ananya yog

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Page 1: Ananya yog
Page 2: Ananya yog

प्रात् स्भयणीम ऩूज्मऩाद वॊत श्री आवायाभजी फाऩ ूके

वत्वॊग-प्रलचन

अनन्म मोग

ऩूज्म फाऩ ूका ऩालन वन्देळ

शभ धनलान शोगे मा नश ॊ, चनुाल जीतेंगे मा नश ॊ इवभें ळॊका शो वकती शै ऩयॊतु बैमा ! शभ भयेंगे मा नश ॊ, इवभें कोई ळॊका शै? वलभान उड़न ेका वभम ननश्चित शोता शै, फव चरने का वभम ननश्चित शोता शै, गाड़ी छूटने का वभम ननश्चित शोता शै ऩयॊत ुइव जीलन की गाड़ी छूटने का कोई ननश्चित वभम शै?

आज तक आऩने जगत भें जो कुछ जाना शै, जो कुछ प्राप्त ककमा शै.... आज के फाद जो जानोगे औय प्राप्त कयोगे, प्माये बैमा ! लश वफ भतृ्मु के एक श झटके भें छूट जामेगा, जाना अनजाना शो जामेगा, प्रानप्त अप्रानप्त भें फदर जामेगी।

अत् वालधान शो जाओ। अन्तभुखु शोकय अऩने अवलचर आत्भा को, ननजस्लरूऩ के अगाध आनन्द को, ळाश्वत ळाॊनत को प्राप्त कय रो। कपय तो आऩ श अवलनाळी आत्भा शो।

जागो.... उठो.... अऩने बीतय वोमे शुए ननिमफर को जगाओ। वलदेुळ, वलकुार भें वलोत्तभ आत्भफर को अश्चजतु कयो। आत्भा भें अथाश वाभर्थम ुशै। अऩने को द न-श न भान फैठे तो वलश्व भें ऐवी कोई वत्ता नश ॊ जो तुम्शें ऊऩय उठा वके। अऩने आत्भस्लरूऩ भें प्रनतवित शो गमे तो त्रिरोकी भें ऐवी कोई शस्ती नश ॊ जो तुम्शें दफा वके।

वदा स्भयण यशे कक इधय-उधय बटकती लवृत्तमों के वाथ तुम्शाय ळक्ति बी त्रफखयती यशती शै। अत् लवृत्तमों को फशकाओ नश ॊ। तभाभ लवृत्तमों को एकत्रित कयके वाधना-कार भें आत्भचचन्तन भें रगाओ औय व्मलशाय-कार भें जो काम ुकयते शो उवभें रगाओ। दत्तचचत्त शोकय शय कोई काम ुकयो। वदा ळान्त लवृत्त धायण कयने का अभ्माव कयो। वलचायलन्त एलॊ प्रवन्न यशो। जीलभाि को अऩना स्लरूऩ वभझो। वफवे स्नेश यखो। ददर को व्माऩक यखो। आत्भननि भें जगे शुए भशाऩुरुऴों के वत्वॊग एलॊ वत्वादशत्म वे जीलन को बक्ति एलॊ लेदान्त वे ऩुष्ट एलॊ ऩुरककत कयो।

अनुक्रभ ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Page 3: Ananya yog

ननलेदन

शजायों-शजायों बिजनों, श्चजसावु वाधकों के लरमे प्रात् स्भयणीम ऩूज्मऩाद वॊत श्री आवायाभजी फाऩू की जीलन-उद्धायक अभतृलाणी ननत्म ननयन्तय फशा कयती शै। रृदम की गशयाई वे उठने लार उनकी मोगलाणी श्रोताजनों के रृदमों भें उतय जाती शै, उन्शें ईश्वय म आह्लाद व ेभधयु फना देती शै। ऩूज्म श्री की वशज फोर-चार भें ताश्चवलक अनुबल, जीलन की भीभाॊवा, लेदान्त के अनुबूनतभूरक भभ ुप्रकट शो जामा कयते शैं। उनका ऩालन दळनु औय वाश्चन्नध्म ऩाकय शजायों-शजायों भनुष्मों के जीलन-उद्यान नलऩल्रवलत-ऩुश्चष्ऩत शो जाते शैं। उनकी अगाध सानगॊगा वे कुछ आचभन रेकय प्रस्तुत ऩुस्तक भें वॊकलरत कयके आऩकी वेला भें उऩश्चस्थत कयते शुए शभ आनन्दनत शो यशे शैं.....।

वलनीत, श्री मोग लेदान्त वेला वलभनत

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अनुक्रभ

ऩूज्म फाऩू का ऩालन वन्देळ ............................................................................................................ 2

ननलेदन ............................................................................................................................................. 3

अनन्म मोग ..................................................................................................................................... 4

रूचच औय आलश्मकता ...................................................................................................................... 8

प्रानप्त औय प्रतीनत ........................................................................................................................... 17

जीलन-भीभाॊवा ................................................................................................................................ 29

आश्चस्तक का जीलन-दळनु .............................................................................................................. 37

भध ुवॊचम ...................................................................................................................................... 42

असान को लभटाओ ..................................................................................................................... 42

करयए ननत वत्वॊग को.... .......................................................................................................... 42

वालधान.....! ............................................................................................................................... 42

तर्कमतुाभ.्... भा कुतर्कमाुताभ ्..................................................................................................... 43

आश्चस्तक औय नाश्चस्तक .............................................................................................................. 48

वुख-दु् ख वे राब उठाओ .......................................................................................................... 49

अनन्म मोग वाधो...................................................................................................................... 49

Page 4: Ananya yog

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अनन्म मोग

भनम चानन्ममोगेन बक्तियव्मलबचारयणी। वललिदेळवेवलत्लयनतजुनवॊवदद।।

"भुझ ऩयभेश्वय भें अनन्म मोग के द्वाया अव्मलबचारयणी बक्ति तथा एकान्त औय ळुद्ध देळ भें यशने का स्लबाल औय वलऴमावि भनुष्मों के वभुदाम भें प्रेभ का न शोना (मश सान शै)।"

(बगलद् गीता् 13.19) अनन्म बक्ति औय अव्मलबचारयणी बक्ति अगय बगलान भें शो जाम, तो बगलत्प्रानप्त कदठन

नश ॊ शै। बगलान प्राणणभाि का अऩना आऩा शै। जैव ेऩनतव्रता स्त्री अऩने ऩनत के लवलाम अन्म ऩुरूऴ भें ऩनतबाल नश ॊ यखती, ऐवे श श्चजवको बगलत्प्रानप्त के लवलाम औय कोई वाय लस्तु नश ददखती, ऐवा श्चजवका वललेक जाग गमा शै, उवके लरए बगलत्प्रानप्त वुगभ शो जाती शै। लास्तल भें, बगलत्प्रानप्त श वाय शै। भाॉ आनन्दभमी कशा कयती थीॊ- "शरयकथा श कथा...... फाकी वफ जग की व्मथा।"

भेये प्रनत अनन्म मोग द्वाया अव्मलबचारयणी बक्ति का शोना, एकान्त स्थान भें यशने का स्लबाल शोना औय जन वभुदाम भें प्रीनत न शोना.... इव प्रकाय की श्चजवकी बक्ति शोती शै, उवे सान भें रूचच शोती शै। ऐवा वाधक अध्मात्भसान भें ननत्म यभण कयता शै। तवलसान के अथसु्लरूऩ ऩयभात्भा को वफ जगश देखता शै। इव प्रकाय जो शै, लश सान शै। इववे जो वलऩय त शै, लश असान शै।

शरययव को, शरयसान को, शरयवलश्राश्चन्त को ऩामे त्रफना श्चजवको फाकी वफ व्मथ ुव्मथा रगती शै, ऐवे वाधक की अनन्म बक्ति जगती शै। श्चजवकी अनन्म बक्ति शै बगलान भें, श्चजवका अनन्म मोग शो गमा शै बगलान वे, उवको जनवॊऩकु भें रूचच नश ॊ यशती। वाभान्म इच्छाओॊ को ऩूण ुकयने भें, वाभान्म बोगों को बोगने भें जीलन नष्ट कयते शै, ऐवे रोगों भें वच्च ेबि को रूचच नश ॊ शोती। ऩशरे रूचच शुई तफ शुई, ककन्तु जफ अनन्म बक्ति लभर तो कपय उऩयाभता आ जामेगी। व्मलशाय चराने के लरए रोगों के वाथ 'शूॉ...शाॉ...' कय रेगा, ऩय बीतय व ेभशवूव कयेगा कक मश वफ जल्द ननऩट जाम तो अच्छा।

अनन्म बक्ति जफ रृदम भें प्रकट शोती शै, तफ ऩशरे का जो कुछ ककमा शोता शै, लश फेगाय वा रगता शै। एकान्त देळ भें यशने की रूचच शोती शै। जनवॊऩकु वे लश दयू बागता शै। आश्रभ भें वत्वॊग कामकु्रभ, वाधना लळवलयें आदद को जनवॊवग ुनश ॊ कशा जा वकता। जो रोग वाधन बजन के वलऩय त ददळा भें जा यशे शैं, देशाध्माव फढा यशे शैं, उनका वॊवग ुवाधक के लरए फाधक शै। श्चजववे आत्भसान लभरता शै, लश जनवॊऩकु तो वाधन भाग ुका ऩोऴक शै।

Page 5: Ananya yog

जनवाधायण के फीच वाधक यशता शै तो देश की माद आती शै, देशाध्माव फढता शै, देशालबभान फढता शै। देशालबभान फढने ऩय वाधक ऩयभाथ ुतवल वे च्मुत शो जाता शै, ऩयभ तवल भें ळीघ्र गनत नश ॊ कय वकता। श्चजतना देशालबभान, देशाध्माव गरता शै, उतना लश आत्भलैबल को ऩाता शै। मश फात श्रीभद् आद्य ळॊकयाचाम ुने कश ्

गलरत ेदेशाध्माव ेवलसात ेऩयभात्भनन। मि मि भनो मानत ति ति वभाधम्।।

जफ देशाध्माव गलरत शोता शै, ऩयभात्भा का सान शो जाता शै, तफ जशाॉ-जशाॉ भन जाता शै, लशाॉ-लशाॉ वभाचध का अनुबल शोता शै, वभाचध का आनन्द आता शै।

देशाध्माव गराने के लरए श वाय वाधनाएॉ शैं। ऩयभात्भा-प्रानप्त के लरमे श्चजवको तड़ऩ शोती शै, जो अनन्म बाल वे बगलान को बजता शै, 'ऩयभात्भा वे शभ ऩयभात्भा श चाशते शैं.... औय कुछ नश ॊ चाशते.....' ऐवी अव्मलबचारयणी बक्ति श्चजवके रृदम भें शोती शै, उवके रृदम भें बगलान सान का प्रकाळ बय देते शैं।

जो धन वे वुख चाशते शैं, लैबल वे वुख चाशते शै, ले रोग वाधना ऩरयश्रभ कयके, वाधना औय ऩरयश्रभ के फर ऩय यशते शैं रेककन जो बगलान के फर ऩय बी बगलान को ऩाना चाशते शैं, बगलान की कृऩा वे श बगलान को ऩाना चाशते शैं, ऐव ेबि अनन्म बि शैं।

गोया कुम्शाय बगलान का कीतनु कयते थे। कीतनु कयते-कयते देशाध्माव बूर गमे। लभट्टी यौंदते-यौंदते लभट्टी के वाथ फारक बी यौंदा गमा। ऩता नश ॊ चरा। ऩत्नी की ननगाश ऩड़ी। लश फोर उठ ्

"आज के भुझ ेस्ऩळ ुभत कयना।"

"अच्छा ठ क शै....।"

बगलान भें अनन्म बाल था तो ऩत्नी नायाज शो गई, कपय बी ददर को ठेव नश ॊ ऩशुॉची। स्ऩळ ुनश ॊ कयना... तो नश ॊ कयेंगे। ऩत्नी को फड़ा ऩिाताऩ शुआ कक गरती शो गई। अफ लॊळ कैवे चरेगा ? अऩने वऩता वे कशकय अऩनी फशन की ळाद कयलाई। वफ वलचध वम्ऩन्न कयके जफ लश-लध ूवलदा शो यशे थे, तफ वऩता ने अऩने दाभाद गोया कुम्शाय वे कशा्

"भेय ऩशर फेट को जैवे यखा शै, ऐव ेश इवको बी यखना।"

"शाॉ.. जो आसा।"

बगलान वे श्चजवका अनन्म मोग शै, लश तो स्लीकाय श कय रेगा। गोया कुम्शाय दोनों ऩलत्नमों को वभान बाल वे देखने रगे। दोनों ऩलत्नमाॉ दु् खी शोने रगीॊ। अफ इनको कैवे वभझाएॉ ? तकु वलतकु देकय ऩनत को वॊवाय भें राना चाशती थीॊ रेककन गोया कुम्शाय का अनन्म बाल बगलान भें जुड़ चकुा था।

आणखय दोनों फशनों ने एक यात्रि को अऩने ऩनत का शाथ ऩकड़कय जफयदस्ती अऩने ळय य तक रामा। गोया कुम्शाय न ेवोचा कक भेया शाथ अऩवलि शो गमा। उन्शोंने शाथ को वजा कय द ।

Page 6: Ananya yog

बगलान ने अनन्म बाल शोना चादशए। अनन्म बाल भाने जैव ेऩनतव्रता स्त्री औय ककवी ऩुरूऴ को ऩनत बाल वे नश ॊ देखती, ऐवे श बि मा वाधक बी औय ककवी वाधना वे अऩना कल्माण शोगा औय ककवी व्मक्ति के फर व ेअऩना भोष शोगा, ऐवा नश ॊ वोचता। 'शभें तो बगलान की कृऩा वे बगलान के स्लरूऩ का सान शोगा, तबी शभाया कल्माण शोगा। बगलान की कृऩा श एकभाि वशाया शै, इवके अराला औय ककवी वाधना भें शभ नश ॊ रूकें गे.... शे प्रब ु! शभें तो केलर तेय कृऩा औय तेये स्लरूऩ की प्रानप्त चादशए.... औय कुछ नश ॊ चादशए।' बगलान ऩय जफ ऐवा अनन्म बाल शोता शै, तफ बगलान कृऩा कयके बि के अन्त्कयण की ऩतें शटाने रगते शैं।

शभाया अऩना आऩा कोई गैय नश ॊ शै, दयू नश ॊ शै, ऩयामा नश ॊ शै औय बवलष्म भें लभरेगा ऐवा बी नश ॊ शै। लश अऩना याभ, अऩना आऩा अबी शै, अऩना श शै। इव प्रकाय का फोध वुनने की औय इव फोध भें ठशयने की रूचच शो जामेगी। अनन्म बाल वे बगलान का बजन मश ऩरयणाभ राता शै।

अनन्म बाल भाने अन्म-अन्म को देखे, ऩय बीतय वे वभझ ेकक इन वफका अश्चस्तवल एक बगलान ऩय श आधारयत शै। आॉख अन्म को देखती शै, कान अन्म को वुनत ेशैं, श्चजह्वा अन्म को चखती शै, नालवका अन्म को वूॉघती शै, त्लचा अन्म को स्ऩळ ुकयती शै। उवके वाषी दृष्टा भन को जोड़ दो, तो भन एक शै। भन के बी अन्म-अन्म वलचाय शैं। उनभें बी भन का अचधिान, आधायबूत अनन्म चतैन्म आत्भा शै। उवी आत्भा ऩयभात्भा को ऩाना शै। न भन की चार भें आना शै, न इश्चन्िमों के आकऴणु भें आना शै।

इव प्रकाय की तयतीव्र श्चजसावालारा बि, अनन्म मोग कयने लारा वाधक शल्की रूचचमों औय शल्की आवक्तिमोंलारे रोगों वे अऩनी तुरना नश ॊ कयता।

चतैन्म भशाप्रबु को ककवी ने ऩूछा् "शरय का नाभ एक फाय रेने वे र्कमा राब शोता शै ?"

"एक फाय अनन्म बाल वे शरय का नाभ रे रेंगे तो वाये ऩातक नष्ट शो जामेंगे।"

"दवूय फाय रें तो ?"

"दवूय फाय रेंगे तो शरय का आनन्द प्रकट शोने रगेगा। नाभ रो तो अनन्म बाल वे रो। लैवे तो लबखभॊगे रोग वाया ददन शरय का नाभ रेते शैं, ऐवों की फात नश ॊ शै। अनन्म बाल वे केलर एक फाय बी शरय का नाभ रे लरमा जामे तो वाये ऩातक नष्ट शो जाएॉ।

रोग वोचते शैं कक शभ बगलान की बक्ति कयते शैं, कपय बी शभाया फेटा ठ क नश ॊ शोता शै। अन्तमाुभी बगलान देख यशे शैं कक मश तो फेटे का बगत शै।

'शे बगलान ! भेये इतने राख रूऩमे शो जामें तो उन्शें कपर्कव कयके आयाभ वे बजन करूॉ गा.....' अथला 'भेया इतना ऩेन्ळन शो जाम, कपय भैं बजन करूॉ गा...' तो आश्रम कपर्कव क्तडऩोश्चजट का शुआ अथला ऩेन्ळन का शुआ। बगलान ऩय तो आचश्रत नश ॊ शुआ। मश अनन्म बक्ति नश ॊ शै। नयलवॊश भेशता न ेकशा्

बोंम वुलाडुॊ बूखे भारूॉ उऩयथी भारूॉ भाय।

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एटर ुकयताॊ शरय बज ेतो कय नाखुॊ ननशार।। जीलन भें कुछ अवुवलधा आ जाती शै तो बगलान वे प्राथनुा कयते शैं- 'मश दु् ख दयू को

दो प्रब ु!' शभ बगलान के नश ॊ वुवलधा के बगत शैं। बगलान का उऩमोग बी अवुवलधा शटाने के लरए कयते शैं। अवुवलधा शट गई, वुवलधा शो गई तो उवभें रेऩामभान शो जाते शैं। वोचते शैं, फाद भें बजन कयेंगे। मश बगलान की अनन्म बक्ति नश ॊ शै। बगलान की बक्ति अनन्म बाल वे की जाम तो तवलसान का दळनु शोने रगे। आत्भसान प्राप्त कयने की श्चजसावा जाग उठे। जन-वॊवग ुव ेवलयक्ति शोने रगे।

एकान्तलावो रघुबोजनादद। भौनॊ ननयाळा कयणालयोध्।। भुनेयवो् वॊमभनॊ ऴडेते। चचत्तप्रवादॊ जनमश्चन्त ळीघ्रभ।्।

'एकान्त भें यशना, अल्ऩाशाय, भौन, कोई आळा न यखना, इश्चन्िम-वॊमभ औय प्राणामाभ, मे छ् भुनन को ळीघ्र श चचत्तप्रवाद की प्रानप्त कयाते शैं।'

एकान्तलाव, इश्चन्िमों को अल्ऩ आशाय, भौन, वाधना भें तत्ऩयता, आत्भवलचाय भें प्रलवृत्त... इववे कुछ श ददनों भें आत्भप्रवाद की प्रानप्त शो जाती शै।

शभाय बक्ति अनन्म नश ॊ शोती, इवलरए वभम ज्मादा रग जाता शै। कुछ मश कय रूॉ... कुछ मश देख रूॉ... कुछ मश ऩा रूॉ.... इव प्रकाय जीलन-ळक्ति त्रफखय जाती शै।

स्लाभी याभतीथ ुएक कशानी वुनामा कयते थे् एटरान्टा नाभ की एक वलदेळी रड़की दौड़ रगाने भें फड़ी तेज थी। उवने घोऴणा की थी

कक जो मुलक भुझ ेदौड़ भें शया देगा, भैं अऩनी वॊऩवत्त के वाथ उवकी शो जाऊॉ गी। उवके वाथ स्ऩधा ुभें कई मुलक उतये, रेककन वफ शाय गमे। वफ रोग शायकय रौट जाते थे।

एक मुलक ने अऩन ेइष्टदेल जुवऩटय को प्राथनुा की। इष्टदेल ने उवे मुक्ति फता द । दौड़ने का ददन ननश्चित ककमा गमा। एटरान्टा फड़ी तेजी वे दौड़नेलार रड़की थी। मश मुलक स्लप्न भें बी उवकी फयाफय नश ॊ कय वकता था, कपय बी देल ने कुछ मुक्ति फता द थी।

दौड़ का प्रायॊब शुआ। घड़ी बय भें एटरान्टा कश ॊ दयू ननकर गई। मुलक ऩीछे यश गमा। एटरान्टा कुछ आगे गई तो भाग ुभें वुलणभुुिाएॉ त्रफखय शुई थीॊ। वोचा कक मुलक ऩीछे यश गमा शै। लश आले, तफ तक भुिाएॉ फटोय रूॉ। लश रूकी... भुिाएॉ इकट्ठी की। तफ तक मुलक नजद क आ गमा। लश झट वे आगे दौड़ी। उवको ऩीछे कय ददमा। कुछ आगे गई तो भाग ुभें औय वुलणभुुिाएॉ देखी। लश बी रे र । उवके ऩाव लजन फढ गमा। मुलक बी तफ तक नजद क आ गमा था। कपय रड़की न ेतेज दौड़ रगाई। आगे गई तो औय वुलणभुुिाएॉ ददखी। उवने उवे बी रे र । इव प्रकाय एटरान्टा के ऩाव फोझा फढ गमा। दौड़ की यफ्ताय कभ शो गई। आणखय लश मुलक उववे आगे ननकर गमा। वाय वॊऩवत्त औय यास्ते भें फटोय शुई वुलणभुुिाओॊ के वाथ एटरान्टा को उवने जीत लरमा।

Page 8: Ananya yog

एटरान्टा तेज दौड़ने लार रड़की थी, ऩय उवका ध्मान वुलणभुुिाओॊ भें अटकता यशा। वलजेता शोने की मोग्मता शोते शुए बी अनन्म बाल व ेनश ॊ दौड़ ऩामी, इववे लश शाय गई।

ऐवे श भनुष्म भाि भें ऩयब्रह्म ऩयभात्भा को ऩाने की मोग्मता शै। ऩयभात्भा ने भनुष्म को ऐवी फुवद्ध इवीलरए दे यखी शै कक उवको आत्भा-ऩयभात्भा के सान की श्चजसावा जाग जाम, आत्भवाषात्काय शो जाम। योट कभाने की औय फच्चों को ऩारने की फुवद्ध तो ऩळु-ऩक्षषमों को बी द शै। भनुष्म की फुवद्ध वाये ऩळु-ऩषी-प्राणी जगत वे वलळऴे शै, ताकक लश फुवद्धदाता का वाषात्काय कय वके। फुवद्ध जशाॉ वे वत्ता-स्पूनत ुराती शै, उव ऩयब्रह्म-ऩयभात्भा का वाषात्काय कयके जील ब्रह्म शो जाम। केलर कुवी-टेफर ऩय फठैकय करभ चराने के लरए श फुवद्ध नश ॊ लभर शै। फुवद्धऩूलकु करभ तो बरे चराओ, ऩयॊत ुफुवद्ध का उऩमोग केलर योट कभाकय ऩेट बयना श नश ॊ शै। करभ बी चराओ तो ऩयभात्भा को रयझाने के लरमे औय कुदार चराओ तो बी उवको रयझाने के लरए।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

रूचच औय आलश्मकता ऐवा कोई भनुष्म नश ॊ लभरेगा, श्चजवके ऩाव कुछ बी मोग्मता न शो, जो ककवी को

भानता न शो। शय भनुष्म जरूय ककवी न ककवी को भानता शै। ऐवा कोई भनुष्म नश ॊ श्चजवभें जानने की श्चजसावा न शो। लश कुछ न कुछ जानने की कोलळळ तो कयता श शै। कयने की, भानने की औय जानने की मश स्लत् लवद्ध ऩूॉजी शै शभ वफके ऩाव। ककवी के ऩाव थोड़ी शै तो ककवी के ऩाव ज्मादा शै, रेककन शै जरूय। खार कोई बी नश ॊ।

शभ रोग जो कुछ कयते शैं, अऩनी रूचच के अनुवाय कयते शैं। गरती र्कमा शोती शै कक शभ आलश्मकता के अनुवाय नश ॊ कयते। रूचच के अनुवाय भानते शैं, आलश्मकता के अनुवाय नश ॊ जानते। फव मश एक गरती कयते शैं। इवे अगय शभ वुधाय रें तो ककवी बी षेि भें आयाभ वे, त्रफल्कुर भज ेवे वपर शो वकते शैं। केलर मश एक फात कृऩा कयके जान रो।

एक शोती शै रूचच औय दवूय शोती शै आलश्मकता। ळय य को बोजन कयने की आलश्मकता शै। लश तन्दरुूस्त कैवे यशेगा, इवकी आलश्मकता वभझकय आऩ बोजन कयें तो आऩकी फुवद्ध ळुद्ध यशेगी। रूचच के अनुवाय बोजन कयेंगे तो फीभाय शोगी। अगय रूचच के अनुवाय बोजन नश ॊ लभरेगा औय मदद बोजन लभरेगा तो रूचच नश ॊ शोगी। श्चजवको रूचच शो औय लस्त ुन शो तो ककतना दु् ख ! लस्तु शो औय रूचच न शो तो ककतनी व्मथा !

