जैन वि Òा ाग 3 -...

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जैन विधा भाग 3 पाठ माक 1 ( याण गीत ) 1. याण गीत के कोई दो चरण विखो? (1) ाण कᳱ परिाह नह है,ण को अटि वनभाएगे। नह अपेा है ओर कᳱ, िय िय को पाएगे। एक तुहारे ही िचन का, भगिन! वतपि सबि सहारा।। (2) य-य चरण बढगे आगे,ितः मागग बन जायेगा, हटना होगा उसे बीच म ,जो बाधक बन आयेगा रक न सकेगी ,मु ना सकेगी ,सय ावत कᳱ उिि धारा।। 2. याण गीत का पाचिा चरण कौन सा है? नया मो हो उसी ᳰदशा म ,नई चेतना ᳰिर जागे। तो वगराय जीणग-शीणग जो, अधऱᳰिय के धागे। आगे बढने का यह युग है, बढना हमको सबसे यारा।। 3. "आह-हीन गहन ᳲचतन का"इससे आगे का पद पूरा करो? आहहीन गहन ᳲचतन का ,ार हमेशा खुिा रहे । कण-कण म आदशग तुहारा, पय-वमी य घुिा रहे। 'जाग िय 'जगाय जग को, हो यह सिि हमारा नारा।। 4. इस गीवतका के रचवयता का नाम बताओ? आचायग ी तुिसी 5. "यो यो चरण बढगे आगे" इससे आगे का चरण पूरा करो? य य चरण बढगे आगे ितः मागग बन जायेगा। हटना होगा उसे बीच म ,जो बाधक बन आयेगा रक न सकेगी ,मु न सकेगी ,सय ावत कᳱ उिि धारा।।

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Page 1: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

जन विदया भाग 3

पाठ करमााक 1 ( परयाण गीत )

1 परयाण गीत क कोई दो चरण विखो

(1) पराणो की परिाह नही हपरण को अटि वनभाएाग

नही अपकषा ह ओरो की सिया िकषय को पाएाग

एक तमहार ही िचनो का भगिन परवतपि सबि सहारा

(2) जयो-जयो चरण बढग आगसितः मागग बन जायगा

हटना होगा उस बीच म जो बाधक बन आयगा

रक न सकगी मड ना सकगी सतय कराावत की उजजिि धारा

2 परयाण गीत का पााचिाा चरण कौन सा ह

नया मोड हो उसी ददशा म नई चतना दिर जाग

तोड वगराय जीणग-शीणग जो अाधरदियो क धाग

आग बढन का यह यग ह बढना हमको सबस पयारा

3 आगरह-हीन गहन चचातन काइसस आग का पद परा करो

आगरहहीन गहन चचातन का दवार हमशा खिा रह

कण-कण म आदशग तमहारा पय-वमशरी जयो घिा रह

जाग सिया जगाय जग को हो यह सिि हमारा नारा

4 इस गीवतका क रचवयता का नाम बताओ

आचायग शरी तिसी

5 जयो जयो चरण बढग आग इसस आग का चरण परा करो

जयो जयो चरण बढग आग सितः मागग बन जायगा

हटना होगा उस बीच म जो बाधक बन आयगा

रक न सकगी मड न सकगी सतय कराावत की उजजिि धारा

पाठ करमााक 2 ( चउिीसतथि )

1 उदितणा का तीसरा और पााचिाा शलोक विख

सविचहा च पफिदातासीअि-वसजजास-िासपजजा च

विमिमणाता च वजणाधममा साचता च िनदावम

एिा मए अवभथआविहय-रयमिा पहीण-जरमरणा

चउिीसावप वजणिरावततथयरा म पसीयात

2 बोवहदयाणा स आग की पाटी को पणग कर

बोवहदयाणा

जीिदयाणा

धममदयाणा

धममदसयाणा

धममनायगाणा

धममसारहीणा

धममिर-चाउरात

चििटटीणा दीिो ताणा

सरण-गई -पइटठा

अपपविहयिर

नाण-दासण-धराणा

विअटटछउमाणा

वजणाणा

जाियाणा

वतननाणा

तारयाणा

बदधाणा

बोहयाणा

मतताणा

मोयगाणा

सविणणणा सविदररसीणा

वसिमयि

मरयमणात

मकखयमविाबाहमपणराविततया

वसवदधगइनामधया

ठाणा सापतताणा

णमो वजणाणा

वजयभयाणा

3 चउिीसतथि की पहिी पाटी विख

इचछावम पवििवमउा

इररयािवहयाए विराहणाए

गमणागमण पाणिमण

बीयिमण हररयिमण

ओसा-उचतताग-पणग

दगमटटी-मिडा-साताणा

साकमण

ज म जीिा

विरावहया

एचगाददया बइाददया

तइाददया चउरराददया

पाचचाददया

अवभहया

िवततया

िवसया

साघाइया

साघरटटया

पररयाविया

दकिावमया

उददविया

ठाणाओ ठाणा साकावमया

जीवियाओ ििरोविया

जो म दिवसओ अइयारो कओ

तसस वमचछावम दििा

4 छीएणा जाभाइएणा इसस आग की पाटी परी विखो

छीएणा जाभाइएणा

उडिएणा िायवनसगगणा

भमिीए

वपततमचछाए

सहमचहा अागसाचािचहा

सहमचहा खिसाचािचहा

सहमचहा ददरटठसाचािचहा

एिमाइएचहा आगारचहा

अभगगो अविरावहओ

हजज म काउससगगो

जाि अरहाताणा

भगिाताणा

नमोिारणा न पारवम

ताि काया

ठाणणा मोणणा

झाणणा

अपपाणा िोवसरावम

5 का था अरा च मचिा यह कौनसा शलोक ह

यह उदिततणा पाटी का चौथा शलोक ह

पाठ करमााक 3 ( विजय गीत )

1 विजय गीत क रचनाकार कौन ह

आचायग शरी तिसी

2 तज सरज सा पदय को परा कर

तज सरज-सा विए हम

शभरता शवश-सी विए हम

पिन -सा गवतिग िकर चरण य आग बढाएा

3 विजय गीत क कोई दो पदय विख

हम न रकना जानत ह

हम न झकना जानत ह

हो परबि साकप इतना सफि हो सब कपनाएा

हम अभय वनमगि वनरामय

ह अटि जस वहमािय

हर करठन जीिन-घडी म िि बनकर मसकराएा

पाठ करमााक 4 ( महािीर िाणी (सकत) )

1 सतय पद क दो सकत विखो

सचचा िोयवमम सारभया

सचचा ख भयिा

2 वशकषा पद क तीन सकत विखो

काि कािा समायर

राइवणएस विणया पउाज

वििग धमममावहए

3 अचहासा पद क तीन सकत विखो

अपपा वमततमवमतता च

मचतता भएस कपपए

अचहासा सविभय खमाकरी

4 अततसम मवननजज छवपपकाएइसका कया अथग ह

छः ही काय क जीिो को अपनी आतमा क समान समझो

पाठ करमााक 5 ( तीथकर मविकमारी )

1 दकस दकस दश क राजाओ न मवि कमारी स वििाह की कामना की थी

अाग बाग काशी कौशि कर और पााचाि क पडोसी राजाओ न मविकमारी स

वििाह की कामना की थी

2 मवि कमारी न राजाओ को दकस यवकत स समझाया

मविकमारी न राजाओ को समझान क विए एक यवकत वनकािी

सिगपरथम ठीक अपन ही आकार की एक धात की परवतमा का वनमागण करिाया जो

भीतर स पोिी थी अपन परवत ददन क भोजन का कछ अाश मवि कमारी उस

परवतमा म िाि दती थी िह परवतमा विशष रप स बनाए गए गोिाकार ककष क

मधय म सथावपत की गई थी जब राजकमारो न मवि कमारी क रप सौदयग को

दखा तो उनको िगा मानो सिगग स दिी उतर कर आई हो िदकन जब

मविकमारी न परवतमा का ििन खोि ददया तब उसम स सड अनाज की दगध

आन िगी वजसस सब राजकमारो न अपनी नाक बाद कर िी राजकमारी न

राजकमारो को समझाया दक िसधावधपो आप मिी क वजस रप सौदयग पर वबक

चक ह उसका शरीर भी तो खादय सामगरी स ही पोवषत हआ ह यह शरीर अशची

का भािार ह नशवर ह यौिन और रप भी नशवर ह इस तरह उसन राजाओ को

अपनी यवकत स शरीर की नशवरता को समझाया और सभी नरशो न मविकमारी

क पथ का अनशरण करत हए सायम मागग को सिीकार दकया

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 2: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

पाठ करमााक 2 ( चउिीसतथि )

1 उदितणा का तीसरा और पााचिाा शलोक विख

सविचहा च पफिदातासीअि-वसजजास-िासपजजा च

विमिमणाता च वजणाधममा साचता च िनदावम

एिा मए अवभथआविहय-रयमिा पहीण-जरमरणा

चउिीसावप वजणिरावततथयरा म पसीयात

2 बोवहदयाणा स आग की पाटी को पणग कर

बोवहदयाणा

जीिदयाणा

धममदयाणा

धममदसयाणा

धममनायगाणा

धममसारहीणा

धममिर-चाउरात

चििटटीणा दीिो ताणा

सरण-गई -पइटठा

अपपविहयिर

नाण-दासण-धराणा

विअटटछउमाणा

वजणाणा

जाियाणा

वतननाणा

तारयाणा

बदधाणा

बोहयाणा

मतताणा

मोयगाणा

सविणणणा सविदररसीणा

वसिमयि

मरयमणात

मकखयमविाबाहमपणराविततया

वसवदधगइनामधया

ठाणा सापतताणा

णमो वजणाणा

वजयभयाणा

3 चउिीसतथि की पहिी पाटी विख

इचछावम पवििवमउा

इररयािवहयाए विराहणाए

गमणागमण पाणिमण

बीयिमण हररयिमण

ओसा-उचतताग-पणग

दगमटटी-मिडा-साताणा

साकमण

ज म जीिा

विरावहया

एचगाददया बइाददया

तइाददया चउरराददया

पाचचाददया

अवभहया

िवततया

िवसया

साघाइया

साघरटटया

पररयाविया

दकिावमया

उददविया

ठाणाओ ठाणा साकावमया

जीवियाओ ििरोविया

जो म दिवसओ अइयारो कओ

तसस वमचछावम दििा

4 छीएणा जाभाइएणा इसस आग की पाटी परी विखो

छीएणा जाभाइएणा

उडिएणा िायवनसगगणा

भमिीए

वपततमचछाए

सहमचहा अागसाचािचहा

सहमचहा खिसाचािचहा

सहमचहा ददरटठसाचािचहा

एिमाइएचहा आगारचहा

अभगगो अविरावहओ

हजज म काउससगगो

जाि अरहाताणा

भगिाताणा

नमोिारणा न पारवम

ताि काया

ठाणणा मोणणा

झाणणा

अपपाणा िोवसरावम

5 का था अरा च मचिा यह कौनसा शलोक ह

यह उदिततणा पाटी का चौथा शलोक ह

पाठ करमााक 3 ( विजय गीत )

1 विजय गीत क रचनाकार कौन ह

आचायग शरी तिसी

2 तज सरज सा पदय को परा कर

तज सरज-सा विए हम

शभरता शवश-सी विए हम

पिन -सा गवतिग िकर चरण य आग बढाएा

3 विजय गीत क कोई दो पदय विख

हम न रकना जानत ह

हम न झकना जानत ह

हो परबि साकप इतना सफि हो सब कपनाएा

हम अभय वनमगि वनरामय

ह अटि जस वहमािय

हर करठन जीिन-घडी म िि बनकर मसकराएा

पाठ करमााक 4 ( महािीर िाणी (सकत) )

