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छात्रोपयोगी सहायक सामाग्री

कक्षा 10वीं

हिन्दी

सत्र-2016-17

केन्द्रीय विद्यालया संगठन

नई दिल्ली

छात्रोपयोगी सहायक सामाग्री

सलाहकार

· श्री संतोष कुमार मल्ल, आयुक्त, केविसं (मुख्यालय), नई दिल्ली

· श्री यू॰ एन खवाड़े, अपर आयुक्त, केविसं (मुख्यालय), नई दिल्ली

समन्वयकर्ता

· डॉ. वी विजयालक्ष्मी, संयुक्त आयुक्त (शैक्षिक), केविसं (मुख्यालय), नई दिल्ली

· श्री पी. वी. साई रंगा राव, उपायुक्त (शैक्षिक), केविसं (मुख्यालय), नई दिल्ली

· सुश्री. अपराजिता, सहायक शिक्षा अधिकारी (शैक्षिक), केविसं (मुख्यालय), नई दिल्ली

प्रस्तुतकर्ता

· श्री सुशील कुमार, परास्नातक शिक्षक (हिंदी) केन्द्रीय विद्यालय क्र.-01, पटियाला।

· श्रीमती माया देवी, परास्नातक शिक्षिका (हिंदी) के. वि. -01 अम्बाला छावनी।

· डॉ. केशव देव, परास्नातक शिक्षक (हिंदी) केन्द्रीय विद्यालय के०रि०पु० बल, पिंजौर।

· श्रीमती सरोज वर्मा मौर्य, प्र.स्ना.शि. (हिन्दी), के. वि. सं. 02, डी.एम.डब्ल्यु पटियाला।

· श्री वीना डोगरा, प्र.स्ना.शि. (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय, हाई ग्राउंड चंडीगढ़ ।

· श्री पी.डी. गोयल, प्र.स्ना.शि. (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय सं.1, चंडीमंदिर छावनी।

पुनरीक्षणकर्ता

· श्री नन्द किशोर, प्र.स्ना.शि. (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय एंड्रूस गंज नई दिल्ली

· श्रीमती निर्मला देवी, प्र.स्ना.शि. (हिन्दी), केन्द्रीय विद्यालय अर्जन गढ़

अनुक्रमणिका (विषय-सूची)

क्र.सं

विषयवस्तु

पृष्ठ संख्या

1

प्रस्तावना

1-2

2

अनुक्रमणिका

3

3.

पाठ्यक्रम एवं अंक योजना (प्रारूप)

4-8

4.

अपठित गद्यांश

9-10

5.

अपठित पद्यांश

10-12

व्याकरण का प्रस्तुतीकरण एवं उदाहरण

12-23

रचनात्मक लेखन

पत्र लेखन

23-27

निबंध लेखन

28-30

सार लेखन

30-31

प्रथम सत्र

पाठों का सूत्रात्मक विवरण (संक्षिप्त परिचय)

31-33

पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतिकरण, अभ्यास और प्रश्नोत्तर

34-51

प्रायः पूछे जाने वाले मह्त्त्वपूर्ण प्रश्न (प्रश्न कोष)

52-54

द्वितीय सत्र

पाठों का सूत्रात्मक विवरण (संक्षिप्त परिचय)

55-56

पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतिकरण, अभ्यास और प्रश्नोत्तर

57-81

प्रायः पूछे जाने वाले मह्त्त्वपूर्ण प्रश्न (प्रश्न कोष)

81-83

6

अभ्यास हेतु गत वर्ष के वार्षिक परीक्षा प्रश्न पत्र

84-98

7.

परीक्षा से संबंधित अनुदेश ।

98-99

अपठित गद्यांश

अपठित का अर्थ होता है जो पढ़ा नहीं गया हो, अर्थात् जो पाठ्यक्रम की पुस्तक से नहीं लिया जाता है|पद्यांश व गद्यांश का विषय कुछ भी हो सकता है| इसमें सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, इससे विद्यार्थियों का मानसिक व्यायाम होता है और उनके साहित्यिक ज्ञान-क्षेत्र का विस्तार भी होता है| साथ ही विद्यार्थियों की व्यक्तिगत योग्यता एवं अभिव्यक्ति क्षमता भी बढ़ती है |

विधि:-

अपठित गद्यांश व पद्यांश पर आधारित प्रश्न को हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-

1- दिए गए गद्यांश/पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें |

2- पढ़ते समय मुख्य बातों को रेखांकित करें |

3- प्रश्नों के उत्तर देते समय भाषा सरल होनी चाहिए |

4- उत्तर सरल, संक्षिप्त व सहज होने चाहिएं |

5- उत्तर में जितना अपेक्षित हो उतन ही लिखना चाहिए |

6- उत्तर सदैव पूर्ण वाक्य में दें |

(1)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये-

जब मनुष्य जंगली था, उसे नाखून की जरूरत थी |उसकी जीवन रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी थे|असल में वही उसके अस्त्र थे |दाँत भी थे पर नाखून के बाद ही उनका स्थान था | उन दिनो उसे जूझना पड़ता था नाखून उसके लिए आवश्यक अंग था |फिर धीरे धीरे वह अपने अंग से बाहर की वस्तुओं का सहारा लेने लगा|पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें काम में लाने लगा|मनुष्य और आगे बढ़ा|उसने धातु के हथियार बनाए|जिसके पास लोहे के अस्त्र और शस्त्र थे वो विजयी हुए|इतिहास आगे बढ़ा,नख धार मनुष्य अब एटम बम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा| पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे है|अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वो याद दिला देती है की तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता|तुम वही लाख वर्ष पहले वाले नखदन्तावलम्बी जीव हो – पशु के साथ एक ही सतह पर विचरने वाले और चरने वाले|

1.मनुष्य को नाखून जरूरी क्यों थे ?

क) शस्त्र बनाने के लिए ख) उँगलियों को सुंदर बनाने के लिए

ग) अंगुलियों की सुरक्षा के लिए घ) जीवन रक्षा के लिए

2.कुछ समय बाद मनुष्य किन चीजों का सहारा लेने लगा ?

क) पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें ख) पत्थर के बर्तन

ग) नाखून से बने हथियार घ) जानवरों के दाँत

3.मनुष्य अब किस पर भरोसा कर के आगे की ओर चल पड़ा है ?

क) परम पिता परमेंश्वर पर ख) एटम बम

ग) वज्र घ) नाखून

4.प्रकृति मनुष्य को कौन से अस्त्र से वंचित नहीं कर रही ?

क) वज्र ख) तन

ग) हस्त घ) नख

5.लेखक ने मनुष्य को कैसा जीव बताया है ?

