सृष्टि, इतिहास औ कलीतसा के केन्द्र ह g –...

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1 26 नवबर, 2013 मंगलवार सृि, इतिहास और कलीतसया के के हं - येसु मसीह - 1 येसु ीि दुतनया के महाराजा, संि पापा - 2 500 लोग ने संि पापा के सम काथतलक वास का अंगीकार कया -4 शहीद कलीतसया की समृि और आयाममक िाकि - 5 वास वष के वयंसेवक को संि पापा का आभार - 6 रववारीय तििन वष ‘अ’ आगमन का पहला रववार 1 कदसंबर 2013 सृि, इतिहास और कलीतसया के के र हं – येसु मसीह जिन तिकी, ये.स. वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवबर, 2013 (सीएनए) संि पापा ाँतसस ने वास वष की समाति पर वाकिकन तसिी थि संि पेुस महातगरजाघर के ाँगण मं यूखररिीय बतलदान िािे ह ए कहा, "सृि, इतिहास और कलीतसया के के र हं – येसु।" संि पापा ने अपने विन मं कहा, "जब केर ही खो जािा है और इसके थान मं कसी दूसरी िी को रख कदया जािा है िो इससे हममं और हमारे आसपास ति ही हो सकिी है।" समय, ेम, वािाष व सावना को समपषि 1206 वाँ अंक 26 नवबर, 2013 मंगलवार

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Page 1: सृष्टि, इतिहास औ कलीतसा के केन्द्र ह G – ेसु सीह · शहीद कलीतसा की स ृष्टि

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26 नवम्बर, 2013 मंगलवार

सषृ्टि, इतिहास और कलीतसया के केन्द्र हं - येस ुमसीह - 1

येस ुख्रीस्ि दतुनया के महाराजा, सिं पापा - 2

500 लोगं ने सिं पापा के समक्ष काथतलक ष्टवश्वास का अगंीकार ककया -4

शहीद कलीतसया की समषृ्टि और आध्यात्ममक िाकि - 5

ष्टवश्वास वर्ष के स्वयसंेवकं को सिं पापा का आभार - 6

रष्टववारीय तिन्द्िन

वर्ष ‘अ’ आगमन का पहला रष्टववार

1 कदसंबर 2013

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सषृ्टि, इतिहास और कलीतसया के केन्द्र हं – येस ुमसीहजत्स्िन तिकी, ये.स.

वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवम्बर, 2013 (सीएनए) सिं पापा फ्राँतसस ने ष्टवश्वास वर्ष की समाति पर वाकिकन तसिी त्स्थि सिं पेत्रुस महातगरजाघर के प्राँगण मं यखूररस्िीय बतलदान िढ़ािे हुए कहा, "सषृ्टि, इतिहास और कलीतसया के केन्द्र हं – येस।ु"

सिं पापा ने अपने प्रविन मं कहा, "जब केन्द्र ही खो जािा है और इसके स्थान मं ककसी दसूरी िीज़ को रख

कदया जािा है िो इससे हममं और हमारे आसपास क्षति ही हो सकिी है।"

समय, पे्रम, वािाष व सद्भावना को समष्टपषि 1206 वाँ अंक 26 नवम्बर, 2013 मंगलवार

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उन्द्होनं कहा, "प्रमयेक ख्रीस्िीय ष्टवश्वासी से यह आशा की जािी है कक वह येस ुको अपने अपने सोि, ष्टविार, शब्द और किया-कलाप का केन्द्र बनाये।"

काथतलक पजून ष्टवति के वर्ष 2013 के िीसरे िि के ख्रीस्ि राजा का मयोहार के कदन ष्टवश्वास वर्ष के समापन मं आयोत्जि भव्य यखूररस्िीय समारोह मं काथतलक कलीतसया के प्रथम पोप सिं पेत्रुस की ‘अत्स्थ बॉक्स’ (रेतलक्स बॉक्स) को सिं पापा को संपा गया।

सिं पापा ने बडे़ ही श्रिा से सिं पेत्रुस के अत्स्थ बक्स को अपने हाथं म ंतलया और हज़ारं की सखं्या मं तमस्सा बतलदान मं सत्म्मतलि ष्टवश्वातसयं ने शरीरिारी ईशपतु्र येस ुपर अपना ष्टवश्वास दहुराया।

सिं पापा ने कहा, "यह ऐतिहातसक यखूररस्िीय बतलदान न तसर्ष ष्टवश्वास वर्ष का समापन है पर यह ऐसा सवुासर है जब हम बपतिस्मा ससं्कार मं आरंभ ककये ष्टवश्वास की यात्रा की महमव की पनुखोज करं।"

सिं पापा ने कहा कक येस ुका रूप तसर्फष कदव्य नहीं है पर मानवीय भी है। वे हमारे तलये िथा परूी दतुनया के तलये मानव बने और हमारे तलये उन्द्हंने अपने प्राणं का भी बतलदान भी कर कदया।