1 सतय पद क दो सकत विखो

सचचा िोयवमम सारभया

सचचा ख भयिा

2 वशकषा पद क तीन सकत विखो

काि कािा समायर

राइवणएस विणया पउाज

वििग धमममावहए

3 अचहासा पद क तीन सकत विखो

अपपा वमततमवमतता च

मचतता भएस कपपए

अचहासा सविभय खमाकरी

4 अततसम मवननजज छवपपकाएइसका कया अथग ह

छः ही काय क जीिो को अपनी आतमा क समान समझो

पाठ करमााक 5 ( तीथकर मविकमारी )

1 दकस दकस दश क राजाओ न मवि कमारी स वििाह की कामना की थी

अाग बाग काशी कौशि कर और पााचाि क पडोसी राजाओ न मविकमारी स

वििाह की कामना की थी

2 मवि कमारी न राजाओ को दकस यवकत स समझाया

मविकमारी न राजाओ को समझान क विए एक यवकत वनकािी

सिगपरथम ठीक अपन ही आकार की एक धात की परवतमा का वनमागण करिाया जो

भीतर स पोिी थी अपन परवत ददन क भोजन का कछ अाश मवि कमारी उस

परवतमा म िाि दती थी िह परवतमा विशष रप स बनाए गए गोिाकार ककष क

मधय म सथावपत की गई थी जब राजकमारो न मवि कमारी क रप सौदयग को

दखा तो उनको िगा मानो सिगग स दिी उतर कर आई हो िदकन जब

मविकमारी न परवतमा का ििन खोि ददया तब उसम स सड अनाज की दगध

आन िगी वजसस सब राजकमारो न अपनी नाक बाद कर िी राजकमारी न

राजकमारो को समझाया दक िसधावधपो आप मिी क वजस रप सौदयग पर वबक

चक ह उसका शरीर भी तो खादय सामगरी स ही पोवषत हआ ह यह शरीर अशची

का भािार ह नशवर ह यौिन और रप भी नशवर ह इस तरह उसन राजाओ को

अपनी यवकत स शरीर की नशवरता को समझाया और सभी नरशो न मविकमारी

क पथ का अनशरण करत हए सायम मागग को सिीकार दकया

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

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3 चउिीसतथि की पहिी पाटी विख

इचछावम पवििवमउा

इररयािवहयाए विराहणाए

गमणागमण पाणिमण

बीयिमण हररयिमण

ओसा-उचतताग-पणग

दगमटटी-मिडा-साताणा

साकमण

ज म जीिा

विरावहया

एचगाददया बइाददया

तइाददया चउरराददया

पाचचाददया

अवभहया

िवततया

िवसया

साघाइया

साघरटटया

पररयाविया

दकिावमया

उददविया

ठाणाओ ठाणा साकावमया

जीवियाओ ििरोविया

जो म दिवसओ अइयारो कओ

तसस वमचछावम दििा

4 छीएणा जाभाइएणा इसस आग की पाटी परी विखो

छीएणा जाभाइएणा

उडिएणा िायवनसगगणा

भमिीए

वपततमचछाए

सहमचहा अागसाचािचहा

सहमचहा खिसाचािचहा

सहमचहा ददरटठसाचािचहा

एिमाइएचहा आगारचहा

अभगगो अविरावहओ

हजज म काउससगगो

जाि अरहाताणा

भगिाताणा

नमोिारणा न पारवम

ताि काया

ठाणणा मोणणा

झाणणा

अपपाणा िोवसरावम

5 का था अरा च मचिा यह कौनसा शलोक ह

यह उदिततणा पाटी का चौथा शलोक ह

पाठ करमााक 3 ( विजय गीत )

1 विजय गीत क रचनाकार कौन ह

आचायग शरी तिसी

2 तज सरज सा पदय को परा कर

तज सरज-सा विए हम

शभरता शवश-सी विए हम

पिन -सा गवतिग िकर चरण य आग बढाएा

3 विजय गीत क कोई दो पदय विख

हम न रकना जानत ह

हम न झकना जानत ह

हो परबि साकप इतना सफि हो सब कपनाएा

हम अभय वनमगि वनरामय

ह अटि जस वहमािय

हर करठन जीिन-घडी म िि बनकर मसकराएा

पाठ करमााक 4 ( महािीर िाणी (सकत) )

1 सतय पद क दो सकत विखो

सचचा िोयवमम सारभया

सचचा ख भयिा

2 वशकषा पद क तीन सकत विखो

काि कािा समायर

राइवणएस विणया पउाज

वििग धमममावहए

3 अचहासा पद क तीन सकत विखो

अपपा वमततमवमतता च

मचतता भएस कपपए

अचहासा सविभय खमाकरी

4 अततसम मवननजज छवपपकाएइसका कया अथग ह

छः ही काय क जीिो को अपनी आतमा क समान समझो

पाठ करमााक 5 ( तीथकर मविकमारी )

1 दकस दकस दश क राजाओ न मवि कमारी स वििाह की कामना की थी

अाग बाग काशी कौशि कर और पााचाि क पडोसी राजाओ न मविकमारी स

वििाह की कामना की थी

2 मवि कमारी न राजाओ को दकस यवकत स समझाया

मविकमारी न राजाओ को समझान क विए एक यवकत वनकािी

सिगपरथम ठीक अपन ही आकार की एक धात की परवतमा का वनमागण करिाया जो

भीतर स पोिी थी अपन परवत ददन क भोजन का कछ अाश मवि कमारी उस

परवतमा म िाि दती थी िह परवतमा विशष रप स बनाए गए गोिाकार ककष क

मधय म सथावपत की गई थी जब राजकमारो न मवि कमारी क रप सौदयग को

दखा तो उनको िगा मानो सिगग स दिी उतर कर आई हो िदकन जब

मविकमारी न परवतमा का ििन खोि ददया तब उसम स सड अनाज की दगध

आन िगी वजसस सब राजकमारो न अपनी नाक बाद कर िी राजकमारी न

राजकमारो को समझाया दक िसधावधपो आप मिी क वजस रप सौदयग पर वबक

चक ह उसका शरीर भी तो खादय सामगरी स ही पोवषत हआ ह यह शरीर अशची

का भािार ह नशवर ह यौिन और रप भी नशवर ह इस तरह उसन राजाओ को

अपनी यवकत स शरीर की नशवरता को समझाया और सभी नरशो न मविकमारी

क पथ का अनशरण करत हए सायम मागग को सिीकार दकया

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 4: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

भगिाताणा

नमोिारणा न पारवम

ताि काया

ठाणणा मोणणा

झाणणा

अपपाणा िोवसरावम

5 का था अरा च मचिा यह कौनसा शलोक ह

यह उदिततणा पाटी का चौथा शलोक ह

पाठ करमााक 3 ( विजय गीत )

1 विजय गीत क रचनाकार कौन ह

आचायग शरी तिसी

2 तज सरज सा पदय को परा कर

तज सरज-सा विए हम

शभरता शवश-सी विए हम

पिन -सा गवतिग िकर चरण य आग बढाएा

3 विजय गीत क कोई दो पदय विख

हम न रकना जानत ह

हम न झकना जानत ह

हो परबि साकप इतना सफि हो सब कपनाएा

हम अभय वनमगि वनरामय

ह अटि जस वहमािय

हर करठन जीिन-घडी म िि बनकर मसकराएा

पाठ करमााक 4 ( महािीर िाणी (सकत) )

1 सतय पद क दो सकत विखो

सचचा िोयवमम सारभया

सचचा ख भयिा

2 वशकषा पद क तीन सकत विखो

काि कािा समायर

राइवणएस विणया पउाज

वििग धमममावहए

3 अचहासा पद क तीन सकत विखो

अपपा वमततमवमतता च

मचतता भएस कपपए

अचहासा सविभय खमाकरी

4 अततसम मवननजज छवपपकाएइसका कया अथग ह

छः ही काय क जीिो को अपनी आतमा क समान समझो

पाठ करमााक 5 ( तीथकर मविकमारी )

1 दकस दकस दश क राजाओ न मवि कमारी स वििाह की कामना की थी

अाग बाग काशी कौशि कर और पााचाि क पडोसी राजाओ न मविकमारी स

वििाह की कामना की थी

2 मवि कमारी न राजाओ को दकस यवकत स समझाया

मविकमारी न राजाओ को समझान क विए एक यवकत वनकािी

सिगपरथम ठीक अपन ही आकार की एक धात की परवतमा का वनमागण करिाया जो

भीतर स पोिी थी अपन परवत ददन क भोजन का कछ अाश मवि कमारी उस

परवतमा म िाि दती थी िह परवतमा विशष रप स बनाए गए गोिाकार ककष क

मधय म सथावपत की गई थी जब राजकमारो न मवि कमारी क रप सौदयग को

दखा तो उनको िगा मानो सिगग स दिी उतर कर आई हो िदकन जब

मविकमारी न परवतमा का ििन खोि ददया तब उसम स सड अनाज की दगध

आन िगी वजसस सब राजकमारो न अपनी नाक बाद कर िी राजकमारी न

राजकमारो को समझाया दक िसधावधपो आप मिी क वजस रप सौदयग पर वबक

चक ह उसका शरीर भी तो खादय सामगरी स ही पोवषत हआ ह यह शरीर अशची

का भािार ह नशवर ह यौिन और रप भी नशवर ह इस तरह उसन राजाओ को

अपनी यवकत स शरीर की नशवरता को समझाया और सभी नरशो न मविकमारी

क पथ का अनशरण करत हए सायम मागग को सिीकार दकया

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

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पाठ करमााक 4 ( महािीर िाणी (सकत) )

1 सतय पद क दो सकत विखो

सचचा िोयवमम सारभया

सचचा ख भयिा

2 वशकषा पद क तीन सकत विखो

काि कािा समायर

राइवणएस विणया पउाज

वििग धमममावहए

3 अचहासा पद क तीन सकत विखो

अपपा वमततमवमतता च

मचतता भएस कपपए

अचहासा सविभय खमाकरी

4 अततसम मवननजज छवपपकाएइसका कया अथग ह

छः ही काय क जीिो को अपनी आतमा क समान समझो

पाठ करमााक 5 ( तीथकर मविकमारी )

1 दकस दकस दश क राजाओ न मवि कमारी स वििाह की कामना की थी

अाग बाग काशी कौशि कर और पााचाि क पडोसी राजाओ न मविकमारी स

वििाह की कामना की थी

2 मवि कमारी न राजाओ को दकस यवकत स समझाया

मविकमारी न राजाओ को समझान क विए एक यवकत वनकािी

सिगपरथम ठीक अपन ही आकार की एक धात की परवतमा का वनमागण करिाया जो

भीतर स पोिी थी अपन परवत ददन क भोजन का कछ अाश मवि कमारी उस

परवतमा म िाि दती थी िह परवतमा विशष रप स बनाए गए गोिाकार ककष क

मधय म सथावपत की गई थी जब राजकमारो न मवि कमारी क रप सौदयग को

दखा तो उनको िगा मानो सिगग स दिी उतर कर आई हो िदकन जब

मविकमारी न परवतमा का ििन खोि ददया तब उसम स सड अनाज की दगध

आन िगी वजसस सब राजकमारो न अपनी नाक बाद कर िी राजकमारी न

राजकमारो को समझाया दक िसधावधपो आप मिी क वजस रप सौदयग पर वबक

चक ह उसका शरीर भी तो खादय सामगरी स ही पोवषत हआ ह यह शरीर अशची

का भािार ह नशवर ह यौिन और रप भी नशवर ह इस तरह उसन राजाओ को

अपनी यवकत स शरीर की नशवरता को समझाया और सभी नरशो न मविकमारी

क पथ का अनशरण करत हए सायम मागग को सिीकार दकया

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 6: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

