प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों...

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Page 1: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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अनकरमाणिका

कर विषय कवि लखक पषठ 1 आभारोकति 3-4 2 आयति क सदश शरी सिोष कमार मलल 5 3 ननदशक की कलम स सशरी उषा अशितथ अययर 6 4 सपादक की कलम स शरी शशीकाि ससघल 7 5 जल सकट सशकषा की दषटी स एक

अिलोकन शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

8-10

6 परकनि एक उजाला (कवििा) डॉ भोजराज लाजिार 11 7 जीिनदायी िकष ndash महति एि उपयोगििा डा आरिी तरिपाठी पाणडय 12-13 8 परकनि एक रहसय (कवििा) शरीमिी मघा आपट 14 9 परकनि एिम मानि रागिनी िरि 15-17 10 अरि (कवििा) बलविदर ससह 18 11 शबद खोज शरीमिी पषपा िमाा 19 12 भारि की सासकनिक धरोभर ndash ििा शरीमिी कषिा शमाा 20-22 13 परकनि ( कवििा) एस ए आजाद 23 14 परकनि जीिन क सलए उपहार शरी महश शमाा 24 15 नद ककककिी बलराम परमार (हसमख) 25 16 पकति स सीखो साथ तिभािा

पनम डडडिाननया 26

17 पथिी की पकार (कवििा) शरी शशीकाि ससघल 27 18 आलख पनम डडडिाननया 28-29 19 िम कहाा हो (कवििा) डॉ परम कमार पानडय 30 20 कहानी- चमपा का पड़ ससमिीनर नडडि 31-34 21 गलमोहर (कवििा) शरी रमश कमार 35 22 होठ वपयासी िि ( कवििा) ए पी दवििदी 36 23 गमम हिा क झोको स ( कवििा) राजर ससह शखािि 37 24 परकति महाि ( कवििा) डडमभ नाथ समशरा 38 25 िगम पहली शरी शशीकाि ससघल 39 26 ददम दासिा ndash कशमीर रजनी िनजा 40-41 27 हररयाली ( कवििा) दीवपका पाड 42 28 कारट मि कोिा लाह काल 43

चीजो क परकाश म आओ और परकनि को अपना सशकषक बनन दोl

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परकनि क रि हज़ार जसी चडड़यो का बाज़ार l

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कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

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समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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12

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

14

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

43

44

िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

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8 ि न सथ ली 9 अ

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षाा 11 ब

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13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

44

45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 2: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

2

अनकरमाणिका

कर विषय कवि लखक पषठ 1 आभारोकति 3-4 2 आयति क सदश शरी सिोष कमार मलल 5 3 ननदशक की कलम स सशरी उषा अशितथ अययर 6 4 सपादक की कलम स शरी शशीकाि ससघल 7 5 जल सकट सशकषा की दषटी स एक

अिलोकन शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

8-10

6 परकनि एक उजाला (कवििा) डॉ भोजराज लाजिार 11 7 जीिनदायी िकष ndash महति एि उपयोगििा डा आरिी तरिपाठी पाणडय 12-13 8 परकनि एक रहसय (कवििा) शरीमिी मघा आपट 14 9 परकनि एिम मानि रागिनी िरि 15-17 10 अरि (कवििा) बलविदर ससह 18 11 शबद खोज शरीमिी पषपा िमाा 19 12 भारि की सासकनिक धरोभर ndash ििा शरीमिी कषिा शमाा 20-22 13 परकनि ( कवििा) एस ए आजाद 23 14 परकनि जीिन क सलए उपहार शरी महश शमाा 24 15 नद ककककिी बलराम परमार (हसमख) 25 16 पकति स सीखो साथ तिभािा

पनम डडडिाननया 26

17 पथिी की पकार (कवििा) शरी शशीकाि ससघल 27 18 आलख पनम डडडिाननया 28-29 19 िम कहाा हो (कवििा) डॉ परम कमार पानडय 30 20 कहानी- चमपा का पड़ ससमिीनर नडडि 31-34 21 गलमोहर (कवििा) शरी रमश कमार 35 22 होठ वपयासी िि ( कवििा) ए पी दवििदी 36 23 गमम हिा क झोको स ( कवििा) राजर ससह शखािि 37 24 परकति महाि ( कवििा) डडमभ नाथ समशरा 38 25 िगम पहली शरी शशीकाि ससघल 39 26 ददम दासिा ndash कशमीर रजनी िनजा 40-41 27 हररयाली ( कवििा) दीवपका पाड 42 28 कारट मि कोिा लाह काल 43

चीजो क परकाश म आओ और परकनि को अपना सशकषक बनन दोl

2

3

परकनि क रि हज़ार जसी चडड़यो का बाज़ार l

3

4

4

5

5

6

कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

6

7

समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

7

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

8

9

और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

9

10

साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

10

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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12

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13

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

14

15

परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

15

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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लका र ल गथ गि

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 3: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

3

परकनि क रि हज़ार जसी चडड़यो का बाज़ार l

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4

4

5

5

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कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

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समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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7

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15 16 17

18 19 20

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 4: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

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समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 5: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

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समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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मली ल नि 6 म

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 6: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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कहि ह मझ बरहमा न बनाया बहि सी कहाननयाा ह मर बार म कभी मझ कषि जसा नीला कहि ह िो कभी मझ भ-दिी कहि ह म भािीरथी भी हा और रास लीला भी मर ककनार खला िया म इनर दि की िािी हा और िरि दि की विशालिा लोि नही थकि मरी िलना कई दिी दििाओ स करन म हर पश पकषी ककसी न ककसी दि का िाहन ह और हर पड़ ककसी ईश की छाया म पलिा ह लककन ह मनषय ि यह तया कर रहा ह मर नीलपन को परमाि असिो न काला और हहसक बना हदया ह िो मर सिछ नीर को फतरी का धआा दवषि करिा ह था एक यि जब मझ पजा जािा था और नर नारी मझ ससफा पषप नही पर परसाद भी चढाि थ हर जीि का मलय था और आज यह कक मझ तरबलडर समगलर और डिलपर काटन को दौड़ि ह मरी एक टहनी हदखी नही की िरि आदश हदया जािा ह की इस खिर को िरि काट क फ क दो और इस जमान म जहा मनषयजीि की कीमि नही ह िो पश पकषी का तया कहना कतत तरबलली को िाहन कचल दि ह लककन शर को भी नही बखशि ह कही हदखाई हदया िो िााि िाल उस पीट-पीट कर मार डालि ह

कहि ह कलयि आएिा िो सब को परलय का सामना करना पड़िा लककन आज कल हदखिा ह की इस कलयि क सलए कोई विषि अििार की ज़ररि नही ह- मनषय खद अपन आप को डबान हि पररशरम कर रहा ह जािो और इस परलय को रोको तया आप नही चाहि की आप की सिान और उनकी सिान इस रि तरबरिी शीिल सौमय परकनि को दख और उसकी छाया म पल बढ तया आप उस हदन का इिज़ार कर रह हो जब आपक नाि पोिी यह सन कर चककि रह जाएा की िकष फल झरना इरधनष ककसी कवि की कलपना नही िासिि म धरिी पर हदखि थ हर पौध नीला आकाश सरज की लासलमा सब कछ आप बज़िो न कचल हदया और छोड़ हदया आन िाल पीहढयो क सलए ससफा रि धआा और बजर ज़मीन जब होिा मनषय जानिर और परकनि का सिम

िब सनि बासरी का सरिम

उषा अशितथ अययर ननदशक

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समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 7: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

7

समय पररििानशील ह इसी समय को जब िटसथिा या पकषपािपिाक पकड़कर अककि ककया जािा ह िो िह इनिहास बनिा ह लककन जब एक सिदनशील पतरिका दिारा इसका अकन होिा ह िो साहहतय बनिा ह समय को उसक सौदयाबोध क साथ पकड़ना ही साहहतय ह l परकनि सौदयाबोध का शरषठ साधन ह अि आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा अपनी परथम हहदी पतरिका का विषय परकनि रखा िया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई दिारा जब हहदी पतरिका lsquoउदयrsquo क परकाशन का ननिाय सलया िया िब उसक पीछ का उददशय क रीय विदयालयो क सशकषको एि कमाचाररयो की सिदनाओ का िलदसिा ियार करना था और इस काया म हम काफी हद िक सफल भी रह lम इस पतरिका म परकासशि सभी आलख कवििा कहानी आहद क रचनाकारो का हदय स आभार वयति करिा ह कक उनहोन अपन रचनाए भजकर इस पतरिका क परकाशन को सफल बनाया ह l

आचसलक सशकषा एि परसशकषि ससथान ममबई की ननदशक महोदया का म विशष आभारी ह तयो कक ि ही हमारी पररिा सिोि ह एि उनही क मािादशान एि परोतसाहन स इस पतरिका का परकाशन सभि हो पाया ह l

अि म सपादक मडल एि जीट ममबई पररिार क ओर स इस पतरिका म परतयकष अथिा परोकष रप स सहयोि करन िाल सभी वयकतियो क परनि किजञिा जञावपि करिा ह l

शशीकाि ससघल

सनािकोततर सशकषक (िाणिजय)

परधान-सपादक

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 8: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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जल सकर शिकषा की दषरी स एक अिलोकि शरी बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo

उप पराचायम क दरीय विदयालय करमाक 1 दह रोड पि 412101 ( माहाराषरा)