उन्द्हंने कहा, "येस ुऐसी ज्योति है जो गहन अिंकार मं भी िमकिी है और हममं आशा का सिंार करिी है जैसा कक उन्द्हंने उस ‘भले डाकू’ के साथ ककया।

उन्द्हंने उससे कहा, "िमु आज ही मेरे साथ स्वगष मं होगे।"

समारोह कक अन्द्ि मं सिं पापा ने ष्टवश्व के 36 प्रतितनतियं को अपने नया प्रेररतिक प्रबोिन (िमषतशक्षा) ‘ससुमािार का आनन्द्द’ (‘द जोय ऑर्फ द गॉस्पल’) की प्रतियाँ बािँी। प्रतितनतियं मं परुोकहि, िमषप्रिारक पररवार के सदस्य, िमषसमाजी, कलाकार और पत्रकार प्रमखु थे।

समारोह के अन्द्ि म ंसिं पापा ने ससुमािार प्रिार के तलये बनी परमिमषपीठीय सतमति के अध्यक्ष महािमाषध्यक्ष कर्सीकेल्ला और उसके िमाम सहयोतगयं को ष्टवश्वास वर्ष के आयोजन की सर्लिा के तलये सराहा और उनके प्रति अपनी कृिज्ञिा प्रकि की।

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येस ुख्रीस्ि दतुनया के महाराजा, संि पापा उर्ा तिकी, डी.एस.ए.

वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवम्बर 2013 (वीआर सेदोक): वाकिकन त्स्थि सिं पेत्रुस महातगरजाघर के प्रांगण म,ं रष्टववार 24 नवम्बर को ख्रीस्ि महाराजा पवष एव ंष्टवश्वास वर्ष समापन समारोह मं सिं पापा फ्रातँसस ने पावन ख्रीस्ियाग अष्टपषि ककया।

पष्टवत्र तमस्सा के दौरान उपदेश मं उन्द्हंने कहा, "आज हमारे प्रभ ुयेस ुख्रीस्ि दतुनया के महाराजा का पवष है। िमषष्टवति पिंांग के अनसुार वर्ष की िरम सीमा एव ंसिं पापा बेनेकडक्ि 16वं द्वारा घोष्टर्ि ष्टवश्वास वर्ष का समापन। आज सिं पापा बेनेकडक्ि 16वं के प्रति उनके इस महान उपहार के तलए हमारा हृदय स्नेह एव ंआभार से भरा है।

इस ऐतिहातसक पहल द्वारा उन्द्हंने बपतिस्मा ससं्कार जो हमं ईश्वर के पतु्र-पषु्टत्रयाँ िथा कलीतसया म ंएक-दसूरे के भाई-बहन बनािा है, उस कदन से शरुु होने वाली ष्टवश्वास यात्रा की सनु्द्दरिा को पनुः खोजने का अवसर प्रदान ककया है।

यह एक ऐसी यात्रा है त्जसका अतंिम लक्ष्य ईश्वर को आमने-सामने देखना। इस यात्रा के दौरान पष्टवत्र आममा हमं शिु करिा, योग्य बनािा िथा पष्टवत्र करिा है त्जससे कक हम उस अनन्द्ि आनन्द्द मं प्रवेश कर सकं जो हमारे हृदय की अतभलार्ा है।"

सिं पापा ने उपत्स्थि पवूी कलीतसया के प्रातििमाषध्यक्ष एव ंमहािमाषध्यक्षं का अतभवादन ककया। उन्द्हंने कहा, "म ंपवूी कलीतसया के प्रातििमाषध्यक्ष एव ंमहािमाषध्यक्षं का अतभवादन करि ेहुए उनके माध्यम से पष्टवत्र भतूम, सीररया एव ंसमस्ि पवूी ख्रीस्िीय समदुाय को शांति एव ंसमझौिा का सदेंश देिा हँू।" सिं पापा ने पाठ पर तिंिन करिे हुए कहा कक आज के पाठ की ष्टवर्य

वस्ि ु‘ख्रीस्ि की केन्द्रीयिा’ पर आिाररि है। ख्रीस्ि अपनी प्रजा िथा इतिहास के कंर हं।

कलोतसयं के नाम प्रेररि सिं पौलसु तलत्खि पत्र, ख्रीस्ि की केन्द्रीयिा को गहरे रूप से दशाषिा है। सिं पौलसु कलोतसयं को तलखि ेहं कक "ईसा मसीह अदृश्य ईश्वर के प्रतिरूप िथा समस्ि सषृ्टि के पहलौठे हं क्यंकक उन्द्हीं के द्वारा सब कुछ की सषृ्टि हुई है। सब कुछ िाहे वह स्वगष म ंहो या पथृ्वी पर, िाहे दृश्य हो या अदृश्य।... इस प्रकार ईश्वर ने उन्द्हीं के द्वारा सब कुछ का िाहे वह पथृ्वी पर हो या स्वगष मं, अपने से मेल कराया है। (कलो.1:12-20)

