ch-03assets.vmou.ac.in/ch03-1.pdf · 2014-04-05 · 3 ch-03 रसायन jव£ान...

199
1

Upload: others

Post on 11-Aug-2020

6 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • 1

  • 2

  • 3

    CH-03 रसायन व ान

    वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    भौ तक रसायन 1

    इकाई सं. इकाई पृ ठ सं.

    1. ग णतीय संक पनाएँ (अ) 6—60

    2. ग णतीय संक पनाएँ (ब) 61—104

    3. क यटूर (अ) 105—119

    4. क यटूर (ब) 120—139

    5. गसैीय अव था : भाग-I(आदश गसै) 140—165

    6. गसैीय अव था : भाग-II(वा त वक गसै) 166—199

  • 4

    पा य म अ भक प स म त अ य ो. (डॉ.) नरेश दाधीच

    कुलप त वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा(राज थान)

    संयोजक/ सम वयक एवं सद य वषय सम वयक ो. सी. के. ओझा नदेशक अकाद मक महा मा गांधी इं ट यूट ऑफ ए लाइड साइसेंज, जयपरु (राज.)

    सद य स चव / सम वयक डॉ. अशोक शमा सह आचाय, राजनी त व ान वधमान महावीर खुला व व व यालय, कोटा

    सद य 1. ो. पी.एन. कपूर

    रसायन व ान वभाग द ल व व व यालय, द ल

    4. ो. वी.एन. पाठक रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    7. डॉ. रो मला करनावत रसायन व ान वभाग वै दक क या नातको तर महा व यालय, जयपुर

    2. ो. रेणुका जनै रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    5. ो. पी.एस. वमा रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    8. डॉ. के.के. शमा सेवा नवृ त , उप ाचाय (कॉलेज श ा, राज. सरकार) अजमेर

    3. ो. आर.सी. ीवा तव रसायन व ान वभाग लखनऊ व व व यालय, लखनऊ

    6. डॉ. आई. के. शमा रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    स पादन तथा पाठ लेखन स पादक लेखक

    ो. पी.एस. वमा डीन, व ान सकंाय वभागा य , रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपुर

    1. डॉ. डी.एस. जैन पवू सह आचाय रसायन व ान वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    3. डॉ. रो मला करनावत वभागा य , रसायन व ान वभाग वै दक क या नातको तर महा व यालय, जयपुर

    2. डॉ. आर.एन. जाट सह आचाय ग णत वभाग राज थान व व व यालय, जयपरु

    4. डॉ. सपना शमा वभागा य , रसायन व ान वभाग

    महा मा गांधी इं ट यटू ऑफ ए लाइड साइंसेज, जयपरु अकाद मक एवं शास नक यव था

    ो. नरेश दाधीच कुलप त

    वधमान महावीर खलुा व व व यालय,कोटा

    ो. अनाम जेटल नदेशक

    संकाय वभाग

    ो. पी. के. शमा नदेशक

    पा य साम ी उ पादन एव ं वतरण वभाग

    पा य म उ पादन योगे गोयल

    सहायक उ पादन अ धकार वधमान महावीर खलुा व व व यालय, कोटा

    उ पादन दस बर 2007 इस साम ी के कसी भी अंश को व.म.ख.ु व. कोटा क ल खत अनुम त के बना कसी भी प म अथवा म मयो ाफ (च मु ण) वारा या अ य पनुः ततु करने क अनुम त नह ंहै। व.म.ख.ु व. कोटा के लये कुलस चव व.म.ख.ु व. कोटा (राज.) वारा मु त एव ं का शत

  • 5

    तावना यह पु तक वधमान खलुा व व व यालय कोटा वारा नधा रत पा य मानसुार नातक तर थम वष के व या थय के उपयोग हेत ु तुत है।

    इस पु तक म भौ तक रसायन के मलूभतू स ातं को सु ा य प म तथा उदाहरण वारा समझाने का यास कया गया है ता क वषयव त ुको सरलता से समझ कर ानाजन कया जा सके। व भ न इकाइय म यथा सभंव समु चत च एव ंसर णय का समावेश कया गया है िजससे वषय क रोचकता बनी रहे। मह वपणू शीषक एव ंपद के अं ेजी समाना तर श द को उपयु त थान पर को ठक व श दावल म द शत कया गया है ता क संदभ थ से सहायता लेने म सु वधा रहे। ग णतीय यु प न एव ं सं या मक न का समु चत हल सरलतापवूक समावे शत कया है िजससे वषय क उ चत या या क जा सके ।

    येक इकाई म बोध न, अ यासाथ न तथा इनके हल संकेत और भी दये गए ह। सं या मक मानो तथा लघगुणुक सा रणी क उपयो गता के मह व को यान म रखत ेहु ए पु तक के अंत म इनका समावेश कया गया है। पु तक के प रवधन के लए श क व व या थय के सझुाव आमं त है।

  • 6

    इकाई - 1 ग णतीय संक पनाएँ (अ)

    Mathematical concepts (a) इकाई संरचना

    1.0 उ े य 1.1 तावना 1.2 लघगुणक

    1.2.1 प रभाषा 1.2.2 लघगुणुक के नयम 1.2.3 लघगुणक प त 1.2.4 पणूाश ात करना 1.2.5 अपणूाश ात करना (लघगुणक सारणी का योग) 1.2.6 तलघगुणक 1.2.7 सं या मक प रकलन म लघगुणक का योग

    1.3 व खीचना 1.3.1 फलन तथा फलन का मान 1.3.2 समको णक नदशाकं प त 1.3.3 फलन का आलेख 1.3.4 सरल रेखा का ढलान

    1.4 अवकलन 1.4.1 अवकलज 1.4.2 अवकलन के लए व भ न मानक सू 1.4.3 अवकलन के मलू नयम 1.44 अ प ट फलन का अवकलन 1.4.5 लघगुण कय अवकलन 1.4.6 उ च म के अवकलज

    1.5 उि च ठ तथा नि न ठ फलन 1.5.1 एक द ट वधमान तथा ासमान फलन 1.5.2 फलन का उि च ठ तथा नि न ठ ात करने क या व ध

    1.6 आं शक अवकलन 1.6.1 समघातीय फलन 1.6.2 समघात फलन के लए आयलॅर का मेय

  • 7

    1.7 साराशं 1.8 श दावल 1.9 संदभ थं 1.10 अ यासाथ न 1.11 उ तरमाला

    1.0 उ े य (Objectives) इस इकाई का उ े य भौ तक रसायन म यु त ग णतीय संक पनाओं को प रभा षत करना है । भौ तक रसायन म यु त ग णत के अनु योग के बारे म व तार से चचा करना ।

    1.1 तावना (Introduction) व ान क भ न- भ न शु एव ंअनु यु त शाखाएं िजन म ग णत भी सि म लत है

    काफ तजेी से वक सत हो रह है । सफलता का मलू मं ग णत म छुपा हुआ है । ग णत के समंग दमागी क यटुर म गजब का थान रखत ेह । ानाजन का उ ाव भी तो यह ंसे है । कुछ यि त तो इस वचारधारा के है क य द कोई ान ग णत अथवा अंको पर आधा रत नह ंहै तो वह ान ह नह ंकहा जा सकता । इस वचारधारा क पिु ट लॉड केि वन के इस कथन से होती है ''आप िजस वषय क बात कर रहे है य द आप उसको माप सकते है तथा उसे अंको के प म य त कर सकते है तो आप उसके बारे म कुछ जानत ेहै, कंत ुजब आप उस वषय का

    माप नह ंकर सकते, उसे सं याओं म य त नह ंकर सकते, तो आपका ान अ प तथा अस तोषजनक कार का है । यह ान का ार भ हो सकता है, पर त ुआप अपनी वचारधारा म एक व ान के तर तक ग त नह ंकर पाय है ।"

    1.2 लघुगणक (Logarithms) प रमेय सं या क घात और उनके घातांक नयम से तो आप भल भां त प र चत है ।

    कई बार हम वहृत सं याओं का अ ययन करना होता है | एक सं या मक यजंक म वहृत सं याओं के गणुन, भाजन या प रमेय घात का प रकलन करना पड़ सकता है | ऐसे प रकलन के लए लघगुणक बहु त ह लाभदायक स होत े है । वे क ठन प रकलन को सरल बनाने म हमारे सहायक होते है । लघगुणक क दो णा लयाँ योग म ल जाती है । पहल ने प रयन णाल है । (लघगुणक के अ व कार जॉन ने प रयन (1614 A.D.) थे तथा उ ह ं के नाम से

    यह णाल च लत है ।) । दसूर णाल 10 के आधार पर वक सत हु ई (इसका वकास हेनर कश (1615 A.D.) ने कया) इसे साधारण लघगुणक कहत ेह ।

    हम पहले इस नई सकं पना को तुत करगे । फर उन नयम पर वचार करगे िजनको लघगुणक वारा प रकलन करते समय यान म रखना होगा । फर हम लघगुणक व ध

  • 8 के योग के कुछ उदाहरण देग िजससे यह प ट होगा क इस व ध से क ठन प रकलन सरल हो जाते है ।

    12.1 प रभाषा (Definition)