क) संघर्ष करने वाला जीव ख) युद्ध करने वाला जीव

ग) परजीवी जीव घ) नखधारी जीव

उत्तर-

1-घ-जीवन रक्षा के लिए2-क- पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें

3-ख- एटम बम4-घ- नख5-घ-नखधारी जीव

(2)

आज भारतवर्ष की तपोभूमि पर नैतिक मूल्यो का पतन निरंतर जारी है । यही कारण है कि आज स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी हम स्वयं को स्वतंत्र नही कह सकते । चोरी, ड्कैती, हिंसा,काला बाज़ारी, भ्रष्टाचार और बेईमानी- जैसी अनैतिक प्रवृत्तियों ने भारत की तस्वीर को विकृत कर दिया है । सत्य,अहिंसा, परोपकार की भावना तो लुप्त ही होती जा रही है। ये तो हमें मानना ही पड़ेगा, कि वैज्ञानिक दृष्टि से भारत ने पिछ्ले छियासठ वर्षो में असंभव को संभव कर दिया है। लेकिन प्रगति के साथ-साथ समस्याओं ने भी जन्म ले लिया। आज भारतवर्ष शांतिप्रिय नहीं रहा, क्योंकि देश की बाढ ही उसे खाये जा रही है। भ्रष्ट नेताओं के कारण भारत की तस्वीर के रंग फीके पड़ते जा रहे है। आज हम असुरक्षा की भावना से ग्रस्त है। कभी धर्म के नाम पर झगड़े, कभी आरक्षण को लेकर झगड़े। आज आतंकवाद के राक्षस ने सबको दबोच रखा है। इन सब के पीछे हमारी भ्रष्ट राजनीति है। जब राजनेता रिश्वत ले कर कार्य करें, तो क्या वे अपने राष्ट्र से प्रेम कर सकेंगे, कदापि नहीं। फिर हम उनसे कैसे आशा कर सकते है कि वे हमारे भारत की तस्वीर को विश्व के मानचित्र पर चमकाऐंगे ।

1 हमारे देश में बिना रुके किस का निरंतर ह्रास जारी है ?

(क) आर्थिक मूल्य (ख़) धार्मिक मूल्य

(ग) नैतिक मूल्य (घ) सामाजिक मूल्य

2 भारतीय समाज से किस भावना की समाप्ति–सी होती जा रही है ?

(क) प्रेम (ख) वात्सल्य

(ग) आस्तिकता (घ) परोपकार

3 भारत की छवि को धूमिल करने की मुख्य जिम्मेवारी है-

(क) लापरवाह चिकित्सकों की (ख) भ्रष्ट नेताओं की

(ग) कामचोर अफसरों की (घ) आराम पसंद अध्यापकों की

4 राजनीति का परिणाम है –

(क) आतंकवाद (ख) अहिंसावाद

(ग) भाई-भतीजावाद (घ) अस्तित्ववाद

5 किन से उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे देश कि छवि को विश्व के मानचित्र पर उज्ज्वल बनाऐगें ?

(क) अभिनेता (ख) सह-अभिनेता

(ग) राजनेता (घ) रिश्वतखोर नेता

उत्तर-

1-ग नैतिक मूल्य2-घपरोपकार

3-खभ्रष्ट नेताओं की4-कआतंकवाद

5-गराजनेता

अपठित-काव्यांश

(1)

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो -

फिर से नहीं आता समय जो एक बार चला गया ,

जग में कहो बाधा रहित कब कौन काम हुआ भला |

‘बहती नदी सूखे अगर उस पार मैं इसके चलूँ ‘-

इस सोच में बैठा पुलिन पर,पार जा सकता भला ?

किस रीत से क्या काम,कब करना,बना के योजना ,

मन में लिए आशा प्रबल,दृढ़ जो वही बढ़ जाएगा |

उसको मिलेगा तेज़,बल,अनुकूलता सब ओर से ,

वह कर्मयोगी,वीर अनुपम,अनुपम,साहसी सुख पाएगा ||

वो वीर भोग्या,जो हृदयातल से बनी वसुधा सदा ,

करती रही आह्वान है,युग वीर का,पुरुषत्व का |

कठिनाइयों में खोज पथ,ज्योतिपूरित जो करे ,

विजयी वही होता धरनि सुत वरण कर अमरत्व का ||

1.संसार के किसी भी कार्य में आवश्यक रूप से क्या आती है ?

क बाधा ख निराशा

ग हताशा घ ख़ुशी

2.मानव मन में कैसा भाव उसे सदा सफलता की ओर प्रशस्त करता है ?

क विवशता ख निराशा

ग दुराशा घ दृढ़ता

3.किस प्रकार का व्यक्ति जीवन में सुखों की प्राप्ति करता है ?

क आशावान ख कर्मयोगी

ग धनवान घ समझदार

4 ये धरती सदा के लिए किसका आह्वान करती रही है?

क कायरों का ख विद्वानों का

ग वीरों का घ मुनियों का

5 अमरत्व प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपनी राह किससे खोज निकालता है ?

क कठिनाइयों से ख सुखों से

ग धन से घ बातों से

उत्तर-

1-क- बाधा

2-घ- दृढ़ता

3-ख- कर्मयोगी

4-क- वीरों का

5-क- कठिनाइयों से

(2)

फलेगी फूलकर खेती किसानों के कुमारों की ||घटेगी अब नहीं पूँजी खरे दुकानदारों की |

बढ़ा देगी कलाकारी कमाई शिल्पकारों की |

बढाई लोक में होगी सुलक्षण होनहारों की ||

खुलेगा द्वार उद्यम का प्रथा ऐसी प्रसारेंगे |

भलाई को न भूलेंगे तुझे भारत सुधारेंगे ||

अरे रंग पड़ गया पीला कलेवर लाल तेरे का |

नहीं कुल केसरी गरजे किसी भूपाल तेरे का ||

उजाला अब नहीं होता मुकुट रवि बाल तेरे का |

न छोड़ा हाय ब्रह्मा ने तिलक भी भाल तेरे का ||

डरो मत,इस अधोगति के प्रपंचो को पजारेंगे |

भलाई को न भूलेंगे तुझे भारत सुधारेंगे ||

1.यहाँ “खरे दुकानदार”से क्या तात्पर्य है ?

क खरा सामान बेचने वाला ख खरा सामान खरीदने वाला

ग खास सामान बेचने वाला घ ख़ास सामान बनाने वाला

2 कैसी प्रथा प्रारंभ की जाएगी ?

क जिसमें मेहनती लोगो को काम मिले ख जिसमें सभी को मेहनताना मिले

ग जिसमें बिना कुछ किये मेहनताना मिले घ खेत को बेच के मेहनताना मिले

3 ‘भाल’ शब्द का क्या अर्थ है ?

क माथा ख बिंदी

ग हाथ घ कलाई

4 अधोगति का क्या आशय है?

क उत्थान ख पतन

ग गतिशीलता घ तरक्की

5 इस कविता का सन्देश क्या है ?

