shri guru amar das ji sakhi - 027a
Post on 10-Feb-2017
79 Views
Preview:
TRANSCRIPT
बाउली की कार सेवा में भाग लेने के लिलए लिसख बड़े जोश के साथ दूर दूर से आने लगे| इस तरह काबुल में एक प्रेमी लिसख की पतित व्रता स्त्री को पता लगा|
वह प्रातः काबुल से चलकर कार सेवा करती और सायंकाल काबुल पहुँच जाती| कुछ लिसखो न ेमाई को सेवा करते हुए हाथ स ेसंकेत करते देखा| कुछ दिदन इसी तरह ही बीत गये तो एक दिदन लिसखो ने गुरु जी को कहा महाराज! एक माई रोज सुबह संगतो के साथ सेवा करती है और रात के समय देखते ही देखते लुप्त हो जाती है|
1 of 4 Contd…
एक और बात भी यह माई करती है तिक कार सेवा करती करती अपना हाथ पलकर पीछे कर लेती है ऐसा लगता है तिक जैसे तिकसी चीज़ को तिहला रही हो| हमें समझ नहीं आता तिक यह माई कौन है|
गुरु अमरदास जी ने माई को अपने पास बुलाया और पूछा तिक तुम कहा ँसे आती हो? और काम करते करते हाथ से तिकस चीज़ को तिहलती हो? माई ने बताया में सुबह काबुल से आती हँू और कर सेवा करके शाम को घर चली जाती हँू|
2 of 4 Contd…
गुरु जी ने कहा यह शलि= तुम कहाँ से लाईहो माई ने कहा महाराज! यह शलि= मैंने अपने पतित व्रता धम@ से पाई है| इसी के बल से में काबुल से आती हँू और वातिपस चली जाती हँू| सुबह आते समय में अपने छोटे बच्चे को पंघूढे़ में सुला आती हँू और यहाँ हाथ मारकर पंघूढे़ को तिहलती रहती हँू| जिजससे यह सोया रहता है और खेलता ही रहता है|
3 of 4 Contd…
माई से यह सुनकर लिसखो ने उसे धन्य ेमाना और गुरु जी ने कुश होकर पतित - पत्नी के लोक परलोक सुहेला कर दिदया|
For more Spiritual Content Kindly visit:
http://spiritualworld.co.in
4 of 4 End
top related