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Page 1 of 23 बीज संमहण 1. तावना : यदेश वन िवभाग के ारा ितवष लगभग 1.25 लाख हेटेयर ेऽ वृारोपण िकया जाता है इसके साथ ही िनजी ेऽ आजकल बड़ी माऽा वृारोपण िकया जा रहा है। इसिलये िविभवृ जाितय के बीज का संमहण िवभाग का मुख काय हो गया है। िबक योजना के अंतगत 13 िवःतार एवं अनुसंधान के ि थािपत िकये जा रहे ह। इन के ि का एक मुकाय आनुवांिशक छे गुण णी के बीज एकऽ करके िवभाग, िकसान तथा नसरी धारक को दाय करना है। इसिलये इन के ि कायरत कमचािरय को बीज संमहण के बारे समुिचत जानकारी होना आवयक है। बीज संमहण िनिलिखत िबयाय सिमिलत है : 1. वृ से फल/बीज का एकऽीकरण (Collection of fruits/seeds) 2. बीज का उपचार (Processing of seeds) 3. बीज का डारण (Storage of seeds) 4. बीज का परीण (Testing of seeds) 2. बीज का एकऽीकरण 2.1 वन िवभाग िविभवृ जाितय एवं दूसरी जाितय के बीज की बड़ी माऽा आवयकता पड़ती है। वृारोपण, िबगड़े वन के सुधार, पड़त भूिम िवकास आिद कायबम के अंतगत िकये जाने वाले रोपण के िलये बड़ी माऽा बीज ितवष एकऽ िकये जाते है। बीज की गुणवता मुसे वृ के आनुवंिशक गुण (Genetic Quality) पर िनभर होती है। इसिलये यह आवयक है िबीज हीं वृ से एकऽ िकये जाय जो आनुवंिशकीय से ह। 2.2 आनुवंिशकीय से गुण णी के वृ की पहचान करना िनतांत किठन काय है , इसीिलये ाकृ ितक वन बीज पादन ेऽ और बीज उान की थापना की जाती है तािक आनुवंिशकीय से छी गुण णी के वृ से ही बीज एकऽ िकये जाय। बीज पादन ेऽ एवं बीज उान के िनमाण समय, धन आिद की आवयकता होती है और सभी जाितय के िलये बीज उान एवं बीज पादन ेऽ का िनमाण करना भी किठन है। इसिलये अनेक जाितय के बीज ाकृ ितक वन से ही एकऽ िकये जाते रहगे। 2.3 बीज एकऽीकरण से संबंिधत िनिलिखत मुे महवपूण :- 1. बीज िकतना एकऽ िकया जाये ? 2. बीज कब एकऽ िकये जाय ? 3. बीज िकन वृ से एकऽ िकये जाय ? 4. बीज कै से एकऽ िकये जाय ?

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    बीज संमहण 1. ूः तावना : 

    मध् यूदेश वन िवभाग के द्वारा ूितवषर् लगभग 1.25 लाख हेक् टेयर के्षऽ में वकृ्षारोपण िकया जाता है इसके साथ ही िनजी के्षऽ में आजकल बड़ी माऽा में वकृ्षारोपण िकया जा रहा है। इसिलये िविभन् न वकृ्ष ूजाितयों के बीजों का संमहण िवभाग का ूमुख कायर् हो गया है। िवँ व बैंक योजना के अंतगर्त 13 िवः तार एवं अनुसंधान केन् ि ः थािपत िकये जा रहे हैं। इन केन् िों का एक मुख् य कायर् आनुवांिशक रूप में अच् छे गुण ौणेी के बीज एकऽ करके िवभाग, िकसानों तथा नसर्री धारकों को ूदाय करना है। इसिलये इन केन् िों में कायर्रत कमर्चािरयों को बीज संमहण के बारे में समुिचत जानकारी होना आवँ यक है। बीज संमहण में िनम् निलिखत िबयायें सिम्मिलत है : 

    1. वकृ्षों से फलों/बीजों का एकऽीकरण (Collection of fruits/seeds) 

    2. बीजों का उपचार (Processing of seeds)

    3. बीजों का भण् डारण (Storage of seeds)

    4. बीजों का परीक्षण (Testing of seeds)  

    2. बीजों का एकऽीकरण 2.1 वन िवभाग में िविभन् न वकृ्ष ूजाितयों एवं दसूरी ूजाितयों के बीजों की बड़ी

    माऽा में आवँ यकता पड़ती है। वकृ्षारोपण, िबगड़े वनों के सुधार, पड़त भूिम िवकास आिद कायर्बमों के अंतगर्त िकये जाने वाले रोपणों के िलये बड़ी माऽा में बीज ूितवषर् एकऽ िकये जाते है। बीजों की गुणवत् ता मुख् य रूप से वकृ्षों के आनुवंिशक गुण (Genetic Quality) पर िनभर्र होती है। इसिलये यह आवँ यक है िक बीज उन् हीं वकृ्षों से एकऽ िकये जायें जो आनुवंिशकीय रूप से ौें ठ हों। 

    2.2 आनुवंिशकीय रूप से ौें ठ गुण ौणेी के वकृ्षों की पहचान करना िनतांत किठन कायर् है, इसीिलये ूाकृितक वनों में बीज उत् पादन के्षऽ और बीज उद्यान की ः थापना की जाती है तािक आनुवंिशकीय रूप से अच् छी गुण ौणेी के वकृ्षों से ही बीज एकऽ िकये जायें। बीज उत् पादन के्षऽ एवं बीज उद्यान के िनमार्ण में समय, धन आिद की आवँ यकता होती है और सभी ूजाितयों के िलये बीज उद्यान एवं बीज उत् पादन के्षऽ का िनमार्ण करना भी किठन है। इसिलये अनेक ूजाितयों के बीज ूाकृितक वनों से ही एकऽ िकये जाते रहेंगे। 

    2.3 बीज एकऽीकरण से संबंिधत िनम् निलिखत मुदे्द महत् वपूणर् हैं :- 1. बीज िकतना एकऽ िकया जाये ? 2. बीज कब एकऽ िकये जायें ? 3. बीज िकन वकृ्षों से एकऽ िकये जायें ? 4. बीज कैसे एकऽ िकये जायें ? 