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सिं पापा ने कहा, "यह छष्टव हमं यह समझने म ंमदद करिा है कक ख्रीस्ि समस्ि सषृ्टि के केन्द्र हं। इस प्रकार, यह हमं एक सच्िे ष्टवश्वासी के समान ख्रीस्ि की कंरीयिा को अपने जीवन मं पहिानने एव ंस्वीकार करने के मनोभाव का आह्वान करिा है। ख्रीस्ि के कारण हमारा मनोभाव ख्रीस्िीय हो जािा है। हमारा सोि एव ंहमारे ष्टविार ख्रीस्ि के अनकूुल हो जािे हं ककन्द्ि ुजब यह ख्रीस्ि की केन्द्रीयिा खो जािी है िब ककसी अन्द्य वस्ि ुसे भर जािी है त्जसका पररणाम हमारे िथा हमारे आस-पास हातनकारक ही होिा है।

सषृ्टि के केन्द्र होने के अलावा ख्रीस्ि मेल-तमलाप के भी केन्द्र हं। ख्रीस्ि ईश्वर की प्रजा के केन्द्र हं। आज वे हमारे बीि हं। हम सभी ईश प्रजा के बीि वे पष्टवत्र विन एव ंपष्टवत्र वेदी के बतलदान मं उपत्स्थि हं। सामएूल का दसूरा ग्रथं इस्राएली जनिा द्वारा राजा दाऊद को ईश्वर के सम्मखु राजा घोष्टर्ि करने की घिना का वणषन करिा है। (2राजा 5:1-3) लोग एक ऐसे आदशष राजा अथाषि ्

ईश्वर की खोज कर रहे थे जो उनके करीब हो, जो उन्द्हं उनकी यात्रा मं साथ दे जो उनके भाई के समान हो।

ख्रीस्ि, राजा दाऊद के उिरातिकारी वास्िव मं एक भाई हं त्जनके िारं ओर ईश्वर की प्रजा एक साथ एकत्र

होिी है। ख्रीस्ि वह राजा हं जो अपनी प्रजा की देखभाल करिे हं। वे अपना जीवन न्द्योछावर करने िक हमारी तिंिा करिे हं। उन्द्ही ंमं हम सब एक हं। एक प्रजा एकिा के सतू्र मं बिं कर, एक ही यात्रा िथा एक ही लक्ष्य के सहभागी हं। तसर्ष उन्द्हीं की कंरीयिा मं हमने प्रजा रूप मं अपनी पहिान पायी है।

ख्रीस्ि, मानव इतिहास एव ंप्रमयेक व्यष्टि के जीवन इतिहास के केन्द्र मं हं। हम उनके पास हमारे जीवन के आनन्द्द एव ंआशा, दःुख एव ंककठनाई ला सकिे हं। जब येस ुकेन्द्र हं िब हमारे जीवन की अिंकारमय पररत्स्थतियं म ंभी हमं आशा की ज्योति कदखाई पड़िी है। जैसा कक

आज के ससुमािार मं भला डाकू के साथ हुआ। ससुमािार बिलािा है कक भला डाकू के तसवा अन्द्य सभी ने येस ुके साथ घणृा का बिाषव ककया। उन्द्हंने येस ुसे कहा, "यकद ि ूख्रीस्ि है, राजा मसीह है िो िूस से उिर कर अपने को बिा।" भला डाकू यद्यष्टप जीवनभर ईश्वर से दरू रहा िथाष्टप जीवन के अतंिम घड़ी पश्चािाप करिे हुए ईश्वर से तनवेदन ककया, "ईसा, जब आप अपने राज्य मं आयंग ेिो मझेु याद कीत्जएगा।" (लकू.23:42)

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िब येस ुने उसे अपने राज्य मं स्वीकार करने की प्रतिज्ञा करिे हुए कहा, "िमु आज ही मेरे साथ परलोक मं हंगे।" (पद.43) येस ुक्षमा की बाि करिे हं दण्ड की नहीं। जब कभी कोई क्षमा यािना का साहस करिा है येस ुउसे यं ही जाने नहीं देिे।

आज हम अपने जीवन इतिहास एव ंयात्रा पर तिंिन करं। प्रमयेक व्यष्टि के जीवन का इतिहास है हम अपनी गलतियं, पापं, शभु पलं एव ंतनराशाजनक पररत्स्थतियं मं येस ुको देखं एव ंईमानदारी पवूषक एकान्द्ि मं उनसे कहं "प्रभ ुआप अभी अपने राज्य मं ष्टवराजमान हं मझेु याद कीत्जए। येस,ु मझेु याद कीत्जए क्यंकक म ंभला बनना िाहिा हँू ककन्द्ि ुमझु मं शष्टि नहीं है। म ंएक पापी हँू।

