dmc-01 वर्धमान महावीर खुला ववश्...

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DMC-01 वीएमओयू Page 1 वधमान महावीर ख ला ववववालय रावतभाटा रोड कोटा वडलोमा इन मॉस कय वनके शन (डीएमसी) डीएमसी-01 जनस चार और पकारता-एक पररचय इकाई-1 चार की अवारणा इकाई-2 चार के मॉडल व वसा इकाई-3 वर ट मीवडया-एक पररचय इकाई-4 समाचार इकाई-5 रपोवटग इकाई-6 पादन 1

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    वर्धमान महावीर खुला ववश् वववद्यालय

    रावतभाटा रोड कोटा

    वडप्लोमा इन मॉस कम्यूवनकेशन (डीएमसी)

    डीएमसी-01

    जनसंचार और पत्रकाररता-एक पररचय

    इकाई-1 संचार की अवर्ारणा

    इकाई-2 संचार के मॉडल व वसद्ांत

    इकाई-3 वरंट मीवडया-एक पररचय

    इकाई-4 समाचार

    इकाई-5 ररपोवटिंग

    इकाई-6 संपादन

    1

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    पाठ्यक्रम अवभकल् प सवमवत

    रो ववनय कुमार पाठक रो एलआर गुजधर रो एचबी नंदवाना

    कुलपति अध् यक्ष तिदशेक, सिि तशक्षा तवभाग

    वर्धमाि महावीर खलुा तवश् वतव्ालय, कोटा वमखतुव, कोटा वमखतुव, कोटा

    संयोजक एवं सदस् य

    संयोजक

    डॉ सबुोर् कुमार

    पत्रकाररिा एवं जिसंचार तवभाग

    वर्धमाि महावीर खलुा

    तवश् वतव्ालय, कोटा

    सदस् य

    1. रो रमेश जैन

    ई- 15, तचिरंजि मागध

    सी-स् की म जयपरु- 100005

    2. रो राम मोहन पाठक

    पवूध तिदशेक, महामिा मदि मोहि

    मालवीय तहन्दी पत्रकाररिा संस्थाि,

    महात्मा गांर्ी काशी तव्ापीठ

    वाराणसी- 005000

    3. डॉ वगररजा शंकर शमाध

    तवभागाध्यक्ष, पत्रकाररिा एवं

    जिसंचार तवभाग, के एिआईडी

    भीमराव अबेंडकर तवतव

    आगरा- 000002

    4. श्री अवखलेश कुमार वसहं

    वररष्ठ पत्रकार, टाइम्स आफ इतंडया

    505, श्री अपाटधमेंट, सी- 521,

    दयािंद मागध, तिलक िगर, जयपरु

    (राजस् थाि)

    5. श्री राजीव वतवारी

    स्टेट हडे, राजस्थाि पतत्रका

    प्लाट िंबर-2

    तचिरंजि लेि, पथृ्वीराज रोड

    सी स् की म, जयपरु

    6. श्री सनी सेबेवस्टयन

    कुलपति, हररदवे जोशी पत्रकाररिा

    एवं जिसंचार तवश्वतव्ालय ,

    सवाई रामतसंह रोड, जयपरु

    7. रो एचबी नंदवाना

    तिदशेक, सिि तशक्षा तवभाग

    वर्धमाि महावीर खलुा

    तवश् वतव्ालय, राविभाटा

    रोड, कोटा

    8. डॉ रवश्म बोरा

    क्षेत्रीय तिदशेक, वर्धमाि

    महावीर खलुा तवश् वतव्ालय

    उदयपरु क्षेत्रीय केन् र, उदयपरु

    संपादन एवं पाठ लेखन

    पाठ लेखक संपादक

    डॉ सबुोर् कुमार (1 से 6 तक ) श्री वदनेश पाठक

    संयोजक, पत्रकाररिा तवभाग स् थािीय संपादक, तहन् दसु् िाि

    वमखतुव, कोटा गोरखपरु

    अकादवमक एवं रशासवनक व् यवस् ा

    रो ववनय कुमार पाठक रो एलआर गुजधर रो करन वसहं डॉ सबुोर् कुमार

    कुलपति तिदशेक अकादतमक तिदशेक, एमपीडी अतिररक् ि तिदशेक, एमपीडी

    वमखतुव, कोटा वमखतुव, कोटा वमखतुव, कोटा वमखतुव, कोटा

    उत्पादन – मुद्रण - जनवरी 2015 ISBN-978-81-8496-490-5

    इस सामग्री के तकसी भी अशं की वमखतुव, कोटा की तलतखि अिमुति के तबिा तकसी भी रूप में तमतमयोग्राफी (चक्रमरुण) द्वारा

    अन् यत्र ्रसस् ििु करिे की अिमुति िहह ह

    वमखुवव, कोटा के वलए कुलसवचव वमखुवव, कोटा द्वारा मुवद्रत एव ंरकावशत।

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    इकाई-1

    संचार की अवर्ारणा

    इकाई की रूपरेखा

    1.1 उद्दशे् य

    1.2 ्रसस्िाविा

    1.3 संचार की अवर्ारणा

    1.4 संचार के कायध

    1.5 संचार के ्रसकार

    1.6 जिसंचार

    1.7 सारांश

    1.8 ्रसश् िावली

    1.9 संदभध ग्रंथ/पसु्िकें

    1.1 उदे्दश् य

    इस इकाई के अध्ययन के उपरांत

    आप संचार के बारे में भलीभांति जािकारी पा जाएगं े

    आप संचार की ्रसतक्रया के बारे में अवगि होंगे

    आप संचार के ्रसकार और उसके कायों के बारे में जािेंग े

    1.2 रस्तावना

    ज सा तक हम सभी जाििे हैं तक मािव सभ्यिा के तवकास में संचार का काफी महत्वपणूध योगदाि रहा ह संचार के

    साथ साथ ही तवकास के मािकों में भी बदलाव हो रहा ह हर िरीके का तवकास कहह ि कहह पर संचार की

    अवर्ारणा से जरूर जड़ुा ह जीवि के हर के्षत्र में संचार का दखल बढ़िा जा रहा ह और यहां िक तक केवल

    तवज्ञाि और िकिीकी क्षेत्र में ही िहह राजिीति, सामातजक, सांस्कृतिक और आतथधक पररवशे भी संचार से काफी

    ्रसभातवि हो रहा ह संचार वास्िव में आज मािव समाज की जरूरि बि चकुा ह हमें दखेिा होगा तक तकस िरह

    से संचार के भरोसे हम अपिे द तिक जीवि के कायों को अजंाम द ेपािे हैं और अपिी जरूरिों को भी परूा करि ेमें

    सक्षम हो पािे हैं संचार की पूरी ्रसतक्रया और उसकी अवर्ारणा को समझकर उसे मािव जीवि से जोड़िा होगा

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    ऐसा इसतलए क्योंतक आपिे जिसंचार को एक तवषय के रूप में चिुा और उसी के आर्ार पर अपिे कॅररयर को

    संवारिा चाहिे हैं लेतकि इसके तलए जरूरी होगा तक संचार की अवर्ारणा को परूी िरह समझा जाए

    अगर अच्छे िरीके से संचार तकया जािा ह िो इससे समाज का हर कोिा ्रसभातवि होिा ह हम लोगों को अपिी

    बाि सलीके से समझाकर उिके तदलों को जीि लेिे हैं इससे दशे और समाज सभी का फायदा होिा ह िो हम

    अपिी बाि अब ऐसे ही पररवेश से शरुू करिे हैं तजससे तक संचार की दतुिया के शािदार पररदृश्य को रेखांतकि

    तकया जा सके

    1.3 संचार की अवर्ारणा

    संचार के बारे में अगर हम कुछ पररभातषि करिे का ्रसयास करें िो यह कह सकिे हैं तक जीवि के पहलुओ ंसे