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    2.4 बीज िकतना एकऽ िकया जाये ? 2.4.1 बीज िकतना एकऽ िकय जाना है, इसकी जानकारी होना आवँ यक है।

    आवँ यकता से अिधक बीज एकऽ करने पर उसके खराब हो जाने का खतरा रहता है क् योंिक पुराने बीजों की अंकुरण क्षमता (Viability) धीरे-धीरे कम होती जाती है। यिद बीज कम माऽा में एकऽ िकया गया तो िजतने के्षऽ में रोपण िकया जाना था उसे ूाप् त करने में किठनाई होगी। 

    2.4.2 बीज की माऽा िनिम् न लिखत बातों पर िनभर्र करेगी :-  (1) ूजाित

    - ूित िकलों बीजों की संख् या - अंकुरण ूितशत 

    (2) रोपण का लआ य (3) रोपण में अंतराल (4) िवतरण या िवबय के िलये आवँ यकता

    2.4.3 िजस ूजाित का रोपण िकया जाना है उसके बारे में, बीजों का आकार, अंकुरण क्षमता, ूित िकलोमाम बीजों की संख् या आिद बातों की जानकारी होना चािहये। उदाहरण के िलये सागौन के 2250 बीज एक िकलोमाम में होते हैं जबिक यूकेिलप् टस के बीज बहुत ही छोटे होते हैं और ूितिकलों उनकी सखं् या लगभग 3,50,000 होती है। हल् द ू के बीज तो और छोटे होते हैं और ूित िकलो उनकी संख् या 10 लाख तक होती है। इस तरह यह ः पं ट होगा िक यिद बीज बड़े और भारी हो तो अिधक बीज (वजन में) एकऽ करना होगा। 

    2.4.4 िविभन् न ूजाितयों के   बीजों की अंकुरण क्षमता भी अलग-अलग होती है। सागौन की अंकुरण क्षमता लगभग 30-40 ूितशत होती है। कुछ ूजाितयां जैसे बबूल, सुबबूल आिद इनकी अकुंरण क्षमता 70-90 ूितशत तक पायी जाती है इसिलये िजन ूजाितयों की अंकुरण क्षमता कम होती है, उनके िलये अिधक बीज की आवँ यकता होगी। 

    2.4.5 रोपण का लआ य क् या है तथा िकतने अंतराल पर रोपण िकया जाना है यह भी जानना आवँ यक है क् योंिक इन् हीं के आधार पर िनधार्िरत होगा िक वः तुत: बीज की आवँ यकता िकतनी है ? इसके साथ ही बीज एकऽ करने वाले को भी यह भी जानकारी होना चािहये िक िकसानों और दसूरे नसर्री धारकों के िलये िकतने बीज की आवँ यकता होगी ?

    2.4.6 उपयुर्क् त बातों को ध् यान में रखते हुए ूित हेक् टे0 रोपण के िलये िविभन् न ूजाितयों के बीज की माऽा िनधार्िरत करनी चािहये तथा इसी के आधार पर बीज एकऽ करना चािहयें। उदाहरण के िलये तािलका-1 में सागौन, बॉस, शीशम तथा यूकेिलप् टस के िलये ूित हेक् टे0 रोपण हेतु बीज की आवँ यकता का आंकलन िकया गया है :- 

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    तािलका - 1 एक हेक् टेयर में रोपण के िलये बीज की आवँ यकता का िनधार्रण 

    ब.  आयटम  सागौन  बांस  शीशम  यकेूिलप् टस 1 रोपण का अंतराल/मीटर में/ 2 Ø 2 4 Ø 4  3 Ø 3  2 Ø 2 2 आवँ यक पौधों की संख् या ूित हेक् टे0 1670 625 1111 2500 3 अितरिक्त  

    अ. 50% नसर्री, पिरवहन आिद पर हािन ब. 30% मतृक पौधों के ः थान पर रोपण हेत ु

    835 557

    363 209

    556 371

     

    1250 834

    4 ूित हेक् टेयर आवँ यक पौधों की संख् या 3062 1197 2038 4584 5 बीजों की संख् या/ूित िकलोमाम 2250 50000 30000 350000 6 पौध ूितशत 25 40 40 20 7 एक िकलो बीज से ूाप् त होने वाले पौधों की

    संख् या 560 20000 12000 70000

    8 बीज की आवँ यकता िक.मा./ूित हेक् टेयर 5.5 0.06 0.17 0.65

    2.4.7 इसी ूकार ूत् येक ूजाित के िलये रोपण के के्षऽफल के अनुसार बीज की आवँ यक माऽा का अनुमान लगाया जा सकता है। बीज एकऽ करने की योजना बनाने वाले अिधकारी को अपने के्षऽ में अपने रोपण की आवँ यकता की पूितर् के पँ चात कुछ बीज दसूरे वतृ् तों या िकसानों या नसर्री धारकों के िलये भी एकऽ करना चािहये। 

    2.5 बीज कब एकऽ िकये जायें ?  2.5.1 बीज एकऽ करने का समय महत् वपूणर् है। बीज एकऽ करने वाले को िविभन् न

    वकृ्ष ूजाितयों के फलने-फूलने तथा फल पकने के समय की जानकारी होना आवँ यक है। अनेक वकृ्ष ूजाितयों में ूित वषर् अच् छी माऽा में बीजन (Seeding) नहीं होता है और 2-3 वषर् के अन् तराल में अच् छी माऽा में बीजन होता है। 

    2.5.2 सागौन में ूित वषर् अच् छी माऽा में पुं पन होता है परन् तु अच् छा बीजन (Good Seeding) आमतौर पर 3-4 वषर् के अंतराल में होता है। खमार में अच् छी माऽा में बीजन लगभग ूितवषर् ही होता है। इसी ूकार यूकेिलप् टस, बबूल, िवलायती बबूल, सुबबूल, खैर, शीशम आिद में पयार्प् त बीज ूितवषर् आता है। िजस वषर् अच् छी माऽा में बीजन (Good Seeding) हो उस वषर् बीज एकऽ करना अिधक अच् छा रहता है क् योंिक : 1. अच् छे बीजन वषर् में पयार्प् त बीज कुछ ही वकृ्षों से एकऽ हो सकता है

    अथार्त ूित िकलोमाम बीज एकऽ करने का व् यय अपेक्षाकृत कम होता है। 

    2. अच् छे बीज वषर् में एकऽ िकये गये बीजों में अंकुरण क्षमता अच् छी होती है और इन बीजों की भण् डारण क्षमता भी अिधक होती है। 

    3. कीड़ों-मकोड़ों, िचि़डयों तथा अन् य बीमािरयों द्वारा अपेक्षाकृत कम हािन होती है। खराब बीज वषर् में इन तत् वों से बीजों को बहुत हािन होती है। 

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    4. अच् छे बीज वषर् में लगभग सभी वकृ्षों में पुं पन अच् छी माऽा में होता है अत: परागण में लगभग सभी वकृ्ष भाग लेते हैं। इस ूकार बीजों में आनुवांिशकीय िविभन् नता (Genetic Diversity) बनी रहती है। िजस वषर् अच् छा पुं पन नहीं होता है उस वषर् कुछ ही वकृ्ष परागण में भाग लेते हैं फलत: ूाप् त बीजों को आनुवंिशकीय िविभन् नता कम रहने की संभावना रहती है।  

    2.5.3 उपयुर्क् त वणर्न से ः पं ट होगा िक बीज एकऽीकरण का कायर् अच् छे बीज वषर् में िकया जाना ौयेः कर है। इसके साथ ही यह जानकारी होना आवँ यक है िक वकृ्ष से बीज कब एकऽ िकये जायें। बीज एकऽ करते समय यह ध् यान देना आवँ यक है िक बीज पिरपक् व होना चािहये। अपिरपक् व बीज में अंकुरण क्षमता नहीं होती है और बीज एकऽीकरण का व् यय व् यथर् चला जाता है। 

