अनसारुल्ाह · 2020. 5. 21. · हक की बरकत सले...

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Page 1: अनसारुल्ाह · 2020. 5. 21. · हक की बरकत सले बहुतों को बीमारर्यों सले साफ़ करेगा।
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Page 3: अनसारुल्ाह · 2020. 5. 21. · हक की बरकत सले बहुतों को बीमारर्यों सले साफ़ करेगा।

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Printed & Published by Shoaib Ahmad M.A. and owned by Majlis Ansarullah Bharat Qadian and Printed at Fazle Umar Printing Press, Harchowal Road, Qadian Distt. Gurdaspur 143516, Punjab, INDIA and Published at Office Majlis Ansarullah Bharat, P.o. Qadian, Distt. Gurdaspur 143516 Punjab India. Editor Syed Rasool Niyaz

मजलिस अनसारलाह भारत का पवकामानसक नरिका

कानदयािVolume - 18

अनसारलाहनवषय सची षठ

दससलि करसि 2

दससलि हदीस 2

हरत मसीह मौऊद अलिनहससलिाम क पवचि 3

समादकीय - हसती-ए-बारी तआला - हजरत मसललह मौऊद रजीयलाह तआला अनह

4

सदर मजलिस अनसारलाह का निवदि - रतयलक वयकति अपनल दाियतव को समझल

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पसतक पररचय हजरत मसीह मौऊद अलरिहससलामरहानी खजाइन - भाग रथम

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फरवरी 2020 Issue - 2

Page 4: अनसारुल्ाह · 2020. 5. 21. · हक की बरकत सले बहुतों को बीमारर्यों सले साफ़ करेगा।

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अनसारलसाह फरवरी 2020

दससलि करसि

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अिवाद - सावधान ! म इस नगर की कसम खाता ह। जबिक त इस नगर म (एक िदन

उतरनल वाला ह। और िपता की और जो उसनल सितान परदा की। िनःसनदलह हमनल मनषय कोएक लगातार पररशरम म (लगल रहनल क िलए) परदा िकया।

(सरः अल-बलद आयत 2 सल 5)

दससलि हदीसزل

م ین

ی اللہ علیہ وسل

عن عبد اللہ بن عمر ورضی اللہ عنہ قال قال رسول اللہ صل

عیسی ابن مریم الی الارض ، فیتزوج ، ویولد لہ۔अिवाद - हजरत अबदलाह िबन उमर रजीयलाह अनह सल ररवायत ह िक रसललाह

सललाह अलरिह वसलम नल फरमाया - ईसा इबनल मरयम अथाषित मसीह मौऊद धरती पर अवतररत होगा तथा िववाह करगा तथा उसक घर म सितान परदा होगी।

(िमशकात भाग 4, िकताबल िफतन बाब नजल ईसा)

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अनसारलसाह फरवरी 2020

हजरत मसीह मौऊद अलरिहससलाम फरमातल ह-“खदाए रहीम-ओ-करीम बजगषि-ओ-बरतर नल जो हर एक चीज पर अिधपतय

रखता ह (जला शानह व अजजाइसमह) मझको समबोिधत करक फरमाया-म तझल एक रहमत का िनशान दलता ह उसी क मआिफक जो त नल मझसल मािगा,

सो मनल तलरी तजररोआत को सना और तलरी दआओ को अपनी रहमत सल बपाया-ए-कबिलयत जगह दी और तलर सफर को (जो होिशयारपर और लिधयाना का सफर ह) तलर िलए मबारक कर िदया, सो कदरत और रहमत और करबत का िनशान तझल िदया जाता ह, फजल और एहसान का िनशान तझल अता होता ह और फतह और मजफफर की कलीद तझल िमलती ह। ए मजफफर तझ पर सलाम ! खदा नल यह कहा, ता वो जो िजनदगी क खवाहा ह मौत क पिजल सल िनजात पाव

