प्रकािशतवाक्य - ebible.org · 7“िजसके पास कान...

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कािशत वाय 1:1 1 कािशत वाय 1:6 कािशत वाय 1 यह यीशु मसीह का द वी-सद श ह जो उस परम र ारा इसिलए िदया गया था िक जो बात शी ही घटन वाली ह , उह अपन दासो को दशाʧ िदया जाए। अपना वगʧद त भ जकर यीशु मसीह न इस अपन स वक य हा को स त रा बताया। 2 हा न जो कु छ खा था, उसक बार म बताया। यह वह सय ह िजस उस यीशु मसीह न बताया था। यह वह सद श ह जो परम र की ओर स ह 3 व धय ह जो परम र क इस द वी सुसद शक शदो को सुनत ह और जो बात इसम िलखी ह , उन पर चलत ह । यो िक सकट की घड़ी िनकट ह कलीिसयाओ क नाम य हा का सद 4 हा की ओर स एिशया ात * म िथत सात कलीिसयाओ क नाम: उस परम र की ओर स जो वतʧमान ह , जो सदा-सदा स था और जो आन वाला ह , उन सात आमाओ की ओर स जो उसक िसहासन सामन ह 5 एव उस यीशु मसीह की ओर स जो िवासप ʧ सा˟ी, मर हुओ म स पहला जी उठन वाला तथा धरती क राजाओ का भी राजा ह , तुह अनुह और शा ित ा हो। वह जो हमस म करता ह तथा िजसन अपन लह स हमार पापो स हम छुटकारा िदलाया ह 6 उसन हम एक राय तथा अपन परम िपता परम र की स वा म याजक होन को रचा। उसकी मिहमा और सामयʧ सदा-सवʧदा होती रह । आमीन! * 1:4: एिशया ात एिशया माइनर का एक ात।

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परकािशत वाकय 11 1 परकािशत वाकय 16

परकािशत वाकय1 यह यीश मसीह का दवी-सनदश ह जो उस परम र ारा

इसिलए िदया गया था िक जो बात शीघर ही घटन वाली हउनह अपनदासो को दशा िदया जाए अपना सवगदत भजकर यीश मसीह नइस अपन सवक यह ा को सकत रा बताया 2 यह ा न जो कछदखा था उसक बार म बताया यह वह सतय ह िजस उस यीशमसीह न बताया था यह वह सनदश ह जो परम र की ओर स ह3व धनय ह जो परम र क इस दवी ससनदश क शबदो को सनत हऔर जो बात इसम िलखी ह उन पर चलत ह कयोिक सकट कीघड़ी िनकट ह

कलीिसयाओ क नाम यह ा का सनदश4 यह ा की ओर सएिशया परानत म िसथत सात कलीिसयाओ क नाम

उस परम र की ओर स जो वतमान हजो सदा-सदा स था औरजोआनवाला ह उन सातआतमाओकी ओर स जो उसक िसहासनक सामन ह 5 एव उस यीश मसीह कीओर स जो िव ासपण सा ीमर हओ म स पहला जी उठन वाला तथा धरती क राजाओ का भीराजा ह तमह अनगरह और शाित परा होवह जो हमस परम करता ह तथा िजसन अपन लह स हमार पापो

स हम छटकारा िदलाया ह 6 उसन हम एक राजय तथा अपन परमिपता परम र की सवा म याजक होन को रचा उसकी मिहमा औरसामथय सदा-सवदा होती रह आमीन 14 एिशया परानत एिशया माइनर का एक परानत

परकािशत वाकय 17 2 परकािशत वाकय 1167 दखो मघो क साथ मसीह आ रहा ह हर एक आख उसका

दशन करगी उनम व भी होग िजनहोन उस बधाdagger था तथा धरतीक सभी लोग उसक कारण िवलाप करग हा हा िन यपवक ऐसाही हो-आमीन

8 परभ परम र वह जो ह जो था और जो आनवाला ह जोसवशि मान ह यह कहता ह ldquoम ही अलफा और ओमगा हrdquoDagger

9 म यह ा तमहारा भाई ह और यातनाओ राजय तथा यीश मधयपण सहनशीलता म तमहारा सा ी ह परम र क वचन औरयीश की सा ी क कारण मझ प मसsect नाम क ीप म दश िनकालाद िदया गया था 10 परभ क िदन म आतमा क वशीभत हो उठाऔर मन अपन पीछ तरही की सी एक तीवर आवाज़ सनी 11 वहकह रही थी ldquoजो कछ त दख रहा ह उस एक पसतक म िलखताजा और िफर उस इिफसस समरना िपरगमन थआतीरा सरदीसिफलादलिफया और लौदीिकया की सातो कलीिसयाओ को भजदrdquo

12 िफर यह दखन को िक वहआवाज़ िकसकी ह जो मझस बोलरही थी म मड़ा और जब म मड़ा तो मन सोन क सात दीपाधारदख 13 और उन दीपाधारो क बीच मन एक वयि को दखा जोldquoमनषय क पतरrdquo क जसा कोई प ष था उसन अपन परो तकलमबा चोगा पहन रखा था तथा उसकी छाती पर एक सनहरापटका िलपटा हआ था 14 उसक िसर तथा कश सफद ऊन जसउजल थ तथा उसक नतर अिगन की चमचमाती लपटो क समानथ 15 उसक चरण भ ी म अभी-अभी तपाए गए उ म कास कसमान चमक रह थ उसका सवर अनक जलधाराओ क गजन कसमान था 16 तथा उसन अपन दािहन हाथ म सात तार िलए हएdagger 17 बधा दख यह ा 1934 Dagger 18 म अलफा और ओमगा ह मल म य यनानीकी बाहरखड़ी क पहल और अितम अ रो क नाम ह अथात अलफा यािन lsquoआिदrsquoऔरओमगा यािन lsquoअतrsquo दोनो परभ परम र ही ह sect 19 प मस एइिजयन सागर म एिशयामाइनर (जो आजकल टकीर कहलाता ह) क तट क िनकट छोटा ीप

परकािशत वाकय 117 3 परकािशत वाकय 25थ उसक मख स एक तज दोधारी तलवार बाहर िनकल रही थीउसकी छिव तीवरतम दमकत सय क समान उजवल थी

17 मन जब उस दखा तो म उसक चरणो पर मर हए क समानिगर पड़ा िफर उसन मझ पर अपना दािहना हाथ रखत हए कहाldquoडर मत म ही परथम ह और म ही अितम भी ह 18और म ही वहहजो जीिवत ह म मर गया था िकनत दखअब म सदा-सवदा किलए जीिवत ह मर पास मतय और अधोलोक की किजया ह19 सो जो कछ तन दखा ह जो कछ घट रहा हऔर जो भिवषय मघटन जा रहा ह उस िलखता जा 20 य जो सात तार ह िजनह तन मरहाथ म दखा ह और य जो सात दीपाधार ह इनका रहसयपण अथह य सात तार सात कलीिसयाओ क दत ह तथा य सात दीपाधारसात कलीिसयाए ह

2इिफसस की कलीिसया को मसीह का सनदश

1 ldquoइिफसस की कलीिसया क सवगदत क नाम यह िलखldquoवह जो अपन दािहन हाथ म सात तारो को धारण करता ह तथा

जो सात दीपाधारो क बीच िवचरण करता ह इस परकार कहता ह2 ldquoम तर कमोर कठोर पिरशरम और धयपण सहनशीलता को

जानता ह तथा म यह भी जानता ह िक त बर लोगो को सहननही कर पाता ह तथा तन उनह परखा ह जो कहत ह िक व परिरतह िकनत ह नही तन उनह झठा पाया ह 3 म जानता ह िक तझमधीरज ह और मर नाम पर तन किठनाइया झली ह और त थकानही ह

4 ldquoिकनत मर पास तर िवरोध म यह ह तन वह परम तयाग िदयाह जो आरमभ म तझम था 5 सो याद कर िक त कहा स िगरा ह 118 अधोलोक मल म हइस अथात वह लोग जहा मरन क बाद जात ह

परकािशत वाकय 26 4 परकािशत वाकय 211

मनिफरा तथा उन कमोर को कर िजनह त परारमभ म िकया करता थानही तो यिद तन मन न िफराया तो म तर पास आऊगा और तरदीपाधार को उसक सथान स हटा दगा 6 िकनत यह बात तर पम ह िक त नीकलइयो क कामो स घणा करता ह िजनस म भीघणा करता ह

7 ldquoिजसक पास कान ह वह उस सन जो आतमा कलीिसयाओस कह रहा ह जो िवजय पाएगा म उस परम र क उपवन म लगजीवन क व स फल खान का अिधकार दगा

समरना की कलीिसया को मसीह का सनदश8 ldquoसमरना की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो परथम ह और जो अिनतम ह जो मर गया था तथा जो

पनजीरिवत हो उठा ह इस परकार कहता ह9 ldquoम तमहारी यातना और तमहारी दीनता क िवषय म जानता ह

य िप वासतव म तम धनवान हो जो अपन आपको यहदी कह रहह उनहोन तमहारी जो िननदा की ह म उस भी जानता ह य िप वयहदी ह नही बिलक व तो उपासको का एक ऐसा जमघट ह जोशतान स समबिनधत ह 10 उन यातनाओ स त िबलकल भी मत डरजो तझ झलनी ह सनो शतान तम लोगो म स कछ को बदीगहम डालकर तमहारी परी ा लन जा रहा ह और तमह वहा दस िदनतक यातना भोगनी होगी चाह तझ मर ही जाना पड़ पर स ा बनरहना म तझ अननत जीवन का िवजय मकट परदान क गा

11 ldquoजो सन सकता ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रही ह जो िवजयी होगा उस दसरी मतय स कोई हािननही उठानी होगी 26 नीकलइयो एिशया माइनर का एक धम समह यह झठ िव ासो और धारणाओका अनयायी था इसका नामकरण िकसी नीकलइयो नाम क वयि पर िकया गया होगा

परकािशत वाकय 212 5 परकािशत वाकय 219िपरगमन की कलीिसया को मसीह का सनदश

12 ldquoिपरगमन की कलीिसया क सवगदत यह िलखldquoवह जो तज दोधारी तलवार को धारण करता ह इस परकार

कहता ह13 ldquoम जानता ह त कहा रह रहा ह त वहा रह रहा ह जहा

शतान का िसहासन ह और म यह भी जानता ह िक त मर नाम कोथाम हए ह तथा तन मर परित अपन िव ास को कभी नही नकाराह तमहार उस नगर म जहा शतान का िनवास ह मरा िव ासपणसा ी अिनतपास मार िदया गया था

14 ldquoकछ भी होमर पास तर िवरोध म कछ बात ह तर यहा कछऐस लोग भी ह जो िबलाम की सीख पर चलत ह उसन बालाक कोिसखाया था िक वह इसराएल क लोगो को मितयो का चढ़ावा खानऔर वयिभचार करन को परोतसािहत कर 15 इसी परकार तर यहा भीकछ ऐस लोग ह जो नीकलइयो की सीख पर चलत ह 16 इसिलएमन िफरा नही तो म जलदी ही तर पास आऊगा और उनक िवरोधम उस तलवार स य क गा जो मर मख स िनकलती ह

17 ldquoजो सन सकता ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ स कयाकह रहा ह

ldquoजो िवजयी होगा म उस सवग म िछपा म ा दगा म उस एकत पतथर भी दगा िजस पर एक नया नाम अिकत होगा िजस

उसक िसवा और कोई नही जानता िजस वह िदया गया हथआतीरा की कलीिसया को मसीह का सनदश

18 ldquoथआतीरा की कलीिसया क सवगदत क नामldquoपरम र का पतर िजसक नतर धधकती आग क समान ह तथा

िजसक चरण श कास क जस ह इस परकार कहता ह19 ldquoम तर कमोर तर िव ास तरी सवा तथा तरी धयपण

सहनशि को जानता ह म जानता ह िक अब त िजतना पहल

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 17 2 परकािशत वाकय 1167 दखो मघो क साथ मसीह आ रहा ह हर एक आख उसका

दशन करगी उनम व भी होग िजनहोन उस बधाdagger था तथा धरतीक सभी लोग उसक कारण िवलाप करग हा हा िन यपवक ऐसाही हो-आमीन

8 परभ परम र वह जो ह जो था और जो आनवाला ह जोसवशि मान ह यह कहता ह ldquoम ही अलफा और ओमगा हrdquoDagger

9 म यह ा तमहारा भाई ह और यातनाओ राजय तथा यीश मधयपण सहनशीलता म तमहारा सा ी ह परम र क वचन औरयीश की सा ी क कारण मझ प मसsect नाम क ीप म दश िनकालाद िदया गया था 10 परभ क िदन म आतमा क वशीभत हो उठाऔर मन अपन पीछ तरही की सी एक तीवर आवाज़ सनी 11 वहकह रही थी ldquoजो कछ त दख रहा ह उस एक पसतक म िलखताजा और िफर उस इिफसस समरना िपरगमन थआतीरा सरदीसिफलादलिफया और लौदीिकया की सातो कलीिसयाओ को भजदrdquo

12 िफर यह दखन को िक वहआवाज़ िकसकी ह जो मझस बोलरही थी म मड़ा और जब म मड़ा तो मन सोन क सात दीपाधारदख 13 और उन दीपाधारो क बीच मन एक वयि को दखा जोldquoमनषय क पतरrdquo क जसा कोई प ष था उसन अपन परो तकलमबा चोगा पहन रखा था तथा उसकी छाती पर एक सनहरापटका िलपटा हआ था 14 उसक िसर तथा कश सफद ऊन जसउजल थ तथा उसक नतर अिगन की चमचमाती लपटो क समानथ 15 उसक चरण भ ी म अभी-अभी तपाए गए उ म कास कसमान चमक रह थ उसका सवर अनक जलधाराओ क गजन कसमान था 16 तथा उसन अपन दािहन हाथ म सात तार िलए हएdagger 17 बधा दख यह ा 1934 Dagger 18 म अलफा और ओमगा ह मल म य यनानीकी बाहरखड़ी क पहल और अितम अ रो क नाम ह अथात अलफा यािन lsquoआिदrsquoऔरओमगा यािन lsquoअतrsquo दोनो परभ परम र ही ह sect 19 प मस एइिजयन सागर म एिशयामाइनर (जो आजकल टकीर कहलाता ह) क तट क िनकट छोटा ीप

परकािशत वाकय 117 3 परकािशत वाकय 25थ उसक मख स एक तज दोधारी तलवार बाहर िनकल रही थीउसकी छिव तीवरतम दमकत सय क समान उजवल थी

17 मन जब उस दखा तो म उसक चरणो पर मर हए क समानिगर पड़ा िफर उसन मझ पर अपना दािहना हाथ रखत हए कहाldquoडर मत म ही परथम ह और म ही अितम भी ह 18और म ही वहहजो जीिवत ह म मर गया था िकनत दखअब म सदा-सवदा किलए जीिवत ह मर पास मतय और अधोलोक की किजया ह19 सो जो कछ तन दखा ह जो कछ घट रहा हऔर जो भिवषय मघटन जा रहा ह उस िलखता जा 20 य जो सात तार ह िजनह तन मरहाथ म दखा ह और य जो सात दीपाधार ह इनका रहसयपण अथह य सात तार सात कलीिसयाओ क दत ह तथा य सात दीपाधारसात कलीिसयाए ह