3 मवि कमारी न सायम सिीकार दकया उस समय उसकी अिसथा कया थी

100 िषग

4 मविकमारी की कहानी सावकषपत म विख

तीथकर जस सिोचच पद को अिाकत करन िािी मविकमारी की माता का नाम

परभािती तथा वपता का नाम का भ था रपिती होन क कारण अाग बाग काशी

कौशि कर और पााचाि क नरश राजकमारी मिी पर मगध थ मविकमारी

को ि बि परयोग स अपनाना चाहत थ िदकन मविकमारी बवदध सापनन भी थी

उनहोन अपन वपता की चचाता वमटान क विए एक यवकत वनकािी मवि कमारी

न 6 महीन का समय माागा छहो नरश स वमिन क विए उनहोन अपन जसी ही

पोिी धात की परवतमा बनिाई और परवतददन भोजन का कछ अाश उस म िािती

गई छह महीन पशचात सभी नरशो को आमावित दकया और इस तरह वबठाया दक

ि आपस म एक दसर को दख ना सक दिर उस ककष म परिश दकया और परवतमा

का ििन खोिा तो परा ककष दगध स भर गया तब मविकमारी न उन

राजकमारो को समझात हए कहा जो गाध इस परवतमा स आ रही ह िही गाध इस

शरीर स भी िटन िािी ह आप छहो नरश हमार पिग जनम क वमि ह कका त मन

साकप नही वनभाया इसी कारण म सतरी रप म और आप परष रप म पदा हए ह

आप सभी मर साथ सायम जीिन को सिीकार कर आतमा का कयाण कर इस

परकार छहो राजा ि मविकमारी न एक साथ दीकषा सिीकार की मवि कमारी न

अातमगहतग की साधना म ही किि जञान परापत कर तीथकर जस सिोचच सथान को

परापत दकया

पाठ करमााक 6 ( भगिान अररषटनवम )

1 भगिान अररषटनवम कौन स तीथकर हए उनका यह नाम कयो पडा

भगिान अररषटनवम 22 ि तीथकर हए बािक क गभगकाि म रहत समय महाराज

समदरविजय आदद सब परकार क अररषटो स बच तथा सिपन म ररषट रतनमय नवम दख

जान क कारण पि का नाम अररषटनवम रखा गया

2 कषण और अररषटनवम का कया साबाध था

कषण और अररषटनवम का पाररिाररक साबाध था अररषटनवम समदर विजय क पि थ

और शरी कषण िसदि क पि थ समदर विजय और िसदि सग भाई थअथागत शरी

कषण और अररषटनवम चचर भाई थ

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 7: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

3 वििाह क विए गए हए अररषटनवम िापस कयो िौट आए

जब अररषटनवम वििाह क विए जा रह थ तो उनह करण शबद सनाई ददएतब

उनहोन सारथी स पछा यह शबद कहाा स आ रह ह सारथी न कहा दि यह

शबद पशओ की चीतकार क ह जो आप क वििाह म सवममवित होन िाि वयवकतयो

क विए भोजय बनग अतःउनका िध होगा मरण भय स ि करा दन कर रह ह

अररषटनवम का मन वखनन हो गया उनहोन कहा यह कसा आनाद यह कसा वििाह

जहाा हजारो पशओ का िध दकया जाता ह यह तो सासार म पररभरमण का हत ह

इस कारण अररषटनवम न िहाा स अपन रथ को वनिास सथान की ओर मोड विया

4 अररषटनवम क वपता का नाम कया था

अररषटनवम क वपता का नाम समदरविजय था

पाठ करमााक 7 ( गणधर परापरा )

1 दकनही चार गणधरो पर विसतार स विख

भगिान महािीर क 11 गणधर थ इादरभवत अविभवत िायभवत वयकत सधमाग

मावित मौयग पि अकवमपत अचिभराता मतायग और परभास

गणधर इादरभवत गौतम-

वपता िसभवत और माता पथिी क पि इादरभवत अपन गोि गौतम क नाम स

परवसदध थ गोबर गराम क बहपरवतवित बराहमण कि क इादरभवत 4 िद 14 विदयाओ

म वनषणात तथा परवसदध यावजञक थ सोवमि बराहमण क वनमािण पर मधयमपािा म

यजञाथग गए िहाा भगिान महािीर क सापकग म आत ही जीि क अवसतति क बार म

सादह वमट गया और 50 िषग की अिसथा म 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

भगिान क परथम वशषय और परथम गणधर थ गौतम क मन म उठन िािी सभी

शाकाओ का समाधान भगिान महािीर दत और िही उपदश शाशवत सतय की

गाथा बन गया भगिान का वनिागण होन क बाद उनह किि जञान हआ भगिान

स उमर म 8 िषग बड होन क बािजद भी उनक परवत समपगणभाि वजजञासा और

विनयभाि था

अविभवत बराहमण-

अविभवत गणधर गौतम क मझि भाई थ िद उपवनषद और कमगकााि क जञाता

और आकषगक वयवकतति क धनी अविभवत को जब इादरभवत क दीकषा क समाचार

वमि तो भगिान स शासतराथग करन िहाा गए कका त भगिान की मखमदरा दखत ही

उनकी समसत शाकाओ का समाधान हो गया दवत- अदवत साबाधी शाकाओ का

वनराकरण सिया ही हो गया और 46 िषग की अिसथा म दीकषा गरहण की

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 8: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

अचि भराता-

अचि भराता की माता का नाम नादा और वपता का नाम िास था य कौशि

वनिासी हारीतगोिीय बराहमण थ दकरयाकााि यजञ-विजञान आदद क जञाता थ 300

छाि इनक वशषय थ मन म पणय- पाप क अवसतति एिा उसक ििािि क साबाध म

आशाका थी भगिान महािीर का सावननधय पाकर जीिन की धारा बदिी और 47

िषग की आय म दीकषा िी 72 िषग की आय म मोकष गमन दकया

मतायग-

मतायग की माता का नाम िरणा दिी और वपता का नाम दतत था य ितस दश म

तावगक नगर क कौविय गोि क बराहमण थ 300 वशषयो क अधयापक थ मन म

परिोक ह या नही पर सादह था भगिान महािीर क पास अपनी शाका को

वमटाकर 300 वशषय सवहत सायमी बन 62 िषग की आय म इनहोन वनिागण परापत

दकया भगिान महािीर क दसि गणधर कहिाए

2 गणधर परभास की माता का कया नाम था

गणधर परभास की माता का नाम अवत भदरा था

3 इादरभवत गौतम न दकतन वशषयो क साथ दीकषा िी

इादरभवत गौतम न 500 बराहमण वशषयो क साथ दीकषा िी

4 सभी गणधरो न अपन दकतन - दकतन वशषयो क साथ भगिान क पास दीकषा िी

गणधर गौतम- 500 वशषय

अविभवत- 500

िाय भवत- 500

वयकत- 500

सधमाग- 500

मवणितपि- 350

मौयगपि- 350

अकवमपत- 300

अचिभराता- 300

मतायग- 300

परभास- 300 वशषयो क साथ भगिान क समिसरण म दीकषा िी

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 9: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

5 सभी गणधरो की कया शाका थी वजनका समाधान भगिान महािीर स उनहोन परापत दकया

1 इादर भवत- जीि ह या नही

2 अविभवत- कमग ह या नही

3 िायभवत- शरीर और जीि एक ह या वभनन

4 वयकत- पथिी आदद भत ह या नही

5 सधमाग-यहाा जो जसा ह िह परिोक म भी िसा ह या नही

6 मावित- बाध मोकष ह या नही

7 मौयगपि- दि ह या नही

8 अकवमपत-नकग ह या नही

9 अचिभराता- पणय की मािा सख-दःख का कारण बनती ह या पाप पथक ह

10 मतायग- आतमा होन पर भी परिोक ह या नही

11 परभास- मोकष ह या नही

6 सभी गणधर कौनस सथान स थ

परथम तीन गणधर-गोबर गराम िासी

वयकत सधमाग -कोिाग सवनिश

मवणितमौयगपि-मौयगगराम िासी

अकवमपत- वमवथिा िासी थ

अचिभराता- कौशि वनिासी थ

मतायग- तावगक नगरी क थ

परभास- राजगह क थ

पाठ करमााक 8 ( अावतम कििी आचायग जमब )

1 जमब को िरागय कस हआ

गणधर सधमाग सिामी क अमतमयी िचनो को सनकर जमबकमार को िरागय

उतपनन हआ

2 माता वपता न जमब स कया कहा

माता वपता न जमब कमार को अपार सापवतत और सखो का परिोभन ददया साथ ही

साध चयाग की कठोरता का वचि भी उपवसथत दकया

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 10: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

3 चोर धन की गठररयो को कयो नही उठा पा रह थ

जमबकमार का अपनी निवििावहत पवतनयो क साथ िरागय भरी चचाग को सनकर

चोरो क पर भवम पर वचपक गए थवजसक कारण ि वहि भी नही पा रह थ

इसविए ि गठररयो को नही उठा पाए

4 परभि क ददि बदिन का कया कारण था

वििाह की परथम रावि म ही जमब कमार का अपनी पवतनयो क साथ िरागय भरी

चचाग को सनकर परभि का ददि बदि गया

5 अिसिावपनी विदया स परभि कया करता था

अिसिावपनी विदया स परभि चोर सबको वनदरा ददिा सकता था

पाठ करमााक 9 ( आचायग हररभदर सरर )

1 आचायग हररभदर न दीकषा दकस क पास िी

आचायग हररभदर न दीकषा विदयाधर गचछ क आचायग वजनदतत सरर क पास िी

2 उनहोन बौदध वशषयो की चहासा का उपकरम कयो सोचा

दो वपरय वशषय हास और परमहास की मतय स हररभदर को गहरा आघात िगातब

उनहोन कोपाविषट होकर ताि बि स 1444 बौदध वशषयो को बिाकर ति क कडाह

म तिन का महान चहासा का उपकरम सोचा

3 हररभदर न दकतन गराथो की रचना का साकप दकया था

1444 गराथ

4 हररभदर न परवतबोध दकसस परापत दकया था

यादकनी महततराजी स परवतबोध परापत दकया(साधिी साघ की परिरतगनी उस समय)

5 हररभदर क कई परमख गराथो क नाम विख

हररभदर क परमख गराथ इस परकार ह- समराइचचकहा अनकाात जयपताका अनक

आगमो की टीकाएा योगचबाद योग दवषट -समचचय षडदशगन समचचय योग शतक

और शासतर िाताग समचचय

6 हररभदर दकतनी विदयाओ म वनषणात थ

हररभदर 14 परकार की विदयाओ म वनषणात थ

7 आचायग हररभदर का बोध दकसक कारण वपघिा

साधिी यादकनी महततरा जी क कारण

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 11: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

पाठ करमााक 10 ( आचायग शरी मघिागणी )