और वो जो कबरो म दबल पड ह बाहर आव और ता दीन-ए-इसलाम का शफफ और कलामलाह का मतषिबा लोगो पर जािहर हो और ता हक अपनी तमाम बरकतो क साथ आ जाए और बाितल अपनी तमाम नहसतो क साथ भाग जाए और ता लोग समझ िक म कािदर ह जो चाहता ह सो करता ह और ता वो यकीन लाए िक म तलर साथ ह और ता उनह जो खदा क वजद पर ईमान नही लातल और खदा और खदा क दीन और उसकी िकताब और उसक रसलल पाक महममद मसतफा सललाह अलरिह वसलम को इकार और तकजीब की िनगाह सल दलखतल ह, एक खली िनशानी िमलल और मजररमो की राह जािहर हो जाए।

सो तझल िबशारत हो िक एक वजीह और पाक लडका तझल िदया जाएगा, एक जकी गलाम (लडका) तझल िमललगा। वह लडका तलर ही तखम सल तलरी ही जरररियत व नसल सल होगा। खबसरत पाक लडका तमहारा मलहमान आता ह। उसका नाम अनमवाईल और बशीर भी ह। उसको मकददस रह दी गई ह और वह ररजस सल पाक ह, वो नरलाह ह। मबारक वो जो आसमान सल आता ह, उसक साथ फजल ह जो उसक आनल क साथ आएगा। वह सािहबल िशकोह और अजमत और दौलत होगा। वह दिनया म आएगा और अपनल मसीही नफस और रहल हक की बरकत सल बहतो को बीमाररयो सल साफ करगा। वह कलमातलाह ह कयोिक खदा की रहमत और गयरी नल उसल अपनल किलमाए तमजीद सल भलजा ह। वह सखत जहीन व फहीम होगा और िदल का हलीम और उलमल जािहरी व बाितनी सल पर िकया जाएगा और वह तीन को चार करनल वाला होगा (इसक मानल समझ म नही आए) दो शमबा ह मबारक दो शमबा, फजषिनद िदलबनद िग रामी अजषिमनद, मजहरल अववल वल आिखर, मजहरल हक व उला कानलाहा नजला िमनससमा। िजसका नजल बहत मबारक और जलालल इलाही क जहर का मिजब होगा। नर आता ह नर िजसको खदा नल अनी रजामनदी क इतर सल ममसह िकया। हम उसम अपनी रह डालगल और खदा का साया उसक िसर पर होगा। वह जलद जलद बढगा और असीरो की रसतगारी का मिजब होगा और जमीन क िकनारो तक शोहरत पाएगा और कौम उससल बरकत पाएगी तब अपनल नफसी नकतल आसमान की तरफ उठाया जाएगा। व काना अमरम मकिजयया।” (इकतहार 20 फरवरी, 1886)

हरत मसीह मौऊद अलिनहससलिाम क नदवय उदश

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अनसारलसाह फरवरी 2020

हजरत खलीफतल मसीह अससानी रजीयलाह तआला अनह का अकसततव खदा तआला क अकसततव का एक मिह बोलता रमाण ह कयोिक इसलाम क सतयापन की अिभवयकति क िलए की गई हजरत अकदस मसीह मौऊद अलरिहससलाम की दआओ को सवीकार करतल हए अलाह तआला नल सवयि भिवषय वाणी क माधयम सल यह शभ सचना फरमाई थी िक-

ماء“ الس من نزل اہلل अ‍ासत नजसका کان अवतरण अतयित मबारक त‍ा जलिालि-ए-इलिाही का कारण हपोगा”

