केंद्रीम विद्मारम गठन · न े क श्री द /िी...

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1 क ीम विमारम-सॊगठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN देहयाद न-सॊबाग DEHRADUN REGION अममन-साभी STUDY MATERIAL का: 12 CLASS: 12 हॊदी(क हक) HINDI (CORE) 2012-13

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    कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN

    देहयादनू-सॊबाग

    DEHRADUN REGION

    अध्ममन-साभग्री STUDY MATERIAL

    कऺा: 12

    CLASS: 12

    हहॊदी(कें हद्रक) HINDI (CORE)

    2012-13

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    कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन

    देहयादनू-सॊबाग

    अध्ममन-साभग्री कऺा-12, हहॊदी(कें हद्रक)

    2012-13

    भुख्म सॊयऺक: श्री अविनाश दीक्षऺत, आमुक्त, कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन, नई हदल्री सॊयऺक : श्री नयेन्द्द्र ससॊह याणा, उऩामुक्त, कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन,देहयादनू-सॊबाग सराहकाय : श्री सयदाय ससॊह चौहान,सहामक आमुक्त, कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन, देहयादनू-सॊबाग ननदेशक : श्री देिी प्रसाद भभगाईं,प्राचामय, कें द्रीम विद्मारम, क्रभाॊक-२ बा.स.वि. हाथीफडकरा, देहयादनू सह ननदेशक :श्रीभती बायती देिी याणा, प्राचामय, कें द्रीम विद्मारम, आइ.एभ.्ए.,देहयादनू

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    कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन, देहयादनू-सॊबाग

    अध्ममन-साभग्री: कऺा-12, हहॊदी(कें हद्रक) 2012-13 सॊयऺक

    श्री नयेन्द्द्र ससॊह याणा, उऩामुक्त, कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन, देहयादनू-सॊबाग सराहकाय

    श्री सयदाय ससॊह चौहान, सहामक आमुक्त, कें द्रीम विद्मारम-सॊगठन, देहयादनू-सॊबाग ननदेशक

    श्री देिी प्रसाद भभगाईं, प्राचामय, कें द्रीम विद्मारम, क्रभाॊक-२ बा.स.वि., हाथीफडकरा, देहयादनू

    सह ननदेशक श्रीभती बायती देिी याणा, प्राचामय, कें द्रीम विद्मारम, आइ.एभ.्ए.,देहयादनू

    सभन्द्िमक श्री अशोक कुभाय िार्ष्णेम, उऩ प्राचामय, कें द्रीम विद्मारम, आइ.एभ.्ए.,देहयादनू

    साभग्री-विन्द्मास डॉ. नीरभ सयीन, स्नातकोत्तय सशक्षऺका,कें द्रीम विद्मारम, आमुध-ननभायणी, यामऩुय, देहयादनू डॉ. विजम याभ ऩाण्डमे, स्नातकोत्तय सशऺक,कें द्रीम विद्मारम, अऩयकैं ऩ, देहयादनू

    डॉ. सुयेन्द्द्र कुभाय शभाय,स्नातकोत्तय सशऺक,कें द्रीम विद्मारम, क्रभाॊक-२, बा.स.वि.,

    हाथीफडकरा, देहयादनू श्रीभती यजनी ससॊह,स्नातकोत्तय सशक्षऺका, कें द्रीमविद्मारम, आइ.एभ.्ए.,देहयादनू

    श्रीभती कभरा ननखऩुाय,स्नातकोत्तय सशक्षऺका, कें द्रीम विद्मारम, एप.आय.आई.,देहयादनू

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    हहन्द्दी (केन्द्न्द्द्रक) - ऩाठ्मक्रभ

    कोड सॊ. 302

    कऺा XII (फायहिीॊ )

    अऩहठत फोध (गद्माॊश औय कावमाॊश-फोध) 15+5=20 यचनात्भक-रेखन एिॊ जनसॊचाय भाध्मभ, असबवमन्द्क्त औय भाध्मभ (वप्रॊट भाध्मभ, सम्ऩादकीम, रयऩोटय,

    आरेख, पीचय-रेखन) 5+5+5+5+5= 25 ऩाठ्मऩुस्तक – आयोह बाग-२ (कावमाॊश-20 गद्माॊश-20) 40

    ऩूयक-ऩुस्तक वितान बाग-२ 15

    कुर अॊक 100

    (क) अऩठित फोध 20 प्रश्न 1-कावमाॊश फोध ऩय आधारयत ऩाॉच रघूत्तयात्भक प्रश्न 1*5= 5 प्रश्न 2-गद्माॊश फोध ऩय आधारयत फोध, प्रमोग, यचनान्द्तयण, शीर्यक आहद ऩय रघूत्तयात्भक प्रश्न 15

    (ख) यचनात्भक-रेखन एवॊ जनसॊचाय भाध्मभ 25 प्रश्न 3- ननफॊध (ककसी एक विर्म ऩय) 5 प्रश्न 4- कामायरम ऩत्र (विकल्ऩ सहहत) 5 प्रश्न 5-(अ) प्प्रॊट भाध्मभ, सम्ऩादकीम, रयऩोटट, आरेख आठद ऩय ऩाॉच अनत रघूत्तयात्भक प्रश्न 1*5=5 (आ) आरेख (ककसी एक विर्म ऩय) 5 प्रश्न 6- पीचय रेखन (जीिन-सन्द्दबों से जुडी घटनाओॊ औय न्द्स्थनतमों ऩय पीचय रेखन विकल्ऩ सहहत) 5

    (ग) आयोह बाग-२ (काव्म बाग औय गद्म बाग) (20+20) =40 प्रश्न 7- दो कावमाॊशों भें से ककसी एक ऩय अथय ग्रहण के ४ प्रश्न 8 प्रश्न 8- कावमाॊश के सौंदमय-फोध ऩय दो कावमाॊशों भें विकल्ऩ हदमा जाएगा तथा ककसी एक कावमाॊश के तीनों प्रश्नों के उत्तय देने होंगे | 6 प्रश्न 9- कविताओॊ की विर्मिस्तु से सॊफॊधधत तीन भें से दो रघूत्तयात्भक प्रश्न (3+3)= 6 प्रश्न 10- दो भें से ककसी एक गद्माॊश ऩय आधारयत अथय-ग्रहण के चाय प्रश्न (2+2+2+2) =8 प्रश्न 11- ऩाठों की विर्मिस्तु ऩय आधारयत ऩाॉच भें चाय फोधात्भक प्रश्न (3+3+3+3)=12 ऩूयक ऩुस्तक प्वतान बाग -२ 15 प्रश्न 12-ऩाठों की विर्मिस्तु ऩय आधारयत तीन भें से दो फोधात्भक प्रश्न (3+3)=6 प्रश्न 13-विचाय/सॊदेश ऩय आधारयत तीन भें से दो रघूत्तयात्भक प्रश्न (2+2)=4 प्रश्न 14- विर्मिस्तु ऩय आधारयत दो भें से एक ननफॊधात्भक प्रश्न 5 ननधाटरयत ऩुस्तकें (i) आयोह बाग-२ (एन.सी.ई.आय.टी. द्िाया प्रकासशत) (ii) वितान बाग-२ (एन.सी.ई.आय.टी. द्िाया प्रकासशत) (ii) असबवमन्द्क्त औय भाध्मभ (एन.सी.ई.आय.टी. द्िाया प्रकासशत)

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    अध्ममन-साभग्री

    ठहॊदी (कें ठिक) २०१२-१३ अऩठित:ननधाटरयत अॊक: २० (गद्म के लरए १५ तथा ऩद्म के लरए ५ अॊक ननधाटरयत हैं) अऩठित अॊश को हर कयने के लरए आवश्मक ननदेश :

    अऩठित अॊश भें २० अॊकों के प्रश्न ऩूछे जाएॉगे, जो गद्म औय ऩद्म दो रूऩों भें होंगे| मे प्रश्न एक मा दो अॊकों के होते हैं | उत्तय देते सभम ननम्न फातों को ध्मान भें यख कय उत्तय दीजजए –

    १. ठदए गए गद्माॊश अथवा ऩद्माॊश कोऩूछे गए प्रश्नों के साथ ध्मान ऩूवटक दो फाय ऩठिए | २. प्रश्नों के उत्तय देने के लरए सफसे ऩहरे सयरतभ प्रश्न का उत्तय दीजजए औय लभरने ऩय

    उसको येखाॊककत कय प्रश्न सॊख्मा लरख दीजजए, कपय सयरतभ से सयरतय को क्रभ से छाॉट कय येखाॊककत कय प्रश्न सॊख्मा लरखते जाएॉ |