विषय परिि ििामान म कजिन भी सकट ह उनम जल सकट भयािह ह भारि म अनय सकटो स िो दर सबर ननजाि पाई जा सकिी हलककन जल सकट स ननजाि पाना कठीन ही नही ना ममकीन भी ह ऐसा कहन क सलए हमार पास पयाापि कारि एि सबि विदयमान ह हमार दश म विशि की लिभि 17 परनिशि आबादी हलककन विशि क निीकरि जल ससाधनो का किल 4 परनिशि ही हमारी धरा पर विदयमान ह भारि एक मानसनी िषाा कषि होन क कारि पहल स ही समय और सथान सबधी जल का असमान वििरि जसी समसया का सामना करिा रहा ह इधर जनसखया म ननरिर िगध और िीििा स तरबछ रहा औधौगिक जाल िथा जल क परनि जािरततता का आभाि क कारि उपयोि करन लायक जल की मािा परनि िषा सीसमि होिी जा रही ह विदयालयीन सशकषा म जल सरकषि- सिधान असमान वििरि जल ससाधनो की आयोजना परबधन और उपयोि क सामानय सशकषि का अभाि होन क कारि आम नािररक जल सरकषि की महततता को परखन म अकषम एि अनाडी ह यही कथय ि िथय जल सरकषि ndashसिधान िर ससखान म सशकषक की भसमका को गचकनहि एि इिीि करि ह पढ ndashसलख लोिो की जल सरकषि ndashसिधान क कषि म उदासीनिा हमारी गचिा ओर बढा दिा ह अि सशकषा स जड सभी सिमभो को आम नािररक म जािरततता सननकशचि करन क उदशय स ििामान सशकषा उपकरम की नीनि की समीकषा करना चाहहए और जहाा आिशयक हो पाठककरम म परान जल सरोि का सरकषि सिधान ससचाई की विगध जल का पन परयोि दननक जीिन म जल का कशल उपयोि नदी िालाब कआ- बािडी आहद का परतयकष अथिा अपरतयकष सशकषि का परािधान सननकशचि करना चाहहए जल सकट को राषरीय सकट मान कर हमारी विदयालयीन सशकषा वयिसथा म जल सरकषि ndashसिधान पाठकयकरम का समािश राषर हहि म होिा

जल सकर शिकषा दषरी स एक अिलोकि कई बार यह परशन छािो दिरा पछा जािा ह कक धरिी क िीन- चौथई भाि क बराबर पानी भरा होन क बािजद पानी की कमी का रोना तयो रोया जा रहा ह बाल मन की कजजञासा को िका ि आकडो क माधयम स शाि करनी होिी यह सतय ह कक महासािरो म इिना जल ह कक उस धरिी पर तरबछा हदया जाय िो 3000 मीटर मोटी परि मौजद होिी परि यह जल खारा होन क कारि हमार काम का नही ह धरिी पर पानी की मािा का 27 हहससा ही मीठा ह इस मीठ पानी का 722 भाि हमशा क सलए धरिो पर बफा क रप म जमा रहिा ह और 226 पानी भसमिि जल क रप म ह बाकी बचा 52 मीठा जल झीलो नहदयो और िािािरि म मौजद रहकर हमारी धरिी पर जीिन चकर चलािा ह कफलहल भारि म परनि वयकति िावषाक जल उपलबधिा 2100 घन मीटर आकी जा रही ह जो 2030 िक 1700 घन मीटर रह जान की समभािाना ह इसस पानी की कमी

आलख

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 9: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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और महसस होिी पानी की कमी का अदजा इस िथय स लिया जा सकिा ह कक कजस दश म कभी मफि म पयाऊ लिाई जािी थी आज िहा बोिलो म पानी 20 रपया सलटर समलन लिा ह

एक सिकषि क हहसाब स राजसथान उडीसा उततराखड महाराषरा िथा मधय परदश आहद राजयो म एक गरामीि महहला को घर पर पानी लान क सलए एक िषा म करीबन 12000 स 14000 ककलोमीटर पदल चलना पडिा ह हमार दश म जल का सकट इससलय भी ह कक नहदयो स ससचाई क सलए खिो म छोड जान िाल पानी का 60 भाि रासि म ही बरबाद हो जािा ह और माि 40 ही खि िक पहच पािा ह अगधकाश नहदयो का जल पीन की बाि िो दर नहान लायक भी नही रह िया ह हम भारिीयो न ननज सिाथा म आध होकर कानन की िजानाओ और हदशा ndashननदश पर धयान न दकर नहदयो म मल-जलअि-जल और फकतरयो की िदिी और रसायन इिना अगधक उतसजान ककया कजसक चलि अमि िलय ििा-यमना का जल विषकारी हो िया ह अब िो भसमिि जल भी परदवषि होन लिा ह और कजसक चलि लाखो लोि विकलाि और असमय ही काल क िाल म समा रह ह

दतिक जीिि म जल का दरपयोग हर यि म लोक सशकषक रचनाकारो और समाज िजञाननको न जल क महति को बहि ही उममदा िरीक स बखान ककया ह कवििर रहीम न िो जल को मान-परनिषठा का विषय माना ldquo रहीमि पािी राखखय बबि पािी सब सटि पािी गए ि ऊबर मोिी मािष चटिrdquo भारिीय परपरा एि ससकनि म जल क विसभनन सिोिो नदीकए बािडी िलाब आहद को अतयि पविि माना िया ह और इनकी पविििा ि शगचिा को ननरिर बनाए रखन क सलए इनम दिति की अिधारिा परतयारोवपि कर इनक ननमाािसिधान ि सरकषि को दननक जीिन म पजा- अचाना स जोडा िया लककन जस ही हमन आधननकिा की चादर ओढी हिाई जहाज म बठ कर उडन लि दरदशान ndash कमपयटर का आनद लन लिससमट- ककरीट क जिल को सभयिा की पराकाषठा मनन लि िब स कषकषनि जल पािक ििन और समीर अमि का अमानिीय िरीक स अधाधध उपयोि ndashउपभोि ककया और इनही जीिनदािा पचिति को हमार ही सलए जहर बना सलया आज धरिी पर जो जल सकट ह उसका दोषी एक माि इसान ह | इसान की अमािीय एि अपराकनिक सौच ह मर एक अनमान क अनसार-

1) एक पाच सदसय िाला ननमनििय पय पढा-सलखा पररिार सिी- परष ि बचच शवििटथबरश सनान शप कपडबिान आहद क सलए 5x 3x365=5475 िलन सिचछ जल परनि िषा बबााद करिा ह िथा इसस चाए ििा अथााि 21900 िलन पानी दषीि करिा ह

2) एक ककसान एक ऐकड खि म एक िषा म पराह स बीस हजार िलन पानी बकार ही बहा दिा ह िथा कीटनाशक दिा- रासायनीक खाद क परयोि दिारा अपरतयकष रप स चालीस हजार िलन पानी परदषीि करिा ह

3) एक विदयाथय प ओसिन 3 सलटर पानी परनिहदन अनािशयक रप स बबााद करिा ह 4) महानिर म रहन िाल निा असभनिा पजीपनि आहद क घरो िथा ससिारा होटलो म बन हए

सिीमीि पल म लाखो घन फट पानी बबााद होिा ह 5) मोटर िाडीरल िाडी दो पहहया िाहन की धलाई म जो पानी खचा होिा ह उसको बचाया जाए िो

लिभि 500 िाि को पीन का पानी महया करिाया जा सकिा ह शहरो म जब जल आपनिा की पाईप लाइन टट जािी ह िो एक बार म हजारो सलटर पानी वयथा बह जािा ह हमार दश म हर शहर म परनिहदन सािाजनीक नल का टटना ि घणटो िक पानी बहि रहना आम बाि ह

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 10: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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साधारि शबदो म कह िो कह सकि ह कक जो विचार यतिी आदि एि दननक कायाशली जल की बबाादी को रोकिी ह जल सरकषि-सिधान िर कह जा सकि ह जल सरकषि ndashसिाधन िर मनषय क उचचिम परकिी परम क कारि िकष िथा जल-सिोिो क परनि अनराि उतपनन होना िथा जल को शदध रखन शदध करन बबाादी को रोकन क सलए ननि नय उपाय खोजना सझना ि गचिन ndashमनन करना ह परकनि सरकषि का सकलप लकर िन ndashमन ndashधन स जल lsquoदिrsquoिलय ह जल परािीमाि की lsquoजीिन रखाrsquo ह जल ही lsquoजीिनrsquoह आहद अिधारिा का सिय अनपालन करना िथा दसरो को भी अनपालन क सलए पररीि ि सशकषकषि करना ह

आज ऊहापौह- भािदोड-कसमकस की कजदिी म मानि मलय िथा परकिी परम जीिन शली म भयकर गिरािट आ िई हजीिन मलय म lsquoसिाथाrsquo हािी हो िया ह पराचीन परमपरा िथा ससकनि क परनि नकारातमक नज़ररया ि सोच ियार होन लिा ह शायद इससलए हम पानी को बरबाद करन परदवषि करन नहद- िालाब म कडा-कचरा फकन म शाम नही आिी ह शहरीकरि औधौिीकरि िशिीकरि उदारीकरि िथा ननजीकरि का अथा मलय विहीन जीिन शली कदावप नही हो सकिा

जल परकनि की असली िाकि ह इसका सचय कीकजय l परकनि ससगचि होिी

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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नदो 21 प

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 11: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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डॉ भोजराज लाजिार

क दरीय विदयालय गणिखखड पण-०७ परकनि - एक उजाला

धरा की हरयाली हो रही ह नषट खसशया परम छोड़कर समल रहा ह कषट १ जमीन क सलए मानि काट रह ह जिल जानिर और पछी म नही रहा मिल २ कजिन हाथ उिनी कमाई ऐसी हमारी सोच

बोझ स लिडाई धरिी आयी पािो म मोच ३ पयाािरि सिलन म आ रही ह बाधा

बाढ़ तरबमाररया ओजोन खिरा मनषय जीिन आधा ४ पथिी हमारी ह खिर म उस हम बचायि

पड़ लिाकर परदषि रोककर सििा हम रचाएि ५ नारी क सौदया तरबना िसि ह अधरा

िकष कटाई रोककर करि काम परा ६ पथिी का िि सिध समलिा ह रितरबरिी फलो स

परकनि का िि समलिा ह पश पकषकषयो क झलो स ७ बदल रहा ह इनिहास बदलि हम

सिचछ भारि करनम म लिायि दम ८ परकनि एक उजाला ह परकनि ननमाल पानी

हिा शधद सिचछ पानी यही हमारी कहानी ९ बचाओ जल रोको परदषि यही हमारा नारा

िसधरा की रकषा ननमाल परकनि की धारा १० हरी धरिी नीला आकाश जनजीिन म कर परकाश

सिछिा का तरबिल बजाकर हम सब लि साास ११ जल बचाकर धरिीपर सििा हम रचाएि

मनषय पराणियो म खब खशहाली लायि १२ िकषारोपि और िनो की सरकषा

समलकर करि पयाािरि की रकषा १३ समलकर करि सिािि बचाकर पानी

धरिी को बनायि सनदर बह रानी १४

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 12: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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8 ि न सथ ली 9 अ