खफू ध्मान देना कक शभाये ऩाव जानने की, भानने की औय कयने की ळक्ति शै। इवको आलश्मकता के अनुवाय रगा दें तो शभ आयाभ वे भुि शो वकते शैं औय रूचच के अनुवाय रगा

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दें तो एक जन्भ नश ॊ, कयोड़ों जन्भों भें बी काभ नश ॊ फनता। कीट, ऩतॊग, वाधायण भनुष्मों भें औय भशाऩुरूऴों भें इतना श पकु शै कक भशाऩुरूऴ भाॉग के अनुवाय कभ ुकयते शैं जफकक वाधायण भनुष्म रूचच के अनुवाय कभ ुकयते शैं।

जीलन की भाॉग शै मोग। जीलन की भाॉग शै ळाश्वत वुख। जीलन की भाॉग शै अखण्डता। जीलन की भाॉग शै ऩूणतुा।

आऩ भयना नश ॊ चाशते, मश जीलन की भाॉग शै। आऩ अऩभान नश ॊ चाशते। बरे वश रेते शैं, ऩय चाशते नश ॊ। मश जीलन की भाॉग शै। तो अऩभान श्चजवका न शो वके, लश ब्रह्म शै। अत् लास्तल भें आऩको ब्रह्म शोने की भाॉग शै। आऩ भुक्ति चाशते शैं। जो भुिस्लरूऩ शै, उवभें अड़चन आती शै काभ, क्रोध आदद वलकायों वे।

काभ एऴ क्रोध एऴ यजोगुणवभुदबल्। भशाळनो भशाऩाप्भा वलद्धमेनलभशलैरयणभ।्।

'यजोगुण वे उत्ऩन्न शुआ मश काभ श क्रोध शै। मश फशुत खानेलारा अथाुत ्बोगों वे कबी न अघाने लारा औय फड़ा ऩाऩी शै, इवको श तू इव वलऴम भें लैय जान।'

(बगलद् गीता् 3.37) काभ औय क्रोध भशाळि ुशैं औय इवभें स्भनृतभ्रभ शोता शै, स्भनृतभ्रभ वे फुवद्धनाळ शोता शै।

फुवद्धनाळ वे वलनुाळ शो जाता शै। अगय रूचच को ऩोवते शैं तो स्भनृत षीण शोती शै। स्भनृत षीण शुई तो वलनुाळ।

एक रड़के की ननगाश ऩड़ोव की ककवी रड़की ऩय गई औय रड़की की ननगाश रड़के ऩय गई। अफ उनकी एक दवूये के प्रनत रूचच शुई। वललाश मोग्म उम्र शै तो भाॉग बी शुई ळाद की। अगय शभने भाॉग की ककन्तु कुर लळष्टाचाय की ओय ध्मान नश ॊ ददमा औय रड़का रड़की को रे बागा अथला रड़की रड़के को रे बागी तो भुॉश ददखाने के कात्रफर नश ॊ यशे। ककवी शोटर भें यशे, कबी कशाॉ यशे – अखफायों भें नाभ छऩा गमा, 'ऩुलरव ऩीछे ऩड़गेी,' डय रग गमा। इव प्रकाय रूचच भें अन्धे शोकय कूदे तो ऩयेळान शुए। अगय वललाश मोग्म उम्र शो गई शै, गशृस्थ जीलन की भाॉग शै, एक दवूये का स्लबाल लभरता शै तो भाॉ-फाऩ व ेकश ददमा औय भाॉ-फाऩ ने खळुी वे वभझौता कयके दोनों की ळाद कया द । मश शो गई भाॉग की ऩूनत ुऔय लश थी रूचच की ऩूनत।ु रूनत की ऩूनत ुभें जफ अन्धी दौड़ रगती शै तो ऩयेळानी शोती शै, अऩनी औय अऩने रयश्तेदायों की फदनाभी शोती शै। ...तो ळाद कयन ेभें फुवद्ध चादशए कक रूचच की ऩूनत ुके वाथ भाॉग की ऩूनत ुशो।

भाॉग आवानी वे ऩूय शो वकती शै औय रूचच जल्द ऩूय शोती नश ॊ। जफ शोती शै तफ ननलवृत्त नश ॊ शोती, अवऩत ुऔय गशय उतयती शै अथला उफान औय वलऴाद भें फदरती शै। रूचच के अनुवाय वदा वफ चीजें शोंगी नश ॊ, रूचच के अनुवाय वफ रोग तुम्शाय फात भानेंगी नश ॊ। रूचच के अनुवाय वदा तुम्शाया ळय य दटकेगा नश ॊ। अन्त भें रूचच फच जामेगी, ळय य चरा जामगा। रूचच फच गई तो काभना फच गई। जातीम वुख की काभना, धन की काभना, वत्ता की काभना,

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वौन्दम ुकी काभना, लाशलाश की काभना, इन काभनाओॊ वे वम्भोश शोता शै। वम्भोश वे फुवद्धभ्रभ शोता शै, फुवद्धभ्रभ वे वलनाळ शोता शै।

कयने की, भानने की औय जानने की ळक्ति को अगय रूचच के अनुवाय रगाते शैं तो कयने का अॊत नश ॊ शोगा, भानन ेका अॊत नश ॊ शोगा, जानन ेका अॊत नश ॊ शोगा। इन तीनों मोग्मताओॊ को आऩ अगय मथामोग्म जगश ऩय रगा देंगे तो आऩका जीलन वपर शो जामगा।

अत् मश फात लवद्ध शै कक आलश्मकता ऩूय कयन ेभें ळास्त्र, गुरू वभाज औय बगलान आऩका वशमोग कयेंगे। आऩकी आलश्मकता ऩूय कयने भें प्रकृनत बी वशमोग देती शै। फेटा भाॉ की गोद भें आता शै, उवकी आलश्मकता शोती शै दधू की। प्रकृनत वशमोग देकय दधू तैमाय कय देती शै। फेटा फड़ा शोता शै औय उवकी आलश्मकता शोती शै दाॉतों की तो दाॉत आ जाते शैं।

भनुष्म की आलश्मकता शै शला की, जर की, अन्न की। मश आलश्मकता आवानी वे मथामोग्म ऩूय शो जाती शै। आऩको अगय रूचच शै ळयाफ की, अगय उव रूचच ऩूनत ुभें रगे तो लश जीलन का वलनाळ कयती शै। ळय य के लरए ळयाफ की आलश्मकता नश ॊ शै। रूचच की ऩूनत ुकष्टवाध्म शै औय आलश्मकता की ऩूनत ुवशजवाध्म शै।

आऩके ऩाव जो कयने की ळक्ति शै, उवे रूचच के अनुवाय न रगाकय वभाज के लरए रगा दो। अथाुत ्तन को, भन को, धन को, अन्न को, अथला कुछ बी कयने की ळक्ति को 'फशुजन दशताम, फशुजन वुखाम' भें रगा दो।

आऩको शोगा कक अगय शभ अऩना जो कुछ शै, लश वभाज के लरए रगा दें तो कपय शभाय आलश्मकताएॉ कैव ेऩूय शोंगी?

आऩ वभाज के काभ भें आओगे तो आऩकी वेला भें वाया वभाज तत्ऩय शोकय रगा यशेगा। एक भोटयवाइकर काभ भें आती शै तो उवको वॊबारने लारे शोते शैं कक नश ॊ ? घोड़ा-गधा काभ भें आते शैं तो उवको बी णखराने लारे शोते शैं। आऩ तो भनुष्म शो। आऩ अगय रोगों के काभ आओगे तो शजाय-शजाय रोग आऩकी आलश्मकता ऩूय कयने के लरए रारानमत शो जामेंगे। आऩ श्चजतना-श्चजतना अऩनी रूचच को छोड़ोगे, उतनी उतनी उन्ननत कयते जाओगे।

जो रोग रूचच के अनुवाय वेला कयना चाशते शैं, उनके जीलन भ ेफयकत नश ॊ आती। ककन्तु जो आलश्मकता के अनुवाय वेला कयते शैं, उनकी वेला रूचच लभटाकय मोग फन जाती शै। ऩनतव्रता स्त्री जॊगर भें नश ॊ जाती, गुपा भें नश ॊ फैठती। लश अऩनी रूचच ऩनत की वेला भें रगा देती शै। उवकी अऩनी रूचच फचती श नश ॊ शै। अत् उवका चचत्त स्लमभेल मोग भें आ जाता शै। लश जो फोरती शै, ऐवा प्रकृनत कयने रगती शै।

तोटकाचाम,ु ऩूयणऩोडा, वरूका-भरूका, फारा-भयदाना जैव ेवश्चत्ळष्मों ने गुरू की वेला भें, गुरू की दैली कामों भें अऩने कयने की, भानने की औय जानने की ळक्ति रगा द तो उनको वशज भें भुक्तिपर लभर गमा। गुरूओॊ की बी ऐवा वशज भें नश ॊ लभरा था जैव ेइन लळष्मों को लभर गमा। श्रीभद् आद्य ळॊकयाचाम ुको गुरूप्रानप्त के लरए ककतना-ककतना ऩरयश्रभ कयना ऩड़ा ! कशाॉ व े

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ऩैदर मािा कयनी ऩड़ी ! सानप्रानप्त के लरए बी कैवी-कैवी वाधनाएॉ कयनी ऩड़ी ! जफकी उनके लळष्म तोटकाचाम ुन ेतो केलर अऩने गुरूदेल के फतनु भाॉजते-भाॉजते श प्राप्तव्म ऩा लरमा।

अऩनी कयने की ळक्ति को स्लाथ ुभें नश ॊ अवऩतु ऩयदशत भें रगाओ तो कयना तुम्शाया मोग शो जामेगा। भानने की ळक्ति शै तो वलश्वननमॊता को भानो। लश ऩयभवुरृद शै औय वलिु शै, अऩना आऩा बी शै औय प्राणणभाि का आधाय बी शै। जो रोग अऩने को अनाथ भानते शैं, लश ऩयभात्भा का अनादय कयते शैं। जो फशन अऩने को वलधला भानती शै, लश ऩयभात्भा का अनादय कयती शै। अये ! जगतऩनत ऩयभात्भा वलद्यभान शोते शुए तू वलधला कैवे शो वकती शै ? वलश्व का नाथ वाथ भें शोते शुए तुभ अनाथ कैवे शो वकते शो ? अगय तुभ अऩने को अनाथ, अवशाम, वलधला इत्मादद भानते शो तो तुभन ेअऩन ेभानने की ळक्ति का दरुूऩमोग ककमा। वलश्वऩनत वदा भौजूद शै औय तुभ आॉवू फशाते शो ?

"भेये वऩता जी स्लगलुाव शो गमे.... भैं अनाथ शो गमा.........।"

"गुरुजी आऩ चरे जामेंगे... शभ अनाथ शो जाएॉगे....।"

नश ॊ नश ॊ....। तू लीय वऩता का ऩुि शै। ननबमु गुरू का चरेा शै। त ूतो लीयता वे कश दे कक, 'आऩ आयाभ वे अऩनी मािा कयो। शभ आऩकी उत्तयकक्रमा कयेंगे औय आऩके आदळों को, आऩके वलचायों को वभाज की वेला भें रगाएॉगे ताकक आऩकी वेला शो जाम।' मश वुऩुि औय वश्चत्ळष्म का कत्तवु्म शोता शै। अऩने स्लाथ ुके लरमे योना, मश न ऩत्नी के लरए ठ क शै न ऩनत के लरए ठ क शै, न ऩुि के लरए ठ क शै न लळष्म के लरए ठ क शै औय न लभि के लरए ठ क शै।

ऩैगॊफय भुशम्भद ऩयभात्भा को अऩना दोस्त भानते थे, जीवव ऩयभात्भा को अऩना वऩता भानते थे औय भीया ऩयभात्भा को अऩना ऩनत भानती थी। ऩयभात्भा को चाशे ऩनत भानो चाशे दोस्त भानो, चाशे वऩता भानो चाशे फेटा भानो, लश शै भौजूद औय तुभ फोरते शो कक भेये ऩाव फेटा नश ॊ शै.... भेय गोद खार शै। तो तुभ ईश्वय का अनादय कयते शो। तुम्शाये रृदम की गोद भें ऩयभात्भा फैठा शै, तुम्शाय इश्चन्िमों की गोद भें ऩयभात्भा भें फैठा शै।

तुभ भानते तो शो रेककन अऩनी रूचच के अनुवाय भानते शो, इवलरए योते यशत ेशो। भाॉग के अनुवाय भानते शो तो आयाभ ऩाते शो। भदशरा आॉवू फशा यश शै कक रूचच के अनुवाय फेटा अऩने ऩाव नश ॊ यशा। उवकी जशाॉ आलश्मकता थी, ऩयभात्भा ने उवको लशाॉ यख लरमा र्कमोंकक उवकी दृवष्ट केलर उव भदशरा की गोद मा उवका घय श नश ॊ शै। वाय ववृष्ट, वाया ब्रह्माण्ड उव ऩयभात्भा की गोद भें शै। तो लश फेटा कश ॊ बी शो, लश ऩयभात्भा की गोद भें श शै। अगय शभ रूचच के अनुवाय भन को फशने देते शैं तो दु् ख फना यशता शै।

रूचच के अनुवाय तुभ कयते यशोगे तो वभम फीत जामगा, रूचच नश ॊ लभटेगी। मश रूचच शै कक जया-वा ऩा रें..... जया वा बोग रें तो रूचच ऩूय शो जाम। ककन्तु ऐवा नश ॊ शै। बोगने वे रूचच गशय उतय जामगी। जगत का ऐवा कोई ऩदाथ ुनश ॊ जो रूचचकय शो औय लभरता बी यशे। मा तो ऩदाथ ुनष्ट शो जाएगा मा उवभें उफान आ जाएगी।

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रूचच को ऩोवना नश ॊ शै, ननलतृ्त कयना शै। रूचच ननलतृ्त शो गई तो काभ फन गमा, कपय ईश्वय दयू नश ॊ यशेगा। शभ गरती मश कयते शैं कक रूचच के अनुवाय वफ कयते यशते शैं। ऩाॉच-दव व्मक्ति श नश ॊ, ऩूया वभाज इवी ढाॉच ेभें चर यशा शै। अऩनी आलश्मकता को ठ क व ेवभझते नश ॊ औय रूचच ऩूय कयने भें रगे यशते शैं। ईश्वय तो अऩना आऩा शै, अऩना स्लरूऩ शै। ललळिजी भशायाज कशते शैं-

"शे याभजी ! पूर, ऩते्त औय टशनी तोड़ने भें तो ऩरयश्रभ शै, ककन्तु अऩने आत्भा-ऩयभात्भा को जानने भें र्कमा ऩरयश्रभ शै ? जो अवलचाय व ेचरते शैं, उनके लरए वॊवाय वागय तयना भशा कदठन शै, अगम्म शै। तुभ वय खे जो फुवद्धभान शैं उनके लरए वॊवाय वागय गोऩद की तयश तयना आवान शै। लळष्म भें जो वदगुण शोने चादशए ल ेतुभ भें शैं औय गुरू भें जो वाभर्थम ुशोना चादशए लश शभभें शै। अफ थोड़ा वा वलचाय कयो, तुयन्त फेड़ा ऩाय शो जामगा।"

शभाय आलश्मकता शै मोग की औय जीते शैं रूचच के अनुवाय। कोई शभाय फात नश ॊ भानता तो शभ गभ ुशो जाते शैं, रड़ने-झगड़ने रगते शैं। शभाय रूचच शै अशॊ ऩोवने की औय आलश्मकता शै अशॊ को वलवश्चजतु कयने की। रूचच शै अनुळावन कयने की, कुछ वलळऴे शुर्कभ चराने की औय आलश्मकता शै वफभें छुऩ ेशुए वलळऴे को ऩाने की।

आऩ अऩनी आलश्मकताएॉ ऩूय कयो, रूचच को ऩूय भत कयो। जफ आलश्मकताएॉ ऩूय कयने भें रगोगे तो रूचच लभटने रगेगी। रूचच लभट जामगी तो ळशॊळाश शो जाओगे। आऩभें कयने की, भानन ेकी, जानने की ळक्ति शै। रूचच के अनुवाय उवका उऩमोग कयते शो तो वत्मानाळ शोता शै। आलश्मकता के अनुवाय उवका उऩमोग कयोगे तो फेड़ा ऩाय शोगा।

आलश्मकता शै अऩने को जानने की औय रूचच शै रॊदन, न्मूमाकु, भास्को भें र्कमा शुआ, मश जानने की।

'इवने र्कमा ककमा... उवने र्कमा ककमा.... पराने की फायात भें ककतने रोग थे.... उवकी फशू कैवी आमी....' मश वफ जानने की आलश्मकता नश ॊ शै। मश तुम्शाय रूचच शै। अगय रूचच के अनुवाय भन को बटकाते यशोगे तो भन जीवलत यशेगा औय आलश्मकता के अनुवाय भन का उऩमोग कयोगे तो भन अभनीबाल को प्राप्त शोगा। उवके वॊकल्ऩ-वलकल्ऩ कभ शोंगे। फुवद्ध को ऩरयश्रभ कभ शोगा तो लश भेधाली शोगी। रूचच शै आरस्म भें औय आलश्मकता शै स्पूनत ुकी। रूचच शै थोड़ा कयके ज्मादा राब रेने भें औय आलश्मकता शै ज्मादा कयके कुछ बी न रेने की। जो बी लभरेगा लश नाळलान शोगा, कुछ बी नश ॊ रोगे तो अऩना आऩा प्रकट शो जामगा।

कुछ ऩाने की, कुछ बोगने की जो रूचच शै, लश शभें वलेश्वय की प्रानप्त वे लॊचचत कय देती शै। आलश्मकता शै 'नेकी कय कुएॉ भें पें क'। रेककन रूचच शोती शै, 'नेकी थोड़ी करूॉ औय चभकूॉ ज्मादा। फद फशुत करूॉ औय छुऩाकय यखूॉ।' इवीलरए यास्ता कदठन शो गमा शै। लास्तल भें ईश्वय-प्रानप्त का यास्ता यास्ता श नश ॊ शै, र्कमोंकक यास्ता तफ शोता शै जफ कोई चीज लशाॉ औय शभ मशाॉ शों, दोनों के फीच भें दयू शो। शकीकत भें ईश्वय ऐवा नश ॊ शै कक शभ मशाॉ शों औय ईश्वय कश ॊ दयू

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शो। आऩके औय ईश्वय के फीच एक इॊच का बी पावरा नश ॊ, एक फार श्चजतना बी अॊतय नश ॊ रेककन अबागी रूचच ने आऩको औय ईश्वय को ऩयामा कय ददमा शै। जो ऩयामा वॊवाय शै, लभटने लारा ळय य शै, उवको अऩना भशवूव कयामा। मश ळय य ऩयामा शै, आऩका नश ॊ शै। ऩयामा ळय य अऩना रगता शै। भकान शै ईंच-चनू-ेरर्ककड़-ऩत्थय का औय ऩयामा शै रेककन रूचच कशती शै कक भकान भेया शै।

स्लाभी याभतीथ ुकशते शैं- "शे भूख ुभनुष्मों ! अऩना धन, फर ल ळक्ति फड़-ेफड़ ेबलन फनाने भें भत खचो, रूचच को

ऩूनत ुभें भत खचो। अऩनी आलश्मकता के अनुवाय वीधा वादा ननलाव स्थान फनाओ औय फाकी का अभूल्म वभम जो आऩकी अवर आलश्मकता शै मोग की, उवभें रगाओ। ढेय वाय क्तडजाइनों के लस्त्रों की कतायें अऩनी अरभाय भें भत यखो। अऩने ददर की अरभाय भें आने का वभम फचा रो। श्चजतनी आलश्मकता शो उतने श लस्त्र यखो, फाकी का वभम मोग भें रग जामगा। मोग श तुम्शाय आलश्मकता शै। वलश्राश्चन्त तुम्शाय आलश्मकता शै। अऩने आऩको जानना तुम्शाय आलश्मकता शै। जगत की वेला कयना तुम्शाय आलश्मकता शै र्कमोंकक जगत वे ळय य फना शै तो जगत के लरए कयोगे तो तुम्शाय आलश्मकता अऩन ेआऩ ऩूय शो जामगी।

ईश्वय को आलश्मकता शै तुम्शाये प्माय की, जगत को आलश्मकता शै तुम्शाय वेला की औय तुम्शें आलश्मकता शै अऩन ेआऩको जानने की।

ळय य को जगत की वेला भें रगा दो, ददर भें ऩयभात्भा का प्माय बय दो औय फुवद्ध को अऩना स्लरूऩ जानने भें रगा दो। आऩका फेड़ा ऩाय शो जामगा। मश वीधा गणणत शै।

भानना, कयना औय जानना रूचच के अनुवाय नश ॊ फश्चल्क, आलश्मकता के अनुवाय श शो जाना चादशए। आलश्मकता ऩूय कयने भें नश ॊ कोई ऩाऩ, नश ॊ कोई दोऴ। रूचच ऩूय कयने भें तो शभें कई शथकॊ ड ेअऩनाने ऩड़ते शैं। जीलन खऩ जाता शै ककन्तु रूचच खत्भ नश ॊ शोती, फदरती यशती शै। रूचचकय ऩदाथ ुआऩ बोगते यशें तो बोगन ेका वाभर्थम ुकभ शो जामगा औय रूचच यश जामगी। देखने की ळक्ति खत्भ शो जाम औय देखने की इच्छा फनी यशे तो ककतना दु् ख शोगा ! वुनन ेकी ळक्ति खत्भ शो जाम औय वुनने की इच्छा फनी यशे तो ककतना दबुाुग्म ! जीने की ळक्ति षीण शो जाम औय जीने की रूचच फनी यशे तो ककतना दु् ख शोगा ! इवलरए भयते वभम दु् ख शोता शै। श्चजनकी रूचच नश ॊ शोती उन आत्भयाभी ऩुरूऴों को र्कमा दु् ख ? श्रीकृष्ण को देखते-देखते बीष्भ वऩताभश ने प्राण ऊऩय चढा ददमे। उन्शें भयने का कोई दु् ख नश ॊ।

वूॉघने की रूचच फनी यशे औय नाक काभ न कये तो ? मािा की रूचच फनी यशे औय ऩैय जलाफ दे दें तो ? ऩैवों की रूचच फनी यशे औय ऩैवे न शों तो ककतना दु् ख ? लाशलाश की रूचच शै औय लाशलाश न लभर तो ?

