ततः प्रमा ’मे्ा प्रनमक्ततः प्राणदा गक्ततः अवणाय िझ्च वणाय च सवयदा भुवनेज़्वरी ५१

  • तै्रलोक्य मोहहनी क्तवद्या सवय भत्री क्श्शराक्श्शरा हहरड् वणाय हररणी सवोिरव नासज़नी ५२ कैवल्् िदवी रेिा सू् य मडिल सांसस्र्ता सोम मडिल म्् स्र्ा वहह्न मडिल सांसस्र्ता ५३ वा् ुमडिल म्् स्र्ा व््ोम मडिल सांसस्र्ता चहक्रका चक्र म्् स्र्ा चक्र मागय प्रवक्ततयनी ५४ कोहकला कुल चके्रज़ा िक्श्शक्ततः िसघ्ि िावनी सवय ससद्धातत मागय स्र्ा शड् वणाय वर वसजयता ५५ ज़र रुर हरा हतत्री सवय सांहार काररणी िुरुशा िौरुशी तसुश्टः सवय ततत्र प्रसकू्ततका ५६ अधय नारीज़्वरी देवी सवय क्तवद्या प्रदान्नी भागयवी भूजुशी क्तवद्या सवोिननशदा सस्र्ता ५७ व््ोम केज़ासिल प्राणा िझ्च कोज़ क्तवलक्श्शणा िझ्च कोज़ास्मका प्र््क् िझ्च ब्रह्मास्मका सज़वा ५८ जगज् जरा जननत्री च िझ्च कमय प्रसकू्ततका

  • वाग ्देव््ा भरणा कारा सवय का्् सस्र्ता सस्र्क्तत ५९ अश्टा दज़ चतःु शसश्ट िीहठका क्तवद्य्ा ्ुता कानलका कशयण ज़््ामा ्सक्श्शणी हकिरेज़्वरी ६० केतकी मसलका ’ज़ोका वाराही धरणी ध्रवुा नारससांही महोग्रास््ा भिानाम ्आक्ततय नासज़नी ६१ अततवयला सस्र्रा लक्ष्मीर ्जरा मरण नासज़नी ज़्री रसझ्जता महाका्ा सोम सू्ायसि लोचना ६२ अहदक्ततर ्देवमाता च अश्ट िुत्रा अश्ट ्ोहगनी अश्ट प्रक्तिर ्अश्टाश्ट क्तवभ्राजद् क्तविा क्तिः ६३ दुनभयक्श्श ्वांससनी देवी सीता स््ा च रुसिणी ््ाक्ततजा भागयवी देवी देव ्ोननस ्तिसस्वनी ६४ ज़ाक्भरी महाज़ोणा गरुिोिरर सांसस्र्ता ससांहगा व््ाघ्रगा देवी वा्ुगा च महाहरगा ६५ अकारा हदक्श्श कारातता सवय क्तवद्यानध देवता मतत्र व््ा््ान ननिुणा ज््ोक्ततः ज़ासै्त्रक लोचना ६६

  • इिा क्तिघ्गनलका म््ा सशुमु्ा ग्रसतर् भेहदनी काल चक्रा ज़्र्ोिेता काल चक्र स्वरूक्तिणी ६७ वैज़ारदी मक्तत ज़े्रश्ठा वररश्ठा सवय दीक्तिका वैना्की वरारोहा ज़्रोसण वेला बहहवयनलः ६८ जस्मनी सज््भणी ज्भ काररणी गण काररका ज़रणी चहक्रकानतता सवय व््ानध नचहक्सकी ६९ देवकी देव सांकाज़ा वाररनधः करुणा करा ज़वयरी सवय स्ििा सवय िाि प्रभझ्जनी ७० एक मात्रा हद्व मात्रा च क्तत्र मात्रा च तर्ा ’िरा अधय मात्रा िरा सकू्श्श्मा सकू्श्श्मार्ायर्य िरा ’िरा ७१ एकवीरा क्तवज़ेशा््ा शश्ठी देवी मनसस्वनी नैश्क््ाय ननश्कला लोका ज्झान कमायनधका गणुा ७२ सबत्वानतद सतदोहा व््ोमा कारा ’ननरूक्तिता गद्य िद्यास्मका वाणी सवाय लघ्कार सां्ुता ७३ साध ुबतध िद त्ासा सवौको घहटकावनलः शट् कमाय ककय ज़ा कारा सवय कमय क्तववसजयता ७४