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 13: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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39

ििा पहली 1 2 3 4 5

6

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8 9 10

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 14: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकनि एक रहसय

शरीमिी मघा आपर ( पराथशमक शिकषकषका) कवि करमाक -1 परथमपाली रायपर (छग)

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह जो समझ स पर ह बझ स पर ह आहद ह अनि ह अकाल ह महाकाल ह िढ़ाहदिढ़ का भद अपरमपार ह यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उस अनि आकाश की ऊ चाइयो को

इस धरा की विलकषि िहराइयो को

उस हदवयाहद दि की ननसमानि को

आज िक कौन बझ पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह िभा क उस मल को परकनि क इस फल को

शकति की उस अनि काया को

बरहतमा विषि महश की उस छाया की

अिलनीय िलना को कौन िौल पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह इस आज िक कौन समझ पाया ह उतति शरि सशखरो की भवयिा को

सलीला की कल-कल करिी िि धारा को

उदगध की कषकषनिजमय अनछई छाया को

परकनि की मन स िहरी माया को कौन जान पाया ह

यह कौन सा िढ़ रहसय ह

इस आज िक कौन समझ पाया ह

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 15: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकति एि मािि रागगिी गरि पराथशमक शिकषकषका

कनददरीय विदयालय दगम एक छोटी सी कहानी ह एक बार एक िजञाननक कजसन काफी उननि परौदयोगिकी की खोज कर ली थी या या कह कजसन अपना एक अलि ही निीन ससार रच डाला था उततकजि हो उठा और उसन ईशिर को चनौिी द डाली कक आणखर दननया िमहारी उपासना ककससलए कर आणखर ऐसा तया ह जो आज हमारी पहाच क बाहर की िसि ह और ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही उसक इस परकार पकारन पर ईशिर भी मसकराए उसक समकष परिट हए और उनहोन पछा ldquoमर बचच इिन ऊदविगन तयो हो आणखर तया चाहि हो िम मझसrsquorsquo िजञाननक न पिा अहकार क साथ कहा ndash अब आप सिय को ईशिर कहाना छोड़ दो आणखर ऐसा तया ह जो िम कर सकि हो और हम नही ईशिर न शािगचतत कोमल सिर म उततर हदया ndash मर बचच म ककसी पर दबाि नही डालिा कक लोि मझ मान लककन कफर भी अिर िम कहि हो कक िम सब कछ ननसमाि कर सकि हो िो मझ मरी सिोततम कनि एक मनषय बना कर हदखा दो िजञाननक न उततर हदया यह कौन सा मकशकल काया ह म अभी आपको एक मनषय बना कर हदखािा हा िजञाननक न अपन परयोि क शभारभ क सलए जमीन स कछ समटटी उठानी चाही परि य तया यहाा िो धरिी ही नदारद उसन हिा चाही िो हिा भी िायब और जब उसन पानी की कछ बद चाही िो उस पानी भी परापि न हो सका िजञाननक न िननक रषट होि हए कहा कक आप मर परयोि म विघन डाल रह ह ईशिर न पनः शाि भाि स कहा ndash मर बचच अिर िम अपनी दननया बनाना चाहि हो िो जरा अपनी हिा अपनी समटटी और अपना पानी भी िो सिय बना लो िजञाननक हिपरभ िासिि म उसन अब िक कजिन भी ननमााि ककए ि सब िो जो पदाथा उपलबध ह उनही का रप पररििान कर ककए आणखर उसन सिय तया बनाया िजञाननक क ििा को चर करन क सलए य दषटाि पयाापि था

िासिि म मनषय ही ईशिर कक सिोततम कनि ह तयोकक उसक पास बदगध ह िह िका करिा ह परशन करिा ह और उन परशनो क जिाब िलाशन क सलए ननरिर परयास भी करिा ह तया आपन कभी सना ह कक एक शर न बिािि कर दी कक नही अब म मास नही खाऊा िा या कक ककसी हाथी न कभी य कहा कक बस बहि हआ य पतत य घाास फस खाना अब कछ delicious हो जाए नही न परि मनषय न लिािार सिय म पररििान ककए ह िो उननि उननि और अगधक उननि होना चाहिा ह लककन ककस कीमि पर उस हिा की कीमि पर जो िम बना नही सकि उस पानी की कीमि पर कजस िम किल इसिमाल कर सकि हो उस धरिी की कीमि पर कजसक ऊपर िम अपन महल बनाकर इिराि हो जबकक चाह लाखो महल खड़ कर दो धरिी का एक टकड़ा भी िम सिय ननसमाि नही कर सकि

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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मली ल नि 6 म

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ह ल हा 23 ना

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 16: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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एक और छोटी सी कहानी ह एक माा ह उसक कोई सौ बचच ह िह अपन सभी सौ बचचो क सलय रोज़ खाना बनािी ह और सार बचचो की सिकषट लायक भोजन का ननमााि करिी ह सभी म अपनी उमर और सिासथय क अनरप भोजन का वििरि आसानी स हो जािा ह परि एक बार कछ बड़ और बलशाली बचच उस वििररि भोजन का कछ हहससा अपन पास रख लि ह कक पिा नही आि कम समल या ना समल िो अब इस काया क कारि जो कमजोर और छोट बचच ह उन िक भोजन नही पहाच पािा और धीर धीर कमजोर बचच और कमजोर होि जाि ह और बलशाली बचच और अगधक बलशाली बकलक अनिररति बचाया हआ भोजन भी इसिमाल ना होन क कारि सड़न लििा ह

कछ यही कहानी ह हम धरिीिाससयो की भी कजनक पास ससाधन ह ि इन ससाधनो का दरपयोि करि ह उस वयथा करि ह और कजनक पास ससाधन नही ि बादndashबाद क सलए िरसि ह

एक उचच कोटी क फलट म रहन िाला वयकति घटो बाथ टब म डबकर िलनो पानी किल अपन सख क सलए बहा दिा ह और दसरी ओर पानी की बाद बाद क सलए िरसन िाल और उसक सलए मीलो पदल चलन िाल लोि भी ह जो पानी क सलए मरन मारन को भी उिार हो जाि ह

िासिि म परकनि जब ककसी को इस दननया म आन का अिसर दिी ह िो उसक सलए भोजन का इिजाम भी पहल ही कर दिी ह बचच क जनम क साथ ही माा क आाचल म दगध की धारा बहान िाली परकनि भला अपन बचचो को कभी भखा रख सकिी ह कदावप नही परि यह विषमिा यह खाई किल असमान वििरि का पररिाम ह

परकनि का हर कि चाह िो जीविि हो या ननजय पि चाह िो सकषम जीिी हो या विशालकाय जानिर हर कोई महतिपिा ह परकनि क इस खल म आप भी उिन ही महतिपिा ह कजिना कक कोई अनय परािी उदाहरि क सलए अिर आप चस खल रह ह िो इसम सबस महतिपिा ह राजा और सबस मामली ह पयादा लककन अिर म आपक इस पयाद को ककसी बड़ मोहर स बदल द िो तया आपका खल सही ढि स परा हो पाएिा नही न अथााि हर कोई अपनी जिह महतिपिा ह परकनि क हर कि की अपनी महतता ह

एक राजा था उसन दखा कक गचडड़या उसक खिो का काफी सारा अनाज खा लिी ह या बबााद कर दिी ह िो उसन आदश ननकलिा हदया कक राजय की सारी गचडड़यो को मार डाला जाए जो इन गचडड़यो को मार उनह इनाम परदान ककया जाए बस तया था दखि ही दखि राजय म गचडड़यो का अकाल पड़ िया परि तया अनाज बचा गचडड़याा िो अनाज क साथ ndashसाथ कीड़ मकोड़ो को भी खािी थी अब उन कीड़ मकोड़ो का परकोप हदनो ndashहदन बढ़िा िया उनह मारन िाला कोई न था िो उनकी गरोथ यानन पदािार भी बढ़िी ियी उसन न किल सार अनाज को चौपट कर डाला बकलक अनकानक बीमाररयो को भी नयोिा द डाला आणखर राजा को अपनी िलिी का अहसास हआ और उसन गचडड़यो को बिल राजय स आयाि करिाया िो यह ह पाररकसथनिक सिलन परकनि का हर कि हर जीि परकनि क चकर को सचार रप स चलान क सलए अननिाया ह इसम छड़छाड़ कर ही मनषय इस सिलन को तरबिाड़िा ह

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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11 12

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 17: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परि परकनि िो कफर परकनि ह मनषय सोचिा ह बाढ़ भकप अनििकषट अनािकषट आहद परकनि का िाडि ह जबकक िासिि म य परकनि क अपन िरीक ह अपनी सफाई क िमन नहदयो क पराकनिक बहाि को रोका िमन जिलो को बिहाशा काटा अपन सिाथा क सलए िमन ननरिर धरिी क िभा म खनन ककया लालच लालच और ससफा लालच अब परकनि को भी अपनी सफाई करनी ह और य भी सच ह कक परकनि पालनहार िो ह ही लककन जब अपन बचचो क लालच को ननयिि म लान क सलए िो अपना डडा चलािी ह िो इसान उठिा नही उठ जािा ह जो सिाभाविक ह िो पराकनिक हऔर जो धारा क विपरीि ह असिाभाविक ह िो अपराकनिक ह

धरिी का बखार ननरिर बढ़ रहा ह उसकी सहि का धयान दो ह मनषय helliphelliphellip ह बदगधशरषठ अपन लालच स उबरो तयोकक परकनि हर ककसी का पालन पोषि कर सकिी ह परि लालच helliphelliphelliphelliphellip इसका िो कोई उपाय ही नही