2इिफसस की कलीिसया को मसीह का सनदश

1 ldquoइिफसस की कलीिसया क सवगदत क नाम यह िलखldquoवह जो अपन दािहन हाथ म सात तारो को धारण करता ह तथा

जो सात दीपाधारो क बीच िवचरण करता ह इस परकार कहता ह2 ldquoम तर कमोर कठोर पिरशरम और धयपण सहनशीलता को

जानता ह तथा म यह भी जानता ह िक त बर लोगो को सहननही कर पाता ह तथा तन उनह परखा ह जो कहत ह िक व परिरतह िकनत ह नही तन उनह झठा पाया ह 3 म जानता ह िक तझमधीरज ह और मर नाम पर तन किठनाइया झली ह और त थकानही ह

4 ldquoिकनत मर पास तर िवरोध म यह ह तन वह परम तयाग िदयाह जो आरमभ म तझम था 5 सो याद कर िक त कहा स िगरा ह 118 अधोलोक मल म हइस अथात वह लोग जहा मरन क बाद जात ह

परकािशत वाकय 26 4 परकािशत वाकय 211

मनिफरा तथा उन कमोर को कर िजनह त परारमभ म िकया करता थानही तो यिद तन मन न िफराया तो म तर पास आऊगा और तरदीपाधार को उसक सथान स हटा दगा 6 िकनत यह बात तर पम ह िक त नीकलइयो क कामो स घणा करता ह िजनस म भीघणा करता ह

7 ldquoिजसक पास कान ह वह उस सन जो आतमा कलीिसयाओस कह रहा ह जो िवजय पाएगा म उस परम र क उपवन म लगजीवन क व स फल खान का अिधकार दगा

समरना की कलीिसया को मसीह का सनदश8 ldquoसमरना की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो परथम ह और जो अिनतम ह जो मर गया था तथा जो

पनजीरिवत हो उठा ह इस परकार कहता ह9 ldquoम तमहारी यातना और तमहारी दीनता क िवषय म जानता ह

य िप वासतव म तम धनवान हो जो अपन आपको यहदी कह रहह उनहोन तमहारी जो िननदा की ह म उस भी जानता ह य िप वयहदी ह नही बिलक व तो उपासको का एक ऐसा जमघट ह जोशतान स समबिनधत ह 10 उन यातनाओ स त िबलकल भी मत डरजो तझ झलनी ह सनो शतान तम लोगो म स कछ को बदीगहम डालकर तमहारी परी ा लन जा रहा ह और तमह वहा दस िदनतक यातना भोगनी होगी चाह तझ मर ही जाना पड़ पर स ा बनरहना म तझ अननत जीवन का िवजय मकट परदान क गा

11 ldquoजो सन सकता ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रही ह जो िवजयी होगा उस दसरी मतय स कोई हािननही उठानी होगी 26 नीकलइयो एिशया माइनर का एक धम समह यह झठ िव ासो और धारणाओका अनयायी था इसका नामकरण िकसी नीकलइयो नाम क वयि पर िकया गया होगा

परकािशत वाकय 212 5 परकािशत वाकय 219िपरगमन की कलीिसया को मसीह का सनदश

12 ldquoिपरगमन की कलीिसया क सवगदत यह िलखldquoवह जो तज दोधारी तलवार को धारण करता ह इस परकार

कहता ह13 ldquoम जानता ह त कहा रह रहा ह त वहा रह रहा ह जहा

शतान का िसहासन ह और म यह भी जानता ह िक त मर नाम कोथाम हए ह तथा तन मर परित अपन िव ास को कभी नही नकाराह तमहार उस नगर म जहा शतान का िनवास ह मरा िव ासपणसा ी अिनतपास मार िदया गया था

14 ldquoकछ भी होमर पास तर िवरोध म कछ बात ह तर यहा कछऐस लोग भी ह जो िबलाम की सीख पर चलत ह उसन बालाक कोिसखाया था िक वह इसराएल क लोगो को मितयो का चढ़ावा खानऔर वयिभचार करन को परोतसािहत कर 15 इसी परकार तर यहा भीकछ ऐस लोग ह जो नीकलइयो की सीख पर चलत ह 16 इसिलएमन िफरा नही तो म जलदी ही तर पास आऊगा और उनक िवरोधम उस तलवार स य क गा जो मर मख स िनकलती ह

17 ldquoजो सन सकता ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ स कयाकह रहा ह

ldquoजो िवजयी होगा म उस सवग म िछपा म ा दगा म उस एकत पतथर भी दगा िजस पर एक नया नाम अिकत होगा िजस

उसक िसवा और कोई नही जानता िजस वह िदया गया हथआतीरा की कलीिसया को मसीह का सनदश

18 ldquoथआतीरा की कलीिसया क सवगदत क नामldquoपरम र का पतर िजसक नतर धधकती आग क समान ह तथा

िजसक चरण श कास क जस ह इस परकार कहता ह19 ldquoम तर कमोर तर िव ास तरी सवा तथा तरी धयपण

सहनशि को जानता ह म जानता ह िक अब त िजतना पहल

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 117 3 परकािशत वाकय 25थ उसक मख स एक तज दोधारी तलवार बाहर िनकल रही थीउसकी छिव तीवरतम दमकत सय क समान उजवल थी

17 मन जब उस दखा तो म उसक चरणो पर मर हए क समानिगर पड़ा िफर उसन मझ पर अपना दािहना हाथ रखत हए कहाldquoडर मत म ही परथम ह और म ही अितम भी ह 18और म ही वहहजो जीिवत ह म मर गया था िकनत दखअब म सदा-सवदा किलए जीिवत ह मर पास मतय और अधोलोक की किजया ह19 सो जो कछ तन दखा ह जो कछ घट रहा हऔर जो भिवषय मघटन जा रहा ह उस िलखता जा 20 य जो सात तार ह िजनह तन मरहाथ म दखा ह और य जो सात दीपाधार ह इनका रहसयपण अथह य सात तार सात कलीिसयाओ क दत ह तथा य सात दीपाधारसात कलीिसयाए ह

2इिफसस की कलीिसया को मसीह का सनदश

1 ldquoइिफसस की कलीिसया क सवगदत क नाम यह िलखldquoवह जो अपन दािहन हाथ म सात तारो को धारण करता ह तथा

जो सात दीपाधारो क बीच िवचरण करता ह इस परकार कहता ह2 ldquoम तर कमोर कठोर पिरशरम और धयपण सहनशीलता को

जानता ह तथा म यह भी जानता ह िक त बर लोगो को सहननही कर पाता ह तथा तन उनह परखा ह जो कहत ह िक व परिरतह िकनत ह नही तन उनह झठा पाया ह 3 म जानता ह िक तझमधीरज ह और मर नाम पर तन किठनाइया झली ह और त थकानही ह

4 ldquoिकनत मर पास तर िवरोध म यह ह तन वह परम तयाग िदयाह जो आरमभ म तझम था 5 सो याद कर िक त कहा स िगरा ह 118 अधोलोक मल म हइस अथात वह लोग जहा मरन क बाद जात ह

परकािशत वाकय 26 4 परकािशत वाकय 211

मनिफरा तथा उन कमोर को कर िजनह त परारमभ म िकया करता थानही तो यिद तन मन न िफराया तो म तर पास आऊगा और तरदीपाधार को उसक सथान स हटा दगा 6 िकनत यह बात तर पम ह िक त नीकलइयो क कामो स घणा करता ह िजनस म भीघणा करता ह

7 ldquoिजसक पास कान ह वह उस सन जो आतमा कलीिसयाओस कह रहा ह जो िवजय पाएगा म उस परम र क उपवन म लगजीवन क व स फल खान का अिधकार दगा

समरना की कलीिसया को मसीह का सनदश8 ldquoसमरना की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो परथम ह और जो अिनतम ह जो मर गया था तथा जो

पनजीरिवत हो उठा ह इस परकार कहता ह9 ldquoम तमहारी यातना और तमहारी दीनता क िवषय म जानता ह

य िप वासतव म तम धनवान हो जो अपन आपको यहदी कह रहह उनहोन तमहारी जो िननदा की ह म उस भी जानता ह य िप वयहदी ह नही बिलक व तो उपासको का एक ऐसा जमघट ह जोशतान स समबिनधत ह 10 उन यातनाओ स त िबलकल भी मत डरजो तझ झलनी ह सनो शतान तम लोगो म स कछ को बदीगहम डालकर तमहारी परी ा लन जा रहा ह और तमह वहा दस िदनतक यातना भोगनी होगी चाह तझ मर ही जाना पड़ पर स ा बनरहना म तझ अननत जीवन का िवजय मकट परदान क गा

11 ldquoजो सन सकता ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रही ह जो िवजयी होगा उस दसरी मतय स कोई हािननही उठानी होगी 26 नीकलइयो एिशया माइनर का एक धम समह यह झठ िव ासो और धारणाओका अनयायी था इसका नामकरण िकसी नीकलइयो नाम क वयि पर िकया गया होगा

परकािशत वाकय 212 5 परकािशत वाकय 219िपरगमन की कलीिसया को मसीह का सनदश

12 ldquoिपरगमन की कलीिसया क सवगदत यह िलखldquoवह जो तज दोधारी तलवार को धारण करता ह इस परकार

कहता ह13 ldquoम जानता ह त कहा रह रहा ह त वहा रह रहा ह जहा

शतान का िसहासन ह और म यह भी जानता ह िक त मर नाम कोथाम हए ह तथा तन मर परित अपन िव ास को कभी नही नकाराह तमहार उस नगर म जहा शतान का िनवास ह मरा िव ासपणसा ी अिनतपास मार िदया गया था

14 ldquoकछ भी होमर पास तर िवरोध म कछ बात ह तर यहा कछऐस लोग भी ह जो िबलाम की सीख पर चलत ह उसन बालाक कोिसखाया था िक वह इसराएल क लोगो को मितयो का चढ़ावा खानऔर वयिभचार करन को परोतसािहत कर 15 इसी परकार तर यहा भीकछ ऐस लोग ह जो नीकलइयो की सीख पर चलत ह 16 इसिलएमन िफरा नही तो म जलदी ही तर पास आऊगा और उनक िवरोधम उस तलवार स य क गा जो मर मख स िनकलती ह

17 ldquoजो सन सकता ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ स कयाकह रहा ह

ldquoजो िवजयी होगा म उस सवग म िछपा म ा दगा म उस एकत पतथर भी दगा िजस पर एक नया नाम अिकत होगा िजस

उसक िसवा और कोई नही जानता िजस वह िदया गया हथआतीरा की कलीिसया को मसीह का सनदश

18 ldquoथआतीरा की कलीिसया क सवगदत क नामldquoपरम र का पतर िजसक नतर धधकती आग क समान ह तथा

िजसक चरण श कास क जस ह इस परकार कहता ह19 ldquoम तर कमोर तर िव ास तरी सवा तथा तरी धयपण

सहनशि को जानता ह म जानता ह िक अब त िजतना पहल

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 26 4 परकािशत वाकय 211

मनिफरा तथा उन कमोर को कर िजनह त परारमभ म िकया करता थानही तो यिद तन मन न िफराया तो म तर पास आऊगा और तरदीपाधार को उसक सथान स हटा दगा 6 िकनत यह बात तर पम ह िक त नीकलइयो क कामो स घणा करता ह िजनस म भीघणा करता ह

7 ldquoिजसक पास कान ह वह उस सन जो आतमा कलीिसयाओस कह रहा ह जो िवजय पाएगा म उस परम र क उपवन म लगजीवन क व स फल खान का अिधकार दगा

समरना की कलीिसया को मसीह का सनदश8 ldquoसमरना की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो परथम ह और जो अिनतम ह जो मर गया था तथा जो

पनजीरिवत हो उठा ह इस परकार कहता ह9 ldquoम तमहारी यातना और तमहारी दीनता क िवषय म जानता ह

य िप वासतव म तम धनवान हो जो अपन आपको यहदी कह रहह उनहोन तमहारी जो िननदा की ह म उस भी जानता ह य िप वयहदी ह नही बिलक व तो उपासको का एक ऐसा जमघट ह जोशतान स समबिनधत ह 10 उन यातनाओ स त िबलकल भी मत डरजो तझ झलनी ह सनो शतान तम लोगो म स कछ को बदीगहम डालकर तमहारी परी ा लन जा रहा ह और तमह वहा दस िदनतक यातना भोगनी होगी चाह तझ मर ही जाना पड़ पर स ा बनरहना म तझ अननत जीवन का िवजय मकट परदान क गा

11 ldquoजो सन सकता ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रही ह जो िवजयी होगा उस दसरी मतय स कोई हािननही उठानी होगी 26 नीकलइयो एिशया माइनर का एक धम समह यह झठ िव ासो और धारणाओका अनयायी था इसका नामकरण िकसी नीकलइयो नाम क वयि पर िकया गया होगा

परकािशत वाकय 212 5 परकािशत वाकय 219िपरगमन की कलीिसया को मसीह का सनदश

12 ldquoिपरगमन की कलीिसया क सवगदत यह िलखldquoवह जो तज दोधारी तलवार को धारण करता ह इस परकार

कहता ह13 ldquoम जानता ह त कहा रह रहा ह त वहा रह रहा ह जहा

शतान का िसहासन ह और म यह भी जानता ह िक त मर नाम कोथाम हए ह तथा तन मर परित अपन िव ास को कभी नही नकाराह तमहार उस नगर म जहा शतान का िनवास ह मरा िव ासपणसा ी अिनतपास मार िदया गया था

14 ldquoकछ भी होमर पास तर िवरोध म कछ बात ह तर यहा कछऐस लोग भी ह जो िबलाम की सीख पर चलत ह उसन बालाक कोिसखाया था िक वह इसराएल क लोगो को मितयो का चढ़ावा खानऔर वयिभचार करन को परोतसािहत कर 15 इसी परकार तर यहा भीकछ ऐस लोग ह जो नीकलइयो की सीख पर चलत ह 16 इसिलएमन िफरा नही तो म जलदी ही तर पास आऊगा और उनक िवरोधम उस तलवार स य क गा जो मर मख स िनकलती ह

17 ldquoजो सन सकता ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ स कयाकह रहा ह

ldquoजो िवजयी होगा म उस सवग म िछपा म ा दगा म उस एकत पतथर भी दगा िजस पर एक नया नाम अिकत होगा िजस

उसक िसवा और कोई नही जानता िजस वह िदया गया हथआतीरा की कलीिसया को मसीह का सनदश

18 ldquoथआतीरा की कलीिसया क सवगदत क नामldquoपरम र का पतर िजसक नतर धधकती आग क समान ह तथा

िजसक चरण श कास क जस ह इस परकार कहता ह19 ldquoम तर कमोर तर िव ास तरी सवा तथा तरी धयपण