  • आहद्् वणाय चािणाय कानमनी वर रूक्तिणी ब्रह्माणी ब्रह्म सतताना वेद वागीज़्वरी सज़वा ७५ िुराण त्ा् मीमाांसा धमय ज़ास्त्रागम ज़्रुता सद्यो वेदवती सवाय हांसी क्तवद्यानध देवता ७६ क्तवज़्वेज़्वरी जगद्धात्री क्तवज़्व ननमायण काररणी वैहदकी वेद रूिा च कानलका काल रूक्तिणी ७७ नारा्णी महादेवी सवय तत्त्व प्रवक्ततयनी हहरड् वणय रूिा च हहरड् िद स्भवा ७८ कैवल्् िदवी िुड्ा कैवल्् ज्झान लसक्श्शता ब्रह्म स्िहत्त रूिा च ब्रह्म स्िहत्त काररणी ७९ वारूणी वारुणा रा््ा सवय कमय प्रवक्ततयनी एकाक्श्शर िरा ’्ुिा सवय दाररद्र्य भसझ्जनी ८० िाज़ा अघ्कुज़ासतवता हदव््ा वीणा व््ा््ाक्श्श सतू्र भ्त ्एक मकू्ततयस् त्र्ी मकू्ततयर ्मध ुकैटभ भझ्जनी ८१ साघ्््ा साघ्््वती ज्वाला ज्वलतती काम रूक्तिणी

  • जाग्रतती सवय स्िहत्तः सशुपु्तातवेश्ट दान्नी ८२ किानलनी महा दांस्रा भ्रुकुटी कुहटलानना सवाय वासा सवुासा च जह््् असश्टज़् च ज़क्करी ८३ चतदो गण प्रक्ततश्ठा च कल्माशी करुणास्मका चक्श्शशु्मती महाघोशा िड्ग चमय धराज़ननः ८४ सज़ल्ि वैनचत्र्् क्तवद्योता सवयतोभर वाससनी अनचत्् लक्श्शणा कारा सतू्र भाश्् ननबतधना ८५ सवय वेदार्य स्िहत्तः सवय ज़ास्त्रार्य मा्का अकारा हदक्श्श कारातत सवय वणय ि स्र्ला ८६ सवय लक्ष्मीः सदानतदा सारक्तवद्या सदासज़वा सवयज्झा सवय ज़क्तिज़् च िेचरी रूि गोसच्िता ८७ असणमाहद गणुोिेता िरा काश्ठा िरा गक्ततः हांस ्ुि क्तवमान स्र्ा हांसारूिा ज़सज़प्रभा ८८ भवानी वासना ज़क्तिर ्आक्तिस्र्ा ’सिलासिला ततत्र हेतरु ्क्तवनचत्राघ्गी व््ोम गघ्गा क्तवनोहदनी ८९