    ३. उत्तय की बाषा आऩकी अऩनी बाषा होनी चाठहए | ४. गद्माॊश भें व्माकयण से तथा काव्माॊश भें सौंदमट-फोध से सॊफॊधधत प्रश्नों को बी ऩूछा

    जाता है, इसलरए व्माकयण औय काव्माॊग की साभान्म जानकायी को अद्मतन यखें | ५. उत्तय को अधधक प्वस्ताय न देकय सॊऺेऩ भें लरखें| ६. ऩूछे गए अॊश के कथ्म भें जजस तथ्म को फाय-फाय उिामा गमा है, उसी के आधाय ऩय

    शीषटक लरखें | शीषटक एक मा दो शब्दों का होना चाठहए | १. अऩठित गद्माॊश का नभूना- ननधाटरयत अॊक: १५

    भैं न्द्जस सभाज की कल्ऩना कयता हूॉ, उसभें गहृस्थ सॊन्द्मासी औय सॊन्द्मासी गहृस्थ होंगे अथायत सॊन्द्मास औय गहृस्थ के फीच िह दयूी नहीॊ यहेगी जो ऩयॊऩया से चरती आ यही है| सॊन्द्मासी उत्तभ कोहट का भनुर्ष्म होता है, क्मोंकक उसभें सॊचम की िनृ्द्त्त नहीॊ होती, रोब औय स्िाथय नहीॊ होता | मही गुण गहृस्थ भें बी होना चाहहए | सॊन्द्मासी बी िही शे्रर्ष्ठ है जो सभाज के सरए कुछ काभ कये| ऻान औय कभय को सबन्द्न कयोगे तो सभाज भें विर्भता उत्ऩन्द्न होगी ही |भुख भें कविता औय कयघे ऩय हाथ, मह आदशय भुझ ेऩसॊद था |इसी की सशऺा भैं दसूयों को बी देता हूॉ औय तुभने सुना है मा नहीॊ की नानक ने एक अभीय रडके के हाथ से ऩानी ऩीना अस्िीकाय कय हदमा था | रोगों ने कहा –“गुरु जी मह रड़का तो अत्मॊत सॊभ्ाॊत कुर का है, इसके हाथ का ऩानी ऩीन ेभें क्मा दोर् है ?” नानक फोरे-“तरहत्थी भें भेहनत के ननशाननहीॊ हैं | न्द्जसके हाथ भें भेहनत के ठेरे ऩड़ ेनहीॊ होते उसके हाथ का ऩानी ऩीने भें भैं दोर् भानता हूॉ |” नानक ठीक थे | शे्रर्ष्ठ सभाज िह है, न्द्जसके सदस्म जी खोरकय भेहनत कयते हैं औय तफ बी जरूयत से ज्मादा धन ऩय अधधकाय जभाने की उनकी इच्छा नहीॊ होती | प्रश्नों का नभूना-

    (क) ‘गहृस्थ सॊन्द्मासी औय सॊन्द्मासी गहृस्थ होंगे’ से रेखक का क्मा आशम है? २ (ख) सॊन्द्मासी को उत्तभ कोहट का भनुर्ष्म कहा गमा है, क्मों ? १

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    (ग) शे्रर्ष्ठ सभाज के क्मा रऺण फताए गए हैं? १ (घ) नानक ने अभीय रड़के के हाथ से ऩानी ऩीना क्मों अस्िीकाय ककमा ? २ (ङ) ‘भुख भें कविता औय कयघे ऩय हाथ’- मह उन्द्क्त ककसके सरए प्रमोग की गई है औय

    क्मों ? २ (च) शे्रर्ष्ठ सॊन्द्मासी के क्मा गुण फताए गए हैं ?१ (छ) सभाज भें विर्भता से आऩ क्मा सभझते हैं औय मह कफ उत्ऩन्द्न होती है ? २ (ज) सॊन्द्मासी शब्द का सॊधध-विच्छेद कीन्द्जए | १ (झ) विर्भता शब्द का विरोभ सरख कय उसभें प्रमुक्त प्रत्मम अरग कीन्द्जए | २ (ञ) गद्माॊश का उऩमुक्त शीर्यक दीन्द्जए | १

    उत्तय – (क) गहृस्थ जन सॊन्द्माससमों की बाॉनत धन-सॊग्रह औय भोह से भुक्त यहें तथा सॊन्द्मासी जन

    गहृस्थों की बाॉनत साभान्द्जक कभों भें सहमोग कयें, ननठल्रे न यहें | (ख) सॊन्द्मासी रोब, स्िाथय औय सॊचम से अरग यहता है | (ग) शे्रर्ष्ठ सभाज के सदस्म बयऩूय ऩरयश्रभ कयते हैं तथा आिश्मकता से अधधक धन ऩय

    अऩना अधधकाय नहीॊ जभाते | (घ) अभीय रड़के के हाथों भें भेहनतकश के हाथों की तयह भेहनत कयने के ननशान नहीॊ

    थे औय नानक भेहनत कयना अननिामय भानते थे | (ङ) ”भुख भें कविता औय कयघे भें हाथ’ कफीय के सरए कहा गमा है | क्मोंकक उसके घय

    भें जुराहे का कामय होता था औय कविता कयना उनका स्िबाि था | (च) शे्रर्ष्ठ सॊन्द्मासी सभाज के सरए बी कामय कयता है | (छ) सभाज भें जफ ऻान औय कभय को सबन्द्न भानकय आचयण ककए जाते हैं तफ उस

    सभाज भें विर्भता भान री जाती है |ऻान औय कभय को अरग कयने ऩय ही सभाज भें विर्भता पैरती है |

    (ज) सभ ्+ न्द्मासी (झ) विर्भता – सभता, ‘ता’ प्रत्मम (ञ) सॊन्द्मास-गहृस्थ

    २. अऩठित काव्माॊश का नभूना- ननधाटरयत अॊक: ५ तुभ बायत, हभ बायतीम हैं, तुभ भाता, हभ फेटे, ककसकी हहम्भत है कक तुम्हें दरु्ष्टता-दृन्द्र्ष्ट से देखे | ओ भाता, तुभ एक अयफ से अधधक बुजाओॊ िारी, सफकी यऺा भें तुभ सऺभ, हो अदम्म फरशारी |

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    बार्ा, िेश, प्रदेश सबन्द्न हैं, कपय बी बाई-बाई, बायत की साझी सॊस्कृनत भें ऩरते बायतिासी | सुहदनों भें हभ एक साथ हॉसते, गाते, सोते हैं, दहुदयन भें बी साथ-साथ जागते, ऩौरुर् धोते हैं | तुभ हो शस्म-श्माभरा, खेतों भें तुभ रहयाती हो, प्रकृनत प्राणभमी, साभ-गानभमी, तुभ न ककसे बाती हो | तुभ न अगय होती तो धयती िसुधा क्मों कहराती ? गॊगा कहाॉ फहा कयती, गीता क्मों गाई जाती ?

    प्रश्न नभूना: (क) साझी सॊस्कृनत का क्मा बाि है ? १ (ख) बायत को अदम्म फरशारी क्मों कहा गमा है ? १ (ग) सुख-दु् ख के हदनों भें बायतीमों का ऩयस्ऩय सहमोग कैसा होता है ? १ (घ) साभ-गानभमी का क्मा तात्ऩमय है ? १ (ङ) ‘ओ भाता, तुभ एक अयफ से अधधक बुजाओॊ िारी’ भें कौन-सा अरॊकाय

    है?१

    उत्तय – (क) बार्ा, िेश, प्रदेश सबन्द्न होते हुए बी सबी के सुख-दु् ख एक हैं | (ख) बायत की एक अयफ से अधधक जनता अऩनी भजफूत बुजाओॊ से सफकी सुयऺा कयने

    भें सभथय है | (ग) बायतीमों का वमिहाय आऩसी सहमोग औय अऩनेऩन से बया है सफ सॊग-सॊग हॉसते-

    गाते हैं औय सॊग-सॊग कहठनाइमों से जूझते हैं | (घ) सुभधयु सॊगीत से मुक्त | (ङ) रूऩक |

    ३. ननफॊध-रेखन - ननधाटरयत अॊक: ५

    ननफॊध-रेखन कयते सभम छात्रोंको ननम्न फातें ध्मान भें यखनी चाहहए – हदए गए विर्म की एक रूऩयेखा फना रें | रूऩयेखा-रेखन के सभम ऩूिायऩय सॊफॊध के ननमभ का ननिायह ककमा जाए | ऩूिायऩय