अगय रूचच के अनुवाय लाशलाश लभर बी जाम तो र्कमा रूचच ऩूय शो जामगी ? नश ॊ, औय ज्मादा लाशलाश की इच्छा शोगी। शभ जानते श शैं कक श्चजवकी लाशलाश शोती शै उवकी ननन्दा बी

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शोती शै। अत् लाशलाश वे रूचचऩूनत ुका वुख लभरता शै तो ननन्दा वे उतना श दु् ख शोगा। औय इतने श ननन्दा कयने लारों के प्रनत अन्मामकाय वलचाय उठें गे। अन्मामकाय वलचाय श्चजव रृदम भें उठें गे, उवी रृदम को ऩशरे खयाफ कयेंगे। अत् शभ अऩना श नुकवान कयेंगे।

एक शोता शै अनुळावन, दवूया शोता शै क्रोध। श्चजन्शें अऩने वुख की कोई रूचच नश ॊ, जो वुख देना चाशते शैं, श्चजन्शें अऩने बोग की कोई इच्छा नश ॊ शै, उनकी आलश्मकता वशज भें ऩूय शोती शै। जो दवूयों की आलश्मकता ऩूय कयने भें रगे शैं, ले अगय डाॉटते बी शैं तो लश अनुळावन शो जाता शै। जो रूचचऩूनत ुके लरए डाॉटते शैं, लश क्रोध शो जाता शै। आलश्मकताऩूनत ुके लरए अगय वऩटाई बी कय द जाम तो बी प्रवाद फन जाता शै।

भाॉ को आलश्मकता शै फेटे को दलाई वऩराने की तो भाॉ थप्ऩड़ बी भायती शै, झूठ बी फोरती शै, गार बी देती शै कपय बी उवे कोई ऩाऩ नश ॊ रगता। दवूया कोई आदभी अऩनी रूचच ऩूनत ुके लरए ऐवा श व्मलशाय उवके फेटे व ेकये तो देखो, भाॉ मा दवूये रोग बी उवकी कैवी खफय रे रेते शैं ! ककवी की आलश्मकताऩूनत ुके लरए ककमा शुआ क्रोध बी अनुळावन फन जाता शै। रूचच ऩूनत ुके लरए ककमा शुआ क्रोध कई भुवीफतें खड़ी कय देता शै।

एक वलनोद फात शै। ककवी जाट ने एक वूदखोय फननमे वे वौ रूऩमे उधाय लरमे थे। कापी वभम फीत जाने ऩय बी जफ उवने ऩैव ेनश ॊ रौटामे तो फननमा अकुराकय उवके ऩाव लवूर के लरए गमा।

"बाई ! तू ब्माज भत दे, भूर यकभ वौ रूऩमे तो दे दे। ककतना वभम शो गमा ?"

जाट गुयाुकय फोरा् "तुभ भुझ ेजानते शो न ? भैं कौन शूॉ?"

"इवीलरए तो कशता शूॉ कक ब्माज भत दो। केलर वौ रूऩमे दे दो।"

"वौ लौ नश ॊ लभरेंगे। भेया कशना भानो तो कुछ लभरेगा।"

फननमे ने वोचा कक खार शाथ रौटने व ेफेशतय शै, जो कुछ लभरे लश रे रूॉ।

जाट ने कशा् "देखो, भगय आऩको ऩैव ेरेने शो तो भेय इतनी वी फात भानो। आऩके वौ रूऩमें शैं ?"

"शाॉ"।

"तो वौ के कय दो वाठ।"

"ठ क शै, वाठ दे दो।"

"ठशयो, भुझ ेफात ऩूय कय रेने दो। वौ के कय दो वाठ.... आधा कय दो काट.. दव देंगे... दव छुड़ामेंगे औय दव के जोड़ेंगे शाथ। अबी दकुान ऩय ऩशुॉच जाओ।"

लभरा र्कमा ? फननमा खार शाथ रौट गमा।

ऐवे श भन की जो इच्छाएॉ शोती शैं, उवको कशेंगे कक बाई ! इच्छाएॉ ऩूय कयेंगे रेककन अबी तो वौ की वाठ कय दे, औय उवभें व ेआधा काट कय दे। दव इच्छाएॉ तेय ऩूय कयेंगे

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धभाुनुवाय, आलश्मकता के अनुवाय। दव इच्छाओॊ की तो कोई आलश्मकता श नश ॊ शै औय ळऴे दव व ेजोड़ेंगे शाथ। अबी तो बजन भें रगेंगे, औयों की आलश्मकता ऩूय कयने भें रगेंगे।

जो दवूयों की आलश्मकता ऩूय कयने भें रगता शै, उवकी रूचच अऩने आऩ लभटती शै औय आलश्मकता ऩूय शोने रगती शै। आऩको ऩता शै कक जफ वेठ का नौकय वेठ की आलश्मकताएॉ ऩूय कयने रगता शै तो उवके यशने की आलश्मकता की ऩूनत ुवेठ के घय भें शो जाती शै। उवकी अन्न-लस्त्रादद की आलश्मकताएॉ ऩूय शोने रगती शैं। ड्रामलय अऩने भालरक की आलश्मकता ऩूय कयता शै तो उवकी घय चराने की आलश्मकताऩूनत ुभालरक कयता श शै। कपय लश आलश्मकता फढा दे औय वलरावी जीलन जीना चाशे तो गड़फड़ शो जामगी, अन्मथा उवकी आलश्मकता जो शै उवकी ऩूनत ुतो शो श जाती शै। आलश्मकता ऩूनत ुभें औय रूचच की ननलवृत्त भें रग जाम तो ड्रामलय बी भुि शो वकता शै, वेठ बी भुि शो वकता शै, अनऩढ बी भुि शो वकता शै, लळक्षषत बी भुि शो वकता, ननधनु बी भुि शो वकता शै, धनलान बी भुि शो वकता शै, देळी बी भुि शो वकता शै, ऩयदेळी बी भुि शो वकता शै। अये, डाकू बी भुि शो वकता शै।

आऩके ऩाव सान शै, उव सान का आदय कयो। कपय चाशे गॊगा के ककनाये फैठकय आदय कयो मा मभुना के ककनाये फैठकय आदय कयो मा वभाज भें यशकय आदय कयो। सान का उऩमोग कयने की करा का नाभ शै वत्वॊग।

वफके ऩाव सान शै। लश सानस्लरूऩ चतैन्म श वफका अऩना आऩा शै। रेककन फुवद्ध के वलकाव का पकु शै। सान तो भच्छय के ऩाव बी शै। फुवद्ध की भॊदता के कायण रूचचऩूनत ुभें श शभ जीलन खच ुककमे जाते शैं। श्चजवको शभ जीलन कशते शैं, लश ळय य शभाया जीलन नश ॊ शै। लास्तल भें सान श शभाया जीलन शै, चतैन्म आत्भा श शभाया जीलन शै।

ॐकाय का जऩ कयने वे आऩकी आलश्मकताऩूनत ुकी मोग्मता फढती शै औय रूचच की ननलवृत्त भें भदद लभरती शै। इवलरए ॐकाय (प्रणल) भॊि वलोऩरय भाना जाता शै। शाराॉकक वॊवाय दृवष्ट व ेदेखा जाम तो भदशराओॊ को एलॊ गशृश्चस्थमों को अकेरा ॐकाय का जऩ नश ॊ कयना चादशए, र्कमोंकक उन्शोंने रूचचमों को आलश्मकता का जाभा ऩशनाकय ऐवा वलस्ताय कय यखा शै कक एकाएक अगय लश वफ टूटने रगेगा तो ले रोग घफया उठें गे। एक तयप अऩनी ऩुयानी रूचच खीॊचगेी औय दवूय तयप अऩनी भूरबूत आलश्मकता – एकाॊत की, आत्भवाषात्काय की इच्छा आकवऴतु कयेगी। प्रणल के अचधक जऩ व ेभुक्ति की इच्छा जोय भायेगी। इववे गशृस्थी के इदु-चगदु जो रूचच ऩूनत ुकयने लारे भॊडयाते यशते शैं, उन वफको धर्कका रगेगा। इवलरए गशृश्चस्थमों को कशते शैं कक अकेरे ॐ का जऩ भत कयो। ऋवऴमों ने ककतना वूक्ष्भ अध्ममन ककमा शै।

वभाज को आऩके प्रेभ की, वान्तलना की, स्नेश की औय ननष्काभ कभ ुकी आलश्मकता शै। आऩके ऩाव कयने की ळक्ति शै तो उवे वभाज की आलश्मकताऩूनत ुभें रगा दो। आऩकी आलश्मकता भाॉ, फाऩ, गुरू औय बगलान ऩूय कय देंगे। अन्न, जर औय लस्त्र आवानी व ेलभर जामेंगे। ऩय टैय कोटन कऩड़ा चादशए, ऩप-ऩालडय चादशए तो मश रूचच शै। रूचच के अनुवाय जो

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चीजें लभरती शैं, ले शभाय शानन कयती शैं। आलश्मकतानुवाय चीजें शभाय तन्दरुूस्ती की बी यषा कयती शै। जो आदभी ज्मादा फीभाय शै, उवकी फुवद्ध वुभनत नश ॊ शै।

चयक-वॊदशता के यचनमता ने अऩने लळष्म को कशा कक तॊदरूस्ती के लरए बी फुवद्ध चादशए। वाभाश्चजक जीलन जीने के लरए बी फुवद्ध चादशए औय भयने के लरम बी फुवद्ध चादशए। भयते वभम बी अगय फुवद्ध का उऩमोग ककमा जाम कक, 'भौत शो यश शै इव देश की, भैं तो चतैन्म व्माऩक आत्भा शूॉ।' ॐकाय का जऩ कयके भौत का बी वाषी फन जामें। जो भतृ्मु को बी देखता शै उवकी भतृ्मु नश ॊ शोती। क्रोध को देखने लारे शो जाओ तो क्रोध ळाॊत शो जामेगा। मश फुवद्ध का उऩमोग शै। जैव ेआऩ गाड़ी चराते शो औय देखते शुए चराते शो तो खड्ड ेभें नश ॊ चगयती औय आॉख फन्द कयके चराते शो तो फचती बी नश ॊ। ऐवे श क्रोध आमा औय शभने फुवद्ध का उऩमोग नश ॊ ककमा तो फश जामेंगे। काभ, रोब औय भोशादद आमें औय वतकु यशकय फुवद्ध व ेकाभ नश ॊ लरमा तो मे वलकाय शभें फशा रे जामेंगे।

रोब आमे तो वलचायों कक आणखय कफ तक इन ऩद-ऩदाथों को वॊबारते यशोगे। आलश्मकता तो मश शै कक फशुजनदशताम, फशुजनवुखाम इनका उऩमोग ककमा जामे औय रूचच शै इनका अम्फाय रगाने की। अगय रूचच के अनुवाय ककमा तो भुवीफतें ऩैदा कय रोगे। ऐवे श आलश्मकता शै कश ॊ ऩय अनुळावन की औय आऩने क्रोध की पुपकाय भाय द तो जाॉच कयो कक उव वभम आऩका रृदम तऩता तो नश ॊ। वाभने लारे का अदशत शो जामे तो शो जामे ककन्तु आऩकी फात अक्तडग यशे – मश क्रोध शै। वाभने लारा का दशत शो, अदशत तननक बी न शो, अगय मश बालना गशयाई भें शो तो कपय लश क्रोध नश ॊ, अनुळावन शै। अगय जरन भशवूव शोती शै तो क्रोध घुव गमा। काभ फुया नश ॊ शै, क्रोध फुया नश ॊ शै, रोब-भोश औय अशॊकाय फुया नश ॊ शै। धभाुनुकूर वफकी आलश्मकता शै। अगय फुया शोता तो ववृष्टकताु फनाता श र्कमों ? जीलन-वलकाव के लरए इनकी आलश्मकता शै। दु् ख फुया नश ॊ शै। ननन्दा, अऩभान, योग फुया नश ॊ शै। योग आता शै तो वालधान कयता शै कक रूचचमाॉ भत फढाओ। फेऩयलाश भत कयो। अऩभान बी लवखाता शै कक भान की इच्छा शै, इवलरए दु् ख शोता शै। ळुकदेल जी को भान भें रूचच नश ॊ शै, इवलरए कोई रोग अऩभान कय यशे शैं कपय बी उन्शें दु् ख नश ॊ शोता। यशुगण याजा ककतना अऩभान कयते शैं, ककन्तु जड़बयत ळाॊतचचत्त यशते शैं।

अऩभान का दु् ख फताता शै कक आऩको भान भें रूचच शै। दु् ख का बाल फताता शै कक वुख भें रूचच शै। कृऩा कयके अऩनी रूचच ऩयभात्भा भें श यखो।

वुख, भान औय मळ भें नश ॊ पॉ वोगे तो आऩ त्रफल्कुर स्लतॊि शो जाओगे। मोगी का मोग लवद्ध शो जामगा, तऩी का तऩ औय बि की बक्ति वपर शो जामगी। फात अगय जॉचती शै तो इवे अऩनी फना रेना। तुभ दवूया कुछ नश ॊ तो कभ व ेकभ अऩने अनुबल का तो आदय कयो। आऩको रूचच अनुवाय बोग लभरते शैं तो बोग बोगते-बोगते आऩ थक जाते शैं कक नश ॊ ? ऊफान शै कक नश ॊ ? ... इव सान का आदय कयो। 'फशुजनदशताम-फशुजनवुखाम' काभ कयते शो तो

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आऩको आनन्द आता शै। आऩका भन एलॊ फुवद्ध वलकलवत शोती शै। मश बी आऩका अनुबल शै। वत्वॊग के फाद आऩको मश भशवूव शोता शै कक फदढमा काम ुककमा। ळाॊनत, वुख एलॊ वुभनत लभर । ....तो अऩने अनुबल की फात को आऩ ऩर्ककी कयके रृदम की गशयाई भें उताय रो कक रूचच की ननलवृत्त भें श आनन्द शै औय आलश्मकता तो स्लत् ऩूय शो जामेगी।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

प्रानप्त औय प्रतीनत

जो अऩने को ळुद्ध-फुद्ध ननष्करॊक नायामणस्लरूऩ भानता शै, उवके वाये कल्भऴ लभट जाते शैं, ब्रह्मशत्मा जैव ेऩाऩ बी दयू शो जाते शैं औय अॊतयतभ चतैन्मस्लरूऩ का वुख प्रकट शोने रगता शै। देलताओॊ वे लश ऩूश्चजत शोने रगता शै। मष, गॊधल,ु ककन्नय उवके द दाय कयके अऩना बाग्म फना रेते शैं।

भुननळादूुर ललळिजी श्रीयाभचन्िजी वे कशते शैं- "जील को अऩना ऩयभ कल्माण कयना शो तो प्रायम्ब भें दो प्रशय (छ् घण्टे) आजीवलका के ननलभत्त मत्न कये औय दो प्रशय वाधवुभागभ, वत्ळास्त्रों का अलरोकन औय ऩयभात्भा का ध्मान कयें। प्रायम्ब भें जफ आधा वभम ध्मान, बजन औय ळास्त्र वलचाय भें रगामेगा तफ उवकी अॊतयचतेना जागेगी। कपय उवे ऩूया वभम आत्भ-वाषात्काय मा ईश्वय-प्रानप्त भें रगा देना चादशए।"

श्रीकृष्ण ने गीता भें बी कशा् मस्त्लात्भयनतयेल स्मादात्भतपृ्ति भानल्।

आत्भन्मेल च वॊतुष्टस्तस्म काम ंन वलद्यते।। 'जो भनुष्म आत्भा भें श यभण कयने लारा औय आत्भा भें श तपृ्त तथा आत्भा भें श

वॊतुष्ट शो, उवके लरए कोई कत्तवु्म नश ॊ शै।'

(बगलद् गीता् 3.17) आत्भयनत, आत्भतनृप्त औय आत्भप्रीनत श्चजवको लभर गई, उवके लरए फाह्य जगत का कोई

कत्तवु्म यशता नश ॊ। उवका आत्भवलश्राॊनत भें यशना श वफ जीलों का, याष्ट्र का औय वलश्व का कल्माण कयना शै। जो ऩुरूऴ वलगतस्ऩशृा शै, वलगतदु् ख शै, वलगतज्लय शै, उवके अश्चस्तत्ल भाि वे लातालयण भें फशुत-फशुत भधयुता आती शै। प्रकृनत उनके अनुकूर शोती शै। तयतीव्र प्रायब्धलेग व ेउनके जीलन भें प्रनतकूरता आती शै तो ले उदद्वग्न नश ॊ शोते। ऐव ेश्चस्थतप्रस भशाऩुरूऴ के ननकट यशने लारे वाधक को चादशए कक लश ददन का चाय बाग कय दे। एक बाग लेदान्त ळास्त्र का वलचाय कये। एक बाग ऩयभात्भा के ध्मान भें रगाले। ऩयभात्भा का ध्मान कैवे ? 'भन को, इश्चन्िमों को, चचत्त को जो चतेना दे यशा शै लश चतैन्म आत्भा भैं शूॉ। भैं लास्तल भें जन्भने-भयने

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लारा जड़ ळय य नश ॊ शूॉ। देश भें अशॊ कयके जीने लारा जील भैं नश ॊ शूॉ। भैं इन वफव ेऩये, ळुद्ध-फुद्ध वनातन वत्म चतैन्म आत्भा शूॉ। आनन्दस्लरूऩ शूॉ, ळाॊतस्लरूऩ शूॉ। भैं फोधस्लरूऩ शूॉ.... सानस्लरूऩ शूॉ।' जो ऐवा चचन्तन कयता शै लश लास्तल भें अऩने ईश्वयत्ल का चचॊतन कयता शै, अऩने ब्रह्मत्ल का चचॊतन कयता शै। इवी चचन्तन भें ननभग्न यशकय अऩने चचत्त को ब्रह्मभम फना दे।

कपय तीवया प्रशय वॊतवेला, वदगुरूवेला भें रगाले। आधी अवलद्या तो वदगुरू की वेला वे श दयू शो जाती शै। फाकी की आधी अवलद्या ध्मान, जऩ औय ळास्त्रवलचाय इन तीन वाधनों व ेदयू कयके जील भुि शो जाता शै।

फड़ ेभें फड़ा फन्धन शै कक अवलद्या भें यव आ यशा शै। इवलरए ईश्वय प्रानप्त के लरमे छटऩटाशट नश ॊ शोती। अवलद्या उवे कशते शैं, जो अवलद्यभान लस्त ुशो।

लस्तुएॉ दो प्रकाय की शोती शैं- एक अवलमभान लस्तु औय दवूय वलद्यभान लस्तु। अवलद्यभान लस्तु प्रतीत शोती शै। वलद्यभान लस्तु प्राप्त शोती शै। जो प्रतीत शोती शै, उवभें धोखा शोता शै औय जो प्राप्त शोती शै, उवभें ऩूणतुा शोती शै। जैव,े स्लप्न भें लबखाय को प्रतीत शोता शै कक भैं याजा शूॉ। इन्ि को स्लप्न आ जाम कक भैं लबखाय शूॉ। स्लप्न भें लबखाय शोना बी धोखा शै, याजा शोना बी धोखा शै। धोखे के वभम प्रतीनत वच्ची रगती शै। प्रतीनत ऐव ेढॊग वे शोती शै कक प्रतीनत प्रानप्त रगती शै। लबखाय वोमा शै वड़ी गर छत के नीच ेपट शुई गुदड़ी ऩय औय स्लप्न भें शो गमा याजा। तेजफशादयु वोमा शै अऩन ेभशर भें औय स्लप्न भें शो गमा लबखाय । श्चजव वभम लबखाय शोने का स्लप्न चारू शै, उव वभम तेजफशादयु को कोई कश दे कक तू लबखाय नश ॊ शै, फादळाश शै तो लश भानेगा नश ॊ, र्कमोंकक प्रतीनत प्रानप्त रगती शै। लास्तवलक प्रानप्त र्कमा शै ? ले दोनों स्लप्न वे जाग जामें तो अऩने को जान रें कक लस्तुत् ले र्कमा शैं।

नीॊद भें ददखने लार स्लप्न जगत की भामा दशता नाभ की नाड़ी भें ददखती शै। जाग्रत की भामा वलता नाभ की नाड़ी भें ददखती शै। मश केलर प्रतीनत शो यश शै। प्रतीनत तफ तक नश ॊ लभटती, जफ तक प्रानप्त नश ॊ शुई। प्रानप्त शोती शै ननत्म लस्तु की। प्रतीनत शोती शै अननत्म लस्तु की। 'भैं M.B.B.S. शूॉ' मश प्रतीनत शै। भतृ्म ुका झटका आमा, क्तडग्री खत्भ शो गई। 'भैं M.D. शूॉ... भैं L.L.B. शूॉ... भैं उद्योगऩनत शूॉ, भैं फड़ा धनलान शूॉ... भैं कॊ गार शूॉ, भैं ऩटेर शूॉ... भैं गुजयाती शूॉ... भैं लवॊधी शूॉ... भुझ ेमश वभस्मा शै... भुझ ेमश ऩाना शै.. भुझ ेमश ऩकड़ना शै.. भुझ ेमश छोड़ना शै..." मे वफ प्रतीनत शै। प्रतीनत जफ तक वत्म रगती यशेगी, प्रतीनत भें प्रतीनत का दळनु नश ॊ शोगा, प्रतीनत भें प्रानप्त का दळनु शोगा, तफ तक दु् खों का अॊत नश ॊ आमगा।

कबी न छूटे वऩण्ड दु् खों वे।

श्चजव ेब्रह्म का सान नश ॊ।। एक दु् ख नश ॊ, शजाय दु् ख लभटा दो, कपय बी कोई न कोई दु् ख यश जाता शै। जफ प्रानप्त

शोती शै, तफ शजाय वलघ्न आ जामें कपय बी उदद्वग्न नश ॊ कयते, वुख भें स्ऩशृा नश ॊ कयाते।

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प्रतीनत शोती शै भामा भें औय प्रानप्त शोती शै अऩने ऩयब्रह्म ऩयभात्भा-स्लबाल की। प्राप्त शोने लार एक श चीज शै, प्राप्त शोने लारा एक श तवल शै औय लश शै ऩयभात्भ-तवल। उवकी श केलर प्रानप्त शोती शै।

प्रतीनत शोती शै लवृत्तमों वे।

आज 20 भई शै। अगरे लऴ ुकी 20 भई के ददन आऩको रगा शोगा कक, 'भुझ ेमश वुख लभरा.... भैंने मश खामा... लश वऩमा... वुफश भें चाम लभर .. दोऩशय को बोजन लभरा....' आदद आदद। रेककन अफ फताओ, उवभें वे अफ आऩके ऩाव कुछ शै ? गत लऴ ुके कई भश ने की 20 ताय ख को जो कुछ वुख-दु् ख लभरा, भान-अऩभान लभरा, अये ऩूये भई भश ने भें जो कुछ वुख-दु् ख, भान-अऩभान लभरे ले अबी शैं ? लश वफ प्रतीनत थी। वफ प्रतीत शोकय फश गमा। प्रतीनत का वाषी दृष्टा चतैन्म ऩयभात्भा यश गमा।

जो यश गमा, लश जीलन शै औय जो फश गमा, लश भतृ्मु शै। एक ददन ळय य बी फश जामेगा भतृ्मु की धाया भें रेककन तुभ यश जाओगे। अगय अऩने को जानोगे तो वदा के लरए ननफधं नायामण स्लरूऩ भें श्चस्थत शो जाओगे।

जो फाशय वे लभरेगा, लश वफ प्रतीनत भाि शोगा। ळय य बी प्रतीनत भाि शै कक 'भैं पराना शूॉ..... भैं न्मामाधीळ शूॉ......... भैं उद्योगऩनत शूॉ....' मश व्मलशाय कार भें केलर प्रतीनत शै। 'भैं गय फ शूॉ...' मश प्रतीनत शै।

जैव ेस्लप्न की चीजों को वाथ भें रेकय आदभी जाग नश ॊ वकता, ऐव ेश प्रतीनत को वच्चा भानकय ऩयभात्भ-तवल भें जाग नश ॊ वकता। लळलजी ऩालतुी वे कशत ेशैं-

उभा कशों भैं अनुबल अऩना।

वत्म शरय बजन जगत वफ वऩना।। स्लप्न भें जो कुछ लभरता शै, लश वचभुच भें प्राप्त शोता शै कक लभरने की भाि प्रतीनत

शोती शै ? लस्तुत् प्रतीनत श शोती शै।

फचऩन भें आऩको णखरौने लभरे थे, वुख-दु् ख लभरे थे, भान-अऩभान लभरा था लश प्राप्त शुआ था कक प्रतीत शुआ था ? प्रतीत शुआ था। कर जो कुछ वुख-दु् ख लभरा, लश बी प्रतीत शुआ। ऐवे श आज बी जो कुछ लभरेगा, लश बी प्रतीनत भाि शोगा।

फचऩन बी प्रतीनत, मुलानी बी प्रतीनत, फुढाऩा बी प्रतीनत तो जीलन बी प्रतीनत औय भतृ्मु बी प्रतीनत। मश लास्तल भें प्रतीनत शो यश शै। इव प्रतीनत को वच्चा भान यशे शैं.... प्रानप्त भान यशे शैं, इवलरए प्राप्त ऩय ऩयदा ऩड़ा शै।

प्रानप्त शोती शै ऩयभात्भा की। प्रतीनत शोती शै ऩयभात्भा की, भामा की। जैवे जर के ऊऩय तयॊगे उछरती शैं, ऐवे श प्रानप्त की वत्ता वे प्रतीनत की तयॊगे उछरती शैं। तयॊग को ककतना बी वॊबारकय यखो, रेककन तयॊग तो तयॊग श शै। ऐवे श प्रतीनत को ककतना बी वॊबारकय यखो, प्रतीनत तो प्रतीनत श शै।

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अफ शभें र्कमा कयना चादशए ?