सहनशि को जानता ह म जानता ह िक अब त िजतना पहल

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 212 5 परकािशत वाकय 219िपरगमन की कलीिसया को मसीह का सनदश

12 ldquoिपरगमन की कलीिसया क सवगदत यह िलखldquoवह जो तज दोधारी तलवार को धारण करता ह इस परकार

कहता ह13 ldquoम जानता ह त कहा रह रहा ह त वहा रह रहा ह जहा

शतान का िसहासन ह और म यह भी जानता ह िक त मर नाम कोथाम हए ह तथा तन मर परित अपन िव ास को कभी नही नकाराह तमहार उस नगर म जहा शतान का िनवास ह मरा िव ासपणसा ी अिनतपास मार िदया गया था

14 ldquoकछ भी होमर पास तर िवरोध म कछ बात ह तर यहा कछऐस लोग भी ह जो िबलाम की सीख पर चलत ह उसन बालाक कोिसखाया था िक वह इसराएल क लोगो को मितयो का चढ़ावा खानऔर वयिभचार करन को परोतसािहत कर 15 इसी परकार तर यहा भीकछ ऐस लोग ह जो नीकलइयो की सीख पर चलत ह 16 इसिलएमन िफरा नही तो म जलदी ही तर पास आऊगा और उनक िवरोधम उस तलवार स य क गा जो मर मख स िनकलती ह

17 ldquoजो सन सकता ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ स कयाकह रहा ह

ldquoजो िवजयी होगा म उस सवग म िछपा म ा दगा म उस एकत पतथर भी दगा िजस पर एक नया नाम अिकत होगा िजस

उसक िसवा और कोई नही जानता िजस वह िदया गया हथआतीरा की कलीिसया को मसीह का सनदश

18 ldquoथआतीरा की कलीिसया क सवगदत क नामldquoपरम र का पतर िजसक नतर धधकती आग क समान ह तथा

िजसक चरण श कास क जस ह इस परकार कहता ह19 ldquoम तर कमोर तर िव ास तरी सवा तथा तरी धयपण

सहनशि को जानता ह म जानता ह िक अब त िजतना पहल

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 220 6 परकािशत वाकय 31िकया करता था उसस अिधक कर रहा ह 20 िकनत मर पास तरिवरोध म यह ह त इजबल नाम की उस सतरी को सह रहा ह जोअपन आपको नबी कहती ह अपनी िश ा स वह मर सवको कोवयिभचार क परित तथा मितयो का चढ़ावा खान को परिरत करतीह 21 मन उस मन िफरान का अवसर िदया ह िकनत वह परम रक परित वयिभचार क िलए मन िफराना नही चाहती

22 ldquoइसिलए अब म उस पीड़ा की शया पर डालन ही वाला हतथा उनह भी जो उसक साथ वयिभचार म सिममिलत ह तािक वउस समय तक गहन पीड़ा का अनभव करत रह जब तक व उसकसाथ िकए अपन बर कमोर क िलए मन न िफराव 23 म महामारी सउसक ब ो को मार डालगा और सभी कलीिसयाओ को यह पताचल जाएगा िक म वही ह जो लोगो क मन और उनकी बि कोजानता ह म तम सब लोगो को तमहार कमोर क अनसार दगा

24 ldquoअब मझ थआतीरा क उन शष लोगो स कछ कहना ह जो इससीख पर नही चलत और जो शतान क तथा किथत गहन रहसयो कोनही जानत मझ तम पर कोई और बोझ नही डालना ह 25 िकनतजो तमहार पास ह उस पर मर आन तक चलत रहो

26 ldquoजो िवजय परा करगा और िजन बातो का मन आदश िदयाह अत तक उन पर िटका रहगाम उनह जाितयो पर अिधकार दगा27 तथा वह उन पर लोह क डणड स शासन करगा वह उनह माटीक भाड़ो की तरह चर-चर कर दगा dagger 28यह वही अिधकार ह िजसमन अपन परम िपता स पाया ह म भी उस वयि को भोर का तारादगा 29 िजसक पास कान ह वह सन िक आतमा कलीिसयाओ सकया कह रहा ह

3सरदीस की कलीिसया क नाम मसीह का सनदश

1 ldquoसरदीस की कलीिसया क सवगदत को इस परकार िलखdagger 227 दख भजन 29

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 32 7 परकािशत वाकय 39ldquoऐसा वह कहता ह िजसक पास परम र की सात आतमाए तथा

सात तार हldquoम तमहार कमोर को जानता हलोगो का कहना ह िक तम जीिवत

हो िकनत वासतव म तम मर हए हो 2 सावधान रह तथा जो कछशष ह इसस पहल िक वह परी तरह न हो जाए उस सदढ़ बनाकयोिक अपन परम र की िनगाह म मन तर कमोर को उ म नहीपाया ह 3 सो िजस उपदश को तन सना ह और परा िकया ह उसयाद कर उसी पर चल और मनिफराव कर यिद त जागा नही तोअचानक चोर क समान म चला आऊगा म तझ कब अचरज मडाल द तझ पता भी नही चल पाएगा

4 ldquoकछ भी हो सरदीस म तर पास कछ ऐस लोग ह िजनहोनअपन को अश नही िकया ह व त वसतर धारण िकए हए मरसाथ-साथ घमग कयोिक व सयोगय ह 5जो िवजयी होगा वह इसीपरकार त वसतर धारण करगा म जीवन की पसतक स उसका नामनही िमटाऊगा बिलक म तो उसक नाम को अपन परम िपता औरउसक सवगदतो क सममख मानयता परदान क गा 6 िजसक पासकान ह वह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

िफलादलिफया की कलीिसया को मसीह का सनदश7 ldquoिफलादलिफया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoवह जो पिवतर और सतय ह तथा िजसक पास दाऊद की कजी

ह जो ऐसा ार खोलता ह िजस कोई बद नही कर सकता तथा जोऐसा ार बद करता ह िजस कोई खोल नही सकता इस परकारकहता ह

8 ldquoम तमहार कमोर को जानता ह दखो मन तमहार सामन एकार खोल िदया ह िजस कोई बद नही कर सकता म जानता ह िक तरी शि थोड़ी सी ह िकनत तन मर उपदशो का पालन िकयाह तथा मर नाम को नकारा नही ह 9 सनो कछ ऐस ह जो शतान

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 310 8 परकािशत वाकय 318की मणडली क ह तथा जो यहदी न होत हए भी अपन को यहदीकहत ह जो मातर झठ ह म उनह यहा आन को िववश करक तरचरणो तल झका दगा तथा म उनह िववश क गा िक व यह जानिक तम मर िपरय हो 10 कयोिक तमन धयपवक सहनशीलता क मरआदश का पालन िकया ह बदल म म भी उस परी ा की घड़ी सतमहारी र ा क गा जो इस धरती पर रहन वालो को परखन किलए समच ससार पर बस आन ही वाली ह

11 ldquoम बहत जलदी आ रहा ह जो कछ तमहार पास ह उस परडट रहो तािक तमहार िवजय मकट को कोई तमस न ल ल 12 जोिवजयी होगा उस म अपन परम र क मिनदर का सतमभ बनाऊगािफर कभी वह इस मिनदर स बाहर नही जाएगा तथा म अपनपरम र का और अपन परम र की नगरी का नए य शलम कानाम उस पर िलखगा जो मर परम र की ओर स सवग स नीचउतरन वाली ह उस पर म अपना नया नाम भी िलखगा 13जो सनसकता हवह सन ल िक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही ह

लौदीिकया की कलीिसया को मसीह क सनदश14 ldquoलौदीिकया की कलीिसया क सवगदत को यह िलखldquoजो आमीन ह िव ासपण ह तथा स ा सा ी ह जो परम र

की सि का शासक ह इस परकार कहता ह15 ldquoम तर कमोर को जानता ह और यह भी िक न तो त शीतल

होता ह और न गम 16 इसिलए कयोिक त गनगना ह न गम और नही शीतल म तझ अपन मख स उगलन जा रहा ह 17 त कहता हम धनी हो गया ह और मझ िकसी वसत की आवशयकता नही हिकनत तझ पता नही ह िक त अभागा ह दयनीय ह दीन ह अधा हऔर नगा ह 18 म तझ सलाह दता ह िक त मझस आग म तपाया 314 आमीन आमीन शबद का अथ ह उस परम सतय क अन प हो जाना िकनतयहा इस यीश क एक नाम क प म परय िकया गया ह

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 319 9 परकािशत वाकय 45हआ सोना मोल ल ल तािक त सचमच धनवान हो जाए पहननक िलए त वसतर भी मोल ल ल तािक तरी लजजापण नगनता कातमाशा न बन अपन नतरो म आजन क िलए त अजन भी ल लतािक त दख पाए

19 ldquoउन सभी को िजनह म परम करता ह म डाटता ह औरअनशािसत करता ह तो िफर किठन जतन और मनिफराव कर20 सन म ार पर खड़ा ह और खटखटा रहा ह यिद कोई मरीआवाज़ सनता ह और ार खोलता ह तो म उसक घर म परवशक गा तथा उसक साथ बठकर खाना खाऊगा और वह मर साथबठकर खाना खाएगा

21 ldquoजो िवजयी होगा म उस अपन साथ अपन िसहासन पर बठनका गौरव परदान क गा ठीक वस ही जस म िवजयी बनकर अपनिपता क साथ उसक िसहासन पर बठा ह 22जो सन सकता ह सनिक आतमा कलीिसयाओ स कया कह रही हrdquo

4सवग क दशन

1 इसक बाद मन दि उठाई और सवग का खला ार मर सामनथा और वही आवाज़ िजस मन पहल सना था तरही क स सवरम मझस कह रही थी ldquoयही ऊपर आ जा म तझ वह िदखाऊगािजसका भिवषय म होना िनि त हrdquo 2 िफर म तरनत ही आतमा कवशीभत हो उठा मन दखा िक मर सामन सवग का िसहासन थाऔर उस पर कोई िवराजमान था 3जो वहा िवराजमान था उसकीआभा यशब और गोमद क समान थी उसक िसहासन क चारोओर एक इनदरधनष था जो प जसा दमक रहा था

4 उस िसहासन क चारो ओर चौबीस िसहासन और थ िजनपर चौबीस पराचीन बठ हए थ उनहोन त वसतर पहन थ उनकिसर पर सोन क मकट थ 5 िसहासन म स िबजली की चकाचौध

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 46 10 परकािशत वाकय 411

घड़घड़ाहट तथा मघो का गजन-तजन िनकल रह थ िसहासनक सामन ही लपलपाती हई सात मशाल जल रही थी य मशालपरम र की सात आतमाए ह 6 िसहासन क सामन पारदशीर काचका सफिटक सागर सा फला थािसहासन क ठीक सामन तथा उसक दोनो ओर चार पराणी थ

उनक आग और पीछ आख ही आख थी 7 पहला पराणी िसह कसमान था दसरा पराणी बल क जसा था तीसर पराणी का मख मनषयक जसा था और चौथा पराणी उड़त हए ग ड़ जसा था 8 इन चारोही परािणयो क छह छह पख थ उनक चारो ओर तथा भीतर आखही आख भरी पड़ी थी िदन रात व िनरनतर कहत रहत थ

ldquoसवशि मान परभ परम र पिवतर हपिवतर ह पिवतर ह जो था जो ह और जो आनवाला हrdquo

9 जब य सजीव पराणी उस अजर अमर की मिहमा आदर औरधनयवाद कर रह ह जो िसहासन पर िवराजमान था तो 10व चौबीसोपराचीन उसक चरणो म िगरकर उस सदा सवदा जीिवत रहन वालकी उपासना करत ह व िसहासन क सामन अपन मकट डाल दतह और कहत ह11 ldquoह हमार परभ और हमार परम रत ही मिहमाआदर और शि पान को सयोगय ह

कयोिक तन ही अपनी इचछा स सभी वसत सरजी हतरी ही इचछा स उनका अिसततव ह और तरी ही इचछा स हई ह

उनकी सि rdquo 410 चौबीसो पराचीन परकािशत वाकय म कदािचत इन चौबीस पराचीन म बारह वप ष ह जो परम र क सत जनो क महान नता थ हो सकता ह य यहिदयो क बारहपिरवार समहो क नता हो तथा शष बारह यीश क परिरत ह

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 51 11 परकािशत वाकय 585

पसतक कौन खोल सकता ह1 िफर मन दखा िक जो िसहासन पर िवराजमान था उसक दािहन

हाथ म एक लपटा हआ पसतक अथात एक ऐसी पसतक िजसिलखकर लपट िदया जाता था िजस पर दोनो ओर िलखावट थीतथा उस सात महर लगाकर मिदरत िकया हआ था 2 मन एकशि शाली सवगदत की ओर दखा जो दढ़ सवर स घोषणा कर रहाथा ldquoइस लपट हए पसतक की महरो को तोड़न और इस खोलन म समथ कौन हrdquo 3 िकनत सवग म अथवा पथवी पर या पाताल लोकम कोई भी ऐसा नही था जो उस लपट हए पसतक को खोल औरउसक भीतर झाक 4 कयोिक उस पसतक को खोलन की मतारखन वाला या भीतर स उस दखन की शि वाला कोई भी नहीिमल पाया था इसिलए म सबक-सबक कर रो पड़ा 5 िफर उनपराचीनो म स एक न मझस कहा ldquoरोना बनद कर सन यहदा कवश का िसह जो दाऊद का वशज ह िवजयी हआ ह वह इन सातोमहरो को तोड़न और इस लपट हए पसतक को खोलन म समथहrdquo

6 िफर मन दखा िक उस िसहासन तथा उन चार परािणयो क सामनऔर उन पवजो की उपिसथित म एक ममना खड़ा ह वह ऐस िदखरहा था मानो उसकी बिल चढ़ाई गयी हो उसक सात सीग थ औरसातआख थी जो परम र की सातआतमाए ह िजनह समची धरतीपर भजा गया था 7 िफर वहआयाऔर जो िसहासन पर िवराजमानथा उसक दािहन हाथ स उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया8 जब उसन वह लपटा हआ पसतक ल िलया तो उन चारो परािणयोतथा चौबीसो पराचीनो न उस ममन को दणडवत परणाम िकया उनमस हरक क पास वीणा थी तथा व सगिनधत सामगरी स भर सोन क 51 पसतक एक लमबा लपटा हआ कागज अथवा चमड़ा िजस पराचीन यग म िलखनक काम म लाया जाता था

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 5912परकािशत वाकय 513धपदान थाम थ जो सत जनो की पराथनाए ह 9 व एक नया गीतगा रह थ

ldquoत यह पसतक लन को समथ हऔर जो इस पर लगी महर खोलन को

कयोिक तरा वध बिल क प कर िदयाऔर अपन लह स तन परम र क हतजनो को हर जाित स हर भाषा स सभी कलो स सब राषटरोस मोल िलया

10और तन उनको प का राजय द िदया और हमार परम र कहत उनह याजक बनाया

व धरती पर राजय करगrdquo11 तभी मन दखा और अनक सवगदतो की धविनयो को सना

व उस िसहासन उन परािणयो तथा पराचीनो क चारो ओर खड़ थसवगदतो की सखया लाखो और करोड़ो थी 12 व ऊच सवर म कहरह थ

ldquoवह ममना जो मार डाला गया था वह पराकरमधन िववक बलआदरमिहमा और सतित परा करन को योगय हrdquo

