alankar
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गो�वर्ध�न लाला त्रे�हन
सरस्वती� बाला मन्दि��रवरिरष्ठ मध्यमिमक विवद्यालाय
द्वार :-
वि य!क म"य�
न�लाम
हि�न्दी� अलंका�र
अलंका�र
जि�स प्रका�र एका स�न्दीर� हि�भि�न्न आ��षणों� द्वा�र� अपने शर�र का" स��ती� �$, उस� प्रका�र काहि� �� अपने� काहि�ती� का" हि�हि�ध शब्दी � अर्थ) यो"�ने�ओं स स��ती� �$। � स�सज्जि.ती शब्दी � अर्थ) यो"�ने�ए/ �� का�व्य में2 अलंका�र का�लं�ती� �3।
ती�लंस�दी�सकाबी�रदी�स
में�र�
में��दी ��
�में�)
र�में ने�में मेंहिने द्वा�प बीरू ���-दी �र� द्वा�र।
में�टी� का� का� म्��र स , ती� क्यो� र�दी में"यो।एका दिदीने ऐस� आएगा�, में3 र�दी�गा� ती"यो।।
शब्दी���षणों
पाय� जी� म%न� रमरतीन र्धन पाय�।
हिकातीने� कारुणों� हिकातीने सदी श। पर्थ में2 हिबीछ ��ती बीने पर�गा।।
आओ अलंका�र� स� �����ष� ���ने में2।अनेप्र�श्ले षयोमेंका"पमें�, रूपका"त्प्र क्षा� में�ने��कारणों का चमेंने में2।।
अलंका�र का दी" � दी �3
शब्दी अलंका�र
२. अर्थ) अलंका�र
शब्दी�लंकार
शब्�ला!कर शब्� द्वार कव्य म* चमत्कर उत्पान्न करती� ह%। यदि� न्दिजीस शब्� द्वार चमत्कर उत्पान्न ह� रह ह0, उस� हटाकर अ�य समन शब्� वह3 रख दि�य जीए, ती� वह3 अला!कर नह6 रहती।
शब्दी�लंकार का ती�ने � दी।
2. योमेंका
1. अने�प्र�स
3. श्ले�ष
1. अने�प्र�स
* जीह3 व्य!जीन9 क: आव<त्ति> ध्वविन-स?�य� क� बाढाए, वह3 अनA स अला!कर ह�ती ह0। व्य!जीन9 क: आव<त्ति> एक विवश�ष क्रम स� ह�न� चविहए। स?�य�-वर्ध�क व्य!जीन शब्�9 क� र!भ , मध्य, य अ!ती म* आन� चविहए।
उदी��रणों
1. में"�ने काD मेंध�र में�रलं� में र मेंने मेंयो�र का" मेंस्ती कारती� �$।
2. च�रू चद्र काD चचलं हिकारणों2 खे लं र�� �3 �लं र्थलं में2।
इस का�व्य में2 ‘में’ काD आ�KभिL बी�र-बी�र हुई �3।
इस का�व्य में2 ‘च,लं’ काD आ�KभिL बी�र-बी�र हुई �3।
2.योमेंका
जीह3 पार एक शब्� क: बार-बार आव<त्ति> ह�ती� ह0 और उतीन� ह� बार उसक अर्थ� अलागो- अलागो ह�ती ह0, वह3 यमक अला!कर ह�ती ह0।
उदी��रणों
का�लं� घटी� का� घमेंड घटी�।
इस दी"�2 में2 प्रर्थमें घटी� का� अर्थ) �3 का�लं बी�दीलं और दूसर घटी� का अर्थ) �3 कामें �"ने�।
श्ले ष
���/ एका �� शब्दी का द्वा�र� एका स अधिधका अर्थ) का� बी"ध �", ���/ श्ले ष अलंकार �"ती� �$।
उ�हरण
रविहमन पान� रखिखए विबान पान� सबा सHन।पान� गोए न ऊबार0, म�ती� मनAष चHन।।
इस का�व्य में प�ने� का ती�ने अर्थ) �$ 1.समें�न्यो �लं2.में"ती� काD चमेंका 3.मेंने�ष्यो का� सम्में�ने
अर्थ�)लंका�र
अर्थ�)लंका�र में2 सUदीयो) '���' स सबीधिधती �"ती� �$, 'शब्दीV' स ने�W। अर्थ�)लंका�र चमेंत्का�र काD बी��यो ��� काD अने���हिती में2 ती�व्रती� लं�ती �3 अर्थ�� ��� सबीध� चमेंत्का�र उत्पन्न कारती �3।
