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रजब ओर शबेमेराज Rajab and Shab-e-mei’raj

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  • रजब ओर शबेमेराज

    Rajab andShab-e-mei’raj

  • रजब ओर शबेमेराज

  • 1

    रजब ओर शबेमेराज

    ملسو هيلع هللا ىلص ू े,रसल अ�लाह सहाबा कराम से ज�कोइ सवाल करत رضي هللا عنھ

    सहाबा कराम फ़मा�तःे

    "अ�लाह ओर उ�का रसल बे�तर जा�त ेह�।"ू

    यक़��न

    अ�लाह ओर उ�का रसल ह� बे�तर जा�त ेह�।ू

    तो आइये क़रआन ओर स�नत क� रोशनी म� माह रजब ओर ु ु

    शबे मेराज क�

    एह�मयत ओर हक़�क़त का जायज़ा ल�।

  • रजब ओर शबेमेराज

    2

    بسم هللا الرحمن الرحیم

    रजब ओर शबेमेराज

    रजब इ�लामी कैल�डर के हमत� वाले मह�न� म� से एक है, िजसे रजब अलमर�जब ुु

    भी के�त ेह�,रसल अ�लाह न ेफ़मा�याः"साल बारह मह�न� का है,िजनम� से चार ू

    हमत� वाले ह�,तीन प ैदर प ै ज़लक़ादा,ज़ल�ह�जा और मोहर�म और रजब जो ु ुु

    जमाद�उलआ�ख़र और शाबान के द�मय� ान है।"(सह� बख़ार�,�कताब �बदा अलख़�क़)ु

    अरबी म� का मायना है ताज़ीम करना और मअ�ज़म के मायन� म� आता है ु

    यानी अज़मत वाला, इसको रजब मज़र भी कहत ेह�, मज़र अरब� के एक क़बीले का

    नाम है, िजसन ेदौर जा�ह�लयत म� ख़ास तौर से इस माह क� हमत� का ए�तमामु

    �कया, उसी �न�बत क� �बना पर उसे उनसे म�सब कर �दया गया।ू

    इ�लाम से पेहले दौरे जा�ह�लयत म� क़�ल ग़ारत अरब� का मशग़ला था ले�कन जसेै ह�

    हमत� वाले मह�न ेआत,ेतो ह�यार उतार देत ेइस�लए रजब के बारे म� इ�लाम से पहले ु

    जा�हल� अरब कहा करत ेथे, रजब वोह है जो तज़े ह�यार� को

    उतारदे।"

    बह�क़� क� �रवायत म� आता है के "जा�हल लोग इन मह�न� का ए�तराम करत ेख़ा�कर

    रजब का और इस म� जंग ना करत ेओर बत� के नाम पर जानवर� क� क़बा�नी करत ेु ु

    "ले�कन इ�लाम न ेइस माह म� �कसी ख़ास इबादत का ह�म नह� ं�दया,ताहम गज़रतेुु

    हए व�त के साथ इस माह म� इबादत के नीच े�दए हए तर�क़े �रवाज पा गऐ।ु ु

    क़बा�नी का ए�तमाम ु

    इस माह म� कछ लोग क़बा�नी करत ेह� जोके जा�ह�लयत के व�त क� रसम है,जा�हल अरब ु ु

    َرجب َِ َّجب َ ُمر

    ِّصل االسنة" “رجب من

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • रजब ओर शबेमेराज

    3

    ु अलअतीराह के नाम पर इस माह म� बकर� क� क़बा�नी �कया करत ेथे,ओर िज़बाह العتیره

    क� गइ बकर� क� खाल �कसी दर�त पर डाल देत ेथे, उसे (रजब वाल� क़बा�नी)कहाु

    जाता था।

    َّیة َ رجب َِ

    बख़ार� ओर मस�लम क� �रवायत म� अब हरैरा रसल अ�लाह से �रवायत करत ेह�ु ु ु ूु

    "फ़रआ ओर अतीराह कछ नह�ं"ु

    ऊँटनी का पेहला ब�चा जो बत� के नाम पर िज़�हा �कया जाता " वोह फ़रआ” कहलाता था।ु

    ख़ास नमाज़ का ए�तमाम

    बाज़ लोग इस माह म� ख़ास नमाज़ सलात अलरग़ाइब पढ़त ेह�,रजब के पहले जमा क� रातु

    को बाराह रकआत छः सलाम से पढ़� जाती ह�,िजसम� सराह अख़लास के बाद हर रकअत म� तीन ू

    बार सराह अक़लास के बाद तीन बार सराह अल क़दर पढ़� जाती है, यह �बदअत चौथी सद� ू ू

    म� �श� हई िजसक� कोइ अस�लयत नह�,ंइमाम इ�न ेत�ैमयाह(रह)�लखत ेह� के तमाम ू

    उ�मा न ेइ�मा के साथ इस नमाज़ को मौज़(मन घङत)क़रार �दया है।ू

    उमराह का ऐहतमाम

    लोग इस माह म� ख़ासकर उमराह का ऐहतमाम करत ेह� जबके क़रआन ओर हद�स से इस बातु

    का कोइ सबत नह� ं�मलता के आप न ेइस माह म� उमराह अदा �कया हो ब�के ह�त आयशा ु ू

    न ेएक मौक़ा पर इसक� तरद�द भी क� है,उवा�ह �बन ज़बरै से �रवायत है के म� न ेआयशाرضي هللا عنھ ु

    से इसके बारे म� पछा तो फ़मा�याःू

    ُّ َ َ ما اعتمر رسول ِهللا ملسو هيلع هللا ىلص فِى رجٍب قط(صحیح بخارى) َ َ ُ َ َ َ َُ