प्रतीनत को जफ प्रतीनत वभझेंगे, तफ अनुऩभ राब शोगा। प्रतीनत को अगय ठ क वे प्रतीनत भान लरमा, प्रतीनत जान लरमा तो प्रानप्त शो जामेगी अथला प्रानप्त तवल को ठ क वे जान लरमा तो प्रतीनत का आकऴणु छूट जामेगा। प्रानप्त भें दटक गमे तो प्रतीनत का आकऴणु छूट जामेगा।

प्रानप्त शोती शै ऩयभात्भा की औय प्रतीनत शोती शै भामा की। प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध शोने वे उवका आकऴणु यशता शै। उवको कशते शैं लावना। लावना ऩूण ुकयने भें कोई फड़ा आदभी वलघ्न डारता शै तो बम रगता शै, छोटा आदभी वलघ्न डारता शै तो क्रोध आता शै औय फयाफय का आदभी वलघ्न डारता शै तो ईष्माु शोती शै।

प्रतीनत की लावना थोड़ी फशुत ऩूय शुई तो 'औय लभर जाम' ऐवी आळा फनती शै। कपय 'औय लभरे... औय लभरे....' ऐवे रोब फनता शै। प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध शोने वे श आळा, तषृ्णा, लावना, बम, क्रोध, ईष्माु, उदे्वग आदद वाय भुवीफतें आती शैं। प्रतीनत को वत्म भानने भें, प्रतीनत को प्रानप्त भानने भें वाये दोऴ आते शैं।

बगलान श्री कृष्ण अजुनु वे कशते शै- दु् खेष्लनुदद्वग्नभना ्वुखेऴ ुवलगतस्ऩशृ्। लीतयागबमक्रोध ्श्चस्थतधीभुुननरूच्मते।।

'दु् खों की प्रानप्त शोने ऩय श्चजवके भन भें उदे्वग नश ॊ शोता, वुखों की प्रानप्त भें जो वलथुा नन्स्ऩशृ शै तथा श्चजवके याग, बम औय क्रोध नष्ट शो गमे शै, ऐवा भुनन श्चस्थयफुवद्ध कशा जाता शै।'

(बगलद् गीता् 2.56) दु् ख आमे तो भन को उदद्वग्न भत कयो। वुख की स्ऩशृा भत कयो।

भुनन भाने जो वालधानी वे भनन कयता शै कक प्रतीनत भें कश ॊ उरझ तो नश ॊ यशा शूॉ ? जो छूटन ेलारा शै, उवको वच्चा वभझकय अछूट वे कश ॊ फाशय तो नश ॊ जा यशा शूॉ ? अछूट भें दटका शूॉ मा छूटने लारे भें उरझ यशा शूॉ ? इव प्रकाय वालधानी व ेजो भनन कयता शै, उवकी फुवद्ध श्चस्थय शो जाती शै। उवकी प्रसा प्रानप्त भें प्रनतवित शो जाती शै, ऩयभात्भाभम फन जाती शै।

बिभार भें एक कथा आती शै।

अभयदाव नाभ के एक वॊत शो गमे। ल ेजफ तीन वार के थे, तफ भाॉ की गोद भें फैठे-फैठे कुछ प्रश्न ऩूछने रगे्

"भाॉ ! भैं कौन शूॉ ?"

फेटा ! तू भेया फेटा शै ?

"तेया फेटा कशाॉ शै?"

भाॉ ने उवके लवय ऩय शाथ यखकय, उवके फार वशराते शुए कशा् "मश यशा भेया फेटा।"

"मे तो लवय औय फार शै।"

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भाॉ ने दोनों गारों को स्ऩळु कयते शुए कशा् "मश शै भेया गुरडू़।"

"मे तो गार शैं।"

शाथ को छूकय भाॉ ने कशा् "मश शै भेया फेटा।"

"मे तो शाथ शै।"

अभयदाव लास्तल भें गत जन्भ के प्रानप्त की ओय चरने लारे वाधक यशे शोंगे। इवीलरए तीन वार की उम्र भें ऐवा प्रश्न उठा यशे थे। वाधक का रृदम तो ऩालन शोता शै। श्चजवका रृदम ऩालन शोता शै, लश आदभी अच्छा रगता शै। ऩाऩी चचत्तलारा आदभी आता शै, उवको देखकय चचत्त उदद्वग्न शोता शै। शे्रि आत्भा आता शै, ऩुण्मात्भा आता शै तो उवको देखकय रृदम ऩुरककत शोता शै। इवी फात को तुरवीदावजी न ेइव प्रकाय कशा शै्

एक लभरत दारूण दु् ख देलदशॊ।

दवूय त्रफछुड़त प्राण शय रेलदशॊ।। कू्रय आदभी आता शै तो चचत्त भें दु् ख शोने रगता शै। वदगुणी, वज्जन जफ शभवे

त्रफछुड़ता शै, दयू शोता शै, तफ भानो शभाये प्राण लरमे जा यशा शै। अभयदाव ऐवा श भधयु फारक था। भाॉ का इतना लात्वल्म औय इतना वभझदाय फेटा ! तीन लऴ ुकी उम्र भें ऐव-ेऐवे प्रश्न कये ! रृदम भें ऩूण ुननदोऴता शै। ननदोऴ फच्चा प्माया रगता श शै। भाॉ ने अभयदाव को छाती वे रगा लरमा।

"मश शै भेया फेटा।"

"मश तो ळय य शै। मश ळय य कफ वे तेये ऩाव शै ?"

"मश तो ळाद के फाद भेये ऩाव आमा।"

"तो भाॉ उवके ऩशरे भैं कशाॉ था ? ळाद के फाद तेये ऩाव भैं नश ॊ आमा। तुम्शाये ळय य वे भेये ळय य का जन्भ शुआ। तुम्शाय ळाद के ऩशरे बी कश ॊ था। इवका अथ ुशै कक ळय य भैं नश ॊ शूॉ। मश ळय य नश ॊ था, तफ बी भैं था। ळय य नश ॊ यशेगा, तफ बी भैं यशूॉगा। तो लश भैं कौन शूॉ ?"

'भैं कौन शूॉ ?' इवकी खोज प्रानप्त भें ऩशुॉचा देती शै। 'भैं आवायाभ शूॉ..... भैं गोवलन्दबाई शूॉ...' मश प्रतीनत शै। मश ळय य बी प्रतीनत शै, ळय य के वम्फन्ध बी प्रतीनत शैं, ळय य वे वम्फश्चन्धत जड़ लस्तु मा चतेन व्मक्ति आदद वफ प्रतीनत भाि शैं। प्रतीनत श्चजवकी वत्ता व ेशो यश शै, लश शै प्रानप्त।

ळय य बी प्रतीनत, इश्चन्िमाॉ बी प्रतीनत। शाथ बी प्रतीनत, आॉख बी प्रतीनत, कान बी प्रतीनत। आॉख ठ क वे देख यश शै कक नश ॊ देख यश शै, कान ठ क व ेवुन यशे शैं कक नश ॊ वुन यशे शैं, मश बी प्रतीनत शो यश शै। भन भें ळाश्चन्त शै कक अळाश्चन्त, इवकी बी प्रतीनत शो यश शै। फुवद्ध भें माद यशता शै कक नश ॊ यशता, इवकी बी प्रतीनत शो यश शै।

प्रतीनत श्चजवको शोती शै, उवको अगय खोजोगे तो प्रानप्त शो जामेगी, फेड़ा ऩाय शो जामेगा।

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शभ रोग गरती कयते शैं कक प्रतीनत के वाथ अऩने को जोड़ देते शैं। प्रतीनत शोने लारे ळय य को 'भैं' भान रेते शैं। शभ र्कमा शैं ? शभ प्रानप्त तवल शै, उधय ध्मान नश ॊ जाता।

भॊददय लारे भॊददय भें जा जाकय आणखय मभऩुय ऩशुॉच जाते शैं, स्लगाुदद भें ऩशुॉच जाते शैं। भश्चस्जदलारे बी अऩने ढॊग वे कश ॊ न कश ॊ ऩशुॉच जाते शैं। अऩने-आऩ भें, आत्भ-ऩयभात्भा भें कोई वलयरे श आते शैं। जो प्रानप्त भें डट जाता शै, लश ऩयभात्भा भें आता शै औय फाकी के रोग रोक-रोकान्तय भें औय जन्भ-भयण के चर्ककय भें बटकते यशते शैं। धन्म तो ले शैं जो अऩने आऩ भें आमे, ऩयभात्भा भें आमे। ले तो धन्म शोते श शैं, उनकी भीठ दृवष्ट झरेने लारे बी धनबागी शो जाते शैं।

दैत्मगुरू ळुक्राचाम ुयाजा लऴृऩलाु के गुरू थे। ल ेउवी के नगय भें यशते थे। ळुक्राचाम ुकी ऩुिी थी देलमानी। उवकी वशेर थी लऴृऩलाु याजा की ऩुिी ळलभिुा। ळलभिुा कुछ अऩने स्लबाल की थी, प्रतीनत भें उरझी शुई रड़की थी। ळय य के रूऩ रालण्म, दटऩ-टाऩ आदद भें रूचच यखने लार थी।

एक फाय दोनों वशेलरमाॉ स्नान कयने गई। ळलभिुा ने बूर वे देलमानी के कऩड़ ेऩशन लरमे। देलमानी बी गुरू की ऩुिी थी, लश बी कुछ कभ नश थी। उवने ळलभिुा को वुना ददमा्

"इतनी बी अर्कर नश ॊ शै ? याजकुभाय शुई शै औय दवूयो के कऩड़ ेऩशन रेती शै ? बूर जाती शै ?"

ळलभिुा ने गुस्वे भें देलमानी को उठाकय कुएॉ भें डार ददमा औय चर गई। देलमानी दैत्मगुरू की ऩुिी थी। दैलमोग वे कुएॉ भें ऩानी ज्मादा नश ॊ था। लशाॉ वे गुजयते शुए याजा ममानत न ेदेलमानी की रूदन-ऩुकाय वुनी औय उवे फाशय ननकरलामा।

ळुक्राचाम ुने वोचा् श्चजव याजा की ऩुिी अऩनी गुरू ऩुिी को कुएॉ भें डार देती शै, ऐवे ऩाऩी याजा के याज्म न ेशभ नश ॊ यशेंगे। ल ेयाज्म छोड़कय जाने रगे। याजा को ऩता चरा की ळुक्राचाम ुकुवऩत शोकय जा यशे शैं औय मश याज्म के लरए ळुब नश ॊ शै। अत् कैवे बी कयके उनको योकन चादशए। याजा ऩशुॉचा ळुक्राचाम ुके चयणों भें औय भापी भाॉगने रगा। उन्शोंने कशा्

"भुझवे भापी र्कमा भाॉगत ेशो ? गुरूऩुिी का अऩभान शुआ शै तो उवी को याजी कयो।"

याजा देलमानी के ऩाव गमा।

"आसा कयो देली ! आऩ कैवे वन्तुष्ट शोंगी ?"

"भैं ळाद कयके जशाॉ जाऊॉ , लशाॉ तुम्शाय फेट ळलभिुा भेय दावी शोकय चरे। तुभ अऩनी फेट भुझ ेदशेज भें दे दो, लश भेय दावी शोकय यशेगी।"

याजा के लरए मश था तो कदठन, रेककन दवूया कोई उऩाम नश ॊ था। अत् याजा को मश ळत ुकफूर कयना ऩड़ा। ममानत याजा के वाथ देलमानी की ळाद शो गई। याजकुभाय ळलभिुा को दावी के रूऩ भें देलमानी के वाथ बेजा गमा। ळलभिुा तो वुन्दय थी। उव दावी के वाथ याजा ममानत ऩत्नी का व्मलशाय न कये, इवलरए ळुक्राचाम ुने ममानत को लचनफद्ध कय लरमा। कपय बी

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वलऴम-वलकाय के तूपान भें ममानत का भन कपवर गमा। लश अऩने लचन ऩय दटका नश ॊ। ळुक्राचाम ुको ऩता चरा तो उन्शोंने याजा ममानत को लदृ्ध शो जाने का ळाऩ दे ददमा। मुलान याजा ममानत तत्कार लदृ्ध शो गमा। ळलभिुा को तो दु् ख शुआ, रेककन ममानत को उववे बी ज्मादा दु् ख शुआ। 'िादशभाभ'् ऩुकायते शुए याजा ममानत ने चगड़चगड़ाकय ळुक्राचाम ुवे प्राथनुा की। ळुक्राचाम ुन ेिलीबूत शोकय कशा्

"तुम्शाया कोई मुलान ऩुि अगय तुम्शाय लदृ्धालस्था रे रे औय अऩनी जलानी तुम्शें दे दे त तुभ वॊवाय के बोग बोग वकते शो।"

याजा ममानत न ेअऩने ऩुिों वे ऩूछा। वफव ेछोटा ऩुि ऩुरूयला याजी शो गमा। वऩता की भनोलाॊछा ऩूण ुकयने के लरए। उवका मौलन रेकय याजा ममानत ने शजाय लऴ ुतक बोग बोगे। कपय बी उवके चचत्त भें ळाश्चन्त नश ॊ शुई।

प्रतीनत वे कबी बी ऩूण ुळाॊनत लभर श नश ॊ वकती। अगय प्रतीनत का उऩबोग कयने वे ळाश्चन्त लभर शोती तो श्चजनके ऩाव याजलैबल था, धन था, बोग-वलराव था, ले अळान्त औय दु् खी शोकय र्कमों भये ? ककवी वत्तालान को, धनलान को वत्ता औय धन व,े ऩुि-ऩरयलाय लभरने वे भोष लभर गमा शो, ऐवा शभने नश ॊ वुना। श्चजवको ज्मादा वलऴम-वलकाय बोगने को लभरे, ले फीभाय यशे, दु् खी यशे, अळान्त यशे, आत्भशत्मा कयके भये – ऐवा आऩने औय शभने देखा वुना शै। ले नकों भें गमे, भुि तो नश ॊ शुए। श्चजवको वलऴम वलकाय औय वॊवाय की चीजें ज्मादा लभर ॊ औय ज्मादा बोगी उवकी भुक्ति शो गमी, ऐवा भैंने आज तक नश ॊ वुना। तुभ रोगों ने बी नश ॊ वुना शोगा औय वुनोगे बी नश ॊ। याभतीथ ुफोरते थे् छामा चाशे फड़ ेऩलतु की शो, रेककन छामा तो छामाभाि शै।

ऐवे श प्रतीनत चाशे ककतनी बी फड़ी शो, रेककन प्रतीनत तो केलर प्रतीनत श शै।

आणखय याजा ममानत को रगा कक् न जात ुकाभ् काभानाॊ उऩबोगेन ळाम्मनत।

शवलऴा कृष्णलत्भेल बूम एलालबलधतुे।। अश्चग्न भें घी डारने वे आग औय बड़कती शै, ऐव ेश काभ-वलकाय औय वॊवाय के बोग

बोगने वे तषृ्णा, लावना, आळा, स्ऩशृा मे वफ उदे्वग फढाने लारे वलकाय अचधक बड़कते शैं।

याजा ममानत प्रतीनत को प्रतीनत वभझकय, उवे तुच्छ जानकय ईश्वय की ओय रगने के लरए जॊगर भें चरा गमा, तऩ कयने रगा।

तऩ् वु वलेऴ ुएकाग्रता ऩयॊ तऩ्।

वफ तऩों भें एकाग्रता ऩयभ तऩ शै।

एकाग्रता औय अनावक्ति मे – दो शचथमाय श्चजवके ऩाव आ जामें, लश अनऩढ शो चाशे वाषय शो, धनलान शो चाशे ननधनु शो, वुप्रलवद्ध शो चाशे कुप्रलवद्ध शो, लश प्रानप्त भें दटक वकता शै। प्रानप्त तो ब्रह्म-ऩयभात्भा की शोती शै। ब्रह्म-ऩयभात्भा व ेफड़ा कौन शो वकता शै ?

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याजा-भशायाजा रूठ जामे, तो र्कमा कय डारेगा ? उवका जोय स्थरू ळय य ऩय चरेगा औय देली देलता का जोय वूक्ष्भ ळय य तक चरेगा। भामा नायाज शो जाम तो उवका जोय कशाॉ तक चरेगा ? कायण ळय य तक। प्रानप्त तो स्थरू, वूक्ष्भ, कायण मे तीनों ळय यों वे ऩये जो ऩयभात्भा तवल शै उवकी शोती शै। स्थरू ळय य को अचधक वे अचधक ळूर ऩय चढामा जा वकता शै। वूक्ष्भ ळय य को भामा नकों भें बेज वकती शै। स्थरू, वूक्ष्भ औय कायण ळय य, मे तीनों प्रतीनत भाि शैं। प्रतीनत को जो जानता शै, लश प्रतीनत के दृष्टा प्रानप्त-तवल भें जाग जाता शै, ऩयब्रह्म ऩयभात्भस्लरूऩ शो जाता शै।

'भैं चतैन्म शूॉ..... भैं ळुद्ध शूॉ... जो वदा प्राप्त आत्भा शै, लश भैं शूॉ। प्रतीत शोन ेलार देश भैं नश ॊ शूॉ।' वाय ऩरृ्थली के रोग केलर ऩाॉच लभनट के लरए ऐवा चचन्तन कयें तो दवूय ऩाॉच लभनट भें वाय ऩरृ्थली स्लग ुके रूऩ भें फदर शुई लभरेगी, ऐवा वललेकानन्द कशा कयते थे।

"शे भनुष्मो ! तुभ चतैन्म शो..... ऩयभात्भा शो.... शे ऩषी ! तुभ बी चतैन्म शो... तुभ वफ चतैन्म शो... ब्रह्म शो.... भैं बी चतैन्म शूॉ.... प्राप्त स्लरूऩ शूॉ..... तुभ बी प्राप्त स्लरूऩ शो.... भैं आनन्द स्लरूऩ शूॉ.... तुभ बी लश शो। भयने जन्भने लारा ळय य तुभ नश ॊ शो.... वुखी-दु् खी शोने लारा भन तुभ नश ॊ शो.... ननणमु फदरने लार फुवद्ध तुभ नश ॊ शो... यॊग फदरन ेलारा चभड़ा तुभ नश ॊ शो.... बूख औय प्माव रगाने लारे प्राणों की धौंकनी तुभ नश ॊ शो.... बूख औय प्माव रगाने लारे प्राणों की धौंकनी तुभ नश ॊ शो। मे वफ प्रतीनत शै। इन वफको जो देख यशा शै, लश प्रानप्तस्लरूऩ चतैन्म तुभ शो। तुभ अभय आत्भा शो।"

इव प्रकाय का चचन्तन गुरू कयलाएॉ औय लळष्म वच्चाई वे कयने रग जाएॉ तो उवी वभम लातालयण वुखद शो जाम। ऩयब्रह्म ऩयभात्भा वदा प्राप्त शै। उव ऩयभात्भा का चचन्तन कयने वे गौशत्मा जैवे, ब्रह्मशत्मा जैव ेऩाऩ नष्ट शो जाते शैं। वफ दु् ख दयू शो जाते शैं।

प्रतीनत भें अगय वत्मफुवद्ध शै तो ककतनी बी वुवलधा शोगी कपय बी दु् ख दयू नश ॊ शोगा। प्रतीनत भें जफ प्रतीनतफुवद्ध शो जाम औय प्रानप्त भें जफ वत्मफुवद्ध शो जाम तो ककतने बी दु् ख आ जाएॉ तो इतना उदद्वग्न नश ॊ कयेंगे। जैव ेजरती शुई बट्ठी भें ईंधन डार ददमा जाम तो आग अचधक बड़क उठेगी रेककन ईंधन को फ्रीज भें यख ददमा जाए तो ? आग तो र्कमा ऩैदा शोगी, ईंधन श ठण्डा शो जामगा।

ऐवे श वाधायण आदभी को इच्छा-लावनारूऩी ईंधन श्चजतनी ज्मादा शोगी, उवका अॊत्कयण उतना ज्मादा तऩता यशेगा शै। सान के चचत्त भें ले ईंधन उतनी अळाॊनत की आग नश ॊ फना वकते।

ईंधन को गोदाभ भें यखो, फ्रीज भें यखो औय बट्ठी भें डारो, इवभें र्कमा पकु शोता शै। द मे भें तेर डारना फन्द कय दो तो द मा फुझ जाता शै, ननलाुण शो जाता शै। ऐव ेश प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध छोड़ दो तो लावना धीये-धीये ननलतृ्त शोन ेरगती शै।

ननभाुनभोशा श्चजतवॊगदोऴा

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अध्मात्भननत्मा वलननलतृ्तकाभा्। द्वन्दै्ववलुभुिा् वुखदु् खवॊसै-

गुच्छन्त्मभूढा ्ऩदभव्ममॊ तत।्।

"श्चजवका भान औय भोश नष्ट शो गमा शै, श्चजन्शोंने आवक्ति रूऩ दोऴ को जीत लरमा शै, ऩयभात्भा के स्लरूऩ भें श्चजनकी ननत्म श्चस्थनत शै औय श्चजनकी काभनाएॉ ऩूणरुूऩ वे नष्ट शो गई शैं, ले वुख-दु् ख नाभक द्वन्द्वों वे वलभुि सानीजन उव अवलनाळी ऩयभऩद को प्राप्त शोते शैं।"

(बगलद् गीता् 15.5) फड़ी तकर प मश शोती शै कक जो ळय य औय वॊवाय ददख यशा शै, जो प्रतीनत शो यश शै,

उवको वत्म भानकय जीनेलारे रोगों के फीच शभ ऩैदा शुए, उन्श ॊ के वाथ शभ ऩढे-लरखे औय उन्श रोगों के फीच यशकय शभ इच्छा कयने रगे कक, 'भैं ऩाव शो जाऊॉ तो वुख लभरे..... भुझ ेमश लभर जाम तो भैं वुखी शो जाऊॉ ....' प्रतीनत को श प्रानप्त भानकय उरझ गमे।

दो लस्तुएॉ शैं। एक प्रतीनत औय दवूय प्रानप्त। प्रानप्त ऩयभात्भा की शोती शै औय प्रतीनत भामा की।

प्रतीनत के त्रफना प्रानप्त दटक वकती शै रेककन प्रानप्त के त्रफना प्रतीनत शो श नश ॊ वकती। चतैन्म के त्रफन ळय य चर नश ॊ वकता, ककन्तु ळय य के त्रफना चतैन्म यश वकता शै। मे जो लस्तुएॉ ददख यश शैं, ले चतैन्म के त्रफना यश नश ॊ वकतीॊ, रेककन लस्तुओॊ के त्रफना चतैन्म यश वकता शै।

एके ते वफ शोत शै वफव ेएक न शोई।

फल्रबाचाम ुका एक फड़ा प्माया लळष्म था कुॊ बनदाव। आचाम ुऩधायें, उवके ऩशरे लश आ जाता था। फड़ ेध्मान वे वत्वॊग वुनता था। वुनकय चचन्तन कयता था कक, 'गुरू भशायाज ने र्कमा कशा ? भोश वे कैवे फचें ? सान कैवे फढे ? बक्ति की बालना व ेरृदमरूऩी चभन वुगश्चन्धत कैवे फने ?"