  • वशाय च वानशयका चैव ग ््जुस् साम रूक्तिणी महा नदी नदी िुड्ा ’गड्ा िुड् गणुहक्र्ा ९० समानध गत लभ््ार्ाय ज़्रोतव््ा स्वक्तप्र्ा घ्णा नामाक्श्शर िरा देवी उिसगय निासझ्चता ९१ ननिातोर ्उद्व्ी जघ्घा मा्का मतत्र रूक्तिणी आज़ीना च ज़्ाना च क्ततश्ठतती धावनानधका ९२ लक्श्श्् लक्श्शण ्ोगाढ्ा ताद् रूप्च्् गणन आक्तिः सैक रूिा नैक रूिा सेतदु रूिा तद् आक्तिः ९३ समासतद् नधता कारा क्तवभक्ति वचनास्मका स्वाहा कारा स्वधा कारा ज़्री ि््् अधायघ्ग नसतदनी ९४ ग्भीरा गहना गहु्या ्ोनन नलघ्गाधय धाररणी ज़ेश वासहुक सांसेव््ा चशाला वर वसणयनी ९५ कारुड्ा कार स्िहत्तः कील क्न् मतत्र कीनलका ज़क्ति बीजास्मका सवय मतते्रश्टा क्श्श् कामना ९६ आिे्ी िासर्यवा आप्च््ा वा्व््ा व््ोम केतना स्् ज्झानास्मका ’नतदा ब्राह्मी ब्रह्म सनातनी ९७

  • अक्तवद्या वासना मा्ा प्रक्तिः सवय मोहहनी ज़क्तिर ्धारण ज़क्तिज़् च नचद् अनचच ्चक्ति ्ोहगनी ९८ वक्श्त्रारुणा महा मा्ा मरीनचर ्मद महदयनी क्तवराट् स्वाहा स्वधा ज़ुद्धा नीरूिासस्तः सभुक्तिगा ९९ ननरूक्तित द्व्ी क्तवद्या नन््ानन्् स्वरूक्तिणी वैराज मागय सझ्चारा सवय स्िर् दसज़यनी १०० जालतधरी ्िानी च भवानी भव भझ्जनी तै्र कानलक ज्झान तततसु ्क्तत्र काल ज्झान दान्नी १०१ नादातीता सस््तः प्रज्झा धात्री रूिा क्तत्रिुश्करा िरासजता क्तवधानज्झा क्तवसज़नशत गणुास्मका १०२ हहरड् केसज़नी हेम ब्रह्म सतू्र क्तवचक्श्शणा असघ्््े् िराधायतत स्वर व््झ्जन वैिरी १०३ मधसुजह्वा मधुमती मध ुमासो द्ा मधःु माधवी च महाभागा मेघ ग्भीर ननस्वना १०४ ब्रह्म क्तवश्णु महेज़ाहद ज्झात व््ार्य क्तवज़ेशगा

  • नाभौ वहह्न सज़िा कारा ललाटे चतर ज़सिभा १०५ भ्रू म््े भास्करा कारा सवय तारा क्तिर ्सह्ल्द सक्श्त्तकाहद भरड् ्अतत नक्श्शते्रश्य् आनचयतो द्ा १०६ ग्रह क्तवद्यास्मका ज््ोक्ततर ्ज््ोक्ततर ्क्तवतमक्तत जीक्तवका ब्रह्माडि गनभयणी बाला सप्ता वरण देवता १०७ वैराजोत्तम साम्राज््ा कुमार कुज़लो द्ा बगला भ्रम राांबा च सज़वदूती सज़वास्मका १०८ मेरु क्तवत््ाक्तत सांस्र्ाना काज़्मीर िुर वाससनी ्ोगननरा महाननरा क्तवननरा राक्श्शस आसज़्रता १०९ सवुणयदा महा गघ्गा िझ्चा््ा िझ्च सांहक्ततः सपु्रजाता सवुीरा च सिुोशा सुिक्ततः सज़वा ११० सरु्गहा रि बीजातता हत कतदिय जीक्तवका समरु व््ोम म््स्र्ा सम क्तबतदु समाज़्र्ा १११ सौभार्ग् रस जीवातःु सारा सार क्तववेक द्धक् क्तत्रवल््ाहद सिुुश्टाघ्गा भारती भरतासज़्रता ११२