    सॊफॊध के ननिायह का अथय है कक ऊऩय की फात उसके ठीक नीच ेकी फात से जुड़ी होनी चाहहए, न्द्जससे विर्म का क्रभ फना यहे |

    ऩुनयािनृ्द्त्त दोर् न आए | बार्ा सयर, सहज औय फोधगम्म हो | ननफॊध का प्रायम्ब ककसी कहाित, उन्द्क्त, सून्द्क्त आहद से ककमा जाए |

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    विर्म को प्राभाणणक फनाने के उदे्दश्म से हहन्द्दी, सॊस्कृत, अॊगे्रजी,उदूय की सून्द्क्तमाॉएिॊ उद्धयण बी फीच-फीच भें देते यहना चाहहए |

    बूसभका/प्रस्तािना भें विर्म का साभान्द्म ऩरयचम तथा उऩसॊहाय भें विर्म का ननर्ष्कर्य होना चाहहए |

    ननफॊध हेतु नभूना रूऩयेखा : प्वऻान ; वयदान मा अलबशाऩ

    १. बूसभका/ प्रस्तािना २. विऻान का अथय ३. विऻान ियदान है –

    सशऺा के ऺेत्र भें धचककत्सा के ऺेत्र भें भनोयॊजन के ऺेत्र भें कृवर् के ऺेत्र भें मातामात के ऺेत्र भें

    ४. विऻान असबशाऩ है – सशऺा के ऺेत्र भें धचककत्सा के ऺेत्र भें भनोयॊजन के ऺेत्र भें कृवर् के ऺेत्र भें मातामात के ऺेत्र भें

    ५. विऻान के प्रनत हभाये उत्तयदानमत्ि ६. उऩसॊहाय

    प्वशषे: उक्त रूऩयेखा को आवश्मकता के अनुरूऩ प्वलबन्न ऺेत्रों को जोड़कय फिामा जा सकता है |

    अभ्मास हेतु ननफॊध-

    १. भहानगयीम जीिन: असबशाऩ मा ियदान २. आधनुनक सशऺा-ऩद्धनत: गुण ि दोर् ३. विऻान ि करा ४. फदरते जीिन भूल्म ५. नई सदी: नमा सभाज ६. काभकाजी भहहराओॊ की सभस्माएॉ/ देश की प्रगनत भें भहहराओॊ का मोगदान

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    ७.यार्ष्र-ननभायण भें मुिा ऩीढ़ी का मोगदान ८. इॊटयनेट की दनुनमाॉ ९. ऩयाधीन सऩनेहुॉ सुख नाहीॊ १०. रोकतॊत्र भें भीडडमा की बूसभका ११. प्रगनत के ऩथ ऩय बायत १२. जन आॊदोरन औय सयकाय १३. भ्रष्टाचाय: सभस्मा औय सभाधान १४. भहॉगाई की भाय १५. खेर-कूद भें उतयता बायत/ ऑरॊप्ऩक २०१२

    ४. ऩत्र-रेखन-ननधाटरयत अॊक: ५ विचायों, बािों, सॊदेशों एिॊ सूचनाओॊ के सॊप्रेर्ण के सरए ऩत्र सहज, सयर तथा ऩायॊऩरयक भाध्मभ है। ऩत्र अनेक प्रकाय के हो सकते हैं, ऩय प्राम: ऩयीऺाओॊ भें सशकामती-ऩत्र, आिेदन-ऩत्र तथा सॊऩादक के नाभ ऩत्र ऩूछे जाते हैं। इन ऩत्रों को सरखते सभम ननम्न फातों का ध्मान यखा जाना चाहहए:

    ऩत्र-रेखन के अॊग:- १. ऩता औय ठदनाॊक- ऩत्र के ऊऩय फाईं ओय प्रेर्क का ऩता ि हदनाॊक सरखा जाता है

    (छात्र ऩते के सरए ऩयीऺा-बिन ही सरखें) २. सॊफोधन औय ऩता– न्द्जसको ऩत्र सरखा जायहा है उसको मथानुरूऩ सॊफोधधत ककमा

    जाता है, औऩचारयक ऩत्रों भें ऩद-नाभ औय कामायरमी ऩता यहता है | ३. प्वषम – केिर औऩचारयक ऩत्रों भें प्रमोग कयें (ऩत्र के कथ्म का सॊक्षऺप्त रूऩ, न्द्जसे

    ऩढ़ कय ऩत्र की साभग्री का सॊकेत सभर जाता है ) ४. ऩत्र की साभग्री – मह ऩत्र का भूर विर्म है, इस ेसॊऺेऩ भें सायगसबयत औय विर्म के

    स्ऩर्ष्टीकयण के साथ सरखा जाए | ५. ऩत्र की सभाजतत – इसभें धन्द्मिाद, आबाय सहहत अथिा साबाय जैसे शब्द सरख कय

    रेखक अऩने हस्ताऺय औय नाभ सरखता है | ध्मान दें, छात्र ऩत्र भें कहीॊ अऩना असबऻान (नाभ-ऩता) न दें | औऩचारयक ऩत्रों भें विर्मानुरूऩ ही अऩनी फात कहें | द्वि-अथयक औय फोणझर शब्दािरी से फचें |

    ६. बार्ा शुद्ध, सयर, स्ऩर्ष्ट, विर्मानुरूऩ तथा प्रबािकायी होनी चाहहए। ऩत्र का नभूना : अस्ऩतार के प्रफॊधन ऩय सॊतोर् वमक्त कयते हुए धचककत्सा-अधीऺक को ऩत्र सरणखए | ऩयीऺा-बवन,

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    ठदनाॊक: ----- भानाथट धचककत्सा-अधीऺक, कोयोनेशन अस्ऩतार, देहयादनू | प्वषम : अस्ऩतार के प्रफॊधन ऩय सॊतोष व्मक्त कयने के सॊदबट भें - भान्मवय, इस ऩत्र के भाध्मभ से भैं आऩके धचककत्सारम के सुप्रफॊधन से प्रबाप्वत हो कय आऩको धन्मवाद दे यहा हूॉ | गत सतताह भेये प्ऩता जी रृदम-आघात स े ऩीड़ड़त होकय आऩके महाॉ दाखखर हुए थे | आऩके धचककत्सकों औय सहमोगी स्टाप ने जजस तत्ऩयता, कतटव्मननष्िा औय ईभानदायी से उनकी देखबार तथा धचककत्सा की उससे हभ सबी ऩरयवायी जन सॊतुष्ट हैं | हभाया प्वश्वास फिा है | आऩके धचककत्सारम का अनुशासन प्रशॊसनीम है | आशा है जफ हभ ऩुनऩटयीऺण हेतु आएॉगे, तफ बी वैसी ही सुव्मवस्था लभरेगी | साबाय ! बवदीम क ख ग अभ्मासाथट प्रश्न:-

    १. ककसी दैननक सभाचाय-ऩत्र के सॊऩादक के नाभ ऩत्र सरणखए न्द्जसभें िृऺ ों की कटाई को योकने के सरए सयकाय का ध्मान आकवर्यत ककमा गमा हो।

    २. हहॊसा-प्रधान किल्भों को देख कय फारिगय ऩय ऩड़ने िारे दरु्ष्प्रबाि का िणयन कयते हुए ककसी दैननक ऩत्र के सॊऩादक के नाभ ऩत्र सरणखए।

    ३. अननमसभत डाक-वितयण की सशकामत कयते हुए ऩोस्टभास्टय को ऩत्र सरणखए। ४. सरवऩक ऩद हेतु विद्मारम के प्राचामय को आिेदन-ऩत्र सरणखए। ५. अऩने ऺेत्र भें बफजरी-सॊकट से उत्ऩन्द्न कहठनाइमों का िणयन कयते हुए अधधशासी असबमन्द्ता विद्मुत-फोडय को ऩत्र सरणखए। ७. दैननक ऩत्र के सॊऩादक को ऩत्र सरणखए, न्द्जसभें हहॊदी बार्ा की द्वि-रूऩता को

    सभाप्त कयने के सुझाि हदए गए हों |

    ५. (क) अलबव्मजक्तऔयभाध्मभ: (एक-एक अॊक के ५ प्रश्न ऩूछे जाएॉगे तथा उत्तय सॊऺेऩ भें ठदए जाएॉगे )