    2.5.4 बीज पिरपक् व हो गया है, यह कैसे जाना जाय ? यिद बीज शीय एकऽ कर िलया जाता है तो खतरा रहता है िक बीज अपिरपक् व हो। इसके साथ ही यिद बीज एकऽ करने में देरी की गई तो हो सकता है िक बीज अिधक पक जाये और कीड़े-मकोड़ों द्वारा खा िलया जाये अथवा बीज िछटक कर िबखर जाये।  

    2.5.5 बीज एकऽीकरण में अनुभव महत् वपूणर् है। अनुभव से ही ज्ञात होता है िक बीज कब एकऽ िकया जाय। िफर भी बीज एकऽ करने के िलये िनम् निलिखत बातों की ओर ध् यान देना उपयोगी होगा:  

    2.5.6 वकृ्ष में जब फल पककर िगरने लगते हैं तो आम तौर पर माना जाता है िक वकृ्ष के फल पक चुके हैं और उन् हें तोड़ा जा सकता है, परन् तु अिधकतर यह पाया जाता है िक यह सोच ठीक नहीं है। जो फल या बीज पककर पहले िगरते हैं अिधकांशत: घिटया ौणेी के होते हैं अत: इन फलों/बीजों को एकऽ नहीं करना चािहये। कुछ समय तक ूतीक्षा की जानी चािहये और जब अिधकांश फल/बीज पक जायें तब ही बीज एकऽ करना उत् तम रहता है। सागौन में पहले जो बीज पक कर िदसम् बर जनवरी में िगरते हैं वे खराब गुण ौणेी के होते हैं जो फल बाद में िगरते हैं अथार्त जनवरी-फरवरी में िगरते हैं वे ही अच् छे होते हैं। 

    2.5.7 कुछ ूजाितयों के फलों के रंग में पिरवतर्न को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है िक फल पकने वाला है। नीम में फल हरे रंग का होता है। जब यह फल पीला होने लगता है तो मान लेना चािहये िक फल पक गया है, और बीज के िलये ऐसे फलों को तोड़ा जा सकता है। 

    2.5.8 यिद फलों के पक जाने पर बीजों के यऽ-तऽ िबखर जाने का खतरा हो अथवा वकृ्ष से पककर फल न िगरते हो तो बीज एकऽ करने में किठनाई आयेगी। फील् ड में यह देखा जा सकता है िक फल पका हुआ है अथवा नहीं। इसके िलये वकृ्ष से कुछ फल तोड़ें और देखें िक ॅूण (Embryo) की िःथित कैसी है ? यिद ॅूण दिूधया हो तो फल अभी कच् चा है। यिद फल पक गया है तो ॅूण कठोर तथा सफेद या भूरे रंग का होगा और ऐसी िःथित में ही बीज के िलये फल तोड़ना ठीक रहेगा। 

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    2.5.9 सीजन के ूारम् भ में या अंत में आये बीजों के बजाय सीजन के मध् यकाल में बीजों को एकऽ करने का कायर् करना चािहये। िविभन् न ूजाितयों के बीज पकने के सही समय का ज्ञान होना अत् यावँ यक है। यह ज्ञान इसिलये होना आवँ यक है, िक कुछ वकृ्ष ूजाितयों के फल वकृ्ष में लगे-लगे ही हवा में उड़ने लगते हैं, या कुछ ूजाितयों के फल केप् सूल पकने पर खुल जाते है िजससे बीज उड़ या िगर न जाये। अत: ूत् येक ूजाित के सही बीज एकऽ करने के समय का ध् यान रखना चािहये, तािक उत् तम बीज एकऽ िकये जा सकें । के्षऽ की भौगोिलक िःथित के अनुसार बीजों के एकऽ करने के समय में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है जैसे गरम के्षऽ में बीज जल् द िगरने लगते है। कुछ ूजाितयों के बीज पकन का समय तािलका में िदया गया है। 

    ब.  ूजाित  बीज एकऽ करने का समय 1  आकाश मोनी (Accacia auriculiformis)  माचर् से अूैल 2 खैर (Acacia catechu) दसम् बर से माचर् 3 बबलू (Acacia nilotica)  माचर् से मई 4 कैः टार (Albizia amara)  अूैल 5 काला िसरस (Albizia lebbeck)  जनवरी से माचर् 6 सफेद िसरस (Albizia procera)  फरवरी से माचर् 7 सीताफल (Annona squamosa)  नवम् बर 8 नीम (Azadirachta indica)  जून से जुलाई 9 कचनार (Bauhinia variegata)  मई से जून 10 केिसया सायािमया (Cassia siamea)  माचर् से अूैल 11 केजूिरना (Casuarina equisetifolia)  िदसम् बर से जनवरी 12 करार्/गरारी (Cliestantus collinus)  मई से जून 13 िसः सू (Dalbergia sissoo)  िदसम् बर से जनवरी  14 बांस (Dendrocalamus strictus)  माचर् से मई 15 नीलिगिर (Eucalyptus hybrid)  िदसम् बर से मई 16 आंवला (Emblica officinalis)  जनवरी से फरवरी 17 खमैर (Gmelina arborea)  मई से जून 18 िचरोल (Holoptelia integrifolia)  अूैल से मई 19 लेंिडया (Lagestroemia parviflora)  फरवरी से अूैल, नवम् बर एवं

    िदसम् बर 20 सुबबलू (Leucaena leucocephala)  मई से जून 21 करंज (Pongamia pinnata)  अूैल से मई 22 िवलायती बबूल (Prosopis juliflora)  अूैल से मई 23 सागौन (Tectona grandis)  फरवरी से माचर्

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    ब.  ूजाित  बीज एकऽ करने का समय 24 अजुर्न (Terminalia arjuna)  अूैल से मई 25 महारूख (Ailanths excelsa)  मई से जून 26 मुनगा (Moringa oliefera)  मई से जून 27 शेवरी (Sesbania aegyptica)  िदसम् बर से फरवरी 28 अगः त (Sesbania grandiflora)  जनवरी से फरवरी 29 अंजन (Hardwickia binata)  अूैल से मई 30 जामुन (Sygygium cumini)  जून 31 आम (Mangifera indica)  जून से जुलाई 32 महुआ (Madhuca latifolia)  जून से जुलाई 33 बड़ (Ficus bengalensis)  अूैल से मई 34 पीपल (Ficus religiosa)  अूैल से मई 35 काजू (Anacardium occidentale)  अूैल से मई 36 बकायन (Melia azadirach)  फरवरी से मई 37 पाकीर्न् सोिनया (Parkinsonia aculeata)  िदसम् बर 38 िवलायती इमली (Pithecellobium dulce)  अूैल 39 बेर (Ziziphus jujuba)  िदसम् बर से जनवरी 40 कैथा (Feronia elephantum)  जनवरी से माचर् 41 इमली (Tamarindus indica)  माचर् से अूैल 42 भूसरोडा/अंजन घास (Cenchrus ciliaris)  अक् टूबर से फरवरी 43 पीला अजंन घास (Cenchrus setigerus)  अक् टूबर से फरवरी 44 सेनघास (Chrysopogon fulvus)  अक् टूबर 45 छोटी मरबेल घास (Dichanthium annulaum)  अक् टूबर  46 दीनानाथ घास (Pennisetum pedicilatum)  अक् टूबर से नवम् बर  47 शेड़ा, पोिनया घास (Sehima nervosum)  अक् टूबर 