क भगवान् के कार्यों को याद करो ख देश की स्थिति को सुधारा जाये

ग दुकानदारी खरी होनी चाहिए घ श्रम का द्वार खुले

उत्तरमाला-

1-कखरा सामान बेचने वाला 2-खजिसमें मेहनती लोगो को काम मिले

3-कमाथा4-खपतन

5-घश्रम का द्वार खुले

व्याकरण

पद-परिचय– “शब्द” भाषा की स्वतंत्र एवं सार्थक इकाई है और यही शब्द जब वाक्यों में प्रयुक्त हो जातें हैं तो पद कहलाते हैं | इन पदों के विषय में विस्तार से जानना अर्थात् इनका व्याकरणिक परिचय ही पद-परिचय कहलाते है |

जैसे :-छात्र पत्र लिख रहा है |

छात्र शब्द का पद-परिचय इस प्रकार होगा –

छात्र – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ताकारक , लिख रहा है क्रिया का कर्ता |

पद-परिचय में निम्न बातों का विवरण देना पड़ता है –

1) संज्ञा- संज्ञा के भेद ( व्यक्तिवाचक, जातिवाचक , भाववाचक ) लिंग , वचन , कारक, पुरुष तथा क्रिया से सम्बन्ध |

2) सर्वनाम – सर्वनाम के भेद (पुरुषवाचक , निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, निजवाचक , सम्बन्धवाचक )लिंग , वचन , कारक तथा क्रिया के साथ संबंध |

3) विशेषण के भेद– ( गुणवाचक , संख्यावाचक , परिमाणवाचक , सार्वनामिक ) लिंग वचन कारक तथा क्रिया के साथ सम्बन्ध विशेष्य |

4) क्रिया – भेद ( अकर्मक , सकर्मक , द्विकर्मक ,संयुक्त , प्रेरणार्थक , नामधातु ,पूर्वकालिक ) वाच्य , काल, वचन , धातु |

5) क्रिया विशेषण – भेद, रीतिवाचक , कालगायक , स्थानवाचक , परिमाणवाचक|

6) समुच्चयबोधक– भेद (समानाधिकरण , व्यधिकरण) शब्दों के साथ सम्बन्ध |

7) संबंधबोधक– भेद , सूचक (कालसूचक , दिशासूचक इत्यादि ) संज्ञा तथा सर्वनामों का निर्देश |

8) विस्मयादिबोधक- भेद तथा मनोभाव (हर्ष , घृणा , प्रशंसा , तिरस्कार, चेतावनी , विस्मय , संबोधन , शोक )

1) उदहारण स्वरुप

· वह आम खाता है |

वह – पुरुषवाचक सर्वनाम , अन्य पुरुष , एकवचन , पुल्लिंग , कर्ताकारक

आम – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन , पुल्लिंग , कर्म कारक

खाता है – सकर्मक क्रिया , एकवचन , पुल्लिंग कर्तृवाच्य, वर्तमान काल |

· हम अपने देश पर मर मिटेंगे |

हम - पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष , पुल्लिंग , बहुवचन , कर्ता कारक |

अपने – सर्वनाम, निजवाचाक, पुल्लिंग , एकवचन, सम्बन्ध कारक ( देश से सम्बन्ध ) |

देश पर – संज्ञा जातिवाचक , पुल्लिंग , एकवाचक , अधिकरण कारक |

मर मिटेंगे – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, बहुवचन, भविष्यत् काल, अपूर्ण पक्ष, कर्तृवाच्य |

· मोहन स्कूल जाता है|

मोहन – व्यक्तिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक |

स्कूल – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन , कर्म कारक |

जाता है – क्रिया , सकर्मक क्रिया , कर्तृवाच्य, पुल्लिंग , एकवचन , वर्तमान काल|

· अहा! उपवन में सुन्दर फूल खिले हैं |

अहा ! – विस्मयबोधक अव्यय , हर्षसूचक |

उपवन में – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन अधिकरण कारक |

सुन्दर – गुणवाचक विशेषण , पुल्लिंग , बहुवचन |

फूल – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , बहुवचन |

खिले हैं – अकर्मक क्रिया , पुल्लिंग , बहुवचन , कर्तृवाच्य , वर्तमानकाल |

2) रेखांकित पदों के पद-परिचय दें -

· मैं कल बीमार था , इसीलिए विद्यालय नहीं आया |

मैं – पुरुषवाचक सर्वनाम , उत्तम पुरुष , पुल्लिंग , एकवचन , कर्ता कारक , “था” और “आया” क्रिया का कर्ता|

विद्यालय – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन , कर्म कारक , “आया” क्रिया का अधिकरण |

· बच्चों ने अपना काम कर लिया था|

बच्चों नें – जातिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , बहुवचन , कर्ता कारक |

कर लिया था - - सकर्मक क्रिया , पुल्लिंग , बहुवचन , “कर” धातु भूतकाल , कर्तृवाच्य |

· मनोहर दसवीं कक्षा में पढ़ता है |

दसवीं – संख्या वाचक विशेषण , क्रम सूचक , स्त्रीलिंग , एकवचन , कक्षा - “विशेष्य” |

· मैं उसे आगरा में मिलूँगा |

आगरा – व्यक्तिवाचक संज्ञा , पुल्लिंग , एकवचन , अधिकरण कारक , “मिलूँगा” क्रिया का अधिकरण (स्थान )|

प्रश्न अभ्यास

1) वाक्यों में रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिये –

(1) छोटी बच्ची हंस रही है |

(2) ऐसा भी क्या हो सकता है ?

(3) लता सुन्दर है |

(4) भारत महान देश है |

(5) सफलता परिश्रमी के कदम चूमती है |

(6) तुम भी सुन्दर लिख सकते हो |

(7) शीला आठवीं कक्षा में पढ़ती है |

(8) वह खाना बना सकती है |

(9) श्याम सों गया |

(10) राम ने रावण को मारा |

(11) मैं धीरे-धीरे चलता हूँ |

(12) कल हमने ताजमहल देखा |

(13) हिमालय पर बर्फ जमी रहती है |

(14) यह किताब मेरी है |

2) रेखांकित वाक्यों के पद- परिचय हेतु दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुन कर लिखें –

I. वह दिन भर पढ़ता रहा |

(1) निश्यवाचक सर्वनाम , अन्य पुरुष , एकवचन , कर्ता कारक , “है” क्रिया का कर्ता|

(2) अनिश्यवाचक सर्वनाम अन्य पुरुष कर्म कारक , एकवचन है क्रिया का कर्ता|

(3) निश्यवाचक सर्वनाम , उत्तम पुरुष , बहुवचन , कर्ता करक है क्रिया का कर्ता|

(4) निश्यवाचक सर्वनाम , मध्यम पुरुष , बहुवचन , कर्मकारक है क्रिया का कर्ता|

उत्तर – क

II. मैं दसवीं कक्षा में पढता हूँ |

(1) संख्यावाचक विशेषण , क्रमसूचक , स्त्रीलिंग , एकवचन , कक्षा विशेष्य |

(2) परिमाणवाचक विशेषण , क्रमसूचक , पुल्लिंग, एकवचन , कक्षा विशेष्य |

(3) स्थानवाचक विशेषण, क्रमसूचक , स्त्रीलिंग , बहुवचन , कक्षा विशेष्य |

(4) सार्वनामिक विशेषण , क्रमसूचक , पुल्लिंग , एकवचन , कक्षा विशेष्य |

उत्तर-क

3) पद-परिचय से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें |

4) पद-परिचय बनाते समय क्या-क्या बातें बताई जानी चाहिए ?

5) शब्द और पद में क्या अंतर है ?