अलाह तआला की कपा सल पलशगोई की िनकचित अविध म हजरत खलीफतल मसीह अससानी रजीयलाह अनह परदा हए तथा पलशगोई क समसत रमाण आपकी पिवतर जात म पर हए तथा मानो आप रजी. क शभ आगमन को जरसल खदा का अवतरण कहा गया ह। आप रजी. नल हसती बारी तआला क िवय म सनदलहो का बडी सरल तथा सगम भाा म िनवारण फरमाया ह। माचषि 1913 म “दस दलाएलल हसती बारी तआला” क शीषिक सल नाकसतको की एक िवशल आपिति “यिद खदा ह तो हम िदखा दो, हम मान लगल” का उतिर िदया ह तथा खदा तआला क अकसततव पर िवशास करनल क िलए दस रमाणो को पलश िकया ह।

आज दिनया म लोग भोग-िवलास एवि भौितकवाद

म िलपत होकर खदा तआला क अकसततव को भल रह ह। चिक िवजान नल आधिनक यग म रतयलक चीज का आधार रमाण पर रखा ह इस िलए िदन रितिदन खदा तआला की हसती का ही इकार करनल लगल ह। कछ लोग रतयकष रप म घोणा करतल ह तथा कछ लोग अपनी कौम तथा दलश क भय सल इकार तो नही करतल िकनत िदल सल खदा पर िवशास नही रखतल। एरसल लोग सवाल करतल ह िक यिद खदा ह तो हम िदखाई कयो नही दलता जबिक रतयलक वसत को पहचाननल क साधन िविभनन होतल ह। िकसी भी रग को दलख कर हम पहचान सकतल ह परनत रग को छ कर अथवा सिघ कर कोई नही पहचान सकता। कछ एरसी वसतए ह िजनह हम पाचो इकनरियो क दारा भी नही पहचान सकतल, उदाहरणत: बिधि, रलम, घणा इतयािद ह िजनह हम अनभव तथा रभाव सल पहचान सकतल ह। जो वयकति पिवतरता धारण करतल हए अपनल रब की सतित जबान सल करक िफर अमली रप म इस अनभव को रमािणत कर तो खदा तआला तक पहच सकता ह। चिक खदा तआला अपनी शकति एवि अपनल सामरयषि क माधयम सल दिनया क सामनल मौजद ह, आप रजी. फरमातल ह-

“यदयिप मनषय की दकटि उसको दलखनल म असमथषि ह िकनत वह सवयि अपनी अतयिधक शकतियो तथा सामरययो सल िविभनन रप म रकि होता ह, कभी

हसती-ए-बारी तरलिा - हरत मसलिह मौऊद रीयलाह तरलिा अनह

समादकीय

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अनसारलसाह फरवरी 2020रकोप क िनशानो सल, कभी निबयो क माधयम सल, कभी दया क माधयम सल तथा कभी दआ की कबिलयत सल”

(दस दलाएलल हसती बारी तआला, अनवारल उलम, भाग 1 पषठ 416)

हजरत खलीफतल मसीह अलखािमस अययदहलाह तआला िबनिरििहल अजीज आज दिनया को िवनाश सल बचानल क िलए सचलत कर रह ह िक लोग अपनल रचीयता को पहचान, उसकी बनदगी कर, उससल सहायता मािग। अत: हम सबका कततवय ह िक हम इस सनदलश को पर िवश म फलाए। हजर-ए-अनवर अययदहलाह तआला फरमातल ह-

“दनिया कपो तबाही स बचाि का यही एक मागस ह नक लिपोग रहमाि खदा कपो समझ अनय‍ा रहमाि खदा क उकारो का रदर ि करि क कारण एसी रदाओ म निर जाएग जपो कभी बीमाररयो क र म रती ह, कभी एक दसर