13 िफर मन सना िक सवग की धरती पर की पाताल लोक कीसमदर कीसमची सि mdash हा उस समच बर ाणड का हर पराणी कहरहा था

ldquoजो िसहासन पर बठा ह और ममना का सतितआदर मिहमा और पराकरम सवदा रहrdquo

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 514 13 परकािशत वाकय 68

14 िफर उन चारो परािणयो न ldquoआमीनrdquo कहा और पराचीनो न नतमसतक होकर उपासना की

6ममन का पसतक खोलना

1मन दखा िक ममन न सात महरो म स एक को खोला तभी उनचार परािणयो म स एक को मन मघ गजना जस सवर म कहत सनाldquoआrdquo 2 जब मन दि उठाई तो पाया िक मर सामन एक सफदघोड़ा था घोड़ का सवार धनष िलए हए था उस िवजय मकटपहनाया गया और वह िवजय पान क िलए िवजय परा करता हआबाहर चला गया

3 जब ममन न दसरी महर तोड़ी तो मन दसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo इस पर अिगर क समान लाल रग का 4 एक और घोड़ाबाहर आया इस पर बठ सवार को धरती स शाित छीन लन औरलोगो स परसपर हतयाए करवान को उकसान का अिधकार िदयागया था उस एक लमबी तलवार द दी गयी

5 ममन न जब तीसरी महर तोड़ी तो मन तीसर पराणी को कहतसना ldquoआrdquo जब मन दि उठायी तो वहा मर सामन एक कालाघोड़ा खड़ा था उस पर बठ सवार क हाथ म एक तराज थी6 तभी मन उन चारो परािणयो क बीच स एक शबद सा आत सनाजो कह रहा था ldquoएक िदन की मज़दरी क बदल एक िदन क खानका गह और एक िदन की मज़दरी क बदल तीन िदन तक खान काजौ िकनत जतन क तल और मिदरा को ित मत पहचाrdquo

7 िफर ममन न जब चौथी महर खोली तो चौथ पराणी को मन कहतसना ldquoआrdquo 8 िफर जब मन दि उठायी तो मर सामन मिरयल सापील हर स रग का एक घोड़ा उपिसथत था उस पर बठ सवार कानाम था ldquoमतयrdquoऔर उसक पीछ सटा हआ चल रहा था परत लोकधरती क एक चौथाई भाग पर उनह यह अिधकार िदया गया िक

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 69 14 परकािशत वाकय 617

य ो अकालो महामािरयो तथा धरती क िहसक पशओ क ाराव लोगो को मार डाल

9 िफर उस ममन न जब पाचवी महर तोड़ी तो मन वदी क नीचउनआतमाओको दखा िजनकी परम र क ससनदश क परितआतमाक तथा िजस सा ी को उनहोन िदया था उसक कारण हतयाए करदी गयी थी 10 ऊच सवर म पकारत हए उनहोन कहा ldquoह पिवतरएवम स परभ हमारी हतयाए करन क िलए धरती क लोगो कानयाय करन को और उनह दणड दन क िलए त कब तक परती ाकरता रहगाrdquo 11 उनम स हर एक को सफद चोगा परदान िकयागया तथा उनस कहा गया िक व थोड़ी दर उस समय तक परती ाऔर कर जब तक िक उनक उन साथी सवको और बधओ कीसखया परी नही हो जाती िजनकी वस ही हतया की जान वाली हजस तमहारी की गयी थी

12 िफर जब ममन न छठी महर तोड़ी तो मन दखा िक वहा एकबड़ा भचालआया हआ ह सरज ऐस काला पड़ गया ह जस िकसीशोक मनात हए वयि क वसतर होत ह तथा परा चादलह क जसालाल हो गया ह 13आकाश क तार धरती पर ऐस िगर गय थ जसिकसी तज आधी ारा झकझोर जान पर अजीर क पड़ स क ीअजीर िगरती ह 14 आकाश फट पड़ा था और एक पसतक कसमान िसकड़ कर िलपट गया था सभी पवत और ीप अपन-अपन सथानो स िडग गय थ

15 ससार क समराट शासक सनानायक धनी शि शाली औरसभी लोग तथा सभी सवतनतर एवम दास लोगो न पहाड़ो पर च ानोक बीचऔर गफाओम अपन आपको िछपा िलया था 16व पहाड़ोऔर च ानो स कह रह थ ldquoहम पर िगर पड़ो और वह जो िसहासनपर िवराजमान ह तथा उस ममन क करोध क सामन स हम िछपालो 17 उनक करोध का भयकर िदन आ पहचा ह ऐसा कौन ह जोइस झल सकता हrdquo

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 71 15 परकािशत वाकय 78

7इसराएल क 144000लोग

1इसक बाद धरती क चारो कोनो पर चार सवगदतो को मन खड़दखा धरती की चारो हवाओ को रोक क रखा था तािक धरतीपर सागर पर अथवा व ो पर उनम स िकसी पर भी हवा चल नापाय 2 िफर मन दखा िक एकऔर सवगदत ह जो पव िदशा स आरहा ह उसन सजीव परम र की महर ली हई थी तथा वह उनचारो सवगदतो स िजनह धरती और आकाश को न कर दन काअिधकार िदया गया था ऊच सवर म पकार कर कह रहा था 3ldquoजबतक हम अपन परम र क सवको क माथ पर महर नही लगा दततब तक तम धरती सागर और व ो को हािन मत पहचाओrdquo

4 िफर िजन लोगो पर महर लगाई गई थी मन उनकी सखयासनी व एक लाख चवालीस हज़ार थ िजन पर महर लगाई गईथी इसराएल क सभी पिरवार समहो स थ

5 यहदा क पिरवार समह क 12000बन क पिरवार समह क 12000

गाद पिरवार समह क 120006आशर पिरवार समह क 12000न ाली पिरवार समह क 12000मनशश पिरवार समह क 120007शमौन पिरवार समह क 12000लवी पिरवार समह क 12000इससाकार पिरवार समह क 120008जबलन पिरवार समह क 12000यसफ़ पिरवार समह क 12000िबनयामीन पिरवार समह क 12000

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 79 16 परकािशत वाकय 717

िवशाल भीड़9 इसक बाद मन दखा िक मर सामन एक िवशाल भीड़ खड़ी थी

िजसकी िगनती कोई नही कर सकता था इस भीड़ म हर जाित कहर वश क हर कल क तथा हर भाषा क लोग थ व उस िसहासनऔर उस ममन क आग खड़ थ व त वसतर पहन थ और उनहोनअपन हाथो म खजर की टहिनया ली हई थी 10 व पकार रह थldquoिसहासन पर िवराजमान हमार परम र की जय हो और ममन कीजय होrdquo

11सभी सवगदत िसहासन पराचीनो और उन चारो परािणयो को घरखड़ थ िसहासन क सामन दणडवत परणाम करक इन सवगदतो नपरम र की उपासना की 12 उनहोन कहा ldquoआमीन हमार परम रकी सतित मिहमा िववकधनयवादसमादरशि और बल सदा-सवदा होत रह आमीनrdquo

13 तभी उन पराचीनो म स िकसी न मझस परशन िकया ldquoय तवसतरधारी लोग कौन ह तथा य कहा स आए हrdquo

14 मन उस उ र िदया ldquoमर परभ त तो जानता ही हrdquoइस पर उसन मझस कहा ldquoय व लोग ह जो कठोर यातनाओ

क बीच स होकर आ रह ह उनहोन अपन वसतरो को ममन क लहस धोकर सवचछ एव उजला िकया ह 15 इसिलए अब य परम रक िसहासन क सामन खड़ तथा उसक मिनदर म िदन रात उसकीउपासना करत ह वह जो िसहासन पर िवराजमान ह उनम िनवासकरत हए उनकी र ा करगा 16 न कभी उनह भख सताएगी और नही व िफर कभी पयास रहग सरज उनका कछ नही िबगाड़गा औरन ही िचलिचलाती धप कभी उनह तपाएगी 17 कयोिक वह ममनाजो िसहासन क बीच म ह उनकी दखभाल करगा वह उनह जीवनदन वाल जल सरोतो क पास ल जाएगा और परम र उनकी आखोक हर आस को पोछ दगाrdquo 712 आमीन जब कोई वयि आमीन कहता ह तो इसका अथ होता ह िक वह परीतरह उसक साथ सहमत ह

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 81 17 परकािशत वाकय 898

सातवी महर1 िफर ममन न जब सातवी महर तोड़ी तो सवग म कोई आधा

घणट तक स ाटा छाया रहा 2 िफर मन परम र क सामन खड़होन वाल सात सवगदतो को दखा उनह सात तरिहया परदान कीगई थी

3 िफर एक और सवगदत आया और वदी पर खड़ा हो गयाउसक पास सोन का एक धपदान था उस सत जनो की पराथनाओक साथ सोन की उस वदी पर जो िसहासन क सामन थी चढ़ानक िलए बहत सारी धप दी गई 4 िफर सवगदत क हाथ स धप कावह धआ सत जनो की पराथनाओ क साथ-साथ परम र क सामनपहचा 5 इसक बाद सवगदत न उस धपदान को उठाया उस वदीकी आग स भरा और उछाल कर धरती पर फक िदया इस परमघो का गजन-तजन भीषण शबद िबजली की चमक और भकमपहोन लग

सात सवगदतो का उनकी तरिहया बजाना6 िफर व सात सवगदत िजनक पास सात तरिहया थीउनह फकन

को तयार हो गए7पहल सवगदत न तरही म जस ही फक मारी वस ही लह ओल

और अिगन एक साथ िमल जल िदखाई दन लग और उनह धरतीपर नीच उछाल कर फक िदया गया िजसस धरती का एक ितहाईभाग जल कर भसम हो गया एक ितहाई पड़ जल गए और समचीहरी घास राख हो गई

8 दसर सवगदत न तरही फकी तो मानो अिगन का जलता हआएक िवशाल पहाड़ सा समदर म फक िदया गया हो इसस एकितहाई समदर र म बदल गया 9 तथा समदर क एक ितहाई जीव-जनत मर गए और एक ितहाई जल पोत न हो गए

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 810 18 परकािशत वाकय 9410 तीसर सवगदत न जब तरही बजाई तो आकाश स मशाल की

तरह जलता हआ एक िवशाल तारा िगरा यह तारा एक ितहाईनिदयो तथा झरनो क पानी पर जा पड़ा 11 इस तार का नाम थानागदौना सो समच जल का एक ितहाई भाग नागदौना म ही बदलगया तथा उस जल क पीन स बहत स लोग मार गए कयोिक जलकड़वा हो गया था

12 जब चौथ सवगदत न तरही बजाई तो एक ितहाई सय औरसाथ म ही एक ितहाई चनदरमा और एक ितहाई तारो पर िवपिआई सो उनका एक ितहाई काला पड़ गया पिरणामसव प एकितहाई िदन तथा उसी परकार एक ितहाई रात अनधर म डब गए

13 िफर मन दखा िक एक ग ड़ ऊच आकाश म उड़ रहा ह मनउस ऊच सवर म कहत हए सना ldquoउन बच हए तीन सवगदतो कीतरिहयो क उदघोष क कारण जो अपनी तरिहया अभी बजान हीवाल ह धरती क िनवािसयो पर क हो क हो क होrdquo

9पाचवी तरही पहला आतक फलाना

1 पाचव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तब मन आकाश सधरती पर िगरा हआ एक तारा दखा इस उस िचमनी की कजी दीगई थी जो पाताल म उतरती ह 2 िफर उस तार न उस िचमनी काताला खोल िदया जो पाताल म उतरती थी और िचमनी स वस हीधआ फट पड़ा जस वह एक बड़ी भ ी स िनकलता ह सो िचमनीस िनकल धआ स सय और आकाश काल पड़ गए

3तभी उस धआ स धरती पर िट ी दल उतर आया उनह धरतीक िबचछओ क जसी शि दी गई थी 4 िकनत उनस कह िदयागया था िक व न तो धरती की घास को हािन पहचाए और न ही हर 811 नागदौना मल म अपिसनतोस जो यनानी भाषा का शबद ह औ िजसका अगरजीपयाय ह ldquoवमवडrdquo िजसका अथ ह एक बहत कड़वा पौधा इसिलए इस गहन दःख कापरतीक माना जाता ह

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 95 19 परकािशत वाकय 914

पौधो या पड़ो को उनह तो बस उन लोगो को ही हािन पहचानी थीिजनक माथो पर परम र की महर नही लगी हई थी 5 िट ी दलको िनद रश द िदया गया था िक व लोगो क पराण न ल बिलक पाचमहीन तक उनह पीड़ा पहचात रह वह पीड़ा जो उनह पहचाई जारही थी वसी थी जसी िकसी वयि को िबचछ क काटन स होतीह 6 उन पाच महीनो क भीतर लोग मौत को ढढत िफरग िकनतमौत उनह िमल नही पाएगी व मरन क िलए तरसग िकनत मौत उनहचकमा दकर िनकल जाएगी

7और अब दखो िक व िट ी य क िलए तयार िकए गए घोड़ोजसी िदख रही थी उनक िसरो पर सनहरी मकट स बध थ उनकमख मानव मखो क समान थ 8 उनक बाल िसतरयो क कशो कसमान थ तथा उनक दात िसहो क दातो क समान थ 9 उनक सीनऐस थ जस लोह क कवच हो उनक पखो की धविन य म जातहए असखय अ रथो स पदा हए शबद क समान थी 10उनकी पछोक बाल ऐस थ जस िबचछ क डक हो तथा उनम लोगो को पाचमहीन तक ित पहचान की शि थी 11 पाताल क अिधकारी दतको उनहोन अपन राजा क प म िलया हआ था इबरानी भाषा मउनका नाम ह अब ोनऔर यनानी भाषा म वह अप योन (अथातिवनाश करन वाला)कहलाता ह

12 पहली महान िवपि तो बीत चकी ह िकनत इसक बाद अभीदो बड़ी िवपि या आन वाली ह

छठवी तरही का बजना13 िफर छठ सवगदत न जस ही अपनी तरही फकी वस ही मन

परम र क सामन एक सनहरी वदी दखी उसक चार सीगो स आतीहई एक धविन सनी 14 तरही िलए हए उस छठ सवगदत स उस 911 अब ोन अथात िवनाश का सथान दख अययब 266और भजन 8811

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 915 20 परकािशत वाकय 102आवाज़ न कहा ldquoउन चार सवगदतो को म कर दो जो फरातमहानदी क पास बध पड़ हrdquo

15सो चारो सवगदत म कर िदए गए व उसी घड़ी उसी िदनउसी महीन और उसी वष क िलए तयार रख गए थ तािक व एकितहाई मानव जाित को मार डाल 16 उनकी परी सखया िकतनी थीयह मन सना घड़सवार सिनको की सखया बीस करोड़ थी