    उत्तभ अॊक प्रातत कयने के लरए ध्मान देने मोग्म फातें- १. अलबव्मजक्त औय भाध्मभ से सॊफॊधधत प्रश्न प्वशेष रूऩ से तथ्मऩयक होते हैं अत: उत्तय

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    लरखते सभम सही तथ्मों को ध्मान भें यखें। २. उत्तय बफॊदवुाय लरखें, भुख्म बफॊद ुको सफसे ऩहरे लरख दें । ३. शुद्ध वतटनी का ध्मान यखें । ४. रेख साफ़-सुथया एवभ ऩिनीम हो । ५. उत्तय भें अनावश्मक फातें न लरखें । ६. ननफॊधात्भक प्रश्नों भें क्रभफद्धता तथा प्वषम के ऩूवाटऩय सॊफॊध का ध्मान यखें, तथ्मों

    तथा प्वचायों की ऩुनयावजृत्त न कयें। जनसॊचायभाध्मभ

    १. सॊचाय ककसे कहते हैं ? ‘सॊचाय’ शब्द चय ्धातु के साथ सभ ्उऩसगय जोड़ने से फना है- इसका अथय है चरना मा एक स्थान से दसूये स्थान तक ऩहुॉचना |सॊचाय सॊदेशों का आदान-प्रदान है | सूचनाओॊ, प्वचायों औय बावनाओॊ का लरखखत, भौखखक मा दृश्म-श्रव्म भाध्मभों के जरयमे सफ़रता ऩूवटक आदान-प्रदान कयना मा एक जगह से दसूयी जगह ऩहुॉचाना सॊचाय है।

    २. “सॊचाय अनुबवों की साझेदायी है”- ककसने कहा है ? प्रससद्ध सॊचाय शास्त्री विल्फय शे्रभ ने |

    ३. सॊचाय भाध्मभ से आऩ क्मा सभझते हैं ? सॊचाय-प्रकक्रमा को सॊऩन्द्न कयने भें सहमोगी तयीके तथा उऩकयण सॊचाय के भाध्मभ कहराते हैं।

    ४. सॊचाय के भूर तत्त्व लरखखए | सॊचायक मा स्रोत एन्द्कोडड ॊग (कूटीकयण ) सॊदेश ( न्द्जसे सॊचायक प्राप्तकताय तक ऩहुॉचाना चाहता है) भाध्मभ (सॊदेश को प्राप्तकताय तक ऩहुॉचाने िारा भाध्मभ होता है जैसे- ध्िनन-

    तयॊगें, िाम-ुतयॊगें, टेरीपोन, सभाचायऩत्र, येडडमो, टी िी आहद) प्राप्तकत्ताय (डीकोडड ॊग कय सॊदेश को प्राप्त कयने िारा) पीडफैक (सॊचाय प्रकक्रमा भें प्राप्तकत्ताय की प्रनतकक्रमा) शोय (सॊचाय प्रकक्रमा भें आने िारी फाधा)

    ५. सॊचायकेप्रभुखप्रकायोंकाउल्रेखकीजजए ? साॊकेनतकसॊचाय भौणखकसॊचाय अभौणखक सॊचाय अॊत:िैमन्द्क्तकसॊचाय अॊतयिैमन्द्क्तकसॊचाय सभूहसॊचाय

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    जनसॊचाय ६. जनसॊचायसेआऩक्मासभझतेहैं ?

    प्रत्मऺ सॊिाद के फजाम ककसी तकनीकी मा माॊबत्रक भाध्मभ के द्िाया सभाज के एकविशार िगयसे सॊिाद कामभ कयना जनसॊचाय कहराता है।

    ७. जनसॊचाय के प्रभुख भाध्मभों का उल्रेख कीजजए | अखफाय, येडडमो, टीिी, इॊटयनेट, ससनेभा आहद.

    ८. जनसॊचाय की प्रभुखप्वशषेताएॉ लरखखए | इसभें िीडफैक तुयॊत प्राप्त नहीॊ होता। इसके सॊदेशों की प्रकृनत साियजननक होती है। सॊचायक औय प्राप्तकत्ताय के फीच कोई सीधा सॊफॊध नहीॊ होता। जनसॊचाय के सरए एक औऩचारयक सॊगठन की आिश्मकता होती है। इसभेंढेय साये द्िायऩार काभ कयते हैं।

    ९. जनसॊचाय के प्रभुख कामट कौन-कौनसेहैं ? सूचना देना सशक्षऺत कयना भनोयॊजन कयना ननगयानी कयना एजेंडा तम कयना विचाय-विभशय के सरए भॊच उऩरब्ध कयाना

    १०. राइव से क्मा अलबप्राम है ? ककसी घटना का घटना-स्थर से सीधा प्रसायण राइि कहराता है |

    ११. बायत का ऩहरा सभाचाय वाचक ककसे भाना जाता है ? देिवर्य नायद

    १२. जन सॊचाय का सफसे ऩहरा भहत्त्वऩूणट तथा सवाटधधक प्वस्ततृ भाध्मभ कौन सा था ? सभाचाय-ऩत्र औय ऩबत्रका

    १३. प्प्र ॊट भीड़िमा के प्रभुख तीन ऩहरू कौन-कौन से हैं ? सभाचायों को सॊकसरत कयना सॊऩादन कयना भुद्रण तथा प्रसायण

    १४. सभाचायों को सॊकलरत कयने का कामट कौन कयता है ? सॊिाददाता

    १५. बायत भें ऩत्रकारयता की शुरुआत कफ औय ककससे हुई ? बायत भें ऩत्रकारयता की शुरुआत सन १७८० भें जेम्स आगस्ट ठहकी के फॊगार गजट से हुई जो करकत्ता से ननकरा था |

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    १६. ठहॊदी का ऩहरा सातताठहक ऩत्र ककसे भाना जाता है ? हहॊदी का ऩहरा साप्ताहहक ऩत्र ‘उदॊत भातडं’ को भाना जाता है जो करकत्ता से ऩॊडडत जुगर ककशोय शुक्र के सॊऩादन भें ननकरा था |

    १७. आजादी से ऩूवट कौन-कौन प्रभुख ऩत्रकाय हुए? भहात्भा गाॊधी , रोकभान्द्म नतरक, भदन भोहन भारिीम, गणेश शॊकय विद्माथी , भाखनरार चतुिेदी, भहािीय प्रसाद द्वििेदी , प्रताऩ नायामण सभश्र, फार भुकुॊ द गुप्त आहद हुए |

    १८. आजादी से ऩूवट के प्रभुख सभाचाय-ऩत्रों औय ऩबत्रकाओॊ के नाभ लरखखए | केसयी, हहन्द्दसु्तान, सयस्िती, हॊस, कभयिीय, आज, प्रताऩ, प्रदीऩ, विशार बायत आहद |

    १९. आजादी के फाद की प्रभुख ऩत्र-ऩबत्रकाओॊ तथा ऩत्रकायों के नाभ लरखए | प्रभुख ऩत्र ---- नि बायत टाइम्स, जनसत्ता, नई दनुनमा, हहन्द्दसु्तान, अभय उजारा, दैननक बास्कय, दैननक जागयण आहद | प्रभुख ऩबत्रकाएॉ – धभयमुग, साप्ताहहक हहन्द्दसु्तान, हदनभान , यवििाय , इॊडडमा टुड,े आउट रुक आहद | प्रभुख ऩत्रकाय- अऻेम, यघुिीय सहाम, धभयिीय बायती, भनोहयश्माभ जोशी, याजेन्द्द्र भाथयु, प्रबार् जोशी आहद ।

    अन्म भहत्त्वऩूणट प्रश्न: १. जनसॊचाय औय सभूह सॊचाय का अॊतय स्ऩर्ष्ट कीन्द्जए ? २. कूटिाचन से आऩ क्मा सभझते हैं ? ३. कूटीकयण ककसे कहते हैं? ४. सॊचायक की बूसभका ऩय प्रकाश डासरए । ५. पीडफैक से आऩ क्मा सभझते हैं ? ६. शोय से क्मा तात्ऩमय है ? ७. औऩचारयक सॊगठन से आऩ क्मा सभझते हैं ? ८. सनसनीखेज सभाचायों से सम्फॊधधत ऩत्रकारयता को क्मा कहते हैं? ९. कोई घटना सभाचाय कैसे फनती है ? १०. सॊऩादकीम ऩरृ्ष्ठ से आऩ क्मा सभझते हैं ? ११. भीडडमा की बार्ा भें द्िायऩार ककसे कहते हैं ? ऩत्रकारयता के प्वप्वध आमाभ

    १. ऩत्रकारयताक्माहै ? ऐसी सूचनाओॊ का सॊकरन एिॊ सॊऩादन कय आभ ऩाठकों तक ऩहुॉचाना, न्द्जनभें अधधक से अधधक रोगों की रुधच हो तथा जो अधधक से अधधक रोगों को प्रबावित कयती हों, ऩत्रकारयताकहराता है।(देश-प्वदेश भें घटने वारी घटनाओॊ की सूचनाओॊ को सॊकलरत एवॊ सॊऩाठदत कय सभाचाय के रूऩ भें ऩािकों तक ऩहुॉचाने की कक्रमा/प्वधा को ऩत्रकारयता कहते

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    हैं) २. ऩत्रकायीम रेखन तथा साठहजत्मक सजृनात्भक रेखन भें क्मा अॊतय है ?