की गदसि मारि क र म रती ह, कभी एक कौम दसरी कौम र दषटता क सा‍ चढाई करक उिक सा‍ अतयाचार करक अाब कपो दावत दती ह। कभी अलाह तरलिा की ओर स धरती र त‍ा रकाश स अाब रत ह। अत: दनिया कपो इि अाबो स बचाि का पयास करिा हमारा काम ह नजसका अनतउततम साधि, जसा नक मि कहा अलाह तरलिा का गाम हचािा ह, नफर अलाह तरलिा र मामलिा छपोडऩा ह कयोनक मर हओ कपो जीवि दिा अलाह तरलिा का काम ह। अत: यह एक भारी दानयतव ह जपो अहमनदयत म शानमलि हपोि क बाद हम र रता ह”

(खतब: जमअ: फमषिदा 19 जनवरी 2007)दआ ह िक अलाह तआला हम सबको हजर-

ए-अनवर अययदहलाह तआला िबनिरििहल अजीज क इस मबारक इरशाद पर अमल करनल की तौफीक अता फरमाए। आमीन

हािफज सययद रसल िनयाज नशका पापत करिा हर मजसलिम रष“ژژژ

एवि सरिी का कततसवय ह”MUSTAFABOOK CO

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अनसारलसाह फरवरी 2020

आज धरती क पि पर कवल एक ही िगरोह ह जो मल रप सल जमाअत कहलानल क योगय ह और वह अहमिदया जमाअत ह। सययदना खलीफतल मसीह अलखािमस अययदहलाह तआला िबनिरििहल अजीज क समसत िनददशो क अनसार जब हम सब िमलकर काम करगल तो उसक सनदर पररणाम तरनत सामनल आएिगल। कअाषिन करीम म सामिहक इबादत को बडा महतव िदया गया ह तथा हदीसो सल रमािणत होता ह िक सामिहक इबादतो का सवाब भी अिधक रखा गया ह। इसलाम क कलमल को बलनद करनल क िलए, सामिहक रयासो की सराहना करतल हए अलाह तआला कअाषिन करीम म फरमाता ह-

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अिवाद - अलाह तो उन लोगो को िरय रखता ह जो उसक िलए पिकतिबधि होकर लडतल ह, जरसल वल एक दीवार ह िजसकी सदढता क िलए उस पर सीसा िपघला कर डाला गया हो।

ईद िबन जबरर रहमलाह फरमातल ह िक जब तक नबी करीम सललाह अलरिह वसलम सफ न बनवा ललतल शतर सल लडाई शर न करतल

थल। अत: पिकतिबधि होनल की िशकषा मसलमानो को अलाह की दी हई ह। एक दसर क साथ िमलल खड रह, दढ सिकलप रह तथा हि नही। तम नही दलखतल िक इमारत का बनानल वाला नही चाहता िक उसक िनमाषिण म कही ऊच नीच हो, िढी ितरछी हो अथवा छद रह जाए, इसी रकार अलाह तआला नही चाहता िक उसक कामो म मतभलद हो। यधि क मरदान म तथा नमाज क समय मसलमानो की सफ बनाना सवयि उसी की ओर सल ह। अत: तम अलाह तआला क आदलश का पालन करो जो आजा पालन करगा यह उसक िलए सममान तथा बचाओ सािबत होगा।

(तफसीर इबनल कसीर, आयत 4 सर: अससफ)िजस महान उदलय क िलए अलाह तआला

नल आहजरत सललाह अलरिह वसलम क सचल गलाम हजरत मसीह मौऊद अलरिहससलाम को िनयति फरमाया ह उसकी राकपत क िलए परी जमाअत को िमलकर यथासमभव रयतन करनल की आवयकता ह। इसी उदलय क िलए मजिलस अनसारलाह तिजीम क सिसथापक हजरत मसललह मौऊद रजीयलाह तआला अनह नल जमाअत म पाच जरली तिजीमो की सथापना

पतयक वयजक अि दानयतव कपो समझसदर मजनलिस अनसारलाह का निवदि

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फरमाई, आप फरमातल ह-“हमारी जमाअत क हवालल यह काम िकया

