अय्यूब - world english bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत...

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अय 1:1 1 अय 1:8 अय अय ब एक उम यि 1 ऊज नाम क श म एक यि रहा करता था। उसका नाम अय ब था। अय ब एक बहुत अछा और िवासी यि था। अय ब परम र की उपासना िकया करता था और अय ब बुरी बातो स द र रहा करता था। 2 उसक सात पु और तीन पुिया थी 3 अय ब सात हजार भ ड़ो , तीन हजार ऊ टो, एक हजार ब लो और पा च सौ गिधयो का वामी था। उसक पास बहुत स स वक थ अय बप का सबस अिधक धनवान यि था। 4 अय बक पु बारीबारी स अपन घरो म एक द सर को खान पर बुलाया करत थ और व अपनी बहनो को भी वहा बुलात थ 5 अय बक ब जब ज वनार द चुकत तो अय ब बड़ तड़क उठता और अपन हर ब की ओर स होमबिल अिपत करता। वह सोचता, हो सकता ह , ब अपनी ज वनार म परम र क िव भ ल स कोई पाप कर ब हो अय ब इसिलय सदा ऐसा िकया करता था तािक उसक बो को उनक पापो क िलय मा िमल जाय 6 िफर वगतो का यहोवा स िमलन का िदन आया और यहा तक िक श तान भी उन वगतो क साथ था। 7 यहोवा न श तान स कहा,“ कहा रहा?” तान न उर द त हुए यहोवा स कहा,“म धरती पर इधर उधर म रहा था।8 इस पर यहोवा न श तान स कहा,“या त न म वक अय को द खा प वी पर उसक सा कोई द सरा यि नही ह । अय

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Page 1: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 11 1 अययब 18

अययब

अययब एक उततम वयिकत1 ऊज नाम क परदश म एक वयिकत रहा करता था उसका नाम

अययब था अययब एक बहत अचछा और िवशवासी वयिकत थाअययब परमशवर की उपासना िकया करता था और अययब बरीबातो स दर रहा करता था 2 उसक सात पतर और तीन पितरया थी3 अययब सात हजार भड़ो तीन हजार ऊटो एक हजार बलो औरपाच सौ गिधयो का सवामी था उसक पास बहत स सवक थअययब पवर का सबस अिधक धनवान वयिकत था

4अययब क पतर बारीmdashबारी स अपन घरो म एक दसर को खानपर बलाया करत थ और व अपनी बहनो को भी वहा बलात थ5 अययब क बचच जब जवनार द चकत तो अययब बड़ तड़क उठताऔर अपन हर बचच कीओर स होमबिल अिपरत करता वह सोचताldquoहो सकता ह मर बचच अपनी जवनार म परमशवर क िवरदध भल सकोई पाप कर बठ होrdquoअययब इसिलय सदा ऐसा िकया करता थातािक उसक बचचो को उनक पापो क िलय कषमा िमल जाय

6 िफर सवगरदतो का यहोवा स िमलन का िदन आया और यहा तक िक शतान भी उन सवगरदतो क साथ था 7 यहोवा न शतान सकहा ldquoत कहा रहाrdquoशतान न उततर दत हए यहोवा स कहा ldquoम धरती पर इधर उधर

घम रहा थाrdquo8 इस पर यहोवा न शतान स कहा ldquoकया तन मर सवक अययब

को दखा पथवी पर उसक जसा कोई दसरा वयिकत नही ह अययब

अययब 19 2 अययब 116एक खरा और िवशवासी वयिकत ह वह परमशवर की उपासना करताह और बरी बातो स सदा दर रहता हrdquo

9शतान न उततर िदया ldquoिनशचय ही िकनत अययब परमशवर का एकिवशष कारण स उपासना करता ह 10 त सदा उसकी उसक घरानकी और जो कछ उसक पास ह उसकी रकषा करता ह जो कछवह करता ह त उसम उस सफल बनाता ह हा तन उस आशीवारदिदया ह वह इतना धनवान ह िक उसक मवशी और उसका रवड़सार दश म ह 11 िकनत जो कछ उसक पास ह उस सब कछ कोयिद त नषट कर द तो म तझ िवशवास िदलाता ह िक वह तर मह परही तर िवरदध बोलन लगगाrdquo

12 यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा अययब क पास जो कछह उसक साथ जसा त चाहता ह कर िकनत उसक शरीर को चोटन पहचानाrdquoइसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गयाअययब का सब कछ जाता रहा

13 एक िदन अययब क पतर और पितरया अपन सबस बड़ भाईक घर खाना खा रह थ और दाखमध पी रह थ 14 तभी अययबक पास एक सनदशवाहक आया और बोला ldquoबल हल जोत रह थऔर पास ही गध घास चर रह थ 15 िक शबा क लोगो न हम परधावा बोल िदया और तर पशओ को ल गय मझ छोड़ सभी दासोको शबा क लोगो न मार डाला आपको यह समाचार दन क िलयम बच कर भाग िनकला हrdquo

16 अभी वह सनदशवाहक कछ कह ही रहा था िक अययबक पास दसरा सनदशवाहक आया दसर सनदशवाहक न कहाldquoआकाश स िबजली िगरी और आपकी भड़ और दास जलकरराख हो गय ह आपको समाचार दन क िलय कवल म ही वचिनकल पाया हrdquo

अययब 117 3 अययब 122

17 अभी वह सनदशवाहक अपनी बात कह ही रहा था िक एकऔर सनदशवाहक आ गया इस तीसर सनदशवाहक न कहाldquoकसदी क लोगो न तीन टोिलया भजी थी िजनहोन हम पर हमलाबोल िदया और ऊटो को छीन ल गय और उनहोन सवको को मारडाला आपको समाचार दन क िलय कवल म ही बच िनकल पायाहrdquo

18 यह तीसरा दत अभी बोल ही रहा था िक एक औरसनदशवाहक आगया इस चौथ सनदशवाहक न कहा ldquoआपकपतर और पितरया सबस बड़ भाई क घर खा रह थ और दाखमध पीरह थ 19तभी रिगसतान स अचानक एक तजआधी उठीऔर उसनमकान को उड़ा कर ढहा िदया मकान आपक पतर और पितरयो कऊपरआ पड़ाऔर व मर गय आपको समाचार दन क िलय कवलम ही बच िनकल पाया हrdquo

20अययब न जब यह सना तो उसन अपन कपड़ फाड़ डाल औरयह दशारन क िलय िक वह दखीऔर वयाकल ह उसन अपना िसरमड़ा िलया अययब न तब धरती पर िगरकर परमशवर को दणडवतिकया 21 उसन कहाldquoमरा जब इस ससार क बीच जनम हआ था

म तब नगा था मर पास तब कछ भी नही थाजब म मरगा और यह ससार तजगा

म नगा होऊगा और मर पास म कछ नही होगायहोवा ही दता ह

और यहोवा ही ल लतायहोवा क नाम की परशसा करोrdquo

22जो कछ घिटत हआ था उस सब कछ क कारण न तो अययबन कोई पाप िकया और न ही उसन परमशवर को दोष िदया

अययब 21 4 अययब 292

शतान दवारा अययब को िफर दख दना1 िफर एक िदन यहोवा स िमलन क िलय सवगरदत आय शतान

भी उनक साथ था शतान यहोवा स िमलन आया था 2 यहोवा नशतान स पछा ldquoत कहा रहाrdquoशतान न उततर दत हए यहोवा स कहा ldquoम धरती पर इधरmdashउधर

घमता रहा हrdquo3 इस पर यहोवा न शतान स पछा ldquoकया त मर सवक अययब

पर धयान दता रहा ह उसक जसा िवशवासी धरती पर कोई नहीह सचमच वह अचछा और वह बहत िवशवासी वयिकत ह वहपरमशवर की उपासना करता ह बरी बात स दर रहता ह वह अबभी आसथावान ह यदयिप तन मझ परिरत िकया था िक म अकारणही उस नषट कर दrdquo

4शतान न उततर िदया ldquoखाल क बदल खाल एक वयिकत जीिवतरहन क िलय जो कछ उसक पास ह सब कछ द डालता ह 5 सोयिद त अपनी शिकत का परयोग उसक शरीर को हािन पहचान म करतो तर मह पर ही वह तझ कोसन लगगाrdquo

6 सो यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा मन अययब को तझसौपा िकनत तझ उस मार डालन की छट नही हrdquo

7 इसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गया और उसनअययब को बड़ दखदायी फोड़ द िदय य दखदायी फोड़ उसकपाव क तलव स लकर उसक िसर क ऊपर तक शरीर म फलगय थ 8 सो अययब कड़ की ढरी क पास बठ गया उसक पासएक ठीकरा था िजसस वह अपन फोड़ो को खजलाया करता था9 अययब की पतनी न उसस कहा ldquoकया परमशवर म अब भी तरािवशवास ह त परमशवर को कोस कर मर कयो नही जाताrdquo

अययब 210 5 अययब 3210 अययब न उततर दत हए अपनी पतनी स कहा ldquoत तो एक

मखरसतरी की तरह बात करती ह दख परमशवर जब उततम वसतएदता ह हम उनह सवीकार कर लत ह सो हम दखको भी अपनानाचािहय और िशकायत नही करनी चािहयrdquo इस समच दख म भीअययब न कोई पाप नही िकया परमशवर क िवरोध म वह कछनही बोला

अययब क तीन िमतरो का उसस िमलन आना11अययब क तीन िमतर थतमानी का एलीपज शही का िबलदद

और नामाती का सोपर इन तीनो िमतरो न अययब क साथ जो बरीघटनाए घटी थी उन सब क बार म सना य तीनो िमतर अपनाmdashअपना घर छोड़कर आपस म एक दसर स िमल उनहोन िनशचयिकया िक व अययब क पास जा कर उसक परित सहानभित परकटकर और उस ढाढस बधाय 12 िकनत इन तीनो िमतरो न जब दरस अययब को दखा तो व िनशचय नही कर पाय िक वह अययब हकयोिक वह एकदम अलग िदखाई द रहा था व दहाड़ मार कररोन लग उनहोन अपन कपड़ फाड़ डाल अपन दख और अपनीबचनी को दशारन क िलय उनहोन हवा म धल उड़ात हए अपनअपन िसरो पर िमटटी डाली 13 िफर व तीनो िमतर अययब क साथसात िदन और सात रात तक भिम पर बठ रह अययब स िकसी नएक शबद तक नही कहा कयोिक व दख रह थ िक अययब भयानकपीड़ा म था

3अययब का उस िदन को कोसना जब वह जनमा था

1तब अययब न अपना मह खोला और उस िदन को कोसन लगाजब वह पदा हआ था 2 उसन कहा

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 2: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 19 2 अययब 116एक खरा और िवशवासी वयिकत ह वह परमशवर की उपासना करताह और बरी बातो स सदा दर रहता हrdquo

9शतान न उततर िदया ldquoिनशचय ही िकनत अययब परमशवर का एकिवशष कारण स उपासना करता ह 10 त सदा उसकी उसक घरानकी और जो कछ उसक पास ह उसकी रकषा करता ह जो कछवह करता ह त उसम उस सफल बनाता ह हा तन उस आशीवारदिदया ह वह इतना धनवान ह िक उसक मवशी और उसका रवड़सार दश म ह 11 िकनत जो कछ उसक पास ह उस सब कछ कोयिद त नषट कर द तो म तझ िवशवास िदलाता ह िक वह तर मह परही तर िवरदध बोलन लगगाrdquo

12 यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा अययब क पास जो कछह उसक साथ जसा त चाहता ह कर िकनत उसक शरीर को चोटन पहचानाrdquoइसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गयाअययब का सब कछ जाता रहा

13 एक िदन अययब क पतर और पितरया अपन सबस बड़ भाईक घर खाना खा रह थ और दाखमध पी रह थ 14 तभी अययबक पास एक सनदशवाहक आया और बोला ldquoबल हल जोत रह थऔर पास ही गध घास चर रह थ 15 िक शबा क लोगो न हम परधावा बोल िदया और तर पशओ को ल गय मझ छोड़ सभी दासोको शबा क लोगो न मार डाला आपको यह समाचार दन क िलयम बच कर भाग िनकला हrdquo

16 अभी वह सनदशवाहक कछ कह ही रहा था िक अययबक पास दसरा सनदशवाहक आया दसर सनदशवाहक न कहाldquoआकाश स िबजली िगरी और आपकी भड़ और दास जलकरराख हो गय ह आपको समाचार दन क िलय कवल म ही वचिनकल पाया हrdquo

अययब 117 3 अययब 122

17 अभी वह सनदशवाहक अपनी बात कह ही रहा था िक एकऔर सनदशवाहक आ गया इस तीसर सनदशवाहक न कहाldquoकसदी क लोगो न तीन टोिलया भजी थी िजनहोन हम पर हमलाबोल िदया और ऊटो को छीन ल गय और उनहोन सवको को मारडाला आपको समाचार दन क िलय कवल म ही बच िनकल पायाहrdquo

18 यह तीसरा दत अभी बोल ही रहा था िक एक औरसनदशवाहक आगया इस चौथ सनदशवाहक न कहा ldquoआपकपतर और पितरया सबस बड़ भाई क घर खा रह थ और दाखमध पीरह थ 19तभी रिगसतान स अचानक एक तजआधी उठीऔर उसनमकान को उड़ा कर ढहा िदया मकान आपक पतर और पितरयो कऊपरआ पड़ाऔर व मर गय आपको समाचार दन क िलय कवलम ही बच िनकल पाया हrdquo

20अययब न जब यह सना तो उसन अपन कपड़ फाड़ डाल औरयह दशारन क िलय िक वह दखीऔर वयाकल ह उसन अपना िसरमड़ा िलया अययब न तब धरती पर िगरकर परमशवर को दणडवतिकया 21 उसन कहाldquoमरा जब इस ससार क बीच जनम हआ था

म तब नगा था मर पास तब कछ भी नही थाजब म मरगा और यह ससार तजगा

म नगा होऊगा और मर पास म कछ नही होगायहोवा ही दता ह

और यहोवा ही ल लतायहोवा क नाम की परशसा करोrdquo

22जो कछ घिटत हआ था उस सब कछ क कारण न तो अययबन कोई पाप िकया और न ही उसन परमशवर को दोष िदया

अययब 21 4 अययब 292

शतान दवारा अययब को िफर दख दना1 िफर एक िदन यहोवा स िमलन क िलय सवगरदत आय शतान

भी उनक साथ था शतान यहोवा स िमलन आया था 2 यहोवा नशतान स पछा ldquoत कहा रहाrdquoशतान न उततर दत हए यहोवा स कहा ldquoम धरती पर इधरmdashउधर

घमता रहा हrdquo3 इस पर यहोवा न शतान स पछा ldquoकया त मर सवक अययब

पर धयान दता रहा ह उसक जसा िवशवासी धरती पर कोई नहीह सचमच वह अचछा और वह बहत िवशवासी वयिकत ह वहपरमशवर की उपासना करता ह बरी बात स दर रहता ह वह अबभी आसथावान ह यदयिप तन मझ परिरत िकया था िक म अकारणही उस नषट कर दrdquo

4शतान न उततर िदया ldquoखाल क बदल खाल एक वयिकत जीिवतरहन क िलय जो कछ उसक पास ह सब कछ द डालता ह 5 सोयिद त अपनी शिकत का परयोग उसक शरीर को हािन पहचान म करतो तर मह पर ही वह तझ कोसन लगगाrdquo

6 सो यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा मन अययब को तझसौपा िकनत तझ उस मार डालन की छट नही हrdquo

7 इसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गया और उसनअययब को बड़ दखदायी फोड़ द िदय य दखदायी फोड़ उसकपाव क तलव स लकर उसक िसर क ऊपर तक शरीर म फलगय थ 8 सो अययब कड़ की ढरी क पास बठ गया उसक पासएक ठीकरा था िजसस वह अपन फोड़ो को खजलाया करता था9 अययब की पतनी न उसस कहा ldquoकया परमशवर म अब भी तरािवशवास ह त परमशवर को कोस कर मर कयो नही जाताrdquo

अययब 210 5 अययब 3210 अययब न उततर दत हए अपनी पतनी स कहा ldquoत तो एक

मखरसतरी की तरह बात करती ह दख परमशवर जब उततम वसतएदता ह हम उनह सवीकार कर लत ह सो हम दखको भी अपनानाचािहय और िशकायत नही करनी चािहयrdquo इस समच दख म भीअययब न कोई पाप नही िकया परमशवर क िवरोध म वह कछनही बोला

अययब क तीन िमतरो का उसस िमलन आना11अययब क तीन िमतर थतमानी का एलीपज शही का िबलदद

और नामाती का सोपर इन तीनो िमतरो न अययब क साथ जो बरीघटनाए घटी थी उन सब क बार म सना य तीनो िमतर अपनाmdashअपना घर छोड़कर आपस म एक दसर स िमल उनहोन िनशचयिकया िक व अययब क पास जा कर उसक परित सहानभित परकटकर और उस ढाढस बधाय 12 िकनत इन तीनो िमतरो न जब दरस अययब को दखा तो व िनशचय नही कर पाय िक वह अययब हकयोिक वह एकदम अलग िदखाई द रहा था व दहाड़ मार कररोन लग उनहोन अपन कपड़ फाड़ डाल अपन दख और अपनीबचनी को दशारन क िलय उनहोन हवा म धल उड़ात हए अपनअपन िसरो पर िमटटी डाली 13 िफर व तीनो िमतर अययब क साथसात िदन और सात रात तक भिम पर बठ रह अययब स िकसी नएक शबद तक नही कहा कयोिक व दख रह थ िक अययब भयानकपीड़ा म था

3अययब का उस िदन को कोसना जब वह जनमा था

1तब अययब न अपना मह खोला और उस िदन को कोसन लगाजब वह पदा हआ था 2 उसन कहा

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 3: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 117 3 अययब 122

17 अभी वह सनदशवाहक अपनी बात कह ही रहा था िक एकऔर सनदशवाहक आ गया इस तीसर सनदशवाहक न कहाldquoकसदी क लोगो न तीन टोिलया भजी थी िजनहोन हम पर हमलाबोल िदया और ऊटो को छीन ल गय और उनहोन सवको को मारडाला आपको समाचार दन क िलय कवल म ही बच िनकल पायाहrdquo

18 यह तीसरा दत अभी बोल ही रहा था िक एक औरसनदशवाहक आगया इस चौथ सनदशवाहक न कहा ldquoआपकपतर और पितरया सबस बड़ भाई क घर खा रह थ और दाखमध पीरह थ 19तभी रिगसतान स अचानक एक तजआधी उठीऔर उसनमकान को उड़ा कर ढहा िदया मकान आपक पतर और पितरयो कऊपरआ पड़ाऔर व मर गय आपको समाचार दन क िलय कवलम ही बच िनकल पाया हrdquo

20अययब न जब यह सना तो उसन अपन कपड़ फाड़ डाल औरयह दशारन क िलय िक वह दखीऔर वयाकल ह उसन अपना िसरमड़ा िलया अययब न तब धरती पर िगरकर परमशवर को दणडवतिकया 21 उसन कहाldquoमरा जब इस ससार क बीच जनम हआ था

म तब नगा था मर पास तब कछ भी नही थाजब म मरगा और यह ससार तजगा

म नगा होऊगा और मर पास म कछ नही होगायहोवा ही दता ह

और यहोवा ही ल लतायहोवा क नाम की परशसा करोrdquo

22जो कछ घिटत हआ था उस सब कछ क कारण न तो अययबन कोई पाप िकया और न ही उसन परमशवर को दोष िदया

अययब 21 4 अययब 292

शतान दवारा अययब को िफर दख दना1 िफर एक िदन यहोवा स िमलन क िलय सवगरदत आय शतान

भी उनक साथ था शतान यहोवा स िमलन आया था 2 यहोवा नशतान स पछा ldquoत कहा रहाrdquoशतान न उततर दत हए यहोवा स कहा ldquoम धरती पर इधरmdashउधर

घमता रहा हrdquo3 इस पर यहोवा न शतान स पछा ldquoकया त मर सवक अययब

पर धयान दता रहा ह उसक जसा िवशवासी धरती पर कोई नहीह सचमच वह अचछा और वह बहत िवशवासी वयिकत ह वहपरमशवर की उपासना करता ह बरी बात स दर रहता ह वह अबभी आसथावान ह यदयिप तन मझ परिरत िकया था िक म अकारणही उस नषट कर दrdquo

4शतान न उततर िदया ldquoखाल क बदल खाल एक वयिकत जीिवतरहन क िलय जो कछ उसक पास ह सब कछ द डालता ह 5 सोयिद त अपनी शिकत का परयोग उसक शरीर को हािन पहचान म करतो तर मह पर ही वह तझ कोसन लगगाrdquo

6 सो यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा मन अययब को तझसौपा िकनत तझ उस मार डालन की छट नही हrdquo

7 इसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गया और उसनअययब को बड़ दखदायी फोड़ द िदय य दखदायी फोड़ उसकपाव क तलव स लकर उसक िसर क ऊपर तक शरीर म फलगय थ 8 सो अययब कड़ की ढरी क पास बठ गया उसक पासएक ठीकरा था िजसस वह अपन फोड़ो को खजलाया करता था9 अययब की पतनी न उसस कहा ldquoकया परमशवर म अब भी तरािवशवास ह त परमशवर को कोस कर मर कयो नही जाताrdquo

अययब 210 5 अययब 3210 अययब न उततर दत हए अपनी पतनी स कहा ldquoत तो एक

मखरसतरी की तरह बात करती ह दख परमशवर जब उततम वसतएदता ह हम उनह सवीकार कर लत ह सो हम दखको भी अपनानाचािहय और िशकायत नही करनी चािहयrdquo इस समच दख म भीअययब न कोई पाप नही िकया परमशवर क िवरोध म वह कछनही बोला

अययब क तीन िमतरो का उसस िमलन आना11अययब क तीन िमतर थतमानी का एलीपज शही का िबलदद

और नामाती का सोपर इन तीनो िमतरो न अययब क साथ जो बरीघटनाए घटी थी उन सब क बार म सना य तीनो िमतर अपनाmdashअपना घर छोड़कर आपस म एक दसर स िमल उनहोन िनशचयिकया िक व अययब क पास जा कर उसक परित सहानभित परकटकर और उस ढाढस बधाय 12 िकनत इन तीनो िमतरो न जब दरस अययब को दखा तो व िनशचय नही कर पाय िक वह अययब हकयोिक वह एकदम अलग िदखाई द रहा था व दहाड़ मार कररोन लग उनहोन अपन कपड़ फाड़ डाल अपन दख और अपनीबचनी को दशारन क िलय उनहोन हवा म धल उड़ात हए अपनअपन िसरो पर िमटटी डाली 13 िफर व तीनो िमतर अययब क साथसात िदन और सात रात तक भिम पर बठ रह अययब स िकसी नएक शबद तक नही कहा कयोिक व दख रह थ िक अययब भयानकपीड़ा म था

3अययब का उस िदन को कोसना जब वह जनमा था

1तब अययब न अपना मह खोला और उस िदन को कोसन लगाजब वह पदा हआ था 2 उसन कहा

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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1157f0fcd5b-bc85-55f6-933a-0de82e7ef275

  • अययब
Page 4: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 21 4 अययब 292

शतान दवारा अययब को िफर दख दना1 िफर एक िदन यहोवा स िमलन क िलय सवगरदत आय शतान

भी उनक साथ था शतान यहोवा स िमलन आया था 2 यहोवा नशतान स पछा ldquoत कहा रहाrdquoशतान न उततर दत हए यहोवा स कहा ldquoम धरती पर इधरmdashउधर

घमता रहा हrdquo3 इस पर यहोवा न शतान स पछा ldquoकया त मर सवक अययब

पर धयान दता रहा ह उसक जसा िवशवासी धरती पर कोई नहीह सचमच वह अचछा और वह बहत िवशवासी वयिकत ह वहपरमशवर की उपासना करता ह बरी बात स दर रहता ह वह अबभी आसथावान ह यदयिप तन मझ परिरत िकया था िक म अकारणही उस नषट कर दrdquo