    उपयुर्क् त तािलका में जो समय िदया गया है वह बड़ा है। ूदेश में भौगोिलक िःथित के अनुसार पुं पन एवं बीजन होता है। यह देखा गया है िक उत् तरी िजलों जैसे सीधी, शहडोल की अपेक्षा बः तर में उसी ूजाित में पुं पन एवं फलन 15-20 िदन पहले हो जाता है। अत: इतने समय का अंतर बीज एकऽ करने में भी हो सकता है। 

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    3. बीज एकऽ करने के िलये वकृ्ष का चयन 3.1 यिद बीज एकऽीकरण का कायर् बीज उद्यान या बीज उत् पादन के्षऽ से िकया

    जाना है तो उस िःथित में सभी वकृ्ष बीज वकृ्ष हैं और ऐसी िःथित में बीज एकिऽत करने के िलये वकृ्षों के चयन का िवशेष महत् व नहीं रहता है परन् तु यिद बीज सामान् य वनों से एकऽ िकया जाना है तो बीज एकिऽत करने में बीज वकृ्ष के चयन का िवशेष महत् व रहता है। 

    3.2 बीज वकृ्ष के चयन में िनम् निलिखत बातों पर ध् यान िदया जाना आवँ यक है :- 3.2.1 बीज ऐसे वकृ्षों से एकऽ िकया जाये िजनका आकार अच् छा हो, वे

    ः वः थ हों और अच् छी विृद्ध कर रहे हों। 3.2.2 अित ूौढ़ वकृ्षों (Over mature trees) और अल् प वयः क वकृ्षों (Young

    trees) से बीज एकऽ नही िकया जाना चािहये, क् योंिक ऐसे वकृ्षों से ूाप् त बीज कम अंकुरण क्षमता वाले होते हैं। 

    3.2.3 दरू-दरू खड़े हुये वकृ्षों से (Isolated trees) से बीज एकऽ नहीं करना चािहये क् योंिक ऐसे वकृ्षों से ूाप् त बीज अंतत: आपस में परागण (Self pollination) से ूाप् त होते हैं िजनकी अंकुरण क्षमता कम होती है। 

    3.2.4 बीज हमेशा अच् छे वन के्षऽों से ही एकऽ िकये जाना चािहये। िजस वन में खराब, पतले तथा िनम् न गुण ौणेी के वकृ्ष हों वहां से बीज एकऽ नहीं िकया जाना चािहये।

    3.2.5 यिद बीज की आवँ यकता कम है और 2-4 वकृ्षों से ही पयार्प् त बीज ूाप् त िकया जा सकता हो िफर भी यह उिचत रहेगा िक 10-15 वकृ्षों से बीज एकऽ िकया जाये। यिद बीज उत् पादन के्षऽ से बीज एकऽ िकया जाना है तो भी यही बात ध् यान में रखना उिचत होगी।

    4. बीज कैसे एकऽ िकया जाये ? 4.1 वकृ्षों से बीज एकऽ करने के अनेक तरीके ूचिलत हैं, परन् तु िकस ूजाित के

    िलए कौन सा तरीका उिचत होगा, यह िनधार्िरत करने के िलये िनम् न िलिखत बातों पर ध् यान देना आवँ यक है :-  4.1.1 िजन ूजाितयों के फल/बीज बड़े आकार के होते हैं और िजनके बीज

    या फल आसानी से जमीन पर एकऽ िकये जा सकते हैं उन ूजाितयों में ूाकृितक रूप से फलों के िगरने पर उन् हें एकऽ िकया जा सकता है। उदाहरण के िलये सागौन, महुआ, साल, अजुर्न आिद के फल बड़े आकार के होते हैं उन् हें जमीन पर िगरने के पँ चात एकऽ िकया जा सकता है। 

    इसके िवपरीत यूकेिलप् टस, हल् द ू जैसी ूजाितयों िजनके बीज बहुत छोटे होते हैं उनके बीज, वकृ्ष से ही एकऽ करना आवँ यक होगा।

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    4.1.2 वकृ्ष के गुण  वकृ्ष की ऊँचाई, तने की लम् बाई, मोटाई, शाखाओं के गुण, छऽ की

    ऊँचाई, आकार आिद, वकृ्ष पर चढ़ने उतरने में किठनाई आिद। 4.1.3 फल के गुण  फल का ूकार, फल के पकने तथा बीज के िबखरने के बीच का

    समय, पेड़ को िहलाने से फल के िगरने या न िगरने का गुण। 4.1.4 बीज ूक्षेऽ का गुण  वकृ्षों का घनत् व, भूिम, धरातल का ः वरूप आिद। 4.1.5 उपयुर्क् त कारकों को ध् यान में रखते हुये आमतौर पर बीज एकऽ करने

    के िलये िनम् न िलिखत िविधयाँ अपनाई जाती है : 1. भूिम से िगरे हुये फल या बीज एकऽ करना 2. खड़े वकृ्षों से बीज एकऽ करना 

    (क) भूिम पर खड़े होकर (ख) वकृ्ष पर चढ़कर (ग) दसूरे तरीके अपनाकर  

    4.2 भूिम से िगरे हुये फल या बीज एकऽ करना  4.2.1 अनेक ूजाितयों जैसे, सागौन, साजा, अजुर्न, महुआ, तेंद,ू नीम, बबूल, िसरस,

    खमार आिद ूजाितयों के फल जमीन से एकऽ िकये जा सकते हैं। यह काम िनम् न ूकार से हो सकता है :- 1. ूाकृितक रूप से िगरे हुये बीज एकऽ िकये जायें, 2. वकृ्ष को िहलाकर फल िगरा िलये जायें, 

    (क) हाथ से िहलाकर (ख) मशीन से िहलाकर 

    4.2.2 ूाकृितक रूप से िगरे हुए फल/बीज एकऽ करने का सबसे अिधक नुकसान यह है िक ूाकृितक रूप से िगरे फल/बीज खराब, कीड़ों-मकोड़ों द्वारा खाये हुये, सड़े हुये और िनम् न गुण ौणेी के होते हैं। वकृ्षों की शाखाओं को डंडे या रः सी या हाथ लगाकर िहलाया जा सकता है िजससे पके फल आसानी से िगर जाते हैं और इस ूकार फल/बीज एकऽ िकये जा सकते हैं। िचऽ 1 में शाखाओं को रः सी से िहलाने की िविध बताई गई है, भूिम पर फल या बीज िगरने पर तुरंत एकऽ कर लेना चािहये अन् यथा रोडेन् टस (Rodents) एवं दसूरे ूािणयों द्वारा बीज खा िलये जाने का खतरा रहता है। यिद वकृ्ष छोटे आकार के हों तो बीज एकऽ करने के िलये फनेल (Funnel) के आकार का सीड कलेक् टर (Seed collector) बनाया जा सकता है। (िचऽ - 2) 