    य द एक धना मक वा त वक सं या a, a 1 के लए ax=b हो, तो b का लघगुणक a के आधार पर x होगा िजसे न न कार लखा जायेगा

    Loga b=x जहाँ च ह 'log' (लॉग) लघगुणक के अं ेजी पयाय 'logarithm' का सं ेप है । इस कार a, x तथा b म घातांक य प (Exponential Form) ax=b को

    लघगुणक य प (logarithmic Form) म loga b=x लखा जाता है । उदाहरण 1. 1 (i) 25=32 का लघगुणक य प - log232 = 5 (ii) 53=125 का लघगुणक य प - log5125=3

    (iii) (81)1/4 =3 का लघगुणक य प – log813= (iv) 90 =1 का लघगुणक य प – log91=0 इसी कार (i) Log9 का घातांक य प-91/2=3 (ii) Log2 64=6 का घाताकं य प - 26=64 (iii) Log10 0.01=-2 का घाताकं य प -10-2=0.01 इ या द ।

    बोध न 1.2 (अ) 1. न न ल खत को लघुगणक के प म ल खये: (i) 34=81 (ii) 103=1000 (iii) 1281/7=2 (iv) 161/4=2 (v) 10-1=0.1 (vi) 10-5=0.00001 2. न न ल खत म से येक को घातांक य प म ल खए: (i) log5625=4 (ii) log3243=5 (ii)log4 1=0 (iv) log10(0.001)=-3 नोट :- कृपया अपने न के उ तर, अ त म दये गये उ तर से मलान कर लेग

    1.2.2 लघगुणक के नयम (Lows of Logarithms)

    (1) थम नयम: गणुन सू (Product Formula): य द m तथा n धना मक प रमेय सं याएँ हो तो loga(mm)=loga m+logan अथात ्दो सं याओं का गणुाओं का log, उन दोन सं याओं के अलग-अलग log के योग के बराबर होता है ।

    14

  • 9

    (2) दसूरा नयम: भाग सू (Quotiet Formula): य द m तथा n धना मक प रमेय सं याएँ है तो

    अथात ्दो सं याओं के अनपुात का लघगुणक उनके लघगुणक के अ तर के बराबर होता है । (3) तीसरा नयम : घात सू (Power Formula): य द m तथा n धना मक प रमेय

    सं याएँ है तो Loga (mn) =nlogam अथात ् कसी सं या जो घात के प म है का लघगुणक उस सं या के घात तथा उस सं या

    के लघगुणक के गणुनफल के बराबर होता है । (4) चतथु नयम: इकाई का लघगुणक (Logarithm of unity) वा त वक धना मक सं या

    a के लए loga1=0 अथात ्इकाई का लघगुणक ( कसी भी आधार के लए) शू य होता है । (5) पाँचवा नयम: समान आधार का लघगुणक (Logarithm of same base) वा त वक

    धना मक सं या a के लए Logaa=1 अथात ् कसी धना मक सं या का लघगुणक उसी सं या के आधार पर इकाई के बराबर होता

    है । (6) छठा नयम: आधार प रवतन सू (Base Change formula) य द m धना मक

    प रमेय सं या है तथा a और b धना मक वा त वक सं याएँ इस कार है क a≠1, b≠1, तब loga अथवा logbm=logamxlogba अथात ् कसी धना मक प रमेय सं या

    का, कसी आधार पर लघगुणक का मान, उस सं या के कसी अ य धना मक सं या के आधार पर लघगुणक तथा वतीय सं या का, थम सं या के आधार पर लघगुणक के गणुनफल के बराबर होता है ।

    उ त नयम को न न उदाहरण वारा आप भल भां त समझ सकगे । उदाहरण 1.2 न न का मान ात क िजये । (i) log9 729 (ii) log27243 (iii) log10(0.0001) हल: (i) मान ल िजए

    log9 729=x तब 9x=729 (लघगुणक से घाताकं म बदलने पर) या 9x=93 या x=3 (घातांक के नयम से) अत: log9 729=3 (ii) मान ल िजए

    log log loga a am m nn

  • 10

    log27243=x तब 27x=243 या 27x=35 या (33) = 35 (एक ह आधार म बदलने पर) या 33x = 35 या 3x=5 या

    अत: 27

    5log 2433

    (iii) मान ल िजए 100log (0.0001) x

    तब 110 0.000110000

    x

    या 10x= (घातांक के नयम से)

    या x=-4 अथात ् log10(0.0001)= -4

    उदाहरण 1.3: स क िजए log 72=3 log2+2log3 हल : द ण प =3log2+2log3

    =log23+log32

    =log(23x32) =log(8x9) =log 72 = वाम प

    उदाहरण 1.4 : स क िजए

    हल: वामप 16 16 81log 5log 3log

    15 15 80

    =log2 = द ण प

    उदाहरण 1.5 : स क िजए loge(1+2+3)=loge1+loge2+loge3 हल : द ण प =loge1+loge2+loge3

    53

    x

    16 25 817 log 5log 3log log 215 24 80

    7 5 316 25 81log log log15 24 80

    7 5 316 25 81log15 24 80

    X X

  • 11

    =loge (1X2X3) =loge6 =loge(1+2+3) { 6=1+2+3} = वाम प

    उदाहरण 1.6 : स क िजए

    हल: वाम प = 12 9 27log log7 4 7

    X

    =log1 =0= द ण प

    उदाहरण 1.7. स क िजए logbaXlogcbXlogac=1 हल : सभी लघगुणक को आधार e म बदलने पर

    log log loglog , log , loglog log log

    e e eb c a

    e e e

    a b ca b cb c a

    अत: वाम प = logbaXlogcbXlogac

    =1= द ण प

    बोध न : 1.2 (ब) 1. न न ल खत का मान ात क िजए (i)log39 (ii)log2256 (iii)log253125 (iv)log10 (10000) (v)log10(0.0000001) 2. दखाइए क: (i) log(360) =3log2+2log3+log5 (ii)5log3-log9=log27

    (iii) नोट :-कृपया अपने न के उ तर, अ त मे दये गये उ तर से मलानकर लेवे|

    12 9 27log log log 07 4 7

    12 9 27log log log7 4 7

    12 97 4log 27

    7

    X

    12 9 7log7 4 27

    X X

    log log loglog log log

    e e e

    e e e

    a b cX Xb c a

    24 9 814log 16log 7 log log 5725 10 82

  • 12 1.2.3 लघगुणक प त (System of Logarithms):

    अभी तक हमने यह पढ़ा है क लघगुणक का आधार कोई भी रा श अथवा सं या हो सकती है । पर त ु यावहा रक प म दो व श ट प तया ँकाम म ल जाती है ।

    (i) ाकृत अथवा ने प रयन लघगुणक (natural or naperian logarithms) : आधार e पर सं याओं के लघगुणक को ाकृत अथवा ने प रयन (इस प त के ज मदाता जॉन ने पयर के नाम पर) लघगुणक कहलात ेहै जहाँ e, एक अन त ेणी का योग

    = 2. 7182818...... (अन त ेणी का योग लगभग) उ चग णतीय अ ययन तथा सै ाि तक न म अ धकतर लघगुणक का आधार ' e '

    लया जाता है क त ुयह प त ायो गक पर ण तथा आं कक प रकलन म उपयु त नह रहती है यो क e का मान एक नि चत रा श न होकर एक अप रमेय रा श है।

    (ii) साधारण लघगुणक (common logarithms) : आधार 10 पर सं याओं के. लघगुणक को साधारण लघगुणक कहते ह । यावहा रक

    आं कक प रकलन म आधार 10 उपयु त होता है । ट पणी: आं कक प रकलन म जब लघगुणक का कोई आधार य त नह ं कया गया हो

    तो इसे साधारण लघगुणक (अथात आधार 1० पर लघगुणक) ह मानना चा हये । साधारणतया न को हल करत ेसमय ज टल गणुा, भाग, घात अथवा मलू आ जाते है

    िज ह सरल करने म काफ समय, प र म तथा क ठनाई होती है एव ंसाथ ह नि चत प से यह नह ंकहा जा सकता क प रणाम अथवा हल पणू प से शु है । अत: ग णतीय आं कक

    या को सरल व शु बनाने एव ंसमय व म क बचत करने हेत ुलघगुणक का योग कया जाता है।

    ाय: सं या 10 को आधार मानकर सं याएँ लखी जाती है: इस लए आधार 10 पर लघगुणक का योग करना अ धक सु वधाजनक होता है । कसी भी द हु ई सं या का लघगुणक 10 क वह घात है िजससे क 10 उस तुत सं या के समक हो जाते ।

    उदाहरणाथ- Log10 = 1 य क 101=10 Log100=2 य क 102=100 Log100000=5 य क 105=100000 Log1=0 य क 100=1 Log 0.1= 1 य क 10-1=0.1 Log 0.001= 3 य क 10-3=0.001

    जो सं या 10 के व भ न घात के प म होती है उनके लघगुणक सरलता से ात कये जाते है पर त ुअ य सं याओं जैसे 39,513,2593 आ द के लघगुणक ात करने के लए लघगुणक सर णय क सहायता ल जाती है । येक भ न सं या के लघगुणक के दो भाग होत ेहै । थम लघगुणक का वह भाग जो दशमलव ब द ु के पवू होता है, िजसे पणूाश