4शतान न उततर िदया ldquoखाल क बदल खाल एक वयिकत जीिवतरहन क िलय जो कछ उसक पास ह सब कछ द डालता ह 5 सोयिद त अपनी शिकत का परयोग उसक शरीर को हािन पहचान म करतो तर मह पर ही वह तझ कोसन लगगाrdquo

6 सो यहोवा न शतान स कहा ldquoअचछा मन अययब को तझसौपा िकनत तझ उस मार डालन की छट नही हrdquo

7 इसक बाद शतान यहोवा क पास स चला गया और उसनअययब को बड़ दखदायी फोड़ द िदय य दखदायी फोड़ उसकपाव क तलव स लकर उसक िसर क ऊपर तक शरीर म फलगय थ 8 सो अययब कड़ की ढरी क पास बठ गया उसक पासएक ठीकरा था िजसस वह अपन फोड़ो को खजलाया करता था9 अययब की पतनी न उसस कहा ldquoकया परमशवर म अब भी तरािवशवास ह त परमशवर को कोस कर मर कयो नही जाताrdquo

अययब 210 5 अययब 3210 अययब न उततर दत हए अपनी पतनी स कहा ldquoत तो एक

मखरसतरी की तरह बात करती ह दख परमशवर जब उततम वसतएदता ह हम उनह सवीकार कर लत ह सो हम दखको भी अपनानाचािहय और िशकायत नही करनी चािहयrdquo इस समच दख म भीअययब न कोई पाप नही िकया परमशवर क िवरोध म वह कछनही बोला

अययब क तीन िमतरो का उसस िमलन आना11अययब क तीन िमतर थतमानी का एलीपज शही का िबलदद

और नामाती का सोपर इन तीनो िमतरो न अययब क साथ जो बरीघटनाए घटी थी उन सब क बार म सना य तीनो िमतर अपनाmdashअपना घर छोड़कर आपस म एक दसर स िमल उनहोन िनशचयिकया िक व अययब क पास जा कर उसक परित सहानभित परकटकर और उस ढाढस बधाय 12 िकनत इन तीनो िमतरो न जब दरस अययब को दखा तो व िनशचय नही कर पाय िक वह अययब हकयोिक वह एकदम अलग िदखाई द रहा था व दहाड़ मार कररोन लग उनहोन अपन कपड़ फाड़ डाल अपन दख और अपनीबचनी को दशारन क िलय उनहोन हवा म धल उड़ात हए अपनअपन िसरो पर िमटटी डाली 13 िफर व तीनो िमतर अययब क साथसात िदन और सात रात तक भिम पर बठ रह अययब स िकसी नएक शबद तक नही कहा कयोिक व दख रह थ िक अययब भयानकपीड़ा म था

3अययब का उस िदन को कोसना जब वह जनमा था

1तब अययब न अपना मह खोला और उस िदन को कोसन लगाजब वह पदा हआ था 2 उसन कहा

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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1157f0fcd5b-bc85-55f6-933a-0de82e7ef275

  • अययब
Page 5: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 210 5 अययब 3210 अययब न उततर दत हए अपनी पतनी स कहा ldquoत तो एक

मखरसतरी की तरह बात करती ह दख परमशवर जब उततम वसतएदता ह हम उनह सवीकार कर लत ह सो हम दखको भी अपनानाचािहय और िशकायत नही करनी चािहयrdquo इस समच दख म भीअययब न कोई पाप नही िकया परमशवर क िवरोध म वह कछनही बोला

अययब क तीन िमतरो का उसस िमलन आना11अययब क तीन िमतर थतमानी का एलीपज शही का िबलदद

और नामाती का सोपर इन तीनो िमतरो न अययब क साथ जो बरीघटनाए घटी थी उन सब क बार म सना य तीनो िमतर अपनाmdashअपना घर छोड़कर आपस म एक दसर स िमल उनहोन िनशचयिकया िक व अययब क पास जा कर उसक परित सहानभित परकटकर और उस ढाढस बधाय 12 िकनत इन तीनो िमतरो न जब दरस अययब को दखा तो व िनशचय नही कर पाय िक वह अययब हकयोिक वह एकदम अलग िदखाई द रहा था व दहाड़ मार कररोन लग उनहोन अपन कपड़ फाड़ डाल अपन दख और अपनीबचनी को दशारन क िलय उनहोन हवा म धल उड़ात हए अपनअपन िसरो पर िमटटी डाली 13 िफर व तीनो िमतर अययब क साथसात िदन और सात रात तक भिम पर बठ रह अययब स िकसी नएक शबद तक नही कहा कयोिक व दख रह थ िक अययब भयानकपीड़ा म था

3अययब का उस िदन को कोसना जब वह जनमा था

1तब अययब न अपना मह खोला और उस िदन को कोसन लगाजब वह पदा हआ था 2 उसन कहा

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 6: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 33 6 अययब 3123 ldquoकाश िजस िदन म पदा हआ था िमट जाय

काश वह रात कभी न आई होती जब उनहोन कहा था िकएक लड़का पदा हआ ह

4काश वह िदन अधकारमय होताकाश परमशवर उस िदन को भल जाताकाश उस िदन परकाश न चमका होता

5काश वह िदन अधकारपणर बना रहता िजतना िक मतय हकाश बादल उस िदन को घर रहत

काश िजस िदन म पदा हआ काल बादल परकाश को डरा कर भगासकत

6 उस रात को गहरा अधकार जकड़ लउस रात की िगनती न होउस रात को िकसी महीन म सिममिलत न करो

7वह रात कछ भी उतपनन न करकोई भी आननद धविन उस रात को सनाई न द

8जादगरो को शाप दन दो उस िदन को व शािपत कर िजस िदन मपदा हआ

व वयिकत हमशा िलबयातान (सागर का दतय) को जगानाचाहत ह

9 उस िदन को भोर का तारा काला पड़ जायवह रात सबह क परकाश क िलय तरस और वह परकाश कभीन आय

वह सयर की पहली िकरण न दख सक10 कयो कयोिक उस रात न मझ पदा होन स न रोका

उस रात न मझ य कषट झलन स न रोका11 म कयो न मर गया जब म पदा हआ था

जनम क समय ही म कयो न मर गया12 कयो मरी मा न गोद म रखा

कयो मरी मा की छाितयो न मझ दध िपलाया

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 7: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 313 7 अययब 32313अगर म तभी मर गया होता

जब म पदा हआ था तो अब म शािनत स होताकाश म सोता रहता और िवशराम पाता

14राजाओऔर बिदधमान वयिकतयो क साथ जो पथवी पर पहलथ

उन लोगो न अपन िलय सथान बनायजो अब नषट हो कर िमटचक ह

15काश म उन शासको क साथ गाड़ा जातािजनहोन सोनmdashचादी स अपन घर भर थ

16 कयो नही म ऐसा बालक हआजो जनम लत ही मर गया हो

काश म एक ऐसा िशश होतािजसन िदन क परकाश को नही दखा

17 दषट जन दख दना तब छोड़त ह जब व कबर म होत हऔर थक जन कबर म िवशराम पात ह

18 यहा तक िक बदी भी सख स कबर म रहत हवहा व अपन पहरदारो की आवाज नही सनत ह

19 हर तरह क लोग कबर म रहत ह चाह व महतवपणर हो यासाधारण

वहा दास अपन सवामी स छटकारा पाता ह20 ldquoकोई दखी वयिकत और अिधक यातनाए भोगता जीिवत

कयो रह ऐस वयिकत को िजस का मन कड़वाहट स भरा रहताह कयो जीवन िदया जाता ह

21 ऐसा वयिकत मरना चाहता ह लिकन उस मौत नही आती हऐसा दखी वयिकत मतय पान को उसी परकार तरसता ह जसकोई िछप खजान क िलय

22 ऐस वयिकत कबर पाकर परसनन होत हऔर आननद मनात ह

23 परमशवर उनक भिवषय को रहसयपणर बनाय रखता ह

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 8: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 324 8 अययब 46और उनकी सरकषा क िलय उनक चारो ओर दीवार खड़ीकरता ह

24 म भोजन क समयपरसनन होन क बजाय दखी आह भरता हमरा िवलाप जलधारा की भाित बाहर फट पड़ता ह

25म िजस डरावनी बात स डरता रहा िक कही वही मर साथ न घटजाय वही मर साथ घट गई

और िजस बात स म सबस अिधक डरा वही मर साथ होगई

26 न ही म शानत हो सकता ह न ही म िवशराम कर सकता हम बहत ही िवपदा म हrdquo

4एलीपज का कथन

1 िफर तमान क एलीपज न उततर िदया2 ldquoयिद कोई वयिकत तझस कछ कहना चाह तो

कया उसस त बचन होगा मझ कहना ही होगा3 ह अययब तन बहत स लोगो को िशकषा दी

और दबरल हाथो को तन शिकत दी4जो लोग लड़खड़ा रह थ तर शबदो न उनह ढाढ़स बधाया था

तन िनबरल परो को अपन परोतसाहन स सबल िकया5 िकनत अब तझ पर िवपितत का पहाड़ टट पड़ा ह

और तरा साहस टट गया हिवपदा की मार तझ पर पड़ी

और त वयाकल हो उठा6 त परमशवर की उपासना करता ह

सो उस पर भरोसा रखत एक भला वयिकत ह

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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  • अययब
Page 9: अय्यूब - World English Bible5अय य ब क ब जब जवन र द चकत त अय य ब बड तड क उठत और अपन हर ब क ओर

अययब 47 9 अययब 416सो इसी को त अपनी आशा बना ल

7अययब इस बात को धयान म रख िक कोई भी सजजन कभी नहीनषट िकय गय

िनदोरष कभी भी नषट नही िकया गया ह8 मन ऐस लोगो को दखा ह जो कषटो को बढ़ात ह और जो जीवन

को किठन करत हिकनत व सदा ही दणड भोगत ह

9 परमशवर का दणड उन लोगो को मार डालता हऔर उसका करोध उनह नषट करता ह

10 दजरन िसह की तरह गरत रऔर दहाड़त हिकनत परमशवर उन दजरनो को चप कराता हपरमशवर उनक दात तोड़ दता ह

11बर लोग उन िसहो क समान होत ह िजन क पास िशकार क िलयकछ भी नही होता

व मर जात ह और उनक बचच इधरmdashउधर िबखर जात हऔरव िमट जात ह

12 ldquoमर पास एक सनदश चपचाप पहचाया गयाऔर मर कानो म उसकी भनक पड़ी

13 िजस तरह रात का बरा सवपन नीद उड़ा दता हठीक उसी परकार मर साथ म हआ ह

14 म भयभीत हआ और कापन लगामरी सब हड िडया िहल गई

15 मर सामन स एक आतमा जसी गजरीिजसस मर शरीर म रोगट खड़ हो गय

16वह आतमा चपचाप ठहर गयािकनत म नही जान सका िक वह कया था

मरी आखो क सामन एक आकित खड़ी थीऔर वहा सननाटा सा छाया था

अययब 417 10 अययब 54िफर मन एक बहत ही शानत धविन सनी17 ldquoमनषय परमशवर स अिधक उिचत नही हो सकता

अपन रचियता स मनषय अिधक पिवतर नही हो सकता18 परमशवर अपन सवगीरय सवको तक पर भरोसा नही कर सकता

परमशवर को अपन दतो तक म दोष िमल जात ह19सो मनषय तो और भी अिधक गया गजरा ह

मनषय तो कचच िमटटी क घरौदो म रहत हइन िमटटी क घरौदो की नीव धल म रखी गई ह

इन लोगो को उसस भी अिधक आसानी स मसल कर मारिदया जाता ह

िजस तरह भनगो को मसल कर मारा जाता ह20 लोग भोर स साझ क बीच म मर जात ह िकनत उन पर धयान

तक कोई नही दता हव मर जात ह और सदा क िलय चल जात ह

21 उनक तमबओ की रिससया उखाड़ दी जाती हऔर य लोग िववक क िबना मर जात हrdquo

51 ldquoअययब यिद त चाह तो पकार कर दख ल िकनत तझ कोई भी

उततर नही दगात िकसी भी सवगरदत की ओर मड़ नही सकता ह

2 मखर का करोध उसी को नषट कर दगामखर की तीवर भावनाय उसी को नषट कर डालगी

3 मन एक मखर को दखा जो सोचता था िक वह सरिकषत हिकनत वह एकाएक मर गया

4 ऐस मखर वयिकत की सनतानो की कोई भी सहायता न कर सकानयायालय म उनको बचान वाला कोई न था

अययब 55 11 अययब 5165 उसकी फसल को भख लोग खा गय यहा तक िक व भख लोग

काटो की झािड़यो क बीच उग अनन कण को भी उठा लगय

जो कछ भी उसक पास था उस लालची लोग उठा ल गय6बरा समय िमटटी स नही िनकलता ह

न ही िवपदा मदानो म उगती ह7 मनषय का जनम दख भोगन क िलय हआ ह

यह उतना ही सतय ह िजतना सतय ह िकआग स िचगारी ऊपरउठती ह

8 िकनत अययब यिद तमहारी जगह म होतातो म परमशवर क पास जाकर अपना दखड़ा कह डालता

9 लोग उन अदभत भरी बातो को िजनह परमशवर करता ह नहीसमझत ह

ऐस उन अदभत कमोर का िजस परमशवर करता ह कोई अनतनही ह

10 परमशवर धरती पर वषार को भजता हऔर वही खतो म पानी पहचाया करता ह

11 परमशवर िवनमर लोगो को ऊपर उठाता हऔर दखी जन को अित परसनन बनाता ह

12 परमशवर चालाक व दषट लोगो क कचकर को रोक दता हइसिलय उनको सफलता नही िमला करती

13 परमशवर चतर को उसी की चतराई भरी योजना म पकड़ता हइसिलए उनक चतराई भरी योजनाए सफल नही होती

14व चालाक लोग िदन क परकाश म भी ठोकर खात िफरत हयहा तक िक दोपहर म भी व रासत का अनभव रात क जसकरत ह

15 परमशवर दीन वयिकत को मतय स बचाता हऔर उनह शिकतशाली चतर लोगो की शिकत स बचाता ह

16 इसिलए दीन वयिकत को भरोसा ह

अययब 517 12 अययब 525परमशवर बर लोगो को नषट करगा जो खर नही ह

17 ldquoवह मनषय भागयवान ह िजसका परमशवर सधार करता हइसिलए जब सवरशिकतशाली परमशवर तमह दणड द रहा तो तमअपना दखड़ा मत रोओ

18 परमशवर उन घावो पर पटटी बानधता ह िजनह उसन िदया हवह चोट पहचाता ह िकनत उसक ही हाथ चगा भी करत ह

19वह तझ छ िवपिततयो स बचायगाहा सातो िवपिततयो म तझ कोई हािन न होगी

20अकाल क समय परमशवरतझ मतय स बचायगा

और परमशवर यदध मतरी मतय स रकषा करगा

21जब लोग अपन कठोर शबदो स तर िलय बरी बात बोलगतब परमशवर तरी रकषा करगा

िवनाश क समयतझ डरन की आवशयकता नही होगी

22 िवनाश और भखमरी पर त हसगाऔर त जगली जानवरो स कभी भयभीत न होगा

23तरी वाचा परमशवर क साथ ह यहा तक िक मदानो की चटटान भीतरा वाचा म भाग लती ह

जगली पश भी तर साथ शािनत रखत ह24 त शािनत स रहगा

कयोिक तरा तमब सरिकषत हत अपनी समपितत को समभालगा

और उसम स कछ भी खोया हआ नही पायगा25 तरी बहत सनतान होगी और व इतनी होगी

िजतनी घास की पिततया पथवी पर ह

अययब 526 13 अययब 6726 त उस पक गह जसा होगा जो कटनी क समय तक पकता रहता

हहा त परी वदध आय तक जीिवत रहगा

27 ldquoअययब हमन य बात पढ़ी ह और हम जानत ह िक य सचची हअत अययब सन और त इनह सवय अपन आप जानrdquo

6Job Answers Eliphaz

1 िफर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoयिद मरी पीड़ा को तौला जा सक

और सभी वदनाओको तराज म रख िदया जाय तभी तम मरीवयथा को समझ सकोग

3 मरी वयथा समदर की समची रत स भी अिधक भारी होगीइसिलय मर शबद मखरतापणर लगत ह

4सवरशिकतमान परमशवर क बाण मझ म िबध ह औरमरा पराण उन बाणो क िवष को िपया करता हपरमशवर क व भयानक शसतर मर िवरदध एक साथ रखी हईह

5 तर शबद कहन क िलय आसान ह जब कछ भी बरा नही घिटतहआ ह

यहा तक िक बनला गधा भी नही रकता यिद उसक पास घास खानको रह

और कोई भी गाय तब तक नही रमभाती जब तक उस क पासचरन क िलय चारा ह

6भोजन िबना नमक क बसवाद होता हऔर अणड की सफदी म सवाद नही आता ह

7 इस भोजन को छन स म इनकार करता ह

अययब 68 14 अययब 615इस परकार का भोजन मझ तग कर डालता ह

मर िलय तमहार शबद ठीक उसी परकार क ह8 ldquoकाश मझ वह िमल पाता जो मन मागा ह

काश परमशवर मझ द दता िजसकी मझ कामना ह9काश परमशवर मझ कचल डालता

और मझ आग बढ़ कर मार डालता10 यिद वह मझ मारता ह तो एक बात का चन मझ रहगा

अपनी अननत पीड़ा म भी मझ एक बात की परसननता रहगा िकमन कभी भी अपन पिवतर क आदशो पर चलन स इनकारनही िकया

11 ldquoमरी शिकत कषीण हो चकी ह अत जीत रहन की आशा मझ नहीह

मझ को पता नही िक अत म मर साथ कया होगा इसिलयधीरज धरन का मर पास कोई कारण नही ह

12 म चटटान की भाित सदढ़ नही हन ही मरा शरीर कास स रचा गया ह

13अब तो मझम इतनी भी शिकत नही िक म सवय को बचा लकयो कयोिक मझ स सफलता छीन ली गई ह

14 ldquoकयोिक वह जो अपन िमतरो क परित िनषठा िदखान स इनकारकरता ह

वह सवरशिकतमान परमशवर का भी अपमान करता ह15 िकनत मर बनधओ तम िवशवासयोगय नही रह

म तम पर िनभरर नही रह सकता हतम ऐसी जलधाराओ क सामान हो जो कभी बहती ह और कभी

नही बहती हतम ऐसी जलधाराओ क समान हो जो उफनती रहती ह

अययब 616 15 अययब 62816जब व बफर स और िपघलत हए िहम सा रध जाती ह17और जब मौसम गमर और सखा होता ह

तब पानी बहना बनद हो जाता हऔर जलधाराऐ सख जाती ह

18 वयापािरयो क दल मरभिम म अपनी राहो स भटक जात हऔर व लपत हो जात ह

19 तमा क वयापारी दल जल को खोजत रहऔर शबा क यातरी आशा क साथ दखत रह

20व आशवत थ िक उनह जल िमलगािकनत उनह िनराशा िमली

21अब तम उन जलधाराओ क समान होतम मरी यातनाओ को दखत हो और भयभीत हो

22 कया मन तमस सहायता मागी नहीिकनत तमन मझ अपनी सममित सवततरता पवरक दी

23 कया मन तमस कहा िक शतरओ स मझ बचा लोऔर करर वयिकतयो स मरी रकषा करो

24 ldquoअत अब मझ िशकषा दो और म शानत हो जाऊगामझ िदखा दो िक मन कया बरा िकया ह

25सचच शबद सशकत होत हिकनत तमहार तकर कछ भी नही िसदध करत

26 कया तम मरी आलोचना करन की योजनाऐ बनात होकया तम इसस भी अिधक िनराशापणर शबद बोलोग

27यहा तक िक तम जऐ म उन बचचो की वसतओ को छीनना चाहतहो

िजनक िपता नही हतम तो अपन िनज िमतर को भी बच डालोग

28 िकनत अब मर मख को पढ़ो

अययब 629 16 अययब 76म तमस झठ नही बोलगा

29अत अपन मन को अब पिरवितरत करोअनयायी मत बनो िफर स जरा सोचो िक मन कोई बरा कामनही िकया ह

30 म झठ नही कह रहा ह मझको भलऔर बर लोगो की पहचान हrdquo

71अययब न कहा

ldquoमनषय को धरती पर किठन सघषर करना पड़ता हउसका जीवन भाड़ क शरिमक क जीवन जसा होता ह

2 मनषय उस भाड़ क शरिमक जसा ह जो तपत हए िदन म महनतकरन क बाद शीतल छाया चाहता ह

और मजदरी िमलन क िदन की बाट जोहता रहता ह3 महीन दर महीन बचनी क गजर गय ह

और पीड़ा भरी रात दर रात मझ द दी गई ह4जब म लटता ह म सोचा करता ह िक

अभी और िकतनी दर ह मर उठन कायह रात घसीटती चली जा रही ह

म छटपटाता और करवट बदलता ह जब तक सरज नहीिनकल आता

5 मरा शरीर कीड़ो और धल स ढका हआ हमरी तवचा िचटक गई ह और इसम िरसत हए फोड़ भर गयह

6 ldquoमर िदन जलाह की िफरकी स भी अिधक तीवर गित स बीत रहह

मर जीवन का अनत िबना िकसी आशा क हो रहा ह

अययब 77 17 अययब 7177 ह परमशवर याद रख मरा जीवन एक फक मातर ह

अब मरी आख कछ भी अचछा नही दखगी8अभी त मझको दख रहा ह िकनत िफर त मझको नही दख पायगा

त मझको ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगा9 एक बादल छप जाता ह और लपत हो जाता ह

इसी परकार एक वयिकत जो मर जाता ह और कबर म गाड़ िदयाजाता ह वह िफर वापस नही आता ह

10वह अपन परान घर को वापस कभी भी नही लौटगाउसका घर उसको िफर कभी भी नही जानगा

11 ldquoअत म चप नही रहगा म सब कह डालगामरी आतमा दिखत ह और मरा मन कटता स भरा हअत म अपना दखड़ा रोऊगा

12 ह परमशवर त मरी रखवाली कयो करता हकया म समदर ह अथवा समदर का कोई दतय

13जब मझ को लगता ह िक मरी खाट मझ शािनत दगीऔर मरा पलग मझ िवशराम व चन दगा

14 ह परमशवर तभी त मझ सवपन म डराता हऔर त दशरन स मझ घबरा दता ह

15 इसिलए जीिवत रहन स अचछामझ मर जाना जयादा पसनद ह

16 म अपन जीवन स घणा करता हमरी आशा टट चकी ह

म सदव जीिवत रहना नही चाहतामझ अकला छोड़ द मरा जीवन वयथर ह

17 ह परमशवर मनषय तर िलय कयो इतना महतवपणर हकयो तझ उसका आदर करना चािहय कयो मनषय पर तझइतना धयान दना चािहय