रचना के आधार पर वाक्य-भेद

सार्थक शब्दों का वह व्यव्यस्थित समूह जो पूर्ण अर्थ प्रकट करता है, वह वाक्य कहलाता है |

जैसे ----- वह बाज़ार जाता है |

पक्षी आकाश में उड़ते है |

रचना के आधार पर वाक्य के भेद –सरल , संयुक्त एवं मिश्र

1) सरल वाक्य–जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो उसे सरल वाक्य कहते है | जैसे:-

· सूर्योदय होने पर अंधकार मिट गया |

· वे वहां क्यों गए हैं ?

· बच्चें दूध नहीं पीते हैं |

· आयुष पढ़ रहा है |

2) संयुक्त वाक्य– संयुक्त वाक्य उस वाक्य को कहते हैं जिसमे दो या दो से अधिक सरल वाक्य अथवा मिश्र वाक्य एक दूसरे पर आधारित न होकर किसी योजक से जुड़े हों |जैसे :-

· वर्षा हुई और धूलबैठ गई |

· सत्य बोलना चाहिए पर अप्रिय सत्य नहीं |

· वे बीमार हैं अतः आने में असमर्थ हैं|

· आज परीक्षा है इसीलिए विद्यालय जा रहा हूँ |

3) मिश्र वाक्य– जिस वाक्य में एक प्रधान वाक्य और एक या अनेक आश्रित उपवाक्य होते है , उसे मिश्र वाक्य कहते हैं | जैसे :-

· तुमने जैसा किया था, वैसा फल मिल गया |

· जो परिश्रम करेगा , वह अवश्य सफल होगा |

· जब-जब वर्षा होती है मेंढक टर्राते हैं |

· यदि मैं परिश्रम करता तो सफल हो जाता |

वाक्य के अंग या घटक

वाक्य के दो अंग होते हैं :-

i. उद्देश्य–जिसके बारे में कुछ कहा जाए या बताया जाए उसे उद्देश्य कहते हैं|

जैसे –रमा खाना पकाती है |

मोहन चित्र बनता है |

ii. विधेय- वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाये उससे विधेय कहते हैं|

जैसे – सूरज पूरब में निकला |

चाँद छिप गया है |

वाक्य में आकांक्षा, योग्यता और आसक्ति का होना आवश्यक है |

आश्रित उपवाक्य के भेद

आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं :-

संज्ञा आश्रित उपवाक्य

विशेषण उपवाक्य

क्रिया विशेषण उपवाक्य

1) संज्ञा आश्रित उपवाक्य– जब आश्रित वाक्य सकर्मक क्रिया का कर्म या अकर्मक क्रिया का कर्ता , या पूरक बनकर आता है | यह प्रायः “कि” से जुड़ा होता है | जैसे :-

· प्रधानाचार्य ने कहा कि कल स्कूल बंद है |

· पुलिस को विश्वास था किवह अवश्य पकड़ा जायेगा |

( कहीं-कहीं संज्ञा उपवाक्य से पहले “कि” अदृश्य होता है | )

2) विशेषण उपवाक्य– जो आश्रित वाक्य मुख्य वाक्य की किसी संज्ञा के विशेषण का काम करे उसे विशेषण उपवाक्य कहते हैं | यह प्रायः जो से , जो के यौगिक रूपों से बनता है | जैसे :-

· वह ठेकेदार भाग गया जो कल काम पर आया था |

· वे छात्र सफल हो गए जो दिन-रात एक कर रहे थे |

· वह चोर पकड़ा गया जिसने कार चुराई थी |

3) क्रियाविशेषण उपवाक्य– जो आश्रित वाक्य किसी क्रिया के विशेषणका कार्य करे , उसे क्रियाविशेषण उपवाक्य कहते हैं | यह वाक्य जब-जब , ज्यों-ज्यों , त्यों-त्यों , तब-तब इत्यादि से जुड़ा रहता है | जैसे :-जब-जब पूछोगे अवश्य बतलाता रहूँगा |

जैसा वह लिखता है मैं भी वैसा लिखता हूँ |

क्रिया विशेषण मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं –

(1) कालवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य–

· जब आप आये थे , मैं पढ़ रहा था |

· मैं जैसे ही स्टेशन पर पहुंचा , वैसे ही गाड़ी चलने लगी |

(2) स्थानवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य–

· जिस विद्यालय में तुम पढ़ते हो , उसी में मैं पढ़ाता हूँ

· यह वही मकान है , जहाँ आप पहले रहते थे |

(3) रीतिवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य

· जैसा मालिक चाहता है , वैसा ही काम करो |

· जैसा लता जी गाती हैं , वैसा कोई नहीं गाता |

(4) परिमाणवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य

· जितना तुम खा सकते हो , उतना खा लो |

· वह उतना ही अधिक थकेगा , जितना अधिक दौड़ेगा |

(5) परिणामवाचक क्रिया विशेषण उपवाक्य

· वह आज इसलिए आएगा क्योंकि विद्यालय में मीटिंग हैं |

· दरवाज़ा बंद कर दो ताकि मच्छर न आ सकें |

वाक्य रूपांतरण के कुछ उदहारण

· सूर्योदय हुआ | अँधेरा गायब हो गया |

· सरल वाक्य – सूर्योदय होने पर अँधेरा गायब हो गया |

· मिश्र वाक्य – जैसे ही सूर्योदय हुआ अँधेरा गायब हो गया |

· संयुक्त वाक्य – सूर्योदय हुआ और अँधेरा गायब हो गया |

· गौरव चार दिन गाँव में रहा | वह सबका प्रिय हो गया |

· सरल वाक्य – गौरव चार दिन गाँव में रहकर सबका प्रिय हो गया |

· मिश्र वाक्य – जब गौरव चार दिन गाँव में रहा तब वह सबका प्रिय हो गया |

· संयुक्त वाक्य –गौरव चार दिन गाँव में रहा और सबका प्रिय हो गया |

अभ्यास प्रश्न

1) लता यहाँ आई और रेखा बाहर गई |

रचना के आधार पर सही वाक्य भेद है |

(1) सरल वाक्य (ग) संयुक्त वाक्य

(2) मिश्र वाक्य (घ) संज्ञा उपवाक्य

2) रचना की दृष्टि से वाक्य भेद है –

(1) दो (ग) चार

(2) तीन (घ) पांच

3) विधेयके अंतर्गत नहीं आता –

(1) पूरक (ग) क्रिया का विस्तार

(2) कर्म (घ) जिसके बारे में कुछ कहा जाए

4) उद्देश्य में सम्मिलित नहीं है –

(1) कर्ता का विस्तार

(2) कर्ता

(3) जिसके बारे में कुछ कहा जाए

(4) कर्म का विस्तार

5) एक प्रधान उपवाक्य और एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं –

(1) संयुक्त वाक्य में

(2) विशेषण वाक्य में

(3) मिश्र वाक्य में

(4) लघु वाक्य में

6) रमा ज्यों ही घर पहुंची , वर्षा शुरू हो गई |

रेखांकित उपवाक्य का भेद है –

(1) संज्ञा आश्रित वाक्य

(2) विशेषण आश्रित उपवाक्य

(3) समानाधिकरण उपवाक्य

(4) क्रिया-विशेषण उपवाक्य

7) नीचे लिखे वाक्यों में कुछ सरल , संयुक्त एवं मिश्र वाक्य है | उन्हें छांट कर लिखें-