दर िक फला आकाश

िो हरीनिमा िो उजास

कषकषनिज क पास मसकरािा मजर

िो गचडड़यो का कलरि

िो पवततयो की सरसर

कल ndashकल करिी बहिी नदी

झर ndashझर झरिा झरन का पानी

कौन कर रहा ह इस बरि

ककसन घोपा इसकी छािी प खजर

इसकी य रौनक लौटा दो इस पयार स जरा सहला दो

िरना य हदखा दिी िमह िमहारी औकाि

कफर रह जाएिा य ििोनमतत

खाली हाथ खाली हाथ खाली हाथ

हरा इस ससार का महतिपिा रि ह और इसी स इसकी मधरिा सबक सामन आिी ह l

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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11 12

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

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म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 18: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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अरण

बलविदर शसह अधरी राि का अधरा िरी साददक स शमरिा ह फिर पररदो का चाहचािा आगाज़ ददि का य पयारा ह खला खशियो का हर वपरारा जो िक़ि आि का िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

आगाज़ जो ह िर सफ़र का लगिा पहाड़ो म ही पयारा ह ठहर जािी ह सास पलभर सकट रह को भी आिा ह झटम उठिी ह साड़ी धरिी जब शमलिा साथ िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

िरी ही इस िवपि स चलिा य ससार पयारा ह ह िट रिा अकर म िब जीिि जब बरसिा आसमाि य सारा ह िोर िददयो का झरिो का सब कररशमा िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर क िाम अरण िमहारा ह |

झपकिी ि ह यह पलक जब तछपिा अकस िमहारा ह िाम की लाल भगगमा का लग हर दशय ही पयारा ह हो रहा ह जो असि इस और िो उदय कही और िमहारा ह िझ ददिकर कहट या भासकर

क िाम अरण िमहारा ह |

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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44

िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

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नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 19: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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शबद खोज

ल ि ि अ ि र ह क क अ मा क नन

ध म गि ब ज र प ि झ ङ फ ल ि

ब ब ड र ि सा हा म िा य य ल न

प ह न ई क आ प न ज ि ल िा सप

ि रर हद भ क प यो क ि न मा प नि

झ या या सम ध दा द पर ल य हह यो या

ड़ ली स ना मी र पर द ज म म ध सस

प च कर िा ि ल िी ष च ना पा र मी

रा क श िा आ का श ि पर क नि ल न

सम

ल न द ि ि न क ह ल श क ल

सर

तश च तरबर क फर स ि ल च रा ला क

मी

रा प ह च ल अ लर िा अ र नन वि

ि दी क कलप ि ना ला हा क ि गध िा

(ननमनाककि ििा म परकनि स सबगधि 30 शबद रखाककि कीकजए )

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

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स ि 12 उ

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13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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15 को

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ल 17 भ

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म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 20: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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भारि की सासकतिक धरोहर ndash गगा

शरीमिी कषणा िमाम परसिाशिसामाजजक विजञाि

क दरीय विदयालय मािखदम ममबई

ििा की कहानी भारि की कहानी ह| भारि का भि ििामान भविषय असभनन रपि ििा स जड़ा ह| ििा िट भारि क िभिशाली इनिहास क साकषी रह ह| इन िटो पर अनको ससकनियो न जनम सलया ह अनको हजार ऋसशयो क जञान सिो का शभारमभ इसी भभाि पर हआ ह| धमा सिो िहदक ऋचाओ परािो उपननषदो भषजय गरथो क साथ ही साथ सशलप िीि - सिीि नतय - नाटक का परियन और ऋवष मननयो की साधना उपासना का पललिन फलन भी यही हआ ह| िसधि कटमबकम सि भिनि सणखन इतयाहद िकशिक कलयाि क सिर इन घाहटयो स सार ससार म परसफहटि हए| योि ि आयिद का जनम इनही पणय कषिो म हआ| पािनििोदक को अजरी म लकर यहाा अनको दशपरमी सिराजय पराकपि हि कहटबदध हए कल समला कर कहा जाय िो आहद मानि स महामानि बनन क साधन सि पहल पहल यही सीखन समझन को समल|

भति हो या जञानी या साधारि परािी ििा जल को सभी सगचि रखना चाहि ह और हो सक िो ननतय उसका पि करना चाहि ह तयोकक अकली ििा म ही पलाजमा नामकिति ह जो िन मन की कई बीमाररयो क कीटािओ को नषट करन म समथा ह| शोध सशोधन ि ररसचा हि भी विदशी विजञानी यहाा आि ह |

यसमरि सिि गगा िसम मचयि बधिाि

ििा म धिनन होिी रहिी ह कल कल हर हर छर छर छल छल| ििा सिि बहिी ह रकिी नही| ििा रक िई िो ििा नही| ििा ननशबद हई िो कसी ििा| ििििी शबदििी ििा का उगरिम रप दशानीय ह भवय ह|

गगा की उतपवि

हहमालय म ििा की चार धाराए ह कजनक नाम अलकनदा भािीरथी मदाककनी और जानहिी ह| लोक म य ििा क पयाायिाची मान जाि ह परनि हहमालय क परिाहकषि म य अलि अलि धाराए ह| दिपरयाि म इन सबक एक हो जान पर ििा नाम पड़िा ह| इनम परमख नदी अलकनदा ह जो बरीनाथ क पास अलकापरी स समलिी ह उसी अलकनदा म दिपरयाि क सिम पर भािीरथी समलिी ह जो ििोिी की ओर स आई ह और ररपरयाि क सिम पर कदारनाथ स आई मनदाककनी समलिी ह |

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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लका र ल गथ गि

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नदो 21 प

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ह ल हा 23 ना

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 21: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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ििा की सबस ऊपरी धारा जाहतनिी ह जो ििोिी क कछ ही मील नीच भािीरथी म समलिी ह पर िह हहमालय क उस पार जासकर पिाि शरखला स ननकलिी ह जाहतनिी का उदिम हटहरी ररयासि का सबस ऊपरी छोर ह

िदो क अनसार ििा बरमहा क कमणडल का जल विषि का चरिोदक एि सशि की जटाओ म इकसथि पािन रसामि ह कजसका जल भिीरथ की िपसया क फलसिरप धरिी पर परिाहहि हआ ह

हहमालय की धािओ मणियो िथा हदवय औषगधयो क समशरि स लमबी धारा म परिाहहि होन क कारि ििाजल विषनाशक पकषटकर िथा आरोगयदायक ह तयोकक लमब परिाह क कारि ििाजल अतयगधक ििमय हो जािा ह

उदिम सथल पर ििा का परिाह बहि ही छोटा ह ककनि आि यह िीवरिर होिा जािा ह अनक छोटी बड़ी नहदयो को अपन म समाहहि करक िटििय प अनको शहरो को पािन करिी हई ििा २५२५ ककलोमीटर की यािा िय करक सिय को ििासािर सथल बिाल की खाड़ी म विलीन कर दिी ह

भकति काल की कषिाशरयी शाखा क परमख कवि सययद इबराहीम रसखान न ििाजल को सजीिनी क समान लाभकारी बिाि हए कहा ह -

बदकी औषध खाऊि कछ िा करौ वरि सजम री सि मोस

िरो ही पािी वपयो ldquoरसखािrdquo सजीिि लाभ लहौ सख िोस

गगा और परदटषण

विशष रप स १९८०-९० ईसिी क दशक म िशिीकरि की अधी दौड़ क साथ साथ इस पनिि पािनी ििा क भी बर हदन शर हो िए ह कारखानो का लाखो िलन रसायन यति परदवषि पानी ििा म समलाया जान लिा दसरी ओर मनमान धन स फल शहरो क सीिर भी ििा म डाल हदए िए जरा कलपना कर उन सथानो की तया दिानि होिी होिी जहाा य अिसशषट समल जाि ह विशषजञो की एक टीम क अनसार ििा क िट पर बस सभी क़सब एि िााि ३६३६ करोड़ लीटर परनिहदन िनदा पानी पदा करि ह

गगा म परदटषण रोकि क उपाय

विशि सिासथय सिठन क अधयन क अनसार भारि क ३११९ निरो म माि २०९ निर पयाािरि परदषि क परनि आसशक रप स सककरय हदखाई पड़ इसी सिठन की सन १९९५ ईसिी अधयन समीकषा स विहदि हआ ह की ११४ भारिीय निर असशोगधि कड़ करकट क अमबारो स पिा समल

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 22: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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सन १९८६ म पयाािरि सरकषि अगधननयम अकसिति म आया ितकालीन परधानमिी की सककरयिा क कारि उसी िषा ििा एतशन पलान का शरीििश हआ

ििा काया योजना क अििाि ३१ माचा सन २००७ ईसिी िक १३९ करोड़ रपयो की धनरासश वयय करन पर भी सिोषजनक पररिाम क अभाि म इस योजना को अििः भारि सरकार दिारा िापस ल सलया िया

पयाापि विचार मथन क पशचाि नशनल ििा ररिर बससन अथॉररटी (NGRBA) की सथापना की ियी

१७ अपरल सन २०१२ ईसिी को िातकासलक परधानमिी की अधयकषिा म ििा नदी िथा उसकी परमख सहायक नहदयो की शदधिा की काया योजनाओ पर चचाा हई परनि पाररिाम विशष उतसाहजनक नही रहा इन िनिविगधयो की एक परमख उपलबदगध यह रही की ििा को राषरीय नदी घोवषि कर हदया िया िथा विशि बक क दिारा १ अरब पौड की सहायिा परदान की ियी

समपरनि ििा शदगधकरि क असभयान क अििाि नमासम िि पररयोजना को मिा रप हदया िया ह

भारि सरकार क बजट म उति पररयोजना की ननसमतत १४ जलाई २०१४ को २०३७ करोड़ रपयो का परािधान ककया िया ह इसक पिा ७ जलाई २०१४ को नयी हदलली क विजञान भिन म आयोकजि कायाकरम म ििा की सफाई को राषरीय सिासभमान क साथ जोड़ा िया ह

यह ककिनी बड़ी विडमबना ह की तरबना ककसी भदभाि क अपन अमि जल स करोड़ो पराणियो को सरकषकषि करन िाली पनिि पािनन सरसरर आज अपन आतम सरकषि क सलए गचनिि ह | अपन दशान सपशा अििाहन माजान माि स करोड़ो का उदधार करन िाली पणयिोया ििा आज सिय अपन उदधार क सलए दसरो की मखापकषी बनक रह ियी ह| ऐस म यह परशन उठना सिभाविक ह कक करोड़ो वयकतियो क सलए शरदधा सिरपा ििा तया परदषि मति और सिचछ हो पाएिी तया दविसिरपा ििा क अविरल एि ननमाल परिाह का हमारा सपना परा हो सकिा तया लाखो करोड़ो भारिीय ििा क साथ एक सिर म िा सक ि -