अययब 718 18 अययब 8618 हर परात कयो त मनषय क पास आता ह

और हर कषण त कयो उस परखा करता ह19 ह परमशवर त मझस कभी भी दिषट नही फरता ह

और मझ एक कषण क िलय भी अकला नही छोड़ता ह20 ह परमशवर त लोगो पर दिषट रखता ह

यिद मन पाप िकया तब म कया कर सकता ह तन मझको कयो िनशाना बनाया ह

कया म तर िलय कोई समसया बना ह 21 कयो त मरी गलितयो को कषमा नही करता और मर पापो को

कयो त माफ नही करता हम शीघर ही मर जाऊगा और कबर म चला जाऊगा

जब त मझ ढढगा िकनत तब तक म जा चका होऊगाrdquo

81 इसक बाद शह परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

2 ldquoत कब तक ऐसी बात करता रहगातर शबद तज आधी की तरह बह रह ह

3 परमशवर सदा िनषपकष हनयायपणर बातो को सवरशिकतशाली परमशवर कभी नही बदलताह

4 अत यिद तरी सनतानो न परमशवर क िवरदध पाप िकया ह तोउसन उनह दिणडत या ह

अपन पापो क िलय उनह भगतना पड़ा ह5 िकनत अब अययब परमशवर की ओर दिषट कर

और सवरशिकतमान परमशवर स उस की दया पान क िलयिवनती कर

6 यिद त पिवतर ह और उततम ह तो वह शीघर आकर तझ सहारा

अययब 87 19 अययब 816और तझ तरा पिरवार और वसतऐ तझ लौटायगा

7जो कछ भी तन खोया वह तझ छोटी सी बात लगगीकयो कयोिक तरा भिवषय बड़ा ही सफल होगा

8 ldquoउन वदध लोगो स पछ और पता कर िकउनक पवरजो न कया सीखा था

9 कयोिक ऐसा लगता ह जस हम तो बस कल ही पदा हए हहम कछ नही जानत

परछाई की भाित हमारी आय पथवी पर बहत छोटी ह10 हो सकता ह िक वदध लोग तझ कछ िसखा सक

हो सकता ह जो उनहोन सीखा ह व तझ िसखा सक11 ldquoिबलदद न कहा ldquoकया सखी भिम म भोजपतर का वकष बढ़ कर

लमबा हो सकता हनरकल िबना जल क बढ़ सकता ह

12 नही यिद पानी सख जाता ह तो व भी मरझा जायगउनह काट जान क योगय काट कर काम म लान को व बहतछोट रह जायग

13वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह नरकल की भाित होताह

वह वयिकत जो परमशवर को भल जाता ह कभी आशावान नहीहोगा

14 उस वयिकत का िवशवास बहत दबरल होता हवह वयिकत मकड़ी क जाल क सहार रहता ह

15 यिद कोई वयिकत मकड़ी क जाल को पकड़ता हिकनत वह जाला उस को सहारा नही दगा

16वह वयिकत उस पौध क समान ह िजसक पास पानी और सयर कापरकाश बहतायात स ह

अययब 817 20 अययब 96उसकी शाखाऐ बगीच म हर तरफ फलती ह

17वह पतथर क टील क चारो ओर अपनी जड़ फलाता हऔर चटटान म उगन क िलय कोई सथान ढढता ह

18 िकनत जब वह पौधा अपन सथान स उखाड़ िदया जाता हतो कोई नही जान पाता िक वह कभी वहा था

19 िकनत वह पौधा परसनन था अब दसर पौध वहा उगगजहा कभी वह पौधा था

20 िकनत परमशवर िकसी भी िनदोरष वयिकत को नही तयागगाऔर वह बर वयिकत को सहारा नही दगा

21 परमशवर अभी भी तर मख को हसी स भर दगाऔर तर ओठो को खशी स चहकायगा

22और परमशवर तर शतरओ को लिजजत करगाऔर वह तर शतरओ क घरो को नषट कर दगाrdquo

91 िफर अययब न उततर िदया

2 ldquoहा म जानता ह िक त सतय कहता हिकनत मनषय परमशवर क सामन िनदोरष कस हो सकता ह

3 मनषय परमशवर स तकर नही कर सकतापरमशवर मनषय स हजारो परशन पछ सकता ह और कोई उनमस एक का भी उततर नही द सकता ह

4 परमशवर का िववक गहन ह उसकी शिकत महान हऐसा कोई वयिकत नही जो परमशवर स झगड़ और हािन नउठाय

5 जब परमशवर करोिधत होता ह वह पवरतो को हटा दता ह और वजान तक नही पात

6 परमशवर पथवी को कपान क िलय भकमप भजता ह

अययब 97 21 अययब 917परमशवर पथवी की नीव को िहला दता ह

7परमशवर सयर को आजञा द सकता ह और उस उगन स रोक सकताह

वह तारो को बनद कर सकता ह तािक व न चमक8 कवल परमशवर न आकाशो की रचना की

वह सागर की लहरो पर िवचरण कर सकता ह9 ldquoपरमशवर न सपतषीर मगिशरा और कचपिचया तारो को बनाया ह

उसन उन गरहो को बनाया जो दिकषण का आकाश पार करतह

10 परमशवर ऐस अदभत कमर करता ह िजनह मनषय नही समझसकता

परमशवर क महान आशचयरकमोर का कोई अनत नही ह11 परमशवर जब मर पास स िनकलता ह म उस दख नही पाता ह

परमशवर जब मरी बगल स िनकल जाता ह म उसकी महानताको समझ नही पाता

12 यिद परमशवर छीनन लगता ह तोकोई भी उस रोक नही सकता

कोई भी उसस कह नही सकताlsquoत कया कर रहा हrsquo

13अपन करोध को नही रोकगायहा तक िक राहाब दानव (सागर का दतय) क सहायक भीपरमशवर स डरत ह

14अत परमशवर स म तकर नही कर सकताम नही जानता िक उसस कया कहा जाय

15म यदयिप िनदोरष ह िकनत म परमशवर को एक उततर नही द सकताम बस अपन नयायकतार (परमशवर)स दया की याचना करसकता ह

16 यिद म उस पकार और वह उततर द तब भी मझ िवशवास नहीहोगा िक वह सचमच मरी सनता ह

17 परमशवर मझ कचलन क िलय तफान भजगा

अययब 918 22 अययब 926और वह मझ अकारण ही और अिधक घावो को दगा

18 परमशवर मझ िफर सास नही लन दगावह मझ और अिधक यातना दगा

19 म परमशवर को परािजत नही कर सकतापरमशवर शिकतशाली ह

म परमशवर को नयायालय म नही ल जा सकता और उस अपन परितम िनषपकष नही बना सकता

परमशवर को नयायालय म आन क िलय कौन िववश करसकता ह

20 म िनदोरष ह िकनत मरा भयभीत मख मझ अपराधी कहगाअत यदयिप म िनरपराधी ह िकनत मरा मख मझ अपराधीघोिषत करता ह

21 म पाप रिहत ह िकनत मझ अपनी ही परवाह नही हम सवय अपन ही जीवन स घणा करता ह

22 म सवय स कहता ह हर िकसी क साथ एक सा ही घिटत होताह

िनरपराध लोग भी वस ही मरत ह जस अपराधी मरत हपरमशवर उन सबक जीवन का अनत करता ह

23 जब कोई भयकर बात घटती ह और कोई िनदोरष वयिकत माराजाता ह तो कया परमशवर उसक दख पर हसता ह

24 जब धरती दषट जन को दी जाती ह तो कया मिखया को परमशवरअधा कर दता ह

यिद यह परमशवर न नही िकया तो िफर िकसन िकया ह25 ldquoिकसी तज धावक स तज मर िदन भाग रह ह

मर िदन उड़ कर बीत रह ह और उनम कोई परसननता नही ह26वग स मर िदन बीत रह ह जस शरीmdashपतर की नाव बही चली जाती

हमर िदन टट पड़त ह ऐस जस उकाब अपन िशकार पर टटपड़ता हो

अययब 927 23 अययब 10227 ldquoयिद म कह िक म अपना दखड़ा रोऊगा

अपना दख भल जाऊगा और उदासी छोड़कर हसन लगगा28 इसस वासतव म कोई भी पिरवतरन नही होता ह

पीड़ा मझ अभी भी भयभीत करती ह29 मझ तो पहल स ही अपराधी ठहराया जा चका ह

सो म कयो जतन करता रह म तो कहता ह ldquoभल जाओ इसrdquo30चाह म अपन आपको िहम स धो ल

और यहा तक की अपन हाथ साबन स साफ कर ल31 िफर भी परमशवर मझ िघनौन गतर म धकल दगा

जहा मर वसर तक मझस घणा करग32 परमशवर मझ जसा मनषय नही ह इसिलए उसको म उततर नही

द सकताहम दोनो नयायालय म एक दसर स िमल नही सकत

33काश कोई िबचौिलया होता जो दोनो तरफ की बात सनताकाश कोई ऐसा होता जो हम दोनो का नयाय िनषपकष रप सकरता

34काश कोई जो परमशवर स उस की दणड की छड़ी को लतब परमशवर मझ और अिधक भयभीत नही करगा

35 तब म िबना डर परमशवर स वह सब कह सकगाजो म कहना चाहता ह

101 ldquoिकनत हाय अब म वसा नही कर सकता मझ को सवय अपन

जीवन स घणा ह अतम मकत भाव स अपना दखड़ा रोऊगा मर मन म कड़वाहटभरी ह अत म अबबोलगा

2 म परमशवर स कहगा ldquoमझ पर दोष मत लगा

अययब 103 24 अययब 1013मझ बता द मन तरा कया बरा िकया मर िवरदध तर पास कयाह

3 ह परमशवर कया त मझ चोट पहचा कर परसनन होता हऐसा लगता ह जस तझ अपनी सिषट की िचता नही ह औरशायद त दषटो क कचकरो का पकष लता ह

4 ह परमशवर कया तरी आख मनषय समान हकया त वसतओ को ऐस ही दखता ह जस मनषय की आखदखा करती ह

5 तरी आय हम मनषयो जस छोटी नही हतर वषर कम नही ह जस मनषय क कम होत ह

6 त मरी गलितयो को ढढ़ता हऔर मर पापो को खोजता ह

7 त जानता ह िक म िनरपराध हिकनत मझ कोई भी तरी शिकत स बचा नही सकता

8 परमशवर तन मझको रचाऔर तर हाथो न मरी दह को सवारा

िकनत अब त ही मझ स िवमख हआऔर मझ नषट कर रहा ह

9 ह परमशवर याद कर िक तन मझ िमटटी स मढ़ािकनत अब त ही मझ िफर स िमटटी म िमलायगा

10 त दध क समान मझ को उडलता हदध की तरह त मझ उबालता ह और त मझ दध स पनीर मबदलता ह

11 तन मझ हिडडयो और मास पिशयो स बनाऔर िफर तन मझ पर मास और तवचा चढ़ा दी

12 तन मझ जीवन का दान िदया और मर परित दयाल रहातन मरा धयान रखा और तन मर पराणो की रखवाली की

13 िकनत यह वह ह िजस तन अपन मन म िछपाय रखा

अययब 1014 25 अययब 1021और म जानता ह यह वह ह िजसकी तन अपन मन म गपतरप स योजना बनाई

14 यिद मन पाप िकया तो त मझ दखता थासो मर बर काम का दणड त द सकता था

15जब म पाप करता ह तोम अपराधी होता ह और यह मर िलय बहत ही बरा होगा

िकनत म यिद िनरपराध भी ह तो भी अपना िसर नही उठा पाताकयोिक म लजजा और पीड़ा स भरा हआ ह

16यिद मझको कोई सफलता िमल जाय और म अिभमानी हो जाऊतो त मरा पीछा वस करगा जस िसह क पीछ कोई िशकारीपड़ता ह

और िफर त मर िवरदध अपनी शिकत िदखायगा17 त मर िवरदध सदव िकसी न िकसी को नया साकषी बनाता ह

तरा करोध मर िवरदध और अिधक भड़कगा तथा मर िवरदधत नई शतर सना लायगा

18सो ह परमशवर तन मझको कयो जनम िदया इसस पहल की कोईमझ दखता

काश म मर गया होता19काश म जीिवत न रहता

काश माता क गभर स सीध ही कबर म उतारा जाता20 मरा जीवन लगभग समापत हो चका ह

सो मझ अकला छोड़ दोमरा थोड़ा सा समय जो बचा ह उस मझ चन स जी लन दो

21इसस पहल की म वहा चला जाऊ जहा स कभी कोई वापस नहीआता ह

जहा अधकार ह और मतय का सथान ह

अययब 1022 26 अययब 11622जो थोड़ा समय मरा बचा ह उस मझको जी लन दो इसस पहल

िक म वहा चला जाऊ िजस सथान को कोई नही दख पाताअथारत अधकार िवपलव और गड़बड़ी का सथान

उस सथान म यहा तक िक परकाश भी अधकारपणर होता हrdquo

11सोपर का अययब स कथन

1 इस पर नामात नामक परदश क सोपर न अययब को उततर दतहय कहा2 ldquoइस शबदो क परवाह का उततर दना चािहय

कया यह सब कहना अययब को िनदोरष ठहराता ह नही3अययब कया तम सोचत हो िक

हमार पास तमहार िलय उततर नही हकया तम सोचत हो िक जब तम परमशवर पर

हसत हो तो कोई तमह चतावनी नही दगा4अययब तम परमशवर स कहत रह िक

lsquoमरा िवशवास सतय हऔर त दख सकता ह िक म िनषकलक हrsquo

5अययब मरी य इचछा ह िक परमशवर तझ उततर दयह बतात हए िक त दोषपणर ह

6काश परमशवर तझ बिदध क िछप रहसय बताताऔर वह सचमच तझ उनको बतायगा हर कहानी क दो पकषहोत ह

अययब मरी सन परमशवर तझ कम दिणडत कर रहा हअपकषाकत िजतना उस सचमच तझ दिणडत करना चािहय

अययब 117 27 अययब 11177 ldquoअययब कया तम सवरशिकतमान परमशवर क रहसयपणर सतय समझ

सकत होकया तम उसक िववक की सीमा मयारदा समझ सकत हो

8 उसकी सीमाय आकाश स ऊची हइसिलय तम नही समझ सकत हो

सीमाय नकर की गहराईयो स गहरी हसो त उनको समझ नही सकता ह

9व सीमाय धरती स वयापक हऔर सागर स िवसतत ह

10 ldquoयिद परमशवर तझ बदी बनाय और तझको नयायालय म ल जायतो कोई भी वयिकत उस रोक नही सकता ह

11 परमशवर सचमच जानता ह िक कौन पाखणडी हपरमशवर जब बराई को दखता ह तो उस याद रखता ह

12 िकनत कोई मढ़ जन कभी बिदधमान नही होगाजस बनला गधा कभी मनषय को जनम नही द सकता ह

13 सो अययब तझको अपना मन तयार करना चािहय परमशवर कीसवा करन क िलय

तझ अपन िनज हाथो को पराथरना करन को ऊपर उठानाचािहय

14वह पाप जो तर हाथो म बसा ह उसको त दर करअपन तमब म बराई को मत रहन द

15 तभी त िनशचय ही िबना िकसी लजजा क आख ऊपर उठा करपरमशवर को दख सकता ह

त दढ़ता स खड़ा रहगा और नही डरगा16अययब तब त अपनी िवपदा को भल पायगा

त अपन दखड़ो को बस उस पानी सा याद करगा जो तर पासस बह कर चला गया

17 तरा जीवन दोपहर क सरज स भी अिधक उजजवल होगा

अययब 1118 28 अययब 124जीवन की अधरी घिड़या ऐस चमकगी जस सबह का सरज

18अययब त सरिकषत अनभव करगा कयोिक वहा आशा होगीपरमशवर तरी रखवाली करगा और तझ आराम दगा

19चन स त सोयगा कोई तझ नही डरायगाऔर बहत स लोग तझ स सहायता मागग

20 िकनत जब बर लोग आसरा ढढग तब उनको नही िमलगाउनक पास कोई आस नही होगी

व अपनी िवपिततयो स बच कर िनकल नही पायगमतय ही उनकी आशा मातर होगीrdquo

12सोपर को अययब का उततर

1 िफर अययब न सोपर को उततर िदया2 ldquoिनःसनदह तम सोचत हो िक मातर

तम ही लोग बिदधमान होतम सोचत हो िक जब तम मरोग तो

िववक मर जायगा तमहार साथ3 िकनत तमहार िजतनी मरी बिदध भी उततम ह

म तम स कछ घट कर नही हऐसी बातो को जसी तम कहत हो

हर कोई जानता ह4 ldquoअब मर िमतर मरी हसी उड़ात ह

वह कहत ह lsquoहा वह परमशवर स िवनती िकया करता थाऔर वह उस उततर दता था

इसिलए यह सब बरी बात उसक साथ घिटत हो रही हrsquo

अययब 125 29 अययब 1214यदयिप म दोषरिहत और खरा ह लिकन व मरी हसी उड़ातह

5 ऐस लोग िजन पर िवपदा नही पड़ी िवपदागरसत लोगो की हसीिकया करत ह

ऐस लोग िगरत हय वयिकत को धकका िदया करत ह6डाकओ क डर िनिशचत रहत ह

ऐस लोग जो परमशवर को रषट करत ह शाित स रहत हसवय अपन बल को वह अपना परमशवर मानत ह

7 ldquoचाह त पश स पछ कर दखव तझ िसखादग

अथवा हवा क पिकषयो स पछव तझ बता दग

8अथवा त धरती स पछ लवह तझको िसखा दगी

या सागर की मछिलयो कोअपना जञान तझ बतान द

9 हर कोई जानता ह िक परमशवर न इन सब वसतओ को रचा ह10 हर जीिवत पश और हर एक पराणी जो सास लता ह

परमशवर की शिकत क अधीन ह11जस जीभ भोजन का सवाद चखती ह

वसी ही कानो को शबदो को परखना भाता ह12 हम कहत ह ldquoऐस ही बढ़ो क पास िववक रहता ह और लमबी

आय समझ बझ दती हrdquo13 िववकऔर सामथयर परमशवर क साथ रहत हसममितऔर सझmdash

बझ उसी की ही होती ह14 यिद परमशवर िकसी वसत को ढा िगराय तो िफर लोग उस नही

बना सकत

अययब 1215 30 अययब 1224यिद परमशवर िकसी वयिकत को बनदी बनाय तो लोग उस मकतनही कर सकत

15 यिद परमशवर वषार को रोक तो धरती सख जायगीयिद परमशवर वषार को छट द द तो वह धरती पर बाढ़ लआयगी

16 परमशवर समथर ह और वह सदा िवजयी होता हवह वयिकत जो छलता ह और वह वयिकत जो छला जाता हदोनो परमशवर क ह

17 परमशवर मिनतरयो को बिदध स विचत कर दता हऔर वह परमखो को ऐसा बना दता ह िक व मखर जनो जसावयवहार करन लगत ह

18 राजा बिनदयो पर जजीर डालत ह िकनत उनह परमशवर खोल दताह

िफर परमशवर उन राजाओ पर एक कमरबनद बाध दता ह19 परमशवर याजको को बनदी बना कर पद स हटाता ह और तचछ

बना कर ल जाता हवह बिल और शिकतशाली लोगो को शिकतहीन कर दता ह

20 परमशवर िवशवासपातर सलाह दनवाल को चप करा दता हवह वदध लोगो का िववक छीन लता ह

21 परमशवर महतवपणर हािकमो पर घणा उडल दता हवह शासको की शिकत छीन िलया करता ह

22 गहन अधकार स रहसयपणर सतय को परगट करता हऐस सथानो म जहा मतय सा अधरा ह वह परकाश भजता ह

23 परमशवर राषटरो को िवशाल और शिकतशाली होन दता हऔर िफर उनको वह नषट कर डालता ह

वह राषटरो को िवकिसत कर िवशाल बनन दता हिफर उनक लोगो को वह िततरmdashिबतर कर दता ह

24परमशवर धरती क परमखो को मखर बना दता हऔर उनह नासमझबना दता ह

अययब 1225 31 अययब 137वह उनको मरभिम म जहा कोई राह नही भटकन को भजदता ह

25 व परमख अधकार क बीच टटोलत ह कोई भी परकाश उनकपास नही होता ह

परमशवर उनको ऐस चलाता ह जस पी कर धतत हय लोगचलत ह

131अययब न कहा

ldquoमरी आखो न यह सब पहल दखा हऔर पहल ही म सन चका ह जो कछ तम कहा करत होइस सब की समझ बझ मझ ह

2 म भी उतना ही जानता ह िजतना त जानता हम तझ स कम नही ह

3 िकनत मझ इचछा नही ह िक म तझ स तकर करम सवरशिकतमान परमशवर स बोलना चाहता हअपन सकट क बार म म परमशवर स तकर करना चाहता ह

4 िकनत तम तीनो लोग अपन अजञान को िमथया िवचारो स ढकनाचाहत हो

तम वो बकार क िचिकतसक हो जो िकसी को अचछा नहीकर सकता

5 मरी यह कामना ह िक तम परी तरह चप हो जाओयह तमहार िलय बिदधमतता की बात होगी िजसको तम करसकत हो

6 ldquoअब मरी यिकत सनोसनो जब म अपनी सफाई द

7 कया तम परमशवर क हत झठ बोलोग

अययब 138 32 अययब 1316कया यह तमको सचमच िवशवास ह िक य तमहार झठ परमशवरतमस बलवाना चाहता ह

8 कया तम मर िवरदध परमशवर का पकष लोगcheck कया तम नयायालय म परमशवर को बचान जा रह हो

9 यिद परमशवर न तमको अित िनकटता स जाच िलया तोकया वह कछ भी अचछी बातपायगा

कया तम सोचत हो िक तम परमशवर को छल पाओगठीक उसी तरह जस तम लोगो को छलत हो

10 यिद तम नयायालय म िछप िछप िकसी का पकष लोगतो परमशवर िनशचय ही तमको लताड़गा

11भवय तज तमको डरायगाऔर तम भयभीत हो जाओग

12 तम सोचत हो िक तम चतराई भरी और बिदधमततापणर बात करतहो िकनत तमहार कथन राख जस वयथर ह

तमहारी यिकतया माटी सी दबरल ह13 ldquoचप रहो और मझको कह लन दो

िफर जो भी होना ह मर साथ हो जान दो14 म सवय को सकट म डाल रहा ह

और म सवय अपना जीवन अपन हाथो म ल रहा ह15चाह परमशवर मझ मार द

मझ कछआशा नही ह तो भी म अपना मकदमा उसक सामनलड़गा

16 िकनत समभव ह िक परमशवर मझ बचा लकयोिक म उसक सामनिनडर ह

कोई भी बरा वयिकत परमशवर स आमन सामन िमलन कासाहस नही कर सकता

अययब 1317 33 अययब 132617 उस धयान स सन िजस म कहता ह

उस पर कान द िजसकी वयाखया म करता ह18अब म अपना बचाव करन को तयार ह

यह मझ पता ह िकमझको िनदोरष िसदध िकया जायगा

19कोई भी वयिकत यह परमािणत नही कर सकता िक म गलत हयिद कोई वयिकत यह िसदध कर द तो म चप हो जाऊगा औरपराण द दगा

20 ldquoह परमशवर त मझ दो बात द दिफर म तझ स नही िछपगा

21 मझ दणड दना और डराना छोड़ दअपन आतको स मझ छोड़ द

22 िफर त मझ पकार और म तझ उततर दगाअथवा मझको बोलन द और त मझको उततर द

23 िकतन पाप मन िकय हकौन सा अपराध मझस बन पड़ामझ मर पाप और अपराध िदखा

24 ह परमशवर त मझस कयो बचता हऔर मर साथ शतर जसा वयवहार कयो करता ह

25 कया त मझको डरायगाम (अययब) एक पतता ह िजसक पवन उड़ाती हएक सख ितनक पर त परहार कर रहा ह

26 ह परमशवर त मर िवरोध म कड़वी बात बोलता हत मझ ऐस पापो क िलय दख दता ह जो मन लड़कपन मिकय थ

अययब 1327 34 अययब 14627 मर परो म तन काठ डाल िदया ह त मर हर कदम पर आख

गड़ाय रखता हमर कदमो की तन सीमाय बाध दी ह

28 म सड़ी वसत सा कषीण होता जाता ह कीड़ स खाय हयकपड़ क टकड़ जसाrdquo

141अययब न कहा

ldquoहम सभी मानव हहमारा जीवन छोटा और दखमय ह

2 मनषय का जीवन एक फल क समान हजो शीघर उगता ह और िफर समापत हो जाता ह

मनषय का जीवन ह जस कोई छाया जो थोड़ी दर िटकती ह औरबनी नही रहती

3 ह परमशवर कया त मर जस मनषय पर धयान दगाकया त मरा नयाय करन मझ सामन लायगा

4 ldquoिकसी ऐसी वसत स जो सवय असवचछ ह सवचछ वसत कौन पासकता ह कोई नही

5 मनषय का जीवन सीिमत हमनषय क महीनो की सखया परमशवर न िनिशचत कर दी हतन मनषय क िलय जो सीमा बाधी ह उस कोई भी नही बदलसकता