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     िचऽ - 1 (A-F) वकृ्ष के शाखाओं को रः सी से िहलान की िविध 

     िचऽ - 2 बीज एकऽ करने क िलये फनेल (Funnel) के आकार का सीड कलेक् टर (Seed collector) की संरचना

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    4.3 खड़े हुये वकृ्षों से बीज एकऽ करना :-  

    4.3.1 छोटे वकृ्षों, झाि़डयों आिद के बीज भूिम पर खड़े होकर ौिमक एकऽ कर सकते हैं। इन् हें हंिसया (Sicket) में फंसाकर फलदार शाखा/टहनी को तोड़ा या काटा जा सकता है और िफर बीज/फल एकऽ िकया जा सकता है। वकृ्षों पर चढ़कर बीज िनम् न तरीके से एकऽ िकये जा सकते हैं :- 

    1. हाथ से तोड़कर  2. शाखाओं को िहलाकर फल/बीज नीचे िगराकर। 

    4.3.2 खड़े हुये वकृ्षों पर चढ़ना आसान काम नहीं है। कुछ ौिमक जो वकृ्षों पर चढ़ने में दक्ष होते हैं वे ही यह कायर् आसानी से कर सकते है। अकुशल ौिमकों को यह काम नहीं देना चािहये। वकृ्षों पर चढ़ने में सहायता के िलये सीि़ढयों का उपयोग िकया जा सकता है (िचऽ - 3)। सीि़ढयाँ 10 फीट से लेकर 25-30 फीट की बनाई जा सकती हैं। सीि़ढयों के िलये अल् यू मीिनयम का उपयोग होने से सीि़ढयाँ हल् की तथा पोटेर्बल रहेगी। सीि़ढयों के अितिरक् त, चढ़ने के यंऽ (Climbing equipment) भी उपलब् ध हैं िजनकी सहायता से बहुत ऊचे वकृ्षों पर भी चढ़ा जा सकता है (िचऽ-4)। इसके अितिरक् त दसूरे यंऽ शेक् टर पर लगाये जा सकते हैं िजसकी सहायता से सीधे वकृ्ष छऽ से फल या बीज एकऽ िकये जा सकते हैं। िजतना बीज एकऽ िकया जाये उसका िरकाडर् रखना चािहये। बीज एकऽ करने की डेटाशीट ूपऽ-1 में विणर्त है।  

     िचऽ - 3 : वकृ्ष पर चढ़ने के िलए सीिढ़यों का उपयोग 

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     िचऽ - 4 : वकृ्ष पर रः सी की मदद से चढ़ कर फल/बीज तोड़ने की िविध

    5. बीज का उपचार 5.1 वकृ्ष से फल/बीज ूाप् त कर लेने के पँ चात अनेक कायर् करने आवँ यक होते

    हैं। ये कायर् िनम् निलिखत हैं :- (i) फल/बीजों की ूाथिमक सफाई (ii) बीजों का पकाना (iii) बीज को फल से िनकालना 

    1. सूखे फलों से बीज िनकालना 2. गीले फलों से बीज िनकालना 

    (iv) फल/बीजों का सुखाना 1. छाया में सुखाना 2. धूप में सुखाना 

    (v) बीज तथा भूसा अलग करना  (vi)  बीजों की मेिडंग

    5.2 फल तथा बीजों की ूाथिमक सफाई  वन के्षऽ से जब बीज/फल एकऽ िकये जाते हैं तो उनके साथ पित्तयाँ, पतली-

    पतली टहिनयाँ भी एकऽ हो जाती है, इसिलये सबसे पहले काम यह िकया जाना चािहये िक फल/बीज के अितिरक् त जो भी वः तु हो उसको अलग कर िलया जाये। 

     

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    5.3 फलों/बीजों का पकाना  जब फल तोड़े जाते हैं तो पूणर् पके हुये नहीं रहते। कुछ िदन रखे रहने पर

    फल पूरी तरह से पक जाते हैं। अत: आवँ यकतानुसार फलों के पूणर् रूप से पक जाने पर ही बीजों को िनकाला जाना चािहये। 

    5.4 फल से बीजों को िनकालना  सूखे फलों से बीजों को िनकालने की ूिबया और गीले फलों से बीज िनकालने

    की ूिबया अलग-अलग है। सूखे फलों जैसे बबलू, खैर, सुबबूल आिद की फिलयों के चटकने से कुछ बीज अलग हो जाते हैं और सूखी फिलयों को एकऽ करके डंडे से मारने पर बीज अलग-अलग हो जाते हैं। 

    गीले फलों से बीज िनकालने के िलये यह आवँ यक है िक बीज से गूदे को अलग कर िदया जाये। यह काम फलों को हाथ से मसलकर और पानी से धोकर िकया जा सकता है। इस िविध से आम, जामून, नीम आिद के फलों के बीज िनकाले जाते हैं। 

    5.5 बीजों को सुखाना  बीजों को भली-भांित सुखाकर रखना आवँ यक होता है। कुछ बीजों को तेज

    धूप में सुखाने पर उनकी अकुंरण क्षमता कम हो जाती है इसिलयो उन् हें कमरे या छाया में सुखाना अिधक अच् छा है। नीम, साल आिद के बीजों को छाया में सुखाना अिधक अच् छा रहता है। बबूल, खैर, सागौन आिद के बीजों को धूप में सुखाया जा सकता है। सुखाने के िलये सवच् छ प् लेटफामर् का उपयोग िकया जा सकता है। 

    5.6 बीज एवं भूसा अलग करना  बीज और भूसा अलग करने के िलये सबसे सरल तरीका यह है िक हवा में

    भूसा युक् त बीज उड़ाया जाय तो साफ बीज, हल् के बीज और भूसा अलग-अलग िगरेंगे (िचऽ-5) यिद बीज की माऽा कम हो तो सूपे का उपयोग िकया जा सकता है (िचऽ-6)। 

     िचऽ - 5 : खड़े होकर बीज हवा में उड़ाना 

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     िचऽ - 6 : सूपे का उपयोग 

    5.7 बीजों की मेिडंग  बीजों की मेिडंग मुख् य रूप से आकार के आधार पर की जाती है। इसके िलये

    आवँ यक है िक िविभन् न आकार की छन् नी का ूयोग िकया जाये और छन् नी स ेछानकर बड़े, मध् यम और छोटे आकार के बीजों को अलग-अलग मेड में रखा जा सकता है। 

    बीज के उपचार का वणर्न भी शीडलाट के साथ िदया जाना आवँ यक है। बीज उपचार शीट ूपऽ-2 (पृं ठ......) में विणर्त है। 