    जड़ुह कोई भी जािकारी हातसल करिे का ्रसयास हम जब भी करेंग ेिो हमें संचार का सहारा लेिा पड़ेगा यािी हम

    दखेें तक रोजमराध के जीवि में बहुि सारी सचूिाए ंइकट्ठा करिे का ्रसयास करिे हैं, लोगों के बारे में, संस्थािों के बारे

    में और अन्य िरीके की लाभ्रसद सचूिाओ ंको इकट्ठा करिे का ्रसयास करिे हैं िो संचार के बारे में हम आसािी से

    यह कह सकिे हैं तक लोगों द्वारा आपस में तवचारों का तवतिमय करिा, सचूिाओ ंका आदाि-्रसदाि करिा, अपिी

    भाविाओ ं से दसूरे का अवगि करिा और उसकी भाविाओ ंकी जािकारी लेिा यह सारा कायध या िो हम

    बोलकर करिे हैं या तफर इसके तलए तवशेष रूप से संकेिों या तचन्हों का ्रसयोग करिे हैं

    ‘कम्यतूिकेशि‘ शब्द ल तटि भाषा के ‘कम्यतूिकेयर‘ से आया ह और इसका अथध ह ‘कॉमि‘ यािी उभयतिष्ठ यािी

    समाि संचार का तवकास क से हुआ, इस बारे में िजर डालिे हैं ्रसाग तिहातसक काल में पहले मिषु्य अलग-अलग

    रहिा था और तवचरण करिा था इसके बाद वह समहूों में रहिे लगा जब समहूों में तवचरण होिे लगिा िो उसिे

    बोलिा आरंभ तकया और संकेिों का भी सहारा लेिे लगा और र्ीरे-र्ीरे संचार की ्रसतक्रया इििा हावी हो गई तक

    अब यह जीवि का एक अतभन्ि अगं बि चकुी ह

    व से िो संचार के तलए एक या एक से ज्यादा लोगों की जरूरि हो सकिी ह , लेतकि व्यति अपिे आप स ेभी

    संचार करिा ह इसे ‘इट्ं्रपसधिल कम्यतूिकेशि‘ यािी अन्िराव यतिक संचार की श्रेणी में रखा जािा ह आप इसे

    महससू भी कर सकिे हैं कुछ लोग अपिे आप में बदुबदुािे रहिे हैं या तफर अपि े मि में तकसी बाि को

    सोचकर हसंिे लगिे हैं ऐसी ्रसतक्रया इसी अिंराव यतिक संचार की श्रेणी में आिी ह वहह तकसी दसूरे व्यति से

    कुछ कहिे से पहले भी हम अपिे मि में कुछ बािों को िौल लेिे हैं और उसके बाद सामिे वाले से अपिी बाि

    कहिे हैं यािी हर व्यति पहले अपिे से ही संचार करिा ह और उसे जब उत्तर तमल जािा ह िो उसी के अिसुार

    कायध करिा ह

    अब संचार की कुछ पररभाषाओ ंकी बात कर लेते हैं-

    -संचार एक ऐसी ्रसतक्रया ह तजसमें सचूिाओ ंका आदाि-्रसदाि तकया जािा ह

    -संचार एक ऐसी ्रसतक्रया ह तजसके जररए हम मािवीय संबंर्ों को तवकतसि करिे के साथ-साथ उिको बिाए रख

    सकिे हैं और समय-समय पर संबंर्ों को सरु्ारिे भी रह सकिे हैं डेतिस म क्वले के अिसुार-संचार एक ऐसी

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    ्रसतक्रया ह जो तक उभयतिष्ठिा यािी समाििा को बढ़ािी ह और समाििा के ित्व को अपिे में समातहि भी रखिी

    ह तजससे तक सभी के साथ न्याय तकया जा सके

    यिूेस्को के िेशिल कम्यतूिकेशि तसस्टम्स के अिसुार-वास्िव में संचार आज के समाज का ही एक अगं ह यह

    आम जििा के अलावा संस्थािों और उिके बीच तवतभन्ि ्रसकार के च िलों के माध्यम से कायध करिा ह

    संचार के रमुख तत्व-

    1-1 संचार की ्रसतक्रया कुछ ित्वों के तबिा िहह परूी हो सकिी ह इिमें से संदशे भजेिे वाला यािी (sender),

    ्रसापक यािी (Receiver), ्रसतिपतुि यािी (Feedback), माध्यम यािी (Channel) और संदशे यािी

    (Message) शातमल हैं

    1-2 -संचार की ्रसतक्रया में सेंडर यािी संदशे भेजिे वाले की भतूमका अहम होिी ह वहह बािचीि की ्रसतक्रया की

    शरुूआि करिा ह जब वह अपिा संदशे भेजिा ह िो उसके पहले वह अपिा टारगटे यािी लक्ष्य तिर्ाधररि

    करिा ह तक अमकु बाि तकस व्यति से करिी और उसे क्या संदशे पहुचंािा ह इसके बाद वह इस बाि का

    चयि करेगा तक तकस भाषा में संदशे को पहुचंािा ह और तकस माध्यम ये संदशे भजेा जािा ह इस परूी

    ्रसतक्रया के बाद ही वह संदशे भजेगेा

    1-3 -संदशे पािे वाला व्यति ररसीवर के रूप में कायध करिा ह और वह संदशे पािे के बाद उसे समझिे का ्रसयास

    करिा ह इसके बाद तजसिे संदशे भजेा ह वह उसे उस संदशे का उत्तर दिेे का ्रसयास करेगा अगर वह उसके

    अिरुूप उत्तर द ेदिेा ह िो यह मािा जाएगा तक दोिों ओर से तकया जािे वाला कम्यतूिकेशि परूा हो गया ह

    1.4 संचार के कायध

    आतखर संचार के कायध क्या हैं! इस सवाल के जवाब में कई संचारशातियों िे खबू कायध तकया 1948 में

    लॉसवले िे अपिा एक मॉडल ्रसस्ििु तकया उन्होंिे बिाया तक संचार के कायध तिम्ि हैं-

    1. अपिे आसपास के पयाधवरण की तिगरािी करिा

    2. समाज और पयाधवरण के अंिसंबंर्ों को मजबिू करिा

    3. सांस्कृतिक तवरासि को बढ़ावा दिेा

    इसके अलावा राइट िे वषध 1960 में इसमें एक और कायध जोड़ तदया तजसे मिोरंजि यािी ‘इटंरटेिमेंट‘

    कहा गया डेतिस म क्वले िे ‘मोबलाइजशेि फंक्शि आफ द मीतडया‘ िामक कायध को समातहि तकया ह

    इस संबंर् में म क्वले िे संचार के कई मलूभिू कायों के बारे में स्पिीकरण तदया ह

    सूचना-

    समाज और परेू तवश्व की घटिाओ ंकी जािकारी लोगों िक पहुचंािा

    दशेों के बीच आपसी संबंर्ों की जािकारी दिेा

    खोज और तवकास को ्रसश्रय दिेा

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    सह-संबंर्

    घटिाओ ंऔर सचूिाओ ंकी व्याख्या और स्पिीकरण

    सामाजीकरण, अलग-अलग घटिाओ ंका समन्वय बिािा

    आपसी सहमति का तिमाधण

    ्रसमखुिा सचूी का तिमाधण करिा और उिकी तस्थति स्पि करिा

    वनरंतरता

    मजबिू संस्कृति का तिरूपण करिा और िई संस्कृतियों की पहचाि के अलावा भतवष्य की

    संभाविाओ ंकी खोज करिा

    मलू्यों में समाििा की पषृ्ठभतूम ि यार करिा

    मनोरंजन

    लोगों का मिोरंजि करिा तजससे व ेररल क्स की अिभुतूि कर सकें

    गत्यात्मकता

    सामातजक उद्दशे्यों की ्रसतिपतूिध के तलए ्रसचार का सहारा लेिा

    1.5 संचार के रकार

    1.5.1 भाषा और संकेतों के आर्ार पर

    अ- वावचक संचार- इसके िहि तलख े या बोले गए िरीकों से संचार तकया जािा ह ज से-कक्षा में