6सो परमशवर त हम परआख रखना छोड़ द हम लोगो को अकलाछोड़ द

हम अपन किठन जीवन का मजा लन द जब तक हमारासमय नही समापत हो जाता

अययब 147 35 अययब 14157 ldquoिकनत यिद वकष को काट िगराया जाय तो भी आशा उस रहती

ह िकवह िफर स पनप सकता हकयोिक उसम नई नई शाखाऐ िनकलती रहगी

8चाह उसकी जड़ धरती म परानी कयो न हो जायऔर उसका तना चाह िमटटी म गल जाय

9 िकनत जल की गध मातर स ही वह नई बढ़त दता हऔर एक पौध की तरह उसस शाखाऐ फटती ह

10 िकनत जब बलशाली मनषय मर जाता हउसकी सारी शिकत खतम हो जाती ह जब मनषय मरता ह वहचला जाता ह

11जस सागर क तट स जल शीघर लौट कर खो जाता हऔर जल नदी का उतरता ह और नदी सख जाती ह

12 उसी तरह जब कोई वयिकत मर जाता हवह नीच लट जाता ह

और वह महािनदरा स िफर खड़ा नही होतावस ही वह वयिकत जो पराण तयागता ह

कभी खड़ा नही होता अथवा िचर िनदरा नही तयागताजब तक आकाश िवलपत नही होग

13 ldquoकाश त मझ मरी कबर म मझ छपा लताजब तक तरा करोध न बीत जाता

िफर कोई समय मर िलय िनयकत करक त मझ याद करता14 यिद कोई मनषय मर जाय तो कया जीवन कभी पायगा

म तब तक बाट जोहगा जब तक मरा कतरवय परा नही होजाता और जब तक म मकत न हो जाऊ

15 ह परमशवर त मझ बलायगाऔर म तझ उततर दगा

तन मझ रचा ह

अययब 1416 36 अययब 151सो त मझ चाहगा

16 िफर त मर हर चरण का िजस म उठाता ह धयान रखगाऔर िफर त मर उन पापो पर आख रखगा िजस मन िकय ह

17 काश मर पाप दर हो जाए िकसी थल म उनह बनद कर िदयाजाय

और िफर त मर पापो को ढक द18 ldquoजस पवरत िगरा करता ह और नषट हो जाता ह

और कोई चटटान अपना सथान छोड़ दती ह19जल पतथरो क ऊपर स बहता ह और उन को िघस डालता ह

तथा धरती की िमटटी को जल बहाकर ल जाती हह परमशवर उसी तरह वयिकत की आशा को त बहा ल जाताह

20 त एक बार वयिकत को हराता हऔर वह समापत हो जाता ह

त मतय क रप सा उसका मख िबगाड़ दता हऔर सदा सदा क िलय कही भज दता ह

21 यिद उसक पतर कभी सममान पात ह तो उस कभी उसका पतानही चल पाता

यिद उसक पतर कभी अपमान भोगत हजो वह उस कभी दखनही पाता ह

22वह मनषय अपन शरीर म पीड़ा भोगता हऔर वह कवल अपन िलय ऊच पकारता हrdquo

151इस पर तमान नगर क िनवासी एलीपज न अययब को उततर दत

हए कहा

अययब 152 37 अययब 15112 ldquoअययब य़िद त सचमच बिदधमान होता तो रोत शबदो स त उततर

न दताकया त सोचता ह िक कोई िववकी परष पवर की ल की तरहउततर दता ह

3 कया त सोचता ह िक कोई बिदधमान परष वयथर क शबदो सऔर उन भाषणो स तकर करगा िजनका कोई लाभ नही

4अययब यिद त मनमानी करता हतो कोई भी वयिकत परमशवर की न तोआदर करगा न ही उससपराथरना करगा

5 त िजन बातो को कहता ह वह तरा पाप साफ साफ िदखाती हअययब त चतराई भर शबदो का परयोग करक अपन पाप कोिछपान का परयतन कर रहा ह

6 त उिचत नही यह परमािणत करन की मझ आवशयकता नही हकयोिक त सवय अपन मख स जो बात कहता हवह िदखाती ह िक त बरा ह और तर ओठ सवय तर िवरदधबोलत ह

7 ldquoअययब कया त सोचता ह िक जनम लन वाला पहला वयिकत तही ह

और पहाड़ो की रचना स भी पहल तरा जनम हआ8 कया तन परमशवर की रहसयपणर योजनाऐ सनी थी

कया त सोचा करता ह िक एक मातर त ही बिदधमान ह9अययब त हम स अिधक कछ नही जानता ह

व सभी बात हम समझत ह िजनकी तझको समझ ह10व लोग िजनक बाल सफद ह और वदध परष ह व हमस सहमत

रहत हहा तर िपता स भी वदध लोग हमार पकष म ह

11 परमशवर तझको सख दन का परयतन करता हिकनत यह तर िलय पयारपत नही ह

अययब 1512 38 अययब 1521परमशवर का ससनदश बड़ी नमरता क साथ हमन तझ सनाया12अययब कयो तरा हदय तझ खीच ल जाता ह

त करोध म कयो हम पर आख तररता ह13जब त इन करोध भर वचनो को कहता ह

तो त परमशवर क िवरदध होता ह14 ldquoसचमच कोई मनषय पिवतर नही हो सकता

मनषय सतरी स पदा हआ ह और धरती पर रहता ह अत वहउिचत नही हो सकता

15यहा तक िक परमशवर अपन दतो तक का िवशवास नही करता हयहा तक िक सवगर जहा सवगरदत रहत ह पिवतर नही ह

16 मनषय तो और अिधक पापी हवह मनषय मिलन और िघनौना हवह बराई को जल की तरह गटकता ह

17 ldquoअययब मरी बात त सन और म उसकी वयाखया तझस करगाम तझ बताऊगा जो म जानता ह

18 म तझको व बात बताऊगािजनह िववकी परषो न मझको बताया हऔर िववकी परषो को उनक पवरजो न बताई थी

उन िववकी परषो न कछ भी मझस नही िछपाया19 कवल उनक पवरजो को ही दश िदया गया था

उनक दश म कोई परदशी नही था20 दषट जन जीवन भर पीड़ा झलगा और करर जन

उन सभी वषोर म जो उसक िलय िनिशचत िकय गय ह दखउठाता रहगा

21 उसक कानो म भयकर धविनया होगी

अययब 1522 39 अययब 1530जब वह सोचगा िक वह सरिकषत ह तभी उसक शतर उस परहमला करग

22 दषट जन बहत अिधक िनराश रहता ह और उसक िलय कोईआशा नही ह िक वह अधकार स बच िनकल पाय

कही एक ऐसी तलवार ह जो उसको मार डालन की परितजञाकर रही ह

23वह इधरmdashउधर भटकता हआ िफरता ह िकनत उसकी दह िगदधोका भोजन बनगी

उसको यह पता ह िक उसकी मतय़ बहत िनकट ह24 िचता और यातनाऐ उस डरपोक बनाती ह और य बात उस पर

ऐस वार करती हजस कोई राजा उसक नषट कर डालन को ततपर हो

25 कयो कयोिक दषट जन परमशवर की आजञा मानन स इनकार करताह वह परमशवर को घसा िदखाता हय

और सवरशिकतमान परमशवर को परािजत करन का परयासकरता ह

26वह दषट जन बहत हठी हवह परमशवर पर एक मोटी मजबत ढाल स वार करना चाहताह

27 दषट जन क मख पर चबीर चढ़ी रहती हउसकी कमर मास भर जान स मोटी हो जाती ह

28 िकनत वह उजड़ हय नगरो म रहगावह ऐस घरो म रहगा जहा कोई नही रहता ह

जो घर कमजोर ह और जो शीघर ही खणडहर बन जायग29 दषट जन अिधक समय तक

धनी नही रहगाउसकी समपिततया नही बढ़ती रहगी

30 दषट जन अनधर स नही बच पायगावह उस वकष सा होगा िजसकी शाखाऐ आग स झलस गई ह

अययब 1531 40 अययब 164परमशवर की फक दषटो को उड़ा दगी

31 दषट जन वयथर वसतओ क भरोस रह कर अपन को मखर न बनायकयोिक उस कछ नही परापत होगा

32 दषट जन अपनी आय क परा होन स पहल ही बढ़ा हो जायगाऔर सख जायगा

वह एक सखी हई डाली सा हो जायगा जो िफर कभी भी हरीनही होगी

33 दषट जन उस अगर की बल सा होता ह िजस क फल पकन सपहल ही झड़ जात ह

ऐसा वयिकत जतन क पड़ सा होता ह िजसक फल झड़ जातह

34 कयो कयोिक परमशवर िवहीन लोग खाली हाथ रहगऐस लोग िजनको पसो स पयार ह घस लत ह उनक घर आगस नषट हो जायग

35व पीड़ा का कचकर रचत ह और बर काम करत हव लोगो को छलन क ढगो की योजना बनात हrdquo

161 इस पर अययब न उततर दत हए कहा

2 ldquoमन पहल ही य बात सनी हतम तीनो मझ दख दत हो चन नही

3 तमहारी वयथर की लमबी बात कभी समापत नही होतीतम कयो तकर करत ही रहत हो

4जस तम कहत हो वसी बात तो म भी कर सकता हयिद तमह मर दख झलन पड़त

तमहार िवरोध म बिदधमतता की बात म भी बना सकता ह और अपना िसर तम पर नचा सकता ह

अययब 165 41 अययब 16135 िकनत म अपन वचनो स तमहारा साहस बढ़ा सकता ह और तमहार

िलय आशा बनधा सकता ह

6 ldquoिकनत जो कछ म कहता ह उसस मरा दख दर नही हो सकतािकनत यिद म कछ भी न कह तो भी मझ चन नही पड़ता

7सचमच ह परमशवर तन मरी शिकत को हर िलया हतन मर सार घरान को नषट कर िदया ह

8 तन मझ बाध िदया और हर कोई मझ दख सकता ह मरी दहदबरल ह

म भयानक िदखता ह और लोग ऐसा सोचत ह िजस कातातपयर ह िक म अपराधी ह

9 ldquoपरमशवर मझ पर परहार करता हवह मझ पर किपत ह और वह मरी दह को फाड़ कर अलगकर दता ह

तथा परमशवर मर ऊपर दात पीसता हमझ शतर घणा भरी दिषट स घरत ह

10लोग मरी हसी करत हव सभी भीड़ बना कर मझ घरन को और मर मह पर थपपड़मारन को सहमत ह

11 परमशवर न मझ दषट लोगो क हाथ म अिपरत कर िदया हउसन मझ पापी लोगो क दवारा दख िदया ह

12 मर साथ सब कछ भला चगा थािकनत तभी परमशवर न मझ कचल िदया हा

उसन मझ पकड़ िलया गदरन सऔर मर िचथड़ िचथड़ कर डाल

परमशवर न मझको िनशाना बना िलया13 परमशवर क तीरदाज मर चारो तरफ ह

अययब 1614 42 अययब 1621वह मर गदोर को बाणो स बधता ह

वह दया नही िदखाता हवह मर िपतत को धरती पर िबखरता ह

14 परमशवर मझ पर बार बार वार करता हवह मझ पर ऐस झपटता ह जस कोई सिनक यदध म झपटताह

15 ldquoम बहत ही दखी ह इसिलय म टाट क वसतर पहनता ह

यहा िमटटी और राख म म बठा रहता ह और सोचा करता ह िक म परािजत ह

16 मरा मख रोतmdashिबलखत लाल हआमरी आखो क नीच काल घर ह

17 मन िकसी क साथ कभी भी कररता नही कीिकनत य बरी बात मर साथ घिटत हईमरी पराथरनाऐ सही और सचच ह

18 ldquoह पथवी त कभी उन अतयाचारो को मत िछपाना जो मर साथिकय गय ह

मरी नयाय की िवनती को त कभी रकन मत दना19 अब तक भी समभव ह िक वहा आकाश म कोई तो मर पकष म

होकोई ऊपर ह जो मझ दोषरिहत िसदध करगा

20 मर िमतर मर िवरोधी हो गय हिकनत परमशवर क िलय मरी आख आस बहाती ह

21 मझ कोई ऐसा वयिकत चािहय जो परमशवर स मरा मकदमा लड़एक ऐसा वयिकत जो ऐस तकर कर जस िनज िमतर क िलयकरता हो

अययब 1622 43 अययब 17822 ldquoकछ ही वषर बाद म वहा चला जाऊगा

जहा स िफर म कभी वापस न आऊगा (मतय)

171 ldquoमरा मन टट चका ह

मरा मन िनराश हमरा पराण लगभग जा चका ह

कबर मरी बाट जोह रही ह2लोग मझ घरत ह और मझ पर हसत ह

जब लोग मझ सतात ह और मरा अपमान करत ह म उनहदखता ह

3 ldquoपरमशवर मर िनरपराध होन का शपथmdashपतर मरा सवीकार करमरी िनदोरषता की साकषी दन क िलय कोई तयार नही होगा

4 मर िमतरो का मन तन मदा अतव मझ कछ नही समझत हकपा कर उन को मत जीतन द

5लोगो की कहावत को त जानता हमनषय जो ईनाम पान को िमतर क िवषय म गलत सचना दतह

उनक बचच अनध हो जाया करत ह6 परमशवर न मरा नाम हर िकसी क िलय अपशबद बनाया ह

और लोग मर मह पर थका करत ह7 मरी आख लगभग अनधी हो चकी ह कयोिक म बहत दखी और

बहत पीड़ा म हमरी दह एक छाया की भाित दबरल हो चकी ह

8 मरी इस ददरशा स सजजन बहत वयाकल ह

अययब 179 44 अययब 181िनरपराधी लोग भी उन लोगो स परशान ह िजनको परमशवरकी िचनता नही ह

9 िकनत सजजन नकी का जीवन जीत रहगिनरपराधी लोग शिकतशाली हो जायग

10 ldquoिकनत तम सभी आओऔर िफर मझ को िदखान का यतन करोिक सब दोष मरा ह

तमम स कोई भी िववकी नही11 मरा जीवन य ही बात रहा ह

मरी याजनाऐ टट गई ह और आशा चली गई ह12 िकनत मर िमतर रात को िदन सोचा करत ह

जब अनधरा होता ह व लोग कहा करत ह lsquoपरकाश पास हीहrsquo

13 ldquoयिद म आशा कर िक अनधकारपणर कबरमरा घर और िबसतर होगा

14 यिद म कबर स कह lsquoत मरा िपता हrsquoऔर कीड़ स lsquoत मरी माता ह अथवा त मरी बहन हrsquo

15 िकनत यिद वह मरी एकमातर आशा ह तब तो कोई आशा मझनही ह

और कोई भी वयिकत मर िलय कोई आशा नही दख सकताह

16 कया मरी आशा भी मर साथ मतय क दवार तक जायगीकया म और मरी आशा एक साथ धल म िमलगrdquo

18अययब को िबलदद का उततर

1 िफर शही परदश क िबलदद न उततर दत हए कहा

अययब 182 45 अययब 18142 ldquoअययब इस तरह की बात करना त कब छोड़गा

तझ चप होना चािहय और िफर सनना चािहयतब हम बात कर सकत ह

3 त कयो यह सोचता ह िक हम उतन मखर ह िजतनी मखर गाय4अययब त अपन करोध स अपनी ही हािन कर रहा ह

कया लोग धरती बस तर िलय छोड़ द कया त यह सोचता हिक

बस तझ तपत करन को परमशवर धरती को िहला दगा5 ldquoहा बर जन का परकाश बझगा

और उसकी आग जलना छोड़गी6 उस क तमब का परकाश काला पड़ जायगा

और जो दीपक उसक पास ह वह बझ जायगा7 उस मनषय क कदम िफर कभी मजबत और तज नही होग

िकनत वह धीर चलगा और दबरल हो जायगाअपन ही कचकरो स उसका पतन होगा

8 उसक अपन ही कदम उस एक जाल क फनद म िगरा दगवह चल कर जाल म जायगा और फस जायगा

9कोई जाल उसकी एड़ी को पकड़ लगाएक जाल उसको कसकर जकड़ लगा

10 एक रससा उसक िलय धरती म िछपा होगाकोई जाल राह म उसकी परतीकषा म ह

11 उसक तरफ आतक उसकी टोह म हउसक हर कदम का भय पीछा करता रहगा

12भयानक िवपिततया उसक िलय भखी हजब वह िगरगा िवनाशऔर िवधवस उसक िलय ततपर रहग

13 महावयािध उसक चमर क भागो को िनगल जायगीवह उसकी बाहो और उसकी टागो को सड़ा दगी

14अपन घर की सरकषा स दजरन को दर िकया जायगा

अययब 1815 46 अययब 193और आतक क राजा स िमलान क िलय उसको चलाकर लजाया जायगा

15 उसक घर म कछ भी न बचगाकयोिक उसक समच घर म धधकती हई गनधक िबखरीजायगी

16 नीच गई जड़ उसकी सख जायगीऔर उसक ऊपर की शाखाए मरझा जायगी

17धरती क लोग उसको याद नही करगबस अब कोई भी उसको याद नही करगा

18 परकाश स उसको हटा िदया जायगा और वह अधकार म ढकलजायगा

व उसको दिनया स दर भाग दग19 उसकी कोई सनतान नही होगी अथवा उसक लोगो क कोई

वशज नही होगउसक घर म कोई भी जीिवत नही बचगा

20 पिशचम क लोग सहम रह जायग जब व सनग िक उस दजरन कसाथ कया घटी

लोग पवर क आतिकत हो सनन रह जायग21सचमच दजरन क घर क साथ ऐसा ही घटगा

ऐसी ही घटगा उस वयिकत क साथ जो परमशवर की परवाहनही करतrdquo

19अययब का उततर

1 तब अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoकब तक तम मझ सतात रहोग

और शबदो स मझको तोड़त रहोग3अब दखो तमन दिसयो बार मझ अपमािनत िकया ह

अययब 194 47 अययब 1914मझ पर वार करत तमह शमर नही आती ह

4 यिद मन पाप िकया तो यह मरी समसया हयह तमह हािन नही पहचाता

5 तम बस यह चाहत हो िक तम मझस उततम िदखोतम कहत हो िक मर कषट मझ को दोषी परमािणत करत ह

6 िकनत वह तो परमशवर ह िजसन मर साथ बरा िकया हऔर िजसन मर चारो तरफ अपना फदा फलाया ह

7 म पकारा करता ह lsquoमर सग बरा िकया हrsquoलिकन मझ कोई उततर नही िमलता हचाह म नयाय की पकार पकारा कर मरी कोई नही सनता ह

8 मरा मागर परमशवर न रोका ह इसिलय उसको म पार नही करसकताउसन अधकार म मरा मागर छपा िदया ह

9 मरा सममान परमशवर न छीना हउसन मर िसर स मकट छीन िलया ह

10 जब तक मरा पराण नही िनकल जाता परमशवर मझ को करवटदर करवट पटिकया दता ह

वह मरी आशा को ऐस उखाड़ता हजस कोई जड़ स वकष को उखाड़ द

11 मर िवरदध परमशवर का करोध भड़क रहा हवह मझ अपना शतर कहता ह

12 परमशवर अपनी सना मझ पर परहार करन को भजता हव मर चारो और बिजरया बनात हमर तमब क चारो ओर व आकरमण करन क िलय छावनीबनात ह

13 ldquoमर बनधओ को परमशवर न बरी बनायाअपन िमतरो क िलय म पराया हो गया

14 मर समबिनधयो न मझको तयाग िदया

अययब 1915 48 अययब 1924मर िमतरो न मझको भला िदया

15 मर घर क अितिथ और मरी दािसया मझ ऐस िदखत ह मानो अनजाना या परदशी ह

16 म अपन दास को बलाता ह पर वह मरी नही सनता हयहा तक िक यिद म सहायता माग तो मरा दास मझको उततरनही दता

17 मरी ही पतनी मर शवास की गध स घणा करती हमर अपनी ही भाई मझ स घणा करत ह

18छोट बचच तक मरी हसी उड़ात हजब म उनक पास जाता ह तो व मर िवरदध बात करत ह

19 मर अपन िमतर मझ स घणा करत हयहा तक िक ऐस लोग जो मर िपरय ह मर िवरोधी बन गय ह

20 ldquoम इतना दबरल ह िक मरी खाल मरी हिडडयो पर लटक गईअब मझ म कछ भी पराण नही बचा ह

21 ldquoह मर िमतरो मझ पर दया करो दया करो मझ परकयोिक परमशवर का हाथ मझ को छ गया ह

22 कयो मझ तम भी सतात हो जस मझको परमशवर न सताया हकयो मझ को तम दख दत और कभी तपत नही होत हो

23 ldquoमरी यह कामना ह िक जो म कहता ह उस कोई याद रख औरिकसी पसतक म िलख

मरी यह कामना ह िक काश मर शबद िकसी गोल पतरक परिलखी जाती

24 मरी यह कामना ह काश म िजन बातो को कहता उनह िकसीलोह की टाकी स सीस पर िलखा जाता

अथवा उनको चटटान पर खोद िदया जाता तािक व सदा किलय अमर हो जाती

अययब 1925 49 अययब 20325 मझको यह पता ह िक कोई एक ऐसा ह जो मझको बचाता ह

म जानता ह अत म वह धरती पर खड़ा होगा और मझबचायगा

26 यहा तक िक मरी चमड़ी नषट हो जाय िकनत काशम अपन जीत जी परमशवर को दख सक

27अपन िलय म परमशवर को सवय दखना चाहता हम चाहता ह िक सवय उसको अपनी आखो स दख न िकिकसी दसर की आखो स

मरा मन मझ म ही उतावला हो रहा ह

28 ldquoसमभव ह तम कहो ldquoहम अययब को तग करगउस पर दोष मढ़न का हम को कोई कारण िमल जायगाrdquo

29 िकनत तमह सवय तलवार स डरना चािहय कयोिक पापी क िवरदधपरमशवर का करोध दणड लायगा

तमह दणड दन को परमशवर तलवार काम म लायगातभी तम समझोग िक वहा नयाय का एक समय हrdquo

201 इस पर नामात परदश क सोपर न उततर िदया

2 ldquoअययब तर िवचार िवकल ह सो म तझ िनशचय ही उततर दगामझ िनशचय ही जलदी करनी चािहय तझको बतान को िक मकया सोच रहा ह

3 तर सधान भर उततर हमारा अपमान करत हिकनत म िववकी ह और जानता ह िक तझ कस उततर िदयाजाना चािहय

अययब 204-5 50 अययब 20144-5 ldquoइस त तब स जानता ह जब बहत पहल आदम को धरती पर

भजा गया था दषट जन का आननद बहत िदनो नही िटकताह

ऐसा वयिकत िजस परमशवर की िचनता नही हवह थोड़ समय क िलय आनिनदत होता ह

6चाह दषट वयिकत का अिभमान नभ छ जायऔर उसका िसर बादलो को छ जाय

7 िकनत वह सदा क िलय नषट हो जायगा जस सवय उसका दहमलनषट होगा

व लोग जो उसको जानत ह कहग lsquoवह कहा हrsquo8वह ऐस िवलपत होगा जस सवपन शीघर ही कही उड़ जाता ह िफर

