पंचगव्य गुरूकुलम पंजी .) - panchvidya.org · 2020-05-05 ·...

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ाम : किपट्टू , पुतागरम पंचायत, कांचीपुरम जिला, तजमलनाडु - 631 651. Website : www.panchvidya.org, email: [email protected], Ph: 44 27 28 22 00 पंचग गुकुलम (पंजी.) वैजिक ान के उपयोग को समजपित पाठशाला गणपती मंजिर कोलकी अन मंजिर पंचग गुऱकुलम पररसर का जवहंगम जि जिसका जवार 30 एकड़ मे है , यह भूभाग तीन ओर से िसे घीरा है िहां जनमािण की जिया अभी भी िरी है

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  • ग्राम : कल्लिपट्टू, पुतागरम पंचायत, कांचीपुरम जिला, तजमलनाडु - 631 651.

    Website : www.panchvidya.org, email: [email protected], Ph: 44 27 28 22 00

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.) वैजिक ज्ञान के उपयोग को समजपित पाठशाला

    श्री गणपती मंजिर श्री कोलकी अम्मन मंजिर

    पंचगव्य गुरूकुलम पररसर का जवहंगम जिष्य जिसका जवस्तार 30 एकड़ मे है,

    यह भूभाग तीन ओर से िल से घीरा के्षत्र है िहां जनमािण की जिया अभी भी िारी है

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.) क्य?ं

    वेि ; अर्ाित जवज्ञान - एक ऐसा जवज्ञान जिसके जवकाश

    से प्रकृजत (भूजम, िल, अजि, वायु और आकाश) का

    कुछ भी नही ंजिगड़े. िैसा वैजिक काल खंड से स्र्ाजपत

    रहा. कजलयुग के िुसरे चरण से ही वेि रुपी जवज्ञान,

    आधुजनक जवज्ञान में ििल कर प्रकृजत का नाश कर रहे हैं.

    पंचगव्य केजमकल्स की खोि ने प्रकृजत (भूजम, िल, अजि,

    वायु और आकाश) को नष्ट कर जिया है. इसे जिर

    से पुनिीजवत करने के जलए धरती पर कम से कम

    उतनी ही गोमातायें चाजहए जितना मनुष्य की

    िनसंख्या है. क्ोजंक गोमाता का गोमय - शुद्ध

    भूजम तत्व, छीर – िल तत्व, घृत – अजि तत्व,

    गोमूत्र – वायु तत्व और छाछ – आकाश तत्व है.

    1) गोमय (गोिर)

    2) गौिुग्ध (िूध)

    3) गौघृत (घी)

    4) गौमूत्र (मूत्र)

    5) गौिघी (िही)

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.) क्य?ं

    वेि ही गाय है, गाय ही जवज्ञान है और गाय ही प्रकृजत है. ऐसे में गाय को समझने वाले मनीषी ही प्रकृजत की रक्षा कर

    सकते हैं. आने वाले पीजियो ंको इसे ही समझना है. इसी जवषय को लेकर पंचगव्य गुरूकुलम की स्र्ापना वषि 2009 में

    अमर िजलिानी श्री रािीव भाई िीजक्षत के साजनध्य में गव्यजसद्धाचारी श्रीमती शांता िेवी एवं गव्यजसद्धाचायि श्री जनरंिन

    वमाि द्वारा की गई र्ी.वषि 2011 से इस जवषय पर कायि प्रारंभ हुआ.

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.)

    ककसके कलए ?

    पंचगव्य गुरूकुलम आठ से िारह वषि के उन प्रजतभाशाली

    िालक – िाजलकओ ंके जलए है जिनके माता या जपता ने

    “पंचगव्य जवद्यापीठम” से पंचगव्य जचजकत्सा जवज्ञान को सीखा है

    और “गव्यजसद्ध” होते हुए गोरक्षा की जिशा में जनरंतर सेवारत है.

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.) किक्षा अवधी ? िस वषि का पाठ्यिम, अवकाश रजहत, समू्पणि गुरुकुजलए.

    गव्यजसद्ध माता – जपता वषि में एक िार तीन जिन के जलए पंचगव्य

    गुरूकुलम में ही िच्ो ंके सार् जनवाजसय हो सकें गे.

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.)

    में कवषय ?