कुॊ बनदाव के वात फेटे थे। लश वाधन वम्ऩन्न वुखी आदभी था।

एक ददन गुरूजी के वभष बि लळष्म वभुदाम फैठा था। गुरू जी ने कुॊ बनदाव का शार-अशलार ऩूछा्

"कुॊ बनदाव ! कशो, तुम्शाया वफ ठ क चर यशा शै ?"

"शाॉ भशायाज जी !"

"र्कमा धन्धा कयते शो ?"

कुॊ बनदाव न ेवफ फतामा।

"अच्छा....। तुम्शाये फेटे ककतने शैं ?"

"गुरू भशायाज ! भेये ऩाव डढे फेटा शै।"

"डढे फेटा ! मश कैवे ?" गुरू जी को आिम ुशुआ।

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"गुरूजी ! ऩुिों के ऩुतरे तो वात शै, रेककन ऩुि केलर डढे श शै। एक फेटा शै श्चजवको सान औय वेला भें रूचच शै, इव भाग ु उवकी गनत शै। भैं आऩवे जो वुनकय जाता शूॉ, लश उवे वुनाता शूॉ। लश फड़ ेचाल वुनता शै, वभझता शै। कबी-कबी लश भेये वाथ आऩके श्रीचयणों भें आता शै। उवके जीलन भें सान बी शै औय वेला बी शै। लश भेया एक ऩूया फेटा शै। दवूये रड़के भें वऩता के लरए बाल शै, बगलन के लरए बक्ति शै औय वेलाबाल बी शै रेककन बगलान औय वऩता भें एक श अदद्वतीम तवल शै, मश उव भूख ुको सान नश ॊ शै। इवलरए लश फेटा भेया आधा फेटा शै आधा। वऩता को वऩता वभझकय ऩूजता शै, बगलान की भूनत ुको बगलान वभझकय ऩूजता शै रेककन बगलान का तवल औय वऩता का तवल अरग नश ॊ शै... बगलान को छोड़कय वऩता शो नश ॊ वकता औय वऩता को छोड़कय बगलान यश नश ॊ वकता। बगलान तवल वऩता के वदशत शै, ऐवा अखण्ड सान उवको नश ॊ शै, इवलरए लश आधा शै।"

अखण्ड सान शोता शै प्रानप्त भें श्चस्थय शोने वे। खण्ड-खण्ड का सान तो फशुत शै। कोई आॉख का वलळऴेस श तो कोई कान का वलळऴेस शै, कोई रृदम का वलळऴेस शै तो कोई भश्चस्तष्क का वलळऴेस शै। एक ळय य के अरग अरग अॊगों के अरग अरग वलळऴेस डॉर्कटय शोते शै। कपय बी ककवी वलळऴे भें ऩूण ुसान अबी तक शाथ नश ॊ रगा शै र्कमोंकक मश वफ प्रतीनत शै। प्रतीनत कल्ऩनाओॊ का जगत शोता शै। ऩूण ुऩयभात्भा तवल को कोई जान रेगा तो फव, लश बी ऩूण ुशो जामेगा। फाकी की भामा तो भामा श शोती शै।

तुम्शाया लास्तवलक स्लरूऩ ऩूण ुशै। तुभ लास्तल भें ऩूण ुआत्भा शो। ळय य ऩूण ुनश ॊ शो वकता, ळय य के ऩुज ुऩूण ुनश ॊ शो वकते। ळय य प्रतीनत शै। ळय य, भन, फुवद्ध षण षण भें फदर यशे शैं। जो फदरता शै, उवभें वत्मफुवद्ध न कयें। जो अफदर शै, उवभें वत्मफुवद्ध कयके चचन्तन न कयें कक्

"वत्मस्लरूऩ भेया आत्भा शै। मश वॊवाय स्लप्न शै, प्रतीनत भाि शै। इवभें वुख लभरा तो र्कमा ? वुख तो आता शै औय जाता शै। दु् ख बी आता शै औय जाता शै। भैं वुख-दु् ख व ेऩये, ळय य औय वॊवाय की तभाभ प्रतीनतमों व ेऩये उनके अचधिान रूऩ आत्भा शूॉ... प्रानप्तस्लरूऩ शूॉ।"

"वुख आता शै तो जाता शै कक नश ॊ जाता ?"

"जाता शै।"

"वुख जाता शै तो र्कमा दे जाता शै ?"

"दु् ख।"

"दु् ख जाता शै तो ऩीछे र्कमा फचता शै ?"

"वुख।"

वुख जाता शै तो दु् ख दे जाता शै। दु् ख जाता शै तो वुख दे जाता शै। जो वुख दे जाता शै उवको देखकय घफयाते शैं औय जो दु् ख दे जाता शै, उवको देखकय चचऩकते शैं र्कमोंकक प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध शै। बगलान अजुनु वे कशते शैं-

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दु् खेष्लनुदद्वग्नभना ्वुखेऴ ुवलगतस्ऩशृ्। लीतयागबमक्रोध ्श्चस्थतधीभुुननरूच्मते।।

वुख भें स्ऩशृा भत यखो। दु् ख भें उदद्वग्न भत फनो। मे फादर आमे शैं, चरे जामेंगे। शो-शोकय र्कमा शोगा ? जो प्रतीनत भाि शै, उव ळय य के ऊऩय श कुछ शोगा। एक ददन तो उव ऩय वफ कुछ शोगा। अभयऩटा तो उवका शै नश ॊ !

तुभ रामे थे तो र्कमा रामे थे ? तुभन ेजो कुछ ऩामा, मश ॊ वे ऩामा। प्रतीनत भें वफ प्रतीत शो यशा शै। आणखय वफ स्लप्न शो जामेगा। स्लप्न की चीजों को देखकय जो उरझता शै, लश अधयूा शै।

ऩूया लळष्म तो लश शोता शै, श्चजवभें गुरूबक्ति बी शोती शै औय गुरूतवल का सान बी शोता शै।

श्चजतना-श्चजतना ऩयभात्भ-तवल का सान फढता शै, ऩयभात्भ-तवल को ऩामे शुए भशाऩुरूऴों के प्रनत बक्ति फढती शै उतना-उतना चचत्त प्रानप्त के नजद क शोता शै, ऩयभात्भा के नजद क शोता शै। श्चजतना-श्चजतना ऩयभात्भा के नजद क शोता शै, उतना-उतना लश ननश्चिन्त शोता शै, उत्वादशत शोता शै, आनश्चन्दत शोता शै।

ननष्काभ कभमुोग का लवद्धान्त शै् वाधक का भन ऐवा शोना चादशए कक दु् खों की प्रानप्त भें लश उदद्वग्न न शो औय वुखों की प्रानप्त के लरए रारामनत न शो। जो वाधक ऐवा ननस्ऩशृ शै, तत्ऩय शै, उवका याग चरा जाता शै, बम चरा जाता शै, क्रोध चरा जाता शै।

लीतयागबमक्रोध ्भुननभोषऩयामण्।। श्चजवका बम, याग औय क्रोध गमा, लश भोष के ऩयामण शै।

जो प्रतीत शोता शै, उवभें वत्मफुवद्ध शोने व ेयाग शोता शै। श्चजवभें याग शोता शै, उवको ऩाने भें कोई वलघ्न डारता शै तो क्रोध आता शै, बम शोता शै, ईष्माु शोती शै, चचन्ता शोती शै। इन वफका भूर शै प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध। बगलान कशत ेशै कक मश प्रतीनत भाि शै इवलरए इवभें याग, बम औय क्रोध कयने की जरूयत नश ॊ शै। वफ फीत जामगा। दु् ख वे उदद्वग्न भत शो। वुख की स्ऩशृा भत कयो। याग, बम औय क्रोध चरा जामगा तो फुवद्ध ऩयभात्भा भें श्चस्थय शो जामगी।

जील वोचता शै कक अऩनी लावना ऩूय कयके वुखी शोऊॉ । अये वुखी तो ममानत बी नश ॊ शुआ, तू कशाॉ वे शोगा ? वॊवाय की चीजें ऩाकय कोई वुखी शो जाम, मश वॊबल नश ॊ।

याजा वुऴेण अऩनी यानी के वाथ कश ॊ जा यशे थे। यास्ते भें एक तेजस्ली मुलान फड़ी भस्ती फैठा था। फाईव वार तक श्चजवका ब्रह्मचम ुअखण्ड यशता शै, लश तेजस्ली शोता श शै। याजा वुऴेण न ेवोचा कक इवको फेचाये को अऩने मौलन का वुख रेने का कोई ऩता श नश ॊ शै, ऐवा रगता शै। उन्शोंने मुलक वे कशा्

"आऩ इतने तेजस्ली जलान ! इधय फैठे शैं ? चलरमे, भेये वाथ यथ भें फैदठमे। भैं आऩको घुभान ेरे जाता शूॉ, आइमे।"

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मुलक याजा के वाथ गमा। भीठ फात शो गई तो लश याजी शो गमा। था कोई वत्वॊगी आत्भा गत जन्भ का। अबी उवे कोई वदगुरू नश ॊ लभरे थे, ईश्वय का भाग ुनश ॊ लभरा था। कपय बी 'दु् खेऴ ुअनुदद्वग्नभना ्वुखेऴ ुवलगतस्ऩशृ '् – ऐवे वॊस्काय वलगत जन्भ भें ऩामे शुए थे। आध्माश्चत्भक वॊस्काय नष्ट नश ॊ शोते।

याजा ने उवे अऩना याजभशर ददखाते शुए कशा् "देखो, वॊवाय का वुख बोगने के लरए मौलन लभरा शै। तुम्शाय ळाद भैं कया देता शूॉ। जया

वॊवाय का अनुबल कयो।"

मुलक न ेकशा् "ळाद करूॉ तो ऩत्नी आमेगी। उवका ऩारन ऩोऴण कयना ऩड़गेा। र्कमा ऩता ऩत्नी कैवी आ जाम ?"

"नश ॊ, ऩत्नी फदढमा आएगी। देखो, मश भेय यानी शै न, उवकी फशन शै। उवी के वाथ तुम्शाय ळाद कया दूॉगा।"

"ळाद तो शो जामेगी याजन ! रेककन आऩके ऩाव तो याजऩाट शै। ऩत्नी का ऩारन कयने के लरए भुझ ेतो भजदयू कयनी ऩड़गेी। अबी तो जॊगर भें भस्ती व ेयशता शूॉ।"

"नश ॊ, नश , भैं तुम्शें यशन ेके लरए भशर दे दूॉगा, ऩाॉच गाॉल दे दूॉगा। कभाने की जरूयत नश ॊ ऩड़गेी। आऩ चाशोगे तो आधा याज्म बी दे दूॉगा। तुभ भुझ ेफड़ ेप्माये रग यशे शो। तुभ जैवा ऩनत लभर जाम तो यानी की फशन की श्चजन्दगी धन्म शो जाम।"

"भशायाज ! आऩ अऩनी वार दे वकते शैं, आधा याज्म बी दे वकते शैं, कपय फार-फच्च ेशोंगे तो ?"

"आधा याज्म शोगा तो फार-फच्च ेबी खाएॉगे-वऩमेंगे, र्कमा कभी यशेगी ?"

"कभी तो नश ॊ यशेगी.... रेककन फच्च ेभें रड़की बी शो वकती शै, रड़का बी शो वकता शै। रड़की अगय फदचरन शुई तो उवका दु् ख आऩको शोगा कक भुझ ेशोगा ? रड़का अगय ऩैदा शोकय भय गमा तो उवका दु् ख आऩको शोगा कक भुझ ेशोगा ?"

याजा ने कशा् "भुझवे ज्मादा दु् ख तुभको शोगा।"

मुलक न ेणखरणखराते शुए कशा् "ऐवा दु् ख भैं र्कमों भोर रूॉ ? ऐवा वुख र्कमा कयना जो दु् ख श दु् ख दे ?" मुलक उठकय चर ददमा। याजा वुऴेण वोचने रगे्

"धन्म शै जलान ! शभ तो याजा शै, ऩय तुभ तो भशायाजा शो भशायाजा ! शभ तो वॊवाय के बॉलय भें आमे शैं। ननकरेंगे तफ ननकरेंगे, रेककन तुभ तो बॉलय भें आते श नश ॊ।"

दु् ख का भूर शै प्रतीनत भें वत्मफुवद्ध। इववे ममानत जैव ेयाजा बी फेचाये दु् खी शुए। अये, याजा याभचन्िजी के फाऩ.... बगलान श्रीयाभ के फाऩ दळयथ याजा बी वॊवाय वे वॊतुष्ट शोकय नश ॊ गमे, वुखी शोकय नश ॊ गमे। काले-दाल ेकयके प्रतीनत भें वुख खोजने लारा दमुोधन बी वुखी शोकय नश ॊ गमा। चाशे ककतना बी कऩट कयो, ककतना बी खळुाभद कयो, ककतनी बी भेशनत भजदयू

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कयो रेककन जो प्रतीनत शै, उववे ऩूण ुवुख मा वॊतोऴ आज तक ककवी को शुआ नश ॊ, शो नश ॊ यशा औय शोगा बी नश ॊ। ऩूण ुवुख तो शोगा ऩयभात्भा की प्रानप्त वे।

प्रानप्त को शभ जानते नश ॊ, इवलरए प्रतीनत को प्रानप्त वभझते शैं। प्रानप्त शोती शै ऩयभात्भा की। फाकी शोती शै प्रतीनत। प्रतीनत भाने धोखा। मश वाया वॊवाय इश्चन्िमों का धोखा शै। प्राण ननकर गमे तो कुछ नश ॊ यशेगा। मश ळय य बी मश ॊ छूट जामेगा। लभरने की चीज तो आत्भ-वाषात्काय शै, लभरने की चीज तो ऩयभात्भा शै। फाकी जो बी लभरा शै, वाया का वाया धोखा शै। ककवी को छोटा धोखा लभरा, ककवी को फड़ा धोखा लभरा। रोग यो यशे शैं कक शभें फड़ा धोखा नश ॊ लभरा। फड़ी भुवीफत नश ॊ लभर , इवलरए चचन्ता भें शै।

"अये ! र्कमों योते शो।"

"फाफाजी ! चाय वार शुए ळाद ककमे। अबी तक गोद नश ॊ बय ....।"

अये गोद बयेगी उवके ऩशरे भुवीफत वशना ऩड़गेा। फाद भें बी र्कमा ऩता फेटा आले, फेट आले। भुवीफत नश ॊ आ यश शै, इवलरए भुवीफत शो यश शै।

इच्छा कयना श शो तो प्रतीनत की नश ॊ, प्रानप्त की कयो। उद्यारक की तयश इच्छा कयो। वोरश लऴ ुका ब्राह्मण उद्यारक इच्छा कयता शै् "भेये ऐव ेददन कफ आएॉगे कक भेये याग-दे्वऴ चरे जाएॉगे... बम क्रोध ळान्त शो जाएॉगे। ऐव ेददन कफ आएॉगे कक भैं वत्ता-वभान भें श्चस्थत यशूॉगा ?

नायामण.... नायामण.... नायामण..... नायामण..... नायामण..... अनुक्रभ

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जीलन-भीभाॊवा आज तक जो कुछ भैंने देख लरमा, बोग लरमा, उववे भुझ ेआनन्द शै। वैंकड़ों-वैंकड़ों वुख

भैंने बोगे.... देखे.... उवव ेभुझ ेआनन्द शै। भैं आह्लाददत शूॉ। शजायों गरनतमाॉ की शोगी, दु् ख बोगे शोंगे. उवका बी भुझ ेआनन्द शै... र्कमोंकक गरनतमों ने भुझ ेलवखा ददमा कक जीलन जीने का मश तय का ठ क नश ॊ। दु् खों न ेभुझ ेलवखा ददमा कक वलकाय वुखों भें आवि शोना ठ क नश ॊ।

शभ घय-फाय छोड़कय बाग गमे, वफ वगे वम्फश्चन्धमों का ठुकयात ेयशे, अऩन ेळय य को बी वताते यशे, कष्ट वशत ेयशे, दु् ख बोगते यशे.... मश बी ठ क नश ॊ। बोग-वलराव भें रटू्ट शोकय चगये यशना बी जीलन जीने का ढॊग नश ॊ।

न बोग ठ क शै, न अनत त्माग ठ क शै। वललेकऩूण ुभध्मभ भाग ुश ठ क शै। ळय य को औऴधलत णखराना वऩराना चादशए। जीलन जीन के वाधनों का औऴधलत ्उऩमोग कयना चादशए।

जीलन का ऩुष्ऩ जीलनदाता के स्लबाल भें णखरने के लरए शै। भेया चतैन्म आत्भा जो बीतय शै, लश फाशय बी शै। जो आज शै, लश कर बी शै औय ऩयवों बी शै। आज औय कर भन

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की कल्ऩना शै। आज औय कर को जानने लारा चचदाकाळ चतैन्म.... शय ददर भें 'भैं.... भैं....' कयता शुआ, भन फुवद्ध को वत्ता देता शुआ वत्ताधीळ.... भन फुवद्ध वे ऩये बी लश चचदाकाळ आत्भा भैं शूॉ। मश आत्भदृवष्ट श एकभाि वाय शै, औय वफ ऩरयश्रभ शै।

आत्भसान श जीलन का रक्ष्म शोना चादशए, जीलन का आदळ ुशोना चादशए। श्चजवके जीलन का कोई आदळ ुनश ॊ शै, कोई रक्ष्म नश ॊ शै, उवका जीलन घोय अन्धकाय भें बटक जाता शै। आत्भसान श श्चजवके जीलन का रक्ष्म शै, लश चाशे वैंकड़ों गरनतमाॉ कय रे, कपय बी लश कबी-न-कबी उव रक्ष्म को ऩा रेगा। श्चजवका रक्ष्म आत्भसान नश ॊ शै, लश शजायों-शजायों गरनतमाॉ कयता यशेगा, शजायों-शजायों जन्भों भें बटकता यशेगा।

वलिु ओतप्रोत चतैन्मघन ऩयभात्भा का अनुबल कयना श्चजवके जीलन का रक्ष्म शै, लश देय वलेय ऩयभात्भाभम शो जाता शै।

ऩयभात्भा आनन्दस्लरूऩ शै, चतैन्म स्लरूऩ शै, सानस्लरूऩ शै। कीड़ी भें बी सान शै कक र्कमा खाना, र्कमा नश ॊ खाना, कशाॉ यशना औय कशाॉ वे बाग जाना। कीड़ी भें चतेना बी शै। कीड़ी बी वुख के लरए श मत्न कयती शै।

वत्मॊ सानॊ अनन्तॊ ब्रह्म।

ब्रह्म वत्मस्लरूऩ शै, सानस्लरूऩ शै, आनन्दस्लरूऩ शै, अनन्त शै। ब्रह्म स्थरू वे बी स्थरू शै औय वूक्ष्भ वे बी वूक्ष्भ शै। कीड़ी भकोड़ा, फैर्कट रयमा भें बी भेये ऩयभेश्वय की चतेना शै। अथाुत ्ऩयभेश्वय श अनेक रूऩ शोकय फाह्य चषे्टा औय आभ्मान्तय प्रेयणा का प्रकाळक शै। लश वफका अचधिान शै। उवी वे इश्चन्िमाॉ, भन, फुवद्ध चषे्टा कयते शै। उन्शें खट्टा-भीठा अनुबल शोता शै। कपय बी उन वफ अनुबलों वे ऩये जो भेया आत्भा शै, लश चतैन्म वफ अनुबलों का बी आधाय शै।

फुवद्ध फदरती शै, भन फदरता शै, चचत्त फदरता शै, ळय य फदरता शै, दरयमा फदरता शै.... दरयमा के ककनाये फदरते शैं। मश वफ उव चतैन्म की र रा शै, चतैन्म की स्पुयणा शै। उवी को आह्लाददनी ळक्ति फोरते शैं, भामा फोरते शैं। जैव ेदधू औय दधू की वपेद अलबन्न शै, ऐवे श भेया चतैन्म आत्भा औय उवकी स्पुयणा ळक्ति अलबन्न शै।

मश जगत शरयरूऩ शै। शरय श जगत रूऩ शोकय ददखते शै।

स्पुयणा स्पुय-स्पुयकय फदर जाता शै, ऩय स्पुयणा का आधाय अस्पुय शै। जैव ेवागय भें तयॊग उत्ऩन्न शो शोकय र न शो जाते शै, ऩय वागय के तर भें ळाॊत जर शै। वलळार उदचध भें कोई फड़ी तयॊग शै, कोई छोट तयॊग शै, कोई ळुद्ध तयॊग शै तो कोई भलरन तयॊग शै। मे वाय छोट फड़ी, भलरन-ळुद्ध तयॊगे उवी वागय भें शैं। ऐव ेश भेये आत्भ वागय भें कश ॊ ळुद्ध तो कश ॊ अळुद्ध, कश ॊ छोटा तो कश ॊ फड़ा स्पुयणा ददखता शै।

जैव ेजर की तयॊग वड़क ऩय नश ॊ दौड़ती। लश जर भें श ऩैदा शोती शै, जर ऩय श दौड़ती शै औय आणखय जर भें श वभा जाती शै, कपय जर व ेश उठती शै। ठ क लैव ेश वलश्व के तभाभ जील उवी एक ब्रह्म वभुि की तयॊगे शैं। कोई छोटा शै कोई फड़ा शै, कोई ऩवलि शै कोई

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अऩवलि शै, कोई अऩना शै कोई ऩयामा शै। वफ उवी वलयाट-वलळार भुझ चतैन्म वागय की तयॊगे शैं। तयॊगे उठती शैं, नाचती शैं, आऩव भें टकयाती शै, रड़ती शैं झगड़ती शैं, ककल्रोर कयती शैं, लभटती शैं। ले कदावऩ वागय वे अरग नश ॊ शो वकतीॊ। ऐवे श वॊवाय भें वफ चषे्टाएॉ कयने लारे कोई व्मक्ति ऩयभात्भा वे कबी अरग शुए नश ॊ औय अरग शैं नश ॊ, अरग शो नश ॊ वकते।

शभ उवी ऩयभात्भा भें वलश्राश्चन्त ऩा यशे शैं, उवी भें शॉव यशे शैं, खेर यशे शैं।

जीलन भें शोने लार शजाय-शजाय गरनतमों व ेशभें वफक वीखने को लभरता शै। जफ-जफ ईश्वय दृवष्ट की, तफ-तफ वुख ऩामा, आनन्द ऩामा, ळाश्चन्त ऩाई। वलचाय उन्नत फने। जफ-जफ अच्छे फुये की दृवष्ट की, अऩने औय ऩयामे की दृवष्ट की, नाभ औय रूऩ भें आस्था की, तफ तफ धोखा खामा।

भुझ ेआनन्द शै कक धोखा खाने ऩय बी शभ कुछ वीखे शैं। अनुकूरता-प्रनतकूरता वे बी कुछ वीखे शैं। अनुकूरता कशती शै कक ऩयभात्भा आनन्दस्लरूऩ शै। धोखा खाने व ेजो दु् ख लभरा, उवने फतामा कक असान की दृवष्ट दु् खदामी शै।

शभने जो प्रनतकूरताएॉ वश , दु् ख वशा मा धोखे खामे, उवका बी शभें भजा शै। अगय मे गरनतमाॉ औय दु् ख, प्रनतकूरताएॉ, वलघ्न औय फाधाएॉ न शोती तो ळामद शभ उतने उन्नत बी न शो ऩाते। मश शभाये वाये जीलन का अनुबल शै कक प्रनतकूरताएॉ औय दु् ख बी शभें कुछ वीख दे जाते शैं। अनुकूरता बी कुछ आनन्द औय उल्राव दे जाती शै।

अऩनी जीलन की वाय मािाओॊ की भीभाॊवा मश शै कक शभाये ऩाव अनुबल का कर शै। अनुबल रूऩी पर का शभ आदय कयते शैं।

जफ-जफ देशबाल वे आक्रान्त शोकय वॊवाय की चलरत तयॊगों को श वाय वभझकय तयॊगों के आधाय को बूरे शैं, तफ-तफ दु् ख उठामे शैं। जफ-जफ तयॊगों को र राभाि वभझकय, उनके आधाय को वत्म वभझकय वॊवाय भें वलचये शैं, तफ-तफ आनन्द, वुख औय ईश्वय म भस्ती का अनुबल शुआ शै।