17 उस मर िदवय दशन म व घोड़ और उनक सवार मझ इसपरकार िदखाई िदए उनहोन कवच धारण िकए हए थ जो धधकतीआग जस लाल गहर नील और गधक जस पील थ 18 इन तीनमहािवनाशो स यानी उनक मखो स िनकल रही अिगन धआ औरगधक स एक ितहाई मानव जाित को मार डाला गया 19 इन घोड़ोकी शि उनक मख और उनकी पछो म िनिहत थी कयोिक उनकीपछ िसरदार सापो क समान थी िजनका परयोग व मनषयो को हािनपहचान क िलए करत थ

20 इस पर भी बाकी क ऐस लोगो न जो इन महा िवनाशो स भीनही मार जा सक थ उनहोन अपन हाथो स िकए कामो क िलएअब भी मन न िफराया तथा भत-परतो की अथवा सोनचादीकासपतथर और लकड़ी की उन मितयो की उपासना नही छोड़ी जो नदख सकती ह न सन सकती ह और न ही चल सकती ह 21 उनहोनअपन ारा की गई हतयाओ जाद टोनो वयिभचारो अथवा चोरी-चकारी करन स मन न िफराया

10सवगदत और छोटी पोथी

1 िफर मन आकाश स नीच उतरत हए एकऔर बलवान सवगदतको दखा उसन बादल को ओढ़ा हआ था तथा उसक िसर कआस-पास एक मघ धनष था उसका मखमणडल सय क समानतथा उसकी टाग अिगन सतमभो क जसी थी 2अपन हाथ म उसन

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 103 21 परकािशत वाकय 1011

एक छोटी सी खली पोथी ली हई थी उसन अपना दािहना चरणसागर म और बाया चरण धरती पर रखा 3 िफर वह िसह क समानदहाड़ता हआ ऊच सवर म िच ाया उसक िच ान पर सातो गजन-तजन क शबद सनाई दन लग

4जब सातो गजन हो चकऔर म िलखन को ही था तभी मन एकआकाशवाणी सनी ldquoसातो गजनो न जो कछ कहा ह उस िछपा लतथा उस िलख मतrdquo

5 िफर उस सवगदत न िजस मन समदर म और धरती पर खड़ दखाथाआकाश म ऊपर दािहना हाथ उठाया 6और जो िनतय प ससजीव ह िजसन आकाश को तथा आकाश की सब वसतओ कोधरती एव धरती पर की तथा सागर और जो कछ उसम ह उन सबकी रचना की ह उसकी शपथ लकर कहा ldquoअब और अिधक दरनही होगी 7 िकनत जब सातव सवगदत को सनन का समयआएगाअथात जब वह अपनी तरही बजान को होगा तभी परम र की वहग योजना परी हो जाएगी िजस उसन अपन सवक निबयो को बतािदया थाrdquo

8 उस आकाशवाणी न िजस मन सना था मझस िफर कहा ldquoजाऔर उस सवगदत स जो सागर म और धरती पर खड़ा ह उसकहाथ स उस खली पोथी को ल लrdquo

9सो म उस सवगदत क पास गया और मन उसस कहा िक वहउस छोटी पोथी को मझ द द उसन मझस कहा ldquoयह ल और इसखा जा इसस तरा पट कड़वा हो जाएगा िकनत तर मह म यह शहदस भी जयादा मीठी बन जाएगीrdquo 10 िफर उस सवगदत क हाथ समन वह छोटी सी पोथी ल ली और मन उस खा िलया मर मख मयह शहद सी मीठी लगी िकनत म जब उस खा चका तो मरा पटकड़वा हो गया 11 इस पर वह मझस बोला ldquoतझ बहत स लोगोराषटरो भाषाओ और राजाओ क िवषय म िफर भिवषयवाणी करनीहोगीrdquo

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 111 22 परकािशत वाकय 111011

दो सा ी1इसक प ात नाप क िलए एकसरकडा मझ िदया गया जो नापन

की छड़ी जसा िदख रहा था मझस कहा गया ldquoउठ और परम रक मिनदर तथा वदी को नापऔर जो लोग मिनदर क भीतर उपासनाकर रह ह उनकी िगनती कर 2 िकनत मिनदर क बाहरी आगन कोरहन द उस मत नाप कयोिक यह अधिमयो को द िदया गया हव बयालीस महीन तक पिवतर नगर को अपन परो तल रौदग 3 मअपन दो गवाहो को खली छट द दगा और वो एक हज़ार दो सौसाठ िदनो तक भिवषयवाणी करग व ऊन क ऐस वसतर धारण िकएहए होग िजनह शोक परदिशत करन क िलए पहना जाता हrdquo

4 य दो साि या व दो जतन क पड़ तथा व दो दीपदान ह जोधरती क परभ क सामन िसथत रहत ह 5 यिद कोई भी उनह हािनपहचाना चाहता ह तो उनक मखो स जवाला फट पड़ती ह औरउनक शतरओ को िनगल जाती ह सो यिद कोई उनह हािन पहचानाचाहता ह तो िनि त प स उसकी इस परकार मतय हो जाती ह 6वआकाश को बाध दन की शि रखत ह तािक जब व भिवषयवाणीकर रह हो तब कोई वषा न होन पाए उनह झरनो क जल पर भीअिधकार था िजसस व उस लह म बदल सकत थ उनम ऐसीशि भी थी िक व िजतनी बार चाहत उतनी हीबार धरती पर हरपरकार क िवनाशो का आघात कर सकत थ

7 उनक सा ी द चकन क बाद वह पश उस महागत स बाहरिनकलगा और उन परआकरमण करगा वह उनह हरा दगा और मारडालगा 8 उनकी लाश उस महानगर की गिलयो म पड़ी रहगी यहनगर परतीक प स सदोम तथा िमसर कहलाता ह यही उनक परभको भी करस पर चढ़ा कर मारा गया था 9सभी जाितयो उपजाितयोभाषाओऔर दशो क लोग उनक शवो को साढ़ तीन िदन तक दखतरहग तथा व उनक शवो को कबरो म नही रखन दग 10 धरती कवासी उन पर आननद मनायग व उतसव करग तथा परसपर उपहार

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1111 23 परकािशत वाकय 1117भजग कयोिक इन दोनो निबयो न धरती क िनवािसयो को बहतदःख पहचाया था

11 िकनत साढ़ तीन िदन बाद परम र की ओर स उनम जीवनक ास न परवश िकया और व अपन परो पर खड़ हो गए िजनहोनउनह दखाव बहत डर गए थ 12 िफर उन दोनो निबयो न ऊच सवरम आकाशवाणी को उनस कहत हए सना ldquoयहा ऊपर आ जाओrdquoसो व आकाश क भीतर बादल म ऊपर चल गए उनह ऊपर जातहए उनक िवरोिधयो न दखा

13 ठीक उसी ण वहा एक भारी भचाल आया और नगर कादसवा भाग ढह गया भचाल म सात हज़ार लोग मार गए तथा जोलोग बच थव भयभीत हो उठ और व सवग क परम र की मिहमाका बखान करन लग

14 इस परकार अब दसरी िवपि बीत गई ह िकनत सावधानतीसरी महािवपि शीघर ही आन वाली ह

सातवी तरही का बजना15सातव सवगदत न जब अपनी तरही फकी तो आकाश म तज

आवाज़ होन लगी व कह रही थीldquoअब जगत का राजय हमार परभ का हऔर उसक मसीह का ही

अब वह सशासन यगयगो तक करगाrdquo16 और तभी परम र क सामन अपन-अपन िसहासनो परिवराजमान चौबीसो पराचीनो न दणडवत परणाम करक परम र कीउपासना की 17 व बोलldquoह सवशि मान परभ परम र जो ह जो था

हम तरा धनयवाद करत हतन ही अपनी महाशि को लकर

सबक शासन का आरमभ िकया था

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1118 24 परकािशत वाकय 12418अनय जाितया करोध म भरी थी

िकनत अब तरा कोप परकट समयऔर नयाय का समय आ गया

उन सब ही क जो पराण थ िबसारऔर समय आ गया िक तर सवक परितफल पाव सभी नबीजन तर सब जन

और सभी जो तझको आदर दतऔर सभी जो छोट जन ह और सभी जो बड़ बन ह अपनापरितफल पाव

उनह िमटान का समय आ गया धरती को जो िमटा रह हrdquo19 िफर सवग म िसथत परम र क मिनदर को खोला गया तथा

वहा मिनदर म वाचा की वह पटी िदखाई दी िफर िबजली कीचकाचौध होन लगी मघो का गजन-तजन और घड़घड़ाहट कशबद भकमप और भयानक ओल बरसन लग

12सतरी और िवशालकाय अजगर

1 इसक प ात आकाश म एक बड़ा सा सकत परकट हआ एकमिहला िदखाई दी िजसन सरज को धारण िकया हआ था औरचनदरमा उसक परो तल था उसक माथ पर मकट था िजसम बारहतार जड़ थ 2 वह गभवती थी और कयोिक परसव होन ही वालाथा इसिलए परजनन की पीड़ा स वह कराह रही थी

3 सवग म एक और सकत परकट हआ मर सामन ही एक लालरग का िवशालकाय अजगर खड़ा था उसक सातो िसरो पर सातमकट थ 4 उसकी पछ न आकाश क तारो क एक ितहाई भागको सपाटा मारकर धरती पर नीच फक िदया वह सतरी जो ब को जनम दन ही वाली थी वह अजगर उसक सामन खड़ा हो गयातािक वह जस ही उस ब को जनम द वह उसक ब को िनगलजाए

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 125 25 परकािशत वाकय 12145 िफर उस सतरी न एक ब को जनम िदया जो एक लड़का था

उस सभी जाितयो पर लौह दणड क साथ शासन करना था िकनतउस ब को उठाकर परम र और उसक िसहासन क सामन लजाया गया 6और वह सतरी िनजन वन म भाग गई एक ऐसा सथानजो परम र न उसी क िलए तयार िकया था तािक वहा उस एकहज़ार दो सौ साठ िदन तक जीिवत रखा जा सक

7 िफर सवग म एक य भड़क उठा मीकाईल और उसक दतोका उस िवशालकाय अजगर स सगराम हआ उस िवशालकायअजगर न भी उसक दतो क साथ लड़ाई लड़ी 8 िकनत वह उनपर भारी नही पड़ सका सो सवग म उनका सथान उनक हाथ सिनकल गया 9और उस िवशालकाय अजगर को नीच धकल िदयागया यह वही पराना महानाग ह िजस दानव अथवा शतान कहागया ह यह समच ससार को छलता रहता ह हा इस धरती परधकल िदया गया था

10 िफर मन ऊच सवर म एक आकाशवाणी को कहत सनाldquoयह हमार परम र क िवजय की घड़ी ह उसन अपनी शि औरसपरभता का बोध करा िदया ह उसक मसीह न अपनी शि कोपरकटकर िदया ह कयोिक हमार बनधओ पर परम र क सामन िदन-रात लाछन लगान वाल को नीच धकल िदया गया ह 11 उनहोनममन क बिलदान क र और उनक ारा दी गई सा ी स उस हरािदया ह उनहोन अपन पराणो का पिरतयाग करन तक अपन जीवनकी परवाह नही की 12 सो ह सवगोर और सवगोर क िनवािसयोआननद मनाओ िकनत हायधरती और सागर तमहार िलए िकतनाबरा होगा कयोिक शतान अब तम पर उतर आया ह वह करोध सआग-बबला हो रहा ह कयोिक वह जानता ह िक अब उसका बहतथोड़ा समय शष हrdquo

13जब उस िवशालकाय अजगर न दखा िक उस धरती पर नीचधकल िदया गया ह तो उसन उस सतरी का पीछा करना श करिदया िजसन पतर जना था 14 िकनत उस सतरी को एक बड़ उकाब

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1215 26 परकािशत वाकय 134

क दो पख िदए गए तािक वह उस वन परदश को उड़ जाए जोउसक िलए तयार िकया गया था साढ़ तीन साल तक वही उसिवशालकाय अजगर स दर उसका भरण-पोषण िकया जाना था15 तब उस महानाग न उस सतरी क पीछ अपन मख स नदी कसमान जल धारा परवािहत की तािक वह उसम बह कर डब जाए16 िकनत धरती न अपना मख खोलकर उस सतरी की सहायता कीऔर उस िवशालकाय अजगर न अपन मख स जो नदी िनकालीथी उस िनगल िलया 17 इसक बाद तो वह िवशालकाय अजगरउस सतरी पर बहत करोिधत हो उठा और उसक उन वशजो क साथजो परम र क आदशो का पालन करत ह और यीश की सा ी कोधारण करत ह य करन को िनकल पड़ा

18 तथा सागर क िकनार जा खड़ा हआ

13दो पश

1 िफर मन सागर म स एक पश को बाहर आत दखा उसक दससीग थ और सात िसर थ तथा अपन सीगो पर उसन दस राजसीमकट पहन हए थ उसक िसरो पर द नाम अिकत थ 2 मन जोपश दखा थावह चीत जसा था उसक पर भाल क पर जस थ औरउसका मख िसह क मख क समान था उस िवशालकाय अजगरन अपनी शि अपना िसहासन और अपना परचर अिधकार उससौप िदया

3मन दखा िक उसका एक िसर ऐसा िदखाई द रहा था जस उसपर कोई घातक घाव लगा हो िकनत उसका वह घातक घाव भरचका था समचा ससार आ य चिकत होकर उस पश क पीछ होिलया 4 तथा व उस िवशालकाय अजगर को पजन लग कयोिकउसन अपना समचा अिधकार उस पश को द िदया था व उस पश

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 135 27 परकािशत वाकय 1313की भी उपासना करत हए कहन लग ldquoइस पश क समान कौन हऔर ऐसा कौन ह जो उसस लड़ सकrdquo

5 उस अनमित द दी गई िक वह अहकार पण तथा िननदा स भरशबद बोलन म अपन मख का परयोग कर उस बयालीस महीन तकअपनी शि क परयोग का अिधकार िदया गया 6सो उसन परम रकी िननदा करनाआरमभ कर िदया वह परम र क नामऔर उसकमिनदर तथा जो सवग म रहत ह उनकी िननदा करन लगा 7 परम रक सत जनो क साथ य करन और उनह हरान की अनमित उस ददी गई तथा हर वश हर जाित हर पिरवार-समह हर भाषा और हरदश पर उस अिधकार िदया गया 8धरती क व सभी िनवासी उसपश की उपासना करग िजनक नाम उस ममन की जीवन-पसतक मससार क आरमभ स ही नही िलख िजसका बिलदान िकया जानासिनि त ह

9 यिद िकसी क कान ह तो वह सन10 बदीगह म बदी होना िजसकी िनयित

बनी ह वह िन य ही बदी होगायिद कोई अिस स मारगा तो

वह भी उस ही अिस स मारा जाएगाइसी म तो परम र क सत जनो स धयपण सहनशीलताऔर िव ासकी अप ा ह