    अध्यापक द्वारा बच्चों का पढ़ािा िेिा द्वारा सभा में भाषण दिेा संि समागम में भाषण इसके अलावा

    तचट्ठी-पत्री तलखकर तकसी दसूरे को अपिी भाविाओ ंसे अवगि कराया जािा ह

    ब- अवावचक संचार- इसके िहि केवल संकेिों और इशारों से संचार तकया जािा ह ज से तकसी म दाि

    में फुटबाल म च हो रहा हो िो एक तखलाड़ी के इशारों से उसका साथी तखलाड़ी समझ जािा ह तक बाल

    को कहां पहुचंािा ह घर में तकसी महेमाि के आिे पर तपिाजी इशारों और संकेिों में िाश्िा लािे का

    संकेि करिे हैं और सारी बाि समझ में आ जािी ह आंखों के इशारों से भी ्रसेमी-्रसेतमका अपिे मि की

    बाि भरी महतफल में कह दिेे हैं आपके चलिे की स्टाइल भी कुछ कहिी ह और अवातचक संचार की

    परंपरा को पिु करिी ह

    1.5.2 लोगों की संख्या के आर्ार पर

    लोगों की संख्या के आर्ार पर भी संचार की सीमाए ंिय की जा सकिी हैं यह संचार की एक िई िरीके

    की अवर्ारणा ह , तजस पर तवद्वािों िे काफी गहििा से काम तकया ह

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    अ-अन्तरावैयविक संचार यानी (Intrapersonal Communication)-इस ्रसतक्रया में सवध्रसथम

    संचार की ्रसतक्रया अपिे आप से ही शरुू होिी ह हम पहले बिा चकेु हैं तक संचार तकन्हह दो लोगों के

    बीच में तकया जािा ह लेतकि यहां पर संचार पहले अपिे आप से ही तकया जािा ह ज से आप सबुह

    उठिे हैं और यह सोचिे हैं तक आज आपको टहलिे जािा ह तक िहह जािा ह इस ्रसतक्रया में आप अपिे

    अिंमधि से बािें करिे हैं और पछूिे हैं तक क्या करिा ह इसके बाद यह फ सला भी आपको ही करिा

    होिा ह तक आप टहलेंग ेया िहह इस संचार ्रसतक्रया में तकसी दसूरे व्यति की जरूरि िहह पड़िी ह

    ब-अन्तरवैयविक संचार यानी (Interpersonal Communication)-इस ्रसतक्रया में हम अपिे

    आसपास एक या एक से अतर्क लोगों से संचार करिे हैं अगर पांच-छह से ज्यादा लोगों के बीच ऐसा

    संचार तकया जािा ह िो इसे एक छोटे समहू के बीच होि ेवाला संचार कहा जाएगा उदाहरण-ज से टेतिस

    स्पर्ाध में यगुल तखलातड़यों के बीच का वािाधलाप

    स-छोटे समूह का संचार- (Small Group Communication)-इसमें छह से ज्यादा लोगों के बीच

    में संचार होिा ह ज से म दाि पर तक्रकेट और फुटबाल तखलातड़यों के बीच आपस में होिे वाला संचार

    शातमल ह इसमें अगर डेमोके्रतटक सेटअप यािी सभी को समाि अवसर दिेे की बाि करें िो ऐस ेमें

    फुटबाल के खले में हर तखलाड़ी को अपिी बाि कहिे का अवसर तमलिा ह और उसकी सिुी भी जािी

    ह वहां कप्ताि की कम और कोच की ज्यादा चलिी ह जो बाहर ब ठकर गतितवतर्यों पर िजर रखिा ह

    वहह तक्रकेट के खले में सिुी हर तखलाड़ी की जािी ह , लेतकि म दाि पर फ सले कप्ताि ही लेिा ह यािी

    यहां पर लीडर ओररयंटेड सोच को ्रसश्रय तमलिा ह

    द-बड़े समूह का संचार- (Large Group Communication)-इसमें तकसी बड़े समहू को संबोतर्ि

    करिे का मौका तमलिा ह ज से तकसी िेिा की र ली इसमें िेिा मचं से कई हजार लोगों के बीच में अपिा

    और अपिी पाटी का मि रखिा ह और लोगों स ेहाथ उठवाकर उिकी ्रसतितक्रया भी लेिा ह ऐसा समहू

    10-12 लोगों से बढ़कर कई हजार िक हो सकिा ह

    1.6 जनसचंार

    जिसंचार (Mass Communication) से िात्पयध उि सभी सार्िों के अध्ययि एव ंतवशे्लषण से ह जो एक

    साथ बहुि बड़ी जिसंख्या के साथ संचार सम्बन्र् स्थातपि करिे में सहायक होिे हैं व से इसका अथध

    सतम्मतलि रूप से समाचार पत्र, पतत्रकाए,ँ रेतडयो, दरूदशधि, चलतचत्र से तलया जािा ह जो समाचार एव ं

    तवज्ञापि दोिो के ्रससारण के तलये ्रसयिु होिे हैं जिसंचार का अथध बड़ा ही व्यापक ह लोकिंत्र के आर्ार

    पर स्थातपि लोकसत्ता के पररचालि के तलए ही िहह बतल्क राजिंत्र और अतर्िायकिंत्र के सफल संचालि

    के तलए भी जिसंचार आवश्यक ह कृतष, उ्ोग, व्यापार, जिसेवा और लोकरुतच के तवस्िार िथा पररष्कार

    के तलए भी जिसंचार की आवश्यकिा ह इसका अथध ह ‘आमजि से अतर्कातर्क तिकटिम संबंर्‘

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    ्रसाचीि काल में लोकमि को जाििे व लोकरुतच को संवारिे के तलए तजि सार्िों का ्रसयोग तकया जािा था

    व ेआज के व ज्ञातिक यगु में अतर्क उपयोगी िहह रह गए हैं एक यगु था जब राजा लोकरुतच को जाििे के

    तलए गपु्तचर व्यवस्था पर पणूधिया आतश्रि रहिा था िथा अपिे तिदशेों, मिंव्यों और तवचारों को वह

    तशलाखडंों, िाम्रपत्रों आतद पर अतंकि कराकर ्रससाररि तकया करिा था भोजपत्रों पर अतंकि आदशे

    जिसार्ारण के मध्य ्रससाररि कराए जािे थे राज्यादशेों की मिुादी कराई जािी थी र्मधग्रंथों और उपदशेों के

    द्वारा जिरुतच को काफी तिखारा जािा था आज भी तवक्रमातदत्य, अशोक, हषधवर्धि आतद राजाओ ंके समय

    के जो तशलालेख हैं उिसे पिा चलिा ह तक ्रसाचीि काल में जिसंचार का मागध तकििा जतटल और दरुूह

    था र्ीरे र्ीरे आर्तुिक तवज्ञाि में तवकास होिे से सार्िों का भी तवकास होिा गया और अब ऐसा समय आ

    गया ह जब जिसंचार के तलए समाचारपत्र, मतुरि ग्रंथ, लघ ु पसु्िक-पतुस्िकाए,ँ ्रससारण यंत्र (रेतडयो,

    टेलीतवजि), चलतचत्र, लाउडस्पीकर आतद अिेक सार्ि उपलब्र् हैं इि सार्िों का व्यापक उपयोग