    "रसल अ�लाह न ेरजब म� कभी भी उमराह अदा ना फ़रमाया।"ू

    बाज़ लोग इस माह म� ख़ास रोज़� का ऐहतमाम करत ेह�,सह� �रवायात से पता चलता है के

    आप न ेकभी मसलसल तीन माह(रजब,शाबान और रमज़ान) म� रोज़े ना रखे और ना ु

    ََ َ َالفرع وال عتیرةَ ََ ِ ََ

    رضي هللا عن ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص رضي هللا عنھ

  • रजब ओर शबेमेराज

    4

    इसक� ताक�द क�,बाज़ लोग २७ रजब का रोज़ा रखत ेह� और इस रोज़े को आम �दन� के

    रोज़� सेअफ़ज़ल समझत ेह�। कई अहाद�स से नबी कर�म का ख़ास �दन� या तार�ख़�

    म� न�फ़ल रोज़� का ऐहतमाम करना सा�बत है,जसैा के अ�याम बीज़ म�(हर क़मर� मह�ने

    क� १३,१४,१५ तार�ख़)या हर सोमवार और जमेरात को,ज़ल�ह�जा के पेहले अशरे म�,९,ु ु

    १० मोहर�म को या �फर कसरत से शाबान म�,इन तमाम के बारे म� सह� और मसतनद ु

    अहाद�स �मलती ह�,ले�कन २७ रजब के रोज़ेके बारे म� कोइ �रवायतॉ नह� ंहै,लेहाज़ा अगर

    कोइ ख़ास तौर पर इस �दन का रोज़ा रखता हो तो उसका रोज़ा तो हो सकता है मगर

    यह अमल मसनन नह� ंहोगा ब�के �बदअत शमार होगा।ू ु

    क़रआन कर�म म� इशा�द र�बानी हैु

    "ए लोगो जो ईमान लाऐ हो,अ�लाह और उसके रसल से आगे ना बढ़ो।"ू

    َٰ َ َُّ ُ َ َّدموا بیَن یَدی ِهللا ورسولِِھ ۔۔۔الحجرات١ ٰ ْیایھا الِذیَن امنوا ال تق ُ َ َ َ ْ َ ْ ُ ْ َ ْ َ ُِّ

    उमर इस माह म� �सफ़� ये के रोज़ा रखन ेसे मना �कया करत ेथे ब�के लोग� के

    हाथ� पर हाथ मारकर मजबर करत ेके वोह रोज़ा तोङद� �य� के माह रजब क� ताज़ीम ू

    ओर इसम� रोज़ा रखना दौर जा�ह�लयत क� रसम थी

    अलब�ता अगर कोइ श�स बतौर आदत हर माह चा�द क� १३,१४ ओर १५ तार�ख़ या

    पीर और जमेरात को रखता हो इस माह म� भी रख सकता हैु

    २२ रजब को कंड� का ऐहतमाम ू

    २२ रजब को "कंड े" भरना बतौर रसम �रवाज पा चका है, इस रसम म� �कसी ू ु

    म�नत के परा होन ेपर हलवा पर� ओर खीर वग़ैरा पकाई जाती है,तार�ख़ के पढ़न ेसे ू ू

    यह बात सामन ेआती है के इस रसम क� श�आत १९०६ म� अमीर मीनाइ के ख़ानदान ु

    से हई,जो �ह�द�तान के शहेर से ता�लक़ रखता था,इस रसम का मक़सद इमाम ु ुू

    जाफ़र(र)क� �ह को ईसाले सवाब पहँचाना था,हालाँ के इस बात का सह� पता नह� ं ु

    مصنف ابن ابی شیبھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عن

  • रजब ओर शबेमेराज

    नह� ंहो सका के इन इमाम क� पदैाइश या वफ़ात माह रजब म� हई थी।ू

    इ�लाम म� �कसी भी बरगज़ीदा शि�सयत क� पदैाइश के �दन ख़शी मनान ेया ख़ास ु ु

    सदक़ा व ख़रैात करन ेक� कोई ग�जाइश नह� ंहै,इसके अलावा कँड� का ना क़रआनु ू ु

    स�नत म� िज़� है, नाह� सहाबा कराम ताबईन या तबाताबईन के ज़मान ेम� ु

    इसका कोइ सबत �मलता है।ु ू

    असल द�न �या है ?

    हमारे �दमाग़ म� वाज़ह होना चा�हए के असल द�न �या है ?असल द�न वोह है जो

    अ�लाह तालाने मोह�मद के ज़�रए हम तक पहंचाया, यानी द�न अ�लाह ताला ु

    क� इताअत व फ़मा�बरदार�,उसके ऐहकामात के आगे सर झकाने ओर मोह�मद ु

    क� स�नत पर अमल करन ेका नाम है।ु

    इरशादे र�बानी हैः

    " आज म � न ेतमहारे �लए तमहारा द�न मक�मल कर �दया ओर तमपर अपनी ु ु ु ु

    नेमत तमाम करद� और तमहारे �लए द�न इ�लाम को पसंद कर�लया।"ु

    कोई भी ऐसा काम जो आप न ेना �कया और ना ह� उसका ह�म �दया,उसे द�न का �ह�सा ु

    समझत ेहए अदा करना और �फर उसपर अजर व सवाब क� तव�क़ो रखना �बदअत है।ु

    "बेशक हर नई बात �बदअत है और हर �बदअत गमराह� है और हर गमराह� आग ु ु

    म� लेजान ेवाल� है।"

    :�बदअती के बारे म� रसल अ�लाह का इरशादे मबारक है केू ु

    "अ�लाह ताला �बदअती क� तौबा क़बल नह� ंकरता जबतक के वोह �बदअत तरकु ू

    (छोङ)नह� ंकरता।"( सह� अलतरग़ीब व अलतरह�ब)

    َ َ َ ْ ًْ َ ْ ُ ُ َ ُ َ ُ ْ ْ الیوم اكملُت لكم دینكم واتممُت علیكم نعمتي ورضیُت لكم االسالم دینا (المائده)َْ ْ ْ َ ْ ْ َ ْ َِ ِ ِ ِ ِ ِ َْ ْ ْ ْ َ ْ َْ ُ َ َ َ َ

    ٌ ٌ ََّ َ ََ ُ َ ُ َكل محدثة بْدعة وكل بْدعة ضال لة و كل ضال لة فی النار ( سنن النسائى)ُ َ َ ِْ ٍ َ َ ٍ ٍَ َِ ُّ ِ ُّ ِ ُ ُّ