येस ुद्वारा भला डाकू के तलए की गयी प्रतिज्ञा हमं आशा प्रदान करिी है। यह हमं बिलािी है कक ईश्वर की कृपा हमारी प्राथषना से बढ़कर है। ईश्वर हमेशा प्रिुर मात्रा म ंदेिे हं, वे अमयन्द्ि दयाल ुहं। अपने राज्य मं याद करने के तलए हम प्रभ ुसे प्राथषना करं। हम पणूष ष्टवश्वास से यािना करं िाकक हम स्वगष के अनन्द्ि मकहमा मं सहभागी हो सकं। सिं पापा ने पष्टवत्र तमस्सा के उपरांि ष्टवश्वासी समदुाय के साथ देवदिू प्राथषना का पाठ ककया िथा सभी को अपना प्रेररतिक आशीवाषद प्रदान ककया।

500 लोगं न ेसंि पापा के समक्ष काथतलक ष्टवश्वास का अंगीकार ककया जत्स्िन तिकी, ये.स. वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवम्बर, 2013 (सीएनए) सिं पापा फ्रातँसस ने 23 नवम्बर सोमवार को उन 500 लोगं का काथतलक कलीतसया मं स्वागि ककया त्जन्द्हंने सिं पेत्रुस महातगरजाघर मं आयोत्जि एक ष्टवशेर् समारोह मं काथतलक िमष के ष्टवश्वास का अगंीकार ककया।

500 नये काथतलकं को स्वीकार करिे हुए सिं पापा ने सिं पेत्रुस महातगरजाघर के प्रवेशद्वार पर प्रश्न करिे हुए कहा कक ‘वे क्या िाहिे हं’ और सबं ने एक स्वर से कहा कक ‘ हम ष्टवश्वास िाहिे हं’।

समारोह के अनसुार दल 35 प्रतितनतियं के माथे पर सिं पापा ने अपने हाथ रखे और िूस का तिह्न बनािे हुए कहा, "ख्रीस्ि ही, प्रेम से आपकी रक्षा करे। अब आपने उन्द्हं जान तलया है उनका अनकुरण कीत्जये।"

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सिं पापा काथतलक ष्टवश्वास को स्वीकार करने वाले नये सदस्यं से कहा, "ष्टवश्वास का वर्ष एक यात्रा थी त्जसमे ष्टवश्व के हज़ारं लोग यात्रा कर रहे थे, वे तभन्द्न थे कर्र भी उनमं समानिा थी। सबसे बड़ी बाि िो है कक हम सब ईश्वर की खोज मं लगे हुए हं।"

उन्द्हंने कहा, "आज ज़रूरि है इस इच्छा को जीष्टवि रखना। उन्द्हंने कहा कक इसके तलये िीन बािं को होना बहुि ज़रूरी है। पहला है- सनुना। दतुनया मं कई िरह की आवाज़ आिी है गूजँिी है पर आपने ईश्वर की आवाज़ को सनुा है जो येस ुकी ओर इंतगि करिा है और यही आवाज़ आपके जीवन को पणूष कर देगा।"

"दसूरा है तमलना। ईश्वर हमं अकेले रहने के तलये नहीं बनाया। उन्द्हंने हमं बनाया िाकक हमं उनसे तमल सकं और दतुनया के अन्द्य लोगं से तमलं। और ईश्वर सदा तमलने की पहल करिा है। वह खुद ही हमं खोज तनकालिा है।"

"िीसरी बाि है ‘येस ुके साथ यात्रा’। ष्टवश्वास हमं वह शष्टि प्रदान करिा है त्जसके द्वारा हम ष्टवश्वास की यात्रा करिे हं और कभी नहीं थकिे ने ही तनराश होि ेहं, ऐसे समय मं भी जब हम ंदःुखी या परेशान हं।"

सिं पापा ने समारोह के अिं मं सबं को अपना पे्रररतिक आशीवाषद देिे हुए कहा कक आप शांति के साथ जायं आनन्द्द के साथ जायं क्यंकक येस ुआपके साथ हं।

शहीद कलीतसया की समषृ्टि और आध्यात्ममक िाकिजत्स्िन तिकी, ये.स.

वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवम्बर 2013 (सेदोक, वीआर) सिं पापा फ्राँतसस ने सोमवार 25 नवम्बर को यिेून के िीथषयात्रयं से मलुाक़ाि की जो सिं जोसार्ाि के अत्स्थ को सिं पेत्रुस बतसतलका मं स्थानांष्टत्रि करने की 50वी वर्षगाठँ के अवसर पर रोम की िीथषयात्रा कर रहे हं।

िीथषयात्री दल का नेिमृव यकेूरेतनयन कलीतसया के मेज़र महािमाषध्यक्ष िन्द्य त्स्भयािोसले ने ककया।

मालमू हो सिं जोसार्ाि एक मठवासी थे जो महािमाषध्यक्ष बने और सन 1630 ईस्वी मं ष्टवश्वास की रक्षा के तलये शहादि प्राि की।

िीथषयाष्टत्रयं को सबंोतिि करिे हुए सिं पापा फ्राँतसस ने कहा, "शहीद सिं जोसार्ाि की याद से सिंं की सगंति और एकिा मं मजबिू हं और वे जो येस ुके हो गये हं उनकी सबंिं घतनष्ठ

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हो। यह एक ऐसा समय है जो हमं अनन्द्ि जीवन का पवूाषनभुव प्रदान करिा है अथाषि ्हमारा जीवन सिंं के साथ एक हो जािे है।"

सिं पापा ने कहा, "कलीतसया के साथ एक हो जाने स ेख्रीस्िीय जीवन का प्रमयके पहल ुएक-दसूरे से एक होने, सहयोग करने, सीखन ेऔर एक साथ तमलकर ष्टवश्वास का साक्ष्य देने की प्रबल इच्छा से पणूष हो जािा है।यही इच्छा एक दसूरे को समझन, आदर करने, स्वीकार करने और भ्रािपेृ्रम के साथ जीवन को योग्य बनाने की प्रेरणा देिा है।"

सिं पापा ने कहा कक सिं जोसार्ाि के समान कलीतसया मं कई शहीद हं जो कलीतसया की समषृ्टि है और इससे कलीतसया आध्यात्ममक िाकि प्राि करिी है।

ष्टवश्वास वर्ष के स्वयंसेवकं को संि पापा का आभार

जत्स्िन तिकी, ये.स.

वाकिकन तसिी, सोमवार, 25 नवम्बर, 2013 (सेदोक,वीआर) सिं पापा फ्राँतसस ने ष्टवश्वास वर्ष की समाति पर ष्टवश्वास वर्ष के तलये बनी सतमति के स्वयसंेवको की सराहना की।

वाकिकन तसिी मं सोमवार 25 नवम्बर को आयोत्जि एक समारोह मं सबंोतिि करिे हुए सिं पापा फ्राँतसस ने कहा, "ष्टवश्वास का वर्ष ष्टवश्वातसयं के तलये एक ष्टवशेर् अवसर था जब उन्द्हंने ष्टवश्वास के ज्वाला को पनुः प्रज्वत्ल्लि ककया। इस ज्योति को हमने अपने बपतिस्मा मं पाया था।"

उन्द्हंने कहा, "ष्टवश्वास वर्ष मं आप सबं ने उदारिापणूष भाव स ेअपना समय और कौशल को बाँिा है ष्टवशेर् करके लोगं को आध्यात्ममक पथ मं अग्रसर होने देने के तलये ष्टवतभन्द्न प्रेररतिक पहलं मं मदद करने के के्षत्र मं। सावषभौतमक कलीतसया की ओर से म ंआप सबं को िन्द्यवाद देिा हँू और ईश्वर की स्ितुि करिा हँू त्जन्द्हंने हमं कृपा दी कक हम नेक पहलं को सर्लिापवूषक सम्पन्द्न कर सके।"

सिं पापा ने कहा, "ष्टवश्वास वर्ष मं हमने ख्रीस्िीय पथ के सार की पनुखोज़ कर सके। खोजने की प्रकिया म ंप्रेम के साथ ष्टवश्वास का ष्टवशेर् योगदान रहा। सि पछूा जाये िो ष्टवश्वास की ख्रीस्िीय अनभुव का केन्द्रष्टबन्द्द ु

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है क्यंकक ष्टवश्वास से हम प्रतिकदन के जीवन के तनणषयं की प्रेरणा पािे हं। यह हमारे जीवन का एक ऐसा गणु है जो घर-पररवार, काम, कलीतसया िथा तमत्रं और परेू सामात्जक माहौल से हमं जोड़िा है।"

सिं पापा ने कहा, "ष्टवश्वास के कारण ही एक ख्रीस्िीय ष्टवपष्टि काल मं दृढ़ बना रहिा है;वह ईश्वर पर पणूष भरोसा करिा है क्यंकक ईश्वर का पे्रम िट्िान के समान मजबिू होकर उसकी रक्षा करिा है।"

सिं पापा ने कहा, "यकद हम ष्टवपष्टिकाल मं नम्रिापवूषक पणूषरूप से ईश्वर को समष्टपषि कर देिे हं िो हमारा साक्ष्य प्रभावपणूष होिा है।"