    राज्यसत्ता, औ्ोतगक और व्यापाररक ्रसतिष्ठाि िथा अिंरराष्ट्रीय संगठिों के द्वारा होिा ह

    वास्िव में आज की दतुिया में जिसंचार का अथध बदलिा जा रहा ह विधमाि यगु में जिसंचार के सववोतत् िम

    माध्यम का कायध समाचार पत्र करिे हैं इसके बाद रेतडयो, टेलीतवजि, चलतचत्रों और इटंरिेट आतद आिे हैं

    िाट्य, संगीि, भजि, की िधि, र्मवोतपदशे आतद के द्वारा भी जिसंचार होिा ह लोकिंत्र में जलुसू, सभा,

    संगठि, ्रसदशधि आतद की जो सतुवर्ाए ँहैं उिका उपयोग भी राजिीतिक दलों की ओर से जिसंचार के तलए

    तकया जािा ह डाक, िार, टेलीफोि, रेल, वाययुाि, मोटरकार, जलपोि और यािायाि िथा पररवहि के

    सार्ि भी राष्ट्रीय और अिंरराष्ट्रीय संपकध के तलए ्रसयोग तकए जािे हैं लोकिांतत्रक व्यवस्था के अिंगधि

    जििा द्वारा तिवाधतचि ्रसतितितर् भी लोकसत्ता और लोकमि के मध्य जिसंचार की कड़ी का काम करिे हैं

    जनसंचार की महत्ता पर अमेररका के राष्ट्रपवत जेफसधन ने वलखा ा -

    ‘‘हमारी सत्ताओ ंका आर्ार लोकमि ह अिः हमारा ्रसथम उद्दशे्य होिा चातहए लोकमि को ठीक रखिा

    अगर मझुसे पछूा जाए तक मैं समाचारपत्रों से तवहीि सरकार चाहिा ह ँअथवा सरकार से रतहि समाचारपत्रों

    को पढ़िा चाहिा ह ँिो मैं तिःसंकोच उत्तर दूगँा तक शासिसत्ता से रतहि समाचारपत्रों का ्रसकाशि ही मझु े

    स्वीकार ह पर मैं चाह गँा तक ये समाचारपत्र हर व्यति िक पहुचँें और व े उन्हें पढ़िे में सक्षम हों जहां

    समाचारपत्र स्विंत्र हैं और हर व्यति पढ़िे को योग्यिा रखिा ह वहाँ सब कुछ सरुतक्षि ह ‘‘

    लाडध मैकाले ने भी वलखा है- ‘‘संसद की तजस दीघां में समाचार पत्रों के ्रसतितितर् ब ठिे हैं वही सत्ता का

    चिथुध वगध ह ‘‘

    एडमंड बकध ने वलखा- ‘‘संसद में सत्ता के िीि वगध हैं तकंि ुपत्र ्रसतितितर्यों का कक्ष चिुथध वगध ह जो सबसे

    अतर्क महत्वपूणध ह ‘‘

    वास्िव में हम कह सकिे हैं तक जिसंचार की दृति से विधमाि यगु में समाचार पत्रों, संवाद सतमतियों, रेतडयो,

    टेलीतवजि, तफल्म िथा इसी ्रसकार से अन्य सार्िों का तवशषे महत्व ह यह तस्थति केवल भारि में ही िहह

    ह बतल्क, तवदशेों में ह जिसंचार की दृति से वहाँ इि सार्िों का खबू उपयोग तकया जािा ह इगं्लैंड,

    अमरेरका, फ्ांस, रूस, जापाि, जमधिी समिे कई देशों में जिसार्ारण िक पहुचंिे के तलए सववोतत्तम माध्यम

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    का कायध अखबार करिे हैं इि दशेों में अखबारों की तबक्री की संख्या लाखों में ह और करोड़ों में इसके

    पाठक हैं दसेी और तवदेशी च िलों की भरमार ह इससे परूी दतुिया के लोग घर ब ठकर चंद सेकें डों में

    सचूिाए ंपा जा रह ेहैं

    1.6.1 जनसंचार की रमुख ववषेषताए-ं

    जिसंचार की अवर्ारणा को समझिे के तलए उसके ्रसमखु लक्षणों पर ध्याि दिेा होगा-

    जिसंचार में संदशे भेजिे वाला एक व्यति भी हो सकिा ह और या तफर इसमें कई लोग शातमल होंग े

    इसके अलावा िकिीक का ्रसयोग भी कारगर सातबि हो सकिा ह क्योंतक िकिीक के जररए ही एक

    व्यति बहुि बड़ी भीड़ के समझ अपिी बािों को पहुचंा सकिा ह आज कई संि महात्मा समागम करिे

    हैं िो च िलों से उसका ्रससारण चंद तमिटों के अदंर परूी दतुिया में हो जािा ह चाह ेरेतडयो हो या टीवी या

    तफर त्रसंट मीतडया, सभी जगह िकिीक की अहम भतूमका ह

    जिसंचार के तलए कुछ मध्यस्थों की भतूमका होिी ह और व ेइस परूी ्रसतक्रया में अपिी सतक्रय भतूमका

    तिभािे हैं इसमें संचारक माइक्रोफोि, टीवी, स्टूतडयो उपकरणों और ्रसेस उपकरणों की मदद लेिा ह ज से

    ही कोई म केतिकल तडवाइस संचारक और लोगों के बीच में आिी ह िो उसे मध्यस्थ संचारक का दजाध

    तदया जािा ह

    जिसंचार में एक ्रसमखु लक्षण जो उभरकर सामिे आिा ह वह ह ्रसतिपतुि यािी फी डब क का अगर कोई

    व्यति टीवी दखे रहा ह और तकसी कायधक्रम पर उसे आपतत्त ह और इस बारे में च िल को वह अपिी

    तशकायि दजध करािा चाहिा ह या तफर िारीफ करिा चाहिा िो इसके तलए वह समय लगािा ह व से

    कई मीतडया संस्थाि भी अपिे कायधक्रमों के बारे में लोगों के बीच से फी डब क लेिे हैं और व े तवतभन्ि

    टूल्स और टेक्िीक का सहारा लेिे हैं

    ्रसोफेशिल संचारकों को जब जिसंचार के तलए ि यारी करिी पड़िी ह िो व ेपहले इसके तलए तस्क्रप्ट

    ि यार करिे हैं, उसके बाद शतूटंग पर जोर दिेे हैं, तफर संपादि की ्रसतक्रया परूी करिे हैं और उसके बाद

    उत्पातदि कायधक्रम का ्रससारण तकया जािा ह मजं ेसंचारकों के तलए जििा में संदशे दिेा खासा आसाि

    होिा ह एक बाि स्पि ह तक दतुिया में आया हर इसंाि परूी िरह से कुशल संचारक िहह ह और इसके

    तलए परूी िरह से उसे ्रसोफेशिल संचारकों पर तिभधर रहिा पड़ेगा और मदद भी लेिी पड़ेगी

    जिसंचार का एक ्रसमखु लक्षण यह भी ह तक तकसी भी समाचार का ्रससारण या ्रसकाशि एक साथ होिा

    जरूरी ह क्योंतक ऐसा करिे से एक ही समय में परेू दशे और दतुिया में समाचारों का पिा चल सकेगा

    अिं में यही बाि महत्वपणूध ह तक जिसंचार में एक व्यति बहुि सारे लोगों के संपकध में िभी आ पािा ह

    जब वह तकसी म केतिकल तडवाइस का सहारा लेिा ह

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    1.6.2 जनसंचार के रकार- जिसंचार के अिंगधि पत्रकाररिा, तवज्ञापि के अलावा जिसंपकध भी आिा ह

    तजसमें पत्रकाररिा सबसे परुािा माध्यम ह इसमें समाचारों का सं्रसेषण तकया जािा ह वह चाह ेरेतडयो हो या तफर