1 मघिागणी न अपन हाथ स दकतनी दीकषाएा दी

मघिागणी न 22 साध और 45 सावधियो को अपन हाथ स दीकषा परदान की

2 मघिागणी क माता-वपता का कया नाम था

मघिा गणी क वपता का नाम परणमि जी बगिानी तथा माता का नाम बननाजी

था

3 मघिा गणी को आचायग पद कहाा ददया गया और उस समय उनकी अिसथा दकतनी थी

मघिा गणी को आचायग पद जयपर म ददया गया और उस समय उनकी अिसथा

41 िषग की थी

4 आचायग शरी मघराज जी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

मघिागणी तरापाथ धमग साघ क पााचि आचायग थ

जनम ि पररिार-

मघराज जी का जनम विकरम साित 1897 चि शकिा एकादशी को बीदासर क

बगिानी पररिार म हआ उनक वपता का नाम परणमि जी ि उनक माता का

नाम बनना जी था

िरागय ि दीकषा

विकरम साित 1908 म यिाचायग जीतमि जी का चातमागस बीदासर म था उसी

चातमागस म बनना जी तथा बािक मघराज क मन म सायम की भािना उतपनन

हई उनक दीकषा म अनक बाधाएा उतपनन हई िदकन आवखरकार उनक मजबत

मनोबि क कारण साित 1908 मगवसर कषणा दवादशी को उनकी दीकषा हई

विशषताएा

मघिागणी तरापाथ धमगसाघ म सासकत क परथम पावित कह जात थ विवप कौशि

भी उनकी बहत सादर थी उनकी बवदध इतनी वसथर थीि एक बार का ठसथ दकए

हए गरनथ को परायः भिा नही करत थतरापाथ धमग साघ म सबस अवधक कोमि

परकवत क आचायग थ

विवभनन पद

जयाचायग न माि 14 िषग की उमर म मघराज जी को शरी पाच बना ददया और 24

िषग की अिसथा म यिाचायग पद पर आसीन दकया गया विकरम साित 1938

भादरपद शकिा वदवतीया को जयपर म तरापाथ धमग साघ क आचायग बन

दीकषाएा

शासन काि म 119 दीकषाय हईसिया न भी 67 दीकषा परदान की

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 12: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

सिगगिास

मघिागणी का सिगगिास विकरम साित 1949 चि कषणा पाचमी को सरदार शहर

म हआ

पाठ करमााक 11 ( आचायग शरी माणकगणी )

1 माणकगणी की दीकषा कहाा हई

माणकगणी की दीकषा िािना म विकरम साित 1928 िागन शकिा एकादशी क

ददन हई

2 माणकगणी का शासन काि दकतन िषो तक रहा

माणकगणी का शासनकाि 4 िषग 7 माह का रहा

3 माणकगणी का सिगगिास दकस महीन म हआ

माणकगणी का सिगगिास विसा1954 कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म हआ

4 माणकगणी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ क छठ आचायग म माणकगणी का नाम विया जाता ह

जनम ि पररिार-

माणकगणी का जनम विकरम साित 1912 भादरपद कषण चतथी को जयपर म िािा

हकमचाद जी और माता छोटाा जी क पराागण म हआ ि शरीमाि जावत और ख़ारि

गौि क थ जब माणकचनदजी 2 िषग क थ तब उनक वपता की हतया साागानर क

पास िाकओ दवारा कर दी गई

िरागय भाि-

विसा1928 का चातमागस जयाचायग न जयपर म दकया तब माणकिािजी क मन

म िरागय की भािना उतपनन हई िदकन उनह दीकषा की आजञा नही दी

गयीजयाचायग जब विहार कर कचामन पधार तब चाचा िािा िकषमणदास जी

रासत की सिा म थजयाचायग न िािाजी स कहा -यदद माणक दीकषा ि तो तम

बाधक तो नही बनोगतब िािाजी न ततकाि आजञा द दी

दीकषा-

माणकिािजी की दीकषा िािना म विसा1928 िागन शकिा एकादशी क ददन

साढ सोिह िषग की उमर म हईमाणकगणी परकवत स नमर थ ि उनकी बवदध तीकषण

थीदीकषा क 3 िषग बाद ही उनह अगरणी बना ददया

यिाचायग काि-

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 13: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

विसा 1949 चि कषणा वदवतीया को सरदारशहर म मघिागणी न विवधित अपना

उततरावधकारी वनयकत कर वियायिाचायग अिसथा म ि 4 ददन रहपााचि ददन

मघिागवण का सिगगिास हो गया

आचायग काि-

विसा1949चि कषणा अषटमी को सरदारशहर म आचायग पद पर आसीन

हएतरापाथ क आचायो म सिगपरथम हररयाणा पधारन िाि आचायो म

माणकगणी का ही नाम विया जाता ह इनहोन अपन जीिनकाि म 15 साध और

25 सावधियो को दीकषा दी

अावतम समय-

विसा1954 का चातमागस सजानगढ म थाउनह जिर(बखार)हो गयातब मािी

मवन न पराथगना की दक आग की वयिसथा क विए दकसी को वनयकत कर द िदकन

माणकगणी को विशवास नही था दक ि इतनी जदी चि जायगइसविए ि आचायग

की वनयवकत नही कर पाए विसा1954कारतगक कषणा 3 को सजानगढ म 42 िषग

की अिसथा म माणकगणी का सिगगिास हो गयामाणकगणी का शासनकाि 4 िषग

7 मास का रहा

पाठ करमााक 12 ( आचायग िािचनदजी )

1 िािगणी की दीकषा कहाा हई थी

िािगणी की दीकषा इादौर म हई थी

2 िािगणी क आचायग चनाि की घटना क बार म सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ शासन म यह वयिसथा ह की पिगिती आचायग ही आगामी आचायग की

घोषणा करत ह िदकन छठ आचायग शरी माणकगणी का सिगगिास अचानक हो

गया और ि दकसी को आचायग वनयकत नही कर पाए उस समय मािी मवन मगन

िाि जी ि साघ क बजगग सात काि जी न बडी सझबझ का पररचय ददया तथा

सभी साधओ स विचार विमशग कर उसी क आधार पर सभी साधओ की सभा

बिान तथा भािी आचायग की घोषणा या चनाि की चचाग की बात हई आवखर

सभी साधओ न मवन कािजी पर ही भार छोड ददया दक ि दकसी साध का नाम

आचायग क विए घोवषत कर द िही सब को मानय होगा विकरम साित1954 पौष

कषणा 3 को मवन कािजी न साघ ि पिगिती आचायो का गणगान करत हए कहा-

हमारा शासन भगिान महािीर का शासन हउसका साचािन करन क विए आज

हम एक आचायग की आिशयकता ह इसविए म आप सबकी अनमवत का उपयोग

करत हए अपन साघ क विए सपतम आचायग क विए मवन िािगणी का नाम घोवषत

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 14: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

करता हा जो इस समय यहाा उपवसथत नही ह दिर भी हमार आचायग हो चक ह ि

कचछ स विहार करक इधर आ रह ह

3 िािगणी क आचायग काि का एक सासमरण बताओ

एक बार मिाड कषि म विहर करक थिी की और पधारत हए िािगणी बयािर म

पधारअनय सापरदाय क कछ वयवकतयो की बातचीत क बीच म ही एक वयवकत खङा

होकर बोि उठा तम िोगो स कया बात की जाए तम तो अभी अभी मागग म 10

मण का हिआ बनिाकर ि वियािािगणी न आशचयागवनित होकर पछा कया

कहा 10 मन का हििा िह आट का या मद का उसन कहा -आट कािािगणी

न िहाा उपवसथत िोगो स पछा कयो भाई 10 मण आट म चीनी घी और पानी

िािन पर दकतना हििा बनता ह उनम स एक न कहा एक मण आट का 8 मण

हििा होता ह िािगणी न कहा तब तो 10 मण आट का 80 मण हिआ हआ

अब जरा सोचो 80 मण हिआ हम िाए कस होग और खाया कस होगाउस

वयवकत न साभित हए कहा -मन तो जसा सना ह िसा कहा हविया नही विया िो

तम जानोङािगणी न िरमाया इतनी बवदध तो एक गिार म भी वमि सकती ह

माह स बात वनकािन स पहि उसकी सतयता और सतयता को तोि िइस परकार

उनका जीिन घटना परधान था

4 िािगणी की माता का नाम कया था

िािगणी की माता का नाम जडािााजी था

पाठ करमााक 13 ( महासती सरदारााजी )

1 तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा का नाम बताओ

तरापाथ की ितगमान साधिी परमखा महाशरमणी कनकपरभा जी ह

2 महासती सरदारााजी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर दकतनी थी

महासती सरदाराा जी का जब वििाह हआ उस समय उनकी उमर 10 िषग की थी

3 महासती सरदाराा जी की करठन परीकषा का िणगन करो

सरदारााजी क पवत का दहािसान हो जान क बाद उनम िरागय भािना

बढीिदकन विवधित साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था उनक जठ बहादर

चसाह आजञा नही द रह थ इसविए उनहोन परवतजञा की जब तक आप मझ दीकषा की

आजञा नही दत तब तक म आपक घर स अनन जि गरहण नही करा गी जठ न घर स

बाहर जान क विए रोक िगा दी 6 ददन तक सरदारााजी न कछ नही खायातब

जठ न कहा दासी स वभकषा मागिाकर काम चिाओ इसस तमहारी परवतजञा भी भाग

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 15: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

नही होगी कछ ददनो तक यह करम चिा दिर एक ददन सिया दीकषा क विए बाहर

चि गए दसर ददन इस पर भी रोक िगा दीसरदारााजी को एक कमर म बाद कर

ददया भािनाओ का िग बिा और सिद िसतर धारण कर विए हाथो स ही कस

िचान करन िगी उनहोन परवतजञा की दक जब तक आजञा पि नही वमिगा तब तक

म अनन जिगरहण नही करा गीइस परकार दीकषा की आजञा क विए अनक करठन

परीकषा दी

4 साधिी सरदाराा जी न जयाचायग स दकस सधार क विए पराथगना की थी

सरदारााजी क समय साध सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की

जाती थी और उसम साध वजतना चाहत उतना रख ित शष सावधियो को द दत

सरदारााजी को यह बात अखरी तब उनहोन शरी मजजाचायग स उवचत पररितगन की

पराथगना की तभी स आहार क साविभाग की परापरा का शरय सरदार सती को ही

जाता ह

5 8 साधिी परमखाओ क नाम विखो

1साधिी परमखा सरदारााजी

2साधिी परमखा गिाबााजी

3साधिी परमखा नििााजी

4साधिी परमखा जठाा जी

5साधिी परमखा कानका िर जी

6साधिी परमखा झमक जी

7साधिी परमखा िािााजी

8साधिी परमखा कनकपरभाजी

6 महासती सरदारााजी दवारा साविभाग की वयिसथा क बार म विख

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय भी सरदाराा जी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समकष एकि की जाती और उसम स साध

वजतना चाह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारा जी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

साविभाग की वयिसथा चाि हो गई

8 कशि वयिसथावपका कौन सी साधिी थी उनकी कशिता पर परकाश िाि

कशि वयिसथावपका महासती सरदारााजी थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत साददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन हीिािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग न

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 16: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो और

उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121 सावधियो

क 23 नए साघाठक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी क वयवकतति

क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

9 सरदारााजी क जीिन पर सावकषपत परकाश िािो

तरापाथ धमग शासन एक आचायग एक आचार एक विचार और एक सागठन क विए

परवसदध ह शासन का समसत कायगभार आचायग क का धो पर रहता ह िह साघ क

सिागीण िाहक होत ह परात सावधियो स इतना वनकट सापकग नही रहता आचायग

अपनी इचछा अनकि साधिी समाज म स एक योगय साधिी को साधिी समाज की

परमखा क रप म सथावपत करत ह

जनम और वििाह-

महासती सरदारााजी का जनम विकरम साित 1864 म राजसथान क परवसदध चर

शहर क कोठारी पररिार म हआ उनक वपता का नाम जत रप जी ि माता का

नाम चादना था 10 िषग की बायािसथा म ही आपका वििाह सतान मिजी िडढा

क सपि जोरािर मि जी क साथ जोधपर क ििोदी गराम म हआ वििाह क कछ

समय बाद सरदारााजी क पवत चि बस परात पवत का वियोग सरदारााजी क भािी

जीिन का शभ सायोग बन गया

परथम सापकग और तपसया

विकरम साित 1883 म तरापाथ क ततीय आचायग शरीमद रायचाद जी का चर म

पदापगण हआ आप उनक सापकग म आए परवतददन वयाखयान सनती और पोषध भी

करती 1887 म मवन जीतमि जी न अपना चातमागस चर म दकया सरदारााजी न

चातमागस म अपनी वजजञासाओ का समवचत समाधान पाया और तरा पाथ की शरदधा

सिीकार दक आपन 13-14 िषग की आय म यािजजीिन चौविहार और परतयक

चतदगशी को उपिास करन का वरत ि रखा था आप न तपसया पराराभ कर दी और

कई महीनो तक एकाातर तप दकया 10 ददन का चौविहार करन का साकप दकया

जीिन का अवधक समय तयाग-तपसया म बीतन िगा दीकषा गरहण की भािना

उतकषट हई उनहोन यह बात अपन पररिार िािो स की पररिार िािो न दीकषा की

आजञा दन स मना ही कर दी सरदारााजी अपन पररिार िािो क विचारो स

विचवित नही हए

करठन परीकषा -

साधिी बनना आजञा क वबना असाभि था परात आपन गहसथ िश म ही साध जीिन

क वनयमो की साधना पराराभ कर दी आपक जठ न दीकषा की आजञा नही दी तब

सरदारा जी न परवतजञा की दक जब तक आप मझ दीकषा की आजञा नही दग तब तक

म अनन जि गरहण नही करा गी सरदारााजी को अपन घर स बाहर जान की रोक

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 17: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

िगा दी सरदारााजी न 6 ददन तक अनन जि कछ भी नही विया जठ न कहा दासी

स वभकषा मागिाकर काम चिाओ तमहारी परवतजञा भी भाग नही होगी और हम दख

भी नही होगा कई ददनो तक यह करम चिा एक ददन आप सिया वभकषा क विए

बाहर चिी गई बहादर चसाह को मािम होन पर उनहोन सरदारााजी क बाहर जान

पर रोक िगा दी दसर ददन सरदारााजी वभकषा क विए बाहर जान िगी तब आपक

जठ न आप को कमर म बाद करिा ददया सरदारााजी एक कमर म बाद थी

भािनाओ का बग बिा आपन सिद िसतर धारण दकए और साधिी का भश पहन

विया हाथो स कश िाचन करन िगी एक ददन जठानी न कहा म तमहारी साधना

दखकर विवसमत हा मन तो आज भी तमहार जठ को इस विषय म समझाया पर िह

कहत ह की तपसया करत करत मतय हो जाएगी तो घर म बठ आास बहा िागा पर

दीकषा की सिीकवत नही दागा यह सनत ही उनहोन परवतजञा दक की जब तक आजञापि

नही वमिगा तब तक म जि गरहण नही करा गी

दीकषा की सिीकवत -

गमी बढन स खन वनकिन िगा पर जठ का मन नही वपघिा यह दखकर जठानी

तथा 80 िषीय दादी सास भी सरदारा जी क पकष म हो गई दोनो न साकप दकया

दक जब तक सरदारााजी अनन जि गरहण नही करगी हम भी अनन जि गरहण नही

करग जठ का कठोर हरदय दादी माा क सनह स दरवित हो गया वििश होकर उनह

सिीकवत पि दना पडा चर पहाचन पर वपता न िह पि अपन पास रख विया और

सरदारााजी को दन म आना कानी की कई ददन वबता ददए सरदारााजी न दिर चारो

आहारो का तयाग कर ददया 5 ददन वनकि गए घर िाि भी थक गए आवखर िह

पि उनह सौप ददया पि वमिन पर सरदारााजी यिाचायग जीतमि जी क दशगनाथग

उदयपर रिाना हो गई यिाचायग न विकरम साित 1897 वमकसर कषणा 4 को

उदयपर म 32 िषग की अिसथा म सरदारााजी को दीकषा परदान की

दीकषा क बाद-

दीकषा क बाद जब परथम बार अपन ततीय आचायग शरी रायचाद जी क दशगन दकए

तब आचायग शरी न आप को औपचाररक रप स अगरगणया बना ददया दीकषा क 13

िषग बाद आपको साधिी परमखा का पद वमिा जयाचायग को आपकी योगयता पर

पणग विशवास था परखर बवदध क कारण आप 1 ददन म 200 पदो को का ठसथ कर िती

थी

कशि वयिसथावपका-

आचायो का आपक काम क परवत असाददगध भाि था साधिी समाज की एक और

समसया थी सावधियो क सागठक सम साखयातमक नही थ दकसी सागठन म एक

साधिी रहती तो दकसी सागठन म किि तीन ही िािना म 1 ददन शरीमजजयाचायग

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 18: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

न सरदारााजी स कहा सावधियो की योगयता अनसार उनक साघाटक तयार करो

और उनकी साखयातमक विषमता वमटा दो आपन आदश पा एक रात म 121

सावधियो क 23 नए साघाटक तयार कर जयाचायग को वनिददत दकया सरदारााजी

क वयवकतति क कारण ही सब कछ आसानी स हो गया

साविभाग की वयिसथा-

आहार क सम विभाग की परापरा का शरय सरदारााजी को ही ह उस समय साध

सावधियो की समसत वभकषा आचायग क समसत एकि की जाती उनम स साध

वजतना चाहत ह उतना रख ित शष सावधियो को द दत सरदारााजी को यह बात

अखरी उनहोन शरीमजजयाचायग स उवचत पररितगन की पराथगना की उनक अनसार

सम विभाग की वयिसथा चाि हो गई आपन साधिी जीिन म तपसयाएा की अनक

सावधियो को तपसया क विए परोतसावहत दकया अात म विकरम साित 1927 की पौष

कषणा अषटमी को आजीिन अनशन म बीदासर म आप का सिगगिास हो गया

पाठ करमााक 14 ( आचायग वभकष क पररक परसाग )

1 आप इतन जनवपरय कयो इस घटना को साकषप म विखो

एक वयवकत न आचायग वभकष स उनक जनवपरय होन का कारण पछा तो आचायग वभकष

न बताया दक एक पवतवरता सतरी थी उसका पवत विदश म रहता था समाचार भी

नही आया िदकन अकसमात एक समाचार िाहक आया वजसस समाचार परापत कर

उस परसननता हई ठीक उसी तरह हम भगिान क सादश िाहक ह िोग इतन

आतर रहत ह भगिान क सादश सनन क विए हमार परवत जनता क आकषगण का

यही कारण ह

2 एक ददरय जीिो स पाचददरय जीिो का पोषण करन म धमग कयो नही ह

आचायग वभकष न बताया दक सिामी की इचछा क वबना दकसी िसत को जबरदसती

दकसीऔर को दी जाए तो उसम धमग नही ह तो एक दरीय न कब कहा दक हमार

पराण िट कर दसरो का पोषण करो िह बिातकार ह एक ददरय क पराणो की चोरी

ह इसविए एक ददरय जीिो को मारकर पाचददरय का पोषण करन म धमग नही ह

3 मजन िािी घटना साकषप म विखो

जोधपर राजय क एक परदश क कााठा का एक छोटा सा कसबा ह का टाविया िहाा

दकसी क घर गहन चोरी हो जान क कारण बोर नदी क कमहार को बिाया गया

िह अाधा था दिर भी िोग चोरी का भद जानन क विए उस बिात थ कयोदक

दिता उसम बोित थ िह आया और भीखणजी जी स पछा दकसी पर सादह ह

भीखणजी उसकी चािाकी की अातयवषट करना चाहत थ इसविए उनहोन कहा

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 19: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

सादह मजन पर ह रात को कमहार अखाड म आया िोग इकटठ हए दिता को

शरीर म बिाया िह िाि द िाि द र वचिाया और नाम परकट करन की आिाज

आई कमहार का दिता बोि उठा दक गहना मजन न चराया ह तब एक िकीर

उठा और िािा घमात हए बोिा मजना मर बकर का नाम ह उस पर झठा आरोप

िगाता ह िोग उस कोसन िग तब भीखणजी बोि जब चोरी आाख िािो क घर

हई ह तो अाध को बिान स गहन कस वमिगइस परकार भीखणजी न कमहार की

ठग विदया की पोि खोि दी

पाठ करमााक 15 ( चार गवतयाा )

1 आतमा क अमर होन पर भी उसका जनम ि मरण कयो होता ह

जनम मरण का मखय कारण ह -आतमा का कमग सवहत होना जब तक कमग पदगगिो

स आतमा का बाधन रहगा तब तक आतमा का अवसतति नही वमटता इसविए

आतमा क अमर होन पर भी आतमा का जनम मरण होता रहता ह

2 वतयच गवत म कौन कौन स पराणी होत ह

वतयच गवत म एक दो तीन चार ि पााच इाददरय िाि जिचर सथिचर और

नभचर आदद सभी पराणी होत ह

3 कौन स दिता कपोपनन ि कपातीत होत ह और कयो

िमावनक दिता दो तरह क ह-कपोपनन और किपातीत

कपोपनन12 होत ह इन12 दििोक म जो दिता पदा होत ह ि कपोपनन ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कप विभाग होता ह

कपातीत-

निगरियक और पााच अनततर विमान म उतपनन होन िाि दि कपातीत होत ह

कयोदक इनम सिामी सिक आदद का कोई भी वयिहार नही होताय अचहमादर

कहिात ह

4 गवत का अथग समझाइए

गवत का शावबदक अथग ह चिना एक सथान स दसर सथान तक जाना परात यहाा

गवत शबद का अथग एक जनम वसथवत स दसरी जनम वसथवत अथिा एक अिसथा स

दसरी अिसथा को पाना ह

5 नरक क दकतन परकार ह नाम उिख कर

नरक क 7 परकार ह

1 रतनपरभा 2 शकग रा परभा 3 बािका परभा 4 पाक परभा 5 धम परभा 6 तमः परभा

और 7 महा तमः परभा

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 20: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

पाठ करमााक 16 ( दो रावश )