  • नाद ब्रह्म म्ी क्तवद्या ज्झान ब्रह्मम्ी िरा ब्रह्म नािी ननरुक्तिज़् च ब्रह्म कैवल्् साधनम् ११३ कानलके् महोदार वी्य क्तवक्रम रूक्तिणी विवासि सज़िा वक्श्त्रा महा कवल तियणा ११४ महाभूता महादिाय महासारा महाक्रतःु िझ्च भूत महाग्रासा िझ्च भूताहद देवता ११५ सवय प्रमाणा स्िहत्तः सवय रोग प्रक्ततहक्र्ा ब्रह्माडिाततर ्बहहर ्व््ाप्ता क्तवश्णु वक्श्शो क्तवभूनशणी ११६ ज़ाघ्करी क्तवनध वक्श्त्र स्र्ा प्रवरा वर हेतकुी हेम माला सज़िा माला क्तत्रसज़िा िझ्च मोचना ११७ सवायगम सदाचारा म्ायदा ्ात ुभझ्जनी िुड् ज़्लोक प्रबतधाढ्ा सवायतत्ायनम रूक्तिणी ११८ साम गान समारा््ा ज़्रोत्र कणय रसा्नम् जीव लोकैक जीवातरु ्भरो दार क्तवलोकना ११९ तहित ्कोहट लसत ्कासततः तरुणी हरर सतुदरी मीन नेत्रा च सेतराक्श्शी क्तवज़ालाक्श्शी समुघ्गला १२०

  • सवय मघ्गल सांििा साक्श्शान् मघ्गल देवता देह ह्ल्द् दीक्तिका दीनप्तर ्सजह्म िाि प्रणासज़नी १२१ अधय चतरोलसद् दांस्रा ्ज्झ वाटी क्तवलाससनी महादुगाय महो्साहा महादेव बलोद्ा १२२ िाहकनीड्या ज़ाहकनीड्या साहकनीड्या समस्तजुट् ननरघ्कुज़ा नाहकवतद्या शिा धारानध देवता १२३ भुवन ज्झाननननः ज़े्रणी भुवनाकार वलरी ज़ाज़्वती ज़ाज़्वता कारा लोकानुग्रह काररणी १२४ सारसी मानसी हांसी हांस लोक प्रदान्नी नचन् मरुा अलघ्ि करा कोहट सू् य सम प्रभा १२५ सिु प्रासणः सज़रो रेिा नद द्धश्ट प्रदान्नी सवय साघ्क्य दोशघ्नी ग्रहोिरव नासज़नी १२६ क्श्शरु जतत ुभ् घ्नी च क्तवश रोगाहद भझ्जनी सदा ज़ातता सदा ज़ुद्धा र्गहच ्नचर ननवाररणी १२७ कनल दोश प्रज़मनी कोलाहल िुर सस्र्ता

  • गौरी काक्श्शसणकी मु् ्ा जघत्ाक्ति वसजयता १२८ मा्ाक्तवद्या मलू भूता वासवी क्तवश्ण ुचेतना वाहदनी वसु रूिा च वस ुरत्न िररचदा १२९ चाांदसी चतर ह्ल्द्ा मतत्र स्वचतद भैरवी वनमाला वैज्तती िझ्च हदव््ा ्ुधास्मका १३० िीता्बर म्ी चझ्चत ्कौस्तभुा हरर कानमनी नन््ा तथ््ा रमा रामा रमणी ्््ु भझ्जनी १३१ ज््ेश्ठा काश्ठा धननश्ठातता ज़राघ्गी ननगुयण क्तप्र्ा मैते्र्ा नमत्रक्तवतदा च ज़ेश्् ज़ेश कला ज़्ा १३२ वाराणसी वासरताच ्आ्ायवतय जन स्ततुा जगद् उ्िहत्त सांस्र्ान सांहार त्र् कारणम ्१३३ ्वम ्अ्ब क्तवश्ण ुसवयस्वां नमस्ते ’स्त ुमहेज़्वरर नमस्त ेसवय लोकानाां जनत्ै िुड् मतूय् े१३४ ससद्ध लक्ष्मीर ्महाकानल महालक्ष्मी नमो ’स्त ुते सद्योजाताहद िझ्चासिः रुिा िझ्चक िझ्चकम् १३५