वाये धभ ुउवी वुखस्लरूऩ ईश्वय की ओय रे जाने की चषे्टा कयते शैं। उनकी बाऴा अऩनी-अऩनी शै। जशाॉ दृवष्ट वीलभत शो जाती शै, इश्चन्िमगत वुख भें आफद्ध शो जाते शैं, वलकाय वुख भें कपवरते शैं, तफ प्रकृनत थप्ऩड़ भायती शै.... तयॊगें टकयाती शैं। जफ गशन ळाॊत जर भें तयॊगें वलर न शोती शैं, तो कोई कोराशर नश ॊ यशता।

दरयमा के ककनाये ऩय खड़ा आदभी उछरती-कूदती तयॊगों को देखकय मश कल्ऩना बी नश ॊ कय वकता कक इनका आधाय ळाॊत उदचध शै। उवके तरे भें त्रफल्कुर ळाॊत श्चस्थय जर शै। उवी के अचर वशाये मश चर ददख यशा शै। तयॊचगत शोना लारा जर फशुत थोड़ा शै.... उवकी गशयाई भें ळाॊत जर अगाध शै, अभाऩ शै।

ऐवे श तयॊगामभान शोनेलारा भामा का दशस्वा तो फशुत थोड़ा शै..... भेया ळान्त ब्रह्म श अभाऩ शै।

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ऐवी कोई फूॉद नश ॊ जो जर वे लबन्न शो। ऐवा कोई जील नश ॊ जो ऩयभात्भा वे लबन्न शो। ऐवी कोई तयॊग नश ॊ जो त्रफना ऩानी के यश वके। ऐवा कोई भनुष्म नश ॊ जो चतैन्म ऩयभात्भा के त्रफना यश वके। श्चजन्दा शै तफ बी उवभें चतैन्म ऩयभात्भा शै औय भतृ्म ुके फाद बी वुऴुप्तघन अलस्था भें ऩयभात्भा तवल भौजूद यशता शै।

प्राणयदशत ळल जरा ददमा जाता शै, तफ उवका जर लाष्ऩीबूत शोकय वलयाट जर तवल भें लभर जाता शै। ळल का आकाळ वलयाट भशाकाळ भें लभर जाता शै। उवका श्वाव वलयाट लामुतवल भें लभर जाता शै। उवका ऩरृ्थली का दशस्वा ऩरृ्थली तवल भें लभर जाता शै। उवका तेज अश्चग्नतवल भें लभर जाता शै।

जैव ेवागय की तयॊगे जर वे उत्ऩन्न शोकय कपय वागय जर भें श र न शोती शैं, ऐवे श शभ रोग बी ईश्वय वे श उत्ऩन्न शोकय ईश्वय भें श खेरते शैं औय कपय ईश्वय भें श लभर जाते शैं। शभ दु् ख तफ उठाते शैं कक जफ उवको ईश्वय नश ॊ भानते, ईश्वय नश ॊ जानत,े नश ॊ वभझते। शभभें ईश्वयतवल का बाल नश ॊ जागता। भेये तेये का बाल श शभें दु् ख देता शै, ऩयेळान कयता शै। इव बाल को फदरा तो फेड़ा ऩाय शो जामेगा।

श्चजवके ऩाव खफू वलचाय शै, तकु शै, तगड़ी खोऩड़ी शै ककन्तु रृदम नश ॊ शै तो उवका जीलन रूखा शै। ऐवे जीलन भें अळाॊनत, उदे्वग, तकु-वलतकु, कुतकु शोते शैं। रूखे भश्चस्तष्क वे जीने का भजा नश ॊ। जीलन भें रृदम की ननतान्त अननलामतुा शै। श्चजवके ऩाव वलळार रृदम शै, वलळार वशानुबनूत शै, वलळार प्रेभ शै, लश ऩयभ प्रेभास्ऩद की वलळारता का अनुबल कयके आनश्चन्दत यशता शै वुखी यशता शै।

केलर रृदम की बालना वे बी काभ नश ॊ चरता। असानता के कायण बालना-बालना भें फशुत दु् ख उठाने ऩड़ते शैं। केलर बालना बी उऩमुि नश ॊ। बालना के वाथ वलळार सानननचध बी चादशए।

तो र्कमा थोड़ा दशस्वा बालनात्भक रृदम का औय थोड़ा दशस्वा सानात्भक भश्चस्तष्क का शो ?

नश ॊ....। रृदम की ऩूण ुवलळारता शो औय भश्चस्तष्क भें सानभम वलळार वभझ शो।

मस्म सानभमॊ तऩ्।

आऩ रोगों के वाथ जो कुछ कयें, अऩने वाथ कयें। आऩ श उन वफ के रूऩ भें खेर यशे शो, मश जानते शुए वफ कयें। आऩ एक ऩरयश्चच्छन्न ळय य नश ॊ शैं। आऩ जो कुछ देख यशे शैं, अऩने आऩको श देख यशे शैं, श्चजववे देख यशे शैं लश बी आऩ शैं औय श्चजवको देख यशे शैं लश बी आऩ श शैं। श्चजवके लरए देख यशे शैं लश बी आऩ शैं औय श्चजवके लरए कय यशे शैं लश बी आऩ शैं। ऐवा वलळार सान.... ! ऐवा वलळार प्रेभ... ! इन दोनों का जफ प्राकट्म शोता शै, तफ आदभी अनन्त भशावागय भें वुखानुबूनतमाॉ कयता शै। वॊवाय दु् खदामी नश ॊ। दु् खदामी असान शै। वॊवाय वुखदामी बी नश ॊ। वुखदामी बी अऩनी भान्मताएॉ शैं। वॊवाय तो ईश्वयभम शै। वुख दु् ख तो भन

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की तयॊगें शैं। वॊवाय भें वुख लास्तवलक वुख नश ॊ शोता शै। वॊवाय भें दु् ख नश ॊ, दु् ख अऩनी भलरन लावनाओॊ के कायण शै, अऩनी फेलकूपी के कायण शै। अऩनी फेलकूपी लभट तो न वुख शै न दु् ख शै। वफ ऩरयऩूण ुऩयभात्भा शै, आनन्द का बी आनन्द शै। कपय शय शार भें खळु, शय भें खळु, शय देळ भें खळु।

कुवॊग वे फचें। कुवॊग भाने वॊकीण ुऔय कुलावना को ऩोवने भें उरझ ेशुए रोगों का वॊग। ऐवे व्मक्तिमों के प्रबाल वे फचकय वुवॊग भें यशें। श्रीकृष्ण ने एकान्त औय असातलाव भें तेयश लऴ ुत्रफतामे थे अऩने व्माऩक स्लरूऩ भें यभण कयते शुए। 70 लऴ ुकी उम्र वे रेकय 83 लऴ ुकी उम्र तक ल ेघोय अॊगीयव ऋवऴ के आश्रभ भें अऩने आत्भस्लरूऩ भें भस्त यशे।

मुद्ध के भैदान भें अजुनु को प्रोत्वादशत कयने की आलश्मकता ऩड़ी तो उव ऩूणतुा भें यभण कयने लारे श्रीकृष्ण न ेलश बी कय ददमा। दमुोधन की वॊकीण ुदृवष्ट तोड़नी थी, उवके ननलभत्त वलश्व को वफक लवखाना था तो श्रीकृष्ण ने मश बी भजे व ेककमा। दमुोधन को ठ क कय ददमा औय उवके ऩषलारों को बी दठकाने रगा ददमा। कपय बी श्रीकृष्ण कशते शैं-

"मुद्ध के भैदान भें आने के ऩशरे, वॊचधदतू शोकय गमा था तफ व ेरेकय अबी तक भेये रृदम भें ऩाण्डलों के प्रनत याग न यशा शो तो औय कौयलों के प्रनत भेये चचत्त भें दे्वऴ न यशा शो तो इव वभता की ऩय षा के ननलभत्त मश भतृक फारक (अलबभन्मु का नलजात ऩुि) श्चजन्दा शो जाम।" लश फारक श्चजन्दा शो गमा। वभता की ऩय षा के परस्लरूऩ लश श्चजन्दा शुआ, इवलरए उवका नाभ ऩय क्षषत ऩड़ा।

आऩके जीलन भें वभता आ जाम, सान आ जाम। याग वे प्रेरयत शोकय नश ॊ, दे्वऴ व ेप्रेरयत शोकय नश ॊ..... वशज स्लबाल जीलन का कक्रमा-कराऩ चरे।

वशजॊ कभ ुकौन्तेम वदोऴभवऩ न त्मजेत।्

सानलान वदा वशज कभु कयते शैं। उनकी दृवष्ट भें दोऴमुि मा गुणमुि शोना फच्चों का णखरलाड़ भाि शै। जैव ेजर की तयॊग कबी स्लच्छ तो कबी भलरन, कबी छोट तो कबी भोट शोती शै। मश जर की र रा भाि शै। ऐवे श अऩने आत्भस्लरूऩ भें फैठकय आऩकी जो चषे्टा शोगी, लश ऩयभ चतैन्म की आह्लाददनी र रा शै। लश चतैन्म का वललतभुाि शै। ऐवा वभझकय सानी, जीलन्भुि ऩुरूऴ वॊवाय भें वुख वे वलचयते शैं।

व् तपृ्तो बलनत अभतृो बलनत....।

व् तयनत रोकान ्तायमनत....।।

'ले तपृ्त शोते शै, अभतृभम शोते शैं। ले तयते शै, औयों को तायते शैं।'

ॐ आनन्द....! ॐ ळाश्चन्त.....!! वचभुच ऩयभानन्द....!!! अन्दय फाशय लश का लश वुखस्लरूऩ भेया ऩयभात्भा शै। अन्दय फाशय, आगे ऩीछे, अध्-

ऊध्ल ुलश वाया का वाया बया शै। जैव ेभछर के ऩेट भें बी जर शै। इवी प्रकाय आऩके आगे ऩीछे, ऊऩय नीच,े अन्दय फाशय लश चचदाकाळ ऩयभ चतैन्म ऩयभात्भा श ऩयभात्भा शै। ऐवा

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वलळार बाल, सान औय व्माऩक दृवष्ट, इनकी एकता शोती शै तो अनेक भें एक औय एक भें अनेक का वाषात्काय शो जाता शै।

ऩयभात्भा वदा वाषात ्शै। लश कबी दयू नश ॊ, कबी ऩयामा नश ॊ। वॊकीणतुा औय असान के कायण शभ दयू भान रेते शैं, ऩयामा भान रेते शैं औय अऩने को अनाथ भान रेते शैं। तुभ अनाथ नश ॊ शो। वलनुनमन्ता नाथ, वलशे्वश्वय तुम्शाया आत्भा फनकय फैठा शै। वलश्वननमन्ता नाथ श तुम्शाये आगे अनेक रूऩ शोकय फैठा शै। वलश्वननमन्ता ऩयभात्भा श तुम्शाये आगे वुख औय दु् ख के स्लाॊग कयके तुम्शें अऩनी अवलरमत को जतराने का मत्न कय यशा शै।

अत् जो प्रनतकूरता आ यश शै उव ेधन्मलाद दो औय कशो कक माय ! त ूभुझ ेधोखा नश ॊ दे वकता।

दवूये वलश्वमुद्ध के दौय भें वन 1942 की एक घटना शै।

ककवी जीलन्भुि भशाऩुरूऴ न ेवॊकल्ऩ कय लरमा कक वफ तू श शै तो अफ फोरेंगे नश ॊ। जीलन के अॊनतन श्वाव के षण कुछ फोर रेंगे तो फोर रेंगे।

दवूये वलश्वमुद्ध भें वैननकों के द्वाया जावूवी के ळक भें ले ऩकड़ ेगमे। ऩूछने ऩय कुछ फोरे नश ॊ तो औय वन्देश शुआ। रे गमे अऩने भेजय के ऩाव। डाॉट-डऩटकय उनवे ऩूछा गमा् "तुभ कौन शो ? कशाॉ वे आमे शो ?" आदद आदद। जफयदस्ती कयने के कई तय के आजभामे गमे रेककन इन भशाऩुरूऴ न ेवॊकल्ऩ कय यखा था। जीलन्भुि को बम कशाॉ ? ल ेजानत ेथे कक् "डाॉटने लारे भें बी भेय श चतेना शै। ळय य का जैवा प्रायब्ध शोगा लैवा शोकय यशेगा। बमबीत र्कमों शोना ? उनके प्रनत उदद्वग्न र्कमों शोना ?"

भशात्भा ज्मों के त्मों खड़ ेयशे। ऩूछने लारे ऩूछ-ऩूछकय थक गमे। आणखय वूचना द गई कक अगय नश ॊ फोरोगे तो गरे भें बारा बोंक देंगे... वदा के लरए चऩु कय देंगे।

कपय बी भशात्भा ळाॊत....। उन ऩय कोई प्रबाल न ऩड़ा। उन भूख ुरोगों ने उठामा बारा। भशात्भा के कण्ठकूऩ भें बारे की नोंक यखी। कपय बी जीलन्भुि को बम नश ॊ रगा। ले जानते थे कक वफ ऩयभात्भा की आह्लाददनी र रा शै। जैव ेवागय भें तयॊगे शोती शैं, ऐव ेश ऩयब्रह्म ऩयभात्भा भें वफ र राएॉ शो यश शैं।

आणखय उव कू्रय भेजय ने वैननकों को आदेळ दे ददमा। बारा गरे भें बोंक ददमा गमा। यि की धाय फश । तफ ले भशात्भा अभतृलचन फोरे्

"माय ! तू वैननक फनकय आमेगा, बारा फनकय आमेगा, तो बी अफ भुझ ेधोखा नश ॊ दे वकता र्कमोंकक भैं ऩशचानता शूॉ कक उवभें बी त ूश तू शै। ळय य का अन्त श्चजव ननलभत्त व ेशोने लारा शै, लश शोगा रेककन अफ तू भुझ ेधोखा नश ॊ दे वकता।"

चतैन्मरूऩी वागय की वफ तयॊगे शैं। ना कोई ळि ुना कोई लभि, ना कोई अऩना ना कोई ऩयामा। वफ ऩयभेश्वय श ऩयभेश्वय शै.... नायामण श नायामण शै। भेया चतैन्म आत्भा-ऩयभात्भा श

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वफ कुछ फना फैठा शै। ॐ....ॐ....ॐ..... नायामण.... नायामण..... नायामण... त ूश तू.... तू श तू....।

ऐवे वलळार सान औय वलळार रृदम लारे सानलान को भतृ्मु बी ददखती शै तो वभझते शैं कक् भतृ्म ुबी तू श शै। मभदतू बी तू श शै औय ऩाऴदु बी तू श शै। लैकुण्ठ बी तुझ श भें शै, स्लग ुबी तुझ श भें शै औय नकु बी तुझ श भें शै।

श्चजवके लरमे स्लग ुऔय नकु अऩना आऩा शो गमा, उवके लरए स्लग ुका आकऴणु कशाॉ औय नकु का बम कशाॉ ? उवके लरमे ऩयभात्भा श ऩयभात्भा शै।

"ॐ....ॐ....ॐ.... आनन्द.... खफू आनन्द.... वलळार रृदम, वलळार सान... ददव्म सान... वलळार प्रेभ.... ॐ....ॐ..... वलोऽशभ.्.. वुखस्लरूऩोऽशभ।् भैं वल ुशूॉ.... भैं वुख स्लरूऩ शूॉ.... भैं आनन्दस्लरूऩ शूॉ... भैं चतैन्मरूऩ शूॉ... ।"

वेला इव आत्भसान को व्मलशाय भें रे आती शै। बालना इव आत्भसान को बालळुवद्ध भें रे आती शै। लेदान्त इव जीलन को व्माऩक स्लरूऩ वे अलबन्न फना देता शै।

इव वलळार अनुबल वे चाशे शजाय फाय कपवर जाओ, डयो नश ॊ। चरते यशो इवी सानऩथ ऩय। एक ददन जरूय वनातन वत्म का वाषात्काय शो जामेगा। दृवष्ट श्चजतनी वलळार यशेगी, भन श्चजतना वलळार यशेगा, फुवद्ध श्चजतनी वलळार यशेगी, उतना श वलळार चतैन्म का प्रवाद प्राप्त शोता शै। उव प्रवाद वे वाये दु् ख दयू शो जाते शैं।

जगत भें जो बी दु् ख शैं, वाये असानजननत शैं, वॊकीणतुाजननत शैं, फेलकूपीजननत शैं। लास्तल भें दु् ख का कोई अश्चस्तत्ल नश ॊ औय वुख कोई वाय चीज नश ॊ। ऩयभात्भा तो ऩयभानन्द शैं, ऩयभ वुखस्लरूऩ शैं। जशाॉ वुख औय दु् ख दोनों तुच्छ ददखते शै, ऐवा ळाॊत चतैन्म आत्भा अऩना स्लरूऩ शै।

शला चरती शै तबी बी शला शै औय श्चस्थय शै तबी बी शला शै। ऐव ेश ऩयभात्भा की आह्लाददनी ळक्ति वे जगत फनते शैं औय लभटते शैं। जगत की श्चस्थनत भें बी लश आनन्दघन ऩयभात्भा शै औय जगत के प्ररम भें बी लश ऩयभात्भा। प्रलवृत्त भें बी लश शै औय ळान्त बाल भें बी लश शै।

ऐवा जो जानता शै, लश लास्तवलक भें जानता शै। ऐवा जो देखता शै, लश लास्तल भें देखता शै। ऐवा जो वोचता शै, लश लास्तल भें वोचता शै। ऐवा जो वभझता शै, लश लास्तवलक भें वभझदाय शै। फाकी वफ नावभझों का णखरलाड़ शै।

ॐ.....ॐ.....ॐ...... खफू आनन्द....! भधयु आनन्द.....!! ऩयभानन्द....!!! ननश्चिन्त नायामण स्लबाल....! ॐ....ॐ.....ॐ....।

जो रोग फाशय की चीजों भें, भेये तेये भें उरझ ेशैं, उनके लरए ळास्त्र वलधान कयते शैं कक इतने इतन ेवत्कभ ुकयो तो बवलष्म भें स्लग ुलभरेगा। कुकभ ुकयोगे तो नकु लभरेगा।

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श्चजनको सान भें रूचच शै, ईश्वयत्ल के प्रकाळ भें जो जीते शैं, उनको कुछ कयके स्लग ुभें जाकय वुख रेने की इच्छा नश ॊ। नकु के दु् ख के बम व ेऩीक्तड़त शोकय कुछ कयना नश ॊ। ले तो वभझते शैं कक वफ भेये श अॊग शै। दामाॉ शाथ फामें की वेला कय रे तो र्कमा अलबभान कये औय फामाॉ शाथ दादशने शाथ की वेला कय रे तो र्कमा फदरा चाशेगा ? ऩैय चरकय ळय य को कश ॊ ऩशुॉचा दे तो र्कमा अलबभान कयेंगे औय भश्चस्तष्क वाये ळय य के लरए अच्छा ननणमु रे तो र्कमा अऩेषा कयेगा ? वफ अॊग लबन्न लबन्न ददखते शैं, कपय बी शैं तो वबी एक ळय य के श ।

ऐवे श वफ जानतमाॉ, वफ वभाज, वफ देळ लबन्न-लबन्न ददखते शैं, ले वत्म नश ॊ शैं। जानतलाद वत्म नश ॊ शै। स्त्री औय ऩुरूऴ वत्म नश ॊ शै। फाऩ औय फेटा वत्म नश ॊ शै। फेटा औय फाऩ, ऩुरूऴ औय स्त्री, जानत औय उऩजानत तो केलर तयॊगें शैं। वत्म तो उनभें चतैन्मस्लरूऩ जरयालळ श शै।

ॐ....ॐ...ॐ.... नायामण... नायामण....नायामण.... नायामण का भतरफ शै ऩूण ुचतैन्म... याभ श याभ... आनन्द...।

तुझभें याभ भुझभें याभ वफभें याभ वभामा शै।

कय रो वबी वे प्माय जगत भें कोई नश ॊ ऩयामा शै।।

ॐ....ॐ....ॐ.... शे दु् ख देने लारे रोग औय शे दु् ख के प्रवॊग ! शे वुख देने लारे रोग औय वुख के प्रवॊग

! तुभ दोनों की खफू कृऩा शुई। दोनों ने भुझ ेमश सानरूऩी पर दे ददमा कक वुख बी वच्चा नश ॊ औय दु् ख बी वच्चा नश ॊ। वुख देने लारा बी वच्चा नश ॊ औय दु् ख देनेलारा बी वच्चा नश ॊ। वुख औय दु् ख देने लारों के भन की तयॊगें श थीॊ। भन की तयॊगों का आधाय भेया चतैन्म आत्भदेल लशाॉ बी ऩूण ुका ऩूण ुथा। ॐ....ॐ.....ॐ..... नायामण.... नायामण.... नायामण....।

ददव्म आनन्द.....। भधयु आनन्द.... ! ऩयभानन्द.... ! ननवलकुाय आनन्द....! ननयन्जन आनन्द...! ॐ.....ॐ.....ॐ....

नय-नाय भें फवा शुआ... वुखी-दु् खी भें फवा शुआ... अऩने ऩयामे भें छुऩा शुआ ऩयभात्भा भें छुऩा शुआ बी शै, जादशय बी शै.... अन्नत शै... ननवलकुाय शै.... ननयॊजन शै....।

ऐवी बूर दनुनमाॉ के अन्दय वाफूत कयणी कयता तू।

ऐवो खेर यच्मो भेये दाता ज्मों देखूॉ ला तू को तू।।

कीड़ी भें नानो फन फैठो शाथी भें तू भोटो र्कमूॉ ? फन भशालत ने भाथे फेठो शौंकणलारो त ूको तू।।

दाता भें दाता फन फैठो लबखाय के बेऱो तू।

रे झोऱी न ेभागण रागो देलालाऱो दाता तू।।

चोयों भें तू चोय फन फेठो फदभाळों के बेऱो तू।

कय चोय ने बागण रागो ऩकड़न ेलाऱो तू को तू।।

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नय नाय भें एक वलयाज ेदनुनमाॉ भें दो ददखे र्कमूॉ।

फन फारक ने योला रागो याखणलाऱो तू को तू।।

जर थर भें त ूश वलयाज ेजॊत बूत के बेऱो तू।

कशत कफीय वुनो बाई वाधो गुरू बी फन के फेठो तू।।

वलळार उदचध की जरयालळ भें बॉलय बी तू श शै औय तयॊग बी तू श शै। फुरफुरे बी तू श शै औय जर के टकयाने वे फनने लार पेन बी तू श शै। जर भें ऩैदा शोन ेलार ळैलार बी तू श शै।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

आश्चस्तक का जीलन-दळनु

नाश्चस्तक रोगों ने बगलान को नश ॊ देखा, नश ॊ जाना, इवलरए ले बगलान को नश ॊ भानते। आश्चस्तक रोग बगलान को भानते तो शैं, रेककन ले बी अऩने रृदम भें फैठे शुए बगलान का आदय नश ॊ कयते। याभतीथ ुकशा कयते थे् "मे रोग बगलान को, खदुातारा को वातलें आवभान भें श्चस्थत भानते शैं। कभ-वे-कभ खदुातारा ऩय इतनी तो दमा कयो कक वातलें आवभान भें उवको कश ॊ ठण्ड न रग जाम !