धरती स पश का िनकलना11 इसक प ात मन धरती स िनकलत हए एक और पश को

दखा उसक ममन क सीगो जस दो सीग थ िकनत वह एकमहानाग क समान बोलता था 12 उस िवशालकाय अजगर कसामन वह पहल पश क सभी अिधकारो का उपयोग करता थाउसन धरती और धरती पर सभी रहन वालो स उस पहल पश कीउपासना करवाई िजसका घातक घाव भर चका था 13 दसर पश न

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1314 28 परकािशत वाकय 143बड़-बड़ चमतकार िकए यहा तक िक सभी लोगो क सामन उसनधरती पर आकाश स आग बरसवा दी

14वह धरती क िनवािसयो को छलता चला गया कयोिक उसकपास पहल पश की उपिसथित म चमतकार िदखान की शि थीदसर पश न धरती क िनवािसयो स उस पहल पश को आदर दनक िलए िजस पर तलवार का घाव लगा था और जो ठीक हो गयाथा उसकी मित बनान को कहा 15 दसर पश को यह शि दीगई थी िक वह पहल पश की मित म पराण परित ा कर तािक पहलपश की वह मित न कवल बोल सक बिलक उन सभी को मारडालन का आदश भी द सक जो इस मित की उपासना नही करत16-17 दसर पश न छोटो-बड़ो धिनयो-िनधनो सवतनतरो और दासो-सभी को िववश िकया िक व अपन-अपन दािहन हाथो या माथोपर उस पश क नाम या उसक नामो स समबिनधत सखया की छापलगवाय तािक उस छाप को धारण िकए िबना कोई भी ल बच नकर सक

18 िजसम बि हो वह उस पश क अक का िहसाब लगा लकयोिक वह अक िकसी वयि क नाम स समबिनधत ह उसकाअक ह छः सौ िछयासठ

14म जनो का गीत

1 िफर मन दखा िक मर सामन िसययोन पवत पर ममना खड़ाह उसक साथ ही एक लाख चवालीस हज़ार व लोग भी खड़ थिजनक माथो पर उसका और उसक िपता का नाम अिकत था

2 िफर मन एकआकाशवाणी सनी उसका महा नाद एक िवशालजल परपात क समान था या घनघोर मघ गजन क जसा था जोमहानाद मन सना था वह अनक वीणा वादको ारा एक साथबजायी गई वीणाओ स उतप सगीत क समान था 3 व लोगिसहासन चारो परािणयो तथा पराचीनो क सामन एक नया गीत गारह थ िजन एक लाख चवालीस हज़ार लोगो को धरती पर िफरौती

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 144 29 परकािशत वाकय 1411दकर बनधन स छड़ा िलया गया था उनह छोड़ अनय कोई भी वयिउस गीत को नही सीख सकता था

4व ऐस वयि थ िजनहोन िकसी सतरी क ससग स अपन आपकोदिषत नही िकया था कयोिक व कवार थ जहा कही ममना जाताव उसका अनसरण करत सारी मानव जाित स उनह िफरौती दकरबनधन स छड़ा िलया गया था व परम र और ममन क िलए फसलक पहल फल थ 5 उनहोन कभी झठ नही बोला था व िनदोरष थ

तीन सवगदत6 िफर मन आकाश म ऊची उड़ान भरत एक और सवगदत को

दखा उसक पास धरती क िनवािसयो परतयक दश जाित भाषाऔर कल क लोगो क िलए ससमाचार का एक अननत सनदश था7 ऊच सवर म वह बोला ldquoपरम र स डरो और उसकी सतित करोकयोिक उसक नयाय करन का समय आ गया ह उसकी उपासनाकरो िजसन आकाश पथवी सागर और जल-सरोतो की रचना कीहrdquo

8 इसक प ात उसक पीछ एक और सवगदत आया और बोलाldquoउसका पतन हो चका ह महान नगरी बाबल का पतन हो चकाह उसन सभी जाितयो को अपन वयिभचार स उतप करोध कीवासनामय मिदरा िपलायी थीrdquo

9उन दोनो क प ात िफर एकऔर सवगदतआयाऔर ऊच सवरम बोला ldquoयिद कोई उस पशऔर उसकी मित की उपासना करता हऔर अपन हाथ या माथ पर उसका छाप धारण करता ह 10तो वहपरम र क परकोप की मिदरा पीएगा ऐसी अिमिशरत तीखी मिदराजो परम रक परकोप क कटोर म तयार की गयी ह उस वयिको पिवतर सवगदतो और ममन स सामन धधकती हई गधक मयातनाए दी जायगी 11 यग-यगानतर तक उनकी यातनाओ स धआउठता रहगा और िजस िकसी पर भी पश क नाम की छाप अिकतहोगी और जो उसकी और उसकी मित की उपासना करता होगा

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1412 30 परकािशत वाकय 1420उनह रात-िदन कभी चन नही िमलगाrdquo 12 इसी सथान पर परम रक उन सत जनो की धयपण सहनशीलता की अप ा ह जो परम रकी आ ाओ और यीश म अपन िव ास का पालन करती ह

13 िफर एक आकाशवाणी को मन यह कहत सना ldquoइस िलखअब स आग व ही लोग धनय होग जो परभ म िसथत हो कर मर हrdquoआतमा कहती ह ldquoहा यही ठीक ह उनह अपन पिरशरम स अब

िवशराम िमलगा कयोिक उनक कम उनक साथ हrdquoधरती की फसल की कटनी

14 िफर मन दखा िक मर सामन वहा एक सफद बादल था औरउस बादल पर एक वयि बठा था जो मनषय क पतर जसा िदखरहा था उसन िसर पर एक सवणमकट धारण िकया हआ था औरउसक हाथ म एक तज हिसया था 15 तभी मिनदर म स एक औरसवगदत बाहर िनकला उसन जो बादल पर बठा था उसस ऊचसवर म कहा ldquoहिसया चला और फसल इक ी कर कयोिक फसलकाटन का समय आ पहचा ह धरती की फसल पक चकी हrdquo16सो जो बादल पर बठा था उसन धरती पर अपना हिसया चलायातथा धरती की फसल काट ली गयी

17 िफर आकाश म िसथत मिनदर म स एक और सवगदत बाहरिनकला उसक पास भी एक तज हिसया था 18 तभी वदी स एकऔर सवगदत आया अिगन पर उसका अिधकार था उस सवगदतस ऊच सवर म कहा ldquoअपन तज हिसय का परयोग कर और धरतीकी बल स अगर क गचछ उतार ल कयोिक इसक अगर पक चकहrdquo 19 सो उस सवगदत न धरती पर अपना हिसया चलाया औरधरती क अगर उतार िलए और उनह परम र क भयकर कोप कीकणड म डाल िदया 20 अगर नगर क बाहर की धानी म रौद कर 1414 मनषय क पतर यीश सवय अपन िलए परायः इस नाम का परयोग करत थ इसमहावरा का इबरानी या अरामी म अथ होता ह ldquoमानवrdquoया ldquoमानव-जाितrdquo परत दािनययल713-14 म इस शबद का परयोग भिवषय का उ ारकता और राजा क िलए िकया गयाबाद म इस शबद को ldquoमसीहrdquo समझा गया

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 151 31 परकािशत वाकय 154िनचोड़ िलए गए धानी म स लह बह िनकला लह घोड़ की लगामिजतना ऊपर चढ़आयाऔर कोई तीन सौ िकलो मीटर की दरी तकफल गया

15अितम िवनाश क दत

1आकाश म िफर मन एकऔर महान एवम अदभत िचनह दखामन दखा िक सात दत ह जो सात अितम महािवनाशो को िलए हएह य अितम िवनाश ह कयोिक इनक साथ परम र का कोप भीसमा हो जाता ह

2 िफर मझ काच का एक सागर सा िदखायी िदया िजसम मानोआग िमली हो और मन दखा िक उनहोन उस पश की मित परतथा उसक नाम स समबिनधत सखया पर िवजय पा ली ह व भीउस काच क सागर पर खड़ ह उनहोन परम र क ारा दी गयीवीणाए ली हई थी 3 व परम र क सवक मसा और ममन का यहगीत गा रह थ

ldquoव कम िजनह त करता रहता महान हतर कम अदभत तरी शि अननत ह

ह परभ परम र तर माग स और धािमकता स भर हए हसभी जाितयो का राजा

4 ह परभ तझस सब लोग सदा भयभीत रहगतरा नाम लकर सब जन सतित करग

कयोिक त मातर ही पिवतर हसभी जाितया तर सममख उपिसथत हई तरी उपासना कर

कयोिक तर काय परकट ह ह परभ त जो करता वही नयाय हrdquo

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 155 32 परकािशत वाकय 1655 इसक प ात मन दखा िक सवग क मिनदर अथात वाचा क

तमब को खोला गया 6 और व सातो दत िजनक पास अितम सातिवनाश थ मिनदर स बाहर आय उनहोन चमकील सवचछ सन कउ म रशो क बन वसतर पहन हए थ अपन सीनो पर सोन क पटकबाध हए थ 7 िफर उन चार परािणयो म स एक न उन सातो दतोको सोन क कटोर िदए जो सदा-सवदा क िलए अमर परम र ककोप स भर हए थ 8 वह मिनदर परम र की मिहमा और उसकीशि क धए स भरा हआ था तािक जब तक उन सात दतो क सातिवनाश पर न हो जाय तब तक मिनदर म कोई भी परवश न करनपाय

16परम र क परकोप क कटोर

1 िफर मन सना िक मिनदर म स एक ऊचा सवर उन सात दतोस कह रहा ह ldquoजाओऔर परम र क परकोप क सातो कटोरो कोधरती पर उड़ल दोrdquo

2सो पहला दत गया और उसन धरती पर अपना कटोरा उड़लिदया पिरणामसव प उन लोगो क िजन पर उस पश का िचनहअिकत था और जो उसकी मित को पजत थ भयानक पीड़ापणछाल फट आय

3 इसक प ात दसर दत न अपना कटोरा समदर पर उड़ल िदयाऔर सागर का जल मर हए वयि क लह क प म बदल गयाऔर समदर म रहन वाल सभी जीवजनत मार गए

4 िफर तीसर दत न निदयो और जल झरनो पर अपना कटोराउड़ल िदया और व लह म बदल गए 5 तभी मन जल क सवामीसवगदत को यह कहत सना

ldquoवह त ही ह जो नयायी ह जो था सदा-सदा स

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 166 33 परकािशत वाकय 1614

त ही ह जो पिवतरतन जो िकया ह वह नयाय ह6 उनहोन सत जनो का और निबयो का लह बहायात नयायी ह तन उनक पीन को बस र ही िदया

कयोिक व इसी क योगय रहrdquo7 िफर मन वदी स आत हए य शबद सन

ldquoहा ह सवशि मान परभ परम रतर नयाय स और नक हrdquo

8 िफर चौथ दत न अपना कटोरा सरज पर उड़ल िदया सो उसलोगो को आग स जला डालन की शि परदान कर दी गयी 9औरलोग भयानक गमीर स झलसन लग उनहोन परम र क नाम कोकोसा कयोिक इन िवनाशो पर उसी का िनयनतरण ह िकनत उनहोनकोई मन न िफराया और न ही उस मिहमा परदान की

10इसक प ात पाचव दत न अपना कटोरा उस पश क िसहासनपर उड़ल िदया और उस का राजय अधकार म डब गया लोगो नपीड़ा क मार अपनी जीभ काट ली 11अपनी-अपनी पीड़ाओऔरछालो क कारण उनहोन सवग क परम र की भतसना तो की िकनतअपन कमोर क िलए मन न िफराया

12 िफर छठ दत न अपना कटोरा फरात नामक महानदी पर उडलिदया और उसका पानी सख गया इसस पव िदशा क राजाओ किलए माग तयार हो गया 13 िफर मन दखा िक उस िवशालकायअजगर क मख स उस पश क मख स और कपटी निबयो क मखस तीन द ातमाए िनकली जो मढक क समान िदख रही थी 14 यशतानी द आतमाए थी और उनम चमतकार िदखान की शि थी

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1615 34 परकािशत वाकय 172व समच ससार क राजाओ को परम शि मान परम र क महानिदन य करन क िलए एकतर करन को िनकल पड़ी

15 ldquoसावधान म दब पाव आकर तमह अचरज म डाल दगा वहधनय ह जो जागता रहता हऔरअपन वसतरो को अपन साथ रखताह तािक वह नगा न िफर और लोग उस लिजजत होत न दखrdquo

16 इस परकार व द ातमाए उन राजाओ को इक ा करक उससथान पर ल आई िजस इबरानी भाषा म हरमिगदोन कहा जाता ह

17 इसक बाद सातव दत न अपना कटोरा हवा म उड़ल िदयाऔर िसहासन स उतप हई एक घनघोर धविन मिनदर म स यहकहती िनकली ldquoयह समा हो गयाrdquo 18तभी िबजली कौधन लगीगड़गड़ाहट और मघो का गजन-तजन होन लगा तथा एक बड़ाभचाल भी आया मनषय क इस धरती पर परकट होन क बाद कायह सबस भयानक भचाल था 19 वह महान नगरी तीन टकड़ोम िबखर गयी तथा अधिमयो क नगर धवसत हो गए परम र नबाबल की महानगरी को दणड दन क िलए याद िकया था तािकवह उस अपन भभकत करोध की मिदरा स भर पयाल को उस द द20 सभी ीप ल हो गए िकसी पहाड़ तक का पता नही चल पारहा था 21 चालीस चालीस िकलो क ओलआकाश स लोगो परपड़ रह थ ओलो क इस महािवनाश क कारण लोग परम र कोकोस रह थ कयोिक यह एक भयानक िवपि थी

17पश पर बठी सतरी

1 इसक बाद उन सात दतो म स िजनक पास सात कटोर थ एकमर पास आया और बोला ldquoआ म तझ बहत सी निदयो क िकनारबठी उस महान वशया क दणड को िदखाऊगा 2धरती क राजाओन उसक साथ वयिभचार िकया ह और व जो धरती पर रहत ह वउसकी वयिभचार की मिदरा स मतवाल हो गएrdquo

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 173 35 परकािशत वाकय 17103 िफर म आतमा स भािवत हो उठा और वह दत मझ बीहड़ वन

म ल गया जहा मन एक सतरी को लाल रग क एक ऐस पश पर बठदखा जो परम र क परित अपशबदो स भरा था उसक सात िसरथ और दस सीग 4 उस सतरी न बजनी और लाल रग क वसतर पहनहए थ वह सोन बहमलय रतनो और मोितयो स सजी हई थी वहअपन हाथ म सोन का एक कटोरा िलए हए थी जो बरी बातो औरउसक वयिभचार की अश वसतओ स भरा हआ था 5 उसक माथपर एक परतीकातमक शीषक था

महान बाबलवशयाओ और धरती पर की

सभी अशलीलताओ की जननी6मन दखा िक वह सतरी सत जनो और उन वयि यो क लह पीन

स मतवाली हई ह िजनहोन यीश क परित अपन िव ास की सा ीको िलए हए अपन पराण तयाग िदएउस दखकर म बड़ अचरज म पड़ गया 7 तभी उस दत न मझस