  • ्तत्र लक्ष्मीर ्भव््् आहदर ्आद्य् आदे्य ते नमो नमः स्श्याहद कारणा कार क्तवतत ेदोश वसजयते १३६ जगल ्लक्ष्मीर ्जगन् मातर ्क्तवश्ण ुिसत्न नमो ’स्त ुते नव कोहट महाज़क्ति समिुास्् िदा्बजेु १३७ कनत ्सौवणय रत्नाढे् सवाय भरण भूनशते अनतता नन्् महहनश प्रिझ्चेज़्वर ना्हक १३८ अ्् ्उसच्ित िदाततस् स्रे् िरम व््ोम ना्हक नाक प्च्श्ठ गतारा््े क्तवश्णु लोक क्तवलाससनन १३९ वैकुडठ राज महहनश ज़्री रघ्ग नगरासज़्रते रघ्ग ना्हक भू िुक्तत्र क्श्श्णे वरद वलभे १४० कोहट ब्रह्माहद सांसेव््े कोहट रुराहद कीक्ततयते मातलुघ्ग म्ां िेटां सौवणय चशकां तर्ा १४१ िद्म द्व ा्ं िूणय कुां भां कीरां च वरदाभ्े िाज़म ्अघ्कुज़कां ज़घ्िां चक्रां ज़ूलां क्श्िासणकाम ्१४२ धनुर ्बाणौ चाक्श्श मालाां नचतमुराम ्अक्ति क्तबभ्रती अश्टादज़ भुजे लक्ष्मी महाश्टादज़ िीठगे १४३

  • भूनम नीलाहद सांसेव््े स्वानम नचत्तानुवक्ततयनन िदे्म िद्माल्े िनद्म िूणय कु्भा अनभशेनचते १४४ इसतदरेसतदरा अभासक्श्श क्श्शीर सागर कत्के भागयक्तव ्वां स्व ततते्रचा वज़ी ि जगत ्िक्ततः १४५ मघ्गलां मघ्गलानाां ्वां देवतानाां च देवता ्वम ्उत्तमोत्तमानाां च ्वां ज़े्र्ः िरमा्तम ्१४६ धन धात्ा नभसव्द्धज़् च सावयभौम सिुोच्ि्ा आतदोनलकाहद सौभार्ग्ां मत्तेभाहद महोद्ः १४७ िुत्र िौत्रानभ सव्द्धज़ ्च क्तवद्या भोग बलाहदकम् आ्ुर ्आरोर्ग् स्िहत्तर ्अश्टैज़्व्ं ्वम ्एव हह १४८ िदम ्एव क्तवभूक्ततज़् च सकू्श्श्मात ्सकू्श्श्मतरा गक्ततः सद्ा आिाघ्ग सतदत्त ब्रहे्मतराहद िद सस्र्क्ततः १४९ अव््ाहत महाभार्ग्ां ्वम ्एवाक्श्शोभ्् क्तवक्रमः समतव्ज़् च वेदानाम ्अक्तवरोधस ््वम ्एव हह १५० ननःज़े्र्स िद प्रानप्त साधनां फलम ्एव च