    رضي هللا عن

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    5

  • रजब ओर शबेमेराज

    आप न ेफ़मा�याःम� अपन ेहौज़ पर तमसे पेहले मौजद हंगा और तम म� से ु ू ुू

    कछ लोग मेरे सामन ेलाए जाऐंगे �फर उन ह� मेरे सामन ेसे हटा�दया जायगा तो म�ु

    कहंगा के ऐ मेरे रब! ये मेरे साथी ह� ले�कन मझसे कहा जायगा के आप नह� ंजानतेुु

    इनह� न ेआप के बाद �या �या नई चीज़� ईजाद करल� थीं। सह� बख़ार�)ु

    लेहाज़ा एैसे तमाम तर�क� और काम� से बचन ेक� ज़�रत है जो द�न के नाम

    पर आप के बाद ईजाद कर �लये गयेह�,�य� के आप न ेफ़मा�याः

    "िजस न ेहमारे इस द�न म� कोइ ऐसी चीज़ ईजाद क� जो इसम� ना हो तो वोह मरदद है।"ू

    २७ रजब क� शब को इबादत का ऐहतमाम

    दसर� �बदआत के अलावाह २७ रजब को रात जागकर इबादत करन ेऔर �दन को ू

    रोज़ाह रखन ेको भी बहत ऐह�मयत द� जाती है और इसक� �नसबत वाक़या मेराज से ु

    क� जाती है, हालांके नबी कर�म न ेअपनी िज़�दगी मबारक म� वाक़या मेराज केु

    बाद इस रात �कसी ख़ास इबादत का ना तो ऐ�तमाम �कया और ना ह� नबी कर�म

    का कोइ क़ोल या अमल २७ रजब क� शब ख़ास इबादत के बारे म� है, आप के जां�नसार

    सहाबा कराम या अज़वाज मताहरात म� से भी �कसी न ेइसका ऐ�तमाम नह� ंु

    �कया,इस�लए एैसे तमाम तर�क़� और काम� से बचन ेक� ज़�रत है जो द�न के नाम

    पर नबी कर�म के बाद ईजाद कर �लये गए ह�।

    वाक़या मेराज के ज़हर क� हक़�क़त अपनी जगह मस�लम है मगर यहुू

    भी एक हक़�क़त है के इसके �नमा होन ेक� तार�ख़ के बारे म� कम व बेश ३६ु

    मख़त�लफ़ अक़वाल �मलत ेह�, बाज़ के मता�बक़ यह वाक़या रबीउल अ�वल म� हआ,ु ु ु

    बाज़ ने रमज़ान, बाज़ न े�हजरत से च�द साल बाद और बाज़ न ेच�द माह क़�ल कहा।

    َ َْ َ ٰ ََ َ ٌّد" ( صحیح بخاری)َ ََ"مْن احدث فی امرنا ھاذا ما لیس منھ فھو ر ُ ُ ِ َ ْ ِ َْ ْ َْ ِ َ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    رضي هللا عنھ

    ملسو هيلع هللا ىلص

    6

  • रजब ओर शबेमेराज

    इसक� हतमी तार�ख़ �कसी सह� हद�स से यक़�नी तोर पर सा�बत नह� ंहै,ताहम यह बात

    तसल�म शदा है के नबी को म�क� िज़�दगी के आख़र� �ह�से म� यह ख़ास मशा�हदा करायाु ु

    गया,िजसम� हमारे �लये सीखन ेऔर अमल करन ेके �हत से पेहल ह�।ूु

    क़रआन पाक म� अ�लाह ताला न ेफ़मा�या हैःु

    "पाक है वोह (ज़ात)जो अपन ेब�दे को एक रात म� मि�जद अलहराम से मि�जद

    अक़सा तक ले गया,िजसके आसपास हमन ेबक� त रखी है ताके हम उसे अपनी बाज़

    �नशा�नया ं�दखाऐ ंयक़�नन वोह(अ�लाह ताला)ख़ब स�न ेवाला ओर ख़ब देखन ेवाला है।"ू ु ू

    इस आयत म� िजस वाक़या क� तरफ़ इशारा है वोह "इसरा" के नाम से मशहर है, इसरा के ू

    लफ़ज़ी मआनी ह� "रात को सफ़र करना,रात को चलना।"

    यह वह� सफ़र है िजसम� नबी कर�म को िजसम ओर �ह समतै मि�जद हराम

    (म�का)से मि�जद अक़सा(फ़ल�तीन) तक मो�ज़ाती तौर पर लेजाया गया,फ़�र�त� क�

    हमनशीनी का यह सफ़र उस ज़मान ेके हालात,असबाब सफ़र ओर फ़ासले क� तवालत

    क� व�ह से इ�सानी अ�ल व समझ से बालातर है ले�कन जसैा के आयत म� वाज़ह �कया

    गया "पाक है वोह (ज़ात)जो अपने ब�दे को लेगया "तो िजस ज़ात म� कमाल क़�त हो ु

    वोह सब कछ कर सकता है।इस हैरत अगेंज़ और ईमान अफ़रोज़ सफ़र क� तफ़ासील ु

    बख़ार� और मि�लम समतै अहाद�स क� दसर� �कताब�म� मोजद ह�।ु ु ू ू

    आग़ाज़ सफ़र ओर शक़ स�

    अनस �बन मा�लक से मरवी है के "मेराज क� रात,जब बतै�लाह से नबी कर�मु

    को लेजाया गया,तो वह� आन ेसे क़�ल आप के पास तीन फ़�र�त ेआए,उस वक़त आप

    ْ ْ ْ ْ ََّ َْ ٰ ٓ َٰ ً َسبحن الذی اسری بعبده لیال من المسجد الحرام الی المسجد االقصا َ َْ ْ ْ ْ ْ ْ ْ َُ ِ ِ َ َ ِ ِ ِ َ ِِ ِ َِ َ ِّ ِ

    ْٰ ََّّ َ ُ َ َٰ ْ ُُالذی بركنا حولھ لنریھ مْن ایتنا انھ ھو السمیع البصیرٰ ْ َ ُ ْ َّ ُ ُ َ ُ َ َ ِْ ِ ِ ِ ِ ِ ْ َِ ِٔبنی اسراییل١