    टीवी च िल्स इसके बाद तवज्ञापिों के जररए भी जिसंचार को बढ़ावा तमल रहा ह

    जनसंचार

    पत्रकाररता ववज्ञापन जनसंपकध

    वरंट इलेक्ट्रावनक आंिररक पीआर वाहृय पीआर

    इनडोर आउटडोर वरंट इलेक्ट्रावनक

    1.6.3 जनमाध्यम और लवित वगध-

    पवूध में हम जिसंचार के बारे में अध्ययि कर चकेु हैं, लेतकि इसी के अिंगधि दो और महत्वपणूध चीजें

    आिी हैं वह हैं जि माध्यम यािी मास मीतडया और मास ऑतडयंस यािी लतक्षि वगध

    1. जनमाध्यम- इसके िहि टीवी, रेतडयो, म गजीि, तकिाबें, पतत्रकाए ंऔर तफल्में आिी हैं यही

    जिमाध्यम ही जिसंचार की रीढ़ हैं ये सभी म केतिकल माध्यम हैं तजिके जररए संदशे को एक जगह से

    दसूरी जगह तभजवाया जािा ह यह लोगों की अपिी च्वाइस होिी ह तक व ेअमकु संदशे को तकस िरह

    से पढ़े, दखेें और सिुें ज्यादािर लोग इन्हह तडवाइस के सहारे ही संदशे ्रसाप्त करिे हैं और उसी के अिसुार

    कायध करिे हैं

    2. लवित वगध-जिसंचार में लतक्षि वगध का बड़ा महत्व ह इसमें ज्यादा संख्या में लोगों को संदशे

    तमलिा ह एक सफल जिसंचार िभी मािा जाएगा जब यह पिा लगगेा तक तकस िरह से लोग संदशे को

    ररसीव करिे हैं हर कायधक्रम के तहसाब से श्रोिा और दशधक होिे हैं खले के कायधक्रम के तलए दशधकों

    और श्रोिाओ ंका समहू अलग होगा वहह टीवी सीररयल दखेिे वालों में हो सकिा ह तक मतहलाओ ंकी

    संख्या ज्यादा हो आजकल हर च िल और सरकार पत्र का संस्थाि अपिे दशधकों और पाठकों की संख्या

    में अतभवतृि करिा चाहिा ह िो वह कई िरीके के लोक लुभावि रणिीतियों को अपिािा ह कोई च िल

    अपिे प केज में छूट दिेा ह िो कोई समाचार पत्र कूपि या तडस्काउंट की सतुवर्ा दिेे ह ये सारी चीजें

    पाठकों और दशधकों की बढ़ोिरी पर असर डालिी हैं

    एक बाि और ह तक कोई भी मीतडया संस्थाि कोई ऐसा ्रसोग्राम तबिा ि यारी के लांच िहह करिा ह

    इसके तलए वह मीतडया माकेट सवे का सहारा लेिा ह संस्थाि लोगों के बीच सव ेकरािा ह और तफर

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    कायधक्रम को लांच करिा ह यही हाल अखबारों के तलए होिा ह हर अखबारी संस्थाि अपिे को बाजार

    में उिारिे से पहले लोगों के बीच कुछ सवालों के आर्ार पर सव ेकरािा ह और अपिे उत्पाद यािी

    अखबार के कंटेंट को लोगों की मांग के अिरुूप सजािा और संवारिा ह

    1.7 सारांश

    संचार की अवर्ारणा वाले इस अध्याय में सबसे पहले संचार की तस्थति को स्पि तकया गया ह इसके

    बाद उसकी अवर्ारणा बिाई गई ह साथ ही संचार के कायों के बारे में तवस्िार से जािकारी दिेे का

    ्रसयास तकया गया ह संचार के ्रसकारों के अलावा वातचक और अवातचक संचार को भी उदाहरण दकेर

    समझािे का ्रसयास तकया गया ह इसके बाद जिसंचार के ्रसमखु पहलओु ं पर ्रसकाश डाला गया ह

    जिसंचार की तवशषेिाओ ंको भी रेखांतकि करिे का ्रसयास तकया गया ह इसके अलावा जिसंचार के

    ्रसकारों के अलावा जि माध्यमों और लतक्षि समहूों के बारे में तवस्िार से जािकारी दी गई ह

    1.8 रश् नावली

    1. संचार की अवर्ारणा के बारे में उदाहरण सतहि तलतखए

    2. संचार क्या ह , संचार के ्रसमखु ित्वों का तववचेि की तजए

    3. संचार के कायों के बारे में उदाहरण दकेर समझाइए

    4. तवतभन्ि उदाहरण दकेर संचार के ्रसकारों पर तटप्पणी की तजए

    5. समहू संचार क्या ह , उदाहरण दकेर समझाइए

    6. जिसंचार की तवशषेिाओ ंपर ्रसकाश डातलए

    7. जिसंचार के ्रसकारों के बारे में उदाहरण दकेर तलतखए

    8. मॉस मीतडया और लतक्षि वगध के बारे में तटप्पणी की तजए

    1.9 संदभध ग्रं /पुस्तकें

    मॉस कम्यतूिकेशि थ्योरी, एि इट्ं्रडक्शि-डेतिस म क्वले, सेज

    अडंरस्टैंतडंग मीतडया-माशधल म क्लहुाि, रूटलेज एडं पॉल की गि, लंदि

    मॉस कम्यतूिकेशि थ्योरी एडं ्रस तक्टस-उमा िरूला, हरचंद पतब्लकेशि

    हैंडबकु ऑफ जिधतलज्म एडं मॉस कम्यतूिकेशि-वीबी अग्रवाल एडं वीएस गपु्ता

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    इकाई-2

    संचार के मॉडल एवं वसद्ांत

    इकाई की रूपरेखा

    2.0 उद्दशे् य

    2.1 ्रसस्िाविा

    2.2 मॉडलों की अवर्ारणा एव ंकायध

    2.3 संचार के महत्वपणूध मॉडल

    2.4 संचार के तियामक तसिांि

    2.5 सारांश

    2.6 ्रसश् िावली

    2.7 संदभध ग्रंथ/पसु्िकें

    2.0 उदे्दश् य

    इस इकाई के अध्ययन के उपरांत

    आप संचार के मॉडलों की अवर्ारणा की भलीभांति जािकारी पा जाएगं े

    आप संचार के मॉडलों की ्रसतक्रया के बारे में अवगि होंग े

    आप संचार के तियामक तसिांिों के बारे में जािेंग े

    2.1 रस्तावना

    पवूध की इकाई में आपको संचार और जिसंचार के तवतभन्ि पहलओु ंके बारे में जािकारी दी गई अब इस इकाई में

    संचार के उि मॉडलों के बारे में बिाया जाएगा जो तक संचारशातियों द्वारा समय-समय पर तवकतसि तकए गए हैं

    और संचार ्रसतक्रया को सरलिम रूप से ्रसदतशधि करिे में सहायक हैं वास्िव में मॉडलों के आर्ार पर वास्ितवक

    पररतस्थतियों को ्रसतितबंतबि करिे का ्रसयास तकया गया ह एक अच्छा मॉडल वास्िव में सच्चाई के काफी करीब

    होिा ह मॉडलों के जररए हम तकसी वास्ितवक घटिा तिरूपण कर सकिे हैं और उससे संचार ्रसतक्रया को

    आसािी से समझा जा सकिा ह तवतभन्ि ्रसकार के मॉडलों को तवतभन्ि ्रसकार के आयामों के संदभध में पररभातषि

    करिे का ्रसयास तकया गया ह हर मॉडल संचार की तकसी ि तकसी ्रसतक्रया को संदतभधि करके ही बिाया गया ह