    1 1 11 ......1 2 3

    e

  • 13 (characterstic) कहत े है तथा वतीय, लघगुणक का वह भाग जो दशमलव ब द ु के बाद होता है, िजसे अपणूाश (mantissa) कहत े है । पणूाश सदैव एक पणू सं या (integer) (घन, ऋण व शू य) होती है और अपणूाश कभी-भी ऋणा मक नह ंहोता और सदैव सं या 1 से कम होता है । य द हम कसी सं या n, का लघगुणक, log n के पणूाश और अपणूाश ात हो जाये तो log n ा त करने के लए हम उ ह केवल जोड़ना होता है ।

    1.2.4 पणूाश (characteristic) ात करना-

    पणूाश ात करने हेत ु दो सू यु त कये जाते है । थम सू का योग ऐसी सं याओं के लघगुणक का पणूाश ात करने हेत ु कया जाता है जो इकाई (एक) या इकाई से अ धक होती है तथा वतीय सू का योग ऐसी सं याओं के लघगुणक का पणूाश ात करने हेत ु कया जाता है जो इकाई से कम होती है, जसेै 0.5, 0.003578, 0.9985 आ द | थम सू : इकाई या इकाई से अ धक सं याओं का पणूाश :

    जो सं याय एक या एक से अ धक होती है उनके लघगुणक का पणूाश ात करने का सू (n-1) है । जहा ँn दशमलव के पवू कुल अकं क सं या है । इन सं याओं का पणूाश सदैव एक धना मक पणूाक (positive integer)

    होता है । उदाहरणाथ- सं या (Number) सू (formula) पणूाश (characteristic)

    1 (1-1)=0 0 2985 (4-1)=3 3 573 (3-1)=2 2

    89.572 (2-1)=1 1 8 (1-1)=0 0

    625.7895 (3-1)=2 2 856080.532 (6-1)=5 5

    वतीय सू . इकाई से कम सं याओं का पणूाश एक से कम सं याओं के लघगुणक का पणूाश ात करने का सू (n+1) है । जहाँ 'n'

    दशमलव ब द ुके तु त प चात तथा थम अशू य अकं (1 से 9) के म य शू य क सं या है । ऐसी सं याओं का पणूाश सदैव ऋणा मक पणूाक (negative integer) होता है । ऋणा मक च ह इं गत करने हेत ुइन पणूाश के उपर ऋण का सकेंत बार (Bar) के प म बना दया जाता है ता क उस ऋण के च ह को पणूाश से पथृक रखा जा सके । य क अपणूाश सदैव धना मक होता है ।

  • 14

    सं या (Number) सू (formula) पणूाश (characteristic)

    0.8 (0+1)=1 0.07 (1+1)=2 0.0030607 (2+1)=3 0.00000785 (5+1)=6 0.60589 (0+1)=1 1

    1.2.5 अपणूाश (mantissa) ात करना (लघगुणक सारणी का योग)

    लघगुणक का वह भाग जो दशमलव ब द ु के बाद आता है, अपणूाश कहलाता है । अपणूाश लघगुणक सर णय से देखा जाता है तथा यह सदैव धना मक होता है । इसे ात करत ेसमय दशमलव ब द ुका सं या पर कोई भाव नह ंपड़ता है, जब क पणूाश ात करत ेसमय सं या का वह ह सा जो दशमलव के पवू अथवा दशमलव के तुर त बाद शू य क सं या पर नभर करता है । उदाहरण के लए 825.6, 82.56, 8.256, 0.8256, 0.008256 आ द सं याओं का अपणूाश समान होगा, जब क इन सं याओं का पणूाश भ न- भ न होगा । अपणूाशं को लघगुणक सर णय से ाय: चार अंको क सं या तक ह ात कया जा सकता है । अत: ऐसी सं याओं िजनका अपणूाश देखना अथवा ात करना हो य द चार अंक से बड़ी है तो उसका सि नकटन (approximation) चार अंको तक कर दया जाता है ।

    यान द िजए क इस सारणी म ै तज (horizontal) तथा ऊ वाधर (vertical)म खाने बने हु ए है । ै तज खाने 0 से 9 तक है तथा उसी के बगल म पनु: 1 से 9 तक के खाने है । िजसे औसत अ तर (mean difference) का ख ड कहत ेह । ल बवत खाने म येक पिं त, दो अंक वाल सं या, जसेै 10,11,12. ........... 97,98,99 से आर भ होती है ।

    कसी सं या का सामा य लघगुणक ात करने क या : लघगुणक सारणी के योग से कसी सं या का सामा य लघगुणक का मान को अ या वारा ात कया जा सकता है।

    लघगुणक सारणी(LOGARITHMS TABLE) म य अ तर 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 123 456 789

    - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - 25 3979 3997 4014 4031 4048 4046 4082 4099 4116 41

    33 2 3 5

    7 9 10

    12 14 15

    26 4150 4166 4183 4200 4216 4232 4249 4265 4281 4298

    2 3 5

    7 8 10

    11 13 15

    27 4314 4330 4346 4362 4378 4393 4409 4425 4440 4456

    2 3 5

    6 8 9

    11 13 14

    - - - - - - - - - - - - - -

    1

    2

    3

    6

  • 15

    सव थम द गई सं या का पणूाश इ त कया जाता है । त प चात दशमलव ब द ुक उपे ा करके द हु ई सं या को थम चार अकंो तक (य द अंको क सं या चार से अ धक हो तो) सि नकट कर । इस सं या के थम दो अकंो को लघगुणक सारणी के थम ऊ वाधर खाने म देखते हु ए सारणी के शीष म ै तज पिं त म लखा अकं ततु सं या का तीसरा अकं के ऊ वाधर त भ म उपि थत सं या को लख लेते है । पनु: सारणी के शीष म ै तज पिं त म औसर अ तर (mean difference) म तुत सं या का चतथु अंक के ऊ वाधर त भ म उपि थत सं या को तीसरे अंक के संगत सं या म जोड़ कर योगफल ात कर लेते है, यह योगफल तुत सं या का अपणूाश होता है अत: तुत सं या का पणूाश के बाद दशमलव लगाकर अपणूाश लखकर जो सं या ा त होती है वह द गई सं या का लघगुणक का मान होता है ।

    उदाहरणाथ मान लिजए हमे log2.627 ात करना है । सव थम द गई सं या 2.627 का पणूाश 0 है को ात करत ेहै । अब अपणूाश ात करने के लए लघगुणक सारणी म थम ऊ वाधर त भ म उस पिं त को दे खए जो 26 से ार भ होती है । इस पिं त म, उस त भ क सं या प ढ़ए, िजसके ऊपर भाग पर 2 है । यह सं या 4183 है । इस का अथ है क

    log2.620=0.4183 पर त ुहम log2.627 इ त करना है, इस लए हमारा उ तर 0.4183 से थोड़ा अ धक होगा । कतना अ धक होगा यह हम औसर अ तर के ख ड से ात करगे । य क हमार सं या म चौथा अकं 7 है, अत: औसर अ तर वाले ख ड म, उस त भ म िजसके ऊपर भाग पर 7 है, (26 वीं) पिं त म, सं या प ढ़ए । यहा ँहम देखते है क सं या 11 है । अत: 4183 म 11 का योग कर देते है और इस कार योगफल 4194 ा त होता है । इस योगफल को पणूाश 0 के बाद दशमलव लगाकर लख लेते है । अत:

    Log 2,627=0.4194 इसी कार log(812.7) ात करने के लए सव थम सं या 8127 का पणूाश 2 लख

    लेते है, अब हम इस सं या का अपणूाश ात करने के लए 81 क पिं त म त भ 2 के नीचे देखते है और हम (8। क पिं त म) 9096 ा त होता है । हम इसी पिं त म आगे देखते है और औसत अ तर के ख ड म त भ 7 के नीचे औसर अ तर 4 को 9096 म योग करने से 9100 ा त होता है इस 9100 को पणूाश 2 के बाद दशमलव लगाकर लख देते है । अत:

    Log (812.7) = 29100

    1.2.6 तलघगुणक (antilogarithms)

    अभी तक हमने, एक द हु ई धन सं या n का लघगुणक log n ात करने क व ध पर अ ययन कया है । अब हम इस के वलोम का अ ययन करेग, अथात य द log n दया हुआ हो, तो सं या n ात करने क या का अ ययन करेग ।

    '' कसी द हु ई सं या का तलघगुणक वह सं या है िजसका लघगुणुक द हु ई सं या है।''

    य द log n=x, तो हम यह भी कह सकते ह क n=antilog x (x का तलघगुणक) । अत: य द x दया हो तो इसका तलघगुणक ात करने के लए, हम तलघगुणक सारणी

  • 16 का योग करत ेहै । इस सारणी को प ने के लए लघगुणक के अपणूाश के चार अकंो का योग ठ क उसी कार कया जाता है िजस कार चार अकंो तक सि नक टत सं या का योग अपणूाश ात करने हेत ु कया जाता है । लघगुणक के पणूाश का योग ा त प रणाम म दशमलव ब द ुनि चत करने के लए कया जाता है ।