(1) मैं चाहता हूँ की तुम परिश्रम करो | ( _______________ )

(2) वह आदमी पागल हो गया है | (__________________)

(3) आपकी वह कुर्सी कहाँ है जो आप कलकत्ता से लाये थे ? (_____________)

(4) हमारे मित्र कल यहाँ से जायेंगे और आगरा पहुँच कर ताजमहल देखेंगें| (____)

(5) अपना काम देखो या शांत बैठे रहो | (__________)

उत्तर संकेत

1) (ग)2) ख3) घ 4) घ 5) ग 6) घ 7)(क) मिश्र (ख)सरल (ग) मिश्र (घ) संयुक्त (ङ)संयुक्त

रस

रस वास्तव में काव्य की आत्मा है | किसी भी साहित्य में रस के बिना काव्य सत्ता की कल्पना नहीं की जा सकती | इसीलिए संस्कृत में आचार्य विश्वनाथ ने कहा है –“वाक्यम् रसात्मकं काव्यम्” अर्थात् सरस वाक्य समूह को काव्य कहते हैं |

काव्य में भावों की उत्पत्ति होती है | जब किसी साहित्य को पढ़कर मनुष्य अपनी निजी सत्ता को याद न रखकर, कविता में व्यक्त भावों से जुड़ जाए तो हमारे मान के स्थायीभाव रस में परिणत हो जाते हैं | इसका पान मन ही मन किया जा सकता से है | यही काव्य का आनंद रस कहलाता है |

नाट्यशास्त्र के आचार्य भरत मुनि ने रस की परिभाषा देते हुए कहा है कि –विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगाद्रस निष्पतिः विभाव, अनुभाव, व्यभिचारीभाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है |

स्थायीभाव- वास्तव में यह भाव हम सबके हृदय में पहले से ही स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं | काव्य पढ़ने से ये भाव सुषुप्तावस्था से जागृत हो जाते हैं और रस में बदल जातें हैं | स्थायीभावों की संख्या नौ है तथा इनके अनुसार ही रसों की संख्या भी नौ है |

क्रम सं॰

स्थायीभाव

रस

रति

श्रृंगार

हास

हास्य

शोक

करुण

क्रोध

रौद्र

उत्साह

वीर

भय

भयानक

जुगुप्सा (घृणा)

वीभत्स

विस्मय

अद्भुत

निर्वेद

शान्त

१०

वात्सल्य (बाल -रति)

वात्सल्य

११

भगवत् रति

भक्ति

(मुख्य रूप से रस केवल नौ ही है,किन्तु वात्सल्य एवं भक्ति रस बाद में सम्मिलित हुए हैं|)

1) संचारी भाव / व्यभिचारी- ये मन में उठने गिरने वाले भाव हैं | स्थायी न होकर क्षणिक होते हैं | ये अवसर के अनुकूल अनेक स्थायी भावों का साथ देते हैं | इसलिए इन्हें संचारी अर्थात् साथ-साथ संचरण करने वाला तथा व्यभिचारी अर्थात् एक से अधिक के साथ रमन करने वाला कहा गया है | स्थायीभावों के साथ-साथ बीच-बीच में जो मनोभाव प्रकट होते हैं , उन्हें संचारी भाव कहते हैं | ये मनोविकार पानी के बुलबुलों की भाँति बनते और बिगड़ते हैं |

संचारीभाव की कुल ३३ संख्या मानी गई है |

2) विभाव–भाव जागृत करने के कारक को विभाव कहते हैं | पात्र घटनाएँ, स्थितियाँ विभाव है , जिन्हें देखकर पाठक के हृदय में भाव जागृत होते हैं | इसके दो भेद हैं-

· आलंबन विभाव- मूल विषय वस्तु को आलंबन विभाव कहते हैं | जैसे – रंग-बिरंगी, बेमेल पोषाक पहने , विचित्र- सी शकल बनाए ,वैसी ही टोपी धारण किए, कुछ अजीब से हरकतें करते , किसी जोकर को देखकर हंसी आना स्वाभाविक है|

· उद्दीपन विभाव– जो आलंबन द्वारा जागृत भावों को उद्दीप्त करते हैं , उन्हें उद्दीपन विभाव कहा जाता है |उपर्युक्त उदाहरण में जोकर की अजीब से हरकतें, हास्यपूर्ण बातें , उसकी विचित्र पोषाक उद्दीपन विभाव है | इसी प्रकार सिंह का गर्जन , उसका खुला मुँह , जंगल की भयानकता , गहराता अँधेरा आदि भी उद्दीपन विभाव हैं |

3) अनुभाव विभाव–जोकर को देखकर चकित होना , हँसना , ताली बजाना आदि अनुभाव हैं| इसके अलावा शेर देखकर भयभीत होकर हक्का बक्का होना, रोंगटें खड़े होना ,काँपना, पसीने से तर बतर होना भी अनुभाव है |

रस के भेद

रस के मुख्यतः 9 भेद होते हैं :-

(1) श्रृंगार रस -कामभावना का जागृत होना श्रृंगार कहलाता है | स्त्री पुरुष का सहज आकर्षण ही इसका आधार है | इसे रसराज भी कहते हैं | इसके दो भेद हैं–

· संयोग श्रृंगार

स्थायी भाव – रति

संयोग श्रृंगारउदाहरण –

बतरस लालच लाल की

मुरली धरी लुकाय |

सौंह करे भौहन हँसे

देंन कहे नटि जाय ||

· वियोग श्रृंगार

नायक-नायिका या प्रेमी-प्रेमिका के बिछड़ने के पर नायक नायिका के प्रेम का वर्णन वियोग श्रृंगार है |

उदाहरण-निसि दिन बरसत नैन हमारे

सदा रहति पावस ऋतु हमपे ,

जबते स्याम सिधारे |

(2) हास्य रस-जहाँ विलक्षण स्थितियों द्वारा हँसी का पोषण हो वहां हास्य रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – हास्य , उदाहरण –

हाथी जैसा देह है , गैंडे जैसे खाल |

तरबूजे सी खोपड़ी , खरबूजे से गाल ||

(3) वीर रस –उत्साह स्थायी भाव जब विभावों , अनुभवों और संचारी भावों से पुष्ट होकर आस्वादन के योग्य होता है , तब उसे वीर रस कहते हैं |

उत्साह के चार क्षेत्र पाए गए हैं – युद्ध , धर्म , दया और दान |

स्थायी भाव – उत्साह , उदाहरण –

भाला तन कर यूँ बोल उठा ,

राणा मुझको विश्राम न दे |

मुझको बैरी से हृदय क्षोभ

तू तनिक मुझे आराम न दे ||

(4) रौद्र रस- क्रोध और प्रतिशोध का भाव जब अनुभावों , विभावों और संचारी भावों के योग से परिपुष्ट होता है तो रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – क्रोध ,उदाहरण-