पछा ldquoतम अचरज म कयो पड़ हो म तमह इस सतरी क और िजसपश पर वह बठी ह उसक परतीक को समझाता ह सात िसरो औरदस सीगो वाला यह पश 8जो तमन दखा ह पहल कभी जीिवत थािकनत अब जीिवत नही ह िफर भी वह पाताल स अभी िनकलनवाला ह और तभी उसका िवनाश हो जायगा िफर धरती क वलोग िजन क नाम सि क परारमभ स ही जीवन की पसतक म नहीिलख गय ह उस पश को दखकर चिकत होग कयोिक कभी वहजीिवत था िकनत अब जीिवत नही ह पर िफर भी वह आन वालाह

9 ldquoयही वह िबनद ह जहा िववकशील बि की आवशयकता हय सात िसर व सात पवत ह िजन पर वह सतरी बठी ह व सातिसर उन सात राजाओ क भी परतीक ह 10 िजनम स पहल पाच का

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1711 36 परकािशत वाकय 182पतन हो चका ह एक अभी भी राजय कर रहा हऔर दसरा अभीतक आया नही ह िकनत जब वह आएगा तो उसकी यह िनयित हिक वह कछ दर ही िटक पाएगा 11वह पश जो पहल कभी जीिवतथा िकनत अब जीिवत नही ह सवय आठवा राजा ह जो उन सातोम स ही एक ह उसका भी िवनाश होन वाला ह

12 ldquoजो दस सीग तमन दख हव दस राजा ह उनहोन अभी अपनाशासनआरमभ नही िकया ह परनत पश क साथ घड़ी भर राजय करनको उनह अिधकार िदया जाएगा 13 इन दसो राजाओ का एक हीपरयोजन ह िक व अपनी शि और अपना अिधकार उस पश कोसौप द 14 व ममन क िव य करग िकनत ममना अपन बलाएहओ चन हओ और अनयािययो क साथ उनह हरा दगा कयोिकवह राजाओ का राजा और परभओ का परभ हrdquo

15 उस दत न मझस िफर कहा ldquoव निदया िजनह तमन दखाथा जहा वह वशया बठी थी िविभ कलो समदायो जाितयो औरभाषाओ की परतीक ह 16 व दस सीग िजनह तमन दखाऔर वहपश उस वशया स घणा करग तथा उसस सब कछ छीन कर उसनगा छोड़ जायग व शरीर को खा जायग और उस आग म जलाडालग 17 अपन परयोजन को परा करान क िलए परम र न उनसब को एक मत करक उनक मन म यही बठा िदया ह िक व जबतक परम र क वचन पर नही हो जात तब तक शासन करन काअपना अिधकार उस पश को सौप द 18 वह सतरी जो तमन दखीथी वह महानगरी थी जो धरती क राजाओ पर शासन करती हrdquo

18बाबल का िवनाश

1 इसक बाद मन एक और सवगदत को आकाश स बड़ी शिक साथ नीच उतरत दखा उसकी मिहमा स सारी धरती परकािशतहो उठी 2 शि शाली सवर स पकारत हए वह बोला

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 183 37 परकािशत वाकय 187ldquoवह िमट गयी

बाबल नगरी िमट गयीवह दानवो का आवास बन गयी थी

हर िकसी द ातमा का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी घिणत प ी का वह बसरा बन गयी थीहर िकसी अपिवतर िननदा योगय पश का

3कयोिक उसन सब जनो को वयिभचार क करोध की मिदरा िपलायीथी

इस जगत क शासको न जो सवय जगाई थी उसस वयिभचार िकयाथाऔर उसक भोग वयय स जगत क वयापारी समप बन थ

4आकाश स मन एक और सवर सना जो कह रहा था

ldquoह मर जनो तम वहा स बाहर िनकल आओतम उसक पापो म कही सा ी न बन जाओ

कही ऐसा न हो तम पर ही व नाश िगर जो उसक रह थ5 कयोिक उसक पाप की ढरी बहत ऊची गगन तक ह

परम र उसक बर कमोर को याद कर रहा ह6 ह तम भी तो उसस ठीक वसा वयवहार करो जसा तमहार साथ

उसन िकया थाजो उसन तमहार साथ िकया उसस दगना उसक साथ करो

दसरो क हत उसन िजस कटोर म मिदरा िमलाई वही मिदरा तमउसक हत दगनी िमलाओ

7 कयोिक जो मिहमा और वभव उसनसवय को िदया तम उसी ढग स उस यातनाए और पीड़ा दोकयोिक

वह सवय अपन आप ही स कहती रही ह lsquoम अपनी नपासनिवरािजत महारानी

म िवधवा नही

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 188 38 परकािशत वाकय 1814िफर शोक कयो क गीrsquo

8 इसिलए व नाश जो महामतयमहारोदन और वह दिभ भीषण ह

उसको एक ही िदन घर लगऔर उसको जला कर भसम कर दगकयोिक परम र परभ जो बहत स म ह

उसी न इसका यह नयाय िकया ह9 ldquoजब धरती क राजा िजनहोन उसक साथ वयिभचार िकया

और उसक भोग-िवलास म िहससा बटाया उसक जलन स िनकलतधआ को दखग तो व उसक िलए रोयग और िवलाप करग 10 वउसक क ो स डर कर वही स बहत दर ही खड़ हए कहग

lsquoह शि शाली नगर बाबलभयावह ओ हाय भयानक

तरा दणड तझको बस घड़ी भर म िमल गयाrsquo11 ldquoइस धरती पर क वयापारी भी उसक कारण रोयग और

िवलाप करग कयोिक उनकी वसतए अब कोई और मोल नही लगा12वसतए सोन की चादी की बहमलय रतन मोती मलमल बजनीरशमी और िकरिमजी वसतर हर परकार की सगिधत लकड़ी हाथीदात की बनी हई हर परकार की वसतए अनमोल लकड़ी कासलोह और सगमरमर स बनी हई तरह-तरह की वसतए 13 दार चीनीगलमहदी सगिधत धप रस गध लोहबान मिदरा जतन का तलमदा गह मवशी भड़ घोड़ और रथ दास हा मनषयो की दह औरउनकी आतमाए तक14 lsquoह बाबल व सभी उ म वसतए िजनम तरा दय रमा था तझ

सब छोड़ चली गयी हतरा सब िवलास वभव भी आज नही ह

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1815 39 परकािशत वाकय 1820अब न कभी व तझ िमलगीrsquo

15 ldquoव वयापारी जो इन वसतओ का वयापार करत थ और उसससमप बन गए थ व दर-दर ही खड़ रहग कयोिक व उसक क ोस डर गय ह व रोत-िबलखत 16कहगlsquoिकतना भयावह और िकतनी भयानक ह महानगरी

यह उसक हत हआ उ म मलमली वसतर पहनती थीबजनी और िकरिमजी और सवण स बहमलय रतनो सससिजजत

मोितयो स सजती ही रही थी17और बस घड़ी भर म यह सारी समपि िमट गयीrsquo

ldquoिफर जहाज का हर क ान या हर वह वयि जो जहाज स चाहकही भी जा सकता ह तथा सभी म ाह और व सब लोग भी जोसागर स अपनी जीिवका चलात ह उस नगरी स दर ही खड़ रह18 और जब उनहोन उसक जलन स उठती धआ को दखा तो वपकार उठ lsquoइस िवशाल नगरी क समान और कौन सी नगरी हrsquo19 िफर उनहोन अपन िसर पर धल डालत हए रोत-िबलखत कहा

lsquoमहानगरी हाय यह िकतना भयावह हाय यह िकतना भयानकिजनक पास जलयान थ िसध जल पर समपि शाली बन गए

कयोिक उसक पास समपि थी परअब बस घड़ी भर म न हो गयी

20 उसक हत आननद मनाओ तम ह सवगपरिरत और निबयो तम परम र क जनो आननद मनाओकयोिक परभ न उसको ठीक वसा दणड द िदया ह जसा वह दणड

उसन तमह िदया थाrsquo rdquo

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1821 40 परकािशत वाकय 19221 िफर एक शि शाली सवगदत न च ी क पाट जसी एक बड़ी

सी च ान उठाई और उस सागर म फकत हए कहा

ldquoमहानगरी ह बाबल महानगरीठीक ऐस ही त िगरा दी जायगी त िफर ल हो जायगीऔरत नही िमल पायगी

22 तझम िफर कभी नही वीणा बजगीऔर गायक कभी भी सतितपाठ न कर पायग

वशी कभी नही गजगी कोई भी तरही तान न सनगातझम अब कोई कला िशलपी कभी न िमलगा अब तझम कोई भी

कला न बचगीअब च ी पीसन का सवर कभी भी धविनत न होगा23 दीप की िकिचत िकरण तझम कभी भी न चमकगीअब तझम िकसी वर की िकसी वधकी मधर धविन कभी न गजगीतर वयापारी जगती क महामनज थ तर जाद न सब जातो को

भरमाया24नगरी न निबयो का सत जनो का उन सब ही का लह बहाया था

इस धरती पर िजनको बिल पर चढ़ा िदया थाrdquo19

सवग म परम र की सतित1 इसक प ात मन भीड़ का सा एक ऊचा सवर सना लोग कह

रह थldquoहि लययाहपरम र की जय हो जय हो मिहमा और सामथय सदा हो2 उसक नयाय सदा स ह धम य हउस महती वशया का उसन नयाय िकया ह

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 193 41 परकािशत वाकय 197िजसन अपन वयिभचार स इस धरती को भर िकया थािजनको उसन मार िदया

उन दास जनो की हतया का परितशोध हो चकाrdquo3 उनहोन यह िफर गाया

ldquoहि लययाहजय हो उसकी उसस धआ यग यग उठगाrdquo

4 िफर चौबीसो पराचीनो और चारो परािणयो न िसहासन परिवराजमान परम र को झक कर परणाम िकयाऔर उसकी उपासनाकरत हए गान लग

ldquoआमीन हि लययाहrdquo जय हो उसकी5 सवग स िफर एक आवाज़ आयी जो कह रही थी

ldquoह उसक सवको तम सभी हमार परम र का सतित गान करो तमचाह छोट हो

चाह बड़ बन हो जो उसस डरत रहत होrdquo6 िफर मन एक बड़ जनसमदर का सा शबद सना जो एक िवशाल

जलपरवाह और मघो क शि शाली गजन-तजन जसा था लोग गारह थldquoहि लययाह

उसकी जय हो कयोिक हमारा परभ परम रसवशि समप राजय कर रहा ह

7 सो आओ खश हो-हो कर आननद मनाए आओ उसको मिहमादव

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 198 42 परकािशत वाकय 1915कयोिक अब ममन क बयाह का समयआ गया उसकी दलहन सजी-

धजी तयार हो गयी8 उसको अनमित िमली सवचछ धवल

पहन ल वह िनमल मलमलrdquo(यह मलमल सत जनो क धममय कायोर का परतीक ह)

9 िफर वह मझस कहन लगा ldquoिलखो व धनय ह िजनह इस िववाहभोज म बलाया गया हrdquoउसन िफर कहा ldquoय परम र क सतय वचनहrdquo

10और म उसकी उपासना करन क िलए उसक चरणो म िगरपड़ा िकनत वह मझस बोला ldquoसावधान ऐसा मत कर म तो तरऔर तर बधओ क साथ परम र का सगी सवक ह िजन पर यीशक ारा सा ी िदए गए सनदश क परचार का दाियतव ह परम रकी उपासना कर कयोिक यीश क ारा परमािणत सनदश इस बातका परमाण ह िक उनम एक नबी की आतमा हrdquo

सफद घोड़ का सवार11 िफर मन सवग को खलत दखा और वहा मर सामन एक

सफद घोड़ा था घोड़ का सवार िव सनीय और सतय कहलाताथा कयोिक नयाय क साथ वह िनणय करता ह और य करता ह12 उसकी आख ऐसी थी मानो अिगन की लपट हो उसक िसर परबहत स मकट थ उस पर एक नाम िलखा था िजस उसक अितिरकोई और नही जानता 13 उसन ऐसा वसतर पहना था िजस लह मडबाया गया था उस नाम िदया गया था ldquoपरम र का वचनrdquo14सफद घोड़ो पर बठी सवग की सनाए उसक पीछ पीछ चल रहीथी उनहोन श त मलमल क वसतर पहन थ 15 अधिमयो परपरहार करन क िलए उसक मख स एक तज धार की तलवार बाहरिनकल रही थी वह उन पर लोह क दणड स शासन करगा और

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 1916 43 परकािशत वाकय 203सवशि समप परम र क परचणड करोध की धानी म वह अगरोका रस िनचोड़गा 16 उसक वसतर तथा उसकी जाघ पर िलखा था

राजाओ का राजा और परभओ का परभ17 इसक बाद मन दखा िक सय क ऊपर एक सवगदत खड़ा ह

उसन ऊच आकाश म उड़न वाल सभी पि यो स ऊच सवर म कहाldquoआओ परम र क महाभोज क िलए एकतर हो जाओ 18तािक तमशासको सनापितयो परिस प षो घोड़ो और उनक सवारो कामास खा सको और सभी लोगो सवतनतर वयि यो सवको छोटलोगो और महतवपण वयि यो की दहो को खा सकोrdquo

19 िफर मन उस पश को और धरती क राजाओ को दखा उनकसाथ उनकी सना थी व उस घड़सवार और उसकी सना स यकरन क िलए एक साथ आ जट थ 20 पश को घर िलया गयाथा उसक साथ वह झठा नबी भी था जो उसक सामन चमतकारिदखाया करता था और उनको छला करता था िजन पर उस पशकी छाप लगी थी और जो उसकी मित की उपासना िकया करतथ उस पश और झठ नबी दोनो को ही जलत गधक की भभकतीझील म जीिवत ही डाल िदया गया था 21 घोड़ क सवार क मखस जो तलवार िनकल रही थीबाकी क सिनक उसस मार डाल गएिफर पि यो न उनक शवो क मास को भर पट खाया

20हज़ार वष

1 िफर आकाश स मन एक सवगदत को नीच उतरत दखा उसकहाथ म पाताल की चाबी और एक बड़ी साकल थी 2 उसन उसपरान महा सप को पकड़ िलया जो दतय यानी शतान ह िफर एकहज़ार वष क िलए उस साकल स बाध िदया 3 तब उस सवगदत

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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527f0fcd5b-bc85-55f6-933a-0de82e7ef275

  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 204 44 परकािशत वाकय 2010न उस महागत म धकल कर ताला लगा िदया और उस पर कपाटलगा कर महर लगा दी तािक जब तक हजार साल पर न हो जायवह लोगो को धोखा न द सक हज़ार साल पर होन क बाद थोड़समय क िलए उस छोड़ा जाना ह

4 िफर मन कछ िसहासन दख िजन पर कछ लोग बठ थ उनहनयाय करन का अिधकार िदया गया था और मन उन लोगो कीआतमाओ को दखा िजनक िसर उस सतय क कारण जो यीश ारापरमािणत हऔर परम र क सदश क कारण काट गए थ िजनहोनउस पश या उसकी परितमा की कभी उपासना नही की थी तथािजनहोन अपन माथो पर या अपन हाथो पर उसका सकत िचनहधारण नही िकया था व िफर स जीिवत हो उठ और उनहोन मसीहक साथ एक हज़ार वष तक राजय िकया 5 (शष लोग हज़ार वषपर होन तक िफर स जीिवत नही हए)यह पहला पन तथान ह 6 वह धनय ह और पिवतर भी ह जो