गया ह िक हमनल परी दिनया का सधार करना ह, पर िवश को अलाह तआला की चौखि पर झकाना ह, पर िवश को इसलाम और अहमिदयत म दािखल करना ह .... ..जब हम परी जमाअत क लोगो को एक िनजाम म जोड ल तो उसक बाद हम बाहर की दिनया क सधार की ओर पणषि रप सल धयान कर सकगल। इस भीतरी सधार तथा तिजीम को परा करनल क िलए मनल खदामल अहमिदया, अनसारलाह तथा अतफालल अहमिदया, यल तीन जमाअत सथािपत की ह और यल तीनो अपनल उस उदलय म जो इनकी सथाना का मल लकय ह उसी समय सफल हो सकती ह जब अनसारलाह, खदामल अहमिदया तथा अतफालल अहमिदया उस मल उदलय को अपनल सममख रख जो ما

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:सर) كअलबकर: 145) म बयान िकया गया ह िक हर एक वयकति अपनल कततवय को समझल तथा िफर

रात और िदन उस कतषिवय की अदायगी म इस रकार वयसत हो जाए िजस रकार एक पागल और मजनन सारी िदशाओ सल अपना धयान हिाकर कवल एक बात क िलए अपनल पर समय को लगा दलता ह”

(खतब: जमअ: 29 िसतमबर 1944 दारा अलफजल 11 अतिबर 1944)

आदरणीय सदसयगण अनसारलाह भारत, अिगलजी म एक िवखयात कहावत ह, Unity is strength अत: कअाषिन मजीद की िशकषा क अनसार मजिलस अनसारलाह भारत कायषि-पदयित रणाली क अनसार हर महीनल िनयम पवषिक हजर-ए-अनवर अययदहलाह तआला की इचछा एवि िनददशानसार समसत ओहदलदार सलवा कर तथा सदसयगण सहयोग करगल तो हम दिनया का सधार करनल वालल होगल। अलाह तआला हम सबको इसकी तौफीक अता फरमाए, आमीन

अताउल मजीब लोनसदर मजिलस अनसारलाह भारत

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हमार पयार इमाम हजरत खलीफतल मसीह अलखािमस अययदहलाह तआला िबनिरििहल अजीज फरमातल ह-“आजकल क जमानल म हजरत अकदस मसीह मौऊद अलरिहससात वससलाम की िकताबो को भी पढऩल

की ओर धयान दलना चािहए तथा उनसल भी लाभ रापत करना चािहए, यह भी कअाषिन करीम की एक वयाखया एवि तफसीर ह जो हम आप अलर. की िकताबो सल िमलती ह।

इसकी ओर धयान दलना चािहए तथा यल िकताब अवय पढनी चािहए और इनही िकताबो सल आपको रमाण िमल जातल ह लोगो की आपितियो क उतिर दलनल क, और यही आजकल तरीका ह आपकी मजिलसो सल लाभाकनवत होनल का, आपकी सिगित सल लाभ रापत करनल का, िक पहलल भी म कहता रहा ह िक आप अलर. की पसतक पढऩल की ओर अिधक सल अिधक धयान िदया जाए और इससल हम िवरोिधयो की आपितियो क उतिर भी िमलगल और कअाषिन करीम क जान का भी बोध रापत होगा”

(खतब: जमअ: 18 जन 2004, खतबातल मसरर, भाग दो, पषठ 414, 415)

निवदियह कवल अलाह तआला की कपा एवि उपकार ह िक आज हम हजरत मसीह मौऊद अलरिहससलाम की

पसतको का अधययन ऑन लाईन जमाअती वरब साईि पर कर सकतल ह तथा ऑडयो भी सन सकतल ह। जो दोसत उदषि पढऩा नही जानतल वल ऑन लाईन इगिलश म भी अधययन कर सकतल ह तथा सययना हजर-ए-अनवर क इरशाद पर जमाअतो म कायम लाईबलररयो सल लाभाकनवत होतल हए रहानी खजाइन का अधययन िकया जा सकता ह। दोसतो को इसकी ओर धयान और रिच परदा करनल क िलए रहानी खजाइन की िजलदो का सििकषपत पररचय पलश करनल की शरिखला जारी की जा रही ह। आशा ह िक जमाअत क दोसत लाभ रापत करगल।