    6. बीज भण् डारण 6.1 बीज एकिऽत तथा उपचािरत करने के पँ चात यिद तुरंत उपयोग कर िलया

    जाता है तो भण् डारण की आवँ यकता नहीं पड़ती है परन् तु यिद पयार्प् त माऽा में िविभन् न ूजाितयों का बीज एकऽ िकया जाता है तो िविभन् न संः थाओं एवं िकसानों को माँग आने पर बीज उपलब् ध कराने के िलये बीज के भण् डारण की समुिचत व् यवः था अनुसंधान तथा िवः तार केन् िों पर होना आवँ यक है। भण् डारण की दृिष्ट से बीजों को दो ौिेणयों में िवभक् त िकया जाता है :- 

    1. आथोर्डाक् स बीज (Orthodox seed) 2. िरकैलसीशेन् ट (Recalcitrant seed) 

    6.2 आथोर्डाक् स बीज (Orthodox seed) वे बीज हैं िजनको 5 ूितशत जल रहने तक िबना अकुंरण क्षमता को ूभािवत िकये सुखाया जा सकता है, और उन् हें दीघर् अविध तक कम तापमान में संमिहत रखा जा सकता है। कुछ ऐसे बीज है िजन् हें यिद 20-40 ूितशत जल की माऽा से कम तक सुखाया जाता है तो उनकी अकुंरण क्षमता नं ट हो जाती है साथ ही इन बीजों को दीघर् अविध के िलये भण् डािरत नहीं िकया जा सकता। ऐसे बीजों को िरकैलसीशेन् ट (Recalcitrant seed) कहा जाता है। सागौन, बबूल, खैर, ूोसोिपस, काला िसरस, सफेद िसरस, िसः सू इत् यािद ूजाितयों के बीज सुखाकर भण् डािरत िकये जा सकते हैं परन् तु आम, जामुन, नीम, महुआ, साल, वकायन इत् यािद के बीजों की अंकुरण क्षमता 1-2 सप् ताह के बाद ही कम होने लगती है इसिलये इन बीजों का भण् डारण किठनाई से ही होता है। इन बीजों को एकऽ करने के तुरंत बाद उपयोग कर लेना चािहये।  

    6.3 अिधकांश वकृ्ष ूजाितयों के बीज वषर् के ूारम् भ में या कुछ समय पूवर् पकते हैं। कुछ ूजाितयों के बीज सिदर्यों में पकते हैं। इन ूजाितयों के बीज वषार् के

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    आगमन तक आसानी से सुरिक्षत रखे जा सकते हैं लेिकन तैलीय बीज ज् यादा समय तक भण् डारण करके नहीं रखे जा सकते है। बीज के भण् डारण में िनम् न बातों की ओर ध् यान देना आवँ यक है -  (i) बीज भली-भांित सूखे होना चािहये। यिद बीज सूखे रहते हैं तो कीड़ें-

    मकोड़ों का आबमण नहीं होता है और फफँूद और वेक् टेिरया से भी हािन नहीं होती है। 

    (ii) बीज भण् डारण यिद लम् बी अविध के िलये िकया जाना हो तो कम तापमान में भण् डारण आवँ यक होगा, इसिलये डीप िृज या कोल् ड ः टोरेज (Cold storage) में भण् डारण िकया जाना चािहये। 

    (iii) बीज भण् डारण के पूवर् बीजों को भली-भांित सुखा लेना चािहये और सुखाने के पँ चात उन् हें फफँूद से बचाने के िलये फफँूदनाशक दवा िमला देनी चािहये। कीड़े मकोड़ों की राकथाम के िलये गमेक् सीन पावडर या नीम से बनी कीटनाशक दवाई का ूयोग करना चािहये। 

    (iv) बीज भण् डारण के िलये अलग से बीज भण् डार (Seed store) बनाया जाना चािहये। बीज भण् डारण के िलये ऐसे बतर्नों का ूयोग िकया जाय िक उनमें हवा ूवेश न कर सके। बीज भण् डारण के िलये टीन के बने सम िजसमें वायुरोधी ढक् कन हो, का उपयोग करना चािहये। 

    (v) बीज भण् डार गहृ में पयार्प् त ूकाश की व् यवः था होनी चािहये। कमरे में बड़े तथा छोटे समों को रखने के िलये अलग व् यवः था होनी चािहये। 

    (vi) बीज भण् डार करते समय बीज का पूणर् िववरण एक टैग में िलखा होना चािहये िजसमें ूजाित, एकऽ करने का ः थल, िदनांक, एकऽ करने वाले कमर्चारी का नाम आिद की जानकारी दी जाना चािहये। 

    6.4 कुछ महत् वपूणर् ूजाितयों की अंकुरण क्षमता की अिधकतम अविध की जानकारी तािलका 3 में दी गई है। बीज का वणर्न बीज के ः टाक रिजः टर में दजर् िकया जाना चािहये (ूपऽ-3)।  

    तािलका - 3 उत् तम भण् डारण होने पर िविभन् न ूजाितयों की अंकुरण क्षमता की अविध 

    ब.  ूजाित  अंकुरण क्षमता की अिधकतम अविध 1  खैर (Acacia catechu) 1 वषर् 2 बबूल (Acacia nilotica)  4-5 वषर् 3 महारूख (Ailanthus excelsa)  4 माह 4 काला िसरस (Albizia lebbeck)  1 से 2 वषर् 5 करधई (Anogeissus pendula)  1 वषर् 6 नीम (Azadirachta indica)  1 सप् ताह 7 सफेद िसरस (Albizia procera)  5 वषर् 8 िसः सू (Dalbergia sissoo)  1 वषर् 9 अंजन (Hardwickia binata)  1 वषर् 10 िचरोल (Holoptelia integrifolia) 1 वषर् 

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    ब.  ूजाित  अंकुरण क्षमता की अिधकतम अविध 11 सुबबूल (Leucaena leucocephala) 5 वषर् तक 12 मुनगा (Moringa oliefera) 6 माह 13 करंज (Pongamia pinnata) 1 वषर् 14 आम (Mangifera indica) 2 सप् ताह 15 अजुर्न (Terminalia arjuna)  1 वषर् 16 महुआ (Madhuca latifolia)  3 माह 17 जामुन (Sygygium cumini)  3 सप् ताह 18 सागौन (Tectona grandis)  3 वषर् 19 साल (Shorea robusta)  2 सप् ताह 20 यूकेिलप् टस (Eucalyptus spp)  1 वषर् 21 खमैर (Gmelina arborea) 3 माह 22 कन् दम (Anthocephalus cadamba)  3 माह 23 बांस (Dendrocalamus strictus)  1 वषर् 24 ूोसािपस जुलीफ्लोरा (Prosospis juliflora)  5 वषर् 25 वकायन (Melia azadirach)  2 वषर् 26 आंवला (Emblica officinalis)  2 वषर् 27 कसोदन (Cassia siamea)  3 वषर् 6.5 भण् डारण में बीज के आकार को ध् यान में रखते हुये व् यवः था करनी चािहये।