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    दखेा जाए िो संचार मिषु्य की ऐसी जरूरि बि गया ह तजसके तबिा जीवि की कल्पिा भी मतुश्कि हो गई ह

    रोटी, कपड़ा और मकाि के बाद अगर कोई जरूरि मिषु्य की ह िो वह ह -संचार हमारे तलए अब आवश्यक हो

    गया ह तक हम अपिी सं्रसेषण की तस्थतियों को और मजबिू करें संचार की ्रसतक्रया को बड़े प मािे पर व्यवतस्थति

    करिे के तलए संचारशातियों िे काफी मदद की और शोर् के उपरांि कई ऐसे मॉडल तदए तजिकी साथधकिा आज

    के संचार संसार में बढ़िी ही जा रही ह इस अध्याय में संचार के कुछ आर्ारभिू मॉडलों का अध्ययि ्रसस्ििु

    तकया गया ह , तजसके आर्ार पर आप आसािी से समझ जाएगं े तक संचार तवशषेज्ञों िे तकस िरीके से संचार

    ्रसतक्रया का सरलीकरण तकया ह अब हम संचार मॉडलों की अवर्ारणा और उसके कायों पर ्रसकाश डालेंग े

    2.2 मॉडलों की अवर्ारणा और कायध

    तकसी भी ्रसतक्रया को समझिे के तलए उसका तचत्रीय तिरूपण आवश्यक ह वास्िव में यह ‘थ्योरी‘ की अपेक्षा

    समझिे के तलए काफी आसाि होिा ह कुछ िए ्रसक्रम की खोज और कुछ िवीि जािकारी के तलए इि मॉडलों

    का सहारा तलया जािा ह वास्िव में संचार की िई-िई ्रसतक्रयाओ ंको ईजाद करिे के तलए समय-समय पर कुछ

    तवशेष िरह के तवशे्लषण करिे होिे हैं जो तक भतवष्य में संचार का स्वरूप क सा होगा, उसकी रूपरेखा िय करिे हैं

    ज सा तक हम अखबारों में दखेिे हैं तक एक तचत्र को दखेिे ही हम उसकी भाषा समझ जािे हैं उसी ्रसकार से हम

    अगर तकसी मॉडल यािी ्रसारूप को दखेिे हैं िो उससे आसािी से समझ जािे हैं

    मॉडलों के आरेख वास्िव में यह स्पि करिे हैं तक सामान्य जीवि में संचार की ्रसतक्रया क से चलिी ह इसके

    अलावा अगर कहह कोई तदक्कि या परेशािी आिी ह िो इस बारे में संचार ्रसतक्रया को समय रहिे दरुुस्ि भी

    तकया जा सकिा ह

    2.3 संचार के महत्वपूणध मॉडल

    संचार ्रसतक्रया को समझिे के तलए कुछ मॉडलों का तववरण यहां तदया जा रहा ह जो इस ्रसकार ह

    1. एसएमआर मॉडल-

    इस ्रसकार के मॉडल में कम से कम दो व्यतियों का होिा जरूरी ह एक ओर संदशे दिेे वाला स्रोि यािी

    सोसध होगा और दसूरी ओर उसे पािे या ररसीव करि ेवाला ररसीवर होगा इसमें स्रोि को सोसध, संदशे को

    म सेज और ्रसापक को ररसीवर के िाम से जाििे हैं, इसी आर्ार पर इसे एसएमआर मॉडल कहा जािा ह

    S M R

    सोसध म सेज ररसीवर

    2. एसएमसीआर मॉडल-

    इस ्रसकार के मॉडल में सभी महत्वपूणध िथ्य िो एसएमआर मॉडल के होिे हैं, लेतकि उसमें एक जरूरी

    ित्व संदशे को तजस माध्यम से भजेा जािा ह यािी च िल को स्थाि तदया गया ह और इसके अलावा

    संदशे पािे वाले व्यति द्वारा फी डब क भी तदया जाएगा िातक पिा चल सके तक जो संदशे सोसध की ओर

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    से आया ह उसका उतचि जवाब द े तदया गया ह संचार के SMCR ्रसारूप को डेतवड के. बलवोतज िे

    जिसंचार की दतुिया में ्रसस्ििु तकया था बरलवोतज के अिसुार SMCR का मिलब ह –

    S- Source (्रसेषक), M- Message (संदशे)

    C- Channel (माध् यम), R-Receiver (्रसापक)

    जिसंचार के तलए उपयुधि चारों पद महत्वपणूध ह इिके तबिा कोई भी जिसंचार परूा िहह हो सकिा ह

    1- रेषक (Source)%& बलवोतज के अिसुार तकसी भी सन्दशे का स्रोि व्यति होिा ह वो

    तकसी भी सन्दशे को तकििा ्रसभावी बिािा ह , ये उसके खदु के व्यतिगि गणुों पर तिभधर करिा ह इसका

    पिा ्रसेषक के द्वारा संचार के तलए भजे ेगये सन्दशे, उसके व्यवहार, वो तजस समाज में रह रहा ह , उसकी

    व्यवस्था, संस्कृति, उसके व्यतिगि ज्ञाि के आर्ार पर तकया जा सकिा ह

    2- संदेश (Message)%& सन्दशे ्रसेषक द्वारा तकसी भी माध्यम से भजेा जा सकिा ह वो

    माध्यम कोई भी भाषा ज से - अग्रेंजी, तहन्दी, फारसी, उदूध, या कोई भी स्थािीय भाषा हो सकिी ह या तफर

    तकसी ्रसकार के तचत्रों के माध्यम से भी सन्दशे तदया जा सकिा ह उि तचत्रों में कोई भी फोटोग्रॉफ, तफल्म,

    होंतडधग्स आतद हो सकिे ह य े्रसेषक के स्वयं पर तिभधर करिा ह तक वो तकस िरह से अपिे सन्दशे को

    ्रसापक िक सम््रसेतषि करिा ह बस ये दखेिा जरूरी ह तक सन्दशे का मलू रूप कायम रह,े उसकी अिंवधस्िु

    में पररविधि िा आये

    3- माध् यम (Channel)%& ्रसेषक द्वारा जब सन्दशे को ि यार कर तलया जािा ह , िब वो यह

    तितष्चि करिा ह तक तकस िरीके से, कौिसे माध्यम से ये सन्दशे ्रसापक िक पहुचंाया जाए ्रसेषक सन्दशे

    को भजेिे समय ्रसापक को ध्याि में रखिे हुए माध्यम का चयि करिा ह , तक ्रसापक सन्दशे को सिुकर,

    दखेकर, स्पशध करके या सिु-दखे कर उसे ्रसाप्त करिा ह उसी के अिसुार ्रसेषक द्वारा सन्दशे को ्रसापक िक

    पहुचंािे के तलए माध्यम का चयि तकया जािा ह

    4- रापक (Receiver)%& ्रसेषक द्वारा ्रसभावपणूध िरीके से सन्दशे का तिमाधण करके ्रसापक के

    अिरुूप माध्यम का चयि कर सन्दशे को ्रसापक िक पहुचंािा ह अगर ्रसापक उस सन्दशे को सकारात्मक

    http://4.bp.blogspot.com/-lqkJ28BN1-o/UnSUCgPXiBI/AAAAAAAAAbA/xdZjE1HXEpg/s1600/MCR.tif

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    सोच के साथ लेिा ह , िो ्रसेषक का सन्दशे भजेिा साथधक हो जािा ह अगर ्रसेषक की सोच िाकारात्मक

    ह , िो चाह ेतकििा भी ्रसभावी सन्दशे क्यों िा हो, वो सन्दशे अस्पि हो जािा ह , वो अथधपणूध िहह रहिा ह