    ऩत्रकायीम रेखन का प्रभुख उदे्दश्म सूचना प्रदान कयना होता है, इसभें तथ्मों की प्रधानता होती है, जफकक साहहन्द्त्मक सजृनात्भक रेखन बाि, कल्ऩना एिॊ सौंदमय-प्रधान होता है।

    ३. ऩत्रकारयता के प्रभुख आमाभ कौन-कौन से हैं ? सॊऩादकीम, िोटो ऩत्रकारयता, काटूयन कोना , येखाॊकन औय काटोग्राि |

    ४. सभाचायककसेकहतेहैं ? सभाचाय ककसी बी ऐसी ताजा घटना, विचाय मा सभस्मा की रयऩोटय है,न्द्जसभें अधधक से अधधक रोगों की रुधच हो औय न्द्जसका अधधक से अधधक रोगों ऩय प्रबाि ऩड़ता हो ।

    ५. सभाचायके तत्त्वों को लरखखए | ऩत्रकारयता की दृन्द्र्ष्ट से ककसी बी घटना, सभस्मा ि विचाय को सभाचाय का रूऩ धायण कयने के सरए उसभें ननम्न तत्त्िों भें से अधधकाॊश मा सबी का होना आिश्मक होता है- नवीनता, ननकटता, प्रबाव, जनरुधच, सॊघषट, भहत्त्वऩूणट रोग, उऩमोगी जानकारयमाॉ, अनोखाऩन आहद ।

    ६. ििेराइनसेआऩक्मासभझतहेैं ? सभाचाय भाध्मभों के सरए सभाचायों को किय कयने के सरए ननधायरयत सभम-सीभा कोडडेराइनकहते हैं।

    ७. सॊऩादन से क्मा अलबप्राम है ? प्रकाशन के सरए प्राप्त सभाचाय-साभग्री से उसकी अशुवद्धमों को दयू कयके ऩठनीम तथा प्रकाशन मोग्म फनाना सॊऩादन कहराता है।

    ८. सॊऩादकीमक्माहै ? सॊऩादक द्िाया ककसी प्रभुख घटना मा सभस्मा ऩय सरखे गए विचायात्भक रेख को, न्द्जसे सॊफॊधधत सभाचायऩत्र की याम बी कहा जाता है, सॊऩादकीम कहते हैं।सॊऩादकीम ककसी एक वमन्द्क्त का विचाय मा याम न होकय सभग्र ऩत्र-सभूह की याम होता है, इससरए सॊऩादकीम भें सॊऩादक अथिा रेखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता ।

    ९. ऩत्रकारयता के प्रभुखप्रकायलरखखए | खोजी ऩत्रकारयता विशरे्ीकृत ऩत्रकारयता िॉचडॉग ऩत्रकारयता एडिोकेसी ऩत्रकारयता- ऩीतऩत्रकारयता ऩेज थ्री ऩत्रकारयता

    १०. खोजी ऩत्रकारयता क्माहै ? न्द्जसभेंआभ तौय ऩय साियजननक भहत्त्ि के भाभरों,जैस-ेभ्र्ष्टाचाय, अननमसभतताओॊ

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    औय गड़फडड़मों की गहयाई से छानफीन कय साभने राने की कोसशश की जाती है। न्द्स्टॊग ऑऩयेशन खोजी ऩत्रकारयता का ही एक नमा रूऩ है।

    ११. वॉचिॉगऩत्रकारयता से आऩ क्मा सभझते हैं ? रोकतॊत्र भें ऩत्रकारयता औय सभाचाय भीडडमा का भुख्म उत्तयदानमत्ि सयकाय के काभकाज ऩय ननगाह यखना है औय कोई गड़फड़ी होने ऩय उसका ऩयदािाश कयना होता है, ऩयॊऩयागत रूऩ से इसे िॉचडॉग ऩत्रकारयता कहते हैं।

    १२. एिवोकेसी ऩत्रकारयता ककसेकहतेहैं ? इसे ऩऺधय ऩत्रकारयता बी कहते हैं। ककसी खास भुदे्द मा विचायधाया के ऩऺ भें जनभत फनाने केसरए रगाताय असबमान चराने िारी ऩत्रकारयता को एडिोकेसी ऩत्रकारयता कहते हैं।

    १३. ऩीतऩत्रकारयतासेआऩक्मासभझतेहैं ? ऩाठकों को रुबाने के सरए झूठी अििाहों, आयोऩों-प्रत्मायोऩों, प्रेभसॊफॊधों आहद से सॊफॊधधत सनसनीखेज सभाचायों से सॊफॊधधत ऩत्रकारयता को ऩीतऩत्रकारयता कहत ेहैं।

    १४. ऩेज थ्री ऩत्रकारयता ककसेकहतेहैं ? ऐसी ऩत्रकारयता न्द्जसभें िैशन, अभीयों की ऩाहटयमों , भहकिरों औय जानेभाने रोगों के ननजी जीिन के फाये भें फतामा जाता है।

    १५. ऩत्रकारयता के प्वकास भें कौन-सा भूर बाव सकक्रम यहता है? न्द्जऻासा का

    १६. प्वशषेीकृत ऩत्रकारयता क्मा है ? ककसी विशरे् ऺेत्र की विशरे् जानकायी देते हुए उसका विश्रेर्ण कयना विशरे्ीकृत ऩत्रकारयता है |

    १७. वैकजल्ऩक ऩत्रकारयता ककसे कहते हैं ? भुख्म धाया के भीडडमा के विऩयीत जो भीडडमा स्थावऩत वमिस्था के विकल्ऩ को साभने राकय उसके अनुकूर सोच को असबवमक्त कयता है उस े िकैन्द्ल्ऩक ऩत्रकारयता कहा जाता है ।आभ तौय ऩय इस तयह के भीडडमा को सयकाय औय फड़ीऩूॉजी का सभथयन प्राप्त नहीॊ होता औय न ही उसे फड़ी कॊ ऩननमों के विऻाऩन सभरते हैं ।

    १८. विशरे्ीकृत ऩत्रकारयता के प्रभुख ऺेत्रों का उल्रेख कीन्द्जए | सॊसदीम ऩत्रकारयता न्द्मामारम ऩत्रकारयता आधथयक ऩत्रकारयता खेर ऩत्रकारयता विऻान औय विकास ऩत्रकारयता

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    अऩयाध ऩत्रकारयता पैशन औय कपल्भ ऩत्रकारयता

    अन्म भहत्त्वऩूणट प्रश्न : १. ऩत्रकारयता के विकास भें कौन-सा भूर बाि सकक्रम यहता है ? २. कोई घटना सभाचाय कैसे फनती है ? ३. सूचनाओॊ का सॊकरन, सॊऩादन कय ऩाठकों तक ऩहुॉचाने की कक्रमा को क्मा कहते हैं ? ४. सम्ऩादकीम भें सम्ऩादक का नाभ क्मों नहीॊ सरखा जाता ? ५. ननम्न के फाये भें सरणखए –

    (क) डडे राइन (ख) फ्रैश/ब्रेककॊ ग न्द्मूज (ग) गाइड राइन (घ) रीड

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    प्वलबन्न भाध्मभों के लरए रेखन प्प्रॊट भाध्मभ (भुठित भाध्मभ)-

    १. प्प्रॊट भीड़िमा से क्मा आशम है ? छऩाई िारे सॊचाय भाध्मभ को वप्रॊट भीडडमा कहते हैं | इसे भुिण-भाध्मभ बी कहा जाता है | सभाचाय-ऩत्र ,ऩबत्रकाएॉ, ऩुस्तकें आहद इसके प्रभुख रूऩ हैं |