    तलघगुणक सारणी, लघगुणक सारणी जसैी ह होती है । तलघगुणक सारणी म थम ऊ वाधर त भ म 0.00 से 0.99 तक क सं याय होती है । इसके बाद दस त भ होत े

    है िजनके शीष पर मश: 0 से 9 अंक लखे होत े है । इनके बाद औसत अ तर (mean difference) के भी त भ होते है िजनके शीष पर 1 से 9 अंक लखे होत ेहै । तलघगुणक ात करने क या न न ल खत है:- (i) य द लघगुणक म पणूाश धना मक है तो दशमलव ब द ुक ि थ त के लए सू (n+1)

    होता है जहाँ n पणूाश क सं या है । य द पणूाश 2 हो तो 2+1=3, अथात दशमलव ब द ुके बायीं ओर 3 अंक होग और य द पणूाश 4 हो तो 4+1=5, दशमलव ब द ुके बाई और 5 अकं होग ।

    (ii) य द लघगुणक म पणूाश शू य है तो दशमलव ब द ुएक सं या (0+1=1)के बाद लगाया जायेगा ।

    (iii) य द लघगुणक म पणूाश ऋणा मक है अथात ् उस पर 'बार' (-) है तो दशमलव क ि थ त के लए सू (n- 1) होगा, जहाँ n पणूाश क सं या है । य द ऋणा मक पणूाश 3 अथात है तो 3 -1=2, अथात दशमलव ब द ुके बाद और थम अशू य अंक के पवू 2 शू य लगा देग । य द ऋणा मक पणूाश 4 है तो 4 -1=3 होगा, अथात ्दशमलव ब द ुके तरु त प चात अथात दायी ंओर तीन शू य लखकर फर अशू य अकं से शु होने वाल सं या लखत े है । य द ऋणा मक पणूाश 1 हो तो 1 -1=0, अथात ्दशमलव ब द ुके तुर त बाद कोई शू य नह ंहोगा ।

    तलघगुणक सारणी के थम त भ म अपणूाश के प हले दो अंको के अनसुार पिं त का चयन कर, उस पिं त म उस सं या का चयन करत ेहै जो सं या अपणूाश के तीसरे अंक के संगत शीष म ि थत अकं के त भ म ि थत हो । पनु: सारणी के शीष म ै तज पिं त म औसत अ तर म तुत अपणूाश का चतथु अकं के ऊ वाधर त भ म चयन क गई ै तज पिं त म उपि थत सं या को तीसरे अंक के संगत सं या म जोड़ कर योगफल ात कर लेते है । इस कार ा त सं या, वां छत सं या (desired number) ा त होती है । इस वां छत सं या म दये गये लघगुणुाकं के पणूाश -के आधार पर दशमलव ब द ुका थान नधा रत करत ेहु ए, दये गये लघगुणक य सं या का संगत तलघगुणक ात कया जाता है । उदाहरणाथ मान ल िजए, logx=2.4837 है । n ात करने के लए, पहले आप logx, का अपणूाशं ले । इस उदाहरण म अपणूाश 0.4837 है । अब इसका तलघगुणक सारणी म से तलघगुणक दे खए । तलघगुणक सारणी के थम त भ म .48 क पिं त म त भ 3 के नीचे सं या 3041 है

    और इसी पिं त म, अं तम अकं 7 के लए औसर अ तर 5 है इस औसत अ तर को सं या 3041 म जोड़ने पर 3046 ा त होती है । अत: द गई लघगुणक सं या का अपणूाश के संगत तलघगुणक सं या 3046 है । अब इस सं या म द गई लघगुणक सं या के पणूाश 2 के

  • 17 अनसुार दशमलव ब द ुका चयन (2+1=3), 3 अंक के बाद दशमलव ब द ुलगाकर अ भ ट सं या x=304.6 ा त कर लेते है ।

    लघगुणक तथा तलघगुणक का योग न न उदाहरण वारा आप भल -भां त समझ सकगे ।

    उदाहरण 1.8 य द logx=0.9804 हो, तो x का मान ात क िजए । हल. तलघगुणक सारणी से, हम देखते है क 98०4 क संगत सं या 9559 है ।

    य क log x का पणूाश 0 है, अत: x=9559 होगा । उदाहरण 1.9 : य द logx= .1352 हो, तो x का मान ात क िजए । हल’: तलघगुणक सारणी से, हम देखत े है क 1352 क संगत सं या 1366 है ।

    य क log x का पणूाश अथात ऋणा मक म 2 है, अत: x=0.01366 बोध न 1.2 (स) 1. न न ल खत के पूणाश ात क िजये: (i) log12.70 (ii) log5834 (iii) log0.7253 (iv) log0.003892 (v) log0.00007316 2. लघुगणक सारणी का योग कर, न न ल खत सं याओं के लघुगणक ात

    क िजए। (i) 1234 (ii) 12.34 (iii) 248.5 (iv) 1.123 (v) 0.0012 (vi) 0.0004291 (Vii) 0.000013789 3. न न ल खत मे से येक का तलघुगणक ात किजए। (i) 0.6002 (ii) 2.9630 (iii)5.8683 (vi)1.7935 (v) 2 .5428 (vi) 4 .7782 नोट:- कृपया अपने न के उ तर अ त मे दये गये उ तर से मलान कर

    लवे

    1.2.7 सं या मक प रकलन म लघगुणक का योग

    ग णत क ज टल याओं जैसे- दो या दो से अ धक सं याओं का गणुनफल, भागफल, कसी सं या क घात (वग, घनमलू आ द) अथवा उपरो त सभी का म ण का मान, लघगुणक और तलघगुणक सर णय के योग वारा सरलता से ात कया जा सकता है । न न ल खत उदाहरण वारा आप सं या मक प रकलन म लघगुणक का योग करना भल -भां त समझ सकगे ।

    उदाहरण 1.10 : लघगुणक सारणी क सहायता से न न ल खत का मान ात क िजए:

    2

    517 59.31307X

  • 18

    हल : मान ल िजए क x=

    अब दोन प का लघगुणक (आधार 10 पर) लेने पर =log{507x59.31}-log307 =log517+log59.31-log307 =2.7135+1.7732-2.4871 (लघगुणक सारणी से) Logx=1.9996 x=antilog (1.9996)

    या x=99.91 ( तलघगुणक सारणी से) उदाहरण 1.11: लघगुणक सारणी क सहायता से सरल कर मान ात किजए:

    हल :मान ल िजए, x=

    तो =log5.856+log0.007161-log0.06253 =0.7676+ .8550- .7961 =0.7676+(-3+.8550)-(-2+.7961)

    (यह ंपणूाश ऋणा मक तथा अपणूाश धना मक है) =(-3+2)+(0.7676+.8550)-0.7961 =-1+1.6226-0.7961 =-1+0.8265 Logx= .8265 x=antilog ( .8265) x=0.6707

    उदाहरण 1.12: लघगुणक सारणी का योग कर न न ल खत का मान ात क िजए:

    हल : मान ल िजए, x=

    तो logx=log

    517 59.31307X

    517 59.31log log307Xx

    5.856 0.0071610.06253

    X

    5.856 0.0071610.06253

    X

    517 59.31log log307Xx

    3 2

    1

    1

    3

    231.42 7.192

    0.236X

    3

    231.42 7.192

    0.236X

    1/3

    2

    31.42 7.1920.236

    X

  • 19

    21 log(31.42 7.192) log(0.236)3 X

    1 log(31.42 log 7.192) 2 log(0.236)3

    1 1.4971 0.8568 2(1.3729)3 1 12.3539 2( 1 .3729) 2.3539 2 7458

    3 3

    log 1 3.6081 1.20273

    x

    log(1.2027)x anti

    15.95x उदाहरण 1.13 लघगुणक सारणी का योग कर न न ल खत का मान ात क िजए:

    3 1/3

    2 1/4

    (6.453) (0.0003462)(9.374) (8.937)

    XX

    हल : मान ल िजए 3 1/3

    2 1/4

    (6.453) (0.0003462)(9.374) (8.937)

    XxX

    तो logx=log3 1/3

    2 1/4

    (6.453) (0.0003462)(9.374) (8.937)

    XX

    3 1/3 2 1/4log (6.453) (0.0003462) log (9.374) (8.937)X X 3log (6.453) 1

    3 log(0.0003462) 2log (9.374) - 1

    4log (8.937)

    =3(0.8098) 13

    (4 .5393)-(0.9719) - 14(0.9512)

    =3(0.8098) 13

    (6 2.5393)-2(0.9719) - 14(0.9512)

    (ऋणा मक पणूाश 4 म 3 का परूा-परूा भाग देने के लये 2 जोडने व 2 घटाने पर ऋणा मक पणूाश 6 करने पर)

    =2.4294+ 2 +0.8464-1.9438-0.2378 =3.2758+ 2 -2.1816 =3.2758+ 4 - +0.1816 = 3.2758+5 +1-0.1816

    (अपणूाश को धना मक बनाने के लए इकाई को जोडने व घटाने पर)