    अगर हम बलवोतज के इस ्रसारूप को दखेें िो इसमें संचार ्रसतक्रया को िहह दषाधया गया ह इस ्रसारूप में

    मािवीय भतूमका की अहतमयि को बिाया गया ह ्रसेषक, सन्दशे, माध्यम, ्रसापक सभी मािवीय पहलओु ं

    को तलया गया ह

    3- लॉसवेल मॉडल

    अमरेरकी राजिीति शािी हरेाल्ड डी लॉसवले एक राजिीतिज्ञ थे, परन्ि ुइिकी रूतच संचार के के्षत्र में थी

    तजसके फलस्वरूप उन्होंिे संचार शोर् के के्षत्र में तदलचस्पी तदखािे हुए सि ् 1948 में संचार का एक

    शातब्दक फॉमूधला बिाया, तजसे पहला संचार का व्यवतस्थि ्रसारूप कहा जा सकिा ह इस फॉमूधले की

    खास बाि थी तक ये एक ्रसश्नवाचक फॉमूधला था लॉसवेल का माििा था तक संचार की ्रसतक्रया को

    समझिा ह , िो पांच ्रसश्नो के उत्तर को जाििा जरूरी ह , उिके उत्तर को जािे तबिा संचार ्रसतक्रया को िहह

    समझा जा सकिा ह ये पांच ्रसश्न ह -

    1) कौि 2) क्या कहा 3) तकस माध्यम से 4) तकससे 5) तकस ्रसभाव

    याति तक संदशे कौि द ेरहा ह , तकसके द्वारा सन्दशे तदया जा रहा ह उस सन्दशे में ह , क्या अथाधि ्क्या कहा

    जा रहा ह और ्रसापक के पास वो सन्दशे तकस माध्यम से पहुचंािा ह , कौि-सा माध्यम अपिाया जाएगा

    और उस सन्दशे को ्रसाप्त करिे वाला ्रसापक कौि ह , वो सन्दशे तकसे तदया जा रहा ह और सबसे ज्यादा

    महत्वपूणध ह उस सन्दशे का क्या ्रसभाव होगा, जो ्रसभाव सन्दशे भजेिे वाला ्रसापक पर चाहिा ह , िो क्या

    उस ्रसभाव को सन्दशे को ्रसापक िक पहुचंाया जा रहा ह या िहह अगर इि पांच ्रसश्नो के उत्तर को समझ

    तलया जाए िो संचार की ्रसतक्रया को समझिा आसाि हो जािा ह लॉसवले िे इस ्रसारूप का तिमाधण

    बहुवादी समाज, काफी संख्या में मौजदू संचार के माध्यमों को ध्याि में रखकर तकया ह सबसे खास बाि

    लॉसवले िे अपिे इस ्रसारूप में ्रसभाव को शातमल तकया ह जो तक सबसे ज्यादा जरूरी ह

    4. शैनन और वीवर का संचार रारूप-

    श िि और वीवर का गतणीय संचार ्रसारूप टेलीफोि द्वारा संदशे भजेिे की ्रसतक्रया पर आर्ाररि ह क्योंतक श िि

    एक गतणिज्ञ के साथ-साथ इलेक्ट्रोतिक इजंीतियर भी थे इसतलए उिकी रूतच संचार ्रसतक्रया पर शोर् के क्षेत्र में

    थी श िि िे तद्विीय तवश्वयिु के पश्चाि ्पहली बार 1948 में टेलीफोि द्वारा संचार ्रसतक्रया ्रसारूप के बारे में लोगों

    को समझाया था साथ ही श िि िे व ज्ञातिक शोर् एव ंतवकास तवभाग में कायध करिेवाले उिकी साथी वारेि वीवर

    http://2.bp.blogspot.com/-iYzJxGCWaPc/UnSXSdyIO-I/AAAAAAAAAbM/P4os__0MYaQ/s1600/LASS.tif

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    के साथ तमलकर 1949 में एक पसु्िक ्रसकातशि की , तजसका िाम था संचार के गतणिीय तसिांि संचार के

    गतणिीय तसिांि पसु्िक में श िि और वीिर िे जिसंचार के तलए छह ित्वों को महत्वपणूध मािा ह -

    श िि और वीवर के उि ्रसारूप के अिसुार संचार का आरम्भ वहह से होिा ह , जहां से सन्दशे उत्पन्ि होिाह याति

    तक सचूिा का जो स्रोि ह , वो संचार का आरम्भ मािा जािा ह दसूरा ित्व आिा ह वो माध्यम जो तक सन्दशे को

    सचूिा स्रोि से सम््रसेतषि करिा ह िीसरा ित्व ह संचार मागध, याति तक तकस िरह से ्रसापक िक पहुचं रहा ह ज से

    वाय ुके माध्यम से उसके पश्चाि ्सन्दशे ्रसापक याति तक सन्दशे ्रसाप्तकिाध के पास पहुचंिा ह और इस िरह से कोई

    भी सन्दशे अपिे गन्िव्य स्थल िक पहुचंिा ह श िि और वीवर के अिसुार जब कोई भी संदशे संचार मागध से

    अपिे गन्िव्य स्थल िक पहुचंिा ह , िो उस संचार मागध में एक ित्व और काम करिा ह वो ह शोर इस परूी

    ्रसतक्रया में शोर व्यवर्ाि उत्पन्ि कर संचार के ्रसभाव को कमजोर बिािा ह और शोर के कारण कई बार सन्दशे का

    स्वरूप अपिे गन्िव्य स्थाि िक पहुचंिे-पहुचंिे बदल जािा ह

    व से श िि और वीवर के इस तसिांि िे पहली बार शोर की इस अवर्ारणा को बिाया ह संचार मागध में उत्पन्ि हुए

    शोर के कारण आये व्यवर्ाि से कई बार ्रसापक सन्दशे को मलू रूप में ्रसाप्त िहह कर पािा ह तजििा सन्दशे के

    स्वरूप में पररविधि होिा ह उििा ही मािा जािा ह तक संचार मागध में शोर िे बार्ा उत्पन्ि की ह अगर कोई भी

    सन्दशे सचूिा अपिे गन्िव्य स्थाि िक अपिे मलू स्वरूप में पहुचं जािी ह िो मािा जािा ह तक संचार मागध में

    कोई भी बार्ा या व्यवर्ाि िहह उत्पन्ि हुआ ह पर ्रसायः ऐसा दखेिे में कम ही आिा ह अगर शोर के कारण

    सन्दशे पहुचंाि ेमें बार्ा उत्पन्ि हो रही ह , और गन्िव्य स्थाि िक उसके सही रूप में पहुचंिे की सम्भाविा कम

    िजर आिी ह िो श िि और वीवर का माििा ह तक उस सन्दशे को कई बार दोहराया जाये याति तक उन्होंिे शब्द

    बहुलिा के तसिांि पर जोर तदया ह ऐसा मािा जािा ह तक अगर उस सन्दशे को बार-बार दोहराया जाये िो वो

    ्रसापक िक वास्ितवक अथध में पहुचं जािा ह श िि और वीवर िे ये भी मािा तक सन्दशे में शोर के कारण दो ्रसकार

    के व्यवर्ाि मखु्यिः आिा ह संचार मागध में उत्पन्ि शोर और शब्दाथध याति तक शब्दों के कारण उत्पन्ि शोर जब

    सन्दशे ्रसेषक तजि तस्थति और मिोदशा में शब्दों का ्रसयोग कर सन्दशे को ्रसेतषि करिा ह , परन्ि ु्रसापक उस

    तस्थति और मिोदशा के अिसुार उस सन्दशे का अथध िहह ग्रहण करिा ह , िब भी सन्दशे का स्वरूप तबगड़ जािा

    ह तजससे शब्दाथध शोर उत्न्ि होिा हैं इस िरह स ेश िि और वीवर के गतणिीय ्रसारूप के आर्ार पर सन्दशे को