    ملسو هيلع هللا ىلص

    7

  • रजब ओर शबेमेराज

    आप मि�जद हराम म� सो रहे थे,उनम� से एक न ेपछाःू

    "वोह कोन ह� "दसरे न ेजवाब �दया "वोह इनम� सबसे बेहतर ह� "तीसरे न ेू

    कहा "इनम� जो सबसे बे�तर ह� उ�ह� लेलो "उस रात इतना ह� वाक़या पशै आया ओर

    नबी न ेइसके बाद उ�ह� नह� ंदेखा,यहा ंतक के वोह दसर� रात आए जबके आपका �दल ू

    देख रहा था और आप क� आखँ� सो रह� थी ंले�कन �दल नह� ंसो रहा था, तमाम

    अि�बया क� नी�द ऐसी ह� होती है, उ�ह�न ेआप से कोइ बात ना क� यहा ंतक के आप

    को उठाकर चाह ज़म ज़म के पास �लटाया,यहा ंिज�ील(अ)न ेअपना काम संभाला और

    सीना मबारक गद�न तक ख़द अपन ेहाथ से चाक �कया,और सीना और पेट क� तमाम ु ु

    चीज़� �नकाल कर उ�ह� अपन ेहाथ से ज़म ज़म के पानी से धोया,जब ख़ब धोचके तो ू ु

    आप केपास सोन ेका ऐक तशत लाया गया,उसम� सोन ेका एक बङा �याला था जो

    �ह�मत ओर ईमान से पर था,उससे आप के सीन ेऔर गले क� रग� को पर क�द�या ु ु

    ओर सीना मबारक �फर से सी�दया गया।" (सह� बख़ार�,�कताब अ�तोह�द)ु ु

    मि�जद अ�हराम से मसिजद अक़सा तकः इसरा

    ह�त िज�ील (अ)बराक़ के साथ तशर�फ़ लाए,यह गधे से बङा और ख़�चर सेु

    छोटा एक जा�वर था,जो अपना खर अपनी �नगाह के आख़र� मक़ाम पर रखता था,ु ु

    उस वक़त नबी मि�जद हराम म� थे,आप िज�ील(अ)के साथ बतै�मक़दस म� ु

    तशर�फ़ लाए और वहा ंिजस ह�क़े म� अि�बया अपनी अपनी सवा�रया ंबांधत ेथे,उसी

    म� अपनी बराक़ को बांध �दया,�फर मि�जद अक़सा म� दा�ख़ल हए,दो रकअत नमाज़ ु ु

    पढ़� ओर उसम� अि�बया क� इमामत फ़मा�इ,उसके बाद आप के पास शराब,दध औरू

    शहद के बतन� लाए गए आप न ेदध पसंद फ़मा�या,िज�ील(अ) न ेकहाः "आपू

    न े�फ़तरत पाई,आपको �हदायत नसीब हई और आप क� उ�मत को भी।" ू

    (बहवाला म�नद ए�मद)

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    ملسو هيلع هللا ىلص

    8

  • रजब ओर शबेमेराज

    मि�जद अक़सा से आप को आलम बाला म� लेजाया गया,मेराज अरबी म� सीढ़� को

    कहत ेह� जो ऊपर चढ़न ेके �लए इ�तमेाल होती है,इस �नसबत से सफ़र के इस �ह�से

    को भी मेराज �हा गया, बेशतर मफ़�सर�न के नज़द�क सरह अलन�म क� नीच ेद� ु ू

    गई आयात वाक़या मेराज क� दल�ल ह�।

    "और एक मरतबा �फर उसन े�सदरतल म�तहा के पास उसको उतरत ेदेखा,जहा ंपास ु ु

    ह� ज�नत अलमावा है,उस वक़त �सदराह पर छा रहा था जो कछ छा रहा था,ना ु

    �नगाह च�धयाइ ना हद से मतावज़ हई और उसन ेअपन ेरब क� बङ� बङ� �नशा�नया ंु ु ू

    देखीं। "

    ऊपर द� गई आयात म� नबी कर�म के आसमान� क� तरफ़ जान ेऔर

    �सदरा�तल म�तहा और उसके आस पास क� चीज़� को देखन ेका सबत �मलता है।ु ु ू

    सफ़र आसमान

    मि�जद अक़सा म� तमाम अि�बया क� इमामत के बाद सवार� के �लए बराक़ पेश ु

    �कया गया,आप दोबारा उसपर सवार होकर पहले आसमान तक गए, िज�ील(अ)न े

    आसमान का दरवाज़ा खलवाया,फ़�र�त� क� तरफ़से पछा गयाः "कौन ह� ?"ु ू

    िज�ील(अ) न ेफ़मा�याः" म � िज�ील(अ) हं "पछा गयाः"साथ कौन ह� ?"बताया गयाःूू

    "मोह�मद ह� "पछा गयाःइ�को पग़ैाम इलाह� देकर भेजा गया है ?" िज�ील(अ)न ेू

    कहाः "हाँ "तब अ�दर वाले फ़�र�त ेन ेसनकर कहा "मरहबा! आप बहत अ�छे आएु ु

    " आप फ़मा�त ेहैः "म � वहा ंपहंचा आदम(अ)मोजद थे,िज�ील(अ)न ेकहा के यह ूु

    आपके बाप आदम(अ) ह�,इ�ह� सलाम क�िजए, म � न ेउ�ह� सलाम �कया तो आप(अ)

    ْ ُٰ ًْ ْ ْ ْ ْ ْ ْ َ َْ َّ ٰ ٰ ُ َ َْٰ َولقْد راه نزلة اخری عند سْدرة المنتھی عندھا جنة الماوی اذ یغشیَ َ َ ََ ِ َ ِ ِ َ ِ ِ ُ َ ََ ُ

    ٰٰ ٰ َ َْ ْ ٰ َْٰ ُ ٰ َ ْ السْدرة مایغشی مازاغ البصر وماطغی لقْد رای مْن ایت ربھا لكبری النجم ١٣ ١٨ََ ِّ ُ َِّ ِ ِ َ َ َ َ ََِ َ َ َ

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  • रजब ओर शबेमेराज

    ने जवाब �दयाः "मह�बा! फ़रज़�द सालेह,नबी सालेह और आप क� नब�वत का ु

    इक़रार �कया।" (सह� बख़ार�ः�कताबअलतोह�द)ु

    एक और �रवायत है के आप न ेआसमान द�नया म� एक बज़ग � श�स को ु ु ु

    बेठे देखा,िजसके दा� और बा� तरफ़ कछ सरत� नज़र आ�,दा� तरफ़ दे�त ेतो वोह ु ू

    बज़ग � हंसत ेऔर बा� तरफ़ दे�त ेतो रोत,ेम�न ेिज�ील(अ)से पछाः "यह कौन ु ु ू

    ह� ?"तो जवाब �दया गया, "आदम(अ)ह�,यह दा� तरफ़ वाल� और बा� तरफ़ वाल�

    सरत� इनक� औलाद ह�,दा� तरफ़ वाले ज�नती ह� और बा� तरफ़ वाले दोज़ख़ी ह�,ू

    इस�लए एक तरफ़ दे�कर हंसत ेह� और दसर� तरफ़ देख कर रोत ेह�।"ू

    (सह� बख़ार�ः�कताब अलसलात)ु

    "नबी कर�म फ़मा�त ेह�: "िज�ील (अ) मझ ेलेकर आगे बढ़े और दसरे ु ू

    आसमान तक पहंचे,�फर उसी तरह सवाल जवाब हए,वहा ंमझ ेईसा(अ) और ुु ु

    याहया(अ)�मले जो बाहम ख़ाला ज़ाद भाई भी ह� । िज�ील(अ) न ेकहा यह ईसा(अ)