    =3.2758+5 +0.8184

    21 31.42 7.192log3 0.236

    X

  • 20

    Logx=1+0.094=1.0942 x=antilog(1.0942) x=0.1234

    ट पणी: (1) अपणूाश सदैव धना मक ह होता है । (2) कसी ऋणा मक पणूाश म कसी सं या का भाग देना हो तो उस सं या का ऋणा मक

    पणूाश म सदैव परूा-परूा भाग जाना चा हये, य द भाग परूा-परूा नह जा रहा हो तो सव थम ऋणा मक पणूाश को इस कार ऋणा मक म समायोिजत कया जाता है ता क भाग परूा-परूा जावे ।

    उदाहरण 1.14. य द log 108 =0.3010 तथा log3=0.4771 हो तो log का मान ात क िजए ।

    हल : य क log 108=log(4X27)=log(22X33) =2log2+3log3 =2x0.3010+3X0.4771 =0.6020+1.4313

    log 108=2.0333

    बोध न 1.2 (द) 1. लघुगणक सर णय का योग कर न न ल खत का मान ात क िजए:

    (i) 8.253 4.6372.185

    X (ii) 3 2(73.56) (0.0371)68.21

    x

    (iii) 1/3(0.7634)

    272.2 15.2X (VI)

    5

    7(71.24) 56

    2.3 21X

    X

    2. दशमलव के दो थान तक शु मान ात क िजए:

    3 5

    2 3

    (3.7) 5.674( )(7.452) 5.674

    xiX

    (ii) 3

    54

    6 78 9

    XX

    (iii) 2

    32 3

    (45.4)(3.2) (5.6)x

    (iv) (1.23)11.2 23.5x

    3. य द log2=0.3010 और log3=0.4771 हो तो न न ल खत का ात करो । (i) log(0.0024)1/3 (ii)log 0.72 4. 0.0007 का धनमूल ात करो जब क दया हु आ है- Log710=0.8451, log108878=3.9483 नोट:- कृपया अपने न के उ तर, अ त मे दये गये उ तर से मलान कर लेग ।

  • 21

    1.3 व खींचना (Curve Sketching)

    1.3.1 फलन तथा फलन का मान (Function and Value of the Function)

    य द दो चर x तथा y कसी द हु ई सं या या नयम के तहत इस कार स बि धत हो क चर x के लए चर y का एक नि चत मान ा त हो तो y को x का फलन कहत ेहै तथा इसे y=f(x) से न पत कया जाता है । इसे “y बराबर है फलन x का ''या'' y, x का फलन'' पढ़ा जाता है । यहा ँचर x को वत चर तथा चर y को परतं चर अथवा आ त चर कहा जाता है । उदाहरणाथ y=f(x)=5x2+6x-7 या y=f(x) जहा ँf(x)= 5x2+6x-7, एक फलन है । इस फलन म चर x के व भ न मान रखने पर येक चर x के संगत f(x) अथवा y का मान ा त होता है । यहा ँचर x वतं तथा f(x) अथवा y फलन अथवा परतं चर कहलाता है । अब

    य द इस फलन म x=2 रखन पर ƒ(2)=5(2)2+6x2-7=25 ा त होता है । यहा ँƒ(2)=25, चर x=2 के संगत फलन का मान कहलाता है । पनु: य द x=3 तो ƒ(3)=56, इसी कार x=-1 तब ƒ (-1)=8 आ द । अत: येक चर x के सं या मक मान के संगत ƒ(x) का भी एक अ वतीय सं या मक मान ा त होता है । ƒ(x) के इस सं या मक मान को चर x के संगत, परतं चर y भी कहा जाता है । इस कार वतं चर x तथा परतं चर y के मत यु म मश: (2,25), (3,56), (-1,-8) ा त होते है ।

    1.3.2 समको णक नदशाकं प त (Rectangular Co-ordinate System)

    समतल म ि थत कसी ब द ुक ि थ त को हम दो बीजीय रा शय के यु म वारा य त करत े है इन रा शय को ब द ु के नदशाकं कहत े है । इनको ाय: (x,y) से न पत कया जाता है । मान ल िजए क XOX' तथा YOY' पर पर ल ब तथा कसी ल बाई क दो सरल रेखाय है जो पर पर ब द ुO पर काटती है । रेखा XOX' को X-अ तथा रेखा YOY' को y-अ कहत ेहै तथा दोन रेखाओं का त छेद ब द ुo को ''मलू- ब द'ु' कहते है । य क दोनो अ अन त ल बाई क मानी जाती है अत: इस त य को च म इनके सरो पर तीर लगाकर य त कया जाता है । इन दोन रेखाओं के यु म को नदशांक अ (axes of coordinates) कहा जाता है तथा ये रेखा-यु म पर पर मकोण होने के कारण इसको समकोणा (rectangular axes)भी कहत ेहै । इस प त को कात य प त (cartesion system) कहत ेहै । अत: वह समतल िजस पर x अ तथा y अ ि थत होते है (पर पर ल ब) कात य समतल (Cartesian plane) कहलाता है । इसे x-y तल (x-y plane) भी कहा जाता है ।

  • 22

    च 1.1

    समतल म ि थत कसी ब द ुP क ि थ त जानने के लए ब द ुP से x अ पर ल ब PM खचीय । ल बाई OM तथा ल ब PM को ब द ुP का मश: भुज (abscissa) तथा को ट (ordinate) कहत े है । साधारणतया भुज OM को x तथा को ट PM को y से य त कया जाता है । x तथा y को एक साथ मत यु म (x,y) वारा य त कया जाता है तथा इसे ब द ुP के कात य नदशाकं (Cartesian coordinate) कहत ेहै ।

    च 1.2

    मूल ब द ुo से ox दशा म x धना मक तथा O से OX' दशा म X ऋणा मक माना जाता है । इसी कार मूल ब द ुO से OY क दशा म y- धना मक तथा O से OY' दशा म Y ऋणा मक मान जाता है । नदश अ XOX' तथा YOY' समतल को चार भाग म वभ त करती है । ये चार भाग XOY1,YOX1,X1OY1,Y1OX है तथा य मश: थम चतथुाश (I), वतीय चतुथाश (II), ततृीय चतुथाश (III) तथा चतथु चतथुाश (IV) कहलात े है । नदशांक के

    च ह क पर परानसुार- (i) थम चतुथाश म ि थत कसी ब द ुके दोन नदशांक भजु (x)तथा को ट (y) धना मक

    होती है ।

  • 23

    (ii) वतीय चतथुाश म ि थत कसी ब द ुका भुज (x)ऋणा मक तथा को ट (y) धना मक होती है ।

    (iii) ततृीय चतथुाश म ि थत कसी ब द ु के दोनो नदशांक भजु (x) तथा को ट (y) ऋणा मक होती है ।

    (iv) चतथु चतथुाश म ि थत कसी ब द ुका भजु (x) धना मक तथा को ट (y) ऋणा मक होती है ।

    च 1.3

    अत: समतल म कसी ब द ुअथवा ब दओंु को अं कत करने के लए सव थम नदशक को मापने के लए कोई इकाई पमैाना (scale unit) नि चत करना पड़ता है । फर दये गये ब दओंु के नदशाकंो को इस इकाई पमैाना क रा श म रखा जाता है । य द कसी ब द ु के नदशांक (x1,y1) हो तो इस ब द ुक ि थ त नि चत करने के लए हम x अ क दशा म x1 इकाई क ल बाई नापत े है । (x1 धना मक अथवा ऋणा मक के अनसुार मश: मलू ब द ुके दाँयी ओर अथवा बांयी ओर) तथा y अ के समा तर y1 इकाई के बराबर ल बाई मापकर (y1 धना मक अथवा ऋणा मक के अनसुार XOX1 के ऊपर अथवा नीचे क ओर) दये हु ए ब द ुक अ भ ट ि थ त को द शत करते है । न न उदाहरण वारा ि थ त ओर प ट हो जायेगी ।

    उदाहरण 1.15 : न न ब दओंु को कात य प त से ाफ पेपर पर अं कत क िजए- (i)(4,5) (ii)(-3,4) (iii)(-4,-3) (iv)(2,-3) (v) (6,0) हल: XOX1 तथा YOY1 दो पर पर ल ब रेखाएँ खचंत,े जहाँ XOX1 ै तज तथा

    YOY1 ऊ वाधर हो । अब च ानसुार या उ चत पमैाना मानकर तथा दोन पर पर ल ब रेखाओं के त छेद ब द ुको मलू ब द ुO से अ पर दये गये ब दओंु क दु रय को नापत े हु ए ब दओंु को अं कत करते है । ब द ु(4,5) को अं कत करने के लए OX क दशा म 4 इकाई तथा OY के समा तर दशा म 5 इकाई क दरू को नापत े हु ए ब द ुP(4,5) क ि थ त को अं कत करत ेहै । इसी कार ब द ु(3,-2) को अं कत करने के लए OX क दशा म 3 इकाई तथा OY' क दशा म 2 इकाई लेते हु ए ब द ुP4(3,-2) को अं कत करते है । इसी कार अ य ब दओंु क ि थ त च म अं कत क गई है ।

  • 24

    च 1.4

    1.3.3 फलन का आलेख (Graph of a Function)