स्वर में पावक यदि नहीं , वृथा वंदन है |

वीरता नहीं , तो सभी विनय क्रंदन है |

पर जिसके असिघात, रक्त चन्दन है ,

भ्रामरीउसी का करतीअभिनन्दन है |

(5) भयानक रस -जहाँ भय स्थायी भाव पुष्ट हो वहां भयानक रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – भय , उदाहरण-

एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय |

विकल बटोही बीच ही , पर्यो मूरछा खाय ||

(6) वीभत्स रस-जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा (घृणा ) का भाव हो , वहां वीभत्स रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – जुगुप्सा ,उदाहरण-

सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत |

खींचत जीमहिं स्यार , अतिहि आनंद डर धारत||

गीध जांघि को खेदी-खेदी कै माँस उपारत |

स्वान अँगुरिन का काटि-काटि के खात विदारत ||

(7) करुण रस-प्रिय व्यक्ति या वस्तु की हानि का शोक जब विभाव, अनुभाव, संचारी आदि भावों से पुष्ट होकर व्यक्त होता है , उसे करुण रस कहते हैं |

स्थायी भाव – शोक ,उदाहरण-

बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर ,

छाती धधक उठी मेरी |

हाय ! फूल सी कोमल बच्ची ,

हुई राखकी थी ढ़ेरी|

(8) अद्भुत रस-आश्चर्यजनक व अद्भुत वस्तु देखने व सुनने से आश्चर्य का पोषण हो तब अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है |

स्थायी भाव – विस्मय ,उदाहरण-

उड़ गया अचानक लो , भूधर

फड़का अपार पारद के पार |

ख शेष रह गए हैं निर्झर

है टूट पड़ा था भू पर अंबर ||

(9) शान्त रस-संसार के प्रति वैराग्य का भाव रस-अवयवों से परिपुष्ट होकर शान्त रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – वैराग्य / निर्वेद ,उदाहरण-

मेरा मन अनंत कहाँ सुख पावै |

जैसे उड़ि जहाज को पंछी पुनि जहाज पे आवे ||

सूरदास प्रभु कामधेनु तजि छेरी कौन दुहावै||

इनके अलावा दो और रस हैं जो इस प्रकार हैं :-

(1) भक्ति रस- ईश्वर-प्रेम का भाव रस के अवयवों से पुष्ट हो रस में परिणत होता है , तो भक्ति रस की अभिव्यक्ति होती है |

स्थायी भाव – भगवत् रति ,उदाहरण-

मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई |

जाके सिर मोर मुकुट , मेरो पति सोई ||

(2) वात्सल्य रस-जहाँ बाल-रति का भाव रस अवयवों से परिपुष्ट होकर रस रूप में व्यक्त होता है , वहां वात्सल्य रस होता है |

स्थायी भाव – बल-रति ,उदाहरण-

तुम्हारी ये दन्तुरित मुस्कान

मृतक में भी डाल देगी प्राण |

धूलि-धूसर तुम्हारे ये गाल

खिल रहे जलजात ||

प्रश्न अभ्यास

सही विकल्प छांटकर लिखें –

1) विभाव अनुभाव और संचारी भावों की सहायता से रस किस रूप में परिणत हो जाते हैं |

क भाव ग स्थायीभाव

ख संचारी भाव घ व्यभिचारी भाव

2) वीर रस का स्थायी भाव क्या है ?

क ओज ग रति

ख उत्साह घ क्रोध

3) श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है ?

क प्रेम ग रति

ख उत्साह घ हास

4) साहित्य शास्त्र में रसों की कितनी संख्या मानी गई है ?

क 10 ग 9

ख 11 घ 8

5) कौन सा रस 9 रसों के अंतर्गत नहीं आता ?

क अद्भुत ग रौद्र

ख भयानक घ वात्सल्य

6) निम्न में से रस कौन सा है ?

क उत्साह ग हास्य

ख क्रोध घ जुगुप्सा

7) रौद्र रस का स्थायी भाव क्या है ?

क उत्साह ग जुगुप्सा

ख वैराग्य घक्रोध

8) शान्त रस का स्थायी भाव क्या है ?

क रति ग भय

ख निर्वेद घ जुगुप्सा

9) भयानक रस का स्थायी भाव क्या है ?

क क्रोध ग जुगुप्सा

ख रति घ भय

10) किस रस को रसराज के नाम से भी जाना जाता है ?

क वात्सल्य ग वीर

ख रौद्र घ श्रृंगार रस

उत्तर

1) ख , 2) ग , 3) ख , 4) क , 5) घ, 6) ख , 7) घ , 8) ख , 9) घ , 10) घ वाच्य

वाच्य का शाब्दिक अर्थ है – बोलने का विषय | हम जो कुछ बोलते हैं तब हमारे ध्यान के केन्द्र में कोई व्यक्ति , वस्तु अथवा कार्य अवश्य रहता है | अतः क्रिया के जिस रूप से ये ज्ञात हो कि क्रिया का प्रयोग करता के अनुसार है या कर्म के अनुसार या भाव के अनुसार उसे वाच्य कहते हैं |

वाच्य के भेद

वाच्य के तीन भेद हैं –

· कर्तृवाच्य

· कर्मवाच्य

· भाववाच्य

कर्तृवाच्य :- जिन वाक्यों में कर्ता की प्रधानता होती है और क्रिया का विधान कर्ता के लिंग वचन के अनुसार होता है , उसे कर्तृवाच्य कहते हैं | उदाहरण –

(1) लड़के क्रिकेट खेल रहे हैं |

(2) रोहन पुस्तकें खरीद रहा है |

(3) कबूतर दाना चुग रहे हैं |

(4) सूर्य चमक रहा है |

(5) महक निबंध लिखती है |

पहचान – कर्ता प्रमुख , क्रिया कर्ता के अनुसार , कर्ताप्रथम विभक्ति में |

कर्मवाच्य:- जिस वाक्य में क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार होते हैं वाच्य बिंदु कर्ता न होकर कर्म होता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं | उदाहरण :-

(1) शैवी से स्कूल जाया जाता है |

(2) रमा से दूध पिया जाता है |

(3) परीक्षा में प्रश्न-पत्र बांटे गए |

(4) बालक से पत्र लिखा जाता है |

पहचान – ध्यान देने योग्य बात यह है कि कर्मवाच्य में कर्ता का लोप होता है या कर्ताके साथ “द्वारा”, “के द्वारा”, या “से” जोड़ा जाता है, इस कारण कर्तागौण हो जाता है तथा उसमें सकर्मक क्रियांए प्रयुक्त होती हैं |

भाववाच्य:- जिन वाक्यों में वाच्य बिंदु न कर्ता हो , न कर्म हो बल्कि क्रिया का भाव ही मुख्य हो , उसे भाववाच्य कहा जाता है | उदाहरण :-