पहल पन तथान म भाग ल रहा ह इन वयि यो पर दसरी मतयको कोई अिधकार परा नही ह बिलक व तो परम र और मसीहक अपन याजक होग और उसक साथ एक हज़ार वष तक राजयकरग

शतान की हार7 िफर एक हज़ार वष पर हो चकन पर शतान को उसक बनदीगह

स छोड़ िदया जाएगा 8और वह समची धरती पर फली जाितयो कोछलन क िलए िनकल पड़गा वह गोग और मागोग को छलगावह उनह य क िलए एकतर करगा व उतन ही अनिगनत होगिजतन समदर तट क रत-कण

9शतान की सना समची धरती पर फल जायगी और व सत जनोक डर और िपरय नगरी को घर लग िकनत आग उतरगी और उनहिनगल जाएगी 10इस क प ात उस शतान को जो उनह छलता रहाह भभकती गधक की झील म फक िदया जाएगा जहा वह पशऔर

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 2011 45 परकािशत वाकय 214झठ नबी दोनो ही डाल गए ह सदा सदा क िलए उनह रात िदनतड़पाया जाएगा

ससार क लोगो का नयाय11 िफर मन एक िवशाल त िसहासन को और उस जो उस पर

िवराजमान था दखा उसक सामन स धरती और आकाश भागखड़ हए उनका पता तक नही चल पाया 12 िफर मन छोट औरबड़ मतको को दखा व िसहासन क आग खड़ थ कछ पसतकखोली गयी िफर एक और पसतक खोली गयीmdashयही ldquoजीवन कीपसतकrdquoह उन कमोर क अनसार जो पसतको म िलख गए थमतकोका नयाय िकया गया

13जो मतक सागर म थ उनह सागर न द िदया तथा मतय औरपाताल न भी अपन अपन मतक सौप िदए परतयक का नयाय उसककमोर क अनसार िकया गया 14 इसक बाद मतय को और पातालको आग की झील म झोक िदया गया यह आग की झील ही दसरीमतय ह 15 यिद िकसी का नाम lsquoजीवन की पसतकrsquo म िलखा नहीिमला तो उस भी आग की झील म धकल िदया गया

21नया य शलम

1 िफर मन एक नया सवग और नयी धरती दखी कयोिक पहलासवग और पहली धरती ल हो चक थ और वह सागर भी अबनही रहा था 2 मन य शलम की वह पिवतर नगरी भी आकाश सबाहर िनकल कर परम र की ओर स नीच उतरत दखी उस नगरीको ऐस सजाया गया था जस मानो िकसी दलहन को उसक पित किलए सजाया गया हो

3 तभी मन आकाश म एक ऊची धविन सनी वह कह रही थीldquoदखो अब परम र का मिनदर मनषयो क बीच ह और वह उनहीक बीच घर बनाकर रहा करगा व उसकी परजा होग और सवयपरम र उनका परम र होगा 4 उनकी आख स वह हर आस पोछ

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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527f0fcd5b-bc85-55f6-933a-0de82e7ef275

  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 215 46 परकािशत वाकय 2113

डालगा और वहा अब न कभी मतय होगी न शोक क कारण कोईरोना-धोना और नही कोई पीड़ा कयोिक य सब परानी बात अबसमा हो चकी हrdquo

5 इस पर जो िसहासन पर बठा था वह बोला ldquoदखो म सबकछ नया िकए द रहा हrdquo उसन िफर कहा ldquoइस िलख ल कयोिकय वचन िव ास करन योगय ह और सतय हrdquo

6वह मझस िफर बोला ldquoसब कछ परा हो चका ह म ही अलफाह और म ही ओमगा ह म ही आिद ह और म ही अनत ह जोभी पयासा ह म उस जीवन-जल क सरोत स सत-मत म म भावस जल िपलाऊगा 7 जो िवजयी होगा उस सब कछ का मािलकबनगा म उसका परम र होऊगा और वह मरा पतर होगा 8 िकनतकायरो अिव ािसयो दबि यो हतयारो वयिभचािरयो जादटोनाकरन वालो मितपजको और सभी झठ बोलन वालो को भभकतीगधक की जलती झील म अपना िहससा बटाना होगा यही दसरीमतय हrdquo

9 िफर उन सात दतो म स िजनक पास सात अितम िवनाशो सभर कटोर थ एक आग आया और मझस बोला ldquoयहा आ म तझवह दिलहन िदखा द जो ममन की पतनी हrdquo 10अभी म आतमा कआवश म ही था िक वह मझ एक िवशाल और ऊच पवत पर लगया िफर उसन मझ य शलम की पिवतर नगरी का दशन करायावह परम र की ओर स आकाश स नीच उतर रही थी

11 वह परम र की मिहमा स मिणडत थी वह सवथा िनमलयशब नामक महामलयवान रतन क समान चमक रही थी 12 नगरीक चारो ओर एक िवशाल ऊचा परकोटा था िजसम बारह ार थउन बारहो ारो पर बारह सवगदत थ तथा बारहो ारो पर इसराएलक बारह कलो क नाम अिकत थ 13 इनम स तीन ार पव की ओरथ तीन ार उ र की ओर तीन ार दि ण की ओरऔर तीन ार

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

The Holy Bible Easy Reading Version in Hindicopyright copy 1992-2010 World Bible Translation CenterLanguage िहदी (Hindi)Translation by World Bible Translation Center

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527f0fcd5b-bc85-55f6-933a-0de82e7ef275

  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 2114 47 परकािशत वाकय 2125पि म कीओर थ 14 नगर का परकोटा बारह नीवो पर बनाया गयाथा तथा उन पर ममन क बारह परिरतो क नाम अिकत थ

15जो सवगदत मझस बात कर रहा था उसक पास सोन स बनीनापन की एक छड़ी थी िजसस वह उस नगर को उसक ारो कोऔर उसक परकोट को नाप सकता था 16 नगर को वगाकार मबसाया गया था यह िजतना लमबा था उतना ही चौड़ा था उससवगदत न उस छड़ी स उस नगरी को नापा वह कोई बारह हज़ारसटोिडया पायी गयी उसकी लमबाईचौड़ाई और ऊचाई एक जसीथी 17 सवगदत न िफर उसक परकोट को नापा वह कोई एक सौचवालीस हाथ था उस मनषय क हाथो की लमबाई स नापा गयाथा जो हाथ सवगदत का भी हाथ ह 18 नगर का परकोटा यशबनामक रतन का बना था तथा नगर को काच क समान चमकत शसोन स बनाया गया था

19नगर क परकोट की नीव हर परकार क बहमलय रतनो स सजाईगयी थी नीव का पहला पतथर यशब का बना था दसरी नीलम सतीसरी सफिटक स चौथी प स 20 पाचवी गोमद स छठी मानकस सातवी पीत मिण सआठवी परोज स नवी पखराज स दसवीलहसिनया स गयारहवी धमरकात स और बारहवी चनदरकात मिणस बनी थी 21बारहो ार बारह मोितयो स बन थ हर ार एक-एकमोती स बना था नगर की गिलया सवचछ काच जस श सोन कीबनी थी

22 नगर म मझ कोई मिनदर िदखाई नही िदया कयोिकसवशि मान परभ परम र और ममना ही उसक मिनदर थ 23 उसनगर को िकसी सय या चनदरमा की कोई आवशयकता नही ह िकव उस परकाश द कयोिक वह तो परम र क तज स आलोिकत थाऔर ममना ही उस नगर का दीपक ह

24सभी जाितयो क लोग इसी दीपक क परकाश क सहार आगबढ़ग और इस धरती क राजा अपनी भवयता को इस नगर मलायग 25 िदन क समय इसक ार कभी बद नही होग और वहा

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

51पिवतर बाइबल

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License Agreement for Bible Texts World Bible Translation Center Last UpdatedSeptember 21 2006 Copyright copy 2006 by World Bible Translation Center All rightsreserved These Scriptures bull Are copyrighted by World Bible Translation Center bullAre not public domain bull May not be altered or modified in any form bull May notbe sold or offered for sale in any form bull May not be used for commercial purposes(including but not limited to use in advertising or Web banners used for the purposeof selling online add space) bull May be distributed without modification in electronicform for non-commercial use However they may not be hosted on any kind of server(including a Web or ftp server) without written permission A copy of this license(without modification) must also be included bull May be quoted for any purpose up to1000 verses without written permission However the extent of quotation must notcomprise a complete book nor should it amount tomore than 50 of thework inwhichit is quoted A copyright notice must appear on the title or copyright page using thispattern ldquoTaken from the HOLY BIBLE EASY-TO-READ VERSIONTM copy 2006 by WorldBible Translation Center Inc and used by permissionrdquo If the text quoted is fromone of WBTCrsquos non-English versions the printed title of the actual text quoted willbe substituted for ldquoHOLY BIBLE EASY-TO-READ VERSIONTMrdquo The copyright noticemust appear in English or be translated into another language When quotationsfrom WBTCrsquos text are used in non-saleable media such as church bulletins orders ofservice posters transparencies or similar media a complete copyright notice is notrequired but the initials of the version (such as ldquoERVrdquo for the Easy-to-Read VersionTMin English) must appear at the end of each quotation Any use of these Scripturesother than those listed above is prohibited For additional rights and permission forusage such as the use of WBTCrsquos text on a Web site or for clarification of any ofthe above please contact World Bible Translation Center in writing or by email atdistributionwbtccom World Bible Translation Center PO Box 820648 Fort WorthTexas 76182 USA Telephone 1-817-595-1664 Toll-Free in US 1-888-54-BIBLE E-mailinfowbtccom WBTCrsquos web site ndash World Bible Translation Centerrsquos web site httpwwwwbtcorg2019-11-15PDF generated using Haiola and XeLaTeX on 11 Jan 2020 from source files dated 11 Jan2020

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  • परकाशित वाकय

परकािशत वाकय 2126 48 परकािशत वाकय 228रात तो कभी होगी ही नही 26 जाितयो क कोष और धन समपिको उस नगर म लाया जायगा 27 कोई अपिवतर वसत तो उसमपरवश तक नही कर पायगी और न ही लजजापण काय करन वालऔर झठ बोलन वाल उसम परवश कर पाएग उस नगरी म तो परवशबस उनही को िमलगा िजनक नाम ममन की जीवन की पसतक मिलख ह

221इसक प ात उस सवगदत न मझ जीवन दन वाल जल की एक

नदी िदखाई वह नदी सफिटक की तरह उजजवल थी वह परम रऔर ममन क िसहासन स िनकलती हई 2 नगर की गिलयो क बीचस होती हई बह रही थी नदी क दोनो तटो पर जीवन व उग थउन पर हर साल बारह फसल लगा करती थी इसक परतयक वपर परितमास एक फसल लगती थी तथा इन व ो की पि या अनकजाितयो को िनरोग करन क िलए थी

3वहा िकसी परकार का कोई अिभशाप नही होगा परम र औरममन का िसहासन वहा बना रहगा तथा उसक सवक उसकीउपासना करग 4 तथा उसका नाम उनक माथो पर अिकत रहगा5वहा कभी रात नही होगी और न ही उनह सय क अथवा दीपक कपरकाश की कोई आवशयकता रहगी कयोिक उन पर परभ परम रअपना परकाश डालगा और व सदा सदा शासन करग

6 िफर उस सवगदत न मझस कहा ldquoय वचन िव ास करन योगयऔर सतय ह परभ न जो निबयो की आतमाओ का परम र हअपनसवको को जो कछ शीघर ही घटन वाला ह उस जतान क िलएअपना सवगदत भजा ह 7 lsquoसनो म शीघर ही आ रहा ह धनय हवह जो इस पसतक म िदए गए उन वचनो का पालन करत ह जोभिवषयवाणी हrsquo rdquo

8म यह ा ह मन य बात सनी और दखी ह जब मन य बात दखीसनी तो उस सवगदत क चरणो म िगर कर मन उसकी उपासना की

परकािशत वाकय 229 49 परकािशत वाकय 2218जो मझ य बात िदखाया करता था 9 उसन मझस कहा ldquoसावधानत ऐसा मत कर कयोिक म तो तरा तर बध निबयो का जो इसपसतक म िलख वचनो का पालन करत ह एक सह-सवक ह बसपरम र की ही उपासना करrdquo

10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

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  • परकाशित वाकय

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10उसन मझस िफर कहा ldquoइस पसतक म जो भिवषयवािणया दीगयी ह उनह छपा कर मत रख कयोिक इन बातो क घिटत होन कासमय िनकट ही ह 11 जो बरा करत चल आ रह ह व बरा करतरह जो अपिवतर बन हए ह व अपिवतर ही बन रह जो धमीर ह वधमीर ही बना रह जो पिवतर ह व पिवतर बना रहrdquo

12 ldquoदखो म शीघर ही आ रहा ह और अपन साथ तमहार िलएपरितफल ला रहा ह िजसन जस कम िकय हम उनह उसक अनसारही दगा 13 म ही अलफा ह और म ही ओमगा ह म ही पहला ह और म ही अिनतम हrdquo म ही आिद और म ही अनत ह

14 ldquoधनय ह वह जो अपन वसतरो को धो लत ह उनह जीवन-वक फल खान का अिधकार होगा व ार स होकर नगर म परवशकरन क अिधकारी होग 15 िकनत lsquoक rsquo जाद-टोना करन वालवयिभचारी हतयार मितपजकऔर परतयक वह जो झठ पर चलताह और झठ को परम करता ह बाहर ही पड़ रहग

16 ldquoसवय मझ यीश न तम लोगो क िलए और कलीिसयाओ किलए इन बातो की सा ी दन को अपना सवगदत भजा ह म दाऊदक पिरवार का वशज ह म भोर का दमकता हआ तारा हrdquo

17आतमा और दिलहन कहती ह ldquoआrdquo और जो इस सनता हवह भी कह ldquoआrdquo और जो पयासा हो वह भी आय और जो चाहवह भी इस जीवन दायी जल क उपहार को म भाव स गरहण कर

18 म शपथ पवक उन वयि यो क िलए घोषणा कर रहा ह जोइस पसतक म िलख भिवषयवाणी क वचनो को सनत ह उनम सयिद कोई भी उनम कछ भी और जोड़गा तो इस पसतक म िलख

परकािशत वाकय 2219 50 परकािशत वाकय 2221िवनाश परम र उस पर ढायगा 19और यिद निबयो की इस पसतकम िलख वचनो म स कोई कछ घटायगा तो परम र इस पसतक मिलख जीवन-व और पिवतर नगरी म स उसका भाग उसस छीनलगा

20यीश जो इन बातो का सा ी ह वह कहता ह ldquoहा म शीघर हीआ रहा हrdquoआमीन ह परभ यीश आ21 परभ यीश का अनगरह सबक साथ रह आमीन

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