    दये गये कसी फलन y=ƒ(x) को स तु ट करने वाले मत यु म (x,y) के ब दओंु को मलाने पर ा त व उस. दये गये फलन का आलेख कहलाता है । दये गये फलन वारा न पत आलेख बनाना उस व का अनरेुखण (curve tracing) कहलाता है । यावहा रक ि ट से फलन के व के सभी ब दओंु को ात करना व अं कत करना स भव नह ंहोता है । अत: कसी फलन का आलेख बनाने के लए कुछ व श ट ब दओंु को लेकर उन ब दओंु को उ चत पमैाना मानकर समतल म अं कत कर प सल से मलाया जाता है ।

    उदाहरण 1.16 : रे खय फलन ƒ(x)=3x-1 का आलेख बनाइये । हल : फलन ƒ(x) का मान सभी वा त वक सं याओं x के लए प रभा षत है अत:

    फलन ƒ(x) का ा त सभी वा त वक सं याओं का समु चय है ƒ(x) के ा त से x के कुछ व श ट मान लेकर इसके संगत y=ƒ(x)=3x-1 के मान ात कर इन मान को सारणी के प म लखत ेहै ।

    य द x= -2 -1 0 1 2 तब y=ƒ(x)= -7 -4 1 2 5

  • 25

    च 1.5

    सारणी म दये गये मत यु म (x,y) के मान को कात य प त म संगत ब दओंु को अं कत कर इन ब दओंु को केल से मलाने पर एक सरल रेखा ा त होती है ।

    उदाहरण 1.17 : फलन y= ƒ(x)=2x2-2 का आलेख बनाइये । हल : फलन ƒ(x) का मान सभी वा त वक सं याओं x के लए प रभा षत है अत:

    फलन ƒ(x) का ा त सभी वा त वक सं याओं का समु चय है । अब फलन ƒ(x) के ा त से x के कुछ व श ट मान लेकर इसके संगत ƒ(x) के मान ात कर इन मान को सारणी के प म लखत ेहै-

    य द x= -3 -2 -1 0 1 2 3 तब ƒ(x)= 16 6 0 -2 0 6 16

  • 26

    च 1.6

    सारणी म दये गये x तथा y के मत-यु म (x, y) के मान को कात य प त म संगत ब दओंु को अं कत कर इन ब दओंु को वतं प से (free hand) मलाने पर एक व क आकृ त ा त होती है । (यह आकृ त परवलय कहलाती है)

    1.3.4 सरल रेखा का ढलान (Slope of a Straight Line)

    उपर दये गये उदाहरण 1.16 म फलन का आलेख एक सरल रेखा को न पत करता है । दया गया फलन, वतं x म एक घातीय प म है । अत: दो चरो x तथा y म एक घातीय समीकरण का आलेख सदैव एक सरल रेखा ा त होती है । साधारणतया सरल रेखा का मानक समीकरण y=mx+c के प म लया जाता है, जहाँ m=tan , एव ंc, रेखा वारा y-अ पर काटे गये अ त: ख ड क ल बाई है ।

    यहा ँ , रेखा वारा x- अ के साथ वामावतृ दशा (धना मक) म बनाया गया कोण होता है तथा tan को उस सरल रेखा का ढलान कहत ेहै । सरल रेखा वारा y- अ पर काटे गये ब द ुक मूल ब द ुo से दरू को y- अ पर अ त: ख ड कहत ेहै । च क सहायता से

    सरल रेखा का ढलान, tan PMmQM

    तथा दरू OQ,Y- अ पर काटे गये अ त: ख ड को

    द शत करता है ।

  • 27

    च 1.7

    ट पणी: (i) उपरो त समीकरण y=mx+c म रा शयाँ m तथा c अचर है िजनको उ चत मान दे कर

    कसी भी रेखा को इस समीकरण वारा न पत कर सकते है । (ii) एक घाती समीकरण को y=mx+c के प म लखने पर x का गणुाकं उस रेखा का

    ढलान (m) तथा अचर रा श (c), y- अ से काटे गये अ त: ख ड को कट करती है । उदाहरण 1.18. सरल रेखा y=4x+3 का आलेख क िजए तथा इस सरल रेखा का ढलान

    तथा y- अ पर काटे गये अ त: ख ड ात क िजए । हल : y=4x+3 म चर x के संगत y के कुछ व श ट मान को सारणी म रखने पर य द x= -2 -1 0 1 2 तब y= -5 -1 3 7 11

    च 1.8

  • 28

    सरल रेखा के आलेख क सहायता से PM=8 तथा QM=2 अत: 8tan 42

    PMmQM

    , रेखा का ढलान तथा OQ=3, रेखा वारा ल.अ पर काटे गये

    अ त: ख ड क ल बाई है । वकैि पक व ध (Alternate method):

    दये गये सरल रेखा का (एक घातीय) समीकरण म x- का गणुाकं 4 है तथा अचर पद 3 है । अत: रेखा का ढाल 4 तथा y-अ पर अ त: ख ड 3 होगा । बोध न 1.3 1. न न ल खत फलनो का आलेख बनाइए: (i) ƒ(x)=2x-5 (ii) ƒ(x)=x+2 (iii) ƒ(x)=x2-2x+1 2. न न ल खत सरल रेखाओं का ढलान तथा y- अ पर काटे गये अ त: ख ड ात क िजए: (i) y=3x+6 (ii) y=-4x+3 (iii) Y=5x-6 (iv) 3y=4x+5 नोट - कृपया अपने न के उ तर, अ त म दये गये उ तर से मलान कर लेग ।

    1.4 अवकलन (Differentiation) कसी फलन के वतं चर या चर के मानो म प रवतन करने के फल व प फलन म

    आये वचरण का अ ययन अवकलन कहलाता है । अवकलन याि क , अथशा , रसायन शा , भौ तक शा , जीव व ान तथा उस सभी वषय क भाषा है िजनम प रवतनशील रा शय से स ब ध होता है ।

    फलन (function): दो चर x तथा y म एक वशेष कार का स ब ध इस कार प रभा षत हो क x का येक मान y के साथ एक अलग (अ वतीय) स ब ध बनाये तो इस स ब ध को फलन कहते है । जैसे-y=3x+1 म x के येक मान के लए y का एक अलग मान होगा । यहा ँपर चर x कोई भी वा त वक मान हण करने के लए वतं है इस लए x को वतं चर कहा जाता है । पर त ुचर y का मान चर x पर नभर करता है इस लए चर y को

    परतं चर कहा जाता है । इन चर म पर पर स ब ध को फलन के प म कट करने के लए बराबर च ह (=) के बाय प (L.H.S) म परत तथा दाय प (R.H.S) म वतं चर को लखा जाता है, िज ह सामा य संकेतन प म y=ƒ(x) वारा य त करत ेहै ।

    फलन y=ƒ(x) का मान, वतं चर x का a=a पर ात करने के लए ƒ(x) म x को a से त था पत करने पर ा त होता है एव ंउसे सकेंत ƒ(a) से य त कया जाता है । जसेै ƒ(x)=3x+5 का x=2 पर मान ƒ(2)=11.

    कुछ ऐसे भी फलन होत े है िजनका मान एक ात सं या नह होती है । जैसे ƒ(x)2 4 , 2

    2x xx

    का x=2 पर मान 00

    y है जो क एक वा त वक सं या नह ं है । इस

  • 29 कार के फलन को दये गये x के मान x=2 पर अप रभा षत फलन कहत े है तथा ये फलन

    िजस मान या ब द ुपर अप रभा षत होते है, उस ब द ुया x के मान के बहु त नकटतम ब द ुपर फलन का मान ात करत ेहै । िजसे हम सीमा त मान कहत ेहै ।

    उदाहरणाथ, फलन ƒ(x)2 4 , 2

    2x xx

    पर वचार क िजए ।

    हम x=2 पर फलन क सीमा ात करना चाहेगे । हम 2 के अ यतं नकट x के मान के लए ƒ(x) के मान का प रकलन करत े हु ए 2 के नकट बाई ओर कुछ ब द ु1.9,1.95,1.99,1.999...... इ या द है । इन ब दओंु पर ƒ(x) के मान नीचे सारणीब है । इसी कार, 2 के अ यतं नकट दाई ओर वा त वक सं याएँ 2.1,201,2.001,2.0001....... भी है ।

    इन ब दओंु पर भी फलन के मान नीचे सारणी म दये है सारणी 1 : 2 के बाई ओर के नकट मान के संगत ƒ(x) के मान X= 1.9 1.95 1.99 1.999 …..x2.0 ƒ(x) 3.9 3.95 3.99 3.999 …..ƒ(x) 4.0 सारणी 2 : 2 के दाई ओर के नकट मान के संगत ƒ(x) के मान X= 2.1 2.01 2.001 2.0001 …..x2.0 ƒ(x) 4.1 4.01 4.001 4.0001 …..ƒ(x) 4.0 उपरो त दोन सर णय से हम नग मत करते है क ƒ(x) का मान 4.0 क ओर

    अ सर होता है जब x का मान 2 क ओर अ सर हो, चाहे x का मान x=2 के बाई ओर से 2 क तरफ अ सर हो अथवा x=2 के दाई ओर से 2 क तरफ अ सर है । अत: जब x का मान x=2 के बाई ओर से 2 क तरफ अ सर होता है तब ƒ(x) का मान 4.0 क ओर अ सर होने को x=2 पर ƒ(x) क बाई प क सीमा (Left Hand Limit) कहत े है । तथा इसे