बगलान केलर गौरोक भें, वाकेत भें, लैकुण्ठ भें मा लळलरोक भें श नश ॊ शै, अवऩतु ले तो वलिु ओतप्रोत अनॊत-अनॊत ब्रह्माण्डों भें पैरे शैं। ल ेश बगलान तुम्शाया आत्भा शोकय फैठे शैं।

कल्ऩना कयो कक दशभारम जैवा ळर्ककय का एक फड़ा ऩशाड़ शै। ळर्ककय के इव ऩूये दशभारम को एक चीॊट जानना चाशे तो घूभत ेघूभत ेमुग फीत जाम। अगय मुक्ति आ जाम, लश ऩशाड़ ऩश जशाॉ खड़ी शै, लश ॊ ळर्ककय को चख रे तो उवी वभम लश ॊ ऩय उवको ळर्ककय के वाये दशभारम का वाषात्काय शो जाम।

शभाय लवृत्त ऐदशक जगत भें वुख खोजती शै। लश भतृ्मु के फाद स्लग ुभें, लैकुण्ठ भें मा लळलरोक भें जाकय वुखी शोने की कल्ऩना भें उरझती शै। इव उरझन व ेशटकय लवृत्त जशाॉ व ेउठती शै, लश ॊ अऩने अचधिान को जान रे तो स्लमॊ वुखस्लरूऩ शो जाम। जशाॉ लश खड़ी शै, लश ॊ उवकी मािा ऩूय शो जाम। 'लशाॉ जाऊॉ ... मश ऩा रूॉ.... लश कय रूॉ.... तो वुखी शो जाऊॉ ....' मश जो भन भें कल्ऩना घुवी शै, असान घुवा शै, इव असान को आत्भसान व ेलभटाकय जील जफ अऩने-आऩ भें जाग जाता शै तो ऩूण ुवुख का औय ऩूण ुननबमुता का अनुबल शो जाता शै। ननबीक वलचाय कयने वे श ननबीकता का अनुबल शो जाता शै। भुक्ति का वलचाय कयने वे श अऩने भुि स्लबाल का अनुबल शोता शै। दु् ख फन्धन औय बम के वलचाय कयने व ेअऩनी शानन शोती शै।

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शभाये भन भें अदबुत ळक्ति शै। भन की कल्ऩनाओॊ व ेश शभ वॊवाय भें उरझते शैं। जील वदा चचश्चन्तत-बमबीत यशता शै कक भेया मश शो जामगा तो र्कमा शोगा... लश शो जामगा तो र्कमा शोगा....? ऐवी कल्ऩना कयके दु् खी र्कमों शोना ? वदा ननश्चिन्त यशना चादशए औय ऐवा वोचना चादशए कक भेया कबी कुछ त्रफगड़ नश ॊ वकता।

आदभी जैवा बीतय वोचता शै, लैवी श आत्भा उवके ळय य के इदु-चगदु फनती शै, पैरती शै। फाह्य लातालयण वे श वजातीम वॊस्कायों को बी आकवऴतु कयती शै। आऩ भुक्ति के वलचाय कयते शो तो भुक्ति का आन्दोरन औय आबा फनती शै। भुि ऩुरूऴों के वलचाय आऩको वशमोग कयते शैं। आऩ बम औय फन्धन के वलचाय कयते शो तो आऩकी आबा लैवी श फनती शै। अगय आऩ घणृा के वलचाय कयते शो, चोय औय डकैती के वलचाय कयते शो लश आबा चोयों औय डकैतों को चोय डकैती के लरए आभॊत्रित कयती शै। आऩकी आबा वुन्दय औय वुशालनी शै तो उवी प्रकाय की आबा औय वलचाय आऩकी औय णखॊच जाते शैं।

भेये ऩाव एक जेफकतया आमा। अऩनी ब्रेड तोड़कय भेये ऩैयों भें यख द औय शाथ जोड़कय फोरा् "स्लाभी जी ! आऩ आळीलाुद दो कक भुझे रयर्कळा लभर जाम औय भैं अच्छा धन्धा करूॉ । आऩके वत्वॊग भें आमा तफ वे ननिम ककमा कक अफ ऩाऩ का धन्धा नश ॊ करूॉ गा।"

"र्कमा धन्धा कयता था ?"

"जेफकतया था।"

"अफ तो छोड़ ददमा शै न ?"

"शाॉ स्लाभी जी !"

"अच्छा... अफ वच फताओ कक तुभको कैवे ऩता चरता शै कक ककवी व्मक्ति के ऩाव ऩैवे शैं ?"

"स्लाभी जी ! मश तो वीधी वी फात शै। श्चजनके ऩाव ऩैव ेशोते शैं, उनका शाथ फाय-फाय जेफ ऩय जाता शै। ले बमबीत यशते शैं कक जेफ कश ॊ कट न जाम... कट न जाम...। शभे इववे आभॊिण लभर जाता शै कक मश ॊ ब्रेड घुभाना चादशए।"

दवूया एक रड़का आता था ऩारनऩुय वे। अभदालाद आश्रभ भें आने के लरए उवने टे्रन का ऩाव ननकरलामा था। उवने भुझवे कशा कक् "स्लाभी जी ! भैं शभेळा अभदालाद आता जाता शूॉ, कबी भेय दटकट चके नश ॊ शोता। रेककन श्चजव ददन भैं ऩाव घय ऩय बूर आता शूॉ मा ऩाव की अलचध ऩूय शो जाती शै, तबी ट .ट .ई. भेया चकेकॊ ग कयते शैं औय भैं पॉ व जाता शूॉ। भुझ ेफड़ा आिम ुशोता शै कक मे रोग मोग, ध्मान आदद तो कुछ कयते नश ॊ, लवगयेट ऩीते शैं। उनको कैवे ऩता चर जाता शै कक आज भेये ऩाव 'ऩाव' नश ॊ शै मा उवकी ताय ख खत्भ शो चकुी शै ?"

भैंने उव ेवभझामा् "ट .ट .ई. को तो ऩता नश ॊ चरता शै रेककन तेये को ऩता शोता शै कक 'आज भैं ऩाव बूर गमा शूॉ।' तेये चचत्त भें डय यशता शै कक, 'लश कश ॊ ऩूछ न रें.... ऩकड़ न रें।'

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तेये इन वलचायो की आबा तेये इदुचगदु फनती शै औय ट .ट .ई. को आभॊत्रित कयती शै कक इवकी तराळी रो।"

तुम्शाये वलचायों का ऐवा चभत्कारयक प्रबाल ऩड़ता शै। तुभ जफ आश्चत्भक वलचाय कयते शो, तफ वलवु्माऩक ईश्वयतवल भें, गुरूतवल भें जो आत्भा की भुिता शै, लश तुम्शें वशाम कयती शै। तुभ जफ दु् ख, बम, फन्धन के वलचाय कयते शो, तफ लातालयण भें जो शल्के वलचाय पैरे शुए शैं, ले तुम्शें घेय रेते शैं औय तुभ अचधकाचधक चगयते श चरे जाते शो।

'भैं वलश्वात्भा शूॉ.... भेया जन्भ नश ॊ.... भेय भतृ्मु नश ॊ...' इव प्रकाय का जो चचन्तन कयता शै, लश अऩने ळुद्ध 'भैं' भें जाग जाता शै। तुम्शाया भन एक कल्ऩलषृ शै। फन्धन के वलचाय कयने व ेअन्त्कयण फन्ध जाता शै। अगय तुभ अऩने को फन्धनलारा भानते शो तो तुभ ककव फात वे फॉधे शो ? रूऩमों वे फॉधे शो ? रूऩमे तो ककतने आमे औय चरे गमे। तुभ अगय रूऩमों वे फॉधे शोते तो तुभ बी चरे जाते। लभिों वे फॉधे शो ? कई लभि फचऩन भें आमे, ककळोयालस्था भें आमे औय जलानी भें आमे, फीत गमे। आज ले नश ॊ शैं। कोई नश ॊ... कोई नश ॊ... वफ त्रफखय गमे। कऩड़ों वे फॉधे शो ? फचऩन वे रेकय आज तक तुभने कई कऩड़ ेफदर ददमे। घय व ेफॉधे शो ? नश ॊ। लास्तल भें तुभ ककवी चीज वे फॉधे नश ॊ शो। अऩनी भदशभा तुभ नश ॊ जानते, अऩनी भुिता को तुभ नश ॊ जानते, इवलरए चचत्त के पुयने के वाथ तुभ जुड़ जाते शो औय फॉध जाते शो।

ककवी याजा ने वॊत कफीय वे प्राथनुा की कक् "आऩ कृऩा कयके भुझ ेवॊवाय फन्धन वे छुड़ाओ।"

कफीय जी न ेकशा् "आऩ तो धालभकु शो... शय योज ऩॊक्तडत वे कथा कयलाते शो, वुनत ेशो..."

"शाॉ भशायाज ! कथा तो ऩॊक्तडत जी वुनाते शैं, वलचध-वलधान फताते शैं, रेककन अबी तक भुझ ेबगलान के दळनु नश ॊ शुए शैं... अऩनी भुिता का अनुबल नश ॊ शुआ। आऩ कृऩा कयें।"

"अच्छा भैं कथा के लि आ जाऊॉ गा।"

वभम ऩाकय कफीय जी लशाॉ ऩशुॉच गमे, जशाॉ याजा ऩॊक्तडत जी व ेकथा वुन यशा था। याजा उठकय खड़ा शो गमा र्कमोंकक उव ेकफीय जी व ेकुछ रेना थ। कफीय जी का बी अऩना आध्माश्चत्भक प्रबाल था। ले फोरे्

"याजन ! अगय कुछ ऩाना शै तो आऩको भेय आसा का ऩारन कयना ऩड़गेा।"

"शाॉ भशायाज !"

"भैं तख्त ऩय फैठूॉगा। लजीय को फोर दो कक भेय आसा का ऩारन कये।"

याजा ने लजीय को वूचना दे द कक अबी मे कफीय जी याजा शै। ले जैवा कशें, लैवा कयना।

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कफीय जी कशा कक एक खम्बे के वाथ याजा को फाॉधो औय दवूये खम्बे के वाथ ऩॊक्तडत जी को फाॉधो। याजा न ेवभझ लरमा कक इवभें अलश्म कोई यशस्म शोगा। लजीय को इळाया ककमा कक आसा का ऩारन शो। दोनों को दो खम्बों वे फाॉध ददमा गमा। कफीय जी ऩॊक्तडत व ेकशने रगे्

"देखो, याजा वाशफ तुम्शाये श्रोता शैं। ल ेफॉधे शुए शैं, उन्शें तुभ खोर दो।"

"भशायाज ! भैं स्लमॊ फॉधा शुआ शूॉ। उन्शें कैवे खोरूॉ ?"

कफीय जी न ेयाजा वे कशा् "मे ऩॊक्तडत जी तुम्शाये ऩुयोदशत शैं। ले फॉधे शुए शैं। उन्शें खोर दो।"

"भशायाज ! भैं स्लमॊ फॉधा शुआ शूॉ, उन्शें कैवे खोरूॉ ?"

कफीय जी न ेवभझामा् फॉधे को फॉधा लभरे छूटे कौन उऩाम।

वेला कय ननफुन्ध की ऩर भें दे छुड़ाम।। 'जो ऩॊक्तडत खदु स्थरू 'भैं' फॉधा शै, वूक्ष्भ 'भैं' भें फॉधा शै, उवको फोरते शो कक भुझ े

बगलान के दळनु कया दो ? स्थरू औय वूक्ष्भ अशॊ वे जो छूटे शैं, ऐव ेननफनु्ध ब्रह्मलेत्ता की वेला कयके उन्शें रयझा दो तो फेड़ा ऩाय शो जाम। ले तुम्शें उऩदेळ देकय ऩर भें छुड़ा देंगे।"

भानो, कोई बगलान आ बी जाम तुम्शाये वाभने, रेककन जफ तक आत्भसानी गुरू का सान नश ॊ लभरेगा, तफ तक वफ फॊधन नश ॊ कटेंगे। आनन्द आमगा, ऩुण्म फढेंगे, ऩय आत्भसान की कुॊ जी के त्रफना जील ननफनु्ध नश ॊ शोगा।

दमुोधन औय ळकुनन ने श्रीकृष्ण के दळनु ककमे थे। ईश्वय प्रानप्त की रगन न शोने के कायण उन्शोंने पामदा नश ॊ उठामा। भशालीय को कई रोगों ने देखा था, भुशम्भद के वाथ कई रोग यशते थे। जीवव जफ क्रॉव ऩय चढामे जा यशे थे औय उनके शाथों ऩय कीरें ठोंके जा यशे थे तो कई रोग देख यशे थे।

वॊत बगलॊत के दळनु औय वाश्चन्नध्म का ऩूया राब तफ शोगा जफ उनका आत्भसानऩयक उऩदेळ वुनकय आऩ ननबमु तवल भें अऩने भैं की श्चस्थनत कयेंगे। इवके लरए चादशए उत्कण्ठा.. इवके लरए श्चजसावा... इवके लरमे चादशए वदगुरूओॊ का कृऩा प्रवाद, प्राप्त शो ऐवा आचयण औय व्मलशाय।

गुरूओॊ का सान मश शै कक तुभ ननबीकता के वलचाय कयो। ननबीकता लश नश ॊ, जो दवूयों का ळोऴण कये। जो दवूयों का ळोऴण कयता शै, दवूयों को डयाता शै, लश स्लमॊ बमबीत यशता शै। न आऩ बमबीत शो औय न दवूयों को बमबीत कयो। आऩ ननबमु यशो औय दवूयों को ननबमु फनाओ। आऩ ननदु्वन्द्व फनो औय दवूयों को ननदु्वन्द्व तवल भें रे जाओ। आऩ जो फाॉटोगे, लश लाऩव लभरेगा। आऩ ननबमुता के वलचाय कयो। अऩने ननबमुस्लरूऩ की ओय ननगाश यखो।

वुनी शै एक कशानी। एक ब्रह्मलेत्ता वूपी पकीय अऩने प्माये लळष्म के वाथ कश ॊ जा यशे थे। यास्ते भें फदढमा भाशौर देखा... खरुा आकाळ.... ळाॊत लातालयण.... ननजनु लन का एकाॊत

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स्थान.... फैठ गमे ध्मान भें। कुछ वभम फीता। ऩाव के बमानक जॊगर भें ळये दशाड़ने रगा। फाफाजी तो वभाचध भें थे, रेककन चरेा जी तो थय-थय काॉऩने रगे। ळये की आलाज नजद क आने रगी।

चरेा जी चढ गमे ऩेड़ ऩय। ळये आकय गुरूजी के अॊगों को वूॉघता शुआ आगे चरा गमा। कुछ वभम फीता। गुरूजी ध्मान वे जागे। चरेा बी नीच ेउतया। काॉऩ यशा था। अबी बी। गुरूजी फोरे्

"र्कमा शुआ ?"

"गुरूजी ! ळये आमा था। आऩको वूॉघकय चरा गमा।"

अफ दोनों आगे चरने रगे। इतने भें गुरूजी को भच्छय ने काटा। गुरूजी ने 'आशा...' कयके भच्छय को उड़ामा। चरेा फोरा्

"जफ ळये आमा तो आऩ चऩुचाऩ फैठे यशे औय भच्छय ने काटा तो...."

गुरूजी ने कशा् "जफ ळये आमा तफ भैं अऩने ळुद्ध "भैं" भें था। अफ भेय लवृत्त इव शाड़-भाॊव के देश भें आ गई शै, इवलरए भच्छय ने काटा तो बी आश ननकर यश शै।"

एक फाफाजी कथा कय यशे थे। जोयों का आॉधी तूपान चरने रगा। श्रोता रोग बाग खड़ ेशुए र्कमोंकक छऩड़ ेके दटन खड़खड़ा यशे थे, कश ॊ चगय न जामें ! जशाॉ ऩर्कका ळडे था, लशाॉ वफ रोग चरे गमे। थोड़ी देय के फाद तूपान रूक गमा। वफ लाऩव आमे। फाफाजी अऩने आवन ऩय ननिर वलयाजभान थे।

"फाफाजी ! तुभ बी बागे, शभ बी बागे। तुभ बी आय.वी.वी. के ळडे के नीच ेबागे औय भैं अऩने ळुद्ध 'भैं' भें बागा, इवलरए ननबमु शो गमा।"

अत् जफ जफ डय रगे, तफ अऩने ळुद्ध 'भैं' की ओय बाग जाओ। शो-शोकय र्कमा शोगा ? भैं ननबीक शूॉ। ॐ....ॐ.....ॐ..... भैं अभय आत्भा शूॉ....शरय.... ॐ....ॐ....ॐ....।

भौत के वभम शाम-शाम कयके डयोगे तो गड़फड़ शो जामगी... भौत त्रफगड़ जामगी। भौत को बी वुधयना शै। भौत तो आमेगी श । चाशे ककतनी बी वुयषाएॉ कय रो। भौत आमे तफ वोचो... वभझो भैं ननबीक शूॉ। भौत भेय नश ॊ शोगी, ळय य की शोगी। ळय य की भौत को देखना शै। जैव ेळय य के कोट, ऩेन्ट, ळटु को देखते शैं, ऐव ेळय य की भौत को बी देख वकते शैं। जो भौत के वभम वालधान शो जाम, ननबीक शो जामे, उवकी दफुाया कबी भौत नश ॊ शोती। लश अभय आत्भा भें जग जाता शै। मश काभ तो अलश्म कयना शै। दवूया काभ शो चाशे न शो, चर जामगा।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

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भध ुवॊचम

असान को लभटाओ

जफ-जफ दु् ख शो, ऩयेळानी शो, बम शो, तफ वभझ रेना कक मश असान की उऩज शै। कश ॊ न कश ॊ नावभझी को ऩकड़ा शै, इवलरए दु् ख शोता शै। वलकाय उठे तो वभझ रो कक नावभझी शै, इवलरए फश गमे शो वलकाय भें। कपय फशते श न यशो, वालधान शो जाओ। वलकायों ने वफक लवखा ददमा कक इवभें कोई वाय नश ॊ। ऩयेळानी के लवलाम औय कुछ नश ॊ शै। भोश ने लवखा ददमा कक इवभें भुवीफत के लवलाम औय कुछ नश ॊ शै।

काभ ळाश्वत नश ॊ शै, याभ ळाश्वत शै। काभ आमा औय गमा, रेककन याभ तो ऩशरे बी था, अफ बी शै औय फाद भें बी यशेगा। अऩने याभ स्लबाल को जानो.... अऩने ळाॊत स्लबाल को जानो... अऩने अभय स्लबाल को जानो, अऩने चचदघन चतैन्म याभ को जानो। उव याभ को जाननेलारा याभ वे अरग नश ॊ यशता। लश याभभम शो जाता शै।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

करयए ननत वत्वॊग को.... वॊगदोऴ जैवी फुय चीज वॊवाय भें औय कोई नश ॊ शै। बीड़-बाड़ भें, वलकाय रोगों के फीच

यशना अच्छा नश ॊ। एकान्त भें यशना चादशए मा बगलान की भस्ती भें भस्त यशने लारे उच्च कोदट के वाधकों के फीच यशना चादशए। ले वाधक भशवूव कयते शैं कक अफ इश्चन्िमों के प्रदेळ भें ज्मादा घूभना, जीना अच्छा नश ॊ रगता। इश्चन्िमातीत आत्भबाल भें श वच्चा वुख शै। जान लरमा कक वॊवाय के कीचड़ भें कोई वाय नश ॊ, जान लरमा कक तयॊग फनकय ककनायों वे टकयाने भें कोई वाय नश ॊ... अफ तो भुझ ेजरयालळ भें श , आत्भानन्द के भशावागय भें श अच्छा रगता शै। अफ तो ऐवा रगता शै कक्

"लभर जाम कोई ऩीय पकीय ऩशुॉचा दे बल ऩाय....।"

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

वालधान.....!

अनुबली आदभी प्रकृनत की एकाध थप्ऩड़ व ेचते जाता शै औय नश ॊ चतेेगा तो दवूय लभरेगी, तीवय लभरेगी। वॊवाय भें थप्ऩड़ भाय-भयकय प्रकृनत तुम्शें ऩयभात्भा भें ऩशुॉचाना चाशती शै। वभझकय ऩशुॉचना शै तो तुम्शें शॉवते-खेरते शुए ऩशुॉचा देने के लरए लश प्रकृनत देली तैमाय शै।

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अगय नश ॊ भानते शो, वॊवाय भें भोश भभता कयत ेशो तो भोश-भभता की चीजें छ नकय, थप्ऩड़ें भायकय बी तुम्शें जगाने के लरए लश प्रकृनत देली वकक्रम शै। लश शै तो आणखय ऩयभात्भा की श आह्लाददनी ळक्ति। लश तुम्शाय ळि ुनश ॊ शै, ळुबचचन्तक शै।

अनुक्रभ

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

तर्कमतुाभ.्... भा कुतर्कमाुताभ ्

आजकर के ककवी नाश्चस्तक वुधायक की ऩढ -लरखी रड़की ककवी वत्वॊग के घय ळाद कयके गई। वाव ने कशा्

"फशू ! चरो भॊददय भें देलदळनु कयें।"

"शाॉ शाॉ....कबी चरेंगे। आज तो भुझ ेवऩर्कचय देखने जाना शै।2

फेट देलदळनु कयो तो जीलन का कल्माण शोले। वऩर्कचयों वे तो आॉखों की ळक्ति षीण शोती शै। फन्द चथमेटयों भें ऐवे लैवे रोगों के श्वावोच्छालाव, अऩानलामु, फदफ ूकी अळुवद्ध प्रचयु भािा भें शोती शै। अळाॊनत औय वलराव के लामब्रेळन अऩना अॊत्कयण भलरन कयते शैं।"

"भाता जी ! आऩ चचन्ता भत कयो। शभें तो भजा आता शै। आऩ भॊददय भें जाओ। भैं ऩयवों-तयवों आऩके वाथ चरूॉगी। आज तो....।"

इव प्रकाय वाव जी को टारते-टारते आणखय उव वुधायक के ऩरयलाय वे आमी शुई आधनुनक रड़की न ेएक ददन वावजी के वाथ भॊददय जाना कफूर ककमा। उवने अऩने नाज नखयों वे ऩनत को लळ कय लरमा था औय वाव को फेलकूप भानती थी।

बगलान ने अर्कर तो द शै रेककन बिों को फेलकूप भाननेलार जो अर्कर शै, लश देय वलेय नष्ट शो जाती शै। तकु ठ क शै, रेककन कुतकु कयके बि की श्रद्धा तोड़ना अथला कुतकु कयके अऩने वलऴम वलकायों को ऩोवना, बक्ति औय वदाचाय के भाग ुको छोड़ देना, मश तो ऩूये त्रफगाड़ की ननळानी शै।

नाश्चस्तक वुधायक के घय भें ऩनऩी शुई लश पैळनेफर रड़की शाय-ळृॊगाय वे देश को वजाकय भॊददय भें गई। भॊददय का द्वाय आते श लश चीखी।

"भैं भय गई ये... भुझ ेफचाओ.... फचाओ... फड़ा डय रगता शै !"

वाव ने ऩूछा् "आणखय र्कमा शुआ ?"

"भुझ ेफशुत डय रगता शै। भैं अॊदय नश ॊ आ वकती। भुझ ेघय रे चरो। भेया ददर धड़कता शै... भेया तन काॉऩता शै।"

"अये ! फोर तो वश , शै र्कमा ?"

"लश देखो, भॊददय के द्वाय ऩय दो-दो ळये भुॉश पाड़कय खड़ ेशैं। भैं कैवे अॊदय जाऊॉ गी ?"

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वाव ने कशा् "फेट ! मे दो ळये शैं, रेककन ऩत्थय के शैं। मे काटेंगे नश ॊ... कुछ नश ॊ कयेंगे।"

लश रड़की अकड़कय फोर ् "जफ ऩत्थय के ळये कुछ नश ॊ कयेंगे तो भॊददय भें तुम्शाया ऩत्थय का बगलान बी र्कमा कयेगा ?"