(1) मुझसे चला नहीं जाता |

(2) अब उठा जाए |

(3) थोड़ी देर सो लिया जाए |

(4) अब खेला जाये |

(5) बच्चों द्वारा हंसा जाता है |

पहचान – भाव प्रमुख,क्रिया-एकवचन, पुल्लिंग ,अन्य पुरुष तथा सामान्य भूत कल में |

--वाच्य संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु –-

I. कर्तृवाच्य में अकर्मक एवं सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग होता है |

II. कर्मवाच्य वहीँ होगा जहाँ कर्म होता है , अर्थात् केवल सकर्मक क्रियाओं में ही कर्मवाच्य होता है |

III. भाववाच्य सदैव अकर्मक क्रियाओं में अन्य पुरुष पुल्लिंग तथा एकवचन में होता है |

IV. कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के निषेधात्मक वाक्यों में जहाँ कर्ता के बाद के द्वारा /द्वारा या से परसर्ग का प्रयोग किया जाता है |

V. कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के निषेधात्मक वाक्यों में जहाँ कर्ता तथा से परसर्ग का प्रयोग होता है वहाँ एक अन्य असमर्थता सूचक अर्थ की भी अभिव्यक्ति होती है |

जैसे :-

· मुझसे किताब नहीं पढ़ी जाती |

· पिताजी से पैदल नहीं चला जाता |

VI. कर्तृवाच्य के सकारात्मक वाक्यों में सामर्थ्य को सूचित किया जाता है |

हिंदी में क्रिया का एक ऐसा रूप भी है जो कर्मवाच्य की तरह प्रयुक्त होता है – वह है सकर्मक क्रिया से बना उसका अकर्मक रूप जिसे व्युत्त्पन्न अकर्मक कहते हैं |

जैसे:-

· गिलास टूट गया | (तोड़ना से टूटना रूप )

--वाच्य परिवर्तन--

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना

1) कर्तृवाच्य की मुख्यक्रिया का सामान्य भूतकाल में परिवर्तन |

2) कर्ता के साथ “द्वारा”, “के द्वारा” या “से” लगाएँ|

3) क्रिया के परिवर्तित रूप के साथ काल, पुरुष,वचन तथा लिंग के अनुसार क्रिया का रूप जोडें |

4) यदि कर्म के साथ विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दें |

उदाहरण-

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

प्रधानमंत्री ने सफाई अभियान चलाया|

प्रधानमंत्री के द्वारा सफाई अभियान चलाया गया|

सोनल काम कर रही है |

सोनल से काम किया जा रहा है |

तुलसीदास ने रामायण लिखी |

तुलसीदास द्वारा रामायण लिखी गयी |

मजदूर मजदूरी करेंगे |

मजदूरों द्वारा मजदूरी की जाएगी |

मैंने पत्र लिखा |

मेरे द्वारा पत्र लिखा गया |

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना

भाववाच्य में कर्म नहीं होता | मूल कर्ता की दो स्थितियाँ होती हैं |

1) उसके आगे “से” लगता है |

2) उसका उल्लेख ही नहीं होता |

जैसे – मैं अब चल नहीं सकता |

मुझसे अब चला नहीं जाता |

भाववाच्य में क्रिया सदा एकवचन, पुल्लिंग,अकर्मक तथा अन्य पुरुष में रहती है |

उदाहरण-

कर्तृवाच्य

भाववाच्य

चलो, अब चलें |

चलो , अब चला जाए |

मैं खड़ा नहीं हो सकता |

मुझसे खड़ा नहीं हुआ जाता |

हम इतना पढ़ नहीं सकते |

हमसे इतना पढ़ा नहीं जाता |

पक्षी उड़ेंगे |

पक्षियों द्वारा उड़ा जायेगा |

प्रश्न अभ्यास

1. निर्देशानुसार उत्तर दीजिये –

(1) आओ कुछ बातें करें | (कर्मवाच्य)

(2) अशोक कभी चुप नहीं बैठता | (भाववाच्य)

(3) इसी कारण लड़की को अंतिम पूँजी कहा गया है | (कर्तृवाच्य)

(4) माँ परंपरा से हटकर उसको सीख दे रही है | (कर्मवाच्य)

(5) तुम टहल ही नहीं सकते हो |(भाववाच्य)

उत्तर :-

(1) आईए! कुछ बातें की जाएँ |

(2) अशोक कभी चुप नहीं बैठता |

(3) इसी कारण लड़की को अंतिम पूँजी कहते हैं |

(4) माँ द्वारा परंपरा से हटकर उसको सीख दी जा रही है|

(5) तुमसे टहला ही नहीं जा सकता |

2. सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें –

1) जिस वाक्य में कर्ता के अनुसार क्रिया का रूप बदलता है ,उसे कहते हैं -

(क) भाववाच्य (ख)कर्मवाच्य

(ग)साधारण वाच्य (घ)कर्तृवाच्य

2) जिस वाक्य में कर्म के अनुसार क्रिया का रूप बदलता है , उसे कहते है-

(क) कर्मवाच्य (ख)भाववाच्य

(ग)कर्तृवाच्य (घ)अन्य

3. वाच्य बताएं –

1) प्रधानमंत्री द्वारा भाषण दिया गया |

(क) भाववाच्य (ख)कर्मवाच्य

(ग)कर्तृवाच्य (घ)अन्य

2) मीना उपन्यास पढ़ती है |

(क)कर्तृवाच्य(ख)कर्मवाच्य

(ग)भाववाच्य (घ)इनमे से कोई नहीं

3) माँ से चला भी नहीं जाता |

(क) कर्मवाच्य (ख) भाववाच्य

(ग)कर्तृवाच्य(घ)अन्य

4) सुमित्रा द्वारा पत्र पढ़ा गया |

(क)कर्मवाच्य (ख)कर्तृवाच्य

(ग)भाववाच्य (घ)अन्य

5) भाववाच्य छाँटें-

(1) लता से सोया नहीं जाता |

(2) लता सो नहीं सकती |

(3) लता सो नहीं पाती |

(4) लता नहीं सो सकती |

उत्तर

2-1)घ ,2-2)-ग, 3-1)ख3-,2)-क,3-3)ख,-4)क,-5)क

पत्र-लेखन

पत्र-लेखन एक कला है| या मानव के विचारों के आदान-प्रदान का अत्यंत सरल और सशक्त साधन है| लेखन की जितनी भी कलाएँ हैं उनमें यह विधा अलग है क्योंकि पत्रकिसी न किसी व्यक्ति को संबोधित करते हुए लिखा जाता है |

पत्र-लेखन में ध्यातव्य बातें-

1-पत्र की भाषा सरल,सजीव तथा रोचक होनी चाहिए |

2-पत्रों में सरल तथा छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए |

3-पत्र में इधर-उधर की बातें न लिखकर अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए |

4-पत्र-लेखन में भाषा की शिष्टता अवश्य बनाए रखना चाहिए | यहाँ तक कि विरोध प्रकट करने की लिए भी कटु भाषा का प्रयोग होना चाहिए |