    २. जनसॊचाय के आधनुनक भाध्मभों भें सफसे ऩुयाना भाध्मभ कौन-सा है ? जनसॊचाय के आधनुनक भाध्मभों भें सफसे ऩुयाना भाध्मभ वप्रॊट भाध्मभ है |

    ३. आधनुनक छाऩाखाने का आप्वष्काय ककसने ककमा ? आधनुनक छाऩाखाने का आविर्ष्काय जभयनी के गुटेनफगय ने ककमा।

    ४. बायत भें ऩहरा छाऩाखाना कफ औय कहाॉ ऩय खरुा था ? बायत भें ऩहरा छाऩाखाना सन १५५६ भें गोिा भें खरुा, इसे ईसाई सभशनरयमों न ेधभय-प्रचाय की ऩुस्तकें छाऩने के सरए खोरा था |

    ५. जनसॊचाय के भुठित भाध्मभ कौन-कौन से हैं ? भुहद्रत भाध्मभों के अन्द्तगयत अखफाय, ऩबत्रकाएॉ, ऩुस्तकें आहद आती हैं । ६. भुठित भाध्मभ की प्वशषेताएॉ लरखखए |

    छऩे हुए शब्दों भें स्थानमत्ि होता है, इन्द्हें सुविधानुसाय ककसी बी प्रकाय से ऩढा ा़ जा सकता है।

    मह भाध्मभ सरणखत बार्ा का विस्ताय है। मह धचॊतन, विचाय- विश्रेर्ण का भाध्मभ है।

    ७. भुठित भाध्मभ की सीभाएॉ (दोष) लरखखए | ननयऺयों के सरए भुहद्रत भाध्मभ ककसी काभ के नहीॊ होते। मे तुयॊत घटी घटनाओॊ को सॊचासरत नहीॊ कय सकते। इसभें स्ऩेस तथा शब्द सीभा का ध्मान यखना ऩड़ता है। इसभें एक फाय सभाचाय छऩ जाने के फाद अशुवद्ध-सुधाय नहीॊ ककमा जा सकता।

    ८. भुठित भाध्मभों के रेखन के लरए लरखते सभम ककन-ककन फातों का ध्मान यखा जाना चाठहए | बार्ागत शुद्धता का ध्मान यखा जाना चाहहए। प्रचसरत बार्ा का प्रमोग ककमा जाए। सभम, शब्द ि स्थान की सीभा का ध्मान यखा जाना चाहहए। रेखन भें तायतम्मता एिॊ सहज प्रिाह होना चाहहए।

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    येड़िमो (आकाशवाणी) १. इरैक्राननक भाध्मभ से क्मा तात्ऩमट है ?

    न्द्जस जन सॊचाय भें इरैक्राननक उऩकयणों का सहाया सरमा जाता है इरैक्राननक भाध्मभ कहते हैं। येडडमो, दयूदशयन , इॊटयनेट प्रभुख इरैक्राननक भाध्मभ हैं।

    २. आर इॊड़िमा येड़िमो की प्वधधवत स्थाऩना कफ हुई ? सन १९३६ भें

    ३. एफ़.एभ. येड़िमो की शुरुआत कफ से हुई ? एि.एभ. (किक्िेंसी भाड्मुरेशन) येडडमो की शुरूआत सन १९९३ से हुई ।

    ४. येड़िमो ककस प्रकाय का भाध्मभ है? येडडमो एक इरैक्रोननक श्रवम भाध्मभ है। इसभें शब्द एिॊ आिाज का भहत्त्ि होता है। मह एक एक येखीम भाध्मभ है।

    ५. येड़िमो सभाचाय ककस शैरी ऩय आधारयत होते हैं ? येडडमो सभाचाय की सॊयचना उल्टावऩयासभड शैरी ऩय आधारयत होती है।

    ६. उल्टा प्ऩयालभि शैरी क्मा है? मह ककतने बागों भें फॉटी होती है ? न्द्जसभें तथ्मों को भहत्त्ि के क्रभ से प्रस्तुत ककमा जाता है, सियप्रथभ सफसे ज्मादा भहत्त्िऩूणय तथ्म को तथा उसके उऩयाॊत भहत्त्ि की दृन्द्र्ष्ट से घटते क्रभ भें तथ्मों को यखा जाता है उसे उल्टा वऩयासभड शैरी कहते हैं । उल्टावऩयासभड शैरी भें सभाचाय को तीन बागों भें फाॉटा जाता है-इॊरो, फाॉडी औय सभाऩन।

    ७. येड़िमो सभाचाय-रेखन के लरए ककन-ककन फुननमादी फातों ऩय ध्मान ठदमा जाना चाठहए? सभाचाय िाचन के सरए तैमाय की गई काऩी साि-सुथयी ओ टाइप्ड कॉऩी हो। कॉऩी को हरऩर स्ऩेस भें टाइऩ ककमा जाना चाहहए। ऩमायप्त हासशमा छोडा ा़ जाना चाहहए। अॊकों को सरखने भें सािधानी यखनी चाहहए। सॊक्षऺप्ताऺयों के प्रमोग से फचा जाना चाहहए।

    टेरीप्वजन(दयूदशटन) : १. दयूदशटन जन सॊचाय का ककस प्रकाय का भाध्मभ है ?

    दयूदशटन जनसॊचाय का सफसे रोकवप्रम ि सशक्त भाध्मभ है। इसभें ध्िननमों के साथ-साथ दृश्मों का बी सभािेश होता है। इसके सरए सभाचाय सरखते सभम इस फात का ध्मान यखा जाता है कक शब्द ि ऩदे ऩय हदखने िारे दृश्म भें सभानता हो।

    २. बायत भें टेरीप्वजन का आयॊब औय प्वकास ककस प्रकाय हुआ ? बायत भें टेरीविजन का प्रायॊब १५ ससतॊफय १९५९ को हुआ । मूनेस्को की एक शैक्षऺक ऩरयमोजना के अन्द्तगयत हदल्री के आसऩास के एक गाॉि भें दो टी.िी. सैट रगाए गए, न्द्जन्द्हें २०० रोगों ने देखा । १९६५ के फाद विधधित टीिी सेिा आयॊब हुई । १९७६ भें दयूदशयन नाभक ननकाम की स्थाऩना हुई।

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    ३. टी०वी० खफयों के प्वलबन्न चयणों को लरखखए । दयूदशयन भे कोई बी सूचना ननम्न चयणों मा सोऩानों को ऩाय कय दशयकों तक ऩहुॉचती है।

    (१) फ़्रैश मा ब्रेककॊ ग न्द्मूज (सभाचाय को कभ-स-ेकभ शब्दों भें दशयकों तक तत्कार ऩहुॉचाना)

    (२)ड्राई एॊकय (एॊकय द्िाया शब्दों भें खफय के विर्म भें फतामा जाता है) (३) िोन इन (एॊकय रयऩोटयय से िोन ऩय फात कय दशयकों तक सूचनाएॉ ऩहुॉचाता है ) (४) एॊकय-विजुअर(सभाचाय के साथ-साथ सॊफॊधधत दृश्मों को हदखामा जाना) (५) एॊकय-फाइट(एॊकय का प्रत्मऺदशी मा सॊफॊधधत वमन्द्क्त के कथन मा फातचीत द्िाया प्राभाणणक खफय प्रस्तुत कयना) (६) राइि(घटनास्थर से खफय का सीधा प्रसायण) (७) एॊकय-ऩैकेज (इसभें एॊकय द्िाया प्रस्तुत सूचनाएॉ; सॊफॊधधत घटना के दृश्म, फाइट, ग्राकिक्स आहद द्िाया वमिन्द्स्थत ढॊग से हदखाई जाती हैं) इॊटयनेट

    १. इॊटय नेट क्मा है? इसके गुण-दोषों ऩय प्रकाश िालरए । इॊटयनेट विश्िवमाऩी अॊतजायर है, मह जनसॊचाय का सफसे निीन ि रोकवप्रम भाध्मभ है। इसभें जनसॊचाय के सबी भाध्मभों के गुण सभाहहत हैं। मह जहाॉ सूचना, भनोयॊजन, ऻान औय वमन्द्क्तगत एिॊ साियजननक सॊिादों के आदान-प्रदान के सरए शे्रर्ष्ठ भाध्मभ है, िहीॊ अश्रीरता, दरु्ष्प्रचायि गॊदगी िैराने का बी जरयमा है।