उव ऩढ लरखी भूख ुस्त्री ने तकु तो दे ददमा औय बोरे-बारे रोगों को रगेगा कक फात तो वच्ची शै। ऩत्थय के लवॊश काटते नश ॊ, कुछ कयते नश ॊ तो ऩत्थय के बगलान र्कमा देंगे ? जफ मे भायेंगे नश ॊ तो ले बगलान वॉलायेंगे बी नश ॊ। उव कुतकु कयने लार रड़की को ऩता नश ॊ कक ऩत्थय के लवॊश त्रफठाने की औय बगलान की भूनत ुप्रनतित कयने की प्रेयणा श्चजन ऋवऴमों न ेद शै, ले ऋवऴ-भशवऴ-ुभनीवऴमों की दृवष्ट ककतनी भशान औय लैसाननक थी ! ऩत्थय की प्रनतभा भें शभ बगलदबाल कयते शैं तो शभाया चचत्त बगलदाकाय शोता शै। ऩत्थय की प्रनतभा भें बगलद बाल शभाये चचत्त का ननभाुण कयता शै, चतैन्म के प्रवाद भें जागने का यास्ता फनाता शै।

भूनतऩुूजा कयते-कयते, ऩयभात्भा के गीत गाते-गात ेभीया ऩयभ चतैन्म भें जाग गई थी। आणखय उव भूनत ुभें वभा गई थी। गौयाॊग वभा गमे थे जगन्नाथजी के श्रीवलग्रश भें। एक ककवान की रड़की नयो श्रीनाथ जी के आगे दधू धयती थी। श्रीनाथ जी उवके शाथ वे दधू रेकय ऩीते थे। थी तो लश बी भूनत।ु

तुम्शाये अन्त्कयण भें ककतनी ळक्ति नछऩी शुई शै ! भूनत ुबी तुभव ेफोर वकती शै। इतनी तो तुम्शाये चचत्त भें ळक्ति शै औय चचत्त के अचधिान भें तो अनॊत-अनॊत ब्रह्माण्ड वलरलवत शो यशे शैं। मश सान जगाने के लरए भॊददय का देलदळनु प्रायॊलबक कषा शै। बरे फार भॊददय शै, कपय बी अच्छा श शै।

उव भूख ुरड़की वे कशना चादशए् "जफ त ूचरचचि देखकय शॉवती शै, नाचती शै, योती शै, शाराॉकक प्राश्चस्टक की ऩट्टी के लवलाम कुछ बी नश ॊ शै, कपय बी आशा..... अदबुत... कशकय तू उछरती यशती शै। ऩयदे ऩय तो कुछ नश ॊ, वचभुच भें गुन्डा नश ॊ, ऩुलरव नश ॊ... ऩुलरव के कऩड़ ेऩशन कय अलबनम ककम शै। रयलाल्लय बी वच्ची नश ॊ शोती। कपय बी गोर भायते शैं, ककवी को शथकक्तड़माॉ रगती शैं, डाकू डाका डारकय बागता शै, उवके ऩीछे ऩुलरव की गाक्तड़माॉ दौड़ती शैं। ड्रामलय स्टेरयॊग घुभाते शैं..... ॐऽऽऽऽ.....ॐ, तफ तुभ वीट ऩय फैठे-फैठे घूभत ेशो कक नश ॊ घूभते शो ? जफकक ऩदे ऩय प्रकाळ के चचिों के अराला कुछ नश ॊ शै।

ऐवा झूठ चरचचि का भाशौर बी तुम्शाये ददर को औय फदन को घुभा देता शै तो ऋवऴमों के सान औय उनके द्वाया प्रचलरत भूनतऩुूजा बिों के रृदमों को बाल वे, प्राथनुा वे, ऩयभात्भ-प्रेभ व ेबय इवभें र्कमा आिम ुशै ?

ब्रह्मलेत्ता ऋवऴ-भशवऴमुों द्वाया यचचत ळास्त्रों के अनुवाय भॊिानुिानऩूलकु वलचधवदशत भॊददय भें बगलान की भूनत ुस्थावऩत की जाती शै। कपय लेदोि-ळास्त्रोि वलचध के अनुवाय प्राण-प्रनतिा शोती शै। लशाॉ वाध-ुवॊत-भशात्भा आते जाते शैं। भूनत ुभें बगलदबाल के वॊकल्ऩ को दशुयात ेशैं। शजायों-

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शजायों बि अऩनी बक्ति-बालना को अभूत ुतवल का आनन्द लभर जाम, तो इवभें र्कमा वन्देश शै ?

फड़ ेफड़ ेभकानों भें यशने लारे वबी रोग वश भाने भें फड़ ेनश ॊ शोते। फड़ी-फड़ी कब्रों के अन्दय वड़ा गरा भाॊव औय फदफू शोती शै, त्रफच्छू औय फैर्कट रयमा श शोते शैं। फड़ी गाक्तड़मों भें घूभन े आदभी फड़ा नश ॊ शोती, फड़ी कुवी ऩय ऩशुॉचन ेव ेबी लश फड़ा नश ॊ शोता। अगय फड़ ेवे फड़ ेऩयभात्भा के नाते लश वेला कयता शै, उवके नाते श अगय फॊगरे भें प्रायब्ध लेग वे यशता शै तो कोई आऩवत्त नश ॊ। रेककन इन चीजों के द्वाया जो ऩयभेश्वय का घात कयके अऩने अशॊ को ऩोवता शै, लश फड़ा नश ॊ कशा जाता।

ऐवा ऐवा श फड़ा कम्मुननस्ट आदभी था। लश भानता था कक बगलान आदद कुछ नश ॊ शोते। लश अऩने-आऩको कुछ वलळऴे व्मक्ति भानता था। उवके ऩाव तकुळक्ति थी, श्चजवका उऩमोग कयके लश श्रद्धारु बिों की श्रद्धा तोड़ने की शयकतें फेखटके ककमा कयता था। ऩयन्त ुफड़-ेवे-फड़ ेवलश्वननमन्ता वलशे्वश्वय की र रा अनूठ शै। ककव आदभी को कैवे भोड़ना, लश जानता शै।

उव कम्मुननस्ट का एक रड़का था। लश अच्छे वॊग भें यशता था। उवका लभि उव ेककवी भशात्भा के वत्वॊग भें रे गमा। फचऩन व ेश उवके चचत्त भें अच्छे वाश्चवलक वॊस्काय ऩड़ चकेु थे। उवे बक्ति, वत्वॊग, कीतनु, देलदळनु भें यव आता था। फेटा ऩूया आश्चस्तक था औय फाऩ ऩूया नाश्चस्तक। धीये-धीये लश वदबागी फेटा फड़ा शुआ।

एक ददन फाऩ न ेउवे डाॉटा् "वत्वॊग, भॊददय आदद भें जाकय त ूवभम र्कमों खयाफ कयता शै ? बगलान जैवी कोई चीज शै श नश ॊ। मश तो वाध,ु भशायाज, भुल्रा, भौरली औय ऩादरयमों ने अऩना धन्धा चराने के लरए एक प्रकाय की धभू भचा द शै, फाकी बगलान शै नश ॊ।"

ऩुि ने कशा् "वऩताजी ! कोई चीज फनी शुई शोती शै तो जरूय उवका कोई फनाने लारा बी शोता शै। ऐवे श इतनी फड़ी दनुनमाॉ शै तो जरूय उवका कोई फनाने लारा बी शोगा।"

वऩता न ेकशा् "जा, ऩागर कश ॊ का। गभी औय गनत वे मश वाया वलश्व फन जाता शै। जैव ेगभी व ेऩानी लाष्ऩीबूत शुआ, फादरों भें गनत शुई औय कपय कश ॊ जाकय फयवे।

दशभारम भें फपु थी। उवे वूम ुकी गभी लभर । फपु वऩघर । कपय उवभें गनत आई। लश ऩानी गॊगा शोकय वभुि भें जा लभरा। इव प्रकाय गभी औय गनत व मश वाय दनुनमाॉ फनी शै।

जैव ेघड़ी के अरग-अरग ऩुजे लभरा ददमे। उवको वेर व ेजोड़ ददमा। गभी लभर । उवके काॉटों भें गनत आई। घड़ी वभम त्रफताने रगी। घॊट बी फजने रगी। खदु घूभती बी शै, फोरती बी शै औय वभम त्रफताकय रोगों को दौड़ाती बी शै। कौन वा बगलान शै इव दनुनमाॉ भें ? छोड़ो मश वाया ऩागरऩन। गभी औय गनत वे श मश वॊवाय फन गमा औय चर यशा शै।"

वभम शोने ऩय रड़का स्कूर भें गमा। जो वाधक शोता शै, लश कयने भें वालधान औय शोने भें प्रवन्न यशता शै। उवके स्लबाल भें मश स्लाबावलक श आ जाता शै। इव प्रकाय श्चजवका चचत्त वाश्चवलक श्रद्धा वे मुि यशता शै, उवभें ळाश्चन्त औय ददळावूचक वशज श आ जाती शै।

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रड़के न ेएक कागज लरमा। उव ऩय वुन्दय वुशालना चचि फनामा औय स्कूर वे आकय वऩता के कभये भें लश चचि यख ददमा। वऩताजी दफ्तय वे रौटे तो चचि देखकय उनकी वलचचि खोऩड़ी भें बी आनन्द औय आिम ुके बाल उबयने रगे। ऩूछा्

"भेये कभये भें मश चचि ककवने यखा शै ?"

"वऩता जी ! भैंने यखा शै।" फेटे ने कशा।

"ककवने फनामा शै ?"

"मश फनामा ककवी ने बी नश ॊ शै।"

"तो मश फना कैवे ?"

"वऩता जी ! स्कूर भें कागज का रयभ (श्चजस्ता) ऩड़ा था। उवभें व ेएक कागज गनत ळक्ति व ेउड़कय भेज ऩय आ गमा। स्माश भेज ऩय ऩड़ी थी, जो गभी ळक्ति व ेकागज ऩय ढुर गमी। इव प्रकाय गभी औय गनत ळक्ति दोनों लभर गई तो शो गमा चचि तैमाय।"

वऩता गयज उठा् "तू भुझे भूख ुफनाता शै ? गनत ळक्ति व ेरयभ भें वे कागज भेज ऩय आ जाम, गभी ळक्ति वे स्माश दलात भें वे कागज ऩय ढुर ऩड़ ेऔय ऐवा वुन्दय चचि अऩने-आऩ फन जाम, मश अवॊबल शै। तूने, तेये दोस्त ने मा तेये भास्टय ने, ककवी ने तो मश चचि फनामा श शोगा।"

"नश ॊ नश ॊ वऩता जी ! इव चचि को फनाने लारा कोई नश ॊ शै।

मश वफ फेलकूपों की फात शै। गभी औय गनत व ेश मश फना शै। रयभ भें व ेकागज आ गमा औय दलात वे स्माश आ गई भेज ऩय। गभी औय गनत की भुराकात शोते श चचि फन गमा।"

"मश अवॊबल शै।" वऩता गुयाुकय फोरा।

"जफ एक चाय ऩैवे का चचि अऩने आऩ फनना अवॊबल शै तो मश चचि-वलचचि ब्रह्माण्ड बगलान के फनाने के लवलाम कैवे वॊबल शो वकता शै ?

जो रोग कशते शैं कक ईश्वय नश ॊ शै उनको धन्मलाद दे दो उनकी पारतू खोजफीन के ऩरयश्रभ के लरए। ले वलळऴे प्रकाय के भूख ुशैं। ईश्वय नश ॊ शै ऐवा लश आदभी कश वकता शै, श्चजवने ईश्वय की खोज के लरए चौदश बुलन छान भाये शों, ऩरृ्थली के कण-कण की, अणु-ऩयभात्भा की जाॉच कय र शो, अतर, वलतर, तरातर, यवातर,ऩातार आदद वफ रोक-रोकान्तय जाॉच लरमे शों, जो ववृष्ट के आदद भें शो औय ववृष्ट के अॊत के फाद बी यशा शो। इव प्रकाय वल ुकार औय वल ुदेळ भें जाॉच कयके श कोई ननणमु कय वकता शै कक ईश्वय शै मा नश ॊ। ववृष्ट की आदद भें भाने ववृष्ट की उत्ऩवत्त वे ऩशरे उवका शोना वॊबल नश ॊ, ववृष्ट का अॊत उवने देखा नश ॊ, देखेगा बी नश ॊ र्कमोंकक ववृष्ट के अॊत के ऩशरे श उवका अॊत शो जामगा। ऩचाव-ऩचशत्तय लऴ ुकी उम्रलारा ऐवा आदभी कश दे कक 'ईश्वय नश ॊ शै' तो मश कशाॉ की फुवद्धभानी शै ?

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'गभी औय गनत वे वफ फन गमा शै' मश आऩकी भान्मता बूर बूरैमा भें बटकी शुई शै। मश घड़ी जो चर यश शै उवके ऩुजे बी ककवी ने फनामे शैं, वेर बी ककवी ने फनामा शै। ऩुजों को जोड़ने लारा औय वेर रगाने लारा बी तो कोई अलश्म शै। उवको बी वत्ता देने लारा ईश्वय शै, ऩयभात्भा शै।"

एक अच्छा चचिकाय प्रबातकार भें घूभने गमा। प्राकृनतक वौन्दम ुका फड़ा चशेता था। प्रकृनत के वुन्दय भनोयम्म दृश्मों को अऩनी चचिकरा भें उतयता था।

वूमोदम शो यशा था... वलळार भैदान भें शरयमार छाई शुई थी। दयू-वुदयू वुशालनी ऩशाड़ी ददख यश थी। कर-कर, छर-छर आलाज कयती नद फश यश थी। प्रकृनत-प्रेभी कराकाय की करा जाग उठ । उव भनबालन दृश्म का वुॊदय चचि फना ददमा। कपय वोचा्

'इव वन्नाटे भें प्रकृनत के वुॊदय दृश्म को देखने लारा तो भैं मशाॉ शूॉ रेककन इव चचि भें दृश्म देखने लारा कोई नश ॊ शै। दृश्म का दृष्टा तो शोना श चादशए।' उवने दवूया चचि फनामा, श्चजवभें दृश्म को देखने लारा दृष्टा बी चचत्रित ककमा। कपय वोचा् 'वुॊदय दृश्म को देखता शुआ दृष्टा तो चचि भें आ गमा रेककन इव दृश्म औय दृष्टा के चचि को देखने लारा भैं यश गमा। इव चचि का बी दृष्टा शोना चादशए। अत् उवने तीवया चचि फनामा श्चजवभें दृश्म को देखने लारा दृष्टा औय उन दोनों को देखने लारा दवूया दृष्टा बी था। कपय वोचा कक इन तीनों को देखने लारा जो शै, लश इव चचि भें नश ॊ शै। उवे बी चचत्रित कयना चादशए।

अफ उवके वलचायों भें गड़फड़ फढ गई। दवूये दृष्टा को देखने लारा तीवया, तीवये को देखने लारा चौथा, चौथे को देखने लारा ऩाॉचलाॉ... इव प्रकाय शजायों-शजायों दृष्टा के चचि फनेंगे, उनको बी देखने लारा दृष्टा फाकी यश जामेगा।

श्चजववे वफ ददखता शै लश दृष्टा, वाषी तो अवॊग का अवॊग श यश जाता शै। चाॉद-लवताये, दरयमा, दरयमा के ककनाये, ऩरृ्थली, ग्रश, नषि, वूम ुआदद वफ दृश्मों को, दृश्म देखने लार इश्चन्िमों को, भन को, भन के वॊकल्ऩ-वलकल्ऩों को, फुवद्ध को, वुख-दु् ख को देखने लारा कौन शै ? भैं शूॉ। इव 'भैं' का लाश्चस्तक स्लरूऩ खोज लरमा जाम, 'भैं' की लास्तवलक ऩशचान शो जाम तो मोगी का मोग लवद्ध शो जाम, तऩस्ली का तऩ वपर शो जाम, सानी का अऩना स्लरूऩ प्रकट शो जाम।

मश बी देख लश बी देख.... देखत देखत ऐवा देख.

लभट जाम धोखा यश जाम एक।

अनुक्रभ

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आश्चस्तक औय नाश्चस्तक

आश्चस्तक औय नाश्चस्तक भें पकु मश शै कक आश्चस्तक एक ईश्वय की ळयण रेता शै औय अऩनी आलश्मकता ऩूय कयता शै जफकक नाश्चस्तक अनेक ऩदाथों की आलश्मकता भशवूव कयता शै। अऩनी इच्छाएॉ ऩूय कयते-कयते कई जन्भ फीत जाते शैं, वददमाॉ वभाप्त शो जाती शैं।

आलश्मकता तो आलश्मक तवल की शै औय इच्छाएॉ भन की दावता वे ऩैदा शोती शैं। आश्चस्तक एक ऩयभात्भा की ळयण रेता शै औय नाश्चस्तक शजाय-शजाय लस्तुओॊ की ळयण रेता शै।

नन्वशाम की वशाम शै बगलद् ळयण, बोगी का मोग शै बगलद ळयण, दफुरु का फर शै बगलद ळयण, ननयाधाय का आधाय शै बगलदळयण। द्वन्द्वी का द्वन्द्वातीत जीलन शै बगलद् ळयण ! चचॊनतत की चचॊता का ननलायण शै बगलद् ळयण। फुवद्धळून्म की फुवद्ध का प्रकाळ शै बगलद् ळयण। फुवद्धभानों की फुवद्ध का अशॊकाय उतायने लारा भॊि शै बगलद् ळयण।

सानी के सान भें ननिा उव बगलत्तवल भें शोती शै। उव तवल भें जफ ननिा शोती शै तफ मोगी का मोग परता शै, तऩस्ली का तऩ परता शै, जऩी का जऩ वाथकु शोता शै।

जील श्चजतना-श्चजतना ईभानदाय वे, वच्चाई वे उव बगलत ्ळयण को ग्रशण कयता शै, उतना-उतना लश वपर शोता जाता शै। बगलद् ळयण श्चजतना-श्चजतना छूटता जाता शै, उतना-उतना उवके चचत्त भें फोझा फढता जाता शै।

अवॊख्म चचत्त श्चजव चतैन्म वे पुयपुया यशे शैं, उव चतैन्म लऩ ुऩयभात्भा के ळयणागत कोई जील ककवी बी बाल वे शोता शै तो लश जील आत्भप्रेयणा वे, आत्भप्रकाळ व ेऔय आत्भवशाम वे कट रे भागों वे, फीशड़ जॊगरों वे वपर मािा कयके अऩना जीलन धन्म कय रेता शै। श्चजवके जीलन भें बगलदळयण नश ॊ शै, लश अऩने फाशुफर वे, अऩने तऩोफर व,े अऩन ेचचत्तफर वे, अऩनी चाऩरूवी वे मा अऩने औय कोई तुच्छ फरों व ेवुखी यशने का मत्न तो कयता शै फेचाया प्राणी रेककन उवे वुख चाय कदभ दयू श बावता शै। इच्छाऩूनत ुका षणणक शऴ ुउवे आ जाता शै, कपय इच्छाएॉ बी अचधकाचधक बड़कती जाती शैं। इच्छा ऩूनत ुकयते कयते जीलन ऩूये शोते चरे जाते शैं उव प्राणी के।

आश्चस्तक की आलश्मकताएॉ शोती शैं औय नाश्चस्तक की इच्छाएॉ शोती शैं। आलश्मकता एक शोती शै ननत्म जीलन की, ननत्म तनृप्त की, ननत्म सान की, ननत्म तवल की। मश भनुष्म की आलश्मकता शै औय इच्छा भन का वलरावशै।

शभ रोग भन के वलराव को श्चजतना ऩोवते यशते शैं, उतना शभ बीतय वे खोखरे शो जाते शै। अऩना व्मक्तिगत खच ुफढाने वे अशॊ की ऩुवष्ट शोती शै। व्मक्तिगत खच ुघटाने व ेआत्भफर की ऩुवष्ट शोती शै। अऩनी व्मक्तिगत वेला अऩने आऩ कयने वे आश्चत्भक ळक्ति का वलकाव शोता शै। दवूयों वे व्मक्तिगत वेला रेने वे अशॊगत वुख की भ्राॊती शोती शै

अनुक्रभ

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वुख-दु् ख वे राब उठाओ

वुख अगय अऩने भें पॉ वाता शै तो लश दु् ख बी खतयनाक शै। दु् ख अगय उदे्वग औय आलेळ देकय फदशभुखु फनाता शै, गरत प्रलवृत्त भें घवीटता शै तो लश ऩाऩ का पर शै। दु् ख अगय वत्वॊग भें रे जाता शै तो लश दु् ख ऩुण्म का पर शै। लश ऩुण्मलभचश्रत ऩुण्म शै।

श्चजवका ळुद्ध ऩुण्म शोता शै, लश ळुद्ध वुख भें आता शै। श्चजवका ळुद्ध ऩुण्म शोता शै, उवको दु् ख बी ऩयभ वुख के द्वाय ऩय रे जाता शै। ऩुण्म अगय ऩाऩलभचश्रत शै तो वुख बी वलकाय खड्डों भें चगयता शै औय दु् ख बी आलेळ की गशय खाइमों भें चगयाता शै।

ऩुण्मात्भा वुख वे बी पामदा उठाते शैं औय दु् ख वे बी पामदा उठाते शैं। ऩाऩात्भा दु् ख व ेज्मादा दु् खी शोते शैं औय वुख भें बी बवलष्म के लरए फड़ा दु् ख फनाने की कुचषे्टा कयते शैं।

इवलरए ऩयभात्भा को प्माय कयते शुए ऩुण्मात्भा शोत ेजाओ। ऩयभात्भा के नात ेकभ ुकयते शुए ऩुण्मात्भा शोते जाओ। ऩयभात्भा अऩना आऩा शै, ऐवा सान फढाते शुए भशात्भा शोते जाओ।

लस्त्र गेरूए फनाकय भशात्भा शोने को भैं नश ॊ कशता। एक आदभी अऩने आऩको वलऴम-वलराव मा वलकाय भें, ळय य के वुखों भें खच ुयशा शै। लश गरत याश ऩय शै। उवका बवलष्म दु् खद औय अन्धकाय शोगा। दवूया आदभी वफ कुछ छोड़कय ननजनु जॊगर भें यशता शै, अऩने ळय य को वुखाता शै, भन को तऩाता शै। 'वॊवाय भें खयाफ शै, भामाजार शै.... मश ऐवा शै... लश ऐवा शै.... इनवे फचो....' ऐवा कयके जो त्रफल्कुर त्माग कयता शै... त्माग... त्माग... त्माग.. सान वदशत त्माग नश ॊ फश्चल्क एक धाया भें फशता चरा जाता शै, लश बी गरत यास्त ेकी मािा कयता शै।

फुवद्धभान तो लश शै जो वफ भें वफ शोकय फैठा शै उव ऩय ननगाश डारे, भोश-भभता का त्माग कये, वॊकीणतुा का त्माग कये, अशॊकाय का त्माग कये, उदे्वग औय आलेळ का त्माग कये, वलऴम वलकायों का त्माग कये। ऐवा त्माग तफ लवद्ध शोगा, जफ आत्भसान की ननगाशों व ेदेखोगे, ब्रह्मसान की ननगाशों वे देखोगे।

अनुक्रभ

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अनन्म मोग वाधो ऐवी कोई फूॉद नश ॊ जो जर वे लबन्न शो। ऐवा कोई जील नश ॊ जो ऩयभात्भा वे लबन्न

शो। ऐवी कोई तयॊग नश ॊ जो त्रफना ऩानी के यश वके। ऐवा कोई भनुष्म नश ॊ जो चतैन्म ऩयभात्भा के त्रफना यश वके।

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वफ घट भेया वाॉईमा खार घट न कोम।

फलरशाय ला घट की जा घट ऩयगट शोम।। छुऩे शुए तुम्शाये ऩयभात्भा को अनन्म बाल व,े अनन्म मोग वे प्रकट कयने के लरए तत्ऩय

शो जाओ। चारू व्मलशाय भें वालधान शो जाओ कक असान की ऩतें कश ॊ फढ तो नश ॊ यश शैं ! असान की ऩतों को शटाते जाओ..... शटाते जाओ। अन्म अन्म भें जो अनन्म ददख यशा शै उवभें वजगताऩूलकु प्रनतवित शोत ेजाओ।

अनन्माश्चिन्तमन्तो भाॊ मे जना् ऩमुुऩावते। तेऴाॊ ननत्मालबमुिानाॊ मोगषेभॊ लशाम्मशभ।्।

'जो अनन्म प्रेभी बि जन ननयन्तय चचन्तन कयत ेशुए भुझ ऩयभेश्वय को ननष्काभ बाल वे बजते शैं, उन ननत्म-ननयन्तय भेया बालऩूण ुचचन्तन कयने लारे ऩुरूऴों का मोगषेभ भैं स्लमॊ लशन कयता शूॉ।'

(बगलद् गीता् 9.22) (ऩूज्म फाऩ ूके वत्वॊग प्रलचन वे)

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अनुक्रभ