rudra stuti - varaha puranam
Post on 08-Jul-2018
269 Views
Preview:
TRANSCRIPT
-
8/19/2019 Rudra Stuti - Varaha Puranam
1/2
॥
शी
तुत शीवराह
परुाणम्
॥
Sri Rudra Stuti – Devas – Sri Varaha Puranam
K. Muralidharan (kmurali_sg@yahoo.com) 1
The following is a rare hymn on Lord Rudra by Lord Brahma and Devas when they
beseech Lord Shiva for a commander for their army at the behest of Lord Brihaspati to
protect themselves from the torment of demons. Pleased with this prayer, Lord Shiva
originated Lord Skanda and made him the commander of the divine army.
दे वा ऊचिु -
नमाम सव शरणाथ नो वय ं महे वरन ् यबक भू त -भावनम ्। उमापत े ववपत े मपत े जगपत े शङकर पाह िन वयम ्॥ १ ॥
जटाकलापाऽ शशाङक दीत काशताऽशे ष जगया ऽमल । शू लपाण े पु षोमा ऽयु त पाह नो दै य -भयाद-् उपथतात ्॥ २ ॥
व ंआददे िव पु षोमो हरर ्भवो महे शस ् पु रातको वभिु । भगाहा दै य - रपिु पु रातनो वृ षधविज पाह सु रोमोम ॥ ३ ॥
गरीशजा - नाथ गरयाय भिु समता -ऽमर - लोक - पू जित । गणे श भू ते श शवायाय पाह नो दै यवरातका ऽयु त ॥ ४ ॥
पृयाद - तवे ष-ुभवान-् तठतो धवन - वपो - गगन-े वशे षित । लीनो ा - ते जस स ा - जल े चतिु- तौ पञच - गु ण - ािन ॥ ५ ॥
अन - वपोऽस - तरौ तथोफल े सय - वपोऽस तथा ऽनले ठवप । तै ल - वपोऽस भगवन ् महे विर पाह नो दै य - गणाद तान ् हर ॥ ६ ॥
नाऽसीद ् यदा काडमदन ् लोचन भाकरे े द ु वनाप वा ित ।
तदा
भवान्
एव
वद् -
लोचन
माण -
बााद -
ववज ित
थित
॥
७
॥
कपाल - मालन ् शश - खड - शे खर मशान - वासन ् मत -भम - गु डित । फणी - सं वीत - तनो ऽतकाय पाह नो दया सु रे वर ॥ ८ ॥
भवान-् पु मान ् शतरय-ं गरिे- सु ता सवङग - पा भगवं स ् तथा वय । शू ल - पे ण - जगद-्भयङकर े थत-ं ने े ष-ु मखाऽनस-् िय ॥ ९ ॥
जटा - वपे ण - समस् त - सागिरा लाचिला सु वहाच सव िश । शरीरज ं ान ं इदववथततदे व पयत ठटयो जिना ॥ १० ॥
mailto:kmurali_sg@yahoo.commailto:kmurali_sg@yahoo.commailto:kmurali_sg@yahoo.commailto:kmurali_sg@yahoo.com
-
8/19/2019 Rudra Stuti - Varaha Puranam
2/2
Sri Rudra Stuti evas Sri Varaha Puranam
K. Muralidharan (kmurali_sg@yahoo.com) 2
नारायणस-् व-ं जगत - समु भवस ्भवान-् एव - चतु मु खो - महान ्। सवाऽन -भे दे न - तथाऽन -भे दतो यु गाद -भे दे न च सं थतस ् ा ॥११ ॥
भवतं
एते
सु रनायिका
भो
भवाथ नो
ऽयय
वदत
तोषयन्
।
यतस ् ततो नो भव -भू त -भू षण पाह ववे वर त े निम ॥ १२ ॥
॥
इत
शीवाराहे
महापरुाणे
सवदव कत शी
तुत सपिूणम्
॥
top related