    कुछ ूजाितयों के बीज बड़े तथा कुछ ूजाितयों के छोटे बीज होते हैं। इसी के आधार पर भण् डारण व् यवः था करनी चािहये। कुछ ूजाितयों के ूितिकलो बीजों की संख् या तािलका 4 में दी गई है : 

    तािलका - 4 बीजों की ूित िकलो संख् या 

    ब.  ूजाित  अंकुरण क्षमता की अिधकतम अविध 

    1  खैर 30,000 से 40,000 2 बबूल  7,000 से 9,000 3 महारूख  8,000 से 10,000 4 कालािसरस  8,000 से 9,000 5 नीम  3,000 से 3,500 6 सफेद िसरस  18,000 से 20,000 7 िसः सू  53,000 8 िचरोल  27,000 9 सुबबूल  20,000 से 26,000 10 मुनगा 8,000 से 9,000 11 करंज 800 से 1,000 12 खमार 1,000 

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    ब.  ूजाित  अंकुरण क्षमता की अिधकतम अविध 

    13 बॉस 32,000 14 ूोसािपस जुलीफ्लोरा 25,000 15 कचनार  2,800 से 3,520 16 पलास  1,500 से 2,000 17 कसोंदन  37,040 18 केजुिरना  7,60,000 19 करार्  8,000 से 9,000 20 नीलिगिर  3 से 6 लाख (शुद्ध) 15-20,000 (हः कचाफ के साथ) 21 ऑवला 55,000 से 60,000 22 लेंिडया  28,000 से 30,000 23 ूोसोिपस  25,000 24 काजू  250 से 300 25 खमेर  1,000 26 िवलायती इमली  6,000 27 इमली  1,500 

    7. बीज परीक्षण

    7.1 िवः तार एवं अनुसंधान केन् िों में बीज परीक्षण के िलये एक छोटी सी ूयोगशाला भी ः थािपत की जा रही है। अत: इन केन् िों में बीज एकऽीकरण, उपचार एवं भण् डारण के पँ चात िवभाग के िविभन् न वन मण् डलों, नसर्री धारकों एवं दसूरे िवभागों को बीज ूदाय करना एक ूमुख कायर् होगा। इसिलये इन केन् िों में बीजों के परीक्षण की सुिवधा होना आवँ यक है। 

    7.2 इन केन् िों में मुख् य रूप से िनम् निलिखत 3 परीक्षण िकये जाना आवँ यक हैं :- 

    1. बीज शुद्धता परीक्षण 

    2. जल की माऽा का परीक्षण 

    3. अंकुरण क्षमता संबंधी परीक्षण  

    7.3 जब भी इन केन् िों से वन मण् डलों या दसूरे िवभागों या अन् य िकसी को बीज ूदाय िकये जाते हैं तो उनमें उनके साथ इन परीक्षणों का िववरण भी उपलब् ध रहना चािहये तािक बीज ूाप् त करने वाले को बीज के संबंध में जानकारी उपलब् ध रहे। बीज परीक्षण हेतु िवः तार एवं अनुसंधान केन् ि के कम से कम दो लोगों को ूिशिक्षत िकया जाना उिचत होगा तािक वे बीज परीक्षण का कायर् सफलतापूवर्क कर सकें । उपयुर्क् त परीक्षणों की ूिबया नीचे बतलाई जा रही है। 

     

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    7.4 बीज शुद्धता परीक्षण 

    इस परीक्षण से यह पता लगाया जाता है िक एकिऽत बीज िकतना शुद्ध है अथार्त ्उसमें शुद्ध बीज तथा अन् य पदाथर् जैसे कंकड़, पत् थर, पित्तयाँ या दसूरे पदाथोर्ं की माऽा िकतनी है ?

    इसके िलये आवँ यक है िक िजस सीडलाट (Seed lot) से परीक्षण िकया जाना है, उसमें से िविधवत सेंपल ूाप् त िकया जाय। सीडलाट से जो सेंपल िनकाला जाय उसका सवरू् थम वजन (Weight) ज्ञात कर लेना चािहये िफर सेंपल के बीजों को फैलाकर शुद्ध बीज, अन् य बीज तथा अन् य पदाथर् इस ूकार तीन भागों में बाँट लेना चािहये।  

    7.5 अंतररां शीय बीज परीक्षण ऐसोिसयेशन (ISTA) के िनयम के अनुसार यिद सीड लाट से िलया गया सेंपल एक माम से कम है तो तीनों अलग-अलग भागों का वजन दशमलव के 4 अंक तक ज्ञात िकया जाना चािहये। यिद सेंपल का वजन 1 माम और 9.999 माम के बीच है तो िविभन् न भागों का वजन दशमलव के 3 अंक तक िनकाला जाना चािहये। इसी ूकार यिद सेंपल का वजन 10 माम और 99.99 माम के बीच है तो िविभन् न भागों का वजन दशमलव के 1 अकं तक िनकाला जाना पयार्प् त होगा। िनम् न फामूर्ले से शुद्धता ूितशत ज्ञात िकया जा सकता है :-

    शुद्ध बीज का वजन शुद्धता ूितशत = -------------------------- Ø 100

    सेंपल का कुल वजन

    7.6 बीज में पानी की माऽा ज्ञात करना  बीजों में पानी की माऽा ज्ञात करना इसिलये आवँ यक है क् योंिक बीजों की

    आयु भण् डारण में बहुत कुछ पानी की माऽा पर िनभर्र करती है। िविभन् न ूकार के बैक् टीिरया, कीड़े-मकोड़े आिद का आबमण पानी की माऽा के ूितशत पर िनभर्र करता है। बीजों को यिद 5-7 ूितशत पानी की माऽा तक सुखा िलया जाय तो कीड़े-मकोड़ों का आबमण इन पर बहुत कम होता है। 

    बीजों में पानी की माऽा इलेक् शोिनक मोइँ चयर मीटर (Electronic moisture metter) से आसानी से ज्ञात की जा सकता है। बड़े आकार के बीज तथा दसूरे बीज िजसमें इलेक् शोिनक मोइँ चयर मीटर काम नहीं कर सकता है वहाँ बीज में पानी की माऽा ज्ञात करने के िलये ओवन (Oven) की आवँ यकता होगी। भट्टी या ओवन को पहले 105 िडमी तक गरम िकया जाना चािहये। बीजों का ूारिम्भक वजन लेकर इनको भट्टी में 16-24 घण् टे तक रखना चािहये इसके बाद बीजों का वजन लेकर बीज से जल की माऽा िनम्न सूऽ से ज्ञात कर लेना चािहये :- 

    शुं क बीजों का वजन जल की माऽा = -------------------------- Ø 100

    बीजों का ूारिम्भक वजन

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    7.7 अंकुरण परीक्षण  यह परीक्षण बहुत महत् वपूणर् है क् योंिक इस परीक्षण से ज्ञात होता है िक