    पंचगव्य गुरूकुलम की जशक्षा मूलत: “अथवववेद” आधाररत होगी. जिसमें आयुवेिीय जचजकत्सा जवज्ञान और

    आयुवेि से उत्पन्न जचजकत्सा पद्धजतयााँ, तेिी से लुप्त हो रही “नाडी और नाभी कवज्ञान” महजषि वाग्भट आधाररत

    पाकशास्त्र, िैजवक कृजषशास्त्र,

    गौपालन,

    भारतीय युद्धकला जिसमें जवशेषकर

    भगवान परशुराम प्रित “कलरीपैठ”,

    भारतीय ज्योजतष गणीत,

    िीि और वैजिक गणीत,

    भारतीय यंत्र जवज्ञान आजि.

    इसके अलावा शास्त्रीय संगीत और शास्त्रीय नृत्यकला.

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.)

    की भाषा ?

    भारत की िो पौराजणक भाषाएाँ

    संसृ्कत तजमल

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.)

    में भयजन व्यवस्था ?

    िेसी गोमाता के िूध के सार् संभवत: समू्पणि िैजवक. पंचगव्य गुरूकुलम की स्वयं की गोशाला एवं स्वयं की कृजष व्यवस्र्ा. जिसमें िल, सब्जी, अनाि, जतलहन, मसाले आजि का स्वयं का उत्पािन.

    गोशाला िल का िाग़

    समू्पर्व जैकवककृकष व्यवस्था

    अनाि का खेत सब्जी का िाग़

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में आचायव ?

    पंचगव्य गुरूकुलम में मुख्य आचायि गव्यजसद्धाचायि जनरंिन के वमाि. इसके अलावा सभी जवषयो ंसे एक – एक आचायि, जिनकी संख्या 30 के आस – पास होगी.

    श्रीरामनवमी के जिन िो िाजलकाएं (गव्यजसद्ध रचना गंुडा और गव्यजसद्ध सृिना गंुडा) के

    नामांकन के सार् पंचगव्य गुरूकुलम का शुभारम्भ हुआ.

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में संस्कार

    पंचगव्य गुरूकुलम में भगवान जशव का मंजिर

    पंचगव्य चतुभुवजेश्वर महादेव वषव 2018 में स्थाकपत

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में पाककला

    भगवान पंचगव्य चतुभुििेश्वर महािेव के प्रसाि िनाने का नैसजगिक पाकशाला

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    कायावलय

    मुख्या द्वार एवं संपकि कायािलय

    पंचगव्य जवद्यापीठम एवं गुरूकुलम का कायािलय एवं आचायि गृह

  • अमर िहीद राजीव भाई का

    अस्ति कलि स्मारक

    पुण्य जतजर्: 29-Nov-2010

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    संकल्प एवं पे्ररर्ा

    गव्यकसद्धाचारी श्रीमती िांतादेवी

    की

    अस्ति कलि स्मारक

    पुण्य जतजर्: 25-Sep-2019

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में कचककत्सा व्यवस्था

    गव्य वाष्पस्नान यन्त्र

    पंचगव्य एवं पंचकमि जचजकत्सा कें ि

    पंचगव्य एवं

    पंचकमि

    जनसगोपचार कक्ष

    मुक् संपकि कायािलय

  • आयुवेि, जसद्धा एवं पंचगव्य औषजधयो ंके जनमािण शाला

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में औषधिाला

  • प्रते्यक व्यल्लि पर कम से कम एक गोमाता की गोशाला

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में गौपालन

  • आधुजनक तकनीकी शाला (काष्ट, धातु, जमट्टी, अजभयांजत्रकी, जशल्प एवं कंम्प्यूटरशाला), इसके अलावा और

    भी कई लघु इकाइयााँ. िालक एवं िाजलकाओ ंके जनवास, जशक्षा एवं प्रजशक्षण की अलग – अलग व्यवस्र्ा.

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में आधुकनक कवज्ञान

    प्राकृजतक जशल्प वसु्त एवं गोिर – गौमूत्र से

    जनजमित जवशालकाय भवन

    कंयूटराइज्ड अंतिािलीय कायािलय िो गोिर गौमूत्र से

    जनजमित होने के कारण जवजकरण मुि एवं स्वतः

    वातानुकूजलत िैसा है

  • आधुजनक तकनीकी शाला (काष्ट, धातु, जमट्टी, अजभयांजत्रकी, जशल्प एवं कंम्प्यूटरशाला), इसके अलावा और

    भी कई लघु इकाइयााँ. िालक एवंिाजलकाओ ंके जनवास, जशक्षा एवं प्रजशक्षण की अलग – अलग व्यवस्र्ा.