उन्द्हंने कहा, "ष्टवश्वास वर्ष ने आपको एक अवसर प्रदान ककया जब आपने ष्टवतभन्द्न कायषिमं मं ष्टवतभन्द्न िरह के उमसाही लोगं के साथ कायष ककया है और कायषिम को सर्ल बनाया है। आज हम सबं के साथ तमलकर आध्यात्ममक प्रबलिा और पे्रररतिक उमसाह के तलये ईश्वर को िन्द्यवाद दं क्यंकक उन्द्हीं की कृपा से हमने लोगं के ह्रदय को नये ससुमािार प्रिार के तलये प्रेररि कर पाया है।"

सिं पापा ने कहा, "दतुनया मं कई लोग ऐसे हं जो हमारी मसु्कान का, स्नेह का और समय विन का इन्द्िज़ार कर रहे हं। आप अवसर न गवायं और उस स्नेह को साक्ष्य दं जो ष्टवश्वास से आिा है िाकक वे येस ुमसीह के सामीप्य का अनभुव कर सकं।"

आगमन का पहला रष्टववार वर्ष ‘अ’, 1 कदसंबर, 2013

इसायस 2, 1-5

रोतमयं के नाम पत्र 13, 11-14

सिं मिी 24, 37-44

जत्स्िन तिकी, ये.स.

उम्मीद और आशा तमत्रो, आज म ंआपलोगं को एक घिना के बारे मं बिािा हँू। मनें अपने कुछ दोस्िं को एक सवाल पछूा था । मनें कहा कक दोस्िं म ंआप लोगं को उम्मीद या अपके्षा करना और आशा करना का प्रयोग करिे बार-बार सनुा है क्या िमु उन दो शब्दं को अथष बिा सकिे हो। मेरे एक तमत्र ने कहा कक वह इन दोनं शब्दं का अथष आसानी से बिा सकिा है। उसने कहा कक यह ष्टबल्कुल सरल है मनें पछूा पहले आप अथष िो बिाइये। िब उसने कहा उम्मीद करने का अथष है ककसी घिना के इन्द्िज़ार मं रहना और आशा का अथष है भले की कामना करिे हुए अपना किषव्य कायष जारी रखना। म ंप्रसन्द्न हुआ और मेरे दोस्ि से कहा कक उन्द्हंने मेरे सवाल का जवाब सही िरीके से कदया है। िब मेरे

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तमत्र ने मझुसे भी कहा कक मनें िो उम्मीद करना और आशा करना के बारे मं अपना जवाब दे कदया है और आप बिाइये कक इसमं उम्मीद करना और आशा करना मं क्या अिंर है। िब मनें अपने दोस्ि से कहा कक आपने सही सवाल ककया है उम्मीद या अपके्षा और आशा मं अिंर बिाने के तलये हमं िीन बािं पर ध्यान देना होगा या हम कहं इसमं िीन बािं जुड़ी हुई होिी हं। पहली बाि िो यह है कक जब हम ककसी बाि की आशा या उम्मीद करिे हं िो हम ककसी अच्छी घिना का इंिज़ार करिे हं। दसूरी बाद कक हमं सिकष या सिेि होिे हं । सिकष का मिलब हमारा मन कदल आनेवाली घिना को देखने या सनुने या अनभुव करने करने तलये िमपर रहिा है। और िीसरी बाि जब हम ककसी का इन्द्िज़ार करिे हं िो उसकी एक समय सीमा होिी है। जब वह समय परूा हो जािा है िो हम या िो उस व्यष्टि या उस वस्ि ुको पा जािे हं या हम अपेत्क्षि इच्छा की पतूिष नहीं होने पर इंिजार करना छोड़ देिे हं। तमत्रो, इस प्रकार आशा या उम्मीद करने की प्रकिया मं िीन बािं होिी हं। इंिज़ार करना सिकष रहना और इंत्च्छि वस्ि ुको पा लेना। दोनं कियाओ ंमं समानिायं हं बस एक अिंर है कक जब हम उम्मीद करिे हं िो एक समय सीमा के बाद अगर वांत्च्छि वस्ि ुतमल जाये िो हम प्रसन्द्न हो जािे हं और जब हम ककसी िीज़ की आशा करिे हं िो इत्च्छि वस्ि ुके समय पर परूा न होने पर हम इंिज़ार करिे हुए अपना भला कायष जारी रखिे हं।

तमत्रो, हम रष्टववारीय पजून ष्टवति पिंांग के आगमन के पहले सिाह के तलये प्रस्िाष्टवि पाठं पर मनन-तिन्द्िन कर रहे हं । आज प्रभ ुहमं बिाना िाहिे हं कक हम सदा प्रभ ुका इंिज़ार करे सदा सिकष रहं और प्रभ ुजब भी आयं िो हम उनका उमसाहपवूषक स्वागि करं। आइये हम प्रभ ुके कदव्य विनं को सनेु त्जसे सिं मिी के 24 अध्याय के 37 से 44 वं पदं से तलया गया है।