    2limx

    ƒ(x)=4 से न पत करते है । इसी कार, जब x,2 के दाई ओर से अ सर होता है तो, ƒ(x) का मान 4.0 क ओर

    अ सर हो रहा है इसे x=2 पर ƒ(x) क दाई प क सीमा (Right Hand Limit) कहत े है तथा इसे

    2limx

    f(x) =4.0

    अत: य द कसी फलन का ब द ुx=a पर ƒ(x) क बाई प क सीमा तथा दाई प क सीमा अि त व म हो तथा बराबर हो तो उनका समान मान ह उस फलन क सीमा कहलाती है इस सीमा को यापकत: lim

    xƒ(x)=l, जहाँ, l, फलन क सीमा हो, से न पत करत ेहै । जब

    फलन के x=a पर सीमा का अि त व होता है तथा सीमा का मान फलन के मान को बराबर हो तो ब द ुx=a पर सतत ्फलन भी कहा जाता है ।

  • 30 1.4.1 अवकलज (Derivatives):

    माना क y= ƒ(x) ,x का कोई सतत ्फलन है जहाँ चर x वतं तथा चर y परत है । य द वतं चर x के मान म कोई वे छ अ पवृ (arbitrary small increment) x अथवा x (डे टा x) क जाए तो y के मान म भी संगत वृ y अथवा y होगी ।

    तब अनपुात ( भ न) yx

    याyx

    को x के सापे y क औसत प रवतन दर (average

    rate of change) कहत ेह । अब य द x (या y ) छोटा होता हुआ शू य क ओर अ सर हो, तो y (या y ) भी छोटा होता हुआ शू य क ओर अ सर होगा ।

    ''x के सापे y म सीमातं प रवतन क दर 0

    lim

    yx

    को y का x के सापे अवकलन

    कहत े है'' तथा इसे dydx

    वारा य त करते है । इसे x के सापे y का अवकलन गणुांक भी

    कहत ेहै । अत: dydx

    =0

    limx

    yx

    पनु: य द y=ƒ(x) से कसी फलन को य त करे तो

    dydx

    =0

    limx

    yx

    0

    limx

    ( ) ( )f x x f xx

    इस कार dydx

    को ddx

    ƒ(x) से भी य त कर सकते है । ( )df xdx

    को ƒ’(x) या

    Dƒ(x) से भी य त कया जाता है

    ट पणी : (1) dydx

    ,y का x के सापे अवकलन गणुांक का सकेंत है न क dy म dx से भाग

    देना ।

    (2) yx

    एक भ न हो सकती है अथात ् y एव ं x को अलग कया जा सकता है ।

    पर त ुdydx

    भ न नह ंहै अथात ्dy व dx को अलग नह ं कया जा सकता है ।

    (3) 0

    limx

    ( ) ( )f x x f xx

    को ƒ(x) का x के सापे थम स ा त से अवकलन

    (Differentiation by first principle) अथवा प रभाषा से अवकलन भी कहत ेहै ।

    1.4.2 अवकलन के लए व भ न मानक सू (Various Standard Formulae For Differentiation)

    (1) y=xn 1ndy nxdx

    , जहाँ n कोई अचर है

    (2) y=ex dydx =ex

  • 31 (3) y=logex dy

    dx1x

    (4) y=ax dydx =ax loga

    (5) y=sinx dydx =cosx

    (6) y=cosx dydx = sinx

    (7) y=tanx dydx =sec2x

    (8) y=cosec x dydx =-cosec xcot x

    (9) y=sec x dydx =sec x tan x

    (10) y=cot x dydx =cosec2 x

    (11) Y=sin-1x

    dydx =

    2

    11 x

    (12) Cos-1x 2

    11

    dydx x

    (13) y=tan-1x 1x-

    dydx =

    2

    11 x

    (14) sec-1x 1x-

    dydx =

    2

    11x x , x >0

    (15) Cosec-1x 1x -

    dydx =

    2

    11x x , x >0

    (16) y=cot-1x 1x-

    dydx = 2

    11 x

    1.4.3 अवकलन के मलू नयम (Fundamental Rules for Differentation):-

    (1) अचर रा श का अवकलन शू य होता है । अथात य द ƒ(x)=c जहाँ c अचर हो तो ( ) 0df x

    dx या 0dc

    dx

  • 32

    (2) . ( ) . ( )d dc f x c f xdx dx

    , जहा ँ c अचर है । अथात ् अचर रा श x फलन का

    अवकलन, अचर रा श तथा उस फलन के अवकलन के गणुनफल के बराबर होता है ।

    (3) ( ) ( ) ( ) ( )d d df x g x f x g xdx dx dx

    अथात ्दो फलन का योगफल (अथवा अ तर) का अवकलन उन फलन के अवकलन के योगफल (अथवा अ तर) के बराबर होता है ।

    (4) ( ). ( ) ( ). ( ). ( )d d df x g x f x g x f xdx dx dx

    अथात ् दो फलन के गणुनफल का

    अवकलन, थम फलन x वतीय फलन का अवकलन + वतीय फलन x थम फलन का अवकलन के बराबर होता है ।

    (5) 2

    ( ). ( ) ( ). ( )( )( ) ( )

    d dg x f x f x g xd f x dx dxdx g x g x

    अथात ्दो फलन के भागफल का अवकलन

    =हर x अंश का अवकलन − अंश x हर का अवकलन

    (हर)2

    (6) फलन के फलन का अवकलन अथात ृंखला नयम:-

    य द y=f(t) तथा t=g(x) हो तो, .dy dy dtdx dt dx

    अथात ्य द y कसी चर t का फलन है तथा चर t कसी तीसरे चर x का फलन है एव ंका तीसरे चर x के सापे अवकलन, y के सापे अवकलन तथा t का x के सापे अवकलन के गणुनफल के बराबर होता है । इस नयम को ृंखला नयम भी कहत ेहै ।

    उपर दये गये अवकलन के मानक सू तथा अवकलन के मूल नयम का योग करत ेहु ए कसी भी फलन का अवकलन सरलता से ात कया जा सकता है । न न ल खत उदाहरण से आप भल -भाँ त समझ सकगे ।

    उदाहरण 1.19 : न न ल खत फलन का x के सापे अवकलन ात क िजए:

    (i)Y= 31x

    (ii) y=x5/2 (iii) y=4x2-2x+5

    हल: (i) y= 31x

    या y=x-3

    dydx

    =ddx

    (x-3)=-3x-3-1 1( )n nd x nxdx

    =-3x-4

    4

    3dydx x

    (ii) 5 15/2 5/2 25( )

    2dy dy x x xdx dx

    1( )n n

    d x nxdx

  • 33

    3/252

    dy xdx

    (iii) 2 24 2 5 (4 2 5)dy dy x x x xdx dx

    2(4 ) (2 ) (5)d d dx xdx dx dx

    = 24 ( ) 2 ( ) 0d dx xdx dx

    = 4 2 2.1 0X x =8x-2

    उदाहरण 1.20 : य द 2 2

    2 2

    a xya x

    हो तो

    dydx

    ात क िजये ।

    हल : दया हुआ 2 2

    2 2

    a xya x

    दोन प का x के सापे अवकलन करने पर

    =2 2 2 2

    2 2 2

    ( )(0 2 ) ( )(0 2 )( )

    a x x a x xa x

    {a, एक अचर रा श है

    dydx

    (a2)=0}

    =2 3 2 3

    2 2 2

    2 2 2 2( )

    a x a x xa x

    2

    2 2 2

    4( )

    dy a xdx a x

    उदाहरण 1.21 : न न फलन का x के सापे अवकलन ात क िजए:

    3 5 3

    16 7 9x x

    हल : माना y= या y=(6x5-7x3+9)-1/3 .........(1) पनु: माना u=6x5-7x3+9 तब y=u-1/3 तथा u=6x5-7x3+9 ......(2) यहा ँy,u का फलन है तथा y,u का फलन है।

    1 11/3 4/331 1( )3 3

    dy d u u udu du

    2 2 2 2 2 2 2 22 2

    2 2 22 2

    ( ) ( ) ( ) ( )

    ( )

    dy dya x a x a x a xa xdy dy dx dxdx dx a xa x

    3 5 3

    16 7 9x x

  • 34

    तथा

    5 3

    4 2

    4 2

    (6 7 9)

    6.5 7.3 030 21

    d d x xdx dx

    x xx x

    अब ृंखला नयम का उपयोग करने पर

    4/3 4 2

    5 3 4/3 4 2

    4 2 5 3 4/3

    1. .(30 21 )3

    1 (6 7 9) .(30 21 )31 (30 21 ).(6 7 9)3

    dy dy du u x xdx du dx

    x x x x

    x x x x

    उ तर

    वकैि पक व ध- माना 5 3

    13 6 7 9

    yx x

    या y=(6x5-7x3+9)-1/3 दोनो प का म ्के सापे अवकलन करने पर

    5 3 1/3

    15 3 5 33

    45 3 4 23

    45 3 4 23

    4 2 5 3 4/3

    (6 7 9)