1 पदगि हमार विए कयो अपवकषत ह

कयोदक पदगि क वबना दहधारी पराणी अपना वनिागह नही कर सकत शवास -

वनःशवास स िकर खान पीन पहनन आदद सब कायो म पौदगविक िसतएा ही काम

म आती ह शरीर सिया पौदगविक ह मन िचन की परिवतत भी पदगिो की सहायता

स होती ह आतमाएा भी पदगि का उपयोग करती ह इसविए पदगि हमार विए

अपवकषत ह

2 धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म कया भद ह

धमागवसतकाय ि अधमागवसतकाय म अातर-

bull गवत म सहायक होन िाि दरवय को धमग कहत ह जबदक जीि ि पदगिो की

वसथवत म सहायक दरवय को अधमग कहत ह

bull धमागवसतकाय का षडदरवय म परथम सथान हजबदक अधमागवसतकाय का षि दरवय

म दसरा सथान ह

bull गवत का आिाबन तति वनवमतत कारण ह -धमागवसतकायजबदक वसथर रहन का

आिाबन तति वनवमतत कारण ह -अधमागवसतकाय

bull धमागवसतकाय सासार की सदकरयता का कारण ह जबदक अधमागवसतकाय सासार की

वनवषकरयता का कारण ह

3 9 ततिो म जीि और अजीि कौन-कौन स ह नाम बताइए

नौ ततिो म जीि पााच ह - जीि आशरि सािर वनजगरा और मोकष

जबदक अजीि चार ह- अजीि पणय पाप और बाध

पाठ करमााक 17 ( जीि सब समान ह )

1 कया एक चीटी को और एक हाथी को मारना बराबर ह

हाा एक चीटी और हाथी को मारना बराबर ह दोनो की आतमा समान ह कयोदक

सब जीिो की आतमा क जञानमय असाखय परदश बराबर होत ह

2 कया छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग ह

नही छोट पराणी को मारकर बड पराणी को बचाना धमग नही ह ऐसा वसदधाात

अचहासा क सनातन वसदधाात क वनताात परवतकि ह

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 21: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

3 कया अथग चहासा म भी पाप ह यदद ह तो कयो

हाा अथग चहासा म भी पाप ह कयोदक चहासा म धमग नही होता िह चाह अपन विए

की जाए चाह और दकसी क विए

4 अथग चहासा और अनथग चहासा म कया भद ह

जो आिशयकता स की जाए िह अथग चहासा और जो वबना आिशयकता की जाए िह

अनथग चहासा ह अथग चहासा को गहसथ छोड नही सकता यह उसकी वििशता ह

बवक अनथग चहासा को गहसथ छोड सकता ह

5 जीिो जीिसय जीिनम उवकत का अथग बताइए

जीि जीि का जीिन ह

पाठ करमााक 18 ( धमग )

1 धमग क दकतन परकार ह

धमग दो परकार का ह सािर(तयाग) और वनजगरा (तपसया)

2 अचहासा धमग क विषय म जनो का परिततयातमक दवषटकोण कया ह

परतयक सासारी आतमा म दो परकार क आचरण पाए जात ह वनरोधातमक और

परितयातमक परिवतत दो परकार की होती ह -धारमगक एिा िौदकक वजस परिवत स

अचहासा को राग दवष एिा मोहरवहत आचरणो को पोषण वमि िह परिवतत धारमगक

ह और उसक अवतररकत दसरी वजतनी साासाररक परिवततयाा ह ि सब िौदकक ह

3 गहसथ अपन जीिन म धमग कस कर सकता ह

गहसथ अपन िौदकक कतगवयो का पािन करत हए भी धमग कर सकता ह जस खान-

पीन म आसवकत गवदध एिा िोिपता न रखकर

िसतर पहनन म आिाबर ि ददखाि की भािना न रखकर

धनोपाजगन करन म असतय अनयाय आदद का आचरण न करक

भौवतक सहायता दन म आसवकत ि अहाभाि न रखकर गहसथ अपन जीिन म धमग

कर सकता ह

4 सािर और तयाग म कया अातर ह

तयाग और सािर सथि दवषट स तो एक ही हिदकन सकषम दवषट स कछ अातर होत ह

तयाग तो सािर ही हदिर भी तयाग एक दकरया ह सािर उसका पररणाम ह तयाग

दकया जाता ह तब उसका पररणाम आता ह सािर आतमा की आातररक परिवतयो

का वनरोध हो जाना भी सािर ह जस करोध मान माया िोभ आदद को

परतयाखयान करक नही वमटाया जा सकता बवक आातररक शवदध स ही वमटाया जा

सकता ह

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 22: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

5 सािर और वनजगरा म कया अातर ह

सािर आतमा दक िह पररणवत ह वजस स आतमा का वनरोध होता ह जब की तपसया

क दवारा कमग मि विचछद होन स जो आतमा की उजजििता होती ह िह वनजगरा ह

सािर नए कमो को परिश करन स रोकता ह जबदक वनजगरा आतमा क परान कमो

को दर करती ह

आशरि का परवतपकषी ह जबदक वनजगरा बाधन का परवतपकषी ह

सािर का सशकत उपाय ह परतयाखयान जबदक वनजगरा का सशकत उपाय ह तपसया

सािर क साथ वनजगरा अिशय होती ह जबदक वनजगरा सािर क वबना भी होती ह

नो ततिो म सािर छठा तति ह जबदक वनजगरा सातिाा तति ह

सािर का हत वनिवतत (वनरोध) ह जबदक वनजगरा का हत परिवतत ह

पाठ करमााक 19 ( धमग और िौदकक कततगवय )

1 धमग शबद क दकतन अथग ह

धमग शबद का परयोग अनक अथो म हआ ह जस गहसथ धमग योदधाओ का धमग दीन

दवखयो की सहायता करन म उदार वयवकतयो का धमग कषट वनिारण परोपकारी

परषो का धमग उषणता अवि का धमग गााि का धमग नगर का धमग राषटर का धमग

तथा अचहासा सतय ि तपसया धमग आदद अनक अथो म धमग शबद का परयोग हआ ह

2 धमग िौदकक कतगवयो स वभनन कयो ह

धमग िौदकक कतगवयो स वभनन इसविए ह कयोदक वजन वजन कामो को िोग कतगवय

रप स वनधागररत करत ह ि िौदकक कतगवय हजबदक धमग की पररभाषा तो आतमा

साधना का पथ ह मोकष का उपाय ह

3 िौदकक कतगवयो का िकषय कया ह

िौदकक कतगवय का िकषय गहसथ धमग रीवत- ररिाज योदधा का धमग वनभानाअथागत

साासाररक कतगवय को पणग करत हए जीिन वनिागह करना

4 दीन दवखयो की सहायता करना कौन सा धमग ह

दीन दवखयो की सहायता करना िौदकक धमग ह

पाठ करमााक 20 ( जन धमग )

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 23: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

1 जन धमग का शावबदक अथग कया ह

जन धमग का शावबदक अथग ह -वजन अथागत राग दवष रपी शिओ क विजता

िीतराग दवारा पररवपत धमग

2 जन धमग क आधारभत तति कया ह

जन धमग क आधारभत तति अनकाात अचहासा और अपररगरह ह

3 कया जन धमग वयवकत पजा को सथान दता ह

नही जन धमग वयवकत पजा को सथान नही दता बवक जन धमग म गणो की पजा

होती ह

4 कया जन धमग म जावतिाद को सथान ह

नही जन धमग म जावतिाद को सथान नही ह जन धमग मानि माि क विए ह

5 भारतीय सासकवत की दो धाराएा कौन सी ह

(1) िददक सासकवत (2) समण सासकवत

6 जन धमग दकतन नाम स परचवित ह

जन धमग 3 नाम परचवित थ अहगत धमग वनगरथ धमग शरमण धमग

भगिान महािीर क वनिागण क कािी समय बाद जन शबद का परचिन हआ

6 विजञान क कषि म सापकषिाद की वयाखया दकसन की

िॉकटर आइासटीन न

7 जन धमग क आधारभत ततिो का उिख करो

अनकाात-

जन दशगन सतय क साकषातकार का दशगन ह इसविए िह अनकाात का दशगन ह इस

दशगन क परसकताग भगिान महािीर थ इस वसदधाात को जन आचायग न बहत आग

बढाया अनात दवषटकोण स तति को दखना परखना अनकाात ह और उसका

परवतपादन करना सयादिाद ह

अचहासा-

सब जीिो क परवत सायम करना समभाि रखना आतमौपय बवदध को विकवसत करना

अचहासा ह महािीर न अचहासक कराावत क विए जनता क सामन कछ अवहसाक सि

परसतत दकए

अपररगरह-

अपररगरह का आधार ह मछाग और ममति का भाि िसत पररगरह नही ह पररगरह ह

उसक परवत होन िािी मछाग आसवकत अनािशयक िोग की मनोिवत मछाग क

कारण होती ह महािीर क अनक वसदधाात ऐस ह वजनक उपयोवगता आज भी हमार

सामन ह आज भी ि वसदधाात सहायक और नए परतीत हो रह ह

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 24: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

8 अनकाात कया ह इस क परसकताग कौन थ

अनात दवषटकोण स िसत को दखना परखना अनकाात ह इसक परसकताग भगिान

महािीर थ

9 अनकाात और सयादिाद म कया अातर ह

एक ही िसत म विरोधी अविरोधी अनक धमो का एक साथ सिीकार करना

अनकाात ह जबदक इन धमो की जो वयाखया पदधवत ह परवतपादन की शिी ह िह

सयादवाद ह

अनकाात सापकष जीिन शिी ह जबदक सयादिाद परवतपादन की पदधवत ह

अनकाात दशगन ह जबदक उसका वयकत रप सयादिाद ह

अनकाातिाद िाचय ह जबदक सयादिाद िाचक ह

अनकाात यानी चचातन की शवकत जबदक सयादिाद यानी भाषाई परवतपादन की

शवकत

पाठ करमााक 21 ( सवषट क विषय म जन धमग का दवषटकोण )

1 इस िोक का कोई कतताग नही ह इस ठीक ठीक समझाओ

इसक बार म यह शाका उतपनन होती ह दक सवषटकतताग कब उतपनन हआयदद िह

सादद ह तो कयाअपन आप उतपनन हो गया या दकसी अनय कारण स उतपनन हआ

यदद सवषटकतताग अपन आप उतपनन हो सकता हतब जगत भी अपन आप उतपनन हो

सकता ह इस परकार न इस परशन का अात होगा और न ही जगत कतताग की उततपवतत

का समय ही वनकि सकगा इसविए इस िोक का कोई कतताग नही ह

2 कया जन दशगन अनीशवरिादी ह

नही जन दशगन अनीशवरिादी नही हजो आतमाएा तपसया एिा सायम क दवारा कमग

मि का विशोधन कर आतम सिरप को परापत हो जाती हउनको ईशवर

परमातमावसदधमकत कहत ह

3 जड कमग चतन आतमा को ििोपभोग कस करिात ह

कमग पदगिो का आतमा क साथ साबाध होन स उनम स एक शवकत पदा होती ह और

जब िह पररपकव हो जाती ह तब वजस परकार पथयाहार विष या मददरा का असर

होता ह िस ही जीिो की बवदध भी कमागनसार हो जाती ह और ि उनका अचछा या

बरा िि भोग ित ह किोरोिॉमग आदद सथि पौदगविक िसतओ म भी आतमा को

मरछगत करन की शवकत रहती ह तब अवतसकषम परमाणओ म आतमा क वयाकि

बनान की कषमता म कोई आशचयग िािी बात नही ह

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 25: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

4 मकत आतमाएा वसदधािय म कया करती ह

मकतआतमाएा वसदधािय म आतम सिरप का अनभि करती ह

5 अनाददकाि स िग हए कमो स आतमा की मवकत दकस परकार होती ह

आतमा और कमो का साबाध परिाह रप स अनादद ह वयवकत रप स नही अथागत एक

कमग आतमा क साथ वनरातर वचपका हआ नही रहता अवपत वनवशचत समय तक ही

रह सकता ह अतः आगामी कमग दवार का सिगथा वनरोध एिा पिग कमो का पणग कषय

होन पर आतमा मकत हो जाती ह

पाठ करमााक 22 ( समयकति और वमथयातति )