(नजारत इसलाहो इरशाद मकफिजया, कािदयान)रहानी खजाइन क पहलल भाग म बराहीन-ए-

अहमिदया क चार भाग उपलबध ह, पषठो की कल सिखया 673 ह। बराहीनल अहमिदया हजरत मसीह मौऊद अलरिहससलाम की सबसल पहली पसतक ह इसको िलखनल का शभारमभ 1878 ई. क अनत तथा 1879 ई. क आरमभ म हआ, यदयिप इसक इकतहार 1877 ई. म रकािशत होनल लगल थल िकनत िनयमानसार काम 1879 म होनल लगा। यह िकताब जो आपकी दीन सल महबबत

की यादगार तथा आपका एक शाहकार ह, कई भागो म छप कर रकािशत हई।

बराहीनल अहमिदया का पहला तथा दसरा भाग 1880 ई. म तथा तीसरा भाग 1882 ई. म और चौथा भाग 1884 ई. म पहली बार रकािशत हआ। यह वह जमाना था जबिक अिगलजी सामाजय अपनी समपणषि चरम सीमा पर था तथा ईसाई िमनरी परी शकति क साथ ईसाईयत की तबलीग म वयसत थल। इसलाम और इसलाम

सतक ररचय हरत मसीह मौऊद अलिनहससलिामरहािी खाइि - भाग प‍म

वल खजाएन जो हजारो साल सल मदफन थल अब म दलता ह अगर कोई िमलल उममीदवार

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अनसारलसाह फरवरी 2020क सिसथापक क िवरधि सरकडो पसतक रकािशत की गई तथा करोडो की सिखया म फी पमफलरि बाि गए। उनकी रगित का अनमान इस बात सल लगाया जा सकता ह िक 1851 ई. म ईसाईयो की सिखया भारत म 91 हजार थी और 1881 ई. म चार लाख सतिर हजार तक पहच गई। पिजाब क लरफििनरनि गवनषिर चालषिस एच सन नल 1888 ई. म ईसाई िमनररयो क एक जलसल म समबोधन करतल हए बताया िक इस समय िहनदसतान म ईसाईयो की सिखया लगभग दस लाख तक पहच चकी ह (पररचय रहानी खजाइन, भाग 3) दसरी ओर आयषि समाज और बहो समाज की तहरीको नल जो अपनी चरम सीमा पर थी, इसलाम को अपनी आपितियो का िनशाना बनाया हआ था। इस रकार इसलाम दमनो क घलर म था तथा इन सब तहरीको का उदलय इसलाम को कचल डालना और कअाषिन मजीद तथा इसलाम क सिसथापक की सचाई को दिनया की िनगाहो म सििदगध करना था। आयषि समाज वलदो क बाद िकसी इलहाम को नही मानतल थल तथा बहो समाज वालल िसर सल ही अलाह की ओर सल इलहाम क इकारी थल तथा कवल बिधि को मोकष की राकपत क िलए पयाषिपत समझतल थल और िशिकषत मसलमान यरोप क भामक दशषिन शासतर सल रभािवत होकर तथा ईसाई दलशो की रतयकष भौितक सफलताओ को दलख कर इलहामल इलाही क इकारी हो रह थल और इसलाम क िवदानो का िगरोह आपस म एक दसर क साथ कफ का यधि लड रहा था।

इसलाम की इस असहाय तथा बलबसी का िचतरण मौलान अलताफ हसरन हाली मरहम नल 1879 ई. म अपनी मसदस म य खीचा ह-