    1 (6 7 9 1. (6 7 9)31 (6 7 9) .(6.5 7.3 0)31 (6 7 9) .(30 21 )31 (30 21 )(6 7 9)3

    dy d x xdx dx

    dx x x xdx

    x x x x

    x x x x

    x x x x

    उ तर

    उदाहरण 1.22 : य द y=log(4x2-5x+3) है, तो dydx

    ात क िजए ।

    हल : दोन प का x के सापे अवकलन करने पर

    2{log(4 5 3)}dy d x xdx dx

    22

    1 . (4 5 3)(4 5 3)

    d x xx x dx

    1(log )d x

    dx x

  • 35

    2

    (4.2 5.1 0)(4 5 3)

    xx x

    {फलन का फलन सू का योग करने पर}

    2

    8 5(4 5 3)

    dy xdx x x

    उ तर

    उदाहरण 1.23 : य द y= (2x - 9) (3x2+ 2) (x3+7) है तो, ात क िजए । हल: यहा ँपर दया गया फलन, तीन फलन के गणुनफल के प म दया गया है । जब

    कोई फलन दो से अ धक फलन का गणुनफल अथवा भागफल के प म हो तो लघगुणुक क सहायता से दये गये फलन का अवकलन सरलता से ात कर सकते है । अत: दये गये फलन का लघगुणक लेने पर log y=log{(2x-9)(3x2+2)(x3+7)} logy=log(2x-9)+log(3x2+2)+log(x2+7) दोन प का के सापे अवकलन करने पर

    2 3

    2 32 3

    2

    2 3

    2

    2 3

    (log ) log(2 9) log(3 2) log( 7)

    1 1 1(log ) (2 9) . (3 2) . ( 7)(2 9) (3 2) ( 7)

    1 (2.1 0 (3.2 0) (3 0).2 9 (3 2) ( 7)

    1 2 6 3(2 9) (3 2) (

    d d d dy x x xdy dx dx dx

    d dy d d dy x x xdy dx x dx x dx x dx

    dy x xy dx x x x

    dy x xy dx x x x

    22 3

    2

    7)

    2 6 3(2 9)(3 2)( 7)2 9 3 2 3 7

    dy x xx x xdx x x x

    उ तर

    उदाहारण 1.24 : य द y=5x4+e3x-log(3x2+2x+2)+sin(ax+b) है तो, ात हल : दोन प का x के सापे अवकलन करने पर

    4 3 2

    3 3 22

    3 32

    3 3

    (5 ) ( ) log(3 2 2) {sin( )}

    15.4 . (3 ) . (3 2 2) cos( ). ( )(3 2 2)

    120 .3 .(3.2 2.1 0) cos( ).( .1 0)(3 2 2)

    (6 2)20 3(3 2 2

    x

    x

    x

    x

    dy d d d dx e x x ax bdx dx dx dx dx

    d d dx e x x x ax b ax bdx x x dx dx

    x e x ax b ax x

    dy xx edx x x

    cos( )

    2)a ax b

    उ तर

    dydx

  • 36 1.4.4 अ प ट फलन का अवकलन (Differentiation of Implicit Functions)

    जब कोई फलन ƒ(x,y) चरो x तथा y म इस कार दया हुआ हो क फलन म से चर को अलग नह ं कया जा सके, अथाrt दये गये ƒ(x,y)=0 को न तो हम y=ƒ1(x) तथा न ह हम x=ƒ2(y) के प म लख सक, तो ऐसे फलन अ प ट फलन कहलाते है । अ प ट फलन म वतं व परतं चरो क पहचान नह ंकर सकत े। अत: अ प ट फलन को अवकलन करने के लए y को x का फलन मान कर येक पद का x के सापे अवकलन करते है । ा त प रणाम म से के गणुाकं को एक त कर एव ंअ य सभी पदो को प ा तर करके का मान ात कर लेत ेहै ।

    उदाहरण 1.25 : य द ax2+2hxy+by2+2gx+2ƒy+c=0 है, तो ात क िजए । हल : दया हुआ है xa2+2hxy+by2+2gx+2ƒy+c=0 Y को x का फलन मानते हु ए, x के सापे अवकलन करने पर,

    n

    n

    d ydx

    2( ) (2 . ) ( 2) (2 ) (2 ) 0

    .2 2 . . . .2 . 2 .1 2 . 0 0

    2 2 2 2 2 2 . 0

    (2 2 2 ) 2 2 2 0

    d d d d d dyax hx y by gx fydx dx dx dx dx dx

    dy dx dy dya x h x y b y g fdx dx dx dx

    dy dy dyax hx hy by g fdx dx dx

    dyhx by f ax hy gdx

    2( )2( )

    ( )( )

    dy ax hy gdx hx by f

    dy ax hy gdx hx by f

    उ तर

    उदाहरण 1.26 : य द ......y x x x है, तो स क िजए क

    (2 1) 1dyydx

    हल : दया हुआ ......y x x x या y x y { y एक अन त पदो के वगमूल

    योग है एव ंअन त पदो म एक पद कम कर देने पर भी फलन वह रहता है ।}

    दोनो प का वग करने पर

  • 37

    Y2=x+y दोन प का, y को x का फलन मानते हु ए, x के सापे अवकलन करने पर

    2( ) ( )

    2 , 1

    (2 1) 1

    d dy x ydx dx

    dy dyydx dx

    dyydx

    1.4.5 लघगुणक य अवकलन (logarithmic differentiation)

    य द कोई फलन, िजसका अवकलन करना हो का प (फलन)फलन या फलन [ƒ(x)]Ø(x) अथात फलन क घात फलन हो तो ऐसे फलन का प हले लघगुणक लया जाता है फर अवकलन करते है । यह या लघगुणक य अवकलन कहलाती है ।

    उदाहरण 1.27 : य द? Y=xx है तो dydx

    ात क िजए ।

    हल : दया हुआ Y=xx दोनो तरफ लघगुणक (log) लेने पर Logy=logxx=xlogx

    दोनो तरफ x के सापे अवकलन करने पर

    (log ) ( .log )d dy x xdx dx

    (log ). . (log ) log .

    1 1. . log .1

    1 (1 log )

    (1 log ) (1 log )

    (1 log ) (log log ){ log 1} (log )

    x

    x x xe e e e e

    d dy d dy x x x xdx dx dx dx

    dy x xy dx x

    dy xy dxdy y x x xdx

    dy x x x e x e x exdx

    उ तर

    उदाहरण 1.28 : यं द xy=ex-y है तो, द शत क िजए क 2log

    (1 log )dy xdx x

    हल : दया हुआ xy=ex-y दोनो तरफ लघगुणक लेने पर

  • 38

    loge(xy)=loge(ex-y) log ( ) loglog

    log(log 1)

    (1 log )

    ey x x y ey x x y

    y x y xy x x

    xyx

    {logee=1}

    दोनो प का x के सापे अवकलन करने पर

    2

    2

    (1 log ). . (1 log )

    (1 log )1(1 log ).1 . 0

    (1 log )

    dy dyx x xdy dx dxdx x

    x xdy xdx x

    2

    2

    1 log 1(1 log )

    log(1 log )

    xx

    dy xdx x

    बोध शन1.4 (क) 1. न न ल खत फलन का अवकलन क िजए:

    (i) 1y xx

    (ii) xy xe

    (iii) 3 23 2 1y x x x

    (iv) 2

    2

    11

    xyx

    2. न न ल खत फलन से dydx

    का मान ात क िजए।

    ( ) ( )n ni y ax b ( ) ( )n nii y ax b

    2

    2

    1( ) log1

    x xiiix x

    ( ) exiv y x

    2 2( ) 6 4 0v x y x y

    3.य द y=ex+e हो तो स क िजए क 1

    dy ydx y

    नोट :- कृपया अपने न के उ तर, अ त मे दया गये उ तर से मलान कर लेवे।

    (1 log )dy d xdx dx x

  • 39

    य द y=f(x), पर x का फलन हो , तो y का x के सापे अवकलन गणुाकं होता है तथा वह अवकलन गणुाकं x का फलन होता है | य द का फर से x के आवेश न पत करत ेहै| इसी कार वतीय म के अवकलज का पनु: x के सापे अवकलन करने पर ा त

    प रणाम, ततृीय म का अवकलज कहलाता है तथा इसे 3

    3

    d ydx

    से न पत करते है । इसी म

    म बढ़त ेहु ए य द (n-1) व अवकलज का पनु: x के सापे अवकलन करने पर ा त प रणाम x

    व म का अवकलज कहलाता है तथा इसे n

    n

    d ydx

    से न पत करते है । उपरो त अ प रणाम

    अथात ्2 3

    2 3, , ......n

    n

    dy d y d y d ydx dx dx dx

    आ द को उ तरोतर अवकलन गणुांक (Successive

    Differential Coefficients) भी कहत ेहै । य द y=ƒ(x) हो तो y का x के सापे उ तरो तर अवकलन गणुांक के अ य संकेतन :

    या 1 2 3, , ,....... ny y y y या 2 3, , ,....... ndy d y d y d y या ( )'( ), ''( ), '''( ),........... ( )nf x f x f x f