संि मिी 24, 37-44 37) "जो नहू के कदनं मं हुआ था, वही मानव पतु्र के आगमन के समय होगा। 38) जलप्रलय के पहल,े नहू के जहाज’ पर िढ़ने के कदन िक, लोग खाि-ेपीिे और शादी-ब्याह करि ेरहे। 39) जब िक जलप्रलय नही ंआया और उसने सबको बहा नहीं कदया, िब िक ककसी को इसका कुछ भी पिा नहीं था। मानव पतु्र के आगमन के समय वसैा ही होगा। 40) उस समय दो परुुर् खेि मं हंग-े एक उठा तलया जायेगा और दसूरा छोड़ कदया जायेगा। 41) दो त्िया ँिक्की पीसिी हंगी - एक उठा ली जायेगी और दसूरी छोड़ दी जायेगी। 42) ''इसतलए जागि ेरहो, क्योकक िमु नहीं जानि ेकक िमु्हारे प्रभ ुककस कदन आयंगे। 43) यह अच्छी िरह समझ लो- यकद घर के स्वामी को मालमू होिा कक िोर राि के ककस पहर आयेगा, िो वह जागिा रहिा और अपने घर मं संि लगने नहीं देिा। 44) इसतलए िमु लोग भी ियैार रहो, क्यंकक त्जस घड़ी िमु उसके आने की नहीं सोििे, उसी घड़ी मानव पतु्र आयेगा।

िैयार रहं

तमत्रो, मेरा परूा ष्टवश्वास है कक आपने प्रभ ु के कदव्य विनं को ध्यान से सनुा है और प्रभ ु के विन से आपको और आपके पररवार के सभी सदस्यं को आध्यात्ममक लाभ हुए हं। तमत्रो, आज प्रभ ु बाईबल के इतिहास का हवाला देिे हे यह बिाना िाहिे हं कक हम ियैार रहं क्यंकक हम नहीं जानिे हं कक प्रभ ुकब आयंगे और कब हमारा दतुनयावी वास समाि हो जायेगा। तमत्रो, प्रभ ुहमं क्यं ऐसा कह रहे हं कक हम ियैार रहं। तमत्रो, ऐसा नहीं है कक हम इन बािं को नहीं जानिे ऐसा भी नहीं पर प्रभ ुइस बाि को जानिे हं कक

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हम कई बार अपने जीवन के ष्टवतभन्द्न कियाकलापं म ंऐसे मशगलू हो जािे हं कक हम यह सोिने लगि ेहं कक सबकुछ की अतंिम मतं्जल दतुनया ही है। हम कई बार अपना जीवन इस िरह जीने लगिे मानं अपने जीवन को हमारे पास ईश्वर के समय हो पािा न ही हम ईश्वरीय प्रेम को अपने पड़ोतसयं को दो पािे हँ। इसीतलये प्रभ ुिाहिे हं कक हम सिेि रहं और इस बाि को सदा मन मं रखकर जीयं कक एक कदन हमं ईश्वर के सम्मखु लेखा देना होगा।

आगमन का अथष तमत्रो, आइये आज हम काथतलक कलीतसया के पजून ष्टवति के एक ष्टवशेर् काल मं प्रवेश ककय े है त्जसे काथतलक कलीतसया आगमन काल के रूप मं जानिी है। ‘आगमन’ अथाषि आना और यह आना िार सिाहं का वह समय है त्जसमं प्रभ ुके उस आगमन को याद करिे हं जब प्रभ ुयेस ुआज से दो हज़ार वर्ष पवूष इस िरापर येरूसालेम ंके बथेलहेेम मं जन्द्मे थे। और इसीतलये हम इस समय मं येस ुके जन्द्म पवष का इंिज़ार करिे हं। इस आगमन काल के द्वारा काथतलक कलीतसया ष्टवश्वातसयं को यह भी याद कदलाना िाहिी है कक प्रभ ुहमं लेने के तलये दसूरी बार आयंगे इसके तलये हम अपनी ियैारी करं । इस िरह हम येस ुके जन्द्म पवष की ियैारी म ंदो पवं की ियैारी एक साथ करिे हं- येस ुख्रीस्ि के पहली बारे आने का पवष और येस ुके अतंिम बार मकहमा के साथ आने का पवष।

कैसी िैयारी?