5-पत्र का संपादन इस प्रकार होना चाहिए कि पत्र का सारांश उसमें झलकता हो |

पत्रों के प्रकार -

पत्रों को मुख्यतया दो भागों में बाँटा जा सकता है –

1-औपचारिक पत्र- जो पत्र सरकारी कार्यालयों के आलावा अर्धसरकारी तथा गैर-सरकारी कार्यालयों को भेजे जाते हैं, उन्हें औपचारिक पत्र कहते हैं | ये पत्र उन लोगों, अधिकारियों, कर्मचारियों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजता का या रिश्ते का सम्बन्ध नहीं होता है| ये पत्र दैनिक जीवन की विभिन्न आवश्यकताओं के सन्दर्भ में लिखे जाते हैं, जिनमे ज़्यादातर अनुरोध का बोध होता है |

जैसे-प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सम्पादकीय पत्र, शुभकामना पत्र, धन्यवाद पत्र, व्यावसायिक पत्र|

पत्र का प्रकारसम्बन्धप्रारम्भसमापन

प्रार्थना पत्रप्राचार्यमहोदय/ महोदयामाननीय/ श्रीमानजीआपकाआज्ञाकारी शिष्य/शिष्या

आवेदन पत्रसम्बंधित अधिकारी का पदमाननीय/ श्रीमानजीप्रार्थी/विनीत/भवदीय

शिकायती पत्रसम्बंधित अधिकारी का पदमाननीय/ श्रीमानजीप्रार्थी/विनीत/भवदीय

औपचारिक पत्र का प्रारूप-

प्रार्थना-पत्र

सेवा में,

प्राचार्य/ प्राचार्या

......................

......................

.....................

विषय-.......................................( सम्बंधित विषय का उल्लेख )

महोदय/महोदया

..............................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................................

धन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य/ शिष्या

.............................................

.............................................

नमूना प्रार्थना पत्र

प्रश्न- ग्रीष्मावकाश में आपके विद्यालय का टूर शैक्षिक भ्रमण हेतु जाना चाहता है| किसी पर्वतीय स्थल की जानकारी, वहाँ के साधन, रमणीक स्थल आदि को बताते हुए अपने विद्यालय को उस स्थान पर टूर ले जाने का सुझाव भरा पत्र लिखिए-

सेवामें,

प्राचार्य महोदय,

केंद्रीय विद्यालय

चंडीगढ़ |

विषय-टूर के लिए उपयुक्त पर्वतीय स्थल के सुझाव के सम्बन्ध में |

महोदय,

उपर्युक्त विषय में निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की दसवीं कक्षा का मोनिटर हूँ| हमारे कक्षाध्यापकने बताया है कि इस ग्रीष्मावकाश में विद्यालय की ओर सेशैक्षिक-भ्रमण हेतु टूर का आयोजनकियाजा रहा है| यह टूर राजस्थान के उदयपुर, अजमेर और जयपुर के लिए है|

श्रीमानजी, इससे पूर्व भी हमारा टूर राजस्थान जा चुका है, गर्मी के महीने में टूर का आनंद हमारी परेशानी बन जाता है | इस ग्रीष्मावकाश में जम्मू, कटरा तथा वैष्णो देवी जैसे पर्वतीय स्थानों पर टूर ले चलें तो अच्छा रहेगा | दिल्ली तथा नई दिल्ली से होकर जाने वाली अनेक गाड़ियाँ हमें जम्मू तवी स्टेशन तक छोंड देंगी | इस यात्रा में ग्यारह-बारह घंटे लगेंगे | जम्मू शहर में अनेक मंदिरों तथा ऐतिहासिक महत्त्व वाले स्थानों को देखकर वहाँ से दो घंटे की यात्रा कर कटरा पहुँचा जा सकता है| पर्वतीय सड़क, तीखे मोड़, पास से गुजरती तवी नदी तथा प्राकृतिक सुषमा अत्यंत मनोहर है | इससे हमें एक नया अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त होगा |

आपसे प्रार्थना है कि मेरे इस सुझाव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की कृपा करें |

सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य

..................................

प्रश्न-2 आपके नगर की प्रसिद्ध डेयरी में दूध तथा दूध से निर्मित पदार्थों में मिलावट की जाती है | नगर के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र द्वारा जानकारी देते हुए उचित कार्यवाही के लिए अनुरोध कीजिए |

सेवामें,

स्वास्थ्य अधिकारी,

जयपुर नगर निगम,

मानसरोवर, जयपुर |

विषय- दूध एवं दुग्ध पदार्थों में मिलावट सम्बन्धी जानकारी देने के सम्बन्ध में |

महोदय,

मैं आपका ध्यान मानसरोवर क्षेत्र में चल रही ‘गुप्ता डेयरी’ द्वारा मिलावट के अनैतिक धन्धे की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ | इस डेयरी में दूध वितरित होता है तथा दूध से बने पदार्थ- पनीर, दही, खोया आदि बनाकर बेचे जाते हैं | इन पदार्थों में भरी मिलावट की जाती है | इसकी शिकायत बार-बार की गई है, पर डेयरी मालिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को रिश्वत देकर अपना काम निरंतर जारी किये हुए हैं | यह डेयरी लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है |

अतः आपसे करबद्ध अनुरोध है कि इस डेयरी पर आवश्यक क़ानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे यहाँ मिलावट पर रोक लगे जा सके |

सधन्यवाद |

भवदीय

उमेश

नगर पार्षद (मानसरोवर)

2-अनौपचारिक पत्र- इन पत्रों को व्यक्तिगत या पारिवारिक पत्र भी कहा जाता है| इन पत्रों को अपने मित्रों, रिश्तेदारों, सगे-सम्बन्धियों तथा शुभेच्छु व्यक्तियों को लिखे जाते हैं| इस पत्रों में आत्मीयता, निकटता, तथा घनिष्ठता का भाव समाया रहता है, जिनमें घरेलू और निजतापूर्ण बातों का उल्लेख रहता है|

जैसे-बधाई पत्र, आभार प्रदर्शन-पत्र, निमंत्रण-पत्र, संवेदना-पत्र |

पत्र का प्रकार -बधाई पत्रधन्यवाद पत्रशुभकामना पत्रसांत्वना पत्र

सम्बन्धप्रारम्भसमापन

बड़ों के लिएबराबर वालों के लिएअपने से छोटों के लिए

आदरणीय,पूज्यप्रिय मित्र/नामप्रिय अनुज/पुत्र/पुत्री

आपका/ आपकी स्नेहीआपका अभिन्न ह्रदयआपका अग्रज/पिता

प्रश्न-1 आपके चाचाजी लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं | मतदाताओं की अपेक्षा में खरे उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई पत्र लिखिए |

27 ए, कृष्णा नगर

गोपालगंज, बिहार

01.07.20---

आदरणीय चाचाजी,

सादर प्रणाम |

यह सुनते ही मैं आश्चर्यचकित हो गया कि मेरे चाचा लोगों के बीच रहते-रहते, लोगों के दुःख-दर्द दूर करते-करते कब उनके नेता हो गए ! आपका लोकसभा चुनाव में जीतना पहले से ही तय था क्योंकि हर मुँह पर आपका ही नाम था | हर चेहरे पर आपकी ही छवि झलकती थी क्योंकि अपने हर एक के दुःख को अपना दुःख समझकर उसे दूर किया इसीलिए आपके लिए विजयश्री प्राप्त करना ए