1 जन धमग म समयकति का महति कयो ह

जन दशगन म मोकष क चार साधन ह उनम परथम साधन ह समयगदशगन समयग दशगन

का अथग ह- सतय म विशवास जो िसतएा जसी ह उन पर िसा ही विशवास करना

समयकति ह सतय पर विशवास ह समयकति धमग का अविवचछनन अाग ह इसविए

हमारा धयान धमग कषि की ओर क ददरत होता ह धारमगक जगत म दि गर और धमग

यह तीन तति वजनको रतनिय कहत ह मखय मान जात ह इन तीनो पर िही

सििता पाता ह जो इन तीनो को सतय की कसौटी पर कस कर दढ वनशचय हो

जाता ह

2 धमग की पररभाषा बताएा

ldquoआतम शवदध साधना धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग ह

अथिा अररहात भगिान न जो उपदश ददया ह उस पर आचरण करना धमग ह धमग

िह ह वजसस मोकष की साधना की जा सक

3 रतनिय दकस कहत ह

धारमगक जगत म दिगर और धमग इन तीन तति को रतनिय कहत ह

4 वमथयाति दकस कहत ह

साध साधना का अगरदत ह और साधना का अावतम एिा सिोतकषट िि मोकष ह इन

सब पर यथाथग शरदधा न रखन िाि वयवकत वमथयातिी कहिात ह

5 सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह या नही

हाा सही बात को उिटी जानना वमथयाति ह

6 वनशचयपिगक हम दकसी को वमथयातिी कह सकत ह या नही

नही िदकन िकषणो स समयकति ि वमथयाति का जञान हो जाता ह वजनम जो

िकषण वमित ह उनह िसा ही समझ िना चावहए

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 26: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

7 कया वमथयाति की धारमगक दकरयाएा धमग नही ह

वमथयातिी बरहमचयग को अचछा मानता ह

और बरहमचयग का पािन करता ह तो य उसकी धारमगक दकरयाए ह और अचछी ह

िदकन वमथयातिी की छः दरवय नौ ततति पर परापत जानकारी सही नही होती

दि गर धमग पर शरदधा नही होती इसविए उसको वमथयातिी कहा गया ह

8 दि गर ि धमग की पररभाषा विख

दि- दि राग दवष रवहत वितराग अथागत सिगजञ होत ह ि यथा वयिवसथत ततिो का

उपदश करत ह

गर -सिगजञ भावषत धमग क उपदशक एिा जीिन पयत 5 महावरतो को पािन िाि

साध गर कहिात ह

धमग- आतमशवदध साधनम धमगः जो कायग आतमा की शवदध करन िािा ह िह धमग

पाठ करमााक 23 ( जन सासकवत )

1 अनय सासकवतयो की उन दो परथाओ क नाम बताओ वजनह जन िोग भी करत ह

भौवतक अवभवसवदध क विए दिी-दिताओ को पछना

मतक दकरया अथागत शरादध करिाना

2 जन गहसथो की विशषताओ का िणगन शासतरो म दकस परकार हआ ह

जन गहसथो की विशषताओ का िणगन करत हए शासतरो म विखा ह वनगरथ परिचन

पर शरदधा रखन िाि गहसथो को दिता भी धमग स विचवित नही कर सकत और

िह दिताओ की सहायता की अपकषा नही रखत

3 जन सासकवत का आधार कया ह

जन सासकवत का आधार सािर और वनजगरा ह वजसका उददशय आतमा क मि सिरप

को परकट करना ह इसी िकषय क आधार पर जन सासकवत का वनमागण हआ ह यही

जन सासकवत का आधार ह

4 जन परमपरा म तप क बार म कया कहा गया ह

जन सासकवत वरातयो की सासकवत ह वरातय शबद का मि वरत ह उसका अथग ह -

सायम और सािर वरत का उपजीिी ततति ह- तप जन परापरा तप को अचहासा

समनिय मिी और कषमा क रप म मानय करती ह अचहासा क पािन म बाधा ना

आए उतना तप सब साधको क विए आिशयक ह विशष तप उनही क विए ह

वजनम आतमबि या दवहक विराग तीवरतम हो जन दशगन आतमा क मि सिरप को

परकट करन क उददशय स चिता ह सािर-वनजगरा रपी तप स आतमा को परापत कर

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 27: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

अावतम धयय तक पहाचा जा सकता ह जीिन क अावतम कषणो म साथारा कर अवगरम

भिो को सधार सकत ह

पाठ करमााक 24 ( तरापाथ क पिग )

1 मयागदा महोतसि की सथापना कब ि कहाा हई

विसा 1921 को बािोतरा म मयागदा महोतसि की सथापना हई

2 मयागदा महोतसि स कया िाभ ह

सिामीजी दवारा विवखत मयागदाओ को जयाचायग न एक महोतसि का रप ददया

मयागदा महोतसि क िाभ-

bull मयागदाओ क यथोवचत पािन स तरापाथ की आातररक वयिसथाएा और भी अवधक

मजबत हई

bull इस अिसर पर सब साध सावधियो क आन स तरापाथ धमगसाघ का सागरठत रप

दखन को वमिता ह

bull इस उतसि पर साध सावधियो का गर क परवत समपगण भाि दखन को वमिता ह

bull आचायग शरी की सिा म रहकर सभी साध सावधियो को जञान धयान सदभािना

एिम सवदवचारो की उननवत करन का अिसर वमि जाता ह

bull इस उतसि पर सिामी जी दवारा विवखत मयागदाओ को पनरचचाररत दकया जाता

ह वजसस धमग साघ की नीि गहरी होती ह

bull इस ददन सभी साध सावधियो क चातमागस िरमाए जात ह उनह ि वबना नननच

क सहषग सिीकार करत ह वजसस तरापाथ धमग साघ क साध सावधियो का अनशासन

का वििकषण परभाि भी दखन को वमिता ह

bull विहार क समय िादना आदद करन स आपस म परकट होन िािा विशदध परम भी

दखन को वमिता ह

3 चरम महोतसि कब मनाया जाता ह

विसा1860भादरि शकिा ियोदशी को चरम महोतसि मनाया जाता ह

4 ितगमान म पटटोतसि दकस वतवथ को मनाया जाता ह

िशाख शकिा दशमी को पटटोतसि मनाया जाता ह

5 तरापाथ सथापना ददिस की वतवथ कौनसी थी

विसा 1817आषाढ शकिा परणगमा

पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

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पाठ करमााक 25 ( परमिी समरण विवध )

1 इषट-समरण करन स कया िाभ ह

परतयक धमग म इषट समरण को अवधक महतति ददया जाता हजन परमपरा म भी इषट

समरण का मखय सथान ह

bull इषट समरण स आतमा म पवििता आती ह

bull चतनय की जागवत क विए उपासना जगत म इषट समरण का परचिन ह

bull इषट समरण म पवििता को परधानता दी ह

2 जप कस करना चावहए

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहएकयोदक एकाात और पविि

सथान म जप करत समय विचार शाात और मन पविि रहता हयदद जप करन म

तनमयता नही होगी तो िो जप किि रटनदकरया बन कर रह जाता ह

3 मािा रखन की विवध कया ह

मािा को दावहन हाथ म हदय क वनकट िकर वसथर आसन म उततर या पिग की

ओर मख करक बठा जाता ह सामन अागठ और मधयमा दवारा मािा क मनको की

गणना की जाती ह काि मािा की अपकषा कर मािा को अवधक उततम माना गया

हकरमािा का तातपयग हाथ क परिो पर गणना दकए जान िािी मािा स ह

4 जप करत समय दकन दकन बातो का धयान रखना चावहए

जप करत समय धयान रखन योगय बात-

जप क विए सथान पविि और एकाात होना चावहए

जहाा बचच करीडा कर रह हो परावणयो का आिागमन हो भय उतपनन हो मचछर

आदद जातओ की बहिता हो ऐसा सथान जप क विए अनपयकत ह

जप क विए काि मािा या करमािा का परयोग करना चावहएचाादी या सोन की

मािा मन म अवसथरता उतपनन कर सकती ह करमािा सिगशरि ह

जप म मन को वसथर करन क विए सादगीपणग िशभषा को ही उपयकत माना

हचमकीिा राग क िसतर सादर आभषण आदद मन म चाचिता उतपनन करत ह

परातः काि क समय जप करना चावहए कयोदक उस समय विचार शाात और मन

परसनन रहता हिस आचायो न तीन सावध बिा को जप का समयक समय माना ह

वजस माि का जप दकया जाए उसी को अपन म साकार दखना चावहए कयोदक

तनमय बन वबना मनि का जप किि रटन दकरया बन जाता ह

मनिो का उचचारण शदध एिा सपषट होना चावहए

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 29: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

पाठ करमााक 26 ( सामावयक उपासना विवध )

1 सामावयक का तातपयग कया ह इसम कया होता ह

सामावयक का तातपयग समता का िाभ ह अथागत वजस अनिान स समता की परावपत

हो उस सामावयक कहा गया हसामावयक म समसत परावणयो क परवत समभाि तथा

एक महततग तक पापकारी परिवतत का पररतयाग दकया जाता ह

2 सामावयक कस करनी चावहए

सामावयक क विए सिचछ एकाात और शाात सथान तथा बठन की

मदरा(सखासनपदमासन तथा िजरासन )म स कोई एक आसन का चयन पिग अथिा

उततर ददशा की ओर मख करक बठत हए सामावयक पाठ का साकप करना

चावहएसिगपरथम 25 शवासोचछिास का कायोतसगग(धयान)करना चावहएनमसकार

महामाि का जप करन क बाद दकसी आराधय परष का समरण करना

चावहएततपशचात सिाधयाय और धयान का आिाबन िकर सामावयक क काि को

अपरमतत रहकर वयतीत करना चावहए

3 सामावयक क िाभ बताएा

सामावयक करना शरािक का पनीत कततगवय ह सामावयक क िाभ-

bull पापकारी परिवतत स विरवत होती ह

bull सामावयक करन स आतमा की समसत विषमताएा वमट जाती ह

bull सामावयक करन स सहज शाावत और आनाद की उपिवबध होती ह

bull सामावयक क वबना मवकत साभि नही ह

पाठ करमााक 27 ( बाहबिी का अहम )

1 भगिान ऋषभ क दकतन पि थ

भगिान ऋषभ क सौ पि थ

2 बाहबिी को तपसया करन पर भी किय कयो नही परापत हआ

बाहबिी को अपन अहाकार क कारण तपसया करन पर भी किय परापत नही हआ

3 िीरा महाारा गज थकी उतरो इसका कया तातपयग ह

मर भाई अवभमान रपी हाथी स उतरो

4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

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4 साकषप म बाहबिी की घटना परसतत करो