गगा िरा पािी अमि

जब परकनि कोई काम कराना चाहिी ह िो िह उस पिा करान हि ककसी परभािशाली वयकति को जनम दिी ह l

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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38

परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

44

45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 23: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकनि

एसएआज़ाद कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल ओझर परकनि स जयादा अचछाई हो परकनि स जयादा न बराई हो परकनि स कजिनी बराई कम हो उिनी ही जयादा दम हो

परकनि को अब न सिाया करो िकष काटो नही लिाया करो धल चाटो नही छाया करो

पसौ की माया स बचा कारो परकनि को बचाया करो अब न परकनि को रलाया करो खचा कम और जयादा बचाया करो धरा पर िकष जयादा लिाया करो

भमडलीय पररििान परकनि करिी सकषट का पररचालन परकनि करिी तयो न परकनि की आकनि रखिी

अधाधध ककनि करिी परकनि का काम ह दना लना मानि का काम ह ससफा लना लना ही लना परकनि को पीड़ा दना समन मजा क सलए करीडा करना

झरना नदी समदर बरखा सभी म पानी का रप छलका पड़ फल लिा या टहनी सभी म जीिन ह बसिा

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

27

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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7

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18 19 20

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

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स ि 12 उ

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13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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15 को

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ल 17 भ

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नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 24: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकति ndashजीिि क शलए एक उपहार

महि िमाम आिशलवपक शरणी ndashपरथम

कविस जयपर सभाग धरिी पर जीिि जीि क शलय भगिाि स हम बहमटलय और कीमिी उपहार क रप म परकति शमली ह दतिक जीिि क शलय उपलबध सभी ससाधिो क दिारा परकति हमार जीिि को आसाि बिा दिी ह एक मा की िरह हमारा लालि-पालि मदद और धयाि दि क शलय हम अपि परकति का धनदयिाद करिा चादहय अगर हम सबह क समय िाति स बगीच म बठ िो हम परकति की मीठी आिाज और खटबसटरिी का आिनदद ल सकि ह हमारी कदरि ढर सारी पराकतिक सदरिा स सिोशभि ह जजसका हम फकसी भी समय रस ल सकि ह पथिी क पास भौगोशलक सदरिा ह और इस सिगम या िहरो का बगीचा भी कहा जािा ह लफकि य दख की बाि ह फक भगिाि क दिारा इसािो को ददय गय इस सदर उपहार म बढिी िकिीकी उनदिति और मािि जाति क अजञाििा की िजह स लगािार हरास हो रहा ह

परकति हमारी िासिविक मा की िरह की होिी ह जो हम कभी िकसाि िही पहचािी बजलक हमारा पालि-पोषण करिी ह सबह जलदी परकति क गोद म ठहलि स हम सिसथ और मजबटि बिि ह साथ ही य हम कई सारी घािक बीमारीयो जस डायबबदरज सथायी हदय घाि उचच रकि चाप लीिर सबधी परिािी पाचि सबधी समसया सकरमण ददमागी समसयाओ आदद स भी दटर रखिा ह य हमार सिासथय क शलय अचछा ह फक हम गचडड़यो की मधर आिाज मद हिा की खिखिाहर िाजी हिा की सिसाहर बहिी िदी की आिाज आदद सबह - सबह सि जयादािर कवि लखक और लोगो को अपि ददमाग िरीर और आतमा को दबारा स ऊजामयकि बिाि क शलय उदयािो म योगा और धयाि करि दखा जा सकिा ह

परकति क पास हमार शलय सब कछ ह लफकि हमार पास उसक शलय कछ िही ह बजलक हम उसकी दी गई सपवि को अपि तिजी सिाथो क शलय ददिो-ददि बरबाद कर रह ह आज क आधतिक िकिीकी यग म रोज बहि सार आविषकार हो रह जजसका हमारी पथिी क परति िायद-िकसाि क बार म िही सोचा जा रहा ह धरिी पर हमिा जीिि क अजसिति को सभि बिाि क शलय हमारी परकति दिारा परदि सपवि क गगरि सिर को बचाि की जजममदारी हमारी ह अगर हमलोग अपि कदरि को बचाि क शलय अभी कोई कदम िही उठाि ह िो य हमारी आि िाली पीढी क शलय खिरा उतपनदि कर दगा हम इसक महति और कीमि को समझिा चादहय इसक िासिविक सिरप को बिाय रखि की कोशिि करिी चादहय

अि म मयह ही कहट गा फक अगर हम हमिा खि और सिसथ रहिा ह िो हम सिाथी और गलि कायो को रोकि क साथ-साथ अपि गरह को बचािा होगा और इस सदर परकति को अपि शलय बहिर करिा होगा पाररजसथतिकीय ितर को सिशलि करि क शलय हम पङो और जगलो की कराई रोकिी होगी ऊजाम और जल का सरकषण करिा होगा आदद अि म परकति क असली उपभोकिा हम ह िो हम ही इसका धयाि रखिा चादहय

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 25: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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नद ककककिी

बालाराम परमार lsquoहसमखrsquo उप पराचायम

कनददरीय विदयालय क1 दहरोड़ पण 412101

म नदी हा मझ बहन दो

मर कल-कल छल-छल मधर नाद

लोिो क किा िक पहाचन दो

म ससना हा मझ टढ़ी मढ़ी बहन दो

म परयसी पयोगध परछन रसम होन दो

मर परह परोिामी पथ भाि

नीरस लोिो क किा िक पहाचन दो

म मोकषदानयनी हा मोकषपथ पर बहन दो

म ननरिधय ननरलस ननरिगध हा

मर ननशरयस ननरकति ननखा

ननरिकचछनन ननरफल मि होन दो

म ससिारी सचन हि मझ बहन दो

म धरणि परिििा पिी धराधर धरी

धमााथा धरा पर उिरी कहलाई यमना ििा

ििो जमनो ससकनि सरिम बहन दो

हसमख ndashककककिी बन हासाई करन दो

पिझड़ एक दसर बसि की िरह ह जब सभी पवततया फल बन जािी ह l

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

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लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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ल 17 भ

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म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 26: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकति स सीखो साथ तिभािा

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

परकनि म हर ित ि का अपना मल य ह चाह कर भी हम किल एक ही ित ि क सहार नही रह सकि ठीक उसी िरह जस एक बीज का धरिी स िहरा सबध होिा ह िह चाह कर भी परकनि क ककसी एक ित ि स अपन को विकससि नही कर सकिा इस सबध म एक कहानी ह

कभी आाधी िो कभी िफान कभी ल िो कभी हड़कप बयार कभी जठ की कड़किी धप िो कभी थरथर का पा दनिाली राि कभी ओल िो कभी मसलाधार िषाा रोज-रोज की परशानी ककसान बोला-कसा ह यह विधािा कोई न कोई उतपाि करिा ही रहिा ह विधािा ककसान की यह बाि सन रहा था ककसान स बोला-परकनि क सचालन का काम एक िषा क सलए िम समहाल लो इसस मझ भी थोड़ा अिकाश समल जाएिा

ककसान बहि खश हआ न अगधक िमय प पड़ी न अगधक सदी न भयकर आाधी चली और न भयकर ल चली िथा न भयकर धप ही पड़ ककसान को ििा हो रहा था कक मर दिारा सचासलि परकनि ककिनी सखद ह पर जब फसल काटन का समय आया िो उसन दखा कक फसल म दाना ही नही था दाना कसा पड़िा

दान क सलए िो कड़क सदी कठोर धप और ल िथा आाधी की आिशयकिा थी अकरि पललिन फल और फल स समपिा परकनि का अिसबध ह

इससलए िो अिशय ही िकष का मल कारि बीज ह ककि यह भी सतय ह कक िह एक माि कारि नही ह सया चर मघ ॠि िाय एि समपिा परकनि उसक सहकारी कारि ह धरिी और बीज की परककरया एकाि-परककरया नही ह उसका सबध परकनि की समपिा परककरया स ह धरिी और बीज की परककरया समपिा परकनि की परककरया क साथ घहटि होिी ह इससलए जीिन म कोई भी काया स िय क दिारा ही हो सकिा ह ऐसा रमम कभी मि रणखए परत यक कमा म सहभागििा अिश य ही रहिी ह चाह िह परत यकष हो या अपरत यकष इससलए अपन जीिन म परत यक क महत ि को पहचाननए और परकनि स सीणखए कक त या होिा ह साथ ननभाना

जो पड़ धीर धीर बढि ह उन पर सबस बहिर फल आि ह l

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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7

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11 12

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14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 27: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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पथिी की पकार

ििीकाि शसघल

सिािकोिर शिकषक िाखणजय

जीर ममबई

पथिी चीख-2 कह रही

बस कर मानि य मरी ननयनि न थी l

मर सार ससाधन िन समटा डाल

मीलो दर िक पतथर क महल बना डालl

पाट हदया सािर सखा डाली नहदया

जो हआ करिी थी कभी मरी तरबहदया l

िन िो पानी और िकषो को भी नही छोड़ा

रति की एक ndashएक बद सा ककया इनका ननचोड़ा l

अपन ससाधनो स अपन आप को ही ररति पा रही ह

बचचो स तरबछड़ी हई मॉ जसा अपन को पा रही ह l

ए मानि अनि ककसी भी चीज की अचछी नही होिी

समय रहि सधर जािा िो आज िरी यह दशा ना होिी l

आज ि गलोबल िासमिि स डरिा ह

पर य सब िो िरा ही ककया धरा ह l

मर परकोप को सहन क सलए ियार रह

हहसाब चकान क सलए ियार रह l

विधािा भी िरी हिाननयि जानिा ह

इससलए मझ भी ससाधन दन स डरिा ह l

अभी भी समय ह कछ करन का

करना िो बस इिना ह को दोहन उिना ही करो जररी हो कजिनाl

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

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18 19 20

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 28: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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परकति हम 11 ऐस िायाब सदि दिी ह जो जज़दगी म एक सीख बि जाि ह