रहा दीन बाकी न इसलाम बाकीइक इसलाम का रह गया नाम बाकी

िफर िमलतल इसलािमया का एक बाग सल उदाहरण दलतल हए फरमातल ह-

िफर एक बाग दलखलगा उजडा सरासरजहा खाक उडती ह हर स सरासरनही ताजगी का कही नाम िजस परहरी िहिनया झड गई िजसकी जल करनही फल फल िजसम आनल क कािबल हए रख िजसक जलानल क कािबलयह आवाज परहम वहा आ रही हिक इसलाम का बागल वीरा यही ह

ऐसी अवसथा म जबिक कअाषिन मजीद की वासतिवकता तथा आहजरत सललाह अलरिह वसलम की सचाई सवयि मसलमान कहलानल वालो पर भी सििदगध हो रही थी और कई उनम सल ईसाईयत की गोद म आ िगर थल। आपनल बराहीनल अहमिदया िकताब िलखी िजसम आपनल कअाषिन मजीद क कलामल इलाही तथा समपणषि िकताब तथा अिदतिीय होना और आहजरत सललाह अलरिह वसलम का अपनल नबववत व ररसालत क दावल म सचा होना अकािय रमाणो सल सािबत िकया और इन रमाणो क िवरधि िकसी इसलाम क दमन क एरसल रमािणक उतिर एक ितहाई या चौथाई या पािचवा भाग पलश करनल वालल क िलए दस हजार रपए का परसकार िनकचित िकया तथा रतयलक इसलाम क िवरोधी को मकाबलल की दावत दी।

बराहीि-ए-अहमनदया क दारा दा कािनतइस िकताब क रकाशन सल मसलमानो क साहस म

विधि हो गई, इसलाम सल िवमख होनल का तफान थम गया। कई मकसलम िवदानो नल इस पसतक की सराहना की। अत: मौलवी महममद हसरन बिालवी नल जो अहल हदीस समरदाय क मखया समझल जातल थल, इस पसतक

Page 12: अनसारुल्ाह · 2020. 5. 21. · हक की बरकत सले बहुतों को बीमारर्यों सले साफ़ करेगा।

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अनसारलसाह फरवरी 2020

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का सारािश िलखनल क बाद अपनी रशिसा इस रकार वयति की ह-

“अब हम अपना िवचार अतयित सिकषलप म तथा िबना िकसी अितयकति क अिभवयति करतल ह। हमार िवचार म यह पसतक इस जमानल म तथा वतषिमान पररकसथितयो म एक एलसी िकताब ह िजसक समान कोई पसतक आज तक इसलाम म रकािशत नही हई और भिवषय का पता नही مرا

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يحدث اهلل

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और ل

इसका ललखक भी इसलाम क माली व जानी व कलमी व भााई व कथनी समथषिन म एरस दढ सिकलप िनकला ह िजसका उदाहरण पहलल मसलमानो म बहत ही कम पाया गया ह।

हमार इन शबदो को कोई एिशया की अितयकति समझल तो हम को कम सल कम एक एरसी िकताब बता

दल िजसम इसलाम क समसत िवरोधी समरदायो, िवशलत: आयषि तथा बहो समाज क साथ इतना घोर मकाबला पाया जाता हो और दो चार एरसल इसलाम क सहायक वयकतियो क नाम बताए िजनहोनल इसलाम की माली व जानी व कलमी व भााई सहायता क अितररति वतषिमान आिथषिक सहयोग का भी बीडा उठा िलया हो तथा इसलाम िवरोधी तथा इलहाम क इकाररयो क मकाबलल म पौरीय सदढता क साथ यह दावा िकया हो िक िजसको इलहाम की सतयता म सनदलह हो वह हमार पास आकर इसकी अनभित एवि दशषिन कर कर लल और इस अनभव एवि दशषिन का अनय समदायो को भी मजा चखा िदया हो” (इशाअतससनन: भाग 7, पषठ 169,170)

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