कभी कोई उसको दख नही सकगावह नषट हो जायगा उस रात क सवपन की तरह हाक िदयाजायगा

9व वयिकत िजनहोन उस दखा था िफर कभी नही दखगउसका पिरवार िफर कभी उसको नही दख पायगा

10 जो कछ भी उसन (दषट) गरीबो स िलया था उसकी सतानचकायगी

उनको अपन ही हाथो स अपना धन लौटाना होगा11जब वह जवान था उसकी काया मजबत थी

िकनत वह शीघर ही िमटटी हो जायगी12 ldquoदषट क मख को दषटता बड़ी मीठी लगती ह

वह उसको अपनी जीभ क नीच छपा लगा13बरा वयिकत उस बराई को थाम हय रहगा

उसका दर हो जाना उसको कभी नही भायगासो वह उस अपन मह म ही थाम रहगा

14 िकनत उसक पट म उसका भोजन जहर बन जायगा

अययब 2015 51 अययब 2024वह उसक भीतर ऐस बन जायगा जस िकसी नाग क िवष साकड़वा जहर

15 दषट समपिततयो को िनगल जाता ह िकनत वह उनह बाहर हीउगलगा

परमशवर दषट क पट स उनको उगलवायगा16 दषट जन सापो क िवष को चस लगा

िकनत सापो क िवषल दात उस मार डालग17 िफर दषट जन दखन का आननद नही लग

ऐसी उन निदयो का जो शहद और मलाई िलय बहा करती ह18 दषट को उसका लाभ वापस करन को दबाया जायगा

उसको उन वसतओ का आननद नही लन िदया जायगा िजनकिलय उसन पिरशरम िकया ह

19 कयोिक उस दषट जन न दीन जन स उिचत वयवहार नही िकयाउसन उनकी परवाह नही की और उसन उनकी वसतऐ छीनली थी

जो घर िकसी और न बनाय थ उसन व हिथयाय थ20 ldquoदषट जन कभी भी तपत नही होता ह

उसका धन उसको नही बचा सकता ह21जब वह खाता ह तो कछ नही छोड़ता ह

सो उसकी सफलता बनी नही रहगी22जब दषट जन क पास भरपर होगा

तभी दखो का पहाड़ उस पर टटगा23 दषट जन वह सब कछ खा चकगा िजस वह खाना चाहता ह

परमशवर अपना धधकता करोध उस पर डालगाउस दषट वयिकत पर परमशवर दणड बरसायगा

24समभव ह िक वह दषट लोह की तलवार स बच िनकलिकनत कही स कास का बाण उसको मार िगरायगा

अययब 2025 52 अययब 21525 वह कास का बाण उसक शरीर क आर पार होगा और उसकी

पीठ भद कर िनकल जायगाउस बाणकी चमचमाती हई नोक उसक िजगर को भद जायगीऔर वह भय स आतिकत हो जायगा

26 उसक सब खजान नषट हो जायगएक ऐसी आग िजस िकसी न नही जलाया उसको नषट करगीवह आग उनको जो उसक घर म बच ह नषट कर डालगी

27 सवगर परमािणत करगा िक वह दषट अपराधी हयह गवाही धरती उसक िवरदध दगी

28जो कछ भी उसक घर म हवह परमशवर क करोध की बाढ़ म बह जायगा

29 यह वही ह िजस परमशवर दषटो क साथ करन की योजना रचताह

यह वही ह जसा परमशवर उनह दन की योजना रचता हrdquo

21अययब का उततर

1 इस पर अययब न उततर दत हए कहा2 ldquoत कान द उस पर जो म कहता ह

तर सनन को त चन बनन द जो त मझ दता ह3जब म बोलता ह तो त धीरज रख

िफर जब म बोल चक तब त मरी हसी उड़ा सकता ह4 ldquoमरी िशकायत लोगो क िवरदध नही ह

म कयो सहनशील ह इसका एक कारण नही ह5 त मझ को दख और त सतिभत हो जा

अपना हाथ अपन मख पर रखऔर मझ दख और सतबध हो

अययब 216 53 अययब 21166जब म सोचता ह उन सब को जो कछ मर साथ घटा तो

मझको डर लगता ह और मरी दह थर थर कापती ह7 कयो बर लोगो की उमर लमबी होती ह

कयो व वदध और सफल होत ह8बर लोग अपनी सतानो को अपन साथ बढ़त हए दखत ह

बर लोग अपनी नातीmdashपोतो को दखन को जीिवत रहा करतह

9 उनक घर सरिकषत रहत ह और व नही डरत हपरमशवर दषटो को सजा दन क िलय अपना दणड काम म नहीलाता ह

10 उनक साड कभी भी िबना जोड़ा बाध नही रहउनकी गायो क ब छर होत ह और उनक गभर कभी नही िगरतह

11बर लोग बचचो को बाहर खलन भजत ह ममनो क जसउनक बचच नाचत ह चारो ओर

12वीणा और बासरी क सवर पर व गात और नाचत ह13बर लोग अपन जीवन भर सफलता का आननद लत ह

िफर िबना दख भोग व मर जात ह और अपनी कबरो क बीचचल जात ह

14 िकनत बर लोग परमशवर स कहा करत ह lsquoहम अकला छोड़ दऔर इसकी हम परवाह नही िकत हमस कसा जीवन जीना चाहता हrsquo

15 ldquoदषट लोग कहा करत ह lsquoसवरशिकतमान परमशवर कौन हहमको उसकी सवा की जररत नही हउसकी पराथरना करन का कोई लाभ नहीrsquo

16 ldquoदषट जन सोचत ह िक उनको अपन ही कारण सफलताऐ िमलतीह

अययब 2117 54 अययब 2125िकनत म उनको िवचारो को नही अपना सकता ह

17 िकनत कया पराय ऐसा होता ह िक दषट जन का परकाश बझ जायाकरता ह

िकतनी बार दषटो को दख घरा करत हकया परमशवर उनस किपत हआ करता हऔर उनह दणड दताह

18 कया परमशवर दषट लोगो को ऐस उड़ाता ह जस हवा ितनक कोउड़ाती ह

और तज हवाय अनन का भसा उड़ा दती ह19 िकनत त कहता ह lsquoपरमशवर एक बचच को उसक िपता क पापो

का दणड दता हrsquoनही परमशवर को चािहय िक बर जन को दिणडत कर तबवह बरा वयिकत जानगा िक उस उसक िनज पापो क िलयदणड िमल रहा ह

20 त पापी को उसक अपन दणड को िदखा दतब वह सवरशिकतशाली परमशवर क कोप का अनभव करगा

21जब बर वयिकत की आय क महीन समापत हो जात ह और वह मरजाता ह

वह उस पिरवार की परवाह नही करता िजस वह पीछ छोड़जाता ह

22 ldquoकोई वयिकत परमशवर को जञान नही द सकतावह ऊच पदो क जनो का भी नयाय करता ह

23 एक पर और सफल जीवन क जीन क बाद एक वयिकत मरता हउसन एक सरिकषत और सखी जीवन िजया ह

24 उसकी काया को भरपर भोजन िमला थाअब तक उस की हिडडया सवसथ थी

25 िकनत कोई एक और वयिकत किठन जीवन क बाद दख भर मनस मरता ह

अययब 2126 55 अययब 2134उसन जीवन का कभी कोई रस नही चखा

26 य दोनो वयिकत एक साथ माटी म गड़ सोत हकीड़ दोनो को एक जस ढक लग

27 ldquoिकनत म जानता ह िक त कया सोच रहा हऔर मझको पता ह िक तर पास मरा बरा करन को कचकरह

28 मर िलय त यह कहा करता ह िक lsquoअब कहा ह उस महावयिकतका घर कहा ह

वह घर िजसम वह दषट रहता थाrsquo29 ldquoिकनत तन कभी बटोिहयो स नही पछा

और उनकी कहािनयो को नही माना30 िक उस िदन जब परमशवर किपत हो कर दणड दता ह

दषट जन सदा बच जाता ह31 ऐसा कोई वयिकत नही जो उसक मख पर ही उसक कमोर की

बराई करउसक बर कमोर का दणड कोई वयिकत उस नही दता

32जब कोई दषट वयिकत कबर म ल जाया जाता हतो उसक कबर क पास एक पहरदार खड़ा रहता ह

33 उस दषट जन क िलय उस घाटी की िमटटी मधर होगीउसकी शवmdashयातरा म हजारो लोग होग

34 ldquoसो अपन कोर शबदो स त मझ चन नही द सकतातर उततर कवल झठ हrdquo

22एलीपज का उततर

अययब 221 56 अययब 22101 िफर तमान नगर क एलीपज न उततर दत हए कहा

2 ldquoपरमशवर को कोई भी वयिकत सहारा नही द सकतायहा तक की वह भी जो बहत बिदधमान वयिकत हो परमशवर किलय िहतकर नही हो सकता

3यिद तन वही िकया जो उिचत था तो इसस सवरशिकतमान परमशवरको आननद नही िमलगा

और यिद त सदा खरा रहा तो इसस उसको कछ नही िमलगा4अययब तझको परमशवर कयो दणड दता ह और कयो तझ पर दोष

लगाता हकया इसिलए िक त उसका सममान नही करता

5 नही य इसिलए की तन बहत स पाप िकय हअययब तर पाप नही रकत ह

6 अययब समभव ह िक तन अपन िकसी भाई को कछ धन िदयाहो

और उसको दबाया हो िक वह कछ िगरवी रख द तािक यपरमािणत हो सक िक वह तरा धन वापस करगा

समभव ह िकसी दीन क कज र क बदल तन कपड़ िगरवी रखिलय हो समभव ह तन वह वयथर ही िकया हो

7 तन थकmdashमाद को जल नही िदयातन भखो क िलय भोजन नही िदया

8अययब यदयिप त शिकतशाली और धनी थातन उन लोगो को सहारा नही िदया

त बड़ा जमीदार और सामथीर परष था9 िकनत तन िवधवाओ को िबना कछ िदय लौटा िदया

अययब तन अनाथ बचचो को लट िलया और उनस बरावयवहार िकया

10 इसिलए तर चारो तरफ जाल िबछ हए ह

अययब 2211 57 अययब 2220और तझ को अचानक आती िवपिततया डराती ह

11 इसिलए इतना अधकार ह िक तझ सझ पड़ता हऔर इसिलए बाढ़ का पानी तझ िनगल रहा ह

12 ldquoपरमशवर आकाश क उचचतम भाग म रहता ह वह सवोरचच तारोक नीच दखता ह

त दख सकता ह िक तार िकतन ऊच ह13 िकनत अययब त तो कहा करता ह िक परमशवर कछ नही जानता

काल बादलो स कस परमशवर हम जाच सकता ह14घन बादल उस छपा लत ह इसिलय जब वहआकाश क उचचतम

भाग म िवचरता हतो हम ऊपर आकाश स दख नही सकता

15 ldquoअययब त उस ही परानी राह परिजन पर दषट लोग चला करत ह चल रहा ह

16अपनी मतय क समय स पहल ही दषट लोग उठा िलय गयबाढ़ उनको बहा कर ल गयी थी

17य वही लोग ह जो परमशवर स कहत ह िक हम अकला छोड़ दोसवरशिकतमान परमशवर हमारा कछ नही कर सकता ह

18 िकनत परमशवर न उन लोगोको सफलबनाया हऔर उनह धनवानबना िदया

िकनत म वह ढग स िजसस दषट सोचत ह अपना नही सकताह

19सजजन जब बर लोगो का नाश दखत ह तो व परसनन होत हत लोग दषटो पर हसत ह और कहा करत ह

20 lsquoहमार शतर सचमच नषट हो गयआग उनक धन को जला दती ह

अययब 2221 58 अययब 23221 ldquoअययबअब सवय को त परमशवर को अिपरत कर द तब त शाित

पायगायिद त ऐसा कर तो त धनय और सफल हो जायगा

22 उसकी सीख अपना लऔर उसक शबद िनज मन म सरिकषत रख

23अययब यिद त िफर सवरशिकतमान परमशवर क पास आय तो िफरस पहल जसा हो जायगा

तझको अपन घर स पाप को बहत दर करना चािहए24 तझको चािहय िक त िनज सोना धल म

और िनज ओपीर का कनदन नदी म चटटानो पर फक द25 तब सवरशिकतमान परमशवर तर िलय

सोना और चादी बन जायगा26 तब त अित परसनन होगा और तझ सख िमलगा

परमशवर क सामन त िबना िकसी शमर क िसर उठा सकगा27जब त उसकी िवनती करगा तो वह तरी सना करगा

जो परितजञा तन उसस की थी त उस परा कर सकगा28जो कछ त करगा उसम तझ सफलता िमलगी

तर मागर पर परकाश चमकगा29 परमशवर अहकारी जन को लिजजत करगा

िकनत परमशवर नमर वयिकत की रकषा करगा30 परमशवर जो मनषय भोला नही ह उसकी भी रकषा करगा

तर हाथो की सवचछता स उसको उदधार िमलगाrdquo

231 िफर अययब न उततर दत हय कहा

2 ldquoम आज भी बरी तरह िशकायत करता ह िक परमशवर मझ कड़ादणड द रहा ह

इसिलय म िशकायत करता रहता ह

अययब 233 59 अययब 23123काश म यह जान पाता िक उस कहा खोज

काश म जान पाता की परमशवर क पास कस जाऊ4 म अपनी कथा परमशवर को सनाता

मरा मह यिकतयो स भरा होता यह दशारन को िक म िनदोरष ह5 म यह जानना चाहता ह िक परमशवर कस मर तकोर का उततर दता

हतब म परमशवर क उततर समझ पाता

6 कया परमशवर अपनी महाशिकत क साथ मर िवरदध होतानही वह मरी सनगा

7 म एक नक वयिकत हपरमशवर मझ अपनी कहानी को कहन दगातब मरा नयायकतारपरमशवर मझ मकत कर दगा

8 ldquoिकनत यिद म परब को जाऊ तो परमशवर वहा नही हऔर यिद म पिशचम को जाऊ तो भी परमशवर मझ नही िदखताह

9परमशवर जब उततर म िकरयाशील रहता ह तो म उस दख नही पाताह

जब परमशवर दिकषण को मड़ता ह तो भी वह मझको नहीिदखता ह

10 िकनत परमशवर मर हर चरण को दखता ह िजसको म उठाता हजब वह मरी परीकषा ल चकगा तो वह दखगा िक मझम कछभी बरा नही ह वह दखगा िक म खर सोन सा ह

11 परमशवर िजस को चाहता ह म सदा उस पर चला हम कभी भी परमशवर की राह पर चलन स नही मड़ा

12 म सदा वही बात करता ह िजनकी आशा परमशवर दता हमन अपन मख क भोजन स अिधक परमशवर क मख क शबदोस परम िकया ह

अययब 2313 60 अययब 24413 ldquoिकनत परमशवर कभी नही बदलता

कोई भी वयिकत उसक िवरदध खड़ा नही रह सकता हपरमशवर जो भी चाहता ह करता ह

14 परमशवर न जो भी योजना मर िवरोध म बना ली ह वही करगाउसक पास मर िलय और भी बहत सारी योजनाय ह

15 म इसिलय डरता ह जब इन सब बातो क बार म सोचता हइसिलय परमशवर मझको भयभीत करता ह

16 परमशवर मर हदय को दबरल करता ह और मरी िहममत टटती हसवरशिकतमान परमशवर मझको भयभीत करता ह

17 यदयिप मरा मख सघन अधकार ढकता हतो भी अधकार मझ चप नही कर सकता ह

241 ldquoसवरशिकतमान परमशवर कयो नही नयाय करन क िलय समय िनयकत

करता हलोग जो परमशवर को मानत ह उनह कयो नयाय क समय कीवयथर बाट जोहनी पड़ती ह

2 ldquoलोग अपनी समपितत क िचनहो को जो उसकी सीमा बतात हसरकात रहत ह तािक अपन पड़ोसी की थोड़ी और धरतीहड़प ल

लोग पश को चरा लत ह और उनह चरागाहो म हाक ल जातह

3अनाथ बचचो क गध को व चरा ल जात हिवधवा की गाय व खोल ल जात ह जब तक की वह उनकाकजर नही चकाती ह

4व दीन जन को मजबर करत ह िक वह छोड़ कर दर हट जान कोिववश हो जाता ह

इन दषटो स सवय को िछपान को

अययब 245 61 अययब 24135 ldquoव दीन जन उन जगली गदहो जस ह जो मरभिम म अपना चारा

खोजा करत हगरीबो और उनक बचचो को मरभिम भोजन िदया करता ह

6 गरीब लोग भसा और चारा साथ साथ ऐस उन खतो स पात हिजनक व अब सवामी नही रह

दषटो क अगरो क बगीचो स बच फल व बीना करत ह7 दीन जन को िबना कपड़ो क रात िबतानी होगी

सदीर म उनक पास अपन ऊपर ओढ़न को कछ नही होगा8 व वषार स पहाड़ो म भीग ह उनह बड़ी चटटानो स सट हय रहना

होगाकयोिक उनक पास कछ नही जो उनह मौसम स बचा ल

9बर लोग माता स वह बचचा िजसका िपता नही ह छीन लत हगरीब का बचचा िलया करत ह उसक बचच को कजर क बदलम व बनधवा बना लत ह

10गरीब लोगो क पास वसतर नही होत ह सो व काम करत हय नगरहा करत ह

दषटो क गटठर का भार व ढोत ह िकनत िफर भी व भख रहतह

11 गरीब लोग जतन का तल पर कर िनकालत हव कडो म अगर रौदत ह िफर भी व पयास रहत ह

12 मरत हय लोग जो आह भरत ह व नगर म सनाई दती हसताय हय लोग सहार को पकारत ह िकनत परमशवर नहीसनता ह

13 ldquoकछ ऐस लोग ह जो परकाश क िवरदध होत हव नही जानना चाहत ह िक परमशवर उनस कया करवानाचाहता ह

परमशवर की शह पर व नही चलत ह

अययब 2414 62 अययब 242214हतयारा तड़क जाग जाया करता ह गरीबो और जररत मद लोगो

की हतया करता हऔर रात म चोर बन जाता ह

15वह वयिकत जो वयिभचार करता ह रातआन की बाट जोहा करताह

वह सोचता ह उस कोई नही दखगा और वह अपना मख ढकलता ह

16दषट जन जब रात म अधरा होता ह तो सध लगा कर घर म घसतह

िकनत िदन म व अपन ही घरो म छप रहत ह व परकाश सबचत ह

17 उन दषट लोगो का अधकार सबह सा होता हव आतक व अधर क िमतर होत ह

18 ldquoदषट जन ऐस वहा िदय जात ह जस झाग बाढ़ क पानी परवह धरती अिभिशपत ह िजसक व मािलक ह इसिलय व अगरक बगीचो म अगर िबनन नही जात ह

19जस गमर व सखा मौसम िपघलती बफर क जल को सोख लता हवस ही दषट लोग कबर दवारा िनगल जायग

20 दषट मरन क बाद उसकी मा तक उस भल जायगी दषट की दहको कीड़ खा जायग

उसको थोड़ा भी नही याद रखा जायगा दषट जन िगर हय पड़स नषट िकय जायग

21 ऐसी सतरी को िजसक बचच नही हो सकत दषट जन उनह सतायाकरत ह

व उस सतरी को दख दत ह व िकसी िवधवा क परित दयानही िदखात ह

22 बर लोग अपनी शिकत का उपयोग बलशाली को नषट करन किलय करत ह

अययब 2423 63 अययब 255बर लोग शिकतशाली हो जायग िकनत अपन ही जीवन काउनह भरोसा नही होगा िक व अिधक िदन जी पायग

23 समभव ह थोड़ समय क िलय परमशवर शिकतशाली को सरिकषतरहन द

िकनत परमशवर सदा उन पर आख रखता ह24 दषट जन थोड़ स समय क िलय सफलता पा जात ह िकनत िफर

व नषट हो जात हदसर लोगो की तरह व भी समट िलय जात ह अनन की कटीहई बाल क समान व िगर जात ह

25 ldquoयिद य बात सतय नही ह तोकौन परमािणत कर सकता ह िक मन झठ कहा हकौन िदखा सकता ह िक मर शबद परलयमातर हrdquo

25िबलदद का अययब को उततर

1 िफर शह परदश क िनवासी िबलदद न उततर दत हय कहा2 ldquoपरमशवर शासक ह और हर वयिकत को चािहय की

परमशवर स डर और उसका मान करपरमशवर अपन सवगर क राजय म शाित रखता ह

3कोई उसकी सनाओ को िगन नही सकता हपरमशवर का परकाश सब पर चमकता ह

4 िकनत सचमच परमशवर क आग कोई वयिकत उिचत नही ठहरसकता ह

कोई वयिकत जो सतरी स उतपनन हआ सचमच िनदोरष नही होसकता ह

5 परमशवर की आखो क सामन चाद तक चमकीला नही हपरमशवर की आखो क सामन तार िनमरल नही ह

अययब 256 64 अययब 26106 मनषय तो बहत कम भल ह

मनषय तो बस िगडार ह एक ऐसा कीड़ा जो बकार का होताहrdquo

26अययब का िबलदद को उततर

1 तब अययब न कहा2 ldquoह िबलदद सोपर और एलीपज जो लोग दबरल ह तम सचमच

उनको सहारा द सकत होअर हा तमन दबरल बाहो को िफर स शिकतशाली बनाया ह

3 हा तमन िनबरिदध को अदभत सममितत दी हकसा महाजञान तमन िदखाया ह

4 इन बातो को कहन म िकसन तमहारी सहायता कीिकसकी आतमा न तम को पररणा दी

5 ldquoजो लोग मर गय हउनकी आतमाय धरती क नीच जल म भय स परकिपत ह

6 मतय का सथान परमशवर की आखो क सामन खला हपरमशवर क आग िवनाश का सथान ढका नही ह

7 उततर क नभ को परमशवर फलाता हपरमशवर न वयोम क िरकत पर अधर म धरती लटकायी ह

8 परमशवर बादलो को जल स भरता हिकनत जल क परभार स परमशवर बादलो को फटन नही दताह

9 परमशवर पर चनदरमा को ढकता हपरमशवर चाद पर िनज बादल फलाता ह और उसको ढक दताह

10 परमशवर िकषितज को रचता ह

अययब 2611 65 अययब 276परकाश और अनधकार की सीमा रखा क रप म समदर पर

11जब परमशवर डाटता ह तोव नीव िजन पर आकाश िटका ह भय स कापन लगती ह

12 परमशवर की शिकत सागर को शात कर दती हपरमशवर की बिदध न राहब (सागर क दतय) को नषट िकया

13 परमशवर का शवास नभ को साफ कर दता हपरमशवर क हाथ न उस साप को मार िदया िजसम भाग जानका यतन िकया था

14 य तो परमशवर क आशचयरकमोर की थोड़ी सी बात हबस हम थोड़ा सा परमशवर क हलकीmdashधविन भर सवर कोसनत ह

िकनत सचमच कोई वयिकत परमशवर क शिकत क गजरन को नहीसमझ सकता हrdquo

271 िफर अययब न आग कहा

2 ldquoसचमच परमशवर जीता ह और यह िजतना सतय ह िक परमशवरजीता ह

check सचमच वह वस ही मर परित अनयायपणर रहा हहा सवरशिकतशाली परमशवर न मर जीवन म कड़वाहट भरी ह

3 िकनत जब तक मझ म पराण हऔर परमशवर का सास मरी नाक म ह

4 तब तक मर होठ बरी बात नही बोलगऔर मरी जीभ कभी झठ नही बोलगी

5 म कभी नही मानगा िक तम लोग सही होजब तक म मरगा उस िदन तक कहता रहगा िक म िनदोरषह

6 म अपनी धािमरकता को दढ़ता स थाम रहगा

अययब 277 66 अययब 2716म कभी उिचत कमर करना न छोडगामरी चतना मझ तग नही करगी जब तक म जीता ह

7 मर शतरओ को दषट जसा बनन दऔर उनह दिणडत होन द जस दषट जन दिणडत होत ह

8ऐस उस वयिकत क िलय मरत समय कोईआशा नही ह जो परमशवरकी परवाह नही करता ह

जब परमशवर उसक पराण लगा तब तक उसक िलय कोईआशानही ह

9जब वह बरा वयिकत दखी पड़गा और उसको पकारगापरमशवर नही सनगा

10 उसको चािहय था िक वह उस आननद को चाह िजस कवलसवरशिकतमान परमशवर दता ह

उसको चािहय की वह हर समय परमशवर स पराथरना करतारहा11 ldquoम तमको परमशवर की शिकत िसखाऊगा

म सवरशिकतमान परमशवर की योजनाय नही िछपाऊगा12 सवय तन िनज आखो स परमशवर की शिकत दखी ह