  • ज़्री मतत्र राज राज्झी च ज़्रीक्तवद्या क्श्शेम काररणी १५१ ज़्री ां बीज जि सततशु्टा ऐां-ह्रीम-्ज़्रीम-्बीज िानलका प्रिहत्त मागय सलुभा क्तवश्ण ुप्रर्म हकघ्करी १५२ क्ी ां कारार्य साक्तवत्री च सौमघ्गल््ा अनधदेवता ज़्री शोिज़ाक्श्शरी क्तवद्या ज़्री ्तत्र िुर वाससनी १५३ सवय मघ्गल माघ्गल््े सज़वे सवायर्य सानधके ज़रड्े त्र्््बके गौरी नारा्सण नमो ’स्त ुते िुनः िुनर ्नमस्ते ’स्त ुसाश्टाघ्गम ्ुतां िुनः १५४ सन्कुमार उवाच एवां स्ततुा महालक्ष्मीर ्ब्रह्म रुराहदनभः सरैुः नमक्तद्भर ्आतैर ्दीनैज़् च ननस्स्व्वैर ्भोग वसजयतैः १५५ ज््ेश्ठा जुश्टैज़् च ननःज़्रीकैः सांसारा स्व िरा्णैः क्तवश्णिुत्नी ददौ तेशाां दज़यनां सद्धश्ट तियणम ्१५६ ज़रत ्िुणेतदु कोयाभ धवलािाघ्ग वीक्श्शणैः सवायन ्सत्त्व समाक्तवश्टान् चके्र ह्ल्श्टा वरां ददौ १५७ महालक्ष्मीर ्उवाच

  • नाम्ाां साश्ट सहस्रां मे प्रमादाद्वाक्ति ्ः सि् कीतय्ेत ्तत ्कुले स््ां वसा््ा चतर तारकम् १५८ हकां िुनर ्नन्माज् जप्तुर ्मद् एक ज़रणस्् च मात ्व्सानुक्िाहां िोशकी स््ाम ्अहर ्ननज़म ्१५९ मन् नाम स्तवताां लोके दुलयभां नासस्त नचसतततम ् मत ्प्रसादेन सवे ’क्ति स्वस्वेश्टार्यम ्अवाप्च्स््र् १६० लपु्त वैश्णव धमयस्् मद् व्रतेव् अवकीसणयनः भक्ति प्रिहत्त हीनस्् वतद्यो नाम्ाां स्तवो ’क्ति मे १६१ तस्माद् अवज़््ां तैर ्दोशैर ्क्तवहीनः िाि वसजयतः जिेत ्साश्ट सहस्रां मे नाम्ाां प्र््हम ्आदरात ्१६२ साक्श्शाद् अलक्ष्मी िुत्रो ’क्ति दुभायर्ग्ो ’प्च््् अलसो ’क्ति वा अप्र्त्नो ’क्ति मढूो ’क्ति क्तवकलः िक्तततो ’क्ति च १६३ अवज़््ां प्राप्नु् ाद् भार्ग्ां म्प्रसादेन केवलम ् स्प्च्हे्म ्अनचराद् देवा वरदाना् जाक्तिनः ददानम सवयम ्इश्टारं् लक्ष्मीक्तत स्मरताां ध्रवुम् १६४ सन्कुमार उवाच

  • इ््् उक्श््वा अततदयधे लक्ष्मीर ्वैश्णवी भगवत ्कला इश्टा िूतं च सिुां भाग धे्ां च नचसतततम ्१६५ स्वां स्वां स्र्ानां च भोगां च क्तवज्ां लेनभरे सुराः तद् एतत ्प्रवदा््् अद्य लक्ष्मी नाम सहस्रकम् ्ोहगनः िठत सक्श्शप्रां नचसतततार्ायन् अवाप्च्स््र् १६६ गार्ग्य उवाच सनत ्कुमारो ्ोगीतर इ््् उक्श््वा स द्ानननधः अनुर्गह्य ््ौ सक्श्शप्रां ताांज़ ्च द्वादज़ ्ोहगनः १६७ तस्माद् एतद् रहस् ा्ं च गोप्च््ां जप्च््ां प्र्त्नतः अश्ट््ाां च चतदुयज़््ाां नवाभ््ाां भ्ग ुवासरे १६८ िौणयमास््ाम ्अमा्ाां च िवय काले क्तवज़ेशतः जिेद् वा नन्् का्ेशु सवायन ्कामान ्अवाप्नु् ात ्१६९ इक्तत स्कतद िुराणे सन्कुमार सस्हता्ाम् ज़्री लक्ष्मी सहस्र नाम स्तोत्रां सांिूणयम ्