    और याहया(अ)ह� इ�ह� सलाम क�िजए। म � न ेसलाम �कया दोन� न ेजवाब �दया

    �फर कहा मह�बा! �बरादर सालेह और नबी सालेह ओर आपक� नब�वत का इक़रारु

    �कया,�फर इसी तरह उ�से कछ बात� ह� ।"(सह� बख़ार�,�कताब अलसलात)ु ुू

    उसके बाद मझ ेलेकर तीसरे आसमान क� तरफ़ चढ़े और दरवाज़ा खलवाया पछा ु ु ू

    गयाः"कौन?" िज�ील(अ) न ेकहाः"म � हं" पछा गयाः"साथ कोन ह�?" उ�ह�न ेकहाः ूू

    "मोह�मद " पछा गयाः "इनके पास पग़ैामे इलाह� देकर भेजा गया है?" ू

    िज�ील(अ) न ेकहा "हाँ" फ़�र�त� न ेयह स�कर कहा मरहबा! आप बहत अ�छे ु ु

    आए "दवा�ज़ा खोला गया,वहां पहंचे तो देखा के वहा ंयसफ़(अ)मोजद ह�,िज�ील(अ)ू ु ूु

    न ेकहा यह यसफ़(अ)ह�,सलाम क�िजए,म � न ेसलाम �कया उ�ह�ने जवाब �दया,ू ु

    उ�ह�न ेकहा मरहबा! �ादर सालेह और नबी सालेह और आपक� नब�वत का इक़रार ु

    �कया।"(बख़ार�,�कताब अ�तोह�द) ु

    एक और �रवायत म� है आप न ेफ़मा�याः म � न ेयसफ़(अ) को देखा अ�लाह न ेू ु

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  • रजब ओर शबेमेराज

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    हसन का आधा �ह�सा उ�को �दया था।“ (सह� मस�लम,�कताब अलईमान)ुु

    इस के बाद िज�ील(अ) मझ ेलेकर आगे बढ़े, चौथ ेआसमान पर इसी तरह सवाल ु

    जवाब हए,इ��स(अ)वहा ंमोजद थे,सलाम दआ हई उ�ह�न ेभी इसी तरह �ादर सालेह ू ुु ू

    और नबी सालेह क�कर मरहबा कहा और आप क� नब�वत का इ�रार �कया इ�के ु

    बाद िज�ील(अ) पांचव� आसमान तक आगे बढ़े,वहा ंभी उसीतरह सलाम दआ हइ,ु ू

    हा�न(अ)वहा ंमोजद थे,उ�ह�न ेभी नबी सालेह,�ादर सालेह क�कर मर�बा कहा ू

    और आप क� नब�वत का इक़रार �कया,इ�के बाद आगे छटे आसमान तक चढ़े, ु

    दरवाज़ाह ख़लवाया गया और इसी तरह सवाल जवाब और मरहबा कहा और आप ु

    क� नब�वत का इक़रार �कया,यहा ंपर मसा(अ)थ,ेआप उ�ह� छोङकर आगे बढ़े तो वोह रोनेु ू

    लगे,पछा आपके रोन ेक� वजह �या है ?उ�ह�न ेकहा "म � इस�लए रोता हं के यह ू ू

    नौजवान पग़ै�बर(नबी) मेरे बाद मबऊस हए,इ�क� उ�मत के लोग मेर� उ�मत के ु

    लोग� से �यादा तादाद म� ज�नत म� जाऐंगे। "

    इस के बाद सातव� आसमान पर पहंचे ओर दरवाज़ाह खलवाया पछा गयाः "कौन ?ु ूु

    "कहाः "म � िज�ील हं "पछा गयाःत�हारे साथ कौन है ?"उ�ह�न ेकहा "मोह�मद ह� ू ुू

    "पछा गयाः "उ�के पास पग़ैाम इलाह� देकर भेजा गया है ?"िज�ील(अ) न ेकहाः "हाँू

    " फ़�र�त� न ेयह स�कर कहा केः "मरहबा! आप बहत अ�छे आए" जब म � वहा ंपहंचाु ु ु

    तो इ�ाह�म(अ)को मोजद पाया,िज�ील(अ)न ेकहा,यह आपके जद अ�जद इ�ाह�म(अ)ू

    ह�,इ�ह� सलाम क�िजए,म � न ेउ�ह� सलाम �कया उनह� न ेजवाब �दया और फ़मा�याः

    मरहबा! फ़ज़�� द सालेह,नबी सालेह और(बेटा कहकर पकारा)आप क� नब�वत का ु ु

    इक़रार �कया,वहा ंइ�ाह�म(अ)बतै लमामर के साथ टेक लगाकर बेठे हए थे। ु ू ु

    (सह� बख़ार�,�कताबु

    अलख़�क़)

    स�यदेना इ�न ेअ�बास से मरवी है आप ऐक ऐसे मक़ाम पर पहंचे,जहा ंपरु ु

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    رضي هللا عن ملسو هيلع هللا ىلص