पटिम डडडिातिया

दहदी अििादक

कविस कषतरीय कायामलय जयपर

1 समय कभी रकता नही -

जिदगी म बहत सी मसीबत आती ह उनको दखकर हम थम नही जाना चाहहए बहकक फिर स एक नई ऊजाा क साथ

शरआत करनी चाहहए

2 हर-भर रहो जयादा जियोग

इसका मतलब मसकान स ह पड पौध अगर लहरायग नही तो एक ठ ठ की भाहत स ख जायग तो हमशा मसकरात

रहो हर भर रहोग

3 ज िदगी एक मौसम ह

मौसम हमशा बदलता रहता ह वस ही जिदगी ह एक-एक पल बदलाव का नाम ह इसीहलए हमशा यही सोहचए

की हालात कभी खराब हो सकत ह तो सही भी जकद ही हो जायग घबराइय मत

4 पररि दो स उडना सीखो घर आना सीखो

हम हर सब सबह घर स काम क हलए हनकलत ह पकषी भी वस ही ह सबह काम फिर रात म घर आना भी होता

5 रात क बाद सवरा

समय कभी एक-सा नही रहता अब अगर रात ह तो कछ समय बाद सवरा आयगा ही सवरा ह तो रात का आना

भी पकका ही ह

6 सरवाइव करना

कछ हवदवानो का कहना ह फक जिदगी म सबस मिदार और सबस महककल काम सरवाइव करना ही ह हम सीखना

चाहहए पड की हगरती पहियो स हम सीखना चाहहए कदरत क हर नय पल स तो इसहलए सीखत जाओ एक

फदन काम बन ही जाएगा

7 खद का काम खद करो

किा भी अपनी जगह पर बठता ह तो सफाई करता ह शर जगल का राजा होन क बाद भी अपना हशकार खद मार

क ही खाता ह वनसपहतया अपन आप ही फलती-फलती ह वस ही मानव को भzwjज ञी अपना काम स वय ही करना तो

बनता ही ह यही तो कोहशश ह

8 नदी हम बहन को कहती ह

नदी का पानी जस बहता ह इस जीवन म बस वस ही तम भी बहत जाओ य नदी का कहना ह एक बात और

जो खद को बहन नही दत एक फदन ठहराव उनक दरवाि पर खडा होता ह

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

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13 गच

लका र ल गथ गि

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म र क 20 ट

नदो 21 प

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ह ल हा 23 ना

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ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 29: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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9 बस एकता बनी रह

परकहत खद म ही एकता का एक उदाहरण ह सोचो अगर पहाड ही पहाड होत तो अगर कवल पड ही पड होत

तो जब सब हमला-जला ह तो ही इस परकहत का हनमााण हआ ह इसहलए सब हमल रहोग तो खशहाली रहगी

नही तो बहसतया हवरान होत दर नही लगगी

10 िलदबािी स बीि पड नही होता गर

पड को पड होन क हलए बीज को मरना पडता ह और बीज को मरन क हलए समय लगता ह इसीहलए कभी हडबडी

न कर हर काम एक परफिया क तहत होता ह

11 िडो स िड रह

इसान की जडो का मतलब यहा उसकी औकात स ह हम हमशा अपनी औकात का खयाल रखना चाहहए अगर पड

जडो स जडा नही रहगा तो एक फदन उखड कर हगर जायगा

य परकहत क हनयम ह तो सीखन क हलए बस परकहत की शरण म चल आइए

धप आनदायक ह बाररश सफनि ा दायक ह हिा हम दढ करिी ह l बफा आनदकर ह दरअसल बर मौसम जसा कछ भी नही ह l ससफा अलि अलि िरह क अचछ मौसम ह l

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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21 24

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 30: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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तम कह ा हो

डॉ परमकमार पाणडय

समपरति पी जी री दहदी क दरीय विदयालय बीएमिाय शभलाई ( छिीसगढ)

कािा िम रठ िए हमस पाहन कस आएाि शरादध पकष म वपिर िपाि कस पाएाि कािा िम कहाा हो आओ ना वपय का सदश सनाओ ना िौरया िम रठ िई हमस आािन कस िाएाि बचच चजो क दशान कस पाएाि िौरया िम कहाा हो आओ ना जीिन का सिीि सनाओ ना िाल-िलया िम रठ िए हमस मसिी म कस नहाएाि पसलन पर लहरो क दशान हम कस पाएाि िाल िम कहाा हो आओ ना जीिन को जीिन स सराबोर बनाओ ना सािन िम रठ िए हमस िन- उपिन कस लहराएाि फहार-हररयाली हम कस पाएाि सािन िम कहाा हो आओ ना नहदयो को सदानीरा छलछलाओ ना

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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ह ल हा 23 ना

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 31: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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कछ मास पहल मर सपन म एक चपा का पड़ आकर बोला lsquolsquoमर बार म भी एक कहानी सलखनाrsquorsquo मन सोचा यह कौन-सा चपा का पड़ हो सकिा ह हमार घर क वपछिाड़ एक चपा का पड़ था उसक आस-पास लटान की घनी झाड़ी थी

मरा भाई जो िब दस बरस का था एक शाम लटान क फल िोड़िा हआ उस पड़ क पास खड़ा था िब अाधरा होन को ही था जरा आहट होन स मरी माा न ससर उठाकर दखा एक शर मर भाई क ससर को फलााि चला िया मरी माा बरिन धोना छोड़कर बचच को घर क भीिर घसीट लायी यह आशचया की बाि थी कक बचच को कोई आघाि नही पहाचा था इसक कारि मरी समनि सोरब क चपा क पड़ क आस-पास माडरान लिी एक और भी बाि उसक बार म याद हो आयी जब म बीस िषा का नौजिान था िब उस पड़ क नीच कपड़ धोन क पतथर पर अपनी वपरया क सि बठा अषटमी का चरमा दख रहा था िााि क और भी चपा क पड़ो की याद आयी इस घर म आन स पहल म कजस ककराय क घर म रहिा था उसक आािन म लि चपा क पड़ की भी याद आयी उस पड़ क नीचिाली पतथर की बच पर म कभी-कभी बठा करिा था उस घर को छोड़न क एक हदन पहल राि को मन उसक नीच बठकर उसस बाि भी की थी ि बाि भी याद आयी उसक बार म तया सलखा इसक बाद एक और राि को एक और सपना आया उसम उसन याद हदलाया म िही बसिनिड़ी क परान घर क आािनिाला पड़ हा lsquolsquoकछ महीन पहल िमही मर सपन म आय थ rsquorsquo lsquolsquoजी हााrsquorsquo lsquolsquoिमन कहा था कक म िमहार बार म एक कहानी सलखा यह इचछा िमह तयो हई rsquorsquo उस पड़ न मझ स यह पछा lsquolsquoअर भया कहानीकार िमन अपन बार म बहि-सी कहाननयाा सलखी ह भला बिाओ िो तयो rsquorsquo lsquolsquoमर मरन क बाद भी मरी याद लोिो क हदलो म अमर रह इसी वयथा परयतन म मन कहाननयाा सलखी हrsquorsquo lsquolsquoइसी कारि मर बार म भी एक वयथा काम कर डालोrsquorsquo lsquolsquoमन अभी िमहारी याद म एक-दो कहाननयाा और कवििाएा सलख डाली हrsquorsquo lsquolsquoठीक ह इसीसलए म कह रहा हा कक िम मर सलए एक और कहानी सलखो और उसम मझ lsquoकथा- नायकrsquo बनाओ िस िम सलखोि िो िमह मर बार म अपना सनह जिाना पड़िा िमहार मन म ढ़रो भािनाएा हो सकिी ह पर िह दसरो को तया पिा बिान पर ही िो पिा चलिी न वयति भािनाएा- जस मन म सिोष उतपनन करिी ह िस अवयति भािनाएा नही ह न इसीसलए िो लोि साहहतय पढ़ि ह िम यह नही चाहि न कक म मर जाऊा अिर म मर जाऊा िो मझ कजलान को िम अपनी सजीिनी विदया का

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उपयोि करोrsquorsquo lsquolsquoिाह र चपा क पड़ rsquorsquo मन मन म सोचा मन उसस पछा lsquolsquoमरन स पहल परि की िरह सिानिाल िझ जीिन मकति चाहहए न िरी परनिमा िराशकर खड़ी कर दािा परनिमा यहद शदध बन ियी िो मर पनः जनम की सभािना नही रहिी िरी शाखाओ पर िो कौओ क घोसल ह िन-िन पर बदरो की कद-फााद िरी शाखाएा तरबजली की िारो स टकरािी ही रहिी ह तरबजली विभाि क लोि अतसर िरी शाखाएा काटि ही रहि ह िझ म कोई पररििान नही हो सकिाrsquorsquo िह बोला lsquolsquoि साहहतय क ितिो क बार म बाि न कर साहहतय कछ और ही चीज ह इससलए ि उस बार म कछ मि बोल साहहतय क िति साहहतय रचना क रप म बदल जाि हrsquorsquo मरी नीद उचट ियी थोड़ा और सोन क विचार स मन कहा lsquolsquoअचछा सलखािाrsquorsquo और सो िया यह चपा का पड़ साल म दो बार फल दिा था हम उनह िोड़कर बच दि थ पास-पड़ोस क बचच भी फल ठक पर माािि थ एक हदन मर जीजा उस पड़ पर चढ़कर गिरि-गिरि बच थ सामन िाल और आस-पास क घरो म आन िाली कार भी उस पड़ की छाया म खड़ी हआ करिी इस कारि कभी-कभी िो हम अपन घरो म घसन म मकशकल हो जािी िह पड़ इिना बड़ा था कक सड़क का आधा रासिा घर लिा था मझ कई बार कार िालो स झिड़ना भी पड़ जािा सभखारी लोि आकर उसकी छाया म आराम करि खाना खाि िह कपाउड क भीिर ननह पौध क रप म उि आया था बाद म िह धीर-धीर परा पड़ ही बन िया उस पड़ स थोड़ी दरी पर पानी का हौज था उसम पड़ क पतत गिरन स पानी िदा हो जािा था बार-बार उस साफ करक सड़ पतत ननकालन म म ऊब जािा पड़ की जड़ अजिर की िरह उभरी हदखिी थी इिना सलखि-सलखि म थक चला था बड़ जोर की नीद आ रही थी उस हदन आधी राि क समय एक और सपना आया उसम िही चपा का पड़ lsquoिमहारी कहानी पढ़ीrsquo कहकर चप हो िया आि तया कहिा ह म इसी परिीकषा म था पर िह कछ बोला नही मन ही पछा lsquoकसी लिी rsquo उसन पछा lsquolsquoलििा ह म िमहार सलए एक मसीबि हा मन िमह सकट म डाल रखा हrsquorsquo मन कफर स बोला lsquolsquoकहानी अभी समापि नही हईrsquorsquo lsquolsquoमझ पिा ह िम कस समापि करोि िम कहानी समापि नही करोि बकलक मझ ही समापि कर दोि लोिो को लोिो स पड़ो स पराणियो को पराणियो स धरिी स आकाश स हिा स लाभ िो चाहहए परि उनक अकसिति की आिशयकिा नही िमह इस बाि का बोध नही कक हम सबको पराि दकर पराि परापि करन चाहहए तया िम-जस मझ दखि हो िस ही अपनी पतनी स भी वयिहार करि हो rsquorsquo चपा क पड़ की इस बाि न मर ममा पर आघाि ककया उसक बाद मझ ठीक स नीद नही आयी मन म यही आिक था कक कही कफर स चपा का पड़ सपन म न आ जाए पर उस राि चपा क पड़ न मरी नीद खराब नही की कसा था िह चपा का पड़ उसक हलदी रि