    २. इॊटयनेट ऩत्रकारयताक्मा है ? इॊटयनेट(विश्ववमाऩी अॊतजायर) ऩय सभाचायों का प्रकाशन मा आदान-प्रदान इॊटयनेट ऩत्रकारयता कहराता है। इॊटयनेट ऩत्रकारयता दो रूऩों भें होती है। प्रथभ- सभाचाय सॊप्रेर्ण के सरए नेट का प्रमोग कयना । दसूया- रयऩोटयय अऩने सभाचाय को ई-भेर द्िाया अन्द्मत्र बेजने ि सभाचाय को सॊकसरत कयने तथा उसकी सत्मता,विश्िसनीमता ससद्ध कयने के सरए कयता है।

    ३. इॊटयनेट ऩत्रकारयता को औय ककन-ककन नाभों से जाना जाता है ? ऑनराइन ऩत्रकारयता, साइफयऩत्रकारयता,िेफ ऩत्रकारयता आहद नाभों से ।

    ४. प्वश्व-स्तय ऩय इॊटयनेट ऩत्रकारयता का प्वकास ककन-ककन चयणों भें हुआ ? विश्ि-स्तय ऩय इॊटयनेट ऩत्रकारयता का विकास ननम्नसरणखत चयणों भें हुआ-

    प्रथभ चयण------- १९८२ से १९९२ द्वितीम चयण------- १९९३ से २००१ ततृीम चयण------- २००२ से अफ तक

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    ५. बायत भें इॊटयनेट ऩत्रकारयता का प्रायम्ब कफ से हुआ ? ऩहरा चयण १९९३ से तथा दसूया चयण २००३ से शुरू भाना जाता है। बायत भें सच्च े अथों भें िेफ ऩत्रकारयता कयने िारी साइटें ’यीडडि डॉट कॉभ’, इॊडडमाइॊिोराइन’ि’सीिी’हैं । यीडडि को बायत की ऩहरी साइट कहा जाता है ।

    ६. वेफ साइट ऩय प्वशुद्ध ऩत्रकारयता शुरू कयने का शे्रम ककसको जाता है? ’तहरका डॉट्कॉभ’

    ७. बायत भें सच्च ेअथों भें वेफ ऩत्रकारयता कयने वारी साइटों के नाभ लरखखए | ’यीडडि डॉट कॉभ’,इॊडडमाइॊिोराइन’ि’सीिी’

    ८. बायत भें कौन-कौन से सभाचाय-ऩत्र इॊटयनेट ऩय उऩरब्ध हैं ? टाइम्स आि इॊडडमा , हहॊदसु्तान टाइम्स, इॊडडमन एक्सप्रैस , हहॊद,ू हरब्मून आहद ।

    ९. बायत की कौन-सी नेट-साइट बुगतान देकय देखी जा सकती है ? ’इॊडडमा टुड’े

    १०. बायत की ऩहरी साइट कौन-सी है, जो इॊटयनेट ऩय ऩत्रकारयता कय यही है ? यीडडि

    ११. लसफ़ट नेट ऩय उऩरब्ध अखफाय का नाभ लरखखए। ”प्रबा साऺी’ नाभ का अखफाय वप्रॊट रूऩ भें न होकय ससिय नेट ऩय उऩरब्ध है ।

    १२. ऩत्रकारयता के लरहाज से ठहॊदी की सवटशे्रष्ि साइट कौन-सी है ? ऩत्रकारयता के सरहाज से हहन्द्दी की सियशे्रर्ष्ठ साइट फीफीसी की है, जो इॊटयनेट के भानदॊडों के अनुसाय चर यही है।

    १३. ठहॊदी वेफ जगत भें कौन-कौनसी साठहजत्मक ऩबत्रकाएॉ चर यही हैं ? हहॊदी िेफ जगत भें ’अनुबूनत’, असबवमन्द्क्त, हहॊदी नेस्ट, सयाम आहद साहहन्द्त्मक ऩबत्रकाएॉ चर यही हैं।

    १४. ठहॊदी वेफ जगत की सफसे फड़ी सभस्मा क्मा है ? हहन्द्दी िेफ जगत की सफसे फडी ा़ सभस्मा भानक की-फोडय तथा िोंट की है । डामनसभक िोंट के अबाि के कायण हहन्द्दी की ज्मादातय साइटें खरुती ही नहीॊ हैं ।

    अभ्मासाथट प्रश्न: १. बायत भें ऩहरा छाऩाखान ककस उदे्दश्म से खोरा गमा ? २. गुटेनफगय को ककस ऺेत्र भें मोगदान के सरए माद ककमा जाता है ? ३. येडडमो सभाचय ककस शैरी भें सरखे जाते हैं? ४. येडडमो तथा टेरीविजन भाध्मभों भें भुख्म अॊतय क्मा है ? ५. एॊकय फाईट क्मा है ? ६. सभाचाय को सॊकसरत कयने िारा वमन्द्क्त क्मा कहराता है ? ७. नेट साउॊड ककसे कहते हैं?

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    ८. ब्रेककॊ ग न्द्मूज से आऩ क्मा सभझते हैं ? ऩत्रकायीम रेखन के प्वलबन्न रूऩ औय रेखन प्रकक्रमा

    १. ऩत्रकायीम रेखन क्मा है ? सभाचाय भाध्मभों भे काभ कयने िारे ऩत्रकाय अऩने ऩाठकों तथा श्रोताओॊ तक सूचनाएॉ ऩहुॉचाने के सरए रेखन के विसबन्द्न रूऩों का इस्तेभार कयते हैं, इसे ही ऩत्रकायीम रेखन कहते हैं। ऩत्रकायीम रेखन का सॊफॊध सभसाभनमक विर्मों, विचायों ि घटनाओॊ से है। ऩत्रकाय को सरखते सभम मह ध्मान यखना चाहहए िह साभान्द्म जनता के सरए सरख यहा है, इससरए उसकी बार्ा सयर ि योचक होनी चाहहए। िाक्म छोटे ि सहज हों। कहठन बार्ा का प्रमोग नहीॊ ककमा जाना चाहहए। बार्ा को प्रबािी फनाने के सरए अनािश्मक विशरे्णों,जागटन्स(अप्रचलरत शब्दावरी) औय क्रीश े(प्ऩष्टोजक्त, दोहयाव) का प्रमोग नहीॊ होना चहहए।

    २. ऩत्रकायीम रेखन के अॊतगटत क्मा-क्मा आता है ? ऩत्रकरयता मा ऩत्रकायीम रेखन के अन्द्तगयत सम्ऩादकीम, सभाचाय, आरेख, रयऩोटय, िीचय, स्तम्ब तथा काटूयन आहद आते हैं

    ३. ऩत्रकायीम रेखन का भुख्म उदे्दश्म क्मा होता है ? ऩत्रकायीम रेखन का प्रभुख उदे्दश्म है- सूचना देना, सशक्षऺत कयना तथा भनोयॊजन आ कयना आहद होता है |

    ४. ऩत्रकायीम रेखन के प्रकाय लरखए | ऩत्रकायीम रेखन के कईप्रकाय हैं मथा- खोजऩयक ऩत्रकारयता’, िॉचडॉग ऩत्रकारयता औय एड्िोकैसी ऩत्रकारयता आहद।

    ५. ऩत्रकायककतने प्रकाय के होते हैं ? ऩत्रकाय तीन प्रकाय के होते हैं-

    ऩूणय कासरक अॊशकासरक (न्द्स्रॊगय) िीराॊसय मा स्ितॊत्र ऩत्रकाय

    ६. सभाचाय ककस शैरी भें लरखे जाते हैं ? सभाचाय उरटा वऩयासभड शैरी भें सरखे जाते हैं, मह सभाचाय रेखन की सफसे उऩमोगी औय रोकवप्रम शैरी है। इस शैरी का विकास अभेरयका भें गहृ मुद्ध के दौयान हुआ। इसभें भहत्त्िऩूणय घटना का िणयन ऩहरे प्रस्तुत ककमा जाता है, उसके फाद भहत्त्ि की दृन्द्र्ष्ट से घटते क्रभ भें घटनाओॊ को प्रस्तुत कय सभाचाय का अॊत ककमा जाता है। सभाचाय भें इॊरो, फॉडी औय सभाऩन के क्रभ भें घटनाएॉ प्रस्तुत की जाती हैं।

    ७. सभाचाय के छह ककाय कौन-कौन से हैं ? सभाचाय सरखते सभम भुख्म रूऩ से छह प्रश्नों- क्मा, कौन, कहाॉ, कफ, क्मों औय कैसे का उत्तय देने की कोसशश की जाती है। इन्द्हें सभाचाय के छह ककाय कहा जाता है।

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    प्रथभ चाय प्रश्नों के उत्तय इॊरो भें तथा अन्द्म दो के उत्तय सभाऩन से ऩूिय फॉडी िारे बाग भें हदए जाते हैं ।

    ८. फ़ीचय क्मा है ? िीचय एक प्रकाय का सुवमिन्द्स्थत, सजृनात्भक औय आत्भननर्ष्ठ रेखन है ।

    ९. फ़ीचय रेखन का क्मा उदे्दश्म होता है ? िीचय का उदे्दश्म भुख्म रूऩ से ऩाठकों को सूचना देना, सशक्षऺत कयना तथा उनका भनोयॊजन कयना होता है। १०. फ़ीचय औय सभचाय भें क्मा अॊतय है ?