तमत्रो, हालाँकक ऐसे समय मं हम प्रभ ुके जन्द्म पवष की ियैारी करिे हं और कई प्रकार के सािन जुिाने म ंलग जाि े िाकक हम ख्रीस्िमस का मयोहार अच्छी िरह से मना सके यह काल वास्िव मं आध्यात्ममक ियैारी का समय है। यह एक ऐसा समय है जब हम अपने आपको इस बाि की याद कदलािे है कक प्रभ ुका जन्द्म हुआ, हमारी मषु्टि के तलये हुआ, उन्द्हंने हमं अपने ष्टपिा परमेश्वर िक पहँुिने का रास्िा कदखाया और एक कदन हमं भी वहीं लेने के तलये लौिकर आयंगे। तमत्रो, मेरा िो परूा ष्टवश्वास है कक िाहे छोिे रूप मं ही क्यं न हो हम इस वर्ष भी ख्रीस्िमस की िैयारी करना आरंभ िो कर ही कदये हंगे। कई बार हम यह भी सोिने लगिे हं कक आत्िर प्रभ ुहमसे ककस िरह की ियैारी िाहिे हं। हम बाहरी ियैारी िो करं क्यंकक यह भी भीिरी ियैारी का एक सकेंि है। इसके साथ ही हम अपने कदल को भी ियैार करं अथाषि ्आध्यात्ममक ियैारी करं िाकक हमारे मन और कदल दोनं को येस ुशांति दं। रोतमयं को तलखे अपने पत्र के 13वं अध्याय के 13वं पद मं सिं पौलसु कहिे हं कक हम रंगरेतलयं और नशेबाज़ी, व्यतभिार और भोगष्टवलास, झगडे़ और ईर्षयाष से बिं। हम प्रभ ुको िारण करं और शरीर की वासनाओ ंको ििृ करने का ष्टविार छोड़ दं।

तमत्रो, आइये आज हम प्रभ ुका खुला तनमतं्रण स्वीकार करं हम प्रभ ुके आगमन की प्रिीक्षा करं हम उनस ेतमलने के तलये उमसकु रहं। हम अपने जीवन मं जो भी तनणषय लेिे हं व ेउसमं सिकष िा बरि ंप्रभ ुकी राह परूी आशा के साथ देखिे रहं।

आशापणूष इंिज़ार तमत्रो, हमारी आशा ऐसी हो कक जो प्रभ ुके स्वागि के तलये इंिज़ार करने स ेनहीं थकिा हो। वह आशा ऐसी हो जो प्रभ ुके तलये दःुख उठािे हुए नहीं थकिा हो।यह आशा ऐसी हो जो दसूरं की खुशी मं अपने

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कदल मं खुशी पािा हो और यह आशा ऐसी आशा है जो भला कायष करिे हुए कभी न थकिा न परेशान होिा।

आज प्रभ ुहमं आमषं्टत्रि कर रहे हं िाकक हम प्रभ ुसे सीखं आशापणूष जीवन जीयं। प्रभ ुने भी िो यही ककया हर मानव को सम्मान दं ज़रूरिमदंं को अपनी सेवा दं दया, क्षमा और प्रेम बाँिना आरंभ कर दं। यकद आपने ऐसा करना शरुु कर कदया है िो समत्झये आपके ख्रीस्ि जयिंी की ियैारी ठीक िल रही है और अगर आपने शरुु नहीं की है िो म ंबिा दूँ कक भले कायष के तलये कभी भी देरी नहीं होिी आइये हम उमसाह, सिकष िा और आशा से ओि-प्रोि होकर येस ुका इन्द्िज़ार करं।

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वेबसाइट्स

VR HINDI

http://hi.radiovaticana.va/index.asp

BLOG

https://vrhindiseva.wordpress.com/

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http://www.facebook.com/VaticanRadioHindi

PODCAST

http://media01.vatiradio.va/podmaker/podcaster.aspx?c=hindi

वाकिकन रेकडयो के सामान्द्य कायषिम

शतन सधं्या - रष्टव प्रािः-रष्टववारीय िमषग्रंथ एव ंआरािना-ष्टवति तिन्द्िन

रष्टव संध्या -सोम प्रािः- यवुा कायषिम नई कदशाएँ एव ंसािाकहक कायषिमःििेना जागरण

सोम संध्या -मंगल प्रािः- रष्टववारीय देवदिू प्राथषना से पवूष कदया गया सिं पापा का संदेश

मंगल सधं्या -बिु प्रािः कलीतसयाई दस्िावेज़ःएक अध्ययन

बिु सधं्या -गुरु प्रािः- सािाकहक आमदशषन समारोह मं

संि पापा का संदेश और श्रोिाओ ंके पत्र

गुरु सधं्या -शुि प्रािः-पष्टवत्र िमषग्रंथ बाईष्टबलःएक पररिय

शुि सधं्या -शतन प्रािः- सामतयक लोकोपकारी ििाष

प्रसारण की समाति लगभग 6 तमनिं के कलीतसयाई और लोकोपकारी समािारं से होिी है

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