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

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18 19 20

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22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

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मली ल नि 6 म

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8 ि न सथ ली 9 अ

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 32: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

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14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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Page 33: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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क फल िोड़-िोड़कर पास-पड़ोस म बााटा करिा था मरी बहन की शादी म आन िाली सब कसियो म ि फल बाट थ महदर जाि समय चपा क फलो क हार बनाकर ल जाि थ घर म ििश पजा या सतयनारायि की पजा हो या कफर रोज की पजा यही फल उपयोि म लाि थ हमारा घर-आािन चपा की महक स भरा रहिा था मर सलए सब स सिोष की बाि यह थी चपा का पड़ सदा कसलयो स लदा रहिा था एक बार एक कली िोड़कर ऊपर की परि खोलकर दखा पर िह कली न थी िह िो एक कोपल थी कजस परकार कली पर किच होिा ह उसी परकार कोपल पर भी होिा ह जब पहली बार यह समझ म आया िो मरी खशी का हठकाना न रहा चपा क फलो क िचछ दखकर भी म बहि खश होिा था िरमी क हदनो म म उसकी छाया म करसी लिाकर घटो बठा करिा था एक बार म जब कोडि िया था िब िहाा स शीिल पड़ की िााठ लाकर उस पड़ पर उिान का परयास ककया था पर बदरो न उन िााठो को उखाड़कर फ क हदया मन बार-बार उन िााठो को िन क जोड़ो म रखकर उिाना चाहा पर मर परयतन वयथा िय उस परािलबी की जड़ फलाकर उसक चारो ओर रससी बााधी उसक चारो ओर ईट रखकर उसकी जड़ जमाकर उसक फल दखन का सपना वयथा िया तयोकक बदरो न उनह चर-चर कर हदया मझ ऐसा लििा था कक िह पड़ मझ स बाि करिा था जब उसकी टहननयाा हहलिी िो लििा िह मझ बलािा ह मझ दखकर मसकरािा ह ऐसा भी महसस होिा कक मर उसक पास जान पर उस खशी होिी ह म उसस बाि करिा था और समझिा कक िह मरी बाि समझिा ह यदा-कदा उसस ऊब जान पर भी उसक और उसस पररगचि लोिो स भी मझ परसननिा समलिी थी िस दख िो भला ऐसा कौन ह जो सदा दसरो को परसनन रख सक कजन घरो म चपा क पड़ नही ह उनकी दीिारो पर भी ढरो म कबलकीड़ रहि ह यहद कबलकीड़ कषट द िो चपा का पड़ तया कर सकिा ह धोखबाजो न मझ विशिास हदलाकर धोखा भी हदया ह िो तया यह कहना ठीक होिा कक मन उनह परोतसाहहि ककया ह उपकार या अपकार करना हर जीि क सिभाि क अनसार होिा ह िस दख िो चपा का पड़ lsquoउपकार- जीिीrsquo ह

यह घर जब बनाया िया और यह पड़ अभी ननहा पौधा ही था िब इस पानी की आिशयकिा थी उसक बाद इस ककसी वयकति क पानी दन की आिशयकिा न रही भििान का हदया पानी धरिी का सार हिा स समलन िाली ऑतसीजन और अमल पदाथा और सया की रकशमयो स जीन िाला िह चपा का पड़ सालभर म दो बार फलो स लद उठिा िथा आाखो क सलए सौदया की िसि और नाक क सलए सखद सिध क रप म ि तिचा क सलए िाप का हरि करक ठडक दन िाला हलकी िषाा म छिरी क रप म शरि दन िाला बन जो उपकार ककय ह उनह भला नही उसन हमस कछ चाहा नही िषो फल हदय छाया दी और उदास होन पर सातिना दी मन कहानी यही समापि की उसी राि कफर स िही पड़ सपन म आया उसन कहा lsquolsquoमन िमहारी कहानी पढ़ी िमन िसिननषठ होन का परयास ककया अपनी भािनाएा अनिरकजि होन नही दीrsquorsquo म बोला lsquoिोrsquo lsquolsquoकल उन लोिो न मझ काट डालाrsquorsquo म तया कहा कछ समझ म न आया अपन ककसी नजदीकी वयकति क मरन पर जसी शनयिा मन म भर उठिी ह िही शनयिा भर उठी

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

35

36

होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

36

37

िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

37

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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39

ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

25

बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

39

40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

40

41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

41

42

हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

43

44

िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

Page 34: प्रकृनि के ंि हज़ा जैसी चूडड़ ों ...zietmumbai.gov.in/homedir/public_html/download/UDAI_ZMUM.pdf8 जल सकर : श क ष

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चपा क पड़ न ही कफर कहा lsquolsquoिमह कम स कम इिना िो कहना था कक मझ कोई न काटrsquorsquo lsquolsquoहाा पर नया घर बदलन की हड़बड़ी साास की बीमारी म िथा बटी क बयाह की वयसििा कॉलज म पढ़ान की वयसििा म म डबकर रह िया िस म उनस कहिा भी िो कोई सनन िाला न थाrsquorsquo यह कहकर मन अपना समथान आप ही ककया पड़ बोला lsquolsquoअपना समथान करन की जररि नही किघनिा भी नही और पशचािाप की भी जररि नही और िो और िमहारी करिा भी मझ नही चाहहए लककन दसर जीि क परनि यहद परम हो िो िही काफी हrsquorsquo lsquolsquoम तया कर सकिा था rsquorsquo बड़ी भािकिा स उस पड़ न कहा lsquolsquoयह मझस तया पछि हो सिय अपनी बदगध का उपयोि करना चाहहए बबई म जब एक पड़ काटन की बाि उठी िो इलाक क लोिो का विरोध होन क कारि उस िहाा स हटाकर दसरी जिह लिा नही हदया िया विजञान का इिना विकास हो चका एक पड़ परी िरह एक जिह स ननकाल दसरी जिह लिा दना तया सभि नहीrsquorsquo lsquolsquoपर म िमह कोई आदोलन चलाकर बचा पान म समथा नही हा म जयादा परभािशाली भी नही धनिान भी नही निा भी नहीrsquorsquo यह कहकर मन अपनी असमथािा जिायी lsquolsquoहाा भया िम धनिान िो नही पर िमम अपन विचार दसर उस घर म आन िालो क सामन रखकर अपनी मरजी बिान की शकति भी नही जान दो िमस कहन स तया फायदा म भी िो िमहार जसा ही हा यहद म िह महािकष होिा जहाा शकराचाया न या बदध न िपसया की होिी या िााधीजी न मझ रोपा होिा िो शायद म अपन को बचा लिाrsquorsquo यह कहकर िह चप हो िया मन कहा lsquolsquoमझ बहि दःख हआ म अब भी िम स परम करिा हा यह िो िमह समझ म आ िया होिा िम मर नही हो मर भीिर ही भीिर णखल रह हो फल द रह हो छाया द रह होrsquorsquo पड़ सिपन म अदशय हो िया कफर कभी सपन म आया ही नही

समिीनददर िाडडग की कनदिड़ कहािी का दहनददी रपािर- चपा का पड़

परकनि म डब जाईए और उसक बाद आप सब कछ बहिर समझन लिि l

34

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िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

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15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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य 7 का

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बी 10 र

षाा 11 ब

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नन नि तना

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लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

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म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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35

िलमोहर

रमश कमार पराचाया क वि बरोडा

मरी कॉलोनी म घर क वपछिाड़ का िलमोहर का पड़ यह पड़ ही नही एक परी बसिी ह बदर तरबलली गिलहरी कौआ कोयल

और न जान ककिन पकषी

उसक सहिासी ह गचडडयो का चहचहाना

कोयल की मीठी कक

कौि की काि-काि

िलज़ार ककय रहिी ह

पर िलमोहर को उनक सनह म आिर हो

लाल लाल फलो स

लहक लटक जािा ह िलमोहर तरबलली का गिलहरी क पीछ दौड़ना

कौि का कोयल को दर िक खदड़ना

अनय सभी का लड़ना-झिड़ना एक जीिि बसिी का रप

ल लिा ह िलमोहर

अकसमाि पिझर आन पर

जब िलमोहर क पतत

साथ छोड़न लिि ह

िो दरसि रगिसिाननयो की िरह

भीषि िमय प म

जल क आभाि म सथान छोड़ जाि ह ऐस ही िलमोहर क साथी भी

उसका साथ छोड़ जाि ह

शष रह जािा ह

एकाकी िलमोहर ठाठ

35

36

होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

36

37

िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

37

38

परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

38

39

ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

25

बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

39

40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

40

41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

41

42

हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

43

44

िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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होठ वपयास िि