    सभाचाय भें रयऩोटयय को अऩने विचायों को डारने की स्ितॊत्रता नहीॊ होती, जफकक िीचय भें रेखक को अऩनी याम , दृन्द्र्ष्टकोण औय बािनाओॊ को जाहहय कयने का अिसय होता है । सभाचाय उल्टा वऩयासभड शैरी भें सरखे जाते हैं, जफकक िीचय रेखन की कोई सुननन्द्श्चत शैरी नहीॊ होती । िीचय भें सभाचायों की तयह शब्दों की सीभा नहीॊ होती। आभतौय ऩय िीचय, सभाचाय रयऩोटय से फड़ ेहोते हैं । ऩत्र-ऩबत्रकाओॊ भें प्राम: २५० से २००० शब्दों तक के िीचय छऩते हैं ।

    ११. प्वशषे रयऩोटट से आऩ क्मा सभझते हैं ? साभान्द्म सभाचायों से अरग िे विशरे् सभाचाय जो गहयी छान-फीन, विश्रेर्ण औय वमाख्मा के आधाय ऩय प्रकासशत ककए जाते हैं, विशरे् रयऩोटय कहराते हैं ।

    १२. प्वशषे रयऩोटट के प्वलबन्न प्रकायों को स्ऩष्ट कीजजए । खोजी रयऩोटट : इसभें अनुऩल्ब्ध तथ्मों को गहयी छान-फीन कय साियजननक ककमा जाता है। (२)इन्ितेथ रयऩोटट: साियजाननक रूऩ से प्राप्त तथ्मों की गहयी छान-फीन कय उसके भहत्त्िऩूणय ऩऺों को ऩाठकों के साभने रामा जाता है । (३) प्वश्रेषणात्भक रयऩोटट : इसभें ककसी घटना मा सभस्मा का विियण सूक्ष्भता के साथ विस्ताय से हदमा जाता है । रयऩोटय अधधक विस्ततृ होने ऩय कई हदनों तक ककस्तों भें प्रकासशत की जाती है । (४)प्ववयणात्भक रयऩोटट : इसभें ककसी घटना मा सभस्मा को विस्ताय एिॊ फायीकी के साथ प्रस्तुत ककमा जाता है।

    १३. प्वचायऩयक रेखन ककसे कहते हैं ? न्द्जस रेखन भें विचाय एिॊ धचॊतन की प्रधानता होती है, उसे विचाय ऩयक रेखन कहा जाता है।सभाचाय-ऩत्रों भें सभाचाय एिॊ िीचय के अनतरयक्त सॊऩादकीम, रेख, ऩत्र, हटप्ऩणी, िरयर्ष्ठऩत्रकायों ि विशरे्ऻों के स्तॊब छऩते हैं। मे सबी विचायऩयक रेखन के अॊतगयत आते हैं।

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    १४. सॊऩादकीम से क्मा अलबप्राम है ? सॊऩादक द्िाया ककसी प्रभुख घटना मा सभस्मा ऩय सरखे गए विचायात्भक रेख को, न्द्जसेसॊफॊधधत सभाचायऩत्र की याम बी कहा जाता है, सॊऩादकीम कहते हैं । सॊऩादकीम ककसी एक वमन्द्क्त का विचाय मा याम न होकय सभग्र ऩत्र-सभूह की याम होता है, इससरए सॊऩादकीम भें सॊऩादक अथिा रेखक का नाभ नहीॊ सरखा जाता ।

    १५. स्तॊबरेखन से क्मा तात्ऩमट है ? मह एक प्रकाय का विचायात्भक रेखन है। कुछ भहत्त्िऩूणय रेखक अऩने खास िैचारयक रुझान एिॊ रेखन शैरी के सरए जाने जाते हैं। ऐसे रेखकों की रोकवप्रमता को देखकय सभाचयऩत्र उन्द्हें अऩने ऩत्र भें ननमसभत स्तॊब-रेखन की न्द्जम्भेदायी प्रदान कयते हैं। इस प्रकाय ककसी सभाचाय-ऩत्र भें ककसी ऐसे रेखक द्िाया ककमा गमा विसशर्ष्ट एिॊ ननमसभत रेखन जो अऩनी विसशर्ष्ट शैरी एिॊ िैचारयक रुझान के कायण सभाज भें ख्मानत-प्राप्त हो, स्तॊब रेखन कहा जाता है ।

    १६. सॊऩादक के नाभ ऩत्र से आऩ क्मा सभझते हैं ? सभाचाय ऩत्रों भें सॊऩादकीम ऩरृ्ष्ठ ऩय तथा ऩबत्रकाओॊ की शुरुआत भें सॊऩादक के नाभ आए ऩत्र प्रकासशत ककए जाते हैं । मह प्रत्मेक सभाचायऩत्र का ननमसभत स्तॊब होता है। इसके भाध्मभ से सभाचाय-ऩत्र अऩने ऩाठकों को जनसभस्माओॊ तथा भुद्दों ऩय अऩने विचाय एिभयाम वमक्त कयने का अिसय प्रदान कयता है ।

    १७. साऺात्काय/इॊटयव्मू से क्मा अलबप्राम है ? ककसी ऩत्रकाय के द्िाया अऩने सभाचायऩत्र भें प्रकासशत कयने के सरए, ककसी वमन्द्क्त विशरे् से उसके विर्म भें अथिा ककसी विर्म मा भुदे्द ऩय ककमा गमा प्रश्नोत्तयात्भक सॊिाद साऺात्काय कहराता है ।

    अन्म भहत्त्वऩूणट प्रश्न: १. साभान्द्म रेखन तथा ऩत्रकायीम रेखन भें क्मा अॊतय है ? २. ऩत्रकायीम रेखन के उदे्दश्म सरणखए। ३. ऩत्रकाय ककतने प्रकाय के होते हैं? ४. उल्टा वऩयासभड शैरी का विकास कफ औय क्मों हुआ? ५. सभाचाय के ककायों के नाभ सरणखए | ६. फाडी क्मा है ? ७. िीचय ककस शैरी भें सरखा जाता है? ८. िीचय ि सभाचाय भें क्मा अॊतय है? ९. विशरे् रयऩोटय से आऩ क्मा सभझते हैं? १०. विशरे् रयऩोटय के बेद सरणखए। ११. इन्द्डपे्थ रयऩोटय ककसे कहते हैं? १२. विचायऩयक रेखन क्मा है तथा उसके अन्द्तगयत ककस प्रकाय के रेख आते हैं?

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    १३. स्ितॊत्र ऩत्रकाय ककसे कहते है ? १४. ऩूणयकासरक ऩत्रकाय से क्मा असबप्राम है ? १५. अॊशकासरक ऩत्रकाय क्मा होता है ?

    प्वशषे रेखन: स्वरूऩ औय प्रकाय १. प्वशषे रेखन ककसे कहते हैं ?

    विशरे् रेखनककसी खास विर्म ऩय साभान्द्म रेखन से हट कय ककमा गमा रेखन है; न्द्जसभें याजनीनतक, आधथयक, अऩयाध, खेर, किल्भ,कृवर्, कानून, विऻान औय अन्द्म ककसी बी भहत्त्िऩूणय विर्म से सॊफॊधधत विस्ततृ सूचनाएॉ प्रदान की जाती हैं ।

    २. िसे्कक्मा है ? सभाचायऩत्र, ऩबत्रकाओॊ, टीिी औय येडडमो चनैरों भें अरग-अरग विर्मों ऩय विशरे् रेखन के सरए ननधायरयत स्थर को िसे्क कहते हैं औय उस विशरे् डेस्क ऩय काभ कयने िारे ऩत्रकायों का बी अरग सभूह होता है । मथा-वमाऩाय तथा कायोफाय के सरए अरग तथा खेर की खफयों के स