    िकतने पौधे उपलब् ध बीज में बन सकें गे। अंकुरण संबंधी परीक्षण करने के िलये िनम् न िलिखत बातों की ओर ध् यान िदया जाना आवँ यक है :- 

    1. पयार्प् त नमी (आिता लगभग 95 ूितशत)  2. समुिचत तापमान (20-35O)   3. पयार्प् त हवा  4. पयार्प् त ूकाश  अंकुरण परीक्षण करने के िलये कई ूकार से सीड जरिमनेटर ूयोग में लाये

    जाते हैं जहाँ नमी, तापमान, हवा, ूकाश आिद को ूजाित की आवँ यकतानुसार िनयंिऽत िकया जा सकता है। अकुंरण परीक्षण करने के िलये 30 से.मी. × 30 से.मी. तथा 10 से.मी. गहरी शे का उपयोग करना उिचत रहेगा। इस शे में बालू या वरमीकुलाइट (Vermiculite) भर लेना चािहये। बालू की सतह के ऊपर िफल् टर पेपर का ूयोग िकया जा सकता है। परीक्षण करने के िलये शुद्ध 400 बीज लेकर इसे 100-100 बीजों के चार सैम् पल में बाँट लेना चािहये। शे में बालू या बरमीकुलाइर्ट भरकर लगभग आधा लीटर पानी ूत् येक शे में डाल देना चािहये। अब िलए गये बीजों को 2-3 से.मी. के अंतराल में बो देना चािहये इसके बाद िमः ट ः ू ेयर (Mist sprayer) से पानी इन शे में ऊपर से दे देना चािहये। तत् पँ चात पारदशीर् पोलीिथन शीट (Transparent Polythene sheet) से ढक देना चािहये। पोलीिथन शीट पर पानी के कण िदखेंगे। यिद पानी के कण न िदखाई दें तो िमः ट ः ू ेयर से और पानी दे देना उिचत रहेगा। जब बीजों का अकुंरण ूारम् भ हो जाय तो पोलीिथन शीट, शे के ऊपर से हटा लेना चािहये इसके पँ चात अंकुरण के आँकड़े लेना चािहये। 

    अंतरारं् शीय बीज परीक्षण एसोिसयेशन (ISTA) के अनुसार बीज अंकुिरत तब माना जाता है जब बीजांकुर की ऊँचाई 1.0 से.मी. तथा बीज पऽ खुल गये हैं। 28 िदनों तक अकुंरण के आँकड़े िलये जाने चािहये। उदाहरण के िलये 400 बीजों में यिद 220 बीज 28 िदवस तक अंकुिरत पाये गये शेष 180 बीजों को काट कर देखने पर ज्ञात हुआ िक उनमें 60 बीज ः वः थ है और शेष 120 बीज खराब हैं तब अकुंरण ूितशत तथा अंकुरण क्षमता िनम् न ूकार से ज्ञात की जा सकती है :- 

    220 अंकुरण ूितशत = ------------ Ø 100

    40  

    220 + 600 अंकुरण क्षमता = ------------ Ø 100

    40

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    यिद बीजों का अंकुरण सातवे िदन से ूारम् भ हुआ और जो बीज सातवे, आठवे, नौवे, दसवे त था ग् यारहवे िदन अकुंिरत हुये उनकी संख् या 20, 60, 80, 70 तथा 55 पाई गई तो अंकुरण शिक्त तथा अकुंरण अविध िनम् नानुसार ज्ञात की जाती है :- 

    20+60+80 अंकुरण शिक्त = ------------ Ø 100

    400 अंकुरण अविध = अिधकतम अंकुरण का िदन अथार्त ् 9 िदन  अंकुरण का ूयोग करके ूितवेदन संलग् न ूपऽ 4 में िदया जाना चािहये। अिभलेख :  बीज एकऽीकरण में िनम् निलिखत जानकारी रखी जाना चािहये :-  1. बीज एकऽीकरण अिभलेख (ूपऽ 1)  2. बीज उपचार अिभलेख (ूपऽ 2)  3. बीज संमहण अिभलेख (ूपऽ 3)  4. बीज परीक्षण अिभलेख (ूपऽ 4)   

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    ूपऽ - 1 बीज एकऽ करने की डेटाशीट (ूत् येक बीज लाट के साथ) 

    1. ूजाित नाम (िहन् दी) : लेिटन नाम : 

    2. बीज एकऽ करने का िदनांक : 

    3. बीज एकऽ करने वाले के्षऽों की जानकारी : 1. वन मण् डल का नाम 2. वन पिरके्षऽ 3. बीट 4. कम् पाटर्मेन् ट 5. भूिम तथा भौिमकी 6. ः थल का ः वरूप 7. जलवायु औसत वषार् .............................. तापमान 

    4. बीज उत् पन् न करने वाले वकृ्षों की जानकारी : 1. उत् पित्त ूाकृितक वन/रोपण 2. आयु 3. िवगत वषोर्ं के उपचार 4. बीज वकृ्षों का औसत व् यास 5. बीज वकृ्षों की औसत ऊँचाई 6. तने का आकार 7. शाखाओं की िःथित 

    5. बीज एकऽीकरण की जानकारी 1. बीज एकऽ करने की िविध 2. िकतने वकृ्षों से बीज एकऽ िकया गया 3. बीज की माऽा 4. ूित वकृ्ष अिधकतम तथा न् यूनतम उत् पादन  

    बीज एकऽ करने वाले अिधकारी का नाम 

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    ूपऽ - 2 बीज उपचार शीट 

    1. ूजाित 

    2. फल/बीज लाट बमांक 

    3. एकऽ करने का िदनांक 

    4. बीज/फलों की िःथित 

    1. रंग 

    2. शुं क/अद्धर् शुं क 

    3. माऽा 

    5. बीज/फलों का उपचार 

    6. ूाप् त शुद्ध बीजों की माऽा

     

     

       

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    ूपऽ - 3 बीज भण् डारण 

    (बीज का ः टाक रिजः टर) ूत् येक ूजाित के िलये अलग पृं ठ 

    ूजाित .................... 

    ः टोर में ूाप् त होने का िदनांक 

    बीज का ॐोत  बीज एकऽीकरण का िदनांक 

    बीज की माऽा (िक.मा.) 

    अन् य िववरण 

                    

     

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    ूपऽ - 4 बीज परीक्षण िरपोटर् 

    ूजाित .............................. ॐोत .............................. 

    सैम् पल बमांक .............................. बीज की माऽा .............................. रेप् लीकेशन .............................. 

    अंकुरण परीक्षण ूारम् भ िदनांक .............................. 

    िदनांक  परीक्षण अविध  अंकुिरत बीजों की संख् या  कुल अंकुिरत बीज अंकुरण क्षमता वाले बीज

     

    शुद्ध बीजों की संख् या 

    कुल बीजों की संख् या अंकुिरत बीज अंकुरण ूितशत 

     

    परीक्षण करने वाले अिधकारी का नाम