सो कयो त वयथर बात बनाता ह13 ldquoदषट लोगो क िलय परमशवर न ऐसी योजना बनाई ह

दषट लोगो को सवरशिकतशाली परमशवर स ऐसा ही िमलगा14 दषट की चाह िकतनी ही सतान हो िकनत उसकी सतान यदध म

मारी जायगीदषट की सतान कभी भरपट खाना नही पायगी

15 और यिद दषट की सतान उसकी मतय क बाद भी जीिवत रह तोमहामारी उनको मार डालगी

उनक पतरो की िवधवाय उनक िलय दखी नही होगी16 दषट जन चाह चादी क ढर इकटठा कर

अययब 2717 67 अययब 282इतन िवशाल ढर िजतनी धल होती ह िमटटी क ढरो जस वसतरहो उसक पास

17 िजन वसतरो को दषट जन जटाता रहा उन वसतरो को सजजन पहनगादषट की चादी िनदोरषो म बटगी

18 दषट का बनाया हआ घर अिधक िदनो नही िटकता हवह मकड़ी क जाल सा अथवा िकसी चौकीदार क छपपरजसा अिसथर होता ह

19 दषट जन अपनी िनज दौलत क साथ अपन िबसतर पर सोन जाताह

िकनत एक ऐसा िदन आयगा जब वह िफर िबसतर म वस हीनही जा पायगा

जब वह आख खोलगा तो उसकी समपितत जा चकगी20 दख अचानक आई हई बाढ़ सा उसको झपट लग

उसको रातो रात तफान उड़ा ल जायगा21 परवाई पवन उसको दर उड़ा दगी

तफान उसको बहार कर उसक घर क बाहर करगा22 दषट जन तफान की शिकत स बाहर िनकलन का जतन करगा

िकनत तफान उस पर िबना दया िकय हए चपट मारगा23जब दषट जन भागगा लोग उस पर तािलया बजायग दषट जन जब

िनकल भागगाअपन घर स तो लोग उस पर सीिटया बजायग

281 ldquoवहा चादी की खान ह जहा लोग चादी पात ह

वहा ऐस सथान ह जहा लोग सोना िपघला करक उस शदधकरत ह

2लोग धरती स खोद कर लोहा िनकालत हऔर चटटानो स िपघला कर ताबा िनकालत ह

अययब 283 68 अययब 28143लोग गफाओ म परकाश को लात ह व गफाओकी गहराई म खोजा

करत हगहर अनधर म व खिनज की चटटान खोजत ह

4जहा लोग रहत ह उसस बहत दर लोग गहर गढ़ खोदा करत हकभी िकसी और न इन गढ़ो को नही छआजब वयिकत गहन गतोर म रसस स लटकता ह तो वह दसरो सबहत दर होता ह

5भोजन धरती की सतह स िमला करता हिकनत धरती क भीतर वह बढ़त जाया करता हजस आग वसतओ को बदल दती ह

6धरती क भीतर चटटानो क नीच नीलम िमल जात हऔर धरती क नीच िमटटी अपन आप म सोना रखती ह

7 जगल क पकषी धरती क नीच की राह नही जानत हन ही कोई बाज यह मागर दखता ह

8 इस राह पर िहसक पश नही चलकभी िसह इस राह पर नही िवचर

9 मजदर किठन चटटानो को खोदत हऔर पहाड़ो को व खोद कर जड़ स साफ कर दत ह

10काम करन वाल सरग काटत हव चटटान क खजान को चटटानो क भीतर दख िलया करत ह

11 काम करन वाल बाध बाधा करत ह िक पानी कही ऊपर सहोकर न वह जाय

व छपी हई वसतओ को ऊपर परकाश म लात ह12 ldquoिकनत कोई वयिकत िववक कहा पा सकता ह

और हम कहा जा सकत ह समझ पान को13जञान कहा रहता ह लोग नही जानत ह

लोग जो धरती पर रहत ह उनम िववक नही रहता ह14सागर की गहराई कहती ह lsquoमझ म िववक नहीrsquo

अययब 2815 69 अययब 2825और समदर कहता ह lsquoयहा मझ म जञान नही हrsquo

15 िववक को अित मलयवान सोना भी मोल नही ल सकता हिववक का मलय चादी स नही िगना जा सकता ह

16 िववक ओपीर दश क सोन सअथवा मलयवान सफिटक स अथवा नीलमिणयो स नहीखरीदा जा सकता ह

17 िववक सोन और सफिटक स अिधक मलयवान हकोई वयिकत अित मलयवान सवणर जिड़त रतनो स िववक नहीखरीद सकता ह

18 िववक मग और सयरकात मिण स अित मलयवान हिववक मानक मिणयो स अिधक महगा ह

19 िजतना उततम िववक ह कश दश का पदमराग भी उतना उततमनही ह

िववक को तम कनदन स मोल नही ल सकत हो20 ldquoतो िफर हम कहा िववक को पान जाय

हम कहा समझ सीखन जाय21 िववक धरती क हर वयिकत स छपा हआ ह

यहा तक की ऊच आकाश क पकषी भी िववक को नही दखपात ह

22 मतय और िवनाश कहा करत ह िकहमन तो बस िववक की बात सनी ह

23 ldquoिकनत बस परमशवर िववक तक पहचन की राह को जानता हपरमशवर जानता ह िववक कहा रहता ह

24परमशवर िववक को जानता ह कयोिक वह धरती क आिखरी छोरतक दखा करता ह

परमशवर हर उस वसत को जो आकाश क नीच ह दखा करताह

25जब परमशवर न पवन को उसकी शिकत परदान की

अययब 2826 70 अययब 295और यह िनिशचत िकया िक समदरो को िकतना बड़ा बनाना ह

26 और जब परमशवर न िनशचय िकया िक उस कहा वषार को भजनाह

और बवणडरो को कहा की यातरा करनी ह27 तब परमशवर न िववक को दखा था

और उसको यह दखन क िलय परखा था िक िववक कािकतना मलय ह तब परमशवर न िववक का समथरन िकयाथा

28और लोगो स परमशवर न कहा था िकlsquoयहोवा का भय मानो और उसको आदर दोबराईयो स मख मोड़ना ही िववक ह यही समझदारी हrsquo rdquo

29अययब अपनी बात जारी रखता ह

1अपनी बात को जारी रखत हय अययब न कहा2 ldquoकाश मरा जीवन वसा ही होता जसा गजर महीनो म था

जब परमशवर मरी रखवाली करता था और मरा धयान रखताथा3म ऐस उस समय की इचछा करता ह जब परमशवर का परकाश मर

शीश पर चमक रहा थामझको परकाश िदखान को उस समय जब म अनधर स हो करचला करता था

4 ऐस उन िदनो की म इचछा करता ह जब मरा जीवन सफल थाऔर परमशवर मरा िनकट िमतर था

व ऐस िदन थ जब परमशवर न मर घर को आशीष दी थी5 ऐस समय की म इचछा करता ह जब सवरशिकतशाली परमशवर

अभी तक मर साथ म थाऔर मर पास मर बचच थ

अययब 296 71 अययब 29146 ऐसा तब था जब मरा जीवन बहत अचछा था ऐसा लगा करता

था िक दधmdashदही की निदया बहा करती थीऔर मर हत चटटान जतन क तल की निदया उडल रही ह

7 ldquoय व िदन थ जब म नगरmdashदवार और खल सथानो म जाता थाऔर नगर नताओ क साथ बठता था

8वहा सभी लोग मरा मान िकया करत थयवा परष जब मझ दखत थ तो मरी राह स हट जाया करतथ

और वदध परष मर परित सममान दशारन क िलय उठ खड़ होतथ

9जब लोगो क मिखया मझ दख लत थतो बोलना बनद िकया करत थ

10 यहा तक की अतयनत महतवपणर नता भी अपना सवर नीचा करलत थ

जब म उनक िनकट जाया करता थाहा ऐसा लगा करता था िक

उनकी िजहवाय उनक ताल स िचपकी हो11 िजस िकसी न भी मझको बोलत सना मर िवषय म अचछी बात

कहीिजस िकसी न भी मझको दखा था मरी परशसा की थी

12 कयो कयोिक जब िकसी दीन न सहायता क िलय पकारा मनसहायता की

उस बचच को मन सहारा िदया िजसक मा बाप नही औरिजसका कोई भी नही धयान रखन को

13 मझको मरत हय वयिकत की आशीष िमलीमन उन िवधवाओ को जो जररत म थीमन सहारा िदया और उनको खश िकया

14 मरा वसतर खरा जीवन थािनषपकषता मर चोग और मरी पगड़ी सी थी

अययब 2915 72 अययब 292415 म अधो क िलय आख बन गया

और म उनक पर बना िजनक पर नही थ16 दीन लोगो क िलय म िपता क तलय था

म पकष िलया करता था ऐस अनजानो का जो िवपितत म पड़थ

17 म दषट लोगो की शिकत नषट करता थािनदोरष लोगो को म दषटो स छड़ाता था

18 ldquoम सोचा करता था िक सदा जीऊगाओर बहत िदनो बाद िफर अपन ही घर म पराण तयागगा

19 म एक ऐसा सवसथ वकष बनगा िजसकी जड़ सदा जल म रहतीहो

और िजसकी शाखाय सदा ओस स भीगी रहती हो20 मरी शान सदा ही नई बनी रहगी

म सदा वसा ही बलवान रहगा जसमर हाथ म एक नया धनष

21 ldquoपहल लोग मरी बात सना करत थऔर व जब मरी सममितत की परतीकषा िकया करत थतो चप रहा करत थ

22मर बोल चकन क बाद उन लोगो क पास जो मरी बात सनत थकछ भी बोलन को नही होता था

मर शबद धीरmdashधीर उनक कानो म वषार की तरह पड़ा करतथ

23 लोग जस वषार की बाट जोहत ह वस ही व मर बोलन की बाटजोहा करत थ

मर शबदो को व पी जाया करत थ जस मर शबद बसनत मवषार हो

24जब म दया करन को उन पर मसकराता थातो उनह इसका यकीननही होता था

अययब 2925 73 अययब 308िफर मरा परसनन मख दखी जन को सख दता था

25 मन उततरदाियतव िलया और लोगो क िलय िनणरय िकय म नताबन गयामन उनकी सना क दलो क बीच राजा जसा जीवन िजया

check म ऐसा वयिकत था जो उन लोगो को चन दता था जो बहतही दखी ह

301 ldquoअब आय म छोट लोग मरा माजक बनात ह

उन यवा परषो क िपत िबलकल ही िनकमम थिजनको म उन कततो तक की सहायता नही करन दता था जोभड़ो क रखवाल ह

2उन यवा परषो क िपता मझ सहारा दन की कोई शिकत नही रखतह

व बढ हो चक ह और थक हय ह3व वयिकत मद र जस ह कयोिक खान को उनक पास कछ नही ह

और व भख ह सो व मरभिम क सख कनद खाना चाहत ह4व लोग मरभिम म खार पौधो को उखाड़त ह

और व पील फल वाल पील क पड़ो की जड़ो को खात ह5व लोग दसर लोगो स भगाय गय ह

लोग जस चोर पर पकारत ह उन पर पकारत ह6 ऐस व बढ़ लोग सखी हई नदी क तलो म

चटटानो क सहार और धरती क िबलो म रहन को िववश ह7व झािड़यो क भीतर रकत ह

कटीली झािड़यो क नीच व आपस म एकतर होत ह8व बकार क लोगो का दल ह िजनक नाम तक नही ह

उनको अपना गाव छोड़न को मजबर िकया गया ह

अययब 309 74 अययब 30159 ldquoअब ऐस उन लोगो क पतर मरी हसी उड़ान को मर िवषय म गीत

गात हमरा नाम उनक िलय अपशबद सा बन गया ह

10व यवक मझस घणा करत हव मझस दर खड़ रहत ह और सोचत ह िक व मझस उततमह

यहा तक िक व मर मह पर थकत ह11 परमशवर न मर धनष स उसकी डोर छीन ली ह और मझ दबरल

िकया हव यवक अपन आप नही रकत ह बिलक करोिधत होत हयमझ पर मर िवरोध म हो जात ह

12व यवक मरी दािहनी ओर मझ पर परहार करत हव मझ िमटटी म िगरात ह व ढलआ चबतर बनात हमर िवरोध म मझ पर परहार करक मझ नषट करन को

13 व यवक मरी राह पर िनगरानी रखत ह िक म बच िनकल करभागन न पाऊ

व मझ नषट करन म सफल हो जात हउनक िवरोध म मरी सहायता करन को मर साथ कोई नहीह

14व मझ पर ऐस वार करत ह जस व िदवार म सराख िनकाल रहहो

एक क बाद एक आती लहर क समान व मझ पर झपट करधावा करत ह

15 मझको भय जकड़ लता हजस हवा वसतओ को उड़ा ल जाती ह वसी ही व यवक मराआदर उड़ा दत ह

जस मघ अदशय हो जाता ह वस ही मरी सरकषा अदशय होजाती ह

अययब 3016 75 अययब 302616 ldquoअब मरा जीवन बीतन को ह और म शीघर ही मर जाऊगा

मझको सकट क िदनो न दबोच िलया ह17 मरी सब हिडडया रात को दखती ह

पीड़ा मझको चबाना नही छोड़ती ह18 मर िगरबान को परमशवर बड़ बल स पकड़ता ह

वह मर कपड़ो का रप िबगाड़ दता ह19 परमशवर मझ कीच म धकलता ह

और म िमटटी व राख सा बनता ह20 ldquoह परमशवर म सहारा पान को तझको पकारता ह

िकनत त उततर नही दता हम खड़ा होता ह और पराथरना करता ह

िकनत त मझ पर धयान नही दता21 ह परमशवर त मर िलय िनदरयी हो गया ह

त मझ हािन पहचान को अपनी शिकत का परयोग करता ह22 ह परमशवर त मझ तीवर आधी दवारा उड़ा दता ह

तफान क बीच म त मझको थपड़ िखलाता ह23 म जानता ह त मझ मरी मतय की ओर ल जा रहा ह

जहा अनत म हर िकसी को जाना ह24 ldquoिकनत िनशचय ही कोई मर हय को

और उस जो सहायता क िलय पकारता हउसको नही मारता25 ह परमशवर त तो यह जानता ह िक म उनक िलय रोया जो सकट

म पड़ हत तो यह जानता ह िक मरा मन गरीब लोगो क िलय बहतदखी रहता था

26 िकनत जब म भला चाहता था तो बरा हो जाता थाम परकाश ढढता था और अधरा छा जाता था

अययब 3027 76 अययब 31727 म भीतर स फट गया ह और यह ऐसा ह िक

कभी नही रकता मर आग सकट का समय ह28 म सदा ही वयाकल रहता ह मझको चन नही िमल पाता ह

म सभा क बीच म खड़ा होता ह और सहार को गहारता ह29 म जगली कततो क जसा बन गया ह

मर िमतर बस कवल शतमरगर ही ह30 मरी तवचा काली पड़ गई ह

मरा तन बखार स तप रहा ह31 मरी वीणा करण गीत गान की सधी ह

और मरी बासरी स दख क रोन जस सवर िनकलत ह

311 ldquoमन अपनी आखो क साथ एक सिनध की ह िक

व िकसी लड़की पर वासनापणर दिषट न डाल2सवरशिकतमान परमशवर लोगो क साथ कसा करता ह

वह कस अपन ऊच सवगर क घर स उनक कमोर का परितफलदता ह

3 दषट लोगो क िलय परमशवर सकट और िवनाश भजता हऔर जो बरा करत ह उनक िलय िवधवस भजता ह

4 म जो कछ भी करता ह परमशवर जानता हऔर मर हर कदम को वह दखता ह

5 ldquoयिद मन झठा जीवन िजया होया झठ बोल कर लोगो को मखर बनाया हो

6 तो वह मझको खरी तराज स तौलतब परमशवर जान लगा िक म िनरपराध ह

7 यिद म खर मागर स हटा होह यिद मरी आख मर मन को बर की

अययब 318 77 अययब 3117ओर ल गई अथवा मर हाथ पाप स गद ह

8 तो मरी उपजाई फसल अनय लोग खा जायऔर व मरी फसलो को उखाड़ कर ल जाय

9 ldquoयिद म िसतरयो क िलय कामक रहा होहअथवा यिद म अपन पड़ोसी क दवार को उसकी पतनी क साथवयिभचार करन क िलय ताकता रहा होह

10 तो मरी पतनी दसरो का भोजन तयार करऔर उसक साथ पराय लोग सोय

11 कयो कयोिक यौन पाप लजजापणर होता हयह ऐसा पाप ह जो िनशचय ही दिणडत होना चािहय

12 वयिभचार उस पाप क समान हजो जलाती और नषट कर डालतीह

मर पास जो कछ भी ह वयिभचार का पाप उसको जलाडालगा

13 ldquoयिद म अपन दासmdashदािसयो क सामन उस समय िनषपकष नहीरहाजब उनको मझस कोई िशकायत रही

14 तो जब मझ परमशवर क सामन जाना होगातो म कया करगा जब वह मझ को मर कमोर की सफाई मागनबलायगा तो म परमशवर को कया उततर दगा

15परमशवर न मझको मरी माता क गभर म बनाया और मर दासो कोभी उसन माता क गभर म ही बनाया

उसन हम दोनो ही को अपनीmdashअपनी माता क भीतर ही रपिदया ह

16 ldquoमन कभी भी दीन जन की सहायता को मना नही िकयामन िवधवाओ को सहार िबना नही रहन िदया

17 म सवाथीर नही रहा

अययब 3118 78 अययब 3128मन अपन भोजन क साथ अनाथ बचचो को भखा नही रहनिदया

18 ऐस बचचो क िलय िजनक िपता नही ह म िपता क जसा रहा हमन जीवन भर िवधवाओ का धयान रखा ह

19 जब मन िकसी को इसिलय कषट भोगत पाया िक उसक पासवसतर नही ह

अथवा मन िकसी दीन को िबना कोट क पाया20 तो म सदा उन लोगो को वसतर दता रहा

मन उनह गमर रखन को मन सवय अपनी भड़ो क ऊन का उपयोगिकया

तो व मझ अपन समच मन स आशीष िदया करत थ21 यिद कोई मन अनाथ को छलन का जतन अदालत म िकया हो

check यह जानकर की म जीत22 तो मरा हाथ मर कध क जोड़ स ऊतर जाय

और मरा हाथ कध पर स िगर जाय23 िकनत मन तो कोई वसा बरा काम नही िकया

कयो कयोिक म परमशवर क दणड स डरता रहा था24 ldquoमन कभी अपन धन का भरोसा न िकया

और मन कभी नही शदध सोन स कहा िक ldquoत मरी आशा हrdquo25 मन कभी अपनी धिनकता का गवर नही िकया

अथवा जो मन समपितत कमाई थी उसक परित म आनिनदतहआ26 मन कभी चमकत सरज की पजा नही की

अथवा मन सनदर चाद की पजा नही की27 मन कभी इतनी मखरता नही की

िक सरज और चाद को पज28यिद मन इनम स कछ िकया तो वो मरा पाप हो और मझ उसका

दणड िमल

अययब 3129 79 अययब 3136कयोिक म उन बातो को करत हय सवरशिकतशाली परमशवर काअिवशवासी हो जाता

29 ldquoजब मर शतर नषट हए तोम परसनन नही हआ

जब मर शतरओ पर िवपितत पड़ी तोम उन पर नही हसा

30 मन अपन मख को अपन शतर स बर शबद बोल कर पाप नहीकरन िदया

और नही चाहा िक उनह मतय आ जाय31 मर घर क सभी लोग जानत ह िक

मन सदा अनजानो को खाना िदया32 मन सदा अनजानो को अपन घर म बलाया

तािक उनको रात म गिलयो म सोना न पड़33 दसर लोग अपन पाप को छपान का जतन करत ह

िकनत मन अपना दोष कभी नही छपाया34 कयो कयोिक लोग कहा करत ह िक म उसस कभी नही डरा

म कभी चप न रहा और मन कभी बाहर जान स मना नहीिकया

कयोिक उन लोगो स जो मर परित बर रखत ह कभी नही डरा35 ldquoओह काश कोई होता जो मरी सनता

मझ अपनी बात समझान दोकाश शिकतशाली परमशवर मझ उततर दता

काश वह उन बातो को िलखता जो मन गलत िकया थाउसकी दिषट म

36 कयोिक िनशचय ही म वह िलखावट अपन िनज कनधो पर रखलगा

और म उस मकट की तरह िसर पर रख लगा

अययब 3137 80 अययब 32337 मन जो कछ भी िकया ह म उस परमशवर को समझाऊगा

म परमशवर क पास अपना िसर ऊचा उठाय हय जाऊगा जसम कोई मिखया होऊ

38 ldquoयिद िजस खत पर म खती करता ह उसको मन चराया होऔर उसको उसक सवामी स िलया हो िजसस वह धरती अपनही आसओ स गीली हो

39और यिद मन कभी िबना मजदरो को मजदरी िदय हयखत की उपज को खाया हो और मजदरो को हताश िकया हो

40 हा यिद इनम स कोई भी बरा काम मन िकया होतो गह क सथान पर काट और जौ क बजाय खरmdashपतवारखतो म उग आयrdquo

अययब क शबद समापत हय

32एलीह का कथन

1 िफर अययब क तीनो िमतरो न अययब को उततर दन का परयतनकरना छोड़ िदया कयोिक अययब िनशचय क साथ यह मानता थािक वह सवय सचमच दोष रिहत ह 2 वहा एलीह नाम का एकवयिकत भी था एलीह बारकल का पतर था बारकल बज़ नाम कएक वयिकत क वशज था एलीह राम क पिरवार स था एलीहको अययब पर बहत करोध आया कयोिक अययब कह रहा था िकवह सवय नक ह और वह परमशवर पर दोष लगा रहा था 3 एलीहअययब क तीनो िमतरो स भी नाराज़ था कयोिक व तीनो ही अययबक परशनो का यिकत सगत उततर नही द पाय थ और अययब को हीदोषी बता रह थ इसस तो िफर ऐसा लगा िक जस परमशवर ही

अययब 324 81 अययब 3212दोषी था 4 वहा जो लोग थ उनम एलीह सबस छोटा था इसिलएवह तब तक बाट जोहता रहा जब तक हर कोई अपनी अपनी बातपरी नही कर चका तब उसन सोचा िक अब वह बोलना शर करसकता ह 5 एलीह न जब यह दखा िक अययब क तीनो िमतरो कपास कहन को और कछ नही ह तो उस बहत करोध आया 6 सोएलीह न अपनी बात कहना शर िकया वह बोला

ldquoम छोटा ह और तम लोग मझस बड़ होम इसिलय तमको वह बतान म डरता था जो म सोचता ह

7 मन मन म सोचा िक बड़ को पहल बोलना चािहयऔर जो आय म बड़ ह उनको अपन जञान को बाटना चािहय

8 िकनत वयिकत म परमशवर की आतमा बिदध दती हऔर सवरशिकतशाली परमशवर का पराण वयिकत को जञान दताह

9आय म बड़ वयिकत ही नही जञानी होत हकया बस बड़ी उमर क लोग ही यह जानत ह िक उिचत कया ह

10 ldquoसो इसिलय म एलीह जो कछ म जानता हतम मरी बात सनो म तम को बताता ह िक म कया सोचता ह

11जब तक तम लोग बोलत रहोग मन धयर सपरितकषा कीमन तमहार तकर सन िजनको तमन वयकत िकया था जो तमनचन चन कर अययब स कह

12जब तम मािमरक शबदो स जतन कर रह थ अययब को उततर दनका तो म धयान स सनता रहा

िकनत तम तीनो ही यह परमािणत नही कर पाय िक अययबबरा ह

तमम स िकसी न भी अययब क तकोर का उततर नही िदया

अययब 3213 82 अययब 322213तम तीनो ही लोगो को यही नही कहना चािहय था िक तमन जञान

को परापत कर िलया हलोग नही परमशवर िनशचय ही अययब क तकोर का उततर दगा

14 िकनत अययब मर िवरोध म नही बोल रहा थाइसिलय म उन तकोर का परयोग नही करगा िजसका परयोगतम तीनो न िकया था