  • रजब ओर शबेमेराज

    िज�ील(अ)ने आप का साथ छोङ�दया,तो इसपर आप न ेफ़मा�याः "ऐसे

    मक़ाम पर कोइ दो�त अपन ेदो�त को नह� ंछोङता,आप मेरा साथ �य� छोङ रहेु

    ह� ?" िज�ील(अ)न ेफ़मा�याः "अगर म � इस मक़ाम से आगे बढ़ं तो नर से जल ु ूू

    जाउँगा।" (स�न बह�क़�)ु

    इ�के बाद आप को "�सदरातलम�तहा "तक लेजाया गया। इ�के बेर �ह� ु ु

    के मटक� के बराबर और उ�के प�त ेहाथी के कान क� तरह थे। �फर इसपर सोन े

    के पतंगे छागए और अ�लाह के ह�म से जो कछ छाना था छा गया। उससे वोहुु

    �सदराह(बेर� का दरख़त)त�द�ल होकर इतना ख़बसरत होगया के अ�लाह क� कोई ू ू

    म�लक़ उसका ह�न बयान करन ेक� ताब नह� ंरखती।उस वक़त अ�लाह ताला नेू ु

    अपन ेब�दे को वह� फ़मा�ई और आप पर और आपक� उ�मत पर पचास वक़त

    क� नमाज़� फ़ज़ � क� ं।वापस आत ेहए मसा(अ) से आप क� मलाक़ात हई,तो ू ुु ू

    उ�ह�न ेदया�फ़त �कया के आपको �या ह�म �मला ?आप न ेफ़मा�याः "ऐकु

    �दन रात म� मझ पर और मेर� उ�मत पर पचास नमाज़� फ़ज़ � क� गई ह�,"मसा(अ)ु ू

    ने कहाः"आप क� उ�मत ऐक �दन रात म� पचास नमाज़� ना पढ़ सकेगी,म �

    बनी इ�ाईल का तजबा� कर चका हं,आप कमी क� दर�वासत लेकर अपन ेरबु ू

    के पास जाऐ,ं"मसा(अ)के फ़मा�न ेपर आप अ�लाह के पास वापस गऐ ओर ू

    कमी क� दर�वा�त क�,अ�लाह ताला न ेआप क� दर�वा�त को कबल फ़मा�ु ू

    कर दस नमाज़� क� कमी फ़मा�ई,इ�के बाद आप मसा(अ)के पास आऐ तोू

    उ�ह�न ेपछा �या हआ ?आप ने फ़मा�या दस नमाज़� क� कमी करद� गई है ू ु

    यह स�कर मसा(अ)न े�हा आप �फर वापस जाइये ओर कमी क� दर�वा�तु ू

    क�िजये,आप वापस गऐ ओर अ�लाह ताला से कमी क� दर�वा�त क�,

    अ�लाह ताला न ेइ�के बाद दस नमाज़� क� कमी करद�, य ंआप क� मसा(अ)ू ू

    और अ�लाह ताला के द�मय� ान आमदो रफ़त जार� रह�,यहा ंतक के अ�लाह ताला

    न ेपांच नमाज़� करद�,ंइ�के बाद आप �फर वापस आऐ तो मसा (अ)न ेकहा ू

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  • रजब ओर शबेमेराज

    जाओ और कमी करवाओ आप न ेकहाः "अब मझ ेशम � आती है,जो अ�लाहु

    ताला न ेफ़ज़ � �कया है उ�पर राज़ी हं,"आप न ेफ़मा�याः "जब म � वहा ंसे वापस ू

    आया तो एक पकारन ेवाले न ेपकार कर कहाः "म � न ेअपना फ़ज़ � परा कर �दया औरु ु ू

    ब�द� के �लए कमी करद�,यह पांच नमाज़� अजर म� पचास के बराबर ह�गी।"

    (बख़ार�,�कताब बदअलख़�क़) ु

    इ�के अलावाह कछ और मशा�हदात का दसर� �कताब� म� िज़� है। सरत अल बक़राहु ु ू ू

    क� आख़र� दो आयात भी अश � के ख़ज़ान ेसे अता क� ग� ।

    नेहर कौसर और ज�नत का मशाहेदाहु

    �स�ातलम�तहा पर बहत से अजाइबात का मशा�हदाह करन ेके बाद रसल ु ु ु ूु

    अ�लाह न ेफ़मा�याः"�फर मझ ेज�नत म� लेजाया गया,तो म � न ेवहा ंदेखा के ु

    मो�तय� के क़बे ह� और उ�क� �मटट� क�तर� है।" (मि�लम,�कताब अलईमान) ज�नतु ू ु

    म� आप न ेनेहर कौसर का मशाहेदाह फ़मा�या,हज़रत अनस से �रवायत है के नबी ु

    कर�म न ेफ़मा�याःम � ऐक नेहर पर आया उसके दोन� �कनारे मो�तय� और क़ब� केु

    थे म � न ेपछाः" िज�ाईल यह �या है?" िज�ाईल(अ) ने कहाः"यह कौसर है।" ू

    (सह� बख़ार�,�कताब अल�रक़ाक़)ु

    इ�ाह�म(अ)का उ�मत मोह�मद के नाम ख़ास पग़ैाम

    इ�न ेमसऊद बयान करत ेह� के रसल अ�लाह न ेफ़मा�याः" मेराज क� रात ू

    मेर� मलाक़ात हज़रत इ�ाह�म(अ)से हई,उ�ह�न ेकहाः ऐ मोह�मद अपनी उ�मतु ू

    को मेरा सलाम क�हये ओर उ�को बताइये के ज�नत क� �मटट� बङ� उ�दाह,इ�का पानी

    मीठा है,ले�कन वोह च�टयल मदै ान है(इ�म� का�तकार� क� ज़�रत है)और उसक�

    का�तकार�, है(अ�लाह पाक है,और तमाम तार�फ़ अ�लाह ह� के �लए है,उसके �सवा

    कोइ इलाह नह�,ंऔर अ�लाह सबसे बङा है। (जामे �त�मज़ी)

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  • रजब ओर शबेमेराज

    ग़ीबत करन ेवाल� का अ�जामेबद(बरा अ�जाम)ु

    अनस से �रवायत है के रसल अ�लाह न ेफ़मा�याः मेराज के मौक़े पर मेरा गज़र ू ु

    ऐसे लोग� के पास से हआ, िजनके नाख़न पीतल के थे वोह अपन ेचेहर� और सीन� ुु

    को नोच रहे थे,म � न ेपछाः"िज�ील(अ)यह कौन लोग ह� ?िज�ील(अ)न ेकहाः "यह ू

    वोह लोग ह�,जो लोग� का गो�त खाया करत ेथे ओर उन क� ग़ीबत �कया करत ेथे। "

    (स�न अबी दाऊद,�कताब अलअदब) ु

    बेअमल ख़तबा का इ�त नाक अ�जाम ु

    अनस से �रवायत है के रसल अ�लाह न ेफ़मा�याः"म � न ेमेराज क� रात ू

    कछ लोग� को देखा के उनके मँह आग क� क़� �चय� से काटे जारहे ह�,म � न ेपछा ु ू ू

    "िज�ील(अ) यह कौन लोग ह� ?" िज�ील(अ)न ेकहा"यह आपक� उ�मत के वोह

    ख़तीब ह� जो लोग� को तो भलाईय� का ह�म देत ेह� ओर ख़द उन पर अमल नह� ंुु

    करत,ेहालांके वोह �कताब भी पढ़त ेह�, पस वोह नह� ंसमझत।े"

    (शरह अलस�नत �ल�बग़वी)ु

    बयान इसरा और मेराज पे एहले म�का का रददेअमल

    इसी रात नबी कर�म वापस म�का तशर�फ़ लेआए। मोलाना ज़फ़र अल� ख़ान न े

    �या ख़ब कहा हैः ू

    ज़�जीर भी �हलती रह� �ब�तर भी रहा गम �

    एक पल म� सरेअरश गए आए मोह�मद

    अगल� स�ह आप न ेक़ौम को गिज़�ता रात के बारे म� बताया।ु ु

    सह� मि�लम म� है के अ�लाह के रसल न ेफ़मा�याः"मेराज का वाक़या जब ु ू

    म � न ेमश�रक�न को सनाया,तो उ�ह�ने उसक� तरद�द और त�ज़ीब क�(इ�कारु ु

    �कया ओर झटलाया),�कसी न ेता�लया ंबजा� और �कसी न ेता�जब और इ�कार ु ु

    से हाथ अपनेसर पर रख�लया। कछ लोग अबब�ु ु

    के पास गऐ ओर उनह� इसक� ख़बर द�।वोह एक पकैर �सदक़ व ईमान थे,कहन ेलगेः

    " अगर यह बात आप न ेफ़मा�इ है, तो सच फ़मा�इ है।"