ए पी दवििदी परशिकषकषि सिािक शिकषक ndashदहनददी

क दरीय विदयालय अबरिाथ (दवििीय पाली )

परकनि िध रठी हई सोया शिसर समाज धप लिािी कहकह बदल िए अदाज़

दोपहरी दोहरी हई बदला हआ समजाज़

कही कज म बठ क पढ़िी हिा नमाज़

िााि शहर िीथी विटप सब िमय प की िोद

हौल - हौल ल चली बची - खची आमोद

सरज साकज़श रच रहा पानी हआ कपर

बौराय -स लोि ह वयाकल ह लािर

ldquoपानी ndashपानीrdquo रट रह सख बजर िााि

भख ndash पयास खोजि िााि शहर की छााि

गरीषम बािरी विरह िन बादर साध मौन

मन ndashमयर मकचछाि हआ ददा पछिा कौन

फली भीषि िासदी मचा ह हाहाकार

आरोपो क वयह म ह वपछली सरकार

पयास होठ िलाशि नदी कप िालाब

निा उलझ बहस म हिा हो िए खिाब िली-िली िमय प िरम िल िलशन िलफाम

िलबहहयाा को िरसिी परिाई बदनाम उड़ी -उड़ी ndashसी नीद ह थक ndashथक स बन

बाट जोहि मघ की होठ वपयास नन

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

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न ि 25 खा

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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िमा हिा क झोको स राजदर शसह िखािि

रीजीरी ( दहदी ) कनददरीय विदयालयजामिगर (गजराि)

िमा हिा क झोको स िपिी इस दोपहरी म

बठा म आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

िमय प म बचनी थी आाख भी कछ भारी थी

सरज स बरस हो शोल हर रज म इक गचिारी थी I

उस िमय प कक म तया बाि कर हर परािी पर िो भारी थीI

उस हदन हर इक मानि बठा अपन घर म इक छाि सलए

पर य तया जो िजरी ह मर घर क दरिाज स

तया सच म िह भी इक नारी थी

चली जा रही अशर बहाए िह िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

मन रोका पछा उसस कौन हो िम तयो िमन अशर बहाए ह I

िो बोली म माा हा िरी लोि कह धरिी मािा

हर परािी कक म हा जननी मरा पि ही मरा भागय विधािा I

पर अब म कफरिी हर दरिाज स िपिी इस दोपहरी म

जब बठा हर कोई आाख मद अपन घर कक िलहरी म I

जीिन म कछ ऐसी चीज ह जो आप ससफा शानि म सीख सकि ह l और कछ ऐस कजनह आप किल िफान म सीख सकि ह l

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

38

39

ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

25

बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

39

40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

40

41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

41

42

हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

43

44

िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

44

45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

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परकति महाि

डडमभ िाथ शमशर

सिािकोिर शिकषक (दहदी) कनददरीय विदयालय(दवििीय पाली)

दािापर क र परिा(बबहार)

िसधा क कोन-कोन म फली परकनि ननराली ह | इसीसलए पश-पकषी ndashमानि

म चहा हदसश हररयाली ह || षडऋि का आना-जाना िो पररििान का दयोिक ह | सख-दःख का कारक मानि ही बना परकनि का शोषक ह || िरिर विवपन फलो फलो स

सदा सशोसभि परकनि महान | िापीकप िड़ाि सरोिर

स फली ह अनपम शान || सरज-चनदा-िार-गिररिर

इसकी शान बढ़ाि ह | ििा-यमना-सरसििी भी इसकी िाथा िाि ह | हवषाि उषा महदि रजनी सि

इसकी कीनिा बखान कर | नहदयाा ननझार रतनाकर सब

अनहदन इसका िान कर | यही परकनि जल-अनन-िाय द सबकी रकषा करिी ह | पि-पषप-फल औषगधमय द मद मिल स भरिी ह | आओ | ऐसी परकनि सरकषकषि ndash

करन म सब जट जाएा |

हररि करानि धरिी पर लाकर

ननसशहदन खशहाली लाएा ||

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

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8 9 10

11 12

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15 16 17

18 19 20

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बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

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40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

40

41

एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

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5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

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स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

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ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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ििा पहली 1 2 3 4 5

6

7

8 9 10

11 12

13

14

15 16 17

18 19 20

21 24

22 23

25

बाए स दाए

1` धानय शसय (3)

3 हलिाहा ककसान (3)

5 पिािशिर बफा का घर(4)

6 रगिसिान बजर ((4)

7 ककसी क हनर स परभाविि होना(3)

8 िनय भसम राजसथान म महहलाओ हि एक शकषणिक ससथान (4)

9 िलाल (3)

11 सरसभ मास हहदी मास फालिन (3)

12 उतकषा उतथान (3)

13 भारि की सबस बडी झील (2)

14 पिाि पहाड़(2)

15 िनवपरया वपक साररका (3)

18 अमब रसाल (2)

19 नमादा नदी का उदिम सथल (6)

21 उदा शबद णखजॉ (4)

22 लहरान िाली हरी पकतततयो स भर जाना (5)

25 यायािर घमि(5)

ऊपर स िीच- 1 यह िषाा पथिी क िायमडल म सलफर डाइआतसाइड और नाइरोजन ऑतसाइड क जल क साथ ककरया करन पर होिी ह (5)

2 परकनि क पच ितिो म स एक (2)

3 िहदक जयोनिष क अनसार इस नकषि क दििा कानिाकय ह (3)

4 पकज जलज (3)

9 अभयािि आििक (3)

10 बालििाधर निलक की जनमसथली (4)

11 पाउस बाररश (3)

12 टटि हए िार (2)

13 1974 म शरीमिी िौरा दिी दिारा िकषो को बचान हि चलाया िया एक असभयान (7)

14 िजराि म कसथि शरो की भसम (2)

16 मतय क दि (2)

17 भसपदन भचाल(3)

20 समर क ककनार की रखा (4)

23 सॉप विषधर (2)

24 परपाि ननझार (3

39

40

दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

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नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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न ि 25 खा

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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दद दासिा-कशमीर

रजिी ििजा पराचायम

कनददरीय विदयालय

िायसिा सथल मकरपरा िड़ोदरा

भारि क उततर म

हहमालय की िोद म

भारि की शान

म कशमीर हा

िह कल कल करि जल-परपाि

सबको मोह लन को आिर

िह मनोरम डल झील

पयाटको का आकषाि

िह नाि िह सशकारा

िह झलम नदी की िादी

िह गचनार साल और दिदार स परहरी

सब कछ िो ह मर पास

िह अपरनिम सौनदया

चबक सा आकषाि

कफर भी तया उदास हा म

साझ का आिमन जब

राि की दसिक की सचना दिा ह

म जान तया और अगधक उदास हो जािी हा

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

44

45

डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

45

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एक अजान भय स

एक अजान आिक स

सहम सी जािी हा भय स शाि हो जािी हा जान कब चपक स कोई

मर सीन पर खजर चभो दिा मर सौनदया क परशसको को लहलहान कर दिा

और म एक मक दशाक सी दखिी रह जाऊा िी जो डल झील शीिलिा

दिी थी कभी

करि कदन करिी और मर अशर मोिी बन

इसम समा जाएि ककिनी ससहर जािी हा म

इस अजान दर स मरी विनिी ह बस इिनी मर ददा की आिाज सनो

मर और टकड़ मि होन दो मझ और छलनी मि करो मरी धरा को लाल मि करो

मझ परकनि का उपहार समझो

मरा सममान करो मझ अब सििा का दजाा भी नही चाहहए

मझ िो बस कशमीर रहन दो मझ िो बस कशमीर रहन दो

परकनि क अिलोकन एि अनिषि स कला का जनम होिा ह l

41

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

42

43

काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

22 ल

ह ल हा 23 ना

र र

न ि 25 खा

ना ब दो श

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डडज़ाइि शरी हरमि छरा परधाि अधयापक जीर मबई

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हररयाली

दीवपका पाड रीजीरी (दहनददी)

कनददरीय विदयालय िाय सिा सथल

मकरपरा िडोदरा

जिल स ही मिल ह जिल स ही जीिन ह |

पड़ ह मौसम ि िापमान क ननयिक

य ह परकनि और पयाािरि क सरकषक |

पड़ ही ह जो िषाा को करि ह आमतरिि ररमणझम कर सकषट को करि ह परफकललि |

पड़ जड़ स फनिी िक पराणियो क सलए करि ह बसलदान

सिय जहर पीकर भी मानि को दि ह अमिमय िरदान

आज जिल उजड़ रह ह बढ़ रही हमारी समसयाएा बढ़ रहा पराकनिक परकोप हो रही विनाश की लीलाएा |

अिर मानि को शसय-शयामला िसधरा को बचाना ह िो उस lsquoएक वयजकि एक िकषrsquo का सकलप लना ह यह सकलप नही ह एक सिाहहि ि पनीि भािना

जो पिा करिा मानि की खशहाली का सपना |

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काटान कोना

लाह काल

कवि आमय प एररया पि

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िगम पहली क उिर

िबद खोज क उिर

हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

3 क

ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

य ल

8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

रर

15 को

16 य

ल 17 भ

18 आ

म 19 अ

म र क 20 ट

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ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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न ि 25 खा

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कवि आमय प एररया पि

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हररयाली आपदा भटकप सिामी कदरि पयोद धरिी भटधर चकरिाि बबडर पिझड़ परदटषणिददयापरलयजगलबजरिा जल िाय यमिा आकाि आग मािि परकति गगिपयोधर अचल बजर राकि पिझड़ भटशम

1 अ ना 2 ज

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ष 4 क

5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

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य 7 का

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8 ि न सथ ली 9 अ

बी 10 र

षाा 11 ब

स ि 12 उ

नन नि तना

13 गच

लका र ल गथ गि

प खा का 14 गि

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16 य

ल 17 भ

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म 19 अ

म र क 20 ट

नदो 21 प

ि 24 झ

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ह ल हा 23 ना

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1 अ ना 2 ज

3 क

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5 हह

मा ल य

मली ल नि 6 म

र सथ ल

य 7 का

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13 गच

लका र ल गथ गि

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15 को

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म 19 अ

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