15 ldquoअययब तर तीनो ही िमतर असमजस म पड़ हउनक पास कछ भी और कहन को नही हउनक पास और अिधक उततर नही ह

16 य तीनो लोग यहा चप खड़ हऔर उनक पास उततर नही हसो कया अभी भी मझको परितकषा करनी होगी

17 नही म भी िनज उततर दगाम भी बताऊगा तम को िक म कया सोचता ह

18 कयोिक मर पास सहन को बहत ह मर भीतर जो आतमा हवह मझको बोलन को िववश करती ह

19म अपन भीतर ऐसी दाखमध सा ह जो शीघर ही बाहर उफन जानको ह

म उस नयी दाखमध मशक जसा ह जो शीघर ही फटन को ह20सो िनशचय ही मझ बोलना चािहय तभी मझ अचछा लगगा

अपना मख मझ खोलना चािहय और मझ अययब कीिशकायतो का उततर दना चािहय

21 इस बहस म म िकसी भी वयिकत का पकष नही लगाऔर म िकसी का खशामद नही करगा

22 म नही जानता ह िक कस िकसी वयिकत की खशामद की जातीह

अययब 331 83 अययब 3310यिद म िकसी वयिकत की खशामद करना जानता तो शीघर हीपरमशवर मझको दणड दता

331 ldquoिकनत अययब अब मरा सनदश सन

उन बातो पर धयान द िजनको म कहता ह2 म अपनी बात शीघर ही कहनवाला ह म अपनी बात कहन को

लगभग तयार ह3 मन मरा सचचा ह सो म सचचा शबद बोलगा

उन बातो क बार म िजनको म जानता ह म सतय कहगा4 परमशवर की आतमा न मझको बनाया ह

मझ सवरशिकतशाली परमशवर स जीवन िमलता ह5 अययब सन और मझ उततर द यिद त सोचता ह िक त द सकता

हअपन उततरो को तयार रख तािक त मझस तकर कर सक

6 परमशवर क सममख हम दोनो एक जस हऔर हम दोनो को ही उसन िमटटी स बनाया ह

7अययब त मझ स मत डरम तर साथ कठोर नही होऊगा

8 ldquoिकनत अययब मन सना ह िकत यह कहा करता ह

9 तन कहा था िक म अययब दोषी नही ह मन पाप नही िकयाअथवा म कछ भी अनिचत नही करता ह म अपराधी नहीह

10 यदयिप मन कछ भी अनिचत नही िकया तो भी परमशवर न कछखोट मझम पाया ह

अययब 3311 84 अययब 3319परमशवर सोचता ह िक म अययब उसका शतर ह

11 इसिलए परमशवर मर परो म काठ डालता हम जो कछ भी करता ह वह दखता रहता ह

12 ldquoिकनत अययब म तझको िनशचय क साथ बताता ह िक त इसिवषय म अनिचत ह

कयो कयोिक परमशवर िकसी भी वयिकत स अिधक जानता ह13 अययब त कयो िशकायत करता ह और कयो परमशवर स बहस

करता ह त कयो िशकायत करता ह िकपरमशवर तझ हर उस बात क िवषय म जो वह करता ह सपषटकयो नही बताता ह

14 िकनत परमशवर िनशचय ही हर उस बात को िजसको वह करता हसपषट कर दता ह

परमशवर अलग अलग रीित स बोलता ह िकनत लोग उसकोसमझ नही पात ह

15समभव ह िक परमशवर सवपन म लोगो क कान म बोलता होअथवा िकसी िदवयदशरन म रात को जब व गहरी नीद म हो

16जब परमशवर की चताविनया सनत हतो बहत डर जात ह

17 परमशवर लोगो को बरी बातो को करन स रोकन को सावधानकरता ह

और उनह अहकारी बनन स रोकन को18परमशवर लोगो को मतय क दश म जान स बचान क िलय सावधान

करता हपरमशवर मनषय को नाश स बचान क िलय ऐसा करता ह

19 ldquoअथवा कोई वयिकत परमशवर की वाणी तब सन सकता ह जबवह िबसतर म पड़ा होऔर परमशवर क दणड स दखभोगताहो

अययब 3320 85 अययब 3327परमशवर पीड़ा स उस वयिकत को सावधान करता हcheck वह वयिकत इतनी गहन पीड़ा म होता ह िक उसकीहिडडया दखती ह

20 िफर ऐसा वयिकत कछ खा नही पाता उस वयिकत को पीड़ा होतीह

इतनी अिधक की उसको सवोरततम भोजन भी नही भाता21उसक शरीर का कषय तब तक होता जाता ह जब तक वह ककाल

मातर नही हो जाताऔर उसकी सब हिडडया िदखन नही लग जाती

22 ऐसा वयिकत मतय क दश क िनकट होता ह और उसका जीवनमतय क िनकट होता ह

िकनत हो सकता ह िक कोई सवगरदत हो जो उसक उततमचिरतर की साकषी द

23 परमशवर क पास हजारो ही सवगरदत हिफर वह सवगरदत उस वयिकत क अचछ काम बतायगा

24 वह सवगरदत उस वयिकत पर दयाल होगा वह दत परमशवर सकहगा

lsquoइस वयिकत की मतय क दश स रकषा होइसका मलय चकान को एक राह मझ को िमल गयी हrsquo

25 िफर वयिकत की दह जवान और सदढ़ हो जायगीवह वयिकत वसा ही हो जायगा जसा वह तब था जब वहजवान था

26वह वयिकत परमशवर की सतित करगा और परमशवर उसकी सतितका उततर दगा

वह िफर परमशवर को वसा ही पायगा जस वह उसकी उपासनाकरता ह और वह अित परसनन होगा

कयोिक परमशवर उस िनरपराध घोिषत कर क पहल जसाजीवन कर दगा

27 िफर वह वयिकत लोगो क सामन सवीकार करगा वह कहगाlsquoमन पाप िकय थ

अययब 3328 86 अययब 344भल को बरा मन िकया थािकनत मझ इसस कया िमला

28 परमशवर न मतय क दश म िगरन स मरी आतमा को बचायाम और अिधक जीऊगा और िफर स जीवन का रस लगाrsquo

29 ldquoपरमशवर वयिकत क साथ ऐसा बारmdashबार करता ह30 उसको सावधान करन को और उसकी आतमा को मतय क दश

स बचान कोऐसा वयिकत िफर जीवन का रस लता ह

31 ldquoअययब धयान द मझ पर त बात मरी सनत चप रह और मझ कहन द

32अययब यिद तर पास कछ कहन को ह तो मझको उसको सननद

आग बढ़ और बताकयोिक म तझ िनदोरष दखना चाहता ह

33अययब यिद तझ कछ नही कहना ह तो त मरी बात सनचप रह म तझको बिदधमान बनना िसखाऊगाrdquo

341 िफर एलीह न बात को जारी रखत हय कहा

2 ldquoअर ओ िववकी परषो तम धयान स सनो जो बात म कहता हअर ओ चतर लोगो मझ पर धयान दो

3कान उन सब को परखता ह िजनको वह सनता हऐस ही जीभ िजस खान को छती ह उसका सवाद पता करतीह

4 सो आओ इस पिरिसथित को परख और सवय िनणरय कर कीउिचत कया ह

अययब 345 87 अययब 3415हम साथ साथ सीखग की कया खरा ह

5अययब न कहा lsquoम िनदोरष हिकनत परमशवर मर िलय िनषपकष नही ह

6 म अचछा ह लिकन लोग सोचत ह िक म बरा हव सोचत ह िक म एक झठा ह और चाह म िनदोरष भी होऊिफर भी मरा घाव नही भर सकताrsquo

7 ldquoअययब क जसा कोई भी वयिकत नही हिजसका मख परमशवर की िननदा स भरा रहता ह

8अययब बर लोगो का साथी हऔर अययब को बर लोगो की सगत भाती ह

9 कयोिक अययब कहता हlsquoयिद कोई वयिकत परमशवर की आजञा मानन का जतन करताह तो इसस उस वयिकत का कछ भी भला न होगाrsquo

10 ldquoअर ओ लोगो जो समझ सकत हो तो मरी बात सनोपरमशवर कभी भी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर कभी भी बरा नही करगा

11 परमशवर वयिकत को उसक िकय कमोर का फल दगावह लोगो को जो िमलना चािहय दगा

12 यह सतय ह परमशवर कभी बरा नही करता हसवरशिकतशाली परमशवर सदा िनषपकष रहगा

13 परमशवर सवरशिकतशाली ह धरती का अिधकारी उस िकसीवयिकत न नही बनाया

िकसी भी वयिकत न उस इस समच जगत का उततरदाियतव नहीिदया

14 यिद परमशवर िनशचय कर लता िकलोगो स आतमा और पराण ल ल

15 तो धरती क सभी वयिकत मर जात

अययब 3416 88 अययब 3423िफर सभी लोग िमटटी बन जात

16 ldquoयिद तम लोग िववकी होतो तम उस सनोग िजस म कहता ह

17 कोई ऐसा वयिकत जो नयाय स घणा रखता ह शासक नही बनसकताअययब त कया सोचता हकया त उस उततम और सदढ़ परमशवर को दोषी ठहरा सकताह

18 कवल परमशवर ऐसा ह जो राजाओ स कहा करता ह िक lsquoतमबकार क होrsquo

परमशवर मिखयो स कहा करता ह िक lsquoतम दषट होrsquo19 परमशवर परमखो स अनय वयिकतयो की अपकषा अिधक परम नही

करताऔर परमशवर धिनको की अपकषा गरीबो स अिधक परम नहीकरता ह

कयोिक सभी परमशवर न रचा ह20 समभव ह रात म कोई वयिकत मर जाय परमशवर बहत शीघर ही

लोगो को रोगी करता ह और व पराण तयाग दत हपरमशवर िबना िकसी जतन क शिकतशाली लोगो को उठा लजाता ह

और कोई भी वयिकत उन लोगो को मदद नही द सकता ह21 ldquoवयिकत जो करता ह परमशवर उस दखता ह

वयिकत जो भी चरण उठाता ह परमशवर उस जानता ह22 कोई जगह अधर स भरी हई नही ह और कोई जगह ऐसी नही

हजहा इतना अधरा हो िक कोई भी दषट वयिकत अपन कोपरमशवर स िछपा पाय

23 िकसी वयिकत क िलय यह उिचत नही ह िकवह परमशवर स नयायालय म िमलन का समय िनिशचत कर

अययब 3424 89 अययब 343224 परमशवर को परशनो क पछन की आवशयकता नही

िकनत परमशवर बलशािलयो को नषट करगाऔर उनक सथान पर िकसी

और को बठायगा25सो परमशवर जानता ह िक लोग कया करत ह

इसिलय परमशवर रात म दषटो को हरायगा और उनह नषट करदगा

26 परमशवर बर लोगो को उनक बर कमोर क कारण नषट कर दगाऔर बर वयिकत क दणड को वह सब को दखन दगा

27 कयोिक बर वयिकत न परमशवर की आजञा मानना छोड़ िदयाऔर व बर वयिकत परवाह नही करत ह उन कामो को करनकी िजनको परमशवर चाहता ह

28 उन बर लोगो न गरीबो को दख िदया और उनको िववश िकयापरमशवर को सहायता हत पकारन को

गरीब सहायता क िलय पकारता ह तो परमशवर उसकी सनताह

29 िकनत यिद परमशवर न गरीब की सहायता न करन का िनणरयिलया तो

कोई वयिकत परमशवर को दोषी नही ठहरा सकता हयिद परमशवर उनस मख मोड़ता ह तो कोई भी उस को नही पा

सकता हपरमशवर जाितयो और समची मानवता पर शासन करता ह

30 तो िफर एक ऐसा वयिकत ह जो परमशवर क िवरदध ह और लोगोको छलता ह

तो परमशवर उस राजा बनन नही द सकता ह31 ldquoसमभव ह िक कोई परमशवर स कह िक

म अपराधी ह और िफर म पाप नही करगा32 ह परमशवर त मझ व बात िसखा जो म नही जानता ह

अययब 3433 90 अययब 353यिद मन कछ बरा िकया तो िफर म उसको नही करगा

33 िकनत अययब जब त बदलन को मना करता हतो कया परमशवर तझ वसा परितफल द

जसा परितफल त चाहता ह यह तरा िनणरय ह यह मरा नही हत ही बता िक त कया सोचता ह

34 कोई भी वयिकत िजसम िववक ह और जो समझता ह वह मरसाथ सहमत होगा

कोई भी िववकी जन जो मरी सनता वह कहगा35अययब अबोध वयिकत क जसी बात करता ह

जो बात अययब करता ह उनम कोई तथय नही36 मरी यह इचछा ह िक अययब को परखन को और भी अिधक

कषट िदय जायकयो कयोिक अययब हम ऐसा उततर दता हजसा कोई दषट जनउततर दता हो

37 अययब पाप पर पाप िकए जाता ह और उस पर उसन बगावतकी

तमहार ही सामन वह परमशवर को बहत बहत बोल करकलिकत करता रहता हrdquo

351 एलीह कहता चला गया वह बोला

2 ldquoअययब यह तर िलय कहना उिचत नही कीlsquoम अययब परमशवर क िवरदध नयाय पर हrsquo

3अययब त परमशवर स पछता ह िकlsquoह परमशवर मरा पाप तझ कस हािन पहचाता हऔर यिद म पाप न कर तो कौन सी उततम वसत मझको िमलजाती हrsquo

अययब 354 91 अययब 35134 ldquoअययब म (एलीह) तझको और तर िमतरो को जो यहा तर साथ

ह उततर दना चाहता ह5अययब उपर दख

आकाश म दिषट उठा िक बादल तझस अिधक उच ह6अययब यिद त पाप कर तो परमशवर का कछ नही िबगड़ता

और यिद तर पाप बहत हो जाय तो उसस परमशवर का कछनही होता

7अययब यिद त भला ह तो इसस परमशवर का भला नही होतातझस परमशवर को कछ नही िमलता

8अययब तर पाप सवय तझ जस मनषय को हािन पहचात हतर अचछ कमर बस तर जस मनषय का ही भला करत ह

9 ldquoलोगो क साथ जब अनयाय होता ह और बरा वयवहार िकयाजाता ह

तो व मदद को पकारत ह व बड़ बड़ो की सहायता पान कोदहाई दत ह

10 िकनत व परमशवर स सहायता नही मागतही कहत ह िक lsquoपरमशवर िजसन हम को रचा ह कहा हपरमशवर जो हताश जन को आशा िदया करता ह वह कहा हrsquo

11व य नही कहा करत िकlsquoपरमशवर िजसन पश पिकषयो स अिधक बिदधमान मनषय कोबनाया ह वह कहा हrsquo

12 ldquoिकनत बर लोग अिभमानी होत हइसिलय यिद व परमशवर की सहायता पान को दहाई द तोउनह उततर नही िमलता ह

13 यह सच ह िक परमशवर उनकी वयथर की दहाई को नही सनगासवरशिकतशाली परमशवर उन पर धयान नही दगा

अययब 3514 92 अययब 36514अययब इसी तरह परमशवर तरी नही सनगा

जब त यह कहता ह िक वह तझको िदखाई नही दताऔर त उसस िमलन क अवसर की परतीकषा म ह

और यह परमािणत करन की त िनदोरष ह15 ldquoअययब त सोचता ह िक परमशवर दषटो को दणड नही दता ह

और परमशवर पाप पर धयान नही दता ह16 इसिलय अययब िनज वयथर बात करता रहता ह

अययब ऐसा वयवहार कर रहा ह िक जस वह महतवपणर हcheck िकनत यह दखना िकतना सरल ह िक अययब नहीजानता िक वह कया कह रहा हrdquo

361 एलीह न बात जारी रखत हए कहा

2 ldquoअययब मर साथ थोड़ी दर और धीरज रखम तझको िदखाऊगा की परमशवर क पकष म अभी कहन कोऔर ह

3 म अपन जञान को सबस बाटगामझको परमशवर न रचा ह

check म जो कछ भी जानता ह म उसका परयोग तझको यह िदखानक िलय करगा िक परमशवर िनषपकष ह

4अययब त यह िनशचय जान िक जो कछ म कहता ह वह सब सतयह

म बहत िववकी ह और म तर साथ ह5 ldquoपरमशवर शिकतशाली ह

िकनत वह लोगो स घणा नही करता ह

अययब 366 93 अययब 3615परमशवर सामथीर ह

और िववकपणर ह6 परमशवर दषट लोगो को जीन नही दगा

और परमशवर सदा दीन लोगो क साथ खरा वयवहार करताह

7व लोग जो उिचत वयवहार करत ह परमशवर उनका धयान रखताह

वह राजाओ क साथ उनह िसहासन दता ह और व सदा आदरपात ह

8 िकनत यिद लोग दणड पात हो और बिड़यो म जकड़ होयिद व पीड़ा भगत रह हो और सकट म हो

9 तो परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन कौन सा बरा काम िकयाह

परमशवर उनको बतायगा िक उनहोन पाप िकय ह और वअहकारी रह थ

10 परमशवर उनको उसकी चतावनी सनन को िववश करगावह उनह पाप करन को रोकन का आदश दगा

11 यिद व लोग परमशवर की सनगऔर उसका अनसरण करग तो परमशवर उनको सफलबनायगा

12 िकनत यिद व लोग परमशवर की आजञा नकारग तो व मतय कजगत म चल जायग

व अपन अजञान क कारण मर जायग13 ldquoऐस लोग िजनको परवाह परमशवर की व सदा कड़वाहट स भर

रह हयहा तक िक जब परमशवर उनको दणड दता ह व परमशवर ससहारा पान को िवनती नही करत

14 ऐस लोग जब जवान होग तभी मर जायगव अभी भरषट लोगो क साथ शमर स मरग

15 िकनत परमशवर दख पात लोगो को िवपिततयो स बचायगा

अययब 3616 94 अययब 3624परमशवर लोगो को जगान क िलए िवपदाए भजता ह तािकलोग उसकी सन

16 ldquoअययब परमशवर तझको तरी िवपिततयो स दर करक तझ सहारादना चाहता ह

परमशवर तझ एक िवसतत सरिकषत सथान दना चाहता हऔर तरी मज पर भरपर खाना रखना चाहता ह

17 िकनत अब अययब तझ वसा ही दणड िमल रहा ह जसा दणडिमला करता ह दषटो को तझको परमशवर का िनणरय औरखरा नयाय जकड़ हए ह

18अययब त अपनी नकल धन दौलत क हाथ म न द िक वह तझसबरा काम करवाय

अिधक धन क लालच स त मखर मत बन19 त य जान ल िक अब न तो तरा समचा धन तरी सहायता कर

सकता ह और न ही शिकतशाली वयिकत तरी सहायता करसकत ह

20 त रात क आन की इचछा मत कर जब लोग रात म िछप जानका परयास करत ह

व सोचत ह िक व परमशवर स िछप सकत ह21अययब बरा काम करन स त सावधान रह

तझ पर िवपिततया भजी गई ह तािक त पाप को गरहण न कर22 ldquoदख परमशवर की शिकत उस महान बनाती ह

परमशवर सभी स महानतम िशकषक ह23 परमशवर को कया करना ह कोई भी वयिकत सको बता नहीसकता

कोई भी उसस नही कह सकता िक परमशवर तन बरा िकयाह

24 परमशवर क कमोर की परशसा करना त मत भल

अययब 3625 95 अययब 371लोगो न गीत गाकर परमशवर क कामो की परशसा की ह

25 परमशवर क कमर को हर कोई वयिकत दख सकता हदर दशो क लोग उन कमोर को दख सकत ह

26 यह सच ह िक परमशवर महान ह उसकी मिहमा को हम नहीसमझ सकत ह

परमशवर क वषोर की सखया को कोई िगन नही सकता27 ldquoपरमशवर जल को धरती स उपर उठाता ह

और उस वषार क रप म बदल दता ह28 परमशवर बादलो स जल बरसाता ह

और भरपर वषार लोगो पर िगतरी ह29कोई भी वयिकत नही समझ सकता िक परमशवर कस बादलो को

िबखराता हऔर कस िबजिलया आकाश म कड़कती ह

30 दख परमशवर कस अपनी िबजली को आकाश म चारो ओरिबखरता ह

और कस सागर क गहर भाग को ढक दता ह31 परमशवर राषटरो को िनयतरण म रखन

और उनह भरपर भोजन दन क िलय इन बादलो का उपयोगकरता ह

32 परमशवर अपन हाथो स िबजली को पकड़ लता ह और जहा वहचाहता ह

वहा िबजली को िगरन का आदश दता ह33 गजरन तफान क आन की चतावनी दता ह

यहा तक की पश भी जानत ह िक तफान आ रहा ह

371 ldquoह अययब जब इन बातो क िवषय म म सोचता ह

मरा हदय बहत जोर स धड़कता ह

अययब 372 96 अययब 37122हर कोई सनो परमशवर की वाणी बादल की गजरन जसी सनाई दती

हसनो गरजती हई धविन को जो परमशवर क मख स आ रही ह

3 परमशवर अपनी िबजली को सार आकाश स होकर चमकन कोभजता ह

वह सारी धरती क ऊपर चमका करती ह4 िबजली क कौधन क बाद परमशवर की गजरन भरी वाणी सनी जा

सकती हपरमशवर अपनी अदभत वाणी क साथ गरजता ह

जब िबजली कौधती ह तब परमशवर की वाणी गरजती ह5 परमशवर की गरजती हई वाणी अदभत ह

वह ऐस बड़ कमर करता ह िजनह हम समझ नही पात ह6 परमशवर िहम स कहता ह

lsquoतम धरती पर िगरोrsquoऔर परमशवर वषार स कहता ह

lsquoतम धरती पर जोर स बरसोrsquo7 परमशवर ऐसा इसिलय करता ह िक सभी वयिकत िजनको उसन

बनाया हजान जाय िक वह कया कर सकता ह वह उसका परमाण ह

8 पश अपन खोहो म भाग जात ह और वहा ठहर रहत ह9 दिकषण स तफान आत ह

और उततर स सदीर आया करती ह10 परमशवर का शवास बफर को रचता ह

और सागरो को जमा दता ह11 परमशवर बादलो को जल स भरा करता ह

और िबजली को बादल क दवारा िबखरता ह12परमशवर बादलो को आन दता ह िक वह उड़ कर सब कही धरती

क ऊपर छा जाय और िफर बादल वही करत ह िजस करनका आदश परमशवर न उनह िदया ह

अययब 3713 97 अययब 372113 परमशवर बाढ़ लाकर लोगो को दणड दन अथवा धरती को जल

दकर अपना परम दशारन क िलय बादलो को भजता ह14 ldquoअययब त कषण भर क िलय रक और सन

रक जा और सोच उन अदभत कायोर क बार म िजनह परमशवरिकया करता ह

15 अययब कया त जानता ह िक परमशवर बादलो पर कस काबरखता ह कया त जानता ह िक परमशवर अपनी िबजली कोकयो चमकाता ह

16कया त यह जानता ह िक आकाश म बादल कस लटक रहत हय एक उदाहरण मातर ह परमशवर का जञान समपणर ह और यबादल परमशवर की अदभत कित ह

17 िकनत अययब तम य बात नही जानततम बस इतना जानत ह िक तमको पसीना आता ह और तरवसतर तझ स िचपक रहत ह और सब कछ शानत व िसथररहता ह जब दिकषण स गमर हवा आती ह

18 अययब कया त परमशवर की मदद आकाश को फलान म औरउस झलकाय गय दपरण की तरह चमकान म कर सकताह

19 ldquoअययब हम बता िक हम परमशवर स कया कहहम उसस कछ भी कहन को सोच नही पात कयोिक हम पयारपत कछ