बाहबिी का अहा

भगिान ऋषभ क सौ पि थ उनम भरत सबस बडा था भगिान ऋषभ न अपन

सौ पिो को अिग अिग राजय सौपकर दीकषा ि िी भरत न अपन 98 भाइयो स

यदध कर उनका राजय हडपन क बार म विचार दकया सभी भाई आपस म वमिकर

भगिान ऋषभ क पास पहाच भगिान स परवतबोध पाकर उनहोन अपना राजय

भरत को सौप ददया एिा भगिान क पास दीकषा गरहण कर िी

भरत को अपन 98 भाइयो को राजय परापत करन क बािजद तवपत नही हई उसन

विजयोनमाद म बाहबिी क राजय म दत भजा दत की बात सनकर बाहबिी का

रोष उभर आया और उसन दत स कहा- कया 98 राजय वबना यदध क पाकर भी

भरत तपत नही हआ यह कसी मनोदशा ह मझम भी शवकत ह परात म उस बि का

दरपयोग नही करना चाहता वपता क बनाई हई वयिसथा को तोडत हए उनक पि

को िजजा आनी चावहए बाहबिी न वनणगय विया दक अब िह चप नही बठगा

भरत अपनी विशाि सना क साथ बहिी की सीमा पर पहाचा बाहबिी अपनी

छोटी परात शवकतशािी सना क साथ िहाा पहाचा भरत की सना को हर बार हार

का सामना करना पडा बहत स वनरपराध िोगो की यदध म हतया होन की िजह

स दिताओ की मधयसथता म दोनो भाई आपस म यदध क विए तयार हए दवषट

यदध िाग यदध बाह यदध मवषट यदध एिा दवादव यदध इन पााचो परकार क यदध म भरत

परावजत हआ छोट भाई स हारन की िजह स भरत न मयागदा तोड बाहबिी पर

चकर का उपयोग दकया बाहबिी का भी बचाि म हाथ उठ गया भरत अपन कतय

पर िवजजत होकर वसर झकाए खडा था

यहाा िाखो का ठो म स एक ही सिर वनकि रहा था - महान वपता का पि महान

होता ह बड भाई की हतया अतयवधक अनवचत कायग ह कषमा करन िािा बहत

महान होता ह परात उठ हए हाथ खािी नही जान चावहए इसविए बाहबिी न

अपन ही हाथो स अपना कश िाचन कर विया

जब वपता क चरण म जान को तयार हए तब उनक पर छोट भाइयो को िादना

करन क चचातन स रक गए अहा अभी भी शष था ि एक िषग तक धयान मदरा म

खड रह पर अहा पर विजय न पा सक

य पर कयो रक रह ह सररता का परिाह कयो रक रहा ह यह शबद हदय तक

पहाच सामन बराहमी और सादरी को दख उनक शबद िीरा महारा गज थकी

उतरो अवभमान रपी हाथी स उतरो बहनो की विनमर भरी िाणी सन आतम

परवतबोध हआ

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 31: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

छोट बड का मानदाि बदिा पर उठ की बाधन टट अहा टटत ही किि जञान परापत

हआ सतय का साकषात होन स पहि ही ि सिया वशि बन गए और मोकष को परापत

कर विया

5 पााच यदधो क नाम बताओ

दवषट-यदध िाग- यदध बाह -यदध मवषट-यदध और दवादवयदध

पाठ करमााक 28 ( महािीर का मघ कमार को जञान दान )

1 मघकमार का मन घर जान का कयो हआ

मघ कमार का मन घर जान क विए इसविए हआ कयोदक दीकषा िन क बाद

उनका शयन सथान दवार क बीच म थारात म साधओ का आिागमन होता रहा

वजसस उनह एक कषण भी नीद नही आयीतब मन म सोचा-जब म गहसथ जीिन म

था तब परतयक मवन मर साथ परमपिगक जञान चचाग करत थ िदकन आज इन सबक

मन म मर परवत सममान नही रहातब मघकमार न घर जान का सोचा

2 मघ पिगजनम म कया था और उसन दािानि स बचन का कया उपाय दकया था

मघकमार पिग जनम म हाथी था और दािानि स बचन क विए उसन एक योजन

भवम को िकष िता और तण स रवहत कर समति बनाया

3 मघकमार की घटना को साकषप म अपनी भाषा म बताओ

मघकमार राजा शरवणक का पि था माता धाररणी न शभ सिपन दवारा पि को जनम

ददया माता को ग़भगकाि म अकाि मघ की इचछा हई थी अतः पि का नाम मघ

रखा गया मघ का वििाह आठ सादर सदगणी कनयाओ स हआ

एक ददन राजगह म भगिान महािीर पधार उनका परिचन सन मघ क मन म

िरागय जागा उसन जब माता वपता स दीकषा की अनमवत माागी तब मा का ममति

सहज उभर आया दीकषा की बात कही तब मघ न बताया दक मौत का कोई

भरोसा नही जस तस माता वपता को समझाकर दीकषा की अनमवत परापत की एिा

भगिान महािीर क पास दीवकषत हो गए

भगिान महािीर न दीकषा पशचात बताया दक अब स सब कायग यतनापिगक करना

परथम ददन सखपिगक बीता रात का समय आया और उनका सथान करमानसार दवार

क बीच म था साधओ क गमनागमन की िजह स उनह परी रात नीद नही आयी

और उनक मन म खयाि आया दक यह साध उनकी दीकषा क बाद बदि गए ह सब

सिाथी हो गय ह उनहोन घर जान का वनणगय विया

सबह होत ही भगिान क पास पहाच पर कछ कह न पाए तब भगिान न उनक

मन क विचारो को बतात हए पछा कया यह सतय ह दक तम घर जाना चाहत हो

मघ न जिाब ददया यह सतय ह

भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

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भगिान न मघ को पिगजनम की बात याद करन को कही उस बताया दक दकस

तरह िह पहि जनम म हाथी था और कीचड म िा सन क बाद एक यिा हाथी क

िर की िजह स उसकी मतय हई और उसक बाद दिर स हाथी क रप म जनम

िकर िह 700 हावथयो का नता बना दकस तरह उसन दािानि को दवषट म रखत

हए उसन जागि क एक सथान को समति एिा िकष रवहत बनाया

एक बार जागि म आग िगन की िजह स सभी जानिर िहा पहाच जब खजिी

करन क विए हाथी न अपना पर ऊपर उठाया तो िहा एक खरगोश आ बठा

खरगोश की जान बचान क विए िगभग 3 ददन की भख पयास एिा भारी शरीर म

अकडन होन की िजह स तमहारी मतय हो गयी समयग दशगन स अनवभजञ होन क

बािजद तमन कषट सहन दकया वजसकी िजह स तमह मनषय जनम वमिा

अब तो तम मवन हो एिा धमग स समपनन हो दिर कयो कषटो स घबरा रह हो

मघ की सोई आतमा जाग गयी और उसन अपन दवशचनतन की आिोचना कर मन

को पनः वसथर दकया

पाठ करमााक 29 ( गजसकमाि की सहनशीिता )

1 गजसकमाि कौन थ

भगिान शरी कषण क चचर भाई एिा दिकी क पि थ

2 गजसकमाि क मसतक पर अागार दकसन रख तथा कयो रख

गजसकमाि क मसतक पर अागार सोवमि बराहमण न पिग भि क िर क कारण रख

3 गजसकमाि की सहनशीिता स तमह कया पररणा वमिती ह

गजसकमाि की सहनशीिता कहानी स हम यह पररणा वमिती ह दक हम परतयक

कायग म कषमा को परमख सथान दना चावहए कषमा गण सापनन वयवकत ही दश क िोगो

को उननवत का मागग ददखिा सकत ह निजागरण का शाख िा क सकत ह और

िासतविक सधार करन म समथग ि सिि हो सकत हकषमा धमग दवारा ही वयवकत

करोध पर विजय परापत कर सकता ह

4 भगिान अररषटनवम कौन थ

भगिान अररषटनवम जन धमग क 22 ि तीथकर थ

5 गजसकमाि की सहनशीिता कथा को अपन शबदो म विखो

भगिान अररषटनवम क अयोधया पधारन पर अनयि शरी कषण जो दक 6 भाई थ

तीन साघटनो म विभकत होकर दवाररका म घमन िग तीनो ही वभकषा क विए बारी

बारी दिकी क पास जात ह एक रप होन स दिकी सोचन िगी य साध बार

बार एक ही घर म कयो आ रह ह जब ि इस शाका का समाधान िन भगिान क

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह

Page 33: जैन वि Òा ाग 3 - sss.jvbharati.orgsss.jvbharati.org/Courses/syllabus/QA-bhag3.pdf · कण-कण ़ें आदशग तुम्हाा, प-व श्री

पास पहाची तब भगिान न बताया दक यह 6 भाई एक समान रप िाि ह तथा

तमहार ही पि ह दिकी को पहि बडी खशी हई पर मन ही मन विचार करन

िगी निकबर सदशय सात पिो को जनम ददया पर कभी उनकी बायािसथा नही

दख पाई अपन आप को जघनय अपजय मानन िगी माता को दखी दखकर

शरीकषण न उसका कारण पछा कारण जानकर शरी कषण न माता को आशवासन

दकर अपन वमि दि को याद दकया अपनी माता और अपनी इचछा पणग करन क

विए वनिदन की दि न कहा एक उततम जीि आपका भाई होगा छोटी अिसथा म

ही िह भगिान अररषटनवम क पास दीकषा गरहण करगा शरीकषण न सारी बात

बताई और अपन सथान पर चि गए यथा समय सिपन सवचत दिकी क पि हआ

हाथी क ताि क जसा कोमि होन क कारण बािक का नाम गजस कमाि रखा

गया उस िकत अररषटनवम दवाररका पधार शरी कषण और गज सकमाि हाथी पर

िादना करन जा रह थ रासत म सोवमि बराहमण की पिी सोमा का रप िािणय स

विवसमत होकर शरीकषण न गजसकमाि का ररशता सोमा क साथ तय दकया

इधर अररषटनवम का परिचन सनकर गजसकमाि परवतबोध को परापत हए और उनका

िरागय जागत हआ घर आकर माता वपता तथा शरी कषण स दीकषा की अनमवत

माागन िग परात उनह आजञा नही वमिी उनको रोकन क विए उनको एक ददन का

राजय भी ददया गया परात अात म सबको आजञा दनी ही पडी गजसकमाि भगिान

नवम क पास दीवकषत हए दीकषा ित ही उनहोन भगिान स पराथगना की ऐसा मागग

ददखाय वजसस काम शीघरता स वसदध हो जाए भगिान स कछ वछपा नही था

इसविए उनहोन वभकष की 12िी परवतमा का रासता बताया मवन गजसकमाि

भगिान को िादना कर शमशान म जाकर खड खड धयान करन िग सोवमि

बराहमण हिन की सामगरी िकर िहाा स गजर रहा था उसन गजसकमाि को

दखा तो पिग भि का िर जागत हआ विकत होकर अपनी पिी क साथ हए

विशवासघात क बार म पछन िगा गजसकमाि स जिाब न पाकर िह वतिवमिा

उठा उसन मवनिर गजसकमाि क वसर पर गीिी वमटटी की पाि बनाकर उसम

जित अागार रख ददए वसर वखचडी की तरह सीजन िगा परात हदय म कषमा का

शीति सागर िहरा रहा था िह अपनी आतमा को परवतबोध दन िग की चहासा का

परवतकार चहासा स नही हो सकता और िही सोचन िग दक अधमग करोध क साथ

जीन स अचछा तो कषमा धमग को पाित हए मरना ह उनकी आतमा विशदध हो गई

पापकमग पणग रप स कषय हो गए एिा मवकत परापत हई मवन गजसकमाि की

कहानी कषमा की कहानी ह आज क बािको म अगर कषमा का गण पिवित हो

जाए तो दश म उननवत एिा िासतविक सधार हम दख सकत ह