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    رضي هللا عن

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  • रजब ओर शबेमेराज

    लोग� न ेकहा "आप भी उन क� तसद�क़ करत ेहै।"आप ने जवाब �दयाः"म � तो इससे

    भी बङ� बात पर आप क� तसद�क़ करता हं,आसमान से स�ह शाम जो ख़बर अती है,ुू

    म � उसम� भी आप को स�चा मानता हं।" इसी पर उनका लक़ब "�सदद�क़" ठेहरा।ू

    ईज़ारसानी और बेयक़�नी के जज़बात से मग़लब क�फ़ार न ेआप का इ�तहान ू ु

    लेने क� ठानी,पछा के बतैलक़दस कैसा है और उसक� �या अलामत� ह� ?सह� ू

    मि�लम म� आप का इरशाद नक़ल है "के अ�लाह ताला न ेबतैलमक़सद मेरे ु

    सामन ेज़ा�हर फ़मा�या और जो,बात� और �नशा�नया ंमश�रक�न मालम करत ेम � देखु ू

    देखकर बताता जाता,"य ंवोह आप क� तरद�द ओर त�ज़ीब का जो जज़बा �लए ू

    आए उसक� य�सर नफ़� हो गई,यह� कहसके के जहा ँतक औसाफ़ का ता�लक़ है तोु

    आप न े�ब�कल ठ�क ठ�क बयान �कए ह�,उ�ह�न ेअपन ेएक क़ा�फ़ले के बारे म� ु

    सवाल �कया जो म�क शाम से आरहा था,आप न ेउस क़ाफ़ले के एहवाल,उ�के पहं�नेु ु

    का वक़त ओर जो ऊँट आगे आगे आरहा था उन सबक� ख़बर द� और जसैा आप न े

    बतलाया था,�ब�कल उसी तरह हआ,आपने कछ और बात� भी बता� ओर बादम� आनेु ुु

    वाले क़ा�फ़ल� से इसक� तसद�क़ हो गई,इस तरह ज़बान� ब�द हो ग�,मगर �दल यह�

    सोचत ेरहे के यह कैसे होसकता है ?अब भी बहत से लोग यह� सोचत ेह� के यह कैसे ु

    होसकता है,हालांके अ�लाह ताला हर चीज़ पर क़ा�दर है ओर जब वोह �कसी बात का

    इरादा कर लेता है तो उसे �सफ़� "कन" "होजा" कहन ेक� ज़�रत होती है ।ु

    मेराज के दोरान नबी कर�म को जोभी मशाहेदात करवाए गए,उनम� हमारेु

    �लए बहत से सबक़ ह�,िज�म� से एहमतर�न यह है के हम अपनी नमाज़� क� पाब�द� ु

    कर� िजनका ह�म अ�लाह ताला न ेइस मौक़े पर नबी कर�म को �दया,उस ज�नतु

    के �लए को�शश कर�,िजसका मशाहेदा आप न ेख़द फ़मा�या,इ�ाह�म(अ)के ख़ससी ु ु ु ू

    पग़ैाम के मता�बक़ कसरत से िज़� इलाह� कर�,दसर� क� ग़ीबत से परहेज़ कर�,और ु ू

    जो बात दसर� को कह� उस पर ख़द भी अमल कर�।ू ु

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  • रजब ओर शबेमेराज

    अल हदा एक नज़र म�ु अल हदा इ�टन���ल वे�फ़ेर फ़ौ�दे�न मा�े से जहालत और ुइ�लास दर करने के �लए हर तरह के तासबात(भेद भाव) से उपर ू ु

    उठकर �दनी �श�ा के बड़ावे और तर�क़� के �लए १९९४ से काम

    कर रह� है।क़रआने �जीद का सीधा फ़हम (समझ) हसील करने के ु

    �लए सं�था म� मह�लाओ ं और ��याओ ं के �लए अलग अलग अव�ध

    और समाय के �ड�लोमा और स�ट��फ़�ट कोस � करवाए जात ेह�।

    तल�मल क़रान कोस � म� क़रआने �जीद श�द अथ � और �ववरण के साथ ु ु ु

    उ�चारण(��वीद),हद�स न�वी �सरत न�वी �फ़ख अल इबादातऔर कई �वषय पडाए जात े ह�

    तल�मल हद�स कोस � म� बखार�, �रयाज़स सा�लह�न,और अ�य हद�स ु ु ु

    क� प�ताक� के चने हए �ह�स� के अ�था उसले हद�स और उसले ु ु ू ूु �फ़ख जसेै �वषय भी पा�य�म (�नसाब) म� शा�मल है।इन कोर�्ज़ क�

    �श�ा को �द���प और आसान बनाने के �लए स�ने और देखने ु

    वाले आकण � का उपयोग भी �कया जाता है।छा�ाओ ं म� पठन और

    अनसंधान का शौख के �लए अ�य बरानचस म� प�तकालए खाइम �कयेु ु

    गए ह�।�श�ा के �लए दर दराज़ जगह� से आने वाल� छा�ाओ ं के रे�ने ू

    के �लए हाि�टल क� स�वधा भी है। गर�ब छा�ाओ ं को छा�वि�तु ृ

    (सकोलर �शप)भी द� जाती ह�।

    खत व �कताबत (प� - �यवहार )कोस:� वो लोग जो �कसी कारण से

    सं�था म� आकर �नय�मत �श�ा नह�ं पा�कत े इन के �लए प� -

    �यवहार कोस � से अकेले या �प म� घर बठै े कोस � करने क� स�वधाु ु

    भी है आन लाईन कोस:� ई�टन�ट के ज़�रए और उद� और अगंरेज़ी ु

    ज़बान म� अलग अ�ग समय और अव�ध के आन लाईन कोस � ��ततु

    �कए जात ेह� छोट� अव�ध के कोस:� ब�च�,��याओ ं और मह�लाओ ं के

    �लए गम�य� क� छ�ीय� म� ��मर कोस � कवा�ए जात ेह�।ु

    इस के अ�था गावं क� ��याओ ं के �लए रौ�नी का सफ़र और गर�ब

    लोग� के �लए रौ�नी क� �करन जसै े कोसज़� करवाए जात ेह�।

    ह�तावार कोस:� मस�फ़ मह�लाओ ं और ��याओ ं के �लए रौ�नी क�

    जा�नब और �रया�लट� �च के नाम से उद� और अगंरेज़ी ज़बान म�ु

    ह�तावार कोस � करवाए जात ेहै

    ملسو هيلع هللا ىلص ملسو هيلع هللا ىلص

  • हमारे ब�चे �ो�ाम:ब�च� क� उमर,ज़��रयात और �दि���पय� को देखत ेहए ह�तावार ु

    �ो�ाम �मना�ल इ�लाम करवाया जाता है।नज़रा क़रान पड़ाने के अ�था अलहदा क� ु ु

    बाज़ �ा�चेस म� �ह�ज़ क़रान मजीद क� सवीधा भी उपलवद है।ु ु

    दरस क़रान:�नया�मत कोस � के अलावा आम लोग� क� सवीधा के �लए �तलावत क़रानु ु ु

    मजीद श�द अथ � और �ववरण और �शन उ�तर पर हफ़तावार द�स क़रान का भी ु ु

    ए�तमेाम भी कई जगाह पर �कया जाता है।

    इ�लामी मह�न� क� मह�व उजागर करने के �लए �वशषे ले�चेस � के अलावा

    मालमाती �कताब� और पाि�फ़�ट म�त बांट� जाती है।�नय इयर,वा�ले�टाईन ड,ेब��त ू ु ु

    और ऐ�ेल फ़ल जसेै मौके पर भी मागद� शन� के �लए �ल�खत साम�ी बांट� जाती है।ू

    इ�लामी मह�न� क� मह�व उजागर करने के �लए �वशषे ले�चेस � के अलावा मालमाती ू

    �कताब� और पाि�फ़�ट म�त बांट� जाती है।�नय इयर,वा�ले�टाईन ड,ेब��त और ऐ�ेलु ु

    फ़ल जसेै मौके पर भी मागद� शन� के �लए �ल�खत साम�ी बांट� जाती है।ू

    रमज़ानल मबारक म� फ़हम अल क़रान के नाम से क़रान मजीद अथ � और छोटे ु ु ु ु

    �ववरण के �ो�ाम अनेक जगाह� पर कराए जात े ह�

    हज और उमरह के हाजीय� के �लए �े�नगं �ो�ाम �कए जात े ह�।खशी व गमी केु

    समय पर भी लोग� क� �दनी मागद� शन� और सीखने �सखाने क� �यव�था क�

    गई है। मानव सेवा �वभाग

    अ���द�ललाह सामािजक क�याण �वभाग के अ�य योजनाओ ं के तहेत यह सारे काम ु

    �कए जारहे ह�।

    *अपनी म� आप के तहत ज़�रत म�द� को अपने पाऊं पर खड़ा करने के �लए ठेले ु

    और �सलाई मशीने महैया(�ा�त) कराई जाती है।ु

    *बेवाओ ं और यतीम� को महाना वज़ीफ़े और ज़�रत म�द ख़ा�दान� को राशन और कपड़ े

    महैया कराए जात ेह�।ु

    *सकल और कालेज के ब��मान मगर गर�ब छा�� क� पढ़ाई खच � के �लए छा�वि�तू ु ृ

    (सकोलर �शप) क� सवीधा उ�लव है।ु

    *ह�पताल म� रो�गय� के �लए अ�य सवीधाओ ं और �च�क�सा सहायताऐं �दान कराई जानेु

    के अलावा दखी और मायस रो�गय� क� �ह��त बड़ाई जाती और उ�क� �दलजोई क� ु ु

    जाती है

    *मेरेज �बयरो के तहत ल�के और लड�कय� के �लए अ�छे �रशत ेतलाश �कए जात े ह�।ु

    *गर�ब ल�के और लड�कय� के �लए ज़�रत के सामान महैया कराया जाता ह�। ु

    *मौत के मौके पर कफ़न महैया कराने और मह�ला म�ै त के ग��ल का ु ु

    इ�तज़ेाम �कया जाता है।

  • *सलैाब,भ�म या �कसी द�ट�ना क� सरत म� हर संभव साहेता क� जाती है।ू ु ू

    *सखे और �भा�वत जगह� म� कऐं क� खदाई पानी क� आप�त � का �बंध ू ु ु ू

    �कया जाता है।

    *ईद अज़ाहा के मौके पर क़रबानी ज़�रत म�द लोग� को गो�त पहंचाने केु ु

    �लए एक� क़रबानी का �बंध �कया जाता है।ु

    *ज़�रत म�द लोग� को पसै े के साथ साथ उन क� पडाई �लखाई के �लए

    कछ बि�तय� मे �श�ण क� � बनाए जात ेह�।ु

    �सारण �वभाग

    क़राने मजीद को हर आदमी तक पहंचाने के �लएु

    ओ�ढयो �व�न �वभाग के तहत खरान मजीद क� �खरात,श�द अथ � और �ववरणु

    के साथ हद�स न�वी �थनाओ ं और रोज़ के िज़��गी के म�ल� के बरे म�

    मारगदशन� के �लए अनेक ले�चस � क� औ�ढयो के�स�स,�सढ�ज़ और �व�सढ�ज़ क�

    तयैार और म�हया कराए जात े है|ु

    अनसंधान और �काशन के तहत इ�लामी प�तक� ,रोज़ाना के िज़��गी के बारे म�ु ु

    �दनी मार���न के �लए पाम�फ़टस और कडज़� क� तयैार�।

    *ज़ाती,खानदानी और मा�ती मसा�ल के हल के �लए मलाकात,प� और ई-मलैु

    के ज़�रए मार���न और मशा�वत � �दजाती है।ु

    *अनेक �म रे�ढयो �टे�न,�टवी और के�ल चनैलस से श�द अथ � और खरान ु

    �ववरण के पो�ाम का �साण � �कया जाता है।

    *वेब साइट के ज़�रए �ल�खत और ओ�ढयोज़ �� ड़ौ�लोढ करने क� सवीधा ु

    �ा�त है।

    एक� ल�य-एक� �यास

    आइये हम सब �मल कर क़रान मजीद क� रो्शनी से हर �दल को रौ�न कर� औरु

    अपने समय ,पंजी और ��वर� से स�खे जा�रया के काम� म� बड़ चड़ कर �ह�सा ू

    ल� अपने धन �नचे �दए गए अ�को�ट म� जमा करवा सकत े ह�

    *अ�को�ट नंबर:A/C36-60-0-00044

    अल बका� इसलामी ब�क,िज��ह अ�व�नय,इसलामाबादु

    *फ़ारन करनसी अ�को�ट:A/C 990006-3 (डालर)

    ने��ल ब�क,काप�रेट �ांच,स�पर मा�क� ट,इसलामाबादु

    नोट: सं�था को �म�ने वाला धन आय कर-म�त है।ु

    ملسو هيلع هللا ىلص

  • AlHuda Welfare Trust IndiaPost Box Number 444

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