    अपिे गन्िव्य स्थाि िक पहुचंािे के तलए छह ित्वों का होिा जरूरी हैं

    5. बुलेट वसद्ांत-

    जब सन्दशे स्रोि से संदशे परूी ि यारी के साथ ्रसापक िक सम््रसेतषि तकया जािा ह , और ्रसापक पर उस सन्दशे का

    एक मिचाहा ्रसभाव, ज सा ्रसभाव संचारक चाहिा ह उत्पन्ि करिे की कोतशश करिा ह िो यह बलेुट तसिांि

    कहलािा हैं ज से बलेुट से तिकली गोली तजस पर तिशािा सार्ा जािा ह , सीर्े उस पर जाकर उसी िरह से अपिा

    असर तदखािी ह , तजस िरह से था यह कहा जाये तक तजस सोच के साथ तिशािा सार्ा गया था व से ही इस

    तसिांि के अिसुार संचारक के द्वारा भजेा गया सन्दशे का ्रसभाव ्रसापक पर वो ही हो, जो संचारक चाहिा ह इस

    िरह से इस तसिांि में अगर हम भतूमका की बाि करें, िो संचारक की भतूमका काफी महत्वपणूध होिी ह जबतक

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    सन्दशे ्रसाप्त करिे वाली की िहह क्योंतक सन्दशे का रूप, उसका आकार आतद का तिर्ाधरण करिा ह , िातक तजस

    सोच के साथ वो ्रसापक िक इसे पहुचंािा चाहिा ह वो पहुचं सके इस तसिांि में ्रसापक की सोचिे समझिे की

    शति कम होिे के कारण वो संचारक द्वारा भजे ेगये सन्दशे को व सा ही ग्रहण करिा हैं

    यह तसिांि तद्विीय तवश्व यिु के समय जिसंचार

    माध्यमों द्वारा तकये गये परोपेगेंडा की प दाइस ह ,

    िो कहिा गलि िहह होगा यह तसिांि यह भी

    माििा ह तक संचारक द्वारा जो भी सन्दशे तदया जायेगा, उसे ्रसापक तकन्ि ुपरन्ि ुतकये तबिा व सा ही माि लेगा, उस

    पर यकी ि कर लेगा इस िरह से इस तसिांि में सन्दशे जो तक सम््रसेतषि तकया जा रहा ह , वो एक िरफा होिा ह

    इसमें ्रसापक सन्दशे ्रसाप्त करि ेवाले की भतूमका िगण्य होिी ह वो अपिे तववके का ्रसयोग तकये तबिा उस सन्दशे

    को ज्यों का त्यों ही ग्रहण करिा ह इस ्रसकार संचारक की इस तसिांि में महत्वपूणध भतूमका होिी ह जबतक

    ्रसापक की कोई अपिी तवचारर्ारा िहह होिी ह वो संचारक की ही तवचारर्ारा का समथधि करिा ह इसीतलए ही

    िो संचारक ्रसापक को िजर अदंाज करिे हुए अपिी आवश्यकिािसुार संदशे का तिमाधण करिा ह बस संचारक

    यह ध्याि रखिा ह तक ऐसे जिसंचार माध्यक का ्रसयोग तकया जाए तजसका ्रसभाव सीर्े िौर पर ्रसापक पर

    सकारात्मक ही हो

    6. न्यूकॉम्ब का वसद्ान्त-

    Theodore M. Newcomb का िाम

    सामातजक मिोतवज्ञाि में अग्रणी पंति में आिा

    हैं उन्होंिे लगभग 50 साल िक तकस िरह से

    मािवीय व्यवहार को बढ़ाया जाये िथा

    सामातजक को गहराई से समझा हैं इस श्रृंखला

    में संचार के के्षत्र में एक सामातजक सोच

    न्यकूॉम्ब लेकर आये जो तक ABX ्रसणाली के

    िाम से जािा गया, जो तक बाद में New Comb Model बि गया इस तसिान्ि में New Comb िे संचार

    ्रसतक्रया एक अलग ही दृतिकोण ्रसस्ििु तकया ह इस तसिान्ि को संचार के के्षत्र में ्रसस्ििु करिे का मखु्य कारण

    था सामातजक संबंर् में संचार की मखु्य भतूमका का माििा िथा सामातजक ्रसणाली में सामातजक सन्िलुि को

    बिाये रखिा इस तसिान्ि में सन्दशे, सचूिा का अपिा अलग से कोई भी अतस्ित्व िहह ह न्यकूॉम्ब का उद्दशे्य

    समाज में संचार ्रसतक्रया के द्वारा सन्िलुि बिािा था जो तक उिके इस रेखातचत्र से भी स्पि होिा ह व से भी

    संचार का मिलब ही ह लोगों के बीच के सम्बन्र्ों का संभालिा कभी-कभी इस तसिान्ि को संचार का ABX

    तसिान्ि भी कहा जािा हैं

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    इस रेखातचत्र से स्पि पिा चलिा ह तक "THE NEWCOMB MODEL" तत्रभजुाकार में कायध करिा हैं इस रेखातचत्रािसुार A- सन्दशे भजेिे वाला ह , संचारक ह B- ्रसापक ह , सन्दशे को ्रसाप्त करिे

    वाला X- सन्दशे, जो संचारक द्वारा ्रसापक को भजेा जा रहा हैं भजे ेगये, सन्दशे पर A और B दोिों का

    सहमि होिा आवश्यक ह , अन्यथा सामातजक ्रसतक्रया में परेशािी उत्पन्ि हो सकिी ह

    माि तलया जाए A और B तशक्षक और छात्र या सरकार और जििा ह सरकार िे कोई भी िीति बिाई

    और उसे जििा िक पहुचंाया अगर जििा सरकार द्वारा बिाई गई िीति बिाई और उसे जििा िक

    पहुचंाया अगर जििा सरकार द्वारा बिाई गई िीति से सहमि ह , िो समाज में कायध एक समाि गति से

    होगा, परन्ि ुठीक इसके तवपरीि अगर जििा सरकार की िीति सहमि िहह ह , िो कही िा कही समाज का

    सन्िलुि तबगड़ जाएगा

    सरकार (संचारक)

    जििा (ऋण)

    िीति (सन्दशे)

    इसतलए यकूॉम्ब के अिसुार सामातजक व्यवस्था को बिाये रखिे के तलए सकारात्मक संचार का होिा

    आवश्यक ह संचारक द्वारा जो भी सन्दशे भजेा जा रहा ह , उससे ्रसापक का सन्ििु होिा आवश्यक ह

    याति तक सन्दशे को लेकर ्रसापक और संचारक का एक तबन्द ुपर तमलिा आवश्यक ह िभी स्वस्थ समाज

    बिा सकेगा सामातजक व्यवस्था को सचुारू रूप से चलािे के तलए संचार आवश्यक ह

    व से िो जिसंचार के और भी कई तसिान्ि ह ज से तियामक तसिान्ि, ्रसभतु्ववादी तसिान्ि, ऑसगडु ग्राम

    का संचार ्रसारूप तजिमें संचारक, सन्दशे और ्रसापक को मखु्य मािा गया ह और Herbert Marshall

    Mcluhan का िो यह माििा ह तक The medium is the message" याति तक सन्दशे ही संचार का

    माध्यम हैं

    7. वेस् टली और मैक्ट् लीन का मॉडल- 5911 में इस मॉडल को तवकतसि तकया गया था इसे गटे की तपंग

    मॉडल भी कहा जािा ह मॉस मीतडया के तलए चतचधि इस मॉडल की खास तवशषेिा यह ह तक इसमें लगािार

    िथ् यों को िाजा करिे और िवीि चीजों को समातहि करिे की क्