भी नही जानत20 कया परमशवर स यह कह िदया जाय िक म उस क िवरोध म

बोलना चाहता हयह वस ही होगा जस अपना िवनाश मागना

21 दख कोई भी वयिकत चमकत हए सयर को नही दख सकताजब हवा बादलो को उड़ा दती ह उसक बाद वह बहत उजलाऔर चमचमाता हआ होता ह

अययब 3722 98 अययब 38722और परमशवर भी उसक समान ह

परमशवर की सनहरी मिहमा चमकती हपरमशवर अदभत मिहमा क साथ उततर स आता ह23सवरशिकतमान परमशवर सचमच महान ह

हम परमशवर को नही जान सकत परमशवर सदा ही लोगो कसाथ नयाय और िनषपकषता क साथ वयवहार करता ह

24 इसिलए लोग परमशवर का आदर करत हिकनत परमशवर उन अिभमानी लोगो को आदर नही दता ह जोसवय को बिदधमान समझत हrdquo

381 िफर यहोवा न तफान म स अययब को उततर िदया परमशवर न

कहा2 ldquoयह कौन वयिकत ह

जो मखरतापणर बात कर रहा हrdquo3अययब तम परष की भाित सदढ़ बनो

जो परशन म पछ उसका उततर दन को तयार हो जाओ4अययब बताओ तम कहा थ जब मन पथवी की रचना की थी

यिद त इतना समझदार ह तो मझ उततर द5अययब इस ससार का िवसतार िकसन िनिशचत िकया था

िकसन ससार को नापन क फीत स नापा6 इस पथवी की नीव िकस पर रखी गई ह

िकसन पथवी की नीव क रप म सवारिधक महतवपणर पतथरको रखा ह

7जब ऐसा िकया था तब भोर क तारो न िमलकर गयाऔर सवगरदत न परसनन होकर जयजयकार िकया

अययब 388 99 अययब 38168 ldquoअययब जब सागर धरती क गभर स फट पड़ा था

तो िकसन उस रोकन क िलय दवार को बनद िकया था9 उस समय मन बादलो स समदर को ढक िदया

और अनधकार म सागर को लपट िदया था (जस बालक कोचादर म लपटा जाता ह)

10सागर की सीमाऐ मन िनिशचत की थीऔर उस ताल लग दवारो क पीछ रख िदया था

11मन सागर स कहा lsquoत यहा तकआ सकता ह िकनतऔर अिधकआग नही

तरी अिभमानी लहर यहा तक रक जायगीrsquo12 ldquoअययब कया तन कभी अपनी जीवन म भोर को आजञा दी ह

उग आन और िदन को आरमभ करन की13 अययब कया तन कभी परात क परकाश को धरती पर छा जान

को कहा हऔर कया कभी उसस दषटो क िछपन क सथान को छोड़न किलय िववश करन को कहा ह

14 परात का परकाश पहाड़ोव घािटयो को दखन लायक बना दता ह

जब िदन का परकाश धरती पर आता हतो उन वसतओ क रप वसतर की सलवटो की तरह उभर करआत ह

व सथान रप को नम िमटटी की तरहजो दबोई गई महर की गरहण करत ह

15 दषट लोगो को िदन का परकाश अचछा नही लगताकयोिक जब वह चमचमाता ह तब वह उनको बर काम करनस रोकता ह

16 ldquoअययब बता कया त कभी सागर क गहर तल म गया ह

अययब 3817 100 अययब 3825जहा स सागर शर होता ह कया त कभी सागर क तल परचला ह

17 अययब कया तन कभी उस फाटको को दखा ह जो मतय लोकको ल जात ह

कया तन कभी उस फाटको को दखा जो उस मतय क अनधरसथान को ल जात ह

18अययब त जानता ह िक यह धरती िकतनी बड़ी हयिद त य सब कछ जानता ह तो त मझको बता द

19 ldquoअययब परकाश कहा स आता हऔर अनधकार कहा स आता ह

20 अययब कया त परकाश और अनधकार को ऐसी जगह ल जासकता ह जहा स व आय ह जहा व रहत ह

वहा पर जान का मागर कया त जानता ह21 अययब मझ िनशचय ह िक तझ सारी बात मालम ह कयोिक त

बहत ही बढ़ा और बिदधमान हजब वसतऐ रची गई थी तब त वहा था

22 ldquoअययब कया त कभी उन कोिठयारो म गया हजहा म िहम और ओलो को रखा करता ह

23 म िहम और ओलो को िवपदा क कालऔर यदध लड़ाई क समय क िलय बचाय रखता ह

24अययब कया त कभी ऐसी जगह गया ह जहा स सरज उगता हऔर जहा स परवाई सारी धरती पर छा जान क िलय आतीह

25अययब भारी वषार क िलय आकाश म िकसन नहर खोदी हऔर िकसन भीषण तफान का मागर बनाया ह

अययब 3826 101 अययब 383626 अययब िकसन वहा भी जल बरसाया जहा कोई भी नही रहता

ह27वह वषार उस खाली भिम क बहतायत स जल दता ह

और घास उगनी शर हो जाती ह28अययब कया वषार का कोई िपता ह

ओस की बद कहा स आती ह29अययब िहम की माता कौन ह

आकाश स पाल को कौन उतपनन करता ह30 पानी जमकर चटटान सा कठोर बन जाता ह

और सागर की ऊपरी सतह जम जाया करती ह31 ldquoअययब सपतिषर तारो को कया त बाध सकता ह

कया त मगिशरा का बनधन खोल सकता ह32अययब कया त तारा समहो को उिचत समय पर उगा सकता ह

अथवा कया त भाल तारा समह की उसक बचचो क साथअगवाई कर सकता ह

33अययब कया त उन िनयमो को जानता हजो नभ का शासन करतह

कया त उन िनयमो को धरती पर लाग कर सकता ह34 ldquoअययब कया त पकार कर मघो को आदश द सकता ह

िक व तझको भारी वषार क साथ घर ल35अययब बता कया त िबजली को

जहा चाहता वहा भज सकता हऔर कया तर िनकटआकर िबजली कहगी ldquoअययब हम यहा ह बता त कया चाहता हrdquo

36 ldquoमनषय क मन म िववक को कौन रखता ह

अययब 3837 102 अययब 395और बिदध को कौन समझदारी िदया करता ह

37अययब कौन इतना बलवान ह जो बादलो को िगन लऔर उनको वषार बरसान स रोक द

38वषार धल को कीचड़ बना दती हऔर िमटटी क लौद आपस म िचपक जात ह

39 ldquoअययब कया त िसहनी का भोजन पा सकता हकया त भख यवा िसह का पट भर सकता ह

40व अपनी खोहो म पड़ रहत हअथवा झािड़यो म िछप कर अपन िशकार पर हमला करनक िलय बठत ह

41अययब कौव क बचच परमशवर की दहाई दत हऔर भोजन को पाय िबना व इधरmdashउधर घमत रहत ह तबउनह भोजन कौन दता ह

391 ldquoअययब कया त जानता ह िक पहाड़ी बकरी कब बयाती ह

कया तन कभी दखा जब िहरणी बयाती ह2 अययब कया त जानता ह पहाड़ी बकिरया और माता हिरिणया

िकतन महीन अपन बचच को गभर म रखती हकया तझ पता ह िक उनका बयान का उिचत समय कया ह

3व लट जाती ह और बचचो को जनम दती हतब उनकी पीड़ा समापत हो जाती ह

4पहाड़ी बकिरयो और हिरणी मा क बचच खतो म हषटmdashपषट हो जातह

िफर व अपनी मा को छोड़ दत ह और िफर लौट कर वापसनही आत

5 ldquoअययब जगली गधो को कौन आजाद छोड़ दता ह

अययब 396 103 अययब 3915िकसन उसक रसस खोल और उनको बनधन मकत िकया

6 यह म (यहोवा) ह िजसन बनल गध को घर क रप म मरभिमिदया

मन उनको रहन क िलय रही धरती दी7बनला गधा शोर भर नगरो क पास नही जाता ह

और कोई भी वयिकत उस काम करवान क िलय नही साधताह

8बनल गध पहाड़ो म घमत हऔर व वही घास चरा करत हव वही पर हरी घास चरन को ढढत रहत ह

9 ldquoअययब बता कया कोई जगली साड़ तरी सवा क िलय राजीहोगा

कया वह तर खिलहान म रात को रकगा10अययब कया त जगली साड़ को रसस स बाध कर

अपना खत जता सकता ह कया घाटी म तर िलय वह पटलाकरगा

11अययब कया त िकसी जगली साड़ क भरोस रह सकता हकया त उसकी शिकत स अपनी सवा लन की अपकषा रखता ह

12 कया त उसक भरोस ह िक वह तरा अनाज इकटठातर और उस तर खिलहान म ल जाय

13 ldquoशतरमगर जब परसनन होता ह वह अपन पख फड़फड़ाता ह िकनतशतरमगर उड़ नही सकता

उसक पर और पख सारस क जस नही होत14शतरमगर धरती पर अणड दती ह

और व रत म सय जात ह15 िकनत शतरमगर भल जाता ह िक कोई उसक अणडो पर स चल

कर उनह कचल सकता हअथवा कोई बनला पश उनको तोड़ सकता ह

अययब 3916 104 अययब 392516शतरमगर अपन ही बचचो पर िनदरयता िदखाता ह

जस व उसक बचच नही हयिद उसक बचच मर भी जाय तो भी उसको उसकी िचनता नहीह

17 ऐसा कयो कयोिक मन (परमशवर) उस शतरमगर को िववक नहीिदया था

शतरमगर मखर होता ह मन ही उस ऐसा बनाया ह18 िकनत जब शतरमगर दौड़न को उठती ह तब वह घोड़ और उसक

सवार पर हसती हकयोिक वह घोड़ स अिधक तज भाग सकती ह

19 ldquoअययब बता कया तन घोड़ को बल िदयाऔर कया तन ही घोड़ की गदरन पर अयाल जमाया ह

20 अययब बता जस िटडडी कद जाती ह कया तन वसा घोड़ कोकदाया ह

घोड़ा घोर सवर म िहनिहनाता ह और लोग डर जात ह21घोड़ा परसनन ह िक वह बहत बलशाली ह

और अपन खर स वह धरती को खोदा करता ह यदध म जाताहआ घोड़ा तज दौड़ता ह

22घोड़ा डर की हसी उड़ाता ह कयोिक वह कभी नही डरताघोड़ा कभी भी यदध स मख नही मोड़ता ह

23घोड़ की बगल म तरकस िथरका करत हउसक सवार क भाल और हिथयार धप म चमचमाया करतह

24घोड़ा बहत उततिजत ह मदान पर वह तीवर गित स दौड़ता हघोड़ा जब िबगल की आवाज सनता ह तब वह शानत खड़ानही रह सकता

25जब िबगल की धविन होती ह घोड़ा कहा करता ह ldquoअहाrdquo

अययब 3926 105 अययब 404वह बहत ही दर स यदध को सघ लता हवह सना क नायको क घोष भर आदश और यदध क अनयसभी शबद सन लता ह

26 ldquoअययब कया तन बाज को िसखाया अपन पखो को फलाना औरदिकषण की ओर उड़ जाना

27अययब कया त उकाब को उड़न कीऔर ऊच पहाड़ो म अपना घोसला बनान की आजञा दता ह

28 उकाब चटटान पर रहा करता हउसका िकला चटटान हआ करती ह

29 उकाब िकल स अपन िशकार पर दिषट रखता हवह बहत दर स अपन िशकार को दख लता ह

30 उकाब क बचच लह चाटा करत हऔर व मरी हई लाशो क पास इकटठ होत हrdquo

401 यहोवा न अययब स कहा

2 ldquoअययब तन सवरशिकतमान परमशवर स तकर िकयातन बर काम करन का मझ दोषी ठहरायाअब त मझको उततर दrdquo

3 इस पर अययब न उततर दत हए परमशवर स कहा4 ldquoम तो कछ कहन क िलय बहत ही तचछ ह

म तझस कया कह सकता ह म तझ कोई उततर नही द सकता

म अपना हाथ अपन मख पर रख लगा

अययब 405 106 अययब 40145 मन एक बार कहा िकनत अब म उततर नही दगा

िफर मन दोबारा कहा िकनत अब और कछ नही बोलगाrdquo6 इसक बाद यहोवा न आधी म बोलत हए अययब स कहा

7अययब त परष की तरह खड़ा होम तझस कछ परशन पछगा और त उन परशनो का उततर मझदगा

8अययब कया त सोचता ह िक म नयायपणर नही ह कया त मझ बरा काम करन का दोषी मानता ह तािक त यहिदखा सक िक त उिचत ह

9अययबबता कया मर शसतर इतन शिकतशाली ह िजतन िक मर शसतरह

कया त अपनी वाणी को उतना ऊचा गरजा सकता ह िजतनीमरी वाणी ह

10 यिद त वसा कर सकता ह तो त सवय को आदर और मिहमा दतथा मिहमा और उजवलता को उसी परकार धारण कर जसकोई वसतर धारण करता ह

11अययब यिद त मर समान ह तो अिभमानी लोगो स घणा करअययब त उन अहकारी लोगो पर अपना करोध बरसा औरउनह त िवनमर बना द

12 हा अययब उन अहकारी लोगो को दख और त उनह िवनमर बनाद

उन दषटो को त कचल द जहा भी व खड़ हो13 त सभी अिभमािनयो को िमटटी म गाड़ द

और उनकी दहो पर कफन लपट कर त उनको उनकी कबरोम रख द

14अययब यिद त इन सब बातो को कर सकता ह

अययब 4015 107 अययब 4024तो म यह तर सामन सवीकार करगा िक त सवय को बचासकता ह

15 ldquoअययब दख त उस जलगज कोमन (परमशवर) न बनाया ह और मन ही तझ बनाया हजलगज उसी परकार घास खाती ह जस गाय घास खाती ह

16जलगज क शरीर म बहत शिकत होती हउसक पट की मासपिशया बहत शिकतशाली होती ह

17 जल गज की पछ दढ़ता स ऐसी रहती ह जसा दवदार का वकषखड़ा रहता ह

उसक पर की मासपिशया बहत सदढ़ होती ह18जल गज की हड िडया कास की भाित सदढ़ होती ह

और पाव उसक लोह की छड़ो जस19जल गज पहला पश ह िजस मन (परमशवर) बनाया ह

िकनत म उस को हरा सकता ह20जल गज जो भोजन करता ह उस उसको व पहाड़ दत ह

जहा बनल पश िवचरत ह21जल गज कमल क पौध क नीच पड़ा रहता ह

और कीचड़ म सरकणड़ो की आड़ म िछपा रहता ह22कमल क पौध जलगज को अपनी छाया म िछपात ह

वह बास क पड़ो क तल रहता ह जो नदी क पास उगा करतह

23 यिद नदी म बाढ़ आ जाय तो भी जल गज भागता नही हयिद यरदन नदी भी उसक मख पर थपड़ मार तो भी वह डरतानही ह

24जल गज की आखो को कोई नही फोड़ सकता हऔर उस कोई भी जाल म नही फसा सकता

अययब 411 108 अययब 411041

1 ldquoअययब बता कया त िलबयातान (सागर क दतय) कोिकसी मछली क काट स पकड़ सकता ह

2अययब कया त िलबयातान की नाक म नकल डाल सकता हअथवा उसक जबड़ो म काटा फसा सकता ह

3अययब कया िलबयातानआजाद होन क िलय तझस िवनती करगाकया वह तझस मधर बात करगा

4अययब कया िलबयातान तझस सिनध करगाऔर सदा तरी सवा का तझ वचन दगा

5अययबकया त िलबयातान स वस ही खलगा जस त िकसी िचिड़या स खलता ह

कया त उस रसस स बाधगा िजसस तरी दािसया उसस खलसक

6 अययब कया मछवार िलबयातान को तझस खरीदन का परयासकरग

कया व उसको काटग और उनह वयापािरयो क हाथ बचसकग

7 अययब कया त िलबयातान की खाल म और माथ पर भाल फकसकता ह

8 ldquoअययब िलबयातान पर यिद त हाथ डाल तो जो भयकर यदधहोगा त कभी भी भल नही पायगा

और िफर त उसस कभी यदध न करगा9और यिद त सोचता ह िक त िलबयातान को हरा दगा

तो इस बात को त भल जाकयोिक इसकी कोई आशा नही ह

त तो बस उस दखन भर स ही डर जायगा10कोई भी इतना वीर नही ह

जो िलबयातान को जगा कर भड़काय

अययब 4111 109 अययब 4122तो िफर अययब बता मर िवरोध म कौन िटक सकता ह11 मझको (परमशवर को) िकसी भी वयिकत कछ नही दना ह

सार आकाश क नीच जो कछ भी ह वह सब कछ मरा हीह

12अययब म तझको िलबयातान क परो क िवषय म बताऊगाम उसकी शिकतऔर उसकरपकी शोभा क बार म बताऊगा

13कोई भी वयिकत उसकी खाल को भद नही सकताउसकी खाल दहरा कवच क समान ह

14 िलबयातान को कोई भी वयिकत मख खोलन क िलय िववश नहीकर सकता ह

उसक जबड़ क दात सभी को भयभीत करत ह15 िलबयातान की पीठ पर ढालो की पिकतया होती ह

जो आपस म कड़ी छाप स जड़ होत ह16 य ढ़ाल आपस म इतनी सटी होती ह

िक हवा तक उनम परवश नही कर पाती ह17 य ढाल एक दसर स जड़ी होती ह

व इतनी मजबती स एक दसर स जडी हई ह िक कोई भीउनको उखाड़ कर अलग नही कर सकता

18 िलबयातान जब छीका करता ह तो ऐसा लगता ह जस िबजलीसी कौध गई हो

आख उसकी ऐसी चमकती ह जस कोई तीवर परकाश हो19 उसक मख स जलती हई मशाल िनकलती ह

और उसस आग की िचगािरया िबखरती ह20 िलबयातान क नथनो स धआ ऐसा िनकलता ह

जस उबलती हई हाडी स भाप िनकलता हो21 िलबयातान की फक स कोपल सलग उठत ह

और उसक मख स डर कर दर भाग जाया करत ह22 िलबयातान की शिकत उसक गदरन म रहती ह

अययब 4123 110 अययब 4134और लोग उसस डर कर दर भाग जाया करत ह

23 उसकी खाल म कही भी कोमल जगह नही हवह धात की तरह कठोर ह

24 िलबयातान का हदय चटटान की तरह होता ह उसको भय नही हवह चककी क नीच क पाट सा सदढ़ ह

25 िलबयातान जागता ह बली लोग डर जात हिलबयातान जब पछ फटकारता ह तो व लोग भाग जात ह

26 िलबयातान पर जस ही भाल तीर और तलवार पड़त हव उछल कर दर हो जात ह

27लोह की मोटी छड़ वह ितनस साऔर कास को सड़ी लकड़ी सा तोड़ दता ह

28बाण िलबयातान को नही भगा पात हउस पर फकी गई चटटान सख ितनक की भाित ह

29 िलबयातान पर जब मगदर पड़ता ह तो उस ऐसा लगता ह मानोवह कोई ितनका हो

जब लोग उस पर भाल फकत ह तब वह हसा करता ह30 िलबयातान की दह क नीच की खाल टट हऐ बतरन क कठोर व

पन टकड़ सा हवह जब चलता ह तो कीचड़ म ऐस छोड़ता ह मानो खिलहानम पाटा लगाया गया हो

31 िलबयातान पानी को य मथता ह मानो कोई हिड़या उबलती होवह ऐस बलबल बनाता ह मानो पातर म उबलता हआ तलहो

32 िलबयातान जब सागर म तरता ह तो अपन पीछ वह सफद झागोजसी राह छोड़ता ह

जस कोई शवत बालो की िवशाल पछ हो33 िलबयातान सा कोई और जनत धरती पर नही ह

वह ऐसा पश ह िजस िनभरय बनाया गया34वह अतयािधक गवीरल पशओ तक को घणा स दखता ह

अययब 421 111 अययब 426सभी जगली पशओ का वह राजा ह

मन (यहोवा) िलबयातान को बनाया हrdquo

42अययब का यहोवा को उततर

1 इस पर अययब न यहोवा को उततर दत हए कहा2 ldquoयहोवा म जानता ह िक त सब कछ कर सकता ह

त योजनाऐ बना सकता ह और तरी योजनाओ को कोई भीनही बदल सकता और न ही उसको रोका जा सकता ह

3 यहोवा तन यह परशन पछा िक ldquoयह अबोध वयिकत कौन ह जो यमखरतापणर बात कह रहा हrdquo

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की िजनह म समझतानही था

यहोवा मन उन चीजो क बार म बात की जो मर समझ पानक िलय बहत अचरज भरी थी

4 यहोवा तन मझस कहा ldquoह अययब सन और म बोलगाम तझस परशन पछगा और त मझ उततर दगाrdquo

5 यहोवा बीत हए काल म मन तर बार म सना थािकनत सवय अपनी आखो स मन तझ दख िलया ह

6अत अब म सवय अपन िलय लिजजत हयहोवा मझ खद ह

धल और राख म बठ करम अपन हदय और जीवन को बदलन की परितजञा करता हrdquoयहोवा का अययब की समपितत को लौटाना

अययब 427 112 अययब 42137यहोवा जब अययब स अपनी बात कर चका तो यहोवा न तमान

क िनवासी एलीपज स कहा ldquoम तझस और तर दो िमतरो स करोिधतह कयोिक तन मर बार म उिचत बात नही कही थी िकनत अययबन मर बार म उिचत बात कही थी अययब मरा दास ह 8 इसिलयअब एलीपज तम सात सात बल और सात भड़ लकर मर दासअययब क पास जाओ और अपन िलय होमबिल क रप म उनकीभट चढ़ाओ मरा सवक अययब तमहार िलए पराथरना करगा तबिनशचय ही म उसकी पराथरना का उततर दगा िफर म वसा दणड नहीदगा जसा दणड िदया जाना चािहय था कयोिक तम बहत मखर थमर बार म तमन उिचत बात नही कही जबिक मर सवक अययब नमर बार म उिचत बात कही थीrdquo

9 सो तमान नगर क िनवासी एलीपज और शह गाव क िबलददतथा नामात गाव क िनवासी सोपर न यहोवा की आजञा का पालनिकया इस पर यहोवा न अययब की पराथरना सन ली

10 इस परकार जब अययब अपन िमतरो क िलय पराथरना कर चकातो यहोवा न अययब की िफर सफलता परदान की परमशवर न िजतनाउसक पास पहल था उसस भी दगना उस द िदया 11 अययब कसभी भाई और बहन अययब क घर वापसआ गय और हर कोई जोअययब को पहल जानता था उसक घर आया अययब क साथ उनसब न एक बड़ी दावत म खाना खाया कयोिक यहोवा न अययबको बहत कषट िदय थ इसिलय उनहोन अययब को सानतवना दीहर िकसी वयिकत न अययब को चादी का एक िसकका और सोन कीएक अगठी भट म दी

12यहोवा न अययब क जीवन क पहल भाग स भी अिधक उसकजीवन क िपछल भाग को अपना आशीवारद परदान िकया अययबक पास चौदह हजार भड़ छ हजार ऊट दो हजार बल तथा एकहजार गिधया हो गयी 13 अययब क सात पतर और तीन पितरया

अययब 4214 113 अययब 4217भी हो गयी 14 अययब न अपनी सबस बड़ी पतरी का नाम रखायमीमा दसरी पतरी का नाम रखा कसीआ और तीसरी का नामरखा करनहपपक 15 सार परदश म अययब की पितरया सबस सनदरिसतरया थी अययब न अपन पतरो को साथ अपनी समपितत का एकभाग अपनी पितरया को भी उततरािधकार म िदया

16 इसक बाद अययब एक सौ चालीस साल तक और जीिवतरहा वह अपन बचचो अपन पोतो अपन परपोतो और परपोतो कीभी सतानो यानी चार पीिढ़यो को दखन क िलए जीिवत रहा 17जबअययबकी मतय हईउससमय वह बहत बढ़ा था उस बहत अचछाऔर लमबा जीवन परापत हआ था

114पिवतर बाइबल

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