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में व्यवस्थापन

    प्राकृजतक जशल्प वसु्त एवं गोिर – गौमूत्र से

    जनजमित जवद्यापीठम कायािलय

    पंचगव्य जवद्यापीठम प्राकृजतक सौर ऊिाि का

    उपयोग करता है

  • सूयि जवजकरण एवं कृजतम जवजकरण से मुि अंतिािलीय कायािलय

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में व्यवस्थापन

    सूयि जवजकरण एवं कृजतम जवजकरण से मुि अंतिािलीय कायािलय एवं 24 x 7 गौजचजकत्सा

    के जलए सहायता कें ि. 44 27 28 22 23

    सूयि जवजकरण एवं कृजतम जवजकरण से मुि

    अंतिािलीय संपकि कायािलय

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में वनस्पकत कवज्ञान

    प्राकृजतक औषधीय िूलो ंका छजतय

    िगीचा

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में साधना एवं ज्ञान

    प्राकृजतक वसु्तओ ंसे जनजमित जवशाल प्रार्िना गृह जिसकी क्षमता 150 जवद्याजर्ियो ं

    के जलए है

    भारत की 11 भाषावो ंमे जनमािणशील

    पुस्तकालय िो 2500 वगि िीट में है िो पूरी

    तरह से काष्ट (लकड़ी) से जनजमित है

  • जनमािणशील पंचगव्य एवं आयुवेि अनुसंधान कें ि तर्ा िालक एवं िाजलकाओ ंके जनवास, जशक्षा एवं

    प्रजशक्षण की अलग – अलग व्यवस्र्ा.

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में कनमावर्िील

    जनमािणशील सामूजहक रसोई घर

    जनमािणशील पंचगव्य एवं आयुवेि

    अनुसन्धान कक्ष

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में कृकष कमव

    िैजवक कृजष उत्पािन के्षत्र िहां धान, िलहन और जतलहन की िैजवक एवं पारंपररक खेती होती है

    सभी प्रकार की हरी सब्जी का पंचगव्य आधाररत

    िैजवक िाड़ी

    लगभग 50 से अजधक प्रकार के भारतीय िलो ंका िैजवक

    उद्यान िल का िाग़

  • काष्ट (लकड़ी) जशल्पकला से जनजमित संगीतशाला िहां

    भारतीय शास्त्रीय एवं पारंपररक संगीत का अभ्यास

    कराया िायेगा

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    में कला एवं संगीत

    प्राकृजतक जशल्पकला से जनजमित नृत्यशाला िहां

    भरतनाट्यम, कुजचपुड़ी आजि भारतीय शास्त्रीय एवं

    पारंपररक नृत्य – युद्धकला का अभ्यास कराया िायेगा

    संगीतशाला नृत्यशाला

  • पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी)

    भकवष्य की ययजना ?

    पंचगव्य गुरूकुलम भारत के उज्जवल भजवष्य के जलए भारत में जशक्षा को लेकर गुरुकुलीय परंपरा स्र्ाजपत करने की जिशा में कायि कर रहा है. वषि 2025 से भारत

    के 23 प्रिेशो ंमें ऐसा ही गुरुकुल स्र्ाजपत हो इस जिशा में कायि चल रहा है.

    भारत के सभी जिलो ंमें पंचगव्य आधाररत उच् कोजट का जचजकत्सालय स्र्ाजपत

    जकया िा रहा है.

    1) अत: प्रर्म समूह में नामांजकत सभी जशष्य उन 23 गुरूकुलम के सञ्चालन के जलए

    तैयार होगें.

    2) कुछ भारत में पंचगव्य जचजकत्सा के के्षत्र में अलौजकक कायि करें गे.

    3) कुछ पंचगव्य, आयुवेि, जसद्धा आजि भारतीय पौराजणक तकनीकी ज्ञान के प्रचार -

    प्रसार जलए प्रविा के रूप में स्र्ाजपत होगें.

  • ग्राम : कल्लिपट्टू, पुतागरम पंचायत, कांचीपुरम जिला, तजमलनाडु - 631 651.

    Website : www.panchvidya.org, email: [email protected], Ph: 44 27 28 22 00

    पंचगव्य गुरूकुलम (पंजी.)

    वैजिक ज्ञान के उपयोग को समजपित पाठशाला

    श्री गणपती मंजिर श्री कोलकी अम्मन मंजिर

    पंचगव्य जवद्यापीठम् का भव्य सुन्दर जिष्य