स�� ���� में2 भि�न्न-भि�न्न प्रका�र का ��� �"ती �3।
अर्थ�)लंका�र का � दी।
उपमें�
रूपका
उत्प्र क्षा�
में�ने��कारणों
उपमें�
���/ पर दी" �स्ती�ओं काD ती�लंने� उनेका रुप, रगा � गा�णों का अने�स�र काD ��ए उसका" उपमें� अलंका�र का�ती �3।
उपाम अला!कर क� चर अ!गो ह0।
उपमें योजि�सकाD उपमें� दी� ��ए अर्थ�)ती जि�सका� �णों)ने �" र�� �$, उस उपमें यो यो� प्रस्ती�ती का�ती �3।
उपमें�ने
�� प्रसिसदीZ �स्ती� यो� प्र�णों� जि�सस उपमें यो काD समें�नेती� प्रकाटी काD ��ए, उपमें�ने का�लं�ती� �$। उस अप्रस्ती�ती �� का�ती �3।
स�ध�रणों धमें)
उपमें यो और उपमें�ने का समें�ने गा�णों यो� हि�श षती� व्यक्त कारने ��लं शब्दी स�ध�रणों धमें) का�लं�ती �3।
��चका शब्दीन्दिजीन शब्�9 क: सहयती स� उपाम�य और उपामन म* समनती कटा क: जीती� ह0 उपाम अला!कर क: पाहचन ह�ती� ह0 उ�ह* वचक शब्� कहती� ह%। स, स�, सम, जी0स�, ज्य9, क� समन-आदि� शब्� कहलाती� ह%।
उ�हरण
च�/दी स� स�न्दीर में�खे'
'
उपमें यो ‘में�खे’
उपमें�ने ‘च�/दी’
स�ध�रणों धमें) ‘स�दीर’
��चका शब्दी ‘स�’
���/ उपमें यो पर उपमें�ने का� आर"प हिकायो� ��यो,���/ रूपका अलंका�र �"ती� �$ , यो�ने� उपमें यो और उपमें�ने में2 का"ई अन्तीर ने दिदीखे�ई पड़े ।
2.रूपाक अला!कर
उ�हरण
पाय� जी� म%न� रमरतीन र्धन पाय�।
में�र� ने प्र�� र�में का" आत्में� स अपने ���ने में रतीने रूप� धने में�ने� �$
बी�ती� हि����र� ��गार� अबीर पनेघटी में2 ड�बी" र�� ती�र�-घटी ऊष�-ने�गार�।
प्र�ती^ का�लं का समेंयो आका�श काD छ�यो� पनेघटी में2 दिदीखे�ई दी ती� �3।
���/ उपमें यो का" �� उपमें�ने में�ने सिलंयो� ��ती� �$ यो�ने� अप्रस्ती�ती का" प्रस्ती�ती में�नेकार �णों)ने हिकायो� ��ती� �$। ��� उत्प्र क्षा� अलंका�र �"ती� �$। यो��/ भि�न्नती� में2 अभि�न्नती� दिदीखे�ई ��ती� �$।
3.उत् �क्षा अला!कर
उ�हरण
का�ती� हुई यो� उLर� का ,ने त्र �लं स �र गाए।हि�में का काणों� स प�णों) में�ने" ,�" गाए पका� नेए।।
आ/स� स �र उLर� का ने त्र में�ने" ओस �र कामेंलं लंगा र� �3।
मनव�करण
���/ हिकास� अच तीने �स्ती� का" में�ने� काD तीर� गाहितीहि�धिध कारती� दिदीखे�यो� ��ए ,���/ में�ने��कारणों अलंका�र �"ती� �$।
उदी��रणों
में घ आए बीड़े बीने-ठने का स/�र का ।
इस का�व्य में में घ� का" मेंने�ष्यो काD तीर� स� स�र का��/ गायो� �$।
दिदी�स��सने का� समेंयोमें घमेंयो आसमें�ने स उतीर र��सध्यो�-स�दीर� पर�-स� ध�र -ध�र ।
इस का�व्य में सध्यो� का समेंयो का ड�बीती स�र� काD ती�लंने� आका�श स उतीरती� पर� स काD �$।
शब्�र्थ� गोहन9 गोन भHविषती कव्य क स!सर सA!�र।सकर शब्�9 रत्तिचती कय, भवर्थ� सजी�पा� बाहर-अ!�र।।
अला!कर कविव चमत्कर ह0, चमत्कर क� नमस्कर ह0।समपान सम आपान, कव्यगोती य� अला!कर ह%।।